ये कहानी है रीत की जो महज सिर्फ 16 साल की है पर आखो में एक सपना में एक आईएस ऑफिसर का सपना देखने वाली हमेशा दुसरो के हक के लिए लड़ने वाली जब क्या हो उसके उस सपने को कोई अपने पेरो जुती तले बेहद बेदर्दी से रोंद दे ...मामा के चले जाने के बाद ही जेसे उसका... ये कहानी है रीत की जो महज सिर्फ 16 साल की है पर आखो में एक सपना में एक आईएस ऑफिसर का सपना देखने वाली हमेशा दुसरो के हक के लिए लड़ने वाली जब क्या हो उसके उस सपने को कोई अपने पेरो जुती तले बेहद बेदर्दी से रोंद दे ...मामा के चले जाने के बाद ही जेसे उसका अपना तो कोई रहा नही क्युकी उसकी मामी उसकी शादी किसी आमिर आदमी से करवाना चाहती है जिस पर वो मजबूर सी हो गयी आखिर उसका इस दुनिया में है कोन ..पर शादी के दिन ही एक एसी आंधी आती जो उसके जीवन को पुरे अंधकार की ओर ले चली गयी सम्राट सिंह राठोर ..जो बेहद घमंडी ओर बेहरम इंसान था जो जबरदस्ती रीत से उसके मंडप में शादी रचा लेता है ..उसकी जिन्दगी बर्बाद करने के लिए जो खुद पहले से ही शादी शुदा एक बच्चे का बाप है पर ना जाने एसी कोनसी वजह थी सम्राट जिसका बदला इस कदर लेना चाहता था की रीत की जिन्दगी एक पल में उसके सपने सब कुछ टूट कर रह गये आखिर सम्राट शादी शुदा होते हुए रीत से शादी क्यों रचाई ओर रीत अब क्या करेगी ...क्या खुदको इन सब से कभी बाहर निकाल पाएगी अपने सपनों की ओर कदम बड़ा पाएगी -
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बीकानेर
शर्मा हाउस
जो आज काफी खुबसूरत सजा हुआ था, शायद आज यहां किसी शादी थी... खुशी भरा माहौल था... पर जिसकी शादी थी वही जैसे इस दुनिया की सबसे टूटी हुई खुद को महसूस कर रही थी...
छोटा सा घर पर बहुत प्यारा सा... वही उस ऊपर की ओर चलते हुए जहां एक लड़की दीवार पर लगे उन मेंडल्स को अपनी नम आंखों से देख रही थी। कुछ तस्वीरें थीं जिनमें वो नजर आ रही थी... इस वक्त उसकी पीठ देखी जा सकती थी।
तभी दरवाजे पर दस्तक देते हुए एक लड़की बोली, "रीत..." तो वो लड़की की पलके झपकी, तब उसकी आंखों से एक बूंद गाल पर लुड़क गई, तभी वो उन्हें साफ कर ली... पीछे और पलटी...
तो उसका खुबसूरत सा चेहरा नजर आया, बड़ी सी आंखें, जिन पर उसकी बड़ी सी पलके थीं, और उसकी पलके भीगी सी... जैसे वो इससे पहले भी रोई हो। अभी सिंपल सा सूट पहने हुए छोटी सी लग रही थी, गुलाबी से उसके होंठ जैसे किसी गुलाब की पंखुड़ी हो... आंखों का रंग कुछ ऐसा था, भूरी सी। उसकी आंखें पतली सी, कमर गोरा रंग, अपने नमी पोंछते हुए बालों को बांधते हुए जो काफी घने थे, पूरे थाई तक आ रहे थे...
वो दरवाजे के पास आकर दरवाजा खोली तो सामने देखते-सुनते रह गई... सामने एक लड़की अपने हाथ में एक पेपर लिए थी, ऊपर से नीचे हैरानी से बोली, "तुझे पता नहीं, आज क्या है..."
तो रीत उससे नज़रें चुराने लगी, बोली, "क्या हुआ?" तो आंचल खुशी से बोली, "ये देख, मैं तो तेरा रिजल्ट लेकर आई, इस बार तूने पूरे बीकानेर में नहीं, पूरे राजस्थान में टॉप किया..." पर रीत के चेहरे पर कोई चमक ना आई। आंचल उसके गले से लग बोली, "पूरे शहर भर में तेरी खुशखबरी बांट रही, तू मेडम यहां अकेले कमरे में बैठी है, तुझे पता है सब तेरी ही बातें कर रहे हैं..."
तो रीत कुछ ना बोलती तो आंचल उसे अलग हो कर उसे देख बोली, "ये क्या, तू खुश नहीं?" तो रीत उससे नज़रें चुराते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं..." तो आंचल कुछ कहती तभी एक औरत अंदर आई...
तो आंचल उसे देख बोली, "अरे मामी... आपको पता है आज..." तभी सरिता जी अपने हाथों में सामान वही रखते हुए बोली, "क्या फिर से यहां आ गई तेरी सहेली के पास? अभी वक्त नहीं।" वो रीत को देख बोली, "और तू... अब तक तैयार होना शुरू नहीं किया? आज थार ही ब्याह से..."
तो आंचल हैरानी से बोली, "क्या ब्याह? किसका?" तो सरिता जी उसे देख बोली, "तू क्या, आंखें बंद कर ली हैं, और किसका? तहरी इस सहेली का चाल अभी बहुत काम से..." वो रीत को देख बोली, "और तू जल्दी कर, वो लोग आते ही होंगे..."
वो चली गई। आंचल हैरानी से रीत को देख बोली, "तेरी शादी?" तो रीत अपने आंसू छिपाने लगी बोली, "आंचल, तू जा, अभी मैं तुझसे बाद में बात करूंगी..." तो आंचल उसकी बाह पकड़ बोली, "तुझे पता भी है ये कैसी बात है? तू शादी कर रही और मुझे बताया भी नहीं। और ऐसी भी क्या जल्दी आन पड़ी? मुझे पता ही था तेरी मामी जरूर तेरे साथ ऐसा करने की सोचेगी..."
तो रीत ने हां में सिर हिलाया, बोली, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं, ये शादी मैं अपनी मर्जी से कर रही हूं..." तो आंचल अपने सिर पर उसका हाथ रख बोली, "तो कह हमारी कसम..." तो रीत अपना हाथ ले ली...
तो आंचल बोली, "ओह, तो ये सच है, तू मजबूर है, पर मैं नहीं हूं... मैं ये तेरी शादी होने नहीं दूंगी..." वो जाने लगी, तभी रीत उसका हाथ पकड़ बोली, "नहीं आंचल, तुझे मेरी कसम, अगर तूने कुछ किया तो... और क्या है, कहा ना शादी मैं खुद की मर्जी से कर रही, समझ नहीं आती तुझे..."
तो आंचल उसे देख बोली, "हां, आ रही है ना, अगर ऐसा है तो बोल..." वो पेपर उसे दिखाते हुए बोली, "बोल, फिर इसका कोई मतलब नहीं... बोल, तेरे उस सपने का कोई मोल नहीं..." वो उसके मेडल को उसे दिखाते हुए बोली, "ये सब अब तेरे लिए मायने नहीं रखते..."
तभी रीत उसके हाथ से छीनकर पेपर फाड़ते हुए रोते हुए बोली, "हां, नहीं है... सुना तूने? चली जा यहां से..." वो रोने लगी, वहीं नीचे बैठ गई। आंचल की आंखें नम हो गईं। वो उसके पास बैठ बोली, "मुझे पता है, मेरी रीत इतनी भी कमजोर नहीं जो ऐसा किसी जबरदस्ती मान ले। सच बता, आखिर बात क्या है?"
तो रीत उसे देख रोने लगी, तो आंचल उसे अपने सिने लगा बोली, "पहले तू रोना बंद कर, अब बता ..."
आंचल उसे देख बोली, "क्या इतना सब हो गया? तूने मुझे बताया तक नहीं, कितने पैसों की जरूरत है..."
तो रीत अपने आंसू साफ कर बोली, "बहुत सारे, मामी ने कहा है अगर पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो मेरा शानू हमसे बहुत दूर चला जाएगा..."
तो आंचल अपने मुंह पर हाथ रख बोली, "पर ये कौन सी बात हुई? वो अपने बच्चे के लिए तेरी जिंदगी कैसे दांव लगा सकती है... तू जानती है कौन है वो आदमी जो तुझसे शादी करने वाला है? कैसा दीखता है? आखिर वो क्यों इतने पैसों देने को तैयार है...?"
तो रीत ने सर में हिलाया, बोली, "नहीं पता, सिर्फ इतना पता है मुझे, बस शानू चाहिए... उसे कुछ हुआ तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी..." तो आंचल उसके कंधे पर हाथ रख बोली, "नहीं, कुछ नहीं होगा उसे, पर एक बार तू अपनी भी सोच... तेरा सपना... पैसों तो हम किसी और तरीके से भी तो हासिल कर सकते हैं... अगर क्या हुआ, शादी हो गई, तेरे सपनों और तेरी इस पढ़ाई का..."
तो रीत अपनी नमी साफ कर बोली, "मैं अब ये सब नहीं जानती, मुझे सिर्फ अभी वही करना है जो मामी बोल रही है, क्योंकि मेरे लिए इस वक्त शानू इम्पोर्टेंट है..."
तो आंचल उसे देखने लगी...
शाम का वक्त था, एक अलग सा माहौल था... घर में ही मंडप सजाया हुआ था, एक शख्स मंडप में बैठे हुए था... पर उम्र कुछ ज्यादा नजर आ रही थी, चेहरे पर कुछ भाव... सरिता जी उसके आगे हाथ जोड़ बोली, "सरकार, आप जैसा चाहते थे, मैंने वैसा ही करा है, आज तो आपकी ये इच्छा भी पूरी हो जाएगी, पर वो मेरे..."
तो वो शख्स उसे देखा, तो सरिता जी नकली मुस्कान से बोली, "अच्छा ठीक, आप अगर..." तभी वो शख्स बोला, "तेरे पैसे तने मिल जाएंगे, पहले एक बार मैं इसके साथ अपनी सुहागरात मना लेने दे..."
तो सरिता जी मुस्कराई बोली, "जैसा आप ठीक समझें, वैसे भी अब तो आपकी ही है... अब कब चाहे कुछ भी कीजिए..."
तो वो शख्स उसे देख बोला, "तो फिर किस बात की देर? जा, ले आ उसे, मुझे उसे देखना है..."
तो सरिता जी बोली, "हां, क्यों ना..." वही आंचल जो अभी आई ही थी, पर उस शख्स को देख, खुद से बोली, "ये क्या, ये आदमी तो बहुत बड़ा है, इससे शादी हो रही रीत की..." तभी ना में सर हिलाई।
तभी जल्दी से ऊपर की ओर दौड़ी, जल्दी कमरे में आई... दरवाजा खोला तो सामने देख रुक गई... मिरर के आगे चुप बैठी रीत जो बहुत खूबसूरत लग रही उस दुल्हन के जोड़े में, छोटी सी... आंखों में अलग सी खालीपन... अपने हाथों में एक तस्वीर लिए थी, जिसमें एक आदमी था, जिसके साथ वो नजर आ रही थी, वो उसे छूते हुए धीरे से बोली, "मामू..."
तभी आंचल उसके पास आ बोली, "रीत!" तो रीत अपनी नमी झट से साफ कर ली, चेहरा उठाकर देखी, तो आंचल उसे देखते हुए उसके पास आई, उसे ऊपर से नीचे देखा, प्यारी तो बहुत लग रही थी...
रीत उसे देख बोली, "तू आ गई...!" वो उसके गले से लग गई... एक वही तो थी उसकी अपनी बचपन की सहेली... तभी आंचल उसे दूर कर बोली, "रीत, नहीं! ये बता, तुझे पता है वो इंसान कैसा दीखता है?"
तो रीत उसे नासमझी में देख सर में हिलाई... तो आंचल हैरान हुई बोली, "तुझे पता भी है वो इंसान जिससे तेरी शादी होने वाली है?"
तभी पीछे आवाज आई, उसकी बात को काटते हुए बोली, "तू फिर आ गई...!"
तो रीत नजर उठा देखी, सरिता जी थी, जो अंदर आई आंचल को घूर बोली, "चाल, अठे से...!" वो रीत से बोली, "चाल छोरी, अब वक्त हो रहा है..."
तो रीत कुछ नहीं बोली, खड़ी हुई, तभी आंचल उसके आगे आ सरिता जी से बोली, "बिलकुल नहीं, रीत कहीं नहीं जाएगी, आप ऐसा करेगी, ये मैंने नहीं सोचा था..."
तो सरिता जी उसे घूर बोली, "तने के सोचना है? ना सोचना, हमारे बारे में, वो मुझे ना जानना... हट..." वो उसे सामने हटा रीत के पास आ, उसका चेहरा घूंघट गिरा बोली, "और तू चाल हमारे साथ..."
तभी आंचल उनके आगे आ बोली, "नहीं, छोड़िए रीत का हाथ...!"
वो, "ये शादी नहीं करेगी..."
तो सरिता जी उसे घूर बोली, "अब तू मुझे रोकेगी...?"
तो आंचल बोली, "हां...!"
तो सरिता जी रीत से बोली, "और तू देख, के है बोली, न ऐसे भूल गई, शानू अभी अस्पताल में है..."
तो आंचल बोली, "बस कीजिए, उसे मजबूर मत कीजिए... रीत, तू इनकी बातों में नहीं आएगी..."
तभी रीत उसके सामने आ बोली, "आंचल, चली जा यहां से!"
तो आंचल ने सर में हिलाया बोली, "नहीं, रीत, तू नहीं जानती..." तभी रीत तेज आवाज में बोली, "मैंने कहा, आंचल, चली जा यहां से..."
तो आंचल चिहुक गई, उसे देखने लगी, रीत उसके आगे हाथ जोड़ बोली, "Please, चली जा, छोड़ दे मुझे अपने हाल पर... मुझे तेरी किसी भी मदद की जरूरत नहीं..."
तो आंचल उसे नम आंखों से देखने लगी, क्योंकि आज तक रीत ने उससे ऐसे कभी बात नहीं की, रीत उसे देख बोली, "मैंने कहा, चली जा..."
तो आंचल अपने आंसू पोछ, वहां से दौड़ी चली गई...
तो रीत की आंखों से आंसू गिर गए, उसने आंचल को हर्ट कर दिया... तभी सरिता जी बोली, "अच्छा हुआ, अब चाल, तेरा नीचे इंतजार कर रहा है..."
रीत अपनी आंखें मीच ली, आंखों से आंसू की बूंद नीचे लुड़क गई...
वही अब वो उसे नीचे लेकर आई...
तो वही मंडप में बैठे शख्स अब अपनी नजर उठा रीत को देखा, तो उसकी आंखों में अलग भाव नजर आ रहे थे, जो अच्छे नहीं थे... रीत जहां इस वक्त घूंघट में, सरिता जी उसे उस शख्स के पास बैठा दी...
वो शख्स अपनी भारी आवाज में बोला, "पंडित, मंत्र शुरू कर...!" अब शादी की रस्में शुरू होने लगीं...
तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ, वो शख्स हैरानी से अपने चारों ओर देखा, बहुत आदमी हाथों में बंदूकें लिए खड़े थे... तभी किसी भारी आवाज पड़ी, "ठाकुर, इस उम्र तने ये ब्याह शोभा नहीं देता..."
तभी गजेन्द्र सामने की देखा, कि वो आदमी सामने से हट गए, तभी एक शख्स की एंट्री हुई... जिसे देख गजेन्द्र के भाव सख्त हो गए...
अब आगे...
पसंद आए तो बताइएगा जरूर, आखिर कौन वो था शख्स जिसे देख गजेन्द्र के भाव सख्त हो गए?
आखिर इस तरह से कौन आया है?
आखिर अब क्या होगा?
तभी गजेन्द्र सामने की देखा की वो आदमी सामने से हट गये तभी एक शख्स की एंट्री हुई ....जिसे देख गजेन्द्र के भाव सक्त हो गये
अब आगे ----------------------------
एक शख्स जिसके कदमो आहट अब सबके कानो में पड़ी ....पेरो में जुती ...राजस्थानी पहनावा उसका चोडा कथिला सीना ताने ...काफी अच्छी खासी बोडी उसकी कुरते के कुछ उपर बटन खुले थे जिससे उसका सीना नजर आ रहा था ....
चहरे पर कोई भाव नही ...आखे पर काफी सक्त ....परफेक्ट फेस ...पर उसका ओरा काफी डार्क ..जेसे वो उन बंदूक लिए आदमियों के बीच खड़ा था उम्र कुछ 30 से 32 के बीच ...हाईट काफी अच्छी खासी ...चहरे पर बड़ी मुछे आखो में एक अलग ही डार्क सी शान्ति
गजेन्द्र उस शख्स को देख सक्त भाव से बोला तू ...तो सामने वो शख्स उसे देख तिरछा मुस्कराया बोला क्यों मुझे यहा देख खुश ना है तू गजेन्द्र उसे घुर बोला अठे आने की वजह ...
तो शख्स की मुस्कराहट ओर बड गयी वो कदम आगे बढाते हुए बोला अच्छा हुआ तूने पहले ही सवाल पूछ लिया अब सोचा ठाकुर की बरात पर ना तो कोई न्यात ओर ना ही बराती ये कोनसा रुखा सुखा ब्याह रचा रहा है तू तो सोचा दोस्त ना सही दुश्मन ही सही मेरा आना तो बनता से .....
तो गजेन्द्र उसे घुर बोला मै तने अच्छे से जानू से ...पर अभी मने थारे कोई दुश्मनी ना निभानी ...तो चला जा अठे से ...तो वो शख्स अपनी गर्दन घुमाया बोला लागे है तू अभी तक सम्राट ने जानने में गलती कर गया से ...
वो अपनी मुछो को ताव देते हुए बोला लागे साचा राजपूत के होवे ये थारे अंदर से बिलकुल खत्म हो गया से ...मै अठे थारे दुश्मनी निभाने कोणी वो के है मै सामने वाले की हालत देख कर हमला करू से इस बकत मने अच्छे थारी हालत पता से तो तू फ्रिक कोणी कर मै थारे पर हथियार ना उठा रहा अरे मने थारे तो अभी कोई बेर ना है मै तो अठे थारी लुगाई ने लेने आया से ....
ये सुनते ही गजेन्द्र खड़ा हो उस पर बंदूक तान बोला अपनी जबान ने लगाम दे राठोर ....तो सामने वो खड़ा शख्स जिसे फर्क ना पड़ा वो उसकी बंदूक के सामने खड़े हुए बोला थारी लुगाई ना होने वाली लुगाई वो अब एक नजर रीत को देखा घुघट में थी
पर आस पास के ये माहोल देख थोडा सहम गयी थी उसे वो शख्स घुघट से हल्का हल्का नजर आ रहा था ...वो शख्स गजेन्द्र को देख बोला क्युकी थारी लुगाई अब म्हारी से ....
तो गजेन्द्र उस पर बंदूक ताने बोला अब तने अपने कहे शब्द पर पछतावा होगा ..तभी वो रुक गया सारी बंदूके जब अपने सर पर महूसस की ...ये देख रीत डर कर खड़ी हो गयी ...
वो शख्स गजेन्द्र से बोला उस उम्र में ब्याह करके के करेगा ...क्युकी थारी जवानी तो उतर गयी अब बुदापे कुछ दिन बचे से होस के उसमे अपने आपको जितना बचा रखना से म्हारे बचा ले ...के पता मने थारे इस बुढापे पर दया आ जावे ...
तो गजेन्द्र गुस्से से तिलमिला सा गया पर जेसे आस पास अपने सर पर इतनी बंदूके देख उसकी हिम्मत ना हुई ...रीत ये सब देख रही थी वो तो डर कर अब सरिता जी के पास जाने लगी तभी उसका हाथ वो शख्स पकड़ लिया तो रीत कापने लगी बोली छो छोडिये मेरा हाथ ..मामी ...कुछ कीजिये ...
तो सरिता जी जिनकी तो बोलती बंद थी इतने सारे आदमी उपर सबके हाथो बंदूके ...वो अब गजेन्द्र से बोली सरकार ये सब कोन है ओर आप कुछ करते क्यों ना ...
तभी वो शख्स रीत का हाथ पकड़ अपनी ओर खीच लिया वो ल्हेगे की वजह से लडखडा गयी उसके सिने से जा लगी वो शख्स उसे देखा सिर्फ रीत के हॉट नजर आ रहे थे ..
वो शख्स उसे सक्त भाव से देखते हुए बोला कोई कुछ ना कर सके है सम्राट सिंह राठोर का ..तो रीत उसे घुघट में से घबराहट लिए देख रही वो नही जानती ये शख्स आखिर कोन है ...
सम्राट उसकी बाह बड़े सक्ति से पकड़ सक्त भाव से बोला तने के लगा कुछ भी म्हारे ही गाव में करके जावेगी ओर थार कोई कुछ ना कर पायेगा तो रीत उसे नासमझी में देखने लगी
सम्राट उसे सक्त आखो से देखते हुए बोला बहोत बड़ी गलती की तने बहोत महान बनने की आग से थारे में ...दूसरा का मसीहा बनने की तो ठीक से आज के बाद अपने किये पर प्छ्तावेगी ....
तो रीत उससे हाथ हटाने की कोशिश करते हुए बोली छोडिये ..आह छोडिये मेरा हाथ ....पर सम्राट उसकी बाह पकड़ बोला पंडित चाल शुरू कर मन्त्र
तभी गजेन्द्र गुस्से बोला सम्राट मै तने छोड़ूगा ना ....ये तने ठीक ना किया ...तो सम्राट रीत का हाथ जबरदस्ती पकड़े हुए गजेन्द्र के सामने खड़े हो बोला ठीक के से ओर के ना ये सम्राट खुद तय करे से ....
तो गजेन्द्र जेसे ये अपमान का घुट सा पि गया क्युकी सामने जोस शख्स है वो जानता है उससे कही गुना ताकतवर है ....पर अपनी ये होती बेइज्जती जेसे अपनी आखो में समाय था ...सरिता जी ये हेरानी से देख आगे रीत का हाथ पकड़ बोली छोडो कोन हो तुम ...
तो रीत रोने लगी तभी सरिता की सासे जेसे रुक गयी बंदूक को अपने सर पर देख वही रीत हेरानी से सम्राट को देखि वो सरिता जी को देख बोला मने फर्क ना पड़ता सामने ओरत से या आदमी अपनी जान बचानी से तो कदम पीछे ले ...
तो सरिता जी रीत का हाथ छोड़ दी जल्दी से पीछे हो गयी तो रीत उन्हें देख रोते हुए बोली मामी कुछ कीजिये मेरी मदद कीजिये ...पर जेसे वो तो एस अनसुना कर दी उसे जानती नही ...
सम्राट रीत का हाथ पकड़े जबरदस्ती उसके साथ फेरे लेने लगा वो उससे खुदको छुडाने की कोशिश करती पर उसके आगे टिक नही पा रही छोटी सी थी वो काफी ताकतवर ....
फेरे ले वो मंगल सूत्र उठाया पर तभी उसे गजेन्द्र को दिखाते हुए तिरछा मुस्कराया तो गजेन्द्र जी उसे अपनी खुनी आखो से देखा ...जेसे वो उसकी बेइज्जती का मजाक उड़ा रहा है वो उस मगल सूत्र को उस अग्नि में जोक दिया ...
अपने गले की चेन निकाल रीत के गले में डाल दिया ....रीत का चहरा पूरा आसुओ से भरा था वो उससे हाथ लेना चाहती क्युकी काफी सक्ति से पकड़ा था जिससे उसे बहोत दर्द हो रहा था ...
वो अब सिंदूर को ले उसका चहरा देखे बिना वो सिर्फ उस अग्नि को देख रहा था एक हाथ से रीत को पकड़े हुए उसकी मांग में डाल दिया ....तभी झटक से उसे अपनी बाहों में उठा लिया वो उसकी बाहों में झट पटाने लगी वो गजेन्द्र को देख बोला चालु हु ठाकुर पर अब लागे थारा म्हारे सामने आने की हिम्मत ना होगी फ्रिक ना कर थारी ये बेइज्जती इस चार दिवारी से बाहर ना जावेगी तो गजेन्द्र अपनी मुठी मल लिया ....
वो अब तिरछा मुस्करा रीत को लिए वहा से बाहर की ओर निकल गया ....उसके आदमी उसके पीछे ....
वो रीत को बाहों में उठा बाहर आया जो छोटे छोटे हाथो से उसके सिने पर मार रही थी रोते हुए ....मदद के लिए चिला रही थी पर कोई नही एसा जो उसकी इस पुकार को सुन सके ....
सम्राट उसे बाहों में लिए अपनी जीप में बेठ गया रीत उसकी गोद से उतरने की कोशिश करने लगी तभी सम्राट उसके गाल दबोच सक्त आवाज में बोला अब एक भी आवाज की तो थारी ये जबान खीच ने में मने जरा भी बकत ना लगेगा ..
की एक पल के लिए रीत सहम सी गयी ...उसका चहरा अभी घुघट से ढका था ..आखे बड़ी कर सम्राट को देखने लगी उसे भी सम्राट साफ़ नजर नही आ रहा था ....
तभी जीप स्टार्ट हुई तभी अपने घर को अपनी नजरो से दूर जाता देख रीत फिर से रोने लगी ...तभी सम्राट उसके बालो सक्ति से पकड़ गुस्से बोला अब जितना रोना से रो ..क्युकी अब पूरी जिदंगी इन्हें ही बाहाना से ..ओर सोच ते इसे के कर्म किये अब थारी जिन्दगी नर्क बनने जा रही से ...
तो रीत रोते हुए बोली बचाओ ....सम्राट उस पर पकड़ ओर कसा की रीत की आह निकल गयी सम्राट सक्त आवाज में बोला तने म्हारे से अब कोई ना बचा सके है ....
रीत खुदको छुडाने लगी उससे ....
वही वही से दूर -----
एक गाव जो बहोत खुबसुरत पर पर उतना ही पिछड़ा हुआ अपनी सोच से जहा आज भी अपनी पुरानी रीतिरिवाजो को पूजा जाता है वही पुरातन सोच के साथ जीवन चलाया जा रहा है
पर इस गाव में सब कुछ तय बड़ी हवेली के लोग करते है उस बड़ी हवेली का खोफ इन लोगो एसा है एक पत्ता तक नही हिलता यहा उनकी मर्जी के ..उन्ही में उनकी चलाई गयी वही पुरानी सोच को ये लोग आख बंद कर उस पर चलते है ...
इनके अनुसार ओरत सिर्फ एक ओरत के पेरो की जुती होती है उसे सिर्फ वही होना चाहिए अगर वही ओरत इनके सामने तन कर खड़ी हो जाए अपने हक के लिए तो उसका सर धड से अलग कर दे ....
बेटी होते ही उसे मार दिया जाता है बेटी तब ही जी सक्ति जब वो भोज ना बने ....ओरतो या छोरियों को पड़ना तो दूर बाहर निकलना तक मना है इसलिए यहा लडकिय पढाई नही जाती आप सोच रहे होंगे आज के समय में एसा होना पोसिबल नही पर हम इस कहानी के जरिये आपको उस वक्त की बात बता रहे जब ये एक कडवी सचाई हुआ करती थी
जिस पर कानून तक कुछ नही कर पाता ...देश के बहोत जगह लोगो में जागुरुक्ता है पर एस भी छोटे छोटे गाव है जहा आज भी वही पुरानी सोच को बढ़ावा दिया जाता है ..
ओर इन सबमे सबसे बड़ा हाथ है तो वो बड़ी हवेली जहा की ओरतो वही हालत है जो गाव में ओरतो की है ये लोग अपनी ओरतो के साथ ठीक वही सुलुख करते है जेसा ओरो के साथ होता है ..
ये सोच यहा की सबसे उम्र दार भवानी सिंह राठोर गाव की सरपंच कहलानी वाली सब इनकी बहोत इज्जत करते है इनका कहा पत्थर की लकीर होता है अब आप सोच रहे होंगे आखिर एक ओरत होते हुए भी वो अपने गाव की ओरतो के साथ भला एसा केसे कर सक्ति ...
अगर इंसान की सोच ही उस अनुसार हो तो उसमे उसके लिंग का दोष नही हवेली के लोग उन्हें बहोत मानते इसी वजह से पुरे गाव में उनका ही सिक्का चलता है
पर अगर उनके मान पर एक ऊँगली भी उठ जाए तो सिर्फ एक शख्स है उनका लाडला जो ऊँगली नही उस पुरे इंसान को ही खत्म कर देता है सम्राट सिंह राठोर ...
गाव में एक एसा मर्द नही जो उसके आगे खड़ा भी हो सके ..पुरे गाव में नही पुरे बीकानेर में उसका खोफ लोगो के मन में दोड़ता है ....दिल में किसी के लिए रहम नही ...जेसे सिने में दिल है नही पर अगर धडकता है तो सिर्फ अपनों के लिए
उसका दिल सिर्फ उसके कलेजे के टुकड़े के लिए धडकता है उसका महज 4 साल बेटा समय सिंह राठोर ! जेसे वही उसके सिने में धडकता हो ..अपने बेटे से इतनी मोहब्बत करता है उसकी आखो में नमी की वजह को खत्म कर देता है चाहे फिर वो कुछ भी हो ....
भवानी जी का ये परिवार
इनके बड़े बेटे अभिराम सिंह राठोर बीवी सुलेखा सिंह राठोर ...
जिनका बेटा सम्राट सिंह राठोर ...
भवानी जी दूसरा बेटा त्रिलोक सिंह राठोर ...उनकी बीवी सुमित्रा सिंह राठोर
बाकी के किरदार कहानी के साथ ही जाने तो अच्छा है ....
हवेली की ओर चलते है ....बहोत ही खुबसुरत हवेली
हवेली का माहोल काफी अशांत सा है ....इस घर का सबसे बड़ा सदस्य ही अशांत हो तो फिर हवेली का ये हाल तो हों ही था ...
भवानी जी बहोत गुस्से में उनकी आखो से साफ़ जलक रहा था ....अपनी चेयर पर बेठी हुई उम्र काफी थी पर चहरे का तेज एसा था कोई भी आखो के खोफ से डर जाए ....
तभी किसी आवाज पड़ी माँ ये क्या जिद्द है जो हो चूका है जानते है बहोत गलत था पर फिलहाल कुछ खा लीजिये पिछले दो दिन से आपने कुछ नही खाया है ....
तो भवानी जी उसे एक नजर उठा देखि ...त्रिलोक जी थे वो बोले माँ खा लीजिये ...तो भवानी जी उन्हें देख बोली तू भूल सके है ये अपमान पर मै ना भूल सकू जो महरे मुह पर मारा गया से ...
उस अपमान का घुट मै ना गले से उतार सकू ..तो त्रिलोक जी बोले जानते है जो हुआ सही नही पर आप कब तक उसी बात को लेकर बेठी रहेगी छोड़ दीजिये जिद्द कुछ खा लीजिये ...
तो भावानी जी सक्त आवाज में बोली कभी ना ...मै ना भूल सकू अपना ये अपमान ...चाहे मने भूख मर जाना पड़े ...तभी त्रिलोक जी बोले माँ ...तो भवानी जी उठ खड़ी हो बोली मने किसी कुछ ना कहना अब मने पता लाग गया से तुम सब ने म्हारे मान समान से कुछ फर्क ना पडत वरना वो छोरी आज म्हारी पेरो में होती ...
तभी वो एक कदम पीछे हो गयी उनके भाव बदल गये ...
आखिर सम्राट क्यों कर रहा है रीत के साथ ये जबरदस्ती ?
क्या होगा रीत के साथ ?
आखिर भवानी जी इस अपमान की बात कर रही है ?
अब आगे -----------------------------
तभी कानो में आवाज पड़ी ले आ गयी थारे पेरो में ....तो भावानी जी नजर उठा सामने देखि सम्राट खड़ा था वो उन्हें देखते हुए बोला बोल के करना इसके साथ ....
तो भवानी जी नजरे निचे कर देखि तभी उनके भाव बदल गये ...रीत का आसुओ से भरा चहरा उनके सामने था आखे मीचे थी बहोत ही मासूम सी लग रही थी ....उसकी बड़ी सी पलके पूरी भीगी हुई ....
उसका चहरा देख भवानी जी के भाव धीरे धीरे सक्त पड़ने लगे ...वो उसे देखते हुए उनकी आखो के सामने कुछ पल आ गये जिन्हें याद करते ही वो अपनी आखे मीच ली सक्त भाव से बोली आखे खोल छोरी ...ओर देख थारे सामने कोन से ....
तो रीत ये आवाज सुन जेसे उसे जानी पहचानी सी लगी तभी वो अपनी पलके उठाते हुए अपनी आखे खोली उसकी आखे लाल पड़ गयी आखो से काजल पूरा फेल सा गया था माथा पूरा सिन्धुर से सं गया था पर ना जाने उस रूप में भी बहोत खुबसुरत सी लग रही थी
पर जेसे नजरे भवानी जी की ओर उठी तो देखते ही देखते उसकी आखे हेरानी में बदल सी गयी जेसे वो विशवास ना कर पा रही हो ...
वही भवानी जी अपनी आखे खोल अब उसे देखि ....उनका चहरा बहोत सक्त था ...वो उसे एक नजर गोर से देखि ....तभी सम्राट की आवाज कानो में पड़ी अब तने के सझा देनी से इसे ...तो भवानी जी उसे देखि ..
तो सम्राट सक्त भाव से एक नजर रीत को देख उन्हें बोला ये ही से वो छोरी ..जिसने थारा अपमान किया से ...देख आज थारे कदमो में गिरी से ...तो भवानी जी रीत को देखि वही रीत उन्हें देखते हुए अब धीरे धीरे खड़े होने लगी ....
तो भवानी जी उसे सक्त आखो से देखते हुए बोली देख इस चहरे ने कुछ याद आया से तने ...तो रीत उन्हें हेरानी से देखते हुए बोली आप यहा ...तो भवानी जी उसे देखते हुए बोली के हुआ ...याद आ गया से तने ...
तो रीत उन्हें देख बोली ये ये केसे हो सकता है ...आपको तो जेल हुई थी ...ये सुन अगले ही पल भवानी जी के भाव सक्त पड़ गये वो रीत की बाह पकड़ गुस्से बोली छोरी ये थारी सबसे बड़ी गलती से के सोचा था भवानी ने सलाखों के पीछे करेगी ....
तो रीत उनके एस पकड़ने से दर्द हुआ वो उनके हाथ को हटाने की कोशिश करते हुए बोली मेने कोई गलती नही की आप वो दिसर्व करती है ..मेने आज तक आप जेसी ओरत नही देखि जो एक छोटी सी बच्ची की जान केसे ले सक्ति है ...आपको शर्म नही आई ....
तो भवानी जी उसे धकेल गुस्से बोली घणी जबान से इस छोरी की सबसे पहले इसकी जबान अलग कर दे इससे ....रीत धकलने से सभल ना पाई सीधा जा गिरी पर आखे खोली तो किसी के कदमो में थी ....वेसे ही नजर उठाई देखि तो सहम सी गयी सम्राट था ...
सम्राट उसे सक्त भाव से देखते हुए बोला गलती ना इसने गुनाह किया से उसके बाद भी इसकी केची ज्यान जबान चाले ...इसकी तो सिर्फ ही सझा से तभी वो रीत के बालो पकड़ झटके से खड़ा कर दिया वो बेचारी दर्द से आखे मीच ली वो बोला इसका सर धड से अलग कर दिए ओर शरीर जानवरों में डाल दे ....
तो रीत उसके मुह से ये सुन काप सी गयी ...रोते हुए खुदके बालो को उससे छुडाने लगी तभी सम्राट उसके बालो सक्ति से पकड़े भवानी से बोला बोल दादी सा के करना से इसके साथ ...जो पूरा गाव याद रखे के होवे राठोर के आगे नजर भी उठाने की सझा ...
भवानी जी अपने चेयर पर बेठ उसे देखते हुए बोली ये तने सही कहा इसकी सझा एसी हो वो पूरा गाव देखे जिसने म्हारा बनता तमासा देखा से ....वो सभी अपनी इन्ही आखो से इसका वो हश्र देखे उनकी आखो में साफ़ वो खोफ जलक आवे ..
तो सम्राट रीत को देख बोला अब इसकी मोत म्हारे हाथ में से इसकी खाल ना खिची इसके बदन से तो मै भी सम्राट कोणी ...रीत रोते हुए बोली छोडो मुझे ...वो अपने कदम पीछे ही लिया तभी आवाज पड़ी सम्राट रुको ....
तभी उसके कदम वही रुक गये वो अपनी सक्त नजरे उठाया ..वही भवानी जी उन्हें देखि त्रिलोक जी थे वो सम्राट को देख बोले रुक जाओ ये छोरी कठे ना जावेगी ....
तो वो उन्हें देखने लगा त्रिलोक जी भवानी जी को देख बोले माँ जानू से जो भी हुआ ठीक ना से ....पर आपने के लागे है इसके साथ ये सब करके आपका जो अपमान हुआ से उसकी भरपाई हो जाई से !
तो भवानी जी की आखे छोटी हो गये वो उसे देखते हुए बोली तू के बोलना चाहे साफ़ साफ़ बोल ...तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले ये की इस छोरी ने अब तक अपनी गलती तो मानी ना तो आपने केसे मान लिया आपका अपमान का बदला आप इस छोरी से ले सको हो ....
तो भवानी जी अब रीत को देखि ...जो आखे मीच सिसक रही थी ...सम्राट सक्त भाव से बोला इसने जो किया से उसकी सझा ही इसने अपने आप एहसास करवाएगी के वो रीत पर पकड़ कस बोला इसने के करा से ....लोगो की मसीहा बनने बहोत आग से इसमें आज मै भी देखू इसका मसीहा कोन बने से ....चाल
रीत की आह निकल गयी उसके एस पकड़ कसने से वो उसे बालो सहित घसीट ले जाने को हुआ तभी भवानी जी आवाज पड़ी रुक जा छोरा ...सम्राट वही रुक गया ....
वो उन्हें पलट देखा तो भवानी जी ठाठ से बेठे हुए बोली इसने सही कहा से पहले इसने म्हारे माफ़ी मांगनी पड़ेगी की इसने जो किया वो इसका गुनाह से ....म्हारे आगे अपनी नाक रगड ओर म्हारे से माफ़ी की भीख मांग तो थारी मोत थोड़ी आसन मिल जावेगी ....
तो सम्राट बोला इसमें इसने बताना केसे वो रीत को उनके कदमो में धकेल बोला माफ़ी के साथ अपने आसू से पैर धो म्हारी दादी सा का के पता थारी मोत मै आसन कर दू ....
तो रीत उनके पेरो में गिर गयी रोते रोते हाफ्ने लगी तभी भवानी जी उसे देखते हुए बोली अब नजर आने लागी अपनी ओकात छोरी तो ये सुन रीत नजर उठा उन्हें देखि ...
भवानी जी उसे देखते हुए बोली बोला जिस तरह जुती माथे पर ना पेरो की जुती में शोभा देवे उसी तरह छोरी जात घर की चार दिवारी में शोभा देवे ...तो रीत उन्हें देखते हुए अपने आसू पोछ बोली घिन आती मुझे आपकी इस सोच पर ...तो भवानी जी के भाव सक्त हो गये ...
रीत भीगी आखो से बोली खुद ओरत होकर आप ये सोचती है ...तो भवानी जी तभी उसके बालो सक्ति से पकड़ ली की रीत की आह निकल गयी वो गुस्से बोली रस्सी जल गयी पर बल ना गया इस बकत तने म्हारे से अपनी सासों की गुहार लगानी चावे ओर तू से की थारी ये लम्बी सी जबान बंद होने का नाम ना लेवे ....माफ़ी मांग म्हारे से ..अपने कर्मो की सझा तो तने मिलकर रहेगी छोरी ...
तो रीत उन्हें देख बोली माफ़ी ओर वो भी आप से ...कभी नही गलत के आगे जुकने वाला उससे भी बड़ा गुनेगार होता है ....ओर रीत कभी गलत के आगे नही जुक्ति ...मै माफ़ी कभी नही मानूगी चाहे आप कुछ भी कर ले ...
तो भवानी जी जेसे तिलमिला सी गयी सम्राट सक्त भाव से बोला इसके टुकड़े टुकड़े कर जानवरों ना फिकवाए तो मै थार पोता ना ...तभी त्रिलोक जी बोले रुक जावे ...हर गलती की सझा मोत होवे ये कठे ना लिखा ....
तो वो उन्हें सक्त भाव से देखा तभी भवानी जी सक्त भाव से बोली तने दिखाई ना देता इस तरह से ये छोरी म्हारा अपमान पर अपमान कर रहे से ....तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोला दिख रहा से ....पर अब तक इसने अपनी गलती ना मानी इसका मतलब इसने अपने किये का कोई पछतावा ना है ....तो फिर आप अगर इसने सझा दे भी दो तो के फर्क पड़ेगा ....
सम्राट सक्त भाव से बोला जब सर पर मोत मंडरावे से अच्छे अच्छे की जबान कापने लागे है ...तभी वो रीत पर बंदूक तान बोला अब अपनी नाक रगड ओर भीख मांग अपनी माफ़ी के खातिर ..
तो ये होते रीत की सासे जेसे रुक सी गयी ....अपने सर बंदूक देख ...वो भवानी को देखि तो वो उसे देख तिरछा मुस्कराई ....रीत अपनी आखे मीच ली तो भवानी जी आखे सिकुड़ गयी उसे अपने मन में कुछ बी बडाते हुए देख
सम्राट बोला लागे है तने म्हारी बाते सुनाई ना दे रही ...तभी रीत बोली आपको जो करना है आप कर सकते है पर रीत माफ़ी कभी नही मानेगी ...भवानी जी उसे देखती रह गयी .....वो अपनी आखे मीचे थी बोली अगर आप मेरी जान लेना चाहते तो मै तेयार हु पर मै सर नही जुकाउगी ..वो अपनी मुठी बना ली क्युकी मोटा का खोफ तो उसके अंदर भी था पर एक थी जो सिर्फ उसका ईमान जिसे वो किसी गलत के आगे नही जुका सक्ति
उसकी इस हरकत पर सम्राट के भाव ओर सक्त हो गये ....तभी त्रिलोक बोले अगर आप इसे इसकी जान लेकर सझा देना चाहती तो दीजिये पर फिर भी आपको शान्ति नही मिलेगी अगर इसने सझा देनी तो एसी दीजिये की ये उम्र भर उस गलती की सझा भुगते ओर उसे एहसास हो की इसने के किया से .....
सम्राट रीत पर तानी बंदूक का ट्रिगर दबाने को हुआ तभी भवानी जी उसका हाथ पकड़ ली वो उन्हें देखा ..भवानी जी रीत को देखते हुए बोली इसने जो किया से उसकी सझा इसने तडप तडप कर महूसस हो तो म्हारे कलेजे ने शान्ति मिलेगी .....ओर इसकी सझा ये से की इसे रोज अठे म्हारी कदमो रह रोज अपनी ओकात जाननी से ....
तो त्रिलोक जी के भाव कुछ बदल गये ...सम्राट भवानी जी को नासमझी में देख बोला के मतलब मै इस छोरी ने यु ना छड़ने वाला ..भवानी जी रीत को देखते हुए बोली दो अक्सर के पड़ लिए खुदने बड़ी अफसर समझने लगी से ...
तो रीत उन्हें अपनी भीगी पलके उठा देखि ...भवानी जी उसकी आखो में देखते हुए बोली अब मै तने बताऊ हु ओरत की असली जगह कठे होवे है ...रीत उन्हें देखने लगी
भवानी जी उसे देखते हुए बोली म्हारे पोते की दूसरी बन कर आई से म्हारी हवेली में जाने भी दूसरी ओरत के होवे से ....रीत उन्हें नासमझी में देखने लगी ...वो उसे देख बोली दूसरी ओरत अपने मर्द के जुती में धुल बराबर भी जगह ना होवे है ..ओर आज थारी सिर्फ ये ही ओकात से ....की तने थार मर्द कभी स्वीकार ना करेगा सिर्फ बियाही उस ओरत की तरह है तू , न घर का न घाट का !
त्रिलोक जी के भाव कुछ बदल गये वो कुछ सोचने लगे की रीत को देखे ...भवानी जी तेज आवाज में बोली छोटी बहु ....तभी एक ओरत जल्दी से दोडी चली आई सर पर पल्लू किये आकर बोली जी मासा....
भवानी जी बोली ले जा इस छोरी ने अपने साथ तो वो ओरत अपने घुघट से एक नजर उठा रीत को देखि उसकी ये हालत देख वो अब घुघट से नजर उठा त्रिलोक जी की ओर देखि जो इस वक्त शांत खड़े थे ....
तभी भवानी जी सक्त आवाज में बोली सुनाई ना देवे तने या काना में तेल डाल लिया से ...जो म्हारी आवाज पहुच ना रही थारे तक ...तो सुमित्रा जी हडबडा बोली जी जी मासा ....
वो धीरे धीरे कदम बड़ा अब रीत के पास आई ..जो जमीन पर बेसुध सी पड़ी थी .....भवानी जी बोली इसने इसकी जगह दिखा दे ...पीछे बाड़े में रहेगी आज से ...
तो ये सुन सुमित्रा जी जेसे उन्होंने अभी क्या कहा हेरानी से बोली जी ...तो भवानी जी उन्हें घुर बोली सूना ना जावे एक बारी में या एक कान के निचे लगाओ ...
तो सुमित्रा जी चिहुक गयी बोली जी मासा ....तो वो सक्त भाव से बोली तो खड़ी के से ले जा इसने ओर बाड़े की सफाई से लेकर गाये ना नहलाने से लेकर सगले काम अब इसने ही करना से ....ध्यान रहे मने कोई चुक ना चावे इसके माथे में सारी बाते डाल दे समझी ....
तो सुमित्रा जी बोली जी जी मासा ...तो वो बोली अब खड़ी के से जा ...तो सुमित्रा जी रीत को देखि उसकी हालत देख समझने की कोशिश कर रही थी वो उसके गाल पर हाथ रख बोली छोरी ....तो उन के इस स्पर्श से रीत उन्हें नजरे उठा देखि ....
सुमित्रा जी उसकी हालत देखने लगी तभी भवानी जी गुस्से भरी आवाज पड़ी अगर थारी ममता लूटना हो गया से तो ले जा इसने महरी नजरा से दूर की सुमित्रा जी चिहुंक गई
जल्दी रीत की बाह पकड़ उसे खड़ा होने में मदद करते हुए बोली जी जी मासा ....
रीत से बोली चाल छोरी तो रीत सिर्फ एक कदम बढ़ाई उतने में लड़खड़ा गई तभी सुमित्रा जी उसे संभाली
भवानी जी रीत को देख नफरत से बोली ज़बान तो कैची जिया चाले जरा उतना ही दम अपने पैरों ने लगा ले तो रीत उन्हें देखी वो उसे देखते हुए बोली बहुत काम आवेगे थारे ।
रीत उन्हें देखते हुए अब खड़ी हुई भवानी जी बोली अब अपनी आंखों में ये आंसू की आदत डाल ले क्योंकि मैं इसने थारे से अलग ना होने दुगी ।
रीत उन से कुछ ना बोली सुमित्रा जी उसे अपने साथ ले गई तभी सम्राट गुस्से से भवानी जी से बोला आपने उसने जिंदा कैसे रहने दिया पर मैं उसने ना छोडूंगा ।इसकी सजा तो इसने मिलकर रहेगी
तभी भवानी जी उसे बोली ठहर जा छोरा वो उन्हें देखा वो उसे देख बोली अपमान का बदला अपमान से लिया जावे तो उसकी शांति अलग होवे ।
अब आगे
अब क्या होगा रीत के साथ ?
भवानी जी क्या करेगी उसके साथ आखिर रीत अपने लिए लड़ पाएगी ?
रीत उन से कुछ ना बोली सुमित्रा जी उसे अपने साथ ले गई तभी सम्राट गुस्से से भवानी जी से बोला आपने उसने जिंदा कैसे रहने दिया पर मैं उसने ना छोडूंगा ।इसकी सजा तो इसने मिलकर रहेगी
तभी भवानी जी उसे बोली ठहर जा छोरा वो उन्हें देखा वो उसे देख बोली अपमान का बदला अपमान से लिया जावे तो उसकी शांति अलग होवे ।
सम्राट अब कुछ बोल उनके पास बेठ गया ....तभी त्रिलोक जी उसे बोले तने इस छोरी के साथ ब्याह रचाने की के जरूरत थी तो वो उहे नजर उठा देखा त्रिलोक जी उसे सघिन नजरो से देखते हुए बोले देख ही लागे इसने कठे मंडप से उठा लाया से ...
तो सम्राट एक नजर भवानी जी को देखा बिना भाव से बोला ठाकुर की होने वाली बीवी से उसके सामने उसके मंडप में मने फेरे ले लिए ....तो त्रिलोक जी उसे देख बोले के ..सम्राट उन्हें देखा त्रिलोक जी उसे देखते हुए बोले हम कब से किसी की ओरतो ने उठाने लग गये ...
तभी सम्राट गुस्से खड़ा हो सक्त भाव से बोला वो किसी ओर का अब इस घर की ओरत से ...तो त्रिलोक जी उसे देखते हुए बोले अब उस ठाकुर के फिर से दुश्मनी लेकर बेठ जावेगा ....
तो सम्राट तिरछा मुस्कराया बोला उसकी फ्रिक करने की जरूरत ना अभी अपना चहरा छिपाने की कोशिश कर रहा से वो क्युकी एसा तमाचा पड़ा म्हारा उसके गाल पर की अपनी ये बेइज्जती वो अपने मरने तक भूल ना पावेगा ...
तो त्रिलोक जी उसे देख बोले पर मने तने कितनी बार समझाया से उससे बेर लेने की जरूरत ना से ...तभी भवानी जी बोली के छोरा तू तो म्हारा लाडेसर के पीछे पड़ गया से ....त्रिलोक जी उन्हें देख बोले महरा वो मतलब ना से ...अब ठाकुर शांत बेठने से रहा पहले के हुआ याद से ने आपनेइतना खूब बह चूका है फिर से ..
तभी सम्राट कठोर शब्दों में बोला कुछ ना भुला मै ...ये बेइज्जती का तमाचा उसने भड़काए ...क्युकी उसका तिलमिलाना जरूरी से ...दर्द देने में तभी मजा आवे जब घाव पर मलहम की जगह नमक रगडा जावे !
वो वहा से तेज कदमो से निकल गया ....त्रिलोक जी भवानी जी से बोले ये सही ना है पहले ही बहोत कुछ हो चुके से ..फिर से ...तभी भवानी जी खड़ी हो बोली अब उसकी बारी से
तो त्रिलोक जी उन्हें देखने लगे ...भवानी जी बोली मने पंचायत बेठानी से ...तो त्रिलोक जी के भाव बदल गये ...
वही दूसरी ओर ---------------------
हवेली के पीछे का हिस्सा जहा गाय का बड़ा सा बाड़ा था ....काफी तादात में गाय भेसे बकरिया थी ...सुमित्रा जी रीत को अपने साथ लेकर आई रीत सिर्फ फर्श को देखे जा रही थी ...
वो उसे वही के बने छोटे से जोपड़े में लेकर आई .....सुमित्रा जी उसे बोली तने अठे ही रहना से ....तो रीत अब नजर उठा वो कमरा देखि ...काफी छोटा सा कुछ भी नही था गोबर से लिपा हुआ कोई भी सुविधा नही ....
सुमित्रा जी रीत को देखि बोली के नाम से थारा तो रीत उन्हें नजर उठा देखि ....तो सुमित्रा जी उसके चहरे को देखि पूरा आसुओ से भरा जो अब उसके आसू सुख चुके थे आखो से काजल फेला हुआ छोटा सा चहरा बहोत ही मासूम ....
तो रीत नजरे जुका बोली रीत ...तो सुमित्रा जी के भाव कुछ बदल से गये जेसे उन्होंने ये नाम कही सुना हो वो उसके चीन पर हाथ रख बोली नाम तो घणा चोखा से ...बिलकुल थारी सुरत के ज्यां ..
तो रीत उन्हें नजर उठा देखि तो सुमित्रा जी हल्का सा मुस्कराई बोली मने ये तो ना बेरा के थारे से हुआ के है जो मासा तने ये सझा देवे है पर म्हारी बात गाठ बाँध ले रीत उन्हें देखने लगी वो उसे देखते हुए उसके सर से घुघट उतारते हुए बोली इस चार दिवारी से कठे भी कदम रखने की जरूरत ना है जो भी चावे मने आकर बोलेगी
रीत उन्हें देखे जा रही थी सुमित्रा जी उसके पिन को निकालते हुए बोली गलती से भी मासा के सामने जाने की गलती ना करना ...जो चावे तने अठे मिल जावेगा हवेली के बितर आने की जरूरत ना है अगर मासा देखा तो काफी नराज होगी ....
तो रीत उन्हें देखि जा रही बोली मुझे यहा नही रहना ..तो सुमित्रा जी के हाथ रुक गये वो रीत को देखि उसकी आखो से आसू गिरने लगे वो सिसकते हुए बोली मुझे घर जाना है ...
तभी सुमित्रा जी उसके होटो पर हाथ रख बोली शह्ह रोना ना तो रीत उन्हें देखने लगी सुमित्रा जी उसे देख बोली यहा ओरत के आसू की कदर ना की जाती तो इने बहाने से कोई मतलब ना ...
तो रीत रोने लगी रोते हुए किसी बच्ची लग रही बोली मुझे नही रहना यहा ....की सुमित्रा उसे देख रही ना जाने क्या हुआ वो उसे अपने सिने लगा ली रीत के बालो पर हाथ रख बोली चुप कर !
रीत उसके सिने लग सिसकने लगी किसी बच्चे के जेसे शिकायत करते हुए बोली ये लोग बहोत गंदे है मुझे नही रहना यहा ...मुझे घर जाना है ...तो सुमित्रा जी जेसे उनकी ममता पिघल गयी उसके आगे वो रीत के गाल पर हाथ रख बोली पहले रोना बंद कर ....
तो रीत उन्हें देख सुबकते हुए बोली मुझे जाने दीजिये ..तभी सुमित्रा जी उसके होटो पर हाथ रख बोली अब तो कह दिया अब एसा कुछ ना बोलेगी सोचना भी मत ...वरना इस बार तो जिन्दा बच गयी दूसरी बार तो ठाकुर जी भी ना बचा पावेगे ...
तो रीत उन्हें देखने लगी सुमित्रा जी उसके आसू पोछ बोली अब आसू बहाना बंद कर ...मै थारे खातिर कपड़े बिज्वाओ नहा ले उसके बाद काम करना से ....वरना मासा नराज होगी ..
तो रीत उन्हें देख रही थी कुछ बोली नही तभी किसी आवाज आई छोटी बहु रानी सा ...तो सुमित्रा जी रीत से बोली मै चालु थारे कपड़े आ जावेगे तू अठे से कठे मत जाना ...
तो रीत सर जुकाए सर हिला दी
वो वहा से चली गयी की रीत वही वेसे ही खड़ी रह गयी इस वक्त लहेगे ओर ब्लाउज में थी आगन में आसू की बुँदे टपकने लगी वो सिमटते हुए रोने लगी तभी फर्श पर गिर गयी रोने लगी अपना चहरा हाथो में भर ली !
कुछ देर एस ही वो थी तभी दरवाजे पर किसी दस्तक हुई इतने में वो सिमट गयी ..दस्तक हुई तो रीत अब वो दुप्पटा उठा खुदको कवर ली ...कोशिश कर उठने लगी तभी दर्द से हॉट भींच ली पेरो में काफी चोट थी ..
धीरे धीरे उठने की कोशिश करने लगी धीरे धीरे चलकर आई दरवाजे तक जेसेतेसे ..दरवाजा खोला तो एक ओरत खड़ी थी उसे देख बोली इतना बकत लागे दरवाजा खोलने में मने के अपना नोकर समझा से ..
तो रीत उन्हें से कुछ कहने को हुई तभी वो उसे कुछ थमा बोली ये ले ओर जल्दी कर घनो काम पड़ो से ....सुन ले कान खोल कर तो रीत उन्हें देखने लगी वो ओरत उसे सक्त भाव से बोली ज्यदा होशियारी दिखाने की जरूरत ना मने फुर्ती पसंद से जल्दी बारे आ ...
तो रीत उन्हें कुछ कहती भी वो चली गयी रीत उन्हें देखती रह गयी अब अपने हाथो में देखि कुछ कपड़े थे ...
वो उन्हें देखते हुए अब दरवाजा लगाई उन कपड़ो को देखने लगी तभी वो वो उन कपड़ो में कुछ ढूढ ने लगी कुछ ही पल में चहरे पर उसके परेशानी सी जलक आई ...
तभी वो उन्हें रख बोली ये तो पुरे कपड़े नही ...
एस ही रात होने आई .....
अब तक आपने हवेली के पुरे सदस्य को नही देखा धीरे धीरे आपके सामने आयेगे ....
भवानी जी अपने जुले बेठे हुए थी तभी एक ओरत आई सर जुका बोली जी बड़ी रानी सा ...तो भवानी जी बोली तने जो काम दिया था वो हुआ ...तो उस ओरत के भाव बदल गये ...तो भवानी जी उसे सक्त आखो से देखि ...
तो वो डरते हुए बोली वो वो बड़ी रानी सा ...मने तो उसने सारा काम समझा दिया पर वो ...तो भवानी जी की आखे छोटी हो गयी वो बोली पर वो के ...तो डरते हुए बोली उस छोरी ने अब तक कोई काम किया वो तो अठे तक कमरे से बाहर तक ना आई ....
भवानी जी ये सुन खड़ी हो गयी सक्त भाव से बोली उस छोरी की ये मजाल ....
वही उपर से सुमित्रा जी अपने मुह पर हाथ रखी वो तो रीत के बारे में भूल गयी थी ....
वही उस कमरे में अँधेरा सा छाने लगा था ....कुछ नजर नही आ रहा था ....तभी दरवाजा खुला अंदर की ओर बाहर की रौशनी बिखर गयी तभी कुछ नजर आने लगा ....
फर्श पर सिमट कर रीत सो रही थी बहोत मासूम सी लग रही थी ठंड से धीरे धीरे हल्की हल्की सी काप रही थी तभी उसके मुह पर किसी बाल्टी भर पानी डाल दिया ...
ये होते ही वो हडबडा सी गयी जेसे सास लेना ही भूल गया ...उठ बेठ गयी कुछ देर तक तो उसे सास ना आई तभी उसके कानो में भारी सी आवाज पड़ी ...मने तने अठे सोने वास्ते ना रखा ....थारी ये मजाल तने अब तक कोई काम ना किया ...
तो रीत अपनी आखे खोल सामने नजर उठा देखि भवानी जी खड़ी थी उसके सामने ....वो पूरी भीग सी गयी थी ....भवानी जी उसे सक्त आखो से देखते हुए बोली लागे है अब तक अपनी ओकात की सही पहचान कोणी हुई तने ....
वो पलट अपने साथ आई ओरत से बोली ले आ इसने बारे ...वो बाहर चली गयी ...रीत तो कुछ समझती भी वो ओरत उसके पास आ उसकी बाह सक्ति से पकड़ बोली अबार तक बेठी के है चाल तो रीत सिसक गयी
वो उसे जबरदस्ती अपने साथ बाहर लायी उसे धकेल दी वो बेचारी फर्श पर जा गिरी उसी भीगी हालत में ....भवानी जी आवाज पड़ी उसके कानो में अब देखे के चाल शुरू हो जा ...तो रीत उन्हें देखि तो भवानी जी उसे देख बोली ये पूरा बाड़ा मने सुबह तक साफ़ चाहे तो रीत नजर फेला उस ओर देखि बहोत बड़े आकडे में फेला हुआ था ....
भवानी जी बोली अब तक थारी गर्मी उतरी कोणी पर मने अच्छे अच्छे की गर्मी निकालनी आवे से ....अब तने एक भी अन्न का दाना ना मिलेगा ना ही पानी की बूंद ...वो उसे उपर से निचे देख बोली लागे अब तक इन कपड़ा से थार मन नही भरा ....
तभी वो ओरत उसके मुह पर उन्ही कपड़ो को फेकी ....उसके मुह पर आ गिरे भवानी जी बोली अपने ओकात अनुसार इस घर में रहना से तो चाल अब उठ ये कपड़े उतार ...
तो रीत की आवाज पड़ी उनके कानो में मै ये नही पहन सक्ति तो भवानी जी के भाव सक्त हो गये ....तभी वो ओरत (विमला )बोली देखा बड़ी रानी सा इसकी हिम्मत थाके आगे जबान चलावे है ....
तो रीत उसे देख बोली मेने कपड़ो के लिए मना नही किया पर मुझे दुसरे कपड़े चहिये ....तो विमला उसे नासमझी में देख तभी बोली ओह्ह अच्छा अच्छा अब मै समझी वो भवानी जी को देख बोली बड़ी रानी सा इसने ये कपड़े अब राज ना आ रहे से देखो ..अपने आपने हवेली पटरानी समझे है ...
तो भवानी जी रीत को घुर बोली पटरानी ना सिर्फ एक नोकरानी से थारी ओकात ओर कपड़े तो तने ये ही पहनने पड़ेगे सुन ले सर से पल्लू गिरना चाहे वरना उसकी भी एक सझा होवे अठे
तो वो अब पलट जाने को हुई तभी रीत फिर से आवाज पड़ी लगता है आप मेरी बात नही समझ पाई ...तो भवानी जी की आखे सिकुड़ गयी विमला रीत की भाव पकड़ बोली क्यों रे बहोत बात आवे तने पटर पटर बोले है ज्यदा बोली तो जबान खीच लूगी थारी ....
तो रीत उसे देख बोली मै आप से बात नही कर रही है छोडिये मेरा हाथ ...तो विमला उसे घुर देखि ..रीत उसका हाथ हटाते हुए भवानी जी से बोली मुझे आपके दिए इन कपड़ो में प्रोब्लम नही है पर मुझे पुरे कपड़े चाहिए मै सिर्फ इन्हें केसे पहन सक्ति हु ...
तो भवानी जी उसे घुर देखि ...विमला उसके हाथ से कपड़े ले भवानी से बोली ये पुरे कपड़े पर ये तो पुरे से अब कोनसे कपड़े चावे तने ...तो रीत उसे देख बोली आप अंदर के कपड़े नही पहनती ....
तभी विमला मुह पर हाथ रख बोली हे राम जी की ये छोरी बेशर्म से ...तो रीत उसे बोली जब जानती तो इतना अनजान क्यों बन रही आप ....तभी भवानी जी आवाज पड़ी बस ....
तो रीत उन्हें देखि तो भवानी जी उसे सक्त आखो से देख बोली अब एक शब्द आ निकलना चाहे थारे मुह से ...ओर जितनाबोला से उतना ही कर ....सिर्फ ये ही मिलने वाले से ..तो जल्दी जा फुर्ती दिखा ...ये पूरा मने साफ़ चाहे सुबह तक वरना म्हारी दी सझा बहोत भारी होवे है ...
विमला बोली सुन लिया ये ही पहनने से ....अब शहर से आई से ज्यदा चार बाते आवे है ....लुगाई ठीक से अपने पल्लू ने सभाल ले तो उसने किसी की जरूरत ना पडती ...
तो रीत भवानी जी को एक नजर देखि उससे बोली सोच इंसान की उसके कपड़ो में नही उसकी फितरत में होती है अगर वही सभल जाए तो आपको इस बेवजह के घुघट की जरूरत ना पडती ...वो अपने कपड़े उठा वहा से चली गयी ..
तो विमला भवानी जी के पास आ बोली देखा बड़ी रानी सा इसकी जबान तो इससे भी लम्बी से ....आपके सामने पटर पटर चाले है तभी भवानी जी उसे देखि तो विमला उनके पेरो में बेठ बोली पर मजाल थोड़ी आपके आगे कोई इतनी जबान चला सके एकतो छोरी उपर से सीना जोरी ....
तो भवानी उसे ठुकरा बोली मने ज्यदा बताने की जरूरत ना से ...ओर रही इस छोरी बात इसकी अक्कल एक ही रात में ना ठिकाने लगाई तो मै भी भवानी कोणी ...
वही उपर से ये सब पिल्लर से लगे देख रही सुमित्रा जी अपने मुह पर हाथ रख बोली ये के किया छोरी ....
अब आगे --------------------------
आखिर क्या होगा रीत के साथ ?
आपको अगर कहानी अच्छी लग रही तो please कमेन्ट करके मुझे बताइए मै इसे आगे लिखू ...
अब आगे ---------------------------
अभी तक हमने देखा रीत को भवानी जी कुछ काम दिया उसे सझा देने के लिए उसे पूरा बाड़ा साफ़ करने को दिया गया वो बेचारी सुबह से लेकर पूरी रात निकल गयी एक अन्न का दाना तो दूर उसे एक पानी की बूंद तक ना दी गयी
सुबह का भोर निकल हल्की हल्की सी धुप भिखरने लगी थी चारो ओर उजाला सा हुआ ...
वही हवेली में
किसी आरती की आवाज सुनाई दे रही थी ....सुमित्रा जी सुबह की पूजा मन्दिर की सेवा करना उनकी ही जिम्मेदारी थी ..वो आरती ले अब अपने परिवार को देखि ...इस वक्त ठीक उनके पीछे त्रिलोक जी थे ...सुमित्रा जी सर पर पल्लू लिए उन्हें आरती दे उनके पैर छू ली ...
अब भवानी जी के पास आई ..तो वो पूरा निचे बेठ उनके पैर दबाने लगी ....भवानी जी उसे आर्शीवाद देते हुए बोली सदा सुहागन ....वो त्रिलोक जी को देख बोली मने थारे से काल कुछ कहा से ...
तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले व्यवस्था हो गयी से पर मने समझ ना रही आपने पंचायत काये बेठानि से ...तो भवानी जी के भाव कुछ बदल गये ....तभी वो तेज आवाज में बोली विमला .....
तभी विमला दोडी चली आई उनके पैर में बेठ हाफ्ते हुए बोली जी बड़ी रानी सा ....तो वो उसे घुर बोली कोनसा खेत आये से इतना हाफ रही से ...तो विमला दांत दिखा बोली वो ना मै तो आपका ही काम देखने गयी से सीधे बाड़े से दोड आई हु थाके नाम लेते ही ...
तो भवानी जी उसे आखे छोटी कर बोली कितना काम किया उस छोरी ने ....तो विमला हाफ्ते हुए बोली काम ....तभी खुद ही मुह पर हाथ रख हस दी ...तो भवानी जी सक्त आवाज में बोली दान के निकाले है ....
तभी वो हडबडा गयी बोली वो वो बड़ी रानी से वो मै वो ही तो देखने गयी से पर वो छोरी .. तभी हाथ जोड़ बोली हे राम जी की उस छोरी लागे थाके बाते एक कान से सुन दुसरे से निकाले से ...
तो भवानी जी गुस्से बोली पहली ना बुजा साफ़ साफ़ बोल के हुआ ...तो विमला बोली अरे वो छोरी तो आराम से घोड़े बेच सो रही से ....काम करना तो दूर उसने तो सुरु भी ना किया ....
तो तभी एक भारी आवाज पड़ी ...कठे से वो छोरी ... तभी भवानी जी उस ओर देखि सम्राट था जिसके भाव सक्त थे ....तो विमला जल्दी सर पल्लू सर पर गिरा सर जुका बोली छोटे सरकार ...वो पीछे बाड़े में ...सम्राट अपनी मुठी कस बोला उसने तो अब मै देखू .हु ...
वो गुस्से बड गया सुमित्रा जी अपने सिने पर हाथ रख ली वो त्रिलोक जी ओर देखि ...त्रिलोक जी भवानी जी से बोले मने लागे है ..तभी भवानी जी उसे हाथ दिखा बोली तने जो बोला से ...उस पर ध्यान दे ...ये सब मै देख लेउ ...
त्रिलोक जी अब चुप रह गये अब वो वहा से निकल गये ....
वही पीछे बाड़े में ...सम्राट बेहद गुस्से में आया ....एक नजर बाड़े ओर दोडते ही उसकी नजर एक जगह ठहर गयी एक पल आखे छोटी हो गयी ...बाड़े में गाय के चाय पर किसी छोटे से बच्चे के जेसे सिमट कोई सो रहा था ....
बेहद सुकून में सिमट ओर कोई नही रीत थी जेसे कोई छोटा सा खरगोश का बच्चा हो ....तभी एक पल में वो सासे अपनी भूल गयी जब कोई पानी भर उस पर डाल दिया ...
हाफ्ने लगी ...पर यहा नही रुका लगातार कोई उस पर पानी डाले जा रहा था ....वो बेचारी कुछ पल तक जेसे सासे लेने भूल गयी ...जब पानी ना रुका तभी हाफ्ते हुए बोली बचाओ .... हाफ्ते हुए बेठ गयी ....
तब जाकर सास में सास आई उस पर गिरता पानी बंद हुआ ....वो तो सास लेने को मोहताज हो गयी छोटी सी तो थी कहा इतनी जान उसमे .....सर जुकाए पहले सासों को नोर्मल करने लगी तभी उसके कानो में भारी आवाज पड़ी ....
तो थारे भेजे में कोई बात इतनी आसानी से ना घुसे है ....तो रीत ये आवाज सुनते ही अपनी मुठी बना ली क्युकी ये आवाज इस शख्स की हो सक्ति ये वो पहचान गयी उसमे इतनी हिम्मत ना हुई वो सर उठा देख भी सके ...
सम्राट उसे सक्त आखो से देखते हुए बोला कल की अपनी मोत पर जीत का थार जश्न खत्म कोणी हुआ ...भूल गयी से अभी थारे मोत म्हारे हाथ लिखी से ....
रीत डर से पीछे ख्सिकने लगी तो ये देख सम्राट की आखे छोटी हो गयी ...तभी वो उसकी बाह झटके से पकड़ खड़ा कर दिया वो पूरी भीगी सी थी पर चहरे पर बाल आ गये थे जिससे उसका चहरा सही ना दिख रहा था ..सम्राट उसे देखते हुए सक्त भाव से बोला बहोत हिम्मत से थारे में म्हारी बाते ने अनसुना करे से ....
तो रीत कापते हुए उससे अपने हाथ को लेने की कोशिश करने लगी ...उसके आसू एस ही गिरने लगे उसके दिल में सम्राट की आवाज भर से डर बेठा था क्युकी जिस तरह उसे सम्राट उठा कर लाया था बहोत सहम गयी थी उससे वो ....
सम्राट उसकी बाह इतनी सक्ति से पकड़े था वो दर्द से होठ भींचे थी ..वो ठीक से खड़ा तक नही हो पा रही थी शरीर में इतनी हिम्मत थी कहा भूखी प्यासी थी ...सम्राट गुस्से बोला बहोत अकड से थारे में .....पर मने तोडनी आवे से ...
तभी वो उसका गला पकड़ लिया एक पल में उसकी सासे मानो घुट सी गयी वो उसके हाथ पर छोटे छोटे हाथो से मारने लगी सम्राट ....तिरछा मुस्करा बोला के हुआ इतने में थारी सासे उठनी लगी ...इसलिए जरूरत ज्यदा अकड ना होणी चाहे ओरत में ....
वो बेचारी पूरा चहरा लाल पड़ गया ....सम्राट उस पर पकड़ कसा तभी भवानी जी आवाज पड़ी छोरा रुक जा ....ये सुन सम्राट की पकड़ रीत पर ढीली पड़ गयी ..
वो उसमे जेसे जान में जान आई हो ....भवानी जी चलकर आ बोली इतनी बेगी मोत कोणी चाहे मने इसकी ....तो सम्राट उसे उनके कदमो में धकेल दिया वो सीधा जा गिरी जमीन पर सास लेने लगी ....
भवानी जी रीत को देखने लगी सम्राट उन से बोला ..म्हारा खून खोले आपने इसे अब तक जिन्दा क्यों छोड़ा से ...तो भवानी जी उसे देख बोली इसका फेसला तने पंचायत में मिल जावेगा ...तो सम्राट की आखे सिकुड़ गयी ....
वो उन्हें देख अब बिना कुछ बोले वहा से निकल गया ....
भवानी जी रीत को देख बोली के हुआ उतर गया थार बुखार आखिर आ पड़ी तू म्हारे पैरा में ...तो ये सुन रीत अपनी आखे खोली ....
इस वक्त वो उनके पेरो में गिरी थी ....अब धीरे धीरे कोशिश करने लगी बेठने की ..भवानी जी उसे देखने लगी ...तो रीत बेठ अपने गले पर हाथ रख सास ली ...
भवानी जी बोली फ्रिक ना कर इतनी जल्दी मोत ना मिलेगी तने तो रीत उन्हें नजरे उठा देखि ...तो तभी विमला आ बोली देख लिया थाणे बड़ी रानी सा इस छोरी ने बाड़ा धोना तो दूर झाड़ा भी ना से ...
तो भवानी जी उसकी सुन एक नजर पूरा बाड़ा देखि जो अभी उसी हालत में था ...पर रीत अपनी आखे खोल पूरा बाड़ा देखि उसकी आखे सिकुड़ गयी ...वो अपनी आखे मली ...ये ये केसे हो सकता है उसने तो साफ़ किया था सब .....
तभी विमला बोली लागे इस छोरी में जरा भी डर कोणी ...मने तो आज तक एसी छोरी ना देखि लागे है माँ बाप ने कभी कुछ सिखाया कोणी से ....रीत अब उसे देखि ...विमला उसे देख मुह बना बोली मने इसकी माँ पर शर्म आवे अरे छोरी जनी थी तो कम से कम उसमे गुण तो डालती ...के बेरा इसका खून से ..
तभी रीत बोली बस ....तो विमला उसे घुर देखने लगी रीत धीरे धीरे खड़ी होने की कोशिश की ...पर पहली बार में निचे गिर गयी ...फिर से कोशिश कर उठते हुए उसे देख बोली आप होती कोन है मेरे माँ बाबा के बारे में बोलने वाली ....
तो विमला उसे घुर देख मुह बनाई ...तो रीत की आखो में नमी आ गयी वो बोली जो इस दुनिया में है नही उनकी भला केसे कोई गलती हो सक्ति है वो दो कदम आगे आई विमला को देख बोली आज तो कह दिया आयेंदा से मै एक शब्द नही सुनोगी अपने माँ बाबा के बारे में ....ओर है कोन आप कितना जानती आप उन्हें जो ये सब कहने की ताकत रखती है ...
तो विमला उसे देख भवानी जी से बोली देखा बड़ी रानी सा केसे आख दिवावे ...थाके सामने इसने थाकी दासी का अपनाम किया से ...तभी भवानी जी उसे हाथ दिखा बोली चुप कर ..
तो विमला का मुह बन गया ..भवानी जी रीत को घूरते हुए बोली ...अपने माँ बापूसा पर ऊँगली उठे तने सहन ना हुई ...बहोत अच्छे संस्कार दिए से तने ....पर मने ये संस्कार कुछ समझ आवे लागे थारे बाप ने किसी के आगे जुकना ना सिखाया से ...
तो रीत उन्हें देखि हल्का सा मुस्कराई ...उन्होंने मुझे क्या सिखाया ओर क्या नही ये तो मुझे आपको बताने की जरूरत नही ..पर हां एक बात बहोत अच्छे से सीखी मेने अपने जीवन में ...वो उनकी आखो में आखे डाल बोली ...कभी किसी गलत के आगे नही जुकना क्युकी गलत करने वाला गलत उसकी उम्र का भार उस पर नही चलता ...
तो भवानी जी के भाव सक्त हो गये ....वो उसे सक्त भाव से देख बोली घणी जबान से जी तो करे अभी खीच लू इसने ...पर ना ...तने इसका एहसास होना जरूरी से ...की थारी जबान इस बकत किसके सामने इतनी चाले है ....ओर आज ही इसका फेसला भी होंगा से ..
तो रीत की आखे सिकुड़ गयी ...भवानी जी एक कदम आगे आई उसे देखते हुए बोली ...तो तने सोच लिया से तने म्हारे आगे ना जुकना ..तो रीत उन्हें देखने लगी ...
तो भवानी जी बोली सोच ले एक बार ...पहली बार ये भवानी किसी ने मोका देवे है ....तो रीत उन्हें देख बोली मुझे तो समझ नही आ रहा आप मोक्का देना चाहती क्यों है ....कही आपको ये तो डर नही अगर मै ना आप से माफ़ी मांगो तो कही आपकी कमाई वो जूठी इज्जत कुछ कम हो जायेगी ...
ये सुनते ही भवानी जी उस पर हाथ उठाई बोली छोरी थारी ये मजाल ....तभी आवाज पड़ी मासा ....
भवानी जी का हाथ हवा में रह गया रीत अपनी आखे मीच ली ...तभी सुमित्रा जी जल्दी से आई बोली मासा ...तो भवानी जी गुस्से में बोली अब बोलेगी भी या कार्ड बटवाओ ....
तो सुमित्रा जी जल्दी से बोली वो वो ...गाव के मुखिया आये से ....तो भवानी जी अब अपनी हाथ की मुठी बना ली उसे निचे लेते हुए रीत को सक्त आखो से देखते हुए बोली छोरी तने बहोत म्हेगा पड़ेगा से ...भवानी कभी ना भूलती अपना किया अपमान ...
वो अब अपने कदम पीछे ले वहा से चली गयी विमला मुह बनाई खुद से बोली इतनी मेहनत का कोई मतलब ना हुआ सुमित्रा जी आवाज पड़ी मासा गयी अठे से ...
तो विमला उनकी सुन बोली जी ..छोटी बहु रानी सा ...जल्दी से चली गयी ...अब सुमित्रा जी रीत को देखि ...सहमे खड़ी थी ....
वो उसे देखते हुए उसके पास आई पहले उसकी हालत देखि ...फिर से भीग गयी ...अब तो धुज रही थी ...वो उसे देख बोली तने डर ना लगाता ....तो रीत उन्हें नजर उठा देखि सुमित्रा जी उसे देखते हुए बोली ....थारे में जरा भी डर कोणी ...
तो रीत अचानक ही सुबकने लगी ...तो सुमित्रा जी के भाव बदल गये ...रीत किसी बच्चे के जेसे रोने लगी तो सुमित्रा जी उसके पास आ गालो पर हाथ रख बोली ये काये अब काये रोने लागी ...
तो रीत उनके सिने लग गयी रोते हुए सुमित्रा जी के हाथ वेसे रह गयी ना जाने क्यों रोक नही पा रही रीत के पटरी अपनी ममता को उसके बालो पर हाथ रख बोली चुप हो जा ...अब के रोये है पहले तो इतनी हिम्मत दिखा रही थी तब ना लगा डर तने ...
तो रीत रोते हुए बोली लगता है ...तो सुमित्रा जी उसे देख बोली फिर ...तने समझ नाती ..तो रीत रोते हुए उन से बोली डर लगता है उस राक्षस से तो सुमित्रा जी आखे सिकुड़ गयी ...
रीत शिकायत करते हुए बोली वो राक्षस बहोत गंदा है ...सुमित्रा जी कुछ पल समझने की कोशिश करने लगी रीत आखिर राक्षस किसको बोल रही है वो उसके गाल पर हाथ रख बोली तने कोई बुरा सपना देखा के ..तो वो ना में सर हिलाई ...
सुमित्रा जी बोली फिर ...तो रीत रोते हुए बोली वो राक्षस बड़ा लम्बा सा ....बहोत गंदा सा ....हां ...हमेशा गुस्से में बात करता है मुझे उससे बहोत डर लगता है ...सुमित्रा जी उसकी समझ तभी हेरानी से बोली के ..छोरी तू बावली हो गयी चला अठे म्हारे साथ ....
वो उसे अपने साथ उसी कमरे में लेकर आई ...रीत सुबक रही थी सुमित्रा जी बोली मने तने काल समझाया से की मासा का कहना मान ले ..पर तने क्यों ना किया काम ....
तो रीत अपने आसू पोछते हेउ सुबकते हुए बोली ...मेने किया था ...तो सुमित्रा जी आखे सिकुड़ गयी ...रीत सिसकते हुए बोली मेने पूरा किया था पर ...तो सुमित्रा जी बोली पर के ...
तो रीत उन्हें देख बोली नही पता ये सब केसे खराब हो गया ....तो सुमित्रा जी हेरान हुई वो बोली थारी आख लग गयी काम के बीच ...तो रीत ना में सर हिला बोली नही ....मेने पूरा कम्प्लीट किया था ....उसके बाद मुझे बहोत भूख लग रही थी ...ओर प्यास भी ...पर नही पता मुझे कब नींद आ गयी ...
तो सुमित्रा जी उसी ये बात सुन ...उसके गाल पर हाथ रख आसू पोछ बोली तने कुछ ना खाया अब तक ...तो रीत उन्हें देख ना में सर हिलाई ...पानी पीना है ..
तो जेसे सुमित्रा जी जी पिघल गया ...वो पहले उसके लिए कपड़े निकाल बोली ले पहले इसने बदल ...मै अभी आओ हु ...तो रीत सर हिला दी ...सुमित्रा जी अपने सर पल्लू ले वहा से निकल गयी ...
रीत उन कपड़ो को देखि ....खुद में मुह बनाई खुदकी बोडी देखि ..उसे बहोत अजीब लग रहा था ...जिस चीज की उसे जरूरत थी वो नही थे उसके पास ...एस में वो कब तक यहा रहेगी उसे कुछ सोचना होगा ....उपर से घर की याद सता रही थी ....
वही हवेली के बड़ा सा खुला एरिया ....
वही भवानी जी अपने जुले पर बेठी थी ....कुछ बड़े बुडे लोग आये थे भवानी जी से नमस्ते करते हुए बोली घणी खम्मा रानी सा ....तो भवानी जी बोली खम्बा घणी ....
उनमे से एक बोला आपने इस तरह बैठक रखने का बुलावा आया ये मने कुछ समझ कोणी आया ...
तो भवानी जी कुछ ना बोली दूसरा बोला जाना हां जो हुआ ठीक ना हुआ से म्हारा तो ये मत से वो छोरी झ्ठे भी मिले बठे गाड देवे एसी छोरी ने जो म्हारे गाव में आकर म्हारी छोरियों ओर ओरता की बुधि घुमावे से .....
तभी भवानी जी बोली उसकी जरूरत ना से नीम सिंह ...तो वो उन्हें नासमझी में देखने लगे तभी वहा त्रिलोक जी का आना हुआ ...तो वो उन्हें देख खड़े हो नमस्ते किये तो त्रिलोक जी वही भवानी जी के पास चेयर पर बेठ गये ....
भवानी जी उन्हें देख बोली के हुआ लोगा ने अब तक खबर कोणी लागी से हवेली में पंचायत बेठी से ....तो त्रिलोक जी बोले आपके अनुसार पुरे गाव में बुलावा भेज दिया से ....
तभी वहा लोग इक्कठा होने लगे ..तो भवानी जी के आखो में अलग सी चमक सी आ गयी ....सभी भवानी जी के आगे जुक उन्हें आदर सहित प्रणाम कर रहे थे ....पर वहा सिर्फ आदमी थे ... ओरतो को अलाओ ही नही था ....
बहोत से लोग निचे बेठ गये ....तो भवानी जी सबको देख बोली ....आप लोग सोच रहे होगे की मने यु अचानक पंचायत रखना के वजह हो सके है ...तो सभी आपस में कुछ फूस फुसाने लगी
तो भवानी जी सबको देखते हुए बोली म्हारे गाव में कोई आकर ....म्हारे उपर ऊँगली उठा गया ओर तुम सब कुछ ना कर सके ...तुम लोगो का ओरता में इतनी हिम्मत आ गयी से ...
वो भवानी सिंह राठोर के कुछ बिगाड़ सके है ....लागे उसने अपने सुहाग की फ्रिक कोणी ....तभी वही बुडा बुजर्ग मुखिया बोला बड़ी रानी सा ...जो हुआ उसमे इन लोगो अक दोष कोणी है ...
दोष तो उस अभागन से जिसने भगवान कोक तो दी पर छोरा ना दिया ....बा बावली ओरत ...उस छोरी का साथ दे थाके खिलाफ रपट तो लिखा दी ....पर जब उसने अपनी गलती का एहसास हुआ ...अपना मुह छिपा कुए में कूद गयी से ....अब थे बताओ मै के सझा देवे ...उसकी सझा तो खुद ठाकुर जी ने देदी ....
तभी किसी आवाज पड़ी क्या .....
वहा सभी का ध्यान उस बात से उस ओर चला गया ....भवानी जी उस ओर देखि तभी उनके भाव सक्त हो गये .....ओर कोई नही रीत थी जो हेरानी से भाव लिए थी ...
वो वही उन सबके बीच में चली आई ....इस वक्त घाघरा उस पर कुर्ती पहने थी पर सर पत दुप्पटा नही था ....गिले बाल ....देखे तो कोई भी मोहित हो जाये उस वक्त के उस रूप पर ...चहरे पर कुछ ना किया हुआ फिर भी बहोत खुबसुरत लग रही थी उस वक्त ....
वो हेरानी से उस मुखिया को देख बोली ये ये सच नही होसकता ...वो एसा केसे कर सक्ति है ....तभी एक आदमी बोला ये छोरी तो वही से ....जो बड़ी रानी से पर इतना बड़ा आरोप लगाई से ....
तो सभी रीत को देखने लगे ....पर रीत को कुछ ओर ही ख्याल में जेसे उसने उस ओरत की मरने की खबर सुनी उसकी आखो में अनकही सी नमी आ गयी ....वो ना में सर हिलाई ....
तभी सबको देख बोली आप लोगो शर्म नही आती ....एक ओरत को मजबूर कर दिया सुसाइड करने पर .....तभी मुखिया जी बोले रे छोरी ...तने शर्म कोणी ...इस तरह उघाड़ी ....आदमिया के बीच उछलती आ गयी से ....ना शर्म ना लाज ....
तो रीत उन्हें देख बोली ..कहने को आप मेरे दादा की उम्र के है अब आप ही बताइए मुझे आप से किस तरह की शर्म होंनी चाहिए ...क्या आखो की शर्म उसके कपड़ो के दिखावे से बड़ी होती है ...
तभी दूसरा आदमी बोला इसकी तो जबान खीच लेनी चावे ....बड़ी रानी सा इसने अभी पंचायत के हवाले कर दीजिये ..फिर देख्वो ...के हश्र करे इसका ....अपने जन्म पर पछतावा होगा इसने ....
तो तभी रीत उसे देख बोली मुझे क्यों भला अपने जन्म पर पछातावा होने लगा पछतावा तो आप सभी की उन माँओ को होना चाहिए जिन्होंने अपनी कोक से बेटा तो जन्मा पर उन्हें अपने प्रीत वो सम्मान ना डाल स्की ....
तभी एक खड़ा हो बोला खबरदार छोरी जो तने ओर आगे बोली वो सबको देख बोला इसने आपनी मर्दानगी ने ललकारा से ओरत जात होकर ....इतने आदमिया के आगे अपनी जबान चलावे से अरे इसने तो सबक सिखाने का एक ही तरीका से ...इसने पता होना चाहाहे ओरत की जगह कठे होवे से ....एक बार माँ जी सा आप इसने म्हारे हवालो कर दो ...इसकी बोटी बोटी ना नोची ....तो महरा नाम धरम सिंह कोणी ....
तभी वहा किसी भारी आवाज पड़ी ....तो थारी इतनी ओकात बड गयी से जो अब तू तय करे की किसने के सझा मिलनी से ....ये होते ही वहा शान्ति सी पसर गयी ....पर रीत तो जेसे ठंडी सी पस गयी वही आवाज ....
जो इस वक्त उसे अपने पीछे से सुनाई दी वो आवाज इतनी बुलंद थी वहा बेठा इंसान ...कापने पर मजबूर हो जाए ..अलग ही खोफ था उसकी आवाज में ....
वो शक्ष अब अपने कदम निचे बडाने लगा ...सीडियो से उतरते हुए ..उसके खोफ से सभी अपना सर जुका लिए ...ओर कोई नही सम्राट ....वो निचे उतर आया उसकी नजर उसी आदमी पर थी जिसने वो बात कही ...
वो उसे देखते हुए बोला .....लागे अपनी असली ओकात भूल गया से तू ...तो वो डरते हुए हकलाते हुए बोला वो वो सरकार यान ना से ....वो मै तो चाहू इस छोरी ने जो बड़ी रानी के साथ किया उसकी सझा तो होणी चाहे ..
तो सम्राट उसे देखते हुए अब अपनी चेयर पर बेठ एक पैर दूसरा चड़ा बिलकुल भवानी जी के पास ...बेठ बोला उसकी फ्रिक तने करने की जरूरत ना है ....अपनी जबान अपने ओकात के अनुसार ही निकाल ....
वो सर जुका अपनी मुठी कस लिया ....तभीस सम्राट अब रीत की ओर देखा ...जिसकी सिर्फ पीठ नजर आई ...वो तो अपने घाघरे की मुठी बनाये हुए ....इतनी हिम्मत दिखा गयी आखिर फिर एसा क्या है ..सम्राट की इस आवाज में जिसके आगे उसकी एक ना चलती ...
मुखिया जी भवानी से बोले बड़ी रानी मने लागे आपने वो बात करनी चाहे जिसके खातिर हम सब इकठा हुए से ...तो भवानी जी एक नजर रीत को देखि ...वेसे खड़ी थी तभी विमला आई जो सर पर पल्लू लिए ....वो आकर रीत के सर पर पल्लू रख दी ...
तो रीत वेसे ही खड़ी रही ....भवानी जी बोली ...इसने जो किया इसकी सझा तो इसने मिल जावेगी पर सबसे अहम मुद्सा ये से उस गलती एहसास इसने होना जरूरी से के ओरत ने भूल कर अपनी जगह ना भूलनी चावे ...अब गाव में ओरतो ने इसका सबक तो सीखना जरूरी से ..उसका सबक ये छोरी मनेगी से ...
तो रीत अपनी मुठी बना ली ...मुखिया जी बोले आप के कहना चाहो हमने समझ कोणी आ रहा है ...तो वो अपने पल्लू पकड़ ठाठ से रीत को देखते हुए बोली ...इसने जो किया से उसकी सिर्फ एक सझा से वो से मोत ....
तो त्रिलोक जी उन्हें हेरानी से देखने लगे .....
अब आगे ----------------------------------
केसा लगा बताइयेगा जरुर ...
अगर पसंद आये तो कमेन्ट करियेगा .....
क्या रीत खुदको बचा पाएगी ..आखिर भवानी जी करना क्या चाहती रीत के साथ ..?
सम्राट रीत के बीच क्या कभी कोई रिश्ता बन भी पायेगा ?
रीत जो नजरिया रखती क्या वो इन लोगो की आखो से पट्टी उतार इनकी आखे खोल पाएगी
आखिर आगे होगा क्या ये तो आप मुझे कमेन्ट कर के की स्टोरी आगे पड़ना चाहते तो मुझ बताइए तभी मै आगे लिख पाउगी वरना स्टोरी बंद करना तो आसन है उसे आगे तक लिख पाना मुश्किल अब आपके हाथ है !
तो रीत अपनी मुठी बना ली ...मुखिया जी बोले आप के कहना चाहो हमने समझ कोणी आ रहा है ...तो वो अपने पल्लू पकड़ ठाठ से रीत को देखते हुए बोली ...इसने जो किया से उसकी सिर्फ एक सझा से वो से मोत ....
तो त्रिलोक जी उन्हें हेरानी से देखने लगे .....
रीत अपनी घाघरे की मुठी बना ली .....पर चहरे पर शिकन ना आने दी ....मुखिया जी भवानी जी को देख बोले के ...पर मने ये समझ नही आ रहा से अब तक आपने इसने जिन्दा छोड़ा काये अगर मारना ही से ..
तो भवानी जी उन्हें देख बोली हु थार सवाल का भी जवाब से म्हारे पास ....वो रीत को देखते हुए बोली म्हारी इस छोरी से एक शर्त से ...तो रीत शर्त का ज्रिक सुन आखे सिकुड़ गयी वो भवानी जी ओर नजर उठा उन्हें देखि ...
तो मुखिया जी बोले शर्त केसी शर्त ..तो भवानी जी वहा बेठे सब लोगो को देख बोली ...इसने जो किया से ....इसका सबक सिर्फ इसकी मोत से ना मिलने वाला ...अगर ये छोरी वो रीत को देख बोली सबके सामने म्हारे पैरा में गिर म्हारे आगे अपनी नाक रगड़ते हुए म्हारे माफ़ी मांग बोले की इसने जो किया वो गलत से ....उसकी ये माफ़ी चाहे से ....तो मै इसकी मोत टाल दुगी ....
तो रीत उन्हें देखने लगी ....भवानी जी उसे देखते हुए बोली अगले 6 महिना तक को बकत देवू हु मै तने ..तो रीत के माथे पर बल पड़ गये ...भवानी जी बोली अगर इस छ महीने में इसने म्हारे से माफ़ी मांग अपनी गलती भोग ली ....तो मै इसकी मोत टाल दुगी ....पर अगर ये अपने पर अड़ी रेइ ...तो ठीक इसी दिन इसी बकत आज से 6 महीने बाद इसने सबके सामने जिन्दा जला दिया जाई .....
तो मुखिया जी भवानी जी से बोले 6 माह पर इतना बकत आखिर थे इसने देने काहे चाहो हो ....तो भवानी जी मुस्कराई रीत को देख बोली अगर या अबार ही म्हारे पेरो में गिर म्हारे से माफ़ी मांगती तो शायद इस बकत भी जरूरत ना पडती ....
तो रीत उन्हें देखते हुए बोली मुझे आपके किये फेसले से फर्क नही पड़ता .....आपने गलत किया ये आपको एहसास मै कराकर ही रहूगी तभी उसके कानो में भारी आवाज पड़ी छोरी ..
तो रीत एक पल के लिए सहम गयी ...सम्राट गुस्से में खड़ा हुआ गुस्से बोला थारी हिम्मत केसे हुई म्हारे ही सामने जबान लडाने की ....तो रीत उसे देखने लगी तभी भवानी जी सम्राट का हाथ पकड़ ली ...वो रीत को सक्त निगाहों से देखा अपना हाथ ले वहा से गुस्से में चला गया ....
भवानी जी रीत को देख बोली उसकी तू फ्रिक कोणी कर ....वो तो बकत बतावेगा कोन किसके आगे जूक से ....वो सबको देख बोली बहोत गर्म खून से इसका किताब के चार अक्सर जो पड़ लिए कदम हवा में उठ गये से ...पर अब तक इसने ना पता ये किसके आगे खड़ी जबान लढावे से ....
वो रीत को देख सक्त भाव से बोली ....मने अच्छे अच्छे से जमीन पर उतारना आवे से ....मै भी देखू इसकी अकड इसके साथ कितना दिन साथ रेवे से .....
तो मुखिया जी बोले तो फिर रानी सा के अनुसार ....इस छोरी ने 6 महीने तक बकत दिया जावे से पर हां वो रीत को देख बोले कान खोल सुन ले छोरी ...रीत उन्हें देखि ...
वो बोले गावो वालो से थार कोई वास्ता कोणी से ....पुरे गाव के लिए तू अनजान से तो गाव की छोरी ओर ओरतो से दूर रहेगी ....ओर थारे पर वही नियम लागू होवे है जो गाव की ओरतो ओर छोरियों पर लागू होवे से ...समझी
तभी एक आदमी बोला इसने म्हारे गाव में रखना नाही चाहे के पता फिर से कान भरने लगेगी म्हारे गाव छोरियों के .....तभी दूसरा बोला हां हां इसने गाव में रखना काहे गाव से निकाल देना चाहे ...मने तो इसके चाल डाल भी ठीक कोन लागे ...मोटायार के आगे किया रेवे ,किया बोले छोरी का गुण तो एक भी न इसमे ...एस में म्हारे गाव छोरी भी इसने देख देख सिखने लागेगी तो किस किसने सुधार सा ....
तभी रीत बोली दुसरे के चरित्र पर सवाल उठाने से पहले अपने गिरेभान में जाकर देखिये आप सभी ...क्या आप खुदको सच में एक मर्द कहते है ...जो एक ओरत को नही समझ सकता ....
तभी वो गुस्से बोला ए छोरी अपनी जबान बस में धर ले वरना मने खीचने में बकत ना लागेगा ...तो रीत उसे देखते हुए बोली ...मेरी जबान से ज्यदा आप अपनी जबान पर काबू रखे तो अच्छा होगा ....वरना जेसा सवाल उसका वेसा जवाब ...
वो आदमी उसे घुरा तो रीत उसे इग्नोर कर मुखिया जी ओर देख बोली ओर रही बात ये सब नियम कानून तो मै पूछना चाहती आप सब होते कोन है मुझे पर अपना नियम लागू करने वाले ....मुझे तो समझ नही आता आप लोग रह कोनसी दुनिया में रहे है एसा कोई कानून नही जो सिर्फ एक ओरत पर लागू होता हो ....
तभी भवानी जी सक्त आवाज में बोली बस कर छोरी ....तो रीत चुप हो गयी ... उन्हें देख बोली ....आप मेरी आवाज को दबा सक्ति है पर मै भी देखती हु कब तक ....वो वहा से चली गयी भवानी जी अपनी मुठी कस ली ..
सभी आपस में फुसफुसाने लगे की आखिर ये इतनी छोरी भवानी जी जिसके आगे कोई नजर ना उठा सके भला इतना कुछ बोल गयी ....
अब सभी उठ वहा से जाने लगे तो मुखिया जी भवानी जी से बोले अब म्हाने भी आज्ञा दो रानी सा ....पर ये मने समझ ना आया आपने उस छोरी ने इतना बकत काये दिया ..उसके चाल डाल देख लागे वो छोरी इस गाव में कठे कोई नई क्रान्ति ना पैदा कर दे .....जिससे गाव की शान्ति पर असर पड़े ....
तो भवानी जी कुछ सोचते हुए बोली वो दिन कभी ना आवेगा ...ओर रही इस छोरी की बात ....इसने अपने पेरो पर खुद कुल्हाड़ी म्हारी से ..अब तक भवानी का वो रूम ना देखा ...जो मने इसने अब तक ना दिखाया ....
तो वो बोले अच्छा ठीक से मै चाले ...तो वो सर हिलाई अब वहा कोई नही था ....अब भवानी जी अपने पास देखि त्रिलोक जी शांत ही बेठे किसी सोच में थे .....
तो भवानी जी उसे देखते हुए बोली तू के सोचे है ....तो त्रिलोक जी उन्हें देखे ...तो भवानी जी उसे देखते हुए बोली मने ये फेसला काये किया ....तो त्रिलोक जी ना में सर हिलाए बोले मने पता से आपने ये क्यों किया .....पर मने वो नजर आ रहा से ....जो आज तक इस पंचायत में कभी ना हुआ ...
तो भवानी जी खड़ी हुई बोली तने के लागे 6 माह का बकत उसने मने जीने के लिए छोड़े से ....तो त्रिलोक जी उन्हें देखे भवानी जी तिरछा मुस्कराई बोली ...इंसान की मोत बहोत आसन होवे से पर वही मोत की जिन्दगी जीना उससे भी कठिन ..
तो त्रिलोक जी उन्हें नासमझी में देख बोले के मतलब ....तो भवानी जी उठ खड़ी हो बोली अब तक उस छोरी ने जितना म्हारा अपमान किया से ...उसकी भरपाई में उसने अपनी सासे भी चुकानी पड़े तो भी कम से ....पर ना उसने मै म्हारे आगे तडपता देखना चाहू हु ...एक एक सास के खातिर ....
त्रिलोक उनकी सुनते हुए खड़े हो गये ..भवानी जी मुस्करा बोली 6 माह ....उसकी अकड मने 6 दिन में ना तोड़ी तो मै भी भवानी कोणी ....
वही दूसरी ओर --------------------------
रीत का भूख से हाल अब बेहाल हो रहा अपने उसी कमरे में पेट पकड़ एक छोर से दूसरी ओर चक्कर काटते हुए बोली हु क्या करू मुझे बहोत भूख लगी है ....
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो रीत दरवाजा खोलने आई ...सामने सुमित्रा जी थी रीत उन्हें देखने लगी वो हाथ में एक थाल ढक लाइ थी ..वो अंदर आ उसे देख बोली भूख लागे है ...
तो रीत उन्हें मासूमियत से देखने लगी ...सर हिलाई ....तो सुमित्रा जी के होटो हल्की सी मुस्कराहट आ गयी ...वो उसका हाथ पकड़ बोली आ म्हारे साथे ....
वो उसे अपने असाथ आगन में निचे बैठाई अब वो थाल के उपर से कपड़ा हटाइ तो रीत के मुह में पानी आने लगा उसमे खाना लेकर आई थी ....सुमित्रा जी एक नजर उसे देखि ...रीत उन्हें मासूमियत से देख बोली ये आप मेरे लिए लाइ है ....
तो सुमित्रा जी मुस्कराई उसके गाल पर हाथ रख बोली अच्छा तो ओर कोन से जिसके खातिर में मै अठे रोटी लायी से ....तो रीत चमकती आखो से बोली तो मै खा लू ....
तो सुमित्रा जी मुस्कराई बोली इतनी भूख लाग रही रहा ना रहा तो थारे में हिम्मत कठे से आवे है तने डर नही लागे ....ये सब थार के करेगे ...तो रीत उनकी आखो में देखने लगी ...बड़े ही मासूमियत से बोली लगता है डर ....पर मुझे पता है माता रानी मुझे कुछ नही होने देगी ...क्युकी मामा कहते थे ...वो हमेशा मेरे साथ रहती है ...
तो सुमित्रा जी उसे देखने लगी उसके गाल पर हाथ रख बोली थारे माँ बापू ना है ....तो रीत का चहरा उतर गया ....वो ना में सर हिलाई तो सुमित्रा जी बोली अरे मै भी बाता बाता में खानों ठंडो हो जा सी ..चाल खाना सुरु कर मने ओर भी काम से ....
तो रीत जल्दी से आलती पालती बेठी ...उनके थाली ले जल्दी से हाथ जोड़ एक निवाला लेने को हुई सुमित्रा जी उसे देख मुस्कराई ...तभी किसी आवाज आई सुमित्रा ....
रीत का हाथ रुक गया ....सुमित्रा जी घबरा सी गयी ....तभी फिर से आवाज आई सुमित्रा ...तो वो जल्दी से उठते हुए बोली जी जी ..मासा ...वो अब बेचारी जल्दी से उठ बाहर आई ....
सामने नजर पड़ते ही जल्दी से सर पर घुघट कर ली ...भवानी जी उसे घुरी .....तभी विमला रीत को अपने साथ ले आई वो बेचारी एक निवाला भी ना रख स्की ....भवानी जी से बोली देखलो बड़ी रानी सा ...वो तो अच्छा हुआ सही बकत पर धर ली छोरी ने वरना तो ये धुसने को तेयार थी ..
तो रीत वो खाने की प्लेट देखि ....जो उससे विमला लेली ....तो भवानी जी सुमित्रा जी को देख बोली ...आजकल मै सब देख रही से ....थारे पर ज्यदा निकल आने लगे से ..तो सुमित्रा जी घुघट किये ना में सर हिला धीरे से बोली ना मासा ..वो छोरी काल से भूखी थी तो ही मै ...
तभी भवानी जी बोली हां तो भूख से मर कोणी रही से ....वो रीत को देख बोली ब्यान भी जबान तो बहोत घणी चाले इसकी जरा उस पर काबू धर लेगी तो अपने आप भूख ने काबू में करना सिख लेवेगी ...
तो सुमित्रा जी कुछ ना बोली भवानी जी उन से बोली इसने सिर्फ एक बकत का ही खाना मिलेगा ....तो रीत उन्हें देखने लगी ....भवानी जी रीत को देख बोली फ्रिक की रोटी ना तोडनी की मिले उसके लिए काम कारणों पड़े है ....दिन भर काम करो रात में उसकी रोटी तोड़ो ....
तो सुमित्रा जी हेरानी भवानी जी को देखि ...तभी भवानी जी बोली अब खड़ी काये है चाल भीतर ....तो सुमित्रा जी जल्दी से सर हिलाई .एक बार रीत की ओर देखि जेसे वो उसके लिए कुछ नही कर पाई ...
विमला बोली सुन लिया तने ....चाल काम करना से शाम के बकत मिलेगी रोटी ....तो रीत उसे देखि तो विमला बोली देखो किया आखे काडे है ...जिया देखि कोणी मने कभी ....तो रीत उससे नजरे फेर ली ....
भवानी जी कुछ कदम आगे चल आते हुए बोली अभी तो शुरुआत से छोरी तो रीत उन्हें देखने लगी ..तो भवानी जी उसे देख बोली थार जीना दुश्वार मने ना किया तो मै भी भवानी कोणी ...
तो रीत अपनी मुठी बना ली ....भवानी जी उसे देख बोली मै भी देखू थारी कितनी शमता से .....
तो रीत उन से नजरे फेर ली ....भवानी जी तिरछा मुस्कराई विमला से बोली इसने काम समझदा दे ....देख जे अठे खड़ी रे ये काम किया करे समझी ..तो विमला बोली जी बड़ी रानी सा .....
तो भवानी जी रीत को एक नजर देख अब वहा से चली गयी तो विमला रीत से बोली अब के खड़ी है चाल शुरू कर काम ....तो रीत अब कुछ ना बोली पर उसके पेट से अब आवाज आने लगी ...वो अपना पेट पकड़ ली ..
तो विमला बोली जितनी बेगी हाथ च्लावेगी काम उतना बेगा होवेगा ...तो रीत अब उस बाड़े को देख अब ....वहा की सफाई में झूट गयी ..पर उस वक्त गर्मी इतनी थी उसका गला सुख रहा था .....
वो खड़ी हो सास लेने लगी ....तभी विमला आ बोली फिर रुक्गी ..चाल जल्दी कर ....एक तो मने थारे पीछे खड़ा कर दिया से ओह्ह गर्मी लागे है ...तो रीत उसे बोली वो थोडा पानी चाहिए ....
तो विमला उसे देख अच्छा तने प्यास लागी है तो रीत सर हिलाई तो विमला तिरछा मुस्कराई बोली अभी लाइ ....तो रीत उसका वेट करने लगी तभी विमला हाथ में मटका लाइ ...
तो रीत उसे नासमझी में देखि तो विमला उसे वो मटका थमा बोली ले ...जा कुए भर ले आ ....तो रीत बोली क्या ..तो विमला बोली सूना कोणी तने जा कुए से भर ला ....पिने का पानी खत्म हो गया से ...पहले पानी भर फिर तभी तो पानी मिलेगा ....
तो रीत वो मटका देखने लगी जो काफी बड़ा था ... वो बोली कुआ कहा है ....तो विमला बोली चोक में से ....जल्दी कर मने भी प्यास लागे है ....तो रीत बोली वो मुझे नही आता कुए से पानी भरना ..
तो विमला कमर पर हाथ रख बोली ओह्ह बाते तो बड़ी आवे जेसे अभी हवाईजहाज उड़ा लेइ ...मै सब जानू थारे बहाने से जा बहेगी कर ये काम भी करना से ....मै थारे खातिर खड़ी कोणी रहू ...
तो रीत अब कुछ बोली नही क्युकी फायदा नही अब वो पानी का मटका ले ....दूसरी ओर आई वहा कुए को दुदते हुए ...तभी उसकी नजर खुले से चोक पर गयी ...वो तो पानी के लिए उसके पास आई ..
पर उसे तो पानी भरना नही आता अब मटका निचे रख कुए से रस्सी खीचने लगी ....मोटी रस्सी थी ..पहली बार तो उसके हाथ ना आई ....कोशिश कर ले अब पानी खीचने लगी .....
पर खाना ना खाने की वजह से उसकी बोडी में उतनी शक्ति नही थी वो कुछ एसा काम कर सके ....
पानी की बाल्टी खीचने में अपना पूरा जोर लगाने लगी तभी बाल्टी उपर आती तभी उसके हाथ से रस्सी छुट गयी ...यु अचानक हों से वो निचे गिर गयी ....तभी उसकी सिसक निकल गयी ....
वो अपने पेरो से घाघरे थोडा उपर कर अपने घुटने को देखि जहा हल्की सी खरोच आई थी ....वो उस पर फुक करने लगी ..तभी उसे अजीब सा एहसास हुआ जेसे कोई उसे देख रहा था ....
तभी वो आस पास देखि अपने पेरो से कपड़े निचे कर दी ....आस पास देखने लगी जेसे किसी की नजर तो उसे देख रही थी तभी विमला की आवाज आई थारी भली हो छोरी ...थारे से अब तक मटका तक ना भरा गया ...
तो रीत का ध्यान उस ओर से हट गया वो उसे बोली वो ...बहोत भारी है ...तो विमला उसे घुर बोली सब जानू मै तने ...काम से भागना के तरीका है ...परे हट ...मने करना पड़ सी ...
तो वो साइड हट गयी ....विमला कुए से पानी निकाल वो मटका भरने लगी तो रीत उसे देखने लगी वो केसे क्या कर रही है ....अब मटका भर उससे बोली चाल उठा इसने ...
तो रीत उसे देखने लगी ....फिर मटका ....तो विमला उसे घुर बोली आह्ह अब मने समझ आवे ....चुप चाप उठा इसने तो रीत उसे देख अब मटका उठाने को आई पर उससे तो हिल तक ना रहा ....
वो कोशिश करती पर उससे उठ तक नही रहा तो विमला उसे घुर अब मटका उठा उसके सर पर रख बोली हे राम जी मने कठे पटक दिया थारे साथ लागे थार काम म्हारे से करवाएगी ....
तो रीत वो इतना भारी मटका सभाल नही पा रही थी ...विमला बोली अब आ म्हारे पीछे कठे रखना बताऊ ..वो आगे आगे कमर मटका चलने लगी पीछे बेचारी रीत लडखडाते हुए ....
उससे वो मटका सभल नही रहा ....विमला तो चली गयी आगे वो बेचारी धीरे धीरे एक एक कदम सभाल उपर से उसका घाघरा केसे सभाले ये सब ....एक साथ ....तभी हवा एसी चली की
उसका ओडा दुप्पटा हवा की वजह से उसके कंधे से उतर जमीन पर लहराने लगा ....उसका ध्यान तो उस मटके को सभालने में ....तभी उसका पैर अपने दुप्पटे में एसा उल्जा ...सीधा आगे की ओर लडखडा गयी ....
सीधा मुह के बल गिरती जितने में सामने आता शख्स उसी वक्त उसके सिने जा टकराइ ...वो पानी का मटका फुट गया ....ये होते वहा पानी पानी वो खुद भीग सी गयी ....
वो यु अचानक से पानी गिरने से घबरा सी गयी ....उसके हाथ उस शख्स के सिने पर ....तभी उसके कानो में उस शख्स की भारी आवाज पड़ी ....आखे खोल कर ना चाल जाता से ..
तो ये आवाज सुनते ही रीत झट से आखे खोल देखि उसकी आखे बड़ी हो गयी ....
सामने वो शख्स ओर कोई नही सम्राट था ....वो उसे घुर रहा था ....रीत झट से दूर हो गयी ...अपने बालो हटाई चहरे से खुद भीग गयी थी ...तभी सम्राट उसकी बाह सक्ति से पकड़ सक्त आवाज में बोला के कर रही थी अठे ....
तो रीत उसे घबराई आखो से देखने लगी ....उसे बड़ी बड़ी आखो से देखने लगी ...सम्राट उसकी बाह पर पकड़ कस बोला अब जबान ना खुल रही थारी ....बिना जरूरत के तो बहोत चाले है ..
तो रीत ह्ल्काते हुए बोली वो वो मै मै पानी पानी आस पास देखि ...मटका कहा गया अब तक उसे होश नही उसके सर का मटका फुट गया ....तो सम्राट उसे आखे छोटी कर देखा ....
रीत की बाह पकड़ उसे अपनी ओर कर उसका गाल दबोच सक्त आवाज में बोला ...मने तने अब तक जिन्दा छोड़ रखा से इसका ये मतलब ना समझ लेइ तू म्हारे से बच गयी ....अगर तने एसा कुछ भी किया जिससे म्हारे परिवार पर जराभी आच आई तो वो दिन थार आखिरी दिन होयेगा ..समझी ......
वो उसे धकेल दिया ....वो जमीन पर जा गिरी उसकी आह निकल गयी ...अपना हाथ देखि जहा जमीन पर गिरने से मटके टुकड़े चूब गये थे ....वो नजर उठा सम्राट को नम आखो से देखि तो वो उसे इग्नोर कर वहा से चला गया ...
तो रीत उसे जाता देखने लगी ..तभी विमला की आवाज आई ये राम जी ये के किया ....तो रीत अब धीरे धीरे उठने की कोशिश करने लगी ....तो विमला उसके पास आ बोली मटका फोड़ दिया छोरी थारे से एक काम ना हुआ अब तक ...
तो रीत मासूमियत से बोली ...वो टूट गया ...तो विमला उसे घुर बोली ....अब मने ना बेरा कर सब साफ़ मै तो अब चाली म्हारे से ना होवे इतनी भेजामारी ....
तो रीत उसे कुछ कहती वो तो मुह बनाये चली गयी रीत अपना हाथ देखि अब आस पास पूरा पानी हो गया खुद भी भीग गयी .....
अब आगे -----------------------------------
इसके आगे का इसके नेक्ट्स में बताइयेगा आपको पसंद आया की ना ...
कहानी आप लोग पड़ना चाहते है नही तभी मै इसे आलगे लिखने का सोचु !
अब आगे -------------------------
रात का वक्त -----------------------
बेजान सी हालत में कमरे के फर्श पर रीत इस वक्त सिकुड़ कर सो रही थी ....हालत एसी थी थोड़ी भी शमता नही थी हिल भी सके शरीर में जान ना थी ....तभी उसका दरवाजे पर दस्तक हुई पर उसमे कोई हलचल ना हुई तभी बाहर से विमला की आवाज आई छोरी के हुआ मर गयी के ...
तो रीत के पलको में हलचल उई ...पर जेसे उसे होश सा नही था ....अब पिछले दो दिनों से एक अन्न का दाना ना मिला था बेचारी को ...उपर से इतना काम करवाया की इस वक्त उसमे जरा भी जान नही बची थी ....
तभी विमला दरवाजा पिटते हुए बोली अरे छोरी के हुआ मने लागे कठे मर गयी दिखे दरवाजा खोल के करे एसो ...तो रीत को जरा होश आया ...वो अपनी आखे खोली सर जेसे हल्का हल्का घूम रहा था कमजोरी से ...वो आस पास देखि अभी है कहा कमरे में पूरा अँधेरा था ये देख जेसे वक पल में घबरा सी गयी ...
वो वो कहा है ....तभी दरवाजा फिर से पिता बाहर विमला सर पकड़ बोली ओहो के हो गयो ...तभी खुद से बोली मने तो लागे विमला ये तो गयी परी ब्यान आछो ही हुआ बा बुडिया म्हारे गले बाँध रखी से इसने ....
तभी दरवाजा खुला हेरानी से वो रीत को देखने लगी रीत जल्दी से बाहर आई उससे टकरा गयी तभी उसे सभाली ....रीत खुल कर सासे लेने लगी विमला उसे हेरानी से देखने लगी ....रीत जेसे अब उसे जान में जान आई अँधेरे की वजह से उसकी सासे नही ली जाती थी .....विमला तभी उसे धकेल दी ..
वो बेचारी जा गिरी ....तभी उसकी आह निकल गयी विमला खुदको साफ़ करते हुए बोली कोन सो दोरो पड़ गये से तने ....तो रीत उसे देखि अपना वो हाथ देखि जहा सुबह चोट आई फिर से वही लग गयी हल्की हल्की स्वेलिंग आ रही थी उस पर ...
तभी विमला बोली हे राम जी के छोरी है अरे म्हारी माँ उठ अब ....म्हारो के ये ही काम से थारे आगे पीछे घुमती फिरू ...तो रीत धीरे धीरे कोशिश कर उठने लगी ....
विमला उसे देख मुह बना दी बोली आ म्हारे लारे ....तने वो बुडिया तभी जल्दी से वो अपनी जबान सभाल बोली बड़ी रानी सा बुलावे से ....तो रीत अपने कपड़े थोड़े सही की ....विमला अपनी कमर मटकाते हुए आगे चली गयी ...
तो रीत को धीरे धीरे उसकेपीछे कदम बढाई उसमे चलने जितनी जान तो नही थी तभी रुक गयी ....उसे अजीब सा लगा जेसे कोई उसे देख रहा है ...वो झट से उस ओर देखि तभी उसकी आखे सिकुड़ गयी एक पिल्लर के पीछे उसे किसी परछाई महूसस हुई .....
तो वो उस ओर देखने लगी तभी विमला पीछे पलट देखि गुस्से बोली हे म्हारा राम जी ए छोरी ..तो रीत उसे देखि तो विमला उसे घुर बोली बठे के मुह फाड़े है आ म्हारे लारे ....
तो रीत अब वहा से अपना ध्यान हटा ली कोशिश कर उसके पीछे आई ...
वही सभी डाईनिंग टेबल पर थे .....इस वक्त पुरे परिवार में से सिर्फ भवानी जी जो सबसे प्रधान चेयर पर ....उनके पास त्रिलोक की यानी सम्राट के काकू सा ....दूसरी ओर सम्राट बेठा था ....
सुमित्रा जी घुघट किये हुए खड़ी हुई थी ...भवानी खाना खा रही थी एक नजर सम्राट को देखि जो अभी बिना भाव भाव खाना खा तो रहा था पर जेसे उसका ध्यान कही ओर था ...
तभी भवानी जी उसकी बाह पर हाथ रख प्यार से बोली छोरा .....तो सम्राट का ध्यान टुटा ..भवानी जी उसे बोली के हुआ तने ..रोटी ना बहा रही तने ....तो सम्राट कुछ बोला नही ....उसके चहरे पर कोई भाव नही थे
तो भवानी जी के भाव तभी कठोर हो गये वो सुमित्रा जी की ओर देखते हुए बोली लागे है बिन्दनी ने अपना ससुराल छोड़ पीहर पकड़ लिया से ....अरे अब तक मन ना भरा ....
तो त्रिलोक जी सम्राट को एक नजर देख भवानी जी से बोले समाचार मिले राज कवर जी के अब अस्पताल से छुट्टी मिल गयी से ....अब अपने बापू की हाल पूछने गयी से उसका भठे होना जरूरी से ....
तो भवानी जी मुह बनाई बोली एक या दो दिना तक को समझ आवे है महिना भर होना आया तब तक पेट ना भरा उसका पीहर से सब जानू हु मै ससुराल में काम करे तो कमर टूटे है पीहर के पकवान से मन कोणी भरा बिका ....जेसी माँ वेसी बेटी ...कोई संस्कार कोणी दिया ..छोरी ने ...
तो त्रिलोक जी उन से बोले माँ आप एसा क्यों कह रही है ....वो वहा आराम करने थोड़ी गयी इस वक्त हर पिता को अपने बच्चो की ही जरूरत होवे है ....तो भवानी जी उन्हें देख गुस्से बोली हां हां थारे से बोलना बेकार से ....पर के जरूरत थी म्हारे लाडेसर ने अपने साथ ले जाने की ....खुद तो गयी म्हारे घर की रोनक भी लेगी साथ में ...
तो त्रिलोक जी उन से बोले आप भी केसी बाते करो हो ....अब थे तो जानू हो समय की एक जलक देखने के लिए तडप रहे से वो ....वेसे भी कोनसा वो अपने नाना से मिलने जा पाता है उनका दिल भी करता है अपने नाते को अपने सिने लगाने का ...
तो भवानी जी उन्हें घूरते हुए बोली थारे से तो कुछ कहना बेकार से ....म्हारे छोरे का के हां ...देख इतना मुह उतर मेला से ...छोरे के बिना गले से खाना ना उतर रहा ....तो त्रिलोक जी सम्राट को देखे ....
भवानी जी प्यार से सम्राट की बाह पर हाथ रख बोली मै जानू हु अपने कलेजे टुकड़े याद आवे तने ,रुक मै अबार ही फोन घुमाऊ हु काल दोडी चली आवे तो मै भी भवानी कोणी ....
तो सम्राट थाली आगे सरका खड़ा हो बोला इकी जरूरत कोणी ...म्हारी बात हो गयी से ....तो वो जाने को हुआ तभी भवानी जी बोली अरे कठे चाल रोटी तो पूरी खा छोरा ....
तो सम्राट जाते हुए बोला म्हारा हो गया से ....तो भवानी जी ना में सर हिला बोली ना जाने किस की नजर लागी म्हारे छोरे पर ....तो त्रिलोक जी अपनी थाल सरका बोले वजह आप भी जानो ....तो भवानी जी उन्हें टेडी नजरो से देखि ....
तो त्रिलोक जी खड़े वहा से चले गये तो भवानी जी का चहरा सक्त हो गया वो खुद से बोली ...वजह क्यान भी हो ....पर मै म्हारे लाडेसर ने इया ना देख सकू हु ...
तभी उनके कानो में आवाज पड़ी बड़ी रानी लो आ गयी महारानी ...
तो सुमित्रा जी नजर उठा रीत की ओर देखि तो उसकी हालत उपर से निचे देख ...उनके भाव में दया भर आई ....तो भवानी जी अब रीत को देखि ..उसे उपर से निचे देख बोली लागे एक दिन की मेहनत थारे पर भारी पड़ गयी से ....
तो रीत उन्हें कुछ ना बोली ...तो भवानी जी सुमित्रा जी ओर देख बोली ले परोस दे इसने भी रोटी .....तो सुमित्रा जी जल्दी से आगे आई रीत के लिए प्लेट लगाने लगी ...
तभी भवानी जी बोले ये के करे है ..तो सुमित्रा जी के हाथ रुक गये तो भवानी जी उन्हें घुर बोली इस उम्र में भी मने तने बताना पड़ेगा ...कीबिन्दनी अपने बिन्द की उठो खावे है पहले ....
तो सुमित्रा जी उन्हें देखने लगी फिर एक नजर रीत की ओर देखि ...तोभवानी जी बोली समझ कोई आया तने अब तक सास बनने की उम्र आई से ...चाल पहले इसने इके बिन्द का उठा डाल ....
तो सुमित्रा जी जल्दी से सर हिलाई .....तो भवानी जी रीत को देख बोली ओर तू अब खड़ी के सुबह तो बहोत ललचा रही से थारी जीभ अब भूख ना लागी ..
तो रीत अब डाईनिंग टेबल को देख अब धीरे धीरे आगे आई ..टेबल सरकाई ही थी तभी उसका हाथ भवानी जी पकड़ ली रीत उन्हें देखने लगी ...तो भवानी जी उसे देख बोली कठे चाली ...तो रीत उन्हें नासमझी में देखि ...
तो भवानी जी तिरछा मुस्करा बोली लागे कभी मालिक ओर नोकर का फर्क कोणी देखा ...थारी जगह अठे कोणी ..भठे से ....
तो रीत उनकी सुन अब फर्श की ओर देखि फिर उन्हें देखि ...तो भवानी जी मुस्कराते हुए अपने पल्लू को सही कर बोली अब देखे काई है चाल बेठ ....घर की नोकरानी से लागे ये भूल गयी से ....
तो रीत उन्हें देखने लगी ....वो उनके किये अपमान को बखूबी समझ रही थी वप वो भी उस पर रिएक्ट ना करते हुए शान्ति से जा जमीन पर बेठ गयी तो भवानी जी उसे घुरी ...जेसे रीत की चुपी उन्हें बर्दाश ना हुई ...
तो सुमित्रा जी अब उसकी ओर थाली बड़ाई ....तभी रीत थाल देखि तो उसकी आखे सिकुड़ गयी .वो खाने को देखने लगी फिर सुमित्रा जी ओर देखि .....
तभी भवानी जी बोली अब के हुआ भूख ना लाग रही से तने ...तो रीत उन्हें देख बोली ये तो उठा है ....तो भवानी जी उसे आखे छोटी कर घुरी ...बोली थारे बिन्द का उठा से इतना मुह काये बनाये है ...तो रीत तभी हेरानी से बोली क्या ....
तो सुमित्रा जी धीरे से उससे बोली छोरी तो रीत उन्हें देखि तो वो उसे नाम में सर हिलाई की अब चुप रहे ..तभी भवानी जी बोली ...एसा भी के हो गया जो तू इतना आखे फाड़े ...तने बेरा कोणी ओरत अपने बिन्द का ही उठा खावे से ...
तो रीत उन्हें देख बोली मेने तो कभी नही देखा ....ओर कोनसा बिन्द ....तो भवानी जी उसे आखे छोरी कर घुरी ...तो रीत उन्हें देख बोली वो सिर्फ जबरदस्ती थी मै तो नही मानती उस जबरदस्ती को ...
तो भवानी जी सक्त भाव से देखि बोली खाना तो तने ये ही पड़ेगा वरना सोच ले खाना सीधा काल रात ने मिलेगा ...तो रीत थाल निचे रख उसे हाथ जोड़ बोली मै किसी अन्नं का अपमान नही करती पर मै किसी का उठा क्यों खाऊ ... ओर एक मिनिट आपने ही तो कहा मै नोकरानी हु तो फिर अब ये सब क्यों ..
तो भवानी जी उसे घुरी बोली वो ये से छोरी चाहे किन हालात में ये ब्याहा हुआ से पर तू म्हारे लाडेसर की दूसरी से ....दूसरी ही सी बिन्दनी तो से ....तो तने भी वो सब धर्म मानने पड़ेगे जो एक ओरत अपने बिन्द के लिए करे से ..
तो रीत उन्हें घुर बोली ये क्या मतलब हुआ ....तभी सुमित्रा उसका हाथ पकड़ उसे बोली छोरी चुप कर ...ओर के लगा रखा है चुप चाप खा उन्होंने धीरे से ही कहा था उससे ....
तो रीत उन्हें देखने लगी वो उसे इशारा की चुप चाप खाए ..तो रीत मुह बनाई बोली नही मै क्यों किसी उठा खाऊ ....तो सुमित्रा जी कुछ कहती तभी भवानी जी गुस्से से अब खड़ी हो बोली ठीक से अगर थारी ये अकड से तो अब रहे भूखी ....तो रीत उन्हें देखने लगी ...तभी विमला वो थाली उठा ली ...
भवानी जी बोली खाने का अपमान म्हारे घर में कभी कोणी हुआ ....तो रीत उन्हें देख बोली मेने कोई अपमान नही किया ....पर मै नही मानती ये आपके दखियानुसी .. रीती रिवाजो को ....
तो भवानी जी उसे घुर बोली ठीक से जानकी थारी इच्छा ...अब अगर थारे में बिना कुछ खाए इतनी शमता से तो मै भी देखू तू कब तक भूखी रेवे है ...
तो रीत खड़ी हुई तभी सुमित्रा जी उसका हाथ पकड़ ली तो वो उन्हें देखि वो उसे इशरा हटाते हुए बोली मै नही मान सक्ति ...तो सुमित्रा जी उसे कुछ कहती तभी भवानी जी उसे बोली थारी बहोत ममता उमड रही से ...
तो सुमित्रा जी पीछे हो गयी तो भवानी जी उन्हें दकेह बोली सुन ले अब इसने एक भी दाना ना मिलेगा अगर खाना से तो ये ही खाना पड़ेगा ....रीत बिना कुछ बोले वहा से चली गयी तो भवानी जी अपनी मुठी कस ली .....
वही रीत उसी कमरे में अपना पेट कस के पकड़ बोली आह ...बहोत भूख लग रही है ..तभी वो सब सोच बोली एस केसे मै कसी उठा खा लू ...हु तभी आखे छोटी हो गयी उस राक्षस का कभी नही ....
तभी उसके पेट से आवाज आने लगी तभी पेट पकड़ बोली रीत अब क्या करेगी ...तभी कुछ सोचने लगी ....
अब आगे ----------------------------
आखिर रीत अब क्या करेगी ?
भवानी जी का जीत जायेगी रीत से उसे तोड़ने में या रीत उनके आगे जुक जायेगी उनकी बनाई उन रीतियों के आगे !
आपको अगर पसंद आती हो तो कमेन्ट करिये please !
अब आगे ----------------------------------------
अब तक हमने देखा था रीत ने भवानी जी का कहना मानने से इनकार कर दिया था ....
पर इस पर उसका हाल बेहाल था उसका कमरे से बाहर अब खुली हवा में उपर उस आसमान को में टीम टिमाते तारो को देखने लगी ....उसकी आखो में नमी उतर आई बोली मामू ...आप की बहोत याद आ रही है ...आप तो कहते थे ना जब भी मै खुदको अकेला महूसस ना करू आप को अपने पास ही पाऊ ..तो आप कहा है मामू ...आपकी रीतू को आपकी बहोत याद आ रही है ..
बचपन से माँ पिता को देखा नही जिसका प्यार मिला सिर्फ उसके मामा थे जो उससे बहोत प्यार करते थे उससे ....पर जेसे उनके उसकी दुनिया से चले जाने के बाद कोई उसका बचा नही ....मुसीबते कम थी जो उसकी जिन्दगी इस मोड़ में आ गयी जहा वो जेसे फस सी गयी यहा से निकल नही पा रही ...
वही बालकनी से खड़े हुए भवानी जी एक वक्त उसे देख रही थी या कह लो घुर रही थी ...ना जाने इतनी छोटी लडकी उनके आगे केसे अड़े हुई थी दो दिन से खाना ना खाने पर जो चीज थी अब तक रीत ने ना तोड़ी अपनी हिम्मत वही भवानी जी को उसे सोचने पर मजबूर कर गयी थी ....
वो रेलिंग पर पकड़ कस बोली मै भी देखू कब तक ना टूटती थारी ये अकड ....
वही एक बड़े से कमरे ......
जिसमे इस वक्त अँधेरा सा छाया हुआ था ...सिर्फ बाहर की चाँद की रौशनी अंदर आ रही थी हवा से खेलते पर्दे ....जिससे उस कमरे में हल्की हल्की रौशनी आ रही थी कोई एक चेयर पर ....एक शख्स बेठा हुआ था .....
अपना सर पीछे टिकाये हुए उसके हाथ में एक तस्वीर थी ....जिसे वो अपने सिने लगाये था ....
अब हवा का एक जोका आया तभी कुछ गिरने की आवाज कमरे में हुई .....तो उस शख्स अपना सर उठाया उस ओर देखने के लिए ...तो उसका चहरा नजर आने लगा जो ओर कोई नही सम्राट था ....
पर उस ओर देखते देखते उसकी आखे खुल गयी .....शायद इस तरह से वो सोने की कोशिश कर रहा था ....पर जिस ओर से आवाज आई थी उस ओर देखते हुए चहरे के भाव कुछ बदल से गये ....
उसे इस वक्त किसी एक लडकी का अक्स नजर आ रहा था ....जिसकी पीठ उसके सामने थी ....पॉट निचे गिरा हुआ जो हवा की वजह से पर्दों से टकरा निचे गिर गया उसी कुछ दुरी पर एक खुबसुरत सी लडकी ....पेरो में पायल इस वक्त ....राजस्थानी आवरण में ....लम्बे घने बाल कमर पर लहरा रहे थे .....जो हवा के साथ बाते कर रहे हो ...
उसके कानो का झुमका जो इस वक्त हवा की वजह से उसकी छोटे छोटे घुघुरो की आवाज सिर्फ इस वक्त उसे ही सुनाई दे रही थी क्युकी जो सामने अक्स है असलियत में उसका कोई अस्त्तिव है नही ...
तो फिर है कोन वो लडकी जो इस वक्त सम्राट अपनी नजरो से निहार रहा था ....जेसे वो सिर्फ उसकी आखो एक कल्पना हो .....तभी वो अपनी पायल की छन छन करते हुए आगे की ओर बड गयी ....
तो उसे इस तरह जाता देख सम्राट अब खड़ा हुआ उसके पीछे आने के लिए अपने कदम बड़ा लिए ....वो लडकी पीछे उसकी ओर ना देखते हुए सिर्फ आगे की उन पर्दों से आगे बड़ी ...
सम्राट उसके करीब जल्दी से आने को हुआ तभी जेसे वो आखो से ओज्ल सी हो गयी ....वो बालकनी में देखा चारो ओर बालकनी कमरे की काफी बड़ी थी पर उसके हर छोर पर उसे कुछ ना नजर आया .....
वो अब नजरे उठा उस चान को देखा ....ना जाने उसमे उसे किसी चहरे का अक्स नजर आया तभी वो आखे बंद कर लिया ..तभी उसके कानो में किसी मीठी आवाज पड़ी ओह्ह ...कुवर सा छोडिये ना हमे
तो एक लडकी सी वक्त राजपूती पहनावे में बाल पुरे खुले चहरा नजर नही आ रहा था ...उसके पीछे एक शख्स ...जो ओर कोई नही सम्राट था इस वक्त काफी कम उम्र पर बहोत ही handsome लग रहा था ...बस फर्क इतना था इस वक्त उम्र चहरे की काफी कम जलक रही थी ....तो वो लडकी उसे देख बोली हमे रास्ता दीजिये ....तो उसके आगे सम्राट उसका रास्ता रोके हुए बोला मै भी देखू आज तने म्हारे कोन बजावे है तो वो लडकी पीछे कदम लेते हुए बोली देखिये अब परेशान ना कीजिये ....वरना ..
तो सम्राट बोला वरना ...तो वो लडकी शिकायती अंदाज से बोली वरना हम आप से ब्याह ना करेगे ....हां तो सम्राट उसे घूरते हुए बोला अच्छा ....म्हारे ब्याह ना करेगी तो किस करेगी भला ..तो वो लडकी अपनी मुस्करहट छिपाते हुए बोली करुगी उसे जिसकी गाल आपकी तरह फुले ना हो तो सम्राट उसे घुर वो हस्ते हुए बोली जिसका पेट आपकी तरह निकला ना हो .
तभी सम्राट बोला अच्छा तो ये म्हारी कमिया से ..तो वो लडकी हस्ते ना में सर हिला बोली ना अभी तो बहोत सारी अगर कमिय गिनवाने लगे तो पूरी रात गुजर जायेगी ...वो हसने लगी ..
तो सम्राट उसकी ओर आते हुए बोला अच्छा तो अब मै तने बताऊ ..तो वो लडकी जल्दी डोडती तभी सम्राट उसकी कलाई पकड़ उसे अपने करीब खीच लिया उसकी पीठ उसके सिने आ लगी ...वो खिल खिला कर हसने लगी ...
तो सम्राट उसे पीछे से बाहों में भर बोला अब मै भी देखू से तू म्हारे ब्याह किया ना करती ..तो वो लडकी हस्ते हुए उसकी नाक खीच बोली हां इया क्यों ना बोलते थाणे म्हारे बिना कोई पसंद भी कोणी कर सके जिसकी नाक पर गुस्सा हर बकत राज करे से ...
तो सम्राट उसे देखते हुए बोला अगर इतनी ही कमिय से तो हम काकू सा कह देते तने म्हारे ब्याह करने से इनकार से ..वो जाने लगा तभी वो लडकी बाह पकड़ बोली अरे अरे ...वो उसके आगे आ उसके गले में बाहे डाल बोली म्हारे कुवर सा तो इतनी जल्दी नराज हो जावे ....हमने कब कहा ब्याह कोणी करना तो सम्राट उसे घुरा ..तो लडकी अपनी हसी छिपाते हुए बोली वो हमने सोचा अब सब चाहते तो ब्याह करना ही पड़ेगा ...
तो सम्राट उसे घुर बोला अच्छा तो वो लडकी हसने लगी तो उसकी खिल खिलाहट को देखते हुए सम्राट के होटो पर हल्की सी मुस्करहट आ गयी ....की वो अपनी आखे खोला ...सामने उसकी नजरो के वही तस्वीर थी ..जिसमे वो लडकी खिल खिला रही थी ....
सम्राट की आखो में कुछ अनकहे से भाव उमड़ रहे थे उस तस्वीर को देखते हुए .....
आखिर ये लडकी थी कोन इसके बारे में फिलहाल हम नही जानते !
वही दूसरी ओर ....
सुमित्रा जी इस वक्त मिरर के आगे अपने जेवर उतार रही थी वही त्रिलोक जी इस वक्त कुछ लो की किताबे पड़ रहे थे ...अब वकील की पड़ाई कर चुके थे ...पर आप ये सोच रहे होगे तो फिर वो वकालात क्यों नही करते ...
उसकी एक ख़ास वजह है ....अब तक तो आपने उनके व्यवहार को देखा ही होगा सबसे शांत रहने वाले पहले मर्द वही है इस हवेली में ....जो सिर्फ जबरदस्ती इन कुरितियो से जकड़े है इसी वजह से अपनी इसी हार की वजह से उन्होंने वकालात छोड़ दी क्युकी उनके अनुसार जब वो खुद अपने घर में हो रही कुरीतियों के विरोध नही जा सकते तो उन्हें कोई हक नही वकालात करने का ..
तभी उनके कानो में सुमित्रा जी आवाज पड़ी ...तो वो हेरान हुए जो अचानक बेलेंस बिगड़ने से निचे गिर गयी ...तभी वो उनके पास आ उन्हें सभालते हुए बोले क्या हुआ ....तो सुमित्रा जी अपना पैर पकड़े थी आखे मिचे ..
तो वो उनके पैर को देखते हुए बोले लागे है मोच आ गयी आ म्हारे साथे ...तो सुमित्रा जी धीरे धीरे बेड पर आई ....तभी वो उनके पेरो में बेठ गयी सुमित्रा जी हेरानी से बोली ये ये के करो ..
तो त्रिलोक जी उन्हें घर बोले पहले तो देख कर नहिक हलती लाओ पैर दिखाओ हमे ..तो सुमित्रा जी उन्हें मना करते हुए बोली छोड़ो नि मै थी हु ...आप अठे ना बेठो ...
तो त्रिलोक जी खड़े हुए अब जाकर दरवाजा लगाये तो सुमित्रा जी उनके देखने लगी वो अब उनके पास आ उनके पास निचे बेठ उनका पैर पकड़ते तभी सुमित्रा जी पैर पीछे करते हुए बोली सुनी जी मत करो म्हारे पैर ना छुओ ..थे समझो क्यों ना हो ...
तो त्रिलोक जी उनके पैर पकड़ अब थोड़े कपड़े उपर कर उनके पैर को देखते हुए बोले ...चुप चाप बेठी रहे ....मने देखने दे ...तो सुमित्रा जी बोली समझो नि ..यु पैर छूते अच्छा ना लागे ...
तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले क्यों ..देख सुमित्रा पहले घर में होने वाले तमाशे से म्हारा रहना मुश्किल से अब इस कमरे थोडा सुकून मिलता से ....भटे भी तू वही माँ की बाते बीच में ना लेकर आ जा स्की तो के मै चला जाऊ अठे से ....
तो सुमित्रा जी उनके होटो पर हाथ रख ना में सर हिला बोली एसा न बोलो सा ....तो त्रिलोक जी उनके हाथ को पकड़ उन्हें देखते हुए बोले कम से कम तू तो मने समझ ...पहले अपने आस पास के माहोल से म्हारा दम घुटता से ...
तो सुमित्रा जी उसके गाल पर हाथ रख बोली अच्छा गलती होगी म्हारी ...के हुआ ठीक ना लाग रहे मने ....तो त्रिलोक जी उनके पैर पर हल्के हल्के बाम लगाते हुए बोले कुछ ना है ....बस वही सब रोज देखना कुछ नया के होवे इस घर में ...
तो सुमित्रा जी उन्हें देखते हुए बोली सही बोले थे ...वो कुछ सोचने लगी तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले के हुआ तू के सोच रही से तो सुमित्रा जी ना में सर हिलाई तो त्रिलोक जी बोले अब बतावे गई जब पता से म्हारे से बोले बिना रह ना पावे है ..
तो सुमित्रा जी उन्हें देख बोले वो छोरी ..तो त्रिलोक जी के भाव कुछ बदल गये ....तो सुमित्रा जी उन्हें देखते हुए बोली थाणे पता से उस छोरी ने पिछले दो दिन से कुछ खाया ...तो त्रिलोक जी हेरान हुए ..
तो सुमित्रा जी अपने सिने पर हाथ रख बोली मासा का पता मने वो के करना चाहे पर म्हारे से अब देखा ना जा रहा उसकी हालत ...त्रिलोक जी बोले ओर ये तू मने अब बता रही से ...
तो सुमित्रा जी उन्हें देखि ....त्रिलोक जी खड़े हो बोले ..ये माँ ठीक ना कर रही ...मने कुछ करना पड़ेगा ...सुमित्रा जी उन्हें नासमझी में देखने लगी ....
वो अपने कमरे से निकल भवानी जी कमरे की ओर आये ...दरवाजा ख़ट खाटाया ...तो दरवाजा खुला सामने विमला थी वो जल्दी से साइड हो गयी वो ही भवानी जी सेवा करती थी ...
भावनी जी त्रिलोक को देख बोली तू अठे ...तो त्रिलोक जी उन से बोले आप मने बात करनी से ...तो भवानी जी विमला को देखि तो तभीव ओ वहा से चली गयी त्रिलोक जी भवानी जी से बोले ...आपने उस छोरी ने खाना काये ना दे रहे .....
तो भवानी जी उन्हें आखे छोटी कर बोली तो तू म्हारे उस छोरी की बात करने आया से इतनी रात ने ...तो त्रिलोक जी उनके पास बेठ बोले ...जानते है आपको उसे सझा देनी है पर माँ ये किस तरह की सझा हुई भला ....
तो भवानी जी उन्हें देखते हुए बोली मने इस बकत ये समझ ना आ रही थारे कलेजे में काये दर्द उठ रहा से ..तो त्रिलोक जी के कुछ भाव बदले वो उन से बोले एसा ना है ....वो मने ये कहना था ..
तभी विमला दोड़ते हुए आई ...बोली बड़ी रानी सा ...
तो भवानी जी उसे देख बोले के हुआ तो विमला हाफ्ने लगी तो भवानी जी बोली अब बोलेगी भी ...कठे से उछलती आई से ..तो विमला हेरानी से हाफ्ते हुए बोली वो छोरी ...अपने सिने पर हाथ रख सास ली तभी कुछ एसा बोली जितने में त्रिलोक जी के भाव बदल गये !
अब आगे ------------------------------------
आखिर क्या हुआ रीत को ?
आखिर वो लडकी कोन थी जिसे सम्राट सम्राट महूसस कर रहा था ?
कुछ है राज एस जो कहानी में धीरे धीरे सामने आयगे पर आप तो बताइए आपको कहानी पसंद आ रही है नही ?
अगर हां तो please ज्यदा से ज्यदा कमेन्ट करिए मुझे हेल्प मिलेगी आगे लिखने को मेरे मोटिवेशन के लिए please !
अब आगे -----------------------------------
लिविंग एरिया ......
भवानी जी इस वक्त अपनी चेयर जगह पर बेठी थी ....एक टक उस फर्श को घूरते हुए ...
वही उनके कुछ दुरी पर त्रिलोक जी बेठे हुए पर इस वक्त उनके चहरे पर परेशानी साफ़ जलक रही थी ...बार बार उस राह की ओर देख रहे थे ....
एक नजर उपर की ओर देखे ....जहा पिल्लर के पास सुमित्रा जी खड़ी थी ...वही परेशानी साथ फ्रिक उनके चहरे पर जलक रही थी ...तभी वो उस ओर देखि उनके भाव कुछ बदल गये ..
एक बुडी ओरत जिसके साथ विमला थी भवानी जी अब फर्श से नजर उठा उस ओर देखि ....वो ओरत हाथ जोड़ उन्हें प्रणाम करते हुए बोली राम राम सा रानी सा .....
तो भवानी जी उन्हें देख बोली राम राम ....के खबर से ...तभी विमला फटाक से बोली रानी सा लागे है छोरी अब ना बच पावेगी ...अरे बिकी आखे तक ना खुल रही
तो ये सुन त्रिलोक जी के भाव हेरानी में बदल गये वही हाल सुमित्रा जी का था ...विमला बोली शरीर तप रहा से पूरा चहरा नीला बड गया से ....हे राम वो म्हारी उपर से नजर पड़ गयी से तो मै ...
तभी वो चुप हो गयी भवानी जी उसे हाथ दिखा बोली थारे से पूछा मने ...तो विमला का मुह बन गया ...तो भवानी जी उसे इन्ग्नोर कर अब उस ओरत को देख बोली बोल के हुआ से ...
तो वो ओरत बोली बचने की उम्मीद तो मने भी लागे उसकी ...काफी कमजोर से ...सासे भी घणी धीमी से ...कमजोरी इतनी हो गयी से शरीर बुखार पकड़ लिया से ....अगर इया ही रहा तो कोणी बचेगी ....
तभी त्रिलोक जी की आवाज पड़ी क्या ....तो भवानी जी उन्हें देखि ....वो उन्हें देख बोले इतनी ज्यदा हालत खराब हो रही उसकी ...आप तो उसे 6 महीने तक का वक्त दे चुकी है फिर ये सब क्या है ..एस तो वो तीन दिन भी ना निकाल पाएगी ...
तो भवानी जी उसे आखे छोटी कर देखि विमला एक इशरा की तो वो उस ओरत को अपने साथ ले गयी ...भवानी जी बिना भाव से बोली अब अकड दिखावेगी तो भुगतना तो बिने ही पड़ेगा ....
तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले तो क्या आप उसे इस तरह मारना चाहती है ....अगर उसे इस तरह भूखा प्यासा रखेगी तो छोरी काल तक भी ना जी पावेगी .....
तभी किसी भारी आवाज पड़ी ...तो मरना तो उसने है ही ...अगर इया मर जावेगी तो कोई फर्क ना पड़ेगा ...तो त्रिलोक जी उस ओर देखे ....सम्राट था जो सीडियो से उतरते हुए बोला मने ये समझ ना आ रहा उसने अब तक जिन्दा रखा काये जा रहा से ...
वो भवानी जी को देख बोला ...जो आज तक गाव में किसी इतनी हिम्मत ना हुई थारे आगे नजर भी उठा सके आज ये छोरी थारे आगे अपनी जबान चलावे से ...तो चुप से पर मै ना रह सकू हु ....सिर्फ थारी वजह से अब तक चुप से ...पर ये ना से की मै इस छोरी ने छोड़ूगा ...एक बार तू मने अपनी आज्ञा दे फिर देख ....इसे अपने किये पर पछतावा किया ना होता थारे आगे किया घुटने ना टेकती ....
तभी भवानी जी उसे देख बोली मने अब तक एसा कोई ना देखा जो म्हारे आगे अपनी इतनी अकड दिखा सके ....पर इस छोरी की अकड तो मै तोड़ के रेउगी ...मै भी देखू से किया घुटने ना टेकती म्हारे आगे ...
तभी त्रिलोक जी बोले ...तो क्या आपने लागे है ये सब कर देने से वो छोरी आपकी बात मान लेवेगी ....तो भवानी जी उन्हें सक्त आखो से देखि घूरते हुए बोली मने तो ये समझ ना आ रही से तू म्हारा बेटा से ....पर फ्रिक तने उस छोरी की हो रही से ...जिसने म्हारा अपमान किया से ....
तो त्रिलोक जी उन्हें देख बोले एसा नही ....म्हारी बाता का गलत मतलब ना समझ ..म्हारा मतलब ये से ...अगर इस तरह रहा तो वो काल तक ना जी पावेगी पर तने तो उसने ये एहसास कराने से ...की उसकी के गलती से ...वो थारे माफ़ी मांगे अपनी ..
पर अभी तक तो उस छोरी ने थारे आगे घुटने तक ना टेके ..ओर अब तक इस हालत में जिसमे उसने खुद ने खबर ना की वो अब कितना जी पावेगी ..फिर भी अपनी बात से पीछे ना हट रही से ...तो आपने लागे है वो छोरी अपनी मोत के डर से थारे आगे घुटने टेकेगी ...
तो भवानी जी उन्हें घुर बोली के बोलना चावे है तू ..त्रिलोक जी उन्हें देखते हुए बोले म्हारा बस इतना सा मतलब से ....अगर वो मर भी गयी इस तरह तो भी थाणे शान्ति ना मिलेगी ....की किसी बकत एक छोटी सी छोरी ने थार पुरे गाव के सामने तमाशा बना दिया से ....
तभी भवानी जी गुस्से में उठ बोली त्रिलोक ...त्रिलोक जी उन्हें देखने लगे ...भवानी जी उन्हें घूरते हुए बोली ....वो मै भूली ना हु याद से मने ...तो त्रिलोक जी उन्हें देखते हुए खड़े हुए बोले ....म्हारा वो मतलब ना से ...तभी भवानी जी उन से मुह फेर सक्त भाव से बोली ओर कुछ ना सुन ना मने थारे मुह से ...
तो त्रिलोक जी उनके पास आ बोले ...मने माफ़ कर दे म्हारा वो मतलब ना से पर आप ही सोचो अगर वो इस तरह इतनी आसानी से मर जायेगी तो क्या आप अपना बदला पूरा ले पाएगी उससे क्या अपना हुआ अपमान का बदला ले पाएगी उससे क्या उसे एहसास करवा पाएगी ....
तो भवानी जी उन्हें देखि ..त्रिलोक जी उन्हें देखते हुए बोले ....अब के करना से थारी मर्जी ...अगर तने युही उसने मारना से ...तभी सम्राट की आवाज पड़ी ....अगर मर जावेगी तो आपने काये इतना फर्क पड़ रहा से उससे ....
तो त्रिलोक जी उन्हें देखे सम्राट उन्हें देखते हुए बोला काये इतनी फ्रिक हो रही से ...तो त्रिलोक जी अपनी नजरे थोड़ी चुराए बोले एसा कुछ ना है ...मै भी वही चाहू जो तुम चाहो पर फर्क इतना से म्हारी नजर में सझा सिर्फ मोत ना होती ....उसने सिखाया सबक होती से ...वो अब एक नजर भवानी को देख बोला पर अगर मासा ये ही चावे है तो मने कोई एतराज ना .....
वो चुप हो गये ...अब नजर उठा उपर की ओर देखे ...सुमित्रा जी उन्हें देखने लगी उनकी आखो में नमी थी .जिसे वो छिपाने लगी ....तभी विमला आ गयी ....भवानी जी से बोली बड़ी रानी सा अब के करना से ....वेसे भी अब करना ना करना से के होवेगा खुद से धीरे से बोली अच्छा होगा अगर आ छोरी जा प्रे म्हारा गले का बोज तो उतरेगा ..मुह बना दी ..
तभी भवानी जी आवाज पड़ी सुमित्रा .....
तभी सुमित्रा जी जल्दी अपनी नमी छिपाई सर घुघट करते हुए बोली जी मासा आई ...वो अब जल्द जल्दी निचे आई ...त्रिलोक जी भवानी जी को देखने लगे ...
तो विमला आमने मन में बोली अब के बोलेगी ये डोकरी ....हे राम जी पूरा गाव घोड़े बेच सो रहा से ओर तू विमला अठे इन भूतो के साथ जागती फिरे ...हे म्हारा राम जी इया तो म्हारे आखे काली पड़ जावेगी ...
सुमित्रा जी भवानी जी के पास आ बोली जी मासा ..तो भवानी जी बिना भाव से बोली जा खिला दे उस छोरी ने रोटी ....तो सुमित्रा जी हेरानी से उन्हें देखि ...त्रिलोक जी आखो में चमक आ गयी ....
तभी वो सक्त भाव से बोले अब खड़ी काये है ...सुनाई ना देता ...जा खिला दे उसने रोटी वरना पता लाग्यो सुबह तक मर गयी से ....ओर मने वो छोरी इतनी आसानी से मरने ना देनी से .....
तो सुमित्रा जी की आखो में चमक आ गयी ...विमला हेरने से भवानी जी बोली के ...मतलव वो छोरी इतनी जल्दी ना मर रही से ..तो भवानी जी उसे घुर देखि ...तो विमला सकपका गयी बोली म्हारा मतलब वो तो उठने की हालत में ना से फिर रोटी किया खावेगी ..
तो भवानी जी पलट जाते हुए बोली मने ना बेर पर मने वो छोरी सुबह तक जिन्दा चावे ...वरना बीके साथ अपनी भी अर्थी की तेयार कर लेइ ..तभी विमला हेरानी से बोली के मै ना ना ....वो सुमित्रा जी से बोली छोटी बहु रानी जल्दी करो वरना म्हारी अर्थी उठ जावेगी तो म्हारे बिन्द का के होवेगा ....
सुमित्रा जी उसे धीरे से बोली पहले म्हारे साथ आ आ .
त्रिलोक जी के होटो पर ना दिखने वाली हल्की सी मुस्करहट थी ....तभी उनकी नजर सम्राट पर पड़ी .तो वो भी गायब हो गयी तो सम्राट उन्हें देखते हुए अब खड़ा हुआ ...बिना कुछ बोले अब वहा से बाहर की ओर चला गया ...
अब आगे ----------------------------------
?
साथ ही मुझे रेटिंग ओर उसमे अपनी राय भी मुझे बता दीजियेगा कहानी आपको केसी लग रही जल्द ही आपको ये कहानी ओर रोमेंचित लगेगी !
सुबह का वक्त ----------------------------
वही हवेली के पीछे के हिस्से में --------------------------------
रीत जिसमे धीरे धीरे हरकत होने लगी धीरे धीरे अपनी आखे खोलने लगी सबसे पहले सीलिंग पर नजर गयी .वही कमरा ....तभी धीरे अपने पास देखि ...तो उन्हें देखने लगी ..
सुमित्रा जी उसके पास थी पूरी रात से .....जो इस वक्त दीवार से टेक लगाये सो रही थी ..रीत उन्हें देखने लगी अब अपनी हालत देखि ....सर पर पट्टी ....अच्छे से कवर किये हुए तो वो फिर से सुमित्रा जी को देखि ....वो उसके पास पूरी रात पट्टीया ही बदल रही थी ....तो अब रीत थोड़ी कोशिश कर उठने लगी शरीर में जान नही थी ....
तभी सुमित्रा जी उसे सभाल बोली छोरी ...तो रीत उन्हें देखि तो सुमित्रा जी उसके सर पर हाथ रख बोली अब किया लाग रहा से ....तो रीत धीरे से सर हिलाई ...तो सुमित्रा उसे सहारा देते हुए बैठाई वो उसे पानी पिलाते हुए बोली अब ठीक से ...
तो रीत उन्हें देख धीरे से बोली आप यहा ....तो सुमित्रा जी उसके चहरे से बाहों सही करते हुए बोली तने समझाया से ना के हो जाता थार अगर वो रोटी तू खा लेती हां ...देख के हालत हो मेली थारी ...इया करेगी तो किया जी पावेगी बावली .....
तो रीत उन्हें देख रही थी हल्का सा मुस्करायी तो सुमित्रा जी उसे देख बोली ये के मै थारे से बात करू ओर तू हसे है ....तो रीत उन्हें देख बोली वो बहोत दिनों बाद किसी इस तरह से डाटा ना मुझे मामू की याद आ गयी ...वो भी मुझे एस ही डाट लगाते थे
तो सुमित्रा जी उसे देख बोली रुक थारे खातिर रोटी मनाऊ हु ...तो रीत तभी उन्हें रोक बोली नही तो सुमित्रा जी उसे देखि वो बोली अगर फिर से उन्हें पता लगेगा तो ..वही .
तभी सुमित्रा जी बोली मासा ने ही बोआ से तने रोटी देने खातिर ....तो रीत हेरान हुई ....सुमित्रा जी तभी किसी आवाज लगाई तो एक ओरत आई तो वो उसे कुछ बोली ओरत वहा से चली गयी रीत उन से बोली क्या आप ये क्या कर रही है ..
तो सुमित्रा जी उसे देख बोली थारी हिम्मत की दात देऊ ...आखिर मासा ने अपनी बात पहली बार यु टालता देखि हु ....तो रीत उन्हें देखने लगी तो सुमित्रा जी उसके गाल पर हाथ रख बोली अब भर पेट रोटी खा ले के हालत हो रही से थारी .....ओर सुन ले म्हारी बात अब खाने ने लेकर कोई नाटक ना सुन चाहिए मने ....जो मिले चुप चाप खा ले वरना अपनी बाते के लिए कब तक अड़ी रेवेगी ....
तो रीत बोली जब तक रह सक्ति हु ..तो सुमित्रा जी उसे देखने लगी रीत बोली उन्हें भी जानना होगा वो जो कर रही है वो गलत है ...तो सुमित्रा जी ना में सर हिला बोली मने तो समझ ना आवे तने ये सब में पड़ना काये है ....
तो रीत कुछ कहती तभी वो ओरत आ गयी वहा खाना रख चली गयी तो सुमित्रा जी अब अपने हाथो से उसे खिलाते हुए बोली अब बाता बाद में कर से ..इसने पूरा खा से ...
तो रीत उन्हें देखने लगी वो उसके होटो के पास निवाला बड़ा बोली खा ...तो रीत की आखो में हल्की सी नमी आ गयी तो सुमित्रा जी बोली अब के हुआ ..तो रीत ना में सर हिलाई अब खाने का निवाला ली ....
धीरे धीरे वो उसे पूरा खाना खिलाने लगी रीत अब रोकते हुए बोली बस ..मेरा हो गया .तो सुमित्रा जी जबरदस्ती खिलाते हुए बोली अब इसने पूरा कर दो दिन से कुछ खाया ना है इतनी बेगी थार पेट भर गया से ....
तो रीत बोली बस ....तभी वो उसे जबरदस्ती खिला दी ....रीत मुह बनाने लगी तो सुमित्रा जी के होटो पर मुस्करहट आ गयी वो उसके सर पर लगा बोली बावली मुह किया बनावे है ज्यां एस के खिला दिए हो ....तभी रीत हस दी ...
तभी दोनों के कानो में किसी तीसरे की आवाज पड़ी ...थारो अब मन मिलाप हो गये से तो हवेली ओर भी काम पड़े से ....तो ये सुनते ही सुमित्रा जी झट से सर पर पल्लू रख दी सर जुका बोली जी जी मासा ...
तो रीत भवानी जी को देखने लगी ....सुमित्रा जी अब वहा ना रुक स्की वहा से चली गयी तो अब भवानी जी रीत को देखि .....तो रीत उन्हें तो भवानी जी उसे घूरते हुए बोली ये गलती से भी सोचने की जरूरत ना है की मै थारे आगे जुक गयी से ....तने इतनी आसानी से मरने ना देना से ...तो बस थार जिन्दा रहना जरूरी से ताकि हर रोज तने धीरे धीरे तडपा तडपा कर मार सकू .....
तो रीत उन्हें देख मुस्कराई बोली आपको जो करना आप कर सक्ति है ओर जो मुझे सही लगेगा वो मै ....पहले मै यहा से चली जाना चाहती थी पर सोचा है जब तक आपकी आखो पर बंधी पट्टी ना उतार देती तब तक कदम पीछे नही लूगी ..
तो भवानी जी उसे सक्त भाव से बोली छोरी इतने उचे बोल ना बोल वरना बहोत पछताने पड़ेगा तने ...तो रीत उन्हें देख बोली वेसे तो मै कहना भी नही चाहती आप बहोत बड़ी ओर इस नाते मै आपका सम्मान करती ही इसलिए ही आप से कह रही please आप अपने गाव में हो रही इस कुरितियो को मिटा दीजिये क्युकी अगर आप एसा करेगी तो गाव के लोग खुद ही आपकी बातो से इन्फ्लेंस होंगे ...
तभी भवानी जी के पीछे विमला बोली हे राम जी बड़ी रानी सा इसने थाणे अग्रेजी में गाली दी से ....वो ना में सर हिला बोली अब ये दिन देखने पड़ गये इसने तो तभी रीत उसे देख बोली हर अग्रेजी शब्द गाली नही होता ....
वो भवानी जी को देख हाथ जोड़ बोली मै बस इतना कहना चाहती हु आप अपनी गाव की ओरतो ओर बच्चियों के साथ जाकती मत कीजिये ...तभी भवानी जी बोली बस ..वो उसे घूरते हुए बोली मने थारे से सीखना पड़ेगा मने के करना से के नही ....
तो रीत अब कुछ ना बोली .....क्युकी कुछ कहने का कोई मतलब नही तभी भवानी जी बोली तोड़ ली रोटी ....भर गया पेट ...तो रीत उन्हें देखि भवानी जी उसे घुर बोली अब थार आराम अगर हो गया से तो उठ अब काम करना से ....
तो रीत कुछ ना बोली भवानी जी उसे घुर अब विमला से बोली सुन ले हवेली के बितर के काम समझा दे इसने ....तो विमला बोली जी बड़ी रानी सा ...तो भवानी जी वहा से बाहर चली गयी तो विमला उन्हें देख मुह बनाई तभी रीत को देख बोली अरे तने सुना कोणी उठ अब ....
तो रीत बिना बोले उठने लगी तभी कमजोरी की वजह से फिर से बेठ गयी ....तो विमला बोली देख म्हारे सामने थारा ये नाटक ना चलना वाला फुर्ती दिखा ...मै आऊ थोड़ी देर में नहा तेयार हो जा हवेली के बितर बिना नाहे प्रवेश कोणी ..समझी .
तो वो चली गयी रीत गहरी सास ली ! अब धीरे धीरे उठी ....नहाने के के लिए अपने कपड़े ली फिर से हताश हुई अब वो क्यों वो कुछ समय बाद आपको भी पता चलेगा ....
वो बाहर आई हाथो में कपड़े लिए बाथरूम बाहर ही था ....अब नहाने को पानी चहिये था ...क्युकी पानी के लिए नल तो था नही पिछली बार तो विमला थी पर अब पानी केसे लाये ....
तो अब पानी के लिए बाल्टी उठा ली कुए भरने लाने को ....कुए की ओर धीरे धीरे आई ....तो उस दिन विमला ने जेसे जेसे किया वेसे ही कोशिश करने लगी .....
पर उसकी शरीर में इतनी शक्ति नही थी वो जोर लगा सके ....अपनी ओर से कोशिश करते हुए रस्सी खिची ...पर उसके छोटे छोटे हाथो में वो मोटी सी रस्सी ज्यदा ना टिक पाई ...
तभी उसके हाथ से छुटती वो कुछ करती तभी कोई उस रस्सी को पकड़ लिया ...पर इस बीच रीत घबरा सी गयी ...एस अचानक पीछे से की अनजान का स्पर्श ...
तभी उस इंसान की आवाज पड़ी आं से तू गिर जावेगी ...रीत हेरानी से उसे देखने लगी एक आदमी वो रस्सी को एक हाथ से पकड़े बिलकुल उसके पीछे से तभी ये होते ही रीत झट से उससे दूर हो गयी ...
तभी वो शख्स कुए से पानी की बाल्टी बाहर निकाल बोला अरे डर कोणी ...तने पानी भरना से ...तो रीत उसे अजीब नजरो से देखने लगी जान ना पहचान ...तो वो शख्स उसे देख बोला वो रस्सी छुटती देखि तो सोचा थारी मदद कर दू ...
तो रीत उसे देख बोली आप कोन ...तो वो शख्स मुस्कराया पानी उसकी बाल्टी में डाल बोला मै अठे ही काम करू सु ...म्हारे से डरने की जरूरत ना से तने ...मने अपना बड़ा भाई ही समझ ....
तो रीत उसके एस बोलने से थोडा बेटर फिल कर बोल thanku ....तो वो आदमी बोला के मतलब तो रीत बोली मेरा मतलब धन्यवाद ....तो वो आदमी मुस्करा बोला अरे इसमें के है ब्यान म्हारा नाम गोपाल से ...थारे पर कितनी बार म्हारी नजर पड़ी ये लोग थारे साथ किया जाकती करे सच बोली म्हारे से तो देखा ना जावे पर तने म्हारे से डरने की जरूरत ना है कुछ भी जरूरत हो तो मने तो बेजिज्क बोल सके है .
तो रीत उसे देखने लगी उसे थोडा अजीब सा महूसस तो हुआ तो वो अब कुछ ना बोले वो पानी की बाल्टी उठाई पर उससे उठी ना ...तभी उसके हाथ पर गोपाल हाथ से पकड़ बोला अरे दे मै थारी मदद करू ..
तो रीत उसके एस करने से जल्दी से हाथ ले ली क्युकी उसे उसके एस छूने में अजीब सा एहसास हुआ तभी किसी आवाज आई ओह्हो ....के चल रहा से अठे ....
तो दो दोनों ही देखे तो विमला खड़ी थी अपने कमर पर हाथ रख गोपाल से बोली ओर तू अठे के लेने आया से ..तो गोपाल उसे देख बोला एसो कुछ कोणी ..इ लान से पानी ना निकल रहो से कुए तो थोड़ी मदद की ..से ...
तो विमला आगे आ बोली ओह्ह मदद ओर तू ...सब जानू सु मै ..लागे है तने मरने का सोख आ रहा से जाने भी ये छोरी कुन से ....तो गोपाल रीत को देखा रीत उसे देख विमला को देखि विमला उसे घूरते हुए बोली सरकार की दूजी बिन्दनी से ...अगर अगली बार तने आस पास भी देखा से तो बड़ी रानी से ने कह दुगी बड़ा आया मदद कराने वास्ते ..चाल अठे से ..
तो गोपाल उसे घुर बोला हां हां जा रहा से बिया भी मै अठे काम से आया से ....बिया भी तने दूसरा की बुराई करने का मोका चावे घर तो सभाले जावे ना है आई मने बताने वाली ..तो विमला उसे घुर बोली पहले अपनी ओरत ने सभाल ले फिर मुह लागी म्हारे ...जावे है की ना या अभी रानी सा ने बोलू तो गोपाल एक नजर रीत को देखा वहा से निकल गया ..
तो रीत उसे जाता देखि अब विमला को जो उसे घुर रही थी वो उसे देख बोली ये बात थारे से भी बोलू तने बेरा ना किसी गेर मर्द से मुड लागने पर के होवे तने जरा शर्म ना आई बिसे बात करने में ...
तो रीत उसे मासूमियत से बोली मै थोड़ी वो आये थे ....ओर सिर्फ बात ही की आप एस रिएक्ट क्यों कर रही है ..तो विमला उसे घुर बोली म्हारा तो की कोणी अगर किसी ने देख लिया होता मने भी ना पता थारे साथ के होता ओरता ने पराये मर्द से बात तो दूर उनकी ओर देखना तभी मना से ....
तो तो रीत उसे देख बोली पराया मर्द मतलब ...तो विमला सर पकड़ बोली हे राम जी मै तो गेली हो जाऊ इ छोरी के साथे ..पराया मर्द मतलब जो थार बिन्द कोणी ....बीके आलावा सब थारा मराया मर्द होवे है समझी अब चल एमी तो सोची तू नहा ली होगी पर ना अभी तो बाता से थारो पेट ना भरे है चाल बेगी कर ...
तो रीत अब बाल्टी उठाने लगी तभी विमला बाल्टी उठा बोली रेबा दे खुद ने सभाल ले वो ही काफी से आ जल्दी पैर चला ....
तो विमला उसकी बाल्टी ले गयी रीत उसके पीछे पीछे ....
वही हवेली दूसरी ओर का खुला हिस्सा जहा इस वक्त सम्राट पुश्प्स कर रहा था शर्टलेस उसकी मसल्स शो हो रह थी पसीने की बुँदे निचे फर्श पर टपक रही थी .....
पर इस वक्त वो किसी से बात कर रहा था ...अभी तक थारी सुबह कोणी हुई ....तभी एक लडके की जो इस वक्त होटल रूम में पेट के बल सोया पड़ा था नींद में बोला ये आपका मानगड गयी मुंबई है भाई सा ..
तो सम्राट बोला मने बताने की जरूरत ना है मै भठे आ तने उठाऊ वो भी अपने तरीके से अगले पहर से पहले तू मने बीकानेर चाहे से ! तभी वो झट से बेठ गया हेरानी से बोला क्या ...
तो सम्राट पुश्प्स करते हुए बोला मने दुबारा दोहराने की आदत कोणी से ...तो ओव लड़का मुह बनाया तभी एक लडकी जो उसके साथ थी उसकी पीठ पर उंगलिय चलाते हुए बोली क्या हुआ बेबी ....
तभी सम्राट बोला तो तने म्हारे झूठ बोला ....इस बकत तू होटल से .तो वो लड़का जल्दी से खड़ा हो बोला जी जी नही भाई सा एसा नही है वो जल्दी से कपड़े पहनते हुए बोला आप ने कुछ गलत सुना होगा मै घर ही हु ...
तो सम्राट बोला वो सब मने पता से ...थारी आवारगी हो गयी से तो मने कुछ घंटा में तू बीकानेर चावे समझा चाल रखु हु ...! तो कॉल कट हुआ तो वो लड़का जल्दी जल्दी होटल से निकलते हुए बोला आज तो गये ....
तो सम्राट अब रुका फर्श पर बेठ अपनी आखे बंद किया ....तभी उसकी आखो के सामने एक खुबसुरत सा चहरा आ गया जिस पर उसकी हल्की सी होटो की मुस्करहट आई ही थी
तभी उसके चहरे पर पानी की बुँदे आ गयी .....तभी उसकी आखे सिकुड़ गयी .....वो धीरे धीरे अपनी आखे खोला तो उसके सामने एक खुबसुरत सा अक्स नजर आया ....लम्बे से बाल जिन से इस वक्त पानी की बुँदे गिर रही थी ....निचे वही सिम्पल सा घाघरा जो गावो में ओरते नॉर्मली पहनती है ..उस पर शोर्ट सी कुर्ती .....
उसकी पतली सी कमर जो इस वक्त अपने कपड़े सुखा रही थी जो उससे हो नही रहा था क्युकी इतनी हाईट नही थी उस तार तक पहुच सके ..सम्राट उसे देख रहा था जेसे उसका ये अक्स उसे वही लडकी की याद दिला रहा ...उसके वही गोरी सी कलाई .....लम्बे से बाल ....
वही वो ओर कोई नही रीत ही थी जो नहाने के बाद यहा अपने कपड़े सुखाने की कोशिश कर रही थी ...तभी अपने करीब किसी महूसस कर रुक गयी ...जेसे उसके हाथ को वो पकड़ लिया ...
तो रीत ये देख आखे बाहर किये अब अपने पास देखि ....तो उसकी आखे तो जेसे बाहर आने को हुई ...जब अपने बेहद करीब सम्राट को पाई .... जो उसके हाथ को पकड़ लिया उसकी कलाई को गोर से देख रहा था ....
तो रीत की तोजेसे उसे आखे फाड़े देख रही थी सम्राट उसकी कोमल सी कलाई को अपने हाथ में लिए हुए ना जाने एसा क्या देख रहा था अब वो उसके हाथो से उसकी ओर देखने को हुआ जितने में रीत जेसे क्या हुआ हडबडा सी गयी ....
उसके हाथ से अपनी कलाई खीच जल्दी से वहा से आगे की भागने की हुई ...इतनी हडबडाहट में थी तभी खुदके ल्हेगे में उलज गयी ..तभी आगे की ओर मुह के बल गिरने को हुई .
तभी जेसेहवा में रुक सी गयी . डर से आखे मीच ली पर धीरे धीरे आखे खोली तो वो ठीक थी ...पर जेसे निचे की ओर देखि उसके पेट पर किसी हाथ देख जेसे उसकी सासे रुक सी गयी ...
ओर कोई नही सम्राट ही था ...वो पीछे से उसकी पेट पर हाथ रखे उसे ही देख रहा था ....उसके गिले बालो से आती महक उसे किसी के होने का एहसास करवा रही थी ...
वो रीत के ओर करीब आया तो रीत ये महूसस कर घबराहट सी अपने ल्हेगे को मुठी में भर ली सम्राट उसे अब अपनी ओर किया तो रीत कस के आखे मीच ली उसकी बोलती नही निकल रही थी ....
सम्राट अब उसे देखा पर उसके चहरे पर उसके बाल आ रहे थे ...पर उसकी नजर सबसे पहले उसके हल्के गुलाबी से होटो पर गयी ....जिन्हें देख ना जाने क्यों उसके भाव कुछ बदल से गये ....वो इस वक्त एसा क्यों कर रहा है ये अभी तक नही पता हमे ....
पर हाल तो रीत का खराब हो रहा वो कापने लगी उपर से इस इंसान से काफी डरती थी ...उसके इस तरह से करीब आने पर ना जाने क्या हालत हो रही थी उसकी ....
सम्राट उसके होटो को देखते हुए अब अपना दूसरा हाथ उठाया अब उसके चहरे के करीब लाया अब हल्के से अगुठे से उसके कोमल से होटो को छुआ तो रीत जेसे बर्फ सी जम सी गयी
सम्राट उसके होटो को अगुठे से सहलाया अब उसकी नजरे उसकी आखो की ओर पड़ी उसका चहरा अब तक पूरा उसे नजर नही आया क्युकी उसने उसके चहरे पर से बालो हटाया नही पर कुछ कुछ उसके फीचर्स उसे किसी याद दिला रहे थे जेसे गोरी सी कलाई वही पतली सी कमर लम्बे घने बाल अब ये गुलाबी से हॉट ...जेसे कही मन्त्र मुक्द सा हो गया था वो ....
अब उस चहरे की जलक देखने की तडप सी उसके सिने में उठी तो वो अब रीत के चहरे से उन बालो को हटाया ...तो रीत का चहरा उसके सामने आया जो कस के आखे मिचे हुए थी सम्राट उसे देखने लगा देखते ही देखते उसका चहरा कुछ ही पल में सक्त हो गया ..
तभी रीत जमीन पर जा गिरी तभी उसकी आह निकल गयी ....तभी सम्राट की भारी आवाज पड़ी ..थारी हिम्मत किया हुई म्हारे आस पास भी भटकने की ...तो रीत उसे हेरानी से देखने लगी ...
तो सम्राट उसे गुस्से देख दांत चबा बोलता तभी उसका फोन बजने लगा ....जिस पर उसकी नजर पड़ते ही उसके भाव बदल गये तभी वो रीत को एक नजर देख अपनी मुठी कस वहा से चला गया की वो जिसे सोच रहा वो रीत है ....
वही रीत उसे जाता देखती रह गयी ..अभी अभी हुआ क्या ...तभी अपने सिने पर हाथ रख अपनी रुकी सासे ली ....उसका दिल जेसे बहोत तेजी से धडक रहा था ...तभी खुद से बोली ...मै इनके पास आई थी ....या ये आये थे ...पता नही ये इंसान समझता क्या है खुदको ....
अब आगे --------------------------------------
अगला चेप्टर जल्दी चाहिए तो कमेन्ट करिए !
कहानी ओर इंट्रस्टिंग तब लगेगी जब आप दिखायेगे please मुझे कमेन्ट जरुर कीजियेगा केसी लगी कहानी ...
ओर आप आगे के चेप्टर के लिए एक्साईटेड है !
आगे ----------------------------------
एक हवेली -------------------
एक बड़े से कमरे मे एक लड्की की आहे गूंज रही थी ... अब उन आवाजों से साफ पता चल रहा था इस वक्त चल क्या रहा था ...दो लोग इस वक्त बिना कपड़ो के एक दूसरे से लिपटे हुए थे ......
उस ओरत आहे इस प्रकार थी साफ पता चल रहा था वो शख्स इस वक्त कितना हार्ष था .....वो ओरत बेड शीट हाथो मे मलते हुए अपनी भारी आहों के साथ बोली आहह ठाकुर अब छोड़ दियो मने .....
तो वो शख्स अपनी कमर उस ओर मे मूव करते हुए बोला जब तक महरा हो ना जाता चुप चाप पड़ी रहे ..... वो ओरत पूरे पसीने से लटपत उस शख्स के बालो मे उंगलिया चलते हुए अपने होठो को बाइट करते हु बोली आज एसा के जोश आ रहा से थारे मे जवानी चड़ रही से ....
तो वो शख्स उसके हाथ झटके से बेड लगा सक्ति से पकड़ बोला तो तने भी महरि मर्दानगी मे शक हो रहा से .... तभी वो ओरत चीखते हुए बोली आह अहह ना महरा वो मतलब ना है ...
तो वो शख्स उसके सिने पर हाथ रख उभारो पर पकड़ कसते हुए ब्रेस्ट पर सक करते हुए बाइट कर बोला तो के मतलब से ॥तो वो ओरत उसके बालो मे हाथ डाल उसे खुदके चिपकाते हुए बोली मने तो सुना थे ब्याह करो सा तो के हुआ ...तभी उस शख्स के भाव एसकेटी हो ज्ञ वो उसके सिने से चहरा उठाया जो ओर कोई गजेन्द्र था ....
वो ओरत उसे देख बोली के हुआ कुछ गलत तभी वो दर्द से आखे मीच बोली आह छोड़िए गजेन्द्र उसके सिने को सक्ति से पकड़े हुए बोले महरि हसी उडावे है ॥तो वो ओरत ,दर्द से बोली महरा वो मतलब ना है छोड़िए ना
तो गजेन्द्र उस पर हट गया शराब का गिलास उठा पीने लगा ...वो ओरत अब उसके सिने पर हाथो की उंगलिया चलाते हुए बोली के हुआ अब मन भर गया के ...
तो गजेन्द्र उसका हाथ झटक सकत भाव से बोला अपने पेसे उठा निकल अठे से .... तो वो ओरत उसके गाल पर हाथ रख अपनी ओर कर बोली ठाकुर ने कोई पसंद आवे ओर वो थारे बिस्तर पर ना हो ये तो मने पहली बार देखा से ....
तो गजेन्द्र सकत भाव से बोला ओर मने भी वो छोरी किसी भी हाल मे चावे से .....तो वो ओरत उसके सिने पर उंगलिया चलाते हुए बोली पर अब किया आवेगी सुना से वो उस राठोर की बिंदनी से ...
बिके गाव की ओरत पर नजर डालना पर फले के हुआ था जानो हो ने थे ...पूरा ठाके 100 आदमीय के सर धड़ से अलग कर चोराह पर टंगा दिया ठो ओर थे बिकी लुगाई की बाता करो हो ..जब ठाके सामने वो ठारी होने वाली बिंदनी से ब्याह कर लियो जब ही थे कुछ ना कर पाया तो अब के कर पाउगा ॥
तभी गजेन्द्र शराब का गिलास फेक उस ओरत के बाल पकड़ गुस्से बोला तने के लागे है मैं उसने इतनी आसानी छोड़ दुगा तो वो ओरत उसके चहरे पर उंगलिया चलाते हुए बोली ... तो थे के अब के करना वाला से ...
तो गजेन्द्र के भाव बदल गए .... वो उसे बेड पर धकेल तिरछा मुस्करा बोला उस छोरी ने तो म्हारे पास ही आना पड़ेगा ......तो वो ओरत उसे देख बोली लागे है थारे दिमांग कुछ तो चाल रहा से .....
तो गजेन्द्र उस पर आ बोला पहले मने खुश कर ... तो ओरत उसके गले मे बाहे डाल बोली वो तो महरा बाया हाथ का खेल से .....
व्ही दूसरी ओर ----------------------------
हवेली ---------------------
रसोई घर ------------------------
रीत ना समझी से उस रसोई को देखती तो कभी विमला को .... जो अपनी कमर पर हाथ रख बोली ये रसोई घर से तो अब तने अठे काम सभालना से ..... तो रीत फिर से वो रसोई घर देखि जो काफी बड़ा था .... पर सब कुछ पुराने तोर तरीके से .... स्लिंडर की जगह मिट्टी से लेपा हुआ चूल्हा ....
तो विमला बोली अब के मुह फाड़े है .... चाल काम पर लाग सबसे फले चाय बना इतारे सब चाय पिवे है ... तो रीत उसे देख बोली चाय ........ तो विमला उसे घूर बोली अब इया ना बोली तने रोसोई को काम भी ना आवे है .... थारे के माँ बाबला तने कुछ सिखाया कोणी इतनी बड़ी छोरी कर ली तने अब तक कुछ आया ...
तो रीत उसे देख बोली पहले पूरी बात तो सुन लीजिये की मेने कब कहा मुझे नही आता वो मुझे वो किचन को देख बोली ये केसे चलाते है .... तो विमला उसे हेरनी से देख बोली के अब तने ये चूल्हा जालाना भी ना आता से ॥ हेराम जी तने आवे के है ....
तो रीत उसे मासूमियत से बोली ये मेने यूज नही किया कभी तो विमला उसे आखे छोटी कर देख बोली के नही किया ... तो रीत बोली मेरा मतलब इस पर कभी काम नही किया ...
तो विमला अपना घाघरा उठा मुह बनाते आगे आ बोली आओ सगलों काम म्हारे से ही करावे है .... एक बारी ही बताओ बिके बाद मने ना बेरा .....
तो वो जेसे करने लगी रीत उसे गोर से देखने लगी ...तभी भवानी जी आवाज आई अरे कठे मर गयी से ..... तो विमला जल्दी से बोली अब कर ले मैं जाऊ हु तो रीत उससे कुछ पुछती वो व्हा से चली गयी रीत अब वो सब देखने लगी ....
व्ही विमला बाहर आते हुए खुद से बड़बड़ाई ... के हो गए इस बूड़िया ने म्हारे कलेजे बेटी रेवे ....वो जल्दी आई ... भवानी जी के पास आ बोली जी बड़ी रानी सा ....
तो भवानी जी उसे घूर बोली तने बेरा कोणी अब टीके महरि चाय कोणी मिली मने ..... तो विमला बोली जी बस आवे ही है ..... तो भवानी जी उसे घूरते हुए बोली तो के थारी कारण महरा छोरों बेठों रेवेगों ...
तो विमला एक एनजेआर अब सम्राट की ओर देखि सर जुकाए बोली बड़ी रानी सा वो मैं कोणी वो छोरी ब्नावे ठाणे बेरो कोणी उसने तो चूल्हो जलाने ना आवे ... काम चोर से .... सारो काम म्हारे से करावे है बहाना बना बना .....
तो भवानी जी के भाव सकत हो गए वो बोली तो या बात से ... वो विमला को देख बोली सुन ले अब रसोई को सारो काम बा छोरी स्भालेगी ....मैं भी देखू कितनी कामचोर से .....
व्ही रीत वो सब समझ नहीं पा रही बर्तन मे चाय चड़ाई .....आस पास दूध देखने लगी खा रखा है .... कोई आस पास भी नही जिससे वो कुछ पूछ सके ....
वो अब ऊपर की ओर देखि जहा कुछ डब्बे रखे थे वो अब उनमे कुछ डूडने की सोच आस पास देखि कोशिश करते हुए दीवार के साहरा ले वो डब्बा लेने की अपने पंजो के बीएल पूरा उठ गयी .... पर जेसे ही उसका बेलेन्स बिगड़ने लगा .... तभी वो उस चूल्हे की ओर देखि ....उसकी आखे बड़ी हो गयी ....
उससे पहले कोई उसे स्भाल लिया .... तभी उनकी आवाज पड़ी थारी भली हो छोरी ये के करे तू ... तो रीत उन्हे एक आख खोल कर देखि .... तो सुमित्रा जी थी ॥
तो रीत चेन की सास लेने लगी सुमित्रा जी उसके सर पर लगा बोली इया चड़े है अभी गिर जाती कथे लाग जाती तो ॥ तो रीत उन्हे मासूमियत से बोली ... वो मुझे कुछ मिल नही रहा ....
तो सुमित्रा जी बोली के डुड रही से ...
व्ही भवानी जी विमला को देख गुस्से बोली अब वो कठे मर गयी .... सुबह की चाय अब के साम ने मिलेगी .... तो विमला कंधे उचका बोली के पतो बड़ी रानी से तभी मन मे खुश होते हुए बोली ...अरे वाह विमला ... आज तो लागे वो छोरी ने फिर कोई नही स्झा मिलने वाली से ...
तभी सम्राट की आवाज आई मैं चालू से .... मने जरूरी काम से शहर जानो से ..... तभी भवानी जी बोली हा हा चलो जाईसे फले चाय तो पीता जा तो सम्राट उन्हे देख बोला अगर चाय खातिर बेटा रिया तो शहर काल पहुच्गा ....
तो भवानी जी गुस्से बोली इस छोरी ने तो .... तभी विमला बोली आ गयी ... तो भवानी जी उसे देखि जो आखे फाड़े पीछे की ओर देख रही थी तो भवानी जी बोली इसो के देख लियो ....
तो विमला हेरानी से बोली ये किया हो गया .... तो भवानी जी उसे घूर देखि .... सम्राट व्हा से जाने तभी उसकी नजर एक जगह ठहर गयी .... सामने से आती .... अब उसकी नजर से दिखती व्ही लड्की ....जो हाथो मे चाय लिए पर चहरे से घूघट किए ना चाहते हुए वो उसे देखने लगा ... भवानी जी उसे घूरते हुए बोली अच्छा तो सुबह की चा अब बन गयी थारे से ....
तो वो लड्की ओर कोई नही रीत थी ... वो चाय व्ही टेबल पर रखी विमला बोली बनाई तो चाय से .... पर मने तो बोल रही से चूल्हा तक जलाना आवे है ॥ अब देखो किया चा बन गयी से .....
तो रीत कुछ कहती तभी भवानी जी बोली वो मैं अछे से जानु से इसके के बहाने होवे से ॥वो रीत को देख बोली अब के खड़ी से जिला चाय .... तो रीत कुछ ना बोल चाय का कप उनकी ओर बढ़ाई तो भवानी जी बोली पहले अपने बिन्द ने दे !
तो रीत झम सी ज्ञी सम्राट यही है उसे कुछ दिखाई तक नही दे रहा .... तभी उसकी नजर पेरो मे गयी ....तो उसके हॉट बनने लगे ....पर सम्राट शायद फिर से उसके इस रूप पर थोड़ा खो सा गया था जेसे एस ही अक्स उसे किसी याद दिला रहा हो ....
रीत अब कापते हुए हाथो से चाय उसकी ओर बढ़ाई पर सम्राट की नजर उसके होटों पर थी ...जो घुघट से नजर आ रहे थे .... वो पूरा रूप की लड्की उसे याद दिला रहा था .... तभी भवानी जी आवाज उसके कानो मे पड़ी छोरा ... तो सम्राट का ध्यान टूटा तो वो उन्हे देखा ...
तो भवानी जी बोली के हुआ ॥ले चाय ठंडी होवे से .... तो सम्राट फिर से रीत की ओर देखा उसके गोरी सी कलाई पर उसकी फिर से नजर पड़ी .... वो उसके हाथ से वो चाय का कप लेता पर उसकी उंगलिया रीत की कोमल सी उँगलियो से टच होते ही रीत का दिल वीसे धड़कने लगा फिलहाल तो उसमे घ्ब्राहट थी ...
वो जल्दी से अपना हाथ पीछे ले ली ॥ तो इस पर सम्राट रीत को गोर से देखा .... विमला भवानी जी से बोली के हुआ बड़ी रानी सा मने तो लागे ही था चाय नाचाय पत्ती का पानी से ...म्हारे से अछि चाय कोई बना सके है की ... खुद ही खुद मे इतरा बोली ... अरे महरि चाय के तो अछे अछे दीवाने हो जावे थे रुको मई अबार लाउ सा ...
तभी भवानी जी बोली रुक जा .... वो विमला उन्हे देखि तो भवानी एक नजर रीत को देख उसे बोली जरूरत कोणी ... तो विमला बोली अरे रानी सा ये ना पियो ... मई जानु सा ये चाय ॥चाय कोणी पानी से अरे इस छोरी ने कथे आवे छाए बनाना ....
तो भवानी जी उसे एक नजर घूरी बेमन से बोली चाय चोखी से .... तो रीत उनकी ओर देखि ... तो भवानी जी बोली अब सच बोलने की महरि आदत से ...ज्यड़ा खुश होने की जरूरत कोणी से ... थारी कोई तारीफा का फूल ना बांध रही से .... काल से मने बेगी चावे ......
तो रीत कुछ ना बोली तो विमला हेरानी से रीत को देखि उसका मुह बन गया इस तरह से तो उसकी तारीफ ना हुईकभी ... व्ही सम्राट एक सीप लिया था उसे जेसे ये टेस्ट जाना पहचाना लगा .....
वो नजर उठा रीत की ओर देखा .... उसकी नजरो के सामने किसी लड्की का चहरा आ गया कूवर सा के हुआ किया बनी है चाय .... तो उस लड्की को देख उसके होटों पर हल्की सी मुस्कराहट आ गयी .... ओ लड्की इस वक्त उसी रूप मे जेसे रीत ही हो चहरा नजर नही आ रहा था ... चहरे पर घूघट था ....
तभी उसके कानो मे भवानी जी आवाज पड़ी छोरा के हुआ चाय चोखी कोणी लागि तो सम्राट का ध्यान टूटा ॥वो आस पास देखा तभी कप रख खड़ा हो बोला मैं चालू हु ....
तो भवानी जी कुछ बोलती तभी .... बाहर गाड़ियो की आवाज आई ... तभी एक आदमी जल्दी आया बोला बड़ी रानी सा छोटे हुकुम सा ओर छोटी बहू रानी सा आ गए है .....
तभी भवानी जी आखो मे चमक सी आ गयी हेरानी से बोली के महरा लाडेसर ... आ गया से .....
व्ही सम्राट के भाव कुछ बदल गए .... वो बिना कुछ बोले तेज कदमो से बाहर की ओर निकल गया भवानी जी जल्दी से खड़ी हो बोली आज इता दीना बाद म्हारे चन्दु ने देख सु .....
वो भी व्हा से चली गयी तो रीत ये सब नासमझी देख रही एस भी कोण आए जेसे ये लोग इस तरह से रिएक्ट कर रहे है .... तभी विमला बोली तू के खड़ी देखे चाल काम पर लाग जा बिया भी थारी सोतन आई से ....
तो रीत उसे नासमझी मे देखि .... तो विमला मुह बनाते हुए खुद से बोली आ गयी महारानी ...पीहर मे आराम कर अब म्हारे कलेजे बेठने .... तो रीत को देख बोली तू के मने देखे है चाल बर्तन उठा घनो काम से ...
व्ही बाहर ...
हवेली के बाहर कुछ गाड़िया आकर रुकी .... एक आदमी आकर उनका दरवाजा खोला ....
तो अब एक ओरत ... जो इस वक्त राजपूती कपड़े पहने हुए छ्र पूरा घूघट मे .... बाहर आई ..... तभी छोटा सा बच्चा जल्दी से नीचे उतरने लगा भले ही उसकी पर जमीन तक पाहुच ना रहे हो ....
वो ओरत बोली अरे छोरा रुक .... पर वो बच्चा उसकी ना मान जल्दी से नीचे उतरते हुए तोतली सी आवाज मे बोला बापूछा .... तभी वो गाड़ी की सीट से नीचे कूद गया ...
तो वो ओरत बोली अरे ...लाग जावेली .....पर वो उसकी ना सुन जल्दी से हवेली की ओर छोटे छोटे पेरो से दोड़ गया .... तो वो ओरत उसे हेरानी से देखि ....
वो दोड़ते हुए अपनी क्यूट सी आवाज मे चहकते हुए आया .... तभी लड़खड़ा गया की गिरने को हुआ तभी किसी के मजबूत हाथो ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया ....
वो बहोत ही क्यूट सा .... अपनी आखे मीच लिया तभी उसके कानो मे जानी पहचानी आवाज पड़ी ....समय .... तो ये सुनते ही वो झट से आखे खोल देखा ....अपनी चमकती आखो से चहकते हुए बोला बापूछा ....
तो उस शख्स के होटों पर मुस्कढ़त आ गयी .... जो ओर कोई नही सम्राट था ....तभी वो समय को अपने सिने लगा लिया उसके बालो पर चूमते हुए बोला तने कितनी बार मना किया से इया दोड़ा ना करते अभी लाग जाती तो ....
तो समय छोटे छोटे हाथो से उसकी बड़ी सी मुछों के साथ खेलते हुए हस्ते हुए क्यूट सी आवाज निकालने लगा .... तो सम्राट उसके हाथो को चूम लिया ....तभी भवानी जी आवाज आई चंदू .....
तो समय सम्राट की गोद से नीचे उतर जल्दी से उनकी ओर दोड़ा ... तभी उन से लीपट तोतली आवाज मे बोला दादी ...तो भवानी जी उसकी नजर उतारते हुए बोली महरा लाडु ....तने देखने की आखे तरस गयी से महरि .....
कठे से थारी माँ ...
तभी व्ही ओरत सर पर जो इस वक्त घूघट लिए धीरे से उनके पास आ पर छूते हुए बोली किया हो दादी सा ॥ तो भवानी जी उसे घूरते हुए बोली बड़ी बेगी याद आई तने ससुराल की ....
तो वो ओरत सर जुका बोली इया बात ना से वो बापू सा तबीयत ठीक ना थी ... तो भवानी जी बोली हा हा सब बेरा से मने कोण किसनी तबीयत ठीक ना थी ....खुद तो ज्ञी म्हारे छोरे ने भी ले गयी म्हारे दूर ...
तो आभा घूघट से बोली वो बापू सा समय ने देखना चाहे तो तभी वो चुप हो गयी भवानी जी उसे घूर बोली पीहर के ज्ञी साथ मे जबान लंबी कर लिया के ....तो आभा कुछ ना बोली ....तभी वो सुमित्रा जी ओर देखि उनके पर छूने चली ज्ञी तो सुमित्रा जी उसके प्यार से सर पर हाथ फेर बोली अब किया है थारे बापू सा ....
तो वो धीरे से बोली ठीक से .... तभी वो चोर नजर से सम्राट की ओर देखि .....थोड़ा आभा के बारे मे बता देते है ..... आभा सम्राट की बीवी ....यानि समय की माँ .... इस वक्त हाथो मे दुल्हन का चूड़ा .... सर पर घूघट था किसी नयी नेवली दुल्हन से कम नही लग रही थी ....
तो भवानी जी बोली लागे है सब भूल आई से अपने पीहर जा की बिन्द के भी पर छूने होवे से ...तो आभा हड्ब्डा गयी जल्दी से सम्राट की ओर आई उसके पर छूने के लिए जुकी थी तभी वो अपने कदम पीछे ले बोला ना इकी जरूरत ना से ....
तो भवानी जी बोली किया जरूरत ना से ... तो वो बात बदल बोला अभी मैं चालू सा वर्ना आने मे देरी हो जा सी .... तो कदम ही बढ़ाया तभी समय की आवाज पड़ी बापू छा ....
तभी उसके कदम ठहर गए .... तभी समय उसके पेरो से लीपट बोला मैं भी जाउगा .... तो सम्राट उसे गोद मे ले उसके गाल पर चूम बोला .... अबार बापूसा ने शाहर जाना से .... ताने ना ले जा सके .... मैं जल्दी आ जा सु .... तो समय क्यूट सा चहरा बना तोतली सी आवाज मे बोला आप जा ले हो समय को छोल कर ....
तो सम्राट उसे देखते हुए बोला तने छोड़ कठे जा पाउगा .... महरा जाना जरूरी से .... शाम होने से पहले थारा बापूसा आ जावेला ठीक से अब अपने बापू सा की इतनी सी बात ना मानेगा ....तो समय उसके गाल पर किस्स कर बोला ओके ...
तो सम्राट के होटों पर मुस्कढ़त आ गयी ....
कुछ देर बाद ....
आभा भवानी जी के पास कुछ दूरी पर सर जुकाए खड़ी थी वो उसे खरी कोठी सुना रही थी ....विमला व्ही पास मे मुह बनाते हुए जेसे बड़ी खुश हो रही थी मन मे बोली आज तो डोकरी टूट पड़ी से इस पर ..
तभी सुमित्रा जी भवानी जी से बोली मासा अब बात अठे ही .... तो भवानी जी उसे घूर देखि तो वो सर जुकाए बोली वो महरा मतलब आभा अपने बापू सा से ही मिलने गयी से भ्ठे उसकी कल्याणी जी ने जरूरत से तो ...
तो भवानी जी उसे घूर बोली मने थारे से सीखने की जरूरत ना है .... वो आभा को घूर बोली अब के खड़ी से चाल स्नान कर ओर भी काम से ..॥तो आभा कुछ ना बोली ....
तो विमला उसके पास आ बोली आओ बहू रानी सा ....वो उसका सामन उठाई .....वो आभा अब व्हा से अपने कमरे की ओर ऊपर चली गयी ....
तभी वो अपने कमरे मे अपने सर से दुपप्ता उतार फेकी गुस्से मे व्ही पड़ा बांस उठा फेकी विमला उसे देख मन मे बोली हो गयी इसकी नोटनकी ...तो आभा गुस्से बेड पर बेठ गई दिखने मे खूबसूरत थी
तो विमला उसके पास आ बोली थारी भली हो ये तो ठीक ना किया बड़ी रानी सा ने इतना सुना दिया वो भी सबके सामने .... तो आभा उसे गुस्से एक नजर देखि .....
तोविमला उसके पेरो मे बेठ बोली साची बोली मने तो ठीक ना लागा ... तो आभा अपनी मुट्ठी कस ली ... तो विमला बोली पर ठाणे ना पीटीए थारे पीछे से इस घर मे के के हुआ ....
तो आभा के भाव बदल गए ....
तो विमला उसे एक नजर देख नाटक करते हुए बोली बिंदनी सिर्फ एक महिना के दूर गयी पर सरकार ने थारे साथ ये ठीक ना किया .... तो आभा उसे घूर बोली के बोल रही से साफ साफ बोल के ठीक ना किया ....
तो विमला उसे देख बोली अब मैं किया बटाऊ ... तो आभा उसे घूर बोली अगर नही बता सके तो दफा हो जा अठे से ॥ तो विमला बोली अरे बटाऊ हो नि ... पर बहोत ही गलत हुआ बहू रानी सा थारे साथ तो ..... एक ओरत का अपनी सोतन सह पाना कितना मुश्किल होवेसे ये मई समझ सकु से ...
तो आभा उसे नासमझी मे देख बोली ये के बोले है साफ साफ बोल .... तो विमला उसे देख बोली ये ही थारे पीछे से सरकार दूजा ब्याह कर लाया से ...ये तो ठीक ना हुआ ....
तो आभा हेरानी मे भाव बदल ज्ञे तभी वो खड़ी हो बोली के ....
अब आगे ---------------------------
अब क्या होगा ?
आभा सम्राट की बीवी है तो वो लड्की कोण हैजिसके बारे मे वो सोचा करता है !
आखिर अब होगा क्या ॥?
क्या आप एकसाईटेड हो जानने को बताइएगा जरूर !
आप सभी कमेन्ट नही करते प्लीज सभी कमेन्ट कारिये ना ....तभी मई लिख पाउगी वर्ना ये लोग मेरी स्टोरी बंद कर देगे !
अब आगे
बीकानेर
एक बड़ी हवेली-----------------------
जहां काफी लोग आए हुए पर सभी इंडियन नहीं लग रहे थे अलग अलग कंट्री से आए हुए लग रहे थे बहुत ही खूबसूरत वो हवेली पर हर जगह काफी एक्सपेंसिव ज्वेलरीज लगी हुई थी जैसे पुरानी कलाकृति से डिजाइन की हुई काफी एक्सपेंसिव लग रही उनमें डायमंड वर्क था
वहीं से दूसरी ओर बड़े से हॉल में कुछ लोग बैठे देखने से कोई बहुत बड़े बिजनेस में या ओर कुछ क्योंकि यह के नहीं ये भी कुछ फॉरेन से ब्लैक कपड़े पहने हुए
पर उनके सामने काफी चमकती हुई डायमंड रखी हुई थी ये लोग कुछ बाहर से अंडरवर्ल्ड के थे यह डायमंड की डील के लिए आए थे
तभी उन सबके कानो में एक शख्स की आवाज पड़ी This is a diamond which they can hardly find anywhere else in India .
तो वो लोग उस ओर देख उन सबके बीच में शख्स जो इस वक्त काफी हैंडसम साथ ही काफी चार्मिंग लग रहा था इस वक्त डार्क ब्लू रंग का थ्री पी सूट पहने हुए उम्र कुछ 24 से25 के बीच अब नाम है सिद्धार्थ सिंह राठौर ।
वो सबको देखते हुए अपनी चेयर बैठते हुए अपने एक पैर पर दूसरा चढ़ा बोला But now I will show you that diamond which you will not find anywhere else in India.
तो वो शख्स अब चुटकी बजाया उसके पास उसके पास खड़ा एक लड़का सर हिलाया तभी कुछ लड़कियां हाथों में कुछ ट्रे लेकर आई जिनमें डायमंड्स
वो लाकर उनके बीच रखी तो जैसे वही आंखों में चमकने लगे थे सिद्धार्थ तो उन लड़कियों को देख रहा जरा इनकी पर्सनेलिटी थोड़ी कुछ ऐसी चाहे तो इन्हें लड़की बाज कहा जा सकता कही भी खूबसूरत लड़की देखी नहीं बस वहीं शुरू ।
उसके पास खड़ा नील बोला सर...पर सिद्धार्थ का ध्यान तो कही ओर था अभी कल रात ही वो किसी लड़की के साथ था तभी नील बोला सर
तभी सिद्धार्थ का ध्यान टूट वो बोला क्या है तो नील बोला वो बॉस पहुंच चुके ये सिद्धार्थ नॉर्मल ही रिएक्ट किया तभी उसके भाव हैरानी में बदल गए वो बोला क्या
वहीं बाहर कुछ काली गाड़िया आकर रुकी जिनमें से बहुत से आदमी बाहर आए उनके बीच की गाड़ी का पीछे का दरवाजा खोला तो उसमें से एक शख्स अपना कदम बाहर रखा
वो अब बाहर आया तो ब्लैक रंग राजस्थानी आवरण में चेहरे पर बड़ी मूछें चेहरे का तेज ऐसा कोई भी आंख ना उठा सके ब्लैक कुर्ता ब्लैक हो पेंट पहने ।
अब ये शख्स ओर कोई नहीं सम्राट था जो इस वक्त जितना हैंडसम लग रहा उतना ही डार्क भी उसके पीछे काफी आदमी ब्लैक कपड़े पहने हुए हाथों में हथियार थे ।
तभी जल्दी से एक लड़का दौड़ते हुए आया सर झुकाए बोला गुड मॉर्निंग बॉस जो नील था तो अब वो सर उठा सम्राट को देख तो अपना स्लाइवा गटक बोला बॉस वो सर ने मीटिंग शुरू कर दी
तो सम्राट उसे एक ठंडी नजर देखा तो उसकी बोलती बंद तो अब अंदर की कदम बढ़ाया तो नील खुद से बोला लगता सर के साथ मैं भी गया
वहीं मीटिंग हॉल में
सिद्धार्थ उन लोगों से बात करते हुए बोला So if you all are ready for this deal, then we can now discuss it further.
तो उनमें से एक बोला I really liked this diamond but I have some conditions on this deal.
तभी किसी भारी आवाज पड़ी और सम्राट शर्त पर व्यापार ना करता तो वो सभी उस ओर देखे तो अब खड़े हो गए सिद्धार्थ आंखे मिच खुद से बोला गए काम से ।
तभी वो पलट आते सम्राट को देख बोला भाई सा हम भी वही कहने वाले थे सम्राट उसे सिर्फ एक नजर देखा तो उसकी बोलती बन्द हो गई
तो सम्राट अब उन सबके बीच आया अब जगह सबसे बड़ी चेयर उस पर आराम से बैठ वो अपना पैर दूसरा पैर चढ़ाया वही आदमी सम्राट को देख बोला I am ready for this deal, you just have to fulfill one condition of mine.
तो सम्राट उसे अब सख्त आंखों से देख बोला और मैं भी तने आखिरी बार बोलूं से सम्राट किसी शर्त पर ना चाले से ।
तो सिद्धार्थ उन सबको सम्राट की बात समझने लगा कि तभी सम्राट उसे हाथ दिख दिया अब सम्राट उन सबको देख बोला अब आठे कोई डील कोनी होनी से
तभी उनमें से एक बोला What kind of a method is this? We came to India just to deal with you and you cannot accept even one of our conditions.
तो सिद्धार्थ उसके इस तरीके बोलने पर तभी उसकी कॉलर ही पकड़ गुस्से से बोला And you don't know what the consequences could be if you talk to my brother like this.
तो सिद्धार्थ को हैरानी से देखने लगा तभी सम्राट की आवाज पड़ी सिद्धू .. तभी सिद्धार्थ उस शख्स को झटक दिया वो सोफे पर जा गिरा तभी सम्राट की आवाज उसके कानो में पड़ी
I do business and I do not like to have any conditions in it. तो वो अब सम्राट को देख जो अभी नॉर्मली ही अपने एक पैर दूसरा चढ़ा सिगरेट होठों से लगा बोला So now what you have to do is to deal wisely because once you sign this deal then you have to do as per my rules and if someone violates them then I don't know how I will deal with them.
उसकी ये कही बात इस तरह थी कुछ पल तो जैसे शांति पसर गई थी वह तो सम्राट सिगरेट के काश लेते हुए बोला अगर थारा सोचना हो गया से तो या बैठक आठे ही ...
तभी वही आदमी बोला I accept this deal. की सम्राट के किनारों से हॉट मूड गए अब ऐसा क्यों अभी तो नहीं पता ।
तो सम्राट सिद्धार्थ को देख तो अब सिद्धार्थ उन लोगों आगे कुछ बात किया वो लोग अब खड़े हुए वहां से एक एक कर निकल गए तो सिद्धार्थ सम्राट के पास आ बोला आपने हमें रोका क्यों
तो सम्राट अपनी सिगरेट बुझा उसे देख बोला इन सबसे पहले मने म्हारी बाता का जवाब दे ।तो सिद्धार्थ नील की ओर देख तो वो बेचारा सा मुंह बना लिया तो सिद्धार्थ के भाव हैरानी में बदल गए ।
तभी सम्राट की आवाज उसके कानो में पड़ी बीने देखनो बंद कर मने सब पतों से के तू के करे से ।
तभी सिद्धार्थ सम्राट के पैरो में बैठ गया बोला भाई सा ऐसा सच नहीं है मैं वो सिर्फ वन विक के लिए ही रीटा के साथ रिसॉर्ट गया था तो सम्राट बिना भाव से बोला रीटा से या रीना से
तभी सिद्धार्थ नाम याद करते हुए बोला लास्ट विक तो हम रीटा के साथ ही थे उसके पिछले विक मीका के साथ उससे पिछले तो पर भाई सा रीना नाम की लड़की इस पूरे मंथ कही नहीं मिले ।
तो सम्राट उसे घूरते हुए बोला तो ये आवारगी कर रहा से तो शहर में सिद्धार्थ अपनी जीभ काट लिया तो सम्राट बोला ठीक से अब मने भी सोच लिया से ।
तो सिद्धार्थ हैरानी से बोला क्या सोचा अपने please भाई सा लास्ट चांस माफ कर दीजिए ना अब कंपनी पर पूरा फोकस करेंगे ।
तो सम्राट उसे देख बोला अब उसकी जरूरत ना पड़ेगी कंपनी नील संभाल लावेगा बिया भी सारा काम वही तो करे जब तू अपनी आवारगी करे से
तो सिद्धार्थ रोनी शक्ल बनाया बोल भाई सा आप ऐसा नहीं कर सकते हमारे साथ ...तो सम्राट बोला मै कुछ भी कर सकू हु अब से तू म्हारे साथे हवेली चलेगा।
तो सिद्धार्थ हैरानी से बोला क्या गांव ओह भाई सा please ऐसा मत कीजिए ना हमारे साथ वो सम्राट का हाथ अपने गाल पर रख बोला हु आप ऐसा करेगे हमारे साथ
तो सम्राट उसे देख बोला ठीक से मैं अब ये फैसला भी दादी सा पर छोड़ देवू हु फिर वो होवेगा जो उनके फैसला होवेगा और फिर म्हारे से उम्मीद भी कोनी राख से ।
तो सिद्धार्थ मुंह बनाया बोला ठीक हम आपकी मानने को तैयार है पर उन्हें बताने की जरूरत नहीं वरना पता नहीं इस टिपिकल लड़की से हमारी शादी करवा देगी और पूरी एक के साथ रहने अच्छा है हम आपकी ही मान ले ।
तो सम्राट उसे आंखे छोटी कर देखा अब वो खड़ा हो बोला आठे का सारा काम तने संभालना से तो सिद्धार्थ बोला यार please थोड़ा तो वक्त दीजिए भाई सा बच्चे जान लेंगे
तो सम्राट एक आइब्रो उठा उसे देख तो सिद्धार्थ बात बदल बोला हमारा मतलब करते अब काफी समय बाद राजस्थान आए अपने घर तो थोड़ा बहुत तो ....
तो सम्राट जाते हुए बोला घर रात तक पहुंच जाए वरना म्हारे से बुरा कोनी होई।तो सिद्धार्थ बेमन से बोला ठीक है
नील सम्राट के साथ वह से निकल गया वही सिद्धार्थ उठा अब अपने कपड़े झड़ते हुए उसकी नजर उन लड़कियों पर गई तभी उसके भाव हैरानी में बदल गए तभी वो सम्राट के पीछे। आते हुए बोला ये आपने अच्छा किया भाई सा
वहीं सम्राट नील से सीरियस कुछ बात कर रहा तो नील बोला ओके बॉस वैसा ही होगा ।तो सम्राट अपनी गाड़ी में बैठने से पहले अब उसके कंधे पर हाथ रख बोला मने बेरा से तने काम में कोई कमी ना रखनी पर अब आठे आया से एक बार काकी से मिल लेई
तो नील की आंखों में भाव उमड़ आए वो बोला क्या बॉस ।तो सम्राट अंदर बैठ बोला एक दिन हवेली रुक जा ।
वहीं सिद्धार्थ बाहर आ रहा तभी एक खूबसूरत लड़की देख वो वही रुक गया तभी उसका फोन बजने लगा तो पिक किया सम्राट की भारी आवाज पड़ी म्हारी नजर थारे पर से तो किया सोची तु चाहे कठे भी हो म्हारी नजरे से बच ना सके है
तो सिद्धार्थ फोन देख वो लड़की उसके चेहरे पर उंगलियों चलते हुए बोली तो फिर क्या सोचा हैं तो सीड उसका हाथ पकड़ बोला बेबी फिर कभी अभी मुझे जाना होगा
तो वो लड़की बोली ओके बेब्स वैसे कौनसे होटल में तो सीड उसके हाथ को चूम बोला हम तुम्हे कॉल करेंगे मेरा ड्राइवर तुम्हे लेने आ जाएगा ।
तो वो लड़की मुस्कराई वो चला गया ।
वहीं दूसरी ओर
आभा को पता चल गया था सम्राट ने दूसरी शादी कर ली तब से वो तिलमिला रही थी ।
वो इस वक्त भवानी जी के सामने घुघट में खड़े हुए अब उसे भवानी जी बात करनी थी जो इस वक्त पैरों की मालिश करवा रही जो विमला कर रही थी
वो आभा को देख बोली अब के मुंडो लिए खड़ी से तो विमला बोली लागे है बहु रानी सा ने कुछ कहने से थारे से ।
तो भवानी जी उसे घूर बोली तने बड़ों पत्तों से ।तो विमला बोली ना ऐसा ना हैं। बड़ी रानी सा म्हारा मतलब से की ....
तभी भवानी जी उसे हाथ दिखा बोली अब चुप करे बोले बिना थारे मुंडे से थोड़ी पहर रेवे ना जावेकेतो विमला मुंह बना दी तो वो आभा को देख बोली अब के बोलना से या अठे म्हारी छाती पर खड़ी रेवेगी ।
तो आभा धीरे से बोली हा माने था से कुछ कहना से तो भवानी जी बोली तो बोल अब के रह गयो थारो जो कसर पड़ गई थारे में ।
तो आभा बोली वो मने जो सुन वो सांची से ? तो भवानी जी उसे घूर बोली मने के बेरो तने बैठे बैठे के सुन लिया से ।
तो आभा बोली वो म्हारा मतलब आपने ये होने किया दिया अभी में कोई कमी रह गई जो ये तभी वो सिसकने लगी ।
तो विमला मुंह बना मन में बोली चालू हो गया से मगरमच्छ का आंसू ... तभी भवानी जी बोली अरे के हो गया से जो तू ये आंसू बहाव है
तो आभा उनके पैरों बैठ गई बोली म्हारे से के भूल होगी से जो म्हारे साथ आपने ऐसा किया दादी सा
तो भवानी जी उसे घूर बोली अब बोलेगी हुआ के से तो आभा बोली आपने म्हारे होते किया ये होने दिया की ये म्हारी सौतन ले आया म्हारे से कोई गलती हुई से ।
तो भवानी जी के भाव बदल गए आभा रोते हुए बोली के हुआ म्हारे से इया ना करो म्हारे साथे
तो भवानी उसे घूर बोली पहले तो म्हारे पंग छोड़ ओर के हुआ । तो आभा बोली मने माफ कर। दो पर इया ना। करो दादी सा
तो भवानी जी उसे घूर बोली अब तू बतावेली के करना से के नहीं ओर जो थारे बिंद ने किया वही थारे पत्थर की लकीर होवे थारी मां ने ये सिखा ना भेजा ।
तो आभा सर झुका बोली ऐसा ना है पर ये किया हो सके है ।तो भवानी जी उसे देख बोली और क्यों ना हो सके तो आभा उसे कहने को हुई तभी भवानी जी हाथ दिखा बोली अगर इतनों ही थारो जी कांठो हो रहे तो काल ही तने थारे पीहर भिजवा देऊ से ।
तो अब आभा कुछ ना बोल सकी तो भवानी जी बोली अब के अठे बैठी रेवेगी चाल भीतर ओर के काम कोनी ।
तो आभा अपनी मुठ्ठी कस ली विमला को जैसे बड़े मझे आ रहे थे !
इस वक्त अपने कमरे मे बेहद गुस्से मे थी ....अभी जो जो उसे भवानी जी ने कहा वो एसबी सोच अपने गुस्से अंदर ही अंदर दबा रही थी .... खड़ी हो ठहलते हुए खुद से बोली ये बूड़िया अपने आप ने समझे के है .... ये मैं ना होने दु के करू .... तभी कुछ सोची ...तभी उसकी आह निकल गयी ....
वो अपने पर को पीकेडी ली नीचे देखि खिलौना था .... ये देख वो गुस्से से अब उस ओर देखि ....समय जो इस वक्त अपने खिलोनों के साथ खेल रहा था पर पूरे कमरे मे उसके ही खिलौने हो रहे थे ....
तभी वो उसके पास आ गुस्से बोली ये सब के कर रखा से ... तो समय उसके एस बोलने पर उसे टिम तिमा देखने लगा तो आभा गुस्से बोली थोड़ी पहर बिना खेले तारे से रहा ना जाता ... पुरो कमरो ग्ंदो कर दियो से ....
तो समय सहम गया तो आभा बोली चाल उठ उठा ये सब ने एक जगह मैं तने नोकरानी नजर आऊ से .... तो समय डर अपने टेड़ी जो छोटा सा था उसे पर पकड़ कस दिया !
तो आभा उसकी बाह पकड़ बोली सुने कोणी ताने एक तो थारा बाप ने म्हारे पर कम पहाड़ कोणी तोड़ोयों जो तू मने परेशान करने मे कोई कसर ना छोड़े है
तो समय का चहरा इस वक्त रोने जेसे हो गया ... आभा उसे घूर बोली सुने है ना सब उठा ये सारो वर्ना जाने से ने मैं के करुला ... तो समय की बड़ी बड़ी आखो मे आसू की बुँदे जलक्ने लगी ....
तो आभा उसे सकत आखो से देख उंगली पॉइंट कर बोली खबरदार जो एक आसू भी बहायो .... वर्ना उस काली कोठरी मे बंद कर दुगी .... तो समय जल्दी से कान पकड़ बोला नही समय को डर लगता है ...
तो आभा उसे घूरते हुए बोली तो म्हारे सामने ज्यदा शेतानी करने की जरूरत ना है समझा काल अगर तने फिर से कमरा गंदा किया तो मैं तने उसी कोठरी मे बंद कर दुगी ॥
तभी किसी आवाज आई आभा ....ये होते ही आभा के चहरे का रंग उड़ गया ... तभी वो जल्दी से देखि तो सुमित्रा जी थी उन्हे देख समय जल्दी से आभा से दूर भाग सुमित्रा जी के पेरो से लिपत गया तो आभा उसे हेरानी से देखने लगी सुमित्रा जी आभा को देख बोली के हुआ क्यू डाटे छोरे ने ... तो आभा चेन की सास ले बोली अरे छोटी माँ थे ना जानो घ्णों उदम करे है .... ये देखो कमरा की हालत इसने बस ये ही समझाई की आराम से खेले उछल कूद करता काथे लाग जावेगी ...
तो सुमित्रा जी मुस्करा समय को अपने गोद मे ले बोली अच्छा मासा के बोले है महरा लाडे सर शेतानी करे है ... तो समय उन्हे टिम तिमा कर देखा अब एक नजर आभा को तो वो उसे आखे दिखाई ...
तो सुमित्रा जी के सिने लग गया तो सुमित्रा जी मुस्करा उसके बालो पर हाथ फेरते हुए बोली अब बड़ा हो रहा से तो इसकी शेतानी भी ब्डेगी .... गयो अपने बाप पर ही से ... आभा मुस्कराते हुए बोली तभी मैं सोचू इसके गुण गए इसके पर है ...!
तो सुमित्रा जी बोली इसने देख सम्राट को बचपन सामने आ जावे है ... ओर तू बता किया से .... तो आभा उदासी से बोली म्हारे से किसने फर्क पड़े से ... तो सुमित्रा जी उसे देख बोली के हुआ ...
तो आभा उन्हे एनएम आखो से देखि ... तो सुमित्रा जी उसकी बातो को समझ समय से बोली जा दादी सा अपने चंदु ने कब से डुंड रही से ... तो समय तोतली आवाज मे बोला बापू छा आ आए ...
तो सुमित्रा जी उसके गाल पर चूम बोली बस आ आता हो सी ..... चाल तू नीचे खेल ... तो समय उनकी गोद से उतर चला गया तो सुमित्रा जी अब आभा के पास आ बोली जानु से तारे पीछे बहोत कुछ हुआ इस घरमे ...!
तो आभा तो उनके ग्ले से लग रोते हुए बोली अब महरा के होगा छोटी माँ !तो सुमित्रा जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली अरे इया रो कोणी .... अब जो होना था वो तो हो चुका .... आज भी तू सम्राट की बिंदगी से ... तो आभा अपने आसू बहते हुए बोली पर वो तो महरि सोतन ले आए ...
तो सुमित्रा जी उसे देख बोली जो हुआ से वो तो ठीक ना हुआ पर अब तने ये स्वीकार करना पड़ सी वर्ना तू तो जाने है मासा का फेसला इस घर मे पत्थर की लकीर होवे से ...!
तो आभा पलट मुह बनाई अपने आसू साफ करते हुए बोली कोण से वो छोरी जरा मई भी देखू आखिर के जादू चलाया उसने ॥ तो सुमित्रा जी बोली वो के जादू च्लावेगी ... जिसकी खुदकी किस्मत उसके साथ इस तरह खेल रही बिके साथ ...
तो आभा की आखे सिकुड़ गयी वो बोली के मतलब ॥ तो सुमित्रा जी उसे बोली किसी ओर समय बटाऊ बस इतना जान ले उसने अपनी छोटी बहन ही समझ घनी नासमझ से बस छोरी को मन मेलो ना से ...कभी थारे आड़े ना आवेगी बस जरा तू भी उसने समझ फिर रहना तो हमने इसी घर मे से ....
तो आभा अपनी मुट्ठी कस बोली जी छोटी माँ सा ....
तो सुमित्रा जी मुस्करा बोली नीचे आजा रोटी को बक्त होवे .... वो चली गयी तो आभा अपनी मुट्ठी कसे कुछ सोच रही थी तभी दबे पाव पीछे से विमला चल आ बोली बहू रानी से के हुआ .... बड़ा ज्ञान की बाते हो रही से ...
तो आभा उसे टेड़ी नजर से देख बोली आ गयी आग मे घी गेरने ... तो विमला दाँत दिखा बोली ये के बोलो मैं तो अठे गुजर रही तो काना मे छोटी बहू रानी सा की आवाज पड़ गयी साची बोलू वो छोरी ने थे सीधी ना समझ सो ! दिखे है पर उसकी जबान बिके कद से भी लंबी से ....
तो आभा बोली वो तो मैं देख लूसा हट परे .... तो विमला सामने हट गयी वो चली गयी तो विमला उसे देख मुह बनाई .... !
अब आगे --------------------------------
अगर आगे पड़ना चाहते है तो केमेंट करिएगा !
स्टोरी पंस्द तो आ रही है ना तो मई इसे आगे लिखती राहू ये एक बात बता दीजिएगा !
अब आगे ------------------------------------
रात का वक्त ----------------------
रसोई घर ----------------------------------------
सुमित्रा जी खाना देख रीत से बोली ये तने अकेली ने बना लिया .... तो रीत जो अभी काफी थकी लग रही थी बोली मुझे ज्यदा लोगो का खाना बनाना नही आता ... घर पर सिर्फ दो लोगो का ही खाना ब्नानत थे ...
तो सुमित्रा जी मुस्करा बोली पर खुसबु तो घनी चोकी आ रही से ...तो रीत उन से पीछे की ओर देखि अब जहा आभा खड़ी थी जो उसे लगभग घूर के देख रही थी उसके इस तरह से देखने से रीत की आखे सिकुड़ गयी ....
तभी सुमित्रा जी पीछे पलट देख बोली अरे बिदनी अठे आव ... तो आभा के चहरे के भाव एक पल मे बदल गए वो उन्हे फीकी सी मुस्कराहट दे आगे आई .... सुमित्रा जी उसे रीत से मिलवाते हुए बोली ये आभा से ... ओर आभा से बोली ये से रीत ....
तो आभा अब एक नजर रीत को ऊपर से नीचे देखि तभी मन मे बोली ... ई छोरी से बया किया से ... मने तो लुगाई कम टाबर लाग रही से .... तभी गाड़ी की आवाज आई तो सुमित्रा जी बोली लागे है ये आ गए से शहर से .... वो आभा से बोली तू रोटी लगा मैं अभी आऊ से ...
तो वो तो चली गयी तो अब आभा रीत को देखि तो रीत उसे देख हल्की सी मुस्कराहट दी ....तो आभा उसे इगनोर कर साइड से निकल चूल्हे के पास आई उसके इस तहर से जाने से रीत उसे देखती रह गयी पर वो ज्यदा ना सोची ...
आभा वो बना खाना देख मन मे बोली हु लागे तो सब ठीक से ....वो टेड़ी नजर से रीत को देखि जो चुप छाप खड़ी थी मन मे बोली मैं भी देखू ये कितने दिन इस घर मे रेवे है ...
तभी खुद मे तिरछा मुस्कराइए उस खाने को देख .... पलटी तो रीत उसे देखि तो उसे देख मुह बना चली गयी तो रीत की आखे सिकुड़ गयी वो सोची ये ये तरीका है पर वो अपना सर झटक दी क्यूकी इस घर मे उसे सभी एस ही लगते थे सुमित्रा जी को छोड़ कर ...तभी विमला आई बोली ठारी भली हो छोरी तू खड़ी काए देखे है चाल रोटी लगा ...
तो रीत उसे देख बोली मैं तो विमला कमर पर हाथ रख बोली तो ओर कोण से अठे जिस से मैं बात करू से ....तो रीत अब बिना कुछ बोल खाना एक बाउल मे डालने लगी ...तभी उसकी सिसक निकल गयी गर्म गर्म उसके हाथ से लग गया .... व्हा ओर भी निशान थे ....
तभी विमला बोली हे राम कितना समय लागे तने बेगी कर ...
व्ही सुमित्रा जी बाहर आई थी पर सामने देख उनकी आखो मे चमक सी आ गयी थी जो ओर कोई नही नील आया था ... वो भवानी जी के पेर छूया तो वो बोली बस बस खुश रे .... आज इने का रास्ता किया याद आ गया से ....
तो वो उन्हे देख बोला एसा नही है दादी सा वो काम की वजह से ... तो भवानी जी उसे घूर बोली बस बस सब समझ आवे मने कितनों काम करे से शाहर जाकर शहर की हवा जो लाग गयी से घर के रास्ता अच्छा अच्छा भूल जावे है ...
तभी किसी ओर की आवज पड़ी फिर तो ये सवाल तने गलत जगह किया से ... तो भवानी जी उस ओर देखि तभी उनकी गोद मे बेठा समय ये आवाज सुनते ही चमकती आखो से तोतली सी आवाज मे बोला बापू छा ....
ओर कोई नही सम्राट था तो भवानी जी उसे देख बोली के मतलब .... तो समय उनकी गोदी से जल्दी से उतार सम्राट की ओर दोड़ गया .... तो सम्राट बोला ये तने अपने लादले से करना चाहे जो इब तक घर मे पेर ना धरे गए बिसे ....
समय चहकते हुए सम्राट के पास आया तभी सम्राट उसे अपनी बाहो मे उठा लिया .... बोला तने सुबह ही सम्जाया से ने ,,,इया भागा ना कर .... तो समय उसके गालो पर छोटे छोटे हाथो को चलाते हुए तोतली सी आवाज मे बोला समय आपका वेट कर रहा था ...तो सम्राट उसे अपनी बाहो मे भर उसके बालो पर चूम बोला अच्छा म्हारे से मिलने खातिर इतना बेताब था पर बापूसा ने भी आपको बहोत मिस किया था ॥आपको याद नहीं आई म्हारी !
तो समय मुह लटका बोला बहोत छारी आई थी ....वो उसके गाल पर चूम बोला मेला गिफ्ट ... तो सम्राट के होठो पर मुस्कर्राहट आ गयी ....व्ही भवानी जी नील को देख बोली ये के बोले से ....तभी वो हेरानी से बोली हे राम जी मैं तो आगति हो गयी ई छोरा से .... वो सुमित्रा जी को देख बोली फोन घूमा जरा क्ठे रह गयाओ से ॥
तभी सम्राट समय को गोद मे लिए आते हुए बोला मैं कोशिश कर चुको ... पर लागे आज थारे लाडले का मन कोणी अपने घर आने का .... तो भवानी जी बोली अच्छा आने दे बीने मैं ब्ताऊ से ..
तो नील अब सुमित्रा जी के पास उनके पेर छूता तभी वो उसे रोक दी नील उन्हे देखने लगा वो इस वक्त घुघट मे थी वो उसके गाल पर हाथ रख बोली किया से तू ... अपनी बुआ ने बिलकुल भूल गया से !
तो नील उन्हे देख बोला एक आपकी वजह से ही तो यहा आया हु .... आप कहती है मैं भूल गया ! तो सुमित्रा जी आखो से नमी गिर गयी तभी नील बोला आप रो रही है बुआ .... तो सुमित्रा जी ना मे सर हिला बोली ना तो ॥तभी भवानी जी बोली अगर थरो मिलन हो गयो से तो रोटी लगा ....
तो सुमित्रा जी बोली जी मासा ... वो नील से बोली आ छोरा ....
वो अब सभी डाइनिंग टेबल के पास आए नियम अनुसार सिर्फ घर के मर्द ही पहले खा सकते है उनके बीच भवानी जी ....सुमित्रा जी अब उनका खाना लगाई .... तो अब आभा भावनी जी को देख रही थी जो इस वक्त हाथ जोड़ भगवान का नाम ले रही थी ....
सुमित्रा जी मन मे सोच की बस बिना कोई तमाशा हुए सभी खाना खा ले क्यूकी अब खाना रीत ने बनाया था .....समय सम्राट की गोद मे था वो एक पल एसा नही जाता था वो उसे अपने दूर भी करे ....
वो अपने मुह से क्यूट सी आवाज़े निकाल रहा था ....जेसे बच्चे अक्सर किया करते है जिस पर सम्राट का पूरा ध्यान सिर्फ उसी पर ही था तभी भवानी जी आवाज हे राम जी ....
तभी सभी उन्हे देखने लगे भवानी जी खासने लगी .... तभी नील जल्दी से उठ पानी पिलाया .... वो हाफते हुए बोली ये के जहर बनाया से म्हारे खातिर .... तो सुमित्रा जी उन्हे हेरानी से देखने लगी .... सम्राट उन से फ्रीक से बोला के हुआ दादी सा .... तो भवानी अपने सीने पर हाथ रख सासे लेते हुए बोली तू ही देख के बनाया से वो सुमित्रा जी को देख बोली जब तने बेरा से दाल मे हिंग म्हारा लिए जहर से तो काए इया बनाया ...
टी सुमित्रा जी बेचारी क्या बोले वो उनके पास आ उन्हे स्भालते हुए धीरे से बोली मासा थे ठीक से ॥ तो भवानी जी उसका हाथ झटक बोली परे हट मने मारना चावे से ... तो सुमित्रा जी ना मे सर हिलाई ...
तभी विमला आ बोली बड़ी रानी सा आज तो सारो खानो छोटी रानी सा ने ना वो उ छोरी ने बनाया से .... तो भवानी जी उसे देखि विमला बोली हा ओर मने उसने अछे से बल्कि छोटी रानी से ने भी उसने अछे बताया से ताकि दाल मे हिंग ना डाले पर पता कोणी ...तो भवानी के भाव सकत हो गए ....
तो विमला टेड़ी नजर से देखि तो आभा के होतो पर एक शातिर सी मुस्कराहट थी ...तो सम्राट अब आभा के पास आया .... तो वो सर जुका ली ॥तो सम्राट उसे समय को दे बोला इसने कमरे मे ले जा ....
तो आभा सर हिला समय को उससे ले अब व्हा से ऊपर की ओर चली गयी तभी सम्राट सकत भाव से बोला क्ठे से वो छोरी .... तो सुमित्रा जी हेरानी से सम्राट को देखने लगी जो इस वक्त बहोत गुस्से मे था ...तो भवानी जी बोली मने बीने जीवन के दिया वो तो म्हारे ही प्राण छीनने चली ....
तभी विमला रीत को अपने साथ लाते हुए बोली ये रही छोरी किया ह्या लाज शर्म ही कोणी कितना बड़ा कांड कर बड़े आराम से सो रही से .... पर बेचारी रीत इन सब से अंजान आखिर हुआ क्या है ....
विमला उसे धकेल दी ...वो जिससे संभल ना पाई जमीन पर जा गिरि ... तो विमला बोली म्हरानी बड़े आराम से निंदा काड रही से ... तो रीत सबको को देखने लगी उसकी आखे एससीएच मे इस वक्त नींदो मे थी ...
अब सुबह से थक हार उसकी आख किचन मे दीवार के सहारे कब लग गयी उसे पता ना चला ...नील ये सब व्हा हो क्या रहा नासमझी मे देख रहा यहा तक रीत कोण है उसे अभी तक कुछ पता नही ....
रीत नासमझी मे बोली क्या हुआ है .... तभी कोई उसके बालो को सकती से पकड़ झटके से खड़ा कर दिया तभी उसकी आह निकल गयी .... उसके कानो मे भारी सी आवाज पड़ी मैं ब्ताऊ के हुआ से .....
तो रीत उसे देखि हेरानी से उसकी आखे बड़ी हो गयी .... सम्राट का सकत चहरा उसके सामने था ....
तभी वो कुछ एसा बोला सुमित्रा जी अपने सिने पर हाथ रख ली ! व्ही विमला हेरानी से देखने लगी ...
अब आगे -----------------------------
अगर आपकी कहानी पंस्द आ रही है तो मुझे आप सभी का सपोर्ट चहाइए सच मे मेरा कहानी लिखना सिर्फ मेरे अंदर की एक खुशी है उसे आप सभी मोटिवेट कीजिये प्लीज ....
अगर आप आगे का चैप्टर चाहते है तो मैं चाहती कम से कम 5 से ज्यदा कमेन्ट हो ...ताकि मैं आगे के चैप्टर के लिए इछूक होवों लिखने को ओर अगर आपको कहानी पंस्द नही आ रही तो ज्यदा लंबा आगे बड़ानासे भी कोई मतलब नही है !
रीत उसे देखि हेरानी से उसकी आखे बड़ी हो गयी .... सम्राट का सकत चहरा उसके सामने था ....
तभी वो कुछ एसा बोला सुमित्रा जी अपने सिने पर हाथ रख ली ! व्ही विमला हेरानी से देखने लगी ...तभी सम्राट सकत आवाज मे विमला से बोला तने सुना कोणी .... वो हड़बड़ गयी जल्दी से बोली जी जी सरकार .....
वो जल्दी से चली गयी ... तो रीत अपने बालो को सम्राट की पकड़ से छुड़ाने लगी .... तो सम्राट उस पर पकड़ कसते हुए सकत भाव से बोला अब तने बेरा लागेगा के तने के किया से ....
तो रीत उसके एस पकड़ने से बालो मे दर्द होने लगा था उसे तो पता ही नहीं आखिर उससे हुआ क्या है तभी विमला आ गयी अब एक डब्बा आगे की .....तो सम्राट रीत को देखते हुए बोला मिला इसने ....
तो सुमित्रा जी हेरानी से ये सब देख रही थी वो भवानी जी ओर देखि जो खुद सकत आखो से रीत को देख रही थी विमला वो डब्बा खोल उसमे एक चम्मच भर उस दाल मे डाली ....सम्राट रीत को देखते हुए बोला ओर .... तो विमला अपना स्लाइवा गटक उसमे से एक ओर चम्मच भर उस दाल मे डालि !
तो सम्राट उससे छिन वो डब्बा ही उस दाल मे उधेल दिया विमला उसे हेरानी से देखने लगी ..... वो इतनी सारी मिर्च थी अब जेसे पूरी दाल मे वो ही रह गयी हो वो पूरी दाल उसकी वजह से गाड़ी हो गयी थी सम्राट रीत को धकेल बोला खा इसने ...
तो रीत पहले उसके धकेलने से टेबल को पकड़ संभली वो दाल की हालत देख हैरान हुई पूरी मिर्च से भरी तभी सम्राट उसके बालों बेदर्दी से पकड़ बोला देखे काय है खा इसने तो रीत न में सर हिला बोली नहीं
तो सम्राट के भाव शक्त हो गए। निवाला तोड़ दाल में भर उसके होठों के पास लाया था कि वो मुंह फेर बोली नहीं छोड़िए मुझे ये आप क्या कर रहे है
तो सम्राट उसके गाल दबोच उसके मुंह में जबरदस्ती घुसते हुए बोला खा इसने रीत को वो जबरदस्ती खाना पड़ा पर उसका चेहरा लाल पड़ने लगा अब सोचने जैसी चीज थी इतने तीखे पर किसकी हालत खराब ना हो
उसका मुंह जलने लगा था सम्राट इस पर भी ना रुकादूसरा निवाल फिर भर उसके मुंह में घुस बोला अब बतावे किया लगा तने खाना रीत का चहरा आंसुओं से भरने लगा जैसे पूरे गले में आग सी लगी हो वो कोशिश कर बोली पानी
तो सम्राट बोला अब इया ही तड़प ये तो तने पहले सोचना चाहे इतनी नीच हरकत करने से पहले । अब जब इया कोई हरकत करने के बारे में सोचेली तो इससे भी बुरी सजा मिलेगी
वो रीत को झटक दिया रीत फर्श पर जा गिरी उसकी दयनीय हालत देख सुमित्रा जी के आसू गिर गए पर खैर वो उसे संभाल भी नहीं सकती ।
रीत हफ्ते हुए बोली पानी ।तभी सम्राट दांत चबा बोला कुछ ना मिलेगा इसने । इया ही तड़पने दे फिर अच्छे याद आवेग किया के था
रीत पानी के लिए रोने लगी सम्राट अब वह से चला गया रीत अब खुद उठ पानी ढूंढ ने लगी क्योंकि उसे बर्दाश नहीं हो रहा था
वो पानी का गिलास उठाने को हुई तभी कोई उस पर हाथ धर लिया रीत अपनी भीगी आंखों से देखी भवानी जी थी वो उसे सख्त आंखों से देख बोली सीना कोनी ये न मिल सके है
तो रीत रोते हुए बोली मुझे पानी चाहिए बहुत तीखा लग रहा है तो भवानी जी उसे देख बोली अच्छा तो झुक म्हारे आगे मांग म्हारे से माफी जो तने अभी उसके बदले
तो रीत अपने गले पर हाथ रख उन से बोली मैने किया क्या हैं तो भवानी जी उसे घूर बोली क्यों तने ना बेरा।
तो रीत कोशिश कर बोली मैने कुछ नहीं किया है आप मुझे बिना गलती के सजा नहीं दे सकती
तभी विमला बोली हु देखो किया सीना तने एक तो चोरी उप्र सीना जोरी ए छोरी तने अभी शर्म कोनी आवे ।
तो रीत रोते हुए बोली मुझे पानी चाहिए ।तो विमला बोली पानी तो अब तब भी मिले जब तू अपनी गलती की माफी मांगे बड़ी रानी सा से।
तो रीत भवानी जी को देखी वो उसे घूर देख रही थी वो अपनी आंखे मूंद अब एक गहरी सास ले बोली मैने ऐसा कुछ नहीं किया आप मुझे इस तरह से मजबूर नहीं कर सकते
वो अब धीरे धीरे कोशिश कर वहां से जाने लगी तो विमला भवानी जी से बोली देखो रानी अभी अकड़ न टूटे इसकी एक तो गलती करो ऊपर से अपने आप ने सही बताओ हो वो भली हो अपने कुछ होवा कोनी पर अगर ज्यादा तबियत खराब हो जाती किया काठे लिया फिरता
तभी भवानी जी बोली चुप करे कि ओर को पता कोनी तने मैं आंखे मैं जरूर खटक रही से ।तो विमला बोली ये काय बोलो हो थे तभी चुप हो गई भवानी जी उसे हाथ दिखा दी
वो अब सुमित्रा जी को देख बोली तू के खड़ी देखे हैं सुमित्रा जी अपना सर झुका ली उनकी आंखों में नमी थी भवानी जी बोली अब रोटी जहर हो गई अब के मनेभूखा सुलाना को इरादों से ।
तो सुमित्रा जी बोली नहीं मासा अभी रोटी बनाउं से ।तो भवानी जी बोली रोटी रे बा दे खिचड़ी बना दे वो खड़ी हो बोली छोरे ने रोटी खिलाव सबकी रोटी जहर कर दी वो अपने कमरे की ओर चली गई
विमला उनके पीछे पीछे तो अब नील अब सुमित्रा जी को देख वो अपनी नमी पोंछ किचन की ओर जाने लगी तो नील उनके पास आते हुए बोला बुआ सा
तो सुमित्रा जी उसे देखी तो नील उन्हें देख बोला ये सब मेरा मतलब वो लड़की कौन थी जिले साथ बॉस इस तरह से पेश आ रहे थे
तो सुमित्रा जी उसके गाल पर हाथ रख बोली ये बाद में पहले तू कुछ खा ले कुछ ना खाया तने ।
तो नील बोला आप मेरी फ्रिक मत कीजिए पहले दादी सा के लिए कुछ बना दीजिए ।
वहीं दूसरी ओर
एक गाड़ी जंगल के रस्ते फंसी हुई थी जहां ओर कोई नहीं सीड इस वक्त फंसा था दूर दूर कोई गाड़ी ही नहीं । ऊपर से उसका फोन डेड हो गया
वो खुद से बोला ये हम का फंस गए अगर घर ना पहुंचे तो दादी सा हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी ऊपर ये गांव जहां आते ही प्रॉब्लम शुरू हो जाती है
वो आस पास देखते हुए बोला एक तो यह से हवेली जाने वाला रास्ता आखिर है कौनसा
तभी उसके कानो में किसी टैक्टर की आवाज पड़ी तो वो पीछे की घुमा तो गौर से देखने लगा तभी उस पर बैठा शख्स बोला अरे छोरा सामने से हट मरने खातिर ये जगह लादी।
सीड हैरानी देख जल्दी सामने हटा तभी उसका बैलेंस कुछ ऐसा बिगड़ा वो वही कीचड़ यानी गोबर में जा गिरा वही वो टैक्टर वाला अपना टैक्टर रोक सीने पर हाथ सास लिया तभी सीड की आवाज उसके कानो में कड़ी तो वो देखा हैरानी में उसकी आंखे बदल गई
सीड चीड़ से खुदकी हालत देख बोला ये क्या है पूरा गंदा कर दिया तभी वो टैक्टर वाला उसके पास आ बोला थारी भली छोरा अब कठे लागी तो कोनी थारे
तो सीड खड़े होने की कोशिश करते हुए बोला तुम्हे हम इस वक्त ठीक हालत में नजर आ रहे तुम्हारी वजह से हमारी ये हालत है
तो वो टैक्टर वाला आदमी आस पास देख बोला छोरा म्हारी किया गलती तू रस्ते में आया तो सीड बोला पहले हमारी मदद करो बाते बाद में करना
वो टैक्टर वाला अपना हाथ बढ़ा बोला हे हाथ पकड़ बैगों उठ तो सीड अपनी हालत देख अब हाथ पकड़ अब वो उसकी मदद ले वो खड़ा हुआ तभी सीड अजीब फ़िल किया उस टैक्टर वाले हाथ कुछ मुलायम थे
तभी वो अपना हाथ खींच लिया तो सीड को अजीब लगा पर वो अपनी हालत पर चीड़ कर बोला अब ये कैसे साफ होगा पूरा गंदा कर दिया हमे
तो वो टैक्टर वाला बोला उसमें गंदा होने है के बात से म्हारे तो पूरा घर इसी से लिपा जावे तो सीड बोला व्हाट लिपा तो वो आदमी उसे ऊपर नीचे देख बोला चहरे तो अंग्रेज ना लगे कभी अठे देख कोनी
तो सीड चीड़ से बोला मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं तुम बाते करने पहले मेरी मदद करो इसे साफ करने तो आदमी उसे घूर पर मुस्करा बोला हा क्यों कोनी ।
वो उसे वही के पास छोटे से बने कुंड के पास का बोला ये रहा पानी तो सीड वो देख बोला अब कैसे करे मदद करो हमारी ।
तो वो आदमी बोला आठे रुक मैं अभी कुछ लाया तो सीड आस पास देखने लगा तभी उसके कानो में टैक्टर की आवाज पड़ी वो हैरानी से उस देख
वो आदमी अपना टैक्टर वहां से दौड़ा लिया तो सीड जल्दी दौड़ आया चिला बोला तुम्हारी ये हिम्मत हम तुम्हे छोड़ेगी नहीं अब अपनी हालत देख गुस्से अपनी मुठ्ठी कस लिया
वहीं टैक्टर अब एक घर के आगे रुक वो आदमी जल्दी घर अंदर बढ़ दरवाजा लगा उससे लग सास लिया तभी एक औरत की आवाज पड़ी अब आई से समय देख से
वो आदमी अपने सर से पगड़ी हटाया तभी लंबे बाल उसकी कमर पर आ गिरे वो अपनी मूछें हटाते हुए बोली समय पर पहुंच जाते पर क्या करते रस्ते में कोई बत्तीमीज से पाला पड़ गया
वो औरत से पकड़ बोली हे राम जी अब किस से भीड़ ली तू तने कितनी बार बोला से मने तभी उनकी सांसे भारी हो गई वो लड़की उन्हें पानी पिलाते हुए बोली और आपको कितनी बार समझाए हम इतना परेशान होया कीजिए दवा लेली ।
तो वो औरत उसे घूर बोली जिया तू म्हारी बाते मन करे है थोड़ा इस लड़की के बारे में बता देते है बहुत ही खूबसूरत नाम उतना ही खूबसूरत प्रथा। पर इस तरह आदमियों के कपड़ो में ये हम बादमें जाएंगे ।
तभी छोटा बच्चा आ बोला जीजी आ गई तो प्रथा उसे गोद में उठा बोली शैतान अब तक सोया नहीं तो गंगा जी बोली अब सीखे किस से जिया तू करे थारे पीछे पीछे चले है
तो प्रथा उन से बोली हे भगवान अब माफ कीजिए हमें तो वो बोली बैठ रोटी लगाऊं ।तो प्रथा उन्हें बैठा बोली आप बैठिए हम अभी लिए तो गंगा जी उसे देखने लगी प्रथा बोली अच्छे जानते अपने भी कुछ ना खाया अब तक ।
तो गंगा जी बोली पहले जा ये कपड़े बदल पता कोनी के भूत सवार रेवे सर पे।
वहीं दूसरी ओर
सुमित्रा जी रीत के पास आई जो इस वक्त से घुटनों में छिपाए सिसक रही थी वो उसके पास बैठ सर पर प्यार से हाथ फेरी
तो रीत से उठाई सुमित्रा जी उसका चेहरा देख बोली अब तक चरखों लग रहे से रीत के हॉट पूरे लाल हो रहे थे आंसुओं से भरा चहरा
वो उन्हें देख बोली मैने तो कुछ भी नहीं किया तो उन्होंने इस क्यों किया मेरे साथ ये सभी मुझे बिना गलती पनिश क्यों करते है
तो सुमित्रा जी उसके आगे हाथ बढ़ा बोली ले ये खा ले खा ले तने आराम मिलेगा से तो रीत देखी गुड था सुमित्रा जी उसे खिला बोली अब रोना बंद कर तने कुछ खाया न सेन थारे लिए रोटी लाई से
तो रीत उनके सीने कर सर रख बोली ये सब मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते है आंटी
तो सुमित्रा जी उसके बालों पर हाथ रख बोली सब ठीक हो जा सी ।तो रीत उन्हें देख बोली कब मुझे यह से जाना है तो सुमित्रा जी उसके गालों पर हाथ रख बोली ना ये सब सोचना भी ना वरना मने भी पता ये थारे साथी के करे
तो रीत रोते बोली ये सब बहुत गंदे है तो सुमित्रा जी उसके सर पर चूम बोली किया न कहवे अच्छा सुन थारी मां कोनी ?
तो रीत उन्हें देख न में सर हिलाई तो सुमित्रा जी बोली तो आज से मने अपनी मां कह कर बुलाई बुलावेगी ने
तो रीत उन्हें देख फफक पड़ी रोते बोली मां तो सुमित्रा जी उसे अपने सीने लगा बोली अब अपनी मां की मान अठे से काठे जाना की ना सोचना वरना अर्थ हो ज्वाला बेटा ये तने जिंदा जला देई
तो रीत उनके सीने लग गई
वहीं हवेली
इस वक्त सम्राट अपने सीने से समय को लगाए हुए बालकनी में सोफे पर बैठा था उस चांद को देखते हुए पर न जाने उस बार बार रीत का रोता चहरा किसी याद दिला रहा था
जिस पर वो अपनी आंखे मिच किया अब अपने बच्चे को देख जो सुकून से उसके सिने पर सो रहा था
अब आगे _------------
आखिर सम्राट ऐसा क्यों महसूस कर रहा है
रीत कब तक ये सब सहेगी
अब आगे
सुबह
सभी लिविंग एरिए में थे भवानी जी सुबह की चाय पी रही थी नील जा चुका था भवानी जी सुमित्रा जी से बोली कुछ पता लागा त्रिलोक कद आवेगा
तो सुमित्रा जी से झुका ना में सर हिलाई तो भवानी जी खुद से बोली एस भी काठे गयो से । तभी किसी आवाज पड़ी ओह गॉड आखिर हम पहुंच गए ।
भवानी जी हैरानी से देख खड़ी हो बोली अरे काठे घुसा चला आ रहा से वो आवाज लगाते हुए बोली अरे काठे मर गए सारे
सामने वो शख्स जिसकी हालत कुछ ठीक नहीं वो हांफते हुए आस पास ना समझी में देखा भवानी जी बोली कौन से तू ओर अठे काठे चलो आयो
तभी एक आदमी आ बोला जी रानी सा तो भवानी जी गुस्से करते बोली किया काम करे से ये मंगता ने अंदर किया आने दिया तने दिखे कोनी तभी वो शख्स बोला क्या
तो भवानी जी बोली अब देखे काय पकड़ इसने तो वो शख्स बोला दादी सा हम आपको भिखारी नजर आ रहे है तो भवानी जी आंखे सिकुड़ गई
वो उस शख्स को ऊपर से नीचे देख अपने मुंह पर हाथ रख बोली कौन से तू तो वो शख्स उनके पास आते हुए बोला आप हमे भूल कैसे सकती
तभी भवानी जी उस पर चिला बोली अरे भट्ठे ही रुक नौकर से बोली म्हारो मुंडो काय देखे से पकड़ इसने ।
वो शख्स तभी उस नौकर बोला छूना भी नहीं हमें वो भवानी जी को देख बोला आप हमे भूल गई तो भवानी जी उसे घूर बोली कौन से तू हालत देख लगे रोटी ना मिली तो काठे भी घुसा चला आवे
तो वो शख्स उनके पास आते हुए बोला ये आप क्या कह रही है हम तो भवानी जी पीछे हटते हुए बोली अरे परे हट म्हारे से
तभी उस शख्स का पर टेबल से टकराया की सीधा उनके पैरों में जा गिरा भवानी जी चीड़ बोली हे राम जी दूर हट म्हारे से ।वो दर्द से बोला आह दादी सा …आप ऐसा कैसा कर सकती अपने सिद्धू के साथ
तो भवानी जी उसे गोर से देखते बोली के बोला तू ...वो शख्स ओर कोई नहीं सीड था बेचारा अच्छी हालत बिगड़ी उसकी वो अब अपनी कमर पकड़ बोला क्या दिन आ गए अपने ही घर वाले हम पहचान नहीं पा रहे
भवानी जी उसे हैरानी से देख बोली छोरा तू तो सीड उन्हें देख बोला अब पहचान गई आप हमे
तो वो मुंह पर हाथ रख बोली थारी भली हो ये काय हाल बना लिया तभी किसी आवाज पड़ी उनके कानो में अब गलत जगह रात बीता लेई तो ये हाल तो होना से ।
तो भवानी जी उस ओर देखी सम्राट सीढ़ियों से नीचे उतर आ रहा था तो सीड खड़े होते हुए बोला आप तो कुछ मत कहिए भाई सा आपकी वजह से हम इस हालत में है आह हमारी कमर ।
तो सम्राट उसे आंखे छोटी कर देख बोला लागे है इब तक अक्ल ठिकाने कोनी आई थारी ।तो सीड का मुंह बन गया वो भवानी जी को देख बोला दादी सा आई मिस यू
वो उनके पास आता भवानी जी पीछे हट बोली पहले नहा ले फिर मिली म्हारे से
तो सीड बोला आप इतनी बदल गई प्यार नहीं करती वैसे अपने सिद्धू से ।तो भवानी जी आंखे छोटी कर। बोली नालायक थारी तो मै अच्छे से खबर लियु
तो सीड बोला क्या पर क्यों हमने क्या किया तोभवानी बोली सब पता से मने तने के के किया तो सीड बोला आप भी भाई सा की बातों में आ गई वो वैसा तभी भवानी जी आस पास देखते बोली म्हारी लाठी किने से इसने तो मै अवर बताओ
सीड जल्दी से दौड़ बोला आप हमे मारेगी दादी सा तो भवानी की उसके पीछे आते बोली रुक से ।
वो सोफे पर चढ़ दूसरी ओर कूद गया भवानी जी बोली छोरा ये काय करे से सीड तभी सुमित्रा जी के पीछे आ बोला मां आप तो कुछ कीजिए
तो भवानी जी घूर बोली बीने के बोले है वो सुमित्रा जी से बोली ओर तू के माने देखे से एक लगा अपने ई छोरे ने बड़ी जल्दी तने से इसने शहर भेजने की देख बिगड़ आवारा हो गयो से
तो सीड सुमित्रा जी कंधे पर चीन टिका बोला आप मां को डाट रही जाना तो हम ही चाहते थे तो भवानी जी उसे घूर बोली तू फ्रिक कोनी कर तने सुधारने वास्ते म्हारे पास भी उपाय से मैं देखूं किया थारे कदम ना ठहरते घर में
तो सीड बोला कैसा उपाय तो भवानी जी बोली पहले अपनी हालत सुधार फिर बात करी म्हारे से ।
तो सीड का मुंह बन गया सुमित्रा जी उसे बोली चाल म्हारे साथे।तो सीड उनके गले से लग बोला मां ...तो सुमित्रा जी धीरे से बोली चाल म्हारे साथे मने थारे कुछ बात करनी से
वो उन से अलग हो उन्हें देखा तो वो उसका हाथ पकड़ अपने साथ ले गई ।
वहीं रीत इस वक्त अपने नहाने के लिए पानी लेने आई थी तभी कोई उसका हाथ पकड़ खीच लिया यू अचानक होने से वो घबरा सी गई तभी वो आदमी उसके मुंह पर हाथ रख धीरे से बोला मै सु
तो रीत उसे हैरानी से देखने लगी वो आदमी ओर कोई नहीं गोपाल था धीरे से बोला मने गलत ना समझ से थारी हालत ना देखी गई तो थारी मदद करनी की सोची तने अठे से निकलने से
तो रीत उसे हैरानी से देख रही उसे अपने दूर करने लगी गोपाल धीरे बोला ठीक से जब भी म्हारी तने जरूरत पड़े अठे ही आ जावी मैं तने मिल जाएगा कोई भी जरूरत हो मने बिना झिझक के बोल देइ।
वो अब आस पास देख वहां से निकल गया रीत अब चेन की सास ली ये क्या था वो तो समझ नहीं पाई गोपाल उसकी मदद क्यों करना चाहता अब वो दीवार से हट पलट आने को हुई तभी किसी के सीने टकरा गई
तभी संभल पाती वो उसके कुर्ते को मुठ्ठी से भर ली नीचे की ओर झूल सी गई वही उस शख्स एक हाथ उसकी कमर पर आ गया
जैसे दोनों एक दूसरे को देखे रीत की आंखे बड़ी हो गई वही शख्स की आंखे सख्त वो ओर कोई नहीं सम्राट था
रीत उसे हैरानी से देख रही तभी सम्राट उसे झटके से खड़ा किया वो उसके सीने टकरा गई तभी दर्द हुआ सम्राट उसकी कमर पर पकड़ कस सख्त भाव से बोला फिर सामने आगी म्हारे ।
तो रीत उसके सीने पर हाथ रखे उसकी बाह से निकलते हुए बोली छोड़िए मुझे ।
तो सम्राट उसे घूरते हुए बोला तो अब जबान खुलने लगी थारी तो रीत उसे देखते हुए अब रोने लगी क्योंकि सम्राट ने जो उसके साथ किया उस वजह से काफी हर्ट हुई थी वो उससे
सम्राट ना जाने उसकी आंखों की वो नमी देख उसे झटक बोला अगली बारी म्हारे सामने आने हिम्मत ना करी वरना बचा प्राण भी गवा देवली
रीत फर्श पर जा गिरी वो उसे इग्नोर कर चला गया रीत सिसकने लगी ये इंसान आखिर क्यों बार बार उसे हर्ट करता है
वहीं भवानी जी हैरानी से बोली ये काय बोलो हो तो एक काफी बूढ़ा पंडित था वो उन्हें देख बोले मने जो इस वक्त दिखाई देवे वही बताओ थारे बड़े पोते की कुंडली बिया ठीक कोनी उस पर बीने अकाल ब्याह रचा लिया बहुत बड़ा अपशगुन हो गया से बीके कुंडली पर इस वक्त संकट छाया से
तो भवानी जी बोली कोई तो उपाय होसी इको। तो वो बोले एक उपाय से तो भवानी जी उन्हें देखने लगी तो वो उन्हें कुछ उपाय बताए तो उनके भाव बदल गए ।
वो उन्हें देख बोली तो ठीक से अब इया ही होवेगो ।वो बोले जो मने बताया उसका अच्छे से पालन होना जरूरी से वरना संकट टल कोनी तो मैं कुछ ना कर सकुला ।
अब आगे ।
आखिर ऐसा भी क्या उपाय दिया है पंडित ने
सम्राट के इस व्यवहार को रीत कब तक सहती रहेगी
कुछ तो इंटस्ट्रीइंग होने वाला दोनों के बीच
अब आगे
सम्राट का कमरा
आभा के बालों को कॉम्बो करते हुए विमला बोली मने कुछ तो गड़बड़ जरूर लागे हैं बड़ी रानी से ने सुबह से उ छोरी से कुछ ना कहा यहां तक उसने आज कोई काम वास्ते भी न बोला
तो आभा कुछ सोच रही तो विमला उसे देख बोली के हुआ बहु रानी ।तो आभा अपने बालों में उंगलियां चलते हुए बोली मने न लगे या छोरी म्हारो कुछ कर पावली कितनी बुद्धि तो ना चालती इसकी पर मने इसके दिन इस हवेली मुश्किल ना किया तो मैं आभा कोनी
तभी विमला आगे कमर पर हाथ रख बोली वाह बहु रानी मैं तो तने घणी चालक समझी पर थारे में म्हारे समझ कम से
तो आभा उसे घूर बोली के बोली तो विमला बोली म्हारो मतलब तने के लगे या छोरी होशियार कोनी अरे घनों दिमाग से इसमें अरे इसने तो बड़ी रानी सा तक धार दिया तो तने के लगे सरकार ने छोड़ेली
तो आभा की आंखे सिकुड़ गई बोली के मतलब तो विमला उसके पास नीचे बैठ धीरे बोली मै। तो के बोल सकी हु एक दूजी औरत जब घर में आ जावे है ने तो खबर लगती कब बा घर से कमरे फिर बिंद के पास बिके सीने में उतर जावे है
आभा गुस्से बोली थारो मतलब काय से तो विमला धीरे से बोली म्हारो मतलब से की है तो लुगाई ऊपर जवान रूप भी चटकदार किसी ने भी ललचावे एस अगर सरकार को जी बी छोरी पर आ जावेलो तो सो सोचो थारो तो के होवेलो।
तो आभा के भाव सख्त हो गए वो गुस्से बोली दफा हो आठे से ।तो विमला बोली पर मैं तो आभा बोली जावे के न जावे तो विमला खड़ी हो बोली मैं तो आबार बोलूं से दूसरी चिड़िया दाना चुंगे उ पहले किसान ने इंतजाम कर लेने चावे।
वो वह चली गई आभा के भाव कुछ डार्क से हो गए वो खुद से बोली न सम्राट सिर्फ म्हारे है
वहीं रीत सोच में थी आज भवानी जी उसे किसी कम का ऑर्डर नहीं दिया वरना अब तक तो विमला आ चुकी होती इस वक्त कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी सम्राट ने उसके साथ किस तरह से व्यवहार किया था
वो समझ नहीं पाती वो उसके साथ इस तरह से क्यों पेशाता था उसने ऐसा भी क्या कर दिया ये लोग इस तरह उसको टॉर्चर करते थे
अपने8 सोच में ही थी जितने में उसके कमरे का दरवाजा पर खटखटाया तो उसका ध्यान टूटा।वो अब दरवाजा खोली तो विमला थी उसे देख मुंह बनाई बोली आवे म्हारे साथी रानी सा बुलावे तने ।
तो रीत उसे कुछ कहती तो चल दी तो रीत अब उसके साथ आई वही अब भवानी जी के सामने सुमित्रा जी उनके पास ही थी अब उनकी नजर आती हुई रीत पर पड़ी ।
भवानी जी किसी सोच में थी विमला आ बोली को आ गई से तो भवानी अब रीत को देखी तो रीत उन्हें देखी भवानी उसे गोर से एक नजर ऊपर से नीचे तक देखी
भवानी जी उसे देख बोली कर ली आराम इब तो मन भर गया हो गया से थारा।तो रीत तो कुछ बोली नहीं तो भवानी जी सुमित्रा जी बोली ले जा इसने अपने साथ मने के बताया से याद से तने ।
तो सुमित्रा जी सर हिला बोली जी मासा ... वो रीत से बोली आव म्हारे साथ तो रीत उनके साथ चली गई
तो विमला अपनी आंखे सिकुड़ ली खुद में सोचते हु दाल में कुछ तो काला से तभी भवानी जी आवाज पड़ी अब तू के खिचड़ी पकावे से तो विमला हड़बड़ा बोली मैं कौनसी खिचड़ी तो भवानी जी उसे घूर बोली खड़ी देखे काय है जा महरी चाय लाव
तो विमला का मुंह बन गया वो दांत दिखा बोली आबार लाऊ पलट खुद में बड़बड़ाई वही सुमित्रा जी रीत को अपने कमरे में लाई तो रीत सब आस पास देख रही थी सुमित्रा जी पहले दरवाजा लगा उसके गालों पर हाथ रख बोली तू ठीक से ।
तो रीत उन्हें देखने लगी सुमित्रा जी होठों को देख बोली अभी तक जलन से गले में तो रीत ना में सर हिलाई तो सुमित्रा जी उसकी आंखों में देख बोली के हुआ
तो रीत बिना कुछ बोले उनके सीने लग गई सुमित्रा जी उसे अपने सीने लगाए बोली छोरी के हुआ तू ठीक से तो रीत सिसकने लगी तो सुमित्रा जी उसे अपने साथ बेड पर ले आई उसके चीन पर हाथ रख बोली के हुआ थारे से किसी कुछ कहा से ।
तो रीत उन्हें नम आंखों से देखी वो सम्राट ने उसके साथ किया वो कहना चाही पर ना जाने चुप रह गई अपने आसू पूछ बोली कुछ नहीं तो सुमित्रा जी उसे समझ अपने सिने लगा बोली मने कहा था ना थारे अठे औरत के आंसू किसी फर्क ना पड़े है
तो रीत उन्हें देख बोली ऐसा क्यों करते ये सब जैसे उन्हें दर्द होता नहीं तो सुमित्रा जी बोली छोड़ इब इन बाते वो उसके आसू पोंछ बोली रुक वो उठ अपनी अलमारी के पास आई उसमें कुछ निकाल अब रीत के पास आई
तो रीत उन्हें नासमझी में देखने लगी तो सुमित्रा जी बोली ये सब तने पहनने से तो रीत वो सब देखी काफी हैवी कपड़े साथ जेवर थे तो रीत उन्हें देख बोली ये सब तो सुमित्रा जी सामान रख उसके दुपट्टे को उतार बोली इब बाता कर समय कोनी जा पहले नहा ले
तो रीत उन्हें देख बोली पर ये सब का करना क्या है तो सुमित्रा जी उसके चीन हाथ रख बोली तने तैयार होने से तो रीत की आंखे सिकुड़ गई
तो सुमित्रा जी बोली पहले चाल नहा रीत कुछ कहती पर वो उसकी एक ना सुनी
वहीं दूसरी ओर कमरा जहां इस वक्त सीड घोड़े बेच सो रहा था शर्टलेस उसका टेबल पर पड़ा फोन कब से बज रहा था
वो नींद में ही टेबल हाथ फेरते हुए अपना फोन उठा पेट के बल सोए हुए कॉल पिक कर बोला बेबी अभी हमें बहुत नींद आ रही है कल ईविंग में मिलते तभी दूसरी ओर भारी आवाज आई इब तक थारी नींद पूरी कोनी हुई
तो सीड झट से बैठ फोन देख बोला भाई सा आप वो हम ...तभी सम्राट की आवाज आई मने सिर्फ इतना कहने तने फोन किया किया से कुछ देर का समय से थारे पास मने तू फैक्ट्री ने अपने सामने चाहे
तो सीड बौखला बोला फैक्ट्री बट वाय तो सम्राट बोला मने फोन पर लंबी बात का सोख कोनी अब सोच ले कितनी जल्दी तने अठे पहुंचना से वरना दादी सा ने इब तक जो रोक रखा से की उसकी बात पूरी होने से पहले सीड बोला नो नो आप ऐसा मत करिएगा हम बस सिर्फ5 मिनिट में पहुंच गए भाई सा
तो सम्राट बोला ठीक से अब मने तू अगले 5 मिनिट में म्हारे सामने ही चाहे तो वो कुछ कहता कॉल कट वो गया सीड का मुह बन गया वो बेड पर गिर गया बोला क्या यार कोई चेन से सोने नहीं देता है तभी झट से बैठ घड़ी की ओर देखा हैरानी से बोला ओह नो अगर सच में ना पहुंचे तो
वो कुछ सोचने लगा भवानी जी उसकी नजर उतरते हुए बोली आखिर मने तने घोड़ी चढ़ा ही दिया सीड उन्हें लाचारी से देखा अपने पास देख बैठी दुल्हन देख तभी वो सर ना में हिलाया बोला कभी नहीं जल्दी उठ बोला सीड सिर्फ एक लड़की के साथ नहीं रह सकता ।
कुछ देर बाद
एक बड़ी सी फैक्ट्री जो गांव से बाहर बनी हुई काफी बड़ी दायरे में फैली हुई वही अंदर की ओर चलते है
वहीं उसके सबसे ऊपर फ्लोर पर लिफ्ट ओपन हुई तो उसने जल्दी से सीड बाहर आया
वह से सीधा एक केबिन में आया आकर चेयर पर बड़े आराम से बैठ बोला हाश पहुंच गए तो अब सामने देख तभी सीधा हो गया
सामने सम्राट इस वक्त उसे खा जाने वाली आंखों से देख रहा था तो सीड आस पास देख तभी घड़ी दे वो दांत दिखा बोला ओह सिर्फ एक मिनिट तो ऊपर देखिए हम आपके सामने
पर सम्राट के चेहरे कोई भाव ना उमड़े तो सीड अब खड़ा हुआ बोला हमे क्या करना है भाई सा
तो सम्राट अब अपनी चेयर से टेक लगाया उसे देखते हुए बोला तने अब से फैक्ट्री संभालनी से
तभी सीड की आंखे हैरानी में बदल गई वो सम्राट के पास आ बोला क्या तो सम्राट नॉर्मली बोला लगे तने सुने कोनी अब से फैक्ट्री संभाल ओर इसी वक्त से तो सीड उसके पास आ पैरों में बैठ रोनी सी शक्ल बना बोला भाई सा क्यों ऐसा मत कीजिए ना
तो सम्राट उसे आंखे छोटी कर देख तो सीड अब सीधा खड़ा हुआ तो सम्राट बोला मने तो इतना अच्छे से जाने से जो मैं बोली सु फिर वापस ना लेऊ हु
तो सीड बोला पर हम तो ऑफिस संभालने वाले थे ना अब आप हमे ये फैक्ट्री दे रहे हमें इस गांव में भी रहना तो सम्राट उसे देखते हुए बोला वो तो मने थारे गुण देख लिए किया तू काम करे से
तो सीड बोला तो आपको हमारे काम अच्छा नहीं लगता तो सम्राट उसे देख खड़ा कंधे पर हाथ रख बोला मने थारे पर भरोसा से पर मैं चाहूं तो इस फैक्ट्री आगे बढ़ाना से एके साथ सारी फैक्ट्री की जिम्मेदारी मैं तने देऊँ हु
तो सीड बोला पर ऐसा क्यों हमे नहीं संभाली कोई जिम्मेदारी यार हमरी उम्र ही क्या थोड़ा तो इंजॉय करने दीजिए तो सम्राट उसे घूर बोला थारी मौज मस्ती किया होवे मने अच्छे से पता से पर अठे कुछ ना मिलने वाला तो सीड का मुंह बन गया
सम्राट अब से तने आठे के काम सब किशन समझावेगा तो सीड तो खुश नजर नहीं आ रहा उसकी आजादी जो छीनी जा रही थी उससे ।सम्राट आवाज लगा बोला किशन ।
तो अब केबिन का दरवाजा खुला एक आदमी अंदर आया दिखने कुछ खास नहीं क्योंकि छोटा सा जेट में दुबला पतला था
की वो सम्राट को हाथ जोड़ बोला घणी खंभा सरकार तो सम्राट बोला खंभा घणी वो सीड से बोला ये किशन से अब से ये थारी मदद कर सी फैक्ट्री के काम ने समझने में
तो सीड बिना देखे ही बोला क्या भाई आपको लगता हमें किसी ओर की जरूरत है तो सम्राट उसके कंधे पर हाथ रख बोला जरूरत हो भी न पर किशन ने अठे की सारी खबर से म्हारी गैर हाजरी में ये ही फैक्ट्री संभाल से तो तने अठे का काम समझने ने आसानी होवेली
तो सीड चीड़ से किशन को देख बोला ये हमारी मदद तभी वो गौर से किशन को देखने लगा कि किशन अपनी नजरे चुराने लगा अपनी आंखे पर लगा चश्मा सही करते हुए अब एक नजर सीड को देख
तो सीड उसे आंखे छोटी कर देख बोला यू.. तो कुशन का रंग उड़ सा गया वो किशन के पास आ बोला आखिर तुम मिल गए तो किशन उसे हैरानी से देखने लगा तो सम्राट की आंखे सिकुड़ गई
तो सीड किशन का हाथ पकड़ सम्राट से बोला भाई सा ये वही है जो हे रात को उस हालत में छोड़ भाग गया इसे तो हम छोड़ेगी नहीं तो किशन तभी बोला अरे आप ये काय बात करो सा मैं किया हो सकू
तो सीड उसे घूरते हुए बोला एक तो तुम्हारी वजह से w
हम गंदे कीचड गिर गए हमे उस हालत में छोड़ तुम हमारी मदद करने बजाए भाग निकले क्या सोचा था हम बच पाओगे
तो किशन अपना हाथ छुड़ाते हुए बोला ये थे काय बोलो है अरे मैं ना से तो सीड उसे घूर बोला अच्छा तो क्या एक तुम्हार भूत था तो किशन दांत दिखा बोला वो तो किया हो सके सम्राट को देख बोला सरकार हो सके इन्होंने म्हारे बेवड़े भाई ने देख लिया होसी।
तो सीड की आंखे सिकुड़ गई बोला क्या कौनसा भाई बेवकूफ समझते हो हमने तुम्हे ही देखा था किशन बोला हा हा मैं भी वही बोली सा अरे म्हारा भाई ठीक महरी तिया ही दिखे से ।
तो सीड इसे घूर बोला सब जानते है ये सब झूठ है तुम्हे तो हम तभी सम्राट की आवाज पड़ी सिद्धू
तो सीड उसे देखा तो सम्राट उसे देख बोला किशन झूठ ना बोले से तने कुछ गलतफेमी हो गई से तो सीड उसे हैरानी से देख बोला क्या भाई सा आप इस आदमी साइड ले रहे है
तो सम्राट उसे घूर बोला मैं। किसी साइड ना ले रहा ये सब नौटंकी खत्म कर काम शुरू कर मैं हवेली जाउ हु दादी सा को बुलावो आया से ।
तो सीड का मुंह बन गया किशन उससे हाथ ले अपने हाथ को सहलाने लगा सीड उसे बुरी तरह घूरा तो सम्राट बोला अब मने सारी खबर थारे से चाहे किशन थारी मदद करेगो ठीक से मैं चालू से
तो सीड बेमन से बोला जी भाई सा ।तो सम्राट तो निकल गया अब सीड खा जाने वाली आंखों से किशन को देख तो किशन तभी बोला अरे राम जी मैं किया भूल गया सरकार से पूछ से सीड की आवाज पड़ी रुको तो किशन अपनी आंखे मिच लिया खुद से मन में बोला प्रथा ये तू कहा फंस गई ये आदमी तो तेरे पीछे पद गया
तभी सीड बोला कम हेयर।तो किशन पलट बोला जो के बोले थे कौनसा हेयर ।तो सीड उसे घूर बोला हमने कहा इधर आओ तो किशन यानी प्रथा अब वो इस तरह से क्यों रहती क्या वजह है धीरे धीरे सब क्लियर होगा
वो धीरे धीरे आगे आई तो सीड आराम से सीट पर बैठते हुए बोला तो तुमने क्या कहा था वो तुमनही तुम्हारा भाई था तो किशन झट से बोला हा सच्ची थाने के लगे मैं इया कभी कर सकू तो सीड उसे ऊपर नीचे देख मुंह बना बोला वैसे भी तुम हमे सह नहीं पाओगे अगर हमने एक हाथ तुम उठाया तो
वो आराम से सीट पर फैल बोला अच्छा जो कुछ सारी फाइल्स अभी की अभी हम3 अपनी टेबल पर चाहिए तो किशन बोला जी सरकार अभी लाया से
वो जाने हो हुआ तभी सीड बोला ओह हेलो रुको तो किशन बोला के हुआ सरकार तो सीड बोला जरा हमारे लिए गर्म काफी भी लेते आना तो किशन खुशी से बोला हा सरकार तो सीड उसे घूर बोला तुम्हे काफी बनाना आता है
तो किशन बोला अरे थे भी किया बात करो ये ना आवेग मने घर में पूरी रसोई संभाल लियू मैं तो सीड बोला बस बस ज्यादा बोलने जरूरत नहीं पहले हमारी काफी लाओ
तो किशन अब बाहर आ अपनी मीठी बनाया मन में बोला ये खुदको समझता क्या है प्रथा इसे नौकर नजर आती है अब बनती हु काफी कभी पीना भूल जाएगा शरारत से मुस्करा दी
वहीं दूसरी ओर
सुमित्रा जी रीत के काला टिका लगा बोली घणी फुटरी लाग रही से वो उसकी नजर उतर दी तो रीत अपनी आंखे खोली तो सामने मिरर में अपने अक्स को देखी इस वक्त बहुत खूबसूरत लग रही थी
गुलाबी रंग राजपूती लहंगा सर पर छोटी बिंदी गले में हार हाथों में चूड़ियां कुल मिला कर बहुत प्यारी लग रही थी तभी दरवाजे दस्तक हुई सुमित्रा जी आई खोली तो विमला अंदर झांकते हुए बोली बड़ी रानी सा बुलावे नीचे तो सुमित्रा जी बोली आवे सा
विमला अंदर देखती सुमित्रा जी दरवाजा लगा दी तो विमला अपना मुंह बना दी वहीं आभा अपने कमरे में किसी फोन पर बाते कर रही बोली मां तने के लगे मैं उस छोरी टिकने दूंगी अरे तने ना बेरा काल के तमाशा हुआ से कोई ना चाहे उस छोरी ने घर में
दूसरी ओर से एक औरत की आवाज आई सुन ले महरी बात पल्लू से बांध ले अपने बिंद ने अपने बस में कर ले भरोसा कोनी के पता जो थारे से ना हुआ वो छोरी थारे से आगे निकल जावे फिर कुछ कर पाई सी तू
तो आभा कुछ बोलती तभी किसी चीज से लड़खड़ा गई अपने बेड पर गिर बैठ गई अपना पर पकड़ गुस्से बोली ये छोरे ने म्हारी नाक में दम कर रखा से इसने मैं छोड़ूंगी कोनी आह म्हारो पैर।
तभी सामने देखी आंखे छोटी हो गई बहुत ही क्यूट समय इस वक्त पर्दो के पीछे छिप हुआ उसके छोटे छोटे पैर नजर आ रहे वो पर्दे से आभा की जाका तो आभा अपना फोन अपनी कमर दबा या i उसे छिपा खड़ी हो बोली तने तो मै बताओ हु
तो समय जल्दी दूसरी ओर दौड़ा तो आभा उसके पीछे आई उसे पकड़ने तभी समय कमरे से बाहर दौड़ गया आभा हैरानी से बोली ये छोरा ।
वो उसके पीछे बाहर आई नीचे देख उसकी आंखे सिकुड़ गई सुमित्रा जी रीत को अपने साथ नीचे ले आई समय ऊपर से जल्दी जल्दी नीचे सीढ़ियों उतर आ रहा था पीछे की ओर देखा कही आभा उसके पीछे है
तभी वो सीढ़ियों से फिसल गया पर सीढ़ियों से गिरता तभी कोई उसे थाम लिया सुमित्रा जी हैरानी से देखी समय अपनी आंखे कस के मिच लिया तभी प्यार भरे स्पर्श को महसूस कर जैसे उसके चहरे डर गायब सा हो गया
ओर कोई नहीं रीत थी जिसकी नजर समय पर पद गई पर वो तो आज पहली बार उसे मिली थी वो प्यार से धीरे से बोली लगी नहीं ना तो समय उसे टीम तिमाते हुए देखने लगा ।
पर उसे रीत का चहरा नजर नहीं आ रहा सिर्फ उसके मुस्कराते वो गुलाबी से होठ जिन्हें देख वो भी अचानक खिलखिलाने लगा रीत उसे घुघट से मुस्कराते देख उसकी मुस्कराहट भी बड़ी हो गई
जैसे दोनों एक दूसरे को जानते हो तभी अचानक कोई उसे समय से दूर कर दिया रीत उन्हें देखने लगी तो भवानी जी उसे घूर बोली के करे से तू म्हारे लाडेसर के साथ
तो रीत उन्हें नासमझी में देखने लगी भवानी जी समय को ऊपर नीचे देख बोली काठे लागी तो ना थारे ।पर समय तो रीत को ही देखता जा रहा था भवानी जी एक नजर रीत को घूर समय को अपने साथ ले जाते हुए बोली चाल म्हारे साथ कितनी बार किया से इया ना दौड़ा कर ।
तो वो उसे अपने साथ ले जा रही थी कि जितने समय इन से हाथ छुड़ा आगे सामने की दौड़ा चला गया तो भवानी जी बोली अरे रुक लाग जावेगी
सामने देख वो चुप हो गयो समय जाकर आते हुए सम्राट के पैरो से लिपट गया सम्राट के होठों पर मुस्कराहट आ गई वो उसे गोद में ले बोला शैतान तने दौड़ने मना किया से ने मने
तो समय खिलखिलाने लगा तो सम्राट उसे देख बोला के हुआ क्योंकि अपने बच्चे के चेहरे की खुशी कुछ ओर ही दर्शा रही थी उसे जो एक पल में समझ जाता वो उसे क्या कहना चाहता है
तो समय उसे आप उसे हाथ उठा खुशी इशारा करते हुए तोतली आवाज में बोला म.. मां ।तो सम्राट के भाव कुछ बदल गए समय उस ओर देखते हुए बोला मां ।तो सम्राट उसकी दिशा में देखा तो उसकी आंखे सिकुड़ गई और कोई नहीं रीत खड़ी थी जो इस वक्त घुंघट में जिसमें सिर्फ उसके होठ नजर आ रहे थे ।
समय उसके गाल पर छोटे छोटे हाथ फेरते हुए उसे बोला मां .. मां .तो सम्राट जैसे कुछ समझ नहीं पाया उसका बच्चा रीत को मां क्यों बोल रहा है वो कुछ सोचने लगा था कि तभी
इसके आगे नेक्स्ट मै
यार समय थोड़ा मिल नहीं पाया इसलिए लेट हो जाता चैप्टर देने में वैसे कैसा लगा बताइए जरूर
वैसे समय ने रीत को मां क्यों कहा आखिर इसका क्या कारण है सम्राट क्या सोच रहा है अगर आप जानना। चाहते तो कमेंट करिएगा
समय उसके गाल पर छोटे छोटे हाथ फेरते हुए उसे बोला मां .. मां .तो सम्राट जैसे कुछ समझ नहीं पाया उसका बच्चा रीत को मां क्यों बोल रहा है वो कुछ सोचने लगा था कि तभी
तभी भवानी जी की आवाज पड़ी छोरा आ गयो तू तो सम्राट का ध्यान टूटा भवानी जी उसके पास आ बोली मने थारे से कुछ बात करनी से तो सम्राट उन्हें देख बोला हा बोल ।
तो भवानी जी उसे देख बोली अठे कोनी तो अब सम्राट समय को अपनी गोद से नीचे उतार बोला तू अठे ही बैठ मैं आऊ से तो समय जैसे उसकी कही बात एक पल में मान गया
वो सुमित्रा जी पास आया उनके आंचल से लिपट चोर नजर से चुपकेचुपके अब रीत को देखने लगा जो इस वक्त चुप सी खड़ी थी सम्राट के आने बाद से ही एक बार भी इस घुघट से भी उसने नजर उठा देख तक नहीं ।
पर जैसे कोई उसे ही देख रहा है ये महसूस कर वो अपने नजरे उठाई तभी सिकुड़ गई समय जो उसे देख रहा था तो सुमित्रा जी उसके बालो मैं हाथ फेरते हुए बोली के हुआ काय देखे है हा
तो समय देखा फिर रीत की ओर तो सुमित्रा जी रीत को देख समय को देख मुस्कराई समय बोली आव वो उसे गोद में उठा रीत के पास ला रीत से बोली ले इसे भी मिले ले लागे से इसने थारे से मिलना से ।
तो रीत समय को देख मुस्कराई समय के प्यार से गाल पर हाथ रख बोली अच्छा आप मुझे जानते नहीं तो समय उसके स्पर्श से खिलखिलाया तो सुमित्रा जी उसे एस देख बोली अरे देख किया हंसे जिया तने जाने से ।
तो रीत समय को देख मुस्कराई वो उसके चीन पर बोली अच्छा आप तो बहुत क्यूट हो तो समय उसके लिए अपनी बाहें उठाने लगा उसकी गोद में आने को तो रीत उसे अपनी गोद में उठा ली
तो समय छोटे छोटे हाथों से उसके होठों को छूने लगा तभी खिलखिलाने लगा जैसे वो इस वक्त उसे कोई समझ रहा था सुमित्रा जी बोली आज पहली बारी हो सी इया किसी गोद मैं ना जावे से वो समय के गाल खीच बोली अब देख किया खुश हो रहा से ।
तो रीत मुस्कराई बोली वैसे क्या नाम है इसका तो सुमित्रा जी बोली समय तो ना जाने ये सुन रीत के भाव कुछ बदल गए जैसे उसके आंखों के सामने किसी का चहरा सा आ गया
तभी वो समय को देखने लगी वो उसके घुघट को हटाने की कोशिश कर रहा था जैसे उसे देखना चाहता हो तो रीत उसके हाथ को पकड़ प्यार से बोली क्या हुआ तो समय घुघट में जाक सर टेडा कर टिमटिमाते हुए देखा तो रीत उसे देख मुस्कराई ना जाने उसकी वो आंखे किसी याद दिला रही हो उसे ।
तभी अचानक क्या हुआ रीत हैरानी से भवानी जी को देखने लगी वो उससे समय को छिन ली समय के बालों मैं हाथ फेर सुमित्रा जी घूर बोली तने इस छोटी म्हारे लाडेसर ने छूना भी किया दिया
तो सुमित्रा जी तो खुद घबरा गई बोली वो वो मासा तभी भवानी जी तेज आवाज लगा बोली बिंदनी ... तभी आभा ऊपर से जल्दी जल्दी आते हुए बोली जी दादी सा आई ।
तो अपने पल्लू को संभालते हुए उनके पास आ सर झुका बोली जी तो भवानी जी उसे गुस्से बोली थारे से एक टाबर ना संभाला जावे ।छोरो थारो से बार बार भूल जावे से
तो आभा सर झुकाए बोली वो ऐसा ना से तो भवानी जी उसे समय थमा बोली तो छोरे छोड़ काठे लागी रेवे थारे से कोई काम तो होवे ना अपना छोरा भी ना संभाला जावे थारे इतना ही से तो काल ही थारे घर
तभी आभा बोली ना दादी सा वो मैं बस कब से इसने ही ढूंढ रही से तो भवानी जी आंखे छोटी कर बोली अच्छा अब मने बनावे से
तो आभा बोली सच्ची थे तो जानो हो जिया बड़ा होने लग रहा से बीता खेल कुद बढ़ गया से इसका जब भी कमरा में आऊ ना जाने काठे छिप जावे है
तो भवानी जी उसे घूर बोली तो अब तने म्हारे छोरे को खेलनों भी आंखा मैं चूब लाग रहो से ।तो आभा बोलती तभी वो उसे हाथ दिखा बोली अब म्हारे आगे घनी लंबी जबान हो रही से थारी तो आभा धीरे से बोली माफ कर दियो दादी सा वो उसे उंगली प्वाइंट कर बोली कान खोले सुन ले म्हारा छोरा ने ई वो रीत की इशारा कर बोली आस पास भी ना भटकने देई।
तो आभा घुघट से रीत को देखी तो रीत को ऊपर से नीचे देखी तो भवानी जी बोली अब खड़ी काय जा छोरा ने अपने साथ लेर जा
तभी विमला बोली हा हा बड़ी रानी सा ठीक बोले वो रीत को देख मुंह बनाते हुए बोली अब किसी क्यान की नजरे अब पत्तो थोड़ी लागे छोरे के नजर लगते समय कोनी लागे से ।
भवानी जी सुमित्रा की को देख बोली ओर तू थारे में तो अक्ल से छोरे ने किने भी पकड़ा देवेगी तो सुमित्रा जी उन्हें देख बोली मासा आप जिया समझो बात बीया कोनी रीत तो बस तभी विमला बोली बुरों मत मान जो छोटी रानी सा ये छोरी भले अपने घर रेवे पर इसके मन में के चाले अब आपने तो पता कोनी
तभी भवानी जी उसे बोली ओर तू मने बतावली तने जो काम दिया से वो होवा के ना तो विमला के भाव बदल गए वो बोली वो बड़ी रानी सा वो लाडू तो बन गए
तो भवानी जी बोली तो तू अठे काय करे चल थाल तैयार कर तो विमला बोली जी पर लाडू तो हमेशा देवी मां के अठे ही जावे से तो के तो भवानी जी उसे आंखे छोटी कर बोली अच्छा तने बड़ी पंचायत से
तो विमला हड़बड़ा बोली ना मने के करना से आबार लाऊ से तो भवानी जी आभा से बोली तू ये अब तक खड़ी से तो वो अब समय को अपने साथ ले जाने लगी
पर उसका ध्यान भवानी जी आखिर करने की वाली उसमें था पर समय उसकी गोद में पर पीछे सिर्फ रीत को ही देख रहा था उसका मुंह ऐसा बना था जैसे रो देगा तभी आभा उसे बोली चाल म्हारे साथे आज थारी वजह से फिर मने सुनना पड़े से ।
तो वो उसे कमरे में ला गोद से नीचे उतार आंखे दिखा बोली लागे अब तने म्हारे डर ना लागे भूल गया तू मैं के कर सकू हु
तो समय जैसे सहम सा गया आभा उसे घूरते बोली रोई ना वरना बंद कर दूंगी उस कोठरी मैं समय खुदको छुड़ाने लगा तो आभा तभी उसके गाल पर एक लगा दियो रोने सा हो गया आभा गुस्से बोली चुप समझ ना आवे तने या ओर लगाऊं
तो समय के आंखों से आसू गिरने लगे वो ऐसा हो गया जैसे रोने की तक हिम्मत ना हो रही थी
वहीं भवानी जी सुमित्रा जी को देख बोली तू के खड़ी देखे से थारे से जो कही वो सब तैयार से तो सुमित्रा जी बोली जी मासा
तो भवानी जी कुछ ना बोली तभी विमला अपने हाथ में थाल लेकर आई बोली लो बड़ी रानी इब के कारणों से भवानी जी बोली का म्हारे सर रख दे के कारणों से अब के सब तने बताने पड़े से ।
तो उसका मुंह बन गया तो भवानी जी सुमित्रा जी से बोली ले इससे चल बारे लिए इसने तो विमला बोली आज कोई नवमी ना से तो देवी मां के ये लाडू
तो भवानी जी को देख चुप हो गई वो उसे घूर बोली इब थारे से पूछ जाऊ काठे के कारणों से तो विमला झट से सर ना में हिलाई तो भवानी घूर बोली चाल भीतर ओर काम पड़े से ।
तभी विमला मुंह बनाई पलट जाने लगी तभी रुक गई अब ऊपर से आते हुए सम्राट को देख जो इस वक्त काफी हैंडसम लग रहा था व्हाइट कुर्ते और पेंट । तो विमला उसे देख खुद से सोच मन में बोली ये के आज ये डोकरी करने के चाहवे मने तो दाल पूरी काली लागे ।
तो भवानी जी सम्राट को आता देख उनके होठों पर मुस्कराहट आ गई वो उनके बीच आया तो भवानी जी उसके पास आ उसकी नजर उतर उसके गाल पर हाथ रख बोली मने पता से म्हारा लाडेसर महरी बात कभी ना टालेगो।
तो सुमित्रा जी नासमझी में देख रही आखिर जानती तो वो नहीं आखिर भवानी जी चाहती क्या है ।पर सम्राट के चेहरे इस वक्त कोई भाव नहीं आखिर भवानी जी उसे ऐसी क्या बात की थी ।
भवानी जी बोली चाल वो रीत को देख बोली अब तू के देख खड़ी से तो रीत। उन्हें देखी वो इस वक्त किसी ओर ख्यालों में थी उसे सम्राट के आने भी एहसास नहीं था पर भवानी पुकारते ही उसकी नजर सम्राट पर पड़ते ही उससे नजरे ही फेर ली ।
भवानी जी बोली लागे पंगा में मेंहदी लागी से जो चला कोनी जावे थारे से इब के मूहर्त निकालू अलग थारे वास्ते
तो रीत उन्हें देख बोली पर आप मुझे ले जा कहा रही है तो भवानी जी उसे आंखे छोटी कर देखी तभी सम्राट की आवाज पड़ी और तू होवे कौन से ये जानने वाली
तो रीत उसे देखती रह गई सम्राट उसे सख्त आंखों से देख बोला जो बोला जावे वो वो कर बोलने जितनी तने थारी औकात कोनी दी से ।
वो भवानी जी से बोला मै बारे से थे आओ वो अब तेज कदमों बाहर की ओर निकल गया रीत उसे देखती रह गई ये क्या मतलब कुछ भी वो जान क्यों नहीं सकती आखिर उसके साथ हो क्या रहा वो उसे ले जा कहा रहे है
तो भवानी जी बोली मिल गयो जवाब इब ओर कुछ सुननो से तने तो रीत कुछ कहती तभी भवानी जी सुमित्रा जी बोली इसने अपने साथ बारे लिया और समझा देई इसने बारे कोई तमसा ना होने चाहे गलती से भी वरना बुरों कोई ना होय सी ।
वो तो चली गई सुमित्रा जी रीत से भी चल तो रीत बोली पर तभी सुमित्रा जी बोली मंदिर जावे से इब ओर सवाल ना करे से मने भी ना पता ।चाल मासा नाराज हो जाए
तो वो अपने साथ उसे बाहर के गई ऊपर से आभा ये सब देख अपनी मुठ्ठी कस ली तभी पीछे से विमला बोली मने जो लाग रहा से कही वो तो ना हो रहा से
तो आभा उसे गुस्से देखी तो विमला बोली मै तो थाने पहले कही या छोरी ना जाने एसो के जादू जाने से देखा कोनी किया सरकार के साथ रानी सा उस छोरी ने साथ मंदिर ले गई थाने तो कोई पूछो कोनी
तो आभा गुस्से में तिलमिलाई विमला उसके भाव देख बोली इब तो मने लागे से थारी जगह बा छोरी ले लेई इस घर के साथ सरकार के कमरे में
तभी आभा उसका गला पकड़ ली तो विमला हैरानी से खुदको छुड़ाते बोली ये काय करो स छोड़ो म्हारे से सास ना ली जा रही
तो आभा गुस्से बोली सम्राट सिर्फ म्हारे से ओर मैं किसी भी म्हारे छीनने ना दूंगी वो उसे झटक दी
तो विमला खांसने लगी आभा गुस्से चली गई विमला हैरानी से देखी खुद से बोली ये के बावली तो ना होगी हे म्हारा राम जी विमला आज तो तू बचगी वरना या तो तने मार देती ।
अब आगे
बाकी इसके अगले में कुछ इंटस्ट्रीइंग
आखिर भवानी करने क्या वाली है ओर क्या रीत वो स्वीकार पाएगी
मन्दिर ------------------
गाव का सबसे पुराने मन्दिर में एक ओर उतना ही लोगो की श्रदा इससे झुड़ी हुई है देवी माँ का मन्दिर था वही अब कुछ गाड़िया आकर वहा रुकी तो एक आदमी बाहर निकल पीछे का दरवाजा खोला तो उसमे अब सम्राट बाहर कदम रखा ....
जिसके चहरे का तेज हमेशा एक समान ही रहता था जेसे कोई भी देखे तो ठंडा पड़ जाए पर इस वक्त उसके चहरे को देख कहा नही जा सकता वो आखिर चल क्या रहा उसके दिमांग में ....
वही दूसरी ओर से भवानी जी बाहर आई गाडी से ...जो सामने मन्दिर को देख अपने हाथ जोड़ ली पीछे की ओर देख बोली इब के थारे पागा में मेहँदी लागी से ....तो सुमित्रा जी आते हुए बोली आई मासा ....वो अब रीत से बोली छोरी आव तो रीत बेचारी उपर से घुघट में उपर से उसका हेवी सा ल्हेग उससे गाडी से उतरा तक नही जा रहा ...
सुमित्रा जी उसकी बाहर आने में मदद की तो रीत का दुप्पटा अचानक खीच गया उसके सर से तो रीत पीछे मूड अपने दुपट्टे लेने ही लगी थी तभी कोई झटके खींचा भवानी जी थी वो उसे उड़ा गुस्से बोली अभी बारे कदम ना रखा पहले म्हारी उड़ानी शुरू कर दी तने एक ओढ़नों ना संभालो जावे थारे से
तो रीत तो उन्हें देखती रह गई वो उसका हाथ सकती से पकड़ बोली अगर बात म्हारे छोरे की ना होती ने तो मैं तने छोड़ती ना सिर्फ दो दिन की ओर बात से फिर मैं तने थारी औकात फिर बीया ही दिखाऊ
तो रीत उनकी बात समझ ना पाई l तो भवानी जी गुस्से बोली अब चाल बेगी वो उसे अपने साथ खींच ले जाने लगी
आगे ला गुस्से बोली चाल अपने बिंद के लारे रीत संभलने लगी लगेगे की वजह से लड़खड़ा गई तभी आगे किसी से टकरा गई संभलने की उसे ही पकड़ ली
तो अब घुघट से नजर उठा देखी उसकी नजरे सम्राट की कठोर नजरों से टकरा गई जो इस वक्त उसे घूर रहा था तो रीत की बड़ी बड़ी आंखे उसे ही घुघट से देख रही थी
तभी भवानी जी आवाज पड़ी चाल छोरा तो रीत सम्राट से दूर हो गई वो उसे इग्नोर कर अपने कदम आगे बढ़ाया तो भवानी जी रीत से बोली तू काय खड़ी देख चाल अपने बिंद के लारे लारे....
तो रीत धीरे धीरे कदम चलने लगी
मंदिर
सम्राट देवी मां के मूर्ति के आगे खड़ा उसके ठीक बगल में रीत थी पंडित जी पूजा की थाल उसके आगे किया सम्राट थाल अपने हाथ से उठा लिया
तो भवानी जी रीत का हाथ सम्राट की बाह पर रख बोली इब के सब मने बतानों पड़ सी तो ये होते ही रीत नजर उठा सम्राट को देखी जो इस वक्त सामने देख रहा था रीत खुद सोचने लगी रीत ये सब हो क्या रहा है आखिर ये लोग चाहते क्या है मुझे इतना अजीब को फिल हो रहा है
आरती शुरू हुई वो अब सामने मूर्ति को अपनी आंखे बंद कर बोली मां मुझे शक्ति दीजिए इन लोगों से लड़ने की ये इंसान है नहीं कोई कैसे इतना निर्दयी हो सकता है
आरती पूरी हुई पंडित जी बोले मां के मंदिर के 7 परिक्रमा करनी से वो भी जोड़े से ।
भवानी जी सम्राट ओर रीत गठबंधन बांध दी रीत ये सब क्या हो रहा है वो कुछ समझ नहीं पा रही आखिर ये लोग इन इंसान वो अब घुघट से नजर उठा सम्राट को देखी उसी वक्त उसकी भी नजरे उस पड़ी
रीत का चेहरा हल्का हल्का नजर आ रहा था रीत के उसे देखते वो कठोरता से अपनी नजरे उससे फेर लिया तो रीत की आंखे सिकुड़ गई
तो भवानी जी सम्राट से बोली चाल मंदिर के चारू मेर फेरी लेने से तो सम्राट अब बिना भाव से आगे बढ़ा रीत तो वैसे ही खड़ी थी भवानी जी बोली छोरी तने के अलग से बोलने पड़ेगा
तो रीत उन्हें देखी तो भवानी जी सर पकड़ बोली अरे चाल अपने बिंद के सागा तो रीत अब सम्राट को देखी अब अपने कदम उसके पीछे पीछे बढ़ाने लगी
तो दोनों ही मंदिर के चारों ओर फेरे ले रहे थे सम्राट आगे रीत ठीक उसके पीछे ।हवा चलने से उसका दुप्पटा उड़ने लगा तो उसे संभालने में तभी उसके पैरों में उसका ही लहंगा उलझ गया वो उलझ गिरने लगी जिससे संभलने में वो आगे सम्राट की बाह को पकड़ ली ये तू अचानक होने से सम्राट के हाथ उसकी कमर पर आ गए
वहीं रीत उसके कुर्ते को मुठ्ठी भर ली वो आंखे बड़ी कर सम्राट को देखने लगी सम्राट की नजर भी एक जगह ठहर गई उसके होठों पर घुघट के ऊपर सरकने से उसके होठ नजर आने लगे थे जिन पर सम्राट की नजरे ठहर गई
पहले ही रीत इस रूप में उसे किसी ओर याद दिला रही थी उसके ये होठ ही थे जो उसे किसी याद दिलाते थे तभी एक नजर रीत को देख तभी उसके भाव कठोर हो गए वो उससे हाथ ले लिया
रीत गिरते गिरते बची खुदको संभाला ही था सम्राट कठोर भाव से बोला देख ना चला जावे थारे से तो रीत खुद को संभाल उसे देखती रह गई सम्राट उसे इग्नोर कर आगे चलने लगा वो उसे देखती रही तभी उसका दुप्पटा सम्राट के साथ ही खींचा चला जाने लगा तो उसे हैरानी से देखी अपने लहंगे को संभाल उसके साथ चलने की कोशिश करने लगी
अब फेरे पूरे कर ही थे रीत सम्राट को घूर मन में बोली ये इंसान इतने अजीब क्यों है पंडित जी थाल आगे बढ़ाए जिसमें सिंदूर रखा था ।
तो सम्राट बिना भाव से सिंदूर ले रीत को देख तक ना उसकी मांग में सिंदूर भर दिया पर ये होते ही रीत को जैसे वो सब आंखों के सामने आ गया सम्राट ने उसकी शादी के दिन किया था उसकी आंखे भोजल सी हो गई
अब सम्राट भवानी जी के पैर छुआ तो भवानी जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली खुश रे। सम्राट का फोन बजने लगा तो वो फोन देख वहां से दूसरी ओर चला गया ।
तो अब वो रीत को देखी जो नजरे झुकाए खड़ी थी तो सुमित्रा जी रीत के पास आ धीरे से बोली छोरी आर्शीवाद ले मासा से ।
तो रीत का ध्यान टूटा वो भवानी जी को देखी तो वो उसे घूरते हुए देख रही थी तो रीत बिना कुछ कहे आगे बढ़ उनके पैर छू ली तो भवानी जी उसे देख बोली आखिर म्हारे आगे झुक गई
तो रीत उन्हें देखने लगी भवानी जी तिरछा मुस्कराई तो रीत उनकी आंखों में देखते हुए बोली मुझे लगता है आपको किसी आगे झुकने ओर किसी का आदर करने फर्क नहीं पता तो भवानी जी भाव सख्त पड़ गए रीत उन्हें देख नॉर्मल ही मुस्कराई बोली मैं सिर्फ आपके पैर छुए क्योंकि आप मुझ से उम्र में काफी बड़ी ओर बढ़ो को आर्शीवाद लेने में कैसी शर्म ।
तो भवानी जी उसे घूरी तभी सुमित्रा जी बोली मासा तो भवानी जी उसे कठोर आंखों से देखी तो वो बोली वो लाडू चढ़ाने से तो भवानी जी सर पर हाथ धर बोली तू इब बोली से दे मने तो सुमित्रा जी लेकर आई
तो भवानी जी उने छीन बोली एक काम ढंग से ना होवे थारे से वो चली गई तो सुमित्रा जी गहरी सास ली तो रीत उन से बोली ये इतना गुस्सा क्यों करती है तो सुमित्रा जी उसे मुस्करा बोली ऐसा ना है अब कोई कमी रहे से वो मासा ने पसंद कोनी ।
रीत आस पास देख रही थी तभी रीत की नजर एक ओर ठहर गई वो देखते उस ओर आने लगी तो सुमित्रा जी उसे एस जाते देख बोली छोरी काठे जावे से ।पर रीत का ध्यान तो उस ओर था वो सब उसकी आंखे हैरानी में बदल गई
अभी के लिए इतना ही बाकी का नेक्सट में
पर ये कहानी मैं आगे लिखूं कि नहीं क्योंकि ये लोग तो स्टोरी रिजेक्ट कर चुके ।
रीत आस पास देख रही थी तभी रीत की नजर एक ओर ठहर गई वो देखते उस ओर आने लगी तो सुमित्रा जी उसे एस जाते देख बोली छोरी कठे जावे से ।पर रीत का ध्यान तो उस ओर था वो सब देख उसकी आंखे हैरानी में बदल गई
अब था ही कुछ एसा ....छोटे छोटे बच्चो की शादी हो रही थी ....इतने छोटे जो बच्ची थी बहोत छोटी सी वो बच्चा उससे कुछ ही उम्र बड़ा....ये देख रीत मन्दिर की कुछ सीडिया उतर उनके बीच आ बोली रुक जाइए ....
वो सब उसे देखने लगी रीत हेरानी से बोली ये ये आप कर क्या रहे है ....तभी एक आदमी जिसकी बड़ी बड़ी मुछे उम्र में था रीत उपर से निचे देख बोला पहले तो तू बता तू कोन से ...इया बीच में चली आई दिख ना रहा के हो रहा से ...
तो रीत उन्हें देख बोली दिखाई दे रहा है पर लगता आप लोगो ने अपनी आखे बंद कर रखी है ये सब जानते भी ये आप लोग कर क्या रहे इतने छोटे छोटे बच्चे जो मतलब नही जानते आप लोग उनकी इस तरह शादी करवा रहे है जानते है ये एक अपराध है ...
तो वो आदमी उसे कठोर नजरो से देख बोला अच्छा तो तू बतावेगी ....ओर है कोन तू थारे में जरा भी लाज शर्म कोणी जो किसी आ मुंडे लाग रही से ....थोड़ी भी लाज है की ना ....
तो रीत उन्हें देख बोली शर्म तो आप लोगो को आणि चाहिए ...जो इस तरह की हरकत कर रहे खुद अपने हाथो अपने बच्चो का भविष्य बर्बाद कर रहे है ये बच्चे जानते भी इनके भविष्य पर कितना गलत असर पड़ सकता है आप लोग इन्हें पढाने लिखाने की जगह इनकी इस छोटी उम्र में शादी करवा रहे है .....
तो तभी दूसरा आदमी गुस्से उसके सामने आ बोला अच्छा तो तू सिखाएगी माहने है कोन से तू तो रीत उसकी आखे में देख बिना डरे बोली मैं कोन भी आप लोग ये सब नही कर सकते वरना ....
तो वो आदमी सख्त आवाज में बोला वरना के करेगी ...तो रीत बोली मै आप सभी की पुलिस कम्प्लेंट करुगी ...तभी किसी आवाज पड़ी छोरी ...तो ये सुन रीत पीछे की ओर देखि वो सभी के भाव कुछ बदल गए रीत देखि तो ओर कोई नही भवानी जी थी ....जो इस वक्त गुस्से में थी ...
वो आदमी उन्हें देख उनके पास आ हाथ जोड़ प्रणाम करते हुए बोला रानी सा आप अठे ....तो भवानी जी रीत को घुर देख रही थी वो आदमी उन से बोला आच्छा हुआ थे अठे मिल गये म्हारे छोरे को ब्याह से आर्शीवाद मिल जाई से थाको ....
तो भवानी जी उसे देख बोली थारे छोरे का ब्याह से ....तो वो आदमी हाथ जोड़ बोला हां रानी सा ओर पतो कोणी या छोरी कठे से बीच में आ गयी से न जाने कोनसी सी कोट कचेरी की बाता बोले से ...
तो भवानी जी कठोर नजरो से रीत को घुरी पर रीत को फर्क ना पड़ा ....तो भवानी जी उसे घूरते हुए आगे आई ....तो रीत उन्हें देख रही थी भवानी जी उसे घूरते हुए बोली थारी जबान बस में कोणी रहे अठे भी म्हारी उड़ाने को एक मोक्का कोणी छोड़े तू अठे आई किया तू बोल ....
तो रीत उन्हें देखते हुए बोली आप तो इस गाव की बड़ी है आप ही देखिये ये लोग कितना गलत कर रहे है तभी भवानी जी उसकी सख्ती से बाह पकड़ आखे दिखा बोली चुप कर छोरी ....ओर यो म्हारो गाव से अठे वो ही होवे से जो होतो आयो से
तो रीत उनके एस पकड़ने से दर्द हुआ पर वो उन्हें देख बोली पर ये गलत है ओर आप इनका साथ दे रही है तो भवानी जी उसे घुर बोली चाल म्हारे साथ अच्छा से बताऊ तने ...
वो उसकी बाह पकड़े अपने साथ ले जाने लगी तो रीत उनके हाथ को हटाते हुए बोली नही मै कही नही जाउगी ये होते मै नही देख सक्ति ....तो भवानी जी उसे सख्त आखो से देख बोली अच्छा तो के करेगी मै भी देखू से तू के करे से म्हारे गाव में वो ही होई से ...
तो रीत उन्हें देख बोलने को हुई तभी सुमित्रा जी उसके पास बाह पकड़ बोली छोरी चुप कर ....तो रीत ना में सर हिला बोली नही ...वो भवानी जी को देख बोली इन्हें पता होना चाहिए ये जो कर रही है वो गलत है इसका लोगो के जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है ये इन्हें पता होना चाहिए ....
तो भवानी जी अपनी मुठी कस ली आस पास ये सब लोग देख रहे थे ...आज तक उनके सामने कोई नजर तक भी ना उठाया था पर यु सबके सामने रीत उनकी आखो में आखे डाल बोल रही थी ...रीत उन्हें देख बोली आप कहती खुदको ये आपके इस गाव में जो होता आया वो ही हो रहा है पर क्या आप जानती जो आप होने दे रही है उसका इस गाव आखिर केसा असर पड़ रहा है
तभी किसी भारी आवाज सबके कानो में पड़ी ..जिसे सुन रीत चुप सी पड़ गयी ...भवानी जी रीत को घुरी ...रीत अब भवानी जी पीछे की ओर नजर उठा देखि तो घबराहट सी बढ़ सी गयी ...सम्राट जो काफी गुस्से में था ....
भवानी जी रीत की आखो में आये उस खोफ को देख अब उसे घुर देखि ....सम्राट उस पर अपनी कठोर निगाहें गडाए अब अपने कदम आगे बड़ा उसकी ओर आया तो रीत उसे एस आता देख अपने लहेगे की मुठी बना ली सम्राट उसके सामने आ बेहद सख्त आखो उसकी आखो में देखते हुए बोला थारी हिम्मत किया हुई इस तरह बात करने की .....
तो रीत की जेसे आवाज ना निकल पा रही थी वो सम्राट की वो गुस्से भरी नजरे देख ही .थोड़ी सहम सी गयी ..पर खुदको अब कमजोर नही पड़ता महूसस कर कोशिश कर बोली वो ...
उससे पहले ही सम्राट उसकी बाह बेदर्दी से पकड़ उसे झटके से अपने करीब खीचा जिस वो खिची चली भी गयी उसके एस पकड़ने से उसकी दर्द से आह भी निकल गयी थी ....वो सख्त भाव से उसकी बाह पर पकड़ कसते हुए बोला बहोत जबान चले से थारी तो अब मैं देखू कितनी चाले से....
तो रीत उसके एस पकड़ने से ही दर्द से आखे मीच ली थी वो उसे अपने साथ उसकी बाह पकड़े हुए गुस्से में ले जाने लगा ...तो सुमित्रा जी हेरानी से देख भवानी जी के पास आ बोली मासा ये थे रोकू नि ...सम्राट बहोत गुस्सा में से अगर कोई ....तभी वो चुप हो गयी भवानी जी उसे आइब्रो उठा देखि ...
सुमित्रा जी सर जुका ली बेचारी मजबूर थी भवानी जी बोली अब घणी जबान चाले थारी भी चाल अठे से ..तो सुमित्रा जी बोली पर ..तभी भवानी जी उन्हें घुरी तो वो चुप हो गयी भवानी जी बोली घणी फ्रिक हो रही से तने ...तो वो बेचारी अब क्या बोले पर सच में फ्रिक तो हो रही जिस तरह से सम्राट रीत को अपने साथ ले गया था ....
वही आखिर हुआ क्या था .रीत सम्राट के इस तरह खिचे ले जाने से बेचारी उसके साथ खिची चली आ रही थी हाथ पर बहोत दर्द हो रहा वो उसे पकड़ इस तरह से था वो उसे मन्दिर से बाहर ला गाडी का दरवाजा खोल आव देखा ना दाव ...उसे पीछे की सीट पर धकेल दिया रीत जा गिरी ...अपनी बाह को सभाली जहा सम्राट की अब उंगलिया छप गयी थी उसके आसू गिरने लगे थे इस तरह पकड़ने से दर्द जो हो रहा था पर अब तक वो ये सब देख रही थी जितने में गाडी की सीट पकड़ ली
अब सामने देखि तो सम्राट इस तरह गुस्से में गाडी ड्राइव करते देख डर गयी ...सम्राट काफी गुस्से में था ....पर गाडी एस स्पीड वहा से घुमाया वहा सभी आस पास लोग में भाग दोड मच गयी रीत डर के मारे सीट को पकड़ ली
सम्राट गाडी वहा से बाहर ले आया रीत आस पास देखते हुए हेरानी से सम्राट को देखने लगी आखिर वो करना क्या वाला है ....उसकी तो इतनी भी हिम्मत ना थी वो कुछ बोल भी सके पर उसकी आखो से आसू गिरने लगे थे .....
सम्राट ओर स्पीड बड़ा दिया तो रीत सिट से ही निचे गिरने को हुई जेसे तेसे खुदको सम्भाली रोते हुए बोली नही गाडी रोको .....मुझे मुझे चक्कर आ रहे है ....वो अपना सर पकड़ ली ....
पर जेसे उसकी आवाज सम्राट के कानो में जा नही रही वो तो स्पीड ओर बड़ा दिया .तो रीत अपना सर पकड़ रोते हुए डर से सीट को कस के पकड़ बोली रोको ...उसका सर घुमने लगा था .ये उसे बचपन से ही था गाडी से फोबिया था जेसे स्पीड तेज होती वो इस तरह से घबरा जाती उसका सर चकराने लगता ...उसी वजह से अब रोने लगी थी ...
सम्राट तो स्पीड ओर बड़ा दिया उस कच्चे रास्ते पर भी वो बहोत स्पीड चला रहा था आस पास पूरी धुल ही धुल हवा में उड़ने लगी थी .....रीत का सर घुमने लगा तो उसकी आखो के सामने अँधेरा सा छाने लगा था जो उसे चक्कर की वजह से हो रहा था ...
ना जाने कब वो बेहोश हो सिट पर गिर गयी उसे भी खबर ना लगी .....
अब धीरे धीरे उसकी आखे खुलने लगी .....तो वो अपना सर पकड़ ली उसका सर जो दर्द कर रहा था पर जेसे आस पास देखि तो उसकी आखे पूरी खुल गयी वो इस वक्त भी गाड़ी के सीट पर लेती ही थी पर आस पास तो अँधेरा था ...वो अब जल्दी से बेठ गयी तभी उसकी आखे हेरानी में बदल गयी ...आस पास सिर्फ जंगल था वो इस वक्त गाडी में अकेले थी ...
ये सब देख जेसे उसकी रूह सी काप गयी क्युकी आस पास एसा जंगल था दूर दूर तक कोई नही नजर आ रहा था ...वो चारो ओर देख रोने ही लगी थी तभी दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगी पर दरवाजा तो लोक था वो रोते हुए चीलाई कोई है .....
पर उसकी आवाज बाहर जायेगी तब ना ....वो विंडो पर मारने लगी ....रोते हुए बोली कोई है क्या ....please मेरी मदद करो please ...वो इतना रो रही थी इस वक्त ...उस पर क्या बीत रही होगी ये सोचा नही जा सकता डर से जान निकल रही थी ....इस वक्त अकेले वो भी इस घने से जंगल में अकेले केसे आखिर सम्राट कहा गया .....
वो हाथो में चहरा ढख रोने लगी ...उसके साथ आखिर हो क्यों रहा ...तभी उसके कानो कुछ आवाज सी हुई ....तो वो झट से गाडी देखि ...तो अब गाडी का डोर खोली तो ये क्या वो खुल गया ये केसे हुआ उसे भी नही पता ये होते जल्दी से बाहर निकली पर ल्हेगे की वजह से मुह के बल सीधा जमीन पर जा गिरी उसकी आह निकल गयी ...
अब धीरे धीरे उठ बेठने लगी अपने पैर की चोट देखि घुटने पर खरोच आई थी ....पूरी हालत दयनीय सी हो गयी चहरा आसुओ से भरा हुआ दुप्पटा निचे गिर गया था सिर्फ ल्हेगे ओर कुर्ती में थी ...अपनी चोट को देख रही थी तभी उसके कानो में किसी के घुराने की आवाज पड़ी तो मानो जेसे ठंडी ही पड़ गयी हो ...
उसका शरीर जेसे जम सा गया वो धीरे धीरे चहरा पीछे की ओर मोड़ने लगी ...कोशिश करते हुए उस ओर नजर उठा देखि जेसे पेरो तले जमीन खिसक गयी हो ...क्युकी सामने एक काफी बड़ा सा शेर था ....जो इस वक्त उसे ही देखते हुए घुररहा था ...तो रीत उसे देखते उसकी आखे जेसे बड़ी हो गयी ....वो जेसे विशवास ना कर पा रही इस तरह एसा कोई जानवर उसके सामने होगा वो भी उसे ही घुराह रहा था उसमे तो अब हिलने तक जान नही बची थी वो शेर फिर से उसे देख घुराया तो रीत फफक पड़ी थी झट से पीछे जमीन पर खिसकी ...उसमे खड़े होने तक हिम्मत ना थी ....
वो शेर उसे देखते हुए उसकी ओर कदम बडाया तो रीत घुट सी गयी आस पास देख मदद तक के लिए चिलाने तक की उसमे जान ना थी ....पर उसे कुछ करना होगा ये सोच वो क्या करे वो शेर उसे लगभग घूरते हुए उसकी ओर बढ़ रहा था ....
तो रीत कापने लगी थी तभी ....
इसके आगे का नेक्स्ट में पसंद आया तो बताइयेगा आखिर सम्राट है कहा अब रीत के साथ क्या होगा ...
जानना चाहते तो बताइयेगा जरुर !
शेर उसे देखते हुए उसकी ओर कदम बडाया तो रीत घुट सी गयी आस पास देख मदद तक के लिए चिलाने तक की उसमे जान ना थी ....पर उसे कुछ करना होगा ये सोच वो क्या करे वो शेर उसे लगभग घूरते हुए उसकी ओर बढ़ रहा था ....
तो रीत कापने लगी थी वो शेर उस पर ओर घुराया तो रीत जोर से फफक पड़ी वो शेर ओर उसके पास आया तो रीत डर के मारे अपने चेहरे पर हाथ रख ली रोने लगी
तभी उसे महसूस हुआ वो शेर उससे दूर जा रहा है तो झट से हाथ हटाई आंखों से वो शेर कार के दूसरी ओर चला गया तो रीत ये देख कोशिश कर दरवाजे के सहारे खड़ी होने लगी पर उसके पर में चोट आई जिस वजह से उसकी आह निकलती अपने मुंह पर हाथ रख आस पास देखी आखिर जाए कहा
तभी दूसरी ओर रास्ता देख धीरे धीरे आगे बढ़ी पर जैसे थम सी गई जब उसके कानो में फिर से घुराने की आवाज पड़ी वो तो अपनी मानो सांसे ही रोक ली ।
अब कोशिश कर पीछे की ओर देखी तो हैरानी में आंखे बड़ी हो गई वो शेर उसे देख ही घूर्रा रहा था तो रीत अब धीरे धीरे कदम पीछे लेने लगी तभी लहंगे की वजह से लड़खड़ा गई
सीधा जा गिरी उसकी जोरो की आह निकल गई हाथ पर चोट आ गई थी उसका दर्द उसके चेहरे पर झलक आया था फिर भी अपने दर्द को भुला कोशिश कर उठी
तो शेर को अब अपने पास आता देख खुदको हिम्मत दे खड़ी हुई वो शेर उस जोर दहाड़ा तो रीत डर अपने लहंगे को मुठ्ठी में भर अब अपने लहंगे ऊपर उठा जल्दी से आगे की दौड़ी की वो शेर अब उसे भागता देख उसके पीछे दहाड़ते हुए दौड़ा
वो उस हालत में कितना ही दौड़ पाती वो भी शेर की स्पीड के आगे उसका पैर मूड गया सीधा जा गिरी मुंह के बल बस सर पर चोट ना आई तभी पीछे पलट झट से देखी वो शेर उस पर छलांग मार दिया ये होते झट से दुबक गई
उसका दिल तो इस वक्त था जैसे बाहर आ गया हो पर उसे कुछ महसूस ना हुआ तो वो हांफते हुए सर उठाई चहरा पूरा पसीने से भीगा सर पर दुप्पटा नहीं सिर्फ लहंगे ओर कुर्ती में थी
पर जैसे सामने की ओर देखना चाही उसकी आंखे खुल ना पाई आंखों पर सीधे रोशनी पड़ी वो अपनी आंखे के आगे हाथ कर ली
अब उसके कानो में कुछ अजीब सी आवाज पड़ी उस शेर की तो रीत आंखों से हाथ हटा कोशिश की देखने की पर उसे अब एक शख्स परछाई सी दिखी उस रोशनी में
तभी उसकी आंखे हैरानी में बदलने लगी जब उसे नजर आने लगा अब था ही कुछ ऐसा सामने वो शख्स ओर कोई नहीं सम्राट था पर उसे उस शेर के साथ इस तरह देख उसकी मानो फटी रह गई हो
वो शेर सम्राट के चारों ओर घूम अपने सर को उसके पैर से सहलाया इतना शांत वही सम्राट की नजर रीत पर थी
रीत तो ये अपनी बड़ी बड़ी आंखों से देख रही थी सम्राट रीत को देखते हुए उस शेर के सर पर हाथ फेरते हुए बोला शाबाश तो शेर जैसे उसकी बात समझ दहाड़ा
तो सम्राट रीत को देख बोला अब के हुआ थारी जबान तक ना खुल रही थारी तो रीत के आंखों से आसू गिरने लगे मतलब ये सब ये इंसान उसके साथ कर रहा था
वो फफक पड़ी तो सम्राट शेर से बोला शेरा तो वो शेर जैसे उसकी बात समझ रहा हो सर हिलाया तो सम्राट बोला चाल अठे से
तो शेरा की उसकी एक बारी में मान सर हिलाया कि रीत उसे देखी तो शेरा उसे देख दहाड़ा तो रीत डर से पीछे खिसक गई वो शेर उसकी ओर आया
तो रीत ऐसा होने से डर से दुबक गई कोशिश कर उठी शेरा उसे देख फिर से दहाड़ा तो ये होते रीत डर चिहुंक गई बेचारी फिर गिरने को हुई पर इसमें वो सम्राट के सीने से जा भिड़ी उसके कुर्ते को मुठ्ठी से भर की संभलने के लिए
सम्राट के एस करीब रीत को देख जैसे शेरा गुस्से से भर गया उसे देख जोरो जोरो दहाड़ने लगा
तो रीत डर से सम्राट को कस के पकड़ उसके सीने में चहरा छिपा रोने लगी क्योंकि उसकी डर से जैसे जान निकल रही थी पर ये होने पर रीत का तो ठीक था सम्राट को ना जाने क्यों एक करंट सा महसूस हुआ
वो रीत को देखने लगा जो उसके सीने में दुबके रोने लगी थी एस कस के पकड़ी थी जैसे कोई उसे उसको अलग ना कर पाए वो उसके आगे इतनी छोटी सी की सीने तक भी ना आ पाई थी ।
रीत डर उससे ओर चिपक गई तभी सम्राट शेरा से बोला सुना कोनी तने मने के कहा ये होते शेरा शांत सा पढ़ गया
सम्राट उसे देख बोला जा अट्ठे से ।तो शेरा सर हिलाने लगा वो वहा से चला गया कि सम्राट अब रीत को देखा जो उसके सीने में ही चहरा छिपाए थी
तभी वो उसकी बाह सख्ती से पकड़ अपने झटके से दूर किया रीत को कुछ कहने को हुआ पर ना जाने क्यों कुछ बोल ना पाया
रीत का आंसुओं से भरा चहरा जब उसके सामने आया रीत भीगी आंखों से उसे देखी फफक पड़ी उसके हाथ को झटक दी सम्राट का ध्यान टूटा जैसे ही उसके भाव कठोर पड़ गए
रीत अपने चेहरे को ढक रोने लगी तो सम्राट की आंखे छोटी हो गई रीत को देख पर ना जाने एस ही किसी लड़की झलक उसके सामने भी आ गई
रीत के रोने आवाज कानो पड़ी तो वो रीत की बाह पकड़ गुस्से से बोला अब समझ में आ गई थारे तो रीत उसे भीगी आंखों से देखी तो सम्राट उसे सख्त आंखों से देखते हुए बोला अब से वो उसके गाल को दबोच बोला अब अपनी जबान खोलने से पहले सोच लेई
क्योंकि आज जो किया से उसे भी बुरा हो सके समझी तो रीत उसे भीगी आंखों से देखती रह गई आखिर ये इंसान इतना निर्दयी क्यों है सम्राट उसकी भीगी सी लाल आंखों में देख रहा था जिनमें काजल भी फैल सा गया था
रीत रोने लगी तो सम्राट एक आइब्रो उठा उसे देखा तो रीत सिसकते हुए अपने आसू पोछने लगी सम्राट उसकी कलाई पकड़ उसे अपने साथ ले जाने लगा
तो रीत रोते हुए उसके साथ खींची जा चली गई वो उसे।एक जगह आ उसके हाथ को छोड़ दिया रीत गिरते गिरते बची तभी सम्राट को देखने लगी वो उसकी ओर दुप्पटा बड़ा भारी आवाज में बोला ओड इसने ।
तो रीत उससे अब हाथ बढ़ा ले ली सिसकते हुए अपने दुपट्टे को ओढ़ने लगी अभी तक जो कुछ उसके साथ हुआ जिस वजह से काफी डरी हुई थी तो सम्राट उसे कठोर भाव से बोला बैठ भीतर
तो रीत एक भीगी नजर उठा उसे देखी जो उसे पीठ किए था वो आगे बढ़ जाकर अपनी गाड़ी का दरवाजा खोला रीत को देख बोला सुना कोनी तने ।
तो रीत अपने आसू पोछी धीरे धीरे आगे आई अपना पर पकड़ ली दर्द से आंखे मिच गई सम्राट अंदर बैठ गया
रीत धीरे धीरे गाड़ी के पास आई पीछे का दरवाजा खोलने लगी पीछे बैठ गई दरवाजा पहले से ही खुला पड़ा था सम्राट एक नजर उठा ऊपर उस मिरर में देखा उसकी नजर रीत के चेहरे पड़ी जो सिसक रही थी
वो उससे नजर फेर लिया ना जाने क्यों उसे किसी लड़की याद आई रीत का वो आंसुओं से भरा चहरा देख कर वो झटके से वहां से गाड़ी घुमा लिया रीत फिर से गाड़ी की सीट पकड़ ली
वहीं हवेली
सुमित्रा जी को बहुत फ्रिक सता रही थी सम्राट रीत को लेकर आखिर गया कहा है अब तक आया नहीं उन्हें एक ही डर सता रहा था ।
विमला भवानी जी के पास नीचे फर्श पर बैठे हुए उनके पैरों को दबाते हुए बोली ये के रानी सा इब तक ना आए सरकार ओर वो छोरी भी ना इब तक आई के हुआ से ।
तो भवानी जी उसे देख बोली काय तने काय इतनी पंचायत से ।तो विमला पैरों की मालिश करते हुए बोली ना वो म्हारा मतलब ये से वो टेडी नजर से ऊपर देख उसके होठों पर शातिर सी मुस्कराहट आई
वो बोली सरकार उस छोरी के साथ अकेले म्हारा मतलब बा छोरी के अब अठे ही रेवेगी थाने के उसने घर की बहु स्वीकार कर ली से ।
तो भवानी की उसे घूर बोली अच्छा तू घर की चौधरानी से जो तने बताऊं से मने के फैसला किया से के ना
तो विमला बोली ना ना वो म्हारा मतलब ना था तो भवानी जी उसे हाथ दिखा बोली म्हारो माथो ना खा जो करने बैठी वो कर ।
तो विमला मुंह बना दी ।तभी भवानी जी सुमित्रा जी को देखी जो राह की ओर देख रही थी भवानी जी बोली बिंदनी।
तो सुमित्रा जी उन्हें देख हड़बड़ा बोली जी मासा तो भवानी जी उन्हें घूर बोली घणी फ्रिक हो रही से ।
तो सुमित्रा जी सर झुका ली कुछ कह भी तो नहीं सकती थी तभी सब सामने की ओर देखने लगे जैसे गाड़ी की आवाज कानो में पड़ी
तभी सम्राट अपने तेज कदमों से चलते हुए अंदर की आया तो सुमित्रा जी तो उसके पीछे देखने लगी उनकी आंखे रीत को ढूंढ रही थी
सम्राट बिना कुछ बोले वह से ऊपर की ओर चला गया सुमित्रा जी उसे देखती रह गई तभी उनके कानो में पायल की आवाज पड़ी वो सामने देखी तो जैसे उन्हें राहत सी मिल गई रीत को देख
वो अब जल्दी से रीत की ओर आई तभी भवानी जी आवाज पड़ी बिंदनी।तो वो रुक गई भवानी जी अब उठी रीत को देखते हुए भी के हुआ छोरी ठीक तो से ।
तो रीत कुछ ना बोली भवानी जी तिरछा मुस्कराई अब आगे चल आ रीत के सामने आई बोली लागे छोरे ने थारी अच्छे से अक्ल ठिकाने लगाई से ।
तो रीत उन्हें भीगी आंखों से उन्हें देखी तो भवानी जी मुस्कराई सुमित्रा जी बोली ले जा इसने अपने साथ ओर बेगी तैयार कर दे इसने ।
तो सुमित्रा जी जड़ी रीत के पास आई ऊपर से नीचे उसे देखी गाल पर हाथ रख बोली आ म्हारे साथ तो रीत बिना बोले उनके साथ जाने लगी तभी भवानी जी आगे हाथ कर दी
वो उन्हें देखने लगी भवानी जी रीत को देखते हुए सुमित्रा जी से बोली सुना से मने के बोला इसने अच्छे से समझा देई के करना से समझी
तो सुमित्रा जी बस सर हिलाई वो रीत को अपने साथ अपने कमरे में लाई जल्दी दरवाजा लगा रीत के हाथ पकड़ बोली के हुआ तू ठीक से उससे आगे कुछ कहती रीत उनके सीने से लग रो पड़ी
सुमित्रा जी उसे देखती रह गई
अब आगे
आखिर आगे क्या करवाना चाहती है भवानी जी रीत से
वहीं रीत आखिर कब तक सम्राट की सहती रहेगी
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