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Force marriage

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Sonam Gupta

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Description

ये कहानी है करन और कुमुद की । करन एक पावरफुल , गुस्सैल, हैंडसम बिजनेसमैन के साथ साथ एक माफिया भी था । लोग उसका नाम सुनते ही डर से कांपने लगते है । लेकिन अपने बदले और नफरत की वजह से उसने कुमुद नाम की एक मासूम लड़की से जबर्दस्ती शादी कर ली और उसे अपनी...

Characters

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करन सिंह राठौड़

Hero

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कुमुद शर्मा

Heroine

Total Chapters (56)

Page 1 of 3

  • 1. Force marriage - Chapter 1

    Words: 1239

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर = 1 मेरे पिंजरे में कैद हो जाओगी एक बहुत बड़े और आलीशान विला के अंदर हॉल में एक आदमी, जिसका नाम करन राठौड़ था, वह अपनी सर्द आवाज में अपने सामने खड़े सबसे वफादार आदमी विनोद और बॉडीगार्ड की तरफ देखते हुए कहता है। "तुम लोगों के पास सिर्फ 1 घंटा है। अगर 1 घंटे के अंदर वह लड़की मुझे मेरी आंखों के सामने नजर नहीं आई, तो तुम लोग खुद को गोली मार लेना। वरना अगर मैंने तुम लोगों को मारा तो तुम लोग मौत की भीख मांगोगे, मगर तुम लोगों को मौत नसीब नहीं होगी।" तभी विनोद बोला, "जी बॉस, आप चिंता मत कीजिए, हम 1 घंटे के अंदर-अंदर मैम को खोज कर यहां पर ले आएंगे।" इतना बोलकर विनोद अपने साथ बहुत से बॉडीगार्ड को साथ लेकर उस लड़की को खोजने के लिए निकल गया। इधर दूसरी तरफ, मुंबई के एक सुनसान सड़क पर एक खूबसूरत सी और बेहद मासूम लड़की, जिसका नाम कुमुद था, वह जितना हो सके उतनी तेज भागे जा रही थी और साथ में बोली भी जा रही थी, "नहीं, मैं उस जगह पर वापस बिल्कुल भी नहीं जा सकती। वह आदमी बहुत खतरनाक है। मुझे जल्द से जल्द यहां से कहीं दूर भागना होगा, जहां पर वह आदमी मुझे कभी ना पकड़ सके।" इतना बोलकर वह अपनी आंखों से आंसू पोंछ लगातार भागे जा रही थी। वह करीब 1 घंटे से भाग रही थी। उसने जो सिंपल सी जींस और कुर्ती पहनी हुई थी, वह भी पूरी तरह से गंदी हो गई थी। उसके पैरों में भी बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वह इन सभी बातों को इग्नोर किए बस भागे जा रही थी। तभी उसके सामने काली रंग की बहुत सी कार आकर खड़ी हो गईं। उस कार को देखकर उस लड़की की तो मानो सांसे ही थम सी गईं। वह दूसरी तरफ से भागने लगी, मगर उस कार ने उसे चारों तरफ से घेर लिया था। कार में से विनोद और बहुत से बॉडीगार्ड निकल कर कुमुद को चारों तरफ से घेर लेते हैं। विनोद थोड़ा आगे जाकर रिस्पेक्ट के साथ कहता है, "मैम, प्लीज हमारे साथ चलिए।" कुमुद अपनी घबराई हुई आवाज में कहती है, "नहीं, मैं नहीं जाऊंगी। तुम लोग प्लीज मेरे रास्ते से हटो और मुझे जाने दो।" "प्लीज मैम चलिए, वरना सर गुस्से में हमें तो मारेंगे ही, बल्कि वे आपको भी नहीं छोड़ने वाले। इसलिए मेरी बात मान कर चुपचाप चलिए।" "नहीं, मैं नहीं जाऊंगी, तुम कुछ भी कर लो, मुझे कहीं नहीं जाना।" इतना बोल वह एक बॉडीगार्ड को धक्का देकर वहां से भागने लगती है, जिससे विनोद बॉडीगार्ड को कुछ इशारा करता है, जिससे बॉडीगार्ड्स समझ कर जल्दी से अपने हाथों में ग्लव्स पहन लेते हैं और बिना देरी किए कुमुद को पकड़ कर कार के अंदर डाल कार स्टार्ट कर वहां से निकल जाते हैं। (ग्लव्स बॉडीगार्ड्स ने इसलिए पहना था क्योंकि करन को बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि कोई भी उसकी चीज को बिना उसके पूछे हाथ भी लगाए और वह सारे बॉडीगार्ड्स ये बात बहुत अच्छे से जानते थे। उन्हें कुमुद को हाथ लगा अपनी जान थोड़ी गवानी थी, जिस वजह से उन लोगों ने ग्लव्स पहन लिए थे।) कुछ देर बाद कार करन के विला पर आकर रुकी और बॉडीगार्ड्स कुमुद को पकड़ कर विला के अंदर ला करन के सामने छोड़ देते हैं। वहीं कुमुद करन को देख, जो इस वक्त सोफे पर आराम से एक पैर के ऊपर दूसरा पैर चढ़ाए आराम से बैठा हुआ था, उसे देख कुमुद बहुत डर जाती है। उसके माथे पर पसीने की बूंद चमकने लगती हैं, उसके हाथ पैर बुरी तरह से कांप रहे थे। वहीं करन कुमुद को ऐसे देख एक डेविल स्माइल करता है और सोफे से उठ कुमुद के पास जा उसके बालों को कस कर पकड़ दांत पीसते हुए कहता है, "लिटिल खरगोश, बहुत शौक है ना तुम्हें भागने का, आज मैं तुम्हें ऐसा सबक सिखाऊंगा कि आज के बाद तुम भागना भूल जाओगी।" इतना बोलकर वह कुमुद के बालों को वैसे ही पकड़ कर खींचते हुए सीढ़ियों से ऊपर की ओर ले जाने लगता है, वहीं कुमुद रोते हुए कहती है, "प्लीज, प्लीज मेरे बालों को छोड़ दीजिए, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज छोड़ दीजिए।" पर करन पर कुमुद के बातों का कोई असर नहीं हुआ, वह वैसे ही उसे खींचते हुए एक बड़े और आलीशान कमरे में ला कर उसे जमीन पर धक्का दे देता है, जिससे कुमुद मुंह के बल फर्श पर गिर जाती है और उसके घुटनों में चोट लग जाता है। पर करन को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता और वह फिर घुटनों के बल कुमुद के पास बैठ दोबारा उसके बालों को पकड़ खींच देता है, जिससे कुमुद की चीख निकल जाती है, लेकिन फिर भी करन नहीं रुकता और कुमुद के बालों पे अपनी पकड़ और मजबूत करते हुए कहता है, "लिटिल खरगोश, तुम नहीं जानती पर तुम मेरा प्यार, नफरत, जिद, जुनून, सनक सब हो और इतना सब कुछ होने के बाद भी तुमने यहां से भागने की कोशिश की। वेरी बेड लिटिल खरगोश, वेरी बेड। अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी ना।" कुमुद उसकी बात सुनकर रोने लगती है और रोते हुए कहती है, "ये आप कैसी बातें कर रहे हैं, मैंने आपका क्या बिगाड़ा है, जो आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं, मैं तो आपको जानती तक नहीं, प्लीज मुझे जाने दीजिए, प्लीज मैं आपके सामने हाथ जोड़ती हूं, प्लीज मुझे जाने दीजिए, अगर मैंने गलती से भी आपके साथ कुछ भी गलत किया है तो मैं उसके लिए आपसे माफी मांग लूंगी, लेकिन प्लीज मुझे जाने दीजिए।" कुमुद के बातों का करन कोई जवाब नहीं देता और उठकर ड्रॉल के पास जा, ड्रॉल ओपन कर उसमें से कुछ पेपर निकलता है और पेपर लेकर कुमुद के पास जा दोबारा घुटने के बल बैठ उसे वह पेपर देते हुए कहता है, "जल्दी साइन करो इस पेपर पर।" "मैं क्यों करू इस पेपर पर साइन? ये किस चीज के पेपर है?" करन डेविल स्माइल करते हुए कहता है, "ये तुम्हारी कैद के पेपर हैं। इस पेपर पर साइन करके तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरे पिंजरे में कैद हो जाओगी। अब जल्दी साइन करो और हां, साइन करने के पहले एक बार पढ़ जरूर लेना, आखिरकार तुम्हें भी तो मालूम करना चाहिए कि इसे साइन करने के बाद तुम्हारी औकात क्या है?" इतना कहकर करन जबरदस्ती कुमुद के हाथ में वह पेपर दे देता है, जिससे कुमुद ना चाहते हुए भी वह पेपर पढ़ने लगती है और जैसे-जैसे वह ये पेपर पढ़ती है, वैसे-वैसे उसके फेस के एक्सप्रेशन बदलते जाते हैं और पूरा पेपर पढ़ने के बाद वह पूरी तरीके से शॉक रह जाती है और उसकी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे। वह हैरानी से करन की तरफ देखने लगती है, उसे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि कोई इंसान ऐसा कैसे कर सकता है एक लड़की के साथ? करन डेविल स्माइल करते हुए कहता है, "क्या हुआ लिटिल खरगोश, तुम इतनी हैरान क्यों हो? क्या तुम्हें समझ में नहीं आया कि इसमें क्या लिखा है? कोई बात नहीं लिटिल खरगोश, मैं हूं ना, मैं तुम्हें पढ़ कर बताता हूं कि इसमें क्या लिखा हुआ है? तो लिटिल खरगोश, ये हमारी शादी के पेपर हैं और इसमें कुछ नियम और शर्तों के बारे में लिखा हुआ है, जो तुम्हें मानना पड़ेगा, बिल्कुल किसी कठपुतली की तरह।" ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ आज के लिए बस इतना ही दोस्तों, मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में। स्टोरी अच्छी लगे तो लाइक, कॉमेंट एंड रिव्यू जरूर दें।

  • 2. Force marriage - Chapter 2

    Words: 742

    Estimated Reading Time: 5 min

    चैप्टर 2 तुम्हारी औकात सिर्फ एक मिस्ट्रेस की....... करन उस पेपर को पढ़ते हुए कुमुद से कहता है। "लिटिल खरगोश, 1 रूल्स, कि तुम मेरी बीवी तो होगी, लेकिन सिर्फ और सिर्फ नाम के लिए, लेकिन मेरी नज़रों में तुम्हारी औकात सिर्फ एक मिस्ट्रेस की होगी, जो मेरे बेड को गरम करने के काम आएगी और मेरी जरूरतों को पूरा करेगी। उसके सिवा कुछ भी नहीं।" "2 रूल्स, कि तुम पर, तुम्हारे जिस्म पर, तुम्हारी रूह पर, तुम्हारी साँसों पर, सब पर सिर्फ और सिर्फ मेरा हक़ होगा, पर तुम्हारा मुझ पर कोई हक़ नहीं होगा।" "3 रूल्स, तुम्हे अपनी जुबान मेरे सामने कभी नहीं खोलनी है। तुम बिलकुल वैसा ही करोगी जैसा मै करने को कहूंगा, बिल्कुल किसी कठपुतली की तरह, तुम्हे मेरे इशारों पर नाचना है।" "4 रूल्स, तुम्हारा मेरे घर पर कोई हक़ नहीं होगा, और ना ही मेरी जिंदगी में। तुम बस इस घर में एक नौकरानी की हैसियत से रहोगी और मेरा जब मन चाहे, तुम्हारे करीब आने को, तो मै तुम्हारे करीब आऊंगा और तुम मुझे रोक नहीं सकती।" "5 रूल्स, तुम मेरे सिवा किसी भी गैर मर्द के करीब नहीं जा सकती, ना ही किसी भी मर्द को छू सकती हो। अगर गलती से भी तुमने ऐसा करने को सोचा, तो तुम सोच भी नहीं सकती कि मै तुम्हारी क्या हालत करूंगा।" करन ने इतना ही बोला था कि कुमुद जोर से चीखते हुए कहती है, "बस बस बस, चुप हो जाइए और कितना नीचे गिरेंगे आप मेरे सामने? मुझे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि कोई इंसान इतना भी बेदिल हो सकता है। मुझे तो आपसे घिन्न आ रही है। क्या आपकी माँ बहन नहीं है जो आप मुझसे इतनी घटिया बातें बोल रहे हैं?" कुमुद ने इतना ही कहा था कि करन उसके बालों को अपनी मुट्ठियों में मजबूती से जकड़ कर बोलता है, "मेरी माँ बहन हो या ना हो पर वे तुम्हारी तरह घटिया नहीं हो सकती हैं। तुम्हारी तरह कुछ पैसों के लिए लोगों का बिस्तर नहीं गरम करती हैं। लोगों को अपनी इन खूबसूरती की जाल में फंसा लोगों की जान नहीं लिया करती हैं।" "आह््ह्ह्ह, छोड़ो मुझे, दर्द हो रहा है। तुम ये क्या बकवास किए जा रहे हो? मै वैसी लड़की बिल्कुल नहीं हूँ, जैसा तुम समझ रहें हो। प्लीज मुझे छोड़ दो। मै तो तुम्हे जानती भी नही हूँ। देखो जरूर तुम्हे कोई गलतफहमी हुई होगी। प्लीज मुझे छोड़ दो, मुझे यहाँ से जानें दो। मैने तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ा है। प्लीज जानें दो मुझे।" "तुमने मेरा क्या बिगाड़ा है, ये तुम्हे बहुत जल्द पता चल जायेगा। तूने मेरी सबसे कीमती चीज मुझसे छीनी है और उसके लिए अब मै तुझे मौत से भी बदतर सजा दूंगा। पर चिंता मत करो लिटिल खरगोश, तुम्हे कभी भी मे मौत नहीं आने दूंगा, क्योंकि तुम्हे तड़प तड़प कर ही सही लेकिन तुम्हे रहना मेरे पास ही होगा। मै तुम्हे कभी भी खुद से दूर नहीं जानें दूंगा। तुम्हे अपनी गलती की सजा सारी उम्र झेलनी होगी, खासकर अपने इस नाज़ुक बदन पर।" "बस बहुत हो गया आपका, मै आपसे साथ कभी भी नही रहूंगी। मैं आपकी कोई बात नहीं मानूंगी, ना ही आपकी कभी नौकरानी बनूंगी, ना ही आपकी कोई कठपुतली। मेरा नाम कुमुद सिन्हा है और मेरी यही पहचान है, समझ में आया आपको।" उसकी बात सुनकर करन जोर-जोर से हंसने लगा। उसकी हंसी नॉर्मल हंसी की तरह तो बिलकुल नहीं थी। कुछ देर यूं ही हंसने के बाद वे कुमुद के बालों को पकड़ उसके चेहरे के क़रीब झुकते हुए बोला, "लिटिल खरगोश, जो तुम्हे ना जानें, वे सच में तुम्हे मासूम ही समझेगा, लेकिन मै करन राठौड़ तुम्हारी असलियत बहुत अच्छे से जानता हूं। इसलिए तुम ये अपनी मासूमियत का नाटक मेरे सामने तो बिलकुल भी मत करो। क्या कहा तुमने लिटिल खरगोश कि सब तुम्हारे नाम से जानेंगे, और तुम्हारा नाम ही तुम्हारी पहचान है। लेकिन अब से तो तुम्हारी पहचान तुमसे छिनने वाली है, क्योंकि अब तुम्हारी बस एक ही पहचान होगी, मेरी नौकरानी की और दुनिया भी तुम्हे मेरी नौकरानी के नाम से ही जानेगी। और चिंता मत करो लिटिल खरगोश, बहुत जल्द ही मै तुम्हारे इस अकड़ को तोड़ने वाला हु, जिससे दुनिया के साथ साथ तुम खुद को भी मेरी नौकरानी ही समझने लगोगी। जस्ट वेट एंड वॉच माय लिटिल खरगोश। अब चलो जल्दी से इस पेपर पर साइन करो।" "नही, कभी नहीं, मै कभी भी इन पेपर पर साइन नही करूंगी और ना ही कभी तुम्हारी इन घटिया शर्तो को मानूंगी, समझ में आया तुम्हे।"

  • 3. Force marriage - Chapter 3

    Words: 1414

    Estimated Reading Time: 9 min

    चैप्टर 3

    कुमुद की बात सुनकर करन एक डेविल स्माइल करता है और अपना चेहरा बेहद मासूम बनाकर कहता है,

    "ठीक है लिटिल खरगोश, कोई बात नहीं, तुम्हे मेरी बात माननी है या नहीं ये तुम्हारे ऊपर है। आखिर में मै किसी को मजबूर कैसे कर सकता हूं, कोई भी बात मानने के लिए, है ना लिटिल खरगोश! वैसे भी मै तो बहुत ही शरीफ हूं। पर लिटिल खरगोश मैने ना, तुम्हारे लिए एक छोटी सी फिल्म तैयार की है, देखोगी ना मेरी प्यारी लिटिल खरगोश।"

    करन की इतनी मासूमियत को देखकर वे हैरान रह जाती हैं कि कैसे कोई इंसान इतना जल्दी अपना रंग बदल सकता है, जो कुछ देर पहले उससे इतनी घटिया बातें और घटिया हरकते कर रहा था। कुमुद आगे कुछ और सोच पाती, तभी उसे अपने कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है,

    "पापा, दीदी, प्लीज मुझे बचाओ। प्लीज मुझे छोड़ दो। मुझे क्यूं यहां पर बांध कर रखा हुआ है।"

    ये आवाज़ सुनते ही कुमुद जल्दी से अपनी नज़रे उठाकर देखती है तो बड़े से टीवी स्क्रीन पर उसे एक वीडियो दिखाई दी, जिसमे उसका भाई पंकज जो केवल (16 साल) का था, वे कुर्सी पर बंधा हुआ था और उसके चारो तरफ करन के बॉडीगार्डस उसके ऊपर गन ताने खड़े हुए थे।

    ये देखकर कुमुद का दिल सहम जाता हैं, क्यूंकि अगर उसे किसी से सबसे ज्यादा प्यार था, तो वे अपने भाई से ही था। वे तुरंत करन की तरफ़ देखते हुए कहती है,

    "ये क्या बेहूदा हरकत है तुम्हारी? क्यूं इस तरह बांध कर रखा है, तुमने मेरे भाई को? अगर उसे कुछ हुआ ना, तो मै तुम्हे जिन्दा नहीं छोडूंगी।"

    "ओ ओ लिटिल खरगोश, अब मैंने क्या किया। तुम्हारा भाई है। तुम उसे जिन्दा रखना चाहती हो या नहीं, ये सब तो तुम्हारे ऊपर डिपेंड करता है। जब तक तुम मेरी कही गई बातों को चुपचाप मानती रही, तब तक तो तुम्हारे भाई को कुछ भी नहीं होगा। लेकिन अगर तुमने मेरी बात मानने से इंकार किया तो, कब, क्या हो जाए, तुम्हारे भाई को, ये मुझे भी नही पता।"

    फिर उसके कान के पास जाकर अपनी डरावनी आवाज में उससे कहता है,

    "ये भी हो सकता है कि, तुम्हारा भाई जिंदा ही ना बचे।"

    करन की बात सुनकर कुमुद बहुत डर जाती हैं और तुरन्त चिल्लाते हुए कहती है,

    "नही, नही, नहीं, मेरे भाई को तुम कुछ भी नहीं करोगे। तुम्हे जो भी करना है, मेरे साथ करो। मैं तुम्हारी सारी बात मानूंगी। तुम्हारी जो भी दुश्मनी है, तुम मुझसे निभाओ, लेकिन प्लीज मेरे भाई को छोड़ दो। इन सब में उसे बीच में मत लाओ।"

    "गुड डिसीजन लिटिल खरगोश। वैसे भी मै कहा तुम्हारे भाई को बीच में ला रहा हूं। वे तो तुम खुद मुझे मजबूर कर देती हो, ये सब कुछ करने के लिए। अब चलो, जल्दी से इन पेपर पर साइन करो।"

    कुमुद के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था। उसे अपने भाई को बचाने के लिए करन की बात माननी पड़ी। वे अपने कांपते हाथो से पेन लेती है और उन पेपर पर साइन कर देती हैं।

    उसके साइन करते ही करन के चेहरे पर एक जीत भरी मुस्कान आ जाती हैं। वही कुमुद के आंखो से आंसू का एक कतरा बह कर उसके गालों पर आ जाता हैं। उसे अपने दिल में बहुत दर्द हो रहा था।

    उसे कभी भी अपने मां बाप का प्यार नसीब नहीं हुआ, जो एक बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन उसे एक उम्मीद थी कि उसे अपने पति का प्यार और रिस्पेक्ट जरुर मिलेगा।

    लेकिन उसकी ये आखिरी उम्मीद भी टूट गई। वे ये सब सोच ही रही थी कि तभी उसके कानो में करन की आवाज दुबारा आई,

    "कहा खो गई लिटिल खरगोश। वैसे तुम्हारे आंखो में ये आंसू देखकर मुझे बहुत सुकून मिल रहा है। पर ये तो अभी शुरुआत है, तुम चिन्ता मत करो लिटिल खरगोश मै आगे चल कर तुम्हे रोने की बहुत वजह दूंगा। तुम्हारे आंखो में आंसू कभी कम नहीं होने दूंगा, आई प्रॉमिस लिटिल खरगोश।"

    ये सब कहते हुए करन के आंखो में कुमुद के लिए नफरत साफ दिख रही थी, जिसे देख ऐसा लग रहा था कि इस नफरत की आग में करन कुमुद को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा। कुछ देर करन कुमुद को अपनी नफ़रत और घिन्न भरी नजरो से देखने के बाद उसके बालो को पीछे से पकड़ कर कहता है,

    "अब चलो, मै कपड़े भेजवाता हूं, उसे चुप चाप पहन कर तैयार हो जाओ। अब हम पूरे रीति रिवाज से शादी करेंगे।"

    ये बात सुनकर कुमुद पूरी तरह से शॉक रह जाती है और अपने बालो को छोड़वाते हुए कहती है,

    "आप पागल हो गए हैं। मैने कर तो दिया साइन। अब आप क्यू मुझसे शादी करके उस पवित्र रिश्ते का अपमान करना चाहते हैं, जब की आप मुझे पत्नी मानते ही नहीं। प्लीज शादी जैसे पवित्र बंधन का मजाक मत बनाइए।"

    "इसलिए तो बोल रहा हूं लिटिल खरगोश शादी करने के लिए। मुझे मालुम है लड़कियो के लिए शादी बहुत बड़ी चीज़ होती हैं और मै भी तुमसे शादी कर के तुम्हे अंदर से तोड़ना चाहता हूं। अब तुम्हारा मुंह नही खुलना चाहिए लिटिल खरगोश, चुपचाप कपड़े पहन कर रेडी हो जाओ, वरना तकरीफ तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे भाई को भी झेलनी पड़ेगी।"

    अपने भाई का नाम आते ही कुमुद चुप हो जाती हैं, क्यूकी वो अपनी वजह से किसी भी हाल में अपने भाई को कोई तकलीफ़ नहीं होने देना चाहती थी। वे करन के कुछ और कह पाती, तब तक करन अपने तेज कदमों से कमरे के बाहर चला जाता हैं।

    करन के बाहर जाते ही कुमुद ने जो आंसू बहने से रोके हुए थे, वे बह जाते है और वे वही फर्श पर लेट कर जोर जोर से रोने लगती हैं। उसे उसके दिल मे बहुत दर्द हो रहा था। उसके मन मे बहुत सारे सवाल थे।

    कि क्यों कोई उससे प्यार नहीं कर सकता? क्यू सब उसे सिर्फ़ दर्द ही देने पर लगे हुए हैं? इतना बोल वे और ज्यादा रोने लगती है। कुछ देर यू ही रोने के बाद कुमुद अपने आंसू पोंछेते हुए कहती है,

    "नही कुमुद तू कमजोर नहीं पड़ सकती। तुझे अपने भाई के लिए स्ट्रॉन्ग बनना होगा। जब तेरे अपनो ने तेरे साथ इतना गलत किया, तब तू नही टूटी, तो ये तो फिर भी बाहर वाला है जिसे मैं जानती तक नहीं। मै इस तरह नही टूट सकती। तू इतनी कमज़ोर नही हो सकती कुमुद, की कोई भी बाहर वाला इस कदर तुझे तोड़ सके। उसे तुझसे शादी करनी है ना तो वही सही, उसे तुझे तोड़ना है ना तो उसे भी कोशिश कर लेने दे। अरे जो अन्दर से इतना खुद टूटा हुआ है उसे कोई और कितना तोड़ेगा, शायद मेरे नसीब में कभी खुशियां थी ही नहीं।"

    इतना बोल वे व्यंग्य से मुस्कुरा देती हैं, जैसे की वे खुद का ही मजाक बना रही हो।

  • 4. Force marriage - Chapter 4

    Words: 1353

    Estimated Reading Time: 9 min

    चैप्टर 4

    मै तुम्हे हर रात सेटिस्टफाई करूंगा......

    अब आगे

    वे ये सब सोच ही रही थी, तभी दरवाजे पर नॉक होता है और कुछ लड़कियां अन्दर आती हैं। किसी के हाथों में शॉपिंग बॉक्स था, तो किसी के हाथों में मेकअप बॉक्स। वे सब लड़कियां अन्दर आती हैं और कुमुद से बहुत ही रिस्पेक्ट के साथ कहती हैं,

    "मैम, हमे सर ने भेजा है, आपको ये कपडे देने के लिए, और रेडी करने के लिए।"

    कुमुद बीना भाव से उन्हें देख रही थी। वे लड़कियां उसे ब्राइडल लहंगा देती हैं, जिसे लेकर कुमुद वाशरूम में चेंज करने के लिए चली जाती है और वे सारी लड़कियां कुमुद का वेट करने लगती हैं।

    इधर करन नीचे बड़े हॉल में सोफे पर किसी राजा की तरह बैठा हुआ था और उसी के पीछे उसका एसिस्टेंस विनोद खड़ा हुआ था। करन विनोद को बिना देखे ही कहता है,

    "क्या शादी की तैयारियां हो गईं?"

    "जी बॉस, सारी तैयारियां हो गईं।"

    उसके इतना बोलते ही पीछे से करीब 29 साल का बेहद हैंडसम लड़का जिसका नाम चिराज वर्मा था और करन की तरह ही सख्त मिजाज का था, ये करन के दोस्त के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड का खास आदमी भी था। वे चलते हुए करन के पास आकर बोलता है,

    "बॉस, आज आपकी मिस्टर मेहता के साथ मीटिंग है। क्या आप आज मीटिंग करेंगे या मै कैंटिल करवा दू? वैसे भी मुझे ऐसा लगता है कि मिस्टर मेहता हमारे साथ कोई गेम खेलने वाला है। वे इतनी आसानी से हमे वे पेपर नहीं देने वाला। वे जरुर कोई ना कोई प्लेन बना रहा होगा।"

    करन चिराज़ की बात सुनकर इविल स्माइल करता है और चिराग से कहता है,

    "उन सब की चिन्ता तुम मत करो। बस तुम मीटिंग की तैयारी करो। मीटिंग आज ही होगी, और मिस्टर मेहता को जो भी प्लेन बनाना है बनाने दो। लेकिन अंत में वे डील हमे ही मिलेंगी, चाहे मर्जी से या मजबूरी से, मगर मिस्टर मेहता को हमे वे चीज देनी ही होगी। क्युकी करन राठौड़ कुछ चाहे और उसे ना मिले ऐसा कभी हो नही सकता।"

    "जी बॉस, मै मीटिंग की सारी तैयारियां करवाता हूं।"

    इतना बोलकर वे मीटिंग अरेंज करने के लिए वहा से बाहर चला जाता हैं। विनोद भी शादी की तैयारिया देखने बाहर की तरफ चला जाता हैं और करन सोफे पर बैठे कुछ सोचने लगता हैं।

    इधर दूसरी तरफ कुमुद ब्राइडल लहंगा पहन कर जब बाहर आती हैं तो वहा खड़ी सारी लड़कियां जो कुमुद का वेट कर रही थी, वे बिना पलके झपकाए कुमुद को देखने लगती है। क्योंकि कुमुद बिना मेकअप से ही केवल उस लहंगे में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।

    वही कुमुद उन सब को खुद को इतना घूरता हुआ देखकर थोडा अजीब लगता हैं, लेकिन फिर वे इस बात को इग्नोर कर सीधा जा कर मिरर के सामने रखे चेयर पर बैठ जाती हैं, जिससे सभी लड़कियां होश में आती हैं और जल्दी जल्दी कुमुद को तैयार करने लगती है।

    क्योंकि करन ने कुमुद को तैयार करने के लिए उन लोगों को बहुत कम समय दिया था, पर उन सभी लडकियो को एक बात अच्छे से पता की थी जो टाइम उन्हे करन ने दिया है, अगर उस टाइम पर उन्होंने कुमुद को अच्छे से तैयार नही किया तो, करन उनकी हालत बहुत बुरी कर सकता है, जिसका अंजागा खुद उन्हे भी नही था।

    क्युकी उन्होंने करन के हार्टलेट और क्रूएल होने की बात बहुत अच्छे से पता की, करन के नाम से ही अच्छे अच्छे लोगो की पैंट गीली हो जाती थी। उन्होंने ये तक सुना था कि वे गलती करने वालो को सीधा जान से मार देते है।

    इसलिए वे सब लड़कियां अपना काम बहुत ही सावधानी के साथ कर रही थी, जिससे उनके कोई भी गलती ना हो। इसी तरह डरते हुए वे सब लड़कियां कुछ ही देर मे कुमुद को तैयार कर देती हैं और टाइम देखती है कि अभी टाइम खत्म होने मे 2 मिनट का टाईम है।

    ये देखकर सारी लड़कियां चैन की सांस लेती हैं और फिर कुमुद को देख सारी लड़कियां मुस्कुरा देती हैं, क्युकी कुमुद पूरी तरह दुल्हन के रूप में बहुत प्यारी लग रही थी। उन्होंने कुमुद के ऊपर बहुत कम मेकअप का इतेमाल किया था।

    क्युकी कुमुद की उम्र सिर्फ 18 साल की ही है, जिस वजह से उसकी स्किन बहुत सॉफ्ट और मुलायम थी, बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह। एक मेकअप आर्टिस्ट कुमुद की तारीफ करते हुए कहती है,

    "मैम आप सच में बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही है, बिल्कुल किसी डॉल की तरह, बहुत प्यारी, और मासूम।"

    उसके आगे वे कुछ और बोल पाती कि तभी रुम का दरवाज़ा खुलता है और करन अन्दर आता है, जिसे देख सारी लड़कियां सहम जाती हैं और बिना कोई देरी किए जल्दी से एक एक कर रुम से बाहर की तरफ़ भाग जाती हैं।

    वही जब करन की नज़र कुमुद पर पड़ती हैं तो एक पल के लिए तो वे सब कुछ भुल जाता हैं कि वे कुमुद से कितनी नफ़रत करता है। वे एक टक वही दरवाजे के पास खड़ा होकर बस कुमुद को देखने लगता हैं।

    कुमुद उस लाल कलर के खूबसूरत के जोड़े में, कानो में बड़े बड़े झुमके, गले में भारी का खूबसूरत डायमंड की ज्वैलरी, माथे पर बड़ा सा मांगटीका, आंखो में भर भर कर काजल, माथे पर छोटी सी लाल रंग की बिंदी, होठों पर हॉट रेड कलर की लिपस्टिक, हाथो मे भर भर कर चूड़ियां, इन सभी को पहने हुए कुमुद बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और मासूम लग रही थी।

    कुछ देर यू ही कुमुद को देखने के बाद करन के दिमाग में अचानक ही एक बात याद आती हैं की किस तरह इस लड़की की वजह से उसने अपनी सबसे कीमती चीज कोई है। ये बात याद आते ही उसकी आंखो में एकाएक कुमुद के लिए गुस्सा भर जाता हैं और वे तुंरत कुमुद के पास जा उसके जबड़े को पकड़ मजबूती से दबाते हुए कहता है,

    "लिटिल खरगोश इसी खूबसूरती की जाल में सबको फसाती हो ना तुम, आज को तुम बहुत खुश होंगी ना, देखो ना लिटिल खरगोश मैने तुम्हे ऊपर से लेकर निचे तक कितने सारे महंगे कपड़ो और ज्वैलरी से लाद दिया है।

    जो तुम्हारे औकात से भी बाहर है। इसी पैसों के लिए ना लिटिल खरगोश तुम हर आदमियों का बिस्तर गरम करती हो और उन्हे अपने प्यार के जाल मे फंसा कर उनके पैसे ले कर और रात गुजार कर उन्हे छोड़ देती हो, उन्हे धोखा दे देती हो।

    देखो ना लिटिल खरगोश मैने तो आज तुम्हे इतने गहनों से लादा है, जितना तुमने कभी भी इमेजिन भी नही किया होगा। अब तुम्हे अलग अलग मर्दों से साथ रात गुजारने की जरूरत नही है। तुम चिन्ता मत करो, मै तुम्हे हर रात सेटिस्फाई करूंगा। इतना सेटिस्फाई करूंगा, की तुम दूसरो मर्दों के करीब जानें के बारे में कभी सोचोगी भी नही।"

  • 5. Force marriage - Chapter 5

    Words: 1264

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 5

    मेरी कैद में रहकर तुम्हें तड़पना...

    अब आगे

    करन के इतना बोलते ही कुमुद उसे पूरी ताकत लगा कर दूर धक्का दे देती है, जिससे करन कुमुद से दो कदम दूर हो जाता है। जिसे देख कुमुद करन से चीखते हुए कहती है,

    "बस, बस, बस, चुप हो जाइए। आपको किसी लड़की के बारे में इतनी घटिया बातें करते हुए शर्म नहीं आती? ये आप मुझ पर कैसे-कैसे घटिया इल्जाम लगा रहे हैं?

    अगर मैं आपकी नजरों में इतनी ही घटिया हूं, तो क्यूं कर रहे मुझसे जबरदस्ती शादी, क्यूं नहीं जाने देते मुझे मेरे घर, क्यूं किडनैप कर रखा है आपने मेरे भाई को? मुझे आपका कोई पैसा नहीं चाहिए।

    मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। बस आप मुझे यहां से जाने दीजिए। मैंने आपसे कितनी बार कहा है कि मैं आपको नहीं जानती, जरूर आप जिसे खोज रहे हैं वे कोई और लड़की है, आपको गलतफहमी हुई है। प्लीज मुझे जाने दीजिए, प्लीज।"

    "चुप हो जाओ लिटिल खरगोश, बिल्कुल चुप हो जाओ। वरना कहीं ऐसा ना हो जाए कि मैं शादी के पहले ही तुम्हारे साथ सुहागरात मना लूं।

    और मुझे तुम जैसी लड़की को पहचानने में कोई गलती नहीं हो सकती। तुम कितनी गिरी हुई लड़की हो, वे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता।

    और रही बात तुम्हारी गलती की तो वे गलती मैं तुम्हें बहुत जल्द बताऊंगा, कि तुमने किसके साथ गलत किया है और उसके साथ गलत करके तुमने दुनिया की सबसे बड़ी गलती कर दी है।

    लेकिन उसके पहले तुम्हें तुम्हारी गलती की पहले सजा तो दे दूं, तुम्हें हर एक दिन तड़पा तो लूं, जब तक तुम्हें तड़पा-तड़पा कर मेरा दिल नहीं भर जाता। तब तक मैं तुम्हें तुम्हारी गलती नहीं बताऊंगा।

    जिस दिन मेरा दिल तुम्हें तड़पा कर भर जाएगा, उस दिन मैं तुम्हें तुम्हारी गलती बताऊंगा और उसके बाद तुम्हें और भी ज्यादा तड़पाऊंगा, याद रखना इस बात को।"

    इतना बोल करन कुमुद के पास आ उसका हाथ पकड़ उसे नीचे ले जाने लगता है। जिसे देख कुमुद एक आखिरी कोशिश करते हुए उसके अपना हाथ छुड़वा घुटने के बल बैठते हुए, अपने हाथ जोड़, अपनी लाचार आवाज में करन की तरफ देखते हुए कहती है,

    "प्लीज मुझे जाने दो। मेरे भाई को छोड़ दो। मैं सच बोल रही हूं, मेरा यकीन करो। तुम जिसे भी ढूंढ रहे हों वे लड़की मैं नहीं हूं।

    मैं तो अपने घर से भी बहुत कम बाहर निकलती हूं और मेरे तो ज्यादा दोस्त भी नहीं हैं। प्लीज मेरी बातों का यकीन करो, जरूर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। प्लीज मुझे जाने दो, मेरे भाई को छोड़ दो।"

    इतना बोल वे रोने लगती है, पर करन को कुमुद की बातों पे रत्ती भर भी भरोसा नहीं हुआ या यूं कहे की वे भरोसा करना ही नहीं चाहता था।

    क्योंकि उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था कि वे गलत नहीं हो सकता। इसलिए वे घुटने के बल बैठ कुमुद के जबड़े को पकड़ अपनी नफ़रत भरी आवाज़ में कहता है,

    "तुम्हे पता है हर चोर चोरी करने के बाद यही कहता है कि उसने चोरी नहीं किया। वे बिल्कुल तुम्हारी तरह मासूम बन जाता है। लेकिन तुमने इस बार गलत जगह चोरी की है।

    मेरे बेस्ट कीमती हीरे को मुझसे दूर किया है। उसकी सजा तो मैं तुम्हें पूरी उम्र दूंगा। तुम्हें इतना तड़पाऊंगा, इतना तड़पाऊंगा, की तुम मरने की भीख मांगोगी, लेकिन मैं तुम्हें कभी मरने नहीं दूंगा।

    तुम्हे बस जीते जी हर रोज हर एक पल इसी तरह तड़पना है, मेरी कैद में रह कर। अब चलो तुम्हारी तरह मै फालतू नहीं हूं जो दिन भर तुम्हारे साथ बिता दूं।

    जल्दी से ये नाम की शादी खत्म करो, उसके बाद मैं तुम्हें असली जहन्नुम की सैर करवाऊंगा।"

    इतना बोल करन कुमुद का हाथ मजबूती से पकड़ उसे उठा लगभग खींचते हुए नीचे मंडप की तरफ ले जाने लगता है। वही कुमुद के आंखो से लगातार आंसू बहे जा रहे थे।

    क्योंकि उसे अब पता चल गया था कि वे चाहे कुछ भी कर ले, जितना भी समझा ले पर करन उसकी बात नहीं समझने वाला है। उसे अपने भाई को बचाने के लिए ये जहर पीना ही होगा।

    वही करन कुमुद को मंडप पर ला उसका हाथ छोड़ देता है और पंडित को देख कहता है,

    "पंडित जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी शादी करवाओ। फालतू का मेरा टाइम बर्बाद किया तो तू यहां आया तो अपने चार पैरो पे है, लेकिन जायेगा चार कंधो पर लद कर।"

    पंडित जो पहले से ही घबराया हुआ था। करन की धमकी सुन उसके माथे से पसीना पानी की तरह बहने लगता है और वे डरते डरते करन से कहता है,

    "जी जी सर, मै जल्दी ही शादी करवाऊंगा। अब आप लोग एक दुसरे को वरमाला पहना कर मंडप पर बैठ जाइए।"

    पंडित की बात सुनकर करन अपने सर्वेंट को इशारा करता है। जिसके वे सर्वेंट अपने हाथो में 2 बड़े बड़े थाल में वरमाला लेकर करन और कुमुद के पास आते हैं।

    करन उसमे से एक वरवाला ले बिना किसी भाव से कुमुद के गले में डाल देता है। वही कुमुद कोई भी रिएक्ट नहीं करती बस अपना सर झुकाए वैसी ही खड़ी रहती हैं।

    जिसे देख करन को गुस्सा आ जाता है और वे एक और वरमाला ले कुमुद के हाथो में जबर्दस्ती दे, उसके हाथो को पकड़ खुद को वरमाला पहना देता है।

    उसके बाद उसे जबरदस्ती मंडप पर बैठा देता है और पंडित जल्दी जल्दी बाकी की रस्मे करने लगता है।

    कुछ देर बाद पंडित उन दोनों को फेरे लेने के लिए कहता है। जिसके बाद करन खड़ा होता है। पर कुमुद अपने घुटने में अपना मुंह छुपाए रोने लगती हैं, वे खड़ी नहीं होती। जिसे देख करन का गुस्सा कंट्रोल से बाहर आ जाता है।

    क्योंकि वे खुद के गुस्से को ज्यादा देर तक कंट्रोल नहीं कर सकता था। इसलिए वे कुमुद के बालों को पकड़ उसे खड़ा कर देता है। जिसके कुमुद को बहुत दर्द होता है।

    उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके सिर पर कोई तेज तेज हथौड़ा मार रहा हो। वे और भी तेज रोने लगती हैं। वही उस तड़पता हुआ देख करन को थोड़ा राहत महसूस होता है और वे कुमुद के बालों को और मजबूती से पकड़ अपने चेहरे के बिल्कुल क़रीब लाते हुए कहता है,

    "क्या मुझे तुमने अपना नौकर समझ रखता है जो मै तुम्हे बार बार उठा कर खड़ा करू और बैठाऊ? जब मैंने कहा था की अब तुम मेरी नौकर हो और मिस्ट्रेस भी, तो मेरी बात ना मानने की तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई? जब पंडित ने खड़े होकर फेरे लेने के लिए बोला तो खड़ी क्यूं नहीं हुई? बोलो।"

    लास्ट वाली बात करन ने बेहद खतरनाक आवाज़ में और चिल्ला कर बोली थी। जिसके कुमुद के साथ साथ पंडित, नौकर और वहा खड़े उसके एसिस्टेंस और बॉडीगार्डस की भी रूह कांप गई।

  • 6. Force marriage - Chapter 6

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    चैप्टर = 6





    करन का कुमुद से जबरदस्ती शादी करना





    अब आगे



    कुमुद कुछ बोलना चाह रही थी । पर डर की वजह से उसके मुंह से कोई शब्द ही नही निकल रहें थे । जिसे देख करन फिर से अपनी खतरनाक आवाज में दांत पीसते हुए कहता है । ।

    " अब अगर तुमने कोई भी नाटक किया मेरे सामने तो तुम्हारे उस छोटे से भाई की मै वे हालत करूंगा की तुम उसे देख कर भी पहचान नही पाओगी , की वे तुम्हारा भाई है । । "

    करन का उसके भाई चोट पहुंचाने वाली बात को सुनकर कुमुद तुंरत कहती हैं । ।

    " नही नही, मेरे भाई को कुछ मत करना तुम जैसा जैसा कहोगे , मै बिल्कुल वैसा वैसा करूंगी । लेकिन प्लीज इन सब में मेरे भाई को मत लाओ । । "

    कुमुद को अपने सामने इतना मजबूर होता हुआ देख करन के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती हैं और वे उसी तरह अपने चेहरे पर डेविल स्माइल लिए हुए कहता है । ।

    " गुड डिसीजन लिटिल खरगोश, मै तुम्हे बस सारी उम्र इसी तरह अपने सामने मजबूर और लाचार देखना चाहता हूं । अब चलो जल्दी से शादी करते हैं, क्योंकि मुझे और भी बहुत काम है । तुम जैसी गिरी हुई लडकियो की तरह फ्री का टाईम नही रहता मेरे पास । । "

    इतना बोल कुमुद का हाथ पकड़ फेरे लेने लगता है । वही करन की बात सुनकर कुमुद को बहुत गुस्सा आता है । जिससे वे अपने दुसरे हाथ की मुट्टिया बना अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए अपने मन में कहती हैं । ।

    " मै आज भले ही मजबूर हु मिस्टर करन राठौड़, लेकिन कहते हैं ना वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता । आज तुम्हारा वक्त है , इसलिए जो करना है कर लो , लेकिन एक ना एक दिन मेरा भी वक्त आएगा ।

    जब तुम मेरे सामने इसी तरह लाचार होकर रह जाओगे । लेकिन उस समय मुझे भी तुम्हारे ऊपर बिल्कुल भी तरस नही आयेगा । मै तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगी । आज जैसे मै तड़प रही हूं, एक दिन तुम भी तडपो दे, देख लेना । । "

    ये सब सोचते सोचते कुमुद के चेहरे पर एक आंसू की बूंद उसके गालों पर गिर जाती हैं । कभी उसे पंडित जी की आवाज सुनाई देती हैं । ।

    " फेरे पूरे हो गए । अब आप लोग अपने जगह पर बैठ जाइए और कन्या के मांग मे सिंदुर भर उसे मंगलसूत्र पहनाइए । । "

    जिसे सुन दोनो बैठ जाते है । उसके बाद करन एक खूबसूरत का पेंडेंट की तरह दिखने वाला प्यारा सा मंगलसूत्र कुमुद के गले में पहनाता है और थाली में रखते सिंदुर को लेकर कुमुद के मांग मे भर देता है ।

    जिसके कुमुद अपनी आंखे बंद कर लेती है और उसके आंखो से आंसू बहने लगते हैं । आज उसके ज़िंदगी का इतना बड़ा फैसला हो गया, आज उसकी शादी हो गई , वे भी सिर्फ और सिर्फ़ बदले के लिए और उसे ये भी नही पता था कि उसकी गलती क्या थी ?

    उसने सोचा था कि जब उसकी शादी होगी । तब शायद उसकी ज़िंदगी में खुशियां आयेंगी । वे अपने हसबैंड के साथ अपनी छोटी सी दुनिया में खुश रहेगी । पर उसे नही मालूम था कि उसकी किस्मत इतनी खराब है कि उसे ना आज तक मां बाप का प्यार मिल पाया और अब ना ही उसे अपने पति का प्यार मिल पाएगा ।

    वे ये सब सोच ही रही होती है कि तभी उसे पंडित जी की आवाज़ सुनाई देती है । ।

    " अब से आप दोनो पति पत्नी है । आप दोनो जाइए और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले लीजिए । । "

    पंडित की बात सुनकर करन के फेस पर डेविल स्माइल आ जाती हैं । वे एक नज़र कुमुद को देखता है जो अपना सर झुकाए धीरे धीरे रो रही थी ।

    उसके बाद अपनी जगह से खड़ा हो कर कुमुद को हाथो को पकड़ उसे भी खड़ा करता है । जिसके कुमुद जो अब तक इस शादी की वजह से थोड़ा सदमे में थी और जोर जोर से रोना चाहती थी ।

    लेकिन करन के इस तरह खड़ा करने से वे थोड़ा होश में आती हैं और एक नज़र करन को देख तुरंत अपनें आंसुओ को पोंछ अपने आप की कुछ देर के लिए थोड़ा स्ट्रॉन्ग करने की कोशिश करती है ।

    क्योंकि वे करन के सामने रो रोकर अपने आप को कमजोर नही दिखाना चाहती थी । उसे मालूम था कि वे अंदर तक टूट चुकी है, लेकिन फिर भी वे अपने आप को टूटा हुआ दूसरो के सामने नही दिखाना चाहती थी ।

    वही करन घर के सभी फीमेल औरतों को बुलाता है । जिसके बाद सभी फीमेल औरते लाइन से आकर खड़ी हो जाती हैं । जो कम से कम लगभग बीस औरते थी । करन उन सभी औरतों को देखता है और फिर कुमुद को देख उसे नीचा दिखाते हुए कहता है । ।

    " लिटिल खरगोश जाओ और सबसे पैर को छू कर आशीर्वाद ले लो । क्या पता इनमें से किसी का आशीर्वाद तुम्हे लग गए और तुम्हारे नसीब में थोड़ी सी खुशियां आ जाय । । "

    इतना बोल उसे एक इविल स्माइल दे देता है । क्युकी करन ये सब कुमुद को नीचा दिखाने और परेशान करने के लिए कर रहा था । वे उन सभी नोकरानियो के पैरो को छूवाकर उसे ये बताना चाहता था कि उसकी जगह क्या है ।

    कुमुद भी करन की बात बहुत अच्छे से समझ गई थी कि वे उसे सबसे सामने जरीर करने के लिए ये सब कर रहा है । लेकिन कुमुद उसके कुछ नही कहती और आगे जाकर धीरे धीरे उन सभी नोकरानियो के पैरो को छुने लगती है और सब नोकरानिया उसे प्यार से आशीर्वाद भी देती हैं ।

    सभी के पैर छुने के बाद वे लास्ट मे दो नोकरानियां जिनका नाम रिंकी और पिंकी था और वे दोनो जुड़वा बहने थी । जिनकी उम्र 25 साल थी । वे मन ही मन करन को पसन्द करती थी । लेकिन कुमूद से शादी करता हुआ देखकर दोनो को कुमुद पर बहुत गुस्सा आता है ।

    जिसके कुमुद जब उनके पैर छुने के लिए झुकती है तो वे कुछ ऐसा करती हैं, जिसके कुमुद की चीख निकल जाती है । ।
    ❤️ ❤️ ❤️
    दोस्तो अगर आप रेगुलर एक दिन में दो एपीसोड चाहते हैं तो मुझे सपोर्ट करे । मेरी स्टोरी को फॉलो करें, रिव्यू दे एंड कॉमेंट करके जरूर बताएं की आपको स्टोरी कैसी लग रही है । ।

  • 7. Force marriage - Chapter 7

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    चैप्टर 7

    करन ने बनाया कुमुद को नौकरानी

    अब आगे

    कुमुद जैसे ही रिंकी के पैर छूने के लिए झुकती है, वे जल्दी से कुमुद के हाथ पर अपने पैर रख अपनी सैंडिल से उसके हाथ को मसल देती हैं, जिससे कुमुद की चीख निकल जाती है। जिसे सुन सबका ध्यान उस तरफ चला जाता है। जिसे देख रिंकी जल्दी से कुमुद के हाथों से अपना पैर हटा कुमुद से माफी मांगते हुए कहती है, "सॉरी मैडम, मुझे माफ कर दीजिए। पता नहीं कैसे मेरा पैर आपके हाथों पर आ गया, मुझे पता ही नहीं चला।"

    रिंकी की बात सुनकर कुमुद उसे कुछ नहीं कहती, बस अपने हाथ को सहला रही होती है और दोबारा झुक रिंकी और पिंकी के पैरों को छू लेती है। कुमुद को मालूम था कि रिंकी ने ये सब जानबूझकर किया, पर वे अभी इस हालत में बिल्कुल भी नहीं थी कि किसी से भी बहस कर सके और जान सके कि उसने उसके साथ ऐसा क्यूं किया?

    वहीं सबसे पैरों को छूने के बाद करन कुमुद के पास आता है और फिर सभी मेल सर्वेंट को भी बुला लेता है। उसके बाद सभी की तरफ देखते हुए उसमे से एक फीमेल नौकरानी जो यहां की हेड है और उनका नाम ममता है, जो 50 साल की है, उनकी तरफ देखते हुए कहता है, "मिस ममता क्या आप बता सकती हैं कि यहां सभी नौकरों को मिलाकर कितने नौकर काम करते हैं?"

    "जी सर, यहां पर मेल और फीमेल दोनों नौकरों को मिलाकर कुल 80 लोग यहां काम करते हैं।"

    ममता की बात सुनकर करन एक नजर कुमुद को देख एक डेविल स्माइल करते हुए कहता है, "मिस ममता सही कहा आपने कि यहां पर 80 लोग काम करते हैं। लेकिन अब से 81 लोग काम करेंगे। क्योंकि मैंने आप औरतों के बारे में बहुत सोचा कि आप लोग दिनभर काम करती हैं। आप लोगों को भी आराम की जरूरत है। आप लोगों की भी सेवा करने के लिए कोई होना चाहिए। इसलिए मैंने आप सभी औरतों के लिए एक नौकरानी रख ली है और आज से आप लोगों को जो भी काम करवाना हो आप उससे करवा सकती है।"

    करन की बात सुनकर वहां पर जितने भी लोग थे, शॉकिंग एक्सप्रेशन के साथ करन को देख रहे थे। क्योंकि जो इंसान किसी को मारने के पहले एक बार भी नहीं सोचता, चाहे वे जो कोई भी हो, वे आज अपने घर के नौकरों के बारे में सोच रहा है। वहीं सब के चेहरे को देखकर करन समझ गया कि वे लोग क्या सोच रहे हैं, लेकिन वे उन सब को इग्नोर कर कुमुद की तरफ देख कुमुद का हाथ पकड़ उन नौकरानियों की तरफ धकेल देता है। ये सब इतना जल्दी हुआ कि कुमुद क्या वहां पर खड़े किसी को भी समझ में नहीं आया।

    वहीं करन के यूं अचानक धकेलने की वजह से कुमुद संभाल नहीं पाती और जमीन पर गिर जाती है, जिससे उसके हाथों की कोहनी पर हल्का सा चोट लग जाता है। पर वे कुछ नहीं कहती, वैसे ही अपनी नम आंखों के साथ बैठी रहती है, क्योंकि वे यूं सब के सामने रोकर अपने आप को कमजोर बिल्कुल भी नहीं दिखाना चाहती थी।

    वहीं करन सभी नौकरानियों की तरफ देखते हुए कुमुद की तरफ इशारा करते हुए कहता है, "तो आज से ये लड़की भी इस घर की नौकरानी है। ये आज के घर का जो भी काम है वे सब काम करेगी, उसके बाद ये तुम सब की भी सेवा करेगी। आज से ये तुम सारी नौकरानियों की भी नौकरानी है।"

    करन की बात सुनकर वहां खड़े सभी लोग हैरान रह जाते है कि उनका बॉस अपनी बीवी को इस घर की नौकरानी बोल रहा है और उनके साथ ऐसा बिहेव कर रहा है। वहां पर खड़े सभी लोगों को कुमुद के लिए बहुत बुरा लगता है।

    वहीं रिंकी और पिंकी तो करन की बात सुनकर बहुत खुश हो जाती हैं। उन्होंने मन ही मन सोच लिया था कि कुमुद को वे इस हद तक परेशान करेंगी कि वे करन के लाइफ से अपने आप चली जाएगी।

    वहीं कुमुद जो अभी भी जमीन पर घुटनों के बल बैठी हुई थी, करन की बात सुनकर उसके चेहरे पर खुद के लिए मजाक उड़ाने वाले एक्सप्रेशन आ जाते है, क्योंकि वे अपने घर पर भी तो नौकरानी की तरह ही तो रहती थी। अब यहां पर भी वे उसी तरह रहेगी। उसने सोचा था कि शादी के बाद उसकी जिंदगी में खुशियां आएंगी, पर आज करन के बिहेवियर को देखकर उसे पता चल गया था कि उसकी लाइफ में कभी भी खुशियां नहीं आ सकतीं।

    वहीं अपनी बात पूरी करने के बाद करन कुमुद के बालों को पकड़ उसे उठाता है, जिससे कुमुद को बहुत दर्द होता है जिससे कुमुद अपने हाथों की मुट्ठियां तेजी से बंद कर लेती है जिससे वे दर्द को बरदाश्त कर सके। करन कुमुद के चेहरे को अपने चेहरे के करीब करते हुए कहता है, "लिटिल खरगोश अब शादी हुई है तो गृह प्रवेश भी तो होना चाहिए। चलो अब तुम्हारा स्पेशल गृह प्रवेश करवाता हूं।"

    इतना बोल करन कुमुद का हाथ पकड़ उसे विला के गेट के पास ले जाता है, लेकिन विला के गेट के पास कुमुद जो वहां देखती है उसकी रूह कांप जाती है।

  • 8. Force marriage - Chapter 8

    Words: 1255

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 8: कुमुद का जलते कोयले पर चलना...

    अब आगे

    कुमुद जब विला के गेट के पास पहुँचती है तो देखती है कि रास्ते में जलता हुआ कोयला रखा हुआ है और साथ में एक कलश भी जिसमे चावल की जगह घी भर कर रखा हुआ है। जिसे देख उसे कहीं ना कहीं समझ में आ गया था कि उसके साथ क्या होने वाला है।

    जिसे सोच उसकी रूह काँप जाती है। उसे नहीं पता था कि कोई इंसान इतना बेरहम भी हो सकता है। कुमुद ये सब सोच ही रही थी तभी उसके कानों में करन की आवाज़ पड़ती है जो उससे कहता है,

    "लिटिल खरगोश, तुम्हे ये सब देख समझ में आ ही गया होगा कि अब तुम्हे क्या करना है? तो चलो लिटिल खरगोश अपनी स्पेशल गृह प्रवेश की रस्म पूरी करो।"

    इतना बोल वह कुमुद के चेहरे को देखने लगता है, जो अपना चेहरा बार-बार ना में हिला रही थी और उसके चेहरे पर बेइंतहा डर नज़र आ रहा था। पर करन उसके दर्द को नजरअंदाज कर दोबारा बोला,

    "लिटिल खरगोश मुझे अपनी बात बार-बार रिपीट करने की आदत नहीं है। जल्दी करो। तुम्हारी तरह फालतू नहीं हूँ और भी बहुत से काम है मुझे।"

    उसकी बात सुनकर कुमुद के रुके हुए आंसू दुबारा बहने लगते हैं और वह करन को देखते हुए कहती है,

    "नहीं, नहीं, प्लीज मुझे ये करने को मत बोलो। मुझे बहुत डर लग रहा है। मैं ये दर्द नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगी। प्लीज प्लीज मैं ये नहीं करूंगी।"

    करन जो इतने देर से अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, बार-बार कुमुद को ना करते हुए देख और अपनी बात बिल्कुल भी ना मानता देख उसका गुस्सा फूट पड़ता है और वह एक झटके में उसके जबड़े को पकड़ अपनी खतरनाक आवाज में कहता है,

    "चुप लिटिल खरगोश बिल्कुल चुप, ये ड्रामा मेरे सामने करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। क्या कहा तुमने लिटिल खरगोश की तुम्हे दर्द होगा। तुम ये दर्द नहीं बरदास कर सकतीं। यही बात तुमने दूसरों को दर्द पहुंचाने के पहले सोची थी?

    जब तुमने उसे धोखा दिया था, उसे मरने के लिए छोड़ दिया था, तो उसे भी दर्द हो रहा था। वह भी तड़प रहा था। तब तो तुम्हे उसके ऊपर बिल्कुल भी तरस नहीं आया, तुमने उसके ऊपर बिल्कुल भी रहम नहीं दिखाई तो मैं क्यूँ तुम्हारे ऊपर रहम करूँ? बोलो क्यूँ करूँ?"

    "देखो तुम जो भी बोल रहे हो मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है। किसको मैने दर्द दिया और किसके ऊपर रहम नहीं खाई। प्लीज बताओ। क्यूंकि मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हे जरूर कोई गलत फेहमी हुई है। मैने किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा, प्लीज मुझसे ये सब मत करवाओ। मुझे यहां से जानें दो और मेरे भाई को छोड़ दो।"

    कुमुद को अब भी अपनी बात ना मानता देख करन का गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है और वह उसके बालों को मजबूती से पकड़ उसके जबड़े को बेदर्दी से दबाते हुए कहता है,

    "बस बहुत हुआ, लगता हैं कि तुम अपनी औकात भुल गई हो की तुम यहां महारानी नहीं नौकरानी बन कर आई हो, मेरी मिस्ट्रेस बन कर आई हो। तुम्हे जैसा कहा जाए वैसे ही एक कटपुतली की तरह मेरी बात माननी है। लेकिन नहीं तुम्हे तो यहां से आजाद होना है ना तो जाओ आजाद हो जाओ। लेकिन उसके पहले अपने भाई की लाश देख कर जाओ।"

    इतना बोल करन अपना मोबाइल निकाल अपने आदमियों को कॉल करते हुए कहता है,

    "मार दो उसे और उसके बॉडी के टुकड़े टुकड़े करके जानवरों को खिला देना।"

    इतना बोल फोन काट देता है। वही कुमुद जैसे ही करन की बात सुनती है उसकी आत्मा भी कांप जाती है। फिर जल्दी मे वह होश में आ करन के सामने हाथ जोड़ते हुए कहती है,

    "नहीं, नहीं प्लीज मेरे भाई की कुछ मत करों। तुम जैसा कहोगे, मै बिल्कुल वैसा ही करूंगी। प्लीज अभी के अभी तुम फ़ोन कर के उन्हें रोको। मेरे भाई को एक खरोंच भी नहीं आनी चाहिए।"

    "तुम अपनी रस्में पूरी करो। अगर तुमने अपनी रस्में पूरी कर ली लिटिल खरगोश और तुम्हे दर्द में देख कर मुझे पूरी तरह से संतुष्टि मिल गई तब मै तुम्हारे भाई को कुछ नहीं होने दूंगा। अब ये तुम्हारे ऊपर है कि तुम कितनी जल्दी अपनी रस्में पूरी करती हो। तुम्हारे भाई की जान तुम्हारे हाथो में है।"

    इतना बोल उसके चेहरे पर खतरनाक स्माइल थी। वही कुमुद अपनी आंखे बंद कर अपने भाई को याद कर सामने की ओर देखती है। फिर अपने आप को मजबूत कर अपने पैरो से उस घी से भरे कलश को गिराती है, जिससे सारा घी उस जलते हुए कोयले पर गिरता है और कोयले मै आग लग जाती हैं।

    कुमुद अपने दिल पर पत्थर रख अपना कांपता हुआ पैर उस जलते हुए कोयले पर रख देती हैं और उसी के साथ उसकी दर्दनाक चीख उस विला मे गूंज उठती हैं, जिसे देख वहा खड़े कई लोगो की आंखे नम हो गई तो वही कई खुश भी थे। वही करन के फेस पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं थे।

    कुमुद दर्द और जलन की वजह से रोते रोते और चीखते चीखते धीरे धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रही थी। पर उसका पैर उसका साथ नही दे रहा था। बहुत मुश्किल से वे अपना कदम आगे बढ़ा रही थी।

    कुछ ही देर मे वह उस जलते कोयले के रेखा को पार कर लेती है और उसी के साथ वह बेहोश हो कर धम से जमीन पर गिर जाती है, जिसे देख करन कुमुद के पास आ घुटने के बल बैठ उसके चेहरे को देखते हुए कहता है,

    "लिटिल खरगोश बस इतने से दर्द में ही तुमने हार मान ली। अभी तो तुम्हे बहुत से हिसाब पूरे करने है और बहुत से दर्द भी सहने है। लेकिन आज के लिए तुम्हारे लिए इतना दर्द काफ़ी है। बाकी का हिसाब मै तुमसे कल पूरा करूंगा।"

    इतना बोल वह वहा की नौकरानियों में से हेड ममता को देख कहता है,

    "मिस ममता इसे उठवा कर स्टोर रूम में फेंकवा दीजिए। आज से ये वही पर रहेगी और डॉक्टर को बुलाकर इसके पैरो का इलाज करवा, इसे खाना और दवाई दे देना।"

    इतना बोल वह ऊपर अपने रूम में चला जाता है। वही ममता कुमुद के पास जा अपनी नम आंखों से कुमुद के चेहरे को देखते हुए कहती हैं,

    "माफ करना मेरी बच्ची, मै तुझे बॉस से तो नहीं बचा सकती। पर जितना मुझसे हो सकेगा, उतना तेरी मदत करने की कोशिश करूंगी।"

  • 9. Force marriage - Chapter 9

    Words: 1291

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 9
    कुमुद का स्टोर रूम में रहना

    इतना बोल ममता कुमुद को अपनी नम और लाचार आंखो से देखने लगती हैं, क्योंकि उसे मालूम था कि वे अपने बॉस को इस लड़की के साथ कुछ भी गलत करने से नहीं रोक सकती है।

    इसलिए वे इन सब बातो को अपने दिमाग से झटक कुछ नौकरानियों की मदत से कुमुद को स्टोर रूम में ले जाती हैं तो देखती है कि वहा पर बहुत ही गंदगी थी और वहा ना तो कोई बेड था ना ही कोई पंखा, बस कुछ टूटी फूटी चीज़े थी।

    वे कमरा किसी के रहने लायक तो बिलकुल भी नहीं था। लेकिन फिर भी वे मजबूर होकर कुछ नोकरानियों से जमीन पर बिस्तर लगवा कुमुद को वहा पर लेटा देती है क्योंकि उन्हे सबसे पहले जल्द से जल्द कुमुद का इलाज करवाना था, क्योंकि उसके पैर बुरी तरह से जल गए थे।

    इसलिए वे कुमुद को बिस्तर पर जल्दी से लेटा डॉक्टर को कॉल कर विला आने को बोल देती है।

    वही दूसरी तरफ एक छोटे से घर में एक 20 साल की लड़की जिसका नाम संजना था और उसने इस समय घुटने के ऊपर तक शॉर्ट ड्रेस और टॉप को पहना हुआ था।

    जिसमें उसके शरीर के ज्यादातर अंग दिख थे। वे अपनी घमंड भरी आवाज में अपनी मा सीमा से कहती हैं, "मां जल्दी से मुझे खाना दो, आज मै काफी ज्यादा तक गई हू।"

    तभी किचेन में जल्दी जल्दी काम करती हुई सीमा अपनी बेटी की आवाज़ सुन जल्दी से खाना लेकर बाहर आते हुए बोलती है, "आ गई बेटा।"

    इतना बोल जल्दी से खाना डाइनिंग टेबल पर रख अपनी बेटी को खाना प्यार से देते हुए गुस्से से बोली, "ये सब उस मनहूस की वजह से हो रहा है और उस मनहूस की वजह से ही मुझे किचेन में जाकर खाना बनाना पड़ रहा है। पता नही कहां चली गई वे मनहूस लड़की और तो और सुबह से रात होने को आई है पता नही मेरा बेटा पंकज कहा चला गया है।

    मुझे तो उसकी बहुत टेंशन हो रही हैं और ये सब उस लड़की की वजह से ही हुआ है। मुझे पता है मेरा बेटा हो ना हो उस मनहूस लड़की के बारे में पता लगाने ही गया होगा।

    पता नही क्या जादू कर के रखता हुआ है इस लड़की ने मेरे बेटे पर, जो दिन भर दीदी, दीदी करते उसके पीछे घूमता रहता है। अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ ना इस लड़की की वजह से तो मै इस लड़की को छोड़ऊंगी नही।

    एक बार इस लड़की को घर पर आ जाने दो, उसकी हड्डीया ना तोड़ दी ना मैने, तो मेरा नाम भी सीमा नही।"

    इतना बोल वे चुप हो जाती हैं। उसे कुमुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था। कैसे वो लड़की इस तरह बिना बताए घर से गायब हो सकती है।

    चलिए दोस्तों सीमा के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।

    (ये कुमुद की सौतेली मां सीमा है, जिसे कुमुद से कोई मतलब नही है। लेकिन घर का कामकाज करने के लिए बस कुमुद को इस घर मै रखती हुई थी और कुमुद को परेशान करने का कोई भी मौका अपने हाथ से जानें नही देती। आगे आप लोगो को धीरे धीरे इनके बारे में पता चल जायेगा। तो चलिए स्टोरी की ओर बढ़ते हैं।)

    सीमा की बात सुनकर सीमा की बेटी संजना खाना खाते हुए कहती हैं, "मॉम आप उस मनहूस के लिए परेशान क्यू हो रही है। वे यहां से भाग कर वैसे भी जायेगी कहा। उसके तो ज्यादा दोस्त भी नही है और ना ही यहां पर और किसी को जानती है।

    वो जहां कहीं भी होगी, देख लेना कुछ दिनों में अपने आप यहां पर आ जायेगी फिर आप उसे अच्छे से सबक सिखा देना और रही बात पंकज की तो वे क्या पता अपने दोस्तों के साथ कही गया होगा, आप चिन्ता मत कीजिए वो भी जल्दी ही घर आ जायेगा।"

    इतना बोल वे आराम से खाना खाने मे बीजी हो जाती हैं। वही सीमा संजना की बात सुनकर थोडी शान्त होते हुए कहती हैं, "तू सही बोल रही है बेटा, जरूर वे अपने दोस्तों के साथ गया होगा।"

    इतना बोल वे भी खाना खाने लगती हैं।

    वही दुसरी तरफ विला में डॉक्टर शनाया कुमुद के पैरो की ड्रैसिंग करने के बाद ममता को देखते हुए कहती हैं, "काकी इसके पैर बहुत बुरी तरह के जल गए हैं। मैने जैसे तैसे इसकी ड्रेसिंग कर दी है। मै आप को कुछ दवाइयां लिख कर देती हूं इसे दे दीजिएगा और जितना हो सके इसे आराम करने को बोलिएगा।

    जितना ज्यादा ये अपने पैरो को रेस्ट देगी, उतनी जल्दी इसके पैर सही होंगे।"

    शनाया की बात सुनकर ममता कहती हैं, "ठीक है बेटा मै इसका ध्यान रखूंगी और थैंक्स यू जो तू मेरे बुलाने पर इतनी जल्दी आ गई।"

    "थैंक्स यू कैसा काकी आप मेरी मां जैसी ही है। आप को जब भी जरूरत पड़े मुझे बुला लीजिएगा। अच्छा अब मैं चलती हूं बहुत रात हो गई है।"

    "ठीक है बेटा! ध्यान से जाना।"

    ममता की बात सुनकर शनाया अपना सिर हां में हिला जल्दी से वहा से निकल जाती हैं। वही ममता भी एक नजर कुमुद को देख अपना काम करने के लिए चली जाती हैं।

    रात के 1:00 बजे
    नाइट क्लब

    नाइट क्लब के वीआईपी रूम में करन अपने रौबदार औरा के साथ एक किंग साइज चेयर पर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर चढ़ाए किसी राजा की तरह बैठा हुआ था।

    वही उसके दाई बाई उसका एसिस्टेंस विनोद और उसका सबसे ख़ास आदमी चिराज खड़ा हुआ था।

    करन के ठीक सामने ही मिस्टर मेहता बैठे हुए थे और वही अगल बगल कुछ और बिजनेसमैन भी बैठे हुए थे। करन उन सब को देखते हुए अपनी रौबदार आवाज में कहता है, "तुम सब जल्दी से अपने सामने रखते पेपर पर साइन करो क्योंकि मेरे पास ज्यादा वक्त नही है बर्बाद करने के लिए।"

    करन के बात सुनकर सबसे माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगती हैं, क्योंकि वे सब इस डील को साइन नही करना चाहते थे।

    पर करन को ना करने की उन सब की हिम्मत नही थी, क्योंकि वे सब करन को बहुत अच्छी तरह जानते थे कि करन को ना बोलने का क्या अंजाम होता है। वही मिस्टर मेहता करन की बात सुनकर थोड़ा डरते हुए बोलते हैं, "मिस्टर करन हम ये डील कैसे साइन कर सकते है क्योंकि इस डील में तो हमे सिर्फ 10% का ही फायदा है और जितना भी प्रॉफिट है वो सब तो आप को होगा। मै ये डील नही साइन करूंगा।"

    मिस्टर मेहता के इतना बोलते ही वहा एक तेज आवाज होती हैं, जिसके करन के फेस पर एक खतरनाक स्माइल आ जाती हैं।

  • 10. Force marriage - Chapter 10

    Words: 1186

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 10

    "छोड़ो मुझे घटिया आदमी........"

    मिस्टर मेहता के इतना बोलते ही एक गोली आकर मिस्टर मेहता के बाजू पर लगती है और उनके बाजू से तेज़ी से खून बहने लगता है।

    जिसे देख वहाँ पर बैठे बाकी के बिज़नेसमैन बहुत ही ज़्यादा डर जाते हैं और बिना देरी किए जल्दी से उन पेपर पर साइन कर देते हैं।

    वहीं मिस्टर मेहता भी ये सब देख बहुत अच्छे से समझ गए थे कि अगर उन्होंने भी जल्दी से जल्दी इस पेपर पर साइन नहीं किया तो उनके साथ इससे भी बुरा हो सकता है, शायद उन्हें अपनी जान भी गवानी पड़ जाए।

    इसलिए वे भी अपने दर्द को बरदाश्त कर जल्दी से साइन कर देते हैं, जिसे देख करन के चेहरे पर एक खतरनाक स्माइल आ जाती है और वह उसी खतरनाक स्माइल के साथ मिस्टर मेहता को देख कर बोलता है,

    "आगे से करन राठौड़ से चालाकी करने और ना बोलने के पहले हज़ार बार सोच लेना। वरना आज तो मैंने सिर्फ बाजू पर ही गोली मारी है, आगे से सीधा मैं तुम्हारी जान ही ना ले लूँ।"

    इतना बोल एक डेविल स्माइल कर रूम से बाहर निकल जाता है। वहीं चिराज़ और विनोद भी पेपर ले करन के पीछे चले जाते हैं। उन सभी के जाते ही वहाँ पर बैठे सभी लोग चैन की साँस लेते हैं और मिस्टर मेहता को देख सब लाचारी से अपनी गर्दन हिला देते हैं।

    अगली सुबह 5:00 बजे,

    करन अपने किंग साइज़ बेड पर शर्टलेस पेट के बल सोया हुआ था। तभी उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलने लगती हैं। जिसके बाद वह अपने मोबाइल में टाइम देखता है और टाइम देखते ही वह बिस्तर से उठ थोड़ा फ्रेश होने वॉशरूम में चला जाता है।

    कुछ देर बाद वह वाशरूम से फ्रेश हो लोअर और लूज टीशर्ट पहन जिम एरिया में जाने लगता है।

    लेकिन तभी उसके माइंड में कल की सारी बातें याद आती हैं और वे याद करते ही वह अपने कदम जिम एरिया की तरफ़ ना बढ़ा कर लिफ्ट की तरफ बढ़ा देता है।

    कुछ देर में नीचे पहुँचने के बाद वह अपने तेज़ कदमों से स्टोर रूम की तरफ बढ़ता है और एक तेज़ आवाज़ के साथ धम्म से स्टोर रूम का दरवाज़ा खोलता है, तो देखता है कि कुमुद बड़े ही आराम और सुकून से ज़मीन पर बिस्तर लगा कर सोई हुई है।

    जिसे देख करन को बहुत गुस्सा आता है और वह बॉथरूम मे जा एक बाल्टी पानी ला पूरा का पूरा पानी एक झटके में कुमुद के मुँह पे डाल देता है।

    जिसके कुमुद घबराहट के साथ एक झटके में बिस्तर पर से उठ कर बैठ जाती हैं। उसे तो कुछ समझ में ही नही आ रहा था कि अचानक उसके साथ हुआ तो हुआ क्या?

    तभी वह अपना सिर उठा सामने देखती है तो उसे अपने सामने गुस्से से खड़ा हुआ करन दिखाई देता है। जिसे देख उसे कल की सारी बातें धीरे-धीरे याद आने लगती हैं, जिसके उसके चेहरे पर डर साफ़ दिखाई दे रहा था। वह डरे हुए चेहरे के साथ करन को देख रही थी।

    तभी करन उसके पास आ घुटने के बल बैठ कुमुद के चेहरे को अपने हाथों के पकड़ दबाते हुए अपनी डरा देने वाली आवाज़ में कहता है,

    "लिटिल खरगोश लगता है तुम सच में अपने आप को यहाँ की महारानी समझ रही हो, जो अब तक इतने आराम से सो रही हो।

    पर मैं हूँ ना, मैं तुम्हारी औकात बहुत अच्छे से याद दिलाऊँगा, कि तुम्हारी इस घर में नौकरी से भी गैर गुजरी औकात है, तुम इस घर की नौकरानी बनने लायक भी नहीं हो।"

    करन के इतना बोलने पर कुमुद को भी तेज गुस्सा आता है और वह अपने डर को साइड रख करन के हाथों से अपने चेहरे को छुड़ाते हुए चिल्लाते हुए बोलती है,

    "छोड़ो मुझे घटिया आदमी, तुम जैसे दरिंदे के घर में नौकरानी या कुछ और बनना ही कौन चाहेगा?

    अरे मेरा बस चले तो मै तुम जैसे घटिया आदमी के घर में अपना पैर रखना तो छोड़ो, इस घर की तरफ़ आँख उठा कर भी ना देखूँ, जहाँ पर तुम जैसा बेरहम इंसान रहता हो।"

    कुमुद के इस तरह तेज आवाज में बात करने और जुबान लड़ाते हुए देख कर करन का बचा कूचा सब्र भी जवाब दे दिया और वह कुमुद के चेहरे को अपने हाथों से बेरहमी से मसलते हुए कहता है,

    "लगता है मैंने अपने लिटिल खरगोश को ज़्यादा ही छूट दे रखी है, तभी इस तरह उछल कूद कर चिल्ला रही है।

    पर मैं हूँ ना, मैं अपनी प्यारी लिटिल खरगोश के उड़ते हुए पंख को काटना बहुत अच्छे से जानता हूँ।"

    इतना बोल कुमुद के बालों को बेरहमी से पकड़ते हुए उसे उसी तरह खींचते हुए हॉल में ले आता है और बेरहमी से ज़मीन पर धक्का दे देता है।

    जिसके कुमुद को बहुत दर्द होता है खासकर उसके पैरों में, क्यूकी उसके पैर अभी भी पूरी तरह से ठीक नही हुआ है। दर्द की वजह से उसकी आँखों में आँसू आ जाते है।

    पर अपने दर्द को बरदाश्त करते हुए वैसे ही बैठी रहती है। जिसे देख करन सारे लेजिस सर्वेंट को बुलाते हुए कहता है,

    "आज घर में जितना भी साफ सफाई का काम है, सारा काम ये लड़की करेगी। अगर किसी ने भी इसकी कोई भी मदद करने की कोशिश की तो मैं उसे उसी समय नौकरी से निकाल दूँगा।

    और इसे आज कोई भी दूसरा कपड़ा देने की कोई जरूरत नहीं है। ये इसी भारी भरकम लहंगे में आज काम करेगी।"

    फिर रिंकी और पिंकी की तरफ़ देखते हुए,

    "तुम दोनों की जिम्मेदारी है की ये लड़की घर का सारा काम अच्छे से करे। अगर कोई भी गड़बड़ हुई तो तुम दोनों भी पेनिशमेंट के लिए रेडी रहना।"

    इतना बोल सभी को अपना काम करने को बोल खुद भी जिम करने के लिए जानें लगता है। तभी उसके कानों में दुबारा कुमुद की गुस्से भरी आवाज़ पड़ती है,

    "मिस्टर करन राठौड़ तुम्हें क्या लगता है तुमने जबरदस्ती मुझसे शादी कर ली तो जबरदस्ती तुम मुझसे कुछ भी करवा सकते हो।

    तो ये तुम्हारी गलतफहमी है, मैं यहाँ का कोई काम नहीं करूँगी और ना ही तुम्हारी कोई बात मानूँगी। तुम होते कौन हो मुझे ऑर्डर देने वाले।"

    कुमुद के मुँह से बस इतना सुनना ही था कि तभी करन की खतरनाक हँसी पूरे हॉल में गूँज उठती है।

  • 11. Force marriage - Chapter 11

    Words: 1175

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 11

    मै किसी की भी कठपुतली नही..........

    अब आगे

    करन की खतरनाक हंसी सुनकर विला में काम कर रहे नौकर-नौकरानियां जल्दी से अंदर भाग जाते हैं क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर वे करन के सामने रहे और उनसे इस समय कोई भी गलती हुई तो वे करन के गुस्से से नहीं बच सकते।

    इसलिए करन जब-जब ज्यादा गुस्सा करता था, कोई भी करन के पास नहीं जाता था।

    वहीं कुमुद जो करन के सामने अपने आपको बिल्कुल भी कमजोर नहीं दिखाना चाहती थी और बहुत हिम्मत करके उसने करन को ये सब बोल दिया था।

    पर करन की इतनी खतरनाक आवाज़ सुनकर उसकी आंखो में भी डर साफ-साफ देखा जा सकता था। पर फिर भी वे अपने डर को छुपाने की नाकामयाब कोशिश करते हुए वैसे ही बैठी रहती है।

    वहीं करन अपनी हंसी रोक कुमुद के पास आ घुटने के बल बैठ पागलों की तरह उसके चेहरे पर अपने हाथो को फेर अपनी बेहद मासूम आवाज़ में कहता है।

    "ओ मेरी प्यारी लिटिल खरगोश क्या मुझे देख कर तुम्हे लगता है कि मै किसी से कोई भी काम जबरदस्ती करवा सकता हूं।

    मै तो बिलकुल मासूम हु, मै कहा कुछ करता हूं लिटिल खरगोश। पर मैं जो बोलता हूं उसके बाद लोग खुद ही मेरी बात मान लेते हैं और कहते हैं कि मैंने उन्हे ये काम जबरदस्ती करवाया है।

    This is not fair ना लिटिल खरगोश, ये तो गलत बात है ना। रुको मैं तुम्हे भी कोई बात बताता हु फिर तुम भी मेरी बात आराम से मान जाओगी।

    वैसे भी मै कहा अपनी प्यारी लिटिल खरगोश के साथ जबरदस्ती कर सकता हूं।"

    इतना बोलने के बाद वे चुप हो जाता है पर उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती हैं। वही कुमुद करन के इस बिहेवियर को देख हैरान थी।

    ये इन्सान इतना जल्दी अपना रंग कैसे बदल सकता है। वही करन कुमुद को इस तरह खोया हुआ देखकर उसके बालो को मुट्ठी में भर खींचते हुए उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब ला एक डेविल स्माइल के साथ बोलता है।

    "लिटिल खरगोश क्या हो? अगर मै तुम्हारे उस छोटे के भाई पंकज की पांचों उंगलियां काट कर तुम्हे गिफ्ट करू तो, तुम्हे मेरा गिफ्ट पसन्द तो आएगा ना।"

    इतना बोल उसके चेहरे पर फिर से एक डेविल स्माइल आ जाती हैं। वही करन की बात सुनकर कुमुद बहुत ही ज्यादा घबरा जाती हैं क्योंकि एक उसका छोटा भाई ही था।

    जिसने हर वक्त उसका साथ दिया था और अपनी वजह से वे अपने भाई को कोई भी तकलीफ नही होने देना चाहती थी।

    क्योंकि अब तक वे करन को इतना तो जान चुकी थी कि वे अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसलिए उसने अपने आप को मजबूत बनाते हुए करन के सामने हार मानते हुए कहा।

    "तुम्हे मेरे भाई को तकलीफ़ पहुंचाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। मै तुम्हारी सारी बात मानूंगी। यहां पर जो भी काम होगा मै वे सारे काम करने के लिए तैयार हु।"

    इतना बोल वे अपना चेहरा दुसरी तरफ फेर लेती हैं। वही करन कुमुद को अपने सामने इतना बेबस देख उसके दिल को सुकून मिल रहा था।

    जिसके करन दुबारा से कुमुद को नीचा दिखाने के लिए अपनी दो उंगली से कुमुद के फेस को पकड़ उसे अपनी तरफ़ करते हुए बोला।

    "गुड लिटिल खरगोश, इसी तरह मेरी हर बात एक मासूम कटपुतली की तरह मानती रहो। जैसे मै तुम्हे नचाऊ, वैसे ही नाचती रहो।

    तो तुम्हे ज्यादा तकलीफ नही होगी। पर अगर तुमने बगावत करने के बारे में सोचा भी तो तुम्हारी वे हालत करूंगा कि तुम खुद को भी नही पहचान पाओगी।"

    करन की बात सुनकर कुमुद को बहुत गुस्सा आया और वे अपनी गुस्से भरी आवाज़ में करन को देख नफरत से बोली।

    "मै किसी की भी कठपुतली नही हूं और ना ही मै किसी के हिशारो पर नाचूंगी, समझे तुम।"

    कुमुद की बात सुनकर करन जोर जोर से हंसने लगा। कुछ देर यू ही हंसने के बाद अपनी हंसी रोक अपनी खतरनाक आवाज़ में कुमुद से बोला।

    "ओ माय इनोसेंट लिटिल खरगोश, तुम सच में इनोसेंट बनने का बहुत अच्छा नाटक कर लेती हो। पर मै तुम्हारी हसलियत बहुत अच्छे से जानता हूं।

    और क्या कहा तुमने लिटिल खरगोश की तुम किसी की कटपुटली नही हो और ना ही किसी के इशारों पर नचोगी?

    इस बात की तुम बिलकुल भी चिंता मत करो लिटिल खरगोश क्योंकि तुम्हे कुछ दिनों में खुद ही यकीन हो जाएगा की तुम मेरी इनोसेंट की कटपुटली बनने वाली हो और मेरे इशारों पर नाचने वाली हो।

    अगर तुम्हे कुछ दिनों में भी यकीन नही हुआ ना लिटिल खरगोश तो मै हु ना, मै तुम्हे बहुत अच्छे से यकीन कराऊंगा।"

    इतना बोल वे कुमुद को चेहरे को बहुत ध्यान से देखने लगता है जिस पर उसे अपने प्रति डर साफ दिख रहा था जिसे देख करन के फेस पर डेविल स्माइल आ जाती हैं और वे अपने मन में बोला।

    "ये तो तुम्हारी बर्बादी की शुरुआत है लिटिल खरगोश। तुमने जो गलती की है उसके लिए मौत तो बहुत छोटी चीज़ थी।

    इसलिए तुम जिन्दा हो, क्योंकि मै तुम्हे मारना जरूर चाहता हूं पर जान से नही, बल्कि तुम्हे अपने पास रख कर हर दिन तड़पा तड़पा कर।"

    इस वक्त कुमुद के लिए करन के मन में नफ़रत साफ साफ देखी जा सकती थी। तभी करन के दिमाग में कुमुद की एक बात याद आती हैं।

    जिसे याद कर करन के फेस पर एक खतरनाक स्माइल आ जाती हैं और वे कुमुद के पास से उठ जाकर वही पास मे पड़े सोफे पर किसी राजा की तरह बैठते हुए कुमुद को देख लगभग ऑर्डर देते हुए अपनी रौबदार आवाज़ में बोला।

    "चलो लिटिल खरगोश अब वहा से उठ कर मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ।"

    करन की ऐसी आवाज़ सुन कुमुद अपनी आंखे बंद कर गुस्से से अपने हाथो की मुट्टिया बना लेती है और उठ कर करन के सामने जा कर खड़ी हो जाती हैं।

    क्योंकि उसे मालूम था कि अगर उसने करन की बात इस वक्त नही मानी तो वे उसके भाई को तकलीफ देगा। इसलिए ना चाहते हुए भी कुमुद को करन की बात माननी पड़ी।

    लेकिन तभी करन कुछ ऐसा करने को कहता है जिसे सुन गुस्से से कुमुद का खून खौलने लगता है।

  • 12. Force marriage - Chapter 12

    Words: 1326

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर = 12

    अब आगे

    कुमुद करन के ठीक सामने आकर अपनी नज़रें झुकाए खड़ी हो जाती है, जिसे देख करन एक डेविल स्माइल करते हुए कुमुद से बोला,

    "तो मेरी लिटिल खरगोश तुमने मुझसे क्या कहा था कि मैं होता कौन हूँ, तुम्हें ऑर्डर देने वाला? तो मैं तुम्हें आज अच्छे से बता दूँगा कि मैं तुम्हारा क्या हूँ और तुम मेरी क्या लगती हो।"

    इतना बोल वह हॉल में काम कर रहे सभी नौकर और नौकरानियों को हॉल में एक साथ खड़े होने को कहता है और सबके आने के बाद कुमुद को देखते हुए कहता है,

    "तो लिटिल खरगोश आज से ये बात अपने दिमाग में डाल लो कि यहां पर मैं तुम्हारा मालिक हूँ और तुम मेरी गुलाम।

    तो चलो, अब तुम मेरी यही बात 10 बार सबके सामने बोल कर दिखाओ कि 'मैं तुम्हारा मालिक हूँ और तुम मेरी गुलाम, मैं जैसा-जैसा कहूँगा तुम मेरी गुलाम होने के नाते बिल्कुल वैसा-वैसा ही करोगी और अपने मालिक को कभी नाराज़ नहीं करोगी और न ही कभी शिकायत का मौका दोगी।

    अगर तुमसे गलती हुई तो मैं पूरे हक से तुम्हें उस गलती की सज़ा दूँगा।"

    करन की इन सब बातों को सुन कुमुद को बहुत गुस्सा आता है और उसे बेइज्जती महसूस होती है और न चाहते हुए भी उसकी आँखों से आंसू बह जाते हैं और वह अपनी मुट्ठियों को जोर से भींच लेती है ताकि वो ये सब बरदाश्त कर सके, लेकिन कुछ बोलती नहीं है।

    क्योंकि उसे मालूम था कि करन ये सब जानबूझकर सबसे सामने बोल रहा है। वह सबसे सामने उसे बेइज्जत करना चाहता है, ताकि वह उसे अंदर तक तोड़ सके और काफ़ी हद तक वैसा हो भी रहा था। कुमुद खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही थी। वह भले ही खुद को जितना भी मज़बूत बना ले पर है तो वह इंसान ही ना, उसे भी दर्द होता है।

    वहीं करन जो कब से कुमुद को ही नोटिस कर रहा था और कुमुद को इस तरह बेबस और लाचार देख कर उसे कुछ हद तक सुकून भी महसूस हो रहा था।

    क्योंकि उसकी वजह से उसकी सबसे प्यारी चीज़ उससे सबसे दूर है, जिसकी वजह से करन को कुमुद पर बिल्कुल भी दया नहीं आ रही थी, बल्कि वह और भी ज्यादा कुमुद को तोड़ना चाहता था, जिसके लिए वह रिंकी और पिंकी की तरफ देखते हुए कहता है,

    "तुम दोनों इधर आओ और इस लड़की को बताओ कि अपने मालिक की कही हुई बातों को कैसे कहा जाता है और एक अच्छी गुलाम कैसे बना जाता है।"

    करन की बात सुनकर दोनों बहुत खुश हो जाती हैं कि कम से कम करन ने उन्हें एक झलक देखा तो, वह इसी बात पर खुश होते हुए जल्दी से थोड़ा आगे बढ़ करन के सामने जा अपने घुटने के बल बैठते हुए दोनों अपना सिर झुका कर रिस्पेक्ट से एक साथ बोलती हैं,

    "सर आप हमारे मालिक हैं और हम आपके गुलाम और हम आपके गुलाम बनकर बहुत खुश हैं और हम पूरी कोशिश करेंगे की हम अपने मालिक को भी हर तरीके से खुश रख सकें।"

    ये आखिरी की लाइन उन दोनों ने अलग तरीके से बोली कि जिसे उन दोनों के अलावा किसी को समझ में नहीं आई। वे दोनों इतना बोल फिर से खड़ी होकर साइड हो जाती हैं।

    वहीं करन जिसका ध्यान अब भी कुमुद के तरफ ही था और उन दोनों की बातों पर ज्यादा गौर नहीं किया। वह बिना उन दोनों को देखते हुए 'गुड' कहता है और फिर कुमुद को देख कहता है,

    "चलो लिटिल खरगोश अब तो तुम्हें ट्रेनिंग भी मिल गई, चलो शुरू हो जाओ।"

    करन की बात सुनकर कुमुद जो अब तक नज़रें झुकाए आंसू बहा रही थी, वह अपनी नज़रें उठा करन की आँखों में आँखें डाल कर गुस्से से कहती है,

    "मैं आपकी गुलाम नहीं हूँ। मैं ये सब बिल्कुल भी नहीं बोलने वाली।"

    इतना बोल वह अपने रूम की तरफ जानें लगती है, तभी उसे करन का किसी और से फ़ोन पर बात करने की बात सुनाई देती है, जो अपने आदमी से बोल रहा था,

    "तुम एक काम करो मेरी नाम की बीवी के छोटे के भाई का छोटा का हाथ काट कर मेरे विला में भेजवा दो। वो क्या है ना मैंने अपनी नाम की बीवी को शादी का कोई गिफ्ट नहीं दिया है तो।"

    अभी करन ने इतना ही बोला था तभी उसे सामने से कुमुद की आवाज़ सुनाई देती है, जिसे सुन वह कुमुद की तरफ देखता है तो कुमुद अपने घुटने के बल बैठ अपनी नज़रें नीचे किए आँखों में आंसू लिए उसके बोलती है कि,

    "मैं तुम्हारी गुलाम हूँ, तुम मेरे मालिक, तुम जैसा-जैसा कहोगे, मैं बिल्कुल वैसा-वैसा ही करूँगी। जब तक तुम्हारा ईगो मुझे दर्द में देख कर सेटिस्फाई नहीं हो जाता, तब तक मैं तुम्हारे दिए हर दर्द को सहूँगी।

    अगर फिर भी मुझसे कोई भी गलती हो जाती है तो तुम मुझे और दर्द दे सकते हो।"

    यही बात वह 10 बार दोहराती है और फिर जैसे तैसे उठ कर वह ममता की तरफ देख वाशरूम का बोल अपने कमरे की तरफ चली जाती है क्योंकि उसे अपने पैरों में बहुत दर्द हो रहा था।

    लेकिन उससे भी ज्यादा दर्द उसे अपने दिल में हो रहा था, जिसे बरदास कर पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, इसलिए वह वहां से चली जाती है क्योंकि वह अब किसी के सामने भी अपने आंसू नहीं दिखाना चाहती थी।

    वहीं कुमुद के दर्द को देख ममता के आंखों से भी आंसू आ जाते है, जिसे वह जल्दी से पोंछ सबको काम करने को बोल देती हैं, खुद भी किचन में जा काम करने लगती हैं।

    वहीं करन भी अपने कमरे में चला गया था, क्योंकि कुमुद को दर्द और तकलीफ देने का उसका काम हो चुका था।

    वहीं दूसरी तरफ कुमुद स्टोर रूम के पास जा जल्दी से अपने कमरे को अन्दर से बंद कर वही दरवाजे से टेक लगा नीचे जमीन पर बैठ जाती है और रोने लगती है।

    उसे इस समय इतना दर्द हो रहा था कि वह लब्ज़ों में बयां नहीं कर सकती थी, इसलिए अपने आंसुओं के जरिए वह अपने दर्द को बाहर निकाल रही थी।

    कुछ देर यू ही रोने के बाद वह अपने आंसुओं को बेरहमी से पोंछते हुए खुद को मजबूत बना अपने आप को हौसला देते हुए कहती है,

    "नहीं कुमुद तू यू रो नहीं सकती। तुझे खुद को खुद के लिए मजबूत बनाना होगा। मेरी जिंदगी में बहुत ही कम लोग है जिन्होंने मुझे ख़ुशी दी है और खुद के लिए जीना सिखाया है।

    वरना जो-जो मेरे अपने बने, मेरे साथ जिनका गहरा रिश्ता जुड़ा उन लोगों ने मुझे दर्द से सिवा कुछ नहीं दिया। चाहे वह मेरा बाप हो या मेरी सौतेली मां और उसकी वे बेटी और अब मेरा ये नाम का पति।"

    फिर खुद पर ही हंसते हुए,

    "नहीं नहीं कुमुद पति नहीं मालिक।"

    फिर अपनी आंखो में एक आग लिए नफ़रत भरी आवाज़ में बोली,

    "मिस्टर करन सिंह राठौड़ मुझे नहीं पता की तुम मुझसे किस बात का बदला ले रहें हो, पर एक बात याद रखना जिस दिन भी तुम्हें सच्चाई मालूम चलेगी, उस दिन तुम बहुत पछताओगे।"

  • 13. Force marriage - Chapter 13

    Words: 1317

    Estimated Reading Time: 8 min

    चैप्टर 13

    कुमुद इतना बोल तुरंत वाशरूम में चली जाती है और वाशरूम में जाकर जब वह खुद का चेहरा देखती है तो एक बार फिर से उसकी आंखें नम हो जाती हैं, क्योंकि वह इस समय शादी के जोड़े में थी और उसके गले में मंगलसूत्र और उसकी मांग में सिंदूर था।

    जिसे देख कुमुद को आज खुद से भी थोड़ी नफरत महसूस हो रही थी कि वह इस दुनिया में पैदा ही क्यों हुई जब कोई उससे प्यार ही नहीं कर सकता। वह ये सब सोच ही रही थी कि उसे रिंकी और पिंकी की आवाज़ सुनाई दी जो उसे दरवाज़ा खोलने को बोल रही थी।

    जिसे सुन कुमुद जल्दी से अपना मुंह धो, अपनी मांग का सिंदूर साफ कर लेती है क्योंकि उसकी नजरों में इस जबरदस्ती के बंधन का कोई मतलब नहीं था। खासकर उस शख्स के लिए जो खुद उसे बीवी ना मानकर उसे नौकर मानता है।

    कुमुद कुछ देर में फ्रेश होने के बाद जल्दी से जाकर दरवाजा खोलती है तो देखती है कि वहां पर खड़ी रिंकी और पिंकी गुस्से में उसे ही देख रही थी।

    वही रिंकी पिंकी जो कब से दरवाजे के पास खड़ी होकर कुमुद को आवाज़ दे रही थी। कुमुद को इतना लेट में दरवाज़ा खोलता हुआ देखकर पिंकी गुस्से से कुमुद को देख कर बोलती है,

    "हम तुम्हारे नौकर नहीं है जो तुम्हारा यहां पर खड़े होकर इंतजार करें, बल्कि तुम मेरी नौकर हो क्योंकि बॉस ने यही कहा था। इस बार तो तुम्हारी गलती पर हम तुम्हें जाने दे रहे हैं। अगली बार हमें इंतजार मत करवाना।

    अब जल्दी करो बॉस ने तुम्हें पूरा विला साफ करने को कहा है जल्दी से विला साफ करो और गलती करने के बारे में सोचना भी मत क्योंकि हमारी निगाहे हर वक्त तुम्हारे ऊपर ही है।"

    इतना बोल वे झाड़ू-पोंछे का सारा सामान कुमुद को दे कर वहां से चली जाती है। वही कुमुद अपने हाथ में पड़े सामान को देखकर खुद को एक फीकी सी हंसी देती है, जैसे खुद से ही कह रही हो कि बचपन से यही सब तो मेरे दोस्त है और यही मेरी जिंदगी में लिखा हुआ है तो इसकी क्या ही शिकायत करूं?

    क्योंकि बचपन में उसकी मां के मरने के बाद घर का हर एक काम वही तो करती थी या यूं कहे की उसकी सौतेली मां ने ये सब करने के अलावा उसके पास कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं छोड़ा था।

    ये सब सोच वह फिर से उदास हो जाती है, लेकिन फिर खुद को संभाल जल्दी से वह विला की सफाई करने लगती है।

    कुछ देर बाद करन तैयार होकर नीचे आता है और डाइनिंग टेबल के किंग साइज चेयर पर बैठ जाता है, जिसे देख ममता उसे जल्दी से खाना सर्व करती है। कुछ देर में वह अपना लंच कंप्लीट कर वहां से बाहर की तरफ जानें लगता है।

    तभी उसकी नज़र काम करती हुई कुमुद पर पड़ती है, जिसे एक नज़र देख वह तुरंत अपनी कार में बैठ ऑफिस के लिए निकल जाता है, क्योंकि उसकी आज एक बहुत ही इंपॉर्टेंस मीटिंग थी।

    वही दूसरी तरफ सनशाइन कॉलेज के कैंटीन एरिया में 2 लड़कियां और 2 लड़के बैठे हुए थे, जिनमें से एक लड़की जिसका नाम टीना था और उसके बाल थोड़े कर्ल टाइप के थे और वह अपनी बड़ी बड़ी ब्राउन आंखों के साथ बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वह अपने सभी दोस्तों की तरफ देखते हुए बोली,

    "सुनो यारो मुझे कुमुद की बहुत ही ज्यादा टेंशन हो रही है। पता नहीं क्या हुआ वह दो दिनों से कॉलेज नहीं आ रही है। ऐसा तो वह कभी नहीं करती। कहीं उसकी उस सौतेली मां ने उसके साथ कुछ किया तो नहीं।"

    टीना की बात सुनकर कुमुद की दूसरी फ्रेंड माही बोली,

    "टीना तू बिल्कुल सही बोल रही है। मुझे भी यही डर लग रहा है, कहीं उन लोगों ने उसके साथ कुछ किया तो नहीं, जिसकी वजह से कुमुद कॉलेज नहीं आ रही है।"

    माही की बात सुनकर रोहित बोला,

    "तुम दोनों बिल्कुल सही बोल रही हो। मुझे भी कुमुद की बहुत टेंशन हो रही है। हम सब एक काम करते हैं, उसके घर जाकर पता करते हैं की क्या हुआ?"

    टीना और माही दोनों को ही रोहित की बात बिल्कुल सही लगती हैं और उन तीनों ने सोच भी लिया था कि वे आज कुमुद के घर जाकर जरूर पता करेंगे कि कुमुद कॉलेज क्यों नहीं आ रही है। आखिर प्रॉब्लम क्या है?

    वे तीनों ये सब सोच ही रहे थे कि तभी उन तीनों की नज़र अभीर पर जाती है, जिसने अब तक अपने मुंह से एक शब्द भी नहीं निकाला था। बस खामोशी से वहां बैठा हुआ उन तीनों की बातें सुन रहा था।

    जब वे तीनों अभीर को इस तरह देखते हैं तो तीनों से रहा नहीं जाता और तीनों एक साथ ही अभीर से पूछ लेते हैं,

    "अब तुझे क्या हुआ? तू हम तीनों को ऐसे क्यों देख रहा है और तू कुछ बोल क्यों नहीं रहा है। क्या तुझे कुमुद की चिंता नहीं हो रही? जो तू इतना शांत है।"

    उन तीनों की बात सुनकर अभीर बोला,

    "तुम तीनों बिल्कुल सही बोल रहे हो। चलो कुमुद के घर चल कर पता करके है कि क्या बात है।"

    अभीर की बात सुनकर सब कॉलेज से निकल कुमुद के घर की तरफ निकल जाते है।

    वही दूसरी तरफ K. S . R इंटरप्राइटेड मे

    करन इस वक्त मीटिंग रूम में था और एक बहुत ही इंपॉर्टेंस डील के लिए प्रेजेंटेशन दे रहा था। इस डील से उसकी कंपनी को काफी ज्यादा फायदा होने वाला था। इसलिए वह बहुत ही ध्यान से प्रेजेंटेशन दे रहा था।

    वही मीटिंग रूम मे बैठे काफी सारे इन्वेस्टर करन की इस प्रेजेंटेशन से काफी ज्यादा प्रभावित लग रहे थे, क्योंकि करन का औरा ही ऐसा था, जिससे वह कोई भी काम करता था तो लोग उस काम की तारीफ किए बिना रह नहीं पाते थे। वैसे भी करन इतना बड़ा बिजनेसमैन अपनी काबिलियत के दम पर ही बना है।

    करन अपने प्रेजेंटेशन को देते हुए अपने एसिस्टेंस विनोद से एक फाइल मांगता है, जिसमें इस डील के रिलेटिव इंपॉर्टेंस डाटा उस फाइल में मौजूद थे। वही विनोद करन के फाइल मांगता हुआ देख अपने माथे पर आए हुए पसीने को साफ करते हुए, करन के पास जा उसके कान में धीरे से डरते हुए कहता है,

    "बॉस वे फाइल चोरी हो गई। अब हमारे पास वे फाइल नहीं है, ना ही उस फाइल मे मौजूद डाटा हमारे लैपटॉप या कंप्यूटर में कहीं सेव मिल रहा है।"

    इतना बोल वह जल्दी से करन से दूर जाकर खड़ा हो जाता है, क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसका बॉस यही पर उसकी जान ना ले ले। वही विनोद की बात सुनकर करन अपनी जलती हुई निगाहों से विनोद को ही देख रहा था, क्यूंकि सच में अभी उसे उसकी जान लेने की तलब हो रही थी।

    करन की आंखे इस समय गुस्से से लाल हो गई थी, जो ये बताने के लिए काफी थी कि ये बेहूदा हरकत जिसने भी उसके साथ करने की कोशिश की है, उसे अब करन सिंह राठौड़ ऐसी सजा देने वाला है जिससे उसकी रूह कांप जाए।

  • 14. Force marriage - Chapter 14

    Words: 1359

    Estimated Reading Time: 9 min

    चैप्टर 14

    करन अपने गुस्से को कंट्रोल कर फिर से प्रेजेंटेशन देने पर ध्यान देने लगा। क्योंकि यही तो करन की काबिलियत है कि वह एक बार कोई काम करता है तो उसकी हर एक चीज उसे याद रहती है और उस फाइल को करन ने खुद ही रेडी किया था।

    जिस वजह से फाइल न होने पर भी करन ने वह प्रेजेंटेशन पूरे कॉन्फिडेंट के साथ कंप्लीट किया। प्रेजेंटेशन कंप्लीट कर वह वहां पर बैठे इन्वेस्टर को देख कहता है।

    "आई होप आप लोगों को प्रेजेंटेशन पसंद आई होगी। अगर अब भी आप लोगों को कोई डाउट हो, तो आप लोग उसे अभी क्लियर कर सकते हैं।"

    करन की बात सुनकर मिस्टर भाटिया करन को देख कर कहते हैं।

    "नहीं मिस्टर राठौड़, हमें आपसे कोई भी शिकायत नहीं है। हमें आपकी प्रेजेंटेशन बहुत पसंद आई। हम सब आपकी कंपनी में इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हैं।"

    इतना बोल सभी इन्वेस्टर एक-एक कर फाइल पर साइन कर करन की तरफ़ बढ़ा उसके हाथ मिलाते हुए मीटिंग रूम से बाहर चले जाते हैं।

    उन सभी के जाने के बाद करन उस फाइल को विनोद को देते हुए अपनी रौबदार आवाज में कहता है।

    "तुम्हारे पास सिर्फ 10 मिनट हैं। अगर इस 10 मिनट में वह धोखेबाज जिसने करन सिंह राठौड़ को धोखा देने की कोशिश की है, वह मेरे सामने नहीं आया तो, तुम अपने लिए एक नया जॉब ढूंढ लेना।"

    करन की बात सुनकर विनोद हड़बड़ा जाता है और जल्दी से बोलता है।

    "नो नो सर उसकी कोई जरूरत नहीं है, आपका काम टाइम पर हो जाएगा।"

    विनोद ये सब बोल ही रहा था, पर जब वह सामने देखता है तो उसके सामने कोई नहीं था। क्योंकि करन वहां से पहले ही जा चुका था। ये देख विनोद खुद में ही बड़बड़ाता हुआ, जल्दी से अपने काम में लग जाता है।

    वहीं दूसरी तरफ विला में कुमुद अब भी साफ सफाई कर रही थी। लेकिन उस भारी भरकम लहंगे के साथ उसे काम करने में काफी ज्यादा प्रॉब्लम हो रही थी।

    लेकिन फिर भी उसने किसी से कुछ नहीं कहा। क्योंकि वह जानती थी कि जब तक करन उन्हें इजाजत नहीं देगा, तब तक वे भी लोग उसके लिए कुछ नहीं कर सकते थे।

    वह अपना काम कर ही रही थी कि तभी उसके सामने ममता जूस का गिलास और मेडिसिन लिए खड़ी हो जाती हैं, जिसे देख कुमुद उन्हें सवालिया नज़रों से देखने लगती हैं। कुमुद की बातों को समझ ममता उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहती हैं।

    "बेटा आप पहले जूस पीकर दवाई ले लीजिए, वरना आपकी तबीयत खराब हो जायेगी।"

    ममता की बात सुनकर और उसका प्यार से सर पर हाथ फेरना कुमुद को बेहद सुकून दे रहा था। क्यूंकि आज तक उसके सर पर इतना प्यार से किसी ने भी हाथ नहीं फेरा था। लेकिन फिर भी वह अपने इमोशन को कंट्रोल कर ममता को देखते हुए कहती हैं।

    "पर मैं ये जूस कैसे पी सकती हूं मैम, मालिक ने तो मना किया था, मुझे कुछ भी खाने से।"

    कुमुद की बात सुनकर ममता उससे प्यार से कहती हैं।

    "बेटा सबसे पहले आप मुझे मैम मत बोलें, बोलना ही है तो आंटी या काकी बोल लीजिए और रही बात सर की तो उन्होंने तुम्हें खाने को मना किया है और मैं तुम्हें कुछ भी खाने को नहीं दे रही हूं बल्कि पीने को दे रही हूं। अब बिना कोई सवाल किए जल्दी से पियो और अपनी मेडिसिन लो।"

    ममता की बात सुनकर कुमुद आगे कुछ भी नहीं बोलती और जूस ले एक ही सांस में पी लेती है। क्यूंकि उसे सच में भूख लगी थी। क्यूंकि उसने कल से कुछ नहीं खाया था।

    जिसकी वजह से उसे सुबह से कमजोरी महसूस हो रही थी। पर जूस पीने के बाद उसके जान में थोड़ा जान आया। जूस पीने के बाद वह चुपचाप दवाई भी पानी के साथ ले लेती है।

    जिसे देख ममता प्यार से एक बार फिर से उसके सर पर हाथ फेरती है और मुस्कुराते हुए वहां से जानें लगती हैं। तभी कुमुद उन्हें रोकते हुए कहती हैं।

    "क्या मैं आपको काकी मां बुला सकती हूं।"

    कुमुद ये कहने के बाद बहुत उम्मीद से ममता की ओर देख रही थी, जैसे उसे डर हो की वह मना ना कर दे। वही ममता कुमुद की बात सुनकर काफी इमोशनल हो जाती हैं।

    क्योंकि कुमुद की मासूमियत को देखकर उन्हें कभी कभी अपनी मरी हुई बेटी याद आती हैं। और कुमुद का उसे काकी मां कहकर बुलाना उन्हें काफी सुकुन महसूस करवा रहा था।

    इसलिए वह जल्दी से कुमुद के पास जा उसे गले लगाते हुए प्यार से बोली।

    "हां मेरी बच्ची तुझे मुझे जो बुलाना है तू बुला सकती है। तू बिलकुल मेरी जैसी ही है।"

    ममता का यूं गले लगाना और उसे अपनी बेटी जैसी कहना, ये सुन कुमुद भी काफ़ी इमोशनल हो जाती हैं। पर उसे इस वक्त बहुत सुकून मिल रहा था, जिसका उसे सालों से इंतजार था।

    क्यूंकि आज तक किसी ने भी इतना प्यार और अपनापन से उसे कभी गले नहीं लगाया था। सिवाय उसके कुछ दोस्तों से अलावा, जो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे।

    तभी ममता उससे अलग हो कुमुद से प्यार से कहती हैं।

    "बच्चा मैं तुझसे बाद में मिलती हु, मुझे कुछ काम है।"

    इतना बोल ममता वहा से चली जाती हैं। वही कुमुद भी अपना काम करने लगती हैं। पर अब उसके दिल में एक सुकून था।

    वही दूसरी तरफ कुमुद के दोस्त कुमुद के घर पहुंच चुके थे। तभी दरवाज़ा खुलता है और सीमा उन सब को देखते हुए बोली।

    "कौन हो तुम लोग और किससे मिलना है जल्दी बताओ मेरे पास फालतू टाइम नही है, तुम लोगो पर बर्बाद करने के लिए।"

    उन चारों को सीमा की बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आया पर वे सब यहां कोई हंगामा नही करना चाहते थे। इसलिए अपने गुस्से को कंट्रोल कर टीना आगे आते हुए सीमा से बोली।

    "आंटी हम कुमुद के दोस्त हैं। क्या आप कुमुद को बुला सकती हैं। हमें उससे मिलना है।"

    टीना की बात सुनकर सीमा गुस्से से बोली।

    "मुझे नही पता की वह मनहूस लड़की किसके साथ भाग कर अपना मुंह काला करवा रही है। दो, तीन दिन हो गए उस मनहूस लड़की को इस घर के भागे हुए और आगे से उस मनहूस लड़की के बारे में कुछ भी जानना हो तो यहां मत आना।

    क्यूकी अगर वे लड़की गलती से भी इस घर में वापस आईं ना तो मैं उसकी टांगे तोड़ कर इस घर के बाहर फेंक दूंगी।"

    इतना बोल सीमा गुस्से से दरवाजा बंद कर देती हैं। क्योंकि कुमुद के जानें के बाद उसे ही घर का सारा काम करना पड़ता है, जिससे वे हर वक्त कुमुद पर चिढ़ी हुई रहती हैं।

    वही कुमुद के दोस्त सीमा की बात सुनकर अब भी किसी सदमे में वैसे ही खड़े थे।

  • 15. Force marriage - Chapter 15

    Words: 1127

    Estimated Reading Time: 7 min

    चैप्टर 15

    गलती की सिर्फ़ सजा होती है....

    अब आगे

    तभी माही होश में आते हुए कहती है, "कुमुद अगर दो-तीन दिन से घर पर नहीं है तो गई कहां पर, कहीं वे किसी प्रॉब्लम में तो नहीं है।"

    तभी बीच में अभीर बोला, "मुझे भी ऐसा लगता है कुमुद कोई ना कोई प्रॉब्लम में जरूर है। हमे उसे ढूंढना चाहिए। तुम लोग चिन्ता मत करो, मै कुमुद के बारे में पता लगवाता हूं। वे हमे जल्दी ही मिल जायेगी।"

    अभीर की बात सुनकर तीनों दोस्त हां में सिर हिला देते हैं और वे भी कुमुद का अपने तरीके के पता लगवाने को बोल सब वहा से निकल जाते है।

    वही दूसरी तरफ KSR इंटरप्राइजेज में, करन अपने केबिन में बैठा अपना काम कर रहा था। तभी डोर नॉक होता है और वे अपनी रौबदार आवाज में आने को कहता है।

    तभी विनोद अपने साथ एक लड़की को लेकर आता है जिसने काफी ज्यादा रिवीलिंग ड्रेस पहन कर रखी हुई थी। वी यहां पर अकाउंट डिपार्टमेंट में काम करती है और जब उसने सुना की करन उसे बुला रहा है तो वे काफी ज्यादा खुश हो जाती है।

    क्योंकि उसे करन काफी ज्यादा पसंद था और वे उसके साथ रात बिताना चाहती थी। पर करन कभी भी किसी लड़की को अपने करीब नहीं आने देता था। जिसकी वजह से वे आज तक करन के करीब नहीं गई।

    पर जब उसने सुना की करन उसे बुला रहा है तो उसने सोच लिया था कि आज वे कुछ भी करके करन को अपना दीवाना बना ही लेगी। पर इस बात के अनजान की उसके साथ अभी कुछ भयानक होने वाला है। जिसकी कल्पना उसने कभी नहीं की होगी।

    वही विनोद ने करन को पहले ही कॉल करके बता दिया था कि उसके कंपनी के साथ धोखा करने वाली लड़की यहीं है। और करन के कहने पर ही विनोद इस लड़की को करन के कैबिन में लेकर आया था। कैबिन में आकर विनोद बड़े ही शांत आवाज में बोलता है, "सर ये मिस मिसीशा अकाउंट डिपार्टमेंट की हेड।"

    विनोद ने इतना ही बोला था कि करन उसे हाथ दिखा कर चुप करवा देता है और उसे बाहर जानें का इशारा करता है। जिसे समझ विनोद चुप चाप वहा से बाहर चला जाता है।

    जिसे देख मिसीशा खुश हो जाती है। क्योंकि आब उसे यकीन हो गया था कि करन उसके साथ अकेले में कुछ टाइम स्पेंड करना चाहता है।

    मगर वे इस बात तो पूरी तरह से भूल गई थी कि उसने करन के बिजनेस राइवल के साथ मिलकर करन को कितना बड़ा धोखा दिया है। इन सब बातों को भूल मिसीशा करन के चेयर के पास जा उसके ऊपर थोड़ा झुक जाती है।

    जिसके उसका क्लीवेज साफ-साफ दिख रहा था। फिर थोड़ा सा सेडक्टिव वॉइस में करन के सीने पर अपनी पतली और गोरी उंगलियों को चलाते हुए कहती है, "सर बताई मै आपकी किस तरह की मदत कर सकती हूं।"

    ये कहते हुए वे अपनी लस्टफूल नजरो से करन को देख रही थी। वही करन जो कब से खामोश होकर उसकी हरकतों को देख रहा था।

    उसका इस तरह बिना परमिशन से अपने सीने को छूना उसे बिलकुल पसंद नहीं आता और ये उसके गुस्से में घी डालने का काम करने के लिए काफी था। अगले ही पल उस लड़की की दर्द भरी चीख उस पूरे केबिन में गूंजने लगती है।

    क्योंकि जिस उंगली से मिसीशा करन के सीने को छू रही थी। वे उंगली करन ने बड़ी बेरहमी से मरोड़ दी थी। जिसके उस उंगली के हड्डियों के टूटने की आवाज़ और मिसीशा का फर्श पे अपनी उंगली को लेकर बैठ के रोने की आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी।

    जिसे सुन कर करन के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई। वे घुटने के बल बैठ मिसीशा के जबड़े को पकड़ अपने दांत पीसते हुए गुस्से से कहता है, "तुम्हे क्या लगा करन सिंह राठौड़ को धोखा देने के बाद तुम यू ही बच जाओगी। या तुमने ये सोचा की मुझे कभी पता ही नहीं चलेगा की तुमने मेरी कंपनी के इंपोर्टेंट डाटा चोरी कर मेरे बिजनेस राइवल को दे दिए हैं।"

    करन की बात सुनकर मिसीशा का पूरा चेहरा सफेद पड़ जाता है। उसे नहीं लगा था कि करन उसे पकड़ लेगा। क्योंकि उसने बहुत हि चलाकी से ये काम किया था।

    लेकिन अब उसे समझ में आ चूका था कि वे अब पकड़ी गई है और कोई भी सफाई देने का कोई फायदा नहीं। इसलिए अपने दर्द को इग्नोर कर वे करन के पैरो को पकड़ माफी मांगते हुए कहती है, "आई एम सॉरी सर, प्लीज मुझे माफ कर दीजिए। आगे से मै ऐसा कुछ नहीं करुंगी। प्लीज इस बार मुझे माफ कर दीजिए।"

    मिसीशा ने इतना ही कहा था कि करन वापस के अपने किंग साइज चेयर पर बैठते हुए मिसीशा को देखकर डेविल स्माइल के साथ कहता है, "मिस मिसीशा अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी। तुम्हारे पास अपनी गलती को सुधारने का दो तरीका है। पहला या तो तुम अभी अपनी जान अपने हाथो से लें लो।

    या फिर मै तुम्हारी जान अपने हाथो से लूंगा। अब फैसला तुम्हारा है की तुम क्या करना चाहती हो।"

    करन की बात सुनकर मिसीशा अपनी जगह पर खड़े होकर कांपने लगती है। उसके चेहरा डर के मारे सफेद पर गया था। वे अभी बिलकुल भी मरना नहीं चाहती थी। इसलिए वे अपना चेहरा ना मे हिलाते हुए धीरे धीरे अपने कदम पीछे लेने लगती है।

    वही करन अपने चेहरे पर खतरनाक एक्सप्रेशन लिए अपने कदम मिसीशा की तरफ़ बढ़ा देता है। तभी एक जोरदार चीख के साथ मिसीशा 20 वे फ्लोर से जाकर सीधा जमीन पर जा गिरती है और उसके सर से खून पानी की तरह बहने लगता है और उसकी सांसें अपने आप थम जाती हैं।

    क्युकी करन ने ही मिसीशा को अपने फ्लोर से कांच की खिड़की से धक्का दिया था। जिसके मिसीशा नीचे गिर जाती है और उसकी मौत हो जाती हैं। वही करन मिसीशा की लाश को देखते हुए जोर जोर से पागलों की तरह हंसते हुए कहता है, "लोग ये क्यूं भूल जाते है कि करन सिंह राठौड़ की डिक्टनेरी में माफी नाम की कोई चीज नहीं है। बल्कि गलती की सिर्फ़ सजा होती है। वे भी दर्दनाक सजा।"

  • 16. Force marriage - Chapter 16

    Words: 1143

    Estimated Reading Time: 7 min

    चैप्टर 16

    मै भी तुम्हे तड़पाऊंगा

    अब आगे

    ये कहते हुए वे बिना किसी एक्सप्रेशन के अपनी चेयर पर बैठ जाता है और विनोद को बुला कर मिसीशा की लाश को वहा से साफ़ करने को बोल अपने काम में लग जाता है।

    वही विनोद भी अपने काम में लग जाता है। क्यूंकि ये उसका रोज का ही काम था। ये सब उसके लिए नॉर्मल था। क्योंकि वे जानता था कि उसका बॉस कितना खतरनाक और बेरहम है।

    रात के दस बजे

    विला के बाहर करन की कार आकर रुकती है और वे अपनी कार से उतर तेज कदमों से विला के अंदर जाता है तो देखता है कि कुमुद वही पास पड़े टेबल की सफाई कर रही है और उसका चेहरा थकान, नींद और भूख से पीला पड़ा हुआ है। यहां तक की उसका भारी भरकम लहंगा भी पूरी तरह से गंदा हो चुका है।

    करन उसे एक नज़र देख जाकर वही पड़े सोफे पर बैठ जाता है। कुमुद को इतनी बुरी हालत में देख कर भी उसे कुमुद पर थोड़ा सा भी दया नही आया। बल्कि उसे अपनी घिन्न भरी नज़रो से देख अपने मन में बोला,

    "ये तो कुछ भी नहीं है मिस कुमुद, तुम्हे तो मै जीते जी नर्क के दर्शन करवाऊंगा। तुमने उसके साथ जो कुछ भी किया उसकी कोई माफी नहीं है।

    जिस तरह वे हर पल अपनी जिन्दगी के लिए तड़प रहा है। उसी तरह मै भी तुम्हे तड़पाऊंगा। तब तुम्हे अहसास होगा कि किसी को धोखा देना क्या होता है।"

    ये सब सोचते हुए करन के मन में कुमुद के लिए नफ़रत साफ साफ देखा जा सकता है। करन अपनी उसी नफरत भरी आवाज में कुमुद को देख बोला,

    "लिटिल खरगोश इधर आओ।"

    कुमुद को थकान और नींद की वजह से अपना काम जल्दी से खत्म करने की कोशिश कर रही थी। वे करन की आवाज सुनकर डर जाती हैं क्यूंकि काम करते वक्त उसे पता ही नही चला की करन कब घर आ गया।

    वे करन के पास जाना तो नही चाहती थी। पर उसे पता था कि अगर वे उसकी बात नही मानेगी तो करन उसके साथ कुछ बहुत बुरा करने के पहले एक बार भी नही सोचेगा। इसलिए ना चाहते हुए भी वे करन की तरफ़ अपने कदम बढ़ा देती है। क्यूंकि उसे कुछ भी करके अब सोना था,

    जिसके लिए वे इस टाइम करन से कोई भी बहस नही करना चाहती थी। इसलिए चुप चाप जाकर वे अपनी नज़रे नीचे कर करन के सामने जाकर खड़ी हो जाती हैं।

    वही करन अपने सामने कुमुद को इस तरह चुप चाप खड़ा होता हुआ देख वे कुमुद पर लगभग चिल्लाते हुए कहता है,

    "लिटिल खरगोश क्या तुम्हे इतनी भी तमीज नही है कि जब मालिक थक हार कर घर आए तो उसके लिए पानी लाकर देते हैं। क्या अब ये सब भी मुझे सिखाना पड़ेगा।"

    करन के इस तरह चिल्लाने से कुमुद को उसके ऊपर बहुत गुस्सा आता है। पर फिर भी अपने गुस्से को कंट्रोल कर कुमुद अपनी शांत आवाज में कहती हैं,

    "जी मै अभि लाई।"

    इतना बोल कुमुद किचेन की तरफ़ जानें के लिए मुड़ती ही है कि तभी करन फिर से लगभग चिल्लाते हुए रिंकी और पिंकी को आवाज लगाते हुए बुलाता है,

    जिसे सुन रिंकी और पिंकी तुरन्त ही करन के सामने खड़ी हो जाती हैं। वही कुमुद के कदम भी अपनी जगह रूक जाते है और वे अपनी हैरानी भरी नजरो से करन की तरफ देखने लगती हैं,

    जैसे पूछ रही हो कि अब उसने क्या कर दिया। वे तो चुप चाप उसकी ही बात मान रही थी।

    वही करन कुमुद को अपनी तरफ़ हैरानी बड़ी नजरो से देखता पाकर अपनी कड़क आवाज में रिंकी और पिंकी की तरफ़ देखते हुए कहता है,

    "लग रहा है कि तुम लोगो को मैने कुछ ज्यादा ही छुट दे दी है। तभी मेरा दिया हुआ काम तुम लोगो से हो नही रहा है।"

    करन की बात सुनकर रिंकी और पिंकी एक दुसरे की तरफ़ देख फिर डरते हुए करन से कहती हैं,

    "सॉरी बॉस अगर हमसे कोई गलती हुईं हैं तो हमे माफ कर दीजीए। पर बॉस क्या आप बता सकते हैं कि हमारी गलती क्या है? हमने क्या किया है?"

    रिंकी और पिंकी की बात सुनकर करन उन दोनो को देखते हुए कहता है,

    "क्या मैंने तुम दोनो को लिट्टिल खरगोश की जिम्मेदारी नही दी थी। क्या मैंने तुमसे नही कहा था कि एक नौकर को एक मालिक के साथ कैसे बिहेव करना है और उसकी कैसे सेवा की जाती हैं, इसे अच्छे से सीखा दो।"

    करन की बात सुनकर रिंकी और पिंकी दोनो जल्दी से अपना सर हां में हिलाते हुए कहती हैं,

    "जी बॉस आपने कहा था।"

    उन दोनो ने इतना ही कहा था कि करन उन दोनो को देख गुस्से से कहता है,

    "अगर मैने कहा था तो वे काम हुआ क्यू नही? मेरे घर आने पर इस लड़की ने ना तो मेरे लिए पानी ला कर दिया और ना ही मेरे जूते निकाले।

    इसका मतलब साफ है कि तुम दोनो ने अपना काम सही से नही किया। अब गलती की है तो पेनिशमेंट के लिए तुम दोनो तैयार रहना।

    लेकिन उसके पहले तुम दोनो लिटिल खरगोश को उसकी गलती की सजा दो। जिसके उसे आगे से याद रहें की उसे कब क्या करना है।"

    करन की बात सुनकर कुमुद पूरी तरह से हैरान थी। क्योंकि उसे मालूम था कि उसकी कोई गलती नहीं है।

    पर इस तमाशे को देखने के बाद वे ये बात अच्छे से समझ गई थी कि करन ये सब जानबूझकर कर रहा है ताकी वे उसे नीचा दिखा सके और उसे परेशान कर सके।

    वही रिंकी और पिंकी दोनो को कुमुद के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था। क्यूंकि उसकी वजह से उन दोनो को सजा मिलने वाली है।

    अब जब उन दोनो को सजा मिलने ही वाली है तो वे दोनो कुमुद को भी नही छोड़ने वाली थी और अब तो बॉस ने भी उन्हें कुमुद को सजा देने की आजादी दे दी है तो वो दोनो ये मौका अपने हाथ से नही जानें देना चाहती थी।

    इसलिए वो दोनो अपने आंखो में गुस्सा लिए कुमुद की तरफ़ बढ जाती हैं। और वे दोनो कुमुद के साथ कुछ ऐसा करती हैं, जिसके कुछ दूरी पे खड़ी ममता के आंखो से आंसु बहने लगते हैं। पर वे चाह कर भी कुछ कर नही सकती थी।

  • 17. Force marriage - Chapter 17

    Words: 792

    Estimated Reading Time: 5 min

    चैप्टर 17

    मुझे यहां से जाने दो

    अब आगे

    विला में रिंकी और पिंकी कुमुद के पास आकर एक के बाद एक 4-5 थप्पड़ कुमुद के गाल पर लगा देती हैं, जिससे कुमुद संभल नहीं पाती और फर्श पर गिर जाती है। उसे हल्का-हल्का चक्कर भी आने लगता है।

    क्योंकि उसने सुबह से सिर्फ जूस ही पिया था और वह पहले से ही काफी कमजोर थी। ऊपर से रिंकी और पिंकी का उसे इतनी तेज थप्पड़ मारना, जिसकी वजह से उसका सर घूम रहा था।

    फिर भी वह खुद को संभाल कर आगे की बेइज्जती को सहने के लिए अपने आप को तैयार करने की कोशिश ही कर रही थी कि तभी पिंकी कुमुद के बालों को पकड़ उसे खड़ा कर करन के पास ला उसे उसके पैरों के पास धक्का दे देती है, जिससे कुमुद सीधा करन के पैरों के पास जमीन पर गिर जाती है।

    जिसे देख पिंकी बोलती है, "चलो जल्दी से बॉस के जूते निकालो। बॉस तुम्हारी तरह फ़ालतू नहीं हैं, उन्हें और भी काम है। इसलिए जल्दी से जूते निकालो बॉस के।"

    पिंकी के ये कहने पर कि वह इस घटिया आदमी के जूते निकाले, कुमुद को ये सुन बहुत गुस्सा आता है, पर वह अभी कुछ कर नहीं सकती थी।

    क्योंकि उसका भाई इस घटिया आदमी के पास था। इसलिए वह अपनी बेइज्जती का जहर पी कुमुद अपने कांपते हाथों से करन के पैरों को पकड़ उसके जूते निकालने लगती है।

    जिसके ना चाहते हुए भी कुमुद की आंखों से एक बूंद आंसू उसके गालों पर गिर जाते हैं, जिसे वह जल्दी से पोंछ लेती है, क्योंकि वह अपने आंसू इन घटिया लोगों को नहीं दिखाना चाहती थी।

    वहीं दूसरी तरफ कुमुद को अपने जूते निकालते हुए देखकर करन के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है। वह देखता है कि कुमुद अब उसके जूते निकाल कर जा रही है।

    जिसे देख करन कुमुद के कमर को पकड़ अपनी गोद में बैठा लेता है और उसके बालों को पीछे से पकड़ उसके जबड़े को अपने एक हाथ से दबाते हुए अपनी नफरत भरी आवाज में बोलता है, "ओ मेरी लिटिल खरगोश, तुमने क्या सोचा था कि मुझसे शादी कर के इस घर पर राज करोगी, मुझ जैसे अमीर आदमी को अपनी ऊंगली पर नचाओगी।

    "पर लिटिल खरगोश तुम ये कैसे भूल गई कि मैं करन सिंह राठौड़ हूं। तुम्हारा कोई आशिक नहीं, जो तुम्हारे एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाए। तुमने भले ही अपने इस खूबसूरत और मासूम चेहरे से बहुतों को अपनी जाल में फंसाया होगा और बहुतों की जिन्दगी बर्बाद की होगी।

    "पर तुम्हें इस खूबसूरत और मासूम चेहरे से उसे बेवकूफ नहीं बनाना चाहिए था, उसकी जिन्दगी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।

    "लेकिन तुमने कुछ पैसों के लालच में आकर उसे धोखा दिया। आज जिस तरह वे लाचार हैं ना, उसी तरह मैं भी तुम्हें इतना लाचार बना दूंगा, तुम्हें इतना मजबूर और बेबस कर दूंगा कि तुम्हें अपने पैदा होने पर भी अफसोस होगा।

    "धीरे-धीरे तुम्हें इस विला में रहने के बाद पता चलेगा कि नर्क होती कैसी है। तुम्हारी जिन्दगी को मैं नर्क से भी बदतर कर दूंगा, जहां तुम मरना तो चाहोगी पर मर नहीं पाओगी।"

    अभी करन इतना ही बोल पाया था कि कुमुद अपनी सारी हिम्मत लगा करन को धक्का दे उसकी पकड़ से छूट थोड़ी दूरी पर जा खड़ी हो कर लगभग चिल्लाते हुए कहती है, "मिस्टर करन सिंह राठौड़ तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि मैंने किसी की जिन्दगी खराब नहीं की, तुम्हें जो भी लगता है या तुम्हारे किसी अपने के साथ जिसने भी गलत किया है वह मैं नहीं हूं।

    "तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है। इसलिए देखो प्लीज मुझे यहां से जाने दो और मेरे भाई को आजाद कर दो। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं, मुझे यहां से जाने दो।

    "मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हें बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है। अभी भी टाइम है मुझे यहां से जाने दो।

    "तुमने जो भी मेरे साथ किया मैं वह किसी से नहीं कहूंगी बल्कि सारी चीजों को भूल कर तुम्हें माफ़ कर दूंगी, लेकिन प्लीज मुझे जाने दो यहां से।"

    कुमुद ने इतना कहा ही था कि तभी उसे करन की जोर-जोर से हंसने की आवाज सुनाई देती है। ये हंसी इतनी खतरनाक थी कि कुमुद के साथ-साथ रिंकी, पिंकी और कुछ दूरी पर खड़ी ममता की भी रूह कांप गई।

  • 18. Force marriage - Chapter 18

    Words: 897

    Estimated Reading Time: 6 min

    चैप्टर 18

    कुछ देर यूं हीं हंसने के बाद करन एकदम से अपनी हंसी रोक कुमुद के करीब आ एक तेज थप्पड़ कुमुद के गालों पर दे मारता है। ये थप्पड़ इतनी तेज़ थी कि इस थप्पड़ की आवाज पुरे विला में गूंज उठी।

    वही कुमुद थप्पड़ के पड़ते ही सीधा जाकर फर्श पर मुंह के बल गिर जाती है, जिससे उसके सिर पर भी हल्की चोट लग जाती हैं, पर वे अपनी जगह से उठने या फिर हिलने की बिलकुल भी कोशिश नही करती, क्योंकि करन के इस थप्पड़ से वे आधी बेहोशी में चली गईं थीं और उसका शरीर अब जवाब दे चूका था। इसलिये वे जैसे की वैसे ही पड़ी रहती हैं।

    जिसे देख करन अपने घुटने के बल बैठ कुमुद के बालो को पकड़ उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब करते हुए अपने दांत पीसते हुए कहता है,
    "लगता है मेरी लिटिल खरगोश के कुछ ज्यादा ही पंख निकल आए हैं, तभी अपने मालिक से इतनी ऊंची आवाज़ में बात करने की हिम्मत कर रही है।

    पर कोई बात नही लिटिल खरगोश मै हु ना, मै तुम्हारे सारे पंख को एक-एक कर बहुत हि बेरहमी से कांट दूंगा, फिर देखता हूं कि कैसे तुम्हारी ये जुबान मेरे आगे खुलती है।

    पर अभी की तुम्हारी हालत देख कर मुझे नही लगता कि तुम मेरे आगे के टॉर्चर को सहने के लिए तैयार हो, पर लिटिल खरगोश अब गलती की है तो सजा तो मिलेगी ना।"

    इतना बोल वे कुमुद को एक झटके मे वही जमीन पर छोड़ देता है। अब तक कुमुद भी खुद को थोड़ा बहुत संभाल चुकी थी।

    इसलिए वे भी उठ कर जमीन पर बैठ जाती हैं और जल्दी से करन की अगली सजा का इंतजार करती हैं, क्योंकि अब वे सिर्फ़ सोना चाहती थी, पर करन के यहां होने की वजह से वे यहां से जा भी नही सकती थी।

    वही करन रिंकी की तरफ़ देख उसके कुछ कहता है, जिसे सुन रिंकी जल्दी से अपना सर हिला चली जाती हैं। कुछ देर बाद रिंकी एक प्लेट लेकर आती हैं और कुमुद के सामने लाकर रख देती हैं।

    जिसे देख कुमुद एक नज़र रिंकी को देखने के बाद फिर अपने सामने रखते हुए प्लेट को देखने लगती हैं, जिसमें जली हुई दो रोटी और आधा कटा हुआ प्याज था। वो एक नज़र उस खाने को देख अपनी नज़रे फेर लेती हैं।

    जिसे देख करन एक डेविल स्माइल करते हुए कुमुद के पास आता है और उसके जबड़े को पकड़ कर कहता है, "लिट्टील खरगोश आज से लगभग 3 दिनों तक सुबह और रात तुम्हे यही खाना है, इसलिए चलो जल्दी से खाओ, क्यूंकि तुम्हारी तरह मे फालतू नही हूं, मुझे बहुत काम है।"

    करन की बात सुनकर कुमुद उस खाने को देखकर कहती हैं, "मुझे भूख नही है, मुझे नही खाना।"

    कुमुद की बात सुनकर करन कुमुद को देखकर कहता है, "अच्छा तो मेरी लिटिल खरगोश को भूख नही है। अच्छा लिटिल खरगोश जरा मुझे बताना की तुमने सुबह से ऐसा क्या खा लिया कि तुम्हे भूख नही लगी है।"

    फिर अपनी टोन बदल अपनी खतरनाक आवाज़ में कहता है, "तुम्हे भूख हो या ना हो पर तुम्हे ये खाना खाना ही होगा, क्योंकि यही तुम्हारी सजा है और मुझे इसमें का एक भी निवाला बर्बाद होता हुआ नही दिखना चाहिए, वरना तुम्हे यही खाना और खाने को दिया जाएगा। अगर तुमने उसे खाने से इंकार किया तो तुम्हारे भाई को खाना नही दिया जायेगा। अब सोच लो तुम्हे क्या करना है। वैसे मेरा बस चलता तो मै तुम्हे ये खाना भी नसीब नही होने देता पर वे क्या है ना मै तुम्हे इतनी जल्दी मारना नही चाहता, इसलिए तुम्हे जिन्दा रखने के लिए मुझे तुम्हे खाना देना पड़ रहा है वरना तुम जैसी लडकी इसे भी रिजर्व नही करती है।"

    इतना बोल करन कुमुद को नफरत से देख के उसके पास से उठ कर जाकर सोफे पर बैठ जाता है और कुमुद को देखने लगता है।

    वही कुमुद अपनी आंखे कस कर बंद कर लेती हैं, फिर अपनी आंखे खोल बिना किसी को देखें उस थाली से जली हुई रोटी और प्याज ले बीना भाव से खाने लगती हैं।

    एक तरफ़ से कहा जाय तो वे खा नही रही थी बल्कि निगल रही थी, क्यूंकि खाना ना खाने लायक था ना कुमुद से खाया जा रहा था, पर फिर भी आज अपनी बेबसी की वजह से वे खा रही थी।

    कुछ देर में ही वे खाना ख़त्म हो गया, भले ही वे खाना खाने लायक नही था, पर सुबह से भूखे रहने की वजह से कुमुद ने वे खाना कुछ ही मिनट में खत्म कर दिया।

    वही करन कुमुद के खाना खतम करने के बाद कुमुद के पास आ कुमुद के बालो को पिछे से पकड़ उसका चेहरा अपने चेहरे के क़रीब जा अपनी डोमोनेटिंग वॉइस मे बोला, "उम्मीद करता हूं की तुम्हे ये सजा याद रहेगी और आगे से गलती करने के पहले सौ बार सोचोगी।"

  • 19. Force marriage - Chapter 19

    Words: 1566

    Estimated Reading Time: 10 min

    चैप्टर 19

    करन का कुमुद की खूबसूरती में खोना

    अब आगे

    वही करन, कुमुद के खाना खत्म करने के बाद कुमुद के पास आ, कुमुद के बालों को पीछे से पकड़ उसका चेहरा अपने चेहरे के क़रीब ला अपनी डोमिनेटिंग वॉइस में बोला, "उम्मीद करता हूं कि तुम्हे ये सज़ा याद रहेगी और आगे से गलती करने के पहले सौ बार सोचोगी।"

    इतना बोल करन कुमुद के चेहरे को छोड़ ऊपर अपने कमरे की ओर चला जाता है। वही कुमुद करन के जाने के बाद अपने धीमे कदमों से स्टोर रूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर वही बैठ रोने लगती है।

    क्योंकि करन उसके साथ जिस तरह से बिहेव कर रहा था, वह अंदर ही अंदर बुरी तरीके से टूटती जा रही थी। वह इतनी कमजोर नहीं थी कि कोई भी उसे तोड़ सके, पर करन का पागलों वाला बिहेवियर हर बार उसे कमजोर बना देता था।

    वह रोते-रोते हुए फर्श पर लेट जाती है और अपने मां-बाबा को याद करते हुए बोली, "क्यूं मां, क्यूं मुझे इस बेरहम दुनिया में आप अकेला छोड़ कर क्यूं चली गई? आप मुझे भी अपने साथ लेकर क्यूं नहीं गई? क्यूं मुझे इस नर्क जैसी ज़िंदगी को जीने के लिए अकेला छोड़ दिया मां, क्यूं?"

    कुमुद अपनी मां से इसी तरह से बहुत सारे सवाल करती है, पर उसकी इस 'क्यूं' का जवाब उसे कहीं से भी नहीं मिलता, जिसके बाद वह इसी तरह रोते-रोते ही कब सो जाती है, उसे खुद भी पता नहीं चलता।

    अगली सुबह 5:00 बजे,

    कुमुद अब भी गहरी नींद में सो रही थी, तभी उसके कमरे के बाहर ममता आती है और डोर को थोड़ा खटखटाते हुए कुमुद को आवाज़ लगाती है। वही कुमुद जो गहरी नींद में सो रही थी, किसी की आवाज़ सुनने पर वह धीरे-धीरे नींद से जागने लगती है। जब उसकी नींद खुलती है तो खुद को स्टोर रूम में देख उसे धीरे-धीरे सारी बाते याद आने लगती है कि वह इस समय कहा और किस जगह पर है और उसकी ज़िंदगी में कुछ दिनों में क्या से क्या हो गया।

    वह ये सब सोच ही रही थी कि तभी उसे दोबारा अपने कानो में ममता की आवाज़ सुनाई दी जो उसे दरवाज़ा खोलने को बोल रही थी। जिसे सुन कुमुद जल्दी से दरवाज़ा खोलती है, वही कुमुद के दरवाज़ा खोलते ही ममता आंटी प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "कैसी हो बेटा, तुम्हे अब कही दर्द तो नहीं हो रहा?"

    ममता के इतना प्यार से पूछने पर कुमुद की आंखे नम हो जाती है और वह अपना सिर 'ना' में हिला देती है, जिसे देख ममता कुमुद को साड़ी देते हुए कहती है, "बच्चा ये लो साड़ी और पहन कर तैयार हो जाओ और जल्दी से काम पर लग जाओ, क्योंकि मै नहीं चाहती कि बॉस तुम्हे किसी भी तरह से कोई भी सज़ा दे।"

    इतना बोल ममता चुप हो जाती है, पर उसकी आंखो में कुमुद के लिए फिक्र साफ नजर आ रही थी। वही ममता की आंखो में अपने लिए फिक्र देखकर कुमुद उनसे कहती है, "काकी मां, आप चिंता मत करो, मै बिलकुल ठीक हु। मै अभी तैयार होकर आती हु, आप जाओ, बस मै थोड़ी देर में आ जाऊंगी।"

    कुमुद की बात सुनकर ममता अपना सर 'हां' में हिला वहा से चली जाती हैं। वही कुमुद भी दरवाज़ा बन्द कर बॉथरूम में तैयार होने चली जाती है।

    वही दूसरी तरफ कुमुद के घर पर,

    इस समय कुमुद के घर पर कुमुद के पापा कुलदीप, कुमुद की सौतेली मां सीमा और उसकी सौतेली बहन संजना सब सोए हुए थे, तभी उन्हें घर की डोर बेल की आवाज़ सुनाई देती है, जिसे सुन तीनो उठ जाते है क्योंकि डोर बेल काफ़ी तेज़ी से और लगातार बजाया जा रहा था।

    तीनो उठ कर हॉल में आते हैं और सीमा दरवाज़ा खोलते हुए गुस्से से कहती हैं, "अरे किसे चैन नही है जो सुबह सुबह मुझे परेशान करने आ गया? सच में लोग मुझे चैन से सोने भी नही देते।"

    इतना बोल वह डोर खोल देती है, लेकीन जैसे ही वह अपने सामने खडे अपने बेटे पंकज को देखती है तो उसके मुंह अपने आप ही बंद हो जाते है। वह तुरन्त जाकर पंकज के गले लगते हुए कहती हैं, "पंकज तू कहा गया था? अगर तुझे कही जाना भी था तो कम से कम मुझे एक बार बता तो दिया कर, तुझे पता है मुझे तेरी कितनी चिंता हो रही थी।"

    सीमा की बात सुनकर पंकज उसे कुछ नही कहता, वही कुलदीप जी सीमा को शांत कराते हुए कहते है, "अरे सीमा पहले मेरे बेटे को घर के अन्दर तो आने दो, तब पूछ लेना, तुम्हे जो पूछना है।"

    कुलदीप जी की बात सुनकर सीमा सर 'हां' में हिला, पंकज को अन्दर ला दरवाज़ा बंद कर उसे सोफे पर बैठाते हुए कहती हैं, "चल बता अब कि तू कहा था?"

    अपनी मां की बात सुनकर पंकज कुछ कहता, उसके पहले ही संजना आकर कहती हैं, "अरे मॉम गया होगा अपने किसी दोस्त के साथ घूमने फिरने, अब आ तो गया, अब क्यूं उसे परेशान कर रही है? चलिए अब उसे आराम करने दीजिए, मै भी चली सोने, फालतू का मुझे सुबह सुबह जागना पड़ा।"

    इतना बोल वह अपने कमरे मे चली जाती है, वही सीमा भी पंकज को देख कर कहती हैं, "बेटा तू भी जा अपने कमरे मे आराम कर ले।"

    इतना बोल सीमा और कुलदीप भी सोने के लिए चले जाते है। वही पंकज भी उन्हें जाते देख कुछ भी नही बोलता। पहले उसने सोचा था कि उन्हें बता दे कि वह कहीं घूमने नहीं गया था, बल्कि उसका किसी ने किडनैप कर लिया था, पर फिर सोच वह चुप ही रहता है और अपने कमरे मे वह भी आराम करने के लिए चला जाता है।

    वही दूसरी तरफ विला में,

    कुमुद नहा धोकर फ्रेश होकर बहार आती हैं। इस समय उसने ममता की दी हुई साड़ी ही पहनी हुई थी। साथ ही उसके बाल धुलने की वजह से गीले थे, इसलिए वह अपने बाल तौलिए से पोंछने लगती है।

    लेकीन तभी रिंकी आकर उसे विला साफ करने और जल्दी से करन का ब्रेकफास्ट रेडी करने को कहती हैं, जिसे सुन कुमुद बिना बाल को सुखाए ही बाहर निकल जाती है और विला साफ करने लगती है। साफ सफाई के बाद वह जल्दी से किचेन में चली जाती है और करन के हिसाब से उसका ब्रेकफास्ट जल्दी जल्दी तैयार करने लगती है।

    क्योंकि वह अब कोई भी गलती नही करना चाहती थी, जिससे करन को उसे फिर से सज़ा देने का कोई भी मौका मिले।

    सुबह के आठ बजे,

    करन अपने थ्री पीस सूट के साथ हमेशा की तरह हैंडसम और चार्मिंग पर्सनालिटी के साथ ऑफिस के लिए तैयार होकर नीचे आता है और डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है, जिसे देख ममता कुमुद से कहती हैं, "बिटिया बॉस का ब्रेकफास्ट रेडी हो गया क्या, वह ब्रेकफास्ट के लिए आ चुके हैं, अगर उन्हे टाइम से ब्रेकफास्ट नही मिला तो वे गुस्सा करेंगे।"

    ममता की बात सुन कुमुद करन का सारा ब्रेकफास्ट एक बड़े से ट्रे में लगाते हुए बोली, "हां काकी मां, तैयार हो गया, आप लो जाकर दे दो।"

    कुमुद की बात सुनकर ममता अपना सिर हिला जैसे ही कुमुद से करन का ब्रेकफास्ट लेने लगती है, वैसे ही वहा पर रिंकी और पिंकी आ जाती है और ममता को रोकते हुए बोली, "ममता आंटी बॉस का ब्रेकफास्ट आप नही, बल्कि कुमुद ही लेकर जायेगी, क्योंकि ये हमारे साथ साथ बॉस की भी नौकरानी है तो बॉस का भी सारा काम इसे ही करना होगा।"

    इतना बोल वह कुमुद से करन को ब्रेकफास्ट देने को कहती हैं, जिसे सुन ना चाहते हुए भी करन के पास ब्रेकफास्ट लेकर चली जाती है। कुमुद करन के पास जाकर डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट रख देती है और एक प्लेट में करन को ब्रेकफास्ट सर्व करने लगती है।

    वही करन जो मोबाइल मे कुछ मेल चेक कर रहा था, किसी की भीनी भीनी खुशबू अपने नाक में महसूस कर वह अपना सर उठा देखता है तो एक पल के लिए कुमुद की खूबसूरती में खो सा जाता है।

    वह पिंक कलर की बेहद सिंपल साड़ी पहनी हुई थी, जो सभी नोकरो को पहनने को दिया जाता था, लेकीन कुमुद इस सिंपल सी साड़ी में, बिना किसी मेकअप से, अपने गीले बालो के साथ काफ़ी खुबसूरत लग रही थी।

    नहाने की वजह से कुमुद से आती वह भीनी भीनी खुशबू करन को उसकी तरफ खींच रहा था।

    करन कुमुद की खूबसूरती मे अभी और खोता तभी वह कुछ ऐसा देखता है कि उसकी आंखे फिर से गुस्से से लाल हो जाती है।

  • 20. Force marriage - Chapter 20

    Words: 783

    Estimated Reading Time: 5 min

    चैप्टर 20
    करन का कुमुद की बेज्जती करना

    कहानी अब तक

    इतना बोल वे कुमुद से करन को ब्रेकफास्ट देने को कहती हैं। जिसे सुन ना चाहते हुए भी करन के पास ब्रेकफास्ट लेकर चली जाती है। कुमुद करन के पास जाकर डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट रख देती है और एक प्लेट में करन को ब्रेकफास्ट सर्व करने लगती है।

    वही करन जो मोबाइल में कुछ मेल चेक कर रहा था। किसी की भीनी-भीनी खुशबू अपने नाक में महसूस कर वे अपना सर उठा देखता है तो एक पल के लिए कुमुद की खूबसूरती में खो सा जाता है।

    वे पिंक कलर की बेहद सिंपल साड़ी पहनी हुई थी, जो सभी नौकरों को पहनने को दिया जाता था। लेकिन कुमुद इस सिंपल सी साड़ी में, बिना किसी मेकअप से, अपने गीले बालो के साथ काफ़ी खूबसूरत लग रही थी।

    नहाने की वजह से कुमुद से आती वे भीनी-भीनी खुशबू करन को उसकी तरफ खींच रहा था।

    करन कुमुद की खूबसूरती में अभी और खोता तभी वे कुछ ऐसा देखता है कि उसकी आंखे फिर से गुस्से से लाल हो जाती है।

    अब आगे

    करन जो कुमुद की खूबसूरती में खोया हुआ था, कुमुद को ऊपर से लेकर नीचे तक अपनी गहरी नज़रों से देखने लगता है। तभी वे देखता है कि कुमुद की मांग में उसके नाम का सिंदूर नहीं है।

    जिसे देख उसकी आंखे गुस्से से लाल हो जाती है और वे एक ही झटके में कुमुद की कमर को पकड़ अपनी गोद में बैठा उसके गीले बालों को अपने एक हाथ से पकड़ उसका चेहरा अपने चेहरे के करीब ला, अपने दूसरे हाथ से उसके जबड़े को पकड़ दबाते हुए अपनी खतरनाक आवाज़ में बोला, "लिटिल खरगोश तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे नाम का सिंदूर अपनी मांग में ना लगाने की? बोलो, सिंदूर क्यों नहीं लगाया?"

    इतना बोल वे कुमुद को अपनी जलती हुई निगाहों से देखने लगता है। वही कुमुद जिसे समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही पल में उसके साथ क्या से क्या हो गया। वे करन के इस तरह से चिल्लाने से डर जाती है।

    पर जब उसकी नज़र करन से जलती हुई निगाहों पर पड़ती है तो वे और भी ज्यादा घबरा जाती है, जिसके उसका शरीर भी कांपने लगता है, क्योंकि करन सच में बहुत ज्यादा खतरनाक लग रहा था।

    इसलिए कुमुद ज्यादा देर तक उसकी आंखो में भी नहीं देख पाई और वे अपनी नज़र नीचे कर लेती है, क्योंकि वे करन से अपनी नज़रे नहीं फेर सकती थी, ना ही यहां से भाग कर कही जा सकती थीं, क्योंकि करन ने उसे काफ़ी ज्यादा मजबूती से पकड़ा हुआ था।

    वही करन जो कब से कुमुद से जवाब का इंतेजार कर रहा था। कुमुद को कोई जवाब ना देता देख उसे और ज्यादा गुस्सा आ जाता हैं और वे गुस्से में कुमुद के चेहरे को पकड़ ऊपर करते हुए, उसे अपनी आंखो में देखने को मजबूर करके हुए अपने एक-एक शब्द पर जोर देते हुए बोला, "लिटिल खरगोश तुमने सिंदूर क्यों नहीं लगाया, बोलो?"

    कुमुद जो करन से पहले ही काफ़ी ज्यादा डर गई थी। करन के इस अंदाज से पूछने से उसे और भी डर लगने लगता है, पर करन के शब्द में कुछ ऐसी वार्निंग छिपी हुई थी, जैसे उसके कहना चाहते हों कि अगर इस बार तुमने मुझे जवाब नहीं दिया फिर मै तुम्हे बताता हु कि मै तुम्हारे साथ क्या-क्या कर सकता हूं। करन के शब्द कुमुद को बोलने पर मजबूर कर देते है।

    पर उसकी जवान उसका साथ नहीं दे रही थी, लेकिन फिर भी वे हिम्मत करके हुए बोली, "वे, वे मै भुल गई थी।"

    कुमुद का इतना कहना ही था कि करन कुमुद को उसी तरह गोद में उठा कर मंदिर में ले आता है। वही ममता, रिंकी, पिंकी और भी कुछ नौकर दूर खड़े उन दोनों को देख रहें थे।

    वही करन मंदिर में आ कुमुद को अपनी गोद से उतारता है और मंदिर से सिंदुर की थाली से एक मुट्ठी सिंदुर ले, पुरा का पुरा सिंदुर कुमुद की मांग मे भर देता है।

    वही ऐसा होते ही कुमुद अपनी साड़ी को जोर से मुट्ठीयो में भर लेती है और अपनी आंखे बंद कर लेती है। वही सिंदुर पुरा का पुरा कुमुद से सिर के होते हुए उसके चेहरे को गले तक लग जाता हैं।

    इस समय कुमुद को देख ऐसा लगता है कि वे पूरी की पूरी सिंदुर से नहा कर आई हो।