एक साधारण सी पर अनकही सी दास्तां ✨ *कहानी का विवरण* "यह कहानी है डॉक्टर दीपेश और आध्या की" एक प्रेम कहानी है जो बचपन से शुरू होती है और जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरती हुई एक अद्भुत मोड़ पर आती है। डॉक्टर दीपेश और आध्या ने बचपन में एक दूसरे... एक साधारण सी पर अनकही सी दास्तां ✨ *कहानी का विवरण* "यह कहानी है डॉक्टर दीपेश और आध्या की" एक प्रेम कहानी है जो बचपन से शुरू होती है और जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरती हुई एक अद्भुत मोड़ पर आती है। डॉक्टर दीपेश और आध्या ने बचपन में एक दूसरे को पसंद किया था, लेकिन नियति ने उन्हें अलग कर दिया। *प्यार और बिछड़ने की कहानी* बचपन के प्यार को भुलाना आसान नहीं होता, और दीपेश और आध्या के दिलों में एक दूसरे के लिए अनकहे और अनजाने एहसास बने रहे। समय बीतता गया, और दोनों अपने-अपने रास्तों पर चले गए। लेकिन उनके दिलों में एक दूसरे के लिए प्यार और यादें हमेशा बनी रहीं। *फिर से मिलन* कहानी में एक अद्भुत मोड़ आता है जब दीपेश और आध्या फिर से मिलते हैं। उनके अनकहे और अनजाने एहसासों ने अंततः उन्हें मिला ही दिया। यह मिलन दोनों के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है, जिसमें वे अपने प्यार को फिर से जीते हैं। *कहानी की खूबसूरती* इस कहानी की खूबसूरती यह है कि यह प्यार, बिछड़ने, और फिर से मिलने की भावनाओं को दर्शाती है। यह कहानी पाठकों को आकर्षित करेगी और उन्हें अपने प्यार और रिश्तों के बारे में सोचने पर मजबूर करेगी।
Angel (aadhya)
Heroine
Naina
Healer
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एक बड़ा सा आलीशान घर। घर के चारो और बाउंड्री वॉल के पास अशोक के पेड़ लगे हैं।
उन पेड़ों के बीच से होकर सूरज की किरने घर की रेलिंग से टकराकर बहुत ही सुंदर दर्श्य उत्पन्न कर रही हैं। पेड़ों से पक्षियों के चहचाने की आवाजे आ रही हैं।
सुबह के 9:00 बजे घर के हॉल से संध्या जी की बहुत ही प्यारे भजन की आवाज आ रही है। भजन करने के बाद संध्या जी मिस्टर सिंह को आरती देने जाती हैं, अखबार को नीचे रख मिस्टर सिंह आरती लेते हैं और कहते हैं संध्या जी हमारी लाडली जगी नहीं अभी तक
नहीं अभी तक सो रही है आप की लाडली मैं उठाती हूं उसे..
नहीं आप रहने दीजिए आज मेरी लाडो को मैं जगाता हूं...
एक बड़ा सा रूम
रूम के बीचो बीच बेड लगा हुआ है बेड के लेफ्ट साइड में एक स्टडी टेबल रखी हुई है जिस पर एक बहुत ही प्यारी फैमिली फोटो रखी हुई है और साथ में एक लैपटॉप रखा हुआ है वही कमरे की दूसरी और एक बहुत ही सुंदर ड्रेसिंग टेबल जिस में रंग बिरंगी चूड़ियां रखी हुई है साथ ही बहुत ही सुंदर सुंदर झुमके भी
तभी मिस्टर सिंह रूम में रूम में आते हैं देखते हैं...
उनकी लाडो कंबल से अपने मुंह को कवर किए सूरज की किरणों से बचने की कोशिश कर रही है
मिस्टर सिंह आकर अपनी बेटी के सर पर हाथ फेरते हुए बोलते हैं ...
गुड मॉर्निंग लाडो उठ जा बेटा
9:00 बज चुके सुबह के
papa बस थोड़ी देर और , 5 मिनट , फिर मैं उठने वाली हूं..
बेटी का सर सहला वह बाहर चले जाते हैं।
तभी कुनमुनाते हुए वह लड़की अपनी आंखें खोलती है
आंखें खोलते ही वह सबसे पहले दोनों हाथ जोड़कर वह अपने कान्हा जी को याद करती है ।
तो लीजिए यह है हमारी कहानी की नायिका आध्या
24 साल, 5 "4 हाइट, सावला रंग, तीखे नैन नक्श, कजरारी आंखें, गुलाब की पंखुड़ियों से होठ 😍😍
सांवली सूरत होने पर भी चेहरे पर गजब का आकर्षण
उसकी खिलखिलाती हंसी एक बार में ही किसी का भी मन मोहित कर लें।🥰
आद्या
जल्दी से उठ कर वॉशरूम में जाती है और तैयार होकर मिरर के सामने आती हैं
सिंपल सी ऑफ व्हाइट कुर्ती साथ में जींस पहने वह बहुत ही प्यारी लग रही थी

मिरर के सामने खड़ी होकर वह हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियां पहनती हैं कानों में डायमंड टॉप्स और होठो पर हल्की गुलाबी लिपिस्टिक साथ में आंखों में गहरा काजल लगाती हैं और आईने में खुद को देखकर एक फ्लाइंग किस उछालती है आईने की ओर
हाय!आज तो कतई जहर लग रही हैं तू आध्या😜😜
आद्या अब जल्दी से नीचे आती हैं और संध्या जी के गले लग उन्हें गुड मॉर्निंग विश करती हैं ।।
संध्या जी प्यार से अपनी लाडो का सर चूम लेती हैं
मेरी गुड़िया तेरे घर में होने से ये घर घर सा लगता है । तेरी बहुत याद आती हैं मेरी लाडो😢😢
आद्या: (मन में सोचते हुए) बस मां एक बार मेरे मिस्टर अजनबी से मिल जाए फिर ये भटकना छोड़ दूंगी
अपनी मां के गाल पर किस करती हैं । मां जल्दी से नाश्ता दो मुझे लेट हो जाएंगी
मिस्टर सिंह: आज तो सब कुछ हमारी लाडो की पसंद का बना है
अरे वाह मां 🥰🥰
बाजरे की रोटी, चने का साग , दही बड़े, गाजर का हलवा
मां मेरे तो इन्हे देख कर ही मुंह में पानी आ रहा है अब मुझसे ओर वेट नहीं हो रहा जल्दी से खाना दो मां
मां = हा दे रही हूं , संध्या जी उसे अपने हाथो से खाना खिलाती है।
आद्या रूम में जा अपना बैग लेकर आती हैं और अपने मम्मी पापा के पैर छूती है और उन्हें अपना ख्याल रखने का बोल बाहर आती हैं और कहती हैं मै रोजाना फोन से बाते करूंगी आपसे 😍😍
जयपुर शहर
जयपुर को मै जान लिखूं या
राजस्थान का अभिमान लिखू
ख्वाहिशों की हकीक़त लिखूं या
लिखूं इश्क़ की मिठास 🥰🥰
जहां हर कोई भाग रहा है अपने सपनों के पिछे, अपनी जरूरतों के लिए
आद्या भी जयपुर शहर से बहुत सारी आस लगाएं एक बार फिर जयपुर की जमीं पर अपने कदम रखने आ रही है।
ट्रेन में खिड़की की ओर बैठी हुई आद्या अपने ही ख़यालो में खोई हुई हैं
7 साल पहले
आद्या ने अपने स्कूल में टेंथ क्लास में टॉप किया था।
सभी के कहने पर और बायो स्ट्रीम में इंटरेस्ट होने से उसने भी नीट की कोचिंग करने का सोचा;
जिस दिन आद्या का रिजल्ट आया🙃🙃
मिस्टर सिंह: संध्या जी जल्दी से मिठाई लेकर आइए,आपको पता है पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी जा रही है ,हमारी लाडो ने टॉप किया है स्कूल में😎 खुश होते हो संध्या जी को बताते हैं😍
वैसे कहां है हमारी लाडो दिखाई नहीं दे रही संध्या जी उसके फ्रेंड्स आए थे, उन्हीं के साथ गई है...
ठीक है फिर; आप मेरा तो मुंह मीठा करा दीजिए😋
आद्या शाम को घर आती है उसके मम्मी पापा बहुत खुश होते हैं । उसे खूब सारी बधाइयां देते हैं 😍
मिस्टर सिंह : आद्या बेटा आगे क्या करने का विचार है
आद्या: पापा मेरे फ्रेंड्स और टीचर सभी मुझे नीट की कोचिंग के लिए बोल रहे हैं और मैं भी वही करना चाहती हूं😔
मिस्टर सिंह: अरे वाह यह तो अच्छी बात है।
संध्या जी: लेकिन हमारे पास में कोई कोचिंग नहीं है , मैं अपनी लाडो को दूर नहीं भेजना चाहती , अपने पास ही रखूंगी।
लाडो तू यही के किसी कॉलेज में एडमिशन ले ले।
मिस्टर सिंह: संध्या जी आप बेवजह ही परेशान हो रही है ,
हमें हमारी लाडो के सभी सपने पूरे करने हैं ।
मैं भी तब तक के लिए किसी अच्छे कोचिंग सेंटर में बात करता हूं लाडो के एडमिशन के लिए अब तो खुश है बेटा😁
आद्या: ji papa 😊
वह अपने मम्मी पापा को गुड नाईटबोल अपने।रूम में आ जाती हैं..
पर उसे नींद कहा आनी थी , खुशी के मेरे उसकी आंखो की नींद तो उड़ चुकी थी😅
भविष्य के सपने बुनने में खोई हुई थी ,
जयपुर की कोचिंग , वहां के लोगों के बारे में अपने सपने के बारे में सोचते सोचते देर रात उसे नींद आ गई।
आज सुबह आद्या जल्दी उठ जाती है क्योंकि उसे जयपुर जो जाना था एडमिशन के लिए आज वह बहुत खुश होती है ,
जल्दी से तैयार हो करवानी चाहती है नीचे आती हैं और किचन में अपनी मम्मा के गले लग जाती है और कहती है गुड मॉर्निंग मम्मी🥰🥰
संध्या जी: गुड मॉर्निंग बेटा आज जल्दी उठ गई
Ji मम्मा
मम्मी पापा उठे या नहीं , हमें जाना है मेरे एडमिशन के लिए!
मिस्टर सिंह: अरे लाडो मैं तो कब का तैयार भी हो गया हूं बस तुम्हारी मम्मी नाश्ता देदे!
फिर चलेंगे
Ji papa
मिस्टर सिंह: आद्या बेटा अपना सामान भी पैक कर लो मैंने कोचिंग में बात कर ली है
आज ही तुम्हारा एडमिशन करा देते हैं
आद्या खुश होते हुए जी पापा🤩
संध्या जी: इतनी भी क्या जल्दी है उसे थोड़े दिन तो घर रहने दो...
अरे संध्या जी कोचिंग स्टार्ट हुए 1 सप्ताह हो गया है आप जल्दी से हमारी लाडो की पैकिंग करवाई
संध्या जी: इस घर में मेरी वैसे भी सुनता ही कौन है जो मन करेगा वही करेंगे😏
मिस्टर सिंह: संध्या जी का हाथ थाम बीवी आप परेशान मत होइए अगर हमसे दूर होकर वह अपने सपनों के करीब जाती है तो इसमें क्या गलत है...
पर मैं मेरी लाडो को खुद से दूर कैसे कर सकती हूं अभी वह नादान है अच्छे बुरे की समझ भी नहीं है उसे
मिस्टर सिंह: चिंता मत कीजिए आप बाहर रहेगी तभी तो समझेगी ना अब जल्दी से पैकिंग कराइए और खुश हो जाइए खुश होकर अपनी लाडो को भेजिए!
संध्या जी: ठीक है पतिदेव😊
संध्या जी आद्या की पैकिंग पूरी कराती हैं।
और थोड़े टाइम बाद मिस्टर सिंह और आद्या जयपुर के लिए रवाना हो जाते हैं......
कार से बाहर देखते हुए आद्या सोचती हैं ...
एक नई दुनिया नई लोग नए सपने इन सबके लिए वह काफी उत्साहित है लेकिन मन में कहीं ना कहीं थोड़ा डर भी होता है क्या वो रह पाएंगे अपने परिवार के बिना एक नए माहौल में खुद को बदल पाएगी।
इन्हीं सबके बीच गाड़ी कोचिंग के सामने आकर रूकती है
एक बड़ी सी कोचिंग जिसके आगे का पूरा भाग शीशे का बना होता है आद्या का एडमिशन हो चुका था तो वह और उसके पापा हॉस्टल देखने जाते हैं!
सेकंड फ्लोर पर हॉस्टल में आधा को रूम मिलता है रूम में उसके अलावा एक लड़की और होती हैं जो इस समय कोचिंग गई हुई थी आद्या का सामान रख उसके पापा उसे वहां छोड़कर चले जाते हैं!
आज का दिन आद्या को हॉस्टल रूम में ही रहना था । उसे अपने घर की याद आ रही होती हैं पर वह नए माहौल में खुद को एडजस्ट करती हैं और मन बहलाने के लिए अच्छे से अपना रूम देखती है और अपना सामान सेट करती है
सामान सेट कर दो थोड़ी देर लेट जाती है।
शाम को उसकी रूममेट आती है!
आद्या: हाय आई एम आध्या मैं तुम्हारी नई रूममेट!
भव्या: मैं भव्या
वह दोनों आपस में एक दूसरे के बारे में पूछती हैं और बातें करती हैं...
थोड़ी देर बाद
आद्या चलो खाना खाने चलते हैं
आद्या: आज खाना मम्मी ने पैक करके दिया था तुम भी मेरे साथ ही खालो...
अरे पर मै कैसे...
ऐसे वैसे कैसे कुछ नहीं ! तुम हमारे साथ खाना खा रही हो बस।
अच्छा बाबा! ठीक है 😀
चलो मैस में खाना गर्म करके लाते हैं।
वे दोनों खाना खाने मैस की ओर जाती है।
मैस में आध्या देखती है एक लड़की अकेली बैठी खाना खा रही है होती है!
तो आध्या भी उसी के पास जाकर बैठ जाती है उसके साथ में
भाव्या भी आ जाती है
आध्या: आध्या उस लड़की से बात करने की कोशिश करती है लेकिन वह बस हा हूं में जवाब देती है!
इस तरह से खाना खाकर वो रूम में आ जाते हैं।
भव्य दूसरे रूम में लड़कियों से बातें करने चली जाती है
आद्या फोन से अपने घर बात करती है
संध्या जी: बेटा तू ठीक है ना तूने खाना खाया...?
जी हां मां मैंने खाना खा लिया और मेरी रूममेट भी बहुत अच्छी है..
मां पापा कैसे हो
हम तो ठीक हैं बेटा तेरी याद आ रही थी तू ठीक है ना मन लग गया तेरा...?
अरे मां रुको रुको एक साथ इतने सवाल आज सुबह ही तो आई थी मैं घर से..
आप भी ना मां कितनी चिंता करती हो आप ऐसे करोगे तो मैं कैसे रहूंगी यहां..
अच्छा ठीक है नहीं करती बस तू अच्छे से पढ़ाई कर और अपना ध्यान रखना🥰
ठीक है मां गुड नाइट
ठीक है बेटा!
फोन रख आद्या अपने रूम से सटी खिड़की की ओर खड़ी हो जाती है दूसरी और की छतों पर लोग घूम रहे थे कोई फोन पर लगा हुआ था कोई कुछ
पिछे की तरफ बगीचा बना हुआ था वहां बहुत सारे पेड़ पौधे , फूल आदि थे ।
आधा उन सभी को देखने लग जाती है
थोड़ी देर बाद में सोने चली जाती है
अगला दिन
आध्या सुबह जल्दी उठकर तैयार हो जाती है फिर भव्या को उठाती है..
भव्य उठ हम कोचिंग के लिए लेट हो जाएंगे जल्दी करो
यार अभी तो 6:00 बजे हैं हमारी कोचिंग 7:30 बजे है!
मुझे थोड़ी देर और सोने दे प्लीज
अच्छा तू सो मैं नाश्ता करने जाती हूं मुझे लेट नहीं होना!
चल ठीक है 5 मिनट रुक आती हूं.. थोड़ी देर बाद वे दोनों नाश्ते के लिए जाती है।
नाश्ते के समय भी वे उसी कल वाली लडकी के पास बैठती है...
आद्या उसे good morning विश करती हैं तो वो भी उसे जवाब देती हैं
आद्या: तुम्हारा नाम क्या हैं?
मैं इशिका वह उन दोनों से हाथ मिलाती है
मैं आद्या और मैं भव्या ...
वे मुस्कुराकर उसे जवाब देती हैं
रूम पर आ अपना बैग पैक कर आद्या और भव्या क्लास में पहुंचती है!
लेकिन यह क्या क्लास तो पूरी भरी हुई थी!
कॉर्नर में कुछ सीट खाली थी...
अब वह दोनों वहीं जाकर बैठती हैं।
सभी नए नए चेहरे उन सभी का बेबाक पन!
आद्या को वहां थोड़ी परेशानी होती है लेकिन भव्या की मदद से उसके वहां भी नए फ्रेंड्स बन जाते हैं।
आद्या की उस सीट पर हर रोज एक लड़का अपनी नोटबुक रख जाता था!
आद्या के आने के बाद उसे उठा लेता था ऐसा लगभग 10 ,15 दिन से हो रहा था अब आद्या ने भी इसे नोटिस करना शुरू कर दिया!
भव्या: यारा आधू यह लड़का शायद तुझे पसंद करता है तभी तो हर रोज तेरे लिए सीट रोकता है😉
भव्य आद्या के कंधे से कंधा टकराकर पूछती हैं क्या चल रहा है ये सब!
देख भवी ऐसा कुछ नहीं है
बिना बात मुझे परेशान मत कर ऐसे ही रख देता होगा वह अपनी किताब
ऐसे हमारे लिए तो नहीं रखता कोई... यह कहकर वह आद्या की तरफ आई विंक करती हैं 😉
आद्या: 🤨🤨
ठीक है ठीक है गुस्सा मत हो 😅
फिर दोनों क्लास में बिजी हो जाते हैं।
फिर एक दिन एक लड़की आध्या के पास आती है और कहती है...
यार वह अपनी क्लास का दीपेश है ना वह तुझे पसंद करता है वह तुझ से फ्रेंडशिप करना चाहता है ; वह भी अपनी स्कूल का टॉपर है, दिखने में भी अच्छा है आध्या बीच में ही!
सॉरी मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं है मैं यहां पर पढ़ाई करने आई हूं प्लीज मुझे डिस्टर्ब मत करो।
फिर आद्या उठ कर क्लास से बाहर आ जाती हैं।
यारा आधु यह तो वही लड़का है ना जो तेरे लिए नोटबुक रखता था...
भवीं तू फिर से शुरू हो गई!
अच्छा ठीक है चलो क्लास लेते हैं सर आ गए..
दोनों पढ़ने में बिजी हो जाते हैं
एक दिन आध्या और भवि सीढ़ियां चढ़ते हुए जा रही थी कि उसके सामने एक लड़का आ गया जिस ओर आध्या जाती उसी और वह जाता!
आधे पहले लेफ्ट साइड में हुई तो वह भी लेफ्ट साइड में हुआ आद्या राइट साइड में हुई तो वह भी राइट साइड में 🙃🙃
इन सब में आद्या एक बार भी नज़रे उठाकर ऊपर की ओर नहीं देखती!
तो उस लड़के ने आध्या को कंधों से पकड़ा और बोला रुको..!
अब आद्या ऊपर की ओर देखती है तो वह उस लड़के की आंखों में देखती है छोटी भूरी आंखें जिनमें गजब का आकर्षण जिसमें आद्या खो जाती है..!
वह लड़का अपने हाथ उठाते हुए एक हाथ को साइड कर बोलता है अब जाइए आप!
लेकिन आध्या तो उसे देखने में बिजी थी🙃
ब्लू जींस वाइट शर्ट बिखरे बाल हल्की सी बीयर्ड ...!
क्या पर्सनैलिटी थी उसकी😎😎

दीपेश🤩
आध्या तो जैसे उसमे खो गई...
आद्या क्या कर रही है चल यहां से भव्या कहती हैं।
आद्या हद हड़बड़ा कर!
हां हां चल
और वह दोनों वहां से भाग जाती है।
वह लड़का मुस्कुराता हुआ अपने बालों में हाथ फेरता
है और वह भी चला जाता है..
यह लड़का वही दीपेश था जो आध्या को पसंद करता था!
अब से आद्या भी उसे नोटिस करने लगी थी!
धीरे-धीरे एहसास बढ़ने लगे थे...
लेकिन उसने अपने एहसासों को हमेशा मन में कैद रखा कभी कह नहीं पाई।
कहती भी कैसे वह तो जानती ही नहीं थी उसे लगता था यह सब बस उसकी आकर्षण है जो समय के साथ में खत्म हो जाएगा...
इस तरह उनका 1 साल खत्म हुआ।
आद्या ने नीट का एग्जाम दिया लेकिन उसका सिलेक्शन नहीं हो पाया😔
भाव्या का भी नहीं हो पाया था लेकिन एक बार फिर से तयारी करने वो वही रुक गई...!
आद्या घर आ गई;
संध्या जी ने उसे मना कर दिया अब जाने से कहां कि किसी कॉलेज में एडमिशन ले ले क्योंकि संध्या जी की तबीयत ठीक नहीं रहती थी...
तो आद्या भी उनकी बात मान गई...!
आध्या को फिर से शुरुआत करनी थी वह फिर से आगे बढ़ चुकी थी लेकिन वह एहसास तो अभी भी पीछे ही थे
क्या आद्या अपने एहसासों को समझ पाएगी!
क्या इन्हें एहसासों को इनकी मंजिल मिल पाएगी...?
💫💫💫
पढ़िए अगले भाग में...
✍️ दिया यादव
आद्या अपने ख्यालों में खोई होती हैं ...
तभी चूरू स्टेशन पर ट्रेन रूकती है और आद्या भी अपने ख्यालों से बाहर आती हैं।
आद्या भी ट्रेन से बाहर आती हैं और घूमते हुए अपना फोन में लग जाती हैं!
तभी उसका ध्यान चाय की दुकान पर जाता है और वह भी चाय पीने उस ओर चली जाती हैं ।
वही पास पड़ी बैंच पर आद्या बैठ जाती हैं और अपने लिए एक कप चाय के लिए बोलती हैं तभी एक लड़का उसके सामने वाली बैंच पर आता है और चाय के लिए बोलता है!
आद्या एक नजर उसे देखती है फिर अपने फोन में लग जाती हैं...
आद्या को उस लड़के का चहेरा कुछ जाना पहचाना सा लगता हैं तो बार बार उसकी निगाहे उसी पर जाती हैं!
वह लड़का खुद में ही बिजी था उसने आद्या की तरफ एक बार भी नही देखा था ।
या फिर वो खुद को बिजी दिखा रहा था...?
आद्या को कुछ अलग सा अहसास हो रहा था जैसे उसका कोई कीमती सामान उससे खो गया था , और वो अब उसे मिल गया हो , उसे सुकून महसूस हो रहा था।
ये चाय की वजह से था या किसी और वजह से यह आद्या भी नही समझ पा रही थी।
कुछ ऐसा ही हाल उस लड़के का था ।
कानो में इयरपोड्स लगाए खुद को वह फोन में बिजी रखने की कोशिश कर रहा था...
लेकिन उसकी नज़रे बार बार उस सामने बैठी लड़की पर जा रही थी!
क्या कर रहा है दीप!
अगर ऐसे उसे देखेगा तो चप्पल खाएगा 🤭
ये क्या पागलों जैसी हरकते कर रहा है ; वह अपने मन को समझाते हुए कहता है ।
लेकिन पता नही क्यों मेरी नज़रे बार बार उस पर जा रही हैं।
याद हैं ना तुझे तेरी जिंदगी किसी ओर की अमानत है "जिसे सालो पहले तू उसके नाम कर चुका है"
पता नही क्यों लेकिन एंजल आज आपकी बहुत याद आ रही हैं!😔😔
ऐसा लग रहा है जैसे आप मेरे पास होकर भी मुझसे दूर हो।
आ भी जाओ अब...!
डेस्टिनी का तो पता नहीं लेकिन अब मैं तुमसे मिलने वापस आ रहा हूं जहा हमारी कहानी की शुरआत हुई थी...
दुकान वाला लड़का चाय के कप वापस ले जाने आता है...
भैया दीदी कप ;
हा...
फिर दोनों एक साथ ही उसकी ओर कप बढ़ाते हैं जिससे उनके हाथ आपस में टकरा जाते हैं!
एक अजीब सा अहसास दोनो को होता है...
और दोनो की नजरे एक पल को टकराती हैं और दोनो ही खो जाते हैं एक दूसरे की आंखो में....
तभी चाय की दुकान के रेडियो में गाना शुरू होता है...
तुम जो न आते तो अच्छा था
आ के न जाते तो अच्छा था
तुम जो न आते तो अच्छा था
आ के न जाते तो अच्छा था...
तुम जाते जाते जाना
हमको दीवाना कर गए
तुम जाते जाते जाना
हमको दीवाना कर गए...
दिल ना लगाते तो अच्छा था
न तडपते तो अछा था
अब दिल को क्या समझाना
हमको दीवाना कर गए...
अब दिल को क्या समझाना
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए...
कभी हास् लेते है
कभी रो लेते है
हाल क्या कर दिया
अपने एहसासों को..
खुद सजा देते है
हाल क्या कर दिया
हंथे तनहा अचे बाले
मिट गए क्यूँ वो फसले
नज़ारे चुराते तो अछा था
न मुस्कराते तो अछा था
तुम हस्ते हस्ते जाना
हमको दीवाना कर गए
तुम हस्ते हस्ते जाना
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए...
प्यास क्या होती है
दर्द क्या होता है
कुछ नहीं था पता
धड़कनें बढ़नी है
चाईं क्यूँ खोता है
कुछ नहीं था पता
अब नहीं है अपनी खबर
एक नशा है शमो शहर
कुछ न बताते तो अच्छा था
राज़ छुपाते तो अछा था
तुम मिलते मिलते जाना
हमको दीवाना कर गए
तुम मिलते मिलते जाना
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए
हमको दीवाना कर गए...
तभी ट्रेन के हॉर्न से दोनो का ध्यान हटता है...
दोनो ही एक दूसरे से नजरे चुराने लगते है जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो।
आद्या उठ कर ट्रेन में आ जाती हैं और अपनी बेतरतीब धड़कनों को शांत करने की कोशिश करती हैं।
हे भगवान!
ये कैसा अहसास हमे हो रहा है... हम हमारे मिस्टर अजनबी के अलावा किसी ओर के बारे में सोच भी कैसे सकते हैं ।
ये सब सोच आद्या की आंखे नम हो जाती हैं ।
इससे पहले की आंखो से उसके आंसू बहते वह ट्रेन के दरवाजे की ओर आ जाती हैं।
ओर ठंडी हवा को अपने चहरे पर महसूस करती हैं ।
तभी उसे किसी की आवाज सुनाई देती हैं...
अरे सुनो! प्लीज अपना हाथ दो...
आद्या बाहर की तरफ देखती है तो वही चाय की दुकान वाला लड़का है ।
अरे हाथ दो मेरी ट्रेन छूट जाएंगी! "क्या सोच रही हो"
आद्या कुछ पल सोचती है फिर अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा देती हैं ।
वह लड़का आधा का हाथ पकड़ ट्रेन में चढ़ता है ।
एकदम से उसे खींचने के कारण आद्या पिछे की ओर गिरने वाली होती हैं ...
कि तभी वो लड़का आधा को कमर से पकड़ अपनी ओर खींचता है...
आद्या के दोनो हाथ उस लड़के के कंधो पर होते हैं । और उसने उसे कमर से पकड़ा हुआ था ।
आद्या को उसके परफ्यूम की स्मेल आ रही थी जिससे वो उसकी ओर अट्रैक्ट हो रही थी ।
उस लड़के की धड़कने भी आद्या की तरह ही बिल्कुल ट्रेन की स्पीड से भाग रही होती हैं।
वह उसकी आंखो में खोया होता है जैसे कुछ ढूंढ रहा हो जिसका इंतजार उसे सालो से था।
तभी आद्या उसे खुद से दूर करती हैं ।
वो हड़बड़ाकर सॉरी हा!
वो आप गिरने वाली थी इसलिए मैंने आपको ऐसे पकड़ा था ।
मेरा कोई गलत इंटेंशन नही था।
इट्स ओके!
मुझे पता है थैंक्स!
थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिए...
आपकी वजह से मेरी ट्रेन मिस होते होते रह गई।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया!
जी।
हे हाय! मैं Dr. Dipesh
हाय डॉक्टर
क्या मै आपका नाम जान सकता हूं...?
जी मेरा नाम आद्या सिंह हैं ।
क्या आप भी जयपुर ही जा रही हों!
आद्या अजीब सी नज़रों से उसे देखती है जैसे कह रही हो..
तुम्हे क्या मै कही भी जाऊ।
आद्या की नजरो को जान डॉक्टर दीपेश! अरे प्लीज मुझे गलत समझना बंद करो ।
मै ऐसा वैसा लड़का नही हूं जो लड़कियों को बेवजह परेशान करता हो।😇😇
वैसे भी मैं एक डॉक्टर हूं तो प्लीज आप मुझे गलत समझना बंद कीजिए।
पता नही ऐसा कोनसा अट्रैक्शन है इनमे जो मै इनसे बात करने , इनके बारे मैं जानने से खुद को नही रोक पा रहा हूं।
मै एक जूनियर रिसर्च साइंटिस्ट हूं
अरे वाह! कहा...?
संजीवनी हॉस्पिटल जयपुर!
मै भी...
इससे पहले की वो अपनी बात पूरी कर पाता .....
आद्या वहा से जा चुकी थी।
आद्या को देखते हुए सोचता है...
काश तुम मेरी एंजल होती!
तुम्हारा नाम भी उनसे कितना मिलता जुलता है ।
😔😔
वह ट्रेन के दरवाजे के सहारे टिक कर खड़ा हो जाता है और अपनी आखों में आई नमी को साफ कर लेता है ।
आद्या अपनी सीट पर जा चुकी थी।
आद्या फिर से अपनी ख्यालों की दुनिया में एक बार फिर से खो जाती हैं...
"तेरी यादों को नाम ना कोई दे सकी "
ना संभाल पाई जज्बातों को तो...
कागज पर इन्हें उकेरने लगी!
खुद को खुद में ही ज्जब किए
मैं तुझ में मेरा वजूद ढूंढने लगी..
तू पास नहीं है मेरे , तो क्या हुआ
"तेरे एहसासों की माला मै पिरोने लगी"
तुझ पर शुरु तुझपे खत्म मेरे कहानी होने लगीं ।
"नहीं जानती तू मेरा है या नहीं"
मैं तो जन्म जन्मांतर के लिए तेरी बन गई!
शायद ही कभी बयां कर पाऊं मेरी पाक मोहब्बत मैं तुझसे...
तू मेरी खामोशी का शोर समझ लेना कभी...
बस अब तो एक ही ख्वाहिश है दिल की...
जाने कब मेरे एहसासों को हकीकत मिलेगी...?
जाने कब मेरी बेचैन रूह को
तेरी सोहबत में सुकून मिलेगा...
✍️दिया यादव
दोनो के दिलो को तो एक दूजे
की मौजूदगी का अहसास हो चुका है
जाने इन्हे कब होगा अहसास
जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे साथ....
मेरे अनजाने अहसास
💫💫💫💫
आज के पार्ट में आपको सबसे अच्छा क्या लगा ।
आपको क्या लगता हैं इनके एहसासों को मंजिल मिल पाएंगी की नही...
कॉमेंट में जरूर बताना..
अपने ख्यालों में गुम आद्या को थोड़ी देर बाद नींद आ जाती हैं।
तभी डॉक्टर दीपेश अपनी सीट पर आते हैं ।
डॉक्टर दीपेश की सीट आद्या के बिल्कुल सामने वाली होती हैं...
वह आद्या को एकटक देखने लगते हैं! या यूं कहें कि वो उसके सावले से चहरे से नजरे नही हटा पा रहे थे...
काश तुम मेरी एंजल होती हैं... पता नही क्यों आज तुम्हे देख उनकी बहुत याद आ रही हैं।
बिल्कुल मेरी एंजल जैसी आंखे है तुम्हारी...
लेकिन वो चमक नही है जो मुझे मेरी एंजल की आंखो में देखने को मिलती थी ।
वो उनकी हसती हुई आंखे जो किसी को भी मुस्कुराने पे मजबूर कर दे🤩
जाने कैसे मिलूंगा इस बड़ी सी दुनिया में आपसे आपकी आंखों के अलावा और कुछ याद भी तो नहीं है।
दीपेश अपने मां-बाप इकलौती संतान है।
जिसे उन्होंने बड़े नाजों से पाला था...दीपेश के मम्मी पापा दोनों ही गवर्नमेंट टीचर थे।
दीपेश का बचपन से ही सपना था डॉक्टर बनना।
उसने अपने जिले में टॉप किया था और आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर आ गया , कोचिंग के लिए।
कोचिंग क्लास में पहले दिन उसे एक लड़की की खिल खिलाने की आवाज सुनाई देती है। आवाज थी ही...
इतनी प्यारी कि दीपेश का ध्यान खुद ब खुद उस ओर चला गया!
उसने देखा लेकिन उस लड़की की पीठ दिखाई दी उसे!दीपेश उसका चेहरा देखना चाहता था...
पर देख नहीं पाया वह काफी कोशिश करता है लेकिन वह लड़की अपने दोस्तों के साथ बातों में बिजी थी ।
तो दीपेश भी अपनी क्लास में आ गया तभी थोड़ी देर बाद उससे अगले बेंच पर दो लड़कियां आती हैं।
फिर से वही खिलखिलाने की आवाज उसे सुनाई देती है🥰 लेकिन इस बार भी वह नहीं देख पाता!
थोड़ा आगे झुक कर देखने की कोशिश करता है तो बस उसे उस लड़की के झुमके दिखाई देते हैं...
क्लास खत्म कर वो लड़कियां वहां से चली जाती हैं ।
दीपेश उस हंसी वाली लड़की को ढूंढने की काफी कोशिश करता है...
पर वह उसे नहीं मिलती तो वह भी अपने फ्लैट पर चला जाता है।
दीपेश के पापा का वहा पर खुद का फ्लैट था ।
जिसमें अभी फिलहाल वह अकेला ही रह रहा था
रूम पर आ वह थोड़ी देर लेट जाता है।
पर लेटते ही उसे फिर से वही खिल खिलाने की आवाज सुनाई देती है ।
क्या है यार...
हद हैं! मतलब मुझे...
मैं उसे बार-बार क्यों याद कर हूं!
शायद उसका चेहरा नहीं देखा इस वजह से...
पर कुछ भी कहो!
उसकी हंसी बहुत प्यारी थी 🤗
यह सब सोच दीपेश के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती है।
कभी लड़कियों से बात भी नहीं करने वाला दीपेश आज एक लड़की के बारे में सोच कर मुस्कुरा रहा था।
वह मन ही मन खुश था कारण उसे भी नहीं पता था।
थोड़ी देर के लिए दीपेश सो जाता है, फिर शाम को वह बाहर खाना खाने जाता है। और घर का कुछ जरूरी सामान भी लाना था कल से उसकी कुक आने वाली थी खाना बनाने।
वह खाना खाकर रूम पर आ थोड़ी देर पढ़ाई करता है।
लेकिन किताबों से ज्यादा उसका ध्यान तो उस लड़की की हंसी में ही था...
वह जल्दी से रात कटने का इंतजार कर रहा था...
कब सुबह हो कब वह उस लड़की से मिले!
जिसकी इतनी प्यारी हंसी है ।
थोड़ी देर पढ़ाई कर दीपेश सो जाता है।
अगले दिन जब कोचिंग पहुंचता है!
उस लड़की के लिए वह बुक सीट पर रख देता है वह लड़की आती है...
सावला सा रंग , बातें करती उसकी आंखें , हल्के गुलाबी होठ सादगी में भी कमाल लग रही थी।
पर अब दीपेश को यह जानना था कि मुस्कुराने वाली लड़की यही है!
अब इसका कैसे पता लगाएंगे तभी उसकी नजर उसके झुमको पर जाती है यह तो वही झुमके जो कल उसने पहने थे।
इसका मतलब यह वही लड़की है!
यस मैंने तुम्हें ढूंढ लिया....
हां! हां! मैंने तुम्हें ढूंढ लिया...
वह एकदम से खुशी से चिल्ला उठता है...
फिर क्लास का ध्यान कर सॉरी बोल कर बैठ जाता है।
दीपेश सोचता है मैं इतना खुश क्यों हो रहा हूं एक लड़की ही तो है जिसे देखने के लिए मैं इतना बेताब हो रहा था।
पर कुछ तो खास है इसमें...
इस तरह से दिन बीतने लगे वह पढ़ाई करने लगे दीपेश हर रोज उसके लिए सीट रोकता।
शायद उसके एहसास अब बढ़ने लगे थे ।
अब लेकिन उसने कभी पहल करने की कोशिश नहीं की...
इन सब के बीच उसी का एक बचपन का दोस्त भी उसके साथ वहां रहने आ गया।
वह जयपुर कॉलेज से बीएससी कर रहा था अब वह और दीपेश दोनों र साथ-साथ रहने लगे।
दिवेश पढ़ने में शुरू से ही इंटेलिजेंट था।
तो वहां कोचिंग में भी उसने टॉप किया।
कोचिंग के मंथली टेस्ट में दीपेश फर्स्ट पोजीशन पर आया जिससे उसे इनाम भी मिला!
उसे सभी ने कांग्रेचुलेशन किया लेकिन उसकी एंजेल ने नहीं किया...
हां दीपेश उसे एंजेल कहने लगा था...
एंजेल वही तो होती है जो किसी के भी चेहरे पर मुस्कान ले आए और वह वही थी!
उसके चेहरे पर खुशी लाने वाली उसकी एक झलक ही काफी थी.. "दीपेश के दिन भर को बनाने के लिए"
उसे तो पता ही नहीं चला कब उसके एहसास इतने बढ़ गए थे...
वह नहीं जानता था!
यह प्यार है या कुछ और! .. पर जो भी था बहुत ही स्पेशल था...
सभी ने उसे विश किया पर उसकी एंजेल ने नहीं किया तो वह थोड़ा अपसेट हो गया।
जब रूम पर आया तो वे चुपचाप आप कर लेट गया ।
दीपेश का दोस्त अभिनव:
ओ यारा क्या हो गया आज! मैने सुना! तूने पूरे कोचिंग में टॉप किया हैं! आज तो पार्टी बनती है ।
चल...
नहीं यार मुझे कहीं नहीं जाना अभी मेरा मन नहीं है प्लीज...
ज्यादा भाव मत खा! मुझे पता है तू इंटेलिजेंट है और हम बेचारे....... तो तू हमारे साथ क्यों ही जायेगा...?
अभि सच में मन भी नही है...
ओए की होया...!
तबीयत वबीयत तो ठीक है ना तेरी...( चिंता करते हुए पूछता है)
हां! हां.. मैं ठीक हूं तू टेंशन मत ले ।
तो क्या हुआ..?
अरे कुछ नहीं यार...
तू जानता है मैं तेरा बचपन का दोस्त तू मुझसे कुछ नहीं छुपा सकता!
अब जल्दी से बता दे क्या बात है...!
बहुत दिनों से तुझे नोटिस कर रहा हूं.. तू बदल सा गया है!
बता ना...
क्या!
बताऊंगा तो तब ना जब मुझे खुद पता होगा!
ऐसा क्या हो गया! कोई लड़की वड़की का चक्कर है क्या😇
देखा अभि फालतू बकवास मत कर...
अगर तुझे जानना है तो चुप होकर मेरी बात सुनेगा ।
अच्छा ठीक है! ठीक है! बता...
वह क्या है ना!
कोचिंग में एक लड़की है बहुत प्यारी सी है वह मुस्कुराती है तो जैसे चारों ओर खुशियां छाई हो ऐसा लगता है, उसकी आंखें इतनी प्यारी है कि मन करता है उनमें ही देखता जाऊं मैं...
तुझे सच में कोई लड़की पसंद आ गई!
जल्दी से मुझे चुटकी काट..
मुझे विश्वास नहीं हो रहा... कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा...
अभिईईईईईई (लंबा सा खींचते हुए )
ओए होए छोरा ब्लश कर रहा है...
आज तो डबल पार्टी बनती है अच्छा यह तो बता तूने लड़की को बोला कि नहीं...
मुस्कुराते हुए...
कहां यार...? नही बोला अभी तक..!
अच्छा बता..
लड़की का नाम क्या है..?
एंजेल
वाह!!!!
अरे एंजेल मैं उसे कहता हूं...
उसका नाम मुझे नहीं पता!!!
हद है मतलब..!
तुम्हे उसका नाम नहीं पता..
रियली सच में नहीं पता!!!
अरे यार मैं झूठ क्यों बोलूंगा..!
तूने कभी जानने की कोशिश नहीं की...?
नहीं मैं तो नहीं देख कर ही खुश हो जाता था!!!
हे भगवान!
क्या करूं मैं तेरा...
1 मिनट एक मिनट कब से चल रहा है यह सब...
कोचिंग के पहले दिन से...!
अबे साले! तूने मुझे बताया नहीं...?
और वह दीपेश को धक्का देता है बेड पर...
और खुद उसके ऊपर कूद जाता है उस उसके मुंह पर मुक्को की बरसात करता है!!!
इस तरह दोनों झगड़ते हुए बेड पर लेट जाते हैं....
यार सच में तूने मेरी भाभी ढूंढ ली!!
और मुझे बताया भी नहीं...
यार अभि मुझे खुद पता होता तब बताता ना... मुझे पता नहीं कब मैं उनकी तरफ धीरे-धीरे अट्रैक्ट होने लगा कब प्यार का एहसास होने लगा!!
प्यार का एहसास तब हुआ जब वह मेरी जिंदगी बन गई...
और अभी तो मुझे खुद नहीं पता वह मुझे पसंद करती हैं कि नहीं!
या उनकी लाइफ में कोई और है....
पता नहीं!
मेरी एक तरफा मोहब्बत कभी मुकम्मल होगी की नही,
क्या कभी वो भी खुद में मुझे महसूस करेंगी,
जो हक मै उन्हें दे चुका हूं क्या कभी वो मुझ पर ,
अपना हक जमाएंगी.......?
✍️दिया यादव
हेलो फ्रेंड्स
ये मेरी पहली स्टोरी है । जो मैने लिखनी शुरू की है।
इसकी कहानी काफी टाइम से माइंड में थी
इस खूबसूरत सी लव स्टोरी को पढ़ने के लिए मेरे साथ बने रहिए...
मुझे आप सभी के सपोर्ट की बहुत जरूरत है...
मुझ जैसी नई राइटर को आप लोगो की प्रेना ओर मोटिवेशन ही आगे बड़ने में मदद दिला सकती हैं।
मै आप लोगो से ज्यादा कुछ नहीं मांग रही बस अगर आप को मेरी रचना पसंद आ रही हैं तो कमेंट , रेटिंग कर दीजिए।
🙏🙏🙏🙏
अभी तक आपने पढ़ा की डॉक्टर दीपेश आद्या के सामने वाली सीट पर आकर बैठ जाते हैं और अपने एंजल के ख्यालों में खो जाते हैं...!
तभी आधा की नींद खुलती है और वह डॉक्टर दीप को अपनी ओर देखता पाती है...
डॉ दीपेश की नजरों में कुछ था..? कुछ अजीब सा खालीपन , एक अनकहा सा दर्द...!
डॉक्टर दीपेश की नजरें आध्या काफी टाइम से अपने ऊपर महसूस कर रही थी।जिससे वह थोड़ा अनकंफरटेबल फील करने लगती है।
... हेलो मिस्टर डॉक्टर.....
अरे डॉक्टर दीप....?
वह उसकी आंखों के सामने हाथ लहराती है ।
हां हां क्या हुआ...?
यही तो मैं पूछ रही हूं कि क्या हुआ है!
मेरी चेहरे पर कुछ लगा हुआ है...?
नहीं तो!
तो फिर आप इतनी देर से क्यों निहारे जा रहे हैं।🤨
अरे नहीं! नहीं...
मैं आपको नहीं देख रहा था। मैं कुछ सोच रहा था...
उसकी बात सुनकर आद्या अजीब सा मुंह बनाती है...
कबूतर कहीं का...
क्या बोल रही है...?
मैंने तो कुछ नहीं बोला! आपने कुछ सुना क्या...?
नहीं?
तब ठीक है।
वैसे आप सभी से इस तरह से बात करते हैं या मुझ में कुछ अलग है!
क्या मतलब!
अरे मतलब जब से आया हूं आप मुझे कुछ ना कुछ सुना रही है...!🙃
आद्या को भी अब अपनी गलती का एहसास होता है कि अपने एहसासों को छुपाने के लिए वह बिना वजह रुड हो रही है।
सॉरी अगर आपको बुरा लगा हो! तो लेकिन वैसे मैंने कुछ गलत भी नहीं कहा जैसे आपकी हरकतें हैं वैसे ही सुनोगे ना!😜
अरे अरे!
मैंने क्या हरकत कर दी..!
कुछ नहीं!
अच्छा बाबा ठीक है ।
आप संजीवनी हॉस्पिटल में कब से काम कर रही हैं..?
मैं इंटर्न हूं वहा पर..
आज फर्स्ट डे है मेरा...
मैं भी संजीवनी हॉस्पिटल में एज ए जूनियर डॉक्टर वर्क कर रहा हूं । मेरा भी आज फर्स्ट डे है!
वाह! हमारी डेस्टिनी एक ही है ।
नहीं हमारा वर्क पैलेस एक ही है..!
हां हां वही!
अच्छा कुछ बताओ अपने बारे में....
वह किस खुशी में!
अरे यार हम साथ जा रहे हैं, एक जगह काम करते हैं ,
फिर एक दूसरे को जानने में क्या प्रॉब्लम है।
हम! यह तो है ।
अच्छा! फिर पहले आप बताइए अपने बारे में...
मेरे बारे में कुछ खास नहीं है...!
चूरू का रहने वाला हूं। अपने मम्मी पापा की एकलौती औलाद हूं , इसलिए उन्होंने कुछ ज्यादा ही प्यार से पाला..😜
एनी वे! मैने एमबीबीएस एम्स दिल्ली से किया है ।
अभी फिलहाल जयपुर के संजीवनी हॉस्पिटल में जॉब के लिए आया हूं!!!
आप एम्स दिल्ली से एमबीबीएस हो ।
फिर जयपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में आपको जॉब करने की क्या जरूरत...?
बस ऐसा समझ लीजिए!
मेरा कुछ खास सालों पहले यहां रह गया था उसे ही वापस लने आया हूं😊
ये सब बोलते हुए उसके चहरे पर एक दर्द भरी प्यारी सी स्माइल आ जाती हैं
आद्या उसके चहरे में को जाती हैं!!
अब आप बताइए अपने बारे में...?
मेरा नाम आद्या सिंह है मैं पाली जिले की रहने वाली हूं।
मैंने मेरी स्टडी मेरे शहर से की है ।
और अभी मेरा नेट का एग्जाम क्वालीफाई हो गया है उसमे मैने ऑल इंडिया रैंक सेवन हासिल की है।
और अब मैं पीएचडी के लिए यहां पर हूं ।
अच्छा अब यह तो मैं भी पूछ सकता हूं आप भी किसी गवर्मेंट कॉलेज से या गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट से अपनी डॉक्टरेट कर सकती थी फिर जयपुर ही क्यों...?
बस कुछ यूं समझ लीजिए मेरा भी कुछ छूट गया है उसे ही ढूंढना है....
अच्छा!
तो हम दोनो एक ही कश्ती में सवार है।
बातें करते हुए वे लोग जयपुर पहुंच जाते हैं।
आध्या ट्रेन से उतर अपनी मंजिल की ओर चल पड़ती है..!
अरे मिस राजधानी एक्सप्रेस🤩...
रुको तो सही! जब हमे एक ही जगह जाना है तो हम साथ चल सकते हैं ।
कबूतर कहीं का!!!
पीछे ही पड़ गया ।
हां चलिए...
रुको मैं कैब बुक करता हूं!
जी
फिर वे दोनों संजीवनी हॉस्पिटल पहुंचते हैं।
हॉस्पिटल का बड़ा सा गेट जिस पर नेम प्लेट लिखा हुआ था "संजीवनी हॉस्पिटल"

आधा अंदर जाने लगती है।
अरे अरे! मिस राजधानी एक्सप्रेस.. रुको तो ;
क्या है...
तो क्या हम फ्रेंड बन सकते हैं! अब इसके लिए मना मत करना ।
हमारा यहां आने का मोटिव सेम है , हमने इतना टाइम साथ में स्पेंड किया है..!
ओके ओके!
तो फ्रेंड...
वह उस से हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है...
आद्या भी हाथ आगे बढ़ाती है! वे दोनों हैंडसेक करते हैं ।
दोनों को ही कुछ अजीब सा एहसास होता है उनके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ जाती है...
कुछ अजीब सा फील कर दोनों ही आगे बढ़ जाते हैं...!
एक अजनबी सा एहसास दिल को सताये
शायद यही तो प्यार है
बेताबियों में धड़कन मेरी चैन पाये
शायद यही तो प्यार है..
कुछ भी कहा ना, कुछ भी सुना ना
फिर भी बेचैन दिल है हमारा
बहके कदम हैं, मुश्किल में हम हैं
देखो संभले भला कैसे यारा
चाहे बिना भी नजदीक हम चले आये
शायद यही तो प्यार है..
नजरें बिछा दे, पहरे लगा दे दिल पे
पर दिल किसी की ना माने
काँटों पे चल के, शोलों में जल के
रो के मिल के रहेंगे दीवाने
चाहत की लौ तो, आँधी में भी झिलमिलाये
शायद यही तो प्यार है..
ये मुलाकातें, ये तेरी आँखें
बातें इक पल ना मैं भूल पाऊँ
कितनी मोहब्बत, है कितनी चाहत तुमसे
कैसे भला मैं बताऊँ
अच्छा लगे जो, वो सामने मुस्कुराये
शायद यही तो प्यार है..
बाहर से कुछ गानों की आवाज सुनाई दे रही थी...
डॉक्टर दीपेश अपने मेडिकल डिपार्टमेंट में चले जाते हैं आराध्या अपने एडमिशन के फॉर्म की प्रोसेस पूरी कराने लगती है।
एडमिशन की फॉर्मेलिटीज पूरी होने पर उसे वहां पर रहने के लिए कोई भी पीजी भी देखना था।
वह जाने लगती है कि तभी...
अरे मिस राजधानी एक्सप्रेस..!
यह कबूतर फिर आ गया...
बोलिए...
अभी अभी! तो हम फ्रेंड बने हैं तो एक दूसरे को जानना होगा , समझना होगा तभी तो फ्रेंडशिप मजबूत होगी ना।
हे भगवान!
कहां फस गई....
कहीं नहीं बस एक अच्छे से डॉक्टर की फ्रेंड बनी हो!
ओहो अपने मुंह मियां मिट्ठू🤨
अब जिस की फ्रेंड आप जैसी हो! कभी तारीफ ही ना करें तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना ही पड़ेगा ना...
कितना बोलते हो आप...
(मन में)
बस यह आपके सामने ही है पता नहीं क्यों...
अच्छा ठीक है! कहां पर रह रही हो आप?
अभी कुछ सोचा नहीं है पीजी ढूंढती हूं!
आप चाहे तो मैं कुछ मदद कर सकता हूं...
नो थैंक्स में कर लूंगी।
ओके नो प्रॉब्लम!
पर मेरा एक दोस्त है उसकी पूरी फैमिली रहती है वह आपको एज ए पेइंग गेस्ट रख लेंगे।
आप कहे तो मैं बात करूं।वैसे भी फैमिली के साथ रहना सेफ होगा । वैसे भी उनके परिवार में अभी अंकल आंटी ही है ।
अरे नहीं नहीं आप परेशान मत होइए!
अरे इसमें परेशानी कैसी है ।
अपने फ्रेंड के लिए नहीं करूंगा तो किसके लिए करूंगा...?
हे भगवान!
कितने फिल्मी हो आप...
डायलॉग कहां से सीख कर आए हो... डॉक्टर ही हो या किसी ड्रामा कंपनी से आए हो!
अच्छाई का तो जमाना ही नहीं रहा।
अब चलिए...
हां हां चलिए! उनका घर हॉस्पिटल के पास में ही है आपको आने जाने में भी परेशानी नहीं होगी चले।
1 मिनट! आप कहां चले? मुझे उनका एड्रेस दे दीजिए मैं चली जाऊंगी..
अरे जब हम दोनों को एक ही जगह जाना है तो अलग-अलग क्यों जाएं ।
क्या मतलब ?
अरे मतलब मतलब कुछ नहीं जी!
चलिए अब कितनी बातें करती हैं आप...
आद्या उसे अजीब सी नजरों से देखती है।
अब मुझे आंखों से डराना बंद करिए..
और चलिए मुझे पता है आपकी आंखें खूबसूरत है😜
कबूतर कहीं का (मन में)
अरे डॉक्टर साहब सुनिए! हम पैदल ही चलते हैं अगर थोड़ी दूर पर है तो..
हां हां यह भी ठीक है , मौसम भी अच्छा है आज!
तभी आध्या को आइसक्रीम कॉर्नर दिखाई देता है!
डॉक्टर साहब में क्या कह रही थी। आज ही हमारी दोस्ती हुई है और आपने मुझे कुछ मीठा खिलाया ही नहीं कम से कम हमारी दोस्ती को सेलिब्रेट तो करते ।
दीपेश आध्या की नजरों का पीछा करते हुए आइसक्रीम कॉर्नर की तरफ देखता है ।
उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है!
अरे मिस राजधानी एक्सप्रेस सीधे से बोल दीजिए ना आप को आइसक्रीम खानी है इतना घुमाने फिराने की क्या जरूरत है...
चलिए आज आइसक्रीम खिलाते हैं अच्छा बताइए आप के लिए कौनसा फ्लेवर लेकर आऊ
बटर स्कॉच!
चलिए वहीं पर बैठ कर खाते हैं...
नहीं डॉक्टर साहब चलते-चलते खाएंगे ।
अच्छा बाबा ठीक है जैसी आपकी मर्जी ।
दीपेश उन दोनों के लिए आइसक्रीम लेकर आता है फिर वह दोनों चलते चलते खाने लगते हैं ।
दीपेश अपने लिए चॉकलेट फ्लेवर आइसक्रीम लाता है।
आराध्या के लिए बटर स्कॉच।
इसी तरह बातें करते हैं वह घर तक पहुंचते हैं।
घर पहुंच कर दीपेश बेल बजाता है आद्या को कहता है आप छुप जाइए ।
क्यों मैं क्यों छुपने लगी!
अरे बाबा मुझे अंकल आंटी को सरप्राइज देना है! इसीलिए बोल रहा हूं मेरी कोई भी बात ना मानने की आपने सौगंध खाई हुई है...!
क्या हर बात में क्रॉस क्वेश्चन करती हो। जैसे वह ना करो तो आप की आइसक्रीम हजम नहीं होगी है ना...
आधे उसे गुस्से में घूरती है.. चिंपैंजी कहीं का!
अब छुपो भी....
आद्या वही पीछे की साइड छुप जाती हैं! और डॉक्टर साहब गेट के साइड में...!
तभी दरवाजा खुलने की आवाज आती हैं!
अगर मेरी रचना पसंद आ रही हैं तो रेटिंग और कमेंट करना ना भूलें 🙏🙏🙏🙏
आद्या और डॉक्टर दीपेश दरवाजे की बेल बजाते हैं और दरवाजा खुलने का इंतजार करते हैं....
अब आगे....
डॉक्टर दीपेश अपने बैग से टेडी बेयर निकाल दरवाजे के सामने रख देता है..
और खुद दरवाजे के साइड में छुप जाता है।
आध्या उसकी सभी हरकतों को देख रही थी।
यह सच में कबूतर है!!
तभी कोई दरवाजा खोलता है ।
यही कोई 45 46 वर्ष की सुंदर सी औरत जिसके चेहरे पर सौम्य मुस्कान थी..
उसने बनारसी साड़ी पहनी हुई थी। हल्के गुलाबी कलर की जिस के बॉर्डर पर जरी का वर्क था।।
वह उस टेडी बेयर को देखते ही बहुत खुश हो जाती है , और उसे अपने सीने से लगाती है।
तभी अंदर से आवाज आती है! अरे इशिका जी कौन है.. दरवाजे पर! आपका टेडी बेयर आया है!!!
क्या! वह एकदम खुशी मिश्रित आवाज में बोलते हैं!
सच कह रही है आप
कहां है वह..
वह टेडी बेयर उनके हाथ में दे देती हैं।
तभी डॉक्टर साहब उनके सामने जाते हैं.. और जोर से बोलते हैं... सरप्राइस!
फिर वह जाकर इशिका जी के गले लग जाता है और पूछता है कैसी हो गॉर्जियस🥰
मैं ठीक हूं बेटा तू कैसा है...
देख लो आपके सामने हूं उनसे दूर हट के अपने आपको दिखाता है ।
अन्ह्ह अंह... हम भी हैं यहां...
अरे गॉर्जियस यह बुड्ढा कौन है!!
तभी मिस्टर शेखावत बच्चों जैसा मुंह बनाते हैं! और बोलते हैं.. मैं मेरे इस टेडी बेयर से ही काम चला लूंगा!
और अंदर की ओर जाने लगते हैं..
डॉक्टर साहब जल्दी से जाकर उनके गले लग जाते हैं क्या अंकल आप भी ना...
अभी अभी कोई मुझे बुड्ढा बोल रहा था!
दीपेश गर्दन नीचे करके मुस्कुराता है..
क्या यार!
बेटा घर आया है और कोई उसे अंदर आने को ही नहीं बोल रहा...
तभी इशिका जी की नजर पीछे खड़ी आद्या पर जाती है ।
अरे बेटा!
तुम कौन हो..?
तभी डॉक्टर साहब को आध्या की याद आती है...
ओ शीट! इन्हें तो मैं भूल ही गया..
आध्या की ओर मुड़ आपसे कहा था ना छुपने के लिए पर मेरी कोई बात ना मानने की अपनी सौगंध खाई हुई है!
आद्या उसे गुस्से से घूरती है ।
तभी इशिका जी उसका कान पकड़कर क्यों बच्ची को परेशान कर रहा है...
अरे मां छोड़ो!
दर्द हो रहा है...
इसीलिए पकड़ा हुआ है आगे से मेरी प्यारी सी बच्ची को कभी परेशान मत करना।
इशिका जी आगे बढ़ आध्या का हाथ पकड़ उसे अंदर लाती हैं।
बेटे की तो कोई इज्जत ही नही है..😏
इशिका जी उसे छोड़ आद्या के साथ अंदर आती हैं।
मिस्टर शेखावत बरखुरदार आप हमारे साथ चलिए...
जी अंकल🤗
आद्या दोनों को नमस्ते करती है।
नमस्ते अंकल आंटी!
फिर उनके पैर छूती है..
इशिका जी: बहुत ही प्यारी बच्ची है , बिल्कुल डॉल की तरह...🧞
तुम दोनों बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूं।
अरे नहीं आंटी!
आप परेशान मत होइए...
मां मुझे तो बहुत भूख लगी है इन्हें नहीं खाना तो मत खाने दो...
मुझे तो खाना दो ।
हां हां! मैं अभी तुम्हारे लिए खाना बनाती हूं बेटा!
आंटी में भी आपकी हेल्प करा देती हूं ।
अरे नहीं बेटा तुम आराम करो...
ओहो आंटी! सुबह से मैं आराम ही कर रही हूं , बैठी हूं ।
आप मुझे बताइए क्या करना है, मैं करती हूं!
इन डॉक्टर साहब को तो आर्डर देना आता है।
कबूतर कहीं की( मन में)
अच्छा ठीक है चलो...
आधा और इशिका जी मिलकर खाना बनाती है।
खाना तो आद्या ने ही बनाया था।
इशिका जी बस उसे सामान बता रही थी, कहां रखा है ;
उसने इशिका जी को बनाने ही नहीं दिया ।
खाना बनाकर आद्या उसे डाइनिंग टेबल पर करती रखती है ।
और कहती है! आंटी अपने बेटे को बुला लो कितनी जोरों की भूख लगी थी उन्हें...
आंटी हंसकर कहती हां बेटा!
तभी सभी लोग खाना खाने आते हैं ।
आध्या ने कढ़ी चावल आलू छोले की सब्जी और रोटियां बनाई थी ।

वाओ आंटी मेरी फेवरेट आलू छोले की सब्जी😋😋
यू आर सो स्वीट ऑफ यू🤗🥰
अब जल्दी से खाना दीजिए मां..
मुझ से वेट नहीं हो रहा!
यह आप कभी आंटी को मां बोलते हो कभी आंटी...
मेरी मां मेरी आंटी में कुछ भी बोलो आपको क्या..?
आप खाना खाओ अपना चुपचाप।
चिंपैंजी कहीं का...
किसी भी बात का सीधे से जवाब नहीं दे सकता!
अरे बेटा इसकी बचपन से ही आदत है कभी आंटी बोलेगा , कभी मां बोलेगा , कभी गॉर्जियस कभी कुछ कभी कुछ....
अच्छा चलो खाना टेस्ट करो कैसा बना है...
आद्या बेटा तुम भी आओ...
तुम भी खा लो।
अरे नहीं आंटी! आप बैठिए मैं सर्व करती हूं।
अरे बेटा हम चार ही तो लोगे है!
बैठे-बैठे ही ले लेंगे...
आप भी हमारे साथ ही खाइए।
जी अंकल..
डॉक्टर साहब की बगल वाली चेयर पर आद्या बैठ जाती है
वाह सो डिलीशियस मां😍😍
यह तो बहुत अच्छी बनी है...आज तो मैं दो रोटियां एक्स्ट्रा खाऊंगा ।
आद्या के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।
मिस्टर शेखावत: खाना तो सच में बहुत ही स्वादिष्ट बना है
बनाया जो हमारी डॉल ने है ।
अरे वाह बेटा आप सच में बहुत अच्छा खाना बनाते हो।
आद्या के कान में...
मुझे तो लगा था आप बोलती कड़वा है तो खाना भी कड़वा ही बनाएंगी।
पर खाना बहुत अच्छा बनाया है..
आद्या डॉक्टर साहब के पैर पर पैर मारती है...
आउच!!
क्या हुआ..?
कुछ नहीं मां..
पैर पर शायद चुहिया कूद गई!
क्या..? पर बेटा हमारे घर में कोई चुहिया नहीं है।
पता नहीं मां!
क्या पता नई नई आई हो...
आद्या उसे घूर कर देखती है 🤨
तो वह उसकी ओर आई विंक करता है😜
इशिका जी: अच्छा बेटा आपने अपने बारे में तो नहीं बताया..?
आंटी में यहां डॉक्टर साहब के हॉस्पिटल में रिसर्च स्कॉलर हूं..
मैं यहां पर रहने के लिए पीजी ढूंढ रही थी! तो डॉक्टर साहब ने मुझे यहां के लिए बोला और हम यहां पर आ गई ।
अरे वाह भाई यह तो बहुत अच्छी बात है हम बुड्ढे लोगों का भी मन लगा रहेगा।
वैसे भी बेटा मुझे तुम इतनी प्यारी लगी डॉल की तरह ।।
मन कर रहा था तुम्हें यही पर रखने का...
देखा आंटी मैंने आपकी मन की इच्छा पूरी कर दी..!
तू चुप कर और चुपचाप खाना खा!
हे भगवान! हद हो गई इतनी जल्दी बेटे को भूल गई आप...
कोई नहीं अंकल आप तो मेरी साइड होना...
नहीं भाई मैं तो मेरी बेटी की साइड हूं
वैसे भी मेरी कोई बेटी नहीं थी अब एक बेटी मिली है तो उसी पर प्यार जताऊंगा।
आद्या उसे जीभ निकालकर चिढ़ाती है ।🤪
दीपेश बच्चों जैसा मुंह बना कर जाओ सब जाओ!
मुझे आपसे बात ही नहीं करनी...
अच्छा तो ठीक है फिर आलू छोले की सब्जी भी मत खा...
माना कि आपने अपने बेटे को पराया कर दिया अब उसके हाथ से खाना तो मत छिनिय।
और व जल्दी-जल्दी खाने लगता है ।
उसे ऐसा करते देख सभी हंसने लगते हैं ।
मैं इनके बारे में वैसे ही गलत सोच रही थी कितनी जल्दी सभी से मिलजुल जाते है ।
मुझे यहां इनसे मिले कुछ घंटे ही हुए है...
और ऐसा लग रहा है पता नहीं कितना पुराना रिश्ता है ।
इतनी कंफर्टेबल तो मैं अपने फ्रेंड्स के साथ भी नहीं होती..? जितनी इनके साथ हो गई।
शायद भगवान जी को भी मुझ पर तरस आ गया हूं जो एक सच्चा दोस्त मेरे लिए भेज दिया।
मुस्कुराते हुए दीपेश की ओर देखते हैं
दीपेश इशारों में पूछता है क्या हुआ..?
कुछ नहीं खाना खाओ😊
अच्छा आंटी अब मैं चलता हूं।
आपने घर साफ करवा दिया था ना...?
हां बेटा करवा दिया था।
आध्य आंटी आप इन्हें भी इनका रूम बता दीजिए जिससे ये अपना सामान सेट कर ले।
हां बेटा वह मैं कर लूंगी ।
ठीक है बाय आंटी बाय अंकल!
वह जाने लगता है तभी पीछे मुड़कर बाय मिस राजधानी एक्सप्रेस 👋और उसकी तरफ आई विंक करता हुआ भाग जाता है
आध्या मन में कबूतर कहीं का🤦
वैसे तो मिस्टर शेखावत अपने ऊपर के रूम पीजी के लिए देते हैं।
लेकिन आध्या को वह अपने साथ ही रख लेते हैं
इशिका जी: बेटा यह नीचे दो रूम खाली है इनमें एक मेरे बेटे का है वह यहां नहीं रहता।
वह कनाडा शिफ्ट हो गया है ।
तो तुम इनमें से जिस में चाहो! उसमें रह सकती हो..
पर बेटा मैंने रूम की सफाई नहीं करवाई है तो कल सुबह जब काम वाले आए तो वह कर देगी ।
तब तक तुम चाहो तो हमारे रूम में रह सकते हो।
अरे नहीं आंटी मैं कर लूंगी..
आप रूम बता दीजिए!!!
ठीक है बेटा
आद्या दूसरे वाले रूम में चली जाती है रूम के कॉर्नर साइड में बेड लगा हुआ था , बेड के सामने वाली दीवार पर अलमीरा थी , अलमीरा से अटैच ही ड्रेसिंग टेबल था और रूम के कॉर्नर साइड में बालकनी थी।
आद्या रूम देख कर बड़ा खुश होती है।
एक सुंदर सा रूम था।
वैसे तो रूम ज्यादा गंदा नहीं था पर आद्या उसकी सफाई करने लगती है...
अपने मुंह को अपने दुपट्टे से बांध कर आद्या झाड़ू लगाने लगती है ।
तभी वह अपने फोन में गाने ऑन करती हैं
हाय चका चक चका चक है तू
हाय चका चक चका चक हूँ मैं...
हाय चका चक चका चक है तू
हाय चका चक चका चक हूँ...
मैं तपती दोपहरी सी लड़की गिलहरी सी मेरी जैसी चाहिए तेरे जैसे को....
फूलों वाली डाली भी हो चूमा भी हो गाली भी हो बोलो कैसी चाहिए तेरे जैसे को....
गाने सुनते हुए आध्या पूरे रूम की सफाई करती है ।
😍😍😍

सफाई करने के बाद आद्या बाहर बालकनी की ओर जाती है...
तो वह देखती है उसके सामने की बालकनी पर एक लड़का उसकी और पीठ किए खड़ा था ।
वह लड़का आध्या को डॉक्टर साहब जैसा दिखता है ।
यह कौन है डॉक्टर साहब!
वह यहां कैसे हो सकते हैं...
जैसे ही वह लड़का पीछे की ओर मुड़ता है आधा हैरान सी बोलती है आप यहां....
✍️दिया यादव
आगे की कहानी जानने के लिए मेरे साथ बने रहिए ।
मुझे आप सभी के सहयोग और प्रोत्साहन की बहुत जरूरत है ज्यादा कुछ नहीं बस मेरी रचनाओं पर रेटिंग और कमेंट जरूर करें...
आज के एपिसोड में आप को सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगा...?
आपको क्या लगता है वह लड़का कौन होगा...?
कमेंट बॉक्स में जवाब देना ना भूलें।
🙏🙏🙏
अब तक आपने पढ़ा... आद्या अपने रूम की सफाई कर बालकनी में आती हैं ।
सामने वाली बालकनी पर वह किसी को देखती हैं।
अब आगे....
आद्या: आप यहां...
लड़का: हे आद्या! कैसी हो।
और तुम यहां पर क्या कर रही हो।
यह लड़का और कोई नही डॉक्टर दीपेश का दोस्त अभिनव था।
आद्या और अभि दोनों ने मास्टर्स डिग्री एक ही यूनिवर्सिटी से की थीं।
इन दोनो का ही सब्जेक्ट अलग अलग था ।
लेकिन आद्या के टॉपर होने की वजह से सारा कॉलेज उसे जानता था।
हाय अभि, कैसे है आप।
मै यहा संजीवनी हॉस्पिटल से डॉक्टरेट कर रही हूं ।
ओए क्या हो रहा है यहां पर किससे बाते चल रही हैं...?
आप भी यहां पर हो..?
इससे आपका क्या मतलब? मै मेरे घर पर ही होऊंगा ना😏
आपका घर..?
जी हा.. मेरा घर और ये मेरा दोस्त अभिनव है।
आपने पहले क्यों नहीं बताया कि आप भी यही पर रहते हैं।
अरे यार इसमें बताने वाला क्या था और मैं आपको क्यों ही बताता…?
आप ना...
इससे पहले की वो दोनो ओर उलझते...
अरे यार बस भी करो अब तुम दोनो । क्या कुत्ते बिल्लियों जैसे लगा रखा है 😻
अरे मैंने तो कुछ कहा ही नहीं ये ही बोले जा रही हैं कब से...
अच्छा मैने क्या बोला..?
इनफ!!!
यार दीप तू कब से इतना बोलने लगा ।तू तो हमेशा शांत रहने वालो में से था ना..?
और आद्या आप भी.....!
एक मिनट , एक मिनट! आप दोनो एक दूसरे को जानते हो...?
जी हां ये हमारी यूनिवर्सिटी की टॉपर आद्या सिंह है जिसके बारे में मैने तुझे बताया भी था।
ओह तो वो तुम थी जिसकी इतनी तारीफ सुनने को मिली थी मुझे ।
द गोल्ड मेडलिस्ट ऑफ लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी!
यार अभि तू इनकी तारीफ कर रहा था ये मुझे टक्कर दे सकती हैं ऐसा तूने सोच भी कैसे लिया ।
वैसे भी तूने इनकी इतनी तारीफ की है मुझे तो इनमे तारीफ लायक कुछ लगा ही नहीं 🤪
ओके ओके बाय! मै तो सोने जा रहा हूं । और वह भाग जाता हैं।
आद्या आप इसकी बातो का बुरा मत मानना । ये किसी से भी ऐसे बात नहीं करता पता नही कैसे …?
तभी बालकनी के दरवाजे से झांकते हुए! गुड नाईट मिस राजधानी एक्सप्रेस 😜
और भाग जाता हैं।
कबूतर कहीं का । आद्या के चहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती हैं ।
क्या हो गया है इस लड़के को..?
ये ऐसे बिहेव क्यों कर रहा है...?
अरे अभि आप टेंशन मत लीजिए मैं जानती हूं इन्हे..!
और हमारी दोस्ती भी हो चुकी हैं।
ओके गुड नाईट 😴
गुड नाईट
आद्या अपने रूम में आ जाती हैं ।
आज आद्या के ख्यालों में उसके मिस्टर अजनबी के बजाय डॉक्टर साहब छाए हुए थे ।
आद्या थोड़ी देर के लिए अपनी डायरी खोल लेती हैं और उसमे अपने एहसासों को लिखती है...
जज्बातों की स्याही में डुबोकर मेरी कलम
मैं तेरे और मेरे अहसास लिखती हूं
शायद तुझे लिखना आसान नही या फिर मेरी
कलम में वो बात नही....
जाने कितनी दफा तुझे शब्दों में बांध दिया
फिर भी अधूरे से लगते हैं मुझे मेरे ये शब्द...
मेरे दिल में बसी जो तेरी छवि है...
क्या कभी वो हकीकत से रूबरू हो पाएंगी।
उस पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार है मुझे
जब मेरे शब्दों में सिमटे एहसासों से भी बेहतर तेरी छवि होगी।
आद्या की आंखे नम हो जाती है।डायरी को बंद कर वह बेड पर आ कर लेट जाती हैं ।
और आंखे बन्द कर लेती हैं ।उन बंद आंखो में नींद तो नही थी लेकिन एक अक्श था जिसके साथ वह अपनी पूरी रात बिता सकती थी।
दीपेश का घर
दीप ये तू क्या कर रहा था उसे क्यों परेशान कर रहा था।
और तू तो किसी लड़की से बात भी नही करता तो ये सब क्या है...?
प्यार हो गया क्या उनसे ...?
मै उनकी तारीफ सही ही करता था ना!!!
बकवास बंद कर अपनी...
मुझे सिर्फ मेरी एंजल से प्यार है और उनके अलावा मै किसी के बारे में सोच भी नही सकता।
वह गुस्से में कहता है 😡😢
अरे मै तो मजाक कर रहा था!! मुझे पता है ऐसा कुछ भी नहीं है।
अभि मुझे थोड़ी देर अकेले रहना है।
अभि वहा से चला जाता हैं ।
दीपेश अपने कमरे की खिड़की के पास आकर खड़ा हो जाता है ।
मै सिर्फ मेरी एंजल से प्यार करता हूं और इसका साक्षी ये चांद है।
रोज रात को मैं इसमें अपनी एंजल को ढूंढता हूं ।
क्या मै सच में आद्या की ओर अट्रैक्ट हो रहा हूं ।
वो मुझे मेरी एंजल की याद दिलाती हैं उनकी आंखे भी तो बिलकुल मेरी एंजल जैसी ही है।
काश एंजल आप मेरे पास होती।
अब नही होता मुझसे इंतजार....
आ भी जाओ ना अब!
वह अपनी नम आंखों को पोछता हैं । और अपना गिटार ले आता है ।
और गिटार पर धुन शुरू करता है...
दर्द दिलों के कम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
कितने हसीं आलम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते [x2]
दर्द दिलो के कम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
कितने हसीं आलम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते [x2]
तेरे बिना ना आये सुकून
ना आये क़रार मुझे
दूर वो सारे भरम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
इश्क़ अधूरा दुनिया धूरि
ख्वाहिश मेरी करदो न पूरी
दिल तोह एहि चाहे तेरा और मेरा
हो जाए मुक़म्मल ये अफसाना
आद्या की बालकनी का दरवाजा खुला होने की वजह से उसे भी गाने की आवाज सुनाई देती हैं ।
इतनी दर्दभरी आवाज में गाना सुन आद्या की आंखो में भी आंसू आ जाते हैं । बालकनी में रखी चेयर पर आकर वह बैठ जाती हैं।
और गाने के बोल के साथ खुद को महसूस करने लगती हैं ।
उसे लगता है जैसे ये गाना उसके दिल की ही आवाज हों।
आद्या तो जैसे उसमे खो ही जाती हैं
एक बार फिर से वह अपनी अतीत की यादों में खो जाती हैं।
हर मुश्किल आसान हो जाती
मैं और तुम गर हम हो जाते
कितने हसीं आलम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
बाक़ी नहीं कुछ पर दिल न माने
दिल की बातें दिल ही जाने
हम दोनों कहीं पे मिल जायेंगे इक दिन
इन् उम्मीदों पे ही मैं हूँ ज़िंदा
हर मंज़िल हासिल हो जाती
मैं और तुम गर हम हो जाते
कितने हसीं आलम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
दर्द दिलों के कम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते...
डॉक्टर दीप की आंखो से आंसू बह रहे थे ।
गाना गाते गाते वह घुटनों के बल नीचे बैठ जाते हैं ।
क्यों भगवान!
जब हमे जुदा करना था तो मिलाया ही क्यों
क्यों जगाए ये अहसास , जो वक्त के साथ कमजोर होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे है
वो चिल्लाकर बोलता है क्यों भगवान क्यों किया ऐसा😭
और घुटनों में मुंह छुपा कर रोने लगता हैं । और रोते रोते वही जमीन पर लेट जाता हैं ।
आद्या भी बालकनी में चेयर पर ही रोते रोते सो जाती हैं।
अगली सुबह..
आद्या बेटा कहा हो तुम...?
इशिका जी आद्या को आवाज देती हैं ।
उसे ढूंढते हुए इशिका जी बालकनी की ओर आती हैं । डॉल आप यहां पर क्या कर रही हैं बेटा...?
आप यहां पर क्यों सोई?
गुड मॉर्निंग आंटी🥰
आंटी वो रात को नींद नही आ रही थी तो मैं यहां आ गई और पता ही भी नहीं चला कब नींद आ गई।
अच्छा कोई बात नही...
आ जाओ चाय पी लो।
जी आंटी...
आद्या रुको!
जी आंटी...
तुम्हे पता है मैं तुम्हे डॉल क्यों बुलाती हूं...?
मेरी एक बेटी थी जिसका नाम डॉल था। मेरे और तुम्हारे अंकल के जीने की वजह थी जैसे वो।
हमारी जिंदगी उसी पर शुरू उसी पर खतम हुआ करती थीं।
लेकिन एक दिन वो स्कूल गई थी और उसके बाद वापस कभी लोटकर ही भी आई...
इशिका जी रोने लगती हैं
आंटी संभालिए खुद को...
संभाल ही तो रहे हैं बेटा आज तक।
उस दिन हमारी डॉल का एक्सीडेंट हो गया था और वो हमसे दूर हो गई।
मेरी तो जैसे जिंदगी ही रुक गई थी।
लेकिन कुछ समय बाद मेरे बेटे अंशु का जन्म हुआ । उसके आने से मेरे परिवार में फिर से खुशियां आई ।
सब अच्छा चल रहा था लेकिन एक दिन वह भी हमे छोड़ कर विदेश चला गया।
जानती हूं वो वहा खुश हैं ।
पर एक मां का मन है कि मानता ही नहीं....
अरे मै भी ये क्या बाते लेकर बैठ गई।
तुम्हारे चहरे पर ये आंसुओ के निशान देखे तो मेरा दिल तड़प उठा । अगर तुम्हे कोई भी पेरशानी है तो अपनी इस मां को बता सकती हो।
आद्या उनके गले लग जाती हैं।
उसकी आंखों में भी आंसू आ जाते हैं
यह क्या बात हुई भाई इसी का जी आते ही आप ने मारी बेटी को भी रुला दिया
अरे नहीं अंकल ऐसी कोई बात नहीं थी।
इस घर में कोई मुझसे प्यार ही नहीं करता , बताओ इसी का जी को मां और मुझे अंकल यह कौन सा कॉन्बिनेशन है।
सॉरी अंकल फिर से अंकल सॉरी बाबा!
यह सुन मिस्टर शेखावत की आंखें नम हो जाती हैं...
वह अपने आंसुओं को साफ करते हैं कि तभी आध्या जाकर उनके गले लग जाती है ।
आज लग रहा है भगवान जी ने मुझे दो दो मां और दो दो पापा दिए हैं बड़ी किस्मत वाली हूं मै 🤪🤗
मिस्टर शेखावत प्यार से उसके सर पर हाथ रखते हैं🥰
चलो बेटा चाय पी लो...
जी मां...
बाहर लोन में बैठकर चाय पीते हैं ।
तभी इशिका जी को दीपेश दिखाई देता है। दीपेश बेटा आ जाओ...
चाय पी लो ।
नहीं मां मेरा मन नहीं है अभी चाय का ।
अरे बरखुरदार क्या हुआ आप चाय को मना कर रहे हो।
आज सूरज पूर्व से निकला है क्या...?
मैं फ्रेश होकर आता हूं ।
बेटा नाश्ता यहीं पर करना..
नहीं मां अभि आया हुआ है वह बना लेगा ।
फिर वह चला जाता है।
आज डॉक्टर साहब को क्या हुआ बड़ा अजीब सा बिहेव कर रहे हैं, मुझे इग्नोर क्यों कर रहे हैं।
मुझे क्या, मुझे कौन सा फर्क पड़ता है ,करने दो ।
वह परेशान सी हो जाती है ।
तभी इशिका जी: मैं नाश्ता बनाती हूं !
अरे मां मैं बस 5 मिनट में रेडी होकर आई।
आज नाश्ता में बनाऊंगी
तुम्हे हॉस्पिटल भी जाना है ना...?
हां मां जाना है लेकिन आज नाश्ता मै बनाऊंगी ।
अच्छा बाबा ठीक है ।
आद्या जल्दी से तैयार होकर नाश्ता बनाती है फिर नाश्ता करके ही बाहर जाने लगती है।
इशिका जी भी उसके साथ बाहर आती है तभी उन्हें दीपेश दिखाई देता है दीपेश बेटा आध्या को भी अपने साथ ले जाओ।
तुम दोनों को एक ही जगह तो जाना है ।
नहीं मुझे कुछ काम है मैं थोड़ा लेट जाऊंगा
ऐसा बोल वह वापस चला जाता है ।
मां में ऑटो से चली जाऊंगी वैसे भी ज्यादा दूर नहीं है ।
मैं पैदल भी जा सकती हूं अभी बहुत टाइम है यह सब सोचने लगती है ।
दीपेश अपने रूम में आकर अपने हाथ को जोर से दीवार पर मारता है। क्यों हां क्यों??
मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है नहीं करना चाहता हूं उन्हें इग्नोर!
मेरी एंजेल मेरी रूह में समाई है उन्हें मुझे से अलग करना मेरी रूह को मुझसे अलग करना है ।
आध्या एक अच्छी लड़की है मैं सिर्फ उसे लाइक करता हूं मैंने उससे फ्रेंडशिप कि अब मुझे उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए ।
यह सब सोच वह हॉस्पिटल जाने के लिए निकलता है ।
दीपेश का पास अपनी खुद की बाइक होती है । बाइक लेकर वह निकलता है, थोड़ी दूर जाने पर उसे आधा दिखाई देती है, उसके सामने बाइक रोकता है आध्या को उसके बुलेट बाइक पर बैठना थोड़ा अजीब लगता है ।
वह कुछ कहती उससे पहले ही उसकी नजर डॉक्टर साहब के हाथों पर जाती है उसके हाथ से खून निकल रहा था दीवार पर मौजूद कील उनके हाथ में चुभ गई थी ।
आध्या वह देखकर बहुत परेशान हो जाती है; डॉक्टर दीप आपके हाथ पर तो बहुत गहरी चोट लगी है ।
आध्या के चेहरे पर अपनी चोट का दर्द देख दीपेश भी उसकी आंखों में खो जाता है , तभी दूसरे पल गुस्से से अपना हाथ झटक देता है , चुपचाप बैठ जाइए ।
और मेरी ज्यादा फिकर करने की जरूरत नहीं है मैं मेरा ध्यान खुद रख सकता हूं वह चिल्ला कर बोलता है...
उसके ऐसा बोलने से आधे सहम जाती है । उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं , वह डरकर दो कदम पीछे आती है तभी अपने आंसू पोंछ अपने बैग से रुमाल निकाल कर दीपेश के हाथों में बांधती है।
और कहती है आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरा अब तक इतना साथ देने के लिए आगे का सफर में खुद तय कर लूंगी...
थैंक्स! यह कहकर वह ऑटो पकड़ वहां से चली जाती है।
कल ही तो उसने एक अच्छा दोस्त बनाया था और आज ही उससे झगड़ा भी हो गया। जिससे वह काफी उदास हो जाती है।
डॉक्टर साहब को भी अपनी गलती का एहसास होता है वह उससे माफी मांगने जाते हैं लेकिन आद्या उन्हें इग्नोर कर देती है।
✍️ दिया यादव
आगे की कहानी पढ़ने के लिए मेरे साथ बने रहिए...
मेरी रचनाओं पर अपना फीडबैक जरूर दें आपका फीडबैक मेरे लिए बहुत वैल्युएबल है।
आज के अध्याय में आप को सबसे ज्यादा क्या पसंद आया..?
क्या आध्या को मना पाएंगे डॉक्टर दीपेश...?
क्या उनकी यह लव स्टोरी आगे बढ़ेगी या नहीं...?
डॉक्टर दीपेश का अपने प्यार के लिए आद्या के साथ बर्ताव आपको कैसे लगा...?
अब तक आपने पढ़ा आद्या और डॉक्टर साहब का झगड़ा हो जाता हैं....
अब आगे....
आद्या ऑटो पकड़ वहां से चली जाती हैं।तभी डॉक्टर साहब आद्या के पीछे जाते हैं ।
ऑटो के बिल्कुल पैरलल बाइक चलाते हुए...
आद्या आई एम सॉरी! मुझे नही पता ये कैसे हो गया । मैं किसी बात को लेकर परेशान था...
उसका गुस्सा आप पर निकल गया।
भैया आप थोड़ा जल्दी चलाएंगे...?
जी मैडम।
आद्या मेरी बात तो सुनो।
बीच सड़क पर मेरा तमाशा बनाना बंद कीजिए आप और क्या सुनूं थोड़ी देर पहले तो सुनाया ही था
उसकी बात सुन डॉक्टर दीपेश खामोश हो जाते हैं।
उन्हें खुद पर गुस्सा आ रहा था। क्यों किया उसने ऐसा...?
यार अब इसे कैसे मनाऊं! ये तो अच्छी खासी नाराज हो गई है।
जब ऐसी हरकते करेगा तो होंगी ही ना नाराज😏
तू , अभि तू यहां क्या कर रहा है।
वो मुझे घर कुछ काम है तो मैं घर ही जा रहा था।
तभी मुझे तू दिखाई दिया।
अच्छा ये बता इस बार तूने क्या किया जो वो नाराज हो गई तुझसे।
अरे कुछ नही यार...
तू ये बता इन लड़कियों को मनाते कैसे है...?
मैने तो इससे पहले किसी लड़की से बात भी नही की है ।
इस बारे में तो मुझे भी ज्यादा कुछ नहीं पता । नॉर्मली गर्ल्स अपनी फेवरेट चीजे देख कर मान जाती हैं।
लेकिन मुझे तो उसकी पसंद नापसंद भी नही पता।
🤦🤦🤦
हे भगवान क्या लड़का है तू!
तू देख ले । मुझे लेट हो रहा है मैं चलता है ।
साला दोस्त भी धोखेबाज निकला । अपने दोस्त को मुसीबत में छोड़कर जा रहा है।
चल चल! अब नौटकी बंद कर।
यार बता ना कुछ क्या करू...?
अच्छा सोच अगर तेरी एंजल तूझसे नाराज हो जाती तो तू क्या करता...?
वो मेरी एंजल नही है 😢
पता है लेकिन लड़की तो है ना । अब तू देख ले मैने तो बता दिया..
मै चलता हूं अब बाय...
अपना ख्याल रखना।
बाय।
डॉक्टर साहब असमंजस में ही हॉस्पिटल में पहुंचते हैं ।
आज उन दोनों का ही पहला दिन था। तो वे दोनों ही बिजी होते हैं ।
लंच ब्रेक टाइम में आधा कैंटीन की ओर जाती है।
चेयर पर बैठ वो अपने लिए कॉफी आर्डर करती है।
तभी डॉक्टर दीप वहा आ जाते हैं वह उसके पास वाली चेयर पर ही बैठ जाते हैं ।
आद्या सुनो ना!
आद्या उन्हें कोई रिस्पांस नहीं देती अपने फोन में लगी रहती है ।
आध्या प्लीज सुनो तो सही एक बार...
मुझे कुछ नहीं सुनना है आप जाइए यहां से...
अरे सॉरी यार गलती हो गई । प्लीज माफ कर दो..
आगे से पक्का नहीं होगी ।
मैंने कहा आपसे सॉरी बोलने के लिए...?
मैंने कहा मुझे बुरा लगा , आपकी मर्जी आप चाहे जैसे रहो, वैसे रहो।
मुझसे दूर रहो और वह उठकर वहां से चली जाती है।
बेचारे डॉक्टर दीप परेशान हो जाते हैं
हे भगवान! ऐसा क्या कर दिया मैंने जो इतना गुस्सा हो रही है।
बेटा दीप अब नाराज किया है तो मनाना तो पड़ेगा ।
कुछ आईडिया सोच...
एंजेल आप ही बताओ ना मैं क्या करूं ।
अपने दिल पर हाथ रखता है और अपने एंजेल को महसूस करता है।
बस दिल से सामने वाले से सॉरी मांग लो अगर वह आपका अपना हुआ तो आपको बहुत जल्द माफ कर देगा । अगर माफ नहीं कर रहा इसका मतलब वह आपसे ज्यादा नाराज है ।
क्या यार एंजेल अभी तक दिल से ही तो सॉरी बोल रहा था।
नहीं अभी तक आप सिर्फ अपनी गलती मान कर सॉरी बोल रहे थे ।अपनी गलती को कम करने के लिए...
एक बार दिल से सॉरी बोलिए वह आपके लिए क्या मैटर करती है यह सोच कर...
वह आपको जरूर माफ कर देगी ।
वह अपने एंजल से बातों में बिजी था तभी वेटर कॉफी लेकर आता है।
अरे मैडम तो गई...
कोई नहीं तुम रख दो मैं पी लूंगा ।
जी सर
कॉफी खत्म कर वह अपने केबिन में आते हैं , और अपना वर्क पूरा करने लगते हैं।
काम खत्म कर शाम को जब वह घर के लिए निकलते हैं तो आद्या पहले से ही जा चुकी होती हैं ।
डॉक्टर साहब एक बार फिर उदास हो जाते हैं और अपने बाइक पर बैठकर के लिए निकल जाते हैं ।
आज तो घर पर अभि भी नहीं था तो खाना उसे ही बनाना था।
काफी टाइम से बाहर रहने के कारण डॉक्टर साहब ने खाना बनाना अच्छे से सीखा हुआ था ।इसीलिए वह अपने लिए कुक नहीं रखते थे।
कोरिडोर से गुजरते हुए जब वह जा रहे थे...
इशिका जी: बेटा आज खाना यही खा लेना मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए।
ओहो गॉर्जियस कैसी हैं आप!
मैं तो ठीक हूं तुम बताओ तुम्हें क्या हुआ है..?
कुछ भी तो नहीं
तो सुबह से अजीब सा बिहेव क्यों कर रहे थे ।
अरे कुछ नहीं , कुछ नहीं हुआ , वह उनसे आंखे चुराते हुए उनके गले लग कर कहता है ।
इशिका जी: उसके गाल पर हाथ रख; क्या हुआ एंजेल की याद आ रही थी ।
हां मां! देखो ना कितना टाइम हो गया ।
कितना सब्र करू, अब नहीं होता मुझसे...
पता नहीं उन्हें मैं याद आऊंगा कि नहीं वह मुझे भूल गई होंगी तो..?
बेटा प्यार में स्वार्थ नहीं होता वह तो एक तरफा अधूरा मुकम्मल हर तरह से पूर्ण होता है...
ये तो नही पता उसे तुम याद होंगे की नहीं लेकिन तुम्हारे अहसास का अहसास उसे जरूर होगा।
तुम्हारी बेपनाह मोहब्बत उसे तुमसे कभी अलग नहीं होने देगी।
आप जो भी कह रही हो ये सब सच हो मां...
मुझे मेरे भगवान पर पूरा विश्वास है वो मेरे बेटे के साथ कभी नाइंसाफी नहीं करेंगे।
मुझे आपके विश्वास पर विश्वास है मां
उनके बारे में कुछ पता भी तो नही है मां..
जिससे उन्हें ढूंढ सकूं...
तू चिंता मत कर जब भी डेस्टिनी में तुम्हे मिलना होगा तुम मिल जाओगे।
लेकिन मां अगर मिलकर भी मै उन्हें पहचान नही पाया तो।
इशिका जी उसके दिल पर हाथ रख! यहां से जुड़े हो तुम दोनों
ये अपने आप पहचान लेगा।
अगर जानकर भी तुम अनजान बने रहे तो मैं भी कुछ नही कह सकती ।
अच्छा ठीक है अब जल्दी से आजा और खाना खा ले।
मै चेंज करके आता हूं मां
दीप इशिका जी की बातो के बारे में सोचता रहता है।
अंदर आ वह शॉवर लेने जाता हैं । पानी की बूंदों के बीच उसे अपनी एंजल का अक्श दिखाई देता है ।
उसकी आंखे नम हो जाती हैं।
बाहर आ वह अपनी गिटार ले कर बैठ जाता हैं....
और धुन शुरू करता है..
जब नींद न आये यह
जब याद सताए आह आह आह
जब दिल घबराये आह आह आह आह आह
जब ग़म तड़पाये
इससे क्या कहिये
इश्क़ है
इश्क़ हार भी है
दिल का दुश्मन भी है
दिल का मीट भी है
इश्क़ है
इश्क़ हार भी है
कभी इश्क़ बांके शामा जगमगाये
कभी बनके ग़म का अँधेरा यह छाये
कभी इश्क़ बांके शामा जगमगाये
कभी बनके ग़म का अँधेरा यह छाये
इश्क़ है गीत भी
दिल जला दे मगर इश्क़ वह आज भी
आग लगाये होश उड़ाए
दिल को सताए जान गवाए
एक दीवानगी है इसे क्या कहूँ
इश्क़ है
इश्क़ हार भी है
दिल का दुश्मन भी है
दिल का मित भी है
इश्क़ है
कभी इश्क़ दिल में ख़ुशी लेके आये
कभी इश्क़ आंसू इन् आँखों में लाये
कभी इश्क़ दिल में ख़ुशी लेके आये
कभी इश्क़ आंसू इन् आँखों में लाये
इश्क़ में है ख़ुशी
इसके सौ रूप है
ख्वाब दिखाये फिर चौकाये
दिल को दुखाए चैन चुराए
इश्क़ आखिर है क्या
इश्क़ है
जब नींद न आये
जब दिल घबराये
आह आह आह आह आह आह आह
आह आह आह आह आह आह आह.
इशिका जी दीप की हालत समझती है ।
वो एंजल के बारे में उस समय से जानती थी जब वह पहली बार उससे मिला था।
दीप इशिका जी के बहुत ज्यादा क्लोज था । अपनी वो सारी बाते जो वो किसी से शेयर नही कर पाता था आसानी से इशिका जी से कह पाता था।
दीप की मम्मा एक वर्किंग वुमन होने की वजह से वो उनसे जल्दी से कुछ शेयर नही कर पाता था । उनके पास टाइम भी कम होता था।
इसलिए इशिका जी आद्या से कहती हैं ।
डॉल दीप के लिए खाना आप वही दे आइए...
लेकिन मां मैं कैसे..?
जाओ बेटा! उसके साथ थोड़ा टाइम स्पेंड भी कर लेना ।
वह थोड़ा परेशान हैं आज...
इस कबूतर को क्या हुआ है...
वह खाने की प्लेट ले कर दीप के घर की ओर जाती हैं ।
डोर नोक करने पर देखती है वो तो पहले से खुला था।
आद्या अंदर जाती हैं...
अंदर हॉल में कोई नही होता है...
इशिका जी के घर जैसा ही सेम पैटर्न इस घर का होता है।
एक रूम का दरवाजा खुला होता है...आद्या वहा जाती हैं वह गेट नोक करती हैं...
वह देखती है डॉक्टर साहब अपने बेड से टेक लगाए नीचे बैठे थे।उनके हाथ में गिटार था।
आद्या को देख वो अपनी आंखे साफ करते हैं और जल्दी से कहते है अरे आओ ना वहा क्यों खड़ी हो।
आद्या उनकी आंखे देखती है जो एकदम लाल होती हैं रोने की वजह से...
वो मां ने आपके लिए खाना भेजा है ...
खाने की प्लेट टेबल पर रख वह जाने लगती हैं।
तभी
जब तक मैं खाना खाऊं आप मेरे पास बैठेंगी।
आद्या उन्हें मना नहीं कर पाती हैं ।
सोफे के दूसरे छोर पर बैठ जाती हैं...
मै मुंह धो कर आता हूं ।
आद्या रूम को एक नजर देखती है।
काफी बड़ा सा रूम था ।पूरे रूम में व्हाइट कलर था । परदे भी व्हाइट ही थे।
एक दम सही तरीके से सेट था डॉक्टर साहब का रूम । लड़को के रूम की तरह कुछ भी बिखरा हुआ नही था
तभी दीप आकर सोफे पर बैठता है।
वह उसकी ओर खाने का निवाला बढ़ाता है।
मै खा चुकी हूं..
मेरे साथ एक बाइट तो ले सकती हैं।
आद्या उनके हाथ से खा लेती हैं ।
डॉक्टर साहब खाना खाते हैं।
तभी आद्या उठ कर जाने लगती हैं।
दीप उसका हाथ पकड़ लेता है...
आई एम सॉरी आधा मैने कुछ भी जनभूजकर नही किया ।
मुझे बहुत बुरा लग रहा है तब से...
अब तक आद्या का गुस्सा भी कम हो गया था।
अच्छा इतनी जोर से कोन चिल्लाता है..? पता है मैं कितना डर गई थी।
दीप अपने दोनो कान पकड़ उसके सामने घुटनों पर बैठ जाता हैं सॉरी! अब तुम ही बताओ मैं क्या करूं जो तुम मान जाओ...?
आद्या उसकी तरफ से पीठ करके खड़ी हो जाती हैं.
उसके होंठो पर प्यारी सी स्माइल होती हैं ...
वह कहती है...
मुझे आईसक्रेम नही खानी आपके साथ..
मैने कब कहा मुझे आइसक्रीम खानी है आपके साथ...
उसकी बातो का मतलब समझ उसके चहेरे पर भी स्माइल आ जाती हैं ।
खाली सड़को पर तो आपकी बाइक बिल्कुल भी नही चलानी मुझे....
डॉक्टर दीप: चलिए...
✍️ दिया यादव
आज का पार्ट कैसा लगा..?
सबसे बेस्ट सीन कोनसा था...?
अब तक आपने पढ़ा....
आध्या और डॉक्टर देव का झगड़ा खत्म हो जाता है
डॉक्टर दीपेश: चलिए।
मैंने कब कहा मुझे आपके साथ जाना है।
डॉक्टर दीप आद्या का हाथ पकड़ उसे अपने साथ बाहर ले जाते हैं।
आद्या के चहरे पर स्माइल आ जाती हैं।
बाहर आ गैराज से अपनी बाइक निकालते हैं ।।
आध्या को चाबी पकड़ा कर बोलते हैं चलिए...
अरे मुझे नहीं चलानी आती ।
गिर विर गई तो....
अभी तो आपने कहा था कि आप को बाइक चलानी है।
हां मैंने पहले चलाई थी बाइक।
अब काफी टाइम हो गया है तो मुझे डर लगता है ।
अच्छा ठीक है बैठिए।
आध्या बाइक पर बैठ जाती है, डॉक्टर दीप के कंधे पर हाथ रख लेती हैं ।
रात 11:00 बजे बजे वे दोनों जयपुर की सड़कों पर घूम रहे थे।
तभी आध्या को आइसक्रीम पार्लर दिखाई देता है।
चलिए चलिए डॉक्टर साहब आइसक्रीम खाते हैं...
अच्छा बाबा चलिए....
एक बात बताओ आध्या! जहां लड़कियों को पानी पूरी, पिज्जा , बर्गर यह सब पसंद आता है और तुम हो कि एक आइसक्रीम की दीवानी हो।
हां तो सबकी अपनी अपनी पसंद होती है। मुझे नहीं पसंद पानी पूरी!!!
मतलब तुम इस दुनिया की पहली लड़की जिसे पानी पूरी नहीं पसंद है???
आप मुझे आइसक्रीम खिला रहे हैं की नही...
अरे अच्छा बाबा! ला रहा हूं ।
अपनी इन बडी बडी आंखो से मत देखो , मुझे डर लगता हैं ।
दीपईईईईई...
जा रहा हूं...
कबूतर कहीं का।
अरे डॉक्टर साहब सुनिए...
मुझे पता है बटर स्कॉच। यही कह रही थी ना आप।
आद्या हा में अपनी गर्दन हिलाती है।
दीप उन दोनो के लिए आइसक्रीम लाता है।
आद्या बाइक पर बैठ जाती हैं और दीप बाइक के सहारे खड़े हो जाता हैं ।
मिस्टर डॉक्टर आपको एक बात तो पता होंगी ना.... शेयरिंग इज केयरिंग!!!😜😜
जल्दी से अपनी आइसक्रीम टेस्ट करवाइए😋
दीप उसकी ओर अपनी आइसक्रीम बढ़ा देता है।
वह एक बाइट लेती हैं।
जैसे ही डॉक्टर साहब अपनी आइसक्रीम खाने वाले होते हैं वह उनके हाथ से एक बाइट ओर ले लेती हैं 😁
ये क्या मेरी आइसक्रीम तो तुम ही खा गई😏
कितनी तो है आपके पास खा लो।
अच्छा अपनी तो टेस्ट करवाओ।
नही ये मेरी है!
हा तो मैं भी टेस्ट करने के लिए ही बोल रहा हूं ।
मुझे नही करवानी ।
ये क्या बात हुई तुमने मेरी खा ली और अब मुझे दे भी नहीं रही।
आइसक्रीम तो मै टेस्ट करके रहूंगा🤪
आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे।
मैं कबूतर बोलती हूं इसका मतलब आप सारी कबूतरों वाली हरकते करेंगे🤨
एक मिनट...
क्या बोला आपने! कबूतर!!!
आद्या अपनी आंखे भींच लेती हैं और जीभ बाहर निकलती हैं 😝
मर गई??
उफ्फ🥰 आपकी ये क्यूट सी हरकते...
कोई इतना मासूम कैसे हो सकता हैं 🤗
आद्या डॉक्टर साहब की ओर से कुछ ना पाकर उनकी ओर देखती है तो वे मुस्कुरा रहे होते हैं ।
आद्या एक पल को हैरान हो जाती हैं ।
दीप... आपने मेरी आइसक्रीम खा ली????
तो आपको क्या लगा मैं आपको ऐसे ही छोड़ने वाला था..🤪
मुझे नही पता मुझे मेरी आइसक्रीम चाहिए ।आद्या एकदम बच्चो जैसे मचलने लगती है ।
वह सड़क पर के बीचों बीच जाकर अपने हाथो पर अपना चहेरा टीका कर। बैठ जाती हैं।
आद्या बचपना छोड़िए और चलिए हमे लेट भी हो रहा है।
आप मुझे बाइक चलाना सिखाइए पहले...
आद्या फिर कभी.. आज काफी लेट हो चुका है ।।
नही आज ही।
आपको नहीं लगता आप बहुत जिद्दी है ।
नही! आपको पता है मैं किसी अनजान के साथ कभी कंफर्टेबल नही हो पाती हूं , लेकिन जब भी आपके साथ
होती हूं । मैं खुद को सेफ और पता नही आपके साथ बहुत सुकून मिलता है मुझे।
पता है आज सुबह जब आपने मुझे डांटा तब मुझे बहुत बुरा लगा ।
मुझे लगा शायद मैं ही बुरी हु। जो एक अच्छा दोस्त बना था वो भी मैंने खो दिया । उसकी आंखो से आंसू आ जाते हैं।
डॉक्टर दीप आद्या का चहेरा अपने हाथो में थाम अपने अंगूठे से उसके आंसू साफ करते हैं ।
आपको पता है आप कितनी अच्छी है ।मैने आपको डांटा फिर भी आप ख़ुद को ही गलत समझ रही हैं।
मैं जानता हूं आप मुझे बाहर भी इसलिए लाई थी जिससे मेरा मूड सही हो सके।
आप बिलकुल मासूम हो ।
आपका दिल फरिश्ते जैसा है..... बहुत कम लोग होते हैं इस दुनिया में जिनका दिल आप जैसा प्योर हो ।
कभी भी खुद को गलत मत समझना ।
यह सब सुन आद्या की आंखें नम हो जाते हैं ।
डॉक्टर साहब आध्या के सर से अपना सर लगा (मन में) आप इतने प्यारे हैं अगर मेरी एंजेल मेरी लाइफ में ना होती तो मुझे आपसे प्यार हो जाता ।आपको पता है हमें मिले बहुत कम टाइम हुआ है पर आपके साथ बॉन्डिंग ऐसे लगती है जैसे जन्मों पुराना रिश्ता हो ।
काश मेरी एंजेल मिल जाए....
यह सब सोच डॉक्टर दीपेश की आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
आद्या को अपने गालों पर जब आंसू महसूस होते हैं तो वह डॉक्टर दीपेश की ओर देखती है, वह अपनी हथेलियों से उसके आंसू पूछती है और कहती है अरे डॉक्टर साहब क्या हुआ...?
देखा! मैंने आपको भी रुला दिया ।
नहीं नहीं! ऐसा कुछ नहीं है।
वह तो बस ऐसे ही....
ऐसे ही क्या किसी की याद आ गई थी...!
हां मेरी एंजेल की...
बहुत प्यार करते हैं आप उनसे..?
हां अपनी जान से भी ज्यादा ।
जब वह मुझे मिलेंगी ना , सबसे पहले आपसे मिलाऊंगा।
जाने कब मिलेंगे एक बार फिर डॉक्टर साहब की आंखों से आंसू लुढ़क जाते हैं।
कबूतर रोते हुए अच्छे नहीं लगते और उसके बाल बिखेर कर भाग जाती है।
बाइक के पास आकर अरे कबूतर आ जाओ हमें घर जाने में देर हो रही है...
डॉक्टर दीप मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते हैं ।
बैठिए!!!
अरे नहीं मैं नहीं आप चलाओ!!!
मैं पीछे बैठा हूं आप चलाओ।
नहीं फिर कभी आज हमे लेट भी हो रही हैं।
मैं आपको सीखा नहीं रहा!!!
आज बस घर तक आप चलाओ। मैं संभाल लूंगा!!!
पक्का....
हां बाबा पक्का।
वैसे मुझे कोई टेंशन नहीं है अगर गिर विर गई तो आप हो ना मेरा इलाज कर देना🤪
चलिए आध्या बाइक स्टार्ट करती है।
दीप उसे गैर डालने व बदलने के बारे में बताते हैं।
आद्या बाइक सड़को पर दौड़ा रही होती हैं कि तभी अचानक से आध्या एकदम से ब्रेक लगाती है।
जिससे डॉक्टर साहब के हाथ आद्या के पीठ पर कस जाते हैं।
सॉरी सॉरी यह मैंने जानबूझकर नहीं किया।
आद्या चुपचाप उतर कर नीचे आ जाती है और पीछे बैठ जाती है ।
डॉक्टर दीप बाइक चलाते हैं वे दोनों घर पहुंचते हैं और सोने चले जाते हैं🤗
क्या अगला दिन इन दोनों की जिंदगी में एक नया सवेरा लेकर आएगा....?
✍️ दिया यादव
क्या इन्हें इनके अनकहे अनजाने एहसासों का एहसास होगा
पढ़ते रहिए मेरे साथ मेरे अनकहे एहसास🥰🥰
अपना फीडबैक देना ना भूलें....
आज के पार्ट में आपको सबसे अच्छा क्या लगा???
आद्या और डॉक्टर साहब दोनो साथ ही हॉस्पिटल के लिए निकलते हैं ।
आद्या ने आज स्काई ब्लू कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ था।साथ में राजस्थानी जूती पहनी थी। हाथो में रंग बिरंगी चूड़ीया तथा कानो में छोटी झुमकिया पहनी थी।
माथे पर छोटी सी बिंदी , होठों पर लाइट पिंक लिपिस्टिक सादगी में भी वह कमाल लग रही हैं ।
उसकी आंखे इतनी कजरारी व काली थी की बिना काजल के भी बहुत सुंदर लगती थी 🤗

आद्या🥰🥰
डॉक्टर साहब : आज तो आप बड़ी प्यारी लग रही हैं ।
थैंक्स😊
थोड़ी तारीफ मेरी भी कर दीजिए 😔 इतना बुरा भी नही दिखता मैं
जब मुझे अच्छे दिखते तो कर देती अब अच्छे नहीं लगे तो क्या करे!🤪
आप!! आप तो बोलिए ही मत ।
चलिए लेट हो रहा है....
अरे डॉक्टर साहब सुनिए तो.. (दीप अपनी बाइक स्टार्ट करते हैं)
अब क्या ही तारीफ करू मैं आपकी
मेरे तो अल्फाज ही अधूरे रह जाते हैं
तारीफ चहरे की करू या आपके दिल की
दोनो ही बेमिशाल और नायाब हैं।
🥰🥰🥰
डॉक्टर साहब:

ओ गॉड! ये मेरे लिए था….🤭🤭
नहीं उस कबूतर के लिए था🤨
आद्या आप...
चलिए अब! आज देव सर की फर्स्ट क्लास है मुझे क्लास में लेट नही जाना।
आइए।
वे दोनों हॉस्पिटल पहुंचते हैं।
आद्या अपनी क्लासेस लेने चली जाती हैं और डॉक्टर साहब अपने केबिन में आ जाते हैं।
आज पेशेंट कम ही होते हैं तो डॉक्टर दीप को भी काम नही होता है ।
वह वहा पर बनी लाइब्रेरी में चले जाते हैं।
मिस्टर दीप अपना ms ओंकोलॉजी में कंप्लीट करना चाहते थे ।
इसीलिए वो वहा पर ओंको जीन के बारे में बुक देखते हैं।
एक रैक में उन्हें कुछ बुक दिखाई देती हैं जो उनके सब्जेक्ट से रिलेटेड होती हैं , वो उनमें से एक बुक बाहर निकालते हैं , तभी उनके ऊपर से एक बुक नीचे गिरती हैं।
मिस्टर दीप उसे उठाते हैं। उस बुक का कवर पेज उन्हें अट्रैक्ट करता है ।
बुक का नाम मेरी जिंदगी के किस्से था।
तो डॉक्टर साहब उस बुक को लेकर पढ़ने लगते हैं।
लाइब्रेरी में सबसे कॉर्नर की सीट पर जाकर वो बैठते हैं और अपना ध्यान बुक में लगा लेते हैं।
बुक के फ्रंट पेज पर...
मेरी जिंदगी के यह किस्से अधूरे हैं या मुकम्मल पता नहीं...
लेकिन मेरी तो सारी जिंदगी इन किस्सों में सिमटी है ।
मेरी जिंदगी में उसके आने का वह एहसास
आज भी बिल्कुल वैसा ही है।
ना ही मैं बदला ना ही मेरे एहसास
जाने उसे मैं याद होगा कि नहीं...
क्या मेरे एहसासों को इनका वजूद मिलेंगा कभी....
यह सब लाइने पढ़कर मिस्टर दीप एक बार फिर से अपने अतीत में खो जाते हैं....
अभिनव: यार दीप तू बोल क्यों नहीं देता उसे।
नहीं यार मुझसे यह नहीं होगा। मैं इसी तरह खुश हूं।
अरे एक बार बोल कर देख क्या पता वह भी तुझे पसंद करती हो।
हूं ठीक है कोशिश करता हूं।
कोचिंग में अगले दिन दीप आद्या की सीट पर नोटबुक रखता है। तथा आद्या के आने पर अपनी नोटबुक उठा लेता है। वह आधे से बात करने की कोशिश करता है पर नहीं कर पाता।
क्लासेज ओवर होने के बाद कैंटीन में वह आद्या के पीछे जाता है...
आद्या और भव्या एक टेबल पर साथ में बैठी होती हैं।
तभी डॉक्टर दीप उनके पास जाते हैं...
हाय! क्या मैं यहां बैठ सकता हूं..?
हां हां वाई नोट...
थैंक्स मेरा नाम दीपेश है।
हाय मैं भव्य और मैं तभी आध्या के फोन की रिंग बजती है.. हेलो! हां मम्मा कैसे हो आप ।
सॉरी गाइज मम्मा का फोन है , आप लोग कंटिन्यू करो मैं आती हूं , यह कह आद्या वहां से चली जाती है ।।
बेचारा दीपेश बड़ी हिम्मत करके आया था लेकिन अब क्या ही कर सकते थे ।
वह भी जाने लगता है।
1 मिनट दीपेश!!!
हां बोलो
तुम आद्या को पसंद करते हो ना.. भव्या एकदम सीधे तरीके से पूछती है ।
जिससे दीपेश थोड़ा हड़बड़ा जाता है और उससे अपनी आंखें चुराने लगता है।
दीपेश मैं जानती हूं कोचिंग के पहले दिन से तुम उसे पसंद करते हो वह तो पागल है जो तुम्हारे नोटबुक रखने पर भी नहीं समझ रही ।
आई नो तुम अच्छे लड़के हो; पर मुझे नहीं लगता है शायद ही मानेगी वह अपनी पढ़ाई में बिजी रहने वाली लड़कि हैं।
यह सब सुन दीपेश वहां से चला जाता है ।
तभी आद्या आती है...
अरे वह लड़का कहां गया!!
उसे कुछ काम था इसलिए वह चला गया...।
अच्छा । यार कुछ आर्डर कर ले भूख लगी है मुझे तो ।
हॉस्टल का खाना खा खा कर मैं तो पक गई हू 😒
फिर वो दोनो सैंडविच आर्डर करती हैं और खाकर क्लास के लिए चली जाती हैं ।
दीपेश की रही सही हिम्मत भव्या की बाते सुनने के बाद टूट जाती हैं ।
शाम को दीपेश के घर पर
आजा मेरे रांझा😜😜
आज तो तू अपनी हीर को बोल कर आया है ना!!!?
और वह दीपेश का हाथ पकड़ उसके साथ नाचने लगता हैं।
आज मैं सच्ची तेरे लिए बहुत खुश हूं यार ।
अच्छा बता भाभी क्या बोली...
अरे बता ना यार मुझसे वेट नहीं हो रहा...?
सॉरी यार मैं उनसे नहीं बोल पाया।
क्याआआआआआ???
देख दीप मजाक मत कर!!!
मैं सच कह रहा हूं ( ये कहते हुए दीप की आंखे नम हो जाती है)
अभिनव: अरे तू परेशान मत हो आज नही तो कल बोल देना ये कोनसी बड़ी बात है।
तू नही समझ सकता यार वो मुझे कभी हां नही कहेंगी।
ऐसे कैसे नही कहेंगी ।
क्या कमी है तुझमें , दिखने मैं अच्छा खासा है कोचिंग में टॉपर है ।
नही यार वो और लड़कियों जैसी नही है बिल्कुल मासूम हैं।
अब तो कोचिंग भी पूरी होने वाली है अगले महीने एग्जाम है पता नही मैं उन्हे बोल पाऊंगा की नही ।
और वह अपना सर पकड़ कर बैठ जाता हैं।
तू चिंता मत कर हम कुछ कर लेंगे।
यार मैं उनके बिना नहीं रह सकता, पता नही कब वो इतनी खास हो गई मैं नही जानता।
जब तक एक बार उनकी आंखे और उनके खिलखिलाते होठ ना देख लूं मुझे चैन नही आता है।
पता है जब कोचिंग में उनके कम मार्क्स आने पर उनकी आंखों में आंसू आये थे तो मुझे मेरे टॉप करने की बिल्कुल खुशी नही हुई मुझे बस उनकी चिंता थी।
उनकी वो खिलखिलाती हसीं अब मेरी जिंदगी बन गई है यार कुछ कर मै उनसे दूर नहीं रह सकता।ओर वो रोने लगता हैं ।
क्या करू यार ना ही उनसे बोल पा रहा हूं और ना ही उनसे दूर हो पा रहा हूं ।
उनसे दूर जाने के ख्याल से ही मेरी जान निकली जा रही हैं।
अभि उसे संभालता है ।
अगले दिन दीप को बुखार हो जाता हैं , बुखार में भी वह एंजल को बुला रहा होता है
उसकी ये हालत देख अभिनव अपने एक दोस्त को बोलता है
उसकी बहन उसी कोचिंग में होती हैं ।
अभिनव उससे कहता है वह बस एक बार उस लड़की से बात करे ।
लेकिन अभिनव को आद्या के बारे में कुछ भी नही पता था।
तभी उसे कल की बाते याद आती हैं जिसमे दीपेश ने भव्या का जिक्र किया था ।
वो उसे भव्या की दोस्त के बारे में बताता है ।
वह लड़की उन्ही की क्लास की होती हैं इसलिए वह उन्हें जान जाती हैं ।
वह आद्या से बात करती हैं लेकिन आद्या उसे मना कर देती हैं ।
वह अभिनव को यह बात बताती। है । तो अभिनव की रही सही उम्मीद भी टूट जाती हैं।
अभिनव काफी परेशान हो जाता हैं वह घर आता है।
अभि तू एंजल से बात करने गया था ना क्या बोला उन्होंने ...
दीप काफी दयनीय स्थिति में उससे पूछता है।
उसकी हालत देख अभि परेशान हो जाता हैं ।
बता ना यार क्या हुआ है...?
कुछ नही तेरी एंजल ने हां बोला है।।।
क्या सच में !!!!
वह एकदम खुशी से उछलता है।
एक बार पूरी बात तो सुन ले..
उसने कहा है की तेरे मेडिकल में एडमिशन होने के बाद वह हां कहेंगी!!!!
दीप: मैं पूरी तयारी करूंगा । इस बार मेरा एग्जाम क्लियर हो जायेगा।वह खुश हो जाता हैं 🥰🥰🥰😁
दीपेश अपने ऐम से ना भटक जाए इसलिए अभि उससे जूठ बोल देता है ।
दीप अपनी तयारी मे जुट जाता हैं।
नीट एग्जाम के रिजल्ट वाले दिन ....
दीप का पेपर क्लियर हो जाता हैं ।
जैसे ही उसे ये पता चलता है वो सीधा अपनी एंजल से मिलने जाता हैं ।
वहा उसे पता चलता है आद्या तो अपने घर जा चुकी होती हैं ।
उसे उसके बारे में कुछ भी नही पता चलता ।
तभी उसे भव्या दिखाई देती हैं।
भव्या आद्या कहा है...?
आद्या अपने घर जा चुकी है उसकी मम्मा की तबियत ठीक नहीं थी।
तुम्हे उसके घर का एड्रेस पता है तो प्लीज मुझे बता दो (वह उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहता है)
आई एम सॉरी दीपेश ये तो मुझे नही पता!!!
अब कहा ढूंढू मैं उसे...
दीपेश मुझे लगता हैं वह भी शायद तुम्हे पसंद करती थीं ।
तुम्हारे होने या ना होने से उसे फर्क पड़ता था। लेकिन शायद अभी वह अपने एहसासों को समझी नहीं है।
तुम चिंता मत करो ।
अगर तुम्हारा प्यार सच्चा हुआ तो तुम जरूर मिलेंगे
तुम्हारे पास उसका कोई कांटेक्ट नंबर कुछ तो होंगा ।
नही!!! लेकिन वह जब भी मुझसे मिलेंगी मैं तुम्हे जरूर बताऊंगी।
ये लो मेरा नंबर ...
प्लीज भगवान जी मुझे मेरी एंजल से मिलवा दो!!!
दीप बहुत दुखी हो जाता हैं वह घर जाने की बजाय झील की तरफ आ जाता हैं ।
और एक ओर जहां कोई नही था वहा जा कर बैठ जाता हैं ।
आज पता नही क्यों उसका मन बहुत बेचैन हो रहा था । जैसे उसने अपनी एंजल को खो दिया था।
उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे।
दीपेश के सीने में दर्द होने लगा जैसे उसका दिल कोई उससे दूर कर रहा है ।
अपनी बड़ी हुई सांसों को संयत करने के लिए वह वही जमीन पर लेट जाता हैं उसके आंसू मिट्टी को भिगो रहे थे ।
जैसे वह धरती मां की गोद मे लेटा हो और मां उसके आंसू पोंछ रही हो!!!!
क्यों हा क्यों छोड़ के चली गई आप मुझे एंजल....
एक बार भी नही सोचा मेरा क्या होगा...?
मेरी जिंदगी बन कर यू बीच रास्ते में मुझे तन्हा क्यों छोड़ गई आप..
ये नज़र भी अजीब थी इसने देखे थे मंजर सभी
देख के तुझे एक दफा फिर किसी को ना देखा
कभी मेरा पहला जूनून तू
मेरा पहला जूनून इश्क आखिरी है
तू मेरी जिंदगी है तू मेरी जिंदगी है
तू गम है या खुशी है
तू मेरी जिंदगी है तू मेरी जिंदगी है
तू हाँ हाँ हाँ हो कभी ना बिछड़ने के वास्ते ही तुझसे जुड़े हैं हाथ मेरे साया भी मेरा जहां साथ छोड़े वहां भी तू रहना साथ मेरे...
सच कहूं तेरे नाम पे दिल धड़कना है ये आज भी
हो देख के तुझे एक दफा फिर किसी को न देखा कभी
शाम है सुकून की तू
शाम है सुकून की चैन की घड़ी है तू
हाल ऐसा है मेरा आज भी इश्क तेरा रात सारी जगाये मुझे कोई मेरे सिवा जो पास आए तेरे तो बेकरारी सताए मुझे जलता है ये दिल मेरा ओ यारा जितनी दफा चांद देखता है तू मेरी जिंदगी है तू....
दीप उठकर अपने घर चला जाता हैं।
✍️दिया यादव
आज पास्ट का एंड हो गया है...।
अब कहानी प्रेजेंट में ही चलेगी।
आज का पार्ट कैसा लगा...?
आज के पार्ट में सबसे अच्छा क्या लगा आपको...?
अपना वैल्युएबल फीडबैक देना ना भूले🙏🙏🙏
आद्या और दीपेश दोनों ही अपनी अपनी लाइफ में बिजी हो गए थे आधा की कॉलेज सेमेस्टर की एग्जाम होने वाली थी तो वो स्टडी का कर रही थी और वही डॉक्टर साहब अपने पेशेंट्स के साथ बिजी रहते थे।
आद्या की क्लासेज अब लैब में लगनी शुरू हो गई थी ।
अब वह डॉक्टर साहब से कम ही मिल पाती थी ।
लेकिन रोज सुबह का ब्रेकफास्ट और हॉस्पिटल वे साथ ही आते थे।
उन दोनो की बॉन्डिंग काफी अच्छी हो गई थी । एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करना उन्हे भी पसंद आने लगा था।
लेकिन दोनो ही एक दूसरे को सिर्फ एक अच्छा दोस्त मानते थे।
लैब में आद्या को उन्ही के बैच की एक लड़की मिली । पता नही क्यों आद्या को वो कुछ जानी पहचानी लगी थी ।
जींस और टॉप पहने वह बहुत ही प्यारी लग रही थी एकदम बच्ची जैसी🥰
आद्या और उसकी अब अच्छी बनने लगी थी । क्लास कैंटीन,लैब सब जगह वे दोनों साथ ही दिखाई देती थी।
जहा आद्या एकदम शांत सी रहने वाली , बिना काम किसी से बात भी नहीं करती थी जिससे सभी उसे एटीट्यूड वाली , इगोइस्टी , घमंडी पता नही क्या क्या कहते थे । जिससे उसके कोई भी नए फ्रेंड भी नहीं बन पाये ।
हां बाते होती थी उसकी सभी से लेकिन एक नॉर्मल वे में।
कोई ऐसा नही था जिसके साथ मिलकर वह शरारते करे ,मस्ती करे।
लेकिन अब उसे नैना मिल चुकी थी ।
नैना चंचल सी , हमेशा मस्ती करने वाली। अपनी शरारतों की वजह से वह सीनियर तो सीनियर टीचर्स को भी परेशान कर देती थी 🤪
क्लासेज में वह आधा टाइम तो क्लास से बाहर होती थी । उसकी वजह से कभी कभी आद्या को भी सुनने को मिलता था।
आद्या! सुन ना यार बहुत भूख लगी है अपना टिफिन दे ना।
नैना तुम पागल हो गई हो तुम्हे क्लास से बाहर जाना है जो तुम्हे टिफिन खाना है...?
तू रहने दे!!!
और वह उसके बैग से लंच बॉक्स निकाल लेती है ।
अरे वाह आलू के पराठे 🥰🥰
उम्ह्ह्ह😋
क्लास साइलेंस प्लीज।टीचर की आवाज आती हैं।
आद्या अपना ध्यान बोर्ड पर लगा देती हैं ।
तभी पूरे क्लास में आलू के पराठे की सुंगध फैल जाती हैं।
क्लास में खाना कोन खा रहा है...?
सर सभी से पूछते हैं....
लेकिन नैना तो खाने में बिजी थी वो ध्यान नही देती हैं ।
तभी सर उसके पास आकर खड़े हो जाते हैं।
नैना....
येस सर!!!
नैना सर उठाकर देखती हैं । सर उसे ही घूर कर देख रहे होते हैं।
नैना: सर पराठे ! बहुत टेस्टी है टेस्ट करके देखिए😇
गेट आउट फ्रॉम द क्लास।
सर गुस्से में कहते हैं 😈
नैना अपनी सीट से उठ कर जाती हैं ।
तभी वापस मुड़... सर मै मेरा टिफिन भी ले जाऊ...😝
उसकी इस हरकत पर सारी क्लास हसने लगती हैं।
सर के फेस पर भी स्माइल आ गई 😊
जितना ध्यान खाने में लगाती हो उसका 1% पढ़ाई में भी लगा लो।
नैना टिफिन ले चुपचाप भाग जाती हैं 😅
बाहर आ बरामदे की दीवार पर बैठ खाना खाने लगती हैं।
तभी उनके साइड वाली क्लास से एक लड़का बाहर आता है।
वह भी बरामदे के पास आकर खड़ा हो जाता हैं।
तभी उसकी नज़र एक और खाना खा रही नैना की तरफ जाती हैं। उसके खाना खाने के ढंग को देखकर उसके फेस पर बरबस ही स्माइल आ जाती हैं ।
नैना एकदम बच्चो के जैसे दोनो हाथो से खा रही होती हैं 😅
नैना को अपने ऊपर किसी की नजरे महसूस हुई..
वह उस और देखती हैं उस लड़के को देख वह दोनो हाथो से अपना टिफिन छुपा आखों के इशारे से उसे पूछती हैं क्या है..?
क्युकी मुंह में तो आलू का पराठा भरा हुआ था 😅
कुछ नही..
तो देख क्यों रहे हो?
तुम्हे भी चाहिए , वह उसके सामने टिफिन कर देती हैं।
बट हां , एक ही बाइट लेना ज्यादा मै भी नहीं देने वाली।
वह लड़का मुस्कुरा जाता हैं और एक बाइट ले लेता है।
अरे वाह ये तो सच में बहुत टेस्टी है ।
मैने इतना अच्छा पराठा कभी नहीं खाया।
देखा! तुम्हे भी अच्छा लगा ना...
अब तुम ही बताओ इतने अच्छे पराठे को छोड़कर मैं वो बोरिंग सा लेक्चर थोड़े ना लेती।
तो तुम्हे भी सर ने क्लास से बाहर निकाल दिया।
और क्या उस ड्रेकुला ने ...
वह मुंह बनाकर उसकी ओर देखती है 😏
वह हंसने लगता हैं 😁😁
क्या है..? हंस क्यों रहे हो!!!
मुझे पता है तुम भी क्लास से बाहर निकाले गए हो।
अरे मै इसलिए नही हंस रहा... वो टीचर का नाम....
और वह फिर से हसने लगता हैं।
इस बार साथ में नैना भी हसने लगती हैं ।
तो और क्या कहूं वह टीचर , टीचर कम ड्रेकुला ज्यादा है , हम भोले भाले स्टूडेंट्स का खून चूसता रहता हैं हमेशा...
अच्छा तुम बताओ तुमने क्या किया जो क्लास से बाहर फेंक दिया तुम्हे...?
अरे यार कुछ भी नहीं ...
वो सर का बोरिंग लेक्चर सुन मुझे नींद आने लगी 😴😴
इसलिए😅
अच्छा मै यहां बैठ सकता हूं ।
अरे बैठो ना! ये जगह कौनसी मेरे पापा ने मेरे नाम की हुई है 🤪
तुम हमेशा ही इतना कम ही बोलते हो क्या...?
बिल्कुल आद्या की तरह...
अब ये कोन है..?
अरे वही जिसका टिफिन हम यहाँ बैठ कर मजे से खा रहे हैं 😁
क्या....
यह तुम्हार टिफिन नही है!!!
तो फिर तुम्हारी दोस्त क्या खाएंगी??
अरे वह कैंटीन से कुछ खा लेगी।
अच्छा ये लो और खाओ टेस्टी है ना😋
हम्म्म 🥰
वे दोनों खाना खाते हैं 😊
वैसे तो वो मेरे लिए हमेशा खाना एक्स्ट्रा लाती हैं लेकिन आज तो वो तुमने खा लिया😅
तो तुम मुझे इसके लिए सुना रही हो...
अरे नही
वह आगे कुछ बोलती तभी क्लास ओवर होती है और आधा बाहर आती है ।
नैना तुम्हें कभी चैन नहीं होता ना हमेशा सर से डांट पड़ती हैं तुम्हे...
नैना: ओओओ मेरा चैन वैन उजड़ा जालिम नजर हटा ले...
नैनाआ थोड़ा लम्बा खींचते हुए ।
उसकी बात सुनकर पास खड़ा लड़का हसने लगता हैं ।
आद्या का ध्यान भी उस और जाता हैं। तुम....
ये मेरा नया फ्रेंड हैं अभी अभी बना है । इसका नाम ओह शीट (अपने सर पर हाथ से मारती हैं ) नाम तो पूछा ही नहीं...?
और तुम फ्रेंड बन गए और नाम बताया ही नहीं??? ऐसा होता है कही...
आद्या नैना का मुंह बंद कर इन्हे बोलने तो दो...
मेरा नाम आकाश सिंह राठौड़ है ।
हे भगवान! इतना बड़ा नाम!!!!
मैं तो आज से तुम्हे अक्श बुलाऊंगी..!
आकाश आद्या की तरफ हाथ बढ़ाता है हाय!
हैलो! आद्या उससे हाथ मिलाती है । मै आद्या सिंह।
आप पराठे बहुत अच्छे बनाती हैं ।
जी शुक्रिया!!
यार आद्या तेरा टिफिन तो हमने खा लिया चल अब कैंटीन में चलते हैं....
नही!! आज की क्लासेज ओवर हो गई है। तो घर चलते हैं।
नही आद्या जी हमे लगेगा हमारी वजह से आपको भूखा रहना पड़ेगा।
अरे प्लीज मुझे आद्या ही बुलाइए ।
और मै घर से खाना खाकर निकली थी ये तो मैं नैना के लिए ही लाई थी । मुझे पता है इसे पराठे बहुत पसंद हैं।
क्या हम फ्रेंड्स बन सकते हैं....?
आद्या कुछ देर उसकी तरफ देखती हैं फिर गर्दन हां मे हिला देती हैं।
हुर्रे.. ।
अब हमारा ग्रुप भी तीन तिगड़ा बन गया।
नैना की बात सुन आद्या उसके सर पर हल्के से मारती हैं,।पागल!!!!
चलो इस खुशी में पार्टी करते हैं...😇
और हां आज की ट्रीट अक्श की ओर से....
अच्छा ठीक है चलो...
चलो आद्या!!!
उन दोनो को खुश देख आद्या भी उनके साथ चली जाती हैं।
कैंटीन में...
वो तीनो एक चेयर पर जाकर बैठ जाते हैं।
अक्श: अच्छा बताओ क्या क्या खाना हैं...?
नैना: मेरे लिए एक बर्गर , सैंडविच, कोल्डड्रिंक , ओर हां अंकल चिप्स भी...😋😋
नैना तुमने अभी आधा का लंच भी खाया था।
तो क्या हुआ अब तुम्हे नही खिलाना तो ये बोलो! मै अपने पैसे से खा लूंगी..
लेकिन मेरे खाने के बारे में कोई कुछ नही बोलेगा।
आद्या मन में नौटंकी कही की
आद्या आपको क्या खाना हैं ।
मेरे लिए बस एक कॉफी...
अरे लेकिन...
नही राठौड़ मेरा और कुछ खाने का मन नहीं है।
आकाश आर्डर लेने जाता हैं ।
तभी वहां पर डॉक्टर साहब आते हैं...
हे आद्या! तुम यहां !!
जी मैं ही हूं।
आपको आज फुरसत मिल गई अपने पेशेंट्स से जो कैंटीन में दर्शन दे दिए!!
हां आज मेरी मॉर्निंग शिफ्ट थी तो ड्यूटी टाइम ओवर हो गया था तो यहां काफी पीने आ गया।।
अच्छा है ।
तुम्हारी क्लासेज ओर है क्या...?
नही हो गई मैं भी घर ही जा रही थी।
साथ में चलते हैं फिर...
जी...
एक मिनट ये हो क्या रहा है यहां ,मै भी बैठी हूं यहां पर...
और आद्या ये कोन है जिसके आते ही तू मुझे भूल गई!!!
नैना ये मेरे फ्रेंड डॉक्टर दीपेश है ।
ये यही पर एज ए डॉक्टर पोस्टेड है।
और डॉक्टर साहब ये मेरी फ्रेंड नैना है।
हाय नैना!
हाय डॉक्टर दीपश! नाइस टू मीट टू यू😊
डॉक्टर साहब भी मुस्कुरा देते हैं ।
तभी अक्श उनका आर्डर ले आता है।
नैना: अक्श ये डॉक्टर दीपेश है । नैना के फ्रेंड । आज से ये हमारे भी फ्रेंड...
क्यों डॉक्टर।
हां हां! बिल्कुल।
वे सभी काफी पीते हैं ।
डॉक्टर साहब: आद्या चले....
हा चलिए...
बाय गाइज👋👋
कल मिलते हैं ।।।
आद्या अपने पराठे लाना मत भूलना🤪🤪
अच्छा बाबा!!
वो दोनो चले जाते है
नैना ये डॉक्टर साहब और आधा का कुछ चक्कर है क्या!!!
नैना जो की खाने में बिजी होती हैं झट से उसकी ओर देखती है।
अरे यार मैं तो वैसे ही पूछ रहा था मुझे लगा तो...
मुझे भी नही पता मैं भी आज ही मिली हूं इनसे ।
आद्या और डॉक्टर साहब घर के लिए निकलते हैं...
ट्रैफिक सिग्नल पर बाइक रूकती है ।
तभी कुछ छोटे बच्चे हाथो मे फ्लावर्स लेकर घूम रहे थे।
एक बच्चा डॉक्टर साहब के पास आकर भैया फुल ले लो!!
दीदी को अच्छे लगेंगे।।।
डॉक्टर साहब नही बेटा हमे नही चाहिए।
अरे सुनो बेटा मेरे पास आओ...
ये सारे फ्लावर कितने रुपए के है...
600 रुपया के दीदी
अच्छा ये सभी मुझे दे दो। और ये लो रुपए।
जी दीदी ।
वह लड़का बहुत खुश हो जाता हैं ।
आप क्या करेंगी इतने फूलो का...
कुछ नही । लेकिन उस बच्चे की वो स्माइल इन रुपयों से मिल सकती हैं तो मै रोज ऐसे फूल खरीद लूं।।
ये बच्चे पढ़ाई नही करते क्या!!!
जो यहां काम कर रहे हैं।
हमारे घर के पीछे वाली बस्ती इन्ही लोगो की है।
वे दोनों घर पहुंचते हैं।
आद्या:आइए डॉक्टर साहब खाना खा कर जाना।
नही मै खाना तो खा चुका हूं।।
कोई नहीं काफी पी लीजिए...
आजाइए आपका ज्यादा टाइम नही लूंगी...।
चलिए...
वे दोनों घर जाते हैं।
दीप दरवाजे से ही चिल्लाते हुए....
गॉर्जियस कहा है आप देखो कोन आया है....
हो गई इनकी कबूतर गिरी शुरू....
मिस राजधानी एक्सप्रेस आप ना...
क्या आप ना आप कंटिन्यू करिए अपना मां आती ही होगी???
गॉर्जियस कहा है आप आजकल आप मुझे भूल गई क्या या सारा टाइम अपनी बेटी को ही देती हैं।
इशिका जी उसके कान पकड़ते हुए .. शैतान!!! इतने पास होते हुए भी मिलने नही आता । और फिर सुना भी मुझे रहा है।
अरे मां सॉरी!!दर्द हो रहा है।
वो मां आजकल हॉस्पिटल में ज्यादा ही काम होता है।ओर मै अभी नया हूं तो मुझे सीखने में भी टाइम लग जाता हैं।
चलो कोई बात नही । पर कभी कभी घर आ जाया कर।
वैसे ना सही खाना खाने तो आ ही सकता है तू यहां।
मां के होते हुए बच्चे खुद खाना बनाए ऐसे अच्छा थोड़े लगता हैं।
फिर कल्पना जी को मै क्या जवाब दूंगी मैं की मैने तुम्हारा ख्याल नही रखा।
मां आप जानती है ऐसा कुछ नहीं है ।
मुझे हॉस्पिटल से आने में लेट हो जाती हैं इसलिए नही आ पाता।
मुझे नही पता खाना तू हमेशा हमारे साथ ही खायेनगा।
तुझे मेरी कसम है...
अरे मां आप सेंटी क्यों हो रहे हो।
आप का कहा मैं कभी टाल सकता हूं।
तू जानता है ना तू मुझे अमन जितना ही प्यारा है।
दीप उनके गले लग जाता हैं।
क्या मां सारा प्यार आज ही लूटा दोगे क्या इन पर..
तुम्हे क्यों दिक्कत हो रही है । मेरी मां हैं।
आद्या दीप की तरफ देख मुस्कुरा देती हैं।
लीजिए कॉफी पीजिए..
वे सभी काफी पीते हैं।
दीप अपने घर आ जाता हैं । आद्या अपने रूम में आराम करने चली जाती हैं।
शाम के समय आद्या के कदम खुद ब खुद बस्ती की ओर बढ़ जाते है ।
मां मैं थोड़ी देर में आती हूं।
आद्या बस्ती में चली जाती हैं....
✍️दिया यादव
कहानी के आगे के भाग पढ़ने के लिए मेरे साथ बने रहिए...
आज का पार्ट कैसा लगा...?
कमेंट में जरूर बताना।।।
🙏🙏🙏