**कहानी:** कहा जाता है कि आग और पानी एक साथ नहीं रह सकते — एक का वजूद, दूसरे के अस्तित्व को मिटा देता है। लेकिन क्या होगा जब आग (आदित्य) को पानी (अधिया) से इश्क़ नहीं, बल्कि बदला लेना हो?" "आदित्य सिंह शेखावत — एक बेइंतहा अमी... **कहानी:** कहा जाता है कि आग और पानी एक साथ नहीं रह सकते — एक का वजूद, दूसरे के अस्तित्व को मिटा देता है। लेकिन क्या होगा जब आग (आदित्य) को पानी (अधिया) से इश्क़ नहीं, बल्कि बदला लेना हो?" "आदित्य सिंह शेखावत — एक बेइंतहा अमीर, क्रूर और पावरफुल बिज़नेस टायकून। अधिया — एक मासूम, भोली लड़की, जो एक अनाथालय में पली है और दिल किसी और को दे बैठी है।" "आदित्य ने अधिया से ज़बरदस्ती शादी की है… लेकिन ये कहानी प्यार की नहीं, जुनून और सज़ा की है।" "क्या अधिया आदित्य के इस जुनूनी क़ैद से बच पाएगी?" "या फिर ये जुनून उसकी तबाही बन जाएगा?" "पढ़िए — YOU ARE MY OBSESSION" एक ऐसी कहानी जो प्यार, नफ़रत और पागलपन की सारी हदें पार कर देगी।
अधिया बेहद हाय मासूम और चुल बुली लड़की
Heroine
आदित्य जो है हृदयहीन जिसे किसी के साथ जीने या मरने से कोई फर्क नहीं पड़ता
Hero
अधीर रवैया और घमंड
Side Hero
नैना
Villain
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✨ Chapter One – "पागलपन की शुरुआत"
You Are My Obsession
एक अंधेरे तहखाने की हवा में नमी थी, और सन्नाटा — जैसे किसी की चीख़ें वहाँ हमेशा के लिए कैद हो गई हों।
दीवारों पर एक ही लड़की के सैकड़ों स्केच — हर एक में अलग-अलग भाव। कभी मासूम मुस्कान, कभी खामोश आँसू, तो कभी चीख़ती हुई आँखें।
कैनवस के सामने एक पेंटर थरथर काँप रहा था। उसकी उंगलियाँ ब्रश पकड़ने से इनकार कर रही थीं, और आँखों में साफ़ लिखा था — “डर”।
उसके सामने खड़ा था वो शख़्स जिसकी परछाईं से शहर थर्राता था — आदित्य सिंह शेखावत।
काले सूट में, धुएं की लहरों के पीछे से झाँकती उसकी आँखें, बर्फ से भी ज़्यादा ठंडी और आग से भी ज़्यादा तेज़ थीं।
“आखिरी बार कह रहा हूँ… उसकी आँखें बना नहीं पाए, तो अगली बार तेरी उंगलियों से ब्रश नहीं, खून पोछूंगा।”
पेंटर की साँसे रुक गईं। काँपती आवाज़ में बोला, “माफ़ कर दीजिए सर… मैंने बस एक बार उसकी झलक देखी थी…”
आदित्य ने उसकी गर्दन को धीरे से पकड़ा और बर्फीले स्वर में फुसफुसाया, “मैंने उसे हर रात देखा है… अपनी साँसों में, अपने ख़्वाबों में, अपनी तन्हाई में। उसकी हँसी, उसकी चीख़, उसके आँसू — सब मेरे साथ रहते हैं।”
"उसका नाम है... आध्या।"
उन दीवारों पर लगे हर स्केच में वही चेहरा था। वही आँखें… जो अब आदित्य की ज़िन्दगी का जुनून बन चुकी थीं।
उधर शहर के एक अनाथालय में, हलचल मची हुई थी। एक महिला घबराई बैठी थी, माथे पर चिंता की लकीरें थीं।
“अब तक तुम लोग उसे ढूंढ नहीं पाए?” उसने क्रोध से पूछा।
“वो लड़की बहुत ज़रूरी है… अगर वो उस शख़्स के हाथ लग गई तो… कुछ भी हो सकता है।”
लड़की का नाम था — आध्या।
मासूम, शांत, और अब उस दुनिया से कोसों दूर… जहाँ उसका नाम तक कोई नहीं लेता।
आदित्य सिंह शेखावत का विला — बाहर से जितना आलीशान, अंदर से उतना ही डरावना।
सिल्क के पर्दों के पीछे कैद थी एक मासूम ज़िन्दगी।
आध्या फर्श पर बेसुध पड़ी थी। आँखें खुलीं तो खुद को एक अजनबी और अंधेरे कमरे में पाया। उसकी साँसें तेज़ थीं, और दिल की धड़कनों ने जैसे हर दीवार से टकरा कर खुद को बचाने की कोशिश की।
उसके पैरों में कोई ज़ख्म नहीं था, लेकिन तकलीफ़ थी — ऐसी जो शरीर से नहीं, आत्मा से रिसती है।
दरवाज़ा खुला।
आदित्य अंदर आया, हाथ में शराब की बोतल थी। उसकी चाल में नशा नहीं, एक अजीब-सी ठंडक थी।
उसने बिना कुछ बोले आध्या को देखा…
और फिर जैसे उस चेहरे में एक और चेहरा उभर आया — नायना।
वही आँखें, वही मासूम चेहरा…
पर नायना तो मर चुकी थी।
और वो मौत… आदित्य के सीने में एक ज़िन्दा ज़ख्म बन चुकी थी।
(Flashback)
बारिश की रात थी।
आदित्य सड़क पर भागता हुआ आया…
नायना खून से लथपथ पड़ी थी, आँखें अधखुली थीं।
“नायना!!!” आदित्य चीखा था।
और दूर खड़ी थी — आध्या।
भीगी हुई, डरी हुई… लेकिन उसकी आँखों में कुछ था…
ऐसा जैसे उसने सब कुछ देखा हो, लेकिन कुछ भी कहा ना हो।
“कौन हो तुम? मुझे यहाँ क्यों लाए हो?” आध्या की आवाज़ काँप रही थी।
आदित्य पास आया, उसकी आँखों में झाँका — “तुम्हारी आँखों में वही डर है… जो उसकी आँखों में था। मगर तुम उससे अलग नहीं हो।”
“किसकी बात कर रहे हो?” उसने पूछा।
आदित्य ने एक लंबा घूंट लिया, फिर धीमे से बोला —
“नायना… तुम्हारी जुड़वां बहन… जो अब इस दुनिया में नहीं है।”
आध्या ने सांस रोक ली।
वो नाम… जो उसने किसी को कभी नहीं बताया था।
एक ऐसी हकीकत, जिसे उसने दिल के किसी कोने में दफना रखा था।
आदित्य की आवाज़ और गहरी हो गई —
“तुम मेरी हो… और रहोगी।
चाहो या ना चाहो, मैं तुम्हें खो नहीं सकता।
फिर चाहे ये प्यार हो… या पागलपन।”
आध्या डर के मारे पीछे सरकने लगी…
लेकिन कमरा बंद था… दरवाज़ा बंद था…
और उसकी किस्मत — शायद उससे भी ज़्यादा बंद।
---
✨
अगली सुबह का सूरज बाहर निकला तो ज़रूर था, मगर विला के भीतर कोई रौशनी नहीं थी।
खिड़कियों पर भारी परदे थे, जैसे रोशनी से भी डर हो। और उस अंधेरे के बीच — आध्या, जो अब तक अपने हालात को समझ ही नहीं पाई थी।
वो खिड़की की तरफ़ गई, बाहर देखना चाहा, पर लोहे की ग्रिल ने उसके इरादे को कुचल दिया।
दूर कोई दरवाज़ा खुला… धीमे क़दमों की आहट आई।
और वो फिर आया… वही — आदित्य सिंह शेखावत।
आज उसके हाथ में शराब नहीं थी, सिर्फ़ एक कप कॉफ़ी… और चेहरे पर एक अजीब मुस्कान।
"तुमने तो बहुत जल्दी होश संभाल लिया," वो बोला।
आध्या चुप। बस उसकी आँखें पूछ रही थीं — मैं यहाँ क्यों हूँ?
“तुम्हारी चुप्पी अच्छी लगती है,” आदित्य मुस्कराया, “वैसी ही जैसी नायना की होती थी जब वो मुझसे लड़ती थी…”
आध्या की आँखें भर आईं।
"नायना मेरी बहन थी… मैं तुमसे कुछ नहीं जानती… मुझे यहाँ से जाने दो," उसने हिम्मत करके कहा।
आदित्य पास आया, उसके बालों को हल्के से पीछे किया और ठंडी आवाज़ में बोला,
“बहन? तुम्हारी जुड़वां?
मगर उसके मरने के बाद तुम गायब क्यों हुई थीं, आध्या?
तुम जानती थी… मैंने सब देखा था उस रात…”
"नहीं!" आध्या चीख़ पड़ी, “मैंने कुछ नहीं किया… मैं डर गई थी… मैं—”
“डरने वाले अक्सर झूठ बोलते हैं,” आदित्य ने कहा और अचानक उसके बहुत पास आ गया।
"मगर मैं झूठ सहन नहीं करता… और तुम मेरे साथ झूठ बोलकर बच नहीं सकतीं।"
वो दूर जाने लगी, पर आदित्य ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“छोड़ो मुझे!” आध्या ने जोर से कहा।
आदित्य ने उसका चेहरा अपनी तरफ मोड़ा और धीरे से बोला,
“मैं तुम्हें कभी छोड़ने वाला नहीं… तुम नायना नहीं हो, मगर वही चेहरा लेकर मेरे सामने हो…
अब तुम्हें भुगतना होगा, उसका हर दर्द… हर चीख़… हर अधूरा लम्हा।”
वो काँप गई। उसकी आँखों में आँसू थे, और दिल में तूफ़ान।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
“सर,” रोहित आया, “मीडिया वालों को शक हो रहा है, आध्या के लापता होने पर पुलिस पूछताछ कर सकती है।”
आदित्य ने अपनी आँखें बंद कीं, जैसे किसी गहरी सोच में डूब गया हो।
फिर अचानक बोला, “उन्हें जवाब मिलेगा… वो मेरी बीवी बनने जा रही है।”
“क्या?” आध्या चौंक गई।
“हाँ… शादी। धूमधाम से। मीडिया के सामने… दुनिया के सामने।
ताकि तुम मेरी बनो… हमेशा के लिए।
और कोई ये सवाल ना करे कि तुम कहाँ हो… क्यूँ हो… और किस हाल में हो।”
“तुम पागल हो…” आध्या ने काँपते हुए कहा।
आदित्य मुस्कराया।
“मैं जुनूनी हूँ… और तुम मेरी जुनून हो…”
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✨ "कैद की शुरुआत"
अगली सुबह का सूरज बाहर निकला तो ज़रूर था, मगर विला के भीतर कोई रौशनी नहीं थी।
खिड़कियों पर भारी परदे थे, जैसे रोशनी से भी डर हो। और उस अंधेरे के बीच — आध्या, जो अब तक अपने हालात को समझ ही नहीं पाई थी।
वो खिड़की की तरफ़ गई, बाहर देखना चाहा, पर लोहे की ग्रिल ने उसके इरादे को कुचल दिया।
दूर कोई दरवाज़ा खुला… धीमे क़दमों की आहट आई।
और वो फिर आया… वही — आदित्य सिंह शेखावत।
आज उसके हाथ में शराब नहीं थी, सिर्फ़ एक कप कॉफ़ी… और चेहरे पर एक अजीब मुस्कान।
"तुमने तो बहुत जल्दी होश संभाल लिया," वो बोला।
आध्या चुप। बस उसकी आँखें पूछ रही थीं — मैं यहाँ क्यों हूँ?
“तुम्हारी चुप्पी अच्छी लगती है,” आदित्य मुस्कराया, “वैसी ही जैसी नायना की होती थी जब वो मुझसे लड़ती थी…”
आध्या की आँखें भर आईं।
"नायना मेरी बहन थी… मैं तुमसे कुछ नहीं जानती… मुझे यहाँ से जाने दो," उसने हिम्मत करके कहा।
आदित्य पास आया, उसके बालों को हल्के से पीछे किया और ठंडी आवाज़ में बोला,
“बहन? तुम्हारी जुड़वां?
मगर उसके मरने के बाद तुम गायब क्यों हुई थीं, आध्या?
तुम जानती थी… मैंने सब देखा था उस रात…”
"नहीं!" आध्या चीख़ पड़ी, “मैंने कुछ नहीं किया… मैं डर गई थी… मैं—”
“डरने वाले अक्सर झूठ बोलते हैं,” आदित्य ने कहा और अचानक उसके बहुत पास आ गया।
"मगर मैं झूठ सहन नहीं करता… और तुम मेरे साथ झूठ बोलकर बच नहीं सकतीं।"
वो दूर जाने लगी, पर आदित्य ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“छोड़ो मुझे!” आध्या ने जोर से कहा।
आदित्य ने उसका चेहरा अपनी तरफ मोड़ा और धीरे से बोला,
“मैं तुम्हें कभी छोड़ने वाला नहीं… तुम नायना नहीं हो, मगर वही चेहरा लेकर मेरे सामने हो…
अब तुम्हें भुगतना होगा, उसका हर दर्द… हर चीख़… हर अधूरा लम्हा।”
वो काँप गई। उसकी आँखों में आँसू थे, और दिल में तूफ़ान।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
“सर,” रोहित आया, “मीडिया वालों को शक हो रहा है, आध्या के लापता होने पर पुलिस पूछताछ कर सकती है।”
आदित्य ने अपनी आँखें बंद कीं, जैसे किसी गहरी सोच में डूब गया हो।
फिर अचानक बोला, “उन्हें जवाब मिलेगा… वो मेरी बीवी बनने जा रही है।”
“क्या?” आध्या चौंक गई।
“हाँ… शादी। धूमधाम से। मीडिया के सामने… दुनिया के सामने।
ताकि तुम मेरी बनो… हमेशा के लिए।
और कोई ये सवाल ना करे कि तुम कहाँ हो… क्यूँ हो… और किस हाल में हो।”
“तुम पागल हो…” आध्या ने काँपते हुए कहा।
आदित्य मुस्कराया।
“मैं जुनूनी हूँ… और तुम मेरी जुनून हो…”
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Chapter 3 — “वो रिश्ता जो कैद बन गया”
तिन दिन बाद
महल जैसे सजे हुए उस भव्य विला में आज हर कोना गुलाबों और चांदनी से दमक रहा था। बाहर लंबी गाड़ियों की कतारें, सिक्योरिटी से भरे गेट्स, और अंदर रईसी का वो तमाशा, जो सिर्फ़ दिखावे के लिए था।
लेकिन इस चमक-धमक के पीछे एक कड़वा सच छुपा था — ये शादी, मोहब्बत नहीं, पागलपन की थी।
Aditya Singh Shekhawat ने बस तीन दिन पहले पूरे शहर के सामने ऐलान कर दिया था —
> “तीन दिन बाद मेरी शादी है। जिसे आना है आए… नहीं तो सदा के लिए चुप रहे।”
किसी ने सवाल करने की हिम्मत नहीं की थी।
बस एक को छोड़कर — उसकी खुद की फैमिली।
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आज शादी का दिन था।
Aadhya लाल जोड़े में, भारी ज़ेवरों से लदी, एक गुड़िया की तरह मंडप में बैठी थी। आँखें सूजी हुईं, चेहरा भावहीन। उसके सामने वही शख्स था जिसने उसकी ज़िंदगी को ही बदल डाला था — Aditya।
वो घुटनों तक काले शेरवानी में, आंखों में वही आग लिए खड़ा था। आज की शादी उसके लिए सिर्फ़ एक जीत थी — उस चेहरे को हमेशा के लिए अपने पास रखने की जीत।
पंडित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।
Aditya ने Aadhya की मांग में सिंदूर भरा। उसके हाथ में चूड़ियाँ पहनाईं। और फिर, चुपचाप सात फेरे हुए।
कोई प्रेम नहीं, कोई वादा नहीं — सिर्फ़ एक बंधन था, जो एक पागलपन की जंजीर बन गया।
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वहीं बाहर —
काले रंग की रॉयल कार विला के गेट पर रुकी।
दरवाज़ा खुला, और सबसे पहले उतरा एक लड़का — सफेद कुर्ता, चेहरे पर मुस्कान और आँखों में शरारत।
“भाई की शादी हो रही है और हमें बुलाया भी नहीं? क्या यही प्यार है?”
वो था — Adhir Singh Shekhawat — Aditya का छोटा भाई।
उसके पीछे आए —
Aditya की माँ: आँखों में चिंता और प्यार का समुंदर।
दादाजी: सफेद दाढ़ी, हाथ में छड़ी, लेकिन रुतबा किसी शेर से कम नहीं।
Aditya की बहन: शांत और समझदार लड़की, पर नज़रें नाराज़।
और आखिर में आया — Aditya का पिता, जिसका चेहरा कड़ा और ज़ुबान कड़वी थी।
“उसने अपनी शादी में हमें बुलाना ज़रूरी नहीं समझा,” पिता ने गुस्से से कहा।
दादाजी ने उन्हें चुप कराया — “वो मेरा पोता है, उससे बात मैं करूंगा।”
अंदर शादी खत्म हो चुकी थी।
Aadhya को सभी रस्मों के बाद आराम के लिए कमरे में भेज दिया गया। वो बस चुपचाप चलती रही। वो अब सिर्फ़ Aditya की बीवी नहीं, उसकी कैदी बन चुकी थी।
Aditya जब बाहर निकला, सामने उसका पूरा परिवार खड़ा था।
Adhir ने गले लगाते हुए कहा — “Congratulations bhai! बहुत बड़ा गेम खेला है।”
Aditya ने बस हल्की मुस्कान दी।
फिर नजरें उसके पिता से टकराईं।
“तुमने हमें बुलाना ज़रूरी नहीं समझा?” पिता गरजे।
Aditya ने सिगरेट जलाते हुए ठंडी आवाज़ में कहा —
“मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं थी… न तब, न अब।”
माँ ने उसका हाथ थामा — “बेटा, चाहे जो हो… शादी तो तुम्हारी ज़िंदगी का नया मोड़ है। हम तुम्हारे साथ हैं।”
दादाजी आगे आए —
“इतनी नफ़रत कब भर गई तेरे अंदर, अदी? कम से कम इस मौके पर तो अपने घमंड को छोड़ देता।”
Aditya ने उनकी तरफ देखा — वही आंखें, वही तेवर — लेकिन आवाज़ में थोड़ा सा सम्मान था।
“आपके लिए मैं कुछ भी छोड़ सकता हूँ, दादाजी। बाकी दुनिया मेरे लिए मायने नहीं रखती।”
दादाजी ने सिर हिलाया, लेकिन कुछ नहीं बोले। उनके अंदर एक गर्व भी था, और एक चिंता भी।
Adhir ने चारों ओर देखकर कहा —
“Waise Bhabhi kaha hain? Ek baar तो मिलवा दो। हम तो गिफ्ट लेकर भी आए हैं।”
Aditya ने बस इतना कहा —
“वो आराम कर रही है। किसी से नहीं मिलेगी।”
सब चुप हो गए। माहौल में कुछ तो था — कुछ अनकहा, कुछ रहस्यमयी।
शाम ढल रही थी।
Aditya अकेला अपने कमरे में बैठा, व्हिस्की का ग्लास घुमा रहा था।
शादी हो चुकी थी। अब Aadhya उसकी थी — कानूनी तौर पर, सामाजिक तौर पर, और सबसे ज़्यादा… उसके पागलपन के हिसाब से।
कमरे की भारी लकड़ी के दरवाज़े के पीछे एक खामोश तूफ़ान इंतज़ार कर रहा था।
Aadhya चुपचाप उस बड़े से कमरे में दाख़िल हुई। रेशमी पर्दे हिल रहे थे, हवा में गुलाब और चंदन की खुशबू तैर रही थी — लेकिन उसका दिल किसी जेल की सीलन में घुट रहा था।
वो कमरे के बीचों-बीच खड़ी रही, भारी लहंगे का पल्लू ज़मीन पर घसीटता हुआ चल रहा था। उसके हाथ कांप रहे थे, होंठ सूखे, और आँखें — बस शून्य में गुम।
Aditya अंदर आया। दरवाज़ा बंद करते हुए वो एक पल के लिए रुका और फिर धीमे कदमों से उसकी ओर बढ़ा।
"आज की रात, Mrs. Aadhya Aditya Singh Shekhawat..." उसने उसके पास आकर बुदबुदाया, "तेरे लिए नहीं, मेरे लिए है।"
Aadhya ने सिर झुका लिया, उसका शरीर जैसे बर्फ़ सा हो गया था।
"मुझे कुछ नहीं चाहिए तुमसे..." उसने थरथराती आवाज़ में कहा।
Aditya ने उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए कहा, "लेकिन मुझे चाहिए... वो डर, जो तेरी रगों में बह रहा है।"
वो पास की मेज से व्हिस्की की बोतल उठाकर एक गिलास में ढालता है। एक घूंट भरता है और फिर खामोश बैठ जाता है, सामने उसी की ओर देखता हुआ।
"तू जानती है, मैंने तुझे क्यों चुना?" उसकी आवाज़ में ठंडक थी, मगर नफरत से भरी।
Aadhya कुछ नहीं बोली।
"क्योंकि तू Naina की बहन है… उसकी जुड़वां… उसकी परछाईं…" वो हँसता है, मगर आँखों में आंसुओं की परत चमकती है।
"वो मुझसे दूर चली गई… और तू मेरे सामने बार-बार उसका चेहरा लेकर आती रही… अब भाग नहीं सकती। अब तू मेरी है — क़ानून से, समाज से… और सबसे ज्यादा… मेरे पागलपन से।"
Aadhya ने धीरे से कहा, "मैं Naina नहीं हूँ…"
Aditya पास आता है, उसका चेहरा अपनी हथेली में थामकर कहता है, "लेकिन मैं तुझे Naina की ही तरह तोड़ूँगा।"
वो अचानक पीछे हटता है। अपना गिलास ज़ोर से ज़मीन पर फेंकता है — काँच बिखर जाते हैं। Aadhya एक झटके से पीछे हटती है।
"तू सोचती है ये शादी तुझे इज़्ज़त देगी? तू मेरी trophy है… reminder है… कि Naina मुझसे कैसे छिनी गई।"
उसने चुपचाप उसकी तरफ देखा। Aadhya की आँखों से चुपचाप आँसू बहने लगे।
"मुझे अपने परिवार से दूर क्यों रखा?" उसने धीरे से पूछा।
Aditya ने उसकी आँखों में देखा और कहा,
"क्योंकि मेरी दुनिया अंधेरे से बनी है। वहाँ तू जैसी मासूम लड़कियों का कोई काम नहीं। और मेरी फैमिली? उन्हें नहीं दिखना चाहिए कि मैंने अपने जुनून की आग में एक लड़की को जलाकर बीवी बनाया है।"
"मैं कोई गुड़िया नहीं हूँ…" Aadhya ने पहली बार अपनी आवाज़ में थोड़ा हौसला दिखाया।
Aditya ने कुछ नहीं कहा। बस ठंडी मुस्कान दी और बोला, "ये तो वक्त बताएगा… कितनी मजबूत है तू।"
वो उसके और करीब आया। एक हाथ उसके चेहरे पर, दूसरा उसकी कमर पर रखता है, फिर अचानक रुक जाता है।
"डर मत… मैं तुझसे कुछ नहीं लूंगा… आज नहीं। क्योंकि आज की रात सिर्फ़ मेरी जीत की रात है।"
वो पलटता है, और कमरे के सोफे पर जा गिरता है।
Aadhya वहीं खड़ी रही, एक बेजान मूर्ति की तरह।
रात गहरी होती गई। चांद की रौशनी खिड़की से आती रही, और कमरे में दो परछाइयाँ सोती रहीं — एक पिंजरे में बंद परिंदा… और दूसरा, अपने ही ज़ख़्मों में लथपथ शिकारी।
Chapter 4
कमरे की भारी लकड़ी के दरवाज़े के पीछे एक खामोश तूफ़ान इंतज़ार कर रहा था।
Aadhya चुपचाप उस बड़े से कमरे में दाख़िल हुई। रेशमी पर्दे हिल रहे थे, हवा में गुलाब और चंदन की खुशबू तैर रही थी — लेकिन उसका दिल किसी जेल की सीलन में घुट रहा था।
वो कमरे के बीचों-बीच खड़ी रही, भारी लहंगे का पल्लू ज़मीन पर घसीटता हुआ चल रहा था। उसके हाथ कांप रहे थे, होंठ सूखे, और आँखें — बस शून्य में गुम।
Aditya अंदर आया। दरवाज़ा बंद करते हुए वो एक पल के लिए रुका और फिर धीमे कदमों से उसकी ओर बढ़ा।
"आज की रात, Mrs. Aadhya Aditya Singh Shekhawat..." उसने उसके पास आकर बुदबुदाया, "तेरे लिए नहीं, मेरे लिए है।"
Aadhya ने सिर झुका लिया, उसका शरीर जैसे बर्फ़ सा हो गया था।
"मुझे कुछ नहीं चाहिए तुमसे..." उसने थरथराती आवाज़ में कहा।
Aditya ने उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए कहा, "लेकिन मुझे चाहिए... वो डर, जो तेरी रगों में बह रहा है।"
वो पास की मेज से व्हिस्की की बोतल उठाकर एक गिलास में ढालता है। एक घूंट भरता है और फिर खामोश बैठ जाता है, सामने उसी की ओर देखता हुआ।
"तू जानती है, मैंने तुझे क्यों चुना?" उसकी आवाज़ में ठंडक थी, मगर नफरत से भरी।
Aadhya कुछ नहीं बोली।
"क्योंकि तू Naina की बहन है… उसकी जुड़वां… उसकी परछाईं…" वो हँसता है, मगर आँखों में आंसुओं की परत चमकती है।
"वो मुझसे दूर चली गई… और तू मेरे सामने बार-बार उसका चेहरा लेकर आती रही… अब भाग नहीं सकती। अब तू मेरी है — क़ानून से, समाज से… और सबसे ज्यादा… मेरे पागलपन से।"
Aadhya ने धीरे से कहा, "मैं Naina नहीं हूँ…"
Aditya पास आता है, उसका चेहरा अपनी हथेली में थामकर कहता है, "लेकिन मैं तुझे Naina की ही तरह तोड़ूँगा।"
वो अचानक पीछे हटता है। अपना गिलास ज़ोर से ज़मीन पर फेंकता है — काँच बिखर जाते हैं। Aadhya एक झटके से पीछे हटती है।
"तू सोचती है ये शादी तुझे इज़्ज़त देगी? तू मेरी trophy है… reminder है… कि Naina मुझसे कैसे छिनी गई।"
उसने चुपचाप उसकी तरफ देखा। Aadhya की आँखों से चुपचाप आँसू बहने लगे।
"मुझे अपने परिवार से दूर क्यों रखा?" उसने धीरे से पूछा।
Aditya ने उसकी आँखों में देखा और कहा,
"क्योंकि मेरी दुनिया अंधेरे से बनी है। वहाँ तू जैसी मासूम लड़कियों का कोई काम नहीं। और मेरी फैमिली? उन्हें नहीं दिखना चाहिए कि मैंने अपने जुनून की आग में एक लड़की को जलाकर बीवी बनाया है।"
"मैं कोई गुड़िया नहीं हूँ…" Aadhya ने पहली बार अपनी आवाज़ में थोड़ा हौसला दिखाया।
Aditya ने कुछ नहीं कहा। बस ठंडी मुस्कान दी और बोला, "ये तो वक्त बताएगा… कितनी मजबूत है तू।"
वो उसके और करीब आया। एक हाथ उसके चेहरे पर, दूसरा उसकी कमर पर रखता है, फिर अचानक रुक जाता है।
"डर मत… मैं तुझसे कुछ नहीं लूंगा… आज नहीं। क्योंकि आज की रात सिर्फ़ मेरी जीत की रात है।"
वो पलटता है, और कमरे के सोफे पर जा गिरता है।
Aadhya वहीं खड़ी रही, एक बेजान मूर्ति की तरह।
रात गहरी होती गई। चांद की रौशनी खिड़की से आती रही, और कमरे में दो परछाइयाँ सोती रहीं — एक पिंजरे में बंद परिंदा… और दूसरा, अपने ही ज़ख़्मों में लथपथ शिकारी।
Aadhya शादी के बाद पहली बार Aditya की अंधेरी दुनिया को करीब से देखेगी।
Aditya का office, उसका CEO बनकर काम करना, साथ ही उसका dark mafia empire सामने आएगा — जैसे illegal weapons supply, drugs syndicate, underground dealings।
Aditya, Aadhya को साफ शब्दों में कहेगा कि वो उसकी दुनिया के लिए नहीं बनी — “तुम जैसी लड़कियाँ मेरी फैमिली के क़रीब नहीं जानी चाहिए।”
साथ ही Aditya के छोटे भाई Adhir और Aadhya के बीच थोड़ी हल्की बातचीत होगी — जो Aditya को जलाने लगेगी।
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सुबह की रोशनी कमरे में धीरे-धीरे फैल रही थी, लेकिन Aadhya की ज़िंदगी में अब भी रात जैसी घुटन थी।
वो बिस्तर के कोने में चुपचाप बैठी थी। रात का सन्नाटा अब भी उसकी रगों में कांप रहा था। लाल चूड़ियाँ, माँग का सिंदूर, और गले में भारी हार — सब उसकी हकीकत के बोझ की तरह लग रहे थे।
दरवाज़ा खुला। Aditya अंदर आया।
ब्लैक शर्ट, स्लिक बाल, आंखों पर काला चश्मा — एकदम CEO जैसा रुतबा, लेकिन आंखों में वही क्रूर ठंडक।
"तैयार हो जाओ," उसने बिना देखे कहा।
Aadhya ने धीमे से पूछा, "कहाँ?"
Aditya ने सिगरेट जलाते हुए कहा, "मेरे साथ एक मीटिंग में चलोगी। आज तुम्हें मेरी असली दुनिया दिखाता हूँ… Mrs. Shekhawat."
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एक घंटे बाद
वो दोनों एक काले SUV में बैठे विला से निकले। Security के काफ़िले के साथ गाड़ी एक पुराने लेकिन रॉयल looking बिल्डिंग के सामने रुकी — ऊपर लिखा था:
> Shekhawat Industries Pvt. Ltd.
लेकिन ये नाम सिर्फ़ एक पर्दा था। इसके अंदर एक पूरी अंडरवर्ल्ड की सल्तनत चलती थी।
Aditya अपनी usual cold walk से अंदर गया, पीछे Aadhya धीरे-धीरे चलती रही।
रिसेप्शन, employees सब Aditya को देख चुप हो गए। कुछ ने डर से निगाहें झुका लीं।
Aditya Aadhya को अपने luxurious glass cabin में ले गया।
"Welcome to my office," उसने मुस्कराते हुए कहा, "जहाँ से मैं अपने दो चेहरे संभालता हूँ — एक दुनिया के लिए, और एक अंधेरे के लिए।"
Aadhya चारों ओर देखती रही — हाई-टेक स्क्रीन, CCTV, underground maps, black files और codes से भरे safes।
"यहाँ क्या होता है?" Aadhya ने पूछा।
Aditya उसके पास आया, कान के पास फुसफुसाया,
"Drugs… Arms… Power. मैं वो बेचता हूँ, जो दुनिया छुपाना चाहती है।"
Aadhya काँप गई।
"और अगर तुमने कभी सोचा कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा… तो सुन लो — तुम मेरे अंधेरे में हो, और यहाँ से कोई नहीं निकलता।"
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अचानक दरवाज़ा खुला।
एक आवाज़ गूंजती है —
"भाई! क्या बात है! ऑफिस में भी romance?"
Aadhya ने पलटकर देखा — सामने था Adhir।
सफेद टी-शर्ट, जीन्स, और चेहरे पर वही शरारती मुस्कान।
"Hi bhabhi!" उसने Aadhya की ओर हाथ बढ़ाया।
Aadhya ने हल्का मुस्कुरा कर हाथ मिलाया।
Adhir मज़ाक में बोला, "Bhai, इतनी प्यारी बीवी है और तुम इतने serious क्यों हो? कभी हँस भी लिया करो।"
Aditya ने उसकी ओर cold नज़र डाली, "Adhir, अपनी सीमा में रहो।"
Adhir ने होंठ सिकोड़ते हुए कहा, "Bas bhai, मजाक कर रहा हूँ। Don’t worry, bhabhi की इज़्ज़त करता हूँ मैं… दिल से!"
Aadhya को Adhir की ये थोड़ी मस्ती भरी बातों में सुकून मिला।
लेकिन Aditya को कुछ और महसूस हुआ — जलन।
वो Adhir से बोला, "तुम्हारा काम क्या है यहाँ?"
"आपका छोटा भाई हूँ। और जो आप कहें, वही करूँगा," Adhir ने मुस्कुराते हुए कहा।
Aditya ने गहरी सांस ली और Aadhya की तरफ़ मुड़ा —
"अब चलो… बहुत दिखा दिया तुम्हें।"
Aadhya उठी, लेकिन जाने से पहले Adhir की आँखों में एक हल्की चमक थी — जैसे वो समझ रहा हो कि भाई की बीवी एकदम खास है… और भाई उतना प्यार नहीं दे पा रहा, जितना देना चाहिए।
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गाड़ी में लौटते वक्त
Aditya ने Aadhya से कहा,
"याद रखो, तुम अब मेरी हो… लेकिन मेरी दुनिया से जितना दूर रहोगी, उतना ही बेहतर है।"
Aadhya ने पूछा, "तो फिर मुझे क्यों लाए थे आज वहाँ?"
Aditya ने आंखें सख़्त करके कहा,
"क्योंकि तुम्हें डराना ज़रूरी था… ताकि तुम कोई सपना मत देखो। ना आज़ादी का… ना मोहब्बत का…"
Aadhya अपने कमरे में अकेली बैठी थी, खिड़की से बाहर देखते हुए। शादी के बाद की हर सुबह, एक और कैद थी उसके लिए। लेकिन आज कुछ अलग था।
दरवाज़ा धीरे से खुला।
Aadhya चौंकी — सामने एक मध्यम उम्र की औरत खड़ी थी, आँखों में आंसू और चेहरे पर चिंता।
"बेटी..." आवाज़ में माँ जैसा अपनापन था।
Aadhya ने धीरे से पूछा, "आप कौन?"
"मैं... Aditya की माँ हूँ।" वो मुस्कराई, लेकिन उसमें दर्द था।
Aadhya ने घूंघट थोड़ा पीछे किया। आँखों में नमी थी।
"आप यहाँ कैसे आईं? Aditya ने तो..."
"मैं जानती हूँ… उसने हमें बुलाया नहीं। लेकिन बेटा चाहे जितना दूर हो जाए, माँ तो माँ होती है न। मुझे पता था, उसका गुस्सा है — लेकिन मैं अपनी बहू से बिना मिले नहीं रह सकती थी।"
Aadhya की आंखें भर आईं।
"आपका बेटा बहुत अलग है..." वो बस इतना कह सकी।
Aditya की माँ ने उसका हाथ थामा, "मुझे पता है, और ये भी जानती हूँ कि उसने ये शादी मोहब्बत से नहीं की। पर तुम बहुत बहादुर लड़की हो।"
Aadhya बस चुप रही। एक माँ की गर्माहट उसे तोड़ने लगी थी।
लेकिन तभी—
दरवाज़ा ज़ोर से खुला।
Aditya अंदर आया। आंखों में आग, आवाज़ में बर्फ।
"माँ, क्या कर रही हैं आप यहाँ?"
उनकी आंखों में डर नहीं था, बस अफसोस था।
"Aditya, ये तुम्हारी बीवी है। क्या उसे अकेला छोड़ देना ही हल है?"
Aditya ने Aadhya की ओर देखा — गुस्से से, जैसे वो उसकी कमजोरी बन गई हो।
"माँ, आपसे एक बार कहा था — मेरी ज़िंदगी में मत दखल दीजिए। और तुम..."
वो Aadhya के करीब आया, उसके कान में फुसफुसाया —
"तुम जैसी लड़कियाँ मेरी फैमिली के करीब नहीं जानी चाहिए।"
Aadhya सिहर उठी। उसका हाथ Aditya की पकड़ में कस गया।
"अब बाहर आइए माँ, और अगली बार मैं खुद आपको निकलवा दूंगा।"
Aditya की माँ पीछे हट गईं। जाते-जाते बस इतना कहा —
"तू खुद को कितना भी अंधेरे में डाल ले, Aditya... किसी दिन ये लड़की तुझे रोशनी दिखाएगी।"
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कुछ घंटे बाद
Adhir लॉन में बैठा कॉफी पी रहा था।
Aadhya वहाँ से गुजर रही थी, आँखें लाल थीं। Adhir ने देखा और मुस्कराया।
"Arre bhabhi! Itni sad क्यों हो? Bhai ने फिर से डराया क्या?"
Aadhya ने हल्की सी मुस्कान दी, "नहीं… बस थोड़ी थकी हूँ।"
Adhir ने एक कॉफी उसकी ओर बढ़ाई।
"Relax करो। वैसे भी इस हवेली में सब royal है, बस bhai का गुस्सा छोड़कर।"
Aadhya ने धीरे से पूछा, "तुम्हारे भाई इतने गुस्सैल क्यों हैं?"
Adhir ने सिर झुकाया, "बहुत कुछ देखा है उन्होंने... बहुत कुछ खोया है।"
Aadhya समझ गई — Aditya की सख्ती में कहीं गहरा जख्म छिपा है।
Adhir ने मुस्कराकर कहा, "Bhabhi, आप अच्छी हैं। आप जैसी किसी को भाई deserve नहीं करता… पर शायद उसे आपकी ज़रूरत है।"
Aditya बालकनी से ये सब देख रहा था — उसका खून खौल उठा।
रात को
Aditya ने Aadhya को कमरे में बुलाया।
वो अंदर गई, वो whiskey के साथ अकेला बैठा था।
"Adhir से बातें करना बंद करो।"
Aadhya ने चौंककर कहा, "क्यों? उसने तो बस..."
"मैंने कहा ना!" Aditya ने गुस्से में मेज़ पर गिलास पटका।
"तुम मेरी हो। और मेरी चीज़ों को कोई और देखे, मुझे बर्दाश्त नहीं।"
Aadhya की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
Aditya उसकी तरफ आया, हाथ से उसका चेहरा पकड़ा।
"मैं तुम्हें तोड़ूंगा, समझी? Mohabbat नहीं दूंगा… क्योंकि तुम वही चेहरा हो जिसने मेरी दुनिया को जलाया था।"
Aadhya ने धीरे से कहा, "शायद किसी दिन, तुम खुद जलने लगोगे... मेरी वजह से नहीं, अपने ही गुस्से की आग में।"
Aditya उसकी आंखों में देखता रहा, एक पल को कुछ फिसलता सा महसूस हुआ।
कुछ देर बाद
Aadhya ने कमरे की खिड़की से बाहर झाँका, हवाओं में आज कुछ अजीब था — बेचैनी सी, जैसे कोई तूफ़ान आने वाला हो। लेकिन जो तूफ़ान आया, वो बाहर नहीं, उसके ही विला के भीतर आने वाला था।
Aditya नीचे के हॉल में था, एकदम शांत… हाथ में ग्लास, आंखें किसी सोच में डूबी हुईं। तभी दरवाज़ा खुला।
एक सुर्ख लाल ड्रेस में कोई औरत अंदर दाखिल हुई — नखरे से चलती हुई, जैसे उसी घर की मालकिन हो।
“Aditya...” उसकी आवाज़ में नशा था, और आँखों में एक पुराना हक़।
Aditya की नज़र उस पर गई, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उसने एक लंबा सिप लिया और कहा, “Kiara... तुम्हें यहां किसने बुलाया?”
Kiara मुस्कराई, उसके पास आई, और धीमे से बोली, “तुमने नहीं... लेकिन तुम्हारा नाम ही काफी है मेरे लिए खिंच कर आने को।”
Aadhya सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तभी उसकी नज़र पड़ी — वो लड़की Aditya की बहुत करीब खड़ी थी। वो उसकी बाज़ू पर हाथ फेर रही थी, और Aditya... रोक भी नहीं रहा था।
Aadhya के कदम वहीं थम गए। दिल में एक अजीब सी टीस उठी, आंखों में नमी और सीने में एक भारीपन।
Kiara ने Aadhya को देखा और होंठों पर एक तंज भरी मुस्कान लाई, “Oh... तुम ही हो वो नई दुल्हन? Cute… लेकिन थोड़ा ज़्यादा naïve लगती हो।"
Aditya ने देखा कि Aadhya सुन रही है। फिर उसने Kiara की कमर पकड़कर उसे और करीब कर लिया — जानबूझ कर।
“Kiara, तुम्हें मेरी बीवी से मिलने का बहुत शौक था ना... लो, देख लो। अब खुश?”
Aadhya के गालों पर गुस्से और दर्द का रंग एकसाथ दौड़ गया।
“Aditya…” उसने धीमे से कहा, “ये सब क्या है?”
Aditya ने उसकी ओर देखा, आँखों में वही बर्फीली नफरत — “तुम्हें फर्क क्यों पड़ता है? शादी की है, दिल नहीं दिया मैंने। मेरे पास जो था, वो तो मर चुकी है।”
Kiara ने Aditya का हाथ थामते हुए कहा, “और अब तुम मेरे हो... फिर से।”
Aadhya का दिल चीख़ उठा, लेकिन वो चुप रही। बस अपनी जगह खड़ी-खड़ी देखती रही — अपने पत्थर होते पति को, और उस औरत को जो उसका हर हक़ छीन रही थी।
Aditya ने अचानक कहा, “Aadhya, ऊपर जाओ। अब ये तमाशा देखने की तुम्हें ज़रूरत नहीं।”
Aadhya ने आँखों में आँसू लिए कहा, “Tamasha तो आप ही बना रहे हैं... मेरी ज़िंदगी का।”
Aditya मुस्कराया — “Good. दर्द हो रहा है? तो याद रखना — यही तो चाहता हूँ मैं।”
Aadhya वापस अपने कमरे में चली गई, मगर Kiara और Aditya नीचे हॉल में ही रह गए।
Kiara ने पूछा, “तुम्हें ये सब करने में क्या मज़ा आता है, Adi?”
Aditya ने उसकी आँखों में देखा — “तोड़ने में। जैसे उसने मेरी Naina को मुझसे छीन लिया... अब मैं उसकी हर साँस पर हक़ जमाऊँगा, और फिर धीरे-धीरे उसे जीते-जी मारूंगा।”
Kiara थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली, “तुम पागल हो... और यही पागलपन मुझे तुम्हारे और करीब खींचता है।”
Aditya ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन उसकी आँखों में एक ही आग थी — बदले की।
कमरे में Aadhya अपने घुटनों में सिर दिए बैठी थी। दिल अंदर ही अंदर फट रहा था।
“क्यों, Aditya... क्यों?” वो फुसफुसाई, “तुम्हें क्या मिल रहा है मुझे जला कर? क्या इतना ही बड़ा जुर्म था मेरा... Naina की बहन होना?”
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Chapter 6— "उसकी बाहों में कोई और..."
Aadhya ने कमरे की खिड़की से बाहर झाँका, हवाओं में आज कुछ अजीब था — बेचैनी सी, जैसे कोई तूफ़ान आने वाला हो। लेकिन जो तूफ़ान आया, वो बाहर नहीं, उसके ही विला के भीतर आने वाला था।
Aditya नीचे के हॉल में था, एकदम शांत… हाथ में ग्लास, आंखें किसी सोच में डूबी हुईं। तभी दरवाज़ा खुला।
एक सुर्ख लाल ड्रेस में कोई औरत अंदर दाखिल हुई — नखरे से चलती हुई, जैसे उसी घर की मालकिन हो।
“Aditya...” उसकी आवाज़ में नशा था, और आँखों में एक पुराना हक़।
Aditya की नज़र उस पर गई, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उसने एक लंबा सिप लिया और कहा, “Kiara... तुम्हें यहां किसने बुलाया?”
Kiara मुस्कराई, उसके पास आई, और धीमे से बोली, “तुमने नहीं... लेकिन तुम्हारा नाम ही काफी है मेरे लिए खिंच कर आने को।”
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Aadhya सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तभी उसकी नज़र पड़ी — वो लड़की Aditya की बहुत करीब खड़ी थी। वो उसकी बाज़ू पर हाथ फेर रही थी, और Aditya... रोक भी नहीं रहा था।
Aadhya के कदम वहीं थम गए। दिल में एक अजीब सी टीस उठी, आंखों में नमी और सीने में एक भारीपन।
Kiara ने Aadhya को देखा और होंठों पर एक तंज भरी मुस्कान लाई, “Oh... तुम ही हो वो नई दुल्हन? Cute… लेकिन थोड़ा ज़्यादा naïve लगती हो।"
Aditya ने देखा कि Aadhya सुन रही है। फिर उसने Kiara की कमर पकड़कर उसे और करीब कर लिया — जानबूझ कर।
“Kiara, तुम्हें मेरी बीवी से मिलने का बहुत शौक था ना... लो, देख लो। अब खुश?”
Aadhya के गालों पर गुस्से और दर्द का रंग एकसाथ दौड़ गया।
“Aditya…” उसने धीमे से कहा, “ये सब क्या है?”
Aditya ने उसकी ओर देखा, आँखों में वही बर्फीली नफरत — “तुम्हें फर्क क्यों पड़ता है? शादी की है, दिल नहीं दिया मैंने। मेरे पास जो था, वो तो मर चुकी है।”
Kiara ने Aditya का हाथ थामते हुए कहा, “और अब तुम मेरे हो... फिर से।”
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Aadhya का दिल चीख़ उठा, लेकिन वो चुप रही। बस अपनी जगह खड़ी-खड़ी देखती रही — अपने पत्थर होते पति को, और उस औरत को जो उसका हर हक़ छीन रही थी।
Aditya ने अचानक कहा, “Aadhya, ऊपर जाओ। अब ये तमाशा देखने की तुम्हें ज़रूरत नहीं।”
Aadhya ने आँखों में आँसू लिए कहा, “Tamasha तो आप ही बना रहे हैं... मेरी ज़िंदगी का।”
Aditya मुस्कराया — “Good. दर्द हो रहा है? तो याद रखना — यही तो चाहता हूँ मैं।”
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Aadhya वापस अपने कमरे में चली गई, मगर Kiara और Aditya नीचे हॉल में ही रह गए।
Kiara ने पूछा, “तुम्हें ये सब करने में क्या मज़ा आता है, Adi?”
Aditya ने उसकी आँखों में देखा — “तोड़ने में। जैसे उसने मेरी Naina को मुझसे छीन लिया... अब मैं उसकी हर साँस पर हक़ जमाऊँगा, और फिर धीरे-धीरे उसे जीते-जी मारूंगा।”
Kiara थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली, “तुम पागल हो... और यही पागलपन मुझे तुम्हारे और करीब खींचता है।”
Aditya ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन उसकी आँखों में एक ही आग थी — बदले की।
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कमरे में Aadhya अपने घुटनों में सिर दिए बैठी थी। दिल अंदर ही अंदर फट रहा था।
“क्यों, Aditya... क्यों?” वो फुसफुसाई, “तुम्हें क्या मिल रहा है मुझे जला कर? क्या इतना ही बड़ा जुर्म था मेरा... Naina की बहन होना?”
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“तू क्या समझेगी उस पागलपन को…”
सुबह की पहली किरणें विला की खिड़कियों से अंदर झाँक रही थीं। लेकिन इस घर के भीतर कोई रोशनी नहीं थी — न चेहरे पर, न रिश्तों में।
Kiara अब भी विला में मौजूद थी — एक सफेद साटन नाइट ड्रेस में, जैसे यह घर उसका हो। विला के किचन में वह कॉफी बना रही थी, मानो किसी हनीमून सूट में हो।
Aditya सोकर उठा, चेहरे पर वही थकी हुई पर बेरहम नज़रें। उसने बाहर कदम रखा और सामने Kiara को देखा।
“अब तक यहीं हो?” Aditya ने खींचे हुए स्वर में कहा।
Kiara मुड़ी, हँसी के साथ बोली — “माहौल इतना रोमांचक है, जाऊँ भी तो क्यों?”
Aditya ने पास आकर उसकी तरफ देखा, “तुम यहाँ क्यों आई हो, Kiara? सच?”
Kiara ने मुस्कान छोड़, अब गंभीर होकर कहा —
“क्योंकि मुझे लगता है तुम अब भी मेरे हो। और तुम्हारी वो बीवी... उसके लिए तो तुम बस सज़ा हो। लेकिन मेरे लिए तुम आज भी जुनून हो।”
Aditya ने जवाब नहीं दिया। बस अपनी कॉफी का मग लिया और हॉल में बैठ गया।
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ऊपर कमरे में —
Aadhya अब भी रात की उसी स्थिति में बैठी थी। आँखें लाल, बाल बिखरे हुए, होंठ सूखे।
उसे नहीं पता था कौन ज़्यादा तकलीफ़देह है — Aditya की नफ़रत, या Kiara की मौजूदगी।
उसे याद आया — Aditya की वो बेरहम आवाज़:
> “तुम्हें फर्क क्यों पड़ता है? शादी की है, दिल नहीं दिया मैंने।”
Aadhya ने खुद से कहा —
“मुझे इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए… लेकिन क्यों हर बार ये शब्द मेरी रूह तक काट जाते हैं?”
वो खड़ी हुई, चेहरा धोया, खुद को मजबूत किया। और सीढ़ियाँ उतरने लगी।
---
हॉल में Aditya और Kiara अब साथ बैठे थे।
Kiara ने Aadhya को आते देखा और तंज कसते हुए बोली —
“Look who’s up. Mrs. Shekhawat... Good morning!”
Aadhya ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने Aditya की तरफ देखा, जो बिल्कुल भावहीन था।
Aditya ने एक सिगरेट जलाते हुए कहा —
“तुम्हें ऊपर आराम करने के लिए कहा था।”
Aadhya ने ठंडे स्वर में जवाब दिया —
“आराम? जिस घर में प्यार की जगह नफ़रत हो, वहाँ नींद किसे आती है?”
Kiara हँसी —
“Attitude तो है इस लड़की में… Cute.”
Aadhya अब Aditya के पास आई —
“तुम्हें जो भी सज़ा देनी है, दो… लेकिन इस औरत को यहाँ से निकालो। ये घर मेरा है, तुम्हारी बीवी के नाते — और मुझे खुद को हर रोज़ गिरते हुए नहीं देखना।”
Aditya ने Kiara की तरफ देखा, फिर Aadhya की।
“तुम्हें मेरा अतीत काटता है? या तुम्हें अब मुझसे उम्मीदें होने लगी हैं?”
Aadhya ने आँसू दबाते हुए कहा —
“न उम्मीद है, न अधिकार। बस थोड़ा सा सम्मान चाहिए।”
Aditya खड़ा हुआ, Kiara की ओर मुड़ा —
“जाओ Kiara, बहुत हो गया तमाशा।”
Kiara कुछ देर चुप रही, फिर तिरस्कार से बोली —
“ठीक है, जा रही हूँ। लेकिन याद रखना Aditya… इस लड़की से दूर भागते हुए तुम आखिर लौटोगे तो मेरे पास ही।”
Kiara ने अपना पर्स उठाया और बाहर निकल गई।
Aadhya ने राहत की सांस ली, लेकिन Aditya की आँखों में अब भी आग थी।
---
Aditya एकदम उसके पास आया, उसे दीवार से टिकाते हुए बोला —
“तुम्हें लगा तुमने कोई जंग जीत ली? Kiara गई, तो अब सब ठीक हो गया?”
Aadhya ने आँखें बंद कीं, “नहीं, मैं जानती हूँ… तुम्हारे दिल में मेरे लिए सिर्फ़ ज़हर है।”
Aditya ने उसकी ठोड़ी थामकर कहा —
“नफ़रत तो है... लेकिन पता नहीं क्यों, जब तुम रोती हो, तो मुझे तकलीफ़ होती है। और इसी तकलीफ़ में मुझे सुकून भी मिलता है।”
Aadhya ने कहा, “ये प्यार नहीं, ये सज़ा है।”
Aditya मुस्कराया —
“Exactly… और ये सज़ा मैं पूरी ज़िंदगी दूँगा तुम्हें।”
---
इसी समय, नीचे से आवाज़ आई —
“भाई!”
Adhir विला में घुस आया, हमेशा की तरह बेपरवाह अंदाज़ में।
“बाप रे, घर में इतना tension? लग रहा है किसी की शादी नहीं, तलाक हो रहा है!”
Aditya ने गुस्से से कहा — “Adhir! यहां से चला जा!”
Adhir ने उसकी बात को नजरअंदाज़ किया और Aadhya के पास आया —
“Bhabhi, आप ठीक हैं? Don’t worry, मैं हूँ न... इस पागल खानदान में थोड़ा तो positive energy चाहिए।”
Aadhya हल्के से मुस्कराई। Aditya की नज़र उस मुस्कान पर पड़ी और…
एक बार फिर उसके भीतर कुछ चुभा।
“Adhir…” Aditya ने गंभीर स्वर में कहा, “तुम Aadhya से दूरी बनाकर रखो। तुम नहीं जानते क्या चल रहा है।”
Adhir ने मुँह बनाया, “भाई, मैं जानता हूँ… लेकिन मैं आपकी बीवी को इंसान समझता हूँ, कैदी नहीं।”
Aditya कुछ कहने ही वाला था कि दादाजी और दादी भी आ गए।
दादी बोलीं — “क्या हो रहा है इस घर में? बहू रो रही है, बेटा जल रहा है, और पुराना भूत (Kiara) घूम कर चला गया।”
दादाजी बोले — “Aditya, ये पागलपन बहुत दूर जा चुका है। अगर तुम सच में Shekhawat खून हो, तो अपनी बीवी को बर्बाद करने में नहीं, उसका साथ देने में अपना नाम बना।”
Aditya ने सबकी ओर देखा, फिर Aadhya को —
वो अब भी चुप थी, लेकिन उसकी आँखों में फिर भी उम्मीद बाकी थी।
To be continued.....
chpter -8 “सच की परछाई”
You Are My Obsession
रात गहराई थी, लेकिन Aditya के कमरे में नींद नहीं थी।
वो बालकनी में खड़ा, एक सिगार के धुएं के साथ खुद से लड़ रहा था।
नीचे Aadhya अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी थी — सोच में डूबी।
दिनभर की बातें अब भी दिल पर भारी थीं। Aditya का चेहरा, उसकी नफ़रत, Kiara की मौजूदगी… और Adhir की चिंता।
Aadhya ने अपनी डायरी खोली और लिखा:
> "कहते हैं मोहब्बत एक ताक़त होती है... लेकिन यहाँ तो ये एक सज़ा बन गई है।"
तभी…
दरवाज़ा खुला।
Aditya खड़ा था, आँखों में कुछ नमी-सी, कुछ झिझक-सी।
Aadhya चौंकी — “तुम…?”
Aditya ने धीमे से कहा, “कुछ पल चाहिए… बस चुपचाप बैठने के लिए।”
Aadhya हाँ कहे बिना पीछे हटी।
Aditya कमरे में आया, और बिस्तर के पास बैठ गया। कुछ देर दोनों चुप रहे।
Aditya ने कहा —
“तुम पूछती हो न कि मैं इतना टूटा क्यों हूँ?”
वो उसके पास आकर बैठा, उसकी ओर पीठ किए हुए बोला —
“कभी किसी से इतना प्यार किया है… कि जब वो छूट जाए, तो जीने से ज़्यादा मरना आसान लगे?”
Aadhya का गला भर आया — “Naina…”
Aditya ने आँखें बंद कर लीं — “Naina मेरी थी… पर वो चली गई। और मुझे अब तक लगता है कि तुमने उसे मुझसे छीना।”
Aadhya उठी, उसके सामने आकर कहा —
“मैं Naina नहीं हूँ। मैं उसका जुर्म नहीं हूँ… मैं उसकी परछाईं नहीं बनना चाहती।”
Aditya ने पहली बार उसका चेहरा छूने की कोशिश की…
लेकिन जैसे ही उसने Aadhya के गाल को छुआ —
एक याद कौंध गई — Naina की हँसी, उसकी मौत… और वो खून।
Aditya ने झटके से हाथ पीछे खींच लिया —
“नहीं! तुम वही चेहरा हो जिसने मुझे बर्बाद किया।”
वो गुस्से से बाहर निकल गया।
---
नीचे Aadhya का फोन बजा।
एक अनजान नंबर था। उसने कॉल उठाया।
> “अगर Naina की मौत का सच जानना चाहती हो… तो कल शाम 5 बजे पुराने टॉवर के पास आना… अकेली।”
Aadhya चौंक गई — “तुम कौन हो?”
> “वो जो Naina को जानता था… और उसकी मौत को भी।”
फोन कट गया।
Aadhya की साँसें तेज़ हो गईं।
क्या Naina की मौत सिर्फ हादसा नहीं थी?
---
Aditya सीढ़ियों से लौट रहा था, तभी उसे Aadhya की आवाज़ सुनाई दी —
"क्या… Naina को किसी ने मारा था?"
Aditya वहीं रुक गया।
उसने सिर्फ यही शब्द सुने — "मारा था" — और उसका खून खौल उठा।
उसने सोचा — Aadhya ने खुद कोई साज़िश की है, और अब उसका कोई साथी उसे ब्लैकमेल कर रहा है।
Aditya ने मुठ्ठी भींच ली —
> “तुम्हें लगता है मैं पागल हूँ… लेकिन असली खेल तुम खेल रही हो? अब दिखाता हूँ तुम्हें जुनून क्या होता है।”
---
अगली सुबह…
Kiara चुपके से विला के पिछले दरवाज़े से लौटी —
छुपती-छुपाती वह विला के एक खाली स्टोररूम में घुस गई।
उसके पास अब एक मोबाइल कैमरा था —
“अगर Aadhya अब भी Aditya को मेरे खिलाफ भड़का रही है… तो मैं सब रिकॉर्ड कर लूंगी।”
Kiara की आँखों में अब पागलपन था — जुनून से भी खतरनाक।
---
Aditya अगले दिन Aadhya को उसके कमरे में बंद कर देता है —
“क्योंकि अब मुझे तुम पर भरोसा नहीं।”
Aadhya चिल्लाती है —
“तुम्हें समझ में नहीं आ रहा, कोई है जो Naina की सच्चाई जानता है।”
लेकिन Aditya अब उसकी कोई बात नहीं सुनता।
Chapter 9 — “परछाइयों के पीछे”
You Are My Obsession
Aadhya अपने कमरे के कोने में बैठी थी — बाल बिखरे हुए, आँखों में जिद, होंठों पर सिर्फ़ एक वाक्य:
“अब मैं इस कैद से निकलूँगी… और Naina की मौत का सच ढूँढकर रहूँगी।”
तभी दरवाज़े के बाहर किसी की आहट हुई।
Click!
कमरे का लॉक खुला — लेकिन सामने कोई नौकर या Aditya नहीं, Kiara खड़ी थी — हाथ में चाबी, और चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान।
“सच जानना चाहती हो ना, Aadhya?” Kiara ने कहा, “तो चलो मेरे साथ… एक आखिरी गेम खेलते हैं।”
Aadhya ने हैरानी से पूछा, “तुम क्यों चाहती हो कि मैं Naina के बारे में जानूं?”
Kiara झुकी, उसके कान के पास आई और धीरे से कहा —
“क्योंकि मैं Naina को उससे ज़्यादा जानती हूँ जितना तुमने कभी जाना था।”
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फ्लैशबैक
कुछ साल पहले...
Naina और Kiara साथ कॉलेज में थे —
एक ही हॉस्टल, एक ही ग्रुप, लेकिन एक बड़ा फर्क —
Naina एक मासूम दिल वाली लड़की थी, और Kiara... जुनूनी।
Kiara की आवाज़ गूंजती है —
“मैंने Naina से दोस्ती की, लेकिन Aditya से प्यार करने लगी।
वो उससे दूर थी, और मैं... हर पल उसके करीब जाना चाहती थी।”
फ्लैशबैक में —
एक दिन Naina ने Kiara से कहा था:
“Aditya सिर्फ मेरा दोस्त है… तुम चाहो तो उससे बात कर सकती हो।”
लेकिन Kiara को ये बात रास नहीं आई।
वो मानने को तैयार नहीं थी कि Naina को वो सब यूँ ही मिल जाए।
“उसने मुझसे Aditya को छीन लिया… और फिर एक दिन अचानक मर गई।”
---
वर्तमान में वापस:
Aadhya चौक गई —
“तो Naina की मौत सिर्फ हादसा नहीं थी…?”
Kiara ने कुछ नहीं कहा। बस मुस्कराई —
“कभी-कभी लोग खुद ही अपने राज़ छोड़ जाते हैं। तुम भी वही कर रही हो।”
Aadhya पीछे हटने लगी —
“तुम... क्या तुमने Naina को मारा था?”
Kiara के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई।
वो एकदम गंभीर हुई — “नहीं… लेकिन मैं जानती हूँ कि कौन था। और तुम भी जान जाओगी। बहुत जल्द।”
उधर, दूसरी ओर...
Aditya अपने ऑफिस के लॉबी में बैठा था — जहां वो CEO भी था एक फार्मा-कंपनी का, जो सिर्फ़ बाहर से साफ दिखती थी। अंदर चलती थी अवैध ड्रग्स की डीलिंग, हथियारों की सप्लाई, और उससे भी गहरे राज।
Rohit उसके पास आया —
“Boss, एक आदमी है जो Aadhya को कॉल कर रहा था। नंबर ट्रैक किया... वो हमारे पुराने दुश्मन Aryan Malik के अंडर में है।”
Aditya की आँखें सिकुड़ गईं —
“तो ये सब Aadhya का नहीं… Aryan Malik का खेल है?”
Rohit ने सिर हिलाया —
“शायद वो Naina की मौत से जुड़ा था… और अब Aadhya का इस्तेमाल कर रहा है तुम्हें तोड़ने के लिए।”
Aditya की मुट्ठियाँ कस गईं —
“Aryan ने मुझसे Naina छीनी… अब Aadhya को भी छीनना चाहता है? मैं उसे ज़िंदा जला दूँगा।”
Aditya गुस्से में विला लौटता है।
लेकिन जैसे ही वो Aadhya के कमरे में पहुंचता है —
कमरा खाली होता है।
दरवाज़ा खुला, और सिर्फ़ एक पुराना कागज़ टेबल पर रखा था —
Aadhya का लिखा एक नोट:
"मैं जानने निकली हूँ Naina की मौत का सच…
अगर बच पाई, तो खुद बताऊँगी। वरना समझ लेना, मेरी भी मौत एक साज़िश थी।"
– तुम्हारी परछाई
---
विला की सुबह बहुत शांत थी। बाहर सूरज की किरणें खिड़की के पर्दों से छनकर कमरे में आ रही थीं। लेकिन उस कमरे के अंदर एक और रोशनी थी — दो अधूरी रूहों की नज़दीकियों की।
Aadhya अब भी बिस्तर पर थी, नींद से बोझिल पलकों के साथ। तभी उसने महसूस किया कि कोई उसकी उंगलियों को थामे हुए है।
आँखें खोलीं… और सामने आदित्य बैठा था। बिना सिगार, बिना गुस्से… सिर्फ एक इंसान जो शायद पहली बार किसी के करीब बैठा था — खुद को खोए बिना।
> “कब तक मुझसे डरती रहोगी?” वो धीरे से बोला।
Aadhya की आँखों में आँसू थे, लेकिन डर नहीं… सिर्फ एक सवाल — “क्या तुम बदल सकते हो, आदित्य?”
आदित्य उसकी उंगलियों को चूमते हुए बोला, “पता नहीं… पर अगर तुम्हें छूना भी जुर्म है, तो मैं हर सज़ा मंज़ूर करता हूँ।”
धीरे-धीरे उसने Aadhya का चेहरा अपने हाथों में लिया। उसकी थरथराती पलकों पर होठों की गर्मी रखी… फिर उसकी कलाई पर एक लंबा, गहरा चुम्बन।
Aadhya का शरीर सिहर गया… डर और चाहत के बीच एक महीन रेखा थी, जो उस पल मिटती जा रही थी।
उसने धीरे से कहा, “मैं अब भी तुमसे नफ़रत करती हूँ…”
Aditya मुस्कराया, “तो इसी नफ़रत में थोड़ा प्यार मिला दो… शायद जीना आसान हो जाए।”
और फिर... उनके होंठ एक-दूसरे के करीब आए… सांसें तेज़ थीं, दिल बेकाबू... और लम्हा ठहर गया।
उसने Aadhya को अपनी बाहों में भर लिया, जैसे उसे दुनिया से छुपा लेना चाहता हो। और वो भी पहली बार थोड़ी देर के लिए उस आगोश में सुकून ढूंढ रही थी।
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Adhir की मस्ती – Aditya की जलन
अगली सुबह Adhir पूरे जोश में विला में घूम रहा था। उसे ये विला अब पहले से ज़्यादा दिलचस्प लगने लगा था… और वजह थी — Aadhya।
वो Aadhya को लाइब्रेरी में अकेले बैठा देख आया।
> “Oye! नई भाभी! किताबों में क्या रखा है, ज़रा मेरी शरारतों का रस भी चखो,” वो मुस्कराकर बोला।
Aadhya मुस्कराई, “तुम वाकई बहुत अलग हो अपने भाई से।”
Adhir ने आंख मारी, “वो तो सच है, मैं तो रोशनी हूँ… और Aditya भाई तो dark knight।”
वो उसके सामने बैठ गया और किताब छीनकर बोला —
> “भाभी, तुम हँसती अच्छी लगती हो… और अगर तुम हँसोगी नहीं, तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।"
Aadhya ने हँसते हुए उसकी ओर तकिया फेंका।
Adhir ने पकड़ा और बोला, “Wow! Attack bhi cute hai! I like it.”
वो दोनों खिलखिलाने लगे।
तभी दरवाज़े पर खड़ा Aditya सब देख रहा था।
उसकी आँखों में एक अजीब सी जलन थी। Aadhya की हँसी… जो शायद उसने कभी देखी ही नहीं… किसी और के लिए खिल रही थी।
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Aditya का ग़ुस्सा और भाई से बात
Adhir को अकेले में बुलाकर Aditya ने गहरी आवाज़ में कहा —
> “थोड़ा distance रखना Aadhya से।”
Adhir ने हैरानी से पूछा, “Why bhai? क्या मैं कुछ गलत कर रहा हूँ?”
Aditya ने जवाब दिया, “नहीं… लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगता… जब वो तुम्हारे साथ खुलकर हँसती है।”
Adhir समझ गया। उसने मुस्कराकर कहा —
> “भाई, मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं… मैं वो भाई हूँ जो तुम्हारे ज़ख्मों को बाँटना चाहता है। लेकिन अगर मेरी मस्ती से तुम्हें तकलीफ़ होती है… तो मैं खुद पीछे हट जाऊँगा।”
Aditya ने उसकी तरफ देखा… और शायद पहली बार थोड़ा नरम हुआ।
> “तू हमेशा मेरे लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है, Adhir…”
Adhir हँसते हुए बोला, “Then don't worry, bhai… bhabhi safe hai… और मैं सिर्फ तुम्हारे लिए हूँ। पर भाई… jealousy suits you,” उसने आँख मारी।
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रात का सन्नाटा – एक नई शुरुआत?
उस रात Aadhya बालकनी में खड़ी थी। चाँदनी उसके चेहरे को नहलाए हुए थी। तभी पीछे से आदित्य आया।
उसने उसकी पीठ पर अपना हाथ रखा।
> “Thanks… आज हँसते हुए देखना अच्छा लगा,” वो बोला।
Aadhya ने बिना देखे कहा, “पर वो हँसी तुम्हारे लिए नहीं थी।”
आदित्य उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर घुमाते हुए बोला, “मुझे फर्क नहीं पड़ता… क्योंकि एक दिन वो हँसी सिर्फ मेरे लिए होगी।”
Aadhya ने उसकी आँखों में देखा… और उस नज़र में वो जुनून था… जो डराता भी था… और खींचता भी।
> “मैं नहीं जानती, ये प्यार है या पागलपन… लेकिन अब मैं भी खुद को समझ नहीं पा रही,” उसने धीमे से कहा।
Aditya ने उसके होठों पर अपनी उंगलियाँ रख दीं — “तो सोचने की ज़रूरत नहीं… बस महसूस करो।”
और फिर एक लंबा, गहरा, आग सा चुम्बन… जिसमें नफ़रत, चाहत और अधूरी मोहब्बत की सारी तहें लिपटी हुई थीं।
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🔥 To be continued
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विला में सुबह की रोशनी धीरे-धीरे फैल रही थी, मगर आदित्य का चेहरा अब भी अंधेरे में डूबा था। रात में हुई हल्की सी नज़दीकी के बाद अाध्या उसकी बाँहों में सो गई थी — पहली बार किसी सुकून की तरह।
आदित्य की उंगलियाँ अब भी उसके बालों में थीं, लेकिन उसकी आँखें किसी और साए में उलझी थीं — अतीत के साए में।
📞 ट्रिंग-ट्रिंग!
अचानक फ़ोन की घंटी बजी। आदित्य का हाथ फुर्ती से पीछे गया… लेकिन अाध्या की आँख खुल गई। उसने जल्दी से फोन उठा लिया।
“हेलो…?”
दूसरी तरफ एक धीमी लेकिन सख्त आवाज़ आई — “आदित्य… बेटा… मैं माँ बोल रही हूँ।”
अाध्या चौक गई। वो आदित्य की ओर देखने लगी, और धीमे से फोन उसकी तरफ बढ़ा दिया।
“तुम्हारी माँ का फोन है…”
आदित्य ने एक नज़र अाध्या पर डाली, फिर फोन पर — जैसे कोई जंग छेड़ दी गई हो। उसने फोन लिया… लेकिन कुछ पल तक कुछ बोला नहीं।
“आदित्य… तुम्हारे दादाजी की तबीयत ठीक नहीं रहती… और हम सब तुम्हें बहुत मिस करते हैं।”
“मुझे फर्क नहीं पड़ता,” आदित्य की आवाज़ पत्थर जैसी थी।
“तुमने हमें क्यों छोड़ दिया बेटा?”
“मैंने नहीं छोड़ा… तुम लोगों ने मुझे खो दिया था।”
इतना कहकर उसने फोन काट दिया और उसे ज़मीन पर पटक दिया। अाध्या डर गई थी, लेकिन कुछ बोल न सकी।
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🏛️ दिल्ली – Shekhawat Mansion
दिल्ली में एक भव्य हवेली — Shekhawat Mansion — के अंदर चारों ओर शाही रुतबा था। काले-सफेद संगमरमर के फर्श, ऊँचे झूमर, और पुराने समय की चमकदार लकड़ी की खुशबू।
हॉल के बीच एक रॉयल चेयर पर बैठा था — ठाकुर विक्रम सिंह शेखावत — आदित्य का दादाजी।
बर्फ जैसे सफेद बाल, गुस्से से भरी आँखें, मोटा राजस्थानी अंगरखा, और आवाज़... जैसे कोई फौजदार बोल रहा हो।
“उसे मैं जानता हूँ… वो नहीं लौटेगा ऐसे ही। वो मेरा पोता है — शेर का बच्चा।”
आसपास खड़ी थी उसकी माँ — शांत और संयमी, आँखों में बेटे के लिए फिक्र।
दूर खड़ा था उसका पिता — एक रहस्यमय शख्स, जिसे ज़्यादा कोई बात करते नहीं देखा जाता। उसकी आँखों में गहराई थी, और चेहरे पर कुछ छिपा हुआ।
“उसे हमसे नफरत है,” माँ बोलीं।
“तो क्या हुआ?” दादाजी दहाड़े, “प्यार जब जिद बन जाए, तो रास्ते खुद बनते हैं।”
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👧 आदित्य की बहन – सिया की झलक
सीढ़ियों से उतरती एक लड़की — तेज़, कॉन्फिडेंट और मॉडर्न सोच वाली — सिया, आदित्य की छोटी बहन।
“दादाजी, भैया को जबरदस्ती बुलाने से कुछ नहीं होगा। वो अब सिर्फ अपने आप से मतलब रखता है… या फिर अपने छोटे भाई से।”
“आदित्य टूट चुका है,” माँ ने कहा।
“नहीं… मेरा पोता कमजोर नहीं है,” दादाजी की आवाज़ गूँज गई, “बस उसे अपने लोगों की ज़रूरत है। और वो मैं दिलवाऊँगा… चाहे जैसे भी।”
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🏠 वापस विला में – भाई और भाई के बीच
Adhir विला के लिविंग एरिया में बैठा मोबाइल में गेम खेल रहा था। अाध्या वहाँ आई और मुस्कराकर बोली — “Good morning, Mr. Rockstar.”
Adhir ने आँख मारी — “तुम भी अब मज़ाक करने लगी हो?”
“अब क्या करूँ, इस जेल में कोई और हँसाने वाला है भी नहीं।”
दोनों मुस्कराए। लेकिन तभी Aditya सीढ़ियों से उतरा, उनकी हँसी सुनकर रुका… और एक सख्त नज़र डाली।
“Adhir…” उसकी आवाज़ भारी थी।
“हाँ भाई?”
“उससे दूरी बनाए रखो।” (उसने अाध्या की ओर इशारा किया)
Adhir चौंका — “भाई… वो तो बस…”
“मैंने कहा, ज़रूरत से ज़्यादा करीब मत आओ।” उसकी आँखों में एक अजीब सी आग थी।
Adhir ने एक पल उसकी आँखों में देखा… फिर सिर झुकाकर कहा, “ठीक है भाई… जैसे आप कहो।”
अाध्या भी चुप हो गई। शायद वो समझ गई थी कि jealousy नाम की आग अब Aditya के अंदर और भी तेज़ भड़क रही थी।
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🔥 अंत में — एक खामोश रात
उस रात, Aditya ने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और खिड़की के पास जाकर बैठ गया। बाहर रात थी… लेकिन अंदर उसके सीने में तूफ़ान।
माँ की आवाज़ अब भी उसके कानों में थी।
“हम सब तुम्हें बहुत मिस करते हैं…”
और तभी अाध्या उसके पीछे आई। चुपचाप। उसने धीरे से आदित्य की पीठ पर हाथ रखा।
“तुम टूटे हुए हो, आदित्य… लेकिन मैं तुम्हें जोड़ना चाहती हूँ।”
आदित्य ने उसकी ओर देखा… उसकी आँखें नर्म थीं। पहली बार किसी ने उसे इस तरह समझने की कोशिश की थी।
और उसी लम्हे, उसने उसे खींचकर अपने सीने से लगा लिया। कोई जबरदस्ती नहीं — बस एक सच्ची, सilent जुड़ाव।
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To Be Continued…
सुबह के हल्के उजाले ने विला के कमरों में दस्तक दी। पर्दे के पीछे से आती रोशनी Aadhya के चेहरे पर पड़ी तो उसकी नींद टूटी। उसने आँखें खोलीं तो खुद को Aditya की बाहों में पाया। उसका चेहरा शांति भरा था, जैसे कुछ पल के लिए सारे ज़ख्म भर गए हों।
Aadhya को वो रात याद आई — Aditya का दर्द, उसकी आँखों में तैरती उदासी, और आखिर में... वो लम्हा, जब वो उसकी बाँहों में समा गई थी। वो पहली बार था जब उसे लगा था कि उस शैतान के पीछे भी एक टूटा इंसान छिपा है।
तभी Aditya की नींद खुली। उसने Aadhya की ओर देखा और कुछ पल उसे बस यूँ ही देखता रहा।
"Good morning," उसने धीमे से कहा।
Aadhya हल्की मुस्कान के साथ बोली, "आज पहली बार तुम इंसान लगे।"
Aditya हँस दिया, "और तुम्हें छूकर पहली बार लगा कि मैं अब भी ज़िंदा हूँ।"
तभी मोबाइल की घंटी बजी।
Aditya ने देखा — स्क्रीन पर लिखा था: "Maa calling"
वो ठिठक गया।
Aadhya ने धीरे से कहा, "उठाओ… माएँ बार-बार फोन नहीं करतीं।"
Aditya ने उसकी तरफ देखा, फिर झिझकते हुए कॉल रिसीव किया।
"हाँ..." उसकी आवाज़ रूखी थी।
फोन के दूसरी तरफ उसकी माँ की भावुक आवाज़ थी —
"Aditya, बेटा... तू ठीक है? इतने साल हो गए, न तू आया, न एक बार फोन किया। हम सब तुझसे बात करना चाहते हैं, तुझे देखना चाहते हैं। तेरे दादाजी भी परेशान हैं…"
Aditya ने बीच में ही बात काट दी, "मुझे किसी से बात नहीं करनी माँ। मैंने पहले भी कहा था, अब भी कह रहा हूँ — मेरी दुनिया में अब सिर्फ Adhir है, बाकी सब खत्म।"
और उसने फोन काट दिया।
Aadhya चुपचाप उसे देख रही थी। कमरे में सन्नाटा फैल गया।
"इतनी नफरत क्यों?" उसने धीरे से पूछा।
Aditya ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में गुस्सा और दर्द दोनों थे।
"क्योंकि जब मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तब वो सब गायब थे। मैं टूटा, बिखरा, पर किसी ने नहीं पूछा कि ज़िंदा हूँ भी या नहीं। दादाजी को सिर्फ खानदान की इज़्ज़त की चिंता थी, पापा को बिज़नेस की... और मेरी बहन? उसे तो जैसे पराया बनाकर भेज दिया गया।"
Aadhya ने उसके हाथ पकड़ लिए, "शायद वो सब मजबूर थे… पर आज वो वापस तुम्हारे पास आना चाहते हैं। क्या हर रिश्ता एक ही ग़लती पर खत्म हो जाना चाहिए?"
Aditya ने अपना चेहरा फेर लिया, "तुम नहीं समझोगी Aadhya… मेरी माँ रोई थी, पर मुझे रोक नहीं सकी। मेरे पापा ने सिर झुका लिया, पर मेरी तरफ देखा तक नहीं। और मेरे दादाजी ने... सिर्फ मुझे धमकाया कि अगर घर की इज़्ज़त के खिलाफ गया, तो मेरा नाम भी मिटा देंगे।"
"तो तुमने भी वही किया जो वो चाहते थे — खुद को खत्म कर दिया," Aadhya बोली।
Aditya चौंक गया।
Aadhya की आवाज़ अब नरम थी, लेकिन उसमें ताकत थी, "तुम जो थे, वो अब नहीं रहे। तुमने सब कुछ जला दिया, खुद को भी। पर सच ये है कि तुम अब भी उनके बेटे हो, पोते हो… भाई हो। और शायद... अगर तुम चाहो, तो फिर से वो रिश्ते जी सकते हो।"
Aditya ने उसकी आँखों में देखा — पहली बार जैसे उसे कोई आईना दिखा रहा हो।
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🌆 Delhi – The Shekhawat Mansion
दूसरी तरफ, Delhi में Shekhawat हवेली की बैठक में सब एक साथ बैठे थे।
Aditya की माँ पूजा की थाली लिए बैठी थीं, आँखें नम थीं।
दादाजी तेज़ आवाज़ में बोले, "Aditya को ज़िद्दी हमने ही बनाया है… और अब वो उसी ज़िद में सब कुछ जला रहा है। लेकिन वो मेरा पोता है। वो चाहे कितना भी दूर जाए, मेरी शान है वो।"
Aditya की बहन Ragini, जो अब शादीशुदा थी, बोली, "दादाजी, अगर हम चाहें तो क्या उसे मना नहीं सकते?"
Aditya के पिता, Ranvijay Shekhawat, चुपचाप बैठे थे। उनके चेहरे पर बहुत कुछ छिपा था — कोई राज, कोई बोझ। उन्होंने बस कहा, "Aditya तभी लौटेगा जब उसका दिल मानेगा। जब तक उसके दिल से नफरत नहीं हटेगी, हम कुछ नहीं कर सकते।"
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🏡 वापस विला में – हल्की मस्ती
Adhir किचन में Aadhya के लिए कॉफ़ी बना रहा था। Aadhya मुस्कराते हुए बोली, "तुम्हारे जैसे शैतान लड़के को कॉफ़ी बनाते देखना rare moment है।"
Adhir ने हँसते हुए कहा, "मैं तो हर काम कर लेता हूँ, बस भावनाओं का बोझ नहीं उठाता। वैसे भाभी... आप बहुत प्यारी हैं। अगर भाई नहीं होते तो... शायद मैं भी kidnapp कर लेता।"
Aadhya खिलखिलाकर हँस दी, "बहुत bold हो तुम।"
तभी Aditya वहाँ आ गया। उसने Adhir की बात सुन ली थी।
"Adhir," उसकी आवाज़ सख्त थी, "थोड़ा फासला रखो Aadhya से।"
Adhir चौंका, फिर शरारती हँसी में कहा, "Jealous bro?"
Aditya की आँखों में कुछ जलता हुआ था।
"वो मेरी है… और मैं नहीं चाहता कि कोई और उसके करीब आए," उसने ठंडे स्वर में कहा।
Adhir ने गंभीर होकर कहा, "Relax bhai, मैं कोई सीमा पार नहीं करूँगा। आप जानते हो, आप मेरे लिए क्या हो।"
Aditya की आँखें नरम हुईं। "माफ़ करना… मैं बस…"
Aadhya ने बात काट दी, "तुम्हारा डर… तुम्हारे प्यार जितना गहरा है।"
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🔥 To be continued…
अगले अध्याय में – Aditya अपने परिवार की तरफ एक कदम बढ़ाता है या फिर... कोई नई दीवार खड़ी करता है?
क्या Aadhya उसका अतीत बदल पाएगी?
क्या Delhi की हेवेली का राज
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Chapter 13 – पुरानी मोहब्बत की वापसी
रात का वक्त था, विला के ड्राइंग रूम में साज-सज्जा बदली जा रही थी। आदित्य ने एक छोटी-सी बिज़नेस पार्टी रखी थी, लेकिन इस पार्टी का असली मक़सद किसी और की वापसी था।
आद्या ने सुन रखा था कि कुछ मेहमान आ रहे हैं, लेकिन जब उसने अपने कमरे की बालकनी से नीचे झांका — तो उसके कदम वहीं थम गए।
एक औरत… बेहद स्टाइलिश, आत्मविश्वासी चाल, लाल ड्रेस में आग जैसी लगती हुई, धीरे-धीरे विला के मेन हॉल की तरफ बढ़ रही थी। उसके होंठों पर शिकारी मुस्कान थी।
“वो कौन है?” अद्या ने खुद से फुसफुसाया।
वो लड़की सीधी आदित्य के पास पहुँची और बाँहों में भर लिया।
> “Missed me, Adi?”
आदित्य का चेहरा शांत था, पर आँखों में एक अजीब चमक थी। वो मुस्कराया।
> “Welcome back, Kiara.”
किआरा मेहरा — नाम था उसका। देश की सबसे हॉट और चतुर बिजनेस वुमन में एक, और कभी आदित्य की गर्लफ्रेंड। लेकिन जब आदित्य ने अंधेरे रास्ते चुने, तो किआरा ने अपनी दुनिया से उसे अलग कर दिया था। अब सालों बाद वो लौटी थी — उसे वापस पाने के लिए।
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💔 Adhya की जलन
अद्या ने नीचे से यह सब देखा… और उसका दिल जैसे डूब गया।
किआरा कभी आदित्य के बेहद करीब थी — और अब वो फिर उसके करीब थी, खुलेआम।
अद्या का मन किया कि वो भाग जाए वहाँ से। लेकिन वो खुद को मजबूती से सँभाले रही।
रात को डिनर टेबल पर माहौल और भी खराब हुआ।
किआरा, हर पल आदित्य के करीब बैठी रहती। कभी उसका हाथ पकड़ती, कभी उसकी आँखों में झाँकती। और आदित्य… उसने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि हर बात पर उसकी हँसी में हँसता रहा।
> “Adi, remember Paris trip? वो रैनड्रॉप्स वाली रात?”
> “How can I forget,” आदित्य ने नज़रों में शरारत लाते हुए कहा।
अद्या की आँखों में आँसू आ चुके थे, लेकिन उसने उन्हें छुपा लिया।
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🔥 Aditya का खेल – जलन की सज़ा
डिनर के बाद, जब अद्या कमरे से उठकर जाने लगी, आदित्य ने उसकी कलाई थाम ली।
> “कहाँ जा रही हो, Mrs. Shekhawat? पार्टी अभी ख़त्म नहीं हुई…”
उसके चेहरे पर वही नकली मुस्कान थी।
“छोड़ दो मुझे,” अद्या ने गुस्से में कहा।
“जलन हो रही है?” आदित्य ने बहुत धीरे से फुसफुसाया।
> “मैं जानता हूँ तुम क्या महसूस कर रही हो। पर जो मैं महसूस करता हूँ जब तुम किसी और की याद में रोती हो, उसका क्या?”
> “अब तुम्हारी बारी है… थोड़ा तो महसूस करो, कैसा लगता है जब अपना कोई पराया लगे।”
फिर उसने जानबूझकर किआरा को बुलाया और उसके सामने उसकी कमर में हाथ डाल लिया।
> “चलो, Kiara… तुम्हारे फेवरेट वाइन की बारी है।”
अद्या वहीं खड़ी रह गई — टूटी हुई, बिखरी हुई।
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🌒 Adhir का Support
उसी वक्त Adhir चुपचाप वहाँ आया और अद्या के पास आ खड़ा हुआ।
> “बहुत गलत कर रहा है मेरा भाई… जानता हूँ वो टूट चुका है, पर ये तरीका नहीं है…”
अद्या ने सिर नीचे झुका लिया।
> “शायद मैं ही उसके लिए सही नहीं हूँ…”
> “Shhh… तुम ही एक हो जो उसे ठीक कर सकती हो। लेकिन फिलहाल, खुद को टूटने मत दो। मैं हूँ न तुम्हारे साथ,” आधिर ने मुस्कुरा कर कहा।
उसकी बातों में सच्चाई थी। और अद्या पहली बार आधिर की मौजूदगी से थोड़ी सुकून महसूस कर रही थी।
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☠️ Kiara का प्लान
उधर किआरा अब अपने मिशन पर थी। वो जानती थी कि आदित्य ने अभी उसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया… लेकिन वो अद्या को उसकी कमजोरी बना चुकी थी।
अपने कमरे में व आदित्य से बोली:
> “तुम्हारा प्यार मेरा था, है और रहेगा, Aditya. और उस लड़की को मैं मिटा दूँगी तुम्हारी ज़िंदगी से।”
उसकी आँखों में पागलपन था, और मुस्कान में ज़हर।
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🔥 To Be Continued...
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शाम ढलने लगी थी। हवाओं में ठंडक और शहर की रौशनी में हलकी सी नर्मी थी। Aditya ने खासतौर पर Aadhya के लिए एक डिनर प्लान किया था — शायद पहली बार उसके चेहरे पर सुकून लाने की कोशिश थी।
“तैयार हो जाओ,” उसने Aadhya से कहा था, “आज की रात सिर्फ हमारे लिए है।”
Aadhya मुस्कराई थी… उसकी आँखों में वही शर्मिली चमक थी जो Aditya के दिल में तूफान ला देती थी।
कुछ देर बाद Aadhya हल्के रंग की साड़ी में कमरे से बाहर निकली, तो Aditya एक पल को ठहर गया। उसकी आँखों ने वो देखा जो शायद सालों से खोया हुआ था — मासूमियत, अपनापन… और एक अजीब सा सुकून।
“खूबसूरत…” बस इतना ही कह सका वो।
Aadhya हल्के से मुस्कराई, “चलिए, वरना रिज़र्वेशन मिस हो जाएगा।”
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💫 Romantic Dinner Scene
दोनों एक प्राइवेट रिज़ॉर्ट के रूफटॉप पर पहुँचे। चारों तरफ़ मोमबत्तियाँ जल रही थीं, फाउंटेन की आवाज़ें थी और हल्का सा वायलिन बज रहा था।
Aditya ने Aadhya की कुर्सी खींची, “My lady,” उसने कहा, जैसे कुछ वक्त के लिए वो कोई माफ़िया नहीं, बस एक प्यार में डूबा आदमी हो।
Aadhya ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा, “आज बहुत अलग लग रहे हो…”
Aditya ने उसकी उंगलियों को चूमा, “कभी-कभी दिल चाहता है कि सब कुछ भूल जाऊँ… सिर्फ़ तुम्हें महसूस करूं।”
Aadhya की आंखें नम हो गईं, “तो भूल जाइए… और बस आज की रात जी लीजिए।”
Aditya ने सिर हिलाया — लेकिन दिल के किसी कोने में कुछ डर था… कोई अधूरा सच… जो अभी खुलना बाकी था।
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🌪️ Kiara की चाल
Kiara एक सुनसान गली में खड़ी थी, हाथ में फोन।
“उस गाड़ी में Aadhya बैठेगी, पीछे से एक ट्रक उसे टक्कर देगा। डरने की ज़रूरत नहीं, बस हल्की चोट लगे… मैं चाहती हूँ कि Aditya डर जाए, और Aadhya उससे दूर हो जाए।”
“ठीक है मैडम,” फोन के उस पार से आवाज़ आई।
Kiara की आंखों में जीत की झलक थी।
“अब देखो, कैसे मैं तुम्हारी दुनिया हिलाती हूँ, Aditya…”
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🚗 हादसा
डिनर के बाद दोनों कार में लौट रहे थे। Aditya खुद ड्राइव कर रहा था। सड़क पर सन्नाटा था।
“आज की रात अच्छी थी,” Aadhya ने कहा।
Aditya ने उसकी तरफ देखा, “काश ये हमेशा चल सके…”
अचानक एक ट्रक ने पीछे से जोरदार टक्कर मारी।
गाड़ी घूम गई… कांच चटक गए… Aadhya चीखी — “Aditya!!!”
एक और झटका लगा — और गाड़ी रोड के किनारे पलट गई।
कुछ सेकेंड्स के लिए सब कुछ शांत हो गया।
Aadhya ने जैसे-तैसे खुद को संभाला — खून उसके माथे से बह रहा था। लेकिन उसका दिल बस एक नाम पुकार रहा था —
“Aditya!”
Aditya बेहोश था… उसका सर सीट से टकराया था, लेकिन सबसे खतरनाक चोट… उसकी कमर और निचले हिस्से पर लगी थी।
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🏥 अस्पताल में सन्नाटा
कुछ घंटों बाद…
Aadhya अस्पताल के बाहर बैठी थी, हाथों में खून, आँखों में खौफ।
डॉक्टर बाहर आया।
“कैसे है वो?” Aadhya दौड़कर पहुँची।
डॉक्टर ने गंभीर चेहरा बनाकर कहा, “Patient को pelvis और reproductive area में internal damage हुआ है। हमें डर है कि वो अब biological father नहीं बन सकेगा…”
जैसे किसी ने ज़मीन खींच ली हो Aadhya के नीचे से।
“क्या?” उसकी आवाज़ टूटी हुई थी।
“हमने उसे फिलहाल कुछ नहीं बताया है… वो अभी होश में नहीं है।”
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💔 Aditya की टूटी दुनिया
अगली सुबह…
Aditya को होश आया। सामने Aadhya बैठी थी, आंखों में नींद और चिंता की लकीरें।
“क्या हुआ था?” उसने पूछा।
Aadhya ने उसकी हथेली पकड़ी, “एक accident… पर सब ठीक है। तुम ठीक हो Aditya…”
Aditya ने महसूस किया — कमर में दर्द था, शरीर भारी लग रहा था। लेकिन Aadhya की मुस्कराहट ने जैसे थोड़ी राहत दी।
लेकिन तभी डॉक्टर आया।
Aditya की नजरें उसके चेहरे पर गईं — और वो सच्चाई सुनते ही उसकी आंखें फैल गईं।
“मैं… मैं बाप नहीं बन सकता?” उसकी आवाज़ कांप गई।
Aadhya चौंक गई — “आपने इसे बता दिया?”
डॉक्टर धीरे से सिर झुकाकर चला गया।
Aditya की साँसे तेज होने लगीं… “मुझे अकेला छोड़ दो, Aadhya!”
“Aditya—”
“चली जाओ!!!” उसने चीख कर कहा।
Aadhya पीछे हट गई — उसकी आँखें नम थीं, पर वो समझ रही थी कि ये उस आदमी का टूटना था… जो हमेशा खुद को अजेय समझता था।
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🖤 Kiara की मुस्कराहट
दूर किसी बिल्डिंग की खिड़की से Kiara सब देख रही थी।
“अभी तो शुरुआत है, Aadhya…” उसने बुदबुदाया।
“अब देखो, कैसे तुम्हारा ‘रावण’ फिर से मेरे पास लौटता है… और तुम सिर्फ देखती रह जाओगी।”
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To Be Continued…
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🏥 अस्पताल का सन्नाटा
कमरे में अजीब सी खामोशी थी।
Aditya खिड़की के पास बैठा था, आँखों में गहराई… होंठों पर सन्नाटा… और सीने में एक ऐसा तूफान, जिसे वो किसी को दिखाना नहीं चाहता था।
Aadhya पीछे खड़ी थी — एक उम्मीद लिए कि शायद आज वो उसकी बात सुन ले।
“Aditya… डॉक्टर ने कहा तुम जल्दी ठीक हो जाओगे…”
Aditya ने बिना पीछे देखे कहा, “पर मैं अब वो नहीं रहूंगा, जो पहले था।”
Aadhya चुप रही।
कुछ सेकंड बाद उसने कहा — “तुम अब भी वही हो… मेरे लिए।”
Aditya धीरे से मुड़ा — उसकी आंखें लाल थीं।
“तुम्हारे लिए? क्या तुम समझ सकती हो कि एक मर्द के लिए ये क्या मायने रखता है? मैं अब कभी पिता नहीं बन सकता, Aadhya!”
Aadhya उसकी आँखों में देखती रही — न डर में, न झुकाव में… बस एक सच्चे प्रेम में।
“प्यार बच्चे से नहीं होता, Aditya… वो तो दो आत्माओं के बीच होता है। और मैं आज भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूँ…”
Aditya ने दर्द में मुस्कराते हुए कहा, “मत करो मुझसे ये झूठा प्यार, Aadhya… मुझे मत बांधो… मैं अब किसी का नहीं रहा।”
Aadhya की आंखों से आंसू निकल आए, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वो जानती थी… Aditya टूटा है — और अब उसे खुद को समेटने की जरूरत है।
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💋 Kiara की नज़दीकी चाल
दो दिन बाद…
Aditya की अस्पताल से छुट्टी हो गई थी। घर आते ही Kiara ने मोर्चा संभाल लिया।
“Aditya…” उसने नज़दीक आते हुए कहा, “मैं जानती हूँ, तुम क्या महसूस कर रहे हो।”
Aditya चुपचाप बैठा था। Kiara ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
“तुम्हें किसी की ज़रूरत है, Aditya… और मैं तुम्हें फिर से वो बना सकती हूँ जो तुम थे।”
Aditya ने उसकी ओर देखा, “तुम क्या समझती हो? कि मैं अब तुम्हारा मोहताज हो गया हूँ?”
Kiara मुस्कराई, “नहीं… मैं जानती हूँ कि तुम कितने मजबूत हो। पर कभी-कभी, पत्थर को भी किसी की गर्मी चाहिए होती है।”
Aditya कुछ नहीं बोला।
Kiara धीरे से उसके पास आकर बैठ गई… और उसका हाथ थाम लिया।
Aadhya दरवाज़े से ये सब देख रही थी — और उसकी आत्मा जैसे एक बार फिर चीर गई।
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💔 Adhya का दर्द
रात को Aadhya अकेली कमरे में बैठी थी।
उसे सब याद आ रहा था — उनकी पहली नज़दीकी, वो डिनर, वो हादसा… और अब ये बदलता रिश्ता।
“क्या मैं फिर हार गई?” उसने खुद से पूछा।
पर अगले ही पल उसने खुद को संभाला।
“नहीं… मैंने उसे प्यार किया है, उसकी रूह को छूया है। मैं हार नहीं मानूंगी। अगर वो खुद से दूर भाग रहा है, तो मैं उसके करीब रहूंगी… हर हाल में।”
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🌑 Aditya का डार्क मोमेंट
Aditya अपने कमरे में बैठा शराब पी रहा था — और बार-बार Naina की तस्वीर को देख रहा था।
“तुम भी गई… अब ये भी…” उसके अंदर का खालीपन चीखने लगा।
Kiara अंदर आई, “Aditya…”
Aditya ने उसे देखा — उसकी आंखों में गुस्सा और दर्द दोनों थे।
“सब खत्म हो गया है…”
Kiara ने उसके गिलास से शराब ली… एक घूंट पिया… और उसके सामने बैठ गई।
“तो फिर सब नए सिरे से शुरू करो… मेरे साथ।”
Aditya ने कोई विरोध नहीं किया — शायद वो थक गया था।
Kiara ने धीरे-धीरे उसके चेहरे को छूना शुरू किया… और Aditya चुपचाप उसे देखने लगा।
Aadhya बाहर से ये देख रही थी — उसका दिल फट रहा था। लेकिन उसने सिर्फ अपनी आँखें बंद कर लीं… और खुद को कमरे में बंद कर लिया।
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🌧️ नई सुबह, नई लड़ाई
अगली सुबह…
Adhir ने Aadhya को अकेले बगीचे में बैठे देखा।
“भाभी…” वो पास आया।
Aadhya ने सिर उठाया — उसकी आंखें सूजी हुई थीं।
Adhir ने कहा, “मैं जानता हूँ… वो तुम्हें दूर कर रहा है। लेकिन भाई की जिद एक दिन टूटेगी। तुम बस रुकी रहो, संभली रहो।”
Aadhya ने उसकी ओर देखा, “वो अब किसी और के करीब है, Adhir…”
Adhir ने उसकी हथेली थामी, “मगर तुम्हारा प्यार किसी और से कम नहीं है। ये लड़ाई आसान नहीं होगी, लेकिन अंत में जीत तुम्हारी ही होगी।”
Aadhya ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा, “मैं अब हार नहीं मानूंगी…”
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🕯️ Kiara की खुशी और चालें
Kiara अपने कमरे में आई — खुश थी।
“अब Aditya फिर से मेरी बाहों में आ रहा है… और Aadhya बस देखती रहेगी। जीत मेरी होगी… हमेशा।”
लेकिन उसे नहीं पता था कि Aadhya अब पहले वाली मासूम लड़की नहीं रही…
अब वो लड़ेगी — और इस बार अपने प्यार को टूटने नहीं देगी।
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To Be Continued…
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Aadhya अब तक सब कुछ सहती रही थी — Aditya की बेरुख़ी, Kiara की नज़दीकियाँ, और उस रात का वो खौफनाक सच…
लेकिन अब नहीं।
उस रात, जब सब सो रहे थे… Aadhya ने अपने भीतर की कमज़ोरी को ज़मीन में दफ़न कर दिया। और उसकी जगह ली — एक निडर, चुपचाप जलती आग ने।
सुबह होते ही वो तैयार हो गई… आज वो Kiara से सीधे भिड़ने वाली थी।
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☕ सुबह की टक्कर
Aditya ड्रॉइंग रूम में बैठा अखबार पढ़ रहा था। Kiara ने उसके लिए कॉफी लाई और मुस्कराकर पास बैठ गई।
“Good morning, Aditya…”
Aditya ने एक हल्की नजर डाली, “Morning.”
Kiara ने उसकी ओर झुकते हुए कहा, “रात को तुम पहले जैसे लग रहे थे…”
Aditya ने कुछ नहीं कहा।
तभी — Aadhya कमरे में दाखिल हुई, बिलकुल सधी चाल, सधे हाव-भाव।
“Good morning… sabko,” उसकी आवाज़ में अब पहले जैसी मासूमियत नहीं, बल्कि आत्मविश्वास था।
Kiara की मुस्कान थोड़ा हिली।
Aadhya ने Aditya की ओर देखा, “मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है, अकेले में।”
Kiara कुछ बोलने ही वाली थी, कि Aadhya ने सीधा उसकी ओर देखा — “It’s personal.”
Aditya ने Aadhya की आँखों में देखा — कुछ अलग था आज… एक ठहराव, एक आग।
“Come,” उसने कहा।
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🕯️ बंद कमरे की बात
कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ।
Aditya जैसे ही बैठा, Aadhya ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा —
“मुझे सब पता है, Aditya। Kiara ने जो किया… जो करने जा रही है… मुझे सब सुनाई देता है। पर अब मैं चुप नहीं रहूंगी।”
Aditya कुछ कहने ही वाला था कि Aadhya ने उसकी बात काटी — “और तुम्हें ये सोचने की कोई ज़रूरत नहीं कि तुम अब ‘कमज़ोर’ हो। तुम्हारा ना पिता बन पाना, तुम्हारी मर्दानगी नहीं छीन सकता। तुम्हारा प्यार, तुम्हारा दिल… वो अब भी मेरा है।”
Aditya ने उसकी आँखों में देखा — वो काँप नहीं रही थी। आज वो लड़की उससे भी ज्यादा मजबूत थी।
वो चुप रहा।
Aadhya आगे बोली — “अब फैसला तुम्हें करना है। मैं तुम्हें मजबूर नहीं करूँगी। लेकिन अगर तुमने Kiara की तरफ एक और कदम बढ़ाया… तो मैं तुम्हारी ज़िंदगी से हमेशा के लिए चली जाऊंगी।”
इतना कहकर Aadhya बाहर निकल गई।
Aditya… चुपचाप रह गया।
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🔍 Kiara की असलियत — Adhir की चाल
उधर, Adhir को शक था कि Kiara कुछ बड़ा प्लान कर रही है।
उसने Rohit को इशारे में सब समझाया और Kiara के मोबाइल की डिटेल निकलवाई।
और जो मिला — वो होश उड़ाने वाला था।
Kiara के कॉल्स और ट्रैकिंग से ये साफ़ हो गया कि जिस एक्सीडेंट में Aditya को चोट लगी थी… वो Adhya को मारने की कोशिश थी।
Adhir का गुस्सा फूट पड़ा।
“अब ये खेल खत्म।”
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🔥 आमना-सामना — Kiara vs Aadhya
Aadhya अपने कमरे में थी, तभी Kiara आई — हाथ में एक डिब्बा और नकली मुस्कान।
“कुछ मिठा लाईं हूँ… तुम्हारे और Aditya की नई शुरुआत के लिए।”
Aadhya ने बिना मुस्कराए पूछा — “ज़हर तो नहीं?”
Kiara का चेहरा सख्त हो गया।
“तुम्हें लगता है मैं ज़हर दूंगी?”
Aadhya उठी, और सीधा उसकी आंखों में देखा — “नहीं… तुम तो एक्सीडेंट करवाती हो। लेकिन अफसोस… उस कार में सिर्फ मैं नहीं थी।”
Kiara हकबका गई।
“तुम… तुम क्या कह रही हो…”
Aadhya मुस्कराई — “वो सब Adhir और Rohit को पता चल चुका है। और guess what? तुम्हारे कॉल्स और मैसेजेस के स्क्रीनशॉट अब मेरे पास हैं।”
Kiara की रंगत उड़ गई।
“तुम… झूठ बोल रही हो!”
Aadhya आगे बढ़ी — “अब तक चुप थी क्योंकि मैंने तुम्हारे जैसा बनना नहीं चुना। लेकिन अब, तुम्हारा हर नकाब उतरेगा।”
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🚨 Climax Scene — Aditya का फैसला
Aditya को सब पता चल चुका था।
वो Kiara के सामने आया — उसकी आंखों में एक अलग ही आग थी।
“तुमने मुझे तोड़ने की कोशिश की… मेरे बच्चे छीनने की… मेरी पत्नी को मारने की।”
Kiara ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “Aditya… मैंने वो सिर्फ तुम्हें वापस पाने के लिए किया…”
Aditya ने उसकी ओर देखा — “प्यार वो नहीं जो किसी की जान ले… वो होता है जो किसी के टूटे हुए दिल को सहला सके। और अब… मैं सिर्फ Aadhya का हूँ।”
Kiara का चेहरा फक पड़ गया।
Aditya ने गार्ड्स को बुलाया — “इसे मेरे घर से बाहर निकाल दो। और इसके खिलाफ सारे सबूत पुलिस को दे दो।”
Kiara चिल्लाती रही, “Aditya! Please! मुझे मत निकालो… तुम सिर्फ मेरे थे… हो…”
दरवाज़ा बंद हो गया।
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💞 Aadhya और Aditya — एक नई शुरुआत
रात को Aditya Aadhya के पास आया — वो झुका, और उसके हाथों को थाम लिया।
“माफ करना… मैंने तुम्हारे प्यार पर शक किया।”
Aadhya की आँखों में नमी थी, पर मुस्कान भी।
Aditya ने कहा — “मैं टूट गया था, Aadhya… पर तुमने मुझे फिर से जोड़ दिया।”
Aadhya बोली — “अब हमारे बीच सिर्फ प्यार रहेगा, कोई तीसरा नहीं।”
Aditya ने उसे अपनी बाँहों में लिया… और दोनों की कहानी फिर से शुरू हुई — एक नई उम्मीद, एक नया विश्वास।
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To Be Continued…
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