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ज़िंदगी का पर्चा

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Jahnavi Sharma

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वैदेही रघुवंशी, एक प्रामाणिक न्यूज रिपोर्टर, जी नेहमी सत्याच्या बाजूने उभी राहिली आहे. काय होईल जेव्हा वैदेही राजकारणाच्या गलिच्छ खेळात फसेल? जाणून घेण्यासाठी वाचा, "राज-नीती: एक गलिच्छ खेळ".<br />

Total Chapters (100)

Page 1 of 5

  • 1. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 1

    Words: 1118

    Estimated Reading Time: 7 min

    अस्पताल का कॉरिडोर शांत था, मगर हवा में एक अजीब-सी बेचैनी तैर रही थी। तभी, दूर से किसी के जूतों की तेज़ आवाज़ सुनाई दी, जो धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। फिर, एक शख्स तेज़ी से कॉरिडोर में दाखिल हुआ—डॉक्टर वीर अग्निहोत्री।

    उनका लंबा कद, करीने से इस्त्री किया हुआ सफेद लैब कोट और तीखी निगाहें, सब मिलकर एक रौबदार व्यक्तित्व बनाते थे। डॉक्टर वीर के चेहरे पर कोई भाव नहीं था, बस एक कठोर संकल्प झलकता था। वे किसी सेनापति की तरह आगे बढ़ रहे थे, मानो हर मरीज एक युद्धक्षेत्र हो और उन्हें हर हाल में जीतना हो।

    उनके पीछे-पीछे हाँफती हुई नर्स कविता चल रही थी। कविता, एक शांत और समर्पित नर्स थी, जो डॉक्टर वीर के साथ कई सालों से काम कर रही थी। वह जानती थी कि डॉक्टर वीर अपनी नौकरी को लेकर कितने गंभीर हैं और उन्हें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं है।

    "डॉक्टर, आज की लिस्ट थोड़ी लंबी है," कविता ने हाँफते हुए कहा। "इमरजेंसी वार्ड में एक नया केस आया है, कायरा वर्मा नाम है।"

    डॉक्टर वीर ने बिना रुके जवाब दिया, "रिपोर्ट तैयार रखो। मुझे कोई वक़्त बर्बाद करना पसंद नहीं।"

    उसी वक़्त, अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एक अलग ही हलचल मची हुई थी। कायरा वर्मा, एक इक्कीस साल की लड़की, स्ट्रेचर पर लेटी हुई थी। कायरा की हालत गंभीर थी, उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और उसका चेहरा पीला पड़ गया था।

    कायरा ने अस्पताल के कपड़ों में भी अपनी बिंदास पर्सनैलिटी बरकरार रखी थी। उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी, जैसे वो अपनी बीमारी को भी एक चुनौती के रूप में ले रही हो।

    कायरा की माँ, मिसेस वर्मा, अपनी बेटी की हालत देखकर बुरी तरह घबरा गई थीं। वे बार-बार भगवान से प्रार्थना कर रही थीं कि उनकी बेटी को कुछ न हो।

    "मेरी बेटी ठीक हो जाएगी ना, डॉक्टर?" मिसेस वर्मा ने एक नर्स से पूछा। "उसे क्या हुआ है? ये सब अचानक कैसे हो गया?"

    नर्स ने उन्हें ढाँढस बंधाते हुए कहा, "हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, मिसेस वर्मा। आप चिंता मत कीजिए। डॉक्टर वीर अग्निहोत्री खुद उनका इलाज करेंगे।"

    मिसेस वर्मा ने डॉक्टर वीर का नाम सुना तो और भी डर गईं। उन्होंने सुना था कि डॉक्टर वीर बहुत ही सख्त और असंवेदनशील हैं, और उन्हें मरीजों की भावनाओं की कोई परवाह नहीं है।

    "लेकिन मैंने सुना है कि वो डॉक्टर बहुत रूखे हैं," मिसेस वर्मा ने कहा। "क्या वो मेरी बेटी का ठीक से इलाज करेंगे?"

    नर्स ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा, "डॉक्टर वीर अपने काम में बहुत माहिर हैं, मिसेस वर्मा। वो भले ही थोड़े सख्त हों, लेकिन वो हमेशा मरीजों को ठीक करने के लिए अपनी जान लगा देते हैं।"

    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में दाखिल हुए, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उन्होंने बिना कोई परिचय दिए, सीधे कायरा की मेडिकल रिपोर्ट अपने हाथ में ले ली और उसे ध्यान से देखने लगे।

    कायरा ने डॉक्टर वीर को देखा और उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक आई। वह जानती थी कि यह डॉक्टर उसकी बीमारी का इलाज कर सकता है, लेकिन वह यह भी जानती थी कि उसे इस डॉक्टर से एक लंबी लड़ाई लड़नी होगी।

    "गुड मॉर्निंग डॉक्टर," कायरा ने कमज़ोर आवाज़ में कहा। "क्या आप हमेशा इतने बिज़ी रहते हैं कि 'हेलो' बोलने का भी वक़्त नहीं मिलता?"

    डॉक्टर वीर ने रिपोर्ट से नज़रें हटाए बिना जवाब दिया, "मेरा काम मरीजों का इलाज करना है, बातें करना नहीं। तुम्हारी रिपोर्ट बता रही है कि तुम्हारी हालत गंभीर है। मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे पास मज़ाक करने का वक़्त है।"

    कायरा ने डॉक्टर वीर की बात सुनकर एक गहरी सांस ली। "मुझे पता है कि मैं बीमार हूँ, डॉक्टर। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप मुझसे इंसानियत से बात नहीं कर सकते।"

    डॉक्टर वीर ने कायरा की ओर देखा, उनकी आँखों में कोई भाव नहीं था। "इंसानियत? मेरा काम तुम्हारी जान बचाना है, तुम्हें सांत्वना देना नहीं। अगर तुम्हें मेरी बातें पसंद नहीं हैं, तो तुम किसी और डॉक्टर के पास जा सकती हो।"

    कायरा ने डॉक्टर वीर की बात सुनकर अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। "आप एक डॉक्टर हैं या रोबोट? क्या आपके अंदर कोई भावनाएँ नहीं हैं?"

    डॉक्टर वीर ने अपनी आवाज़ थोड़ी तेज़ करते हुए कहा, "मैं तुम्हें बता दूँ कि तुम एक मरीज़ हो, और तुम्हें मेरे नियमों का पालन करना होगा। अगर तुम ठीक होना चाहती हो, तो तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहता हूँ।"

    कायरा ने पलटकर जवाब दिया, "और मैं आपको बता दूँ कि आप एक अहंकारी डॉक्टर हैं, जिन्हें लगता है कि आप भगवान हैं। आप शायद भूल गए हैं कि आप भी एक इंसान हैं।"

    डॉक्टर वीर कायरा की बेबाकी से भौंचक्के रह गए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि कोई मरीज़ उनसे इस तरह बात करने की हिम्मत कर सकता है।

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह बात करने की?" डॉक्टर वीर ने गुस्से से कहा। "मैं तुम्हें अभी के अभी इस अस्पताल से बाहर निकाल सकता हूँ।"

    कायरा ने एक चुनौती भरी मुस्कान के साथ डॉक्टर वीर को देखा। "मुझे नहीं लगता कि आप ऐसा करेंगे, डॉक्टर। आप जानते हैं कि मैं बीमार हूँ, और आपको मेरा इलाज करना होगा। लेकिन मैं आपको बता दूँ कि मैं आसानी से हार मानने वाली नहीं हूँ। यह सिर्फ़ मेरी बीमारी से नहीं, बल्कि आपसे भी एक जंग है।"

    डॉक्टर वीर ने कायरा की बात सुनकर एक गहरी सांस ली। "तुम सच में एक अशिष्ट मरीज़ हो। मुझे नहीं पता था कि इस अस्पताल में ऐसे लोग भी आते हैं।"

    उन्होंने बिना कोई और बात किए, नर्स कविता की ओर मुड़कर कहा, "इसके सारे ज़रूरी टेस्ट करवाओ। और हाँ, सारे टेस्ट मुश्किल और दर्दनाक होने चाहिए। मुझे देखना है कि यह कितनी हिम्मत दिखाती है।"

    कायरा ने डॉक्टर वीर को जाते हुए देखा और उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान फैल गई। उसे पता था कि यह उसके और इस कठोर डॉक्टर के बीच एक लंबी जंग की शुरुआत है, और वो इस जंग को जीतने के लिए कुछ भी करेगी।

    जैसे ही डॉक्टर वीर कमरे से बाहर निकले, कायरा ने धीरे से कहा, "लेट्स प्ले डॉक्टर..." उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी चुनौती थी, जैसे वो इस खेल के लिए पूरी तरह से तैयार हो।

    और इस तरह, अस्पताल के उस कमरे में, एक डॉक्टर और मरीज़ के बीच एक अनोखी जंग की शुरुआत हो चुकी थी—एक ऐसी जंग, जो दोनों की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी।

    अस्पताल के कॉरिडोर में सन्नाटा छा गया, लेकिन कायरा की चुनौती भरी मुस्कान हवा में तैरती रही, जैसे वो डॉक्टर वीर को अपनी अगली चाल का इंतज़ार करने के लिए कह रही हो। अब देखना ये था कि इस जंग में कौन जीतता है—अहंकारी डॉक्टर या जिद्दी मरीज़?

  • 2. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 2

    Words: 1525

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह, सूरज की किरणें कायरा के कमरे में दाखिल हुईं तो उसे एक अजीब-सी बेचैनी महसूस हुई। रात भर उसे ठीक से नींद नहीं आई थी, डॉक्टर वीर के साथ हुई बहस उसके दिमाग में घूम रही थी। वो समझ नहीं पा रही थी कि इतना कठोर इंसान डॉक्टर कैसे बन सकता है।

    तभी, कमरे का दरवाज़ा खुला और नर्स कविता अंदर आई। उसके हाथ में एक ट्रे थी, जिस पर कुछ दवाइयाँ और एक सिरिंज रखी हुई थी। कायरा को देखते ही नर्स कविता की आँखों में एक सहानुभूति झलक उठी।

    "गुड मॉर्निंग, कायरा," नर्स कविता ने नरम आवाज़ में कहा। "आज पहला टेस्ट है, तुम्हें थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी।"

    कायरा ने नर्स कविता को देखा और एक गहरी सांस ली। "मुझे पता है, नर्स। मैं तैयार हूँ। लेकिन ये टेस्ट क्यों ज़रूरी हैं? क्या डॉक्टर को पता नहीं कि मुझे क्या हुआ है?"

    नर्स कविता ने दवाइयों को ट्रे से निकालकर कायरा की ओर बढ़ाया। "डॉक्टर वीर बहुत ही परफ़ेक्शनिस्ट हैं, कायरा। वे हर चीज़ को पूरी तरह से जाँच-परख कर ही कोई फ़ैसला लेते हैं। तुम्हें उन पर भरोसा रखना होगा।"

    कायरा ने नर्स कविता से दवाइयाँ लीं और उन्हें निगल लिया। "मुझे नहीं पता कि मैं उन पर भरोसा कर सकती हूँ या नहीं। वे मुझे एक इंसान की तरह नहीं, बल्कि एक 'केस नंबर' की तरह देखते हैं।"

    नर्स कविता ने कायरा के कंधे पर हाथ रखकर कहा, "डॉक्टर वीर ऐसे ही हैं, कायरा। वे अपने काम में बहुत डूब जाते हैं, और कभी-कभी दूसरों की भावनाओं को भूल जाते हैं। लेकिन वे एक बहुत ही काबिल डॉक्टर हैं, और वे तुम्हारी जान बचाने के लिए कुछ भी करेंगे।"

    कायरा ने नर्स कविता की बात सुनकर थोड़ा सुकून महसूस किया। उसने सोचा कि शायद नर्स कविता सही कह रही है। शायद डॉक्टर वीर सिर्फ़ अपने काम को लेकर बहुत गंभीर हैं, और उनका इरादा बुरा नहीं है।

    कुछ देर बाद, नर्स कविता कायरा को टेस्ट रूम में ले गई। वहाँ पर कई डॉक्टर और टेक्निशियन मौजूद थे, जो कायरा के टेस्ट की तैयारी कर रहे थे। कायरा को थोड़ा डर लग रहा था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

    टेस्ट शुरू हुआ, और कायरा को बहुत दर्द हुआ। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी हड्डियों को निचोड़ा जा रहा हो। लेकिन उसने डॉक्टर वीर को ग़लत साबित करने की ठान ली थी, इसलिए उसने मुँह से एक उफ़ तक नहीं की।

    नर्स कविता कायरा के पास खड़ी थी और उसे सहारा दे रही थी। उसने कायरा की दृढ़ता को देखकर मन ही मन उसकी प्रशंसा की।

    टेस्ट ख़त्म होने के बाद, कायरा को वापस उसके कमरे में ले जाया गया। वह बहुत थक गई थी, लेकिन उसने एक राहत की सांस ली। उसे लग रहा था जैसे उसने एक बड़ी जंग जीत ली हो।

    उसी वक़्त, डॉक्टर वीर अपनी ऑफ़िस में कायरा के टेस्ट के रिज़ल्ट देख रहे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। वे कायरा की बीमारी की गंभीरता को समझ रहे थे, और उन्हें पता था कि इसका इलाज बहुत मुश्किल होगा।

    "यह केस बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड है," डॉक्टर वीर ने मन ही मन कहा। "मुझे इस पर और ज़्यादा ध्यान देना होगा।"

    डॉक्टर वीर ने कायरा के केस को अपने हाथों में ले लिया, लेकिन वे कायरा को सिर्फ़ एक 'केस नंबर' मानते थे, मरीज़ नहीं। उनके दिमाग में सिर्फ़ एक ही लक्ष्य था—कायरा की बीमारी को ठीक करना, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े।

    उधर, कायरा अपने कमरे में लेटी हुई थी और अपनी बीमारी के बारे में सोच रही थी। उसे डर लग रहा था, लेकिन वह हार मानने को तैयार नहीं थी। उसने फ़ैसला कर लिया था कि वह अपनी बीमारी से लड़ेगी और इस कठोर डॉक्टर से भी।

    अगले कुछ दिनों में, कायरा ने अस्पताल के हर छोटे नियम को तोड़ने की कोशिश की। उसने अस्पताल के खाने पर आपत्ति जताई और अपनी मनपसंद चीज़ें खाने की ज़िद की। उसने रात को देर तक जागकर फ़िल्में देखीं और तेज़ आवाज़ में गाने सुने।

    "ये क्या बदतमीज़ी है, कायरा?" नर्स कविता ने एक रात कायरा के कमरे में आकर कहा। "तुम्हें पता है कि रात को शोर करना मना है।"

    कायरा ने नर्स कविता की बात सुनकर एक आँख मारी। "मुझे पता है, नर्स। लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का हक़ है। मैं यहाँ पर मरने के लिए नहीं आई हूँ।"

    नर्स कविता ने कायरा को समझाने की कोशिश की, लेकिन कायरा अपनी बात पर अड़ी रही। नर्स कविता जानती थी कि कायरा को मनाना मुश्किल है, इसलिए उसने हार मान ली और वहाँ से चली गई।

    कायरा ने अपने कमरे की दीवारों पर स्केच बनाना शुरू कर दिया। उसने अस्पताल के सादे माहौल में अपनी कलात्मकता को जोड़ दिया। दीवारों पर रंग-बिरंगे फूल, पक्षी और पहाड़ देखकर कमरे में एक नई जान आ गई।

    एक दिन, कायरा का बचपन का दोस्त कबीर उससे मिलने आया। कबीर, एक हंसमुख और मज़ाकिया लड़का था, जो हमेशा कायरा को हंसाता रहता था। कायरा को कबीर को देखकर बहुत खुशी हुई।

    "कायरा, तू ठीक तो है ना?" कबीर ने कायरा को गले लगाते हुए पूछा। "मैंने सुना है कि तेरा इलाज डॉक्टर वीर अग्निहोत्री कर रहे हैं। वो तो बहुत ही ख़तरनाक डॉक्टर हैं।"

    कायरा ने कबीर को डॉक्टर वीर के बारे में सब कुछ बताया। कबीर डॉक्टर वीर के बारे में सुनकर डर गया, उसने कायरा को उनसे पंगा न लेने की सलाह दी।

    "देख कायरा, मैं जानता हूँ कि तू बहुत जिद्दी है, लेकिन उस डॉक्टर से पंगा मत ले। वो तेरा कुछ भी कर सकता है," कबीर ने कहा।

    कायरा ने कबीर की बात सुनकर अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। "मैं अपनी बीमारी से लडूंगी और उस पत्थर दिल डॉक्टर से भी। उसने इंसानियत का पाठ भूल दिया है, और मैं उसे वो पाठ याद दिलाऊँगी।"

    कायरा और कबीर बातें कर रहे थे, तभी डॉक्टर वीर कायरा के कमरे के बाहर से गुज़रे। उन्होंने कायरा के कमरे से आ रही आवाज़ें सुनीं और रुक गए।

    डॉक्टर वीर ने कायरा के कमरे में झाँका और उसकी दीवारों पर बने स्केच देखे। उन्हें थोड़ा अजीब लगा कि एक मरीज़ अस्पताल के माहौल में भी इतनी कलात्मकता कैसे दिखा सकता है।

    उन्होंने कायरा और कबीर की बातें भी सुनीं। कायरा कबीर से कह रही थी कि वह अपनी बीमारी से लड़ेगी और डॉक्टर वीर को भी बदलेगी।

    डॉक्टर वीर को थोड़ा अजीब लगा कि यह मरीज़ कितना अलग है। उन्होंने पहले कभी ऐसा मरीज़ नहीं देखा था, जो अपनी बीमारी से लड़ने के साथ-साथ डॉक्टर से भी लड़ने की हिम्मत रखता हो।

    डॉक्टर वीर थोड़ी देर तक कायरा के कमरे के बाहर खड़े रहे, फिर वे चुपचाप वहाँ से चले गए। वे कायरा के बारे में सोच रहे थे, और उन्हें लग रहा था जैसे कायरा ने उनके दिल में एक छोटी-सी चिंगारी जला दी हो।

    लेकिन डॉक्टर वीर ने तुरंत अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया। उन्होंने खुद से कहा कि कायरा सिर्फ़ एक मरीज़ है, और उनका काम सिर्फ़ उसका इलाज करना है। उन्हें अपनी भावनाओं को अपने काम में दखल नहीं देने देना चाहिए।

    डॉक्टर वीर अपनी ऑफ़िस में वापस चले गए और कायरा के केस पर और ज़्यादा ध्यान देने लगे। उन्हें पता था कि कायरा को ठीक करने के लिए उन्हें अपनी पूरी ताक़त लगानी होगी।

    कायरा के कमरे में, कबीर अभी भी कायरा को समझा रहा था कि उसे डॉक्टर वीर से पंगा नहीं लेना चाहिए। लेकिन कायरा अपनी बात पर अड़ी हुई थी।

    "मुझे पता है कि वो डॉक्टर बहुत ख़तरनाक हैं, कबीर। लेकिन मैं डरने वाली नहीं हूँ। मैं अपनी बीमारी से लडूंगी और उस डॉक्टर को भी बदलूँगी। मैं उसे दिखा दूँगी कि इंसानियत क्या होती है।" कायरा ने कहा।

    कबीर ने कायरा की बात सुनकर हार मान ली। वह जानता था कि कायरा को मनाना मुश्किल है, इसलिए उसने उसे अपनी मर्ज़ी का करने दिया।

    "ठीक है, कायरा। जैसी तेरी मर्ज़ी। लेकिन अगर तुझे कोई परेशानी हुई तो मुझे ज़रूर बताना," कबीर ने कहा।

    कायरा ने कबीर को गले लगाया और उसे धन्यवाद दिया। फिर कबीर वहाँ से चला गया, और कायरा अपने कमरे में अकेली रह गई।

    कायरा ने एक गहरी सांस ली और अपनी दीवारों पर बने स्केच को देखने लगी। उसे लग रहा था जैसे उसकी कला उसे हिम्मत दे रही है। उसने फ़ैसला कर लिया था कि वह अपनी बीमारी से लड़ेगी और इस कठोर डॉक्टर से भी।

    कायरा को पता था कि यह एक लंबी और मुश्किल जंग होने वाली है, लेकिन वह तैयार थी। वह जानती थी कि वह अपनी बीमारी को हरा सकती है और डॉक्टर वीर को भी बदल सकती है।

    और इस तरह, कायरा ने अस्पताल में अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत की—एक ऐसी ज़िंदगी, जो चुनौतियों से भरी हुई थी, लेकिन जिसमें आशा और उम्मीद की किरण भी थी। अब देखना ये था कि कायरा अपनी इस ज़िंदगी में क्या हासिल करती है।

    कायरा कमरे से बाहर बालकनी में गई और आसमान की ओर देखने लगी। उसे लग रहा था जैसे आसमान उसे हिम्मत दे रहा है। उसने एक गहरी सांस ली और खुद से कहा, "मैं कर सकती हूँ। मैं ज़रूर कर सकती हूँ।" और कायरा को एक नई ऊर्जा महसूस हुई।


  • 3. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 3

    Words: 1764

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगले दिन, नर्स कविता कायरा के कमरे में दवाइयाँ लेकर आई। "कायरा, ये दवाइयाँ तुम्हें दिन में तीन बार लेनी हैं," नर्स कविता ने कहा। "ये तुम्हारी बीमारी को ठीक करने में मदद करेंगी।"

    कायरा ने दवाइयों को देखा और उसका चेहरा उतर गया। "मुझे ये दवाइयाँ नहीं लेनी हैं," कायरा ने कहा। "मुझे इनसे एलर्जी है।"

    नर्स कविता हैरान हो गई। "क्या? लेकिन डॉक्टर ने तो यही दवाइयाँ लिखी हैं। तुम्हें कैसे पता कि तुम्हें इनसे एलर्जी है?"

    कायरा ने अपने बिस्तर के नीचे से एक रिसर्च पेपर निकाला और नर्स कविता को दिखाया। "इस पेपर में लिखा है कि ये दवाइयाँ कुछ लोगों में साइड इफ़ेक्ट पैदा कर सकती हैं। मुझे लगता है कि मैं उनमें से एक हूँ।"

    नर्स कविता ने रिसर्च पेपर को ध्यान से पढ़ा और वह हैरान हो गई। "लेकिन डॉक्टर को तो इसके बारे में पता होना चाहिए था। उन्होंने तुम्हें ये दवाइयाँ क्यों लिखीं?"

    कायरा ने कंधे उचकाए। "मुझे नहीं पता। शायद उन्हें लगा कि मैं झूठ बोल रही हूँ। लेकिन मैं ये दवाइयाँ नहीं लूँगी। मैं अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकती।"

    नर्स कविता उलझन में पड़ गई। वह जानती थी कि कायरा सही कह रही है, लेकिन वह डॉक्टर वीर के आदेश की भी अवहेलना नहीं कर सकती थी।

    "मैं डॉक्टर से बात करती हूँ, कायरा," नर्स कविता ने कहा। "तुम थोड़ी देर इंतज़ार करो।"

    नर्स कविता डॉक्टर वीर के ऑफ़िस में गई और उन्हें कायरा के बारे में सब कुछ बताया। डॉक्टर वीर ने नर्स कविता की बात सुनकर गुस्सा किया।

    "वो मरीज़ मुझे सिखाएगी कि इलाज कैसे करते हैं?" डॉक्टर वीर ने गुस्से से कहा। "मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ। उसे वही दवाइयाँ लेनी होंगी जो मैंने लिखी हैं।"

    नर्स कविता ने डॉक्टर वीर को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे। "लेकिन डॉक्टर, उस रिसर्च पेपर में तो साफ़-साफ़ लिखा है कि उन दवाइयों से साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं," नर्स कविता ने कहा।

    "मैं एक डॉक्टर हूँ, नर्स। मुझे पता है कि क्या सही है। वो मरीज़ सिर्फ़ नाटक कर रही है। उसे डराने की कोशिश कर रही है," डॉक्टर वीर ने कहा।

    "लेकिन डॉक्टर..." नर्स कविता कुछ और कहना चाहती थी, लेकिन डॉक्टर वीर ने उसे रोक दिया।

    "बस करो, नर्स! मेरा वक़्त बर्बाद मत करो। उसे दवाइयाँ दो और उसे बताओ कि अगर उसने दवाइयाँ नहीं लीं तो मैं उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करूँगा," डॉक्टर वीर ने कहा।

    नर्स कविता डॉक्टर वीर की बात सुनकर डर गई। वह जानती थी कि डॉक्टर वीर बहुत सख़्त हैं और वह किसी भी हद तक जा सकते हैं।

    नर्स कविता वापस कायरा के कमरे में गई और उसे डॉक्टर वीर की बात बताई। कायरा ने डॉक्टर वीर की बात सुनकर गुस्सा किया।

    "ये डॉक्टर पागल हो गया है," कायरा ने कहा। "क्या वो सच में चाहता है कि मैं मर जाऊँ?"

    "मुझे माफ़ करना, कायरा," नर्स कविता ने कहा। "मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती। मुझे अपने बॉस के आदेश का पालन करना होगा।"

    "लेकिन नर्स, मैं ये दवाइयाँ नहीं ले सकती। मेरी जान को ख़तरा है," कायरा ने कहा।

    "मुझे पता है, कायरा। लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती। तुम्हें डॉक्टर से बात करनी होगी," नर्स कविता ने कहा।

    कायरा ने एक गहरी सांस ली। वह जानती थी कि डॉक्टर वीर से बात करना बेकार है, लेकिन उसके पास और कोई चारा नहीं था।

    "ठीक है, मैं उनसे बात करूँगी," कायरा ने कहा। "लेकिन अगर मुझे कुछ हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी डॉक्टर वीर की होगी।"

    कायरा डॉक्टर वीर के ऑफ़िस में गई और दरवाज़ा खटखटाया। "अंदर आओ," डॉक्टर वीर ने कहा।

    कायरा कमरे में दाखिल हुई और डॉक्टर वीर को देखा। "डॉक्टर, मुझे आपसे कुछ बात करनी है," कायरा ने कहा।

    "मुझे पता है," डॉक्टर वीर ने कहा। "तुम्हें मेरी दवाइयों से प्रॉब्लम है, है ना? तुम सोचती हो कि तुम मुझसे ज़्यादा जानती हो।"

    "मुझे ये दवाइयाँ नहीं लेनी हैं, डॉक्टर। मुझे इनसे एलर्जी है," कायरा ने कहा।

    "ये बकवास है," डॉक्टर वीर ने कहा। "तुम्हें कोई एलर्जी नहीं है। तुम सिर्फ़ नाटक कर रही हो।"

    "मैं नाटक नहीं कर रही हूँ, डॉक्टर। मैंने तुम्हें रिसर्च पेपर भी दिखाया था। उस पेपर में लिखा है कि इन दवाइयों से साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं," कायरा ने कहा।

    "मैं एक डॉक्टर हूँ, और मैं जानता हूँ कि क्या सही है। तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहता हूँ," डॉक्टर वीर ने कहा।

    "लेकिन डॉक्टर, मैं..." कायरा कुछ और कहना चाहती थी, लेकिन डॉक्टर वीर ने उसे रोक दिया।

    "बस करो!" डॉक्टर वीर ने कहा। "मैं तुम्हें आखिरी बार बता रहा हूँ। तुम्हें ये दवाइयाँ लेनी होंगी। अगर तुमने दवाइयाँ नहीं लीं तो मैं तुम्हें इस अस्पताल से बाहर निकाल दूँगा।"

    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान रह गई। वह सोच भी नहीं सकती थी कि डॉक्टर वीर इतने निर्दयी हो सकते हैं।

    "आप ऐसा नहीं कर सकते, डॉक्टर," कायरा ने कहा। "मैं बीमार हूँ। मुझे इलाज की ज़रूरत है।"

    "मैं तुम्हें इलाज दूँगा, लेकिन तुम्हें मेरे नियमों का पालन करना होगा। अगर तुम मेरे नियमों का पालन नहीं कर सकतीं तो तुम्हें कहीं और जाना होगा," डॉक्टर वीर ने कहा।

    कायरा ने एक गहरी सांस ली। वह समझ गई थी कि डॉक्टर वीर से बहस करना बेकार है। उसे अपनी जान बचाने के लिए कुछ और करना होगा।

    "ठीक है, डॉक्टर। मैं आपकी बात मानूँगी," कायरा ने कहा। "लेकिन अगर मुझे कुछ हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी आपकी होगी।"

    "तुम्हारी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ दवाइयाँ लेने की है। बाकी सब मेरी ज़िम्मेदारी है," डॉक्टर वीर ने कहा।

    कायरा डॉक्टर वीर के ऑफ़िस से निकल गई और अपने कमरे में वापस चली गई। वह बहुत गुस्से में थी और उसे लग रहा था जैसे वह किसी जाल में फंस गई हो।

    "मैं इन दवाइयों को नहीं लूँगी," कायरा ने मन ही मन कहा। "मैं अपनी जान बचाने के लिए कुछ और करूँगी।"

    कायरा ने अपना लैपटॉप निकाला और इंटरनेट पर दवाइयों के बारे में रिसर्च करना शुरू कर दिया। उसने उन सभी साइड इफ़ेक्ट के बारे में पढ़ा जो दवाइयों से हो सकते थे।

    कायरा को पता चला कि कुछ नेचुरल चीज़ें हैं जो दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट को कम कर सकती हैं। उसने उन चीज़ों को अस्पताल के कैफ़ेटेरिया से लाने का फ़ैसला किया।

    अगले कुछ दिनों में, कायरा ने चुपके से उन नेचुरल चीज़ों का सेवन करना शुरू कर दिया। उसे लग रहा था कि वह थोड़ा बेहतर महसूस कर रही है, लेकिन वह अभी भी डरी हुई थी।

    एक रात, कायरा अपने कमरे में अपनी मनपसंद फ़िल्म देख रही थी। उसने आवाज़ बहुत तेज़ कर रखी थी, ताकि उसे अपनी बीमारी के बारे में सोचने का मौका न मिले।

    तभी, नर्स कविता कायरा के कमरे में आई और उसे आवाज़ कम करने के लिए कहा। "कायरा, तुम क्या कर रही हो? तुम्हें पता है कि रात को शोर करना मना है," नर्स कविता ने कहा।

    "मुझे पता है, नर्स। लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का हक़ है। मैं यहाँ पर मरने के लिए नहीं आई हूँ," कायरा ने कहा।

    "लेकिन कायरा, तुम दूसरों को परेशान कर रही हो। तुम्हें थोड़ा ज़िम्मेदार होना चाहिए," नर्स कविता ने कहा।

    "मैं ज़िम्मेदार हूँ, नर्स। मैं बस थोड़ी मस्ती करना चाहती हूँ," कायरा ने कहा।

    नर्स कविता कायरा को समझाने की कोशिश करती रही, लेकिन कायरा अपनी बात पर अड़ी रही। नर्स कविता जानती थी कि कायरा को मनाना मुश्किल है, इसलिए उसने हार मान ली और वहाँ से चली गई।

    कायरा ने फ़िल्म देखना जारी रखा और आवाज़ और तेज़ कर दी। उसे लग रहा था जैसे वह दुनिया से दूर भाग रही हो।

    उसी वक़्त, डॉक्टर वीर कायरा के कमरे के बाहर से गुज़रे। उन्होंने कायरा के कमरे से आ रही तेज़ आवाज़ सुनी और गुस्सा हो गए।

    "ये क्या बदतमीज़ी है?" डॉक्टर वीर ने मन ही मन कहा। "ये मरीज़ बिल्कुल भी नहीं सुधरेगी।"

    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में दाखिल हुए और टीवी बंद कर दिया। "ये क्या कर रही हो तुम?" डॉक्टर वीर ने गुस्से से कहा।

    "मैं फ़िल्म देख रही हूँ, डॉक्टर," कायरा ने कहा।

    "क्या तुम्हें पता नहीं कि रात को शोर करना मना है? तुम दूसरों को परेशान कर रही हो," डॉक्टर वीर ने कहा।

    "मुझे पता है, डॉक्टर। लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का हक़ है। मैं यहाँ पर मरने के लिए नहीं आई हूँ," कायरा ने कहा।

    "तुम्हें मेरी बात सुननी होगी। अगर तुम मेरी बात नहीं सुनोगी तो मैं तुम्हें इस अस्पताल से बाहर निकाल दूँगा," डॉक्टर वीर ने कहा।

    "आप ऐसा नहीं कर सकते, डॉक्टर," कायरा ने कहा। "मैं बीमार हूँ। मुझे इलाज की ज़रूरत है।"

    "मैं तुम्हें इलाज दूँगा, लेकिन तुम्हें मेरे नियमों का पालन करना होगा। अगर तुम मेरे नियमों का पालन नहीं कर सकतीं तो तुम्हें कहीं और जाना होगा," डॉक्टर वीर ने कहा।

    कायरा ने एक गहरी सांस ली। वह जानती थी कि डॉक्टर वीर से बहस करना बेकार है।

    "ठीक है, डॉक्टर। मैं आपकी बात मानूँगी," कायरा ने कहा।

    "अच्छा," डॉक्टर वीर ने कहा। "अब सो जाओ। तुम्हें आराम की ज़रूरत है।"

    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे से निकल गए और कायरा अपने बिस्तर पर लेट गई। वह बहुत गुस्से में थी और उसे लग रहा था जैसे वह किसी जेल में बंद हो।

    "मैं इस जेल से ज़रूर निकलूंगी," कायरा ने मन ही मन कहा। "मैं इस डॉक्टर को दिखा दूँगी कि मैं कितनी ताक़तवर हूँ।"

    कायरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन उसका दिमाग शांत नहीं हो रहा था। वह डॉक्टर वीर और अपनी बीमारी के बारे में सोच रही थी।

    उसे पता था कि उसे डॉक्टर वीर से एक लंबी लड़ाई लड़नी होगी, लेकिन वह तैयार थी। वह जानती थी कि वह अपनी बीमारी को हरा सकती है और डॉक्टर वीर को भी बदल सकती है।

    उधर, डॉक्टर वीर अपनी ऑफ़िस में कायरा के बारे में सोच रहे थे। उन्हें लग रहा था जैसे कायरा उनके जीवन में एक नई चुनौती लेकर आई है।

    उन्हें नहीं पता था कि कायरा उनके जीवन को किस दिशा में ले जाएगी, लेकिन वे जानते थे कि यह यात्रा आसान नहीं होगी।

    डॉक्टर वीर ने एक गहरी सांस ली और अपने कंप्यूटर पर कायरा के केस पर काम करना शुरू कर दिया। उन्हें पता था कि उन्हें कायरा को ठीक करने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगानी होगी।
    कायरा के कमरे में, वह गहरी नींद में सो रही थी। उसे एक सपना आ रहा था, जिसमें वह एक आज़ाद पंछी की तरह आसमान में उड़ रही थी। वह अपनी बीमारी और डॉक्टर वीर से बहुत दूर जा चुकी थी।
    लेकिन कायरा को पता नहीं था कि असली लड़ाई तो अभी शुरू होने वाली है। और इस लड़ाई में, उसे अपनी जान की बाज़ी लगानी होगी।

  • 4. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 4

    Words: 1119

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा ने अस्पताल में अपनी बातें फैलाना शुरू कर दिया। वह दूसरे मरीज़ों को अपने अनुभवों के बारे में बताती, उन्हें डॉक्टर वीर के कठोर स्वभाव के बारे में बताती और उन्हें हिम्मत देती कि वे भी अपनी आवाज़ उठाएँ।



    "देखो, मैं ये नहीं कह रही कि हमें डॉक्टर की बात नहीं सुननी चाहिए," कायरा कहती। "लेकिन हमें अपनी सेहत के बारे में सवाल पूछने का हक़ है। अगर हमें कोई दवा ठीक नहीं लग रही, तो हमें डॉक्टर को बताने का हक़ है।"



    कायरा की बातों का असर होने लगा। दूसरे मरीज़ भी डॉक्टर वीर से सवाल पूछने लगे, अपनी परेशानियों के बारे में बताने लगे। डॉक्टर वीर को यह बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था।



    "ये लड़की पूरे अस्पताल में अराजकता फैला रही है," डॉक्टर वीर ने गुस्से में कहा। "मुझे इसे रोकना होगा।"



    कायरा ने डॉक्टर वीर को 'रोबोट' और 'पत्थर का डॉक्टर' जैसे नाम दिए, और ये बातें पूरे अस्पताल में मशहूर हो गईं। मरीज़ और स्टाफ़ दबी ज़ुबान में डॉक्टर वीर को इन नामों से बुलाने लगे।



    नर्स कविता और कबीर डॉक्टर वीर और कायरा के बीच के 'युद्ध' पर मज़ेदार कमेंट्री करते। "मुझे तो लगता है कि ये लड़ाई कभी ख़त्म नहीं होगी," नर्स कविता कहती। "कायरा तो डॉक्टर वीर को पूरी तरह से बदल कर ही मानेगी।"



    "हाँ, और डॉक्टर वीर भी कायरा को आसानी से नहीं छोड़ेंगे," कबीर कहता। "ये तो एक ज़बरदस्त मुक़ाबला है।"



    डीन शर्मा को भी कायरा के रुखे व्यवहार के बारे में पता चला। उन्होंने डॉक्टर वीर को बुलाया और उन्हें इस बारे में बात करने के लिए कहा।



    "डॉक्टर वीर, मुझे पता है कि कायरा एक मुश्किल मरीज़ है," डीन शर्मा ने कहा। "लेकिन हमें उसे संभालना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अस्पताल में शांति बनाए रखे।"



    "मैं क्या करूँ, डीन? वो लड़की मेरी बात सुन ही नहीं रही। वो पूरे अस्पताल में दंगा कर रही है," डॉक्टर वीर ने कहा।



    "मुझे पता है, डॉक्टर। लेकिन तुम्हें कोई रास्ता निकालना होगा। तुम्हें उससे बात करनी होगी, उसे समझाने की कोशिश करनी होगी," डीन शर्मा ने कहा।



    "मैं उससे बात कर चुका हूँ, डीन। लेकिन वो सुनने को तैयार ही नहीं है। वो बस अपनी मनमानी करती है," डॉक्टर वीर ने कहा।



    "ठीक है, डॉक्टर। लेकिन तुम्हें कुछ करना होगा। अगर कायरा के व्यवहार से अस्पताल की छवि ख़राब हुई, तो मुझे सख़्त कार्रवाई करनी होगी," डीन शर्मा ने कहा।



    डॉक्टर वीर डीन शर्मा की बात सुनकर और भी ज़्यादा परेशान हो गए। उन्हें लग रहा था जैसे कायरा ने उन्हें चारों तरफ़ से घेर लिया है।



    लेकिन डॉक्टर वीर हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने फ़ैसला कर लिया था कि वे कायरा को ठीक करके ही रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े।



    डॉक्टर वीर कायरा के केस पर काम करना जारी रखते हैं। उन्हें पता है कि उसकी बीमारी बहुत दुर्लभ और जटिल है। वे हर मेडिकल जर्नल और रिसर्च पेपर को छान मारते हैं, ताकि कोई नया इलाज ढूंढ सकें।



    उधर, कायरा अपनी बीमारी के बावजूद अपनी कलात्मकता को बरकरार रखती है। वह अपने कमरे की दीवारों पर प्रेरणादायक स्केच बनाती है। वह उन लोगों के चित्र बनाती है जो अपनी ज़िंदगी में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, लेकिन फिर भी हार नहीं मानते।



    एक दिन, डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में प्रवेश करते हैं। वे कायरा को कोई नया टेस्ट करवाने के लिए कहने आए थे, लेकिन जब वे उसकी दीवारों पर बने स्केच देखते हैं, तो वे हैरान रह जाते हैं।



    "ये क्या है?" डॉक्टर वीर ने पूछा।



    "ये मेरी कला है, डॉक्टर," कायरा ने कहा। "मैं अपनी कला के ज़रिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हूँ।"



    डॉक्टर वीर स्केच को ध्यान से देखते हैं। वे उन चित्रों में दर्द, निराशा और उम्मीद को महसूस कर सकते हैं।



    "तुम बहुत प्रतिभाशाली हो," डॉक्टर वीर ने कहा।



    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। उसने कभी नहीं सोचा था कि डॉक्टर वीर उसकी कला की प्रशंसा करेंगे।



    "धन्यवाद, डॉक्टर," कायरा ने कहा।



    डॉक्टर वीर कायरा को मुस्कुराते हुए देखते हैं। उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आती है जिसे वे तुरंत छिपा लेते हैं।



    कायरा डॉक्टर वीर को मुस्कुराते हुए देखती है और उसे लगता है कि डॉक्टर वीर के अंदर भी इंसानियत छिपी है। उसे लगता है कि शायद वह डॉक्टर वीर को बदलने में कामयाब हो जाएगी।



    "डॉक्टर, क्या आप मुझसे एक सवाल पूछ सकते हैं?" कायरा ने कहा।



    "हाँ, पूछो," डॉक्टर वीर ने कहा।



    "आप हमेशा इतने कठोर क्यों रहते हैं?" कायरा ने कहा। "क्या आपके अंदर कोई भावनाएँ नहीं हैं?"



    डॉक्टर वीर कायरा की बात सुनकर चुप हो जाते हैं। उन्हें लगता है जैसे कायरा ने उनके दिल पर सीधा वार किया है।



    "ये सवाल पूछने का तुम्हारा कोई हक़ नहीं है," डॉक्टर वीर ने कहा।



    "मुझे पता है, डॉक्टर। लेकिन मैं जानना चाहती हूँ। मैं जानना चाहती हूँ कि आपके अंदर क्या है," कायरा ने कहा।



    डॉक्टर वीर कायरा की आँखों में देखते हैं। उन्हें लगता है जैसे कायरा उनकी आत्मा को देख रही है।



    "मेरे अंदर कुछ नहीं है," डॉक्टर वीर ने कहा। "मैं एक मशीन हूँ। मैं सिर्फ़ लोगों का इलाज करता हूँ। मेरे अंदर कोई भावनाएँ नहीं हैं।"



    "मुझे विश्वास नहीं होता," कायरा ने कहा। "मुझे लगता है कि आपके अंदर बहुत कुछ है। लेकिन आप उसे छिपा रहे हैं।"



    "तुम ग़लत हो," डॉक्टर वीर ने कहा। "मैं तुम्हें बता चुका हूँ। मेरे अंदर कुछ नहीं है।"



    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे से बाहर निकल जाते हैं। वे कायरा के सवालों से परेशान हो जाते हैं।



    कायरा डॉक्टर वीर को जाते हुए देखती है। उसे लगता है कि डॉक्टर वीर झूठ बोल रहे हैं। उसे लगता है कि डॉक्टर वीर के अंदर बहुत दर्द है, लेकिन वे उस दर्द को किसी को दिखाने नहीं देते।



    कायरा फ़ैसला करती है कि वह डॉक्टर वीर के दर्द का पता लगाएगी। वह जानना चाहती है कि डॉक्टर वीर इतने कठोर क्यों हैं।



    उसी दिन, डॉक्टर वीर कायरा को एक मुश्किल और दर्दनाक टेस्ट से गुज़रने का आदेश देते हैं। वे यह जानना चाहते हैं कि उसकी बीमारी कितनी गंभीर है।



    कायरा जानती है कि यह टेस्ट बहुत दर्दनाक होगा, लेकिन वह डरने वाली नहीं है। वह डॉक्टर वीर को दिखाना चाहती है कि वह कितनी मज़बूत है।



    कायरा के चेहरे पर एक चुनौती भरी मुस्कान आती है। उसे पता है कि यह उसके और इस कठोर डॉक्टर के बीच एक और जंग की शुरुआत है। पर इस बार, उसे लग रहा है कि शायद वो ये जंग जीत सकती है।



    क्या कायरा डॉक्टर वीर के दर्द का पता लगा पाएगी? और क्या वह इस मुश्किल टेस्ट को सहन कर पाएगी? ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। पर कायरा ने डॉक्टर वीर के इस बर्ताव से लड़ने का ठान लिया था, और वो पीछे हटने वाली नहीं थी।


  • 5. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 5

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा को अगले दिन एक मुश्किल और दर्दनाक टेस्ट से गुज़रना पड़ता है। उसे बहुत दर्द होता है, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारती। वह डॉक्टर वीर के सामने टूटने से इनकार कर देती है।

    डॉक्टर वीर बिना किसी सहानुभूति के उसे गाइड करते हैं। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं है, लेकिन वह कायरा की दृढ़ता को देखते हैं। उन्हें यह देखकर अजीब लगता है कि कायरा इतनी दर्दनाक स्थिति में भी इतनी मज़बूत कैसे हो सकती है।

    टेस्ट के दौरान, कायरा अपनी पीड़ा को भी चुनौती के रूप में लेती है। वह डॉक्टर वीर को अपनी ताक़त दिखाती है।

    "बस करो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हें इतना दर्द सहने की ज़रूरत नहीं है।"

    "मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं बिल्कुल ठीक हूँ।"

    कायरा का झूठ डॉक्टर वीर को साफ़ पता चलता है, पर वो कुछ कहते नहीं।

    नर्स कविता कायरा की हिम्मत की प्रशंसा करती है और उसे सहारा देती है। "तुम बहुत बहादुर हो, कायरा," नर्स कविता कहती है। "मुझे तुम पर गर्व है।"

    कबीर कायरा से मिलने आता है और उसे हिम्मत देता है। "मैं जानता हूँ कि यह मुश्किल है, कायरा," कबीर कहता है। "लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूँ। हम मिलकर इसका सामना करेंगे।"

    कायरा कबीर को देखकर मुस्कुराती है। "थैंक यू, कबीर," कायरा कहती है। "तुम्हारे साथ होने से मुझे बहुत हिम्मत मिलती है।"

    डॉक्टर स्नेहा रॉय, डॉक्टर वीर की पूर्व सहकर्मी, कायरा से मिलती है। वह कायरा को डॉक्टर वीर के अतीत के कुछ इशारे देती है।

    "डॉक्टर वीर हमेशा से ऐसे नहीं थे," डॉक्टर स्नेहा कहती हैं। "उनके साथ कुछ बुरा हुआ था। शायद इसीलिए वे इतने कठोर हो गए हैं।"

    कायरा डॉक्टर स्नेहा की बात सुनकर हैरान हो जाती है। "क्या हुआ था उनके साथ?" कायरा पूछती है।

    "यह एक लंबी कहानी है," डॉक्टर स्नेहा कहती हैं। "लेकिन मैं तुम्हें इतना बता सकती हूँ कि डॉक्टर वीर ने एक बड़ी त्रासदी का सामना किया है।"

    कायरा डॉक्टर वीर के रुखेपन के पीछे का कारण खोजना शुरू करती है। उसे लगता है कि डॉक्टर वीर के साथ कुछ बुरा हुआ होगा, जिसकी वजह से वे इतने कठोर हो गए हैं।

    टेस्ट के बाद, डॉक्टर वीर कायरा के परिणाम देखते हैं। उन्हें पता चलता है कि कायरा की बीमारी बहुत गंभीर है और उसका इलाज बहुत मुश्किल होगा।

    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में जाते हैं।

    "कायरा, मुझे तुमसे कुछ कहना है," डॉक्टर वीर कहते हैं।

    "हाँ, डॉक्टर?" कायरा पूछती है।

    "तुम्हारी बीमारी बहुत गंभीर है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "इसका इलाज बहुत मुश्किल होगा। तुम्हें हर कदम पर मेरा समर्थन चाहिए होगा।"

    डॉक्टर वीर की आवाज़ में थोड़ी नरमी होती है। कायरा को लगता है कि डॉक्टर वीर अब उसे सिर्फ़ एक मरीज़ नहीं, बल्कि एक इंसान की तरह देख रहे हैं।

    "मैं जानती हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "लेकिन मैं हार नहीं मानूँगी। मैं अपनी बीमारी से लडूँगी, और मैं जीतूँगी।"

    "मुझे पता है तुम जीतोगी, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

    डॉक्टर वीर कायरा के कमरे से निकल जाते हैं। कायरा उनके शब्दों से थोड़ा बेहतर महसूस करती है। उसे लगता है कि शायद वह डॉक्टर वीर को बदल सकती है।

    कायरा अपने कमरे में अकेली बैठती है। वह अपनी बीमारी और डॉक्टर वीर के बारे में सोचती है। उसे पता है कि आगे का रास्ता बहुत मुश्किल है, लेकिन वह हार मानने वाली नहीं है।

    वो अपनी बीमारी से लड़ेगी, डॉक्टर वीर से लड़ेगी, और वो अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से जिएगी।

    अगले दिन, कायरा डॉक्टर वीर के ऑफिस में जाती है।

    "डॉक्टर, मुझे आपसे कुछ पूछना है," कायरा कहती है।

    "हाँ, कायरा?" डॉक्टर वीर पूछते हैं।

    "आप हमेशा इतने कठोर क्यों रहते हैं?" कायरा पूछती है। "क्या आपके अंदर कोई भावनाएँ नहीं हैं?"

    डॉक्टर वीर कायरा की बात सुनकर चुप हो जाते हैं। वो कुछ देर तक सोचते हैं, फिर कहते हैं, "यह एक लंबी कहानी है, कायरा। शायद मैं तुम्हें कभी बताऊँगा।"

    "मैं इंतज़ार करूँगी, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे पता है कि आपके अंदर बहुत कुछ है। मैं बस यह जानना चाहती हूँ कि वह क्या है।"

    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं, और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आती है।

    "शायद तुम जान जाओगी, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "शायद तुम मुझे बदल दोगी।"

    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान रह जाती है। क्या डॉक्टर वीर सच में बदल सकते हैं?

    "मुझे उम्मीद है, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे उम्मीद है कि मैं आपको बदल दूँगी।"

    कायरा डॉक्टर वीर के ऑफिस से निकल जाती है, और डॉक्टर वीर उसे जाते हुए देखते रहते हैं।

    उन्हें पता है कि कायरा उनके जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लेकर आई है, पर वो ये बदलाव चाहते हैं या नहीं, ये तो वक़्त ही बताएगा।

    पर इतना तय था कि कायरा के आने से, उनकी ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रहेगी।

    कायरा अपने कमरे में वापस चली जाती है और अपने लैपटॉप पर अपनी ज़िंदगी के बारे में ब्लॉग लिखना शुरू कर देती है। वो अपनी बीमारी, अपने दर्द, और डॉक्टर वीर के बारे में लिखती है।

    वो दुनिया को बताना चाहती है कि ज़िंदगी कितनी मुश्किल हो सकती है, पर ये भी कि उसमें हमेशा उम्मीद की किरण होती है।

    कायरा का ब्लॉग बहुत मशहूर हो जाता है। लोग उसकी कहानी से प्रेरित होते हैं, और उसे मैसेज भेजकर अपनी कहानियाँ बताते हैं।

    कायरा को लगता है कि वो अपनी बीमारी को एक मकसद में बदल सकती है। वो दुनिया को बताना चाहती है कि ज़िंदगी कितनी अनमोल है, और हमें हर पल को जीना चाहिए।

    कायरा जानती है कि वो अपनी बीमारी से लड़ेगी, डॉक्टर वीर से लड़ेगी, और वो अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से जिएगी। और शायद, अपनी इस लड़ाई में, वो डॉक्टर वीर को भी थोड़ा इंसान बना देगी।

    लेकिन तभी, कायरा को एक और दर्दनाक टेस्ट से गुज़रने के लिए बुलाया जाता है। और इस बार, उसे डर लग रहा है कि शायद वो ये टेस्ट सहन नहीं कर पाएगी।

    क्या कायरा इस टेस्ट को सहन कर पाएगी? और क्या वो डॉक्टर वीर को बदल पाएगी? ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

  • 6. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 6

    Words: 1145

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा की बीमारी के लक्षण दिन-ब-दिन और जटिल होते जा रहे थे। डॉक्टर वीर ने कई टेस्ट किए थे, लेकिन उन्हें भी उसकी बीमारी पूरी तरह समझ नहीं आ रही थी। वह अपनी पूरी विशेषज्ञता का उपयोग कर रहे थे, लेकिन कायरा की बीमारी एक पहेली बनी हुई थी।





    डॉक्टर वीर कायरा के केस पर अधिक शोध करते। वह मेडिकल जर्नल पढ़ते, दूसरे डॉक्टरों से सलाह लेते और इंटरनेट पर जानकारी खोजते। वह कायरा की बीमारी के बारे में हर संभव चीज़ जानना चाहते थे।





    एक दिन, डॉक्टर स्नेहा रॉय कायरा से मिलने आती हैं। वह कायरा को डॉक्टर वीर के अतीत के कुछ इशारे देती हैं।





    "कायरा, मैं तुम्हें डॉक्टर वीर के बारे में कुछ बताना चाहती हूँ," डॉक्टर स्नेहा कहती हैं।





    "क्या बात है, डॉक्टर स्नेहा?" कायरा पूछती है।





    "डॉक्टर वीर हमेशा से ऐसे नहीं थे," डॉक्टर स्नेहा कहती हैं। "उनके साथ कुछ बुरा हुआ था। उन्होंने एक बड़ी त्रासदी का सामना किया है।"





    "क्या हुआ था उनके साथ?" कायरा पूछती है।





    "मैं तुम्हें सब कुछ नहीं बता सकती," डॉक्टर स्नेहा कहती हैं। "लेकिन मैं तुम्हें इतना बता सकती हूँ कि डॉक्टर वीर ने अपनी ज़िंदगी में बहुत दर्द देखा है। शायद इसीलिए वे इतने कठोर हो गए हैं।"





    कायरा डॉक्टर स्नेहा की बात सुनकर डॉक्टर वीर के रुखेपन के पीछे का कारण खोजना शुरू करती है। उसे लगता है कि डॉक्टर वीर के साथ कुछ बुरा हुआ होगा, जिसकी वजह से वे इतने कठोर हो गए हैं।





    कायरा अस्पताल के रिकॉर्ड रूम में जाती है और डॉक्टर वीर के बारे में जानकारी खोजने की कोशिश करती है। उसे डॉक्टर वीर की एक पुरानी तस्वीर मिलती है। तस्वीर में डॉक्टर वीर एक युवा, खुश डॉक्टर दिखते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान है और उनकी आँखों में चमक है। यह देखकर कायरा हैरान हो जाती है।





    "ये डॉक्टर वीर?" कायरा खुद से कहती है। "मुझे विश्वास नहीं होता। ये तो बिल्कुल अलग दिखते हैं।"





    उसी वक़्त डॉक्टर वीर वहाँ आ जाते हैं। कायरा को रिकॉर्ड रूम में देखकर वो चौंक जाते हैं।





    "तुम यहाँ क्या कर रही हो?" डॉक्टर वीर गुस्से से पूछते हैं।





    कायरा घबरा जाती है। वह डॉक्टर वीर को तस्वीर दिखाती है।





    "ये क्या है?" डॉक्टर वीर पूछते हैं।





    "ये आपकी तस्वीर है," कायरा कहती है। "मुझे ये रिकॉर्ड रूम में मिली।"





    डॉक्टर वीर उस तस्वीर को देखते हैं और उनके चेहरे पर एक पल के लिए उदासी छा जाती है। वह कायरा को घूरते हैं।





    "ये मेरी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे इसके बारे में बात नहीं करनी।"





    "क्या हुआ था आपके साथ?" कायरा पूछती है। "आप इतने बदल कैसे गए?"





    डॉक्टर वीर कायरा को कोई जवाब नहीं देते। वह तस्वीर को छीन लेते हैं और रिकॉर्ड रूम से बाहर चले जाते हैं।





    कायरा डॉक्टर वीर के पीछे जाती है।





    "डॉक्टर, प्लीज़ मुझसे बात कीजिए," कायरा कहती है। "मैं आपको समझना चाहती हूँ।"





    "तुम मुझे नहीं समझ सकती," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम मेरी ज़िंदगी के बारे में कुछ नहीं जानती।"





    "मैं जानना चाहती हूँ," कायरा कहती है। "प्लीज़ मुझे बताइए।"





    डॉक्टर वीर रुक जाते हैं। वह कायरा को देखते हैं।





    "ठीक है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हें बताऊँगा। लेकिन तुम्हें वादा करना होगा कि तुम किसी को नहीं बताओगी।"





    "मैं वादा करती हूँ," कायरा कहती है।





    डॉक्टर वीर कायरा को अपने ऑफिस में ले जाते हैं। वह दरवाजा बंद कर देते हैं।





    "ये बहुत पहले की बात है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तब एक युवा डॉक्टर था। मैं बहुत उत्साही और आदर्शवादी था। मैं लोगों की मदद करना चाहता था।"





    "मैंने एक मरीज़ को खो दिया," डॉक्टर वीर कहते हैं। "वह एक युवा लड़की थी। वह बहुत बीमार थी, लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं उसे बचा सकता हूँ। लेकिन मैं ग़लत था। वह मर गई।"





    डॉक्टर वीर की आँखों में आँसू आ जाते हैं।





    "उसकी मौत मेरी ग़लती थी," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैंने एक ग़लत फ़ैसला लिया। मैंने उसे मार डाला।"





    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। उसे विश्वास नहीं होता कि डॉक्टर वीर ने किसी की जान ली होगी।





    "मुझे माफ़ करना," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे तुम्हें ये नहीं बताना चाहिए था।"





    "नहीं, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे खुशी है कि आपने मुझे बताया। अब मैं आपको समझती हूँ।"





    "मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे समझो," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे भूल जाओ।"





    "मैं आपको नहीं भूल सकती," कायरा कहती है। "आप मेरे डॉक्टर हैं। और आप मेरे दोस्त हैं।"





    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं। वह कुछ नहीं कहते।





    अस्पताल में एक चैरिटी इवेंट का आयोजन होता है, जिसमें मरीज़ों और स्टाफ़ को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। कायरा अपनी क्रिएटिविटी से इसमें योगदान देती है।





    वह एक कविता लिखती है और उसे मंच पर पढ़ती है। उसकी कविता लोगों को प्रेरणा देती है। उसकी आवाज़ में दर्द और उम्मीद दोनों थे, और सुनने वाले हर शख्स के दिल को छू गए।





    "ज़िन्दगी एक चुनौती है, ये मैं जानती हूँ,


    हर पल एक इम्तिहान है, ये भी पहचानती हूँ,


    पर हार मानना मेरा काम नहीं,


    क्योंकि उम्मीद से ही तो चलती है ये ज़िन्दगी।"





    डॉक्टर वीर चैरिटी इवेंट में आते हैं और कायरा की कविता को सुनते हैं। उनके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं है, पर वे कायरा की कला से प्रभावित होते हैं। उन्हें कायरा में वो आग दिखती है, जो कभी उनमें भी हुआ करती थी।





    कायरा स्टेज से नीचे उतरती है और डॉक्टर वीर के पास जाती है।





    "आपको मेरी कविता कैसी लगी?" कायरा पूछती है।





    "ये अच्छी थी," डॉक्टर वीर कहते हैं।





    "क्या आपको सच में पसंद आई?" कायरा पूछती है।





    "हाँ, मुझे सच में पसंद आई," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम बहुत प्रतिभाशाली हो।"





    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर मुस्कुराती है।





    "धन्यवाद, डॉक्टर," कायरा कहती है।





    "तुम्हें धन्यवाद कहने की ज़रूरत नहीं है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे एक ज़रूरी सबक सिखाया है।"





    "मैंने आपको क्या सिखाया?" कायरा पूछती है।





    "तुमने मुझे सिखाया कि ज़िंदगी जीने लायक है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे सिखाया कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।"





    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। उसे विश्वास नहीं होता कि डॉक्टर वीर ने उससे ये बात कही।





    "मुझे खुशी है कि मैंने आपको ये सिखाया," कायरा कहती है।





    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं, और उनकी आँखों में एक नई चमक होती है। क्या डॉक्टर वीर सच में बदल रहे हैं? शायद, कायरा सोचती है, शायद मैं उन्हें बदल सकती हूँ।





    लेकिन तभी, कायरा को अपनी बीमारी के एक और लक्षण का सामना करना पड़ता है। उसे बहुत तेज दर्द होता है, और वह ज़मीन पर गिर जाती है।





    डॉक्टर वीर कायरा को पकड़ते हैं और उसे इमरजेंसी रूम में ले जाते हैं।





    क्या कायरा ठीक हो पाएगी? और क्या डॉक्टर वीर उसे बचा पाएँगे? ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। पर इतना तय है कि कायरा और डॉक्टर वीर की ज़िंदगी अब हमेशा के लिए बदल चुकी है।



  • 7. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 7

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा चैरिटी इवेंट में अपनी क्रिएटिविटी से योगदान देती है और लोगों को प्रेरित करती है। उसकी कविता ने अस्पताल के माहौल में एक नई उम्मीद जगा दी थी।



    डॉक्टर वीर को कायरा की इस साइड का एहसास होता है, पर वह अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते, बस उसे चुपचाप देखते रहते हैं। कायरा को लगता है कि शायद डॉक्टर वीर के दिल में भी थोड़ी सी इंसानियत बची है।



    अगले दिन, कायरा को डॉक्टर वीर की एक मानवीय झलक दिखती है। वह चुपके से किसी गरीब बच्चे के इलाज का खर्च उठाते हैं। कायरा यह देखकर हैरान होती है कि क्या यह वही "कठोर" डॉक्टर है, या उनके अंदर कोई और भी इंसान छिपा है।



    "ये क्या हो रहा है?" कायरा खुद से कहती है। "क्या डॉक्टर वीर बदल रहे हैं?"



    नर्स कविता कायरा को बताती है कि डॉक्टर वीर अक्सर ऐसे काम करते हैं, लेकिन वह कभी ज़ाहिर नहीं होने देते। "डॉक्टर वीर दिल के बुरे नहीं हैं," नर्स कविता कहती है। "वह बस अपने दर्द को छुपाने की कोशिश करते हैं।"



    कायरा डॉक्टर वीर को किसी पुराने मरीज़ का हालचाल अकेले में पूछते हुए देखती है, उनकी आवाज़ में कठोरता नहीं होती। कायरा अब डॉक्टर वीर को केवल एक कठोर डॉक्टर नहीं, बल्कि एक जटिल इंसान के रूप में देखती है।



    "शायद मैं डॉक्टर वीर को पूरी तरह से नहीं जानती," कायरा सोचती है।



    डॉक्टर वीर कायरा के केस को और गहराई से देखते हैं, उन्हें पता है कि इसका इलाज बहुत मुश्किल है। वह कायरा की मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान से पढ़ते हैं और उसके लक्षणों का विश्लेषण करते हैं।



    उसी रात, कायरा अपनी बीमारी के बावजूद अस्पताल के नियमों को तोड़ने की कोशिश करती है। वह रात में अपने कमरे से बाहर निकल जाती है। वह अस्पताल के कॉरिडोर में घूमती है और दूसरे मरीजों से बात करती है।



    "मैं यहाँ बंद नहीं रह सकती," कायरा कहती है। "मुझे थोड़ी आज़ादी चाहिए।"



    डॉक्टर वीर कायरा को अस्पताल के कॉरिडोर में देखते हैं और उसे अपने कमरे में वापस जाने का आदेश देते हैं, लेकिन उनकी आवाज़ में पहले जैसी कठोरता नहीं होती।



    "कायरा, तुम्हें अपने कमरे में वापस जाना चाहिए," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हें आराम करने की ज़रूरत है।"



    "मैं आराम नहीं करना चाहती, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं जीना चाहती हूँ।"



    "तुम्हें जीने के लिए स्वस्थ रहने की ज़रूरत है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हें अपने शरीर का ख्याल रखना होगा।"



    "मैं अपने शरीर का ख्याल रख रही हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं बस थोड़ी आज़ादी चाहती हूँ।"



    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं। उन्हें लगता है कि शायद वह सही कह रही है।



    "ठीक है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम थोड़ी देर के लिए कॉरिडोर में घूम सकती हो। लेकिन तुम्हें ज़्यादा देर तक बाहर नहीं रहना चाहिए।"



    "धन्यवाद, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं वादा करती हूँ कि मैं ज़्यादा देर तक बाहर नहीं रहूँगी।"



    कायरा कॉरिडोर में घूमने लगती है। वह दूसरे मरीजों से बात करती है और उन्हें हंसाती है। डॉक्टर वीर उसे दूर से देखते हैं और मुस्कुराते हैं।



    "शायद कायरा सही है," डॉक्टर वीर सोचते हैं। "शायद मुझे थोड़ा नरम होना चाहिए।"



    अचानक, कायरा को चक्कर आता है और वह गिर जाती है। डॉक्टर वीर तुरंत उसकी ओर दौड़ते हैं और उसे उठाते हैं।



    "कायरा, क्या हुआ?" डॉक्टर वीर पूछते हैं। "क्या तुम ठीक हो?"



    "मुझे नहीं पता, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे बस चक्कर आ गया।"



    डॉक्टर वीर कायरा को उसके कमरे में ले जाते हैं और उसे बिस्तर पर लिटा देते हैं। वह उसका तापमान लेते हैं और उसकी पल्स चेक करते हैं।



    "तुम्हें आराम करने की ज़रूरत है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए।"



    "मैं ठीक हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे बस थोड़ी थकान हो गई थी।"



    "मैं तुम्हें कुछ दवा दूँगा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "इससे तुम्हें बेहतर महसूस होगा।"



    डॉक्टर वीर कायरा को दवा देते हैं और उसे सोने के लिए कहते हैं। कायरा सो जाती है और डॉक्टर वीर उसके कमरे में बैठे रहते हैं।



    वह कायरा को सोते हुए देखते हैं और सोचते हैं कि वह कितनी बहादुर है। वह अपनी बीमारी से लड़ रही है और दूसरों को प्रेरित कर रही है।



    "कायरा एक असाधारण लड़की है," डॉक्टर वीर सोचते हैं। "मुझे उसे बचाने के लिए सब कुछ करना होगा।"



    डॉक्टर वीर कायरा के बारे में सोचने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वह उनके जीवन में एक नई उम्मीद लेकर आई है। वह उन्हें अपने अतीत के दर्द से उबरने में मदद कर रही है।



    उन्हें अचानक एहसास होता है कि वो कायरा की परवाह करने लगे हैं।



    अगली सुबह, कायरा बेहतर महसूस करती है। वह डॉक्टर वीर को धन्यवाद कहने के लिए उनके ऑफिस में जाती है।



    "थैंक यू, डॉक्टर," कायरा कहती है। "आपने मेरी बहुत मदद की।"



    "कोई बात नहीं, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं बस अपना काम कर रहा था।"



    "आपने मुझसे ज़्यादा कुछ किया, डॉक्टर," कायरा कहती है। "आपने मेरी परवाह की।"



    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं, और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आती है।



    "शायद मैंने की," डॉक्टर वीर कहते हैं। "शायद तुम मुझे बदल रही हो।"



    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। क्या डॉक्टर वीर सच में बदल रहे हैं?



    "मुझे उम्मीद है, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे उम्मीद है कि मैं आपको बदल दूँगी।"



    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं, और उनकी आँखों में एक नई चमक होती है। शायद, कायरा सोचती है, शायद हम दोनों एक-दूसरे को बदल सकते हैं।



    लेकिन तभी, डॉक्टर वीर को एक इमरजेंसी कॉल आती है। उन्हें तुरंत ऑपरेशन थिएटर में जाना होता है।



    "मुझे जाना होगा, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुमसे बाद में बात करूँगा।"



    डॉक्टर वीर जल्दी से ऑफिस से निकल जाते हैं, और कायरा उन्हें जाते हुए देखती रहती है।



    उसे एहसास होता है कि अभी भी बहुत काम करना बाकी है। डॉक्टर वीर अभी भी एक कठोर और दूर रहने वाले इंसान हैं।



    लेकिन कायरा हार मानने वाली नहीं है। वह डॉक्टर वीर को बदलने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। क्योंकि उसे लगता है कि अगर वो दोनों मिलकर काम करें, तो वे एक-दूसरे को बेहतर बना सकते हैं।



    लेकिन क्या कायरा डॉक्टर वीर को बदल पाएगी? या डॉक्टर वीर अपनी पुरानी आदतों में वापस लौट जाएँगे? क्या उनकी बढ़ती नज़दीकी किसी नए रिश्ते की शुरुआत है, या सिर्फ़ एक मरीज़ और डॉक्टर का रिश्ता ही रहेगा? ये सवाल कायरा के मन में घूमते रहते हैं, और वो जवाब ढूँढ़ने के लिए बेताब है।

  • 8. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 8

    Words: 1079

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा को डॉक्टर वीर की एक मानवीय झलक दिखती है, जब वह चुपके से किसी गरीब बच्चे के इलाज का खर्च उठाते हैं। कायरा यह देखकर हैरान होती है कि क्या यह वही "कठोर" डॉक्टर है, या उनके अंदर कोई और भी इंसान छिपा है। वह इस उलझन में है कि डॉक्टर वीर को कैसे समझे।




    नर्स कविता कायरा को बताती है कि डॉक्टर वीर अक्सर ऐसे काम करते हैं, लेकिन वह कभी ज़ाहिर नहीं होने देते। "डॉक्टर वीर अंदर से बहुत अच्छे इंसान हैं, कायरा," नर्स कविता कहती है। "बस उन्हें समझने की ज़रूरत है।"




    कायरा डॉक्टर वीर को किसी पुराने मरीज़ का हालचाल अकेले में पूछते हुए देखती है, उनकी आवाज़ में कठोरता नहीं होती। कायरा अब डॉक्टर वीर को केवल एक कठोर डॉक्टर नहीं, बल्कि एक जटिल इंसान के रूप में देखती है।




    "शायद मैं डॉक्टर वीर के बारे में गलत सोच रही थी," कायरा सोचती है।




    डॉक्टर वीर कायरा के केस को और गहराई से देखते हैं, उन्हें पता है कि इसका इलाज बहुत मुश्किल है। वह अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कायरा को ठीक कर सकें।




    अस्पताल में एक चैरिटी इवेंट होता है, जिसमें कायरा अपनी क्रिएटिविटी से योगदान देती है और लोगों को प्रेरित करती है। डॉक्टर वीर को कायरा की इस साइड का एहसास होता है, पर वह अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते। वह बस उसे चुपचाप देखते रहते हैं।




    कायरा को एक और दर्दनाक टेस्ट से गुजरना पड़ता है, और डॉक्टर वीर उसे बिना किसी सहानुभूति के गाइड करते हैं। कायरा उनके सामने टूटती नहीं बल्कि अपनी पीड़ा को भी चुनौती के रूप में लेती है और डॉक्टर वीर को यह देखकर अजीब लगता है कि वह इतनी मजबूत कैसे हो सकती है।




    टेस्ट के बाद, कायरा अपने कमरे में वापस जाती है और बिस्तर पर लेट जाती है। वह बहुत थक गई है और दर्द से कराह रही है।




    उसी वक्त, डॉक्टर वीर उसके कमरे में आते हैं। उनके हाथ में एक कप चाय है।




    "तुम्हारे लिए चाय," डॉक्टर वीर कहते हैं। "इससे तुम्हें थोड़ा आराम मिलेगा।"




    कायरा डॉक्टर वीर को देखकर हैरान हो जाती है। उसे उम्मीद नहीं थी कि वह उसके लिए चाय लेकर आएँगे।




    "थैंक यू, डॉक्टर," कायरा कहती है। "यह बहुत अच्छा है।"




    कायरा चाय पीती है, और उसे थोड़ा बेहतर महसूस होता है। डॉक्टर वीर उसके बिस्तर के पास बैठ जाते हैं और उसे चुपचाप देखते रहते हैं।




    "तुम बहुत बहादुर हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं जानता हूँ कि यह सब तुम्हारे लिए कितना मुश्किल है, लेकिन तुम कभी हार नहीं मानती।"




    "मैं हार नहीं मानूँगी, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं जानती हूँ कि मैं ठीक हो जाऊँगी।"




    "मुझे भी यही उम्मीद है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे विश्वास है कि तुम ठीक हो जाओगी।"




    डॉक्टर वीर कायरा का हाथ पकड़ते हैं, और उनकी आँखों में एक नई चमक होती है। कायरा को लगता है कि डॉक्टर वीर सच में बदल रहे हैं।




    "डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं आपको कुछ बताना चाहती हूँ।"




    "क्या बात है, कायरा?" डॉक्टर वीर पूछते हैं।




    "मुझे लगता है कि मैं आपको पसंद करने लगी हूँ," कायरा कहती है।




    डॉक्टर वीर कायरा की बात सुनकर हैरान हो जाते हैं। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कायरा ऐसा कुछ कहेगी।




    "कायरा, तुम क्या कह रही हो?" डॉक्टर वीर पूछते हैं।




    "मैं सच कह रही हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे नहीं पता कि यह कब हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि मैं आपके प्यार में पड़ गई हूँ।"




    डॉक्टर वीर कुछ नहीं कहते। वह बस कायरा को देखते रहते हैं।




    कायरा डॉक्टर वीर के चेहरे पर कोई भावना नहीं देख पाती। वह समझ नहीं पा रही है कि वह क्या सोच रहे हैं।




    "मुझे पता है कि यह अजीब है, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं एक मरीज हूँ, और आप मेरे डॉक्टर हैं। लेकिन मैं अपनी भावनाओं को नहीं रोक सकती।"




    "कायरा, तुम्हें क्या लगता है कि तुम क्या कह रही हो?" डॉक्टर वीर पूछते हैं, उनकी आवाज़ में हल्का सा गुस्सा है। "मैं तुम्हारा डॉक्टर हूँ, और तुम्हारा भला चाहता हूँ। हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता।"




    "मैं जानती हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "लेकिन मैं अपनी भावनाओं को नहीं बदल सकती। मैं आपके लिए क्या महसूस करती हूँ, यह सच है।"




    डॉक्टर वीर उठ खड़े होते हैं और कमरे में टहलने लगते हैं। वह बहुत परेशान दिख रहे हैं।




    "कायरा, यह सब बहुत गलत है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे तुम्हें यह नहीं बताने देना चाहिए था कि मेरे साथ क्या हुआ था। मैंने तुम्हें मेरे बारे में कुछ ज्यादा ही बता दिया है।"




    "नहीं, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मुझे खुशी है कि आपने मुझे बताया। अब मैं आपको और भी अच्छी तरह से समझती हूँ।"




    "तुम मुझे नहीं समझती, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम मेरी जिंदगी के बारे में कुछ नहीं जानती।"




    "मैं जानना चाहती हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "प्लीज मुझे बताइए।"




    डॉक्टर वीर रुक जाते हैं और कायरा को देखते हैं। वह गहरी सांस लेते हैं।




    "कायरा, मैं तुम्हें सच बताता हूँ," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं भी तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।"




    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। उसे विश्वास नहीं होता कि वह भी उसे पसंद करते हैं।




    "क्या आप सच कह रहे हैं, डॉक्टर?" कायरा पूछती है।




    "हाँ, मैं सच कह रहा हूँ, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे लगता है कि मैं तुम्हारे प्यार में पड़ गया हूँ।"




    कायरा डॉक्टर वीर की ओर दौड़ती है और उन्हें गले लगा लेती है। वह बहुत खुश है।




    "मैं भी आपसे प्यार करती हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ।"




    डॉक्टर वीर कायरा को गले लगाते हैं, और उनकी आँखों में एक नई चमक होती है। उन्हें लगता है कि शायद उन्हें फिर से प्यार करने का मौका मिल सकता है।




    लेकिन तभी, कायरा को एक और दर्दनाक दौरा पड़ता है। वह डॉक्टर वीर के बाहों में बेहोश हो जाती है।




    "कायरा!" डॉक्टर वीर चिल्लाते हैं। "नर्स! जल्दी आओ!"




    डॉक्टर वीर कायरा को इमरजेंसी रूम में ले जाते हैं, और डॉक्टर और नर्स उसे बचाने की कोशिश करते हैं।




    डॉक्टर वीर इमरजेंसी रूम के बाहर इंतजार करते हैं, और वह बहुत चिंतित हैं। उन्हें डर है कि वह कायरा को खो देंगे।




    क्या कायरा ठीक हो पाएगी? क्या डॉक्टर वीर उसे बचा पाएँगे? और क्या उनका प्यार जीत पाएगा, या कायरा की बीमारी उन दोनों को हमेशा के लिए अलग कर देगी? डॉक्टर वीर इन सवालों से जूझ रहे हैं, क्योंकि कायरा की जिंदगी उनके हाथों में है, और उनका दिल पहली बार सालों बाद किसी के लिए धड़क रहा है।

  • 9. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 9

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    कायरा की बीमारी का इलाज करने के लिए, डॉक्टर वीर को उसकी व्यक्तिगत ज़िंदगी (जैसे उसके शौक, सपने, डर) के बारे में जानना पड़ता है। उन्हें अब ये समझ आ गया था कि कायरा सिर्फ़ एक मरीज़ नहीं, बल्कि एक इंसान है जिसकी अपनी एक अलग दुनिया है।






    अगली सुबह, डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में जाते हैं, लेकिन इस बार उनके हाथ में कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं होती, बल्कि एक नोटबुक और पेन होता है। कायरा बिस्तर पर बैठी स्केचिंग कर रही होती है।






    "गुड मॉर्निंग, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आवाज़ में पहले जैसी सख्ती नहीं होती।






    "गुड मॉर्निंग, डॉक्टर," कायरा मुस्कुराती है, थोड़ी हैरान भी। "आज कोई टेस्ट नहीं है?"






    "आज कोई टेस्ट नहीं है," डॉक्टर वीर जवाब देते हैं। "आज मैं तुमसे तुम्हारे बारे में जानना चाहता हूँ।"






    कायरा भौंहें चढ़ाकर देखती है। "मेरे बारे में? क्यों?"






    "मुझे लगता है कि तुम्हारी बीमारी को ठीक से समझने के लिए, मुझे तुम्हें बेहतर ढंग से जानना होगा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हारे शौक क्या हैं? तुम्हारे सपने क्या हैं? तुम्हें किस बात से डर लगता है?"






    कायरा थोड़ी हिचकिचाती है, फिर कहती है, "ठीक है, मैं कोशिश करती हूँ।" वह डॉक्टर वीर को अपनी कला और ब्लॉगिंग के बारे में बताती है। वो बताती है कि कैसे वो अपनी स्केचिंग और राइटिंग के ज़रिए अपनी फ़ीलिंग्स को एक्सप्रेस करती है और कैसे वो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना चाहती है।






    डॉक्टर वीर ध्यान से सुनते हैं, उनकी नोटबुक में लिखते जाते हैं। वो कायरा से उसकी माँ और बचपन के बारे में भी पूछते हैं। कायरा उन्हें अपनी माँ के साथ बिताए हुए खुशनुमा पलों और अपने बचपन के दोस्तों के बारे में बताती है।






    इस दौरान वे अनजाने में एक-दूसरे के करीब आते हैं। उनकी बातचीत अब सिर्फ मेडिकल नहीं रहती, बल्कि दो इंसानों के बीच की बातचीत बन जाती है।






    "तुम एक बहुत ही दिलचस्प लड़की हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आँखों में प्रशंसा झलक रही है।






    "थैंक यू, डॉक्टर," कायरा कहती है, शर्माते हुए।






    नर्स कविता और डॉक्टर स्नेहा रॉय डॉक्टर वीर के बदलाव को नोटिस करती हैं। उन्हें लगता है कि कायरा डॉक्टर वीर को बदल रही है, उन्हें एक बेहतर इंसान बना रही है।






    "मुझे लगता है कि डॉक्टर वीर को कायरा से प्यार हो गया है," नर्स कविता डॉक्टर स्नेहा रॉय से कहती है, मुस्कुराते हुए।






    "मुझे भी ऐसा ही लगता है," डॉक्टर स्नेहा रॉय जवाब देती है। "और मुझे लगता है कि यह उनके लिए अच्छा है।"






    डीन शर्मा भी डॉक्टर वीर के व्यवहार में नरमी को देखकर खुश होते हैं। उन्हें लगता है कि यह अस्पताल के लिए अच्छा है, क्योंकि अब डॉक्टर वीर मरीजों के साथ ज़्यादा हमदर्दी से पेश आते हैं।






    "मुझे खुशी है कि डॉक्टर वीर बदल रहे हैं," डीन शर्मा सोचते हैं। "यह अस्पताल के लिए एक नई शुरुआत है।"






    एक दोपहर, अस्पताल में कोई बड़ी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है। एक भयानक कार एक्सीडेंट हुआ है, और कई घायल लोग अस्पताल में लाए जाते हैं।






    अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल है। डॉक्टर और नर्स घायलों का इलाज करने में व्यस्त हैं। डॉक्टर वीर ऑपरेशन थिएटर में एक गंभीर रूप से घायल मरीज का ऑपरेशन कर रहे हैं।






    कायरा भी मदद करने के लिए आगे आती है। वह नर्सों की मदद करती है, मरीजों को शांत करती है, और उनके परिवारों को जानकारी देती है।






    "सब ठीक हो जाएगा," कायरा मरीजों से कहती है, उन्हें हिम्मत दिलाते हुए। "हम आपकी हर संभव मदद करेंगे।"






    तभी, अस्पताल में बिजली गुल हो जाती है। ऑपरेशन थिएटर में अंधेरा छा जाता है, और डॉक्टर वीर का ऑपरेशन रुक जाता है।






    "क्या हो रहा है?" डॉक्टर वीर गुस्से से चिल्लाते हैं। "जेनेरेटर कहाँ है?"






    "जेनेरेटर काम नहीं कर रहा है, डॉक्टर!" एक नर्स जवाब देती है।






    अस्पताल में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है। मरीज डर जाते हैं, और अफरा-तफरी और भी बढ़ जाती है।






    कायरा तुरंत एक्शन लेती है। वह अपने तेज़ दिमाग का उपयोग करती है और तुरंत वैकल्पिक रोशनी का इंतज़ाम करती है। वह अस्पताल के कर्मचारियों को इकट्ठा करती है और उन्हें मोबाइल फोन और टॉर्च की रोशनी से ऑपरेशन थिएटर को रोशन करने के लिए कहती है।






    "जल्दी करो!" कायरा चिल्लाती है। "हमें इस मरीज की जान बचानी है!"






    कायरा के प्रयासों से ऑपरेशन थिएटर में थोड़ी रोशनी हो जाती है, और डॉक्टर वीर अपना ऑपरेशन जारी रख पाते हैं।






    ऑपरेशन सफल होता है, और मरीज की जान बच जाती है। डॉक्टर वीर कायरा को धन्यवाद देते हैं।






    "तुमने मेरी जान बचाई, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आँखों में कृतज्ञता झलक रही है।






    "मैंने कुछ नहीं किया, डॉक्टर," कायरा जवाब देती है। "हमने मिलकर काम किया।"






    कायरा अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे मरीज़ों की मदद करती है। वह उन्हें शांत करती है, उन्हें सहारा देती है, और उन्हें अस्पताल से बाहर निकालने में मदद करती है।






    डॉक्टर वीर कायरा को देखते हैं कि वह कैसे दबाव में भी शांत और केंद्रित रहती है। उन्हें लगता है कि कायरा में बहुत हिम्मत है।






    "तुम एक अद्भुत लड़की हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम बहुत बहादुर हो।"






    आपातकालीन स्थिति खत्म होने के बाद, डॉक्टर वीर कायरा की प्रशंसा करते हैं, लेकिन उनकी प्रशंसा भी कठोर होती है।






    "तुमने अच्छा काम किया, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "लेकिन तुम्हें खुद को खतरे में नहीं डालना चाहिए था।"






    कायरा डॉक्टर वीर के इस 'टफ लव' वाले अंदाज़ को समझती है और खुश होती है कि डॉक्टर वीर उसकी काबिलियत को पहचानने लगे हैं।






    "मैं ठीक हूँ, डॉक्टर," कायरा जवाब देती है। "मुझे पता है कि मैं क्या कर रही हूँ।"






    कबीर कायरा से मिलने आता है और उसे बताता है कि वह डॉक्टर वीर से कितना डरता है।






    "मुझे समझ में नहीं आता कि तुम उस खड़ूस डॉक्टर के साथ इतनी सहज कैसे हो," कबीर कहता है। "मुझे तो उनसे बात करने में भी डर लगता है।"






    लेकिन कायरा उसे कहती है कि डॉक्टर वीर इतने भी बुरे नहीं हैं। "डॉक्टर वीर बदल रहे हैं, कबीर," कायरा कहती है। "वो अब पहले जैसे नहीं रहे।"






    कायरा डॉक्टर वीर के बारे में सोचती है। उसे लगता है कि वह उनके अंदर एक नया पहलू देख रही है। वह एक कठोर डॉक्टर के अलावा भी बहुत कुछ हैं।






    लेकिन तभी, डॉक्टर वीर का कोई व्यक्तिगत संकट सामने आता है। उनके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी, मानो कोई पुरानी याद उन्हें सता रही हो। कायरा उन्हें इस हाल में देखकर चिंतित हो जाती है।





    वो सोचती है कि क्या डॉक्टर वीर अपने अतीत से पूरी तरह से उबर पाएँगे? क्या वो कभी अपनी भावनाओं को खुलकर ज़ाहिर कर पाएँगे? और क्या कायरा उनकी मदद कर पाएगी?

  • 10. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 10

    Words: 730

    Estimated Reading Time: 5 min

    डॉक्टर वीर का कोई व्यक्तिगत संकट सामने आता है - जैसे किसी कानूनी कार्यवाही या पुराने मरीज़ का परिवार उनसे मिलने आता है, जिससे वह परेशान होते हैं। उनकी परेशानी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी, जैसे कोई बोझ उनके कंधों पर आ गया हो।







    डॉक्टर वीर अस्पताल के कॉरिडोर में परेशान होकर घूमते हैं, उन्हें पता है कि यह मामला उनके अतीत से जुड़ा है। कायरा दूर से उन्हें देखती है, उनके चेहरे पर दर्द और अकेलेपन का एहसास होता है।







    "क्या हुआ होगा?" कायरा खुद से पूछती है। "क्या मैं उनकी मदद कर सकती हूँ?"







    कायरा अनजाने में या जानबूझकर डॉक्टर वीर की मदद करती है। वह कुछ कानूनी दस्तावेज़ों को ढूंढने में उनकी सहायता करती है, जो खो गए थे।







    "यह रहे वो दस्तावेज़, डॉक्टर," कायरा कहती है, उन्हें डॉक्टर वीर को सौंपते हुए। "क्या ये वही हैं जिनकी आपको तलाश थी?"







    डॉक्टर वीर कायरा की मदद से हैरान होते हैं। उन्हें लगता है कि कायरा उनके लिए कितनी परवाह करती है।







    "थैंक यू, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आवाज़ में कृतज्ञता झलक रही है। "मुझे नहीं पता कि तुम्हारे बिना मैं क्या करता।"







    इस दौरान, कायरा को डॉक्टर वीर के दर्द और अकेलेपन का एहसास होता है, और उनके प्रति उनका नज़रिया और गहरा होता है। वह समझने लगती है कि डॉक्टर वीर इतने कठोर क्यों हैं।







    नर्स कविता कायरा को डॉक्टर वीर के अतीत के बारे में कुछ और बताती है, जिससे कायरा को डॉक्टर वीर को और समझने में मदद मिलती है।







    "डॉक्टर वीर ने बहुत कुछ सहा है, कायरा," नर्स कविता कहती है। "उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चे को एक कार एक्सीडेंट में खो दिया था।"







    कायरा नर्स कविता की बात सुनकर हैरान हो जाती है। उसे डॉक्टर वीर के लिए बहुत बुरा लगता है।







    "मुझे नहीं पता था," कायरा कहती है। "मुझे बहुत दुख है।"







    "मुझे पता है," नर्स कविता कहती है। "लेकिन डॉक्टर वीर बहुत मज़बूत हैं। उन्होंने कभी हार नहीं मानी।"







    डॉक्टर वीर कानूनी कार्यवाही में सफल होते हैं। वह कायरा का धन्यवाद करते हैं, लेकिन उनकी कठोरता अभी भी बरकरार है।







    "तुमने अच्छा काम किया, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "लेकिन तुम्हें आगे से मेरे निजी मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।"







    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर थोड़ी निराश हो जाती है, लेकिन वह समझती है कि वह अभी भी अपने अतीत से जूझ रहे हैं।







    डॉक्टर वीर कायरा को बताते हैं कि उन्हें उस खोए हुए मरीज को खोने का कितना पछतावा है, और वह नहीं चाहते कि कायरा भी किसी खतरे में पड़े। वह पहली बार अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं।







    "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आवाज़ में दर्द झलक रहा है। "तुम मेरे लिए बहुत खास हो।"







    कायरा डॉक्टर वीर के शब्दों से भावुक हो जाती है। वह समझती है कि डॉक्टर वीर भी उसे पसंद करते हैं।







    कायरा डॉक्टर वीर को गले लगाती है, और यह पल दोनों के रिश्ते को पूरी तरह से बदल देता है। उनकी दुश्मनी अब अटूट विश्वास में बदल गई है।







    "मैं हमेशा आपके साथ रहूँगी, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं कभी आपका साथ नहीं छोड़ूँगी।"







    डॉक्टर वीर कायरा को गले लगाते हैं, और उनकी आँखों में खुशी के आँसू होते हैं। उन्हें लगता है कि शायद उन्हें फिर से प्यार करने का मौका मिल सकता है।







    लेकिन तभी, कायरा को एक और दर्दनाक दौरा पड़ता है। वह डॉक्टर वीर के बाहों में बेहोश हो जाती है।







    "कायरा!" डॉक्टर वीर चिल्लाते हैं। "नर्स! जल्दी आओ!"







    डॉक्टर वीर कायरा को इमरजेंसी रूम में ले जाते हैं, और डॉक्टर और नर्स उसे बचाने की कोशिश करते हैं।







    डॉक्टर वीर इमरजेंसी रूम के बाहर इंतजार करते हैं, और वह बहुत चिंतित हैं। उन्हें डर है कि वह कायरा को खो देंगे।







    क्या कायरा ठीक हो पाएगी? क्या डॉक्टर वीर उसे बचा पाएँगे? और क्या उनका प्यार जीत पाएगा, या कायरा की बीमारी उन दोनों को हमेशा के लिए अलग कर देगी? ये सवाल डॉक्टर वीर को परेशान कर रहे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा। क्या कायरा की बीमारी ठीक हो पाएगी? और क्या वह अपने अतीत से उबरकर कायरा के साथ एक खुशहाल भविष्य बना पाएँगे? ये सवाल उनके दिमाग में घूम रहे थे, और उन्हें किसी भी सवाल का जवाब नहीं मिल रहा था। कायरा की जिंदगी दांव पर लगी थी, और डॉक्टर वीर को ये लग रहा था कि वह कुछ भी नहीं कर सकते।


  • 11. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 11

    Words: 803

    Estimated Reading Time: 5 min

    कायरा डॉक्टर वीर के बाहों में बेहोश हो जाती है। "कायरा!" डॉक्टर वीर चिल्लाते हैं। "नर्स! जल्दी आओ!" उनकी आवाज़ में चीख थी, डर था और बेबसी थी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया था।









    डॉक्टर वीर कायरा को इमरजेंसी रूम में ले जाते हैं, और डॉक्टर और नर्स उसे बचाने की कोशिश करते हैं। हर बीतता सेकंड उन्हें सदियों जैसा लग रहा था। उनकी आँखों के सामने वो सारे पल घूमने लगे, जब कायरा ने उन्हें हंसाया था, जब उसने उन्हें जीना सिखाया था।









    डॉक्टर वीर इमरजेंसी रूम के बाहर इंतजार करते हैं, और वह बहुत चिंतित हैं। उनके दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी - 'कायरा ठीक हो जाए'। उन्हें डर है कि वह कायरा को खो देंगे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में पहले कभी किसी को इतना करीब महसूस नहीं किया था।









    इमरजेंसी रूम का दरवाजा खुलता है, और डॉक्टर स्नेहा रॉय बाहर आती हैं। डॉक्टर वीर उत्सुकता से उनकी ओर देखते हैं।









    "कैसी है कायरा?" डॉक्टर वीर पूछते हैं, उनकी आवाज़ में चिंता झलक रही है।









    "वो ठीक है," डॉक्टर स्नेहा रॉय जवाब देती हैं। "दौरा थोड़ा गंभीर था, लेकिन हमने उसे स्थिर कर दिया है।"









    डॉक्टर वीर राहत की सांस लेते हैं। "थैंक गॉड," वो कहते हैं। "मैं उससे मिल सकता हूँ?"









    "हाँ, लेकिन उसे आराम करने की ज़रूरत है," डॉक्टर स्नेहा रॉय कहती हैं। "ज़्यादा बात मत करना।"









    डॉक्टर वीर इमरजेंसी रूम में जाते हैं और कायरा को बिस्तर पर लेटा हुआ देखते हैं। वह अभी भी बेहोश है, लेकिन उसकी सांसें सामान्य हैं।









    डॉक्टर वीर कायरा के पास बैठते हैं और उसका हाथ पकड़ते हैं। "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, कायरा," वो कहते हैं, उनकी आवाज़ में दर्द झलक रहा है। "तुम मेरे लिए बहुत खास हो।"









    कायरा धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलती है और डॉक्टर वीर को देखती है। वह मुस्कुराती है।









    "मैं ठीक हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है, उसकी आवाज़ कमज़ोर है। "चिंता मत करो।"









    "मुझे चिंता है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।"









    "तुम मुझे नहीं खोओगे," कायरा कहती है। "मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी।"









    कायरा डॉक्टर वीर को गले लगाती है, और यह पल उनके गहरे रिश्ते का प्रतीक है। उनकी दुश्मनी अब अटूट विश्वास और प्यार में बदल गई है।









    "मैं तुमसे प्यार करता हूँ, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आवाज़ में सच्चाई झलक रही है।









    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर हैरान हो जाती है। वह समझ नहीं पाती कि उसे क्या कहना चाहिए।









    "मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है, उसकी आँखों में आँसू होते हैं।









    डॉक्टर वीर और कायरा एक-दूसरे को गले लगाते हैं, और यह पल उनके जीवन का सबसे खास पल बन जाता है।









    लेकिन तभी, डॉक्टर वीर को याद आता है कि वह कायरा को उस खोए हुए मरीज को खोने का कितना पछतावा है, और वह नहीं चाहते कि कायरा भी किसी खतरे में पड़े। उन्हें अपनी पुरानी गलती याद आ जाती है, और वो डर जाते हैं।









    "मुझे माफ़ करना, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे यह नहीं कहना चाहिए था।"









    "क्या मतलब है?" कायरा पूछती है, हैरान होते हुए।









    "मैं तुम्हें खतरे में नहीं डालना चाहता," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।"









    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर उदास हो जाती है। वह समझ नहीं पाती कि डॉक्टर वीर को क्या हो गया है।









    "तुम क्या कह रहे हो, डॉक्टर?" कायरा पूछती है। "क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करते?"









    "मैं तुमसे प्यार करता हूँ, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।"









    "तो तुम क्या चाहते हो?" कायरा पूछती है। "तुम मुझसे क्या उम्मीद करते हो?"









    "मैं चाहता हूँ कि तुम ठीक हो जाओ," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी ज़िंदगी जियो।"









    "और तुम?" कायरा पूछती है। "तुम क्या चाहते हो?"









    डॉक्टर वीर कायरा की आँखों में देखते हैं, और उन्हें लगता है कि शायद उन्हें अपनी ज़िंदगी का जवाब मिल गया है। उन्हें लगता है कि शायद कायरा ही उनकी ज़िंदगी का मकसद है।









    डॉक्टर वीर कायरा को गले लगाते हैं, और उनकी आँखों में आँसू होते हैं।









    "मैं तुम्हें चाहता हूँ, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी में चाहता हूँ।"









    कायरा डॉक्टर वीर के शब्दों से खुश हो जाती है, लेकिन उसे अभी भी डर है कि क्या वो दोनों एक साथ खुश रह पाएँगे। क्या डॉक्टर वीर अपने अतीत से उबर पाएँगे? और क्या कायरा की बीमारी उन दोनों को हमेशा के लिए अलग कर देगी?







    अगली सुबह, कायरा को पता चलता है कि डॉक्टर वीर के अतीत का एक राज़ खुलने वाला है, एक ऐसा राज़ जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। क्या यह राज़ उनके रिश्ते को मज़बूत करेगा, या इसे तोड़ देगा? ये सवाल कायरा को परेशान कर रहे थे, क्योंकि उसे डॉक्टर वीर से प्यार हो गया था, और वह उन्हें खोना नहीं चाहती थी।



  • 12. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 12

    Words: 918

    Estimated Reading Time: 6 min

    कायरा को अगली सुबह पता चलता है कि डॉक्टर वीर के अतीत का एक राज़ खुलने वाला है, एक ऐसा राज़ जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा।











    डॉक्टर स्नेहा रॉय या किसी पुराने स्टाफ से कायरा को उस दुखद घटना का पूरा ब्यौरा मिलता है। वो हर एक पल कायरा के दिमाग में घूम जाता है, जैसे कोई फ़िल्म चल रही हो।











    डॉक्टर वीर ने अपनी पत्नी/बच्चे या किसी बहुत करीब के मरीज़ को खो दिया था, क्योंकि वे भावनात्मक रूप से बहुत अटैच हो गए थे। ये बात सुनकर कायरा का दिल टूट जाता है। वो समझने लगती है कि डॉक्टर वीर इतने कठोर क्यों हैं।











    उनकी भावनाएं उनके मेडिकल निर्णयों पर हावी हो गई थीं, जिससे एक छोटी सी गलती हो गई थी और उनके प्रियजन की मौत हो गई थी। ये सोचकर कायरा को डॉक्टर वीर पर और भी ज़्यादा तरस आता है।











    तभी से उन्होंने भावनाओं से दूरी बना ली थी, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो। ये बात कायरा को समझ में आती है कि डॉक्टर वीर ने अपने दिल पर कितना बड़ा पत्थर रख लिया है।











    कायरा इस राज़ को जानने के बाद डॉक्टर वीर को एक नई नज़र से देखती है, उसे उनके प्रति गहरी सहानुभूति महसूस होती है। वो अब उन्हें सिर्फ़ एक कठोर डॉक्टर नहीं, बल्कि एक दर्द से गुज़रे हुए इंसान के रूप में देखती है।











    कायरा अब उन्हें कम चिढ़ाती है और अधिक समझदारी से पेश आती है, वह डॉक्टर वीर के दर्द को साझा करती है। वो उनके साथ पहले से ज़्यादा धैर्य और प्यार से बात करती है।











    डॉक्टर वीर भी कायरा के प्रति थोड़े नरम पड़ते हैं, खासकर जब उसकी बीमारी उसे तोड़ देती है। वो उसे पहले से ज़्यादा सहारा देते हैं और उसकी देखभाल करते हैं।











    एक रात, डॉक्टर वीर कायरा से अपने अतीत के बारे में बात करते हैं, पहली बार किसी के सामने अपने दर्द को साझा करते हैं। उनकी आवाज़ में वो दर्द था, जो उन्होंने सालों से दबा रखा था।











    "मैंने अपनी पत्नी को खो दिया था, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं, उनकी आँखों में आँसू होते हैं। "मैं उसे बचा नहीं सका। ये मेरी गलती थी।"











    कायरा डॉक्टर वीर को सहारा देती है, उन्हें विश्वास दिलाती है कि वह अब अकेले नहीं हैं और उन्हें अपने अतीत से उबरने में मदद करेगी। वो उनके हाथ को थामती है और उन्हें ये एहसास दिलाती है कि वो उनके साथ है।











    "ये तुम्हारी गलती नहीं थी, डॉक्टर," कायरा कहती है। "तुमने अपनी पूरी कोशिश की थी। और अब तुम अकेले नहीं हो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"











    डॉक्टर वीर कायरा को गले लगाते हैं, और उनकी आँखों में कृतज्ञता के आँसू होते हैं। वो महसूस करते हैं कि शायद वो अपने अतीत से उबर सकते हैं।











    "थैंक यू, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे बहुत हिम्मत दी है।"











    डॉक्टर वीर और कायरा के बीच का रिश्ता अब अटूट विश्वास और समझदारी पर आधारित है। वो एक-दूसरे के दर्द को समझते हैं और एक-दूसरे को सहारा देते हैं।











    कायरा डॉक्टर वीर से पूछती है, "क्या तुम मुझे बताओगे कि क्या हुआ था?" उसकी आवाज़ में सहानुभूति थी, और वो सच में जानना चाहती थी कि डॉक्टर वीर के साथ क्या हुआ था।











    डॉक्टर वीर गहरी सांस लेते हैं, और अपनी कहानी सुनाना शुरू करते हैं। उनकी कहानी सुनकर कायरा का दिल और भी ज़्यादा टूट जाता है, लेकिन वो जानती है कि ये कहानी उन्हें और भी क़रीब लाएगी।











    "ये कुछ साल पहले की बात है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तब एक युवा डॉक्टर था, और मैं अपनी पत्नी, रिया से बहुत प्यार करता था। वो एक नर्स थी, और हम दोनों एक ही अस्पताल में काम करते थे।" उनकी आवाज़ में प्यार और दर्द दोनों थे।











    "एक दिन, रिया को एक गंभीर बीमारी हो गई। मैंने उसकी पूरी देखभाल की, लेकिन मैं उसे बचा नहीं सका। वो मर गई।" डॉक्टर वीर की आँखों में आँसू आ जाते हैं।











    "मैं बहुत दुखी था, कायरा। मुझे लगा कि मैंने अपनी ज़िंदगी का सब कुछ खो दिया है। मैंने अपने आप को उसकी मौत का ज़िम्मेदार ठहराया। मैंने सोचा कि अगर मैं और ज़्यादा कोशिश करता, तो शायद मैं उसे बचा पाता।" डॉक्टर वीर की आवाज़ में बेबसी थी, वो खुद को माफ़ नहीं कर पा रहे थे।











    कायरा डॉक्टर वीर का हाथ थामती है। "ये तुम्हारी गलती नहीं थी, डॉक्टर," वो कहती है। "तुमने अपनी पूरी कोशिश की थी। रिया तुम्हें प्यार करती थी, और वो नहीं चाहती थी कि तुम दुखी रहो।"











    डॉक्टर वीर कायरा की आँखों में देखते हैं, और उन्हें लगता है कि शायद वो अपने अतीत को पीछे छोड़ सकते हैं।











    "थैंक यू, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे बहुत हिम्मत दी है।"











    कायरा डॉक्टर वीर को गले लगाती है, और उन्हें ये एहसास होता है कि वो अब अकेले नहीं हैं।









    लेकिन क्या डॉक्टर वीर सच में अपने अतीत को भूल पाएँगे? और क्या कायरा की बीमारी उन्हें और भी ज़्यादा दर्द देगी? ये सवाल अभी भी कायरा के दिमाग में घूम रहे थे, और वो जानती थी कि उन्हें इन सवालों का जवाब ढूंढना होगा।





    कायरा को ये एहसास होता है कि डॉक्टर वीर को सिर्फ़ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि एक दोस्त की भी ज़रूरत है। और वो उन्हें वो दोस्त बनकर दिखाएगी, जो हमेशा उनके साथ रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए। कायरा जानती थी कि ये उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन वो इसके लिए तैयार थी। क्योंकि वो डॉक्टर वीर से प्यार करती थी, और वो उन्हें कभी हारने नहीं देगी।



  • 13. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 13

    Words: 715

    Estimated Reading Time: 5 min

    कायरा को एहसास होता है कि डॉक्टर वीर को सिर्फ़ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि एक दोस्त की भी ज़रूरत है। और वो उन्हें वो दोस्त बनकर दिखाएगी, जो हमेशा उनके साथ रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए।













    अगले कुछ दिनों में, कायरा डॉक्टर वीर को समझने और सहारा देने की पूरी कोशिश करती है। वो उन्हें कम चिढ़ाती है और ज़्यादा समझदारी से पेश आती है। वो डॉक्टर वीर के साथ उनके पसंदीदा गाने सुनती है, और उन्हें हंसाने की कोशिश करती है।













    डॉक्टर वीर भी कायरा के प्रति थोड़े नरम पड़ते हैं, खासकर जब उसकी बीमारी उसे तोड़ देती है। वो उसे बताते हैं कि कैसे उसकी दृढ़ता और लड़ने की भावना ने उन्हें याद दिलाया कि इंसानियत क्या है।













    "तुम्हारी वजह से मैंने फिर से जीना सीखा है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे याद दिलाया कि इस दुनिया में अभी भी उम्मीद है।"













    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर खुश हो जाती है, लेकिन वो जानती है कि उनकी ज़िंदगी में अभी भी बहुत सारी मुश्किलें बाकी हैं।













    अस्पताल में कोई नया, युवा डॉक्टर आता है जो डॉक्टर वीर की जगह लेने की कोशिश करता है और कायरा को प्रभावित करने की कोशिश करता है। उसका नाम डॉक्टर आर्यन है, और वो बहुत ही होशियार और आकर्षक है।













    डॉक्टर आर्यन कायरा को डॉक्टर वीर के खिलाफ भड़काने की कोशिश करता है, लेकिन कायरा मना कर देती है। वो जानती है कि डॉक्टर वीर एक अच्छे इंसान हैं, और वो उन्हें किसी भी कीमत पर बचाएगी।













    "डॉक्टर वीर इतने बुरे नहीं हैं," कायरा डॉक्टर आर्यन से कहती है। "उनके दिल में भी इंसानियत है। तुम्हें उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए।"













    लेकिन डॉक्टर आर्यन नहीं मानते, और वो कायरा को डॉक्टर वीर के खिलाफ भड़काने की कोशिश जारी रखते हैं।













    एक दिन, डॉक्टर आर्यन एक मरीज़ का इलाज गलत तरीके से करते हैं, और डॉक्टर वीर को उस मरीज़ को बचाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है।













    कायरा अपनी बेबाकी से डॉक्टर वीर का पक्ष लेती है और नए डॉक्टर को सबक सिखाती है। वो डॉक्टर आर्यन को बताती है कि डॉक्टर वीर एक महान डॉक्टर हैं, और उन्हें उनका सम्मान करना चाहिए।













    "तुम डॉक्टर वीर के बारे में कुछ नहीं जानते," कायरा डॉक्टर आर्यन से कहती है। "वो एक महान डॉक्टर हैं, और वो हमेशा मरीजों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। तुम्हें उनका सम्मान करना चाहिए।"













    डॉक्टर वीर कायरा के इस समर्थन से प्रभावित होते हैं, और यह पहला सार्वजनिक संकेत है कि उनका रिश्ता बदल रहा है। वो महसूस करते हैं कि कायरा न केवल उनकी मरीज़ है, बल्कि उनकी दोस्त और शुभचिंतक भी है।













    डीन शर्मा भी डॉक्टर वीर और कायरा के बीच के बदलाव को नोटिस करते हैं और खुश होते हैं। वो जानते हैं कि कायरा ने डॉक्टर वीर को एक बेहतर इंसान बना दिया है।













    उस रात, डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में जाते हैं और उसे धन्यवाद देते हैं।













    "थैंक यू, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने आज मेरा साथ दिया, इसके लिए मैं तुम्हारा आभारी हूँ।"













    "कोई बात नहीं, डॉक्टर," कायरा कहती है। "तुम मेरे दोस्त हो, और मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूँगी।"













    डॉक्टर वीर कायरा को बताते हैं कि उन्हें अपनी बीमारी के लिए एक नया, जोखिम भरा इलाज या सर्जरी का सुझाव दिया गया है, जो उसके लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा।













    कायरा डॉक्टर वीर की बात सुनकर डर जाती है, लेकिन वो जानती है कि उसे हिम्मत रखनी होगी। उसे अपनी बीमारी से लड़ना होगा, और डॉक्टर वीर का साथ देना होगा।













    "मैं तैयार हूँ, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं इस बीमारी से लडूँगी, और मैं जीतूँगी।"











    लेकिन कायरा के मन में एक डर अभी भी है - क्या यह नया इलाज डॉक्टर वीर को और भी ज़्यादा दर्द देगा? क्या वो इस बार कायरा को बचा पाएँगे? और क्या उनकी मोहब्बत इस मुश्किल वक़्त में टिकी रह पाएगी? ये सवाल कायरा को परेशान कर रहे थे, क्योंकि वो डॉक्टर वीर से प्यार करती थी, और वो उन्हें खोना नहीं चाहती थी।







    उस रात, कायरा डॉक्टर वीर को अपने दिल की बात बताती है। वो उन्हें बताती है कि वो उनसे प्यार करती है, और वो हमेशा उनके साथ रहेगी। डॉक्टर वीर भी कायरा को अपने दिल की बात बताते हैं, और उन्हें कहते हैं कि वो भी उनसे प्यार करते हैं, और वो हमेशा उनका साथ देंगे।




  • 14. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 14

    Words: 725

    Estimated Reading Time: 5 min

    कायरा डॉक्टर वीर को अपने दिल की बात बताती है। वो उन्हें बताती है कि वो उनसे प्यार करती है, और वो हमेशा उनके साथ रहेगी। डॉक्टर वीर भी कायरा को अपने दिल की बात बताते हैं, और उन्हें कहते हैं कि वो भी उनसे प्यार करते हैं, और वो हमेशा उनका साथ देंगे।















    कायरा की बीमारी के लिए एक नया, जोखिम भरा इलाज या सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। डॉक्टर वीर बताते हैं कि ये इलाज बहुत ही जटिल है, और इसमें कायरा की जान को भी खतरा हो सकता है।















    मिसेस वर्मा, कायरा की माँ, चिंतित होती हैं और डॉक्टर वीर से इस जोखिम भरे इलाज के बारे में सवाल करती हैं। वो जानना चाहती हैं कि क्या कोई और तरीका नहीं है जिससे कायरा को ठीक किया जा सके।















    "डॉक्टर साहब, क्या कोई और रास्ता नहीं है?" मिसेस वर्मा पूछती हैं। "मैं अपनी बेटी को खोना नहीं चाहती।" उनकी आवाज़ में डर और बेबसी थी।















    डॉक्टर वीर इस पर बहुत दबाव में होते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि यह कायरा के लिए कितना जोखिम भरा है। वो जानते हैं कि अगर कुछ गलत हो गया तो वो कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाएँगे।















    "मैं जानता हूँ, मिसेस वर्मा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "ये एक बहुत ही मुश्किल फैसला है, लेकिन मुझे विश्वास है कि ये कायरा के लिए सबसे अच्छा तरीका है। मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा कि सब ठीक हो जाए।"















    कायरा डॉक्टर वीर पर अपना पूरा भरोसा दिखाती है, वो कहती है कि उसे डॉक्टर वीर पर पूरा विश्वास है, जिससे डॉक्टर वीर भावुक होते हैं। कायरा डॉक्टर वीर के पास जाती है, और उनका हाथ थाम लेती है।















    "मुझे तुम पर भरोसा है, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं जानती हूँ कि तुम मुझे बचा लोगे।" उसकी आँखों में प्यार और विश्वास था।















    डॉक्टर वीर अपना दिल खोलते हैं और कायरा को बताते हैं कि उन्हें उस खोए हुए मरीज़ को खोने का कितना पछतावा है, और वो नहीं चाहते कि कायरा भी किसी खतरे में पड़े। वो बताते हैं कि कैसे उस घटना ने उन्हें बदल दिया, और वो कभी नहीं चाहते कि किसी और के साथ ऐसा हो।















    "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम मेरी ज़िंदगी हो।" उनकी आवाज़ में प्यार और डर दोनों थे।















    नर्स कविता और डॉक्टर स्नेहा रॉय डॉक्टर वीर के इस भावनात्मक पल से प्रभावित होती हैं। वो जानती हैं कि डॉक्टर वीर ने कायरा से कितना प्यार करते हैं।















    कबीर कायरा के साथ रहता है और उसे हिम्मत देता है। वो जानता है कि कायरा बहुत मजबूत है, और वो इस बीमारी से लड़ सकती है।















    "तुम कर सकती हो, कायरा," कबीर कहता है। "मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।"















    सर्जरी/इलाज शुरू होता है, ये एक लंबा और दर्दनाक प्रोसेस होता है, और कायरा को बहुत दर्द होता है। डॉक्टर वीर हर कदम पर उसके साथ होते हैं, उसे हिम्मत देते हैं।















    ऑपरेशन थिएटर में तनाव का माहौल है, डॉक्टर वीर अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सर्जरी सफल हो जाए। कायरा दर्द से कराह रही है, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारती।















    इस दौरान उनकी बॉन्डिंग बहुत मजबूत हो जाती है, जो सिर्फ डॉक्टर-मरीज़ से बढ़कर है, एक दूसरे के लिए गहरा सम्मान और भावनात्मक सहारा बन जाती है। डॉक्टर वीर को एहसास होता है कि कायरा न केवल उनकी मरीज़ है, बल्कि उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गई है।















    डॉक्टर वीर कायरा से कहते हैं, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, कायरा। डरने की कोई बात नहीं है।"















    कायरा उनकी आँखों में देखती है और मुस्कराती है। उसे पता है कि वो सुरक्षित है, क्योंकि डॉक्टर वीर उसके साथ हैं।













    लेकिन क्या ये प्यार और विश्वास कायरा को बचा पाएगा? क्या डॉक्टर वीर अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी चुनौती को पार कर पाएँगे? और क्या उनकी मोहब्बत हमेशा के लिए टिकी रह पाएगी? ये सवाल अभी भी कायरा के दिमाग में घूम रहे थे, क्योंकि वो डॉक्टर वीर से प्यार करती थी, और वो उन्हें खोना नहीं चाहती थी।









    ऑपरेशन चलता रहता है, और कायरा की ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है। डॉक्टर वीर को एक ऐसा फैसला लेना होगा जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। क्या वो सही फैसला ले पाएँगे? और क्या कायरा ठीक हो पाएगी? ये सवाल अभी भी हवा में तैर रहे थे, और हर किसी की साँसें थमी हुई थीं।





  • 15. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 15

    Words: 760

    Estimated Reading Time: 5 min

    ऑपरेशन चलता रहता है, और कायरा की ज़िंदगी दांव पर लगी हुई है। डॉक्टर वीर को एक ऐसा फैसला लेना होगा जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। क्या वो सही फैसला ले पाएँगे? और क्या कायरा ठीक हो पाएगी? ये सवाल अभी भी हवा में तैर रहे थे, और हर किसी की साँसें थमी हुई थीं।

















    सर्जरी/इलाज शुरू होता है। ये एक लंबा और दर्दनाक प्रोसेस होता है। कायरा के पास डॉक्टर वीर ही एकमात्र सहारा होते हैं। डॉक्टर वीर हर कदम पर उसके साथ होते हैं, उसे हिम्मत देते हैं।

















    ऑपरेशन थिएटर में तनाव का माहौल है, क्योंकि सर्जरी बहुत जोखिम भरी है। हर एक सेकंड भारी लग रहा है, और हर कोई डरा हुआ है।

















    डॉक्टर वीर अपनी पूरी विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं, उन्हें पता है कि कायरा का जीवन उनके हाथों में है। वो हर एक नस, हर एक धमनी को ध्यान से देख रहे हैं।

















    कायरा अपनी बीमारी के दर्द से जूझती है, लेकिन वो डॉक्टर वीर पर पूरा भरोसा रखती है। वो जानती है कि वो उसे बचा लेंगे।

















    "मैं तुम्हारे साथ हूँ, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "डरने की कोई बात नहीं है।" उनकी आवाज़ में आत्मविश्वास है।

















    नर्स कविता और डॉक्टर स्नेहा रॉय सर्जरी को ध्यान से देखती हैं, उन्हें पता है कि ये डॉक्टर वीर के लिए भी कितना मुश्किल है। वो दोनों डॉक्टर वीर को सपोर्ट कर रही हैं, और उन्हें हिम्मत दे रही हैं।

















    अचानक, एक बड़ी जटिलता उत्पन्न होती है। डॉक्टर वीर को एक मुश्किल फैसला लेना पड़ता है। अगर वो गलत फैसला लेते हैं, तो कायरा की जान जा सकती है।

















    डॉक्टर वीर कुछ देर के लिए रुकते हैं, और गहरी सांस लेते हैं। वो जानते हैं कि उन्हें सही फैसला लेना है। वो कायरा की तरफ देखते हैं, और उन्हें लगता है कि वो उन्हें हिम्मत दे रही है।

















    "मैं ये कर सकता हूँ," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे कायरा को बचाना है।"

















    डॉक्टर वीर वो मुश्किल फैसला लेते हैं, और सर्जरी जारी रहती है। हर कोई डरा हुआ है, लेकिन डॉक्टर वीर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।

















    कुछ घंटों बाद, सर्जरी सफल होती है। कायरा की जान बच जाती है। डॉक्टर वीर, नर्स कविता और डॉक्टर स्नेहा रॉय खुशी से झूम उठते हैं।

















    डॉक्टर वीर कायरा की प्रशंसा करते हैं और उसे बताते हैं कि वो कितनी बहादुर है। वो कहते हैं कि कायरा ने उन्हें फिर से जीना सिखाया है।

















    "तुम बहुत बहादुर हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे फिर से जीना सिखाया है।"

















    कायरा की हालत में धीरे-धीरे सुधार आता है। वो डॉक्टर वीर को दूसरों के प्रति थोड़ा नरम होने के लिए प्रेरित करती है, और डॉक्टर वीर उसे ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने के लिए प्रेरित करते हैं।

















    "तुम्हें अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से जीना चाहिए, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हें हर एक पल का आनंद लेना चाहिए।"

















    डॉक्टर वीर कायरा को कहते हैं कि उसने उन्हें फिर से इंसान बनना सिखाया है, और ये उनके लिए एक बड़ा पल है।

















    "तुमने मुझे फिर से इंसान बनना सिखाया है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं हमेशा तुम्हारा आभारी रहूँगा।" उनकी आँखों में प्यार और कृतज्ञता थी।

















    कायरा और डॉक्टर वीर एक दूसरे की ओर देखते हैं, और मुस्कुराते हैं। वो जानते हैं कि वो हमेशा एक दूसरे के साथ रहेंगे। उनका प्यार और विश्वास हमेशा उन्हें जोड़े रखेगा।

















    लेकिन क्या ये खुशी हमेशा बनी रहेगी? क्या कायरा पूरी तरह से ठीक हो पाएगी? और क्या डॉक्टर वीर अपने अतीत के दर्द को पूरी तरह से भूल पाएंगे? ये सवाल अभी भी कायरा और डॉक्टर वीर के दिमाग में घूम रहे थे। वो जानते थे कि उनकी ज़िंदगी में अभी भी बहुत सारी मुश्किलें बाकी हैं।

















    उस रात, डॉक्टर वीर कायरा के कमरे में जाते हैं, और उसे एक तोहफा देते हैं। ये एक खूबसूरत चित्र है, जिसमें कायरा मुस्कुरा रही है।

















    "ये तुम्हारे लिए है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं चाहता हूँ कि तुम इसे हमेशा अपने पास रखो।"

















    कायरा उस चित्र को लेती है, और उसे गले लगाती है। वो जानती है कि ये चित्र हमेशा उसे डॉक्टर वीर की याद दिलाएगा।

















    "थैंक यू, डॉक्टर," कायरा कहती है। "मैं इसे हमेशा अपने पास रखूँगी।"

















    डॉक्टर वीर कायरा को अलविदा कहते हैं, और कमरे से बाहर चले जाते हैं। कायरा उस चित्र को देखती है, और मुस्कुराती है। वो जानती है कि उसकी ज़िंदगी में अब एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। लेकिन क्या कायरा की परेशानिया खत्म हो गई थी, या आने वाली ज़िंदगी मैं कुछ और भयानक होने वाला है।

















    कायरा फिरसे सोच में डूब जाती है।

  • 16. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 16

    Words: 605

    Estimated Reading Time: 4 min

    कायरा उस चित्र को देखती है, और मुस्कुराती है। वो जानती है कि उसकी ज़िंदगी में अब एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। लेकिन क्या कायरा की परेशानिया खत्म हो गई थी, या आने वाली ज़िंदगी मैं कुछ और भयानक होने वाला है।



















    कायरा फिरसे सोच में डूब जाती है।



















    कायरा की हालत में धीरे-धीरे सुधार आता है, लेकिन उसे अभी भी अस्पताल में रहना है। दिन बीतते जा रहे हैं, और कायरा का अस्पताल में मन लगने लगा है।



















    वो डॉक्टर वीर को दूसरों के प्रति थोड़ा नरम होने के लिए प्रेरित करती है, और डॉक्टर वीर उसे ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने के लिए प्रेरित करते हैं। वो एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं।



















    डॉक्टर वीर मरीजों और उनके परिवारों के साथ अधिक सहानुभूति से बात करना शुरू करते हैं, उनके स्वभाव में नरमी आती है। वो अब सिर्फ एक डॉक्टर नहीं रहे, बल्कि एक दोस्त भी बन गए हैं।



















    नर्स कविता और डॉक्टर स्नेहा रॉय ये बदलाव देखकर खुश होते हैं, उन्हें लगता है कि कायरा ने डॉक्टर वीर को बदल दिया है। वो कायरा की शुक्रगुजार हैं।



















    कायरा अपने ब्लॉग में अपनी बीमारी के अनुभव को साझा करती है, जिससे दूसरों को प्रेरणा मिलती है, और डॉक्टर वीर इसे पढ़ते हैं। वो कायरा पर गर्व महसूस करते हैं।



















    "तुम बहुत अच्छा लिखती हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुम्हारे शब्दों में बहुत ताकत है।"



















    डॉक्टर वीर कायरा को अपनी कला और ब्लॉगिंग में वापस आने के लिए प्रेरित करते हैं, वो उसे सहारा देते हैं। वो चाहते हैं कि कायरा अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से जीए।



















    अचानक, अस्पताल पर कोई बड़ा खतरा आता है, जैसे मानहानि का मुकद्दमा दायर किया जाता है, जिसमें अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगता है। हर कोई हैरान है।



















    ये मुकद्दमा किसी पुराने मरीज़ के परिवार द्वारा दायर किया गया है, जिन्हें डॉक्टर वीर ने कठोरता से संभाला था। डॉक्टर वीर पर फिर से अतीत के साए मंडराने लगे हैं।



















    डॉक्टर वीर की प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है, और अस्पताल के भविष्य पर भी खतरा मंडराता है। हर कोई डरा हुआ है, और उन्हें पता नहीं है कि क्या करना है।



















    "ये क्या हो रहा है?" नर्स कविता पूछती है। "क्या हम सच में ये मुकद्दमा हार जाएँगे?"



















    कायरा, ठीक होने के बावजूद, डॉक्टर वीर का साथ देती है और अपनी आवाज़ (ब्लॉगिंग/सोशल मीडिया) का इस्तेमाल करके उनकी बेगुनाही साबित करने का फैसला करती है। वो जानती है कि डॉक्टर वीर बेकसूर हैं, और वो उन्हें बचाना चाहती है।



















    "मैं तुम्हें बचाऊँगी, डॉक्टर वीर," कायरा कहती है। "मैं तुम्हें ये मुकद्दमा जीतने में मदद करूँगी।" उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास है।



















    लेकिन क्या कायरा डॉक्टर वीर को बचा पाएगी? क्या वो अस्पताल को बचा पाएगी? और क्या डॉक्टर वीर फिर से अपने अतीत के दर्द से उबर पाएँगे? ये सवाल अभी भी कायरा के दिमाग में घूम रहे थे।



















    कायरा उस रात अपने कमरे में बैठी है, और वो अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखती है। वो डॉक्टर वीर के बारे में लिखती है, और वो लोगों से उनकी मदद करने की अपील करती है।



















    "डॉक्टर वीर एक अच्छे इंसान हैं," कायरा लिखती है। "उन्होंने मेरी जान बचाई है, और मैं जानती हूँ कि वो कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। प्लीज़, उनकी मदद करें।"



















    वो पोस्ट वायरल हो जाती है, और लाखों लोग उसे पढ़ते हैं। लोग डॉक्टर वीर का समर्थन करते हैं, और वो उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं।



















    लेकिन क्या ये काफी होगा? क्या ये डॉक्टर वीर को बचा पाएगा? ये सवाल अभी भी हवा में तैर रहा था, और हर किसी की साँसें थमी हुई थीं। क्या कायरा इस मुसिबत से बाहर आ पाएगी?

  • 17. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 17

    Words: 556

    Estimated Reading Time: 4 min

    ये सवाल अभी भी हवा में तैर रहा था, और हर किसी की साँसें थमी हुई थीं। क्या कायरा इस मुसीबत से बाहर आ पाएगी?





















    अस्पताल पर मानहानि का मुकद्दमा दायर किया जाता है, जिसमें अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगता है। माहौल बहुत तनावपूर्ण है, और हर कोई डरा हुआ है।





















    डॉक्टर वीर की प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है, और अस्पताल के भविष्य पर भी खतरा मंडराता है। ये सिर्फ़ एक मुकद्दमा नहीं है, ये अस्पताल के अस्तित्व की लड़ाई है।





















    कायरा, ठीक होने के बावजूद, डॉक्टर वीर का साथ देती है और अपनी आवाज़ (ब्लॉगिंग/सोशल मीडिया) का इस्तेमाल करके उनकी बेगुनाही साबित करने का फैसला करती है। वो जानती है कि डॉक्टर वीर अकेले नहीं हैं।





















    कबीर और नर्स कविता भी कायरा का साथ देते हैं, और वे सभी डॉक्टर वीर का बचाव करने की कोशिश करते हैं। वे हर संभव मदद करने को तैयार हैं।





















    "हम डॉक्टर वीर को बचाने के लिए कुछ भी करेंगे," कबीर कहता है। "वो हमारे दोस्त हैं।"





















    डॉक्टर स्नेहा रॉय डॉक्टर वीर का समर्थन करती है, और वो डीन शर्मा को डॉक्टर वीर के मानवीय पक्ष के बारे में बताती है। वो चाहती है कि डीन डॉक्टर वीर पर विश्वास करे।





















    कायरा कुछ ऐसे दस्तावेज़ ढूंढ निकालती है जो मुकद्दमे में अस्पताल की बेगुनाही साबित कर सकते हैं। वो जानती है कि ये दस्तावेज़ डॉक्टर वीर को बचा सकते हैं।





















    डीन शर्मा इस मामले में डॉक्टर वीर और कायरा का समर्थन करते हैं। वो अस्पताल के साथ खड़े रहने का फैसला करते हैं।





















    "हम डॉक्टर वीर के साथ हैं," डीन शर्मा कहते हैं। "हम इस मुकद्दमे को जीतेंगे।"





















    डॉक्टर वीर कायरा के साहस और वफादारी से प्रभावित होते हैं, और उन्हें उस पर गर्व होता है। उन्हें पता है कि कायरा एक असाधारण लड़की है।





















    "तुम बहुत बहादुर हो, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मुझे फिर से उम्मीद दी है।"





















    कायरा डॉक्टर वीर को विश्वास दिलाती है कि वो उन्हें इस मुश्किल से बाहर निकाल लेगी, और उन्हें उम्मीद मिलती है। वो दोनों एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं।





















    अदालत में सुनवाई होती है, और कायरा अपनी तेज दिमाग और आत्मविश्वास से अस्पताल का बचाव करती है, जिससे जज प्रभावित होते हैं। वो एक-एक सबूत को पेश करती है, और डॉक्टर वीर की बेगुनाही साबित करने की कोशिश करती है।





















    "डॉक्टर वीर एक अच्छे इंसान हैं," कायरा कहती है। "उन्होंने कई लोगों की जान बचाई है, और वो कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाएँगे।"





















    कायरा अदालत में एक ज़ोरदार भाषण देती है, जिसमें वो डॉक्टर वीर के मानवीय पक्ष पर प्रकाश डालती है, और बताती है कि कैसे उन्होंने अपने अतीत के दर्द से उबरकर एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश की। वो लोगों को डॉक्टर वीर पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है।





















    हर कोई कायरा की बातों से प्रभावित होता है, और जज भी उसकी बातों पर ध्यान देते हैं। अब ये देखना है कि क्या कायरा डॉक्टर वीर को बचा पाएगी।





















    लेकिन क्या कायरा की कोशिशें सफल होंगी? क्या अदालत डॉक्टर वीर को निर्दोष मानेगी? और क्या अस्पताल फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा? ये सवाल अभी भी कायरा और डॉक्टर वीर के दिमाग में घूम रहे थे, क्योंकि फ़ैसला अभी आना बाकी था, और हर किसी को उस फ़ैसले का बेसब्री से इंतज़ार था। क्या कायरा डॉक्टर वीर को बचा पाएगी, या उनका साथ यही तक था?

  • 18. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 18

    Words: 609

    Estimated Reading Time: 4 min

    कायरा और डॉक्टर वीर के दिमाग में घूम रहे थे, क्योंकि फ़ैसला अभी आना बाकी था, और हर किसी को उस फ़ैसले का बेसब्री से इंतज़ार था। क्या कायरा डॉक्टर वीर को बचा पाएगी, या उनका साथ यहीं तक था?

























    अदालत में सन्नाटा छाया हुआ है। हर कोई सांस रोककर जज के फैसले का इंतजार कर रहा है। कायरा डॉक्टर वीर की ओर देखती है, और वो दोनों एक-दूसरे को हौसला देते हैं।

























    जज अपनी कुर्सी पर बैठते हैं, और वो अपनी बात शुरू करते हैं। उनकी आवाज गंभीर है, और हर कोई उनकी बातों पर ध्यान दे रहा है।

























    "इस मामले की सभी बातों को ध्यान में रखते हुए," जज कहते हैं, "अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि डॉक्टर वीर अग्निहोत्री पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।"

























    ये सुनते ही अदालत में खुशी की लहर दौड़ जाती है। कायरा और डॉक्टर वीर एक-दूसरे को गले लगाते हैं, उनकी आँखों में आँसू हैं। उन्होंने ये लड़ाई जीत ली थी।

























    मुकद्दमा अस्पताल के पक्ष में आता है, और अस्पताल की प्रतिष्ठा बच जाती है। ये कायरा और डॉक्टर वीर की जीत थी, और ये अस्पताल के हर सदस्य की जीत थी।

























    डॉक्टर वीर कायरा का धन्यवाद करते हैं, और उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान होती है, जो उनके दिल की बात कहती है। वो कायरा के प्रति हमेशा आभारी रहेंगे।

























    "तुमने मेरी जान बचाई, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।"

























    कायरा और डॉक्टर वीर के बीच का रिश्ता अब और भी गहरा हो गया है, जहां वे एक-दूसरे पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं। वे एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।

























    पुराना मरीज का परिवार, जिसने मुकद्दमा दायर किया था, अब डॉक्टर वीर के व्यवहार में बदलाव को देखकर प्रभावित होता है और उनसे माफी मांगता है। उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है।

























    डॉक्टर वीर उन्हें माफ कर देते हैं, और उन्हें लगता है कि उन्होंने अपने अतीत से कुछ सीखा है। वो अब एक बेहतर इंसान बन गए हैं।

























    "हमें माफ कर दीजिए, डॉक्टर वीर," मरीज का परिवार कहता है। "हमने आपको गलत समझा।"

























    अस्पताल में एक बड़ा सम्मान समारोह का आयोजन होता है, जिसमें डॉक्टर वीर और कायरा दोनों को सम्मानित किया जाता है। ये उनकी मेहनत और लगन का फल था।

























    डीन शर्मा डॉक्टर वीर की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अस्पताल के लिए एक प्रेरणा बताते हैं। वो उनके बदलाव को देखकर बहुत खुश हैं।

























    "डॉक्टर वीर एक सच्चे हीरो हैं," डीन शर्मा कहते हैं। "उन्होंने इस अस्पताल को बहुत कुछ दिया है।"

























    डॉक्टर वीर कायरा को एक होनहार मरीज़ और एक असाधारण इंसान घोषित करते हैं, और कहते हैं कि कायरा ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है। वो कायरा के प्रति हमेशा आभारी रहेंगे।

























    "कायरा एक अद्भुत लड़की है," डॉक्टर वीर कहते हैं। "उसने मुझे जीना सिखाया है।"

























    कायरा अपनी बीमारी से काफी हद तक उबर जाती है और अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाली है। वो अपनी नई जिंदगी शुरू करने के लिए उत्साहित है।

























    डॉक्टर वीर उसे एक नया जीवन शुरू करने में मदद करते हैं, वो उसे उसके करियर के लिए एक अवसर प्रदान करते हैं। वो चाहते हैं कि कायरा अपनी सफलता की ऊंचाइयों को छुए।

























    लेकिन क्या कायरा सच में ठीक हो गई है? क्या वो अपनी नई जिंदगी में खुश रह पाएगी? और क्या डॉक्टर वीर अपने अतीत के दर्द को पूरी तरह से भूल पाएंगे? ये सवाल अभी भी कायरा और डॉक्टर वीर के दिलों में कहीं दबे हुए थे, क्योंकि ज़िंदगी हमेशा आसान नहीं होती, और मुश्किलें कभी भी आ सकती हैं। क्या ये सिर्फ़ एक नई शुरुआत है, या किसी बड़ी कहानी का एक छोटा सा हिस्सा? ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।


  • 19. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 19

    Words: 521

    Estimated Reading Time: 4 min

    यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।



























    कायरा अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाती है, और मिसेस वर्मा बहुत खुश होती हैं। उनकी बेटी आखिरकार घर वापस आ रही है।



























    कबीर कायरा को घर ले जाता है, और वे अपनी खुशी का जश्न मनाते हैं। उनके दोस्त और परिवार उनके साथ हैं।



























    "वेलकम होम, कायरा!" कबीर चिल्लाता है। "हम तुम्हें बहुत मिस कर रहे थे।"



























    डॉक्टर वीर कायरा को एक नया जीवन शुरू करने में मदद करते हैं, वो उसे एक इंटरनेशनल ब्लॉगिंग प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर प्रदान करते हैं। वो जानते हैं कि कायरा एक शानदार ब्लॉगर बन सकती है।



























    "ये तुम्हारे लिए एक सुनहरा अवसर है, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "मुझे विश्वास है कि तुम इसमें सफल होगी।"



























    कायरा अपनी कला/ब्लॉगिंग में वापस आती है और अपनी बीमारी के अनुभव को लोगों के साथ शेयर करती है, जिससे दूसरों को प्रेरणा मिलती है। वो अपनी कहानी से लोगों को हिम्मत देती है।



























    "अगर मैं कर सकती हूँ, तो तुम भी कर सकते हो," कायरा अपने ब्लॉग में लिखती है। "कभी हार मत मानो।"



























    डॉक्टर वीर का स्वभाव नरम पड़ता है। वो अभी भी सख्त हैं, पर अब उनमें इंसानियत और सहानुभूति दिखाई देती है। वो अब मरीजों के साथ और ज़्यादा घुलमिल जाते हैं।



























    डॉक्टर वीर मरीजों और उनके परिवारों के साथ बेहतर ढंग से जुड़ना शुरू करते हैं, वो उन्हें अधिक धैर्य और समझदारी से सुनते हैं। वो उनके दर्द को समझने की कोशिश करते हैं।



























    "मुझे माफ़ करना अगर मैंने तुम्हें कभी दुखी किया," डॉक्टर वीर एक मरीज से कहते हैं। "मैं तुम्हें बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करूंगा।"



























    डॉक्टर स्नेहा और नर्स कविता ये बदलाव देखकर खुश होते हैं, उन्हें लगता है कि कायरा ने डॉक्टर वीर को बदल दिया है। वे जानते हैं कि डॉक्टर वीर अब एक बेहतर इंसान हैं।



























    "कायरा ने डॉक्टर वीर में इंसानियत जगा दी," नर्स कविता कहती है। "ये एक चमत्कार है।"



























    कायरा और डॉक्टर वीर के बीच एक अनोखा रिश्ता बन जाता है - गुरु-शिष्य, दोस्त, और एक-दूसरे के लिए एक इमोशनल सहारा। वे एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।



























    कायरा अपने ब्लॉग में डॉक्टर वीर के बारे में लिखती है, कि कैसे उन्होंने उसे न सिर्फ़ शारीरिक रूप से ठीक किया, बल्कि उसे जीने की एक नई वजह भी दी। वो बताती है कि डॉक्टर वीर ने उसकी जिंदगी बदल दी।



























    "डॉक्टर वीर सिर्फ़ मेरे डॉक्टर नहीं हैं, वो मेरे दोस्त और मेरे गुरु भी हैं," कायरा लिखती है। "मैं उन्हें हमेशा याद रखूंगी।"



























    डॉक्टर वीर कायरा के ब्लॉग को पढ़ते हैं और उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान होती है, जो उनके दिल की बात कहती है। वो कायरा के प्रति हमेशा आभारी रहेंगे।



























    लेकिन क्या कायरा और डॉक्टर वीर का रिश्ता हमेशा ऐसा ही रहेगा? क्या कोई नई चुनौती उनके रास्ते में आएगी? और क्या वे अपनी ज़िंदगी में हमेशा खुश रह पाएंगे? ये सवाल अभी भी हवा में तैर रहे थे, और हर किसी को उन सवालों के जवाब का इंतज़ार था। क्या कायरा और डॉक्टर वीर का ये सफर यहीं खत्म हो जाएगा, या ये एक नई कहानी की शुरुआत है?



  • 20. ज़िंदगी का पर्चा - Chapter 20

    Words: 780

    Estimated Reading Time: 5 min

    कायरा और डॉक्टर वीर का ये सफर यहीं खत्म हो जाएगा, या ये एक नई कहानी की शुरुआत है?





























    कुछ महीने बीत जाते हैं। कायरा अब एक जानी-मानी ब्लॉगर बन चुकी है, और उसकी कहानी लाखों लोगों को इंस्पायर कर रही है। वो अपनी बीमारी से जुड़ी अवेयरनेस फैलाने के लिए अलग-अलग इवेंट्स में हिस्सा लेती है, और लोगों को बताती है कि ज़िंदगी में कभी हार नहीं माननी चाहिए।





























    उसी दौरान, डॉक्टर वीर अपने अस्पताल में पहले से ज़्यादा डेडिकेशन से काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने बिहेवियर में काफी बदलाव किए हैं, और अब वो मरीज़ों के साथ ज़्यादा हमदर्दी से पेश आते हैं। उनकी कोशिश होती है कि वो हर मरीज़ को बेहतर से बेहतर ट्रीटमेंट दे सकें, और उन्हें किसी भी तरह की परेशानी न हो।





























    एक दिन, कायरा को एक बड़ी स्पीच देने का मौका मिलता है। ये स्पीच उसकी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित होने वाली थी, क्योंकि इसमें वो अपनी पूरी जर्नी के बारे में बताने वाली थी, और ये भी बताने वाली थी कि डॉक्टर वीर ने उसकी ज़िंदगी में कितना बड़ा रोल प्ले किया है।





























    कायरा थोड़ी नर्वस है, लेकिन वो जानती है कि उसे ये स्पीच देनी ही होगी। वो अपनी बात कहने के लिए स्टेज पर जाती है, और ऑडियंस में बैठे लोगों को देखकर थोड़ा मुस्कुराती है।





























    "आज मैं आप लोगों को अपनी ज़िंदगी के बारे में बताने आई हूँ," कायरा कहती है। "ये कहानी एक ऐसी बीमारी से शुरू होती है, जिसने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया था।"





























    कायरा अपनी बीमारी के बारे में बताती है, और ये भी बताती है कि कैसे उसे डॉक्टर वीर मिले। वो बताती है कि डॉक्टर वीर शुरू में कितने सख्त थे, और कैसे धीरे-धीरे उनमें बदलाव आया।





























    "डॉक्टर वीर ने मुझे न सिर्फ़ ठीक किया, बल्कि उन्होंने मुझे जीना भी सिखाया," कायरा कहती है। "उन्होंने मुझे बताया कि ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है, और हमें इसका हर पल एन्जॉय करना चाहिए।"





























    कायरा की स्पीच सुनकर ऑडियंस में बैठे लोग इमोशनल हो जाते हैं। कई लोगों की आँखों में आँसू आ जाते हैं, और वो कायरा की हिम्मत और हौसले की दाद देते हैं।





























    डॉक्टर वीर भी ऑडियंस में बैठे हैं, और वो कायरा की स्पीच सुनकर बहुत खुश हैं। उन्हें कायरा पर गर्व है, और वो जानते हैं कि कायरा ने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ अचीव किया है।





























    स्पीच खत्म होने के बाद, कायरा को स्टैंडिंग ओवेशन मिलता है। लोग उसे घेर लेते हैं, और उसे बधाई देते हैं।





























    कुछ देर बाद, कायरा डॉक्टर वीर के पास जाती है, और उन्हें गले लगा लेती है। वो दोनों एक-दूसरे को कुछ नहीं कहते, लेकिन उनकी आँखों में बहुत कुछ लिखा होता है।





























    "थैंक यू, डॉक्टर वीर," कायरा कहती है। "आपने मेरी ज़िंदगी बदल दी।"





























    "नहीं, कायरा," डॉक्टर वीर कहते हैं। "तुमने मेरी ज़िंदगी बदल दी। तुमने मुझे सिखाया कि ज़िंदगी में प्यार और इंसानियत कितनी ज़रूरी है।"





























    कायरा और डॉक्टर वीर के बीच का रिश्ता अब एक नई ऊँचाई पर पहुँच गया है। वो दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं, और वो जानते हैं कि वो हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़े रहेंगे।





























    कुछ दिनों बाद, कायरा अपने ब्लॉग में डॉक्टर वीर के बारे में एक आख़िरी पोस्ट लिखती है। इस पोस्ट का टाइटल है "पत्थर का डॉक्टर और ज़िंदगी का पर्चा।"





























    इस पोस्ट में, कायरा डॉक्टर वीर की खूब तारीफ करती है, और उन्हें अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा इंस्पिरेशन बताती है। वो कहती है कि डॉक्टर वीर ने उसे जीना सिखाया, और वो हमेशा उनकी शुक्रगुज़ार रहेगी।





























    डॉक्टर वीर उस पोस्ट को पढ़ते हैं, और उनके चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल आ जाती है। वो जानते हैं कि कायरा ने उनके बारे में जो भी लिखा है, वो सब सच है।





























    एक दिन, कायरा और डॉक्टर वीर अस्पताल के कॉरिडोर में चलते हुए दिखाई देते हैं। वो दोनों शायद किसी और मरीज़ की मदद करने जा रहे हैं, या फिर वो सिर्फ़ बात कर रहे हैं।





























    वो दोनों अभी भी एक-दूसरे को 'कठपुतली' और 'खड़ूस' कहकर चिढ़ाते हैं, पर उनकी बातों और आँखों में एक गहरे सम्मान और लगाव का भाव होता है। उनकी जर्नी आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ा।





























    सीरियल इस मैसेज के साथ खत्म होता है कि कभी-कभी सबसे मुश्किल रिश्ते ही आपको सबसे बड़ी सीख दे जाते हैं, और हर जख्म का इलाज सिर्फ़ दवा नहीं, बल्कि समझ और मानवीय संबंध भी होता है। क्या ये कायरा और डॉक्टर वीर की कहानी का अंत है, या ये एक नई शुरुआत का संकेत है? शायद ये दोनों ही हैं, क्योंकि ज़िंदगी हमेशा बदलती रहती है, और हमें हमेशा नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।