ये कहानी है मीरा और राज थी । मीरा जो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और मासूम थी । वे एक मेडिकल स्टूडेंट थी । जो दुनिया के सामने बहुत ही सीधी सादी रहती थी । लेकिन असलियत में उसकी क्या पहचान है । ये बहुत कम लोग जानते थे । वे अपनी आंखो में बदले की आग लिए राज सि... ये कहानी है मीरा और राज थी । मीरा जो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और मासूम थी । वे एक मेडिकल स्टूडेंट थी । जो दुनिया के सामने बहुत ही सीधी सादी रहती थी । लेकिन असलियत में उसकी क्या पहचान है । ये बहुत कम लोग जानते थे । वे अपनी आंखो में बदले की आग लिए राज सिंघानिया की एकलौती बहन के पति मयंक को मार देती हैं । राज जो अपने परिवार से बहुत प्यार करता था । उसे जैसे ही पता चला की ये सब के पीछे मीरा का हाथ है । वे उसके बेइंतहा नफ़रत करने लगता हैं और अपनें नफ़रत और बदले की आग में वे मीरा को अपनी कैद में रख इतना टॉर्चर करता है कि लोगों की रूह भी कांप जाए । आखिर मीरा की असली पहचान क्या थी ? मीरा ने आखिर किस चीज़ के बदले के लिया मयंक को मारा ? अब राज अपने बदले और नफ़रत में मीरा को किस हद तक टॉर्चर करेगा ? इन सभी बातों को जानने के लिए दोस्तों पढ़ते रहिए " force wife " सिर्फ और सिर्फ "story mania" पर । ।
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चैप्टर = 1
इस स्टोरी मे दर्द, पागलपन, जुनून, सनक, रोमांच, इमोशन, दीवानापन सब कुछ देखने को मिलने वाला है, मगर धीरे धीरे ।
तो दोस्तो शुरू करते हैं आज की कहानी ।
छोड़ो मुझे छोड़ो, कौन हो तुम लोग और ये मेरे साथ क्या करने की कोशिश कर रहें हो । ।
मीरा ने इतना बोला ही था कि उसे अपने सामने बैठे आदमी की जोर जोर से हंसने की आवाज़ सुनाई देती है । ये हंसी कोई नॉर्मल हंसी नही बल्कि एक खतरनाक हंसी थी । ।
फ्लैशबैक
रात दो बजे नाईट क्लब में
एक आदमी देखने मे सिक्योरिटी गार्ड लग रहा था । उसकी हालत देखने मे बहुत बूरी लग रही थी । जैसे किसी ने उसे बहुत ही बुरी तरीके से मारा हो । वे गार्डस अपने सामने खड़ी मास्क पहनी हुई लड़की से हाथ जोड़ते हुए कहता है । ।
" प्लीज मुझे जाने दो । मुझे मत मारो । मुझे मत मारो । । "
उसने इतना बोला ही था कि वे मास्क वाली लड़की जिसका चेहरा मास्क से अच्छे से कवर था । वे अपने हाथो में पकड़े हुए इंजेक्शन को उस इन्सान के गले मे बेहराहेमी से लगा देती हैं । जिसके तुरंत बाद ही उस आदमी का शरीर फूलने लगता हैं । जिसे देख वे लड़की वहा से निकल जाती हैं ।
जाने के पहले वे लड़की उस कमरे मे एक जलती हुई लाइटर फेंक देती हैं । उसके जाने के कुछ ही देर बाद उस आदमी का फूला हुआ शरीर ब्लास्ट हो जाता हैं । और उसके शरीर का एक एक हिस्सा बेरहमी से चारो तरफ फैल जाता हैं । अगर कोई इस तरह से देख ले तो उसकी रूह कांप जाए । कुछ ही देर मे वो रूम जलने लगता हैं । ।
अगली सुबह
एक छोटे से घर में एक बहुत ही खुबसरत सी लड़की जिसकी उम्र 18 साल की है । वे अपने आंखो में दर्द लिए गुस्से से अपने सामने खड़ी अपनी मासी निर्मला से कहती हैं । ।
" मासी आज मेरा सालो का बदला पूरा होने वाला है । उन चार लोगो मै से मैने तीन लोगो को तो मार दिया । बस ये आखिरी इन्सान बचा हुआ है । बस आज रात इसे मार कर हम कल के कल यहां से बहुत दूर चले जायेंगे । जहां पर हमे एक सुकून, एक शान्ति मिल पाए । । "
" ठिक है मीरा बेटा जैसा तूझे सही लगे । मै हमेशा तेरे साथ रहूंगी । तू जो करना चाहती है, तू वे कर, मै तूझे नही रोकउंगी । बस तू अपना खयाल रखना और एक बात का खासकर धयन रखना की तेरा चेहरा कोई ना देखे । । "
अपनी मासी निर्मला की बात सुनकर मीरा अपना सिर हां में हिला देती हैं और कहती हैं । ।
" मासी अब मै मेडिकल कॉलेज जा रही हु ,प्रोजेक्ट जमा करना है । बस थोड़ी देर में आ जाऊंगी । । "
" बेटा तू क्यू जाती हैं मेडिकल कॉलेज, तूझे खुद भी अच्छे से पता है कि तू क्या है । तू चाहे तो मरे हुए इंसान को भी जीवनदान दे सकती हैं । इतनी तबिलियत हैं तुजमे , तो फिर ये कॉलेज जाने का क्या फायदा । मै जानती हूं मासी लेकिन फिर भी मुझे जाना होगा । क्योंकि फ्यूचर में कुछ भी करने के लिए मुझे इस डिग्री की जरूरत पड़ सकती है । इसलिए मेरा कॉलेज जाना जरूरी है । । "
इतना बोल वे कमरे में जाती हैं और अपने स्वभाव से अलग सिंपल का सूट पहन , अपने बालो में देर सारा चमेली का तेल लगा अपने बालो की दो छोटी बना लेती हैं और अपने नीली आंखो पर बड़े बड़े बैटरी वाले चश्मे लगा लेती हैं । उसका लुक अब एकदम डरी सहमी बेवकूफ लडकी की तरह हो गया था ।
तैयार होने के बाद वे अपना बैग ले कर कॉलेज के लिए निकल जाती हैं । ।
मेडिकल कॉलेज
मीरा के कॉलेज पहुंचते ही उसके कॉलेज की एकलौती दोस्त मान्या उसे गेट के पास खड़ी हुई दिखाई देती है । मीरा को देखते ही मान्या उसके पास जाते हुए कहती हैं । ।
" मीरा जल्दी कर कुछ ही समय बचा है प्रोजेक्ट जमा करने के लिए अगर टाइम पर हमने प्रोजेक्ट जमा नहीं किया ना तो हमारे सारे नंबर वे खडूस प्रोफेसर काट लेगा । । "
मान्या की बात सुनकर मीरा अपना सिर हां मै हिला देती है । कुछ ही देर मे दोनो प्रोजेक्ट जमा कर कैंटीन में आती है और मान्या चाउमीन और सैंडविस ऑर्डर करती हैं । मीरा बोलती है । ।
" मान्या मूझे आज जल्दी जाना है घर पर कुछ काम है । तू अकेले ही क्लास कर लेना आज । । "
" ठिक है पहले कुछ खा ले । । "
ऑर्डर आने के बाद दोनो खाने लगती हैं । तभी वहा पर अमन और उसके दो दोस्त रोहित और सौरभ आते हैं । जो मीरा को हमेशा परेशान करते रहते हैं । क्युकी मीरा कॉलेज मे डरी सहमी, कम बोलने वाली लड़की की तरह रहती थी ।
( पर असर मे उसकी रियलिटी क्या है ये आप लोगों को आने वाली स्टोरी में जल्द ही पता चल जायेगा । )
अमन के दोनो दोस्त आकर मीरा और मान्या के पास चेयर लगा कर बैठ जाते है और मीरा के गालों को खींचते हुए अमन बोलता है । ।
" हाय मेरी भोली भाली , डरी सहमी , मीरू बच्ची कैसी है । चाउमीन खा रही है । चल हमारे लिए भी ऑर्डर कर, हमारे लिए अगर तूने हमारे मनपसंद की सारी चीज़े ऑर्डर कर दी । तो आज मै तूझे परेशान नही करूंगा । । "
अमन की बात सुनकर मीरा अमन और उसके दोनो दोस्तों के लिए उसके मनपसंद का लगभग सारा खाना मंगवा देती है ।
मीरा चाहती तो इन सब को अच्छे से सबक सिखा सकती थी । पर मीरा इन्हे जानबूझ कर कुछ नहीं बोलती थी । क्युकी भले ही ये लोग मीरा को परेशान करते थे । पर कभी भी इन्होंने अपनी लिमिट क्रॉस नही की , ना ही इनकी आंखों में कोई हवस या गलत भाव मीरा की दिखे । बस ये लोग ज्यादातर तभी आते थे । जब मीरा कैंटीन में होती थी , और फिर मीरा को जानबूझ कर परेशान करके उसके अपनी मनपसंद की चीज ऑर्डर करवा कर खाते थे । फिर चले जाते थे । ।
सारा खाना आने के बाद अमन , रोहित और सौरभ तीनो अपना अपना खाना खाने लगते हैं । अमन बीच बीच में मीरा को भी अपने हाथो से अपनी प्लेट से खाना खिला रहा था और उसकी छोटी भी खिंच रहा था । जो करना उसे बहुत पसंद था । ।
कुछ देर में मीरा और मान्या अपना खाना खत्म करके वहा से चली जाती हैं । उन दोनो के जाने के बाद रोहित अमन के पूछता है । ।
" भाई ये सब क्या है ? तू तुझ इतना अमीर है कि तू चाहे तो पूरा कॉलेज को ज़िंदगी भर फ्री में खाना खिला सकता है । लेकिन पता नहीं क्यू , जब से ये लडकी कॉलेज में आई है । तब से तू इसे इसी तरह परेशान कर बस खाना ऑर्डर करवा कर छोड़ देता है । ऐसा क्यू भाई ? ? "
" क्यू वे मुझे बाकी लडकियो के काफ़ी अलग लगती है । उसे इस तरह परेशान करना मुझे अच्छा लगता हैं । पर क्या फायदा मेरा इतना सब कुछ करने का हम इतने दिनो से उसके साथ है । पर मैंने उसके चेहरे पर कभी भी स्माइल नही देखी । चेहरा तो इतना मासूम है लेकिन शायद उसके दिल में बहुत दर्द है ।
जिसने उसकी सारी खुशियां छीन ली है । मै तो बस उसे परेशान करता हूं की वे थोड़ा सा हम लोगों से बोले , थोड़ा हंसे , थोड़ा खुल कर अपनी ज़िंदगी जिए । पर ये कुछ ऐसा करती ही नही है । पता नही इसके साथ क्या हुआ है जो ये ऐसी है । चल ये सब छोड़ आज पार्टी के लिए चलते हैं रात को । । "
" हां भाई ठीक है । वैसे भी बहुत दिन हो गया हमने पार्टी नही की । । "
इतना बोल सौरभ अपनी चेयर के उठ दोनो के साथ कॉलेज से निकल जाता हैं । ।
❤️ ❤️ ❤️ ❤️
आज के लिए बस इतना ही दोस्तो
स्टोरी को लाइक, कॉमेंट एंड रिव्यू जरूर दे एंड मुझे फॉलो करना ना भूले । बाकी आपकी मर्जी 😊
चैप्टर 2
इधर दूसरी तरफ R. S. ऑफिस के अंदर 20वें फ्लोर के एक बड़े और आलीशान कैबिन के अंदर एक बेहद हैंडसम और एरोगेंट लड़का राज सिंघानिया, जिसकी उम्र 25 साल थी, अपने सामने खड़े असिस्टेंट मनोज से अपनी खतरनाक आवाज में धमकी देते हुए कहता है,
"कल के कल मुझे उस आदमी का नाम चाहिए, जो हमारी कंपनी में रहकर हमीं से गद्दारी कर रहा है। अगर कल तक ये काम नहीं हुआ तो मैं तुम्हारा क्या हाल करूंगा, ये तुम अच्छे से जानते हो।"
उसकी इतनी खतरनाक आवाज और धमकी को सुनकर असिस्टेंट के माथे पर पसीने आने लगते हैं, क्योंकि वह अच्छे से जानता था कि अगर काम नहीं हुआ तो उसके बॉस उसे ऐसी सजा देंगे कि उसकी रूह भी कांप जाए। इसलिए वह जल्दी से घबराहट के साथ बोलता है,
"बॉस काम हो जायेगा। आप चिंता मत कीजिए। मैं हूं ना, कल तक आपको सब कुछ पता करके बता दूंगा।"
इतना बोल असिस्टेंट लगभग दौड़ते हुए कैबिन के बाहर भाग जाता है, जैसे कोई शेर उसके पीछे पड़ा हो। मनोज के जाने के बाद राज फिर से लैपटॉप पर अपना काम करने लगता है।
रात 8 बजे
ताज होटल
इस होटल के एक प्राइवेट कमरे में मयंक सिंह अपनी गर्लफ्रेंड मिशा के साथ बैठा ड्रिंक कर रहा था। मिशा मयंक को देख कर बोली,
"मयंक बेबी तुम मुझसे शादी कब कर रहे हो। हम पिछले 5 सालों से रिलेशन में है, लेकिन फिर भी तुम मुझे छोड़ उस प्रिया से शादी कर ली, जो कभी मां भी नहीं बन सकती।"
"मिशा बेबी तुम जानती हो ना मैंने उस बेवकूफ औरत से शादी क्यूं की, क्योंकि वह कोई मामूली लड़की नहीं राज सिंघानिया की एकलौती बहन प्रिया सिंघानिया है। तुम्हें मालूम है ना मैं कौन था।
एक मिडल क्लास फैमिली का मामूली लड़का, मैंने इस गरीबी से छुटकारा पाने के लिए तुम्हें नहीं पता कितनी मेहनत की है, उस बेवकूफ औरत को अपने जाल में फंसाने के लिए, तुम्हें नहीं पता बेबी उस परिवार के सामने अच्छाई का नाटक करके-करके मैं कितना इरिटेट हो जाता हूं।
पर फिर भी मैं करता हूं, वरना तुम्हें लगता हैं बेबी उस राज सिंघानिया को बेवकूफ बनाना इतना आसान है। वह जितना अपने परिवार वालों के सामने नरम है उतना ही क्रूअल और खतरनाक वह दुनिया वालों के सामने है।
आज वह मुझ पर आंख बंद करके विश्वास करता है तो उसकी वजह मेरी सालों की मेहनत है जो मैंने बहुत मेहनत से कमाई है, लेकिन आज भी मेरी एक गलती मेरी मौत का कारण बन सकती है।
अगर गलती से भी उसे मुझ पर शक हुआ ना बेबी तो तुम नहीं जानती उसे सच्चाई तक पहुंचने में बिल्कुल भी देर नहीं लगेगी।"
"हां ठीक है बेबी बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो। वैसे तुम अपनी उस बेवकूफ बीवी को बेवकूफ बनाकर अच्छे खासे पैसे रोज निकलवा लेते हो। कभी तो आज सिंघानिया के पैसों पर तुम ऐश कर रहे हो।"
"क्या करूं बेबी, टैलेंट है मेरा।"
इतना बोल वह जोर जोर से हंसने लगा। कुछ देर यूं ही बातें करने के बाद वह बोला,
"बेबी अब मैं चलता हूं, वहां डिनर का टाइम हो गया है। तुम जानती हो ना अगर मैं टाइम पर नहीं पहुंचा तो वह औरत मुझे हजार सवाल करेगी, जिससे मैं परेशान हो जाऊंगा, इसलिए अभी के लिए मैं चलता हूं। तुमसे बाद में मिलूंगा।"
इतना बोल वह उस कमरे से निकल जाता है। वहीं उसी होटल में मीरा एक हॉट ड्रेस पहने अपने चेहरे पर मास्क लगाए एंटर होती है और होटल के अंदर जाने लगती है।
वह थोड़ा आगे ही गई होगी तभी एक वेटर से उसकी टक्कर हो जाती है और उसका मास्क नीचे गिर जाता है, जिसे वह बिना किसी की नजरों में आए पहन कर उस वेटर से सॉरी बोल आगे निकल जाती है। तभी उसकी नजर मयंक पर पड़ती है, जो होटल के बाहर की तरफ बढ़ रहा था।
जिसे देख वह भी जानबूझकर उसी तरफ चली जाती है। मीरा के ठीक बगल से मयंक जा रहा था तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके हाथ में कुछ नुकीली चीज चुभी अभी-अभी, फिर वह उसे इग्नोर कर आगे बढ़ने लगता है।
वहीं मीरा अपना काम कर वहीं पर थोड़ी दूर पर पड़े एक टेबल पर बैठ जूस पीते हुए उसे जाते हुए मुस्कुरा रही थी। वह अपने मन में गिनती काउंट करने लगती है,
"टिक टिक 1, टिक टिक 2, टिक टिक 3, धमाका।"
उसके 3 बोलते ही मयंक जाते जाते वहीं गिर जाता है और उसका शरीर फूलने लगता है, साथ ही साथ उसका शरीर काला भी पड़ता जाता है। उसके शरीर की नसें उभरने लगती हैं।
जैसे उसका शरीर अब जल रहा हो। वह तड़प रहा था। उसके मुंह से दिल दहला देने वाली चीखें निकल रही थीं। यह देख होटल में मौजूद सभी लोग इकट्ठा हो जाते हैं और मयंक को इस तरह से देख सभी लोगों का दिल दहल जाता है।
क्योंकि राज की वजह से वहां पे मौजूद अधिकतर लोग मयंक को जानते थे। वहीं मीरा ये सब देख बस मुस्कुरा रही थी उसकी आंखों में आज पहली बार सुकून था।
तभी मैनेजर वहां जल्दी से आता है और मयंक की ऐसी हालत देख उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभर आती हैं। मैनेजर चिल्लाते हुए कहता है,
"अरे तुम लोग ऐसे क्या देख रहे हो। जल्दी उठाओ इसको, अगर इसे हमारे होटल में कुछ हो गया ना, तो ना तो हम बचेंगे ना ही हमारा होटल।"
इतना बोल मैनेजर कुछ आदमियों के साथ मयंक को उठा हॉस्पिटल ले जाता है। वहीं मीरा उसे जाते हुए देखते हुए कहती है,
"ले जाओ, लेकिन इसे कोई बचा नहीं सकता। यह ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है। मैं तो चाहती बाकी लोगों की तरह तुम्हें भी एक झटके में ही मार सकती थी, लेकिन मैं तुम्हें तड़पा-तड़पा कर मारना चाहती हूं, क्योंकि तुम्हारी गलती भी बाकी लोगों के कई ज्यादा है।"
इतना बोल वह वहां से निकल जाती है और अपने मोबाइल से उस होटल के सारे कैमरे के फुटेज को हैक कर डिलीट कर देती है और सीधा अपने घर की तरफ चली जाती है।
R. S. कंपनी
राज अपने कैबिन में अभी भी काम कर रहा था, तभी उसका मोबाइल रिंग किया। मोबाइल उठा कर उसने जैसे ही हेलो बोला उस तरफ से कुछ ऐसा कहा गया की राज के पैरों तले जमीन ही निकल गई।
चैप्टर 3
वे जल्दी से अपने ऑफिस से दौड़ता हुआ निकला। वहीं उसके असिस्टेंट ने जैसे ही अपने बॉस को इस तरह भागते हुए देखा तो वे समझ गया कि ज़रूर कोई इमरजेंसी है।
इसलिए वे जल्दी से ड्राइवर और बॉडीगार्ड्स की कार रेडी करने के लिए बोल देता है और खुद भी राज के पीछे दौड़ता हुआ चला जाता है। राज नीचे पहुँचते ही जल्दी से कार में बैठते हुए कहता है,
"जितनी स्पीड से कार चला सकते हो, उतनी स्पीड से चलाओ। अगर मुझे हॉस्पिटल पहुँचने में थोड़ी भी देरी हुई तो तुम जिंदा नहीं बचोगे।"
राज की बात सुनकर ड्राइवर के माथे पर पसीने की बूँदें चमकने लगती हैं। पर वे जल्दी से खुद को संभाल कर कार स्टार्ट कर देता है।
आधे घंटे का रास्ता वे दस मिनट में तय करता है। वहीं कार के रुकते ही राज दौड़ते हुए हॉस्पिटल के अंदर जाता है। वहीं असिस्टेंट और बॉडीगार्ड भी उसके पीछे-पीछे जाते हैं।
कमरे के पास पहुँचते ही राज को उस होटल का मैनेजर दिखता है। वो जाकर सीधा उस मैनेजर का कॉलर पकड़ते हुए पूछता है,
"कहाँ है मेरे मयंक जीजू?"
मैनेजर राज के इस रिएक्शन से इतना घबरा जाता है कि उसके मुँह से शब्द ही नहीं निकलते। लेकिन फिर भी वे अपनी उंगली से इशारा कर ऑपरेशन थिएटर के रूम की तरफ इशारा करता है,
जिसे देख वे मैनेजर को छोड़ जल्दी से ऑपरेशन थिएटर के अन्दर चला जाता है और मयंक की ऐसी हालत देख एक पल के लिए उसका भी दिल दहल जाता है।
क्योंकि मयंक की हालत इतनी खराब थी कि उसे कोई देख भी नहीं सकता था। तभी डॉक्टर की आवाज़ सुन वे होश में आता है जो कह रहा था,
"प्लीज मिस्टर सिंघानिया आप यहाँ से चले जाइए। पेशेंट की हालत बहुत ही ज्यादा खराब है। हमें इन्हे चेक करने दीजिए। वरना हम इन्हे बचा नहीं पाएँगे।"
डॉक्टर के इतना बोलते ही राज डॉक्टर का गला पकड़ते हुए दाँत पीसते हुए कहता है,
"अगर इन्हे कुछ हुआ तो तुम में से कोई नहीं बचेगा।"
इतना बोल वे डॉक्टर का गला छोड़ बाहर आ जाता है। वहीं वे डॉक्टर खाँसने लगता है, फिर जल्दी से वे मयंक का चेकअप करने लगता है। वहीं राज बाहर आता है तो उसकी आँखे खून की तरह लाल थीं,
जिसे देख वहाँ खड़ा मैनेजर, असिस्टेंट और बॉडीगार्ड्स सभी डर जाते हैं। वहीं राज सीधा मैनेजर के पास आ उसके अपनी खतरनाक आवाज़ में पूछता है,
"ये सब कैसे हुआ? किसकी इतनी हिम्मत हो गई की वे राज सिंघानिया से दुश्मनी ले सके?"
मैनेजर डरते-डरते सारी बात राज को बता देता है, जिसे सुन वे अपने सबसे वफादार बॉडीगार्ड शेरा को बुला कर कहता है,
"शेरा इस मैनेजर के साथ जाओ और वहाँ की सारी सी.सी.टी.वी. फुटेज ले कर आओ।"
शेरा हाँ बोल मैनेजर को वहाँ से ले निकल जाता है। वहीं दूसरी तरफ मीरा घर पहुँच अपनी मासी के गले लग रोते हुए कहती है,
"मासी आज आज मैंने उसे भी मार दिया। आज मेरा बदला पूरा हो गया। आज इतने सालों बाद मेरी दीदी और माँ की आत्मा को शांति मिल गई होगी। उसकी आत्मा को सुकून मिला होगा।"
"हाँ मेरी बच्ची अब तू चुप हो जा। आज तक तूने बहुत आँसू बहा लिए अब नहीं, अब तुझे अपनी ज़िंदगी अपने लिए जीनी होगी।"
"हाँ मासी आप बिल्कुल सही बोल रही हैं अब मै नहीं रोऊँगी। हम कल सुबह ही यहाँ से निकल जाएँगे। उसके बाद हम दूसरे शहर जा अपनी एक नई जिंदगी स्टार्ट करेंगे। वहाँ पर मै और आप खुशी खुशी रहेंगे।"
"अच्छा अब चल डिनर कर के सो जा, कल तेरी ज़िंदगी की एक नई शुरुआत होने वाली है।"
मासी की बात सुनकर मीरा अपना सिर हाँ में हिला देती है और फ्रेश होने चली जाती है।
(कल मीरा की ज़िंदगी में नई शुरुआत होने ज़रूर वाली है पर वे शुरुआत अच्छी है या बुरी वे तो वक्त ही बताएगा।)
वहीं दूसरी तरफ राज अपनी लाल आँखों में गुस्सा लिए हॉस्पिटल में बैठा हुआ था। तभी उसे शेरा का कॉल आता है तो वे रिसीव कर लेता है। उधर से शेरा बोलता है,
"बॉस मैंने आज की सारी फुटेज चेक कर ली। लेकिन 2 घंटे की सारी फुटेज डिलीट है। इसलिए मयंक सर के साथ किसने ये सब किया है, हमे ये मालूम नहीं चल पाया।"
राज अपने दाँत पीसते हुए कहता है,
"शेरा क्या तुम पहली बार ये काम कर रहे हो, जो तुम्हे बताना पड़ेगा की अगर फुटेज डिलीट हो जाए तो उसे वापस कैसे लाया जाता है?
मुझे आधे घंटे में तुम फुटेज के साथ साथ उस इंसान की भी सारी जानकारी सहित, मेरे सामने होने चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो तुम भूल ही जाना की कल की सुबह तुम देख पाओगे।"
इतना बोल वे फोन तुरंत कट कर देता है। वहीं ऑपरेशन थिएटर के अंदर डॉक्टर की हालत खराब हो रहीं थीं। उन्हे समझ में ही नहीं आ रहा था कि ऐसी कौन की दवाई दी गई है जिसके इनकी हालत ऐसी हो गई है। कुछ ही देर मे डॉक्टर बाहर आते हैं और डरते हुए कहते हैं,
"मिस्टर सिंघानिया देखिए इन्हे कोई बहुत ही खतरनाक दवाई दी गई है, जिसके इनकी जान बचा पाना मुश्किल है। अगर इस दवाई का एंटीडोर मिल जायेगा, तभी हम इन्हे बचा पाएँगे। वरना इन्हे ज्यादा दिन तक बचाया नहीं जा सकता।"
"अगर एंटीडॉर से ठीक हो सकते है तो तुम लोग एंटीडोर बनाओ। यहां क्या कर रहे हो?"
"मिस्टर सिंघानिया हमे माफ कर दीजिए। ये बहुत ही खतरनाक दवाई है हम इसका एंटीडोर नहीं बना सकते। इसका एंटीडोर सिर्फ़ उसी के पास होगा, जिसने ये दवाई इन्हे दी है या जिसने ये दवाई बनाई है।"
इतना बोल डॉक्टर चुप हो जाता हैं। तभी वहा शेरा आ जाता हैं। जिसे देख राज डॉक्टर को वहा से जानें का इशारा करता है। डॉक्टर जल्दी से वहा से चला जाता हैं। शेरा पहले फुटेज दिखाता है,
जिसे देख राज के आंखो में मानो खून आ जाता हैं। वे नफरत से मीरा के नीली आंखो में देख रहा था। तभी शेरा मीरा की इंफॉर्मेशन बताने को होता है तभी राज उसे रोकते हुए कहता है,
"इस इन्फॉर्मेशन को मेरे स्टडी रूम में रख देना। मै डार्क विला जा रहा हूं। मुझे आधे घण्टे में ये लड़की अपने डार्क विला में चाहिए।"
इतना बोल वे हॉस्पिटल में अपने एसिस्टैंस और बॉडीगार्डस को छोड़ डार्क विला चला जाता हैं। वही शेरा भी कुछ बॉडीगार्ड को लेकर मीरा के घर की तरफ़ चला जाता हैं।
चैप्टर 4: मीरा राज की कैद में
अब आगे:
इधर, मीरा और उसकी मासी निर्मला दोनों डिनर कर सोने ही जा रही थीं कि तभी डोर बेल बजी, जिसे सुन दोनों के कदम अपनी जगह पर ठहर गए। निर्मला मीरा को देख कहती हैं,
"इस समय कौन हो सकता है बेटा?"
"पता नहीं मासी, आप रुकिए, मैं देख कर आती हूं।"
इतना बोल वे डोर खोलने के लिए चली जाती हैं। डोर खोलते ही शेरा और कुछ बॉडीगार्डस घर के अन्दर घुस गए। मीरा कुछ बोल पाती, तभी उस पर शेरा ने कुछ स्प्रे किया, जिसके मीरा बेहोश हो गई, जिसे देख वे उसे अपनी गोद में उठा बाहर की ओर चला गया। मासी को भी बॉडीगार्डस ने बेहोश कर दिया था। उन्हें भी बॉडीगार्डस उठाकर दूसरी गाड़ी में ले कर चले गए।
कुछ देर बाद डार्क विला में बहुत सी गाड़ियां आकर रुकीं। शेरा बेहोश मीरा को उठाकर बेसमेंट में चला गया और वहीं पर चेयर पर बैठा कर एक बटन प्रेस किया, जिसके मीरा के हाथ में अपने आप हथकड़ी लग गई।
तभी वहां राज आया और मीरा के ठीक सामने बैठ गया। इस समय मीरा ने अपनी आंखों में चश्मा नहीं लगाया था और उसके बाल भी खुले हुए थे, जो मीरा के चेहरे पर बिखरे हुए थे। राज उस चेहरे को नफ़रत से देख शेरा से बोला,
"इसके घर में और कौन था?"
"बॉस, इसकी मासी थी, जिन्हें बेहोश कर हमने टॉर्चर विला में रखा हुआ है।"
"गुड! अब इसे होश में लाओ।"
राज के इतना बोलते ही शेरा ने एक बटन प्रेस किया और ऊपर से बर्फ से भी ठंडा पानी मीरा के ऊपर गिरने लगा, जिसके मीरा 1 मिनट के अंदर ही होश में आ गई। होश में आते ही उसे ठंड का अहसास हुआ।
तभी वे आंखे खोल देखती है तो उसके ऊपर ठंडा पानी गिर रहा है और उसके सामने एक आदमी बैठा हुआ है और पीछे वे आदमी खड़ा है जो उसके घर आया था उसे किडनैप करने। उसके होश में आते ही पानी को बंद कर दिया गया।
वही मीरा ने जब महसूस किया की पानी बंद हो गया तो अपने सामने बैठे राज से कांपती आवाज़ में पूछा,
"कौन हो आप? मुझे इस तरह से किडनैप कर यहां क्यूं लाया गया है?"
इसके आगे वो कुछ और बोल पाती, तभी उसे राज की खतरनाक हंसी सुनाई देती है।
फ्लैशबैक एंड
राज अपनी चेयर से खड़ा हो उसके चेहरे पर जोरदार तमाचा दे मारता है, जिसके मीरा का चेहरा एक तरफ़ झुक जाता है और उसके होंठों के किनारे से ख़ून निकलने लगता है। उसके बाद वे मीरा के बालो को पकड़ अपने चेहरे के सामने ला दांत पीसते हुए कहता है,
"यहां पर सवाल मै करता हूं, समझ में आया? तो जैसा जैसा पुछु वैसा वैसा सही सही जवाब देना, वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।"
इतना बोल वे मीरा के बालो को छोड़ अपनी चेयर पर बैठ बोलता है,
"मुझे बात घुमाने की बिल्कुल भी आदत नहीं है, इसलिए सीधा सीधा पूछ रहा हूं और मुझे जवाब भी सीधा सीधा ही चाहिए। क्यूं मारा तुमने मयंक सिंह को?"
मयंक का नाम सुनते ही मीरा के चेहरे के भाव अचानक बदल गए और डर की जगह नफरत ने ले ली, जो राज ने बहुत अच्छे से नोटिस कर लिया। मीरा फिर अपने चेहरे के भाव बदलते हुए बोली,
"मयंक सिंह कोन मयंक सिंह, मै किसी मयंक सिंह को नही जानती।"
मीरा के इतना बोलते ही राज को बहुत गुस्सा आया, लेकिन फिर भी उसने अपने आप को कंट्रोल करते हुए, शेरा की तरफ अपने हाथ बढ़ा दिया, तो शेरा ने एक टैबलेट में होटल वाला वीडियो लगा राज के हाथो में वे टैब दिया, जिसको राज ने मीरा को दिखाते हुए कहा,
"अब बताओ क्यूं मारा?"
उस वीडियो में साफ-साफ मीरा का चेहरा शो हो रहा था और ये भी दिखाया जा रहा था कि कैसे मीरा ने बहुत ही होशियारी से वे सुई मयंक के हाथ में डाली।
वीडियो देखने के बाद मीरा को समझ में नहीं आया की ये वीडियो इन सब को मिला कैसे? क्युकी उसे अच्छे से याद था कि वे वीडियो उसने डिलीट कर दी थी। अब उसे पता चल गया कि यहां बैठा ये इन्सान कोई मामूली इंसान नही है।
वे कोई पॉवरफुल इंसान है। क्युकी इस तरह डीलीट वीडियो को फिर से वापस लाना कोई मामूली इंसान की बात नही है। मीरा अपने ख्यालों में घूम ही थी, तभी उसे राज की खतरनाक आवाज अपने कानो में सुनाई दी,
"बोलो क्यूं किया तुमने, तुम्हे मै ये आखिरी मौका दे रहा हु। अगर तुमने सच नही बताया तो उसके बाद तुम्हारी क्या हालत होगी, वे तुम सपने मे भी नही सोच सकती?"
राज की बात सुनकर उसने राज को सारी बात बताना ही सही समझा क्योंकि अब उसका बदला भी पूरा हो गया था तो कुछ भी छिपाने का कोई फायदा नहीं था, इसलिए वे अपने आंखो में नफरत लिए बोली,
"सही कहा तुमने, मैने ही मारा उसे। क्युकी वे उसी लायक था। वे एक बहुत ही घटिया और गिरा हुआ इंसान हैं। उसने पता नही कितनी लडकियो के इज्जत के साथ खेलवार किया है।"
मीरा ने इतना बोला ही था की एक जोरदार तमाचा फिर से उसके मुंह पर पड़ा। ये थप्पड़ इतनी तेज राज ने मारा था कि मीरा का पूरा चेहरा सुन्न पड़ गया। राज उसके जबड़े को पकड़ दबाते हुए बोला,
"अब मुझे तुम्हारे मुंह से कुछ भी सुनने की जरूरत नही है, क्योंकि मुझे पता चल गया कि तुम एक घटिया और गिरी हुई लड़की हो। ये सब झूठ सिर्फ पैसे के लिए बोल रही हो ना।
पर अब तू पछाएगी की क्यू तूने पैसों के लिए ये घटिया हरकत की। अब भुल जा की मै तेरे हाथ एक फूटी कोड़ी भी लगने दूंगा। अब चल जो दवाई तूने उन्हे दी है उसका एंटीडोर मुझे दे।"
"मेरे पास नही है और मुझे पता भी नही है की उसका एंटीडोर कहा है।"
उसने इतना बोला ही था की उसे एक गन शूट की आवाज़ सुनाई दी, जिसे सुन मीरा ने तुरंत सिर उठा कर देखा, तो उसकी मासी एक चेयर से बंधी हुई बेहोश थी।
और गन की आवाज़ उनके सिर के उपर के जाते हुए दीवार पड़ लगी हुई थी, जिसे देख मीरा ने चैन की सांस ली। तभी उसे राज की आवाज़ दुबारा आई,
"ये गोली जानबूझकर मैने दीवार पड़ चलवाई, पर अगर तुमने अब की बार मुझे सही जवाब नहीं दिया तो ये गोली कहा लगेगी ये मुझे भी नही पता।"
"मैने कहा ना मेरे पास उस दवाई का एंटीडोर नही है।"
उसने इतना कहा ही था कि उसकी एक चीख निकल गई। वे जोर से चिल्लाई,
"मासी।"
चैप्टर 5: राज का मीरा को पनिशमेंट देना
मीरा ने इतना बोला ही था कि उसकी एक चीख निकल गई, क्योंकि अबकी गोली उसकी मासी के हाथ पर लगी हुई थी। जिसे देख वे ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं, क्योंकि इस दुनिया में उसकी मासी के अलावा और है ही कौन? अगर उन्हें कुछ हो गया तो वे कैसे जिएंगी? इस बार राज अपने दांत पीस कर बोला,
"अबकी तुमने अगर एक भी लफ्ज़ अपने मुंह से झूठ निकाला तो ये गोली सीधा तुम्हारी मासी के सीने के आर-पार होगी। इसलिए झूठ बोलने के पहले सौ बार सोच लेना।"
राज की बात सुनकर मीरा ने अपनी आंखें बंद की और राज को देखते हुए बोली,
"मैंने वे दवाई अपने मेडिकल कॉलेज में देखी थी, और वहां पर कुछ स्टूडेंट को बात करते हुए भी सुना था कि ये दवाई बहुत ही ज़्यादा खतरनाक है। मैंने बस वहीं से ये दवाई चुराई। उसका एंटीडोट भी वहीं लैब में है।"
इतना बोल वे चुप हो गई। वहीं राज ने शेरा को इशारा किया जिसे समझ शेरा दवाई लेने मेडिकल कॉलेज चला गया। मीरा को देख राज अपनी खतरनाक आवाज में बोला,
"अगर इस बार झूठ बोला होगा ना तुमने तो तुम्हारी मासी तो मरेगी ही, लेकिन तुम्हें मैं इतनी दर्दनाक मौत दूंगा कि अगला जन्म लेने के बारे में भी तुम सौ बार सोचोगी।"
इतना बोल वे भी कमरे से निकल गया। वहीं मीरा राज को जाता हुआ देख खुद से ही बोली,
"तुम लोगों को क्या लगता है, तुम लोगों के टॉर्चर करने से मैं उस हैवान को छोड़ दूंगी, कभी नहीं। वे तड़प-तड़प कर मरेगा। मैंने जो तुम लोगों को एंटीडोट बताया है वे भले ही उसकी तबियत में सुधार लाएगा, लेकिन वे पूरी तरीके से कभी भी ठीक नहीं होगा। क्योंकि मैंने तो उसका एंटीडोट बनाया ही नहीं और उसका एंटीडोट जब तक मैं नहीं बनाती, तब तक कोई भी नहीं बना सकता। तो मिस्टर जो भी तुम्हारा नाम है, कोशिश कर के देख लो उस हैवान को बचाने की पर वे बच नहीं पाएगा।"
इतना बोलते ही उसकी आंखों के सामने कुछ पुरानी यादें आ गई, जिसमें एक लड़की चीख रही थी। उसे याद कर मीरा की आंखों में खून उतर आया।
वहीं दूसरी तरफ हॉस्पिटल में शेरा एंटीडोट ला कर डॉक्टर को दे देता है। डॉक्टर थोड़ी देर बाद एंटीडोट मयंक को देकर बाहर आता है तो राज डॉक्टर को देख पूछता है,
"अब कैसे हैं जीजू, कब तक ठीक हो जायेंगे वो?"
"मिस्टर सिंघानिया हमने वे एंटीडोट उन्हें दे दिया है और उनकी हालत भी पहले से बेहतर है, लेकिन वे पैरालाइज्ड हो चुके हैं। उनके शरीर का कोई भी हिस्सा काम नहीं कर रहा है, क्योंकि जो दवाई उन्हें दी गई थी वे काफ़ी ज्यादा खतरनाक थी। तो उसका असर खत्म होने मे टाइम लगेगा।"
"कितना टाइम लगेगा डॉक्टर?" राज बोला।
"सर सॉरी पर ये हम नहीं बता सकते। एक महीने भी लग सकते है उन्हें ठीक होने में, या एक साल भी।"
इतना बोल डॉक्टर वहा से चला जाता हैं। वही डॉक्टर की बात सुनकर राज की आंखो में मीरा के लिए नफ़रत बढ़ती जाती हैं। वे खुद से ही बोला,
"मिस मीरा शर्मा तैयार हो जाओ अपनी सजा भुगतने के लिए, अब तुम्हे मुझसे कोई नहीं बचा सकता।"
तभी उसका फोन रिंग होने लगा। उसने फोन निकाल कर देखा तो उसकी बहन खुशी, जिसे वे जान से भी ज्यादा प्यार करता था, उसका कॉल था। वे कॉल रिसीव करते हुए बोला,
"हां दी बोलिए।"
"भाई आप कहां हो? और ये कहां पर है, मै कब से इनका फोन ट्राई करने की कोशिश कर रही हु, पर लग ही नहीं रहा है।"
"दी जीजा जी, बिज़नेस मीटिंग के लिए अब्रॉड गए हुए हैं तो आपका कॉल नहीं लगेगा उन्हें। आप टेंशन मत लीजिए और सो जाइए, क्योंकि मुझे भी काम है तो आज रात मैं भी घर नहीं आऊंगा।"
"पर भाई यू अचानक ये चले गए और एक बार भी मुझे कॉल करके नही बताया।"
"दी इमरजेंसी थी, इसलिए जाना पड़ा और जल्दी जल्दी में वे आपको नही बता पाए। अब आप डिनर कर के सो जाओ।"
इतना बोल राज फोन काट देता है। खुशी को भी कोई शक नहीं हुआ क्योंकि हमेशा ऐसा होता था कि मयंक बिना बताए बिजनेस मीटिंग के लिए चला जाता था। इसलिए वे भी कमरे मे जाकर सो गईं। वही राज भी डार्क विला के लिए निकल गया।
डार्क विला के बेसमेंट में जब वे पहुंचा तो उसने देखा मीरा वही चेयर के बंधे-बंधे ही सो रही है, जिसे देख उसका पारा हाई हो गया। उसने एक बटन प्रेस किया, तो उसमे से बर्फ के भी ठंडा पानी गिरने लगा। जिसके मीरा अचानक ही उठ गई। उसने आंखे खोली तो ठंडा पानी गिर रहा था। जिसके मीरा को बहुत ठंड लग रही थी, पर उसने सामने खड़े शैतान को नहीं देखा। उसे देख राज बटन प्रेस कर पानी गिरने से रोक देता है और मीरा के पास जा उसके बालों को पकड़ ऊपर उठाते हुए कहता है,
"तुझे बहुत शौक है ना लोगों को मार कर चैन की नींद सोने का तो ठीक है आज मै तुझे चैन की नींद सुलाता हूं।"
इतना बोल वे ठंडा पानी वाला बटन फिर से प्रेस करता है, जिसके ठंडा पानी मीरा के ऊपर गिरने लगता हैं। मीरा को बहुत ठंड लग रही थी। वे ठंड से कांपती हुई बोली,
"प्लीज मुझे छोड़ दो मुझे ठंड लग रही है। ये पानी बहुत ज्यादा ही ठंडा है। प्लीज मुझे छोड़ दो, मैने कुछ गलत नहीं किया, उस घटिया इन्सान को मार कर। वे बहुत घटिया है।"
इसके आगे मीरा कुछ और बोल पाती तभी उसके गालों पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ता है, जिसके मीरा का चेहरा एक तरफ झुक जाता हैं और उसके होठों के किनारे से खून बहने लगता हैं। राज उसके जबड़े को पकड़ तेजी से दबा देता है जिसके मीरा की चीख उसके गले में ही रह जाती है, क्योंकि राज ने इतनी तेज़ उसका जबड़ा पकड़ा हुआ था कि उसे ऐसा लग रहा था कि उसके चेहरे की हड्डी अभी ही टूट जाएंगी। दर्द के वजह से उसके गले से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी, ना ही वे खुद को छुड़वा पा रहि थी क्युकी उसके हाथ जो बंधे हुए थे। राज उसके जबड़े को और तेजी से दबाते हुए बोला,
"चुप बिल्कुल चुप, तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे जीजू के बारे में घटिया बाते बोलने की। तुझ जैसी लड़की जो पैसों के लिए किसी की जान ले सकती हैं, जो खुद इतनी घटिया है, उसे दूसरे के बारे में कुछ भी कहने का कोई हक नही है। पर इस बार तूने गलत इन्सान से पंगा ले लिया है। एक बात मेरी कान खोल कर सुन ले, आज के बाद अगर तेरे मुंह से मेरे जीजू का नाम भी निकला तो मै तेरी वे हालात करूंगा, जो तूने सपने में भी नही सोचा होगा।"
इतना बोल उसके जबड़े को छोड़ते हुए कहता है,
"अब तू इसी ठंडे पानी के नीचे रात भर रह, तब तेरी सारी अकड़ इस पानी के साथ बह जायेगी।"
चैप्टर 6
मीरा का बेहोश होना
अब आगे
"अब तू इसी ठंडे पानी के नीचे रात भर रह। तब तेरी सारी अकड़ इस पानी के साथ बह जायेगी।" इतना बोल राज जाने लगता है तभी मीरा अपने कांपते होठों से बोलती है, "प्लीज इसे बंद करो, ये पानी बहुत ठंडा है, मैं मर जाऊंगी। मुझे छोड़ दो, प्लीज मुझे छोड़ दो।"
वह बोल रही थी, पर तब तक राज वहां से जा चुका था। मीरा खुद को हिम्मत देते हुए बोली, "नहीं मीरा तू कमजोर नहीं है। कोई कुछ भी कर ले तू यूं कमजोर नहीं पड़ सकती। कोई भी तेरी हिम्मत को तोड़ नहीं सकता। मासी सही बोलती है इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता। हमें अपनी मदद खुद ही करनी पड़ती है। तुझे इस ठंड को बरदास करना होगा। बस एक बार मुझे मेरी मासी का पता चल जाए फिर मैं मासी को लेकर यहां से हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊंगी। तब तक मुझे सोच समझ कर यहां रहना होगा।"
इतना बोल वह अपनी आंखे बंद कर ठंड को बरदास करने की कोशिश कर रही थी। ठंड से उसका पूरा शरीर कांप रहा था, पर उसका आत्मविश्वास उसे टूटने नहीं दे रहा था।
अगली सुबह
राज अपने बड़े से किंग साइज बेड पर आराम से सोया हुआ था। तभी उसकी नींद खुलती है तो देखता है कि 5 बज गए हैं। वह बेड से उठता है और फ्रेश होने के लिए चला जाता है और जिम वाले कपड़े पहनकर आता है और अपने रूम के बगल वाले रूम में चला जाता है जहा पर जिम की एक-एक चीज रखी हुई थी। वह वहा पर जिम करने लगता है, इस बात से बेखबर कि उसने मीरा को कल रात से ठंडे पानी में छोड़ा हुआ है। उसे इस बात का कोई होश ही नहीं था। वह अपनी डेली रूटीन की तरह जिम में पसीने बहा रहा था। क़रीब 2 घण्टे जिम में बिताने के बाद वह अपने रूम में जा शॉवर ऑन कर शॉवर लेने लगता है, पर जब उसके शरीर पर ठंडा पानी पड़ता है तभी उसके माइंड में कल रात की बाते हिंट करती हैं, और वह तुरंत कहता है, "ओ शीट, वह लड़की।"
इतना बोल शावर बंद कर जल्दी से लोअर और टी-शर्ट डाल बेसमेंट की तरफ चला जाता है। जब वह वहा पहुंचता है तो देखता है कि ठंडा पानी अभी भी मीरा के ऊपर गिर रहा है। उसका चेहरा सफेद पड़ चुका है और वह बेहोश हो चुकी है। राज तुरंत जा कर पानी को बंद करता है और मीरा के हाथो को अनलॉक कर उसे अपने गोद में उठा एक रूम में जा कर लेटा देता है और शेरा को कॉल करते हुए कहता है, "शेरा अगले 10 मिनट में लेडी डॉक्टर को लेकर तुरंत डार्क विला पहुंचो।"
इतना बोल बिना शेरा की बात सुने कॉल काट देता है और मीरा को ब्लैंकेट से कवर करते हुए बेहोश मीरा से कहता है, "ये मत सोचना की मै तुम्हे मरने नहीं देना चाहता। तुम मरोगी जरुर लेकिन तड़प तड़प कर मरोगी। दिन रात तुम्हे इतना तड़पाऊंग की तुम मौत की भीख मांगोगी पर अफसोस तुम्हे मौत नसीब नहीं होगी। तुमने मेरी फैमिली को टारगेट करके बहुत बड़ी गलती कर दी और मुझे पूरा विश्वास है कि ये काम तुम अकेली नही कर सकती। जरुर कोई ना कोई तुम्हारे साथ जरुर मिला हुआ है और मै उसका पता जरुर लगा कर रहूंगा। इंफेक्ट मै तुम्हे इतना तड़पाउंग की तू हार मान कर खुद मुझे उसका नाम बता देगी, फिर मै तुम दोनो को तड़पा तड़पा कर मारूंगा।"
इस समय राज की आंखो में मीरा के लिए नफरत साफ साफ देती जा सकती थी। तभी दरवाज़ा नॉक होता है। राज दरवाज़ा खोलता है तो शेरा एक फीमेल डॉक्टर के साथ आया था। शेरा डॉक्टर के साथ अंदर आते हुए, डॉक्टर को मीरा को चेक करने को बोल राज के पास आ जाता हैं तो राज शेरा को देख कहता है, "ये लड़की मरनी नही चाहिए। मुझे ये जिंदा चाहिए। अभी तो बहुत हिसाब बराबर करने है इसके, एक काम करो हिमा आंटी को डार्क विला में बुला लो और इस लड़की के साथ लगा दो, ताकि वह इस लड़की पर नजर रख सके और हमे इनफॉर्म कर सके।"
राज की बात सुनकर शेरा बस हां में सिर हिला देता है, जिसे देख राज अपने रूम में चला जाता है और कुछ देर में ऑफिस के लिए रेडी हो जाता हैं।
वही डॉक्टर के कहने पर शेरा ने डॉक्टर को कपड़े ला कर दे दिए थे। डॉक्टर मीरा के गीले कपड़े को बदल कर उसका चेकअप करती हैं। मीरा का चेकअप करने के बाद वह हैरानी से खुद से ही कहती हैं, "ओ गॉड, इस लड़की का शरीर को बिल्कुल ठंडा पड़ गया है। मै तो हैरान हू कि ये जिंदा कैसे है।"
इतना बोल वह जल्दी से एक इंजेक्शन मीरा को लगा देती हैं और उसे अच्छे से ब्लैंकेट के ढक कर बाहर आ जाती है, जहां पर शेरा और राज दोनो बिजनेस के रिलेटिव कुछ बाते कर रहे थे। तभी डॉक्टर वहा आते हुए सर झुका कर कहती हैं, "सर मैम की हालत बहुत खराब है। मैने उन्हे इंजेक्शन दे दिया है। अगर उन्हे 5 के 6 घण्टे बाद होश आ जाता हैं तो ठीक है, वरना उन्हे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा।"
"कोई जरूरत नही है उसे हॉस्पिटल जाने की जो भी होगा यही होगा। उसे जब तक होश नही आ जाता तब तक तुम यही पर रहो, क्योंकि वे लड़की मुझे जिंदा चाहिए। अगर उसे मेरे यहां वापस आने तक होश नही आया तो तुम भी कभी होश में नही रह पाओगी।"
इतना बोल राज वहा से ऑफिस के लिए निकल जाता हैं। उसी के पीछे पीछे शेरा भी निकल जाता है। वही डॉक्टर खुद की क़िस्मत को कोसते हुए कहती है, "हे भगवान, मैने क्या पाप किए थे जो आपने मुझे इस शैतान के घर में भेज दिया। दुनिया वाले सच कहते हैं, ये इंसान बहुत ही ज्यादा क्रुअल हैं। बेचारी लड़की की क्या हालत कर दी है। वे लड़की कितनी मासूम और खूबसूरत है, पता नही कैसे इस डेविल के हाथ लग गई।"
इतना बोल वह वापस मीरा के कमरे में चली जाती हैं।
चैप्टर 7
इधर दूसरी तरफ R. S. ऑफिस के एक अंधेरे कमरे में जहाँ पर हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी। वहाँ राज एक किंग साइज चेयर पर अपने हाथ में पड़ी एक नुकीली चाकू को गोल-गोल घुमाते हुए अपने सामने खड़े असिस्टेंट मनोज को बोलने का इशारा करता है। जिसे समझ असिस्टेंट अपने साथ रहे हुए एक अधेड़ उम्र के आदमी को राज के पैरों के पास फेंकते हुए कहता है,
"बॉस ये पूरब श्रीवास्तव है, बैंकिंग डिपार्टमेंट का मैनेजर, इसी ने कंपनी के इम्पोर्टेन्ट डॉक्यूमेंट चुरा कर हमारे बिज़नेस राइवल को दिए हैं और उसके बदले करोड़ों कमाए हैं। यहां तक कि हमारे कंपनी में से भी बहुत पैसों का इन्होंने घोटाला किया है।"
इतना बोल मनोज चुप हो जाता है। वही राज जो बहुत ध्यान से मनोज की सारी बातें सुन रहा था, वे पूरब को देखते हुए अपनी खतरनाक मगर शायराना अंदाज में कहता है,
"तो बताओ तुम्हे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए, तेरे साथ कैसा सुलूक किया जाए।"
राज की खतरनाक आवाज सुनकर पूरब का शरीर कांप रहा था और उसके माथे पर पसीने की बूंदे आ जाती हैं, जिसे साफ करते हुए वे बहुत मुश्किल से कहता है,
"बॉस प्लीज मेरी आखिरी गलती समझ कर मुझे माफ़ कर दीजिए। आगे से मै ऐसा कभी नही करूंगा। प्लीज बॉस इस बार मुझे माफ़ कर दीजिए, अगली बार मै आपको शिकायत का कोई मौका नही दूंगा।"
वे अभी बोल ही रहा था कि उसकी एक दर्दनाक चीख निकल जाती हैं, क्यूंकि राज ने वे चाकू उसके सीने में बेरहमी से घुसा दिए थे। वे उस चाकू को उसके सीने में घुमाते हुए बोला,
"मुझे पसंद नही की कोई मेरे सामने बकवास करे। मेरी नज़रों में गलती की कोई माफी नही होती बल्कि सजा होती है, वे भी दर्दनाक सजा।"
इतना बोल वे उस चाकू को बेरहमी से उसके सीने से निकाल उस चाकू को रुमाल से साफ करने लगता है। वहीं उस आदमी के सीने से खून पानी की तरह निकल रहा था, क्योंकि उसकी सांसे को बहुत पहले ही थम चुकी थी। राज वहा से जाते हुए बोला,
"ये गंदगी यहां से जल्द से जल्द साफ करो।"
इतना बोल राज वहा से निकल जाता है। वही मनोज अपनी घबराहट छुपाते हुए बॉडीगार्डस को बुला वहा से बॉडी हटवा सफाई करवा देता है।
शाम का वक्त
डार्क विला में
मीरा को धीरे-धीरे होश आने लगता है, जिसे देख डॉक्टर जो सोफे पर बैठी हुई मोबाइल चला रही थी वे जल्दी से मीरा के पास आती हैं। मीरा की आंख खुलती है तो सामने डॉक्टर को देख कंफ्यूज हो जाती हैं, जिसे देख डॉक्टर कहती हैं,
"तुम्हे होश आ गया, अब बताओ तुम्हारी तबियत कैसी है।"
मीरा बस हां में सिर हिला देती है। फिर उसे कल की सारी बात याद आने लगती हैं, जिसे याद कर उसकी आंखे हल्की नम हो जाती हैं। तभी वहा लगभग 50 साल की औरत जिसका नाम हिमा था और ये राज की सबसे वफादार सर्वेंट थी। राज भी इनकी रिस्पेक्ट करता था, क्योंकि ये बचपन से ही राज का खयाल रखती आ रही है। वे अपने हाथो में खाना लिए रुम में आती हैं। जब वे मीरा को देखती है तो एक पल के लिए उसकी खूबसूरती और मासूमियत मे खो सी जाती हैं। तभी उन्हें शेरा की बात याद आती है की इस लड़की ने मयंक की जान लेने की कोशिश की है जिसे याद कर हिमा मीरा को नफ़रत से देखते हुए कहती हैं,
"ये लो जल्दी से खाना खा लो और फिर दवाई खा लो, क्योंकि साहब आते ही होंगे। उसके बाद तुम्हे ये खाना भी शायद नसीब ना हो।"
इतना बोल हिमा वे खाने की प्लेट मीरा को दे देती है। मीरा भी खाना को देखती है तो बिना देरी किए उस खाने को लेकर जल्दी-जल्दी खाने लगती हैं, क्यूकी जब से वे डार्क विला में आई थी, उसके बाद से उसने कुछ भी नही खाया था। लगभग पांच मिनट में ही वे सारा खाना खा कर खत्म कर देती हैं। वही डॉक्टर और हिमा दोनो मीरा को इतनी जल्दी खाना खाने के हैरान थे। फिर उस बात को नजरअंदाज कर डॉक्टर जल्दी से मीरा को दवाई देती है, जिसे मीरा तुरंत खा लेती हैं, क्योंकि उसे पता था कि कुछ भी हो जाए उसे कमजोर नहीं पढ़ना हैं। उसे अभी अपनी लाइफ में अपने लिए और अपनी मासी के लिए बहुत कुछ करना है। इन सब चीजों के लिए पहले उसे यहां से निकलना होगा। जिस लिए उसे अपने अंदर एनर्जी चाहिए। वे कमजोर नही पड़ सकती थी, ना ही वे कोई कमजोर लड़की है। वही डॉक्टर और हिमा दोनो उस कमरे से चली जाती हैं। उसके बाद मीरा को दवाई की वजह से दुबारा नींद आ जाती है, जिसके वे सो जाती हैं।
रात का वक्त
राज ऑफिस से डायरेक्ट डार्क विला आता है। उसी के पीछे शेरा भी अंदर आता है। राज वही सोफे पर बैठ जाता हैं और शेरा राज के पीछे खड़ा हो जाता हैं। तभी हिमा दो पानी का गिलास लिए आती हैं, जिसे राज और शेरा को देती है। पानी पीने के बाद राज को मीरा की याद आती है, जिसे याद कर राज तुरंत हिमा से पूछता है,
"हिमा आंटी आप पानी लेकर क्यू आई? वे लड़की कहा है? उसे होश आया की नही।"
"जी साहब उस लड़की को शाम को ही होश आ गया था। उसे खाना खिला कर दवाई भी दे दिया था। अब वे रुम में आराम कर रही है।"
हिमा के मुंह के ये बात सुनते ही की वे लड़की रुम में आराम कर रही है। राज का पारा हाई हो जाता हैं और उसका ओरा खतरनाक हो जाता हैं। वे सीधा मीरा के रुम में जाता हैं और उसके आराम से सो रही मीरा को देखता है तो उसकी एक चोटी को अपने हाथो में पकड़ इतनी तेज़ खींचता है कि मीरा बेड से जमीन पर मुंह के बल गिर जाती है।
जिसके उसकी निंद एक झटके में खुल जाती हैं और गिरने की वजह से उसे अपने क़मर में दर्द महसूस होने लगता हैं। वे अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखती है तो राज के लाल आंखो में देख उसकी आंखो में भी डर नज़र आने लगता हैं। वही राज जब मीरा की आंखो में देखता है तो एक पल के लिए उसकी नीली आंखो में खो जाता हैं।
क्यूकी भले ही मीरा अपने आप को बेवकूफ और डरपोक दिखाने के लिए हमेशा अपने बालो में बहुत ज्यादा तेल लगा कर दो चोटी बंधती थी। लेकिन फिर भी उस चोटी की वजह से उसकी खूबसूरती छिप नही सकती थी। कुछ देर मीरा राज मीरा के खूबसूरती मे खो जाता हैं लेकिन तभी उसे मयंक का खयाल आता है की इस लड़की की वजह से वे ज़िंदगी और मौत के बीच लड़ रहे हैं। जिसे याद कर राज की आंखो में मीरा के लिए दुबारा नफरत दिखने लगती हैं।
राज मीरा के एक चोटी को पकड़ उसे खींचते हुए नीचे लेकर आता है। राज के इस तरह चोटी पकड़ने की वजह से मीरा को अपने बालो में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। क्यूकी राज चोटी को मजबूती से पकड़ मीरा को खिंच रहा था। मीरा राज से अपनी चोटी छोड़ने को कहती हैं। पर राज उसकी एक नही सुनता और उसे नीचे ला वही जमीन पर धकेल देता है।
चैप्टर 8
राज मीरा के बालों को खींचते हुए नीचे लेकर आता है और उसे वहीं जमीन पर धकेल देता है, जिससे मीरा के हाथों में चोट लग जाती है।
वहीं, शेरा और हिमा दोनों हॉल में खड़े मीरा को देख रहे थे, पर दोनों की आँखों में मीरा के लिए कोई भी दया की भावना नहीं थी। वहीं, राज आगे आ उसके जबड़े को पकड़ दबाते हुए दाँत पीसते हुए कहता है,
"तुझे किसने कहा था यहाँ आराम करने को? जो तू यहाँ आकर आराम से लेटी हुई है। तू आराम करेगी तो यहाँ का काम कौन करेगा? चल, तूने अब जितना आराम करना था कर लिया।
लेकिन अब एक पल भी तू मुझे आराम करते हुए दिखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। चल, सबसे पहले तू हम लोगों के लिए खाना बना कर ला। उसके बाद तुझे तेरा आगे का काम बताता हूँ।"
इतना बोल मीरा के जबड़े को छोड़ देता है और हिमा आंटी को देखते हुए कहता है,
"आंटी आप यहाँ पर कोई काम नहीं करेंगी, जब तक मैं आपको वे काम करने के लिए ना कहूँ। आपका काम इस लड़की पर नज़र रखना है और अगर ये कोई गलती करे, तो आप बिना किसी की कोई फिक्र किए इस लड़की को सज़ा दे दीजिएगा।"
हिमा आंटी हाँ में सिर हिला देती हैं। तभी मीरा की प्यारी सी आवाज़ उन तीनों के कानों में पड़ती है,
"मुझे खाना बनाना नहीं आता।"
ये बात सुनते ही राज दोबारा मीरा के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारता है, जिससे मीरा वापस से जमीन पर गिर जाती है। एक तो मीरा पहले से ही कमजोर थी, ऊपर से राज जब भी मौका मिलता, वे मीरा को दर्द देने में कोई कमी नहीं रखता था। उसे बस मीरा को सज़ा देने का मौका चाहिए। राज मीरा को देखते हुए कहता है,
"मुझे तुझ जैसी लड़की के बहाने नहीं चाहिए। जो लड़की लोगों का खून करना जानती है, वह लड़की खाना बनाना ना जानती हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।
मुझे 20 मिनट में डाइनिंग टेबल पर डिनर लगा हुआ मिलना चाहिए, वरना अगली पनिशमेंट के लिए तैयार रहना।"
इतना बोल बिना किसी पर ध्यान दिए राज ऊपर अपने कमरे में फ्रेश होने चला जाता है। शेरा भी विला के दूसरे साइड अपने कमरे में फ्रेश होने चला जाता है। हिमा वहीं पर खड़ी होकर मीरा को देखते हुए कहती हैं,
"अब यहीं पर पड़े रहने का इरादा है क्या तुम्हारा? अगर फिर से सज़ा नहीं पाना चाहती हो तो उठो और चल कर जल्दी से खाना बनाओ, क्योंकि साहब का गुस्सा कितना खतरनाक है, उसका तुम्हें अभी ठीक से अंदाज़ा भी नहीं है।"
हिमा आंटी की बात सुनकर मीरा अपने आंसू पोंछ दर्द को बरदाश्त करते हुए खड़ी हो जाती है। मीरा अब और कोई गलती नहीं करना चाहती थी, क्योंकि ऑलरेडी इसके शरीर में बहुत दर्द हो रहा था।
बार-बार राज के धक्का देने से उसके हाथों की कोहनी से भी हल्का-हल्का खून दिख रहा था। वह अपने दर्द को बरदाश्त किए किचन की तरफ़ चली जाती है। हिमा भी मीरा के पीछे-पीछे जाती है।
मीरा किचन में पहुँचती है तो देखती है कि किचन बहुत ही बड़ा था। सारा सामान वहाँ बहुत अच्छे तरीके से रखा हुआ था। वहाँ बहुत सारी सब्जियां भी रखी हुई थीं, जिन्हें देख मीरा की समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, क्योंकि मीरा जब से अपनी मासी के साथ रहती थी, उसकी मासी ही उसे अपने हाथों से खाना बना कर उसे बहुत प्यार से खिलाया करती थी।
उसकी मासी उसे किचन में घुसने भी नहीं देती थी। वहीं, मीरा भी अपने काम में इस कदर बिजी रहती थी कि वह भी ज्यादा खाना वाना बनाने में ध्यान नहीं देती थी, क्योंकि वह जो कुछ भी चाहती थी, वह चीज़ उसके सामने आ जाती थी।
मीरा यही सब सोच रही थी कि तभी उसे पीछे से हिमा की आवाज़ आती है,
"हे लड़की, तू क्या सोच रही है? जल्दी से खाना बना, वरना साहब के गुस्से से तुझे कोई नहीं बचा सकता।"
इतना बोल हिमा किचन से चली जाती है। वहीं मीरा अपनी आँखों में नमी को छिपाते हुए, वहाँ रखी हुई सब्जियों को देखती है और जल्दी से उन सब्जियों को लेकर धीरे-धीरे काटने लगती है। ये सब उसके लिए नया था, इसलिए वह बहुत ही अजीब तरीके से उन सब्जियों को काट रही थी, जबकि वे सब्जियां उससे कट भी नहीं रही थीं। फिर भी जैसे-तैसे उन सब्जियों को काटने के बाद, वह गैस जलाती है। ये तो अच्छा था कि उसने बहुत बार अपनी मासी को गैस जलाते हुए देखा था, वरना उससे वे भी नहीं होता। गैस जलाने के बाद उसे पास में ही एक कढ़ाई दिखती है, जिसे वह गैस के ऊपर रख देती है और फिर तेल डाल बिना तेल गरम हुए, कटी हुई सारी सब्जियां डाल कर उसमें नमक डाल देती है।
लेकिन उसे ये नहीं पता था कि जिसे वह नमक समझ कर सब्जी में डाल रही है, वह नमक नहीं चीनी है।
चीनी डालने के बाद वह उसमें पानी डाल देती है और ढक देती है। उसके बाद वह रोटी बनाने के लिए आटा लेती है और उसमें बहुत सारा पानी डाल देती है, जिससे आटा बेकार हो जाता है।
लेकिन वह उसी आटे से जैसे-तैसे रोटी बनाती है। उसकी सारी रोटियां बहुत ही अजीब तरीके से बनी हुई थीं और सारी जल गई थीं, पर अब वह कुछ कर भी नहीं सकती थी, क्योंकि उसे बिल्कुल भी खाना बनाने नहीं आता था। इसलिए वह कच्ची पक्की सब्जियां और जली हुई रोटियों को एक बाउल और प्लेट में निकाल, उसे ढक कर डाइनिंग टेबल पर लगा देती है और वहीं एक साइड में खड़ी हो जाती है।
तभी वहाँ पर शेरा और हिमा जी आती हैं और खाना बना हुआ देख चैन की सांस लेती हैं। वहीं राज भी फ्रेश होकर अब नीचे आ जाता है और डाइनिंग टेबल के किंग साईड चेयर पर आराम से बैठ जाता है।
उसे बैठता हुआ देखकर शेरा भी उसके साइड बैठ जाता है। उन दोनों को बैठते हुए देखकर हिमा जल्दी से आगे आकर खाना जैसे ही उन दोनों के लिए निकलने वाली थी, राज उन्हें रोकते हुए अपनी कठोर आवाज़ में बोलता है,
"रुक जाइए, मैंने आपसे कहा था ना कि आज से आप ये सारे काम नहीं करेंगी। ये सब करने के लिए मैंने आपके लिए एक नौकरानी रखी हुई है, तो वही ये सब करेगी।"
राज के मुँह से खुद के लिए नौकरानी सुन मीरा की आँखें थोड़ी नम हो जाती हैं, लेकिन फिर भी वह कोई रिएक्ट नहीं करती, जिसे देख राज अपने दाँत पीसते हुए कहता है,
"अब खड़ी-खड़ी हम लोगों का मुँह क्या देख रही हो? चलो जल्दी खाना लगाओ।"
इतना बोल वह चुप हो जाता है। तभी कुछ ऐसा होता है जिसे देख उन सब की भूख मर जाती है। वहीं राज की आँखें गुस्से से लाल हो जाती हैं।
चैप्टर = 9
छोड़ो मेरा हाथ.........
अब आगे
इतना बोल वह चुप हो जाता है। वही राज की बात सुनकर मीरा भी चुपचाप आगे बढ़ती है और खाना सर्व करने के लिए जैसे ही प्लेट हटाती है, वहां पर बैठे सभी का मुंह बन जाता है।
वही राज की आंखों में गुस्सा उतर आता है। मीरा जैसे ही राज के प्लेट में वह जली हुई रोटी डालने वाली थी, वैसे ही राज मीरा का हाथ पकड़ उसके हाथों को दबाते हुए लगभग चिल्लाते हुए कहता है,
"तुम्हे क्या लगता है कि हम तुम्हारा यह बेकार जला हुआ खाना खायेंगे? मुझे मालूम है तुमने जानबूझकर यह जला हुआ खाना बनाया है ताकि हम दोबारा तुमसे खाना न बनवाएं और तुम अपने काम से बच जाओ।
पर यह तुम्हारी गलतफहमी है। तुमने यह सब करके बहुत बड़ी गलती की है। अब गलती की है तो सज़ा मिलेगी ही।"
इतना बोल वह चुप हो जाता है और इविल स्माइल करने लगता है। वही मीरा राज से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहती है,
"छोड़ो मेरा हाथ, मुझे दर्द हो रहा है और मैं सच बोल रही हूं। मुझे सच में खाना बनाना नहीं आता। मैं सिर्फ अपनी मासी की वजह से चुप हूं, पर इसका मतलब यह नहीं कि तुम मेरे साथ कुछ भी करोगे। मैं तुम्हारी कोई भी सज़ा नहीं मानूंगी, समझे तुम।"
इतना बोल वह चुप हो जाती है और दर्द की वजह से उसकी आंखों में नमी आ जाती है, क्योंकि राज ने उसके हाथों को बहुत ही तेजी से दबाया हुआ था।
वह भले ही बहुत ही मज़बूत लड़की थी, लेकिन थी तो एक लड़की ही ना, राज जैसे मज़बूत और मस्कुलर बॉडी वाले इंसान से बच पाना उसके लिए आसान नहीं था।
क्योंकि राज की ताकत के आगे उसकी ताकत कुछ भी नहीं थी।
वही दूसरी तरफ राज मीरा की बात सुनकर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगता है, जिसे देख शेरा और हिमा डर जाते हैं, वही मीरा भी हल्की सहम जाती है।
पर वह इस भाव को अपने चेहरे पर आने नहीं देती। ऐसे ही कुछ देर हंसने के बाद राज अपनी हंसी रोक चेयर से खड़ा होता है और मीरा की कलाई को उसकी पीठ के पीछे मोड़ उसके जबड़े को दबा दांत पीसते हुए कहता है,
"तुम्हे कुछ देर आराम क्या दे दिया, तुम्हारी जबान कुछ ज्यादा ही चलने लगी है। पर कोई बात नहीं तुम्हे सज़ा नहीं चाहिए ना, तो ठीक है, तुम्हारी गलतियों की सज़ा तुम्हारी मासी को दे देता हूं।"
राज ने इतना बोला ही था कि मीरा सहम जाती है। डर की हल्की झलक उसके चेहरे पर दिखने लगती है, क्योंकि वह यह बिलकुल नहीं चाहती थी कि उसकी मासी को थोड़ी भी तकलीफ हो, वह भी उसकी वजह से, वह यह बिलकुल भी बरदाश्त नहीं कर सकती थी।
क्योंकि उसकी लाइफ में अब एक मासी ही थी, जो हमेशा उसका साथ देती आई थी। वरना वह कब का हिम्मत हार चुकी होती। अपनी मासी की वजह से ही वह आज इतनी काबिल बनी थी कि आज वह कुछ भी कर सकती है।
यह उसका बदला था तो सज़ा भी उसे ही भुगतनी होगी, भले ही वह इस गलती की हकदार न हो, पर फिर भी उसे वह सज़ा भुगतनी ही होगी। इतना सोच वह राज को देखते हुए जल्दी से कहती है,
"नहीं, नहीं, तुम मेरी मासी को कोई भी सज़ा नहीं दोगे। तुम्हे जो भी सज़ा देनी है तुम मुझे दो। मैं तुम्हारी सारी सज़ा भुगतने के लिए तैयार हूं।"
मीरा की बात सुनकर राज इविल स्माइल करने लगता है, जैसे उसे पहले से ही पता हो कि यही होने वाला है। फिर वह उसके पास पहुंच उसके बनाए हुए सारे खाने को उसके सामने करके हुए कहता है,
"तुमने जो भी खाना बनाया है उसे तुम खुद खाओ और हां, ध्यान रखना कि तुम्हारे मुंह से एक भी निवाला गिरना नहीं चाहिए, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
इतना बोल वह चुप हो जाता है। वही उस खाने को देख मीरा की आंखे नम हो जाती हैं, क्योंकि वह खाना पूरा जला हुआ था और सब्जी भी सही से पकी हुई नहीं थी।
उस सब्जी को देख ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने उबली और जली हुई सब्जी रख दी हो। खाना देखने में ही बहुत ही गंदा और बेकार लग रहा था। उसमें से जलने की भी स्मैल आ रही थी।
मीरा का उस खाना को खाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था, पर अपनी मासी के बारे में सोचकर उसने उस खाना को खाने का फैसला किया।
इसलिए वह आगे जाकर डाइनिंग टेबल के चेयर पर बैठने जाती है, पर जैसे ही वह उस चेयर पर बैठने वाली होती है, वैसे ही राज जो उसके पास ही खड़ा था, वह उस चेयर को अपनी एक लात मार ज़मीन पर गिरा देता है।
जिसे देख मीरा अपनी जगह पर रूक जाती है और राज की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगती है, जैसे कह रही हो कि अब कौन सी सज़ा देनी बाकी है। यही हाल वहां पर खड़े शेरा और हिमा का भी था।
वही राज चेयर गिराने के बाद मीरा के हाथों को पकड़ उसे तेज़ी से धक्का दे देता है, जिससे मीरा सीधा जाकर ज़मीन पर गिर जाती है और उसके ज़ख्मी हाथ पर दोबारा से चोट लग जाती है।
वही मीरा को ज़मीन पर गिराने के बाद राज भी अपने घुटने के बल ज़मीन पर बैठ मीरा के जबड़े को पकड़ उसके जबड़े को दबाते हुए कहता है,
"तुम्हारी इतनी औकात नहीं कि तुम यहां के चेयर पर बैठ सको। तुम्हारी जगह यही ज़मीन पर है, तो आगे से कभी भी चेयर पर बैठने की हिम्मत मत करना।"
चैप्टर 10
इतना बोल वे अपनी जगह पर खड़ा हो हिमा को कुछ इशारा करता है । जिसे समझ हिमा मीरा का सारा खाना टेबल से उठा मीरा के सामने जमीन पर रख देती है ।
जिसे देख मीरा अपने आंखो की नमी अपने आंखो में ही छिपाते हुए, अपनी मासी की एक बार याद कर उस खाने का पहला निवाला अपने मुंह में डाल लेती है ।
लेकिन जैसे ही वे खाने का पहला निवाला अपने मुंह में डालती हैं । वैसे ही उसे खाने का स्वाद इतना ज्यादा बेकार लगता हैं , जैसे वे अभी उल्टी कर देगी ।
पर वे अपने मुंह पर हाथ रख लेती हैं और जैसे कैसे वे उस खाने को अपने गले के अन्दर डालती हैं । फिर वे अपनी नज़रे उठा राज को देखती है ।
जैसे उसे थोडी उम्मीद हो की वे अब उस खाने को खाने के लिए अभि मना कर देगा । पर राज बीना कुछ कहे बिना कोई भाव से उसे ही देख रहा था ।
जिसे देख मीरा उसी तरह अपने मुंह पर हाथ रख कर जैसे कैसे उस खाने को खाती हैं । उसके खाने को खाने के बाद राज उसे देखते हुए कहता है । ।
" अब खाना खा लिया हो तो ये पूरा हॉल साफ कर देना । । "
इतना बोल वे फिर मीरा से अपनी नज़रे हटा हिमा आंटी को देखते हुए कहता है । ।
" आप मेरा खाना बना कर मेरे रुम में भेजवा दिजिए । । "
इतना बोल राज ऊपर अपने कमरे की तरफ चला जाता है । वही शेरा भी विला के पीछे अपने कमरे की तरफ चला जाता है और हिमा टेबल पर पड़े सारे प्लेट को उठाने लगती हैं ।
वही मीरा जो कब से अपने बैचैनी को छिपाए हुए थी । वे भाग कर किचेन की तरफ़ जानें लगती हैं । ।
मीरा भाग कर किचेन में जाती है और वाशबेसिन की तरफ जाकर उसने जितना भी खाना खाया हुआ था, सब का सब खाना उल्टी के जरिए बाहर निकाल देती है।
कुछ देर यूं ही उल्टी करने के बाद जब उसे हल्का महसूस होता है, तब जाकर वह अपना मुंह धोती है और पास में रखी पानी की बोतल देख जल्दी से सारा पानी पी लेती है।
अब जाकर उसे थोड़ा ठीक महसूस हो रहा था। तभी वहां हिमा आ जाती है और सारा बर्तन रख मीरा को देखते हुए थोड़ी रूड आवाज में कहती है,
"तुम यहां क्या कर रही हो? जाकर पूरा हॉल साफ करो। वरना तुम्हें अब तक हॉल ना साफ करता हुआ देखकर कहीं साहब तुम्हारी पनिशमेंट और ना बढ़ा दे।"
इतना बोल हिमा अपना काम करने लगती है। वहीं मीरा और ज्यादा सजा नहीं भुगतना चाहती थी। इसीलिए वह जल्दी से जाकर हॉल की सफाई करने लगती है।
उसे ये सब काम करने की बिल्कुल भी आदत नहीं थी। इसीलिए वह बहुत जल्दी ही थक जाती थी। और अभी तक उसने बहुत कम काम भी किया था।
उसी समय वहां हिमा आ जाती है और मीरा को इतना धीरे-धीरे काम करता हुआ देख चिल्लाते हुए कहती है,
"हे लड़की, तू अगर इतना ही धीरे-धीरे काम करेगी तो सुबह हो जाएगी। लेकिन तेरा काम नहीं खत्म होगा। इसलिए जल्दी-जल्दी हाथ चला। क्योंकि अभी किचेन के जितने भी काम है सब तुझे ही करने है।"
इतना बोल हिमा साइड से निकल ऊपर राज के कमरे में उसे डिनर के लिए बुलाने चली जाती है। वहीं मीरा खुद से कहती है,
"नो मीरा नो, तुझे इन सबके बातों से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। तू बस कुछ दिनों के लिए यहां पर है। तुझे ये काम बस कुछ दिनों के लिए ही करना है।
बस एक बार तुझे मासी मिल जाए, उसके बाद तू मासी को लेकर बहुत दूर चली जाना। जहां सिर्फ तू और तेरी मासी होंगी और वहां सिर्फ खुशियां ही खुशियां होंगी।
ना कोई बुरा इंसान होगा, ना कोई बुरी यादें। मैं अपनी मासी की दुनिया की सारी खुशियां ला कर दूंगी, जो उन्हें कभी नहीं मिली। लेकिन इसके पहले मुझे मासी को खोजना होगा।
जिसके लिए मुझे यहां से बाहर निकलना होगा। तभी मैं कुछ कर सकती हूं।"
इतना बोल मीरा जल्दी से अपना काम करने लगती है। पर अब उसने सोच लिया था कि वह किसी भी तरह से यहां से बाहर निकल कर रहेगी और ये कैसे करना है, ये बात भी उसने सोच ली थी।
वहीं दूसरी तरफ हिमा राज के कमरे के पास आ दरवाजा नॉक करती है। राज जब दरवाजा खोलता है तो हिमा अपना सर झुका राज से कहती है,
"साहब खाना रेडी है। आप आ जाइए।"
राज अपना सिर हां में हिला देता है। जिसके बाद हिमा चली जाती है और राज दरवाजा बंद कर देता है।
कुछ देर बाद राज नीचे आता है तभी उसकी नजर काम करती हुई मीरा पर जाती है। मीरा को इस तरह काम करता हुआ देख उसे थोड़ा सुकून मिलता है।
वह चाहता तो एक झटके में ही मीरा को मार सकता था, जैसा वह और लोगों के साथ करता है। पर अपने जीजू की हालत देख राज भी मीरा को तड़पाना चाहता था।
इसलिए आज मीरा जिन्दा है, वरना कब का राज ने उसे मार दिया होता। कुछ देर यूं ही देखने के बाद राज मीरा को इग्नोर कर डाइनिंग एरिया की तरफ चला जाता है। जहां शेरा पहले ही आकर वहां बैठा हुआ था।
जिसे देख राज कुछ नहीं कहता और अपने किंग साइज चेयर पर आकर बैठ जाता है। जिसे देख हिमा दोनों को खाना सर्व करती है। जिसके बाद दोनों खाना शुरू कर देते हैं।
कुछ देर में खाना खत्म होने के बाद शेरा वहां से उठकर सोने के लिए चला जाता है और राज भी अपने रूम की तरफ जाने लगता है। तभी मीरा राज के सामने आते हुए कहती है,
"मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
मीरा को अपने सामने देख राज को बहुत गुस्सा आता है और वह उसी गुस्से में मीरा से कहता है,
"तुम्हारी इतनी औकात नहीं की तुम मुझसे बात कर सको। अगर तुम्हें मुझसे कभी बात करनी भी है तो पहले तुम जाकर हिमा आंटी को बताओ।
अगर हिमा आंटी का मन करेगा या उनके पास टाइम होगा तो वह मुझे बताएंगी। उसके बाद जब मेरे पास टाइम होगा तब मैं तुम्हें बात करने की परमिशन दूंगा, समझी।
तो अब आगे से मेरा इस तरह से रास्ता रोकने की कभी भी हिम्मत मत करना। वरना उसका अंजाम क्या होगा, ये मैं खुद भी नहीं जानता। तुम जैसी गिरी हुई लड़की का मुझे चेहरा भी नहीं देखना, तो हटो मेरे रास्ते से।"
इतना बोल राज मीरा के हटने का इंतजार करने लगता है। पर मीरा वहीं मूर्ति की तरह खड़ी हुई थी। उसके दिमाग में बार-बार राज की यही बात गूंज रहीं थीं कि मुझे तुम जैसी गिरी हुई लड़की का चेहरा भी नहीं देखना।
इसी लिए उसे किसी और बात का होश ही नहीं था। वहीं राज जब मीरा को हटके हुए नहीं देखता है तो उसे बहुत गुस्सा आता है और वह मीरा को एक जोरदार धक्का दे वहां से चला जाता है।
चैप्टर 11
वही मीरा का सीढ़ियों के पास खड़े होने की वजह से और राज के धक्का देने की वजह से उसका सिर जाकर सीधा सीढ़ियों के किनारों से जाकर लगता है।
जिससे मीरा की हल्की सी चीख निकल जाती है और उसके सर के किनारे से थोड़ा सा खून निकलने लगता है। जिससे मीरा का सिर दर्द करने लगता है। वही राज और मीरा की सारी बातें हिमा आंटी वही डाइनिंग टेबल के पास खड़ी होकर सुन रही थी।
और राज का मीरा को धक्का देते हुए भी देख लिया था, जिसे देख हिमा आंटी मीरा की हेल्प के लिए वहा जाने भी लगी। तभी उसे शेरा की कही हुई बात याद आ गई कि मयंक के हालत की जिम्मेदार मीरा है और इसी ने मयंक को मारने की कोशिश की थी।
जिसे याद कर हिमा आंटी के बढ़ते हुए कदम वही रुक जाते है और वे मुड़कर किचेन की तरफ चली गई। अब उनकी आंखों में मीरा के लिए कोई दया की भावना नहीं थी। वही मीरा जल्दी से खड़ी हो जाती है और अपने सिर पर हाथ रख कर देखती है तो उसके हाथ में खून लगा हुआ था।
जिसे देख मीरा अपने दुपट्टे से खून साफ़ करती है और किचेन में जाकर हिमा आंटी से कहती है,
"आंटी मुझे आपसे बात करनी है।"
मीरा के मुंह से आंटी सुन हिमा तुरंत बोलती है,
"मैं तुम्हारी आंटी नहीं हूं तो आगे से मुझे कभी आंटी मत बुलाना।"
"ठीक है मैम, मै आपको मैम तो बुला सकती हूं ना।"
मीरा की इस बात पर हिमा कुछ नहीं कहती, जिसे देख मीरा दुबारा कहती है,
"मैम मुझे सर से बात करनी है, तो क्या आप सर से बोल सकती हैं कि वे मुझसे बात कर ले।"
"ठीक है जब मेरे पास टाइम होगा तो बोल दूंगी।"
इतना बोल हिमा किचेन से चली जाती है, वही मीरा वहा से वापस काम करने के लिए जाने लगती है। तभी उसे वहां पर हल्दी का डब्बा दिखता है, जिसे देख मीरा हल्दी में थोड़ा सा तेल मिला कर जल्दी से अपनी चोट पर लगाते हुए अपने मन में कहती है,
"मीरा तुझे कमजोर नहीं पड़ना, तुझे यहां पर अपना खयाल खुद ही रखना होगा। मै जानती हूं ये सब जानबूझकर मुझे कमजोर होने पर मजबूर कर रहें है, पर इन्हे नहीं मालूम मै कौन हूं।
मुझे कमजोर करना इनके बस की बात नहीं है। हां मुझे बुरा जरुर लगता है जब ये सब मुझे नीचा दिखाने की हर बार कोशिश करते हैं। पर कोई बात नहीं मै अपनी मासी के लिए कुछ भी कर सकती हूं।
अब मुझे जल्द से जल्द मासी को खोजना होगा और उसके भी पहले मुझे इस घर से कुछ समय के लिए ही सही बाहर निकल कर मुझे उसकी हेल्प लेनी होगी।
मुझे मालूम है वे मुझे कभी निराश नहीं करेगा और मासी को जल्द से जल्द ढूंढ लेगा।"
इतना बोल मीरा फिर से काम पर लग जाती है। पूरा काम करते-करते मीरा को रात के 1:00 बज गए थे, तब जाकर मीरा का पूरा काम खत्म होता है। जिसके बाद मीरा सोने के लिए दुबारा अपनी रूम की तरफ जानें लगती है। पर वे अपने रूम मे जा पाती उसके पहले ही उसे हिमा की आवाज़ अपने कानो में सुनाई देती हैं, जो उससे बोलती है,
"ऐ लड़की कहा जा रही हो।"
मीरा जैसे ही हिमा की आवाज़ अपने कानो में सुनती हैं उसके जाते हुए कदम अपने आप रुक जाते है और वे हिमा की तरफ़ पलट उसे देखते हुए अपनी धीमी आवाज़ में कहती है,
"मैम मैने सारा काम खतम कर दिया। मै बस अपने कमरे में जा रही थी।"
मीरा की बात सुनकर हिमा अपनी कड़क आवाज़ में बोली,
"तुम अब उस कमरे में नहीं रहोगी।"
हिमा की बात सुनकर मीरा उनकी ओर सवालिया लहजे से देखने लगी, जैसे पूछ रही हो कि अगर वो वहा नहीं रहेगी तो कहा रहेगी।
वही हिमा मीरा की नजरो को देख समझ जाती हैं कि वे क्या कहना चाहती है, इसलिए वे उसकी ओर देखते हुए अपनी उसी कठोर लहजे में बोली,
"मेरे पीछे आओ।"
इतना बोल हिमा आगे की ओर जानें लगती हैं, वही मीरा भी हिमा की बात सुनकर बिना कोई सवाल किए उसके पीछे चली जाती हैं। कुछ ही देर बाद दोनो विला के ही एक कोने में एक छोटे से कमरे के बाहर पहुंचते हैं जिसके बाहर काल कोठरी लिखा हुआ था। हिमा उस काल कोठरी को देखते हुए मीरा से कहती हैं,
"सुनो लड़की आज से तुम इसी काल कोठरी में रहोगी, ये साहब का ऑर्डर है। अब जाओ जल्दी और जाकर सो जाओ, क्योंकि सुबह तुम्हे 5:00 बजे तक उठ जाना है और इस पुरे विला की साफ सफाई करनी है।"
इतना बोल हिमा वहा से अपने सर्वेंट क्वार्टर की तरफ़ चली जाती हैं। वही मीरा बस उन्हें जाते हुए देखती रह जाती हैं। फिर एक गहरी सांस लिए वे उस काल कोठरी का दरवाजा खोलती है तो देखती है कि वहा पर सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था। बस हल्की सी रोशनी वहा पर लगे छोटी सी खिड़की से आ रही थी।
कुछ सोच वे जल्दी से कमरे मे आ कमरे का दरवाज़ा बंद करती हैं और आस पास देखती है तो वहां पर कुछ भी नहीं था। वे रूम काफ़ी छोटा सा, बहुत ध्यान से देखने के बाद उसे वहा पर एक और दरवाजा दिखता है। जिसे देख वे जल्दी से उस दरवाजे के पास आ, वे दरवाजा खोल अंदर देखती है तो वे एक छोटा सा बाथरूम था। जिसमें एक हल्की लाइट वाली छोटी सी बल्ब लगी हुई थी।
मीरा उस जगह को ध्यान से देखती है तो उसे वहा पर कोई खिड़की, दरवाजा नज़र नहीं आता, जिसे देख वे वापस कमरे में आ जाती है और वे छोटी सी खिड़की जो थोड़ी ऊंचाई पर थी, उसे देखते हुए खुद से ही कहती हैं,
"मीरा ये तुझे करना होगा, क्योंकि तुझे खुद को और अपनी मासी को इस कैद से निकालना होगा। तू यू कमजोर नहीं पड़ सकती। पता नही वे आदमी कल को मेरे साथ कौन सी दरिंदगी करे। उसके पहले मुझे यहां से निकलना होगा और उसके लिए मुझे उससे मिलना ही होगा।"
चैप्टर=12
अब आगे
इतना बोल मीरा उस खिड़की के पास आती हैं । पर बहुत कोशिश करने के बाद भी मीरा का हाथ उस खिड़की तक नही पहुंच पा रहा था । जिसे देख मीरा निराश हो जाती हैं क्योंकि आस पास भी उसे कोई चीज़ नही दिखती, जिसके सहारे वो उस खिड़की तक पहुंच पाय ।
लेकिन तभी उसे कुछ याद आता है और वे भाग कर बाथरूम में जाती हैं और वहा उसे एक बाल्टी दिखती हैं । जिसे देख वे खुश हो जाती हैं और वे बाल्टी लेकर जल्दी से कमरे मे आती है । उस बाल्टी को खिड़की के पास रखकर उसके ऊपर चढ़ जल्दी से उस छोटी सी खिड़की से बाहर निकल जाती हैं और छुपते छुपाते जैसे तैसे विला से बाहर निकल जाती हैं । ज्यादा रात हो जानें की वजह से उसे विला के बाहर निकलने में ज्यादा प्रॉब्लम भी नही होती है । ।
लगभग आधे घंटे बाद
मीरा एक सुनसान एरिया के मध्यम वर्ग घर में ( जो ना ज्यादा छोटा था ना ही ज्यादा बड़ा ) एक कमरे में बैठी हुई थी । उसी के साथ दुसरी चेयर पर एक लडका जिसकी उम्र लगभग 25 साल थी और वे दिखने में बेहद हैंडसम था । उसके बाल ब्राउन थे और उसके चेहरे का रंग कुछ ज्यादा ही सफेद था । ये कोई और नहीं रोबिन था । मीरा का सबसे ख़ास आदमी जो जर्मनी से था । इसके अंदर बहुत सारी क्वालिटी भी है । ( जो आप लोगो को बाद में मालूम चलेगी । )
मीरा उस लडके को देख कर कहती हैं । ।
" रोबिन मेरे पास ज्यादा समय नहीं है । तुम्हे मेरा काम जल्द से जल्द करना होगा । तुम्हे मेरी मासी को ढूंढ कर उन्हें किसी सेव जगह पहुंचना होगा । क्योंकि वे इंसान काफी पॉवरफुल है । मुझसे बदल लेने के लिए वे मेरी मासी के साथ कुछ भी कर सकता है और तुम तो जानते हो ना की मासी पर एक खरोंच भी आए , मुझे ये बिलकुल बर्दास नही होता । । "
मीरा की बात सुनकर रोबिन मीरा को शांत करवाते हुए बोला । ।
" मीरू तू पहले शांत हो जा । मै जल्द ही तेरी मासी को ढूंढ कर , किसी सेव जगह पर पहुंचा ढूंढा, पर तेरा क्या, तू तो अभी उस आदमी की कैद में है और मैने उसके बारे में काफ़ी कुछ सुन भी रखता है की वे काफ़ी ज्यादा खतरनाक है । । "
रोबिन की बात सुनकर मीरा एक डेविल स्माइल पास कर देती हैं । जैसे कह रही हो की तू मुझे आज से जान रहा है क्या जो मुझसे ऐसी बेफजूल की बाते पूछ रहा है । क्योंकि मुझे कोई कैद में ज्यादा दिन तक नही रख सकता । ।
( पर मीरा को ये नही पता था कि उसका पाला इस बार किसी ऐसे वैसे से नही राज सिंघानिया से हुआ है । जो कितना ज्यादा खतरनाक है इसका अंदाजा अभी मीरा को खुद नही है और आगे जाकर राज मीरा को किस कदर तोड़ने वाला है की मीरा जैसी लडकी जो किसी से नही डरती , वो शायद राज के नाम से ही खोफ खाने लगेगी । । )
वही रोबिन मीरा की खतरनाक स्माइल देख कर आगे कुछ भी नही बोलता । जिसे देख मीरा कहती हैं । ।
" अब मै चलती हूं और शायद मैं आगे तुमसे मिलने ना आ पाऊं । तो तुम मासी को बचा कर मुझे सिग्नल भेज देना । मै समझ जाऊंगी की मासी को तुने बचा लिया है । । "
इतना बोल मीरा जानें लगती हैं । जिसे देख रोबिन तुरंत मीरा का हाथ पकड़ बोलता है । ।
" पर मीरु उसके बाद तू वहा पर एक पल भी मत रुकना । तू वहा से निकल कर हमारी जगह पर आ जाना । मै तेरा वहा इंतेजार करूंगा । । "
रोबिन की बात सुनकर मीरा बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और वहा से निकल जाती हैं । क्योंकि उसे मालूम था कि रोबिन उसे लेकर कितना ज्यादा इमोशनल है और कुछ देर वे अगर यहां पर और रुकती तो वे पक्का उसे जानें नही देता । रोबिन भले ही दुनिया के लिए एक खतरनाक इन्सान है पर मीरा के लिए उतना ही सॉफ्ट है । ।
वही दुसरी तरफ आधे घण्टे बाद मीरा विला पहुंचती हैं । और जिस तरह वे छुप छुपाकर वे विला से निकली थी । वैसे ही अंदर आ जाती हैं और फिर अपने कमरे की खिड़की से वापस अपने रुम में पहुंच जाती हैं ।
पर जैसे ही वे उस काल कोठरी के अन्दर आई । उसे ऐसा लगा जैसे कोई और भी है यहां । पर अभी वे ज्यादा इस बारे में सोच विचार पाती उसके पहले ही एक तेज लाइट की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी ।
जिसके कारण मीरा ने तुरंत ही अपना चेहरा अपने हाथों से कवर कर लिया । कुछ देर बाद जब उसे महसूस हुआ कि उसके चेहरे पर अब कोई लाइट नही पड़ रही है तो उसने अपने हाथो को अपने चेहरे के अलग किया । तो टॉर्च की रोशनी में अपने सामने राज को देख उसका चेहरा डर के मारे पीला पड़ गया ।
चैप्टर 13
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि राज यहां आया तो आया कैसे? वे तो डोर लॉक करके गई थी। फिर राज अंदर कैसे आया? और सबसे बड़ी बात कि राज को ये मालूम चल गया कि वे इतनी रात को सबसे छुपकर कहीं गई हुई थी।
अब वे उसके साथ क्या करने वाला है, यही सब सोचकर उसे घबराहट हो रही थी।
वे ये सब सोच ही रही थी कि उसके कानों में राज की खतरनाक आवाज़ पड़ती है।
"कहा गई थी इतनी रात को सबसे छुपकर?"
राज की खतरनाक आवाज़ सुनकर मीरा की हालत खराब हो रही थी, पर फिर भी वे भावहीन चेहरे के साथ राज को देख रही थी क्योंकि वे किसी को भी अपना डर नहीं दिखाना चाहती थी। क्योंकि उसे लगता था कि अगर किसी ने उसे डरता हुआ देख लिया तो वे उसे कमजोर समझेगा।
वहीं दूसरी तरफ राज जब देखता है कि मीरा उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दे रही है तो वे उसके पास आकर उसके जबड़े को अपने हाथों में पकड़ दबाते हुए दांत पीसते हुए बोलता है।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बातों को इग्नोर करने की? लगता है मैंने तुम्हें सजा देने में बहुत कंजूसी कर दी है, तभी तुम्हारी इतनी हिम्मत हो गई इस विला से भागने की। लेकिन अब मैं तुम्हें ऐसी सजा दूंगा
जिसके बाद तुम यहां से भागना तो दूर, इस घर के एक कदम भी बाहर निकलने के पहले हजार बार सोचोगी। और तुम कहां गई थी या क्या कर के आई हो, उसका पता भी मै जल्द ही लगा लूंगा।"
इतना बोलने के बाद राज मीरा के जबड़े को छोड़ कर उससे दो कदम पीछे हट जाता है और मीरा को ऊपर से नीचे तक अजीब नज़रों से देखते हुए एक मजाकिया मुस्कान के साथ बोलता है।
"वैसे खूबसूरत तो बहुत हो तुम। कहीं इतनी रात को तुम किसी आदमी का बिस्तर गरम करने तो नहीं गई? क्यूंकि रात में लड़कियां यही काम करने जाती हैं। एक रखैल बन आदमियों के दिल को बहलाती है।"
मीरा जो इतनी देर से राज की बात सुनकर अपना गुस्सा कंट्रोल कर रही थी, राज की आखिरी लाइन में रखैल सुनकर उसके सब्र का बांध टूट जाता है और मीरा एक जोरदार थप्पड़ राज के चेहरे पर मारते हुए उसके करीब आ उसके शर्ट के कॉलर को पकड़ अपनी लाल आंखों में गुस्सा लिए राज से कहती है।
"आज तो कह दिया, लेकिन अगर दोबारा कभी अपने मुंह से ये वर्ड निकाला तो तुम्हारी वो हालत करूंगी कि तुम जिंदगी भर अपने कहे इस वर्ड को लेकर पछताओगे।"
मीरा इसके आगे कुछ कह पाती इसके पहले ही राज अपनी लाल आंखों से मिला को देखते हुए अपनी खतरनाक आवाज़ मे कहता है।
"कॉलर छोड़ो।"
राज के इस तरह बोलने पर मीरा राज की लाल आंखो को देखते हुए अभी राज के कहे गए शब्दों के बारे में कुछ समझ पाती कि राज मीरा का हाथ अपने कॉलर से हटा उसके उसी हाथ को तेजी से मरोड़ मीरा के पीठ के लगाते हुए एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहता है।
"आज तुमने जो जो गलती की है उसकी तुम्हे ऐसी सजा दूंगा की तुम्हारी रूह कांप जाए। तुम इस सजा तो मरते हुए भी नही भूल पाओगी। और जिस रखैल शब्द से तुम्हे इतनी नफ़रत हो रही है, उसे मैने तुम्हारी जिन्दगी का हिस्सा ना बना दिया तो मेरा नाम भी राज सिंघानिया नही।"
इतना बोल मीरा को एक झटके में छोड़ देता है जिसके मीरा सीधा जमीन पर जा गिरती है। वही राज अपने सर्वेंट को आवाज़ लगा कुछ लाने को बोलता है जिसे सुन सर्वेंट जल्दी से उस समान को लाकर राज को दे देता है।
वही मीरा जैसे ही उस चीज़ को देखती है उसके रुह कांप जाती हैं।
राज सर्वेंट को कुछ लाकर देता है जिसे देख मीरा काफी परेशान हो जाती हैं क्योंकि उसे अब ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके साथ अब बहुत बुरा होने वाला है जिसकी उसने जिन्दगी में कभी भी कल्पना ना की हो।
वही दुसरी तरफ इस समय राज के हाथ में कोड़े थे जिसे वे हमेशा अपने दुश्मनों को सजा देने में उपयोग करता है। वही राज उन कोड़े को अपने हाथ में ले डेविल स्माइल कर मीरा की ओर बढ़ने लगता है जिसे देख मीरा डर के मारे पीछे होने लगती हैं। जो मीरा हमेशा भावहीन चेहरे के साथ रहती थी, आज राज के इस बिहेवियर से उसके चेहरे पर डर नज़र आने लगा जिसे वे कभी भी अपने चेहरे पर नही लाना चाहती थी। पर कहते है ना हम जितना भी खुद को स्ट्रॉन्ग क्यू ना दिखाए जिन्दगी में कभी ना कभी कोई ऐसा इन्सान मिल ही जाता है जिसे देख हमारे चेहरे पर डर नजर आने लगता है। राज की बेरहमी को देख मीरा अपने कदम पीछे लेते हुए कहती हैं।
"प्लीज डोंट डू इट। तुम ऐसा नही कर सकते। अपने कदम वही रोक दो। तुम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो। इसके लिए तुम बहुत पछाओगे।"
"प्लीज डोंट डू इट। तुम ऐसा नहीं कर सकते। अपने कदम वहीं रोक दो। तुम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो। इसके लिए तुम बहुत पछताओगे।"
मीरा ने इतना बोला ही था कि राज उसे एक कोड़ा मार देता है, जिससे मीरा अपनी आँखें बंद कर अपने हाथों की मुट्ठियाँ बना अपने होठों को भींच लेती है, पर अपने मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकालती। वह अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगती है। वहीं राज मीरा को चीखता न देखकर एक डेविल स्माइल करते हुए कहता है,
"इंप्रेसिव, मैं भी देखता हूँ कि तुम कब तक अपने दर्द को बर्दाश्त करती हो। तुम्हारी अकड़ को तोड़ने में मुझे बहुत मजा आने वाला है। तुम्हें क्या लगा कि यहाँ से भाग कर और राज सिंघानिया जिस पर लोग उँगली उठाने के पहले भी हज़ार बार सोचते हैं, तुम उस राज सिंघानिया को थप्पड़ मार कर बच जाओगी? कभी नहीं, आज तुम्हें मालूम चलेगा कि मुझे थप्पड़ मारने का क्या अंजाम हो सकता है। तुम्हें मालूम है, अगर तुम्हारी जगह किसी और ने मुझे थप्पड़ मारा होता और मेरी कॉलर पकड़ी होती तो वह इंसान अगले ही पल चैन की नींद सो रहा होता। पर तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें जान से बिल्कुल भी नहीं मारूँगा, बल्कि तुम रोज मेरी आँखों के सामने जिंदा रहते हुए हर मौत मरोगी। पर मैं तुम्हें मौत नसीब नहीं होने दूँगा। तुम हर दिन इसी विला में तड़प-तड़प कर मरोगी, पर कोई तुम्हारी मदद करने वाला नहीं होगा। तुम्हें उस वक्त लगेगा कि तुम पैदा ही क्यूँ हुई और पैदा हुई भी तो तुमने राज सिंघानिया की बहन के पति को मारने के बारे में सोचा भी कैसे? आज मैं तुम्हें नर्क के दर्शन करवाता हूँ कि आख़िर नर्क होता कैसा है। आज तुम्हारे जिस्म से तुम्हारी रूह अलग ना कर दी तो मेरा नाम भी राज सिंघानिया नहीं।"
राज की अपने लिए इतनी नफ़रत देख मीरा एक बार अपनी सफाई देते हुए कहती है,
"देखो, मैं तुम्हें आखिरी बार कह रही हूँ। तुम जो मेरे साथ करना चाहते हो वह बहुत ही गलत है। तुम एक दिन बहुत पछताओगे। रही बात तुम्हारे जीजू की तो वे उसी लायक हैं। वे एक बहुत ही घटिया और गिरा हुआ इंसान हैं। उल्टा मैंने उसे मारकर तुम्हारी बहन की जिंदगी उस जैसे दरिंदे से बचा ली है। क्यूँकि वह इंसान एक..."
मीरा इसके आगे कुछ भी बोल पाती, राज ने अपनी सारी ताकत लगा कर मीरा को उस कोड़े से मारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे राज की दरिंदगी अपनी हदें पार करने लगी और मीरा के कपड़े राज के बेरहमी से मारने की वजह से फटने लगे और जगह-जगह से खून भी निकलने लगे।
मीरा की आँखों से लगातार आँसू निकल रहे थे, लेकिन अभी तक मीरा ने अपने मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकाली थी। वह अपने मुँह पर हाथ रख अपनी आँखें ज़ोर से बंद किए हुए अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी।
पर राज की बेरहमी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। राज को मीरा को मारते-मारते लगभग 15 मिनट बीत चुके थे, लेकिन उसके हाथ रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, या यू कहे कि वह रुकना ही ना चाहता हो।
(लेकिन राज आज जो भी मीरा के साथ कर रहा है उसके लिए वह पूरी जिंदगी पछताने वाला है, क्योंकि हद से ज़्यादा गुस्सा और हद से ज़्यादा दूसरों पर आँख बंद करके विश्वास करना हमेशा लोगों को हैवान बनने पर मजबूर कर देता है और वह अपनी नफरत, गुस्सा और बदले के आगे कुछ देख ही नहीं पाता और यही हाल राज का भी हो रहा था। अपनी नफ़रत और गुस्से के आगे मीरा जैसी मासूम और 18 साल की लड़की का दर्द दिख नहीं रहा था। वह यह भी भूल गया था कि वह जिस पर इतनी हैवानियत दिखा रहा है, वह अभी सिर्फ़ 18 साल की मासूम बच्ची है।)
वहीं मीरा की हालत अब बहुत खराब हो रही थी और उसे अब अपना दर्द और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, जिसके ना चाहते हुए भी उसकी दर्दनाक चीख उस पूरे विला में गूंज उठती है, जिसे सुनने वाला इस विला में कोई नहीं था। वहीं राज को उसकी चीख सुन कर अच्छा लग रहा था, या यू कहे कि उसका ईगो सटिस्फाइड हो गया था। राज उसे तब तक मारता रहा जब तक मारते-मारते मीरा बेहोश नहीं हो गई।
मीरा को बेहोश होता हुआ देख कर राज इस कोड़े को वहीं फेंक मीरा की तरफ बगैर देखे ही वहाँ से सीधा अपने कमरे में चला जाता है। उसे थोड़ी बैचैनी हो रही थी, जैसे उसने कुछ गलत किया हो, पर वह उन सभी चीजों को इग्नोर कर सीधा अपने बेड पर जा कुछ ही देर में गहरी नींद में सो जाता है।
(सब सो चुके थे, कोई दर्द से तड़प कर तो कोई बैचैनी की वजह से। अब अगली सुबह किसके लिए क्या लेकर आने वाली है, यह तो वक्त ही बताने वाला है।)
चैप्टर = 15
मीरा का दर्द
अब आगे
वही दुसरी तरफ लगभग 1 घंटे बाद मीरा की आंखे हल्की हल्की खुलने लगती हैं । उसे थोड़ा थोड़ा होश आने लगता है । कुछ देर बाद जब उसकी आंखे पुरी तरह खुली तो उसे अपने शरीर में बेहिंतेहा दर्द होने लगा और धीरे धीरे उसे राज की कि गई सारी दरिंदगी याद आने लगी । उसे राज से अब बेइंतहा नफरत होने लगी थी । उसने अपनी दर्द और नफ़रत भरी आवाज़ कहा । ।
" मिस्टर राज सिंघानिया पहले तो मुझे लगा कि शायद उस घटिया आदमी मयंक को उस हाल में देखकर दुखी हो । इसलिए तुम मुझे सजा देना चाहते हों । लेकिन आज जो दरिंदगी तुमने दिखाई है ना उसे देखकर मुझे ये यकीन हों गया है कि तुम भी उस घटिया आदमी मयंक की तरह ही बेहद घटिया इंसान हो । जो लड़कियों को कमजोर देखकर उसकी लाचारी का फायदा उठाकर उसके साथ इस तरह की दरिंदगी करते हो । । "
फिर एक कड़वाहट और तंज भरी मुस्कुराहट के साथ बोली । ।
" मैने तुम्हे एक थप्पड़ क्या मार दिया तुम्हारा मेल इगो हर्ट हो गया । तुम जैसे आदमियो की दिक्कत ही यही है तुम लोग सोचते हो कि लड़कियों के साथ तुम कुछ भी करो और वे चुपचाप सह ले । लेकिन अगर किसी ने आवाज उठाया तो तुम लोग जैसे घटिया आदमी उस लडकी की जिन्दगी बर्बाद करने के पहले एक बार भी नही सोचते ।
पर इस बार तुमने गलत लड़की को चुना है मिस्टर राज सिंघानिया । तुम मुझे इस तरह टॉर्चर कर के मुझे तोड़ना चाहते हों ना लेकिन तुम इस मीरा को नही तोड़ पाओगे । जिस तरह आज मै तड़प रही हु ना देखना मिस्टर राज सिंघानिया तुम भी एक दिन इसी तरह तडपोगे । आई हेट यू मिस्टर राज सिंघानिया, आई रियली हेट यू । । "
इतना बोल मीरा अपने मुंह पर हाथ लगाए धीरे धीरे रोने लगती हैं ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाए । क्योंकि वे नही चाहती थी कि कोई भी उसे रोता हुआ देखकर उसे कमजोर समझे या उसे बेबस और दया भरी नजरो से देखे ।
वे रोना नही चाहती थी । पर उसके शरीर पर हो रहे असहनीय दर्द ने उसे रोने पर मजबूर कर दिया । भरे ही उसने खुद को बेहद मजबूत बनाया हो, पर कि तो वे इन्सान ही ना और वे भी 18 साल की । और जिस बेरहमी से राज ने उसे मारा था उसे अपने शरीर पर इस तरह का दर्द सहना ही था ।
कुछ देर यू हि रोने के बाद मीरा एक दम चुप हो जाती हैं । और खुद को हिम्मत देते हुए कहती हैं । ।
" नही मीरा तू ऐसे रो नही सकती । तू बहुत स्ट्रॉन्ग है । तुझे अभी बहुत कुछ करना है । तू इस तरह कमजोर नही पड़ सकती । तुझे लड़ना होगा और सबसे पहले तुझे उस राज सिंघानिया की कैद से निकलना होगा । । "
इतना बोल वो अपनी लोअर की जेब से एक मेडिसिन निकालती हैं और ज़मीन पर लेटे लेटे ही कुछ दूर पर पड़े मिट्टी के घड़े के पास पहुंच बहुत ही मुश्किल से वे पानी निकल दवा खा लेती है और वही लेट कर आंखे बंद कर लेती हैं ।
क्युकी उसे मालूम था कि कुछ देर बाद ये दवा उसके शरीर में हो रहे असहनीय दर्द को खत्म कर देगा । उसमे ये दवाई रोबिन के घर से ही ले कर अपने पॉकेट में डाल लिया था । क्योंकि उसे मालूम था कि उसे इस दवा की जरुरत जरूर पड़ेगी ।
इतना सब सोचते सोचते उसकी आंखे अपने आप बंद हो जाति है और वे गहरी नींद में चली जाती हैं । ।
अगली सुबह 6: 00 बजे
राज इस वक्त जिम में अपनी एक्साइज कर रहा था । उसे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे कल जो हैवानियत मीरा के साथ दिखाई है , उसे कुछ याद ही नहीं है । शायद कुछ हद तक ये बात सच भी थी । क्योंकि वे काफी रिलैक्स फील कर रहा था । कुछ देर यू ही एक्साइज करने के बाद वे अपने कमरे में जा शॉवर ले ऑफिस जाने के लिए रेडी होने लगाता है । ।
वही दुसरी तरफ हिमा और बाकी सारे नौकर सुबह ही उठ कर अपने अपने कामों में लग गए थे । हिमा भी अपना काम कर रहीं थीं । तभी उसकी नजर घड़ी पर गई । तो उसने देखा की सुबह के सात बज रहे हैं ।
सात बजता देख उसे अचानक से मीरा का खयाल आया । उसने चारो तरफ़ देखा तो उसे मीरा कही भी नज़र नही आई । जिसे देख उसने मन ही मन खुद में ही बड़बड़ाते हुए बोली । ।
" ये लड़की अभी तक आई क्यू नही । ये लडकी खुद ही अपने लिए मुसीबत खड़ी करती हैं । चलो देख कर आती हूं कि ये क्या कर रही है अभि तक आई क्यू नही । । "
इतना बोल वे काल कोठरी की तरफ चली जाती हैं । कुछ देर बाद वे काल कोठरी के बाहर खड़ी थी । उसने देखा दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ है । वे थोड़ा और दरवाज़ा को खोल अंदर चली जाती हैं । तो उसे ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देखा ।
क्योंकि कल रात जब राज को पता चला था कि मीरा उस छोटी सी खिड़की से निकल कर बाहर आ गई थी । तो मीरा के कमरे में अपनी दरिंदगी दिखाने के बाद वापस आकर उसने अपने आदमियों को उस खिड़की को भी ब्लॉक करवाने का ऑर्डर दे दिया था ।
जिस वजह से उस कमरे में बिलकुल रोशनी नही थी । चारो तरफ़ अंधेरा ही था । बस हल्की सी रोशनी हिमा के दरवाजा खोलने की वजह से आ रहीं थीं । पर उस रोशनी में भी अंदर का हिमा को कुछ साफ दिखाई नही दे रहा था ।
बस उसे इतना समझ में आया कि मीरा अभि भी सो रही है । जिसे देख उसे गुस्सा आ जाता है कि मयंक साहब के साथ इतना गलत करने के बाद ये लडकी इतनी देर तक आराम से सो रही है ।
वे कमरे के बाहर जाती हैं और कुछ लेकर आती हैं और मीरा के ऊपर फेंक देती हैं । जिससे मीरा की नींद एक झटके में खुल जाती हैं और उसकी चीख निकल जाती हैं । ।
चैप्टर = 16
मीरा की चीख
अब आगे
हिमा एक बाल्टी ठंडा पानी ला कर एक झटके में मीरा के ऊपर फेंक देती है। जिसकी वजह से मीरा की नींद तुरन्त उड़ जाती है और एक दर्द भरी चीख के साथ वे जल्दी से अपनी आंखे खोलती है और अपने आस पास देख समझने की कोशिश करती है कि अभी अभी आखिर उसके साथ हुआ क्या?
अंधेरे में उसे ज्यादा कुछ समझ में तो नही आ रहा था। लेकिन ठंड और गीले पन का ऐहसास होने पर वे इतना तो समझ जाती हैं कि अभी अभी किसी ने उसके उपर ठंडा पानी फेंका है।
तभी उसकी नज़र हल्की सी दिख रही रोशनी में हिमा के ऊपर पड़ती हैं जो खाली बाल्टी लेकर खड़ी हुई थी। हिमा को देख मीरा धीरे धीरे उठ कर बैठने लगती हैं। क्योंकि भले ही उसने कल दवा खा लिया था और उसका दर्द काफी हद तक कम हो गया था, पर ठंडे पानी को अपने खुले जख्म पर पड़ते ही उसे दर्द का हल्का हल्का अहसास होने लगा था।
वे उठ कर बैठ हिमा की ओर देखने लगती हैं जिसे देख हिमा बोलती है।
"मैने वहा पर कपडे रख दिए हैं। उसे जल्दी से पहन कर आओ। वैसे भी तुम काफी लेट हो गई हो। अगर साहब ने देख लिया ना तो तुम्हे उनकी सजा से कोई बचा नही सकता। आज मे साहब से कुछ नही कह रही हु। पर अगर तुम कल से पांच बजे नही उठी तो तुम्हे साहब के सजा से कोई नही बचा पाएगा। अब जल्दी से तैयार होकर आओ।"
इतना बोल हिमा वहा से चली जाती हैं। हिमा के जानें के बाद मीरा कस कर अपनी आंखे बंद कर एक गहरी सांस लेती है। फिर अपनी आंखे खोल खुद से ही बोलती है।
"कुछ दिन और मीरा, बस कुछ दिन और उसके बाद तू यहां से आजाद हो जायेगी। तुझे कुछ दिन और इस जानवर को झेलना होगा।"
इतना बोल मीरा खड़ी होती हैं और अंधेरे में जैसे कैसे हिमा के दिए हुए कपडे ढूंढ उसे ले वाशरूम में चली जाती हैं। वाशरूम में हल्की लाइट देख वे एक गहरी सांस लेती हैं और फ्रेश हो कर हिमा के लाए हुए कपड़ो को देखती है तो वे एक काले रंग की बेहद सिंपल साड़ी थी जो यहां से हर सर्वेंट पहनते हैं। जिसे देख मीरा कोई रिएक्ट नही करती और चुप चाप वे उन कपड़ों को पहन लेती है। मीरा उस साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थी, पर मीरा को अपनी खूबसूरती से कोई लेना देना नही था। वे वही पर लगी एक छोटी सी मिरर में खुद को देख अपने बालो का जुड़ा बना लेती हैं जिसके मीरा के पीठ पर राज के दिए गए कल के जख्म साफ साफ दिख रहें थे, पर वे उन पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए कमरे से निकल कर सीधा किचेन में चली जाती हैं।
हिमा जब मीरा को किचेन में देखती है तो एक पल के लिए वे भी उसकी खुबसूरती में खो जाती हैं और उसे देखते हुए मन ही मन में खुद से ही कहती हैं।
"ये लड़की सच में कितनी खूबसूरत और मासूम लग रही है बिल्कुल किसी एंजेल की तरह। अगर इसने मयंक साहब को नही मारा होता तो मै इस जैसी लड़की ही राज साहब के लाईफ में चाहती। मगर क्या फायदा इस लड़की के इतना खुबसूरत होने का जब इसका दिल ही साफ नही है। पर इसे देख बिलकुल नही लगता कि ये किसी की जान ले सकती है। लोग सच ही कहते है कि किसी को देख नही कहा जा सकता की कौन कैसा होता है। लोग इसी तरह मासूम बन कर किसी की जिन्दगी ही खत्म कर देते है।"
इतना सोच हिमा अपनी सोच से बाहर आती हैं और मीरा को राज के लिए ब्रेकफास्ट मे ब्लैक काफी और सैंडविच बनाने को बोलती है जिसे सुन मीरा हिमा को देखते हुए कहती हैं।
"क्या आप मुझे बता देंगी कि ब्लैक काफी और सैंडविच कैसे बनाते हैं।"
मीरा की बात सुनकर हिमा एक नज़र मीरा को देखकर उसे ब्लैक काफी और सैंडविच कैसे बनाते हैं ये बता किचेन से बाहर चली जाती हैं।
मीरा भी जल्दी जल्दी हिमा के कहे अनुसार ब्रेकफास्ट बनाने लगती हैं। उसे इस बीच चोट की वजह से काम करने मे दिक्कत हो रही थी, पर वे उसे इग्नोर कर ब्रेकफास्ट बनाने लगती हैं।
वही दूसरी तरफ राज ऑफिस जानें के लिए तैयार होकर नीचे आता है और डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है जहां पर शेरा अभी कुछ देर पहले ही आ कर बैठा था और राज के आने का इंतेजार कर रहा था। हिमा राज को देख जल्दी से किचेन में जा मीरा को ब्रेकफास्ट लाने को बोलती है जिसे सुन मीरा अपने हाथ के बनाए सारे खाने को डाइनिंग टेबल पर लगा देती हैं और राज के सामने ब्लैक काफी का कप रख देती हैं।
जिसे देख राज अपनी नज़रे उठा मीरा की ओर देखता है तो एक पल के लिए मीरा की खूबसूरती मे खो सा जाता है लेकिन अगले ही पल उसकी आंखे गुस्से से लाल हो जाती हैं और वे कुछ ऐसा करता है की मीरा की चीख निकल जाती हैं।
चैप्टर 17
मीरा की खूबसूरती / छोड़ो मुझे
अब आगे
राज जब मीरा को देखता है तो बस देखता ही रह जाता है। उस काली सी सिंपल साड़ी में मीरा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उस साड़ी में मीरा की पतली कमर साफ़-साफ़ दिख रही थी। उसका छोटा सा खूबसूरत चेहरा और उसके खूबसूरत गुलाबी होंठ नहा कर आने की वजह से किसी खिले हुए गुलाब की तरह लग रहे थे। और उसके बाल जो हमेशा तेल से सने दो चोटियों में बंधे रहते थे, आज वे खुले हुए थे और उसमे से थोड़ा-थोड़ा पानी की बूंदे गिर रही थी। इस समय मीरा किसी आसमान से उतरी परी की तरह लग रही थी।
राज मीरा को देखने में पूरा खो गया था, पर वह होश में तब आया जब एक चम्मच गिरने की आवाज़ राज के कानों में आती है। चम्मच गिरने की आवाज़ को सुनकर राज तुरंत होश में आता है और अपनी नज़रे इधर-उधर करने लगता है। तभी उसकी नज़र शेरा पर जाती है जो एक टक मीरा को ही देख रहा था। ये देख उसको मीरा के ऊपर बहुत गुस्सा आता है, इसलिए वह अपने सामने रखी गरम ब्लैक कॉफी को उठा कर मीरा के हाथों पर डाल देता है।
जिससे मीरा की चीख निकल जाती है। जिससे मीरा तुरंत अपने हाथों को फूंक मारते हुए अपनी नम हो चुकी आंखों से अपने सामने बैठे उस हैवान को देखने लगती है, जिसे उस पर बिलकुल भी दया नहीं आती। कल रात बुरी तरह अपनी हैवानियत दिखाने के बाद आज फिर ये इंसान उसे तकलीफ दे रहा है। सच में ये इंसान बिलकुल हार्टलेस है। इसके अंदर दिल नाम की कोई चीज नहीं है।
वही दूसरी तरफ लंदन में,
एक लड़की जिसकी उम्र 19 साल थी और उसका नाम निया था। वह इस समय पिंक साड़ी में, हाथों में चूड़ा, गले में मंगलसूत्र, कानों में लम्बी बाली, माथे पर पिंक कलर की छोटी सी बिंदी, गुलाबी और मुलायम हर्ट शेप होठों पर पिंक कलर की लिपस्टिक और मांग मे लाल रंग का सिंदूर लगाए वह लड़की बहुत ही ज्यादा खुबसूरत लग रही थी। वह अपने सामने खड़े अपने पति देव सिंघानिया जिसकी उम्र 30 साल थी, उसको नफरत से देखते हुए अपने हाथों को छुड़वाते हुए बोली।
(दोस्तों, देव के बारे में मै आपको थोड़ा बहुत बता देती हूं। ये है देव सिंघानिया, राज सिंघानिया के बड़े भाई। राज की तरह ही देव भी पूरी दुनिया में राज करता है। उसके नाम पर भी लोग डर के कांपने लगते हैं और वह भी गलती करने वालो को ऐसी सजा देता है जिसके उसकी रूह कांप जाए। देव निया से कैसे मिला और निया देव से नफरत क्यूँ करती है, इन सब के बारे में आप लोगों को स्टोरी में धीरे-धीरे पता चलेगा। तो चलिए स्टोरी की तरफ बढ़ते हैं।)
"छोड़ो मुझे, प्लीज छोड़ो मुझे, मैने कहा ना मुझे तुम्हारे साथ कही नहीं जाना, छोड़ो मुझे।"
निया की बात सुनकर देव को गुस्सा आ जाता है और उसने जो हाथ अभी प्यार से पकड़ा हुआ था, वह उस पर अपनी पकड़ कसते हुए गुस्से से बोलता है, "जान मैंने कितनी बार बोला है कि मुझसे दूर जानें के बारे में ना सोचा करो और ना ही अपने इस खूबसूरत होठों से बोला करो, पर जान अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी।"
इतना बोल देव निया के खूबसूरत होठों को अपनी गहरी नज़रों से देखने लगता है। वही निया देव की इंटेंस नज़रे अपने होठों पर महसूस कर देव को वार्निंग देते हुए गुस्से से बोली, "खबरदार सोचना भी मत मेरे क़रीब आने का वरना।"
निया अभी इसके आगे कुछ और बोल पाती तभी देव उसके खुबसूरत होठों पर अपने होंठ रख उसे पागलों की तरह चूमने लगता है, जिसके निया की आवाज़ उसके गले में ही रह जाती है और अपनी नम आंखों से वह ख़ुद को देव से छुड़वाने की कोशिश करने लगती है।
वही दूसरी तरफ मुंबई के कॉलेज में,
मान्या अपनी क्लास खत्म कर कैंटीन में बैठ बेमन से चाउमीन खा रही थी, क्योंकि मीरा के कुछ दिनों से कॉलेज ना आने की वजह से ना तो उसका क्लास में पढ़ने का मन करता और ना ही कैंटीन में कुछ भी खाने का। उसने मीरा के बारे में पता लगाने की बहुत कोशिश की थी कि मीरा कहां पर है, पर उसे मीरा के बारे में कुछ भी पता नही चला। वह बस भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी कि मीरा जहां पर भी हो ठीक हो।
तभी वहा पर कोई आता है और मान्या को उसके नाम से बुलाता है, जिसे सुन मान्या की आंखे चमकने लगती हैं। पर जैसे ही वह पीछे पलट कर देखती है उसका मन दोबारा उदास हो जाता है।
तभी वहा कुछ लड़के आते हैं जिसे देख उन दोनों लड़कियों की आंखों में गुस्सा उतर आता है।
चैप्टर 18
राज का मीरा को कड़वी बातें बोलना
अब आगे
मान्या कॉलेज कैंटीन में बैठी हुई थी। तभी कोई लड़की मान्या का नाम लेकर उसे बुलाती है। जिसे सुन मान्या को यही लगता है कि मीरा है। पर जैसे ही वे पलट कर देखती है तो ये उसकी दूसरी फ्रेंड शालू थी।
जिसे देख वे फिर से थोड़ा उदास हो जाती हैं। शालू, मीरा और मान्या दोनों की फ्रेंड थी। पर वे इस कॉलेज पढ़ने मीरा के लिए आई थी। क्योंकि मीरा पर उसे एक खरोंच भी बर्दाश्त नहीं थी। ये मीरा को लेकर बहुत ज्यादा प्रोटेक्टिव थी।
एक तरफ़ से देखा जाए तो मीरा को किसी की प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं थी। पर मीरा शालू को बहुत अच्छे से जानती थी कि जहां उसकी सेफ्टी की बात आती थी, वहां शालू मीरा की भी कोई बात नहीं सुनती थी।
इसलिए वे भी उसे कुछ नहीं बोलती। शालू कुछ जरूरी कामों के लिए कुछ दिनों के लिए आउट ऑफ कंट्री गई हुई थी। इसलिए उसे अभी मीरा के बारे में कुछ पता नहीं था।
वरना वे किसी ना किसी तरीके से मीरा को वहां से आजाद कर लेती।
शालू मान्या के पास आकर बैठ जाती है और मान्या को देख जल्दी से बोलती है।
"मान्या चल जल्दी बता मेरी मिरू कहां पर है? मैं इतने दिनों से उससे नहीं मिली हूं। जल्दी बता मुझे, मुझे उससे अभी के अभी मिलना है।"
शालू की बातों को सुनकर मान्या अभी कुछ बोल पाती, तभी वहां अमन, रोहित और सौरभ आ जाते है और आकर वहीं पड़ी शीट पर बैठ जाते है। जिसे देख मान्या और शालू गुस्सा हो जाती हैं। शालू गुस्से से बोली।
"तुम तीनों, तुम तीनों की हिम्मत कैसे हुई हमारे शीट के पास बैठने की, अगर तुम लोगों को बैठना ही है तो इतना बड़ा कैंटीन है। कहीं और जाकर बैठो, लेकिन मैं तुम लोगों को यहां नहीं बैठने दूंगी। निकलो अभी के अभी यहां से, वरना।"
शालू इसके आगे कुछ बोल पाती तभी सौरभ शालू को शांत कराते हुए कहता है।
"अरे चुप हो जा लड़ाकू विमान, एक तो इतने दिनों बाद कॉलेज आई है और ऊपर से आते ही ज्वालामुखी की तरह फटना शुरू हो गया। वैसे भी हम यहां तुमसे नहीं मीरा से मिलने आए हैं। आजकल है कहां दिख क्यूं नहीं रही कॉलेज में।"
सौरभ की बात सुनकर मान्या बोलती है।
"अरे मैंने तुम लोगों को पहले ही कहा है कि मीरा को कुछ काम है इसलिए कॉलेज नहीं आ रही है तो तुम लोग क्यूं रोज आ कर एक ही सवाल पूछ पूछ कर मुझे परेशान करते हो।"
इतना बोल वे शालू की तरफ़ देख उसका हाथ पकड़ कर उसे लेकर जाती हुई बोली।
"चल शालू हम कहीं और जाकर बात करते हैं।"
इतना बोल वे शालू को लेकर चली जाती हैं।
वहीं दूसरी तरफ विला में,
राज मीरा के हाथों पर कॉफी गिरा देता है। जिसके मीरा को अपने हाथों में तेज जलन और दर्द होने लगता है। वे तुरंत वहां से अपने हाथों को लेकर किचन की तरफ़ जाने लगती हैं। जिसे देख राज अपनी चेयर से उठ मीरा को उसी हाथों को पकड़ दबाव बनाते हुए दांत पीसते हुए कहता है।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां पर आकर हमें सेड्यूस करने की। तुम्हें क्या लगता है कि तुम अपनी खूबसूरती की जाल में यहां के मर्दों को फंसा कर यहां से बाहर जा सकती हो तो ये तुम गलती से भी मत सोचना। क्यूंकि तुम जैसी दो कौड़ी की लड़की के जाल में यहां पर कोई भी नहीं फंसने वाला। तो आगे से ये अपनी घटिया ट्रिक कहीं और इस्तेमाल करना।"
फिर वे मीरा के हाथों को छोड़ एक डेविल स्माइल किए हुए बोला।
"शायद उस ट्रिक की वजह से कोई तुम्हारी जाल में फंस जाए और तुम्हारी खूबसूरती के बदले वे तुम्हें मालामाल कर दे।"
राज के इतना बोलते ही मीरा की आंखे खून की तरह लाल हो जाती हैं। यही एक शब्द है जिससे उसे सख्त नफ़रत है और वे ऐसा शब्द कभी भी नहीं सुनना चाहती थी। ना अपने के लिए ना किसी और लड़की के लिए।
(इसका एक बहुत बड़ा रीज़न है शायद मासूम मीरा का बदला लेने की वजह भी इन शब्द के ही जुड़ा हुआ है, जिसका आपको आगे पता चलेगा।)
इसलिए मीरा राज को अपनी जलती हुई निगाहों को देखते हुए गुस्से से बोली।
"खबरदार जो तुमने मेरे या किसी भी लड़की के कैरेक्टर पर इतना घटिया इल्जाम लगाया तो। आज तो ये बोलने की हिम्मत कर दी पर आगे से मत बोलना, वरना मैं तुम्हे ऐसी सजा दूंगी जिसे तुम सपने में भी नहीं सोच सकते।"
मीरा ने इतना बोला ही था कि वहां राज की जोर जोर से हंसने की आवाज़ मीरा के कानों मे सुनाई देती हैं।
राज की ये हंसी कोई नॉर्मल हंसी नहीं लग रही थी। राज को इस तरह हंसते हुए देखकर ये साफ मालूम हो रहा था कि राज की ये हंसी मीरा के लिए खतरनाक साबित होने वाली है।
चैप्टर 19
मीरा की मजबूरी और निया का डर
अब आगे
राज कुछ देर यूं ही हंसने के बाद एकदम से अपनी हंसी रोक मीरा के बालों को पकड़ अपने हाथों से मीरा के जबड़े को पकड़ दबाते हुए अपनी खतरनाक आवाज़ में कहता है, "तुम जैसी दो कौड़ी की लड़की की इतनी औकात नहीं कि मुझे राज सिंघानिया को बता सके कि उसे क्या करना है और क्या नहीं। पर गलती मेरी है कि मैंने अपने घर में अपने दुश्मन को कुछ ज्यादा ही छूट दे दी है। इसलिए तुम्हारी जुबान कैंची की तरह चल रही है। पर कोई बात नहीं मुझे तुम जैसी उड़ती चिड़िया के पंख और जुबान को कैसे काटना है ये मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूं।"
इतना बोल राज हिमा की तरफ देख कुछ लाने का इशारा करता है। जिसे समझ हिमा बिना देरी किए किचन में जाकर वे चीज़ लेकर आती है और वहीं डाइनिंग टेबल पर रख देती है।
उस चीज़ को देख कर राज डेविल स्माइल करता है तो वहीं मीरा कस कर अपनी आंखे बंद कर लेती है क्योंकि उसे मालूम था कि आगे जो भी उसके साथ होने वाला है वे कुछ बहुत बुरा और दर्दनाक ही होगा।
इसलिए वे आगे के दर्द के लिए अपने आपको तैयार करने की कोशिश करती है क्योंकि उसे मालूम था कि अभी वे अपनी मासी को वजह से मजबूर है इसलिए वे राज के दिए हुए सारे दर्द को बर्दाश्त कर रही है।
वरना राज सिंघानिया क्या उसके जैसे हजार भी आ जाए तो भी मीरा का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
वहीं दूसरी तरफ कॉलेज में,
मान्या शालू को लेकर जा चुकी थी। सौरभ अमन और रोहित दोनों की तरफ देखते हुए बोला, "सच में भाई एक लड़की कम थी कि ये जहरीली लड़की भी आ गई। इसे देख कर तो ऐसा लगता है जैसे इसे कभी सीधे मुंह बात करना ही नहीं आता है।"
सौरभ की बात सुनकर रोहित कहता है, "तू सच बोल रहा है भाई पता नहीं इन दो नगीनों के बीच बेचारी इनोसेंट की मिरु कहा से फंस गई। पता नहीं इन दोनों को वे मासूम लड़की कैसे झेलती है। मेरा को इन दोनों के साथ दो मिनट भी बात करना मुश्किल हो जाता है।"
इतना बोल वे सबसे लिए खाने का ऑर्डर करता है। वहीं अमन मीरा के बारे में सोचते हुए मन में बोला, "तू कहा है मीरु, आई होप तू जहा भी हो सही हो। तू किसी दर्द मे ना हो। तू जल्दी से बस कॉलेज आ जा। बिना तुझे परेशान किए मेरा दिन ही नहीं बनता।"
इतना बोल वे अपने सामने रखते पनीर चिल्ली को देख खाने लगता है जो अभी कुछ देर पहले ही रोहित के ऑर्डर देने पर वेटर रख कर गया था।
वहीं दूसरी तरफ मान्या और शालू गार्डन में बैठे हुए थे। मान्या शालू को सब बता देती है कि कुछ दिनों से मीरा कॉलेज नहीं आ रही है और ना ही कोई फोन उठा रही है। जबकि वे कभी ऐसा नहीं करती।
मान्या की बात सुनकर शालू परेशान हो जाती है और खुद से ही मन में बोली, "मिरू कॉलेज नहीं आ रही है और ना ही फ़ोन उठा रही है और तो और उसके घर पर भी ताला बंद है। इसका मतलब साफ है कि मीरा कोई बड़ी मुसीबत में है जहां से वे अभी तक बाहर नहीं आ पाई। मुझे पता है इस बारे में किसी को पता हो या ना हो उस रोबिन के बच्चे को जरूर मालूम होगा। मुझे अब जल्द से जल्द रोबिन से मिलकर मिरु के बारे मे पता लगाना होगा और उसकी मदत करनी होगी।"
इतना सोच वे मान्या की तरफ देखती है जो अपने ही धुन में उसके कुछ ना कुछ बोली जा रही थी। जिसे देख शालू अपना सिर ना मे हिलाते हुए मान्या को शांत कराते हुए कहती है, "मान्या सुन मुझे कोई जरुरी काम याद आ गया है इसलिए मै जा रही हु। मैं तुझसे बाद में मिलती हु।"
इतना बोल वे बिना मान्या की आगे की बात सुने तेज कदमों से वहा से निकल जाती है क्योंकि उसे रोबिन के मिलने की और अपनी मिरु के बारे में जानने की ज्यादा जल्दी थी।
वहीं दूसरी तरफ लंदन में,
देव निया के होठों को पागलों की तरह चूमने लगता है जैसे किसी प्यासे को कुआ मिल गया हो। वे निया के होठों से अपनी सारी प्यास बुझा लेना चाहता था।
उसे निया के होंठ किसी स्ट्राबेरी के कम नहीं लग रहें थे। देव जब भी निया के गुलाबी, सॉफ्ट और मीठे होठों के टेस्ट को अपनो होठों पर महसूस करता है, वे बिल्कुल बेकाबू हो जाता था क्योंकि निया उसके प्यार के ज्यादा उसका जुनून बन चुकी थी।
जिसे वे किसी भी हाल में अपने करीब बेहद क़रीब रखना चाहता था जहा पर किसी की भी गंदी नजर गलती से भी उसपे नज़र ना पड़े।
लगभग 20 मिनट बाद जब देव को महसूस होता है कि निया की सांसे उखड़ने लगी है तब जाकर देव निया के होठों से दूर होता है। जिसे महसूस कर निया गहरी गहरी सांसें लेने लगती हैं। कुछ देर बाद निया शांत होती हैं और देव के कॉलर को पकड़ कर उसे गुस्से से बोली, "How dare u, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसा करने की। तुम्हे तो..."
निया आगे कुछ बोल पाती निया की नज़रे देव की लाल आंखो पर पड़ती हैं जिसे देख निया डर जाती हैं तभी उसकी नज़र अपने हाथो पर जाती हैं जो देव की कॉलर पर थे। जिसे देख निया जल्दी से अपने हाथ को देव के कॉलर से हटा, देव की तरफ अपनी डरी और सहमी नजरो से देखते हुए अपना सिर ना मे हिला देती हैं।
चैप्टर 20
राज का मीरा को थप्पड़ मारना
अब आगे
वही दूसरी तरफ देव को बहुत गुस्सा आ रहा था। क्योंकि भले ही निया उसका प्यार, जिद और जुनून हो, पर उसे ये बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं कि कोई भी उसके कॉलर को हाथ लगाए।
अगर निया के जगह किसी और ने ये गलती की होती तो पक्का अब तक उसकी लाश जमीन पर पड़ी होती, पर वे निया को तकलीफ नहीं देना चाहता था। वे उसे खुश रखना चाहता था, पर ये औरत रोज कोई ना कोई ऐसी बात या ऐसी कोई हरकत कर ही देती थी जिससे देव को निया पर गुस्सा आ जाता था। देव निया को अपनी लाल आंखो से देखते हुए अपनी सर्द आवाज में बोलता है,
"जान तुम्हे मालूम है ना कि मुझे कुछ भी बर्दाश्त हैं, पर कोई मेरी कॉलर को हाथ लगाए, ये मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं, चाहे वो तुम ही क्यू ना हो।"
निया देव की सर्द आवाज़ सुनकर डर जाती है और देव को एक नज़र देख अपनी नज़रे नीचे किए हुए अपनी धीमी आवाज़ में बोलती है,
"प्लीज देव मुझे माफ कर दीजिए। प्लीज मुझे कोई सजा मत दिजिएगा। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।"
(निया देव के साथ काफ़ी सालो से है। कितने सालो से है और वे देव से कैसे मिली? ये सब मे आगे बताऊंगी।
निया देव से काफी डरती है। वे काफी डरी सहमी सी लड़की है या ये कहा जा सकता है कि देव निया को इसी तरह बनाना चाहता था, इसलिए निया ऐसी बन गई है।)
निया की बात सुनकर देव निया के करीब आकर उसके गालों पर अपनी उंगलियां फेरने लगता है, जिसके निया अपनी आंखे कस कर बंद कर लेती है। जिसे देख देव अपनी एक उंगली को उसके चिन पर रख उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए अपनी डीप वॉइस मे कहता है,
"जान अपनी आंखे खोलो।"
देव के बोलते ही निया अपनी आंखे तुरन्त खोल देती है। क्योंकि निया को मालूम था कि देव को इंतेजार करना बिलकुल पसन्द नही है। वे अपनी आंखे खोलने में जितना देर करती देव उसे उतनी ही ज्यादा सजा देता। निया के आंखे खोलते ही देव निया को देखते हुए बोला,
"जान तुम्हे मालूम है ना माफी शब्द मेरे डिक्शनरी में नहीं बना है। अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी ना।"
इतना बोल देव निया का हाथ पकड़ उसे एक कमरे के पास ले आता है जिसे देख निया बोली,
"नही देव प्लीज यहां नही प्लीज मुझे यहां बंद मत कीजिए। आपको पता है ना मुझे अंधेरे से कितना डर लगता है। प्लीज देव इस बार छोड़ दीजिए।"
निया की बात सुनकर देव अपनी सर्द आवाज़ में निया से कहता है,
"जान तुम्हे मालूम नही है अगर लोगो को गलती करने के बाद सजा ना दो, तो वे दोबारा से वही गलती करते हैं और माफी मांगते हुए कहते हैं कि वे दोबारा वैसी गलती नही करेंगे। लेकिन फिर भी उसी गलती को वे बार बार दोहराते रहते हैं। इसलिए उन्हें सजा देना जरूरी होता है।"
इतना बोल देव निया को उस अंधेरे कमरे में बंद कर देता है।
वही दुसरी तरफ विला में
राज के कहने पर हिमा किचेन से मिर्ची वाला गर्म पानी लाकर वही डाइनिंग टेबल पर रख देती हैं। जिसे देख राज डेविल स्माइल करते हुए, दोबारा मीरा के जबड़े को पकड़ मीरा से कहता है,
"पियो इसे।"
राज की बात सुनकर मीरा हैरानी बड़ी नजरो से राज की तरफ़ देखने लगती हैं। फिर एक नज़र उस मिर्ची वाली पानी की तरफ़ देखती है जिसमें से अब भी हलका हलका धुआं निकल रहा था।
मीरा को मालूम था कि राज उसे दर्द देना चाहता है। पर कोई अपने इगो मे आकर इतना बेरहम और निर्दयी हो सकता है, ये मीरा ने नही सोचा था।
मीरा अपनी पुरी ताकत लगा राज से अपना जबड़ा छुड़वाते हुए कहती हैं,
"छोड़ो मुझे तुम पुरी तरह पागल हो गए हो। अपने बदले की आग में तुम्हे ये तक नहीं दिख रहा कि तुम दुसरे के साथ क्या कर रहें हो? तुम्हे दिख नही रहा की ये पानी कितना गरम है और ऊपर से तुमने इसमे इतनी मिर्ची डाली है।
अगर मैने इसे पी लिया तो मेरा पूरा गला जल जायेगा। हो सकता है कि मै इस पानी को पीने के बाद कभी बोल भी ना सकू। इन्सान दुश्मनी भी इंसानियत के दायरे में रहकर करता है, पर तुम तो पुरी तरह से हैवान ही बन चूके हो।"
मीरा ने इतना बोला ही था कि एक तेज थप्पड़ मीरा के गालों पर आकर पड़ता है जिसके वे सीधा जाकर जमीन में गिरती है और उसके मुंह से हल्का खून भी बहने लगा था।
ये थप्पड़ मीरा को किसी और ने नहीं राज ने ही मारा था। मीरा अपनी नज़रे उठा राज को अपनी लाल आंखो से गुस्से में देखने लगती हैं, वही राज भी मीरा को अपनी सर्द नजरो से घूर रहा था, फिर वे मीरा के पास आ उसके बालो को पीछे से पकड़ अपनी खतरनाक आवाज़ में बोलता है,
"बिल्कुल सही कहा मै हैवान ही हूं और तुम्हारे लिए तो हैवान से भी ज्यादा खतरनाक हू। अगर तुमने मेरे साथ कुछ किया होता तो फिर भी मैं तुम्हे छोड़ने के बारे मे सोच सकता था।
पर तुमने सीधा मेरे परिवार पर वार करने की गलती की है। तुमने मेरे जीजू की आज जो हालत की है ना अगर उसके लिए मै तुम्हे जिन्दा भी जला दू तो भी अफसोस नहीं होगा। तो फिर ये गर्म पानी क्या चीज़ है।"
इतना बोल राज कुछ ऐसा करता है जिसके मीरा की दर्द से तड़प उठती हैं।