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बेइंतेहा मोहब्बत

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Nimmi jha

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Description

ये कहानी है विहान और सुनेहरी की......जिनके बिछड़ने के सालों बाद किस्मत एकदूसरे के सामने लाकर खड़ा कर देती है। दोनों एकदूसरे से एक अतीत से जुड़े और उसी अतीत के वजह से सुनेहरी करती है, विहान से बेइंतहा नफ़रत ,वही इसके विपरीत विहान जो सुनेहरी से करता...

Total Chapters (36)

Page 1 of 2

  • 1. chapter - 1 romantic date

    Words: 3868

    Estimated Reading Time: 24 min

    कहानी की शुरुवात 

     

    शाम का वक़्त 

     

    एक गाड़ी आकर एक गर्ल हॉस्टल के बाहर रुकती है और उसमें से एक हैंडसम लड़का गाड़ी से उतरता है। लड़के ने ब्लैक शर्ट और ब्लैक पैंट पेहनी हुई थी। शर्ट के उपर के दो बटन खुले हुए थे, जिसे उसकी मस्क्युलर बॉडी साफ दिख रही थी, मेस्सी हेयर स्टाइल, कलाई में ब्रांडेड वॉच, ब्लैक शुज पेहने हुए लड़का गाड़ी से टेक लगा खड़ा होकर किसी का इंतज़ार कर रहा था।

    तभी सामने के हॉस्टल से एक लड़की चलते हुए उसके तरफ़ आने लगती है, लड़की ने ऑफ शोल्डर ड्रेस पहनी हुई थी। लड़की को देख लड़का बस देखता रह जाता है, तो वही लड़की अपने कमर तक आरहे लंबे बालों को पीछे झटक लड़के तरफ़ बढ़ जाती है। 

    लड़की आकर ठीक लकडे के सामने खड़ी हो जाती है और मुस्कुरा कर कहती है, " चले! "

    लड़का उपर से नीचे तक लड़की को देखता है। गोरा रंग, लंबे बाल, कोमल होठों पर लिपस्टिक , बड़ी बड़ी काली गहरी आँखें जिसके तितली के पंख जैसे फड़ फड़ाते हुए पलके थी। छोटी और प्यारी नाक....व्हाइट कलर का ऑफ शोल्डर ड्रेस, कानों में लंबे इयर रिंग, कलाई पर ब्रेसलेट और गले में एक सुंदर चेन के साथ पैरों में हिल पहनकर लड़की ने अपने लुक को पुरा किया था। 

    लड़की दिखने में बहुत खूबसूरत थी और उसकी वो चेहरे की मुस्कुराहट उसके खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। जिस वजह से लड़का उसमें खो जाता है।

    तभी लड़की उसके सामने अपना हाथ हिला पूछती है, " क्या हुआ आकाश ? "

    लड़की के हाथ हिलाने और आवाज देने पर आकाश सेंस में आता है और लड़की से कहता है, " तुम बहुत खुसबरत लग रही हो सोना। " उसकी बात सुन सुनेहरी ब्लैश करने लगती है और अपनी नज़रे झुका लेती है। 

    तभी आकाश सुनेहरी के तरफ़ अपना हाथ बढ़ा कहता है, " चले!" आकाश का हाथ देख सुनेहरी भी मुस्कुरा कर उसके हाथ में अपना हाथ दे देती है। 

    आकाश सुनेहरी का हाथ पकड़ उसे गाड़ी के पास लेकर आता है और उसके लिए गाड़ी का डोर खोलता है, जिसके बाद सुनेहरी गाड़ी में बैठ जाती है और फिर आकाश भी ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ जाता है। आकाश गाड़ी स्टार्ट कर वहा से आगे बढ़ जाता है। 

     

    पूरे रास्ते ड्राइव करते हुए भी आकाश की नज़रे बार बार सुनेहरी पर जा रही थी। वही उसकी नज़रे ख़ुद पर मेहसूस कर सुनेहरी अपनी नज़रे भी नही उठा पा रही थी। 

     

    कुछ देर बाद आकाश एक जगह गाड़ी रोकता है और गाड़ी से उतर दूसरे तरफ़ का डोर खोल सुनेहरी के उतरने के लिए अपना हाथ बढ़ाता है। सुनेहरी भी आकाश का हाथ पकड़ गाड़ी से उतर जाती है। जिसके बाद आकाश सुनेहरी का हाथ पकड़ उसे लेकर आगे बढ़ जाता है। 

     

    सुनेहरी सामने देखती है, तो एक खूबसूरत गार्डन था, जहा बलून और लाइटिंग की सजावट थी और वही बीचों बीच एक टेंट लगा हुआ था, जिसमें एक टेबल के साथ दो चेयर थी। आकाश सुनेहरी को वहा पर लेकर जाने लगता है और जैसे - जैसे सुनेहरी अपने कदम बढ़ा रही थी, वहा पर लाइट जल रही थी, जिसे देख सुनेहरी चौक जाती है। 

     

    वही आकाश सुनेहरी को टेंट के पास लेकर आता है और फिर उसके लिए चेयर खींचता है। जिसके बाद सुनेहरी चेयर पर बैठ जाती है और ठीक उसके सामने आकाश बैठता है। सुनेहरी अपने चारों तरफ़ की सजावट देख खुश होकर आकाश से कहती है , " आकाश आपको इतना सब करने की क्या जरूरत थी? "

    "जरूरी था सोना , आज हमारी पहली डेट जो है। " उसकी बात पर आकाश उसे देख एक स्माइल के साथ कहता है। वही उसके मुंह से अपने लिए सोना सुन सुनेहरी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है।

    उसके बाद आकाश सुनेहरी को डिनर करने के लिए कहता है और जब सुनेहरी डिनर लेने लगती है, तो आकाश उसे रोक खुद उसे डिनर सर्व करता है। सुनेहरी देखती है, की टेबल पर सारी चीजें उसकी पसंद की है और ये देख सुनेहरी और खुश हो जाती है। 

     

    दोनों साथ में बातें करते हुए डिनर करते है और डिनर के बाद वेटर आकर वहा का सारा समान लेकर चले जाते है और फिर अचानक वहा म्युझिक बजने लगता है। म्युझिक बजते ही आकाश सुनेहरी के तरफ अपना हाथ बढ़ाता है, पूछता है, "Would you like to dance with me? " उसकी बात सुन सुनेहरी मुस्कुरा कर उसके हाथ में अपना हाथ दे देती है, जिसके बाद आकाश सुनेहरी को खड़ा कर उसके कमर पर हाथ रख डांस करने लगता है, सुनेहरी भी आकाश का साथ देने लगती है। 

     

    म्युझिक बज रहा था और आकाश सुनेहरी के साथ डांस कर रहा था, दोनों एकदूसरे के आँखों में देख रहे थे, तो वही अब आकाश के हाथ सुनेहरी के कमर से उसके पीठ पर आगये थे और दोनों के बीच का फासला भी कम हो गया था। धीरे - धीरे आकाश सुनेहरी के और करीब होने लगता है और अब आकाश सुनेहरी के चेहरे के एकदम करीब हो जाता है, जिसे सुनेहरी की दिल की धड़कन तेज हो जाती है। वही आकाश धीरे - धीरे उसके होठों के तरफ़ बढ़ने लगता है, लेकिन इसे पहले आकाश के होंठ सुनेहरी के होठों को छु पाते सुनेहरी आकाश के मुंह पर हाथ रख उसे रोक देती है। सुनेहरी के ऐसा करने पर आकाश उसे देखने लगता है, तो सुनेहरी धीमें कहती है, " आकाश मैं अभी इन सबके लिए तैयार नही हूँ। "

    उसकी बात सुन आकाश कहता है, " सुनेहरी इसमें कुछ गलत नही है, ये आज कल सब करते है और हम तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है। " 

    उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है, " लेकिन आकाश मुझे ये सब सही नही लगता है। " 

    उसकी बात सुन आकाश उसके कमर और हाथ को छोड़ अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ उसकी आँखों में देख कहता है, " सुनेहरी मेरी आँखों में देखो।" उसकी बात पर सुनेहरी उसकी आँखों में देखने लगती है। 

    तभी आकाश कहता है," क्या तुम्हें लगता है, मैं तुम्हारे साथ कुछ गलत करूँगा ? तुम्हें मुझपर भरोसा नही है क्या? " 

    " पुरा भरोसा है आकाश....इसलिए आज यहाँ आपके साथ हूँ। " उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है।

    आकाश उसके गाल को सेहलाते हुए कहता है, " सुनेहरी मैं हूँ ना....तुम्हें डरने की जरूरत नही है। अगर तुम नही चाहती तो हम ऐसा कुछ नही करेंगे ठीक है। " उसकी बात सुन सुनेहरी राहत की सांस लेती है, तभी आकाश उसे दूर होकर खड़ा हो जाता है। सुनेहरी को आकाश का उसे दूरी पर खड़ा होना अजीब लगता है, तो वही आकाश अब सुनेहरी से बातें भी सिर्फ उसके सवालों का जवाब " हम्म , हा " में देता है, जिसे सुनेहरी समझ जाती है, की आकाश को बुरा लग गया है। 

    तभी सुनेहरी उसके पास आती है और उसका हाथ पकड़ कहती है, " आकाश आप चाहें तो मुझे किस कर सकते है। " 

    उसकी बात सुन आकाश हैरान होकर उसे देखने लगता है, तो सुनेहरी उसे देख भर्या गले से कहती है, " आप जो चाहें वो मेरे साथ कर सकते है, पर प्लीज कभी मुझसे रूठ कर दूर मत जाइयेगा, क्यों की मैं आपके बिना नही रह सकती।" इतना बोलते ही उसकी आँखों में आँसू आजाते है, जिसे देख आकाश जल्दी से उसे अपने सीने से लगा कहता है, " पागल लड़की इतनी सी बात पर तुम रो क्यु रही हो? " 

    उसकी बात पर सुनेहरी उसे कसके पकड़ रोते हुए कहती है, " आकाश मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ, मैं आपके बिना नही रह सकती। अगर आप कभी मुझसे दूर हुए, तो मैं जी नही पाऊँगी।" सुनेहरी की बात सुन आकाश शॉक हो जाता है। 

     

    सुनेहरी की बातें आकाश को परेशान कर देती है, लेकिन फिर वो गहरी सांस लेकर सुनेहरी को खुद से अलग कर उसके चेहरे से आंसू पोछ कहता है, " मैं तुम्हें छोड़कर कभी नही जाऊंगा। " इतना बोल वो उसके माथे को चूम लेता है, तब जाकर सुनेहरी शांत होती है।

     

    कुछ पल बाद आकाश सुनेहरी का हाथ पकड़ ऐसेही टेहलने के लिए उसे अपने साथ लेकर जाता है और दोनों चलते - चलते बात करने लगते है। आकाश की नज़र बस सुनेहरी पर ही थी, जो बहुत ज्यादा खुश नज़र आरही थी। तभी एक वेटर आकर उन दोनों को ड्रिंक देता है। ड्रिंक देख सुनेहरी मना कर देती है, तो आकाश कहता है, " रिलेक्स सुनेहरी ये बस वाइन है, तुम पी सकती हो। "

    उसकी बात सुन सुनेहरी वो ड्रिंक लेकर पी लेती है। 

     

    आकाश सुनेहरी को ही देख रहा था। उसके चेहरे पर अजीब भाव थे, वही आकाश को भी ड्रिंक पीने के बाद अजीब लगता है। वही ड्रिंक पीने के बाद अचानक सुनेहरी को अपना सिर भारी लगने लगता है और वो अपना सिर पकड़ लेती है। सुनेहरी को ऐसे देख आकाश पूछता है, " क्या हुआ सुनेहरी? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी बोलती है, " पता नही आकाश पर अचानक मुझे मेरा सिर भरी लगने लगा है। "

    सुनेहरी की बात पर आकाश कहता है, " अगर तबियत ठीक नही लग रही है, तो पास में ही एक कॉटेज है, वहा चलकर आराम कर लेते है। " 

    " ठीक है।" उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है, जिसके बाद आकाश सुनेहरी को पकड़ अच्छे से खड़ा कर देता है, पर सुनेहरी ठीक से खड़ी भी नही हो पा रही थी और ये देख आकाश उस से कहता है, " सुनेहरी तुम ठीक नही लग रही हो। " उसकी बात पर सुनेहरी बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें खोल उसे देखने लगती है और फिर मुस्कुराकर अपने दोनों बाहें फैला देती है, जिसे देख आकाश मुस्कुरा कर उसे उठा लेता है और फिर कॉटेज के तरफ़ बढ़ जाता है। 

     

    आकाश सुनेहरी के साथ कॉटेज में आकर सीधा एक कमरे में जाता है। कमरे में आने के बाद आकाश सुनेहरी को गोद से उतार खड़ा करता है, तो सुनेहरी उसे पकड़ खड़ी हो जाती है। आकाश सुनेहरी के चेहरे को देखने लगता है, जो गुलाबी हो गया था, जैसे उसने कोई नशा किया हो। आकाश बड़े प्यार से सुनेहरी का चेहरा देखता है और फिर उसके गाल को सेहलाने लगता है। सुनेहरी को भी आकाश का छूना अच्छा लगने लगता है, इसलिए वो आकाश का हाथ पकड़ अपने गाल से दबा लेती है। 

    आकाश सुनेहरी के चेहरे पर आरहे बालों को उसके कान के पीछे कर बड़े प्यार से उसे निहारने लगता है और तभी उसकी नज़र सुनेहरी के कोमल होठों पर रुक जाती है। आकाश अपने अंगूठे से सुनेहरी के होठों को सेहलाते हुए सुनेहरी से पूछता है, " सुनेहरी क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख मुस्कुरा कर अपना सिर हा में हिला देती है, जिसके बाद आकाश सुनेहरी के होठों के तरफ़ बढ़ जाता है और सुनेहरी के कोमल होठों पर अपने सख्त होठों को रख देता है। आकाश के होठों को अपने होठों पर महसूस कर सुनेहरी की आँखें बंद हो जाती है। जिसके बाद आकाश उसे धीरे - धीरे चूमने लगता है। कुछ देर बाद सुनेहरी भी आकाश का हाथ देने लगती है।

     

    आकाश सुनेहरी को किस कर रहा था और अपने एक हाथ से उसकी कमर तो दूसरे हाथ से उसके पीठ को सेहला रहा था। आकाश और सुनेहरी की किस पैशनेट हो जाती है, लेकिन तभी सुनेहरी की सांस फूलने लगती है। सुनेहरी को सांस लेने में हो रही तकलीफ देख आकाश उसके होठों से अपने होठों को हटा लेता है। आकाश सुनेहरी को चेहरे को देखता है जो पुरा लाल हो गया था, पर उसकी आँखें अब तक बंद थी। आकाश सुनेहरी को गाल को छुकर पूछता है, " कैसा लगा? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी अपनी आँखें खोल उसे देख मुस्कुरा कर कहती है, " बहुत अच्छा लगा। क्या हम फिर से ये कर सकते है? "

    उसके सवाल पर आकाश मुस्कुरा देता है और फिर उसके कान के पास जाकर सिडेक्टिव आवाज में कहता है, " जान मैं तुम्हें इसे भी ज्यादा मजा दे सकता हूँ। " इतना बोल वो उसके इयरलोब पर हल्के से बाइट कर लेता है, जिसे सुनेहरी के बदन में सिरहन दौड़ जाती है। वही आकाश सुनेहरी के कान से हटा उसके गर्दन को चूमने लगता है और उसके होठों को अपने गर्दन पर महसूस कर सुनेहरी मधहोश होने लगती है। आकाश सुनेहरी के गर्दन से कंधे तक अपने होठों को चला रहा था और सुनेहरी बस आँखें बंद कर उसे महसूस कर रही थी। ये सारा अहसास उसके लिए नया था, जिसमें वो खोती जा रही थी। आकाश सुनेहरी को चुमटी हुए उसके पीठ पर अपने हाथों को लेकर जाता है और उसकी ड्रेस की जीप खोलने लगता है, पर फिर अचानक वो रुक जाता है और सुनेहरी के पीठ से अपने हाथ को हटा जल्दी से उसे दूर होता है। 

    आकाश सुनेहरी से दूर होता है, तो वो अपनी आँखें खोल उसे देखने लगती है। आकाश सुनेहरी को देख कहता है, " सुनेहरी तुम सो जाओ। " इतना बोल वो सुनेहरी को वही छोड़ वहा से सीधा वॉशरूम में जाता है। 

     

    आकाश वॉशरूम में आता है और आकर सीधा शॉवर के ऑन कर उसके नीचे खड़ा हो जाता है। शॉवर का पानी आकाश के उपर गिर रहा था, जो उसके अंदर की गरमी को कुछ राहत पहुँचा रहा था। आकाश अपने बालों पर हाथ फेर मन में कहता है, " ये मैं क्या करने जा रहा था? मैं किसी लड़की के साथ गलत नही कर सकता। " बदला लेना है, पर किसी लड़की के इज्जत से खेल कर नही। " इतना बोल वो अपने बालों से हाथ घुमा अपने शर्ट के बटन खोल उसे निकाल वही रख देता है और फिर शॉवर के नीचे खड़ा हो जाता है। 

     

    आकाश अभी शॉवर के नीचे ही खड़ा था, तभी उसे अपने सीने पर किसी के हाथ मेहसूस होते है, जिसे वो चौक जाता है। आकाश गर्दन घुमा पीछे देखता है, तो ये सुनेहरी थी। आकाश सुनेहरी को देख पूछता है, " सुनेहरी तुम यहाँ क्या कर रही हो? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " आकाश किस मी ना ” उसकी बात सुन आकाश उसके हाथ अपने सीने से हटा उसे देख कहता है, " सुनेहरी प्लीज तुम सो जाओ। "

    उसकी बात सुन सुनेहरी अपने पंजों पर खड़ी होकर उसे किस करने की कोशिश करने लगती है, पर तभी आकाश उसके मुंह पर हाथ रख कहता है, " सुनेहरी तुम इस वक़्त होश में नही हो।" 

    उसकी बात सुन सुनेहरी मुंह बना कर कहती है, " आकाश आप मेरी इतनी सी भी बात नही मान सकते। " 

    उसकी बात सुन आकाश सीरियस होकर कहता है, " सुनेहरी मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ। " 

    उसकी बात सुन सुनेहरी उसे देख कहती है, " आकाश बातें बाद में, अभी सिर्फ प्यार। " 

    इतना बोल वो आकाश के सीने पर हाथ रख नशीली आवाज में कहती है, " मुझे प्यार करो। "

    उसकी बात सुन आकाश कहता है, " सुनेहरी वो मैं... " इसके आगे वो कुछ बोलता उसे पहले सुनेहरी उसके मुंह पर हाथ रख उसे रोक देती है। 

    उसकी हरकत पर आकाश सुनेहरी को देखने लगता हैं, तो सुनेहरी भी अपना सिर उठा उसे देखने लगती है। आकाश उसकी आँखों में देख रहा था। तभी सुनेहरी आकाश का चेहरा अपने दोनों हाथों में थाम अपने पैरों के पंजों पर खड़ी होकर आकाश के माथे पर अपने होंठ रख चूम लेती है। सुनेहरी के होठों के एहसास से आकाश की आँखें बंद हो जाती हैं। वही सुनेहरी आगे बढ़ आकाश के दोनों गालों को एक - एक कर चूम लेती है। उसके बाद सुनेहरी अपने होंठ आकाश के होठों पर रख उसे चूमने लगती हैं। सुनेहरी की आँखें बंद थी, पर आकाश की आँखें खुली थी। वो बस सुनेहरी के चेहरे को ही देख रहा था। सुनेहरी आकाश से दूर होकर गहरी - गहरी सांस लेकर उसे देखने लगती है, तो सुनेहरी को देख आकाश का गला सुखने लगता है। सुनेहरी ने जो सफेद कलर का ड्रेस पहना था, वो भिगने के वजह से ट्रांसपरेंट हो गया था। 

     

    आकाश को अभी शांत देख सुनेहरी एकबार फिर अपने पंजों पर खड़े होकर आकाश को किस करने लगती है। इसबार सुनेहरी के होठों को महसूस करते ही आकाश के हाथ सुनेहरी के कमर पर आजाते है। तो वही सुनेहरी आकाश के लोवर होंठ को अपने दोनों होठों के बीच लेकर सक कर रही थी। आकाश उसके किस को सिर्फ एंजॉय कर रहा था, वो खुद से उसे किस नहीं कर रहा था। तभी सुनेहरी अपने हाथ उसके गर्दन पर लपेट देती है और अपने हाथ के नाखून उसके गले पर चुभा देती है। सुनेहरी के नाखून चुभाते ही आकाश सेंस में आता है और जल्दी से सुनेहरी को कमर से और टाइट पकड़ उसके किस में उसका साथ देकर नॉर्मल किस को स्मूच में बदल देता है। आकाश ऐसेही सुनेहरी को किस करते हुए उसे कमर से पकड़ उठा लेता है, तो सुनेहरी अपने दोनों पैर आकाश के कमर पर लपेट देती है। आकाश ऐसेही सुनेहरी को उठा उसके होठों को चूमते हुए , बेड के तरफ बढ़ जाता हैं। आकाश सुनेहरी को बेड पर लेटा उसके उपर हो जाता हैं। कुछ मिनट बाद जब सुनेहरी की साँसे उखड़ने लगती हैं, तो आकाश उसके होठों को छोड़ उसके गर्दन पर अपने होंठ रख देता है। विराट सुनेहरी के गर्दन को बहुत पैशन के साथ चुमने लगता हैं, जिसे सुनेहरी पूरी मदहोश होने लगती हैं। वही आकाश के हाथ सुनेहरी के पीठ पर जाकर उसके ड्रेस के जीप को खोल देता है और उसके पीठ को सेहलाने लगता है, जिसे सुनेहरी का बदन शिवर करने लगता हैं। आकाश सुनेहरी का ड्रेस उसके कंधे से सरका देता है और अब आकाश के हाथ उसके कमर से होकर उसके पेट पर फिर उसके सीने को सेहलाने लगते है। वही सुनेहरी मदहोश होकर आकाश के हाथ को अपने बदन पर महसूस कर रही थी, पर आकाश को सुनेहरी की ड्रेस अड़चन लग रही थी, इसलिए वो सुनेहरी से अलग होकर उसका ड्रेस को खोल उसके बदन से एक झटके में अलग कर देता है। आकाश के ऐसा करते ही सुनेहरी झटसे अपने हाथ सीने पर रख लेती है। उसे ऐसे देख आकाश अपने होंठ उसके खुले पेट पर रख देता है, जिसे सुनेहरी एक सिसकी निकल जाती हैं। आकाश के होंठ लगातार सुनेहरी के पेट पर घूम रहे थे, जो सुनेहरी के अब बर्दाश्त के बाहर थे, इसलिए सुनेहरी झटसे पलट जाती हैं। पर सुनेहरी ये भूल गयी थी, की उसके बदन पर कोई कपड़े नहीं है, इसलिए उसकी पीठ भी खुली हुई थी। आकाश आगे बढ़ सुनेहरी के पीठ पर बिखरे उसके बालों को हटा उसके पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगता हैं। तभी उसकी नजर सुनेहरी के कमर के तिल पर जाती हैं। उसे देख आकाश के होठों पर एक हल्की मुस्कान आजाती है और वो अपने होंठ उस तिल पर रख देता है। आकाश  उस तिल से चूमना शुरू कर सुनेहरी के पूरे पीठ पर अपने होंठ घुमाने लगता हैं, जिसे सुनेहरी बहक कर अपना बदन ढ़ीला छोड़ देती है। आकाश उसका बदन ढीला महसूस कर उसे झटके से अपने तरफ घुमाता है। सुनेहरी को अपने तरफ घुमाने के बड़े आकाश सुनेहरी के बदन को निहारने लगता हैं, तो वही सुनेहरी की आँखें बंद थी और वो गहरी - गहरी साँसे ले रही थी। आकाश की नजर सुनेहरी के उपर नीचे होते सीने पर टिक जाती हैं, जिसे उसका गला सुखने लगता हैं। आकाश अपने हाथ बढ़ा सुनेहरी के उभरे हुए अंगों पर रख , उन्हें अपने होठों को बीच लेकर सक करने लगता हैं। अब तो सुनेहरी की जैसे सांस अटक जाती हैं। यहाँ आकाश बेकाबू होकर सुनेहरी के अंग को चूमे जा रहा था और अपने निशान छोड़ते जा रहा था। अब सुनेहरी के हाथ भी उसके बालों में घूमने लगते है। वही आकाश वाइल्ड होकर वहा बाईट कर लेता है, जिसे सुनेहरी की सिसकी निकल जाती हैं। जो आकाश को और उत्तेजित कर देती है। अब आकाश सुनेहरी के सीने को चूमने के साथ सेहला भी रहा था, जिसे सुनेहरी तो पागल सी हो रही थी।  एक बार फिर आकाश सुनेहरी से अलग होता है और अपने शर्ट के बटन खोल अपना शर्ट और बाकी के कपड़े निकाल देता है। आकाश एकबार फिर सुनेहरी के उपर आकर पहले उसके माथे को चूमता है, फिर उसके दोनों गालों को, उसके बाद एक छोटी किस उसके नाक पर और आखिर में उसके होठों पर अपना कब्जा जमा देता है।पाँच मिनिट किस के बाद आकाश सुनेहरी से अलग होकर उसे देखता है, फिर उसके गाल को सेहलाते हुए  " सुनेहरी ये आखिरी मौका है, सोचलो मैं अगर इसे आगे बढ़ा, तो खुद को रोक नहीं पाऊँगा। " उसकी बात सुन सुनेहरी अपनी बंद आँखें खोल आकाश की आँखों में देख बोलती है " आकाश में चाहती भी नहीं, की आज आप रुके। " उसकी बात सुन आकाश बड़े प्यार से उसे देखने लगता हैं। तो वही सुनेहरी आगे बोलती है  " में आज पूरी तरीके से आपकी होना चाहती हुँ। " उसकी बात सुन आकाश आगे बढ़ उसके होठों को एकबार फिर चूमने लगता है। 

    उसके बाद आकाश की नजर सुनेहरी के गर्दन पर जाती है, जो उपर नीचे हो रही थी। तो आकाश अपने होठों को उसके गर्दन पर रख बेकाबू होकर चूमने लगता हैं। आकाश सुनेहरी के गर्दन पर निशान बनाने के बाद नीचे होकर उसके कंधे, सीने को चुमते हुए उसके पेट और कमर को चूमने लगता हैं। यहाँ सुनेहरी अपनी आँखें बंद कर बस उसके होठों को महसूस कर रही थी। 

     आकाश अब सुनेहरी को अपने आगोश में ले लेता है उसके ऐसा करते ही सुनेहरी के बदन में एक तेज सिरहन दौड़ जाती हैं और उसके मुँह से एक आह्ह् निकल जाती हैं, वही उसकी हाथों की पकड़ बेडशीट पर कस जाती हैं।  आकाश उसे देखने लगता हैं, तो सुनेहरी के बंद आँखों के कोने से आँसू बह रहे थे और उसने अपने होठों को भिज रखा था। आकाश जल्दी से उसके चेहरे के करीब होकर उसके होठों को अपने होठों के बीच दबा चूमने लगता हैं। कुछ पल बाद जब आकाश को लगता हैं, की सुनेहरी का दर्द कम हो गया है, वो सुनेहरी को प्यार करने लगता हैं। आकाश सुनेहरी को प्यार करते हुए उसके चेहरे को देख रहा था, सुनेहरी ने अपनी सिसकी और आहें दबाने के लिए अपने होठों को दांतों से भिज रखा था। 

     

    आकाश आगे बढ़ उसके हाथों से बेडशीट छुड़ा उसके हाथ की उँगलियों को अपने उँगलियों में फंसा बेड पर दबा देता है और अपने प्यार करने का तरीका तेज कर देता है। जिसके साथ सुनेहरी की सिसकियां और आहें तेज हो जाती हैं। जिसके साथ आकाश की तेज चलती साँसे की आवाज भी कमरे में गूंजने लगती है। एक घंटे बाद जब आकाश रुकता है और थक कर सुनेहरी के उपर ही लेट जाता हैं। 

     

    आकाश और सुनेहरी दोनों लंबी लंबी साँसे लेने लगती है। आकाश सुनेहरी के उपर से हट उसके बगल में लेट जाता है और सुनेहरी को देखने लगता है। सुनेहरी बहुत थकी हुई लग रही थी और साथ ही उसका चेहरा भी लाल था। 

    आकाश सिलिंग को देखते हुए मन में कहता है, " क्या ये मेरा बदला था, या प्यार! " 

    इतना बोल आकाश उसके तरफ़ घूम उसके गाल को सेहलाने लगता है, तभी सुनेहरी धीमें कांपती आवाज में पूछती है, " अ... अब तो आप मुझे छोड़कर नही जाओगे ना! " उसकी बात सुन आकाश हैरान रह जाता है और अब उसे समझ आता है, की सुनेहरी ने उसके साथ ये सब इस डर से किया की कही आकाश उसे छोड़कर ना चला जाए। 

     

     

    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए शिद्दत वाली मोहब्बत ❤

  • 2. chapter 2 धोख़ा और MMS

    Words: 3135

    Estimated Reading Time: 19 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 

     

    सुनेहरी आकाश के साथ अपनी पहली डेट पर जाती है, तब आकाश उसके नजदीक होने की कोशिश करता है, पर सुनेहरी उसे मना कर देती है। तभी आकाश सुनेहरी से कुछ दूर होकर थोड़ा नाराज हो जाता है और सुनेहरी से उसकी नाराजगी बर्दाश्त नही होती है, इसलिए वो रोने लगती है, जिसके बाद आकाश उसे चुप करवाता है। कुछ देर बाद आकाश और सुनेहरी एक ड्रिंक पीते है और उसे पीने के बाद सुनेहरी को नशा होने लगता है और नशे के बाद आकाश और सुनेहरी इंटीमेट हो जाते है। 

    अगली सुबह 

    सुनेहरी की आँखें सूरज के तेज रोशनी के वजह से खुलती है। सुनेहरी अपनी आँखें कसमसा कर खोल देती है, लेकिन उसे अपने सिर के साथ बदन में बहुत तेज दर्द मेहसूस होने लगता है। सुनेहरी जैसे - तैसे बेड पर उठकर बैठती है और अपने आपको देखने लगती है। सुनेहरी ने एक शर्ट पहना हुआ था। शर्ट देख सुनेहरी समझ जाती है, की वो आकाश का शर्ट है। सुनेहरी आकाश के शर्ट में खुद को देख ब्लैश करने लगती है। लेकिन तभी उसे आकाश का ध्यान आता है, तो वो कमरे में यहाँ - वहाँ देखने लगती है, पर उसे कहीं भी आकाश नजर नही आता है। सुनेहरी बेड से उतर आकाश को देखने लगती है, पर उसे कमरे में कहीं भी आकाश नही मिलता है, जिसे वो घबरा जाती है। उसे अजीब सी बैचेनी होने लगती है। 

    सुनेहरी की घबराहट बढ़ती उसे पहले कमरे का दरवाजा खुलता है और आकाश अंदर आता है। आकाश को देख सुनेहरी भागते हुए उसके पास जाकर उसके सीने से लग जाती है, जिसे आकाश चौक जाता है।

     सुनेहरी आकाश के सीने से लगे हुए कहती है, " कहा चले गए थे आप? मैं कितना घबरा गयी थी, पता है। "

    "सुनेहरी तैयार हो जाओ, मैं तुम्हें हॉस्टल छोड़ देता हूँ। " उसकी बात को इग्नोर कर आकाश बोलता है, जिसे सुन सुनेहरी को अजीब लगता है। सुनेहरी आकाश को देखने लगती है, तो आकाश कहता है, " मुझे जरूरी काम है। " ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे। लेकिन सुनेहरी मुस्कुरा कर अपना सिर हिला वॉशरूम में चली जाती है, तो वही आकाश कमरे के उस बेड को देखने लगता है, जो अस्त - व्यस्त था। 

    सुनेहरी वॉशरूम में आती है और अपने शर्ट के बटन खोलने लगती है, पर तभी उसकी नज़र सामने आईने पर जाती है। सुनेहरी आईने में अपने आपको देखती है, तो उसकी नज़र उसके गर्दन पर और उसके नीचे बने लव बाईट पर जाती है। सुनेहरी उस निशान को छुकर देखती है और फिर उसके आँखों के सामने कल रात की सारी बातें घूम जाती है, जिसे याद कर उसका चेहरा पुरा लाल हो जाता है। सुनेहरी अपने कपड़े निकाल शॉवर लेने लगती है और कुछ देर बाद अपनी रात वाली ड्रेस पहनकर ही वॉशरूम से बाहर आती है। सुनेहरी के बाहर आते ही आकाश उसे अपने साथ चलने कहता है। सुनेहरी उसके साथ कॉटेज से बाहर निकल जाती है। कॉटेज से बाहर आने के बाद आकाश सुनेहरी को अपने गाड़ी के पास लाता है और फिर दोनों गाड़ी में बैठ वहा से निकल जाते है। आकाश गाड़ी ड्राइव कर रहा था और उसके बगल में बैठी सुनेहरी उसे ऐसे चुप देख परेशान थी। उसे समझ नही आरहा था, की अचानक आकाश को क्या हो गया है। 

    कुछ देर बाद आकाश गाड़ी हॉस्टल के बाहर रोकता है। गाड़ी रुकने पर सुनेहरी आकाश को देख पूछती है, " आप नाराज है क्या मुझसे? "

    सुनेहरी के सवाल पर आकाश उसे देख कहता है, " नही सुनेहरी.... बस कल रात को जो हुआ, उस वजह से मैं तुमसे नज़रे नही मिला पा रहा हूँ। " इतना बोल वो फिर से सामने देखने लगता है। वही आकाश की बात सुन सुनेहरी उसके पास जाकर उसके गाल पर किस कर देती है, जिसे आकाश चौक कर उसे देखने लगता है।

     " आकाश आपको गिल्ट फिल करने की जरूरत नही है। जो हुआ उसमें मेरी मर्जी भी शामिल थी। " इतना बोल वो गाड़ी से उतर जाती है और फिर आकाश को देख बोलती है, " अपना काम पुरा करते ही मुझे कॉल करना। " उसकी बात पर आकाश मुस्कुराकर अपना सिर हा में हिला देता है, जिसके बाद सुनेहरी वहा से जाने लगती है, लेकिन फिर रुक मुड़कर आकाश को देख कहती है, " आय लव यू आकाश " इतना बोल वो जल्दी से हॉस्टल के अंदर भाग जाती है, तो आकाश भी मुस्कुराते हुए गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल जाता है। 

    सुनेहरी हॉस्टल में आकर सीधा अपने रूम में जाती है, जहाँ उसकी फ्रेंड पहले से उसका इंतज़ार कर रही थी।

    " ओह्ह माय गॉड! First date पर क्या गयी, सुनेहरी तु तो ग्लो करने लग गयी। " सुनेहरी को देखते ही  साक्षी उसे छेड़ते हुए कहती है,  उसकी बात सुन सुनेहरी का चेहरा लाल हो जाता है और ये देख साक्षी हंसने लगती है। जिसके बाद साक्षी सुनेहरी से डेट पर क्या क्या हुआ पूछने लगती है और सुनेहरी उसे सारी बात बताती है, सिवाए अपने इंटीमेट होने के। लेकिन साक्षी उसे शक भरी निगाहों से देख कहती है, " तु डेट पर गयी थी और रात भर उसके साथ रहकर आयी है और तुम दोनों के बीच कुछ नही हुआ? या मुझे बता नही रही है। " इतना बोल वो उसे अपने भौहें उचका उसे घूरने लगती है, जिसपर सुनेहरी उसके तरफ पिलो फेंक कर मारती है। ऐसेही दोनों दोस्तों में मस्ती होने लगती है। 

    रात का वक़्त

    सुनेहरी दोपहर से आकाश को कॉल कर रही थी, पर आकाश का कॉल ही नही लग रहा था, जैसे अब सुनेहरी परेशान हो गयी थी। सुनेहरी को ऐसे परेशान देख साक्षी कहती है, " सुनेहरी वो किसी काम में बिजी होगा। "

    उसकी बात पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " पर एकबार कॉल तो कर सकते थे, या कोई मैसेज करके ही बता देते। देखना कल सुबह जब कॉल आयेगा, तब मैं उनपर बहुत गुस्सा करूँगी। "

    उसकी बात सुन साक्षी हँसने लगती है। साक्षी को ऐसे हँसते देख सुनेहरी कंफ्यूज होकर उसे देखने लगती है, तो साक्षी कहती है, " तु और गुस्सा करेगी.... तुझे गुस्सा आता ही कहा है, जब देखो तब मुस्कुराती रहती हो। " उसकी बात सुन सुनेहरी मुस्कुरा देती है, तो साक्षी कहती है, " देखा इस बात पर भी मुस्कुरा दी। " साक्षी के ऐसे बोलने पर सुनेहरी उसे घूरने लगती है और फिर हंसने लगती है।

     सुनेहरी साक्षी को देख कहती है, " अब सो जाओ, कल सुबह कॉलेज भी जाना है। " उसकी बात पर साक्षी भी अपना सिर हिला देती है, जिसके बाद दोनों सो जाती है। 

    अगली सुबह

    सुनेहरी सुबह कॉलेज जाने के लिए जल्दी - जल्दी तैयार हो रही थी, साथ ही वो फिर से आकाश को कॉल कर रही थी, पर अभी आकाश का कॉल नही लग रहा था, जिसे सुनेहरी बहुत परेशान हो जाती है।

     तभी साक्षी उसे कहती है, " सुनेहरी जल्दी चलो हमें कॉलेज के लिए देर हो जायेगी। " उसकी बात सुन सुनेहरी भी अपना सिर हिला उसके साथ कॉलेज के लिए निकल जाती है। 

    जल्दी ही दोनों कॉलेज पहुँच जाते है। दोनों क्लास में बैठे हुए थे, तभी साक्षी सुनेहरी को देखती है, जो परेशान नजर आरही थी। साक्षी सुनेहरी से पूछती है, " क्या हुआ? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " आकाश का कॉल अभी नही लग रहा है। " उसकी बात सुन साक्षी चौक जाती है।

    तो सुनेहरी आगे कहती है, " साक्षी मुझे आकाश की फिकर हो रही है, मुझे अजीब सी बैचेनी हो रही है और घबराहट भी हो रही है। " 

    " अरे बापरे! एकसाथ इतना सब कुछ हो रहा है।" उसकी बात सुन साक्षी कहती है, जिसके बाद सुनेहरी उसे घूरने लगती है, तो साक्षी कहती है, " रिलेक्स सुनेहरी वो किसी काम मैं फंस गया होगा। "

    " आय होप ऐसा ही हो।" उसकी बात पर सुनेहरी कहती है। 

    तभी क्लास में पियून आता है और कहता है, " मिस सुनेहरी रंधावा ”

    अपना नाम सुन सुनेहरी अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है, तो पियून कहता है, " आपको प्रिंसिपल सर ने अपने कैबिन में बुलाया है। " उसकी बात सुन सुनेहरी कंफ्यूज हो जाती है, लेकिन फिर अपना सिर हिला पियून के साथ प्रिसिपल के कैबिन के लिए चली जाती है।  सुनेहरी के जाते ही क्लास में बैठे सारे स्टूडेंट के मोबाइल पर नोटिफिकेशन आता है, जिसे सब अपना मोबाइल देखने लगती है। साक्षी भी अपना मोबाइल देखने लगती है, तो उसमें जो आया है, उसे देख उसे झटका लगता है। 

    सुनेहरी पियून के साथ प्रिंसिपल के कैबिन में आती है, तो वहा पर पहले से उसकी क्लास टीचर और मैनेजमेंट के कुछ लोग खड़े थे। सुनेहरी को कुछ अजीब लगता है। सुनेहरी प्रिंसिपल  सर को देख पूछती है, " सर आपने बुलाया! "

    प्रिंसिपल सर अपना सिर हा में हिला उसके सामने मोबाइल आगे कर पूछते है, " मिस सुनेहरी इस वीडियो में तुम ही हो ना! "उनकी बात सुन सुनेहरी कंफ्यूज होकर मोबाइल उठा देखने लगती है। सुनेहरी जैसे ही मोबाइल में वीडियो देखती है, घबरा कर उसके हाथ से मोबाइल छुट कर नीचे गिर जाता है और वो घबराकर दो कदम पीछे हो जाती है। 

    सुनेहरी को ऐसे देख एक प्रोफेसर कहते है, " तो ये तुम ही हो। "

    उनकी बात सुन सुनेहरी उन्हें देखने लगती है, लेकिन उसे तो जैसे कुछ समझ ही नही आरहा था। तभी उसकी क्लास टीचर आगे आकर पूछती है, " सुनेहरी ये तुम्हारा ही MMS है ना? "उनकी बात सुन सुनेहरी अपनी जगह जम जाती है, वो कुछ बोल ही नही पाती है, उसे चुप देख प्रोफेसर फिर बोलता है, " इसकी शक्ल से ही साफ पता चल रहा है, की ये MMS वाली लड़की ये ही है। " 

    उनकी बात पर सुनेहरी उन्हें देखने लगती है, तभी मैनेजमेंट के सर कहते है, " ऐसी घटिया हरकत करते हुए तुम्हें शरम नही आयी? " 

    उनकी बात सुन सुनेहरी की आँखों में आँसू आजाते है, पर अभी उसे कुछ बोला नही जा रहा था। 

    तभी प्रोफेसर कहते है, " इन जैसी लड़कियों के वजह से ही हमारे कॉलेज का नाम खराब हो रहा है। " सुनेहरी अभी चुप थी।

     तभी प्रिंसिपल सर उसे देख पूछते है, " सुनेहरी तुम कुछ बोलोगी नही? " उनके सवाल पर सुनेहरी से पहले वो प्रोफेसर फिर बोलते हैं, " बोलने के लिए कुछ होगा, तब तो बोलेगी।" इतना बोल वो प्रिंसिपल सर को देख कहते है, " सर मुझे लगता है, हमें इसे कॉलेज से निकाल देना चाहिए। ऐसी लड़की अगर हमारे कॉलेज मैं रही, तो हमारे कॉलेज की बदनामी होगी और साथ ही  बाकी के स्टूडेंट पर भी बुरा असर होगा। " बाकी सब भी उनकी बात से सेहमत होते है, तो सुनेहरी शॉक हो जाती है। 

    प्रिंसिपल सर कुछ देर सोचने के बाद सुनेहरी से कहते है, " सुनेहरी तुमसे ये उमीद नही थी, हमारे कॉलेज की ब्राइट स्टूडेंट होकर भी तुमने ऐसी हरकत की .... " इतना बोल वो निराशा में अपना सिर हिला आगे कहते है, " बेहतर होगा, जो तुम खुद ही कॉलेज से अपना नाम वापस लेलो और हॉस्टल खाली करदो। " उनकी बात सुन सुनेहरी को झटका लगता है, तो वही उसे बाहर जाने के लिए बोलते है। 

    सुनेहरी बेसुध होकर प्रिंसिपल के कैबिन से बाहर निकलती है और वही दीवार से लग खड़ी हो जाती है। उसे यकीन ही नही हो रहा था, की अभी मोबाइल में उसने जो MMS देखा वो उसका है। सुनेहरी अभी ऐसी खड़ी थी, तभी साक्षी भागते हुए उसके पास आती है और सुनेहरी को ऐसे देख उसे मोबाइल दिखा पूछती है, " सुनेहरी ये सब क्या है? "

    साक्षी के सवाल पर सुनेहरी उसे देखने लगती है और फिर उसके गले लग रोने लगती है। सुनेहरी के ऐसे रोने पर साक्षी समझ जाती है, की सुनेहरी को इसी वजह से प्रिंसिपल के कैबिन में बुलाया था। 

    सुनेहरी अभी रो रही थी, तभी वहा से गुजर रहे स्टूडेंट उसे अजीब नजरों से देखने लगते है। साक्षी जब सबको ऐसे देखती है, तो सुनेहरी को खुद से अलग कर  उसे देख कहती है," सुनेहरी पूरे कॉलेज में ये वीडियो वायरल हो गया है।" उसकी बात सुन सुनेहरी अपनी जगह जम जाती है और तभी वो देखती है, की उसके आस - पास के स्टूडेंट उसे अजीब नजरों से देख रहे है। तभी साक्षी उसका हाथ पकड़ कहती है, " चलो यहाँ से... " इतना बोल वो सुनेहरी को वहा से लेकर जाने लगती है। 

    साक्षी सुनेहरी को कॉलेज से बाहर लेकर जा रही थी, लेकिन पूरे कॉलेज के स्टूडेंट की नज़र उसपर ही थी। सुनेहरी के आँखों से आंसू नही रुक रहे थे। लेकिन वो और साक्षी कॉलेज से बाहर जाती उसे पहले उनके सामने एक लड़का आकर खड़ा हो जाता है। लड़के को देख साक्षी और सुनेहरी रुक जाती है। वही लड़का सुनेहरी को देख कहता है, " अरे वाह! सुनेहरी तुम तो बड़ी तेज निकली। "

    उसकी बात सुन साक्षी उसे घूरते हुए कहती है, " अरुण इस वक़्त नही। "

    उसकी बात पर अरुण कहता है, " क्यु साक्षी? " इतना बोल वो वहा खड़े सारे स्टूडेंट को देख कहता है, " यहाँ ऐसा कोई नही है, जिसने सुनेहरी का MMS नही देखा हो। " उसकी बात सुन सुनेहरी अपनी आँखें कसके मिच लेती है। 

    वही अरुण आगे कहता है, " सुनेहरी अब मुझे समझ आया, की जब मैंने तुम्हें प्रोपोज किया था, तुमने मना क्यु किया? " इतना बोल वो कुछ पल चुप रहकर आगे कहता है, " तुम तो बड़ी पहुँची हुई निकली। " उसकी बात सुन सुनेहरी अपना सिर झुका रोने लगती है। तभी साक्षी गुस्से से अरुण से कहती है, " अरुण जस्ट शट अप!"

    "" क्यु साक्षी ? अरुण क्यु चुप रहे? " ये बोलते हुए एक लड़की वहा आकर ठीक अरुण के बगल में खड़ी हो जाती है। लड़की सुनेहरी को देख कहती है, " वाह सुनेहरी! कमाल हो तुम... कॉलेज मैं सिंपल भोली भाली लड़की बनकर रहना और बाहर ये सब करना। " उसकी बात सुन सुनेहरी का रोना बढ़ जाता है, लेकिन वो अपना सिर नही उठाती है। तभी साक्षी उस लड़की को देख गुस्से से कहती है, " तमन्ना कुछ तो सोच समझकर बोलो। "

    "" क्यु तुम्हारी दोस्त ने ये सब करने से पहले नही सोचा? " तमन्ना बोलती है, जिसके बाद वो और अरुण हँसने लगते है और उनके साथ कुछ स्टूडेंट भी हँसने लगते है। 

    तभी साक्षी सबको देख गुस्से से कहती है, "  सुनेहरी के साथ गलत हुआ है और तुम सब हंस रहे हो, शरम नही आती? "

    " हम क्यु शरम करे? शरम तो सुनेहरी को करनी चाहिए, उसने ये सब किया है, हमने नही। " तमन्ना साक्षी की बात सुन कहती है। साक्षी गुस्से से अपने हाथों की मुठ्ठिया बांध सुनेहरी का हाथ पकड़ उसे वहा से लेकर जाने लगती है, तभी अरुण उसे फीर से रोक देता है। अरुण के रोकने पर साक्षी उसे गुस्से से देखने लगती है, तो वही अरुण सुनेहरी के पास आकर धीमें कहता है, " देखा मुझे रिजेक्ट करने का अंजाम। "

    उसकी बात सुन सुनेहरी और साक्षी शॉक होकर उसे देखने लगते है। तो वही अरुण और तमन्ना मुस्कुरा कर उसे देख रहे थे। " तो ये सब तुमने किया है?" साक्षी हैरान होकर अरुण से पूछती है।

    उसके सवाल पर अरुण और तमन्ना मुस्कुरा देते है, जिसे ये कंफरम हो जाता है, की ये सब उन दोनों ने ही किया है। अरुण सुनेहरी के करीब जाकर उसे देख आगे कहता है, "और तुम जानती हो आकाश कौन है? "उसके मुंह से आकाश का नाम सुन सुनेहरी को झटका लगता है। तो अरुण कहता है, " आकाश मेरा बचपन का दोस्त है, जिसे मैंने ही तुम्हारे पास बदला लेने भेजा था और देखो उसने तुम्हें अपने प्यार के जाल में फंसाया और अपने बिस्तर तक लेकर गया। " उसकी बात सुन सुनेहरी के पैरो तले जमीन खिसक जाती है।

     उसे ऐसे देख तमन्ना कहती है, " तुम्हें क्या लगा आकाश तुमसे प्यार करता है? तुम जैसी लड़कियों को तो वो मुंह तक नही लगाता। आकाश मुझसे प्यार करता है, समझी! सिर्फ भाई का बदला लेने के लिए उसने तुम्हारे साथ प्यार का नाटक किया। और उसी ने ये MMS बना कर वायरल किया है। ताकि तुम किसी को मुंह दिखाने लायक ना रहो।" तमन्ना की बात सुन सुनेहरी को इतना बड़ा झटका लगता  है, जैसे उसकी धड़कन रुक गयी है और अब उसकी सांसे थम जायेगी।

     अरुण आगे कहता है, " तुमने मुझसे ये कहकर रिजेक्ट किया था ना, की मैं तुम्हारे लायक नही हूँ.... अब देखो, तुम किसी के लायक नही रही। तुम किसी को अपनी शक्ल नही दिखा पाओगी।"

    उसकी बात सुन सुनेहरी को आकाश के साथ बिताए पल एक - एक करके याद आने लगते है। उनकी पहली मुलाकात जब आकाश ने उसे गुंडों से बचाया था, फिर धीरे - धीरे वो जहा जाती थी, उसे आकाश मिलता था, जिसके बाद दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार हुआ। तीन महीने में ही सुनेहरी आकाश से शिद्दत वाली मोहब्बत करने लगी थी, इतना की उसने आकाश के प्यार में वो हद भी पार कर दी थी, जो करने के लिए एक लड़की हजार बार सोचती है। सब याद कर सुनेहरी रोते हुए वहा से भागते हुए कॉलेज के बाहर जाती है। सुनेहरी को जाते देख साक्षी गुस्से से तमन्ना और अरुण को देख कहती है, " तुम दोनों भाई - बेहन कितने गिरे हुए हो। " इतना बोल वो सुनेहरी के पीछे भागती है। 

    यहाँ सुनेहरी भागते हुए रोड़ के बीचोंबीच आकर खड़ी हो जाती है। तभी एक गाड़ी तेजी से उसके तरफ़ बढ़ रही थी। लेकिन गाड़ी सुनेहरी को टक्कर मारती उसे पहले वहा साक्षी आकर सुनेहरी को पकड़ खींच लेती है। 

    साक्षी सुनेहरी को पकड़ गुस्से से कहती है, " पागल हो गयी है.....अभी मर जाती। "

    " मर जाने दे मुझे! " साक्षी की बात पर सुनेहरी भी गुस्से से झल्ला कर जवाब देती है। उसकी बात सुन साक्षी उसे घूरने लगती है, तभी सुनेहरी कहती है, " मैंने जो किया है, उसके बाद तो मुझे मर ही जाना चाहिए साक्षी.... "

     " सुनेहरी तुम ऐसा क्यु बोल रही हो? " साक्षी परेशान होकर पूछती है। जिसपर सुनेहरी उसे आंसू भरी आँखों से उसे देख कहती है, " मैंने उसे बेइंतेहा मोहब्बत की साक्षी और उसका प्यार नाटक था, मैंने मोहब्बत में अपना सब कुछ उसपर लुटा दिया और वो मुझे सारे आम बदनाम करके चला गया। क्या गलती थी मेरी साक्षी? ” इतना बोल वो जोर - जोर से रोने लगती है। तभी साक्षी उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम कहती है, " सुनेहरी मेरी तरफ़ देख.... तेरी कोई गलती नही थी, तूने तो सच्चा प्यार किया है उसे। "

    उसकी बात पर सुनेहरी रोते हुए कहती है, " और मेरे सच्चे प्यार के सामने उसका बदला जीत गया.... अगर उसे बदला ही लेना था और भी तरीके थे, वो मुझे जान से मार सकता था, लेकिन मेरी मोहब्बत के साथ खिलवाड क्यु? प्यार का नाटक क्यु? " इतना बोल वो वही घुटनों के बल बैठ जाती है। 

    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत

  • 3. chapter 3 सुसाइड करने की कोशिश

    Words: 2118

    Estimated Reading Time: 13 min

    आइये जानते है आगे की कहानी

    सुनेहरी का MMS वायरल होने पर उसे कॉलेज से साथ हॉस्टल से भी निकाल दिया जाता है, तभी उसे पता चलता है, की वो जिसे इतना प्यार करती थी, उसी आकाश ने उसे धोखा दिया है और ये सब उसने ही अपने दोस्त अरुण का बदला लेने के लिए किया है।  जिसे वो टूट जाती है।

     साक्षी उसे संभाल खड़ा कर कहती है, " पहले यहाँ से चलो, फिर करते है बात। " इतना बोल वो सुनेहरी को अपने साथ लेकर चली जाती है। 
    साक्षी सुनेहरी को लेकर जैसे ही हॉस्टल पहुँचती है, वहा पर सबकी नजर उन दोनों पर जाती है और सब सुनेहरी को घूर - घूर कर देखने लगती है। सुनेहरी और साक्षी जब अपने रूम के तरफ़ जा रही थी, तभी उनके कानों में कुछ लड़कियों की बातें पड़ती है। " दिखने में तो कितनी मासूम दिखती है और असल में ऐसी है। "
    " मुझे तो पहले से ही इसपर शक था, भला कोई इतना मासूम होता है। "
    " पता नही और कितने कांड किये होंगे इसने "
    " ये यहाँ क्यु आयी है, इसे शरम नही आती, मैं अगर इसकी जगह होती तो जाकर कही मर जाती। " उनकी बात सुन सुनेहरी अपनी आँखें मिच लेती है, तभी साक्षी सबको देख गुस्से से चिल्लाकर कहती है, " चुप! एकदम चुप! " उसकी बात पर सारी लड़किया मुंह बना लेती है, तो वही सुनेहरी रोते हुए अपने रूम में चली जाती है। साक्षी भी जल्दी से उसके पीछे जाती है और उसे चुप कराने लगती है, लेकिन सुनेहरी बस रोए जा रही थी, रो - रो कर उसने अपनी हालत खराब करली थी। 

    साक्षी के कुछ कोशिशों के बाद सुनेहरी का रोना बंद होता है। लेकिन वो एकदम शांत बैठ जाती है। यहाँ साक्षी को भी समझ नही आरहा था, की वो क्या करे। तभी सुनेहरी साक्षी को देख कहती है, " साक्षी... ऐसा भी तो हो सकता है, की अरुण झूठ बोल रहा हो, ये सब आकाश ने नही किया हो और वो सच में मुझसे प्यार करता हो। "
    उसकी बात सुन साक्षी उसके पास आती है और उसे पूछती है, " तुम दोनों के डेट पर जाकर आने के बाद से उसने तुम्हें कितनी बार कॉल किया है? या कितने मैसेज किए? क्या वो मिलने आया? " साक्षी के सवाल पर सुनेहरी रोते हुए कहती है, " वो ऐसा नही कर सकता। "
     "बस करो सुनेहरी....तुम्हें समझ नही आरहा या समझना नही चाहती। आकाश ने ये सब बदला लेने के लिए किया और तुझे बदनाम कर,तुझे छोड़कर वो चला गया। वरना तु सोच, कल से उसने एकबार भी तुझे कॉल नही किया और नाही तेरा हालचाल लिया। अगर ये सब उसने नही किया है, तो वो तुमसे मिलने क्यु नही आया? " साक्षी गुस्से से झल्लाकर बोलती है। जिसे सुन सुनेहरी फिर से रोने लगती है, तभी साक्षी चिल्लाकर कहती है, " आकाश ने धोका दिया है तुझे.... तेरी जिंदगी और इज्जत का खिलवाड बनाकर गया है वो... "उसकी बात सुन सुनेहरी अपना चेहरा ढक रोने लगती है, तभी उनके रूम के दरवाजे पर नॉक होता है। साक्षी जाकर दरवाजा खोलती है, तो सामने हॉस्टल की वॉर्डन खड़ी थी। 

    वॉर्डन अंदर आकर सुनेहरी को देख कहती है, " सुनेहरी अब तुम इस हॉस्टल में नही रह सकती, तुम्हें कल ही ये हॉस्टल खाली करना होगा। " उसकी बात सुन सुनेहरी बस उसे देख रही थी, तो वॉर्डन जाने लगती है, लेकिन फिर रुक सुनेहरी को देख पूछती है, " कही तुम इस रूम में तो लड़कों को नही बुलाती थी? "उनकी बात सुन सुनेहरी शॉक होकर उसे देखने लगती है, वही साक्षी उसे गुस्से से घूरने लगती है, जिसपर वॉर्डन कहती हैं, " ऐसी लड़कियों का भरोसा नही है। " इतना बोल वो सुनेहरी से कड़क आवाज में कहती है, " कल सुबह ही ये रूम खाली कर देना। " इतना बोल वो वहा से चली जाती है और एकबार फिर सुनेहरी के आंसू गाल पर आजाते है। 


    सुनेहरी अगले दिन ही हॉस्टल छोड़कर अपने घर चली जाती है। लेकिन अपने घर आकर वो नाही अपने पापा को और ना अपने भाई को सच बताती है, की उसने कॉलेज क्यु छोड़ा। 
     
    सुनेहरी के परिवार में उसके पापा अभय रंधावा और भाई धीरज रंधावा ही थे। सुनेहरी इन दोनों की बहुत लाडली थी, जान छिड़कते थे, दोनों सुनेहरी पर। 
    अपने घर आकर सुनेहरी दो दिन हो गए थे, पर वो एकदम चुप - चुप सी रहने लगी थी और उसके पापा और भाई ने कभी उसे इतना चुप नही देखा था, पर उनके लाख पूछने के बावजूद सुनेहरी उन्हें कुछ नही बताती है, क्यों की वो हिम्मत ही नही कर पा रही थी। 
     
    एक दिन
     
    सुनेहरी अपने बाथरूम में शॉवर के निचे खड़ी होकर रो रही थी। शॉवर से गिरता पानी उसकी रोने वाली आवाज को दबा रहा था, लेकिन उसकी लाल आँखें बता रही थी, की वो बहुत देर से रो रही है। उसके पहने कपड़े भीगने के वजह से उसके बदन से चिपक गए थे, वही उसके खुले काले बाल उसके पीठ से चिपक गए थे। सुनेहरी रोते रोते वही नीचे बैठ जाती है और फिर और तेज रोने लगती है। 
     
    कुछ घंटों बाद सुनेहरी का रोना बंद होता है और वो अपनी जगह से उठकर खड़ी हो जाती है। सुनेहरी बाथरूम के मिरर के सामने आकर खड़ी होकर नज़र उठा अपने आपको देखने लगती है। उपर से नीचे तक पुरी भीगी हुई थी। उसके बालों से अभी पानी टपक रहा था, वही उसकी बड़ी - बड़ी आँखें सूज कर लाल हो गयी थी। सुनेहरी अपने आपको मिरर में देखती है और फिर कांपती आवाज में कहती है, " आय हेट यू आकाश.... " इतना बोल वो अपने कलाई पर ब्लेड से कट लगा लेती है, जिसके बाद उसके कलाई से तेजी से खून रिसने लगता है। सुनेहरी अभी कुछ देर ऐसेही खड़ी रहती है और फिर अचानक उसके आँखों के सामने सब कुछ धुंधला हो जाता है और सुनेहरी वही बेहोश होकर गिर जाती है। 
     
    सुनेहरी के बेहोश होने के कुछ देर बाद बाथरूम का डोर उसका भाई धीरज खोलता है और सामने का नजारा देख शॉक हो जाता है। सुनेहरी के कलाई कटी हुई थी और उसे खून कर पूरे बाथरूम में पसर चुका था। ये सब देख धीरज जोर से सुनेहरी का नाम पुकारता है, " सुनेहरी.... "  

    धीरज जल्दी से सुनेहरी के पास आता है और सबसे पहले उसके कलाई से रिस रहे खून को रोकने के लिए उसपर अपने जेब से रुमाल निकाल बांध देता है और सुनेहरी को उठा बाथरूम से बाहर निकल जाता है। 
     
     
    धीरज सुनेहरी को लेकर सीधा सिटी हॉस्पिटल पहुँचता है। सुनेहरी को एमरजेंसी वार्ड में लेकर जाया जाता है, जहा उसका ट्रीटमेंट शुरू होता है। अंदर एमरजेंसी वार्ड में सुनेहरी का ट्रीटमेंट चल रहा था और वही बाहर उसे धीरज परेशान होकर यहाँ - वहाँ चहल कदमी कर रहा था। उसके चेहरे पर सुनेहरी के लिए फिकर साफ़ नज़र आरही थी। 
     
    तभी वार्ड का दरवाजा खुलता है और डॉक्टर बाहर आते है। डॉक्टर को देख धीरज जल्दी से उनके पास जाकर पूछता है, " डॉक्टर सुनेहरी कैसी है? "

    उसके सवाल पर डॉक्टर गहरी सांस लेकर कहते है, " आप उन्हें एकदम सही वक़्त पर लेकर आए, अगर थोड़ी सी भी देर हो जाती , तो उन्हें बचा पाना बहुत मुश्किल होता। "
    उसकी बात सुन धीरज घबरा जाता है, तो डॉक्टर जल्दी से कहते है, " घबराने की बात नही है धीरज.... अब वो ठीक है। "
    उनकी बात सुन धीरज राहत की सांस लेता है, तभी डॉक्टर आगे कहते है," हा बस खून ज्यादा बह जाने पर वजह से कमजोरी आगयी है। लेकिन वो ठीक है। "
    " क्या मैं उसे मिल सकता हूँ? " उनकी बात सुन धीरज पूछता है। 
    धीरज के सवाल पर डॉक्टर कहते है," अभी वो बेहोश है, होश में आते ही तुम उसे मिल सकते हो।" इतना बोल वो उसके कंधे को थपथपा वहा से चले जाते है। 
    वही डॉक्टर की बात सुने के बाद धीरज वही बेंच पर बैठ अपने माथे को पकड़ लेता है। 
     
     
    कुछ घंटो बाद 
     
    सुनेहरी को होश आता है और वो धीरे - धीरे कर अपनी आँखें खोलती है। पहले तो सुनेहरी को सब कुछ धुंधला नज़र आता है, लेकिन फिर वो दो - तीन बार अपनी पलके झपकाती है, तब उसे सब साफ़ दिखने लगता है। सुनेहरी को जब सब कुछ साफ़ दिखायी देता है, तभी खुद को एक अनजान जगह देख वो चौक जाती है और तभी उसके कानों में एक आवाज आती है, " घबराओ मत मरी नही हो तुम... अभी जिंदा हो। " आवाज सुन सुनेहरी अपनी नज़रे घुमा देखती है, तो उसके पास धीरज खड़ा था। धीरज को देख सुनेहरी घबरा जाती है। 
     
    तभी धीरज आकर सुनेहरी के पास बैठ जाता है और फिर उसे पूछता है, " क्या कमी रह गयी थी हमारे प्यार में? "
    उसके सवाल पर सुनेहरी जिसने अब तक ख़ुदको संभाला था, वो रोते हुए कहती है, " सोर्री भाई ” इतना बोल उसका रोना बढ़ जाता है, तभी धीरज उसके सिर को सेहलाते हुए कहता है, " बच्ची एक बार तो बताकर देख, की आखिर ऐसा क्या हुआ है? जो तुम अपनी जान देने जा रही थी। "
    उसकी बात सुन सुनेहरी अपने आंसू भरे आँखों से उसके तरफ़ देखने लगती है। सुनेहरी को ऐसे देख धीरज उसके गाल से आंसू पोछ उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर कहता है, " तुम बस मुझे बताओ, तेरे भाई का वादा है, सब ठीक कर दूंगा। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी कुछ बोलती उसे पहले वार्ड का डोर खुलता है और एक आदमी अंदर आता है। वार्ड में आए आदमी को देख धीरज अपनी जगह से खड़ा हो जाता है, तो वही सुनेहरी के आँखों में एकबार फिर आंसू आ जाते है और उसके मुंह से धीमें निकलता है, " पापा "
     
     सुनेहरी के पापा अभय सहानी वार्ड के अंदर आते है और सीधा सुनेहरी के पास बढ़ जाते है। अभय जी सुनेहरी के पास आकर उसके कलाई को देखते है, जिसपर सफ़ेद पट्टी बंधी हुई थी। अभय जी समझ जाते है, की सुनेहरी ने ये कलाई काटी है। इसलिए अभय जी सुनेहरी की वो कलाई उठा उसे देखने लगते है, तभी सुनेहरी घबरा कर कहती है, " पापा वो.... "
    " ठीक से नही काट सकती थी। " इसके आगे वो कुछ बोलती उसे पहले अभय जी बोलते है। जिसे सुन सुनेहरी शॉक होकर उन्हें देखने लगती है, तो वही धीरज भी शॉक हो जाता है।
    सुनेहरी तो अब कुछ बोल नही पा रही थी, तभी धीरज आगे आकर अभय जी से कहता है, " पापा आप ये क्या कह रहे है? "
    उसके सवाल पर अभय जी उसे देख गुस्से से कहते है, " इसने जो किया है ना उसके बाद तो इसे मर ही जाना चाहिए। " 
    उनकी बात सुन सुनेहरी को झटका लगता है, तो वही धीरज शॉक होकर उन्हें देखने लगता है। 
    अभय जी आगे कहते है, " इसने अपने साथ हमारे परिवार की इज्जत भी डुबो दी है। " 
    उनकी बात सुन धीरज हैरानी से उन्हें देख रहा था, तभी अभय जी कहते है, " तुम जानते हो, ये अपना कॉलेज छोड़ यहाँ वापस क्यु आयी है? " 
    " पापा सुनेहरी ने जो भी किया हो, वो आपकी बेटी है और आप उसे ऐसे बात कर रहे है। " धीरज उनकी बात सुन कहता है। 
    तभी अभय जी और गुस्से से कहते है, " बेटी नही बदनामी का टोकरा है ये...ऐसी बेटी होने से अच्छा होता, की मेरी कोई बेटी ही नही होती। " उनकी ये बात सुन धीरज शॉक होकर उन्हें देख रहा था, तो वही अभय जी की बात सुन सुनेहरी उन्हें ऐसे देख रही थी जैसे उसे यकीन ही नही हो रहा हो, की ये उसके पापा है, वो पापा जो उसे बहुत प्यार करते है, जिनकी वो लाडली है। 
    वही अभय जी सुनेहरी को देख आगे कहते है, " आज से मेरी बेटी मर गयी है, मेरे लिए। " उनकी ये बात सुन सुनेहरी अंदर से टूट जाती है और धीरज को झटका लगता है। अभय जी अपनी बात बोल वहा से चले जाते है और सुनेहरी उसे देख तो लग रहा था, जैसे उसके लिए सब कुछ ख़तम हो गया हो। 
     
    उन्नीस साल की सुनेहरी जिसकी एक गलती के वजह से उसके पापा ने उसे अपने रिश्ता तोड़ लिया था। वही उसका भाई धीरज वो अभी सुनेहरी को देख रहा था, इस उमीद में की वो कुछ बोलेगी। लेकिन सुनेहरी तो जैसे अपने होश खो बैठी हो। उसकी हालत देख धीरज की हिम्मत नही थी, उसे कुछ भी पूछने की, इसलिए वो जाकर सुनेहरी के पास बैठ जाता है और फिर उसे अपने सीने से लगा लेता है। धीरज के सीने से लगाते ही सुनेहरी उसके शर्ट को पकड़ जोर - जोर से रोने लगती है और सुनेहरी को ऐसे देख धीरज की आँखें भी नम हो जाती है। 
     
     
     
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिये बेइंतेहा मोहब्बत

  • 4. Chapter 4 -चार साल बाद

    Words: 1568

    Estimated Reading Time: 10 min

    आइये जानते है आगे की कहानी
     
    चार साल बाद 
     
    एक बड़ा सा विला जो बाहर से जितना खूबसूरत अंदर से उसे ज्यादा खूबसूरत था। विला में वो सब था, जो होना चाहिए। स्विंग पूल, पर्सनल थेटर, बड़ा सा टेरेस, बड़ा हॉल , मॉर्डन किचन , ढेर सारे कमरे, डाइनिंग हॉल, स्टडी रूम, स्टोर रूम, जिम, प्ले रूम, एक्टिविटी रूम और सब कुछ ऐंटिक चीजों से सजा हुआ था। विला के बाहर बहुत बड़ा गार्डन था, जहाँ एक टेंट जैसा बना हुआ था और वहा पर टेबल के साथ चेयर रखे हुए थे, तो एक तरफ़ झूला लगा हुआ था। वही पर गाड़ी पार्किंग थी, जिसमें इस वक़्त लगभग सात महंगी गाड़ियों के साथ कुछ बाइक पार्क थी। वही पर था, गैरेज। एक इंसान को सुख से जीने के लिए जिन - जिन चीजों की जरूरत थी, वो सब कुछ इस विला में मौजूद था और इस विला के गेट पर नाम था कपूर विला.... 
     
     
    दोपहर का वक़्त हो रहा था और विला के अंदर सर्वेंट जल्दी - जल्दी काम कर रहे थे। मनोज कपूर जो इस घर के बड़े थे, वो खड़े होकर किसी से कॉल पर बात कर रहे थे। वही उनकी पत्नी रीमा कपूर वो सारे सर्वेंट को काम बता रही थी। 
    मनोज जी अपना कॉल पुरा कर रीमा जी के पास आकर पूछते है, " क्या सारी तैयारी हो गयी है? "
    उनके सवाल पर रीमा उन्हें देख कहती है, " सब कुछ हो गया है, अब बस लड़के वालों का इंतज़ार है। "
    उनकी बात पर मनोज जी अपना सिर हिला देते है और फिर कुछ याद कर पूछते है, " क्या प्राची तैयार हो गयी? " 
    उनके सवाल पर रीमा कहती है, " मैं देखकर आती हूँ। " इतना बोल वो सीढ़ियों से चढ़कर एक कमरे के पास आकर नॉक कर पूछती है, " प्राची क्या तुम तैयार हो गयी? "
    उनके सवाल पर अंदर से प्राची की आवाज आती है, " मोम अंदर आजाइये। I need your help " ( आय नीड युइर हेल्प ) 
    उसकी आवाज सुन रीमा जी कमरे के अंदर जाती है। 
     
    रीमा जी कमरे में आकर देखती है, तो प्राची एक सूट पहनकर तैयार थी, बस उसने ज्वेलरी नही पहनी थी। 
    रीमा जी प्राची के पास आती है और उसे कहती है, " तुम अभी तक तैयार नही हुई..... जल्दी करो प्राची रंधावा परिवार आता ही होगा। " 
    उनकी बात पर प्राची कहती है, " मोम मैं तैयार हूँ, बस ज्वेलरी पहनी बाकी है। " इतना बोल फिर रुक वही रखे इयररिंग उठा अपने कान पर लगा पूछती है, " मोम बताइये ये अच्छी लग रही है या.... " वही रखी दूसरे इयररिंग उठा अपने दूसरे कान पर लगा पूछती है, " या ये वाले अच्छे है। " 
    उसकी बात सुन रीमा जी दोनों इयररिंग देख कहती है," ये दोनों भी रहने दो। "
    इतना बोल रीमा जी वही रखी तीसरी इयररिंग उठा प्राची को देकर कहती है, " इसे पहनो, ये तुम पर बहुत अच्छी लगेगी और ये महंगी भी है। " उनकी बात सुन प्राची वो इयररिंग पेहन लेती है। 
     
    तभी कपूर मेंशन के बाहर एक गाड़ी आकर रुकती है और उसमें से एक तरफ़ से ग्रेय सूट पेहने धीरज उतरता है , तो दूसरी तरफ़ से अभय जी व्हाइट सूट पहनकर गाड़ी से उतरते है। दोनों गाड़ी से उतरते है, तभी मनोज जी उन्हें लेने बाहर आते है। 
    अभय जी और धीरज मनोज जी के पास आते है, तो मनोज जी अभय जी के गले लग जाते है, तो वही धीरज मनोज जी के पेर छूता है। तभी मनोज जी धीरज को पकड़ उसके भी गले लगाते है और फिर उन दोनों को लेकर विला के अंदर बढ़ जाते है। 
     
    मनोज जी उन दोनों को अंदर लेकर आते है और फिर हॉल में अपने साथ लेकर सोफे पर बैठ जाते है। तभी रीमा जी प्राची के साथ वहा आती है और प्राची को देख धीरज की नज़रे उसपर जम जाती है, तो वही अभय जी और मनोज जी मुस्कुरा देते है। प्राची सबसे पहले अभय जी के पास आकर उनके पेर छूती है, तो अभय जी उसके सिर पर हाथ रख देते है, जिसके बाद प्राची धीरज को देखते हुए मनोज जी के बगल में बैठ जाती है। तभी रीमा जी सर्वेंट के साथ चाय नाश्ता लेकर वहा आती है, तो प्राची धीरज और अभय जी के साथ अपने पापा को चाय देकर बैठ जाती है।रीमा जी भी वही बैठ जाती है। 
     
    कुछ देर बात करने के बाद अभय जी कहते है, " बच्चों ने पहले ही एकदूसरे को पसंद कर लिया है, तो सब हमें ज्यादा कुछ नही करना है, बस जल्दी से जल्दी इनकी शादी करवानी है। "
    उनकी बात सुन धीरज प्राची को देखने लगता है, तो प्राची शरमाकर अपना सिर झुका लेती है। 
    मनोज जी अभय जी के बात पर सहमती जता कहते है, " हा! आप सही कह रहे है। अब हमें जल्दी से जल्दी इन दोनों की शादी करवा देनी चाहिए। " 
    उनकी बात सुन रीमा जी कहती है, " मैंने तो पंडित जी को भी बुला लिया है। "
     " अरे वाह! ये सही किया अपने। " उनकी बात सुन अभय जी कहते है। इतना बोल कुछ पल रुक वो फिर कहते है, " आज शादी की तारीख तय कर ही लेते है। " उनकी बात सुन धीरज और प्राची के साथ बाकी सब भी खुश हो जाते है। 
    तभी प्राची रीमा जी को देख पूछती है, " मोम भाई कहा है? "
    उसके सवाल पर रीमा जी कहती है, " उसे कुछ जरूरी काम था, तो वो चला गया, पर उसने कहा था, वो वक़्त पर आजायेगा। "
    उनकी बात पर प्राची राहत की सांस लेती है, तभी अभय जी कहते है, " अरे हा ! मिस्टर कपूर मुझे भी आपके बेटे से मिलना है, बहुत सुना है, उसके बारे में। " 
    उनकी बात पर मनोज जी मुस्कुरा कर कहते है, " आता ही होगा। "
    उनके इतना कहते ही बाहर एक गाड़ी की रुकने की आवाज आती है, जिसे सुने के बाद मनोज जी कहते है, " शायद आगया। " उनकी बात पर सब दरवाजे के तरफ़ देखने लगते है। 
     
    यहाँ बाहर रुकी गाड़ी के ड्राइविंग सीट से विहान उतरता है। 6 फिट हाईट , भूरी आँखें, शार्प jaw line, उसपर हल्की बियर्ड, लंबी नाक और पतले होंठ के साथ अच्छे से style किए हुए बाल। लेकिन विहान दिखने में बहुत हैंडसम है, उतना ही एरोगेंट और एटीटुड से भरा हुआ था। लेकिन विहान गाड़ी से उतर अपने कोट का एक बटन लगा सीधा मेंशन के अंदर बढ़ जाता है। 
     
    विहान विला के अंदर आता है, तो सबकी नज़र उपर जाती है। विहान भी सबको देख आगे बढ़ जाता है, पर उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे। विहान सबके पास आकर खड़ा हो जाता है, तो उसे देख मनोज जी अभय जी से कहते है, " ये है मेरा बेटा विहान कपूर " उनकी बात सुन अभय जी मुस्कुरा कर विहान को देखते है। 
    तभी मनोज विहान से अभय को मिलवाते हुए कहते है," ये अभय रंधावा है। " 
    उनकी बात सुन विहान अभय जी को देख बस हल्के से अपना सिर हिला देता है, जिसके बाद मनोज जी अभय जी से कहते है," विहान बहुत कम बोलता है। " उनकी बात पर अभय जी बस अपना सिर हिला देते है।
    जिसके बाद मनोज जी विहान को धीरज के तरफ़ इशारा कर कहता है, " और ये धीरज है। " उनकी बात पर विहान धीरज को देखने लगता है, तो धीरज मुस्कुरा कर उसके तरफ़ अपना हाथ बढ़ाता है, जिसके बाद विहान भी उसे अपना हाथ मिला लेता है। विहान भी वही सबके साथ बैठ जाता है। 
     
    वो सब आपस में बात कर रहे थे, लेकिन विहान शांत ही था। वो बस उसे कोई पूछे तो " हम्म , हा " में ही जवाब दे रहा था। लेकिन जवाब देते हुए भी उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे। 
     
    तभी वहा पंडित जी आते है और सबको देख कहते है, " राधे राधे " पंडित जी को देख सब मुस्कुरा देते है। 
     
    कुछ देर बाद पंडित जी को धीरज और प्राची की कुंडली दी जाती है, जिन्हें देखने के बाद पंडित जी सबसे कहते है, " दोनों की कुंडली मिल रही है। " उनकी बात सुन सब खुश हो जाते है। 
     
    तभी रीमा जी पंडित जी से कहती है, " अब आप तो बस इन दोनों के सगाई और शादी के लिए अच्छी सी तारीख बता दीजिए। "
    उनकी बात पर पंडित जी कहते है, " सगाई के लिए तो कल का दिन भी अच्छा है और एक हफ़्ते बाद का भी दिन बहुत अच्छा है। "
    उनकी बात पर सब खुश हो जाते है और मनोज जी कहते है, " अरे तो कल ही सगाई कर लेते है। " उनकी बात पर अभय जी भी खुश होकर अपना सिर हिला देता है। 
    तभी रीमा कहती है, " लेकिन तैयारी! "
    उनकी बात पर अभय जी कहते है, " तैयारियों का क्या है, वो तो हो ही जायेगी। "
    उनकी बात सुन मनोज जी कहते है, " हा! हम सगाई सिंपल तरीके से कर लेते है और शादी धूमधाम से करेंगे। "
    उनकी बात पर अभय जी भी हामी भर देते है, जिसके बाद मनोज जी कहते है, " तो कल सगाई कर लेते है। " 
    " नही! " तभी धीरज की आवाज आती है और सब उसे देखने लगते है। 
    धीरज मनोज जी को देख कहता है, " कल सगाई नही हो सकती। " उसकी बात सुन सब हैरान होकर उसे देखने लगते है।

     
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  • 5. Chapter 5 - I just hate him

    Words: 1134

    Estimated Reading Time: 7 min

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    धीरज के सुनेहरी के बारे में प्राची के घर वालों को बताने पर अभय जी नाराज हो जाते है, जिसके बाद उनके और धीरज के बीच बहस हो जाती है।

    धीरज अपने कमरे में आता है और सोफे पर बैठ रिलेक्स होने लगता है। तभी धीरज का मोबाइल रिंग होता है। धीरज अपना मोबाइल देखता है, तो उसपर आरहा कॉल देख उसके चेहरे पर मुस्कान आजाती है।
    धीरज कॉल उठा कान पर लगा पूछता है, " कैसा था आज का exam? "
    " अच्छा था भाई " उसके सवाल पर सामने से सुनेहरी कहती है।
    उसकी बात पर धीरज पूछता है, "पास तो हो जाओगी ना! "
    " भाई!! " सुनेहरी हल्की नाराजगी में बोलती है, तो धीरज हँसने लगता है। धीरज की हंसी सुन सुनेहरी बस मुस्कुरा देती है।
    " भाई आप गए थे प्राची के घर? क्या हुआ वहा? सब मान गए ना!" सुनेहरी धीरज से एक साथ पूछती है।
    जिसे सुन धीरज कहता है, " अरे बापरे! एकसाथ इतने सवाल!"
    " भाई प्लीज बताओ ना " सुनेहरी जिद्द करते हुए कहती है।
    उसकी जिद्द देख धीरज कहता है, " सारी बात हो गयी है और सब अच्छे से हो गया है। "
    उसकी बात सुन सुनेहरी खुश हो जाती है, पर फिर धीरज आगे कहता है, " और अगले हफ़्ते एंगेजमेंट है, इसलिए तेरा आखिर पेपर होते ही, तुझे यहाँ आना है। "
    उसकी ये बात सुन कर सुनेहरी जो अब तक खुश थी, अचानक उसका चेहरा उतर जाता है।
    " क्या हुआ?" सुनेहरी को चुप देख धीरज पूछता है।
    " लेकिन पापा " सुनेहरी बोलती है, तो उसकी बात पर धीरज कहता है, " बच्ची वो पापा है, कब तक नाराज रहेंगे? तुम देखना तुझे देखते ही वो अपनी सारी नाराजगी भूल जाएंगे। बस तु आजा। "
    " ठीक है भाई " उसकी बात पर सुनेहरी ने कहा , जिसे सुन धीरज मुस्कुरा देता है।
    तभी सुनेहरी कहती है, " भाई अब मैं रखती हूँ। " उसकी बात पर धीरज भी ओके बोल कॉल कट कर देता है।

    सुनेहरी कॉल रखने के बाद गहरी सांस लेती है और सामने देखने लग जाती है। सुनेहरी इस वक़्त अपने कमरे में थी। कॉल रखने के बाद वो बालकनी में आती है और बाहर देखने लगती है। मसूरी का नजारा देख कहती है, " चार साल हो गए है पापा.... आपसे मिली नही, आपके मुंह से बच्ची नही सुना, आपका प्यार नही देखा। और चार साल से आपकी नाराज़गी थोड़ी भी कम नहीं हुई है। इन चार सालों में अपने एकबार भी मुझसे बात नही की है। " इतना बोल वो आगे गुस्से से कहती है," और ये सब सिर्फ उस इंसान के वजह से.... उसके वजह से मेरी जिंदगी, मेरा करियर , मेरे पापा सब मुझसे छुट गए। मैं उसे कभी माफ नही करूंगी। मैंने जितने उसे प्यार किया था, अब उसे ज्यादा नफरत करती हूँ, अब उसे। I just hate him .... ”

    इतना बोल वो अपनी बालकनी से कमरे में आती है और फिर कमरे से बाहर निकल सीढ़ियों से उतर यहाँ - वहाँ देख किसी को ढूंढने लगती है, पर जब उसे कोई दिखाई नही देता है, तब वो आवाज देती है, " अक्का... "
    उसके आवाज देने पर एक औरत साड़ी पहने किचन से वहा आती है और सुनेहरी को देख कहती है, " मैं यहाँ हूँ बेबी। कुछ चाहिए तुमको? "
    " ब्लैक कॉफी " उसे देख सुनेहरी कहती है और इतना बोल वो वहा से वापस अपने कमरे मै चली जाती है और अक्का उसे देखती रह जाती है।

    दरसल जब अभय जी को सुनेहरी के MMS के बारे में पता चला, तो उन्होंने सुनेहरी से रिश्ता तोड़ दिया, लेकिन धीरज ने ऐसा नही किया। वही उस धोखे और MMS का सुनेहरी पर ऐसा असर हुआ, की वो लगभग दो साल डिप्रेशन में रही और वो इन दो सालों में कभी अपने कमरे तक से बाहर नही निकली। धीरज से सुनेहरी की ये हालत देखी नही गयी, इसलिए वो सुनेहरी को ट्रीटमेंट के लिए लेकर गया। डॉक्टर जब सुनेहरी की हालत देखी, तब धीरज से उसे कहीं बाहर लेकर जाने के लिए कहा और तभी धीरज को एक डील के लिए मसूरी जाना था, तो वो अपने साथ सुनेहरी को लेकर मसूरी गया। मसूरी आने के बाद सुनेहरी में फरक दिखने लगा। वहा वो बाहर निकलने लगी और लोगों से बात भी करने लगी थी। इसलिए धीरज ने कुछ दिन सुनेहरी के साथ वही रहने का फैसला किया। लेकिन सुनेहरी ने धीरज से अपने पास रुकने के लिए मना किया और उसे वापस जाने के लिए कहा, पर धीरज ऐसा नही करना चाहता था। वही धीरज को अभी सुनेहरी में डिप्रेशन नज़र आरहा था, इसलिए उसने मसूरी के कॉलेज में उसका एडमिशन करवा दिया, ताकि उसका ध्यान पढ़ाई पर लगे और बाकी सारी चीजों से हटे। इसीके साथ उसने सुनेहरी के लिए वही पर एक छोटा सा कॉटेज खरीद लिया , जिसमें सुनेहरी रहती थी और सुनेहरी का ख्याल रखने के लिए ही धीरज ने अक्का को उसके साथ कॉटेज में रखा, जो घर के सारे काम करने के साथ सुनेहरी का नही ख्याल रखती थी। सुनेहरी को वहा पर अच्छे से सेटल कर धीरज वापस आगया था, लेकिन वो महीने में एकबार तो सुनेहरी से मिलने जरूर जाता था। धीरज ने अपने भाई होने का फर्ज निभाते हुए, सुनेहरी का पुरा साथ दिया था। वही डरते - डरते सही सुनेहरी ने फिर से कालेज जाना शुरू किया। लेकिन सुनेहरी को डर था, की कहीं किसी ने अगर उसका MMS देखा होगा, तो वो यहाँ भी बदनाम हो जायेगी, लेकिन तभी धीरज उसे बताता है, की उसका MMS इंटरनेट से डिलेट हो गया है, जिसे सुनेहरी को राहत मिली और उसने कॉलेज जाना शुरू किया।

    सुनेहरी कॉलेज तो जाती थी, पर अभी वो सबसे दूर रहती थी, क्लास से लेकर घर जाने तक वो किसी से कोई बात नही करती थी और नाही उसने यहाँ कभी दोस्त बनाए थे। वो बस अकेली रहना चाहती थी।

    सुनेहरी अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी, तभी अक्का उसके पास आती है और उसे कॉफ़ी देते हुए कहती है, " तुम्हारा कॉफ़ी"
    सुनेहरी कॉफ़ी लेकर उसका एक सिप लेती है, तो उसे देख अक्का कहती है, " तुम इतना कड़वा कॉफ़ी कैसे पिता है? "
    " कड़वे की आदत हो गयी है। " सुनेहरी अपने बुक में देखते हुए बोलती है, तो अक्का कहती है, " कभी मीठा खाकर देखो, तुम खुश हो जायेगा। "
    उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है, " अक्का आप बस इतना समझ लीजिये, की ये कॉफ़ी मेरी जिंदगी है, जो कड़वी है, पर फिर भी मैं उसे जी रही हूँ। "
    " अयो ये तुम्हारा अजीब - अजीब बात, मेरे को समझ नही आता है। " उसकी बात सुन अक्का मुंह बना कहा, तो सुनेहरी बस फ़ीका मुस्कुरा देती है, जिसके बाद अक्का वहा से चली जाती है।

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  • 6. Chapter 5 - लड़के ने सुनेहरी को धोख़ा दिया।

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 

     

    सुनेहरी अपनी कॉफ़ी पीते हुए पढ़ाई कर रही थी। तभी बाहर बर्फ पढ़ने लगती है। सुनेहरी अपने कमरे के बालकनी में आकर गिरती हुई बर्फ़ को अपने हाथ में लेकर देखने लगती है। सुनेहरी उपर आसमान में देखने लगती है और फिर उपर देखते हुए अपनी आँखें बंद कर लेती है, तभी वहा अक्का आती है। 

    अक्का बर्फ़ गिरती हुई देख कहती है , " अयो..! आज आकाश से बर्फ़ कैसे गिरने लगा? "

    अक्का के मुंह से आकाश सुन सुनेहरी अपना आँखें खोल देती है।

    सुनेहरी अपनी आँखें खोल सामने ही देख रही थी, की तभी उसकी आँखों के सामने चार साल पहले आकाश के साथ बिताए पलों के साथ उसका दिया धोका याद आजाता है, जिसे अचानक उसकी सांसे तेज हो जाती है। अक्का जब सुनेहरी को ऐसे देखती है, तो जल्दी से उसे पकड़ पूछती है, " बेबी क्या तुम ठीक होती? "

    उसके सवाल पर सुनेहरी कुछ बोल नही पाती है, बस उसे इतनी थंड में भी पसीने आने लगते है और साथ ही उसकी सांसे चढ़नी लगती है। सुनेहरी को ऐसे देख अक्का उसे जल्दी से कमरे में लाकर बेड पर बिठा देती है, तभी सुनेहरी कांपती आवाज में कहती है, " पिल्स " उसकी बात सुन अक्का जल्दी से बेड के पास के टेबल के ड्रोवर् खोलती है और उसमें से एक दवाई का डब्बा निकाल उसमें से पिल निकाल सुनेहरी को देती है, जिसे सुनेहरी खाकर जल्दी से पानी पीती है और अपने आपको शांत करने की कोशिश करने लगती है।

    अक्का सुनेहरी को ऐसे देख कहती है, " मैं अभी सर को कॉल करती। " इतना बोल वो जाने लगती है, तो सुनेहरी उसका हाथ पकड़ लेती है और जब अक्का उसे देखने लगती है, तो सुनेहरी अपना सिर ना में हिला देती है, जिसके बाद अक्का वही उसके पास बैठ उसे संभालने लगती है।

    कुछ देर बाद सुनेहरी की सांसे नॉर्मल होती है, तब जाकर अक्का राहत की सांस लेती है। 

    सुनेहरी को नॉर्मल देख अक्का कहती है, " तुम कुछ देर आराम करो, मैं तुम्हारे लिए हल्दी वाला दूध लेकर आती है। तुम अभी बर्फ़ में था ना, तुमको सर्दी लग जायेगा। " इतना बोल अक्का चली जाती है और अक्का के जाने के बाद सुनेहरी वैसे ही बेड पर लेट सिलिंग को देखने लगती है।


     दूसरी तरफ़ 



    विहान अपने कमरे में आकर कपड़े चेंज करने लगता है। कपड़े चेंज करके विहान कमरे से बाहर निकल डाइनिंग हॉल में आता है, जहाँ मनोज जी, रीता जी और प्राची पहले से डिनर करने बैठे हुए थे। विहान भी वहा आकर अपनी चेयर पर बैठ जाता है और डिनर करने लगता है। 

    तभी मनोज जी प्राची से कहते है, " वैसे मुझे नही पता था, की धीरज की बेहन है और तुमने भी कभी नही बताया। " 

    उनकी बात सुन विहान के चेहरे के भाव अजीब हो जाते है, तो वही प्राची कहती है, " डैड सुनेहरी चार साल पहले ही मसूरी चली गयी थी और तब से वो वही ही। "

    उसकी बात सुन रीता कहती है, " तो क्या इन चार सालों में वो कभी यहाँ नही आयी? "

    उनके सवाल पर प्राची अपना सिर ना में हिला देती है, जिसे मनोज जी और रीता एकदूसरे को देखने लगते है। 

    उन दोनों को ऐसे देख प्राची कहती है, " दरसल सुनेहरी डिप्रेशन में थी और उसे इंसोमनिया भी है। " 

    उसकी बात सुन मनोज जी और रीता शॉक होकर कहते है, " क्या? पर इतनी कम उमर में? "

    प्राची उदास होकर उन्हें बताने लगती है, " दरसल चार साल पहले सुनेहरी दूसरे शहर में पढ़ने गयी थी, वहा उसे एक लड़के से प्यार हुआ, लेकिन उस लड़के उसे धोख़ा दिया, जिस वजह से सुनेहरी को बहुत हर्ट हुआ और वो डिप्रेशन में चली गयी। "

    उसकी बात सुन मनोज जी और रीता जी अफसोस जताते है, तो वही विहान अपने हाथों की मुठ्ठियाँ भिज लेता है। 

    डिनर के बाद सब अपने कमरे मै सोने चले जाते है। 

     

    प्राची अपने कमरे में आकर धीरज को कॉल करती है और उसे बात करने लगती है। बात करते हुए प्राची धीरज से सुनेहरी के बारे में पूछती है, तो धीरज उसे बताता है, " सुनेहरी सगाई से एक दिन पहले मतलब संडे को आजायेगी। " उसकी बात पर प्राची भी खुश हो जाती है। 

     

    वही विहान अपने मेंशन में बने जिम में जाता है और अपना पहना हुआ टी शर्ट निकाल देता है, जिसके बाद वहा पर रखे बॉक्सिंग गल्फज पहनकर बॉक्सिंग बैग के पास आता है और उसे पकड़ प्राची की कहीं हुई बातें याद करने लगता है। ' उस लड़के ने सुनेहरी को धोख़ा दिया, जिस वजह से सुनेहरी डिप्रेशन में थी। ' प्राची की बात याद करने के बाद विहान बॉक्सिंग बैग पर जोर - जोर से पंच मारने लगता है। विहान का चेहरा गुस्से से भरा हुआ था और वो बस जोर - जोर से बॉक्सिंग बैग को मारे जा रहा था, उसे देख ऐसा लग रहा था, जैसे वो किसी का गुस्सा उसपर उतार रहा हो। विहान पुरा पसीने से भीग गया था। पसीना उसके बालों से होकर उसके चेहरे पर और चेहरे से गर्दन पर आरहा था। उसकी मैसक्युलर बॉडी पूरी पसीने से लथपथ हो गयी थी। उसके कानों में बस ये ही शब्द गूंज रहे थे, की ' लड़के ने सुनेहरी को धोख़ा दिया। '

    सब याद कर विहान एक जोरदार पंच बॉक्सिंग बैग पर मारता है, जिसे वो फट जाती है और उसमें की रेत बैग से नीचे गिरने लगती है। विहान वही पर बैठ जाता है और उस बॉक्सिंग बैग से गिरती हुई रेत को देखने लगता है। कुछ देर ऐसेही बैठे रहने के बाद विहान का गुस्सा कुछ शांत होता है और वो वहा से उठकर अपने कमरे की तरफ़ बढ़ जाता है। 

     

     

    विहान अपने कमरे में आकर सीधा वॉशरूम के अंदर जाता है और शॉवर ऑन कर उसके नीचे खड़ा हो जाता है। विहान के उपर शॉवर का थंडा पानी गिरता है, तब जाकर उसका पुरा गुस्सा शांत होता है। 

     

    नहाने के बाद विहान सिर्फ लॉवर पहनकर कमरे में आता है और आकर सोफे पर अपना लैपटॉप लेकर बैठ जाता है। विहान लैपटॉप ऑन कर उसमें कुछ सर्च करने लगता है। बहुत देर तक सर्च करने के बाद वो आकर बेड पर लेट जाता है और सोचते - सोचते उसे नींद आजाती है। 

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  • 7. Chapter 7 - सुनेहरी का गाड़ी से टकराना

    Words: 1559

    Estimated Reading Time: 10 min

     
    आइये जानते है आगे की कहानी
     

     
    मसूरी में सुनेहरी अपने कमरे में के बालकनी मैं बैठी हुई थी। टेबल पर रखी उसकी खुली किताबें बता रही थी, की अभी कुछ देर पहले पढ़ाई कर रही थी। पर अब वो बालकनी में शोल् ओढ़े बैठी हुई थी। उसकी आँखों में दर्द और सुना पन दोनों था। उसकी आँखों की डोरी लाल हो गयी थी, जैसे वो बहुत रोना चाहती है, पर उसने अपने आंसू रोक रखे है। 
     
     
    तभी अक्का उसके कमरे में उसे देखने आती है। कमरे में आकर अक्का देखती है, की बिस्तर अभी ठीक है और सुनेहरी बालकनी में है। जिसके बाद अक्का घड़ी देखती है, जिसमें सुबह के चार बज रहे थे। अक्का समझ जाती है, की सुनेहरी आज भी नही सोयी है। जिसके बाद वो वहा से चली जाती है। 
     
     
    कुछ देर बाद अक्का फिर सुनेहरी के कमरे में आती है , पर इसबार उसके हाथों में ब्लैक कॉफ़ी थी। अक्का ब्लैक कॉफ़ी सुनेहरी के सामने रख पूछती है, " तुम आज भी नही सोया? "
     " अपने मेरी पिल्स क्यु छुपायी? " उसके सवाल को नजर अंदाज कर सुनेहरी उसे अपना सवाल करती है, फिर टेबल से कॉफ़ी उठा उसे पीने लगती है। वही सुनेहरी के सवाल पर अक्का कहती है, " बेबी रोज - रोज पिल्स लेकर सोना अच्छा नही है तुम्हारे लिए। "
    ” जानती हूँ।" उसकी बात पर सुनेहरी कहती है, जिसपर अक्का पूछती है, " तो फिर क्यु पिल्स लेकर सोता है तुम? "
    " आदत हो गयी है, अब उनके बिना नींद नही आती है। " सुनेहरी इतना बोल अपनी कॉफ़ी ख़तम कर मग टेबल पर रख देती है। 
    उसकी बात पर अक्का कहती है, " तुम्हारा दर्द मैं समझता हूँ, लेकिन तुम उसके वजह से अपने आपको बर्बाद कर रही हो, हालत देखो क्या हो गया है तुम्हारा। "
    " मेरी पिल्स " अपना हाथ आगे कर सुनेहरी अक्का से पिल्स मांगती है और उनकी बात को पूरी तरह इग्नोर कर देती है। 
    उसकी बात पर अक्का कहती है, " मैं नही देगा, साहेब ने बना किया है। " इतना बोल वो कमरे से चली जाती है, तो वही सुनेहरी भी कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगती है। 
     
    कुछ देर बाद सुनेहरी एक लेमन कलर की कुर्ती और ब्लैक कलर की जींस पहनकर तैयार हो जाती है और फिर अपने कमरे से नीचे आती है। जहा अक्का ने उसके लिए पहले से ही नाश्ता बनाया हुआ था। सुनेहरी नाश्ता करके एक स्कार्फ ओढ़ कॉटेज से बाहर निकल जाती है। सुनेहरी के कॉटेज से कॉलेज नजदीक था, इसलिए वो अक्सर पैदल ही कॉलेज जाया करती थी। 
     
    सुनेहरी कॉलेज आती है , तो सबकी नज़र उस पर जाती है। वही पर एक दोस्तों का ग्रुप बैठा हुआ था, जिनमें से एक लड़के की पीठ सुनेहरी के तरफ़ थी। तभी उसका दोस्त उसे कहता है, " पीछे देख तेरी क्रश आगयी। " उसकी बात सुन वो लड़का झटसे पीछे मुड़कर देखने लगता है। लड़का दिखने में ज्यादा हैंडसम नही था, वो एक क्यूट, चोकलेटि बॉय था। सुनेहरी को देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आजाती है और वो सुनेहरी को तब तक देखता रहता है, जब तक वो उसे दिखना बंद नही हो जाती है। जैसे ही सुनेहरी दिखना बंद होती है, वो अपनी नजरे उसे हटा सामने देखने लगता है, तो उसके सारे दोस्त खड़े उसे अजीब तरह से देख रहे थे। उन सबको खुद की तरफ़ ऐसा देखता हुआ पाकर वो लड़का अपने कंधे उछाल उनसे पूछता है, " व्हाट्? "
    उसके सवाल पर उसका एक दोस्त कहता है, " रोहन कॉलेज के पहले दिन से तु उसपर फिदा है और अब तीन साल हो गए है। इन तीन सालों में ना आजतक तूने उसे प्रोपोज किया है और उसने कभी नज़रे उठा तुझे देखा है। लेकिन तु हर रोज बस उसे देखता रहता है। अब तो आखिरी exam है, इसके बाद तो तु उसे देख भी नही पायेगा, तब क्या करेगा? "
    उसकी बात सुन रोहन चौक जाता है और कहता है, " यार ये तो मैंने सोचा ही नही। "
    उसकी बात पर उसका दूसरा दोस्त कहता है, " तु उसके अलावा और कुछ सोचता है, जो ये सोचेगा। " 
    उसकी बात सुन रोहन अपना सिर खुजाते हुए ब्लश करने लगता है। तो उसका दोस्त कहता है, " लो अब ये शरमा रहा है।" 
    उसकी बात पर रोहन जल्दी से खुद को ठीक करता है और पूछता है, " तो अब मैं क्या करू? " 
    " अबे प्रोपोज कर उसे.... अपनी दिल की बात बता, वरना कॉलेज ख़तम होते ही वो चली जायेगी और तु बस उसके ख्यालों में खोया रहेगा। " उसका दोस्त बोलता है। 
    उसकी बात सुन रोहन कहता है, " ठीक है, तो कल करता हूँ। "
    उसकी बात सुन उसका दोस्त उसके सिर पर टपली मार कहता है," अब आज लास्ट पेपर है और कल से कोई कॉलेज नही आयेगा, तो तु उसे प्रोपेज कैसे करेगा?" 
    उसकी बात सुन रोहन कहता है," ठीक है, तो मैं उसे आज ही प्रोपोज करूँगा। तु एक काम करना।" इतना बोल वो अपने दोस्त को कुछ बताता है, जिसे सुन वो अपना सिर हिला देते है। 
    उसकी बात पर उसका दोस्त फिर कहता है, " लेकिन ये लड़की कुछ अजीब नही है। "
    उसकी बात सुन रोहन उसे घूरने लगता है, तो वो कहता है, " यार तु ही देख ना.... तीन साल से इस कॉलेज में पढ़ रही है, लेकिन आज तक उसे किसी से बात करते नही देखा है। ना इस कॉलेज में उसका कोई दोस्त है। कोई लड़की भी उसकी दोस्त नही है, वो एकदम चुप, शांत रहती है। सिर झुका कॉलेज आती है और सिर झुका कॉलेज से चली जाती है। मुझे तो कभी - कभी ऐसा लगता है, जैसे ये कोई इंसान ही नही है। " 
    उसकी बात पर बाकी सब भी हामी भरते है, तो रोहन कहता है, " भाई इंट्रोवर्ट होगी। "
    उसकी बात पर दोस्त कहता है, " इतना इंट्रोवर्ट.... नही बात कुछ और है। " 
    उसकी बात सुन रोहन कुछ कहता, उसे पहले कॉलेज की बेल बजती, जिसे सब कॉलेज के अंदर जाते है। 
     
    सुनेहरी अपने बेंच पर बैठी exam पेपर लिख रही थी और उसके पास वाले बेंच पर बैठा रोहन अपने गाल पर हाथ देकर उसे देख रहा था। 
    तभी उसके कानों में एक आवाज आती है, " प्यारी है ना! "
    रोहन सुनेहरी को देखते हुए बिना ध्यान दिए मुस्कुराते हुए कहता है, " बहुत " 
    लेकिन फिर उसे अजीब लगता है और वो अपना सिर घुमा देखने लगता है, तो उसके पास प्रोफेसर खड़े तथे और उन्होंने ये बात बोली थी। प्रोफेसर को देख रोहन की आँखें बड़ी हो जाती है और वो घबरा कर अपनी बेंच से उठ कर खड़ा हो जाता है। 
    प्रोफेसर उसे डांटने लगते और रोहन बस अपना सिर झुकाए सुने लगता है। पुरा क्लास उसे देख रहा था, पर सिर्फ सुनेहरी ही थी, जिसने अपनी एक नज़र उठा उसके तरफ़ नही देखा था, वो बस अपने पेपर लिखने में ध्यान दे रही थी। 
    कुछ डांट लगाने के बाद प्रोफेसर रोहन को पेपर लिखने बोलते है, तो रोहन बैठकर पेपर लिखने लगता है। 
     
    कुछ देर बाद exam खतम हो जाती है और सारे स्टूडेंट कॉलेज से बाहर निकलने लगते है। सुनेहरी भी अपना सिर झुकाए कॉलेज से बाहर निकल रही थी, तभी अचानक से रोहन उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है। किसी के अचानक सामने आने से सुनेहरी घबरा जाती है। सुनेहरी अपना सिर उठा सामने देखती है, तो रोहन खड़ा था। 
    रोहन सुनेहरी के सामने खड़ा होकर मुस्कुरा कर उसे देख रहा था और साथ ही उसके हाथ में एक गुलाब का फूल था। रोहन सुनेहरी को देख उसके सामने अपना एक घुटना टिका बैठ जाता है। रोहन को घुटनों पर बैठा देख सुनेहरी की आँखें बड़ी हो जाती है। तभी रोहन अपने हाथ में पकडा गुलाब का फूल सुनेहरी के तरफ़ बढ़ा कहता है, " सुनेहरी मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था, तब से तुमसे प्यार करता हूँ। आय लव यू सुनेहरी " 
    रोहन की बात सुन सुनेहरी शॉक हो जाती है, तो वही कॉलेज के सारे स्टूडेंट उन दोनों को देखने लगते है। 
    रोहन सुनेहरी को देख कहता है, " मैं जानता हूँ, सुनेहरी तुम मेरे बारे में कुछ नही जानती हो, क्यों की तुमने कभी मुझसे बात नही की। कोई बात नही, मैं आज तुम्हे अपने बारे में सब बताता हूँ। मेरा नाम रोहन है और मैं इस कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का हूँ। सारी लड़किया मेरे पीछे पागल है और मैं तुम्हारे पीछे। अब इतना हैंडसम लड़का तुम्हें पसंद करता है, तो उमीद है, तुम मना नही करोगी। " इतना बोल वो मुस्कुरा कर सुनेहरी को देखने लगता है, तो वही रोहन की बात सुन सुनेहरी घबरा जाती है और उसके माथे पर पसीने आने लगते है। सुनेहरी अपने कदम पीछे लेती है, तो रोहन चौक जाता है। वही सुनेहरी जल्दी से रोहन के बगल से भागते हुए निकल जाती है। 
     
    सुनेहरी के ऐसे भागने पर रोहन शॉक होकर उसे देखता रह जाता है, तो वही सुनेहरी बिना रुके कॉलेज से भागते हुए सीधा अपने घर के तरफ़ बढ़ जाती है। 
     
    सुनेहरी भागते हुए रोड़ से जा रही थी। भागते हुए उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ नज़र आ रही थी और सुनेहरी बस भागे जा रही थी। भागते हुए सुनेहरी ध्यान नही देती है और तभी सामने से आती एक गाड़ी से टकरा जाती है। गाड़ी से टकरा सुनेहरी सीधा नीचे जमीन पर गिर जाती है, जिसके साथ ही गाड़ी रुक जाती है। 
     

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  • 8. Chapter 8 - पापा का कॉल

    Words: 1312

    Estimated Reading Time: 8 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 
     
     
    सुनेहरी जब कॉलेज जाती है, तो कॉलेज में रोहन उसे प्रोपोज करता है। रोहन के प्रोपोज करने के वजह से सुनेहरी को चार साल पहले की सारी बातें याद आने लगती है, जिसे घबराकर वो वहा से भाग जाती है। सुनेहरी भागते हुए रोड़ पर आजाती है और उसकी लापरवाही के वजह से उसकी टक्कर एक गाड़ी से सो जाती है, जिसे टक्कर लगते ही सुनेहरी नीचे जमीन पर गिर जाती है। 
     
     
    सुनेहरी को टक्कर लगते ही गाड़ी तेज आवाज के साथ रुक जाती है और जल्दी से उसका डोर खुलता था और उसमें से एक लड़का उतरता है। लड़का जब अपने गाड़ी के सामने सुनेहरी गिरा हुआ देखता है, तो बोलता है," ओह्ह शीट!" इतना बोल वो जल्दी से सुनेहरी के पास जाकर उसकी उठने में मदत करने लगता है। सुनेहरी जैसे - तैसे उठकर खड़ी हो जाती है, तभी लड़का उसे पूछता है," क्या तुम ठीक हो?"
     
    उसके सवाल पर सुनेहरी बस अपना सिर हिला देती है, पर तभी उस लड़के की नज़र सुनेहरी के माथे पर जाती है, जहा चोट लगी थी और उसमें से हल्का खून निकल रहा था। 
     
    सुनेहरी को लगी चोट देख लड़का कहता है, " तुम्हें तो चोट लगी है और खून भी निकल रहा है। चलो मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर जाता हूँ। " इतना बोल वो जैसे ही सुनेहरी का हाथ पकड़ने आगे बढ़ने लगता है, सुनेहरी अपना हाथ दिखा उसे रोक कहती है, " इसकी कोई जरूरत नही है। मैं ठीक हूँ। "
     
    उसकी बात सुन लड़का फिर कहता है, " नही तुम ठीक नही हो.... देखो तुम्हारे माथे पर चोट लगी है। " 
     
    उसकी बात पर सुनेहरी कहती है, " मैं अपनी चोट खुद देख लुंगी। मेरा घर ये ही नजदीक है और वैसे भी गलती मेरी थी। " इतना बोल वहा से बिना लड़के का चेहरा देख अपने घर की तरफ़ बढ़ जाती है और लड़का बस उसे जाते हुए देख खुद से कहता है, " मैंने इसे कही तो देखा है।"
     
    इतना बोल वो फिर से अपनी नज़र उठा जाती हुई सुनेहरी को देखता है, जो अब कुछ लंगडा कर चल रही थी। लड़का भी अपना सिर झटक गाड़ी में बैठ वहा से निकल जाता है। 
     
     
    यहाँ सुनेहरी जैसे - तैसे अपने कॉटेज आती है और बेल बजाती है। उसके बेल बजाने के कुछ देर बाद अक्का दरवाजा खोलती है और जैसे ही उनकी नज़र सुनेहरी पर जाती है, वो शॉक हो जाती है। 
     
    " ये तुमको कैसे हुआ? " अक्का सुनेहरी को पकड़ उसकी चोट देखते हुए घबरा कर पूछती है। 
     
    उनके सवाल पर कुछ बोले बिना सुनेहरी अंदर आकर वही पर रखे चेयर पर बैठ जाती है और फिर अक्का को देख कहती है, " कुछ नही हुआ है बस , गाड़ी से टकरा गयी। " 
     
    " तुम इसको कुछ नही है बोलता है ! " अक्का हल्के नाराजगी में बोलती है और फिर उसके पास आकर कहती है, " तुम्हारे माथे से ब्लड आरहा है और तुम बोलता है, की कुछ नही हुआ। अब बैठी क्यु हो? जल्दी डॉक्टर के चलो। "
     
    उसकी बात सुनेहरी कहती है, " आप इतना क्यु रिएक्ट कर रही है अक्का ? बस हल्की सी चोट है, ऐसेही ठीक हो जायेगी। "
     
    उसकी बात सुन अक्का उसे घूरते हुए कहती है, " ओके मत चलो डॉक्टर के पास। मैं अभी धीरज सर को कॉल करती। " 
     
    " नही अक्का ” उसकी बात सुन सुनेहरी जल्दी से उसे रोक कहती है। 
     
    सुनेहरी कहती है, " प्लीज अक्का भाई को मत बताना, वरना वो परेशान हो जायेंगे और परसो उनकी सगाई है। "
     
    उसकी बात सुन अक्का उसे घूरते हुए कहती है, " तो तुम चलो डॉक्टर के पास। "
     
    उसकी बात पर सुन सुनेहरी गहरी सांस लेकर कहती है," अक्का सच में इतनी चोट नही है, की डॉक्टर के पास जाना पड़े।"
     
    उसकी बात सुन अक्का आँखें छोटी कर उसे घुरने लगती है, तो सुनेहरी कहती है, " अच्छा ठीक है। अब ऐसे मत घुरीये। आप फ्रस्टएड कीट लेकर आइये, मैं दवाई लगा लेती हूँ। ठीक है !" उसकी बात सुन अक्का उसे घूरते हुए वहा से एक टेबल के पास आकर ड्रोवर् से फ्रस्टएड कीट लेकर आती है और सुनेहरी के हाथ में देकर उसे खोल खुद सुनेहरी के माथे पर लगी चोट को साफ कर दवाई लगाने लगती है। 
     
     
    अक्का सुनेहरी के माथे पर लगी चोट पर दवाई लगा सफेद पट्टी लगा देती है, उसके बाद उसे और कहा चोट लगी पूछती है, तो सुनेहरी अपने हाथ पर लगी खरोच और पेर पर लगी चोट दिखा देती है, जिसपर अक्का दवाइ लगा देती है। अक्का जब जाने लगती है, तभी सुनेहरी की नज़र अपने माथे के पट्टी पर जाती है, जिसे देख वो अक्का से कहती है, " अक्का अगर भाई ने ये देख लिया तो बवाल हो जायेगा। "
     
    " चोट छोटी नही है। पट्टी तो लगानी पड़ेगी।" उसकी बात पर अक्का जवाब देती है और वहा से अपना काम करने चली जाती है। उसके जाने पर बाद सुनेहरी भी अपने रूम में जाती है। 
     
     
    सुनेहरी जब अपने रूम में आकर कपड़े चेंज करने के लिए अलमारी खोलती है, तो उसमें अपने सिर्फ एक जोड़ी कपड़े देख वो चौक जाती है। 
     
    " अक्का ! ! ! " सुनेहरी अक्का को आवाज देती है, जिसके बाद अक्का उसके रूम में आकर पूछती हैं, " क्या हुआ? "
     
    " मेरे सारे कपड़े कहा है? " सुनेहरी अलमारी दिखा पूछती है। 
     
    उसकी बात सुन अक्का रूम में रखे बैग के तरफ़ इशारा कर कहती है, " मैंने सारा कपड़ा पैक कर दिया। "
     
    " क्यों? " सुनेहरी चौक कर पूछती है। 
     
    " क्यों तुम भूल गया? कल सुबह हमको मुंबई जाना है। " अक्का उसे बताती है। 
     
    जिसे सुन सुनेहरी को भी याद आता है, की कल उसे अपने घर जाना है। 
     
    सुनेहरी वही बेड पर बैठ कहती है, " हा! कल मुझे अपने घर जाना है। उस घर जहा मैं पिछले चार साल से नही गयी हूँ।" 
     
    उसकी बात सुन अक्का उसके पास आकर मुस्कुरा कर कहती है, " तुम बहुत एक्साईटेड होगा ना! कल तुम अपने भाई से मिलेगा। "
     
    उसकी बात पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " हा! लेकिन भाई से तो हर महीने मुलाकात हो जाती है, पर कल पूरे चार साल बाद मैं अपने पापा से मिलूँगी। " इतना बोलते ही उसे अभय जी की हॉस्पिटल में कही बात याद आती है। ' आज से मेरी बेटी मर गयी है, मेरे लिए। ' उनकी बात याद कर सुनेहरी इमोशनल हो जाती है, तभी अक्का उसके पास आकर कहती है, " तुम अपने अप्पा को बहुत मिस करता है ना! "
    उसकी बात पर सुनेहरी अपना सिर हा में हिला देती है और कहती है, " पर शायद वो नही करते। " इतना बोलते ही उसका गला भरा जाता है। 
     
    तभी अक्का उसके पास आकर कहती है, " बेबी अप्पा जो होते वो दिखता कठोर है, पर मन उनका एकदम मलाई जैसा सॉफ्ट होती है। तुम देखना तुमको देखते ही, तुम्हारे अप्पा खुश होकर तुमको गले लगाएगी। "
     
    उसकी बात सुन सुनेहरी बस फ़ीका मुस्कुरा देती है, जिसके बाद अक्का वहा से अपना काम करने चली जाती है और सुनेहरी अपना बाकी का समान पैक करने लगती है, तभी सुनेहरी का मोबाइल बजता है। सुनेहरी अपना मोबाइल देखने लगती है, लेकिन जैसे ही वो अपना मोबाइल देखती है, उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और वो जल्दी से अपना कॉल उठा काँपती आवाज में कहती है, " प.... पापा "
     
    उसकी बात सुनते ही अभय जी सामने से कुछ कहते है, जिसे सुन सुनेहरी शॉक हो जाती है और उसकी आँखों से आंसू की एक बूंद उसके गाल पर आजाती है। 
     
    अभय जी की बात सुन सुनेहरी नम आवाज में कहती है, " ठीक है, पापा " उसके इतना कहते ही अभय जी झटसे कॉल कट कर देते है, जिसके बाद सुनेहरी वही जमीन पर धम्म से बैठ जाती है और उसके आँखों से आंसू की धार बेहने लगती है। 


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  • 9. Chapter 9 - विहान की घबराहट

    Words: 874

    Estimated Reading Time: 6 min

    आइये जानते है आगे की कहानी
     
     
    धीरज अपने मेंशन में सुनेहरी का कमरा ठीक करवा रहा था। वो कमरे में काम कर रहे सर्वेंट से कहता है, " कमरा बदल के पूरी तरह से नया करदो, बच्ची आयेगी, तो सब कुछ उसे नया मिलना चाहिए। " उसकी बात पर सर्वेंट जल्दी जल्दी काम करने लगते है। वही धीरज वहा से बाहर निकल जाता है। 
     
     
    धीरज जब कमरे से बाहर आता है, तो उसे अभय जी मिलते है, जो धीरज को सुनेहरी के कमरे से बाहर आते देख कंफ्यूज हो जाते है। तो धीरज कहता है, " वो कल बच्ची आरही है, तो उसका कमरा ठीक करवा रहा हूँ। " इतना बोल वो मुस्कुरा कर अपने कमरे के तरफ़ बढ़ जाता है, यहाँ अभय जी उसे जाते हुए देख कहते है, " कोई फायदा नही धीरज, क्यों की वो नही आयेगी। " इतना बोल वो वहा से अपने कमरे में चले जाते है। 
     
     
    अगली सुबह 
     
    धीरज जल्दी - जल्दी तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकलता है और नीचे आता है। उसे देख अभय जी कहते है, " आओ धीरज नाश्ता करलो। " 
     
    उनकी बात पर धीरज कहता है, " नही पापा.... बच्ची आरही है, उसे लेने एयरपोर्ट जाना है। अब तो नाश्ता उसके साथ ही करूँगा। " इतना बोल वो वहा से चला जाता है और अभय जी उसे जाते देख गहरी सांस छोड़ते है। 
     
     
    धीरज गाड़ी में बैठकर सीट बेल्ट लगा अपना मोबाइल ब्लू टूथ से कनेक्ट कर प्राची को कॉल करता है। 
     
    यहाँ प्राची भी अपनी गाड़ी में बैठी हुई थी, पर उसने गाड़ी स्टार्ट नही की थी। जब प्राची धीरज का कॉल देखती है, तो जल्दी से कॉल उठाती है। 
     
    प्राची, " हेल्लो " 
     
    धीरज, " प्राची मैं एयरपोर्ट के लिए निकल गया हूँ। "
     
    " ठीक है,धीरज मैं भी बस निकल ही रही हूँ। एयरपोर्ट पर मिलते है। " उसकी बात पर प्राची इतना बोल कॉल कट कर गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा देती है। 
     
    प्राची गाड़ी ड्राइव कर अभी कुछ ही दूर आयी थी, की तभी अचानक उसकी गाड़ी बंद पड़ जाती है। प्राची गाड़ी में बैठे हुए ही, दो - तीन बार गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश करती है, पर गाड़ी स्टार्ट नही होती है। तभी प्राची चिड़कर गाड़ी से उतरती है और एयरपोर्ट जाने के लिए टैक्सी देखने लगती है। 
     

    प्राची अभी टैक्सी देख ही रही थी, की तभी उसके पास एक गाड़ी आकर रुकती है, जिसे देख प्राची चौक जाती है, तो वही ड्राइविंग सीट पर बैठा विहान प्राची को देख पूछता है, " तुम यहाँ क्या कर रही हो? "
     
    उसके सवाल पर प्राची खुश होकर कहती है, " भाई... " इतना बोल वो विहान की गाड़ी का डोर खोल उसके साथ वाली सीट पर बैठकर कहती है, " एयरपोर्ट चलिए। " 
     
    प्राची को ऐसे देख विहान घूरने लगता है, तो प्राची कहती है, " भाई प्लीज जल्दी एयरपोर्ट चलिए, सब रास्ते में बताती हूँ। " उसकी बात सुन विहान गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा देता है और फिर प्राची से पूछता है, " एयरपोर्ट क्यु? "
     
    " वो सुनेहरी आरही है, उसे लेने। " प्प्राची बोलती है, जिसे सुन विहान झटसे गाड़ी में ब्रेक लगा देता है। 
     
    " क्या हुआ?" विहान के ब्रेक लगाने पर प्राची उसे चौक कर पूछती है। 
     
    विहान उसे देख बस नही में सिर हिला गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा देता है। तो प्राची कहती है, " चार साल बाद आज सुनेहरी आरही है , इसलिए मैं और धीरज उसे लेने एयरपोर्ट जा रहे है।" 
     
    उसकी बात सुन कर भी विहान कुछ नही कहता है, वो बस ड्राइव करता रहता है। 

    कुछ देर में वो एयरपोर्ट पहुँच जाते है, जहाँ पहुँचने के बाद विहान गाड़ी रोक देता है , तो प्राची उसे देख कहती है, " भाई आप भी चलिए, आप भी सुनेहरी से मिल लेना। "
     
    उसकी बात सुन अधिर के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो मना करने वाला होता है , पर तभी प्राची जल्दी से गाड़ी से उतर विहान के पास आकर उसका हाथ पकड़ उसे गाड़ी से उतारने लगती है, तो विहान उसे मना कर देता है। 
     
    लेकिन तभी धीरज वहा आता है और प्राची से मिलता है। प्राची धीरज को भी विहान को अपने साथ चलने के लिए बोलने बोलती है, तो धीरज विहान से अपने साथ चलने कहता है, तो विहान मना नही कर पाता है और वो भी अपने गाड़ी से उतर उनके साथ एयरपोर्ट बढ़ जाता है। 
     
    तीनों एयरपोर्ट के यहाँ खड़े होकर सुनेहरी का इंतज़ार करने लगते है। धीरज और प्राची एयरपोर्ट बाहर आरहे हर इंसान को ध्यान से देख रहे थे, पता नही कहा सुनेहरी हो। वही विहान उस तरफ़ नही देख रहा था। तभी विहान का मोबाइल रिंग होता है और वो कॉल उठा कान पर रख बात करने लगता है। कुछ देर बाद करने के बाद विहान कॉल रख देता है और तभी उसके कानों में प्राची की आवाज आती है, " वो रही सुनेहरी " 
     
    सुनेहरी का नाम सुन विहान की दिल की धड़कन बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज हो जाती है और उसके हाथ लगभग कांपने लगते है। उसके माथे पर पसीना आने लगता है, साथ ही आँखों में एक अंजाना सा डर नजर आने लगता है, जिसे छुपाने के लिए वो जल्दी से अपने गोगल अपनी आँखों पर लगा है। 
     
     
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत
     

  • 10. Chapter 10 - सुनेहरी का नही आना

    Words: 1715

    Estimated Reading Time: 11 min

    आइये जानते है आगे की कहानी
     
     
     सूनेहरी आने वाली थी इसलिए धीरज उसे लेने एयरपोर्ट जाता है और उसके साथ प्राची और विहान भी जाते है। 
    तीनों एयरपोर्ट के यहाँ खड़े होकर सूनेहरी का इंतज़ार करने लगते है। धीरज और प्राची एयरपोर्ट बाहर आरहे हर इंसान को ध्यान से देख रहे थे, पता नही कहा सूनेहरी हो। वही विहान उस तरफ़ नही देख रहा था। तभी विहान का मोबाइल रिंग होता है और वो कॉल उठा कान पर रख बात करने लगता है। कुछ देर बाद करने के बाद विहान कॉल रख देता है और तभी उसके कानों में प्राची की आवाज आती है, " वो रही सूनेहरी " 
    सूनेहरी का नाम सुन विहान की दिल की धड़कन बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज हो जाती है और उसके हाथ लगभग कांपने लगते है। उसके माथे पर पसीना आने लगता है, साथ ही आँखों में एक अंजाना सा डर नजर आने लगता है, जिसे छुपाने के लिए वो जल्दी से अपने गोगल अपनी आँखों पर लगा है। 
     
    विहान हिम्मत कर पीछे मुड़ता है और अपना सिर झुका खड़ा रहता है और मन में कहता है, " मैं तुम्हारा सामना कैसे करूंगा?"
     उसने अभी इतना बोला ही था, की तभी उसके उसके कानों में धीरज की आवाज आती है। " प्राची वो सूनेहरी नही है। "
    उसकी बात सुन विहान चौक जाता है और अपना सिर उठा देखने लगता है, तो सच में उसके सामने सूनेहरी नही थी। सब लोग एयरपोर्ट से निकल जाते है, जिसके बाद प्राची धीरज से पूछती है , " धीरज सूनेहरी कहा है? "
    उसके सवाल पर धीरज भी कंफ्यूज होकर कहता है, " पता नही। वो तो इसी फ्लाइट से आने वाली थी। रुको मैं उसे कॉल करता हूँ। " इतना बोल धीरज अपने मोबाइल से सूनेहरी को कॉल करता है। 
     
    यहाँ मसूरी में सूनेहरी अपने कमरे में उदास बैठी हुई थी। तभी उसका मोबाइल रिंग होता है। सूनेहरी अपना मोबाइल देखती है और उसपर धीरज का कॉल देख वो परेशान हो जाती है, उसे कुछ समझ नही आता है, की अब वो धीरज को क्या जवाब दे। तभी कॉल कट जाता है। कॉल कट होते ही सूनेहरी गहरी सांस लेती है और तभी दोबारा उसके मोबाइल पर धीरज का कॉल आता है। सूनेहरी इसबार गहरी सांस लेकर कॉल उठाती है। 
     
    सूनेहरी, " हा भाई! "
    " बच्ची तुम कहा हो? " सूनेहरी के कॉल उठाते ही धीरज पूछता है। 
    जिसपर सूनेहरी कहती है, " भाई मैं तो घर पर हूँ। "
    " क्या? " धीरज चौक कर पूछता है। फिर कहता है, " बच्ची तुम आयी नही! "
    उसके इस सवाल पर सूनेहरी अपने आपको नॉर्मल कर बोलती है, " भाई वो दरसल कॉलेज में एक जरुरी एक्टिविटी है, जिस वजह से मुझे यहाँ रुकना पड़ेगा। तो मैं आपकी सगाई में नही आ सकती। "
    उसकी बात सुने के बाद धीरज कुछ देर शांत रहने के बाद कहता है, " तो तुम नही आना चाहती। "
    उसकी बात सुन विहान और प्राची चौक कर धीरज को देखने लगते है। 
    वही धीरज की बात सुन सूनेहरी कहती है, " नही भाई ऐसी बात नही है। वो मैंने बताया ना कॉलेज.... "
    " कॉलेज में एक्टिविटी है। ये ही ना! " उसकी बात बीच में काट धीरज बोलता है, जिसे सुन सूनेहरी बस " हम्म " कहती है। 
    जिसे सुन धीरज कहता है, " और जैसे मुझे पता ही नही है, की तुम कभी किसी भी कॉलेज एक्टिविटी में पर्टिसिपेट नही करती। " 
    उसकी बात सुन सूनेहरी अपनी आँखें मिच लेती है, तभी धीरज कहता है, " बच्ची बहाना तो अच्छे से सोचकर बनाती। " 
    उसकी बात सुन सूनेहरी को रोना आजाता है और वो फोन के स्पीकर पर हाथ रख रोने लगती है। 
    लेकिन धीरज समझ जाता है, की सूनेहरी रो रही है, तभी वो कुछ सोचकर कहता है, " कहीं ऐसा तो नही है, की तुझे यहाँ से किसीने कॉल करके मना किया आने के लिए? "
    उसकी बात सुन सूनेहरी घबरा जाती है, तो वही धीरज आगे कहता है, " क्यों की कल तक तो तुमने आने की सारी तैयारी करली थी। " 
    उसकी बात सुन सूनेहरी कुछ बोल नही पाती है, तो धीरज गुस्से से कहता है, " मैं समझ गया की ये किसका काम है। लेकिन बच्ची तुम उनकी बात मान मेरा दिल तोड़ने के लिए तैयार हो गयी, लेकिन वो भाई जो तुमसे इतना प्यार करता है, उसके खुशी के लिए उसके खुशियों में शामिल नही हो सकती। "
    उसकी बात सुन सूनेहरी का रोना बढ़ जाता है। तभी प्राची धीरज के हाथ से मोबाइल लेकर सूनेहरी से कहती है, " सूनेहरी प्राची बोल रही हूँ। अब सुनो अगर तुम सगाई में नही आयी , तो हम ये सगाई नही करेंगे। " उसकी बात सुन सूनेहरी शॉक हो जाती है, तो वही उसकी बात यहाँ धीरज और विहान भी शॉक होकर उसे देखने लगते है।
    प्राची आगे कहती है, " अब फैसला तुम्हारा है। " इतना बोल वो कॉल कट कर देती है और धीरज को देखने लगती है। 
    प्राची धीरज के पास आकर कहती है," तुम फिकर मत करो, वो जरूर आयेगी। " उसकी बात सुन धीरज अपना सिर हिला देता है। 
    यहाँ विहान अपने मन में सोचता है, " आखिर ऐसी क्या वजह से जो सूनेहरी को उसके अपने घर नही आने दे रहा? "
    धीरज विहान को देख कहता है, " विहान तुम जाओ ऑफिस मैं प्राची को घर छोड़ दूंगा। "
    उसकी बात सुन विहान अपना सिर हिला वहा से चला जाता है, जिसके बाद प्राची और धीरज भी अपनी गाड़ी में बैठ वहा से चली जाती है। 
     
    यहाँ सूनेहरी बैठकर अपने पापा का आया हुआ कॉल याद करती है। जिसमें उसके पापा ने उसे कहा था। " सुना है, तुम कल घर आरही हो! "
    सूनेहरी, " हा पापा। " 
    अभय जी, " मत आओ। "
    उनकी बात सुन सूनेहरी शॉक हो जाती है। 
    वही अभय जी कहते है, " तुम आओगी, तो फिर से वो बदनामी लेकर आओगी। और अगर ये सारी बातें कपूर परिवार को पता चली तो धीरज का रिश्ता टूट जायेगा। धीरज प्राची से बहुत प्यार करता है और अगर उसकी शादी प्राची से नही हुई, तो उसका दिल टूट जायेगा। तो अगर तुम नही चाहती, की तुम्हारे जैसी हालत धीरज की ना हो, तो वापस मत आओ, वही रहो, मैं पैसें भेज दूंगा। "
    उनकी बात सुन सूनेहरी दर्द भरी आवाज में" ओके पापा " बोलती है, तो अभय जी कॉल कट कर देते है। 
    सूनेहरी मन में कहती है, " पापा इतनी क्या नाराजगी, की आपने एकबार ये तक नही पूछा, की मैं ठीक हूँ या नही। " इतना बोलते ही उसके आँखों के आंसू उसके गाल पर आ जाते है। 
     
     
    यहाँ धीरज घर आता है और अपनी गाड़ी से उतर सीधा मेंशन के अंदर जाता है। धीरज अंदर आकर चिल्ला कर अपने पापा को पुकारता है। 
    " पापा... "
    धीरज की आवाज सुन अभय जी अपने कमरे से बाहर आते है और धीरज से पूछते है, " क्या हुआ धीरज? "
    उनके सवाल पर धीरज गुस्से से पूछता है, " क्या आपने बच्ची को कॉल किया था? "
    उसके सवाल पर अभय जी चौक जाते है, पर कुछ बोलते नही है। जिसे धीरज सब समझ जाता है और वो गुस्से से जैसे ही कुछ बोलने वाला होता है, उसके मोबाइल पर कॉल आता है। धीरज सूनेहरी का कॉल देख जल्दी से कॉल उठा कान पर लगाता है, तो सामने से सूनेहरी कहती है, " भाई प्लीज आप पापा से कुछ नही कहेंगे। "
    उसकी बात सुन धीरज के चेहरे के भाव बदल जाते है और वो अभय जी को घूर कर देखने लगता है और वही सूनेहरी से बिना कोई बात किए कॉल कट कर वहा से सीधा अपने कमरे के तरफ़ बढ़ जाता है। 

     
    रात का वक़्त 
     
    रंधावा मेंशन में सगाई की तैयारी चल रही थी। तभी धीरज नीचे आता है और सारी तैयारी देखने लगता है। तभी अभय जी उसके पास आकर कहते है, " देखो सुबह तक सारी तैयारी हो जायेगी। " 
    उनकी बात पर धीरज उन्हें देख कहता है, " तैयारी अच्छी है, पापा.... पर देखियेगा कही सगाई कैंसल ना हो जाए। "
    उसकी बात सुन अभय जी हैरान होकर उसे देखने लगते है, तो धीरज कहता है, " अगर कल बच्ची नही आयी, तो सगाई भी नही होगी। " उनकी बात सुन अभय जी उसे गुस्से से घूरने लगते है, तभी धीरज आगे कहता है, " और ये फैसला प्राची का है। " उसकी बात सुन अभय जी शॉक हो जाते है। वही धीरज अपनी बात ख़तम कर वहा से चला जाता है। और यहाँ अभय जी परेशान हो जाते है। 
     
    दूसरी तरफ़ 
     
    विहान अपने कमरे में बैठा हुआ था। तभी विहान का मोबाइल रिंग होता है और अपने असिस्टेंट का कॉल देख वो कॉल उठा हेल्लो कहता है। 
    सामने से उसका असिस्टेंट कहता है, " सर मैंने मिस सूनेहरी के बारे में पता कर लिया है। चार साल पहले जो उनका MMS आया था, उसके बाद उन्होंने सुसाइड अट्टेड किया था। " उसकी ये बात सुनकर विहान को झटका लगता है। वही असिस्टेंट आगे कहता है, " उस सुसाइड अट्टेड के बाद वो बच गयी थी, लेकिन उनके पापा मिस्टर अभय रंधावा ने उनसे रिश्ता तोड लिया था और तब से लेकर अब तक वो सूनेहरी से ना मिले है और ना उनसे कोई बात की है। वो चाहते ही नही है, की सूनेहरी यहाँ आए और लोगों को पता चले की सूनेहरी उनकी बेटी है। "
    उसकी बात सुन विहान अपनी आँखें मिच कॉल कट कर देता है और फिर आँखें खोल मन में कहता है, " मेरी एक गलती और तुम्हें इतना कुछ बर्दाश्त करना पड़ा। "
     इतना बोल वो फिर खुद से कहता है, " पता नही तुम मुझे कभी माफ करोगी भी या नही, पर अगर तुमने मुझे माफ़ कर दिया, तो सुनेहरी दुनिया की सारी खुशियाँ तुम्हारे कदमों में लाकर रख दूंगा। बस एकबार वापस आजाओ। " इतना बोल वो कुछ सोचकर कहता है, " तुम नही आरही सुनेहरी तो कोई बात नही। सगाई के बाद मैं खुद मसूरी आकर तुमसे मिलूँगा और माफ़ी मांगूंगा। " 
    इतना बोल वो अपने मोबाइल में सूनेहरी की फोटो देखने लगता है, जो उनकी पहली डेट की थी। जिसमें सूनेहरी ने वाइट ड्रेस पहना हुआ था और उसके स्माइल जो उसके आँखों तक जा रही थी, जिसे पता चल रहा था, की वो कितना खुश है। सूनेहरी को देख विहान के चेहरे पर मुस्कान आजाती है। 
     
     
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  • 11. Chapter 11 - सुनेहरी की वापसी

    Words: 1726

    Estimated Reading Time: 11 min

    आइये जानते है आगे की कहानी
     
    सुनेहरी के नही आने की बात जानकर प्राची और धीरज उदास हो जाते है। वही विहान को सुनेहरी के बारे में बहुत कुछ पता चलता है, जिसे जानकर उसे अपनी गलती पर और पछतावा होने लगता है। 
     
    अगली सुबह 
     
    धीरज अपने कमरे में उदास होकर बैठा था। आज उसकी सगाई थी लेकिन सुनेहरी नही आयी, ये बात उसे बहुत निराश कर रही थी। तभी उसके पास एक सर्वेंट आता है और कहता है, " सर बड़े सर ने आपको नीचे बुलाया है। "
    उसकी बात सुन धीरज अपना सिर हिला कमरे से बाहर निकल नीचे जाता है। 
     
    धीरज नीचे आता है, तो अभय जी उसे वही रखा शगुन के तरफ़ इशारा कर कहते है , " देखो बेटा ये सब प्राची को पसंद तो आयेगा ना ! "
    उनकी बात पर धीरज सारी चीजों पर एक नज़र घुमा अभय जी से कहता है, " पापा आप इतनी मेहनत क्यु कर रहे है? ये सगाई होने वाली नही है। "
    उसकी बात सुन अभय जी कुछ बोलते उसे पहले एक आवाज आती है, " क्यु नही होने वाली है? "
    आवाज सुन धीरज चौक जाता है, तो वही अभय जी की आँखें बड़ी हो जाती है और दोनों एकसाथ पलट कर देखते है, तो घर के मेन दरवाजे पर अक्का के साथ सुनेहरी खड़ी थी। 
    सुनेहरी को देख धीरज का चेहरा खुशी से खील जाता है, तो वही अभय जी का चेहरे कठोर हो जाता है। 
    " मैं तो यहाँ अपने भाई के सगाई के लिए ही आयी हूँ। " सुनेहरी अंदर आते हुए कहती है। जिसके बाद धीरज जल्दी से उसके तरफ़ बढ़ जाता है और सुनेहरी के पास आकर उसे अपने सीने लगा लेता है। सुनेहरी भी खुश होकर उसे पकड़ लेती है। 
    धीरज सुनेहरी को खुद से अलग कर उसे देख कहता है, " बच्ची मुझे तो लगा था, तुम नही आओगी। "
    उसकी बात पर सुनेहरी मुस्कुरा कर कहती है, " मेरे भाई की सगाई है, तो कैसे नही आती। " 
    उसकी बात सुन धीरज खुश हो जाता है और तभी सुनेहरी की नजर धीरज के पीछे खड़े अपने पापा पर जाती है। अपने पापा को देख सुनेहरी के चेहरे से मुस्कान गायब हो जाती है। वही धीरज भी मुड़कर अभय जी को देखने लगता है। सुनेहरी अभय जी के पास आकर जैसे से ही उनके पैर छूने झुकती है, अभय जी वहा से चले जाते है। अभय जी को ऐसे जाते हुए देख सुनेहरी को बुरा लगता है, तभी धीरज उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रख कहता है, " मान जाएंगे वो। " उसकी बात पर सुनेहरी अपना सिर हिला देती है। जिसके बाद धीरज सुनेहरी को उसका कमरा दिखाने लेकर जाता है। 
    उन दोनों को जाते देख वहा खड़ी अक्का कहती है, " अरे तुम दोनों हमको भूल गया। " 
    उसकी बात सुन धीरज और सुनेहरी उसे देख हंसने लगते है, फिर धीरज अपनी एक मेड को अक्का को उसका कमरा दिखाने बोलता है। 
     
    धीरज सुनेहरी के साथ उसके कमर में आता है, तो सुनेहरी चार साल बाद अपना कमरा देख कहती है, " अभी तक सब वैसा का वैसा है। "
    उसकी बात पर धीरज कहता है, " कल ही ठीक करवाया है। "
    उसकी बात सुन सुनेहरी उसके पास आकर उसके सीने से लग कहती है, " थैंक यू भाई " उसकी बात सुन धीरज मुस्कुरा देता है। 
    फिर कहता है, " अच्छा अब तुम फ्रेश होकर जल्दी से तैयार हो जाओ। " उसकी बात पर सुनेहरी अपना सिर हिला देती है, जिसके बाद धीरज उसके सिर को थपथपा वहा से चला जाता है। 
    धीरज के जाने के बाद सुनेहरी राहत की सांस लेती है और जाकर जल्दी से मिरर में अपने आपको देखने लगती है। दरसल सुनेहरी ने अपने माथे की चोट को अपने बालों से छुपा लिया था, ताकि धीरज को उसकी चोट ना दिखे। सुनेहरी अपने सारे बालों को समेट उसका जुड़ा बनाती है और फिर वॉशरूम में जाकर फ्रेश होने लगती है। 
     
    कुछ देर बाद सुनेहरी जैसे ही फ्रेश होकर कमरे में आती है, तभी धीरज भी कमरे में आता है। धीरज को कमरे में देख सुनेहरी पहले चौक जाती है, पर फिर मुस्कुरा देती है। वही धीरज सुनेहरी को पेपर बैग देते हुए कहता है, " इसमें तुम्हारे आज पेहने के लिए ड्रेस है। " इतना बोल वो जैसे ही सुनेहरी के चेहरे को देखता है, उसकी आँखें बड़ी हो जाती है, तो वही सुनेहरी अपना ड्रेस मुस्कुरा कर कहती है, " ये बहुत खूबसूरत है। " 
    तभी धीरज परेशान होकर सुनेहरी के माथे के तरफ़ इशारा कर पूछता है, " तुम्हें ये चोट कैसे लगी? " 
    उसके सवाल पर सुनेहरी घबरा जाती है और जल्दी से अपने आपको आईने में देखती है, तो उसके बालों को अच्छे से बांधने के वजह से उसके माथे पर लगी सफेद बैंडेज नज़र आरही थी। 
    सुनेहरी धीरज को देख कहती है, " भाई कुछ नही हुआ है। "
    " कुछ नही हुआ है...! तो ये बैंडेज क्यु है? " धीरज कड़क आवाज में पूछता है, तो सुनेहरी गहरी सांस छोड़ कहती है, " भाई वो बस परसो मैं ऐसेही थोड़ी सी गिर गयी थी। तो... " इतना बोल वो अपनी बात अधुरी छोड़ देती है, तभी धीरज कहता है, " थोड़ी सी गिर गयी थी का क्या मतलब है? और तुम्हें ये चोट परसो से लगी है, तो तुमने मुझे बताया क्यु नही ? " 
    " इसलिए तो नही बताया। क्यों की आप इतनी सी चोट देख कर भी इतने परेशान हो जाते है। " सुनेहरी कहती है, तो धीरज उसे घूरने लगता है। 
    तभी सुनेहरी उसका हाथ पकड़ कहती है, " भाई मैं सच में ठीक हूँ। और अब आप जाकर तैयार हो जाइये, वरना सगाई के लिए देर हो जायेगी। " उसकी बात सुन कर भी धीरज नही जाता है, बस खड़ा होकर उसे घूरता है। तो सुनेहरी कहती है, " भाई मुझे भी तैयार होना है और भाभी अपने फैमिली के साथ आती ही होगी। आप जाकर जल्दी तैयार हो जाइये। प्लीज... " इतना बोल वो उसे मासूम शक्ल बना देखने लगती है, तो धीरज वहा से चला जाता है। 
     
    धीरज के जाने के बाद सुनेहरी राहत की सांस लेकर वहा धम से बैठ जाती है और फिर धीरज का दिया हुआ ड्रेस खोलकर देखने लगती है, जिसे देख उसके चेहरे पर मुस्कान आजाती है। 
     
     
    दूसरी तरफ़ 
     
    कपूर विला में प्राची अपने कमरे में तैयार हो रही थी। वही मनोज जी शगुन का सारा समान गाड़ी में रखवा रहे थे। यहाँ विहान भी ब्लैक कलर का थ्री पीस सूट पहनकर तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आता है और मनोज जी की मदत करने लगता है। वही रीमा जी प्राची को देखने उसके कमरे में जाती है, जहा प्राची को दो ब्यूटीशन तैयार कर रही थी।
     
    प्राची ने पिच कलर का एक लोंग गाऊन पहना था, जिसका थोड़ा डीप स्केयर के गला था। वही स्लीव फूल हैंड थी और कंधे से पूरी स्लीव में मोतियों का वर्क था। साथ ही गले से लेकर गाउन की लेंथ तक भी मोतियों का वर्क था, जिसमें छोटी मोती से लेकर बड़े मोती सब शामिल थे। गले में चोकर नेकलेस के साथ कानों में बड़े बड़े इयर रिंग पेहने थे। प्राची ने हल्के कर्ल कर बालों को खुला छोडा था और हाथ में डाइमंड का ब्रेसलेट पहना हुआ था। चेहरे पर हल्के मेक अप के साथ, आँखों में काजल, होठों पर बेबी पिंक कलर की लिपस्टिक के साथ वो बहुत खूबसूरत दिख रही थी। 
    प्राची को देखते जी रीमा जी कहती है, " प्राची बहुत सुंदर दिख रही हो। " 
    उनकी बात सुन प्राची मुस्कुरा देती है, जिसके बाद रीमा जी उसे कहती है, " अब चलो हमें देर हो रही है। " उनकी बात सुन प्राची अपना सिर हिला कर उनके साथ कमरे से बाहर निकल जाती है। 
    प्राची तैयार होकर बाहर आती है, तो उसके पापा उसके सिर पर हाथ रख मुस्कुरा देते है। जिसके बाद प्राची विहान के पास आकर पूछती है, " भाई मैं कैसी दिख रही हूँ? "
    " ठीक " उसके सवाल पर विहान बस एक शब्द में रिप्लाय करता है, जिसे सुन प्राची मुंह बना लेती है। 
    तभी रीमा जी कहती है, " तुझे तो पता है, उसे लड़कियों की तारीफ करना नही आता है। " इतना बोल वो प्राची को बाहर लाकर गाड़ी में बैठा देते है, जहाँ उनके साथ उनके कुछ करीबी दोस्त और रिश्तेदार ही उनके साथ चल रहे थे। 
     
    प्राची रीमा जी के साथ गाड़ी में पीछे सीट पर बैठ जाती है, तो वही मनोज जी आगे की सीट पर बैठ जाते है और विहान ड्राइविंग सीट पर बैठ गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा देता है। 
     
     
    जल्दी ही वो सब रंधावा मेंशन पहुँच जाते है, जहा उनका स्वागत अभय जी और उनका चचेरा भाई अनिल करते है। जिसके बाद सब गाड़ी से उतर मेंशन के अंदर बढ़ जाते है। 
     
    मेंशन के अंदर आते ही सबको बैठने के किया कहा जाता है। तभी प्राची अभय जी से पूछती है, " अंकल धीरज कहा है? "
    " तैयार हो रहा है। " उसके सवाल पर अभय जी जवाब देते है। 
    तभी वहा धीरज की चाची और अनिल और उनकी पत्नी आती है, जिसे देख अभय जी उन्हें कपूर परिवार से मिलवाते हुए कहते है, " ये धीरज के चाचा है अनिल और ये चाची है निर्मला "
    उनकी बात पर निर्मला चाची उन्हें नमस्ते करती है और तभी वहा एक लड़की आती है, जिसकी उमर लगभग बाइस साल की होगी। लड़की के आते ही निर्मला उसे सबसे मिलवाते हुए कहती है, " ये मेरी बेटी है दीप्ती " उसकी बात सुन सब उसे देख मुस्कुरा देते है, तो दीप्ती भी उन्हें देख नमस्ते करती है। तभी निर्मला की नज़र विहान पर जाती है और उसके चेहरे पर मुस्कान आजाती है। 
     
    तभी विहान का मोबाइल रिंग होता है , तो वो अपना मोबाइल देखता है, तो उसके असिस्टेंट का कॉल था। मनोज जी उसे कहते है, " विहान काम बाद में "
    " पापा जरूरी कॉल है। " विहान इतना बोल कॉल पर बात करने के लिए वहा से साइड जाकर अपने असिस्टेंट का कॉल उठा बात करने लगता है। 
    " हा! बोलो "
    " सर सुनेहरी मसूरी से आगयी है और वो इस वक़्त रंधावा विला में ही है। " उसकी बात सुन विहान की आँखें बड़ी हो जाती है। 
    तभी एक लड़का बोलता है, धीरज आगया। उसकी बात सुन विहान जब पीछे मुड़कर देखता है, तो शॉक हो जाता है। क्यों की धीरज सुनेहरी के साथ सीढ़िया उतर रहा था। 

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  • 12. Chapter 12 - विहान सुनेहरी का आमना - सामना

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    आइये जानते है आगे की कहानी


    कपूर परिवार सगाई के लिए रंधावा मेंशन पहुँचता है, तभी विहान को उसका असिस्टेंट कॉल कर सुनेहरी के वापस आने की बात बताता है, जिसे विहान शॉक हो जाता है। तभी उसकी नज़र सीढ़ियों से नीचे आरही धीरज और सुनेहरी पर जाती है।

    विहान की नज़र जैसे ही सुनेहरी पर जाती है, उसकी नज़र उसपर जम जाती है। जहा धीरज ने पीच कलर का थ्री पीस सूट पहना हुआ था। वही सुनेहरी ने व्हाइट कलर का क्रॉप टॉप के साथ लोंग स्कर्ट और उसके उपर लंबा स्ट्रग पहना हुआ था। सुनेहरी ने अपने बालों को स्ट्रेट कर खुला छोड़ा था और कानों में बड़े झुमके के साथ गले में बस एक पतली चेन पेहनी हुई थी। आँखों में काजल और होठों पर पिंक कलर की लिपस्टिक लगा सुनेहरी आज बहुत सुंदर दिख रही थी। सुनेहरी को देख विहान के आँखों के सामने कुछ यादें घूम जाती है, साथ ही उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है। वही धीरज के साथ सीढ़ियां उतर रही सुनेहरी को भी अपने दिल की धड़कन बढ़ती हुई महसूस होने लगती है, जिसे वो थोड़ी परेशान हो जाती है और अपना सिर झटक आगे बढ़ जाती है। 
     
     
    यहाँ धीरज और सुनेहरी सबके पास आते है, तो सुनेहरी को देख प्राची बहुत खुश होकर उसके पास आकर उसके गले लग जाती है। प्राची के ऐसा करने पर सुनेहरी भी मुस्कुरा देती है। वही सुनेहरी को देख अभय जी का चेहरा कठोर हो जाता है, साथ ही चाची जी भी मुंह बना लेती है। वही धीरज की नज़र प्राची पर टिक जाती है। उसे ऐसे देख सुनेहरी उसे कोहनी मार देती है, जिसे धीरज शर्मा कर अपना सिर खुजाने लगता है। 
     
    तभी धीरज आगे आकर मनोज जी और रीमा जी से सुनेहरी को मिलवाते हुए कहता है , " ये मेरी बेहन सुनेहरी " 
    उसकी बात पर रीमा जी और मनोज जी सुनेहरी को देख मुस्कुरा देते है, तो सुनेहरी उन्हें नमस्ते करती है। तभी रीमा जी उसके गाल को छुकर कहती है, " बहुत प्यारी है। " 
    उनकी बात पर धीरज और सुनेहरी फिर मुस्कुरा देते है। 
    तभी प्राची यहां - वहां देख पूछती है, " ये भाई कहा गए? उन्हें भी सुनेहरी से मिलवाना था। "
    उसकी बात पर मनोज जी कहते है, " तुम तो जानती हो, विहान और उसका काम। " उसकी बात पर प्राची अपना सिर हिला देती है। तभी सगाई का वक़्त हो जाता है और धीरज के साथ प्राची को स्टेज पर लेकर जाते है। 
     
    प्राची और धीरज स्टेज पर आते है, तो पंडित जी सगाई की रस्म शुरू करते है। जहाँ धीरज के पास सुनेहरी खड़ी थी, तो वही प्राची के पास उसकी मां रीमा जी खड़ी थी। पंडित जी उन्हें सगाई की अंगूठी पहनाने के लिए कहते है। जिसके बाद सबसे पहले प्राची धीरज को अंगूठी पेहनाती है। जिसके बाद सब उन दोनों पर फूल बरसाने लगते है। अब बारी धीरज की थी, तभी सुनेहरी धीरज के कान में कुछ कहती है, जिसे सुन धीरज की आँखें बड़ी हो जाती है और वो अपना सिर ना में हिला देता है, लेकिन तभी सुनेहरी उसे घूरती है। जिसके बाद धीरज गहरी सांस लेकर प्राची को देखने लगता है। तभी विहान वहा आता है, लेकिन वो स्टेज के नीचे मनोज जी के साथ खड़ा होकर देखने लगता है। 

    यहाँ धीरज प्राची के सामने अपना एक घुटना टिका बैठ प्राची के तरफ़ हाथ बढ़ा देता है, प्राची भी मुस्कुरा कर उसके हाथ में अपना हाथ देती है, जिसके बाद धीरज प्राची को अंगूठी पहना देता है और फिर उसके हाथ को चूम लेता है और उसके ऐसा करते ही वहा पर जोर से हूटिंग होने लगती है और सब उन दोनों पर फूलों की पंखुड़ी बरसाते है। सब बहुत खुश होते है लेकिन यहाँ सुनेहरी को अपनी दिल की धड़कन बढ़ने लगती है और उसे अजीब लगने लगता है। वही नीचे खड़ा विहान उसकी नज़रे बस सुनेहरी पर जमी हुई थी। 

    सुनेहरी अपना सिर घूमा स्टेज के नीचे की तरफ़ देखने लगती है, तभी घबरा कर विहान अपना चेहरा घुमा लेता है, क्यों की उसे अभी सुनेहरी का सामना करने की हिम्मत नही हो रही थी। वही सुनेहरी अपने आस - पास देख मन में कहती है, " ये मेरा दिल इतना तेज क्यु धड़क रहा है और ये अजीब सा एहसास...जैसे वो....नही ऐसा नही हो सकता। " इतना सोच सुनेहरी थोड़ी घबरा जाती है और धीरज को अभी आने का बोल वहा से चली जाती है।


    सुनेहरी के जाते ही प्राची की नज़र विहान पर जाती है, तो वो उसे इशारे से अपने पास बुलाती है। विहान जाकर प्राची और धीरज को congratulations करता है और आकर फिर नीचे आजाता है। 

    विहान मन में कहता है," ये ठीक समय है। सुनेहरी से मिलकर बात करने का।" इतना बोल वो वहा से सुनेहरी को ढूंढते हुए आगे बढ़ जाता है। 
     
    विहान सुनेहरी को ढूंढते हुए एक कॉरिडोर के साइड आजाता है और यहाँ - वहाँ देखते हुए आगे बढ़ रहा था, तभी वो किसी से टकरा जाता है। 

    विहान जल्दी से उसे सोर्री बोलने के लिए उसके तरफ पलटता है, तो सामने खड़ी सुनेहरी को देख उसकी आँखें बड़ी हो जाती है। वही सामने खड़ी सुनेहरी अपने कपड़ो और गिरा जूस साफ़ करते हुए गुस्से से कहती है, " अंधे हो! दिखाई नही देता ! मेरी ड्रेस खराब कर दी। " इतना बोल वो जैसे ही अपना सिर उठा देखती है, तो अपने सामने विहान को देख उसे झटका लगता है और उसके हाथ से ज्यूस का गिलास नीचे गिर जाता है और ज्यूस का गिलास कांच का होने के वजह से वो गिरते ही टूट जाता है। विहान भी सुनेहरी को देख रहा था और उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था, वही विहान को देख सुनेहरी की आँखें बड़ी हो गयी थी और जैसे उसकी सांसे थम गयी थी।

    विहान को देखते ही सुनेहरी के मुंह से धीमें निकलता है, " आ...आकाश" 
    " सोना " उसके मुँह से आकाश सुनते ही विहान के मुंह से निकलता है, जिसे सुनेहरी का दिल इतना तेजी से धड़कने लगता है, की अभी निकल कर बाहर आजायेगा।
     
     
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिये बेइंतेहा मोहब्बत

  • 13. Chapter 13 - पैनिक अटैक

    Words: 1352

    Estimated Reading Time: 9 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 

     

     

    धीरज और प्राची की सगाई हो जाती है और सगाई के बाद विहान सुनेहरी से बात करने का सही मौका ढूंढते हुए उसके पीछे जाता है। 

    विहान सुनेहरी को ढूंढते हुए एक कॉरिडोर के साइड आजाता है और यहाँ - वहाँ देखते हुए आगे बढ़ रहा था, तभी वो किसी से टकरा जाता है। 

    विहान जल्दी से उसे सोर्री बोलने के लिए उसके तरफ पलटता है, तो सामने खड़ी सुनेहरी को देख उसकी आँखें बड़ी हो जाती है। वही सामने खड़ी सुनेहरी अपने कपड़ो पर गिरा ज्यूस साफ़ करते हुए गुस्से से कहती है, " अंधे हो! दिखाई नही देता क्या! मेरी ड्रेस खराब करदी। " इतना बोल वो जैसे ही अपना सिर उठा देखती है, तो अपने सामने विहान को देख उसे झटका लगता है और उसके हाथ से छुट ज्यूस का गिलास नीचे गिर जाता है। ज्यूस का गिलास कांच का होने के वजह से वो नीचे गिरते ही टूट जाता है। 

    विहान को देखते ही सुनेहरी के मुंह से धीमें निकलता है, " आकाश " और फिर उसके सामने चार साल पहले की सारी यादें एक - एक कर घूम जाती है। 

    वही विहान भी सुनेहरी को ही देख रहा था और उसके आँखों के सामने भी सुनेहरी के साथ बिताए सारे पल घूमने लगते। 

    वही सुनेहरी की आँखें नम हो जाती है और वो विहान सच में उसके सामने खड़ा है या नही देखने के लिए उसे छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाती है। सुनेहरी विहान के गाल को छूती है, तो उसके आँखों से आंसू की एक बूंद उसके गाल पर लुड़क जाती है। यहाँ सुनेहरी के अपने गाल को छूते ही विहान के चेहरे पर एक सॉफ्ट भाव नज़र आने लगते है। 

    सुनेहरी अभी विहान को ही देख रही थी, की अचानक उसे चार साल पहले की सारी गलत बातें याद आने लगती है। उसका MMS, अरुण का उसको सच बताना, तम्मना का आकाश को अपना बॉय फ्रेंड बोलना और फिर अरुण के कहे हुए शब्द उसके कान में गूंज जाते है। 

    ' आकाश तुमसे कोई प्यार नही करता, वो सिर्फ मेरा बदला ले रहा था और ये MMS भी उसी ने वायरल किया है। ' 

    उसकी बात याद आते ही सुनेहरी उसके गाल से झटसे अपना हाथ हटा लेती है और अब धीरे - धीरे उसकी आँखें लाल होने लगती है। सुनेहरी के गाल से हाथ हटाने पर विहान उसे देखने लगता है तो वही सुनेहरी विहान से दूर जाते हुए अपने कदम पीछे लेने लगती है। सुनेहरी को पीछे जाते देख विहान उसके तरफ़ अपने कदम बढ़ने लगता है।

    पर सुनेहरी वो उसे हाथ दिखा रोक कांपती हुई आवाज में कहती है, " मे.... मेरे पास मत आना। " उसकी कांपती हुई आवाज सुन विहान अपने कदम रोक लेता है। 

    वही सुनेहरी पीछे तो जाने लगती है, लेकिन अब उसकी आवाज के साथ उसका बदन भी कांपने लगता है, साथ ही उसकी सांसे भी चढ़ने लगती है। विहान जब सुनेहरी को ऐसे देखता है, तो फिर उसके तरफ़ कदम बढ़ाने लगता है, पर सुनेहरी उसे अपने हाथ दिखा रोक अपना सिर ना में हिला देती है। सुनेहरी को ऐसे देख विहान कहता है, " सोना मेरी बात तो सुनो। "

    उसके मुंह से अपना नाम सुन उसके आँखों के सामने चार साल पहले का आकाश का पुकारना गूंज जाता है और वो जल्दी से अपने दोनों कानों पर हाथ रख लेती है। सुनेहरी को ऐसे देख विहान को कुछ समझ नही आता है और तभी सुनेहरी तेज - तेज सांस लेने लगती है, उसे देख ऐसा लग रहा था, जैसे वो सांस नही ले पा रही हो। सुनेहरी अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी बांध लेती है और आप उसका पुरा बदन कांपने लगता है, साथ ही उसकी आँखें लाल होकर उसमें से आंसू की बूंद एक - एक कर गिरने लगती है। सुनेहरी पीछे जाते हुए दीवार से लग जाती है और वही पर लगा परदा पकड़ तेजी से सांस लेने लगती है और अब उसे देख ऐसा लग रहा था, की वो अपनी आँखें भी नही खोल पा रही थी। सुनेहरी की ऐसी हालत देख विहान शॉक हो जाता है और जल्दी से जाकर सुनेहरी को पकड़ लेता है।

    सुनेहरी अपनी आँखें जबरदस्ती खोलने की कोशिश करती है और विहान को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगती है, पर विहान उसे पकड़ कसके अपने सीने से लगा लेता है और उसकी पीठ को सेहलाते हुए कहता है, " सोना शांत.... शांत हा जाओ और सांस लेती रहो। " 

    विहान सुनेहरी को शांत करने की पूरी कोशिश करता है, पर सुनेहरी की हालत और खराब होती जा रही थी। विहान जिसने सुनेहरी को अपने सीने से लगाया हुआ था, उसे ऐसा महसूस हो रहा था, की सुनेहरी का बदन अकड़ रहा है। विहान सुनेहरी को खुद से अलग कर उसके चेहरे को देखने लगता है, तो सुनेहरी की आँखें उपर हो गयी थी और अब उसकी सांसे एकदम धीमी हो गयी थी, उसे देख ऐसा लग रहा था, जैसे अब वो बस मर जायेगी। सुनेहरी की ऐसी हालत देख विहान घबरा जाता है और वो बिना कुछ भी सोचे सुनेहरी को अपनी बाहों में उठा यहाँ - वहाँ कोई कमरा देखने लगता है। 

    तभी वहा अक्का सुनेहरी को ढूंढते हुए वहा आती है और जब वो विहान के बाहों में बेहोश सुनेहरी को देखती है, तो शॉक हो जाती है। 

     

    अक्का जल्दी से विहान के पास आकर सुनेहरी को देख घबरा कर पूछती है, " क्या हुआ बेबी को? "

    " सुनेहरी का कमरा कहा है?" उसके सवाल को इग्नोर कर विहान पूछता है। तो अक्का जल्दी से उसे सुनेहरी के कामरे के तरफ़ लेकर जाने लगती है। विहान और अक्का सारे मेहमानों और परिवार वालों के नजरों से बचाते हुए सुनेहरी को लेकर उसके कमरे के तरफ़ बढ़ जाते है। 

     

    विहान सुनेहरी को उसके कमरे में लाकर बेड पर लिटा देता है और उसके गाल को थपथपा उसे आवाज देने लगता है, " सोना.... सोना" वही अक्का सुनेहरी का इंजेक्शन ढूंढने लगती है। 

    विहान जब देखता है, की सुनेहरी की सांस एकदम से रुकने ही वाली है, तो वो बहुत घबरा जाता है और फिर बिना सोचे समझे सुनेहरी के गाल दबा उसके मुंह को खोल अपना मुंह उसके मुंह में लगा उसे सांस देने लगता है। अक्का जब ये नजारा देखती है, तो वो अपनी जगह जम जाती है और उनके हाथ में पकड़ी चीजे नीचे गिर जाती है।

    वही विहान कंटिन्यु सुनेहरी को अपने मुंह से सांसे दे रहा था, ताकि उसकी सांसे नॉर्मल हो सके। विहान कुछ देर बाद सुनेहरी से दूर होकर देखने लगता है, तो सुनेहरी की सांसे नॉर्मल चलने लगती है, लेकिन अभी उसका बदन अकडा हुआ था और वो बेहोश थी। सुनेहरी को ऐसे देख विहान उसके हाथ को पकड़ घिसने लगता है और फिर अक्का के तरफ़ देखने लगता है, जो अपनी जगह जमी खड़ी उसे ही देख रही थी। 

    अक्का को ऐसे देख विहान गुस्से से दांत पिसते हुए कहता है, " तुम खड़ी क्या हो डॉक्टर को बुलाओ। " 

    उसकी बात सुन अक्का सेंस में आती है और अपना सिर हिला यहाँ - वहाँ देखने लगती है और फिर जल्दी से इंजेक्शन ढूंढने लगती है। अक्का को जल्दी ही इंजेक्शन मिल जाता है, जिसे लेकर वो जल्दी से सुनेहरी के पास आती है और उसके हाथ पर लगा देती है। अक्का के इंजेक्शन लगाने पर सुनेहरी कुछ नॉर्मल होती है और उसका बदन ढीला होता जाता है, जिसके बाद अक्का और विहान राहत की सांस लेते है।

     अक्का सुनेहरी को देख रही थी, तभी विहान अक्का को देख पूछता है , " किस चीज का इंजेक्शन दिया तुमने? "

    " पैनिक अटैक " उसके सवाल पर अक्का उसे देख कहती है।

    उसकी बात सुन विहान की आँखें शॉक से फैल जाती है। 
    " पैनिक अटैक " इतना बोल वो सुनेहरी को देख मन में सोचता है, " मतलब सोना अभी ठीक नही हुई है। "


    तभी अक्का आगे कहती है, " बेबी की जब ज्यादा स्ट्रेस होता है या ज्यादा गुस्सा आता है, तो वो बर्दाश्त नही कर पाती है और उसे पैनिक अटैक आजाता है। "

    उसकी बात सुन विहान को झटका लगता है और वो सुनेहरी को देखने लगता है, जो बेहोश थी। 

     

     

    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत

  • 14. Chapter 14 - विहान का गुस्सा

    Words: 1871

    Estimated Reading Time: 12 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 
     
     
    विहान सुनेहरी के सामने खड़ा होता है और विहान को सुनेहरी को पैनिक अटैक आता है, जिस वजह से उसे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगती है और वो बेहोश हो जाती है। सुनेहरी के बेहोश होने पर विहान अक्का के साथ उसे कमरे में लाकर संभालने लगता है। वही अक्का एक इंजेक्शन ढूंढ कर सुनेहरी को लगाती है, जिसे वो शांत होकर सो जाती है। 
     
    तभी विहान अक्का को देख पूछता है , " किस चीज का इंजेक्शन दिया तुमने? "
    उसके सवाल पर अक्का उसे देख कहती है, " पैनिक अटैक" उसकी बात सुन विहान की आँखें शॉक से फैल जाती है। 
    " पैनिक अटैक " इतना बोल वो सुनेहरी को देख मन में सोचता है, " मतलब सोना अभी ठीक नही हुई है। "

    तभी अक्का आगे कहती है, " बेबी को जब ज्यादा स्ट्रेस होता है या ज्यादा गुस्सा आता है, तो वो बर्दाश्त नही कर पाती है और उसे पैनिक अटैक आजाता है। "
    उसकी बात सुन विहान को झटका लगता है और वो सुनेहरी को देखने लगता है, जो गहरी नींद में थी। 
     
    विहान सुनेहरी को देखते हुए उसके चेहरे पर आरहे बालों को हटाता है और फिर ध्यान से उसका चेहरा देखने लगता है, जो एकदम पिला पड़ गया था। 
     
    वही खड़ी अक्का विहान को ध्यान से देख रही थी। उसे विहान की आँखों में सुनेहरी के लिए कुछ अजीब भाव नज़र आ रहे थे। तभी अक्का विहान से पूछती है, " वैसे तुम कौन? "
    उसके सवाल पर विहान कोई जवाब नही देता है, जिसे अक्का को अजीब लगता है और वो नोटिस करती है, की विहान का पुरा ध्यान सुनेहरी पर है और ये बात अक्का को अजीब लगता है। 
     
    वही नीचे सगाई होने के बाद सारे मेहमान खाना खा रहे थे। तो वही धीरज और प्राची मेहमानों से मिल रहे थे। सारे मेहमानों से मिलने के बाद जब वो दोनों खाना खाने के लिए बैठते है, तभी धीरज सुनेहरी को ढूंढने लगता है। धीरज को अपने आस - पास सुनेहरी नही नज़र आती है, जिसे वो थोड़ा परेशान हो जाता है। उसे ऐसे देख प्राची उसके हाथ पर हाथ रख इशारे से उसे पूछती है, " क्या हुआ? "
    जिस पर धीरज कहता है, " बच्ची कहीं दिख नही रही है। " 
    उसकी बात सुन प्राची कहती है, " ये ही होगी । " इतना बोल वो भी यहाँ - वहाँ देखने लगती है। 
    धीरज कुछ सोच कर सुनेहरी को कॉल करता है, पर बस रिंग बज रही थी, कोई कॉल नही उठा रहा थी। सुनेहरी के कॉल नही उठाने पर धीरज थोड़ा परेशान हो जाता है, तभी प्राची उसे कहती है, " रिलेक्स धीरज.... तुम परेशान क्यु हो रहे हो? "
    उसके सवाल पर धीरज कहता है, " पता नही कहा गयी ये? "
     
    यहाँ विहान सुनेहरी के चेहरे से जब बाल हटाता है, तब उसकी नज़र सुनेहरी के माथे पर लगी चोट पर जाती है। जिसे देख उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदल जाते है और वो अक्का से पूछता है, " सुनेहरी को ये चोट कैसे लगी? "
    उसके सवाल पर अक्का उसे देख कहती है, " वो बेबी का एक्सीडेंट हो गया था। "
    उसकी बात सुन विहान फिकर करते हुए पूछता है, " कैसे? "
    उसके एकदम से पूछने पर अक्का चौक जाती है, पर वो कुछ बोलती उसे पहले उसका मोबाईल बजता है। 
    अक्का अपना मोबाईल देखती है, तो धीरज का कॉल आरहा था। धीरज का कॉल देख अक्का घबरा कर कहती है, " अय्यो धीरज सर का कॉल ” उसकी बात सुन विहान उसे देखने लगता है, वही अक्का जल्दी से कॉल उठा लेती है। 
     
    अक्का, " हा सर... "
    " कहा हो तुम और बच्ची कहा है? " अक्का के कॉल उठाते ही धीरज सवाल करता है।
    तभी अक्का बेहोश सुनेहरी को देख कहती है, " साहेब बेबी.....बेहोश हो गया है। " 
    उसकी बात सुन धीरज कहता है, " क्या? " इतना बोल वो अपनी जगह उठकर खड़ा हो जाता है , फिर पूछता है, " कहा है बच्ची ? "
    " कमरे में " अक्का के इतना बोलते ही धीरज कॉल कट कर देता है। 
    धीरज के कॉल कट करते ही प्राची के साथ बाकी सब भी उसे पूछते है, " क्या हुआ? ”
    धीरज सबको देख, " बच्ची बेहोश हो गयी है। " उसकी बात सुन बाकी सब भी घबरा जाते थे। वही धीरज वहा से सुनेहरी के कमरे के तरफ़ बढ़ जाता है और उसके साथ प्राची भी जाती है। उन दोनों के बाद बाकी सब अभय जी, मनोज जी, रीता जी, अनिल जी, निर्मला जी और उनकी बेटी दिप्ती भी जाती है। 
     
    धीरज और प्राची सबसे पहले सुनेहरी के कमरे में आते है। उनके आते ही सुनेहरी के पास बैठा हुआ, विहान उठकर सुनेहरी से दूर खड़ा हो जाता है। धीरज जल्दी से सुनेहरी के पास आकर उसे देखने लगता है और फिर घबरा कर पूछता है, " बच्ची बेहोश कैसे हो गयी? "
    वही प्राची विहान को सुनेहरी के कमरे में देख चौक जाती है।
    धीरज के सवाल पर अक्का कुछ बोलती उसे पहले विहान जवाब देता है, " पैनिक अटैक के वजह " 
    विहान की बात सुन धीरज और प्राची उसे चौक कर देखने लगते है, तो वही अभी कमरे में आए बाकी सब भी चौक जाते है। 
    विहान को सुनेहरी के कमरे में देख प्राची उसे पूछती है, " भाई आप यहाँ? "
    उसके सवाल पर विहान कुछ बोलता उसे पहले अक्का बोलती है, " वो बेबी बेहोश हो गया था, तभी ये ही उसे कमरे में लेकर आए। "
    उसकी बात सुन सब विहान को देखने लगते है, वही विहान बिना किसी एक्सप्रेशन के खड़ा था। अभय जी एक नज़र सुनेहरी को देखते है और फिर गहरी सांस लेते है।
    तभी धीरज विहान के पास आकर कहता है, " थैंक यू विहान "
    उसकी बात पर विहान कुछ नही कहता है, वो बस सुनेहरी को देखते हुए वहा से जाने लगता है। 
    विहान कमरे से बाहर जाने के जैसे ही दरवाजे के पास आता है, उसके कान में निर्मला चाची की आवाज आती है। 
     निर्मला चाची दीप्ती से धीमी आवाज में कहती है, " यहाँ आते ही इसके नाटक शुरू हो गए। "
     उनकी बात पर दीप्ती बेहोश सुनेहरी को देख मुंह टेड़ा कर कहती है," इसके तो नाटक ही ख़तम नही होते है। मुझे तो लगता है, ये सब ये सिर्फ अटेंशन के लिए करती है, ताकि सब इसके आगे पीछे घूमें।" 
    उसकी बात विहान की कानों में पड़ते ही वो गुस्से से निर्मला और दीप्ती को घूरने लगता है। 
    " मामूली चीजों को डिप्रेशन का नाम देकर सबसे सिंपथी ले रही है। " दीप्ती फिर हंसते हुए सुनेहरी का मजाक उड़ाते हुए कहती है। वही उसकी ये बात सुन विहान के हाथ की मुठ्ठियां कस जाती है। 
    तभी दीप्ती आगे कहती है, " मां मैं ये सब नौटंकी नही देख सकती, मैं जा रही हूँ खाना खाने। " इतना बोल वो जैसे ही जाने के लिए मुड़ती है, सामने विहान को खड़ा देख चहुँक जाती है। 
    लेकिन फिर मुस्कुरा कर उसके पास जाकर कहती है, " विहान चलिए, मैं भी आपके साथ चलती हूँ। " इतना बोल अचानक उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो जाती है, क्यों की उसकी नज़र विहान के गुस्से से भरी आँखों पर जाती है। 
    " क्या हुआ विहान?" दीप्ती घबराते हुए पुछ्ती है। 
    उसके सवाल पर विहान गुस्से से उसे कहता है, " तुम्हें ये सब नाटक लग रहा है? "
    उसकी बात सुन दीप्ती की आँखें बड़ी हो जाती है , तो वही बाकी सब भी उसके तरफ़ देखने लगते है। 
    विहान फिर गुस्से से कहता है, " एक लड़की जिसे अभी पैनिक अटैक आया था, वो बेहोश बेड पर पड़ी है और तुम्हें ये सब नाटक लग रहा है! तुम्हें लग रहा है, की ये सब वो जानबूझकर कर रही है ! " 
    उसकी बात सुन दीप्ती घबरा जाती है , तो वही बाकी सब दीप्ती को देखने लगते है और निर्मला चाची भी परेशान होकर दीप्ती को देखने लगती है।
    दीप्ती सबको अपने तरफ़ देखता हुआ पाकर अपनी बात समझाने के लिए कहती है, " तुम मुझे गलत समझ रहे हो। "
    " शट अप " उसने इतना बोला ही था, की तभी विहान गुस्से से चिल्लाकर बोलता है, जिसे दीप्ति घबराकर एक कदम पीछे हो जाती है।
    विहान उसे देख गुस्से से आगे कहता है, " उसकी हालत देखो, कुछ देर पहले वो सांस नही ले पा रही थी, ऐसा लग रहा था, वो मर जायेगी और तुम्हें लगता है, की ये सब नाटक है, ड्रामा है। " 
    उसकी बात सुन दीप्ती अब बिना कुछ बोले अपना सिर झुका लेती है। 
    तभी विहान आगे कहता है, " डिप्रेशन का मतलब जानती हो! दिमाग काम नही करता, जीने से आसान मरना लगता है, ना खुश रहा जाता है, ना रोया जाता है , ऐसी हालत होती है और तुम.... तुम उसकी हालत पर हंस रही हो । "
    उसकी बात सुन सब दीप्ती को घूरने लगते है और धीरज तो गुस्से से उसे देख रहा रथा, जिसे दीप्ती घबरा जाती है। 
    तभी निर्मला चाची उसे बचाने के लिए विहान से कहती है, " अरे नही विहान तुम दीप्ती को गलत समझ रहे हो। उसे तो सुनेहरी की बहुत फिकर रहती है। और... " इसके आगे के शब्द उसके मुंह में रह जाते है, क्यों की विहान गुस्से से उसे देख रहा था, जिसे वो चुप होकर खड़ी हो जाती है।
     
    विहान निर्मला चाची और दीप्ती दोनों को गुस्से से देखते हुए वहा से चला जाता है, तो वही निर्मला चाची और दीप्ती सबके सामने शर्मिंदा होकर चले जाते है और उनके पीछे अनिल चाचा भी जाते है, जिसके बाद अभय जी भी वहा से चले जाते है। 
     
    धीरज अपना ध्यान सुनेहरी के तरफ़ करता है, तो वही प्राची किसी और ख्याल में खो जाती है। 
    यहाँ रीमा जी कंफ्यूज होकर मनोज जी से कहती है, " ये विहान को क्या हो गया है? वो एक लड़की के लिए किसी पर इतना गुस्सा कर रहा है? "
    उनकी बात पर मनोज जी कहते है, " मुझे भी कुछ समझ नही आरहा है। आज तक उसे ऐसे कभी नही देखा। " इतना बोल वो दोनों प्राची को देखने लगते है, जो उन्हें ही देख रही थी। 
     
    यहाँ विहान मेंशन से बाहर निकल सीधा अपनी गाड़ी में बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल जाता है। 
     
    विहान गाड़ी ड्राइव करके एक सुनसान जगह पर आता है और वहा गाड़ी रोक गाड़ी से उतर जाता है। विहान गाड़ी से उतर सामने देखता है , जहा खायी थी और दूर - दूर तक सिर्फ सनाट्टे के साथ सिर्फ तेज हवा चल रही थी। विहान वहा खड़ा रहकर सुनेहरी की हालत याद करने लगता है। सुनेहरी का कांपना, उसकी सांस रुकना, उसका चेहरा पिला पड़ना और उसका बदन अकड़ना। सब याद आते ही विहान जोर से चिल्लाकर वही अपने घुटनों पर बैठ जाता है। फिर जमीन पर बैठकर और तेजी से चिल्लाता है और फिर जमीन पर अपने हाथों के मुक्के बना मारने लगता है। बहुत मुक्के मारने के बाद विहान गुस्से से कहता है, " क्या हालत कर दी है, मैंने उसकी? इतना हर्ट कर दिया है, इतना दर्द इतनी तकलीफ़....सारी मेरी गलती है।"
    इतना बोल वो गुस्से से अपने चेहरे पर एक के बाद एक थप्पड़ मारने लगता है और फिर तेज चिल्ला कर अपने चेहरे पर हाथ रख रोने लगता है। 
     
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  • 15. Chapter 15 -भाई सुनेहरी को पसंद करने लगे है

    Words: 1466

    Estimated Reading Time: 9 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 
     
     
    विहान गाड़ी ड्राइव करके एक सुनसान जगह पर आता है और वहा गाड़ी रोक गाड़ी से उतर जाता है। विहान गाड़ी से उतर सामने देखता है , जहा खायी थी और दूर - दूर तक सिर्फ सनाट्टे के साथ सिर्फ तेज हवा चल रही थी। विहान वहा खड़ा रहकर सुनेहरी की हालत याद करने लगता है। सुनेहरी का कांपना, उसकी सांस रुकना, उसका चेहरा पिला पड़ना और उसका बदन अकड़ना। सब याद आते ही विहान जोर से चिल्लाकर वही अपने घुटनों पर बैठ जाता है। फिर जमीन पर बैठकर और तेजी से चिल्लाता है और फिर जमीन पर अपने हाथों के मुक्के बना मारने लगता है। बहुत मुक्के मारने के बाद विहान गुस्से से कहता है, " क्या हालत कर दी है, मैंने उसकी? इतना हर्ट कर दिया है, इतना दर्द इतनी तकलीफ़....सारी मेरी गलती है।"
    इतना बोल वो गुस्से से अपने चेहरे पर एक के बाद एक थप्पड़ मारने लगता है और फिर तेज चिल्ला कर अपने चेहरे पर हाथ रख रोने लगता है। 
     
    कुछ देर रोने के बाद विहान गाड़ी के टायर से टेक लगा वही बैठ जाता है। उसके दिमाग में बस सुनेहरी की हालत चल रही थी। उसे समझ नही आरहा था, की वो अब सुनेहरी का सामना कैसे करेगा। 
     
     
    दूसरी तरफ 
     
    रंधावा मेंशन से सारे मेहमान जा चुके थे। सुनेहरी को अभी तक होश नही आया था, इसलिए प्राची भी नही जाना चाहती थी, लेकिन फिर धीरज उसे जाने के लिए कहता है, तो प्राची अपने मां - पापा के साथ चली जाती है। 
     
    धीरज और अक्का सुनेहरी के कमरे में थे, तो वही अभय जी और अनिल चाचा हॉल में परेशान बैठे हुए थे। तभी वहा निर्मला चाची और दीप्ती आती है। 
    निर्मला चाची वहा आकर अनिल चाचा को कुछ इशारा करती है , तो वो अपना सिर हिला देते है, जिसके बाद निर्मला चाची दीप्ती को भी इशारा करती है और वो भी अपना सिर हा में हिला देती है। 
    निर्मला चाची अभय जी को देख कहती है, " भाई साहेब मुझे लगता है, आपको सुनेहरी को सगाई में नही बुलाना चाहिए था।"
    उनकी बात सुन अभय जी उसे देखने लगते है, तो निर्मला चाची घबरा कर कहती है, "मेरा मतलब है, अभी नही बुलाना चाहिए था। आप सुनेहरी को धीरज के शादी के बाद घर लाते तो अच्छा होता। अब देखिए ना आज उसके वजह से धीरज का इतना बड़ा और खास दिन कैसे खराब हो गया। "
    इतना बोल वो चुप होती है, तो उसकी बात सुन अभय जी कहते है, " मैंने उसे मना किया था, पर धीरज.... वो माने तब ना। उसे तो बस अपनी बेहन चाहिए। "
    उसकी बात पर निर्मला चाची दीप्ती को इशारा करती है, तो वो अपना सिर हिला अभय जी से पूछती है, " बड़े पापा क्या सुनेहरी की दिमाग हालत ठीक नही है? "
    उसके सवाल पर अभय जी उसे गुस्से से देखने लगते है, तो वो घबरा जाती है, तभी निर्मला चाची कहती है, " दीप्ती ऐसे नही कहते, वो तुम्हारी बेहन है। "
    तभी दीप्ती नाटक करते हुए कहती है," मैं नही मां वो मेहमानों में ये बात चल रही थी। "
    उसकी बात सुन निर्मला चाची परेशान होकर कहती है, " क्या सच में? "
    दीप्ती, " हा मां! ”
    निर्मला चाची फिकर करने का नाटक करते हुए कहती है, " अगर ये बात सारे रिश्तेंदरों में फैल गयी और कही धीरज के ससुराल वालों को पता चल गयी, तब क्या होगा? कही वो रिश्ता... " इतना बोल वो अपनी बात अधूरी छोड़ देते है, तो वही उनकी बात सुन अभय जी के माथे पर परेशानी की लकीरें नज़र आती है। 
    तभी अनिल चाचा कहते है, " ऐसा कुछ नही होगा, धीरज के ससुराल वाले अच्छे और समझदार है। "
    उनकी बात सुन निर्मला चाची फिर कहती है, " हा! ठीक है। लेकिन आप ही सोचिये ना अपनी इज्जत किसे प्यारी नही होती है। अगर ये बात सारे रिश्तेंदरों में पता चलेगी, तो वो भी तो अपने बारे में सोचेंगे और फिर सुनेहरी को तो कभी भी दोहरे पड़ते है। "
    उसकी बात सुन अभय जी के माथे पर चिंता की लकीरें फिर से उठ जाती है। 
    वही दीप्ती कहती है, " तो हम सुनेहरी का ईलाज क्यों नही करवाते? " 
    उसके सवाल पर अभय जी उसे देखने लगते है, तो दीप्ती कहती है, " हा बड़े पापा.... इसका ईलाज होता है। "
    उसकी बात पर अभय जी कहते है, " उसकी दवाइयां पहले से चल रही है। "
    उसकी बात सुन दीप्ती बस अपना सिर हिला देती है, तभी निर्मला चाची कहती है, " वैसे भाई साहेब अब सुनेहरी की पढ़ाई हो गयी है, तो अब आपने क्या सोचा है? "
    उसके सवाल पर अभय जी कंफ्यूज होकर उसे देखने लगते है, तो निर्मला चाची कहती है, " सुनेहरी की पढ़ाई हो गयी है, अब वो आपका बिजनेस तो नही जॉइन कर सकती, क्यों की उसकी हालत वैसे नही है और ना हम उसे घर से बाहर जाने दे सकते है, पता नही कब उसे अटैक आजाए। "
    " तुम कहना क्या चाहती हो निर्मला? " अभय जी उसे घूरते हुए पूछते है। 
    " क्यों ना हम सुनेहरी की शादी करवा दे। " निर्मला चाची बोलती है।
    उसकी बात सुन अभय जी शॉक होकर उसे देखने लगते है, तभी अनिल चाची उसकी बात पर हा मिलाते हुए कहते है, " हा! ये सही रहेगा बड़े भाईसाहेब। "
    निर्मला चाची फिर कहती है, " और वैसे भी मैंने सुना है, शादी के बाद ये जो अटैक की बीमारी होती है, ये ठीक हो जाती है। "
    उसकी बात सुन अभय जी सोच में पड़ जाते है। 

    कुछ देर सोचने के बाद अभय जी को उनकी बात सही लगती है, तो वो कहते है, " लेकिन सुनेहरी की जो हालत है और जो चार साल पहले हुआ था, उसके बाद कोई शरीफ़ लड़का उसे शादी कैसे करेगा? "
    " करेगा ना ” उनके सवाल पर निर्मला चाची जल्दी से बोलती है, तो अभय जी चौक कर उसे देखने लगते है। 
    निर्मला चाची फिर कहती है, " आप लड़के की फिकर मत कीजिये भाईसाहेब..... मैं हूँ ना.... मैं सुनेहरी के लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ कर लाऊँगी। "
    उसकी बात सुन अभय जी गहरी सांस लेकर अपनी जगह पर खड़े होकर कहते है, " ठीक है। तुम लड़का ढूँडो, मैं सुनेहरी की शादी करवाउंगा। " इतना बोल वो वहा से अपने कमरे में चले जाते है और उनके जाने के बाद निर्मला चाची और दीप्ती के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ जाती है। 
     
    यहाँ धीरज अभी सुनेहरी के पास बैठा उसके होश में आने का इंतज़ार कर रहा था, तभी अक्का उसके पास आकर कहती है, " सर तुम तुम्हारे कमरे में जाओ, बेबी को इंजेक्शन के बाद सीधा अगले दिन होश आती है। " 
    उसकी बात सुन धीरज उसे देख अपना सिर हा में हिला देता है और फिर सुनेहरी को देख उसके माथे पर हाथ फेर उसके कमरे से बाहर चला जाता है। 
     
     
    यहा कपूर परिवार अपने विला आकर हॉल में बैठ जाते है। प्राची, मनोज जी और रीमा जी तीनों हॉल के सोफे पर बैठ जाते है, तभी एक मेड उनके लिए पानी लेकर आती है। तीनों पानी पीते है और फिर मनोज जी मेड से पूछते है, " क्या विहान अपने कमरे में है? "
    उनके सवाल पर मेड चौक कर कहता है, " सर विहान सर तो आपके साथ सगाई में गए थे। "
    उसकी बात पर मनोज जी कहते है, " हा ! लेकिन वो हमसे पहले आगया। " 
    उनकी बात पर मेड कहती है, " लेकिन विहान सर तो अभी तक घर नही आए है। " 
    उसकी बात सुन मनोज जी और रीमा जी के साथ प्राची भी चौक जाते है। 
    मनोज जी कहते है, " विहान अभी तक घर नही आया, तो गया कहा ? "
    इतना बोल वो जल्दी से अपना मोबाइल से विहान को कॉल करते है। 
     
    कुछ रिंग के बाद विहान कॉल उठा लेता है और उसके कॉल उठाते ही मनोज जी पूछते है, " विहान कहा हो तुम? "
    " मुझे घर आने में देर हो जायेगी, आप सब मेरा वेट मत करना।" बिना उनके सवाल का कोई जवाब दिए, विहान बोलता है और इतना बोल विहान कॉल कट कर देता है ,जिसे मनोज जी चौक जाते है। 
    रीमा जी मनोज जी से पूछती है, " क्या हुआ? "
    मनोज जी उसे देख, " कुछ नही। "
    रीमा जी, " ये आज विहान को हो क्या गया है? वो इतना अजीब क्यु बिहेव कर रहा है। पहले वो धीरज के बेहन के साथ कमरे में था, फिर उसके लिए उसके चाची और उनकी बेटी से लड़ गया। आज से पहले तो विहान को किसी लड़की के लिए ऐसा नही देखा। "
    " शायद भाई सुनेहरी को पसंद करने लगे है। " उनकी बात सुन प्राची कहती है, जिसे सुन रीमा जी और मनोज जी की आँखें बड़ी हो जाती है। 
     
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत
     

  • 16. Chapter 16 - अभय जी का सुनेहरी पर गुस्सा करना

    Words: 1719

    Estimated Reading Time: 11 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 
     
     
    जहाँ निर्मला चाची अभय जी से सुनेहरी की शादी करवाने की बात करती है, जिसे वो मान जाते है। वही यहाँ कपूर विला में सब विहान के बिहेवियर से हैरान थे। 
    रीमा जी, " ये आज विहान को हो क्या गया है? वो इतना अजीब क्यु बिहेव कर रहा है। पहले वो धीरज के बेहन के साथ कमरे में था, फिर उसके लिए उसके परिवार के सदयस से लड़ गया। आज से पहले तो विहान को किसी लड़की के लिए ऐसा नही देखा। "
    " शायद भाई सुनेहरी को पसंद करने लगे है। " उनकी बात सुन प्राची कहती है, जिसे सुन रीमा जी और मनोज जी की आँखें बड़ी हो जाती है। 
     
    दूसरी तरफ़ 
     
    विहान अभी उसी जगह पर बैठा हुआ था। कुछ देर बाद विहान अपनी जगह से उठकर खड़ा हो जाता है और फिर अपनी गाड़ी में बैठ गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल जाता है। 
     
    कुछ देर बाद विहान अपनी गाड़ी एक छोटे विला के सामने रुकता है। विला के गेट पर बोर्ड लगा हुआ था ' डॉक्टर राज सिन्हा ' 
    विहान गाड़ी से उतर सीधा विला के अंदर जाता है और एक सर्वेंट से पूछता है," राज कहा है? "
    " कमरे में " 
    सर्वेंट के बात सुन विहान बिना रुके सीढ़ियों से उपर चढ़कर सीधा एक कमरे में जाता है। 
     
    विहान उपर आकर कमरे के पास आता है और बिना नॉक किए कमरे के अंदर घुस जाता है। 
     
    अचानक किसी के कमरे में आने से अंदर राज जो सिर्फ टॉवेल में था, वो चौक जाता है, लेकिन फिर सामने विहान को देख कहता है, " अबे नॉक करके तो आया कर.... "
    उसकी बात को पूरी तरह इग्नोर कर विहान आकर सीधा सोफे पर बैठ जाता है और कहता है, " आय नीड युअर हेल्प " 
    उसकी बात सुन और विहान का सीरियस चेहरा देख राज उसके पास आकर पूछता है, " क्या हुआ विहान? " 
    उसके सवाल पर विहान उसे देखने लगता है, तो विहान की नम और लाल आँखें देख राज घबरा जाता है। 
    राज जल्दी से विहान के पास बैठ बोलता है, " विहान क्या हुआ? तुम रो क्यु रहे हो? "
    उसके सवाल पर विहान उसे देख कहता है, " मैं आज उसे मिला था। " 
    उसकी बात सुन राज पहले तो कंफ्यूज होकर उसे देखता है और फिर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और वो पूछता है, " उसे मतलब....सुनेहरी से? "
    उसके सवाल पर विहान अपना सिर हा में हिला कहता है, " राज उसकी हालत बहुत खराब है। ” 
    उसकी बात सुन राज कहता है, " विहान पहले तुम शांत हो जाओ और पूरी बात बताओ। "
    उसकी बात सुन विहान गहरी सांस लेकर राज को सुनेहरी के हालत के बारे में पूरी बात बताता है, जिसे सुन राज के चेहरे पर परेशानी की लकीरे उभर आती है। 
    विहान राज से कहता है, " मेरी एक गलती ने उसकी हालत ऐसी करदी है। उसकी हालत देख मेरा उसका सामना करने की हिम्मत नही हो रही है। " 
    उसकी बात सुन राज उसके कंधे पर हाथ रख कहता है, " विहान तुमने जो किया वो एक गलतफेहमी के वजह से किया। हा मानता हूँ, तुमने सुनेहरी के साथ गलत किया, पर तुझे अपने गलती का पछतावा है और इसे अच्छा क्या हो सकता है? "
    उसकी बात सुन विहान कुछ नही कहता है, तो राज फिर कहता है, " और रही सुनेहरी की हालत, तो मैं हूँ ना..... मैं उसे ठीक करूँगा। "
    उसकी बात सुन विहान जल्दी से उसे देखने लगता है और पूछता है, " क्या सच में? तुम मेरी सुनेहरी को ठीक कर दोगे? "
    " हा! " राज अपना सिर हिला जवाब देता है और फिर कहता है, " बस तुम एकबार सुनेहरी को मेरे पास लेकर आओ। मुझे उसे चेक कर उसके डिप्रेशन के बारे में पता लगाना है, फिर हम उसका इलाज शुरू करेंगे। "
    उसकी बात सुन विहान खुश होकर कहता है, " ठीक है, मैं कल ही सुनेहरी को तुम्हारे पास लेकर आऊंगा। "
    " तुम लेकर आओगे? " उसकी बात पर राज सवाल करता है, तो विहान सोच में पड़ जाता है। 
    विहान कुछ सोच कहता है, " मैं धीरज से बात करता हूँ। " 
    उसकी बात पर राज अपना सिर हिला देता है। 
    कुछ देर चुप रहने के बाद राज विहान से कहता है, " तुम उसे बहुत प्यार करते हो ना! "
    उसके सवाल पर विहान उसे देखने लगता है, लेकिन कोई जवाब नही देता है। 
    तो राज कहता है, " मुझसे भी छुपाओगे। "
    उसकी बात सुन विहान कहता है, " हा करता हूँ.... बहुत करता हूँ। पर मैं जानता हूँ, जो गलती मैंने की है उसके बाद वो मुझे कभी माफ़ नही करेगी। " इतना बोल वो अपना सिर झुका लेता है, तो राज उसके पीठ पर थपथपा देता है। 
     
     
    आधी रात का वक़्त 
     
    विहान अपनी गाड़ी कपूर मेंशन के बाहर रोकता है और फिर गाड़ी से उतर सीधा घर के अंदर आता है। विहान मेंशन के अंदर आकर सीधा सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ने लगता है, तभी मनोज जी उसे आवाज देते है। 
    " विहान "
    मनोज जी की आवाज सुन विहान के कदम रुक जाते है और वो मुड़कर उनके तरफ़ देखने लगता है। 
     
    मनोज जी विहान के पास आकर उसे देख पूछते है, " विहान क्या कोई प्रॉब्लम है? "
    " नही " उनके सवाल पर विहान एक शब्द में जवाब देकर वहा से आगे बढ़ जाता है और मनोज जी बस उसे देखते रह जाते है। 

    विहान अपने कमरे में आकर अपना पहना हुआ कोट निकाल सोफे पर रख सीधा वॉशरूम में जाता है और फ्रेश होकर अपने कपड़े चेंज कर आकर सोफे पर बैठ जाता है। विहान अपना मोबाइल उठाता है और उसमें धीरज का नंबर पर कॉल करने लगता है, पर फिर घड़ी में टाइम देखता है, तो रात के 3 बज रहे थे, इसलिए वो जल्दी से कॉल कट कर देता है। 
     
    लेकिन उसके कॉल कट करने से पहले धीरज के पास कॉल चली गयी थी और इत्तेफ़ाक से वो भी अभी तक जाग रहा था। इतने रात को विहान का कॉल देख धीरज चौक जाता है और जल्दी से कॉल बैक करता है। 
     
    विहान जब अपने मोबाइल पर धीरज का कॉल देखता है, तो चौक जाता है , लेकिन फिर झटसे कॉल उठा लेता है। 
    "हेल्लो "
    " क्या हुआ विहान ? क्या सब ठीक है?" विहान के हेल्लो बोलते ही धीरज पूछता है। 
    उसके सवाल पर विहान कुछ पल रुक पूछता है, "सुनेहरी कैसी है? "
    उसके सवाल पर धीरज चौक जाता है और फिर वो विहान से पूछता है, " इतने रात को तुमने सुनेहरी के बारे में पूछने के लिए कॉल किया है? "
    उसकी बात पर विहान कोई जवाब नही देता है, लेकिन धीरज उसकी चुप्पी समझ जाता है और कहता है, " वो अभी सो रही है। कल सुबह होश आयेगा। " 
    उसका जवाब सुन विहान बस " हम्म " बोल कॉल कट कर देता है, उसकी ऐसी हरकत धीरज के मन में बहुत सारे सवाल पैदा कर देते है। 
    यहाँ विहान मोबाइल टेबल पर रख सोफे से सिर टिका अपनी आँखें बंद कर लेता है।
     
     
    अगली सुबह 
     
    नींद में सुनेहरी को आकाश के साथ बिताए पल दिखने लगते है, जिसे याद कर उसके माथे पर पसीने आने लगते है और वो झटसे अपनी आँखें खोल देती है। 
    सुनेहरी आँखें खोल यहाँ - वहाँ देखने लगती है और फिर उठकर बैठ जाती है। सुनेहरी के बैठते ही अक्का की नज़र उसपर जाती है और वो जल्दी से सुनेहरी के पास आकर उसे पूछती है, " बेबी क्या तुम ठीक है? " 
    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देखने लगती है और फिर अपना सिर पकड़ कल की बातें याद करने लगती है। पर उसे कुछ ठीक से याद नही आता है। तभी अक्का उसके पास आकर उसे हिला फिर पूछती है, " बेबी अब तुम कैसा फिल कर रहा है? "
    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख पुछती है, " अक्का मुझे क्या हुआ था? "
    उसके सवाल पर अक्का उसे देख कहती है, " तुमको फिर से पैनिक अटैक आयी थी। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी अपने दिमाग पर जोर देकर कल की बात याद करने लगती है और उसे सब धुंधला याद आने लगता है। तभी उसे याद आता है, की वो किसी की बाहों में थी। 
    सुनेहरी जल्दी से अक्का को देख पूछती है, " मुझे यहाँ लेकर कौन आया था? "
    "वो प्राची मैम का भाई " उसके सवाल पर अक्का कहती है। 
    उसकी बात सुन सुनेहरी हैरान हो जाती है और अपने दिमाग पर जोर देकर उसका चेहरा याद करने लगती है और तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और अभय जी कमरे में आते है। अभय जी को अपने कमरे में देख सुनेहरी चौक जाती है। 
     
    वही अभय जी अक्का को देख कहता है, " मुझे सुनेहरी से अकेले में कुछ बात करनी है। " 
    उनकी बात सुन अक्का कमरे से बाहर चली जाती है, वही अभय जी को देख सुनेहरी को ऐसा लगता है, की शायद अभय जी उसका हाल - चाल पूछने आए है, जिसे उसे कुछ अच्छा लगने लगता है, पर जल्दी ही उसे एक दर्द मिलता है। 
    अभय जी सुनेहरी के पास आकर खड़े होकर उसे देख कहते है, " तुम्हारे वजह से मेरे बेटा का इतना खास दिन खराब होगया।"
    उनकी बात सुन सुनेहरी शॉक होकर उन्हें देखने लगती है, तो वही अभय जी आगे कहते है," कल धीरज और प्राची की सगाई थी, जिसे तुमने बड़े अच्छे से बर्बाद कर दिया। तुम, तुम्हारा अतीत और तुम्हारे ये पैनिक अटैक हमें पूरी तरह बर्बाद करके ही छोड़ेंगे। " उनकी ये बात सुन सुनेहरी की आँखें नम हो जाती है। 
    लेकिन अभय जी इतने में नही रुकते है , वो आगे बोलते है, " धीरज और प्राची के लिए इतना बड़ा दिन था, लेकिन धीरज वो अपना सब कुछ छोड़ तुम्हारे पास था। तुम अपने साथ उसकी जिंदगी भी बर्बाद कर रही हो और इसलिए मैं नही चाहता था, की तुम यहाँ आओ। " उनकी बात सुन सुनेहरी के आँखों में ठहरे आँसू गाल पर आजाते है। 

    तभी अभय जी अपने गुस्से से को शांत कर शांती से कहते है, " सुनेहरी तुम पहले ही अपनी जिंदगी बर्बाद कर चुकी हो, कम से कम मेरे बेटे को तो खुश रहने दो, उसे बख़्श दो। " इतना बोल वो वहा से जाने के लिए जैसे ही मुड़ते है, अपने सामने खड़े धीरज को देख चौक जाते है। 
     
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत

  • 17. Chapter 17 - निर्मला चाची की प्लानिंग

    Words: 1269

    Estimated Reading Time: 8 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 
     
    सुनेहरी के होश में आते ही अभय जी उसके पास आकर उसे कल जो हुआ उसके लिए बहुत सुनाते है, जिसे सुन सुनेहरी रोने लगती है। 
    तभी अभय जी कहते है, " सुनेहरी तुम पहले ही अपनी जिंदगी बर्बाद कर चुकी हो, कम से कम मेरे बेटे को तो खुश रहने दो, उसे बख़्श दो। " इतना बोल वो वहा से जाने के लिए जैसे ही मुड़ते है, अपने सामने खड़े धीरज को देख चौक जाते है। 
     
    धीरज उनके पास आकर उन्हें देख कहता है, " तो आप नही चाहते , की मेरी बेहन यहाँ रहे। "
    उसकी बात सुन अभय जी कुछ नही कहते है, तो वही धीरज की आवाज सुने सुनेहरी भी अपना सिर उठा देखने लगती है और धीरज को देख जल्दी से अपने आंसू साफ करती है। 
    धीरज अभय जी को देख आगे कहता है, " ठीक है। सुनेहरी यहाँ नही रहेगी, वो यहाँ से चली जायेगी। " उनकी बात सुन अभय जी चौक जाते है। 
    तभी धीरज कहता है, " लेकिन सुनेहरी अकेली नही जायेगी, उसके साथ मैं भी ये घर छोड़कर चला जाऊंगा। " उसकी बात सुन अभय जी के साथ सुनेहरी को भी झटका लगता है और वो शॉक होकर धीरज को देखने लगती है। 
    तभी अभय जी गुस्से से सुनेहरी को देखते है और फिर धीरज से कहते है, " तुम ये बहुत गलत कर रहे हो धीरज " इतना बोल वो वहा से चले जाते है। 
    अभय जी के जाने के बाद धीरज सुनेहरी के पास आता है और उसके पास बैठ जाता है। तभी सुनेहरी रोते हुए उसे देख कहती है, " भाई मैंने सब खराब कर दिया..... मैं.... बस आपकी खुशियों बर्बाद कर रही हूँ। " 
    " चुप...." उसकी बात सुन धीरज हल्के गुस्से से कहता है। तो सुनेहरी अपना सिर झुका रोने लगती है। 
    तभी धीरज आगे कहता है, " बच्ची तुम पापा की बातों पर ध्यान मत दो। "
    " नही भाई पापा सही कह रहे है और उनका गुस्सा भी सही है। मुझे यहाँ नही रहना चाहिए, मुझे यहाँ से जाना ही ठीक है। " उसकी बात सुन सुनेहरी रोते हुए कहती है।
    " तुम्हें पापा का गुस्सा नजर आता है, पर मेरा प्यार नही। तुम्हें उनकी बकवास बातें समझ आती है, पर ये समझ नही आता , की मेरी खुशियाँ तुम्हारे बिना अधुरी है।" उसकी बात सुन धीरज कहता है। उसकी बात सुन सुनेहरी रोते हुए उसके सीने से लग जाती है और धीरज भी उसके सिर को सेहलाने लगता है।
     
     
    कपूर मेंशन 

    विहान जल्दी - जल्दी तैयार होकर नीचे आता है और सीधा विला से बाहर जाने लगता है। उसे बाहर जाते देख रीता जी आवाज देकर रोक देती है, जिसके बाद विहान उन्हें देखने लगता है। 
    " विहान नाश्ता तो करलो। "  विहान के रुकते ही रीता जी बोलती है।
    " नही मोम मुझे जल्दी है। " इतना बोल वो वहा से निकल जाता है और फिर एकबार मनोज जी और रीता जी के मन में सवाल पैदा कर जाता है। 
    विहान विला के बाहर आकर अपनी गाड़ी में बैठ गाड़ी स्टार्ट कर निकल जाता है। 
     
     
    यहाँ सुनेहरी उठकर फ्रेश तो हो गयी थी, पर वो अपने कमरे से बाहर नही गयी थी। अक्का ने उसके लिए नाश्ता भी उसके कमरे में लाकर दिया था। तभी धीरज सुनेहरी के कमरे में आता है, जिसे देख सुनेहरी नॉर्मल होकर बैठ जाती है। 
    धीरज सुनेहरी के पास आकर कहता है, " बच्ची मैं कुछ जरुरी काम से बाहर जा रहा हूँ, तो तब तक अपना ख्याल रखना और किसी की भी बातों को दिल से मत लगाना। " उसकी बात पर सुनेहरी मुस्कुरा कर अपना सिर हिला देती है, तो धीरज उसके सिर पर हाथ फेर वहा से चला जाता है।
    धीरज के जाने के बाद सुनेहरी फीर से शांत होकर बैठ जाती है। दरअसल सुनेहरी कल उसे किसने संभाला था, वो याद करने की कोशिश कर रही थी। 
    वही धीरज अपनी गाड़ी लेकर चला जाता है।

    मेंशन के एक कमरे में निर्मला चाची, अनिल चाचा के साथ दीप्ती बैठे हुए बात कर रहे थे। 
    " तुमने भाई साहेब के सामने सुनेहरी के लिए लड़का ढूंढने की जिम्मेदारी तो ले ली, पर लड़का लाओगी कहा से?" अनिल चाचा निर्मला चाची से पूछते है। 
    जिस पर निर्मला चाची उन्हें देख कहती है, " आपको क्या लगता है, मैंने भाई साहेब के सामने ऐसेही सुनेहरी के शादी का जिकर कर दिया? लड़का तो मैंने पहले ही देख रखा है। " इतना बोल निर्मला चाची मुस्कुरा देती है। वही उनकी बात सुन अनिल चाचा और दीप्ती चौक कर निर्मला चाची को देखने लगते है। 
    " कौन है वो लड़का ?" अनिल चाचा निर्मला चाची से पूछते है। 
    दीप्ती भी आगे आकर एक्साईटेड होकर पूछती है, " हा मम्मी कौन है वो लड़का ? जिसे आपने सुनेहरी के लिए चुना है। " 
    उन दोनों को देख निर्मला चाची कहती है, " मयंक " 
    उसकी बात सुन अनिल चाचा और दीप्ती शॉक होकर उसे देखने लगते है। 
    अनिल चाचा निर्मला चाची के पास आकर कहते है, " मयंक.... तुम अच्छे से जानती हो ना मयंक को! "
    " हा! इसलिए तो उसे चुना है, मैंने सुनेहरी के लिए। " निर्मला चाची कहती है। 
    जिसपर अनिल चाचा कहते है, " भाई साहेब मयंक के लिए नही मानेंगे और अगर वो मान भी गए, तो भी धीरज.... वो कभी नही मानेगा। " 
    उनकी बात पर निर्मला चाची कहती है, " भाईसाहेब को मैं मना लुंगी और रही धीरज की बात तो अगर सुनेहरी ही मयंक से शादी की जिद्द करेगी, तो धीरज कुछ नही कर पायेगा। "
    उसकी बात सुन अनिल चाचा और दीप्ती कंफ्यूज होकर चाची को देखने लगते है। 
    तभी चाची कहती है, " मेरे पास एक बहुत अच्छा प्लान है। " इतना बोल वो अनिल चाचा और दीप्ती को कुछ बाते बताने लगती है, जिसे सुने के बाद दोनों भी मुस्कुरा देते है। 
     
    " एकबार सुनेहरी इस घर से चली जाए, फिर तो भाई साहेब और धीरज आपस में ही लड़ेंगे, जिसका फायदा हम उठायेंगे। फिर मैं मौका देख मेरी दीप्ती की शादी भी किसी बहुत अमीर घर में करवा दूँगी। " निर्मला चाची अपनी आगे की प्लानिंग बताती है।
    उसकी बात सुन दीप्ती कहती है, " लेकिन मम्मी मुझे विहान से शादी करनी है। " इतना बोल वो शरमाने लगती है। वही उसकी बात सुन निर्मला चाची की आँखें चमक जाती है।
    " ये तो और भी अच्छी बात है। " निर्मला चाची खुश होकर दीप्ति से कहती है और फिर कुछ सोच आगे कहती है, " कपूर परिवार बहुत अमीर है और विहान उनका एकलौता बेटा है। इसलिए धीरज और प्राची के शादी के बाद विहान और तुम्हारी शादी करवा देंगे। " उनकी इतनी बात सुन दीप्ति खुश हो जाती है।
    तभी निर्मला चाची आगे कहती है," लेकिन ये सब इतना आसान नही है, इसलिए तुम्हें पहले विहान को अपने प्यार में फसाना होगा, ताकि वो भी तुमसे शादी के लिए मान जाए। " 
    उनकी बात सुन दीप्ती अपने आपको आईने में देख कहती है, " वो सब आप मुझपर छोड़िये मम्मी। " 
    उसका ऐटीटुय्ड देख अनिल चाचा कहते है, " तुम दोनों को याद दिला दु, कल ही वो तुम दोनों पर गुस्सा करके गया है। " 
    उनकी बात सुन दीप्ती का चेहरा उतर जाता है, तभी निर्मला चाची कहती है, " वो अब आप मुझपर छोड़ दीजिए। बस दो चार आंसू की बूंद और माफ़ी इतना ही काफी है। " उसकी बात सुन दीप्ती भी अपना सिर हिला देती है। 
    तो चाची आगे कहती है, " अब आप बस देखो इस घर में कैसे सुनेहरी की जगह मेरी दीप्ती को दिलाती हूँ।" इतना बोल वो टेढ़ा मुस्कुरा देती है। वही उनकी बात सुन दीप्ति खुश हो जाती है।
     
     
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  • 18. Chapter 18 - धीरज का विहान से सवाल

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    आइये जानते है आगे की कहानी


    निर्मला चाची दीप्ति को सुनेहरी की जगह दिलवाने के साथ उसकी शादी विहान के साथ करवाने प्लानिंग करती है।


    वही दूसरी तरफ़ 
     
    एक कैफ़े जिसके बाहर धीरज अपनी गाड़ी रोकता है और गाड़ी से उतर सीधा कैफ़े के अंदर बढ़ जाता है। कैफ़े में आकर धीरज चारों तरफ़ अपनी नज़र घूमाता है और उसकी नज़र एक टेबल पर जाकर रुक जाती है और धीरज उस टेबल के तरफ़ बढ़ जाता है। 
    धीरज उस टेबल के पास आकर चेयर पर बैठ सामने बैठे विहान से पूछता है, " तुमने मुझे यहाँ मिलने क्यु बुलाया? "
    उसके सवाल पर विहान उसे देख कहता है, " मुझे तुमसे सुनेहरी के बारे में बात करनी है। " 
    उसकी बात सुन धीरज चौक जाता है और उसे पूछता है, "बच्ची के बारे में क्या बात करनी है? "
    " मैं सुनेहरी को ठीक करना चाहता हूँ और ये तुम्हारे बिना पोसीबल नही है। " उसके सवाल पर विहान कहता है।
    उसकी बात सुन धीरज कहता है, " मैं कुछ समझा नही। "
    " सुनेहरी की जो हालत है, डिप्रेशन , पैनिक अटैक उसके लिए मेरे पास एक डॉक्टर है, जो मेरा दोस्त है और वो सुनेहरी को ठीक कर सकता है। " विहान धीरज से बोलता है। तो "
    " क्या सच में? " उसकी बात सुन धीरज खुश होकर पूछता है,
    उसके सवाल पर विहान अपना सिर हा में हिला देता है। 
    तभी धीरज कहता है, " लेकिन बच्ची उसे ईलाज के लिए मनाना मुश्किल है। "
    " मुश्किल है, नामुमकिन नही। " विहान कहता है, जिसे सुन धीरज उसे देखने लगता है। 
    तभी विहान धीरज से कहता है, " सिर्फ तुम सुनेहरी को मना सकते हो धीरज।"
    उसकी बात सुन धीरज सोचने लगता है, तभी विहान कहता है, " सुनेहरी तुम्हारी सारी बात मानती है, इसलिए तुम्हें उसे मनाने के लिए, ज्यादा परेशानी नही होगी। " उसकी बात सुन धीरज कुछ पल सोचने के बाद हामी भर देता है, तो विहान कहता है, " मैं डॉक्टर को अभी बुला लेता हूँ। " उसकी बात सुन धीरज चौक जाता है, क्यों की उसे ऐसा लगता है, की विहान पहले से ही सब कुछ तैयार करके बैठा है। 
     
    पांच मिनिट बाद वहा राज आता है और धीरज, विहान के साथ बैठ जाता है। विहान राज को धीरज से मिलवाता है, तो राज धीरज के तरफ़ अपना हाथ बढ़ा कहता है, " डॉक्टर राज सिन्हा"
    " धीरज रंधावा " धीरज उसे हाथ मिला कहता है। 
    विहान धीरज से राज के तरफ़ इशारा कर कहता है, " राज साईकेट्रीस्ट है। मैंने इसे सुनेहरी की बात करली है और ये उसकी ट्रीटमेंट के लिए भी तैयार है। "
    उसकी बात सुन धीरज राज को देखने लगता है, तो राज अपना सिर हा में हिला देता है, तो धीरज उसे पूछता है, " तो आप सुनेहरी का ईलाज कबसे शुरु करेंगे? "
    उसके सवाल पर राज कहता है, " विहान ने मुझे सुनेहरी की हालत बतायी है, लेकिन मैं जब तक खुद सुनेहरी से नही मिल लेता, तब तक मैं उसकी ऐझाक्ट हालत के बारे में कुछ नही कह सकता। "
     इतना बोल राज चुप रहकर फिर धीरज को देख आगे कहता है," आप सुनेहरी को मेरे क्लिनिक लेकर आइये, मैं वहा उसे बात करूँगा और तभी मैं कुछ बता सकता हूँ। " 
    उसकी बात सुन धीरज कहता है, " लेकिन ये ही तो प्रॉब्लम है, सुनेहरी किसी डॉक्टर के पास जाने के लिए तैयार ही नही है। " उसकी बात सुन राज और विहान परेशान हो जाते है। 
    तभी विहान धीरज से कहता है, " धीरज तुम सुनेहरी को ये मत बताना की तुम उसे डॉक्टर के पास लेकर जा रहे हो। तुम उसे किसी और बहाने से राज के क्लिनिक लेकर आओ। "

    उसकी बात सुन धीरज कहता है, " ठीक है। " 

    उसकी बात सुन राज उसे अपना कार्ड देते हुए कहता है, " कल सुबह दस बजे आप सुनेहरी को लेकर मेरे क्लिनिक आजाइये।" 
    उसकी बात सुन धीरज अपना सिर हिला देता है, तो विहान राज से कहता है, " कल क्यु? आज क्यु नही? "
    उसके सवाल पर राज कहता है, " विहान आज मेरी कुछ और अपॉइंटमेंट है। " 
    उसकी बात सुन विहान कहता है, " सारी कैंसल करो और सबसे पहले सुनेहरी से मिलो। "
    उसकी बात सुन राज उसे समझाते हुए कहता है, " विहान वो भी मेरे पेशंट है और उनकी थेरेपी भी जरूरी है। " उसकी बात सुन विहान बस उसे घूर कर देखता है।

    वही विहान की बातें सुन और उसका बिहेवीयर देख धीरज को अजीब लगता है और उसके मन में बहुत सारे सवाल आते है। 
    इसलिए धीरज विहान को देख पूछता है, " वैसे विहान तुम सुनेहरी के लिए इतना सब कुछ क्यु कर रहे हो? "
    धीरज के सवाल पर विहान के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल जाते है और वही राज भी घबरा जाता है। 
    धीरज विहान को देख फिर पूछता है, " जहा तक मैं जानता हूँ, तुम सुनेहरी से कल पहली बार मिले हो, फिर तुम उसके लिए इतना क्यु परेशान हो रहे हो? क्यु उसके बारे में इतना सोच रहे हो? " उसके इस सवाल पर विहान के माथे पर सिलवटे आ जाती है। 

    " क्या तुम सुनेहरी को पहले से जानते हो?" धीरज आगे सवाल करता है। जिसे सुन विहान थोड़ा परेशान हो जाता है। 

    लेकिन विहान कुछ बोलता उसे पहले राज बात संभालते हुए कहता है, " वो इसने कल सुनेहरी की हालत देखी, तो इसे रहा नही जा रहा है और ये चाहता है, की वो जल्दी से ठीक हो जाए। " 
    उसकी बात सुन धीरज विहान से नज़रे हटा राज को देखने लगता है, तो राज कहता है, " वो विहान से किसी का दर्द देखा नही जाता। " इतना बोल वो विहान को देख कहता है, " है ना विहान! " इतना बोल वो इशारा करता है, तो विहान अपना सिर हा में हिला देता है। 
    उसकी बात सुन धीरज फिर सवाल करता है, " तुम्हें कैसे पता की सुनेहरी किसी दर्द में है? "
    उसके इस सवाल पर विहान और राज दोनों एकदूसरे को देखने लगते है। 
     
     
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  • 19. Chapter 19 - साईकेट्रीस्ट के पास चलना होगा।

    Words: 1377

    Estimated Reading Time: 9 min

    आइये जानते है आगे की कहानी 

     
    विहान ने धीरज को राज से मिलवाने के लिए बुलाया था, जहा उन तीनो के बीच सुनेहरी को लेकर बहुत सारी बातें होती है। तभी विहान को सुनेहरी की इतनी फिकर करते देख धीरज विहान से पूछता है " क्या तुम सुनेहरी को पहले से जानते हो?" जिसे सुन विहान थोड़ा परेशान हो जाता है। 
    तभी राज बात संभालते हुए कहता है, " वो इसने कल सुनेहरी की हालत देखी, तो इसे रहा नही जा रहा है और ये चाहता है, की वो जल्दी से ठीक हो जाए। " 
    उसकी बात सुन धीरज विहान से नज़रे हटा राज को देखने लगता है, तो राज फिर से कहता है, " वो विहान से किसी का दर्द देखा नही जाता। " इतना बोल वो विहान को देख कहता है, " है ना विहान! " इतना बोल वो इशारा करता है, तो विहान अपना सिर हा में हिला देता है। 
    उसकी बात सुन धीरज फिर सवाल करता है, " तुम्हें कैसे पता की सुनेहरी किसी दर्द में है? "
    उसके इस सवाल पर विहान और राज दोनों एकदूसरे को देखने लगते है। 
    विहान धीरज को देख कहता है, " सुनेहरी की आँखें उसमें दर्द साफ़ नज़र आता है। " विहान के इस जवाब से धीरज सहमत तो नही था, पर वो कुछ बोलता उसे पहले उसका मोबाइल बजता है। धीरज अपना मोबाइल देखता है, तो प्राची का कॉल था। धीरज कॉल उठा बात करने लगता है और फिर कहता है, " मैं आता हूँ। " इतना बोल वो कॉल कट कर विहान और राज को देख कहता है, " मुझे अभी जाना होगा। " 
    उसकी बात सुन राज और विहान अपना सिर हिला देते है, तो धीरज अपनी जगह से खड़े होकर राज से कहता है, " मैं कल सुनेहरी को लेकर तुम्हारे क्लिनिक आजाऊंगा। " इतना बोल वो वहा से चला जाता है। 
     
    धीरज के जाने के बाद राज राहत की सांस लेता है और विहान से कहता है, " भाई अपने भावनाओ को कंट्रोल में रखो। "
    उसकी बात सुन विहान कुछ नही बोलता है। कुछ देर वहा बैठने के बाद विहान अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है, तो राज अपने क्लिनिक चला जाता है। 
     
    धीरज गाड़ी ड्राइव करते हुए अपने मेंशन पहुँचता है और गाड़ी से उतर अंदर चला जाता है। 
    धीरज मेंशन के अंदर आता है, तो उसे प्राची मिलती है, जो निर्मला चाची और दीप्ती के साथ सोफे पर बैठी हुई थी। धीरज को देख प्राची मुस्कुरा देती है। 
    धीरज प्राची के पास आकर पूछता है, " तुम यहाँ क्या कर रही हो? " 
    उसके सवाल पर प्राची अपनी जगह खड़ी होकर धीरज से कहती है, " क्यों मैं यहाँ नही आ सकती? अब तो हमारी सगाई भी हो गयी है, तो मैं यहाँ ऑफिशयली आ सकती हूँ। "  
    उसकी बात सुन धीरज कुछ बोलता उसे पहले निर्मला चाची बोलती है, " अरे तुम बिल्कुल यहाँ आ सकती हो बेटा, ये भी तो तुम्हारा ही घर है। " 
    उसकी बात सुन प्राची सिर्फ मुस्कुरा देती है, वही धीरज प्राची से पूछता है, " अब बताओ क्या हुआ है? "
    " कुछ हुआ नही है। मैं तो बस सुनेहरी से मिलने आयी हूँ। " प्राची बोलती है, जिसे सुन निर्मला चाची और दीप्ती एकदूसरे को देखने लगते है। 
    वही धीरज कहता है, " बच्ची अपने कमरे में है। " 
    उसकी बात सुन प्राची विहान के साथ सुनेहरी के कमरे के तरफ़ बढ़ जाती है। 
     
    उन दोनों के जाने के बाद दीप्ती निर्मला चाची से कहती है, " मम्मी ये प्राची को सुनेहरी से इतना लगाव क्यु है? "
    " धीरज के वजह से " निर्मला चाची जवाब देती है, उनकी बात सुन दीप्ती मुंह बना लेती है। 
    तभी निर्मला चाची दीप्ती से कहती है, " दीप्ती तुम बस याद रखना, की तुम्हें प्राची के साथ उसके मां - बाप के करीब होना है। "
    " क्यु? " उनकी बात पर दीप्ती सवाल करती है। 
    निर्मला चाची यहाँ - वहाँ देख फिर दीप्ती से कहती है, " कपूर परिवार बहुत अमीर है, अगर तुम उस घर की बहु बन गयी, तो महारानी बनकर रहोगी। " 
    " बहु!" उनकी बात सुन दीप्ती कंफ्यूज होकर पूछती है। 
    निर्मला चाची, " प्राची के भाई विहान की पत्नी.... अगर तुम्हारी शादी विहान से हो जाए, तो हमारे सारे सपने पूरे हो जाएंगे। " इतना बोल वो मेंशन देख कहती है, " क्यों की ये सब तो धीरज और सुनेहरी का है। इसमें से हमें कुछ नही मिलेगा। "
    उसकी बात सुन दीप्ती को विहान का उसपर गुस्सा करना याद आता है और वो निर्मला चाची से कहती है, " मम्मी वो तो बहुत गुस्से वाला है, याद है ना! उसने कितना गुस्सा किया था मुझपर।"
    उसकी बात सुन निर्मला चाची उसे देख कहती है, " उसके गुस्से को छोड़ो और पैसों पर फोकस करो। वरना ऐसेही किसी लड़के से शादी हो जायेगी और फिर मेरे जैसे जिंदगी बितानी होगी।" उनकी बात सुन दीप्ती सोच मै पड़ जाती है। 
     
    यहाँ धीरज और प्राची सुनेहरी के कमरे में आते है, तो उन्हें सुनेहरी सिंगल सीटर सोफे पर बैठी नज़र आती है, जो अपने खयालों में गुम थी। उसे ऐसे देख धीरज गहरी सांस लेता है और सुनेहरी के पास जाता है। 
     
    धीरज सुनेहरी के पास आकर उसे आवाज देता है, " बच्ची " 
    धीरज की आवाज सुन सुनेहरी सेंस में आती है और अपना सिर घुमा देखने लगती है। धीरज को देख सुनेहरी अपने जगह से खड़ी होकर कहती है, " भाई आप! "
    धीरज, " तुमसे कोई मिलने आया है। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी कंफ्यूज हो जाती है, तभी प्राची उसके पास आती है। प्राची को देख सुनेहरी चौक जाती है, तो वही प्राची सुनेहरी के पास आकर सबसे पहले उसके गले लग जाती है। प्राची के ऐसे गले लगने से पहले तो सुनेहरी चौक जाती है, पर फिर मुस्कुरा देती है। 
    प्राची सुनेहरी से अलग होकर उसे देखने लगती है, तो सुनेहरी कहती है, " भाभी आप यहाँ! "
    उसके मुंह से भाभी सुन प्राची खुश हो जाती है और साथ ही शरमाने लगती है, फिर खुद को संभाल उसे कहती है, " वो मैं तुमसे ही मिलने आयी हूँ। अब तुम्हारी तबियत कैसी है? "
    उसके सवाल पर सुनेहरी को कल की अपनी हालत याद आजाती है और वो प्राची को देख कहती है, " मैं ठीक हूँ। " उसकी बात सुन प्राची मुस्कुरा देती है। 
     
    तभी सुनेहरी कहती है, " सोर्री भाभी " 
    उसके मुंह से सोर्री सुन प्राची कंफ्यूज होकर पूछती है, " सोर्री क्यों? "
    " कल मेरे वजह से आपका इतना खास दिन खराब हो गया। " सुनेहरी इतना बोल अपना सिर झुका लेती है। 
    उसे ऐसे देख प्राची कहती है, " सुनेहरी कोई दिन खराब नही हुआ हमारा। सब कुछ अच्छे से हो गया। हम तो इसलिए परेशान थे, क्यों की तुम्हारी तबियत बिगड़ गयी थी। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी उसे देखने लगती है, तो प्राची उसके चीन को पकड़ कहती है, " सुनेहरी धीरज के साथ मैंने तुम्हें भी अपना माना है। तुम मेरे लिए भी उतनी ही जरूरी हो, जितनी धीरज के लिए। " उसकी बात सुन सुनेहरी उसके गले लग जाती है, तो वही उन दोनों को ऐसे देख धीरज को बहुत अच्छा लगता है। 
     
    तीनों वही बैठकर बात करने लगते है। प्राची सुनेहरी से कहती है, " सुनेहरी तुम क्या कमरे में ही रहोगी? "
    उसके सवाल पर सुनेहरी कुछ बोलती नही है। तभी धीरज को याद आता है, की उसे सुनेहरी को डॉक्टर राज के क्लिनिक लेकर जाना है, तो वो सोचता है, की उसे इसे अच्छा मौका नही मिलेगा सुनेहरी से बात करने के लिए। 
    धीरज सुनेहरी को देख कहता है, " बच्ची प्राची सही कह रही है, क्या तुम बस इस कमरे में ही रहोगी ?” 
    उनकी बात सुन सुनेहरी बस अपना सिर झुका लेती है, तभी धीरज उसका हाथ पकड़ कहता है," बच्ची मैं तुम्हारे लिए कितना मायने रखता हूं? " 
    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " भाई आप मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हो। "
    " तो फिर मेरी एक बात मानोगी! " धीरज पूछता है। 
    तभी सुनेहरी कहती है, " भाई आपकी बात नही मानूँगी तो किसकी मानूँगी। आप बस बोलिये मुझे क्या करना है? "
    " तो कल तुम मेरे साथ साईकेट्रीस्ट के पास चलना होगा। " धीरज बोलता है, जिसे सुन सुनेहरी के साथ प्राची भी शॉक हो जाती है।


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  • 20. Chapter 20 - बचपन की यादें

    Words: 1249

    Estimated Reading Time: 8 min

    आइये जानते है आगे की कहानी

    प्राची और धीरज सुनेहरी से मिलने उसके कमरे में आते है। तभी धीरज उसका हाथ पकड़ पूछता है," बच्ची मैं तुम्हारे लिए कितना मायने रखता हूं? " 
    उसके सवाल पर सुनेहरी उसे देख कहती है, " भाई आप मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हो, पर आप ये क्यु पूछ रहे हो?"
    " तो फिर मेरी एक बात मानोगी! " धीरज पूछता है। 
    तभी सुनेहरी कहती है, " भाई आपकी बात नही मानूँगी तो किसकी मानूँगी। आप बस बोलिये मुझे क्या करना है? "
    " तो कल तुम मेरे साथ साईकेट्रीस्ट के पास चलोगी। " धीरज बोलता है, जिसे सुन सुनेहरी के साथ प्राची भी शॉक हो जाती है।
    " भाई क्या आप भी मुझे पागल समझते है? " सुनेहरी धीरज से पूछती है। 
    " नही बच्ची...बिल्कुल नही " धीरज जल्दी से मना कर बोलता है। 
    फिर अपनी बात समझाते हुए आगे कहता है, " बच्ची तुम भी जानती हो मैं ऐसा कभी नही समझ सकता। लेकिन एक सच ये भी तो है, की तुम डिप्रेशन में हो। " उसकी बात सुन सुनेहरी अपना सिर झुका लेती है। 
    धीरज प्राची को देख इशारा करता है और फिर सुनेहरी से कहता है, " मैं बस चाहता हूँ, की मेरी पहले वाली बेहन, जो हंसती थी, बोलती थी, शरारत करती थी, वो कभी शांत नही रह सकती थी, मेरी वो बेहन मुझे वापस चाहिए। " उसकी बात सुन सुनेहरी सुनी आँखों से उसे देखने लगती है। 
    तभी प्राची सुनेहरी के कंधे पर रख कहती है, " सुनेहरी धीरज सही कह रहा है। जो हुआ, उसे भूल जाओ। तुम अब खुश रहना सीखो अपने लिए अपने परिवार के लिए। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है, " भाभी ऐसा नही है, की मैंने कोशिश नही की, मैंने बहुत कोशिश की, पर मैं उसे बाहर नही आ पा रही हूँ। " 
     उसकी बात सुन धीरज कहता है, " इसलिए तो मैं तुम्हें साईकेट्रीस्ट के पास लेकर जाना चाहता हूँ, वो तुम्हारी इन सबसे बाहर आने में मदत करेंगे और तुम्हें अच्छे से गाइड करेंगे, इन सबसे बाहर निकलने के लिए। " 
    " पर भाई मुझे डर लगता है। " उसकी बात सुन सुनेहरी कहती है।
    तभी प्राची कहती है, " तुम्हें डरने की क्या जरूरत है सुनेहरी, मैं और धीरज हमेशा तुम्हारे साथ है। " 
    उसकी बात सुन सुनेहरी उसके सीने से अपना सिर लगा कहती है, " ठीक है। मैं चलूंगी।" उसकी बात सुन धीरज और प्राची खुश हो जाते है और धीरज उन दोनों को साथ में अपने सीने से लगा लेता है। 
     
    यहाँ कमरे के दरवाजे पर खड़ी दीप्ती ये सब सुन वहा से निर्मला चाची के पास आती है और कहती है, " मम्मी धीरज भाई सुनेहरी को पागलों के डॉक्टर के पास लेकर जाने वाले है। "
    उसकी बात सुन निर्मला चाची तिरछा मुस्कुरा कर कहती है, " अब तो सुनेहरी पागल है ये साबित करना और भी आसान है।"  
    उसकी बात सुन दीप्ती पूछती है, " पर मम्मी सुनेहरी के पागल होने से हमें क्या फायदा? " 
    निर्मला चाची कहती है, " अगर सुनेहरी भाई साहेब के मन से पूरी तरह उतर गयी, तो तुम उनके मन में जगह बना लेना, इसे वो सुनेहरी की नाम की जायदाद तुम्हारे नाम कर देंगे। " 
    " मम्मी वो अपनी बेटी के नाम की जायदाद मुझे क्यु देंगे? " दीप्ती निर्मला चाची से सवाल करती है। 
    उसके सवाल पर निर्मला चाची उसे देख कहती है, " क्यु की सुनेहरी उनकी सगी बेटी नही है। " 
    उसकी ये बात सुने के बाद दीप्ती शॉक हो जाती है। 
     उसकी ये बात सुने के बाद दीप्ती शॉक हो जाती है और फिर निर्मला चाची से पुछती है, " क्या सच में मम्मी? "
    उसके सवाल पर निर्मला चाची अपना सिर हा में हिला देती है। 
    " तो सुनेहरी किसकी बेटी है?" दीप्ती पूछती है। 
    उसके सवाल पर निर्मला चाची कुछ बोलती उसे पहले उसकी नज़र सीढ़ियों से नीचे आरहे धीरज, प्राची के साथ सुनेहरी पर जाती है, जिन्हें देख वो चुप हो जाती है। 
     
    निर्मला चाची दीप्ती को इशारा कर चुप रहने कहती है, तो दीप्ती भी चुप होकर खड़ी हो जाती है।  
    धीरज, प्राची और सुनेहरी नीचे आते है, तो निर्मला चाची उनके पास आती है और सुनेहरी से पूछती है, " सुनेहरी अब तबियत कैसी है तुम्हारी? "
    " ठीक है।" उनके सवाल पर सुनेहरी कहती है, जिसपर निर्मला चाची बस मुस्कुरा देती है। 
    जिसके बाद वो तीनों मेंशन के बाहर आते है, तो प्राची सुनेहरी से कहती है, " सुनेहरी अपना ख्याल रखना। " उसकी बात पर सुनेहरी अपना सिर हिला देती है, जिसके बाद धीरज प्राची को लेकर उसके घर छोड़ने जाता है। सुनेहरी मेंशन के बाहर थी, इसलिए वो कुछ सोचकर वही गार्डन में जाती है।  
     
    सुनेहरी गार्डन में आती है, तो उसकी नज़र वहा लगे झूले पर जाती है। झूला देख सुनेहरी को अपना बचपन याद आता है, जब वो धीरज के साथ गार्डन में खेलती थी और अभय जी उसे झूला झुलाया करते थे। सुनेहरी उसे झुके के तरफ़ बढ़ जाती है और उसपर बैठ के अपना बचपन याद करने लगती है। 
     
    तभी वहा एक गाड़ी आकर रुकती है और उस गाड़ी से अभय जी उतरते है। अभय जी गाड़ी से उतरते है और उनकी नज़र सबसे पहले सुनेहरी पर जाती है। सुनेहरी को झूले पर देख उन्हें भी सुनेहरी का बचपन याद आ जाता है , लेकिन वो उसे अपना मुंह फेर सीधा मेंशन के अंदर जाते है। 
     
    अभय जी मेंशन के अंदर आकर सीधा अपने कमरे में चले जाते है। उन्हें ऐसे देख निर्मला चाची खुद से कहती है, " एक पल के लिए लगा, जैसे भाई साहेब के मन में अभी सुनेहरी के लिए जगह है, पर मुंह फेर कर जाना, उनकी नफ़रत साफ बता रहा है। " इतना बोल वो मुस्कुरा कर वहा से चली जाती है। 
     
    यहाँ अभय जी अपने कमरे में आते है और वहा से सीधा कमरे के विंडो के पास आते है और बाहर गार्डन में देखने लगते है, जहाँ सुनेहरी झूले पर बैठी हुई थी। अभय जी सुनेहरी को देखते है और उन्हें सुनेहरी के बचपन की यादें याद आने लगती है। जैसे छोटी सी सुनेहरी पूरे दिन उनके पीछे घूमती रहती थी। उसे सिर्फ पापा चाहिए होते थे। खाना भी वो सिर्फ अभय जी के हाथों से खाती थी और वो सबसे ज्यादा खुश तभी होती थी, जब अभय जी उसके साथ गार्डन में खेलते थे। 
    अभय जी यादों से बाहर आकर सुनेहरी को देखने लगते है, जो झूले पर बैठी जरूर थी, पर अब उसके चेहरे खुशी नही सिर्फ उदासी थी। 
     
    झूले पर बैठी सुनेहरी को ऐसे लगता है, जैसे कोई उसे देख रहा है, इसलिए वो अपना सिर घुमा देखने लगती है। सुनेहरी को अपने तरफ़ देखता हुआ पाकर अभय जी जल्दी से छुप जाते है, ताकि सुनेहरी उन्हें देख नही पाए।
     
    कुछ देर गार्डन में रहने के बाद सुनेहरी मेंशन के अंदर चली जाती है। सुनेहरी जब अपने कमरे के तरफ़ जा रही थी, तभी निर्मला चाची उसके पास आकर कहती है, " सुनेहरी तुम जानती हो ना भाई साहेब को तुम्हें देखना भी पसंद नही है, तो फिर तुम कमरे से बाहर क्यु आती हो? " 
    उनकी बात पर सुनेहरी बिना कुछ बोले अपना सिर झुका लेती है, तो निर्मला चाची कड़क आवाज में कहती है, " अब जाओ अपने कमरे में और बाहर मत आना। " उसकी बात सुन सुनेहरी चुपचाप वहा से अपने कमरे में चली जाती है। जिसके बाद निर्मला चाची भी वहा से चली जाती है। 
     वही अपने कमरे के दरवाजे पर खड़े अभय जी उन दोनों की बात सुन लेते है।
     
    आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए बेइंतेहा मोहब्बत