एक गलतफहमी ने उसकी जिंदगी जहन्नुम बना दी। उसे सजा दी गई बिना किसी गलती की। हर सांस इन्तेक़ाम था, हर दिन एक जख्म था। उसके उस दो पल के फैसले ने उसकी जिंदगी से रंग छीन लिए, उससे राजकुमारी से जीती जागती कठपुतली बन दिया गया। साल बीत गए जख्म अभी भी हरे थे... एक गलतफहमी ने उसकी जिंदगी जहन्नुम बना दी। उसे सजा दी गई बिना किसी गलती की। हर सांस इन्तेक़ाम था, हर दिन एक जख्म था। उसके उस दो पल के फैसले ने उसकी जिंदगी से रंग छीन लिए, उससे राजकुमारी से जीती जागती कठपुतली बन दिया गया। साल बीत गए जख्म अभी भी हरे थे पर फिर एक बार नया चेहरा मिला, जिसमें नफरत नहीं थी। लेकिन क्या अब वह पहले जैसी हो सकती थी? क्या उसका दिल फिर भरोसा कर सकता था? जानने के लिए पढ़िए — Rishtebaazi: Nafrat ya Mohabbat एक ऐसी दास्तान, जहाँ हर रिश्ता इम्तिहान है।
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Shivaay Singh Rajput( 24 year old)
शिवाय सिंह राजपूत — छह फुट दो इंच लंबा, सीधा तन और मजबूत कद- काठी का मालिक। उसका शरीर ऐसा जैसे खुदा ने फुर्सत से तराशा हो — मजबूत भी, सुंदर भी। हर मांसपेशी में ताकत थी, मगर कहीं भी दिखावा नहीं। उसकी चाल में एक अजीब सा ठहराव था, जैसे समंदर की गहराई — शांत, लेकिन बेहद ताकतवर।
उसकी त्वचा हल्के गुलाबी रंग की थी, जो धूप में सुनहरी सी चमक उठती। चेहरा ऐसा कि किसी भीड में भी नजर ठहर जाए — तेज नाक, उभरी हुई गाल की हड्डियां, और एकदम साफ कटा हुआ जबडा। हल्की सी दाढी हमेशा उसके चेहरे को और गंभीर बना देती थी।
लेकिन जो सबसे अलग था, वो थीं उसकी आंखें — गहरी काली आंखें। ऐसी आंखें जो चुपचाप इंसान के दिल तक पहुंच जाएं। उनमें एक अजीब सी खामोशी थी, एक गहराई, जो कभी- कभी बिना एक शब्द कहे सब कुछ बयान कर देती थी।
उसके बाल घने और काले थे, कभी करीने से पीछे जमे हुए, तो कभी हल्के से बिखरे, मगर हर हाल में उसके चेहरे की शख्सियत को और निखारते थे।
जब वह किसी कमरे में दाखिल होता, तो उसकी मौजूदगी ही काफी होती सबका ध्यान खींचने के लिए। बिना कुछ बोले भी उसका असर महसूस होता। वो हमेशा गहरे रंगों के सधे हुए कपडे पहनता — चारकोल ग्रे, नेवी ब्लू, या फिर ब्लैक — जैसे खुद उसकी पर्सनैलिटी का हिस्सा हों। उसकी चाल धीमी मगर ठोस थी, जैसे हर कदम सोच- समझकर रखा गया हो, फिर भी बिना किसी बनावटीपन के।
बाहर की दुनिया के लिए शिवाय एक बर्फ की तरह ठंडा इंसान था — तेज दिमाग वाला, नतीजों पर भरोसा करने वाला, और बिल्कुल निडर। रिश्तों में भी उसका नजरिया साफ था — या तो जरूरत है, या नहीं। भावनाओं के लिए उसके पास वक्त नहीं था।
भारत का नंबर एक व्यवसायी — शिवाय सिंह राजपूत ने जो भी छुआ, वह सोने जैसा हो गया। हर डील में जीत, हर चैलेंज को अपना बनाया। दुनिया उसे" The Silent Storm" के नाम से जानती थी — क्योंकि वह न तो चीखता था, न किसी को दिखाता था. बस, अपने हर कदम से दुनिया को हिला देता था।
उसकी कंपनी का साम्राज्य सिर्फ आकडों से नहीं, बल्कि उसकी अचूक रणनीति और जोखिम उठाने की ताकत से खडा था। वह किसी भी सौदे को अपनी शर्तों पर करता था, और हर हार को जीत में बदलने की आदत रखता था।
लेकिन परिवार के लिए. वो बिल्कुल अलग था।
मां के लिए आज भी वही बच्चा था, जो रात को उनका हाथ थामे बिना सो नहीं सकता था। भाई के लिए वो एक फरिश्ता था — एक गाइड, एक दोस्त, एक पिता की तरह। पिता के लिए वह पूरे जीवन की सबसे बडी उपलब्धि था — जिसने उनके ख्वाबों को अपनी मेहनत से हकीकत बना दिया।
परिवार के सामने उसकी आंखों में एक अजीब सी नरमी उतर आती थी, और चेहरे पर एक सच्ची मुस्कान खिल उठती थी — जो दुनिया के सामने कभी नहीं दिखती थी। उनके लिए वो पूरी दुनिया से लड सकता था. और अगर जरूरत पडी, तो खुद से भी।
>" Mujhe shor machane ka shauk nahi. main apna kaam aise karta hoon ki duniya ko khud khabar ho jaati hai.
>" Deals jeetne ke liye daav nahi, dimaag chahiye. aur dimaag se main kabhi haarta nahi.
>" Main competition nahi dekhta, main bas apna empire banata hoon—chupchaap aur sabse tez.
Dr. Ashmita Shekhawat( 24 year old)
अश्मिता एक पाँच फुट छह इंच लंबी, बेहद नाजुक और सलीकेदार लडकी है। उसकी काया पतली है, मगर उसके हर अंदाज में एक ऐसी नैसर्गिक सुंदरता है जो उसे भीड से अलग कर देती है। हर कदम, हर हरकत में एक ठहराव और तहजीब झलकती है — जैसे हर चीज पहले से सोची- समझी हो।
उसकी त्वचा का रंग हल्का गेहुआं है, जो हमेशा ताजा और स्वाभाविक सा दिखता है — बिना किसी बनावटीपन के। उसका चेहरा दिल के आकार का है, ऊंची गाल की हड्डियों और कोमल जबडे की रेखा के साथ — एक ऐसी खूबसूरती जो चुपचाप दिलों पर असर कर जाती है।
अश्मिता की आंखें बडी और गहरी काली हैं — जिनमें बस एक बार देखने वाला खो जाता है। उसकी निगाहों में एक ऐसी शांति है जो बिना बोले ही दिल तक पहुँच जाती है।
उसके बाल लंबे, काले और हल्के से लहराते हुए हैं। कभी खुले रहते हैं, कभी खूबसूरती से बंधे हुए, मगर हर रूप में अश्मिता की मासूमियत और सादगी को और निखारते हैं।
वह ज्यादातर हल्के रंगों के कपडे पहनती है — पेस्टल्स, सफेद या मिट्टी के रंग — जो उसकी सादगी और गरिमा को और भी उजागर करते हैं। उसकी पूरी मौजूदगी में एक गहरी शांति और कशिश है, जो बिना किसी कोशिश के लोगों को खींचती है।
अश्मिता एक न्यूरोसर्जन है — एक ऐसी डॉक्टर, जिसके हाथों में जिंदगी को सहेजने की ताकत है और दिल में हर दर्द को समझने की काबिलियत।
वह एक अंतर्मुखी लडकी है — कम बोलती है, लेकिन उसके हर शब्द में इतनी गहराई होती है कि सुनने वाला थम जाता है। चाहे सामने छोटी सी नर्स हो या वरिष्ठ सर्जन, वह हर किसी से बराबर इज्जत और प्यार से बात करती है। उसके जज्बात उसके चेहरे पर कम दिखते हैं, मगर उसकी आंखों में पूरी दास्तानें छुपी होती हैं।
अश्मिता अपने घर की जान है। माँ के लिए वह आज भी वही नन्ही बच्ची है जो बिना हाथ थामे सो नहीं सकती। पापा के लिए वह गर्व की मूरत है — उनकी सबसे बडी खुशी। और उसके बडे भाई के लिए तो वह दुनिया की सबसे प्यारी अमानत है। उनका रिश्ता शब्दों का नहीं, दिलों का है — जहां समझने के लिए कुछ कहने की जरूरत नहीं होती।
वह भाई के लिए हर दुआ मांगती है, और उसका भाई उसके लिए खुद दुआ बन जाता है। उसका हर दर्द सबसे पहले उसका भाई महसूस कर लेता है, चाहे अश्मिता कुछ कहे या नहीं। अश्मिता सपने देखती है, मगर उन्हें अपने मन के किसी कोने में छुपाकर रखती है। प्यार को समझती है, मगर कभी अपने लिए कुछ नहीं मांगती।
डॉ. अश्मिता शेखावत —
एक ऐसी लडकी, जो पूरी दुनिया को सहेज सकती है. लेकिन खुद को टूटने की इजाजत सिर्फ अपने परिवार के सामने देती है।
>" जो दूसरों की जिंदगी में रोशनी लाती है, वह अपनी तन्हाई को हमेशा चुपके से अपने दिल में समेट लेती है।
Adhyay Singh Rana( 25 year old)
एशिया का नंबर एक बिजनेसमैन और अंडरवर्ल्ड का बेताज बादशाह। हर सौदा उसकी शर्तों पर तय होता है, और हर डर उसके नाम से पैदा होता है। उसके खिलाफ खडे होने का मतलब है—अपने वजूद से हाथ धो बैठना।
अध्याय सिंह राणा छह फुट दो इंच लंबा, चौडे कंधों वाला और दमदार कद- काठी का मालिक है। उसकी बॉडी ना ज्यादा भारी है, ना पतली—बस एकदम संतुलित और ताकतवर। उसके लंबे हाथों की नसें हल्की- हल्की दिखती हैं, जो उसके अनुशासित शरीर का सबूत हैं।
उसका रंग गेहुँआ साफ है, जिसमें एक नैचुरल चमक है, जो उसके तीखे नैन- नक्श को और निखार देती है। चेहरा तेज तराशा हुआ—उभरी हुई गाल की हड्डियां, कटीली जॉलाइन, और हल्की दाढी, जो उसे और भी रफ- टफ बनाती है।
उसकी आंखें गहरी भूरी हैं—एकदम गहरी और तीखी, जो सामने वाले को चुपचाप बिन बोले परख लेती हैं। भौंहें घनी और थोडी सी झुकी हुई, बाल काले, हल्के लहराते हुए, जो हमेशा करीने से सजे रहते हैं। उसकी पूरी मौजूदगी से एक बात साफ झलकती है—यह इंसान हर हाल में कंट्रोल में रहता है. तैयार, हर चुनौती से निपटने के लिए।
अध्याय वो नाम है, जिसे लोग दबे स्वर में लेते हैं और दुआ करते हैं कि कभी उसका सामना न हो। उसकी दुनिया सिर्फ दो चीजों पर टिकी है—पावर और कंट्रोल। ना भगवान में भरोसा, ना किस्मत में।
उसका बस एक ही उसूल है —" जो चाहिए, वो छीनो. मांगो मत।
वो कभी किसी के सामने नहीं झुकता। न दोस्ती में, न दुश्मनी में। अध्याय खुद अपने आप में एक सिस्टम है—जहाँ उसका हुक्म ही कानून है।
उसकी जिंदगी में अगर किसी रिश्ते की जगह है, तो बस अपनी बहन के लिए।
दुनिया के लिए वो एक बर्फ सा ठंडा इंसान है, मगर अपनी बहन के सामने. बस एक भाई। एक ऐसा भाई, जो बिना कुछ कहे उसकी हर तकलीफ समझ लेता है। उसी के सामने उसके अंदर की आखिरी बची इंसानियत जिन्दा है।
अध्याय की दुनिया में न कोई कमी है, न कोई जरूरत। फिर भी उसके भीतर एक गहरी खामोशी है—एक ऐसी तन्हाई, जिसे कोई समझ नहीं सकता. सिवाय उसकी बहन के।
दुनिया उससे डरती है, उसकी ताकत से थरथराती है, लेकिन उसके अंदर की शांति और अकेलापन. बस वही जानती है जो उसकी सबसे करीब है।
अध्याय सिंह राणा—
एक ऐसा नाम जो दुनिया के लिए एक सजा बन चुका है। जिसे ना खुदा की जरूरत है, ना इंसानों की। वो बस अपनी शर्तों पर जीता है— जहाँ झुकना मना है, और हार सोची भी नहीं जाती।
<" सौदे जज्बात से नहीं होते. दिमाग, ताकत और खून से लिखे जाते हैं। और मैं दोनों हाथों से तख्त भी संभालता हूँ और ताज भी छीनता हूँ।
Rajput Family
शिवाय सिंह राजपूत का परिवार बहुत ही प्रतिष्ठित और सम्मानित है।
उसके पिता, Mister Vikram Singh Rajput, Rajput Corporation के Founder हैं और एक रिटायर्ड Major General भी। सेना में अपनी सेवाओं के दौरान इन्होंने बहुत नाम कमाया और इनके पास असाधारण नेतृत्व क्षमता है।
उसकी मां, Missus Dhriti Vikram Singh Rajput, Supreme Court की जज हैं और एक प्रसिद्ध Architect भी हैं। इनका फैसला हमेशा निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होता है।
शिवाय का भाई, Mister Abhay Singh Rajput, Rajput Corporation का MD हैं। वह एक मजाकिया और चंचल व्यक्ति है, जो परिवार की विरासत को आगे बढाने के लिए काम करता है। साथ ही, वह biker है और अपनी बाइक पर लंबी राइड्स का आनंद लेता है।
शिवाय की एक बहन भी थी, Pihu Singh Rajput, जो एक Cardiologist थी। लेकिन उसकी मौत हो चुकी है, और उसने आत्महत्या की थी। उसकी मौत का कारण राजपूत परिवार को अभी तक नहीं पता चला है, और यह परिवार के लिए एक गहरा रहस्य बना हुआ है।
यह पूरा परिवार अपनी ताकत, आत्मविश्वास और परंपराओं के लिए जाना जाता है, और उसका रिश्ता हमेशा एक दूसरे के साथ बहुत मजबूत और सच्चा है।
Shekhawat Family
Ashmita Shekhawat का परिवार भी एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली परिवार है।
उसके पिता, Mister Virendra Shekhawat, एक वैज्ञानिक और pharmacist हैं। वह बहुत गंभीर और गहरे सोच वाले व्यक्ति हैं, जो अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करते हैं। उनके फैसले हमेशा विचारशील और संतुलित होते हैं।
उसकी मां, Missus Siya Virendra Shekhawat, एक pulmonologist और professor हैं। वह बहुत ही समझदार और सशक्त महिला हैं, जो दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे रहती हैं। उनकी गर्मजोशी और मददगार स्वभाव उन्हें एक आदर्श मां और प्रोफेशनल बनाता है।
उसका भाई, Mister Rudra Shekhawat, Shekhawat Industry का Founder और Chief Executive Officer है और भारत के टॉप तीन बिजनेसमैन में शामिल है। वह एक गंभीर और बहुत ही प्रोफेशनल व्यक्ति हैं, जिनमें अपने काम के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और दृढता है। उनका स्वभाव शांत और विचारशील है, और वह हमेशा अपने फैसले पूरी सोच- समझकर लेते हैं।
यह परिवार अपनी मेहनत, काबिलियत, और समाज में योगदान के लिए जाना जाता है, और उनकी सफलता ने उन्हें एक मजबूत पहचान दिलाई है।
Rana Family
Ved Singh Rana, जो भारत के नंबर एक बिजनेसमैन थे और Rana Empire के Founder और Chief Executive Officer थे, उनकी मृत्यु पैंतालीस साल की उम्र में एक planned car accident में हो गई। Ved Singh Rana एक अंडरवर्ल्ड माफिया किंग थे, जिन्हें" KVSR" के नाम से जाना जाता था।
उनकी पत्नी, Vedika Singh Rana, जो एक Surgical Oncologist थीं, उनकी भी मौत उसी कार हादसे में चालीस साल की उम्र में हो गई।
Adhyay Singh Rana, जो उनके एकलौते बेटे थे, अपने माता- पिता के निधन के बाद उनके दादा- दादी और Ved के करीबी दोस्त Akshat Randhawa जो वेद के Personal Assistant भी थे और उनकी पत्नी Mansi Randhawa के पास रहने लगे।
इस कार हादसे में Adhyay, Ved, Vedika, Akshat और Mansi सभी मौजूद थे, लेकिन Adhyay, Akshat और Mansi कैसे बचें, यह कहानी में हम पढेंगे।
काशी, जिसे हम बनारस भी कहते हैं, वो अद्भुत नगरी है जहाँ समय की धारा खुद को रुक जाने देती है। यह वो स्थान है, जहाँ भगवान शिव के चरणों में सम्पूर्ण संसार समाहित हो जाता है। गंगा की पवित्र लहरों से बसी इस नगरी को' मोक्ष की नगरी' कहा जाता है, क्योंकि यहाँ मृत्यु का स्वागत भी शांति और आशीर्वाद के साथ किया जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर, जिसकी महिमा सारे संसार में फैली हुई है, यहाँ के हर कोने में भव्यता और दिव्यता समाई हुई।
दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती, मणिकर्णिका घाट की चिताओं की लपटें, और अस्सी घाट की शांति, सभी मिलकर काशी को एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं, जहाँ जीवन और मृत्यु दोनों के बीच अदृश्य धागा जुडा होता है। यहाँ हर व्यक्ति अपने अंदर एक गहरी आंतरिक शांति और जीवन के असल उद्देश्य को खोजने आता है। यही काशी की असली पहचान है- एक जगह जहाँ आत्मा अपने वास्तविक रूप को समझने की कोशिश करती है।
काशी एक ऐसी नगरी जहाँ जीवन और मृत्यु दोनों एक साथ साँस लेते हैं। गंगा के तट पर बैठा हर व्यक्ति केवल धार्मिक नहीं, भावनात्मक भी होता है। हर शंखनाद, हर घंटी की गूंज में कोई न कोई पीडा, कोई अधूरी कथा समाहित होती है। ऐसा प्रतीत होता है मानो यहाँ आकर हर दुःख, हर पाप गंगा में बह जाते हैं... और जो शेष रह जाता है, वह केवल सत्य होता है। स्वयं से मिलने का स्थान है –' काशी'
अस्सी घाट
यहाँ एक तरफ एक लडकी जिसने एक हल्के गुलाबी रंग का कुर्ती सेट पहना हुआ था। उसको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी थोडी देर पहले गंगा स्नान कर के निकली थी। वो अपने हाथों में कपडे लिए खडी थी और अपने आस पास लोगों को देख रही थी। वो अपने मम्मी पापा और भाई के निकलने का इंतजार कर रही थी। थोडी देर बाद तीनों स्नान कर के निकले, कपडे पहने और उसके बाद चारों कलश में जल भर मंदिर के अंदर चले गए।
तो वहीं घाट के दक्षिण तरफ एक लडका अग्नि खंड के सामने बैठा आहुति दे रहा था। उसके पीछे उसका पूरा परिवार बैठा था। उस लडके के अगल- बगल पंडित एवं पुजारी जी बैठे थे। ये लडका बिना किसी भाव के जैसा पुजारी जी कहते वैसे वैसे करते जाता। ये पूजा उसकी बहन की आत्मा शांति के लिए की जा रही थी जिसकी नौ दिन पहले मृत्यु हो चुकी थी।
जैसे जैसे पूजा समाप्ति की ओर बढ रही थी वैसे वैसे लडके का मन आक्रोश से भरे जा रहा था। अंतिम आहुति देते समय उसकी आंखों में ऐसा आक्रोश था जैसे वह हर चीज जला कर राख कर देगा। पूजा खत्म होने के बाद सभी उठे और हाथ जोड प्रार्थना करने लगे।
वो लडका अपने मन में बोला~ मैं आपके गुनहगार को नर्क दर्शन करवाऊंगा। जिसने भी आपके साथ ये किया है न मैं उसे ऐसी मौत दूंगा कि उसकी सात पुश्तें भी कांप जाएंगी।
आ रहा हूं मैं जितनी खुशियां मनानी थी मना ली अब तुम्हारी जिंदगी में दर्द के सिवा कुछ नहीं होगा। तुम मारने की दुआ जरूर करोगी पर मौत नसीब नहीं होगी।
जय महाकाल।
काशी विश्वनाथ मंदिर
गोदौलिया चौक पर एक साथ पांच ब्लैक Mercedes- Maybach Sछह सौ अस्सी आकर रुकी। अब गाडियां आगे नहीं जा सकती थी।
आगे की गलियां इतनी संकरी और भीडभाड वाली थीं कि अब रास्ता सिर्फ पैरों का था। चारों ओर गंगा- जमुनी तहजीब की झलक, मंदिर की घंटियों की आवाज, और श्रद्धालुओं की भीड—यह सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना रहे थे, मानो खुद काशी नगरी हर आत्मा को अपने भीतर समेट लेने को तैयार हो।
उन पांच काली गाडियों में से चार गाडियों से काले रंग का एक जैसा ड्रेस कोड पहने बॉडीगार्ड्स निकले। उनके चेहरे पर मास्क लगा हुआ था जिससे वह कौन है उसकी पहचान नहीं की जा सकती थी। उन सभी बॉडीगार्ड्स ने अपनी पोजीशन ले ली।
एक बॉडीगार्ड जो उन सभी का हेड था वह आगे आया और बीच वाली कार का दरवाजा खोला। उसमें से एक लडका जिसने ब्लैक बिजनेस सूट पहना था और अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए था वह निकला।
उसने जैसे ही अपने कदम धरती पर रखे हवाओं ने तो जैसे अपना रुख ही बदल लिया। जैसे उसके आने का इंतजार पूरी कायनात कर रही थी। वो जैसे जैसे आगे बढ रहा था घंटियों की आवाज तेज होती जा रही थी। चारों तरफ हवाएं चल रही थी। वो आगे बढ ही रहा था कि वो रुका तो जो हेड बॉडीगार्ड था वो बोला क्या हुआ sir आप रुक क्यों गए।
लडका: सभी यहीं रुको, दस गार्ड्स ही मेरे साथ आयेंगे।
हेड बॉडीगार्ड: पर sir ये आपकी सेफ्टी का सवाल है अगर आपको कुछ हो गया तो।
लडका: उसकी कोई जरूरत नहीं है मैं अकेला भी काफी हूं अपने दुश्मनों के लिए।
हेड बॉडीगार्ड: sir मेरे कहने का वो मतलब नहीं था हमारी ड्यूटी है आपको प्रोटेक्ट करना।
लडका: तो मैं ही कह रहा हूं दस गार्ड्स हीमेरे साथ आयेंगे, अब मैं कोई बहस नहीं चाहता।
सभी अपने बॉस के ऑर्डर को फॉलो करते हुए वही रुक गए। वो लडका और उसके दस गार्ड्स मंदिर के अंदर आए तो देखा थोडी दूर पर एक आश्रम था। वो सभी उस तरफ बढ गए।
आश्रम
आश्रम के अंदर महागुरु बैठे ध्यान कर रहे थे। उनकी माथे की लकीरें मानो कुछ बया कर रही थीं।
लडका अपने गार्ड्स से — तुम लोग यहीं रुको। ये कह कर अंदर महागुरु के पास चला गया।
उसने देखा महागुरु आंखें बंद किए ध्यान कर रहे थे। वो उन्हें एक तक देखने लगा जैसे उन्हें ऑब्जर्व कर रहा हो कि सामने बैठा इंसान क्या है कैसा है।
महागुरु ने किसी की उपस्थिति भाप कर अपनी आँखें खोलीं तो देखा एक लडका बिजनेस सूट पहने उनके सामने बडा तन कर खडा था जैसे उसे अपने आप पास के लोगों से कोई मतलब ही नहीं था।
महागुरु उसे देख मुस्कुराए जैसे उन्हें पता हो कि उनके सामने खडा इंसान आज आने वाला था।
महागुरु: तो तुम आ ही गए।
वो लडका जो अभी तक उन्हें देख रहा था और वैसे ही देखता हुए अपने मन में बोला — इन्हें कैसे पता मैं आने वाला हूं और ये मुझे जानते कैसे हैं क्योंकि जिस तरह इन्होंने कहा तो तुम आ ही गए इससे तो यही लगता है कि ये मुझे पहले से जानते हैं।
ये सब सोचते हुए भी उसके चेहरे के भाव एक जैसे ही थे उससे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वो अपने मन में कुछ सोच रहा है।
महागुरु अभी भी उससे देख कर मुस्कुरा रहे थे जैसे उन्होंने उसके मन की बात पढ ली हो।
महागुरु: क्यों आए हो यहाँ?
लडका( अपनी सोच से निकलते हुए) मैं यहाँ सिर्फ अपनी मां की वजह से आया हूं। उनकी आखिरी इच्छा थी कि मैं आपसे मिलूं।
महागुरु: इस दुनिया में जो होता है वह ऊपर वाले की इच्छा से होता है। तुम यहाँ आए ये भी उस ऊपर वाले की इच्छा और जाओगे भी तो इस ऊपर वाले की इच्छा से।
महागुरु: तुम यहां आये तो खाली हाथ हो पर जाओगे कुछ ऐसा लेकर जो तुम्हे जीने की वजह देगा। जो तुम्हे फिर से जीना सिखाएगा। और वह वजह तुम्हे ऐसे ही नहीं मिलेगी, इंतजार करना होगा तुम्हे कई सालों तक। शायद वह तुम्हे अभी न मिले पर उसका एहसास जरूर मिलेगा।
यहां हर इंसान का अपना मकसद है, कोई जिसके जीने की कोई वजह नहीं, तो कोई जो जी ही रहा है अपने मकसद के लिए, तो किसी की पूरी दुनिया ही पलटने वाली है जिसकी उसे अंदाजा भी नहीं है।
उस लडके को महागुरु की बातें कुछ खास समझ में नहीं आ रही थीं या यूं कहें वो समझना ही नहीं चाहता था।
महागुरु उसके चेहरे की झुंझलाहट को देख मुस्कुराने लगे।
महागुरु: अब आ ही गए हो तो भगवान शिव के दर्शन करते हुए जाना, कहते हैं उनसे सच्चे दिल से जो मांगो वो हर चीज देते हैं।
लडका: मैं भगवान पर यकीन नहीं करता, ये सब बातें सिर्फ किताबों में ही अच्छी लगती हैं। मैंने अपनी किस्मत खुद लिखी है। और जो चाहिए वह मैं हासिल करते ही रहता हूं फिर चाहे हासिल करने के लिए मुझे जबरदस्ती ही क्यों न करनी पडे। और वैसे भी इन पर यकीन करके क्या करूं? इन्होंने मेरा सब कुछ छीन लिया। जो मुझे अपनी जान से भी प्यारी थी। मेरी छोटी सी बहन से उसकी दुनिया छीन ली।
महागुरु: जो छीना क्या पता वो तुझे उसके बदले कुछ अनमोल दे दे और वैसे भी तुम्हारी मां की इच्छा थी कि तुम मुझसे मिलो तो जैसा मैं कह रहा हूं वैसा करो।
लडका: चला तो जाऊंगा पर झुकूंगा नहीं। क्योंकि मैं कभी किसी के आगे नहीं झुकता बल्कि अपने आगे झुकता हूं।
महागुरु उसकी बात सुन मुस्कुराने लगे और अपने हाथ से बाहर की तरफ इशारा किया।
वो लडका चला गया।
उसे जाते देख महागुरु अपने मन में बोले — किस्मत की लकीरें बदलने वाली हैं। कभी जिनका साथ लिखा था आज उनका साथ छूटने वाला है। चलो कोई बात नहीं थोडा इंतजार करना पडेगा।
जैसे बिछडे थे वैसे मिलेंगे पर लंबे इंतजार के बाद। किसी को वो मिलने वाला है जिसकी कीमत वो समझ नहीं पाएगा और जब तक समझेगा तब वह कीमती चीज उससे दूर जा चुकी होगी।
हे प्रभु उसे शक्ति देना कि वो संघर्ष से लड पाए, कृपा बनाए रखना प्रभु।
जय महाकाल।