एक गांव में एक चरवाहा था। वो अपनी बातों से हर किसी को मूर्ख बनाता था। कहने को तो वह गड़ेरिया था,,पर दूसरों की भेड़ों को देखकर वो बहुत जलता था। वो चाहता था कि गांव में सिर्फ उसी के पास ही भेड़ें हो,, वो गांव में हर किसी से नफ़रत करता था,,। वो हर रोज़... एक गांव में एक चरवाहा था। वो अपनी बातों से हर किसी को मूर्ख बनाता था। कहने को तो वह गड़ेरिया था,,पर दूसरों की भेड़ों को देखकर वो बहुत जलता था। वो चाहता था कि गांव में सिर्फ उसी के पास ही भेड़ें हो,, वो गांव में हर किसी से नफ़रत करता था,,। वो हर रोज़ लोगों से लड़ता रहता था,, गांव वालों उससे बहुत तंग आ गए थे,,पर वो मानता नहीं था,,। वो हर बार लोगों की भेड़ों को लेकर पहाड़ों पर जाया करता था ,, वहां भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था,,। वह लोगों को भेड़ों को अक्सर बेच दिया करता था,, और लोगों से कहता था कि भेड़ें गुम हो गई,, कभी कभी तो वह कहता भी नहीं था,,। बेचारे लोग अपनी भेड़ों को ढूंढ ढूंढ कर थक जाते थे,,पर उन्हें कुछ पता नहीं चलता था,, वो अंत में चुपचाप वापस घर आ जाते थे,,। वह लोगों की इस दशा को देखकर मन ही मन मुस्कराता था,, ऐसा करते उसे बहुत अरसां हुआ था,,। धीरे धीरे लोगों को उस पर शक होने लगा,, लोग उसपर नजर रखने लगे,, वो तो अपनी आदतों से मजबूर था,, इसलिए एक दिन पकड़ा गया,, सबको उसके बारे में पता चल गया। लोगों ने जमकर उसे पिटा,,। फिर कोई भी उसके साथ अपनी भेड़ें नहीं छोड़ने लगा,, वह गड़ेरिया बहुत परेशान रहना लगा। उसके पास ओर कुछ तो करने के लिए नहीं था,, वह बचपन से यही काम करता था,, उसके पैसे कमाने का सिर्फ यही जरिया था,, वो भी चला गया,,। दिन ब दिन उसकी हालत खराब होती गई,, कोई भी उसे अपने साथ रखने को तैयार नहीं था,, वो जहां भी जाता वहां उसका अपमान होता था,,। वो अब अपनी जिंदगी से तंग आ गया था,, वो अब अपने किये पर पाछताता था,, वो लोगों से कहता था कि वो अब बदल गया है,, पर कोई भी उसकी नहीं सुनता था,,। अब उसके पास कुछ भी करने को नहीं था,, वो चाहता फिर से एक अच्छा गड़ेरिया बनना,, पर उसपर अब किसी को विश्वास नहीं था,,। इस बुरे वक्त ने उसे उसके कर्मों का फल बतलाया था,, वो अब समझ चुका था कि बुरा करने पर बुरा ही मिलता है,,पर यह लोगो को कौन बताता,,। वो तो उसे मारने पर तुले हुए थे,, उन्हें अब कौन समझाता,,कि ग़लती को सुधारने का मोका सबको मिलना चाहिए,, जिंदगी भर हर कोई ग़लत नहीं करता,,। पर लोग तो लोग हैं,, उन्हें इससे क्या फर्क पड़ता,, वो तो उसे उसी नजर से देखते,, जो उन्हें है भाता,, वो किसी को क्यों सुधारने का मोका दे,,जब उन्हें ग़लती सुधारना नहीं आता,,। उनके लिए जो एक बार ग़लत करें,, वो हमेशा ग़लत ही है होता,,। बस इसी तरह वह गड़ेरिया उन्हें है दिखता,,उसको ग़लती सुधारने का मोका भी नहीं मिलता,,। वो बेचारा आख़री सांस तक मर-मर है जिता,, पर उसकी हालत पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता,,। वो अब मरकर ही बच सकता है,, दुबारा जिने का मोका कोई नहीं देता,,। आकाश शान 💕
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chapter 1 इच्छा
मनुष्य के जीवन में इच्छा ही मूल तत्व है। वो इच्छा ही है जिसके खातिर हम सब जी रहे हैं। हमारी इच्छाएं ही हमें अच्छा या बुरा बनातीं है। जैसे हमने उस गड़ेरिया के जीवन में देखा है। जिसकी कहानी हमने आप सभी को description में बताई है।
वो उसकी इच्छा ही थी,,जिसकी वजह से वह लोगों के साथ बुरा करता था। जैसे आप सभी जानते हैं कि वो चाहता था कि उसके पास ज्यादा से ज्यादा भेड़ें हो। दूसरों के पास भेड़ें देखकर उसका खून खोल उठता था। वह लोगों से लड़ता झगड़ता था। यह सब उसकी इच्छाओं के कारण ही था। उसकी इच्छाओं ने ही उसे वैसा बनाया था। वह अपनी इच्छाओं के कारण सही ग़लत का भेद भी भूल गया था।
जैसे आपको पता ही है,,कि वो अक्सर लोगों की भेड़ों को पहाड़ों पर चराने ले जाया करता था। वो अपनी इच्छाओं के मंद में इतना चूर था,,कि वो अक्सर लोगों की भेड़ों को बेच देता था। ओर लोगों को परेशान करके वह बहुत खुश होता था। वो अपनी इच्छाओं के कारण ही यह सब करता था। वह खुद को भूल ही गया था,,कि वो भी उनकी तरह एक इंसान है,,भला इनके साथ बुरा करके उसे क्या मिले। उसके साथ भी ऐसा हो सकता है,, वह यह कभी नहीं सोचता था। उसकी इच्छाओं ने उसकी सोच को ही खत्म कर दिया था,, वह हर समय लोगों का बुरा करने में ही लगा रहता था। वह अपना जीवन इसी तरह ज़ी रहा था।
वो कहते हैं न कि आखिर कोई कब तक बुरा करके,, एक न एक दिन उसे उसका फल भोगना ही पड़ता है। उस गड़ेरिया के साथ भी वही हुआ,, लोगों को उसके बारे में सबकुछ पता चल गया। उसका भेड़ों को बेचना,, झूठी बातें बनाकर लोगों को मूर्ख बनाना,, लोग यह सब जान गये।
उसके बाद उसका जो हुआ,, आपको तो पता ही है,, लोगों का उसको जमकर पिटना,, उसके साथ फिर कभी भेड़ न छोड़ना,, उसके बाद उसकी हालत दिन ब दिन खराब होते जाना। उसका अपने किये पर पछताना,, कितना कुछ उसके जीवन में हुआ,, यह सब उसकी इच्छाओं का ही फल था।
इतना सब होने के बाद वह खुद को बदलना चाहता था,, वह लोगों से अपने किये की माफी मांगने लगा,, वह अब अच्छी राह पर चलना चाहता था। यह सब भी उसकी इच्छाओं के ही कारण था। पर लोगों ने उसकी एक भी बातों को न माना,, उसने बहुत प्रयास किया फिर से लोगों में अपना विश्वास जगाने की,,पर वो सफल न हुआ। उसकी चाहत फिर से एक अच्छे गड़ेरिया बनने की थी,, पर उसकी चाहत का कुछ न हुआ,,।
जैसे आप जानते हैं कि जब हम अपने जीवन में कोई बुरा कार्य करते हैं,, भले ही वो हमारी इच्छाओं की वजह से क्यों न हो,, ओर जब हमें लगता है कि हमने कुछ ग़लत किया,, तो हम अपनी ग़लती को सुधारने चाहते हैं। पर हम पर फिर कोई विश्वास नहीं करता है,,हम जितनी कोशिश क्यों न कर लें,,हम फिर लोगों की नजरों में कुछ करने लायक नहीं रहते।
ठीक उसी तरह उस गड़ेरिया के साथ भी हुआ,, वो अपने बिते कल को मिटना चाहता था,, फिर से एक नया जीवन जिना चाहता था। फिर लोगों ने फिर उसपर कभी विश्वास नहीं किया,, उसके बदलने की भावना का ज़रा भी ख्याल नहीं किया।
वो अपनी इच्छाओं के कारण ही मारा गया,, वो उसकी इच्छाएं ही थी जिनके कारण उसने पहले बुरा किया ओर अब अच्छा करना चाह रहा था।
इच्छा कभी भी बदल सकती है,, उसका उसे पता ही नहीं था,, इसलिए उसने जब जो चाहा वही किया,, उसे सही ओर ग़लत कहा पता था।