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दीवानगी के फसाने चैप्टर 1: सुहागरात का जादू रात के 10 बज रहे थे। तारा दुल्हन के जोड़े में बेड पर बैठी थी, उसकी आंखों में अजीब सी चमक थी, जो किसी नई शुरुआत का इशारा कर रही थी। उसकी नजरें कमरे के हर कोने में घूम रही थीं, जैसे किसी नई दुनिया में कदम रखा हो। आज उसकी शादी हुई थी, नयन से। एक लड़का, जिसे उसने कॉलेज में अपने सपनों के साथ देखा था, और अब वह उसका जीवनसाथी बन चुका था। तारा का दिल धड़कते-धड़कते जैसे उसके सीने से बाहर निकलने वाला था। आज उसकी सुहागरात थी, और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। उसने अपनी दुल्हन की चूड़ियां खींची, हल्का सा मुस्कुराई, और फिर चुपचाप से गहरी सांस ली। कमरे का माहौल बिल्कुल अलग था। लाइट्स की हल्की सी चमक, फूलों की खुशबू, और हवा में उड़ी हल्की सी ताजगी – ये सब कुछ इतना नया था, पर तारा को इस पल का कुछ ज्यादा ही इंतजार था। तारा को याद आ रहा था कि कैसे नयन ने उसे पहली बार देखा था। कॉलेज के एक बोरिंग से दिन में, जब दोनों ने एक-दूसरे को गलती से धक्का दिया था। वह पल जैसे उसकी यादों में फंस सा गया था। नयन का चेहरा, उसकी मुस्कान – सब कुछ तारा के दिल में एक ठानी हुई जगह बना चुका था। लेकिन क्या यह सब वाकई ऐसा था जैसा तारा सोच रही थी? या फिर यह सिर्फ एक खूबसूरत सपना था? तारा ने कमरे में रखी बड़ी सी मेज़ की तरफ देखा, जहाँ नयन का सूट पड़ा था। उसके चेहरे पर मुस्कान छा गई, लेकिन उसके मन में सवाल भी थे। क्या नयन उसे वैसा ही महसूस कर रहा था जैसा वह कर रही थी? क्या वह भी इस पल को लेकर उतना ही उत्साहित था? तभी दरवाजे की हल्की सी खटखटाहट हुई। तारा ने हल्का सा चौंकते हुए दरवाजे की तरफ देखा। यह नयन ही था। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, जो उसके हंसी-मजाक के स्वभाव का संकेत दे रही थी। नयन ने देखा कि तारा कन्फ्यूज है और शायद थोड़ा घबराई हुई भी, तो उसने चुटकी ली, “तारा, कुछ तो बोलो! अब तक तो तुम चुप थी, और अब अचानक ये क्या गुमशुदगी का शिकार हो गई हो?” तारा हंसते हुए बोली, “तुम भी ना, आज शादी की रात है और तुम मजाक कर रहे हो!”