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my psycho mafia

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Kajal Shukla

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कहानी की शुरुआत होती है आरवी से, एक 20 साल की मासूम और खुशमिजाज लड़की, जो अपने परिवार के साथ सुकून की जिंदगी जी रही थी। लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। वो रात उसके जीवन की सबसे भयानक रात बन गई, जब उसकी दुनिया उजड़ गई। ना इंसाफी, धोखा और अपनों का बदलता च...

Total Chapters (6)

Page 1 of 1

  • 1. my psycho mafia - Chapter 1

    Words: 1150

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के करीब 1:50 बज रहे होंगे सुनसान सी सड़क जंगल का रास्ते उसी रास्ते से एक लड़की जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए चली जा रही थी। अरे आरवी तू भी ना कितना लेट करती हैँ देख तेरे काम करने के चक़्कर मे आधी रात हो गयी। अब तो कोई यहाँ से आते जाते भी नहीं दिख रहा जल्दी जल्दी पैर चला और घर पहुँच खुद से ही बाते करते हुए वो लड़की जिसका नाम आरवी था चले जा रही थी।

    अभी वो कुछ दूर ही चली होंगी की उसे अपने पीछे कदमो की आहट सुनाई देने लगी। जिससे आरवी डर गयी और अपने कदम तेजी से बढ़ाने लगी। जैसे उसकी रफ़्तार बढ़ी उसी तरह पीछे से आती आहट भी बढ़ने लगी। अब आरवी को बहुत डर लगने लगा वो दौड़ने लगी। उसी के साथ उसके पीछे से तीन चार लड़के भी दौड़ना सुरु कर देते हैँ। एक लड़का दूसरे लड़के से कहता हैँ रवि जल्दी कर भागने ना पाए। उसकी बात सुन रवि जो उसका दोस्त था वो और तेज दौड़ने लगता हैँ।

    आरवी भी अपनी पूरी जान लगा कर भाग रही थी। लेकिन अब उसमे हिम्मत नहीं बची उसकी रफ़्तार धीमी हो जाती हैँ। और वो लड़के उसे पकड़ लेते हैँ। आरवी चीखने लगती हैँ छोडो मुझे कौन हो तुम लोग क्या बिगाड़ा हैँ मैंने तुम्हारा प्लीज जाने दो मुझे.. वो रोते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश करती हैँ। लेकिन उन लड़को के आगे वो अकेली कितने देर तक टिकती आखिर उसकी सारी हिम्मत टूट गयी। वो लड़के उसे जंगल मे ले कर चले गये। रवि ने अपने दोस्त आरव से कहा पहले तू जा फिर हम जाएंगे तुझ मे ही ज्यादा आग हैँ। उसकी बात पर सब जोर जोर से हसने लगे। उनकी हसीं जंगल मे गूंज उठी थी।


    आरवी अब भी हाथ जोड़ते हुए उनसे खुद को छोड़ने की भीख मांग रही थी। लेकिन वो सब तो नशे मे धूत थे। उन्हें कहा ही कुछ समझ आने वाला था। पहले आरव आया और उसने आरवी का दुप्पटा खिंचते हुए उसके गले से निकाल कर फेक दिया। उसके बाद उसकी बाजू को फाड़ दिया। आरवी हर एक बार मे चीख उठती नहीं नहीं प्लीज मुझे जाने दो... लेकिन उन हैवानो को उसके रोने और चीखने का कोई फर्क नहीं पड़ता वो तो बस अपनी हवस मिटाना चाहते थे। आरव ने आरवी को चुप रहने के लिए कहा लेकिन वो चुप नहीं हुई तो उसने खिंच कर उसे एक थप्पड़ मार दिया। जिससे आरवी के होठो के कोनो से खून रिस गया।

    वो फिर भी रोते हुए उनसे भीख मांगती रही मुझे छोड़ दो प्लीज भगवान के लिए मुझे छोड़ दो लेकिन आरव वो शैतान की तरह हस्ते हुए बोला अगर हमने तुझे छोड़ दिया तो हमारी भूख कौन मिटाएगा। देख चुप चाप हमारे साथ कोम्प्रोमाईज़ कर ले तुझे भी मजा आएगा।उसकी बात पर आरवी उसके मुँह पर थूकते हुए बोली छी तुम जैसे लोगो के पास जरा सी भी इंसानियत नहीं होती क्या अपनी माँ बहन बीवी के साथ भी ऐसे ही हैवानियत करते हो तब भी तुम लोगो को शर्म नहीं आती होंगी ना। इसी के साथ उसके पेट पर एक लात पड़ी ये रवि ने किया था।

    उसने गुस्से मे चिल्लाते हुए कहा तू साली हमारी माँ बहन पर जाती हैँ अब देख हम तेरी क्या हालत करते हैँ। ना जी सकेगी और ना ही मर सकेगी। इतना बोल उसने आरव को पीछे किया और खुद आरवी के ऊपर आ गया। उसने अपनी हैवानियत की सारी हदे पार करते हुए आरवी को अधमरा कर छोड़ा उसके बाद एक एक कर आरव और उसके बाकि दो दोस्त भी आये। आरवी शांत हो चुकी थी। उसके आँखों के कोनो से आंसू बहते हुए सुख चुके थे। और वही उन लोगो ने अपनी हवस पूरी कर उसे मरने के लिए वही जंगल मे छोड़ दिया। और खुद वहां से चले गये।

    एक साल बाद...।


    अरे करना क्या चाहती हैँ तू अपने माँ बाप को तो खा गयी अब क्या हमें खा कर ही दम लेगी। एक औरत अपने सामने खड़ी लड़की पर चिल्ला रही थी। उसी के साथ उसका पति अविनाश भी था लेकिन उसके मुँह से एक भी शब्द बाहर नहीं आ रहे थे। सामने खड़ी लड़की सिर झुकाये हाथों मे चाय की ट्रे लिए खड़ी थी। तभी वो आदमी अविनाश उठा और अपनी बीवी चंद्रकला के पास आते हुए बोला अरे चंदा डार्लिंग क्यूँ इस पर अपना खून जला रही हो जाने दो ना इसे गिर गयी चाय ये साफ कर देगी। जाओ आरवी तुम अंदर जा कर खाने की तैयारी करो। अविनाश की बात पर आरवी ने धीरे से कहा जी मामा जी, और फिर वो वहां से चली गयी।

    उसके जाने के बाद चन्द्रकला अविनाश पर चढ़ते हुए बोली सब तुम्हारा ही किया धरा हैँ। इस इज्जत लूटी हुई लड़की को मेरे सर पे ला कर बैठा दिया। तुम्हारी बहन और जीजा तो ऊपर निकल लिए इसकी वज़ह से अपना मुँह किसे ही दिखाते और इसे हमारे माथे मढ़ गये। ना जाने ये कर्मजली कब इस घर से जाएगी। उनकी आवाज़ इतनी तेज थी की किचन मे काम कर रही आरवी भी सुन रही थी। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। एक साल पहले जो कुछ हुआ वो सब उसकी आँखों के सामने चल रहा था। उस रात जंगल से निकल कर किसी तरह आरवी सड़क पर आयी थी। जिसके बाद उसे एक डॉक्टर ने हॉस्पिटल मे एडमिट करा दिया और उसकी फैमली को भी बुलाया।

    जब उसके माँ बाप हॉस्पिटल आये और आरवी की हालत देखि तो उनका कलेजा मुँह को आ गया आरवी के पिता पुलिस ऑफिसर थे। उन्होंने जब डॉक्टर से बात की तो डॉक्टर ने बताया आरवी का रेप हुआ हैँ। उसका प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चूका हैँ। उसके body पर जगह जगह सिगरेट से जलाने के निशान पाये गये हैँ। चेहरा बच गया हैँ बस उनकी हालत बहुत खराब हैँ। कुछ कह नहीं सकते। डॉक्टर की बात सुन कर ही आरवी के माता पिता की जान निकल चुकी थी। समाज के डर की वज़ह से उन्होंने खुद को ख़त्म कर लिया। लेकिन आरवी उसकी किस्मत इतनी अच्छी कहा उसने तो फिर से उसके साथ दगा बाजी कर ली। और आरवी बच गयी।

    जिसके बाद उसे रिकवर होने मे पुरे एक साल लग गये। और जब वो ठीक हुई तभी से अपने मामा मामी के साथ ही रहती हैँ। वो किचन मे खड़ी रोते हुए कहती हैँ क्यूँ क्यूँ क्यूँ bhagwan आपने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया अरे कम से कम मर ही जाने देते। अपनी मम्मी पापा के साथ मैं भी आप के पास आ जाती। उन्हें बुला कर मुझे यहाँ क्यूँ छोड़ दिया। मैं अकेली अपने परिवार के बिना यहाँ क्या ही करुँगी। शायद मैं खुद ही अपनी जान ले लेती। लेकिन उसके लिए मुझे जीना पड़ेगा। इन लोगो का कोई भरोसा नहीं उसके साथ मेरे ना होने पर क्या ही कर दें।

    यही सोच वो हर बार अपने आप को समझा लेती और इन सब की जादतिया सहती रहती।

    आगे जारी...।

  • 2. my psycho mafia - Chapter 2

    Words: 1375

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरवी शाम के खाने की तैयारी करने लगती है।उसकी मामी चंद्रकला उसे बताती है कि आज कीर्ति घर लेट से आएगी।तो उसके लिए खाना नहीं बनेगा।उनके बताने के हिसाब से आरवी सिर्फ दो लोगों का खाना बनाती है।वैसे तो तीन लोगों का बनना चाहिए था लेकिन आरवी के हिस्से का खाना कभी वहां नहीं बनता था।उसे सब के बाद जो थोड़ा बहुत बचा हुआ रहता वही खाने को मिलता था।आरवी ने खाना बनाया अविनाश और चंद्रकला ने डिनर कर भी लिया।और अब अविनाश चंद्रकला से बोले कीर्ति कहा है रात के 10 बज गए है अभी तक वो घर नहीं आई।
    उनकी बात पर चंद्रकला बोली वो बच्ची नहीं है जो इतनी जल्दी घर आ जाए।उसके फ्रेंड की पार्टी थी क्लब में तो वो वही गई है।आ जाएगी तुम जा कर सो जाओ।उनकी बात सुन कर अविनाश बोले चंदा तुम समझती क्यों नहीं वो बड़ी हो गई है इतनी रात तक बाहर रहना ठीक नहीं मै जा रहा हु उसे अपने साथ ले आऊंगा।जैसे ही उन्होंने ये कहा चंदा झट से अपनी कुर्सी से उठी और बोली आप आप क्यों जायेंगे।ये है न कर्मजली आरवी की तरफ इशारा करते हुए ये जाएगी।जा तू ले कर आ कीर्ति को एड्रेस मै msg कर दूंगी।उनकी बात पर आरवी सिर हिलाते हुए बाहर चली जाती है।उसके जाने के बाद अविनाश ने कहा वो भी बड़ी है।इस पर चंद्रकला बोली उसके साथ क्या ही होगा पहले ही मुंह काला कर आई है वो।

    फिर वहां से अपने कमरे की तरफ चली गई।जाते हुए उन्होंने एक गहरी सांस ली और खुद से कहा अगर ये जाते तो कीर्ति की खैर नहीं होती।उसने ड्रिंक तो किया ही होगा पक्का और इन्हें वो बिल्कुल नहीं पसंद इसी लिए उस लड़की को भेज दिया।अब मैं आराम से सो सकती हु।ये सब कहते हुए वो अपने रूम में आ गई।

    वही दूसरी तरफ क्लब में

    लाउड म्यूजिक चल रहा था।सब लोग नशे में धूत हो कर डांस कर रहे थे।आरवी धीरे धीरे अंदर आती है।और वो सब देखते हुए नर्वस होने लगती हैं।उसकी नज़रे कीर्ति को ढूंढ रही थी।तभी स्टेज पर उसे कीर्ति दिख गई जो लड़कों के साथ डांस कर रही थी।लड़के उसे कभी कमर से पकड़ते तो कभी शोल्डर से ये सब देख आरवी को अच्छा नहीं लगता वो किसी तरह उनके बीच जा कर कीर्ति का हाथ पकड़ उसे डांस फ्लोर से नीचे ले आती है।वो जैसे ही नीचे आते हैं कीर्ति अपना हाथ झटक कर आरवी से छुड़वा लेती है।और उसे देखते हुए कहती है तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की तुम दो टके की नौकरानी मुझे छूओगी।रुको तुम्हे तो अभी बताती हु।

    Hey girl's come her
    इतना कह वो अपनी फ्रेंड्स को बुला लेती है।जिसके साथ दो तीन लड़के भी थे।उन्हें देखते हुए आरवी डरते हुए कहती है।कीर्ति तुम नशे में हो घर चलो मामा की गुस्से में है। लेकिन कीर्ति उसकी बातों को इग्नोर करते हुए बोली ओह तो मैं नशे में हु अब जब मैं नशे में हु ही तो क्यूं न तुम्हे भी नशे में कर दूं।उसकी इस बात का मतलब समझने की आरवी कोशिश कर ही रही थी कि इतने में कीर्ति की फ्रेंड अपने हाथ में वाइन की बोतल ले कर आती है और कीर्ति के सामने कर देती है।उस वाइन को देखते हुए आरवी की आंखे बड़ी हो जाती हैं।वो बोलती हैं कीर्ति तुम ये क्या करने जा रही हो।देखो मामा जी बहुत गुस्सा करेंगे।

    ये बोलते हुए वो अपने कदम पीछे लेने लगती है। लेकिन उसके कदम पीछे तब जाते जब कीर्ति के फ्रेंड उन्हें जगह देते उन लोगों ने आरवी को पकड़ लिया और जबरदस्ती उसके मुंह को पकड़ उसमें वाइन डालने लगी।आरवी हाथ पैर मारते हुए छटपटा रही थीं लेकिन कीर्ति ने उसे पूरी बोतल पिला दी।उसके बाद ही छोड़ उसके छोड़ते ही आरवी लड़खड़ा गई।उसका सिर घूमने लगा।आंखों के सामने सब धुंधला सा आने लगा उसने अपना सिर पकड़ा हुआ था नशा उस पर चढ़ चुका था।


    उसे ऐसे देख कीर्ति हस्ते हुए वापस डांस फ्लोर पर चली गई।आरवी लड़खड़ाते हुए एक कोने में जाकर दीवार का सहारा लेती है। उसका सिर भारी हो चुका था, और आँखों के सामने सब कुछ धुंधला-सा घूम रहा था। उसने अपने आपको संभालने की कोशिश की, लेकिन नशे ने उसके शरीर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था। क्लब का तेज म्यूजिक, चमकती लाइट्स, और चारों तरफ की भीड़ उसे और ज्यादा अनकंफर्टेबल कर रही थी। उसकी नजरें कीर्ति को ढूंढ रही थीं, लेकिन कीर्ति डांस फ्लोर पर अपने दोस्तों के साथ मस्ती में डूबी थी, उसे आरवी की कोई परवाह ही नहीं थी।
    तभी एक लड़का, जो कीर्ति के ग्रुप में था, आरवी के पास आता है। उसकी आँखों में शरारत और होंठों पर एक अजीब-सी मुस्कान थी। "क्या बात है, मज़ा नहीं आ रहा क्या?" उसने आरवी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। आरवी ने घबराते हुए उसका हाथ हटाने की कोशिश की, लेकिन उसकी ताकत जवाब दे रही थी। "प...प्लीज, मुझे अकेला छोड़ दो," उसने कांपती आवाज में कहा, लेकिन उसकी आवाज म्यूजिक के शोर में दब गई।
    लड़के ने हंसते हुए कहा, "अरे, रिलैक्स करो! कीर्ति ने तो कहा तूम भी मज़े करने आई हो।" इतना कहकर उसने अपने दोस्तों को इशारा किया, और दो और लड़के वहां आ गए। आरवी की हालत देखकर वे हंसने लगे। "लगता है पहली बार पिया है, बेचारी को संभालो!" एक ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
    आरवी का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने अपने आपको किसी तरह खींचते हुए दीवार से सटकर खड़ा होने की कोशिश की और बोली, "मुझे... मुझे घर जाना है।" लेकिन उसकी आवाज कमजोर थी, और नशे की वजह से उसके शब्द टूट-टूट कर निकल रहे थे। तभी कीर्ति की एक दोस्त, जो पास ही खड़ी थी, बोली, "अरे, इतनी जल्दी क्या है? अभी तो रात शुरू हुई है!" उसने अपनी जेब से एक छोटी-सी बोतल निकाली और आरवी की तरफ बढ़ाई। "ये ले, और थोड़ा ले, मज़ा आएगा!"
    आरवी ने सिर हिलाकर मना किया, लेकिन उसकी हालत ऐसी थी कि वह ठीक से अपने आप को प्रोटेक्ट भी नहीं कर पा रही थी। तभी कीर्ति डांस फ्लोर से लौटी और आरवी को उस हाल में देखकर ठहाका लगाया। "वाह, तू तो सचमुच मस्त हो गई!" उसने तंज कसते हुए कहा। "अब जा, घर जा और मम्मी को बोल दे कि मैं आ रही हूं।और पापा के सामने मत जाना नहीं तो घर से सीधा गेटआउट" ये बोलते हुए उसने अपने दोस्तों के साथ हंसते हुए फिर से डांस फ्लोर की तरफ रुख किया।
    आरवी किसी तरह क्लब के बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने लगी। उसका फोन जेब में था, लेकिन उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और वह ठीक से स्क्रीन भी नहीं देख पा रही थी। बाहर निकलते ही ठंडी हवा ने उसे थोड़ा राहत दी, लेकिन नशा अभी भी उस पर हावी था। उसने सड़क किनारे एक बेंच देखी और वहां जाकर बैठ गई, अपने सिर को हाथों में थाम लिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह घर कैसे पहुंचेगी।उसे डर भी लग रहा था एक बार फिर वो रात उसके आंखों के सामने घूमने लगी थी।

    वो एक बार फिर वहां से उठी और सड़क पर चलने लगी।जहाँ गाड़ियों का आना जाना लगा हुआ था। अब आरवी को नशे ने खुद मे डूबा लिया था। वो कभी रोती तो कभी चलते चलते हसने लगती। बिना सामने देखे वो बस अपने धुन मे चले जा रही थी। की तभी एक अह्ह्ह्ह.... की आवाज़ के साथ वो सड़क के किनारे जा गिरी। उसकी टककर एक कार से हो गयी थी। जिस वज़ह से वो गिर जाती हैँ।

    किसी को अपनी गाडी से टककर लगते देख उसमे बैठा आदमी बाहर आता हैँ। कार की स्पॉट लाइट उसके पीठ पर पड़ रही थी। देखने मे ही लग रहा था कोई डार्क औरै वाला इंसान हैँ।वो आदमी अपने धीरे कदमो से चलते हुए आरवी के पास आता हैँ। आरवी का चेहरा नहीं दिख रहा था क्यूंकि उसके बालो ने चेहरे पर पहरा कर लिया था।वो आदमी पहले तो ऐसे ही आरवी को देखता हैँ फिर झुक कर उसके बालो को उसके चेहरे से हटाने लगता हैँ। की इतने मे ही आरवी उस इंसान को हाऊऊ... कर के डराने की कोशिश करते हुए उठ जाती हैँ।इसके लिए वो इंसान रेडी भी नहीं था लेकिन फिर भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा वो अपनी आइब्रोस उठाते हुए बोला you कम अक्ल लड़की...।

    आगे जारी...।

  • 3. my psycho mafia - Chapter 3

    Words: 941

    Estimated Reading Time: 6 min

    Oye कम अक्ल लड़की.. दिखाई नहीं दें रहा क्या रास्ते पे भटक रही हो वो भी नशे मे उस आदमी की बात सुन कर आरवी क्यूट सा मुँह बनाते हुए कहती हैँ।आप को शर्म नहीं आती ऐसे बीच सड़क पे गाड़ी चलाते हुए। मुझ मासूम को डाट रहे हो, वो इस वक्त किसी क्यूट सी डॉल की तरह लग रही थी।जिसे देखते हुए वो आदमी अपनी भौन्हे चढ़ा कर बोलता हैँ अब गाड़ी सड़क पे नही तो क्या आसमान मे चलाऊ..अरे हां बिल्कुल यही करो ना मुझे बड़ा मजा आयेगा। कितना अच्छा होगा जब गाड़ी आसमान मे चलेगी। मै भी उसमे बैठूंगी फिर उड़ जाउंगी और कभी वापस यहाँ नहीं आउंगी। ये बोलते हुए वो भाग कर उस आदमी की गाड़ी मे बैठ जाती हैँ। उसने ये इतनी जल्दी किया था की जैसे कोई हवा हो। उसकी इस हरकत से वो आदमी भी हैरान रह गया। क्या पागल लड़की है वह आदमी अपनी कर के पास आता है।

    ---

    "अरे! ओ पागल लड़की, मेरी कार में कहां घुस गई? बाहर निकल!"

    लेकिन आरवी तो नशे में थी, उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। वह चुपचाप जाकर कार में बैठ गई और खिड़की से झांकते हुए उसी आदमी को बुलाने लगी,
    "ओ हैंडसम मैन! इधर आओ न, देखो... अभी मैं उड़ जाऊंगी, फिर कभी नहीं लौटूंगी। यहां सब बहुत बुरे हैं, कोई मुझसे प्यार नहीं करता। सब बस डांटते हैं। मुझे नहीं रहना यहां..."

    वह मुंह बना रही थी, जैसे कोई नटखट बच्ची। उसे देख वह आदमी सिर पकड़ कर खड़ा रह गया,
    "ओ माय गॉड! ये किस आफत में फंस गया मैं... ये लड़की तो पूरी पागल है!"

    वह भी कार के पास आया और गेट खोलकर बोला,
    "बाहर निकलो! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी कार में घुसने की?"

    लेकिन आरवी कहां सुनने वाली थी। वह तो जैसे किसी फिल्मी सीन में जी रही हो। अचानक उसने उस आदमी को पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

    ये सब इतना जल्दी हुआ कि वह आदमी सन्न रह गया। आंखें फटी की फटी रह गईं। वह अभी उसे बाहर निकलने को कह रहा था, और ये लड़की...!

    वह दो कदम पीछे हटा और गुस्से में बोला,
    "निकलो बाहर! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे करीब आने की?"

    उसकी तेज आवाज आरवी के कानों में पड़ी। उसकी आंखें भर आईं। वह फूट-फूट कर रोने को तैयार थी।

    "हे भगवान! ये कैसा शैतान है! हैंडसम भी है, हट्टा-कट्टा भी... लेकिन कितना अकड़ू है!"

    वह बड़बड़ाने लगी, और वो आदमी खड़ा-खड़ा सुनता रहा।
    "क्या लड़की है ये, मेरे ही सामने मेरी बुराई कर रही है!"

    उसने माथा रगड़ा, जैसे सोच में डूब गया हो कि इससे पीछा कैसे छुड़ाए। तभी आरवी अचानक उसके गले में बाहें डालकर मासूमियत से बोली,
    "मुझे आइसक्रीम खानी है..."

    वह चौंक गया,
    "तुम पागल हो क्या? आधी रात को आइसक्रीम खानी है तुम्हें? और मैं क्यों खिलाऊं तुम्हें? घर कहां है, बताओ, तुम्हें छोड़ देता हूं!"

    "घर" सुनते ही आरवी सड़क पर ही बैठ गई और बच्चों की तरह रोने लगी,
    "नहीं! मुझे घर नहीं जाना... वहां कोई अच्छा नहीं है। सब डांटते हैं, मुझसे ढेर सारा काम करवाते हैं। और वो...कीर्ति उसने जबरदस्ती शराब पिला दी! अब मामा जी को क्या मुंह दिखाऊंगी... वो मुझे बहुत मारेंगे..."

    वह लड़खड़ाती आवाज़ में बोलती जा रही थी, और उस आदमी की भौंहें तनती जा रही थीं।
    "कौन हैं ये लोग जो तुम्हें मारते हैं?" वह गुस्से में बोला।

    आरवी रोती हुई बोली,
    "मामा जी... और मेरी मामी! वो तो चुड़ैल है, हर वक्त डांटती रहती है!"

    अब उसके चेहरे के सामने उस रात की यादें उतरने लगी थीं। माँ-बाप का जाना, तानों की ज़िंदगी, अकेलापन…। उसकी आंखों से आंसू बह निकले।

    वह लड़खड़ाती चाल में आगे बढ़ने लगी। उस आदमी को पता नहीं क्यों, उसका जाना अच्छा नहीं लगा। उसने जल्दी से आगे बढ़कर आरवी का हाथ पकड़ लिया।

    लेकिन जैसे ही हाथ पकड़ा, आरवी डर गई। उसने हाथ छुड़ाते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया,
    "छोड़ो मुझे! प्लीज़, कोई बचाओ!"

    उसे फिर से वो पुराने डर याद आने लगे थे — वो दरिंदों जैसी रातें, वो डर, वो बेबसी। 21 साल की उस मासूम लड़की ने जो कुछ सहा था, वह एक चीख बनकर बाहर आ रहा था।

    वह पीछे हटने लगी, घबराई हुई। और तभी बेहोश होकर सड़क पर गिर गई — धड़ाम।

    वह आदमी हड़बड़ाया। दौड़कर उसके पास आया,
    "हे लड़की! क्या हुआ तुम्हें?"

    पर अब वह पूरी तरह बेहोश थी।

    उसने आरवी को गोद में उठाया और कार में बिठाया। फिर ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार स्टार्ट की। बीच-बीच में पीछे झांकता रहा, वह होश में आई या नहीं।

    कुछ ही देर में कार एक बड़े से विला के सामने आकर रुकी — राणा विला।

    वह आदमी कार से उतरा, आरवी को बाहों में उठाया और भीतर चल पड़ा। विला के चारों ओर गार्ड्स खड़े थे, लेकिन कोई भी नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर रहा था।

    वही वो जैसे ही अंदर आया उसके बाहो मे किसी लड़की को देख कर वहां मौजूद सारे नौकर हैरान रह गये। क्या ये व्यान्स बाबा हैँ। जिस हवेली मे आज तक किसी औरत की परछाई तक नहीं पड़ी आज वहां खुद व्यान्स ही एक लड़की को ले आया था। सब उसे देख रहे थे लेकिन इस बात से व्यान्स राणा को कहा कोई फर्क पड़ता।
    वो वहां से सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। और सीधे अपने कमरे में पहुंचकर उसने आरवी को बेड पर लिटाया।

    वह खड़ा होकर उसे देखने लगा। छोटे-से चेहरे पर अब आंसुओं की लकीरें थीं। गुलाबी होंठ, मासूम आंखें, लंबे बाल... एक पल के लिए वह खुद को रोक नहीं पाया, उसकी मासूमियत में खो गया।

    कुछ देर उसे यूं ही निहारते रहने के बाद वह बाथरूम में चला गया।


    ---


    आगे जारी..।

  • 4. my psycho mafia - Chapter 4

    Words: 1397

    Estimated Reading Time: 9 min

    राणा मेंशन: व्यान्स का रूम

    करीब आधे घंटे बाद व्यान्स बाथरूम से बाहर निकला. उसने कमर पर सिर्फ़ एक सफ़ेद तौलिया लपेट रखा था और उसकी ऊपरी बॉडी नेकेड थी. बाथरूम से निकलते ही उसकी नज़र बेड पर पड़ी, जहाँ आरवी बच्चों की तरह सिमटी हुई सो रही थी. उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो अभी कोई आकर उसकी नींद खराब कर देगा. एक पल देखने के बाद, व्यान्स बालकनी की ओर बढ़ गया।

    बालकनी में पहुँचकर उसने एक सिगरेट निकाली और उसे सुलगाकर कश लेते हुए किसी से फ़ोन पर बात करने लगा. "एक लड़की की इनफार्मेशन चाहिए, वो भी कल सुबह तक," उसकी रौबदार आवाज़ सुनकर दूसरी तरफ़ का आदमी तुरंत बोला, "ओके बॉस!" इसी के साथ कॉल कट हो गया. व्यान्स ने फ़ोन टेबल पर रखा और खुद रेलिंग के पास आकर ऊपर काले आसमान को देखने लगा. उसकी आँखों में इतनी गहराई थी जैसे वो इस पूरे आसमान को उनमें समा सकता था. हाथों में सिगरेट लिए वो उसके धुएँ को हवा में उड़ा रहा था।

    इस समय उसके दिमाग में क्या चल रहा था, यह समझना बहुत मुश्किल था क्योंकि व्यान्स राणा कभी किसी के समझ में नहीं आता. आज तक उसे कोई नहीं समझ पाया. खुद में कई सारे राज़ छिपाए वो दुनिया पर हुकुम चलाता है. उसकी सच्चाई से सब अंजान थे—कौन है व्यान्स राणा? कहाँ से आया था? क्यों आया था? और अब उसका नाम दुनिया के हर बच्चे-बच्चे तक को पता था. बिज़नेस की दुनिया का बादशाह, व्यान्स राणा कोई इंसान नहीं, एक ब्रांड है जिसे हर कोई अपने नाम करना चाहता था. लड़कियाँ उस पर ऐसे मरती थीं जैसे कोई मधुमक्खी पीछे पड़ जाए, पर वो हमेशा बहुत सख्त रहता था. उसके आसपास कोई नहीं आ सकता था, लेकिन लड़कियाँ उसके आसपास आने के लिए किसी भी हद तक तैयार रहती थीं, बस एक रात व्यान्स के साथ मिल जाए, उसके बाद तो उनकी पूरी ज़िंदगी ही पलट जाती. सच में, वो व्यान्स के पीछे-पीछे घूमती रहती थीं, लेकिन आज तक उसने किसी की तरफ़ नज़र उठाकर भी नहीं देखा था. लंबे-चौड़े कद-काठी वाला ये इंसान, भूरी आँखें, गोरा रंग, काले बाल, सिक्स-पैक एब्स—बंदा हॉट तो था!

    खैर ऐसे ही आसमान की तरफ़ देखते रहने के बाद जब उसकी सिगरेट खत्म हो गई, तो वह वापस रूम में आया और एक बार फिर आरवी को देखकर खुद क्लोसेट में चला गया. क्लोसेट में जाकर उसने अपने लिए एक नाइट सूट निकाला और उसे पहनकर वापस कमरे में आकर बेड के दूसरे साइड लेट गया. उसकी आँखों में नींद तो कहीं नहीं थी, हाँ लेकिन कुछ तो था जो समझ नहीं आ रहा था. आखिर, व्यान्स राणा को समझना इतना आसान थोड़ी है. अगर एक बार को कोई उसे समझने की कोशिश भी करे, तो उसे व्यान्स राणा की गहराइयों तक जाना होगा, उसकी आँखों में उतरना होगा, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. व्यान्स राणा कभी किसी को अपनी आँखों में झाँकने नहीं देता. किसी की हिम्मत ही नहीं है जो व्यान्स राणा की आँखों में देख सके. उसकी एक नज़र लोगों को डराने के लिए काफी होती थी।
    रात काफी हो चुकी थी. जहाँ सारा शहर सो रहा था, तो वही कोई था जो अपने बीते दिनों की कल अंधेरे में गुम था. उसकी आँखों में नींद दूर-दूर तक नहीं दिख रही थी. पूरी रात ऐसे ही निकल गई—ना तो व्यान्स सोया, ना उसकी पलकें झपकीं।


    अगली सुबह


    आरवी की आँखें धीरे-धीरे खुलीं. खिड़की से छनकर आती हल्की धूप और बाहर की भीनी-भीनी खुशबू आरवी को बहुत अच्छी लग रही थी. आज उसे सुकून सा मिल रहा था. अब ये क्यों था, यह तो पता नहीं, पर उसे यहाँ कुछ अच्छा-अच्छा लग रहा था. आरवी अब धीरे-धीरे बिस्तर से उठी और अपनी आँखें मसलते हुए इधर-उधर देखने लगी. खुद को किसी नई जगह पर पाकर पहले तो वह सोचने लगी कि मैं यहाँ कैसे आई। तभी उसके दिमाग में कुछ आया और वह खुद को देखने लगी. जब उसे तसल्ली हो गई कि वह बिल्कुल ठीक है, तब वह चैन की साँस लेती है.
    और धीरे-धीरे बेड से नीचे आती है. पूरा कमरा देखते हुए उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं. वह खुद से बुदबुदाई, "भगवान! ये कमरा इतना बड़ा है, इतने में तो मामा-मामी का पूरा घर आ जाए. ये किसका महल है? घर कहना तो इसे इसकी बेइज्ज़ती करने के बराबर होगा. नहीं-नहीं, ये तो महल है—राजाओं का महल, जहाँ राजा लोग रहते हैं."लेकिन यहाँ कौन सा राजा रहता होगा।
    कमरे में घूमती हुई वह अभी भी आश्चर्यचकित थी कि उसकी नज़र बेड के ऊपर टंगी एक तस्वीर पर जाती है—एक बड़ी सी तस्वीर जिसमें एक शर्टलेस इंसान किसी शेर की तरह कुर्सी पर बैठा था. उसे देखते हुए आरवी खुद से बोली, "ये तस्वीर में है या रियल में? देख तो ऐसे रहे हैं जैसे अभी के अभी मुझे खा जाएँगे. हे भगवान! किसने खींची ये तस्वीर?क्या उसे इस भूरी आँखों वाले शैतान से डर नहीं लगा होगा।" खुद से ही बुदबुदाते हुए वह अजीब-अजीब से मुँह बना रही थी. फिर वह धीरे-धीरे चलते हुए उस तस्वीर के पास आती है और उसमें बैठे इंसान को देखते हुए कहती है, "एक बात बताओ, तुम्हें हँसना आता है? आँखें तो देखो, जैसे अभी खा जाएँगे. मुझे लग रहा ये कोई तस्वीर नहीं है बल्कि सच का इंसान हैँ बस बाहर आएगा और बोलेगा, 'मैं भूत हूँ, तुम्हे खा जाऊँगा.'" खुद से ही बातें करते हुए वह बहुत क्यूट लग रही थी. अभी उसे इस बात का कोई ध्यान नहीं था कि उसी के पीछे वो तस्वीर वाला शैतान उसे सच में देखते हुए खड़ा है.
    हां व्यान्स कब से आरवी के पीछे खड़ा, उसकी सारी बातें सुन रहा था. आरवी के मुँह से खुद के लिए भूरी आँखों वाला 'शैतान' सुनकर उसकी आँखें चढ़ गईं. 'ये लड़की मेरे ही घर में आकर मेरे ही कमरे में घुसकर घूमते हुए सब देख रही है, और उस पर भी मेरी इतनी अच्छी तस्वीर को शैतान बोल रही है! इसे क्या पता व्यान्स राणा का एटिट्यूड कितना बड़ा है.' उसने ये सब खुद से ही कहा था, जिसवज़ह से आरवी को अभी तक व्यान्स के होने का एहसास नहीं हुआ था. वह पहले तो व्यान्स की ही तस्वीर में खामियाँ निकालते हुए आँखें नचा रही थी, और अब उसके बेड पर बैठते हुए अपनी आँखों से आँसू बहा रही थी.
    आरवी अपने एक्सप्रेशन ऐसे बदलती थी जैसे कोई इंसान अपने कपड़े—इतनी जल्दी तो कोई कपड़े भी न बदल पाए. उसका हर एक एक्शन व्यान्स बड़ी ध्यान से देख रहा था—पहले उसका कुछ सोचना, फिर उसकी तस्वीर मे खामिया निकलना और फिर आकर बेड पर बैठकर रोना. 'ये लड़की है या कोई मशीन? इतनी जल्दी-जल्दी इसके नाटक शुरू हो रहे थे. एक मिनट में इसका मूड चेंज!' तभी व्यान्स अपना सर झटकते हुए आरवी की तरफ़ आता है और बेड के पास आकर खड़ा हो जाता है. आरवी जो सर झुकाए कब से रोए जा रही थी, जब उसे किसी के जूते दिखते हैं, तो वह अपना सर घुमाकर देखती है—कभी इधर तो कभी उधर. जब वह कंफर्म हो जाती है कि हाँ, ये किसी के जूते हैं, फिर वह धीरे-धीरे अपनी नज़रें उठाती है और सामने खड़े व्यान्स को देखते ही चिल्ला पड़ती है, "आअअअ!"
    इतनी ज़ोर से चिल्लाया था कि व्यान्स ने अपने कानों पर हाथ रख हुए कान बंद कर लिए थे। लेकिन आरवी बस आँखे बंद किये चिल्लाये जा रही थी। जब व्यान्स देखता है कि आरवी अब तक चुप नहीं हुई, तो वह जल्दी से उसके मुँह पर अपना हाथ रखकर बोलता है, "हे कमअक्ल लड़की! चुप हो जाओ! इतना क्यों चिल्ला रही हो? आज तक इंसान नहीं देखा क्या?" वह बोले जा रहा था और वहीं आरवी अपनी टिमटिमाती आँखों से उसे देखे जा रही थी. उसका ऐसे अपनी आँखों को बार-बार खोलना-बंद करना देखते हुए व्यान्स कहता है, "हाथ हटा रहा हूँ, लेकिन अगर अब चिल्लाई तो तुम्हारी ये कैंची की तरह चलने वाली ज़ुबान को काटने में मुझे एक सेकंड भी नहीं लगेगा."
    चिल्लाना मत आई बात समझ मे उसके पूछने पर भी आरवी कुछ बोल नहीं रही थी। उसे चुप देख अब व्यान्स का गुस्सा बढ़ने लगता हैँ। वाह अपनी आवाज़ को थोड़ा तेज करते हुए बोला समझी ना... उसकी तेज और गुस्से भरी आवाज़ जब आरवी के कानो तक पहुँचती हैँ तो वाह हां मे जल्दी जल्दी अपना सिर हिलाने लगती हैँ। उसकी इस हरकत से व्यान्स ना मे अपना सिर हिला देता हैँ। और उसके मुँह से अपने हाथो को हटा लेता हैँ।


    आगे जारी...।

  • 5. my psycho mafia - Chapter 5

    Words: 1188

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे...।

    व्यान्स ने जैसे ही अपने हाथ हटाए, आरवी ने एक गहरी साँस ली और फिर से अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से उसे घूरने लगी। उसकी नज़रें अब भी व्यान्स के चेहरे पर टिकी थीं, जैसे वह अभी भी यही समझने की कोशिश कर रही हो कि सामने खड़ा ये इंसान वही तस्वीर वाला "शैतान" है या कोई और। व्यान्स ने उसकी इस हरकत को नोटिस किया और अपनी भौंहें चढ़ाते हुए, अपनी रौबदार आवाज़ में बोला, "क्या देख रही हो? इंसान ही हूँ..
    आरवी, जो अभी तक अपने ख्यालों में खोई थी, उसकी आवाज़ सुनकर एकदम से चौंक गई। उसने जल्दी-जल्दी अपनी नज़रें नीचे कीं और अपने हाथों को आपस में मलते हुए बुदबुदाई, "न-नहीं... कुछ नहीं।" उसकी आवाज़ में हल्का सा डर और हिचकिचाहट साफ झलक रही थी। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाकर धीरे से पूछा, "आप... आप कौन हैं? और मैं यहाँ कैसे आई?"
    व्यान्स ने उसकी बात सुनकर एक ठंडी साँस ली और सोफे पर जा कर बैठ गया।उसकी भूरी आँखें अब भी आरवी को स्कैन कर रही थीं, जैसे वह उसकी हर हरकत को भाँप रहा हो। "तुम्हें यहाँ कैसे लाया गया, ये बाद में जान लेना। पहले जाओ जा कर फ्रेस हो लो और नीचे आ कर ब्रेकफस्ट करो उसकी आवाज़ में एक अजीब सा दबदबा था, जो आरवी को डरा रहा था।
    आरवी ने अपनी नज़रें इधर-उधर घुमाईं, फिर उसने हल्के से कंधे उचकाए और बोली, "मैं... मैं यहाँ कैसे फ्रेस हूँ।मेरे पास पहनने के लिए कुछ हैँ ही नहीं और मुझे नहीं पता मैं यहाँ कैसे आई। कल रात... मैं... मुझे कुछ याद नहीं।" मुझे यहाँ से जाना हैँ। उसकी बातें सुनकर व्यान्स की आँखें हल्की सी सिकुड़ीं। उसने एक पल के लिए उसे गौर से देखा, फिर टेबल की ओर बढ़ा और वहाँ रखा ग्लास उठाकर आरवी की तरफ बढ़ा दिया।।
    "याद नहीं?" व्यान्स ने ठंडे लहजे में दोहराया। "तुम्हें कुछ भी याद नहीं कि तुम यहाँ कैसे पहुँची? या फिर ये ड्रामा है?" उसने ग्लास टेबल पर रखा और फिर से आरवी की ओर मुड़ा। उसकी आँखों में अब एक हल्की सी चमक थी।
    आरवी ने जल्दी-जल्दी सिर हिलाया। "नहीं-नहीं, मैं सच कह रही हूँ! मुझे बस इतना याद है कि मैं अपनी बहन के साथ थी, और फिर... और फिर सब धुंधला हो गया।" उसकी आँखें फिर से नम हो गईं, और वह अपने होंठ काटते हुए बेड पर बैठ गई। "प्लीज़, मुझे जाने दीजिये।, मैं पूरीरात घर से बाहर थी ये बात मामा जी को पता चल गयी तो वो बहुत गुस्सा करेंगे प्लीज मुझे मेरे घर जाना हैँ।आप... आप मुझे जाने दीजिये। आप हैँ कौन हम नहीं जानते हमें यहाँ क्यूँ लाये हैँ। ये सब बोलते हुए उसकी आवाज़ काँप रही थी। और आँखों मे आंसू भी आ गये थे।
    व्यान्स ने उसकी बात सुनकर एक हल्की सी स्मृक कि और बोला कल जब तुम मेरे करीब आयी थी जबरदस्ती से तभी ये सब नहीं सोचा था। अब तुम व्यान्स राणा नहीं नहीं तस्वीर वाले शैतान की कैद मे हो तो ये शैतान इतनी आसानी से तुम्हे छोड़ थोड़ी देगा।उसने तंज भरे लहजे में कहा। आरवी की आँखें एकदम से चौड़ी हो गईं। उसे एहसास हुआ कि उसकी सारी बाते व्यान्स ने सुन ली थी। उसका चेहरा लाल पड़ गया, और वह अपने नाखून चबाने लगी। "वो... वो मैंने ऐसे ही... मेरा मतलब... सॉरी," वह हकलाते हुए बोली।
    व्यान्स ने उसकी तरफ एक लंबी नज़र डाली और फिर बिना कुछ बोले कमरे के बाहर की ओर बढ़ गया। दरवाज़े के पास रुककर उसने बिना पलटे कहा, "तैयार हो जाओ। नाश्ता नीचे है। और हाँ,मुझे एक ही बात बार बार दोहराने की आदत नहीं हैँ।उसकी आवाज़ में एक अजीब सा ठहराव था, जिसे सुन कर आरवी कुछ बोल ही नहीं पायी।
    आरवी ने चुपचाप सिर हिलाया, लेकिन जैसे ही व्यान्स कमरे से बाहर निकला, वह फिर से बुदबुदाने लगी, "ये आदमी है या कोई पहेली? ना हँसता है, ना मुस्कुराता है, बस आँखों से आग बरसाता है।" वह बेड से उठी और कमरे में इधर-उधर देखने लगी। उसकी नज़र अब एक बार फिर उस तस्वीर पर गई। "पर ये तो मानना पड़ेगा, तस्वीर में चाहे शैतान लगे, लेकिन असल में... उफ्फ, कितना हॉट है!" उसने खुद को ही फटकारा और जल्दी से बाथरूम की ओर बढ़ गई।
    बाहर, लिविंग एरिया में
    व्यान्स नीचे लिविंग एरिया में पहुँचा, जहाँ उसका असिस्टेंट, रॉय, पहले से ही इंतज़ार कर रहा था। रॉय ने उसे देखते ही एक फाइल आगे बढ़ाई। "बॉस, आपने जो लड़की की इनफॉर्मेशन मांगी थी, वो यहाँ है।"
    व्यान्स ने फाइल ली और उसे खोलकर पढ़ने लगा। उसकी आँखें तेज़ी से पन्नों पर दौड़ रही थीं। फाइल में आरवी की पूरी डिटेल थी—उसका नाम, बैकग्राउंड, दोस्त, परिवार, और यहाँ तक कि वह कल रात कहाँ थी। व्यान्स ने फाइल बंद की और रॉय की ओर देखा।गाड़ी निकालो हमें बाहर जाना हैँ।
    रॉय ने सिर हिलाया। "ठीक है, बॉस। मैं अभी और कार रेडी करवाता हूँ। लेकिन..." वह रुक गया, जैसे कुछ कहने से हिचक रहा हो।
    "लेकिन क्या?" व्यान्स ने अपनी भौंहें चढ़ाईं।
    "बॉस, ये लड़की...
    व्यान्स ने एक पल के लिए रॉय को देखा, फिर ठंडी आवाज़ मे बोला तुम्हे जितना बोला जा रहा हैँ उतना ही करो ज्यादा दिमाग़ चलाने की जरूरत नहीं हैँ। उसकी बात सुनते ही रॉय ने कहा sorry boss और फिर वहां से चला गया।
    उधर, आरवी बाथरूम से फ्रेश होकर बाहर निकली। उसने कमरे में रखा एक बैग देखा जब उसने उसे खोला तो उसमे उसके लिए कपडे थे। जिसे देखते हुए वो मुँह बना रही थी। लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था। उसे वो ड्रेस पहनना ही था।, जो व्यान्स ने ही उसके लिए भिजवाया था। वह अब भी सोच रही थी कि वह यहाँ कैसे पहुँची। उसका दिमाग बार-बार कल रात की धुंधली यादों में उलझ रहा था।उसे सब कुछ तो नहीं लेकिन कुछ कुछ याद आ रहा था। उसने अपना सिर पकड़ा और झल्लाते हुए बोली ये सब कीर्ति की वज़ह से हो रहा हैँ। अगर उसने मुझे वो शराब ना पिलाई होती तो आज मै यहाँ ना होती।
    खैर वो कमरे से निकल जैसे ही लिविंग एरिया में पहुँची, उसकी नज़र व्यान्स पर पड़ी, जो सोफे पर बैठा अपने फोन में कुछ देख रहा था। उसकी मौजूदगी से कमरा और भी भारी लग रहा था। आरवी ने हिम्मत जुटाई और धीरे से बोली, "वो... नाश्ता कहाँ है?"
    व्यान्स ने बिना नज़रें उठाए, "डाइनिंग टेबल की तरफ इशारा कर दिया।
    आरवी ने चुपचाप टेबल की ओर कदम बढ़ाए, लेकिन उसका मन अभी भी उलझन में था। "ये आदमी इतना रूखा क्यों है? और मैं यहाँ क्या कर रही हूँ? क्या ये मुझे किडनैप करके लाया है?लेकिन मुझसे इन्हे क्या मिलेगा। ये क्यूँ ही मुझे किडनैप करेंगे,उसके दिमाग में सवालों का तूफान उठ रहा था।

    उसने किसी तरफ नाश्ता किया आज पहली बार उसे इतना अच्छा और टेबल पर बैठ कर खाने का मौका मिल रहा था। उसके सामने कई तरह की डिसेस रखी हुई थी। लेकिन आरवी को इन सब से कोई मतलब नहीं था। वो तो डरते हुए किसी तरह खा रही थी। वही व्यान्स भले ही उसके पास नहीं बैठा था लेकिन उसकी नज़रे बराबर आरवी पर बनी हुई थी। उसकी सारी हरकतें वो बड़े ही ध्यान से देख रहा था।


    आगे जारी.....

  • 6. my psycho mafia - Chapter 6

    Words: 151

    Estimated Reading Time: 1 min

    आरवी के ऐसे खाते हुए देख कर व्यान्स अपनी जगह से उठता हैँ और उसके पास आ कर उसी के साइड वाली चेयर खिंचते हुए उसके पास में बैठ जाता हैँ। उसकी हरकतें देखते हुए आरवी अपना सिर प्लेट में ही गड़ाए जा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसका बस चले तो वो उस प्लेट में ही घुस जाए व्यान्स जो उसकी हरकतें देख रहा था वो अपनी चेयर घुमाते हुए आरवी के बिल्कुल सामने करता हैँ और कहता हैँ अगर इसमें जाने का कोई door हैँ जो सिर्फ तुम्हे ही दिख रहा हैँ तो एक बार मुझे भी बता दो मै भी इस प्लेट के door के दूसरी साइड चला जाता हूँ। उसकी बाते सुनने के बाद आरवी अपनी आँखे टीमटीमाते हुए उसे देखने लगती हैँ जैसे पूछ रही ये आप कैसी बाते कर रहे हैँ, लेकिन उसमें हिम्मत नहीं होती की वो ये बोल कर पूछ सके।