आर्यन वापस जाने के लिए पीछे मुड़ता है..... और कुछ कदम ही चल पाता है.....कि तभी उसे लोगों के चिल्लाने.....और शोर की आवाज़ नीचे से सुनाई आने लगती है.....आर्यन जल्दी से पीछे पलटता है.....मगर पूरा कॉरिडोर खाली था..... और ध्रुवी का कोई नामोनिशान तक वहां न... आर्यन वापस जाने के लिए पीछे मुड़ता है..... और कुछ कदम ही चल पाता है.....कि तभी उसे लोगों के चिल्लाने.....और शोर की आवाज़ नीचे से सुनाई आने लगती है.....आर्यन जल्दी से पीछे पलटता है.....मगर पूरा कॉरिडोर खाली था..... और ध्रुवी का कोई नामोनिशान तक वहां नहीं था.....आर्यन कांपते कदमों से कॉरिडोर की रेलिंग तक जाता है..... और नीचे ध्रुवी को उसके ही खून के तालाब में पड़ा देख.....!!!
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(सेंट टेरेसा कॉलेज हॉस्टल, लंदन)
पूरे हॉस्टल में आज हलचल मची हुई थी। सभी छात्र ग्राउंड में जमा थे, और ऊपर हॉस्टल के तीसरे माले पर सभी की निगाहें और साँसें अटकी हुई थीं। होती भी क्यों नहीं? आखिर बॉयज़ हॉस्टल में एक लड़की आ गई थी—वह भी खुल्लम-खुल्ला, और वह भी कोई आम लड़की नहीं, बल्कि ध्रुवी—ध्रुवी सिंघानिया! लंदन के प्रसिद्ध बिलिनियर और सिंघानिया इंडस्ट्रियल की इकलौती वारिस, और साथ ही इस कॉलेज के स्वामी, रजत सिंघानिया की बेटी। उसकी ज़िंदगी किसी राजकुमारी से कम नहीं थी। उसने कभी ज़मीन पर पैर नहीं रखा था। हर चीज़ जो उसने चाही, वह उसके माँगने से पहले ही उसके लिए हाज़िर हो जाती थी। अगर वह ज़िद पर आ जाती, तो उसकी ज़िद के आगे खुद ज़िद को भी झुकना पड़ता था। अपनी ज़िद पूरी करने के लिए वह कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहती थी। हालाँकि ऐसा नहीं था कि उसकी अमीरी उसके सर चढ़ी हुई हो। नहीं, बल्कि उसने कभी अपने नाम और रुतबे का सहारा नहीं लिया था। मगर जब लोग उसका नाम और पहचान सुनते थे, तो उनके सिर उसके आगे झुक जाते थे। किसी की उसके आगे बोलने की हिम्मत नहीं होती थी, खासकर उसके गुस्से में। उसका गुस्सा बवंडर होता था। उसके आस-पास रहने वाले लोग हमेशा उसके गुस्से से बचने की कोशिश करते थे। हालाँकि, अगर वह गुस्से में नहीं होती थी, तो उससे ज़्यादा मज़ेदार और प्यारा कोई नहीं हो सकता था। दूसरों की मदद करना उसके लिए आम बात थी, मगर उसका यह रूप बहुत कम लोग जानते थे। वह बाहर से जितनी सख्त थी, अंदर से उतनी ही नर्म थी। लड़के तो उसके दीवाने थे—पहला उसके धन की वजह से, और दूसरा उसकी खूबसूरती की वजह से। मगर ध्रुवी इन दोनों ही वजहों को समझती थी, और उसे लगता था कि हर कोई ऐसा ही है। कोई ऐसा नहीं है जो उसे सिर्फ़ ध्रुवी समझकर चाहे, उसके नाम या खूबसूरती से नहीं। और ध्रुवी की यह आकांक्षा अधूरी सी पूरी हुई जब आर्यन मल्होत्रा उसकी ज़िंदगी में आया। अधूरी इसीलिए क्योंकि यह प्रेम एकतरफ़ा था। आर्यन ने कभी ध्रुवी की तरफ़ ध्यान नहीं दिया था।
आर्यन एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से था, और सिर्फ़ अपनी कड़ी मेहनत और छात्रवृत्ति के सहारे यहाँ तक पहुँचा था। उसकी ज़िंदगी का सिर्फ़ एक ही लक्ष्य था—एक दिन कामयाबी के उस शिखर तक पहुँचना जहाँ वह उन उभरते सितारों में से एक हो, जिसका नाम इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा, और लोग उसकी एक झलक के लिए कतार में खड़े रहें। आर्यन खूबसूरत, गठीला, और आकर्षक था, और कोई भी उसकी शख्सियत पर आसानी से मोहित हो सकता था। मगर आर्यन की ज़िंदगी सिर्फ़ किताबों और अपने सपने को पूरा करने की जद्दोजहद तक ही सीमित थी। लोगों के बारे में उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था। उसे सिर्फ़ अपना लक्ष्य दिखता था। ध्रुवी ने जब पहली बार आर्यन को देखा था, तभी उसका दिल धड़क उठा था, और बीते अरसे में आर्यन के लिए उसकी भावनाएँ दिन पर दिन और ज़्यादा प्रबल होती गई थीं। और यह कॉलेज में इन लोगों का आखिरी साल था। मगर इस बीते वक्त में आर्यन ने हमेशा ध्रुवी और खुद के प्रति उसकी भावनाओं को नकारा और सिर्फ़ अनदेखा किया था। ध्रुवी भी नहीं जानती थी कि आखिर आर्यन के दिल में उसे लेकर क्या भावनाएँ हैं। उसने काफ़ी कोशिश की थी कि उसके मन की बात जान सके, मगर हमेशा नाकाम रही थी। ध्रुवी को कभी-कभी आर्यन के व्यवहार से लगता था कि शायद उसे लगता था कि ध्रुवी उन बिगड़ैल अमीर लड़कियों में से है जो किसी भी हद तक अपनी ज़िद पूरी करने पर तुली रहती हैं, और वह कभी ऐसी लड़की के सामने नहीं झुकेगा, चाहे जो हो। मगर अब ध्रुवी का सब्र टूट रहा था, और आज आखिरकार वह आर्यन से उसका जवाब जानने के लिए उसके हॉस्टल में पहुँच गई थी।
"तुम पागल हो गई हो! यहाँ क्यों आई हो? और आखिर क्यों तुम सबके सामने खुद का और मेरा तमाशा बनाने पर तुली हो?" आर्यन ने चारों तरफ़ देखते हुए कहा।
"बहुत हो गया अब आर्यन। आज चाहे जो हो जाए, मुझे मेरा जवाब चाहिए। और आज मैं अपना जवाब लिए बगैर यहाँ से हरगिज नहीं जाऊँगी।" ध्रुवी ने बिना किसी की परवाह किए कहा।
"देखो ध्रुवी, मेरे पास तुम्हारी इन फ़िज़ूल बातों को सुनने का वक़्त नहीं है। बिना किसी ड्रामे के यहाँ से चली जाओ, क्योंकि मेरा जवाब आज भी वही है जो हमेशा से था—मैं तुम्हें प्यार नहीं करता। अब प्लीज़ जाओ यहाँ से, बहुत तमाशा कर लिया तुमने!" आर्यन ने निराशा भरे भाव से कहा।
"मैं सच सुने बिना यहाँ से हरगिज नहीं जाऊँगी, क्योंकि मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में कि तुम भी मुझे चाहते हो, बस तुम इस सच को स्वीकार नहीं करना चाहते!" ध्रुवी ने दृढ़ता के साथ कहा।
"कौन से सच की बात कर रही हो तुम आखिर? (एक पल रुक कर) यू नो व्हाट, तुम पागल हो गई हो पूरी! पागल अपने अहंकार में, अपनी ज़िद में। तुम बस हारना नहीं चाहती, और ना ही यह बात तुम्हारे अहंकार को सहन कर पा रही है कि जिस अमीर और अभिमानी लड़की के पीछे पूरा कॉलेज दीवाना है, जिसके एक इशारे पर सब उसके जूते के नोक पर आ सकते हैं, उस लड़की के अहंकार को एक मामूली से लड़के ने अपनी ना से तोड़ दिया। असल में बस यही बात तुम्हें सहन नहीं हो रही है!" आर्यन ने चिड़चिड़ाहट भरे भाव से कहा।
"बहुत दुख हो रहा है मुझे कि तुम ऐसा सोचते हो मेरे बारे में!" ध्रुवी ने व्यथित भाव से कहा।
"मैं ऐसा सोचता नहीं हूँ, बल्कि यही सच है!" आर्यन ने कहा।
"अगर यह सच है, तो क्यों मुझे तुम्हारी आँखों में खुद के लिए उमड़ते जज़्बात नज़र आते हैं? क्यों तुम मुझ जैसी अभिमानी लड़की को दूसरों के सामने बचाते हो जब वे पीठ पीछे उसे भला-बुरा कहते हैं? क्यों तुमने मुझ जैसी ज़िद्दी लड़की की ज़िंदगी बचाई? क्यों मेरे लिए तुम्हारे नफ़रत भरे शब्दों का एहसास तुम्हारी आँखों तक ना पहुँचकर सिर्फ़ तुम्हारी ज़ुबान तक सीमित रह जाते हैं? बोलो, है तुम्हारे पास मेरे इन सवालों का जवाब? " ध्रुवी ने लगभग चिल्लाकर पूछा। (आर्यन यह सुनकर खामोश रहता है) "नहीं है ना तुम्हारे पास कोई जवाब! मगर मैं जानती हूँ, क्योंकि तुम मुझसे बेहद प्यार करते हो और मेरी तरह इश्क़ में मरने की चाह रखते हो!"
"जस्ट शट अप! ऐसा कुछ नहीं है, और मैंने तुम्हारे लिए जो कुछ भी किया वह मैं किसी भी लड़की के लिए करता हूँ। तो अपनी इस गलतफ़हमी को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दूर कर लो!" आर्यन ने चिढ़कर कहा।
"आज मैं यहाँ से तब तक नहीं जाऊँगी जब तक तुम्हारे मुँह से सच ना सुन लूँ। और अब बहुत हुआ, मुझे अभी इसी वक़्त सच जानना है, वरना…" ध्रुवी ने ज़िद भरे लहजे से कहा।
"वरना क्या? (अपनी भौंहें ऊपर करते हुए) मुझे किडनैप करवाओगी?" आर्यन ने पूछा।
"मैं अभी इसी वक़्त यहाँ से नीचे कूद जाऊँगी!" ध्रुवी ने आर्यन की आँखों में देखते हुए कहा।
"बहुत अच्छा मज़ाक था। फ़िलहाल, आज के लिए तुमने मेरा बहुत वक़्त बर्बाद कर लिया, और अब मेरे पास तुम्हारे साथ बर्बाद करने के लिए और वक़्त नहीं है!" आर्यन ने तंज भरी हँसी के साथ कहा।
"आर्यन, मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ!" ध्रुवी ने आँखों में गंभीरता लिए कहा।
"यू नो व्हाट, जो करना है करो, आई रियली डोंट केयर!" आर्यन ध्रुवी के करीब आकर बोला।
इतना कहकर आर्यन वापस जाने के लिए पीछे मुड़ा, और कुछ कदम ही चला था कि तभी उसे लोगों के चिल्लाने और शोर की आवाज़ नीचे से सुनाई देने लगी। आर्यन जल्दी से पीछे पलटा, मगर पूरा कॉरिडोर खाली था, और ध्रुवी का कोई नामोनिशान तक वहाँ नहीं था। आर्यन काँपते कदमों से कॉरिडोर की रेलिंग तक गया, और नीचे ध्रुवी को उसके ही खून के तालाब में पड़ा देख वह घबराहट से दंग रह गया। उसके होश उड़ गए। उसका दिमाग बिल्कुल सुन्न पड़ गया था, और उसे कुछ होश ही नहीं रहा कि आखिर वह इस स्थिति में क्या और कैसे प्रतिक्रिया करेगा।
नाइट्सब्रिज, लंदन का एक अत्यंत महँगा और प्रतिष्ठित इलाका था, जहाँ रहना अधिकांश लोगों का सपना ही रह जाता था; इसकी एक झलक पाना भी एक खूबसूरत चाहत थी। नाइट्सब्रिज लंदन का एक जाना-माना इलाका था, जिसका नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में उस धन्नाढ्य वर्ग की छवि उभर आती थी जो आर्थिक और भौतिकवादी चीजों के बेताज बादशाह होते हैं, जिनके पास धन-दौलत या दुनिया की किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती। संक्षेप में, यह इलाका अमीर लोगों के लिए जाना जाता था, जहाँ केवल चुनिंदा लोग, जिनके पास अपार धन-दौलत, प्रतिष्ठा और नाम था, ही इसे अपना घर कहते थे। (नाइट्सब्रिज में स्थित एक विशाल और भव्य बंगले का दृश्य!) बंगले के बाहर बड़े-बड़े सुनहरे चमचमाते अक्षरों में "सिंघानिया मेंशन" लिखा हुआ था। लंदन के जाने-माने अमीर लोगों में रजत सिंघानिया भी शामिल थे। लंदन की इस प्रसिद्ध जगह पर स्थित बंगले में कोई आम इंसान तो रह ही नहीं सकता था। इसलिए, यह मेंशन महल से कम नहीं था—भव्य, कीमती और अत्यंत सुंदर। सफ़ेद संगमरमर से बना यह चमचमाता हुआ कीमती मेंशन बाहर से ही मोहक और बेहद खूबसूरत लग रहा था। प्रवेश द्वार से ही बंगले की भव्यता और खूबसूरती देखते ही बन रही थी। मुख्य द्वार के तुरंत बाद एक विशाल और खूबसूरत बगीचा शुरू हो रहा था, जो दुनिया भर के महंगे और खूबसूरत फूलों से भरा हुआ था। यहाँ की हरी-भरी मुलायम घास को बड़े ही सलीके से तरह-तरह के खूबसूरत डिज़ाइन में काटा गया था। बगीचे के बीच में बैठने के लिए चाँदी और सोने के रंग के अनोखे डिज़ाइन वाले कुर्सियाँ और मेज़ें रखी हुई थीं। साथ ही, इस बड़े बगीचे में अलग-अलग रंगों के फव्वारे लगे हुए थे जो संगीत की धुन पर नाच रहे थे। यह बंगला जितना भव्य बाहर से दिखाई दे रहा था, उससे कहीं अधिक खूबसूरत अंदर से था। बंगले के अंदर ऐसी कोई चीज या जगह नहीं थी जो यहाँ मौजूद न हो: सिनेमाघर, जिम, मिनी बार, स्विमिंग पूल, कैसीनो, लाइब्रेरी, मिनी मॉल, और ऐसी ही अन्य सुविधाएँ इस एक घर में मौजूद थीं। पूरे इंटीरियर में सफ़ेद रंग प्रमुख था, हालाँकि जगह-जगह काले और ग्रे रंग का भी प्रयोग किया गया था। खूबसूरत नक्काशी वाले कीमती शीशे पूरे घर में ऐसे जड़े थे जैसे यह कोई शीशमहल हो। इसी बंगले की छत पर निजी हेलीकॉप्टर के लिए जगह बनाई गई थी। घर की हर चीज़ प्राचीन और अत्यंत महँगी लग रही थी। यहाँ की छोटी से छोटी चीज़ भी करोड़ों की कीमत की थी। कुल मिलाकर, पूरा घर महँगी चीज़ों और सामान से भरा हुआ था और बड़े ही सलीके से सजाया गया था। इस घर के रखरखाव और काम के लिए सैकड़ों नौकर रखे गए थे, जिनकी अपनी-अपनी ड्यूटी थी। कहने को भले ही ये लोग नौकर थे, लेकिन इनके ठाठ-बाट और पहनावा किसी आम इंसान से कहीं बेहतर थे। रजत सिंघानिया लंदन के सबसे जाने-माने अमीरों और मजबूत व्यक्तित्व वाले लोगों में से एक थे। उनकी कंपनी न केवल लंदन में, बल्कि भारत सहित कई बड़े देशों में भी मशहूर थी और जगह-जगह उनकी कंपनी की शाखाएँ थीं। रजत सिंघानिया का नाम पूरे लंदन में प्रसिद्ध था और वे व्यापार और धन में लंदन के बेताज बादशाहों में से एक थे। रजत सिंघानिया की केवल एक ही कमज़ोरी थी—उनकी इकलौती बेटी ध्रुविका। जब से ध्रुविका रजत सिंघानिया के जीवन में आई थी, तब से रजत की सारी खुशियाँ और जीने का कारण केवल ध्रुवी ही बन चुकी थी। ध्रुवी की एक मुस्कान के लिए श्री सिंघानिया अपनी जान देने को तैयार रहते थे और उसकी हर खुशी और फ़रमाइश को पूरा करना रजत के लिए दुनिया के किसी भी काम से कहीं ज़्यादा ज़रूरी था। रजत सिंघानिया की पत्नी कई साल पहले ही गुज़र चुकी थी और उनकी मृत्यु के बाद ध्रुवी ही उनके जीने का एकमात्र कारण बन गई थी। अब रजत के जीवन में उनके परिवार और अपनों के नाम पर केवल ध्रुवी ही सबसे प्यारी और उनकी जान से भी ज़्यादा अज़ीज़ थी, जिसकी मुस्कान रजत के लिए अपनी जान से भी ज़्यादा अज़ीज़ थी। रजत अपनी पत्नी की मृत्यु से पहले भारत में रहते थे। हालाँकि लंदन में उनका व्यापार हमेशा से था, लेकिन वे यहाँ कभी-कभी ही अपने व्यापार को देखने के लिए आते थे क्योंकि मिसेज़ सिंघानिया और रजत दोनों का ही भारत से खास लगाव था। मगर अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद रजत भारत में नहीं रुक पाए और अपने दुःख को कम करने और भुलाने की कोशिश में रजत ध्रुवी को साथ लेकर हमेशा के लिए लंदन आ गए। सुबह का समय था और सभी नौकर-चाकर अपने-अपने काम में लगे हुए थे। रसोई के साथ-साथ डाइनिंग टेबल भी स्वादिष्ट खाने की खुशबू से महक रहा था। डाइनिंग टेबल के प्रमुख स्थान पर एक हाथ में ब्लैक कॉफ़ी का मग और दूसरे हाथ में अखबार लिए, आँखों पर स्टाइलिश चश्मा लगाए रजत उसे पढ़ रहे थे। रजत उम्र में लगभग पचास पार कर चुके थे, लेकिन उनकी पर्सनेलिटी उनके सख्त समय-सारिणी और नियमित जीवन के कारण काफी फिट और मज़बूत थी। उनके चेहरे का तेज और गंभीरता उन्हें हमेशा लोगों के बीच एक नेता की तरह दिखाता था। (इसी घर के सबसे खूबसूरत कमरों में से एक का दृश्य) पूरे घर की तरह ही इस कमरे का इंटीरियर भी बेहद खूबसूरत था और पूरा कमरा प्राचीन, महँगी चीज़ों से सजा हुआ था। नीचे जमीन पर सफ़ेद रंग का मखमल बिछा हुआ था। कमरे का बाथरूम इतना बड़ा था कि शायद एक मध्यमवर्गीय परिवार का पूरा घर भी इतना बड़ा न हो पाता। महँगे काँच के इंटीरियर के साथ यहाँ जकूज़ी से लेकर मिनी स्विमिंग पूल तक मौजूद थे। एक से एक महँगे उत्पाद और सुगंध यहाँ मौजूद थे। ड्रेसिंग टेबल पर तरह-तरह के महँगे मेकअप और परफ़्यूम रखे हुए थे। कमरे के एक हिस्से में एक बड़ा सा अलमारी मौजूद था जिसमें ढेरों कीमती और महँगे ब्रांडेड कपड़ों के साथ-साथ मेल खाने वाले आभूषण, घड़ियाँ और सैंडल मौजूद थे। कुल मिलाकर यह कमरा बिल्कुल राजकुमारी जैसे दिखता था। इसी कमरे के बिस्तर पर लगभग चौबीस-पच्चीस साल की एक लड़की बड़े ही आराम से तकिए पर मुँह करके सोई हुई थी, जिसकी बड़ी-बड़ी पलकें उसके सोए होने के कारण और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं। उसके हल्के सुनहरे बाल पूरी तरह तकिए पर बिखरे होने के कारण उसके आधे चेहरे को ढँक रहे थे। उसका गुलाबी रंग, उसकी नुकीली नाक और सुडौल चेहरा उसे सोए हुए भी बहुत ही आकर्षक दिखा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे इस वक़्त वह अपनी ज़िन्दगी के सबसे मीठे सपनों में खोई हुई है। तभी कोई अचानक कमरे में आकर खिड़की से पर्दे हटाते हुए उसकी नींद में खलल डाल देता है और वह लड़की, यानी ध्रुवी, चिढ़कर खिड़की से आई धूप से अपना चेहरा छिपाने के लिए करवट बदलकर अपना चेहरा कंबल से ढँक लेती है। तभी लगभग उसी उम्र की एक लड़की बिस्तर पर उसके पास आकर उसका कंबल पूरी तरह खींच लेती है! दूसरी लड़की: "ध्रुवी की बच्ची, जल्दी उठ, वरना रोज़ की तरह कॉलेज जाने के लिए देर हो जाएगी!" ध्रुवी (अलसाई आवाज़ में, अपने कानों पर तकिया रखते हुए): "हाँ तो दिशा जी, हमें कॉलेज जल्दी जाकर वहाँ पर भाषण तो देना नहीं है! (वापस कंबल से अपना मुँह ढँकते हुए) अभी मुझे थोड़ी देर और सोना है!" दिशा (अपनी कमर पर हाथ रखते हुए): "मतलब तू नहीं उठेगी?" ध्रुवी कोई जवाब नहीं देती। तभी दिशा की नज़र टेबल पर रखे एक सुंदर हस्तनिर्मित ग्रीटिंग कार्ड और उसके साथ रखे एक उपहार पर पड़ती है, जिसके बारे में ध्रुवी अपनी नींद में भूल चुकी थी। उसे देखते ही दिशा पूरा माजरा समझ जाती है और यह सोचकर उसके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान आ जाती है। दिशा (शरारती मुस्कान के साथ): "ठीक है तेरी मर्ज़ी, आराम से उठ जाना। मैं तो चली कॉलेज। और अब तू तो समय से उठने वाली नहीं और ना ही समय से कॉलेज जाने वाली, तो मैं सोच रही हूँ कि तेरा बनाया हुआ यह ग्रीटिंग कार्ड और यह उपहार मैं खुद ही अपने साथ ले जाऊँ और उसे खुद दे दूँ जिसके लिए तूने इतनी मेहनत की है। (ध्रुवी की ओर देखकर तेज आवाज़ में) तो मैं तो चली कॉलेज!" दिशा की बात सुनकर ध्रुवी झट से बिस्तर पर उठकर बैठ जाती है और घबराकर घड़ी में समय देखती है—आठ बज चुके थे। ध्रुवी हड़बड़ाकर अपने कपड़े लेने के लिए अपने अलमारी की ओर बढ़ जाती है और जल्दी से एक खूबसूरत लाल क्रॉप टॉप और सफ़ेद कार्गो पैंट उठाते हुए दिशा को दस मिनट इंतज़ार करने के लिए कहकर बिना उसका जवाब सुने फटाफट बाथरूम की ओर भाग जाती है। कुछ देर बाद ध्रुवी जल्दी से स्नान करके बाथरूम से बाहर आती है और जल्दी-जल्दी अपने बालों का रफ जूड़ा बनाकर अपनी हील्स निकालकर फुर्ती से अपने बैग में वह ग्रीटिंग कार्ड और उपहार डालते हुए दिशा को इशारा करते हुए फौरन उसके साथ नीचे की ओर बढ़ जाती है। नीचे पहुँचकर ध्रुवी जल्दी से डाइनिंग एरिया की ओर बढ़ गई जहाँ पहले से ही मिस्टर सिंघानिया नाश्ता करते हुए सुबह का अखबार पढ़ रहे थे। ध्रुवी (अपने पिता को साइड हग देते हुए): "गुड मॉर्निंग डैड!" मिस्टर सिंघानिया (मुस्कुराकर): "गुड मॉर्निंग माय डॉल! (एक पल रुककर) आओ, साथ में नाश्ता करते हैं!" ध्रुवी (जल्दबाजी में): "नहीं डैड, मुझे देर हो रही है, मुझे जाना है, मैं कॉलेज में ही कुछ खा लूँगी!" मिस्टर सिंघानिया: "लेकिन मेरी जान, अभी तो समय है तुम्हारी क्लास शुरू होने में, थोड़ा तो खाकर जाओ!" ध्रुवी (दिशा का हाथ पकड़कर उसे बाहर की ओर खींचते हुए जल्दी-जल्दी): "नहीं डैड, मुझे ज़रूरी काम है, मैं कॉलेज में खा लूँगी, डोंट वरी!" मिस्टर सिंघानिया (अपनी गर्दन हिलाते हुए): "अच्छा ठीक है, आराम से जाओ, इतनी जल्दबाजी किस बात की है, और अपना ध्यान रखना!" ध्रुवी (मुस्कुराकर): "या एंड यू टू डैड, बाय!" मि. सिंघानिया: "बाय प्रिंसेज!" दिशा: "बाय अंकल!" मि. सिंघानिया (मुस्कुराकर): "बाय!" इसके बाद ध्रुवी दिशा के साथ अपनी मर्सिडीज़ में बैठकर अपने कॉलेज के लिए निकल जाती है। दिशा मिस्टर सिंघानिया के मैनेजर मिस्टर गुप्ता की बेटी थी, लेकिन जब से ध्रुवी लंदन आई थी, तब से वह उसके साथ उसकी दोस्त की तरह रही। हालाँकि ध्रुवी पिछले एक साल से जिस कॉलेज में पढ़ रही थी, वह लंदन का सबसे प्रसिद्ध और महँगा कॉलेज था और ध्रुवी की ज़िद की वजह से ही मिस्टर सिंघानिया ने दिशा का भी एडमिशन वहाँ करवा दिया था और साथ ही दिशा की पढ़ाई का खर्च भी मिस्टर सिंघानिया ही उठा रहे थे। भले ही दिशा रुतबे और पैसे में ध्रुवी से बहुत कम थी, लेकिन हमेशा ध्रुवी उसे अपनी सबसे अच्छी दोस्त की तरह ट्रीट करती आई थी। वह दिशा पर कभी अपनी अमीरी नहीं ज़ाहिर करती थी और न ही उसने कभी उसे यह जताया था कि दिशा गरीब है या उसके बराबर नहीं। इन सबसे अलग दोनों की दोस्ती बहुत ही अच्छी और गहरी थी। ध्रुवी ने गाड़ी की स्पीड बहुत ज़्यादा कर रखी थी, वह बस जल्द से जल्द कॉलेज पहुँचना चाहती थी और बिचारी दिशा स्पीड के डर से घबरा रही थी। दिशा (डरते हुए): "अरे! अरे! रहम करो मैडम! यह गाड़ी है एरोप्लेन नहीं और जिसके लिए तू यह गाड़ी हवाई जहाज़ बना रही है, वह अभी तक कॉलेज पहुँचा भी नहीं होगा!" ध्रुवी (आगे देखते हुए): "हाँ तो मुझे उससे पहले ही कॉलेज पहुँचना है!" कुछ ही देर में ध्रुवी ने कॉलेज के पार्किंग में अपनी मर्सिडीज़ रोकी और जैसे ही ध्रुवी की गाड़ी ने कॉलेज में प्रवेश किया, वहाँ मौजूद हर इंसान की नज़र उसकी महँगी चमचमाती गाड़ी पर टिक गई। ध्रुवी ने सबकी नज़रों को अनदेखा किया और अपने बंधे बालों को खोलकर उन्हें सेट किया और दिशा के साथ अपनी गाड़ी से नीचे उतरी। सबकी नज़रें, और खासकर वहाँ मौजूद लड़कों की नज़रें, बस ध्रुवी पर ही टिकी थीं, लेकिन ध्रुवी की नज़रें बेचैनी से कॉलेज के दरवाज़े पर टिकी थीं। कुछ ही देर में कॉलेज के गेट से एक बाइक अंदर आई। बाइक पर बैठे शख्स का चेहरा हेलमेट से ढँके होने की वजह से नज़र नहीं आ पा रहा था, लेकिन उस शख्स को देखते ही ध्रुवी के होंठों पर एक प्यारी और बड़ी सी मुस्कान आ गई और उसके मुँह से सिर्फ़ एक ही शब्द निकला— ध्रुवी (खुश होकर मुस्कुराते हुए): "आर्यन!"
कुछ ही देर में कॉलेज के गेट से एक बाइक अंदर आई। बाइक पर बैठे शख्स का चेहरा हेलमेट से ढका होने की वजह से नज़र नहीं आ पा रहा था। लेकिन उस शख्स को देखते ही ध्रुवी के होंठों पर एक प्यारी और बड़ी सी मुस्कान आ गई, और उसके मुँह से सिर्फ एक ही शब्द निकला।
ध्रुवी (खुश होकर मुस्कुराते हुए): आर्यन!
बाइक पर बैठे शख्स ने अंदर आकर अपनी बाइक को कॉलेज की पार्किंग में लगाया और अपने सर से हेलमेट उतारते हुए बड़े ही स्टाइल और ठाठ से अपने बालों में हाथ घुमाते हुए उन्हें सेट किया। ब्लैक शर्ट, ब्लू जींस पहने, शार्प जॉ लाइन, पॉइंटेड नोज़, डार्क ब्राउन आँखें, डार्क ब्लैक बाल, आकर्षक और मस्कुलर बॉडी—कुल मिलाकर पूरी ऐसी पर्सनालिटी कि कोई भी एक बार देखने के बाद उसे दुबारा पलटकर ज़रूर देखे। आर्यन ने अपनी बाइक को अच्छे से पार्क किया और अपने बैग को अपने एक कंधे पर टांगते हुए एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उसने अपने कदम अपने दोस्तों की दिशा में बढ़ा दिए, जो उससे थोड़ी ही दूरी पर खड़े थे। आर्यन को देखकर उसके दोस्त भी उसकी ओर बढ़े; लेकिन इससे पहले कि उसके दोस्त उसे बर्थडे विश कर पाते या उससे कुछ भी कह पाते, उससे पहले ही ध्रुवी वहाँ आ गई और आर्यन को छोड़ बाकी सबकी निगाहें ध्रुवी पर ही टिक गईं। अब भला ऐसी किसकी हिम्मत हो सकती थी कि ध्रुविका सिंघानिया उनके बीच हो और वे उसे टोक सकें या उससे कोई भी सवाल कर पाएँ? सब लोग उसकी ओर ही उत्सुकता से देख रहे थे कि आखिर वह क्या कहने वाली है, और आखिर में उन सबका इंतज़ार खत्म हुआ और ध्रुवी ने अपनी चुप्पी तोड़ी।
ध्रुवी (आर्यन की ओर देखकर प्यार से मुस्कुराकर): हैप्पी बर्थडे आर्यन!
आर्यन (बिना ध्रुवी की ओर देखे): थैंक्स!
दिशा: हैप्पी बर्थडे आर्यन!
आर्यन (हल्की सी मुस्कान के साथ): थैंक्स… (खुद पर ध्रुवी की निगाहों से थोड़ा असहज होते हुए अपने दोस्तों से) आई थिंक क्लास का टाइम हो रहा है। हमें चलना चाहिए!
इतना कहकर आर्यन जैसे ही जल्दी से वहाँ से जाने के लिए अपना कदम बढ़ाने लगा, कि ध्रुवी ने उसका हाथ पकड़ लिया और एक पल बाद आर्यन पीछे पलटकर सवालिया निगाहों से उसकी ओर देखने लगा।
ध्रुवी (आर्यन की ओर देखते हुए): मुझे तुमसे बात करनी है।
आर्यन (थोड़ा रूडली): कहो, क्या कहना चाहती हो?
ध्रुवी (गंभीर लहजे से आर्यन के दोस्तों की ओर देखते हुए): यहाँ नहीं। मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है!
आर्यन (नाखुशी भरे भाव से): मुझे कहीं नहीं जाना। जो भी कहना है यहीं कहो!
ध्रुवी (अपनी बाज़ुओं को अपने सीने पर फोल्ड करते हुए): सोच लो फिर। बाद में मुझे ब्लेम मत करना!
आर्यन ने ध्रुवी की बात सुनी तो एक फ्रस्ट्रेशन भरी गहरी साँस ली। वह ध्रुवी के साथ जाना तो नहीं चाहता था, लेकिन वह यह भी नहीं चाहता था कि सुबह-सुबह ध्रुवी कॉलेज में कोई बेवजह का तमाशा लगाए या उसकी वजह से वे दोनों सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बनें। इसीलिए वह चुपचाप बिना कुछ कहे ध्रुवी के साथ वहाँ से थोड़ी दूरी पर चला गया।
आर्यन (खुद को देखती ध्रुवी से थोड़ा रूडली बात करते हुए): जल्दी कहो क्या कहना है। मेरी क्लास का टाइम हो रहा है!
ध्रुवी (अपनी भौंहें सिकोड़कर): पूरे जहाँ से बात करते हुए तुम्हारी जुबान से शहद टपकता है, सबसे प्यार से पेश आते हो। मेरी ही शक्ल में क्या खराबी है जो मुझसे बात करते वक़्त तुम्हारी जुबान सिर्फ़ ज़हर ही उगलती है?
आर्यन (थोड़ा फ्रस्ट्रेशन भरे भाव से): हाँ, क्योंकि पूरा जहाँ तुम्हारी तरह हर वक़्त मेरा जीना हराम करके नहीं रखता!
ध्रुवी (लापरवाही भरे अंदाज़ से): हाँ तो, ये हक़ है भी तो सिर्फ़ मेरा ही ना!
आर्यन (इरिटेट होकर): देखो, अगर तुम्हें यूँ ही फ़िज़ूल में मेरा वक़्त बर्बाद करना है तो मैं जा रहा हूँ क्योंकि मेरे पास इतना फ़िज़ूल वक़्त नहीं है!
ध्रुवी (अपना लाया गिफ़्ट आर्यन की ओर बढ़ाते हुए): आज तुम्हारा बर्थडे है तो यह मेरी तरफ़ से एक छोटा सा गिफ़्ट तुम्हारे लिए है। आई होप कि तुम्हें यह पसंद आएगा!
आर्यन (एक नज़र ध्रुवी के लाए गिफ़्ट को देखकर तंज भरे लहजे से): थैंक्स बट नो थैंक्स। क्योंकि मुझे तुम्हारे किसी भी एहसान या चैरिटी की कोई ज़रूरत नहीं है!
ध्रुवी (हल्की नाराज़गी से): तुम हमेशा मेरी फ़ीलिंग्स और ज़ज़्बातों को मेरी दौलत से ही क्यों जोड़ते हो? अगर मैं अमीर हूँ तो इसमें मेरा कसूर क्या है? या फिर क्या मैंने भगवान से कहा था कि मुझे ऐसे अमीर खानदान में ही जन्म दे ताकि तुम जी भर के मुझे ताने दे सको? या फिर मेरा कसूर सिर्फ़ इतना है कि मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई? (एक पल रुककर) आखिर क्यों बार-बार तुम मेरी मोहब्बत के बीच हमेशा मेरी अमीरी को ले आते हो? क्या कभी भी आज तक तुम्हें ऐसा महसूस हुआ है कि मैं तुम पर अपने पैसे का रौब झाड़ रही हूँ? या कभी भी तुम्हें लगा कि मैं तुम्हें नीचा दिखाने की कोशिश कर रही हूँ? बोलो आर्यन, जवाब दो?
आर्यन (अपनी नज़रें फेरते हुए): पता नहीं… मुझे नहीं पता कुछ… (एक पल रुककर) और बेशक भले ही तुम्हारी इंटेंशन ऐसी ना हो, लेकिन जब भी तुम मेरे लिए ऐसा कुछ करती हो तो मुझे बस यही महसूस होता है कि तुम मुझ पर सिर्फ़ एक एहसान कर रही हो, मेरे लिए चैरिटी कर रही हो। तो प्लीज़ अपने ये एहसान अपने पास रखो और सुकून से जियो और मुझे भी सुकून से जीने दो!
ध्रुवी: तो मैं भी तो यही चाहती हूँ कि मैं तुम्हारे साथ सुकून से जियूँ!
आर्यन (संजीदगी से): देखो, मैं यहाँ सिर्फ़ पढ़ने आया हूँ, अपने सपनों को पूरा करने के लिए, खुद को काबिल बनाने के लिए। तो प्लीज़ मुझे मेरे गोल्स पर फ़ोकस करने दो और मैं बिल्कुल भी इन फ़िज़ूल और बकवास चीज़ों में नहीं पड़ना चाहता। ये सब मेरे लिए नहीं है और अपने सपनों और गोल्स को पूरा करने के लिए मुझे अपने बलबूते पर ही कुछ करना है। क्योंकि ना तो मेरे बाप-दादा मेरे लिए करोड़ों-अरबों की जायदाद मेरे नाम छोड़कर गए हैं, ना ही फ़्यूचर में मेरी कोई लॉटरी ही लगने वाली है। मुझे जो कुछ भी हासिल करना है, अपनी मेहनत और अपने दम पर ही करना है। तो प्लीज़ मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे करियर और स्टडी में फ़ोकस करते हुए आगे बढ़ने दो… (थोड़ा झल्लाकर) …बेवजह मेरा जीना हराम मत करो। व्हाय यू कांट अंडरस्टैंड दिस लिटिल थिंग… जस्ट स्टॉप इरिटेटिंग मी… प्लीज़!
इतना कहकर आर्यन गुस्से से वहाँ से चला जाता है और ध्रुवी बिना किसी भाव के उसे जाते हुए देखती रह जाती है और अनायास ही उसे एक साल पहले का वह दिन याद आ जाता है जब पहली बार वह आर्यन से मिली थी और जब आर्यन अपने कॉलेज के पहले ही दिन इस कॉलेज में एंट्री लेते हुए नेहा से टकराया था।
(फ्लैशबैक…)
रोज़ की तरह ध्रुवी निशा के साथ अपने ठाठ और आँखों पर कीमती चश्मा चढ़ाए अपनी महँगी चमचमाती स्पोर्ट कार में कॉलेज के लिए निकली। रास्ते भर ध्रुवी और दिशा आपस में बात कर रहे थे और जैसे ही वे दोनों कॉलेज पहुँचे और ध्रुवी अपनी कार पार्किंग में लगाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ने को हुई, कि एकाएक कोई उसकी गाड़ी के सामने आ गया और ध्रुवी ने जल्दी से इमरजेंसी ब्रेक लगाकर सिचुएशन को संभाला; लेकिन सामने वाले शख्स पर उसका पारा हाई हो गया और उसकी क्लास लगाने के लिए वह गाड़ी से बाहर उतरने लगी। हालाँकि दिशा ने उसे रोकने की कोशिश भी की, लेकिन जब ध्रुवी का पारा चढ़ता था तो वह किसी की एक नहीं सुनती थी। ध्रुवी गाड़ी से उतरी और उस शख्स की पीठ को गुस्से से निहारने लगी जो अभी-अभी उसकी गाड़ी से टकराने से बचा था, जो और कोई नहीं बल्कि आर्यन था और ध्रुवी का गुस्सा इस बात पर और भी ज़्यादा बढ़ गया कि अपनी गलती होने के बावजूद भी आर्यन बिना किसी रिस्पॉन्स दिए या बिना सॉरी बोले ही वहाँ से आगे बढ़ गया। ध्रुवी ने जब आर्यन को यूँ जाता देखा तो उसने गुस्से से उसे आवाज़ दी और खुद को पुकारता देख आर्यन कुछ पल तक बिना पलटे वहीं अपनी जगह ही रुक गया।
ध्रुवी (नाराज़गी से): हे ब्लू शर्ट… वैट… रुको यहीं… (आर्यन को अपनी जगह रुका देख) दिखाई नहीं देता तुम्हें? अंधे हो जो इतनी बड़ी गाड़ी नज़र नहीं आई और अपनी गलती होने के बावजूद भी बिना सॉरी बोले चुपचाप यहाँ से निकल रहे हो?
आर्यन को अभी भी अपनी जगह रुका देख और बिना कोई रिस्पॉन्स के खड़ा देख ध्रुवी अब गुस्से से उसकी ओर बढ़ते हुए उसके सामने जा रुकी।
ध्रुवी (नाराज़गी से): अंधे होने के साथ क्या बहरे भी हो तुम?
कुछ पल बाद जैसे ही ध्रुवी ने आर्यन की खूबसूरत ब्राउन आँखों में देखा तो उसके दिल ने एक बीट मिस की और वह एक पल खामोश सी खड़ी बस आर्यन के चेहरे को निहारती रही।
आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर): मेरा तो पता नहीं लेकिन आप ज़रूर मुझे दिमाग से पैदल लगती हैं जो बेवजह बरसे ही जा रही हैं… (एक पल रुककर) और रही बात गलती की तो बेशक गलती मेरी नहीं आपकी थी। आप अपनी कार को गलत रास्ते से पार्किंग की ओर ले जा रही थीं तो तरीके से तो आपको मुझे सॉरी बोलना चाहिए। पर क्योंकि मुझे आपकी तरह लोगों से बेवजह सॉरी सुनने का शौक नहीं है तो अपना सॉरी अपने पास ही रखिए। एंड आई एम गेटिंग लेट सो मैं चलता हूँ!
क्योंकि आर्यन कॉलेज में नया था तो उसे ध्रुवी या उसकी पॉवर का अंदाज़ा नहीं था और वहाँ मौजूद स्टूडेंट आर्यन का ध्रुवी के साथ इस तरह से बर्ताव देखकर हैरान थे क्योंकि पहली बार था जब किसी ने यूँ खुलेआम ध्रुवी से इस तरीके से बात करने की हिम्मत की थी और इससे भी ज़्यादा लोग हैरान थे ध्रुवी को खामोश देखकर कि कोई नया स्टूडेंट उसे यूँ सुनाकर चला गया और वह खामोश ही रही। कुछ लोगों को अभी भी यही लग रहा था कि भले ही अभी ध्रुवी ने आर्यन को कुछ नहीं कहा लेकिन यकीनन अगर आर्यन इस कॉलेज में टिका तो अब ध्रुवी उसका यहाँ जीना दुश्वार कर देगी!
(फ्लैशबैक एंड…)
हालाँकि वक़्त बढ़ने के साथ ही ध्रुवी की नज़रों में आर्यन की छवि पानी की तरह साफ़ होते हुए उसके दिल में उतर गई। दूसरी तरफ़ जबसे आर्यन कॉलेज में आया था तब से हर किसी से उसने ध्रुवी के बारे में एक ही बात सुनी थी कि ध्रुवी यहाँ के सबसे अमीर मिस्टर सिंघानिया की इकलौती बेटी है जिसके एक इशारे पर पूरे लंदन की नींव को हिलाया जा सकता है और हर कोई ध्रुवी की नज़र में बस बेस्ट दिखने की फिराक में ही रहता है और हमेशा उसकी जी-हज़ूरी के लिए तैयार रहता है। हालाँकि आर्यन ने कभी भी नेहा को किसी पर भी रौब या धौंस जमाते नहीं देखा था लेकिन ये ध्रुवी के हेटर्स की बातों का असर था या आर्यन का अपने काम से काम रखने की आदत का असर कि उसने कभी भी ध्रुवी से ठीक से बात करना तो दूर बल्कि उसकी तरफ़ नज़र भरकर भी कभी नहीं देखा था और शायद यही बात ध्रुवी की नज़रों में उसे सबसे जुदा कर गई थी और जिस दिन पहली बार ध्रुवी ने उसे सामने से आकर प्रपोज़ किया उस दिन के बाद आर्यन न जाने क्यों मगर अक्सर हमेशा ध्रुवी से चिड़चिड़ाहट भरे लहजे में ही बात करने लगा। आर्यन की जगह अगर कोई भी और दूसरा लड़का होता और ध्रुवी खुद सामने से आकर उसे अप्रोच करती तो बेशक उसके लिए ये बात दुनिया की किसी भी और बड़ी खुशी से बढ़कर बड़ी होती लेकिन आर्यन का रिएक्शन इसके बिल्कुल ही अलग और उलट था और शायद यही वजह थी कि आर्यन की बेरुखी के बाद भी ध्रुवी बार-बार उसकी ओर हर बढ़ते दिन के साथ आकर्षित होती जा रही थी!
आर्यन का अपने करियर और सपनों को लेकर कुछ कर गुज़रने का जुनून, उसका दुनिया की बातों और बेवजह के शौक से बिल्कुल दूर रहना और बस अपनी ही धुन और जुनून में लगे रहना—शायद यही कुछ बातें थीं जो ध्रुवी को आर्यन का दीवाना कर गई थीं और उसकी यह दीवानगी दिन-ब-दिन अब बस बढ़ती ही जा रही थी और इस एक साल के अरसे में जब से आर्यन यहाँ आया था तब से ही ये बात आग की तरह फैल गई थी कि ध्रुवी आर्यन को पसंद करती है जबकि आर्यन उसे हमेशा नेगेटिव रिस्पॉन्स ही देता आया था। ये बात भी किसी से नहीं छुपी थी और इस बात से ध्रुवी को रत्ती भर फ़र्क भी नहीं पड़ता था। आर्यन के गुस्से से यहाँ से चले जाने के बाद नेहा कुछ पल बाद तक भी अपनी जगह पर ही खड़ी थी और अतीत को याद कर रही थी। उसके चेहरे के भाव को देखकर ये कह पाना मुश्किल था कि इस वक़्त वह क्या सोच रही थी। उसे अकेला खड़ा देख दिशा उसके पास आती है और आर्यन को वहाँ से जाता देख और ध्रुवी के एक्सप्रेशन देख दिशा के लिए यह अनुमान लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था कि आज भी आर्यन हमेशा की तरह ही ध्रुवी को उसकी अमीरी का कसूरवार ठहराकर ही यहाँ से गया होगा!
निशा (आर्यन पर नाराज़ होते हुए): आज भी तेरा दिल दुखाकर ही गया है ना वो… (एक पल रुककर) मुझे तो एक बात समझ में नहीं आती कि आखिर जब वह बार-बार तुझसे हमेशा इतनी बेरुखी के साथ पेश आता है तो तू क्यों बार-बार उसके पीछे जाती है? अपना दिल दुखाने के लिए? तू ध्रुवी है, ध्रुविका सिंघानिया। तेरे एक इशारे पर, सिर्फ़ एक इशारे पर लड़कों की लाइन लग जाएगी… (नाक सिकोड़कर) तो तू क्यों बेवजह अपना वक़्त और इमोशन्स ऐसे पत्थर दिल पर जाया कर रही है!
ध्रुवी (निशा की ओर देखते हुए): ठीक कहा तूने। मेरे एक इशारे पर यहाँ सैकड़ों लड़कों की लाइन लग जाएगी लेकिन क्या उन सैकड़ों लड़कों में से किसी एक को भी सिर्फ़ मुझसे, ध्रुवी से प्यार हो सकता है या मेरे लिए सच्चे इमोशन्स हो सकते हैं? (एक पल रुककर) नहीं, कभी भी नहीं। उनका मेरे लिए यहाँ खड़ा होना या मेरे पीछे आना सिर्फ़ मेरे नाम और रुतबे की वजह से होगा। जिस दिन भी अगर मेरे नाम के पीछे से सिंघानिया हट जाए तो उसी दिन उनकी मोहब्बत भी मेरे लिए ख़त्म हो जाएगी… (हसरत भरी आँखों से) जबकि मेरा आर्यन ऐसा नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। और हाँ, बेशक अक्सर मुझे उसकी बेरुखी से तकलीफ़ होती है लेकिन कहीं ना कहीं मुझे उसकी बेरुखी में भी एक अपनापन सा महसूस होता है और सुकून मिलता है इस बात का कि वह मुझे और लोगों की तरह सिर्फ़ मेरे नाम और रुतबे के लिए मुझे बेवजह दिखावे की इज़्ज़त नहीं देता, मेरी जी-हज़ूरी नहीं करता और इस सुकून और खुशी के लिए मैं ज़िन्दगी भर, ज़िन्दगी भर उसकी ये कड़वी बातें सुनने के लिए तैयार हूँ!
आर्यन के प्यार में ध्रुवी को इस कदर पागल देख निशा ने निराशा से अपना सर ना में हिलाया। दिशा आगे कुछ बोलती कि तभी दिशा और ध्रुवी की एक और खास दोस्त प्रिया जल्दबाज़ी में वहाँ आ पहुँची जिसके चेहरे पर हड़बड़ाहट साफ़ नज़र आ रही थी।
ध्रुवी (प्रिया के चेहरे की हड़बड़ाहट को भांपते हुए): व्हाट्स रॉन्ग विथ यू प्रिया? क्या हुआ है तुम्हें?
दिशा कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी दिशा और ध्रुवी की एक और खास दोस्त, प्रिया, जल्दबाजी में वहाँ आ पहुँची। उसके चेहरे पर हड़बड़ाहट साफ नज़र आ रही थी।
ध्रुवी (प्रिया के चेहरे की हड़बड़ाहट को भांपते हुए): "व्हाट्स रॉन्ग विथ यू प्रिया??? क्या हुआ है तुम्हें?"
प्रिया: "तुम चलो मेरे साथ अभी!!"
ध्रुवी (असमंजस से): "लेकिन हुआ क्या है? और कहाँ चलना है?"
प्रिया (ध्रुवी का हाथ पकड़ कर उसे क्लासरूम की ओर ले जाते हुए): "तुम मेरे साथ चलोगी, तो तुम्हें सब समझ आ जाएगा।" (ध्रुवी को आगे की ओर खींचते हुए) "तुम चलो तो सही!!"
प्रिया की जल्दबाजी देखकर ध्रुवी और दिशा दोनों फौरन प्रिया के साथ क्लासरूम की ओर बढ़ गए। क्लासरूम के दरवाजे से ही वहाँ का पूरा नजारा देख ध्रुवी अपनी मुट्ठियों को गुस्से से भींच लेती है और वह अपनी आँखों से गुस्से की आग उगलते हुए उस लड़की की दिशा में देखने लगी। जो इस वक्त ठीक आर्यन के सामने थी। आर्यन और उस लड़की दोनों का ही चेहरा ध्रुवी के सामने ना होकर उसके ऑपोजिट था; इसलिए दोनों में से कोई भी उसे वहाँ आते हुए नहीं देख पाया था। इस वक्त जो लड़की आर्यन के सामने थी, वह थी ध्रुवी और आर्यन की क्लासमेट समीरा। जो काफी अच्छी फैमिली से बिलॉन्ग करती थी, यानी कि अच्छी खासी अमीर थी। और दौलत और पैसों का नशा हमेशा उसके सर चढ़कर बोलता था। या यूँ कहें कि समीरा अमीर बाप की एक बिगड़ी हुई साहबजादी थी, जिसके लिए अपनी ईगो और ज़िद से बढ़कर कुछ भी नहीं था। और जो हमेशा हर तरीके से ध्रुवी से कंपटीशन लगाकर उससे जीतने की फिराक में रहती थी।
हालाँकि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह ध्रुवी को हरा पाए। बल्कि इसके उलट हमेशा उसे ही ध्रुवी से मात खानी पड़ी थी। और इसी बात से चिढ़कर वह अंदर ही अंदर ध्रुवी से जलने लगी थी। और सबकी तरह आर्यन के लिए ध्रुवी की दीवानगी को भली-भांति जानते हुए समीरा ने ध्रुवी को नीचा दिखाने के लिए और उसे शिकस्त देने की चाह से कई बार आर्यन को अपने जाल में फँसाने की कोशिश की। और इस वक्त भी वह अपनी उसी चाल को कामयाब करने की फिराक में और ध्रुवी को हराने की चाह के साथ आर्यन के सामने हाथ में गुलाब का फूल लिए हुए अपने घुटनों पर बैठी आर्यन को बर्थडे विश करने के साथ ही उसे प्रपोज भी कर रही थी, कि शायद इस बार वह आखिरकार अपने इरादों में कामयाब हो जाए।
समीरा (अपने घुटनों पर बैठकर आर्यन की ओर देखते हुए): "विश यू अ वेरी हैप्पी बर्थडे आर्यन। मैं जानती हूँ कि आज तुम्हारी ज़िंदगी का एक बहुत ही स्पेशल और खास दिन है और मैं चाहती हूँ कि तुम अपने साथ-साथ मेरे लिए भी इस दिन को इतना ही खास, इतना ही स्पेशल बना दो।" (एक पल रुककर) "मेरे प्रपोजल को एक्सेप्ट करके।" (घमंड भरे लहजे से) "यू नो आर्यन, आज तक सब खुद समीरा के पास चलकर आए हैं, लेकिन आज समीरा खुद तुम्हारे पास तुम्हें ये गोल्डन चांस देने आई है। आई नो कि तुम समझदार हो, तो ऐसे गोल्डन चांस को अपने हाथों से नहीं जाने दोगे और यकीनन तुम्हारी हाँ ही होगी। लेकिन फिर भी मैं फ़ॉर्मेलिटी, अपनी खुशी के लिए तुमसे ये सवाल करना चाहती हूँ।" (एक पल रुककर) "आर्यन, विल यू बी माय बॉयफ्रेंड?"
आर्यन (मुस्कुरा कर): "ऑफकोर्स... नॉट!!"
समीरा (हैरानी से): "व्हाट??? बट वाय???"
आर्यन (सहजता के साथ): "तुम्हें मेरा जवाब जानना था, सो मैं दे चुका हूँ। अब क्यों और क्या है, ये मैं एक्सप्लेन नहीं करना चाहता। एंड हाँ, जिन लोगों को तुम्हारे गोल्डन चांस की ज़रूरत है, प्लीज ये चांस उन्हें देकर उनका उद्धार करो। मैं तुच्छ प्राणी अकेला ही ठीक हूँ!!"
समीरा (खड़े होते हुए): "आर्यन लिस्टन, बस एक बार हाँ कह दो, फिर देखना इस पूरे कॉलेज में हम दोनों की टक्कर का कपल दूसरा और कोई भी नहीं होगा और इसी के साथ तुम्हारी उस ध्रुवी को सबक सिखाने की ख्वाहिश भी पूरी हो जाएगी!!"
आर्यन (अपनी आइब्रोज़ उठाते हुए): "और तुमसे ये किसने कहा है कि मैं ध्रुवी को कोई सबक सिखाना चाहता हूँ???"
समीरा (जहरीली मुस्कान के साथ): "ओह! कम ऑन आर्यन, सबको नज़र आता है कि किस तरह से तुम उस ध्रुवी को ट्रीट करते हो और कैसे हर बार तुम उसे बार-बार नीचा दिखाने की कोशिश करते हो। मगर फिर भी ना जाने क्यों, ना जाने क्यों उस घमंडी और बेवकूफ लड़की को इतनी सी बात समझ में क्यों नहीं आती कि यू आर नॉट इंटरेस्टेड इन हर और तुम उस जैसी लड़की को कभी पसंद कर ही नहीं सकते। शायद उसका घमंड उसे यह बात एग्री करने के लिए तैयार ही नहीं होने देता कि नेहा (घमंड भरी मुस्कान के साथ)... द ग्रेट नेहा सिंघानिया को भी कोई रिजेक्ट कर सकता है!!"
आर्यन (अपनी बाज़ुओं को अपने सीने पर फोल्ड करते हुए सख्त भाव से): "फ़र्स्ट ऑफ़ ऑल, मैंने कभी भी ध्रुवी को नीचा दिखाने या उसे बेइज़्ज़त करने की कोशिश नहीं की है और ना ही कभी कर ही सकता हूँ। उसके प्रपोज़ल को एक्सेप्ट ना करने के पीछे मेरे खुद के पर्सनल रीज़न्स हैं, जो मैं तुम्हें तो बिल्कुल भी बताने में इंटरेस्टेड नहीं हूँ और ना ही मैं तुम्हें इतनी इम्पॉर्टेंस ही देता हूँ कि मैं तुमसे अपने पर्सनल रीज़न्स शेयर करूँ।" (एक पल रुककर तंज भरे लहजे से) "और हाँ, मुझे अच्छे से समझ आते हैं तुम्हारे सारे नेक इरादे और मुझे इस्तेमाल करके जो ये तुम्हारी ख्वाहिश है ध्रुवी को हराने और उसे नीचा दिखाने की, तो सॉरी बेब, बट ये इस जन्म में तो बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं हो सकता है, बिकॉज़ इवन योर होल एक्ज़िस्टेंस कांट स्टैंड अराउंड हर!!"
इतना कहकर आर्यन जैसे ही मुड़ने को होता है, समीरा गुस्से से आग बबूला होते हुए आर्यन का हाथ पकड़ लेती है।
समीरा (गुस्से से): "हाउ डेयर यू! तुम उस ध्रुवी की मुझसे बराबरी कर रहे हो आर्यन? हाउ डेयर यू! तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की? आखिर औकात क्या है तुम्हारी मेरे सामने??"
आर्यन (अपना हाथ समीरा के हाथ से छुड़ाते हुए): "नो बेब, आई कांट... आई कांट... मैं उसकी तुमसे बराबरी कर भी कैसे सकता हूँ?" (समीरा की इंसल्ट करते हुए) "क्योंकि वो जैसी भी हो, एटलीस्ट शी इज़ टेन टाइम्स बेटर देन यू और अपनी औकात का सर्टिफ़िकेट एटलीस्ट मुझे उससे लेने की तो बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है, जिसके कपड़ों से ज़्यादा उसके रिलेशनशिप स्टेटस चेंज होते हैं!!"
समीरा (लगभग अपना आपा खोते हुए): "शट अप... जस्ट शट अप! और अगर वो नेहा इतनी ही महान और अच्छी है, तो आखिर क्यों उसे हाँ नहीं बोल देते और क्यों नहीं बन जाते उसके हाथों का खिलौना? बोलो, बोलते क्यों नहीं उसे हाँ??"
आर्यन (सख्त भाव से): "जस्ट माइंड योर ओन बिज़नेस, डोंट इंटरफ़ेयर इन माय पर्सनल लाइफ़ और तुम हो कौन जिससे मैं अपनी लाइफ़ के डिसीज़न डिस्कस करूँ? यू आर नथिंग फॉर मी, सो स्टे अवे!!"
समीरा (अपनी आखिरी कोशिश करते हुए): "मैं तो समझ रही हूँ, लेकिन एक बात तुम याद रखना, उस ध्रुवी के लिए तुम सिर्फ़ एक वन नाईट स्टैंड से ज़्यादा कुछ इम्पॉर्टेंस नहीं रखते, कुछ भी नहीं!!"
आर्यन (गुस्से भरे लहज़े में): "मैं उसके लिए क्या हूँ और क्या नहीं, वो मेरा और उसका निजी मामला है, उसे बीच में मत लाओ!!"
समीरा: "उफ़्फ़! इतना गुस्सा, कहीं ऐसा तो नहीं उस ध्रुवी ने तुम्हें इस्तेमाल कर भी लिया हो और तभी वो तुम्हारे पीछे इस कदर पागल है क्योंकि तुमने उसे..."
आर्यन (बेहद गुस्से के साथ): "जस्ट शट योर फ़किंग माउथ!!!!"
जहाँ अब तक ध्रुवी आर्यन की बात सुनकर हैरान थी, उसको खुद के लिए स्टैंड लेता देख अनजाने जज़्बातों के साथ उसे देख रही थी। वहीं दूसरी ओर समीरा को अपनी हद पार करते देख उसके गुस्से का पारा हाई होता जा रहा था। लेकिन इससे पहले कि ध्रुवी बीच में बोलकर समीरा को उसकी बढ़ती बदतमीज़ी का जवाब दे पाती, आर्यन के आगे के शब्दों ने उसके गुस्से में आग में पेट्रोल की तरह काम किया और आर्यन की पूरी बात सुनकर ध्रुवी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
आर्यन (गुस्से से): "और ध्रुवी को खुद से कंपेयर कर रही हो तुम? अरे वो तो सिर्फ़ जुबानी मुझसे प्यार करने का दावा करती है, तुम मुझे उसके हाथों का खिलौना कह रही हो??? लेकिन तुम, तुमने क्या किया था और उस दिन तुम्हारे लिए क्या था मैं, जब तुम अपने घमंड और जीतने की ज़िद में इतनी अंधी हो गई थीं कि तुमने खुद को मुझ पर फ़ोर्स करने से पहले एक बार सोचा तक भी नहीं था??? बोलो क्या था मैं तुम्हारे लिए??"
आर्यन की बात सुनते ही वहाँ मौजूद सब स्टूडेंट्स के बीच समीरा को लेकर ख़ुसुर-फुसुर शुरू हो जाती है और अपनी पोल पट्टी यूँ सबके सामने खुलता देख कुछ पल को समीरा के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ जाती हैं और इसी वजह से वह और भी ज़्यादा गुस्से से बिदक जाती है। लेकिन समीरा आगे कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोल पाती या कुछ रिएक्ट कर पाती, उससे पहले ही उसके बाएँ गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ जाता है जिसकी गूँज पूरे क्लासरूम में गूँज उठी थी। और समीरा शॉक्ड भरी नज़रों से सामने खड़ी ध्रुवी को खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगती है। लेकिन शॉक्ड की वजह से उसके मुँह से कोई भी शब्द नहीं निकल पा रहे थे। दूसरी तरफ आर्यन भी ध्रुवी को अचानक वहाँ देख सकते में आ गया था और उसके माथे पर टेंशन की लाइन्स उभर आई थीं कि ना जाने अब ध्रुवी क्या और कैसे रिएक्ट करेगी।
ध्रुवी (बेहिसाब गुस्से के साथ लाल आँखों से): "हाउ डेयर यू! तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे आर्यन के साथ इतनी घटिया हरकत करने की? " (समीरा की ओर बढ़ते हुए) "आज तुमने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं, मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं!!"
आर्यन (ध्रुवी को रोकते हुए): "स्टॉप इट ध्रुवी, डोंट क्रिएट सीन हेयर!!!"
ध्रुवी (गुस्से से आर्यन को घूरकर): "और तुम... तुमसे तो मैं बाद में बात करती हूँ।" (समीरा की ओर देखकर गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए) "तुमने मुझे ये बात बताई क्यों नहीं? क्यों नहीं बताया कि इस घटिया लड़की ने तुम्हारे साथ क्या करने की कोशिश की??"
इसी के साथ समीरा और ध्रुवी में बहस बढ़ने लगी थी और उनकी बहस और आवाज़ को सुनते हुए क्लास के आसपास से गुज़रते लोगों का ध्यान भी उसी तरफ़ आकर्षित होने लगा। आर्यन जो कब से उन दोनों को शांत कराने की कोशिश कर रहा था, आखिर में उसके सब्र का बाँध टूट गया और वह गुस्से से उन दोनों पर चिल्ला उठा।
आर्यन (गुस्से से): "जस्ट स्टॉप इट... स्टॉप इट... बस करो तुम दोनों!!"
आर्यन की गुस्से भरी चिल्लाहट सुनकर ध्रुवी और समीरा दोनों ही अचानक खामोश हो जाती हैं और आर्यन एक नज़र उन दोनों को गुस्से से देखते हुए अपना बैग टांगकर क्लास से बाहर निकल जाता है। ध्रुवी भी एक टफ़ लुक समीरा को देते हुए फ़ौरन उसके पीछे जाती है और बाहर निकलकर ध्रुवी लगातार आर्यन को रोकने के लिए उसका नाम पुकारे जा रही थी, मगर आर्यन बस उसे अनसुना कर बिना रुके चले जा रहा था। आख़िरकार कॉरिडोर में पहुँचकर ध्रुवी ने आर्यन के आगे आते हुए उसका रास्ता रोक लिया।
आर्यन (बेरुखी से): "इस वक्त मैं किसी बहस के मूड में नहीं हूँ, इसीलिए रास्ता छोड़ो मेरा और हटो मेरे सामने से!"
ध्रुवी (अपनी बाज़ुओं को अपने सीने पर फोल्ड करते हुए डेयरिंगनेस के साथ): "और अगर नहीं हटी तो?"
आर्यन (फ़्रस्ट्रेशन से एक पल को अपनी आँखें बंद करके): "जस्ट स्टे अवे ध्रुवी... आख़िर मैं भी इंसान हूँ, मेरे भी अपने इमोशन्स, अपनी फ़ीलिंग्स हैं और क्यों आखिर तुम अपनी ज़िद में मेरे दिल और जज़्बातों से खेलने पर तुली हो और आख़िर क्यों मुझे चैन से नहीं जीने दे सकती तुम?"
ध्रुवी (आर्यन के करीब जाकर अपने उमड़ते जज़्बातों के साथ): "क्या तुम्हें सच में अच्छा लगता है कि तुम मेरे लिए सिर्फ़ टाइमपास या मेरी कोई ज़िद हो???"
आर्यन (गहरी साँस ले कर अपनी नज़रें फेरते हुए): "मुझे नहीं पता और ना ही मैं जानना ही चाहता हूँ। मुझे पता है तो सिर्फ़ इतना कि ये सारी चीज़ें, ये फ़िज़ूल बकवास मेरे लिए नहीं बनी है। मेरा एकमात्र मकसद, मेरे लिए सिर्फ़ मेरे सपनों को पूरा करना है, खुद को कामयाब करना है और उसके सिवा मेरी ज़िंदगी में किसी भी चीज़ के लिए कोई जगह नहीं है!!!!"
ध्रुवी (तीखी नज़रों से): "इसका मतलब तुम्हें अब तक मेरी मोहब्बत और मुझ पर पूरी तरह ऐतबार नहीं है?"
आर्यन (नाराज़गी भरे लहज़े से): "हाँ नहीं है... नहीं है मुझे तुम पर या तुम्हारी सो कॉल्ड मोहब्बत पर कोई भी ऐतबार... अब... अब आगे क्या करना है बोलो??"
तभी अपने दोस्तों के साथ समीरा भी क्लास रूम से बाहर आते हुए वहाँ खड़ी हो जाती है और आर्यन का जवाब सुनकर उसके होंठों पर एक घमंड भरी मुस्कान तैर जाती है।
ध्रुवी (एक जलती हुई नज़र समीरा पर डालते हुए): "जिस भी इंसान को ऐसा लगता है कि तुम्हारे लिए मेरी मोहब्बत सिर्फ़ कुछ वक्त या ज़िद के तौर पर ही है, तो मेरा ये जवाब उन सबके मुँह पर तमाचा है और वार्निंग भी कि तुम पर सिवाय मेरे किसी का कोई हक़ नहीं।" (डेयरिंगनेस से आर्यन की ओर देखकर) "और तुम्हारे लिए यह प्रूफ़ होगा कि मैं पूरी दुनिया के सामने, पूरी दुनिया के सामने अपनी मोहब्बत का इज़हार करने और उसे एक्सेप्ट करने से पीछे कभी नहीं हटूँगी, कभी भी नहीं!!!"
इतना कहकर ध्रुवी ने आर्यन को उसके कॉलर से पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया और एक पल को उसकी आँखों में देखते हुए अगले ही पल बीच कॉरिडोर में बिना किसी की परवाह किए सबके सामने ध्रुवी आर्यन के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे इंटेंसली किस करने लगी।
वहाँ मौजूद सभी लोगों की नज़र ध्रुवी पर ही अटक गई थी। कुछ लोग आर्यन की खुशकिस्मती पर हर्ष कर रहे थे, कुछ ध्रुवी के साहस को देखकर स्तब्ध थे, और कुछ उसे उत्साहित कर रहे थे। परन्तु कुल मिलाकर, सभी की नज़रें ध्रुवी और आर्यन पर ही टिकी रहीं। दूसरी ओर, ध्रुवी का यह साहसिक कदम देखकर आर्यन कुछ पल के लिए बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया, जैसे जम सा गया हो। समीरा और उसके दोस्त भी आँखें फाड़े ध्रुवी और आर्यन की ओर देख रहे थे।
कुछ पल बाद ध्रुवी आर्यन से दूर हुई और बिना किसी झिझक के, आर्यन के लिए आँखों में अपार प्यार लिए, सहजता से अपने अंगूठे से लिपस्टिक साफ़ करने के बाद, साहस से उसकी ओर देखते हुए, अपने लाए हुए उपहार को उसके हाथ में थमा दिया।
ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए और समीरा को सुनाते हुए, साहस के साथ): "जो मेरा है, वह सिर्फ़ मेरा है, चाहे जैसे भी हो। अगर किसी ने भी उसे मुझसे छीनने की हिम्मत, या ऐसा करने की सोची भी, तो उसे मैं जिंदा जला दूँगी।" (समीरा की ओर एक तीखी नज़र डालते हुए) "और मेरा मतलब है, मैं यह करूँगी।" (आर्यन के हाथ में अपना बनाया हुआ ग्रीटिंग कार्ड भी थमाते हुए) "और अगर अब तुम्हें ये उपहार नहीं चाहिए, तो बेझिझक इन्हें किसी कूड़ेदान में फेंक सकते हो। लेकिन अगर तुम्हें लगता है कि तुमसे दूर जाने की जिद या ऐसा कुछ भी करने से मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी, तो मिस्टर आर्यन मल्होत्रा, यह तुम्हारी सबसे बड़ी गलतफ़हमी है, क्योंकि अब तुम चाहकर भी मुझे खुद से दूर नहीं कर सकते। तो बेहतर होगा, बेकार में फ़िज़ूल कोशिश करना बंद कर दो।" (अपने पंजों पर खड़े होकर आर्यन के गाल पर हल्के से चुम्बन करते हुए) "और एक बार फिर, जन्मदिन मुबारक, मेरे प्यार!"
इतना कहकर ध्रुवी अपनी दोस्तों प्रिया और दिशा के पास गई जो हैरानी से मुँह खोले उसकी ही ओर देख रही थीं।
ध्रुवी (अपनी दोस्तों का हैरान मुँह देखकर): "मेरे दोस्तों, पिक्चर ख़त्म हो गई है, तो अब चलें!"
प्रिया और दिशा (एक साथ, गर्दन हिलाते हुए): "हम्म!"
ध्रुवी ने एक पल के लिए आर्यन पर सरसरी नज़र डाली, उसे एक मनमोहक मुस्कान के साथ देखते हुए, कुछ पल बाद अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चली गई। लेकिन आर्यन कितनी देर तक अपनी जगह स्तब्ध और मौन खड़ा रहा, यह पता नहीं। ध्रुवी ने जो साहसिक कदम उठाया था, उसे हजम करना आर्यन के लिए अभी भी मुश्किल हो रहा था। और आखिरकार वह अपने ख़्यालों से तब बाहर आया जब उसके दोस्तों ने उसे छेड़ने के लिए उसके कान के पास आकर जोर से हूटिंग की, और उनकी आवाज़ से आर्यन की तंद्रा टूटी।
निहाल (आर्यन को छेड़ते हुए): "क्या बात है यार, तूने तो एक ही बार में सीधा सिक्सर मार दिया! मतलब कॉलेज की सबसे हॉट और खूबसूरत लड़की को अपने पीछे इस कदर दीवाना बना लिया कि वह तो तेरे लिए पागल ही हो गई है, और अंजाम की फिक्र किए बिना तेरे लिए कुछ भी, मतलब कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार है!"
कुणाल (अपने दाँत दिखाते हुए): "और नहीं तो क्या! मतलब तेरी तो बल्ले-बल्ले हो गई! मौज कर दी बेटा! गुरुदेव थोड़ी सी अपनी कृपा दृष्टि हम जैसे ग़रीब लोगों पर भी डाल दें ताकि हम भी आपकी राह पर चलकर अपना जीवन संवार सकें!!"
आर्यन (कुढ़ कर): "बस चुप करो तुम लोग!"
विक्रम (शरारत भरे लहजे में): "एक तो तेरा समझ नहीं आता। लोग जिस मौके के लिए मर जाते हैं और अपनी पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ उसी गोल्डन मौके को पाने में निकाल देते हैं, जब तुझे सामने से वह मौका थाल में सजा मिल रहा है, तो तू उस सजे थाल में लात मारकर खुद उस मौके को खुद से दूर करना चाहता है। अजीब है तू!!"
कुणाल: "बिलकुल! और जिस लड़की ने तुझे सामने से आकर प्रपोज़ किया है, वह कोई आम लड़की नहीं, बल्कि ध्रुवी है, ध्रुवीका सिंघानिया, यहाँ के प्रसिद्ध अरबपति की इकलौती बेटी, जो हम जैसे लोगों को एक नज़र भी भरकर देख ले तो हमारी ज़िंदगी सफल हो जाए, तो तू क्यों बेवजह भाव खा रहा है? और चल ठीक है, अगर वह तुझसे सच्चा प्यार नहीं भी करती हो और अगर उसने वन नाइट स्टैंड लेकर भी तुझे छोड़ दिया, तो भी इट्स नॉट अ बिग डील। फिर भी तेरी ज़िंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच सकती है, तू सोच भी नहीं सकता, अंदाज़ा भी नहीं है तुझे।" (लापरवाही भरे लहजे में) "तो बस चिल ब्रो एंड..."
आर्यन (गुस्से से): "बस चुप करो! अगर एक शब्द और बकवास की तूने, तो तेरा मुँह तोड़ दूँगा मैं। और किसी अमीर बाप की बेटी को फँसाकर उसे अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करना, तुम जैसे घटिया लोगों के लिए होगा कोई शॉर्टकट, लेकिन मैं अपने बलबूते और अपने दम पर अपने सपनों को पूरा करने की ताक़त रखता हूँ, तो अपनी यह घटिया सलाह और सोच अपने पास ही रखो। और आइंदा मेरे सामने अगर ऐसी छोटी बात करने की कोशिश भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। घिनौना!"
इतना कहकर आर्यन गुस्से से वहाँ से चला जाता है और उसका ख़ास दोस्त मिहिर बाकी लोगों को नाराज़गी से घूरते हुए, तुरंत उसके पीछे जाता है।
मिहिर (आर्यन को रोकने की कोशिश करते हुए): "आर्यन, रुको, सुनो यार!"
आर्यन मिहिर की आवाज़ को अनसुना करके बिना रुके आगे बढ़ता गया और बाग़ में जाकर एक बेंच पर गुस्से से अपना बैग और ध्रुवी का दिया हुआ उपहार पटक देता है और अपने बालों में हाथ घुमाते हुए निराशा से इधर-उधर टहलने लगता है। आर्यन का ख़ास दोस्त मिहिर, जो उसके पीछे आया था, बिना कुछ बोले चुपचाप वहीं आकर बेंच पर बैठ जाता है और अपने बैग से चिप्स का पैकेट निकालकर उसे खाते हुए बस खामोशी से आर्यन को देखने लगता है। और जब आर्यन मिहिर का यह शांत रवैया देखता है और उसे खामोश देखता है, तो और भी ज़्यादा खीझ उठता है।
आर्यन (खीझते हुए): "मतलब तू कैसा कमीना दोस्त है रे! यहाँ मैं परेशान घूम रहा हूँ और तू आराम से बैठकर खा रहा है?"
मिहिर (सामान्य भाव से): "तो मेरे ना खाने से कौन सी तेरी परेशानी कम हो जाएगी?"
आर्यन (गुस्से से): "नहीं, लेकिन एक अच्छे दोस्त की तरह, खाने से पहले तुझे अपने दोस्त की समस्या हल करनी चाहिए!!"
मिहिर (चिप्स का टुकड़ा अपने मुँह में रखते हुए): "असल में जो तेरी समस्या है, वह एक्चुअली में तेरी समस्या है ही नहीं। समस्या बस इतनी सी है कि जो समस्या है ही नहीं, तू उसे समस्या बनाकर समस्या में शामिल हो रहा है, दैट्स इट!!"
आर्यन (बेंच पर बैठकर मिहिर के हाथ से चिप्स का पैकेट छीनकर खाते हुए): "ये क्या फ़िज़ूल बकवास किए जा रहा है? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है?"
मिहिर (अपने हाथ झाड़ते हुए): "देख, वह लड़की यानी कि ध्रुवी, जब बार-बार इस क़दर तुझसे मोहब्बत होने का दावा कर रही है, तो आखिर उसे एक मौक़ा देने में हर्ज ही क्या है?"
आर्यन (चिप्स का पैकेट वापस मिहिर के हाथ में थमाते हुए): "हर्ज यह है कि उसकी और मेरी ज़िंदगी में जमीन आसमान का फ़र्क है। हमारे लाइफ़स्टाइल, हमारे रहन-सहन, हमारे ज़िंदगी जीने का तरीक़ा और उसे देखने का नज़रिया दोनों ही बहुत अलग है। भले ही हम कुछ वक़्त के लिए साथ होकर खुश रह सकते हैं, लेकिन ज़िंदगी भर इस रिश्ते को निभाना हम दोनों की ही बस की बात नहीं। और इन सबसे अलग, सबसे बड़ी बात, मैं उन लोगों में से बिल्कुल भी नहीं हूँ जो वक़्ती तौर पर इन फ़िज़ूल झंझटों और रिश्तों जैसे चक्करों में पड़कर अपना कीमती वक़्त जाया करें। मुझे इन झंझटों में पड़ना ही नहीं है!"
मिहिर (अपने कंधे उचकाते हुए): "ठीक है, जैसा तुझे अच्छा लगे, वह कर। मगर मुझे नहीं लगता कि वह लड़की तुझे इतनी आसानी से छोड़ने वाली है। और आज के हादसे के बाद तो ऐसा लगना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!!"
आर्यन (ध्रुवी द्वारा किए गए कदम को याद करके शर्माते हुए): "ऐसा कुछ भी नहीं है। और तू ज़्यादा नेगेटिव मत सोच। इनफैक्ट, तू सोच ही मत!!"
मिहिर (आर्यन को शर्माता देख अपनी भौंहें उठाते हुए): "मगर मैं तो कुछ सोच ही नहीं रहा।" (आर्यन को छेड़ते हुए) "तू ही बेवजह सोच-सोचकर शर्म से लाल हो रहा है।" (आर्यन मिहिर की बात सुनकर गुस्से से मिहिर की ओर घूरता है, तो वह हवा में अपने दोनों हाथ खड़े करते हुए जल्दी से सरेंडर कर देता है) "अच्छा-अच्छा, ठीक है, सॉरी-सॉरी, मज़ाक कर रहा था मैं बस। हर बात में गैंडे की तरह फूलना ज़रूरी नहीं होता!"
आर्यन (एक मुक्का मिहिर की कमर में जड़ते हुए): "अगर मैं गैंडा हूँ, तो तू जंगली सांड है!!"
मिहिर (अपनी कमर सहलाते हुए): "कमीने, पाप लगेगा तुझे! एक मासूम इंसान को इतनी बेरहमी से मारा है तूने!!"
आर्यन: "ओह! मासूमियत की दुकान! अगर अपनी सारी मासूमियत मुझसे यहीं नहीं झड़वानी, तो चुपचाप अपने ड्रामे बंद कर और क्लास में चल!!"
मिहिर (कमर सीधी करते हुए, उल्टा चलकर अपने कदम आगे बढ़ाते हुए): "हम्म, चलते हैं, चलते हैं। बस एक सवाल पूछना था तुझसे।" (शरारत भरे लहजे में) (आर्यन अपनी गर्दन उठाकर अपनी आँखें छोटी करके मिहिर को घूरता है) "मुझे बस इतना ही पूछना था।" (शरारती मुस्कान के साथ) "कि आखिर आज ध्रुवी के साथ तेरे पहले किस का अनुभव कैसा रहा?" (आर्यन के चेहरे पर शर्म देखकर उसे और छेड़ते हुए) "वैसे रहने दे, मत बता, क्योंकि तेरे गालों पर यह शर्म की लाली देखकर..." (नौटंकी करते हुए) "हाय! यह शर्म...हम्म तो मैं कह रहा था कि तेरे गालों पर इस शर्म की लाली देखकर जवाब का अंदाज़ा लगाना इतना मुश्किल भी नहीं!"
आर्यन (मिहिर के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान देखकर, समझते हुए जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटते हुए): "क... आज तो तुझे मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा!!!"
इतना कहकर आर्यन जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटता है और मिहिर को पकड़ने के लिए उसकी ओर दौड़ पड़ता है, जबकि मिहिर उससे बचने के लिए दुगनी तेज़ी से वहाँ से भाग निकलता है।
आर्यन, मिहिर के होंठों पर शरारत भरी मुस्कान देखकर, समझ गया और जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटते हुए बोला, "क**** आज तो तुझे मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा!!!!"
इतना कहकर आर्यन जल्दी से अपना सामान बेंच से समेटा और मिहिर को पकड़ने के लिए उसकी दिशा में दौड़ पड़ा। मिहिर उससे बचने के लिए दुगनी तेजी से भाग निकला। लेकिन कुछ दूरी तक दौड़ने के बाद मिहिर की साँस फूलने लगी और वह आर्यन की मार से बचने के लिए जल्दी से क्लासरूम में घुस गया। उसके पीछे ही आर्यन भी क्लासरूम में दाखिल हो गया। अब बिचारे मिहिर के पास बचने का कोई मौका नहीं था। आर्यन अपनी शर्ट की स्लीव्स चढ़ाते हुए उसकी ओर बढ़ने लगा। क्लास में मौजूद स्टूडेंट्स बड़े चाव से मिहिर की कुटाई होने का इंतज़ार कर रहे थे।
मिहिर, अपने बचने का कोई रास्ता न देखते हुए डेस्क के दूसरी तरफ खड़े होकर बोला, "आर्यन मेरी जान... तेरा दोस्त... तेरी जान हूँ मैं!!"
आर्यन, मिहिर को पकड़ने के लिए डेस्क के दूसरी तरफ आते हुए बोला, "हाँ तो आज अपनी यही जान लेनी है मुझे... बहुत ज़ुबान चलने लगी है ना तेरी कमीने... आज इसी ज़ुबान को तेरी गर्दन से लपेटकर तेरा गला घोंटूँगा मैं!!"
इतना कहकर आर्यन जैसे ही मिहिर को लपकने के लिए बढ़ा, मिहिर ने झट से डेस्क के ऊपर से छलांग लगाई और बाहर भागने लगा। आर्यन भी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागा, तो अचानक क्लास में ध्रुवी दाखिल हुई और आर्यन से तेज़ी से टकरा गया। लेकिन इससे पहले कि ध्रुवी गिरती, आर्यन ने उसे अपनी मज़बूत बाहों में थाम लिया। एक पल के लिए दोनों की धड़कनें थम सी गईं और दोनों की निगाहें मिलीं। लेकिन अगले ही पल आर्यन ने सावधानी से ध्रुवी को उसके पैरों पर खड़ा किया और खुद वापस क्लासरूम में आकर खामोशी से डेस्क पर बैठ गया।
आर्यन को बैठता देख मिहिर भी दबे पांव पीछे वाली सीट पर आकर बैठ गया। ध्रुवी भी क्लास में आई और आर्यन के बेंच पर जाकर उसके साथ बैठ गई। ध्रुवी को अपने पास बैठता देख आर्यन ने एक पल अपनी आँखें बंद कीं और वहाँ से उठकर जाने के लिए खड़ा हुआ। उसने अपना बैग उठाना चाहा, लेकिन ध्रुवी ने उसे रोकते हुए बीच में ही उसकी कलाई थाम ली।
आर्यन, बिना ध्रुवी की ओर देखे बोला, "लीव माय हैंड!!"
ध्रुवी, आर्यन को घूरते हुए बोली, "अगर यहाँ मेरे साथ बैठ जाओगे तो फॉर श्योर तुम्हें खा नहीं जाऊँगी मैं!!"
आर्यन ध्रुवी से आगे बहस करता, कि तभी क्लासरूम में प्रोफेसर ने प्रवेश किया और आर्यन को ना चाहते हुए भी वहीं बैठना पड़ा। उसे अपने पास बैठता देख ध्रुवी की मुस्कान और गहरी हो गई और उसने मुस्कुराते हुए आर्यन का हाथ छोड़ दिया। लेक्चर शुरू हुआ और सभी स्टूडेंट्स ने पूरे ध्यान से प्रोफेसर का रुख किया। भले ही यह बात अलग थी कि कुछ लोगों को छोड़कर बाकी लोगों का ध्यान सिर्फ़ टीचर के दिखावे के लिए ही था। इधर, खुद पर ध्रुवी की लगातार निगाहें महसूस करते हुए आर्यन चाहकर भी अपना ध्यान पढ़ाई पर नहीं लगा पा रहा था। जब आधी क्लास निकल चुकी थी, तो आर्यन से और नहीं रहा गया और उसने ध्रुवी को घूरते हुए आखिर में अपनी चुप्पी तोड़ी।
आर्यन, धीमे मगर इरिटेशन भरे लहजे से ध्रुवी की ओर देखते हुए बोला, "क्या प्रॉब्लम है तुम्हें? ठीक से क्लास में फोकस नहीं कर सकती? क्यों घूर रही हो?"
ध्रुवी, आर्यन के इरिटेशन का मज़ा लेते हुए बोली, "तुम्हें क्या प्रॉब्लम है? तुम अच्छे से अपनी स्टडी पर फोकस करो, मुझ पर क्यों ध्यान लगाए हुए हो?"
आर्यन, ध्रुवी को घूरते हुए बोला, "मैं तुम पर कोई ध्यान नहीं लगा रहा हूँ, लेकिन तुम्हारा यह घूरना मुझे इरिटेट कर रहा है।"
ध्रुवी, लापरवाही भरे अंदाज़ से बोली, "तो यह तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं। क्योंकि मेरी आँखें, मेरी मर्ज़ी, मेरा मन... तुमको क्या?"
आर्यन, चिढ़कर बोला, "देखो ध्रुवी...(ध्रुवी को खुद को प्यार से निहारता देखकर)...आई मीन ध्रुवीका!!!"
ध्रुवी बोली, "नहीं... तुम्हारे मुँह से मुझे ध्रुवी ही सुनना पसंद है... उसमें ज़्यादा अपनापन लगता है।"
आर्यन, ध्रुवी को घूरते हुए बोला, "मुझे ना तो शौक है और ना ही ज़रूरत किसी भी अपनापन जताने या दिखाने की।"
ध्रुवी, सामान्य भाव से बोली, "ओके नो प्रॉब्लम... एज़ योर विश... क्योंकि तुम ध्रुवी बोलो या ध्रुवीका... मुद्दा तो तुम्हारा मेरा नाम लेना ही है ना... और बाय गॉड... तुम्हारे मुँह से जब-जब मैं अपना नाम सुनती हूँ...(हसरत भरी नज़रों से आर्यन को देखते हुए मुस्कुराकर)...तो मुझे तब-तब अपने नाम से ही इश्क़ हो जाता है।"
आर्यन, ध्रुवी की प्यार भरी निगाहों से झेंपकर बोला, "तुमसे तो बात करना ही फ़िज़ूल है।"
ध्रुवी, आर्यन को टीज़ करते हुए बोली, "तो तुमसे मैंने कब बोला कि तुम बात करो मुझसे...(आर्यन की ओर देखकर विंक करते हुए शरारती मुस्कान के साथ)...मैं तो तुमसे सिर्फ़ खुद को प्यार करने की उम्मीद दिल में लिए बैठी हूँ।"
आर्यन, कुढ़कर बोला, "यू नो व्हाट... तुम्हें दिमागी डॉक्टर की सख्त ज़रूरत है... क्योंकि तुम्हारा दिमाग पूरा खराब हो चुका है।"
तभी लेक्चर खत्म होने की घंटी बज गई और प्रोफ़ेसर के निकलते ही आर्यन भी क्लासरूम से बाहर निकल गया। ध्रुवी उसकी इरिटेशन को याद करते हुए मुस्कुरा दी। शाम को मिहिर और आर्यन के कुछ दोस्तों ने उसके लिए एक पार्टी रखी। बहुत कम ऐसा होता था कि आर्यन क्लब या पार्टियों में जाता हो, क्योंकि उसे ये सब चीज़ें बिल्कुल भी पसंद नहीं थीं। आज के जमाने में जहाँ लोगों के लिए मॉडर्निटी का नाम ही क्लब, नाइट आउट, पार्टियाँ और बस अपने लाइफ़स्टाइल को इसी सब में पूरी तरह डूबो देना था, वहाँ आर्यन के लिए ये सारी चीज़ें फ़िज़ूल और दिखावे से ज़्यादा कुछ भी नहीं थीं। वह हमेशा कहता था कि वह ज़रूर इस लाइफ़स्टाइल का लुत्फ़ उठाएगा, लेकिन पहले वह खुद को फ़र्श से अर्श तक ले जाए, क्योंकि अभी उसकी ज़िंदगी उससे उसकी मेहनत की तलबगार है और अगर उसने अपनी ज़िंदगी और ख्वाबों को अपनी मेहनत के पसीने से नहीं सींचा तो वह कभी कामयाब नहीं होगा। वह खुद को उस मुकाम पर ले जाना चाहता था जहाँ वह कामयाबी और शोहरत का एक सितारा बनकर आसमान में चमक उठे।
धीरे-धीरे दिन गुज़र रहे थे। आर्यन जितना खुद को ध्रुवी से दूर करने की कोशिश करता, ध्रुवी उतनी ही उसके करीब आती रहती और वह चाहे जिस भी ज़ुबान में उसे समझाने की कोशिश करता, लेकिन ध्रुवी तो जैसे कुछ भी ना समझने की कसम ही खाकर बैठी थी। आर्यन के बर्थडे के ठीक एक महीने बाद आज ध्रुवी का बर्थडे था। ध्रुवी जब सुबह उठी तो उसका कमरा कमरा कम कोई गार्डेन ज़्यादा नज़र आ रहा था जहाँ हर तरह के फूलों के खूबसूरत गुलदस्ते मौजूद थे। साथ ही तरह-तरह के एक्सपेंसिव गिफ्ट और ड्रेसेज़ से उसके कमरे का कोना-कोना भरा हुआ था जो उसके दोस्तों और मिलने वालों ने उसे भेजे थे। ध्रुवी ने उन कीमती गिफ्ट्स की तरफ़ एक बार भी नज़र नहीं उठाई। उसने बस अपना फ़ोन उठाया और उसमें कुछ चेक करने लगी। अपना फ़ोन देखकर एक मायूसी सी उसके चेहरे पर छा गई। तभी मि. सिंघानिया ध्रुवी के कमरे में आए और उसके पास बैठकर ध्रुवी का सर प्यार से चूमते हुए उसे बर्थडे विश किया।
मि. सिंघानिया: हैप्पी बर्थडे मेरी जान!!
ध्रुवी, अपने डैड को कसकर हग करते हुए बोली: थैंक्यू सो मच डैड... एंड आई लव यू!!
मि. सिंघानिया: लव यू टू... लेकिन... तुम्हें नहीं लगता कि आज तुम्हें सिर्फ़ इस लव यू से काम चलाने की बजाय अपने डैड की जेब खाली करानी चाहिए...!!
ध्रुवी, मुस्कुराकर अपने डैड की ओर देखते हुए बोली: नहीं... बिल्कुल भी नहीं... क्योंकि मेरे डैड ने मुझे वो सब भी दिया है जो शायद मुझे और कोई कभी नहीं दे सकता। आपने मुझे ना सिर्फ़ ज़िंदगी दी है, बल्कि मेरी ज़िंदगी को आपके प्यार और साथ ने ही संवारा है। अगर आप नहीं होते तो शायद मैं भी नहीं होती डैड... और आपने तो हमेशा मुझे माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त सबका प्यार दिया है...(अपने पिता के गले लगते हुए)...बस आप मेरे साथ हैं फिर मुझे किसी और चीज़ की कोई ज़रूरत नहीं... और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए!!
मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी के सर को सहलाते हुए बोला: हे भगवान! इस लड़की को तो बस सेंटी होने का मौका चाहिए...(ध्रुवी का मूड ठीक करने के लिए)...अगर तुम्हें लगता है कि ऐसी इमोशनल बातें करके तुम्हारा खर्चा बच जाएगा... सो यू आर रॉन्ग डार्लिंग... क्योंकि अपने बर्थडे पर मैं तो तुमसे अच्छा-खासा खर्चा करवाने वाला हूँ!!
ध्रुवी, अपने डैड की ओर देखते हुए बोली: हम्मम! तो ये बात है... इसीलिए मुझे गिफ्ट देने की ज़िद की जा रही है... मतलब रिश्वत...(अपने डैड की खिंचाई करते हुए)...वैसे कहीं आप मिस बरोचा को डेट शेट करने के बाद अब उन्हें मेरी नई मम्मी बनाने के बारे में तो नहीं सोच रहे ना... हूँह... हूँह बोलिए??
मि. सिंघानिया, ऊपर छत की ओर देखते हुए बोला: सी मिसेज़ सिंघानिया आपकी बेटी मेरा चक्कर चलवाने पर तुली है...(ध्रुवी की ओर देखकर)...अगर आज तुम्हारी माँ होती तो तुम पक्का अपनी ऐसी बातों से फॉर श्योर अब तक मेरा डाइवोर्स करवा चुकी होती!!
मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी खिलखिला उठी और उसके होंठों पर मुस्कान देख मि. सिंघानिया के होंठों पर खुद-ब-खुद मुस्कान तैर गई।
मि. सिंघानिया, प्यार से ध्रुवी को देखते हुए बोला: बस तुम हमेशा ऐसे ही हँसती-मुस्कुराती रहो... बस मुझे फिर ज़िंदगी से कुछ नहीं चाहिए...(प्यार से ध्रुवी का गाल छूकर)...और काश मेरी उम्र भी तुम्हें लग जाए!!
ध्रुवी, अपने डैड के गले लगकर शिकायती लहजे से बोली: डोंट से दिस डैड... आपकी उम्र आपको ही मुबारक... और इनफैक्ट भगवान जी हम दोनों की उम्र इक्वल-इक्वल कर दे... मतलब मुझे भी सिर्फ़ अपने डैड के साथ ही जीना है!!
मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला: पगली! कुछ भी बोलती है!!
ध्रुवी, मुस्कुराकर बोली: हम्मम! आपकी ही बेटी हूँ ना इसीलिए!!
मि. सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए। कुछ देर बाद मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की आँखों पर पट्टी बाँधी और उसके लिए लाया गया गिफ्ट उसे दिखाने के लिए उसका हाथ थामे उसे नीचे की ओर ले गए। बाहर गार्डन एरिया में आकर उन्होंने ध्रुवी की आँखों से बंधी पट्टी उतारी और ध्रुवी अपनी आँखों के सामने चमचमाती व्हाइट कलर की फेरारी स्पोर्ट कार को देखकर खुशी भरी हैरानी से मि. सिंघानिया की ओर देखने लगी।
मि. सिंघानिया: तो कैसा लगा अपना तोहफा?
ध्रुवी, लगभग खुशी से उछलते हुए बोली: बहुत-बहुत-बहुत अच्छा... लेकिन डैड! ये तो बहुत एक्सपेंसिव होगी ना?
मि. सिंघानिया, मुस्कुराकर बोला: हम्मम! मगर मेरी बेटी की मुस्कान और खुशी से ज़्यादा नहीं... और फिर एक ही तो खुशी और शौक है मेरी बेटी का... अब मैं उसे भी पूरा न कर सकूँ तो क्या फ़ायदा मेरे इस पैसे और शोहरत का!!
ध्रुवी, खुशी से मि. सिंघानिया के गले लगकर बोली: लव यू सो मच डैड... यू आर द बेस्ट!!!!
कुछ देर बाद निशा और प्रिया भी ध्रुवी से मिलने उसके घर आ जाती हैं और ध्रुवी को बर्थडे विश करते हुए अपने साथ लाए तोहफ़े उसे देती हैं। वैसे तो मि. सिंघानिया ने आज ध्रुवी को कॉलेज जाने के लिए मना किया था क्योंकि वह उसके लिए एक शानदार पार्टी रख रहे थे, लेकिन मि. सिंघानिया को अचानक एक अर्जेंट काम आने की वजह से न्यूयॉर्क के लिए निकलना पड़ा। हालाँकि वह बिल्कुल भी नहीं जाना चाहते थे और वह फ़ोन पर वहाँ आने के लिए मना भी कर चुके थे, लेकिन काम बहुत अर्जेंट था और फिर ध्रुवी ने भी उनको जाने के लिए फ़ोर्स किया तो आखिर में वह मायूसी भरे दिल से जाने के लिए मान गए। मि. सिंघानिया के जाने के बाद आखिर में ध्रुवी भी अपनी दोस्तों के साथ तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गई। मगर जिस वजह से वह कॉलेज पहुँची थी वह वजह तो वहाँ मौजूद ही नहीं थी, मतलब आर्यन आज कॉलेज आया ही नहीं था। ध्रुवी ने आर्यन को कॉल किया। पहले तो आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन ध्रुवी के नॉन स्टॉप कॉल करने के बाद आखिर में आर्यन ने उसकी कॉल पिक की और ध्रुवी के पूछने पर उसे बताया कि वह किसी ज़रूरी काम से बाहर गया है और आज कॉलेज नहीं आएगा। ध्रुवी ने बुझे मन से मगर एक उम्मीद के साथ शाम को आर्यन को अपने बर्थडे पार्टी के लिए इनवाइट किया जो कि असल में सिर्फ़ एक बहाना था आर्यन से मिलने के लिए। आर्यन ने जवाब में कुछ ना कहकर कॉल काट दी। ध्रुवी का भी आर्यन के बिना कॉलेज में मन नहीं लगा तो वह भी वापस अपने मेंशन आ गई। शाम भी हो चली थी मगर अभी तक आर्यन का कोई अता-पता नहीं था। कहीं ना कहीं वह जानती थी कि आर्यन नहीं आने वाला, लेकिन फिर भी वह उसका इंतज़ार कर रही थी। हालाँकि आर्यन ने एक बार भी उसे फ़ॉर्मेलिटी के लिए भी बर्थडे विश नहीं किया था।
हल्का अंधेरा घिरने लगा मगर आर्यन नहीं आया। ध्रुवी के बाकी दोस्त उसकी खुशी में शरीक होने के लिए आ चुके थे, लेकिन ध्रुवी का सारा ध्यान सिर्फ़ वक़्त और दरवाज़े पर ही टिका था। लेकिन अब हर बढ़ते पल के साथ ध्रुवी का सब्र जवाब देने लगा था और आखिर में वह पल भी आ गया जब उसका सब्र वाकई में जवाब दे गया और ध्रुवी अपनी गाड़ी लेकर अपने दोस्तों को छोड़कर अपने मेंशन से खुद ड्राइव करते हुए गुस्से से निकल पड़ी। कुछ देर बाद ध्रुवी ने अपनी गाड़ी सेंट टैरेसा कॉलेज के बॉयज़ हॉस्टल के सामने रोकी और जैसे ही अंदर जाने को हुई कि गार्ड ने उसे रोकना चाहा, मगर ध्रुवी की एक गुस्से भरी नज़र ही काफी थी उसके मुँह पर ताला लगाने के लिए। ध्रुवी बिना रुके सीधा हॉस्टल के अंदर की ओर चली गई। उसने चारों ओर गार्डन में अपनी नज़रें दौड़ाईं। आस-पास मौजूद लड़के उसे हैरानी और शॉक्ड से देख रहे थे क्योंकि पहली बार था जब कोई लड़की, वो भी खुलेआम उनके हॉस्टल में आ पहुँची थी। मगर ध्रुवी ने उन सबके रिएक्शन और हैरानी को पूरी तरह इग्नोर किया और वह सीढ़ियों की ओर बढ़ गई। बेशक वह यहाँ पहली बार ही आई थी, लेकिन आर्यन कहाँ रहता है और उसके बारे में सारी छोटी-बड़ी जानकारी ध्रुवी को आर्यन के बारे में पता थी। ध्रुवी जैसे ही दूसरे माले पर पहुँची तो उसके कॉरिडोर पर ही उसे मिहिर नज़र आया जो बाकी लोगों की तरह ही इस वक़्त ध्रुवी को यहाँ देखकर पूरी तरह शॉक्ड था।
ध्रुवी, मिहिर के हैरानी भरे रिएक्शन को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, "आर्यन कहाँ है?"
मिहिर, उंगली से ऊपर की ओर इशारा करते हुए बोला, "ऊ... ऊपर!!"
ध्रुवी मिहिर की बात सुनकर फ़ौरन तीसरे माले पर जाने के लिए आगे बढ़ गई। ध्रुवी वहाँ पहुँची तो आर्यन हाथ में किताब लिए अकेले ही टहल रहा था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र ध्रुवी पर पड़ी तो वह भी ध्रुवी को यहाँ देखकर कुछ पल तक शॉक्ड और हैरान रह गया।
आर्यन, कुछ पल बाद अपने शॉक्ड से बाहर आते हुए बोला, "तू... तुम यहाँ... बॉयज़ हॉस्टल में... वो भी इस वक़्त... तु... तुम जानती हो ना लड़कियों का यहाँ आना बिल्कुल मना है... फिर भी तुमने ऐसा किया??... आर यू मेड और व्हाट???"
ध्रुवी, आर्यन के सवाल को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बोली, "हम्मम... आज फ़ैसला हो ही जाए...(एक पल रुककर)...डू यू लव मी और नॉट????..."
आर्यन (कुछ पल बाद अपने शॉक से बाहर आते हुए): तू...तुम यहां...बॉयज़ हॉस्टल में....वो भी इस वक़्त....तुम जानती हो ना, लड़कियों का यहां आना सख्त मना है.....फिर भी तुमने ऐसा किया??.....आर यू मेड और व्हाट???
ध्रुवी (आर्यन के सवाल को पूरी तरह इग्नोर करते हुए): आज फैसला हो ही जाए....(एक पल रुक कर).......डू यू लव मी और नॉट????.........!!!
आर्यन (चारों ओर नीचे खड़े स्टूडेंट्स की नज़र उन दोनों पर देख): व्हाट रबीश ध्रुवी?.....क्या बकवास है यह? अभी के अभी जाओ यहां से????
ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखकर): अपने शब्दों पर ज़ोर देते हुए......डू यू लव मी मिस्टर आर्यन मल्होत्रा और नॉट???
आर्यन ने ध्रुवी की आँखों में इतनी गंभीरता देखी कि वो भी एक पल को स्तब्ध रह गया। बल्कि पूरे हॉस्टल में आज ध्रुवी को इस वक़्त यहां देखकर हलचल सी मच गई थी। लगभग सारे स्टूडेंट्स एक जगह ग्राउंड में जमा हो गए थे। ऊपर, हॉस्टल के तीसरे माले पर सभी की नज़रें और साँसें अटककर जमी थीं। हर किसी का ध्यान ध्रुवी और आर्यन की दिशा में ही रुका था। रुकता भी क्यों नहीं? आखिर बॉयज़ हॉस्टल में एक लड़की आ गई थी, वो भी खुल्लमखुल्ला, बिना डरे या झिझके। और वो कोई आम लड़की नहीं, बल्कि ध्रुवीका... ध्रुवीका सिंघानिया... लंदन के फ़ेमस बिलिनियर और सिंघानिया इंडस्ट्रियल की इकलौती वारिस... और इस सबके साथ ही, जिसके पिता कॉलेज के ओनर भी थे।
सब जानते थे कि ध्रुवी की ज़िन्दगी किसी राजकुमारी से कम नहीं थी। जिसने कभी ज़मीन पर पैर ही नहीं रखा था। हर चीज़ जो उसने चाही, वह उसके मांगने से पहले ही उसके लिए हाज़िर हो जाती थी। अगर वह सच में ज़िद पर आ जाती, तो उसकी ज़िद के आगे खुद ज़िद को भी झुकना पड़ता था। और अपनी ज़िद और ख्वाहिश को पूरी करने के लिए, वह कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार रहती थी।
हालाँकि ऐसा बिल्कुल नहीं था कि उसकी अमीरी उसके सर चढ़ी हो। नहीं, बल्कि उसने कभी भी अपने पिता का नाम और रुतबे का सहारा खुद से या खुद के फायदे के लिए कभी नहीं लिया था। मगर जब लोग उसका नाम और पहचान सुनते, तो उनके सर उसके आगे खुद झुक जाते थे। अब यह ध्रुवी की खुद की पर्सनैलिटी की वजह थी या उसके पिता का नाम और शोहरत, ये तो लोग ही जाने। मगर जो भी था, कभी भी किसी की भी उसके आगे बोलने की हिम्मत तक नहीं होती थी, और खासकर उसके गुस्से में। उसका गुस्सा, गुस्सा नहीं, बल्कि बिल्कुल बवंडर होता था। सब जानते थे कि ध्रुवी का गुस्सा उन्हें ना सिर्फ़ ले डूबेगा, बल्कि उन्हें तबाह ही कर देगा। इसीलिए अक्सर उसके आस-पास रहने वाले लोग हमेशा बस उसके गुस्से से ही बचने की कोशिश करते थे। हालाँकि अगर वह गुस्से में नहीं होती थी, तो उससे ज़्यादा फ़न लविंग और प्यारा कोई हो ही नहीं सकता था। दूसरों की मदद करना, उनके दुःख को महसूस करना, उसे समझना और दान पुण्य, ये सब उसके लिए करना आम था। मगर उसका यह रूप बहुत ही कम और सिर्फ़ उसके करीबी लोग ही जानते थे। वह बाहर से जितनी सख्त थी, अंदर से उतनी ही नर्म भी थी। लड़के तो उसके दीवाने हमेशा से ही थे, पहले उसके पैसे की वजह से और दूसरा उसकी खूबसूरती। मगर ध्रुवी इन दोनों ही वजह को बखूबी अच्छे से जानती भी थी और समझती भी थी। और उसे लगता था कि हर कोई ऐसा ही है, सबके लिए बस पैसा और खूबसूरती ही सबसे ज़्यादा मायने रखती है। और पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा एक शख्स भी है ही नहीं जो उसे सिर्फ़ ध्रुवी समझकर चाहे, ना कि उसके नाम या खूबसूरती से उसे प्यार या इज़्ज़त दे।
ध्रुवी की यह आरज़ू तब अधूरी हद तक पूरी भी हुई जब आर्यन मल्होत्रा उसकी ज़िन्दगी में आया। अधूरी हद तक इसीलिए क्योंकि जो कुछ भी ज़ज़्बात थे, वो हमेशा सिर्फ़ ध्रुवी ने ही ज़ाहिर किए थे। आर्यन ने हमेशा उन ज़ज़्बातों को सिरे से नकार दिया था। ध्रुवी ने जब पहली बार आर्यन को देखा था, तभी उसका दिल एक अनजाने एहसास से धड़क उठा था। और बीते वक़्त में आर्यन के लिए उसकी फीलिंग्स दिन पर दिन और भी ज़्यादा स्ट्रॉन्ग होने लगी थीं। और यह कॉलेज में इन लोगों का आखिरी साल था। मगर इस बीते वक़्त में आर्यन ने हमेशा ध्रुवी और खुद के प्रति उसकी फीलिंग्स को सिर्फ़ नकारा और इग्नोर ही किया था। ध्रुवी भी नहीं जानती थी कि आखिर आर्यन के दिल में असल में उसे लेकर क्या भावनाएँ और ज़ज़्बात थे। और उसने कई बार काफी कोशिश भी की थी कि ध्रुवी उसके मन की बात जान सके, लेकिन वह इसमें हमेशा नाकाम ही रही थी। चाहे जो हो, मगर अब बढ़ते वक़्त के साथ ध्रुवी का सब्र जवाब देते हुए टूटने लगा था। अब उसके लिए और सब्र या इंतज़ार करना मुश्किल ही नामुमकिन हो रहा था। वह थक चुकी थी आर्यन की बेरुखी से और उसकी नज़रअंदाज़ी से भी। और आज फ़ाइनली वह अपने हर एक सवाल और उलझन को सुलझाने के लिए, आर्यन से अपनी मोहब्बत का जवाब जानने के लिए सीधा उसके हॉस्टल में ही पहुँच गई थी, बिना अंजाम की कोई फ़िक्र किए या डरे। आज वह मन ही मन तय कर चुकी थी कि आज चाहे जो भी हो जाए, वह इस किस्से को ख़त्म करके ही रहेगी। बीच मझधार से वह किनारे पर आकर ही रहेगी। आज या तो आर है या पार, लेकिन अब इस किस्से को वह इसकी आखिरी मंज़िल तक पहुँचाकर ही दम लेगी और तब तक वह चैन की साँस नहीं लेगी।
ध्रुवी (आर्यन की दिशा में देखकर पूरी गंभीरता के साथ): आई वांट योर आंसर आर्यन.....राइट नाउ!!!!
आर्यन (चारों तरफ़ लोगों की नज़रें खुद पर देखते हुए): तुम पागल हो गई हो.....और तुम यहां आई ही क्यों हो.....और आख़िर क्यों तुम सबके सामने खुद का.....और मेरा तमाशा बनाने पर तुली हो.....फॉर गॉड सेक.....बस करो.....बहुत हो गया!!
ध्रुवी (दृढ़ता के साथ): एक्जेक्टली.....बहुत हो गया अब आर्यन.....और आज चाहे जो हो जाए.....मुझे मेरा जवाब चाहिए और आज मैं अपना जवाब लिए बगैर यहां से कहीं भी नहीं जाऊंगी!!!!
आर्यन (नाराज़गी भरे लहज़े से): देखो ध्रुवी, मेरे पास तुम्हारी इन फ़िज़ूल बातों को सुनने या जानने का फ़िज़ूल वक़्त बिल्कुल भी नहीं है.....तो बिना किसी ड्रामे और सीन को क्रिएट किए बिना.....यहां से चली जाओ.....क्योंकि मेरा जवाब आज भी वही है.....जो पहले था.....मैं तुम्हें प्यार नहीं करता.....और अब प्लीज़ जाओ यहां से, बहुत तमाशा कर लिया तुमने!
ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए): मैं सच सुने बिना यहां से नहीं जाऊंगी.....क्योंकि मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में.....कि तुम भी मुझे चाहते हो....बस तुम इस सच को एक्सेप्ट नहीं करना चाहते!
आर्यन (फ़्रस्ट्रेशन भरे लहज़े से): कौन से सच की बात कर रही हो तुम.....यू नो व्हाट? तुम पागल हो गई हो पूरी.....पागल अपने गुरूर में.....अपनी ज़िद में.....तुम बस हारना नहीं चाहती.....और ना ही यह बात तुम्हारी ईगो को डाइजेस्ट हो पा रही है.....कि जिस अमीर और मगरूर लड़की के पीछे पूरा कॉलेज दीवाना है.....जिसके एक इशारे पर सब उसके जूते के नोंक पर आ सकते हैं.....उस लड़की के गुरूर को एक मामूली से लड़के ने अपनी ना से तोड़ दिया.....बस यही बात तुम्हारे ईगो और घमंड को डाइजेस्ट नहीं हो पा रही है!
ध्रुवी (हर्ट भरे एक्सप्रेशन से): बहुत दुःख हो रहा है मुझे.....कि तुम ऐसा.....और इतनी छोटी सोच रखते हो मेरे बारे में!!
आर्यन: मैं ऐसा सोचता नहीं हूँ.....बल्कि यही सच है मिस ध्रुवीका सिंघानिया!!!
ध्रुवी (लगभग चिल्लाकर): अगर यह सच है.....तो क्यों मुझे तुम्हारी आँखों में खुद के लिए उमड़ते ज़ज़्बात नज़र आते हैं.....क्यों मुझ जैसी गुरूर वाली लड़की को तुम दूसरों के सामने तब डिफ़ेंड करते हो.....जब वह पीठ पीछे उसे भला-बुरा कहते हैं.....क्यों तुमने दो साल पहले मुझ जैसी ज़िद्दी लड़की की ज़िन्दगी को बचाया???.....और क्यों मेरे लिए तुम्हारे नफ़रत भरे शब्दों के एहसास.....कभी तुम्हारी आँखों तक ना पहुँचकर.....सिर्फ़ तुम्हारी ज़ुबान तक सीमित रह जाते हैं????.....बोलो, है तुम्हारे पास मेरे इन सवालों का जवाब????.....बोलो, है कोई जवाब???.....(आर्यन यह सुनकर बस खामोश रहता है और अपनी नज़रें फेर लेता है).....नहीं है ना तुम्हारे पास कोई जवाब????.....मगर मैं जानती हूँ.....क्योंकि तुम मुझसे बेहद मोहब्बत करते हो.....और मेरी ही तरह तुम भी इश्क़ में जीने-मरने की चाह रखते हो!
आर्यन (इरिटेशन भरे एक्सप्रेशन से): जस्ट शट अप.....ऐसा कुछ नहीं है.....ख़ुद से कहानियाँ गढ़ना बंद करो.....और मैंने तुम्हारे लिए जो कुछ भी किया.....वही सब मैं किसी भी और लड़की के लिए भी करता.....तो अपनी इस गलत फेमी को.....कि तुम मेरे लिए एक्स्ट्रा स्पेशल हो.....जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दूर कर लो!
ध्रुवी (गुस्से से): तुम चाहे जो भी कहो.....लेकिन आज मैं यहां से तब तक नहीं जाऊंगी.....जब तक तुम्हारे मुँह से सच ना सुन लूँ.....और अब बहुत हुआ और मुझे अभी इसी वक़्त सच जानना है, वरना....
आर्यन: वरना क्या.....(अपनी भौंहें ऊपर करते हुए).....मुझे किडनैप करवाओगी?
ध्रुवी (आर्यन की आँखों में देखते हुए एक जुनून के साथ): मैं अभी इसी वक़्त यहां से नीचे कूद जाऊंगी!
आर्यन (तंज भरी हंसी के साथ): बहुत अच्छा मज़ाक था.....फ़िलहाल आज के लिए तुमने मेरा बहुत ज़्यादा वक़्त बर्बाद कर लिया.....और अब मेरे पास तुम्हारे साथ बर्बाद करने के लिए और फ़िज़ूल वक़्त नहीं है!
ध्रुवी (आँखों में गंभीरता लिए): आर्यन, मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ.....मैं सच में यहां से कूद जाऊंगी!!!
आर्यन (ध्रुवी के करीब आकर): यू नो व्हाट.....जो करना है करो.....आई रियली डोंट केयर!
इतना कहकर आर्यन वापस जाने के लिए पीछे मुड़ता है और कुछ कदम ही चल पाता है कि तभी उसे अचानक नीचे जमा लोगों के चिल्लाने और शोर की आवाज़ नीचे से सुनाई देने लगती है। आर्यन जल्दी से पीछे पलटता है, मगर पूरा कॉरिडोर खाली था और ध्रुवी का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था। यह देखकर आर्यन का दिल धक सा रह गया। घबराहट और डर उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। उसने तो ध्रुवी की बात को महज़ धमकी समझकर हल्के में ले लिया था, लेकिन ध्रुवी ने अपने जुनून और पागलपन में उसे सच करके दिखा दिया था।
आर्यन काँपते कदमों और हाथों से बड़ी मुश्किल से कॉरिडोर की रेलिंग तक पहुँचता है। घबराते और डरते हुए वह नीचे की ओर देखता है जहाँ वह ध्रुवी को उसके ही खून के तालाब में पड़ा देख शॉक और घबराहट से दंग रह जाता है। और ध्रुवी को यूँ देख उसके होश बिल्कुल उड़ जाते हैं। इस पल उसका दिमाग बिल्कुल सुन्न हो गया था और उसका पूरा शरीर जैसे घबराहट से ठंडा पड़ गया था। मानो जैसे इस पल उसके जिस्म का सारा खून बर्फ की तरह जमकर बिल्कुल ठंडा हो गया था और उसे इस वक़्त कुछ होश नहीं था कि वह कहाँ है और उसके आस-पास असल में चल क्या रहा है और ना ही उसे यह समझ आ रहा था कि आख़िर इस सिचुएशन में वह क्या और कैसे रिएक्ट करे।
मानो जैसे उस पल आर्यन के शरीर का सारा खून बर्फ की तरह जमकर बिलकुल ठंडा हो गया था। उसे कुछ होश नहीं था कि वह कहाँ है और उसके आस-पास असल में क्या चल रहा है। उसे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस स्थिति में वह क्या और कैसे प्रतिक्रिया करे। आर्यन ना जाने कितनी देर तक अपनी जगह यूँ ही सदमे में जड़वत खड़ा रहा। उसकी तंद्रा तब टूटी जब मिहिर उसके पास आया। मिहिर ने आर्यन का नाम पुकारा, लेकिन आर्यन जैसे अपने ही ख्यालों और सदमे की दुनिया में गुम था। उसे उस वक्त ध्रुवी के सिवा कुछ दिखाई या सुनाई नहीं दे रहा था। मिहिर ने जब आर्यन को खोया-खोया देखा, तो वह लगभग घबराते हुए उसकी ओर बढ़ गया। और आर्यन जैसे अपने ख्यालों से बाहर आया।
मिहिर (आर्यन के कंधे पर हाथ रखते हुए, घबराहट भरे भाव से): आर्यन…
आर्यन (मिहिर की ओर पलटते हुए, आँसुओं भरी आँखों से): ध्रु… ध्रु… ध्रुवी… ध्रु… ध्रुवी…
आर्यन लगातार कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उस वक्त जैसे उसके मुँह से शब्द ही बाहर नहीं निकल रहे थे। मानो जैसे उसके सारे शब्द और जज़्बात उसके गले में ही कहीं अटक कर रह गए थे। मिहिर ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे खुद को संभालने के लिए कहा। आर्यन को जैसे होश आया और वह लगभग भागते हुए नीचे की ओर दौड़ पड़ा। मिहिर भी आर्यन के साथ नीचे आ पहुँचा। आर्यन की साँसें तेज़ चल रही थीं, उसके हाथ-पैर बुरी तरह काँप रहे थे। इन सब से अलग, तब तक वार्डन ने वहाँ आकर एम्बुलेंस को कॉल कर दिया था और कुछ ही देर में एम्बुलेंस वहाँ आ पहुँची। जैसे ही ध्रुवी को वहाँ से अस्पताल ले जाने लगे, आर्यन ने भी उसके साथ अस्पताल जाने की बात कही। वार्डन ने पहले तो मना किया, लेकिन हालात की गंभीरता को समझते हुए उसने आर्यन को साथ आने की इजाजत दे दी। मिहिर भी आर्यन के साथ उसे संभालने के लिए उसके साथ एम्बुलेंस में ही अस्पताल के लिए निकल पड़ा। रात का वक्त था और किस्मत थी कि हॉस्टल से लेकर अस्पताल तक बीच में ज़्यादा ट्रैफिक नहीं मिला और जल्द ही एम्बुलेंस अस्पताल पहुँच गई।
अस्पताल पहुँच कर ध्रुवी को फ़ौरन ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। क्योंकि ध्रुवी कोई छोटी-मोटी या आम हस्ती नहीं थी, इसीलिए बिना पुलिस के आए या बिना किसी जाँच के ही डॉक्टर्स ने फ़ौरन ध्रुवी का इलाज शुरू कर दिया। क्योंकि पुलिस से कहीं ज़्यादा डर सब लोगों को मि. सिंघानिया के गुस्से और नाराज़गी का था। क्योंकि सब जानते थे कि ध्रुवी में मि. सिंघानिया की जान बसती थी और अगर उसे थोड़ा भी कुछ हुआ, तो पूरे शहर में मि. सिंघानिया के गुस्से का भूचाल आ जाएगा, और जो पल में सब कुछ बर्बाद कर देगा। वार्डन ने जब कॉलेज के प्रिंसिपल और बाकी अहम लोगों को इस बात की खबर दी, तो उनके भी डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए और सब लोग एक-एक कर जल्द से जल्द अस्पताल आ पहुँचे। हर कोई बस ध्रुवी के सही-सलामत होने की दुआ कर रहा था, क्योंकि सब जानते थे कि अगर ध्रुवी को कुछ भी होता है, तो साथ में उन सबकी ज़िंदगियाँ भी खतरे में पड़ जाएँगी और फिर किसी का भी बचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
प्रिंसिपल (आर्यन पर भड़कते हुए): क्या कर दिया है आर्यन ये तुमने? तुम्हारी वजह से आज हम सब को इस क्रिटिकल सिचुएशन का सामना करना पड़ रहा है। हैव यू एनी आइडिया कि अगर ध्रुवी को कुछ भी हुआ, तो मि. सिंघानिया हम सबकी ज़िंदगियों को जीते जी जहन्नुम बना देंगे!
मि. दवे: एक्जैक्टली। तुम्हारी ही वजह से आज हम सब इतनी बड़ी मुश्किल में पड़े हैं। अगर ध्रुवी को कुछ भी हुआ, तो याद रखना सबसे पहले अंजाम तुम्हें भुगतना होगा!
मिसेज़ गुप्ता (आर्यन को घूरते हुए): नहीं मिस्टर गुप्ता, अंजाम सिर्फ़ इसे ही नहीं, बल्कि हमारी कोई गलती ना होते हुए भी, इस एक लड़के की वजह से हम सबको वो अंजाम भुगतना पड़ेगा!
मिहिर (नाखुशी भरे भाव से): सॉरी टू से, लेकिन आप सब का आर्यन को यूँ जिम्मेदार ठहराना सरासर गलत है। क्योंकि जो कुछ भी हुआ उसमें आर्यन की कोई गलती थी ही नहीं। ध्रुवी ने आर्यन पर जबरदस्ती अपने प्यार को अपनाने का दबाव बनाया और जब आर्यन ने उसकी बात नहीं मानी तो वह बिल्डिंग से नीचे कूद गई!
प्रिंसिपल (मिहिर पर झुंझला कर): और तुम्हें लगता है कि कोई भी तुम्हारी इन दलीलों को सुनकर इन्हें सच मानेगा या इसे (आर्यन को) बेगुनाह मानकर छोड़ देंगे!
मि. सक्सेना: सर, काम डाउन, ऐसे गुस्सा करने से प्रॉब्लम का सलूशन नहीं निकलेगा और ना ही हमारे कुछ कहने से ही कुछ होने वाला है। क्योंकि अब सारी बातें और सारा सच ध्रुवी के होश में आने पर, उसके मुँह से निकला उसका बयान ही तय करेगा!
मि. सक्सेना की बात सुनकर सब लोग खामोश हो गए और आर्यन तो जब से अस्पताल आया था, तब से ही वह बस पूरी तरह खामोश था। उसके मन में क्या चल रहा था और किन सवालों या बातों से वह जूझ रहा था, यह बस वह और उसका दिल ही जानते थे। और उसके जहन में उस वक्त सिर्फ़ बस ध्रुवी और उसकी बातें ही चल रही थीं। देखते ही देखते, आँखों ही आँखों में यूँ ही सुबह हो चली थी, लेकिन आर्यन अभी भी अपनी ही जगह बुत सा बना खड़ा था और कल रात से ही वह आईसीयू के बाहर से टस से मस नहीं हुआ था। बाकी लोग वेटिंग रूम में चले गए थे और मिहिर को भी उसने वापस हॉस्टल भेज दिया था। हालाँकि मिहिर नहीं जाना चाहता था, लेकिन आर्यन ने उसे खुद को कुछ देर अकेला छोड़ने के लिए कहा, तो आखिर में मजबूरी में मिहिर वहाँ से चला गया। कि तभी एक डॉक्टर आईसीयू से बाहर निकली, तो आर्यन जल्दी से उसकी ओर बढ़ गया। तभी एकाएक बाकी सारे टीचर भी वहाँ आ पहुँचे।
आर्यन: डॉक्टर, क्या ध्रुवी को होश आ गया है?
डॉक्टर: हाँ, उन्हें होश आ चुका है!
आर्यन (उत्सुकता से): क्या हम ध्रुवी से मिल सकते हैं?
डॉक्टर: जी, मिल सकते हैं, लेकिन ज़्यादा लोग नहीं!
आर्यन जैसे ही आईसीयू की ओर अपने कदम बढ़ाने को हुआ, कि पुलिस कमिश्नर ने आकर उसे रोक दिया।
कमिश्नर (आर्यन को रोकते हुए): रुकिए, अभी आप में से कोई भी अंदर नहीं जा सकता, जब तक कि हम मिस ध्रुवी का बयान ना ले लें और सच को ना जान लें!
कमिश्नर अभी इन लोगों से बात ही कर रहे थे, कि तभी मिस्टर सिंघानिया घबराहट भरे एक्सप्रेशन से लगभग हड़बड़ाते हुए वहाँ आ पहुँचे, जो ध्रुवी के एक्सीडेंट की खबर सुनकर फ़ौरन न्यूयॉर्क से निकल पड़े थे और थोड़ी देर पहले ही उनकी फ़्लाइट लंदन में लैंड हुई थी। उनके पीछे-पीछे मिहिर भी अस्पताल आ पहुँचा था।
मि. सिंघानिया (घबराते हुए डॉक्टर से): क्या हुआ है ध्रुवी को डॉक्टर? कैसी है मेरी बेटी?
डॉक्टर: यह तो एक्ज़ैक्टली हमें नहीं पता मिस्टर सिंघानिया कि उनके साथ क्या हुआ था, लेकिन जब मिस ध्रुवी को यहाँ लाया गया था, तो उनके सर पर गहरी चोट लगी हुई थी, उनकी बायीं टांग और दाहिने हाथ में भी फ्रैक्चर है और वह बेहोश थी। उनका काफी ब्लड लॉस भी हो चुका था। वो तो अच्छा है कि उन्हें सही वक्त पर अस्पताल लाया गया, वरना कुछ भी हो सकता था!
सिंघानिया (गुस्से से प्रिंसिपल और बाकी स्टाफ़ की तरफ़ देखकर): क्या हुआ मेरी बेटी को? कैसे उसे इतनी चोटें लगीं? कल जब मैं यहाँ से न्यूयॉर्क के लिए निकला था, तो वह बहुत खुश थी और बिलकुल सही भी थी। फिर कुछ ही घंटों में उसे ऐसा क्या हो गया जो वह इस हालत में अस्पताल के बिस्तर पर आ पड़ी?
प्रिंसिपल (बुरी तरह घबरा कर हकलाते हुए): स… सर… व… वो… द… दरअसल…
प्रिंसिपल सर अपनी बात कहने की पूरी कोशिश कर रहे थे, मगर मिस्टर सिंघानिया की लाल आँखों में गुस्से की ज्वाला देखकर जैसे उनके शब्द उनके गले में ही कहीं अटक कर रह गए थे और वह चाहकर भी कुछ नहीं कह पा रहे थे। उनके साथ ही बाकी सारे लोग भी घबराहट और डर से अपनी जुबान पर चुप्पी साधे हुए थे।
कमिश्नर (मिस्टर सिंघानिया को गुस्सा करते देख): आप शांत रहें मिस्टर सिंघानिया। हम अंदर चलकर ध्रुवी बिटिया से उसका बयान लेते हैं, फिर तभी हम इन लोगों से अच्छे से निपटेंगे!
कमिश्नर की बात सुन मिस्टर सिंघानिया उनके साथ अंदर की ओर चल पड़ते हैं, कि एकाएक वो पीछे पलटकर सब लोगों की तरफ़ निहायत ही गुस्से और सख्त भाव से देखते हैं।
मि. सिंघानिया: अगर मेरी बेटी ने अपनी इस हालत के लिए तुम में से किसी का भी नाम लिया, तो आई स्वेर… आई स्वेर उसे खुली आँखों से नर्क की सैर कराऊँगा मैं!
मि. सिंघानिया इतना कहकर कमिश्नर के साथ आईसीयू के अंदर चले गए, लेकिन उनकी बात सुनकर सब लोगों की हालत खस्ता हो गई थी और डर और घबराहट की वजह से सब के पसीने छूटने लगे थे। कहीं ना कहीं आर्यन के चेहरे पर भी घबराहट और डर के भाव उभर रहे थे, क्योंकि पॉवर और स्टेटस की बात करें तो मि. सिंघानिया के आगे उसका कद बहुत ही छोटा और मामूली सा था और वह एक पल में उसकी पूरी ज़िंदगी और करियर को बर्बाद कर सकते थे। शायद यही वजह थी कि आर्यन के चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आए थे, मगर इन सब से अलग वह फिर भी मन ही मन बस ध्रुवी के ठीक होने की ही प्रार्थना कर रहा था। सब लोग मन ही मन प्रार्थना करने में लगे हुए थे, कि तभी कुछ देर बाद वहाँ एक नर्स आईसीयू से बाहर आती है।
नर्स (सब लोगों के बीच आकर): आप में से किसका नाम आर्यन है?
आर्यन (अपना सर हाँ में हिलाते हुए): ज… जी? …म… मैं हूँ आर्यन!
नर्स (आईसीयू के अंदर इशारा करते हुए): आपको अंदर बुलाया गया है!
नर्स की बात सुनकर आर्यन को लेकर वहाँ मौजूद सभी लोगों के डर और घबराहट से रोंगटे खड़े हो गए थे कि ईश्वर ही जाने अब आर्यन के साथ क्या होने वाला है। एक गहरी साँस लेकर आर्यन नर्स के साथ आईसीयू की ओर बढ़ गया और उसका दरवाज़ा खोलकर एक पल बाद ही अंदर चला गया। ध्रुवी के हाथ में ड्रिप लगी हुई थी और वो मशीनों के बीच बेड पर लेटी हुई थी और उसके दोनों तरफ़ कमिश्नर और उसके डैड खड़े हुए थे। जैसे ही आर्यन ने कमरे में कदम रखा, पुलिस कमिश्नर ने एक नज़र आर्यन की ओर डालकर वापस ध्रुवी की तरफ़ देखा।
कमिश्नर: यही है वह जिसके बारे में तुमने हमें बताया?
ध्रुवी (धीमी और कमज़ोर आवाज़ में): हाँ!
अब कमिश्नर और मिस्टर सिंघानिया दोनों की नज़र पूरी तरह आर्यन पर ही टिक गई और यह देखकर अंदर ही अंदर आर्यन का दिल डर और घबराहट से ज़ोरों से धड़क रहा था!
कमिश्नर और मिस्टर सिंघानिया दोनों की नज़र पूरी तरह आर्यन पर टिकी थी। आर्यन का दिल डर और घबराहट से जोरों से धड़क रहा था। लेकिन अगले ही पल कमिश्नर की बात सुनकर वह असमंजस में पड़ गया और ध्रुवी और कमिश्नर की ओर देखने लगा।
कमिश्नर (ध्रुवी की ओर देखकर): "तो यही है तुम्हारा वह दोस्त, जिससे मिलने के लिए तुम हॉस्टल गई थीं और वहाँ एक्सीडेंटली तुम्हारा पैर फिसल गया और तुम नीचे गिर गई थीं?"
ध्रुवी ने कमिश्नर की बात सुनी, आर्यन की ओर देखा और हाँ में अपना सिर हिलाया।
कमिश्नर: "क्या तुम पक्का हो, मिस ध्रुवी? क्योंकि जिस तरह से तुम्हारी हालत है और तुम्हें जितनी चोटें लगी हैं, उसको देखकर नहीं लगता कि यह सब महज एक संयोग है।"
ध्रुवी (धीमी और कमज़ोर आवाज में): "झूठ बोलने की कोई वजह भी तो होनी चाहिए ना सर!"
कमिश्नर: "हम्मम... ठीक है... मैं तुम्हारे बयान की रिपोर्ट दर्ज करवाता हूँ।"
ध्रुवी ने फिर से धीरे से हाँ में अपना सिर हिलाया।
ध्रुवी (धीमी और कमज़ोर आवाज में): "हाँ सर... (आर्यन की ओर देखकर) शायद आज मैं आर्यन की वजह से ही मौत के मुँह से लौट कर आई हूँ। शायद आर्यन नहीं होता तो मैं ज़िंदा भी नहीं रह पाती। मेरी साँसें आर्यन की कर्ज़दार हैं सर!"
ध्रुवी की बात सुनकर आर्यन की नज़रें उसके चेहरे पर टिक गईं, जहाँ कई भाव उसे साफ़ दिख रहे थे।
मि. सिंघानिया (शिकायती लहजे में): "ध्रुवी, क्या बात है? क्या हो गया है? तुम जानती हो ना तुम मेरे लिए क्या मायने रखती हो, फिर भी ऐसी बातें कर रही हो, खुद के मुझसे दूर जाने की बात कर रही हो?"
ध्रुवी (धीरे से मुस्कुराकर): "परेशान मत हो पिताजी... इतनी जल्दी आपका पीछा छोड़कर मैं कहीं नहीं जाने वाली। अभी तो मुझे आपको बहुत परेशान करना है। परेशान मत हो... कहीं नहीं जा रही मैं!"
मिस्टर सिंघानिया (हौले से मुस्कुराकर): "और मैं जाने भी नहीं दूँगा, फिर चाहे मुझे इसके लिए ईश्वर से ही क्यों ना लड़ना पड़े। (आर्यन की ओर देखकर) और धन्यवाद नौजवान... बहुत-बहुत धन्यवाद... दरअसल धन्यवाद तो बहुत ही मामूली शब्द हैं। तुमने जो किया है वो बहुत ही अनमोल है, जिसके लिए मैं अगर अपनी पूरी दौलत भी तुम पर लुटा दूँ तो भी कम हैं। आज तुम्हारी वजह से मेरी बेटी की जान बची है और तुम्हारा यह एहसान मुझ पर एक बहुत बड़ा कर्ज़ है, जिसे तुम जब चाहो, जैसे चाहो मुझसे कुछ भी मांगकर, मुझे इस एहसान की एक छोटी सी किस्त के रूप में उतारने का मौका दे सकते हो!"
आर्यन (अपना सिर ना में हिलाते हुए): "कृपया सर... ऐसा कुछ भी नहीं है!"
मि. सिंघानिया (एक पल को ध्रुवी की ओर देखकर): "तुम नहीं जानते... ध्रुवी मेरे लिए मेरी ज़िंदगी है और असल मायनों में आज तुमने ध्रुवी की नहीं, बल्कि मेरी ज़िंदगी बचाई है और इसके बदले तुम जो चाहो मुझसे मांग सकते हो। मैं कभी ना नहीं कहूँगा।"
आर्यन ने मिस्टर सिंघानिया की बात सुनी और फीकी सी मुस्कान मुस्कुराया।
कमिश्नर (मिस्टर सिंघानिया की ओर देखकर): "मि. सिंघानिया, मुझे आपसे ध्रुवी के केस के चलते कुछ ज़रूरी कागज़ों पर आपके हस्ताक्षर चाहिए। सो अगर आपको कोई आपत्ति नहीं है... कृपया आपको कुछ औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए थोड़ी देर के लिए मेरे साथ बाहर चलना होगा!"
मिस्टर सिंघानिया: "ज़रूर... (ध्रुवी की ओर देखकर) मेरे प्यार, मैं अभी आता हूँ!"
ध्रुवी ने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई। कुछ पल बाद मिस्टर सिंघानिया कमिश्नर के साथ आईसीयू से बाहर चले गए। उनके जाने के बाद आर्यन कुछ पल खामोशी से ध्रुवी के बिस्तर के पास रखे स्टूल पर बैठ गया। उसकी नज़रें ध्रुवी के चेहरे पर टिकी थीं, जिन्हें आर्यन उसकी ओर ना देखकर भी महसूस कर पा रहा था। कुछ पल शांत रहने के बाद आर्यन ध्रुवी की ओर देखकर बोला:
आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर): "तुम ऐसे क्यों देखती रहती हो मुझे?"
ध्रुवी (धीमी मुस्कान से कमजोर लहजे के साथ अपने दिल की ओर इशारा करते हुए): "बहुत सुकून मिलता है यहाँ!"
आर्यन (एक पल रुककर): "तुमने अपने पिताजी और कमिश्नर से झूठ क्यों कहा कि मेरी वजह से तुम्हारी जान बची है, जबकि सच तो कुछ और ही था? और असल में तुम मेरी ही वजह से...(एक पल रुककर)... कूदी थी?"
ध्रुवी (धीमी और कमजोर आवाज में): "मैंने कोई झूठ नहीं कहा... मैंने सिर्फ़ सच ही कहा है। क्योंकि शायद अगर तुम्हारा प्यार मेरे जीने की वजह नहीं होता, तो मैं कभी ज़िंदा बचती ही नहीं और इस वक़्त यहाँ ना होकर सीधा श्मशान घाट पर होती!"
आर्यन (एक पल को अपनी आँखें बंद करके): "ध्रुवी तुम..."
ध्रुवी (बीच में आर्यन की बात काटते हुए): "फिलहाल मेरे अंदर इतनी ऊर्जा बाकी नहीं है कि मैं तुमसे लगातार बात कर सकूँ या बहस कर सकूँ। इसीलिए फिलहाल बस मेरे एक साधारण से सवाल का जवाब दो... क्या तुम मुझसे प्यार करते हो या नहीं?"
इस बार ध्रुवी के सवाल सुनकर आर्यन के चेहरे पर न तो गुस्से के भाव थे और न ही निराशा। उसके चेहरे पर हैरानी के साथ एक कोमलता थी।
आर्यन (एक पल तक ध्रुवी को देखने के बाद): "क्या हो तुम यार? आखिर हो क्या तुम? मतलब हॉस्पिटल के बिस्तर पर मरने वाली हालत में आ पड़ी हो, लेकिन अपने इस बेकार सवाल को अभी तक नहीं भूली!"
ध्रुवी (धीमी और कमजोर आवाज के साथ): "और भूलने भी नहीं वाली। और अगर इस बार तुमने मुझे ना कहा, तो मैं इस बार तीसरी नहीं... मैं सीधा 13वें माले से छलांग लगाऊँगी ताकि मेरे पिताजी का अस्पताल का खर्चा बच जाए और वो मुझे सीधा श्मशान ले जाए!"
आर्यन (अपने हाथ ध्रुवी के आगे जोड़ते हुए तपाक से): "बस करो देवी... बस करो! तीसरा माला ही मुझे इतना भारी पड़ गया कि एक-एक लम्हा मेरे लिए ऐसा गुज़रा जैसे मेरे सर पर शनि सवार हो। और कहीं अगर अबकी बार तुम 13वें माले से कूदी तो मैं तो समझो गया काम से ही!"
ध्रुवी: "तो फिर मान लो मेरी बात और छोड़ दो अपनी ज़िद!"
आर्यन (अपने काँधे उचकाकर): "हम्मम... तुम्हें लगता है कि मेरे पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है!"
ध्रुवी (अविश्वास और हैरानी भरे भाव से आर्यन की ओर देखकर): "क्या... क्या कहा तुमने? और मतलब क्या है तुम्हारा इस बात से? (अपनी हालत भूलकर एक पल रुककर उत्सुकता से)... क्या कहा तुमने... जरा एक बार फिर दोहराकर कहो?"
आर्यन (अपनी भौंहें सिकोड़कर): "मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ इतना है कि जल्द से जल्द ठीक हो जाओ। (मज़ाक करते हुए) क्योंकि अगर तुम ऐसे ही टूटी-फूटी रही तो सारा कॉलेज मेरा मज़ाक उड़ाएगा कि आर्यन मल्होत्रा ने एक प्रेमिका बनाई और उसकी इकलौती प्रेमिका वो भी ऐसी टूटी-फूटी सी... मतलब कोई क्लास तो होनी चाहिए ना!"
ध्रुवी (आर्यन की बात सुनकर जल्दी से उत्साहित होकर उठने की कोशिश करते हुए): "आर्यन क्या तुम..."
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनी तो कुछ पल तक उसे ऐसे देखती रही जैसे वो खुली आँखों से कोई खूबसूरत सुनहरा सपना देख रही हो। उसे अपने कानों और आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि आखिर इतने इंतज़ार और सब्र के बाद आखिरकार आज आर्यन ने ध्रुवी की मोहब्बत और जुनून के आगे अपने घुटने टेक दिए। कुछ पल बाद जब ध्रुवी को पूरी तरह यकीन हो गया कि यह कोई सपना नहीं है, बल्कि उसके ख्वाब के पूरे होने की शुरुआत थी, तो वह इतनी उत्साहित हो गई कि वह भूल गई कि वह कहाँ है। जैसे ही उसने उठने की कोशिश की, उसका पूरा शरीर चोट की वजह से दुख गया और उसके मुँह से एक दर्द भरी तेज आह निकल गई। यह देखकर आर्यन जल्दी से बेंच से उठकर उसके पास बिस्तर की ओर बढ़ा और सावधानी से ध्रुवी का सिर वापस बिस्तर पर रखा।
आर्यन (ध्रुवी को डाँटते हुए): "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? संभल के नहीं कर सकती? कहाँ की जल्दी है तुम्हें? पागल हो गई हो क्या?"
ध्रुवी (बेवकूफ़ी से मुस्कुराते हुए): "हाँ हो गई हूँ पागल... वो भी तुम्हारे प्यार में। और अब तुमसे अपने प्यार का इज़हार सुनने के बाद तो मैं मर भी जाऊँ तब भी कोई ग़म नहीं!"
आर्यन (अपना सिर ना में हिलाते हुए): "सच में लड़की... तुम पागल हो... पूरी तरह पागल!"
ध्रुवी: "वो तो मैं हूँ!"
आर्यन ने ध्रुवी की बात सुनी और हौले से मुस्कुराया। ध्रुवी आगे कुछ बोलती कि तभी कमरे में मिस्टर सिंघानिया डॉक्टर के साथ वापस आ गए।
मि. सिंघानिया (ध्रुवी को चेक करते डॉक्टर से): "मेरी बेटी कब तक पूरी तरह ठीक होगी डॉक्टर? और कोई गंभीर समस्या तो नहीं हुई है ना इसे? अगर कोई भी बात है तो आप मुझे बता सकते हैं। मैं इसे किसी भी बेहतरीन देश के सबसे अच्छे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए तैयार हूँ। बस मुझे मेरी बेटी बिल्कुल ठीक चाहिए!"
डॉक्टर (व्यावसायिक लहजे में): "मैं आपकी भावनाएँ अच्छे से समझता हूँ मि. सिंघानिया। लेकिन आप चाहें ध्रुवी को किसी भी डॉक्टर के पास ले जाएँ, सबका यही जवाब होगा। (एक पल रुककर) ध्रुवी को पूरी तरह ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा और इस वक़्त इसे विशेष देखभाल की बेहद ज़रूरत है। (ध्रुवी की ओर देखकर) और तुम्हें भी अपना विशेष ध्यान रखने की सख्त ज़रूरत है!"
मि. सिंघानिया (ध्रुवी की ओर देखकर): "इस लड़की को ये बात अच्छे से समझाएँ डॉक्टर... जो बिल्कुल भी खुद पर ध्यान नहीं देती है!"
ध्रुवी (हल्की सी मुस्कान के साथ): "परेशान मत हो पिताजी... (आर्यन की ओर देखकर) अब तो मुझे भी जल्द से जल्द ठीक होना है ताकि मैं अपनी आने वाली खूबसूरत ज़िंदगी को खुलकर और पूरे मन से जी सकूँ!"
मि. सिंघानिया (ध्रुवी के माथे को चूमते हुए): "ज़रूर मेरी जान... बिल्कुल जियोगी तुम अपनी ज़िंदगी और ठीक वैसे ही जैसे तुम चाहती हो। (थोड़ी भावुकता के साथ) बस आइन्दा ऐसी लापरवाही कभी मत करना। तुम नहीं जानती मेरी साँसें ही अटक गई थीं जब मैंने तुम्हारे हादसे की बात सुनी थी। तुम्हारे बगैर मेरा आखिर है ही कौन और ईश्वर ना करे तुम्हें कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता!"
ध्रुवी (अपने पिताजी की ओर देखकर): "परेशान मत हो पिताजी... मैं ठीक हूँ बिल्कुल... आप इतना मत सोचिए!"
मि. सिंघानिया: "हम्मम... लेकिन मैंने फ़ैसला कर लिया है... आज के बाद तुम अकेले कहीं भी नहीं जाओगी!"
ध्रुवी: "लेकिन पिताजी..."
मि. सिंघानिया (ध्रुवी की बात को बीच में काटते हुए): "अभी कुछ वक़्त पहले ही डॉक्टर ने तुम्हें ऑपरेट किया है। अभी तुम्हारे लिए इतनी बातें करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इसीलिए अब बस तुम आराम करो और आराम से सो जाओ!"
ध्रुवी (हौले से अपनी गर्दन हाँ में हिलाते हुए): "हम्मम..."
मि. सिंघानिया ने ध्रुवी को आँखें बंद करने के लिए कहा और ध्रुवी ने ऐसा ही किया। कुछ देर मि. सिंघानिया ध्रुवी का सर थपथपाते रहे और कुछ ही देर में ध्रुवी दवाई और इंजेक्शन के असर से गहरी नींद में चली गई। उसके सोने के बाद मि. सिंघानिया ने एक बार फिर उसका माथा चूमा, उसे कंबल ओढ़ाकर आर्यन और डॉक्टर के साथ कमरे से बाहर निकल गए।
मि० सिंघानिया ध्रुवी का सिर थपथपाते रहे। कुछ ही देर में ध्रुवी दवा और इंजेक्शन के असर से गहरी नींद में सो गई। उसके सोने के बाद मि० सिंघानिया ने उसका माथा चूमा, उसे कंबल ओढ़ाया और आर्यन व डॉक्टर के साथ कमरे से बाहर निकल आए।
तब तक प्रिंसिपल और बाकी स्टाफ को भी ध्रुवी का बयान मिल चुका था। उनकी अटकी साँसें ध्रुवी के बयान के बाद सामान्य हुईं।
मि० सिंघानिया के बाहर आने के कुछ देर बाद सभी ने उनसे विदा ली और वहाँ से चले गए। मि० सिंघानिया ने आर्यन को भी आराम करने को कहा, तो वह मिहिर के साथ वापस हॉस्टल लौट आया।
फ्रेश होने और नहाने के बाद आर्यन बिस्तर पर लेट गया। वह पूरी रात थका हुआ था, इसलिए बिस्तर पर लेटते ही उसे नींद आ गई। मिहिर ने उसे सोता देखा तो बिना डिस्टर्ब किए लंच करने नीचे चला गया।
दोपहर ढलकर शाम हो गई, मगर आर्यन सोया हुआ था। मिहिर ने कमरे की लाइट ऑन की तो आर्यन की नींद खुली। उसने आँखें मसलते हुए मिहिर से समय पूछा।
"क्या वक्त हुआ है?" आर्यन ने अपनी आँखें मसलते हुए पूछा।
"शाम के सात बज चुके हैं!" मिहिर ने उत्तर दिया।
"व्हाट! शाम के सात बज गए? मगर मुझे तो ध्रुवी से मिलने हॉस्पिटल जाना था! तूने मुझे क्यों नहीं उठाया?" आर्यन बिस्तर से उठते हुए बोला।
"तू इतने आराम से सो रहा था, सोचा कुछ देर आराम करने देतूँ!" मिहिर ने कहा।
"हाँ, लेकिन मैं ध्रुवी से मिलने लेट हो गया!" आर्यन ने बिस्तर छोड़ते हुए कहा।
"ठीक है, उससे मिलने जाना, लेकिन पहले कुछ खा ले। तूने कल रात से कुछ नहीं खाया!" मिहिर ने थाली की ओर इशारा करते हुए कहा।
"हम्मम… मैं आता हूँ फ्रेश होकर!" आर्यन ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा।
आर्यन फ्रेश होकर आया और अपने बिस्तर पर बैठते हुए मिहिर की लाई हुई थाली से खाना खाने लगा। खाना खाते हुए उसने मिहिर की शक भरी निगाहें खुद पर देखीं और अपनी भौंहें उठाते हुए मिहिर की ओर देखा।
"व्हाट… ऐसे क्यों घूर रहा है, जैसे मैंने तेरी किडनी निकाल ली हो?" आर्यन ने पूछा।
"किडनी का तो पता नहीं, मगर मुझे ऐसा लग रहा है कि तेरे सीने से वो लड़की, ध्रुवी, तेरा दिल ज़रूर निकाल चुकी है!" मिहिर ने अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा।
"ऐ… ऐसा कुछ भी नहीं है!" आर्यन झेंपते हुए बोला।
"बेटा, मुझसे चालाकी नहीं कर सकता तू, भले ही पूरी दुनिया से चालाकी कर ले, लेकिन मुझसे… ना… नेवर!" मिहिर ने कहा।
"हाँ तो तूने ही तो कहा था ना कि उसे एक चांस दे दूँ, तो बस तेरी बात का मान रखते हुए मैंने सोचा क्यों ना उसे एक चांस दे दिया जाए!" आर्यन ने खाना खाते हुए कहा।
"वाह बेटे वाह! क्या बात है! आज तक तो मेरी किसी बात का मान नहीं रखा तूने कमीने, इस बात का बड़ी जल्दी मान रख लिया!" मिहिर ने अपनी भौंहें उठाकर कहा।
"हाँ ना रख लिया, तो ठीक है ना अब… क्यों खुजली हो रही है तुझे? इज़्ज़त रास नहीं आती? मिल रही है तो रख ले!" आर्यन चिढ़कर बोला।
"तेरा मुँह दुखता है ये कहने में कि वो तुझे पसंद है या तू भी उसे चाहने लगा है!" मिहिर ने आर्यन की बाजू पर घूंसा जड़ते हुए कहा।
आर्यन ने एक पल मिहिर को देखा, अपनी चम्मच प्लेट में रखकर बोला, "आई डोंट नो ब्रो… कि मेरी फीलिंग क्या है… मुझे खुद समझ नहीं आ रहा… हाँ इतना ज़रूर है कि जब वो लड़की मेरे आसपास होती है तो मैं हमेशा उससे दूर भागने की कोशिश करता हूँ, लेकिन जब वह मेरे आसपास नहीं होती तो मैं हमेशा उसकी कमी महसूस करता हूँ। हालाँकि ये बात कभी भी मेरा दिमाग मानने के लिए तैयार नहीं होता, लेकिन मेरा दिल इस बात को हमेशा कहता है!"
"देख आर्यन, जितना मैंने ध्रुवी को समझा है, वह ऐसी बिल्कुल भी नहीं है जैसा लोग उसके बारे में कहते हैं। वो बिल्कुल अलग है। हाँ, थोड़ी रिजर्व्ड है, लेकिन वह सेल्फिश या गलत नहीं है, और तेरे मामले में तो बिल्कुल भी नहीं… (एक पल रुककर) आज के वक्त में जहाँ लोग प्यार मोहब्बत के नाम पर सिर्फ दिल से खेलते हैं, वहाँ उसने अपना प्यार प्रूफ करने के लिए बिना एक बार भी सोचे समझे सिर्फ तेरे लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी। तुझे उसे यह मौका देना चाहिए था और मैं खुश हूँ कि तूने उसे ये मौका दिया। और तू देखना कि एक दिन ऐसा आएगा जब तुझे अपने ही फैसले पर खुशी होगी कि तूने उस लड़की को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना!" मिहिर ने गंभीर भाव से कहा।
"होप सो," आर्यन ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा।
कुछ देर बातें करने के बाद आर्यन तैयार होकर ध्रुवी से मिलने हॉस्पिटल के लिए निकल गया। हॉस्पिटल पहुँचकर उसने देखा मि० सिंघानिया ध्रुवी को अपने हाथ से सूप पिला रहे थे। जब उसने ध्रुवी की ओर देखा तो ध्रुवी ने नाराज़गी भरी नज़रों से उसे घूरा। आर्यन समझ गया कि यह नाराज़गी इसलिए है क्योंकि वह इतनी देर से आया है। मि० सिंघानिया की नज़रों से बचते हुए आर्यन ने ध्रुवी के सामने अपने कान पकड़े तो ध्रुवी ने नाराज़गी से मुँह फेर लिया।
ध्रुवी को सूप पिलाने के बाद आर्यन और मि० सिंघानिया के बीच थोड़ी औपचारिक बातें हुईं। मि० सिंघानिया थके हुए थे, इसलिए आर्यन ने उन्हें घर जाने को कहा, लेकिन मि० सिंघानिया ने साफ़ इनकार कर दिया कि वह ध्रुवी को अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे। आखिर में जब ध्रुवी ने उनसे जाने की ज़िद की तो वे उसके आगे हार गए और उन्होंने आर्यन को ध्रुवी का ख्याल रखने को कहकर वहाँ से चले गए। उनके जाने का एक कारण यह भी था कि उन्हें अब आर्यन पर भरोसा हो गया था कि वह ध्रुवी का ख्याल रख सकेगा क्योंकि उसने उनकी बेटी की जान बचाई थी। उन्होंने अपने पहरेदारों को भी वहीं तैनात कर दिया था।
मि० सिंघानिया के जाने के बाद आर्यन उठकर ध्रुवी के बिस्तर के पास बैठ गया। यह देखकर ध्रुवी ने अपना चेहरा दूसरी ओर फेर लिया।
"उप्स! लगता है कोई बहुत ज़्यादा नाराज़ है मुझसे!" आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखकर कहा।
"पर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है किसी की नाराज़गी से!" ध्रुवी ने आर्यन को नाराज़गी से घूरते हुए कहा।
"बिल्कुल पड़ता है! अब मुझ जैसे मासूम इंसान में तुम्हारे गुस्से का ज्वालामुखी सहने की शक्ति कहाँ है!" आर्यन ने कहा।
"ज़्यादा ओवर स्मार्ट मत बनो और ये बताओ कहाँ थे तुम जो इतनी देर से यहाँ आए हो?" ध्रुवी ने आर्यन को घूरते हुए पूछा।
"सॉरी यार… वो मैं थक गया था तो जाकर सो गया था और सोते-सोते पता ही नहीं चला कि कब इतना वक्त गुज़र गया। और जैसे ही मेरी नींद खुली तो मैं फ़ौरन यहाँ आ गया। एम सॉरी!" आर्यन ने अपनी गर्दन खुरचते हुए कहा।
"इट्स ओके… मैं बस मज़ाक कर रही थी। अच्छा किया तुमने, वरना रात भर जागे रहने से बीमार हो जाते। और डोंट वरी, मैं सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी। तुम्हारी टांग खींच रही थी, तो जस्ट चिल!" ध्रुवी मुस्कुरा कर बोली।
"अच्छा मुझे नहीं पता था कि तुम ये शरारतें भी करती हो!" आर्यन ने अपनी भौंहें उठाकर कहा।
"बिल्कुल करती हूँ और अब जब तुम मेरे साथ रहोगे तो तुम मुझे अच्छे से जान भी जाओगे और समझ भी!" ध्रुवी हौले से मुस्कुरा कर बोली।
ध्रुवी बहुत कमज़ोर थी और उसकी आवाज़ से यह बात साफ़ जाहिर हो रही थी, लेकिन आर्यन को सामने देखकर उसके चेहरे पर चमक और खुशी साफ़ दिख रही थी। कुछ देर बातें करने के बाद दवा और इंजेक्शन के नशे से ध्रुवी सो गई। आर्यन उसके सोने के बाद बिस्तर से उठा, उसे कंबल ओढ़ाया और खुद सोफ़े पर जाकर लेट गया।
धीरे-धीरे दिन गुज़रते गए, लेकिन अब ध्रुवी के लिए यह हॉस्पिटल और उसका कमरा बोरिंग हो गया था। उसका यहाँ रुकने का मन नहीं कर रहा था, लेकिन डॉक्टर ने उसे जाने की इजाज़त नहीं दी थी। मगर जैसे-तैसे अपनी ज़िद करके ध्रुवी ने पन्द्रह दिन बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज ले लिया और वह घर आ गई।
हॉस्पिटल की तरह ही आर्यन यहाँ भी रोज़ मिलने आया करता था और कॉलेज में क्या चल रहा है या उसकी पढ़ाई कहाँ तक पहुँची, आर्यन ध्रुवी को यह सब बताता था और पढ़ाई में उसकी मदद भी करता था ताकि ध्रुवी पीछे न रह जाए। आर्यन को घर के सभी नौकर-चाकर जान चुके थे और मि० सिंघानिया तो आर्यन पर पहले से ही भरोसा करते थे, तो यहाँ आने-जाने के लिए उस पर कोई रोक-टोक नहीं थी।
धीरे-धीरे दिन गुज़रते गए, वक़्त के साथ ध्रुवी और आर्यन की मोहब्बत गहरी होती जा रही थी। हालाँकि मि० सिंघानिया की नज़रों से यह सब छुपा था। उन्हें ध्रुवी और आर्यन सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही नज़र आते थे। शायद उनकी नज़रों में आर्यन का एहसान था जिसने ध्रुवी की जान बचाई थी, तो उस पर कोई शक करना या उसके बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा सोचना मि० सिंघानिया के लिए मुमकिन नहीं था। उनके इसी भरोसे का नतीजा था कि आर्यन को कोई भी गार्ड या नौकर घर में आने से नहीं रोकता था और आर्यन को बिना किसी सुरक्षा के अंदर आने की इजाज़त थी। इधर दूसरी तरफ़ ध्रुवी की तो जैसे मुँह माँगी मुराद पूरी हो चुकी थी और आर्यन के रूप में उसे अपनी मोहब्बत मिल भी चुकी थी।
(एक महीने बाद…)
ध्रुवी के साथ हुए एक्सीडेंट को पूरा एक महीना बीत चुका था। लगभग ध्रुवी के ऊपरी घाव भर चुके थे, लेकिन अभी उसके हाथ का फ्रैक्चर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ था। उस पर अभी भी प्लास्टर बंधा हुआ था। पन्द्रह दिन पहले ही आर्यन भी हॉस्टल से अपने किराए के फ़्लैट में शिफ़्ट हो गया था क्योंकि यह कॉलेज का आखिरी साल था और अब बस कुछ ही वक़्त में फ़ाइनल एग्ज़ाम होने बाक़ी थे। आर्यन को अब जॉब के लिए आए दिन इंटरव्यू के लिए कंपनी में जाना होता था। हॉस्टल से रोज़ इस तरफ़ आना-जाना उसके लिए मुश्किल होता था, इसलिए आर्यन अपने पर्सनल किराए के फ़्लैट में शिफ़्ट हो गया था जहाँ से उसे आसानी हो सके। ध्रुवी के लिए तो यह दुगनी खुशी थी क्योंकि अब जब भी उसका मन होता वो बिना किसी रोक-टोक के उससे मिल सकती थी।
बीते एक महीने में आर्यन और ध्रुवी के रिलेशनशिप की अफ़वाह लगभग पूरे कॉलेज में फैल चुकी थी और दोनों कॉलेज के मोस्ट हॉट एंड पॉपुलर कपल बन चुके थे। बीते एक महीने में आर्यन का झुकाव भी ध्रुवी की तरफ़ दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था और उसकी केयर और ध्रुवी के लिए उसकी फ़िक्र, उसका ध्रुवी के लिए बेशुमार प्यार साफ़ झलकता था। दोनों की ज़िन्दगी अब एक-दूसरे के साथ होने से बेशुमार खुशियों से भरी लगने लगी थी। लेकिन क्या सच में चीज़ें जितनी आसान और स्मूथ नज़र आ रही थीं, वाक़ई में हमेशा ऐसे ही रहने वाली थीं या फिर शतरंज जैसी ज़िन्दगी की बिसात पर यह महज़ एक साज़िश थी, एक शुरुआत थी किसी की शह और मात की…!!
पूरे एक महीने बाद, काफी जिद और अनुरोध करने के बाद, आखिरकार मिस्टर सिंघानिया ने आर्यन की ज़िम्मेदारी पर ध्रुवी को कॉलेज जाने की इजाज़त दे दी थी। हालाँकि, पूरे कॉलेज में यह अफ़वाह फैल चुकी थी कि ध्रुवी और आर्यन रिलेशनशिप में आ चुके हैं। लेकिन ध्रुवी इस बात को खुद लोगों के सामने प्रमाणित करना चाहती थी, और इसीलिए वह जिद करके आर्यन के साथ कॉलेज जाने के लिए तैयार हुई।
आर्यन उसे लेने आया तो मिस्टर सिंघानिया ने ड्राइवर को उन दोनों को कॉलेज ले जाने के लिए कहा। लेकिन आर्यन ने अपनी स्वाभिमान के चलते ऐसा करने से मना कर दिया और खुद टैक्सी से आने की बात कही। ध्रुवी भी जानती थी कि आर्यन कितना स्वाभिमानी है, इसलिए उसने भी मिस्टर सिंघानिया से खुद टैक्सी में जाने की बात कही। हालाँकि, मिस्टर सिंघानिया इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन वे कभी भी ध्रुवी की जिद के आगे जीत नहीं पाते थे, तो आखिर में यहाँ भी उन्होंने हार मान ली।
आर्यन के साथ ध्रुवी जैसे ही कॉलेज के बाहर टैक्सी से उतरी, वहाँ मौजूद सब लोगों के मुँह खुले के खुले रह गए। इसकी पहली वजह थी ध्रुवी का टैक्सी से आना और उससे भी बड़ी दूसरी वजह थी आर्यन का ध्रुवी के साथ आना। हालाँकि यह अफ़वाह फैल चुकी थी कि आर्यन और ध्रुवी साथ आ चुके हैं, लेकिन अभी भी लोग इसे सिर्फ़ अफ़वाह ही समझ रहे थे। मगर जब अब आर्यन और वह दोनों साथ कॉलेज आए, तो सबके मुँह खुले के खुले रह गए, ख़ासकर समीरा और उसके दोस्तों को तो जैसे काँटों से खून निकल रहा हो।
ध्रुवी ने समीरा को देखकर आर्यन की बाजू में अपनी बाजू डालते हुए जानबूझकर कराहने की आवाज़ निकाली। जिसे सुनकर आर्यन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं और उसने जल्दी से अपनी एक बाजू को ध्रुवी के कंधे पर रखते हुए दूसरे हाथ से उसके हाथ को थाम लिया।
"तुम ठीक हो?? मैंने मना किया था ना कि तुम अभी कॉलेज आने के लिए ठीक नहीं हो, मगर तुम्हें तो सुनना ही नहीं होता कुछ!" आर्यन ने चिंतित स्वर में कहा।
"डोंट वरी इडियट, मैं बिल्कुल ठीक हूँ!" ध्रुवी ने मुस्कुराकर आर्यन की ओर देखते हुए कहा।
"अगर तुम ठीक हो, तो फिर अभी जो तुम कर रही थी, वह क्या था?" आर्यन ने असमंजस से पूछा।
"कुछ ख़ास नहीं, बस कुछ लोगों को अपने बेशुमार प्यार से जलाना था!" ध्रुवी ने सामने की ओर इशारा करते हुए कहा।
आर्यन ने ध्रुवी की बात सुनकर उसकी नज़रों को फॉलो करते हुए अपने ठीक सामने खड़ी समीरा और उसके दोस्तों को देखा, तो उसने झूठी नाराज़गी दिखाते हुए अपनी आँखें छोटी करते हुए ध्रुवी को घूरा।
"तुम नहीं सुधरोगी ना कभी?" आर्यन ने कहा।
"कभी भी नहीं। अब चले मि. मल्होत्रा?" ध्रुवी ने दिलकश मुस्कुराहट के साथ कहा।
"हम्मम, चलो अंदर!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।
पूरा दिन कॉलेज में ध्रुवी और आर्यन हॉट टॉपिक बने रहे। सब के सब किसी न किसी तरह से उन दोनों के बारे में ही बात कर रहे थे। कुछ लोग आर्यन की खुशकिस्मती का बखान कर रहे थे, तो कुछ लोग ध्रुवी की खुशकिस्मती की भी बातें बना रहे थे। कुल मिलाकर सभी लोगों की नज़रों में आर्यन और ध्रुवी बेस्ट कपल नज़र आ रहे थे। यूँ ही धीरे-धीरे वक़्त गुज़र रहा था। ध्रुवी के बाहरी और अंदरूनी दोनों ज़ख्म अब वक़्त के साथ भरने लगे थे और इस बीच आर्यन को इंटरव्यूज के बाद कई कंपनियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और कंपनियों ने आर्यन को उसके फ़ाइनल एग्जाम के बाद कंपनी ज्वाइन करने का ऑफ़र भी दे दिया था।
ध्रुवी और आर्यन दोनों कॉलेज के कैंटीन में बैठे थे। आर्यन ने जब यह बात आज ध्रुवी को बताई तो वह खुशी से खिल उठी।
"वाह! दैट्स अ ग्रेट न्यूज़! कांग्रेचूलेशन!" ध्रुवी ने खुश होकर कहा।
"थैंक्यू!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।
"आई नो दैट! मुझे तो तुम्हारी काबिलियत पर पहले से ही पूरा भरोसा है, एंड ऑलवेज नो की तुम्हें तो सेलेक्ट होना ही था!" ध्रुवी ने अपनी कॉफ़ी की सिप लेते हुए कहा।
"हम्मम!" आर्यन ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।
"क्या हुआ? तुम खुश नहीं हो? या फिर कोई और बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है आर्यन?" ध्रुवी ने आर्यन की ओर देखकर पूछा।
"नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। ऑफ़कोर्स मैं खुश हूँ, लेकिन टू बी ऑनेस्ट मैं अपनी इस कामयाबी से पूरी तरह 100% संतुष्ट नहीं हूँ। आई मीन मेरे जो ख़्वाब हैं, जो चाहते हैं, वो इन सारी जॉब्स से पूरी तरह मेल नहीं खाते। बट ठीक है, एज़ अ स्टार्ट, ये बेहतर विकल्प हैं!" आर्यन ने अपनी कॉफ़ी की सिप लेते हुए कहा।
"हम्मम! एंड ऑफ़कोर्स बूंद-बूंद से ही सागर बनता है!" ध्रुवी ने मुस्कुराकर कहा।
"ऑफ़कोर्स!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।
"अगर तुम कहो, तो क्या मैं डैड से इस बारे में बात..." ध्रुवी ने एक पल रुककर आर्यन की ओर देखते हुए कहा।
"नो! नो वे ध्रुवी! ऐसा करना तो दूर, ऐसा करने की कभी सोचना भी मत! क्योंकि मुझे अपने ख़्वाबों को, अपने जहां को अपनी काबिलियत के दम पर सँवारना है, किसी की सिफ़ारिश या मेहरबानी के बलबूते पर नहीं। प्रॉमिस मी कि तुम कभी भी ऐसा कुछ नहीं करोगी और ना ही मेरे बिना बोले कभी भी तुम मेरी प्रोफेशनल लाइफ़ में किसी भी तरह का कोई इंटरफ़ेयर करोगी!" आर्यन ने चेहरे पर गंभीरता से बीच में ही ध्रुवी की बात काटते हुए कहा।
"अच्छा बाबा! डोंट गेट सीरियस! एंड आई प्रॉमिस मेरे सत्यवादी हरिश्चंद्र कि तुम्हारी प्रोफेशनल लाइफ़ में मैं किसी भी तरह का कभी भी कोई इंटरफ़ेयर नहीं करूँगी। बेहतर?" ध्रुवी ने कहा।
"नो, मच बेहतर!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।
आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी भी मुस्कुरा देती है। वक़्त अपनी रफ़्तार से गुज़र रहा था और देखते ही देखते गुज़रते वक़्त के साथ वह वक़्त भी आ गया जब कॉलेज के फ़ाइनल एग्जाम होने थे और कुछ ही वक़्त में फ़ाइनल एग्जाम भी हो गए। सुबह का वक़्त था, चारों ओर चिड़ियों की मधुर चहचहाट गूंज रही थी। आर्यन अपने कमरे में आईने के आगे खड़ा हुआ, जल्दी से अपनी शर्ट के बटन लगाते हुए तैयार हो रहा था। आज उसके लिए बहुत स्पेशल दिन था। आज सिंघानिया कंपनी में उसका इंटरव्यू था और सबसे बड़ी बात यह थी कि इस इंटरव्यू के लिए उसे खुद कंपनी ने ही अप्रोच किया था। और बेशक यह कंपनी ध्रुवी के डैड की थी, लेकिन आर्यन से वादा करने के बाद ध्रुवी ने कभी भी अपने डैड से उसकी कोई सिफ़ारिश नहीं की थी और ना ही वह आर्यन की प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में किसी भी तरह की कोई दखलअंदाज़ी किया करती थी। और मि. सिंघानिया के अनुसार, उन्होंने आर्यन को सिर्फ़ उसकी काबिलियत और समझदारी की वजह से अप्रोच किया था। तो कह सकते थे कि यह इंटरव्यू आर्यन की अपनी काबिलियत के बलबूते पर ही उसकी झोली में आकर गिरा था।
आर्यन अपने बालों को सेट कर रहा था कि तभी ध्रुवी हाथ में नाश्ते की ट्रे लिए कमरे में आई और उसने कमरे में आकर टेबल पर ट्रे रखी और मुस्कुरा कर आर्यन की ओर बढ़ गई।
"सो ऑल सेट मि. मल्होत्रा?" ध्रुवी ने आर्यन की शर्ट के कॉलर को सेट करते हुए पूछा।
"यस, मिस कपूर, ऑल सेट! बस थोड़ा सा नर्वस फील कर रहा हूँ!" आर्यन ने मुस्कुरा कर अपना गले में अपनी बाँहों को डालते हुए कहा।
"मेरा आर्यन हर चीज़ में बेस्ट है और तुम्हें कोई कभी रिजेक्ट कर ही नहीं सकता। यू आर बेस्ट! तो तुम्हें बिल्कुल भी नर्वस होने की ज़रूरत नहीं है। ओके?" ध्रुवी ने प्यार से आर्यन के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा।
"हम्मम ओके बॉस!" आर्यन ने प्यार से ध्रुवी के माथे को चूमकर कहा।
"चलो अब जल्दी से नाश्ता कर लो, वरना इंटरव्यू के लिए देर हो जाएगी!" ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा।
"हम्मम!" आर्यन ने कहा।
नाश्ता करने के बाद ध्रुवी ने आर्यन को ऑल दी बेस्ट बोला और आर्यन ध्रुवी को बाय बोलकर जल्दी से इंटरव्यू के लिए निकल गया। यूँ तो ध्रुवी ने आर्यन से खुद के उसके साथ चलने के लिए कहा, लेकिन आर्यन ने उसे अपने साथ आने से मना कर दिया और उसे यही रहकर उसका इंतज़ार करने को कहा। आर्यन कैब लेकर इंटरव्यू देने के लिए सिंघानिया कंपनी में पहुँचा, जो एक बड़ी सी शानदार बिल्डिंग के अंदर बना हुआ था और जहाँ की हर छोटी से छोटी चीज़ भी कीमती और यूनिक थी। पूरे ऑफ़िस की सुविधाएँ और डेकोर किसी सेवन स्टार होटल की तरह ए-वन था। आर्यन ऑफ़िस पहुँचकर रिसेप्शन पर पहुँचा। रिसेप्शनिस्ट ने आर्यन को थोड़ा इंतज़ार करने के लिए कहा। आर्यन वहीं पास ही बने वेटिंग एरिया में बैठ गया और गौर से ऑफ़िस और उसके इंटीरियर को देखकर अपनी सक्सेस के बारे में सोचते हुए अपनी ही सोच में गुम हो गया। कुछ देर बाद रिसेप्शनिस्ट ने आर्यन को इंटरव्यू के लिए अंदर जाने के लिए कहा। आर्यन ने एक गहरी साँस ली और फिर कैबिन की ओर अंदर जाने के लिए बढ़ गया।
"मैं आ सकता हूँ सर?" आर्यन ने कैबिन के दरवाज़े से पूछा।
"कम इन!" कैबिन के अंदर से आवाज़ आई।
आर्यन इजाज़त मिलने के बाद कैबिन के अंदर जाता है तो सामने खुद मि. सिंघानिया को देखकर उसके चेहरे पर एक्साइटमेंट, नर्वसनेस, खुशी और अविश्वास जैसे भाव उभर आए थे। हालाँकि ऐसा नहीं था कि वह मि. सिंघानिया से पहली बार मिल रहा था, लेकिन एज़ अ बिज़नेसमैन और बॉस वह उन्हें पहली बार देख रहा था, जिनके सामने आज उसका इंटरव्यू था। वह ध्रुवी के पिता नहीं, बल्कि यहाँ के वन ऑफ़ दी बेस्ट एंड फ़ेमस बिज़नेसमैन थे। शायद यही वजह थी उसकी नर्वसनेस की।
"सिट डाउन!" मि. सिंघानिया ने कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा।
"थैं...थैंक्यू सर!" आर्यन ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।
मि. सिंघानिया ने आर्यन के चेहरे पर थोड़ी नर्वसनेस के भाव देखकर उसकी ओर पानी का ग्लास बढ़ाते हुए कहा, "टेक इट!"
आर्यन ने बिना कुछ बोले एक साँस में ग्लास का पानी गटकते हुए कहा, "थैंक्यू सर!"
"नाउ फीलिंग रिलेक्स एंड बेहतर?" मि. सिंघानिया ने बिना किसी भाव के पूछा।
"यस सर!" आर्यन ने कहा।
"सो शुरू करें?" मि. सिंघानिया ने पूछा।
"ऑफ़कोर्स सर!" आर्यन ने पूरे कॉन्फ़िडेंस के साथ कहा।
"हम्मम तो आर्यन, आर्यन मल्होत्रा, राइट?" मि. सिंघानिया ने पूरी प्रोफ़ेशनल टोन के साथ पूछा।
"जी सर!" आर्यन ने कहा।
"टेल मी समथिंग अबाउट योर सेल्फ़? लाइक अपनी फैमिली, बैकग्राउंड एंड ऑल!" मि. सिंघानिया ने कहा।
"ओके सर, दरअसल सर मेरी फैमिली में कोई नहीं है, इवन इस पूरी दुनिया में मेरी फैमिली में कोई नहीं है। आई मीन मेरी फैमिली के नाम पर मेरे पेरेंट्स ही थे, लेकिन कुछ सालों पहले एक एक्सीडेंट में मेरे पेरेंट्स की डेथ हो गई। तब से मैं अकेला ही हूँ सर!" आर्यन ने एक गहरी साँस ले कर कहा।
"ओह! सॉरी फ़ॉर योर लॉस! जाना कर दुःख हुआ!" मि. सिंघानिया ने कहा।
"इट्स ओके सर!" आर्यन ने कहा।
"वैल फिर बिना सहारे या फैमिली के तुमने अपनी एजुकेशन कैसे पूरी की?" मि. सिंघानिया ने पूछा।
"स्कॉलरशिप से सर!" आर्यन ने कहा।
"ओह्ह्ह्ह! इसका मतलब तुम समझदार और मेहनती भी हो, सिर्फ़ चालाक नहीं हो। लेकिन मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई भी इंसान अपनी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा स्ट्रगल और ऐसी मेहनत करते हुए गुज़ारे, तो कहीं ना कहीं एक पॉइंट पर आकर रुक जाता है और वह भी चाहता है कि वह कोई ऐसा शॉर्टकट या तरीका ढूँढ निकाले कि एक पल में उसकी यह मेहनत और स्ट्रगल ख़त्म हो जाए!" मि. सिंघानिया ने कहा।
"मैं कुछ समझा नहीं सर, आप कहना क्या चाहते हैं?" आर्यन ने असमंजस से पूछा।
"वैल मुझे यह बताओ कि तुमने शादी के बारे में क्या सोचा है? आई मीन कब तक तुम यह फ़ैसला लेने वाले हो?" मि. सिंघानिया ने आर्यन के सवाल को इग्नोर करते हुए पूछा।
"मुझे सच में नहीं समझ आ रहा कि आप मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं? और आखिर इस जॉब से मेरी शादी का और पर्सनल लाइफ़ का क्या ताल्लुक है?" आर्यन ने असमंजस भरे भाव से पूछा।
"बेशक इस जॉब से तुम्हारी पर्सनल लाइफ़ और शादी का कोई ताल्लुक नहीं है, लेकिन मुझसे है, क्योंकि जिस लड़की को फँसाकर तुम आजकल शादी के सपने दिखा रहे हो, वो लड़की मेरी बेटी है। वैसे कुछ ना कुछ तो क्वालिटी ज़रूर है तुम में, तभी मेरी समझदार और माइंडेड बेटी को भी इतनी आसानी से अपनी बातों और दिमाग के जाल में फँसा लिया!" मि. सिंघानिया ने एक पल रुककर तंज भरे लहजे में कहा।
आर्यन को अब मिस्टर सिंघानिया की कही गई बातों के पीछे का मतलब अच्छे से समझ आ गया था और उसके चेहरे के भाव अब गंभीर हो गए थे। अपना गुस्सा कंट्रोल करने के लिए उसने अपनी मुट्ठी को कसकर बंद कर लिया था, लेकिन हर बढ़ते पल के साथ मि. सिंघानिया की बातें सुनकर उसका गुस्सा निरंतर बढ़ता ही जा रहा था। कुछ पल बाद एकाएक आर्यन के सब्र का बाँध टूट गया और उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी को टेबल पर दे मारी। जिसे देखकर एक पल को मिस्टर सिंघानिया भी स्तब्ध होकर खामोश हो गए थे।
कुछ पल बाद, अचानक आर्यन का सब्र टूट गया। उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी मेज़ पर मार दी। यह देखकर मिस्टर सिंघानिया एक पल के लिए स्तब्ध हो गए। मिस्टर सिंघानिया का आर्यन की खुद्दारी और नियत पर उंगली उठाना आर्यन के गुस्से की सीमा तोड़ गया था। उसके चेहरे पर गुस्सा और नाराज़गी साफ़ झलक रही थी। शायद अगर मिस्टर सिंघानिया की जगह कोई और होता, तो आर्यन उसे मुंहतोड़ जवाब देता। मगर मिस्टर सिंघानिया उसकी प्रेरणा थे, और उससे भी बढ़कर ध्रुवी के पिता। इसलिए आर्यन ने अपनी हद में रहकर ही जवाब दिया।
आर्यन (गंभीरता से): बस कीजिए, बहुत हो गया। मैं आपकी इज़्ज़त करता हूँ और आपको अपनी प्रेरणा मानता हूँ। इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं है मि. सिंघानिया कि आप इस तरह से मेरी आत्म-सम्मान और नियत पर उंगली उठाकर मुझे बेइज़्ज़त करें।
मि. सिंघानिया (नाराज़गी भरे लहजे से): ना तो मैं तुम्हारी आत्म-सम्मान पर उंगली उठा रहा हूँ, ना ही तुम्हारी नियत पर कोई सवाल। मैं तो तुम्हें हकीकत बता रहा हूँ मिस्टर आर्यन। यू नो व्हाट, जब मैं पहली बार हॉस्पिटल में तुमसे मिला था, तो मुझे लगा था कि तुम बहुत मेहनती और अच्छे लड़के हो। और यह सुनकर कि तुमने मेरी बेटी की जान बचाई है, मेरी नज़रों में तुम्हारी इज़्ज़त और एहसान बहुत बढ़ गए थे। लेकिन आज जब मुझे पता चला कि मेरी बेटी की उस हालत के ज़िम्मेदार तुम थे, और तुम्हारी वजह से उसने बिना एक पल सोचे अपनी जान देने की कोशिश की, बल्कि मुझसे और सब से झूठ भी कहा, अपने पिता से झूठ कहा जिससे आज तक उसने कोई बात नहीं छुपाई थी। और जब आज मेरी आँखों के सामने मेरी बेटी की वह हालत हुई, जो उस दिन तुम्हारी वजह से उसके उस कदम की वजह से हुई थी, और वह हॉस्पिटल के बिस्तर पर मरने वाली हालत में पहुँच गई थी, तो मेरा मन किया कि उसी पल तुम्हारी जान अपने हाथों से ले लूँ, खत्म कर दूँ तुम्हें, अपनी बेटी की ज़िन्दगी से तुम्हारा नामोनिशान भी मिटा दूँ। लेकिन मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी वजह से मैं अपनी बेटी को खो दूँ। इसीलिए अब पहले मैं तुम्हारा असली चेहरा और इरादा उसके सामने प्रकट करूँगा, ताकि वह खुद तुम्हें अपनी ज़िन्दगी से बाहर कर दे। और उसके बाद अपनी बेटी के हर एक ज़ख्म और दर्द का बदला लूँगा तुमसे।
आर्यन (कॉन्फिडेंस भरी स्माइल के साथ): कोशिश करके देख लीजिए, यकीनन नाकाम ही रहेंगे। क्योंकि आपकी बेटी अपनी जान से ज़्यादा मुझे चाहती है। (एक पल बाद गंभीरता भरे एक्सप्रेशन के साथ) और रही बात आपके सवालों की या आपकी बेटी के जान देने की कोशिश की, तो खुद अपनी बेटी से ही पूछ लीजिएगा कि वह खुद मेरे पीछे आई थी या मैं उसके पीछे गया था। क्योंकि पिछले बीते अरसे में मैंने उससे ठीक से कभी बात तक नहीं की थी। लेकिन वही थी जो अपनी ज़िद पर अड़ी थी और वही थी जो चाहती थी कि बाय हूक और बाय क्रूक मैं उसके प्रपोज़ल को एक्सेप्ट करूँ।
मि. सिंघानिया (एक पल के लिए तिरछी मुस्कान के साथ): यही तो असल में तुम्हारा प्लान था मिस्टर आर्यन, कि ध्रुवी की नज़रों में खुद को दूसरों से अलग दिखाओ, उसे इग्नोर करो, इवन उसके सामने प्रपोज़ करने के बाद भी उसके प्रपोज़ल को ठुकरा दो, ताकि तुम उसकी नज़रों में और भी ज़्यादा महान और अलग बन सको। (अचानक ही कठोर और सख्त भाव से) लेकिन मैं ना तो अपनी बेटी की तरह नादान हूँ और ना ही मासूम। मैं तुम जैसे लोगों की चाल और नियत को अच्छे से जानता भी हूँ और समझता भी हूँ, और मैं अपनी बेटी को किसी भी कीमत पर तुम्हारे जाल में नहीं फँसने दूँगा।
आर्यन (बेफ़िक्री से मुस्कुरा कर): यू नो व्हाट मि. सिंघानिया, अब आप इसे मेरी चाल कहें या मेरा फेंका हुआ जाल, लेकिन आज की हकीकत यह है मिस्टर सिंघानिया कि आपकी बेटी मेरे लिए पूरी दुनिया तो क्या, बल्कि आपके लिए भी ठोकर मार सकती है। और अगर मुझ पर यकीन ना हो, तो शौक से आज़मा कर देख लीजिएगा। आई बेट यू कि हार आपकी ही होगी।
मि. सिंघानिया (गुस्से से लगभग चिल्लाते हुए): बकवास बंद करो, ऐसा कभी नहीं होगा और मेरी बेटी इस पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा मुझे चाहती है और वह किसी के लिए भी कभी भी मुझे ठुकराकर नहीं जा सकती।
आर्यन (सामान्य भाव से): वैल, चिल्लाने से हकीकत बदली नहीं जा सकती मिस्टर सिंघानिया। और रही बात ध्रुवी को लेकर हमारे कॉन्फिडेंस की, तो यह तो भविष्य में ध्रुवी ही तय करेगी और हम दोनों ही उसके फैसले के साक्षी होंगे कि आखिर भविष्य में वह हम दोनों में से किसका चुनाव करती है। (एक पल रुक कर) एंड फॉर योर काइंड इनफॉर्मेशन, आपको बता दूँ कि आपकी बेटी के अपनी जान देने के कदम को उठाने के बाद ही मैंने इस रिश्ते को एक मौका देने का फैसला किया था, जिसे आपकी बेटी ने खुशी-खुशी एक्सेप्ट किया। और आई प्रॉमिस अगर आपकी बेटी मेरी ज़िन्दगी से जाना चाहती है या आप खुद अपनी बेटी को मेरी ज़िन्दगी से निकाल पाएँ, आई प्रॉमिस कि मैं बिना कुछ कहे, खामोशी से आपकी बेटी की ज़िन्दगी से हमेशा-हमेशा के लिए दूर चला जाऊँगा। लेकिन अगर आपकी बेटी ने मुझे चुना, तो आपको भी यह वादा करना पड़ेगा कि आप हमारी ज़िन्दगी में कोई भी समस्या नहीं पैदा करेंगे और कभी हमारे रास्ते के बीच में नहीं आएँगे।
मिस्टर सिंघानिया (गंभीर भाव से): मंज़ूर है मुझे।
आर्यन: तो फिर ठीक है। आप मुझे अपनी बेटी से दूर करने के लिए अपना 100% दीजिए और मैं अपनी मोहब्बत में अपना 100% देता हूँ और देखते हैं फिर कि आखिर जीत किसके हिस्से में आती है। (एक पल रुक कर) फ़िलहाल, भविष्य की बातें भविष्य पर ही छोड़ देते हैं और अभी मैं चलता हूँ। नाइस टू मीट यू मिस्टर सिंघानिया, हैव अ गुड डे।
इतना कहकर आर्यन कुर्सी से खड़ा हुआ और बिना एक पल रुके मि. सिंघानिया के केबिन से बाहर निकल गया। मिस्टर सिंघानिया गुस्से से उसे जाते हुए देखते रहे। दूसरी तरफ़ आर्यन बाहर खड़े होकर ऑटो का इंतज़ार कर रहा था कि अचानक उसका फ़ोन बजा। आर्यन ने फ़ोन पर ध्रुवी का नाम देखा तो उसने फ़ोन रिसीव किया।
आर्यन: हेलो?
ध्रुवी (नॉनस्टॉप एक ही सवाल दागते हुए): हेलो, कहाँ हो आर्यन तुम? और कैसा रहा तुम्हारा इंटरव्यू? अच्छा तो हुआ ना? मतलब सब ठीक तो है ना? और तुमने कुछ खाया? और…
आर्यन: अरे! अरे! अरे! ब्रेक मारो। इतने सारे सवाल एक साथ। इतने सवाल तो मेरे इंटरव्यू में भी नहीं पूछे गए जितने सवाल तुमने एक साथ एक साँस में मुझ पर दाग दिए।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): हाँ तो, मैं कब से तुमसे बात करने के लिए इंतज़ार कर रही थी। मुझे सब जानना है कि कैसा रहा सब।
आर्यन (सोचते हुए): हाँ, अच्छा रहा सब। बाकी बातें मैं घर आकर करता हूँ और हाँ, बहुत जोरों से भूख लगी है तो प्लीज़ देख लेना।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): डोंट वरी, आप बस जल्दी से घर आएँ बॉस, आपको खाना तैयार मिलेगा।
आर्यन (मुस्कुराकर): ओके, बाय, बस आता हूँ।
ध्रुवी (मुस्कुरा कर): बाय, टेक केयर।
इसके बाद आर्यन ने फ़ोन रख दिया और ध्रुवी बेसब्री से आर्यन के वापस आने का इंतज़ार करने लगी और वह बड़े ही चाव से उसके लिए खाना बना रही थी। खाना बनाने के बाद उसने टेबल पर खाना लगाया और बेसब्री से आर्यन का इंतज़ार करते हुए बार-बार दरवाज़े की ओर देखते हुए इधर-उधर चक्कर लगाने लगी। कुछ देर बाद डोरबेल बजी तो ध्रुवी एक्साइटेड होकर दरवाज़ा खोलने के लिए बढ़ गई। लगभग भागकर दरवाज़ा खोला तो सामने आर्यन को देखकर उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
ध्रुवी (मुस्कुराकर चहकते हुए): गुड आफ्टरनून मि. मल्होत्रा।
आर्यन (मुस्कुरा कर अंदर आते हुए): गुड आफ्टरनून।
ध्रुवी (दरवाज़ा बंद करते हुए उत्सुकता से आर्यन की ओर देखकर): कैसा रहा तुम्हारा इंटरव्यू? और क्या कहा डैड ने? सब कुछ अच्छा तो रहा ना?
आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर एक हल्की सी मुस्कान के साथ): हम्मम… पहले खाना खा ले, बहुत तेज भूख लगी है, फिर इस बारे में आराम से बात करेंगे।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): हम्मम… ओके, खाना तैयार है, बस तुम फ्रेश होकर आओ, मैं फटाफट से खाना सर्व करती हूँ।
आर्यन: हम्मम, बस अभी आया।
इसके बाद आर्यन फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चला गया और जब तक आर्यन फ्रेश होकर आया, तब तक ध्रुवी ने बचा हुआ बाकी का खाना भी टेबल पर लगा लिया था और वह वही बैठकर उसका इंतज़ार कर रही थी। आर्यन भी आकर ध्रुवी के साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया और उसने अपने सामने रखी डिश खोलकर देखा तो खुशी से उसका चेहरा खिल उठा। ध्रुवी ने उसके लिए उसके फेवरेट छोले-चावल और गाजर का हलवा बनाया था। आर्यन ने एक पल को सुखद अनुभूति से अपनी आँखें बंद करते हुए खाने की खुशबू महसूस की और जल्दी से ध्रुवी की ओर इशारा किया। ध्रुवी ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ आर्यन की प्लेट में खाना परोसा और उससे खाना खाने का इशारा किया। आर्यन ने जैसे ही खाना लेकर पहली चम्मच अपने मुँह में रखी तो उसने सुखद अनुभूति से अपनी आँखें मूँदकर ध्रुवी की तारीफ़ की।
आर्यन (खाने के चटकारे लेते हुए): उम्म्म्म… यमी… सच में बहुत ही टेस्टी खाना बनाया है तुमने। इवन तुम हमेशा ही बहुत अच्छा खाना बनाती हो और फॉर श्योर यह बात मेरे लिए प्लस पॉइंट है।
ध्रुवी (अपनी ठोड़ी पर अपनी हथेली रखकर आर्यन की ओर देखते हुए): अच्छा जी और वो कैसे?
आर्यन (मुस्कुरा कर ध्रुवी की ओर देखते हुए): वो ऐसे मेरी जान, क्योंकि अब मैं तो हूँ खाने का बहुत बड़ा शौक़ीन और जब मेरी होने वाली बीवी इतनी लाजवाब कुक है तो ज़ाहिर है कि यह मेरे लिए प्लस पॉइंट है क्योंकि मुझे रोज-रोज इतना अच्छा और टेस्टी खाना खाने को मिलेगा।
ध्रुवी (मुस्करा कर): ओह तो बात यह है।
आर्यन (मुस्कुरा कर): बिलकुल यही बात है और वैसे भी यह तो पूरी तरह मेरी ही खुशकिस्मती है, वरना जिस ध्रुवी सिंघानिया की एक झलक देखने के लिए भी दुनिया पागल रहती है, वही द ग्रेट ध्रुवी सिंघानिया स्पेशली मेरे लिए खाना बनाती है। मतलब मेरे लिए तो यह बात सातवें आसमान पर उड़ने जैसी है।
ध्रुवी (मुस्कुरा कर): बस करो मेरे ड्रामेबाज, अपनी नौटंकी बंद करो और खाने पर ध्यान दो।
आर्यन: अरे, आई एम सीरियस यार।
ध्रुवी: हम्मम अब चाहे इसे अपनी खुशकिस्मती कहो या बदकिस्मती, लेकिन हर चीज़ में ज़िन्दगी भर गुज़ारा तो तुम्हें मेरे साथ ही करना पड़ेगा।
आर्यन (ध्रुवी को टीज़ करते हुए): हम्मम क्या कर सकते हैं, कोई दूसरा ऑप्शन भी तो नहीं है ना। ठीक है, अब जो भी जैसी भी मिली है झेल ही लूँगा, वरना पता चला कि दोबारा तीसरे-चौथे माले से कूद गई और फिर मुझे महीनों तक इतने भारी-भरकम वज़न को इधर से उधर गोद में उठाकर घूमना पड़ेगा।
ध्रुवी (अपना मुँह खोलते हुए): हौ आर्यन, यू आर सो बैड। (अपना मुँह दूसरी दिशा में घुमाते हुए) जाओ, मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी।
आर्यन (हँसते हुए ध्रुवी को साइड हग करते हुए): अरे, मज़ाक कर रहा हूँ बाबा, जस्ट चिल। (एक पल रुक कर) अच्छा सॉरी, अब तो मान जाओ प्लीज़।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): मानूँगी तो तब ना जब मैं तुमसे नाराज़ होंगी क्योंकि हकीकत तो यह है कि मैं तुमसे कभी भी चाहकर भी नाराज़ हो ही नहीं सकती।
आर्यन (मुस्कुराकर प्लेफुली ध्रुवी की नाक पकड़ते हुए): एंड आई नो दैट मेरी झल्ली। अच्छा अब जल्दी से तुम भी खाना खाओ, खाना ठंडा हो रहा है।
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर मुस्कुराते हुए अपनी प्लेट में खाना सर्व करने के लिए प्लेट उठाई कि आर्यन उसका हाथ पकड़कर अपनी खाने की प्लेट उसकी ओर बढ़ा देता है और खाते हुए उसे भी खाना खाने का इशारा करता है। ध्रुवी मुस्कुराकर आर्यन की प्लेट से ही खाना शुरू कर देती है। दोनों यूँ ही पूरे वक़्त अपनी बातें करते हुए खाना खा रहे थे। खाना खाने के बाद ध्रुवी ने सारा टेबल समेटा और दोनों के लिए कॉफ़ी बनाकर आर्यन के रूम में चली आई। आर्यन अपने फ़ोन में बिज़ी था। ध्रुवी को देखकर उसने फ़ोन साइड में रखा और उसे अपने पास बैठने का इशारा किया। ध्रुवी ने कॉफ़ी के मग साइड में टेबल पर रखे और आर्यन के सामने आकर बैठ गई। आर्यन के चेहरे पर गंभीरता देखकर ध्रुवी इतना तो समझ चुकी थी कि आर्यन ज़रूर उससे कोई सीरियस बात करने वाला है, लेकिन आर्यन का सवाल सुनकर ध्रुवी असमंजस से उसकी ओर देखने लगी।
आर्यन: डू यू लव मी ध्रुवी?
ध्रुवी (असमंजस भरे भाव से): यह कैसा सवाल है आर्यन?
आर्यन (गंभीर भाव से): जवाब दो मेरे सवाल का।
ध्रुवी (पूरी सच्चाई के साथ): …ऑफ़कोर्स आई लव यू… आई लव यू सो मच… एंड यू नो दैट वेरी वेल।
आर्यन (ध्रुवी का हाथ थाम कर): आई नो, लेकिन फिर भी मैं जानना चाहता हूँ कि तुम मुझे कितना चाहती हो और चाहने से भी ज़्यादा तुम मुझ पर भरोसा कितना करती हो?
ध्रुवी (असमंजस भरे भाव से): मैं समझी नहीं आर्यन कि तुम कहना क्या चाहते हो और आखिर बात क्या है? तुम मुझे साफ़-साफ़ बताते क्यों नहीं?
आर्यन (एक गहरी साँस ले कर गंभीरता से): अगर मैं यह कहूँ कि आज मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए अपने प्यार को प्रूव करो तो तुम क्या करोगी? अगर मैं कहूँ कि अपने लिए मैं आज तुम्हारे प्यार को परखना चाहता हूँ तो?
ध्रुवी (पूरी दृढ़ता के साथ): तो मैं कुछ भी करूँगी और मैं तुम्हारे लिए अपने प्यार को प्रूफ़ करने के लिए अपनी जान भी दे दूँगी और यू नो दैट कि मैं सच में ऐसा कर सकती हूँ।
आर्यन (गंभीर भाव से): आई नो… आई नो दैट… लेकिन अगर वह चीज़ तुम्हारे लिए तुम्हारी जान से भी बढ़कर कीमती और अज़ीज़ हो तो?
ध्रुवी (एक पल सोचने के बाद): मेरे लिए मेरा कुछ भी तुमसे बढ़कर कभी नहीं हो सकता आर्यन, कभी भी नहीं।
आर्यन (ध्रुवी की ओर देख कर पूरी गंभीरता से): अगर वाकई ऐसा है और तुम मुझ पर सच में इतना भरोसा करती हो तो फिर ठीक है… आज हर मायने में पूरी तरह… (एक पल रुक कर) कर दो खुद को मेरे नाम… सौंप दो खुद को पूरी तरह मुझे… (एक पल रुक कर) अभी… इसी वक़्त और यहीं।
आर्यन, ध्रुवी की ओर देखकर पूरी गंभीरता से बोला, "अगर वाकई ऐसा है......और तुम मुझ पर सच में इतना भरोसा करती हो...तो फिर ठीक है.......आज हर मायने में पूरी तरह.....(एक पल रुककर)....कर दो खुद को मेरे नाम.....सौप दो खुद को पूरी तरह मुझे.....(एक पल रुककर)....अभी.....इसी वक्त और यही....."
आर्यन की बात सुनकर, और उसकी बात का मतलब पूरी तरह समझने के बाद, एक पल के लिए ध्रुवी के चेहरे के भाव अचानक बदल गए। वे शॉक्ड और हैरान हो गए। हालाँकि, एक बार को ध्रुवी को लगा कि शायद आर्यन उससे मज़ाक कर रहा है। इस बात को कन्फर्म करने के लिए, ध्रुवी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आर्यन से सवाल किया।
"आर्यन.....तुम.....तुम मज़ाक कर रहे हो ना मुझसे???"
ध्रुवी का सवाल सुनकर आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन अगले ही पल आर्यन के चेहरे की गंभीरता भरी चुप्पी को भांपकर ध्रुवी समझ गई कि आर्यन इस वक्त पूरी तरह सीरियस है और उससे किसी भी तरह का मज़ाक नहीं कर रहा है। ध्रुवी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करे और ऐसी सिचुएशन में कैसे रिएक्ट करे। उसकी घबराहट और उलझन उसके चेहरे के भावों में साफ़ झलक रही थी।
कुछ पल बाद भी ध्रुवी को चुप देखकर आर्यन बोला, "इट्स ओके ध्रुवी....तुम्हें ऐसा कोई भी काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है....जिसमें तुम्हारी मर्ज़ी शामिल ना हो......या जिसे तुम्हारा दिल एक्सेप्ट ना करे......" आर्यन ने ध्रुवी के गाल को प्यार से छूते हुए कहा, "इट्स रियली ओके!!!"
इतना कहकर जैसे ही आर्यन कमरे से बाहर जाने के लिए बेड से उठा, अगले ही पल ध्रुवी ने आर्यन की कलाई पकड़ते हुए उसे रोक लिया। वह खुद भी बेड से उठकर ठीक आर्यन के सामने आ खड़ी हुई।
"हाँ ये सच है.....कि शादी से पहले मैं इस सब के लिए.....खुद की मर्ज़ी से कभी तैयार नहीं हो सकती थी.....लेकिन क्योंकि मुझे तुम पर खुद से भी ज़्यादा भरोसा है.....और तुम्हारी मर्ज़ी इसमें शामिल है......तो तुम्हारी खुशी के लिए मुझे.....(एक पल रुककर).....ये भी मंज़ूर है.....!!!"
इतना कहकर ध्रुवी ने बिना एक पल और सोचे, अपने गले में पहने दुपट्टे को हटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। कि अचानक आर्यन ने बीच में ही उसका हाथ थाम लिया। मिले-जुले भाव से उसकी ओर देखकर, ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, अगले ही पल उसने ध्रुवी को कसकर अपने गले से लगा लिया। एक पल बाद ही ध्रुवी की आँखों से आँसू बहने लगे।
आर्यन ने ध्रुवी का सर प्यार से सहलाते हुए कहा, "इतना चाहती हो मुझे....इतना कि....कि एक बार भी बिना सोचे समझे....अपनी ज़िंदगी से भी बढ़कर कीमती चीज़....अपनी मान-मर्यादा तक.....मुझे सौंपने के लिए तैयार हो गई?"
"आर्यन आई लव यू....आई लव यू मोर देन एनीथिंग......मैं जान से ज़्यादा चाहती हूँ तुम्हें....और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.....बस मैं तुम्हें खो नहीं सकती.....क्योंकि तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकती आर्यन.....नहीं जी सकती!!" ध्रुवी ने भावुकता से कहा।
आर्यन ने ध्रुवी के बालों को चूमते हुए कहा, "और मेरी खुशी के लिए ही सही.....मगर क्या ये सब करने के बाद.....तुम खुद से नज़रें मिला पाती?"
"नहीं......लेकिन आर्यन बस मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती....क्योंकि तुम्हें खोकर मैं जी नहीं पाऊँगी!!" ध्रुवी ने भावुकता से ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा।
आर्यन ने ध्रुवी को खुद से अलग कर अपने अंगूठों से उसके आँसू पोंछते हुए कहा, "हम्मम जानता हूँ.....बहुत अच्छे से जानता हूँ.....और समझता भी हूँ....बट हमेशा याद रखना ध्रुवी.....सच्चे प्यार को साबित करने के लिए भले ही अग्नि परीक्षाएँ दी जाती हैं.....लेकिन कभी भी किसी की मान-मर्यादा से खेला नहीं जाता.....और ना ही आप प्यार में इतने अंधे बन जाओ....कि किसी को भी ये हक़ दे दो.....कि वो आपकी इज़्ज़त को प्यार की परीक्षा का नाम देकर....आपकी इज़्ज़त को पल में यूँ अपने पैरों तले रौंद जाए.....जहाँ प्यार की बुनियाद ही ऐसी किसी घटिया शर्त की नींव पर रखी जाए....तो उस प्यार का घरौंदा कभी बस ही नहीं सकता.....(एक पल रुककर)...और एक बात हमेशा याद रखना....प्यार ज़िंदगी में दुबारा पाया जा सकता है.....लेकिन इज़्ज़त, मान-मर्यादा एक बार जाकर फिर कभी लौटकर नहीं आ सकते.....और आपकी इज़्ज़त,आपकी मान-मर्यादा का असली हकदार वही है....जो भरे समाज और जहां के सामने आपके साथ अपने रिश्ते को एक जायज़ नाम देकर....आपके साथ अपने रिश्ते को स्वीकार करे....वही आपको हकीक़त में चाहने वाले होते हैं....और वही असल में ज़िंदगी भर आपका साथ निभाने की हिम्मत रखने वाले भी होते हैं......ना कि यूँ बंद कमरों में अपनी मोहब्बत की कसमें खाने वाले!!"
ध्रुवी ने अपने गालों पर रखे आर्यन के हाथों को थामते हुए भावुकता से कहा, "तुम सही कह रहे हो आर्यन.....और मैं भी ऐसा ही मानती हूँ....लेकिन मैं क्या करूँ आर्यन....जब कभी मैं ये ख्याल भी अपने मन में लाती हूँ....कि कहीं तुम मुझसे दूर हो गए तो.....इतना सोचने भर से ही मेरी साँसें अटक जाती हैं आर्यन....और मुझे लगता है कि बस मैं.....(एक पल रुककर)...कि बस मैं कुछ भी करके तुम्हें खुद से दूर जाने से रोक लूँ.....फिर चाहें मुझे ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े!!!"
आर्यन ने वापस से ध्रुवी को अपने गले लगाते हुए कहा, "तुम सच में पागल हो....बहुत बड़ी पागल....और अब ये बेवजह की फिजूल बातें सोचना बंद करो.....(एक पल रुककर).....मैं बस तुम्हारी टांग खिंचाई कर रहा था....." ध्रुवी ने मासूमियत से भीगी पलकों के साथ आर्यन की ओर देखा। "अब ऐसे क्यों देख रही हो.....ये डिपार्टमेंट सिर्फ तुम्हारा ही थोड़ी है.....मैं भी कर सकता हूँ तुम्हारी टांग खिंचाई...(एक पल बाद).....और डोंट वरी मैं कहीं भी नहीं जा रहा हूँ तुम्हें छोड़कर......समझी....." आर्यन ने ध्रुवी के बालों को चूमते हुए कहा, "झल्ली कहीं की!!!!"
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर प्लेफुली एक मुक्का आर्यन के सीने पर जड़ दिया। आर्यन उसे गले लगाते हुए मुस्कुरा उठा। एक तरफ आर्यन ध्रुवी को शांत करते हुए हमेशा ज़िंदगी भर खुद का उसके साथ रहने का आश्वासन दे रहा था, जबकि दूसरी ओर मि. सिंघानिया ने आर्यन को साफ़-साफ़ कह दिया था कि वह किसी भी कीमत पर हरगिज़ ध्रुवी को उसका नहीं होने देंगे। अब जीत किसकी होनी थी, ये तो वक़्त ही तय करने वाला था। शाम को ध्रुवी आर्यन से मिलकर जब घर वापस लौटी, तो मि. सिंघानिया ऑफिस से आ चुके थे और लिविंग एरिया में बैठकर उसका ही इंतज़ार कर रहे थे। ध्रुवी ने आज जब मि. सिंघानिया को रोज के हिसाब से घर जल्दी पाया, तो वह सीधा उनकी ओर बढ़ गई।
"गुड इवनिंग डैड.....!!!"
"गुड इवनिंग बेटा!!"
"आज आप वक़्त से पहले घर कैसे??"
"कुछ खास नहीं बस सोचा आज अपनी बेटी के साथ थोड़ा सा कीमती वक़्त गुज़ार लिया जाए.....लेकिन यहाँ तो आप ही गायब थीं....लगता है हमारी बेटी के पास हमारे लिए वक़्त ही नहीं है.....और हमसे भी ज़्यादा दूसरे लोग ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं आपके लिए!!!"
"नो डैड....ऐसी कोई बात नहीं है....इनफेक्ट अगर मुझे पता होता कि आप मेरा घर पर इंतज़ार कर रहे हैं....तो मैं कब का घर वापस आ चुकी होती.....मगर मुझे तो पता ही नहीं था.....आप एक कॉल कर देते तो मैं फ़ौरन आ जाती!!"
"हम्मम.....इट्स ओके.....कोई बात नहीं.....अभी भी बहुत वक़्त है हमारे पास....अभी फ़िलहाल तुम जाकर जल्दी से फ़्रेश होकर आओ....तब तक मैं चाय बनवाता हूँ....फिर दोनों साथ में चाय पीते हुए गपशप करेंगे!!!"
"ओके डैड....(अपनी जगह से उठते हुए).....बस पाँच मिनट में वापस आती हूँ मैं!!!"
"हम्मम जल्दी आना!!"
"बस मैं यूँ गई और यूँ आई!!!"
इतना कहकर ध्रुवी अपने रूम की ओर फ़्रेश होने के लिए बढ़ गई। कुछ देर बाद ध्रुवी फ़्रेश होकर वापस आई। तब तक टेबल पर चाय और ध्रुवी की पसंद के हल्के-फुल्के स्नैक्स हाजिर हो चुके थे। एक मेड ध्रुवी और मि. सिंघानिया के लिए चाय बनाने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन ध्रुवी ने उसे खुद चाय बनाने का कहकर उसे वहाँ से जाने के लिए कह दिया। इसके बाद ध्रुवी ने अपने और मि. सिंघानिया के लिए चाय बनाई और दोनों साथ बैठकर चाय का लुत्फ़ उठाने लगे।
"हम्मम.....सुपर्ब....बहुत अच्छी चाय बनाई है तुमने!!"
"थैंक्यू डैड......!!!"
"और बताओ सब कुछ कैसा चल रहा है???"
"एवरीथिंग इज़ गुड डैड!!!"
ऐसे ही हल्की-फुल्की बातों में लगभग आधा घंटा बीत चुका था। इस बीच मि. सिंघानिया तीन कप चाय पी चुके थे। चौथी बार चाय बनाने के लिए जैसे ही उन्होंने अपना कप उठाया, ध्रुवी ने उन्हें घूरकर उनके हाथ से कप ले कर वापस नीचे रख दिया।
"क्या हो गया है डैड....बस कीजिए....कितनी चाय पियेंगे....आपके बीपी के लिए इतनी चाय बिल्कुल भी अच्छी नहीं है.....और खबरदार जो अब आपने चाय को हाथ भी लगाया तो!!!"
"अब मेरी बेटी ने चाय ही इतनी टेस्टी बनाई है कि मैं क्या करूँ....मेरा मन बार-बार अपनी बेटी के हाथ की चाय पीने के लिए ललचाए जा रहा है....बस एक कप और!!"
"नो....नेवर....." ध्रुवी ने मेड को बुलाकर चाय की ट्रे की ओर इशारा करते हुए कहा, "इसे ले कर जाइए यहाँ से!!!"
"प्लीज बस लास्ट कप??"
"नो मीन्स नो.....और अब बहाने बंद कीजिए....क्योंकि मैंने भी वही सेम चाय पी है.....जिसकी आप बेवजह इतनी तारीफ़ कर रहे हैं...और इसमें ऐसा कुछ भी खास नहीं.....(एक पल रुककर)......तो अब सीधा मुद्दे पर आइए.....क्योंकि मैं अच्छे से जानती हूँ कि जब कभी भी आपको मुझसे कोई इम्पोर्टेन्ट बात करनी होती है.......और आपको समझ नहीं आता कि आप बात कहाँ से और कैसे शुरू करें....तब आप हमेशा ऐसे ही बिहेव करते हैं....इसीलिए अब आप ज़्यादा सोचिए मत.....और जल्दी बताइए कि आखिर बात क्या है.....और आखिर किस बात ने आप को यूँ.....और इतना परेशान किया हुआ है???"
"हम्मम.....तुम्हारे अंदाजे कभी गलत हुए हैं.....जो आज गलत होंगे.......खैर ठीक है.....तो फिर मैं सीधा मुद्दे पर ही आता हूँ.....(ध्रुवी की ओर देखकर एक पल बाद)....सच-सच बताना ध्रुवी कि तुम्हारी ज़िंदगी में आखिर मेरी क्या और कितनी अहमियत है?"
"ये कैसा सवाल है डैड....आप जानते हैं कि आप मेरे लिए क्या हैं!!"
"मैं फिर भी तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ!!"
"डैड.....आप मेरे लिए सिर्फ मेरे डैड नहीं हैं....." ध्रुवी ने अपने डैड का हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहा, "....बल्कि आप मेरे लिए माँ-बाप.....भाई-बहन.....मेरे मेंटोर.....मेरे बेस्ट फ्रेंड.....मेरे भगवान हैं आप मेरे लिए.......एंड यू नो दैट वेरी वेल डैड!!!"
"अगर वाकई ऐसा है ध्रुवी.......और तुम मुझे वाकई दुनिया के किसी भी और दूसरे रिश्ते से बढ़कर चाहती हो.....और मुझमें.....मेरे साथ.....कई रिश्तों को एक साथ जीती हो.....और इन सबसे अलग.....मुझे अपना एक अच्छा-अच्छा दोस्त समझती हो....तो फिर आखिर तुमने क्यों मुझसे इतना बड़ा झूठ बोला?.....और आखिर क्यों एक पल को भी बिना मेरे बारे में सोचे.....तुमने इतना बड़ा कदम उठाया???.....क्यों ध्रुवी???.....क्यों????"
"कैसा झूठ डैड??.....और कौनसा कदम के बारे में बात कर रहे हैं आप आखिर???.....मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा डैड.....प्लीज़ साफ़-साफ़ कहें कि आखिर बात क्या है????.....और किया क्या है मैंने???"
"तो साफ़-साफ़ सुनो फिर.....(एक पल रुककर).......तुमने उस दिन क्या कहा था.....कि हॉस्टल की बिल्डिंग से एक्सीडेन्टली तुम्हारा पैर स्लिप होने की वजह से तुम्हें वो गंभीर चोटें लगी थीं.....लेकिन हकीकत तो कुछ और ही थी ना ध्रुवी...(मि.सिंघानिया ने अपनी नज़रें झुकाए बैठी ध्रुवी की ओर देखते हुए कहा)......हम्मम????........(एक पल रुककर नाराज़गी भरे लहज़े से अपने दांत पीसते हुए)......हकीकत में तो तुम उस फिजूल लड़के.....उस आर्यन के लिए....उसकी ना की वजह से....उस बिल्डिंग से बिना अपनी जान की रत्ती भर भी फ़िक्र किए बिना खुद कूदी थी.....(नाराज़गी भरे लहज़े से अपनी नज़रें झुकाए बैठी ध्रुवी से)....एम आई राइट मिस ध्रुवी सिंघानिया???"
मि. सिंघानिया, नाराज़गी से दांत पीसते हुए बोले, "हकीकत में तो तुम उस लड़के, आर्यन के लिए, उसकी ना की वजह से, उस बिल्डिंग से बिना अपनी जान की रत्ती भर भी फिक्र किए, खुद कूदी थी। एम आई राइट, मिस ध्रुवी सिंघानिया?"
अपने पिता की बात सुनकर ध्रुवी ने अपनी नज़रें दूसरी ओर फेर लीं।
"लुक एट मी, ध्रुवी," मि. सिंघानिया ने नाराज़गी से कहा, "आई एम टॉकिंग टू यू!!"
ध्रुवी ने अपने पिता की ओर देखते हुए नज़रें झुकाकर कहा, "डैड, मैं...बस... (एक गहरी साँस लेकर) आई एम सॉरी, डैड!!"
मि. सिंघानिया ने गुस्से से कहा, "नो, यू आर नॉट। नहीं हो तुम अपने किए के लिए बिल्कुल भी सॉरी। नहीं हो। क्योंकि अगर तुम वाकई में सॉरी होतीं, तो तुम मुझसे हरगिज़ झूठ नहीं बोलतीं, ना ही मेरी फिक्र किए बिना, मेरे बारे में सोचे बिना, ऐसा कदम उठाने का ही सोचतीं। (थोड़ी भावुकता से) उस लड़के से मिले तुम्हें अभी सिर्फ़ चंद दिन हुए हैं, और उस चंद दिन की मोहब्बत ने तुम्हें, मेरी मोहब्बत से पल भर में रुसवा करवा दिया। (अपना सिर ना में हिलाते हुए) यू आर नॉट सॉरी। यू आर नॉट!!"
ध्रुवी ने दुखी होकर अपने पिता के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "नो, डैड, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आई लव यू, डैड। आई लव यू सो मच। आप मेरे लिए क्या हैं, ये मैं आपको शब्दों में जाहिर भी नहीं कर सकती। यू आर माय वर्ल्ड, डैड। प्लीज़ ऐसा मत सोचिए, डैड। प्लीज़!!"
मि. सिंघानिया ने दुखी भाव से कहा, "मेरे इतना कहने भर से तुम्हें इतनी तकलीफ़ हो रही है, तो सोचो ज़रा तुमने जो ये किया है मेरे साथ, बिना अंजाम की फिक्र किए, मुझ पर और मेरे दिल पर क्या बीत रही होगी तुम्हारे उस एक क़दम के बाद। (एक पल रुककर) क्या एक बार भी अपनी जान को यूँ जोखिम में डालते हुए तुम्हें मेरी याद नहीं आई, ध्रुवी? एक बार भी नहीं?? (भावुकता भरे स्वर में) तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि अगर तुम्हें कुछ भी हो गया, तो मेरा क्या होगा? कैसे जीऊँगा मैं तुम्हारे बिना? तुम अच्छे से जानती हो कि मेरा पूरा परिवार, मेरी पूरी दुनिया हो तुम, तो आखिर कैसे कर सकती हो तुम मेरे साथ? क्या वो चंद दिनों पहले जुड़ा रिश्ता तुम्हारे लिए इतना ख़ास और अहम हो गया कि तुम्हारी ज़िंदगी में, तुम्हारे लिए अपने डैड की कोई वैल्यू या अहमियत ही नहीं रही?"
ध्रुवी ने मि. सिंघानिया के कंधे से गले लगकर भावुकता से कहा, "डोंट से दैट, डैड। प्लीज़ डोंट से दैट। आई एम सॉरी। आई एम रियली सॉरी, डैड। मैं जानती हूँ, मैंने जो कुछ भी किया वो गलत था, लेकिन मेरी ज़िंदगी में आपकी कोई अहमियत नहीं है, ये सरासर गलत है, डैड। क्योंकि मैं खुद की जान से बढ़कर आपको चाहती हूँ, डैड। मैं मानती हूँ उस वक़्त मैं जज़्बाती हो गई थी और जज़्बातों में आकर वो कदम उठा बैठी, लेकिन मैं सच में सॉरी हूँ, डैड। और आई प्रॉमिस, आई प्रॉमिस कि आइंदा मैं कभी भी ऐसी कोई हरकत नहीं करूँगी जिससे मेरे डैड को तकलीफ़ हो या थोड़ा भी दुख पहुँचे। (एक पल रुककर) आप मेरी ज़िंदगी हैं, डैड, और आपके लिए मेरे दिल में कभी प्यार कम नहीं हो सकता, कभी भी नहीं!!"
मि. सिंघानिया ने बिना किसी भाव के कहा, "अच्छा, और उस लड़के आर्यन की क्या जगह और अहमियत है आखिर तुम्हारी ज़िंदगी में?"
ध्रुवी ने अपनी सूखी होंठों पर ज़ुबान फ़िराते हुए कहा, "डैड, मैं..."
मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए कहा, "मुझे सिर्फ़ सच सुनना है, ध्रुवी, सिर्फ़ सच!!"
ध्रुवी ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "आपसे अलग होकर अगर मैं जी नहीं सकती, डैड, तो आर्यन के बिना भी मैं मर जाऊँगी, डैड। अगर आप मेरी ज़िंदगी हैं, डैड, तो आर्यन मेरी ज़िंदगी जीने की वजह है, डैड। आप अगर मेरे लिए मेरी दुनिया हैं, तो आर्यन उस दुनिया में बिखरे रंगों की तरह है जिसके साथ से मेरी ज़िंदगी में खुशियों के रंग बिखरे हैं। आप मेरा दिल हैं, तो आर्यन मेरी धड़कन। आप मेरी ज़िंदगी हैं, तो आर्यन मेरी साँसें हैं। और (भावुक होकर) और मैं नहीं रह सकती उसके बिना, डैड, नहीं रह सकती। आई लव हिम, डैड। आई लव हिम सो मच, डैड!!!!"
मि. सिंघानिया ने पूछा, "मुझसे भी ज़्यादा?"
ध्रुवी ने अपनी भीगी पलकें उठाकर मि. सिंघानिया की ओर देखते हुए कहा, "डैड..."
मि. सिंघानिया ने बीच में ही ध्रुवी की बात काटते हुए कहा, "अगर तुम्हें इन दोनों रिश्तों में से किसी एक रिश्ते को चुनना पड़े, तो तुम क्या करोगी, ध्रुवी? किसे चुनोगी?"
ध्रुवी हैरानी से खड़े होकर भावुकता से बोली, "डैड, प्लीज़ ऐसा मत कहिए। मैं कभी नहीं कर पाऊँगी ऐसा, कभी भी नहीं। मैं किसी एक को चुन ही नहीं सकती, डैड, क्योंकि मैं आप दोनों के ही बिना नहीं रह पाऊँगी, डैड, नहीं रह पाऊँगी!!"
मि. सिंघानिया ने गंभीर और सख़्त भाव से कहा, "तो तुम भी आज मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, ध्रुवी। मैंने तुम्हें हमेशा से लेकर आजतक भी कभी भी किसी भी चीज़ के लिए ना तो फ़ोर्स किया, और ना ही मना ही किया, और ना ही अब भी करूँगा। मैंने हमेशा बस तुम्हारा भला ही सोचा है, लेकिन उस लड़के आर्यन से शादी की इजाज़त मैं तुम्हें कम से कम इस जन्म में तो हरगिज़ से भी हरगिज़ नहीं दूँगा, क्योंकि वो लड़का ना तो तुम्हारे लायक है और ना ही तुम्हारे लिए किसी भी और मायने में ठीक ही है, और मैं तुम्हें खुद यूँ अपने हाथों से अपनी ज़िंदगी बर्बाद करने की इजाज़त हरगिज़ नहीं दे सकता, कभी भी नहीं!!"
ध्रुवी ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, डैड, ऐसा नहीं है, बल्कि आर्यन..."
मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए सख़्त भाव से कहा, "तुम चाहे उस लड़के के लिए मुझे कितनी भी दलीलें या एक्सप्लेनेशन दे दो, लेकिन मेरी ना हरगिज़ हां में नहीं बदलेगी और ना ही मैं अपनी आखिरी साँस तक इस रिश्ते को मंज़ूरी दूँगा, और ये मेरा आखिरी फ़ैसला है!!"
इतना कहकर मि. सिंघानिया गुस्से भरे भाव से वहाँ से चले गए, और ध्रुवी लगातार उन्हें रोकने के लिए पुकारती रही, मगर वे नहीं रुके। ध्रुवी परेशान होकर अपने बालों में हाथ घुमाते हुए वहीं सोफ़े पर बैठ गई और टेंशन से अपने माथे पर उंगली फिराते हुए सोचने लगी कि आखिर अब वह कैसे इस सिचुएशन से बाहर आए। तभी ध्रुवी से मिलने के लिए दिशा और प्रिया वहाँ आती हैं और ध्रुवी के बुझे और परेशान चेहरे को देखकर उससे उसका कारण जानने की कोशिश करती हैं और ध्रुवी उन्हें अभी कुछ देर पहले हुई मि. सिंघानिया से अपनी सारी बातें बता देती है। ध्रुवी की सारी बात सुनने के बाद उसकी दोनों दोस्त भी उसके लिए परेशान हो उठती हैं। सब इसी उधेड़बुन में थे कि आखिर कैसे अब इस सिचुएशन से बाहर निकला जाए।
दिशा ने परेशान होकर पूछा, "अब फिर आगे क्या होगा, ध्रुवी? कुछ सोचा है तूने? क्या सॉल्यूशन निकलेगा इस प्रॉब्लम का?"
प्रिया ने कहा, "अंकल की बातें सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि जैसे वे कभी भी इस रिश्ते को मंज़ूरी नहीं देंगे, तो फिर क्या तू आर्यन से... मेरा मतलब है कि तू क्या फ़ैसला लेने वाली है? तूने कुछ सोचा है?"
ध्रुवी ने चिंतित और परेशानी भरे स्वर में कहा, "आई डोंट नो। मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा और मैं क्या करने वाली हूँ, मगर मुझे इतना ज़रूर पता है कि मैं अपने डैड या आर्यन में से कभी भी किसी एक को नहीं चुन सकती, क्योंकि वे दोनों ही मेरे जीने की वजह और मेरी खुशी हैं, और इनमें से एक से भी अलग या जुदा होकर मैं एक पल के लिए भी नहीं रह पाऊँगी!!"
दिशा और प्रिया दोनों ही ध्रुवी की स्थिति को समझ रही थीं और उसके लिए फ़िक्रमंद भी हो रही थीं, क्योंकि ध्रुवी की तरह ही मि. सिंघानिया भी जिद्दी और अपनी बात पर अड़े रहने वाले इंसान थे, जिन्होंने अगर एक बार कुछ करने का ठान लिया, तो फिर वे किसी भी कीमत अपने कदम पीछे नहीं हटाते थे। कुछ देर ध्रुवी को समझाने और सांत्वना देने के बाद दिशा और प्रिया वहाँ से चली गईं। ध्रुवी परेशानी से लिविंग एरिया में इधर से उधर टहल रही थी कि कुछ देर बाद उसने आर्यन को कॉल किया और दूसरी तरफ़ आर्यन ने एक ही रिंग के बाद ध्रुवी की कॉल पिक कर ली।
ध्रुवी: "हैलो?"
आर्यन: "हैलो...हम्मम कहो?"
ध्रुवी: "कैसे हो तुम?"
आर्यन ने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी में वक़्त देखते हुए कहा, "आई थिंक अभी तुम्हें यहाँ से गए 3 घंटे भी नहीं हुए हैं और तुम्हारी आँखों के सामने मैं बिल्कुल फ़िट एंड फ़ाइन था!!"
ध्रुवी: "हम्मम आई नो, बस मेरा मन थोड़ा परेशान था... (एक पल रुककर) और बस तुमसे मिलने का दिल चाह रहा था!!"
आर्यन: "ठीक है तो किसने रोका है तुम्हें? आ जाओ घर!!"
ध्रुवी: "नहीं, घर नहीं...कहीं बाहर मिलते हैं!"
आर्यन: "ओके, तो फिर तुम मुझे कॉलेज के पास वाले कैफ़े में मिलो!!!!"
ध्रुवी: "ठीक है, मैं बस 10 मिनट में वहाँ पहुँचती हूँ!!!"
आर्यन: "ओके...मगर ध्यान से आना!!"
ध्रुवी: "हम्मम डोंट वरी...बाय!!!"
आर्यन: "बाय!!"
इतना कहकर ध्रुवी ने फ़ोन कट कर दिया और जैसे ही वह अपना बैग लेकर लिविंग एरिया से बाहर मेन डोर के पास आती है, तो मि. सिंघानिया भी उसे अंदर आते हुए नज़र आते हैं, जो उसे देखकर वहीं रुक जाते हैं।
मि. सिंघानिया ने नाखुशी भरे लहज़े से कहा, "यकीनन इतनी जल्दी में तुम उस बदतमीज़ और आवारा लड़के से ही मिलने जा रही होगी?"
ध्रुवी: "डैड, प्लीज़...आर्यन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, तो आप उसके बारे में ऐसी बातें करना बंद कीजिए!!"
मि. सिंघानिया: "मैंने पहले भी कहा था और फिर यही दोहराऊँगा कि मुझे तुमसे उसके बारे में कोई एक्सप्लेनेशन नहीं चाहिए। तुम जहाँ जाना चाहती हो जा सकती हो, जिससे मिलना चाहती हो मिल सकती हो, लेकिन सिर्फ़ आज के लिए!!"
ध्रुवी ने असमंजस से पूछा, "मतलब आप कहना क्या चाहते हैं, डैड?"
मि. सिंघानिया ने गंभीरता से कहा, "मैंने कल अपने बिज़नेस पार्टनर के बेटे वंश के साथ तुम्हारी मीटिंग फ़िक्स की है और अगले हफ़्ते तुम्हारी वंश के साथ सगाई है। सो बी प्रिपेयर्ड फॉर दिस!!"
ध्रुवी ने शॉक और हैरानी भरे भाव से कहा, "व्हाट?? ये क्या कह रहे हैं आप, डैड? आप अच्छे से जानते हैं कि मैं आर्यन से प्यार करती हूँ और मैं उसी से शादी करूँगी, फिर भी आप बेवजह क्यों..."
मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए कहा, "दिस इज़ फ़ाइनल। मुझे कुछ नहीं सुनना और मैं इस बात पर अब कोई बहस या आर्गुमेंट नहीं चाहता। तुम कल उस लड़के से मिल रही हो...मतलब मिल रही हो!!"
इतना कहकर मि. सिंघानिया वहाँ से अंदर की ओर चले गए और उनकी बात को सोचते हुए ध्रुवी ने पूरे गुस्से से अपने फ़ोन को ज़मीन पर दे मारा, जिसकी वजह से एक पल में ही उस कीमती फ़ोन के पुर्जे वहाँ चकनाचूर होकर बिखर गए।
मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी ने पूरे गुस्से से अपना फ़ोन जमीन पर दे मारा। उसकी वजह से कीमती फ़ोन के पुर्जे चकनाचूर होकर बिखर गए। ध्रुवी ने गुस्से से अपने बालों में हाथ घुमाया और गहरी साँस लेते हुए कुछ पल बाद अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गई। गाड़ी में बैठकर वह अपने बंगले से बाहर निकल गई।
जब ध्रुवी कैफ़े पहुँची, आर्यन वहाँ आ चुका था और एक टेबल पर उसका इंतज़ार कर रहा था। ध्रुवी सीधा आर्यन के पास गई। आर्यन ने ध्रुवी को देखकर वेटर को दो कॉफ़ी लाने का आदेश दिया। ध्रुवी के चेहरे पर आई गंभीरता और गुस्से से वह समझ गया था कि ध्रुवी और मिस्टर सिंघानिया के बीच कोई बातचीत हुई है, जो यकीनन उसके मुतल्लिक ही है। फिर भी, आर्यन ने अपने अंदाज़े को किनारे रखते हुए, ध्रुवी से ही उसकी परेशानी का कारण पूछना ठीक समझा।
"क्या हुआ है?? आज टेंपरेचर इतना हाई क्यों लग रहा है???" आर्यन ने ध्रुवी का मूड हल्का करने की कोशिश करते हुए पूछा।
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर उसे गुस्से से घूरा।
"उप्स! इतना गुस्सा रे बाबा! थोड़ा तो रहम करो मुझ मासूम पर। बिचारा मेरा मासूम दिल तुमसे इतना डरता है, तुम्हारे सामने थरथर कांपता है। और अगर तुम मुझे ऐसी कातिलाना नज़रों से देखोगी तो बाय गॉड... मुझे तो यही इसी पल मर जाना है!" आर्यन ने एक गहरी आह भरते हुए कहा।
"आर्यन, इस वक्त मैं मज़ाक के मूड में बिल्कुल भी नहीं हूँ, तो तुम अपने ये फ़िज़ूल मज़ाक बंद करो!" ध्रुवी ने आर्यन को घूरते हुए कहा।
"अच्छा ठीक है बाबा। कम से कम मुझे बताओ तो सही कि आखिर मेरी जान को हुआ क्या है और आखिर क्यों वो इतना अपसेट है? और अगर मैं गलत नहीं हूँ, तो इस बार भी तुमने अपना गुस्सा बिचारे अपने मासूम फ़ोन पर निकाल दिया है।" आर्यन ने ध्रुवी के खाली हाथ देखकर कहा। जब ध्रुवी ने कोई जवाब नहीं दिया, तो आर्यन समझ गया कि ध्रुवी ने एक बार फिर से गुस्से में अपना फ़ोन तोड़ डाला है।
"कमऑन बेब, मतलब एक महीने में ये तीसरा कीमती फ़ोन तोड़ा है तुमने अपना। तुम अपना गुस्सा ऐसे चीज़ों पर क्यों निकालती हो?" आर्यन ने एक पल रुककर कहा।
"तो क्या करूँ मैं? जब मुझे गुस्सा आता है, तो मेरा दिल करता है कि... कि बस जो भी मेरे सामने आ रहा है, उसे तोड़-फोड़ दूँ!" ध्रुवी ने आर्यन की ओर देखते हुए कहा।
"अच्छा, और अगर कहीं तुम्हारे गुस्से के वक़्त मैं तुम्हारे सामने आ गया तो? मतलब तो तुम मुझे भी ऐसे ही तोड़-फोड़ दोगी। देखो मैडम, फ़ोन तक का तो ठीक है, वह मार्केट में नए मिल सकते हैं, दोबारा बनाए जा सकते हैं। लेकिन मैं... मैं एक ही पीस हूँ इस पूरी दुनिया में। और अगर कहीं मैं टूट-फूट गया तो मैं दोबारा नहीं रिपेयर होने वाला, और ना ही जुड़ने वाला। फिर तुम्हें अपनी पूरी ज़िंदगी एक लंगड़े-लूले पति के साथ गुज़ारनी पड़ेगी। तो अब सोच लो तुम्हें तुम्हारा गुस्सा ज़्यादा प्यारा है या फिर अपना होने वाला पति!" आर्यन ने ध्रुवी का मूड हल्का करने की कोशिश करते हुए कहा।
आर्यन की बात सुनकर इस बार ध्रुवी के होठों पर भी एक हल्की सी मुस्कान तैर गई। तभी वेटर वहाँ कॉफ़ी ले आया और आर्यन ने एक कप ध्रुवी की ओर बढ़ाकर दूसरा कप खुद उठा लिया।
"ये है मेरी ध्रुवी... जो मुझे बस यूँ ही हमेशा हँसती-मुस्कुराती ही अच्छी लगती है!" आर्यन ने ध्रुवी को मुस्कुराते हुए कहा।
"आर्यन, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं? आखिर क्यों छुपाया मुझसे कि ऑफ़िस में डैड से तुम्हारी कोई बात हुई थी... हमारे रिश्ते को लेकर?" ध्रुवी ने अचानक फिर से पूरी तरह गंभीरता के भाव के साथ एक गहरी साँस लेते हुए कहा।
"देखो ध्रुवी, मैं यह नहीं कहूँगा कि तुम्हारे डैड गलत हैं या कुछ भी ऐसा। मैं जानता हूँ कि एक पिता होने के नाते वह तुम्हें बेहतर से बेहतर देना चाहते हैं। और अगर हम हकीकत को देखें, तो ध्रुवी तुम्हारी और मेरी ज़िंदगी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है। और कहीं ना कहीं यही वजह भी थी जो मैं हमेशा तुम्हें ना कहकर तुमसे दूर भागता आया था। क्योंकि मैं जानता था कि हम दोनों के बीच एक स्टेटस नाम की बहुत बड़ी खाई है, जिसे शायद ही मैं कभी भर पाऊँ। और इसीलिए मैं नहीं चाहता था कि लाइफ़ के एक मोमेंट पर आकर तुम या मैं कभी भी ऐसी सिचुएशन में पड़े!" आर्यन ने अचानक ही गंभीर भाव के साथ कहा।
"और आर्यन, मैंने भी तुम्हें कहा है और आज भी मैं यही कहूँगी कि मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा स्टेटस क्या है या हम दोनों के बीच कितना फ़ासला है। मुझे फ़र्क पड़ता है तो सिर्फ़ तुम्हारी मोहब्बत से, तुम्हारे प्यार से। मुझे ये पैसा, ये रुतबा, ये सब कुछ नहीं चाहिए। मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहती हूँ आर्यन, बेहद चाहती हूँ और जिसके साथ मैं अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना चाहती हूँ। और डैड को भी ये बात समझनी ही होगी!" ध्रुवी ने उसी गंभीरता के साथ कहा।
"देखो ध्रुवी, वो तुम्हारे डैड हैं और वो हर पिता की तरह ही चाहते हैं कि अपनी बेटी के लिए बेहतर से बेहतर हमसफ़र चुने, जो उसके स्टेटस का, उसके काबिल हो और जो हर चीज़ में उनकी बेटी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके। शायद अगर मैं उनकी जगह होता, तो मैं भी उसी तरह से सोचता जैसे आज तुम्हारे डैड सोच रहे हैं। यह बात तुम जानती हो, तुम समझती हो कि मैं तुम्हें चाहता हूँ, ना कि तुम्हारे पैसे और दौलत को। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ध्रुवी और ये पूरी दुनिया, तुम्हारे डैड सब उसी पहलू से सोचते हैं और ज़ाहिर है शायद सोचेंगे भी कि मेरा तुमसे लगाव का मक़सद तुम्हारी दौलत और पैसा ही है!" आर्यन ने ध्रुवी का हाथ थामते हुए कहा।
"तुम्हें मेरे डैड या दुनिया के कहने से फ़र्क पड़ता है या मेरी सोच और मेरे कहने से?" ध्रुवी ने गंभीर भाव से पूछा।
"ऑफ़कोर्स तुमसे और तुम्हारी सोच से!" आर्यन ने कहा।
"तो फिर मैं तुम्हें अच्छे से समझती भी हूँ और जानती भी हूँ आर्यन, तो दुनिया क्या कहती है और क्या सोचती है इस बात को भूल जाओ!" ध्रुवी ने गंभीर भाव से कहा।
"ठीक है, समझो फिर भूल गया। अगर ये बात या तुम्हारे डैड तुम्हारी परेशानी की वजह नहीं है, तो फिर तुम क्यों परेशान हो?" आर्यन ने एक पल बाद कहा।
"कल डैड ने एक लड़के को बुलाया है!" ध्रुवी ने एक पल खामोशी के बाद कहा।
"किस लड़के को?" आर्यन ने पूछा।
"डैड के किसी बिज़नेस पार्टनर का बेटा है और वो चाहते हैं कि मैं उससे मिलूँ और उसे जानू। और फिर अगले हफ़्ते डैड उससे मेरी सगाई करना चाहते हैं!" ध्रुवी ने कहा।
"तो फिर तुमने क्या कहा?" आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखते हुए पूछा।
"कहना क्या था? ऑफ़कोर्स मैं डैड से कह चुकी हूँ कि मैं सिर्फ़ तुम्हें चाहती हूँ और अगर मैं किसी से शादी करूँगी तो सिर्फ़ तुमसे ही करूँगी!" ध्रुवी ने नाराज़गी से कहा।
"तुम्हें नहीं लगता कि ये लाइन ज़्यादा टिपिकल हो गई?" आर्यन ने लाइट मूड से कहा। ध्रुवी ने आर्यन को घूरा तो आर्यन ने हमेशा की तरह उसे मेल्ट करने वाली अपनी एक दिलकश मुस्कान दी। "अच्छा, एम सीरियस। तो तुम्हें लगता है कि तुम्हारे डैड मानेंगे?"
"नहीं, अभी के हालात देखकर तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता कि वह मानेंगे!" ध्रुवी ने टेंशन में अपने माथे पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए कहा।
"देखो नेहा, डोंट गेट मी रॉन्ग, लेकिन अभी भी तुम्हारे पास वक़्त है सोचने का और अपना फ़ैसला लेने का। अगर तुम चाहो तो मैं अभी भी अपने कदम पीछे हटाने के लिए तैयार हूँ और तुम अपने डैड के कहे अनुसार उस लड़के से मिल लो और..." आर्यन ने कुछ पल खामोश रहने के बाद एक गहरी साँस लेते हुए कहा।
"हाउ डेयर यू आर्यन! तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझसे यह बात कहने की? मैं किसी और से जाकर...?" ध्रुवी ने बीच में ही आर्यन की बात काटते हुए गुस्से से कहा। "आर्यन, तुम्हें क्या लगता है कि मेरी फ़ीलिंग, मेरा प्यार सब कुछ सिर्फ़ एक दिखावा है या वक़्ती तौर का है? कि बस कुछ दिन मैंने उससे अपना जी बहला लिया और अब मैं किसी और के साथ जाकर ये इश्क़-मोहब्बत लड़ाऊँ? तुमने मुझे समझा क्या है आर्यन? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो मेरे बारे में? ठीक है, जब तुम्हें मुझ पर, मेरे प्यार भरोसा ही नहीं, तो मेरा यहाँ बैठकर तुमसे कुछ भी कहने का कोई भी फ़ायदा नहीं!" ध्रुवी ने नाराज़गी भरे लहजे से कहा।
"एम सो सॉरी, एम सॉरी ध्रुवी। मेरे कहने का मतलब ये नहीं था और ना ही मैं तुम्हें हर्ट करना चाहता था। मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ इतना था कि मैं तुम्हें किसी सिचुएशन या प्रॉब्लम में नहीं पड़ने देना चाहता। मैं नहीं चाहता कि तुम किसी भी तरह का या कोई भी प्रेशर लो या मेरी वजह से किसी भी प्रॉब्लम में आओ। दैट्स इट!" आर्यन ने ध्रुवी को वापस हाथ पकड़ कर बैठाते हुए एक गहरी साँस लेते हुए कहा।
ध्रुवी ने आर्यन की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसने गुस्से से अपनी नज़रें दूसरी दिशा में फेर रखी थीं।
"ठीक है, तुम्हें हमेशा यही लगता है ना कि मैं हमेशा तुम्हारे प्यार पर शक करता हूँ या कहीं वक़्त आने पर मैं पीछे ना हट जाऊँ। तो आज मैं तुम्हें अपने प्यार का सबूत देता हूँ, बस उसमें मुझे तुम्हारा साथ चाहिए। तुम मेरे साथ ज़िंदगी गुज़ारना चाहती हो और मैं तुम्हारे साथ। और जैसा कि अभी कुछ पल पहले ही तुमने कहा कि तुम्हारे डैड या पूरी दुनिया से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए, तो ठीक है, कोई फ़र्क नहीं पड़ता मुझे अब। और मेरे लिए हमारे रिश्ते की मंज़ूरी के लिए हम दोनों ही काफ़ी हैं। तो चलो हम दोनों मंदिर में शादी कर लेते हैं।" आर्यन ने एक पल खामोश रहने के बाद गंभीर भाव से कहा। ध्रुवी ने झट से अपनी नज़रें घुमाकर आर्यन को देखा। "इनफैक्ट, मैं अभी और इसी वक़्त तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ। अब फ़ैसला तुम्हारे हाथ में है ध्रुवी कि तुम क्या चाहती हो। तो अब तुम अच्छे से सोच-समझकर आज फ़ैसला कर लो कि आखिर तुम्हें क्या चाहिए और तुम क्या करना चाहती हो। और यकीनन यह भी तय है कि तुम्हारे किसी भी फ़ैसले से आज किसी एक का दिल दुखना तो यकीनन तय है। और तुम्हारा जो भी फ़ैसला हो, आई प्रॉमिस मुझे मंज़ूर होगा और मैं तुम्हें उसमें पूरा सपोर्ट भी करूँगा। और आई प्रॉमिस कि मेरी वजह से तुम्हारी आने वाली ज़िंदगी में कभी भी कोई भी परेशानी या थोड़ी भी उलझन नहीं आएगी। क्योंकि आज अगर तुमने मुझे नहीं चुना, तो आई प्रॉमिस, आई प्रॉमिस कि मैं ज़िंदगी भर फिर कभी तुम्हें अपनी शक्ल तक भी नहीं दिखाऊँगा!" आर्यन ने ध्रुवी की ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।
आर्यन (पूरी गंभीरता के साथ): "मैं वादा करता हूँ कि मेरी वजह से तुम्हारी आने वाली ज़िन्दगी में कभी भी...कोई भी परेशानी...या थोड़ी भी उलझन नहीं आएगी...क्योंकि आज अगर तुमने मुझे नहीं चुना...तो मैं वादा करता हूँ...मैं वादा करता हूँ कि मैं ज़िन्दगी भर...फिर कभी तुम्हें अपनी शक्ल तक भी नहीं दिखाऊँगा...!!!"
ध्रुवी (थके हुए भाव के साथ): "आर्यन, मैं पहले ही बहुत परेशान हूँ...तुम क्यों ऐसी बातें करके बेवजह और ज़्यादा मेरी परेशानियाँ और टेंशन बढ़ा रहे हो...आई लव यू सो मच...पर मैं तुमसे शादी करके डैड का दिल नहीं तोड़ सकती!!!"
आर्यन: "ठीक ही तो कह रही हो...यही मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूँ...और ध्रुवी, मैं तुम्हारी परेशानी नहीं बढ़ा रहा हूँ...बल्कि चीज़ों को सुलझाने की कोशिश कर रहा हूँ..." (एक पल बाद ध्रुवी के चेहरे पर टेंशन और परेशानी की लकीरें देखकर, एक गहरी साँस लेकर) "...अच्छा, ठीक है। तुम इतना ज़्यादा बेवजह टेंशन मत लो...हम कुछ सोचते हैं क्या किया जाए...फिलहाल के लिए तुम रिलैक्स करो...क्योंकि ऐसे परेशान होने और टेंशन लेने से प्रॉब्लम का सोल्यूशन नहीं निकलेगा...इसके लिए हमें ठंडे दिमाग से कुछ सोचना पड़ेगा!!!"
ध्रुवी (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): "हम्मम!!!"
आर्यन: "अच्छा, ये बताओ...कौन है वो लड़का...जिससे तुम्हारे डैड तुम्हें मिलवाना चाहते हैं...एनी आइडिया??"
ध्रुवी (अपने कंधे उचकाते हुए): "नो आइडिया!!"
आर्यन: "ओके, डोंट वरी...जस्ट चिल...एक हफ़्ते का टाइम है हमारे पास...तब तक कुछ न कुछ सोल्यूशन ढूँढ़ लेंगे हम!!!"
ध्रुवी (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए): "हम्मम...आई होप सो!!!"
काफी देर तक दोनों कैफ़े में बैठे एक-दूसरे से बातें करते रहे। आर्यन पूरी कोशिश कर रहा था कि वह ध्रुवी को रिलैक्स महसूस करा सके। कुछ देर बाद आर्यन और ध्रुवी कैफ़े से बाहर आए और आर्यन ने ध्रुवी को अपनी बाइक से उसके मेंशन के बाहर छोड़ा। उसे कल मिलने का वादा करके वहाँ से चला गया।
ध्रुवी जैसे ही मेंशन के अंदर आई, उसे उसके डैड लिविंग एरिया में बैठे मिले। लेकिन उन्होंने ध्रुवी से कुछ नहीं कहा और ध्रुवी भी चुपचाप सीधा अपने रूम में चली गई। वह डिनर करने नीचे नहीं आई, तो एक मैड ने उसके लिए उसके रूम में ही खाना ले आया।
अगले दिन सुबह, ध्रुवी जैसे ही अपने दोस्तों से मिलने जाने के लिए तैयार होकर नीचे आई और बाहर जाने को हुई कि मिस्टर सिंघानिया ने उसे पीछे से टोका।
मिस्टर सिंघानिया (जाती हुई ध्रुवी को टोकते हुए): "कहाँ जा रही हो तुम???"
ध्रुवी (अपने डैड की ओर पलटते हुए): "अपने दोस्तों से मिलने!!"
मिस्टर सिंघानिया (सख्त भाव से): "अपने दोस्तों से मिलने...या उस चालबाज आवारा लड़के से मिलने???"
ध्रुवी (नाखुशी भरे भाव से): "डैड, मैंने आपको पहले भी कहा है और फिर से वही कहूँगी कि आर्यन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है...सो डोंट से दिस...और रही उससे मिलने जाने की बात, तो मुझे आपको या किसी को भी ऐसा कोई झूठ कहने की ज़रूरत नहीं है...मैं अभी अपने दोस्तों से ही मिलने जा रही हूँ...आर्यन मुझसे शाम को मिलने आएगा!!!"
मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): "बहुत मिल ली तुम उससे...अब बस हुआ...और जैसा कि मैंने तुम्हें बताया था कि आज तुमसे मिलने के लिए मिस्टर ओबरॉय का बेटा आ रहा है, तो आई थिंक कि दोस्तों से मिलने जाने के बजाय तुम्हें शाम की अपनी उस लड़के से मीटिंग की तैयारी करनी चाहिए!!!"
ध्रुवी (उसी जिद भरे भाव के साथ): "और मैंने भी आपको कहा था डैड कि मुझे किसी से नहीं मिलना...और जब मुझे किसी से मिलना ही नहीं है डैड...तो फिर कैसी और किस चीज़ की तैयारी!!"
मिस्टर सिंघानिया (नाखुशी भरे भाव से): "ध्रुवी, मैं सुबह-सुबह तुमसे किसी बहस में नहीं पड़ना चाहता...इसीलिए शाम को किसी बहस या सीन क्रिएट किए बिना ही तुम चुपचाप उस लड़के से मिलने चली जाना...!!"
इतना कहकर मिस्टर सिंघानिया अपना कोट उठाकर ऑफ़िस के लिए निकल गए। ध्रुवी ने गुस्से से एक पल के लिए अपनी आँखें बंद की और फिर अपना बैग लेकर वह भी बाहर जाने के लिए निकल गई। ध्रुवी तो पहले ही मन बना चुकी थी कि वह किसी भी कीमत पर उस लड़के से नहीं मिलने वाली, लेकिन उसके डैड ने बिना उसकी मर्ज़ी के ज़बरदस्ती उसकी मीटिंग उस लड़के से फिक्स करा दी थी। ध्रुवी भी ध्रुवी ही थी और जिद में तो उससे शायद ही कोई जीत सकता था। इसीलिए उसने जानबूझकर उस लड़के से मिलने वाली मीटिंग के टाइम को घर के बाहर आर्यन और अपने दोस्तों के साथ बिताया। और वक़्त निकलने के बाद, काफी रात गए ध्रुवी वापस घर लौटी। और जैसे ही वह अपने कमरे में जाने लगी, कि उसके कानों में मि. सिंघानिया की गुस्से और नाराज़गी भरी आवाज़ आई।
मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): "कहाँ थी तुम अब तक??? मैंने तुम्हें सुबह ही कहा था न कि तुम्हें उस लड़के से मिलना है...उसके बावजूद भी तुम उस लड़के से मिलने के लिए नहीं पहुँची...और ऊपर से तुम्हारा सेल फ़ोन भी स्विच ऑफ़ था...क्यों???"
ध्रुवी (बिना किसी अफ़सोस या डर के): "मेरा फ़ोन स्विच ऑफ़ इसलिए था क्योंकि वह टूट गया है...और रही बात उस लड़के से मिलने की...तो मैंने आपसे पहले ही कहा था डैड कि मैं उस लड़के से नहीं मिलने वाली...यह आप ही की जिद थी...और आपने ही बिना मेरी मर्ज़ी के उस लड़के के साथ मेरी मीटिंग फ़िक्स की...मगर मैं न तो उससे मिलना चाहती थी और न ही मिलना चाहती हूँ...तो आप बेवजह अपना और मेरा दोनों का वक़्त जाया करना छोड़ दीजिए डैड...क्योंकि मैं इस लड़के से तो क्या...बल्कि किसी भी और लड़के से नहीं मिलने वाली...!!!"
मिस्टर सिंघानिया (नाराज़गी भरे लहजे से): "आज तक मैंने तुम्हारी हर जिद को...तुम्हारी नादानी और बचपना समझ के नज़रअंदाज़ किया...और उसे माना...लेकिन आज जो तुमने किया...वह सच में डिसएपॉइंटेड था ध्रुवी...तुम्हें एहसास भी है कि मुझे कितना एम्बेरेसमेंट फ़ील हुआ था मिस्टर ओबरॉय के सामने...और मैंने किस तरह से...और कितनी मुश्किल से बात को संभाला...!!"
ध्रुवी (हल्की मायूसी से): "एम सॉरी डैड...एम रियली सॉरी...मैं आपको बिलकुल भी हर्ट या इम्बेरेस फ़ील नहीं करवाना चाहती थी...लेकिन आप भी तो मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए डैड...(एक पल रुक कर)...जब मुझे आर्यन के सिवा किसी और लड़के से शादी ही नहीं करनी...तो मैं क्यों बेवजह उससे या किसी भी और लड़के से मिलूँ...या उसके बारे में फ़िजूल कुछ भी जानने की कोशिश करूँ???"
मिस्टर सिंघानिया (गुस्से से): "बस बहुत हो गया और बहुत चला ली तुमने अपनी...अब वही होगा जो मैं चाहूँगा...मैंने मिस्टर ओबरॉय से बात कर ली है...तुम्हारी सगाई एक हफ़्ते बाद नहीं बल्कि परसों है...और दो हफ़्ते बाद तुम्हारी शादी है...अब चाहे इसे तुम अपनी मर्ज़ी से कुबूल करो या फिर ज़बरदस्ती से...चॉइस इज़ ऑल योर्स...लेकिन अब मैं अपनी जुबान दे चुका हूँ...जिससे किसी भी कीमत पर अब मैं पीछे नहीं हटने वाला!!!!"
इतना कहकर जैसे ही मिस्टर सिंघानिया अपने कमरे में जाने के लिए मुड़े, कि ध्रुवी ने भी पूरे जोश और कॉन्फिडेंस के साथ अपनी बात कहते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी।
ध्रुवी (पूरी दृढ़ता के साथ): "तो आप भी मेरी एक बात अच्छे से सुन लीजिए डैड...मैं भी अगर शादी करूँगी तो सिर्फ़ आर्यन से करूँगी...और आप ही की तरह मैं भी आर्यन को जुबान दे चुकी हूँ...और आपकी बेटी होने के नाते इतना तो आप भी मुझे अच्छे से जानते और समझते हैं...कि मैं जान दे दूँगी...लेकिन अपनी जुबान से पीछे कभी नहीं हटूँगी...इसीलिए कोई भी कदम उठाने से पहले आप अच्छे से सोच लीजिएगा...क्योंकि मेरा कोई भी एक्शन आपके ही एक्शन का रिएक्शन होगा...और जिसके लिए भविष्य में आप मुझे ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते!!!"
मिस्टर सिंघानिया (गंभीर भाव से): "यह तो वक़्त ही बताएगा ध्रुवी कि किसकी ज़िद...और जुबान बनी रहती है!!!"
इतना कहकर मिस्टर सिंघानिया बिना रुके अपने रूम की ओर बढ़ गए और ध्रुवी उन्हें बस जाता हुआ देखती रह गई। अगले दो दिन भी यूँ ही बहस और गहमागहमी में निकल गए और वह दिन भी आ गया जिस दिन मिस्टर सिंघानिया ने ध्रुवी और अपने दोस्त के बेटे की सगाई रखी थी। आज संडे था, इसीलिए ध्रुवी देर तक सोई हुई थी। दूसरी तरफ़ शाम के फ़ंक्शन के लिए जोरों-शोरों से तैयारियाँ चल रही थीं, मगर ध्रुवी तो जैसे सुकून से बस सो रही थी, जैसे आज उसकी कोई सगाई होनी ही नहीं थी। ध्रुवी आराम से रोज़मर्रा की तरह अपने टाइम पर ही उठी और फ़्रेश होने के बाद अपना बैग लेकर घर से बाहर जाने लगी।
मिस्टर सिंघानिया (जाती हुई ध्रुवी को टोक कर): "कहाँ जा रही हो तुम???"
ध्रुवी (बिना पलटे ही): "आर्यन से मिलने!"
मि. सिंघानिया (सख्त भाव से): "अभी के अभी वापस अंदर जाओ!"
ध्रुवी (अपने डैड की ओर पलटकर): "लेकिन डैड, मुझे आर्यन से मिलना है!!!"
मि. सिंघानिया (झुंझला कर): "तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा है...अभी के अभी अपने कमरे में जाओ ध्रुवी...राइट नाउ!!!"
मि. सिंघानिया की बात सुनकर ध्रुवी ने आगे उनसे कोई बहस नहीं की और ध्रुवी गुस्से से वापस अपने कमरे में आ गई। कुछ देर बाद ही प्रिया और दिशा ध्रुवी के कमरे में आते हैं, जिन्हें मि. सिंघानिया ने ही ध्रुवी की सगाई में शामिल होने और सगाई के लिए तैयार होने में उसकी मदद करने के लिए बुलाया था।
दिशा (कुछ ज्वेलरी बॉक्स और सुंदर सी ब्रांडेड ड्रेसेस बेड पर रखते हुए): "ये अंकल ने भेजा है और कहा है कि इन्हें ट्राई कर ले...शाम को तुझे फ़ंक्शन में इन्हीं में से कुछ पहनना है!!!"
ध्रुवी (गुस्से से): "ये सारा सामान अभी के अभी उठा कर मेरे कमरे से बाहर फेंको!"
प्रिया: "कॉम डाउन ध्रुवी...इतना हाइपर मत हो!!!"
ध्रुवी (झुंझला कर): "तो क्या करूँ...खुशी-खुशी किसी भी लड़के के साथ सगाई करने के लिए मान जाऊँ...और बस तैयार होकर नीचे चली जाऊँ...और ले लूँ बस सात फेरे किसी के भी साथ...हुंह???"
दिशा: "ध्रुवी, प्रिया का वो मतलब बिल्कुल नहीं है...वो सिर्फ़ इतना कहना चाहती है कि ठंडे दिमाग से काम ले...अगर ऐसे हाइपर रहेगी तो प्रॉब्लम का कोई सलूशन नहीं निकलने वाला!!!"
प्रिया: "हाँ और डोंट वरी...तू बस रिलैक्स कर...बाकी तेरी प्रॉब्लम के सोल्यूशन के लिए मेरे पास एक ब्रिलियंट आईडिया है...जिससे तू इस सिचुएशन से चुटकियों में बाहर आ सकती है...!!!"
ध्रुवी (उत्सुकता से): "कैसा प्लान...और क्या है प्लान???"
प्रिया (विक्ट्री स्माइल के साथ): "बताती हूँ...सुनो!!!"
प्रिया की बात सुनकर ध्रुवी और दिशा बड़ी ही उत्सुकता से प्रिया की ओर देखने लगती हैं और प्रिया कमरे का दरवाज़ा बंद करके ध्रुवी और दिशा को अपने पूरे प्लान के बारे में बताती है। ध्रुवी और दिशा दोनों को ही प्रिया का प्लान कारगर लगा और दोनों को ही प्रिया का प्लान बहुत पसंद भी आया। और ध्रुवी ने उस प्लान को एक्ज़ीक्यूट करने के लिए तुरंत हामी भर दी। प्रिया के प्लान के मुताबिक ही ध्रुवी ने आर्यन को फ़ोन करके अपने घर के बाहर मिलने के लिए बुलाया।
दिशा (ध्रुवी की ओर देखकर): "प्लान तो यकीनन अच्छा है...लेकिन इसे अंजाम तो तू तभी दे सकती है ना...जब तू मेंशन से बाहर निकलेगी...और यकीनन अंकल तो अपने सामने से तुझे आज सगाई से पहले बाहर जाने नहीं देंगे!!!"
ध्रुवी (कुछ सोचकर शरारती मुस्कान के साथ): "तो अंकल के सामने से जाएगा ही कौन!!"
प्रिया: "मतलब???"
ध्रुवी (मुस्कुरा कर): "वेट...अभी बताती हूँ!!!"
इतना कहकर ध्रुवी अपने कबर्ड की तरफ़ बढ़ गई और उसमें नीचे की रैक में रखी एक मोटी सी वायर जैसी कोई चीज़ निकाली, जिसे देखकर दिशा और प्रिया भी ध्रुवी की बात समझते हुए मुस्कुरा उठीं। और फिर कुछ पल बाद ध्रुवी ने अपनी दोस्तों की हेल्प से उस वायर को अपने रूम की पीछे वाली विंडो के बाहर लटकाया और फिर ईश्वर का नाम ले कर वह उस वायर के सहारे नीचे उतरी और काफी मशक्कत और मेहनत के बाद आखिर वह नीचे जा पहुँची। और नीचे उतरते ही ध्रुवी ने थम्स अप दिया, तो प्रिया और दिशा ने फ़ौरन ही वह वायर वापस ऊपर खींच ली और ध्रुवी को थम्स अप देते हुए ऑल दी बेस्ट बोला। और ध्रुवी एक पल बाद ही वहाँ से बिना गार्ड की नज़रों में आए मेंशन से बाहर निकल गई। मेंशन से कुछ दूरी पर ही आर्यन अपनी बाइक पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। ध्रुवी ने उसके पीछे बैठते हुए उसे जल्दी से वहाँ से चलने के लिए कहा और आर्यन ने बिना कोई सवाल किए अपनी बाइक स्टार्ट करते हुए उसे आगे बढ़ा दिया।
शाम हो चुकी थी। मि. सिंघानिया के बताए अनुसार आज की लगभग सारी अरेंजमेंट्स हो चुकी थीं। कुछ ही देर में लड़के वाले भी आ गए क्योंकि यह सगाई बस परिवार की मौजूदगी में ही की जा रही थी। इसीलिए चंद ख़ास दोस्तों और फैमिली के लोगों के सिवा यहाँ और तीसरा कोई मौजूद नहीं था। लड़के वालों के आने के बाद मिस्टर सिंघानिया ने उनका अच्छे से वेलकम किया और थोड़े खान-पान के बाद कुछ ही देर बाद पंडित जी ध्रुवी को सगाई की रस्म को पूरा करने के लिए बुलाने के लिए कहते हैं। मिस्टर सिंघानिया पास खड़ी दिशा और प्रिया से ध्रुवी को नीचे लाने का इशारा करते हैं, लेकिन वह परेशान होते हुए एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगती हैं। मिस्टर सिंघानिया उनकी परेशानी को भापते हुए उन्हें थोड़ी दूरी पर ले जाकर उनसे ध्रुवी के बारे में पूछते हैं।
मि. सिंघानिया (शक भरी नज़रों से दिशा और प्रिया से): "कहाँ है ध्रुवी??? क्या बचकानी हरकत की है उसने??? डोंट टेल मी कि उसने कोई बेवकूफी की है??? (एक पल बाद दिशा और प्रिया को ख़ामोश देखकर हल्की सख्ती से) मैं तुम दोनों से कुछ पूछ रहा हूँ...आखिर कहाँ है ध्रुवी???"
प्रिया (डरते हुए): "अंक...अंकल...वो...वो दरअसल...ध्रुवी...ध्रुवी..."
प्रिया सोच ही रही थी कि वह मि. सिंघानिया को क्या बताए कि एन मौके पर तभी अचानक मेन दरवाज़े से ध्रुवी मेंशन के अंदर आती है और प्रिया और दिशा की नज़रों को फॉलो करते हुए जब मि. अग्निहोत्री भी दरवाज़े पर खड़ी ध्रुवी को आर्यन का हाथ थामे हुए घर के अंदर आता देखते हैं, तो उनके पैरों तले जैसे ज़मीन ही खिसक जाती है और ध्रुवी को देखकर वहाँ मौजूद सभी लोगों के साथ ही मिस्टर सिंघानिया भी पूरी तरह शॉक्ड रह जाते हैं। उन्हें जैसे अपनी आँखों देखे पर देखकर भी यकीन ही नहीं हो रहा था। ध्रुवी और आर्यन के गले में फूलों की माला पड़ी हुई थी, ध्रुवी की मांग में लाल सिंदूर भरा था और गले में मंगलसूत्र था और जिस कड़ाई और मज़बूती से उसने आर्यन का हाथ थाम रखा था, इसके आगे किसी को कुछ भी पूछने या कहने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। सारी हकीकत शीशे की तरह बिलकुल साफ़ थी!!!
ध्रुवी और आर्यन के गले में फूलों की माला पड़ी थी। ध्रुवी की मांग में लाल सिंदूर भरा था, और गले में मंगलसूत्र था। जिस कड़ाई और मजबूती से उसने आर्यन का हाथ थाम रखा था, इसके आगे किसी को कुछ भी पूछने या कहने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। सारी हकीकत शीशे की तरह साफ़ थी। मि. सिंघानिया तो जैसे यह नज़ारा देखकर कुछ पल तक अपनी जगह स्तब्ध खामोश खड़े रहे। और इससे पहले कि वे कुछ रिएक्ट करते, उनके दोस्त मि. ओब्राय गुस्से से लगभग आगबबूला होते हुए, अपनी पैनी नज़रों से ध्रुवी को घूरते हुए, अपनी जगह खड़े होकर वहाँ बरस पड़े।
मि. ओब्राय (नाराज़गी भरे लहजे से): "व्हाट इज दिस रजत?? क्या तमाशा है यह?? अगर तुम्हारी बेटी पहले ही किसी और को पसंद करती थी, तो आखिर तुमने हमारा तमाशा बनाने के लिए हमें यहां बुलाया ही क्यों?? और क्यों ऐसे हमें बेइज़्ज़त किया???"
मि. गुप्ता (निशा के पापा और मि. सिंघानिया के मैनेजर, बात को संभालने की कोशिश करते हुए): "मि. ओब्राय, ऐसी बात नहीं है। दरअसल, ज़रूर कोई बड़ी गलतफहमी हुई है। मैं आपको एक्सप्लेन करता हूँ..."
मि. ओब्राय (गुस्से से): "मि. गुप्ता, आप कहना क्या चाहते हैं? कि हम अपनी आँखों देखी मक्खी को आपकी फिजूल एक्सप्लेनेशन के बलबूते पर निगल जाएँ?? (एक पल रुक कर) जो भी सच है, वह सबकी आँखों के ठीक सामने है, और इसके बावजूद भी आप मुझसे यह उम्मीद रखते हैं कि मैं इस बात को लेकर आपकी फिजूल एक्सप्लेनेशन को तवज्जो देकर अपने बेटे की ज़िंदगी बर्बाद कर दूँगा?? (बिना किसी भाव के शून्य को निहारते हुए मि. सिंघानिया को देखकर) और तुम रजत, सब कुछ जानते-बूझते हुए भी तुमने हमें यहां बेइज़्ज़त करने के लिए बुलाया। यह इंसल्ट कभी नहीं भूलूँगा मैं। इनफैक्ट, गलती मेरी ही थी। मुझे यह प्रपोजल एक्सेप्ट करना ही नहीं चाहिए था। और मुझे पहले ही यह बात समझनी चाहिए थी कि बिन माँ की बच्ची में संस्कारों और संस्कृति की कमी होना तो लाज़िमी ही होगा!!!"
ध्रुवी (गुस्से से आगे आते हुए): "इनफ! आप मेरे डैड के दोस्त हैं, इसीलिए मैं इतनी देर से आपकी फिजूल बातें टॉलरेट कर रही थी, लेकिन अब बहुत हो गया। और बहुत कह लिया आपने, मगर अब एक लफ्ज़ भी अगर आपने मेरे डैड या उनकी परवरिश के खिलाफ़ कहा, तो मैं भी सारी हदें और मैनर्स भूल जाऊँगी, और फिर असल में अपनी ज़ुबान में आपको समझाऊँगी कि मैनर्सलेस कहते किसे हैं!!!"
मिसेज़ ओब्रॉय (मुँह खोलते हुए): "आए!हाय! यह लड़की सिर्फ़ बेशर्म ही नहीं, बल्कि पूरी बदतमीज़ भी है! (अपने बेटे की बाज़ू थामते हुए) अच्छा हुआ हमारा चिंटू बच गया, वरना कहीं इसकी इससे शादी हो जाती, तो बिचारे हमारे सर्वगुण सम्पन्न बेटे के तो भाग ही फूट जाते!!!"
ध्रुवी (तंज भरी मुस्कान के साथ चिंटू की ओर इशारा करते हुए): "ओह रियली?? (चिंटू की ओर इशारा करते हुए) यह...यह...आपका एक नंबर का आवारा बेटा सर्वगुण संपन्न है??!!"
मि. ओब्राय (नाराज़गी भरे लहजे से ध्रुवी की ओर देखकर): "तुम मेरे बेटे की इंसल्ट करने की कोशिश कर रही हो?? हद में रहो अपनी लड़की!!!"
ध्रुवी (तंज भरे लहजे से, सेम तेज़ आवाज़ के साथ): "जी नहीं, मैं ऐसी कोई कोशिश नहीं कर रही, बल्कि एक्चुअल में मैं आपके सामने आपके सर्वगुण सम्पन्न बेटे की आवारागर्दी और निकम्मेपन को हाइलाइट करने की महज़ एक छोटी सी कोशिश कर रही हूँ। (एक पल रुक कर) और अभी कुछ देर पहले ही आपने मेरी परवरिश पर उंगली उठाई थी ना, क्योंकि मेरी माँ नहीं है। लेकिन अगर मेरी माँ ज़िंदा होती, तो मैं आपकी नज़रों में सर्वगुण सम्पन्न होती, लेकिन क्योंकि ईश्वर ने उन्हें मुझसे छीन लिया, तो आपने मुझे मैनर्सलेस होने का टैग दे दिया। (एक पल रुक कर तंज भरे लहजे से) मगर आई थिंक आप दोनों ही अपने बेटे के सगे माँ-बाप हैं, और दोनों ही सही-सलामत ज़िंदा भी हैं, तो उसकी परवरिश इतनी घटिया और गिरी हुई कैसे हो सकती है जो कॉलेज की हर चलती-फिरती लड़की पर, नुक्कड़ के आवारा लड़कों की तरह पूरे वक्त बस भद्दे कॉमेंट ही पास करता है, जैसे इसने वहाँ एडमिशन ही इस नेक काम के लिए लिया है। (एक सख्त नज़र चिंटू की ओर देखकर) और इसके इस नेक काम के चलते कई और लड़कियों के साथ ही, इसने मेरे हाथों भी एक कड़कदार थप्पड़ का इनाम हासिल किया था। (मिसेज़ ओबराय की ओर देखकर तंज से) क्यों...बताई नहीं यह बात मम्मा-पापा के सर्वगुण सम्पन्न बेटे ने???"
यह सुन मि. ओब्राय ने अपने बेटे की ओर देखा, जिसने झेंप कर झट से अपनी नज़रें झुका लीं। अपने बेटे के एक्शन से ही मि. ओब्राय समझ गए कि ध्रुवी ने उनके बेटे के बारे में जो कुछ भी कहा, वह शत-प्रतिशत सच है। उन्होंने एक जलती निगाह अपने बेटे पर डाली, मगर इस वक्त वह चाह कर भी उसे कुछ नहीं कह पाए। और भले ही असल में चाहें उन्हें ध्रुवी के लिए खुद के द्वारा किए गए लफ्ज़ों का इस्तेमाल करने पर कभी भी थोड़ा भी अफ़सोस न होता, लेकिन अपने बेटे की वजह से ही अब उनके अपने कहे लफ्ज़ ही उन पर भारी पड़ गए, और उस पर ध्रुवी की बातों का जूता मखमल के कपड़े में लपेटकर उनकी इज़्ज़त के सर पर मारने जैसा महसूस हो रहा था। और अपने बेटे की वजह से वह चाह कर भी उसे जवाब नहीं दे सकते थे, क्योंकि ध्रुवी की कही बात और उनके बेटे की हरकतों ने उनकी परवरिश पर ही उंगली उठा दी थी, और जो कि बिल्कुल भी गलत या नाज़ायज़ भी नहीं नज़र आ रही थी।
ध्रुवी (मि. ओब्राय की ओर देखकर तंज भरे लहजे से): "अभी आपने ही मेरी परवरिश को घटिया कहा, तो अब अपने बेटे की परवरिश के बारे में आपका क्या ख़्याल है मि. ओब्राय?? (मिसेज़ ओब्राय की ओर देखकर) और आप मिसेज़ ओब्राय, अभी कुछ पल पहले क्या कहा था आपने कि आपके बेटे के भाग फूट जाते मुझसे शादी करके?? (एक पल रुक कर) अरे आपके कैरेक्टरलेस और घटिया बेटे से शादी करने से अच्छा मैं ज़हर खाकर अपनी जान देना ज़्यादा पसंद करूँगी। (मि. ओब्राय और उनकी पत्नी ने ध्रुवी की बात सुनकर अपनी नज़रें झुका लीं) (ध्रुवी तंज भरे लहजे से) आई थिंक आज के लिए आपके बेटे की इतनी तारीफ़ें और अच्छाई काफ़ी हैं। नेक्स्ट टाइम आप फ़ुरसत से मिलिएगा, एंड आई प्रॉमिस आपके बेटे के बड़े-बड़े कारनामों से मैं आपको ज़रूर रूबरू करवाऊँगी। फ़िलहाल मेरा इतना ही वक्त ख़राब करना काफ़ी है आप लोगों के लिए, सो अब अपने सो-कॉल्ड सर्वगुण सम्पन्न बेटे की गुणों की खान के साथ आप यहाँ से जा सकते हैं!!!"
ध्रुवी की बात सुनकर मि. ओब्राय ने गुस्से भरी एक नज़र से अपने बेटे की ओर देखा, जैसे आज घर पहुँचकर वह उसे किसी हाल नहीं बख्शने वाले थे, और उसे आँखों ही आँखों में वार्निंग दे रहे हों कि आज तुम्हारी ख़ैर नहीं। और फिर अगले ही पल वे वहाँ से बाहर की ओर चले गए। उनके पीछे उनकी पत्नी, और फिर चिंटू जी भी डरते-झेंपते वहाँ से खिसक लिए। इक्का-दुक्का दोस्त जो भी थे, वे लोग भी बिना कुछ बोले वहाँ से चले गए। अब मेंशन में सिर्फ़ ध्रुवी, मि. सिंघानिया, दिशा, प्रिया, मि. गुप्ता, और आर्यन के अलावा घर के कुछ नौकर ही बाकी थे। मि. सिंघानिया शून्य को निहारते हुए अभी भी बस एक जगह ही खामोश खड़े थे। और जब से ध्रुवी वापस आई थी या यहाँ अभी कुछ देर पहले तक इतनी बातें हुईं, मगर मि. सिंघानिया ने एक लफ़्ज़ तक कुछ नहीं कहा था। वे अपनी ही किसी गहरी सोच में गुम थे जैसे। ध्रुवी ने अपने पिता की ओर देखा, जो उससे कुछ कदमों के फ़ासले पर उसकी ओर पीठ करके खड़े थे, और जिनके भाव पर बस ख़ामोशी ही ख़ामोशी पसरी हुई थी। यह देख ध्रुवी फ़ौरन उनके पास गई।
ध्रुवी (मि. सिंघानिया के कंधे पर हाथ रखते हुए): "डैड, आई एम सो..."
जैसे ही ध्रुवी ने मि. सिंघानिया के कंधे पर हाथ रखते हुए उनका नाम पुकार कर उनसे सॉरी कहने के लिए अपनी चुप्पी तोड़ी, कि अचानक से मि. सिंघानिया ध्रुवी की ओर पलटे, और बिना एक पल भी सोचे उन्होंने एक जोरदार थप्पड़ सीधा ध्रुवी के गाल पर रसीद कर दिया, जिसे देखकर वहाँ मौजूद हर इंसान शॉक़्ड हो गया, और प्रिया और दिशा ने तो हैरानी से अपनी हथेलियाँ अपने मुँह पर ही रख ली थीं। आर्यन भी दौड़कर ध्रुवी के करीब आया, और ध्रुवी की ओर उसे सहारा देने के लिए जैसे ही बढ़ा, कि मि. सिंघानिया की एक सख्त नज़र से वह बीच में ही ध्रुवी से कुछ कदम दूर ही रुककर अपनी नज़रें झुकाए खड़ा हो गया। गुस्सा, नाराज़गी, झुँझलाहट, निराशा, दुःख, और ऐसे ही बहुत सारे मिले-जुले भाव इस वक्त मि. सिंघानिया के चेहरे पर साफ़ तौर पर नज़र आ रहे थे। और दूसरी तरफ़ अपने डैड का यह एक्शन देखकर ध्रुवी की आँखें फ़ौरन ही आँसुओं से डबडबा गई थीं। सब जानते थे कि आज तक मि. सिंघानिया ने ध्रुवी पर हाथ उठाना तो दूर, उन्होंने कभी उससे ऊँची या सख्त आवाज़ तक में भी बात नहीं की थी, और आज पहली बार था, पहली बार था जब मि. सिंघानिया ध्रुवी से ना सिर्फ़ इस क़दर नाराज़ थे, बल्कि अपने गुस्से में ध्रुवी पर हाथ तक उठा दिया था। एक पल के लिए ध्रुवी ने भी आँसू भरी आँखों के साथ मि. सिंघानिया की ओर अविश्वास और हैरानी से देखा।
ध्रुवी (हर्ट और अविश्वास भरे भाव से मि. सिंघानिया की ओर देखकर): "डैड..."
मि. सिंघानिया (बेइंतेहा गुस्से और नाराज़गी के साथ): "ख़बरदार! ख़बरदार! जो तुमने मुझे डैड कहकर पुकारा भी तो... (झुँझलाहट के साथ) खो दिया है तुमने यह हक़, और मर गया आज से तुम्हारा यह बाप तुम्हारे लिए!!!"
ध्रुवी (रोते हुए ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): "नो डैड...प्लीज़ नो...डोंट डू दिस डैड...प्लीज़ नो!!"
आर्यन (आगे बढ़कर मि. सिंघानिया को समझाने की कोशिश करते हुए): "मि. सिंघानिया, दरअसल आप..."
मि. सिंघानिया (गुस्से से आर्यन को घूरते हुए लगभग चिल्लाकर): "डोंट! डोंट यू डेअर! हिम्मत भी मत करना मेरे और मेरी बेटी के बीच में बोलने की! (सख्त भाव और लहजे से) ज़िंदगी में पहली बार, पहली बार मेरी बेटी ने मेरा दिल दुखाया है, मुझसे बगावत की है, मुझे धोखा दिया है, मेरी इज़्ज़त, मेरी ख़्वाहिश को अपने पैरों तले रौंदा है उसने, और उसकी वजह तुम हो! (नफ़रत भरे भाव से) तुम्हारी वजह से, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी वजह से आज मेरी उस बेटी ने मुझे दुनिया की नज़रों में गिराने से पहले एक बार भी नहीं सोचा, जो हमेशा मेरे लिए, मेरी इज़्ज़त, मेरी खुशी के लिए अपनी तक हाज़िर करने के लिए तैयार रहती थी, मगर तुम्हारी वजह से आज मेरी बेटी के लिए मेरा प्यार निहायती मामूली और छोटा रह गया, जिसे वह कुछ दिन पहले मिले प्यार के लिए बिना एक बार भी सोचे बेहिसी से ठोकर मारकर चली गई!!"
ध्रुवी (भावुकता से लगातार अपना सर ना में हिलाते हुए): "नो डैड...ऐसा कुछ भी नहीं है...नहीं है ऐसा कुछ...इनफैक्ट आई लव यू...आई लव यू सो मच डैड... (बहुत ही भावुकता से) मैं बहुत प्यार करती हूँ आपको, और आपको दुनिया की नज़रों में गिराना तो दूर, ऐसा करने का सोच भी नहीं सकती मैं। मैंने यह सब सिर्फ़ इसीलिए किया ताकि मैं इस सगाई को होने से रोक पाऊँ और..."
मि. सिंघानिया (ध्रुवी की बात को बीच में ही काटते हुए): "तो कांग्रेचुलेशन! मुबारक हो! बहुत-बहुत मुबारक हो ध्रुवी! तुम अपने मक़सद में कामयाब हो गई। इनफैक्ट आज के बाद तुम्हारे और तुम्हारे हैप्पी मैरिड लाइफ़ के बीच कोई रोड़ा या कोई परेशानी कभी भी नहीं आएगी। तुम जैसे चाहो, जहाँ चाहो, जिसके साथ चाहो अपनी ज़िंदगी गुज़ार सकती हो। (एक पल रुक कर) मुझे तुमसे, तुम्हारी ज़िंदगी से, या तुम्हारी ज़िंदगी के फ़ैसलों से ना तो अब कोई गरज़ है और ना ही तुम्हारी ज़िंदगी में मेरा कोई भी या किसी भी तरह का कोई इंटरफ़ेयर नहीं होता। जस्ट गो एंड लिव योर सो-कॉल्ड हैप्पी मैरिड लाइफ़!!!"
इतना कहकर मि. सिंघानिया बिना ध्रुवी के जवाब का इंतज़ार किए या सुने वहाँ से सीधा अपने कमरे की ओर ऊपर जाने के लिए मुड़ते हैं कि ध्रुवी के आगे के लफ़्ज़ सुनकर वह कुछ देर के लिए अपनी ही जगह रुक जाते हैं।
ध्रुवी (मि. सिंघानिया को जाता हुआ देखकर): "मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है डैड। (सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर पलटकर सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखते हैं) हाँ डैड, मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है!!!"
ध्रुवी ने मि. सिंघानिया को जाते हुए देखा और कहा, "मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है, डैड..." सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर पलटकर सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखने लगे। ध्रुवी ने फिर कहा, "हाँ डैड, मैंने और आर्यन ने कोई शादी नहीं की है... कोई शादी नहीं की... हाँ डैड, ये सब शादी एंड ऑल... सिर्फ़ दिखावा है... एक नाटक है... और मैंने ये सब नाटक सिर्फ़ इस फिजूल सी शादी और सगाई से बचने के लिए किया था... और मैंने ही आर्यन को फ़ोर्स किया था कि वो मेरे साथ इस ड्रामे में शामिल हो... हालाँकि इसने मुझे बार-बार मना किया था कि हमें ये नहीं करना चाहिए... लेकिन मेरी ही ज़िद थी ये सब ड्रामा करने की... और चाहे सिचुएशन जो भी हो डैड... मैं इतना बड़ा कदम आपकी मौजूदगी और मर्ज़ी के बिना कभी नहीं उठा सकती... हरगिज नहीं... आपका आशीर्वाद... और आपका साथ... दोनों ही मेरे लिए अहम हैं, डैड!!"
मि. सिंघानिया ने एक पल के लिए तंज भरी मुस्कान के साथ ध्रुवी की ओर देखा और कहा, "क्या वाकई में...? वाकई में मेरी मर्ज़ी तुम्हारे लिए कहीं भी... और थोड़ा भी मायने रखती है?? नहीं रखती... रत्ती भर भी नहीं रखती... क्योंकि अगर तुम्हें मेरी मर्ज़ी या रजामंदी की रत्ती भर भी ज़रा भी फ़िक्र होती... तो इस वक़्त तुम मेरे अगेंस्ट जाकर... इस बेकार से लड़के के साथ यहाँ कभी नहीं खड़ी होती... कभी भी नहीं!!"
ध्रुवी ने मि. सिंघानिया को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, "डैड आप..."
मि. सिंघानिया ने गुस्से और नाखुशी भरे भाव से अपनी हथेली दिखाकर ध्रुवी को बीच में ही टोक दिया, "कोई एक्सप्लेनेशन... कोई दलील... कोई बात नहीं... कुछ नहीं... कुछ नहीं सुनना चाहता मैं तुमसे... कुछ भी नहीं... और रही बात मेरी तुम्हारी खुशियों में शरीक होने... या दाखिल होने की बात... तो अब इस जन्म में तो ये हरगिज मुमकिन नहीं है... क्योंकि तुमने जो कुछ भी करना था... वो तुम कर चुकी हो... (एक तीखी नज़र आर्यन पर डालते हुए) जिसे तुम्हें चुनना था... वो भी तुम चुन चुकी हो... और अब कोई मायने नहीं रखता कि तुमने इस लड़के से शादी की है या नहीं... क्योंकि अपनी तरफ़ से तुम्हें जितना मुझे जलील कराना था... इतना जलील तुम करा चुकी हो... तो अब इसके बाद इससे ज़्यादा तुम मेरे साथ कुछ कर सकती हो... और ना ही मेरे पास अब तुम्हें कुछ देने के लिए ही बचा है... और ना ही मेरा तुमसे अब कोई लेना-देना ही रहा है... हमारा रिश्ता ख़त्म... अभी इसी वक़्त और यहीं... इसीलिए अभी इसी वक़्त... (गंभीर और सख्त भाव से) इस लड़के के साथ निकल जाओ यहाँ से!!"
ध्रुवी ने हैरानी भरे शॉक से कहा, "डैड..."
मि. सिंघानिया ने बेरुखी से अपनी नज़रें फेरते हुए कहा, "चली जाओ यहाँ से... अभी... इसी वक़्त!!"
मि. गुप्ता ने मि. सिंघानिया को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, "सर... ये आप क्या कह रहे हैं... माना उनसे गलती हुई है... मगर जो भी है... मगर ध्रुवी बिटिया बेटी है आपकी... और अगर आप उन्हें घर से निकाल देंगे... तो वह कहाँ जाएंगी... ये तो सोचिए ज़रा सर!!"
मि. सिंघानिया ने गुस्से और दुःख के मिले-जुले भाव से कहा, "मैं ही क्यों सोचूँ मिस्टर गुप्ता... जब इसने एक बार भी मेरी इज़्ज़त को मिट्टी में मिलाने से पहले नहीं सोचा... इसने एक बार भी... मेरी फीलिंग्स और इमोशंस को हर्ट करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा... और वैसे भी आपको फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है मिस्टर गुप्ता... (तंज और गुस्से भरे लहजे में आर्यन की ओर देखकर) क्योंकि उसने बहुत पहले ही फैसला कर लिया है कि आख़िर उसे किसके साथ... और कहाँ रहना है!!"
मि. गुप्ता ने कहा, "लेकिन सर..."
ध्रुवी ने नम आँखों से दुखी स्वर में मि. गुप्ता की बात को बीच में काटते हुए कहा, "रहने दीजिए अंकल... कुछ मत कहिए आप डैड से... अगर मेरे इस घर से चले जाने में ही इनकी खुशी है... तो बेशक मैं यहाँ से चली जाऊँगी... क्योंकि डैड चाहे जो भी सोचें... लेकिन हक़ीक़त यही है कि मैं इन्हें बहुत प्यार करती हूँ... और इनकी खुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है... अगर मेरे इस घर से जाने से डैड के दिल को सुकून और खुशी मिलते हैं... तो मैं चली जाऊँगी यहाँ से... अभी और इसी वक़्त!!"
मि. सिंघानिया ध्रुवी की बात सुनकर अपना मुँह दूसरी दिशा में करके, उसकी ओर अपनी पीठ करके खड़े हो गए, जैसे वो उसे ये दिखा रहे थे कि अब उन्हें उससे या उसके इमोशंस से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।
मि. गुप्ता ने बात लगातार संभालने की कोशिश करते हुए कहा, "सर ध्रुवी बिटिया तो बच्ची है ना... पर आप तो समझदार हैं ना सर... कम से कम आप तो समझदारी से काम लीजिए... और सोचिए ज़रा... कहाँ जाएगी बिटिया और कैसे रहेगी वो आपके और अपने घर के बिना?... सर गुस्सा थूक दीजिए... माफ़ कर दीजिए बिटिया को... प्लीज़ सर!!"
मिस्टर सिंघानिया कुछ पल शांत रहने के बाद बोले, "ठीक है मि. गुप्ता... क्योंकि मैं आपकी और आपकी वफ़ादारी की बहुत इज़्ज़त करता हूँ... इसीलिए मैं आपकी बात मानते हुए... ठीक है... मैं भी सब कुछ भूलकर इसे माफ़ करने के लिए तैयार हूँ... लेकिन उसके लिए मेरी भी एक शर्त है!!"
ध्रुवी मिस्टर सिंघानिया के मुँह से शर्त का नाम सुनते ही जैसे सकते में आ गई और अनायास ही ध्रुवी के चेहरे पर भय और आशंका भरे भाव की घबराहट उभर आई।
मि. सिंघानिया ने एक पल रुककर बिना पीछे वापस पलटे ही कहा, "और मेरी शर्त ये है... (एक पल खामोश रहने के बाद) कि ध्रुवी को इस घर में वापस आने के लिए... इसे इस लड़के से सारे ताल्लुक... आज... अभी... और इसी वक़्त यहीं ख़त्म करने होंगे... और वादा करना होगा कि ये फिर भविष्य में कभी भी... दोबारा इस लड़के से मिलने... या कोई भी राब्ता रखने की कोशिश तक भी नहीं करेगी... और इस लड़के का नामोनिशान भी अपनी ज़िंदगी से पूरी तरह मिटा देने होंगे... अगर इसे मेरा यह फैसला मंज़ूर है... तो बेशक वह पहले की तरह... अपने इस घर की मालिक बनकर यहाँ रह सकती है... लेकिन अगर उसे मेरी ये शर्त मंज़ूर नहीं है... तो फिर मेरे घर में भी इसके लिए कोई जगह नहीं है... और वो अभी इसी वक़्त यहाँ से जा सकती है!!"
मि. गुप्ता ने परेशान होकर ध्रुवी के करीब आकर कहा, "ध्रुवी बिटिया... ज़िद छोड़ दो बिटिया... और मान लो अपने डैड की बात... तुम अच्छे से जानती हो... वह तुमसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करते हैं... और तुम्हारी खुशी से बढ़कर उनके लिए कुछ भी नहीं है... अगर वो तुमसे ऐसा करने के लिए कह रहे हैं... तो यक़ीनन... वो तुम्हारे लिए बेहतर ही सोच रहे हैं... तो बेटा तुम उनकी बात मान लो... उन्होंने कहा है वो तुम्हें माफ़ कर देंगे बिटिया... मान लो अपने डैड की बात... मान लो बिटिया!!"
ध्रुवी ने मिस्टर गुप्ता की बात का कोई भी जवाब नहीं दिया। उसने मि. सिंघानिया की बात सुनकर बस अपनी आँखों से अपने गालों पर बहकर आए आँसुओं को अपने हाथ से पोंछा और चेहरे पर दर्द भरे भाव के साथ वो फिर मिस्टर सिंघानिया की ओर बढ़ गई।
ध्रुवी ने मिस्टर सिंघानिया की पीठ को निहारते हुए कहा, "एम सॉरी डैड... एम सॉरी... कि मेरी वजह से आज आपको... अपने दोस्त के सामने शर्मिंदा होना पड़ा... सॉरी कि मैं आपकी एक अच्छी और लायक बेटी नहीं बन पाई... सॉरी कि मैंने आपका दिल दुखाया... सॉरी कि मैं आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई... सॉरी कि... (एक पल रुककर अपने इमोशंस को काबू करने के लिए एक गहरी साँस लेते हुए भावुकता से) एम सॉरी... एम सॉरी डैड फॉर एवरीथिंग... एम रियली सॉरी!!"
मिस्टर सिंघानिया ने ध्रुवी की बात सुनी तो उम्मीद भरी नज़रों से उसकी ओर पलटे, लेकिन ध्रुवी के अगले शब्द सुनकर उनकी सारी उम्मीद पल में कांच के महल की तरह बिखर कर चूर-चूर हो गई और उनके चेहरे पर अविश्वास और गुस्से भरे भाव उभर आए।
ध्रुवी ने अपने इमोशंस पर काबू पाने की पुरज़ोर कोशिश करते हुए कहा, "पर डोंट वरी डैड... डोंट वरी... आइन्दा आपको मेरी वजह से... कभी कोई परेशानी नहीं होगी... कभी भी आपका दिल नहीं दुखेगा... कभी भी आपकी उम्मीदें नहीं टूटेंगी... जा रही हूँ मैं... (अपने घर पर चारों ओर नज़र दौड़ाते हुए) आपके घर और इस शानो-शौकत से बहुत दूर... जहाँ बेशक मुझे यह लग्ज़ेरियस लाइफ़ ना मिले... लेकिन एक खुशनुमा ज़िंदगी गुज़ारने के लिए... मेरी मोहब्बत मेरे साथ होगी... और मेरे लिए... जीने के लिए मेरी मोहब्बत ही काफी है... एम सॉरी डैड... एम सॉरी... लेकिन मैं आर्यन के बिना नहीं रह सकती... (नम आँखों से भावुक होकर) इनफैक्ट मैं उससे अलग होकर जी ही नहीं सकती डैड... और मैं इस रुतबे और शोहरत के लिए... अपनी मोहब्बत को हरगिज़ ठुकरा ही नहीं सकती डैड!!"
मिस्टर सिंघानिया ने हर्ट और दुखी भाव से कहा, "मगर अपने बाप को ज़रूर ठुकरा सकती हो!!"
ध्रुवी ने उलझन भरी भावुकता के साथ कहा, "डैड... एम सॉरी... एम रियली सॉरी डैड... मैं..."
मिस्टर सिंघानिया ने दुःख भरे गुस्से से ध्रुवी को बीच में ही टोकते हुए कहा, "अगर कल को मैं मर भी जाऊँ... तब भी मेरी सूरत मत देखना... और ना ही अपनी शक्ल कभी मेरे सामने मत लाना... (सख्त और गुस्से भरे भाव से) और आइन्दा अगर तुमने मुझे अपनी शक्ल भी दिखाने की कोशिश की... तो तुम मेरा मरा हुआ मुँह देखोगी!!"
ध्रुवी ने भावुक होकर तड़पकर कहा, "डैड प्लीज़... प्लीज़ डोंट से दिस... आप मुझसे नाराज़ हैं... तो बेशक मुझे कोसें... लेकिन अपने लिए ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल हरगिज ना करें... प्लीज़ डैड!!"
मिस्टर सिंघानिया ने गुस्से से अपनी मुट्ठियों को भींचते हुए कहा, "अभी इसी वक़्त निकल जाओ मेरे घर से!!"
नेहा ने आगे कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोलने की कोशिश की, तो मिस्टर सिंघानिया बीच में ही उस पर चीख पड़े।
मिस्टर सिंघानिया ने लगभग चीखते हुए कहा, "निकल जाओ यहाँ से सुना नहीं तुमने... निकलो यहाँ से... अभी... इसी वक़्त चली जाओ यहाँ से... (गुस्से से चिल्लाते हुए) चली जाओ!!"
पहली बार मिस्टर सिंघानिया की आँखों में अपने लिए इस कदर गुस्सा और नफ़रत देखकर ध्रुवी के लिए अब एक पल भी यहाँ ठहरना दुर्भर और असहनीय हो गया था। इसीलिए वह अपनी सुबकियों को रोकने के लिए अपने मुँह पर हाथ रखकर अगले ही पल लगभग दौड़ते हुए मेंशन के मेन दरवाज़े से बाहर निकल गई और यह देख आर्यन भी जल्दी से उसे संभालने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ा। आर्यन उसे रुकने के लिए लगातार आवाज़ दे रहा था, मगर ध्रुवी बिना रुके, बस सुबकते हुए दौड़े चली जा रही थी। कुछ देर बाद ध्रुवी बाहर के मेन दरवाज़े से दौड़ते हुए सड़क पर कुछ दूरी पर जाकर रुक गई और बेतहाशा रोते हुए भावुकता के साथ वह वहीं सड़क पर ही अपने घुटनों के बल बैठकर बेतहाशा सिसकने लगी। आर्यन उसके पीछे आया और जब उसने ध्रुवी को इस हाल में देखा तो जल्दी से उसे संभालने के लिए उसके करीब अपने घुटनों पर बैठकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसका सर अपने सीने से लगा लिया। ध्रुवी ने आर्यन के सीने से लगकर उसकी शर्ट को मज़बूती से अपनी मुट्ठी में कस लिया और वो पहले से और भी ज़्यादा भावुक हो उठी, जबकि आर्यन लगातार उसके सर को सहलाते हुए उसे शांत करने की भरपूर कोशिश कर रहा था, मगर हर बढ़ते पल के बाद ध्रुवी का रोना और सिसकना बढ़ता ही गया और कुछ देर में ही वहाँ ध्रुवी की बेतहाशा सुबकियाँ गूंजने लगीं।
हर बढ़ते पल के साथ ध्रुवी का रोना और सिसकना बढ़ता ही गया। कुछ देर में ही वहाँ ध्रुवी की बेतहाशा सुबकियाँ गूंजने लगीं। आर्यन लगातार ध्रुवी के सर को सहलाते हुए उसे शांत करने की भरपूर कोशिश कर रहा था। मगर ध्रुवी की सिसकियाँ शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। जैसे उसकी आँखों के नीचे किसी ने पानी की टंकी फिट कर दी हो जो बिना रुके लगातार बह रहा था। न जाने कितनी देर तक ध्रुवी यूँ ही आर्यन के कंधे पर सर रखकर सिसकती रही।
काफी देर बाद ध्रुवी का सिसकना बंद हुआ तो आर्यन ने उसे संभाला और उसे सहारा देते हुए खड़ा किया। वहाँ से कुछ दूरी पर जाकर टैक्सी रोककर उसने ध्रुवी को बैठाया और वहाँ से सीधा अपने फ्लैट के लिए निकल गया। कुछ देर बाद टैक्सी ने उन दोनों को आर्यन के फ्लैट के बाहर छोड़ा। आर्यन ने टैक्सी का किराया चुकाकर इस वक्त पूरी तरह टूटी और बिखरी ध्रुवी का हाथ थामा और उसे अपने घर के अंदर ले गया।
घर के अंदर जाकर आर्यन ने ध्रुवी को सोफे पर बिठाया और टेबल पर रखे जग से ग्लास में पानी डालकर बड़े ही प्यार से ध्रुवी की ओर बढ़ा दिया। मगर ध्रुवी ने नम आँखों से अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए पानी के गिलास को अपने मुँह से दूर कर दिया।
"ध्रुवी, इस तरह से परेशान होने और रोने से प्रॉब्लम का सलूशन तो नहीं निकलेगा ना? प्लीज स्टॉप क्राईंग मेरी जान। यू नो ना कि मैं तुम्हें यूँ रोता हुआ नहीं देख सकता!" आर्यन ने एक गहरी साँस लेकर कहा।
"आ...आर्यन, मु...मुझे कु...कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ। डे...डैड ने तो आज मुझसे खुले अल्फाज़ों में ना सिर्फ घर से जाने के लिए कहा, बल्कि उन्होंने..." ध्रुवी भावुकता भरी परेशानी से बोली।
"उन्होंने तो मुझे अपनी ज़िंदगी से ही पूरी तरह बेदखल कर दिया है," ध्रुवी ने दुख भरी भावुकता से कहा, "और उन्होंने तो मुझसे एक बेटी होने के सारे हक भी छीन लिए। और मैं बस..."
अपने निचले होंठ को अपने दाँतों तले दबाते हुए अपने इमोशन्स को रोकने की कोशिश करते हुए कुछ पल बाद ध्रुवी ने कहा, "मैं ज़िंदगी के ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी हो गई हूँ आर्यन, जहाँ ना तो मैं वापस पीछे जाने का सोच सकती हूँ और ना ही मुझे आगे जाने की कोई राह ही नज़र आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं एक पल में ही बिल्कुल तन्हा और अकेली हो गई हूँ। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा आर्यन कि आखिर मैं क्या करूँ और कहाँ जाऊँ। मैं..."
अपना सर पकड़ते हुए ध्रुवी ने कहा, "...या मैं क्या करूँगी? मुझे कुछ भी तो समझ नहीं आ रहा, कुछ भी नहीं!"
"तुम्हें कुछ भी सोचने या परेशान होने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है ध्रुवी। सब ठीक हो जाएगा। और तुम फ़िक्र क्यों करती हो? तुम अकेली नहीं हो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। और तुम कहीं क्यों जाओगी? तुम मेरे साथ, अपने...हमारे इस घर में रहोगी। तुम बेसक पीछे लौट कर नहीं जा सकती, लेकिन आगे की राह तुम्हारी आँखों के सामने है। मैं हूँ तुम्हारे साथ और इस राह पर हर कदम मैं तुम्हारा हाथ थाम कर कदम से कदम मिलाकर हर पल तुम्हारे साथ हूँ। बिलीव मी, सब ठीक हो जाएगा!" आर्यन ने ध्रुवी का चेहरा अपने हाथों में थाम कर प्यार से अपने अंगूठों से उसके आँसू साफ़ करते हुए कहा।
"बेसक मैं यहाँ तुमसे मिलने रोज़ आती रही हूँ और घंटों तुम्हारे साथ यहाँ वक़्त भी बिताती हूँ, लेकिन तुमसे मिलने आने में और तुम्हारे साथ यहाँ रहने में बहुत फ़र्क है आर्यन, बहुत फ़र्क।" ध्रुवी ने आर्यन की ओर देखकर थोड़ा संभल कर कहा।
एक पल रुककर ध्रुवी ने कहा, "लोग हम पर और हमारे रिश्ते पर उंगली उठाएँगे, जो मुझे हरगिज़ मंज़ूर नहीं है आर्यन, हरगिज़ नहीं!"
"जहाँ तक मैं अपनी ध्रुवी को जानता हूँ, मुझे तो नहीं लगता कि उसे दुनिया या दुनिया की बातों से कभी भी कोई भी या थोड़ा भी फ़र्क पड़ा हो, जो अब पड़ेगा!" आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखकर कहा।
"हाँ, नहीं पड़ा कभी कोई फ़र्क, लेकिन अब पड़ता है आर्यन और उसकी वजह सिर्फ़ तुम हो। मुझे तुम्हारे लिए फ़र्क पड़ता है आर्यन। क्योंकि मैं खुद पर भले ही लोगों की बातें और ताने बर्दाश्त कर सकती हूँ, उन्हें इग्नोर कर सकती हूँ, उनका सामना कर सकती हूँ, लेकिन बात अगर तुम पर या तुम्हारे कैरेक्टर पर आए तो यह मुझसे हरगिज़ से हरगिज़ बर्दाश्त नहीं होगा आर्यन!" ध्रुवी ने आर्यन का हाथ थाम कर कहा।
आर्यन ध्रुवी को आगे कुछ कहता कि तभी डोर बेल बजी। आर्यन ने ध्रुवी का हाथ थपथपाकर जल्दी देखकर आने की बात कही और फिर दरवाजे की ओर बढ़ गया। आर्यन ने दरवाज़ा खोला तो सामने दिशा और प्रिया थीं। आर्यन ने साइड होकर उन दोनों को अंदर आने का रास्ता दिया और दोनों सीधा ध्रुवी के पास चली आईं। ध्रुवी ने दिशा और प्रिया को देखा तो एक बार फिर भावुक हो उठी।
इधर दूसरी तरफ, ध्रुवी के घर से चले जाने के बाद मिस्टर सिंघानिया ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया था। घर के सभी नौकर और मिस्टर गुप्ता भी इन सारी बातों को लेकर परेशानी से घिरे हुए थे और अपने-अपने लेवल पर इस बात के सॉल्यूशन को खोजने की कोशिश कर रहे थे। सब जानते थे कि ध्रुवी और मि. सिंघानिया दोनों ही एक-दूसरे के लिए बहुत अहम हैं और एक-दूसरे की दुनिया भी। और आज से पहले जब कभी भी उन दोनों में नाराज़गी होती तो ज़्यादा देर तक ही दोनों बिना बात किए नहीं रह पाते थे या फिर दूसरा खुद पहले को मना लेता था। लेकिन इस बार तो दोनों ही बहुत ज़्यादा नाराज़ थे और इसी के साथ सबको यह भी पता था कि साथ ही दोनों ज़िद में भी एक जैसे ही थे। और जब तक दोनों अपनी ज़िद नहीं छोड़ देते, तब तक कुछ भी पहले की तरह ठीक नहीं हो सकता था। और इस बार यह दोनों की ही तरफ़ से आसान नहीं लग रहा था।
इधर दूसरी तरफ, इन सबसे अलग लंदन में ही एक जगह पर एक बड़े से आलीशान घर में, जिसकी शानोशौकत और ख़ूबसूरती देखते ही बन रही थी, इसी आलीशान बंगले में एक आदमी, जिसकी उम्र लगभग 28 से 30 के बीच होगी, लेकिन अपनी फ़िटनेस और चार्म की वजह से वह दिखने में बहुत ही अट्रैक्टिव और हैंडसम था और इसी वजह से 24 से 26 साल की उम्र का ही दिखता था। उसके महँगे और कीमती पहनावे और ठाट-बाट से यह साफ़ नज़र आ रहा था कि वह किसी बड़े और नामी घर-रुतबे-पैसे से ताल्लुक़ रखता था। उसका पूरा का पूरा अंदाज़ और पर्सनेलिटी लगातार किसी शाही या रॉयल फैमिली से होने का बखान कर रही थी। उस शख्स ने अपने बदन पर बहुत ही कीमती कपड़ों और जूतों के साथ डायमंड और गोल्ड की कीमती कलाई घड़ी अपने हाथ में पहनी हुई थी और दूसरे हाथ में उसने स्कॉच का एक गिलास पकड़ा हुआ था। और बड़े ही शान के साथ वह एक बड़ी सी कुर्सी पर एक टांग पर दूसरी टांग रखकर बैठा हुआ था। उसके सामने कुछ लोग ऐसे हाथ बाँधे खड़े थे जैसे वह कहीं का राजा-महाराजा हो और वह सब लोग उसके एक हुक्म के लिए अपना सर झुकाए उसके हुक्म को पूरा करने के लिए खड़े थे। कुल मिलाकर इस शख्स की पूरी पर्सनेलिटी बहुत ही अट्रैक्टिव, दमदार और स्ट्रॉन्ग नज़र आ रही थी। कुछ पल बाद उस शख्स ने अपनी दमदार और डोमिनेंट आवाज के साथ अपनी चुप्पी तोड़ी।
"क्या खबर है?" शख्स ने अपने आदमियों से पूछा।
"कुंवर सा, सब कुछ वैसे ही हो रहा है जैसे कि हमने चाहा था। सब हमारे प्लान के मुताबिक़ ही हो रहा है। आज उस लड़के के साथ अपने रिश्ते को ना तोड़ पाने की वजह से मिस्टर सिंघानिया ने अपनी इकलौती बेटी ध्रुवी को ना सिर्फ घर से निकाल दिया बल्कि उसे अपनी ज़िंदगी से पूरी तरह बेदखल भी कर दिया। और अपने घर से निकाले जाने के बाद फ़िलहाल अब वह उसी लड़के के साथ उसके घर में चली गई है। और कुंवर सा, हमारे लोग उन दोनों पर 24/7 नज़रें जमाए हुए हैं। बस आपके एक इशारे की देर है। आप बस हुकुम कीजिए कुंवर सा और हम आपके हुक्म को पूरा करने के लिए तैयार खड़े हैं। और इस बार आपके मक़सद को पूरा करने के लिए कोई रोक-टोक या बाधा भी नहीं है क्योंकि उस लड़के आर्यन की वजह से उस लड़की ध्रुवी के पिता ने उसे हमेशा के लिए अपनी ज़िंदगी से बेदखल कर दिया है और अब उसके पीछे उसके बाप का कोई भी सपोर्ट या सुरक्षा भी नहीं है। क्योंकि हमारी ख़बर के मुताबिक़ ध्रुवी से नाराज़गी के चलते उसके पिता ने अपने सारे रिश्ते और ताल्लुक़ ख़त्म कर दिए हैं और ज़िंदगी में कभी भी दोबारा उसकी शक्ल ना देखने की कसम खाई है। तो अब हमें कोई ख़तरा या डर नहीं है कुंवर सा। बस अब आप हुक्म कीजिए कुंवर सा, फिर उस लड़के के साथ ही हम उस लड़की ध्रुवी को भी अभी आपके कदमों में लाकर डाल देंगे!" पहले आदमी ने अपने हाथ बाँधे बड़े ही अदब के साथ कहा।
"अभी थोड़ा और सब्र करो शक्ति। कुछ देर और मनाने दो उन दोनों को अपने प्यार की खुशियाँ। क्योंकि इस बार हम सही और एन मौके पर ही अपनी आख़िरी चाल को कामयाब करते हुए उसे चलेंगे भी और पूरा भी करेंगे। तब तक सजाने दो उन्हें अपने प्यार भरे खुशियों के संसार के सलोने सपनों को क्योंकि फिर शायद ही कभी ज़िंदगी उन्हें दोबारा यह सुनहरा मौक़ा बख्शेगी।" कुंवर ने अपनी स्कॉच का घूँट भरते हुए अपने शाही अंदाज़ में कहा।
एक पल रुककर कुंवर ने कहा, "बाक़ी आप हमारी आख़िरी चाल और मोहरों के मुताबिक़ सारी तैयारियाँ मुकम्मल कर लीजिए क्योंकि अब हम हमारी मंज़िल और मक़सद से सिर्फ़ कुछ ही कदम की दूरी पर हैं!"
"जो हुकुम कुंवर सा। आप बिल्कुल बेफ़िक्र रहें। सारा काम और तैयारियाँ आपके बताए मुताबिक़ पूरी और बखूबी कर दी जाएँगी। और इसके अलावा अगर मेरे लिए कोई हुक्म हो तो बताएँ कुंवर सा?" शक्ति ने अदब से अपना सर झुकाते हुए कहा।
"फ़िलहाल के लिए इतना ही है। अभी जा सकते हैं आप लोग!" कुंवर ने कहा।
"जो हुकुम कुंवर सा!" शक्ति ने कहा।
इतना कहकर शक्ति एक बार फिर अपने लोगों के साथ अदब से अपना सर झुकाकर अपने बाक़ी लोगों के साथ वहाँ से फ़ौरन अपने हुक्म की तामील करने के लिए चला गया। और वह शख्स जिसे शक्ति कुंवर सा कहकर पुकार रहा था, उसने शक्ति और सब लोगों के वहाँ से जाने के बाद अपने पास टेबल पर उल्टी रखी ध्रुवी की तस्वीर को सीधा करते हुए अपने हाथ में उठाया और अपनी इंटेंस नज़रों से उसे देखते हुए ध्रुवी की फ़ोटो पर अपनी उंगली फ़िरने लगा। और कुछ पल बाद आख़िर में उसने अपनी चुप्पी तोड़ी।
"ध्रुवी...ध्रुवी सिंघानिया...आ रहे हैं हम...बहुत जल्द...आपसे मिलने और आपकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए...जस्ट वेट एंड वॉच!" कुंवर ने ध्रुवी की तस्वीर को देखते हुए पूरी संजीदगी के साथ अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
कुंवर ने ध्रुवी की तस्वीर को देखते हुए, पूरी संजीदगी से अपनी चुप्पी तोड़ी, "ध्रुवी... ध्रुवी सिंघानिया... आ रहे हैं हम... बहुत जल्द... आपसे मिलने और आपकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलने के लिए... जस्ट वेट एंड वॉच!!"
इधर, दूसरी तरफ, प्रिया और दिशा के साथ आर्यन के आने से ध्रुवी एक बार फिर भावुक हो गई थी। आर्यन को लगा कि शायद उसकी उपस्थिति के कारण वे खुलकर बात नहीं कर पाएँगे। इसीलिए, उन्हें स्पेस देने के लिए वह उन्हें अकेला छोड़कर कुछ देर के लिए अपने कमरे में चला गया।
प्रिया ध्रुवी के पास बैठते हुए बोली, "कैसी हो ध्रुवी तुम?"
ध्रुवी भावुकता से बोली, "डैड कैसे हैं?"
दिशा ध्रुवी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "डोंट वरी, पापा अंकल के साथ हैं। और अंकल बिल्कुल ठीक हैं। तू उनकी बिल्कुल भी फ़िक्र मत कर, हम सब हैं ना उनके साथ। तू बस अपना ध्यान रख।"
प्रिया ध्रुवी का हाथ थामकर उसे दिलासा देने की कोशिश करते हुए बोली, "हम्मम... दिशा बिल्कुल ठीक कह रही है ध्रुवी। एंड डोंट वरी, शायद थोड़ा टाइम लगेगा अंकल के गुस्से को शांत होने में, लेकिन जैसे ही अंकल का गुस्सा शांत होगा, देखना वो खुद तुझे लेने आएंगे, और फिर सब ठीक हो जाएगा।"
ध्रुवी मायूसी भरे लहजे से बोली, "काश! काश कि ऐसा हो पाता... बट आई नो कि डैड अपनी बात से कभी पीछे नहीं हटेंगे। क्योंकि अगर उन्होंने कहा है कि वो कभी मेरी शक्ल नहीं देखेंगे और मुझसे कोई रिश्ता नहीं रखेंगे, तो फिर चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए, वो मेरी शक्ल कभी नहीं देखेंगे, कभी मुझे वापस लेने नहीं आएंगे, कभी भी नहीं!"
प्रिया बोली, "तू ऐसा क्यों सोच रही है ध्रुवी? तू बेटी है उनकी, और माँ-बाप चाहे अपनी औलाद से कितना भी क्यों ना नाराज़ हो लें, मगर उन्हें कभी भूल नहीं सकते। और तू भी देखना, अंकल ज़्यादा देर तक तुझसे नाराज़ नहीं रह सकते।"
ध्रुवी दुखी भाव से मुस्कुराकर बोली, "अगर वो सिर्फ़ नाराज़ होते तो मैं खुद उन्हें मना लेती, पर उन्होंने तो मुझसे रूठकर मुझे हमेशा के लिए खुद से दूर कर दिया है। और शायद ही अब वो मुझे कभी वापस अपनी ज़िंदगी में शामिल कर पाएँ। भले ही मैंने ये सब अपनी मोहब्बत के लिए किया, लेकिन हकीकत तो यही है ना कि मैंने डैड का दिल दुखाया है (भावुकता से)... और मैं जानती हूँ इसके लिए वो मुझे कभी भी माफ़ नहीं करेंगे, कभी भी नहीं!"
दिशा बोली, "ध्रुवी तू क्यों बेवजह इतना सोच रही है? तू कल सुबह जाकर अंकल से मिलना और मनाना, और देखना तब तक उनका गुस्सा भी बिल्कुल शांत हो गया होगा।"
ध्रुवी अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "डैड ने मुझे कसम दी है, वापस उस घर में या उनकी ज़िंदगी में दुबारा कभी भी कदम ना रखने के लिए। और मैं ये कसम कभी नहीं तोड़ सकती (दुखी भाव से)... उन्होंने कहा है कि अगर मैंने उनसे कोई भी रिश्ता रखने या उनसे मिलने की कोशिश भी की तो... तो मैं उनका मर चुकी..."
इतना कहते-कहते ही ध्रुवी भावुक हो उठी, और प्रिया और दिशा ने उसे सांत्वना देते हुए उसे चुप कराने की कोशिश की।
प्रिया ध्रुवी के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हुए बोली, "माँ-बाप चाहे अपनी औलाद से कितना भी नाराज़ क्यों न हो जाएँ, लेकिन उनसे प्यार करना और उनकी परवाह करना कभी नहीं छोड़ सकते। तुम ये बात समझ क्यों नहीं रही हो ध्रुवी?"
ध्रुवी ने प्रिया की बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस खामोशी से अपने अंतर्मन में चल रही अनेकों बातों और सवालों से अंदर ही अंदर झूझती रही। तभी दिशा का फ़ोन बजा और उसने अपने पिता का नंबर स्क्रीन पर देखा, तो खड़े होकर कुछ दूरी पर जाकर उसने कॉल पिक की।
दिशा कॉल पिक करके बोली, "जी पापा... कहिए?"
मि. गुप्ता: "कितनी देर में घर वापस आओगी बेटा तुम?"
दिशा: "बस पापा, थोड़ी देर में निकल रहे हैं हम।"
मि. गुप्ता: "ध्रुवी बिटिया कैसी है?"
दिशा (गहरी साँस ले कर): "वो ठीक नहीं है पापा, बहुत परेशान है... (ध्रुवी की ओर देखकर उसकी बेचैनी भांपते हुए)... पापा अंकल तो ठीक हैं ना?"
मि. गुप्ता: "बेटा, दरअसल मैंने तुम्हें यही बताने के लिए कॉल किया था।"
कुछ देर बाद दिशा मि. गुप्ता से बात करने के बाद कॉल काट देती है और फिर प्रिया और ध्रुवी की ओर अपना रुख करती है, जो बेचैनी भरी उत्सुकता से पहले से ही उसकी ओर देख रही थीं।
ध्रुवी परेशानी भरे स्वर में बोली, "क्या कहा अंकल ने दिशा? डैड ठीक तो हैं ना?"
तभी आर्यन भी ध्रुवी को देखने के लिए अपने कमरे से बाहर आया और ध्रुवी की बात सुनकर वही दीवार के पीछे खड़ा हो गया।
ध्रुवी अपनी जगह से खड़े होकर दिशा के सामने आकर बेसब्री से दिशा की ओर देखकर बोली, "बोलो दिशा क्या कहा अंकल ने? डैड ठीक तो हैं ना?"
दिशा थोड़ा झिझकते हुए बोली, "आ... अंकल बिल्कुल ठीक हैं ध्रुवी, डोंट वरी!"
ध्रुवी शक भरी नज़रों से दिशा की ओर देखकर बोली, "पर तुम्हारी आँखें कह रही हैं कि तुम कुछ तो मुझसे ज़रूर छुपा रही हो? (थोड़ी सख्ती से) बात क्या है दिशा? खुलकर कहो और साफ़-साफ़ बताओ कि आखिर बात क्या है... (एक पल रुककर)... डैड सच में ठीक हैं ना दिशा?"
दिशा: "हाँ अंकल एकदम ठीक हैं... (थोड़ा झिझक कर)... बस बात दरअसल ये है कि..."
ध्रुवी: "कि? (दिशा को शांत देखकर गुस्से से) फॉर गॉड सेक दिशा, बोलो बात क्या है आखिर?"
दिशा (एक गहरी साँस ले कर): "दरअसल अंकल बिलकुल ठीक हैं... बस डैड ने बताया कि अंकल ने... (एक गहरी साँस ले कर एक साँस में)... अंकल ने तुझे अपनी प्रॉपर्टी और नाम से बेदखल करने और तुझसे कोई भी रिश्ता ना रखने का कड़ा फ़ैसला कर लिया है। और उन्होंने अपने लॉयर को बुलाकर अपनी वसीयत कर दी है कि आज से उनसे तेरा कोई भी या किसी भी तरह का कोई लेना-देना या रिश्ता नहीं है... (एक पल रुककर झिझकते हुए)... और तू... तू उन... उनके लिए मर चुकी है। और कुछ ही देर में अंकल कुछ दिनों के लिए डैड के साथ न्यूयॉर्क जा रहे हैं!"
दिशा की बात सुनकर जैसे ध्रुवी के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई और उसको इस वक़्त ये बात सुनकर कितनी तकलीफ़ और दर्द महसूस हो रहा था, ये साफ़ उसके चेहरे के भाव से नज़र आ रहा था। दिशा की बात सुनकर ध्रुवी अपना सर लगातार ना में हिलाते हुए अगले ही पल धड़ाम से घुटनों के बल अपनी ही जगह पर बैठकर बेतहाशा सिसकने लगी। दिशा और प्रिया के साथ ही आर्यन भी जल्दी से उसकी ओर उसे संभालने के लिए भागा और रोती हुई दर्द से बिखरी ध्रुवी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बालों को चूमते हुए लगातार उसे शांत करने की कोशिश करने लगा, मगर ध्रुवी की सुबकियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं। ध्रुवी को यूँ दर्द में देखकर उसके पास बैठी प्रिया और दिशा की भी आँखें नम हो गईं।
आर्यन ध्रुवी के बालों को चूमते हुए लगातार उसे शांत करने की कोशिश करते हुए बोला, "ध्रुवी जस्ट रिलेक्स... सब ठीक हो जाएगा बच्चे... जस्ट रिलेक्स मेरी जान!"
ध्रुवी सुबकते हुए बोली, "न... नहीं आर्यन... कु... कुछ भी ठीक नहीं हो सकता अब... स... सब बर्बाद हो गया... सब ख... खत्म हो गया एक ही झ... झटके में... मैं अ... अकेली हो गई एक ही पल में... मैं अ... अकेली हो गई आर्यन... मैं अ... अकेली हो गई!"
आर्यन ध्रुवी को खुद से दूर कर उसका चेहरा अपने हाथों में थामते हुए बोला, "तुम अकेली नहीं हो... मैं हूँ तुम्हारे साथ... हर पल... हर कदम... मैं हूँ तुम्हारे साथ (आँसुओं भरी आँखों से खुद को देखती ध्रुवी को)... हाँ... मैं हूँ... हूँ तुम्हारे साथ... जस्ट रिलेक्स... रिलेक्स!"
आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी वापस से कसकर उसके सीने से लग गई, मगर उसका सुबकना अभी भी बंद नहीं हुआ।
आर्यन कुछ पल शांत रहने के बाद बोला, "अगर तुम अभी भी अपना फ़ैसला बदलना चाहती हो तो तुम अभी भी यहाँ से जा सकती हो। तुम पर किसी भी तरह की कोई ज़बरदस्ती या ज़ोर नहीं है। मुझे सिर्फ़ तुम्हारी खुशी चाहिए ध्रुवी, फिर वो चाहे मेरे साथ रहने से है या फिर मुझसे दूर जाकर।"
ध्रुवी बिना आर्यन से अलग हुए ही बोली, "अ... अगर यही करना होता तो इ... इस वक़्त तु... तुम्हारे सा... साथ यहाँ मौ... मौजूद नहीं होती मैं।"
आर्यन एक पल रुककर गंभीरता से बोला, "ठीक है फिर... तुमने अपना फ़र्ज़ निभाया... अब मेरी बारी है अपना धर्म निभाने की... (एक पल रुककर)... हम कल के कल ही शादी करेंगे!"
आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी ने झट से अपना सर उठाकर उसकी ओर देखते हुए उसकी आँखों में झाँका और प्रिया और दिशा ने भी झट से आर्यन की दिशा में देखा, जैसे उसके कहे शब्दों में छुपी गंभीरता को समझने की कोशिश कर रही थीं। ध्रुवी के साथ ही प्रिया और दिशा की नज़रें भी आर्यन की बात सुनकर उस पर ही टिक गई थीं, मगर उसके चेहरे की गंभीरता को देखकर सब बखूबी समझ रहे थे कि आर्यन इस बात को लेकर पूरी तरह गंभीर और पक्का था।
ध्रुवी असमंजस भरे भाव से बोली, "लेकिन आर्यन मैं... (एक पल रुककर)... मगर हमने तो फ़ैसला किया था ना कि जब तक... जब तक हम अपने सपनों को पूरा नहीं कर लेंगे, अपने पैरों पर नहीं खड़े हो जाएँगे, तब तक हम इस रिश्ते में आगे नहीं बढ़ेंगे?"
आर्यन ध्रुवी के चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए बोला, "क्या सोचा था क्या नहीं... सब भूल जाओ... जस्ट टेल मी... यू वांट टू मैरी मी?"
ध्रुवी अपने गालों पर रखे आर्यन के हाथों को थामते हुए बोली, "यस ऑफ़कोर्स... आई वांट!"
आर्यन ध्रुवी की आँखों में देखते हुए बोला, "देन जस्ट फ़ॉरगेट इट ऑल... (एक पल रुककर)... और हम अपने सपने तो शादी के बाद भी पूरा कर सकते हैं ना... एक साथ... कदम से कदम मिलाकर चलते हुए... हम्मम?"
ध्रुवी नम आँखों से अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोली, "हम्मम!"
आर्यन प्यार से ध्रुवी के आँसू साफ़ करते हुए बोला, "तुमने हमेशा अपने प्यार को प्रूफ़ किया है और निभाया भी है... अब बारी मेरी है... (ध्रुवी के माथे से अपना माथा टिकाते हुए)... एंड जस्ट बिलीव मी... सब ठीक हो जाएगा... सब... हूँह?"
ध्रुवी वापस आर्यन के गले लगते हुए बोली, "हाँ... बस हमेशा मेरे साथ यूँ ही रहना आर्यन... कभी मुझसे दूर मत जाना... कभी भी नहीं... मैं जी नहीं पाऊँगी तुम्हारे बिना... नहीं जी पाऊँगी!"
आर्यन ध्रुवी के बालों को चूमते हुए बोला, "मैं हूँ तुम्हारे साथ... हमेशा... हमेशा के लिए... और अपनी मोहब्बत के इस सफ़र को हम कल के कल ही मंज़िल देंगे!"
ध्रुवी आर्यन से अलग होकर थोड़ी असमंजसता से बोली, "मगर आर्यन कल..."
आर्यन नेहा की बात को बीच में ही काटते हुए बोला, "अगर मंज़िल एक ही है तो सफ़र... हमसफ़र बनकर ही साथ क्यों ना तय किया जाए। और फिर क्या फ़र्क पड़ता है कि ये सफ़र कल शुरू हो या कुछ सालों बाद... (एक पल रुककर ध्रुवी का हाथ थामते हुए)... और फिर इन सब बातों से अलग... मैं भी कभी नहीं चाहूँगा कि किसी को भी हमारे रिश्ते या मोहब्बत पर उंगली उठाने या लांछन लगाने का मौक़ा मिले। इसीलिए मैं अब बस हम दोनों के रिश्ते को, अपनी मोहब्बत की मंज़िल को, ये आखिरी मुक़ाम देना चाहता हूँ। बस इसे पूरा करने के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए, क्योंकि तुम्हारे साथ के बिना ये मंज़िल और सफ़र दोनों ही बिल्कुल अधूरे और बेमानी हैं। तो इस आखिरी मंज़िल तक पहुँचने में और इस सफ़र को पूरा करने में (अपनी हथेली ध्रुवी की ओर बढ़ाकर)... क्या तुम दोगी मेरा साथ ध्रुवी?"
ध्रुवी भावुकता से आर्यन की ओर देखकर एक पल बाद अपना सर हाँ में हिलाकर उसकी हथेली पर अपना हाथ रखकर बोली, "हाँ... हाँ दूँगी मैं तुम्हारा साथ... ज़िंदगी भर... अपनी आखिरी साँस तक!"
ध्रुवी की हाँ सुनकर आर्यन ने खुशी भरी भावुकता से उसे वापस से कसकर अपने गले से लगा लिया। क्या वाकई में ध्रुवी और आर्यन की यहाँ से ज़िंदगी की एक नई शुरुआत होने वाली थी या फिर यहाँ से शुरुआत होनी थी ज़िंदगी की किसी अनदेखी अनजानी शतरंज की बिसात की, जो एक अनजाने तूफ़ान से पूरी बिसात को ना सिर्फ़ पलटने वाला था, बल्कि कई ज़िंदगियों को पूरी तरह शतरंज के प्यादों की तरह बिखेर कर रख देने वाला था!