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Burning In My Dark Desire.

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miss yadav

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गुंजन मल्होत्रा — एक बेहद कामयाब बिजनेस वूमेन, जिसकी काबिलियत का लोहा पूरी इंडस्ट्री मानती है। 24 साल के शानदार करियर में उसने वो मुकाम हासिल किया, जो कई लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। लेकिन उसके भीतर कुछ खाली था... एक ऐसा शून्य जो न तो पैसे से भरा ज...

Total Chapters (9)

Page 1 of 1

  • 1. - Chapter 1 (vah ladka mujhe mere bed me chahiye)

    Words: 1123

    Estimated Reading Time: 7 min

    ⚠️ वार्निंग: यह स्टोरी टोटली 18+ लोगों के लिए है। इसमें काफी बोल्ड सीन हो सकते हैं। पर यह बोल्डनेस तभी आएगी जब आपका व्यूज मिलेगा। देखिए, सिंपल सा रूल है — हम आपको एंटरटेन करेंगे, उसके बदले हमें आपके व्यूज और प्यार चाहिए।

    सो प्लीज़, बे रेडी फॉर ए क्रेज़ियस्ट स्टोरी! इतनी क... की जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी।

    सो अगर आप चाहते हैं कि मैं इस कहानी के ज्यादा से ज्यादा बोल्ड चैप्टर्स आपको दूं, तो प्लीज़, व्यूज में इंक्रीमेंट लाओ यार!

    गुंजन मल्होत्रा, 24 साल की उम्र में इंडिया की टॉप 10 बिज़नेसवूमन में शामिल थी।

    उसका हर कदम मीडिया की सुर्खियों में होता... उसके फैसले शेयर मार्केट को हिला देते।

    लेकिन उसके दिल में एक सूनी वीरानी थी — ना कोई साथी, ना किसी साथी की ज़रूरत।

    उसकी ज़िंदगी में सेक्स था... सैकड़ों रातें थीं, जो उसने नाम-गुमनाम चेहरों के साथ बिताई थीं — लेकिन कोई नाम कभी सुबह तक नहीं टिका।

    "इमोशन्स वीकनेस होते हैं," वो अकसर अपने राइट हैंड को कहती।

    "कमजोर लोग मोहब्बत करते हैं... मैं बिज़नेस करती हूं।"

    पर एक बार इस बात को सोचिए तो सही...

    देखो, सबके साथ फिजिकल होना जरूरी तो नहीं है ना?

    सौम्या! मैं सबके साथ फिजिकल नहीं हो रही हूं... मैं तो बस ज़िंदगी को जीने की कोशिश कर रही हूं।

    अब इसमें किसी पर दिल आ गया तो मन नहीं करती...

    मुझे इस बारे में विचार करना चाहिए...?

    देखो सौम्या, तुमसे जितना कहा है उतना करो।

    मैं क्या करती हूं, क्या नहीं — यह तुम्हारा लेना-देना नहीं है।

    तुम्हें कहा है कि मुझे वो लड़का आज रात चाहिए... तो चाहिए!

    चाहे उसके लिए तुम्हें धरती और आसमान को एक क्यों न करना पड़े...

    उसे मारो, पीटो, कुछ भी करो — पर लेकर आओ!

    गुंजन की कड़क भरी आवाज़ सुनकर सौम्या एक पल के लिए सोच में पड़ जाती है।

    वह बाहर आती है, अपना फोन निकालते हुए कहती है —

    "रॉकी भाई! मैम का ऑर्डर है — उन्हें एक लड़का आज रात उनके बिस्तर में चाहिए।

    मैं लड़के की डिटेल्स आपको भेज रही हूं..."

    यह कहकर सौम्या फोन कट कर देती है।

    इधर रॉकी अपने फोन पर आए नोटिफिकेशन को देखता है...

    तो उसमें एक 27 साल के लड़के की पिक्चर होती है, और उसके बारे में कुछ जानकारी।

    उसे पढ़कर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है —

    "बस इतनी सी बात? उनका काम हो जाएगा!"

    यह कहकर वह अपनी गाड़ी निकालता है और सीधा IPS बॉयज़ हॉस्टल चला जाता है।

    हॉस्टल में पहुंचते ही वह चिल्ला कर कहता है —

    "अरे! यहां पर सुजीत कौन है रे? बाहर निकाल!"

    सुजीत अपना नाम सुनते ही अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लेता है।

    वह घबराते हुए चादर ओढ़कर कोने में बैठता है —

    "हे भगवान! प्लीज़ बचा लो... प्लीज़ बचा लो!

    कौन है ये...? लगता है उसी ने भेजा है!"

    सुजीत को इस तरह घबराया देख उसका दोस्त अधीर पूछता है —

    "क्या हुआ सुजीत? तू इतना डरा हुआ क्यों है?

    और ये लोग कौन हैं, जो तुझे ढूंढ रहे हैं?"

    सुजीत डरते हुए बताता है —

    "दरअसल, मैं एक डेट पर गया था...

    वो लड़की मेरे साथ वो सब करना चाहती थी।

    और मैंने मना कर दिया।

    अब उसके आदमी मेरे पीछे पड़े हुए हैं!

    पहले सोशल मीडिया पर स्टॉक किया...

    अब हॉस्टल तक आ गए हैं!"

    "प्लीज़ मुझे बचा लो अधीर...

    प्लीज़! मुझे नहीं जाना..."

    यह सुनकर अधीर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है —

    "अरे! तू पागल है क्या?

    भाई, आजकल लोग उस चीज के लिए मरते हैं।

    लोगों को फिजिकल होने में मजा आता है...

    और तू है कि उन चीजों से भाग रहा है?"

    "नहीं! मैं भाग नहीं रहा।

    मेरे लिए इन सब चीजों के मायने बहुत अलग हैं।

    मैं ये चीज उसी के साथ करूंगा...

    जिसके साथ मुझे पूरी ज़िंदगी बितानी होगी!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर हंसते हुए कहता है —

    "अरे यार! क्या-क्या ख्याल हैं तेरे!

    आज के टाइम पर, वो भी इस 2025 में,

    तुझे लगता है कि वर्जिन लोग जिंदा होंगे?"

    "देख अधीर, मुझे नहीं पता कि और हैं या नहीं...

    पर मैं जिंदा हूं ना!

    अगर मैं रह सकता हूं, तो मेरे जैसे और भी होंगे।

    प्लीज़... अभी कुछ कर!

    मुझे इन गुंडों से बचा ले!"

    बाहर गुंडे तोड़फोड़ कर रहे थे, पर उन्हें सुजीत कहीं भी नहीं दिखता।

    तब तक हॉस्टल का वॉर्डन आकर रॉकी की तरफ देखता है —

    "रॉकी भाई! आप यहां?

    क्या हुआ... सब ठीक तो है?"

    "सुन टकले!"

    "मुझे सुजीत चाहिए, अभी के अभी!"

    वॉर्डन रॉकी की डरावनी आवाज़ सुनकर कांपते हुए कहता है —

    "ठीक है भाई...

    मैं आपको सुजीत के कमरे की तरफ लेकर चलता हूं,

    पर प्लीज़ अपने आदमियों से कहिए — यह तोड़फोड़ बंद कर दें!"

    यह सुनकर रॉकी मुस्कुराता है, अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है —

    "अरे, रुक जाओ रे!

    ये बताने के लिए तैयार है..."

    "अगर ये चीज तू पहले कर देता,

    तो मुझे इतना तोड़फोड़ नहीं करना पड़ता!"

    "ऐसे सारे लड़कों की दोस्ती में कितना दम होता है ना...

    कब से साले मार खा रहे हैं,

    पर किसी ने सुजीत का नाम तक नहीं बाका!"

    वॉर्डन कांपते हुए कहता है —

    "भाई, चलिए...

    मैं आपको सुजीत के कमरे तक लेकर चलता हूं।

    पर भगवान के लिए हमें बख़्श दीजिए!"

    यह सुनकर रॉकी अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालकर वॉर्डन के हाथ में रखते हुए कहता है —

    "ये ले! अपनी मरम्मत कर लेना।"

    वॉर्डन पैसे देखकर कुछ पल के लिए मुस्कुराता है।

    रॉकी के हाथ को चूमते हुए कहता है —

    "मालिक! आपको सुजीत के अलावा कोई और भी चाहिए तो बताइए...

    मैं अभी देता हूं!"

    यह सुनकर रॉकी जोर-जोर से हंसने लगता है —

    "चल साले!

    पैसा देखा नहीं कि लार टपकने लगी!"

    इधर सुजीत अपने कमरे में डरा हुआ जोर-जोर से रो रहा था।

    वह अधीर के पैरों में गिरते हुए कहता है —

    "प्लीज़... भगवान के लिए मुझे बचा लो!

    मुझे उन लोगों के साथ नहीं जाना!"

    "तू एक बात बता...

    तू ऐसे कैसे किसी से मिल सकता है?"

    "एक काम करते हैं...

    हम पुलिस को कंप्लेंट करते हैं!"

    "नहीं भाई!"

    "पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती!"

    "क्यों?"

    "अरे, तुझे पता नहीं है क्या?

    वो बहुत बड़ी गुंडी है... गुंडी!

    ये जो बाहर रॉकी आया है ना,

    ये यहां का मशहूर गुंडा है।

    इतना बड़ा कि इसके जेब में मिनिस्टर रहते हैं!"

    "तो सोच... अगर ये इतना ज्यादा पावरफुल है,

    तो वो कितनी ज्यादा पावरफुल होगी!"

    "भाई, प्लीज़!

    कुछ तो कर, कुछ सोच!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर कुछ पल के लिए रुकता है, और फिर सोचते हुए कहता है —

    "रुको... मैं ही कुछ करता हूं!"

    आखिर कैसे बचाएगा अधीर सुजीत को?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए...

    और एक बात —

    अगर आपको यह कहानी पसंद आती है, तो व्यू और रिव्यू के हिसाब से

    मैं इसके आगे के चैप्टर्स पोस्ट करूंगा।

  • 2. - Chapter 2 ( mai khud ise lekr aunga )

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    तब तक दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। उसे सुनकर सुजीत डर गया और अधीर की तरफ देखते हुए कहा, "अब... अब क्या करें? अब तो मैं गया! प्लीज, बचा ले!" अधीर दरवाजे की तरफ जाकर दरवाजा खोलने ही वाला था कि सुजीत ने उसे रोकते हुए कहा, "पागल है क्या? दरवाजा क्यों खोल रहा है? वो मुझे लेकर जाएँगे, भाई! दरवाजा नहीं खोला तो वो तोड़ देंगे। रुक, मैं कुछ बताता हूँ।" यह सोचकर अधीर ने दरवाजा खोल दिया।

    जैसे ही अधीर ने दरवाजा खोला, रॉकी गुस्से में अंदर आते हुए बोला, "क्या सालों, दरवाजा खोलने में इतना वक्त लगता है? कहाँ है वो लड़का?" सुजीत कांपते हुए, डरकर कोने में बैठा था। उसे ऐसी हालत में देखकर वो हँसते हुए बोला, "गुंजन मैडम ने इसको बुलाने के लिए कहा है। क्या देख लिया उसने इसके अंदर? ये छछूंदर की औलाद क्या ही कर पाएगा?" यह सुनकर सुजीत रोते हुए बोला, "भाई, आप सही कह रहे हो। मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा। प्लीज, प्लीज आप चले जाओ और अपनी मैडम को समझाओ। किसी और को पटा ले।"

    सुजीत बोला, "देख, मेरी बात सुन। मैडम किसी की बात नहीं सुनती। अगर एक बार उन्होंने कुछ ठान लिया तो वो करके रहती है। और अगर उन्होंने ठाना है कि वो तेरा रस चखना चाहती है, तो वो चखकर रहेगी। तेरी भलाई इसी में है कि तू चुपचाप चल ले यहाँ से, वरना फालतू का मेरे हाथों मारा जाएगा और फिर उसके बाद भी तो तुझे वहीं पर लेकर जाना है, तो अपना हुलिया बिगड़ने से क्या मतलब है?"

    यह सुनकर सुजीत काँपने लगा। वो धीरे-धीरे पीछे हट रहा था। रॉकी उसकी तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था। तब तक अधीर बीच में आते हुए बोला, "रॉकी भाई, रुक! रुक! आप इसे अपनी मैडम के लिए लेकर जा रहे हैं ना?" रॉकी ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, तो?" अधीर बोला, "तो ये जरा सोचिए, अगर मैडम इस हालत में इसे देखेंगी तो आपको और मारेंगी और आपको डाँट भी पड़ेगी। मुझे क्यों डाँट पड़ेगी? इसकी हालत को देखकर, रॉकी भाई, जरा सोचिए एक बार, ध्यान से सोचिए। अगर आप किसी लड़की के साथ फिजिकल होने जा रहे हो, तो सबसे ज़्यादा क्या ज़रूरी है? अरे भाई, आपका हाइजीन होना! मैं इसका रूममेट हूँ, मैं जानता हूँ कितने गंदे तरीके से ये रहता है।"

    "सुनो, ऐसा करते हैं कि पहले इसको क्लीन करते हैं। मतलब, मतलब ये कि आप मुझे लोकेशन दे दो, मैं इसको नहला-धुलाकर अच्छे से साफ-सुथरा करके, दाढ़ी-मूँछ बनवाकर, जेंटलमैन की तरह सजाकर आपकी लोकेशन पर छोड़ जाऊँगा। उसके बदले आप मुझे 100, 50 दे देना।"

    दूर बैठा सुजीत अधीर की बातें सुनते हुए चिल्लाकर बोला, "अधीर, पागल हो गया है तू? क्या कैसी बातें कर रहा है? भाई, मैं तुझे अपना दोस्त समझता था, तू मेरा ही सौदा कर रहा है!"

    अधीर सुजीत की तरफ डाँटते हुए बोला, "तू चुप करेगा! जब दो बड़े बात कर रहे हैं तो बीच में नहीं बोलते। सोचिए भाई, जबरदस्ती लेकर जाएँगे तो ना तो मैडम को मज़ा आएगा और ना तो आप खुश होंगे। और अगर मैं इसे प्यार से समझा-बुझाकर लाऊँगा तो वो भी खुश होंगी और जितना वो खुश होंगी उतना आप खुश होंगे। आपको भी पैसे ज़्यादा मिलेंगे और आपकी भी तारीफ होगी।"

    रॉकी अधीर की चिकनी-चुपड़ी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "बात तो सही कह रहे हो तुम। चलो ठीक है, पर हाँ, अगर ये आज शाम तक वहाँ नहीं आया तो तुम सोच लेना, तुम्हारी बलि चढ़ा दूँगा मैं।" अधीर बोला, "भाई, आप निश्चिंत रहो। यकीन मानो, मेरा ये शाम तक आएगा। और अगर नहीं आया तो ज़िम्मेदारी मेरी है। आप जो चाहो मुझे वो सज़ा दे सकते हो। ये मेरा सर और आपका जूता।"

    यह सुनकर रॉकी मुस्कुराते हुए बोला, "बड़े समझदार हो। बिज़नेस की अच्छी परख है। चलो, मैं तुम्हें पैसे देने के लिए तैयार हूँ। तुम शाम तक इसे लेकर के आ जाना।"

    यह कहकर रॉकी वहाँ से चला गया। अधीर दरवाज़ा बंद करके गहरी साँस लेते हुए अपने बिस्तर पर लेट गया। सुजीत गुस्से में अधीर की तरफ आकर उसका गला दबाते हुए बोला, "साले कुत्ते! कमीने! तुझे मैंने अपना दोस्त समझा था, तू पैसों के लिए इतना गिर जाएगा? मैंने सोचा ही नहीं था!" अभी जो सुजीत के गुस्से का शिकार हो रहा था...

    वो उसके हाथ को छुड़ाते हुए बोला, "अबे साले, चुटिया! लॉजिकली सोच। हमें शाम तक का टाइम मिल गया है। देख, तू टेंशन ना ले। मैं उस लड़की से जाकर बात करूँगा और तुझे बचाने की ज़िम्मेदारी मैंने ली है। तुझे मेरे पर भरोसा नहीं है?" यह सुनकर सुजीत ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। देख लिया तेरा भरोसा। तू मेरे ही एल लगवा रहा है।"

    "सुजीत, मेरी बात सुन। अभी ना जबरदस्ती करने का कोई मतलब नहीं है। देख, अगर मैं तुझे प्रॉमिस किया है तो तुझे भी पता है कि तुझे कुछ होने नहीं दूँगा। तो प्लीज, चुपचाप करके जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर। देख, एक बार मेरी बात मान ले। अगर तुझे कुछ होता है तो आई प्रॉमिस, तू जो कहेगा मैं करने के लिए तैयार हूँ। तू ही बता, इसके अलावा तेरे पास कोई और ऑप्शन है? कहीं भी भागकर जाएगा, ये गुंडे तुझे पकड़ ही लेंगे। और पकड़ने के बाद तेरी धुलाई तो अलग होगी। धुलाई छोड़, धुलाई के बाद भी तेरी वर्जिनिटी तो वो मोहतरमा खा जाएँगी। तूने अपने फ्यूचर वाइफ के लिए बचा के रखी है ना, वो सब ख़त्म हो जाएगी। सोच ले तू, सब कुछ तेरे हाथ में। तुझे मेरी बात माननी है या फिर मैं रॉकी भाई को बोल देता हूँ, वो तुझे लेकर जाए।"

    सोचकर सुजीत थोड़ी धीमी आवाज़ में खुद से बोला, "एक तरफ कुआँ तो एक तरफ खाई। इससे अच्छा है कि अधीर की बात मान ले। भाई," यह कहकर वो अधीर की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखते हुए बोला, "भाई, ठीक है। मैं तैयार हूँ। पर प्लीज हाँ, मुझे बचा लेना।"

    अब क्या करेगा अधीर क्या चल रहा था उसके मन में जानने के लिए पढ़ते रहिए और हां वेट वेट जैसा मैंने बोला है स्टोरी काफी बोल्ड है तो बोलने से आएगा बाबा 5 एपिसोड तक पढ़ो फिर कहना कैसा लगा स्टोरी

  • 3. Chapter 3(garm sanse passionate kiss)

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    लगभग शाम होने को आई थी।

    सुजीत घबरा रहा था, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब तक अधीर अपने बैग से एक थ्री-पीस निकालता है और उसे निकालकर पहनते हुए कहता है, "तू प्लान के लिए तैयार है ना?"

    सुजीत उसकी तरफ देखते हुए कहता है, "कैसा प्लान? तूने कुछ भी नहीं बताया! कहाँ हैं? सुन, जल्दी से रेडी हो जा और हाँ, एक मास्क लगा ले। आगे का काम मैं तुझे रास्ते में समझा दूँगा। अभी हमें निकलना चाहिए, लेट हो रहा है।" "तू पागल है क्या? मुझे तू शेरनी के मुँह में लेकर जा रहा है? अरे भाई, तू मेरी बात तो मानेगा! तू चल!"

    इधर दूसरी तरफ, रॉकी अधीर और सुजीत का वेट होटल रूह के सामने कर रहा था। वहाँ पर उसके गुंडे गन लेकर खड़े हुए थे। रॉकी गुस्से में तिलमिलाते हुए इधर-उधर भटक रहा था। "कहीं साले उस लड़के के ऊपर ट्रस्ट करके गलती तो नहीं कर दी? अगर वो नहीं आया, तो मुझे जिंदा मार देंगे! नहीं-नहीं, मुझे चलकर उसे देखना चाहिए।" यह कहकर वो अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है, "चल, रे! गाड़ी में बैठो, हमें चलना है।" वो सब जैसे ही गाड़ी में बैठते हैं, कि उनके सामने एक ऑटो आकर रुकती है। ऑटो से दो नकाबपोश बाहर निकलते हैं। एक ने ब्लू कलर की थ्री-पीस पहन रखी थी और एक ने ब्लैक कलर की।

    दोनों ऑटो से उतरकर आगे बढ़कर उनके पास जाते हुए कहते हैं, "रॉकी भाई, ले आया इसे!" नकाब हटाते हैं। उन दोनों को देखकर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है, "शाबाश, लौंडों! तूने क्या काम किया है! एक काम कर ले, अपना पैसा ले और तू निकल!" "रॉकी भाई, ऐसे कैसे? चल जाओ? तो अब क्या, तेरी आरती करूँगा तब तू जाएगा?"

    अधीर रॉकी भाई को थोड़ा साइड में बुलाते हुए कहता है, "रॉकी भाई, अभी नहीं जा सकता। सोचो, अगर मैं यहाँ से चला गया और सुजीत का मन बदल गया और ये वापस भाग गया, तो? इसलिए, इसको कमरे तक छोड़कर आता हूँ। और इसको पता है, मर्दाना बीमारी भी है। क्या मतलब? मतलब ये कि इसका शीघ्रपतन हो जाता है।" "ची! ची! कैसी बातें कर रहा है तू?" "भाई, सच बोल रहा हूँ! इसलिए देखो, मैंने दवा लायी है।" यह कहकर अधीर अपनी जेब से एक दवा निकालता है, उसे दिखाते हुए कहता है, "ये इसके इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को ठीक कर देगा। बस आप एक काम करो, मुझे कमरे तक जाने दो। मैं चुपके से इसे जूस में मिलाकर पिला दूँगा। अगर ऐसी बात है, तो ये कभी पिएगा नहीं। पता है? आप ही सोचो, फ़िज़िकल होना कितनी बड़ी बात होती है। ऊपर से एक वूमेन को सेटिस्फ़ाइड करना, सबकी बस की बात नहीं है। और अगर ये नहीं कर पाया, तो फिर आपकी मैडम का मूड खराब होगा। उनका मूड खराब हुआ, तो आपके ऊपर वो बरसेंगी और आपके ऊपर बरसेंगी तो..."

    "बस, मैं समझ गया। अब तू अंदर जा और हाँ, जल्दी बाहर आ जाना, क्योंकि मैडम के भी आने का समय हो रहा है। पर एक बात बता, तूने मास्क क्यों लगा रखा है?" "भाई, यहाँ पर हमारे कॉलेज के काफ़ी लड़के आते-जाते हैं। अगर किसी ने मुझे पहचान लिया, तो पूरे कॉलेज में मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगा। इसलिए मास्क लगाया है।" "अच्छा, ठीक है। चल जा यहाँ से।"

    अधीर सुजीत को पकड़ता है और सीधा कमरे की तरफ़ ले जाने लगता है। सुजीत घबराते हुए कहता है, "भाई, तू मुझे बचाने की बात कर रहा था! तू तो यहाँ पर खुद मुझे शेर के गुफ़ा में छोड़कर जा रहा है! पागल?" "छोड़ नहीं रहा हूँ। सुन, उन्होंने ये काट दिया है, रूम नंबर 74। हम जैसे ही रूम में पहुँचेंगे, तू मेरा सूट पहनेगा और मैं तेरा। इसके बाद तू सीधा यहाँ से बाहर। मास्क मत उतारना, उनको शक भी नहीं होगा और तेरी जगह मैं रहूँगा। आने दो उस लड़की को। आज इसका आतंक मैं खुद ख़त्म करूँगा।"

    "भाई, तुझे नहीं पता उसके बारे में? वो जिसके साथ एक बार इंटिमेट होती है, उसे जान से मार देती है। वो इंसान दोबारा जिंदा मिलता ही नहीं है।"

    यह सुनते ही अधीर के भी हाथ-पैर काँपने लगते हैं। "क्या-क्या कह रहा है तू?" "हाँ, मैंने सुना है। अगर वो किसी के साथ फ़िज़िकल हो गई, फिर वो इंसान कभी जिंदा नहीं रह सकता। वो उसे सीधा परलोक सुधार देती है।"

    "तू चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूँगा।" इतना कहते-कहते वो दोनों कमरे के सामने आते हैं। अधीर और सुजीत अपना कपड़ा एक्सचेंज करते हैं और इसके बाद सुजीत वहाँ से चला जाता है।

    अधीर कमरे की लाइटें बंद कर देता है और एक डार्क ब्लू कलर की लाइट कमरे में ऑन कर देता है। अधीर ने ब्लैक कलर का थ्री-पीस पहन रखा था और उसने चेहरे पर मास्क लगा रखा था, जिससे उसका आधा चेहरा ढका हुआ था।

    इन सब के बाद वो कमरे के गेट के पीछे खड़ा होकर इंतज़ार कर रहा था। थोड़ी देर बाद कमरे के गेट पर दस्तक होती है। एक लड़की अंदर आती है, जिसमें एक ब्लैक कलर का बोल्ड ड्रेस पहन रखा था। वो जैसे ही कमरे के अंदर जा ही रही होती है, कि अधीर उसे पीछे से पकड़ लेता है। उसके गले पर अपना हाथ रखते हुए उसे कसकर दबाकर अपने करीब खींच लेता है।

    अपना ताला निकालकर उसके हाथ बाँधते हुए, उसके कानों के करीब जाकर कहता है, "Do you need harder?"

    अधीर की गरम साँसें उस लड़की के कानों के पास आकर उसे मदहोश कर रही थीं। अधीर अपनी गरम साँसों से उस लड़की के गले पर किस करने लगता है। वो धीरे-धीरे अपने पैर पीछे करते हुए अधीर से चिपकने की कोशिश कर रही थी।

    देखते-देखते अधीर एक दीवार से चिपकता है और वो लड़की अपने बाल उठाते हुए अपने मुँह को घुमाकर अधीर के होंठों पर अपना होंठ रख देती है।

    आगे की कहानी जानने के लिए प्लीज़ कमेंट करना, रिप्लाई देना और फ़ॉलो कर लेना। और हाँ, इससे ज़्यादा बोल्ड सीन क्रिएट कर सकता हूँ, सो जस्ट इमेजिन आपका व्यू कितना बोल्ड सीन क्रिएट कर सकता है, सो प्लीज गो फ़ॉर इट!

  • 4. Chapter 4(love makeout)

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधिक धीरे-धीरे उसके होठों को किस कर रहा था और कभी यह कैसे इतना पैशनेट हो गया उन दोनों को भी पता नहीं चला अभी जब उसके होठों को हल्का-हल्का बीते कर रहा था जिससे वह लड़की गुंजन मदहोश हो रही थी वह अमीर के थ्री पीस को निकलते हुए ऊपर के सूट को निकाल कर के बगल में फेंक देती है अमीर उसके लेफ्ट पैर को पकड़ कर के अपने कमर तक उठा लेता है और उसे दीवार में चिपका करके उसे हल्का सा फोर्स करके ऊपर उठना है और उसे दीपाली किस करने लगता है उन दोनों की एक कशमकश अब ज्यादा ही पड़ रही थी गुंजन अभी के मुंह को कसकर पकड़ते हुए एक नजर उसके मास्क को हटाना चाहती थी

    अधीर उसके मास्क को हटाने वाले हाथ को रोकते हुए कहता है एंजॉय में मास्क क्यों हटाना है और इसके बाद उसके हाथों को मोड करके पीछे कर देता है और उसे डिप्ली किस करते हुए बेड पर ले जाकर लेट देता है देखते-देखते उसके शरीर से सारे कपड़े हटाकर जमीन में फेंक देता है वह लड़की बिना कपड़ों के बेड पर लेटी हुई थी दूसरी तरफ अधीर भी अपने शर्ट के बटन को खोल करके जमीन पर फेंक देता है उसके पैरों को उठाकर के अपने होठों के पास लेट हुए और धीरे-धीरे उसके उंगलियों से लेकर के उसके कमर की तरफ बढ़ने लगता है चकाचक जैसे-जैसे उसके होंठ पड़ते गुंजन के मुंह से aaah की आवाज निकलती

    गुंजन द प्लेस मोमेंट को एंजॉय कर रही थी वह अपने दोनों हाथों से बेडशीट को कसकर पकड़ कर के aaa aaa kr रही थी

    इधर अधिर अब उसके नाजुक हिस्सों पर आता है और अपने हाथों से कस कर मसलते हुए बड़े प्यार से अपनी उंगलियों को अपने मुंह में डालता है और फिर उसे गुंजन की होठों पर रखते हुए गुंजन के मुंह के अंदर डाल देता है गुंजन बड़े प्यार से उसे उंगलियों को शक कर रही थी

    अधीर एक शैतानी मुस्कान के साथ गुंजन के बालों को कसकर पकड़ता है और उसके होठों पर अपना होंठ रखते हुए अपनी उंगलियों को उसके कमर के नीचे लेकर चला जाता है गुंजन अब पूरी तरीके से अपने आप से बेकाबू हो चुकी थी वह अधीर को बेड पर पलटते हुए उसके दोनों हाथों को कसकर पकड़ लेती है और उसे ऊपर की तरफ ले जाते हुए अपने होठों से उसके होठों को दीपाली किस करने लगती है

    और फिर धीरे-धीरे उसके चेस्ट एरिया को किस करती और धीरे-धीरे उसके एप्स पर किस करती और फिर देखते-देखते वह उसके कमर तक आ गई थी वह उसके शरीर पर बच्चे कुछ कपड़े को भी निकाल करके जमीन पर फेंक देती है एक गहरी लंबी सांस लेते हुए वह अपने होठों का कमाल उसके कमर के पास दिखाने लगती है

    गुंजन किस द्वीप और बेधड़क अंदाज अधीर को उसका दीवाना बना रही थी अधीर अपने हाथों को गुंजन के सर पर लेकर जाता है उसके बालों को एक हाथ में पढ़ते हुए अपने रफ्तार को बढ़ा देता है गुंजन जो अब अधिक को और डेसपरेटली चाहने लगी थी वह फिर से उसके होठों के पास आती है और उसे पैशनेटली किस करने लगती है अधीर उसे पलट करके बिस्तर पर करते हुए उसके बालों को एक साइड करता है और अपने होठों का कमल उसके चेस्ट एरिया को दिखाने लगता है उसके नाजुक हिस्सों को कुछ इस कदर वह मसल रहा था कि गुंजन की आह पूरे कमरे में गूंज रही थी

    अधीर की उंगलियों का जादू गुंजन के ऊपर चल रहा था गुंजन उसे कमांड देते हुए कहती है प्लीज को हार्डर डोंट स्टॉप

    अधीरेख शैतानी मुस्कान के साथ गुंजन के होठों पर अपना होंठ रख करके उसे डेसपरेटली किस करने लगता है गुंजन के दोनों पैरों को उठाकर के अपने कंधों पर रखते हुए वह एक झटके में उसके अंदर इंटर कर जाता है

    और देखते ही देखते उन दोनों का यह कसम कस पूरे डेढ़ घंटे चला

    गुंजन अब जो बेहताशा थक गई थी वह उसके बगल में लेट जाती है और अपनी आंखें बंद कर लेती है देखते-देखते उन दोनों को नींद आ जाती है तब तक अधीर के मन में एक सवाल उठता है क्या यह उसकी आज आखिरी रात थी जैसा उसे सुजीत ने बताया था गुंजन जिसके साथ हम बिस्तर होती थी उसे मार देती थी क्या आज अधीर को भी वह मार देगी आदि ऋषि सच में अपनी करवट बदलता है तब तक गुंजन का हाथ उसके शरीर पर आ जाता है उसका हाथ फिर से कमर के नीचे जा रहा था अधीर उसके हाथ को रोकते हुए उसके चेहरे पर आ रहे बाल को साइड करता है उसके माथे पर किस करते हुए गहरी सांस लेते हुए कहता है

    काश तुम्हें मैं बात पता अपने दिल की बात कितना चाहने लगा हूं तुम्हें लाइफ में इतने लोगों से मिला पर u r। स्पेशल वन

    यह कहकर अधीर गहरी सांस लेते हुए कहता है ठीक है अगर किस्मत को यही चाहिए तो यही सही तब तक उसे अपने जेब में पड़े उसे दवा का ख्याल आता है पैक शैतानी मुस्कान के साथ बिस्तर से उठता है पास में पड़े जूस के गिलास को देखते हुए उसके दिमाग में कुछ चल रहा था वह अपने पेट से उसे दवा को निकलता है उसे जूस में डालकर मिलता है और मुस्कुराते हुए गुंजन के पास आता है नींद में लेती गुंजन उसका चेहरा थकहार के टूट रहा था अधीर अपने मुंह मैं उसे जूस को लेता है और गुंजन के होठों पर अपना होंठ रख देता है और अपने मुख से उसके मुंह में उसे जूस को डालने लगता है देखते-देखते ऐसे ही पूरा क्लास खाली कर देता है गुंजन भी अपनी आंखें बंद करके उसे मोमेंट को इंजॉय कर रही थी और वह जैसे ही गिलास खत्म होता है एक शैतानी मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा है और फिर उसके माथे पर किस करते हुए कहता है हम सॉरी बेबी डॉल पर मुझे जाना होगा

    आखिर किस चीज की दवा पिलाई थी अधीर ने गुंजन को

    कैसा लगा आपको यह पार्ट जरूर बताना अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो फॉलो कर लेना कमेंट करना और रिव्यू देना मत बोलना अगर आपके अच्छे व्यूज आते हैं तो मैं और बोल्डनेस के साथ इस चैप्टर को कंटिन्यू करूंगा

  • 5. Chapter 5(will miss u sweet heart)

    Words: 1981

    Estimated Reading Time: 12 min

    अधीर दवा पिलाने के कुछ वक़्त बाद अपने कपड़ों को उठता है और उसे पहनते हुए एक नोट लिखता है और उसे टेबल पर रख करके उसे ग्लास से दबा देता है, और फिर कमरे से बाहर की तरफ़ देखता है। वहाँ पर कोई भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं था। वह धीरे से बाहर निकल जाता है और छुपाते-छुपाते उसे होटल से बाहर चला जाता है। ⚠️ वार्निंग: यह स्टोरी टोटली 18+ लोगों के लिए है। इसमें काफी बोल्ड सीन हो सकते हैं। पर यह बोल्डनेस तभी आएगी जब आपका व्यूज मिलेगा। देखिए, सिंपल सा रूल है — हम आपको एंटरटेन करेंगे, उसके बदले हमें आपके व्यूज और प्यार चाहिए।

    सो प्लीज़, बे रेडी फॉर ए क्रेज़ियस्ट स्टोरी! इतनी क... की जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी।

    सो अगर आप चाहते हैं कि मैं इस कहानी के ज्यादा से ज्यादा बोल्ड चैप्टर्स आपको दूं, तो प्लीज़, व्यूज में इंक्रीमेंट लाओ यार!

    गुंजन मल्होत्रा, 24 साल की उम्र में इंडिया की टॉप 10 बिज़नेसवूमन में शामिल थी।

    उसका हर कदम मीडिया की सुर्खियों में होता... उसके फैसले शेयर मार्केट को हिला देते।

    लेकिन उसके दिल में एक सूनी वीरानी थी — ना कोई साथी, ना किसी साथी की ज़रूरत।

    उसकी ज़िंदगी में सेक्स था... सैकड़ों रातें थीं, जो उसने नाम-गुमनाम चेहरों के साथ बिताई थीं — लेकिन कोई नाम कभी सुबह तक नहीं टिका।

    "इमोशन्स वीकनेस होते हैं," वो अकसर अपने राइट हैंड को कहती।

    "कमजोर लोग मोहब्बत करते हैं... मैं बिज़नेस करती हूं।"

    पर एक बार इस बात को सोचिए तो सही...

    देखो, सबके साथ फिजिकल होना जरूरी तो नहीं है ना?

    सौम्या! मैं सबके साथ फिजिकल नहीं हो रही हूं... मैं तो बस ज़िंदगी को जीने की कोशिश कर रही हूं।

    अब इसमें किसी पर दिल आ गया तो मन नहीं करती...

    मुझे इस बारे में विचार करना चाहिए...?

    देखो सौम्या, तुमसे जितना कहा है उतना करो।

    मैं क्या करती हूं, क्या नहीं — यह तुम्हारा लेना-देना नहीं है।

    तुम्हें कहा है कि मुझे वो लड़का आज रात चाहिए... तो चाहिए!

    चाहे उसके लिए तुम्हें धरती और आसमान को एक क्यों न करना पड़े...

    उसे मारो, पीटो, कुछ भी करो — पर लेकर आओ!

    गुंजन की कड़क भरी आवाज़ सुनकर सौम्या एक पल के लिए सोच में पड़ जाती है।

    वह बाहर आती है, अपना फोन निकालते हुए कहती है —

    "रॉकी भाई! मैम का ऑर्डर है — उन्हें एक लड़का आज रात उनके बिस्तर में चाहिए।

    मैं लड़के की डिटेल्स आपको भेज रही हूं..."

    यह कहकर सौम्या फोन कट कर देती है।

    इधर रॉकी अपने फोन पर आए नोटिफिकेशन को देखता है...

    तो उसमें एक 27 साल के लड़के की पिक्चर होती है, और उसके बारे में कुछ जानकारी।

    उसे पढ़कर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है —

    "बस इतनी सी बात? उनका काम हो जाएगा!"

    यह कहकर वह अपनी गाड़ी निकालता है और सीधा IPS बॉयज़ हॉस्टल चला जाता है।

    हॉस्टल में पहुंचते ही वह चिल्ला कर कहता है —

    "अरे! यहां पर सुजीत कौन है रे? बाहर निकाल!"

    सुजीत अपना नाम सुनते ही अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लेता है।

    वह घबराते हुए चादर ओढ़कर कोने में बैठता है —

    "हे भगवान! प्लीज़ बचा लो... प्लीज़ बचा लो!

    कौन है ये...? लगता है उसी ने भेजा है!"

    सुजीत को इस तरह घबराया देख उसका दोस्त अधीर पूछता है —

    "क्या हुआ सुजीत? तू इतना डरा हुआ क्यों है?

    और ये लोग कौन हैं, जो तुझे ढूंढ रहे हैं?"

    सुजीत डरते हुए बताता है —

    "दरअसल, मैं एक डेट पर गया था...

    वो लड़की मेरे साथ वो सब करना चाहती थी।

    और मैंने मना कर दिया।

    अब उसके आदमी मेरे पीछे पड़े हुए हैं!

    पहले सोशल मीडिया पर स्टॉक किया...

    अब हॉस्टल तक आ गए हैं!"

    "प्लीज़ मुझे बचा लो अधीर...

    प्लीज़! मुझे नहीं जाना..."

    यह सुनकर अधीर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है —

    "अरे! तू पागल है क्या?

    भाई, आजकल लोग उस चीज के लिए मरते हैं।

    लोगों को फिजिकल होने में मजा आता है...

    और तू है कि उन चीजों से भाग रहा है?"

    "नहीं! मैं भाग नहीं रहा।

    मेरे लिए इन सब चीजों के मायने बहुत अलग हैं।

    मैं ये चीज उसी के साथ करूंगा...

    जिसके साथ मुझे पूरी ज़िंदगी बितानी होगी!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर हंसते हुए कहता है —

    "अरे यार! क्या-क्या ख्याल हैं तेरे!

    आज के टाइम पर, वो भी इस 2025 में,

    तुझे लगता है कि वर्जिन लोग जिंदा होंगे?"

    "देख अधीर, मुझे नहीं पता कि और हैं या नहीं...

    पर मैं जिंदा हूं ना!

    अगर मैं रह सकता हूं, तो मेरे जैसे और भी होंगे।

    प्लीज़... अभी कुछ कर!

    मुझे इन गुंडों से बचा ले!"

    बाहर गुंडे तोड़फोड़ कर रहे थे, पर उन्हें सुजीत कहीं भी नहीं दिखता।

    तब तक हॉस्टल का वॉर्डन आकर रॉकी की तरफ देखता है —

    "रॉकी भाई! आप यहां?

    क्या हुआ... सब ठीक तो है?"

    "सुन टकले!"

    "मुझे सुजीत चाहिए, अभी के अभी!"

    वॉर्डन रॉकी की डरावनी आवाज़ सुनकर कांपते हुए कहता है —

    "ठीक है भाई...

    मैं आपको सुजीत के कमरे की तरफ लेकर चलता हूं,

    पर प्लीज़ अपने आदमियों से कहिए — यह तोड़फोड़ बंद कर दें!"

    यह सुनकर रॉकी मुस्कुराता है, अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है —

    "अरे, रुक जाओ रे!

    ये बताने के लिए तैयार है..."

    "अगर ये चीज तू पहले कर देता,

    तो मुझे इतना तोड़फोड़ नहीं करना पड़ता!"

    "ऐसे सारे लड़कों की दोस्ती में कितना दम होता है ना...

    कब से साले मार खा रहे हैं,

    पर किसी ने सुजीत का नाम तक नहीं बाका!"

    वॉर्डन कांपते हुए कहता है —

    "भाई, चलिए...

    मैं आपको सुजीत के कमरे तक लेकर चलता हूं।

    पर भगवान के लिए हमें बख़्श दीजिए!"

    यह सुनकर रॉकी अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालकर वॉर्डन के हाथ में रखते हुए कहता है —

    "ये ले! अपनी मरम्मत कर लेना।"

    वॉर्डन पैसे देखकर कुछ पल के लिए मुस्कुराता है।

    रॉकी के हाथ को चूमते हुए कहता है —

    "मालिक! आपको सुजीत के अलावा कोई और भी चाहिए तो बताइए...

    मैं अभी देता हूं!"

    यह सुनकर रॉकी जोर-जोर से हंसने लगता है —

    "चल साले!

    पैसा देखा नहीं कि लार टपकने लगी!"

    इधर सुजीत अपने कमरे में डरा हुआ जोर-जोर से रो रहा था।

    वह अधीर के पैरों में गिरते हुए कहता है —

    "प्लीज़... भगवान के लिए मुझे बचा लो!

    मुझे उन लोगों के साथ नहीं जाना!"

    "तू एक बात बता...

    तू ऐसे कैसे किसी से मिल सकता है?"

    "एक काम करते हैं...

    हम पुलिस को कंप्लेंट करते हैं!"

    "नहीं भाई!"

    "पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती!"

    "क्यों?"

    "अरे, तुझे पता नहीं है क्या?

    वो बहुत बड़ी गुंडी है... गुंडी!

    ये जो बाहर रॉकी आया है ना,

    ये यहां का मशहूर गुंडा है।

    इतना बड़ा कि इसके जेब में मिनिस्टर रहते हैं!"

    "तो सोच... अगर ये इतना ज्यादा पावरफुल है,

    तो वो कितनी ज्यादा पावरफुल होगी!"

    "भाई, प्लीज़!

    कुछ तो कर, कुछ सोच!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर कुछ पल के लिए रुकता है, और फिर सोचते हुए कहता है —

    "रुको... मैं ही कुछ करता हूं!"

    आखिर कैसे बचाएगा अधीर सुजीत को?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए...

    और एक बात —

    अगर आपको यह कहानी पसंद आती है, तो व्यू और रिव्यू के हिसाब से

    मैं इसके आगे के चैप्टर्स पोस्ट करूंगा।

    वह भागते में सीधा अपने हॉस्टल पहुँचता है। वह सुजीत की तरफ़ देखता है, पर सुजीत वहाँ पर नहीं था। तब तक वह अपना फ़ोन खोलता है, उसे पर टेक्स्ट आता है, सुजीत का टेक्स्ट: “भाई, मुझे नहीं पता तू ज़िंदा बचेगा या नहीं, पर मुझे मेरी ज़िंदगी बहुत अज़ीज़ है। वह लड़की को अगर पता चला कि मेरी जगह तू था और यह सब हुआ है, वह मुझे ज़िंदा मार देगी। उसके हाथों मरने से अच्छा है कि मैं कहाँ से कहीं दूर चला जाऊँ। मैं अपना फ़ोन बंद कर रहा हूँ। अपना ख़याल रखना।”

    यह देखकर के अधीर भी मुस्कुराता है और अपना बैग उठाकर के वहाँ से चला जाता है।

    इधर दूसरी तरफ़ सुबह होने को आई थी। सूरज की किरणें पूरे कमरे में फैल रही थीं। रूम क्लीनिंग वाले दरवाज़े को खटखटा रहे थे।

    इतना शोर-शराबा सुनकर के गुंजन की आँखें खुलती हैं। उसका सर भारी हो रहा था और वह अपने बगल में देखती है, तो वह इंसान नहीं था। यह देखते ही वह हैरानी से कहती है, "यह कहाँ गया?" वह तुरंत उठकर के अपने कपड़े को पहनते हुए अपना फ़ोन उठाती है, रॉकी को कॉल करते हुए कहती है, "वह बचकर भाग गया। मुझे वह लड़का चाहिए। तुम्हें पता है ना, हम उसे ज़िंदा नहीं छोड़ सकते।"

    तब तक पर दरवाज़े को आकर खोलती है, तो वहाँ पर पहले से रूम क्लीनिंग के स्टाफ़ खड़े हुए थे। उनको देख करके वह चिल्लाते हुए कहती है, "तुम सबको यहाँ पर आने के लिए किसने कहा? तुम्हें पता है ना, यह रूम मेरा है और मैं यहाँ पर किसी को आने की परमिशन नहीं देती।" उसमें से एक लड़की डरते हुए कहती है, "आई एम सॉरी, पर रात के टाइम अक्षर आए थे, उन्होंने आपके लिए कुछ ऑर्डर दिया और वह चले गए, और यह रहा वह ऑर्डर।" यह कहकर वह प्लेट आगे करती है। उसमें ब्रेकफ़ास्ट था और साथ में सर दर्द की कुछ दवाइयाँ थीं। गुंजन उन चीज़ों को उठाकर के कमरे में लेती है, दरवाज़े को ग़ुस्से में बंद कर देती है, पर टेबल के पास जैसे ही उसे प्लेट को रखना ही वाली थी कि उसका ध्यान नोट पर जाता है और उसे उठाकर के देखती है तो उसे पर लिखा था:

    "Hello my sweetheart,

    I know तुम हुकअप के बाद अपने लोगों को मार देती हो, पर मैं मरने के लिए पैदा नहीं हुआ हूँ। मुझे अभी बहुत काम करना है, तुमसे शादी और तुम्हारे साथ बच्चे भी। जब तक मैं वापस नहीं आता तब तक अपना ख़याल रखना।" इतना लिखने के बाद नीचे एक लिप किस था। उसे लड़के ने अपने होंठों का निशान लेटर पर छोड़ रखा था।

    गुंजन ग़ुस्से से चीख़ती हुई उसे नोट को दूर फेंक देती है और दाँत पीसते हुए सीधा वॉशरूम में चली जाती है। जैसे ही वॉशरूम में पहुँचती है, अपने नाइटवियर को हटती है, तो उसके बॉडी पर जगह-जगह निशान पड़े थे।

    उसके शरीर पर वह निशान कल रात की सारी चीज़ बयाँ कर रहे थे। वह शीशे में खुद को देखती हूँ, निशानों के ऊपर अपना हाथ फेरते हुए अपनी आँखें बंद कर लेती है और रात के हुए चीज़ों को याद करने लगती है। उसने ऐसा अनुभव अपनी लाइफ़ में पहली बार किया था और शीशे में देखते हुए कहती है, "कुछ तो बात थी उसे लड़के में, कुछ तो दम था।" यह कहकर वह गहरी साँस लेती है, अपने बालों को सर में जुड़ा बनाते हुए हॉट शावर के नीचे खड़ी हो जाती है।

    अभी भी उसके दिमाग़ में वही लड़का चल रहा था। कल रात की सारी पोजीशंस और सारी वाइल्डनेस उसे याद आ रही थी। यह सोचते ही वह अपने होंठों से अपने उँगलियों को गिला करती है और उसे कब्र के नीचे ले जाकर के अपनी आँखें बंद करके कल रात के चीज़ों को याद करने लगती है और देखते ही देखते तेज की चीख़ के साथ शांति से बगल में बैठ जाती है।

    वह अपना बाथरोब उठाती है, उसे पहनते हुए बाहर आती है। सामने रखें अपने ऑफ़िस के लिए कपड़ों को पहनती है और वहाँ से बाहर जाने लगती है। उसका ध्यान उसे नोट पर पड़ता है, जिसे उसने थोड़ी देर पहले फेंक दिया था। वह उसे उठाकर के अपने जेब में रखती है और वहाँ से चली जाती है। रास्ते में वह रॉकी को कॉल करते हुए कहती है, "तुम्हें मिला वह लड़का?" "नहीं। वह लड़का नहीं मिल रहा है। हमने चारों तरफ़ तलाशी ले ली, पर वह क्या, उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है।" यह सुनकर के गुंजन अपने फ़ोन को कट करके कर के दूसरे वाले सीट पर फेंक देती है। कर को एक साइड रोकते हुए वह गहरी साँस लेती है और फिर कर को स्टार्ट करके सीधा ऑफ़िस की तरफ़ चली जाती है। ऑफ़िस में पहुँच करके देखती है कि आज…

  • 6. Chapter 6( gunjan ka raudr roop)

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह

    ---

    चारों तरफ एक अजीब सन्नाटा छाया हुआ था... हर कोई उसे डर भरी निगाहों से देख रहा था।

    गुंजन को कुछ समझ नहीं आ रहा था — यह क्या हो रहा है...? वह गहरी सांस लेती है, और लोगों को इग्नोर करते हुए सीधा केबिन की तरफ चली जाती है। जैसे ही वह केबिन खोलती है — वहां... एक इंसान बैठा हुआ था!

    उसे देखते ही गुंजन, शैतानी मुस्कान के साथ आगे बढ़ती है।

    "तो मिस्टर मल्होत्रा... मुझे यकीन था आप ज़रूर आएंगे। बताइए, आपकी क्या 'खातेदारी' कर सकते हैं?"

    "मिस गुंजन," मल्होत्रा थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले, "आपसे कितनी बार कहा है... हमारे साथ हाथ मिला लीजिए। दोनों की कंपनियां खूब चलेंगी। आपके कहने पर मैंने मिस्टर चेरी को बुलाया है... थोड़ी देर में वह आते होंगे। अमेरिका की बहुत बड़ी कंपनी है। अगर आप उनके साथ हाथ मिला लेती हैं, तो इस कंपनी के अच्छे पैसे मिलेंगे। और... जितना भी मिलता है, उसका इन्वेस्ट करके हम एक नई कंपनी शुरू करेंगे।"

    यह सुनकर गुंजन, एक मुस्कान के साथ मल्होत्रा जी के पास आती है, और सधे हुए शब्दों में कहती है —

    "मल्होत्रा जी... इतना आसान भी नहीं है 'गुंजन मल्होत्रा' को खरीदना। आप तो हमारे चाचा जी हैं न...? फिर भी आपको नहीं पता — कि बेटी अब वो वाली बेटी नहीं रही, जिस पर आप ज़ुल्म किया करते थे!"

    अवैध मल्होत्रा भी एक पल के लिए गुंजन के इस बरताव से घबरा जाते हैं। वह धीरे-धीरे खुद को पीछे करते हुए कहते हैं —

    "बेटा... दूर से बात करें।"

    यह सुनकर गुंजन मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है।

    "क्या हुआ, चाचा जी...? डर गए क्या...? अभी तो आप इस कंपनी को बेचने वाले थे। कितनी बार बोलूं बुद्धू — ये कंपनी नहीं बिकेगी! अगर दोबारा इस कंपनी में दिखे न... तो टांगे तोड़कर हाथ में दे दूंगी! और बिना टांगों के यहां से बाहर जाएगा।"

    गुंजन का यह रौद्र रूप देखकर अवैध भी एक पल के लिए डर जाता है। वह धीरे से साइड होते हुए, सोफे से उठता है... और केबिन से बाहर निकलते हुए कहता है —

    "अच्छा... ठीक है... आई एम सॉरी... मैं चलता हूं।"

    यह कहकर वह कंपनी से सीधा बाहर चला जाता है।

    ऑफिस से बाहर जाते वक़्त, लोग उसे देख रहे थे... हर कोई उसकी तरफ देखकर शैतानी मुस्कान के साथ हँस रहा था। यह देख कर अवैध, गुस्से में बड़बड़ाता है —

    "इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, गुंजन! तुझे ऐसा बदला लूंगा... कि तूने सोचा भी नहीं होगा... कि मैंने क्या किया है!"

    ---

    इधर दूसरी तरफ...

    गुंजन अपने केबिन में बैठी हुई, एक स्ट्रेंजर के नोट को देख रही थी। उसे अभी भी लग रहा था — कि वो लड़का सिर्फ संयोग नहीं था... पर उसे अपनी आंखों पर, अपने पास उसके एहसास पर भरोसा नहीं हो रहा था।

    वह फोन निकालती है, और एक डिटेक्टिव को कॉल करते हुए कहती है —

    "मुझे इस लड़के की पूरी जानकारी चाहिए! उसके बदले तुम्हें जो चाहिए — मैं देने को तैयार हूं।"

    उसने इतना कहा ही था... कि उसका ध्यान, सामने की CCTV फुटेज की तरफ चला जाता है।

    जिसे देखते ही — उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं!

    वह फोन काटकर साइड रख देती है... और लिफ्ट एरिया के फुटेज को ज़ूम करके देखने लगती है...

    वहां — ऑफिस का एक कलीग और सौम्या, आपस में लगे पड़े थे। दोनों एक-दूसरे को पैशनेटली किस कर रहे थे...!!

    यह देखकर उसका शरीर पसीने से भीगने लगता है। कल रात की सारी बातें उसके जहन में ताज़ा हो जाती हैं। वह खुद को कंट्रोल करते हुए — अपना लैपटॉप बंद करती है, और गहरी-गहरी सांसें लेते हुए वहां से उठकर दूसरी ओर चली जाती है।

    दूर खड़ी वह शीशे में खुद को देखती है... और बुदबुदाती है —

    "ये हो क्या रहा है मुझे...? अचानक से... मैं उसके बारे में इतना क्यों सोच रही हूं...? हर बार की तरह, मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था... और ये तो मेरे लिए आम बात थी... फिर भी... मैं उसके एहसास में यूं क्यों खो रही हूं?"

    ---

    इधर दूसरी ओर...

    चाय की टपरी पर बैठा अधीर, गुंजन की तस्वीर देखते हुए कहता है —

    "अब बारी है अपने रिश्ते को... रिश्तेदारी में बदलने की। मुझे पता है — तुम इस बात को कभी नहीं मानोगी... पर इस बात को मनाने के लिए... मेरे पास इससे भी कई खतरनाक उपाय हैं।"

    वह धीमे से तस्वीर को चूमते हुए कहता है —

    "तुमसे मैं जल्दी मिलूंगा... स्वीटहार्ट!"

    ---

    इधर गुंजन के फोन पर एक मैसेज पॉप होता है।

    डिटेक्टिव का मैसेज आता है —

    > "मैं उस गांव गया हुआ हूं... कुछ वक्त में शहर लौटूंगा। तभी सही समय होगा उसे पकड़ने का। हमें कुछ वक्त के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा... वरना इस वक्त पुलिस इन्वॉल्व हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"

    गुंजन मैसेज पढ़कर अपना सिर कस कर टेबल पर पटकती है —

    "ऐसा नहीं हो सकता यार...!"

    वह गुस्से में अपना फोन उठाती है और रॉकी को तुरंत केबिन में बुलाती है।

    रॉकी अपने आदमियों के साथ केबिन में खड़ा था... हर किसी के चेहरे पर डर का पसीना साफ-साफ झलक रहा था।

    गुंजन गुस्से में सबकी तरफ देखती है और गरजती है —

    "कल रात किसको मैंने कमरे के बाहर नज़र रखने को कहा था...? बोलो!"

    रॉकी धीरे से कहता है —

    "मैंम... सब मुझे ही... हाथों..."

    "तुमने क्या किया...? तुम्हारी लापरवाही की वजह से वह लड़का चला गया!!"

    "मैंम... इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। ये दोनों चिरकुट वहां थे। मैंने साफ-साफ इंस्ट्रक्शन दिया था — कि गेट को छोड़कर कहीं नहीं हटना है। पता नहीं क्या हो गया... ये हट गए..."

    यह सुनते ही गुंजन उनकी तरफ घूर कर देखती है...

    और अपना गन निकाल कर — दोनों को गोली मार देती है!!

    धड़... धड़!!

    यह देखते ही वहां खड़े सारे आदमियों के होश उड़ जाते हैं! सब पत्थर जैसे जड़ हो जाते हैं...

    गुंजन बंदूक से उठते धुएं को फूंकते हुए कहती है —

    "अगर आगे से किसी ने ज़रा सा भी लापरवाही की न... इससे भी बड़ा अंजाम करूंगी! और ऐसा अंजाम करूंगी — जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी!!"

    "इसकी लाश को ठिकाने लगा दो... और मुझे मेरे केबिन में 10 मिनट में मिलो। एक बहुत ही ज़रूरी काम है!"

    ---

  • 7. chapter 7 tumhe gaw jana hai

    Words: 1123

    Estimated Reading Time: 7 min

    ⚠️ वार्निंग: यह स्टोरी टोटली 18+ लोगों के लिए है। इसमें काफी बोल्ड सीन हो सकते हैं। पर यह बोल्डनेस तभी आएगी जब आपका व्यूज मिलेगा। देखिए, सिंपल सा रूल है — हम आपको एंटरटेन करेंगे, उसके बदले हमें आपके व्यूज और प्यार चाहिए।

    सो प्लीज़, बे रेडी फॉर ए क्रेज़ियस्ट स्टोरी! इतनी क... की जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी।

    सो अगर आप चाहते हैं कि मैं इस कहानी के ज्यादा से ज्यादा बोल्ड चैप्टर्स आपको दूं, तो प्लीज़, व्यूज में इंक्रीमेंट लाओ यार!

    गुंजन मल्होत्रा, 24 साल की उम्र में इंडिया की टॉप 10 बिज़नेसवूमन में शामिल थी।

    उसका हर कदम मीडिया की सुर्खियों में होता... उसके फैसले शेयर मार्केट को हिला देते।

    लेकिन उसके दिल में एक सूनी वीरानी थी — ना कोई साथी, ना किसी साथी की ज़रूरत।

    उसकी ज़िंदगी में सेक्स था... सैकड़ों रातें थीं, जो उसने नाम-गुमनाम चेहरों के साथ बिताई थीं — लेकिन कोई नाम कभी सुबह तक नहीं टिका।

    "इमोशन्स वीकनेस होते हैं," वो अकसर अपने राइट हैंड को कहती।

    "कमजोर लोग मोहब्बत करते हैं... मैं बिज़नेस करती हूं।"

    पर एक बार इस बात को सोचिए तो सही...

    देखो, सबके साथ फिजिकल होना जरूरी तो नहीं है ना?

    सौम्या! मैं सबके साथ फिजिकल नहीं हो रही हूं... मैं तो बस ज़िंदगी को जीने की कोशिश कर रही हूं।

    अब इसमें किसी पर दिल आ गया तो मन नहीं करती...

    मुझे इस बारे में विचार करना चाहिए...?

    देखो सौम्या, तुमसे जितना कहा है उतना करो।

    मैं क्या करती हूं, क्या नहीं — यह तुम्हारा लेना-देना नहीं है।

    तुम्हें कहा है कि मुझे वो लड़का आज रात चाहिए... तो चाहिए!

    चाहे उसके लिए तुम्हें धरती और आसमान को एक क्यों न करना पड़े...

    उसे मारो, पीटो, कुछ भी करो — पर लेकर आओ!

    गुंजन की कड़क भरी आवाज़ सुनकर सौम्या एक पल के लिए सोच में पड़ जाती है।

    वह बाहर आती है, अपना फोन निकालते हुए कहती है —

    "रॉकी भाई! मैम का ऑर्डर है — उन्हें एक लड़का आज रात उनके बिस्तर में चाहिए।

    मैं लड़के की डिटेल्स आपको भेज रही हूं..."

    यह कहकर सौम्या फोन कट कर देती है।

    इधर रॉकी अपने फोन पर आए नोटिफिकेशन को देखता है...

    तो उसमें एक 27 साल के लड़के की पिक्चर होती है, और उसके बारे में कुछ जानकारी।

    उसे पढ़कर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है —

    "बस इतनी सी बात? उनका काम हो जाएगा!"

    यह कहकर वह अपनी गाड़ी निकालता है और सीधा IPS बॉयज़ हॉस्टल चला जाता है।

    हॉस्टल में पहुंचते ही वह चिल्ला कर कहता है —

    "अरे! यहां पर सुजीत कौन है रे? बाहर निकाल!"

    सुजीत अपना नाम सुनते ही अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लेता है।

    वह घबराते हुए चादर ओढ़कर कोने में बैठता है —

    "हे भगवान! प्लीज़ बचा लो... प्लीज़ बचा लो!

    कौन है ये...? लगता है उसी ने भेजा है!"

    सुजीत को इस तरह घबराया देख उसका दोस्त अधीर पूछता है —

    "क्या हुआ सुजीत? तू इतना डरा हुआ क्यों है?

    और ये लोग कौन हैं, जो तुझे ढूंढ रहे हैं?"

    सुजीत डरते हुए बताता है —

    "दरअसल, मैं एक डेट पर गया था...

    वो लड़की मेरे साथ वो सब करना चाहती थी।

    और मैंने मना कर दिया।

    अब उसके आदमी मेरे पीछे पड़े हुए हैं!

    पहले सोशल मीडिया पर स्टॉक किया...

    अब हॉस्टल तक आ गए हैं!"

    "प्लीज़ मुझे बचा लो अधीर...

    प्लीज़! मुझे नहीं जाना..."

    यह सुनकर अधीर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है —

    "अरे! तू पागल है क्या?

    भाई, आजकल लोग उस चीज के लिए मरते हैं।

    लोगों को फिजिकल होने में मजा आता है...

    और तू है कि उन चीजों से भाग रहा है?"

    "नहीं! मैं भाग नहीं रहा।

    मेरे लिए इन सब चीजों के मायने बहुत अलग हैं।

    मैं ये चीज उसी के साथ करूंगा...

    जिसके साथ मुझे पूरी ज़िंदगी बितानी होगी!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर हंसते हुए कहता है —

    "अरे यार! क्या-क्या ख्याल हैं तेरे!

    आज के टाइम पर, वो भी इस 2025 में,

    तुझे लगता है कि वर्जिन लोग जिंदा होंगे?"

    "देख अधीर, मुझे नहीं पता कि और हैं या नहीं...

    पर मैं जिंदा हूं ना!

    अगर मैं रह सकता हूं, तो मेरे जैसे और भी होंगे।

    प्लीज़... अभी कुछ कर!

    मुझे इन गुंडों से बचा ले!"

    बाहर गुंडे तोड़फोड़ कर रहे थे, पर उन्हें सुजीत कहीं भी नहीं दिखता।

    तब तक हॉस्टल का वॉर्डन आकर रॉकी की तरफ देखता है —

    "रॉकी भाई! आप यहां?

    क्या हुआ... सब ठीक तो है?"

    "सुन टकले!"

    "मुझे सुजीत चाहिए, अभी के अभी!"

    वॉर्डन रॉकी की डरावनी आवाज़ सुनकर कांपते हुए कहता है —

    "ठीक है भाई...

    मैं आपको सुजीत के कमरे की तरफ लेकर चलता हूं,

    पर प्लीज़ अपने आदमियों से कहिए — यह तोड़फोड़ बंद कर दें!"

    यह सुनकर रॉकी मुस्कुराता है, अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है —

    "अरे, रुक जाओ रे!

    ये बताने के लिए तैयार है..."

    "अगर ये चीज तू पहले कर देता,

    तो मुझे इतना तोड़फोड़ नहीं करना पड़ता!"

    "ऐसे सारे लड़कों की दोस्ती में कितना दम होता है ना...

    कब से साले मार खा रहे हैं,

    पर किसी ने सुजीत का नाम तक नहीं बाका!"

    वॉर्डन कांपते हुए कहता है —

    "भाई, चलिए...

    मैं आपको सुजीत के कमरे तक लेकर चलता हूं।

    पर भगवान के लिए हमें बख़्श दीजिए!"

    यह सुनकर रॉकी अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालकर वॉर्डन के हाथ में रखते हुए कहता है —

    "ये ले! अपनी मरम्मत कर लेना।"

    वॉर्डन पैसे देखकर कुछ पल के लिए मुस्कुराता है।

    रॉकी के हाथ को चूमते हुए कहता है —

    "मालिक! आपको सुजीत के अलावा कोई और भी चाहिए तो बताइए...

    मैं अभी देता हूं!"

    यह सुनकर रॉकी जोर-जोर से हंसने लगता है —

    "चल साले!

    पैसा देखा नहीं कि लार टपकने लगी!"

    इधर सुजीत अपने कमरे में डरा हुआ जोर-जोर से रो रहा था।

    वह अधीर के पैरों में गिरते हुए कहता है —

    "प्लीज़... भगवान के लिए मुझे बचा लो!

    मुझे उन लोगों के साथ नहीं जाना!"

    "तू एक बात बता...

    तू ऐसे कैसे किसी से मिल सकता है?"

    "एक काम करते हैं...

    हम पुलिस को कंप्लेंट करते हैं!"

    "नहीं भाई!"

    "पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती!"

    "क्यों?"

    "अरे, तुझे पता नहीं है क्या?

    वो बहुत बड़ी गुंडी है... गुंडी!

    ये जो बाहर रॉकी आया है ना,

    ये यहां का मशहूर गुंडा है।

    इतना बड़ा कि इसके जेब में मिनिस्टर रहते हैं!"

    "तो सोच... अगर ये इतना ज्यादा पावरफुल है,

    तो वो कितनी ज्यादा पावरफुल होगी!"

    "भाई, प्लीज़!

    कुछ तो कर, कुछ सोच!"

    सुजीत की बात सुनकर अधीर कुछ पल के लिए रुकता है, और फिर सोचते हुए कहता है —

    "रुको... मैं ही कुछ करता हूं!"

    आखिर कैसे बचाएगा अधीर सुजीत को?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए...

    और एक बात —

    अगर आपको यह कहानी पसंद आती है, तो व्यू और रिव्यू के हिसाब से

    मैं इसके आगे के चैप्टर्स पोस्ट करूंगा।

  • 8. chapter 8 dada ji ki vill

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    "शर्त? कैसी शर्त रॉकी?"

    "मैं कोई भी झूठ नहीं मानने वाला हूँ... नहीं मेमसाहब, आपको मुझे मारना पड़ेगा! वरना मैं उस गाँव नहीं जा रहा!"

    गुंजन एक गहरी साँस लेते हुए कहती है,

    "ठीक है... बोलो, क्या शर्त है?"

    "यही कि आपको अपने ग़ुस्से पर क़ाबू रखना होगा। जब तक मैं यहाँ नहीं रहूँगा, आपकी जान को खतरा हो सकता है। मुझे पता है कपूर आपके ऊपर हमला कर सकते हैं। तब तक के लिए आपको शांत रहना होगा... किसी से कोई फालतू पंगा नहीं लेना है। बताइए, आपसे हो पाएगा? तो मैं वहाँ जाने के लिए तैयार हूँ।"

    "क्या बातें कर रहे हो तुम? तुमने सोचा भी कि क्या बोल रहे हो? ग़ुस्सा और मुझसे कंट्रोल...? आज तक कभी हुआ है?"

    "सोच लीजिए... मेरे साथ फ़ैसला आपका है।"

    "अच्छा ठीक है... मैं नहीं करूँगी ग़ुस्सा। मैं सामने से पहले किसी पर हाथ नहीं उठाऊँगी। पर किसी ने अगर मुझ पर हाथ उठाया, तो मैं उसको छोड़ूँगी भी नहीं!"

    इतना सुनने के बाद रॉकी वहाँ से चला जाता है।

    तभी केबिन में एक वकील आता है। उसको देखकर गुंजन आँखें चढ़ाते हुए कहती है,

    "वकील साहब, आप यहाँ?"

    वकील गुंजन की बात सुनकर कहता है,

    "हाँ, दरअसल आपके दादाजी की वसीयत दिखाने आया था।"

    "उसमें देखना क्या है वकील साहब? मैंने सारी वसीयत पहले ही पढ़ रखी है। उन्होंने सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर रखी थी!"

    "नहीं मेमसाब, उन्होंने प्रॉपर्टी आपके नाम नहीं की है। वह प्रॉपर्टी किसी और के नाम है।"

    यह सुनते ही गुंजन की आँखों की नींद उड़ जाती है। वह ग़ुस्से में खड़ी होते हुए कहती है,

    "Are you kidding me? ऐसा कैसे हो सकता है? आप फिर से एक बार उनकी वसीयत को चेक करिए! मैं इस वसीयत को पूरी तरीक़े से पढ़ चुकी हूँ!"

    "मेम, इसलिए ही तो आपको बताने चला आया। दरअसल, आपके दादाजी ने आपके लिए एक शर्त रखी थी। अगर आप 2025 के अगस्त तक शादी नहीं करती हैं, तो ये प्रॉपर्टी चैरिटी को डोनेट हो जाएगी।"

    "अच्छा! ये क्या बकवास है? दो महीने बचे हैं मेरे पास? मुझे दो महीने में शादी करनी होगी?"

    "हाँ... और उनकी शर्तें भी हैं। शादी किसी ऐसे लड़के से करनी होगी जिसकी जॉइंट फैमिली हो... और आपको उस शादी में तीन साल तक रहना होगा। अगर आपने शादी में ज़रा सा भी गड़बड़ किया या फिर आपकी शादी टूटी, तो पूरी प्रॉपर्टी चैरिटी को मिल जाएगी।"

    "मेमसाब, आपको ये भी पता होना चाहिए... मल्होत्रा यानी आपके चाचा जी और उनके छोटे भाई नकुल इसके पीछे पड़े हुए हैं। वे एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं ताकि आप इस प्रॉपर्टी से दूर रहें।"

    यह सुनते ही गुंजन के हाथ-पैर जैसे सुन्न हो जाते हैं। वह कुर्सी पर झट से बैठ जाती है। अपने माथे को कसकर पकड़ते हुए कहती है,

    "दादाजी... ये सब करना ज़रूरी था? खुद तो मर गए, अब मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर गए! कहाँ से ढूँढूँगी ऐसा लड़का? ऊपर से शादी तो ठीक है, इतनी क्राइटेरिया कौन रखता है शादी के लिए? लड़का ढूँढना है या किताबों से राजकुमार निकालना है?"

    "वकील साहब, ऐसा करिए... आप वसीयत यहीं रख दीजिए। एक बार इसको अच्छे से पढ़कर फिर मैं आपको वापस भिजवा दूँगी।"

    वकील गुंजन की बात मानकर वसीयत वहीं रख देता है और वहाँ से चला जाता है।

    गुंजन ग़ुस्से में अपने टेबल पर पड़े सारे सामान को उठाकर इधर-उधर फेंकने लगती है। आसपास की चीज़ों को तोड़ने लगती है और चिल्ला रही होती है।

    उसे ग़ुस्से भरी आवाज़ में चिल्लाते हुए सुनकर स्टाफ डर जाते हैं। हर कोई विंडो से अंदर झाँक रहा होता है।

    सौम्या काँपते हुए धीरे से दरवाज़ा खोलती है और अंदर जाती है। वह गुंजन के पास पहुँचती है, जो तर-बतर हो चुकी होती है। उसे शांत करते हुए कहती है,

    "मेमसाब... शांत हो जाइए।"

    सौम्या की आवाज़ सुनकर गुंजन पलटती है और उसके गले को कसकर दबाकर आसमान में उठा देती है।

    यह देखकर सौम्या ज़ोर-ज़ोर से छटपटाने लगती है। तभी गुंजन को कुछ एहसास होता है और वह सौम्या को छोड़ देती है।

    सौम्या ज़मीन पर गिर जाती है और अपनी जान बचाते हुए वहाँ से भाग जाती है।

    गुंजन अब भी ग़ुस्से में सामान को इधर-उधर फेंक रही थी। हर कोई बाहर ये सोच रहा था कि अचानक उसे क्या हो गया है।

    एक ऑफिस एम्प्लॉयी कहता है,

    "लगता है पूरी तरह से पागल हो गई है! ऐसी भी... इतनी बड़ी साइको है!"

    "पागल होना तो तय था... हो ही गया होगा! दिमाग़ खराब!"

    यह सुनते ही सौम्या को ग़ुस्सा आ जाता है। वह खींचकर उस आदमी को थप्पड़ मारते हुए कहती है,

    "बेवकूफ इंसान! जिसके छत के नीचे खड़े हो, जिसके वजह से तुम्हारा घर चल रहा है, तुम उसी को ऐसा कह रहे हो?"

    **"और भी मजबूरी हो सकती है! शायद... तुम बोल रहे हो गुंजन मैडम ऐसी पहले नहीं थीं। उनके साथ अगर वो हादसा न हुआ होता, तो आज वो ऐसी नहीं होतीं।

    "तुम उनको समझने की बजाय उन पर उँगली उठा रहे हो?

    तुम मर्द जात के लोग होते ही ऐसे हो... लड़कियों को कभी खुद से आगे देख नहीं सकते!"**

    इतना कहते-कहते वह रुक जाती है... और चुपचाप वहाँ से चली जाती है।

    थोड़ी देर बाद गुंजन को कुछ एहसास होता है। वह अपनी कार की चाबी उठाती है और वहाँ से निकल जाती है।

    कार स्टार्ट करके वह सीधा बार के बाहर आकर रुकती है।

    बार में काफ़ी भीड़ थी। वह अंदर घुसती है। वहाँ कई लोग चक्का चाँद की तरह नशे में झूम रहे थे।

    वह भी एक कोने में जाकर बैठती है और वेटर से ढेर सारी शराब ऑर्डर करती है।

    और पल भर में देखते-देखते लुढ़कने लगती है।

    दूर बैठा अधीर यह सब देख रहा था। वह मुस्कुराते हुए कहता है,

    "माय स्वीटहार्ट... ये तुम ग़लत कर रही हो। तुम्हारी हेल्थ खराब हो जाएगी..."

    यह कहकर वह अपना नकाब उतारता है और उसे पहनते हुए उसकी तरफ़ जाने लगता है।

    ---

    आख़िर अब क्या करेगा अधीर?

    क्या सच में गुंजन करेगी किसी से शादी?

    और ऐसा क्या हुआ था गुंजन के साथ कुछ वक्त पहले, कि वह ऐसी बन गई थी?

    कौन सी बात पूरी करते-करते रह गई सौम्या?

    और क्या सच में रामनगर गाँव भूतिया था? क्या वहाँ पर श्रापित लोग रहते थे?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए ये कहानी... कहानी आगे चलकर और दिलचस्प और बोल्ड होने वाली है।

    अपना प्यार दिखाते रहिए... हम कहानी आप तक पहुँचाते रहेंगे।

    ख़्याल रखिए, खुश रहिए... मिलते हैं जल्दी आपसे।

    बाय बाय!

    ---

  • 9. Chapter 9 wild make out

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    अधीर अपने मास्क को पहन कर के सीधा गुंजन की तरफ जाता है

    वह उसके पास खड़ा होते हुए कहता है बस करो तुमने ज्यादा पी रखी है गुंजन धुंधली आंखों से उसकी तरफ देखते हुए कहती है तो तुम्हें क्या मैं कुछ भी पियो तुम कौन हो मैं वही हूं जिसका तुम्हें इंतजार था यह कहकर वह उसे गोद में उठा लेता है गुंजन उसको अपने हाथों से मार रही थी छोड़ो मुझे खा कर रहे हो कहां लेकर जा रहे हो पर वह गुंजन को लेकर के कमरे में चला जाता है वहां पर वह उसे बेड पर लेटते दरवाजे को बंद कर देता है

    तब तक गुंजन को उसके मास्क को देख करके कुछ एहसास होता है तुम यहां तुम वापस आकर मैं तुम्हें कितना ढूंढ रही थी तुम्हें पता है मैं कितनी टेंशन में हूं यह सुनते ही अधीर उसके हाथ से वाइन की गिलास टेबल पर रखता है और उसको आराम से बेड पर लेटे हुए कहता है पहले तुम अपनी आंखें बंद करो इस बारे में हम बाद में बात करेंगे

    नहीं उठ खड़ी होती है और अधिक को खींचकर के बेड पर लेट देती है और उसके ऊपर चढ़ते हुए कहती है आज डिफरेंट पोजिशन ट्राई करें आज मुझे और विले होना है यह कहकर वह अधीर को पैशनेटली किस करने लगती है अभी एक बार उसको खुद से दूर करता है पर वह अधीर के हाथों को कसकर पड़ती है और उसे अपनी कमर के पास लेट हुए कहती है डॉन'टी स्टॉप में अधीर एक शैतानी मुस्कान के साथ उसको किस करने लगता है और फिर उसकी पलट करके उसके कपड़ों को खोलने लगता है वह भी अधिक के कपड़ों को बारी-बारी से निकल रही थी तब तक वह पास में पड़े रस्सी को उठती है अधीर को बेड के किनारे किनारे बनते हुए उसको वहां पर लिटा देता है और एक शैतानी मुस्कान के साथ उसके शरीर से सारे कपड़े अलग कर देती है अधीर के शरीर पर अब एक भी कपड़ा नहीं था वह बेड पर बंधा हुआ था

    वह नशे में अधीर के पैरों से किस करना स्टार्ट करती है धीर-धीर अधीर के कमर से होते हुए उसके होठों तक पहुंच जाती है पास में पड़े फेदर को उठा करके वह अधीर के शरीर पर घूम रही थी जिसकी वजह से अधीर को गुदगुदी लग रही थी वह इधर-उधर छटपटाता पर कुछ नहीं कर पा रहा था पर इन सब में अधीर को भी मजा आ रहा था वह अपने कपड़ों को हटा करके अपने नाजुक हिस्सों को अधीर के मुंह पर रख देती है और उसके बालों को कसकर पढ़ते हुए उसके सर को इधर-उधर घूमने लगती

    लगती

    है

    धीरे-धीरे कमरे की लाइट भी डार्क ब्लू लाइट में हो चुकी थी अधीर भी पूरी तरीके से अपने आपे से बाहर था उसका शरीर पूरी तरीके से कठोर हो चुका था यह देखकर के गुंजन एक शैतानी मुस्कान के साथ मुस्कुराती है और धीरे-धीरे कबीर के कमर के पास आकर के अपने होठों का इस्तेमाल करने लगती है अभी को बहुत अच्छा लग रहा था वह गुड़गुड़ाहट के कारण अपने पैरों को इधर-उधर रगड़ झटकता पर गुंजन उसे और तड़पाती है उसको तड़पता देख गुंजन उसके होठों के पास जाकर उसके कानों की तरफ जाते हुए कहती है पनिश में डैडी

    अधिक अब अपना दूसरा हाथ गुस्से में खींचता है वह रस्सी टूट जाती है और गुंजन को कसकर अपने और करीब खींच लेता है और अपने हाथों को उसके कमर के नीचे ले जाकर के स्पेन कर रहा होता है और उसे हार्डली किस करने लगता है

    अब देखते देखते वह अपना दूसरा हाथ भी छुड़ा देता है और बोलने के साथ किस करते हुए वह गुंजन के दोनों पैरों को उठाकर के अपने कमर पर रख लेता है और उसके हाथों को अपने सर के तरफ करते हुए वह उसको अपनी गोद में लेकर उछलने लगता है और ऐसा करते हुए पूरे कमरे में टहल रहा था गुंजन भी अब पूरी तरीके से मत हो चुकी थी उसके चेहरे से वह प्यार साफ-साफ झलक रहा था और इधर अधीर वह भी उसे मोमेंट को पूरी तरीके से इंजॉय कर रहा था गुंजन पूरी तरीके से मौन कर रही थी

    उसके मौन करने की वजह से पूरे कमरे में एक अलग सा वातावरण छाया हुआ था मानव पूरा कमरा नशीला हो गया हो अधीर उसे बेड पर लेटे हुए उसके बालों को साइड करता है उसकी कमर को थोड़ा ऊपर उठाते हुए अपने हाथों को इस्तेमाल करता है जिससे गुंजन और तेजी से अपने मन को बढ़ा रही थी अधीर और गुंजन देखते-देखते एक दूसरे में खो जाते हैं

    और फिर लगातार डेढ़ घंटे तक उनका यह कार्यक्रम चलता है गुंजन थकहार करके अभी के ऊपर ही सो जाती है नशे में होने की वजह से वह कुछ ज्यादा ही परेशान हो गई थी तब तक कबीर का ध्यान गुंजन के शरीर पर जाता है उसे पर कई प्रकार के निशान पड़े हुए थे उन निशानों को देख करके अभी की आंखें भर आती है

    वह उन्हें धीरे से चलते हुए कहता है मुझे पता है तुम्हारे साथ बहुत कुछ हुआ है पर अब नहीं अब तुम्हारी बारी है खुश रहने की और तुम्हें वह सारी खुशी मैं दूंगा

    क्या कहकर वह उसे बगल लौट आता है और फिर पास में पड़े अपने कपड़े से एक गोली निकलता है उसे जूस में मिलाकर के अपने मुंह में लेते हुए गुंजन के होठों के जरिए उसके मुंह में डाल देता है और उसे ऐसा कर करके सारा दवाई वाला जूस पिला देता है और फिर एक नोट को उठाकर के उसे पर कुछ लिखते हुए कपड़ा पहन कर वहां से चला जाता है

    आखिर क्या अभी गुंजन को पहले से जानता था इन दोनों में पहले से कोई कनेक्शन था

    यह यह डेस्टिनी का कोई खेल था जो इन्हें बार-बार मिल रही थी

    और अब क्या करेगी गुंजन जब अगली सुबह उसे पता चलेगा जिसे वह रामनगर में ढूंढ रही है वह इस शहर में ही है क्या वह समझ पाएगी यह सुजीत नहीं कोई और है जानने के लिए पढ़ते रहिए