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रिश्तों के धागे

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Diya Yadav

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मोहब्बत और रिश्तों में उलझी एक नई प्रेम कहानी। ये कहानी हैं अक्षत और पंछी की। अतीत में हुई कुछ अनहोनी के चलते पंछी और अक्षत को होना पड़ा था एक दूसरे से अलग। लेकिन जिन्दगी ले आयी हैं एक बार फिर से ... एक कहानी जो प्रेम और घृणा से घिरी हुई हैं...

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Akshat vyas

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Panchi

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Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. रिश्तों के धागे - Chapter 1

    Words: 556

    Estimated Reading Time: 4 min

    अरे पंछी रुक तो... मेरी बात तो सुन!!

    नही मुझे नही सुननी दी! मुझे पता है मुझे मार पड़ने वाली है।
    वह पीछे मुड़कर बोलती हैं । और भाग जाती हैं।
    कि तभी सामने से आ रहे लड़के से टकरा जाती हैं ।
    अंधे हो क्या?? देख कर भी नहीं चल सकते...।
    आह मेरी कोहनी...
    हे राम इसमें से तो खून निकल रहा है । है मोरी मैय्या अब मैं क्या करूं..🤦
    दर्द भी हो रहा है और वह सच में रोने लगती हैं!!
    ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है....

    ओ हैलो सामने से भागे तुम आ रही थी मैं नहीं। और तो ओर तुम्हारी वजह से मेरा सारा सामान खराब हो गया..

    मुझे चोट लगी है और तुम्हे सामान की पड़ी है। तुम्हारे सामने एक प्यारी सी लड़की रो रही हैं और तुम उसे डांट रहे हो। लड़कियों से बात भी नहीं करनी आती तुम्हे..?

    और तुम पहले चलना सीखो सामने देखकर...
    पता नही किस पागल लड़की से पाला पड़ा है सुबह सुबह दिमाग खराब कर दिया।

    ओए अब तेरा ज्यादा नहीं हो रहा । गलती से टकरा क्या गई इतना सुना रहे हो...

    ओह तो चलना ही नहीं तुम्हे तो बात करने की भी तमीज नही है।
    तुम्हे तो मैं देख लूंगी..

    देख लो यही तुम्हारे सामने खड़ा हूं। ओर पास से देखना है तो बोलो...वह तिरछी स्माइल से उसे देखता है।

    निकलो यहां से...

    क्यों तुम्हारे पिताजी की सड़क हैं जो तुम मुझे जाने को कह रही हो।

    तुम्हे तो...

    पंछी क्या हुआ! तुम्हे चोट कैसे लग गई ।
    अरे कुछ नही दीदी एक पागल बैल से टकरा गई थी।
    वह लड़का उसे गुस्से में घूरता है....
    पंछी उसकी ओर तिरछी स्माइल पास करती हैं।

    क्याआआआ....
    ( उनकी बाते सुन वह लड़का वहा से चला जाता हैं)

    अरे अपना सामान तो ले जाओ...

    किसी पागल बैल को खिला देना।

    पंछी तू क्या बोल रही है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।

    अरे कुछ नही दी!!!

    अच्छा आप बताओ!!! तो पढ़ू मैं आपका लव लेटर???
    वैसे भी बड़ी दूर से आया है।

    पंछी ये मुझे दे । वो उसकी ओर हाथ बढ़ाती हैं ।
    तो पंछी अपना हाथ उपर कर लेती हैं । वह कभी उसे दाए कभी बाएं किए जा रही थी।
    पंछी ये मुझे दे दे! प्लीज!!!!

    अच्छा फिर  मुझे क्या मिलेगा..?

    जो तू बोलेंगी वो...

    पक्का!!!!

    हा बाबा! पक्का

    मेरे जीजू की कसम🤪

    पिहुईईईईईई

    अच्छा ठीक है ये लो!
    हाय इन्नी बेकरारी... कोई तो हमारे लिए भी लिख दो😝
    लिखो ना सही पर कबूतर ही भेज दे कोई सफ़ेद वाला।
    हाय! मेरे छोटे छोटे सपने🥰 जाने कब पूरे होंगे।

    जरूर होंगे जब कोई तुम्हारी जिंदगी में आयेगा ।अपनी खुशी से पहले तुम्हारी खुशी का ख्याल रखेगा ।
    तुम्हारे इन छोटे छोटे सपनो को पूरा करेगा....

    अरे दीदी अब बस करो ।
    मुझे अपने सपनो को खुद पूरा करना है , किसी ओर से नही करवाना ।ओर ये प्यार , इश्क , मोहब्बत ये सब रील लाइफ में अच्छा लगता हैं रियल लाइफ में नही।

    जब तुझे किसी से इश्क होंगा ना तब तुझे पता चलेंगा, जब तुझे सब कुछ अच्छा लगेगा...

    और ये तो इस जन्म में होने से रहा।
    वैसे भी दी मुझे एक आइडल बिजनेस वूमेन बनना है , ये प्यार मेरी  डिक्टनरी में भी नहीं है....


    ये है मेरी नई कहानी।
    अगर पसंद आए तो समीक्षा में जरूर बताना इसे आगे लिखूं या नहीं....

    ✍️दिया यादव

  • 2. रिश्तों के धागे - Chapter 2

    Words: 760

    Estimated Reading Time: 5 min

    एक लड़का दिखने में एक दम किसी मॉडल के जैसे , फिटेड बॉडी , थोड़े लंबे बाल जिन्हे उसनें बांधा हुआ था एक रबर बैंड से,,,, चहरे पर गजब का अट्रैक्शन लेकिन साथ में ही गुस्सा ओर  नफरत...
    वह लड़का हाथो में सिगरेट लिए  रेलिंग के सहारे टिके हुए बाहर की ओर देख रहा था...
    तभी कोई उसके रूम में आता है..

    काम हुआ की नहीं..?

    सॉरी बॉस हम उसे नहीं ढूंढ पाए ।।।

    व्हाट द हेल!!! निक्कम्मो की फौज पाल रखी है मैने पूरी ,,किसी काम के नही हो तुम सब..
    ऐसा बोल वह पास पड़ी चेयर को लात मार देता है और एक झटके में उस आदमी की गर्दन पकड़ उसे दीवार से लगा देता है।। दो दिन का टाइम है तुम सब के पास ,, मुझे उसके बारे में पूरी जानकारी चाहिए वरना अपनी कब्र का समान साथ लेके आना मेरे पास समझे....
    और झटके से उसे छोड़ देता है जिससे एक दम से वह संभल नहीं पाता और टेबल का कोना उसके सर पर लग जाता हैं...

    तभी एक लड़का दौड़ता हुआ रूम में एंटर होता हैं वह एक नजर उस आदमी पर डाल उस लड़के की तरफ बढ़ता है।
    अक्षत !!!तू ठीक तो हैं ना क्या है ये सब....

    हां जी !! तो ये है अक्षत लावण्य !! एक बहुत बड़े बिजनेसमैन..
    अपने रूतबे और पर्सनैलिटी के कारण सभी के बीच फेमस है।।

    कुछ नहीं मैं ठीक हूं तू बता तू यहां पर क्या कर रहा है। तुझे जो काम दिया था वो हुआ....

    यार अक्षत छोड़ दे ये सब इस नफरत की आग में तू खुद को भी जलाए जा रहा हैं।।क्या मिल जाएंगे तुझे ये सब करके...

    दोस्त है ना तो दोस्त बनके रह मेरा बाप बनने की ज़रूरत नहीं है
    अगर मैं जलूंगा तो राख होने से वो भी नही बच पाएंगी।।
    खून के आंसू रोएंगी वो , उसकी जिंदगी को नर्क बनाने की जिम्मेदारी अब मेरी ....
    आई एम बैक स्वीटहार्ट!!!
    उसके चहरे पर मुस्कुराहट होती हैं जो धीरे धीरे गुस्से में बदल जाती हैं और टेबल पर रखा वॉश वह सामने दीवार पर दे मारता है।।
    अक्षत तू ठीक है ना..
    हम्म्म !मुझे कुछ देर अकेले रहना है जाओ यहां से....

    लेकिन यार मैं तुझे इस हाल में...

    आई सेड गेट आउट!!
    वह चिल्लाकर बोलता है।

    वह लड़का अब बाहर निकल जाता हैं ।।
    वह लड़का दिखने में हैंडसम , डेशिंग  ,,, चहरे पर एक प्यारी सी स्माइल जिससे वह हजारों लड़कियों का क्रश बना हुआ था।। दिखने मे वह अक्षत की पर्सनैलिटी को बराबर टक्कर दिए हुए था। लेकिन अक्षत  जहां अपने एटीट्यूड की वजह से सब में फेमस था।।
    ये अर्जुन हैं अर्जुन व्यास!!!
    अक्षत का दोस्त कम भाई।।
    जो आज से नही बचपन से उसके साथ था।।

    अर्जुन : नहीं चाहता हूं मैं एक बार फिर तू उससे मिले। उसके साथ साथ तू खुद को भी मिटा देगा ,, जो कहीं से सही नहीं हैं ।।
    मानता हूं उसने गलती की ....
    तभी उसे पीछे से आवाज आती हैं
    गलती नहीं गुनाह !! और गुनाह की केवल और केवल सजा होती हैं समझा!!!!
    हमारी मीटिंग हैं कल मिस्टर बनर्जी के साथ इंडिया में....
    अब समय आ गया है वापस लौटने का...
    वैसे भी हिसाब किताब ज्यादा दिनों तक नही रखते हैं।।
    मिस पंछी कौशिक आ रहा हूं मैं...
    तुम्हे बर्बाद करने..



    इंडिया में..
    एक बड़ा सा ऑफिस ।।
    ऑफिस में बहुत सारे एम्प्लॉय और उन्ही के बीच एक लड़की अपनी डेस्क पर बैठी थी जिसके हाथ की अंगुलियां कीबोर्ड पर बड़ी ही तेजी से चल रही थी।।
    तभी उसके पास रखा फोन बजता है..
    मिस पंछी अभी मेरे केबिन में आओ...
    येस सर!

    जी हां ये है पंछी कौशिक।।। बिल्कुल अपने नाम के जैसी ,, एक चिड़िया को तरह कोमल और प्यारी।।
    एवरेज हाइट , लंबे लंबे बाल , सांचे में ढला शरीर , चहेरा जैसे भगवान ने बड़ी फुरसत से बनाया था.. गुलाब को पंखुड़ियों से होठ , काली कजरारी आंखे जैसे अभी बोल पड़ेगी...

    पंछी अपनी फाइल उठा उस केबिन की ओर जाती हैं..

    मे आई कम इन सर.

    या कम...

    पंछी अंदर जाती हैं ।

    कल की मीटिंग के लिए सभी तयारी हो गई हैं।।

    येस सर।ऑल ओके।

    मुझे कल कोई भी मिस्टेक नही चाहिए ।।मिस्टर लावण्य के साथ मुझे ये डील कैसे भी करनी है।
    एक बार ये डील हो गई तो हमारी कंपनी एक अलग मुकाम पर होगी।।।

    ओके सर! वी ऑल आर डूइंग आउर बेस्ट ।।

    मुझे रिजल्ट चाहिए पंछी...कोशिश नही।।

    जी सर!!

    जाओ सब एक बार फिर से चेक करो।
    फिर घर जाना...

    जी सर ...
    इतना बोल पंछी वहा से चली जाती हैं।।

    अगले भाग में क्रमश...

    🙏🙏🙏

  • 3. रिश्तों के धागे - Chapter 3

    Words: 1082

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह 8 बजे की फ्लाइट से अक्षत और अर्जुन दिल्ली पहुंचते हैं ।।
    9 बजे उनकी मिस्टर बनर्जी के साथ मीटिंग थी।।

    अर्जुन : यार अक्षत इस मीटिंग में ऐसा क्या खास है जो तू खुद इंडिया वापस आया है वो भी पूरे 3 साल बाद...

    अक्षत : ये मीटिंग बहुत खास है मेरे लिए ... और क्यों है इसका पता भी तुझे जल्द ही चल जाएंगा ।।
    मेक सम पेशंस बेबी !!

    ओ गॉड !!ये जब भी ऐसा करता है इसके दिमाग में कुछ ना कुछ चलता रहता हैं..
    कहीं इसे कुछ पता तो नहीं चल गया।।।

    वे दोनों 9 बजे मिस्टर बनर्जी के ऑफिस में पहुंचते हैं...

    मिस्टर बनर्जी : वेलकम सर !!!

    अक्षत : अरे बनर्जी साहब थोड़े फॉर्मल रहिए ।। ये सर वर रहने दीजिए काल में अक्षत!!
    अब तो आपकी कंपनी के साथ काफी लंबा काम करना है।।

    जी बिलकुल अक्षत साहब आप जैसे बड़े बिजनेसमैन हमारी छोटी सी कंपनी के साथ डील करने आए ये तो हमारे लिए बहुत बड़ी बात है।।

    अक्षत : अपने माथे पर अंगुलियां क्रॉस करते हुए...शायद आपको अभी कुछ पता नहीं चला बनर्जी साहब!!

    क्या...

    चलिए बैठ कर बात करते हैं।।

    वे सभी केबिन में जाकर बैठ जाते हैं।।

    क्या नहीं पता चला मुझे अक्षत साहब..

    जरा अपना फोन या लैपटॉप चेक कर लिजिए..

    बनर्जी: फोन देखते हुए एकदम से खड़े हो जाते हैं,, ये कैसे हो सकता हैं...

    बिल्कुल वैसे ही जैसे आप  इस डील के सहारे अपनी कंपनी की जर्जर हालत सुधारना चाहते थे।।
    आपको क्या लगा आप की कंपनी के सारे शेअर्स डूब जाने पर भी हम आपके साथ काम करते।।
    आज से आपकी कंपनी लावण्य ग्रुप्स ऑफ कंपनी के अंडर होंगी।

    बनर्जी : सर प्लीज ऐसा मत कीजिए ..हजारों लोगों ने मुझ पर भरोसा किया है ।। मार्केट में मेरी इज्जत नीलाम हो जाएंगी।
    भगवान की दया से रहम कीजिए ,, आपकी बड़ी कंपनी को क्या फायदा होगा इससे लेकिन यहां बहुत से घर उजड़ जायेंगे।।

    अक्षत : अरे बनर्जी साहब!! अभी अभी तो बोला ये सर मत बोलिए!!
    और हा आपकी इसी ईमानदारी की  वजह से ही तो मुझे यहां इंडिया आना पड़ा।।
    चलो एक डील करते हैं।।

    अब कैसी डील....

    अरे अरे!!बनर्जी साहब पहले सुनिए तो सही..
    ये आपके फायदे की भी हो सकती हैं।।
    मुझे आपकी कंपनी से कोई मतलब नहीं है इसका काम आप ही देखिए मैं कुछ भी नही बदलने वाला।।
    लेकिन मुझे यहां के अभि एम्प्लॉय के साथ एक बॉन्ड चाहिए ।जिसकी शर्तें आपको पता चल जायेंगी ।।
    और वो उनके सामने एक पेपर करते हैं।।

    बनर्जी पेपर पढ़ने पर,,,
    ये तो।अच्छी बात हैं अक्षत साहब ! आपका ये काम जल्द ही हो जाएंगा।।

    अरे बनर्जी साहब इतनी भी क्या जल्दी पूरी बात तो सुन लीजिए ..
    ये खास आपके यहां के मैनेजर के लिए ..
    वो सब तो बाद में होता रहेगा आप इस पर सिग्नेचर लीजिए..
    फिर हम भी हमारा काम शुरू करे।।
    अरे पढ़ बाद में लेना पहले साइन करवाइए मुझे यही काम नही है इस बार वो थोड़ा गुस्से में कहता है।।

    बनर्जी साहब तुरंत अपने केबिन से निकल जाते हैं...

    अर्जुन : क्या चल रहा है तेरे दिमाग में ,, कही तू कुछ गलत तो नहीं करने जा रहा..

    अक्षत : नही गलत को सही करने का वक्त है अभी तो...


    बनर्जी साहब मैनेजर के पास आते हैं..

    मैनेजर : सर सारी तयारी हो चुकी हैं अब हम मीटिंग शुरू करते हैं।।

    बनर्जी: पंछी मुझे इस बॉन्ड पर तुम्हारे सिग्नेचर चाहिए..

    सर ये क्या हैं??

    तुम खुद ही देख लो...

    पंछी  जैसे जैसे वो पेपर रीड करती  उसके चहरे के भाव बदलते हैं।।
    सर ये सब क्या है??इसके अनुसार तो मैं ये जॉब अगले दो साल तक नही छोड़ सकती हूं और ऐसा करने पर मुझे 6 महीने की पेमेंट वापस करनी होगी तथा साथ ही मुझ पर कानूनी कार्रवाई होंगी।।

    तो इसमें गलत क्या है बेटा ?

    लेकिन सर मैं ये कैसे??

    मैं जानता हूं पंछी तुम्हे जॉब की कितनी जरूरत है इस समय
    इसलिए प्लीज इस पर साइन कर दो वरना मुझे तुम्हे यहां से निकालना पड़ेगा।।
    मुझे भी अब कंपनी की बेहतरी के लिए सोचना होगा ना..

    पंछी उस पेपर पर साइन कर देती हैं।।

    ये लीजिए अक्षत साहब आपका काम हो गया...

    उस पेपर पर साइन देख अक्षत के चहरे पर मुस्कान आ जाती हैं।
    बर्बादी की पहेली सीडी मुबारक हो मिस कौशिक!!!

    बनर्जी साहब अपनी मैनेजर से जरा हमे भी मिलवाइए जिसकी आप इतनी तारीफ कर रहे थे??
    हम भी देखे वो तारीफ के काबिल हैं भी या नहीं...

    जी जरूर !! वे पंछी को अंदर आने के लिए कहते हैं।।

    कुछ समय बाद पंछी अंदर आती हैं।।
    मिस्टर बनर्जी अपनी चेयर पर बैठे होते हैं और अर्जुन उनके सामने बैठा था ।।जबकि अक्षत सामने मिरर वॉल के पास खड़ा था उसने अपने हाथ में एक सिगरेट सुलगा रखी थी।।

    पंछी : हेलो सर !! मैं पंछी , यहां की प्रोजेक्ट हेड मैनेजर।।

    अर्जुन : हाय !! नाइस टू मीट टू यू

    पंछी : थैंक्स सर

    तभी अक्षत वहा से हट पंछी के सामने आता है ।
    हाय एम अक्षत लावण्य , वह उसकी ओर अपना हाथ बढ़ा देता है।
    पंछी तो उसे देख एक दम खो ही जाती हैं....
    अक्षत उसके सामने हाथ हिलाता है तब जाके कही पंछी को होश आता है ।
    वह हड़बड़ी में उसकी तरफ हाथ बढ़ा देती हैं।
    अक्षत अपने हाथ की सिगरेट पंछी के हाथ पर मसल देता है।
    जिससे उसकी दर्द भरी सिसकी निकल जाती हैं।
    सॉरी ,, वो मैने ध्यान नहीं दिया।

    पंछी की आंखो में आंसू आ जाते हैं।।

    इट्स ओके सर ।


    मुझे आपकी मैनेजर के कुछ देर अकेले में बात करनी है क्या मै कर सकता हूं बनर्जी साहब।

    हा  हा जरूर सर ,, क्यों नहीं ।।
    इतना कह वे बाहर निकल जाते हैं।

    अक्षत अर्जुन से अब तुझे क्या अलग से कहना पड़ेगा!!

    अर्जुन भी वहा से चला जाता हैं।।।

    तभी पंछी एक दम से अक्षत के गले लग जाती हैं ।।
    कैसे हो तुम !! इतना कह वह रोने लगती हैं।
    लेकिन अक्षत अपने हाथ आगे नहीं बढाता ,, वह कुछ पल ऐसे ही शांत खड़ा रहता हैं और फिर पंछी के दोनो हाथ पकड़ उसे पीछे की ओर धक्का दे देता है जिसेसे वह संभल नहीं पाती और गिर जाती हैं ।।

    मुझे छूने की कोशिश भी मत करना कभी...
    वरना वो हाल करूंगा की तुम सोच भी नही पाओगी।।

    वह पंछी के पास नीचे बैठ उसे बालो से पकड़ उठाता है ,, तुम्हे बहुत शौक है ना खेल खेलने का अब मैं दिखाता हूं किसी की जिंदगी से कैसे खेलते हैं ।


    ✍️दिया यादव


    🙏🙏🙏

  • 4. रिश्तों के धागे - Chapter 4

    Words: 806

    Estimated Reading Time: 5 min

    वह पंछी के पास नीचे बैठ उसे बालो से पकड़ उठाता है ,, तुम्हे बहुत शौक है ना खेल खेलने का अब मैं दिखाता हूं किसी की जिंदगी से कैसे खेलते हैं ।

    उसे वही छोड़ अक्षत वहा से जा चुका था।
    पंछी वही बैठी अपने घुटनों में मुंह छुपाए रो रही थी ।
    आखिर क्यों दी भगवान मुझे इतनी बड़ी सजा ,,, इससे अच्छा तो मौत दे देते।।
    मैं अपने एकतरफा एहसासों में जी रही थी ना क्यों इन्हे भी छीन रहे हो...
    बस अब मैं यहां नही रहूंगी आज ही यहां से चली जाऊंगी।।
    अब बहुत हुआ ये सब।इंसान हूं मैं दर्द मुझे भी होता है ।अब नही होता बर्दास्त मुझसे ।।
    शिद्दत से निभाई मैंने हर बार मेरी मोहब्बत लेकिन फिर भी बेवफा कहलाई

    माना  की हर किरदार में बेकार रही मैं ,

    जैसी भी रही शीशे सी आर पार रही मैं ,

    माना की मैं वफा नही निभा पाई तुझसे ,

    पर जैसी भी रही तेरी रही मैं...



    पंछी वहा से मिस्टर बनर्जी के पास  गई,,,  सर  अब मैं यहां नौकरी नहीं कर सकती  ,,, मैं इस जॉब को छोड़ रही हूं।।

    लेकिन बेटा तुम ये कैसे कर सकती हो...
    अभी तो तुमने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था भूल गई....

    सब याद है मुझे सर !!
    आपने मुझे बेटी कहा था ना तो बस आज मेरा साथ दे दीजिए ,,आपका बहुत अहसान होगा।


    लेकिन बेटा...

    प्लीज सर आप बस अक्षत से कुछ मत कहना इतना सा अहसान कर दो।।।

    ठीक है बेटा।।।

    पंछी अपना सामान लेने घर पहुंचती हैं ...
    घर का लॉक खोल वह अंदर जाती हैं ।। पूरा घर अंधेरे में डूबा होता हैं ।पंछी जैसे ही लाइट का स्विच ऑन करने के लिए हाथ बढ़ाती हैं कोई उसका हाथ खींच लेता है।

    कोन है पंछी बोलती हैं।

    लेकिन कोई आवाज नहीं आती।।।
    तभी उसे अपनी गर्दन पर ठंड का एहसास होता हैं । पसीने से भीगी पंछी को वो सांसे ठंडक पहुंचा रही थी ।।
    तभी उसे अपनी कमर पर किसी के हाथ महसूस होते हैं ।
    पंछी छुटने के लिए छटपटाती है कि तभी उसके कानो में एक सर्द सी आवाज सुनाई देती हैं ।
    ये भागने की तुम्हारी पुरानी आदत अभी तक गई नही है।।

    उसकी गरम सांसे पंछी को ठंड का एहसास दिलाती हैं जिससे उसके पूरे शरीर में कंपकपी उत्पन्न हो जाती हैं।

    कोई नहीं !! वैसे भी जहां भी जाओगी मुड़कर मेरे पास ही आओगी जानेमन!!
    वो कहते हैं ना इश्क में डूबे दो प्रेमी ,,,, मेरी मंजिल तुम ही हो...
    और वह हसने लगता हैं।।
    इसके साथ ही उसके हाथ उसकी कमर से सरक अब उसके शरीर को छू रहे थे।

    छोड़ो मुझे क्यों कर रहे हो ये सब...


    अरे रे!! स्वीटहार्ट !!! तुम्हे इतना भी नहीं पता प्यार करता हूं तुमसे ...
    अब तुमने ही तो कहा था कि मैं तुमसे नहीं तुम्हारे जिस्म से प्या....

    पंछी अपनी आंखे बंद कर लेती हैं ।।उसकी आंखों से आंसू बह जाते हैं।।

    तो अब तुमने बोला था तो सही ही बोला होंगा ,,,तुम थोड़े ना गलत हो सकती हो ।। वही सही है।
    इसलिए तो अब मैं यहां आया हूं...
    वह उसके चहरे पर हाथ फिराने लगता हैं ... क्या हुआ डर लग रहा हैं .. अरे मुझसे कैसा डरना..
    उसके हाथ अब उसकी गर्दन तक आ रहे थे ।
    वह जैसे ही उसकी गर्दन की ओर चहेरा झुकाता है पंछी उससे दूर हट जाती हैं ।।

    क्यों कर रहे हो ये सब???
    मुझे चैन से जीने दो ।।।
    मैने तुम्हे मना कर दिया तो  तुम्हारा मैन एगो हर्ट हो गया ।।
    तो अब अपने मर्द होने का सबूत देने आए हो मुझे...
    कि तुम मर्द हो कुछ भी कर सकते हो ।।औरत तुम्हारे लिए कठपुतली हैं जैसे चलाओगे चलेंगी...
    तो ये भ्रम मत पालना की मैं तुम्हारे सामने झुक जाऊंगी ऐसा कभी नहीं होगा..

    अक्षत पंछी की बाजू पकड़ उसे अपने करीब खीच उसके होठों पर अपने होंठ रख देता है ...
    पता चल गया होगा अब तो मैं क्या कर सकता हूं क्या नहीं...
    तुम्हारी जिंदगी में कांटे बिछाने की जिम्मेदारी अब मेरी हैं।
    एक पल सुकून के लिए तरसोगी तुम..

    मैने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा क्यों कर रहे हो ये सब...

    तुमने क्या बिगाड़ा है मेरा ...
    वाह !!!पंछी कौशिक...
    इतना बोल वह पंछी की ओर बढ़ता है लेकिन तभी उसकी नजर उसके आंसुओ और उसके होठ से निकलते खून पर जाती हैं ।।
    वह पंछी के चहरे के साइड में दीवार पर पंच मारता है और वहां से निकल जाता हैं।।

    पंछी वही रोते रोते बैठ जाती हैं ।।

    वो कहता है मुझे एक पल सुकून से नही रहने देगा,,
    कोई उन्हे बताए इन लफ़्ज़ों से तो अब मेरा भी बैर हैं।।

    पहले सुकूं देता है , फिर हंसाता है ,,
    फिर बाद में बहुत रुलाता है ।।
    ये इश्क कमबख्त होता ही ऐसा है
    खुशियां दे दे कर सताता हैं।।


    आद्या रोते रोते वही लेट जाती हैं।।।

    ✍️दिया यादव


    🙏🙏🙏🙏

  • 5. रिश्तों के धागे - Chapter 5

    Words: 784

    Estimated Reading Time: 5 min

    अक्षत एक गहरी खाई के किनारे आकर गाड़ी रोकता हैं ।।
    और जोर से चिल्लाता है क्यों भगवान क्यों??? मेरे साथ ही ऐसा क्यों...
    नहीं चाहता उसे दर्द देना दिल के किसी कोने में आज भी जिंदा हैं वो ....
    नहीं दे पा रहा उसे दर्द..

    मुझे जिंदगी भर का नही हर जन्म का साथ चाहिए था ,
    जो हर जन्म साथ दे ऐसा साथी चाहिए था

    ये वक्त मेरे हाथों से बीतते लम्हों की तरह छूट रहा हैं ,
    और फलक पर बैठा वो खुदा जाने मेरे हिस्से में कैसी जिंदगी
    लिख रहा हैं।

    अब जो भी होगा वो ये  अक्षत लावण्य करेंगा।।
    और अब मुझे कोई नहीं रोक सकता ।।।

    जब तक मोहब्बत थी शिद्दत से निभाई मैंने ,
    अब बारी नफरत की थी ,तो इसमें कैसे पीछे रह जाता मैं ।।


    अगले दिन

    पंछी आज ऑफिस नहीं जाती हैं।।

    अक्षत : क्या बनर्जी साहब आपकी मैनेजर नहीं दिख रही ...

    वो साहब आज उनकी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी इसलिए वो आज नहीं आई...

    ओके !! आप जाइए अपना काम कीजिए।।

    गलती कर दी तुमने मेरी बात ना मानकर !!
    कुछ ज्यादा ही सीधा समझ लिया आपने स्वीटहार्ट मुझे ...
    घर पर आराम फरमा रही हो ना देखो अब मैं क्या करता हूं..

    पंछी दरवाज़ा खोल..

    नमस्ते अंकल , आंटी कैसे है आप...
    देखा जी कितनी संस्कारी बन रही हैं हमारे सामने तो ..

    आंटी आप ये क्या बोल रहीं हैं।

    अंकल: ना ही तो हमे कुछ जानना और ना ही कुछ बताना..
    बस अब तुम यहां पर नही रह सकती ।। तुम्हे यहां से जाना होंगा।
    हमने ये घर किसी ओर को बेच दिया है।।
    लेकिन अंकल आंटी मुझे थोड़ा वक्त दीजिए ...
    मैं मेरे लिए नया घर मिलते ही यहां से चली जाऊंगी।।।

    सुनिए जी मैं इस जैसी लड़की को अपने घर में अब एक मिनिट भी नहीं रहने दूंगी।
    आंटी कुछ हुआ है क्या जो आप ऐसे बात कर रही हैं ,, मुझसे कोई गलती हुई हैं क्या???
    और आप ये मुझ जैसी लड़की से क्या कहना चाह रही हो..

    तभी उनकी बेटी वहा आती हैं ...
    पंछी दीदी देखो आज मैंने क्या बनाया...
    तभी उसकी मम्मी उसका हाथ पकड़ अपनी ओर खींच लेती हैं । इसके पास जाने की सोचना भी मत । मैं मेरी बेटी पर तेरी छाया भी नही पड़ने देना चाहती हूं।।

    बस कीजिए आप लोग !! ये सब क्या बोले जा रहे हैं ।।

    अंकल उसके सामने एक वीडियो ऑन  कर देते हैं ,,, ये कल रात वाला वीडियो था जिसमे अक्षत और पंछी साथ थे।।

    उस वीडियो को देख पंछी लड़खड़ा जाती हैं ।।।

    अब भी बेशर्मों की तरह यही खड़ी है । जरा सी भी शर्म हया बाकी हैं तो अभी के अभी यहां से निकल जा।।।

    और वह पंछी का सामान ला बाहर फैंक देती हैं।।
    और उसका हाथ पकड़ उसे भी बाहर की तरफ धक्का दे देती हैं।
    पंछी मुंह के बल जमीन पर पड़ती हैं ,,, आस पड़ोस के सभी लोगो की नज़रे उस पर टिकी थी।।
    और सभी की नजरों में खुद के लिए घर्णा देख वह अपना समान उठा आगे बढ़ जाती हैं।

    जिन लोगो के साथ उसने अपने सुख दुख ,, खुशियां आदि बांटी थी आज उनमें से कोई भी उसके लिए सामने नही आया।।

    पंछी एक व्यंग्य भरी मुस्कुराहट के साथ वहा से बाहर आ जाती हैं ...

    वाह रे !! रामजी!!
    सबका नसीब ऐसा ही है या
    मुझसे ही कोई पर्सनल दुश्मनी है..

    आज की हुई घटना से पंछी पूरी तरह से टूट  चुकी थी उसके पैर आगे बढ़ने में उसका साथ नहीं दे रहे थे।।लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ी जा रही थी बिना ये तय किए की उसे कहा जाना है...

    थोड़ा थोड़ा अंधेरा घिर आया था ।।। आद्या अब सुनसान सड़क पर अकेली चल रही थी ।
    तभी कुछ लड़के उसके सामने आते हैं।।
    वे उसे परेशान करने लगते हैं ।। हाय छमिया !! अकेले अकेले कहां ,,, हमे भी साथ ले लो...
    उनमें से एक लड़का पंछी का हाथ पकड़ता है तो पंछी उसके हाथ पर काट लेती हैं ।।ओर भागती हैं तभी उन दूसरे लड़को ने उसे पकड़ लिया।।

    अक्षत अपनी कार में बैठा ये सब देख रहा था।।

    तभी वह लड़का साली तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे काटने की अब मैं तुझे बताता हूं और वह पंछी के गाल पर एक थप्पड़ मारता है । थप्पड़ की आवाज इतनी तेज थी की अक्षत भी अपनी मुट्ठियां भींच लेता है ।

    पंछी संभाल नहीं पाती और गिर जाती हैं ।।

    अब वे लड़के पंछी का दुपट्टा हवा में उछाल देते हैं और उसकी ओर बढ़ते हैं...

    ✍️दिया यादव


    देखते हैं अक्षत क्या करता है वह पंछी को बचाता हैं या नहीं।।
    नफरत और मोहब्बत में किसकी जीत होंगी।।

    अगर पार्ट पसंद आए तो समीक्षा में अवश्य लिखे।।।
    🙏🙏🙏🙏

  • 6. रिश्तों के धागे - Chapter 6

    Words: 873

    Estimated Reading Time: 6 min

    पंछी वहीं गिर जाती है।
    वह लड़का पंछी का दुपट्टा उठा उसे हवा में उछाल देते हैं ।
    जैसे ही पंछी के कुर्ते की डोरी की तरफ वह लड़का अपना हाथ बढ़ाता है किसी ने उसके हाथ को पकड़ कर रोक लिया था और एकदम से उसके हाथ को उसकी पीठ से लगा देता है जिससे वह लड़का कराह  उठता है ....

    तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इसे छूने की!!!!
    अगर अपनी जान प्यारी है तो अभी यहां से निकल लो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ....
    वह हसन करूंगा तुम्हारा कि किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर नहीं देख पाओगे  और जो ये मर्दानगी दिखा रहे हो ना वह धरी की धरी रह जाएगी ।।
    तुम्हारे मां बाप भी तुम्हे पहचानने से इंकार कर देंगे।।

    ओए तू है कौन ????
    और तुझे क्या लगता है तू यहां पर आ डायलॉगबाजी करेेंगा और हम इसे छोड़ देंगे वैसे भी तू अकेला और हम पांच पांच हैं कर ही क्या लेगा तू .....
    अपनी जान प्यारी है तो निकल यहां से और इस लड़की को हमारे हवाले कर ......

    सही कहा है किसी ने लातों के भूत बातों से नही मानते!!
    पंछी खड़ी हो अक्षत की शर्ट टाइटली पकड़ लेती है । ।
    अक्षत  उसे धक्का देता है जिससे उसकी पकड़ छूट जाती और वह नीचे जमीन पर गिर जाती है ।।
    डोंट यू डेयर टू टच मी!! समझी।।

    वह लड़के देखते रह जाते हैं ...
    यार यह चक्कर क्या है यह इसे हम से बचा रहा है या  फिर..  क्या कर रहा है।।।।

    ओए हीरो जब इतनी प्रॉब्लम है इससे तो इसे हमारे हवाले कर...

    इसे दुख दर्द और चोट पहुंचाने का हक सिर्फ और सिर्फ मुझे है।।
    समझे तुम..
    वह पंछी का हाथ पकड़  अपने साथ ले जाने लगता है तभी उनमें से एक लड़का सामने आ...
    हम तो यहां पर जैसे मेला घूमने आए हैं जो तेरा करतब देख ऐसे ही चले जाएंगे।।।
    वह अक्षत को मारने के लिए हाथ उठाता है उससे पहले ही अक्षत  उसके पेट पर एक जोरदार किक  मारता है जिससे वह दूर जाकर गिरता हैं,,, तभी दूसरा लड़का पीछे से उसकी तरफ आता है तो पीछे घूम उसके गाल पर एक झन्न्नाटेदार थप्पड़ मारता है कि कुछ ही समय में वह धूल चाट रहा होता है।।

    तीनों लड़के यह  देख एक बार तो घबरा जाते हैं लेकिन फिर भी  आगे बढ़ते हैं ....

    वह लड़का जिसने पंछी को थप्पड़ मारा था आगे आता है।।
    अक्षत पीछे से उसकी गर्दन पकड़ उसके उस हाथ को मोड़ देता है इसी हाथ से तू ने थप्पड़ मारा था ना अब देख ... वो उसके हाथ को और तेज मरोड़ देता है।। जिससे टूटने की आवाज आती हैं वह लड़का वही गिर जाता हैं।।।
    फिर वह उन दोनो लड़को की ओर बढ़ता है लेकिन वो दोनो एक साथ सॉरी बॉस गलती हो गई आगे से ऐसा कुछ नही करेंगे ।।प्लीज हमे माफ कर दीजिए ।।।
    अक्षत उन दोनो को वहा से जाने देता है..  

    अब वह पंछी की ओर आता है और बिना कुछ बोले उसका हाथ पकड़ आगे की तरफ बढ़ जाता है।।
    कुछेक कदम चलने के बाद उसे अपने हाथ से पंछी का हाथ छूटता महसूस होता हैं ,,, वह पीछे मुड़ देखता है तो पंछी गिरने वाली होती हैं कि तभी अक्षत उसे संभाल लेता है।
    वह बेहोश हो चुकी थी।।।
    ए लड़की !! ये क्या नया  नाटक कर रही हो चुपचाप से उठो...

    तभी उसके बॉडीगार्ड वहां आ जाते हैं।।

    जी हां अक्षत के बॉडीगार्ड ने ही उसे पंछी के बारे में बताया था।।। अक्षत ने उसे पंछी की हर गतिविधि पर नजर रखने को कहा था।।

    बॉडीगार्ड: सर इन्हे मैं उठा कर गाड़ी में बैठा देता हूं और वह पंछी की तरफ बढ़ता है।

    तभी अक्षत उसे अपनी लाल आंखो से देखता है जैसे उसे अभी भस्म कर देगा ।। कोशिश भी मत करना इसे छूने की समझे..

    सॉरी सर मुझे लगा आपको प्रॉब्लम होगी इसलिए कहा ....

    अक्षत पंछी को अपनी गोद में उठा उसे ले कार की तरफ बढ़ता है।
    बॉडीगार्ड डोर ओपन कर एक साइड नजर झुका कर खड़ा हो जाता हैं।।।
    और अक्षत पंछी को ले वहा से निकल जाता हैं।।।।

    वह पंछी को अपने घर ले आता है और उसे अपने रूम में ला लेटा देता है ।।।

    वह अर्जुन को फोन कर कहता है की जल्द से जल्द मेरे घर पर डॉक्टर को लेकर आ।।

    क्या हुआ तू ठीक है ना...?

    जितना कहां है उतना कर!! और हां लेडीज डॉक्टर को लेकर आना।।।


    अक्षत अब पंछी की तरफ बढ़ता है लेंकिन रुक जाता हैं और बेचैनी से यहां वहां चक्कर काटना शुरू कर देता है।।

    लेकिन वह अब खुद को रोक नहीं पाता है और पंछी के पास जा उसका सर सहलाने लगता हैं।।
    पंछी उससे ममता भरे स्पर्श को पा मां , मां कहते हुए उसके हाथ को पकड़ लेती हैं और उसके हाथ को अपने गाल के पास लगा लेती हैं ।।


    अक्षत उससे अपना हाथ हटाना चाहता है पर पंछी  के बार बार पकड़ने की वजह से नहीं हटा पाता है।।।

    लेकिन कुछ समय बाद वह अपना हाथ झटक कर उसके चेहरे से हटा लेता है ।।। भुला नहीं हूं मैं तुम वही हो जिसकी वजह से...

    और वह कमरे से बाहर निकल जाता है।।।


    ✍️दिया यादव

    🙏🙏🙏🙏


    अपनी प्यारी प्यारी समीक्षा करना ना भूलें 🙃🙃😜

  • 7. रिश्तों के धागे - Chapter 7

    Words: 930

    Estimated Reading Time: 6 min

    अक्षत उससे अपना हाथ हटाना चाहता है पर पंछी  के बार बार पकड़ने की वजह से नहीं हटा पाता है।।।

    लेकिन कुछ समय बाद वह अपना हाथ झटक कर उसके चेहरे से हटा लेता है ।।। भुला नहीं हूं मैं तुम वही हो जिसकी वजह से...

    और वह कमरे से बाहर निकल जाता है।।।

    सुबह जब पंछी की आंख खुलती हैं तो वह खुद को अनजान जगह पर देख घबरा जाती हैं।।
    तभी उसकी नज़र साइड में मिरर पर जाती हैं ,,,, चहरे पर चोट के निशान देख वह एकदम से डर जाती हैं उसे बीती रात की बाते याद आती हैं।।
    वह झटपट रूम से बाहर निकलती हैं ।।

    सोफे पर अक्षत लेटा हुआ था हॉल में...
    पंछी वहा जा उसकी बाजू की शर्ट को पकड़ वही बैठ जाती हैं।।

    इस  वजह से अक्षत की  आंख खुल जाती हैं... लेकिन वह कुछ नहीं कहता चुपचाप ऐसे ही लेटा रहता हैं।।

    पंछी का पूरा शरीर कांप रहा था।।
    लेकिन अक्षत के सानिध्य में उसे फिर से नींद लग जाती हैं।।


    सुबह 9 बजे अक्षत की नींद खुलती हैं तो पंछी उसके हाथ पर सर टिकाए आराम से सो रही थी। उसके होंठ थोड़ा सूज चुका था ,,,ये देख एक बार फिर अक्षत को गुस्सा आता है।।
    वह पंछी के गाल की तरफ हाथ बढ़ाता है लेंकिन बीच में ही रोक लेता है और पंछी से अपना हाथ भी छुड़ा लेता है।।

    इन सब में पंछी की भी आंख खुल जाती हैं...

    अक्षत : क्या है ये सब ,,, मेरे करीब क्या कर रही हो तुम ,, मैने कहा था ना मुझसे दूर ही रहना.. नहीं नहीं तुम जैसी लड़कियों की तो आदत ही होती हैं जहां भी पैसा दिखा उस और ही हो लो,,, खुद का तो कोई कैरेक्टर होता नहीं है ।।

    पंछी :बस ,, बहुत बोल लिए आप!! इतनी ही बुरी हूं मैं तो क्यों बचाया मुझे कल उन गुंडो से बताओ... वह अक्षत के सीने पर मारती हुई कहती हैं ।।  क्यों बचाया मुझे जब मेरा कोई कैरेक्टर ही नही है ।। अक्षत सीधा खड़ा रहता हैं।।
    कर लेने देते उन्हे जो भी वो करना चाहते थे क्यों बचाया मुझे आपकी नजरों में तो ऐसी ही हूं ना मैं...

    अक्षत की मुट्ठियां गुस्से में कस गई थी ।। वह उसके जबड़े को पकड़ते हुए ,, बकवास बंद करो अपनी।।।

    पंछी : रोते हुए ,, कैसी बकवास यही तो हकीकत है मेरी आपकी नजरों में...
    ओह अब समझ आया आपने क्यों बचाया मुझे ,,, उनके छू जाने से मैं मैली हो जाती ना अब किसी की यूज की हुई चीज को द ग्रेट अक्षत लावण्य थोड़े यूज कर लेते ....
    अक्षत की कॉलर पकड़ते हुए वह कहती हैं बोलिए इसीलिए बचाया ना आपने मुझे ,, आप भी तो वही चाहते हैं जो कल रात वो गुंडे चाहते हैं ,,, तभी तो मुझे अपने इस घर में कैद कर रखा है।।।
    रोते  रोते  पंछी नीचे गिर जाती हैं ,, जब इतनी ही नफरत है मुझसे तो मार दो मुझे यूं पल पल ना तड़पाओ...
    मार दो मुझे...

    अक्षत नीचे बैठते हुए ,, अभी तो ये बस शुरुआत हैं अभी से तुमने हार मान ली।  तुम्हारी जिंदगी बरबाद करने के लिए वापस लौटा हूं मैं समझी!!!
    इतना कह वह बाहर निकल जाता हैं।।।

    पंछी वही रोते रोते लेट जाती हैं,, ,इतनी नफरत मेरा अक्षत ऐसा तो नहीं था ।।। वो तो किसी को सपने में भी दर्द देने के बारे में नही सोचता था ,,, आज ये क्या हो गया भगवान!!
    किस गुनाह की सजा दे रहे हो आप....


    शाम के समय...

    अक्षत : ये कपड़े पहन के तयार  हो जाओ...
    और वह पंछी के सामने एक पैकट फेंकता है ।।।

    पंछी उस पैकट को देखती हैं तो वह एक शादी का जोड़ा होता हैं ।।।

    ये सब क्या है और मैं इसे क्यों पहनूं...

    बेबी !! थोड़े टाइम बाद हमारी शादी हैं और अब तुम्हे अपनी शादी में क्या पहनना है ये तुम डिसाइड कर लो...
    इतना बोल वह चला जाता हैं।।
    15 मिनट हैं तुम्हारे पास ,,, वह दरवाजे के पास पहुंच कर बोलता है।।।

    अक्षत वापस आकर देखता है तो ड्रेस का पैकेट वैसे का वैसा रखा था और पंछी वही सोफे के सहारे टिक नीचे जमीन पर बैठी थी।।
    वह गुस्से में पंछी की तरफ बढ़ता है ।। तुम्हे एक बार में कही हुई बात समझ नही आती मेरी ,,, मैं प्यार से बात कर रहा हूं इसका मतलब तुम मेरे सिर पर चढ़ कर नाचोगी।।।
    कोई नहीं!! हम ऐसे ही शादी करेंगे चलो....
    वह पंछी का हाथ पकड़ आगे की ओर खींचता है।।

    प्लीज अक्षत ऐसा मत करो!!! क्यों कर रहे हो तुम ये सब???
    अरे तुम भूल गई ,,,, सुबह तुमने ही तो कहा था मुझमें और उन गुंडों में कोई फर्क नहीं है ।।।
    तुम्हारी जिंदगी को जहनुम बनाने के लिए अगर मुझे तुमसे शादी करनी पड़ी तो वो भी करूंगा मैं..


    पंछी: अक्षत शायद तुम भूल रहे हो ....
    अगर बर्बाद मैं हुई तो आबाद तो तुम भी न हो पाओगे ,
    इस नफरत की आग में मैं जली तो ,
    चिंगारिया तो तुम तक भी पहुंचेगी।।
    जिस दिन मैं बिखरी उस दिन खुद को
    तुम भी नही संभाल पाओगे।।

    अक्षत :
    मेरे आबाद होने की बात करती हैं वो
    जिसे ये नहीं पता बर्बाद होकर ही तो इस
    घड़ी तक आज मैं पहुंचा हूं।।
    जिस आग की वो बात कर रही हैं ,
    पिछले 3 साल से उसे खुद में जलाए मै चल रहा हूं।।
    संभला ही कब था मैं जो बिखरूंगा



    अक्षत की बात सुन पंछी खामोश हो जाती हैं ...

    पंछी का हाथ पकड़ अक्षत आगे बढ़ जाता हैं...


    🙏🙏🙏🙏🙏



    स्टोरी कैसी चल रही हैं समीक्षा में जरूर बताना....

  • 8. रिश्तों के धागे - Chapter 8

    Words: 924

    Estimated Reading Time: 6 min

    अक्षत की बात सुन पंछी खामोश हो जाती हैं ...

    पंछी का हाथ पकड़ अक्षत आगे बढ़ जाता हैं...

    इस बार पंछी अक्षत को नहीं रोकती हैं।।।


    अक्षत पंछी  को लेकर सदियों पुराने त्रिकालेशवर महादेव के मंदिर में आता हैं।।

    त्रिकालेशवर महादेव मंदिर ( काल्पनिक स्थान )





    यह मंदिर जिसके गर्भ में सदियों पुराना इतिहास छुपा है।।
    यहां के बारे में बताया जाता हैं यह मंदिर स्वयं महादेव और माता पार्वती का विवाह स्थल है।।
    यहां किसी जोड़े के साथ पूजा करने से ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।।।

    अक्षत और पंछी एक साथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं।।
    पंडित जी उन्हे देखते ही उठ खड़े हो जाते हैं ...

    मुझे यकीन था आप लोग आएंगे जरूर आयेंगे ।।।
    आपको आना ही होगा।।

    पंडित जी के पास पहुंच पंछी पंडित जी के पैर छूती हैं ।।
    पंडित जी उसे सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हैं।

    अक्षत : पंडित जी मेरे पास समय नहीं है ,, जल्दी से शादी की तयारी कीजिए...

    जी मान्यवर!!

    कुछ समय बाद पंडित जी उन्हे मंडप में बैठने के लिए कहते हैं।।
    अक्षत पंछी का हाथ पकड़ आगे बढ़ता है ,,, अक्षत प्लीज समझो ,,, मत करो ये सब ।। तुम आंटी को क्या जवाब दोगे....

    अपनी जुबान से मेरी मां का नाम भी मत लो।। तुम जैसी को जिसने कभी मां बाप को नहीं देखा वह क्या ही जानेगी मां के बारे में...
    पंछी की बात सुन अक्षत को गुस्सा आ जाता हैं ,, ओर वह पंछी का हाथ टाईटली पकड़ता है ,, जिससे पंछी के हाथ  में पहनी चूड़ी टूट कर उन दोनो के ही हाथ में चुभ जाती हैं और गर्भ गृह के द्वार पर उन दोनो का रक्त गिरता हैं ।।।


    अचानक से बाहर का वातावरण आनंददायी हो जाता हैं जैसे एक नई सुबह हुई हो ,, पंछी कलरव करने लगते हैं ,, मानो जैसे प्रकृति खिलखिला रही हो ,, हर पेड़ पौधे ,,, फूल,, कलियां आदि महकने लगते हैं।।

    जैसे विधाता भी उन्ही के मिलन में शामिल हो गए हो...

    अक्षत पंछी को बैठाता है और खुद उसके बगल में बैठ जाता हैं उसने पंछी के हाथ को अभी भी पकड़ा हुआ था।।
    पंडित जी मंत्रोच्चार शुरू करते हैं...
     
    पंडित जी देखते हैं गठबंधन के लिए तो को कपड़ा था ही नही उन दोनो के पास ...
    तभी अक्षत कहता है पंडित जी ये हाथ मैने थामा हुआ है,,, वह अपने हाथ आगे करके दिखाता है ,, अब भी गठबंधन की जरूरत हैं ।।

    नहीं नहीं मान्यवर ,, यह तो जन्म जन्मांतर के लिए भी नही अलग होगा।।

    तो आगे की किर्या शुरू कीजिए...

    जी...


    अब पंडित जी अक्षत को सिंदूर दान की रस्म अदा करने के लिए कहते हैं....

    अक्षत एक सिक्के में सिंदूर ले पंछी की मांग भरता है जिससे कुछ सिंदूर पंछी की नाक पर भी गिर जाता हैं।।।

    पंछी की आंखो से आंसू बह जाते हैं।।
    महादेव आपके सामने हमारे रिश्ते की शुरुआत हुई थी और आज आपने ही हमारे रिश्ते को एक मुकाम दे दिया ,, एक ऐसा मुकाम जिसमे अब कोई भी हमे अलग नहीं कर सकता।।।
    जिसकी कल्पना भी मैने छोड़ दी थी!!!!

    हमेशा से तुम्हारी होना चाहती थी मैं अक्षत लेकिन इस तरह ये कभी नहीं सोचा था ।।।
    नही जानती तुम्हारी ये नफरत कभी मोहब्बत में बदलेगी या नहीं लेकिन आज से मेरा सर्वस्व तुम्हारा हैं।।
    नही जानती वो वजह जिससे तुम इतने खफा हो ....
    क्योंकि जो मेरा अक्षत था वो मेरे चले जाने पर मुझे जरूर ढूंढता। और पूछता कि क्यों किया मैने ऐसा ,, क्यों हुई उससे दूर....

    ढूंढा तो तुमने भी लेकिन मुझे दर्द देने के लिए।।।


    अब पंडित जी उन्हे फेरो के लिए कहते हैं।।
    हर वचन के साथ पंछी अक्षत की होती जा रही थी ,,, वही दूसरी ओर अक्षत हर वचन पर अपना एक वचन जोड़ता जा रहा था।।।
    अक्षत मन ही मन पंछी की सभी खुशियों को बर्बाद करने का वचन लेता है।।


    शादी पूरी होने के बाद अक्षत और पंछी घर वापिस आते हैं।।
    पंछी घर के दरवाजे पर आकर रुक जाती हैं ,,, तभी अक्षत कहता है ये शादी मैने तुमसे बदला लेने के लिए की हैं ,,, ओर तुम्हारे सारे सपनो को तोड़ने के लिए।।।

    ये सुन पंछी की आंखो में आंसू आ जाते हैं...
    कल से पंछी ने कुछ भी नही खाया था और उसने दवाईयां भी ली थी जिस वजह से पंछी को चक्कर आने लगते हैं वह जैसे ही घर में कदम रखने लगती हैं वह एक दम से गिरने वाली होती हैं लेकिन अक्षत उसे संभाल लेता है वह देखता है उसका पूरा शरीर बुखार से तप रहा था।।।
    पंछी की आंखे बार बार खुल बंद हो रही थी।।
    अक्षत उसे गोद में उठाता है और अंदर ले जाता हैं।।
    पंछी ने उसके गले में बाहें डाल देती हैं।

    महादेव ने मेरा गृहप्रवेश भी करा दिया ,,पंछी मन ही मन सोचती हैं।।
    थैंक्यू भगवान जी।।

    अक्षत उसे बेड पर बैठा देता हैं और कहता है ये मत समझना मैं तुम्हारी कंसर्न कर रहा हूं ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हे टॉर्चर करने के लिए मुझे तुम सही सलामत चाहिए समझी।।
    रेस्ट करो अब तुम !!!ओर खुद को तयार करो मेरा दिया दर्द बर्दास्त करने के लिए...

    और वह वहां से निकल जाता हैं।।।

    मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी देकर ,
    वो मुझे गमों का हवाला देने आया है।।
    तेरा दिया हर दर्द मंजूर हैं ,
    बस वो दर्द तुझसे होकर गुजरे।


    पंछी वही लेट जाती हैं और उसे नींद आ जाती हैं ।।।

    रात 11 बजे अक्षत घर लौटता है ,,, आज उसने काफी ड्रिंक की हुई होती हैं उसके कदम लड़खड़ा रहे थे....



    🙏🙏🙏🙏