वैदेही रघुवंशी, एक प्रामाणिक न्यूज रिपोर्टर, जी नेहमी सत्याच्या बाजूने उभी राहिली आहे. काय होईल जेव्हा वैदेही राजकारणाच्या गलिच्छ खेळात फसेल? जाणून घेण्यासाठी वाचा, "राज-नीती: एक गलिच्छ खेळ".<br />
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Chapter 1
विश्वविद्यालय का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका था। हवा में एक अजीब सी हलचल थी, नए चेहरे और नए सपने लिए छात्र-छात्राएं कैंपस में घूम रहे थे। लेकिन, इस सबके बीच एक नाम ऐसा था, जिससे हर कोई थर-थर कांपता था - प्रोफेसर डॉ. विक्रम सिंह राठौड़। उनका नाम ही काफी था, छात्रों में अनुशासन और डर पैदा करने के लिए। उनकी हर बात एक नियम होती थी, जिसे तोड़ना किसी गुनाह से कम नहीं था।
आज भी कुछ ऐसा ही माहौल था। प्रोफेसर विक्रम अपने लेक्चर हॉल में दाखिल हुए। उनका गंभीर चेहरा और तीखी आँखें, छात्रों में खौफ पैदा कर रही थीं। क्लास में सन्नाटा पसर गया, जैसे किसी ने जादू कर दिया हो। हर कोई चुपचाप अपनी सीट पर बैठा था, उनकी निगाहें प्रोफेसर विक्रम पर टिकी थीं।
प्रोफेसर विक्रम ने बिना किसी भूमिका के, सीधे अपने विषय पर बात करना शुरू कर दिया। "आज हम 'क्वांटम फिजिक्स' के जटिल सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे," उन्होंने अपनी भारी आवाज़ में कहा। उनकी बेजोड़ विद्वता और पढ़ाने का कठोर तरीका, दोनों ही छात्रों को डरा रहे थे। क्वांटम फिजिक्स, जो पहले से ही एक मुश्किल विषय था, प्रोफेसर विक्रम के पढ़ाने के तरीके से और भी जटिल लगने लगा।
सभी छात्र प्रोफेसर विक्रम की कड़ी नज़र से डरते हुए चुपचाप बैठे थे। कोई भी ज़रा सी भी आवाज़ करने की हिम्मत नहीं कर रहा था। प्रोफेसर विक्रम एक-एक छात्र को ऐसे घूर रहे थे, जैसे उनकी हर हरकत पर नज़र रख रहे हों। क्लास में खामोशी इतनी थी कि सुई गिरने की भी आवाज़ सुनाई दे सकती थी।
तभी, एक अप्रत्याशित घटना घटी। क्लासरूम का दरवाज़ा खुला, और रिया शर्मा, अपने बिंदास और आत्मविश्वास से भरे अंदाज़ में, क्लास में देर से दाखिल हुई। उसके चेहरे पर एक चुनौती भरा भाव था, जैसे उसे किसी बात की परवाह नहीं थी। रिया के आते ही, क्लास का सन्नाटा थोड़ा टूटा, और सबकी निगाहें उसकी तरफ मुड़ गईं।
रिया क्लास के दरवाज़े पर खड़ी होकर प्रोफेसर विक्रम की ओर देखती है। प्रोफेसर विक्रम उसे एक पल के लिए घूरते हैं, उनका गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। रिया ने अपनी बेफिक्री वाली मुस्कान बरकरार रखी, जो प्रोफेसर विक्रम को और भी गुस्सा दिला रही थी।
प्रोफेसर विक्रम ने अपनी आवाज़ को और सख्त करते हुए कहा, "तुम देर से आई हो। तुम्हें पता है कि मेरी क्लास में देर से आना कितना गंभीर अपराध है?"
रिया ने बिना किसी डर के प्रोफेसर विक्रम की आँखों में देखा। प्रोफेसर विक्रम ने उसे तुरंत क्लास से बाहर निकलने का आदेश दिया, बिना किसी बहस के, अपनी अथॉरिटी दिखाते हुए। "मुझे तुम्हारी कोई सफाई नहीं सुननी। बाहर निकलो!" उन्होंने चिल्लाते हुए कहा।
रिया ने पलटकर जवाब दिया, "सॉरी सर, मैं ट्रैफिक में फंस गई थी। मेरी कोई गलती नहीं थी।" रिया ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन प्रोफेसर विक्रम सुनने के मूड में नहीं थे। वह हमेशा से ही अनुशासन के सख्त समर्थक रहे थे, और उन्हें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं थी।
प्रोफेसर विक्रम का गुस्सा और भी बढ़ गया। "मैंने कहा, बाहर निकलो! मेरी क्लास में अनुशासन सबसे ऊपर है। तुम्हारे जैसे लापरवाह छात्रों के लिए यहां कोई जगह नहीं है।" उन्होंने लगभग चीखते हुए कहा। प्रोफेसर विक्रम रिया के इस मुंहफट जवाब से और भी क्रोधित हो गए, और उसे तुरंत क्लास से बाहर कर दिया।
रिया ने एक गहरी सांस ली और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए, बस अपनी आँखों में शरारत भरी चुनौती लिए, क्लास से बाहर निकल गई। यह रिया और प्रोफेसर विक्रम के बीच आगामी टकराव का पहला संकेत था। दरवाजे से बाहर निकलते वक़्त, रिया ने एक बार प्रोफेसर विक्रम की तरफ देखा, उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वह किसी बड़ी चुनौती के लिए तैयार हो रही हो। क्लास में फिर से सन्नाटा छा गया, लेकिन अब हवा में तनाव और बढ़ गया था। छात्रों को पता था कि आज कुछ बड़ा होने वाला है। प्रोफेसर विक्रम ने रिया को क्लास से बाहर निकालकर अपनी अथॉरिटी तो दिखा दी थी, लेकिन रिया के चेहरे पर जो भाव थे, वह बता रहे थे कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि शुरू हुई है।
Chapter 2
Chapter 2
रिया क्लास से बाहर निकली तो उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड प्रिया कॉरिडोर में ही मिल गई। प्रिया उसे देखकर हैरान हो गई। "ये क्या हुआ? तुझे सर ने क्लास से बाहर क्यों निकाला?" प्रिया ने चिंता भरे लहजे में पूछा। रिया ने एक गहरी सांस ली और उसे सारी बात बताई।
प्रिया ने रिया को समझाने की कोशिश की, "रिया, तुझे पता है ना प्रोफेसर विक्रम कितने सख्त हैं? उनसे पंगा लेना ठीक नहीं है। तू क्यों नहीं समझती?" प्रिया हमेशा से ही रिया की परवाह करती थी, और उसे डर था कि रिया की वजह से कोई मुसीबत न आ जाए।
तभी, रोहन भी वहां आ पहुंचा। रोहन, रिया का एक और दोस्त था, जो हमेशा उसकी हरकतों से परेशान रहता था। "रिया, तूने प्रोफेसर विक्रम से बहस क्यों की? तुझे मालूम है वो कितने सख्त हैं!" रोहन ने घबराए हुए पूछा। रोहन को पता था कि प्रोफेसर विक्रम किसी की नहीं सुनते, और उनसे उलझना बेवकूफी है।
रिया ने अपने बिंदास अंदाज़ में जवाब दिया, "मैं किसी के सामने झुकने वाली नहीं हूँ, खासकर ऐसे प्रोफेसर के सामने जो बिना सुने ही फैसले ले लेते हैं। अगर मैं ट्रैफिक में फंस गई थी तो इसमें मेरी क्या गलती है?" रिया किसी भी कीमत पर अपनी बात से पीछे हटने को तैयार नहीं थी।
कॉलेज कॉरिडोर में ही आर्यन रिया को ताना मारता हुआ मिला। "ओहो! तो मिस रिया शर्मा को प्रोफेसर विक्रम की क्लास से बाहर निकाल दिया गया? ये तो कोई नई बात नहीं है, है ना?" आर्यन हमेशा से ही रिया को नीचा दिखाने की कोशिश करता था।
रिया ने आर्यन को करारा जवाब दिया, "आर्यन, तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे, दूसरों के मामलों में दखल देने की ज़रूरत नहीं है। और हाँ, प्रोफेसर विक्रम की क्लास से बाहर निकलना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है। मैं किसी के सामने झुकने वाली नहीं हूँ।" रिया ने आर्यन को उसकी जगह दिखा दी।
प्रोफेसर विक्रम क्लास में रिया के व्यवहार से बेहद नाराज़ होकर अपना लेक्चर जारी रखते हैं, लेकिन उनका मन कहीं न कहीं रिया के मुंहफट जवाब पर अटका हुआ है। वह रिया के आत्मविश्वास और बेफिक्री से हैरान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कोई छात्र उनकी इतनी बेइज्जती कैसे कर सकता है।
उधर, डीन सुरेश कुमार अपने ऑफिस में बैठे प्रोफेसर विक्रम के सख्त रवैये के बारे में सोच रहे थे। उन्हें पता था कि प्रोफेसर विक्रम का अनुशासन छात्रों के लिए कितना मुश्किल है, लेकिन वे उन्हें कुछ कह नहीं सकते थे। डीन सुरेश कुमार प्रोफेसर विक्रम के सख्त नियमों से परेशान थे, लेकिन वे जानते थे कि प्रोफेसर विक्रम कॉलेज के सबसे काबिल शिक्षकों में से एक हैं।
क्लास खत्म होने के बाद, प्रोफेसर विक्रम सीधे डीन सुरेश के ऑफिस गए और रिया के अनुशासनहीन व्यवहार की शिकायत की। "डीन साहब, मुझे लगता है कि रिया शर्मा को एक सबक सिखाना ज़रूरी है। उसका व्यवहार बिल्कुल बर्दाश्त करने लायक नहीं है।" प्रोफेसर विक्रम ने गुस्से में कहा। उन्होंने डीन से रिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
डीन सुरेश ने प्रोफेसर विक्रम को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "विक्रम जी, मैं समझता हूँ कि आप परेशान हैं, लेकिन रिया शर्मा एक होनहार छात्रा है। हमें उसे एक मौका देना चाहिए। शायद वह अपनी गलती सुधार ले।" डीन सुरेश जानते थे कि रिया पढ़ाई में होशियार है, और उसे सज़ा देना ठीक नहीं होगा।
प्रोफेसर विक्रम डीन सुरेश की बात मानने को तैयार नहीं थे। "नियम तो नियम होते हैं, डीन साहब। उनका पालन करना ज़रूरी है, चाहे छात्र कितना भी होशियार क्यों न हो। अगर हम रिया को छोड़ देंगे, तो बाकी छात्रों पर क्या असर पड़ेगा?" प्रोफेसर विक्रम नियमों के पालन को सबसे ऊपर मानते थे। उन्होंने डीन से रिया को चेतावनी नोटिस भेजने का फैसला करने को कहा।
आखिरकार, डीन सुरेश को प्रोफेसर विक्रम की बात माननी पड़ी। उन्होंने रिया को चेतावनी नोटिस भेजने का फैसला किया। प्रोफेसर विक्रम के चेहरे पर थोड़ी राहत दिखी, लेकिन उनके मन में रिया के प्रति गुस्सा अभी भी बरकरार था। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह नोटिस रिया को सबक सिखाएगा, और वह भविष्य में ऐसा व्यवहार नहीं करेगी।" डीन सुरेश ने कहा, "मुझे भी यही उम्मीद है, विक्रम जी। लेकिन हमें रिया को सुधारने का एक मौका ज़रूर देना चाहिए।"
Chapter 3
Chapter 3
अगले दिन, रिया यूनिवर्सिटी के नोटिस बोर्ड के पास खड़ी थी। भीड़ में थोड़ा आगे बढ़कर उसने अपना नाम देखा, और उसे एक पल के लिए झटका लगा। रिया शर्मा... चेतावनी नोटिस! उसके चेहरे पर हल्की सी परेशानी दिखी, लेकिन उसने अपनी बिंदास छवि को बरकरार रखा। उसने नोटिस को ध्यान से पढ़ा, जिसमें प्रोफेसर विक्रम की क्लास में देर से आने और अनुशासनहीन व्यवहार के बारे में लिखा था।
प्रिया और रोहन तुरंत उसके पास पहुंचे। प्रिया ने कहा, "रिया, ये तो बहुत गंभीर है! तुझे प्रोफेसर विक्रम से माफी मांग लेनी चाहिए थी। अब देख क्या हो गया।"
रोहन भी चिंतित था, "हाँ यार रिया, ये नोटिस तेरे करियर पर बुरा असर डाल सकता है। प्लीज, प्रोफेसर विक्रम से बात कर ले।"
तभी, आर्यन जानबूझकर रिया के पास आया और उसे चेतावनी नोटिस के लिए बधाई दी। "वाह रिया! प्रोफेसर विक्रम ने तुझे तेरी सही जगह दिखा दी। अब कैसा लग रहा है?" आर्यन के चेहरे पर एक व्यंग्यात्मक मुस्कान थी।
रिया ने आर्यन के ताने को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, "तू अपनी चिंता कर, आर्यन। मुझे अपनी जगह पता है। और प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करना मेरा काम है।" रिया ने ठान ली थी कि वह किसी के सामने नहीं झुकेगी।
अगली क्लास में, प्रोफेसर विक्रम जानबूझकर रिया पर ज़्यादा ध्यान दे रहे थे। उन्होंने उसे कठिन सवाल पूछे और उसे असहज करने की कोशिश की। "रिया शर्मा, तुम बताओ, क्वांटम एन्टांगल्मेंट क्या है?" प्रोफेसर विक्रम ने रिया को मुश्किल में डालने के लिए सवाल किया।
रिया ने हर सवाल का जवाब आत्मविश्वास से दिया। कभी-कभी तो प्रोफेसर विक्रम भी हैरान हो जाते। "सर, क्वांटम एन्टांगल्मेंट एक ऐसी स्थिति है जिसमें दो पार्टिकल इस तरह से जुड़े होते हैं कि एक का स्टेट तुरंत दूसरे को प्रभावित करता है, चाहे उनके बीच कितनी भी दूरी क्यों न हो।" रिया ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया। लेकिन रिया अपनी होशियारी को खुलकर नहीं दिखा रही थी। वह प्रोफेसर विक्रम को यह नहीं जताना चाहती थी कि वह उनसे कम है।
क्लास के बाद, प्रोफेसर विक्रम ने रिया को अपने ऑफिस में बुलाया। रिया थोड़ी घबराई हुई थी, लेकिन उसने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा। प्रोफेसर विक्रम ने उसे एक बेहद मुश्किल असाइनमेंट दिया, जिसकी समय सीमा बहुत कम थी। "ये असाइनमेंट तुम्हें अगले तीन दिनों में जमा करना होगा। अगर तुम इसे समय पर जमा नहीं कर पाई, तो तुम्हें इस विषय में फ़ेल कर दिया जाएगा।" प्रोफेसर विक्रम ने अपनी कठोर आवाज़ में कहा।
रिया ने चुनौती स्वीकार करते हुए कहा, "ठीक है सर, मैं ये असाइनमेंट पूरा करके दिखाऊंगी।" रिया ने प्रोफेसर विक्रम की आँखों में सीधी देखकर कहा, उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास झलक रहा था।
प्रोफेसर विक्रम रिया की आँखों में छिपी चुनौती को देखकर मुस्कुराए। लेकिन यह मुस्कुराहट सिर्फ उनकी कठोरता का एक नया रूप थी, जैसे कि उन्होंने एक नया खेल शुरू किया हो। "मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, रिया। देखते हैं तुम क्या कर पाती हो।" प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया कमरे से बाहर निकल गई, उसके मन में एक ही बात चल रही थी - प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करना है। वह जानती थी कि यह असाइनमेंट उसकी परीक्षा है, और उसे इसमें पास होना ही होगा।
Chapter 4
Chapter 4
रिया घर पहुंची तो सीधे अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गई। असाइनमेंट का टॉपिक देखकर उसके माथे पर बल पड़ गए - "आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में जटिल प्रणालियों का सिद्धांत"। उसे महसूस हुआ कि प्रोफेसर विक्रम ने जानबूझकर ऐसा विषय दिया है जो बेहद जटिल और शोध-आधारित है। ये कोई ऐसा टॉपिक नहीं था जिसे आसानी से गूगल करके या कुछ किताबें पढ़कर समझा जा सके।
देर रात तक रिया को पढ़ते देख उसकी मां, श्रीमती शर्मा, चिंतित हो गईं। चाय का कप लिए वो रिया के कमरे में आईं और प्यार से बोलीं, "रिया, इतनी रात तक जागकर क्या कर रही हो? तबीयत खराब हो जाएगी।"
रिया ने किताब से नजरें हटाए बिना जवाब दिया, "बस, मां, एक असाइनमेंट है। प्रोफेसर विक्रम ने दिया है, बहुत मुश्किल है।"
श्रीमती शर्मा ने रिया को सलाह दी, "बेटा, प्रोफेसर विक्रम से ज़्यादा पंगा मत लो। वो बहुत प्रभावशाली आदमी हैं, उनसे दुश्मनी अच्छी नहीं होती।" श्रीमती शर्मा को हमेशा से ही रिया की चिंता रहती थी, और उन्हें डर था कि रिया कहीं मुसीबत में न पड़ जाए।
रिया ने अपनी मां को समझाने की कोशिश की, "मां, ये सिर्फ पंगा नहीं है, ये आत्म-सम्मान की बात है। मैं प्रोफेसर विक्रम को अपनी काबिलियत साबित करना चाहती हूँ। मैं उन्हें दिखाना चाहती हूँ कि मैं किसी से कम नहीं हूँ।" रिया अपनी बात पर अड़ी रही।
अगले दिन कॉलेज में, रिया लाइब्रेरी में घंटों शोध करती रही। प्रिया और रोहन उसकी मदद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विषय की जटिलता उन्हें भी परेशान कर रही थी। "यार, ये टॉपिक तो मेरी समझ से भी बाहर है। रिया, तू कैसे करेगी?" प्रिया ने हार मानते हुए कहा।
रोहन ने भी कहा, "हाँ, रिया, ये तो बहुत मुश्किल है। शायद प्रोफेसर विक्रम ने जानबूझकर ऐसा टॉपिक दिया है ताकि तू हार मान जाए।"
उसी दौरान, आर्यन और उसके कुछ दोस्त लाइब्रेरी में रिया को परेशान करने आ धमके। वे रिया के नोट्स छिपाने की कोशिश कर रहे थे और उसे हतोत्साहित करने की कोशिश कर रहे थे। "अरे रिया, क्या कर रही हो? अभी तक असाइनमेंट पूरा नहीं हुआ? मुझे तो लगा था तू तो बहुत होशियार है!" आर्यन ने ताना मारा।
रिया ने आर्यन को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया और अपनी पूरी एकाग्रता के साथ असाइनमेंट पर काम करती रही। वह देर रात तक लाइब्रेरी में रुकी रही, नोट्स बनाती रही और किताबों में खोई रही। उसे पता था कि उसके पास हार मानने का कोई विकल्प नहीं है।
प्रोफेसर विक्रम अपने ऑफिस की खिड़की से रिया को लाइब्रेरी में देर रात तक काम करते हुए देख रहे थे। उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई, लेकिन उन्होंने उसे तुरंत छिपा लिया। उनके मन में रिया के प्रति एक अजीब सा भाव था - वो उसे चुनौती देना चाहते थे, लेकिन साथ ही उसकी मेहनत को भी सराहते थे।
असाइनमेंट जमा करने की आखिरी तारीख पर, रिया प्रोफेसर विक्रम के ऑफिस में बिल्कुल अंतिम समय पर अपना असाइनमेंट जमा करने पहुंची। वह थकी हुई थी, लेकिन उसके चेहरे पर संतोष का भाव था।
प्रोफेसर विक्रम ने असाइनमेंट लिया, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, लेकिन वह रिया की तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे वह जानना चाहते हों कि उसने यह कैसे किया। "तुमने ये सब खुद किया है?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा।
रिया ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "हाँ सर, मैंने अपना काम पूरा कर दिया है। अब आपकी बारी है।" और फिर वह कमरे से बाहर निकल गई, प्रोफेसर विक्रम को सोचने पर मजबूर कर दिया। रिया जानती थी कि अब असली इम्तिहान शुरू होगा - प्रोफेसर विक्रम उसके असाइनमेंट की बारीकी से जांच करेंगे, और उसे हर हाल में सही साबित करना होगा।
Chapter 5
Chapter 5
Chapter 5
प्रोफेसर विक्रम रिया का असाइनमेंट लेकर अपने ऑफिस में बैठ गए। उन्होंने एक-एक लाइन बहुत ध्यान से पढ़ी, हर शब्द पर गौर किया। वो यह उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें उसमें कोई गलती मिलेगी, कोई ऐसी चीज़ जिससे वो रिया को नीचा दिखा सकें।
असाइनमेंट में उन्हें कुछ छोटी-मोटी गलतियाँ तो मिलीं, जैसे कि कुछ वाक्यों में व्याकरण की अशुद्धियाँ थीं और कुछ जगहों पर डेटा थोड़ा पुराना था। लेकिन समग्र रूप से रिया का काम बेहतरीन था, और उसकी विषय पर गहरी समझ को दर्शाता था। उसके तर्क ठोस थे, और उसका विश्लेषण स्पष्ट और सटीक था।
प्रोफेसर विक्रम को रिया के काम की गुणवत्ता देखकर थोड़ी हैरानी हुई। उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि रिया इतने कम समय में इतना अच्छा काम कर पाएगी। लेकिन फिर भी, वो इसे स्वीकार करने से इनकार कर रहे थे। उनके मन में रिया के प्रति एक अजीब सी जिद्द थी - वो उसे किसी भी कीमत पर हारते हुए देखना चाहते थे।
अगली क्लास में, प्रोफेसर विक्रम ने रिया का असाइनमेंट सबके सामने वापस किया। उन्होंने कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं, जैसे कि "तुम्हारे डेटा में थोड़ी कमी है" और "तुम्हारे विश्लेषण में और गहराई होनी चाहिए थी"। लेकिन फिर भी, उन्होंने उसे पास कर दिया। "ठीक है, रिया। तुमने पास तो कर लिया, पर इसमें बहुत सुधार की गुंजाइश थी।" प्रोफेसर विक्रम ने कहा। रिया और उसके दोस्त हैरान थे। उन्हें उम्मीद थी कि प्रोफेसर विक्रम उसे फेल कर देंगे, लेकिन उन्होंने उसे पास कर दिया।
आर्यन जल-भुन गया। उसे ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ कि रिया ने इतने मुश्किल असाइनमेंट में पास कर लिया। उसने प्रोफेसर विक्रम के सामने रिया को नीचा दिखाने के लिए एक नई चाल चलने का फैसला किया। "सर, मुझे लगता है कि रिया ने असाइनमेंट में कुछ चीटिंग की है। उसका काम इतना अच्छा नहीं हो सकता था।" आर्यन ने प्रोफेसर विक्रम से कहा।
प्रोफेसर विक्रम ने आर्यन को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, "आर्यन, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। रिया ने जो भी किया, अपनी मेहनत से किया।"
प्रोफेसर विक्रम ने क्लास में एक ग्रुप प्रोजेक्ट की घोषणा की। उन्होंने जानबूझकर रिया और आर्यन को एक ही ग्रुप में रख दिया। "तुम दोनों को साथ मिलकर काम करना होगा।" प्रोफेसर विक्रम ने कहा, और उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
रिया और आर्यन के बीच प्रोजेक्ट को लेकर तुरंत बहस शुरू हो गई। "मैं इस प्रोजेक्ट का लीडर बनूंगा, और तुम मेरे तरीके से काम करोगी।" आर्यन ने रिया को धमकाया।
रिया ने आर्यन को करारा जवाब दिया, "सॉरी, आर्यन। ये कोई डिक्टेटरशिप नहीं है। हम दोनों बराबर हैं, और हम दोनों के विचारों को सुना जाएगा।"
प्रिया और रोहन, जो उसी ग्रुप में नहीं थे, चिंतित थे कि रिया और आर्यन एक साथ काम कैसे कर पाएंगे। उन्हें पता था कि दोनों में कितनी दुश्मनी है। "रिया, ये तो बहुत बुरा हुआ। तुम आर्यन के साथ कैसे काम करोगी?" प्रिया ने रिया से पूछा।
रोहन ने भी कहा, "हाँ, रिया, ये तो एक डिजास्टर होने वाला है। तुम दोनों तो एक-दूसरे को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते।"
प्रोफेसर विक्रम दूर से रिया और आर्यन की नोक-झोक देख रहे थे, और उनके चेहरे पर एक अजीब सी संतोष भरी मुस्कान थी। जैसे कि वो कुछ और ही प्लान कर रहे हों। उनके मन में रिया और आर्यन के लिए कुछ और ही था, और ये ग्रुप प्रोजेक्ट तो बस एक शुरुआत थी।
रिया ने आर्यन से कहा, "अगर तुम्हें ये प्रोजेक्ट सफल बनाना है, तो तुम्हें मेरे साथ सहयोग करना होगा। अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते, तो मैं अपने तरीके से काम करूंगी, और तुम्हें जो करना है करो।" रिया ने अपनी बात साफ़ कर दी, और आर्यन को और गुस्सा आ गया। रिया जानती थी कि ये प्रोजेक्ट आसान नहीं होने वाला है, लेकिन वो प्रोफेसर विक्रम और आर्यन दोनों को गलत साबित करने के लिए तैयार थी।
Chapter 6
Chapter 6
रिया और आर्यन के ग्रुप प्रोजेक्ट पर काम करने की प्रक्रिया एक जंग से कम नहीं थी। हर कदम पर तनाव, हर मीटिंग में बहस, और हर विचार पर मतभेद। आर्यन की कोशिश थी कि रिया को नीचा दिखाया जाए, जबकि रिया किसी भी कीमत पर हार मानने को तैयार नहीं थी।
आर्यन अक्सर प्रोजेक्ट मीटिंग्स में देर से आता था, और जब आता भी तो रिया के विचारों को खारिज कर देता। "ये आईडिया बकवास है, रिया। मेरा आईडिया ही सबसे बेस्ट है," वो कहता, मानो उसने कोई अकाट्य सत्य बोल दिया हो। वो ये साबित करने की कोशिश करता रहता था कि वो रिया से श्रेष्ठ है, चाहे बात कोई भी हो।
रिया ने भी हार नहीं मानी थी। वो अपनी रचनात्मकता का उपयोग करती और आर्यन के हर बाधा डालने के बावजूद प्रोजेक्ट पर काम करती रहती। उसके पास हमेशा कोई न कोई स्मार्ट तरीका होता, कोई ऐसा हल जो आर्यन को भी चुप करा देता। "तुम्हारी प्रॉब्लम ये है आर्यन, तुम सुनते नहीं हो। अगर तुम थोड़ा ध्यान दो, तो शायद तुम्हें भी कुछ समझ आए," वो कहती, उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास झलकता।
एक दिन, आर्यन ने जानबूझकर प्रोजेक्ट की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी छुपा ली, जिससे रिया को काम पूरा करने में और भी मुश्किल हो। उसने सोचा कि रिया हार मान जाएगी, लेकिन रिया तो रिया थी।
रिया को आर्यन की हरकत का पता चल गया, लेकिन वो परेशान होने की बजाय, अपनी खुद की रिसर्च में जुट गई। उसने वैकल्पिक समाधान ढूंढ़ निकाले, और वो भी आर्यन के छुपाए हुए जानकारी से बेहतर। "तुमने सोचा कि तुम मुझे रोक लोगे, आर्यन? सॉरी टू से, तुम अभी भी बहुत नौसिखिये हो," रिया ने मन ही मन कहा।
प्रिया और रोहन रिया को समझाते रहे कि आर्यन के साथ सीधे टकराव से बचना चाहिए और सिर्फ प्रोजेक्ट पर ध्यान देना चाहिए। "रिया, थोड़ा शांत रहो। आर्यन से उलझने में कोई फायदा नहीं है। हमें सिर्फ प्रोजेक्ट खत्म करना है," प्रिया ने कहा।
"हाँ, रिया। एनर्जी बचाओ। हमें ये जंग जीतनी है," रोहन ने भी सहमति जताई।
प्रोफेसर विक्रम नियमित रूप से ग्रुप प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा करते थे, और जानबूझकर रिया के ग्रुप पर ज़्यादा दबाव डालते थे। वो रिया और आर्यन के बीच के तनाव को साफ़ देख सकते थे, और उन्हें इसमें मज़ा आ रहा था।
एक प्रगति समीक्षा के दौरान, प्रोफेसर विक्रम ने रिया और आर्यन के प्रोजेक्ट में कई खामियां बताईं, जिससे आर्यन शर्मिंदा हुआ और रिया थोड़ी निराश हुई। "ये तो बहुत खराब काम है, तुम दोनों ने क्या किया है? मुझे उम्मीद थी कि तुम लोग कुछ बेहतर करोगे," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ में निराशा साफ़ झलक रही थी।
प्रोफेसर विक्रम ने रिया से कहा कि उसे अपनी टीम को बेहतर तरीके से मैनेज करना चाहिए, ये जानते हुए भी कि आर्यन जानबूझकर समस्याएं पैदा कर रहा था। "रिया, टीम लीडर तुम हो। ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम आर्यन को कंट्रोल करो और उससे काम करवाओ," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आँखों में एक चुनौती थी।
रिया ने प्रोफेसर विक्रम की बात को एक चुनौती के रूप में लिया और ठान ली कि वो इस प्रोजेक्ट को सफल बनाकर दिखाएगी, चाहे आर्यन कितना भी परेशान करे। "मैं तुम्हें गलत साबित करके दिखाऊंगी, प्रोफेसर विक्रम," रिया ने अपने मन में कहा।
उस रात, रिया ने देर रात तक काम किया, आर्यन की हर चाल को नाकाम करने का प्लान बनाया। वो जानती थी कि ये सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं है, ये उसकी और आर्यन की जंग है, और वो किसी भी कीमत पर हारने को तैयार नहीं थी। उसने एक गहरी सांस ली और अपने लैपटॉप की स्क्रीन पर फोकस किया। "गेम ऑन, आर्यन," रिया ने फुसफुसाया।
Chapter 7
Chapter 7
प्रोजेक्ट की प्रस्तुति का दिन आ गया। रिया ने सारी रात जागकर तैयारी की थी। उसने हर स्लाइड को ध्यान से बनाया था, हर तर्क को परखा था, और हर सवाल का जवाब तैयार किया था। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
सुबह, जब वो प्रेजेंटेशन देने के लिए जाने वाली थी, तो उसने देखा कि आर्यन ने आखिरी समय में कुछ महत्वपूर्ण स्लाइड्स गायब कर दी हैं। उसके होश उड़ गए। "ये क्या कर दिया इसने?" रिया गुस्से से चिल्लाई।
उसने आर्यन को मैसेज किया, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो समझ गई कि ये सब आर्यन की ही चाल है। वो उसे असफल होते हुए देखना चाहता था।
लेकिन, रिया हार मानने वाली नहीं थी। उसने तुरंत अपनी त्वरित सोच का उपयोग करके प्रेजेंटेशन में सुधार करने का फैसला किया। वो जानती थी कि उसके पास स्लाइड्स नहीं हैं, लेकिन उसके पास ज्ञान है, आत्मविश्वास है, और सबसे बड़ी बात, एक अटूट इरादा है।
प्रिया और रोहन मंच के पीछे से रिया को सहारा दे रहे थे। "रिया, हम तुम्हारे साथ हैं। तुम कर सकती हो!" प्रिया ने कहा।
"हाँ रिया, दिखा दे आर्यन को कि तुम क्या हो!" रोहन ने भी उसका हौसला बढ़ाया।
आर्यन दूर से रिया की असफलता का इंतजार कर रहा था। उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसे लग रहा था कि रिया आज पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी।
रिया ने गहरी सांस ली और अपनी प्रस्तुति शुरू की। उसने बिना स्लाइड्स के भी आत्मविश्वास से बोलना शुरू किया। उसके पास विषय की गहरी समझ थी, और वो अपने शब्दों से दर्शकों को बांधे रखने में माहिर थी।
"आज मैं आप सबके सामने एक ऐसे प्रोजेक्ट के बारे में बात करने जा रही हूँ, जो हमारे समाज को बदल सकता है।" रिया ने कहा, और उसकी आवाज़ में गज़ब का आत्मविश्वास था।
प्रोफेसर विक्रम रिया की प्रस्तुति को ध्यान से देख रहे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, लेकिन उनके अंदर कहीं न कहीं रिया की हिम्मत की सराहना हो रही थी। उन्होंने ये कभी नहीं सोचा था कि रिया बिना किसी तैयारी के भी इतनी अच्छी प्रस्तुति दे सकती है।
रिया ने अपने विचारों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उसने मुश्किल सवालों का भी आत्मविश्वास से जवाब दिया, और अंत में सभी को प्रभावित कर दिया। उसने बताया कि कैसे उनका प्रोजेक्ट समाज को बेहतर बना सकता है, और कैसे वो सब मिलकर एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।
"और इसलिए, मेरा मानना है कि ये प्रोजेक्ट न केवल एक आईडिया है, बल्कि एक संभावना है, एक ऐसा मौका है जिससे हम सब मिलकर दुनिया को बदल सकते हैं।" रिया ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
आर्यन, जिसने सोचा था कि रिया असफल हो जाएगी, हैरान और गुस्से में था कि रिया ने इतनी अच्छी प्रस्तुति कैसे दी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि रिया ने बिना स्लाइड्स के इतनी शानदार परफॉर्मेंस कैसे दे दी।
प्रस्तुति के बाद, प्रोफेसर विक्रम ने रिया से कुछ कड़े सवाल पूछे, लेकिन रिया ने उन्हें अपनी सूझबूझ से संतुष्ट कर दिया।
"रिया, तुमने अच्छा काम किया, लेकिन मुझे ये बताओ कि तुम इस प्रोजेक्ट को वास्तविक जीवन में कैसे लागू करोगी?" प्रोफेसर विक्रम ने रिया से पूछा।
"सर, मेरे पास इसके लिए एक विस्तृत योजना है, जिसमें हम सरकारी और निजी संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे।" रिया ने जवाब दिया।
प्रोफेसर विक्रम ने रिया के ग्रुप को एक अच्छा ग्रेड दिया, लेकिन उन्होंने रिया को सीधे तौर पर कोई क्रेडिट नहीं दिया, बस इतना कहा कि 'ठीक है'।
"ठीक है, रिया। तुमने अच्छा किया, लेकिन इसमें और सुधार की गुंजाइश है।" प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया ने प्रोफेसर विक्रम की 'ठीक है' वाली टिप्पणी को अपनी जीत मान लिया, क्योंकि उसने उनकी उम्मीदों को पार कर लिया था, और वो एक विजयी मुस्कान के साथ क्लास से बाहर निकल गई। उसने ये साबित कर दिया था कि उसे कम आंकना किसी की भी सबसे बड़ी भूल हो सकती है।
क्लास से बाहर निकलते ही, रिया के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान छा गई। उसने प्रिया और रोहन की तरफ देखा, और तीनों ने एक दूसरे को गले लगाया। "तुमने कर दिखाया रिया!" प्रिया ने खुशी से कहा।
"हाँ रिया, तू तो सुपरवुमन निकली!" रोहन ने भी खुशी से कहा।
"ये तो बस शुरुआत है दोस्तों," रिया ने कहा, और उसकी आँखों में एक नई चमक थी।
लेकिन, रिया को ये नहीं पता था कि प्रोफेसर विक्रम ने उसके लिए कुछ और ही प्लान किया हुआ है। उसने अभी तक रिया की असली परीक्षा नहीं ली थी। रिया की मुश्किलें तो अब शुरू होने वाली थीं।
Chapter 8
Chapter 8
Chapter 8
रिया की मां, श्रीमती शर्मा, रिया के कॉलेज की नोक-झोक के किस्से सुनती रहती थीं, और हर बार अपनी बेटी को प्रोफेसर विक्रम से दूर रहने की सलाह देती थीं। उनके मन में हमेशा एक डर बना रहता था कि कहीं प्रोफेसर विक्रम रिया का करियर बर्बाद न कर दें।
"रिया, ये प्रोफेसर विक्रम बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनसे दुश्मनी तुम्हारे भविष्य के लिए अच्छी नहीं होगी," श्रीमती शर्मा ने कहा, उनकी आवाज़ में चिंता झलक रही थी।
"मां, मैं सिर्फ सही के लिए लड़ रही हूँ। और वैसे भी, प्रोफेसर विक्रम को चुनौती देना मुझे मज़ा आता है," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में शरारत भरी थी।
प्रिया रिया को बताती है कि प्रोफेसर विक्रम की क्लास में अब रिया और प्रोफेसर के बीच होने वाली नोक-झोक की कहानियाँ पूरे कॉलेज में मशहूर हो गई हैं। "रिया, अब तो सब लोग तुम्हारी बातें करते हैं। कहते हैं कि अगर प्रोफेसर विक्रम से कोई पंगा ले सकता है, तो वो सिर्फ तुम ही हो!" प्रिया ने कहा, और वो हंसने लगी।
रोहन भी रिया से कहता है कि अब सब लोग जानते हैं कि अगर प्रोफेसर विक्रम से कोई टक्कर ले सकता है, तो वह सिर्फ रिया ही है। "हाँ रिया, कॉलेज में तुम्हारी फैन फॉलोइंग बढ़ गई है। तुम तो एक लेजेंड बन गई हो!" रोहन ने भी मज़ाक किया।
प्रोफेसर विक्रम भी इस बात से वाकिफ थे कि उनके और रिया के बीच की जंग कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई है, और वो इसे एक चुनौती के रूप में ले रहे थे। उन्हें ये बिलकुल पसंद नहीं था कि कोई उनकी अथॉरिटी को चैलेंज करे।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम के पास रिया की शिकायत लेकर जाता है, यह कहते हुए कि रिया कॉलेज के माहौल को खराब कर रही है और अनुशासनहीन है। वो चाहता था कि प्रोफेसर विक्रम रिया को कोई सख्त सज़ा दें।
"सर, रिया कॉलेज में गुंडागर्दी कर रही है। उसे कंट्रोल करना बहुत ज़रूरी है," आर्यन ने कहा, उसकी आवाज़ में जलन साफ झलक रही थी।
प्रोफेसर विक्रम आर्यन की बात को अनसुना कर देते हैं और उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह देते हैं। उन्हें आर्यन के चापलूसी भरे व्यवहार से सख्त नफरत थी। "आर्यन, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। दूसरों के मामलों में दखल देना तुम्हारा काम नहीं है," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ में सख्ती थी।
कॉलेज कैंटीन में रिया और रोहन के बीच कॉलेज की राजनीति और प्रोफेसर विक्रम के सख्त नियमों को लेकर मज़ेदार बहसें होती रहती हैं, जिससे माहौल हल्का बना रहता है। रिया हमेशा प्रोफेसर विक्रम को लेकर कुछ न कुछ मज़ाक करती रहती थी।
"यार, ये प्रोफेसर विक्रम भी न, एकदम हिटलर है! हर बात में नियम, हर बात में डिसिप्लिन," रिया ने कहा, और वो हंसने लगी।
"हाँ रिया, लेकिन तुम भी तो कम नहीं हो। तुम तो उनकी हर बात को चैलेंज करती हो," रोहन ने जवाब दिया।
रिया अपने दोस्तों से कहती है कि प्रोफेसर विक्रम सिर्फ ऊपरी तौर पर सख्त हैं, और वो जानना चाहती है कि आखिर उनके कठोर स्वभाव के पीछे क्या राज़ है। उसे लगता था कि प्रोफेसर विक्रम के अंदर कहीं न कहीं कोई ऐसा दर्द छुपा है, जिसकी वजह से वो इतने सख्त बन गए हैं।
"मुझे लगता है कि प्रोफेसर विक्रम के अंदर कुछ तो राज़ है। आखिर क्यों वो इतने सख्त हैं? मैं ये राज़ जानकर रहूंगी," रिया ने कहा, उसकी आँखों में जिज्ञासा थी।
रोहन ने कहा, "रिया, तुम बहुत क्यूरियस हो। कुछ राज़ राज़ ही रहने दो।"
रिया ने जवाब दिया, "नहीं, रोहन। मुझे ये जानना ही होगा। मुझे लगता है कि अगर हम प्रोफेसर विक्रम के राज़ को जान लेंगे, तो शायद हम उन्हें थोड़ा समझ पाएंगे।"
उसी पल, रिया ने फैसला कर लिया कि वो प्रोफेसर विक्रम के अतीत के बारे में पता लगाएगी, और ये जानेगी कि आखिर क्यों वो इतने कठोर बन गए हैं। वो जानती थी कि ये आसान नहीं होगा, लेकिन वो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार थी।
और उधर, प्रोफेसर विक्रम अपनी कुर्सी पर बैठे हुए एक पुरानी तस्वीर देख रहे थे, उनके चेहरे पर एक उदासी छाई हुई थी। ये तस्वीर उस खोए हुए छात्र की थी, जिसकी वजह से प्रोफेसर विक्रम का जीवन पूरी तरह से बदल गया था। वो रिया के साथ अपने रिश्तों के बारे में सोच रहे थे, और उन्हें लग रहा था कि शायद रिया भी उस छात्र की तरह ही उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
लेकिन, उन्हें ये भी डर था कि कहीं रिया भी उन्हें छोड़कर न चली जाए, और वो फिर से अकेले न पड़ जाएं। इस डर के साथ, प्रोफेसर विक्रम ने एक गहरी सांस ली, और अपने काम में जुट गए। उन्हें पता था कि रिया के साथ उनका रिश्ता आसान नहीं होने वाला है, लेकिन वो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार थे।
Chapter 9
Chapter 9
प्रोफेसर विक्रम क्लास में एक जटिल केस स्टडी पर चर्चा शुरू करते हैं, और जानबूझकर रिया को सबसे मुश्किल सवाल पूछते हैं। वो देखना चाहते थे कि रिया उनकी चुनौतियों का सामना कैसे करती है।
"रिया, तुम बताओ कि इस परिस्थिति में कंपनी को क्या करना चाहिए?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा, उनकी आवाज़ में एक चुनौती थी।
रिया अपनी समझदारी और त्वरित सोच का उपयोग करके प्रोफेसर विक्रम के हर सवाल का जवाब देती है, जिससे प्रोफेसर को भी थोड़ा आश्चर्य होता है। वो मान नहीं पा रहे थे कि रिया हर सवाल का इतनी आसानी से जवाब दे रही है।
"सर, मेरी राय में, कंपनी को इस परिस्थिति में सबसे पहले अपने ग्राहकों की ज़रूरतों को समझना चाहिए," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास था।
एक डिस्कशन के दौरान, प्रोफेसर विक्रम एक विवादास्पद मुद्दा उठाते हैं, जहाँ वे छात्रों से अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं। वो देखना चाहते थे कि रिया के विचार उनके विचारों से कितने अलग हैं।
"मैं चाहता हूँ कि आप सब इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करें। रिया, तुम शुरुआत करो," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया ईमानदारी से अपने विचार प्रस्तुत करती है, जो प्रोफेसर विक्रम के स्थापित विचारों से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जिससे क्लास में सन्नाटा छा जाता है। रिया के विचार इतने अलग थे कि क्लास में सभी छात्र हैरान रह गए।
"सर, मेरा मानना है कि इस मुद्दे पर सरकार को और भी ज़्यादा हस्तक्षेप करना चाहिए," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी।
प्रोफेसर विक्रम रिया के विचारों को तर्कहीन बताते हुए उनका खंडन करते हैं, और दोनों के बीच एक तीखी बहस शुरू हो जाती है। प्रोफेसर विक्रम रिया के विचारों को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन रिया अपनी बात पर अड़ी रहती है।
"रिया, तुम्हारे विचार अव्यावहारिक हैं। वास्तविकता में ऐसा नहीं हो सकता," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ में नाराज़गी थी।
"सर, मैं समझती हूँ कि मेरे विचार थोड़े अलग हैं, लेकिन मेरा मानना है कि हमें नए विचारों को अपनाने से डरना नहीं चाहिए," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास था।
क्लास के अन्य छात्र इस बहस को चुपचाप देखते रहते हैं, कोई भी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि यह अब एक व्यक्तिगत जंग बनती जा रही है। सभी छात्र डर रहे थे कि अगर उन्होंने किसी एक का भी साथ दिया तो दूसरा उनसे नाराज़ हो जाएगा।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम का पक्ष लेने की कोशिश करता है और रिया के विचारों को गलत साबित करने के लिए कुछ तर्क देता है। वो प्रोफेसर विक्रम को खुश करना चाहता था, ताकि वो उनकी नज़रों में अच्छा बन सके।
"सर, रिया के विचार बिलकुल गलत हैं। हमें हमेशा स्थापित नियमों का पालन करना चाहिए," आर्यन ने कहा, उसकी आवाज़ में चापलूसी थी।
रिया आर्यन के तर्क को भी अपनी समझदारी से काट देती है, जिससे आर्यन और भी चिढ़ जाता है। रिया हमेशा आर्यन को गलत साबित करने में सफल हो जाती थी, जिससे आर्यन बहुत जलता था।
"आर्यन, मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी समझ को और बढ़ाने की ज़रूरत है," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में तंज़ था।
प्रोफेसर विक्रम अंततः बहस को समाप्त करते हैं, यह कहते हुए कि रिया के विचार अव्यावहारिक हैं और उसे अभी और सीखने की ज़रूरत है। वो इस बहस को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि रिया के साथ उनका रिश्ता और बिगड़े।
"ठीक है, रिया। मुझे लगता है कि हमें अब इस बहस को यहीं खत्म कर देना चाहिए। तुम्हें अभी और सीखने की ज़रूरत है," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया मन ही मन ठान लेती है कि वह प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करके दिखाएगी, और यह सिर्फ विचारों की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व की जंग है। रिया ने फैसला कर लिया था कि वो प्रोफेसर विक्रम को दिखाएगी कि उसके विचार कितने सही हैं।
"ठीक है सर, मैं आपको गलत साबित करके रहूँगी," रिया ने मन में सोचा।
क्लास खत्म होने के बाद रिया थोड़ी परेशान थी, क्योंकि प्रोफेसर विक्रम ने उसके विचारों को खारिज कर दिया था। उसे लग रहा था कि प्रोफेसर विक्रम हमेशा उसके खिलाफ रहते हैं।
प्रिया रिया के पास आती है और उसे शांत करने की कोशिश करती है। वो रिया को समझाती है कि प्रोफेसर विक्रम सिर्फ उसे चुनौती दे रहे हैं, ताकि वो और भी बेहतर बन सके।
"रिया, परेशान मत हो। प्रोफेसर विक्रम सिर्फ तुम्हें मजबूत बनाना चाहते हैं," प्रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में प्यार था।
रोहन भी रिया को सहारा देता है और उसे प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करने के लिए प्रेरित करता है। वो रिया को बताता है कि वो प्रोफेसर विक्रम से ज़्यादा काबिल है।
"रिया, तुम प्रोफेसर विक्रम से ज़्यादा काबिल हो। तुम उसे गलत साबित करके दिखाओ," रोहन ने कहा, उसकी आवाज़ में उत्साह था।
रिया अपने दोस्तों की बातों से उत्साहित होती है और प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करने के लिए और भी ज़्यादा मेहनत करने का फैसला करती है। उसने ठान लिया था कि वो प्रोफेसर विक्रम को दिखाएगी कि उसके विचार कितने सही हैं, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।
लेकिन रिया को यह नहीं पता था कि प्रोफेसर विक्रम ने उसके लिए कुछ और ही प्लान किया हुआ है। रिया की मुश्किलें तो अब शुरू होने वाली थीं, और उसे एक ऐसी चुनौती का सामना करना था जिसके लिए वो बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।
जैसे ही रिया क्लास से बाहर निकली, प्रोफेसर विक्रम ने उसे रुकने के लिए कहा। रिया हैरान थी कि प्रोफेसर विक्रम उससे क्या कहना चाहते हैं, और उसके मन में एक डर समा गया।
Chapter 10
Chapter 10
Chapter 10
प्रोफेसर विक्रम रिया को रुकने के लिए कहते हैं, "रिया, एक मिनट रुको। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।" उनकी आवाज़ में पहले जैसी कठोरता नहीं थी, लेकिन फिर भी एक गंभीरता थी।
रिया थोड़ी घबरा जाती है, लेकिन फिर भी प्रोफेसर विक्रम के पास रुक जाती है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि प्रोफेसर विक्रम उससे क्या कहना चाहते हैं। "जी सर?" रिया ने पूछा, उसकी आवाज़ में थोड़ी घबराहट थी।
प्रोफेसर विक्रम एक नए और चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट की घोषणा करते हैं, जिसे पूरा करने के लिए छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्या का समाधान खोजना है। प्रोफेसर विक्रम रिया को इस प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित करते हैं, यह जानते हुए कि रिया हमेशा चुनौतियों को पसंद करती है।
"रिया, मैं तुम्हें इस प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मुझे लगता है कि तुम इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सक्षम हो," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया चुनौती स्वीकार करती है, यह समझकर कि यह प्रोफेसर विक्रम के साथ उसकी योग्यता साबित करने का एक और मौका है। रिया जानती थी कि ये आसान नहीं होगा, लेकिन वो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार थी।
"धन्यवाद सर, मैं इस प्रोजेक्ट में ज़रूर भाग लूँगी," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास था।
आर्यन भी इस प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए उत्सुक है और प्रोफेसर विक्रम का चमचा बनने की कोशिश करता है, ताकि उसे अच्छी टीम में रखा जाए। आर्यन हमेशा प्रोफेसर विक्रम की नज़रों में अच्छा बनना चाहता था।
"सर, मैं भी इस प्रोजेक्ट में भाग लेना चाहता हूँ। मुझे लगता है कि मैं आपकी टीम के लिए बहुत उपयोगी हो सकता हूँ," आर्यन ने कहा, उसकी आवाज़ में चापलूसी थी।
प्रोफेसर विक्रम जानबूझकर रिया को एक ऐसी टीम में डालते हैं जहाँ के अन्य सदस्य थोड़े कमज़ोर या अनुभवहीन होते हैं। प्रोफेसर विक्रम देखना चाहते थे कि रिया अपनी टीम को कैसे मैनेज करती है।
"रिया, तुम इस टीम की लीडर होगी। मुझे विश्वास है कि तुम अपनी टीम को सफल बना सकती हो," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
आर्यन को एक मज़बूत टीम मिलती है, और वह रिया को देखकर मुस्कुराता है, यह सोचते हुए कि वह अब रिया को आसानी से हरा सकता है। आर्यन को लग रहा था कि अब वो रिया को नीचा दिखा पाएगा।
"अच्छा है रिया, अब तुम हारने के लिए तैयार रहो," आर्यन ने मन में सोचा।
रिया अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करती है और उन्हें प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए उत्साहित करती है, वह अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाती है। रिया जानती थी कि उसकी टीम थोड़ी कमज़ोर है, लेकिन वो उन्हें प्रेरित करके सफल बना सकती है।
"दोस्तों, हमें मिलकर इस प्रोजेक्ट को सफल बनाना है। मुझे विश्वास है कि हम कर सकते हैं," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में जोश था।
प्रोफेसर विक्रम व्यक्तिगत रूप से सभी टीमों की प्रगति पर कड़ी नज़र रखते हैं, और रिया की टीम पर विशेष रूप से ज़्यादा ध्यान देते हैं। प्रोफेसर विक्रम देखना चाहते थे कि रिया अपनी टीम के साथ कैसे काम करती है।
रिया और उसकी टीम प्रोजेक्ट पर दिन-रात मेहनत करती है, रिया अपनी रचनात्मकता और स्मार्टनेस का उपयोग करती है। रिया जानती थी कि उसे और उसकी टीम को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, तभी वो सफल हो पाएंगे।
प्रोफेसर विक्रम रिया की टीम की प्रगति रिपोर्ट देखते हैं और उसमें कुछ कमियाँ निकालते हैं, रिया को और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रोफेसर विक्रम हमेशा रिया को चुनौती देते थे, ताकि वो और भी बेहतर बन सके।
"रिया, तुम्हारी टीम ने अच्छा काम किया है, लेकिन अभी भी कुछ कमियाँ हैं। तुम्हें और मेहनत करने की ज़रूरत है," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया प्रोफेसर विक्रम की बातों को सकारात्मक रूप से लेती है, और वह अपनी टीम को और भी ज़्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। रिया जानती थी कि प्रोफेसर विक्रम की बातें सिर्फ उसे बेहतर बनाने के लिए हैं।
"दोस्तों, हमें प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करना है। हमें और भी ज़्यादा मेहनत करनी होगी," रिया ने कहा।
जैसे ही रिया और उसकी टीम प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वापस जाती है, आर्यन दूर से उन्हें देखता है और मन ही मन मुस्कुराता है। उसे लग रहा था कि प्रोफेसर विक्रम ने रिया को मुश्किल में डालकर अच्छा किया है।
"अब देखना रिया, तुम कैसे हारती हो," आर्यन ने मन में सोचा।
लेकिन रिया को प्रोफेसर विक्रम के इरादों पर थोड़ा शक होने लगा। उसे लग रहा था कि प्रोफेसर विक्रम उसे जानबूझकर मुश्किल में डाल रहे हैं। रिया के दिमाग में एक सवाल घूम रहा था: "प्रोफेसर विक्रम मुझसे क्या चाहते हैं?" और इसी सवाल के साथ रिया अपने प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करती है, ये जानते हुए कि आने वाले दिन और भी मुश्किल होने वाले हैं।
Chapter 11
Chapter 11
Chapter 11
रिया और उसकी टीम प्रोजेक्ट के लिए फील्ड रिसर्च पर जाती है, और उन्हें कई अनपेक्षित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शहर से दूर, गाँव की धूल भरी सड़कों पर, उन्हें पता चलता है कि असली समस्या किताबी ज्ञान से कहीं ज़्यादा जटिल है।
"ये तो हमने सोचा भी नहीं था कि यहाँ इतनी मुश्किलें होंगी," प्रिया ने कहा, उसका चेहरा पसीने से तर था।
"कोई बात नहीं, प्रिया। मुश्किलें तो आती रहेंगी। हमें बस हार नहीं माननी है," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में हमेशा की तरह आत्मविश्वास था।
रिया अपनी टीम को समस्याओं का सामना करने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें रचनात्मक समाधान खोजने में मदद करती है। वो जानती थी कि उनकी टीम में अनुभव की कमी है, लेकिन उनके पास हौसला है, और वो हौसला ही उन्हें आगे ले जाएगा।
"चलो दोस्तों, सोचते हैं कि हम इन समस्याओं को कैसे हल कर सकते हैं," रिया ने कहा, उसकी आँखों में एक चमक थी।
आर्यन अपनी टीम के साथ आराम से काम करता है, क्योंकि उन्हें कोई खास चुनौती नहीं मिल रही है, और वह रिया की टीम को परेशानी में देखकर खुश होता है। शहर की आरामदायक लाइब्रेरी में बैठकर, वो रिया की टीम की मुश्किलों का मज़ा ले रहा था।
"हा हा, देखो रिया कैसे परेशान हो रही है। उसे तो पता भी नहीं है कि असली काम कैसे किया जाता है," आर्यन ने अपने दोस्तों से कहा, उसकी आवाज़ में जलन थी।
रिया को प्रोजेक्ट के दौरान एक ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है जिसका कोई स्पष्ट समाधान नहीं दिख रहा है, और वह थोड़ी हतोत्साहित होती है। वो जानती थी कि ये प्रोजेक्ट उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है, और इस मुश्किल से वो थोड़ी निराश हो गई थी।
"मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं इस समस्या को कैसे हल करूँ," रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में निराशा थी।
प्रिया और रोहन रिया को सहारा देते हैं और उसे याद दिलाते हैं कि उसने हमेशा मुश्किलों का सामना किया है। वो दोनों रिया के सबसे अच्छे दोस्त थे, और वो उसे कभी हारने नहीं देते थे।
"रिया, तू हमेशा मुश्किलों का सामना करती आई है। मुझे पता है कि तू ये भी कर लेगी," प्रिया ने कहा, उसकी आवाज़ में प्रोत्साहन था।
रिया अपनी माँ, श्रीमती शर्मा, से फोन पर बात करती है, और श्रीमती शर्मा उसे धैर्य रखने और कड़ी मेहनत करने की सलाह देती हैं। रिया की माँ हमेशा उसे सही राह दिखाती थी।
"रिया, बेटा, धैर्य रखो और कड़ी मेहनत करो। मुझे पता है कि तुम सफल हो जाओगी," श्रीमती शर्मा ने कहा, उनकी आवाज़ में प्यार था।
एक शाम, रिया लाइब्रेरी में देर तक काम कर रही होती है, तभी उसे प्रोफेसर विक्रम की पुरानी तस्वीरें मिलती हैं, जहाँ वह एक युवा, कम कठोर व्यक्ति दिखते हैं। रिया उन तस्वीरों को देखकर हैरान होती है, क्योंकि यह प्रोफेसर विक्रम की उस छवि से बिल्कुल अलग है जिसे वह जानती है।
"ये प्रोफेसर विक्रम तो बिल्कुल अलग लग रहे हैं," रिया ने मन में सोचा।
रिया सोचने लगती है कि आखिर क्या वजह रही होगी जिसने प्रोफेसर विक्रम को इतना कठोर बना दिया है। वो उस राज़ को जानने के लिए और भी ज़्यादा उत्सुक हो जाती है।
"मुझे पता लगाना होगा कि प्रोफेसर विक्रम के साथ क्या हुआ था," रिया ने कहा, उसकी आँखों में दृढ़ता थी।
प्रोफेसर विक्रम अचानक लाइब्रेरी में आते हैं और रिया को पुरानी तस्वीरें देखते हुए देखते हैं, उनके चेहरे पर एक पल के लिए उदासी छा जाती है, और वह रिया को घूरते हैं। ये एक ऐसा पल था जो रिया को हमेशा याद रहेगा, क्योंकि उसने प्रोफेसर विक्रम के चेहरे पर एक गहरा दर्द देखा था।
"तुम ये क्या कर रही हो, रिया?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा, उनकी आवाज़ में गुस्सा था, लेकिन उनकी आँखों में दर्द भी था। रिया अब जानती थी कि प्रोफेसर विक्रम के अंदर एक कहानी दफन है, और वो उस कहानी को जानने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। अब देखना ये था कि क्या प्रोफेसर विक्रम उसे अपनी कहानी बताने देंगे, या वो हमेशा के लिए एक राज़ बनकर रह जाएगी।
Chapter 12
Chapter 12
Chapter 12
प्रोफेसर विक्रम रिया से पूछते हैं कि वह उनकी पुरानी तस्वीरों के साथ क्या कर रही है, उनकी आवाज़ में गुस्सा है लेकिन आँखों में एक अनकही उदासी भी है। उस पल, रिया को लगा जैसे उसने किसी की निजी दुनिया में झाँक लिया हो।
"ये तस्वीरें... मैं बस..." रिया हकलाने लगी। वो समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहे। "मुझे माफ़ कीजिए, सर। मेरा इरादा..."
रिया तुरंत तस्वीरें वापस रख देती है और माफी मांगती है, कहती है कि वह गलती से उन्हें देख रही थी। उसे लग रहा था कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
"मुझे माफ कर दीजिए, सर। मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैं बस..." रिया अपनी बात पूरी नहीं कर पाई।
प्रोफेसर विक्रम रिया को चेतावनी देते हैं कि उसे दूसरों के निजी सामान में दखल नहीं देना चाहिए, और उसे लाइब्रेरी से बाहर जाने का आदेश देते हैं। उनकी आवाज़ में सख़्ती थी, लेकिन रिया को लगा जैसे वो अपनी भावनाओं को छुपा रहे हों।
"तुम्हें ये सब करने की कोई ज़रूरत नहीं है, रिया। दूसरों की निजी ज़िंदगी में ताक-झाँक करना अच्छी बात नहीं है। अब तुम यहाँ से जा सकती हो," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया लाइब्रेरी से निकल जाती है, लेकिन प्रोफेसर विक्रम की आँखों में उसने जो उदासी देखी थी, वह उसे परेशान करती है। वो उस उदासी का कारण जानना चाहती थी।
रिया अपने दोस्तों प्रिया और रोहन को प्रोफेसर विक्रम की पुरानी तस्वीरों और उनकी आँखों में दिखी उदासी के बारे में बताती है। वो दोनों भी हैरान थे कि प्रोफेसर विक्रम के अतीत में क्या छुपा है।
"यार, मुझे तो लगता है कि प्रोफेसर विक्रम के अंदर कुछ तो छुपा है," रोहन ने कहा।
प्रिया ने सहमति जताई, "हाँ, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। वरना उनकी आँखों में वो दर्द कहाँ से आता?"
रिया का प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है, और उसे एक महत्वपूर्ण डेटा की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ये डेटा उसके प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए बहुत ज़रूरी था।
"यार, अब ये डेटा कहाँ से लाएँगे?" रिया ने चिंता से कहा।
आर्यन को रिया की टीम की इस कमी का पता चलता है और वह प्रोफेसर विक्रम के सामने रिया को नीचा दिखाने के लिए इस बात का फायदा उठाने की कोशिश करता है। उसे लग रहा था कि अब रिया को हराना आसान हो जाएगा।
"सर, मुझे लगता है कि रिया की टीम को ये प्रोजेक्ट पूरा करने में दिक्कत आ रही है। शायद उन्हें आपकी मदद की ज़रूरत है," आर्यन ने प्रोफेसर विक्रम से कहा।
प्रोफेसर विक्रम रिया के प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट देखते हैं और डेटा की कमी को नोटिस करते हैं, लेकिन वह रिया को सीधे डांटते नहीं हैं। उन्हें लग रहा था कि रिया इस मुश्किल का सामना कर सकती है।
प्रोफेसर विक्रम रिया को चुनौती देते हैं कि वह इस प्रोजेक्ट में कभी पास नहीं हो सकती अगर वह सभी डेटा को इकट्ठा नहीं कर पाती, जिससे रिया और भी दृढ़ हो जाती है। ये चुनौती रिया को और भी ज़्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।
"रिया, मुझे नहीं लगता कि तुम ये प्रोजेक्ट पूरा कर पाओगी। लेकिन अगर तुम कर लेती हो, तो मुझे बहुत खुशी होगी," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज़ में एक अजीब सी उम्मीद थी।
"मैं ये प्रोजेक्ट ज़रूर पूरा करूँगी, सर। आप देखिएगा," रिया ने जवाब दिया, उसकी आँखों में एक नया जोश था।
प्रोफेसर विक्रम वहाँ से चले जाते हैं, और रिया अपनी टीम के साथ डेटा ढूंढने में लग जाती है। लेकिन जैसे ही वो लाइब्रेरी से बाहर निकलती है, उसे आर्यन रास्ते में मिल जाता है। आर्यन उसकी तरफ देखकर मुस्कुराता है, और रिया को समझ आ जाता है कि ये सब इतना आसान नहीं होने वाला। आर्यन और प्रोफेसर विक्रम, दोनों ही उसे चुनौती दे रहे थे, और रिया को अब दोनों का सामना करना था। अब देखना ये था कि रिया इस मुश्किल से कैसे निपटती है, और क्या वो प्रोफेसर विक्रम के अतीत का राज़ जान पाएगी?
Chapter 13
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13
रिया और उसकी टीम रात-दिन मेहनत करके लापता डेटा को इकट्ठा करने की कोशिश करती है, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिलती। गाँव के हर कोने में छान मारने के बाद भी, वो डेटा उनकी पकड़ से दूर था।
"मुझे लगता है कि ये डेटा कहीं गायब हो गया है," रोहन ने निराशा से कहा, उसका चेहरा धूल से सना हुआ था।
"हार मत मानो, रोहन। हमें कोशिश करते रहना होगा," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज में हमेशा की तरह आत्मविश्वास था। वो हार मानने वाली नहीं थी, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं।
रोहन रिया को कुछ अवैध तरीके से डेटा हासिल करने का सुझाव देता है, लेकिन रिया मना कर देती है और कहती है कि वह ईमानदारी से काम करेगी। वो जानती थी कि गलत तरीका अपनाना सही नहीं है, और वो किसी भी कीमत पर अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करना चाहती थी।
"नहीं, रोहन। मैं गलत तरीका नहीं अपनाऊंगी। हमें ईमानदारी से ही ये डेटा हासिल करना होगा," रिया ने कहा, उसकी आवाज में दृढ़ता थी।
प्रिया रिया को कुछ पुराने सरकारी रिकॉर्ड्स देखने की सलाह देती है, जहाँ शायद उन्हें कुछ ज़रूरी जानकारी मिल जाए। ये एक उम्मीद की किरण थी, और रिया ने तुरंत इस पर काम करना शुरू कर दिया।
"ये एक अच्छा आइडिया है, प्रिया। चलो देखते हैं कि क्या हमें कुछ मिलता है," रिया ने कहा, उसकी आँखों में एक नई उम्मीद थी।
रिया पुरानी फाइलों और अभिलेखागारों में घंटों बिताती है, वह बहुत धैर्य से काम करती है, यह जानती है कि यह उसका आखिरी मौका है। धूल भरी फाइलों के बीच, वो अपनी उम्मीद को जिंदा रखे हुए थी।
"मुझे कुछ तो मिलना चाहिए," रिया ने मन में सोचा, उसका ध्यान पूरी तरह से फाइलों पर था।
प्रोफेसर विक्रम अचानक अभिलेखागार में आते हैं और रिया को देर रात तक काम करते हुए देखते हैं, उनके चेहरे पर एक अजीब सा भाव है। ये एक अप्रत्याशित मुलाकात थी, और रिया हैरान थी कि प्रोफेसर विक्रम वहां क्या कर रहे हैं।
"तुम यहाँ क्या कर रही हो, रिया?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा, उनकी आवाज में उत्सुकता थी।
प्रोफेसर विक्रम रिया को एक पुरानी फाइल की तरफ इशारा करते हैं, बिना कुछ कहे, जैसे वह उसे अनजाने में मदद कर रहे हों। ये एक रहस्यमय इशारा था, और रिया समझ नहीं पा रही थी कि प्रोफेसर विक्रम ऐसा क्यों कर रहे हैं।
रिया उस फाइल को खोलती है और उसे वही डेटा मिलता है जिसकी उसे तलाश थी, वह प्रोफेसर विक्रम की ओर देखती है, जो चुपचाप वहां से चले जाते हैं। वो डेटा, जो उसे इतनी मुश्किलों के बाद मिला था, आखिरकार उसके हाथ में था।
"क्या प्रोफेसर विक्रम ने मेरी मदद की?" रिया ने मन में सोचा, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।
रिया की टीम लापता डेटा के साथ प्रोजेक्ट को पूरा करती है और उसे प्रोफेसर विक्रम को जमा कर देती है, इस बार बिना किसी कमी के। वो जानती थी कि उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, और अब वो प्रोफेसर विक्रम के फैसले का इंतजार कर रही थी।
"मैंने अपना काम पूरा कर दिया है, सर," रिया ने कहा, उसकी आवाज में गर्व था।
प्रोफेसर विक्रम रिया के प्रोजेक्ट की बारीकी से जांच करते हैं, और इस बार उन्हें कोई गलती नहीं मिलती, उनके चेहरे पर एक अनकही संतुष्टि है। प्रोफेसर विक्रम की आँखों में एक हल्की सी मुस्कान थी, जो रिया ने पहले कभी नहीं देखी थी।
"तुमने अच्छा काम किया है, रिया," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज में प्रशंसा थी।
प्रोफेसर विक्रम रिया से कहते हैं कि वह कल कॉलेज के कैफ़े में उससे मिले। ये सुनकर रिया हैरान हो जाती है। क्या प्रोफेसर विक्रम उससे दोस्ती करना चाहते थे? या क्या वो उसे एक और चुनौती देने वाले थे? अब देखना ये था कि प्रोफेसर विक्रम रिया के लिए क्या योजना बना रहे थे, और क्या रिया उनके अतीत का राज जान पाएगी? रिया के मन में कई सवाल थे, जिनका जवाब उसे कल कैफ़े में मिलना था।
Chapter 14
रिया के मां, श्रीमती शर्मा, रिया के कॉलेज की नोक-झोक के किस्से सुनती हैं और अपनी बेटी को प्रोफेसर विक्रम से दूर रहने की सलाह देती हैं। वो अब भी डरी हुई थीं कि कहीं प्रोफेसर विक्रम रिया को कोई नुकसान न पहुंचा दें।
"रिया, मुझे लगता है कि तुम्हें थोड़ा संभलकर रहना चाहिए। प्रोफेसर विक्रम बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं, और उनसे दुश्मनी मोल लेना ठीक नहीं है," श्रीमती शर्मा ने कहा, उनकी आवाज में चिंता थी।
श्रीमती शर्मा रिया को बताती हैं कि प्रोफेसर विक्रम बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनसे दुश्मनी रिया के भविष्य के लिए अच्छी नहीं होगी। वो नहीं चाहती थीं कि रिया का भविष्य खतरे में पड़े।
"मुझे पता है, माँ, लेकिन मैं गलत के सामने झुक नहीं सकती। मैं सिर्फ सही के लिए लड़ रही हूँ," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज में आत्मविश्वास था।
रिया अपनी माँ को आश्वस्त करती है कि वह सिर्फ सही के लिए लड़ रही है और प्रोफेसर विक्रम को चुनौती देना उसे मज़ा आता है। उसे प्रोफेसर विक्रम के साथ मुकाबला करने में एक अलग ही किक मिलती थी।
प्रिया रिया को बताती है कि प्रोफेसर विक्रम की क्लास में अब रिया और प्रोफेसर के बीच होने वाली नोक-झोक की कहानियाँ कॉलेज में मशहूर हो गई हैं। वो कहती है कि अब सब लोग रिया को "प्रोफेसर विक्रम की दुश्मन नंबर वन" कहते हैं।
"यार, तू तो कॉलेज में लेजेंड बन गई है! हर कोई तुम्हारी और प्रोफेसर विक्रम की कहानियाँ सुना रहा है," प्रिया ने हंसते हुए कहा।
रोहन भी रिया से कहता है कि अब सब लोग जानते हैं कि अगर प्रोफेसर विक्रम से कोई पंगा ले सकता है, तो वह सिर्फ रिया ही है। वो कहता है कि अब रिया कॉलेज की "दबंग" बन गई है।
"हाँ, अब तो सब यही कहते हैं कि अगर किसी को प्रोफेसर विक्रम से डर नहीं लगता, तो वो सिर्फ रिया है," रोहन ने कहा।
प्रोफेसर विक्रम भी इस बात से वाकिफ हैं कि उनके और रिया के बीच की जंग कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई है, और वह इसे चुनौती के रूप में लेते हैं। वो सोचते हैं कि अब रिया को हराना और भी मुश्किल होगा।
"रिया, तुमने कॉलेज में तूफान मचा दिया है। अब देखना ये है कि तुम इस तूफान को कहां तक ले जाती हो," प्रोफेसर विक्रम ने मन में सोचा।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम के पास रिया की शिकायत लेकर जाता है, यह कहते हुए कि रिया कॉलेज के माहौल को खराब कर रही है और अनुशासनहीन है। वो प्रोफेसर विक्रम का चमचा बनना चाहता था, लेकिन उसे पता नहीं था कि प्रोफेसर विक्रम उसकी चापलूसी से नफरत करते हैं।
"सर, मुझे लगता है कि रिया कॉलेज में बहुत अनुशासनहीनता फैला रही है, आपको कुछ करना चाहिए," आर्यन ने कहा, उसकी आवाज में जलन थी।
प्रोफेसर विक्रम आर्यन की बात को अनसुना कर देते हैं और उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह देते हैं, आर्यन के चापलूसी भरे व्यवहार से वह खुश नहीं हैं। वो जानते थे कि आर्यन सिर्फ अपना स्वार्थ साधने की कोशिश कर रहा है।
"आर्यन, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, और दूसरों के मामलों में दखल देना बंद करो," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज में सख्ती थी।
कॉलेज कैंटीन में रिया और रोहन के बीच कॉलेज की राजनीति और प्रोफेसर विक्रम के सख्त नियमों को लेकर मज़ेदार बहसें होती हैं, जिससे माहौल हल्का रहता है। रिया और रोहन एक-दूसरे को चिढ़ाते रहते हैं, लेकिन उनकी दोस्ती बहुत गहरी थी।
"यार, मुझे तो लगता है कि प्रोफेसर विक्रम अंदर से बहुत अच्छे हैं, बस ऊपर से सख्त दिखते हैं," रोहन ने कहा।
रिया अपने दोस्तों से कहती है कि प्रोफेसर विक्रम सिर्फ ऊपरी तौर पर सख्त हैं, और वह जानना चाहती है कि आखिर उनके कठोर स्वभाव के पीछे क्या राज़ है। वो सोचती है कि शायद प्रोफेसर विक्रम के अतीत में कोई ऐसी घटना घटी है, जिसकी वजह से वो इतने सख्त हो गए हैं।
"मुझे लगता है कि प्रोफेसर विक्रम के अंदर कुछ तो छुपा है, और मुझे वो राज़ जानना है," रिया ने कहा, उसकी आँखों में उत्सुकता थी।
तभी प्रोफेसर विक्रम कैंटीन में आते हैं, और रिया उनसें पूछने ही वाली होती है कि उनकी नज़र पड़ती है प्रोफेसर विक्रम की आंखों पर, जिनमें उसे हल्का सा दर्द दीखता है। वो समझ जाती है कि ये सही वक़्त नहीं है, पर उसकी उत्सुकता अब और भी बढ़ जाती है। प्रोफेसर विक्रम आगे बढ़ते हैं, और रिया को हल्की सी मुस्कराहट के साथ देखते हैं, और रिया को लगता है कि शायद अब वो उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं। रिया के मन में एक सवाल उठता है- क्या अब वो प्रोफेसर विक्रम के दिल में जगह बना पाएगी? अब देखना ये है कि प्रोफेसर विक्रम का अगला कदम क्या होगा, और क्या रिया उनके कठोर स्वभाव के पीछे छुपे राज़ को जान पाएगी?
Chapter 15
प्रोफेसर विक्रम क्लास में एक जटिल केस स्टडी पर चर्चा शुरू करते हैं, और जानबूझकर रिया को सबसे मुश्किल सवाल पूछते हैं। वो देखना चाहते थे कि क्या रिया वाकई में इतनी होशियार है, जितनी वो दिखाती है।
"रिया, तुम बताओ इस केस में क्या किया जाना चाहिए?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा, उनकी आवाज में चुनौती थी।
रिया अपनी समझदारी और त्वरित सोच का उपयोग करके प्रोफेसर विक्रम के हर सवाल का जवाब देती है, जिससे प्रोफेसर को भी थोड़ा आश्चर्य होता है। वो जानती थी कि प्रोफेसर विक्रम उसे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो हार मानने वाली नहीं थी।
"मुझे लगता है कि इस केस में ये कदम उठाने चाहिए," रिया ने कहा, उसकी आवाज में आत्मविश्वास था।
एक डिस्कशन के दौरान, प्रोफेसर विक्रम एक विवादास्पद मुद्दा उठाते हैं, जहाँ वे छात्रों से अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं। वो देखना चाहते थे कि रिया इस मुद्दे पर क्या राय रखती है।
"तुम लोगों का इस मुद्दे पर क्या विचार है?" प्रोफेसर विक्रम ने पूछा, उनकी आवाज में उत्सुकता थी।
रिया ईमानदारी से अपने विचार प्रस्तुत करती है, जो प्रोफेसर विक्रम के स्थापित विचारों से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जिससे क्लास में सन्नाटा छा जाता है। रिया जानती थी कि उसके विचार प्रोफेसर विक्रम को पसंद नहीं आएंगे, लेकिन वो अपनी बात कहने से डरने वाली नहीं थी।
"मुझे लगता है कि ये विचार गलत है," रिया ने कहा, उसकी आवाज में दृढ़ता थी।
प्रोफेसर विक्रम रिया के विचारों को तर्कहीन बताते हुए उनका खंडन करते हैं, और दोनों के बीच एक तीखी बहस शुरू हो जाती है। क्लास में गर्मी बढ़ गई थी, और सभी छात्र चुपचाप देख रहे थे।
"तुम्हारे विचार बिल्कुल गलत हैं, रिया," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज में क्रोध था।
"मुझे नहीं लगता कि मेरे विचार गलत हैं, सर," रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज में आत्मविश्वास था।
क्लास के अन्य छात्र इस बहस को चुपचाप देखते रहते हैं, कोई भी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि यह अब एक व्यक्तिगत जंग बनती जा रही है। उन्हें डर था कि अगर उन्होंने कुछ कहा तो प्रोफेसर विक्रम गुस्सा हो जाएंगे।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम का पक्ष लेने की कोशिश करता है और रिया के विचारों को गलत साबित करने के लिए कुछ तर्क देता है। वो प्रोफेसर विक्रम की नजरों में अच्छा बनना चाहता था।
"मुझे लगता है कि प्रोफेसर विक्रम सही कह रहे हैं, रिया," आर्यन ने कहा, उसकी आवाज में चापलूसी थी।
रिया आर्यन के तर्क को भी अपनी समझदारी से काट देती है, जिससे आर्यन और भी चिढ़ जाता है। वो रिया को हराने के लिए कुछ भी करने को तैयार था।
"तुम्हारे तर्क में कोई दम नहीं है, आर्यन," रिया ने कहा, उसकी आवाज में तिरस्कार था।
प्रोफेसर विक्रम अंततः बहस को समाप्त करते हैं, यह कहते हुए कि रिया के विचार अव्यावहारिक हैं और उसे अभी और सीखने की ज़रूरत है। वो जानते थे कि रिया हार मानने वाली नहीं है, और वो उसे चुनौती देते रहेंगे।
"बस करो, रिया। तुम्हारे विचार अभी अव्यावहारिक हैं," प्रोफेसर विक्रम ने कहा, उनकी आवाज में सख्ती थी।
रिया मन ही मन ठान लेती है कि वह प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करके दिखाएगी, और यह सिर्फ विचारों की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व की जंग है। वो जानती थी कि उसे प्रोफेसर विक्रम को हराना है, चाहे कुछ भी हो जाए।
रिया अपने दोस्तों के साथ कैंटीन में बैठती है, और वो प्रोफेसर विक्रम के अगले कदम के बारे में सोच रही थी। तभी उसे पता चलता है कि कॉलेज में अंतर-विश्वविद्यालयीय बहस प्रतियोगिता होने वाली है। रिया को लगता है कि ये प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करने का एक अच्छा मौका है, लेकिन क्या प्रोफेसर विक्रम उसे भाग लेने देंगे? अब देखना ये है कि रिया इस चुनौती का सामना कैसे करती है, और क्या वो प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित कर पाएगी?
Chapter 16
कॉलेज में एक अंतर-विश्वविद्यालयीय बहस प्रतियोगिता की घोषणा होती है, जिसका आयोजन प्रोफेसर विक्रम कर रहे हैं। यह खबर रिया तक पहुंचते ही उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक आ जाती है, क्योंकि वह जानती है कि ये प्रोफेसर विक्रम से अपनी बातों को साबित करने का एक सुनहरा अवसर है।
"वाह! यह तो कमाल का मौका है। अब मैं प्रोफेसर विक्रम को दिखाऊंगी कि मेरे विचारों में कितनी दम है," रिया ने उत्साह से कहा।
रिया प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उत्सुक है, क्योंकि यह उसके विचारों को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने का एक और मौका है। उसे लगता है कि इस प्रतियोगिता से वो न केवल प्रोफेसर विक्रम को, बल्कि पूरे कॉलेज को अपनी काबिलियत दिखा सकती है।
प्रोफेसर विक्रम रिया को प्रतियोगिता में भाग लेने से मना कर देते हैं, यह कहते हुए कि वह अनुशासनहीन है और कॉलेज का नाम खराब कर सकती है। उनकी नज़र में रिया एक ऐसी छात्रा है जो नियमों को तोड़ती है और हमेशा विवादों में घिरी रहती है।
"रिया, तुम इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकती। तुम्हारी अनुशासनहीनता की वजह से मैं तुम्हें कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति नहीं दे सकता," प्रोफेसर विक्रम ने कठोरता से कहा।
रिया प्रोफेसर विक्रम के इस फैसले से गुस्सा होती है और डीन सुरेश कुमार के पास जाती है, उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करती है। वह डीन को बताती है कि प्रोफेसर विक्रम उसके साथ भेदभाव कर रहे हैं और उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं दे रहे हैं।
"डीन सर, प्रोफेसर विक्रम मेरे साथ अन्याय कर रहे हैं। मैं इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं, लेकिन वो मुझे रोक रहे हैं," रिया ने डीन से गुहार लगाई।
डीन सुरेश प्रोफेसर विक्रम से बात करते हैं और उन्हें रिया को एक मौका देने के लिए कहते हैं, लेकिन प्रोफेसर विक्रम अपनी बात पर अड़े रहते हैं। वह डीन को समझाते हैं कि रिया का अतीत अनुशासनहीन रहा है, और वह कॉलेज के लिए एक अच्छा प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएगी।
"सुरेश, मैं रिया को इस प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति नहीं दे सकता। मुझे डर है कि वह कोई गड़बड़ कर देगी और कॉलेज का नाम खराब होगा," प्रोफेसर विक्रम ने कहा।
रिया फिर भी प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला करती है, वह चुपचाप अपना नाम दाखिल कर देती है और अभ्यास करना शुरू कर देती है। वह जानती है कि प्रोफेसर विक्रम को पता चलने पर उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वह हार मानने वाली नहीं है।
"मैं किसी भी कीमत पर इस प्रतियोगिता में भाग लूंगी। मैं प्रोफेसर विक्रम को दिखाऊंगी कि मैं क्या कर सकती हूं," रिया ने दृढ़ निश्चय से कहा।
प्रिया और रोहन रिया का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्हें डर है कि अगर प्रोफेसर विक्रम को पता चला तो क्या होगा। वे रिया को सावधान रहने और किसी भी विवाद से बचने की सलाह देते हैं।
आर्यन को रिया के गुप्त रूप से प्रतियोगिता में भाग लेने का पता चलता है और वह प्रोफेसर विक्रम को यह बात बताने की कोशिश करता है, ताकि रिया को सज़ा मिल सके। वह प्रोफेसर विक्रम का विश्वास जीतने और रिया को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता।
प्रोफेसर विक्रम को रिया के भाग लेने की खबर मिलती है, और वह क्रोधित हो जाते हैं, वह प्रतियोगिता के दिन रिया को रोकने का फैसला करते हैं। उन्हें लगता है कि रिया ने उनकी बात नहीं मानकर उनका अपमान किया है।
रिया प्रतियोगिता के मंच पर आत्मविश्वास से खड़ी है, प्रोफेसर विक्रम उसे रोकने के लिए वहाँ पहुँचते हैं, और दोनों एक बार फिर आमने-सामने होते हैं। अब देखना ये है कि क्या रिया प्रोफेसर विक्रम को अपनी बात साबित कर पाएगी, और क्या वो इस प्रतियोगिता में भाग लेकर कॉलेज का नाम रोशन कर पाएगी? क्या प्रोफेसर विक्रम रिया को बोलने का मौका देंगे, या उसे जबरदस्ती मंच से उतार देंगे? रिया की हिम्मत और प्रोफेसर विक्रम का गुस्सा, इस कहानी को किस मोड़ पर ले जाएंगे, ये देखना दिलचस्प होगा।
Chapter 17
प्रोफेसर विक्रम रिया को मंच से उतरने का आदेश देते हैं, लेकिन रिया मना कर देती है और कहती है कि उसे बोलने का अधिकार है। उसकी आवाज़ में डर नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय था।
"मैं यहां से नहीं जाऊंगी, सर। मुझे अपनी बात कहने का हक है, और मैं उसे इस्तेमाल करूंगी," रिया ने आत्मविश्वास से कहा।
डीन सुरेश भी वहाँ पहुँच जाते हैं और प्रोफेसर विक्रम को शांत करने की कोशिश करते हैं, उन्हें रिया को एक मौका देने के लिए कहते हैं। डीन समझते थे कि रिया में प्रतिभा है, और उसे रोकने से कॉलेज का ही नुकसान होगा।
"विक्रम, रिया को बोलने दो। देखो तो, शायद कुछ अच्छा ही निकल आए," डीन ने प्रोफेसर विक्रम को समझाया।
रिया अपनी बात शुरू करती है, वह एक जटिल सामाजिक मुद्दे पर अपनी प्रस्तुति देती है, और उसके तर्क बेहद प्रभावशाली होते हैं। वो मुद्दे की गहराई में जाती है, और अपने तर्कों से सभी को सोचने पर मजबूर कर देती है।
प्रोफेसर विक्रम मंच के किनारे खड़े होकर रिया की प्रस्तुति को देखते हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं है, लेकिन उनके अंदर कहीं न कहीं रिया की काबिलियत का एहसास होता है। उन्हें मानना पड़ेगा कि रिया में कुछ तो ख़ास है।
रिया अपनी परफॉर्मेंस से सबको हैरान कर देती है, उसके बोलने का अंदाज़ और विचारों की स्पष्टता सभी को प्रभावित करती है। वह शब्दों को ऐसे पिरोती है कि हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।
प्रतियोगिता खत्म होने के बाद, रिया को बेस्ट डिबेटर का पुरस्कार मिलता है, और सभी छात्र उसे बधाई देते हैं। कॉलेज में रिया की जीत की धूम मच जाती है।
आर्यन रिया की जीत से जल जाता है और गुस्से में वहां से चला जाता है। वह अभी भी रिया को नीचा दिखाने के मौके की तलाश में था।
प्रोफेसर विक्रम पुरस्कार समारोह में रिया को बधाई नहीं देते, लेकिन जब रिया उनकी तरफ देखती है, तो वह पलक झपकाते हैं, जैसे यह उनकी तरफ से एक गुप्त स्वीकृति हो। यह उनकी दबी हुई प्रशंसा का तरीका था।
रिया प्रोफेसर विक्रम की इस सूक्ष्म प्रतिक्रिया को पहचान लेती है और उसे लगता है कि प्रोफेसर विक्रम कहीं न कहीं उसकी काबिलियत को समझते हैं। उसे एहसास होता है कि शायद प्रोफेसर विक्रम इतने भी बुरे नहीं हैं।
रिया घर लौटती है और श्रीमती शर्मा को अपनी जीत के बारे में बताती है, श्रीमती शर्मा खुश होती हैं लेकिन अभी भी प्रोफेसर विक्रम से डरी हुई रहती हैं। माँ को अभी भी प्रोफेसर विक्रम पर पूरी तरह से विश्वास नहीं था।
अगले दिन रिया के सामने एक नयी चुनौती खड़ी है। प्रोफेसर विक्रम ने उसे एक बेहद मुश्किल प्रोजेक्ट दिया है, जिसमें कॉलेज के बाहर एक वास्तविक सामाजिक समस्या का समाधान खोजना है। रिया जानती है कि यह प्रोफेसर विक्रम का उसे परखने का एक और तरीका है। क्या रिया इस नयी चुनौती का सामना कर पाएगी, और क्या वह प्रोफेसर विक्रम का दिल जीत पाएगी? अब देखना ये है कि रिया इस मुश्किल प्रोजेक्ट को कैसे पूरा करती है, और क्या यह उसकी और प्रोफेसर विक्रम की कहानी में एक नया मोड़ लेकर आएगा।
Chapter 18
रिया की मां, श्रीमती शर्मा, रिया के कॉलेज की नोक-झोक के किस्से सुनती हैं और अपनी बेटी को प्रोफेसर विक्रम से दूर रहने की सलाह देती हैं। वह हमेशा रिया के भविष्य को लेकर चिंतित रहती हैं और प्रोफेसर विक्रम जैसे प्रभावशाली व्यक्ति से दुश्मनी रिया के लिए ठीक नहीं मानतीं।
"रिया, मेरी बात मानो और उस प्रोफेसर विक्रम से दूर रहो। वो आदमी खतरनाक है, और मुझे डर है कि वो तुम्हारा कुछ बिगाड़ देगा," श्रीमती शर्मा ने चिंता भरी आवाज में कहा।
श्रीमती शर्मा रिया को बताती हैं कि प्रोफेसर विक्रम बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनसे दुश्मनी रिया के भविष्य के लिए अच्छी नहीं होगी। उन्हें डर है कि प्रोफेसर विक्रम अपनी ताकत का इस्तेमाल करके रिया के करियर को बर्बाद कर सकते हैं।
रिया अपनी माँ को आश्वस्त करती है कि वह सिर्फ सही के लिए लड़ रही है और प्रोफेसर विक्रम को चुनौती देना उसे मज़ा आता है। रिया के लिए यह सिर्फ एक पंगा नहीं है, बल्कि अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करने का एक तरीका है।
"मां, मैं गलत के सामने झुकने वाली नहीं हूं। प्रोफेसर विक्रम चाहे कितने भी प्रभावशाली हों, मैं सच के लिए लड़ती रहूंगी," रिया ने अपनी मां को समझाया।
प्रिया रिया को बताती है कि प्रोफेसर विक्रम की क्लास में अब रिया और प्रोफेसर के बीच होने वाली नोक-झोक की कहानियाँ कॉलेज में मशहूर हो गई हैं। हर कोई जानना चाहता है कि अगली बार क्या होगा, और रिया और प्रोफेसर विक्रम के बीच कौन जीतेगा।
"रिया, तुम्हें पता है? अब कॉलेज में हर कोई तुम्हारी और प्रोफेसर विक्रम की कहानियाँ सुनाता है। तुम दोनों तो लेजेंड बन गए हो," प्रिया ने हंसते हुए कहा।
रोहन भी रिया से कहता है कि अब सब लोग जानते हैं कि अगर प्रोफेसर विक्रम से कोई पंगा ले सकता है, तो वह सिर्फ रिया ही है। रिया के दोस्तों को उस पर गर्व है, लेकिन वे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित भी हैं।
प्रोफेसर विक्रम भी इस बात से वाकिफ हैं कि उनके और रिया के बीच की जंग कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई है, और वह इसे चुनौती के रूप में लेते हैं। उन्हें लगता है कि रिया उन्हें कमजोर दिखाने की कोशिश कर रही है, और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम के पास रिया की शिकायत लेकर जाता है, यह कहते हुए कि रिया कॉलेज के माहौल को खराब कर रही है और अनुशासनहीन है। आर्यन अभी भी रिया को नीचा दिखाने और प्रोफेसर विक्रम का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहा है।
प्रोफेसर विक्रम आर्यन की बात को अनसुना कर देते हैं और उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह देते हैं, आर्यन के चापलूसी भरे व्यवहार से वह खुश नहीं हैं। उन्हें पता है कि आर्यन सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।
कॉलेज कैंटीन में रिया और रोहन के बीच कॉलेज की राजनीति और प्रोफेसर विक्रम के सख्त नियमों को लेकर मज़ेदार बहसें होती हैं, जिससे माहौल हल्का रहता है। रिया और रोहन के बीच की दोस्ती बहुत गहरी है, और वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देते हैं।
रिया अपने दोस्तों से कहती है कि प्रोफेसर विक्रम सिर्फ ऊपरी तौर पर सख्त हैं, और वह जानना चाहती है कि आखिर उनके कठोर स्वभाव के पीछे क्या राज़ है। उसे लगता है कि प्रोफेसर विक्रम के अतीत में कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से वह इतने बदल गए हैं।
रिया का कहना है कि प्रोफेसर विक्रम के चेहरे पर कभी-कभी एक अजीब सी उदासी दिखती है, जैसे वह किसी गहरे दर्द को छुपा रहे हों। वह उस राज़ को जानने के लिए उत्सुक है जो प्रोफेसर विक्रम को इतना कठोर बनाता है। क्या रिया प्रोफेसर विक्रम के दिल में छुपे राज़ को जान पाएगी, और क्या इससे उनके रिश्ते में कोई बदलाव आएगा? अब देखना ये है कि रिया किस तरह से प्रोफेसर विक्रम के अतीत के बारे में पता लगाती है, और क्या इससे उनके रिश्ते में कोई नया मोड़ आता है। कहानी अब और भी दिलचस्प हो गई है, क्योंकि रिया एक नए मिशन पर निकल पड़ी है: प्रोफेसर विक्रम को समझना।
Chapter 19
प्रोफेसर विक्रम क्लास में एक जटिल केस स्टडी पर चर्चा शुरू करते हैं, और जानबूझकर रिया को सबसे मुश्किल सवाल पूछते हैं। उनका मकसद रिया को मुश्किल में डालना और उसे नीचा दिखाना होता है।
"रिया, तुम बताओ, इस परिस्थिति में कंपनी को क्या करना चाहिए?" प्रोफेसर विक्रम ने रिया की तरफ देखते हुए पूछा, उनकी आंखों में एक चुनौती थी।
रिया अपनी समझदारी और त्वरित सोच का उपयोग करके प्रोफेसर विक्रम के हर सवाल का जवाब देती है, जिससे प्रोफेसर को भी थोड़ा आश्चर्य होता है। रिया हर सवाल का जवाब इतनी आसानी से देती है जैसे उसे सब कुछ पता हो।
एक डिस्कशन के दौरान, प्रोफेसर विक्रम एक विवादास्पद मुद्दा उठाते हैं, जहाँ वे छात्रों से अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं। उनका मकसद छात्रों को भड़काना और उनके बीच बहस करवाना होता है।
रिया ईमानदारी से अपने विचार प्रस्तुत करती है, जो प्रोफेसर विक्रम के स्थापित विचारों से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जिससे क्लास में सन्नाटा छा जाता है। रिया के विचार इतने अलग थे कि हर कोई हैरान रह गया।
प्रोफेसर विक्रम रिया के विचारों को तर्कहीन बताते हुए उनका खंडन करते हैं, और दोनों के बीच एक तीखी बहस शुरू हो जाती है। प्रोफेसर विक्रम रिया को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन रिया अपने तर्कों पर अड़ी रहती है।
क्लास के अन्य छात्र इस बहस को चुपचाप देखते रहते हैं, कोई भी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि यह अब एक व्यक्तिगत जंग बनती जा रही है। हर कोई जानता है कि रिया और प्रोफेसर विक्रम के बीच कुछ तो चल रहा है।
आर्यन प्रोफेसर विक्रम का पक्ष लेने की कोशिश करता है और रिया के विचारों को गलत साबित करने के लिए कुछ तर्क देता है। आर्यन हमेशा प्रोफेसर विक्रम का चमचा बनने की कोशिश करता है।
रिया आर्यन के तर्क को भी अपनी समझदारी से काट देती है, जिससे आर्यन और भी चिढ़ जाता है। रिया आर्यन को हर बार चुप करा देती है, जिससे वह और भी गुस्सा हो जाता है।
प्रोफेसर विक्रम अंततः बहस को समाप्त करते हैं, यह कहते हुए कि रिया के विचार अव्यावहारिक हैं और उसे अभी और सीखने की ज़रूरत है। प्रोफेसर विक्रम रिया को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
रिया मन ही मन ठान लेती है कि वह प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करके दिखाएगी, और यह सिर्फ विचारों की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व की जंग है। रिया जानती है कि उसे प्रोफेसर विक्रम को हराना है।
रिया ने एक गहरा निश्चय किया, उसकी आँखों में एक चमक थी जो प्रोफेसर विक्रम को चुनौती दे रही थी। उसने सोचा, "मैं तुम्हें गलत साबित करके रहूंगी, प्रोफेसर। यह सिर्फ विचारों की जंग नहीं है, यह मेरे अस्तित्व की जंग है।"
उस रात, रिया लाइब्रेरी में देर तक पढ़ती रही, प्रोफेसर विक्रम के विचारों के विपरीत नए तर्क खोजती रही। प्रिया और रोहन भी उसकी मदद कर रहे थे, वे जानते थे कि रिया कितनी दृढ़ है।
अगले दिन, रिया क्लास में प्रोफेसर विक्रम के हर सवाल का जवाब देती रही, हर तर्क को चुनौती देती रही। प्रोफेसर विक्रम हैरान थे, उन्होंने रिया को इतना तैयार कभी नहीं देखा था।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, रिया और प्रोफेसर विक्रम के बीच की जंग और भी तेज होती गई। हर क्लास एक नई चुनौती थी, हर बहस एक नया युद्ध। लेकिन रिया हार मानने को तैयार नहीं थी, वह प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करके रहेगी।
क्या रिया प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित कर पाएगी? क्या यह जंग रिया को और प्रोफेसर विक्रम को करीब लाएगी, या उन्हें और दूर कर देगी? अब देखना ये है कि रिया किस तरह से प्रोफेसर विक्रम को चुनौती देती है, और क्या इससे उनके रिश्ते में कोई नया मोड़ आता है।
The chapter ends on a note of unresolved tension, setting the stage for a continued intellectual and personal battle between Ria and Professor Vikram. The reader is left wondering if Ria will succeed in proving Professor Vikram wrong and what the consequences of their ongoing conflict will be.
Chapter 20
प्रोफेसर विक्रम एक नए और चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट की घोषणा करते हैं, जिसे पूरा करने के लिए छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्या का समाधान खोजना है। इस प्रोजेक्ट का मकसद छात्रों को सोचने पर मजबूर करना और उन्हें दुनिया को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करना है।
"यह प्रोजेक्ट आपकी किताबी ज्ञान की परीक्षा नहीं है, बल्कि यह देखने का मौका है कि आप उस ज्ञान का उपयोग वास्तविक दुनिया में कैसे करते हैं," प्रोफेसर विक्रम ने क्लास में कहा।
प्रोफेसर विक्रम रिया को इस प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित करते हैं, यह जानते हुए कि रिया हमेशा चुनौतियों को पसंद करती है। उन्हें लगता है कि रिया इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में सक्षम है।
रिया चुनौती स्वीकार करती है, यह समझकर कि यह प्रोफेसर विक्रम के साथ उसकी योग्यता साबित करने का एक और मौका है। रिया जानती है कि यह प्रोजेक्ट उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
आर्यन भी इस प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए उत्सुक है और प्रोफेसर विक्रम का चमचा बनने की कोशिश करता है, ताकि उसे अच्छी टीम में रखा जाए। आर्यन हमेशा रिया को नीचा दिखाने और प्रोफेसर विक्रम का विश्वास जीतने की कोशिश करता है।
प्रोफेसर विक्रम जानबूझकर रिया को एक ऐसी टीम में डालते हैं जहाँ के अन्य सदस्य थोड़े कमज़ोर या अनुभवहीन होते हैं। वह देखना चाहते हैं कि रिया अपनी टीम को कैसे मैनेज करती है।
आर्यन को एक मज़बूत टीम मिलती है, और वह रिया को देखकर मुस्कुराता है, यह सोचते हुए कि वह अब रिया को आसानी से हरा सकता है। आर्यन को लगता है कि इस बार उसकी जीत पक्की है।
रिया अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करती है और उन्हें प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए उत्साहित करती है, वह अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाती है। रिया जानती है कि उसे अपनी टीम को साथ लेकर चलना है।
"हम यह प्रोजेक्ट जरूर जीतेंगे, दोस्तों। हमें बस एक साथ मिलकर काम करना है," रिया ने अपनी टीम से कहा।
प्रोफेसर विक्रम व्यक्तिगत रूप से सभी टीमों की प्रगति पर कड़ी नज़र रखते हैं, और रिया की टीम पर विशेष रूप से ज़्यादा ध्यान देते हैं। वह देखना चाहते हैं कि रिया अपनी टीम को कैसे आगे बढ़ाती है।
रिया और उसकी टीम प्रोजेक्ट पर दिन-रात मेहनत करती है, रिया अपनी रचनात्मकता और स्मार्टनेस का उपयोग करती है। रिया जानती है कि उसे प्रोफेसर विक्रम को गलत साबित करना है।
प्रोफेसर विक्रम रिया की टीम की प्रगति रिपोर्ट देखते हैं और उसमें कुछ कमियाँ निकालते हैं, रिया को और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। वह चाहते हैं कि रिया अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन करे।
रिया प्रोफेसर विक्रम से कहती है, "मैं आपको निराश नहीं करूंगी, प्रोफेसर। मैं यह प्रोजेक्ट जीतकर दिखाऊंगी।"
उस रात, रिया लाइब्रेरी में देर तक काम करती रही, अपनी टीम के सदस्यों के साथ मिलकर एक शानदार योजना बनाती रही। प्रिया और रोहन भी उसकी मदद कर रहे थे, वे जानते थे कि रिया कितनी मेहनती है।
लेकिन आर्यन भी चुप नहीं बैठा था, वह रिया की टीम को हराने के लिए नई साजिशें रच रहा था। उसे पता था कि रिया को हराना आसान नहीं है।
अगले दिन, रिया और उसकी टीम प्रोफेसर विक्रम के ऑफिस में अपनी प्रगति रिपोर्ट जमा करने गए। प्रोफेसर विक्रम ने रिपोर्ट को ध्यान से देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि आप लोग अच्छा करेंगे।"
रिया ने प्रोफेसर विक्रम की आँखों में देखा और कहा, "हम आपको गर्व महसूस कराएंगे, प्रोफेसर।"
क्या रिया अपनी टीम को सफलता दिला पाएगी? क्या आर्यन अपनी साजिशों में कामयाब हो पाएगा? और क्या प्रोफेसर विक्रम रिया की मेहनत को सराहेंगे? अब देखना ये है कि रिया किस तरह से इस प्रोजेक्ट को पूरा करती है, और क्या इससे उनके रिश्ते में कोई नया मोड़ आता है।
The chapter ends with a sense of anticipation, as Ria and her team embark on their challenging project. The reader is left wondering if Ria will be able to overcome the obstacles in her path and prove her worth to Professor Vikram.