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Rowdy Jamai

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Rahul Mondal

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Kahani Ek ladke ki hai jo Bachpan Se Hi छोटे-मोटे crime Ke Chalte Apna pura Bachpan jail mein Bita Di isliye iska Koi मां-बाप Nahin na use Koi Naam Mila sirf ek hi naam Mila villain is devil lekin ek ladki ke Pyar Mein use Badal Diya use devil se Ins...

Total Chapters (25)

Page 1 of 2

  • 1. Rowdy Jamai - Chapter 1

    Words: 604

    Estimated Reading Time: 4 min

    यह ऐसी एक प्रेम कहानी है जिसमें दर्द भी है प्यार भी है और एक्शन भी है और ड्रामा भी लेकिन हर लव स्टोरी से कुछ यह अलग लव स्टोरी है,।






    जेल की मोटी सलाखों के पीछे बैठा वो लड़का, जिसे दुनिया Devil कहती है, अपनी कोठरी की दीवार पर नज़रें गढ़ाए बैठा है। चारों तरफ सन्नाटा है, बस उसके सीने में उठती आहें और दिल की धड़कन ही उसके साथी हैं।

    वो दीवार से पीठ टिकाकर आँखें बंद कर लेता है। उसकी आँखों के सामने उसका पूरा बचपन घूमने लगता है — एक कड़वी फिल्म की तरह।

    Devil (अपने आप से बड़बड़ाता है) —
    "पता नहीं क्यों, मैं पैदा ही क्यों हुआ... माँ-बाप ने मुझे कभी गले तक नहीं लगाया। बस गालियाँ, मार और ताने... घर क्या था, मेरे लिए तो वही जेल थी, बस सलाखें नहीं थीं वहाँ..."

    वो अपनी उंगलियों से कोठरी की गंदी दीवार पर कुछ लकीरें खींचने लगता है। हर लकीर उसके बीते सालों का हिसाब रखती है।

    उसे याद है जब वो दस साल का था — पहली बार उसे चोरी के इल्ज़ाम में पुलिस पकड़कर ले गई थी। हालाँकि वो छोटा था, मगर मोहल्ले वालों ने उसके सिर पर सारे गुनाह मढ़ दिए।

    Devil (धीरे से हँसता है) —
    "चोर... गुंडा... बदमाश... Devil! यही नाम दिया था मुझे दुनिया ने। किसी ने ये नहीं पूछा कि मैंने ऐसा क्यों किया। भूख से पेट जल रहा था... और माँ-बाप ने दरवाज़ा बंद कर दिया था मेरे लिए।"

    वो आँखें खोलता है — अब उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान तैर जाती है, जब उसे Anjali याद आती है। वही Anjali जिसने उसे Devil नहीं, Prem कहा था।


    ---

    Flashback

    वो बरसात की रात थी — Devil भीगता हुआ बस स्टॉप के शेड में खड़ा था। उसके कपड़े मैले थे, चेहरा गुस्से से लाल। तभी वहाँ Anjali आई — सफेद सलवार-कमीज़, छतरी लिए।

    Anjali (धीरे से मुस्कुराते हुए) —
    "इतना भीग क्यों रहे हो? कोई घर नहीं है तुम्हारा?"

    वो कुछ नहीं बोला — बस उसकी आँखों में झाँकता रहा।

    Anjali (फिर हँसकर) —
    "कौन हो तुम?"

    Devil (गुस्से में) —
    "Devil! और कोई नाम नहीं है मेरा!"

    Anjali को उस दिन Devil के चेहरे में वो मासूम बच्चा दिख गया, जो बस प्यार माँग रहा था।

    Anjali —
    "Devil नहीं, Prem! अब से तुम्हारा नाम Prem है। क्योंकि तुम्हारे दिल में नफरत से ज्यादा मोहब्बत छुपी है। बस किसी ने उसे देखा नहीं..."


    ---

    जेल की कोठरी में Devil की आँखों से एक आँसू गिरता है।

    Devil (धीरे से बड़बड़ाता है) —
    "Prem... सिर्फ Anjali ही मुझे Prem कहती थी। वही तो थी जिसने मुझे Devil से इंसान बनाया था।"

    वो दीवार पर अपनी हथेली मारता है।

    Devil (गुस्से में) —
    "फिर भी उसी Anjali के खून का इल्ज़ाम मेरे सिर पर! मैंने कुछ नहीं किया था... मैंने तो बस उसे बचाने की कोशिश की थी... काश कोई मेरी बात सुनता।"

    उसे याद है वो खून से सना कमरा — Anjali की लाश — और उसके हाथ में खून से सना चाकू। सबूत भी उसके खिलाफ थे, गवाह भी। पुलिस ने उसे Devil कहा और जज ने 22 साल की सजा सुना दी।


    ---

    जेल के बाहर रात की हवा चल रही है, मगर Devil की कोठरी में कोई खिड़की नहीं।

    Devil (आँखें बंद कर) —
    "Anjali... तुझे खोकर मैंने सब खो दिया। अब मैं सिर्फ बदला लूँगा — उस सच का बदला, जिसे किसी ने सुना नहीं!"

    उसने कसम खा ली है — एक दिन वो जेल से बाहर निकलेगा। तब उसका नाम फिर Devil होगा — मगर इस बार वो Devil खुद के लिए नहीं, Anjali के कातिलों के लिए होगा।


    ---

    End of Chapter 1

  • 2. Rowdy Jamai - Chapter 2

    Words: 511

    Estimated Reading Time: 4 min

    Chapter 2 – खतरा

    जेल की दीवारों में सुबह घुल रही थी। घंटी बजी, कैदियों की लाइन लगने लगी। Devil अपनी कोठरी में अब भी चुप बैठा था — चेहरे पर वैसी ही उदासी, आँखों में वही ठहरी हुई आग।

    Guard (झल्लाकर) –
    "ओए Devil! बाहर आ लाइन में लग!"

    वो बिना कुछ कहे उठा, जैसे सबकुछ सुन रहा हो, मगर कुछ भी महसूस नहीं कर रहा।

    लाइन में खड़ा Devil अपने ही ख़यालों में था, तभी उसकी पीठ पर किसी ने हल्का धक्का मारा।

    "इतने सीधे कैसे हो गए Prem?"

    Devil के कान खड़े हो गए। आवाज़ जानी-पहचानी थी — Raka।

    वही Raka जिसने उसे किशोरावस्था में अपने गैंग में खींचा था, और फिर उसी दुनिया में डुबो दिया जहाँ से Devil ने निकलने की कोशिश की थी। वही Raka जिसकी वजह से उसकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी कीमत उसे चुकानी पड़ी — Anjali को खोना।

    Devil ने धीरे से सिर घुमाया।

    Devil (धीरे से) –
    "मरा नहीं तू अभी तक?"

    Raka (मुस्कराते हुए) –
    "मौत तो उन्हें मिलती है जो सच्चाई की तलाश करते हैं। तू अब भी Anjali के पीछे है?"

    Devil की मुठ्ठियाँ भींच गईं। मगर वो कुछ नहीं बोला।

    Raka झुककर Devil के कान में फुसफुसाया —
    "जो तू जानना चाहता है, वो बहुत बड़ा खेल है। ज़िंदा रहना है, तो भुला दे Anjali को।"

    Devil ने उसकी तरफ देखा, जैसे उसकी आँखों से ही जवाब निकालना चाहता हो।

    Devil (धीरे, ठंडी आवाज़ में) –
    "मुझे डराने आया है या याद दिलाने कि तूने ही उसे मारा?"

    Raka हँस दिया, लेकिन कुछ नहीं बोला। फिर चलते-चलते बस एक वाक्य कह गया —
    "Devil... जो दिखता है, वही सच नहीं होता।"


    ---

    रात को जेल की कोठरी अंधेरे में डूबी थी। Devil दीवार से पीठ टिकाकर बैठा था, तभी सलाखों के बीच से एक कागज़ अंदर फेंका गया।

    वो चौंक गया।

    धीरे से उठकर उसने वो मुड़ा-तुड़ा कागज़ खोला। उस पर सिर्फ चार शब्द थे:

    "Anjali जिंदा है... भागो!"

    Devil की साँस रुक गई। उसकी उँगलियाँ काँपने लगीं।

    Devil (आहिस्ता से) –
    "ये… मुमकिन नहीं… या शायद… यही सच है?"

    वो फर्श पर बैठ गया, आँखें बंद कर लीं।

    Anjali का चेहरा उसकी आँखों के सामने फिर से तैरने लगा — वही मुस्कुराहट, वही मासूमियत।

    Devil (बड़बड़ाता है) –
    "अगर ये झूठ है, तो किसी की चाल है... और अगर सच है, तो पूरी दुनिया मुझसे झूठ बोल रही थी।"




    उस रात Devil सो नहीं सका।

    हर आहट, हर साया अब उसे कोई इशारा दे रहा था। कोई था जो उसे सच बताना चाहता था — या फिर कोई उसे किसी नए जाल में फँसाना चाहता था।

    मगर Devil अब तैयार था।

    "अब चाहे Anjali जिंदा हो या नहीं… मुझे बाहर जाना होगा।"

    वो जानता था, बाहर एक नई लड़ाई उसका इंतज़ार कर रही है — सच की, बदले की… और शायद, मोहब्बत की भी।

    क्या करेगा डेविल क्या वह जेल से भागेगा और बाहर निकाल कर सबसे पहले कौन सा काम करेगा अपनी मोहब्बत की तलाश या अपना बदला क्या अंजलि सच में जिंदा है यह कोई झूठ है , तो मिलते हैं चैप्टर 3 में।

  • 3. Rowdy Jamai - Chapter 3

    Words: 791

    Estimated Reading Time: 5 min

    chapter 3 Sach ke saye mein


    जेल की रातें, दिन से कहीं ज़्यादा लंबी लगती हैं। दीवारें यूँ तो ठोस होती हैं, मगर Devil की सोच उनसे भी ज़्यादा ठोस हो चली थी — बस अब उसकी ज़िंदगी एक ही वाक्य पर अटक गई थी:

    "Anjali जिंदा है... भागो!"

    वो एक पन्ना, एक स्याही की लकीरें — और एक तूफान, जो Devil की नसों में घूम रहा था।

    वो देर तक उस पर्चे को घूरता रहा, जैसे शब्दों के पीछे कोई और भी लिखा हो — कोई चीख, कोई पुकार।

    Devil (आँखें मूँदते हुए) –
    "अगर तू जिंदा है Anjali... तो मेरी साँसों में अब भी जान है।"


    ---

    अगली सुबह, जेल में सब वैसा ही था — गार्ड की चिल्लाहट, कैदियों की गिनती, लोहे की चाय और कड़वा सन्नाटा।
    मगर Devil अब वैसा नहीं था। उसके भीतर कोई खंजर घुमा चुका था — और अब वो चुप नहीं रहेगा।

    रात को उसने खुद को जानबूझकर ज़ख़्मी किया — ज़रा-सा खून, मगर काफ़ी था मेडिकल वार्ड तक जाने के लिए।

    वहाँ सफाईकर्मी Iqbal पुराने बिस्तरों के बीच छुपा इंसान था — जिसे दुनिया ने नकार दिया था, पर उसका दिल अब भी इंसानियत से धड़कता था।

    Devil (धीरे से) –
    "Iqbal भाई… एक सच्चाई बतानी है, और एक मदद चाहिए।"

    Iqbal (हँसकर) –
    "तू Devil है… तुझे जब भी चाहिए, तू खुद ले लेता है मदद। आज माँग रहा है, कुछ तो बदला है तेरे अंदर?"

    Devil ने उसकी आँखों में सीधे झाँका।

    Devil –
    "बदला कुछ नहीं… बस अब वक़्त है बदला लेने का।"

    Iqbal थोड़ा सकपकाया, फिर Devil की हथेली में एक पुराना कागज़ थमा दिया — मुड़ा-तुड़ा, जैसे सालों से किसी जेब में पड़ा हो।

    Iqbal –
    "ये स्केच उस लड़की ने छोड़ा था जो तुझसे मिलने आई थी… बोली थी Prem को बचाना है। मैंने तब इसे संभाल कर रख लिया।"

    Devil ने कागज़ खोला — एक पुरानी सुरंग का नक्शा, और नीचे लिखा था:

    "रात के 3 बजे... वही जगह, जहाँ अँधेरा भी साँस लेना भूल जाता है।"


    ---

    Flashback –
    Anjali की हँसी अब भी Devil की साँसों में घुली थी —

    Anjali (तेज़ बारिश में, छतरी पकड़े) –
    "Prem, अगर कभी सबकुछ खत्म हो जाए... तू मत बदलना। तू वही रहना, जो मेरी आँखों ने पहली बार देखा था — मासूम, मगर मजबूर नहीं।"

    Devil ने उसका हाथ थामा था —
    "अगर तू मरी भी न, तो भी मैं तुझे फिर से जी लूँगा…"


    ---

    रात के तीन बजे, Devil एक काले साये की तरह कोठरी से निकला — उस दीवार के पास, जहाँ की ईंट पिछले दो साल से वो ढीली करता आया था।

    उसने वो ईंट हटाई — अंधेरा जैसे साँस लेने लगा।

    सुरंग संकरी थी, पत्थर ठंडे और हवा में घुटन थी। मगर Devil का इरादा लावा बन चुका था — हर डर को जला देने वाला।

    करीब बीस मिनट बाद, वो बाहर निकला — एक सुनसान कुएँ के पास, जेल की पिछली सीमा से परे।

    वहाँ, धुँध के बीच एक आकृति उसका इंतज़ार कर रही थी।

    Devil (चौंककर) –
    "कौन है?"

    आकृति पास आई — झुका हुआ बूढ़ा, लाठी के सहारे चलता।

    "मैं वो हूँ जिससे तू मिलने आया है…"

    Devil –
    "...क्या?"

    आदमी –
    "मैं Anjali का पिता हूँ।"

    Devil के भीतर कुछ टूट गया — साँस जैसे थम गई हो।

    Devil –
    "Anjali... तो... वो मरी नहीं?"

    Anjali के पिता (धीरे मगर ठोस स्वर में) –
    "वो मरी नहीं, उसे छुपा दिया गया। उस रात जो लाश मिली थी, वो Anjali की नहीं थी।"

    Devil जैसे समय के खिलाफ खड़ा हो गया।

    Devil –
    "लेकिन… कोर्ट में सबूत, गवाह, खून... मेरे हाथ में चाकू था!"

    Anjali के पिता (दर्द से) –
    "वो चाकू तुमने नहीं उठाया था… किसी ने तुम्हारे हाथ में रखा। Anjali उस वक़्त एक ऐसी फाइल के पीछे थी जो कई ताक़तवर लोगों का सच खोल सकती थी। उन्हें Anjali चाहिए थी — खामोश, या मरी हुई।"

    Devil के चेहरे पर अब मासूमियत नहीं थी — सिर्फ़ आग थी।

    Anjali के पिता –
    "Raka उसी खेल का मोहरा था। उसने Anjali को गुमनाम करने में मदद की… और तुझे मोहरा बनाया।"

    Devil (कसम खाते हुए) –
    "मैं हर एक परत को फाड़ दूँगा। अगर Anjali छुपी है, तो अब वो सिर्फ़ छुपकर नहीं जी सकती। मैं उसे बचाऊँगा… या उसके लिए सब जला दूँगा।"




    End of Chapter 3




    यह वर्जन ज़्यादा भावनात्मक, दृश्यात्मक, और लिरिकल टोन में है — जिससे हर सीन आपकी आँखों में सिनेमा की तरह उभरे।
    अब फैसला आपके हाथ है:

    Chapter 4 में Devil Anjali को ढूँढ़ना शुरू करे?

    या Chapter 4 में Anjali खुद Devil के सामने आए — मगर बदली हुई?

    या फिर Raka का नया खेल सामने आए?

    जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए और आप लोगों से मुलाकात होगी फिर इस कहानी के चैप्टर 4 में।

  • 4. Rowdy Jamai - Chapter 4

    Words: 842

    Estimated Reading Time: 6 min

    Chapter 4 – parchhaiyon Ke Piche

    जेल से भागे अब 6 घंटे हो चुके थे। Devil सुनसान गलियों और वीरान सड़कों से होकर उस जगह पहुँचा, जहाँ कभी वो और Anjali मिला करते थे — पुरानी फैक्ट्री की छत।

    सूरज निकल रहा था, मगर Devil की आँखों में रात अभी तक थी।

    Devil (अपने आप से) –
    "Anjali... अगर तू ज़िंदा है, तो यहीं आएगी। तूने कहा था — 'अगर खो भी गए, तो इसी छत पर मिलेंगे'।"

    वो दीवार से टिककर बैठ गया, थका हुआ नहीं था… पर अंदर से टूट चुका था।

    तभी पीछे से एक धीमी आवाज़ आई —
    "Prem..."

    Devil बिजली की तरह उठा और पलटा।

    वहाँ एक लड़की खड़ी थी — चेहरा आधा छुपा हुआ, मगर वो आँखें... वही आँखें।

    Devil (साँस थामकर) –
    "Anjali...? तू... तू सच में जिंदा है?"

    Anjali ने चेहरा सामने किया। उसके चेहरे पर अब मासूमियत नहीं, बल्कि जंग का असर था। बाल बिखरे, कपड़े सादे, और आँखों में एक अजीब चुप्पी।

    Anjali (धीरे से) –
    "मैं जिंदा हूँ… पर जो मरी थी, वो मेरी मासूमियत थी, Prem।"

    Devil –
    "क्यों? क्यों छुपी रही तू इतने साल? मुझे अकेला छोड़ दिया… सबने मुझे कातिल कहा…"

    Anjali (आँखें नीची करते हुए) –
    "मैं मजबूर थी। उस रात सब कुछ बदल गया था। मैंने सबूत चुराए थे एक ऐसे गिरोह के खिलाफ जो पुलिस, नेताओं और गैंगस्टरों का जाल था। उन्होंने मुझे ढूँढ लिया… और फिर..."

    Devil उसकी बात बीच में काटता है —

    Devil (गुस्से में) –
    "...और फिर तूने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया?! Anjali, मैंने 22 साल की सज़ा काटी तेरे लिए… उस खून के लिए जो मैंने नहीं किया!"

    Anjali (चीखकर) –
    "और मैं 5 साल तक रह रही हूं हर दिन! छुप-छुपकर, नाम बदलकर, शहर छोड़कर! मैं हर रात यही सोचती थी कि तू अब भी मुझसे नफ़रत करता होगा…"

    दोनों के बीच कुछ पल के लिए सन्नाटा फैल गया — मगर उस सन्नाटे में सिर्फ नफ़रत नहीं, दर्द भी था… अधूरी मोहब्बत का।

    Devil (धीरे से) –
    "मुझे तुझसे नफ़रत नहीं थी… बस सवाल थे।"

    Anjali (आँखें नम करते हुए) –
    "मैं जानती हूँ। इसीलिए आज आई हूँ — सब कुछ बताने… और वो फाइल देने जिसे तू लेकर भागेगा, ताकि सबके सामने सच आए।"

    Devil चौक गया।

    Devil –
    "कैसी फाइल?"

    Anjali –
    "एक हार्ड ड्राइव है जिसमें सब कुछ है — Raka की कॉल रिकॉर्डिंग्स, पुलिस अफसरों के ट्रांज़ैक्शन, नेताओं की मीटिंग्स... और मेरा इकबालिया बयान भी।"

    Devil –
    "...तूने अपना इकबालिया बयान रिकॉर्ड किया है?"

    Anjali –
    "हाँ… अगर मैं मारी भी जाऊँ, तुम्हारा यह फर्ज है सच तुम्हें दुनिया की नजरों में लाना होगा।

    Devil की आँखें नम हो गईं।

    Devil (आहिस्ता से) –
    "मैं तुझे फिर खोने नहीं दूँगा। अब नहीं…"

    तभी अचानक दो गाड़ियों के टायरों की चीख सुनाई दी। फैक्ट्री के बाहर से बंदूक़ों की आवाज़ गूँजी।

    Anjali (तेजी से) –
    "Raka! ने लोकेशन ट्रैक कर ली

    Devil –
    "भागना होगा… कहाँ है फाइल?"

    Anjali ने अपनी जैकेट से एक चिप निकाली और Devil के हाथ में रख दी।

    Anjali –
    "ये ले… और इस पुल से उतरकर पीछे की गली में भाग! मैं दूसरी तरफ जाऊँगी, ताकि उनका ध्यान बँटे।"

    Devil (गुस्से में) –
    "नहीं! हम साथ भागेंगे!"

    Anjali (सख्ती से) –
    "अगर आज तू पकड़ा गया, तो सब खत्म। मुझे पहले भी खुद को कुर्बान करना पड़ा… और आज फिर वही करना होगा।"

    Devil के होंठ काँपे, मगर शब्द नहीं निकले।

    Anjali ने उसका चेहरा पकड़ा —

    Anjali –
    "Prem… इस बार तू नहीं हारेगा। और न ही मैं।"

    और वो भाग गई — फैक्ट्री की दूसरी तरफ। Devil चुपचाप चिप को कसकर पकड़कर नीचे की गली की ओर भागा।


    ---

    10 मिनट बाद – पुरानी बिल्डिंग के अंदर

    Devil एक कमरे में छुपा था, कंप्यूटर के सामने बैठा। उसने चिप को जोड़ा। स्क्रीन पर फोल्डर खुला — "Truth_Anjali"

    फोल्डर में मौजूद वीडियो में Anjali कैमरे के सामने बैठी थी — आँखे लाल, चेहरे पर घाव।

    Anjali (वीडियो में) –
    "मैं Anjali Tiwari हूँ। ये मेरा आख़िरी बयान है… अगर आप ये देख रहे हैं, तो शायद मैं ज़िंदा नहीं रही। लेकिन ये सबूत इस देश के सिस्टम का वो चेहरा है जो सब छुपाते रहे…"

    Devil की आँखों से आँसू गिरने लगे। वो जानता था — अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं है।

    Devil (धीरे से) –
    "अब Devil नहीं… अब Prem बोलेगा… और सच चीखेगा।"


    ---

    End of Chapter 4


    ---

    अगली दिशा?

    अब कहानी कई मोड़ों पर जा सकती है:

    Chapter 5: Devil उस फाइल को पब्लिक करने की कोशिश करता है, लेकिन हर मोर्चे पर दुश्मन खड़ा है।

    या Raka उसे पकड़वा देता है, और फिर Devil को सच सामने लाने के लिए सिस्टम के अंदर से लड़ाई लड़नी पड़ती है।

    या Anjali की मौत की खबर दोबारा आती है — लेकिन क्या वो सच है…?

    अंजलि की दोबारा मौत की खबर आती है डेविल इस बार क्या करेगा उन लोगों से जंग करेगा अंजलि की दिली ख्वाहिश पूरा करेगा या यह अंजलि की दी हुई फ़ाइल को पब्लिक करेगा किसी प्रेस या मीडिया को देगा क्या करेगा डेविल, जानेंगे चैप्टर 5 में।

  • 5. Rowdy Jamai - Chapter 5

    Words: 916

    Estimated Reading Time: 6 min

    chapter 5 Sajish ki deewaren

    रात का तीसरा पहर था। पुरानी बिल्डिंग में एक टूटी खिड़की के सामने बैठा Devil चुपचाप स्क्रीन देख रहा था। कंप्यूटर में Anjali का इकबालिया वीडियो चल रहा था।

    Anjali (वीडियो में) –
    "…अगर आप ये देख रहे हैं, तो मैं शायद कहीं नहीं रही… लेकिन मेरे साथ मरा नहीं है सच। जो Devil जेल में है, वो कातिल नहीं… वो सिर्फ एक मोहरा है। असली खेल उनके हाथों में है जो कानून बनाते हैं, तोड़ते हैं… और फिर जला देते हैं।"

    Devil ने अपनी आँखें पोंछीं।
    Devil (धीरे से) –
    "अब ये फाइल किसी हार्ड ड्राइव में नहीं रहेगी… ये सच अब हर स्क्रीन पर होगा।"

    उसने लैपटॉप उठाया और निकल पड़ा — एकमात्र ऐसे आदमी की ओर जो टेक्नोलॉजी में मदद कर सकता था — Ravi, उसका पुराना दोस्त, जिसे वो वर्षों पहले ही खो चुका था।


    ---

    सुबह – पुराना साइबर कैफे, शहर के बाहरी इलाके में

    Ravi अब 'NetPoint' नाम के साइबर कैफे में काम करता था, जो असल में एक हैकर स्पेस था। Devil जब वहाँ पहुँचा, तो Ravi उसे देख कर चौंक गया।

    Ravi (घबराकर) –
    "Prem?! तू... तू तो जेल में था!"

    Devil (धीरे से) –
    "था। अब बाहर हूँ — और सच्चाई मेरे हाथ में है। मुझे इसे इंटरनेट पर डालना है… बिना ट्रैक हुए। कर सकता है?"

    Ravi कुछ पल सोचता है, फिर सिर हिलाता है।

    Ravi –
    "कर सकता हूँ, लेकिन एक बार ये फाइल लाइव हो गई… तो Raka तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा।"

    Devil (कड़क स्वर में) –
    "तू मेरा डर नहीं बढ़ा सकता, Ravi। जो 22 साल पहले मरा था, अब वो सिर्फ बदला लेने लौटा है।"

    Ravi ने काम शुरू किया। वीडियो अपलोड होने लगा।

    Ravi (टाइप करते हुए) –
    "मैं इसे दस सर्वरों पर अपलोड कर रहा हूँ… लिंक पूरी दुनिया में जाएगा। लेकिन… एक मिनट!"

    Devil –
    "क्या हुआ?"

    Ravi –
    "कोई हमें ट्रैक कर रहा है… किसी ने इसी IP पर एक्टिव सर्विलांस भेज दिया है… शायद Raka…"

    Devil की मुठ्ठियाँ भींच गईं।
    Devil –
    "तो अब उनसे मिलना भी ज़रूरी हो गया है… आमने-सामने।"


    ---

    उसी दोपहर – शहर का एक गुप्त इलाका, एक खाली फैक्ट्री

    Devil अकेला पहुँचा — हाथ खाली, मगर इरादा भारी।

    वहीं सामने खड़ा था Raka — एक सिगार जलाए, आँखों में वही पुराना घमंड।

    Raka (हँसते हुए) –
    "Prem… Prem… अब भी Anjali के पीछे घूम रहा है? तूने तो ये खेल कब का हार दिया था।"

    Devil (आँखें गाढ़ी करते हुए) –
    "खेल अब शुरू हुआ है, Raka।"

    Raka –
    "और तू जीतने आया है? फाइल के भरोसे? क्या तू जानता है कि वो फाइल बस एक हिस्सा है? असली पत्ते अब भी मेरे हाथ में हैं।"

    Devil (शक से) –
    "क्या मतलब?"

    Raka धीरे से पास आया और Devil के कान में फुसफुसाया —

    Raka –
    "Anjali… कभी मरी नहीं थी। और जो ज़िंदा थी, वो अब तेरे साथ नहीं है।"

    Devil चौंक गया।
    Devil –
    "...क्या कहना चाहता है तू?"

    Raka (गंभीर होकर) –
    "Anjali अब उस तरफ है… जो इस सिस्टम को चलाते हैं। जो लड़ती थी, अब उनके लिए काम करती है। वो अब तेरे दुश्मनों की मोहरे में सबसे तेज़ है।"

    Devil के दिल में जैसे कोई चाकू घोंपा गया।

    Devil (काँपती आवाज़ में) –
    "झूठ… तू झूठ बोल रहा है… Anjali ने मुझे वो फाइल दी… वो अब भी उसी सच्चाई के लिए लड़ रही है!"

    Raka (हँसते हुए) –
    "तो फिर वो कहाँ है अब? क्यों नहीं आई तेरे साथ? और जो इकबालिया बयान उसने दिया, वो कब का पुराना हो चुका है। वो अब तेरे खिलाफ है, Prem।" sorry Prem नहीं तू तो डेविल है ना प्रेम अपनी अंजलि के लिए है ऐसे में तू डेविल है सही कहा ना।

    Devil कुछ पल के लिए चुप रहा, लेकिन फिर उसकी आँखों में वही तेज़ी लौट आई।

    Devil –
    हां सही कहा राका"अगर Anjali अब दुश्मन भी बन गई है… तब भी मैं उस सच्चाई को बाहर लाऊँगा, जिसकी क़सम मैंने दी थी — Anjali को, और खुद को।"

    Raka –
    "तो फिर तैयार हो जा… मरने के लिए।"

    Raka ने इशारा किया — चार नकाबपोश हथियार लिए अंदर घुस आए। मगर Devil एक पलक में पीछे पलटा और लोहे के पाइप से पहले ही हमलावर पर हमला कर चुका था।

    गोली चली। शोर हुआ।

    Devil ने किसी तरह भागते हुए दीवार तोड़ी और फैक्ट्री से बाहर निकला — जख्मी, मगर जिंदा।


    ---

    रात – एक छुपी हुई लोकेशन

    Devil ने Ravi को फोन किया।

    Devil (थकी आवाज़ में) –
    "लिंक लाइव हुआ?"

    Ravi (उत्साहित होकर) –
    "हाँ! पूरे देश में फैल गया। कई न्यूज़ चैनल भी उठा रहे हैं इसे। अब वो रुक नहीं सकते!"

    Devil ने आँखें बंद कीं।
    Anjali का चेहरा फिर उसकी आँखों में तैर गया।

    Devil (धीरे से) –
    "चाहे तू अब मेरी न रही Anjali… पर मैं तुझे उस लानत से बचा लूँगा, जो तेरे नाम पर लगाई गई है।"




    End of Chapter 5




    अब आगे क्या?

    Chapter 6 में Anjali वाकई सामने आएगी — और Devil को उससे एक बार फिर आमना-सामना करना पड़ेगा।

    क्या Raka सच बोल रहा था? क्या Anjali सच में अब सिस्टम का हिस्सा है?

    इस कहानी में अभी बहुत कुछ होना बाकी है क्या अंजलि डेविल को धोखा दे रही है यह अंजलि मजबूरी में दुश्मनों के लिए काम कर रही है क्या कुछ और है क्या डेविल सच का पता लग पाएगा, जानेंगे चैप्टर 6 में लेकिन आप लोग कमेंट करना ना भूले कमेंट में बताएं आपको इस कहानी के पांचो भागों में कौन सा भाग अच्छा लगा।

  • 6. Rowdy Jamai - Chapter 6

    Words: 843

    Estimated Reading Time: 6 min

    Chapter 6 vah Aakhri sach

    तीन दिन हो चुके थे।

    देशभर में Anjali के इकबालिया वीडियो की गूंज फैली थी। मीडिया, सोशल प्लेटफॉर्म और सड़कों पर बस एक ही नाम था — Anjali Tiwari, और एक चेहरा — Devil, जो अब Prem बनकर सच की लड़ाई लड़ रहा था।

    मगर Devil के दिल में शांति नहीं थी।

    उसके कानों में अब भी Raka के वो शब्द गूंज रहे थे:

    "Anjali अब इस दुनिया में नहीं है… या फिर है, पर तेरे साथ नहीं।"


    ---

    रात – पुराना चर्च, शहर के बाहर

    Devil वहाँ पहुँचा जहाँ Anjali का कभी स्कूल हुआ करता था — चर्च के पास का छोटा मैदान, जहाँ Anjali ने एक बार कहा था —

    "अगर मैं मरी… तो मेरी यादें यहीं रह जाएंगी। और कुछ हो तो तुझे यहीं मिलेगा, Prem।"

    Devil मैदान के उस पुराने कोने में पहुँचा — एक टूटी बेंच के नीचे कुछ खुदा हुआ था।

    उसने मिट्टी हटाई — नीचे से एक लिफ़ाफा निकला।

    उस पर लिखा था:
    "अगर तू यहाँ तक आया है, तो मैं नहीं रही..."

    Devil की उँगलियाँ काँप गईं। उसने लिफ़ाफा खोला।




    Anjali की चिट्ठी:

    "Prem,
    अगर तू ये पढ़ रहा है, तो शायद मैं अब इस दुनिया में नहीं हूँ। या हो सकता है कि ये भी एक खेल हो… लेकिन मेरी ओर से तुझे आख़िरी सच जानने का हक़ है।

    Raka झूठ नहीं बोलता, मगर पूरी सच्चाई भी नहीं बताता। हाँ, मुझे पकड़ लिया गया था। उन्होंने मुझे अपने खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की। मैंने वक्त लिया, सोचा कि मैं खुद को साबित कर पाऊँगी। लेकिन शायद देर हो गई।

    मैंने वो वीडियो इसलिए रिकॉर्ड किया, क्योंकि मुझे यकीन था — तू आएगा। तू वही Prem है जो Devil बनकर भी मोहब्बत नहीं भूला।

    अगर मैं अब नहीं रही, तो बस एक गुज़ारिश है — खुद को मत मारना। सच को बाहर लाना ही मेरी आखिरी इच्छा है।

    तेरी, सिर्फ़ तेरी — Anjali."


    ---

    Devil की आँखों से चुपचाप आँसू गिरने लगे। उस चिट्ठी की स्याही उसके हाथों में फैल गई थी, मगर उसके दिल में Anjali का हर शब्द और भी गहराई से उतर गया।

    तभी किसी ने पीछे से आवाज़ दी —

    "Prem?"

    वो पलटा — सामने एक औरत खड़ी थी, जिसने मुंह पर स्कार्फ़ बांधा था। आँखों में डर था।

    Devil (सख्ती से) –
    "तू कौन है?"

    औरत –
    "मैं… Tina हूँ, Anjali की सहेली।"

    Devil –
    "तू कहाँ थी इतने दिन?"

    Tina (धीरे से) –
    "छुपी हुई। क्यूँकि Anjali ने मरने से पहले मुझे सब सौंपा था — वो हार्ड ड्राइव, और ये नाम… ‘Dr. Mehra’।"

    Devil (चौंकते हुए) –
    "Dr. Mehra?"

    Tina –
    "Anjali को मारने का आदेश उसी ने दिया था। Raka सिर्फ़ मोहरा था। असली मास्टरमाइंड वही है — एक नामी मनोचिकित्सक, लेकिन अंदर से सिस्टम का सबसे गंदा मोहरा।"

    Devil –
    "क्या तू ये साबित कर सकती है?"

    Tina –
    "हाँ, पर मेरे पास वक़्त कम है। Dr. Mehra को भी पता चल चुका है कि मैं ज़िंदा हूँ।"

    Devil (धीरे से) –
    "Anjali मर चुकी है, ये बात तुझे कैसे पता?"

    Tina –
    "मैं वहीं थी जब उसे ज़हर दिया गया। और मैंने खुद उसकी लाश को उठाया था… उसकी साँसें रुक चुकी थीं, Prem।"

    Devil वहीँ जमीन पर बैठ गया — अब और कुछ सुनना मुश्किल हो गया था।

    Devil (टूटे स्वर में) –
    "इस बार Anjali सच में चली गई?"

    Tina चुप रही, पर उसकी आँखों में जवाब था।


    ---

    अगले दिन – शहर का मेन रोड

    Devil ने खुद को आइने में देखा। अब वो Prem नहीं दिखता था — वो खुद को फिर Devil जैसा देखने लगा था, मगर इस बार नफरत की वजह से नहीं — सच्चाई की लड़ाई के लिए।

    उसने Anjali की चिट्ठी अपने सीने से लगाई।

    Devil (खुद से) –
    "Anjali… तू इस बार सच में गई है… लेकिन मैं तेरा नाम मिटने नहीं दूँगा। Dr. Mehra… अब तू Devil से मिलेगा।"




    रात – एक न्यूज चैनल का हेडक्वार्टर

    Devil अपने नए बदले नाम से पहुँचा — चेहरे पर नकाब, जेब में हार्ड ड्राइव और Tina उसके साथ।

    दोनों ने अंदर घुसकर रिपोर्टर को सबूत दिए — वीडियो, ऑडियो, डॉक्युमेंट्स — Anjali के मरने से पहले की रिकॉर्डिंग जिसमें Dr. Mehra का नाम था।

    रिपोर्टर हैरान रह गया।

    रिपोर्टर –
    "अगर ये सब सच है… तो देश हिल जाएगा।"

    Devil (आँखें जलती हुईं) –
    "देश को हिलना ही चाहिए — जब तक इंसाफ़ नहीं मिलेगा।"


    ---

    End of Chapter 6




    अब आगे क्या?

    Chapter 7 में Devil सीधे Dr. Mehra तक पहुँचेगा — और सच्चाई को खुले आम सामने लाएगा।

    या फिर Dr. Mehra Devil को एक ऐसी डील देगा — जो उसकी आत्मा को ही खरीदने की कोशिश करेगी।

    और हो सकता है… Anjali की मौत भी उतनी सीधी न हो जितनी लग रही है।

    chapter 7 मैं क्या होगा क्या डेविल डॉक्टर मेहरा से मिलेगा या दोनों के बीच क्या कोई जंग शुरू होने वाली है या डॉक्टर मेहरा पहले से ही कुछ प्लान बनाकर रखा है जिसमें डेविल फसने वाला है, क्या अंजलि सच में मर गई है यह इस बार भी अंजलि ने कोई कुछ छलावा रचा है।

  • 7. Rowdy Jamai - Chapter 7

    Words: 830

    Estimated Reading Time: 5 min

    chapter 7 Shaitan ka Samna

    रात का वक़्त था। दिल्ली की सड़कों पर भीड़ कम हो चुकी थी, मगर Devil की धड़कनें तेज़ थीं। Tina ने उसे रास्ता दिखाया — वो गली, वो इमारत, और फिर वो दरवाज़ा, जिसके पीछे बैठा था वो आदमी जिसने सब कुछ छीना था — Dr. Vikram Mehra।

    बाहर दो हथियारबंद गार्ड खड़े थे। Tina ने इशारा किया।

    Tina (धीरे से) —
    "यहीं है। CCTV तोड़ दिया है, तुम्हारे पास 5 मिनट हैं।"

    Devil ने आँखें बंद कीं, Anjali का चेहरा आँखों में उभरा… और अगले ही पल वो गार्ड्स पर टूट पड़ा। दो मिनट में दोनों बेहोश।

    वो दरवाज़ा खोला — अंदर अंधेरा था।

    एक गहरी, धीमी आवाज़ गूंजी —

    "आ ही गया तू… Prem उर्फ़ Devil।"

    Devil ने सामने देखा — एक चमड़े की आरामकुर्सी में बैठा था Dr. Mehra, हाथ में एक पुराना रिवॉल्वर और होठों पर हल्की मुस्कान।

    Devil (गुस्से से दहाड़ता है) —
    "Anjali को क्यों मारा?"

    Dr. Mehra (शांत स्वर में) —
    "क्योंकि वो बहुत बोलने लगी थी। सिस्टम की सच्चाई जान चुकी थी… और उसे बचाने के लिए तू भी मरने लायक बन गया था।"

    Devil (करीब जाकर) —
    "तूने एक फरिश्ते को मार दिया… और अब मैं तुझे उसी आग में जलाऊँगा।"

    Dr. Mehra (हँसता है) —
    "क्या समझा? तू मुझे मार देगा और सब खत्म हो जाएगा? नहीं Prem… तू अब भी नहीं जानता कि असली खेल क्या है।"

    Devil ठिठक गया।

    Dr. Mehra (गंभीर होकर) —
    "Anjali मरी… लेकिन मरने से पहले उसने मुझे एक डील ऑफर की थी। अगर मैं उसे छोड़ दूँ, तो वो मेरे खिलाफ कभी नहीं बोलेगी। मगर मैं जानता था — वो झूठ बोल रही है।"

    Devil (धीरे से) —
    "तूने उससे डर कर उसे मारा?"

    Dr. Mehra (नज़रें मिलाकर) —
    "नहीं। मैंने उसे इसलिए मारा… क्योंकि वो तुझसे मोहब्बत करने लगी थी। और मुझे मोहब्बत से नफरत है।"

    Devil की मुट्ठियाँ भींच गईं।

    Devil —
    "अब तेरा अंत है।"

    Dr. Mehra ने धीरे से रिवॉल्वर Devil की ओर किया।

    Dr. Mehra —
    "सोचा था तू मारेगा… मगर मैं दूँगा तुझे एक और मौका।"

    Devil (चौंकते हुए) —
    "मौका?"

    Dr. Mehra उठा और एक लाल बटन दबाया — दीवार घूमी और एक स्क्रीन पर एक वीडियो चलने लगा।

    वीडियो में Anjali किसी जेल के कमरे में बैठी थी — थकी हुई, मगर ज़िंदा।

    Anjali (वीडियो में) —
    "अगर तुम ये देख रहे हो… तो शायद मैं ज़िंदा हूँ। शायद मुझे मरने का नाटक करना पड़ा। Dr. Mehra ने कहा कि अगर मैंने मुँह खोला तो… तुम्हें मार देगा, Prem।"

    Devil (हक्काबक्का) —
    "ये क्या है?"

    Dr. Mehra (धीरे से) —
    "Anjali ज़िंदा है… पर मेरी कैद में। और अगर तू चाहता है कि वो जिए, तो मेरे लिए काम करेगा। वरना दोनों मरोगे।"

    Devil का सिर घूम गया — क्या ये सच्चाई थी? क्या Anjali वाकई ज़िंदा थी?

    Devil (आँखों में आँसू लिए) —
    "तू झूठ बोल रहा है…"

    Dr. Mehra —
    "सबूत चाहिए? देख पीछे।"

    Devil ने पलटकर देखा — एक और स्क्रीन पर Live CCTV Feed चल रही थी — जिसमें Anjali एक बंकर जैसे कमरे में बैठी थी, बेहोश।

    Dr. Mehra —
    "तुझे लगा तू खेल खेल रहा है? असली खिलाड़ी मैं हूँ, Prem।"

    Devil (धीरे-धीरे खुद पर काबू पाते हुए) —
    "तू चाहता क्या है?"

    Dr. Mehra (मुस्कराकर) —
    "बस इतना कि तू सबके सामने बोले कि Anjali ने तुझे फँसाया, कि तू दोषी था… और फिर गायब हो जाए। तू Devil बनकर जिए… लेकिन Prem को मार दे।"

    Devil —
    "नहीं… मैं नहीं मरूंगा, और Prem को भी नहीं मरने दूँगा।"

    Dr. Mehra ने रिवॉल्वर उठाया —

    Dr. Mehra —
    "फिर अलविदा…"

    धड़ाम! — गोली चली, लेकिन Mehra के हाथ से रिवॉल्वर गिर चुका था। पीछे से Tina ने उसकी पीठ पर वार किया था।*

    Tina —
    "मैंने कहा था… तुम अकेले नहीं हो, Prem!"

    Devil ने झपटकर रिवॉल्वर उठाया, Dr. Mehra के सिर पर टिका दिया।

    Devil (धीरे से) —
    "Anjali के लिए…"


    ---

    कुछ घंटे बाद – सरकारी इमारत

    Tina और Devil ने सबूत पुलिस को सौंपे। मीडिया में फिर से भूचाल आ गया।

    Dr. Mehra गिरफ्तार हुआ। उसके बंकर से Anjali को ज़िंदा निकाल लिया गया — कमजोरी में थी, मगर होश में थी।

    Devil और Anjali की मुलाकात —

    कमरे में सन्नाटा था।

    Anjali ने Devil को देखा… आँखें भर आईं।

    Anjali (धीरे से) —
    "Prem… तू आया…"

    Devil (मुस्कराकर) —
    "तेरे लिए तो आग में भी चला आता… तू मेरा नाम नहीं, मेरी रूह थी।"

    दोनों गले लगते हैं — सालों की जुदाई, तकलीफ और गलतफहमियाँ उस एक आलिंगन में पिघल जाती हैं।


    ---

    End of Chapter 7


    ---

    अब आगे?

    क्या Dr. Mehra के गिरने के बाद भी कोई और ताकत है जो Devil को मिटाना चाहती है?

    Anjali अब दुनिया के सामने आएगी, या फिर अंधेरे में रहकर Devil के साथ किसी और मिशन पर?

    क्या Prem को फिर Devil बनना पड़ेगा?
    आपको कहानी कैसे लगी और कैसी लग रही है कहानी कमेंट में जनाइए और बताएं कि कहानी कितनी अच्छी है तो मिलते हैं चैप्टर 8 में।

  • 8. Rowdy Jamai - Chapter 8

    Words: 916

    Estimated Reading Time: 6 min

    chapter 8 asali Shikar

    Anjali को होश आए तीन दिन हो चुके थे। सरकारी अस्पताल की एक प्राइवेट ICU में वो धीरे-धीरे ठीक हो रही थी। उसके पास Prem यानी Devil हमेशा की तरह चुप बैठा रहता, उसकी नब्ज़ की हर धड़कन गिनता।

    Anjali (धीरे से मुस्कुराते हुए) —
    "Prem… तू अब भी वैसा ही है। सबकी खातिर खुद को भूल जाने वाला।"

    Prem (आँखें झुकाकर) —
    "तुझे खोकर ही जाना था कि मैं कौन हूँ। अब तुझे पाकर ही समझा कि मैं Devil नहीं… बस एक प्यार में जख्मी इंसान हूँ।"

    Anjali की आँखें नम हो गईं। वो Devil का हाथ पकड़ती है।

    Anjali —
    "मुझे एक बात बतानी है… जो शायद तू सुनना नहीं चाहेगा।"

    Prem चौंकता है। कुछ देर खामोशी के बाद Anjali ने धीरे से कहा —

    Anjali —
    "Mehra अकेला नहीं था। उसके पीछे कोई और था… और शायद आज भी है। मैंने उस दिन खुद किसी और की परछाई देखी थी जब मैं उस बंकर में लाई गई। वो Mehra नहीं था।"

    Prem की आँखों में फिर से वो ज्वाला जल उठती है। वह एकदम खड़ा हो जाता है।

    Prem —
    "कौन था वो? तू पहचानती है उसे?"

    Anjali (धीरे से) —
    "नहीं। पर उसकी आवाज़… जैसे किसी जान-पहचानी ज़ुबान की तरह लगी। और वो बार-बार एक नाम दोहरा रहा था — "Operation Trinetra"।


    ---

    कट टू – एक गुप्त स्थान
    एक अंधेरी मीटिंग रूम में चार लोग बैठे थे — उनके चेहरे छुपे थे, मगर उनमें से एक की आवाज़ साफ थी।

    रहस्यमय व्यक्ति —
    "Devil अब जिंदा है, और Anjali भी। इसका मतलब है कि Mehra ने हमें धोखा दिया था। अब Operation Trinetra को दोबारा शुरू करना होगा… इस बार बिना किसी चूक के।"


    ---

    वापस – अस्पताल के बाहर

    Prem, Tina और एक ईमानदार ऑफिसर ACP Ajay Khanna के साथ बैठे थे। Khanna ही था जिसने Mehra को गिरफ्तार किया था और अब इस केस को गंभीरता से देख रहा था।

    ACP Khanna —
    "Operation Trinetra… मैंने कहीं सुना है ये नाम। ये कोई पुराने जमाने का क्लासिफ़ाइड प्रोजेक्ट था — जिसमें अनाथ बच्चों को चुना जाता था… उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी, और फिर गुमनाम मिशनों में भेजा जाता था।"

    Tina (चौंकते हुए) —
    "जैसे एक अंडरग्राउंड आर्मी?"

    ACP Khanna —
    "हाँ। और Prem…"

    Prem ने उसकी ओर देखा।

    ACP Khanna (गंभीर होकर) —
    "तू भी उसी प्रोजेक्ट का हिस्सा था।"

    कमरे में सन्नाटा छा गया।

    Prem (धीरे से) —
    "नहीं… ये सच नहीं हो सकता…"

    ACP Khanna —
    "तेरे अनाथ होने, बार-बार फँसने, और फिर Anjali का तुझसे जुड़ना — ये सब कुछ एक प्लान का हिस्सा था। Mehra सिर्फ़ मोहरा था, असली दिमाग कोई और है।"

    Tina —
    "लेकिन अब वो कौन है?"

    Prem —
    "वो जो हमेशा पर्दे के पीछे रहा…"


    ---

    रात – Devil का अकेलापन

    Prem छत पर खड़ा था, आँखें आसमान में गड़ाए। उसके कानों में Anjali की बातें गूंज रही थीं — “Mehra के पीछे कोई और था…”

    उसे अब पूरा यकीन हो चुका था — वो सिर्फ एक मोहरा था, और उसके खिलाफ एक साजिश रची गई थी बचपन से।

    उसने एक फैसला कर लिया था।


    ---

    सुबह – नई योजना

    Prem —
    "मैं बाहर जाऊँगा। अकेले। मुझे उस आदमी तक पहुँचना है जिसने सबको छला।"

    Tina —
    "तू पागल हो गया है? Anjali अब भी ठीक नहीं हुई है, और तू…"

    Prem —
    "मैं Devil नहीं बना दोबारा… मैं Prem बनकर जाऊँगा। लेकिन अगर किसी ने फिर Anjali को हाथ लगाया… तो Devil लौटेगा, और इस बार सब कुछ जला देगा।"


    ---

    अनजान शहर – एक गुप्त दस्तावेज़

    Prem की खोज उसे एक पुराने गोदाम में ले जाती है जहाँ एक रिटायर्ड सरकारी अफसर Mr. Dey रहता है — जो कभी Operation Trinetra का हिस्सा था।

    Mr. Dey (काँपती आवाज़ में) —
    "तू… तू वही बच्चा है ना, Prem? मैं तुझे पहचानता हूँ… तू उनमें से था जिसे हमने 'Project T' में रखा था। लेकिन तू बच गया। तुझे मारने की कोशिश भी हुई… मगर Anjali बीच में आ गई।"

    Prem (गुस्से में) —
    "क्यों? क्यों बनाया हमें जासूस? क्यों छीना हमारा बचपन?"

    Mr. Dey (गंभीर होकर) —
    "क्योंकि देश को ऐसे ही सिपाही चाहिए थे — जो किसी पहचान के बिना लड़ें, मरें… और कभी सवाल ना करें।"

    Prem —
    "कौन है वो जो अब भी हमें मिटाना चाहता है?"

    Mr. Dey (धीरे से) —
    "कोडनेम… RAAVAN। असली मास्टरमाइंड वही है। आज भी ज़िंदा है… और अब तू उसकी लिस्ट में है।"


    ---

    वापसी – अस्पताल में खतरा

    उसी वक्त, Anjali के कमरे में एक नकाबपोश घुसता है — सिर पर रिवॉल्वर। लेकिन Anjali अब पहले वाली नहीं थी — उसने अलर्ट बटन दबा दिया।

    Tina और पुलिस तुरंत पहुँचते हैं, और नकाबपोश पकड़ा जाता है।

    Anjali (काँपते हुए) —
    "वो उसका आदमी था… RAAVAN का…"


    ---

    अंतिम दृश्य – Devil की वापसी

    Prem एक ऊँची इमारत के ऊपर खड़ा होता है — उसकी आँखें अब पूरी तरह बदल चुकी हैं।

    Prem (बड़बड़ाता है) —
    "अब खेल मैं नहीं… वो शुरू करेगा। लेकिन अंत मैं ही लिखूँगा — RAAVAN, तेरा समय आ गया है…"

    पीछे एक परछाई उभरती है — काली कोट में, सिर झुका हुआ, और चेहरे पर सिर्फ एक शब्द लिखा था — RAAVAN।


    ---

    End of Chapter 8




    अब आगे?

    Chapter 9 में Devil और RAAVAN के बीच पहली मानसिक टक्कर?

    Anjali क्या फिर मैदान में आएगी?

    या RAAVAN Anjali को फिर से हथियार बनाएगा?

    कौन है रावण? और डेविल क्या करेगा अब आगे के अंजलि के ऊपर फिर एक मुसीबत आने वाली है तो जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।

  • 9. Rowdy Jamai - Chapter 9

    Words: 1176

    Estimated Reading Time: 8 min

    बिलकुल! अब Chapter 9 में हम कहानी को अगले स्तर पर ले जाते हैं — जहाँ Devil (Prem) और RAAVAN के बीच पहली मानसिक टक्कर होती है। ये सिर्फ एक लड़ाई नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है। Anjali की ज़िन्दगी फिर से खतरे में है, और Devil को अब अपनी पहचान, अतीत और भावनाओं से भी लड़ना है। इस चैप्टर में हम RAAVAN के असली इरादों की झलक दिखाएंगे

    chapter 9 Towerds the void

    रात – शहर की सीमा पर एक वीरान फैक्ट्री

    Prem चुपचाप चलता हुआ फैक्ट्री की जंग लगी सीढ़ियों पर चढ़ता है। एक-एक कदम के साथ, उसके अंदर डर नहीं, बल्कि एक ठंडी आग सुलग रही है। आज वो सीधे उस परछाईं से मिलने जा रहा है, जिसने उसकी पूरी ज़िंदगी छीन ली — RAAVAN।

    उसके हाथ में सिर्फ एक पुरानी पेंड्राइव है — Mr. Dey द्वारा दी गई — जिसमें RAAVAN की असली पहचान की कड़ी छुपी है।

    जैसे ही Prem छत पर पहुँचता है, उसकी आँखें अंधेरे में झांकने लगती हैं।

    एक गहरी आवाज़ (पीछे से) —

    "Prem... या कहें, Devil... अंत में तू आ ही गया।"

    वो पलटता है — सामने एक काला कोट, काले दस्ताने, और चेहरा आधा छुपा नकाब में। वही — RAAVAN।

    Prem (ठंडी आवाज़ में) —

    "तू है वो, जिसने बचपन में हमें खिलौना समझा… Anjali को मारने की कोशिश की… और अब भी खुद को भगवान समझता है?"

    RAAVAN धीरे-धीरे पास आता है, जैसे एक शिकारी जो अपने शिकार को थकाकर खेलता है।

    RAAVAN (हँसते हुए) —

    "भगवान नहीं… निर्माता। Creator. तुम्हारी कहानियाँ मैं लिखता हूँ, तुम्हारा अतीत मैं गढ़ता हूँ। तुम सब बस मोहरे थे मेरे शतरंज में।"

    Prem —

    "मगर अब तू सामने है… और मेरी ज़िंदगी अब मेरी है।"

    RAAVAN ठहरकर उसे देखता है।

    RAAVAN —

    "क्या वाकई? तू सोचता है Anjali तुझे प्यार करती थी? या वो भी बस एक मोहरा थी? क्या कभी उसके दिल में कोई और राज़ था?"

    Prem का चेहरा सख्त हो जाता है, लेकिन RAAVAN वहीं वार करता है जहाँ सबसे ज़्यादा दर्द होता है।

    RAAVAN (धीरे से) —

    "Anjali खुद Trinetra प्रोजेक्ट की एजेंट थी। उसने तुझे 'Prem' नाम दिया — हाँ — लेकिन सिर्फ इसलिए कि वो देखना चाहती थी कि एक 'Devil' को इंसान बनाया जा सकता है या नहीं। वो भी सिर्फ एक टेस्ट था।"

    Prem (गुस्से में) —

    "झूठ! Anjali ने मेरी जान बचाई है। उसने सच्चाई के लिए सबकुछ खोया है!"

    RAAVAN अपनी जेब से एक छोटी सी रिकॉर्डिंग डिवाइस निकालता है। वो प्ले करता है।

    अनजानी आवाज़ (Anjali की) —

    "अगर उसे कभी सच्चाई पता चली कि मैं भी इस मिशन का हिस्सा हूँ, तो शायद वो टूट जाएगा। लेकिन मैं चाहती हूँ कि वो टूटे नहीं... मैं चाहती हूँ कि वो Prem बनकर जिए।"

    Prem का चेहरा सफेद पड़ जाता है। उसका दिमाग सुन्न हो जाता है।

    RAAVAN (फुसफुसाते हुए) —

    "देखा? उसने तुझे Devil से Prem बनाया — एक मिशन के तहत। और जब वो प्यार में पड़ गई, तब बहुत देर हो चुकी थी।"

    Prem (आँखें बंद कर) —

    "नहीं… मैं जानता हूँ Anjali कौन है। उसके प्यार में मिशन भी हार गया होगा… और तू भी हारेगा।"

    RAAVAN मुस्कराता है, जैसे शतरंज का उस्ताद जो सामने वाले की चाल पहले ही पढ़ चुका हो।

    ---

    कट टू – अस्पताल, उसी समय

    Anjali की तबीयत अचानक बिगड़ जाती है। Tina घबरा जाती है, और नर्सिंग स्टाफ दौड़ पड़ता है।

    Tina (डॉक्टर से) —

    "क्या हो रहा है?"

    डॉक्टर —

    "किसी ने उसकी IV लाइन में कोई केमिकल मिला दिया है… ये जानलेवा हो सकता है।"

    Tina का माथा ठनकता है।

    Tina (धीरे से) —

    "RAAVAN…"

    ---

    वापस – फैक्ट्री की छत पर

    Prem अब भी खड़ा है, मगर उसकी आँखों में वो पुराना खालीपन नहीं है। उसके अंदर अब एक स्पष्टता है — वो टूट चुका है, मगर हार नहीं माना।

    Prem —

    "तो यही सब था तेरा खेल? हमें एक-दूसरे से तोड़ना? हिम्मत हो तो सामने आ — मास्क उतार और बता कि तू है कौन!"

    RAAVAN हँसते हुए नकाब हटाता है।

    Prem की साँसें रुक जाती हैं।

    Prem (काँपते हुए) —

    "ACP... Khanna?"

    RAAVAN (स्माइली के साथ) —

    "तू सोचता था कि पुलिस तेरा दोस्त है? Prem, मैं वो पहली आँख था जिसने तुझे गिरते हुए देखा और उठाया — सिर्फ इसलिए ताकि तू और ऊँचा गिरे। मैं ही वो हूँ जिसने तुझे जेल भिजवाया, तुझे Devil बनाया। और अब… तेरा अंत भी मैं ही लिखूंगा।"

    Prem को अब साफ दिखने लगा था — Mehra, Mr. Dey, और Anjali — सबको उसी ने मोहरा बनाया।

    Prem (धीरे से) —

    "तू Creator नहीं… तू सिर्फ एक डरपोक है जो दूसरों की ज़िंदगी लिखता है क्योंकि अपनी जी नहीं पाया।"

    RAAVAN गुस्से से चीखता है और Prem पर झपट पड़ता है। दोनों में ज़बरदस्त हाथापाई होती है। छत पर बारिश शुरू हो चुकी थी — और दो ध्रुवों की यह टक्कर अब निर्णायक होती जा रही थी।

    RAAVAN एक चाकू निकालता है, मगर Prem उसकी कलाई मोड़कर चाकू छीन लेता है।

    Prem (दाँत पीसते हुए) —

    "ये उसी Anjali का बदला है जिसने तुझे इंसान समझा… और तू हैवान निकला!"

    वो RAAVAN को धक्का देता है — जिससे वो छत के कोने तक जाता है, गिरने की कगार पर।

    RAAVAN (हँसते हुए) —

    "मार दे… अगर सच में तू Devil है!"

    Prem (आँखें लाल मगर ठंडी आवाज़ में) —

    "नहीं… मैं Devil नहीं। और तुझे मारकर मैं खुद को खो दूँगा। तेरा अंत कानून करेगा… मैं नहीं।"

    वो पीछे हटता है। तभी पुलिस की सायरन सुनाई देती है — Tina ACP Dey के साथ पहुँच चुकी थी।

    RAAVAN को गिरफ्तार किया जाता है।

    ---

    कुछ दिन बाद – अस्पताल का लॉन

    Anjali व्हीलचेयर पर बैठी है, और Prem उसके पास। दोनों शांत हैं, लेकिन आँखों में शांति है।

    Anjali (धीरे से) —

    "मैंने तुझसे सच छुपाया… मैं माफ़ी की हकदार नहीं हूँ।"

    Prem (हल्के से मुस्कुराकर) —

    "मैंने भी तुझे Devil बनने से रोका नहीं। हम दोनों अधूरे थे… लेकिन शायद एक-दूसरे में पूरे हो सकते हैं।"

    Anjali (नज़रे झुकाकर) —

    "और अब? तू क्या करेगा?"

    Prem —

    "अब Devil नहीं लौटेगा। Prem जियेगा… और शायद प्यार भी करेगा। लेकिन सबसे पहले, खुद को माफ़ करेगा।"

    Anjali की आँखों से आँसू बहने लगते हैं — इस बार राहत के।

    ---

    अंतिम दृश्य – एक नई शुरुआत

    कुछ महीनों बाद Prem एक छोटे स्कूल में बच्चों को पढ़ाता है — वही बच्चे जो अनाथ हैं, जैसे कभी वो था। Anjali लाइब्रेरी में काम करती है। दोनों बिना शोर के, मगर सुकून से जी रहे हैं।

    Voiceover (Prem की आवाज़) —

    "हर किसी के अंदर एक Devil होता है… फर्क बस इतना है कि कोई उसे दबा देता है, और कोई उसे खुद बनने देता है। मैंने चुना कि मैं Prem बनूं… और शायद यही मेरी असली जीत है।"

    कैमरा धीरे-धीरे ऊपर जाता है — स्कूल के बोर्ड पर लिखा है:

    "The Prem Foundation – For Lost but Loved Souls"

    ---

    End of Chapter 9

    आपको कैसी लग रही है कहानी लेकिन आप लोगों ने अभी भी कोई कमेंट नहीं किया तो बताएं कि मुझे यह सीरीज कंटीन्यू रखना चाहिए या खत्म करना चाहिए प्लीज फीडबैक एंड कमेंट।

  • 10. Rowdy Jamai - Chapter 10

    Words: 732

    Estimated Reading Time: 5 min

    chapter 10 the beginning

    शादी को अब एक महीना हो गया था। Prem और Anjali ने दिल्ली के कोने में एक शांत सा घर लिया था — जहाँ ज़िंदगी की तेज़ रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती थी, और गुज़रे ज़ख्म धीरे-धीरे भरते जा रहे थे।

    सुबह की धूप कमरे की खिड़की से अंदर झाँक रही थी। Prem नींद में था, मगर उसकी आदत के मुताबिक, Anjali पहले उठ चुकी थी। वो रसोई में थी — चाय की महक पूरे घर में फैल चुकी थी।

    Anjali (मुस्कुराते हुए) –
    "उठिए श्रीमान जी… अब ये आलस शादी से पहले ठीक था।"

    Prem (आँखें मलते हुए) –
    "शादी करके क्या बदल गया?"

    Anjali –
    "अब सुबह तुम्हारी नहीं, हमारी होती है।"

    दोनों हल्के-फुल्के हँसी में खो गए। वो पहली बार था जब Prem ने खुद को पूरी तरह हल्का महसूस किया — जैसे Devil की परछाईं पीछे छूट रही हो। घर की दीवारें अब उसे कैद नहीं लगती थीं।

    वो दोनों साथ बैठकर नाश्ता कर ही रहे थे कि Anjali ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा।

    Anjali (गंभीर होकर) –
    "Prem… क्या सच में सब कुछ खत्म हो गया?"

    Prem (धीरे से) –
    "RAAVAN जेल में है, Mehra के कनेक्शन एक्सपोज़ हो चुके हैं, और Trinetra अब बंद हो चुका है। शायद ये पहली बार है जब मैं अपने अतीत से आगे बढ़ पाया हूँ।"

    Anjali (मुस्कुराते हुए) –
    "तो फिर इस 'अतीत' को अपने फोटो फ्रेम में बंद कर दो।"

    उसने एक छोटा फ्रेम निकाला — जिसमें Prem और Anjali की शादी की तस्वीर थी। Prem कुछ देर उसे निहारता रहा… फिर गहरी साँस लेते हुए सिर हिलाया।

    Prem –
    "ठीक है। आज से Devil की कोई जगह नहीं… सिर्फ Prem रहेगा।"


    ---

    वही दिन – दोपहर

    Prem अपने पुराने लैपटॉप पर काम कर रहा था — अब वो एक NGO के साथ काउंसलिंग और रिहैब के लिए काम करता था, खासकर उन बच्चों के लिए जो अपराध की कगार पर हैं।

    Anjali ने किताबों की अलमारी सजाई, फिर उसकी तरफ देखा।

    Anjali –
    "तुम्हारे अंदर जो बदलाव आया है, वो सिर्फ प्यार से नहीं… हिम्मत से भी है।"

    Prem (हँसते हुए) –
    "और वो हिम्मत मुझे तुमसे मिली।"

    सब कुछ एक फिल्म की हैप्पी एंडिंग जैसा लग रहा था।

    लेकिन… फिल्म कभी पूरी नहीं होती।


    ---

    रात – 3:07 AM

    Prem की नींद खुल गई — शायद कोई सपना आया था, या शायद कोई और वजह। कमरे में सन्नाटा था। Anjali गहरी नींद में थी।

    उसका फोन टेबल पर कंपन करने लगा — "Unknown Number"।

    Prem ने चौंककर स्क्रीन देखा।

    इतनी रात गए…?

    फोन उठाते ही दूसरी तरफ सन्नाटा था… फिर एक आवाज़ आई — ठंडी, धीमी, मगर डरावनी।

    रहस्यमयी आवाज़ (धीरे से) –
    "तुम्हें क्या लगता है, कहानी खत्म हो चुकी है…?"

    Prem की आँखें फैल गईं। उसने साँस रोक ली।

    वही आवाज़ (अब गूंजती हुई) –
    "I will be back... Not story end."

    टूट-टूट कर कॉल कट गया।

    Prem कुछ देर मोबाइल स्क्रीन को घूरता रहा — जैसे उसे यकीन नहीं हो रहा हो। वो आवाज़… उसे कोई पहचान नहीं पा रहा था, मगर एहसास गहराता जा रहा था…

    कुछ तो बाकी है।


    ---

    अगली सुबह

    Anjali ने Prem के चेहरे की थकान देख ली।

    Anjali (चाय पकड़ाते हुए) –
    "सब ठीक है?"

    Prem (संभलते हुए) –
    "हाँ… बस एक सपना था शायद।"

    मगर उसकी उंगलियाँ अब भी काँप रही थीं।

    Prem ने चुपके से अपने पुराने पुलिस कॉन्टैक्ट को मैसेज किया — "Unknown Number – रात 3:07AM – ट्रेस कर सकते हो?"

    वो नहीं चाहता था कि Anjali फिर डर में जिए। उसने खुद को वादा किया था — वो अब Devil नहीं बनेगा… लेकिन अगर फिर से कोई परछाईं लौटी…

    तो वो चुप नहीं बैठेगा।


    ---

    अंतिम दृश्य – किसी अज्ञात जगह पर एक कमरे में

    अंधेरा। दीवारों पर कैमरे। एक आदमी कंप्यूटर स्क्रीन पर Prem और Anjali को देख रहा है। चेहरे पर मास्क नहीं, बल्कि एक ज़िंदा मुस्कान है।

    रहस्यमयी आदमी (धीरे से) –
    "तुमने सोचा कि RAAVAN ही आख़िरी था? Prem… असली कहानी अब शुरू होगी।"

    उसने टेबल पर एक फाइल रखी — नाम था:

    "Project Phoenix"


    ---

    End of Chapter 10


    ---

    अब अगली कहानी क्या हो?

    Project Phoenix क्या है?

    रहस्यमयी कॉल किसका था?

    Prem फिर से Devil बनेगा या अब एक अलग रास्ता चुनेगा?

    कहानी खत्म नहीं हुई है अभी बाकी है कहानी में एक नया खलनायक आ चुका है क्या करेगा प्रेम क्या बनेगा डेविल या शुरू होगी फिर एक जंग ।

  • 11. Rowdy Jamai - Chapter 11

    Words: 759

    Estimated Reading Time: 5 min

    dear readers: आपको एक जरूरी इनफॉरमेशन देना है चैप्टर 11 में कहानी थोड़ी बदल चुकी है अब डेविल अंजलि नहीं एक नए किरदार इस कहानी में आए हैं अर्जुन और अनन्या, और एक पिता और एक ससुर ससुर जिसे चाहिए था अपना बिजनेस और अपने इतने बड़े अंपायर को चलने वाला एक राउडी चाहिए था जो किसी से ना डरे जिसका मैन ऑफ पावर बहुत हो, अर्जुन आहूजा जिसका अतीत वह खुद भी नहीं जानता था'लेकिन डेविल और अर्जुन में कुछ फर्क नहीं है उसे तो प्यार चाहिए था और इसे खुद भी नहीं जानते ऐसे क्या चाहिए।'


    लोहे की सलाखों के पीछे, एक धड़कते ज्वालामुखी की तरह बैठा था अर्जुन आहूजा।
    10 साल की जेल ने उसके जिस्म को थका दिया था, मगर उसकी आँखें आज भी वैसी ही थीं — खामोश, लेकिन ख़तरनाक।

    तभी कोठरी के सामने एक कांस्टेबल आकर रुकता है।

    कांस्टेबल (कड़क आवाज़ में) —
    "अर्जुन आहूजा! उठ… बुलावा आया है जेलर साहब का।"

    अर्जुन ने बिना कुछ पूछे सिर झुकाया, अपनी चप्पल पहनी और चुपचाप चल पड़ा। वो जानता था — इस बार कुछ बड़ा होने वाला है।


    ---

    जेलर की केबिन —

    कमरे में एक अजीब-सा सन्नाटा था।
    टेबिल के सामने बैठा था प्रसिद्ध अंडरवर्ल्ड माफिया किंग — प्रताप सिंह राठौर।
    धुआँ उड़ाता सिगार, चमकता सूट, और आँखों में वही सर्द खून — हर चीज़ उसके रुतबे की गवाही दे रही थी।

    जेलर (थोड़ा दबे स्वर में) —
    "सर, अर्जुन को ले आए हैं…"

    प्रकाश की हल्की रोशनी में अर्जुन की परछाई कमरे में फैली और वो सामने की कुर्सी पर जा बैठा — बिल्कुल शांत।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "मुझसे क्या चाहिए तुम्हें?"

    प्रताप सिंह (हँसते हुए) —
    "सीधा आदमी है तू। इसलिए बात भी सीधी करूँगा… मुझे अपनी बेटी के लिए एक ऐसा दामाद चाहिए जो डर को पहचानता ना हो… और तू उस लायक है।"

    अर्जुन थोड़ा मुस्कराया —
    "बेटी चाहिए या बॉडीगार्ड?"

    प्रताप सिंह (आँखें गाढ़ी कर) —
    "दोनों। अनन्या मेरी इकलौती औलाद है… और ये शादी सिर्फ शादी नहीं है अर्जुन, ये कॉंट्रैक्ट है। लाइफटाइम कॉंट्रैक्ट।"

    जेलर बीच में फाइल आगे बढ़ाता है —
    काग़ज़ों पर सब कुछ तय था। अर्जुन को जेल से रिहा किया जाना था — लेकिन शर्तों के साथ।

    प्रताप सिंह (सख़्त आवाज़ में) —
    "तेरा अतीत मैं जानता हूँ, अर्जुन। तेरी ख़ामोशी, तेरा गुस्सा, तेरी वफ़ादारी… मैं सब जानता हूँ। अब तुझे अपने परिवार में लाना चाहता हूँ… शादी करके।"

    अर्जुन कुछ सेकंड चुप रहा, फिर गहरी साँस लेकर बोला —
    "अगर मैं मना करूँ?"

    प्रताप सिंह (बिना पलक झपकाए) —
    "तब तुझे जेल में सड़ते हुए मार दिया जाएगा — और अगर हाँ कहेगा, तो तुझे वो इज़्ज़त मिलेगी जो दुनिया के सबसे ख़तरनाक आदमी को मिलती है — मेरा नाम।"

    अर्जुन धीरे से काग़ज़ उठाता है, एक नज़र डालता है और कलम पकड़ता है… फिर ठहर जाता है।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "उस लड़की से मिला हूँ क्या?"

    प्रताप सिंह (हल्की हँसी के साथ) —
    "नहीं। लेकिन मिलेगा। शादी के दिन ही। तुझे जो करना है वो मैं तय कर चुका हूँ — अब तेरा काम है सिर्फ हाँ कहना।"

    कुछ सेकंड की खामोशी के बाद अर्जुन साइन कर देता है।

    "हो गया। अब तू मेरा राउडी जमाई है,"
    प्रताप सिंह मुस्कराकर खड़ा होता है, अर्जुन के कंधे पर हाथ रखता है।

    "कल बारात आएगी… जेल से तेरे घर तक। और सब देखेंगे — अर्जुन आहूजा अब मेरा दामाद है।"


    ---

    अगले दिन — जेल के बाहर का गेट

    शेरवानी पहने, चश्मा लगाए अर्जुन आहूजा गेट से बाहर निकलता है।
    बाहर गाड़ियों की लंबी लाइन खड़ी है — बैंड, बाजा, बारात… मगर सब काले सूट में हथियारबंद लोग। एक माफिया शादी शुरू हो चुकी है।

    किसी ने अर्जुन से पूछा —
    "कैसा लग रहा है बाहर आकर?"

    अर्जुन बस इतना कहता है —
    "मैं आज़ाद नहीं हुआ हूँ… मुझे सिर्फ नया जेल मिला है।"


    ---

    कट टू — अनन्या सिंह राठौर का कमरा

    अनन्या दुल्हन के लिबास में तैयार बैठी है। उसके चेहरे पर खुशी नहीं, सवाल हैं।
    वो जानती है कि उसका बाप कुछ न कुछ छिपा रहा है — और वो अर्जुन से पहली बार उसकी शादी के मंडप में ही मिलेगी।


    ---

    शादी की रात — स्टेज पर दोनों आमने-सामने

    पंडित (मंत्र पढ़ते हुए) —
    "अब आप दोनों सात वचन लें…"

    अर्जुन अनन्या की आँखों में झाँकता है —
    "वचन नहीं दोगा… सिर्फ एक बात कहूँगा — मैं तुझसे कुछ नहीं छीनूँगा, लेकिन कोई तुझे मुझसे छीनने की कोशिश करेगा… तो वो जिंदा नहीं बचेगा।"

    अनन्या (धीरे से) —
    "और मैं तुझसे कुछ नहीं चाहती, सिर्फ सच… तेरा अतीत भी, और तेरी नीयत भी।"


    ---

    Chapter 1 समाप्त।

  • 12. Rowdy Jamai - Chapter 12

    Words: 645

    Estimated Reading Time: 4 min

    सुबह की धूप फार्महाउस की खिड़कियों से छनकर कमरे में उतर रही थी। अर्जुन आहूजा आँखें खोले बिना ही उठ बैठा — नई जगह, नया बिस्तर, नई ज़िंदगी।
    वो जानता था, ये सब जितना बाहर से शांत और सुंदर दिख रहा है, अंदर से उतना ही पेचीदा और जालदार था।

    कल ही उसकी शादी हुई थी — एक मंडप में, कुछ पंडितों की मंत्रोच्चारण के बीच, बिना रिश्तेदारों के, बिना शोरशराबे के। सिर्फ प्रताप सिंह राठौड़, अर्जुन आहूजा, और एक लड़की — अनन्या सिंह राठौड़।

    शादी की रस्में पूरी होते ही, अगली सुबह प्रताप सिंह राठौड़ खुद फार्महाउस आया। उसकी चाल में वही ठहराव था, लेकिन निगाहों में एक आदेश छिपा था।

    प्रताप सिंह (डायरेक्ट टू अर्जुन) —
    "ये रहे पेपर्स।"
    (टेबल पर कॉन्ट्रैक्ट रखता है)
    "तुम्हें पहले ही बता चुका हूँ — ये शादी एक सौदा है, एक लाइफटाइम कॉन्ट्रैक्ट।"

    अर्जुन ने पेपर्स उठाए। उसपर जज के दस्तखत थे।
    शब्द बहुत सीधे थे — "इस शादी को एक बिज़नेस एग्रीमेंट माना जाएगा, जिसमें दोनों पक्ष इस रिश्ते को जीवनभर निभाने के लिए बाध्य हैं।"

    अर्जुन (शांत लहजे में) —
    "आपने जो कहा था, वो कर दिया। अब आपकी बारी है अपना वादा निभाने की।"

    प्रताप सिंह (हल्की मुस्कान के साथ) —
    "तुम्हारे लिए अलग फार्महाउस है, मेरी तरफ से एक गाड़ी भी। अनन्या के साथ वहीं रहोगे… लेकिन ध्यान रहे, कोई नहीं जानता कि तुम दोनों शादीशुदा हो। ये राज़ बना रहेगा, जब तक मैं कहूँ।"

    अर्जुन (सिर्फ एक शब्द) —
    "ठीक है।"


    ---

    नई ज़िंदगी की शुरुआत

    शाम तक वे दोनों एक आलीशान फार्महाउस में शिफ्ट हो गए। लकड़ी की फ्लोरिंग, सफेद दीवारें, एक बड़ा सा गार्डन… सब कुछ शांत, फिर भी अनजान।

    अनन्या अपने कमरे में घुस गई थी। उसने न अर्जुन से कुछ पूछा, न कुछ कहा। और अर्जुन… वो खामोशी से सोफे पर बैठा रहा।

    रात करीब आई, लेकिन उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई।


    ---

    अगली सुबह

    अनन्या किचन में थी, अर्जुन वहीं दरवाज़े की चौखट से टेक लगाकर खड़ा हो गया।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "सुबह की शुरुआत तो चाय से होनी चाहिए… क्या मिल सकता है एक कप?"

    अनन्या (बिना देखे हुए) —
    "मेरे लिए भी ये सब नया है। ना तुमसे कोई लगाव है, ना नफ़रत। बस इतनी गुज़ारिश है… जितनी दूरी बनी रहे, उतना ठीक रहेगा।"

    अर्जुन मुस्कराया।
    अर्जुन —
    "मुझे दूरी से कोई दिक्कत नहीं। पर ये मत भूलो — अब तुम्हारा नाम मेरे नाम से जुड़ा है… अनन्या अर्जुन आहूजा।"

    अनन्या पहली बार उसकी ओर मुड़ी, उसकी आँखों में झाँका, और फिर बिखर गई — एक पल को चेहरा मजबूत, अगले ही पल भावनाओं से भरा।

    अनन्या —
    "मैं पापा की मर्ज़ी से शादी कर चुकी हूँ… लेकिन ये रिश्ता मेरे लिए तब तक सिर्फ नाम का है जब तक मैं इसे खुद स्वीकार ना करूँ।"

    अर्जुन ने कुछ नहीं कहा। बस किचन से निकल गया, और बाहर जाकर धूप में खड़ा हो गया।


    ---

    प्रकाश का कॉल

    उसी दोपहर, अर्जुन के पास कॉल आया — प्रताप सिंह का आदमी प्रकाश।

    प्रकाश (तेज़ लहजे में) —
    "सर, मालिक ने बुलाया है। आपको शहर के बाहर वाले गोदाम पर पहुँचना है। कुछ दिखाना है आपको।"

    अर्जुन (सीधा) —
    "मैं आता हूँ।"

    कॉल कटते ही अर्जुन ने कार की चाबी उठाई। अनन्या उसे जाते देख रही थी, लेकिन कुछ पूछने की हिम्मत ना हुई।


    ---

    नया मोड़?

    फार्महाउस में रह रहे दो अजनबी — जिनकी ज़िंदगी एक कॉन्ट्रैक्ट से बंधी है, लेकिन दिल अब भी अलग हैं।

    अर्जुन जानता था — ये रिश्ता असली तब बनेगा, जब अनन्या खुद उसे अपनाएगी। और अनन्या जानती थी — इस शादी के पीछे कोई बहुत बड़ा खेल है… और वो इसका हिस्सा बन चुकी है, चाहे वो माने या ना माने।

    आपको आज की चैप्टर कैसा लगा कमेंट में बताएं जैसे मैंने कहा पहले वाला किरदार से अभी किरदार बहुत ही अलग है इसकी कहानी भी अलग है लेकिन कहानी के अंत में पुराने वाले किरदार भी आएंगे।

  • 13. Rowdy Jamai - Chapter 13

    Words: 659

    Estimated Reading Time: 4 min

    शहर के बाहर वीरान रास्तों से होती हुई अर्जुन की कार धीरे-धीरे पुराने गोदाम के सामने रुकी। जगह सुनसान थी — चारों तरफ धूल, खामोशी और बंद पड़े ट्रकों की कतारें। लेकिन अर्जुन की आदत थी ऐसी जगहों पर साँस लेना। उसे शांति नहीं चाहिए थी, उसे डर की गंध पहचाननी आती थी।

    उसने गाड़ी से उतरते ही इधर-उधर देखा — कोई हलचल नहीं। तभी सामने वाले दरवाज़े से प्रकाश बाहर आया।

    प्रकाश (धीरे से) —
    "अंदर चलिए अर्जुन सर, मालिक इंतज़ार कर रहे हैं।"

    अर्जुन ने सिर हिलाया और चुपचाप भीतर चला गया।


    ---

    गोदाम के अंदर —

    एक पुराना स्टील का टेबल, कुछ फोल्डिंग कुर्सियाँ, और बीच में बैठा था प्रताप सिंह राठौड़ — हमेशा की तरह शांत, लेकिन उसकी आँखों में इस बार कुछ और था। न आदेश, न योजना… कुछ अजीब था।

    अर्जुन (सीधा बोलते हुए) —
    "आपने बुलाया, मैं आ गया। अब बताइए क्या काम है?"

    प्रताप सिंह (हल्की मुस्कान) —
    "बैठो।"

    अर्जुन बैठ गया। तभी प्रताप ने एक फ़ाइल उसकी ओर सरकाई।

    प्रताप सिंह —
    "इस शहर में सिर्फ दुश्मन नहीं होते अर्जुन… कई बार अपनों के भेष में भी दुश्मन छिपे होते हैं। मैं नहीं चाहता था कि तुम शादी करके सिर्फ पति बन जाओ… मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी जगह समझो।"

    अर्जुन (फाइल खोलते हुए) —
    "तो ये सब बिज़नेस की जानकारी है?"

    प्रताप सिंह —
    "नहीं… ये जानकारी उस आदमी की है जो मेरी बेटी अनन्या की ज़िंदगी में पहले से मौजूद था।"

    अर्जुन के हाथ एक सेकंड को रुक गए।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "क्या मतलब?"

    प्रताप सिंह (गंभीर स्वर में) —
    "नाम है — रिवांश भाटिया। कॉलेज फ्रेंड था अनन्या का। लेकिन बात दोस्ती से आगे बढ़ चुकी थी।"

    अर्जुन का चेहरा सख्त हो गया।

    अर्जुन —
    "और अब?"

    प्रताप सिंह —
    "अब वो वापिस आया है। शादी की बात सुनते ही उसका रवैया बदल गया है। वो जानना चाहता है कि अनन्या की शादी किससे हुई है। मैंने सब कुछ छिपाया है, लेकिन वो ज़्यादा चालाक निकला।"

    अर्जुन —
    "क्या आप मुझसे उसकी 'देखभाल' करने को कह रहे हैं?"

    प्रताप सिंह (धीरे से) —
    "नहीं… मैं चाहता हूँ कि तुम सिर्फ उसकी नज़रों में एक रहस्य बने रहो।
    अगर तुमने सीधे टकराव लिया, तो बात बाहर फैल जाएगी।
    और याद रखो — हमारी शादी की सच्चाई किसी को पता नहीं चलनी चाहिए।"


    ---

    गोदाम से बाहर निकलते वक्त

    अर्जुन बाहर आया, लेकिन उसकी आँखों में अब एक नया सवाल था।
    "क्या अनन्या आज भी उस रिवांश से जुड़ी है?"
    "क्या वो शादी को अब भी एक मज़बूरी मानती है?"
    "या वो भी इन बातों से अनजान है?"

    कार में बैठते हुए अर्जुन ने शीशे में खुद को देखा।
    “तू अब सिर्फ एक पति नहीं… अब तू खुद एक खेल का मोहरा है,” उसने खुद से कहा।


    ---

    रात – फार्महाउस

    अनन्या बालकनी में बैठी थी, चाँदनी में खोई हुई। अर्जुन जैसे ही लौटा, उसकी नजर अनन्या पर पड़ी।
    दोनों के बीच अब भी एक दूरी थी, लेकिन सवालों की गर्माहट बढ़ने लगी थी।

    अर्जुन (धीरे से पास आकर) —
    "आज तुम्हारा एक पुराना दोस्त याद आया… रिवांश।"

    अनन्या चौंकी, उसकी नजरें अर्जुन की तरफ उठीं।

    अनन्या (धीरे से) —
    "तुम्हें उसका नाम किसने बताया?"

    अर्जुन (साफ लहजे में) —
    "तुम्हारे पापा ने।"

    अनन्या (थोड़ा गुस्से से) —
    "वो उसे कभी पसंद नहीं करते थे… सिर्फ इसलिए क्योंकि रिवांश एक आम लड़का था, कोई माफिया नहीं।"

    अर्जुन (थोड़ा मुस्कुराते हुए) —
    "तो क्या तुम आज भी उससे…"

    अनन्या (बीच में काटते हुए) —
    "जो रिश्ता था, वो वहीं खत्म हो गया जब पापा ने तुम्हारे साथ मेरी शादी कर दी। अब मैं सिर्फ अपनी आज़ादी चाहती हूँ… प्यार नहीं, ना रिवांश से और ना तुमसे।"

    अर्जुन चुप रहा।

    वो जानता था — ये लड़की उसके जैसी नहीं, लेकिन शायद वक्त के साथ वो बन सकती है।
    लेकिन अभी, सिर्फ एक सच था — रिवांश वापस आ चुका था, और ये खेल अब सिर्फ एक शादी तक सीमित नहीं था।


    ---

    अंत (अभी के लिए)
    Chapter 13 समाप्त।

  • 14. Rowdy Jamai - Chapter 14

    Words: 592

    Estimated Reading Time: 4 min

    दिल्ली के हाई स्ट्रीट कैफे में भीड़ थी, लेकिन माहौल में एक ग़ज़ब की नमी थी। बारिश की हल्की बूँदें काँच के शीशों पर गिर रही थीं। अर्जुन अपनी ब्लैक हुडी और कैप में बैठा हुआ था, आँखें उस टेबल पर टिकी थीं जहाँ एक लड़का बैठा था — स्मार्ट, कॉन्फिडेंट, और आँखों में किसी गुमशुदा जीत की चमक।

    रिवांश भाटिया।

    अनन्या का "पुराना दोस्त"… या शायद कुछ ज़्यादा।

    अर्जुन ने अपने फोन की स्क्रीन पर उस चेहरा फिर से देखा जो प्रताप सिंह ने फाइल में दिखाया था। शक की कोई गुंजाइश नहीं थी।

    रिवांश ने फोन पर किसी को मैसेज किया — “I found the address.”

    अर्जुन ने अपनी कॉफी उठाई और रिवांश की टेबल की ओर बढ़ा।

    अर्जुन (शांत आवाज़ में) —
    "Excuse me, can I sit here? बाकी टेबल्स फुल हैं।"

    रिवांश (हंसते हुए) —
    "Sure, कोई बात नहीं।"

    अर्जुन बैठ गया। दोनों अजनबी बने रहे, लेकिन फिजा में तलवारें टकराने लगी थीं।

    रिवांश (बात शुरू करता है) —
    "आप काफी भारी लग रहे हैं, बॉडी लैंग्वेज से। बॉक्सर हैं क्या?"

    अर्जुन (हलक़ी मुस्कान) —
    "कभी थे। अब बस जोश बचा है, मुक्के नहीं।"

    रिवांश (गौर से देखते हुए) —
    "दिल्ली में नये हैं क्या?"

    अर्जुन —
    "हाँ, हाल ही में आया हूँ। थोड़ा बिजनेस… थोड़ा पारिवारिक वजह।"

    रिवांश (आँखें सिकोड़ते हुए) —
    "दिल्ली एक अजीब शहर है… यहाँ प्यार, साज़िश और खोए हुए लोग — सब एक साथ मिलते हैं।"

    अर्जुन उसकी बातों का मतलब समझ चुका था।

    अर्जुन (सीधा देखते हुए) —
    "कभी-कभी जो खोया हुआ लगता है, वो असल में बदल चुका होता है।"

    एक पल को दोनों चुप रहे। कैफे का शोर पीछे रह गया था — ये अब एक दिमाग़ी खेल बन चुका था।

    रिवांश (जैसे चोट करता हो) —
    "कभी किसी लड़की को खोया है?"

    अर्जुन (बिना झिझक) —
    "कभी किसी लड़की को पाया भी नहीं। जो मिलता है, वो या तो किस्मत होता है या चाल।"

    रिवांश (गहरी नज़र से) —
    "और अगर किस्मत आपकी चाल को तोड़ दे, तो?"

    अर्जुन (धीरे से, आँखें जमी हुईं) —
    "तो चाल बदलनी पड़ती है… और कभी-कभी मोहरे भी।"

    रिवांश समझ गया कि ये आदमी कोई आम इंसान नहीं था। उसके शब्दों में वो अनुभव था जो किताबों से नहीं, ज़िंदगी से आता है।

    अर्जुन उठ गया।

    अर्जुन —
    "मिलकर अच्छा लगा… नाम अर्जुन है।"

    रिवांश (मुस्कुराते हुए) —
    "रिवांश। शायद फिर मिलेंगे।"

    अर्जुन (हल्की हँसी के साथ) —
    "ज़रूर… लेकिन अगली बार शायद खेल के नए नियमों के साथ।"


    ---

    उसी शाम – फार्महाउस

    अनन्या अकेली बैठी थी। अर्जुन अंदर आया, चुपचाप। लेकिन उसके चेहरे पर कुछ अलग था — जैसे किसी पुराने राज़ का ताला खुला हो।

    अनन्या (धीरे से) —
    "कहाँ थे आप?"

    अर्जुन (शांति से) —
    "किसी पुराने दोस्त से मिलने गया था… तुम्हारे अतीत से जुड़ा हुआ।"

    अनन्या की सांस रुक गई। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

    अर्जुन (बिल्कुल पास आकर) —
    "मुझे ये जानने में दिलचस्पी नहीं कि तुमने किससे प्यार किया था। मुझे इससे फर्क पड़ता है कि आज तुम क्या चाहती हो।"

    अनन्या की आँखों में अनजाना डर था… और कहीं एक कोना जो अर्जुन की बातों से हिल गया था।


    ---

    अगली सुबह – रिवांश का अपार्टमेंट

    रिवांश अपने लैपटॉप पर बैठा एक फोल्डर खोलता है —
    "Target: Unknown Husband"

    अर्जुन की तस्वीर उसमें पहले से सेव थी — उसी कैफे वाली। अब खेल शुरू हो चुका था।


    ---

    अंत (अभी के लिए)

    Chapter 14 समाप्त।

    अब कहानी में एक नया मोड़ आने वाला है अब शुरू होने वाला है असली खेल चैप्टर 15 मिस मत कीजिए जरूर पढ़िएगा, तो मिलते हैं चैप्टर 15 में।

  • 15. Rowdy Jamai - Chapter 15

    Words: 731

    Estimated Reading Time: 5 min

    रात गहराती जा रही थी। फार्महाउस की खिड़की से चाँद की हल्की रोशनी कमरे में फैल रही थी। अर्जुन खामोशी से बालकनी में बैठा था, एक कप काली कॉफी के साथ — आँखें आसमान में कहीं खोई हुईं।

    कमरे के अंदर अनन्या धीरे-धीरे चलती हुई बाहर आई। उसकी आँखों में बेचैनी थी, लेकिन इस बार कोई गुस्सा नहीं... बस सवाल थे।

    अनन्या (धीरे से) —
    "आजकल आप कुछ अलग से लग रहे हैं। जैसे आप मुझसे कुछ छिपा रहे हैं।"

    अर्जुन ने कप नीचे रखा और उसकी तरफ देखा।

    अर्जुन (थोड़ा मुस्कुराकर) —
    "हर कोई कुछ न कुछ छिपाता है, अनन्या। पर आज... मैं कुछ नहीं छिपाऊँगा।"

    अनन्या चौंक गई।

    अर्जुन (गंभीर होकर) —
    "मैं जानता हूँ रिवांश कौन है। और क्या चाहता है।"

    अनन्या की सांस जैसे रुक गई हो। उसने तुरंत चेहरा मोड़ लिया।

    अनन्या —
    "वो मेरा पास्ट है। आप क्यों उसे लेकर...?"

    अर्जुन (बोलता रहा) —
    "मैं पास्ट से नहीं डरता। पर मुझे इस बात से फर्क पड़ता है कि वो अब तुम्हारे आसपास क्यों घूम रहा है... और कैसे।"

    एक लंबी चुप्पी हुई। फिर अनन्या ने खुद को सँभालते हुए कहा —

    अनन्या —
    "रिवांश मेरे कॉलेज का दोस्त था... और एक वक़्त में मैं उसे पसंद करती थी। लेकिन अब नहीं। मैं आपसे झूठ नहीं बोलूँगी अर्जुन, मैं इस शादी के लिए तैयार नहीं थी... लेकिन अब, जो आप हैं... उसमें कुछ है जो दिल को छू जाता है।"

    अर्जुन ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में वो सच्चाई थी जो शायद उसने कभी किसी और में नहीं देखी थी।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "ये शादी मेरे लिए भी कोई सौदा नहीं थी। लेकिन अब... लगता है इस रिश्ते में कुछ अपना सा है।"

    अनन्या की आँखें नम हो गईं।

    दोनों एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे, पहली बार बिना किसी दीवार के।

    अर्जुन —
    "मुझे वादा करो... अगर तुम्हें किसी पर शक हो, या कुछ गलत लगे, तो सबसे पहले मुझे बताओगी।"

    अनन्या (धीरे से सिर हिलाकर) —
    "वादा।"


    ---

    दूसरी ओर – रिवांश का अपार्टमेंट

    रिवांश एक मिरर के सामने खड़ा था, अपने बाल ठीक करते हुए, फिर फोन उठाया।

    रिवांश (फोन पर) —
    "तैयारी पूरी है? कल रात उसे इवेंट में लाना है। अनन्या भी होगी, और अर्जुन भी।"

    फोन की दूसरी तरफ से आवाज़ आई —
    "Sir, सब सेट है। बस एक इशारे की देर है।"

    रिवांश (आँखों में आग) —
    "अब वक्त आ गया है... उस नकली पति को असली चेहरा दिखाने का।"


    ---

    अगली रात – दिल्ली की एक हाई प्रोफाइल पार्टी

    बिजनेस पार्टी थी, जहां बड़े-बड़े चेहरे मौजूद थे। अर्जुन ब्लैक सूट में, और अनन्या गोल्डन साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थी। दोनों साथ आए थे — और सबकी निगाहें उन पर थीं।

    लेकिन दूर एक कोना... जहाँ रिवांश व्हिस्की का गिलास पकड़े खड़ा था, उसकी आँखें सिर्फ अर्जुन पर थीं।

    रिवांश (बुदबुदाते हुए) —
    "आज रात खेल खत्म होगा... या शुरू?"

    एक शख्स, जो वेटर के भेष में था, अर्जुन के करीब पहुँचा और धीरे से एक लिफाफा उसके कोट की जेब में डाल गया।

    अर्जुन ने गौर किया, लेकिन उस पल कुछ नहीं कहा।

    कुछ देर बाद वो अकेला हुआ तो चुपचाप उस लिफाफे को खोला।

    एक फोटो थी... रिवांश और अनन्या की — एक बेहद नज़दीकी पोज़ में, डेट की रात की तस्वीर।

    उसके पीछे लिखा था —
    “Can you trust her?”

    अर्जुन की आँखें सख़्त हो गईं।


    ---

    रात के अंत में – फार्महाउस

    अर्जुन और अनन्या चुपचाप लौटे। पूरी गाड़ी में एक शब्द नहीं बोला गया।

    जैसे ही वे अंदर पहुँचे, अर्जुन ने दीवार की तरफ पीठ कर ली, फिर बिना उसकी ओर देखे कहा —

    अर्जुन —
    "कुछ बातें हैं, जो शायद मैं नहीं समझता... लेकिन मैं एक चीज़ जानना चाहता हूँ, अनन्या… क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ?"

    अनन्या ने कुछ पल कुछ नहीं कहा... फिर धीरे से उसके करीब आकर बोली —

    अनन्या —
    "भरोसा सवालों से नहीं, जवाबों से टूटता है अर्जुन। मैं तुमसे कुछ नहीं छिपा रही। अगर कुछ साबित करना होगा, तो करूँगी।"

    अर्जुन उसकी आँखों में देख रहा था — वो सच्चाई, वो मासूमियत अब भी थी।

    लेकिन उसका दिल अब कशमकश में था।


    ---

    अंत (अभी के लिए)

    Chapter 15 समाप्त।


    ---

    क्या अर्जुन सच पर विश्वास करेगा या रिवांश की चाल में फँसेगा?
    क्या अनन्या के पास कोई और राज़ है?
    क्या अगला चैप्टर, अर्जुन और रिवांश के टकराव की शुरुआत है?

    जानेंगे अगले चैप्टर में चैप्टर 16 में मिलते हैं।

  • 16. Rowdy Jamai - Chapter 16

    Words: 815

    Estimated Reading Time: 5 min

    राजधानी दिल्ली की रातें आम रातों जैसी नहीं होतीं — खासकर तब जब अंडरवर्ल्ड के बादशाह प्रताप सिंह राठौड़ किसी पार्टी में अपने नए ‘दामाद’ के साथ पहुंचे हों।

    फाइव स्टार होटल के सबसे ऊपरी फ्लोर पर एक भव्य पार्टी का आयोजन था। हाई-प्रोफाइल बिजनेसमैन, राजनेता, पुलिस अधिकारी, विदेशी मेहमान — हर चेहरा या तो मुस्कुरा रहा था या फिर डर से सजा हुआ था।

    अर्जुन आहूजा एक ब्लैक फॉर्मल सूट में बेहद डैशिंग लग रहा था। उसकी चाल में अब भी जेल का आत्मविश्वास था, और आँखों में वही पुराने जख्मों की परछाई।

    अनन्या सिल्वर गाउन में बिल्कुल अप्सरा लग रही थी। उसने अर्जुन की तरफ एक बार देखा, मगर फिर ध्यान दूसरी तरफ मोड़ लिया।

    अनन्या (धीरे से, बिना देखे) —
    "हम यहाँ सिर्फ दिखावे के लिए आए हैं। प्लीज़ अपनी लाइन में रहिए।"

    अर्जुन (मुस्कराकर) —
    "लाइन तो मैंने उसी दिन पार कर दी थी जब तुमसे ब्याह किया था, मैडम जी।"

    अनन्या कुछ नहीं बोली, बस होंठ भींचकर आगे बढ़ गई।


    ---

    पार्टी हॉल के बीचोंबीच, प्रताप सिंह राठौड़ अपनी ठसक के साथ खड़ा था। उसके पास लोग कतार में आकर हाथ मिला रहे थे। हर कोई जानता था — ये आदमी सिर्फ बिजनेसमैन नहीं, सियासत और अपराध की जड़ है।

    प्रताप सिंह (अर्जुन को देखता है) —
    "आ गए तुम। चलो, सबसे मिलवाता हूँ।"

    अर्जुन (आदर से) —
    "आप जैसा कहें।"

    प्रताप अर्जुन को लेकर एक नामी बिल्डर से मिलवाता है।

    प्रताप सिंह —
    "मिलिए, अर्जुन आहूजा से। अब ये मेरा दामाद है। और मेरा दायाँ हाथ भी।"

    बिल्डर ने हल्का सा मुस्कराकर अर्जुन से हाथ मिलाया। लेकिन अर्जुन ने उसकी हथेली को थोड़ी देर थामे रखा — उतना कि सामने वाले को समझ आ जाए, "मैं कोई नौसिखिया नहीं।"


    ---

    इसी दौरान अर्जुन की नजर पड़ी — एक आदमी, जो बार-बार अनन्या को देख रहा था। उसकी आँखों में अजीब सी बेचैनी थी। अर्जुन का मन सतर्क हो गया।

    वो धीरे से प्रताप से बोलता है —

    अर्जुन —
    "वो आदमी, नीले कोट वाला... कौन है?"

    प्रताप सिंह (एक नजर डालते हुए) —
    "नाम है विक्रम सेठी। छोटा मोटा कारोबारी है। कुछ दिन पहले ही लंदन से लौटा है।"

    अर्जुन (धीरे से) —
    "उसकी नजरें कुछ ज़्यादा ही घूर रही हैं।"

    प्रताप सिंह चुप हो गया। उसकी निगाहें भी सतर्क हो गईं।


    ---

    पार्टी अपने चरम पर थी, शराब और साजिशें बह रही थीं। तभी डांस फ्लोर पर अनन्या को एक अजनबी ने रोक लिया — वही विक्रम।

    विक्रम (धीरे से) —
    "अनन्या, तुम अब भी वैसी ही हो।"

    अनन्या एक पल के लिए स्तब्ध रह गई। उसके चेहरे पर वो मुस्कान जम गई जो सिर्फ समाज के लिए थी।

    अनन्या (धीरे से) —
    "माफ कीजिए, आप?"

    विक्रम (हल्के से हँसते हुए) —
    "इतनी जल्दी भूल गई? कॉलेज में जो हर डिबेट तुमसे हारता था — वो विक्रम!"

    अनन्या का चेहरा फीका पड़ गया।

    अनन्या —
    "आपको यहां नहीं होना चाहिए।"

    विक्रम (आँखों में चमक के साथ) —
    "क्यों नहीं होना चाहिए? शायद तुम्हें भूल गया हो कि तुमसे सिर्फ हारता नहीं था... प्यार भी करता था।"

    अनन्या घबरा गई, लेकिन तभी अर्जुन पास आ गया।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "सब ठीक है?"

    अनन्या (जल्दी से) —
    "हाँ, सब ठीक है।"

    अर्जुन (विक्रम को घूरते हुए) —
    "अच्छा, तो आप वही हैं जो सिर्फ कॉलेज तक सीमित रह गए थे?"

    विक्रम मुस्करा दिया।

    विक्रम —
    "और आप वही हैं जो अचानक ज़िंदगी में आकर सब हथिया ले गए?"

    अर्जुन (धीरे से लेकिन सख्ती से) —
    "हथियाने की ज़रूरत नहीं पड़ी… जो मेरा है, वो खुद चलकर आया।"

    विक्रम समझ गया कि अब एक लाइन खिंच चुकी है। उसने अनन्या की तरफ देखा, फिर पार्टी से बाहर निकल गया।


    ---

    पार्टी खत्म होने के बाद अर्जुन और अनन्या फार्महाउस लौटते हैं। रास्ते भर चुप्पी छाई रही।

    घर पहुँचते ही अर्जुन दरवाज़ा खोलता है और अनन्या को भीतर जाने देता है।

    अर्जुन —
    "ये विक्रम कौन है?"

    अनन्या (गुस्से में) —
    "तुम्हें कोई हक नहीं है मुझसे सवाल पूछने का!"

    अर्जुन (ठंडे स्वर में) —
    "तुम्हारी हिफाज़त मेरी ज़िम्मेदारी है। और जब कोई तुम्हारे करीब आता है, वो मेरी चिंता बन जाता है।"

    अनन्या कुछ नहीं बोल पाई। उसकी आँखों में गुस्से और उलझन का तूफ़ान था।

    अर्जुन (धीरे से) —
    "मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ, ये बात मुझे हर पल एहसास होती है। लेकिन ये मत भूलो कि मैं अब तुम्हारा शौहर हूँ — और तुम्हें कोई भी तकलीफ पहुँचे, ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता।"

    अनन्या का चेहरा पलभर को नरम पड़ा। लेकिन उसने खुद को संभाला।

    अनन्या —
    "मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है।"

    अर्जुन (हल्के से मुस्कराकर) —
    "शायद... लेकिन वक्त को तुम्हारी राय की ज़रूरत नहीं होती।"

    वो कहकर बाहर बालकनी में चला गया। और अनन्या उस दरवाज़े को देखती रही — जो पहली बार उसे किसी की परवाह का एहसास दे गया था।


    ---

    अगले चैप्टर में:
    विक्रम की वापसी के पीछे छुपा होगा कोई पुराना राज़… और अनन्या की ज़िंदगी का एक अनजाना पन्ना खुलेगा।

  • 17. Rowdy Jamai - Chapter 17

    Words: 643

    Estimated Reading Time: 4 min

    राजधानी दिल्ली की एक शानदार हवेली में पार्टी अपने शबाब पर थी। चांदनी रात और झिलमिलाती लाइट्स के बीच वायलिन की धीमी-सी धुन बज रही थी। सफेद और काले रंग की थीम वाली इस इवेंट में देश की सबसे बड़ी हस्तियाँ मौजूद थीं।

    अर्जुन काले सूट में शांत, लेकिन चौकन्ना खड़ा था। उसकी आँखें लोगों की हर हरकत को पढ़ रही थीं। अनन्या सफेद गाउन में किसी रानी से कम नहीं लग रही थी — लेकिन उसके चेहरे पर अब भी वो तना-तना गुस्सा था।

    अनन्या (धीरे से, अर्जुन की ओर बिना देखे) —
    “ये सब क्या तमाशा है? शादी का कॉन्ट्रैक्ट भी किया, और अब पब्लिक इवेंट्स भी? क्या सोचते हैं आप लोग खुद को?”

    अर्जुन (धीमे लेकिन सधे लहजे में) —
    “मुझे नहीं लगता ये तुमसे पूछकर तय हुआ है। और वैसे भी... ये तमाशा नहीं, एक चाल है। समझने की कोशिश करो।”

    अनन्या उसे घूरती है, लेकिन कुछ कहती नहीं।

    पार्टी में कुछ राजनेता, माफिया कनेक्शन वाले व्यापारी और विदेशी मेहमान मौजूद थे। प्रताप सिंह राठौड़, अपनी आदत के मुताबिक लोगों के बीच चुपचाप लेकिन प्रभावशाली बना हुआ था।

    वो अर्जुन के पास आया और धीरे से बोला —

    प्रताप सिंह राठौड़ —
    “तुम ठीक से देख रहे हो ना? आज जो यहाँ हैं, वो सब हमारे खेल का हिस्सा हैं। मुझे किसी पर भी भरोसा नहीं है।”

    अर्जुन —
    “आप निश्चिंत रहिए। अगर कोई भी रिबन खोलेगा, सबसे पहले उसकी गर्दन ही टूटेगी।”

    प्रताप मुस्कराया, और फिर अनन्या की ओर इशारा करते हुए कहा —
    “और उसे भी थोड़ा अपने साथ शामिल करो। अब ये अकेली नहीं है, इस खेल में उसका नाम भी तुम्हारे साथ जुड़ा है।”

    अर्जुन एक हल्की सांस छोड़ता है, फिर एक ग्लास उठाकर अनन्या की तरफ बढ़ता है।

    अर्जुन —
    “कम से कम एक ग्लास जूस पी लो। भूखी रहोगी तो गुस्सा और बढ़ेगा।”

    अनन्या (तिरस्कार से) —
    “आपको मेरी भूख की भी फिक्र है? कमाल है। जबरदस्ती की शादी और फिर केयर दिखाना... वाह अर्जुन जी।”

    अर्जुन (शांति से) —
    “शादी जबरदस्ती थी, पर अब अगर हम दोनों इसमें फँसे हैं, तो एक-दूसरे को तोड़ने से अच्छा है... चुपचाप निभा लें।”

    इस बीच, एक अजीब सी हलचल हुई। एक वेटर ट्रे गिरा देता है और पीछे मुड़कर कुछ कहता है — “रिबन मिसिंग है…”

    अर्जुन चौकन्ना हो गया।

    अर्जुन (मन में) —
    “रिबन? कौन-सा रिबन? क्या ये कोई कोडवर्ड था?”

    वो तुरंत उस वेटर की तरफ बढ़ा, लेकिन वह भीड़ में गायब हो चुका था। अर्जुन ने चारों तरफ नजरें घुमाईं — कुछ चेहरों पर घबराहट थी, और कुछ पर झूठी मुस्कान।

    अनन्या (पास आकर) —
    “क्या हुआ? तुम अचानक इतने परेशान क्यों लग रहे हो?”

    अर्जुन (धीरे से) —
    “तुमने वो सुना? वेटर क्या कह रहा था... 'रिबन मिसिंग है'?”

    अनन्या ने सिर हिलाया — “हाँ, पर वो तो एक ट्रे गिर गई थी न?”

    अर्जुन —
    “नहीं… मुझे लग रहा है ये कोई कोडवर्ड है। और शायद किसी खतरे का संकेत भी।”

    वहीं, पार्टी के एक कोने में कैमरा लाइट ऑन हुई — लेकिन कोई रिपोर्टर नहीं था। अर्जुन ने दूर से देखा — किसी ने मोबाइल फोन से पूरी पार्टी की फुटेज रिकॉर्ड की और चुपचाप बाहर निकल गया।

    अर्जुन (मन में) —
    “कोई है जो इस खेल में दोनों तरफ से चालें चल रहा है। और वो रिबन… शायद वो कोई फाइल, वीडियो या राज़ हो सकता है…”

    वो तुरंत प्रताप सिंह के पास गया —

    अर्जुन —
    “सर, मुझे बाहर जाना होगा। कुछ गड़बड़ है।”

    प्रताप (गंभीर लहजे में) —
    “सम्भाल के जाना। अगर ये ‘रिबन’ वही चीज़ है जो मुझे लग रही है… तो आज की रात सबकुछ बदल सकती है।”


    ---

    🔚 End of Chapter 17

    अगला चैप्टर हिंट:

    क्या ‘रिबन’ कोई सबूत है अर्जुन या प्रताप के खिलाफ?

    क्या वो वेटर सिर्फ वेटर था या कुछ और?

    अनन्या इस खेल में कब तक अंजान बनी रहेगी?

    जानेंगे अगले चैप्टर में तो चैप्टर 18 जरूर पढ़िएगा।

  • 18. Rowdy Jamai - Chapter 18

    Words: 691

    Estimated Reading Time: 5 min

    सुबह की हल्की धूप फार्महाउस की बड़ी खिड़की से अंदर आ चुकी थी। चारों तरफ शांति थी, पर इस शांति के पीछे पिछली रात की रहस्यमयी पार्टी की हलचल अभी भी अर्जुन के दिमाग में घूम रही थी।

    लेकिन फिलहाल अर्जुन का ध्यान सिर्फ एक चीज़ पर था — कॉफी।

    बिस्तर पर आराम से हाथ फैलाते हुए वो धीरे से आंखें मलते हुए बोला —
    “अरे अनन्या... कॉफी बना दो ना यार।”

    पास खड़ी अनन्या, जो अभी-अभी वॉर्डरोब से कपड़े निकाल रही थी, रुकी। उसकी भौंहें तनीं और वो ठंडी नजरों से अर्जुन की ओर मुड़ी।

    अनन्या (तीखी आवाज में) —
    “तुम्हारी बीवी हूं, नौकर नहीं। उठो और खुद बनाओ अपनी कॉफी।”

    अर्जुन ने तकिए से सिर उठाकर उसकी तरफ देखा और हँसते हुए बोला —
    “ओह हो… इतनी प्यारी बीवी और इतनी कड़क आवाज़? सुबह-सुबह मिर्च क्यों घोल रही हो?”

    अनन्या —
    “क्योंकि तुम वही आदमी हो जिससे जबरदस्ती मेरी शादी करवाई गई है। और अब चाय-कॉफी भी मुझसे बनवाओगे? सपना देखो।”

    अर्जुन (शरारती अंदाज़ में) —
    “तो एक सपना तो पूरा हो ही गया — हम दोनों एक ही घर में, एक ही बिस्तर पर, और तुम सुबह-सुबह मुझे डांट रही हो। शादी रियल लगने लगी है।”

    अनन्या ने मुंह फेर लिया, लेकिन हल्की सी मुस्कान उसके होंठों के कोने में तैर गई, जिसे उसने तुरंत छुपा लिया।

    अर्जुन उठ बैठा, और अपने बालों में हाथ फिराते हुए बोला —
    “ठीक है महारानी साहिबा, मैं खुद बनाता हूं अपनी कॉफी। लेकिन एक शर्त है।”

    अनन्या (बिना देखे) —
    “क्या?”

    अर्जुन —
    “आज मैं जो कॉफी बनाऊँगा, तुम भी पियोगी। फिर मत कहना कि तुम्हारे टेस्ट बर्बाद हो गए।”

    अनन्या (हँसकर, लेकिन पीठ फेरते हुए) —
    “मुझे ज़हर मत पिला देना, अर्जुन जी।”

    किचन में, अर्जुन ने कॉफी मशीन को घूरते हुए कहा —
    “तू भी आज मेरी परीक्षा ले रही है? चलो, देखते हैं कौन जीतता है — अर्जुन आहूजा या ये किचन।”

    कुछ देर बाद कॉफी की खुशबू पूरे हॉल में फैल चुकी थी। अर्जुन दो मग लेकर लौटा — एक अनन्या के लिए, एक अपने लिए।

    अनन्या (कप लेते हुए) —
    “कड़वी है…”

    अर्जुन —
    “क्योंकि तुम्हारी तरह नमक कम नहीं डाला मैंने।”

    अनन्या —
    “कॉफी में नमक नहीं, शक्कर डालते हैं…”

    अर्जुन (हँसते हुए) —
    “वो तो तुम्हारे चेहरे में भी नहीं थी… तो मैंने भी मिठास कम कर दी।”

    कुछ पलों के लिए दोनों चुप रहे। पहली बार कमरे में सिर्फ हँसी की गूंज थी, न तकरार, न टकराव। ये कुछ नया था… और शायद दोनों को यह अच्छा भी लग रहा था।

    लेकिन अर्जुन का चेहरा अचानक गंभीर हो गया।

    अनन्या (देखते हुए) —
    “क्या हुआ? अचानक सीरियस क्यों हो गए?”

    अर्जुन —
    “रिबन…”

    अनन्या —
    “वो पार्टी वाली बात? अब तक भूल नहीं पाए?”

    अर्जुन —
    “नहीं भूल सकता। कुछ तो छुपाया जा रहा है हमसे। और मैं ये नहीं चाहता कि तुम्हें या मुझे... किसी भी कीमत पर कुछ हो।”

    अनन्या (धीरे से) —
    “वैसे तुम एक बात अच्छे से निभा रहे हो — पति वाला प्रोटेक्शन मोड…”

    अर्जुन (मुस्कराते हुए) —
    “तो फिर बीवी वाला भरोसा कब करोगी?”

    अनन्या ने उसकी तरफ देखा, पर जवाब नहीं दिया।

    अर्जुन उठ खड़ा हुआ —
    “मैं बाहर जा रहा हूं कुछ जानकारी लेने। दरवाजे लॉक रखना, और किसी अनजान शख्स के लिए मत खोलना। अगर कोई पूछे, तो कहना अर्जुन अाहूजा अभी घर पर नहीं है — लेकिन वापस लौटते ही खून कर देगा।”

    अनन्या (आँखें तरेरते हुए) —
    “डायलॉगबाज़ी कम करो और जल्दी लौट आना। घर में अकेले डर लगता है… बोरियत से।”

    अर्जुन (हँसते हुए बाहर निकलता है) —
    “लो सुनो, अब बीवी को मेरा इंतज़ार भी रहने लगा है। लगता है प्यार की शुरुआत हो चुकी है।”

    अनन्या ने मुस्कराकर खिड़की की तरफ देखा… और उसके चेहरे पर पहली बार एक हल्की, सच्ची सी मुस्कान थी।


    ---

    🔚 अंत – चैप्टर 18

    अगला चैप्टर हिंट:

    अर्जुन निकल पड़ा है "रिबन" की सच्चाई जानने

    कोई पीछा कर रहा है अर्जुन का

    अनन्या अकेले घर में, और कोई अनजान दस्तक होने वाली है…

    कौन है यह अनजान जो आने वाला है? क्या अर्जुन और अनन्या कोई बहुत बड़ी मुसीबत में फसाने वाला है क्या कुछ होने वाला है भयानक जानेंगे अगले चैप्टर में।

  • 19. Rowdy Jamai - Chapter 19

    Words: 538

    Estimated Reading Time: 4 min

    बाहर हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी। बादलों की गड़गड़ाहट और पेड़ों की सरसराहट फार्महाउस को और ज्यादा वीरान बना रही थी।

    अर्जुन, जो अब शहर के एक पुराने औद्योगिक एरिया में पहुंच चुका था, अपनी कार रोककर एक पुरानी बिल्डिंग के सामने खड़ा हुआ।
    "रिबन" — यही नाम था जो पार्टी में अचानक किसी की जेब से गिरा एक कार्ड पर छपा था। उस पर बस एक लाइन थी —
    "Where it all began."

    अर्जुन (धीरे से बुदबुदाया) —
    “शुरुआत वहीं से जहां ये खेल लिखा गया था…”

    उसने जैकेट की जेब में छोटा रिवॉल्वर चेक किया और बिल्डिंग में घुस गया।


    ---

    दूसरी तरफ फार्महाउस में अनन्या अकेली थी। अर्जुन के जाने के बाद घर में अजीब सी खामोशी फैल गई थी। उसने खिड़कियों के पर्दे ठीक किए, दरवाजे लॉक किए और टीवी ऑन किया ताकि सन्नाटा टूटे।

    पर तभी… किचन के पास हल्की सी खड़खड़ाहट हुई।

    अनन्या (आवाज़ लगाते हुए) —
    “कौन है?”

    कोई जवाब नहीं आया। वो धीरे-धीरे चलकर किचन तक गई, पर वहाँ कुछ नहीं था।

    वो जैसे ही वापस मुड़ी, मुख्य दरवाज़े पर दस्तक हुई।
    धीमी, मगर भारी।

    धड़कनें तेज़ हो गईं। अर्जुन की बात याद आई —

    > "अगर कोई पूछे, तो कहना अर्जुन आहूजा अभी घर पर नहीं है — लेकिन वापस लौटते ही खून कर देगा।"



    दस्तक दोबारा हुई।

    अनन्या ने साहस जुटाकर इंटरकॉम पर देखा — पर स्क्रीन पर कोई चेहरा नहीं था।

    अनन्या (धीरे से) —
    “ये मुझसे मज़ाक कर रहा है… या डराने की कोशिश?”

    वो वापस सोफे पर बैठने ही वाली थी कि दरवाज़े के नीचे से एक छोटा सा लिफ़ाफ़ा सरकता हुआ अंदर आया।

    वो कुछ सेकंड तक बस उसे घूरती रही… फिर साहस कर उठी और उसे उठाया।

    लिफ़ाफ़े पर लिखा था:
    "तुम्हें क्या लगता है, कहानी खत्म हो चुकी है?"

    उसके हाथ कांपने लगे।


    ---

    उधर अर्जुन, बिल्डिंग के अंदर एक तहखाने में पहुंच चुका था। हर कोने पर जाले, टूटी खिड़कियाँ, और एक दीवार पर पुरानी तस्वीरें लटकी हुई थीं। इनमें एक तस्वीर खास थी —
    प्रताप सिंह राठौड़, एक और अंजान व्यक्ति, और… एक छोटा बच्चा।

    अर्जुन (चौंकते हुए) —
    “ये बच्चा… ये तो मैं हूं?”

    अचानक किसी ने उसकी पीठ पर हाथ रखा।

    वो तुरंत पलटा, रिवॉल्वर निकाला — पर वहाँ कोई नहीं था।

    एक पुरानी रिकॉर्डिंग प्ले होने लगी, किसी स्पीकर से —

    > "तू कुछ भी कर ले अर्जुन, असली कहानी तो अभी शुरू हुई है। जो रिबन तूने पकड़ी है, वो बस एक सिरा है। इसके पीछे जो छिपा है… वो तू सोच भी नहीं सकता।"



    अर्जुन ने गुस्से में चारों तरफ देखा —
    "कौन है तू? सामने आ!"

    लेकिन जवाब सिर्फ एक हँसी में मिला… वो भी बेहद जान-पहचान सी।


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    फार्महाउस में, अनन्या अब कॉन्फिडेंस के साथ उठी और लिफ़ाफ़े के अंदर का दूसरा पेज देखा।

    उसमें लिखा था —
    "तुमने जिस आदमी से शादी की है, उसकी कहानी तुम नहीं जानती। जल्द ही वो चेहरा सामने आएगा जिससे तुम डरना सीखोगी।"

    अब अनन्या का चेहरा ज़र्द हो चुका था।
    "अर्जुन... ये सब क्या है?"

    तभी एक और दस्तक हुई — इस बार पीछे के दरवाज़े पर।


    ---

    चैप्टर 19 समाप्त।


    ---

    🔜 अगला चैप्टर 20 — अर्जुन की खोई हुई यादों का एक सिरा, और अनन्या का पहला सीधा सामना अनजान खतरे से।

  • 20. Rowdy Jamai - Chapter 20

    Words: 754

    Estimated Reading Time: 5 min

    फार्महाउस, रात के ढाई बजे।

    पीछे के दरवाज़े पर जो दस्तक हुई थी, उसने अनन्या के पैरों से ज़मीन खींच ली थी।
    वो साँस रोककर रुक गई, हाथ में अब भी वो चिट्ठी थी जिस पर लिखा था —
    "तुम्हारे पति का चेहरा तुम्हारे डर से भी गहरा है..."

    उसने धीरे-धीरे दीवार से लगकर झाँकने की कोशिश की, पर बाहर कोई नहीं था। तभी लाइट एक झटके में चली गई।

    "अर्जुन!"
    उसका गला सूख गया, और उसके कदम खुद-ब-खुद पीछे हटने लगे। फार्महाउस अब अंधेरे में डूबा हुआ था।


    ---

    उधर अर्जुन, अब भी उसी वीरान बिल्डिंग के तहखाने में खड़ा था। उसके सामने टेबल पर कुछ पुराने दस्तावेज़ और एक पुराना केस फाइल पड़ा था —
    "File No. 401: Project A.A."

    उसने जैसे ही फाइल खोली, पहली पंक्ति में लिखा था —

    > "Subject Name: Arjun Ahuja"



    अर्जुन (आँखें सिकोड़ते हुए) —
    “ये... क्या मज़ाक है?”

    पन्ना पलटते ही एक स्केच सामने आया — अर्जुन की ही शक्ल, लेकिन बाल छोटे, आँखों में मेडिकल टेपिंग, और नाम के नीचे लिखा था:
    “Dead: 2014”

    अर्जुन बड़बड़ाया —
    “मैं... 2014 में मर चुका था?”


    ---

    फार्महाउस, अनन्या अब किचन से एक बड़ा चाकू लेकर वापस लिविंग रूम में आई। उसने फोन उठाया और अर्जुन को कॉल मिलाई।

    No Signal.

    बार-बार कोशिश की लेकिन हर बार असफल।

    तभी फिर से दरवाज़ा खड़का… लेकिन इस बार हल्की सी हँसी भी आई।
    “Ananya… tum akele ho, na?”
    (एक धीमी, दरारभरी आवाज़)

    उसने हिम्मत कर खिड़की से बाहर झाँका — एक परछाई दिखी, जो दूर से एक दीवार के पास खड़ी थी।

    उसका चेहरा नहीं दिख रहा था। बस एक काली हुडी पहने हुए, और हाथ में कुछ लंबा सा।

    अनन्या ने कांपती आवाज़ में कहा —
    "जो भी है, मैं पुलिस को बुला रही हूँ!"

    लेकिन उस परछाई ने सिर झुकाया... और गायब हो गई।


    ---

    वापस अर्जुन के पास, वो अब कमरे की एक दीवार के पास पहुंचा, जहाँ एक और दरवाज़ा था। वहाँ एक मेटल प्लेट लगी थी —
    "Restricted Area. Personnel Only."

    पर अर्जुन कौन से नियम मानने वालों में से था?

    उसने धक्का दिया और दरवाज़ा टूटकर खुल गया।

    भीतर अंधेरा था, लेकिन एक प्रोजेक्टर अपने आप ऑन हुआ और दीवार पर वीडियो चल पड़ा।

    वीडियो में: प्रताप सिंह राठौड़, एक डॉक्टर और अर्जुन (जवान उम्र में)

    डॉक्टर बोल रहा था —

    > “मशीन ने उसके दिमाग के हिस्सों को फिर से एक्टिवेट किया है। अब वो भूल चुका है कि वो क्या था… और किसके लिए बना था।”



    प्रताप सिंह (वीडियो में) —

    > “अब इसे सिर्फ एक नाम याद रखना है — अर्जुन आहूजा। बाकी सब मिटा दो।”



    अर्जुन (वर्तमान में, गुस्से से) —
    “मुझसे... सब कुछ छीन लिया गया?”


    ---

    फार्महाउस, लाइट अब भी नहीं आई थी। अनन्या धीरे-धीरे घर का हर दरवाज़ा चेक कर रही थी। तभी उसे सोफे पर एक रिबन बंधा हुआ बॉक्स मिला — वहीं रंग जो पार्टी में गिरा था।

    वो चौक गई। अर्जुन ने उस रिबन को पीछा किया था।

    धीरे से उसने बॉक्स खोला — अंदर एक छोटी सी घड़ी थी। जैसे ही उसने छुआ, उसमें से एक ऑडियो मैसेज बजने लगा:

    > "Ananya... तुम्हारे लिए खेल अभी शुरू हुआ है। अर्जुन वो नहीं है जो तुम समझती हो। अगर उसे बचाना चाहती हो, तो तुम्हें भी उसकी अंधेरी दुनिया में उतरना होगा।"



    अनन्या हतप्रभ रह गई।

    “ये सब... क्या चल रहा है?”


    ---

    अर्जुन, अब वीडियो बंद कर, दीवार के पीछे छिपे कंप्यूटर सिस्टम को देख रहा था।
    स्क्रीन पर एक फोल्डर ब्लिंक कर रहा था —
    “Red Ribbon Protocol”

    उसने उसे खोला — और एक ऑडियो फाइल प्ले हुई:

    > "अगर तुम ये सुन रहे हो, अर्जुन... तो याद रखो, तुम्हारी जिंदगी एक मिशन थी। तुम्हें एक मशीन की तरह प्रोग्राम किया गया था। पर तुमने इमोशन्स चुन लिए... और वो तुम्हारी कमजोरी बनेंगे।"



    अर्जुन (गुस्से में चिल्लाया) —
    “किसने किया ये सब? मैं कौन हूं असल में?”


    ---

    फार्महाउस, अनन्या ने तय कर लिया था — अब चुप बैठने का वक्त नहीं है।

    उसने चाकू उठाया, गाड़ी की चाबी ली और दरवाज़ा खोला।
    पर बाहर जो खड़ा था… वो वही परछाई थी।

    इस बार चेहरा दिख रहा था — अधजला, आँखें लाल, और होंठों पर एक पागलपन भरी मुस्कान।

    "शुरुआत हो चुकी है, बहुरानी..."

    अब कौन सा नया खेल शुरू हुआ है और अर्जुन को कौन सा सच पता लगा है क्या अर्जुन एक मिशन के लिए प्रोग्रामिंग किया गया है और क्या अनन्या अर्जुन की सच्चाई जान पाएगी क्या अर्जुन यह सब जानने के बावजूद भी प्रताप सिंह राठौर के खिलाफ जाएगा क्या होगा इसका अंजाम जानेंगे चैप्टर 21 में।