यह एक कॉलेज कैम्पस की कहानी है, जहाँ साहित्य के एक बेहद कड़क और नियम-पसंदीदा प्रोफेसर, डॉ. राघव शर्मा (उम्र 39), जिन्हें छात्र 'अकड़ू सर' के नाम से जानते हैं, और उनकी सबसे भोली, थोड़ी अनाड़ी लेकिन दिल की बेहद अच्छी छात्रा, अदिति सिंह (उम्र 23), की दु... यह एक कॉलेज कैम्पस की कहानी है, जहाँ साहित्य के एक बेहद कड़क और नियम-पसंदीदा प्रोफेसर, डॉ. राघव शर्मा (उम्र 39), जिन्हें छात्र 'अकड़ू सर' के नाम से जानते हैं, और उनकी सबसे भोली, थोड़ी अनाड़ी लेकिन दिल की बेहद अच्छी छात्रा, अदिति सिंह (उम्र 23), की दुनिया एक-दूसरे से टकराती है। यह कॉमेडी, इमोशन और अप्रत्याशित रिश्तों की एक मज़ेदार यात्रा है।
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**अध्याय 1: महा-टक्कर**
**सीन 1: कॉलेज का कॉरिडोर - सुबह 8:50 बजे**
कॉलेज का सुबह का माहौल चहल-पहल भरा था। छात्र अपनी-अपनी कक्षाओं की ओर बढ़ रहे थे। कुछ दोस्त झुंड बनाकर बातें कर रहे थे, कुछ अकेले अपनी किताबों में डूबे हुए थे। सूरज की हल्की किरणें कॉरिडोर में आ रही थीं, जिससे सब कुछ सुनहरी लग रहा था।
डॉ. राघव शर्मा अपने ऑफिस की ओर तेज़ कदमों से आ रहे थे। उनके हाथ में एक महत्वपूर्ण शोध-पत्र था और चेहरे पर वही चिर-परिचित गंभीरता। उनके कोट के बटन करीने से बंद थे और उनके बाल सलीके से जमे हुए थे। उनकी आँखों पर स्टाइलिश चश्मा था, जिसके पीछे से उनकी तीखी निगाहें सब कुछ बारीकी से आंक रही थीं।
दूसरी तरफ़, अदिति सिंह, अपनी सहेली रिया से हंसते हुए बात करती आ रही थी। उसके हाथ में ढेर सारी किताबें थीं और एक बड़ा सा जूस का गिलास भी। वह किसी सपने में खोई हुई लग रही थी, दुनिया से बेखबर। उसके बाल थोड़े बिखरे हुए थे और उसकी सलवार-कमीज़ थोड़ी सिकुड़ी हुई थी, जैसे वह अभी-अभी किसी काम में उलझकर निकली हो।
रिया ने हंसते हुए कहा, "यार, अदिति! तू हमेशा इतनी लेट क्यों होती है? आज फिर सर की डांट खाने का इरादा है क्या?"
अदिति ने लापरवाही से कंधे उचकाए। "अरे यार रिया! क्या करें, सुबह उठने का मन ही नहीं करता। और वैसे भी, सर कितना भी डांट लें, मैं तो हंसकर 'सॉरी सर' बोल दूंगी।" वह हंसने लगी।
रिया ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "हंसना तो दूर की बात है, तेरी तो आवाज भी नहीं निकलेगी जब 'अकड़ू सर' दहाड़ेंगे।"
अदिति ने मुँह बनाते हुए कहा, "अकड़ू सर... नाम ही इतना डरावना है! पर क्या करें, लिटरेचर तो पढ़ना ही है ना!"
तभी...
"धड़ाम!"
अचानक, अदिति प्रोफेसर राघव शर्मा से टकरा जाती है। जूस का सारा गिलास प्रोफेसर के नए, महँगे ब्लेज़र पर गिर जाता है। नारंगी रंग का जूस प्रोफेसर के पूरे कोट पर फैल जाता है, जिससे एक बड़ा सा दाग बन जाता है।
कॉरिडोर में अचानक सन्नाटा छा जाता है। आस-पास के छात्र रुक जाते हैं और डर से प्रोफेसर और अदिति को देखने लगते हैं।
राघव ने ठंडे, लेकिन खतरनाक लहजे में कहा, "ये... ये क्या बदतमीज़ी है, मिस सिंह! क्या आप अपनी आँखें जेब में रखकर चलती हैं? या दिमाग कहीं और छोड़कर आई हैं?" उनकी आवाज़ में गुस्सा साफ झलक रहा था।
अदिति डर से पीली पड़ जाती है। वह हकलाते हुए बोली, "स... सॉरी सर! बहुत-बहुत सॉरी! मेरा ध्यान नहीं था। मैं... मैं अभी साफ़ करती हूँ!" वह अपनी ओढ़नी का कोना निकालकर सर के ब्लेज़र को पोंछने लगती है, जिससे दाग और फैल जाता है।
राघव गुस्से से उसका हाथ हटाते हुए बोले, "हाथ मत लगाओ! इसे और ख़राब कर दिया तुमने! क्या तुम्हें कुछ भी ढंग से करना आता है? तुम किस डिपार्टमेंट की हो?"
अदिति ने डरते हुए कहा, "सर, मैं फर्स्ट ईयर, बीए ऑनर्स (इंग्लिश लिटरेचर) की छात्र हूँ, अदिति सिंह।"
राघव ने भौंहें सिकोड़ कर कहा, "अदिति सिंह! ओहो! तो तुम वो हो जो मेरी लिटरेचर क्लास में 'शून्य' लेकर आई थी! क्या तुम जानती हो कि तुम्हारे जैसे छात्रों की वजह से ही शिक्षा का स्तर गिर रहा है?"
अदिति का चेहरा और भी फीका पड़ गया। वह धीरे से बोली, "स...सॉरी सर।"
राघव ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "आज से तुम्हारी अटेंडेंस सिर्फ़ मेरी क्लास में नहीं, बल्कि मेरे ऑफिस में भी लगेगी! हर रोज क्लास के बाद तुम मेरे ऑफिस में एक घंटा बिताओगी और मुझे असिस्ट करोगी। समझ आया?"
अदिति ने सिर झुकाकर "जी सर" कहा। बाकी छात्र चुपचाप हंस रहे थे। रिया ने अदिति को सांत्वना भरी नज़रों से देखा।
तभी, डॉ. कपिल देव दूर से इस घटना को देखते हैं। उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान झलकती है। उनके मन में राघव के प्रति ईर्ष्या की पहली चिंगारी उठती है। वे सोचते हैं, 'राघव को नीचा दिखाने का एक और मौका मिल गया।'
**सीन 2: लिटरेचर क्लास - सुबह 9:00 बजे**
क्लास शुरू होती है। राघव सर अपने गुस्सैल मूड में क्लास में आते हैं। उनका ब्लेज़र अभी भी थोड़ा गीला है और उस पर जूस का हल्का दाग दिख रहा है। क्लास में सन्नाटा छा जाता है।
अदिति क्लास में सबसे पीछे, सिकुड़ कर बैठी है। उसे डर लग रहा है कि सर उसे फिर से डांटेंगे।
सर पढ़ाना शुरू करते हैं – "गुड मॉर्निंग क्लास! आज हम जॉन कीट्स की रोमांटिक कविताओं के बारे में बात करेंगे... कीट्स ने अपनी कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण किया है... उन्होंने प्रकृति को मानवीय भावनाएं दी हैं..."
अचानक, सर एक सवाल पूछते हैं, "किसी को पता है, 'ओड टू अ नाइटिंगेल' में कवि किस पक्षी का ज़िक्र कर रहे हैं?"
कोई जवाब नहीं देता। क्लास में सन्नाटा छाया हुआ है। सर की निगाह अदिति पर पड़ती है।
राघव ने तंज भरे लहजे में कहा, "मिस सिंह! लगता है आप गहरी सोच में डूबी हैं। बताइए, 'नाइटिंगेल' मतलब क्या?"
अदिति हड़बड़ा कर खड़ी होती है। उसे समझ नहीं आ रहा कि क्या जवाब दे।
अदिति ने डरते हुए कहा, "जी सर... नाइटिंगेल... वो... वो कोई... रात में गाने वाला पक्षी... उल्लू?"
पूरी क्लास में हल्की हंसी गूंज जाती है। कुछ छात्र अपनी हंसी दबाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ खुलकर हंस रहे हैं। राघव सर का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है।
राघव चिल्लाकर बोले, "उल्लू? मिस सिंह! यह कौन सा साहित्य है जो आपने पढ़ा है? क्या आप जानती हैं कि उल्लू रात में बोलता है, लेकिन नाइटिंगेल अलग पक्षी है! नाइटिंगेल मतलब बुलबुल होता है! अगर आपको पक्षियों का इतना ही ज्ञान है तो जाइए, चिड़ियाघर घूमकर आइए! और हाँ, आज शाम को मेरे ऑफिस में आकर मेरे सारे पुराने शोध-पत्रों की एंट्री एक्सेल शीट में करनी है, याद है न?"
अदिति सिर हिलाती है और शर्म से नीचे बैठ जाती है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।
राहुल वर्मा, सर के प्रति अपनी पुरानी खुन्नस के कारण, अदिति का जमकर मज़ाक उड़ाता है, जिससे सर उसे भी डांटते हैं। राहुल मन ही मन सोचता है, 'देखता हूँ अब ये अकड़ू सर क्या करते हैं!'
अदिति अपने अनाड़ीपन के कारण शर्मिंदा होती है, लेकिन दिल से वह सर की मदद करना चाहती है। वह सोचती है, 'शायद मैं कुछ अच्छा कर सकूँ...'
क्लास खत्म होने के बाद, रिया अदिति के पास आती है और उसे सांत्वना देती है।
रिया ने कहा, "अदिति, तू इतनी परेशान मत हो। सर तो ऐसे ही हैं। तू बस अपना काम ईमानदारी से कर, सब ठीक हो जाएगा।"
अदिति ने उदास होकर कहा, "मुझे डर लग रहा है रिया। मैं सर के ऑफिस में क्या करूँगी? मुझे तो कंप्यूटर भी ठीक से चलाना नहीं आता।"
रिया ने उसे गले लगाते हुए कहा, "तू कर लेगी, अदिति। मुझे पता है तू बहुत मेहनती है। और अगर कोई परेशानी हो तो मैं हूँ ना!"
अदिति ने रिया को थैंक यू कहा और वह सर के ऑफिस में जाने के लिए तैयार हो जाती है। उसे पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन वह हार मानने को तैयार नहीं थी।
**[अध्याय 1 समाप्त]**
**अध्याय 2: उल्लू और बुलबुल**
**सीन 1: लिटरेचर क्लास के बाद - सुबह 10:00 बजे**
अदिति क्लास से निकलती है, उसका चेहरा उतरा हुआ है। रिया उसके साथ-साथ चल रही है, उसे ढांढस बंधाने की कोशिश कर रही है।
रिया ने कहा, "देख अदिति, इतना मत सोच। 'उल्लू' बोल दिया तो क्या हो गया? अगली बार 'बुलबुल' बोल देना।"
अदिति ने उदास होकर कहा, "मुझे डर लग रहा है, रिया। सर तो मुझे जीने नहीं देंगे। ऑफिस में क्या करवाएंगे, पता नहीं।"
रिया ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा, "अरे, तू कर लेगी। थोड़ा ध्यान से काम करना, और सर को सॉरी बोलती रहना। बस इतना ही काफी है।"
तभी राहुल वर्मा उनके पास आता है, उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान है।
राहुल ने तंज कसते हुए कहा, "क्या हुआ अदिति? आज तो बड़ी उदास लग रही हो। 'अकड़ू सर' ने फिर डांट दिया क्या?"
अदिति ने उसे अनदेखा करने की कोशिश की, लेकिन राहुल नहीं माना।
राहुल ने रिया की तरफ देखकर कहा, "रिया, तुम्हारी दोस्त तो बिलकुल बुद्धू है। इसे तो 'उल्लू' और 'बुलबुल' में भी फर्क नहीं पता।"
रिया गुस्से से बोली, "राहुल, तुम्हें कोई काम नहीं है क्या? जाओ यहाँ से।"
राहुल ने हंसते हुए कहा, "अच्छा, ठीक है। पर अदिति, याद रखना, 'अकड़ू सर' के ऑफिस में ज़्यादा गड़बड़ मत करना, वरना तुम्हारी खैर नहीं।"
राहुल वहां से चला जाता है, और अदिति और भी उदास हो जाती है।
रिया ने गुस्से से कहा, "ये राहुल तो बिलकुल ही घटिया है। हमेशा दूसरों को परेशान करता रहता है।"
अदिति ने धीरे से कहा, "मुझे डर लग रहा है रिया। मैं क्या करूँ?"
रिया ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "तू डर मत। मैं तेरे साथ हूँ। चल, मैं तुझे सर के ऑफिस तक छोड़ आती हूँ।"
**सीन 2: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - सुबह 10:30 बजे**
अदिति रिया के साथ प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस के सामने खड़ी है। ऑफिस का दरवाजा बंद है। अदिति अंदर जाने से डर रही है।
रिया ने कहा, "चल अदिति, अब अंदर जा। डर मत, मैं यहीं बाहर खड़ी हूँ।"
अदिति ने गहरी सांस ली और दरवाजे पर दस्तक दी।
अंदर से राघव की आवाज़ आई, "अंदर आ जाओ।"
अदिति धीरे से दरवाजा खोलती है और अंदर जाती है। रिया दरवाजे के बाहर खड़ी रहती है, उसे हौसला देती हुई।
ऑफिस बहुत अस्त-व्यस्त है। किताबें, फाइलें और कागजात हर जगह बिखरे हुए हैं। एक बड़ी सी डेस्क है, जो कागजों के ढेर से ढकी हुई है। एक कोने में किताबों की अलमारी है, जो पूरी तरह से भरी हुई है।
राघव अपनी डेस्क पर बैठे हुए हैं, और कुछ लिख रहे हैं। वे अदिति को देखकर अपनी नज़रें उठाते हैं।
राघव ने ठंडे स्वर में कहा, "गुड मॉर्निंग मिस सिंह। मुझे उम्मीद है कि आज आप कोई गड़बड़ नहीं करेंगी।"
अदिति ने डरते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग सर। मैं पूरी कोशिश करूँगी।"
राघव ने एक कागज़ की ओर इशारा करते हुए कहा, "आज आपको मेरे ऑफिस में पहली बार सहायक के तौर पर काम करना है, जो बहुत अस्त-व्यस्त है। ये फ़ाइलें व्यवस्थित करनी है।"
अदिति ने कहा, "ठीक है सर।"
राघव ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "ये फाइलें अलमारी में रखनी हैं। हर फाइल पर एक लेबल लगा हुआ है, उस लेबल के हिसाब से ही आपको उन्हें सही जगह पर रखना है। समझ आया?"
अदिति ने कहा, "जी सर, समझ आ गया।"
राघव ने चेतावनी देते हुए कहा, "और ध्यान रहे, कोई भी फाइल गलत जगह पर नहीं जानी चाहिए। अगर कोई भी गड़बड़ हुई, तो आपको इसका अंजाम भुगतना होगा।"
अदिति ने डरते हुए कहा, "मैं पूरी सावधानी से काम करूँगी, सर।"
राघव ने कहा, "गुड। अब आप अपना काम शुरू कर सकती हैं।"
अदिति फाइलों को व्यवस्थित करने का काम शुरू कर देती है। वह एक-एक फाइल को ध्यान से देखती है और उन्हें अलमारी में सही जगह पर रखने की कोशिश करती है। लेकिन वह बहुत नर्वस है, और उसके हाथ कांप रहे हैं।
**सीन 3: फाइलों का अम्बार - सुबह 11:00 बजे**
अदिति सर के ऑफिस में पहली बार सहायक के तौर पर काम करने आती है, जो बहुत अस्त-व्यस्त है।
उसे फाइलों को व्यवस्थित करने का काम मिलता है, लेकिन वह बहुत घबराई हुई है। वह एक फाइल निकालती है और उसे अलमारी में रखने की कोशिश करती है, लेकिन उसका हाथ कांप रहा है, और वह फाइल को गलत अलमारी में रख देती है।
अदिति को पता नहीं चलता कि उसने फाइल को गलत जगह पर रख दिया है। वह दूसरी फाइल निकालती है और उसे भी अलमारी में रखने की कोशिश करती है, लेकिन वह फिर से गलती कर देती है।
थोड़ी देर में, अदिति ने कई फाइलें गलत अलमारियों में रख दी हैं। ऑफिस और भी अस्त-व्यस्त हो जाता है।
राघव अपनी डेस्क पर बैठे हुए काम कर रहे हैं, और उन्हें इस बात का पता नहीं है कि अदिति क्या कर रही है।
अचानक, राघव को एक ज़रूरी फाइल की ज़रूरत पड़ती है। वे अलमारी के पास जाते हैं और फाइल को ढूंढने लगते हैं।
राघव ने गुस्से से कहा, "ये फाइल कहाँ है? मैंने तो इसे यहीं रखा था।"
वे अलमारी में हर जगह फाइल को ढूंढते हैं, लेकिन उन्हें वह फाइल नहीं मिलती। उनका गुस्सा बढ़ता जाता है।
राघव ने कहा, "ये क्या बदतमीज़ी है? कौन मेरी फाइलें इधर-उधर कर रहा है?"
वे अदिति की तरफ देखते हैं, और उन्हें शक होता है।
राघव ने गुस्से से कहा, "मिस सिंह! क्या आप मेरी फाइलें इधर-उधर कर रही हैं?"
अदिति डरकर एक कोने में छिप जाती है।
अदिति ने डरते हुए कहा, "न... नहीं सर। मैं तो बस आपकी फाइलें व्यवस्थित कर रही हूँ।"
राघव ने कहा, "क्या व्यवस्थित कर रही हैं? मुझे तो कुछ भी व्यवस्थित नहीं लग रहा। सब कुछ और भी अस्त-व्यस्त हो गया है।"
वे पूरे ऑफिस में छानबीन करते हैं, फाइल को ढूंढते हुए। वे हर अलमारी को खोलते हैं और हर कागज़ को उलट-पलट कर देखते हैं।
राहुल वर्मा, जिसे पता चल जाता है कि अदिति सर के ऑफिस में है, खिड़की से झाँककर मज़ा लेता है। वह मन ही मन सोचता है, 'अब तो मज़ा आएगा।'
राघव "फ़ाइल कहाँ है!" चिल्लाते रहते हैं। उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच जाता है।
**[अध्याय 2 समाप्त]**
**अध्याय 3: फाइलों का अम्बार (जारी)**
**सीन 1: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - सुबह 11:15 बजे**
राघव गुस्से से पूरे ऑफिस में फ़ाइल ढूंढ रहे हैं। कागज़ इधर-उधर बिखरे पड़े हैं और किताबें अलमारी से आधी बाहर निकली हुई हैं। अदिति डर के मारे एक कोने में दुबकी हुई है, उसकी आँखों में आँसू भरे हैं।
राघव ने चिल्लाकर कहा, "ये क्या तमाशा बना रखा है! एक फ़ाइल भी ढंग से नहीं रख सकतीं तुम? ये कौन सा तरीका है काम करने का?"
अदिति सिसकते हुए बोली, "स... सॉरी सर। मुझसे गलती हो गई। मैं ठीक कर देती हूँ।"
राघव ने उस पर तीखी नज़र डाली। "ठीक क्या करोगी तुम? तुमने तो सब कुछ और बिगाड़ दिया है। मेरी सबसे ज़रूरी फ़ाइल गायब कर दी है!"
अदिति धीरे से उठी और डरते-डरते अलमारी के पास गई। उसने एक-एक करके फ़ाइलों को देखना शुरू किया।
राघव ने उसे टोका, "क्या कर रही हो? तुम्हें क्या पता कि कौन सी फ़ाइल कहाँ है? रुको, मैं ही देखता हूँ।"
राघव खुद अलमारी के पास गए और फ़ाइलों को उलटने-पलटने लगे। उनका गुस्सा और बढ़ रहा था।
बाहर, खिड़की से झाँक रहे राहुल वर्मा ने प्रोफेसर को परेशान देखकर मन ही मन तालियाँ बजाईं। "वाह! क्या सीन है! अदिति तो बिलकुल डूब गई अकड़ू सर के गुस्से में।" उसने धीरे से कहा।
काफी देर तक ढूंढने के बाद भी जब फ़ाइल नहीं मिली, तो राघव ने हार मान ली। वे अपनी डेस्क पर बैठ गए और सिर पकड़ लिया।
राघव ने निराशा से कहा, "ये फ़ाइल बहुत ज़रूरी थी। इसमें मेरे कई सालों की रिसर्च थी। अब मैं क्या करूँगा?"
अदिति ने हिम्मत जुटाकर कहा, "सर, आप मुझे बताइए, वो फ़ाइल कैसी दिखती थी। मैं उसे ढूंढने में आपकी मदद कर सकती हूँ।" उसकी आवाज़ में थोड़ी उम्मीद थी।
राघव ने उस पर शक भरी निगाह से देखा, लेकिन फिर भी बताने को तैयार हो गए। "वो एक नीले रंग की फ़ाइल थी, जिस पर 'रिसर्च प्रोजेक्ट - 2022' लिखा हुआ था। उसमें कुछ ग्राफ्स और डेटा भी थे।"
अदिति ने ध्यान से सुना और फिर से फ़ाइलों को ढूंढने में जुट गई। वह हर फ़ाइल को ध्यान से देखती रही, जैसे कि कोई जासूस हो।
**सीन 2: चाय में नमक का कमाल - सुबह 11:45 बजे**
काफी देर तक ढूंढने के बाद भी फ़ाइल नहीं मिली, तो अदिति ने सोचा कि सर के लिए चाय बना ले, शायद उनका गुस्सा थोड़ा शांत हो जाए।
अदिति ने डरते हुए कहा, "सर, क्या मैं आपके लिए चाय बना दूँ? शायद आपको थोड़ा अच्छा लगे।"
राघव ने बिना देखे ही कहा, "चाय? तुम्हें चाय बनाना भी आता है या उसमें भी कुछ गड़बड़ करोगी?" उनकी आवाज़ में व्यंग्य था।
अदिति ने कहा, "मैं कोशिश करूँगी कि सब ठीक हो।"
अदिति ऑफिस में बने छोटे से किचन में जाती है। वह चाय बनाने की तैयारी करती है। चीनी का डिब्बा ढूंढने की कोशिश में, उसका हाथ गलती से नमक के डिब्बे पर लग जाता है, जो बिलकुल चीनी के डिब्बे जैसा दिखता है।
अदिति, बिना ध्यान दिए, नमक के डिब्बे से नमक निकालती है और चाय में डाल देती है। वह चाय बनाती है और उसे एक कप में डालकर सर के पास ले जाती है।
अदिति ने सर को चाय देते हुए कहा, "लीजिए सर, चाय पी लीजिए।"
राघव ने कप लिया और एक घूँट भरी।
अगले ही पल, उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उन्होंने कप को ज़ोर से डेस्क पर रख दिया।
राघव चिल्लाकर बोले, "ये क्या है? ये चाय है या नमक का घोल? क्या तुम्हें ज़रा भी समझ नहीं है?"
अदिति डर से कांपने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ।
अदिति ने कहा, "स... सॉरी सर। मुझे लगा..."
राघव ने उसे बीच में ही रोक दिया। "तुम्हें कुछ नहीं पता! तुम्हें कोई भी काम ठीक से करना नहीं आता। तुम तो मेरे ऑफिस में मुसीबत बनकर आई हो!"
उसी समय, प्रोफेसर मीनाक्षी उनके ऑफिस में आती हैं। वे राघव और अदिति को झगड़ते हुए देखकर हैरान हो जाती हैं।
प्रोफेसर मीनाक्षी ने चिंता जताते हुए कहा, "राघव, क्या हो रहा है यहाँ? तुम इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो?"
राघव ने गुस्से से कहा, "मीनाक्षी, तुम बीच में मत पड़ो। ये मेरी और मिस सिंह की बात है।"
प्रोफेसर मीनाक्षी ने अदिति को सहानुभूति से देखा। वे मन ही मन सोचती हैं, 'बेचारी अदिति, राघव के गुस्से का शिकार हो गई।'
डॉ. कपिल देव को मीनाक्षी से इस घटना का पता चलता है, और वह कॉलेज में सबको बताता है कि राघव कितने 'क्रूर' और 'असंतुलित' हैं।
अदिति, रोते हुए, ऑफिस से बाहर निकल जाती है। रिया उसे बाहर इंतज़ार करती हुई मिलती है।
**सीन 3: कॉरिडोर - दोपहर 12:00 बजे**
रिया अदिति को रोते हुए देखकर परेशान हो जाती है। वह उसे गले लगा लेती है।
रिया ने कहा, "क्या हुआ अदिति? सर ने फिर डांट दिया क्या?"
अदिति ने सिसकते हुए कहा, "मैंने चाय में नमक डाल दिया, रिया। सर बहुत गुस्सा हो गए।"
रिया ने उसे शांत करते हुए कहा, "अरे, इसमें रोने वाली क्या बात है? गलती से हो गया होगा। चल, मैं तुझे कैंटीन में ले चलती हूँ। चाय पीकर तेरा मूड ठीक हो जाएगा।"
अदिति ने कहा, "मुझे डर लग रहा है, रिया। मैं सर के ऑफिस में वापस नहीं जाना चाहती।"
रिया ने उसे समझाया, "तू डर मत। सब ठीक हो जाएगा। बस थोड़ी सावधानी से काम करना, और सर को सॉरी बोलती रहना। और अगर ज़्यादा परेशानी हो तो मुझे बताना, मैं तेरे साथ हूँ।"
अदिति रिया के साथ कैंटीन की तरफ चली जाती है। वह सोचती है, 'मैं क्या करूँ? मैं सर को कभी खुश नहीं कर सकती।'
**[अध्याय 3 समाप्त]**
**अध्याय 4: शरारती कछुआ और झूठी अफ़वाह**
**सीन 1: कॉलेज कैंपस - दोपहर 1:00 बजे**
अदिति और रिया कैंटीन में बैठी चाय पी रही हैं। अदिति अभी भी थोड़ी उदास है, लेकिन रिया उसे हंसाने की कोशिश कर रही है।
रिया ने कहा, "चल अदिति, अब हंस भी दे। हर बार 'सॉरी सर' बोलकर तो काम नहीं चलेगा। कुछ तो मस्ती कर।"
अदिति ने मुस्कुराने की कोशिश की। "क्या मस्ती करूँ, रिया? मेरी तो किस्मत ही खराब है।"
तभी उनकी नज़र एक छोटे से कछुए पर पड़ती है, जो कैंपस में इधर-उधर भटक रहा है।
अदिति ने कहा, "अरे, ये कछुआ यहाँ क्या कर रहा है? शायद रास्ता भटक गया है।"
रिया ने कहा, "हाँ, ऐसा ही लग रहा है। चल, इसे कहीं सुरक्षित जगह पर छोड़ आते हैं।"
अदिति और रिया कछुए के पास जाती हैं। अदिति उसे प्यार से उठा लेती है।
अदिति ने कहा, "कितना प्यारा है ये! इसे तो डर भी नहीं लग रहा।"
रिया ने कहा, "चल, इसे ले चलते हैं। कहीं कोई इसे कुचल न दे।"
अदिति कछुए को लेकर चल देती है, लेकिन उसे समझ नहीं आता कि उसे कहाँ छोड़े।
अदिति ने कहा, "इसे कहाँ छोड़ें रिया? यहाँ तो हर जगह भीड़ है।"
रिया ने सोचा और कहा, "क्यों न इसे सर के ऑफिस में छोड़ दें? वहाँ तो कोई नहीं होता, और कछुआ आराम से घूमता रहेगा।"
अदिति चौंक जाती है। "सर के ऑफिस में? नहीं रिया, सर तो गुस्सा हो जाएंगे। उन्हें जानवर पसंद नहीं हैं।"
रिया ने उसे मनाने की कोशिश की। "अरे, कुछ नहीं होगा। सर को पता भी नहीं चलेगा। हम चुपके से इसे छोड़ आएंगे।"
अदिति मान जाती है, लेकिन वह बहुत डरी हुई है।
**सीन 2: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - दोपहर 1:30 बजे**
अदिति रिया के साथ सर के ऑफिस के सामने खड़ी है। दरवाजा खुला हुआ है, लेकिन अंदर कोई नहीं है।
रिया ने कहा, "चल अदिति, यही मौका है। जल्दी से कछुए को अंदर छोड़ दे।"
अदिति डरते हुए ऑफिस के अंदर जाती है। वह कछुए को ज़मीन पर रख देती है।
अदिति ने कहा, "जाओ, आराम से घूमना। किसी को परेशान मत करना।"
कछुआ धीरे-धीरे ऑफिस में घूमने लगता है। वह एक टेबल के पास जाता है और उससे टकरा जाता है, जिससे कुछ कागज़ नीचे गिर जाते हैं।
अदिति घबरा जाती है। "ओह नो! ये क्या कर दिया!"
वह जल्दी से कागज़ों को उठाने लगती है। तभी उसकी नज़र एक तस्वीर पर पड़ती है, जो सर के डेस्क पर रखी हुई है।
वह तस्वीर सर की एक जवान महिला के साथ है। दोनों मुस्कुरा रहे हैं। अदिति को लगता है कि वह सर की पत्नी होंगी।
अदिति तस्वीर को देखती रहती है, तभी उसे कछुए की आवाज़ सुनाई देती है।
अदिति ने देखा कि कछुआ सर के एक पौधे के गमले से टकरा गया है, जिससे गमला गिर गया है और मिट्टी बिखर गई है।
अदिति डर जाती है। "ये तो और भी बुरा हो गया!"
वह जल्दी से गमले को उठाती है और मिट्टी को समेटने लगती है।
तभी राहुल वर्मा, जो उस समय आसपास होता है, खिड़की से देखता है कि अदिति सर के ऑफिस में है। वह अंदर झांकता है और कछुए को देखता है।
राहुल के दिमाग में एक शैतानी विचार आता है। वह तुरंत अपने मोबाइल से तस्वीरें लेता है।
राहुल ने मन ही मन कहा, "अब तो सर की खैर नहीं। मैं इस कछुए का ऐसा इस्तेमाल करूँगा कि सर की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी।"
अदिति रिया को बुलाती है, और दोनों जल्दी से ऑफिस से निकल जाती हैं।
**सीन 3: सोशल मीडिया पर बवाल - शाम 5:00 बजे**
राहुल वर्मा सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करता है, जिसमें कछुआ सर के ऑफिस में दिख रहा है, साथ ही गमला टूटा हुआ है और कागज़ बिखरे हुए हैं।
राहुल ने कैप्शन में लिखा, "प्रोफेसर राघव शर्मा जानवरों को टॉर्चर करते हैं। देखिए, उन्होंने एक बेकसूर कछुए को अपने ऑफिस में बंद कर रखा है और उसे डरा रहे हैं। #शर्मनाक #जानवरों_पर_अत्याचार"
यह पोस्ट तुरंत वायरल हो जाती है। लोग सर को गालियां देने लगते हैं और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करने लगते हैं।
कॉलेज प्रशासन को भी इस बारे में पता चलता है। वे तुरंत एक आपातकालीन बैठक बुलाते हैं।
डॉ. कपिल देव इस मौके का फायदा उठाते हैं। वे कहते हैं कि सर का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है और उन्हें तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए।
**सीन 4: अदिति की चिंता - रात 8:00 बजे**
अदिति रिया के साथ हॉस्टल में बैठी है। वह सोशल मीडिया पर चल रहे बवाल को देखकर बहुत परेशान है।
अदिति ने कहा, "ये सब मेरी वजह से हुआ रिया। अगर मैं उस कछुए को सर के ऑफिस में नहीं छोड़ती, तो ये सब नहीं होता।"
रिया ने कहा, "तू इतना मत सोच अदिति। राहुल ने जानबूझकर ये सब किया है। वह हमेशा सर को परेशान करता रहता है।"
अदिति ने कहा, "लेकिन अब क्या होगा रिया? लोग सर को गालियां दे रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।"
रिया ने कहा, "हमें कुछ करना होगा अदिति। हमें सच बताना होगा। हमें सबको बताना होगा कि राहुल ने झूठ बोला है।"
अदिति और रिया फैसला करती हैं कि वे कल सुबह कॉलेज प्रशासन के पास जाएंगी और सब कुछ सच बता देंगी।
अदिति ने कछुए को दूर सुरक्षित जगह पर छोड़ आती है, मन ही मन सर के स्वभाव पर हैरान होती है।
**[अध्याय 4 समाप्त]**
**अध्याय 5: लाइब्रेरी का बवाल**
**सीन 1: कॉलेज लाइब्रेरी - रात 9:30 बजे**
अदिति और रिया लाइब्रेरी में बैठी हैं। अदिति कछुए वाले मामले से परेशान है, इसलिए वह लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई करने की कोशिश कर रही है, ताकि उसका ध्यान थोड़ा बंट जाए। रिया उसे सपोर्ट करने के लिए साथ आई है।
रिया ने कहा, "अदिति, थोड़ा रिलैक्स कर। तू कब से एक ही पेज को घूर रही है? दिमाग खराब हो जाएगा।"
अदिति ने किताब से नज़रें हटाए बिना कहा, "कैसे रिलैक्स करूँ रिया? सर पर इतने झूठे इल्ज़ाम लगे हैं और मैं कुछ नहीं कर पा रही हूँ।"
रिया ने कहा, "कल सुबह हम कॉलेज प्रशासन के पास जाएंगे और सब सच बता देंगे। फिर देखना, सब ठीक हो जाएगा।"
अदिति ने थोड़ा मुस्कुराकर कहा, "मुझे डर लग रहा है रिया। क्या वे हमारी बात मानेंगे?"
रिया ने कहा, "माननी पड़ेगी। हम सच बोल रहे हैं, और सच हमेशा सामने आता है।"
अदिति फिर से किताब पढ़ने की कोशिश करती है, लेकिन उसका ध्यान भटकता रहता है। वह बार-बार कछुए और सर के बारे में सोच रही है।
रिया ने कहा, "चल, थोड़ा ब्रेक लेते हैं। मैं कॉफी मशीन से कॉफी लेकर आती हूँ।"
रिया कॉफी लेने चली जाती है। अदिति अकेली बैठकर किताब पढ़ रही है। उसे अचानक एक किताब की ज़रूरत महसूस होती है, जो उसे कहीं मिल नहीं रही।
अदिति ने सोचा, "शायद ये किताब उस कोने वाली अलमारी में होगी।"
वह उस कोने वाली अलमारी की तरफ बढ़ती है। रात का समय है, और लाइब्रेरी लगभग खाली है। कुछ ही छात्र वहाँ बैठे पढ़ रहे हैं।
**सीन 2: अलार्म - रात 9:45 बजे**
अदिति कोने वाली अलमारी के पास पहुँचती है। वह किताब ढूंढने लगती है। अलमारी थोड़ी अंधेरी है, इसलिए उसे देखने में मुश्किल हो रही है।
वह एक किताब निकालती है, लेकिन वह गलत होती है। वह दूसरी किताब निकालती है, लेकिन वह भी गलत होती है।
अदिति थोड़ी परेशान हो जाती है। उसे लगता है कि वह किताब कभी नहीं मिलेगी।
तभी उसका हाथ गलती से अलमारी के पीछे लगे एक तार से टकरा जाता है।
**बीप... बीप... बीप...**
पूरे लाइब्रेरी में अलार्म बजने लगता है।
अदिति डर जाती है। "ओह नो! ये क्या हो गया!"
लाइब्रेरी में बैठे छात्र चौंक जाते हैं। वे अपनी किताबें छोड़कर खड़े हो जाते हैं।
सुरक्षा गार्ड दौड़कर आते हैं। वे देखते हैं कि अलार्म बज रहा है और अदिति अलमारी के पास खड़ी है।
सुरक्षा गार्ड ने पूछा, "क्या हुआ? अलार्म किसने बजाया?"
अदिति डरते हुए बोली, "स... सॉरी सर। मुझसे गलती से बज गया।"
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "क्या कर रही थी तुम यहाँ? क्या तुम कोई किताब चुरा रही थी?"
अदिति ने कहा, "नहीं सर, मैं तो बस किताब ढूंढ रही थी।"
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "ठीक है, अपना आईडी कार्ड दिखाओ।"
अदिति अपना आईडी कार्ड दिखाती है। सुरक्षा गार्ड उसका नाम नोट करता है।
तभी प्रोफेसर राघव शर्मा भी लाइब्रेरी में आते हैं। वे रात को लाइब्रेरी में काम कर रहे थे, और अलार्म सुनकर वे भी आ गए।
**सीन 3: सर का गुस्सा - रात 9:50 बजे**
राघव ने देखा कि अदिति अलमारी के पास खड़ी है और सुरक्षा गार्ड उससे बात कर रहे हैं। उनका चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है।
राघव ने सुरक्षा गार्ड से कहा, "क्या हुआ यहाँ? ये सब क्या है?"
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "सर, इस लड़की ने गलती से अलार्म बजा दिया।"
राघव ने अदिति की तरफ देखा और चिल्लाकर कहा, "तुम? तुम यहाँ क्या कर रही हो? क्या तुम्हें कोई काम नहीं है?"
अदिति डरते हुए बोली, "स... सॉरी सर। मैं तो बस किताब ढूंढ रही थी।"
राघव ने कहा, "किताब? तुम्हें पढ़ना-लिखना भी आता है या बस मुसीबत खड़ी करना जानती हो?"
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "सर, मुझे लगता है कि ये लड़की कोई चोर है। हमें इसे पुलिस के हवाले कर देना चाहिए।"
राघव ने कहा, "नहीं, इसकी ज़रूरत नहीं है। मैं इसे जानता हूँ। ये मेरी क्लास की स्टूडेंट है। मैं इसे संभाल लूंगा।"
सुरक्षा गार्ड चला जाता है। राघव अदिति को घूरते हैं।
राघव ने गुस्से में कहा, "तुम्हें तो मैं बाद में देखता हूँ। अभी जाओ यहाँ से।"
अदिति डरते हुए लाइब्रेरी से बाहर निकल जाती है। रिया कॉफी लेकर वापस आती है और अदिति को परेशान देखकर चौंक जाती है।
**सीन 4: रिया का गुस्सा - रात 10:00 बजे**
रिया ने पूछा, "क्या हुआ अदिति? तू इतनी परेशान क्यों है?"
अदिति ने रिया को सारी बात बताई।
रिया को बहुत गुस्सा आता है। "ये सर तो हमेशा तुझे डांटते रहते हैं। क्या समझते हैं वो खुद को?"
अदिति ने कहा, "मुझे डर लग रहा है रिया। अब क्या होगा?"
रिया ने कहा, "कुछ नहीं होगा। तू चिंता मत कर। कल सुबह हम सब सच बता देंगे। और अगर सर ने तुझे फिर डांटा, तो मैं उनसे बात करूँगी।"
अदिति थोड़ा शांत होती है, लेकिन वह अभी भी डरी हुई है।
कॉलेज में अफ़वाह फैलती है कि अदिति ने लाइब्रेरी में चोरी करने की कोशिश की, जिससे सर की प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है। डॉ. कपिल देव को इस घटना का पता चलता है और वह इसे "कॉलेज सुरक्षा में गंभीर लापरवाही" के तौर पर नोट करते हैं।
**[अध्याय 5 समाप्त]**
**अध्याय 6: खोया चश्मा और चुराए नोट्स**
**सीन 1: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - सुबह 8:00 बजे**
राघव शर्मा अपने ऑफिस में पहुंचते हैं। उन्हें आज सुबह कॉलेज में एक महत्वपूर्ण लेक्चर देना है, लेकिन जैसे ही वो अपना ब्रीफकेस खोलते हैं, उन्हें एहसास होता है कि उनका पसंदीदा चश्मा गायब है।
राघव ने कहा, "ये क्या? मेरा चश्मा कहाँ गया? बिना चश्मे के मैं कैसे पढ़ाऊँगा?"
वो ऑफिस में इधर-उधर देखने लगते हैं, लेकिन उन्हें चश्मा नहीं मिलता।
राघव ने बड़बड़ाते हुए कहा, "ये चश्मा हमेशा गायब हो जाता है। लगता है, अदिति को फिर से काम पर लगाना पड़ेगा।"
उन्हें याद आता है कि कल शाम अदिति ने ऑफिस में उनकी मदद की थी।
तभी उन्हें एहसास होता है कि उनके लेक्चर नोट्स भी गायब हैं।
राघव ने कहा, "अरे नहीं! मेरे नोट्स भी गायब हैं! आज तो बड़ी मुसीबत हो गई।"
वो और भी परेशान हो जाते हैं। नोट्स के बिना लेक्चर देना उनके लिए मुश्किल होगा।
**सीन 2: अदिति की एंट्री - सुबह 8:15 बजे**
अदिति सर के ऑफिस के बाहर खड़ी है। वह डर रही है कि सर उसे फिर से डांटेंगे, लेकिन रिया उसे हिम्मत देती है।
रिया ने कहा, "चल अदिति, हिम्मत रख। सच बोलने से डरना नहीं चाहिए।"
अदिति ने कहा, "मुझे डर लग रहा है रिया। क्या पता सर मुझे क्या कहें।"
रिया ने कहा, "कुछ नहीं कहेंगे। तू बस सच बोल देना।"
अदिति ऑफिस में दाखिल होती है। सर उसे गुस्से से देखते हैं।
राघव ने कहा, "तुम? यहाँ क्या कर रही हो? और वो कछुए वाला मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है।"
अदिति डरते हुए बोली, "सर, मैं... मैं सॉरी बोलने आई हूँ। और... और अगर मैं कुछ मदद कर सकती हूँ तो बताइए।"
राघव ने कहा, "मदद? तुम क्या मदद करोगी? तुम तो खुद एक मुसीबत हो।"
अदिति ने कहा, "मैं... मैं सच में मदद करना चाहती हूँ सर।"
राघव कुछ सोचते हैं और फिर कहते हैं, "ठीक है, अगर तुम सच में मदद करना चाहती हो, तो मेरा चश्मा ढूंढो। और मेरे नोट्स भी गायब हैं, उन्हें भी ढूंढो।"
अदिति चौंक जाती है। "चश्मा और नोट्स? कहाँ गायब हो गए?"
राघव ने कहा, "तुम्हें क्या पता? शायद तुमने ही गायब कर दिए हों।"
अदिति ने कहा, "नहीं सर, मैंने कुछ नहीं किया।"
राघव ने कहा, "मुझे नहीं पता किसने किया। मुझे बस मेरा चश्मा और नोट्स चाहिए। अगर तुम उन्हें ढूंढ लाई, तो मैं समझूँगा कि तुम सच में सॉरी फील कर रही हो।"
**सीन 3: चश्मे की तलाश - सुबह 8:30 बजे**
अदिति सर के ऑफिस में चश्मा ढूंढने लगती है। वो हर जगह देखती है - डेस्क पर, अलमारी में, किताबों के बीच।
वो रिया से भी मदद मांगती है। दोनों मिलकर ऑफिस को छान मारती हैं, लेकिन उन्हें चश्मा नहीं मिलता।
रिया ने कहा, "मुझे लगता है, सर ने कहीं और रख दिया होगा।"
अदिति ने कहा, "नहीं, सर हमेशा अपना चश्मा यहीं रखते हैं। मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है।"
तभी अदिति को याद आता है कि कल शाम राहुल वर्मा ऑफिस के बाहर घूम रहा था।
अदिति ने रिया से कहा, "मुझे राहुल पर शक है। शायद उसने ही चश्मा चुराया है।"
रिया ने कहा, "हाँ, वो ऐसा कर सकता है। चल, उससे बात करते हैं।"
**सीन 4: राहुल की शरारत - सुबह 8:45 बजे**
अदिति और रिया राहुल को कैंटीन में ढूंढती हैं। वो वहाँ अपने दोस्तों के साथ बैठा हंस रहा है।
अदिति ने राहुल से कहा, "राहुल, क्या तुमने सर का चश्मा देखा है?"
राहुल ने कहा, "चश्मा? नहीं, मैंने तो नहीं देखा। क्या हुआ, खो गया क्या?"
अदिति ने कहा, "हाँ, और उनके नोट्स भी गायब हैं। क्या तुम्हें कुछ पता है?"
राहुल ने कहा, "मुझे क्या पता होगा? मैं तो बस यहाँ मजे कर रहा हूँ।"
रिया ने कहा, "झूठ मत बोल राहुल। हमें पता है कि ये तुम्हारी हरकत है।"
राहुल ने कहा, "तुम मेरा क्या कर लोगी? मेरे पास कोई सबूत है क्या?"
अदिति और रिया समझ जाती हैं कि राहुल ही असली गुनहगार है।
राहुल ने मन में सोचा, "सर को बिना नोट्स के क्लास लेते हुए देखना बड़ा मजेदार होगा।"
**सीन 5: क्लास में हंगामा - सुबह 9:00 बजे**
राघव क्लास में पहुंचते हैं। उनके चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा है।
वो बिना चश्मे और नोट्स के क्लास शुरू करते हैं।
राघव ने कहा, "गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स। आज हम एक नया टॉपिक शुरू करेंगे..."
लेकिन बिना नोट्स के उन्हें पढ़ाने में मुश्किल हो रही है। वो बार-बार अटक रहे हैं और उन्हें याद नहीं आ रहा कि क्या पढ़ाना है।
छात्र आपस में बातें करने लगते हैं। क्लास में हंगामा मच जाता है।
राहुल और उसके दोस्त हंस रहे हैं। उन्हें सर को परेशान देखकर बहुत मजा आ रहा है।
अदिति को सर पर तरस आ रहा है। वो सोचती है कि उसे कुछ करना होगा।
अदिति ने कहा, "सॉरी सर, क्या मैं कुछ मदद कर सकती हूँ?"
राघव ने कहा, "तुम क्या मदद करोगी? तुम तो खुद एक परेशानी हो।"
अदिति ने कहा, "शायद मैं आपके नोट्स ढूंढ सकती हूँ।"
राघव ने कहा, "तुम्हें क्या पता मेरे नोट्स कहाँ हैं? जाओ, अपनी सीट पर बैठो।"
अदिति हार नहीं मानती। वो क्लास से बाहर निकल जाती है और नोट्स ढूंढने का फैसला करती है।
**सीन 6: नोट्स की तलाश - सुबह 9:15 बजे**
अदिति रिया के साथ मिलकर नोट्स ढूंढने लगती है। वो हर जगह देखती है - क्लासरूम में, कॉरिडोर में, कैंटीन में।
उन्हें नोट्स नहीं मिलते।
अदिति ने कहा, "मुझे लगता है, राहुल ने नोट्स कहीं छुपा दिए हैं।"
रिया ने कहा, "हाँ, वो ऐसा कर सकता है। हमें उसे ढूंढना होगा।"
तभी अदिति को याद आता है कि राहुल को हमेशा लाइब्रेरी में देखा जाता है।
अदिति ने कहा, "चल, लाइब्रेरी चलते हैं। शायद राहुल वहाँ हो।"
**सीन 7: लाइब्रेरी में सच्चाई - सुबह 9:30 बजे**
अदिति और रिया लाइब्रेरी में पहुँचती हैं। वो राहुल को एक कोने में बैठा हुआ देखती हैं।
राहुल के पास सर के नोट्स हैं। वो उन्हें पढ़ रहा है और हंस रहा है।
अदिति और रिया राहुल के पास जाती हैं।
अदिति ने कहा, "राहुल, क्या कर रहे हो? वो सर के नोट्स हैं।"
राहुल ने कहा, "हाँ, तो क्या हुआ? ये मेरे हैं।"
अदिति ने कहा, "झूठ मत बोलो राहुल। तुमने ही सर के नोट्स चुराए हैं।"
राहुल ने कहा, "साबित करो।"
अदिति ने कहा, "मुझे साबित करने की ज़रूरत नहीं है। मैं जानती हूँ कि ये तुम्हारी हरकत है।"
रिया ने कहा, "राहुल, तुम्हें सर से माफी मांगनी चाहिए और उनके नोट्स वापस कर देने चाहिए।"
राहुल ने कहा, "कभी नहीं। मैं सर को परेशान करके बहुत खुश हूँ।"
अदिति को गुस्सा आ जाता है। वो राहुल के हाथ से नोट्स छीनने की कोशिश करती है।
दोनों के बीच थोड़ी हाथापाई होती है। तभी सुरक्षा गार्ड वहाँ आ जाते हैं।
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "क्या हो रहा है यहाँ? ये क्या बदतमीजी है?"
अदिति ने कहा, "सर, इस लड़के ने सर के नोट्स चुरा लिए हैं।"
सुरक्षा गार्ड ने राहुल से कहा, "क्या ये सच है?"
राहुल डर जाता है और नोट्स सुरक्षा गार्ड को दे देता है।
सुरक्षा गार्ड ने कहा, "तुम्हें अभी कॉलेज प्रिंसिपल के ऑफिस में चलना होगा।"
राहुल डरते हुए सुरक्षा गार्ड के साथ चला जाता है।
अदिति ने सर के नोट्स वापस पा लिए।
राहुल को शर्मिंदा होना पड़ा क्यूंकि उसकी शरारत सबके सामने आ गयी थी।
**सीन 8: सर को नोट्स वापस - सुबह 9:45 बजे**
अदिति क्लास में वापस जाती है। सर अभी भी बिना नोट्स के पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
अदिति ने कहा, "सर, ये लीजिए आपके नोट्स।"
राघव चौंक जाते हैं। "तुम्हें ये कहाँ मिले?"
अदिति ने कहा, "राहुल ने चुरा लिए थे, लेकिन मैंने उसे पकड़ लिया।"
राघव को विश्वास नहीं होता। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अदिति पर गुस्सा करें या उसे धन्यवाद दें।
राघव ने कहा, "मुझे नहीं पता तुमसे क्या कहूँ। लेकिन... थैंक यू।"
अदिति ने थोड़ा मुस्कुराकर कहा, "वेलकम सर। अब आप अच्छे से पढ़ा सकते हैं।"
राघव ने नोट्स लेकर पढ़ाना शुरू किया, जिससे उनके प्रतिष्ठा बनी रही।
इस घटना से सर को अदिति की चिंता होने लगी कि वह इतने परेशान क्यों हैं और वह नोट्स ढूंढती रहती है।
अदिति के कोशिशों से राहुल की शरारत बेकार गयी।
**[अध्याय 6 समाप्त]**
**अध्याय 7: अदिति का अजीब बहाना**
**सीन 1: लिटरेचर क्लास - सुबह 9:00 बजे**
क्लास शुरू होने का समय हो गया है, लेकिन अदिति अभी तक नहीं आई है। प्रोफेसर राघव शर्मा अपनी डेस्क पर बैठे हुए हैं, उनके चेहरे पर हल्की सी नाराज़गी है। कल के घटनाक्रम के बाद वह अदिति के बारे में थोड़ा नरम हुए हैं, लेकिन फिर भी अनुशासन को लेकर सख्त हैं।
राघव (मन में): "अदिति कहाँ रह गई? क्या आज भी कोई बहाना बनाएगी? देखना होगा।"
क्लास के बाकी छात्र अपनी-अपनी सीटों पर बैठे हैं और आपस में बातें कर रहे हैं। राहुल वर्मा भी वहाँ है, लेकिन आज वह थोड़ा शांत दिख रहा है। कल नोट्स चुराने के कारण प्रिंसिपल ऑफिस में उसकी अच्छी खासी डांट पड़ी थी।
रिया थोड़ी चिंतित है। उसे अदिति का पता नहीं है और उसे डर है कि कहीं वह किसी मुसीबत में तो नहीं पड़ गई।
रिया (मन में): "अदिति अभी तक क्यों नहीं आई? क्या सब ठीक है?"
**सीन 2: अदिति की एंट्री - सुबह 9:15 बजे**
क्लास शुरू होने के 15 मिनट बाद, अदिति हाँफते हुए क्लास में दाखिल होती है। उसके बाल बिखरे हुए हैं, कपड़े थोड़े अस्त-व्यस्त हैं, और उसके हाथ में एक अजीब सा दिखने वाला छाता है।
राघव (गुस्से से): "मिस सिंह! आपको पता भी है कि आप कितनी लेट हैं? क्या आज भी कोई नया बहाना है?"
पूरी क्लास अदिति की ओर देखती है।
अदिति (हाँफते हुए): "स...सॉरी सर! आज... आज मेरी अलमारी में किताबों का भूकंप आ गया था!"
क्लास में कुछ छात्र अपनी हंसी नहीं रोक पाते।
राघव (भौंहें चढ़ाकर): "किताबों का भूकंप? ये कैसा बहाना है?"
अदिति: "जी सर! मेरी अलमारी में सारी किताबें ऐसे गिरीं जैसे भूकंप आ गया हो! मुझे उन्हें संभालने में बहुत देर हो गई!"
राहुल और उसके दोस्त फिर से हंसने लगते हैं।
राघव (आवाज में सख्ती): "मिस सिंह, ये कोई मज़ाक नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि समय पर क्लास में आना कितना ज़रूरी है।"
अदिति (मासूमियत से): "मुझे पता है सर, लेकिन मैं क्या करती? सारी किताबें मेरे ऊपर गिर रही थीं! ये देखिए..."
अदिति अपना छाता खोलती है, और उसमें से कुछ छोटी-छोटी किताबें गिरती हैं।
क्लास में हंसी की लहर दौड़ जाती है।
राघव (मुस्कुराने की कोशिश करते हुए): "ठीक है, ठीक है। अब अपनी सीट पर बैठ जाइए। और अगली बार से ध्यान रखिएगा कि आपकी अलमारी में भूकंप न आए।"
**सीन 3: एक और बहाना - सुबह 9:30 बजे**
राघव पढ़ाना शुरू करते हैं। वह "रोमांटिक कविताएँ और प्रकृति का संबंध" विषय पर लेक्चर दे रहे हैं।
राघव: "तो छात्रों, जैसा कि मैंने बताया, रोमांटिक कवि प्रकृति को मानवीय भावनाओं से जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए..."
अचानक, अदिति फिर से खड़ी हो जाती है।
राघव (परेशान होकर): "मिस सिंह, क्या बात है? क्या आज फिर कोई मुसीबत आ गई?"
अदिति (शर्माते हुए): "स...सॉरी सर, लेकिन क्या मैं एक और बहाना बता सकती हूँ?"
क्लास में फिर से हंसी गूंज जाती है।
राघव (आश्चर्य से): "एक और बहाना? क्या आज बहानों का दिन है?"
अदिति: "जी सर, दरअसल... जब मैं घर से निकल रही थी, तो मेरी बिल्ली मेरे असाइनमेंट पर सो गई थी!"
क्लास में हंसी की आवाज और तेज हो जाती है। रिया अपना सिर पकड़ लेती है।
राघव (हैरान होकर): "आपकी बिल्ली आपके असाइनमेंट पर सो गई? और इससे क्या हुआ?"
अदिति: "सर, बिल्ली के उठने के बाद, मेरे असाइनमेंट पर उसके पंजे के निशान छप गए! वो पूरा खराब हो गया! मुझे उसे फिर से लिखना पड़ा!"
राघव (हैरानी और गुस्से के मिश्रण के साथ): "मिस सिंह, मैं आपकी कल्पनाशीलता की दाद देता हूँ, लेकिन ये बहुत ज़्यादा हो रहा है। मैं आपको चेतावनी देता हूँ, अगर आपने आज के बाद कोई और बहाना बनाया, तो मैं आपको क्लास से बाहर निकाल दूँगा।"
**सीन 4: डिटेंशन और कपिल की नज़र - सुबह 9:45 बजे**
राघव गुस्से में अदिति को डिटेंशन देते हैं।
राघव: "मिस सिंह, आज शाम को आप मेरे ऑफिस में रुकेंगी और 'समय प्रबंधन' पर एक निबंध लिखेंगी। क्या आपको समझ आया?"
अदिति (सिर झुकाकर): "जी सर।"
क्लास में सन्नाटा छा जाता है। छात्रों को पता है कि अदिति ने आज हद पार कर दी है।
इस बीच, डॉ. कपिल देव चुपके से क्लास के बाहर खड़े होकर यह सब देख रहे होते हैं। उनके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान होती है।
कपिल (मन में): "राघव, तुम छात्रों को अनुशासन सिखाने में विफल हो रहे हो। मैं इसका इस्तेमाल तुम्हारे खिलाफ करूंगा।"
कपिल कॉलेज प्रशासन के पास जाते हैं और उन्हें राघव और अदिति की घटनाओं के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं कि राघव छात्रों को अनुशासन सिखाने में विफल हैं और उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए।
**सीन 5: रिया की चिंता - सुबह 10:00 बजे**
क्लास के बाद, रिया अदिति के पास जाती है।
रिया (चिंता से): "अदिति, ये तू क्या कर रही है? तूने आज हद कर दी! सर तुझे सच में क्लास से बाहर निकाल देंगे!"
अदिति (उदास होकर): "मुझे नहीं पता रिया। मैं क्या करूँ? मेरे साथ हमेशा कुछ न कुछ हो ही जाता है!"
रिया: "तू थोड़ी और सावधान रह सकती है! तू जानती है कि सर कितने सख्त हैं!"
अदिति: "मुझे पता है रिया, लेकिन मैं क्या करूँ? मैं ऐसी ही हूँ।"
रिया: "तू थोड़ी कोशिश तो कर! वरना सर तुझे कभी माफ नहीं करेंगे।"
अदिति: "मैं कोशिश करूँगी रिया, प्रॉमिस। अब चल, डिटेंशन के लिए सर के ऑफिस चलते हैं।"
रिया: "चल, मैं तेरे साथ हूँ। लेकिन अगली बार से कोई बहाना नहीं, ठीक है?"
अदिति (मुस्कुराते हुए): "ठीक है रिया, कोई बहाना नहीं।"
दोनों सहेलियाँ प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस की ओर चल देती हैं। अदिति को पता है कि आज शाम उसके लिए मुश्किल होने वाली है, लेकिन रिया के साथ होने से उसे थोड़ी हिम्मत मिलती है।
**[अध्याय 7 समाप्त]**
**अध्याय 8: सर की पुरानी डायरी और व्यक्तिगत घुसपैठ**
**सीन 1: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - शाम 4:00 बजे**
अदिति डिटेंशन के लिए प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस में बैठी है। उसे "समय प्रबंधन" पर एक निबंध लिखना है। ऑफिस शांत है, लेकिन अदिति को लिखने में मुश्किल हो रही है। उसका मन भटक रहा है और उसे लग रहा है कि वह किसी मुसीबत में फंस गई है।
अदिति (मन में): "समय प्रबंधन... ये क्या होता है? मुझे तो कभी समझ नहीं आया। मैं क्या लिखूं?"
प्रोफेसर राघव शर्मा अपनी डेस्क पर बैठे कुछ काम कर रहे हैं। वह अदिति को एक नज़र देखते हैं, लेकिन कुछ नहीं कहते। वह अभी भी अदिति के आज के बहानों से नाराज़ हैं, लेकिन उन्हें यह भी लग रहा है कि वह थोड़ी परेशान है।
राघव (मन में): "क्या इसे सच में कोई परेशानी है? या यह भी कोई बहाना है?"
अदिति चारों ओर देखती है। ऑफिस में किताबों का अंबार लगा हुआ है। फाइलें इधर-उधर बिखरी हुई हैं। उसे एक पुरानी, धूल भरी डायरी दिखाई देती है।
अदिति (मन में): "ये क्या है? ये तो बहुत पुरानी लग रही है।"
**सीन 2: डायरी की खोज - शाम 4:15 बजे**
अदिति का मन निबंध लिखने में नहीं लग रहा है। वह डायरी की ओर आकर्षित हो रही है। वह सोचती है कि क्या वह इसे देख सकती है।
अदिति (मन में): "मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं इसे देख सकती हूँ? शायद इसमें मुझे निबंध लिखने के लिए कुछ आइडिया मिल जाए।"
वह धीरे से डायरी को उठाती है। वह बहुत भारी है और उस पर धूल जमी हुई है। वह डायरी को खोलती है।
डायरी में प्रोफेसर राघव शर्मा की लिखावट में कुछ पुरानी कविताएँ और व्यक्तिगत विचार लिखे हुए हैं। अदिति उन्हें पढ़ना शुरू कर देती है।
अदिति (पढ़ते हुए): "ये तो सर की कविताएँ हैं। ये तो बहुत भावुक हैं। क्या सर भी कभी इतने भावुक हो सकते हैं?"
वह डायरी में लिखे कुछ व्यक्तिगत विचारों को भी पढ़ती है। उसे पता चलता है कि सर अंदर से बहुत अकेले हैं और उनके जीवन में कोई गहरा दर्द है।
अदिति (मन में): "ओह, तो सर अंदर से इतने दुखी हैं। मुझे अब समझ में आया कि वह इतने सख्त क्यों रहते हैं।"
वह डायरी में खो जाती है। उसे प्रोफेसर राघव शर्मा के बारे में कुछ नया पता चल रहा है।
**सीन 3: पकड़ी जाना - शाम 4:30 बजे**
प्रोफेसर राघव शर्मा अपना काम खत्म करते हैं और अदिति की ओर देखते हैं। वह देखते हैं कि वह डायरी पढ़ रही है। उनका चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है।
राघव (गुस्से से): "मिस सिंह! आप ये क्या कर रही हैं? ये मेरी निजी डायरी है! आपको इसे पढ़ने की इजाजत किसने दी?"
अदिति डर जाती है और डायरी को तुरंत बंद कर देती है।
अदिति (हकलाते हुए): "स...सॉरी सर! मुझे माफ कर दीजिए। मैं... मैं तो बस निबंध लिखने के लिए कुछ आइडिया ढूंढ रही थी। मुझे नहीं पता था कि ये आपकी निजी डायरी है।"
राघव (और भी गुस्से से): "बहाने मत बनाइए मिस सिंह! आपको पता होना चाहिए कि किसी की निजी चीज़ों को पढ़ना गलत बात है। ये व्यक्तिगत घुसपैठ है!"
अदिति (रोते हुए): "मुझे माफ कर दीजिए सर! मैं सच में सॉरी फील कर रही हूँ। मैं अब कभी ऐसा नहीं करूँगी।"
राघव (आवाज नरम करते हुए): "मिस सिंह, आपको समझना होगा कि हर किसी की अपनी निजी ज़िंदगी होती है। आपको किसी की अनुमति के बिना उसकी निजी चीज़ों को नहीं देखना चाहिए। क्या आपको समझ आया?"
अदिति (सिर हिलाते हुए): "जी सर, मुझे समझ आ गया। मैं अब कभी ऐसा नहीं करूँगी।"
राघव (गहरी सांस लेते हुए): "ठीक है। अब आप ये डायरी यहीं रख दीजिए और अपना निबंध लिखिए। और याद रखिए, अगली बार से अपनी हद में रहिएगा।"
**सीन 4: कपिल की दिलचस्पी - शाम 4:45 बजे**
अदिति डायरी को डेस्क पर रख देती है और अपना निबंध लिखने लगती है। वह अभी भी डरी हुई है और उसे लग रहा है कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
प्रोफेसर राघव शर्मा फिर से अपने काम में लग जाते हैं, लेकिन वह अदिति पर नज़र रखते हैं।
इस बीच, डॉ. कपिल देव ऑफिस के बाहर खड़े होकर सब कुछ देख रहे होते हैं। उन्हें पता चल जाता है कि अदिति ने सर की डायरी पढ़ ली है।
कपिल (मन में): "ये तो बहुत दिलचस्प है। अब मुझे राघव के खिलाफ कुछ और मिल गया है। मैं अदिति का इस्तेमाल करके उसे और नीचा दिखाऊँगा।"
वह अदिति के पास जाते हैं।
कपिल (मुस्कुराते हुए): "अदिति, तुम यहाँ क्या कर रही हो? क्या सब ठीक है?"
अदिति (डरते हुए): "जी सर, मैं डिटेंशन में हूँ। मैंने सर की डायरी पढ़ ली थी।"
कपिल (आश्चर्य जताते हुए): "ओह, तो तुमने राघव की डायरी पढ़ ली? उसमें क्या लिखा था? क्या उसमें कोई दिलचस्प बातें थीं?"
अदिति (हिचकिचाते हुए): "मैं... मैं आपको नहीं बता सकती सर। ये उनकी निजी बातें हैं।"
कपिल (दबाव डालते हुए): "अरे, तुम डरो मत। मैं किसी को नहीं बताऊंगा। तुम बस मुझे थोड़ी सी जानकारी दे दो। इससे मुझे राघव को समझने में मदद मिलेगी।"
अदिति (दुविधा में): "मुझे नहीं पता सर। मुझे डर लग रहा है।"
कपिल (प्रलोभन देते हुए): "देखो अदिति, अगर तुम मेरी मदद करोगी, तो मैं तुम्हें इस डिटेंशन से छुड़वा दूँगा। और मैं तुम्हें अच्छे नंबर भी दिलवा दूँगा। क्या तुम तैयार हो?"
**सीन 5: नैतिक दुविधा - शाम 5:00 बजे**
अदिति एक नैतिक दुविधा में फंस जाती है। वह जानती है कि प्रोफेसर राघव शर्मा की निजी बातों को बताना गलत है, लेकिन वह डिटेंशन से भी बचना चाहती है और अच्छे नंबर भी पाना चाहती है।
अदिति (मन में): "मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे सर की निजी बातें बता देनी चाहिए? या मुझे सच बोलना चाहिए और डिटेंशन झेलना चाहिए?"
वह बहुत परेशान हो जाती है और रोने लगती है।
प्रोफेसर राघव शर्मा यह सब देख रहे होते हैं। उन्हें समझ आ जाता है कि कपिल अदिति को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका गुस्सा और भी बढ़ जाता है।
राघव (मन में): "कपिल, तुम बहुत नीचे गिर गए हो। मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा।"
वह अदिति के पास जाते हैं।
**[अध्याय 8 समाप्त]**
**अध्याय 9: अटेंडेंस का खेल और एक धमकी**
**सीन 1: प्रोफेसर राघव शर्मा का ऑफिस - शाम 5:00 बजे**
अदिति रो रही है, वह नैतिक दुविधा में फंसी हुई है। प्रोफेसर राघव शर्मा उसके पास आते हैं, उनके चेहरे पर गुस्सा और चिंता दोनों के भाव हैं।
राघव (आवाज में नरमी): "मिस सिंह, क्या हुआ? आप क्यों रो रही हैं? क्या प्रोफेसर कपिल ने आपसे कुछ कहा?"
अदिति (रोते हुए): "स...सर, उन्होंने मुझसे आपकी डायरी के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि अगर मैं उन्हें कुछ बताऊँगी, तो वह मुझे डिटेंशन से छुड़वा देंगे और अच्छे नंबर भी दिलवाएँगे।"
राघव (गुस्से से): "मैं जानता था! कपिल बहुत नीचे गिर गया है। उसने तुम्हें बहकाने की कोशिश की। लेकिन तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
अदिति (आश्चर्य से): "आप मेरे साथ हैं? लेकिन आपने तो मुझसे कहा था कि मैं अपनी हद में रहूँ।"
राघव (मुस्कुराते हुए): "हाँ, मैंने कहा था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुम्हारी परवाह नहीं करता। मैं जानता हूँ कि तुम एक अच्छी लड़की हो और तुम सच के साथ खड़ी रहोगी। तुम्हें प्रोफेसर कपिल की बातों में नहीं आना चाहिए था।"
अदिति (आँसू पोंछते हुए): "जी सर, मुझे समझ आ गया। मैं अब कभी उनकी बातों में नहीं आऊँगी।"
राघव: "शाबाश। अब तुम ये जान लो, कि तुम्हारी अटेंडेंस कम पड़ रही है, और तुम्हें किसी विषय में फेल होने का डर है। मैं तुम्हें एक एक्स्ट्रा असाइनमेंट देता हूँ ताकि तुम अपनी अटेंडेंस पूरी कर सको। लेकिन याद रखना, तुम्हें यह असाइनमेंट पूरी ईमानदारी से करना होगा।"
अदिति (खुश होकर): "थैंक यू सर! आप बहुत अच्छे हैं। मैं यह असाइनमेंट पूरी ईमानदारी से करूँगी।"
**सीन 2: राहुल की धमकी - शाम 5:15 बजे**
अदिति और रिया डिटेंशन से बाहर निकलती हैं। राहुल वर्मा उनका इंतजार कर रहा होता है। उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान होती है।
राहुल (धमकी भरे लहजे में): "अदिति, क्या हुआ? डिटेंशन कैसा रहा? सुना है तुमने सर की डायरी पढ़ ली थी। तुम्हें तो बहुत मज़ा आया होगा।"
अदिति (डरते हुए): "राहुल, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है।"
राहुल: "अरे, डरो मत। मैं तो बस तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। तुम जानती हो कि तुम्हारी अटेंडेंस कम है और तुम फेल हो सकती हो। अगर तुम मेरी मदद करोगी, तो मैं तुम्हें परीक्षा में नकल करने में मदद कर सकता हूँ। या मैं तुम्हारे लिए असाइनमेंट भी लिख सकता हूँ। तुम जो चाहो, मैं वो कर सकता हूँ।"
रिया (गुस्से से): "राहुल, तुम बकवास बंद करो। अदिति को तुम्हारी मदद की कोई जरूरत नहीं है। वह अपनी मेहनत से पास हो जाएगी।"
राहुल (रिया को अनदेखा करते हुए): "अदिति, सोच लो। अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगी, तो मैं सर के बारे में और अफवाहें फैलाऊँगा। मैं सबको बता दूँगा कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है। मैं तुम्हारी जिंदगी नर्क बना दूँगा।"
अदिति (और भी डरते हुए): "राहुल, तुम ऐसा मत करो! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?"
राहुल: "तुमने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा। मैं तो बस तुम्हें एक मौका दे रहा हूँ। अगर तुम मेरे साथ हो, तो तुम्हारी जिंदगी आसान हो जाएगी। अगर तुम मेरे खिलाफ हो, तो तुम पछताओगी।"
**सीन 3: रिया का गुस्सा - शाम 5:30 बजे**
रिया को बहुत गुस्सा आता है। वह राहुल को धक्का देती है।
रिया (चिल्लाते हुए): "राहुल, तुम एक घटिया इंसान हो! तुम अदिति को धमकी दे रहे हो! मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं! मैं तुम्हारी शिकायत पुलिस में करूँगी।"
राहुल (हंसते हुए): "रिया, तुम क्या करोगी? तुम तो सिर्फ़ एक कमजोर लड़की हो। पुलिस मेरी बात सुनेगी, तुम्हारी नहीं।"
अदिति रिया को शांत करने की कोशिश करती है।
अदिति: "रिया, शांत हो जाओ। इससे कोई फायदा नहीं होगा। राहुल, तुम जो चाहे कर लो। मैं तुम्हारी धमकियों से डरने वाली नहीं हूँ। मैं सच के साथ खड़ी रहूँगी। और मैं यह असाइनमेंट पूरी ईमानदारी से करूँगी।"
राहुल (गुस्से से): "तुम पछताओगी अदिति। तुम बहुत पछताओगी। तुम देखना, मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर दूँगा।"
राहुल वहाँ से चला जाता है।
रिया (चिंता से): "अदिति, ये क्या हो रहा है? राहुल तुम्हें धमकी दे रहा है! मुझे डर लग रहा है।"
अदिति (रिया को गले लगाते हुए): "रिया, डरने की कोई बात नहीं है। मैं सर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाने दूँगी। राहुल चाहे जो करे, मैं उसका सामना करूँगी।"
**सीन 4: प्रोफेसर राघव शर्मा की चेतावनी - शाम 5:45 बजे**
अदिति और रिया प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस में वापस जाती हैं।
अदिति: "सर, राहुल ने मुझे धमकी दी। उसने कहा कि अगर मैंने उसकी मदद नहीं की, तो वह आपके बारे में और अफवाहें फैलाएगा।"
राघव (गुस्से से): "राहुल! मैं उसे नहीं छोडूंगा। उसने हद पार कर दी है। मैं उसकी शिकायत प्रिंसिपल से करूँगा।"
अदिति: "सर, आप कुछ मत कीजिए। मैं खुद उससे निपट लूँगी। बस आप मुझे यह असाइनमेंट पूरी ईमानदारी से करने दीजिए।"
राघव: "मिस सिंह, मैं आपको इस असाइनमेंट को पूरी ईमानदारी से करने की चेतावनी देता हूँ। अगर आपने इसमें कोई गड़बड़ की, तो मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगा। और अगर राहुल ने आपको फिर से धमकी दी, तो मुझे तुरंत बताना। मैं उसे छोडूंगा नहीं।"
अदिति (सिर हिलाते हुए): "जी सर, मैं समझ गई। मैं यह असाइनमेंट पूरी ईमानदारी से करूँगी। और मैं राहुल से डरने वाली नहीं हूँ।"
राघव (आवाज में चिंता): "मिस सिंह, मैं जानता हूँ कि तुम बहादुर हो, लेकिन तुम्हें सावधान रहने की ज़रूरत है। राहुल और प्रोफेसर कपिल दोनों बहुत खतरनाक हैं। तुम्हें अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना होगा।"
अदिति (मुस्कुराते हुए): "जी सर, मैं अपना ध्यान रखूँगी। और मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ, मैं यह लड़ाई जीत कर दिखाऊँगी।"
अदिति और रिया ऑफिस से निकल जाती हैं। अदिति को पता है कि आगे का रास्ता आसान नहीं होने वाला है, लेकिन वह हार मानने वाली नहीं है। उसके दिल में प्रोफेसर राघव शर्मा के लिए सम्मान और कृतज्ञता है, और वह उन्हें किसी भी कीमत पर बचाने के लिए तैयार है।
**[अध्याय 9 समाप्त]**
**अध्याय 10: अटेंडेंस का खेल और एक धमकी**
**सीन 1: कॉलेज का कॉरिडोर - शाम 6:00 बजे**
अदिति और रिया प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस से बाहर निकलती हैं। अदिति के चेहरे पर एक दृढ़ निश्चय है, पर रिया अभी भी चिंतित दिख रही है।
रिया: "अदिति, मुझे अभी भी डर लग रहा है। राहुल सच में बहुत बुरा है। वो कुछ भी कर सकता है।"
अदिति (रिया का हाथ पकड़कर): "रिया, मुझे भी डर लग रहा है, लेकिन हम डरकर छुप नहीं सकते। अगर हम डरेंगे तो वो लोग जीत जाएंगे। हमें सच के साथ खड़े रहना है, सर के साथ खड़े रहना है।"
रिया (थोड़ी शांत होकर): "तू ठीक कह रही है। लेकिन हम क्या कर सकते हैं? राहुल तो हमें कुछ करने ही नहीं देगा।"
अदिति: "हम असाइनमेंट पर ध्यान देंगे। सर ने कहा है कि हमें वो पूरी ईमानदारी से करना है। अगर हम वो अच्छे से करेंगी तो राहुल कुछ नहीं कर पाएगा।"
रिया: "लेकिन वो नकल करने का क्या? तेरी अटेंडेंस तो सच में बहुत कम है।"
अदिति (मुस्कुराकर): "मैंने सोच लिया है। मैं अब नकल नहीं करूँगी। मैं खुद मेहनत करूँगी और अच्छे नंबर लाऊंगी। सर ने मुझे एक मौका दिया है, मैं उसे बर्बाद नहीं करूँगी।"
**सीन 2: कैंटीन में डर - शाम 6:30 बजे**
अदिति और रिया कैंटीन में चाय पीने जाती हैं। कैंटीन में राहुल अपने दोस्तों के साथ बैठा है। वो अदिति को घूरता है, और उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान है।
रिया (अदिति को थोड़ा खींचकर): "देख, वो देख रहा है। चल, हम कहीं और चलते हैं।"
अदिति (रिया का हाथ पकड़कर रोकती है): "नहीं, हम कहीं नहीं जाएंगे। हम डरकर नहीं छुपेंगे। हम यहीं चाय पिएंगे।"
अदिति और रिया चाय का ऑर्डर देती हैं और एक टेबल पर बैठ जाती हैं। अदिति राहुल की ओर देखती है और उसे घूरती है। राहुल अपनी नज़रें हटा लेता है।
रिया (फुसफुसाते हुए): "मुझे ये बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा। मुझे लग रहा है कुछ होने वाला है।"
अदिति (रिया का हाथ दबाकर): "सब ठीक होगा। बस शांत रह।"
**सीन 3: असाइनमेंट की शुरुआत - रात 8:00 बजे**
अदिति अपने हॉस्टल के कमरे में रिया के साथ बैठी है। वो प्रोफेसर राघव शर्मा द्वारा दिए गए असाइनमेंट पर काम कर रही है - "साहित्य और समय का महत्व"।
अदिति (परेशान होकर): "मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। साहित्य और समय का क्या मतलब है?"
रिया (किताबें पलटते हुए): "मुझे भी नहीं पता। चल, हम इंटरनेट पर देखते हैं।"
दोनों इंटरनेट पर जानकारी ढूंढती हैं, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आता। अदिति निराश हो जाती है।
अदिति (निराश होकर): "मैं क्या करूँगी? मुझे तो ये असाइनमेंट कभी पूरा नहीं होगा।"
रिया: "हिम्मत मत हार अदिति। हम सर से मदद मांग सकते हैं।"
अदिति: "नहीं, मैं सर को परेशान नहीं करना चाहती। उन्होंने पहले ही मेरी इतनी मदद की है।"
रिया: "तो फिर क्या करेगी? ऐसे ही बैठी रहेगी?"
अदिति (सोचकर): "मुझे पता है! मैं अपनी दादी से पूछूंगी। उन्हें साहित्य के बारे में बहुत कुछ पता है।"
**सीन 4: दादी का ज्ञान - रात 9:00 बजे**
अदिति अपनी दादी को फोन करती है।
अदिति: "दादी, मुझे एक असाइनमेंट में मदद चाहिए। इसका विषय है - साहित्य और समय का महत्व।"
दादी (फोन पर): "अरे वाह! ये तो बहुत दिलचस्प विषय है। साहित्य हमारे जीवन का दर्पण होता है, और समय उस दर्पण में दिखती छवि को बदलता रहता है। साहित्य हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने अतीत से सीख सकते हैं, अपने वर्तमान को समझ सकते हैं और अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।"
अदिति: "ये तो बहुत अच्छा समझाया आपने। लेकिन मैं इसे असाइनमेंट में कैसे लिखूं?"
दादी (हंसकर): "तुम अपनी भाषा में लिखो, बेटा। जो तुम्हारे दिल में है वो लिखो। सच लिखो और ईमानदारी से लिखो। यही सबसे ज़रूरी है।"
अदिति: "थैंक यू दादी! आपने मेरी बहुत मदद की।"
दादी: "कोई बात नहीं, बेटा। हमेशा याद रखना, साहित्य हमें जीवन जीना सिखाता है।"
**सीन 5: असाइनमेंट पूरा - रात 11:00 बजे**
अदिति और रिया अब असाइनमेंट पर फिर से काम कर रही हैं। दादी के ज्ञान से अदिति को प्रेरणा मिलती है, और वो अपने शब्दों में असाइनमेंट लिखती है।
अदिति (लिखते हुए): "साहित्य हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने अतीत की गलतियों से सीख सकते हैं। ये हमें बताता है कि हमें अपने वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए। और ये हमें भविष्य के लिए उम्मीद देता है, कि हम एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं।"
रिया: "ये तो बहुत अच्छा लिख रही है! मुझे लग रहा है इस बार तुझे अच्छे नंबर मिलेंगे।"
अदिति (मुस्कुराकर): "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। ये सब दादी की वजह से हुआ है।"
अदिति और रिया मिलकर असाइनमेंट को पूरा करती हैं। अदिति को इस बार बहुत खुशी होती है, क्योंकि उसने ये सब खुद किया है।
**सीन 6: राहुल की धमकी - रात 11:30 बजे**
अदिति असाइनमेंट पूरा करके अपने कमरे से बाहर निकलती है, तो उसे राहुल कॉरिडोर में खड़ा मिलता है।
राहुल (मुस्कुराकर): "अदिति, क्या कर रही हो? इतनी रात को कहाँ जा रही हो?"
अदिति (डरकर): "मैं... मैं बस थोड़ा टहलने जा रही हूँ।"
राहुल (अदिति के करीब आकर): "तुम मुझसे झूठ बोल रही हो। मैं जानता हूँ तुम क्या कर रही हो। तुम सर के दिए हुए असाइनमेंट पर काम कर रही हो, है ना?"
अदिति (डरते हुए): "हाँ, तो?"
राहुल (अदिति को धमकाते हुए): "अदिति, मैं तुम्हें आखिरी मौका दे रहा हूँ। अगर तुम मेरी मदद करोगी तो सब ठीक हो जाएगा। वरना मैं तुम्हें और सर को बर्बाद कर दूँगा।"
**[अध्याय 10 समाप्त]**
**अध्याय 11: प्रोजेक्ट पार्टनर और सबोटेज**
**सीन 1: लिटरेचर क्लास - सुबह 9:00 बजे**
प्रोफेसर राघव शर्मा क्लास में आते हैं, उनके हाथ में कुछ पेपर हैं। क्लास में सन्नाटा छा जाता है।
राघव (गंभीर आवाज में): "आज मैं आप लोगों को एक नए कॉलेज प्रोजेक्ट के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह प्रोजेक्ट आप लोगों की अटेंडेंस और ग्रेड दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।"
क्लास में थोड़ी हलचल होती है। अदिति रिया की ओर देखती है, उसके चेहरे पर थोड़ी चिंता है।
राघव: "इस प्रोजेक्ट में आप लोगों को जोड़ों में काम करना होगा। हर जोड़े को एक साहित्यिक विषय पर रिसर्च करनी होगी और उस पर एक प्रेजेंटेशन देनी होगी।"
रिया (अदिति को फुसफुसाते हुए): "मुझे लग रहा था कुछ गड़बड़ होने वाली है।"
राघव: "मैं आप लोगों को जोड़ियाँ बता देता हूँ।"
राघव एक-एक करके जोड़ियाँ बताता जाता है। अदिति का दिल तेज़ी से धड़क रहा है।
राघव: "और मिस अदिति सिंह...आपका पार्टनर होगा अमित कुमार।"
अदिति हैरान रह जाती है। अमित कुमार कॉलेज का सबसे लापरवाह और गैर-जिम्मेदार छात्र माना जाता है। वो कभी क्लास में समय पर नहीं आता, और उसने कभी कोई असाइनमेंट पूरा नहीं किया।
रिया (अदिति को फुसफुसाते हुए): "ये क्या कर दिया सर ने? ये तो जानबूझकर किया है।"
**सीन 2: अमित से पहली मुलाकात - सुबह 10:00 बजे**
क्लास खत्म होने के बाद अदिति अमित को ढूंढती है। वो उसे कैंटीन में अपने दोस्तों के साथ हंसते हुए और सिगरेट पीते हुए पाती है।
अदिति (अमित के पास जाकर): "अमित, मैं अदिति सिंह हूँ। सर ने हमें प्रोजेक्ट पार्टनर बनाया है।"
अमित (अदिति को घूरते हुए): "हाँ, मुझे पता है। तुम वही हो ना जो सर की नाक में दम करती रहती हो।"
अदिति (थोड़ी असहज होकर): "देखो, मैं जानती हूँ कि हम दोनों एक जैसे नहीं हैं, लेकिन हमें यह प्रोजेक्ट मिलकर करना होगा। क्या तुम मेरी मदद करोगे?"
अमित (हंसते हुए): "मदद? मैं? मैं तो खुद अपनी मदद नहीं कर पाता, तुम्हारी क्या करूँगा?"
अदिति: "प्लीज अमित, ये मेरे लिए बहुत ज़रूरी है। अगर हम ये प्रोजेक्ट अच्छे से करेंगे तो मेरी अटेंडेंस पूरी हो जाएगी।"
अमित (थोड़ा सोचकर): "ठीक है, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?"
अदिति (हैरान होकर): "बदले में? मैं तुम्हें क्या दे सकती हूँ?"
अमित (मुस्कुराकर): "सोच लो। मेरे लिए कुछ भी चलेगा।"
**सीन 3: राहुल और कपिल की चाल - दोपहर 12:00 बजे**
राहुल और प्रोफेसर कपिल देव कॉलेज के बाहर एक कॉफी शॉप में बैठे हैं।
कपिल: "मैंने सुना है कि राघव ने अदिति को अमित के साथ प्रोजेक्ट पार्टनर बनाया है। ये तो अच्छा मौका है। हमें इसका फायदा उठाना चाहिए।"
राहुल: "क्या मतलब है आपका?"
कपिल: "हमें अमित को पैसे देने चाहिए ताकि वो प्रोजेक्ट को बीच में ही छोड़ दे या उसे बिगाड़ दे। इससे सारा इल्जाम अदिति पर आएगा, और राघव और भी मुसीबत में फंस जाएगा।"
राहुल (हंसते हुए): "ये तो बहुत अच्छा आइडिया है! मैं अभी अमित से बात करता हूँ।"
राहुल अमित को फोन करता है और उसे कॉफी शॉप में बुलाता है।
**सीन 4: अमित का धोखा - दोपहर 1:00 बजे**
अमित कॉफी शॉप में राहुल और प्रोफेसर कपिल देव से मिलता है।
राहुल (अमित को पैसे देते हुए): "ये लो, ये तुम्हारे लिए हैं। बस तुम अदिति के साथ वाला प्रोजेक्ट बिगाड़ दो। उसे ऐसा करना कि सारा इल्जाम उसी पर आए।"
अमित (पैसे गिनते हुए): "कितना बिगाड़ना है?"
कपिल: "इतना कि राघव को लगे कि अदिति जानबूझकर सब कुछ बिगाड़ रही है। उसे लगे कि वो एक अनाड़ी और गैर-जिम्मेदार छात्रा है।"
अमित (मुस्कुराकर): "आप लोग चिंता मत करो। मैं ये काम अच्छे से करूँगा।"
**सीन 5: अकेले प्रोजेक्ट - शाम 5:00 बजे**
अदिति लाइब्रेरी में बैठी है, लेकिन अमित अभी तक नहीं आया है। वो उसे फोन करती है, लेकिन वो फोन नहीं उठाता।
अदिति (परेशान होकर): "ये क्या हो रहा है? अमित कहाँ चला गया? क्या वो सच में प्रोजेक्ट करना चाहता है या नहीं?"
अचानक अमित का एक दोस्त अदिति के पास आता है।
अमित का दोस्त: "अदिति, अमित ने कहा है कि वो आज नहीं आ पाएगा। उसे कुछ जरूरी काम है।"
अदिति (हैरान होकर): "क्या? लेकिन हमें तो आज ही प्रोजेक्ट पर काम करना था।"
अमित का दोस्त: "मुझे नहीं पता। उसने बस इतना ही कहा है।"
अमित का दोस्त चला जाता है। अदिति अकेले बैठ जाती है।
अदिति (खुद से): "अब मैं क्या करूँगी? मुझे तो ये प्रोजेक्ट अकेले ही करना होगा।"
अदिति हार नहीं मानती। वो लाइब्रेरी में बैठती है और प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर देती है। वो रात भर जागती है और पूरी मेहनत से रिसर्च करती है।
**सीन 6: सर की चिंता - अगले दिन सुबह 8:00 बजे**
प्रोफेसर राघव शर्मा अपने ऑफिस में बैठे हैं। वो अदिति के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें पता है कि अमित एक लापरवाह छात्र है, और उन्हें चिंता है कि अदिति अकेले प्रोजेक्ट कैसे करेगी।
राघव (खुद से): "मुझे अदिति पर नज़र रखनी होगी। मुझे देखना होगा कि वो क्या कर रही है। मुझे उसे मुसीबत में नहीं पड़ने देना चाहिए।"
राघव उठते हैं और कॉरिडोर में टहलने लगते हैं। वो लाइब्रेरी की ओर देखते हैं, और उन्हें अदिति लाइब्रेरी में बैठी हुई दिखती है, काम करते हुए।
राघव (मुस्कुराकर): "वो हार नहीं मान रही है। वो सच में मेहनत कर रही है। मुझे उस पर गर्व है।"
राघव आगे बढ़ते हैं और चुपचाप अदिति को देखते रहते हैं, दूर से।
**[अध्याय 11 समाप्त]**
**अध्याय 12: कैंटीन का क़िस्सा और पैसे का खेल**
**सीन 1: कैंटीन में अकेली - दोपहर 12:00 बजे**
अदिति लाइब्रेरी में सुबह से प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उसे भूख लगती है और वह कैंटीन में खाना खाने जाती है।
कैंटीन में ज़्यादा भीड़ नहीं है। अदिति एक टेबल पर बैठती है और मेनू देखती है। तभी उसकी नज़र प्रोफेसर राघव शर्मा पर पड़ती है। वो एक कोने में अकेले बैठे हुए हैं, और उनके चेहरे पर थकान दिख रही है।
अदिति (खुद से): "सर इतने उदास क्यों लग रहे हैं? क्या उन्हें भी भूख लगी होगी?"
अदिति को एक ख्याल आता है। वह वेटर को बुलाती है।
अदिति (वेटर से): "आप मुझे एक गुलाब जामुन और एक स्पेशल लस्सी दीजिए... और ये सब प्रोफेसर राघव शर्मा के टेबल पर ले जाइए। उन्हें बताइएगा कि ये मेरी तरफ से है।"
वेटर: "ठीक है मैडम।"
वेटर गुलाब जामुन और लस्सी लेकर प्रोफेसर राघव शर्मा के टेबल पर जाता है।
वेटर (राघव से): "सर, ये गुलाब जामुन और लस्सी आपके लिए है। मिस अदिति सिंह ने भेजा है।"
राघव (हैरान होकर): "अदिति? उसने मेरे लिए भेजा है?"
वेटर: "जी सर।"
राघव अदिति की ओर देखते हैं। अदिति मुस्कुराती है। राघव भी हल्की सी मुस्कान के साथ सिर हिलाते हैं।
**सीन 2: राहुल का षड्यंत्र - दोपहर 12:30 बजे**
राहुल कैंटीन में अपने दोस्तों के साथ बैठा है। वो अदिति को राघव के लिए गुलाब जामुन और लस्सी भेजते हुए देखता है। उसे गुस्सा आता है।
राहुल (अपने दोस्तों से): "देखो, वो फिर से सर को पटाने की कोशिश कर रही है। मुझे कुछ करना होगा।"
राहुल उठता है और कैंटीन के स्टाफ के पास जाता है।
राहुल (कैंटीन स्टाफ से, पैसे देते हुए): "देखो, मैं तुम्हें कुछ पैसे दे रहा हूँ। तुम सर के खाने में कुछ मिला दो... ऐसी चीज़ मिलाओ जिससे उन्हें थोड़ी तकलीफ हो।"
कैंटीन स्टाफ (डरते हुए): "लेकिन सर को कुछ हो गया तो?"
राहुल (धमकाते हुए): "तुम्हें जो कहा है वो करो, वरना मैं तुम्हारी नौकरी खा जाऊंगा।"
कैंटीन स्टाफ डर जाता है और राहुल की बात मान लेता है।
**सीन 3: सर की तबीयत - दोपहर 1:00 बजे**
राघव गुलाब जामुन और लस्सी खाते हैं। वो बहुत मीठे हैं, लेकिन उन्हें अच्छा लगता है। थोड़ी देर बाद उन्हें पेट में दर्द होने लगता है।
राघव (खुद से): "ये क्या हो रहा है? मेरे पेट में इतना दर्द क्यों हो रहा है?"
राघव दर्द से कराहते हैं। अदिति उन्हें परेशान देखती है और उनके पास जाती है।
अदिति (चिंतित होकर): "सर, क्या हुआ? आप ठीक तो हैं?"
राघव (दर्द से): "मुझे... मुझे पेट में बहुत दर्द हो रहा है।"
अदिति (और भी चिंतित होकर): "मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ।"
राघव: "नहीं, रहने दो। शायद ये मीठा खाने की वजह से हो रहा है।"
प्रोफेसर कपिल देव उसी समय कैंटीन में आते हैं। वो राघव को दर्द से कराहते हुए देखते हैं।
कपिल (चिंता जताते हुए): "राघव, क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?"
राघव (दर्द से): "मुझे पेट में बहुत दर्द हो रहा है।"
कपिल: "अरे, ये तो बहुत बुरा हुआ। तुम्हें छुट्टी ले लेनी चाहिए। जाओ, घर जाकर आराम करो।"
राघव: "हाँ, शायद तुम ठीक कह रहे हो।"
राघव उठते हैं और लड़खड़ाते हुए कैंटीन से बाहर निकल जाते हैं। अदिति उन्हें जाते हुए देखती है, उसके चेहरे पर चिंता और अपराधबोध है।
**सीन 4: अदिति का अफ़सोस - दोपहर 1:30 बजे**
अदिति (खुद से): "ये सब मेरी वजह से हुआ। अगर मैंने सर को गुलाब जामुन और लस्सी नहीं भेजी होती तो उन्हें दर्द नहीं होता।"
रिया अदिति के पास आती है।
रिया (अदिति को समझाते हुए): "अदिति, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। तुम तो बस सर की मदद करना चाहती थी।"
अदिति (रोते हुए): "लेकिन अब सर बीमार हैं... और ये सब मेरी वजह से हुआ।"
रिया: "चलो, हम सर के घर चलते हैं और उन्हें देखते हैं। हमें पता करना चाहिए कि वो ठीक हैं या नहीं।"
अदिति: "हाँ, चलो।"
**सीन 5: राहुल का रहस्य - दोपहर 2:00 बजे**
रिया और अदिति कैंटीन से बाहर निकलती हैं। रिया को राहुल कैंटीन स्टाफ से बात करता हुआ दिखाई देता है, उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान है।
रिया (अदिति को फुसफुसाते हुए): "अदिति, देख वो राहुल है। मुझे लग रहा है उसने ही कुछ किया है।"
अदिति: "क्या मतलब है?"
रिया: "मुझे लग रहा है कि उसने ही सर के खाने में कुछ मिलाया है।"
अदिति: "क्या? लेकिन क्यों?"
रिया: "मुझे नहीं पता। लेकिन मुझे उस पर शक हो रहा है।"
**सीन 6: प्रोफेसर मीनाक्षी की बातें - दोपहर 2:30 बजे**
प्रोफेसर मीनाक्षी और प्रोफेसर कपिल देव कॉरिडोर में बात कर रहे हैं।
मीनाक्षी: "मैंने सुना है कि राघव की तबीयत खराब हो गई है। क्या हुआ उसे?"
कपिल: "हाँ, अदिति ने उसे गुलाब जामुन और लस्सी भेजी थी। शायद वो खाने की वजह से उसकी तबीयत खराब हो गई।"
मीनाक्षी (हंसते हुए): "अदिति? वो तो हमेशा कुछ न कुछ गड़बड़ करती रहती है। मुझे तो लगता है कि राघव उसके साथ बहुत सख्ती से पेश आता है।"
कपिल: "हाँ, वो थोड़ा क्रूर है। लेकिन वो एक अच्छा प्रोफेसर है।"
मीनाक्षी: "मुझे तो नहीं लगता। मुझे तो लगता है कि वो मानसिक रूप से अस्थिर है।"
अदिति और रिया उनकी बातें सुन लेती हैं। अदिति को गुस्सा आता है।
**[अध्याय 12 समाप्त]**
**अध्याय 13: पौधों की कहानी और झूठी रिपोर्ट**
**सीन 1: राघव का ऑफिस - सुबह 9:00 बजे**
प्रोफेसर राघव शर्मा ऑफिस में वापस आ गए हैं। वे अभी भी थोड़े कमजोर हैं, लेकिन वे काम करने के लिए दृढ़ हैं। ऑफिस हमेशा की तरह अस्त-व्यस्त है, फाइलों का ढेर और किताबों का अम्बार लगा हुआ है।
अदिति सुबह जल्दी आई है, वो सर के लिए चाय और नाश्ता लेकर आई है।
अदिति (दरवाजा खटखटाते हुए): "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव (कमजोर आवाज में): "हाँ, आओ।"
अदिति अंदर आती है।
अदिति: "गुड मॉर्निंग सर। मैं आपके लिए चाय और नाश्ता लाई हूँ। आपको अब कैसा लग रहा है?"
राघव (मुस्कुराकर): "गुड मॉर्निंग अदिति। मैं अब थोड़ा बेहतर महसूस कर रहा हूँ। थैंक यू।"
अदिति टेबल पर चाय और नाश्ता रखती है। राघव एक कप चाय पीते हैं।
राघव: "अदिति, मुझे पता है कि तुमने कल मेरे लिए गुलाब जामुन और लस्सी भेजी थी। मैं जानता हूँ कि तुम्हारी नीयत अच्छी थी, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे मीठा नहीं खाना चाहिए।"
अदिति (अपराधबोध से): "सॉरी सर। मुझे नहीं पता था कि आपको मीठा खाने से तकलीफ होती है।"
राघव: "कोई बात नहीं अदिति। मैं जानता हूँ कि तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। वैसे, क्या तुम मेरे पौधों को पानी दे सकती हो?"
राघव अपने ऑफिस में रखे तीन छोटे पौधों की ओर इशारा करते हैं। ये पौधे उनके लिए बहुत खास हैं।
अदिति: "हाँ, ज़रूर सर।"
**सीन 2: अदिति की भूल - सुबह 9:30 बजे**
अदिति पौधों को पानी देने जाती है। वह थोड़ा अनाड़ी है और एक पौधे में बहुत ज़्यादा पानी डाल देती है। दूसरे पौधे में वह गलत खाद डाल देती है, जो सर ने संभाल कर रखी थी।
अदिति (खुद से): "ओह नो! मैंने क्या कर दिया? मैंने तो पौधों को मारने का काम कर दिया!"
अदिति घबरा जाती है और पौधों को ठीक करने की कोशिश करती है, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आता।
**सीन 3: राहुल की तस्वीर - सुबह 10:00 बजे**
राहुल वर्मा ऑफिस के बाहर से गुजर रहा है। वह देखता है कि अदिति पौधों को पानी दे रही है। वह छिपकर पौधों की तस्वीरें लेता है, खासकर उन पौधों की जिनमें अदिति ने गड़बड़ की है।
राहुल (खुद से): "ये तो बहुत अच्छा मौका है। मैं इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके सर को और मुसीबत में डालूँगा।"
राहुल तस्वीरें लेकर प्रोफेसर कपिल देव के पास जाता है।
राहुल (कपिल को तस्वीरें दिखाते हुए): "सर, देखिए मैंने क्या किया। अदिति ने सर के पौधों को बर्बाद कर दिया है।"
कपिल (तस्वीरें देखकर): "बहुत बढ़िया राहुल। ये तो बहुत अच्छा सबूत है। अब हम इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके राघव पर 'पशु और प्रकृति के प्रति संवेदनहीनता' का आरोप लगा सकते हैं।"
**सीन 4: झूठी रिपोर्ट - दोपहर 12:00 बजे**
प्रोफेसर कपिल देव कॉलेज प्रशासन के सामने एक रिपोर्ट पेश करते हैं। रिपोर्ट में अदिति द्वारा खराब किए गए पौधों की तस्वीरें हैं।
कपिल: "महोदय, मैं आपको ये बताना चाहता हूँ कि प्रोफेसर राघव शर्मा अपने ऑफिस में रखे पौधों की ठीक से देखभाल नहीं करते। इन पौधों को देखिए, ये लगभग मर चुके हैं। यह प्रोफेसर राघव शर्मा की 'पशु और प्रकृति के प्रति संवेदनहीनता' को दर्शाता है।"
कॉलेज प्रशासन रिपोर्ट और तस्वीरों को देखकर हैरान रह जाता है।
प्रशासन का सदस्य: "ये तो बहुत गंभीर मामला है। हमें इस पर ध्यान देना होगा।"
**सीन 5: राघव का गुस्सा - दोपहर 1:00 बजे**
राघव को कॉलेज प्रशासन से बुलावा आता है। उन्हें बताया जाता है कि उनके खिलाफ 'पशु और प्रकृति के प्रति संवेदनहीनता' का आरोप लगाया गया है। उन्हें पौधों की तस्वीरें दिखाई जाती हैं। राघव गुस्से से लाल हो जाते हैं।
राघव (गुस्से में): "ये क्या बकवास है? ये तस्वीरें किसने ली हैं? मैं अपने पौधों की बहुत अच्छी देखभाल करता हूँ।"
प्रशासन का सदस्य: "हमें बताया गया है कि मिस अदिति सिंह ने आपके पौधों को पानी दिया था, और उसके बाद ये तस्वीरें ली गईं।"
राघव को समझ आ जाता है कि ये सब अदिति की वजह से हुआ है। उन्हें बहुत गुस्सा आता है।
**सीन 6: अदिति का अफ़सोस - दोपहर 1:30 बजे**
राघव अपने ऑफिस में वापस आते हैं। अदिति वहाँ पर बैठी हुई है, वह बहुत डरी हुई है।
राघव (गुस्से में): "ये क्या किया तुमने अदिति? तुमने मेरे पौधों को बर्बाद कर दिया! और अब कॉलेज प्रशासन मेरे खिलाफ जाँच कर रहा है! तुम्हें कोई भी काम ठीक से करना नहीं आता!"
अदिति (रोते हुए): "सॉरी सर। मुझे नहीं पता था कि मैं पौधों को बर्बाद कर दूँगी। मैंने तो बस आपकी मदद करना चाहा था।"
राघव (और भी गुस्से में): "मदद? ये कोई मदद है? तुमने तो मेरे लिए और मुसीबत खड़ी कर दी! अब तुम यहाँ से जाओ! मुझे तुम्हारी कोई मदद नहीं चाहिए!"
अदिति रोते हुए ऑफिस से बाहर निकल जाती है।
**सीन 7: अदिति का प्रयास - शाम 4:00 बजे**
अदिति हार नहीं मानती। वह पौधों को बचाने के लिए नए तरीके ढूंढती है। वह इंटरनेट पर रिसर्च करती है, और वह कुछ ऐसे तरीके ढूंढती है जिनसे पौधों को ठीक किया जा सकता है।
वह फिर से राघव के ऑफिस में जाती है।
अदिति (नरमी से): "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? मैं आपके पौधों को ठीक करने के लिए कुछ तरीके लाई हूँ।"
राघव (अभी भी गुस्से में): "मुझे तुम्हारी कोई मदद नहीं चाहिए। तुम यहाँ से जाओ।"
अदिति (ज़ोर देते हुए): "प्लीज सर, मुझे एक मौका दीजिए। मैं आपको दिखा दूँगी कि मैं पौधों को ठीक कर सकती हूँ।"
राघव (थोड़ा नरम होकर): "ठीक है, लेकिन अगर तुमने पौधों को ठीक नहीं किया तो... तो मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगा।"
अदिति मुस्कुराती है और पौधों को ठीक करने में जुट जाती है।
**[अध्याय 13 समाप्त]**
**अध्याय 14: एक पुरानी तस्वीर और भावनात्मक शोषण**
**सीन 1: पौधों की देखभाल - सुबह 9:00 बजे**
अदिति हर दिन राघव के ऑफिस में जाती है और पौधों की देखभाल करती है। वह पौधों को सही मात्रा में पानी देती है, सही खाद डालती है, और पौधों से बातें भी करती है।
राघव अदिति को पौधों की देखभाल करते हुए देखते हैं। वे हैरान हैं कि अदिति इतनी मेहनत कर रही है।
राघव (खुद से): "ये लड़की सच में बहुत जिद्दी है। मैंने सोचा था कि वो हार मान लेगी, लेकिन वो हार नहीं मान रही है।"
धीरे-धीरे पौधे ठीक होने लगते हैं। उनके पत्ते हरे हो जाते हैं, और वे फिर से बढ़ने लगते हैं।
**सीन 2: पुरानी तस्वीर - सुबह 10:00 बजे**
एक दिन अदिति राघव के ऑफिस में सफाई कर रही होती है। वह एक पुरानी तस्वीर देखती है जो डेस्क पर रखी हुई है। तस्वीर में एक खूबसूरत महिला है, और राघव उस महिला के साथ खड़े हैं। दोनों मुस्कुरा रहे हैं।
अदिति (खुद से): "ये कौन है? क्या ये सर की पत्नी हैं?"
अदिति तस्वीर को ध्यान से देखती है। तस्वीर में राघव खुश दिख रहे हैं, लेकिन उनकी आँखों में एक उदासी भी है।
अदिति सफाई करते हुए तस्वीर को ऐसी जगह रख देती है जहाँ सर को बार-बार वो दिखती रहे।
**सीन 3: राघव का उदास चेहरा - दोपहर 12:00 बजे**
राघव ऑफिस में आते हैं और उनकी नज़र तस्वीर पर पड़ती है। उनका चेहरा उदास हो जाता है।
राघव (खुद से): "ये तस्वीर... मुझे ये सब याद नहीं करना चाहिए।"
राघव तस्वीर को उठा कर दराज में रख देते हैं। फिर वो अपना काम करने लगते हैं, लेकिन उनका ध्यान बार-बार तस्वीर पर जाता है।
**सीन 4: कपिल का खेल - दोपहर 1:00 बजे**
प्रोफेसर कपिल देव राघव के ऑफिस में आते हैं। वह देखते हैं कि राघव उदास हैं।
कपिल (राघव को चिढ़ाते हुए): "क्या हुआ राघव? आज तुम इतने उदास क्यों हो? क्या तुम्हें अपनी पुरानी यादें सता रही हैं?"
राघव: "ये तुम्हारी समस्या नहीं है कपिल। तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
कपिल: "मैं तो बस तुमसे मिलने आया था। मैंने सुना है कि अदिति तुम्हारे पौधों की देखभाल कर रही है। क्या ये सच है?"
राघव: "हाँ, वो मेरे पौधों की देखभाल कर रही है।"
कपिल: "मुझे तो लगता है कि वो तुम्हें पटाने की कोशिश कर रही है। तुम्हें उससे सावधान रहना चाहिए। वो एक चालाक लड़की है।"
राघव (गुस्से में): "बकवास मत करो कपिल। अदिति ऐसी नहीं है। और तुम मेरे ऑफिस से निकल जाओ।"
कपिल (मुस्कुराते हुए): "ठीक है राघव। मैं जा रहा हूँ। लेकिन याद रखना, मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी।"
कपिल ऑफिस से निकल जाते हैं।
**सीन 5: अदिति से बातें - दोपहर 2:00 बजे**
अदिति राघव के ऑफिस में आती है।
अदिति: "सर, आपके पौधों को अब कैसा लग रहा है?"
राघव: "वे अब ठीक लग रहे हैं। थैंक यू अदिति।"
अदिति: "सर, मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूँ।"
राघव: "क्या बात है अदिति?"
अदिति: "आपके डेस्क पर एक तस्वीर थी। उस तस्वीर में आपके साथ कौन था?"
राघव का चेहरा फिर से उदास हो जाता है।
राघव: "वो... वो मेरी पत्नी थी।"
अदिति: "आपकी पत्नी? तो वो अब कहाँ हैं?"
राघव: "वो... वो अब इस दुनिया में नहीं हैं।"
अदिति को राघव के लिए बहुत दुख होता है।
अदिति: "सॉरी सर। मुझे आपको ये सब याद नहीं दिलाना चाहिए था।"
राघव: "कोई बात नहीं अदिति। कभी-कभी पुरानी यादें सताती हैं।"
**सीन 6: कपिल का षड्यंत्र - शाम 4:00 बजे**
कपिल प्रोफेसर मीनाक्षी के साथ बात कर रहे हैं।
कपिल: "क्या तुमने देखा कि राघव आज कितना उदास था?"
मीनाक्षी: "हाँ, मैंने देखा। क्या हुआ था उसे?"
कपिल: "उसकी पत्नी की तस्वीर। अदिति ने उसे ऐसी जगह रख दी थी जहाँ राघव को बार-बार वो दिखती रहे।"
मीनाक्षी: "तो? इससे क्या होता है?"
कपिल: "अरे, तुम नहीं समझी। राघव मानसिक रूप से अस्थिर है। उसका अतीत उसे परेशान कर रहा है। और अदिति उसकी भावनाओं के साथ खेल रही है।"
मीनाक्षी: "क्या तुम कहना चाहते हो कि अदिति राघव को ब्लैकमेल कर रही है?"
कपिल: "हाँ, कुछ ऐसा ही। हमें इसका फायदा उठाना चाहिए।"
**सीन 7: अदिति की सहानुभूति - शाम 5:00 बजे**
अदिति अपने हॉस्टल के कमरे में बैठी हुई है। वो राघव के बारे में सोच रही है।
अदिति (खुद से): "सर कितने दुखी हैं। उनकी पत्नी की तस्वीर देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। मुझे उनकी मदद करनी चाहिए।"
अदिति को राघव के लिए बहुत सहानुभूति होती है। वह फैसला करती है कि वह राघव को खुश करने की कोशिश करेगी।
**[अध्याय 14 समाप्त]**
**अध्याय 15: लेक्चर की रिकॉर्डिंग और छेड़छाड़**
**सीन 1: क्लास में लेक्चर - सुबह 9:00 बजे**
प्रोफेसर राघव शर्मा क्लास में लेक्चर दे रहे हैं। आज का विषय है "प्रेमचंद की कहानियाँ और सामाजिक यथार्थवाद"। अदिति क्लास में ध्यान से सुन रही है, और वह नोट्स भी बना रही है।
राघव (उत्साह से): "प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज की सच्चाई को दिखाया है। उन्होंने गरीबों, किसानों, और दलितों के जीवन को चित्रित किया है। उनकी कहानियाँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम एक न्यायपूर्ण समाज में जी रहे हैं।"
अदिति को प्रेमचंद की कहानियाँ बहुत पसंद हैं। वह सोचती है कि सर बहुत अच्छा पढ़ा रहे हैं।
अदिति (खुद से): "वाह! सर आज कितने अच्छे से समझा रहे हैं। मुझे ये लेक्चर रिकॉर्ड कर लेना चाहिए, ताकि मैं घर जाकर इसे दोबारा सुन सकूँ।"
अदिति अपना मोबाइल फोन निकालती है और लेक्चर को रिकॉर्ड करना शुरू कर देती है।
**सीन 2: राहुल का षड्यंत्र - दोपहर 12:00 बजे**
राहुल वर्मा कैंटीन में बैठा हुआ है। वह अपने दोस्तों से बात कर रहा है।
राहुल (षड्यंत्रकारी ढंग से): "मैंने सुना है कि अदिति ने आज सर के लेक्चर को रिकॉर्ड किया है।"
दोस्त 1: "तो क्या हुआ? क्या वो कोई जासूस है?"
राहुल: "अरे, तुम नहीं समझे। हमें उस रिकॉर्डिंग को हासिल करना है। हम उस रिकॉर्डिंग में कुछ बदलाव करेंगे, ताकि सर मुसीबत में पड़ जाएँ।"
दोस्त 2: "ये तो बहुत खतरनाक है। अगर हम पकड़े गए तो क्या होगा?"
राहुल: "चिंता मत करो। हम पकड़े नहीं जाएँगे। और अगर पकड़े भी गए, तो हम कह देंगे कि ये सब अदिति ने किया है।"
**सीन 3: रिकॉर्डिंग की चोरी - दोपहर 2:00 बजे**
अदिति लाइब्रेरी में बैठी हुई है और अपनी नोट्स को रिवाइज कर रही है। वह अपना मोबाइल फोन टेबल पर रखती है और एक किताब लेने जाती है।
राहुल चुपके से लाइब्रेरी में आता है। वह देखता है कि अदिति का मोबाइल फोन टेबल पर रखा हुआ है। वह जल्दी से मोबाइल फोन उठाता है और उसे लेकर भाग जाता है।
**सीन 4: रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ - शाम 4:00 बजे**
राहुल अपने दोस्तों के साथ एक कंप्यूटर लैब में बैठा हुआ है। वे अदिति के मोबाइल फोन से लेक्चर की रिकॉर्डिंग को कंप्यूटर में ट्रांसफर करते हैं।
राहुल: "अब हम इस रिकॉर्डिंग में कुछ बदलाव करेंगे। हम सर को कुछ अभद्र या अनुचित बातें कहते हुए एडिट करेंगे।"
वे रिकॉर्डिंग को एडिट करना शुरू कर देते हैं। वे सर की आवाज को बदलते हैं, और वे कुछ ऐसी बातें डालते हैं जो सर ने कभी नहीं कही थीं।
राहुल (हँसते हुए): "ये तो बहुत मजेदार है। अब सर को पता चलेगा कि क्या होता है जब तुम मुझसे पंगा लेते हो।"
**सीन 5: रिकॉर्डिंग का प्रसार - रात 8:00 बजे**
राहुल और उसके दोस्त एडिटेड रिकॉर्डिंग को कुछ छात्रों और कॉलेज प्रशासन को गुमनाम रूप से भेजते हैं। वे रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर भी अपलोड करते हैं।
**सीन 6: कॉलेज में अफ़वाहें - अगली सुबह 9:00 बजे**
कॉलेज में अफ़वाहें फैल रही हैं कि प्रोफेसर राघव शर्मा अपने छात्रों के प्रति अनुचित भाषा का प्रयोग करते हैं। छात्र और शिक्षक सब हैरान हैं।
कुछ छात्र सर के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
**सीन 7: अदिति का सामना - सुबह 10:00 बजे**
अदिति को पता चलता है कि सर के खिलाफ अफ़वाहें फैल रही हैं। वह हैरान और परेशान है।
अदिति (खुद से): "ये क्या हो रहा है? सर तो कभी भी अनुचित भाषा का प्रयोग नहीं करते। मुझे कुछ करना होगा।"
अदिति को याद आता है कि उसने लेक्चर को रिकॉर्ड किया था। वह अपना मोबाइल फोन चेक करती है, लेकिन उसे नहीं मिलता।
अदिति (खुद से): "ओह नो! मेरा फोन कहाँ गया? क्या किसी ने मेरा फोन चुरा लिया?"
अदिति को शक होता है कि राहुल ने उसका फोन चुराया है। वह राहुल को ढूंढती है और उससे सवाल करती है।
अदिति (गुस्से से): "राहुल, क्या तुमने मेरा फोन चुराया है?"
राहुल (झूठ बोलते हुए): "नहीं, मैंने तुम्हारा फोन नहीं चुराया। मुझे क्या पड़ी है तुम्हारा फोन चुराने की?"
अदिति को राहुल पर विश्वास नहीं होता। वह राहुल को धमकी देती है कि अगर उसने उसका फोन वापस नहीं किया तो वह पुलिस में शिकायत करेगी।
**सीन 8: अदिति का समर्थन - दोपहर 12:00 बजे**
अदिति सर के पास जाती है और उन्हें बताती है कि क्या हुआ है।
अदिति (रोते हुए): "सॉरी सर। ये सब मेरी वजह से हुआ है। मैंने आपका लेक्चर रिकॉर्ड किया था, और किसी ने मेरा फोन चुरा लिया। मुझे लगता है कि उस रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ की गई है, और उसे आपके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।"
राघव (शांत होकर): "चिंता मत करो अदिति। मुझे पता है कि तुम्हारी कोई गलती नहीं है। और मुझे पता है कि तुम कभी भी मेरे खिलाफ कुछ नहीं करोगी।"
राघव अदिति को समझाते हैं कि उसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। वे दोनों मिलकर इस समस्या का समाधान करेंगे।
**[अध्याय 15 समाप्त]**
**अध्याय 16: हॉस्टल का ड्रामा और झूठे आरोप**
**सीन 1: हॉस्टल में हंगामा - शाम 7:00 बजे**
अदिति के हॉस्टल में हंगामा मचा हुआ है। पानी की सप्लाई बंद है, और गर्मी बहुत ज्यादा है। छात्राएँ परेशान हैं और शिकायत कर रही हैं।
छात्रा 1 (गुस्से से): "ये क्या बकवास है? हर बार ऐसा ही होता है। कभी पानी नहीं होता, कभी बिजली नहीं होती। हम यहाँ कैसे रहें?"
छात्रा 2: "हमें वार्डन से शिकायत करनी चाहिए। ये सब ठीक नहीं है।"
अदिति अपनी सहेलियों रिया और नेहा के साथ बैठी हुई है।
अदिति: "मुझे लगता है कि हमें सर से मदद मांगनी चाहिए। वे हॉस्टल के वार्डन भी हैं।"
रिया (डरते हुए): "तुम सर से बात करोगी? तुम जानती हो कि वे कितने सख्त हैं।"
अदिति: "हाँ, मुझे पता है। लेकिन हमें कुछ तो करना होगा। हम ऐसे तो नहीं रह सकते।"
**सीन 2: सर का हस्तक्षेप - रात 8:00 बजे**
अदिति प्रोफेसर राघव शर्मा के ऑफिस जाती है। सर ऑफिस में काम कर रहे हैं।
अदिति: "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव (गंभीरता से): "क्या बात है अदिति? तुम्हें यहाँ क्या काम है?"
अदिति: "सर, हॉस्टल में पानी की सप्लाई बंद है, और गर्मी बहुत ज्यादा है। हम सब बहुत परेशान हैं। क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं?"
राघव (थोड़ा नरम होकर): "ठीक है, मैं देखता हूँ कि मैं क्या कर सकता हूँ। तुम जाओ, मैं थोड़ी देर में हॉस्टल आता हूँ।"
अदिति हॉस्टल वापस चली जाती है।
थोड़ी देर बाद राघव हॉस्टल आते हैं। वे हॉस्टल की छात्राओं से बात करते हैं, और वे समस्या को समझते हैं।
राघव (छात्राओं से): "मैं समझता हूँ कि आप सब परेशान हैं। मैं आप सबको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं इस समस्या को जल्द से जल्द हल करूँगा।"
राघव तुरंत कॉलेज प्रशासन को फोन करते हैं और उन्हें पानी की सप्लाई शुरू करने का आदेश देते हैं। वे हॉस्टल के कमरों में पंखे लगवाने का भी आदेश देते हैं।
छात्राओं को राहत मिलती है। वे राघव को धन्यवाद देती हैं।
अदिति: "थैंक यू सर। आपने हमारी बहुत मदद की।"
राघव (मुस्कुराते हुए): "कोई बात नहीं अदिति। ये मेरा कर्तव्य है।"
**सीन 3: राहुल की बदमाशी - रात 9:00 बजे**
राहुल वर्मा अपने कुछ दोस्तों के साथ हॉस्टल के बाहर खड़ा है। वह राघव को हॉस्टल से निकलते हुए देखता है।
राहुल (षड्यंत्रकारी ढंग से): "देखो, देखो, कौन आ रहा है। ये तो प्रोफेसर राघव शर्मा हैं। क्या कर रहे थे वे हॉस्टल में?"
दोस्त 1: "मुझे लगता है कि वे किसी छात्रा के साथ अफेयर चला रहे हैं।"
राहुल (हँसते हुए): "हाँ, यही सच है। हमें इस बारे में कुछ करना चाहिए।"
राहुल और उसके दोस्त हॉस्टल की छात्राओं के खिलाफ अफ़वाहें फैलाना शुरू कर देते हैं। वे कहते हैं कि राघव छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार कर रहे हैं।
राहुल (जोर से): "क्या आप सब जानती हैं कि प्रोफेसर राघव शर्मा हॉस्टल में क्या कर रहे थे? वे छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार कर रहे थे। हमें उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए!"
**सीन 4: अदिति का गुस्सा - रात 9:30 बजे**
अदिति राहुल और उसके दोस्तों को अफ़वाहें फैलाते हुए सुनती है। उसे बहुत गुस्सा आता है।
अदिति (गुस्से से): "ये क्या बकवास है? आप लोग झूठ बोल रहे हैं। सर ने कुछ भी गलत नहीं किया। वे सिर्फ हमारी मदद कर रहे थे।"
राहुल (मुस्कुराते हुए): "ओह, तो तुम सर का बचाव कर रही हो? क्या तुम भी उनके साथ अफेयर चला रही हो?"
अदिति को और गुस्सा आता है। वह राहुल को थप्पड़ मार देती है।
अदिति (चिल्लाते हुए): "तुम अपनी हद में रहो। सर के बारे में गलत बात मत करो।"
**सीन 5: छात्राओं का साथ - रात 10:00 बजे**
अदिति की सहेलियाँ रिया और नेहा भी राहुल के खिलाफ खड़ी हो जाती हैं। वे राहुल को डांटती हैं और उसे अफ़वाहें फैलाने से मना करती हैं।
रिया: "तुम जानते भी हो कि तुम क्या कह रहे हो? सर ने हमारी मदद की, और तुम उन पर झूठे आरोप लगा रहे हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए।"
नेहा: "हम सब जानती हैं कि सर बेगुनाह हैं। हम तुम्हारे झूठ को नहीं मानेंगे।"
हॉस्टल की अन्य छात्राएँ भी अदिति और उसकी सहेलियों का साथ देती हैं। वे राहुल को घेर लेती हैं और उसे हॉस्टल से बाहर निकाल देती हैं।
**सीन 6: राघव का आभार - रात 10:30 बजे**
राघव को पता चलता है कि राहुल ने उनके बारे में झूठी अफ़वाहें फैलाई हैं, और अदिति और उसकी सहेलियों ने उनका बचाव किया है। उन्हें बहुत दुख होता है और वे अदिति की हिम्मत से बहुत प्रभावित होते हैं।
राघव (खुद से): "अदिति, तुम सच में एक अद्भुत लड़की हो। तुमने मेरी इज्जत बचाई। मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा।"
**[अध्याय 16 समाप्त]**
**अध्याय 17: अक्लमंद दोस्त और जासूसी**
**सीन 1: रिया का शक - सुबह 9:00 बजे**
अदिति और रिया कैंटीन में बैठी हुई हैं। अदिति अभी भी पिछली रात की घटना से परेशान है।
रिया (चिंता से): "अदिति, तुम ठीक हो? मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि राहुल ने सर के बारे में ऐसी बातें कहीं।"
अदिति (उदास होकर): "मुझे भी बहुत बुरा लग रहा है, रिया। सर ने हमारी इतनी मदद की, और राहुल ने उनके साथ ऐसा किया। मुझे लगता है कि राहुल ये सब अकेले नहीं कर रहा है। उसके साथ कोई और भी है।"
रिया (सोचते हुए): "हाँ, मुझे भी ऐसा ही लगता है। राहुल हमेशा से ही सर से जलता था, लेकिन वह इतना शातिर नहीं है। मुझे लगता है कि उसे कोई इस्तेमाल कर रहा है।"
अदिति: "तो हमें क्या करना चाहिए?"
रिया (दृढ़ता से): "हमें राहुल पर नजर रखनी चाहिए। हमें पता लगाना चाहिए कि उसके साथ कौन है।"
**सीन 2: राहुल पर नजर - दोपहर 12:00 बजे**
अदिति और रिया राहुल पर नजर रखना शुरू कर देती हैं। वे देखती हैं कि राहुल अक्सर प्रोफेसर मीनाक्षी से मिलता है।
रिया (फुसफुसाते हुए): "देखो, वो फिर से प्रोफेसर मीनाक्षी से मिल रहा है। मुझे हमेशा से ही उस पर शक था। वह भी सर से जलती है।"
अदिति (सोचते हुए): "हाँ, मुझे भी उस पर शक है। लेकिन हमें यह साबित करना होगा कि वे दोनों मिलकर सर के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।"
**सीन 3: गुप्त मुलाकातें - शाम 5:00 बजे**
अदिति और रिया देखती हैं कि राहुल और प्रोफेसर मीनाक्षी कॉलेज के पीछे एक सुनसान जगह पर मिल रहे हैं।
रिया: "मुझे लगता है कि हमें उनकी बातें सुननी चाहिए।"
अदिति और रिया चुपके से राहुल और प्रोफेसर मीनाक्षी के पास जाती हैं। वे उनकी बातें सुनने की कोशिश करती हैं।
मीनाक्षी (गुस्से से): "तुमने क्या किया है, राहुल? तुमने सर के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं, और अब सब लोग हम पर शक कर रहे हैं।"
राहुल (डरते हुए): "मैंने क्या किया? ये सब तो आपने करने को कहा था।"
मीनाक्षी: "मुझे परवाह नहीं है कि मैंने क्या कहा था। अब सब कुछ ठीक करो, वरना मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगी।"
राहुल: "मैं क्या कर सकता हूँ? सब लोग सर पर विश्वास करते हैं। कोई भी मेरी बात नहीं सुनेगा।"
मीनाक्षी: "मुझे नहीं पता। लेकिन तुम्हें कुछ करना होगा। वरना तुम दोनों मुसीबत में पड़ जाओगे।"
अदिति और रिया उनकी बातें सुनकर हैरान हो जाती हैं। उन्हें पता चलता है कि प्रोफेसर मीनाक्षी ही राहुल को सर के खिलाफ साजिश रचने के लिए उकसा रही थी।
**सीन 4: अदिति का सवाल - शाम 7:00 बजे**
अदिति राहुल के पास जाती है।
अदिति (मासूमियत से): "राहुल, क्या प्रोफेसर मीनाक्षी तुम्हें सर के खिलाफ साजिश रचने के लिए कह रही हैं?"
राहुल (चौंककर): "तुम क्या कह रही हो? ये सब झूठ है।"
अदिति (दबाव डालते हुए): "सच बताओ, राहुल। मैंने सब कुछ सुन लिया है। मुझे पता है कि प्रोफेसर मीनाक्षी ही तुम्हें ये सब करने के लिए कह रही हैं।"
राहुल (डरते हुए): "ठीक है, तुम सही हो। प्रोफेसर मीनाक्षी ही मुझे ये सब करने के लिए कह रही हैं। वे सर से जलती हैं, और वे उन्हें बर्बाद करना चाहती हैं।"
**सीन 5: सबूत की तलाश - रात 9:00 बजे**
अदिति और रिया प्रोफेसर मीनाक्षी के ऑफिस में घुसने का फैसला करती हैं। वे कुछ ऐसा ढूंढना चाहती हैं जिससे वे साबित कर सकें कि प्रोफेसर मीनाक्षी ही सर के खिलाफ साजिश रच रही हैं।
रिया (डरते हुए): "क्या तुम्हें यकीन है कि हमें ये करना चाहिए? ये बहुत खतरनाक है।"
अदिति (दृढ़ता से): "हमें कुछ तो करना होगा, रिया। हम सर को ऐसे तो नहीं छोड़ सकते।"
वे प्रोफेसर मीनाक्षी के ऑफिस में चुपके से घुस जाती हैं। वे ऑफिस को खंगालती हैं, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिलता।
अदिति (निराश होकर): "मुझे नहीं लगता कि हमें यहाँ कुछ भी मिलेगा।"
रिया (उम्मीद से): "हार मत मानो, अदिति। हमें बस थोड़ा और ढूंढना होगा।"
अचानक, अदिति को प्रोफेसर मीनाक्षी की डायरी मिलती है। वह डायरी खोलती है और पढ़ना शुरू कर देती है।
**[अध्याय 17 समाप्त]**
**अध्याय 18: अचानक की छुट्टी और फ़ंड घोटाला**
**सीन 1: छुट्टी का ऐलान - सुबह 10:00 बजे**
कॉलेज में हर तरफ़ गहमागहमी है। छात्र क्लास के लिए जा रहे हैं, प्रोफेसर अपने लेक्चर की तैयारी कर रहे हैं। तभी कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर एक नोटिस लगता है।
रिया (नोटिस पढ़ते हुए): "अरे अदिति, ये क्या है? आज कॉलेज में छुट्टी है?"
अदिति (हैरानी से): "क्या? छुट्टी? लेकिन क्यों?"
रिया: "नोटिस में लिखा है कि किसी 'अपरिहार्य कारण' से आज कॉलेज बंद रहेगा।"
अदिति: "ये तो अजीब है। कोई कारण भी नहीं बताया। मुझे लगता है कि कुछ गड़बड़ है।"
दोनों सहेलियाँ सर की क्लास के लिए जाती हैं, लेकिन क्लास खाली है।
रिया: "देखो, सर भी नहीं आए। मुझे और भी शक हो रहा है।"
अदिति: "चलो कैंटीन चलते हैं। शायद वहाँ किसी को पता हो।"
**सीन 2: कैंटीन में अटकलें - सुबह 10:30 बजे**
कैंटीन में छात्रों का झुंड जमा है, सब छुट्टी की वजह जानने की कोशिश कर रहे हैं।
छात्र 1: "मुझे लगता है कि किसी बड़े नेता का दौरा होने वाला था, जो रद्द हो गया।"
छात्र 2: "नहीं, मुझे लगता है कि कॉलेज में कोई झगड़ा हो गया है, इसलिए छुट्टी कर दी गई।"
अदिति और रिया एक टेबल पर बैठती हैं।
रिया: "देखो, किसी को कुछ नहीं पता। सब अटकलें लगा रहे हैं।"
अदिति: "मुझे लगता है कि हमें सीधे सर से बात करनी चाहिए। वे ज़रूर जानते होंगे।"
**सीन 3: सर का शक - दोपहर 12:00 बजे**
अदिति सर के ऑफिस जाती है। सर अपने ऑफिस में बैठे कुछ फाइलों को देख रहे हैं।
अदिति: "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव (गंभीरता से): "हाँ, अदिति। क्या बात है?"
अदिति: "सर, आज कॉलेज में अचानक छुट्टी कर दी गई है। क्या आपको पता है क्यों?"
राघव (चिंतित होकर): "हाँ, मुझे पता है। लेकिन मुझे ये सब थोड़ा अजीब लग रहा है। कोई ठीक कारण नहीं बताया गया, और छुट्टी का ऐलान भी बहुत अचानक किया गया।"
अदिति: "मुझे भी यही लग रहा है, सर। क्या आपको लगता है कि कुछ गड़बड़ है?"
राघव: "मुझे शक है कि कुछ अनियमितता हो रही है, शायद कॉलेज के फंड में। मैं इस बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहा हूँ।"
अदिति: "मैं भी आपकी मदद कर सकती हूँ, सर।"
राघव: "नहीं, अदिति। ये मामला खतरनाक हो सकता है। तुम इसमें मत पड़ो। तुम बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।"
अदिति: "लेकिन सर, अगर कोई गलत काम हो रहा है, तो हमें उसे रोकना चाहिए।"
राघव: "मैं समझता हूँ, अदिति। लेकिन तुम्हें सुरक्षित रहना होगा। मैं तुम्हें खतरे में नहीं डाल सकता।"
**सीन 4: रिया की जानकारी - शाम 4:00 बजे**
अदिति रिया के साथ लाइब्रेरी में बैठी है।
अदिति (चिंता से): "सर को भी लग रहा है कि कुछ गड़बड़ है, रिया। लेकिन वे मुझे इसमें शामिल नहीं करना चाहते।"
रिया: "मुझे पता है, अदिति। लेकिन शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।"
अदिति: "तुम कैसे?"
रिया: "मेरा एक दोस्त कॉलेज के अकाउंट्स ऑफिस में काम करता है। मैं उससे कॉलेज के फंड के बारे में जानकारी मांग सकती हूँ।"
अदिति: "ये तो बहुत अच्छा होगा, रिया। लेकिन ध्यान रखना, किसी को पता न चले।"
**सीन 5: रिया का दोस्त - रात 8:00 बजे**
रिया अपने दोस्त से मिलती है, जो अकाउंट्स ऑफिस में काम करता है।
रिया: "हेल्लो, सुनील। कैसे हो?"
सुनील: "मैं ठीक हूँ, रिया। तुम बताओ, क्या काम है?"
रिया: "मुझे कॉलेज के फंड के बारे में कुछ जानकारी चाहिए। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?"
सुनील (डरते हुए): "रिया, ये तो बहुत खतरनाक है। अगर किसी को पता चला, तो मेरी नौकरी चली जाएगी।"
रिया: "मुझे पता है, सुनील। लेकिन ये बहुत ज़रूरी है। मुझे लगता है कि कॉलेज में कुछ गलत हो रहा है।"
सुनील (सोचते हुए): "ठीक है, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। लेकिन तुम्हें किसी को बताना नहीं होगा कि मैंने तुम्हें ये जानकारी दी है।"
सुनील रिया को कॉलेज के फंड के बारे में कुछ जानकारी देता है। रिया हैरान हो जाती है।
**सीन 6: फंड में गड़बड़ - रात 9:00 बजे**
रिया अदिति को सुनील से मिली जानकारी बताती है।
रिया: "अदिति, मुझे सुनील से जो जानकारी मिली है, वो बहुत चौंकाने वाली है।"
अदिति: "क्या हुआ?"
रिया: "कॉलेज के फंड में कुछ बड़ी गड़बड़ है। कुछ ट्रांजेक्शन ऐसे हैं जो समझ में नहीं आते। ऐसा लगता है कि कुछ पैसा गायब हो गया है।"
अदिति (चौंककर): "क्या? ये तो बहुत गंभीर मामला है। हमें ये बात सर को बतानी होगी।"
**सीन 7: सर को जानकारी - रात 9:30 बजे**
अदिति और रिया सर के ऑफिस जाती हैं और उन्हें कॉलेज के फंड में हुई गड़बड़ के बारे में बताती हैं।
राघव (गुस्से से): "ये तो मैं जानता था। मुझे पहले से ही शक था। लेकिन अब मुझे इसका सबूत मिल गया है।"
अदिति: "तो अब हम क्या करेंगे, सर?"
राघव: "अब हमें ये पता लगाना होगा कि इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है। और मुझे पूरा यकीन है कि कपिल देव भी इसमें शामिल हैं।"
**[अध्याय 18 समाप्त]**
**अध्याय 19: सर की तबीयत और अदिति की परवाह**
**सीन 1: सर की बेचेनी - सुबह 9:00 बजे**
राघव अपने ऑफिस में बैठे हैं, पिछली रात से ही उन्हें हल्की ठंड लग रही है। वे खुद को थका हुआ महसूस कर रहे हैं, लेकिन वे काम करना जारी रखते हैं।
राघव (खुद से): "मुझे ये फाइलें आज खत्म करनी ही होंगी।"
अदिति ऑफिस के बाहर से गुजरती है और देखती है कि सर परेशान लग रहे हैं।
अदिति (मन में): "सर ठीक तो हैं? वे थोड़े अजीब लग रहे हैं।"
**सीन 2: चाय और चिंता - सुबह 10:00 बजे**
अदिति सर के लिए चाय बनाने का फैसला करती है। वह कैंटीन जाती है और सर के लिए अदरक वाली चाय बनवाती है।
कैंटीन वाला: "अदिति बिटिया, क्या बात है? आज तुम खुद चाय बना रही हो?"
अदिति (मुस्कुराकर): "हाँ, चाचा। सर की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही है, इसलिए मैं उनके लिए अदरक वाली चाय ले जा रही हूँ।"
कैंटीन वाला: "बहुत अच्छी बात है, बिटिया। राघव सर बहुत अच्छे इंसान हैं। भगवान उन्हें जल्दी ठीक करे।"
अदिति चाय लेकर सर के ऑफिस जाती है।
**सीन 3: चाय और सवाल - सुबह 10:30 बजे**
अदिति सर के ऑफिस में दाखिल होती है।
अदिति: "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव (कमज़ोर आवाज़ में): "हाँ, अदिति। आओ।"
अदिति चाय का कप सर को देती है।
अदिति: "सर, आपके लिए अदरक वाली चाय। मैंने सोचा आपकी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही है।"
राघव (हैरानी से): "थैंक यू, अदिति। इसकी ज़रूरत नहीं थी।"
अदिति: "कोई बात नहीं, सर। मुझे लगा कि आपको इसकी ज़रूरत है। आपकी तबीयत कैसी है?"
राघव: "मैं थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा हूँ, बस। शायद हल्की ठंड लग गई है।"
अदिति (चिंतित होकर): "क्या आपने डॉक्टर को दिखाया, सर?"
राघव: "नहीं, अभी नहीं। मुझे लगता है कि ये बस थोड़ी थकान है। मैं थोड़ी देर में ठीक हो जाऊंगा।"
अदिति: "आपको आराम करना चाहिए, सर। आपको इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है।"
राघव: "मुझे ये काम खत्म करना है, अदिति। ये बहुत ज़रूरी है।"
अदिति: "लेकिन आपकी सेहत भी ज़रूरी है, सर। अगर आप ठीक नहीं रहेंगे, तो आप काम कैसे करेंगे?"
राघव अदिति की चिंता को देखकर थोड़ा नरम हो जाते हैं।
**सीन 4: सूप और जिद - दोपहर 1:00 बजे**
अदिति दोपहर में सर के लिए घर से बना सूप लेकर आती है।
अदिति: "सर, ये लीजिए, घर का बना सूप। ये आपकी सेहत के लिए अच्छा है।"
राघव: "अदिति, तुम इतनी तकलीफ क्यों कर रही हो? इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।"
अदिति: "मुझे पता है, सर। लेकिन मैं आपकी परवाह करती हूँ। और मुझे अच्छा लगेगा अगर आप इसे पी लें।"
राघव अदिति की जिद के आगे हार मान जाते हैं और सूप पीने लगते हैं।
राघव (सूप पीने के बाद): "ये बहुत स्वादिष्ट है, अदिति। थैंक यू।"
अदिति (मुस्कुराकर): "मुझे खुशी है कि आपको ये पसंद आया, सर।"
**सीन 5: अकेलापन और परवाह - शाम 4:00 बजे**
अदिति देखती है कि सर अकेले हैं और उनकी कोई परवाह नहीं कर रहा है।
अदिति (मन में): "सर इतने अकेले क्यों हैं? क्या उनका कोई दोस्त या परिवार नहीं है?"
अदिति सर के लिए कुछ फल और मेवे लेकर आती है।
अदिति: "सर, ये लीजिए, कुछ फल और मेवे। आपको भूख लग रही होगी।"
राघव: "अदिति, तुम इतनी अच्छी क्यों हो? मैं तुम्हें कैसे थैंक यू कहूँ?"
अदिति: "मुझे थैंक यू कहने की कोई ज़रूरत नहीं है, सर। मैं बस आपकी परवाह करती हूँ।"
राघव अदिति की आँखों में देखता है और उसे एहसास होता है कि अदिति सच में उसकी परवाह करती है।
राघव (भावुक होकर): "अदिति, तुम एक बहुत अच्छी लड़की हो। मुझे खुशी है कि तुम मेरी छात्रा हो।"
**सीन 6: उदासी और सहानुभूति - शाम 5:00 बजे**
अदिति देखती है कि सर उदास हैं और किसी गहरे दर्द में डूबे हुए हैं।
अदिति (धीरे से): "सर, क्या हुआ? आप इतने उदास क्यों हैं?"
राघव (आँखें चुराकर): "कुछ नहीं, अदिति। मैं बस थोड़ा थका हुआ हूँ।"
अदिति: "मैं जानती हूँ कि आप मुझसे झूठ बोल रहे हैं, सर। आप मुझे बता सकते हैं, अगर आप चाहें।"
राघव कुछ देर तक चुप रहते हैं, फिर वे धीरे-धीरे अदिति को अपने अतीत के बारे में बताते हैं। वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में कई दुख और तकलीफें झेली हैं, और कैसे वे अकेले पड़ गए हैं।
अदिति ध्यान से सर की बातें सुनती है, और उसे सर के लिए बहुत सहानुभूति महसूस होती है।
अदिति: "मुझे बहुत दुख है, सर। मुझे नहीं पता था कि आपने इतना कुछ झेला है।"
**सीन 7: परवाह का एहसास - शाम 6:00 बजे**
राघव अदिति को अपनी बातें बताने के बाद थोड़ा हल्का महसूस करते हैं। उन्हें एहसास होता है कि अदिति सच में उनकी परवाह करती है और उन्हें समझती है।
राघव (मुस्कुराकर): "थैंक यू, अदिति। तुमने मेरी बात सुनी, इसके लिए धन्यवाद। मुझे नहीं पता था कि मुझे किसी से बात करने की इतनी ज़रूरत है।"
अदिति: "कोई बात नहीं, सर। मैं हमेशा आपके लिए हूँ। और मुझे उम्मीद है कि आप अब थोड़ा बेहतर महसूस कर रहे होंगे।"
राघव: "हाँ, मैं अब थोड़ा बेहतर महसूस कर रहा हूँ। तुम्हारी वजह से।"
अदिति और राघव एक-दूसरे को देखते हैं, उनके बीच एक गहरा संबंध बन गया है।
**[अध्याय 19 समाप्त]**
**अध्याय 20: एक छोटी सी मुस्कान और कपिल की कुटिल चाल**
**सीन 1: हंसी की गूंज - सुबह 10:00 बजे**
राघव अपने ऑफिस में काम कर रहे हैं। अदिति उनके ऑफिस में आती है।
अदिति: "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव: "हाँ, अदिति। आओ, क्या काम है?"
अदिति (थोड़ा शरमाते हुए): "सर, मुझे आपसे कुछ पूछना था, लेकिन मुझे डर लग रहा है।"
राघव (हल्की मुस्कान के साथ): "डरो मत, अदिति। मुझसे जो पूछना है, पूछो।"
अदिति: "सर, क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि आप किसी काम में बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं?"
राघव (हैरानी से): "ये कैसा सवाल है, अदिति?"
अदिति: "मुझे ऐसा लगता है, सर। मुझे लगता है कि मैं कुछ भी ठीक से नहीं कर पाती हूँ।"
राघव: "ये सच नहीं है, अदिति। तुम बहुत कुछ कर सकती हो। तुम बस अपनी ताकत को पहचानो।"
अदिति: "लेकिन सर, मुझे तो लगता है कि मैं बस गलतियाँ करती रहती हूँ।"
राघव: "गलतियाँ करना कोई बुरी बात नहीं है, अदिति। गलतियों से ही हम सीखते हैं। और तुम गलतियों से बहुत कुछ सीखती हो।"
अदिति: "क्या सच में, सर?"
राघव: "हाँ, अदिति। सच में। तुम बहुत खास हो। तुम जैसी हो, वैसी ही रहो।"
अदिति राघव की बातों से खुश होती है। वह अचानक सर के चेहरे पर कुछ देखती है और हंस पड़ती है।
अदिति (हंसते हुए): "सर, आपके चेहरे पर स्याही लगी है!"
राघव (हैरानी से): "क्या?"
अदिति: "हाँ, सर! यहाँ पर!"
अदिति राघव के चेहरे से स्याही पोंछ देती है। राघव अदिति को देखकर मुस्कुराते हैं। यह एक हल्की और सच्ची मुस्कान है, जो बहुत कम देखने को मिलती है।
**सीन 2: कपिल की निगाह - सुबह 10:30 बजे**
कपिल देव दूर से राघव और अदिति को हंसते हुए देखते हैं। उनके चेहरे पर गुस्सा और जलन है।
कपिल (मन में): "ये दोनों इतने करीब कैसे आ गए? मुझे कुछ करना होगा, नहीं तो ये मेरी सारी योजना बिगाड़ देंगे।"
**सीन 3: मीनाक्षी का सुझाव - दोपहर 12:00 बजे**
कपिल मीनाक्षी से मिलते हैं।
कपिल: "मीनाक्षी, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। राघव और अदिति बहुत करीब आ गए हैं। मुझे डर है कि वे मेरी सारी योजना जान जाएंगे।"
मीनाक्षी: "घबराओ मत, कपिल। मेरे पास एक योजना है। हम अदिति को इस्तेमाल कर सकते हैं।"
कपिल: "क्या मतलब है?"
मीनाक्षी: "हम अदिति को एक ऐसे प्रोजेक्ट में फंसाएंगे, जिससे वह बुरी तरह फंस जाए। और फिर हम उस गलती का इल्जाम राघव पर लगा देंगे।"
कपिल (मुस्कुराकर): "ये तो बहुत अच्छा विचार है, मीनाक्षी। तुम हमेशा मेरी मदद करती हो।"
**सीन 4: प्रोजेक्ट का जाल - दोपहर 2:00 बजे**
कपिल अदिति को अपने ऑफिस में बुलाते हैं।
कपिल: "अदिति, मैं तुम्हें एक बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट देना चाहता हूँ।"
अदिति (खुश होकर): "सच में, सर? कौन सा प्रोजेक्ट?"
कपिल: "ये कॉलेज के सबसे बड़े फंडरेज़िंग इवेंट का प्रोजेक्ट है। तुम्हें इस इवेंट को सफल बनाना है।"
अदिति (थोड़ा घबराकर): "लेकिन सर, मैंने तो पहले कभी ऐसा काम नहीं किया है।"
कपिल: "मुझे पता है, अदिति। लेकिन मुझे तुम पर भरोसा है। तुम ये कर सकती हो। और अगर तुम्हें कोई परेशानी हो, तो तुम मुझसे मदद मांग सकती हो।"
अदिति: "ठीक है, सर। मैं पूरी कोशिश करूंगी।"
**सीन 5: रिया का शक - शाम 4:00 बजे**
अदिति रिया को कपिल के दिए प्रोजेक्ट के बारे में बताती है।
अदिति: "रिया, सर ने मुझे कॉलेज के सबसे बड़े फंडरेज़िंग इवेंट का प्रोजेक्ट दिया है।"
रिया (चिंतित होकर): "क्या? कपिल सर ने तुम्हें ये प्रोजेक्ट दिया है? मुझे ये थोड़ा अजीब लग रहा है।"
अदिति: "क्यों?"
रिया: "मुझे लगता है कि कपिल सर तुम्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। वे हमेशा से राघव सर के दुश्मन रहे हैं।"
अदिति: "मुझे नहीं पता, रिया। मुझे तो लगता है कि वे बस मुझ पर भरोसा कर रहे हैं।"
रिया: "मुझे उम्मीद है कि तुम सही हो, अदिति। लेकिन तुम्हें सावधान रहना होगा। और अगर तुम्हें कोई परेशानी हो, तो मुझे बताना।"
**सीन 6: सर की चिंता - शाम 6:00 बजे**
अदिति राघव के ऑफिस जाती है।
अदिति: "सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"
राघव: "हाँ, अदिति। क्या बात है?"
अदिति: "सर, कपिल सर ने मुझे कॉलेज के फंडरेज़िंग इवेंट का प्रोजेक्ट दिया है।"
राघव (चिंतित होकर): "क्या? कपिल ने तुम्हें ये प्रोजेक्ट दिया है? मुझे ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है।"
अदिति: "क्यों, सर?"
राघव: "मुझे लगता है कि कपिल तुम्हें फंसाने की कोशिश कर रहा है। तुम्हें बहुत सावधान रहना होगा।"
अदिति (थोड़ा डरकर): "तो मुझे क्या करना चाहिए, सर?"
राघव: "तुम्हें पूरी ईमानदारी से काम करना चाहिए। और अगर तुम्हें कोई भी बात अजीब लगे, तो मुझे बताना।"
अदिति: "ठीक है, सर। मैं आपकी बात मानूँगी।"
राघव: "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, अदिति। तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
**सीन 7: कपिल की चाल - रात 8:00 बजे**
कपिल मीनाक्षी से मिलते हैं।
कपिल: "मैंने अपना काम कर दिया है, मीनाक्षी। अदिति अब हमारे जाल में फंस गई है।"
मीनाक्षी (मुस्कुराकर): "बहुत बढ़िया, कपिल। अब बस हमें इंतज़ार करना होगा।"
कपिल (बुरे इरादे से): "हाँ, मीनाक्षी। अब हमें इंतज़ार करना होगा कि कैसे अदिति खुद को बर्बाद करती है और राघव को भी साथ में ले डूबती है।"
**[अध्याय 20 समाप्त]**