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NIKKA WITH THE DEVIL

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Alfie khan

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Nikah With The Devil ✨ by Me Alfie_Khan "कभी सोचा है… अगर तुम्हारी मासूम सी ज़िन्दगी में अचानक कोई ऐसा शख्स दाखिल हो जाए, जो तुम्हारे नाम से ज़्यादा, तुम्हारी रूह पर हक जताए?" वो Ayta, एक नेक, शर्मीली, माँ-बाप की लाड़ली लड़की, ज...

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hamza malik uff devil Apne ratse khud banne wala

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Ayta masum aur sab ki ladki beti

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Total Chapters (10)

Page 1 of 1

  • 1. Devil की एंट्री - Chapter 1

    Words: 642

    Estimated Reading Time: 4 min

    घर की दीवारें खिलखिलाहटों से गूंज रही थीं।
    दोपहर की धूप खिड़कियों से छनकर आयी और पुराने लकड़ी के फर्श पर सुनहरी लकीरें बना रही थी।
    सीढ़ियों से नीचे आती एक लड़की की हँसी पूरे घर में बह रही थी वो कोई और नहीं, आयता थी।

    उसके सिर से दुपट्टा सरक चुका था, बाल उलझे हुए थे, पायल की छनक उसके नंगे पाँवों की तेज़ी का सबूत दे रही थी।

    “अम्मी देख लेंगी तो बहुत डाँटेंगी!” उसके पीछे-पीछे दौड़ते हुए उसका छोटा कज़िन चिल्लाया।

    “पहले पकड़ के तो दिखाओ!” आयता हँसते हुए मुड़ी और दौड़ती हुई सीधे हॉल की ओर भाग गई।

    सीढ़ियाँ उतरते हुए, उसका दुपट्टा एक कोने में अटक गया और गिर गया लेकिन उसकी रफ्तार नहीं रुकी।
    हँसी अब भी उसके चेहरे पर थी, मासूम सी, बेफिक्र सी।

    और तभी…

    ठक!

    वो किसी से टकरा गई।

    साँस रुक गई उसकी। दिल धड़कना भूल गया जैसे।

    सामने एक लम्बा, चौड़ी छाती वाला शख्स खड़ा था आँखों में ठंडा सा सुकून और चेहरे पर वो खामोश आंधी जो सब कुछ बर्बाद कर सकती थी।

    वो अपनी जेब में हाथ डाले, गहराई से आयता को देख रहा था।

    आयता की आँखें फैल गईं जैसे कोई सपना अचानक हकीकत बन गया हो।

    उसके होंठों से बमुश्किल एक नाम निकला
    "हमज़ा..."

    शांत… ठंडी… बहुत जानी-पहचानी सी वो आवाज़ गूंजी

    “Sweetheart, दुपट्टा कहाँ है तुम्हारा?”



    आयता ने घबरा कर खुद को देखा, वो सच में बिना दुपट्टे के उसके सामने खड़ी थी।

    हमज़ा का चेहरा जैसे पत्थर हो कोई मुस्कान नहीं, कोई हैरानी नहीं… बस एक टिकी हुई नज़र, जैसे वो उसे सालों से देखता आया हो… हर ज़रा से ज़रा बदलाव के साथ।

    “और ये क्या हाल बना रखा है तुमने? तुम किसी शादी में आई हो या गली में भाग रही हो?”



    उसका लहजा तंज से भरा नहीं था, मगर काबू करने वाला था।

    आयता को समझ ही नहीं आ रहा था कि वो बोलें तो क्या बोलें। सामने वो लड़का खड़ा था जिसे उसने बचपन में देखा, जिससे कभी खुलकर बात नहीं की, लेकिन जिसके नाम से अब उसकी धड़कनें तेज़ हो गई थीं।

    “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से पूछा।



    हमज़ा उसकी बात अनसुनी कर, थोड़ा और पास आ गया।

    “तुम्हारे इस सवाल से ज़्यादा मुझे ये जानना है कि… क्या तुम अब भी उतनी ही मासूम हो, जितनी पहले थी?”



    “या अब समझदार हो चुकी हो, sweetheart?”



    उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई जो मोहब्बत की नहीं थी, बल्कि एक दावे की, एक इरादे की, एक आग की।



    उस शाम, पूरे घर में एक अजीब खामोशी थी।

    हमज़ा बहुत सालों बाद लौटकर आया था। सब हैरान थे, लेकिन आयता सबसे ज़्यादा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये अचानक वापसी… और वो भी इस नज़रों से देखने वाला लड़का… आखिर कह क्या रहा है?



    रात को जब सब खाने की मेज़ पर बैठे, तब हमज़ा की नज़रें फिर से उसी पर थीं।

    “ये बड़ा हो गया है...” मामी ने मुस्कुराकर कहा।



    हमज़ा ने बिना किसी भाव के जवाब दिया

    “बड़ा नहीं... खतरनाक।”



    और उसकी ये बात सीधी आयता की रूह में उतर गई।



    खाने के बाद सब बाहर बैठे थे, हमज़ा तब भी चुपचाप था। आयता की नज़रें उस पर बार-बार जा रहीं थीं, और हर बार वो उससे नज़रें चुरा लेती थी।

    तभी अचानक वो उठा, और सीधा आयता के पास आ गया।

    “Walk पे चलोगी, sweetheart?”



    “क..क्या?” आयता बुरी तरह चौंकी।



    “तुम अब भी डरती हो मुझसे?”



    “नहीं, मैं…” वो जवाब ढूँढ़ ही रही थी, कि हमज़ा झुक कर उसके कान में बोला—



    “तो चलो। अब हर चीज़ से डरना बंद करो… क्योंकि अब मैं तुम्हारी ज़िंदगी में लौट आया हूँ। और इस बार… मैं खुद को नहीं जाने दूँगा।”




    Ayta का दिल काँप गया।

    उसे समझ नहीं आ रहा था ये कौन-सी कहानी शुरू होने वाली थी।

    लेकिन एक बात अब तय थी

    उसका “Nikah with the Devil”… शुरू हो चुका था।

  • 2. खोफ़ - Chapter 2

    Words: 570

    Estimated Reading Time: 4 min

    चाँदनी बहुत धीमी थी उस रात और हवाओं में एक अजीब-सी सरसराहट।

    Ayta के कदम खुद-ब-खुद हमज़ा के पीछे चल पड़े। हर कदम के साथ उसका दिल जैसे चीख रहा था “रुक जाओ… वापस लौट जाओ।”
    पर उसकी जुबान खामोश थी।

    बाहर बगीचे में जब वो दोनों पहुँचे, हल्की चाँदनी उनके चेहरों पर पड़ी। हमज़ा ने जेब में हाथ डाले, सिर झुकाया, जैसे कुछ सोच रहा हो।
    फिर एकदम उसकी तरफ मुड़ा।

    "Sweetheart," उसकी आवाज़ में अब softness नहीं थी वो हुकूमत से भरी थी।

    "क्यों डरी हुई हो?"

    Ayta ने कुछ नहीं कहा।

    हमज़ा एक क़दम और पास आया।
    "मैंने पूछा डर किससे है? मुझसे? या उस अंधेरे से जो मैं तुम्हारी ज़िंदगी में लेकर आया हूँ?"

    Ayta ने काँपती आवाज़ में कहा,
    "तुम अचानक... इतने सालों बाद... और अब ये सब? क्या चाहते हो?"

    हमज़ा की आँखें ठंडी पड़ गईं।
    "तुम्हें। हमेशा से। अब पूरी तरह।"

    Ayta का दिल बैठ गया।

    वो पीछे हटने लगी, लेकिन तभी हमज़ा ने उसका हाथ थाम लिया।
    "इतने साल पहले जब तुमने मुझसे आँखें चुराई थीं, तब भी तुम मेरी थीं। और आज भी हो। फर्क सिर्फ इतना है, sweetheart..."

    "...अब मैं तुम्हें किसी के लिए छोड़ूंगा नहीं।"

    Ayta ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की,
    "ये जबरदस्ती है!"

    हमज़ा ने ठंडी हँसी में कहा
    "Love is always a little cruel, sweetheart. और जो Devil से निकाह करता है, उसे गुलाब नहीं, आग मिलती है।"

    "तुम्हारा और मेरा रिश्ता तय हो चुका है मेरी माँ ने किया था।"

    Ayta चौंक गई,
    "क्या?"

    "हाँ," उसने उसकी आँखों में देखा, "तुम्हें याद नहीं, बचपन में मेरी माँ तुम्हें कितना चाहती थीं? वो चाहती थीं कि उनकी बहू तुम बनो... और अब जब वो बिस्तर पर है बेहोश, दुनिया से कटकर तब भी एक वादा जो उन्होंने लिया था, मैं उसे निभाने आया हूँ।"

    Ayta की आँखों से आँसू बहने लगे।
    "तुम... ये सब emotional drama से मुझे control नहीं कर सकते!"

    Hamza ने धीमे से उसके गाल पर हाथ रखा ठंडे हाथ, मगर सुलगते इरादे।

    "Control नहीं कर रहा। तुम्हें तुम्हारी असली जगह दिखा रहा हूँ मेरी ज़िंदगी में, मेरी दुनिया में, मेरे पास।"

    "और एक बात याद रखो..."
    वो उसके और करीब आया,
    "...अगर किसी और का नाम भी आया तुम्हारे साथ, मैं उसकी साँसें गिनना भूल जाऊँगा।"



    अगली सुबह

    Ayta की मामी चाय लेकर कमरे में आईं लेकिन Ayta खिड़की के पास बैठी थी, पूरी रात जागने की थकावट उसके चेहरे पर थी।

    "बेटा, तुम ठीक हो?"

    Ayta ने चुपचाप सिर हिलाया।

    मामी ने उसके सिर पर हाथ रखा,
    "Hamza अब यहाँ कुछ दिन रहेगा। तुम्हारे अब्बू की तरफ से भी हाँ हो चुकी है... वो पुरानी वसीयत की बात भी की उसने।"

    Ayta उठ खड़ी हुई,
    "मतलब सब पहले से तय था? सबको पता था... सिवाय मेरे?"

    मामी चुप हो गईं।



    शाम को

    Ayta नीचे आई तो Hamza हॉल में बैठा था काले कुर्ते में, बाल थोड़े गीले, और हाथ में कॉफ़ी।

    उसे देखते ही उसने सीधा कहा,
    "Sweetheart, तुम अब मुझसे दूर नहीं रह सकती।"

    "क्योंकि आज रात... निकाह की तारीख़ तय कर दी गई है।"

    Ayta के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

    "Hamza..." उसकी आवाज़ काँप रही थी।

    Hamza उसकी तरफ चला आया, उसके बहुत क़रीब...
    "तैयार हो जाओ, sweetheart. अब तुम्हारी हर सुबह मेरी होगी... और हर रात भी।"



    Ayta को अब समझ आ गया था
    ये कोई मोहब्बत की कहानी नहीं थी... ये इश्क़ का क़ैदखाना था।

    और उसके दरवाज़े पर दस्तक देने वाला शख़्स...
    ...शैतान था।

  • 3. Nikka With The Devil - Chapter 3

    Words: 793

    Estimated Reading Time: 5 min

    Ayta की साँसें रुक-सी गईं थीं।

    “निकाह की तारीख तय कर दी गई है…”

    Hamza की आँखों में एक अजीब सुकून था जैसे उसे सब हासिल हो गया हो।
    लेकिन Ayta का दिल… जैसे किसी ने उसकी छाती में जोर से मुट्ठी मारी हो।

    वो धीरे-धीरे पीछे हटी।

    “तुम्हें किसने हक़ दिया मेरे लिए इतना बड़ा फैसला करने का?”

    उसकी आवाज़ में कंपकंपी थी, पर कमजोरी नहीं वो डर नहीं रही थी, बस टूट रही थी।

    Hamza ने ठंडे लहजे में कहा

    “तुम मेरी हो। और मैं किसी और को तुम्हें सोचने तक नहीं दूँगा।”

    “Hamza… Devil…” वो थक चुकी थी, “Please… मेरी बात सुनो। मैं निकाह से नहीं भाग रही। लेकिन… मेरी एक बात मान लो।”

    Hamza की भौंहें हल्की उठीं उसके चेहरे पर अब थोड़ी दिलचस्पी आई।

    “बोलो।”

    Ayta ने धीमे से कहा

    “मेरा आखिरी साल है… पढ़ाई का। मैंने स्कॉलरशिप से एडमिशन लिया है। अगर ये अधूरी रह गई… तो मेरा सब खत्म हो जाएगा। प्लीज़… मुझे अपने ख्वाब पूरे करने दो। पढ़ाई पूरी करने दो… फिर तुम जो कहोगे, मैं करूँगी।”

    Hamza की आँखें सिकुड़ गईं। उसने Ayta को ऐसे देखा जैसे उसके शब्दों में छुपे झूठ को टटोल रहा हो।

    “तुम्हें वक़्त चाहिए मुझसे दूर रहने का?”

    “नहीं…” Ayta ने सीधे उसकी आँखों में देखा, “मुझे खुद के साथ वक़्त चाहिए। कुछ सपने हैं, जो अधूरे रह गए तो हमेशा पछतावा रहेगा। क्या तुम नहीं चाहते कि मैं एक मुकम्मल औरत बनूं? सिर्फ़ तुम्हारी ‘मालिकियत’ नहीं… कुछ अपनी पहचान भी रखूं?”

    Hamza चुप रहा।

    कमरे की खामोशी अचानक भारी हो गई।

    फिर उसके कदम धीरे-धीरे Ayta की तरफ बढ़े।

    वो उसके बेहद क़रीब आकर रुका, इतना कि उसकी साँसें Ayta के चेहरे को छूने लगीं।

    “तुम चाहती हो मैं इंतज़ार करूं?”

    “हाँ।” उसकी आवाज़ कांपी, लेकिन वो रुकी नहीं।

    Hamza ने उसकी ठोड़ी उठाई, धीरे से, लेकिन उसकी पकड़ में दम था।

    “तुम ये बात किसी और मर्द से कहती… तो वो तुम्हारी हिम्मत की तारीफ करता।”
    “लेकिन मैं?”
    “मैं वो हूँ जिसे अगर कोई चीज़ चाहिए… तो उसे हासिल करने में देर नहीं करता।”

    Ayta की आँखों में आँसू आ गए।

    “लेकिन क्या जबरदस्ती से हासिल किया गया रिश्ता, रिश्ता होता है?”

    Hamza कुछ पल उसे देखता रहा जैसे उसे पढ़ रहा हो।

    फिर एक गहरी साँस लेकर पीछे हटा।

    “ठीक है। पढ़ाई पूरी करो।”

    Ayta की आँखों में उम्मीद की चमक आई।

    “लेकिन…” Hamza की आवाज़ फिर ठंडी हो गई
    “तुम्हें हर हफ्ते मुझसे मिलने आना होगा। मेरे सवालों का जवाब देना होगा। और किसी भी लड़के से बात करने की कोशिश की… तो तुम भूल जाओगी कि आज़ादी कैसी लगती है।”

    Ayta समझ गई यह आज़ादी नहीं थी, यह ‘निगरानी में मोहलत’ थी।

    लेकिन वो मुस्कुराई क्योंकि उसे एक मौका मिला था।

    “थैंक यू…” वो बमुश्किल बोली।

    Hamza ने आँखें सिकोड़ते हुए कहा

    “मेरे लिए शुक्रिया मत कहो, sweetheart.
    अब से हर सांस जो लोगी… मैं गिन रहा हूँ।
    हर कदम जो उठाओगी… मेरी निगाह होगी।
    और जिस दिन तुम्हारी किताबों से ज्यादा मेरी कमी खलने लगे उस दिन, बिना बोले, खुद चलकर मेरे पास आना।”



    तीन दिन बाद –

    Ayta अपने कॉलेज हॉस्टल लौट चुकी थी।

    लेकिन अब वो लड़की नहीं थी जो हँसती थी, भागती थी, सपनों में खो जाती थी।

    अब वो हर रोज़ हमज़ा की भेजी गई कार में कॉलेज आती, शाम तक पढ़ाई करती, और हर हफ्ते किसी होटल या café में हमज़ा से मिलती।

    हमज़ा हर बार नए सवाल करता।

    “तुम्हारी क्लास में कोई लड़का पास तो नहीं बैठता?”

    “तुम्हारे प्रोफेसर कैसे हैं? कहीं ज़्यादा soft तो नहीं तुम्हारे साथ?”

    “तुमने उस दिन उस लड़के से क्यों बात की? वो तुम्हारी टीम में क्या कर रहा था?”

    Ayta का दिमाग अब किताबों में कम, हमज़ा के शक में उलझा रहने लगा।



    एक दिन…

    Ayta कैंपस में थी, तभी उसे एक अनजान नंबर से कॉल आया।

    “Hello?”

    “Ayta… तुम्हें कोई देख रहा है।”
    एक गहरी आवाज़ आई।

    “क्या?”

    “Hamza तुमसे जो कह रहा है… वो सब सच नहीं है। उसकी ज़िंदगी में कोई और राज छुपा है।”

    Ayta सन्न रह गई।

    “तुम कौन हो?”

    “सच का चेहरा।” कहकर कॉल कट हो गई।



    उसी रात

    Hamza ने उसे मिलने बुलाया।

    जब वो पहुँची, तो पहली बार उसने देखा Hamza के साथ एक लड़की बैठी थी।

    सुंदर, confident, और वो Hamza के बहुत क़रीब बैठी थी।

    Hamza ने मुस्कुराकर कहा

    “Ayta, मिलो... ये Arina है मेरी पुरानी दोस्त।”

    Ayta के दिल में जैसे किसी ने पत्थर मार दिया हो।

    Hamza ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा

    “तुम्हारे पास वक़्त है, तो मैंने भी अपना वक़्त किसी के साथ बाँट लिया। कोई ऐतराज़?”

    Ayta कुछ बोल नहीं पाई।

    अब कहानी सिर्फ पढ़ाई की नहीं रही
    अब इसमें शक, जलन और खेल की महक आ गई थी।



    Hamza मुस्कुरा रहा था…

    लेकिन उसकी आँखें कह रही थीं

    “Game शुरू हो चुका है… sweetheart.”

  • 4. Nikka With The Devil - Chapter 4

    Words: 741

    Estimated Reading Time: 5 min

    रात बहुत गहरी हो चुकी थी।

    Ayta उस बेंच पर अकेली बैठी थी… वही पुराना सा पत्थर का बेंच, जहाँ कभी उसने खिलखिलाकर हँसी थी और अब जहाँ उसकी साँसें तक भारी लग रही थीं।

    आसमान में चाँद था, लेकिन उसका उजाला भी कुछ नहीं कह रहा था।
    बस हवाओं की सरसराहट थी, जो पत्तों को काँपाते हुए Ayta के दिल की तरह थरथरा रही थी।

    उसकी आँखें सूनी थीं… जैसे कुछ खो गया हो।

    "Hamza ऐसा क्यों करता है?"
    ये सवाल उसके भीतर बार-बार गूंज रहा था।
    कभी वो उसकी आँखों में नरमी ले आता, तो कभी वही आँखें पत्थर सी बन जातीं।

    "क्या वो मुझसे प्यार करता है... या बस मुझे क़ैद?"
    Ayta को खुद से जवाब चाहिए था, लेकिन कोई जवाब नहीं था।

    उसने सामने देखा बग़ीचे के कोने में कुछ हलचल हुई।

    उसने तुरंत निगाहें घुमाईं, पर वहाँ कोई नहीं था।
    शायद हवा थी। या… शायद कोई था।

    **

    तभी
    उसका फ़ोन टिमटिमाया।

    Unknown Number.

    दिल एक पल को जैसे थम गया।

    थोड़ी देर तक वो स्क्रीन को देखती रही फिर काँपते हाथों से कॉल उठाया।

    “Hello…?” उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी।

    दूसरी तरफ से कोई हल्की साँस लेता हुआ बोला

    “तुम सोचती हो कि वो तुम्हें सिर्फ चाहता है…?”



    नहीं sweetheart, वो तुम्हारे हर एहसास को कंट्रोल करना चाहता है। हर धड़कन को… हर साँस को…”



    Ayta की आँखें फटी की फटी रह गईं।

    "तुम कौन हो?" उसने लगभग फुसफुसाते हुए पूछा।

    “वो मत पूछो जो मैं हूँ... जानना शुरू करोगी, तो खुद से डर जाओगी।”



    “Arina क्यों आई है... तुम समझ रही हो न?”
    “उसकी माँ coma में क्यों है, कभी सोचा... कि वो कैसे गिरी थी?”



    Ayta का गला सूख गया।

    "क...क्या मतलब?"

    “Hamza को भी नहीं पता... कि उस दिन जब उसकी माँ गिरी, तो कोई और भी था वहाँ। कोई जिसे आज तक छुपाया गया है।”



    “अब सोचो, Ayta... अगर ये बात सामने आ जाए, तो क्या Hamza फिर भी वैसा ही रहेगा जैसा तुम जानती हो?”



    कॉल कट।

    Ayta ने काँपते हुए फ़ोन नीचे रख दिया।

    कुछ पल तक वो वहीं बैठी रही लेकिन अब वो डर में नहीं थी।

    अब उसकी आँखों में कुछ और था।

    एक आग।



    Next Morning

    Villa में हल्की खामोशी थी।

    Hamza usual black shirt में, sleeves चढ़ाए खिड़की के पास whiskey का ग्लास लिए खड़ा था।

    नीचे लॉन में Ayta बैठी थी उसके पास किताबें थीं, लेकिन उसकी आँखें उसमें नहीं थीं।

    तभी पीछे से Arina आई।
    लाल satin गाउन में, चाल में ठहराव लेकिन आँखों में शिकार की चमक।

    “तुम फिर वहीं देख रहे हो…” उसने मुस्कुराकर कहा।

    Hamza ने नज़रें हटाईं, एक सिप लिया और बोला,

    “वो मुझसे दूर नहीं जा सकती।”

    Arina पास आई। “क्यों?”

    Hamza की आँखें कुछ सोच रही थीं, कुछ छिपा रही थीं।

    “क्योंकि जब हम बच्चे थे, उसने मेरी माँ की कसम खाई थी… अब वो कसम पूरी करनी ही होगी।”



    Study Room Ayta

    Ayta फर्श पर बैठी थी। किताबें फैली थीं लेकिन उसके अंदर तूफान था।

    Hamza आया
    धीरे से दरवाज़ा खोला, सीधा उसके सामने आकर बैठ गया।

    “Sweetheart… इतने चुप क्यों हो आज?”
    उसका लहजा धीमा था, मगर आँखें वही ठंडी सी थीं।

    Ayta ने उसकी तरफ देखा इस बार कुछ थामे हुए।

    “Hamza, मुझे मेरी पढ़ाई पूरी करने दो। ये मेरा सपना है… मेरा आखिरी साल है… मुझे मेरी आज़ादी चाहिए।”

    Hamza कुछ पल चुप रहा।

    फिर झुककर, उसकी आँखों में देखता हुआ बोला

    “Final year की किताबों में तुम्हें सुकून मिलेगा… या मेरी बाँहों में?”

    Ayta ने मुँह फेर लिया।

    “मैं अब तुमसे नहीं डरती… लेकिन मैं किसी की possession नहीं हूँ।”

    Hamza ने उसकी ठोड़ी पकड़कर कहा

    “Possession नहीं… obsession हो तुम मेरी, sweetheart… और मैं चाहता हूँ तुम्हारा हर पन्ना, हर किस्सा, मेरा लिखा हुआ हो।”

    Ayta ने उसकी पकड़ हटाई।
    इस बार उसके चेहरे पर डर नहीं था।

    उसके चेहरे पर हिम्मत थी।



    night Garden

    Ayta फिर से उसी बेंच पर बैठी थी।

    उसके मन में सवाल थे, और दिल में एक धड़कता हुआ रहस्य।

    फिर वही हलचल।

    बिलकुल वही साया… लेकिन अब भी कोई चेहरा नहीं।

    “कौन है?” उसने सख्ती से पूछा।

    एक धीमी आवाज़ उभरी, वही जो फ़ोन पर आई थी

    “मैं तुम्हें बचाने आया हूँ… इससे पहले कि वो तुम्हारी रूह को भी कैद कर ले।”
    “तुम इस खेल में अकेली नहीं हो, Ayta।”



    “बस अभी चेहरा मत देखो… सच्चाई तुम्हारे पास आ रही है… और जब आएगी, तो पूरा ज़मीन-आसमान हिल जाएगा।”



    Ayta कुछ कहने ही वाली थी कि साया हवा में घुल गया।

    To be continued...

  • 5. Nikka With The Devil - Chapter 5

    Words: 574

    Estimated Reading Time: 4 min

    रात की हवाओं में एक अजीब बेचैनी घुली हुई थी। Hamza के विला की हर दीवार जैसे कोई राज़ छुपा रही थी… और उन ही दीवारों के बीच, Ayta एक अजनबी सी महसूस कर रही थी।

    उसने खुद को शीशे में देखा आँखें थकी हुई, चेहरा बुझा-बुझा, और अंदर एक ऐसा सूनापन जो वो समझ नहीं पा रही थी।

    वो धीरे-धीरे सीढ़ियाँ उतरकर हॉल की ओर आई। हर कोना चमक रहा था, महंगे पर्दे, झूमर, पर सब कुछ उसे सुना लग रहा था… जैसे कुछ ग़लत है, जो वो पकड़ नहीं पा रही।

    उसी वक्त Arina की हँसी की आवाज़ आई। Ayta की नजरें उस तरफ मुड़ीं Arina, wine glass लिए, silk gown में आराम से बैठी थी, और Hamza उसके सामने खड़ा था। उनकी आँखों के बीच की ख़ामोशियाँ Ayta के दिल में काँटे जैसी चुभीं।

    Hamza ने भी उसे देखा, हल्की सी मुस्कान के साथ… पर वो मुस्कान कुछ और कह रही थी।

    “Sweetheart,” उसने कहा, "Dinner join करोगी?”

    Ayta ने कुछ नहीं कहा। बस चुपचाप बैठ गई, लेकिन नजरें Arina पर ही टिकी थीं।

    Arina ने उसे देखकर मुस्कुरा कर कहा, "Tum waise hi cute ho jaise Hamza describe करता था… थोड़ी naïve, थोड़ी strong..."

    Ayta के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया। Hamza ने Arina की तरफ देखा, जैसे कोई इशारा किया हो कि बस अब।

    Flashback 5 दिन पहले

    Ayta को जब होश आया था, वो इसी विला में थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ कैसे आई।

    जब उसने पूछा था “मेरे मामा-मामी कहाँ हैं?” तो नौकरों ने नजरें चुरा ली थीं। किसी ने जवाब नहीं दिया।

    तब Hamza ने पहली बार सीधा जवाब दिया था

    “उन्होंने तुम्हें बेच दिया, Ayta.”

    उस वक़्त Ayta की आँखें छलक आई थीं। उसने यकीन नहीं किया था। पर अब... वो धीरे-धीरे सब समझ रही थी।

    Present

    रात के खाने के बाद Ayta अपने कमरे में लौट आई। उसने खुद को बिस्तर पर फेंक दिया। कमरे की खामोशी चीखने लगी थी।

    तभी उसे ड्रेसिंग टेबल के दराज में कुछ चमकता दिखा। उसने खोला एक छोटी डायरी थी।

    और उस डायरी में एक कागज़ था पुराने लिफाफे में, जिस पर मामी की लिखावट थी।

    "Ayta बेटा, अगर तुम ये पढ़ रही हो तो शायद हम तुम्हारे पास नहीं हैं।

    हम मजबूर थे। हमें लगा Hamza तुम्हारी हिफाज़त कर पाएगा। हमें माफ़ कर देना। ये सौदा नहीं था, बस एक रास्ता... जो तुम्हें उस आग से बचा सकता था।

    मामी"

    Ayta की आँखें भर आईं।

    “तो क्या उन्होंने मुझे बेचा नहीं…?” उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।

    लेकिन फिर सवाल उठा “तो वो आग कौन थी… जिससे बचाने के लिए Hamza के हवाले किया मुझे?”

    तभी, दरवाज़ा खुला। Hamza आया। आँखें सीधी उसकी आँखों में।

    “तुम्हारी मामी ने जो किया, वो उनके डर की वजह से था।”

    Ayta ने पूछा, “किस डर से?”

    Hamza कुछ पल चुप रहा, फिर बोला “जिसका नाम लेना भी तुम्हारे घर में मना था… अब वो लौट आया है।”

    Ayta की रूह काँप गई। “कौन…?”

    Hamza की आँखों में अब गुस्सा नहीं, डर था।

    “Zaydaan.”

    To be continued...

    ek request 🙏

    ap log padh ke chlge jate ho na koi rating deta hai na comment karta hai aj agar comment nahi aye toh mein ye novel ka chapter nahi dugi please thodi si daya khao aur comment aur Rating detw jao itna toh kar hi sakte ho mein apke liye itni mahent karti hu aur ap itna kar do please request

    apki pyari aur cute writer 😁

  • 6. Nikka With The Devil - Chapter 6

    Words: 802

    Estimated Reading Time: 5 min

    Hamza की आँखें सीधी Ayta की आँखों में थीं।

    "Zaydaan..." उसने फिर से दोहराया। आवाज़ में वही आदमी नहीं था जो हुक्म देता था बल्कि एक ऐसा बेटा जो किसी छुपे डर से काँप रहा था।

    Ayta ने पहली बार उसके चेहरे पर डर देखा।

    "वो कौन है, Hamza?" उसकी आवाज़ थरथरा गई।

    Hamza कुछ पल चुप रहा। फिर बस एक धीमी सी फुसफुसाहट आई

    "तुम्हें नहीं जानना चाहिए… अभी नहीं।"

    वो मुड़ा और कमरे से चला गया।

    Ayta की साँसें तेज हो चुकी थीं। वो अकेली रह गई उस खामोश कमरे में… लेकिन उसके अंदर अब सवालों की आँधी उठ चुकी थी।

    Next Morning

    विला में हलचल थी।

    Hamza तैयार हो रहा था। उसके हाथ में ब्लैक शर्ट थी, चेहरा सख्त और आँखों में जल्दी पहुँचने की बेचैनी। Rohail उसका पर्सनल गार्ड बाहर गाड़ी तैयार करवा रहा था।

    "Sir, main office gate pe wait kar raha hoon," Rohail ने कहा।

    Hamza ने कुछ नहीं कहा। बस coat पहना और sunglasses चढ़ा लिए।

    वो ऑफिस नहीं जा रहा था।

    दूसरी ओर Ayta

    Ayta उस वक्त कमरे की खिड़की से सब कुछ देख रही थी। Hamza के रात वाले लहज़े ने उसके दिल को बेचैन कर दिया था।

    "Zaydaan कौन है?"

    "किस आग से बचाने के लिए मामा-मामी ने मुझे यहाँ भेजा?"

    "और… क्या सच में उन्होंने मुझे बेचा था या कुछ और छुपाया गया?"

    इन सवालों ने Ayta को इतना restless कर दिया कि उसने वो कर डाला, जो उसने कभी नहीं सोचा था।

    Hamza जैसे ही अपने विला से बाहर निकला… Ayta दौड़ती हुई लॉन के पीछे की तरफ गई, और Hamza की गाड़ी की डिक्की में छुप गई।

    साँस रोके, दिल धड़काते हुए, उसने खुद को अंधेरे में समेट लिया।

    Car Ride

    Hamza गाड़ी में बैठा, Rohail ड्राइव कर रहा था।

    "Clinic में सब clear है न?" Hamza ने पूछा।

    "Yes sir. Doctor ने कहा है वो still coma में हैं, पर stable हैं… कोई नया complication नहीं," Rohail ने जवाब दिया।

    Ayta ने ये सब डिक्की में से सुना। Clinic? Coma? उसका दिमाग घूम गया।

    "क्या Hamza अपनी माँ से मिलने जा रहा है?"

    "पर उसने तो कहा था कि माँ दिया गया… या फिर गिराया गया…"

    "तो फिर वो कहाँ है… और किस हाल में?"

    30 Minutes बाड

    Outskirts of the City

    गाड़ी एक सुनसान इलाके में पहुँची। चारों ओर खाली सड़कें थीं। एक पुराना सा, काले गेट वाला बंगला आया।

    गाड़ी अन्दर रुकी।

    Hamza और Rohail उतर गए।

    Ayta ने धीरे से डिक्की का लॉक खोला, और जैसे ही मौका मिला वो जल्दी से पास के झाड़ियों में छुप गई।

    उसे ये सब किसी फिल्म जैसा लग रहा था।

    उसके सामने एक इमारत थी दिखने में जैसे पुरानी हवेली हो… लेकिन दरवाज़ों पर modern security locks थे।

    Hamza अंदर गया। Rohail बाहर ही रह गया।

    Ayta दबे पाँव उस दरवाज़े तक पहुँची और पीछे की खिड़की से अंदर झाँका।

    Inside the Secret Clinic

    कमरे में सिर्फ दो लोग थे एक डॉक्टर और Hamza।

    बीच में एक बिस्तर था जहाँ एक औरत नींद में डूबी पड़ी थी।

    Hamza ने अपनी माँ का हाथ पकड़ा, और एक टूटे हुए बेटे की तरह धीरे से बोला

    "माँ… मैंने अब तक तुम्हारा सच किसी को नहीं बताया।"

    "सबको यही लगता है तुम ज़हर से मरी हो… लेकिन तुम खुद गिर गई थीं उस रात।"

    "क्यों भाग रही थीं माँ? क्या तुम्हें डर था किसी से?"

    Hamza की आँखें भर आईं।

    डॉक्टर ने कुछ कहना चाहा, लेकिन Hamza ने इशारे से उसे चुप कराया।

    “मैं Zaydaan से नहीं डरता… लेकिन अब वो लौट आया है। और इस बार… वो Ayta को भी नहीं छोड़ेगा।”

    Ayta के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

    "Zaydaan… मेरी वजह से?"

    "माँ इस हालत में क्यों हैं… और आखिर वो रात को हुआ क्या था?"

    Hamza कुछ देर बाद बाहर आया, लेकिन Ayta तब तक वापस उसी डिक्की में छुप चुकी थी।

    गाड़ी फिर उसी route पर लौट पड़ी लेकिन अब Ayta वही मासूम लड़की नहीं थी।


    गाड़ी जब वापस विला पहुँची, Ayta चुपचाप वापस अपने कमरे में पहुँच गई।

    कमरे की खिड़की से उसने आसमान की तरफ देखा।

    अब चाँद साफ़ था — लेकिन उसकी रौशनी भी Ayta की आँखों के सवालों को कम नहीं कर सकी।

    वो अब जानना चाहती थी — पूरी कहानी।

    Zaydaan... तुम कौन हो?

    अब उसके पास सच्चाई के टुकड़े थे।

    पर एक टुकड़ा अब भी अधूरा था Zaydaan कौन था… और क्या उसके मामा-मामी भी उसी डर में थे?



    To be continued...

    ek request 🙏

    ap log padh ke chlge jate ho na koi rating deta hai na comment karta hai aj agar comment nahi aye toh mein ye novel ka chapter nahi dugi please thodi si daya khao aur comment aur Rating detw jao itna toh kar hi sakte ho mein apke liye itni mahent karti hu aur ap itna kar do please request

    apki pyari aur cute writer 😁

  • 7. साजिश - Chapter 7

    Words: 648

    Estimated Reading Time: 4 min

    Morning

    Ayta कई दिनों बाद फिर से college जा रही थी।

    Hamza ने उसे इजाज़त तो दे दी थी, पर साथ में दो guards भी लगाए थे जो नज़रें हटाते नहीं थे।

    वो कार से उतरकर campus में कदम रखती है लेकिन महसूस करती है कि उसके अंदर कुछ बदल गया है।

    कॉरिडोर वही था, लोग वही थे, पर उसे सब अजनबी लगने लगे थे।

    "कभी ये जगह मेरी दुनिया थी... और आज मैं खुद ही अजनबी बन गई हूँ..." उसने सोचते हुए अपनी नज़रें झुका लीं।

    उसके मन में अब भी Hamza का चेहरा था।

    वो कभी उसे सुरक्षा देता है… तो कभी सांस लेने की आज़ादी भी नहीं देता।

    उसके अंदर की ये उलझन college की दीवारों तक भी पीछा कर रही थी।

    कुछ देर बाद

    ayta वह कॉलेज से आ चुकी थी

    Hamza Villa

    Arina लॉन में अपने नाखूनों पर रंग लगाते हुए मुस्कुरा रही थी।

    “Hamza फिर से मेरा होगा… बस एक मौका चाहिए,” उसने खुद से कहा।

    उसी वक्त, Ayta तेज़ कदमों से अंदर आई उसकी चाल में ग़ुस्सा था और आँखों में साज़िश।

    “Arina,” उसने कहा।

    Arina ने नजरें उठाईं “Kya hua darling?”

    Ayta थोड़ी नज़दीक आई और बोली, “अगर तुम्हें लगता है कि Hamza अब भी तुमसे कुछ महसूस करता है… तो क्यों न आज़मा कर देख लो?”

    Arina मुस्कुराई “Oh sweetheart, तुम्हारी jealousy बहुत क्यूट है…”

    Ayta ने होंठ भींचे “आज रात उसे seduce करने की कोशिश करो। मैं तुम्हें उसके रूम तक ले जाऊँगी।”




    Night Hamza

    का Bedroom

    11 बजे रात।

    Ayta, Arina को Hamza के bedroom तक लाती है।

    “वो शायद washroom में होगा… यही सही वक़्त है,” Ayta धीमे से कहती है।

    Arina शरारती मुस्कान के साथ दरवाज़ा खोलती है और Ayta पर्दे के पीछे छिप जाती है।

    कुछ सेकंड बाद

    Hamza washroom से निकलता है, कमर पर बस एक सफेद towel लपेटे, बालों से पानी टपक रहा है। उसकी आँखों में वही खामोश तेज़ी… जो आग सी महसूस होती है।

    वो Arina को देखते ही ठिठकता है।

    “तुम यहाँ क्या कर रही हो?” उसकी आवाज़ बर्फ जैसी ठंडी होती है।

    Arina धीरे-धीरे उसके करीब आती है “I missed you, baby…”

    Hamza की भौंहें तनती हैं।

    “मेरी मरज़ी के बिना कोई भी इस कमरे में नहीं आता। तुमने ये हिम्मत कैसे की?”

    Arina उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए और करीब जाती है, उसके कंधे को छूती है और गर्दन पर हल्के से bite कर देती है।

    बस उसी पल...

    Hamza उसे ज़ोर से धक्का देता है।

    चटाक!!

    एक ज़ोरदार थप्पड़ Arina के गाल पर पड़ता है।

    वो लड़खड़ा जाती है।

    “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे इतने करीब आने की?”

    “हमारा रिश्ता उस दिन खत्म हो गया था जब तुम मेरी engagement के दूसरे दिन मुझे छोड़ कर चली गई थीं।”

    “और आज तक तुम सिर्फ इसलिए हो… ताकि मैं Ayta को जलाऊँ। लेकिन अब बहुत हो गया।”

    Hamza मुड़ता है, towel संभालता है, और गुस्से से गरजता है

    “मेरे करीब सिर्फ मेरी sweetheart ही आ सकती है।”

    “Sweetheart… पर्दे के पीछे से बाहर आओ।”

    Ayta की रूह काँप उठती है।

    वो सोच भी नहीं पाई थी कि Hamza उसे पहचान चुका है।

    धीरे-धीरे वो पर्दा हटाती है और सामने आती है।

    Hamza उसकी ओर देखता है आँखों में गुस्सा, तड़प और… जुनून।

    “तुम चाहती थी कि मैं Arina से बहक जाऊँ? ताकि तुम मुझसे दूर जा सको?”

    Ayta कुछ नहीं कहती।

    Hamza उसके करीब आता है, और उसका चेहरा अपने हाथों में लेता है।

    “तुम्हें लगा मैं तुम्हें जाने दूँगा?”

    “तुम मेरी हो… और मेरी ही रहोगी।”

    “तुम्हारे हर आँसू… हर धड़कन… मेरी इजाज़त से होंगे।”

    वो उसके कान के पास झुककर फुसफुसाता है

    “अब जो खेल तुमने शुरू किया है… उसका अंजाम भी मैं ही लिखूँगा।”




    Arina रोते हुए बाहर निकलती है।

    Ayta की आँखें नम होती हैं… पर उसमें डर नहीं, एक अजीब सी कशमकश होती है जैसे वो खुद भी समझ नहीं पा रही कि वो Hamza से नफरत करे… या खुद को।

  • 8. NIKKA WITH THE DEVIL - Chapter 8

    Words: 645

    Estimated Reading Time: 4 min

    Next Morning

    Hamza Villa

    रात की घटनाओं ने Ayta को अंदर तक झकझोर दिया था।
    उसकी आंखें अब भी सूजी हुई थीं।
    वो आईने के सामने खड़ी थी, पर खुद को देख नहीं रही थी… जैसे अपनी ही परछाई से डर रही हो।

    “मैंने ये क्यों किया…”
    उसने फुसफुसाया।
    “क्यों चाहा कि वो मुझे छोड़ दे…”

    उसका दिल टूटा नहीं था उलझा हुआ था।
    Hamza की आँखों में जो आग थी, वो उसे डरा भी रही थी… और बाँध भी रही थी।

    कुछ देर बाद

    Dining Room

    Hamza सुबह की coffee लिए बैठा था। आँखें आज भी ठंडी थीं, लेकिन उनके पीछे कुछ और था एक साजिश, एक शिकारी की तरह।

    Ayta धीरे-धीरे डाइनिंग रूम में आई।
    Hamza ने एक नज़र डाली, फिर cup रखा और कहा

    “Good morning, sweetheart… कैसी रही तुम्हारी साजिश?”

    Ayta ने कुछ नहीं कहा।
    वो चुपचाप कुर्सी पर बैठ गई।
    Hamza उठकर उसके पास आया, और उसके बालों में हाथ फेरते हुए झुककर बोला—

    “याद रखना… इस खेल में जीत मेरी होगी।”

    Ayta का शरीर सिहर गया। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं।

    आधे घंटे बाद


    College

    कॉलेज का माहौल अलग था।
    Ayta ने खुद को संभालने की कोशिश की।

    पर तभी

    एक लड़का Aarav, confident, charming और आंखों में curiosity लिए।

    “Hi… तुम Ayta हो ना?”
    उसने हल्के से मुस्कराकर कहा।

    Ayta चौंकी।

    “हाँ… पर तुम?”

    “I'm Aarav. Hamza sir का junior associate… आज से हमारे guest faculty भी बनेंगे। तुम उनकी personal student हो, मैंने सुना है।”

    Ayta को हैरानी हुई उसने सिर हिलाया।

    Aarav पास आ गया “You okay? तुम्हें देखकर लग रहा है कुछ heavy चल रहा है… अगर बात करना चाहो, I’m around.”

    Ayta पहली बार थोड़ा हल्का महसूस कर रही थी।


    शाम

    Hamza Villa



    Rohail Hamza का guard report

    “Sir, Ayta को Aarav से बात करते देखा गया… कॉलेज में करीब दस मिनट तक...”

    Hamza का जबड़ा कस गया।

    “नाम?”

    “Aarav Khanna.”

    Hamza ने एक सिगरेट जलाई और आँखें बंद करते हुए फुसफुसाया

    “तो अब मेरी ‘sweetheart’ को shoulder चाहिए…? Show her what possessiveness feels like.”





    Ayta कमरे में थी, तभी Hamza का message आया

    “Ready in 20 minutes. Black dress. No more questions.”



    Ayta कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन डर के मारे तैयार हो गई।

    Limousine आ चुकी थी।
    Hamza tuxedo में था, घड़ी देखता हुआ।

    Ayta अंदर बैठी, तो Hamza ने उसकी कमर पर हाथ रखा।

    “Late होने की आदत डाल रही हो?”

    Ayta कुछ कहने ही वाली थी कि Hamza झुका और उसके कान में फुसफुसाया

    “आज सबको बताना है… कि तुम सिर्फ मेरी हो। चाहे तुम्हें पसंद हो या नहीं।”


    कुछ देर बाद उनकी कार एक महँगे से होटल में रुकी

    महंगा होटल, classy mafia guests, businessmen, और dangerous faces से भरा हॉल।

    Hamza और Ayta साथ में एंटर करते हैं।

    सभी की निगाहें उन पर।

    Ayta थोड़ी सहमी हुई लेकिन Hamza की पकड़ उसकी कमर पर टाइट हो चुकी थी।

    “Don’t smile too much…” उसने फुसफुसाया, “वरना कोई और सोचेगा कि वो तुम्हें देख सकता है।”

    Dinner के दौरान, Hamza Ayta को एक trophy की तरह display करता रहा हर किसी से कहता:

    “Meet my future.”

    Ayta अंदर से कांप रही थी।
    उसे लग रहा था कि वो एक golden cage में कैद है




    Hamza ने उसे खींचकर डांस फ्लोर पर ले लिया।

    “Hamza… please, सब देख रहे हैं…” Ayta ने धीरे से कहा।

    “Let them,” उसने कहा और उसे अपनी ओर खींच लिया।

    वो उसके कान के पास झुका और बोला

    “तुम्हारी सांसें, तुम्हारी धड़कनें… और ये कांपता हुआ बदन सब मेरा है।”

    Hamza ने उसके गले पर lips टच किए।

    Ayta के होश उड़ गए। वो चाह कर भी खुद को अलग नहीं कर सकी।



    Ayta खुद से लड़ रही है।
    उसका दिल कह रहा है “बच जाओ”, लेकिन उसकी रूह कह रही है “वो मेरा है…”

    Hamza की आँखों में अब जीत की चमक थी और एक आग… जो उसे रोकने वाला कोई नहीं।


    To Be Continued…

  • 9. NIKKA WITH THE DEVIL - Chapter 9

    Words: 675

    Estimated Reading Time: 5 min

    Night

    Hotel Corridor

    Dance खत्म हुआ था, लेकिन Ayta के दिल की धड़कनें अब भी दौड़ रही थीं।

    Hamza उसका हाथ थामे उसे hallway की ओर ले जा रहा था। उसकी पकड़ धीमी नहीं थी… ये प्यार नहीं, कब्जा था।

    Ayta चुप थी, लेकिन उसकी आँखें Hamza के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थीं।

    Hamza ने होटल के एक प्राइवेट सुइट का दरवाज़ा खोला और Ayta को अंदर धकेलते हुए कहा

    "आज तुम मेरी trophy नहीं थी... आज तुम मेरी addiction बन चुकी हो, Ayta."

    Ayta की साँसें थम गईं।
    Hamza उसके बेहद करीब आ गया था, आँखों में ललक… और होठों पर खतरा।

    Ayta ने काँपते हुए कहा,
    "Hamza… ये गलत है…"

    Hamza ने उसकी ठोड़ी पकड़ते हुए कहा
    "गलत और सही का खेल अब ख़त्म हो चुका है। तुम्हारी साँस भी अब मेरी इजाज़त से चलेगी।"

    वो झुका… पर Ayta ने अपना चेहरा फेर लिया।

    Hamza रुक गया।

    कुछ पल खामोशी में बीते।

    और फिर वो एक शब्द बोले बिना कमरे से निकल गया, जैसे खुद को रोकने की कोशिश कर रहा हो।




    Next Morning

    Hamza का Villa

    Ayta धीरे से अपने कमरे से बाहर निकली। उसकी आँखों में नींद नहीं थी। बस एक भारीपन था जो रात से उसके सीने पर जमा था।

    वो लॉन की तरफ गई, कुछ देर अकेले बैठने

    तभी उसके मोबाइल पर एक मेसेज चमका

    You okay? Aarav

    Ayta ने थोड़ी देर स्क्रीन को देखा…
    फिर typing शुरू की…

    I don’t know.



    कुछ देर बाद

    College Campus

    Aarav library के बाहर Ayta का इंतज़ार कर रहा था।

    Ayta ने उसे देखा… और न चाहते हुए भी उसकी तरफ चली गई।

    Aarav ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा

    "तुम थकी सी लग रही हो… सब ठीक है?"

    Ayta ने सिर झुकाया
    "सब ठीक नहीं है… पर तुम्हारे पूछने से थोड़ा ठीक लगने लगता है।"

    Aarav ने उसके हाथ से किताब ले ली
    "चलो... आज café की मेरी तरफ से treat है।"

    Ayta पहली बार थोड़ा मुस्कराई।



    Rooftop Café

    Aarav और Ayta साथ बैठे थे

    बातें छोटी-छोटी थीं, लेकिन दिल को सुकून दे रही थीं

    Aarav ने कहा

    "तुम्हारी आँखों में बहुत कुछ छिपा है Ayta... किसी ने तुम्हें बहुत tight grip में रखा है, है ना?"

    Ayta ने कुछ नहीं कहा।

    Aarav उसके करीब झुककर बोला

    "मैं चाहता हूँ… अगर कभी तुम्हें किसी safe जगह की ज़रूरत हो, तो मैं वो बन सकूँ।"

    Ayta की आँखें भर आईं।



    Hamza का Study Room

    Rohail ने रिपोर्ट दी
    "Sir, Ayta और Aarav कैफे में हैं... rooftop पर अकेले।"

    Hamza की आँखें लाल हो गईं।

    उसने कांच का whiskey glass अपने हाथों से तोड़ डाला।

    "Us bastard को पता नहीं... कि मेरी चीज़ को छूना कितना महँगा पड़ सकता है।"



    रात का वक़्त Ayta का Room

    Ayta ने शाम को कोई जवाब नहीं दिया।

    Hamza पूरे दिन नहीं दिखा जो और डरावना था।

    रात को अचानक कमरे की लाइट बंद हो गई।

    एक धीमी सी आहट… फिर दरवाज़ा खुलने की आवाज़।

    Ayta ने डरते हुए पूछा
    "क…कौन?"

    अगले ही पल, एक मजबूत हाथ ने उसे दीवार से चिपका दिया।

    वो Hamza था।

    आँखों में जानवर जैसी आग, साँसें तेज़।

    "तुम्हें Aarav के साथ अच्छा लग रहा है?"

    Ayta काँप गई
    "तुम... तुम क्यों..."

    Hamza ने उसके बालों में मुट्ठी भींचते हुए कहा

    "क्योंकि तुम मेरी हो, Ayta! मेरी साँस… मेरी आग… मेरी बर्बादी…"

    वो और पास आया, उसकी गर्दन के पास होठ लाते हुए कहा

    "तुम्हारे लब किसी और का नाम लें… ये सोच भी मेरी रगों में ज़हर घोल देती है।"

    Ayta की आँखों से आँसू निकल आए।

    Hamza ने एक झटके में खुद को पीछे किया… और ज़मीन पर घूँसा मारा।

    "तुम्हें आज़ादी चाहिए थी ना? तो जाओ… पर याद रखना इस दुनिया में कोई भी मर्द तुम्हें छू भी नहीं पाएगा… जब तक मैं ज़िंदा हूँ।"

    वो दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल गया




    Ayta फर्श पर गिरकर रो रही थी

    उसे खुद से नफ़रत हो रही थी और Hamza से भी…

    लेकिन एक सवाल बार-बार उसके ज़ेहन में गूंज रहा था

    "अगर उसे मुझसे नफ़रत है, तो उसकी आँखों में इतनी मोहब्बत क्यों होती है?"


    To be continued…

  • 10. NIKKA WITH THE DEVIL - Chapter 10

    Words: 592

    Estimated Reading Time: 4 min

    सुबह का वक्त

    College Campus

    Ayta library के पीछे वाले गार्डन में बैठी थी। उसके सामने Aarav था।

    उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन आँखों में वो घुटन साफ दिख रही थी जिसे वो छुपाने की कोशिश कर रही थी।

    "कभी-कभी लगता है मैं खुद को भूलती जा रही हूँ…" Ayta ने धीमे से कहा।

    Aarav ने उसका हाथ छुआ।

    "तुम्हें खोने नहीं दूंगा, Ayta… मैं हूँ न

    तभी पीछे से किसी की सख्त आवाज़ गूंजी

    "तुम्हारी ये ‘मैं हूँ न’ बहुत महंगी पड़ेगी, Aarav."

    Aarav ने चौंककर देखा सामने Hamza खड़ा था।

    Black shirt, rolled sleeves, काले चश्मे और आँखों में मौत जैसा सन्नाटा।

    Hamza उसके करीब आया
    "तुम Hamza malik की चीज़ को हाथ लगा रहे हो… और ज़िंदा घूम रहे हो? हिम्मत है…"

    Aarav ने सीधा जवाब दिया
    "Ayta कोई object नहीं है। वो जो चाहे, कर सकती है।"

    Hamza हँसा एक ठंडी, दिल दहला देने वाली हँसी।

    "अब तुझे सिखाना पड़ेगा कि मेरे आसपास breath भी मेरी इजाज़त से ली जाती है।"

    Hamza ने एक card निकाला और Aarav की जेब में ठूंस दिया।

    "आज रात 9 बजे… warehouse 17. अकेले आना। वरना मेरी ‘sweetheart’ को अपने सामने गिरता देखेगा…"

    Ayta उठने लगी, पर Hamza ने उसकी कलाई थाम ली
    "तू वहीं रुकेगी जहाँ तुझे होना चाहिए मेरे साए में।"


    Hamza का Villa

    शाम

    Ayta का दिल बुरी तरह धड़क रहा था।

    वो अपने कमरे में थी, पर दीवारें जैसे सिकुड़ती जा रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि Hamza किस हद तक जा सकता है।

    Rohail आया
    "Sir ने आपको dinner के लिए बुलाया है… अकेले।"

    Ayta नीचे गई।

    Table पर दो प्लेटें सजी थीं, candle-light थी… पर Hamza की आँखों में जुनून का साया था।

    "तुमने आज Aarav को फिर देखा…"

    Ayta ने हिम्मत जुटाकर कहा
    "क्यों तुम्हें इतना फर्क पड़ता है? तुम मुझे कैद में रख सकते हो… पर दिल?"

    Hamza झुक गया, उसकी ठोड़ी पकड़ते हुए कहा

    "दिल? Ayta, तुम्हारा दिल अब मेरा हथियार बन चुका है… और जब तक मैं चाहता हूँ, वो सिर्फ मेरे नाम की धड़कन देगा।"

    Ayta की आँखों में आँसू थे, लेकिन वो पीछे नहीं हटी।

    "फिर मार दो… अगर यही मोहब्बत है।"

    Hamza ने उसकी तरफ झुकते हुए कहा

    "मार तो दिया है… खुद को। हर बार जब तू किसी और की आँखों में देखती है, मैं एक कतरा मरता हूँ…"



    कुछ देर बाद

    Warehouse 17

    Aarav अकेला warehouse पहुँचा।

    अंदर अंधेरा, सिर्फ एक light लटकी हुई।

    तभी पीछे से footsteps की आवाज़ आई।

    Hamza आया हाथ में gun नहीं, एक contract

    "Sign कर… resignation letter। City छोड़ दे… और Ayta के आसपास भी दिखा, तो लाश होगी सिर्फ।"

    Aarav ने contract को देखा… फिर कहा

    "Hamza… तुम उससे प्यार करते हो?"

    Hamza ने जवाब नहीं दिया

    Aarav ने आगे कहा "अगर करते हो… तो उसे अपने पास रखने के लिए उसके हर रिश्ते तोड़ना बंद करो।"

    "कभी-कभी, छोड़ देना जीत होती है…

    Hamza ने उसकी कॉलर पकड़ ली
    "Jeet तब होती है जब हार सामने वाले की साँस से झलकती है।"


    रात का वक़्त
    Ayta का Room

    Ayta अपने बिस्तर पर बैठी थी, नींद कोसों दूर

    तभी कमरे की लाइट धीमी हुई।

    Hamza आया उसके हाथ में एक छोटा velvet box था।

    Ayta उठने लगी, पर वो पास आ गया।

    "तुम्हें लगता है… मैं तुम्हें किसी और को छीनने दूँगा?"

    उसने box खोला एक भारी, हीरे जड़ा अंगूठी।

    "कल रात… Nikah."

    Ayta का दिल रुक गया।

    "तुम पागल हो गए हो…"

    Hamza ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया

    "हाँ… तुम्हारे लिए।"

    "अब ये पागलपन तुम्हारे नसीब का नाम होगा…"



    To be continue