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इलाज या इम्तेहान?

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Jahnavi Sharma

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वैदेही रघुवंशी, एक प्रामाणिक न्यूज रिपोर्टर, जी नेहमी सत्याच्या बाजूने उभी राहिली आहे. काय होईल जेव्हा वैदेही राजकारणाच्या गलिच्छ खेळात फसेल? जाणून घेण्यासाठी वाचा, "राज-नीती: एक गलिच्छ खेळ".<br />

Total Chapters (101)

Page 1 of 6

  • 1. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 1

    Words: 978

    Estimated Reading Time: 6 min

    डॉ. निर्वाण कश्यप... नाम ही काफ़ी था। न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के हेड, एक ऐसी शख्सियत जिनका अस्पताल में कदम रखना ही एक अलग माहौल बना देता था। उनकी चाल में एक रौब था, जैसे कोई शेर जंगल में चलता है। उनका बेदाग़ सफ़ेद लैब कोट उनकी कठोर छवि को और भी ज़्यादा उभारता था। हर कोई जानता था कि डॉ. कश्यप से गलती की कोई गुंजाइश नहीं।

    ऑपरेशन थिएटर में सन्नाटा था, सिर्फ़ मशीनों की हल्की आवाज़ें गूंज रही थीं। डॉ. निर्वाण कश्यप एक जटिल सर्जरी कर रहे थे। उनकी नज़रें हर इक्विपमेंट, हर स्टाफ मेंबर पर टिकी हुई थीं। उनकी आँखों में एक अजीब सी तेज़ी थी, जो हर ग़लती को पकड़ लेती थी। वो किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते थे। "स्क्रब नर्स, फ़ोर्सेप्स!" उन्होंने बिना पलक झपकाए कहा। उनकी आवाज़ में एक हुक्म था, जिसे अनसुना करना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था।

    जूनियर डॉक्टर्स और नर्सें डॉ. निर्वाण के खौफ़ से कांपते थे। कोई भी उनके इंस्ट्रक्शंस पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं करता था। सब जानते थे कि अगर डॉ. कश्यप नाराज़ हो गए, तो करियर बर्बाद हो सकता है। एक छोटी सी ग़लती, और उनकी डांट सालों तक याद रहती। हर कोई परफेक्ट बनने की कोशिश करता, लेकिन डॉ. निर्वाण की उम्मीदें हमेशा आसमान छूती थीं।

    उसी दिन, अस्पताल में एक नई एंट्री हुई। टीना... थर्ड इयर मेडिकल स्टूडेंट, बिंदास और कॉन्फिडेंट। उसने अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप के पहले दिन कदम रखा। उसकी आँखों में जोश था, कुछ कर दिखाने का जज़्बा था, और थोड़ी सी शरारत भी। वो रूल्स तोड़ने में नहीं, रूल्स को चैलेंज करने में बिलीव करती थी। उसने अपने दोस्तों रवि और सारा को मैसेज किया, "गाइज़, आई एम इन! ये इंटर्नशिप मेरी लाइफ़ बदलने वाली है।"

    सुबह के वार्ड राउंड के दौरान, डॉ. निर्वाण एक-एक पेशेंट को चेक कर रहे थे। उनके पीछे जूनियर डॉक्टर्स और नर्सों की एक लंबी लाइन थी, सब सिर झुकाए, उनकी हर बात को ध्यान से सुन रहे थे। तभी डॉ. निर्वाण की नज़र एक यंग इंटर्न पर पड़ी, जो एक सिंपल मेडिकल प्रोटोकॉल में गलती कर रहा था।

    "तुम क्या कर रहे हो?" डॉ. निर्वाण ने अपनी तेज़ आवाज़ में पूछा। इंटर्न डर गया, उसका हाथ कांपने लगा। "ये एक बेसिक प्रोसीजर है, और तुम इसे भी ठीक से नहीं कर पा रहे हो? क्या तुम्हें मेडिकल स्कूल में कुछ भी सिखाया गया है?"

    इंटर्न कुछ जवाब देने की कोशिश करता, इससे पहले ही डॉ. निर्वाण ने उसे सबके सामने डांटना शुरू कर दिया। "तुम्हें पता भी है कि तुम्हारी इस ग़लती से पेशेंट को कितना नुकसान हो सकता है? तुम डॉक्टर बनने लायक़ भी हो या नहीं?"

    टीना ये सब देख रही थी। उसे ग़ुस्सा आ रहा था। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण को थोड़ा तो रहम दिखाना चाहिए। सबके सामने इस तरह किसी को बेइज़्ज़त करना ठीक नहीं था। उसने अपने आप से कहा, "ये सही नहीं है। पेशेंट्स के प्रति सेंसिटिविटी भी तो ज़रूरी है।"

    उसने हिम्मत जुटाई और डॉ. निर्वाण के सामने खड़ी हो गई। "एक्सक्यूज़ मी, सर," उसने कहा, "मुझे लगता है कि मरीज़ों के प्रति थोड़ी संवेदनशीलता और धैर्य भी ज़रूरी है। हर कोई एक जैसा नहीं होता, और कुछ लोग सीखने में थोड़ा ज़्यादा वक़्त लेते हैं।"

    डॉ. निर्वाण टीना की बेबाकी से भौंचक्के रह गए। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कोई इंटर्न उनसे इस तरह बहस करेगा। उनकी आवाज़ में कमांडिंग टोन और भी बढ़ गया। "तुम कौन हो?" उन्होंने पूछा। "और तुम्हें किसने इजाज़त दी कि तुम मेरे राउंड में दखल दो?"

    "मैं टीना हूं, सर। और मुझे लगता है कि यह कहना ज़रूरी था," उसने जवाब दिया। "पेशेंट्स सिर्फ़ मेडिकल केसेस नहीं होते, वो इंसान भी होते हैं।"

    डॉ. निर्वाण का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। "तुम्हें अभी मेरे राउंड से बाहर निकल जाना चाहिए," उन्होंने कहा। "तुम्हारी ये अकड़ तुम्हारे करियर को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर देगी।"

    "मुझे माफ़ कीजिए, सर, लेकिन मुझे अपनी बात कहनी होगी," टीना ने बिना डरे जवाब दिया। "अस्पताल सिर्फ़ साइंस का मैदान नहीं है, इंसानियत का भी है। हमें पेशेंट्स को सिर्फ़ एक नंबर की तरह नहीं देखना चाहिए।"

    डॉ. निर्वाण का ग़ुस्सा और भड़क गया। "तुम एक इंटर्न हो," उन्होंने कहा, "तुम्हें चुप रहना चाहिए और सीखना चाहिए। तुम्हें ये भी पता है कि मैं कौन हूं?"

    "मुझे पता है कि आप एक बेहतरीन सर्जन हैं," टीना ने जवाब दिया, "लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी को भी बेइज़्ज़त कर सकते हैं।"

    डॉ. निर्वाण ने टीना को चेतावनी दी कि उसकी ये अकड़ उसके करियर को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर देगी। "मैं तुम्हें अभी के अभी इस डिपार्टमेंट से डिसमिस कर सकता हूं," उन्होंने कहा।

    टीना एक पल के लिए भी अपनी ज़िद से नहीं हटी। उसकी आँखों में एक चुनौती भरा भाव था। "आप मुझे डिसमिस कर सकते हैं, सर," उसने कहा, "लेकिन आप मेरी आवाज़ को नहीं दबा सकते।"

    डॉ. निर्वाण ने टीना की आँखों में देखा। उन्हें उसमें डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी आग दिखाई दी। उन्होंने महसूस किया कि ये दोनों के बीच एक लंबा टकराव होने वाला है। उन्होंने एक गहरी सांस ली और कहा, "तुम्हें जल्द ही अपनी ग़लती का एहसास होगा, टीना। ये दुनिया उतनी आसान नहीं है, जितनी तुम्हें लगती है।"

    टीना ने जवाब दिया, "मुझे अपनी ग़लती का एहसास हो या न हो, लेकिन मैं अपनी बात कहने से कभी नहीं डरूंगी।" और फिर, वो राउंड से बाहर निकल गई, डॉ. निर्वाण को गुस्से से लाल चेहरा लिए वहीं खड़ा छोड़ गई। अस्पताल के गलियारों में एक अजीब सी शांति छा गई, जैसे किसी तूफ़ान से पहले होती है। टीना को नहीं पता था कि उसने क्या कर दिया है, लेकिन उसे ये ज़रूर पता था कि उसने सही किया है। उसने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी थी, और उसे उस पर कोई अफ़सोस नहीं था। पर, क्या उसकी ये बेबाकी उसे कहीं भारी तो नहीं पड़ने वाली?

  • 2. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 2

    Words: 1161

    Estimated Reading Time: 7 min

    टीना के राउंड से निकलने के कुछ ही मिनटों बाद, उसे डीन डॉ. मिश्रा के ऑफिस से बुलावा आ गया। उसे पता था, यही होने वाला था। उसने रवि और सारा को मैसेज किया, "गाइज़, लगता है मेरी इंटर्नशिप का दि एंड हो गया। डीन सर ने बुलाया है।"



    उसके कदम भारी हो रहे थे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने सोचा, "जो होगा, देखा जाएगा।" उसने डीन के ऑफिस का दरवाज़ा खटखटाया और अंदर चली गई।



    डॉ. मिश्रा अपने टेबल पर बैठे हुए थे। वो एक शांत स्वभाव के इंसान थे, लेकिन आज उनके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही थी। "टीना, बैठो," उन्होंने कहा। उनकी आवाज़ में नरमी थी, लेकिन एक गंभीरता भी थी।



    टीना सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। उसने सोचा, अब उसे हॉस्पिटल से निकालने का एलान होने वाला है।



    "मुझे पता है कि सुबह डॉ. निर्वाण के साथ तुम्हारी कुछ बहस हुई थी," डॉ. मिश्रा ने कहा। "मैं तुम्हें ये बताना चाहता हूं कि मैं डॉ. निर्वाण की काबिलियत का बहुत सम्मान करता हूं। वो इस अस्पताल के सबसे बेहतरीन न्यूरोसर्जन में से एक हैं।"



    टीना ने बीच में टोकते हुए कहा, "लेकिन सर, उनका तरीका..."



    "मैं जानता हूं, टीना," डॉ. मिश्रा ने उसे रोका। "मुझे पता है कि उनका स्वभाव थोड़ा कड़वा है। लेकिन मैं तुम्हें ये भी बताना चाहता हूं कि उन्होंने इस अस्पताल को बहुत कुछ दिया है। और इसीलिए, मैंने एक फ़ैसला लिया है।"



    टीना की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने सोचा, अब वो क्या कहने वाले हैं।



    "मैंने तुम्हें डॉ. निर्वाण की टीम में ही असाइन करने का फ़ैसला किया है," डॉ. मिश्रा ने कहा।



    टीना हैरान रह गई। "क्या?" उसने पूछा। "लेकिन सर, मुझे तो लगा था कि..."



    "मैं जानता हूं कि तुम क्या सोच रही थी," डॉ. मिश्रा ने जवाब दिया। "लेकिन मुझे लगता है कि ये तुम्हारे लिए एक बहुत बड़ा मौक़ा है। तुम्हें डॉ. निर्वाण से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। और शायद, तुम उन्हें थोड़ा बदल भी पाओ।"



    "लेकिन सर, ये तो..." टीना को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे।



    "ये एक स्पेशल इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत है," डॉ. मिश्रा ने कहा। "तुम्हें डॉ. निर्वाण के साथ ज़्यादा वक़्त बिताना होगा, उनकी सर्जरीज़ में असिस्ट करना होगा, और उनके रिसर्च प्रोजेक्ट्स में उनकी मदद करनी होगी।"



    टीना को ये फ़ैसला समझ में नहीं आ रहा था। उसे लग रहा था कि ये उसकी सबसे बड़ी सज़ा है। लेकिन फिर उसने सोचा, शायद ये उसके लिए डॉ. निर्वाण को ग़लत साबित करने का एक मौक़ा है।



    "ठीक है, सर," उसने कहा। "मैं ये चुनौती स्वीकार करती हूं।"



    डॉ. मिश्रा मुस्कुराए। "मुझे पता था कि तुम निराश नहीं करोगी," उन्होंने कहा। "मुझे उम्मीद है कि तुम और डॉ. निर्वाण मिलकर इस अस्पताल को और भी बेहतर बनाओगे।"



    टीना ऑफिस से बाहर निकली। उसके दिमाग में सवालों का बवंडर उठ रहा था। उसने रवि और सारा को तुरंत कॉल किया। "तुम लोग कभी गेस नहीं कर सकते कि क्या हुआ," उसने कहा। "मुझे हॉस्पिटल से निकाला नहीं गया, बल्कि डॉ. निर्वाण की टीम में ही डाल दिया गया है!"



    रवि और सारा ये सुनकर हैरान रह गए। "व्हाट?" रवि ने कहा। "क्या ये कोई मज़ाक है? अब तो वो तुम्हें और भी ज़्यादा परेशान करेंगे!"



    "मुझे भी यही लग रहा है," टीना ने जवाब दिया। "लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी। मैं उन्हें दिखाऊंगी कि मैं क्या कर सकती हूं।"



    "प्लीज़, अब कोई पंगा मत लेना," रवि ने उसे समझाया। "वरना तेरा करियर सच में ख़त्म हो जाएगा।" रवि, हमेशा से ही थोड़ा डरपोक था।



    "तू टेंशन मत ले यार," टीना ने कहा। "मैं सिचुएशन हैंडल कर लूंगी।"



    सारा, हमेशा शांत और मेहनती, ने कहा, "टीना, हम तेरे साथ हैं। जो भी होगा, हम मिलकर देखेंगे।"



    अगले दिन, वार्ड राउंड पर, डॉ. निर्वाण ने टीना को ऐसे इग्नोर किया जैसे वो वहां थी ही नहीं। उन्होंने उससे एक भी सवाल नहीं पूछा, उसकी तरफ़ देखा तक नहीं। टीना को लग रहा था कि वो हवा में तैर रही है, किसी को उसकी परवाह ही नहीं है।



    लेकिन फिर, डॉ. निर्वाण ने अचानक उसे सबसे मुश्किल मेडिकल केसेस पर सवाल पूछना शुरू कर दिया। वो ऐसे सवाल पूछ रहे थे, जिनका जवाब देना किसी भी इंटर्न के लिए मुश्किल था।



    "टीना, तुम बताओ, इस पेशेंट को क्या बीमारी है?" उन्होंने पूछा, उनकी आवाज़ में एक चुनौती थी।



    टीना ने एक गहरी सांस ली और जवाब दिया। उसने अपनी सारी नॉलेज और अपना कॉमन सेंस इस्तेमाल किया, और उसने सही जवाब दिया।



    डॉ. निर्वाण थोड़े हैरान हुए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने बस अगले पेशेंट की तरफ़ रुख किया।



    फिर उन्होंने एक और मुश्किल सवाल पूछा। और टीना ने फिर से सही जवाब दिया।



    डॉ. निर्वाण का इम्प्रेशन थोड़ा बदल रहा था। उन्हें लग रहा था कि ये लड़की शायद इतनी भी बेवक़ूफ़ नहीं है, जितनी वो दिखती है।



    अभिषेक, एक और मेडिकल स्टूडेंट जो हमेशा डॉ. निर्वाण को इम्प्रेस करने की कोशिश करता रहता था, ने टीना के जवाब में एक छोटी सी कमी ढूंढ निकाली। उसने डॉ. निर्वाण से कहा, "सर, टीना का जवाब पूरी तरह से सही नहीं था। इसमें एक छोटी सी ग़लती थी।"



    डॉ. निर्वाण ने अभिषेक को डांटते हुए कहा, "तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। तुम्हें दूसरों की ग़लतियाँ निकालने की ज़रूरत नहीं है।"



    फिर उन्होंने टीना से कहा, "तुम्हें अभी और सीखने की ज़रूरत है। अभी तुम परफेक्ट नहीं हो।"



    टीना राउंड से निकल गई। उसके मन में डॉ. निर्वाण को ग़लत साबित करने की और भी ज़्यादा दृढ़ता आ गई। उसने सोचा, "मैं तुम्हें दिखाऊंगी कि मैं क्या कर सकती हूं, डॉ. कश्यप। मैं तुम्हें ज़रूर दिखाऊंगी।"



    वो रवि और सारा के साथ कैफ़ेटेरिया में मिली। "यार, ये डॉ. कश्यप तो जान ले लेंगे," उसने कहा। "उन्होंने मुझे इतने मुश्किल सवाल पूछे कि मेरा दिमाग़ घूम गया।"



    "हमने कहा था ना, पंगा मत लो," रवि ने कहा।



    "मैं पंगा नहीं ले रही हूं," टीना ने जवाब दिया। "मैं बस अपना काम कर रही हूं। और मैं ये साबित करके रहूंगी कि मैं एक अच्छी डॉक्टर बन सकती हूं।"



    सारा ने टीना का हाथ पकड़ा और कहा, "हम जानते हैं कि तू कर सकती है, टीना। हम हमेशा तेरे साथ हैं।"



    टीना ने एक गहरी सांस ली और कहा, "थैंक यू गाइज़। तुम लोग नहीं होते, तो मैं क्या करती।"



    टीना को लग रहा था कि उसकी इंटर्नशिप एक जंग बन गई है। एक ऐसी जंग, जिसमें उसे अपनी काबिलियत साबित करनी है, और डॉ. निर्वाण को ग़लत साबित करना है। और वो ये जंग जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।



    उस रात, टीना ने अपने कमरे में बैठकर देर तक पढ़ाई की। उसने सारी मेडिकल बुक्स खोल लीं, और एक-एक चीज़ को ध्यान से पढ़ने लगी। वो हर सवाल का जवाब जानना चाहती थी, हर बीमारी को समझना चाहती थी। वो डॉ. निर्वाण को ये दिखाना चाहती थी कि वो सिर्फ़ एक मुँहफट लड़की नहीं है, बल्कि एक काबिल डॉक्टर भी है। और उसे इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था, कि ये तो बस शुरुआत है। असली चुनौती तो अब आने वाली थी...




  • 3. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 3

    Words: 1145

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगले दिन, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया। टीना की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसे लग रहा था, अब क्या होने वाला है। उसने रवि और सारा को मैसेज किया, "गाइज़, फिर से बुलावा आया है। दुआ करो कि इस बार मुझे हॉस्पिटल से निकाल ना दें।"





    उसने डॉ. निर्वाण के ऑफिस का दरवाज़ा खटखटाया और अंदर चली गई। डॉ. निर्वाण अपनी चेयर पर बैठे हुए थे, और उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उनकी आँखें ठंडी थीं, जैसे बर्फ़ की झील।





    "टीना, बैठो," उन्होंने कहा।





    टीना सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। उसने सोचा, आज तो वो बचने वाली नहीं है।





    "मैंने तुम्हें एक बहुत मुश्किल डायग्नोसिस केस असाइन करने का फ़ैसला किया है," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये एक ऐसा पेशेंट है, जिसकी बीमारी का पता लगाना बहुत मुश्किल है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि उसे क्या हुआ है।"





    टीना ने पूछा, "कैसा केस है, सर?"





    "एक यंग वुमन है, जो पिछले कुछ हफ़्तों से अजीबोगरीब सिम्टम्स दिखा रही है," डॉ. निर्वाण ने जवाब दिया। "उसे सरदर्द होता है, चक्कर आते हैं, और उसकी नज़र भी कमज़ोर हो गई है। हमने सारे टेस्ट कर लिए हैं, लेकिन कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।"





    "और आप चाहते हैं कि मैं इस केस को सॉल्व करूं?" टीना ने पूछा।





    "हां," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैं देखना चाहता हूं कि तुम कितनी काबिल हो। अगर तुम इस केस को सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाई, तो मैं तुम्हें हॉस्पिटल से डिसमिस कर दूंगा।"





    टीना को लग रहा था, जैसे किसी ने उसे ज़ोर का झटका दिया हो। "लेकिन सर, ये तो बहुत ज़्यादा प्रेशर है," उसने कहा।





    "लाइफ़ में प्रेशर तो होता ही है, टीना," डॉ. निर्वाण ने जवाब दिया। "अगर तुम ये प्रेशर हैंडल नहीं कर सकती, तो तुम डॉक्टर बनने लायक़ नहीं हो।"





    टीना ने एक गहरी सांस ली और कहा, "मैं ये चुनौती स्वीकार करती हूं, सर।"





    डॉ. निर्वाण मुस्कुराए। "मुझे पता था कि तुम निराश नहीं करोगी," उन्होंने कहा। "तुम्हारे पास इस केस को सॉल्व करने के लिए एक हफ़्ता है। अगर तुम फेल हो गई, तो तुम इस हॉस्पिटल में कभी कदम नहीं रख पाओगी।"





    टीना ऑफिस से बाहर निकली। वो गुस्से से कांप रही थी। उसे लग रहा था, जैसे डॉ. निर्वाण उसे जानबूझकर परेशान कर रहे हैं। उसने रवि और सारा को मैसेज किया, "गाइज़, ये तो हद हो गई। उन्होंने मुझे एक ऐसा केस दिया है, जिसे कोई भी सॉल्व नहीं कर पाया है। और अगर मैं फेल हो गई, तो वो मुझे हॉस्पिटल से निकाल देंगे!"





    रवि और सारा ये सुनकर हैरान रह गए। "ये तो बहुत बुरा हुआ, टीना," रवि ने कहा। "अब क्या करेगी?"





    "क्या करूंगी?" टीना ने जवाब दिया। "मैं इस केस को सॉल्व करूंगी। मैं डॉ. निर्वाण को दिखाऊंगी कि मैं क्या कर सकती हूं।"





    "लेकिन ये तो बहुत मुश्किल है, टीना," सारा ने कहा। "क्या तुझे सच में लगता है कि तू ये कर पाएगी?"





    "मुझे नहीं पता, सारा," टीना ने जवाब दिया। "लेकिन मैं ट्राई तो कर सकती हूं। मैं हार नहीं मानूंगी।"





    और फिर, टीना ने उस केस पर जी-जान से काम करना शुरू कर दिया। उसने पेशेंट की सारी मेडिकल रिपोर्ट्स पढ़ीं, सारे टेस्ट्स के रिजल्ट्स देखे, और सारे सिम्टम्स को ध्यान से समझा। उसने रवि और सारा से भी मदद मांगी, और उन तीनों ने मिलकर उस केस पर घंटों तक रिसर्च की।





    टीना लाइब्रेरी में घंटों बैठी रहती थी, मेडिकल बुक्स और जर्नल्स में सिम्टम्स और बीमारियों के बारे में पढ़ती रहती थी। उसने इंटरनेट पर भी बहुत रिसर्च की, और दुनिया भर के डॉक्टर्स के आर्टिकल्स और केस स्टडीज़ को पढ़ा। उसे लग रहा था कि वो एक डिटेक्टिव बन गई है, और उसे इस केस को सॉल्व करने के लिए हर सुराग को खोजना होगा।





    अभिषेक को जब पता चला कि टीना को इतना मुश्किल केस मिला है, तो वो बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, अब तो टीना ज़रूर फेल हो जाएगी, और डॉ. निर्वाण उसे हॉस्पिटल से निकाल देंगे। उसने टीना को परेशान करना और भी ज़्यादा शुरू कर दिया। वो लाइब्रेरी में आकर उसे गलत जानकारी देता था, और उसे हतोत्साहित करने की कोशिश करता था।





    एक दिन, अभिषेक ने टीना से कहा, "ये केस तो तू कभी सॉल्व नहीं कर पाएगी, टीना। ये तो तेरे बस की बात नहीं है। तू क्यों अपनी एनर्जी वेस्ट कर रही है? इससे अच्छा है कि तू अभी से हार मान ले।"





    टीना ने अभिषेक को इग्नोर कर दिया। उसे पता था कि वो सिर्फ़ उसे परेशान करने की कोशिश कर रहा है। उसने अपना सारा ध्यान उस केस पर लगा दिया, और वो देर रात तक हॉस्पिटल में रुककर काम करती रही।





    मिस्टर वर्मा, एक सीनियर नर्स जो डॉ. निर्वाण के शुरुआती दिनों से हॉस्पिटल में थे, टीना की लगन को देख रहे थे। वो थोड़ा मुस्कुराए, और उन्होंने सोचा, "ये लड़की ज़रूर कुछ कर दिखाएगी।"





    डॉ. निर्वाण भी अपने ऑफिस से टीना को देर रात तक काम करते हुए देख रहे थे। उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई, लेकिन उन्होंने उसे तुरंत छिपा लिया। उन्हें लग रहा था कि टीना में कुछ तो बात है, लेकिन वो अभी भी उसे हल्के में ले रहे थे।





    कई दिनों की कड़ी मेहनत के बाद, टीना को उस रहस्यमयी बीमारी का एक अनोखा और सटीक डायग्नोसिस मिल गया। वो डायग्नोसिस इतना रेयर था कि आमतौर पर डॉक्टर्स उसे मिस कर जाते थे।





    टीना खुशी से उछल पड़ी। उसने रवि और सारा को तुरंत कॉल किया, "मैंने कर दिखाया! मुझे उस बीमारी का पता चल गया!"





    रवि और सारा भी बहुत खुश हुए। "ये तो कमाल हो गया, टीना!" रवि ने कहा। "तू तो जीनियस है!"





    "अब बस डॉ. निर्वाण को ये प्रूव करना है कि तू सही है," सारा ने कहा।





    अगले दिन, टीना ने अपनी रिपोर्ट डॉ. निर्वाण को जमा कर दी। डॉ. निर्वाण ने रिपोर्ट ली, लेकिन उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उन्होंने बस कहा, "ठीक है, मैं इसे देख लूंगा।"





    टीना को लग रहा था, जैसे उसकी सारी मेहनत बेकार हो गई। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण उसे कभी क्रेडिट नहीं देंगे। लेकिन फिर उसने सोचा, उसे अपनी काबिलियत पर भरोसा है, और यही काफ़ी है।





    डॉ. निर्वाण ने टीना की रिपोर्ट पढ़ना शुरू किया। उन्होंने एक-एक लाइन को ध्यान से पढ़ा, एक-एक वर्ड को समझा। वो ये उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें उसमें कोई ग़लती मिलेगी, कोई कमी नज़र आएगी। लेकिन जैसे-जैसे वो पढ़ते गए, वो हैरान होते गए। टीना का डायग्नोसिस बिल्कुल सही था, और उसका लॉजिक बिल्कुल सॉलिड था। डॉ. निर्वाण को लग रहा था, जैसे वो किसी जीनियस को देख रहे हैं।





    लेकिन फिर भी, उन्होंने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। उन्होंने रिपोर्ट बंद की, और उन्होंने सोचा, "अभी तो ये बस शुरुआत है, टीना। असली इम्तिहान तो अब बाकी है।" अगली सुबह तक, टीना को पता भी नहीं था कि उसकी दुनिया बदलने वाली है...




  • 4. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 4

    Words: 949

    Estimated Reading Time: 6 min

    डॉ. निर्वाण टीना की डायग्नोसिस रिपोर्ट को बहुत ध्यान से पढ़ रहे थे। उनकी भौहें तन गईं थीं, जैसे वो कोई मुश्किल पहेली सुलझा रहे हों। वे एक-एक शब्द, एक-एक लाइन को बार-बार पढ़ रहे थे, मानो कोई ऐसी गलती ढूंढ रहे हों जो शायद दिख न रही हो। उन्होंने उम्मीद की थी कि इस रिपोर्ट में उन्हें कोई ऐसा पॉइंट मिलेगा जिससे वो टीना को गलत साबित कर सकें, उसकी मेहनत को नकार सकें।

    लेकिन, जैसे-जैसे वो पढ़ते गए, उनका चेहरा और सख्त होता गया। रिपोर्ट में कोई गलती नहीं थी। टीना ने उस रहस्यमयी बीमारी का जिस बारीकी से विश्लेषण किया था, वो कमाल था। डायग्नोसिस इतना सटीक था कि डॉ. निर्वाण को भी अंदर से मानना पड़ा कि ये लड़की, टीना, वाकई में काबिल है।

    अगली सुबह, वार्ड राउंड में डॉ. निर्वाण ने टीना की डायग्नोसिस की पुष्टि की। उन्होंने मरीज़ के लक्षणों और टीना की रिपोर्ट के आधार पर वही निष्कर्ष निकाला जो टीना ने निकाला था। लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर टीना को कोई क्रेडिट नहीं दिया। बस इतना कहा, "ठीक है। ये डायग्नोसिस सही लगता है।"

    टीना ने डॉ. निर्वाण के चेहरे की तरफ देखा। वो ये जानने की कोशिश कर रही थी कि क्या वो सच में खुश हैं, क्या वो सच में उसे एप्रिशिएट कर रहे हैं। लेकिन डॉ. निर्वाण के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वो बस एक सख्त डॉक्टर थे, जो अपना काम कर रहे थे।

    अभिषेक ये देखकर हैरान था कि टीना ने इतना मुश्किल केस कैसे सॉल्व कर लिया। वो डॉ. निर्वाण को इंप्रेस करने के लिए टीना को नीचा दिखाने का एक और मौका ढूंढ रहा था। उसने सोचा, "मैं डॉ. निर्वाण को दिखाऊंगा कि टीना अभी भी नादान है। मैं उन्हें बताऊंगा कि टीना को अभी बहुत कुछ सीखना है।"

    डॉ. निर्वाण ने एक जटिल सर्जरी का मामला पेश किया। उन्होंने सभी इंटर्न से उस पर अपनी राय देने को कहा। ये एक ऐसा मामला था, जिसमें एक मरीज के दिमाग में एक ट्यूमर था, और सर्जरी बहुत जोखिम भरी थी।

    टीना ने अपनी राय दी। उसने कहा कि वो सर्जरी को एक अलग तरीके से करेगी, जो डॉ. निर्वाण के स्थापित प्रोटोकॉल से थोड़ा अलग था। उसने कहा कि उसके तरीके में मरीज को कम नुकसान होगा और रिकवरी भी जल्दी होगी।

    डॉ. निर्वाण ने टीना की बात सुनी, लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब सा भाव था। उन्हें लग रहा था कि टीना उनकी अथॉरिटी को चैलेंज कर रही है, उनके ज्ञान पर सवाल उठा रही है।

    ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में पहली बड़ी झड़प हुई।

    डॉ. निर्वाण ने टीना की राय पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि टीना को उनके प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, क्योंकि वो ही सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा, "तुम्हें अभी इतना अनुभव नहीं है कि तुम मेरे तरीके पर सवाल उठा सको।"

    टीना ने कहा कि वो सिर्फ मरीज की भलाई के बारे में सोच रही है। उसने कहा कि एक छोटे से बदलाव से मरीज को कम नुकसान होगा, और रिकवरी भी जल्दी होगी।

    डॉ. निर्वाण गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने कहा, "तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कह रही हो? ये सर्जरी बहुत जोखिम भरी है, और हम कोई भी रिस्क नहीं ले सकते। तुम्हें मेरे प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, और तुम्हें कोई सवाल नहीं पूछना है।"

    टीना ने कहा, "लेकिन सर, मुझे लगता है कि मेरा तरीका बेहतर है। मैं सिर्फ मरीज को बचाना चाहती हूं।"

    डॉ. निर्वाण आगबबूला हो गए। उन्होंने कहा, "बस बहुत हुआ। तुम्हें तुरंत ओटी से बाहर निकल जाना चाहिए। मैं तुम्हें वार्न कर रहा हूं, अगर तुमने मेरा कहना नहीं माना, तो मैं तुम्हारा करियर खत्म कर दूंगा।" उनकी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि ओटी में मौजूद सभी लोग डर गए।

    टीना ने एक गहरी सांस ली और कहा, "मुझे माफ़ करना, सर। लेकिन मैं अपनी बात पर कायम हूं। मुझे लगता है कि मेरा तरीका सही है।"

    डॉ. निर्वाण ने कहा, "तो फिर तुम यहां से जा सकती हो। मैं तुम्हें कभी भी इस अस्पताल में काम नहीं करने दूंगा।"

    टीना ने हिम्मत नहीं हारी। उसने ओटी से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन उसकी आंखों में अभी भी सच्चाई के लिए लड़ने की ज़िद थी। वो जानती थी कि उसने जो कहा है, वो सही है। और वो ये साबित करके रहेगी।

    ओटी से बाहर निकलते ही टीना को रवि और सारा कॉरिडोर में खड़े हुए दिखे। उन्होंने उसे परेशान देखकर पूछा, "क्या हुआ, टीना? सब ठीक तो है?"

    टीना ने उन्हें सारी बात बताई। उसने कहा कि डॉ. निर्वाण ने उसे ओटी से निकाल दिया है, और उसका करियर खत्म करने की धमकी दी है।

    रवि ने कहा, "मैंने कहा था ना, पंगा मत लो। अब देखो क्या हो गया। तुम्हारा करियर सच में खत्म हो जाएगा।" रवि डर गया था। उसे लग रहा था कि टीना ने बहुत बड़ी गलती कर दी है।

    सारा ने कहा, "तू चिंता मत कर, टीना। हम तेरे साथ हैं। हम मिलकर इसका कोई रास्ता निकालेंगे।" सारा हमेशा शांत और सपोर्टिव थी। वो जानती थी कि टीना को इस समय हिम्मत की ज़रूरत है।

    टीना ने कहा, "मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूंगी। लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी। मैं डॉ. निर्वाण को गलत साबित करके रहूंगी।"

    उसने तीनों एक दूसरे को देखा, उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। ये चमक थी दोस्ती की, हिम्मत की, और सच्चाई के लिए लड़ने की ज़िद की। उन्हें पता था कि ये जंग आसान नहीं होगी, लेकिन वो हार नहीं मानेंगे। उन्हें पता था कि वो एक साथ मिलकर इस मुश्किल का सामना कर सकते हैं। और इस पल, उन्हें ये भी पता नहीं था कि डॉ. निर्वाण, अंदर ओटी में, टीना के शब्दों पर गहराई से सोच रहे हैं...

  • 5. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 5

    Words: 915

    Estimated Reading Time: 6 min

    ओटी से बाहर निकाले जाने के बाद टीना का मन बहुत अशांत था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने सही किया या गलत। एक तरफ उसकी अंतरात्मा कह रही थी कि उसने सच के लिए आवाज उठाई, तो दूसरी तरफ करियर की चिंता उसे खाए जा रही थी। वो रवि और सारा के साथ कैफ़ेटेरिया में बैठी थी, तीनों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई थी।

    "देख टीना, मैंने तुझे पहले ही कहा था कि डॉ. निर्वाण से पंगा मत ले," रवि ने कहा। "वो आदमी बहुत पावरफुल है। उसने चाहा तो तेरा करियर शुरू होने से पहले ही खत्म कर देगा।" रवि की आवाज में डर साफ झलक रहा था। वो टीना की फिक्र कर रहा था, लेकिन उसे लग रहा था कि टीना ने बिना सोचे समझे कदम उठाया है।

    "मुझे पता है रवि, लेकिन मैं अपनी बात से पीछे नहीं हट सकती," टीना ने जवाब दिया। "मुझे लगता है कि डॉ. निर्वाण सिर्फ अपनी अथॉरिटी दिखा रहे हैं। उन्हें ये पसंद नहीं आया कि मैंने उनके प्रोटोकॉल पर सवाल उठाया।" टीना के चेहरे पर दृढ़ता थी। वो मानती थी कि उसने जो किया वो सही था और उसे इसका कोई पछतावा नहीं था।

    सारा ने टीना का हाथ थामा और उसे दिलासा देते हुए कहा, "टीना तू परेशान मत हो। हम तेरे साथ हैं। हम मिलकर देखेंगे कि क्या कर सकते हैं।" सारा हमेशा टीना की सबसे बड़ी सपोर्टर रही थी। उसे पता था कि टीना हमेशा सही के लिए खड़ी होती है और वो इस मुश्किल वक्त में उसे अकेला नहीं छोड़ेगी।

    उधर, ओटी में डॉ. निर्वाण उस सर्जरी को अपनी तय टेक्नीक से ही कर रहे थे, लेकिन उनके मन में टीना की बात कहीं न कहीं गूंज रही थी। उन्हें लग रहा था कि शायद टीना सही कह रही है। शायद उनके तरीके में कुछ कमियां हैं, जिन्हें सुधारना जरूरी है। लेकिन उनका ईगो उन्हें ये मानने नहीं दे रहा था।

    सर्जरी के दौरान मिस्टर वर्मा बार-बार डॉ. निर्वाण की तरफ देख रहे थे। उन्हें डॉ. निर्वाण के चेहरे पर एक अजीब सी बेचैनी दिख रही थी। वो समझ रहे थे कि डॉ. निर्वाण अंदर ही अंदर किसी उथल-पुथल से गुजर रहे हैं।

    सर्जरी सफल तो हुई, लेकिन मरीज को थोड़ी ज़्यादा रिकवरी टाइम लगा, जो टीना की बात को कहीं न कहीं साबित करता था। डॉ. निर्वाण को ये बात कचोट रही थी। उन्हें लग रहा था कि अगर उन्होंने टीना की बात मान ली होती तो शायद मरीज को इतनी तकलीफ नहीं होती।

    अगले दिन डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया। टीना का दिल फिर से धड़कने लगा। उसे लग रहा था कि अब क्या होगा। क्या डॉ. निर्वाण उसे सच में हॉस्पिटल से निकाल देंगे?

    "टीना, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है," डॉ. निर्वाण ने कहा।

    टीना ने डरते डरते कहा, "जी सर।"

    "मैं तुम्हें एक नया, बेहद मुश्किल रिसर्च असाइनमेंट दे रहा हूं," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये असाइनमेंट तुम्हारी योग्यता का अंतिम इम्तिहान है। अगर तुम असफल हुई तो तुम्हारा करियर यहीं खत्म हो जाएगा।"

    टीना हैरान रह गई। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण उसे सजा दे रहे हैं।

    "ये रिसर्च असाइनमेंट क्या है, सर?" टीना ने पूछा।

    "तुम्हें अस्पताल के डेटाबेस में जटिल पैटर्न खोजने हैं," डॉ. निर्वाण ने जवाब दिया। "तुम्हें ये पता लगाना है कि कौन से मरीज़ों को सर्जरी के बाद कॉम्प्लिकेशन होने का खतरा है। ये एक बहुत मुश्किल काम है, लेकिन मुझे विश्वास है कि तुम ये कर सकती हो।"

    "और अगर मैं ये नहीं कर पाई तो?" टीना ने पूछा।

    "तो तुम्हें इस अस्पताल से हमेशा के लिए निकाल दिया जाएगा," डॉ. निर्वाण ने कहा।

    टीना ने चुनौती स्वीकार कर ली। उसने डॉ. निर्वाण की आंखों में सीधी देखकर कहा, "मैं ये रिसर्च जरूर सफल करके दिखाऊंगी।"

    अभिषेक डॉ. निर्वाण के ऑफिस के बाहर खड़ा होकर टीना की बेइज्जती सुन रहा था। उसे बहुत खुशी हो रही थी कि टीना मुश्किल में फंस गई है। उसने सोचा, "अब तो टीना का करियर खत्म ही समझो।"

    डॉ. निर्वाण टीना की आंखों में छिपी चुनौती को देखकर मुस्कुरा रहे थे, लेकिन ये मुस्कुराहट उनकी कठोरता का एक नया रूप थी। वो एक नया खेल शुरू करने जा रहे थे, जिसमें टीना को अपनी काबिलियत साबित करनी थी।

    जैसे ही टीना डॉ. निर्वाण के ऑफिस से बाहर निकली, उसने रवि और सारा को सारी बात बताई।

    "ये तो बहुत नाइंसाफी है," रवि ने कहा। "डॉ. निर्वाण तुझे जानबूझकर परेशान कर रहे हैं।"

    "मुझे पता है," टीना ने कहा। "लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी। मैं उन्हें दिखाऊंगी कि मैं क्या कर सकती हूं।"

    "हम तेरे साथ हैं, टीना," सारा ने कहा। "हम मिलकर इस रिसर्च को पूरा करेंगे।"

    टीना ने अपने दोस्तों की तरफ देखा और मुस्कुरा दी। उसे पता था कि वो अकेली नहीं है। उसके पास रवि और सारा जैसे दोस्त हैं, जो हमेशा उसका साथ देंगे।

    "तो चलो शुरू करते हैं," टीना ने कहा। "हमें डॉ. निर्वाण को गलत साबित करना है।"

    और उस दिन से, टीना, रवि और सारा ने मिलकर उस रिसर्च असाइनमेंट पर काम करना शुरू कर दिया। उन्हें पता था कि ये एक बहुत मुश्किल काम है, लेकिन वो हार मानने वाले नहीं थे। उन्हें पता था कि उन्हें डॉ. निर्वाण को गलत साबित करना है और अपने करियर को बचाना है। लेकिन टीना को क्या पता था की इस रिसर्च के दौरान उसे डॉ. निर्वाण के बारे में एक ऐसी बात पता चलेगी जो सब कुछ बदल देगी। और वो बात उसे एक पुरानी मेडिकल रिपोर्ट में मिलेगी... जिसमें डॉ. निर्वाण के हस्ताक्षर थे...

  • 6. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 6

    Words: 848

    Estimated Reading Time: 6 min

    टीना ने रिसर्च असाइनमेंट पर काम करना शुरू कर दिया। ये कोई आसान काम नहीं था; उसे अस्पताल के विशाल डेटाबेस में छिपे हुए जटिल पैटर्न्स को खोजना था। ये डेटा मरीजों की बीमारियों, सर्जरीज़, और रिकवरी से जुड़ा हुआ था। टीना को उम्मीद थी कि इन पैटर्न्स को खोजकर वो ये पता लगा पाएगी कि किन मरीज़ों को सर्जरी के बाद कॉम्प्लिकेशन होने का खतरा है।



    रवि और सारा ने भी टीना की मदद करने की पूरी कोशिश की। रवि, जो कंप्यूटर में बहुत अच्छा था, डेटा को एनालाइज करने के लिए स्पेशल प्रोग्राम लिखने में जुट गया। सारा, जो हमेशा ऑर्गेनाइज़्ड रहती थी, ने लाइब्रेरी में जाकर रिसर्च पेपर और मेडिकल जर्नल खंगालने शुरू कर दिए। लेकिन विषय की जटिलता उन्हें भी परेशान कर रही थी। मेडिकल टर्म्स और स्टैटिस्टिकल एनालिसिस उनकी समझ से परे थे।



    टीना लाइब्रेरी और डेटा सेंटर में घंटों बिताती थी। वो कंप्यूटर स्क्रीन पर टकटकी लगाए डेटा को देखती रहती, मानो वो डेटा खुद उससे बात करना चाहता हो। उसने अपनी तेज़ दिमाग का इस्तेमाल किया और हर संभावना को टटोलना शुरू कर दिया। वो जानती थी कि अगर वो इस रिसर्च को सफल नहीं कर पाई, तो डॉ. निर्वाण उसे अस्पताल से निकाल देंगे।



    अभिषेक को जब पता चला कि टीना इतना मुश्किल रिसर्च कर रही है, तो वो खुश हो गया। उसने सोचा कि ये उसके लिए एक और मौका है टीना को नीचा दिखाने का। उसने जानबूझकर टीना के कंप्यूटर में एक वायरस डाल दिया, जिससे उसका काम खराब हो जाए।



    एक दिन, टीना डेटा सेंटर में बैठी अपना काम कर रही थी, तभी अचानक उसका कंप्यूटर बंद हो गया। स्क्रीन पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था, "आपका कंप्यूटर वायरस से संक्रमित है।"



    टीना को गुस्सा आ गया। वो समझ गई कि ये अभिषेक की हरकत है। लेकिन उसने आपा नहीं खोया। वो शांत रही और अपनी तकनीकी समझ का उपयोग करके अपने काम को बचाने की कोशिश करने लगी।



    "ये अभिषेक ने किया है, मुझे पता है," टीना ने रवि और सारा से कहा। "उसने जानबूझकर मेरे कंप्यूटर में वायरस डाला है ताकि मेरा काम खराब हो जाए।"



    "मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा है," रवि ने कहा। "मैं उसे सबक सिखाऊंगा।"



    "नहीं, रवि। हमें अभी अपना गुस्सा काबू में रखना होगा," टीना ने कहा। "हमें इस रिसर्च को पूरा करना है। हमें डॉ. निर्वाण को गलत साबित करना है।"



    टीना ने रवि की मदद से कंप्यूटर से वायरस हटाया और अपने काम को रिकवर कर लिया। उसने ये भी सुनिश्चित किया कि अभिषेक दोबारा ऐसा न कर पाए।



    डॉ. निर्वाण नियमित रूप से टीना के काम की प्रगति की समीक्षा करते थे। वो जानबूझकर उस पर ज़्यादा दबाव डालते थे, मानो वो उसे टेस्ट कर रहे हों। हर समीक्षा में, वो टीना के काम में कुछ न कुछ खामियां निकालते थे, भले ही वो कितनी भी मामूली क्यों न हों।



    एक समीक्षा के दौरान, डॉ. निर्वाण ने टीना के काम में कुछ खामियां बताईं। उन्होंने कहा कि टीना का डेटा एनालिसिस सही नहीं है, और उसके निष्कर्ष गलत हैं।



    टीना थोड़ी निराश हो गई। उसे लग रहा था कि वो कभी भी डॉ. निर्वाण को इंप्रेस नहीं कर पाएगी।



    "मुझे पता है कि ये रिसर्च बहुत मुश्किल है," डॉ. निर्वाण ने कहा। "लेकिन तुम्हें और मेहनत करने की ज़रूरत है। तुम्हें अपनी अयोग्यता साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"



    टीना को डॉ. निर्वाण की बात बहुत बुरी लगी। उसे लगा कि डॉ. निर्वाण उसे जानबूझकर नीचा दिखा रहे हैं।



    "मैं आपको गलत साबित करके दिखाऊंगी, सर," टीना ने कहा। "मैं इस रिसर्च को सफल बनाकर दिखाऊंगी।"



    उस रात, टीना डेटा सेंटर में देर रात तक काम करती रही। रवि और सारा भी उसके साथ थे। तीनों ने मिलकर डेटा को दोबारा एनालाइज किया और नए निष्कर्ष निकाले।



    टीना को काम करते हुए एक पुरानी मेडिकल रिपोर्ट मिली। वो रिपोर्ट एक ऐसे मरीज की थी जिसकी कुछ साल पहले अस्पताल में मौत हो गई थी। रिपोर्ट पर डॉ. निर्वाण के हस्ताक्षर थे। उस केस का ज़िक्र था और वो थोड़ा दुखद था। टीना का ध्यान भटक गया।



    "ये क्या है?" टीना ने रवि और सारा से पूछा। "ये रिपोर्ट इतनी पुरानी क्यों है? और इस पर डॉ. निर्वाण के हस्ताक्षर क्यों हैं?"



    रवि ने रिपोर्ट को देखा और कहा, "मुझे नहीं पता। लेकिन ये ज़रूर कोई खास केस होगा, तभी तो डॉ. निर्वाण ने खुद इस पर साइन किए हैं।"



    सारा ने कहा, "हमें इस रिपोर्ट के बारे में और जानकारी हासिल करनी चाहिए। हो सकता है कि इससे हमें डॉ. निर्वाण के बारे में कुछ पता चले।"



    टीना उस पुरानी मेडिकल रिपोर्ट को लेकर सोच में पड़ गई। उसे लग रहा था कि इस रिपोर्ट में डॉ. निर्वाण के अतीत का कोई राज़ छुपा हुआ है। और ये राज़ ही शायद डॉ. निर्वाण को इतना कठोर बनाता है। उस रात, टीना ने ठान लिया कि वो इस राज़ का पता लगाकर रहेगी।



    लेकिन टीना को ये नहीं पता था कि उसका ये फैसला उसे एक ऐसे खतरे में डाल देगा, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। और इस खतरे से उसे बचाने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद डॉ. निर्वाण होंगे...



  • 7. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 7

    Words: 837

    Estimated Reading Time: 6 min

    टीना उस पुरानी मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ने लगी। वो हर एक लाइन को पढ़ रही थी, हर एक शब्द को समझने की कोशिश कर रही थी। रिपोर्ट में एक मरीज का नाम था - अनुराग वर्मा। उसकी मृत्यु हो गई थी और डॉ. निर्वाण उस केस के इंचार्ज थे।





    रिपोर्ट में कहीं न कहीं लापरवाही का संकेत मिल रहा था। कुछ ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल ठीक से फॉलो नहीं किए गए थे, और कुछ फैसले जल्दीबाजी में लिए गए थे। टीना को लग रहा था कि शायद इसी घटना की वजह से डॉ. निर्वाण इतने कठोर बन गए हैं। शायद वो खुद को इस मौत का जिम्मेदार मानते हैं।





    "ये देखो," टीना ने रवि और सारा को रिपोर्ट दिखाते हुए कहा। "इस रिपोर्ट में कुछ तो गड़बड़ है। मुझे लग रहा है कि डॉ. निर्वाण ने इस मरीज का ठीक से इलाज नहीं किया।"





    रवि ने रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा और कहा, "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे संकेत हैं जिनसे पता चलता है कि डॉ. निर्वाण ने कुछ गलतियाँ की थीं।"





    सारा ने कहा, "अगर ये सच है, तो ये बहुत बड़ी बात है। इसका मतलब है कि डॉ. निर्वाण ने अपनी लापरवाही से एक मरीज की जान ले ली।"





    "हमें इस बारे में और जानकारी हासिल करनी चाहिए," टीना ने कहा। "हमें ये पता लगाना होगा कि उस दिन क्या हुआ था। हमें ये जानना होगा कि क्या डॉ. निर्वाण सच में दोषी हैं।"





    उसी शाम, टीना लाइब्रेरी में अकेली बैठी थी। वो डॉ. निर्वाण के बारे में और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही थी। तभी डॉ. अंजलि, डॉ. निर्वाण की पूर्व सहकर्मी और प्रेमिका, उसके पास आईं।





    "तुम यहाँ क्या कर रही हो, टीना?" डॉ. अंजलि ने पूछा।





    "मैं बस कुछ रिसर्च कर रही हूँ," टीना ने जवाब दिया।





    "मुझे पता है तुम किस बारे में रिसर्च कर रही हो," डॉ. अंजलि ने कहा। "तुम डॉ. निर्वाण के बारे में जानना चाहती हो, है ना?"





    टीना थोड़ी हैरान हो गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि डॉ. अंजलि को कैसे पता चला।





    "मैं तुम्हें डॉ. निर्वाण के बारे में कुछ बता सकती हूँ," डॉ. अंजलि ने कहा। "लेकिन तुम्हें वादा करना होगा कि तुम मेरी बातों को किसी के साथ शेयर नहीं करोगी।"





    टीना ने वादा किया।





    डॉ. अंजलि ने टीना को बताया कि डॉ. निर्वाण एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन उन्हें एक बड़ी त्रासदी ने बदल दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे कुछ साल पहले डॉ. निर्वाण ने एक मरीज को खो दिया था, और उस घटना ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था।





    "डॉ. निर्वाण एक बहुत ही संवेदनशील इंसान हैं," डॉ. अंजलि ने कहा। "लेकिन उन्होंने उस दर्द को अपने अंदर छुपा लिया है। उन्होंने खुद को कठोर बना लिया है ताकि वो दोबारा कभी उस तरह का दर्द महसूस न करें।"





    टीना डॉ. अंजलि की बातों से बहुत प्रभावित हुई। उसे लग रहा था कि शायद डॉ. निर्वाण की असंवेदनशीलता के पीछे यही कारण है।





    उधर, डॉ. निर्वाण अपने ऑफिस में बैठे थे। उनके पास एक पुरानी तस्वीर थी, जिसमें एक युवा व्यक्ति मुस्कुरा रहा था। तस्वीर में कौन था, ये पता नहीं चल पाया। डॉ. निर्वाण की आँखें उदास थीं, मानो वो किसी गहरे दर्द को याद कर रहे हों।





    मिस्टर वर्मा डॉ. निर्वाण को उदास देखते हैं और उन्हें दिलासा देने की कोशिश करते हैं, लेकिन डॉ. निर्वाण उन्हें रोक देते हैं। वो नहीं चाहते कि कोई उनके दर्द को देखे।





    टीना ने डॉ. अंजलि से बात करने के बाद फैसला किया कि वो डॉ. निर्वाण की असंवेदनशीलता के पीछे का कारण खोजेगी। वो ये जानना चाहती थी कि क्या डॉ. निर्वाण सच में एक कठोर इंसान हैं, या फिर उनके अंदर भी कहीं न कहीं एक संवेदनशील दिल छुपा हुआ है।





    टीना ने रिसर्च असाइनमेंट को पूरा किया और उसे डॉ. निर्वाण को जमा कर दिया। इस बार उसकी रिपोर्ट में कोई कमी नहीं थी। वो जानती थी कि उसने अपना बेस्ट दिया है।





    डॉ. निर्वाण ने टीना के काम की बारीकी से जांच की। इस बार उन्हें कोई गलती नहीं मिली। उनके चेहरे पर एक अनकही संतुष्टि थी, मानो वो टीना की सफलता से खुश हों।





    लेकिन डॉ. निर्वाण ने टीना को कुछ नहीं कहा। उन्होंने बस इतना कहा, "ठीक है।"





    टीना डॉ. निर्वाण के रिएक्शन से थोड़ी निराश हुई। उसे लग रहा था कि शायद वो कभी भी डॉ. निर्वाण को इंप्रेस नहीं कर पाएगी।





    लेकिन उसे ये नहीं पता था कि डॉ. निर्वाण अंदर ही अंदर बहुत खुश हैं। उन्हें लग रहा था कि टीना सच में एक काबिल डॉक्टर है, और वो उसे और भी बेहतर बनाने में मदद करेंगे।





    टीना को अब डॉ. निर्वाण के बारे में और जानने की जिज्ञासा हो रही थी। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण के अतीत में कुछ ऐसा है जो उन्हें इतना कठोर बनाता है। और वो उस राज़ का पता लगाकर रहेगी, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। लेकिन इस राज़ को जानने की कोशिश में टीना खुद ही एक ऐसे जाल में फंसती जा रही थी... जिससे निकलना शायद मुमकिन न हो...






  • 8. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 8

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    डॉ. निर्वाण ने टीना को उसके रिसर्च असाइनमेंट के लिए एक उत्कृष्ट ग्रेड दिया, लेकिन उन्होंने उसे सीधे तौर पर कोई प्रशंसा नहीं दी। उन्होंने बस इतना कहा कि उसका काम संतोषजनक है, और उसे भविष्य में और भी बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए।





    अभिषेक, जो हमेशा टीना से जलता था, उसके अच्छे ग्रेड से और भी ज़्यादा परेशान हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि डॉ. निर्वाण ने टीना को इतना अच्छा ग्रेड कैसे दिया। उसने सोचा कि शायद डॉ. निर्वाण टीना को जानबूझकर फेवर कर रहे हैं।





    डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया और उसे एक नया, और भी जटिल मेडिकल केस असाइन किया। ये केस एक ऐसी महिला का था जिसे एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर था। इस डिसऑर्डर की वजह से उसके शरीर के कई हिस्से पैरालाइज़ हो गए थे, और उसे बोलने में भी दिक्कत हो रही थी।





    डॉ. निर्वाण ने टीना से कहा कि ये केस उसकी योग्यता का अंतिम इम्तिहान है। उन्होंने कहा कि अगर वो इस केस को सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाई, तो उसका करियर खत्म हो जाएगा।





    "ये केस बहुत मुश्किल है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम्हें अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करना होगा। अगर तुम असफल हुई, तो मैं तुम्हें अस्पताल से निकाल दूंगा।"





    टीना ने चुनौती स्वीकार की। उसने डॉ. निर्वाण की आँखों में सीधी देखकर कहा कि वो इस केस को ज़रूर सॉल्व करेगी।





    "मैं आपको निराश नहीं करूंगी, सर," टीना ने कहा। "मैं इस केस को सॉल्व करके दिखाऊंगी।"





    उसी दौरान, अस्पताल में एक बड़ी मेडिकल कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन हो रहा था। इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के बड़े-बड़े डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट आने वाले थे। डॉ. निर्वाण को इस कॉन्फ्रेंस में एक मुश्किल केस प्रस्तुत करना था।





    डॉ. निर्वाण के लिए ये कॉन्फ्रेंस बहुत महत्वपूर्ण थी। वो इस कॉन्फ्रेंस में अपनी काबिलियत और ज्ञान का प्रदर्शन करके अस्पताल का नाम रोशन करना चाहते थे।





    टीना को डॉ. निर्वाण के प्रेजेंटेशन की तैयारी में मदद करने का मौका मिला। वो डॉ. निर्वाण के साथ मिलकर प्रेजेंटेशन स्लाइड्स बना रही थी, और वो उनके लिए रिसर्च पेपर और मेडिकल जर्नल भी ढूंढ रही थी।





    प्रेजेंटेशन की तैयारी करते वक्त, टीना को उस केस में एक छोटी सी, पर महत्वपूर्ण गलती दिखी। उसे लगा कि डॉ. निर्वाण ने मरीज की मेडिकल हिस्ट्री को ठीक से नहीं समझा है।





    टीना ने डॉ. निर्वाण को अपनी गलती के बारे में बताने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उसे डांट दिया। उन्होंने कहा कि वो एक इंटर्न है, और उसे उनके काम में दखल देने का कोई हक नहीं है।





    "तुम एक इंटर्न हो, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम्हें अपनी जगह याद रखनी चाहिए। तुम्हें मेरे काम में दखल नहीं देना चाहिए।"





    टीना को डॉ. निर्वाण की बात बहुत बुरी लगी। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण उसे सिर्फ एक इंटर्न समझते हैं, और उसे अपनी राय देने का कोई हक नहीं है।





    लेकिन टीना हार मानने वाली नहीं थी। वो जानती थी कि डॉ. निर्वाण के प्रेजेंटेशन में एक गलती है, और वो इस गलती को सुधारना चाहती थी। उसने फैसला किया कि वो कॉन्फ्रेंस के दिन अपनी बात रखेगी, ताकि वो उस गलती को सुधार सके और एक मरीज की जान बचा सके।





    कॉन्फ्रेंस का दिन आ गया। हॉल में देश भर के बड़े-बड़े डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट मौजूद थे। डॉ. निर्वाण स्टेज पर आए और उन्होंने अपना प्रेजेंटेशन शुरू किया। वो अपनी काबिलियत और ज्ञान का प्रदर्शन कर रहे थे।





    टीना दर्शकों के बीच बैठी थी। उसे उस गलती का एहसास हो रहा था जो डॉ. निर्वाण के प्रेजेंटेशन में थी। वो जानती थी कि अगर डॉ. निर्वाण ने उस गलती को नहीं सुधारा, तो मरीज को नुकसान हो सकता है।





    प्रेजेंटेशन के दौरान, एक मुश्किल सवाल उठा। डॉ. निर्वाण थोड़ा अटक गए, क्योंकि उन्हें उस गलती का एहसास हो गया था।





    तभी टीना हिम्मत करके अपनी बात रखने के लिए खड़ी हो गई। उसने डॉ. निर्वाण को अपनी गलती के बारे में बताया, और उसने उस गलती को सुधारने में मदद की।





    डॉ. निर्वाण टीना की त्वरित सोच और साहस से हैरान हो गए। उन्होंने सबके सामने टीना की तारीफ नहीं की, लेकिन उनकी आँखों में एक अनकही प्रशंसा थी।





    डीन डॉ. मिश्रा ने टीना की प्रशंसा की और उसे अस्पताल के लिए एक प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा कि टीना ने साबित कर दिया है कि उम्र कोई मायने नहीं रखती, और अगर आपके पास काबिलियत है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।





    कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया। उन्होंने उसे डांटा कि उसने बिना अनुमति के कैसे बात की। उन्होंने कहा कि वो एक इंटर्न है, और उसे उनके काम में दखल देने का कोई हक नहीं है।





    "तुमने मेरी बात नहीं सुनी, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैंने तुम्हें कहा था कि तुम मेरे काम में दखल न दो। लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी।"





    लेकिन डॉ. निर्वाण की आँखों में एक अनकही प्रशंसा थी। उन्होंने टीना को कहा कि उसने अच्छा काम किया है, और उसने एक मरीज की जान बचाई है।





    "तुमने अच्छा काम किया, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुमने एक मरीज की जान बचाई है। लेकिन तुम्हें ये भी याद रखना चाहिए कि तुम एक इंटर्न हो, और तुम्हें अपनी जगह याद रखनी चाहिए।"





    टीना डॉ. निर्वाण की इस सूक्ष्म प्रशंसा को पहचान गई। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण अंदर से उतने कठोर नहीं हैं जितना वो दिखाते हैं।





    टीना ने रवि और सारा को डॉ. निर्वाण के इस मानवीय पक्ष के बारे में बताया। रवि और सारा भी आश्चर्यचकित हो गए।





    "मुझे लग रहा है कि डॉ. निर्वाण बदल रहे हैं," रवि ने कहा। "शायद तुम सच में उन्हें बदल रही हो, टीना।"





    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "मुझे लग रहा है कि डॉ. निर्वाण के अंदर भी कहीं न कहीं एक अच्छा इंसान छुपा हुआ है।"





    टीना को लग रहा था कि वो डॉ. निर्वाण के करीब आ रही है। उसे लग रहा था कि वो डॉ. निर्वाण को बेहतर तरीके से समझ रही है। लेकिन उसे ये नहीं पता था कि डॉ. निर्वाण के अतीत में एक ऐसा राज़ छुपा हुआ है, जो उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। और इस राज़ का पता लगाने के लिए टीना को एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी...






  • 9. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 9

    Words: 920

    Estimated Reading Time: 6 min

    कॉन्फ्रेंस में डॉ. निर्वाण का प्रेजेंटेशन जैसे ही खत्म हुआ, तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूँज उठा। टीना अपनी सीट पर बैठी सब देख रही थी, उसके दिल में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी। उसने जो किया, क्या वो सही था? क्या उसे सबके सामने डॉ. निर्वाण की गलती बतानी चाहिए थी?







    डॉ. निर्वाण अपनी जगह पर खड़े थे, उनके चेहरे पर एक अजीब सा भाव था – गुस्सा, हैरानी, और शायद थोड़ी सी प्रशंसा भी। टीना समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या सोच रहे हैं।







    डीन डॉ. मिश्रा स्टेज पर आए और उन्होंने माइक संभाला। "मैं आज यहाँ हमारी यंग डॉक्टर टीना की तारीफ करना चाहता हूँ," उन्होंने कहा। "टीना ने आज अपनी समझदारी और साहस का परिचय दिया है, और उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारे अस्पताल में टैलेंट की कोई कमी नहीं है।"







    डीन की बातों से टीना को थोड़ी राहत मिली, लेकिन उसे अभी भी डॉ. निर्वाण के रिएक्शन का डर था।







    कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद, टीना धीरे-धीरे हॉल से बाहर निकलने लगी। वो डॉ. निर्वाण का सामना करने से डर रही थी। उसे पता था कि डॉ. निर्वाण उसे ज़रूर डांटेंगे, और शायद उसे अस्पताल से निकालने की धमकी भी देंगे।







    लेकिन तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ा। टीना ने पीछे मुड़कर देखा, तो वो डॉ. निर्वाण थे।







    "मेरे ऑफिस में आओ," डॉ. निर्वाण ने सख्त लहजे में कहा।







    टीना का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। वो जानती थी कि अब क्या होने वाला है।







    डॉ. निर्वाण के ऑफिस में पहुँचकर, टीना चुपचाप खड़ी रही। वो डॉ. निर्वाण की तरफ देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।







    "तुमने आज जो किया, वो गलत था," डॉ. निर्वाण ने गुस्से से कहा। "तुम्हें बिना अनुमति के सबके सामने इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी। तुम एक इंटर्न हो, और तुम्हें अपनी हद में रहना चाहिए।"







    टीना ने अपनी सफाई में कुछ कहना चाहा, लेकिन डॉ. निर्वाण ने उसे रोक दिया।







    "मैं तुम्हें ये सब इसलिए नहीं बता रहा हूँ क्योंकि मैं तुमसे गुस्सा हूँ," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैं तुम्हें ये सब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मैं तुम्हें एक अच्छा डॉक्टर बनाना चाहता हूँ। तुम्हें ये समझना होगा कि एक डॉक्टर को हमेशा अपनी टीम का सम्मान करना चाहिए, और उसे कभी भी बिना सोचे-समझे कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।"







    डॉ. निर्वाण की बातों से टीना को थोड़ा आश्चर्य हुआ। उसे लग रहा था कि शायद डॉ. निर्वाण अंदर से उतने कठोर नहीं हैं जितना वो दिखाते हैं।







    "लेकिन," डॉ. निर्वाण ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं तुम्हें ये भी बताना चाहता हूँ कि तुमने आज जो किया, वो साहसिक था। तुमने एक मरीज की जान बचाई, और तुमने ये साबित कर दिया कि तुम एक काबिल डॉक्टर हो।"







    डॉ. निर्वाण ने अपनी कुर्सी से उठकर टीना की तरफ देखा। उनकी आँखों में एक अनकही प्रशंसा थी।







    "मुझे तुम पर गर्व है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मुझे पता है कि तुम एक दिन बहुत बड़ी डॉक्टर बनोगी।"







    टीना डॉ. निर्वाण की बातों से भावुक हो गई। उसे लग रहा था कि शायद वो पहली बार डॉ. निर्वाण को समझ पाई है।







    "थैंक यू, सर," टीना ने कहा। "मैं आपको निराश नहीं करूंगी।"







    "मुझे पता है," डॉ. निर्वाण ने मुस्कुराते हुए कहा। "अब तुम जा सकती हो।"







    टीना ऑफिस से बाहर निकली, तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी। उसे लग रहा था कि उसने आज कुछ हासिल कर लिया है।







    उसने रवि और सारा को फोन किया और उन्हें सारी बात बताई। रवि और सारा भी बहुत खुश हुए।







    "मैंने कहा था ना कि डॉ. निर्वाण बदल रहे हैं," रवि ने कहा। "मुझे पता था कि वो तुम्हें समझेंगे।"







    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा था," सारा ने कहा। "मुझे लग रहा है कि तुम दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता है।"







    टीना को भी लग रहा था कि डॉ. निर्वाण के साथ उसका रिश्ता बदल रहा है। उसे लग रहा था कि वो अब डॉ. निर्वाण को सिर्फ एक कठोर डॉक्टर के तौर पर नहीं देखती, बल्कि एक इंसान के तौर पर भी देखती है।







    उस रात, टीना ने एक सपना देखा। उसने देखा कि वो और डॉ. निर्वाण एक साथ एक ऑपरेशन थिएटर में खड़े हैं, और वो एक बहुत ही मुश्किल सर्जरी कर रहे हैं। सपने में, टीना और डॉ. निर्वाण एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, और वो एक टीम की तरह काम कर रहे हैं।







    जब टीना सुबह उठी, तो उसे लग रहा था कि ये सपना सच हो सकता है। उसे लग रहा था कि वो और डॉ. निर्वाण एक साथ मिलकर कुछ भी हासिल कर सकते हैं।







    अगले दिन, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया। उन्होंने उसे एक नया, और भी महत्वपूर्ण केस असाइन किया।







    "ये केस बहुत मुश्किल है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "लेकिन मुझे पता है कि तुम इसे कर सकती हो। मुझे तुम पर भरोसा है।"







    टीना ने डॉ. निर्वाण की आँखों में देखा, और उसे लग रहा था कि वो दुनिया की किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण अब उस पर भरोसा करते हैं।







    "मैं आपको निराश नहीं करूंगी, सर," टीना ने कहा। "मैं इस केस को ज़रूर सॉल्व करूंगी।"







    डॉ. निर्वाण ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे पता है।"







    ये पहला सार्वजनिक संकेत था कि उनका रिश्ता बदल रहा है। अब देखना ये है कि क्या टीना डॉ. निर्वाण के भरोसे पर खरी उतर पाती है? और क्या ये भरोसा उनके रिश्ते को एक नई दिशा दे पाएगा? क्योंकि आगे आने वाली चुनौतियाँ तो अभी बाकी हैं...









  • 10. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 10

    Words: 810

    Estimated Reading Time: 5 min

    टीना को उस दिन के बाद से डॉ. निर्वाण के बारे में एक नई बात पता चली। उसे एहसास हुआ कि डॉ. निर्वाण सिर्फ एक कठोर और सख्त डॉक्टर ही नहीं हैं, बल्कि उनके अंदर एक दयालु और संवेदनशील इंसान भी छुपा हुआ है।

    एक दिन, टीना ने डॉ. निर्वाण को अस्पताल के एक गरीब बच्चे के इलाज का खर्च चुपके से उठाते हुए देखा। उस बच्चे का परिवार बहुत गरीब था और उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। डॉ. निर्वाण ने बिना किसी को बताए उस बच्चे के इलाज का पूरा खर्च उठा लिया।

    एक और दिन, टीना ने डॉ. निर्वाण को एक बुज़ुर्ग मरीज का हालचाल अकेले में पूछते हुए देखा। डॉ. निर्वाण उस मरीज के साथ बहुत प्यार से बात कर रहे थे, और उनकी आवाज़ में पहले जैसी कठोरता नहीं थी।

    टीना हैरान थी कि क्या ये वही डॉ. निर्वाण हैं जिन्हें वो जानती है। क्या उनके अंदर कोई और भी इंसान छिपा है?

    टीना ने रवि और सारा को डॉ. निर्वाण की इस मानवीय साइड के बारे में बताया। रवि और सारा भी आश्चर्यचकित हो गए।

    "मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा," रवि ने कहा। "क्या ये वही डॉ. निर्वाण हैं जो हमेशा सबको डांटते रहते हैं?"

    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "शायद तुम सच में उन्हें बदल रही हो, टीना।"

    इस बीच, अभिषेक डॉ. निर्वाण के कुछ काम करने में मदद करने की कोशिश कर रहा था। वो सोच रहा था कि अगर वो डॉ. निर्वाण की मदद करेगा, तो वो डॉ. निर्वाण का विश्वास जीत लेगा।

    डॉ. निर्वाण ने अभिषेक की मदद को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होंने उसे टीना की तरह कोई विशेष अटेंशन नहीं दिया।

    एक दिन, टीना डॉ. निर्वाण के ऑफिस के पास से गुजर रही थी। गलती से उसने डॉ. निर्वाण की खुली डायरी की एक झलक देख ली। उस डायरी में डॉ. निर्वाण ने उस खोए हुए मरीज का ज़िक्र किया था।

    डायरी में डॉ. निर्वाण ने लिखा था कि वो उस मरीज की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने लिखा था कि अगर उन्होंने थोड़ी और सावधानी बरती होती, तो शायद वो मरीज आज जिंदा होता।

    टीना का शक पुख्ता हो गया। उसे यकीन हो गया कि डॉ. निर्वाण के अतीत में कोई गहरा राज़ है जो उन्हें इतना कठोर बनाता है।

    टीना ने डॉ. निर्वाण के अतीत को और जानने की कोशिश करने का फैसला किया। उसने अस्पताल के कुछ पुराने कर्मचारियों से बात करने का प्रयास किया।

    उसने मिस्टर वर्मा से बात करने की कोशिश की, जो डॉ. निर्वाण के शुरुआती दिनों से अस्पताल में काम कर रहे थे। लेकिन मिस्टर वर्मा ने टीना से ज्यादा बात नहीं की। उन्होंने बस इतना कहा कि डॉ. निर्वाण एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं, लेकिन उनके साथ कुछ बुरा हुआ है जिसकी वजह से वो बदल गए हैं।

    टीना ने डॉ. अंजलि से भी बात करने की कोशिश की, जो डॉ. निर्वाण की पूर्व सहकर्मी और प्रेमिका थीं। लेकिन डॉ. अंजलि ने भी टीना से ज्यादा बात नहीं की। उन्होंने बस इतना कहा कि डॉ. निर्वाण को अपने अतीत को भूलने की जरूरत है, और उन्हें आगे बढ़ने की जरूरत है।

    एक दिन, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने अतीत के बारे में जानने की कोशिश करते हुए देख लिया। उन्होंने टीना को चेतावनी दी कि उसे उनके अतीत से दूर रहना चाहिए।

    "तुम्हें मेरे अतीत के बारे में जानने की कोई जरूरत नहीं है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये एक बंद किताब है, और तुम्हें इसे खोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"

    लेकिन डॉ. निर्वाण की चेतावनी ने टीना को और भी उत्सुक बना दिया। वो अब और भी ज्यादा जानना चाहती थी कि डॉ. निर्वाण के अतीत में क्या हुआ था।

    टीना को लग रहा था कि डॉ. निर्वाण के अतीत को जानने से उसे डॉ. निर्वाण को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। उसे लग रहा था कि अगर वो डॉ. निर्वाण के दर्द को समझ पाएगी, तो वो डॉ. निर्वाण को बदलने में कामयाब हो जाएगी।

    लेकिन टीना को ये नहीं पता था कि डॉ. निर्वाण के अतीत में एक ऐसा राज़ छुपा हुआ है, जो उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। और इस राज़ का पता लगाने के लिए टीना को एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी…

    क्या टीना डॉ. निर्वाण के अतीत का राज़ जान पाएगी? और अगर वो जान गई, तो क्या वो डॉ. निर्वाण को बदल पाएगी? या फिर डॉ. निर्वाण का अतीत टीना को ही बदल देगा? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर इतना तय है कि टीना अब इस मामले में और भी गहराई से उतरेगी, चाहे उसे जो भी कीमत चुकानी पड़े। वो डॉ. निर्वाण के उस दर्द को महसूस करना चाहती थी, जिसने उन्हें इतना सख्त बना दिया था। उसे ये पता लगाना ही था कि आखिर उस रात क्या हुआ था जिसने डॉ. निर्वाण की जिंदगी बदल दी...

  • 11. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 11

    Words: 882

    Estimated Reading Time: 6 min

    टीना की उत्सुकता और बढ़ गई। डॉ. निर्वाण ने जितना उसे दूर रहने को कहा, उसका मन उतना ही उनके अतीत में झाँकने को ललचा रहा था। उसने फैसला कर लिया कि वो उस डायरी को फिर से देखेगी, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।



    एक दिन, जब डॉ. निर्वाण कॉन्फ्रेंस में व्यस्त थे, टीना चुपके से उनके ऑफिस में घुस गई। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसे डर था कि कोई उसे देख लेगा, लेकिन वो अपने इरादे से पीछे नहीं हटना चाहती थी।



    ऑफिस में पहुँचकर, टीना ने डॉ. निर्वाण की डायरी ढूंढनी शुरू कर दी। उसने दराजों को खोला, अलमारियों को देखा, लेकिन डायरी कहीं नहीं मिल रही थी।



    तभी, उसकी नज़र डॉ. निर्वाण की डेस्क पर रखी एक पुरानी अटैची पर पड़ी। टीना को लगा कि शायद डायरी उसी में हो सकती है। उसने डरते-डरते अटैची को खोला।



    अटैची में कुछ पुरानी फाइलें और कागज़ात थे। टीना ने उन्हें एक-एक करके देखना शुरू कर दिया। तभी, उसे वो डायरी मिल गई जिसकी वो तलाश कर रही थी।



    डायरी के पन्ने पीले पड़ चुके थे, और उन पर स्याही से कुछ लिखा हुआ था। टीना ने डायरी को खोलकर पढ़ना शुरू कर दिया।



    डायरी में डॉ. निर्वाण के जीवन के दर्दनाक पलों का ज़िक्र था। उसमें उस मरीज की मौत का विवरण था जिसकी वजह से डॉ. निर्वाण इतने बदल गए थे।



    डायरी में डॉ. निर्वाण का पछतावा और दुख स्पष्ट रूप से व्यक्त हो रहा था। उन्होंने लिखा था कि वो उस मरीज को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन वो नाकाम रहे।



    टीना को पता चला कि डॉ. निर्वाण ने उस मरीज को अपनी ही एक छोटी सी लापरवाही या गलत निर्णय के कारण खो दिया था। उस दिन ऑपरेशन थिएटर में कुछ ऐसा हुआ था जिसकी वजह से डॉ. निर्वाण अपना आपा खो बैठे थे, और उन्होंने एक गलत फैसला ले लिया था।



    ये सदमा डॉ. निर्वाण को इतना कठोर बना गया है, क्योंकि वो नहीं चाहते कि किसी और मरीज या डॉक्टर के साथ ऐसा हो। उन्होंने खुद को दोषी मान लिया था, और उन्होंने फैसला किया था कि वो अब कभी किसी के करीब नहीं जाएँगे, ताकि उन्हें फिर कभी ऐसा दर्द न सहना पड़े।



    टीना रवि और सारा को डायरी के बारे में बताने के लिए बेताब हो रही थी, लेकिन वो जानती थी कि उसे पहले डायरी को वापस रखना होगा। उसने अटैची को बंद किया और डायरी को वापस उसकी जगह पर रख दिया।



    जब वो ऑफिस से बाहर निकली, तो उसका दिल भारी हो रहा था। उसे डॉ. निर्वाण के लिए बहुत दुख हो रहा था। वो समझ गई थी कि डॉ. निर्वाण के कठोर स्वभाव के पीछे कितना दर्द छुपा हुआ है।



    उसने रवि और सारा को फोन किया और उन्हें सारी बात बताई। रवि और सारा भी डॉ. निर्वाण के दर्द को सुनकर भावुक हो गए।



    "ये तो बहुत बुरा हुआ," रवि ने कहा। "मुझे नहीं पता था कि डॉ. निर्वाण के साथ इतना सब कुछ हुआ है।"



    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "हमें डॉ. निर्वाण की मदद करनी चाहिए, टीना। हमें उन्हें इस दर्द से बाहर निकालना चाहिए।"



    टीना ने कहा, "मुझे भी ऐसा ही लगता है। लेकिन मुझे नहीं पता कि हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं।"



    उसी शाम, अभिषेक ने टीना को डायरी के साथ देखते हुए शक कर लिया। उसने डॉ. निर्वाण को ये बात बताने की ठान ली कि टीना उनकी निजी चीज़ें पढ़ रही है। वो जानता था कि अगर डॉ. निर्वाण को ये पता चल गया, तो वो टीना को अस्पताल से निकाल देंगे।



    अगले दिन, जब डॉ. निर्वाण ऑफिस पहुँचे, तो उन्हें अपनी डायरी के गुम होने का एहसास हुआ। वो परेशान हो गए, क्योंकि उसमें उनके गहरे राज़ छिपे हुए थे।



    उन्होंने लाइब्रेरी और रिकॉर्ड रूम में अपनी डायरी ढूंढनी शुरू कर दी। उन्हें टीना पर शक हो रहा था, लेकिन वो यकीन से नहीं कह सकते थे।



    उसी वक्त, टीना डॉ. निर्वाण के ऑफिस की तरफ जा रही थी। वो उन्हें डायरी वापस करना चाहती थी और उनसे माफी मांगना चाहती थी।



    जब टीना डॉ. निर्वाण के ऑफिस पहुँची, तो उसने देखा कि वो बहुत परेशान हैं। उसने डॉ. निर्वाण को डायरी वापस कर दी।



    डॉ. निर्वाण ने टीना को गुस्से से देखा। उनकी आँखें लाल हो गई थीं। "तुमने मेरी डायरी क्यों पढ़ी, टीना?" उन्होंने चिल्लाते हुए कहा। "तुम्हें पता भी है कि तुमने कितना बड़ा गुनाह किया है?"



    टीना ने कहा, "मुझे माफ कर दीजिए, सर। मैं बस आपकी कहानी को समझना चाहती थी। मुझे आपके दर्द का एहसास है।"



    डॉ. निर्वाण ने टीना की आँखों में देखा, और उन्हें एहसास हुआ कि टीना सच बोल रही है। उन्हें लगा कि टीना उनके दर्द को समझ गई है। ये देखकर वो थोड़े विचलित हो गए।



    उन्होंने गहरी साँस ली और कहा, "तुम्हें मेरी निजी चीज़ों में दखल नहीं देना चाहिए, टीना। ये गलत है।" लेकिन उनकी आवाज़ में पहले जैसी कठोरता नहीं थी। शायद, टीना के सहानुभूति भरे शब्दों ने उनके गुस्से को थोड़ा शांत कर दिया था।



    अब देखना ये है कि क्या टीना डॉ. निर्वाण का विश्वास फिर से जीत पाएगी? और क्या डॉ. निर्वाण अपने अतीत के दर्द से उबर पाएँगे? क्योंकि अभी तो कहानी बस शुरू हुई है, और आगे बहुत कुछ होना बाकी है...


  • 12. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 12

    Words: 913

    Estimated Reading Time: 6 min

    टीना ने अपनी गलती का एहसास किया। उसे लगा कि उसने डॉ. निर्वाण की निजता का उल्लंघन किया है और उन्हें बहुत दुख पहुँचाया है। उसने डॉ. निर्वाण से माफी मांगने का फैसला किया।


    "मुझे माफ कर दीजिए, सर," टीना ने कहा। "मेरा इरादा आपको दुख पहुंचाने का नहीं था। मैं बस आपकी कहानी को समझना चाहती थी, और मुझे आपके दर्द का एहसास है।"


    डॉ. निर्वाण ने टीना की आँखों में सच्चाई देखी। उन्हें एहसास हुआ कि टीना सच में उनके दर्द को समझ गई है। ये देखकर वो थोड़े नरम पड़ गए।


    "मेरा अतीत मेरे लिए एक बंद किताब है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम्हें उसमें दखल नहीं देना चाहिए।"


    टीना ने कहा, "मैं समझती हूँ, सर। मैं वादा करती हूँ कि मैं अब कभी ऐसा नहीं करूँगी।"


    टीना अपने मन में डॉ. निर्वाण के प्रति एक नया सम्मान महसूस कर रही थी। वो उन्हें अब सिर्फ एक कठोर डॉक्टर नहीं, बल्कि एक दुखी इंसान के रूप में देख रही थी। उसे लग रहा था कि डॉ. निर्वाण को मदद की ज़रूरत है, और वो उनकी मदद करना चाहती है।


    उसी दिन, अस्पताल में एक बड़ी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो गई। एक बड़ी दुर्घटना के बाद कई मरीज एक साथ अस्पताल में आ गए।


    अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल था। स्टाफ और डॉक्टर घबराए हुए थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें।


    डॉ. निर्वाण तुरंत स्थिति को संभालने के लिए आगे आए। उनकी आवाज़ में कमांडिंग टोन था, लेकिन अब वो पहले से ज्यादा शांत और केंद्रित थे।


    "सब लोग अपनी-अपनी जगह पर वापस जाएँ," डॉ. निर्वाण ने कहा। "हमें शांत रहने और स्थिति को नियंत्रित करने की ज़रूरत है।"


    डॉ. निर्वाण ने स्टाफ को अलग-अलग काम सौंपे। उन्होंने मरीजों को तत्काल देखभाल देने का आदेश दिया। उन्होंने ओटी को तैयार करने का आदेश दिया।


    टीना भी डॉ. निर्वाण के साथ मिलकर काम कर रही थी। वो अपनी त्वरित सोच और चिकित्सा ज्ञान का उपयोग कर रही थी। उसने घायल मरीजों को प्राथमिक उपचार दिया। उसने डॉक्टरों को सर्जरी के लिए तैयार करने में मदद की।


    डॉ. निर्वाण टीना की क्षमता से प्रभावित थे। उन्होंने देखा कि टीना कितनी शांत और दबाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली है।


    एक मरीज को तुरंत सर्जरी की ज़रूरत थी, लेकिन ओटी में कुछ उपकरण खराब हो गए। इससे सर्जरी में देरी होने का खतरा था।


    टीना ने अपनी जुगाड़ू प्रवृत्ति का उपयोग किया और तुरंत वैकल्पिक उपकरण ढूंढ निकाले। इससे सर्जरी में देरी नहीं हुई।


    डॉ. निर्वाण टीना की इस क्षमता से हैरान थे। उनकी आँखों में टीना के लिए एक नया सम्मान झलक रहा था।


    सर्जरी सफल हुई, और मरीज की जान बच गई। डॉ. निर्वाण और टीना दोनों बहुत खुश थे।


    "तुमने बहुत अच्छा काम किया, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम एक बेहतरीन डॉक्टर हो।"


    टीना ने डॉ. निर्वाण को धन्यवाद दिया। उसे लग रहा था कि उसने डॉ. निर्वाण का विश्वास फिर से जीत लिया है।


    डीन डॉ. मिश्रा भी अस्पताल में मौजूद थे। उन्होंने डॉ. निर्वाण और टीना की जोड़ी को एक साथ काम करते हुए देखा। वो दोनों से बहुत प्रभावित हुए।


    "आप दोनों ने आज बहुत अच्छा काम किया," डीन डॉ. मिश्रा ने कहा। "आप दोनों इस अस्पताल के लिए एक संपत्ति हैं।"


    रवि और सारा भी अस्पताल में मौजूद थे। उन्होंने आपातकालीन स्थिति में टीना और डॉ. निर्वाण के काम को देखकर हैरान हो गए।


    "मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा कि टीना और डॉ. निर्वाण एक साथ इतने अच्छे से काम कर सकते हैं," रवि ने कहा।


    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "शायद टीना सच में डॉ. निर्वाण को बदल रही है।"


    अभिषेक भी अस्पताल में मौजूद था। वो आपातकालीन स्थिति में घबरा गया था और उसने डॉ. निर्वाण से डांट खाई थी।


    आपातकालीन स्थिति खत्म होने के बाद, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया। उन्होंने उसे एक नया, और भी महत्वपूर्ण केस असाइन किया।


    "ये केस बहुत मुश्किल है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "लेकिन मुझे विश्वास है कि तुम इसे हल कर सकती हो।"


    डॉ. निर्वाण ने टीना से कहा कि वो अब उस पर भरोसा करते हैं। ये पहला सार्वजनिक संकेत था कि उनका रिश्ता बदल रहा है। उनकी दुश्मनी धीरे-धीरे दोस्ती में बदल रही थी।


    "मैं तुम्हें निराश नहीं करूँगी, सर," टीना ने कहा। "मैं इस केस को हल करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूँगी।"


    टीना ऑफिस से बाहर निकली और रवि और सारा से मिली। उसने उन्हें बताया कि डॉ. निर्वाण ने उसे एक नया केस असाइन किया है।


    "मुझे बहुत खुशी है कि डॉ. निर्वाण ने तुम पर भरोसा किया, टीना," रवि ने कहा। "तुम ये डिजर्व करती हो।"


    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "तुम इस केस को हल कर सकती हो, टीना। मुझे तुम पर विश्वास है।"


    टीना ने कहा, "धन्यवाद दोस्तों। मैं तुम दोनों के बिना ये नहीं कर पाती।"


    टीना अब डॉ. निर्वाण के साथ मिलकर काम करने के लिए और भी ज्यादा उत्साहित थी। उसे लग रहा था कि वो दोनों मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। लेकिन वो ये नहीं जानती थी कि ये नया केस उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा... क्योंकि ये सिर्फ एक मरीज का केस नहीं था, बल्कि एक ऐसी चुनौती थी जो टीना और डॉ. निर्वाण के रिश्ते को एक नई कसौटी पर कसने वाली थी। क्या वो इस चुनौती का सामना कर पाएँगे? या फिर ये केस उनकी दोस्ती को हमेशा के लिए तोड़ देगा? ये तो वक्त ही बताएगा…


  • 13. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 13

    Words: 1014

    Estimated Reading Time: 7 min

    टीना ने रिसर्च असाइनमेंट पर काम करना शुरू कर दिया। ये असाइनमेंट अस्पताल के डेटाबेस में जटिल पैटर्न खोजने से संबंधित था। उसे मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड्स, टेस्ट रिजल्ट्स, और ट्रीटमेंट डिटेल्स को बारीकी से एनालाइज करना था।



    रवि और सारा टीना की मदद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विषय की जटिलता उन्हें भी परेशान कर रही थी। डेटा इतना ज्यादा था और इतना उलझा हुआ था कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहाँ से करें।



    "ये तो बहुत मुश्किल है, टीना," रवि ने कहा। "मुझे नहीं पता कि मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकता हूँ।"



    "मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," सारा ने कहा। "ये डेटा इतना उलझा हुआ है कि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।"



    टीना ने कहा, "कोई बात नहीं दोस्तों। मैं समझती हूँ। मैं अकेले ही कर लूंगी।"



    टीना लाइब्रेरी और डेटा सेंटर में घंटों बिताती थी। वो डेटाबेस को खंगालती, रिपोर्ट्स पढ़ती, और पैटर्न्स को पहचानने की कोशिश करती। उसने अपने तेज़ दिमाग का उपयोग किया और धीरे-धीरे उसे कुछ सुराग मिलने लगे।



    अभिषेक को टीना की मेहनत देखकर जलन हो रही थी। वो चाहता था कि टीना फेल हो जाए और उसे डॉ. निर्वाण की नज़रों में नीचा दिखाया जाए। उसने टीना के काम में बाधा डालने के लिए एक योजना बनाई।



    एक दिन, जब टीना डेटा सेंटर में काम कर रही थी, अभिषेक जानबूझकर उसके कंप्यूटर में एक वायरस डाल दिया। इससे टीना का सारा काम खराब हो गया।



    टीना को अभिषेक की हरकत का पता चल गया, लेकिन वो शांत रही। उसने अपनी तकनीकी समझ का उपयोग करके अपने काम को बचा लिया।



    "तुमने ये क्या किया, अभिषेक?" टीना ने कहा। "तुम जानते हो कि ये गलत है।"



    अभिषेक ने कहा, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तुम्हें फेल होते हुए देखना चाहता हूँ।"



    टीना ने अभिषेक को नज़रअंदाज़ किया और अपनी पूरी एकाग्रता के साथ काम करना जारी रखा। उसने फैसला कर लिया था कि वो अभिषेक को अपने रास्ते में नहीं आने देगी।



    डॉ. निर्वाण नियमित रूप से टीना के काम की प्रगति की समीक्षा करते थे। वो जानबूझकर उस पर ज़्यादा दबाव डालते थे। वो चाहते थे कि टीना अपनी लिमिट्स को पुश करे और अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन करे।



    एक समीक्षा के दौरान, डॉ. निर्वाण ने टीना के काम में कुछ खामियां बताईं। इससे टीना थोड़ी निराश हो गई।



    "तुम्हें और मेहनत करने की ज़रूरत है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये काम अभी तक सही नहीं है।"



    टीना ने कहा, "मैं कोशिश कर रही हूँ, सर। लेकिन ये काम बहुत मुश्किल है।"



    डॉ. निर्वाण ने कहा, "मुश्किल काम ही तुम्हें बेहतर बनाते हैं। तुम्हें अपनी 'अयोग्यता' साबित करने की कोशिश करनी चाहिए।"



    टीना ने डॉ. निर्वाण की बात को चुनौती के रूप में लिया। उसने ठान लिया कि वो इस रिसर्च को सफल बनाकर दिखाएगी। वो डॉ. निर्वाण को गलत साबित करना चाहती थी।



    टीना को रिसर्च के दौरान एक पुरानी मेडिकल रिपोर्ट मिली। उस रिपोर्ट में डॉ. निर्वाण के हस्ताक्षर थे और एक दुखद केस का ज़िक्र था।



    टीना का ध्यान भटक गया। वो उस रिपोर्ट को पढ़ने लगी। उस रिपोर्ट में एक मरीज का नाम था जिसकी मृत्यु हो गई थी। डॉ. निर्वाण उस केस के इंचार्ज थे।



    रिपोर्ट में कहीं न कहीं लापरवाही का संकेत मिल रहा था। टीना को लगने लगा कि डॉ. निर्वाण के कठोर स्वभाव के पीछे यही घटना हो सकती है।



    क्या ये सच है? क्या डॉ. निर्वाण ने वाकई कोई गलती की थी? और अगर हाँ, तो क्या उस गलती का असर आज भी उन पर पड़ रहा है? टीना को इन सवालों के जवाब जानने की उत्सुकता होने लगी।



    लेकिन क्या ये सही होगा कि वो डॉ. निर्वाण के अतीत में झाँके? क्या उसे उनके राज़ जानने का हक है? और अगर उसे कुछ ऐसा पता चला जो डॉ. निर्वाण को पसंद नहीं आया, तो क्या होगा? क्या इससे उनका रिश्ता और भी खराब हो जाएगा?



    टीना को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। वो एक दुविधा में फंस गई थी। एक तरफ, वो डॉ. निर्वाण की मदद करना चाहती थी। दूसरी तरफ, वो डर रही थी कि वो कुछ ऐसा कर देगी जिससे सब कुछ बिगड़ जाएगा।



    उसने रवि और सारा से सलाह लेने का फैसला किया। वो जानती थी कि रवि और सारा उसे सही रास्ता दिखाएंगे।



    उसने रवि और सारा को फोन किया और उन्हें सारी बात बताई। रवि और सारा ने टीना को ध्यान से सुना और फिर अपनी राय दी।



    "मुझे लगता है कि तुम्हें डॉ. निर्वाण से बात करनी चाहिए," रवि ने कहा। "तुम्हें उनसे पूछना चाहिए कि क्या हुआ था। शायद वो तुम्हें सब कुछ बता दें।"



    "मुझे नहीं लगता कि ये अच्छा आइडिया है," सारा ने कहा। "अगर डॉ. निर्वाण तुम्हें बताना नहीं चाहते, तो तुम्हें उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। तुम्हें उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए।"



    टीना को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो किसकी बात माने। रवि और सारा दोनों ही सही कह रहे थे।



    उसने फैसला किया कि वो थोड़ी देर और सोचेगी। वो कोई भी जल्दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहती थी। वो चाहती थी कि वो जो भी करे, सही करे।



    उसी रात, टीना को एक सपना आया। सपने में, उसने डॉ. निर्वाण को एक अंधेरे कमरे में बैठे देखा। वो रो रहे थे और कह रहे थे, "मुझे माफ कर दो। ये मेरी गलती थी।"



    टीना जाग गई। वो पसीने से लथपथ थी। वो समझ गई थी कि उसे क्या करना है। उसे डॉ. निर्वाण की मदद करनी है, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।



    उसने अगली सुबह डॉ. निर्वाण से बात करने का फैसला किया। वो उनसे पूछेगी कि क्या हुआ था। वो उन्हें बताएगी कि वो उनकी मदद करना चाहती है।



    लेकिन क्या डॉ. निर्वाण टीना की मदद स्वीकार करेंगे? क्या वो उसे अपने अतीत के बारे में बताएंगे? और क्या टीना उनकी मदद कर पाएगी? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय थी, टीना ने एक ऐसा कदम उठाने का फैसला कर लिया था जो उसकी और डॉ. निर्वाण की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल सकता था...



  • 14. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 14

    Words: 1087

    Estimated Reading Time: 7 min

    टीना उस पुरानी मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ती रही, और उसमें एक मरीज का नाम था जिसकी मृत्यु हो गई थी, और डॉ. निर्वाण उस केस के इंचार्ज थे। रिपोर्ट में कहीं न कहीं लापरवाही का संकेत मिल रहा था, जिससे टीना को लग रहा था कि डॉ. निर्वाण के कठोर स्वभाव के पीछे यही घटना हो सकती है।


    टीना रवि और सारा को इस रिपोर्ट के बारे में बताती है, और वे भी डॉ. निर्वाण के अतीत को जानने के लिए उत्सुक होते हैं।


    "क्या तुम्हें लगता है कि डॉ. निर्वाण ने सच में कोई गलती की थी?" रवि ने पूछा। "या फिर ये सिर्फ एक हादसा था?"


    "मुझे नहीं पता," टीना ने कहा। "लेकिन मुझे लगता है कि ये घटना डॉ. निर्वाण को बहुत परेशान कर रही है। तभी तो वो इतने कठोर हो गए हैं।"


    "तो अब तुम क्या करोगी?" सारा ने पूछा। "क्या तुम डॉ. निर्वाण से बात करोगी?"


    "शायद," टीना ने कहा। "लेकिन मैं अभी तक तय नहीं कर पाई हूँ। मैं डर रही हूँ कि अगर मैंने कुछ गलत कहा तो सब कुछ बिगड़ जाएगा।"


    तभी डॉ. अंजलि, डॉ. निर्वाण की पूर्व सहकर्मी और प्रेमिका, टीना को लाइब्रेरी में अकेली देखती है और उसे इशारों-इशारों में डॉ. निर्वाण के अतीत के बारे में बताती है।


    "तुम डॉ. निर्वाण के बारे में इतनी पूछताछ क्यों कर रही हो?" डॉ. अंजलि ने पूछा। "क्या तुम उनसे प्यार करती हो?"


    टीना शरमा गई। "नहीं, नहीं," उसने कहा। "मैं बस उन्हें समझना चाहती हूँ। वो इतने कठोर क्यों हैं, मैं ये जानना चाहती हूँ।"


    डॉ. अंजलि मुस्कुराईं। "डॉ. निर्वाण एक अच्छे इंसान हैं," उन्होंने कहा। "लेकिन उन्हें एक बड़ी त्रासदी ने बदल दिया है। वो अपने अतीत के दर्द से उबर नहीं पाए हैं।"


    टीना ने पूछा, "क्या हुआ था?"


    डॉ. अंजलि ने कहा, "मैं तुम्हें सब कुछ नहीं बता सकती। लेकिन मैं तुम्हें इतना बता सकती हूँ कि डॉ. निर्वाण ने एक मरीज को खो दिया था जो उनके दिल के बहुत करीब था। उनकी मृत्यु ने डॉ. निर्वाण को पूरी तरह से बदल दिया।"


    टीना डॉ. अंजलि की बातों से प्रभावित हुई और डॉ. निर्वाण की असंवेदनशीलता के पीछे का कारण खोजना शुरू कर दिया। उसे लगने लगा कि डॉ. निर्वाण को मदद की ज़रूरत है, और वो उनकी मदद करना चाहती है।


    डॉ. निर्वाण अपने ऑफिस में बैठे थे, उनके पास एक पुरानी तस्वीर थी जिसमें एक युवा व्यक्ति मुस्कुरा रहा था, और डॉ. निर्वाण की आँखें उदास थीं। वो तस्वीर को देख रहे थे और उनके चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था।


    मिस्टर वर्मा डॉ. निर्वाण को उदास देखते हैं और उन्हें दिलासा देने की कोशिश करते हैं, लेकिन डॉ. निर्वाण उन्हें रोक देते हैं।


    "मुझे अकेला छोड़ दो, वर्मा," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैं किसी से बात नहीं करना चाहता।"


    "लेकिन सर," मिस्टर वर्मा ने कहा। "आपको किसी से तो बात करनी चाहिए। आप कब तक इस दर्द को अपने अंदर दबाए रखेंगे?"


    "मुझे ये सब याद दिलाकर मुझे परेशान मत करो," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैंने कहा, मुझे अकेला छोड़ दो।"


    मिस्टर वर्मा उदास होकर ऑफिस से चले गए। वो डॉ. निर्वाण को इस तरह दुखी देखकर बहुत परेशान थे।


    टीना रिसर्च असाइनमेंट को पूरा करती है और उसे डॉ. निर्वाण को जमा कर देती है, इस बार बिना किसी कमी के। डॉ. निर्वाण ने रिपोर्ट को लिया और बिना कुछ कहे अपने ऑफिस में चले गए।


    टीना को लग रहा था कि डॉ. निर्वाण ने उसकी रिपोर्ट पढ़ी भी नहीं है। वो बहुत निराश थी।


    अगली सुबह, डॉ. निर्वाण ने टीना को अपने ऑफिस में बुलाया।


    "मैंने तुम्हारी रिपोर्ट पढ़ी, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये बहुत अच्छी है। तुमने बहुत अच्छा काम किया है।"


    टीना को विश्वास नहीं हो रहा था कि डॉ. निर्वाण उसकी तारीफ कर रहे हैं। वो बहुत खुश थी।


    "धन्यवाद, सर," टीना ने कहा। "ये सब आपकी वजह से ही संभव हुआ है।"


    "नहीं, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये सब तुम्हारी मेहनत और लगन की वजह से हुआ है। तुम एक बहुत ही काबिल डॉक्टर हो।"


    टीना डॉ. निर्वाण के दिल से तारीफ सुनकर बहुत प्रभावित हुई। वो समझ गई थी कि डॉ. निर्वाण सच में बदल रहे हैं।


    लेकिन क्या ये बदलाव स्थायी होगा? क्या डॉ. निर्वाण सच में अपने अतीत के दर्द से उबर पाएंगे? और क्या टीना उनकी मदद कर पाएगी? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर टीना के दिल में डॉ. निर्वाण के लिए एक उम्मीद की किरण जाग उठी थी। उसे लग रहा था कि शायद वो डॉ. निर्वाण को फिर से खुश कर पाएगी...


    उसी शाम, टीना डॉ. निर्वाण के ऑफिस के पास से गुज़र रही थी, उसने देखा कि उनका दरवाजा खुला है और अंदर अंधेरा है। वो थोड़ा घबरा गई, फिर उसने हिम्मत करके अंदर झाँका।


    अंदर डॉ. निर्वाण अपनी कुर्सी पर बैठे थे और रो रहे थे। टीना को समझ में नहीं आया कि वो क्या करे। वो उन्हें इस तरह दुखी देखकर बहुत परेशान हो गई थी।


    वो धीरे से ऑफिस में दाखिल हुई और डॉ. निर्वाण के पास जाकर खड़ी हो गई। उसने अपना हाथ उनके कंधे पर रखा।


    डॉ. निर्वाण ने चौंककर ऊपर देखा। उन्होंने टीना को अपने पास खड़ा देखकर हैरानी से पूछा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो, टीना?"


    "मैं तुम्हें देखने आई थी, सर," टीना ने कहा। "मैं तुम्हें इस तरह दुखी नहीं देख सकती।"


    डॉ. निर्वाण ने अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा लिया। "मुझे अकेला छोड़ दो, टीना," उन्होंने कहा। "मुझे किसी से बात नहीं करनी।"


    "मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकती, सर," टीना ने कहा। "मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, और मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ।"


    डॉ. निर्वाण ने अपना चेहरा उठाया और टीना की आँखों में देखा। उन्होंने देखा कि टीना सच में उनकी मदद करना चाहती है। वो थोड़े नरम पड़ गए।


    "तुम मेरी मदद नहीं कर सकती, टीना," उन्होंने कहा। "मेरा दर्द बहुत गहरा है। तुम उसे कभी नहीं समझ पाओगी।"


    "मैं कोशिश तो कर सकती हूँ, सर," टीना ने कहा। "मुझे बताओ कि क्या हुआ था। शायद मैं तुम्हारी मदद कर पाऊँ।"


    डॉ. निर्वाण ने गहरी सांस ली। उन्होंने टीना को अपने पास बैठने के लिए कहा। फिर उन्होंने उसे अपने अतीत की कहानी सुनानी शुरू कर दी... क्या उस कहानी को सुनने के बाद टीना उन्हें पहले जैसा समझ पाएगी? क्या वो उनके दर्द को बांट पाएगी? या फिर ये कहानी उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उस रात, एक कठोर डॉक्टर और एक मुँहफट इंटर्न के बीच एक ऐसी कहानी शुरू होने वाली थी, जो उनके रिश्ते को हमेशा के लिए बदल देगी…



  • 15. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 15

    Words: 1006

    Estimated Reading Time: 7 min

    डॉ. अंजलि डॉ. निर्वाण की देखभाल कर रही थीं, और टीना उन्हें देखकर खुश हो रही थी कि डॉ. निर्वाण अब अकेले नहीं हैं। डॉ. अंजलि उनके लिए हेल्दी खाना बनातीं, उन्हें वक़्त पर दवाई देतीं और हमेशा उनका हौसला बढ़ातीं। टीना को लग रहा था कि डॉ. अंजलि के आने से डॉ. निर्वाण के जीवन में एक पॉजिटिव बदलाव आया है।



    डॉ. अंजलि टीना से मिलती है और उसे डॉ. निर्वाण के अतीत के बारे में और बताती है, जिससे टीना को डॉ. निर्वाण को और समझने में मदद मिलती है।



    "तुम्हें पता है," डॉ. अंजलि ने कहा, "निर्वाण हमेशा से ऐसे नहीं थे। वो बहुत ही हंसमुख और मिलनसार इंसान थे। लेकिन उस घटना ने उन्हें पूरी तरह से बदल दिया।"



    टीना ने पूछा, "क्या हुआ था उस घटना में?"



    डॉ. अंजलि ने गहरी सांस ली। "निर्वाण ने अपने एक करीबी रिश्तेदार को खो दिया था," उन्होंने कहा। "वो उस रिश्तेदार के बहुत करीब थे, और उनकी मृत्यु ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।"



    "मैं समझती हूँ," टीना ने कहा। "ये बहुत ही दुखद घटना रही होगी।"



    "हाँ," डॉ. अंजलि ने कहा। "लेकिन निर्वाण बहुत मजबूत इंसान हैं। मुझे यकीन है कि वो इस दर्द से उबर जाएंगे।"



    टीना डॉ. अंजलि की बातों से और भी प्रेरित हो गई। वो डॉ. निर्वाण की मदद करने के लिए और भी ज़्यादा उत्सुक हो गई।



    टीना डॉ. निर्वाण के लिए कुछ स्वास्थ्यवर्धक भोजन बनाती है और उन्हें अस्पताल ले आती है। वो जानती थी कि डॉ. निर्वाण अपनी सेहत का ज़्यादा ध्यान नहीं रखते, इसलिए उसने सोचा कि उसे उनके लिए कुछ अच्छा खाना बनाना चाहिए।



    डॉ. निर्वाण शुरुआत में टीना की मदद को स्वीकार नहीं करते, लेकिन टीना की दृढ़ता देखकर वो तैयार हो जाते हैं।



    "ये सब करने की तुम्हें कोई ज़रूरत नहीं है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैं अपना ख्याल खुद रख सकता हूँ।"



    "मुझे पता है, सर," टीना ने कहा। "लेकिन मैं आपकी दोस्त हूँ, और मैं आपकी मदद करना चाहती हूँ। प्लीज़ मना मत कीजिए।"



    डॉ. निर्वाण ने मुस्कुराकर टीना से खाना ले लिया। "थैंक यू, टीना," उन्होंने कहा। "तुम्हारी चिंता करने के लिए धन्यवाद।"



    डॉ. निर्वाण टीना को अपने अतीत के बारे में कुछ और बताते हैं, कि कैसे उनकी बीमारी ने उनके प्रियजन की मृत्यु में योगदान दिया था। वो बताते हैं कि उन्हें हमेशा से ये डर था कि उनकी बीमारी की वजह से वो दूसरों को भी खो देंगे।



    टीना डॉ. निर्वाण के दर्द को समझती है और उन्हें सहारा देती है, उन्हें विश्वास दिलाती है कि वो अकेले नहीं हैं।



    "सर, आप अकेले नहीं हैं," टीना ने कहा। "मैं हमेशा आपके साथ हूँ। और मैं आपको कभी अकेला नहीं छोड़ूंगी।"



    डॉ. निर्वाण टीना की संवेदनशीलता और देखभाल से प्रभावित होते हैं, और उनके मन में टीना के प्रति एक नया सम्मान उमड़ता है। उन्हें लगने लगा कि टीना सिर्फ उनकी स्टूडेंट नहीं, बल्कि उनकी सच्ची दोस्त भी है।



    डॉ. अंजलि, डॉ. निर्वाण की बीमारी के बारे में सुनती है और उनसे मिलने आती है, जिससे दोनों के बीच एक पुराना रिश्ता फिर से जागृत होता है। वो दोनों पुरानी बातें याद करते हैं, और उन्हें लगने लगता है कि शायद वो फिर से एक हो सकते हैं।



    उसी शाम, डॉ. निर्वाण टीना को अपने ऑफिस में बुलाते हैं।



    "टीना, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ," डॉ. निर्वाण ने कहा।



    "हाँ, सर," टीना ने कहा।



    डॉ. निर्वाण टीना को बताते हैं कि उन्हें उस मरीज को खोने का कितना पछतावा है, और वो नहीं चाहते कि टीना भी किसी खतरे में पड़े।



    "मैं तुम्हें सिर्फ एक बात कहना चाहता हूँ, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम अपनी जान खतरे में मत डालना। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।"



    टीना डॉ. निर्वाण की बात सुनकर भावुक हो जाती है। उसे लगता है कि डॉ. निर्वाण सच में उसकी परवाह करते हैं।



    टीना डॉ. निर्वाण को गले लगाती है, और ये पल दोनों के रिश्ते को पूरी तरह से बदल देता है, उनकी दुश्मनी अब अटूट विश्वास में बदल गई है। वो दोनों अब एक-दूसरे पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं, और उन्हें पता है कि वो हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे।



    अभिषेक टीना और डॉ. निर्वाण की बढ़ती नज़दीकियों से जलता है और कोई नई साजिश रचता है, क्योंकि वो अभी भी टीना को नीचा दिखाना चाहता है। वो जानता था कि डॉ. निर्वाण अब टीना पर बहुत भरोसा करते हैं, इसलिए उसने सोचा कि वो टीना को फंसाकर डॉ. निर्वाण को भी नीचा दिखा सकता है।



    अभिषेक अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को भड़काता है, जो डॉ. निर्वाण के खिलाफ शिकायतें करते हैं। वो कर्मचारियों को झूठी बातें बताता है और उन्हें डॉ. निर्वाण के खिलाफ भड़काने की कोशिश करता है।



    डॉ. निर्वाण और टीना अभिषेक की साजिश का सामना करते हैं, और उन्हें मिलकर इसे सुलझाना है। उन्हें पता है कि अभिषेक बहुत ही खतरनाक है, और वो किसी भी हद तक जा सकता है। इसलिए उन्हें बहुत सावधानी से काम करना होगा।



    डॉ. निर्वाण टीना को बताते हैं कि उन्हें अब किसी भी चुनौती का सामना करने में डर नहीं लगता, क्योंकि टीना उनके साथ है। वो कहते हैं कि टीना ने उन्हें एक नया हौसला दिया है, और वो अब किसी भी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार हैं।



    लेकिन क्या डॉ. निर्वाण और टीना अभिषेक की साजिश को नाकाम कर पाएंगे? क्या वो अस्पताल को बचा पाएंगे? और क्या वो अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना पाएंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय थी, डॉ. निर्वाण और टीना एक-दूसरे के साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार थे…



    टीना ने डॉ. निर्वाण की तरफ देखा और मुस्कुराई। "हम ये कर लेंगे, सर," उसने कहा। "हम अभिषेक को कामयाब नहीं होने देंगे।"



    डॉ. निर्वाण ने भी मुस्कुराकर टीना की तरफ देखा। "मुझे तुम पर भरोसा है, टीना," उन्होंने कहा। "मुझे पता है कि हम ये कर सकते हैं।"



    और उस पल, टीना और डॉ. निर्वाण ने एक-दूसरे के साथ मिलकर एक नई जंग शुरू करने का फैसला किया। एक ऐसी जंग जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी...



  • 16. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 16

    Words: 892

    Estimated Reading Time: 6 min

    अस्पताल में डॉ. निर्वाण के खिलाफ कुछ गुमनाम शिकायतें आती हैं, जिसमें उन पर मरीजों के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगता है। शिकायतों में लिखा था कि डॉ. निर्वाण मरीजों से ठीक से बात नहीं करते, उनकी भावनाओं का सम्मान नहीं करते और हमेशा अपने प्रोटोकॉल्स को ही सही मानते हैं।




    डीन डॉ. मिश्रा इस मामले की जांच शुरू करते हैं, और डॉ. निर्वाण की प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है। डीन डॉ. मिश्रा जानते थे कि डॉ. निर्वाण एक काबिल डॉक्टर हैं, लेकिन वो ये भी जानते थे कि उनके खिलाफ शिकायतें बहुत गंभीर हैं। इसलिए उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेने का फैसला किया।




    टीना को पता चलता है कि ये अभिषेक की चाल है, और वो डॉ. निर्वाण का बचाव करने का फैसला करती है। टीना जानती थी कि डॉ. निर्वाण कभी भी मरीजों के प्रति असंवेदनशील नहीं हो सकते। उसे यकीन था कि ये सब अभिषेक की साजिश है।




    रवि और सारा भी टीना का साथ देते हैं, और वे सभी डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित करने की कोशिश करते हैं। वो तीनों मिलकर सबूत इकट्ठा करते हैं और उन कर्मचारियों से बात करते हैं जिन्होंने डॉ. निर्वाण के खिलाफ शिकायतें की थीं।




    "हमें किसी भी हाल में डॉ. निर्वाण को बचाना होगा," टीना ने कहा। "वो एक अच्छे इंसान हैं और वो किसी भी गलत काम में शामिल नहीं हो सकते।"




    "हाँ, टीना," रवि ने कहा। "हम तुम्हारे साथ हैं। हम मिलकर डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित करेंगे।"




    डॉ. अंजलि डॉ. निर्वाण का समर्थन करती है, और वो डीन डॉ. मिश्रा को डॉ. निर्वाण के मानवीय पक्ष के बारे में बताती है। वो डीन को बताती है कि डॉ. निर्वाण मरीजों की कितनी परवाह करते हैं और वो हमेशा उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।




    "मुझे पता है कि डॉ. निर्वाण कभी-कभी कठोर हो सकते हैं," डॉ. अंजलि ने कहा। "लेकिन वो एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं और वो हमेशा मरीजों के हित में ही काम करते हैं।"




    टीना कुछ ऐसे गवाहों को ढूंढ निकालती है जो अभिषेक के झूठे आरोपों का खंडन कर सकते हैं। वो कुछ ऐसे मरीजों से मिलती है जिन्होंने डॉ. निर्वाण से इलाज करवाया था और वो सभी डॉ. निर्वाण की तारीफ करते हैं।




    "डॉ. निर्वाण ने मेरी जान बचाई," एक मरीज ने कहा। "मैं हमेशा उनका आभारी रहूँगा।"




    अभिषेक मीडिया को भी शामिल कर लेता है, जिससे डॉ. निर्वाण के खिलाफ खबरें फैलने लगती हैं। वो मीडिया को झूठी खबरें देता है और डॉ. निर्वाण की छवि खराब करने की कोशिश करता है।




    "देखिए, डॉ. निर्वाण कितने असंवेदनशील हैं," अभिषेक ने मीडिया से कहा। "उन्हें मरीजों की कोई परवाह नहीं है। उन्हें सिर्फ अपने प्रोटोकॉल्स की चिंता है।"




    डॉ. निर्वाण को अस्पताल प्रशासन द्वारा जांच के दौरान छुट्टी पर भेज दिया जाता है, जिससे टीना और सभी चिंतित होते हैं। डॉ. निर्वाण को लग रहा था कि उनकी सारी मेहनत बेकार हो गई। उन्हें डर था कि वो हमेशा के लिए अपनी प्रतिष्ठा खो देंगे।




    टीना डॉ. निर्वाण से मिलने जाती है और उन्हें भरोसा दिलाती है कि वो उनकी बेगुनाही साबित करके दिखाएगी। वो कहती है कि वो किसी भी हाल में हार नहीं मानेगी और वो हमेशा डॉ. निर्वाण के साथ रहेगी।




    "सर, आप चिंता मत कीजिए," टीना ने कहा। "मैं आपकी बेगुनाही साबित करके रहूँगी। मैं आपको अकेला नहीं छोड़ूँगी।"




    डॉ. निर्वाण टीना की आँखों में विश्वास देखते हैं और उन्हें उम्मीद मिलती है कि टीना उन्हें इस मुश्किल से बाहर निकाल लेगी। उन्हें लगने लगता है कि शायद अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है।




    "मुझे तुम पर भरोसा है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मुझे पता है कि तुम ये कर सकती हो।"




    लेकिन क्या टीना डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित कर पाएगी? क्या वो अभिषेक की साजिश को नाकाम कर पाएगी? और क्या डॉ. निर्वाण फिर से अपनी प्रतिष्ठा वापस पा सकेंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन टीना ने फैसला कर लिया था कि वो किसी भी हाल में हार नहीं मानेगी…




    उसी रात, टीना रवि और सारा के साथ मिलकर अभिषेक के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने की योजना बनाती है। वो जानती थी कि ये बहुत मुश्किल काम है, लेकिन वो किसी भी हाल में हार नहीं मानना चाहती थी।




    "हमें अभिषेक को रोकना होगा," टीना ने कहा। "वो बहुत ही खतरनाक है और वो किसी भी हद तक जा सकता है।"




    "हाँ, टीना," रवि ने कहा। "हम तुम्हारे साथ हैं। हम मिलकर अभिषेक को सबक सिखाएँगे।"




    और उस रात, टीना, रवि और सारा ने मिलकर एक ऐसी जंग शुरू करने का फैसला किया, जो उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी। एक ऐसी जंग जिसमें उन्हें अपनी दोस्ती, अपनी काबिलियत और अपने विश्वास का इम्तिहान देना होगा…




    तभी, टीना के फोन पर एक मैसेज आता है। वो मैसेज देखती है और चौंक जाती है। मैसेज में लिखा था: "तुम जो कर रही हो उसे छोड़ दो, वरना तुम्हें बहुत पछताना पड़ेगा।"




    टीना डर जाती है, लेकिन वो हार नहीं मानती। वो जानती थी कि अभिषेक उसे डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वो उसके डर में नहीं आने वाली थी।




    "मैं किसी भी कीमत पर डॉ. निर्वाण को बचाऊँगी," टीना ने अपने आप से कहा। "मैं किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार हूँ।" और उसकी आँखों में एक नई चमक दिखाई देती है, एक ऐसी चमक जो बता रही थी कि वो किसी भी हाल में हार नहीं मानेगी…




  • 17. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 17

    Words: 788

    Estimated Reading Time: 5 min

    टीना और उसके दोस्त डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, वे अभिषेक के हर कदम पर नज़र रखते हैं। टीना को पता था कि अभिषेक बहुत ही चालाक है और वो कोई भी गलती कर सकता है। इसलिए वो और उसके दोस्त हर पल चौकन्ने रहते थे।




    टीना कुछ ऐसे गवाहों को ढूंढ निकालती है जो अभिषेक के झूठे आरोपों का खंडन कर सकते हैं। वो उन मरीजों से मिलती है जिनसे अभिषेक ने झूठी शिकायतें करवाई थीं और उन्हें सच्चाई बताने के लिए मनाती है।




    "अभिषेक ने मुझसे झूठ बोलने को कहा," एक मरीज ने कहा। "उसने मुझसे कहा कि अगर मैं डॉ. निर्वाण के खिलाफ शिकायत करूँगा तो वो मेरी मदद करेगा। लेकिन मैं अब सच बताना चाहता हूँ।"




    रवि और सारा टीना की मदद करते हैं, वे अभिषेक के कंप्यूटर से कुछ ऐसे दस्तावेज़ निकालने की कोशिश करते हैं जो उसकी साजिश को बेनकाब कर सकते हैं। वे रात भर अभिषेक के कंप्यूटर को हैक करने की कोशिश करते हैं।




    "मुझे लगता है कि हमें कुछ मिल गया है," रवि ने कहा। "अभिषेक के कंप्यूटर में कुछ ऐसे ईमेल हैं जिनसे पता चलता है कि वो डॉ. निर्वाण के खिलाफ साजिश रच रहा था।"




    अभिषेक अपनी चालों को और भी तेज़ी से चलता है, वह टीना और उसके दोस्तों को रोकने की कोशिश करता है। उसे पता चल जाता है कि टीना और उसके दोस्त उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और वो उन्हें रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है।




    "तुम्हें ये सब बंद कर देना चाहिए, टीना," अभिषेक ने कहा। "तुम नहीं जानती कि तुम किस से पंगा ले रही हो।"




    "मैं तुमसे नहीं डरती, अभिषेक," टीना ने कहा। "मैं डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित करके रहूँगी।"




    टीना को एक महत्वपूर्ण सबूत मिलता है: एक ऑडियो रिकॉर्डिंग जिसमें अभिषेक डॉ. निर्वाण के खिलाफ एक कर्मचारी को भड़काता है। टीना उस ऑडियो रिकॉर्डिंग को सुनकर चौंक जाती है। उसे यकीन नहीं होता कि अभिषेक इतना नीचे गिर सकता है।




    "ये रहा तुम्हारा खेल, अभिषेक," टीना ने कहा। "अब तुम नहीं बच सकते।"




    टीना डीन डॉ. मिश्रा के पास जाती है और उन्हें ऑडियो रिकॉर्डिंग और अन्य सबूत पेश करती है, डीन डॉ. मिश्रा हैरान होते हैं। डीन डॉ. मिश्रा को यकीन नहीं होता कि अभिषेक ऐसा कर सकता है।




    "ये तो बहुत ही गंभीर मामला है," डीन डॉ. मिश्रा ने कहा। "मुझे तुरंत अभिषेक को बुलाना होगा।"




    डीन डॉ. मिश्रा अभिषेक को तुरंत बुलाते हैं और उससे जवाब मांगते हैं, जिससे अभिषेक घबरा जाता है। अभिषेक को पता चल जाता है कि उसकी साजिश का पर्दाफाश हो गया है।




    "ये सब झूठ है," अभिषेक ने कहा। "मैं कुछ नहीं जानता।"




    डीन डॉ. मिश्रा अभिषेक को सबूत दिखाते हैं, और अभिषेक अपनी गलती स्वीकार करता है और माफी मांगता है, लेकिन उसे अस्पताल से हमेशा के लिए निकाल दिया जाता है। अभिषेक को अपनी गलती का एहसास होता है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।




    "मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी," अभिषेक ने कहा। "मुझे माफ कर दो।"




    डॉ. निर्वाण अस्पताल में वापस आते हैं और टीना का धन्यवाद करते हैं, उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान होती है, जो उनके दिल की बात कहती है। डॉ. निर्वाण को लगता है कि टीना ने उनकी जान बचाई है।




    "मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुमने मुझे एक बहुत बड़ी मुसीबत से बचाया है।"




    टीना और डॉ. निर्वाण के बीच का रिश्ता अब एक नए स्तर पर पहुंच गया है, जहां वे एक-दूसरे पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं। उन्हें पता चल गया था कि वो एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते।




    "हम हमेशा दोस्त रहेंगे," टीना ने कहा।




    "हाँ, हमेशा," डॉ. निर्वाण ने कहा।




    लेकिन क्या अभिषेक हमेशा के लिए चला गया है? क्या वो फिर कभी वापस नहीं आएगा? और क्या डॉ. निर्वाण और टीना हमेशा खुश रह पाएंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल उन्हें अपनी जीत का जश्न मनाना था…




    उसी शाम, टीना, रवि और सारा मिलकर एक छोटी सी पार्टी करते हैं। वो डॉ. निर्वाण की बेगुनाही साबित होने की खुशी में नाचते-गाते हैं।




    "हमने कर दिखाया," टीना ने कहा। "हमने अभिषेक को हरा दिया।"




    "हाँ, टीना," रवि ने कहा। "तुम एक हीरो हो।"




    "हम सब हीरो हैं," सारा ने कहा। "हमने मिलकर ये जंग जीती है।"




    और उस रात, टीना, रवि और सारा ने अपनी दोस्ती का जश्न मनाया। उन्हें पता था कि उनकी दोस्ती हमेशा बनी रहेगी, चाहे कुछ भी हो जाए…




    लेकिन क्या सच में अभिषेक चला गया है? क्या वो वाकई में अपनी गलतियों पर पछता रहा है? या फिर ये सिर्फ एक और चाल है? अगली सुबह, अस्पताल में एक नया सन्नाटा छाया हुआ था, एक ऐसा सन्नाटा जो किसी तूफान से पहले आता है…




  • 18. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 18

    Words: 702

    Estimated Reading Time: 5 min

    डॉ. निर्वाण अस्पताल में वापस आ जाते हैं, और सभी स्टाफ और मरीज उन्हें वापस देखकर खुश होते हैं। हर कोई उन्हें बधाई देता है और उनके साथ अपनी खुशी जाहिर करता है। माहौल में एक अलग ही पॉजिटिविटी थी।





    "वेलकम बैक, डॉ. निर्वाण!" मिस्टर वर्मा ने कहा। "हमें आपकी बहुत याद आ रही थी।"





    "थैंक यू, मिस्टर वर्मा," डॉ. निर्वाण ने मुस्कुराते हुए कहा। "मैं भी आप सभी को बहुत मिस कर रहा था।"





    डॉ. निर्वाण टीना को अपने ऑफिस में बुलाते हैं और उसे उसके साहस और वफादारी के लिए व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देते हैं। वो टीना को बताते हैं कि उसने मुश्किल समय में उनका साथ देकर उनकी जिंदगी बदल दी है।





    "टीना, मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊँगा," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुमने जो मेरे लिए किया है, उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।"





    टीना डॉ. निर्वाण को बताती है कि वो हमेशा उनके साथ रहेगी, और उन्हें लगता है कि टीना सिर्फ एक इंटर्न नहीं, बल्कि उनके लिए एक परिवार बन गई है। टीना की आँखों में डॉ. निर्वाण के लिए प्यार और सम्मान साफ झलक रहा था।





    "सर, आप हमेशा मेरे लिए एक प्रेरणा रहेंगे," टीना ने कहा। "मैं हमेशा आपकी आभारी रहूँगी।"





    डॉ. निर्वाण टीना को एक प्रतिष्ठित इंटर्नशिप या स्कॉलरशिप के लिए नामांकित करते हैं, बिना टीना को बताए। वो चाहते थे कि टीना अपनी काबिलियत के दम पर आगे बढ़े और दुनिया में अपना नाम करे।





    "ये टीना के लिए मेरा एक छोटा सा गिफ्ट है," डॉ. निर्वाण ने मन ही मन सोचा। "वो इससे बहुत आगे जाएगी।"





    टीना को इंटर्नशिप के लिए चुना जाता है, और उसे डॉ. निर्वाण की गाइडेंस मिलती है, जो अभी भी सख्त होती है, पर अब उसमें देखभाल भी होती है। अब डॉ. निर्वाण टीना को सिर्फ एक स्टूडेंट नहीं, बल्कि एक दोस्त और सहयोगी की तरह ट्रीट करते थे।





    "टीना, तुम्हें बहुत मेहनत करनी होगी," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये इंटर्नशिप तुम्हारे करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।"





    "मैं जानती हूँ, सर," टीना ने कहा। "मैं पूरी कोशिश करूँगी।"





    टीना इंटर्नशिप पर काम करना शुरू करती है, जो एक बहुत जटिल मेडिकल रिसर्च प्रोजेक्ट है। वो दिन-रात मेहनत करती है और हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहती है।





    रवि और सारा टीना की सफलता पर खुश होते हैं, और उन्हें लगता है कि डॉ. निर्वाण बदल रहे हैं। उन्हें यकीन हो जाता है कि टीना ने डॉ. निर्वाण के दिल में इंसानियत जगा दी है।





    "टीना ने कमाल कर दिया," रवि ने कहा। "उसने डॉ. निर्वाण को बदल दिया।"





    "हाँ, रवि," सारा ने कहा। "टीना एक जादूगर है।"





    डॉ. अंजलि डॉ. निर्वाण और टीना के रिश्ते में सुधार देखकर खुश होती है। वो जानती है कि टीना ने डॉ. निर्वाण को एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है।





    "मैं बहुत खुश हूँ कि डॉ. निर्वाण और टीना एक-दूसरे के करीब आ गए हैं," डॉ. अंजलि ने कहा। "वे दोनों एक-दूसरे के लिए बहुत अच्छे हैं।"





    डॉ. निर्वाण टीना को अपनी बेटी की तरह मानते हैं, और उनके रिश्ते में अब एक गुरु-शिष्य से बढ़कर एक पारिवारिक रिश्ता पनपने लगता है। वो टीना की हर मुश्किल में उसका साथ देते हैं और उसे हमेशा सही रास्ता दिखाते हैं।





    "टीना, तुम हमेशा मेरे लिए खास रहोगी," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम मेरी बेटी जैसी हो।"





    लेकिन क्या डॉ. निर्वाण और टीना का ये रिश्ता हमेशा ऐसा ही रहेगा? क्या उनकी जिंदगी में कभी कोई मुश्किल नहीं आएगी? क्या वो हमेशा एक-दूसरे का साथ देते रहेंगे? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा…





    तभी, टीना को एक गुमनाम कॉल आती है। वो कॉल उठाती है और दूसरी तरफ से एक डरावनी आवाज सुनाई देती है।





    "तुम्हें और डॉ. निर्वाण को इसकी कीमत चुकानी होगी," आवाज ने कहा। "तुम दोनों बहुत जल्द पछताओगे।"





    टीना डर जाती है, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारती। उसे पता था कि कोई उसकी और डॉ. निर्वाण की जिंदगी में तूफान लाने की कोशिश कर रहा है।





    "मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूँगी," टीना ने अपने आप से कहा। "मैं अपनी और डॉ. निर्वाण की हर कीमत पर रक्षा करूँगी।" और उसने उस कॉल के बारे में डॉ. निर्वाण को बताने का फैसला किया, ये सोचकर कि शायद ये किसी नई मुसीबत का संकेत है…





  • 19. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 19

    Words: 786

    Estimated Reading Time: 5 min

    टीना इंटर्नशिप के दौरान एक बहुत ही जटिल सर्जरी केस पर काम कर रही है, जिसमें उसे डॉ. निर्वाण से मिली हर सीख का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। वो जानती थी कि ये उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान है और उसे हर हाल में इसे पास करना होगा।






    "ये केस बहुत ही मुश्किल है, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम्हें अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना होगा।"






    "मैं जानती हूँ, सर," टीना ने कहा। "मैं पूरी कोशिश करूँगी।"






    डॉ. निर्वाण टीना को अपनी सभी ज्ञान और अनुभव देते हैं, उसे हर मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए तैयार करते हैं। वो उसे बताते हैं कि कैसे प्रेशर में काम करना है और कैसे सही फैसले लेने हैं।






    "तुम्हें हमेशा शांत रहना होगा, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "और तुम्हें हमेशा अपने फैसले पर भरोसा रखना होगा।"






    "मैं समझ गई, सर," टीना ने कहा।






    सर्जरी के दौरान, डॉ. निर्वाण को अचानक कोई बाधा आती है, जिससे वह थोड़े विचलित होते हैं। उन्हें एक पुरानी घटना याद आ जाती है और वो अपना आपा खोने लगते हैं।






    "मुझे ये नहीं करना चाहिए था," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी।"






    टीना अपनी तेज़ ऑब्ज़र्वेशन और समझदारी से डॉ. निर्वाण की मदद करती है, जिससे सर्जरी सफल होती है। वो जानती थी कि डॉ. निर्वाण को इस वक्त सहारे की जरूरत है और वो उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकती।






    "सर, आप ठीक हैं?" टीना ने पूछा। "क्या मैं आपकी मदद कर सकती हूँ?"






    "हाँ, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "मुझे बस थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो।"






    डॉ. निर्वाण टीना की इस क्षमता से हैरान होते हैं, और वो टीना को अपनी टीम में एक जूनियर डॉक्टर के रूप में शामिल होने का ऑफर देते हैं। वो जानते थे कि टीना एक काबिल डॉक्टर है और वो उनकी टीम के लिए एक बड़ी एसेट साबित होगी।






    "टीना, मैं तुम्हें अपनी टीम में शामिल करना चाहता हूँ," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम एक बहुत ही काबिल डॉक्टर हो।"






    टीना इस ऑफर से खुश होती है, लेकिन वह अभी भी अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती है। उसे लगता था कि अभी उसे और सीखने की जरूरत है।






    "सर, मैं आपकी आभारी हूँ," टीना ने कहा। "लेकिन मैं अभी अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हूँ।"






    "मैं समझता हूँ, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम अपनी पढ़ाई पूरी करो और फिर तुम मेरी टीम में शामिल हो सकती हो।"






    डॉ. अंजलि डॉ. निर्वाण और टीना के बीच एक अजीब सी 'गुरु-शिष्य' केमिस्ट्री विकसित होती है, और वह इस बदलाव को नोटिस करती है। उसे लगता था कि उनके बीच एक अलग ही तरह का रिश्ता बन गया है।






    "मुझे लगता है कि डॉ. निर्वाण और टीना के बीच कुछ तो है," डॉ. अंजलि ने मन ही मन सोचा। "मुझे ये पता लगाना होगा कि क्या हो रहा है।"






    डीन डॉ. मिश्रा भी इस बदलाव को नोटिस करते हैं और खुश होते हैं कि डॉ. निर्वाण अब अधिक मानवीय हो गए हैं। वो जानते थे कि टीना ने डॉ. निर्वाण को एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है।






    "मुझे बहुत खुशी है कि डॉ. निर्वाण बदल गए हैं," डीन डॉ. मिश्रा ने कहा। "ये सब टीना की वजह से हुआ है।"






    टीना और डॉ. निर्वाण अभी भी बहस करते हैं, पर अब बहस में सम्मान और समझदारी होती है, और वे एक-दूसरे को 'कठपुतली' और 'खड़ूस' कहकर चिढ़ाते हैं। उनकी बहसें अब प्यार और सम्मान से भरी होती थीं।






    "तुम हमेशा एक कठपुतली रहोगे, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा।






    "और तुम हमेशा एक खड़ूस रहोगे, सर," टीना ने कहा।






    डॉ. निर्वाण टीना को एक और मुश्किल केस असाइन करते हैं, ताकि वह अपनी क्षमताओं को और निखार सके। वो चाहते थे कि टीना दुनिया की सबसे बेहतरीन डॉक्टर बने।






    "ये केस तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा, टीना," डॉ. निर्वाण ने कहा। "लेकिन मुझे पता है कि तुम इसे कर सकती हो।"






    टीना ने उस केस को स्वीकार कर लिया, लेकिन उसके मन में एक डर था। उसे लग रहा था कि ये केस उसकी क्षमताओं से बाहर है।






    "मैं ये नहीं कर पाऊँगी," टीना ने मन ही मन सोचा। "ये केस बहुत ही मुश्किल है।" लेकिन फिर उसे डॉ. निर्वाण की बातें याद आती हैं - "तुम्हें हमेशा अपने फैसले पर भरोसा रखना होगा।" क्या टीना इस केस को सुलझा पाएगी? क्या वो डॉ. निर्वाण की उम्मीदों पर खरी उतरेगी? या फिर वो हार मान लेगी? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा…






    उसी रात, जब टीना केस के बारे में रिसर्च कर रही थी, तो उसे अपनी टेबल पर एक मैसेज मिलता है। मैसेज में लिखा था - "दूर रहो, नहीं तो पछताओगी..." टीना डर जाती है, लेकिन वो हार नहीं मानती। वो उस केस को सुलझाने का फैसला करती है, चाहे कुछ भी हो जाए…






  • 20. इलाज या इम्तेहान? - Chapter 20

    Words: 701

    Estimated Reading Time: 5 min

    टीना इंटर्नशिप के दौरान एक बहुत ही जटिल सर्जरी केस पर काम कर रही है, जिसमें उसे डॉ. निर्वाण से मिली हर सीख का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ये केस एक जवान लड़की का है, जिसके दिमाग में एक बहुत बड़ा ट्यूमर है।





    डॉ. निर्वाण टीना को अपनी सभी ज्ञान और अनुभव देते हैं, उसे हर मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए तैयार करते हैं। वो टीना को बताते हैं कि इस सर्जरी में जरा सी भी गलती मरीज की जान ले सकती है।





    "टीना, तुम्हें बहुत ध्यान से काम करना होगा," डॉ. निर्वाण ने कहा। "ये सर्जरी तुम्हारी जिंदगी का सबसे बड़ा इम्तिहान है।"





    "मैं जानती हूँ, सर," टीना ने कहा। "मैं पूरी कोशिश करूँगी।"





    सर्जरी के दौरान, डॉ. निर्वाण को अचानक कोई बाधा आती है, जिससे वो थोड़े विचलित होते हैं। उन्हें अचानक अपना पुराना दर्द याद आ जाता है और वो थोड़े इमोशनल हो जाते हैं।





    टीना अपनी तेज़ ऑब्ज़र्वेशन और समझदारी से डॉ. निर्वाण की मदद करती है, जिससे सर्जरी सफल होती है। वो देखती है कि डॉ. निर्वाण थोड़े परेशान हैं और उन्हें हिम्मत देती है।





    "सर, सब ठीक हो जाएगा," टीना ने कहा। "हम मिलकर ये कर लेंगे।"





    सर्जरी सफल होने के बाद, डॉ. निर्वाण टीना की इस क्षमता से हैरान होते हैं, और वो टीना को अपनी टीम में एक जूनियर डॉक्टर के रूप में शामिल होने का ऑफर देते हैं। वो जानते हैं कि टीना एक बहुत ही काबिल डॉक्टर है और वो उनकी टीम के लिए बहुत जरूरी है।





    "टीना, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी टीम में शामिल हो जाओ," डॉ. निर्वाण ने कहा। "तुम एक बहुत ही काबिल डॉक्टर हो और मुझे लगता है कि तुम हमारी टीम के लिए बहुत जरूरी हो।"





    टीना इस ऑफर से खुश होती है, लेकिन वो अभी भी अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती है। वो डॉ. निर्वाण को बताती है कि वो अभी थोड़ा और पढ़ना चाहती है।





    "सर, मैं आपके ऑफर के लिए बहुत आभारी हूँ," टीना ने कहा। "लेकिन मैं अभी थोड़ा और पढ़ना चाहती हूँ। मैं आपके साथ काम करने के लिए हमेशा तैयार रहूँगी।"





    डॉ. अंजलि डॉ. निर्वाण और टीना के बीच एक अजीब सी 'गुरु-शिष्य' केमिस्ट्री विकसित होती है, और वो इस बदलाव को नोटिस करती है। वो देखती है कि दोनों एक-दूसरे के लिए कितने जरूरी हो गए हैं।





    डीन डॉ. मिश्रा भी इस बदलाव को नोटिस करते हैं और खुश होते हैं कि डॉ. निर्वाण अब अधिक मानवीय हो गए हैं। वो जानते हैं कि टीना ने डॉ. निर्वाण को बदल दिया है।





    टीना और डॉ. निर्वाण अभी भी बहस करते हैं, पर अब बहस में सम्मान और समझदारी होती है, और वो एक-दूसरे को 'कठपुतली' और 'खड़ूस' कहकर चिढ़ाते हैं। उनकी ये नोंक-झोंक लोगों को बहुत पसंद आती है।





    "तुम हमेशा एक कठपुतली रहोगे, डॉ. निर्वाण," टीना ने हँसते हुए कहा।





    "और तुम हमेशा एक खड़ूस रहोगी, टीना," डॉ. निर्वाण ने भी हँसते हुए कहा।





    डॉ. निर्वाण टीना को एक और मुश्किल केस असाइन करते हैं, ताकि वो अपनी क्षमताओं को और निखार सके। ये केस एक बूढ़ी औरत का है, जिसे एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है।





    "टीना, ये केस बहुत मुश्किल है," डॉ. निर्वाण ने कहा। "लेकिन मुझे पता है कि तुम ये कर सकती हो।"





    "मैं पूरी कोशिश करूँगी, सर," टीना ने कहा। और टीना उस केस को हल करने में जुट जाती है। लेकिन उसे नहीं पता कि ये केस उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाला है...





    उसी रात, जब टीना उस केस की स्टडी कर रही होती है, तो उसे एक अजीब सी चीज दिखती है। उसे लगता है कि उस बूढ़ी औरत की बीमारी का संबंध डॉ. निर्वाण के अतीत से है।





    टीना ये जानकर हैरान हो जाती है, और वो उस कनेक्शन को खोजने का फैसला करती है। वो जानती है कि ये बहुत खतरनाक हो सकता है, लेकिन वो सच्चाई जानना चाहती है...





    क्या टीना को उस कनेक्शन का पता चल पाएगा? और क्या डॉ. निर्वाण का अतीत एक बार फिर उनकी जिंदगी में तूफान लाएगा? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा… लेकिन टीना को ये डर सताने लगा कि कहीं वो डॉ. निर्वाण का वो दर्द फिर से तो नहीं कुरेद रही, जिसे वो सालों से दबाए बैठे हैं…