कहानी अश्वि और अखंड की है, जिन्हें उनकी किस्मत ने बचपन से ही एक-दूसरे के साथ बाँध दिया था। अखंड खुद 7 साल का एक अनाथ बच्चा था, जिसे दो घंटे की नन्ही सी अश्वि सड़क के किनारे मिली थी। किस्मत ने उन दोनों को एक साथ बाँधा। अखंड ने बहुत दर्द और तकलीफ उ... कहानी अश्वि और अखंड की है, जिन्हें उनकी किस्मत ने बचपन से ही एक-दूसरे के साथ बाँध दिया था। अखंड खुद 7 साल का एक अनाथ बच्चा था, जिसे दो घंटे की नन्ही सी अश्वि सड़क के किनारे मिली थी। किस्मत ने उन दोनों को एक साथ बाँधा। अखंड ने बहुत दर्द और तकलीफ उठाकर अश्वि को पाला, पर उस पर सबसे ज़्यादा भरोसा भी उसी ने किया। अखंड ने अश्वि से अपने कई राज़ छुपाकर रखे हुए थे — ऐसे राज़, जो अगर अश्वि के सामने आ जाते, तो उसे पूरी तरह से तोड़ सकते थे। अखंड को एक खतरनाक बीमारी थी, जिसके बारे में सिर्फ अखंड को पता था। और इस बीमारी की सिर्फ एक ही दवा थी — अश्वि । अगर इस बीमारी का राज़ किसी और को पता चलता, तो अगले ही पल अखंड उस इंसान को मार देता। अखंड को अश्वि के लिए हद से ज़्यादा पज़ेसिवनेस थी, और अश्वि , अखंड से हद से ज़्यादा प्यार करती थी। अखंड के लिए अश्वि किसी से भी लड़ सकती थी। अब देखना यह है कि — 👉 क्या अखंड की बेरहम हकीकतें और पज़ेसिवनेस, अश्वि के प्यार पर हावी होंगी? या फिर 👉 अश्वि अपने प्यार से क्रूअल और रहस्यमयी अखंड को बदल पाएगी?
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ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, जिसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है।🙏
एक लड़का जिसकी उम्र 7 साल के करीब थी, वो ऐसे ही मार्केट में किसी काम से घूम रहा था, तभी अचानक से उसे किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई देने लगी जिसकी वजह से वो इधर-उधर देखने लगा।
अचानक से उसका ध्यान पास की झाड़ियों पर गया, जहाँ से उसे किसी बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी।
वो लड़का उस झाड़ियां के तरफ देखते हुए अपने आप से ही कहने लगा, "अरे ये रोने की आवाज तो इन झाड़ियां से आ रही है, जाकर देखूं क्या..? अगर कुछ हुआ तो नहीं नहीं एक बार चेक कर लेता हूं। हां अखंड चल तू तो शेर हैं ऐसे किसी से नहीं डर सकता।" इतना कह कर वो आगे बढ़ने लगा।
ये थे हमारे स्टोरी के हीरो अखंड कपूर। पीछे से इसके पीछे सिर्फ सरनेम था, पर उस सरनेम के साथ किसी का साथ नहीं था, अखंड एक 7 साल का अनाथ बच्चा था,जिसे किसी ने मनाली के अनाथ आश्रम में लाकर छोड़ा था।
जिस अनाथ आश्रम में अखंड रहता था वहां से सारे काम करवाए जाते थे और उसे खाना तक नहीं दिया जाता था जिससे परेशान होकर अखंड ने वो अनाथ आश्रम छोड़ दिया और जैसे तैसे किसी से हेल्प लेते हुए हुए वो शिमला आ गया था यहां पर आकर वो एक मोमोस स्टॉल पर काम करके अपना पेट भरने लगा।
अखंड का नाम उसके साथ उसके सामन में एक चिट पर लिखा हुआ था, तो उसे अनाथ आश्रम में सब अखंड कहकर ही बुलाते थे।
अखंड दिखने में बहुत ही स्मार्ट था। गोरा रंग उस पर उसके बिखरे हुए बाल उसकी ऊंचाई लगभग 4 फीट 7 इंच होगी।
अखंड के कपड़े इस वक्त फटे हुए थे पर इसमें भी वो बहुत ही क्यूट एंड प्यारा लग रहा था ।
इस वक़्त शिमला में रात का वक्त था तो अखंड इस वक्त एक बस स्टैंड के पास जा रहा था सोने के लिए, क्योंकि अखंड रात को बस स्टैंड के पास ही सोता था और सुबह होते ही अपने काम के लिए निकल जाता था।
अखंड एक छोटे से मोमोस स्टॉल काम करता था जहां उसे दो टाइम की चाय और ब्रेड खाने के लिए मिलती थी।
अखंड ने उन झाड़ियां के पास आकर अपने कांपते हुए हाथों से देखा, जिसमें उसे एक बच्ची का चेहरा दिखाई देने लगा।
जैसे ही अखंड ने उस बच्ची का चेहरा देखा तो उसकी नजर उस पर ही आकर रुक गई।
बहुत ज्यादा रोने की वजह से उस बच्ची का दूध सा गोरा चेहरा अभी पूरी तरह से लाल हो चुका था और यहां तक की उसकी बॉडी भी बुखार से तप रही थी।
बच्ची बार-बार रोए जा रही थी जिसकी वजह से अखंड ने अपनी सपनों की दुनिया से बाहर आकर झट से पल भर में संभाल कर उस बच्ची को अपनी बाहों में उठा लिया।
जैसे ही अखंड ने उसे पकड़ा उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई और वो खुद से ही बोला, "इस बच्ची को तो बहुत तेज बुखार है किसने छोड़ दिया ऐसे यहां और कितना ज्यादा छोटी है ये बच्ची।"
उसकी कानों में उस बच्ची के रोने की कर्कश आवाज गुजनें लगी थी, तो अखंड उस रोते हुए बच्चे को अपने सीने से लगाते हुए बहुत ही प्यार भरी आवाज में उस बच्ची से बोला, "नहीं बच्चा ऐसे रोते नहीं देखाे आपके साथ अभी मैं हूं ना रोना नहीं।"
अखंड की आवाज जैसे ही उस बच्ची के लिए कोई प्यारी सी धुन हो, जिसे सुनकर वो झट से चुप हो गई थी और ये देखकर अखंड के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई थी और वो बच्ची से बोला, "अरे वाह आप तो बहुत ही अच्छे बच्चे हो, आपने तो झट से मेरी बात मान ली वेरी गुड।"
वो बच्ची अभी अखंड की तरफ ही अपनी छोटी-छोटी आंखों से टुकुर-टुकुर देख रही थी, पर तभी वो अपनी एक हाथ की मुट्ठी बनाकर उसे शक करने लगी थी।
ये देखते ही अखंड समझ गया था कि उसे क्या चाहिए, क्योंकि वहां अनाथ आश्रम में भी ऐसे ही बहुत से छोटे-छोटे बच्चे थे, तो अखंड को थोड़ा बहुत जानकारी थी।
क्यूट सी बेबी को अपनी मुट्ठी से ऐसा करते हुए देखकर अखंड उसकी मासूम सी आंखों में देखते हुए उससे बोला, " भूकि लगी है आपको और शायद इसलिए आप इतना रो रहे थे और देखो रो-रो कर तो आपने बुखार भी कर लिया।"
अभी अखंड ने भी अपने मन में सोचा, "इसके लिए तो मुझे दूध चाहिए और अभी इतनी रात को दूध मिलेगा कहाँ? "
अचानक से उसके दिमाग में कुछ आया जिसकी वजह से अभी उसकी आंखें चमकने लगी और अखंड ने फिर से सोचा अरे हां कबीर भाई के (अखंड जिस स्टॉल पर काम करता हैं उसके मालिक थे ) घर से मुझे दूध मिल सकता है।पहले इसे दूध पिला दूं और बाद में इसे डॉक्टर को भी दिखाना होगा, ये तो अच्छा हुआ कि मेरे पास कुछ पैसे अभी भी बचे हुए हैं,अगर और लगेंगे तो भाई से मांग लूंगा। "
तभी अखंड ने उस बच्ची की तरफ देखा जो अभी भी अपनी मुट्ठी को शक करते हुए अखंड की तरफ ही देख रही थी।
अखंड ने उस बच्ची के गालों को चूमते हुए कहा, "आज से आप ना मेरे साथ ही रहोगे बच्चे,अब से मैं ही आपकी पूरी दुनिया हूं अभी मैं पालूंगा आपको अपने बच्चे की तरह।"
ये कहते ही अखंड के दिमाग में कुछ आया और वो उस बच्ची की तरफ देखते हुए बाेला, " अरे देखो मैं भी कितना बुद्धू हूं ना, मैंने तो अब तक आपका कोई नाम भी नहीं रखा, रखे तो क्या नाम रखें आपका?उम्म हां अखंड की अश्विका। आज से आपका नाम अश्विका अखंड कपूर होगा। मुझे पता है कि बच्चों के नाम के साथ उनके बाप का नाम लगता है और मेरे अश्विका के पास तो मैं हूं ना जो उसकी पूरी दुनिया हैं तो अबसे मेरा नाम ही आपके नाम के साथ लगेगा। ठीक है मेरा बच्चा।"
पता नहीं उस नन्ही सी अश्विका को अखंड की बातें कुछ समझ में आई थी या नहीं, पर अखंड ने जो भी अश्विका से पूछा था अश्विका उसका जवाब अपनी हरकतों के माध्यम से दे रही थी।
जब अखंड ने अश्विका से सवाल किया तो अश्विका ने उसे एक बड़ी सी स्माइल दी जैसे उसे अपना नाम बहुत पसंद आया हो।
अश्विका की क्यूट सी हरकतें देखकर अखंड ने उसके माथे पर किस की और फिर उसने अश्विका को उस कपड़े से ठीक से कवर कर दिया था जो उसे झाड़ियां के पास मिला था।
अखंड ने अश्विका को अपने दिल के करीब किया और कबीर के घर की तरफ चल पड़ा।
इस वक्त रात के करीब 12:00 बज रहे थे वो किसी तरह हाफ़्ते हुए कबीर के घर के पास पहुंचा वैसे कबीर का घर किसी बहुत बड़े रिच ऐड हाई क्लास फैमिली के जैसा तो नहीं था।
उसका घर छोटा सा पर बहुत सुंदर था,जहां वो अपनी वाइफ के साथ रहता था और उसकी शादी को भी सिर्फ कुछ ही महीने हुए थे तो उनका अपना कोई बच्चा भी नहीं था।
अखंड वहां पहुंचा तभी उसने अश्विका को अपने एक हाथ में बहुत संभाल के पकड़े हुए अपने दूसरे हाथ से डोर बेल बजाई।
कुछ मिनट बाद कभी जो की 26 साल का आदमी था वो बाहर आया और उसके पीछे उसकी पत्नी भी बाहर आई उसकी पत्नी अखंड को जानती थी।
अखंड को इस वक्त ऐसे वो भी एक छोटी सी बच्ची के साथ देखकर वो दोनों बहुत ही शॉक्ड हो गए थे।
तभी अर्पिता ( कबीर की वाइफ ) अखंड के सिर पर हाथ रखकर अपनी थोड़ी चिंता भरे स्वर में पूछा, "अखंड तुम इस वक्त यहां क्या कर रहे हो बेटा और ये छोटी सी बच्ची कौन है..? "
अर्पिता का सवाल सुनकर अखंड से बताया भाभी जब मैं बस स्टैंड की तरफ जा रहा था, कि मैं इस बच्ची को सड़क के किनारे झाड़ियां के पास देखा इसके आसपास कोई भी नहीं था तो मैंने इसे उठा लिया अभी से ये मेरी है, अश्विका को अब से मैं ही पालूंगा। "
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अखंड की बात सुनकर वो दोनों हसबेंड वाइफ शौक होते हुए एक दूसरे की तरफ देखने लगे तभी कबीर अखंड के सिर पर अपना हाथ रखते हुए उससे बोला, "देखो छोटू तुम खुद अभी एक बच्चे हो,तो ऐसे में तुम एक बच्चे को कैसे संभालाेगें और वैसे भी ये बच्ची ज्यादा से ज्यादा एक दिन की होगी, इतने छोटे बच्चे को मां की जरूरत होती है बेटा, और तेरे पास तो तेरे रहने के लिए जगह और खाने के लिए कुछ नहीं है, तो ऐसे में तुम इसे कैसे पालोगे....? "
कबीर का सवाल सुनकर अखंड कबीर की तरफ देखते हुए बोला, " कबीर भाई जिन बच्चों को उनके मां-बाप पैदा होते ही सड़क पर छोड़ देते हैं, वो भी किसी न किसी तरह से पल जाते हैं ना, पर इस बच्चे के पास तो मैं खुद हूं, तो मैं दिन रात मेहनत करके इसे पाल लूंगा, मैंने इसे मेरा नाम दिया है, ये अश्विका अखंड कपूर हैं, और अब से मैं ही इसकी पूरी दुनिया हूं।
ऐसे में मैं इसे अपने से दूर नहीं जाने दूंगा और ना ही कुछ होने दूंगा, बचपन से जो प्यार मुझे नहीं मिला, जिस प्यार के लिए मैं तरसा हूं, वो सारा प्यार में इसको दूंगा और इस पर एक हल्की सी खरोच भी नहीं आने दूंगा, अभी के लिए क्या आप मुझे थोड़ा सा दूध दे सकते हो, मेरी प्रिंसेस को भूख लगी है, और फिर मुझे इसे डॉक्टर को भी तो दिखाना है बुखार है इसे। "
अखंड की बात सुनते ही अर्पिता ने अश्विका के छोटे से माथे को टच किया और कबीर की तरफ देखकर अपना सिर हां में हिला दिया।
कबीर अखंड की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अखंड से बोला, "मैं तुझे सिर्फ एक शर्त पर दूध दूंगा छोटू,अगर तुझे मंजूर हो तो बोल...?"
कबीर की बात सुनते ही अखंड थोड़ा डर तो गया था फिर भी उसने कबीर से पूछा, "कैसी शर्त भाई..? "
अर्पिता अखंड और अश्विका की तरफ देखते हुए अखंड से बोली, "आज के बाद तुम और तुम्हारी नन्ही सी प्रिंसेस हमारे साथ हमारे घर में ही रहोगे। "
अर्पिता की बात सुनकर अखंड मना करने ही वाला था,कि तभी अर्पिता उसे समझते हुए उससे बोली मुझे पता है बेटा कि तुम कितने स्वाभिमानी हो, पर एक बार इस बच्ची के बारे में भी तो सोचो, इसे अपने साथ कहां-कहां लेकर घूमोगे,अभी बहुत छोटी है ये,और ऐसे में तुम्हारी इसके लिए जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाएगी।"
तुम्हें तुम्हारी छोटी सी प्रिंसेस का बहुत ध्यान रखना पड़ेगा,जो तुम अकेले नहीं रख पाओगे बेबी, अगर तुम्हें ऐसे डर लग रहा है कि हम तुम्हारी डॉल को तुमसे छीन लेंगे,तो भगवान की कसम ऐसा नहीं होगा,वो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी है और हमेशा अखंड की ही रहेगी।"
हमारा इस दुनिया में कोई नहीं है,तो तुम हमारे साथ रह सकते हो और इससे पहले कि तुम ये बोलोगे तुम,ऐसे ही किसी के घर में नहीं रह सकते, तो मैं तुम्हें बता दूं कि हम तुम्हें ऐसे ही नहीं रखेंगे, इसके बदले तुम्हें तुम्हारे कबीर भाई का उनकी मोमोज स्टॉल में काम में हाथ बटाना होगा, अब बदले में मैं तुम्हारी मदद करूंगी, तुम्हारी इस लिटिल डॉल को संभाल कर, अपने लिए ना सही इस बच्ची के लिए मान जाओ बेटा...? "
अखंड को भी शायद अर्पिता की बातें समझ में आ रही थी,और वो भी अखंड की तरफ देख रहा था जो बस अपनी छोटी-छोटी आंखों से टुकुर-टुकुर उसकी तरफ ही देख रही थी।
तभी अखंड अपना सर हां में हिलाते हुए बोला, " ठीक है भाभी में भाई की मदद करूंगा। "
अर्पिता और कबीर अखंड और अश्विका को अंदर ले आते हैं और उसी दिन से अखंड की जिंदगी पूरी तरह से चेंज हो गई थी, अखंड कबीर के साथ मिलकर दिन में मेहनत करता था और रात में वो और अर्पिता अखंड को पढ़ाती थी।
अर्पिता और अखंड मिलकर अश्विका को भी संभालते थे और कुछ ही महीने बाद अर्पिता अखंड को अश्विका की कसम देकर उसे स्कूल भी भेजने लगी थी।
अखंड बहुत ज्यादा स्मार्ट था,जिसकी वजह से वो अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करके कबीर के स्टॉल को भी संभालता था,शायद अश्विका उन तीनों के लिए काफी लकी थी, और इसी वजह से कबीर को तरक्की मिल रही थी और वो आगे बढ़ रहा था। "
शादी के कुछ सालों बाद भी अर्पिता को कोई बच्चा नहीं हुआ और जब उन्होंने टेस्ट करवाया तब उन्हें पता चला कि अर्पिता कभी माँ नहीं कर सकती थी।
अर्पिता काफी टूट चुकी थी, पर तभी अखंड ने उसे समझाया था कि अश्विका और अखंड भी उनके बच्चे जैसे ही हैं,तो वो उन दोनों को अपने बच्चे मान ले।
तब से अर्पिता उन दोनों को और ज्यादा प्यार करने लगी थी।
(अश्विका इस स्टोरी की हीरोइन हैं और अखंड हीरो हैं।)
अखंड जब 18 साल का हो गया, तब उसने अपने अकेले के दम पर एक छोटा सा बिजनेस और एक छोटी सी कंपनी स्टार्ट की जिसका नाम Asvika Akhand kpur Industry रखा जो आगे जाकर AA Industry के नाम से जानी जाने लगी।
अखंड ने अपनी हायर स्टडी के साथ-साथ उसकी कंपनी भी संभाली और साथ में छोटू सी अश्विका को भी संभाला था।
अखंड के लिए ये बिल्कुल भी आसान नहीं था, पर उसने कबीर और अर्पिता की हेल्प से इतना किया, पर किस्मत ने शायद उनके लिए कुछ और ही लिखा था।
अचानक से कबीर और अर्पित की मौत हो गई, पर उनकी मौत भी एक पहेली थी, जिसके बारे में आज तक किसी को पता नहीं चला था। "
अखंड बिखर गया था, क्योंकि कबीर और अर्पिता उसके लिए बहुत मायने रखते थे, अखंड इतना आगे बढ़ रहा था,वो उन दोनों की सपोर्ट की वजह से ही, पर अभी उन दोनों का साया भी उनके सर के ऊपर से उठ चुका था।
अखंड बिखरा हुआ तो था, पर उसे शायद इस बात का एहसास भी था, कि उसके बिखरने से कुछ भी नहीं होगा, क्योंकि अभी उसकी अश्विका को उसे अकेले ही संभालना था।
जब अर्पिता और कबीर की मौत हुई थी तब अखंड 19 साल का और अश्विका 12 साल की थी।
दोनों की मौत के बाद अखंड पूरी तरह से चेंज हो गया था,पहले अखंड का सिर्फ एक ही चेहरा था जो मासूमियत वाला चेहरा जो हमेशा के लिए कहीं गुम ही हो गया था।
अखंड धीरे-धीरे करके पूरी तरह से बदल चुका था, वो पूरी तरह से डेविल बन चुका था।
अब तो उस डेविल से अश्विका को भी डर लगता था, पर हां इस सब में एक बात तो साफ थी अखंड अश्विका के लिए हद से बढ़कर प्रोटेक्टिव हो चुका था।
इसी तरह से वक्त बितता गया और दोनों की पूरी लाइफ ही चेंज हो गई थी।
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दोस्तों आज के लिए इस एपीसोड में बस इतना ही अब अगले एपिसोड के साथ आपको कहानी कैसी लग रही है कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हमें आप सभी की राय के बारे में पता चल सके।🙏🙏
अब आगे
5 साल बाद
शिमला (रॉयल ving)
शिमला के सबसे शांत इलाके में यहां एक बहुत ही खूबसूरत सा बंगला है जो किसी राज महल से कम नहीं हैं।
वैसे ये किसी राजा का महल नहीं पर ये रॉयल विंग पैलेस है, जहां हमारे किंग उनकी प्रिंसेस के साथ रहते हैं। यहां किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।
वैसे यहां इतने बड़े पैलेस में रहने वाला अखंड कपूर इंडिया का या यूं कहे तो दुनिया के सबसे जाने माने बिलेनियरों में से एक था।
अखंड के पास सिर्फ उसकी अश्विका थी और इन 5 सालो में उसने बिजनेस को दुनिया में अपना वो मुकाम बना लिया था जो बड़े-बड़े लोग नहीं बना पाए थे।
अखंड 24 साल का लड़का था, पर वो खुद अभी पूरी दुनिया पर हुकूमत करता था।
अखंड का नाम जो अंडरवर्ल्ड की दुनिया में भी चलता था और जैसा वो था, उसे देखकर विलन वाली ही फीलिंग आती थी, मतलब उसके सारे फीचर,लुक हीरो वाले थे, पर उसका औरा विलन वाला था।
उस पर अखंड बहुत ही ज्यादा बेहरहम था और अपने दुश्मनों को मौत से भी बत्तर सजा देता था, कि आगे वाला खुद उसे अपनी मौत की भीख मांगने लगता, पर अखंड जो मौत तक नहीं देता था।
अखंड को हरा पाना शायद किसी की भी बस की बात नहीं थी, पर हां ये काम एक 17 साल की छोटी सी प्रिंसेस कर सकती थी।
कहते हैं ना कि राजा की जान उसके तोते में होती है,ठीक वैसे ही अखंड की जान उसकी अश्विका में थी।
वैसे पूरी दुनिया में अश्विका ऐसी इकलौती एंजेल थी,जो अखंड को ना कि सिर्फ शांत कर सकती थी, पर उसे अपनी छोटी सी उंगली पर भी नचा सकती थी।
अश्विका का एक आंसू अखंड की पूरी दुनिया इधर से उधर करने के लिए काफी था,वही अश्विका की एक छोटी सी स्माइल से भी अखंड के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती थी।
अखंड के लिए उसकी अश्विका बहुत मायने रखती थी, पर ये बात अश्विका को पता नहीं थी, क्योंकि अखंड उससे थोड़ा शक्ति से पेश आता था,जिस वजह से अश्विका अखंड से बहुत डरती हैं।
पहले तो अखंड को दूसरे लोगों का उसे टच करना पसंद नहीं था।वो एकदम डेविल बन जाता था अगर कोई दूसरा इंसान उसे टच भी करें तो, पर जब अश्विका उसे छूती थी, तभी अखंड के दिल को जैसे राहत मिलती थी।
अभी अखंड की ये आदत पर बदल चुकी थी।वो खुद दूसरों (गर्ल्स)को खुद को टच करने देता था। पर अश्विका उसकी रूह में बसी हुई थी।
अश्विका अखंड के साथ उसके रूम में ही रहती थी और उसे गले लगा कर ही सोती थी,अगर अखंड ना हो तो अश्विका उसकी केयरटेकर सुमन के साथ सोती थी।
अखंड उसकी अश्विका के लिए काफी पजेसिव था और कोई भी अखंड के खिलाफ नहीं जा सकता था।
अखंड कपूर था तो सिर्फ 24 साल का लड़का, पर उसका औरा इतना खतरनाक था और खून इतना गम था, जिसकी वजह से वो अच्छे खासे लोगों को खुली आंखों से सैर करवाता था।
अश्विका छोटी थी और बहुत ज्यादा शैतान और शरारती भी थी, पर दिल तो किसी बच्चे जैसा मासूम था उसका।
अखंड ने अश्विका को बाहर की दुनिया का काला सच कभी भी पता नहीं लगने दिया था,अश्विका बहुत कम ही बाहर जाती थी।
अश्विका घर से स्कूल और स्कूल से घर ही आती थी, अगर उसे कहीं बाहर भी जाना होता तो अखंड उसे लेकर जाता था, अश्विका बहुत ज्यादा मासूम थी और अखंड ने कभी उसकी मासूमियत पर कोई आंच भी नहीं आने दी थी।
अश्विका को तो ये भी नहीं पता था कि उसके मां-बाप कौन हैं, वो तो बचपन से ही अखंड के साथ ही रही थी।
कबीर और अर्पिता ने अखंड के साथ मिलकर अश्विका को बहुत लाड़ प्यार से परवरिश की थी,पर इसमें अखंड की 95% मेहनत थी।
अश्विका जब छोटी सी थी तभी अखंड उसे अपना प्यार दिखाता तो था, पर जैसे-जैसे वक़्त निकालता गया अखंड ने अश्विका को अपना प्यार दिखाना बंद कर दिया था, या अखंड अश्विका से बेहद प्यार करता था, पर अभी वो अश्विका को दिखाता नहीं था।
अभी अश्विका भी अखंड के गुस्से से डरने लगी थी, दिन व दिन अखंड का गुस्सा आसमान छू रहा था, और इसी वजह से वो उससे डरती तो थी, पर उसकी शैतानियां कुछ कम नहीं होती थी, शैतानी करने में तो अश्विका अखंड कपूर हमेशा फर्स्ट नंबर पर होती थी और आज भी हैं।
लन्दन (सिल्वर क्रॉउन होटल)
कमरे में अभी अंधेरा था,पर अभी भी उसमें हल्की सी पीली रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी,उस कमरे में फर्श पर कपड़े बिखरे पड़े थे।
वहीं ऊपर बेड पर एक लड़का एक लड़की में समाए हुए बहुत ही तेजी से अपनी कमर को मूव कर रहा था, जिस वजह से उस लड़की की चिखे पूरे कमरे में गूंज रही थी।
अचानक से उस लड़के ने उस लड़की का गला पकड़ लिया और उसकी तरफ झुकते हुए अपनी बेहद ही डरावनी आवाज में उससे बोला चिखो और जोर से चिखो, क्योंकि तुम्हारी ये चिखे ही तो मुझे सुननी थी मिस किरण त्यागी। तुम ही तो मरे जा रही थी ना मेरे साथ एक रात बिताने के लिए...?अब मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर रहा हूं, तब तुम्हें तकलीफ हो रही है होनी भी चाहिए, क्योंकि अखंड कपूर के साथ एक रात बिताने की कीमत तुम्हें ही चुकाने पड़ेगी ना? "
इसी के साथ अखंड ने अपनी स्पीड को बढ़ाया, जिससे किरण को बहुत ज्यादा तकलीफ होने लगी।
किरण ने अखंड की तरफ देखा फिर रोते हुए चिखते हुए उससे बोली, "नहीं मत करिए सर, रुक जाइए, मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है, और इससे ज्यादा दर्द में बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी, प्लीज रुक जाइए, वरना मेरी सच में जान निकल जाएगी। "
किरण की बात सुनकर अखंड ने एक नजर उसकी तरफ देखा अगले ही पल अखंड ने उसे पेट की बाल सुलाया।
अचानक से किरण की एक दिल दहलाने वाली चीख निकली, क्योंकि अखंड फिर एक बार उसमें समा चुका था।
अखंड ने आगे से किरण के गले को पकड़ा और फिर उसे थोड़ा पीछे अपनी तरफ करते हुए उससे बोला, " अभी तुम्हारा मन भर गया है, पर मेरा क्या ? मेरा मन नहीं भरा और जब तक मेरा मन नहीं भरता तब तक मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, फिर उस वजह से चाहे तुम्हारी जान ही क्यों ना चली जाए, आई डोंट केयर। "
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डियर रीडर्स.... आज का एपिसोड में हम अपनी कहानी को बस यही तक रहने देते हैं आगे कहानी को हम अगले एपिसोड में कंटीन्यू करेंगे.......
दोस्तों अगर आप सभी को कहानी अच्छी लग रही है तो प्लीज अपना एक लाइक और कमेंट जरुर कर दिया कीजिए 🙏आपके सपोर्ट से हमें स्टोरी लिखने का मोटिवेशन मिलता है तो प्लीज Guy's 😊
अब आगे
किरण शायद जानती थी, कि उसने अखंड को बहका कर कितनी बड़ी गलती कर दी हैं।
तभी किरण अपनी किस्मत को आजमाते हुए अखंड से कहती है, "छोड़ दीजिए मुझे वरना मैं आपकी बीमारी के बारे में सब लोगों को बता दूंगी। "
किरण की ये बात सुनकर अभी अखंड सच में हैवान बन चुका था, अखंड सच में एक बिस्ट ही तो था, जो अपने मतलब के लिए किसी की जान लेने से पहले एक बार भी नहीं सोचता था।
अब तक किसी को भी अखंड की कमजोरी के बारे में पता नहीं था और यही वजह थी कि कोई उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता था।
अखंड को एक बीमारी थी, पर वो क्या थी इस बारे में कोई नहीं जानता था और जिस किसी को भी अखंड की बीमारी के बारे में पता चलता था अखंड अगले ही पल उस इंसान को अपने आदमियों के हाथों मरवा देता था या फिर खुद उस इंसान को बेरहमी में से मार देता था।
इस वक्त किरण दर्द और तकलीफ की वजह से चीख रही थी,रो रही थी पर अखंड को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा था,वो तो बस उसके काम में लगा हुआ था।
जैसे ही उसने किरण की बात सुनी उसके होठों पर अचानक से एक डेविल स्माइल आ गई और वो किरण से बोला,"तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाऊंगी, क्योंकि तुम बिगाड़ोगी तो तब, जब तुम जिंदा रह पाओगी। "
अखंड की बात सुनकर किरण की आंखें बड़ी-बड़ी हो जाती है और अगले ही पल उसकी कमर पर तेज दर्द होने लगता हैं।
किरण ने देखा तभी उसे अखंड के हाथ में एक खाली सिरेंज दिखाई देती है, जिसे देखते ही किरण की आँखे फटी की फटी रह जाती हैं।
किरण ने अपनी डर भरी नजरों से अखंड की तरफ देखते हुए उससे पूछा, "सर आ... आपने ये क्या किया हैं....?"
तभी अखंड अचानक से हंसने लगा और वहीं किरण की साँसे फूलने लगती हैं।
अखंड किरण की तरफ देखते हुए अपनी शैतानी स्माइल के साथ उससे कहता है,
" मैंने तुम्हारी ऊपर की टिकट करवा दी है मिस त्यागी। "
तभी अखंड ने किरण का गला पकड़ा और उसे दबाते हुए अपनी डरावनी आवाज में उससे बोला," तुम्हें क्या लगा, कि तुम मुझे अखंड कपूर को ब्लैकमेल करोगी, और मैं तुम्हारे इशारों पर नाचूंगा...? नहीं। मैं किसी के इशारों पर नहीं नाचता, पर सबको मेरे इशारों पर नचाता जरूर हूं ,तुमने मुझे धमकी देकर सबसे बड़े गलती कर दी किरण, जिसकी कीमत तुम्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी। "
अखंड ने अपनी बात पूरी की और वहां किरण बुरी तरह से तड़पने लगी, किरण को तड़पता हुआ देखकर अखंड के फेस के एक्सप्रेशन और भी ज्यादा डार्क हो रहे थे।
जहां किरण की हालत धीरे-धीरे करके अभी मौत से भी बत्तर हो रही थी, वही अखंड उसे मरता हुआ देखकर वहां पर बैठा था,वहीं किरण 20 मिनट तक बुरी तरह से तड़पती रही और फिर एक चीख के साथ उसकी जान निकल गई।
अखंड किरण की तरफ देखते हुए बोला, "चलो ये भी गई, इसे क्या लगा था कि ये मुझे अपनी मुट्ठी में कैद करके रखेगी, और मैं किसी के जिन की तरह इसकी हर विश पूरी करूंगा, नो वे, अखंड कपूर सिर्फ एक इंसान के इशारो पर नाचता है उसके सिवा कोई भी दूसरा ऐसा इंसान नहीं हैं जो मुझ पर अपनी हुकूमत चला सके।"
अखंड ये सब कुछ सोच ही रहा था की तभी अचानक से उसके फोन पर कोई नोटिफिकेशन आया है जिस वजह से उसकी साइड टेबल पर पड़ा हुआ उसने फोन उठाया।
अखंड ने जब उसका फोन अनलॉक किया तभी उसके चेहरे पर सुकून आ गया।
अखंड ने उसके फोन पर आया एक मैसेज पड़ा, जिसे देखकर अखंड की भौहे तन गई थी, और उसके चेहरे पर भी बहुत सर्द एक्सप्रेशन आ चुके थे।
अखंड ने एक नजर किरण की तरफ देखा जो बेजान पड़ी हुई थी, फिर अखंड रूम से सीधे वाशरूम की तरफ चला गया।
कुछ देर बाद जब अखंड वॉशरूम से बाहर आया तब वो एकदम से तैयार था,अब उसने अपने इयरबड्स कानों से लगाए और फोन पर किसी का नंबर डायल किया।
जब अखंड उसके सॉक्स पहन रहा था तभी आगे वाले इंसान ने अखंड का फोन उठाते हुए उससे बोला, "जी सर।"
अखंड ने अपनी सर्द आवाज में उससे बोला, "युग अभी के अभी मेरा जेट रेडी करवाओ, हमें अभी के अभी शिमला के लिए निकलना है।"
अखंड का ये आर्डर सुनकर युग (जो अखंड का P. A था) उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई थी,क्योंकि उन्हें तो अगले हफ्ते शिमला लौटना था, पर उनके सनकी बॉस ने अभी निकलने के लिए कहकर झटका दे दिया था।
युग अपनी डरी हुई आवाज में अखंड से बोला, "सर अभी..? पर यहां पर आपकी अभी कुछ मीटिंग पेंडिंग हैं।"
अखंड युग की बात को पूरा सुने बिना ही उसपर भड़कते हुए बोला, " बॉस में हूं या तुम, अब तुम मुझे बताओगे कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं, मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो, यहां पर मेरे रूल्स चलते हैं और जैसा मैं बोलूंगा वैसा ही होगा, मुझे सिखाने की कोई जरूरत नहीं है, अभी चुपचाप से जेट रेडी करवाओ और रही बात मीटिंग्स की तो उन्हें कैंसल करवा दो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"
अखंड ने इसी के साथ कॉल कट कर दिया था।
वहीं जब युग ने अखंड के ऑर्डर सुने तभी उस विचारे ने अपनी रोनी सी शक्ल बनाते हुए कहा, "क्या मुसीबत है यार, ये अखंड सर भी, एक बार के लिए मेरा कोई दुश्मन होगा वो भी मुझ पर तलाश खा जाएगा, पर अखंड सर की डिक्शनरी में रहम और दया जैसी कोई शब्द ही नहीं है,पूरे के पूरे डेविल है वो, और मुझे उस डेविल के हाथों नहीं मरना, वरना मेरे घर वालों को मेरी लाश तक नहीं मिलेगी, चल बेटा युग तेरे डेविल बॉस का जो आर्डर मिला है, उसे पहले पूरा कर, नहीं तो वो तुझे पूरा का पूरा यहां से गायब कर देंगे, और किसी को इस बात की कानों कान खबर तक नहीं
लगेगी। "
इसी के साथ युग अखंड का जेट रेडी करने में लग गया।
वहीं अखंड ने अपनी पैनी नजरों से किरण को देखा और फिर अपने बॉडीगार्ड को उसे वहां से हटाने के लिए कहा।
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दोस्तों आज के लिए इस एपीसोड में बस इतना ही,मिलते हैं अगले एपिसोड के साथ, आपको कहानी कैसी लग रही है हमें कमेंट करके जरूर बताइए, ताकि हमें आप सभी की राय के बारे में पता चल सके 🙏🙏
अब आगे
शिमला (Royal ving)
अभी बड़े से रूम में हमारी अश्विका सो रही थी। इस वक्त अश्वि (अश्विका) पूरी ब्लैंकेट से कवर थी, यहां तक की उसका फेस भी।
तभी वहां पर सुमन (जो अश्वी की केयर टेकर थी) आई और अश्वी को सोते हुए देखकर वो थोड़ी सी परेशान हो गई थी, सुमन अश्वि के पास जाकर धीरे से अश्वि के फेस से ब्लैंकेट को हटाया।
(अश्विका को हम प्यार से अश्वि कहकर बुलाएंगे )
सुमन ने जैसे ही वो ब्लैंकेट को हटाया तभी रूम के पर्दे से अंदर आते हुए सूरज की किरणें अश्वि के चेहरे पर पड़ी जिससे उसका चेहरा और भी ज्यादा चमकने लगा था।
अश्वि सिर्फ 17 साल की बच्ची थी,पर वो किसी हूर की परी से कम नहीं थी,अश्वी की
ग्रीन आईज उसके गुलाब की पंखुड़ी की तरह सॉफ्ट लिप्स, फूले हुए गाल और छोटी सी प्यारी सी हाईट।
अखंड के मुकाबले अश्वी छोटी सी थी और वो बस अखंड के सीने तक ही आती थी उससे ज्यादा नहीं। अश्वि की इसी हाइट की वजह से सब स्कूल में उसे चिढ़ाते थे, वैसे अश्वि इस साल 12th में थी, सिल्वर ओक
हाई स्कूल में पड़ती थी।
अश्वि ने अपनी आंखें खोली तभी उसे वहां पर सुमन खड़ी दिखाई दी।
अश्वि बेड पर उठकर बैठ गई और अपनी आंखों को मलते हुए सुमन से बोली, "गुड मॉर्निंग आंटी।"
सुमन ने अश्वी के बिखरे हुए बालों को ठीक करते हुए उसे कहा, "गुड मॉर्निंग बेटा चलो अभी उठो वरना आप स्कूल के लिए लेट हो जाओगे, नीचे आपके तरुण भाई और तेजस भाई आपका वेट कर रहे हैं, वैसे आज अखंड भी आ रहे हैं। "
वैसे तरुण और तेजस दोनों ही सुमन के बेटे थे, जो अश्वि के पर्सनल बॉडीगार्ड थे।
वैसे वो दोनों भाई बाकी गार्ड्स की तरह उनका यूनिफॉर्म नहीं पहनते थे, वो दोनों हमेशा नॉर्मल कपड़े ही पहनते थे, पर अखंड की अब्सेंस में अश्वि की पूरी जिम्मेदारी उन दोनों भाइयों पर ही होती थी।
सुमन के हस्बैंड नहीं थे और शायद यही वजह थी की अखंड उन्हें अपने घर में रखने के लिए तैयार हो गया था, और उनके साथ उनके दोनों बेटे भी थे, जहां तेजस अखंड की उम्र का था, तो तरुण उनसे 1 साल छोटा था।
जहाँ सुमन उसके दोनों बेटों के साथ-साथ अभी अखंड और अश्वि की लाइफ में भी एक मां की कमी को पूरी करने का काम करती थी, वही वो दोनों भाई अश्वी के लिए गार्ड काम उसके भाई जैसे थे और अखंड के लिए फ्रेंड जैसे।
अश्वि सुमन की लाडली थी और कभी-कभी अश्वी की वजह से उन दोनों (तेजस और तरुण ) को उनकी मां से अच्छी खासी डांट भी पड़ती थी।
अखंड को डांट लगाने की हिम्मत तो आज भी सुमन में नहीं थी, और ना कभी वो ऐसा करना चाहती थी, क्योंकि आज उनके सर पर ये छत सिर्फ अखंड की वजह से ही थी, और उन्हें इतनी अच्छी लाइफ भी उसने ही दी थी।
जब अश्वि ने अखंड के बारे में सुना,तो वो बेड पर खड़ी हो गई और उसने अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से सुमन की तरफ देखा अगले ही पल अश्वी खुशी के मारे बेड पर कूदते हुए सुमन से बोली, " ओह वाओ सुपर हीरो आ रहे हैं। "
अश्वि छोटी थी, तभी वो अखंड को सुपर हीरो बुलाना चाहती थी, हालांकि अखंड ने उसकी हर जिम्मेदारी पूरी की थी, और हर विश भी अखंड पूरी करता था। तभी से अश्वि अखंड को सुपर हीरो कहने लगी थी।
और छोटी सी बच्ची को ये कौन समझता की अखंड उसका सुपर हीरो नहीं था,पर वो तो उसे सुपर हीरो ही बुलाना चाहती थी, पर जब अश्वि ने पहला शब्द बाहर निकला तो वो अखंड के लिए था।
अश्वि को सुपर हीरो कहना था, पर उसके मुंह से सिर्फ हीरो ही निकला था और तब से वो अखंड को सुपर हीरो ही बुलाती थी।
आज भी अखंड को सुपर हीरोइन बुलाती थी, अभी उसे पता था कि अखंड उसकी हर विश पूरी करता हैं ,और बिन मांगे भी अखंड उसके मन की बात समझ जाता था। अखंड ने बचपन से ही अश्वि को अपनी पलकों पर रखा था, उसका बहुत ही ख्याल रखा था।
एक बार के लिए अखंड खुद भूखा रह सकता था, पर अश्विका को सबसे पहले दूध पिलाता था खाना खिलाता था, अश्वी को भी पता था कि अब अखंड उसके लिए क्या कुछ नहीं किया था और इसलिए अश्विका की लाइफ में अखंड की जगह सबसे ऊपर थी और वो आज भी अखंड को सुपर हीरो ही बुलाती थी।
अश्विका बहुत ज्यादा खुश थी, क्योंकि अखंड एक महीने से उसके बिजनेस के लिए लंदन गया हुआ था और अश्विका को उसके सुपर हीरो की बहुत याद आती थी।
सुमन अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि वह अश्विका को अखंड की कमी महसूस न होने दे, पर अश्विका की लाइफ में अखंड की कमी कोई भी पूरी नहीं कर सकता था।
वो अखंड ही था, जिसने अश्विका को सड़क पर से उठाकर अपने सीने से लगाया था, और आज भी वो अश्विका को अपने सीने से लगाकर ही रखता था।
अभी सुमन ने अश्वि का हाथ पकड़ा था और वो अपनी थोड़ी चिंता भरी आवाज में उससे बोली अश्वी आप पहले नीचे उतरो अगर आप गिर गई तो आपके सुपर हीरो मुझे इस घर से बाहर निकाल देंगे।
सुमन की बात सुनते ही अश्वि झट से नीचे बैठ गई थी, क्योंकि उसे भी पता था कि उसके सुपर हीरो कैसे हैं, अखंड का गुस्सा काफी भयानक था और इसी वजह से अश्विका भी अखंड के गुस्से से डरती थी।
सुमन की बात सुनकर अश्विका ने सुमन को हग कर लिया और उससे बोली, "नहीं आंटी सुपर हीरो आपको घर से बाहर नहीं निकालेंगे, मैं उन्हें ऐसा करने ही नहीं दूंगी।"
अश्वि की बात सुनकर सुमन ने अश्वि के माथे पर किस करते हुए बोली, "मुझे पता है बेटा, चलो अभी आप फटाफट से तैयार हो जाओ,आज मैंने आपके टिफिन के लिए आपका फेवरेट मलाई कोफ्ता बनाया है।"
अश्वि ने सुमन से कहा, "आंटी आप नीचे जाओ मैं जल्दी से रेडी होकर नीचे आती हूं। "
सुमन अपना सर हां में हिलाया और वहां से नीचे चली गई, अश्वि भी वॉशरूम की तरफ भागी पर उसने दरवाजा लॉक नहीं किया था, क्योंकि अश्वी को बंद जगह से और अंधेरों से काफी डर लगता था।
अश्वि को क्लोरोस्ट्रोफोबिया और निटोफोबिया था, इसी वजह से वो लोग इस बात का खास ध्यान रखते थे कि ऐसी भी कोई सिचुएशन क्रिएट न हो जिससे अश्वि भी डर जाए।
रात में अश्वि के रूम में एक लाइट ऑन रहती थी, और जब अखंड अश्वि के साथ होता था, वो अश्वि को ज्यादा अकेला नहीं छोड़ता था।
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तो दोस्तों, कहानी का ये हिस्सा यहीं खत्म होता है। अगले पार्ट में जानेंगे क्या होगा आगे! कमेंट करके बताएं कि आपको ये पार्ट कैसा लगा।😊🙏
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अभी भी अश्वि ने वॉशरूम का दरवाजा थोड़ा सा लगाया था, बाकी रूम का दरवाजा भी हल्का सा खुला था, घर में सिर्फ दो ही सर्वेंट थे और वो दोनों ही फीमेल मेड ही थी।
सिर्फ तेजस और तरुण घर में रहते थे, कभी अखंड का पी.ए युग भी घर आता था, उनके अलावा घर में ज्यादा एंट्रीज अलाउड नहीं थी।
कुछ ही देर में अश्वि तैयार होकर नीचे आई पर उसके बाल नहीं बने थे।
अश्वि ने इधर-उधर देखा फिर सुमन को आवाज लगते हुए कहा, "आंटी कहां हो मेरे बाल बना दो।"
तभी सुमन किचन से बाहर आई, उनके हाथ में इस वक्त एक बाउल था,तभी सुमन वो बाउल को डाइनिंग टेबल पर रखते हुए अश्वी से बोली,"अश्वी आप पहले ब्रेकफास्ट कर लो, फिर मैं आपके बाल बना दूंगी। "
सुमन की बात सुनते ही अश्वि डाइनिंग चेयर पर उसकी जगह पर आकर बैठ गई और अभी वो दोनों भाई भी वहां आ गए थे।
अश्वि को देखते ही तरुण और तेजस ने अश्वि को एक साथ कहा, "गुड मॉर्निंग प्रिंसेस। "
अश्वि अपना खाना भरे मुंह से ही उन दोनों से बोली, " गुड मॉर्निंग। "अश्वि की आवाज सुनकर उन दोनों भाइयों ने उसकी तरफ देखा।
इसपर सुमन अश्वि की तरफ देखते हुए उससे बोली, " बेटा पहले अपना मुँह का निबाला तो खा लो, फिर बोलो वरना गले में फंस जाएगा आपके। "
अश्वि ने बस अपना सर हिलाया और चुपचाप अपना ब्रेकफास्ट करने लगी।
वैसे जब अखंड होता था तब अखंड अपने हाथों से ही अश्विका को खिलाता था, पर अखंड की अब्सेंश में अश्वी अपने हाथों से ही खाना खाती थी।
अश्वि को बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि उसके सुपर हीरो के अलावा कोई उसे अपने हाथों से खिलाएं भी और ना ही वो किसी को खुद को खिलाने की परमिशन देती थी।
अभी वो दोनों भाई भी उनका ब्रेकफास्ट कर रहे थे, ब्रेकफास्ट के बाद सुमन ने अश्वि की लंबे और सिल्की ब्राउन बालों में एक प्यारी सी हेयर स्टाइल बना दी थी।
अश्वि ने तेजस और तरुण की तरफ देखते हुए उनसे पूछा, " आज सुपर हीरो आ रहे हैं, तो फिर आप दोनों सुपर हीरो को एयरपोर्ट से पिक करने के लिए जा रहे हो क्या....? "
इस पर तेजस ने ना सर हिलाते हुए अश्वि से कहा, "नहीं प्रिंसेस उन्होंने हमें वहां आने से मना कर दिया है, उन्होंने कहा है कि वो खुद ही आ जाएंगे, और वैसे भी वो अकेले थोड़ी ना होते हैं, उनके साथ उनकी पूरी टीम होती है, तो वो सीधे यही पर आ जाएंगे। "
तेजस की बात सुनकर अश्वि का चेहरा उतर गया था और उसने बस अपना सिर हिला दिया।
तेजस की बात सुनकर अश्वि ने अपना क्यूट सा मुँह बनाते हुए सोचा, "हूह उसे लगा था कि अगर ये दोनों उन्हें रिसीव करने जाएंगे तो मैं भी इनकी साथ चली जाऊंगी और सुपर हीरो को सरप्राइज दे दूंगी, पर नहीं उन्होंने तो इन्हें भी आने से मना कर दिया, अब मैं वहां नहीं जा सकती, वैसे भी अगर सुपर हीरो ने मना कर दिया है तो वो मुझे वहां देखकर गुस्सा हो जाएंगे और फिर मुझे पनिश भी करेंगे , मुझे उनकी पनिशमेंट नहीं चाहिए, मुझे जोरों से लगती है जब भी वो मुझे मेरी गलतियों के लिए पनिशमेंट देते हैं।"
अश्वि अभी अपने ख्यालों की दुनिया में ही खोई हुई थी तभी सुमन अश्विका की तरफ देखते हुए उससे बोली, " बेटा हो गया आपके बाल बन गए, मैं आपका लंच बॉक्स भी पैक कर दिया है और उसे पूरा फिनिश करके आना, वरना मैं अखंड से आपकी कंप्लेंट कर दूंगी। "
सुमन की बात सुनकर अश्वि ने बस अपना से हिलाया और फिर सुमन के गले लगकर लगाकर उन दोनों भाई के साथ अपने स्कूल के लिए चली गई।
2 घंटे बाद ( शिमला एयरपोर्ट पर )
अभी अभी वहां पर रनवे पर एक फ्लाइट जेट लैंड हुआ था और तभी जेट का दरवाजा खुला और जेट की सीढियाँ आगे आई।
अभी वहां से 6 फीट 2 इंच का बहुत हैंडसम इंसान बाहर आया जो कोई और नहीं खुद अखंड कपूर ही था।
अखंड के फेशियल फीचर्स बहुत ही ज्यादा शार्प थे और वो खुद इतना ज्यादा हैंडसम था कि उसके आगे अच्छे-अच्छे मॉडल और सेलिब्रिटी पानी भरने लग जाए, जितना हैंडसम वो खुद था, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक उसका ओरा था।
उसका रंग दूध सा सफेद और काले घने बाल जो अभी एकदम परफेक्टली सेट किए हुए थे, नेचुरल रेड लिप्स, ब्लू आइज और उसके चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगाती उसकी परफेक्टली ट्रिम बियर्ड।
अखंड ने ब्लू कलर का थ्री पीस सूट पहना हुआ था, पर उस शूट का ब्लेजर अभी उसके पीछे चल रहे हैं एक बॉडीगार्ड के हाथ में था।
अखंड के शर्ट की दोनों स्लीव अभी उसकी कोहनी तक फोल्ड की हुई थी, जिससे उसके दोनों हाथों की नसें उभर कर दिख रही थी, अखंड के एक हाथ में ब्लैक शाइनी कॉस्टली वॉच थी और उसके पैरों में ब्लैक कलर के चमचमाते हुए शूज थे।
अखंड का लुक एकदम ग्रीक गॉड वाला था,और वैसे भी अखंड उसकी सेहत के साथ-साथ ग्रूमिंग पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देता था।
अखंड आगे चल रहा था और उसके फेस पर भी कोल्ड एक्सप्रेशन थे, वैसे उसका फेस हमेशा ही ऐसे ही होता था, पर जब भी वो अश्वि के साथ होता था तब उसके फेस पर ये कोल्ड एक्सप्रेशन नहीं पर हल्के सॉफ्ट एक्सप्रेशन होते थे।
अभी अखंड के साथ उसके 20 बॉडीगार्ड उसके साथ the जिसनमे से एक ने अखंड का बैग लेकर उसके पीछे-पीछे चल रहा था, तभी अखंड ने उसकी ब्रांडेड वॉच में टाइम देखा फिर अपनी रुड़ और बोसी आवाज में उसके पी, ए युग से बोला, "युग तुमने उन्हें कितने बजे का टाइम दिया था.... "सी इट्स 1:15 और मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है, मुझे अश्वी के स्कूल जाना है आज पेरेंट्स मीटिंग है। "
युग इधर-उधर देखते हुए अखंड से बोला, "मैंने उन लोगों को कहा था, कि वो 1:00 बजे तक यहां आ जाए, तभी ये मीटिंग हो पाएगी और आई डोंट नो वो कहां अटक गए सर? "
युग की बात सुनकर अखंड अपने माथे को रब करने लगा, क्योंकि अभी उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था, और अश्वि के अलावा कोई भी अखंड का गुस्सा शांत नहीं कर सकता था, पर बेचारी बच्ची खुद अखंड के गुस्से से डर जाती थी।
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अभी तो कहानी ने रफ्तार पकड़ी है, असली खेल तो अभी बाकी है। अगले पार्ट में जानेंगे किस्मत का अगला मोड़! जुड़े रहिए और कमेंट में बताइए कैसा लगा ये पार्ट आपको। 🙏🙏
अब आगे
अखंड ने युग को अपनी पैनी नजरों से घूरते हुए अपने गुस्से भरी आवाज में उससे पूछा, "जब तुमने उन्हें 1:00 बजे का टाइम दिया था, तो अब तक यहां पहुंचे क्यों नहीं, क्या तुमने ये नहीं बताया की अखंड कपूर को उसका टाइम वेस्ट करने वालों से कितनी चिड़ है।"
" मेरे लिए मेरा एक-एक पल कीमती है और सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट बात मैं किसी का वेट नहीं करता, लोग मेरा वेट करते हैं, आई डोंट नो एनीथिंग और मैं यहां पर किसी का वेट नहीं करूंगा, ड्राइवर से बोलकर गाड़ी बुलवाओ, क्योंकि यहां उन लोगों का वेट करने से भी ज्यादा जरूरी काम हैं मेरे पास। "
अखंड के आगे अब युग क्या ही बोलता और क्यों बोलता ?अखंड के आगे बोलकर युग को जीते जी अपनी चिता नहीं जलानी थी।
तभी युग झट से अखंड के ड्राइवर को गाड़ी लेकर एयरपोर्ट के बैक साइड में बुलाता है, क्योंकि आगे मीडिया वालों की भीड़ लगी हुई थी।
अखंड कपूर दिन-ब-दिन कामयाबी को छूने वाले का नाम था, उस पर अश्वि अखंड के लिए इतनी लकी थी, कि उसके नाम से अखंड जो कुछ भी काम करता था उसे अखंड को सक्सेस मिलती ही मिलती थी।
अखंड एयरपोर्ट् के बैक साइड से बाहर आया उसके बाहर आते ही वहां एक के पीछे चार पांच गाड़ियाँ एक कतार में आकर रुक गई, युग ने जाकर बीच वाली गाड़ी का बैक डोर ओपन कर दिया।
अखंड जाकर किसी किंग की तरह गाड़ी में बैठ गया और अखंड के बाद युग आगे पैसेंजर सीट पर बैठ गया था, युग ने पीछे अखंड की तरफ देखा जो अभी उसका फोन अनलॉक कर रहा था।
वैसे अखंड फ़ोन और लैपटॉप के वॉलपेपर पर नन्नी अश्वि की ही फोटो लगी थी।
युग ने अखंड से पूछा, "सर परी के स्कूल जाना है ना..?"
अखंड ने भी बिना अपनी नजरों को मोबाइल स्क्रीन पर से उठाएं अपना सर बस हां मैं हिला दिया था, जिसके बाद ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और फिर एक के बाद एक वो पांच गाड़ियां शिमला की सड़कों पर दौड़ने लगी जिसमें अखंड की गाड़ी बीच में थी।
सिल्वर ओक हाई स्कूल।
आश्वी अभी 12th स्टैंडर्ड की स्टूडेंट थी और इस साल अश्विका के बोर्ड एग्जाम थे वैसे अश्वि स्टडीज में अच्छी थी और अखंड अश्विका की स्टडी का बहुत ज्यादा ध्यान रखता था।
अखंड उसके काम में कितना भी बिजी क्यों ना हो, वो अश्विका के लिए पूरा टाइम निकलता था, और फिर अश्वि को पढ़ाता था, अश्वि की गलतियों पर अखंड पनिश भी करता था।
जब अश्वि छोटी थी, तब अखंड अश्वि को गलती पर पनिश के लिए स्पैकिंग ही करता था। तब वो अश्वि को पनिश के लिए स्टिक या छड़ी का यूज़ नहीं करता था, ना ही थप्पड़ उसके गालों पर मारता था।
वैसे अखंड अश्वि के बॉटम (हिप) पर ही मारता था, जिसके बारे में अश्वि के सिवा किसी को नहीं पता था।
अखंड की डर से अश्विका अपनी स्टडी पर पूरा ध्यान देती थी और साथ ही साथ वो इस बात का भी ध्यान रखती थी, कि उसे अखंड से कोई पनिशमेंट ना मिले, पर किसी न किसी वजह से अश्वि को सजा तो मिलती ही थी।
अश्वि की सिर्फ दो ही फ्रेंड थी बाकी सब उसे चिढ़ाते थे, क्योंकि अश्वि की हाइट कम थी और वो बहुत मासूम थी, इसी की वजह से वो पूरी बच्ची दिखती थी।
अश्वि बहुत ही ज्यादा क्यूट और मासूम दिखती थी, जिसके कारण उसे यहां के बच्चे बहुत ही ज्यादा परेशान करते थे।
वैसे अखंड ने प्रिंसिपल को वार्निंग दी थी कि वो एक तो बच्चों को समझा दें, या फिर अश्वि की टी.सी दे दे, पर उन्होंने अखंड को टी.सी नहीं दी और उसे ये कह दिया था कि वो अश्वि का ध्यान रखेंगे।
उन्होंने (प्रिंसिपल) बच्चों को वॉर्न भी किया था,पर बच्चे कहां सुनते हैं, पहले कुछ दिन बच्चों ने ऐसी कोई हरकत नहीं की थी, जिससे प्रिंसिपल को उन पर डाउट हो,पर बात में वो फिर से अश्वि को चिढ़ाने लगे थे।
इसी वजह से अश्वि चुप बैठी थी, क्योंकि अभी उसका यहां पर लास्ट ईयर था और उसके बाद उसे दूसरे कॉलेज ही जाना था।
अश्विका की दो फ्रेंड्स थी मीरा और तृषा।
दोनों ही ने अश्विका से कहा, " कि वो उन बच्चों की कंप्लेंट अखंड से कर दें। पर अश्विका को खुद अखंड से डर लगता था।
अश्विका को पता था कि अखंड को इस बात का पता चला तो वो अभी कुछ नहीं करेगा, पर सीधे ही स्कूल बंद करवा देगा।
अश्विका को अखंड के गुस्से से जितना डर लगता था, उससे कहीं ज्यादा तो अश्विका को इस डर लगता था,कि कहीं वो गुस्से की वजह से कुछ गलत ना कर दे, यही वजह थी की अश्विका चुप बैठी थी, और उन बच्चों के रोज के ताने सुन रही थी।
अश्वि अभी उसकी क्लासरूम में थी, पर उसका लास्ट क्लास ऑफ़ था, क्योंकि अभी पेरेंट्स मीटिंग थी।
जब अश्वि ने पैरेंट्स मीटिंग की अनाउंसमेंट सुनी तो उसने अपना सिर पकड़ लिया, उसे ऐसे देखकर मीरा और तृषा भी कंफ्यूज हो गई थी।
तभी मीरा ने अश्विका से पूछा, "क्या हुआ अश्वि...?"कोई प्रॉब्लम है क्या..?"
अश्विका अपनी क्यूट सी शक्ल बनाते हुए मीरा से बोली, " हां यार मैं ये पेरेंट्स मीटिंग वाली बात घर पर बताना ही भूल गई, अभी तो मेरी बैंड बज गई। "
अश्वि की बात सुनकर तृषा अश्वि बोली, "अरे तो इसमें इतनी चिंता करने वाली कौन सी बड़ी बात है,हमें बताने के बाद भी हमारे क्लास टीचर हमारे पेरेंट्स को भी मैसेज तो करते ही हैं,तो पक्का तुम्हारे सुपर हीरो को भी मैसेज चला गया होगा। "
वैसे मीरा और तृषा अश्वि की बेस्ट फ्रेंड थी, जो L. K. G से उसके साथ थी और इसी वजह से उन्हें पता था कि अखंड अश्वी के लिए क्या है, और वो अश्विका के लिए कितने मायने रखता है।
अश्वि तो अखंड को सुपर हीरो बुलाती थी, पर मीरा और तृषा दोनों ही अखंड को भाई कह कर बुलाती थी।
अश्वि ने जब तृषा की बात सुनी तो वो तृषा से बोली, " इसी बात का तो मुझे डर लग रहा है, कि उन्होंने सुपर हीरो को मैसेज भेजा होगा, अभी सुपर हीरो यहां नहीं है, वो शाम तक आएंगे, तो पक्का आंटी आएंगी मीटिंग में, वैसे अभी के लिए मैं बच जाऊंगी, पर बाद में क्या करूंगी आज मुझे पनिशमेंट मिलेगी ही मिलेगी। "
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"कहानी थोड़ी देर को रुकी है, मगर इसका सफर यूं ही जारी रहेगा... अगले पार्ट में खुलेंगे नए राज़ और जज़्बातों का नया तूफान उठेगा। तब तक अपनी सोच और फीलिंग्स कमेंट में जरूर बांटें!"🙏🙏😊
अब आगे
वो दोनों अभी अश्वी की तरफ देख रही थी और तभी तृषा अश्वि से बोली, " डरो मत अश्वि,अखंड भैया कुछ नहीं करेंगे, तुम बस उन्हें बता देना कि तुम पेरेंट्स मीटिंग के बारे में घर मैं बताना भूल गई थी,वो तुम्हें नहीं डाटेंगे और वैसे भी वो तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं करते, सिर्फ डांट ही तो लगाते हैं ना।"
तृषा की बात सुनकर अश्वि ने तृषा की तरफ देखा और फिर अपने मन में सोचा, "अब मै कैसे बताऊं कि मुझे सिर्फ डांट ही नहीं पर सुपर हीरो से पिटाई भी मिलती है जो सबसे ज्यादा भयानक होती है।"
वो बस अपनी दोनों फ्रेंड को अपनी एक स्माइल दे रही थी और तभी अश्वी की क्लास टीचर रूम में आकर उनकी जगह पर बैठी हैं, अभी सब बच्चे भी उनकी जगह पर आकर बैठ गए थे, तभी टीचर ने बच्चों से पूछा हां तो बच्चों सबके पेरेंट्स आ रहे हैं ना मीटिंग में, मुझे उनके साथ आप लोगों की प्रोग्रेस के बारे में डिस्कस करना है। "
सभी बच्चों ने "यस मैम "में जवाब दिया था, फिर धीरे-धीरे करके सभी बच्चों की पेरेंट्स आने लगे और फिर सब बच्चे उनके पैरेंट्स के साथ जाकर बैठ गए थे।
वैसे अखंड अश्विका के स्कूल में सिर्फ एक या दो बार ही आया था, क्योंकि उसे स्कूल में आने की ज्यादा जरूरत ही नहीं पड़ती थी।
अभी और आगे जितनी भी बार अखंड स्कूल में आया था, वो सिर्फ प्रिंसिपल से ही मिला था, बाकी स्कूल में किसी को ये बात नहीं पता थी, की अश्विका कपूर अखंड कपूर से जुडी हुई हैं।
सिर्फ मीरा और तृषा ही ये बात जानती थी।
अश्विका के स्कूल में पहले कबीर और अर्पिता जाते थे और उसके बाद सिर्फ एक दो बार अखंड गया था।
सुमन अश्विका की पेरेंट्स मीटिंग अटेंड करती थी, पर अभी अश्विका का लास्ट ईयर था, उस पर भी बोर्ड भी था और शायद इसी वजह से अखंड ने अश्विका के सभी स्कूल मीटिंग में प्रजेंट रहने का डिसीजन लिया था।
अश्विका को पता नहीं था कि इस साल की मीटिंग उसकी सुमन आंटी नहीं उसके सुपर हीरो देखने वाले हैं।
जहां सभी बच्चों के पेरेंट्स आए थे वही मीरा और तृषा के भी पेरेंट्स आए थे,वहीं अश्वि की सुमन आंटी अभी तक नहीं आई थी।
दूसरी तरफ स्कूल के बड़े से गेट पर पांच गाड़ियां एक के पीछे एक आकर रुकती हैं, उन गाड़ियों को देखकर स्कूल के वॉचमैन भी थोड़े शौक ही हो जाते हैं और उन्हें लगा कि उनके स्कूल में कोई बड़ा सेलिब्रिटी ही आया होगा।
तभी एक गाड़ी से एक गार्ड बाहर आया और बीच वाली गाड़ी की तरफ भागते हुए अखंड के लिए बैक डोर खोला।
जिससे अखंड बाहर आया और उसे देखते ही देखते सारे वॉच में उन्होंने जाकर देखने लगे, क्योंकि अखंड कपूर खुद स्कूल आया था, पर वो किस के लिए आया था ये उन लोगों के लिए एक पहेली ही थी।
अखंड युग और उसके बॉडीगार्ड की तरफ देखते हुए अपनी सर्द आवाज में उनसे बोला, " मैं अंदर जा रहा हूं, पर तुम लोग यहीं रहो, मैं यहां स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग के लिए आया हूं, बिजनेस मीटिंग के लिए नहीं, जो तुम सब भी मेरे साथ चलो। इसलिए यहीं पर रुको। "
अखंड की बात सुनकर उन लोगों ने भी बस यस सर कहा और अखंड किसी की तरफ अपनी कोई अटेंशन दिए बिना ही वहां से अंदर की तरफ चला गया।
अश्विका की क्लास रूम में
अभी सब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ बैठे थे पर अश्विका अकेली बैठी थी।
तभी अश्विका की टीचर ने अश्विका की तरफ देखते हुए पूछा, "अश्विका तुम्हारे घर से कोई नहीं आया बेटा, हर बार तुम्हारी आंटी आती है आज वो नहीं आई....? "
इससे पहले अश्विका कुछ कहती, सबको दरवाजे से एक अथॉरिटेटिव आवाज आई, "नहीं आज वो नहीं आई और ना ही आएंगी, क्योंकि अब से मैं यहां आऊंगा। "
वो आवाज़ सुनते ही सब दरवाजे की तरफ देखने लगे, जहां अभी अखंड कपूर खड़ा था।
वैसे अखंड अभी वहां अकेला ही था, पर उसका अकेला होना भी उन सबको दिन में तारे दिखाने के लिए काफी था,अभी वहां मौजूद सभी लोग अखंड को वहां देखकर शॉक थे, तो वही अश्विका बहुत ज्यादा खुश थी, क्यूंकि उसके सुपर हीरो उसके स्कूल आए हैं।
तभी अश्विका की क्लास टीचर ने अखंड की तरफ देखते हुए अपनी थोड़ी डरी हुई आवाज में अखंड से पूछा, " मिस्टर कपूर आप यहां? यहां पेरेंट्स मीटिंग है सर और आप यहां क्यों आए हैं..? "
इसपर अखंड अपनी वही रौब के साथ अंदर आते हुए अपनी रूड टोन में टीचर से बोला, " हां मुझे पता है कि यहां पेरेंट्स मीटिंग हो रही हैं, मैं उसी के लिए यहां आया हूं मैम...? "
अखंड की ये बात सुनते ही वहां मौजूद सब लोग शौक हो गए थे (सिवाय मीरा और तृषा और उनके पैरेंट्स के)।
अखंड वहां अकेले बैठी अश्विका की तरफ देखते हुए टीचर से बोला मैं अश्विका कपूर का लीगली गार्जियन हूं और अब से आपको अश्विका से रिलेटेड कोई भी इनफॉरमेशन या स्टडी रिलेटेड डिस्कशन के लिए मुझसे ही कांटेक्ट करना होगा। "
वैसे टीचर ने बस अपना सर हां में हिलाया था, पर उनके लिए भी ये यकीन करना मुश्किल था कि अश्विका अखंड से रिलेटेड थी।
फिर अखंड आशिका के पास जाकर बैठता है और अखंड को देखते ही अश्विका अखंड के सीने से लग गई थी और अखंड ने भी अश्विका को अपनी बाहों में लेते हुए उसके माथे पर किस किया।
अश्विका ने अखंड की तरफ देखते हुए अपनी बहुत ही धीमी आवाज में उससे पूछा, "आप तो कुछ दिनों बाद आने वाले थे ना सुपर हीरो, फिर इतनी जल्दी कैसे आ गए?"
अश्विका का सवाल सुनकर अखंड अश्वि से बोला, " क्योंकि मुझे ये पेरेंट्स मीटिंग अटेंड करनी थी, जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है,अब से मैं ही आपको यहां पर दिखूंगा आंटी नहीं, वैसे आपने ये पेरेंट्स मीटिंग वाली बात घर पे बताई थी...? "
अभी अश्विका को डर लग रहा था, क्योंकि उसे पता था कि अभी घर जाकर उसके अच्छी खासी पिटाई होने वाली थी।
अखंड अभी थोड़े गुस्से में था और अश्विका उसकी आंखों में देखकर ही समझ चुकी थी आज उसकी खैर नहीं।
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"आज का सफर यहीं तक, लेकिन कहानी अभी बाकी है! अगले एपिसोड में फिर मिलेंगे नई उम्मीदों और नए राज़ के साथ। तब तक के लिए अलविदा!"🙏
अब आगे
अभी अश्विका नीचे देखते हुए धीरे से बोली, "सॉरी सुपरहीरो, कल मैं भूल गई।"
अश्विका की बात सुनकर अखंड उसकी ओर झुका और अपनी ठंडी आवाज़ में फुसफुसाया, "सॉरी से काम नहीं चलेगा, अश्वि। जो गलती की है, उसकी सज़ा भी मिलेगी... बस घर चलो।"
अश्वि को पता था कि अब उसे अपने सुपरहीरो से कोई नहीं बचा सकता। कुछ ही देर में पेरेंट्स मीटिंग शुरू हो गई, और अखंड ने अश्विका का हाथ मजबूती से थाम रखा था, लेकिन उसका पूरा ध्यान टीचर की बातों पर था, क्या बताया जा रहा है और क्या नहीं।
मीटिंग के बाद अखंड पर्सनली टीचर के पास गया और अश्विका की पढ़ाई के बारे में जानकारी ली। टीचर ने बताया कि अश्विका पढ़ाई में अच्छी है, लेकिन एक विषय में थोड़ी कमजोर है, जिस पर उसे अधिक ध्यान देने की जरूरत होगी।
अखंड ने गंभीरता से सिर हिलाया और फिर अश्विका की ओर देखते हुए कहा, "चलो, अश्वि।"
अखंड ने खुद उसका स्कूल बैग उठाया, और अश्विका ने मीरा और तृषा को बाय कहते हुए सुपरहीरो का हाथ थाम लिया।
स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी, और सभी बच्चे बाहर मौजूद थे। जब उन्होंने अखंड को अश्विका के साथ देखा, तो सब हैरान रह गए।
अखंड जब अश्विका के साथ बाहर आया, तो युग पहले से बॉडीगार्ड्स के साथ उनका इंतजार कर रहा था।
युग ने जैसे ही अखंड को आते देखा, भागते हुए उनकी ओर बढ़ा। अखंड ने अश्विका का बैग युग को सौंपते हुए खुद जाकर कार का बैक डोर खोला। आमतौर पर लोग अखंड के लिए गाड़ी का दरवाजा खोलते थे, लेकिन जब बात अश्विका की होती, तो ये काम अखंड खुद करता था।
जैसे ही अश्विका गाड़ी में बैठी, अखंड भी उसके पास बैठ गया। बाकी सभी बॉडीगार्ड्स और युग भी अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ गए, और कुछ ही पलों में पांचों गाड़ियाँ हवा की तेजी से सड़क पर दौड़ने लगीं।
अखंड की गाड़ी में एक पार्टीशन था, जिससे ड्राइवर और युग को पीछे का कुछ भी दिखाई या सुनाई नहीं दे रहा था।
अखंड ने एक नज़र अपनी बगल में बैठी अश्विका पर डाली, जो अभी भी सिर झुकाए बैठी थी। उसने धीरे से अश्विका की ठोड़ी उठाई, और अगले ही पल अश्वि उसकी बाहों में समा गई।
अश्विका अखंड की गोद में थी, उसका चेहरा अखंड की गर्दन में छुपा हुआ था क्योंकि वो रो रही थी। अखंड अच्छी तरह जानता था कि अश्विका क्यों रो रही थी।
अखंड ने उसकी पीठ सहलाते हुए अपनी नॉर्मल आवाज में कहा, "बस भी करो, और कितना रोना है आपको, आश्वी? मुझे पता है आपने मुझे बहुत मिस किया था, लेकिन देखो... तुम्हारा सुपरहीरो अब आ गए है।"
अखंड की बात सुनकर अश्विका ने उसकी तरफ देखा। अखंड ने जब उसकी आंखों में आंसू देखे तो एक तरफ उसके दिल में बहुत दर्द हुआ , लेकिन दूसरी तरफ उसे उस पर बहुत प्यार भी आ रहा था। रोने की वजह से उसकी नाक फूल कर लाल हो गई थी, जो उसे और भी प्यारी लग रही थी।
अश्विका ने अपने गीले गाल अखंड की शर्ट से पोंछ लिए, और हैरानी की बात ये थी कि अखंड को इससे कोई परेशानी नहीं हुई। वरना, अखंड कपूर कभी भी सिलवटों वाले कपड़े नहीं पहनता था, लेकिन जब बात अश्विका की आती थी, तो उसके कपड़ों का खराब होना भी उसे बुरा नहीं लगता था।
अगर यही हरकत कोई और करता तो अखंड उसे आग में झोंक देता, लेकिन ये तो उसकी प्यारी अश्वि थी।
अश्वि ने पाउट बनाते हुए अखंड की तरफ देखा और मासूमियत से बोली, "सुपरहीरो, मुझे भूख लगी है। मुझे पनीर डोसा खाना है।"
अखंड ने उसकी बहती नाक को अपने रुमाल से पोंछते हुए कहा, "अभी आपने रोने में अपनी इतनी एनर्जी वेस्ट कर दी है, तो भूख तो लगेगी ही। मुझे पता है कि इस एक महीने में आपने कितना जंक फूड खाया है। आप बस घर चलिए, आज आपको आपकी सारी शरारतों की सजा मिलेगी... पूरे 20 कोड़े!"
ये सुनते ही अश्विका की आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसका मुंह खुला का खुला रह गया।
डरी हुई आवाज में वो बोली, "सुपरहीरो, इतने सारे नहीं, प्लीज... इससे बहुत दर्द होगा।"
अखंड ने अपनी ठंडी आवाज में कहा, "इसलिए तो कहा था ना अश्वि,मेरी बात मानो, कोई गलती मत करो। लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी, अब रोने से कुछ नहीं होगा। और अगर रोना बंद नहीं किया, तो गिनती बढ़ा दूंगा।"
अखंड की सख्त बातों को सुनकर अश्विका ने सिर झुका लिया और धीरे-धीरे अपने आंसू पोंछने लगी। तभी अचानक उसके पेट से भूख की आवाज आई, जिसे सुनकर अखंड के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और अश्वि झेंपते हुए अपने पेट की तरफ देखने लगी।
अखंड ने हल्के से उसके पेट पर हाथ रखते हुए कहा, "लगता है मेरी आश्विका के पेटू को जोर की भूख लगी है। चलो पहले तुम्हारे पेटू को शांत करते हैं, वैसे भी तुम्हें अपनी सजा भुगतने के लिए बहुत एनर्जी चाहिए होगी। आज मैं तुम पर कोई नरमी नहीं दिखाने वाला।"
अखंड की बात सुनकर अश्विका डर से सहम गई। उसे अच्छी तरह पता था कि वह चाहे कितना भी गिड़गिड़ाए या रोए, लेकिन अखंड उसे बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाला था।
अखंड ने गाड़ी का पार्टीशन हटाया और आगे बैठे ड्राइवर से अपनी ठंडी आवाज़ में बोला, "वैभव, पास के किसी अच्छे रेस्टोरेंट के सामने गाड़ी रोक देना।"
वैभव ने तुरंत जवाब दिया, "यस सर।"
अखंड की गोद में सिर रखे बैठी अश्विका उसकी घड़ी के साथ खेलने में मग्न थी। लेकिन उसके कंधे पर टिके अखंड के कोट का कठोर कपड़ा उसे परेशान कर रहा था।
अश्विका ने अपना मुंह बनाते हुए मासूमियत से कहा, "सुपरहीरो, आपका कोट मुझे चुभ रहा है।"
उसकी शिकायत सुनते ही अखंड ने उसे हल्के से खुद से अलग किया और बिना कुछ कहे अपना कोट और टाई उतारकर साइड में रख दिए। अब वो सिर्फ ब्लैक पैंट और ब्लैक शर्ट में था, जिसमें उसकी पर्सनालिटी और भी ज्यादा प्रभावशाली लग रही थी।
फिर अखंड ने अपनी शर्ट की दोनों स्लीव्स मोड़कर कोहनी तक कर दीं, जिससे उसकी मस्कुलर कलाई और उभरी हुई नसें साफ दिखने लगीं।
इसके बाद अखंड ने अश्विका को दोबारा अपनी बाहों में लिया और उसका सिर अपने सीने से लगा लिया। अश्विका भी बिना किसी झिझक के उसके सीने में समा गई, जैसे वहीं उसकी सबसे सुरक्षित जगह हो।
तभी गाड़ी एक बड़े और शानदार रेस्टोरेंट के सामने आकर रुकी।
अखंड सबसे पहले गाड़ी से बाहर आया, और फिर उसने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर अश्विका को बाहों में उठा लिया। अश्विका ने उसकी शर्ट को कसकर पकड़ लिया और धीरे से बोली, "मुझे नीचे मत उतारना सुपरहीरो।"
अखंड ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी बात मानते हुए उसे अपनी बाहों में ही रखकर आगे बढ़ा। वहीं, पीछे-पीछे युग और बाकी बॉडीगार्ड्स भी सतर्कता से चल रहे थे, उनकी निगाहें हर तरफ घूम रही थीं, लेकिन अखंड का पूरा ध्यान सिर्फ अपनी प्यारी अश्वी पर था।
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दोस्तों आज का पार्ट यही तक मिलते हैं
अगले पार्ट में तब तक के लिए शुभ रात्रि🙏🙏
अब आगे
"सिग्नेचर डाइन रेस्टोरेंट" का माहौल हल्की रोशनी और मधुर संगीत से भरा हुआ था। जैसे ही अखंड, अश्वि और युग अंदर आए, वहाँ मौजूद लोग उनकी ओर उत्सुकता से देखने लगे। अखंड ने अश्वि का हाथ थाम रखा था और उसकी हर हरकत पर पैनी नजर बनाए हुए था। अश्वि के चेहरे पर हल्की शरारत भरी मुस्कान थी, जबकि युग हमेशा की तरह गंभीर था।
रेस्टोरेंट का मैनेजर हड़बड़ाते हुए उनके पास आया और आदरपूर्वक बोला,"मिस्टर कपूर, आप यहां?"
अखंड ने अपनी सख्त नजरों से उसे देखा और कोल्ड वॉइस में कहा,"क्यों ? सुना है यहाँ कोई दिलचस्प मूवी चल रही थी, तो सोचा खुद ही देख लूं।"
अखंड की बात सुनते ही अश्वि को हल्की हँसी आ गई, लेकिन जैसे ही अखंड की तीखी नजरें उस पर पड़ीं, वो तुरंत चुप हो गई और धीरे से उसके करीब आ गई।
मैनेजर ने सिर झुकाते हुए जल्दी से कहा, "माफ कीजिए सर, कृपया अंदर आइए।"
युग, जो अब तक चुपचाप खड़ा था, मैनेजर की ओर देखकर बोला, "अगर सर यहाँ आए हैं, तो जाहिर है कुछ खाने के लिए। ज्यादा समय न लेते हुए अपनी सर्विस शुरू कीजिये ।"
मैनेजर ने घबराते हुए सिर हिलाया और उन्हें अंदर ले गया। वे एक खास VVIP सेक्शन में पहुंचे, जहाँ बहुत कम लोगों को एंट्री मिलती थी। अश्वि खुशी से इधर-उधर देखने लगी और फिर उत्साह में बोली, "सुपरहीरो, मुझे बहुत भूख लगी है!"
अखंड ने बिना कुछ कहे मेन्यू उठाया, लेकिन अश्वि ने उसकी बाँह पकड़ते हुए कहा,"आप मेनू क्यों देख रहे हैं? मुझे तो सिर्फ डोसा ही खाना है!"
अखंड ने हल्का सा सिर हिलाते हुए वेटर को इशारा किया,"डोसा और कॉफी लाओ।"
थोड़ी देर में ऑर्डर आ गया, और अखंड ने खुद अपने हाथों से अश्वि को खिलाना शुरू किया। लेकिन अश्वि कहाँ इतनी आसानी से मानने वाली थी? वो हर दूसरे बाइट में शरारत करते हुए इधर-उधर देखने लगी, कभी हँस रही थी तो कभी नखरे दिखा रही थी।
अखंड ने उसकी हरकतों को देखकर सख्त आवाज में कहा,"अश्वि, शैतानी मत करो, ठीक से खाओ वरना फिर कभी डोसा नहीं मिलेगा!"
अश्वि का छोटा सा पेट भरने के बाद वे सभी रेस्टोरेंट से निकल गए और कुछ ही देर में रॉयल विंग पैलेस पहुँच गए।
जैसे ही गाड़ी पोर्च में रुकी, अश्वि दरवाजा खोलते ही तेजी से अंदर की तरफ भागी। उसे इतनी तेजी से भागते देख जहाँ सारे बॉडीगार्ड्स अखंड की तरफ देखने लगे, वहीं युग उसकी चिंता में पड़ गया।
युग ने अखंड के चेहरे के हावभावों को ध्यान से देखा और मन ही मन सोचा,
"लगता है आज बेचारी प्रिंसेस की खैर नहीं! पता नहीं अखंड सर इस मासूम को क्या सजा देंगे, लेकिन जो भी देंगे, बहुत सोच-समझकर देंगे। आखिर अश्वि में ही तो अखंड सर की जान बसती है। अगर उसे कुछ हो गया तो वह पूरी दुनिया को आग लगा देंगे।"
अश्वि वाकई बहुत नटखट थी। वो हमेशा अखंड को किसी न किसी तरह परेशान करती रहती थी। उसकी आदत थी कि वो कोई न कोई ऐसी हरकत जरूर कर बैठती, जिससे अखंड को गुस्सा आ जाता और फिर उसे डाँट या सज़ा मिलती ही मिलती।
लेकिन अश्वि भी कहाँ इतनी आसानी से मानने वाली थी। सुपरहीरो (अखंड) की कितनी भी डाँट सुनने के बाद भी उसकी शरारतों में कोई कमी नहीं आती थी। हालाँकि, अखंड उसे हर छोटी-बड़ी बात पर नहीं डाँटता था, बल्कि तब ही कुछ कहता जब अश्वि सच में कोई बड़ी गलती कर बैठती।
इस बार भी अश्वि ने कोई ऐसी हरकत कर दी थी, जिससे अखंड नाराज हो गया था। यही सोचते हुए अखंड ने उसकी स्कूल बैग उठाई और उसके पीछे अंदर चला गया।
जैसे ही अश्वि अंदर पहुँची, उसने सोफे पर बैठी सुमन आंटी को एक मैगज़ीन पढ़ते हुए देखा।
सुमन को देखते ही अश्वि दौड़ती हुई उनके पास आई और अपनी मासूमियत भरी मुस्कान के साथ बोली,
"आंटी, मैं आ गई! आपको पता है, सुपरहीरो भी आए हैं! वो आज स्कूल भी आए थे मीटिंग के लिए, और उन्होंने टीचर से कहा कि अब से वो ही स्कूल आया करेंगे। क्या सच में अब सुपरहीरो ही स्कूल आएंगे? आप नहीं आओगी क्या?"
अश्वि की बातें सुनकर सुमन के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। उन्होंने मैगज़ीन एक तरफ रखी और अश्वि के गालों को हल्के से छूते हुए बोलीं,"अभी तक यहाँ कितनी शांति थी, लेकिन तुम्हारे आते ही देखो, घर में कितनी हलचल हो गई है। तुम्हारे आने से पहले ही तुम्हारी खबरें घर में घूमने लगती हैं, प्रिंसेस! तुम हो ही इतनी एक्टिव और शरारती।"
सुमन की बात सुनकर अश्वि शरमा गई और उनकी गोद में सिर रखकर हँसने लगी, जबकि अखंड दूर खड़ा उन्हें देख रहा था, उसकी आँखों में हल्की सी नरमी थी।
अश्वि ने अपना क्यूट सा पाउट बनाते हुए मासूमियत भरे अंदाज में सुमन से कहा, "हां, मुझे पता है कि मैं थोड़ी नॉटी बच्ची हूं, पर आंटी, आपने मेरे सवाल का जवाब तो दिया ही नहीं! अब आप बताइए, क्या सच में सुपर हीरो ही अब मेरे स्कूल आएंगे जब भी टीचर उन्हें बुलाएंगे?"
सुमन ने हल्की मुस्कान के साथ अपना सिर सहमति में हिलाया और अश्वि को प्यार से पास बैठाते हुए बोलीं,"हां बेटा, अब से तुम्हारे सुपर हीरो ही तुम्हारे स्कूल के हर जरूरी काम के लिए जाएंगे, क्योंकि वही तुम्हारे असली गार्जियन हैं। उन्हें तुम्हारे हर फैसले का हक है।"सुमन ने अश्वि के गाल पर अपना हाथ रखते हुए आगे कहा,
"उन्होंने तुम्हारी परवरिश के लिए कितनी मेहनत की है, इसका तुम्हें अंदाजा भी नहीं है। अपने खून-पसीने से उन्होंने तुम्हारे हर सपने को पूरा करने की कोशिश की है। तुम्हें पता है, तुम्हारे सुपर हीरो इतनी मेहनत क्यों करते हैं?"
अश्वि ने मासूमियत से अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से सुमन को देखा और धीरे से पूछा,
"क्यों आंटी?"
सुमन ने प्यार से अश्वि की नाक को छूते हुए कहा,"क्योंकि वो तुम्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहते हैं। वो नहीं चाहते कि जो मुश्किलें उन्होंने अपनी लाइफ में सही हैं, वो आप भी देखो। हो सकता है कि वो तुमसे सख्ती से पेश आते हों, लेकिन इससे ये सच नहीं बदल जाता कि इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार वही तुमसे करते हैं और तुम्हारी सबसे ज्यादा परवाह करते हैं।"
सुमन की बातों को सुनकर अश्वि कुछ देर के लिए चुप हो गई, फिर अपनी छोटी-छोटी उंगलियों से सुमन की गोद में खेलते हुए धीरे से बोली,"मुझे पता है आंटी, मेरे सुपर हीरो मुझसे बहुत प्यार करते हैं। पर वो हमेशा इतने सीरियस क्यों रहते हैं? कभी-कभी तो बहुत डर लगता है!"
सुमन ने हँसते हुए अश्वि को गले लगा लिया और बोलीं,"क्योंकि उन्हें तुम्हारी बहुत चिंता रहती है प्रिंसेस। लेकिन जब तुम मुस्कुराती हो ना, तो तुम्हारे सुपर हीरो का पूरा दिन बन जाता है।"
इतना सुनते ही अश्वि खिलखिलाकर हँस पड़ी, जबकि दूर खड़े अखंड की नज़रें अश्वि की मुस्कान पर ठहर गईं, और उनके चेहरे पर भी हल्की सी सुकून भरी मुस्कान आ गई।
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दोस्तों, आज की कहानी यहीं तक।
आशा है आपको यह भाग पसंद आया होगा।
फिर मिलेंगे अगले अध्याय में एक नए मोड़ और नई भावनाओं के साथ।
तब तक के लिए नमस्कार,🙏 शुभ रात्रि।
खुश रहिए, मुस्कुराते रहिए!😊
अब आगे
सुमन की बातें सुनकर अश्वि ने बस अपना सिर हिलाया और सुमन से बोली, "हाँ आंटी, और मैं भी उनसे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ।"
सुमन ने मुस्कुराते हुए अश्वि की तरफ देखा और शरारती अंदाज में पूछा, "अच्छा? मुझसे भी ज्यादा?"
वैसे तो सुमन को अश्वि का जवाब पहले से ही पता था, लेकिन उसे बार-बार पूछने में मजा आता था।
अश्वि ने बिना वक्त गँवाए तुरंत सिर हिलाते हुए जवाब दिया, "हाँ आंटी, मैं आपसे भी ज्यादा प्यार अपने सुपर हीरो से करती हूँ। उनके जैसा दुनिया में कोई और नहीं है और ना कभी होगा। He is the best!"
जैसे ही अश्वि ने अपनी बात पूरी की, वैसे ही उसकी और सुमन की कानों में अखंड की सर्द आवाज पड़ी, जो दरवाजे से अंदर आते हुए बोला, "अश्वि!"
असल में अखंड काफी देर से बाहर खड़े होकर दोनों की बातें सुन रहा था। उसकी गहरी आवाज सुनते ही अश्वि का डर और सुमन की चिंता बढ़ गई।
अखंड की आवाज सुनकर सुमन ने अश्वि की तरफ देखा और फुसफुसाते हुए पूछा, "अब तुमने क्या कर दिया, जो अखंड इतने गुस्से में हैं?"
अश्वि ने मासूमियत से चेहरा बनाते हुए कहा, "मैंने कुछ नहीं किया आंटी, बस... भाग कर अंदर आ गई... ऊप्स!"
अश्वि की बात सुनकर सुमन ने माथे पर हाथ मारते हुए कहा, "लो, हो गया सत्यानाश!"
फिर सुमन ने संजीदगी से पूछा, "बेटा, तुम हमेशा ऐसी हरकतें क्यों करती हो, जिनसे अखंड गुस्सा हो जाते हैं? तुम्हें मजा आता है उन्हें गुस्सा दिलाने में? अब जब तुमने उन्हें गुस्सा दिला ही दिया है, तो अब मैं क्या कर सकती हूँ?"
सुमन की बात सुनते ही अश्वि ने रोनी-सी सूरत बना ली। इतने में अखंड अश्वि का बैग लेकर अंदर आया, जिसे सुमन ने झट से उसके हाथ से ले लिया।
अखंड की नजर अश्वि पर पड़ी, जो अब भी किसी डरी-सहमी बिल्ली के बच्चे की तरह एक कोने में खड़ी थी।
अखंड ने ठंडी आवाज में कहा, "अश्वि, अभी इसी वक्त यहाँ आओ।"
अखंड का आदेश सुनकर अश्वि डर के मारे सुमन की तरफ देखने लगी, जिन्होंने आँखों से उसे तुरंत जाने का इशारा किया।
डरी-सहमी अश्वि छोटे-छोटे कदमों से अखंड की ओर बढ़ी, जो अभी भी अपने माथे पर शिकन और चेहरे पर बिना किसी भाव के खड़ा था।
अखंड को अपनी ओर घूरते देख, अश्वि की रफ्तार और भी धीमी हो गई। तभी अखंड ने रूखी आवाज में कहा, "फास्ट अश्वि! मेरे पास पूरा दिन नहीं है। जल्दी चलो, वरना मुझे आना पड़ेगा और अगर मैंने कदम बढ़ाए, तो तुम्हारे लिए मुश्किल हो जाएगी।"
अखंड की सख्त चेतावनी सुनते ही अश्वि के पसीने छूटने लगे। उसने तुरंत अपनी चाल तेज की और अखंड के पास पहुँच गई, लेकिन उससे दो हाथ की दूरी पर रुक गई, क्योंकि उसे अपने "सुपर हीरो" की डांट सुनने का कोई इरादा नहीं था।
अखंड ने उसे घूरते हुए पूछा, "मैंने आपको क्या बताया था कि जब आप गाड़ी से उतरती हो, तो क्या करना है?"
अश्वि ने नीचे देखते हुए कांपती आवाज में जवाब दिया, "मुझे भागना नहीं चाहिए और आपके साथ ही चलना चाहिए..."
अखंड ने हाथ सीने पर मोड़ते हुए कहा, "तो अभी तुमने क्या किया?"
अश्वि ने नजरें झुकाए हुए धीमे स्वर में कहा, "मैं गाड़ी से उतरते ही भागकर अंदर आ गई... और आपके लिए रुकी भी नहीं... सॉरी सुपर हीरो..."
अखंड ने गहरी सांस लेते हुए उसका हाथ पकड़ लिया और सुमन की तरफ मुड़ते हुए कहा, "आंटी, हमारा डिनर ऊपर कमरे में भिजवा दीजिए। और हाँ, जब तक मैं नीचे न आऊँ, तब तक कोई भी हमें डिस्टर्ब न करे।"
अखंड की बात सुनते ही अश्वि की आँखें चौड़ी हो गईं। उसे पता था कि अब वह अखंड से बच नहीं सकती थी।
अश्वि अखंड को और ज्यादा गुस्सा दिलाने के लिए उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाने लगी और भागकर सुमन के पीछे गई।
सुमन ने जब अश्वि की इस हरकत को देखा तो उसकी आँखें डर के मारे बाहर आ गईं, वहीं अखंड अपनी पैनी नजरों से अश्वि को घूर रहा था।
अखंड ने अपने गुस्से पर काबू रखते हुए ठंडी आवाज में कहा, "मिस अश्विका अखंड कपूर, अभी के अभी यहाँ आइए, वरना मुझसे बुरा आपके लिए कोई नहीं होगा, याद रखिए।"
अखंड की धमकी सुनते ही अश्वि ने नाक-भौं चढ़ाते हुए अपना मुंह बनाया और खुद से ही बड़बड़ाई, "वैसे भी आपसे बुरा कोई है भी नहीं... हुह्! खड़ूस कहीं के! जब देखो तब बस डांटते ही रहते हैं। नहीं... मैं उनके सामने नहीं जाऊंगी। क्या पता अपने गुस्से में कहीं मुझे किसी बॉल की तरह उछाल कर दूर फेंक दें! नहीं, मैं तो अभी उनके सामने नहीं जाऊंगी।"
फिर खुद को समझाते हुए बोली, "अगर ये खडूस और ज़िद्दी अखंड कपूर हैं, तो मैं भी स्मार्ट और महा ज़िद्दी अश्वि अखंड कपूर हूँ!"
लगता था कि आज अश्वि भी अखंड के सब्र का इम्तिहान लेने के मूड में थी। वह दोनों ही एक-दूसरे से कम नहीं थे—एक से बढ़कर एक ज़िद्दी और हठी!
अखंड और अश्वि एक-दूसरे के बिल्कुल अलग होने के बावजूद, कहीं न कहीं एक जैसे ही थे। एक बड़ा वर्जन था, तो दूसरा उसका छोटा वर्जन। अश्वि पूरी तरह से अखंड की ही कॉपी बन चुकी थी। हालांकि, अखंड की तरह उसका गुस्सा 24 घंटे नाक पर नहीं बैठा रहता था, लेकिन जब एक बार भड़कती, तो एक छोटा सा ज्वालामुखी बन जाती थी, जिसे संभालना मुश्किल हो जाता था।
इस वक्त माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका था। बेचारी सुमन का तो डर के मारे बुरा हाल था। चाहकर भी वह अखंड और अश्वि के बीच कुछ नहीं कह सकती थी, क्योंकि अखंड को पूरा हक था अश्वि की गलतियों पर उसे डांटने का और जरूरत पड़ने पर सजा देने का भी।
हालाँकि, सुमन एक बात अच्छी तरह जानती थी, अखंड कितना भी गुस्सा क्यों न हो जाए, चाहे अश्वि को कितनी भी सख्त सजा क्यों न दे दे, लेकिन वो कभी भी ऐसा कुछ नहीं कर सकता था जिससे अश्वि सच में हर्ट हो जाए। अश्वि उसकी जान थी, और उसके लिए अखंड का हर गुस्सा, हर सजा सिर्फ एक तरीके से प्यार जताने का जरिया था।
लेकिन इस वक्त अखंड की आँखों में गुस्से की लपटें थीं, और अश्वि को सुमन के पीछे छुपा देख, वो गहरी आवाज में गरजा, "अश्वि, मैंने आपसे कुछ कहा था, और आप मेरी बात नहीं मान रही हैं? लगता है आपको सुपर हीरो के हाथों से अच्छी खासी सजा चाहिए... कोई बात नहीं, चलिए, आज आपकी ये विश भी पूरी कर देता हूँ!"
अखंड के इस धमकी भरे लहजे से अश्वि की साँसें हलक में अटक गईं, और सुमन की घबराहट और भी बढ़ गई थी।
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तो दोस्तों, आज की कहानी यहीं तक... आगे क्या होगा? जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए। तब तक के लिए शुभ रात्रि, मीठे सपने और ढेर सारी खुशियां।
फिर मिलेंगे एक नए मोड़ के साथ! 🙏
अब आगे
अखंड ने अश्वी को सुमन के पीछे खड़ा देखा तो गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, "अश्वी! मैंने आपसे कुछ कहा था, लेकिन आप मेरी बात नहीं मान रहे हो। लगता है कि आपको सुपर हीरो के हाथों से एक अच्छी-खासी सजा चाहिए। कोई बात नहीं, आपकी ये इच्छा भी पूरी कर देता हूँ!"
इतना कहते ही अखंड सुमन की ओर बढ़ने लगा। अखंड ने तुरंत उसका हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन इससे पहले कि वो उसे पकड़ पाता, अश्वि फुर्ती से वहां से हटकर दूसरी ओर भाग गई।
अखंड गुस्से में तेज आवाज में बोला, "अश्वी! ये क्या हरकत कर रही हो? मैं पहले ही कह चुका हूँ, आप बहुत शैतान होती जा रही हैं। आप मेरे धैर्य की परीक्षा ले रही हैं, और इसका नतीजा सिर्फ पछतावा होगा। चुपचाप यहां आ जाइए!"
अश्वी अखंड से बचते हुए पूरे हॉल में दौड़ रही थी, और अखंड उसके पीछे। अश्वी के नन्हे कदमों की तुलना में अखंड के लंबे और तेज़ पैर आसानी से उसे पकड़ सकते थे। चुटकी में वो अश्वि को पकड़ लेता था, और वो भी बिना ज्यादा भागे।
अखंड अब पूरी तरह गुस्से में था, लेकिन तभी भागते-भागते अश्वी का पैर फिसल गया। गिरने से पहले उसने खुद को बचाने की कोशिश की, पर वो जमीन पर बैठ गई।
अखंड ने जब उसे इस हालत में देखा, तो उसकी सांसें हलक में अटक गईं। वो तुरंत अश्वि की ओर भागा, लेकिन जब तक ेओ अश्वि की तरफ पहुंचा , तो देखा कि अश्वी की आंखों में नमी थी। उसने घबराते हुए उसके गालों को अपने हाथों में लिया और चिंतित स्वर में पूछा, "क्या हुआ बच्चा?"
अश्वी ने अपना पैर देखते हुए रोना शुरू कर दिया। उसे रोता देख अखंड का दिल बेचैन हो गया।
अश्वी रोते-रोते बोली, "सुपर हीरो... मेरा पैर!"
अखंड ने तुरंत उसे गले से लगा लिया और घबराई आवाज़ में बोला, "इसीलिए मैं आपको भागने से मना करता हूँ, बच्चा। आप मेरी एक भी बात नहीं मानतीं। अब देखा, चोट लग गई ना? बहुत दर्द हो रहा है ना? कोई बात नहीं, सुपर हीरो अभी सब ठीक कर देंगे।"
उसने धीरे से अश्वी के पैर को देखा, जो सूज गया था। जब अखंड ने उसके पैर को हल्के से छुआ, तो अश्वी दर्द से चीख पड़ी, "सुपर हीरो, मत करिए! बहुत दर्द हो रहा है!"
अखंड ने नरम आवाज़ में कहा, "अश्वी, आपके पैर में बस हल्की मोच आई है। ये जल्दी ठीक हो जाएगा। आप बस उधर मत देखिए।"
उसने सुमन की ओर देखा और उसे इशारा किया। सुमन तुरंत आई और अश्वी का चेहरा अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही सुमन ने उसका चेहरा दूसरी ओर घुमाया, अखंड ने जल्दी से उसके एंकल को ट्विस्ट किया।
तेज दर्द के कारण अश्वी रोने लगी, और अखंड ने तुरंत उसे गोद में उठा लिया। अश्वी ने झट से अपने छोटे-छोटे हाथ उसके गले में डाल दिए और पैरों से उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया। वो बच्चे की तरह से रो रही थी, "सुपर हीरो, बहुत दर्द हो रहा है!"
अखंड उसे चुप कराते हुए ऊपर उसके कमरे में ले गया। कमरे में पहुँचकर उसने उसे धीरे से बेड पर बैठाया और बोला, "अब अपने पैरों को नीचे रखिए और खड़े होने की कोशिश करिए, अश्वी।"
अश्वी ने अपने आंसू पोंछते हुए डर से कहा, "मुझे फिर से दर्द होगा ना, सुपर हीरो?"
अखंड ने मुस्कराते हुए उसे समझाया, "कुछ नहीं होगा, अश्वी। अब उठो, कम ऑन!"
अश्वी ने अपनी बड़ी, प्यारी आँखों से अखंड को देखा और मासूमियत से पूछा, "क्या मैं आपका हाथ पकड़ लूँ सुपर हीरो? अगर मैं फिर से गिर गई तो?"
अखंड उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "सुपर हीरो ऐसा कभी नहीं होने देंगे। तुम्हारे गिरने से पहले मैं तुम्हें पकड़ लूंगा। अब उठ जाओ!"
अश्वी ने मन ही मन सोचा, ये अपनी तरह मुझे भी स्टील बॉडी वाली समझते हैं क्या? इन्हें कुछ नहीं होता, पर मैं तो नाजुक और प्यारी हूँ! मैं गिर गई तो सुपर हीरो को भी मजा आएगा मुझे परेशान करने में। ठीक है, कोई बात नहीं!
अश्वि ने गुस्से में अखंड की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा, "कम से कम अभी तो मेरा हाथ पकड़ लीजिए, सुपर हीरो! वरना मैं सच में गिर जाऊंगी!"
अखंड ने उसकी ओर नज़र डालते हुए अपनी वही शांत आवाज़ में कहा, "मैंने कहा ना, तुम नहीं गिरोगी। मैं तुम्हारा हाथ नहीं पकड़ने वाला। तुम्हें खुद खड़ा होना सीखना होगा, जैसे सुपर हीरो ने सिखा था। चलो, अश्वि, तुम बेवजह मेरा टाइम वेस्ट कर रही हो।"
अश्वि ने अखंड को घूरते हुए देखा। वो जानती थी कि जब से अखंड आया है, तब से उसे सिर्फ अपने काम की ही फिक्र है। तभी गुस्से में उसने अपने दोनों पैरों पर खड़े होते हुए, हल्की सी ऊँची आवाज़ में कहा, "कब से देख रही हूँ, आपको सिर्फ अपने टाइम की पड़ी है! लेकिन मेरा क्या? क्या मैं आपके लिए कोई मायने नहीं रखती? मैं कभी आपसे शिकायत नहीं करती, क्योंकि मुझे समझ आता है कि आपको काम करना होता है। पर आप भी तो समझिए, मुझे भी आपका वक्त चाहिए!"
वो रुककर आँसुओं को रोकने की कोशिश करती हुई बोली, "हमें साथ बस सुबह और रात का समय ही मिलता है, लेकिन तब भी आपका ध्यान सिर्फ आपके फोन या लैपटॉप में होता है। हाँ, जब मुझे पनिशमेंट देने की बारी आती है, तब तो आपका पूरा ध्यान मुझ पर होता है! बाकी समय मैं आपके लिए जैसे कोई मायने ही नहीं रखती!"
अश्वि की आवाज़ में दर्द साफ झलक रहा था, और अखंड के भीतर एक अजीब हलचल मच गई थी।
अखंड पहले से ही गुस्से में था, और अश्वि की बातों ने उसे और परेशान कर दिया। उसका गुस्सा पहले से ही काफ़ी तेज़ था, छोटी-छोटी बातों पर भी वो जल्दी भड़क जाता था। लेकिन अश्वि की बातों में जो सच्चाई थी, उससे वो इनकार नहीं कर सकता था।
कबीर और अर्पिता के जाने के बाद से अखंड की ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई थी। उसके अंदर की सारी नर्मी जैसे खत्म हो चुकी थी, और उसका दिल अब पत्थर जैसा सख्त बन गया था।
इस पत्थर जैसे दिल में सिर्फ अश्वि के लिए ही कुछ भावनाएँ बाकी थीं, लेकिन अखंड कभी उन्हें उसके सामने जाहिर नहीं करता था। शायद यही वजह थी कि कभी-कभी अश्वि को लगने लगा था कि वो उसके लिए अब मायने नहीं रखती।
अखंड की खामोश निगाहें अश्वि की तरफ थीं, लेकिन उसकी आँखों में छिपे दर्द को अश्वि पढ़ नहीं पा रही थी।
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दोस्तों! आज का एपिसोड आपको कैसा लगा? कृपया कमेंट करके अपनी राय जरूर दें, क्योंकि आपकी प्रतिक्रियाएं हमारे लिए बेहद खास हैं। आपकी पसंद और सुझाव हमें और बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं। फिलहाल के लिए बस इतना ही, लेकिन चिंता मत करें, हम जल्द ही अगले पार्ट के साथ हाज़िर होंगे। तब तक, अपनी यादों और उम्मीदों के साथ जुड़े रहिए और हमें यूं ही प्यार देते रहिए!🙏🙏
अब आगे
अखंड के उस पत्थर से दिल में अश्वि के लिए ही इमोशंस और फीलिंग्स थीं, पर अखंड अपने वो इमोशंस अश्वि के सामने भी एक्सप्रेस नहीं करता था। शायद यही वजह थी कि अश्वि को कभी-कभी बहुत बुरा लगता था।
अभी अश्वि अखंड पर चिल्ला रही थी, और अखंड को ये बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि कोई उस पर चिल्लाए, फिर चाहे वो अश्वि ही क्यों न हो।
इससे पहले कि अश्वि कुछ कहती या करती, अखंड ने अपनी बेल्ट निकाली, जो अब एक कोड़े का रूप ले चुकी थी।
अखंड के हाथ में कोड़े को देखते ही अश्वि की आंखें बड़ी हो गईं। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अखंड की पकड़ मजबूत थी।
अश्वि ने डर और रोती हुई आवाज में कहा, सुपर हीरो... प्लीज़ मारना मत! मैं आपकी सारी बातें मानूंगी, प्लीज़ आप ये मत करो... मुझे बहुत दर्द होता है और फिर बैठने में भी मुश्किल होती है।
अखंड ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "चुप! एक भी शब्द नहीं निकलना चाहिए, वरना मैं अपनी गिनती भूल जाऊंगा। समझीं आप?"
बेचारी अश्वि रो रही थी। तभी अचानक अखंड ने कोड़े का एक तेज़ वार उसकी पीठ पर किया।
अखंड बहुत ताकतवर था, इसलिए उसका मारा गया कोड़ा अश्वि के लिए असहनीय था। कोड़ा पड़ते ही अश्वि की चीख निकल गई, और उसकी त्वचा पूरी तरह लाल हो गई।
अखंड का रूम साउंडप्रूफ था, इसलिए अश्वि की आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी।
अखंड गुस्से में बोलता रहा,"बस बहुत हो गया तुम्हारा, अश्विका! बहुत कंट्रोल कर लिया मैंने। हिम्मत कैसे हुई मुझ पर चिल्लाने की? अब तुम मुझ पर आवाज उठाओगी? इतने बड़े हो गए हो आप ? नहीं! आज ऐसी सजा दूंगा कि आवाज उठाने से पहले सौ बार सोचोगी!"
अश्वि का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था। दूसरी तरफ अखंड अपनी बातों में इतना खो चुका था कि उसने देखा ही नहीं कि उसकी दी गई सज़ा अश्वि की सहनशक्ति से बाहर हो चुकी थी।
जब अखंड को लगा कि अश्वि के लिए इतना काफी है, तो उसने उसे बेड पर छोड़ा और रूम से बाहर चला गया।
अपने स्टडी रूम में आकर अखंड सोफे पर बैठ गया। गुस्से की वजह से उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने कुछ ज्यादा ही सख्त सज़ा दे दी है, जिसे अश्वि इतनी आसानी से सहन नहीं कर सकती थी।
तभी अखंड का फोन बजा, स्क्रीन पर ‘तेजस ’ का नाम फ्लैश हो रहा था।
फोन उठाते ही अखंड ने गुस्से में कहा, हां बोलो, अभी क्या हुआ?
अखंड की गुस्से भरी आवाज सुनते ही तेजस समझ गया कि वो इस वक्त ज्वालामुखी की तरह उबल रहा है।
तेजस मन ही मन बुदबुदाया," हे भगवान, प्लीज़ मुझे अखंड के गुस्से से बचा लो। मैं गरीब बच्चों को खाना खिलाऊंगा।"
अखंड फिर गरजा, "क्या हुआ? सांप सूंघ गया है या मुंह पर ताला लगा लिया है? बोलोगे भी या आकर खुद तुम्हारा मुंह खुलवाऊं?"
तेजस डर के मारे पसीना पोंछते हुए बोला, अखंड सर... मिस्टर विल्सन मीटिंग चाहते हैं, अभी।"
"क्या? अभी मीटिंग? क्या पागल हो गए हैं?अखंड चिल्लाया।नहीं! अभी कोई मीटिंग नहीं होगी। उनसे कह दो वापस जाएं। मैं इस वक्त नहीं आ रहा।"
युग ने हिम्मत जुटाते हुए कहा,"सर, हम मीटिंग कैंसिल नहीं कर सकते, वरना कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान होगा। "
अखंड ने अपना सिर पकड़ लिया और चिढ़कर कहा, "ठीक है, आ रहा हूं!"
तेजस बोला, "सर, आपके पास सिर्फ 15 मिनट हैं।"
गुस्से में अखंड उठा और नीचे भागा। सुमन को देखते ही बोला,"आंटी, अश्वि को खाना खिला दीजिए और सुला दीजिए, मुझे अर्जेंट ऑफिस जाना है।"
सुमन ने सिर हिलाया, और अखंड बाहर चला गया।
सुमन अश्वि के लिए उसकी फेवरेट डिश बनाने में लग गई।
उधर, अश्वि बेड पर पड़ी थी, उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, और पूरा शरीर लाल पड़ चुका था कहीं कहीं तो खून निकल रहा था । अखंड की दी गई सज़ा उसकी सहनशक्ति से बाहर थी।
कुछ देर बाद अश्वि ने लड़खड़ाते कदमों से दरवाजा बंद किया, और वॉशरूम जाकर कपड़े बदले और दर्द से कराहते हुए बेड पर लेट गई।
नीचे सुमन ने खाना तैयार कर लिया और अश्वि के रूम के दरवाजे पर खटखटाया, अश्वि बेटा, दरवाजा खोलो... तुम्हारी फेवरेट पुलाव बनाया है। भूख लगी होगी ना आपको ?"
लेकिन अश्वि ने कोई जवाब नहीं दिया।
सुमन ने बार-बार दरवाजा खटखटाया, लेकिन अश्वि ने अब तक नहीं खोला। सुमन घबरा गई।
उसे अखंड को फोन करना पड़ा, लेकिन उसका फोन बंद था। सुमन और परेशान हो गई।
उसने तेजस और तरुण को कॉल किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।
अब सुमन की चिंता और बढ़ गई थी। दूसरी तरफ अश्वि दर्द में रोते-रोते सो चुकी थी।
अखंड अपनी क्लाइंट के साथ एक क्लब में बैठा हुआ था, जहां की लड़कियां अपनी बॉडी दिखाकर लोगों को लुभा रही थीं। अखंड के हाथ में एक ड्रिंक थी, जिसे वो धीरे-धीरे घूंट भरकर पी रहा था। उसकी नज़रें बार-बार उन लड़कियों की तरफ जा रही थीं, और वो अपनी ठंडी नजरों से उन्हें देख रहा था।
अखंड का असली चेहरा जो दुनिया के सामने था, वो एक सफल बिजनेसमैन था, लेकिन उसके भीतर कई गहरे राज़ छुपे थे। उसके व्यक्तित्व में जितनी अच्छाइयां थीं, उससे कहीं ज्यादा बुराइयां थीं, जो मासूम अश्विका को हल्का सा भी अंदाजा नहीं था। वो जिस अखंड को जानती थी, वो केवल एक मुखौटा था, लेकिन हकीकत में अखंड एक अलग ही दुनिया का बेताज बादशाह था।
अभी अखंड अपने क्लाइंट के साथ किसी अहम मुद्दे पर चर्चा कर रहा था, तभी उसकी नजर एक लड़की पर गई, जो उसे अपनी सिडक्टिव नजरों से देख रही थी।
वो लड़की अपनी जगह से उठी और अखंड की ओर बढ़ी। धीरे से उसके पास आकर उसने कानों में फुसफुसाया, "मुझे आपकी बीमारी के बारे में सब कुछ पता चल चुका है, मिस्टर कपूर। सोचिए, अगर मैंने ये न्यूज़ बाहर बता दी, तो क्या होगा?
लड़की की बात सुनकर अखंड की आंखें बड़ी हो गईं, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आया। उसके एक्सप्रेशन बिल्कुल सख्त हो गए थे। उसने धीरे से अपनी नजर उस लड़की की तरफ घुमाई और अपनी सर्द आवाज में पूछा, "क्या चाहती हो?
लड़की ने एक कुटिल मुस्कान के साथ उसकी आंखों में देखते हुए कहा,आज की रात... आपके साथ। यही मेरी चुप्पी की कीमत होगी, मिस्टर कपूर।
अखंड ने अपनी ड्रिंक टेबल पर रख दी, और एक गहरी सांस लेते हुए उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में एक अजीब सी ठंडक थी, जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती थी।
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तो दोस्तों, आज की पार्ट यहीं खत्म होता है। आगे की कहानी जानने के लिए जुड़े रहिए। तब तक के लिए शुभ रात्रि!🙏🙏
अब आगे
अखंड ने अपनी डेविल स्माइल के साथ लड़की की तरफ देखते हुए सोचा,"आज तुम्हारा इस दुनिया में आखिरी दिन होगा। तुमने अखंड कपूर का वो राज जान लिया, जो तुम्हें कभी नहीं पता चलना चाहिए था। मेरी बीमारी के बारे में जानकर अफसोस, तुम इसे किसी और को बताने के लिए जिंदा नहीं बचोगी।"
उसके होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान उभर आई थी।
अखंड ने क्लाइंट्स और तेजस की ओर देखा और ठंडी आवाज में बोला,"आई थिंक हमारी ये मीटिंग यहीं खत्म होती है... नाउ, एक्सक्यूज मी।"
बिना किसी की प्रतिक्रिया का इंतजार किए, वो क्लब के भीतर मौजूद अपने प्राइवेट रूम की ओर बढ़ गया। उसके पीछे-पीछे वो लड़की भी चली गई।
तेजस ने ये सब देखा तो उसके माथे पर पसीना छलक आया। घबराहट में उसने खुद से कहा,"लगता है आज ये लड़की अखंड सर की हैवानियत का शिकार बनने वाली है। मुझे यहां से निकलना होगा, वरना मेरी जान भी खतरे में पड़ सकती है।"
तेजस जल्दबाजी में क्लब से बाहर निकल गया।
रूम नंबर 201 में अखंड की हैवानियत
रूम में घना अंधेरा था, लेकिन एक लड़की की दर्दभरी चीखें साफ सुनाई दे रही थीं। अखंड की हैवानियत अभी शुरू ही हुई थी और लड़की की जान हलक में अटकी हुई थी। वो जितना संघर्ष कर रही थी, अखंड उतनी ही बेरहमी से उस पर हावी होता जा रहा था।
अखंड की मस्कुलर बॉडी पसीने से तर हो चुकी थी, लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी आंखें खून से भी ज्यादा लाल हो चुकी थीं, और वो तेजी से हांफ रहा था।
लड़की ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की, पर वो नहीं जानती थी कि अखंड कपूर कोई साधारण इंसान नहीं था। वो नरक की आग था, जिसमें जलना उसकी नियति थी।
अखंड ने अचानक लड़की की गर्दन पर अपने दांत गड़ा दिए, जिससे एक जोरदार चीख गूंज उठी। लड़की पूरी रात दर्द से कराहती रही, लेकिन अखंड को कोई फर्क नहीं पड़ा। अंततः सुबह के 5 बजे उसकी चीखें हमेशा के लिए शांत हो गईं।
रॉयल विंग्स – अश्विका की तकलीफ
शनिवार की सुबह, अश्विका की मॉर्निंग क्लासेस थीं। पूरी रात सुमन अश्विका के लिए परेशान रही थी, और एक घंटे पहले ही उसकी आंख लगी थी।
अश्वि का रूम
अश्वि उसकी नींद से उठी तो थी पर उसकी आंखें बहुत ज्यादा लाल हो चुकी थी और उसका पूरा चेहरा पीला पड़ा हुआ था बेचारी बच्ची को अभी भी दर्द हो रहा था, पर उसने अपने दर्द को अनदेखा किया और बेड से उठ कर चुपचाप अपने स्कूल के लिए तैयार हो गई।
जब अश्वि रूम से बाहर आई,तभी उसे सुमन कहीं नहीं देखी जिस वजह से उसने सुमन को परेशान करना ठीक नहीं समझा और उसने अपने बाल खुद ही बना लिए, अश्वि अभी काफी दर्द में थी, क्योंकि कल अखंड एक बार भी अश्वि को देखने नहीं आया था, ना ही उसके ऊपर जख्म पर दवा लगाई आके, और उसके सुपर हीरो उसके दर्द को मिटाने के लिए उसके पास आये थे।
अखंड अश्वि को पनिशमेंट देता था, पर उसके बाद वो अश्विका को दवा भी लगा देता था, जिससे अश्वि ठीक हो जाती थी, पर ऐसा कल कुछ भी नहीं हुआ था, और अश्वि का दर्द अभी उसके बर्दाश्त के बाहर जा रहा था पर उसने कुछ भी नहीं किया।
अश्विका ने अपना स्कूल बैग उठाया और बाहर आ गई जहां ड्राइवर उसका वेट कर रहा था,अश्वि को देखते ही ड्राइवर ने अश्वि के लिए गाड़ी का बैक डोर खोला और अश्विका चुपचाप से पीछे बैठ गई और जैसे ही वो सीट पर बैठी उसके मुंह से एक दर्द भरी चिख निकल गई और झट से वो थोड़ा सा ऊपर उठी।
अश्वि की प्यारी सी आंखें लाल और आंखों से आंसू बहने लगते हैं, पर तभी उसका ध्यान ड्राइवर गया जो अभी गाड़ी की तरफ आ रहा है उसे देखते ही उसने अपने आंसू पोछ लिए और अपने दर्द को अपने अंदर ही रखते हुए सीट पर बहुत ही हल्के से बैठ गई।
ड्राइवर ने आकर गाड़ी स्टार्ट की और अश्विका ने विंडो से बाहर देखते हुए सोचा मुझे तो ठीक से is सॉफ्ट सि सीट पर बैठा नहीं जा रहा हैं, तो मैं स्कूल में उस शख्त सि बैच पर कैसे बैठूंगी, अगर मैं वहां नहीं बैठी तो किसी को पता चल गया की सुपर ने मुझे पनिशमेंट दिया था,तो सब मुझ पर हसेंगे पहले ही वो मेरी मजाक उड़ाते हैं, और सुपर हीरो जब मुझे पनिशमेंट देते हैं तभी वो खुद भी मेरे साथ होते थे, पर वो कल एक बार भी मेरे पास नहीं थे, उन्होंने मुझे लगता है मैंने सुपर हीरो को बहुत ही ज्यादा गुस्सा दिला दिया था, नहीं नहीं मुझे फिर से मार नहीं खानी और इसलिए मैं सुपर हीरो के पास नहीं जाऊंगी वरना वो फिर से मुझे मारेंगे। "
अश्वि को अखंड से बहुत डर लग रहा था और जिससे वो बहुत ज्यादा कांप रही थी, अश्वि को देखकर ड्राइवर को थोड़ा अटपटा सा तो लगा था पर, उसने भी इतना ध्यान नहीं दिया जितना उसे देना चाहिए था।
अश्विका को स्कूल में ड्रॉप कर दिआ जिससे अश्वि धीरे-धीरे अंदर की तरफ चली गई और ड्राइवर वहां से निकल गया स्कूल में अश्वि से बिल्कुल भी बैठा नहीं जा रहा था फिर भी वो बैठ रही, ताकि किसी को भी उस पर शक ना हो और वो लोग उसे परेशान ना करें।
वही अखंड भी क्लब से सीधे उसके ऑफिस में चला गया था जिस वजह उसे अश्वि के बारे में कोई खबर नहीं थी।
रॉयल विंग्स
सुमन बहुत ज्यादा परेशान थी, क्योंकि उसने अश्वि को कल शाम से नहीं देखा था और वो सुबह अश्वि कब स्कूल चली गई वो सुमन को भी पता नहीं चला, पसुमन अभी हॉल में ही इधर-उधर चक्कर ही लगा रही थी।
तभी अश्वि उसका बैग एक कंधे पर लटकाए पैलेस के अंदर आई इससे पहले पहले सुमन अश्वी की तरह बढ़ते हुए उससे कुछ कहती अश्वि ने उनकी तरफ देखते हुए उसके बोली, "आंटी आज मैं बहुत थक गई हूं और अभी मुझे नींद आ रही है, आप प्लीज मुझे उठाना मत जब तक मेरी नींद पूरी नहीं हो जाती, और मैं खुद नीचे नहीं आती।"
इसी के साथ अश्वि ऊपर उसके रूम में चली गई है, और उसने दरवाजा अंदर बंद कर दिया था।
अश्वि को ऐसे देखकर सुमन को एक घबराहट सी हो रही थी, क्योंकि अश्वि बहुत ही ज्यादा एक्टिव और बहुत शरारती बच्ची थी, उसपर अश्वि चाहे कितनी भी थकी हुई क्यों ना हो पर वो अपनी मस्ती करना कभी नहीं भूलती थी।
अश्वि पूरे पैलेस में अपने छोटे से पैरों से इधर-उधर भागना और भागते हुए पूरे पैलेस को अपने सर पर उठा लेना,अश्वि का सबसे फेवरेट काम था,पर आज अश्वि बहुत ही ज्यादा अलग-अलग सी लग रही थी, अश्विका को देखकर सुमन को एक पल के लिए लगा कि उनकी अश्विका नहीं कोई और है ,जो चुपचाप कभी बैठी नहीं सकती थी, वो इतनी शांत कैसे हैं,
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दोस्तों! आज का एपिसोड आपको कैसा लगा? कृपया कमेंट करके अपनी राय जरूर दें, क्योंकि आपकी प्रतिक्रियाएं हमारे लिए बेहद खास हैं। आपकी पसंद और सुझाव हमें और बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं। फिलहाल के लिए बस इतना ही, लेकिन चिंता मत करें, हम जल्द ही अगले पार्ट के साथ हाज़िर होंगे। तब तक, अपनी यादों और उम्मीदों के साथ जुड़े रहिए और हमें यूं ही प्यार देते रहिए!
अब आगे
अश्वि के ऊपर जाते ही सुमन वापस से सोफे पर बैठ गई, फिर ऊपर अश्वि के रूम की दरवाजे की तरफ देखते हुए खुद से बोली, "हे भगवान आज क्या हो गया है मेरी अश्वि को, वो ऐसे चुपचाप कैसे आ गई, उसका चेहरा भी कुछ अलग लग रहा है, कल से अखंड भी घर में नहीं आए, हो सकता है कोई जरूरी काम है फंसे हो, और ऐसे में मैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं कर सकती।"
"तेजस और तरुण को भी उन्होंने किसी काम से बाहर भेज दिया है, वरना वो लोग पता लगा लेते की क्या हुआ है अब मैं क्या करूं, अब तो मुझे अश्वि से ही पता चलेगा।"
"उसने भी कहा है कि जब तक वो खुद नहीं उठेगी तब तक कोई उसे ना उठाए, मुझे मेरी बच्ची की नींद पूरी होने का वेट करना होगा।"
अभी सुमन के पास भी कोई रास्ता नहीं बचता जिस वजह से वो भी चुपचाप बैठी हुई थी।
शाम के समय
अब तो शाम हो चुकी थी और अश्वि अब तक उसके रूम से बाहर नहीं आई थी, जिस वजह से सुमन का दिल घबरा रहा था।
अश्वि ने लंच भी नहीं किया था और जब सुमन ने एक बार अश्वि के डोर पर नॉक करके देखा की अश्वि उठ चुकी है या नहीं तभी अश्वि ने अंदर से कोई रिस्पांस नहीं दिया, जिससे सुमन समझ गई थी,कि अश्वि अभी भी सोई हुई है और उसके बाद सुमन ने उसको डिस्टर्ब नहीं किया।
अभी सुमन को डर लग रहा था, क्योंकि पूरे 6 से 7 घंटे से अश्वि रूम में थी और बाहर भी नहीं आई थी।
अखंड जब घर के अंदर आया और अखंड को देखते ही सुमन का दिल डर की वजह से और जोरो से धड़कने लगा अखंड ने सुमन की चेहरे पर मौजूद डर को भी देख लिया था और वैसे भी उसे लोगों के चेहरे पढ़ने आते थे, जिसमे वो बहुत ही माहिर हो चुका था।
अखंड ने पूरे हॉल में अपनी चील जैसी तेज नजरों को घुमाया है और फिर उसने अपनी बेहद ही सर्द आवाज में सुमन से पूछा, " अश्वी कहां है? "
अखंड का सवाल सुनते ही सुमन ने उसे बताया, " अखंड अश्वि:नीचे नहीं आई है, स्कूल से आते हैं उसने मुझसे कहा कि वो थक चुकी है और उसे सोना है, तो जब तक वो खुद से नहीं उठेगी तब तक मैं उसे डिस्टर्ब ना करूं। "
इस पर अखंड ने अपने गुस्से भरी आवाज में उससे पूछा, " मतलब वो अभी तक सो रही है, अभी उठाता हूं उसे, बहुत सर पर चढ़ गई है ये लड़की। "
इसी के साथ अखंड ऊपर उसके रूम में जाता है, उधर सुमन भी भगवान से प्रार्थना करने लगती हैं की अखंड उसका गुस्सा अश्वि के ऊपर ना निकाले।
सुमन अखंड के पीछे जाना तो चाहती थी, पर उसकी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो उसके पीछे जा सके , इसी वजह से वो नीचे खड़ी हुई थी और ऊपर अखंड अश्वि के रूम की तरफ देख रही थी।
अश्वि ने दरवाजा अंदर से बंद कर रखा था जिसकी वजह से अखंड दरवाजा खोल नहीं पा रहा था।
अखंड है उसके रूम की मास्टर की (key) से दरवाजा खोला और अंदर चला गया अंदर आते ही अखंड ने देखा की अश्वि बेड पर अभी भी सोई हुई थी और वो एक ब्लैंकेट से कवर थी।
अश्वि को सोते हुए देखकर अखंड भड़कते हुए उससे बोला, " अश्वि ये सोने का वक्त नहीं है और आप इतनी देर तक कैसे सो गए, आज फिर से पनिशमेंट चाहिए क्या आपको उठिए ? "
अखंड अश्वि पर चिल्लाया जिसे सुनते ही अब तक अश्वि को उठ जाना चाहिए था, पर उठना तो दूर वो एक इंच भी नहीं हिली थी।
अश्वि को इतनी गहरी नींद में सोता हुआ देखकर अखंड पूरी तरह से डेविल बन चुका था, क्योंकि अश्वि ने अखंड की बात नहीं सुनी और अखंड को बहुत ज्यादा गुस्सा आता था, जब कोई उसकी बातों को नहीं सुनता था या उसका आर्डर फॉलो नहीं करता था।
उस पर अखंड को अश्विका से बहुत ज्यादा ही एक्सपेक्टेशन थे और वो चाहता था कि अश्विका उसकी हर वो बात माने जो अखंड के मुंह से निकलती थी।
अखंड की आंखें गुस्से से लाल हो चुकी थी और अश्विका पर चिल्लाते हुए उससे बोला, "आपको मेरी बात सुनाई नहीं दे रही है अश्वि मैंने कहा मुझे और ज्यादा गुस्सा मत दिलाइये, वरना कल से ज्यादा मार खाओगे आज आप। "
अखंड अश्विका पर इतनी जोर से चिल्लाया था,कि अश्वि की जगह अगर कोई मुर्दा भी सो रहा होता तो वो भी अखंड की डर की वजह से उठ जाता पर अश्विका अभी भी नहीं उठी।
अश्वि तो अखंड की गुस्से भरी आवाज सुनकर भी डर की वजह से कांपने लग जाती थी, पर इस वक्त अखंड उस पर चिल्ला रहा था फिर भी अश्वि को उससे कोई डर नहीं लग रहा था और ना ही वो अपनी नींद से उठ रही थी।
अखंड का दिमाग सच में बहुत खराब हो चुका था, तभी उसने अश्वि के ऊपर से ब्लैंकेट को उठाकर उसकी बॉडी पर से अलग किया, और अश्वि को उठाने के लिए गुस्से में अश्वि का हाथ पकड़ा।
जैसे ही अखंड अश्विका का हाथ पकड़ा वैसे ही अखंड की सांस उसके गले में ही अटक गई और उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई।
अखंड ने अश्वि का हाथ छोड़ा, फिर उसके माथे पर अपना हाथ रखा जो अभी किसी आंख की भट्टी की तरह तप रहा था, अश्वि को बहुत ही तेज फीवर था और ये बात घर में किसी को भी पता नहीं थी।
अखंड ने छट से अश्वि के पास बैठा उसने अश्वि को सर ऊपर की तरफ उठाया जिसकी वजह से अश्विका का सर अभी अखंड के सीने से बिल्कुल पास में था।
अखंड का दिल अभी सौ गुना तेजी से धड़क रहा था।
अखंड अश्वि के गालो को थपथपाते हुए अपनी चिंता भरी आवाज में उससे बोला, "अश्वि आंखें खोलो बच्चा, सुपर हीरो आपसे सॉरी बोल रहे हैं, प्लीज आंखें खोलिए।"
अखंड ने अश्वि को उठाने के लिए बहुत कोशिश की, पर अभी अश्वि ने एक बार भी अपनी पलके तक नहीं झपकाई जिसे देखकर अखंड समझ चुका था की अश्वि बेहोश हैं।
अखंड ने अश्वि को अपने एक हाथ से संभालते हुए अपने दूसरे हाथ से उसका फोन निकाला और उस पर युग का नंबर डायल किया।
अखंड ने अपना फोन स्पीकर पर रखा हुआ था और जब युग ने उसकी तरफ से अखंड का कॉल रिसीव किया, तभी अखंड ने अपनी इमोशनलेस और डरावनी आवाज में युग से बोला, "युग मुझे अभी के अभी पैलेस में शिमला की बेस्ट डॉक्टर की टीम चाहिए और तुम्हारे पास इसके लिए सिर्फ 5 मिनट है 5 मिनट से ज्यादा एक सेकंड भी ज्यादा लिया, तो मैं डॉक्टर के साथ ही तुम्हें भी गायब करवा दूंगा।"
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दोस्तों, आज का चैप्टर आपको कैसा लगा? अपनी राय कमेंट में ज़रूर बताइए, आपके कमेंट्स हमें और बेहतर लिखने की प्रेरणा देते हैं। आपकी प्रतिक्रिया हमें आगे की कहानी को और रोचक बनाने में मदद करती है, इसलिए जुड़े रहिए और आगे के रोमांचक मोड़ जानने के लिए पढ़ते रहिए।
तब तक के लिए शुभ रात्रि! 🙏
अब आगे
इसी के साथ अखंड ने अपना फोन काट दिया और अश्वि की तरफ देखा, जो बुखार से जलते हुए पूरी तरह बेहोश थी। अखंड को अचानक कुछ याद आया और उसने अश्वि को धीरे-धीरे उसके पेट के बल सुला दिया। फिर सबसे पहले उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और अश्वि का बैक चेक किया, जिसे देखकर उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं।
अश्वि की पीठ पूरी तरह से लाल हो चुकी थी और उस पर रेसेस दिखाई दे रहे थे, जो देखने में बेहद दर्दनाक लग रहे थे। अखंड को ये देखकर बहुत दुख हुआ, और उसे ये सोचकर अंदाजा हुआ कि अश्वि को कितनी तकलीफ हो रही होगी।
अखंड ने फर्स्ट ऐड बॉक्स से एक मलहम निकाला और उसे धीरे-धीरे अश्वि के शरीर पर लगाया। जैसे ही उसने उसे आराम से सुलाया, तभी अचानक उसके अक्स सामने आकर खड़ा हो गया। उसे देख कर अखंड की आँखें बस उस पर ही स्थिर हो गईं।
अखंड का अक्स उसे देखते हुए बोला, "तू मुझे ऐसे क्यों देख रहा है? मैं तेरी ही अंतरात्मा हूं, जो तुझे तेरी गलती का अहसास कराने आया हूं।"
अखंड ने उसकी तरफ देखते हुए जवाब दिया, "कैसी गलती? मैंने कोई गलती नहीं की है, और मैं कभी कोई गलती नहीं करता हूं।"
अखंड का अक्स ठंडी आवाज में बोला, "यही तो तेरी सबसे बड़ी गलती है, अखंड। तू कभी अपनी गलतियों को मानता ही नहीं है। तेरा यही घमंड तुझे सही और गलत के बीच का फर्क करना भुला चुका है। अगर तूने अपनी ये आदत नहीं छोड़ी, तो एक दिन बहुत पछताएगा। तू अनजाने में और बिना किसी वजह के इस मासूम बच्ची को बहुत तकलीफ दे रहा है।"
"कल तूने इसे कितना ज्यादा सजा दी थी कि आज इसकी हालत इतनी खराब हो गई है। मैं तुझसे कह रहा हूं, अभी भी वक्त है, संभल जा। इस बच्ची के साथ इतनी सख्ती मत कर, अखंड। एक बार के लिए दुनिया तेरी रूखेपन को सह सकती है, लेकिन ये मासूम बच्ची नहीं। तू इसे तकलीफ दे रहा है, और ये तू बहुत अच्छे से जानता है। फिर क्यों कर रहा है इसके साथ ऐसा?"
अखंड की अंतरात्मा की बातें सुनकर उसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें उभर आईं। उसने अक्स को गुस्से में देखते हुए कहा, "मुझे ये सब सिखाने वाला तू होता कौन है? ये मेरी बच्ची है, और इसके साथ मैं जैसा चाहूं वैसा करूंगा। कोई मुझे ये बताने वाला नहीं है कि मुझे इसके साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए। इसकी जिंदगी के हर फैसले का हक सिर्फ मेरा है, और मैं ही तय करूंगा कि इसे क्या करना चाहिए, कब और कैसे।"
अखंड के जवाब को सुनकर अक्स ने एक नजर बेड पर पड़ी उस मासूम बच्ची की तरफ डाली, जो अभी भी बेहोशी में थी। फिर गंभीर स्वर में बोला, "अखंड, अपनी मनमानी छोड़ दे। ये बच्ची है, तेरा खिलौना नहीं, जिसे तू जब चाहे जैसा चाहे वैसा करेगा। इसे तकलीफ मत दे, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब तू अपनी जिद और अहंकार की वजह से इसे हमेशा के लिए खो देगा। तेरी इस रूखी प्रवृत्ति ने पहले ही इसके दिल में तेरे लिए डर बैठा दिया है। अगर यही चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब ये तुझसे दूर हो जाएगी और तुझे इसे एक झलक देखने के लिए तरसना पड़ेगा।"
अखंड अपनी अंतरात्मा की बातें सुनकर चुपचाप खड़ा रहा, लेकिन उसके चेहरे से साफ था कि इन बातों का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था।
इस पर अक्स ने फिर से सवाल किया, "तू जैसे अपने दुश्मनों से पेश आता है, क्या वैसे ही इसे भी मिटाना चाहता है?"
ये सुनते ही अखंड का गुस्सा भड़क उठा। उसने अक्स को घूरते हुए कहा, "बेकार की बातें मत कर! ये मेरी अश्वि है, जिसे मैं अपनी जान से ज्यादा प्यार करता हूं।"
अखंड की बात पूरी होने से पहले ही अक्स उसकी तरफ देखकर व्यंग्य भरी आवाज में बोला, "हां, तू इसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करता है, और यही प्यार इसे इस हालत में ले आया है। लगता है, ये बच्ची भी तेरे लिए अपनी प्यास बुझाने का जरिया बन चुकी है, जिसे तू अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा।"
अखंड ने अपनी सबसे ऊँची और गुस्से से भरी आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा,"अगर मेरी अश्वि के खिलाफ एक शब्द भी अपने मुंह से निकाला तो यहीं पर तुझे खत्म कर दूंगा! वो लड़कियां जो अखंड कपूर के पैरों की धूल भी डिजर्व नहीं करतीं, उनके साथ मेरी अश्वि की तुलना करने की भूल भी मत करना। वो मेरी जिंदगी है, मेरी जान है! अगर तूने अब एक पल भी यहां खड़े रहने की जुर्रत की तो मैं तुझे वहीं का वहीं खत्म कर दूंगा... निकल जा यहां से!"
अचानक दरवाजे पर तेज़ नॉक की आवाज़ आई, जिसने अखंड को उसकी गुस्से की दुनिया से बाहर खींच लिया। उसने चारों ओर नज़र दौड़ाई, लेकिन उसका अक्स अब कहीं नहीं था। एक गहरी सांस लेते हुए, अखंड की नजर बेड पर पड़ी अश्वि पर गई, जो अभी भी बेहोश थी। वह धीरे से उसके पास गया, उसके तपते माथे को चूमा और फुसफुसाया,"तुम्हें कुछ नहीं होगा, अश्वि... मैं हूं न तुम्हारे साथ।"
इसके बाद अखंड दरवाजे की ओर बढ़ा, जहां लगातार नॉक हो रही थी। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, सामने युग खड़ा था, और उसके साथ बेस्ट डॉक्टरों की एक टीम भी थी। अखंड की नजरें अपने ऊपर महसूस करते ही युग ने घबराहट में माथे पर आया पसीना पोंछा और हकलाते हुए बोला,"सर, आपने कहा था कि मैं पांच मिनट में बेस्ट डॉक्टर लेकर पहुंचूं... सो, मैं आ गया।"
अखंड ने अपनी ठंडी और गंभीर आवाज़ में कहा,"अंदर आओ।"
डॉक्टरों की टीम धीरे-धीरे अंदर आई, लेकिन उनकी घबराहट साफ झलक रही थी। पैलेस के अंदर कदम रखते ही उन्हें ऐसा अहसास हो रहा था जैसे वे किसी के घर में नहीं, बल्कि किसी शेर की गुफा में प्रवेश कर रहे हों।
जैसे ही डॉक्टर अंदर आए, उनकी नजर बेड पर सोई हुई अश्वि पर पड़ी। युग ने उसे देखा तो वो भी परेशान हो गया। अब उसे समझ में आया कि अखंड ने इतनी अमेरजेंसी में बेस्ट डॉक्टर की टीम को क्यों बुलाया था।
अखंड ने अपनी खाली और गहरी आंखों से डॉक्टरों की ओर देखा और फिर अश्वि की तरफ इशारा करते हुए बेहद खौफनाक आवाज़ में कहा,"यही तुम्हारी पेशेंट है... चेक करो। और एक बात ध्यान रखना, अगर इसे ज़रा सी भी तकलीफ हुई तो अंजाम तुम सबके लिए बहुत बुरा होगा। मुझे अगले 1 घंटे के अंदर बच्ची होश में चाहिए, चाहे उसके लिए तुम्हें कुछ भी करना पड़े... I don’t care!"
अखंड की धमकी सुनते ही डॉक्टरों के चेहरे पर पसीने की बूंदें छलक आईं। उन्हें पता था, कि अगर उन्होंने ज़रा भी गलती की तो अखंड के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा। किसी अनहोनी के डर से उन्होंने जल्दी-जल्दी अश्वि की जांच शुरू कर दी।
अखंड वहीं खड़ा सब कुछ देख रहा था, उसकी आंखों में चिंता और बेचैनी साफ झलक रही थी। तभी युग भी वहां आ गया।
अखंड और युग, दोनों ही अश्वि की हालत देखकर बेचैन थे। युग जानता था, कि अखंड अपनी बच्ची के लिए कुछ भी कर सकता है, लेकिन यूज़ ये देख कर दुख हो रहा था कि अश्वि कितनी तकलीफ में तजि और किसी को इसकी खबर तक नहीं थी।
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इसी के साथ आज का भाग यहीं समाप्त होता है।
क्या अखंड अपनी भावनाओं को समझ पाएगा? क्या अश्वि की हालत में सुधार होगा, या किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा है?
आगे की कहानी में और भी रोमांचक मोड़ आने वाले हैं, तो जुड़े रहिए हमारे साथ।
आपके विचार हमारे लिए बेहद खास हैं।
कमेंट करके बताइए कि आपको आज का भाग कैसा लगा।
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएँ हमें बेहतर लिखने की प्रेरणा देती हैं।
जल्द मिलते हैं अगले भाग में, तब तक के लिए शुभ रात्रि।🙏🙏
अब आगे
उन डॉक्टर की टीम में से जो सीनियर डॉक्टर थे, वो अखंड की तरफ आकर बोले मिस्टर कपूर मैम अभी पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है, लगता है उन्होंने कल शाम से कुछ नहीं खाया है और अभी देखीए पूरे 24 घंटे हो चुके हैं, ऐसे में उनकी बॉडी में एनर्जी के लिए हमें उन्हें ग्लूकोस चढ़ाना होगा। "
अखंड ने डॉक्टर की तरफ देखकर शॉक होते हुए पूछा, " ग्लूकोस मतलब ड्रिप? "
उन्होंने बस अपना सर हां में हिलाया।
अभी अखंड का दिल जोरो से धड़क रहा था। क्योंकि उसकी अश्वि नॉर्मल इंजेक्शन से भी डरती थी, वो तो अखंड को उसे अपनी गोद में पड़कर बैठना पड़ता था, तभी जाकर उसे इंजेक्शन लग पाते थे ।
यहां डॉक्टर उसे ड्रिप लगाने की बात कर रहे थे, जिससे अश्वि को काफी दर्द होने वाला था।
अखंड ने अश्वि की तरफ देख रहा था जिसका पूरा चेहरा पीला पड़ चुका था और उस पर भी हल्की सूजन भी थी।
तभी अखंड ने अपनी आंखें बंद की और अपनी आंखें खोलकर एक लंबी सांस लेते हुए बोला, "ठीक है। "
अखंड की परमिशन मिलते ही सीनियर डॉक्टर कुछ दो डॉक्टर के साथ मिलकर अश्वि को ड्रिप लगाने के लिए तैयारी में जुट चुके थे।
वहीं अखंड अश्वि के पास आकर बैठ गया था और उसका हाथ पकड़ते हुए उसके हाथ को चुम लिया।
सीनियर डॉक्टर ने अश्वी का दूसरा हाथ पकड़ा और दूसरे डॉक्टर ने अश्वी के हाथ को साफ किया और जब उन्होंने अश्वी के हाथ में नीडल इंसर्ट की तभी अखंड ने अपने एक हाथ से तो अश्वि का हाथ पकड़ा था, पर उसने अपने दूसरे हाथ की मुट्ठी बनाकर उसे कसके भींच लिया था।
2 घंटे बाद
अभी अश्वि के हाथ में लगी हुई ड्रिप निकल चुकी थी और डॉक्टरों की टीम भी वहां से जा चुकी थी, युग अभी भी वहीं खड़ा हुआ था, अखंड अभी अश्वि के पास बैठा हुआ था और उसके माथे पर ठंडे पानी की पट्टीयां रख रहा था।
अश्वि को अभी तक होश नहीं आया था। जिस वजह से अखंड की जान उसके गले में फंसी हुई थी।
वैसे अखंड अभी अश्विका के माथे पर पट्टियां तो रख रहा था,पर उसके दिमाग में वही सब बातें घूम रही थी, जो डॉक्टर के आने से पहले उसके अक्स ने उससे कही थी।
अखंड ने अश्वि की तरफ देखते हुए अपने आप से पूछा, "क्या मैं सच में अश्वी के साथ बहुत शक्ति से पेश आता हूं,कल मैंने कुछ ज्यादा ही पनिशमेंट दे दी थी क्या ? जिसकी वजह से ये अभी इस हालत में हैं, क्या मुझे ये सब कुछ रोक देना चाहिए ?नहीं अगर मैंने अश्वि पर शक्ति नहीं दिखाई तो इसे बस यही लगेगा कि सुपर हीरो इसे इसकी गलती के लिए सजा नहीं देते और ये गलतियां करेगी,जो मैं नहीं चाहता हूं, मुझे मेरी अश्वि को बहुत ज्यादा लाड प्यार दिखा कर बिगड़ना नहीं चाहिए, वरना ये उसका गलत फायदा उठाएगी, वैसे भी मुझे पता है कि मैं मेरी अश्वि को दिल से कितना प्यार करता हूँ, उसके लिए मुझे ये जताने की जरूरत नहीं है। यस, मैं जो भी करता हूं वो सही होता है और मुझे अपने आप को चेंज करने की कोई भी जरूरत नहीं है। "
अभी अखंड उसके ख्यालों में ही गुम था। वही युग और सुमन एक जगह पर खड़े होकर बस अश्वि की तरफ ही देख रहे थे।
तभी अखंड के कानों में एक आवाज पड़ी जिसने उसे उसकी दुनिया से बाहर लाया
"सुपर हीरो। " ये आवाज़ सुनते ही अखंड ने अश्वी की तरफ देखा जो अभी कसमसा रही थी।
अश्वि को नींद में ही कसमसाते हुए देखकर अखंड ने उसे अपने सीने से लगाया और उसके माथे को चूमते हुए बोला, " अश्वि आप ठीक हो ना और सुपर हीरो के पास ही हो, आप एक बार अपनी आंखें खोल कर देखो तो सही में यहीं पर हूं। "
अखंड को अपने पास महसूस करते ही अश्वि अखंड के गले लग गई और उसे खुद से चिपकाते हुए देखकर अखंड ने युग और सुमन की तरफ देखा।
वहीं पर वो दोनों अश्वि और अखंड को रूम में अकेला छोड़कर वहां से चले गए थे। उन दोनों के जाते ही अखंड अश्वि के पास लेटा और उसने उसे अपने ऊपर सुला दिया।
वैसे अश्वि ने अभी तक उसकी आंखें नहीं खोली थी, पर वो अभी भी कसमसा रही थी। अखंड ने अश्वि के मुंह से निकले हुए कुछ शब्द सुने जो अश्वि अपनी रूवासी आवाज में बोली, " सुपर हीरो दर्द। "
अखंड जानता था, की अश्वि किस बारे में बात कर रही थी, तभी अखंड ने उन दोनों को एक पतली चादर से कवर किया, फिर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को धीरे-धीरे सहलाने लगा।
अखंड अश्वि के सॉफ्ट गालों को चूमने लगा और साथ ही उसके हाथ अश्वि की पीठ पर ही चल रहे थे।
अश्वि का दर्द कुछ कम हुआ, तभी अखंड अश्वि की तरफ देखा और उसके गालों को अपने अंगूठे से सहलाते हुए अपनी वही प्लेन आवाज में बोला," आप ऐसी हरकतें करते क्यों हो अश्वि,जिससे मुझे आपके ऊपर गुस्सा आता है और मैं आपको पनिशमेंट देने के लिए मजबूर हो जाता हूं, आपको पनिश करने से जितना दर्द आपको होता है, उससे कहीं ज्यादा मुझे होता है। वैसे आपको इससे क्या? क्योंकि आपको तो सिर्फ अपनी मन की ही करनी होती है, मेरी बात आपके दिमाग में कहां घुसती
है। "
अखंड ने पहले तो अपनी नॉर्मल आवाज में अश्वी से बात की पर जब तक अखंड ने अपनी पूरी बात की तब तक उसकी आवाज सर्द हो चुकी थी और उसके साथ अब वो अश्वि पर चिल्ला भी रहा था।
अखंड को खुद पर यूं चिल्लाते हुए देखकर अश्विका को अंदर से बहुत बुरा लग रहा था, तेज बुखार की वजह से उसकी पूरी बॉडी कमजोर हो चुकी थी।
अश्विका के बीमार होने के बावजूद भी अखंड अश्वि के ऊपर गुस्सा कर रहा था और ये देखकर अश्विका को अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था।
तभी अश्वि अखंड के ऊपर से उठने लगी पर अखंड ने अश्वि की कमर को पकड़ते हुए उससे पूछा कहां जा रही हैं आप, क्या अभी भी आपकी कोई शरारत करने बाकी रह गई है जिसे आपको पूरी करना है? "
अखंड का सवाल सुनकर अश्वि ने अपना सर ना में हिलाया और फिर अपनी दबी हुई आवाज उससे बोली,"नहीं मैं बाथरूम जा रही हूं।"
अखंड ने सिर्फ, " ठीक है "कहा जिसे सुनकर अश्वि की आंखों में आंसू बहने लगे पर उसने छट से अपने आंसू पोछ लिए।
अश्वि बेड पर से नीचे आयी, और नीचे रखी हुई अपनी स्लीपर पहनकर वॉशरूम की तरफ चली गई।
अश्वि वॉशरूम में जा ही रही थी, तभी अखंड का फोन बजने लगा, जिस वजह से अश्वि ने पीछे मुड़कर अखंड की तरफ देखा तभी अखंड एक नज़र अश्वि के तरफ देखा और फिर अपना फोन उठा कर वो बालकनी की तरफ चला गया।
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तो आज के एपिसोड को यहीं विराम देते हैं। आगे की कहानी के नए मोड़ और रोमांचक घटनाओं के साथ हम कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभ रात्रि।🙏😊
अब आगे
अखंड को बालकनी में जाता हुआ देखकर अश्वि की आंखों से आंसू बहने लगे थे और वो भी वॉशरूम के अंदर चली गई।
वाशरूम में आते ही अश्वि वहीं जमीन पर बैठकर रोने लगी और साथ ही साथ उसने अपने मन में सोचा, "नहीं ये मेरे सुपर हीरो नहीं है,वो मेरे साथ इतने रूड बिहेव नहीं करते थे, यहां मैं बीमार हूं, पर उन्हें मुझ पर इतना गुस्सा बरसाना है, मुझे तो लगता है, वो अभी मुझसे प्यार ही नहीं करते, क्या मैं उनके लिए मुसीबत हूं,उनके सर पर बोज हूं, नहीं अब से मैं उन्हें किसी भी चीज के लिए तंग नहीं करूंगी, मैं अपने काम खुद से करूंगी, कोशिश करूंगी उनसे जितना हो सके उतना दूर रहूं।"
अश्वि कहने को तो सिर्फ 17 की थी,पर उसके पास भी आंखें और दिमाग तो थे, जिससे वो अपने लिए रूड बिहेवियर को देख और समझ सकती थी।
आश्वी के पास अखंड के अलावा कोई भी नहीं था और इसी वजह से वो अपनी आस उससे ही लगती थी, पर अभी अखंड भी उस पर चिल्लाता और उससे चिढ़ता रहता था, जो अश्वि को सबसे ज्यादा हर्ट करता था।
अश्वि के नन्हे से दिमाग में कुछ आया और वो खुद से ही बोली, "पर मैं उनसे दूर क्यों रहूं, मैं सुपर हीरो के सिर पर बोझ हूं तो अभी मैं खुलेआम उनके सिर पर ताता थैया करूंगी, अगर वो अखंड कपूर हैं तो मैं भी अश्वि अखंड कपूर हूँ।"
" बहुत हो गया उनके सामने भीगी बिल्ली बनकर रहना, अभी तो मैं जंगली बिल्ली बनूंगी,मुझे मेरे चॉकलेट की कसम,अगर उन्हें मेरे पहले जैसा नहीं बना दिया तो मैं भी अपनी चॉकलेट को हाथ नहीं लगाऊंगी।"
अभी अश्विका अपने फुल फॉर्म में आ चुकी थी,उस पर अश्वि का शैतानी दिमाग अभी पूरी तरीके से रिजरनेट (शैतानी दिमाग़ फिर से चालू हो गया था) होने लगा था।
अश्वि वाशरूम से बाहर आई,उसने देखा की अखंड अभी बेड के किनारे पर बैठकर उसके फोन में कुछ देख रहा था, अखंड को देखकर अश्वि के दिमाग में एक शरारत आयी, वो धीरे-धीरे अखंड की तरफ बढ़ने लगी।
अश्वि अखंड के पास आई और फिर उसने अखंड के दोनों हाथों को खोला, जिसे देखते हुए अखंड ने अपनी सर्द आवाज में पूछा, "अश्वि ये क्या कर रहे हो आप और आपको दिख नहीं रहा कि मैं अभी काम कर रहा हूं?"
अश्वि अखंड की बात काटते हुए बोली, "नहीं मुझे नहीं दिख रहा सुपर हीरो, क्योंकि मैं नींद में हूं ना इसलिए। "
इसी के साथ अश्वि अखंड की गोद में जाकर बैठ गई और उसने अपने दोनों पैरों को अखंड की कमर पर लपेट दिए, अभी अश्वि अखंड की तरफ फेस करके बैठी हुई थी।
अश्वि ने अखंड को सबसे पहले अपने भोली भाली शक्ल दिखाइ और फिर उसने उसके सीने पर अपना सर रखते हुए बोली, "अभी आप करो आपको जो करना है, पर मैं यहां से नहीं उठूंगी, वैसे भी ये मेरी जगह है और आप भी मुझे यहां से नहीं उठा सकते हो सुपर हीराे।"
अश्वि की बात सुनकर अखंड की भौहें सिकुड़ गई और वो अश्वि की तरफ देखते हुए ही सोचने लगा, "इसे क्या हो गया है ये मेरी भीगी बिल्ली से जंगली बिल्ली कहां से बन गई और मैडम मुझ पर अपना हुकुम भी चला रही है, वैसे इसका हक है मुझ पर, फिर भी मैंने अगर इसे ढील दि तो ये मेरे हाथ से निकल जाएगी, ये पहले से ही बहुत शरारती है और मुझे इसे और ज्यादा नहीं बिगाड़ना हैं । "
अखंड ने अश्वि की तरफ देखा जो अभी अखंड की शर्ट की बटनों को एक-एक करके खोल रही थी।
अश्वि की ये हरकत देखकर अखंड ने अश्वि का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी सर्द नज़रो से घूरते ही पूछा, "ये क्या कर रहे हो आप और मेरे शर्ट की बटन क्यों खोल रहे हो?"
अखंड का सवाल सुनकर अश्वि अखंड के चेहरे की तरफ देखने लगी और फिर वो अपना प्यारा सा पाउट बनाते हुए बोली, "मुझे आपका वाला टैटू देखना है, जो आपने अश्विका के नाम का अपने सीने पर बनाया है और आपने मुझे ऐसा क्यों बोला? आप मुझे खुद अपने सीने पर सुलाते हो, तभी तो आप ये शर्ट भी नहीं पहनते हो, आपको तो बस मुझे डाटने का मुझ पर गुस्सा करने का मौका चाहिए होता है,आप बहुत बुरे हो सुपर हीरो बहुत बुरे हो। "
अश्वि की ये बात सुनकर अखंड बहुत धीरे से अश्वि की कमर को पकड़ते हुए अपनी गहरी आवाज में बोला, "अगर सुपर हीरो इतने ही बुरे हैं, तो आप सुपर हीरो के पास क्यों आते हो?अश्वि आप सुपर हीरो से दूर रहा करो, क्योंकि वो सच में बहुत बुरे हैं, एक रियल क्रुएल मॉन्स्टर है। "
अखंड कि इस बात पर अश्वि अपनी प्यारी नीली आइज को मटकाते हुए बोली, " आई डोंट केयर सुपरहीरो और मैं आपसे कभी भी दूर नहीं जाऊंगी, आप मुझे दूर करोगे तब भी नहीं। "
अश्वि की बात सुनकर अखंड बस एकटक अश्वि की तरफ देखने लगा।
तभी अखंड की नजर अश्वि के गुलाब की पंखुड़ी की तरह नेचुरल गुलाबी लिप्स पर पड़ी और अखंड ने अश्वि के लिप्स पर किस कर लिया।
अश्वि बस अखंड की तरफ ही देख रही थी, तभी उसे फिर से टेटू की याद आ गई और वो अपना अधूरा छोड़ा हुआ काम पूरा करने लगी, अखंड की शर्ट के बटन खोलकर।
इस बार अखंड ने भी अश्वि की तरफ देखने लगा,जो अभी अपने छोटे-छोटे हाथों से अखंड की शर्ट की बटन को खोलने की कोशिश कर रही थी।
रात के समय
अखंड बेड पर उसकी पीठ के बल सोया हुआ था और अश्वि अखंड के सीने पर सोई थी।
अखंड के लेफ्ट चेस्ट पर अश्वि के नाम का टैटू बना हुआ था, जो उसके शर्टलेस सोने की वजह से दिखाई दे रहा था, वैसे अखंड की पीठ पर एक डेविल का टैटू बना हुआ था, जो दिखने में बहुत ज्यादा डरावना लगता था।
वो दोनों चैन से सौ रहे होते हैं, पर तभी अखंड का फोन बनने लगा, जिस वजह से अखंड अपनी नींद से उठा, उस फ़ोन की वजह से अश्वि की नींद टूटने लगी और वो भी कसमसाने लगी।
अश्वि को देखते ही अखंड ने अपना फ़ोन को साइलेंट किया और अश्वि के बालों को सहलाते हुए बोला, "सो जाइए अश्वि, सुपर हीरो यही पर हैं।"
इसपर अश्वि ने अखंड को टाइटली गले लगाया और आराम से सो गई।
अखंड ने भी अपने एक हाथ से उसका फोन उठाया जो बार-बार रिंग कर रहा था।
अखंड ने फोन उठाया तभी आगे से एक आदमी बोला, "बॉस, वो सिन्हा जगह खाली नहीं कर रहा हैं, तो अभी उसका क्या करना हैं?"
इसपर अखंड ने अपनी गहरी और भयानक आवाज़ में उससे पूछा, "तुमने उसे ऑफर दिया था?"
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आज की कहानी यहीं समाप्त होती है, लेकिन आगे और भी दिलचस्प मोड़ आपका इंतजार कर रहे हैं। जुड़े रहिए, अगली कड़ी में फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभ रात्रि!🙏🙏
अब आगे
अखंड ने अपनी गहरी और डरावनी आवाज में उससे पूछा,"तुमने उसे ऑफर दिया था? "
इस पर वो आदमी आगे बोला, " हां बॉस हमने सब रास्ते अपनाए पर वो नहीं
माना। "
अखंड अपनी सर्द आवाज में उससे बोला, "मार दो, इतने ऑफर देने के बाद भी अगर वो नहीं माना, तो मार दो उसे क्योंकि मुझे वो जगह किसी भी कीमत पर चाहिए।"
आगे से वो आदमी बोला, " ठीक हैं बॉस आपका काम हो जाएगा। "
अखंड सोई हुई अश्वि के बालों पर किस करते हुए बोला, " और मेरी एक बात ध्यान से सुनो की अब से रात में जब भी तुम्हें मुझे कॉल करना हो,तभी कॉल नहीं सिर्फ मैसेज भेजोगे, अगर तुम्हारी वजह से मेरी अश्वि की नींद खराब हुई तो मैं तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा समझे? "
अखंड की इतनी डरावनी धमकी सुनकर उस आदमी के पसीने छूटने लगे और वो अपनी डरी सहमी आवाज में बोला, "समझ गया बॉस आगे से मैं ध्यान रखूँगा कि मेरी वजह से प्रिंसेस की नींद ना खराब हो। "
इसपर अखंड में सिर्फ "हम्म "में जवाब देकर फोन रख दिया।
अखंड ने एक नजर अश्वि की तरफ देखा जो अखंड की बाहों में चैन से सो रही थी, अखंड कुछ देर तक अश्वि को देखने लगा फिर वो भी सो गया।
अगली सुबह
आज संडे था जिस कारण अश्वि की छुट्टी थी और अखंड के पास भी टाइम था।
अखंड अभी उसके जिम में एक्सरसाइज कर रहा था।वही अश्वि अभी सोई हुई थी।
एक घंटे बाद अखंड रूम में आया और उसने देखा अश्वि अभी तक सो रही है।
अश्वि को देखते ही अखंड उसके पास आया और उसके गालों पर हल्के से थपथपाते हुए अपनी प्लेन आवाज में बोला, " अश्वि उठी देखिए 8:00 बज रहे हैं और आप अभी तक सो रहे हो,चलो गेटअप। "
इस पर अश्वि बिना अपनी आंखें खोले अपनी रोनी सी शक्ल बनाते हुए बोली, "नहीं मुझे सोने दो और आज स्कूल की छुट्टी है।" इतना कहकर अश्वि पेट के बल पलट कर सो गई।
वहीं जब अखंड ने अश्वी को देखा तब वो अपने आप से ही बुदबुदाया "ये जिद्दी है, ये ऐसे नहीं उठेगी।"
अखंड ने अश्वि के ऊपर से ब्लैंकेट को हटाया फिर धीरे से अश्वि के एक हाथ को पकड़ते हुए उसे फिर से उसकी पीठ पर लिटाया।
इसी वजह से अश्वी का टॉप पूरा ऊपर की तरफ हो गया था और अश्वि के सीने के पास जो छोटा सा निशान (बर्थ मार्क) था वो अखंड को दिखने लगा।
ये निशान अश्वि के जन्म से था, जिसे देखकर कभी-कभी अखंड भी परेशान हो जाता था, उस निशान को देखकर अखंड ने उसे अपने अंगूठी से सहलाया और फिर वहां किस कर लिया।
अखंड ने अश्वि के टॉप को ठीक किया और अखंड ने अश्वि के दोनों बाजू को पकड़कर उसे अपनी बाहों में उठा लिया।
अश्वि अभी नींद में थी, पर वो ये महसूस कर पा रही थी, की अखंड ने उसे अपनी गोद में उठा रखा है।
अश्वि ने भी अपने दोनों पैरों को अखंड की कमर पर लपेट दिया और अपने हाथों को उसके गले में डालते हुए उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपा लिया।
अखंड अश्वि को लेकर वॉशरूम आया और उसने अश्वि को सिंक के पास बिठा दिया, जैसे ही अखंड अश्वि के पास से हटा, अश्वि अपना मुंह बनाते हुए रोने लगी।
अश्वि की ये नौटंकी देखकर अखंड के हाव भाव बदलने लगे थे, पर उसे सुबह-सुबह अश्वि को डांटना नहीं चाहता था।
इसी वजह से अखंड ने अश्वि को गले लगाया और अपनी हल्की सॉफ्ट आवाज अश्वि से बोला, "आपको आज उठना नहीं है?"
इस पर अश्वि ने बस ना ना मैं अपनी गर्दन हिला दी।
अखंड अश्वि के बिखरे बालों का एक ढीला सा जुड़ा बनाते हुए बोला,"आपको अभी स्टडी भी करनी है अश्वि और आपको पता है, मुझे इस मामले में कोई भी लापरवाही नहीं चाहिए, या तो आप उठ जाओ ,नहीं तो फिर मैं आपको शावर के नीचे खड़ा कर दूंगा। "
इस पर अश्वी अपनी नींद भरी आवाज में बोली, "कर दो, उससे मुझे फीवर हो जाएगा और फिर आप रोने लगोगे। "
अश्वि की ये बात सुनते ही अखंड की आंखें बड़ी-बड़ी हो गई और वो अश्वि की तरफ देखते हुए सोचने लगा, "ये क्या मुझ पर नजर रखती है, जो इसे पता चला गया, कि मैं इसे उस तरह देखकर मेरी आंखों में पानी निकलता है, नहीं अखंड तुझे तेरी इस नन्ही शैतान से बचकर ही रहना पड़ेगा। "
अखंड अश्वि की पीठ को सहलाते हुए अपनी सर्द आवाज में बोला, "अश्वि उठिए, आज संडे है और आज मैं आपका टेस्ट लूंगा।"
टेस्ट का नाम सुनते ही अश्वि की नींद उससे दूर भाग गई और वो अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से अखंड की तरफ देखने लगी।
अश्वि अपनी कांपती हुई आवाज में अखंड से बोली, "टेस्ट क्यों ? आज छुट्टी है और आज मुझे घूमने जाना था, नहीं टेस्ट
नहीं। "
अखंड अश्वि के बात को बीच में ही काटते हुए अपनी प्लेन आवाज में उससे बोला, "इस साल आपका घूमना फिरना भूल जाइए अश्वि , क्योंकि इस साल आपके बोर्ड के एग्जाम है और मुझे उसमें आपकी 97% के ऊपर मार्क्स चाहिए।
10th में आपके 91% आए थे। पर इस बार आपको और मेहनत करनी होगी।"
अखंड की ये बात सुनकर बिचारी अश्वि को टेंशन होने लगी, और वो अपने नाखूनों को चाबाते हुए अपने मन में सोचने लगी, "पहले तो 12th का सिलेबस मेरे दिमाग के ऊपर से जाता था, मुझे डाउट है कि मैं बोर्ड में 80% भी लेकर आऊंगी या नहीं, और यहां मेरे सुपर हीरो मुझे 97 %मार्क्स की एक्सपेक्टेशन कर रहे हैं, जो इंपॉसिबल है, इस बार फाइनल रिजल्ट तक मेरी जान निकलना तो पक्की है, भगवान मेरी आत्मा को शांति दे, और सुपर हीरो का थोड़ा दिमाग, पर ये तो उन्हें (भगवान) भी नहीं मानते, पता नहीं मंदिर का नाम सुनते ही इनके पसीने क्यों छूटने लगते हैं, पहले ये ऐसे बिल्कुल भी नहीं ये, पर इन 5 सालों में मेरे सुपर हीरो बहुत बदल गए हैं।"
तभी अश्वि अखंड को अपनी शक भरी नजरों से देखते हुए सोचने लगी, " अभी मुझे सुपर हीरो कम और कोई डेविल ज्यादा लगते हैं, क्या इनके अंदर किसी डेविल की आत्मा घुस गई है? "
बेचारी अश्वि अभी ये सब सोच ही रही थी, तभी अखंड अश्वि की कमर पर पिंच करते हुए अपनी तेज आवाज में बोला, " मिस अश्वि कपूर अगर आपका ये सोचना हो गया हो तो जल्दी से फ्रेश हो जाइए।"
अश्वि अपनी कमर की तरफ देखते हुए बोली, "आपने मुझे पिंच क्यों किया ? देखो पूरा रेड-रेड हो गया है। "
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तो आज के एपिसोड को यहीं विराम देते हैं। आगे की कहानी के नए मोड़ और रोमांचक घटनाओं के साथ हम कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभ रात्रि।🙏
अब आगे
जहाँ अश्वि अपनी ही धुन में बड़बड़ाए जा रही थी, वहीं अखंड के हाथों की नसें उभरने लगी थी, जब अखंड को उसकी बॉडी सख्त होते हुए महसूस हुई तो वो अश्वि की तरफ झुक गया।
अश्वि अभी नीचे ही देख रही थी तो उसका ध्यान अखंड की तरफ नहीं था, अखंड ने झट से अपनी आँखे बंद की और फिर अश्वि की तरफ बिना देखे ही उसके फेस को अपने हाथों में थामा।
जब अखंड ने अश्वि के चेहरे को थामा तो अश्वि की सांसे उसके गले में ही अटक गई, और वो अखंड की तरफ देखते हुए बोली, "सुपर हीरो आपकी बॉडी बहुत हॉट-हॉट हो गई है। "
अश्वि अभी ये सब कह ही रही थी, तभी अचानक से अश्वि की नजर अखंड के हाथों पर पड़ी और उसने ध्यान से देखा तो अखंड के हाथों की नसें बहुत ही ज्यादा उभर कर दिख रही थी और ये बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं था।
अखंड को इस तरह से देखकर अभी अश्वि बहुत ही ज्यादा डर गई थी, इससे पहले अश्वि अखंड से आगे कुछ पूछती, अखंड अश्वि के सॉफ्ट लिप्स को अपने लिप्स में लेकर चूमने लगा था।
अखंड बस अश्वि को चुमें जा रहा था और अश्वि अपनी बड़ी-बड़ी आंखों को झपका कर अखंड को देख रही थी, अश्वि ने उसका हाथ अखंड के सीने पर रख दिया, वैसे भी अखंड अभी शर्ट लेस अपने जिम शॉर्ट में था।
जब अश्वि ने उसके सीने पर हाथ रखा तभी अश्वि को अखंड के दिल की धड़कने बहुत ही ज्यादा तेजी से दौड़ती हुई महसूस हुई।
अखंड की किस गहरी होती गई और वो अश्वि को फ्रेंच किस करने लगा, पर तभी अश्वी को महसूस हुआ कि अभी अखंड की बॉडी का टेंपरेचर (जो पहले किसी लावे की की गर्म था) नॉरमल हो रहा था और उसके हाथों की नशे भी नॉर्मल हो गई थी।
अश्वि को समझ में नहीं आ रहा था कि अखंड के साथ ये हो क्या रहा है,पर अखंड के किस की वजह से अभी अश्वि की सांसे फूलने लगी थी।
अश्वि को यूं झटपटाते हुए देख कर अखंड ने अश्वि की गर्दन को किस करने लगा। अखंड को देखकर अभी ऐसा लग रहा था जैसे कि वो अपने होश में तो बिल्कुल भी है।
इससे पहले अश्वि अखंड को कुछ कहती या फिर उसे रोकती,अखंड ने अश्वि की गले पर एक बाइट कर दिया, जिस वजह से अश्वि के मुंह से दर्द भारी चिख निकल गई जिसे सुनकर अखंड अपने होश में वापस आया।
जब अखंड ने अश्वी की तरफ देखा तभी अश्वि उसे रोते हुए दिखी, और जब अखंड ने अश्वि की तरफ देखा तभी अखंड को अश्वि के गले पर उसके दांतों के निशान दिखे।
उस निशान को देखते ही अखंड की आंखें लाल हो गई और जब उसने वहां छुकर देखा तभी अश्वि के मुंह से एक बार फिर से चिख निकल गई।
अखंड अश्वि को अपनी बाहों में लिया और उसके माथे को चूमते हुए अपनी हल्की नरम आवाज में बोला, "कुछ नहीं हुआ है अश्वि ये ठीक हो जाएगा आप रोइए मत बच्चा।
अश्वि अखंड की बाहों में सुबकते हुए बोली, " मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है सुपर हीरो, आपने मुझे काटा।"
अश्वि की बात सुनकर अखंड अश्वि की गर्दन की तरफ देखते हुए अपने मन में बोला, " मैं आपको ये कैसे बताऊं, कि मुझे अपने आपको ठीक करने के लिए आपकी जरूरत है, मुझे अपने आप को अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए आप में खुद को समाने की जरूरत है, जो मैं अभी नहीं कर सकता, मेरी बीमारी या यूं कहूं तो मेरा श्राप पता नहीं मेरा पीछा कब छोड़ेगा, पर मुझे आपकी जरूरत हमेशा रहेगी, मेरे अंदर के डेविल को आप ही शांत कर सकती हैं, और सिर्फ आप ही काबू में ला सकते हो और यही वजह है जो मैं आपको अपने इतने करीब रखता हूं, पर मेरे इतने करीब रहने की कीमत आपको भी चुकानी पड़ेगी,आपको भी मेरी तरह तकलीफ सहनी पड़ेगी।"
अखंड ये सब सोच ही रहा था, तभी अखंड को अचानक अश्वि की बॉडी ठंडी होती हुई महसूस हुई।
जब अखंड ने अश्वि की तरफ देखा तभी उसे अश्वी की आंखें बंद होती हुई दिखी, जिसे देखकर अखंड अश्वि के गालों को थपथपाते हुए बोला, "अश्वि अपनी आंखें बंद मत करना, आप सुन पा रहे हो ना मेरी बात, अश्वि बच्चा।"
अभी अश्वि अपनी बहुत ही धीमीआवाज़ में ही बुदबुदाने लगी, "ठंड ठंड।"
अखंड ने अश्वि की गर्दन पर मौजूद अपने दातों के निशान को देखा तो अखंड को वो निशान हल्का नीला होते हुए दिखाई पड़ा, उसे देखते ही अखंड ने अश्वि को अपनी गोद में उठाया और अभी अश्वि को देखकर तो ऐसे लग रहा था जैसे सच्ची में बिल्कुल भी जान ना हो उसकी बॉडी पूरी तरीके से ढीली हो चुकी थी।
अगले ही पल अखंड अश्वि को लेकर बेडरूम में आया और उसने अश्वि को बेड पर सुलाया और उसकी बॉडी से उसके सारे कपड़े को निकाल दिया।
अखंड ने अपनी बॉडी पर मौजूद कपड़े भी उतार दिए और वो अश्वि के आप आकर लेट गया, उसने अश्वि को अपने सीने पर सुलाया और उन दोनों की बॉडीगार्ड को एक ब्लैंकेट से कवर कर लिया।
अभी अखंड अश्वि को अपने ऊपर लिए हुए लेता था और उसके ऊपर एक ब्लैंकेट था जिससे उनकी बॉडी कवर थी।
अखंड के दोनों हाथ जहां अश्वि की बॉडी पर चल रहे थे, वहीं अखंड अश्वि के गले पर मौजूद निशान को चूम रहा था, अखंड को पता था कि अभी अश्वि बेहोश है और वो ज्यादा रिस्पांस नहीं करेगी।
अखंड अश्वि की तरफ देखते हुए बोला, "जहां में आग हूं, वही आप बर्फ हो और इस आग में बर्फ को पिघलना ही होगा, ये तो बस शुरुआत है अश्वि, इसमें अभी आपको आगे बहुत कुछ झेलना पड़ेगा, इस डेविल को शांत करने के लिए अपने आप को पूरी तरह से पिघलाना होगा, मुझ जैसे डेविल को अब तक कोई लड़की बर्दाश्त नहीं कर पाई, पर आपको करना होगा, करना ही होगा। "
अखंड अश्वि के गालों पर किस करते हुए बोला, " आप नहीं जानते अश्वि कि मुझे अभी कितना सुकून मिल रहा है आपको मेरे इतने करीब होना,और हम दोनों के बीच में किसी भी चीज की वजह से कोई भी दूरी न होना मुझे बहुत राहत दे रहा है, और मैं आपको अपने इतने ही करीब रखना चाहता हूं, पर अभी ये मुमकिन नहीं है, पर बहुत जल्द आप मेरी इतने करीब आ जाओगे, कि चाहकर भी कोई आपको मुझसे दूर नहीं कर पाएगा। "
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