दुल्हन के लिबास मे सजी धजी सांझ अपनी सुहागसेज पर बैठी थी ! पर उसके चेहरे पर कोई खुशी नही थी ब्लकि उसकी आँखो मे आसू थे बेइंतहा आसू ! तभी उसका पति अक्षत कमरे मे आता है ! सांझ गुस्से से उसे घूरते हुए - शरम नही आई तुम्हे मेरे साथ जबरदस्ती शादी करते हुए ?... दुल्हन के लिबास मे सजी धजी सांझ अपनी सुहागसेज पर बैठी थी ! पर उसके चेहरे पर कोई खुशी नही थी ब्लकि उसकी आँखो मे आसू थे बेइंतहा आसू ! तभी उसका पति अक्षत कमरे मे आता है ! सांझ गुस्से से उसे घूरते हुए - शरम नही आई तुम्हे मेरे साथ जबरदस्ती शादी करते हुए ? जबकि तुम अच्छी तरह जानते हो कि मैं अभिक से प्यार करती हू ,मेरे दिल मे ,मेरी आत्मा मे ,मेरे रोम रोम मे सिर्फ अभिक ही अभिक बसा हुआ है ! शादी तो तुमने मुझसे कर ली पर मैं तुम्हे अपना पति नही मानती और ना कभी मानूंगी ! आखिर क्यू की अक्षत ने अपने ही दोस्त की महोब्बत से शादी ?? और एक दूसरे से बेहद प्यार करने वाले सांझ और अभिक क्यू अलग हुए ? ये सब जानने के लिए पढिए " दूजी महोब्बत " A second chance to love
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लाल जोड़ा, हाथों में मेहंदी, दुल्हन का श्रृंगार, गहनों से लदी "सांझ" किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी! पर कहते हैं ना कि दुल्हन का रूप तब निखर कर आता है जब वो अपनी शादी, अपने रिश्ते से खुश हो, पर यहाँ तो सांझ की आँखों में आंसू ही आंसू थे, केवल आंसू...खुशी तो दूर-दूर तक उसके पास नहीं थी! उस बड़े से कमरे में वो अकेली बिस्तर पर बैठी आंसू बहा रही थी! कितना प्यार करती थी वो अभिक से...इतना कि शायद ही किसी ने इतना प्यार किया हो! पर सांझ करती थी उससे दीवानों की तरह प्यार और आज उसी अभिक को भुलाकर उसे अक्षत के साथ शादी करनी पड़ी, वो भी मजबूरी में! तो कैसे खुश हो सकती है वो! बार-बार अभिक का चेहरा उसके ज़हन में घूम रहा था, उसके साथ बिताए प्यार भरे पल उसकी आँखों के सामने जीवित हो रहे थे! जितना वो इन सब को भूलने की कोशिश करती उतना ही अभिक की यादें उस पर हावी हो जाती! वो बिस्तर से उठती है और आईने के सामने जाकर खड़ी हो जाती है और खुद को देखने लगती है! एक वक्त था जब वो दुल्हन बनने के लिए उतावली रहती थी, लेकिन सिर्फ अभिक की दुल्हन बनने के लिए, ये लाल जोड़ा हमेशा ही उसकी आँखों को लुभाता था और आज यही लाल जोड़ा उसकी आँखों को चुभ रहा था! उसके बदन को नोच रहा था! कहाँ तो उसे अभिक की दुल्हन बनना था और कहाँ वो उसके दोस्त अक्षत की दुल्हन बनी! ये शादी का जोड़ा, ये हार, ये श्रृंगार, ये गहने, ये सब कुछ उसे बेमाना सा लगने लगता है, सब कुछ उसकी आँखों को चुभने लगता है! सब कुछ पराया सा लगने लगता है! वो एकदम से एक-एक करके अपने सारे गहने निकालने लगती है! ऐसा करते हुए वो लगातार रोए जा रही थी! वो रोती जा रही थी और अपने गहने, वो हार, श्रृंगार सब उतारती जा रही थी! कुछ ही देर में सारे गहने निकाल कर एक तरफ फेंक देती है! रह जाता है उसके बदन पर वो लाल जोड़ा और उसकी मांग में चमकता सिंदूर, जिस पर जाकर उसकी नज़रें ठहर जाती हैं! अपनी मांग में लगा सिंदूर देख कर वो फूट-फूट कर रोने लगती है! कहाँ तो उसकी मांग में अभिक के नाम का सिंदूर लगना था और कहाँ अक्षत के नाम का सिंदूर उसकी मांग में दूर से ही चमक रहा था! जो कि उससे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था! वो रोते हुए वहीं ज़मीन पर बैठ जाती है! और अपना चेहरा घुटनों में छिपा लेती है! ठीक उसी वक्त कमरे का दरवाजा खुलता है और अक्षत अंदर आता है! अंदर आते ही उसकी नज़र सांझ पर जाती है और इधर-उधर बिखरे उसके गहनों पर! सांझ के रोने की आवाज़ उसके कानों तक भी पहुंच रही थी जिसे वो सुनकर भी अनसुना कर देता है! वो एक नज़र सांझ को देखता है और अगले ही पल अपनी नज़रें फेर लेता है, जैसे उसे उससे कोई मतलब ही ना हो! वो अपनी शेरवानी निकाल कर वहीं सोफे पर पटक देता है और अपने दोनों हाथ अपने बालों में फंसाकर वहीं बिस्तर पर बैठ जाता है! वो कितने गुस्से में है ये तो उसका चेहरा देख कर ही पता चल रहा था! सांझ को उसके आने का पता चल गया था! वो अपना चेहरा उठाकर उसकी तरफ देखती है और फिर बेहद गुस्से से - "क्या मिला तुम्हें ये सब करके? हह...क्या मिला? किस लिए किया तुमने ये सब? आखिर किसे दिखाना चाहते हो तुम कि तुम कितने महान हो?" वो चिल्ला पड़ती है! अक्षत जिसका दिमाग पहले ही गरम था, सांझ की बातें सुनकर उसे और भी गुस्सा आ जाता है! अगले ही पल वो अपनी गुस्से से लाल हुई आँखों से उसकी तरफ देखता है जो आंखों में आंसू और नफरत लिए उसे ही देख रही थी! जितनी नफरत सांझ की आँखों में थी उससे कहीं ज्यादा नफरत अक्षत की आँखों में थी! वो उठता है और सांझ के पास जाता है और उसे बाजू से पकड़कर खड़ा करते हुए - "बकवास बंद करो अपनी, और धीरे बोलो, मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी ये बकवास मेरी माँ के कानों तक पहुंचे!" उसने बहुत जोर से सांझ की बाजू पकड़ रखी थी और वो बेहद गुस्से से दांत भींच कर बोल रहा था! सांझ की बाजू पर उसकी उंगलियां धंसती जा रही थी जो उसे बेहद तकलीफ पहुंचा रही थी! लेकिन फिर भी वो उफ्फ तक नहीं करती! क्योंकि जो तकलीफ, जो दर्द उसे अंदर ही अंदर हो रहा था उस दर्द के सामने तो ये दर्द ये तकलीफ कुछ भी नहीं थी! अक्षत एक बार फिर उसे धमकाते हुए - "मैं तुमसे आखिरी बार कह रहा हूँ कि हमारे बीच जो भी है उसकी भनक मेरी माँ को नहीं लगनी चाहिए...वरना..." सांझ बीच में ही उसका हाथ झटकते हुए - "वरना क्या? क्या कर लोगे तुम? और क्या कहा तुमने कि हमारे बीच जो भी है...अगर तुम्हारी याददाश्त कमजोर हो गई है तो मैं तुम्हें याद दिला दूं कि कुछ नहीं है हम दोनों के बीच कुछ भी नहीं, सिवाए नफरत के, नफरत करती हूं मैं तुमसे नफरत...इतनी नफरत कि तुम सोच भी नहीं सकते मिस्टर अक्षत सूर्यवंशी!" सांझ बेहद गुस्से से बोलती है यहां तक कि उसकी आँखों से आंसू भी बह जाते हैं! इस बार भी वो चिल्लाते हुए बोलती है! अक्षत एकदम से उसका मुंह पकड़कर दबाते हुए उसे पीछे दीवार से लगाते हुए - "शटअप, शट यूअर माउथ...तुम्हें एक बार में समझ नहीं आता...मैंने बोला ना कि चिल्लाओ मत, और क्या बोले तुमने कि तुम नफरत करती हो मुझसे तो तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं जितनी नफरत तुम मुझसे करती हो उससे कई गुणा नफरत मैं तुमसे करता हूं!" वो धीरे से पर गुस्से से बोलता है और एक झटके से अपना हाथ उसके चेहरे से हटा लेता है! और अपना चेहरा फेर लेता है! अगले ही पल सांझ उसका चेहरा पकड़कर अपनी तरफ करते हुए - "तो क्यूं की मुझसे शादी? क्यूं की...किसने कहा था तुमसे महान बनने के लिए?" वो उसकी आँखों में आंखें डालते हुए बोलती है! अक्षत उसका हाथ अपने चेहरे से झटकते हुए - "ज्यादा ओवर स्मार्ट मत बनो! ये बात तुम भी बहुत अच्छी तरह जानती हो कि जो हुआ वो क्यूं और किन हालातों में हुआ! वरना मैं मरा नहीं जा रहा था तुमसे शादी करने के लिए..." वो भी उसकी आँखों में आंखें डालते हुए बोलता है! सांझ हल्का सा उसके करीब जाते हुए - "हालात इतने भी बुरे नहीं थे जैसे तुमने बना दिए और मैं भी मरी नहीं जा रही थी तुमसे शादी करने के लिए, जबरदस्ती की है तुमने, एक तरीके से मजबूर किया है मुझे और अब तुम चाहते हो कि ये बात बस हम दोनों तक सीमित रहे! नहीं मिस्टर सूर्यवंशी बिल्कुल नहीं...तुम्हें जो करना था वो तुम कर चुके हो और मुझे जो करना है वो मैं करूंगी, मेरा जो दिल करेगा मैं वही करूंगी, जैसे बोलना है वैसे ही बोलूंगी, जितनी तेज आवाज में बोलना है उतनी ही तेज आवाज़ में बोलूंगी, फिर चाहे कोई भी सुने! इवन तुम्हारी मां भी...समझे तुम..." इस बार भी वो गुस्से से बोलती है! ये है सांझ और अक्षत और दोनों की अनचाही शादी! और सांझ जिस अभिक से प्यार करती थी वो कहां है? आखिर अक्षत ने सांझ से शादी क्यूं की जबकि वो उससे नफरत करता है! ऐसा क्या हुआ जो दो प्यार करने वाले अलग हुए और दो नफरत करने वाले एक रिश्ते में बंध गए! ऐसे बहुत से सवाल है जिनके जवाब आपको कहानी में मिलेंगे! तो आपको ये नई कहानी की शुरूवात कैसी लगी कमैंट में जरूर बताएं! जारी है...
गातांक से आगे...
तुम्हे जो करना था वो तुम कर चुके हो और मुझे जो करना है वो मैं करूंगी , मेरा जो दिल करेगा मैं वही करूंगी , जैसे बोलना है वैसे ही बोलूंगी , जितनी तेज आवाज मे बोलना है उतनी ही तेज आवाज़ मे बोलूंगी , फिर चाहे कोई भी सुने ! इवन तुम्हारी मा भी ...समझे तुम ...इस बार भी वो गुस्से से बोलती है !
ये है सांझ और अक्षत और दोनो की अनचाही शादी ! और सांझ जिस अभिक से प्यार करती थी वो कहां है ? आखिर अक्षत ने सांझ से शादी क्यू की जबकि वो उससे नफरत करता है ! ऐसा क्या हुआ जो दो प्यार करने वाले अलग हुए और दो नफरत करने वाले एक रिश्ते मे बंध गए ! ये जानने के लिए आपको चलना होगे इनके अतीत मे...
फ्लैश बैक ...
दो छोटे छोटे बच्चे , जो दोनो ही मिट्टी मे सने हुए थे और दोनो ही जिगरी दोस्त , अभिक और अक्षत ! बचपन से ही दोनो की दोस्ती बहुत गहरी थी ! दोनो जहां भी जाते साथ मे ही जाते , पहले स्कूल , फिर कालेज दोनो ने साथ मे ही किया ! इतने सालो की दोस्ती मे मजाल है दोनो के बीच कभी झगडा़ भी हुआ हो ! वैसे दोनो की दोस्ती स्कूल से शुरू हुई थी जो समय के साथ साथ और भी गहरी हो गई थी !
कालेज खत्म होने के बाद अक्षत ने आगे पढ़ने के लिए अमेरिका जाने का फैसला लिया और अभिक ने अपना फैमिली बिजनेस सभालने की सोच ली ! हालाकि अक्षत चाहता था कि अभिक भी उसके साथ चले , वहां भी दोनो साथ मे पढाई करे ! पर अभिक की मा ( कंचन ) वो ज्यादातर बीमार रहती थी जो अभिक उनको छोड़कर नही जाना चाहता था !
अभिक ...अभिक सिंघानिया ! लगभग छह फीट हाईट , सांवला रंग , भूरी आँखे चेहरे पर हल्की बियर्ड ..क्या पर्सनैलिटी थी उसकी ...और उससे भी खूबसूरत उसका दिल , एकदम शांत और सुलझा हुआ इंसान ! इतना अमीर होने के बावजूद घंमड तो दूर दूर तक नही था उसमे ..ना ही कोई बनावट ,सिंपल और सीधी सादी जिंदगी जीने वाला बंदा था वो ! वही अक्षत भी कुछ कम नही था ! पर्सनैलिटी तो उसकी भी गजब की थी , हाईट लगभग अभिक के जितनी , गेहूंआ रंग , काली आँखेे , क्लीन शेव मे वो भी कुछ कम नही लगता था ! वो भी एक अमीर परिवार से तालुख रखता था ! वैसे तो वो भी अपने पैसो का घंमड नही करता था पर उसे गुस्सा जल्दी आ जाता था , जिस पर वो काबू नही रख पाता था !
अभिक के परिवार मे - उसकी मा कंचन , उसकी एक बहन ( आरती ) जिसकी शादी हो चुकी थी और बस अभिक ही था ! उसके पापा की मौत काफी पहले हो गई थी वो भी हार्ट अटैक से ! अचानक अपनी पापा की मौत से बिखर गया था अभिक , उस वक्त अक्षत ने ही उसे संभाला था ! उसे समझाया था कि अगर तू हिम्मत नही रखेगा तो आंटी और आरती को कौन सम्भालेगा ..! उसकी बाते अभिक की समझ मे आ गई थी और फिर हिम्मत बांध कर वो खडा हो गया था अपने परिवार की जिम्मेदारी लेने के लिए !
अच्छे बुरे वक्त मे दोनो एक दूसरे का साथ निभाए ऐसी थी दोनो की दोस्ती ! लेकिन आज दोनो अलग हो रहे थे ! आज अक्षत अमेरिका जा रहा था ! इस वक्त दोनो एयरपोर्ट पर थे ! अभिक उसको छोड़ने के लिए आया था ! अक्षत उससे गले मिलते हुए - अब मेरे जाने के बाद देवदास बनकर मत घूमता रहियो ! हा मानता हू कि तू मेरे बिना नही रह सकता पर साले दोस्त की जगह किसी और को मत दे दियो ! और हा अगर तुझे मेरी भाभी मिल जाए तो शादी मेरे आने के बाद ही करियो !अक्षत उसे छेड़ते हुए बोलता है !
बदले मे अभिक - हाए ..मेरे नसीब मे लड़की कहां ! तू जो हमेशा जोक की तरह मुझसे चिपका रहता है ! कोई लड़की देखती तक नही है ! ये सुनकर अक्षत मुंह बनाते हुए - हा तो अब जा रहा हू ना ..अब देखता हू तुझे कौन सी हीर मिलती है ! उसकी बात सुनकर अभिक - और हा मुझे तो शादी के लिए मना कर रहा है पता चला तू खुद वहा से गोरी मेम लेकर आ जाए ! वो भी उसे तंग करते हुए बोलता है !
इसी के साथ दोनो अपनी नोक झोक को विराम देते हुए अपनी अपनी बातो पर हस पड़ते है ! और फिर एकदम से दोनो एक दूसरे के गले लग जाते है और दोनो ही एक दूसरे को कसकर पकड़ लेते है ! इस वक्त दोनो की ही आँखे नम थी ! अक्षत उसे कसकर पकड़ते हुए - देख जा रहा हू अब , पीछे मुडकर नही देखूंगा ..! ये कहता हुआ वो एक झटके से उससे अलग होता है और बिना उसकी तरफ देखे अपना बैग लेकर वहां से चला जाता है ! अभिक भी बस उसे जाते हुए देखता रह जाता है ! एक जन अंदर जाते जाते अपनी आँखे साफ कर रहा था और एक दूसरा एयरपोर्ट से बाहर आते हुए अपनी आँखे साफ कर रहा था ! जिंदगी मे पहली बार दोनो अलग हो रहे थे वो भी पूरे दो साल के लिए !
कुछ ही देर मे अक्षत का प्लेन उड जाता है और अभिक वापस अपने घर जाने के लिए ! शाम हो गई थी और आज मौसम भी बहुत सुहाना था , ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और किसी भी पल बारिश होने वाली थी ! और इसी सुहाने मौसम मे अभिक अपनी गाडी मे बैठा घर जा रहा था पर वो उदास था ! वो अभी आगे बढ़ ही रहा था कि तभी अचानक से बारिश शुरू हो जाती है ! अभिक अपने ही ख्यालो मे गुम था कि तभी उसका ध्यान सामने जाता है जहां एक लड़की अपना हाथ दिखाकर आगे आनी वाली गाडियो को रोक रही थी और पूरी बारिश मे भीगी हुई थी ! उसका सफेद कलर का सूट उसके बदन से चिपक गया था ! इसलिए उसने खुद को पूरा दुप्पटे से कवर कर रखा था ! उसके गीले बाल बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे ! ऊपर से गिरते पानी के कारण उसका रंग और भी निखर गया था ! काजल से सनी उसकी गहरी आँखे वो तो उसकी खूबसूरती मे चार चांद लगा रही थी ! ये पहली बार था जब अभिक किसी लड़की को इतने गौर से देख रहा था !
दरअसल वो उसकी खूबसूरती को नही देख रहा था जो वो कर रही थी उसे देख रहा था ! इस तेज बारिश मे भीगते हुए वो किसी की मदद कर रही थी ! एक बुजुर्ग महिला जो कि फल बेचने का काम करती थी ! बारिश से बचने के लिए वो अपने फलो का टोकरा उठाकर जल्दी जल्दी सडक पार कर रही थी लेकिन वो सभंल नही पाती और वही सड़क पर गिर जाती है और उसके सारे फल इधर उधर बिखर जाते है !
ऐसे मे उसकी मदद करने कोई नही आता सिवाए उस लड़की के जो कि और कोई नही सांझ थी ! तेज बारिश की परवाह ना करते हुए वो उसकी मदद कर रही थी ! ये देखकर अभिक के होठो पर स्माईल आ जाती है !
अपनी अपनी गाडियो मे बैठे लोग बस हार्न पर हार्न दिए जा रहे थे ! सांझ ने पहले उस महिला को उठाया , उसे एक तरफ बिठाया और फिर वो जल्दी जल्दी उसके गिरे हुए फल उठाकर उसके टोकरे मे डालने लगी ! तभी वो देखती है कि गाडी मे से उतरकर एक शक्स उसकी तरफ आता है और बिना कुछ बोले उसके साथ मिलकर वो फल उठाने लगता है !
सांझ अपनी नज़रे ऊपर करके उसकी तरफ देखती है ! एक सांवले रंग का सिंपल सा लड़का , जो उसकी मदद कर रहा है ! और भीगने की वजह से उसकी वाईट कमीज उसकी बाॅडी से चिपक गई थी जिस वजह से उसका कसा हुआ शरीर साफ नजर आ रहा था ! सांझ अभी भी उसे ही देख रही थी , तभी अभिक अपनी नजरे ऊपर करके उसकी तरफ देखता है ...
तो ऐसे हुई थी हमारे हीरो हीरोइन की पहली मुलाकात और ये मुलाकात प्यार मे कब बदली और फिर अभिक को छोड़कर सांझ ने अक्षत से शादी क्यू की ? ये सब जानने के लिए बने रहिए कहानी के साथ !
जारी है...🙏🙏
कमैंट प्लीज , प्लीज 😊😊
सांझ ने पहले उस महिला को उठाया, उसे एक तरफ बिठाया और फिर वो जल्दी-जल्दी उसके गिरे हुए फल उठाकर उसके टोकरे में डालने लगी! तभी वो देखती है कि गाड़ी में से उतरकर एक शख्स उसकी तरफ आता है और बिना कुछ बोले उसके साथ मिलकर वो फल उठाने लगता है! सांझ अपनी नज़रें ऊपर करके उसकी तरफ देखती है! एक सांवले रंग का सिंपल सा लड़का, जो उसकी मदद कर रहा है! और भीगने की वजह से उसकी वाइट कमीज़ उसकी बॉडी से चिपक गई थी, जिस वजह से उसका कसा हुआ शरीर साफ़ नजर आ रहा था! सांझ अभी भी उसे ही देख रही थी, तभी अभिक अपनी नज़रें ऊपर करके उसकी तरफ देखता है...! दोनों ही एक दूसरे को स्माइल पास करते है और फिर बिना कुछ नीचे गिरे फल उठाकर टोकरे में रखने लगते है! लगभग दोनों ने मिलकर 5 मिनट के अंदर ही सारे फल उठाकर टोकरे में रख दिए थे! लेकिन इस 5 मिनट में ही दोनों बुरी तरह भीग गए थे! अगले ही पल दोनों वो फलों का टोकरा उठाकर उस महिला के पास ले जाते है जो कि फुटपाथ पर बैठी हुई थी!
सांझ उसके पास जाते हुए बोली, "ये लीजिए आपके फल! आपको कहां जाना है बताइए, मैं छोड़ दूंगी!" सांझ हल्का सा मुस्कुराते हुए बोलती है! कितनी प्यारी और पाक मुस्कुराहट थी उसकी, अभिक तो बस उसे देखता ही रह गया था! सांझ का ये दूसरों की मदद करना वो भी बिना किसी लालच के, बिना किसी स्वार्थ के... उसे बहुत अच्छा लग रहा था!
वो औरत अपना फलों का टोकरा उठाते हुए बोली, "नहीं नहीं बेटा, मेरा घर बस पास में ही है मैं चली जाऊँगी! भगवान तुम दोनों का भला करे," वो दोनों को आशीर्वाद देते हुए बोलती है और फिर वहां से चली जाती है! वहां पर रुकी हुई गाड़ियां भी एक-एक करके चल पड़ती है और वहां से चली जाती है! वहां पर रह जाते है बस अभिक और सांझ!
सांझ अभिक की तरफ देखती है जो कि पूरा भीग गया था! "आई एम सॉरी... मेरी वजह से आपको भीगना पड़ा," वो अफ़सोस जताते हुए बोलती है! और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर हल्की सी उदासी छा जाती है जो कि अभिक को बिल्कुल नहीं भाती! "आप प्लीज उदास मत होइए, भीग तो आप भी गई है ना, पर आपको अपनी तो फिक्र नहीं है!
आप भी तो किसी की हेल्प कर रही थी, तो मैंने भी कर दी! और रही बात कपड़ों की तो ये तो थोड़ी देर में सूख जाएंगे!" अभिक भी मुस्कुराते हुए बोलता है! उसकी बातें सुनकर सांझ के चेहरे से उदासी हट जाती है और मुस्कुराहट उसके होंठों पर अपनी जगह बना लेती है!
अभिक उसे मुस्कुराते हुए देखता है तो उसे अच्छा लगता है! "हां, ये हुई ना बात!" उसकी बात सुनकर सांझ के होंठों पर बिखरी मुस्कान और भी गहरी हो गई थी! अगले ही पल वो अपना हाथ उसके सामने करते हुए बोली, "हाय... मैं सांझ!"
अभिक भी झट से उससे हाथ मिलाते हुए बोला, "अभिक, अभिक सिंघानिया! आइए मैं आपको छोड़ देता हूं," अभिक आगे बढ़कर उससे बोलता है!
"नहीं, नहीं आपको बेवजह परेशानी होगी! मैं चली जाऊँगी," ये कहते हुए वो पास से गुजरता ओटो रोकती है और अभिक को बाय बोलकर वहां से चली जाती है! अभिक तब तक उसे देखता रह जाता है जब तक वो उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गई! उसके बाद अभिक भी अपने घर जाने के लिए निकल जाता है! सांझ के साथ अपनी ये मुलाकात उसे अंदर ही अंदर गुदगुदा रही थी, भूल नहीं पा रहा था वो उसे और साथ की साथ उसे ये बात भी सता रही थी कि पता नहीं अब वो उससे दोबारा कभी मिलेगी भी या नहीं...! बस इसी कश्मकश में वो कब घर पहुँच जाता है उसे पता ही नहीं चलता!
उसकी माँ (कंचन) हॉल में ही बैठी थी और उनके साथ एक लड़की (दीपा) जो कि सुबह से लेकर रात तक उनके साथ ही रहती थी, जो उसकी केयर टेकर थी, वो भी वही थी और दोनों चाय की चुस्कियां ले रही थी! ठीक उसी वक्त अभिक जो कि सर से लेकर पैरों तक भीगा हुआ था वो अंदर आता है! उसे देखते ही कंचन और दीपा दोनों हैरान रह जाते है! वो दोनों हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखती है जैसे एक दूसरे से पूछ रही हो कि जो हम देख रहे है वो सच है या सपना! फिर वो दोनों वापस अभिक की तरफ देखती है!
कंचन बोली, "तू मेरा अभिक ही है ना??"
उसकी बात सुनकर अभिक को बहुत हैरानी होती है! "क्या माँ आप भी...! ऐसे क्यूँ पूछ रही है... आपका अभिक ही तो हूँ!" ये सुनकर कंचन बोली, "वो क्या है ना बेटा तुझे तो भीगना ज़रा भी पसंद नहीं है और आज तू पूरा भीगा हुआ है ऊपर से खुश भी है! वरना अगर कभी गलती से ज़रा भी भीग जाए तो चिड़चिड़ करता रहता है! पर आज क्या खास बात है...!"
दीपा भी उसकी हां में हां मिलाते हुए बोली, "हाँ अभिक... ये चमत्कार तो मैं भी पहली बार देख रही हूँ!"
ये सुनकर पहले तो अभिक झेंप जाता है पर उसके ज़हन में सांझ का चेहरा और उसकी मासूमियत घूम जाती है! अपनी हरकत पर वो झेंप जाता है पर अगले ही पल वो दीपा की तरफ देखकर बोलता है, "क्या दीदी आप भी माँ की हां में हां मिला रहे हो! वो तो मैं घर आ रहा था, एकदम से बारिश पड़ी और मैं भीग गया! इसमें इतना हैरान होने वाली क्या बात है!"
कंचन एक दम से बोली, "अच्छा बारिश ने गाड़ी के अंदर आकर तुझे भीगो दिया?? जादुई बारिश होगी शायद..." वो मंद-मंद मुस्कुराते हुए बोलती है! अब तो अभिक से कोई जवाब देते नहीं बन रहा था! अगले ही पल वो अपने कमरे में भागते हुए बोला, "मैं चैंज करके आता हूँ..." इतना कहकर वो तेजी से ऊपर कमरे में भाग जाता है! उसके जाते ही कंचन और दीपा खिलखिला कर हसने लगती है!
वैसे मुस्कुरा तो अभिक भी रहा था! उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि हमेशा बारिश से बचने वाला वो... आज सांझ के लिए उस बारिश में भीगता ही चला गया! वो अपने कपडे बदलते हुए सोचता है, "क्या कर रहा है अभिक? क्या हो गया है तुझे... तू तो बस सांझ के बारे में ही सोचे जा रहा है, शायद उसे तो मेरे बारे में याद भी नहीं होगा, वो तो अब तक भूल भी गई होगी मुझे...!" ये कहता हुआ वो बिस्तर पर गिर जाता है!
दूसरी तरफ सांझ भी अपने घर पहुँच गई थी! कपडे बदल कर वो भी बिस्तर पर बैठी कॉफ़ी के सिप पीते-पीते अभिक के बारे में सोच रही थी! उसकी आँखों के सामने वही पल घूम रहा था जब अभिक उसके पास आया था और बिना कुछ उसकी मदद करने लगा था! ये याद आते ही उसके होंठों पर मुस्कुराहट बिखर जाती है! वो अभिक के बारे में सोचते हुए बोली, "हाय... कौन था वो जिसने पहली ही नज़र में मेरे दिल पर दस्तक दी है! सिंपल, स्वीट, डीसेंट जैसा मुझे चाहिए...! पता नहीं उससे कभी दोबारा मुलाकात होगी भी या नहीं!" वो अभिक के बारे में सोचते हुए बोल रही थी!
तभी उसकी सहेली (बिंदू) उसके पास आकर बैठते हुए बोली, "ओह फ़ो... अब तू क्यूँ उसके बारे में इतना सोच रही है? जब उसने तुझे कहा था कि वो तुझे घर तक छोड़ देगा तो फिर क्यूँ नहीं मानी उसकी बात! कम से कम नंबर एक्सचेंज करने का मौका तो मिलता...!" वो उसे डांटते हुए बोलती है!
ये सुनकर सांझ बोली, "ये मैंने किस्मत पर छोड़ दिया है! अगर वो मेरी किस्मत में होगा तो उससे मेरी मुलाकात जरूर होगी!" ये कहते हुए वो उठती है और कमरे में रखा म्यूजिक प्लेयर ऑन करती है...
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
कभी कभी इत्तेफ़ाक़ से
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
कभी कभी इत्तेफ़ाक़ से
कितने अनजान लोग मिल जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
कभी कभी इत्तेफ़ाक़ से
कितने अनजान लोग मिल जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
सांझ भी ये गाना गुनगुना रही थी और अभिक के बारे में सोच रही थी! और उधर अभिक भी ये सुनते हुए सांझ के बारे में सोच रहा था!
देखते है दोनों की अगली मुलाकात कब होती है! कैसे होती है इनके गहरे प्यार की शुरुवात! ये सब जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ!
जारी है..
गातांक से आगे...
मैंने किस्मत पर छोड़ दिया है! अगर वो मेरी किस्मत में होगी तो उससे मेरी मुलाकात जरूर होगी! ये कहते हुए वो उठती है और कमरे में रखा म्यूजिक प्लेयर ऑन करती है...
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
कभी कभी इत्तेफ़ाक़ से
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
कभी कभी इत्तेफ़ाक़ से
कितने अनजान लोग मिल जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
उनमें से कुछ लोग भूल जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
सांझ भी ये गाना गुनगुना रही थी और अभिक के बारे में सोच रही थी! और उधर अभिक भी ये सुनते हुए सांझ के बारे में सोच रहा था!
दोनों के चेहरे से मुस्कान हटने का नाम नहीं ले रही थी! अभिक बिस्तर पर उल्टा लेटते हुए - "ओह गाॅड... ये लड़की तो मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही है! क्या करूं मैं... और ये क्या हो गया है मुझे.., काश अभी वो अक्षत मेरे पास होता तो मैं उससे पूछता पर अब कैसे समझूं..?" वो खुद से ही बोल रहा था! शाम से रात हो जाती है और सांझ और अभिक एक दूसरे के बारे में ही सोचते रहते है!
रात के आठ बज रहे थे! खाने का समय हो गया है पर ये लड़का अपने कमरे से बाहर ही निकला! पता नहीं आज क्या हो गया है इसे! कंचन बडबडा रही थी! तभी अभिक उसके पास आकर बैठते हुए - "क्या बात है मेरी प्यारी मा.. क्यूं गुस्सा कर रही हो?" वो उससे लिपटते हुए बोलता है!
कंचन नकली गुस्सा करते हुए - "अच्छा अब मा की याद आ गई? शाम से तो कमरे में बैठा था", वो उसके कान खिचते हुए बोलती है!
अभिक उसका हाथ पकड़कर उसे खाने की टेबल पर ले जाते हुए - "आपको जितना डांटना है बाद में डांट लेना, पहले खाना खालो, फिर आपको दवाई भी लेनी है!"
वो उसे कुर्सी पर बैठाते हुए बोलता है और फिर अपने हाथ से उसके लिए खाना परोसने लगता है। कंचन उसे देखकर मुस्कुराते हुए - "कब तक ये सारे काम खुद करता रहेगा? अब तो शादी कर ले बेटा! कम से कम मरने से पहले मुझे बहु का चेहरा तो दिखा दे।"
कंचन एकदम से बोलती है जिसे सुनकर अभिक नाराजगी से उनकी तरफ देखते हुए - "मा प्लीज..! कितनी बार मैंने आपको समझाया है कि मेरे सामने ये सब मत बोला कीजिए और कुछ नहीं होगा आपको, कुछ भी नहीं सुना आपने।" नाराजगी जताते हुए वो बोलता है और खाने के लिए बैठ जाता है!
कंचन उसकी भावना अच्छे से समझ रही थी! वो उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए - "बेटा एक न एक दिन तो ये सब होना ही है! आखिर में दवाइयो के सहारे कितने दिन जिंदा रहूंगी! इसलिए कह रही हूं, मेरी बात मान ले! देख तूने कोई लड़की पसंद कर रखी है तो मुझे बता दे और नहीं कर रखी तो भी बता दे, फिर मैं ढूंढ लेती हू तेरे लिए अच्छी सी लड़की!" ये सुनते ही अभिक जल्दी से एक निवाला तोड़कर उनके मुंह में डालते हुए - "अभी आप सिर्फ खाना खाइए और कुछ नहीं होगा आपको बस।" वो झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलता है और उसके बाद वो भी खाना खाने लगता है।
खाना खाते हुए वो मन में - "कैसे बताऊं आपको की लड़की ढूंढी भी है और नहीं भी! लेकिन समझ नहीं पा रहा हूं कि ये क्या एहसास है? क्यों बार-बार उसका वो प्यारा सा चेहरा, उसकी वो सादगी, उसकी मासूमियत, सब कुछ मेरी आंखों के सामने आ रहा है! अभी मैं उसे जानता ही कितना हूं और मुझे तो ये भी नहीं पता कि जिस कदर मैं उसके लिए पागल हो गया हूं, क्या वो भी मेरे लिए पागल हुई होगी? क्या वो भी मेरे बारे में सोच रही होगी?
पता नहीं अब तो मैंने सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया है अगर वो मेरी किस्मत में लिखी होगी, हम दोनों का साथ लिखा होगा तो वो खुद ब खुद मुझे मिल जाएगी।" मन ही मन ये सब सोचते हुए वो खाना खा रहा था।
सांझ और अभिक दोनों ही एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे और दोनों ने हीं एक दूसरे से मिलने का फैसला किस्मत पर छोड़ दिया था। कुछ ही देर मे अभिक और कंचन खाना खा चुके थे! खाना खाने के बाद, कंचन को दवाई देने के बाद वो उसको उसके रूम में छोड़कर आता है। और फिर अपने कमरे में आकर अपनी कल होने वाली मीटिंग की तैयारी करने लगता है।
उधर सांझ भी डिनर वगैरा करने के बाद अपने बिस्तर पर आ गई थी और कोई मैग्जीन पढ़ रही थी! वो एक बैंक में जॉब करती थी। और अपनी फ्रेंड के साथ गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी। उसे भी कल अपने काम पर जाना था।
खैर रात बीत जाती है और सुबह हो जाती है और शुरू हो जाती है सब की भाग दौड़ वाली जिंदगी! अभिक रेडी होकर ऑफिस के लिए निकल गया था! वो बात अलग थी कि जिस रास्ते से वो कल गुजरा था, जहां उसे सांझ मिली थी आज भी वो उसी रास्ते से गुजर रहा था और आज भी उसकी आंखें सांझ को ढूंढ रही थी कि शायद सांझ उसे मिल जाए, उससे टकरा जाए। लेकिन फिलहाल तो उसकी ये उम्मीद पूरी नहीं होती।
उधर सांझ भी रेडी होकर बैंक जाने के लिए निकल गई थी।
कुछ देर में वो बैंक पहुंच गई थी और बैंक पहुंचते के साथ ही वो अपने काम में उलझ गई थी! ऐसा ही कुछ अभिक के साथ हुआ! वो अपने ऑफिस पहुंचा और अपनी मीटिंग में उलझ गया! बेशक वो दोनो अपने काम में उलझे हुए थे लेकिन जब भी दोनों को थोड़ा भी समय मिलता तो पता नहीं क्यों दोनों को एक दूसरे की याद आ जाती है! एक दूसरे की याद आते ही दोनों के होठों पर प्यारी सी मुस्कान फैल जाती।
ये एहसास भी बड़ा प्यारा होता है किसी से दूर रहकर भी उसके पास होना! उसे हर वक्त अपने पास महसूस करना। इतना खूबसूरत एहसास है कि शायद इसे शब्दों में बयां करना भी मुश्किल है! ऐसा ही कुछ अभिक और साइं के साथ हो रहा था।
ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं! इन बीते दिनों में जहां-जहां अभिक जाता था या जहां जहां सांझ जाती थी तो दोनों की नजरे बस एक दूसरे को तलाशती रहती। लेकिन अभी तक किस्मत में उन दोनों का मिलना नहीं लिखा था। बेशक वो दोनो अभी तक मिले नहीं थे और ये सिर्फ उनका अट्रैक्शन नहीं था ये उससे ऊपर कुछ था! इसलिए तो पहली मुलाकात को दोनों भूल नहीं पाए थे और इतने दिनों बाद भी एक दूसरे को भूल नहीं पाए थे! बल्कि हम कह सकते हैं कि इतने दिनों की दूरी उन दोनों को और पास ले आई थी। और फिर एक दिन दोनों की किस्मत चमकती है और वो दिन भी आता है जिसका दोनों को इंतजार था।
आज संडे था! आज का सारा दिन अभिक हमेशा कंचन के साथ ही बीताता था! वैसे भी अपने काम की वजह से वो उसको उतना समय नहीं दे पाता था जितना देना चाहिए। और संडे के दिन उसकी केयर टेकर दीपा भी नहीं आती थी। इसलिए संडे का अभिक का सारा वक्त सिर्फ और सिर्फ कंचन के लिए, यहां तक कि वो घर से भी बाहर नहीं निकलता था।
शाम हो गई थी! आसमान में बादल छाए हुए थे और कुछ ही देर में ठीक वैसी ही बरसात शुरू हो जाती है जैसे उस दिन हो रही थी जिस दिन वो सांझ के साथ पहली बार मिला था। बाहर हो रही बारिश को देखकर एक बार फिर सांझ की याद उसे अंदर तक भिगो जाती है! वही खूबसूरत सा लम्हा उसके जहन में फिर से ताजा हो जाता है।
बाहर हो रही बारिश को देखकर एक बार फिर उसके होठों पर मुस्कान बिखर जाती है और वो मन में - "कहा हो तुम, कहां छुप गई हो? कभी वापस मिलोगी भी या बस यूं ही सताती रहोगी?" वो खुद से ये बोल ही रहा था कि तभी उसके घर की डोर बेल बजती है।
कंचन एकदम से - "इतनी तूफानी बारिश में कौन आ गया?"
"मैं देखता हूं मा..." ये कहता हुआ अभिक जैसे ही दरवाजा खोलता है तो अपने सामने खडी लड़की को देखकर वो हैरान रह जाता। वो लड़की कोई और नही सांझ थी जो आज भी बारिश मे भीगी हुई थी... वो दूसरी तरफ देख रही थी, उसने अभी तक अभिक को देखा नही था! जबकि अभिक उसे देखकर मुस्कुरा रहा था!
"जी कहिए..." वो अपने धड़कते दिल पर काबू पाते हुए बोलता है!
"वो एक्चूली हमारी गाडी खराब..." ये कहती हुई वो जैसे ही अभिक की तरफ देखती है तो बस फिर देखती ही रह जाती है...
जारी है...
गातांक से आगे....
अभिक जैसे ही दरवाजा खोलता है तो अपने सामने खड़ी लड़की को देखकर वो हैरान रह जाता। वो लड़की कोई और नहीं सांझ थी जो आज भी बारिश में भीगी हुई थी... वो दूसरी तरफ देख रही थी, उसने अभी तक अभिक को देखा नहीं था! जबकि अभिक उसे देखकर मुस्कुरा रहा था!
"जी कहिए..." वो अपने धड़कते दिल पर काबू पाते हुए बोलता है!
"वो एक्च्युली हमारी गाड़ी खराब..." ये कहती हुई वो जैसे ही अभिक की तरफ देखती है तो बस फिर देखती ही रह जाती है...! उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था और अभिक को अपनी आँखों पर! दोनों के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं था! वो दोनों अभी भी हैरानी से एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे जैसे यकीन करना चाहते हों कि जो वो देख रहे हैं वो सच है या सपना। दोनों को कोई होश नहीं था। कंचन जो कब से अभिक को देख रही थी, वो उसे देखते हुए मन में सोचने लगी- "इसे क्या हुआ है? ये ऐसे दरवाजे के बीचों-बीच क्यों खड़ा है? और किसे देख रहा है, आखिर कौन आया है? अभी जाकर देखती हूँ!"
मन ही मन ये कहती हुई वो अभिक के पास जाती है और पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए सवाल करती है- "क्या हुआ... कौन आया है बेटा?" और फिर सांझ की तरफ देखती है!
कंचन की आवाज से अभिक एकदम से होश में आता है और उसके साथ-साथ सांझ भी। जिस तरीके से वो दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे अब अपनी अपनी हरकत पर दोनों ही झेंप जाते हैं! ये सोचकर कि पता नहीं ये मेरे बारे में क्या सोचेंगे!
कंचन सांझ की तरफ देखती है जो कि पूरी भीगी हुई थी! सांझ भी उसकी तरफ देखती है और झट से अपने दोनों हाथ जोड़कर उसे नमस्ते करती है!
इतने में अभिक बोलता है- "अरे आप बाहर क्यों खड़ी हैं, आइए ना अंदर आइए!"
तभी सांझ की दोस्त राधिका भी वहां पर आ जाती है, जो उसी के साथ बैंक में काम करती थी! वो भी पूरी भीगी हुई थी!
"ये मेरी सहेली है दरअसल हमारी गाड़ी खराब हो गई है और बाहर बहुत बारिश हो रही है इसलिए कुछ देर आपके यहां..." सांझ बाहर खड़ी ही झिझकते हुए बोलती है!
इससे पहले कि कंचन कुछ बोलती है उससे पहले ही अभिक एकदम से बोल पड़ता है- "अरे अरे आप इतना संकोच क्यों कर रही हैं, आइए ना प्लीज... ये आप ही का घर है, प्लीज सांझ जी आइए!" भावनाओं में बहकर वो पता नहीं क्या क्या बोल रहा था और वहीं कंचन और सांझ हैरानी से उसे देख रही थीं! और कंचन तो इस बात पर हैरान थी कि अभिक को इस लड़की का नाम कैसे पता! फिर वो सांझ और राधिका की तरफ देखकर बोलती है- "आओ बच्चो अंदर आओ! तुम दोनों तो पूरी तरह भीग गई हो, पहले कपडे बदल लो, वरना बीमार पड़ जाओगी! मैं तुम दोनों के लिए कुछ कपडे लेकर आती हू..." कंचन मुस्कुराते हुए बोलती है!
इतने में सांझ बोलती है- "नहीं नहीं आँटी कपडे है हमारे पास! वो हम इसके भाई की शादी है तो हम इसके घर जा रहे थे! सोचा था 4 दिन पहले ही चलते हैं पर ये बारिश..." इतना कहकर वो चुप हो जाती है!
"हा हा क्यूँ नहीं, अभिक बेटा, इनको गेस्टरूम में ले जाओ!"
अभिक तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रहा था! वो अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए कहता है- "इस तरफ आईए..." ये कहता हुआ वो आगे बढ़ जाता है! सांझ और राधिका उसके पीछे चल पड़ती है! वो बात अलग थी कि धड़कने सांझ की भी बढ़ी हुई थी और अभिक की भी! दोनों ही जानते थे कि कैसे दोनों ने एक दूसरे पर काबू पाया हुआ था! आगे आगे अभिक, उसके पीछे राधिका और फिर सांझ!
अगले ही पल तीनों गेस्ट रूम में थे! जैसे ही वो गैस्ट रूम में जाते हैं तभी राधिका झट से बैग में से अपने कपडे निकालते हुए बोलती है- "पहले मैं जाऊँगी!" ये कहती हुई वो जल्दी से वाशरूम के अंदर भाग जाती है! वहां पर रह जाते हैं बस सांझ और अभिक और दोनों के धड़कते दिल...! सांझ अपने बैग में से अपने कपडे निकालने लगती है! तभी अभिक वहां अलमारी में रखा टावल निकालता है और उसकी तरफ बढाते हुए कहता है- "ये लीजीए, सुखा लीजीए खुद को वरना आपको ठंड लग जाएगी!"
सांझ उसके हाथ से टावल लेते हुए कहती है- "थैंक यू...!" वो मुस्कुराते हुए बोलती है! इसके बाद वो टावल से अपने बाल सुखाने लगती है!
अभिक उसे ही देख रहा था! वो एकदम से कहता है- "वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपसे दोबारा मुलाकात होगी, पर सच कहूँ तो आपसे दोबारा मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है!"
ये सुनकर सांझ खुशी से चहक उठती है! वो मन में सोचती है- "ओह, इसका मतलब ये भी मेरे बारे में सोच रहा था! मैं अकेली नहीं थी जो इसके बारे में सोच रही थी! मतलब ये भी मुझे याद कर रहा था!" वो अंदर ही अंदर खुशी से चहकते हुए बोलती है पर अपने चेहरे से पता नहीं चलने देती! अगले ही पल वो अभिक की तरफ देखकर सवाल करती है- "इसका मतलब आप मुझे मिस कर रहे थे? और आप चाहते थे कि हमारी मुलाकात दोबारा से हो?? हना?"
ये सुनकर अभिक एक दम से हड़बड़ा जाता है जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो!
"जी, वो मै, मतलब..." अभिक से कुछ कहते नहीं बन रहा था और वही सांझ उसकी हालत पर मन ही मन मुस्कुरा रही थी!
जब अभिक को कुछ समझ नहीं आता तो वो एकदम से कहता है- "वो लगता है मा मुझे बुला रही है! मैं अभी आया..." इतना कहकर वो तेजी से वहां से चला जाता है! उसके जाते ही सांझ खिलखिला कर हस पड़ती है!
अभिक बाहर जाते हुए खुद से ही बोल रहा था- "बाप रे बड़ी खतरनाक लड़की है ये तो! पर बड़ी प्यारी है...!" वो मुस्कुराते हुए खुद से ही बोल रहा था!
उधर कमरे मे सांझ खुद से बोल रही थी- "हे भगवान ये तो बहुत ही स्वीट है! और स्वीट तो मुझे पसंद है!" वो भी मुस्कुराते हुए बोल रही थी! तभी राधिका चैंज करके बाहर आती है और फिर सांझ चैंज करने के लिए अंदर चली जाती है!
तब तक कंचन ने उन दोनों के लिए चाय नाश्ता टेबल पर लगवा दिया है! और वो वही बैठ उन दोनों का इंतजार कर रही थी! अभिक भी उसके पास बैठा था और बार बार गैस्ट रूम की तरफ देख रहा था कि कब सांझ बाहर आएगी और कब वो उससे बातें करेगा! इस बात से अंजान कि कंचन की नजरें उसी पर हैं और वो सब समझ रही है! इतने में राधिका तो बाहर आ जाती है पर सांझ अभी तक नहीं आई थी!
"ओह फो ये लड़की इतना टाइम क्यूँ लगा रही है?" अभिक मन ही मन बोलता है! तभी उसकी नजर सांझ पर पड़ती है जो कि अपने फोन मे कुछ देखती हुई वही आ रही थी! उसने पिंक कलर की एक लूज टी-शर्ट और ब्लैक कलर का टाउजर पहन रखा था और उसके खुले बाल उसकी पतली कमर तक लहरा रहे थे! इस सादगी मे भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी इतनी की अभिक तो बस उसे देखता ही रह गया था!
तभी सांझ की नजरें उस पर पड़ती है!! उसे अपनी तरफ इस तरह देखता पाकर उसके गोरे गाल गुलाबी हो गए थे, वही अभिक अपनी हरकत पर झेंप गया था!
"आओ बेटा, चाय पिलो वरना तुम्हे ठंड लग जाएगी!" कंचन बहुत प्यार से बोलती है!
टेबल पर रखा चाय नाश्ता देखकर सांझ कहती है- "आंटी जी आप खामखा परेशान हुई! अभी कुछ देर में बारिश रुक जाएगी और हम चले जाएंगे! आपने हमें यहां थोड़ी देर रुकने की जगह थी इतना ही बहुत है। अब आप परेशान मत होइए।" ये कहते हुए वो कंचन के पास जाकर ही बैठ जाती है।
कंचन प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती है- "इसमें परेशानी कैसी बेटा और फिर तुम अभिक की दोस्त हो!" ये बात अलग है कि इसने मुझे बताया नहीं! वो अभिक की तरफ देखकर शिकायत भरे लहजे से बोलती है! बदले में अभिक अपनी गर्दन झुका लेता है। राधिका जो खिड़की के पास खड़ी बारिश देख रही थी वो एकदम से बोलती है- "सांझ ये बारिश तो और भी ज्यादा तेज होती जा रही है अब हम क्या करेंगे?" ये सुनकर सांझ के चेहरे पर भी परेशानी के भाव ऊभर आते हैं! वो भी झट से उठकर खिड़की के पास जाकर तेज बारिश को देखते हुए कहती है- "हे भगवान ये बारिश रोक दो भले ही कुछ देर के लिए पर रोक दो!" वो बहुत ही मासूमियत से बोलती है!
और अभिक मन ही मन भगवान से बोल रहा था कि कुछ भी हो जाए भगवान आज ये बारिश मत रूकने देना..😂
जारी है...🙏🙏
गातांक से आगे....
तेज बारिश का जिक्र सुनकर सांझ के चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आते हैं! वो भी झट से उठकर खिड़की के पास जाकर तेज बारिश को देखते हुए बोली, "हे भगवान ये बारिश रोक दो, भले ही कुछ देर के लिए पर रोक दो!" वो बहुत ही मासूमियत से बोलती है! और अभिक मन ही मन भगवान से बोल रहा था कि कुछ भी हो जाए भगवान आज ये बारिश मत रुकने देना..😂 अब देखते है भगवान जी किसकी सुनते है! वैसे तो अभिक को सांझ का परेशान होना अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर भी वो यही चाहता था कि ये बारिश ना रुके! और ऐसा ही होता है, बारिश रुकना तो दूर कम होने का भी नाम नही ले रही थी! ये देखकर सांझ और राधिका दोनो ही परेशान हो रहे थे!
राधिका और सांझ को परेशान देखकर कंचन दोनो को समझाते हुए बोली, "अरे बेटा इसमे परेशान क्यू होते हो! वैसे भी रात काफी हो गई है! तुम दोनो आज रात यही रुक जाओ, सुबह चले जाना और ऐसी बारिश में, इतनी रात को तुम्हारा जाना सेफ नहीं है!" कंचन दोनो को समझाती है!
सांझ को उसकी बात ठीक तो लग रही थी पर उसे थोड़ी झिझक भी हो रही थी! "आँटी जी पर हम ऐसे..." वो थोड़ा सा झिझकते हुए बोलती है!
कंचन और अभिक दोनो ही उसकी मनोदशा समझ जाते है! बिचारा अभिक कंचन के सामने क्या ही बोलता!
तभी कंचन उसे अपनेपन से बोली, "बेटा इतना संकोच मत करो, इतना परेशान ना हो! सुबह आराम से जाना!"
तभी राधिका भी उसकी हा में हा मिलाते हुए बोली, "हा सांझ आंटी बिल्कुल ठीक कह रही है! हमे कोई रिस्क नही लेना चाहिए! यही रुक जाते है और वैसे भी इतनी बारिश मे कोई मैकेनिक भी नही मिलेगा! एक काम करती हू घर पर फोन करके बता देती हू कि हम सुबह आएगे!" इतना कहकर वो साइड में जाकर अपने पापा को फोन करने लगती है!
कंचन वहा से उठकर किचन की तरफ जाते हुए बोली, "मैं तुम दोनो के लिए खाना लगवाती हू!" ये कहते हुए वो किचन की तरफ जाने लगती है!
सांझ भी उसके पीछे जाते हुए बोली, "मेैं भी आपकी हैल्प करती हू आँटी!" वो मुस्कुराते हुए बोलती है और फिर कंचन के साथ किचन में चली जाती है!
बाहर बैठा अभिक सब देख रहा था! सांझ की मासूमियत, उसका अच्छा व्यवहार, उसका खूबसूरत दिल, जैसे जैसे वो उसे जानता जा रहा था वैसे वैसे उससे जुड़ता जा रहा था! उसका भी दिल कर रहा था कि वो भी सांझ के पास किचन में चला जाए पर जाता कैसे? वहा पर कंचन भी तो थी! बहुत देर तक तो वो खुद पर काबू पाता रहता है पर जब उससे रहा नही जाता तो वो उठता है और पानी पीने के बहाने से किचन में चला जाता है! जहां कंचन और सांझ हसते हुए बाते कर रही थी! दोनो को इस तरह देखकर अभिक को बहुत अच्छा लगता है, उसे बहुत खुशी होती है!
जबकि कंचन उसे वहा देखकर हैरान थी! वो हैरानी से बोली, "तू यहां पर क्या कर रहा है बेटा?" वो एकदम से उससे सवाल करती है!
पहले तो अभिक सक्पका जाता है पर फिर वो बात सम्भालते हुए बोला, "वो मां मै पानी पीने आया था!" ये कहते हुए वो फ्रिज में से बोटल निकालने लगता है!
कंचन एक दम से बोली, "पर पानी का जग तो बाहर ही रखा था टेबल पर..." कंचन लगभग उसकी टांग खीचते हुए बोलती है! जो कि सांझ भी समझ जाती है और अभिक भी! जहां अभिक हडबडा जाता है जैसे कोई चोरी पकडी गई हो वही सांझ के होठो पर मंद मंद मुस्कान तैर जाती है!
अभिक अंजान बनते हुए बोला, "अच्छा? पानी का जग बाहर ही था मा? मुझे तो दिखा ही नही..." झेंपते हुए वो बोलता है और फिर जबरदस्ती पानी का गिलास अपने होठो से लगा लेता है! उसकी हालत देख कर सांझ को बहुत हंसी आ रही थी जिस पर उसने बड़ी मुश्किल से काबू पा रखा था। ऐसा ही कुछ हाल कंचन का था! खैर...कुछ देर बाद वो चारो डिनर करने के लिए बैठ जाते है और फिर थोड़ी देर में खा पीकर आराम करने के लिए कमरे में चले जाते है!
कंचन तो बिस्तर पर लेटते ही सो गई थी दवाईयो के नशे के कारण! अभिक ऊपर अपने रूम में चला गया था वो बात अलग थी कि उसका दिल और दिमाग सब कुछ सांझ में ही अटका हुआ था! ऐसा ही कुछ हाल सांझ का था! उसका दिल और दिमाग भी अभिक में अटका हुआ था!
उसके जहन में अभी तक वही पल घूम रहा था जब अभिक ने उससे कहा था कि वो भी उम्मीद नहीं कर रहा था कि कभी उससे दोबारा मिल पाएगा। ये उसके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है! सांझ इतना तो समझ गई थी कि वो भी उसे याद कर रहा था ठीक वैसे ही जैसे वो उसके बारे में सोच रही थी, वो उसे याद कर रही थी। दोनों के हालात एक जैसे थे। दोनों का हाल एक जैसा था। दोनों ही एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे और दोनों को ही नींद नहीं आ रही थी। उसके बराबर में लेटी राधिका आराम से सो रही थी हर चीज से बेखबर और एक सांझ थी जो बस उलझ के रह गई थी अभिक में।
अभिक की सादगी में, उसकी जिंदादिली में। जैसा लड़का को चाहती थी जिसमे बनावट बिल्कुल ना हो अभिक बिल्कुल वैसा ही था और ये उसने पहली मुलाकात में ही भांप लिया था इसलिए तो वो उसकी तरफ खुद को खींचे चले जाने से रोक नहीं पाई। अभिक को भी सांझ की खूबसूरती से ज्यादा उसकी सीरत भा गई थी! वो जो लोगों की मदद करने का जजबा उसने सांझ के अंदर देखा था उसका तो वो कायल हो गया था! सादगी से भरी वो खूबसूरत दिल की मालिक कितनी ही प्यारी लड़की थी। ठीक वैसे ही जैसी अभिक चाहता था। अब आलम ये था कि दोनों एक ही छत के नीचे थे लेकिन फिर भी एक दूसरे से बात करने के लिए तरस रहे थे। अपनी अपनी फिलिंग्स को समझ भी रहे थे और ना समझ भी बन रहे थे! कहना भी बहुत कुछ चाहते थे और शुरुआत भी नहीं कर पा रहे थे।
सांझ को बिल्कुल भी नहीं आ रही थी। और बारिश ऐसी थी जो अभी भी हो रही थी! आखिर को धीरे से उठती है और गेस्ट रूम से बाहर आकर हाल में लगी खिड़की पर जाकर बाहर हो रही बारिश देखने लगती है। उसे तो बारिश वैसे ही बहुत पसंद थी लेकिन हमेशा बारिश से चिढ़ने वाले अभिक को भी अब इस बारिश से प्यार हो गया था क्योंकि सांझ उसकी जिंदगी में आई तो सिर्फ और सिर्फ बारिश के कारण! उसे नींद नहीं आती वो भी अपने कमरे से बाहर निकल आता है और लॉबी में ऐसे ही टहलने लगता है! तभी उसकी नजर सांझ पर जाती है जो की खिड़की के पास खड़ी अपनी ही सोच में गुम थी!
उसके कदम कब सांझ की तरफ बढ़ गए उसे पता ही नहीं चला! अगले ही पल वो सांझ के बिल्कुल पीछे था उसके बेहद करीब और उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। सांझ जो अभिक के बारे मे सोच रही थी तभी उसे अभिक का अपने पास होने का एहसास होता है! वो चेहरा घूमा कर देखती है तो उसके बराबर में अभिक खड़ा था जोकि बाहर बारिश को देख रहा था! वो वैसे ही बारिश को देखते हुए बोला, "आपने मुझसे पूछा था ना कि क्या मैं आपको याद कर रहा था? और क्या मैं ये चाहता था कि आपसे दोबारा मुलाकात हो जाए? तो सच कहूं तो जब पहली बार आपसे मिला था ना उस दिन से लेकर आज के दिन तक हर रोज मैं भगवान से यही दुआ कर रहा था कि काश... काश एक बार आपसे फिर से मुलाकात हो जाए।" ये कहता हुआ वो अपना हाथ सांझ के हाथ पर रख देता है...
जारी है ...🙏🙏
कमैंट प्लीज 😊😊
गातांक से आगे...
अगले ही पल वो सांझ के बिल्कुल पीछे था, उसके बेहद करीब और उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। सांझ जो अभिक के बारे में सोच रही थी, तभी उसे अभिक का अपने पास होने का एहसास होता है! वो चेहरा घुमा कर देखती है तो उसके बराबर में अभिक खड़ा था जोकि बाहर बारिश को देख रहा था! वो वैसे ही बारिश को देखते हुए बोला, "आपने मुझसे पूछा था ना कि क्या मैं आपको याद कर रहा था? और क्या मैं ये चाहता था कि आपसे दोबारा मुलाकात हो जाए? तो सच कहूं तो जब पहली बार आपसे मिला था ना, उस दिन से लेकर आज के दिन तक हर रोज मैं भगवान से यही दुआ कर रहा था कि काश...काश एक बार आपसे फिर से मुलाकात हो जाए।" ये कहता हुआ वो अपना हाथ सांझ के हाथ पर रख देता है...!
उसकी छुअन से, उसकी बातों से सांझ का दिल भी तेजी से धक-धक करने लगता है! क्योंकि कहीं ना कहीं अभिक उसके दिल का हाल भी बयां कर रहा था! ऐसी ही हालत तो सांझ की भी थी! अभिक की बातों से, उसके छूने से सांझ के गाल गुलाबी हो जाते हैं! अभिक का हाथ अभी भी उसके हाथ पर था!
सांझ एक नजर उसकी तरफ देखती है।
अभिक कसकर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला, "मुझे ऐसे मत देखो...मैं समझ रहा हूं कि तुम क्या सोच रही हो! तुम्हारे मन में यही सवाल चल रहा है ना कि अभी तो दो ही मुलाकात हुई है हमारी और मैं ऐसे तुमसे.... सच कहूं कि ये बस दो मुलाकाते नहीं है! ये तो कई जन्मों का नाता है! मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि मुझे ऐसा लग ही नहीं रहा कि तुम मेरे लिए अनजान हो, ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हें सदियों से जानता हूं! और कहते है ना कि जिससे प्यार होना होता है, जो पसंद आना होता है वो एक ही पल में आ जाता है और जिसे नहीं आना होता तो उसके साथ चाहे हम पूरी जिंदगी भी गुजार दे तब भी उसके साथ वो बात नहीं बनती जो कुछ ही दिनों में तुम्हारे साथ बन गई है!"
"देखो सांझ तुमसे कुछ भी नहीं छुपाया है मैंने। ये मेरा घर है, एक मां है, अच्छा खासा बिजनेस है, एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है, बस यही परिवार है मेरा और अब मैं अपने छोटे से परिवार में तुमको भी शामिल करना चाहता हूं! तुम्हें भी अपने परिवार का हिस्सा बनना चाहता हूं। मैं उनमें से नहीं हूं जो चांद तारे तोड़कर लाने का वादा करते हैं। मैं वादा करता हूं कि जिंदगी भर तुम्हारा साथ निभाने का। ये वादा करता हूं कि जब तक जिंदा रहूंगा तब तक सिर्फ तुम्हारा ही रहूंगा। एक का हाथ छोड़कर दूसरे का हाथ पकड़ने वाला नही हूं मैं! जैसा हूं बिल्कुल वैसा ही तुम्हारे सामने हूं। कोई बनावट नहीं, कोई फरेब नहीं है मेरे अंदर। हो सकता है मेरे प्रपोज करने का तरीका तुम्हें थोड़ा पुराना लग रहा हो लेकिन मैं प्रपोज नहीं कर रहा हूं।"
"मेरे दिल में तुम्हें देखकर जो फीलिंग आ रही है, जो भावनाएं उमड़ रही है उन्हे व्यक्त कर रहा हूं! मुझे नहीं पता मेरे शब्द कहां जा रहे हैं, या क्या कह रहे हैं लेकिन मेैं बस बोलता ही जा रहा हूं, बोलता ही जा रहा हूं! बताओ क्या तुम मेरी जिंदगी में शामिल होकर मेरी जिंदगी को और भी खूबसूरत बनाओगी? बनोगी मेरे इस प्यारे से परिवार का प्यारा सा हिस्सा? बनोगी मेरी मां की दोस्त?" वो अपना दूसरा हाथ उसके आगे करते हुए बोला।
अभिक की बातें सीधा सांझ के दिल मे उतर रही थी! उसकी बातें सुनकर, उसका अपने लिए प्यार देखकर, फीलिंग देखकर और सच्ची भावनाएं देखकर सांझ की आंखों में आंसू आ जाते हैं। ये देखकर अभिक घबरा जाता है! वो झट से उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोला, "क्या हुआ? कहीं अनजाने में मैने तुम्हारा दिल तो नहीं दुखा दिया?" वो उसकी बहुत ज्यादा फिक्र करते हुए बोल रहा था और बेहद प्यारा लग रहा था।
अगले ही पल सांझ हल्का सा मुस्कुराकर उसका हाथ अपने हाथों में पकड़ते हुए बोली, "जितना सच तुमने मुझसे कहा है कि तुम मेरा इंतजार कर रहे थे कि काश मुझसे दोबारा मुलाकात हो उतना ही सच ये भी है कि मैं भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी! जैसा-जैसे तुमने मुझसे कहा कि तुम मेरे लिए अनजान नहीं हो सच कहूं तो मुझे भी तुम्हारे साथ कभी लगा ही नहीं कि तुम मेरे लिए कोई अजनबी हो या अनजान हो!"
"मुझे भी हर पल यही लगता है कि मैं तुम्हें बरसों से जानती हूं! शायद हमारा कोई पुराना संबंध है।" फिर वो अपनी नज़रे झुकाते हुए बोली, "मुझे बड़ी खुशी होगी अगर तुम मुझे अपने परिवार में शामिल करोगे। लेकिन...." ये कहते हुए वो अपना हाथ पीछे खींच लेती है और अपना चेहरा फेर लेती है! अभिक को समझ नहीं आता कि ये एकदम से सांझ को क्या हुआ? वो उसके पास जाता है और उसे दोनों कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ घूमाते हुए बोला, "तुम्हें मुझसे कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं है सांझ! अगर तुम्हारे दिल में कोई और ...."
इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी करता तभी सांझ एकदम से उसके होठों पर अपना हाथ रख देती है। फिर वो अपनी नजरे झुकाते हुए बोली, "ऐसी बात नहीं है। अगर मेरे दिल में कोई है तो वो सिर्फ तुम हो! मैंने पहली बार ये एहसास किसी के लिए महसूस किए हैं, आज से पहले कभी तुम्हारे जैसा कोई मिल ही नहीं। सच कहूं तो कभी-कभी सब कुछ सपने जैसा लगता है! मैं हमेशा से तुम्हारे जैसा जीवन साथी चाहती थी लेकिन एक सच ये भी है कि मैं तुम्हारी तरह अमीर नहीं हूं! मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं! अपने मां-बाप की इकलौती बेटी हू जिस पर उसके मा बाप की जिम्मेदारी है! और मुझे शादी के बाद भी अपने घर वालों को देखना है। एक बैंक में जॉब करती हूं और शादी के बाद भी करना चाहती हूं। क्योंकि मेरे अलावा मेरे मां-बाप को कोई और सहारा नहीं है! मैं नहीं चाहती कि आगे चलकर हमारे प्यार में या, हमारे रिश्ते में मेरी गरीबी हम दोनों की दूरी का कारण बने। इसलिए तुम अभी अच्छे से सोच...."
अभिक एक दम से उसको होठो पर ऊंगली रखते हुए बोला, "इतनी प्यारी, ईमानदार, सुलझी हुई और स्वाभिमानी लड़की अगर मेरी जीवनसाथी बनेगी तो मैं खुद को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत और दौलत मंद इंसान समझूंगा! जो लड़की अपने मा बाप से इतना प्यार करती है तो वो अपने पति से कितना प्यार करेगी!" वो जानबूझ कर उसे छेड़ते हुए बोलता है!
उसकी बात सुनकर सांझ के होठो पर मुस्कान बिखर जाती है और हौले से उसके सीने पर मारते हुए बोली, "हम्म...इतने भी सीधे नही हो तुम जितना मैं समझ रही थी!" ये कहती हुई वो उसके सीने से लग जाती है! और अभिक उसे कसकर अपनी बांहो मे भर लेता है! शुरूवात हो चुकी थी दोनो के बेहिसाहब प्यार की लेकिन देखने वाली ये थी कि सांझ से इतनी महोब्बत करने वाला, जिंदगी भर साथ निभाने का वादा करने वाला अभिक आज सांझ के साथ क्यू नही है? ऐसा क्या हुआ जो दोनो साथ नही है और सांझ को उसके दोस्त से शादी करनी पडी? ये सभी सवालो के जवाब आपको जल्द मिलेंगे!
फिलहाल तो दोनो एक दूसरे के सीने से लगे हुए थे! रात काफी हो गई थी और अब बारिश भी रूक गई थी! वो दोनो एक दूसरे को गुड नाईट बोल कर अपने अपने कमरे मे चले जाते है! दोनो ही इस वक्त सातवे आसमान पर थे, दोनो के ही पैर जमीन पर नही पड़ रहे थे! अभिक अपने कमरे मे जाता है ...ठीक उसी वक्त उसका फोन रिंग करता है जो कि अक्षत का था! उसका नम्बर देखते ही अभिक के होठो पर मुस्कान बिखर जाती है! वो झट से फोन उठा लेता है!
उधर से अक्षत बोला, "क्या बात है! पहली ही रिंग पर फोन उठा लिया, नींदे उड चुकी है क्या तेरी? या मुझे कुछ ज्यादा ही मिस कर रहा है?" वो उसकी टांग खीचते हुए बोलता है! अभी तक अभिक ने उसे सांझ के बारे मे कुछ भी नही बताया था!
अभिक बिस्तर पर गिरते हुए बोला, "तेरी कमी तो कोई दूर नही कर सकता साले हा पर मेरी नींदे उडाने वाली भी मिल गई है मुझे..."
ये सुनते ही अक्षत चौंकते हुए बोला, "क्या? कौन? कब? कैसे? और क्यू?" वो एकसाथ उससे सवाल करता है...
जारी है...
अभिक का फोन रिंग करता है जो कि अक्षत का था! उसका नंबर देखते ही अभिक के होठों पर मुस्कान बिखर जाती है! वो झट से फोन उठा लेता है! उधर से अक्षत - "क्या बात है! पहली ही रिंग पर फोन उठा लिया, नींदे उड़ चुकी हैं क्या तेरी? या मुझे कुछ ज्यादा ही मिस कर रहा है?" वो उसकी टांग खींचते हुए बोलता है! अभी तक अभिक ने उसे सांझ के बारे में कुछ भी नहीं बताया था!
अभिक बिस्तर पर गिरते हुए - "तेरी कमी तो कोई दूर नहीं कर सकता साले, हां पर मेरी नींदे उड़ाने वाली भी मिल गई है मुझे..."
ये सुनते ही अक्षत चौंकते हुए - "क्या? कौन? कब? कैसे? और क्यूं?" वो एक साथ उससे सवाल करता है...!
उसकी बात सुनकर अभिक - "सब्र कर, तुझे बड़ी जल्दी है सब कुछ जानने की!"
"हां तो होगी नहीं क्या, मैं भी देखूं कि आखिर कौन है वो जिसने तेरे दिल में हलचल मचा दी!" अक्षत उसकी टांग खींचते हुए बोलता है!
ये सुनकर अभिक मुस्कुराते हुए - "ना, ना ऐसे नहीं, ना फोटो दिखाऊंगा ना बात करवाऊंगा, जब तू वापस आएगा तब खुद आकर मिल लियो!"
"अरे ये तो गलत है, तूने तो सस्पेंस में छोड़ दिया! मैं तो दो साल बाद आऊंगा तब तक..."
अभिक बीच में ही उसकी बात काटते हुए - "तब तक मैं शादी नहीं करूंगा अब खुश? वैसे भी तेरे बिना मेरी खुशी अधूरी है और हो सकता है तब तक तुझे भी कोई मिल जाए!"
"मुझे तो पता नहीं कोई मिलेगी या नहीं पर तू अपना वादा मत भूल जाइयो! बहुत अरमान है मेरे खासकर तेरी शादी के, उन्हें मत तोड़ दियो!" अक्षत लगभग उसे धमकाते हुए बोलता है!
बदले में अभिक - "अब तू फोन पर ही पिट जाएगा, जब कह दिया एक बार कि तेरे बिना कुछ नहीं फिर भी उल्टी बात कर रहा है!"
ये सुनकर अक्षत - "अच्छा अच्छा ठीक है चिड़ मत! ये बता कि तू खुश तो है ना?"
अभिक के जेहन में सांझ का चेहरा घूम जाता है! वो अपने दिल पर हाथ रखते हुए - "बहुत! सांझ बिल्कुल वैसी है जैसी मैंने सोचा था! बहुत प्यारी, सादगी से भरपूर और सुख दुख में साथ देने वाली लड़की!" वो सांझ के ख्यालों में गुम बोलता ही जा रहा था!
उसकी दीवानगी देखकर अक्षत बस मुस्कुरा रहा था, फिर वो उसे छेड़ते हुए - "ओह हो सांझ! चलो नाम तो पता चल गया!"
ये सुनते ही अभिक एकदम से - "तू फोन काट साले, बातों बातों में मुझसे सारी जानकारी ले रहा है!"
उसकी बातें सुनकर अक्षत को हंसी आ जाती है और वो हंसते हुए - "अच्छा अच्छा चिड़ मत, रख रहा हूं लेकिन मेरे बिना शादी मत करियो!" इसके बाद वो दोनों ही फोन रख देते हैं!
खैर दिन निकलता है और एक खूबसूरत सी सुबह होती है! वैसे भी अभिक और सांझ को तो अब पूरी दुनिया ही खूबसूरत लग रही थी! अब वक्त था राधिका और सांझ के वहां से जाने का! अभिक ने सुबह जल्दी ही मैकेनिक को घर पर बुला लिया था और मैकेनिक ने गाड़ी ठीक कर भी दी थी! कंचन किचन में चाय नाश्ते का इंतजाम देख रही थी! और हाल में बैठा अभिक बेसब्री से सांझ का इंतजार कर रहा था! अगले ही पल कमरे का दरवाजा खुलता है और सांझ बाहर आती है! अभिक की नजरें उस पर जाती हैं तो फिर वापस आना ही भूल जाती हैं! आसमानी कलर का चूड़ीदार, आंखों में गहरा काजल, होंठों पर पिंक लिपस्टिक, खुले बाल जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे! सांझ इतनी खूबसूरत लग रही थी कि अभिक तो चाहकर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था! और सांझ थी जिसकी नजरें ऊपर नहीं हो रही थी! मारे शर्म के उसके गोरे गाल गुलाबी हो गए थे! वो आहिस्ता से अपनी नजरें ऊपर करके उसकी तरफ देखती है, अभिक अभी भी उसकी तरफ देख रहा था!
इस बार सांझ उसे हल्का सा घूर कर देखती है! बदले में अभिक उसे आंखों ही आंखों में इशारा करता है कि वो बहुत खूबसूरत लग रही थी! सांझ शरमा कर अपना चेहरा फेर लेती है!
कुछ देर बाद....
मैकेनिक गाड़ी सही करके चला गया था और अब सांझ और राधिका भी वहां से निकलने वाली थीं! इस बीच दोनों आंखों ही आंखों में हजारों बातें कर चुके थे! अभिक का तो बिल्कुल मन नहीं था सांझ को खुद से दूर करने का पर जाना तो था ही...! मौका देखकर उसने सांझ से कह दिया था कि वो जब वापस आएगी तो दोनों मिलकर कंचन से बता देंगे कि उन दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया है! और जाहिर सी बात है ये सुनकर कंचन बहुत खुश होगी! फिलहाल तो वो दोनों वहां से चले गए थे! सांझ पूरे 4 दिन के लिए गई थी लेकिन ये 4 दिन दोनों को 4 साल लग रहे थे! सांझ का तो उस शादी में बिल्कुल दिल नहीं लग रहा था! ऐसा ही कुछ हाल अभिक का था!
दोनों ने ये 4 दिन कैसे गुजारे थे ये तो बस वही दोनों जानते थे! खैर किसी तरह ये 4 दिन बीते और सांझ शादी से वापस आई और जैसा कि अभिक ने उसे कहा था कि जब वो वापस आएगी तो वो कंचन को सब बता देगा और ठीक वैसा ही अभिक ने किया! उसके वापस आते ही दोनों कंचन के पास गए और उसका आशीर्वाद लेते हुए अभिक ने कंचन को सारी बात बताई!
ये सुनकर कंचन तो बहुत ही ज्यादा खुश हुई! वो उसका गाल खींचते हुए - "पागल लड़के में तो उसी दिन समझ गई थी जब सांझ पहली बार हमारे घर आई थी। मुझे तेरी पसंद पर बहुत नाज है बेटा..!" वो प्यार से सांझ के सर पर हाथ फेरते हुए बोलती है और सांझ किसी छोटे बच्चों की तरह उससे लिपट जाती है।
इसके बाद अभिक उसे अपने ऑफिस लेकर जाता है और वो उसे अपना पूरा ऑफिस दिखाता है, अपने स्टाफ से मिलवाता है और सबसे बड़ी बात वो सबको बताता है कि सांझ उसकी होने वाली वाइफ है। कुल मिला कर अभिक से जुड़ी हुई ऐसी कोई बात नहीं थी जो सांझ से छुपी हो। इस वक्त दोनों ऑफिस के केबिन में थे। अभिक ने तो अपना दिल खोलकर उसके सामने रखते हुए - "लगभग मैंने अपनी जिंदगी का हर पन्ना तुम्हारे सामने खोल दिया है सांझ! सिवाय एक के - और वो है मेरा दोस्त अक्षत..!"
"मेरा दोस्त, मेरा जिगरी यार, मेरा भाई मेरा सब कुछ।" इसके बाद वो उसे अपने और अक्षत की दोस्ती के बारे में बताता है और साथ के साथ अपने वादे के बारे में भी जो उसने अक्षत से किया है कि उसके आने से पहले शादी नहीं करेगा। सांझ उसकी भावनाएं, उसकी फीलिंग अच्छी तरह समझ रही थी! वो उसका हाथ कसकर पकड़ते हुए - "मैं तुम्हारे जज्बातों की कदर करती हूं। अगर शादी में हमारे दोस्त ही नहीं होंगे तो फिर शादी कैसे होगी और 2 साल तो यूं ही गुजर जाएंगे।"
"और सच कहूं तो मुझे भी शादी के लिए थोड़ा वक्त चाहिए!" वो अपनी गरदन झुकाते हुए बोलती है!
अभिक आहिस्ता से उसके पास जाकर, प्यार से उसका माथा चूमते हुए - "कोई बात नहीं, मैं हर फैसले में तुम्हारे साथ हूं" ये कहते हुए वो उसे अपने सीने से लगा लेता है!
खैर वक्त गुजरता गया और दोनों की मोहब्बत और भी गहरी होती चली गई। हां इस बीच कभी सांझ ने अपने घर वालों से अभिक को नहीं मिलवाया था। उसका कहना ही था कि वो अभी जॉब कर रही है! जब तक वो भी अच्छी तरह सेटल हो जाएगी और उसके बाद ही अपनी फैमिली के सामने ये बात रखेगी। अभिक को भी उसकी बात ठीक लगी थी और वक्त मानो जैसे पंख लगा कर उड़ गया। 2 साल कब गुजर गए पता ही नहीं चला।
2 साल बाद....
जारी है...
खैर, वक़्त गुज़रता गया और दोनों की मोहब्बत और भी गहरी होती चली गई। हाँ, इस बीच कभी सांझ ने अपने घर वालों से अभिक को नहीं मिलवाया था। उसका कहना था कि वो अभी जॉब कर रही है! जब तक वो भी अच्छी तरह सेटल हो जाएगी और उसके बाद ही अपनी फैमिली के सामने ये बात रखेगी। अभिक को भी उसकी बात ठीक लगी थी और वक़्त मानो जैसे पंख लगा कर उड़ गया। 2 साल कब गुज़र गए पता ही नहीं चला।
2 साल बाद...!
सुबह का वक़्त था पर अभिक ने सारा घर सर पर उठा रखा था!
"मा... मेरी ब्लू वाली शर्ट नहीं मिल रही है! कहाँ रख दी आपने?" और मेरी घड़ी...
वो अभी बोल ही रहा था कि तभी कंचन वहाँ पर आते हुए- "ओह फो, क्यों पूरा घर सर पर उठा रखा है तूने? आखिर क्या बात है?" वो अलमारी में से उसकी ब्लू कलर की शर्ट निकालते हुए बोलती है! "ये देख सामने ही तो रखी है लेकिन नहीं, तुझे तो मुझे परेशान करना होता है। और ये तेरी घड़ी। कब से कह रही हूँ शादी कर ले, सांझ को घर लिया, मुझसे अब ये सब नहीं होता पर नहीं, तू है कि सुनता ही नहीं है!" वो शिकायत करते हुए बोलती है!
अभिक अपनी शर्ट पहनते हुए- "अरे मा, आपको पता तो है कि मैं अक्षत के बिना शादी नहीं करने वाला और रही बात पूरा घर सर पर उठाने की तो आज मेरा यार आ रहा है, मेरा अक्षत रहा है वापस! अब सबकी शिकायते दूर कर दूंगा और आपकी भी और आपकी बहू की भी! आप तो बस फटाफट से आशीर्वाद दीजिए! मैं जा रहा हूँ उसको एयरपोर्ट लेने के लिए और रास्ते में मुझे सांझ से भी मिलना है।" वो कंचन के पैर छूते हुए बोलता है।
कंचन उसके सर पर हाथ रखते हुए- "युग युग जियो और हमेशा खुश रहो! पर नाश्ता तो करके जा।"
"अरे मा बिल्कुल समय नहीं है! पहले ही लेट हूँ, सांझ इंतजार कर रही होगी! मैं बाहर ही नाश्ता कर लूँगा बस!!" ये कहता हुआ वो गाड़ी की चाबी उठाकर वहाँ से चला जाता है।
सबसे पहले वो सांझ से मिलने जाता है जो की एक पार्क में उसका इंतजार कर रही थी। जैसे ही अभिक आता है तो वो अपनी कलाई पर बंधी घड़ी में टाइम देखते हुए- "पूरे 15 मिनट लेट हो तुम मिस्टर! मतलब मैं पागल हूँ जो टाइम से आ गई! मैं अगर पाँच मिनट भी लेट हो जाऊं तो तुमसे इंतजार नहीं होता और अब तुम क्या कर रहे हो?" वो झूठी नाराजगी जताते हुए बोलती है!
अभिक झट से उसे अपनी बाहों में भरते हुए- "ओ हो प्लीज यार अब तुम मत शुरू हो जाओ! आज बहुत खुशी का दिन है, बहुत ज्यादा।" ये कहता हुआ वो उसे बिल्कुल अपने करीब कर लेता है।
सांझ उसकी शर्ट के कॉलर सही करते हुए- "क्या बात है... आज बड़े चहक रहे हो अपने दोस्त के आने पर! इतना तो कभी तुम मुझसे मिलने पर भी खुश नहीं हुए।" वो मुँह बनाते हुए बोलती है।
अभिक उसका गाल खींचते हुए- "ओ हो तो तुम्हें जलन हो रही है? क्या बात है!"
सांझ - "हाँ हो रही है जलन! अभी तो तुम्हारा दोस्त आया नहीं है, अभी से तुम्हारा ये हाल है, उसके आने पर तो तुम मुझे बिल्कुल भूल जाओगे!"
ये सुनकर अभिक को हंसी आ जाती है और वो हँसते हुए- "तुम ना बिल्कुल टिपिकल वाइफ़ बनती जा रही हो! और रही बात मेरे खुश होने की तो यार खुश क्यों नहीं होऊँगा मैं... एक तो पूरे 2 साल बाद मेरा यार वापस आ रहा है और ऊपर से अब मैं हमेशा के लिए तुम्हें अपना बनाने वाला हूँ! पता है ना तुमको?" वो उसे छेड़ते हुए बोलता है!
ये सुन सांझ शरमा जाती है और अपना चेहरा फेर लेती है! पर अगले ही पल उसे कुछ याद आ जाता है जो उसके चेहरे पर आई मुस्कान को गायब कर देता है। वो अभिक की तरफ देखते हुए- "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
पर अभिक आज बहुत जल्दी में था। वो झट से उसका माथा चूमते हुए- "आज नहीं। आज का सारा दिन, सारा समय अक्षत के नाम! मैं तुमसे रात को आराम से बात करता हूँ! ठीक है?" वो प्यार से उसका गाल थपथपाते हुए बोलता है और फिर उसे बाय बोलकर वहाँ से चला जाता है।
सांझ भी मुस्कुरा कर उसको बाय बोलती है। फिर वो भी वहाँ चली जाती है।
अभिक एयरपोर्ट जाने के लिए निकल गया था और सांझ अपने घर जाने के लिए। इस वक़्त वो ऑटो रिक्शा में बैठी थी और किसी गहरी सोच में गुम थी, जहाँ उसे इस बात का पता था कि अभिक ने उससे कुछ नहीं छुपाया है! अपना पूरा दिल खोलकर उसके सामने रख दिया, अपनी जिंदगी की हर सच्चाई उसके सामने रख दी! वहीं सांझ ने उससे एक बात छुपाई थी। और वो चाहती थी कि शादी से पहले वो उसे सब कुछ बता दे लेकिन जब भी वो अभिक को सच बताने जाती तब कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता कि या तो वो बात नहीं कर पाती या ये सोचकर डर जाती कि पता नहीं अभिक कुछ समझेगा या नहीं? वो अपनी उलझन मे इस कदर खोई हुई थी कि कब उसका घर आ गया उसे पता ही नहीं चला!
"मैडम... घर आ गया है।" ऑटो वाला बोलता है जिसकी आवाज से सांझ अपने ख्यालों से, अपनी सोच से बाहर आती है और फिर घर के अंदर चली जाती है।
एक मिनट, एक मिनट अब आप लोग सोच रहे होंगे कि सांझ ऑटो वाले को पैसे दिए बिना ही अंदर चली गई और उसने भी उससे पैसे नहीं मांगे!
तो आइए मिलते हैं असली सांझ बंसल से। बड़ा सा बंगला जो कि दूर-दूर तक फैला हुआ था। बंगला इतना खूबसूरत था कि जो एक बार देखता तो देखता ही रह जाता था। वो किसी महल से कम नहीं लग रहा था! दरवाजे पर खूबसूरत अक्षरों में लिखा - प्रताप बंसल का नाम अलग ही चमक रहा था! प्रताप बंसल इस शहर का सबसे अमीर आदमी और उसकी इकलौती बेटी सांझ बंसल। जो अपने एक इशारे पर पूरा शहर खरीदने का दम रखती है। जिसके आगे पीछे ढेरो नौकर घूमते रहते हैं। जिसकी मां दिव्या बंसल उस पर जान छिड़कती है। अपने मां पापा की इकलौती बेटी सांझ बंसल करोड़ों की जायदाद की इकलौती वारिस किसी राजकुमारी की तरह पली बढी सांझ, जो आज भी अपने घर मे किसी रानी से कम नहीं थी वो अभिक के सामने एक आम लड़की होने का दिखावा क्यों कर रही है? क्यों अपनी सच्चाई छिपाई उसने अभिक से? जबकि वो चाहे तो एक झटके मे अभिक की कंपनी जैसे दस कंपनिया खरीद सकती है जो अभिक से कई गुणा ज्यादा अमीर और पावर फुल है वो क्यू एक साधारण लड़की बनकर सबके सामने जाती है? क्यू अपनी पहचान छिपाती है सबसे??
खैर, वो अंदर जाती है! जहाँ नाश्ते के लिए दिव्या उसका इंतजार कर रही थी! सांझ परेशान सी सोफे पर बैठ जाती है! उसे देखते ही ना जाने कितने नौकर लग गए थे उसकी खिदमत मे... कोई जूस लेकर खड़ा था, तो कोई कॉफी, तो कोई चाय, तो कोई ग्रीन टी... क्योकि सांझ कब और क्या पसंद करेगी ये किसी को नही पता था! और नाश्ते की टेबल पर तो सब कुछ उसी की पसंद का था!
दिव्या अपनी बच्ची को परेशानी मे देखते हुए- "क्या हुआ मेरी प्रिंसेस को? आज इतनी उदास क्यूँ है!"
सांझ सभी नौकरो को वहाँ से जाने का इशारा करती है और फिर अपनी गरदन झुकाते हुए- "वक्त आ गया है मम्मा अभिक को सच्चाई बताने का..."
जारी है...
गातांक से आगे....
सांझ को देखते ही ना जाने कितने नौकर लग गए थे उसकी खिदमत मे ...कोई जूस लेकर खडा था , तो कोई काॅफी , तो कोई चाय , तो कोई ग्रीन टी ...क्योकि सांझ कब और क्या पसंद करेगी ये किसी को नही पता था ! और नाश्ते की टेबल पर तो सब कुछ उसी की पसंद का था ! दिव्या अपनी बच्ची को परेशानी मे देखते हुए - क्या हुआ मेरी प्रिसैंस को ? आज इतनी उदास क्यू है ! सांझ सभी नौकरो को वहां से जाने का इशारा करती है और फिर अपनी गरदन झुकाते हुए - वक्त आ गया है मम्मा अभिक को सच्चाई बताने का !
ये कहते हुए उसके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आते है ! उसकी मा दिव्या उसके कंधे पर हाथ रखते हुए - बेटा मैने तो पहले ही कहा था कि उसे सच बता दे पर तूने मेरी एक नही सुनी ! सांझ एक गहरी सांस लेते हुए - कितनी बार कोशिश की मैने मा ,पर हर बार कुछ ना कुछ हो जाता था ! लेकिन अब तो उसका दोस्त भी वापस आ रहा है ! अब अभिक शादी की बात जरूर करेगा और मैं चाहती हू कि शादी से पहले उसे सारा सच पता हो ! सांझ बहुत ज्यादा परेशान होते हुए बोलती है ! दिव्या प्यार से उसे समझाते हुए - इतना परेशान नही होते बच्चे ! तू एक बार उससे बात कर , प्यार से समझा वो सब समझ जाएगा !
ये सुनकर सांझ को थोडी तसल्ली होती है लेकिन फिर वो वापस व्याकुल होते हुए - पर मा , वो मेरी बात समझेगा ना ? वो मुझे समझने की कोशिश तो करेगा ना ? वो मुझसे नाराज तो नही होगा ना ? कहीं वो मुझसे नाराज हो गया और उसने मेरे साथ रिश्ता खत्म कर लिया तो ? नही मा ,मैं उसके बिना नही रह सकती , मैं मर जाऊँगी उसके बिना ! सांझ बहुत ज्यादा भावुक होते हुए बोल रही थी ! दिव्या उसे सम्भालते हुए - सांझ होश मे आओ और सम्भालो खुद को ! ऐसे रोने से काम नही चलेगा ! अभिक प्यार करता है तुमसे वो तुम्हारी बात जरूर समझेगा ! हा नाराज होगा वो तुमसे पर रिश्ता थोडी ना खत्म कर देगा ! ऐसा बिल्कुल नही होगा वो उसके आसू साफ करते हुए बोलती है !
सांझ उसका हाथ पकड़ते हुए - पक्का वो मुझे रिश्ता खत्म नही करेगा ना ? वो फिर से दिव्या से सवाल करती है ! हा मेरी बच्ची ,नही करेगा पर अब तू खुद उसे सच बता दे ऐसा ना हो कि उसे कहीं और से पता चले ! चलो अब तुम अपना मूड सही करो और जल्दी से नाश्ता कर लो ! अभी तक मैने भी नाश्ता नही किया है ! ये सुनते ही सांझ झट से अपने आसू साफ करती है और दिव्या के साथ नाश्ता करने के लिए बैठ जाती है ! पर अब उसने सोच लिया था कि वो जल्द से जल्द अभिक को सब बता देगी !
दूसरी तरफ ...
अभिक एयरपोर्ट पहुंच गया था और कुछ ही देर अक्षत की फ्लाईट लैंड होती है और वो बाहर आता है ! उसने अपने घर पर नही बताया था कि वो आज आ रहा है ! ये बात सिर्फ अभिक को पता थी ! खैर कुछ ही देर मे अक्षत बाहर आता है और बाहर आते ही उसकी नज़रे जाती है अभिक पर और अभिक की उस पर ! दोनो दौड़कर एक दूसरे के गले लग जाते है जैसे दो सालो की दूरी दो मिनट मे मिटाना चाहते हो ! अभिक उसकी कमर मे एक मुक्का मारते हुए - साले वहा खाता पीता नही था क्या ? चेहरा देख कैसे सिकुडा पड़ा है !
अक्षत उसे और भी कसकर पकड़ते हुए - साले वहा पर तू नही था ना ! और वैसे तेरा चेहरा तो बडा़ चमक रहा है आखिर प्यार का बुखार चढ़ ही गया तुझ पर और ये क्या तू अकेला आया है ? भाभी को नही लाया साथ ? मैं तो सोचकर आया था कि आज तो भाभी से मिलकर रहूंगा ,पता तो चले कि ऐसी क्या खास बात है उनमे जिसने तेरा दिल चुरा लिया ! वो इधर उधर नज़रे दौडाते हुए बोलता है ! अभिक हसते हुए - पहले मुझसे तो मिल ले और रही बात मेरी सांझ की तो उससे भी मिलवा दूंगा ! आखिर मुझसे ज्यादा तो वो तेरे आने का इंतजार कर रही थी !
क्यू क्यू ऐसा क्यू ? अक्षत एक दम से बोलता है ! अबे अब तू आ गया है ना तो फाईनली हम शादी कर सकेंगे ! दोनो बाते करते हुए बाहर निकलते है और फिर गाडी मे बैठ अक्षत के घर के लिए निकल जाते है ! पूरे रास्ते दोनो की बाते खत्म नही होती ! उधर सांझ ने भी अब पक्का फैसला कर लिया था कि अब वो अभिक को सच बता कर ही रहेगी ! वो अपने कमरे मे इधर से उधर चक्कर लगाते हुए - हा ,हा पता है कि तुम नाराज होगे मुझसे और होना भी चाहिए लेकिन मैं तुम्हे मना लूंगी ! वो मुस्कुराते हुए बोलती है और उसे फोन करने लगती है पर तभी उसके पापा का फोन आता है और वो किसी जरूरी काम से उसे आफिस बुला लेते है !
उधर अभिक की गाडी अक्षत के घर के सामने रुकती है ! अक्षत गाडी मे से बाहर आता है पर अभिक अंदर ही बैठा था ! अक्षत उसे देखते हुए - तू नही आ रहा है क्या मेरे साथ ? अभिक उसकी तरफ देखते हुए - यार तुझे सब पता है ना ,अंदर जाऊँगा तो मेरा मूड खराब हो जाएगा और फिर साथ मे तेरा भी ! बस इसलिए ...उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो अक्षत खामोश हो जाता है लेकिन फिर वो उसे मनाते हुए - चल ना यार ,आज तो चल ! ना चाहते हुए भी अभिक को उसकी बात माननी पड़ती है !
ऐसे ही दिन बीत जाता है और रात हो जाती है ! पूरा दिन अभिक अक्षत के घर मे बिजी रहता है और सांझ अपने आफिस मे ! दोनो को बात करने का समय ही नही मिलता !
खैर ...रात का वक्त ! अभिक और सांझ अपने अपने घर पहुंच गए थे ! और अपने अपने कमरे मे थे ! अभिक बस कपडे बदल कर बिस्तर पर बैठा ही था कि तभी उसका फोन रिंग करता है जो कि सांझ का था ! सांझ का नम्बर देखते ही उसकी दिन भर की थकान गायब हो जाती है और उसके होठो पर मुस्कान बिखर जाती है ! वो झट से फोन उठाकर अपने कान पर लगाता है लेकिन वो कुछ बोलता उससे पहले ही सांझ एकदम से - क्या बात है जनाब ,दोस्त के आते ही मुझे भूल गए ? ना कोई फोन ना कोई मैसेज ...जरा भी याद नही आती ना तुम्हे मेरी ?? वो शिकायत करते हुए बोल रही थी !
अभिक मुस्कुरा कर उसकी मासूम सी शिकायते सुन रहा था ! वो एकदम से - हाए तुम्हारी ये मासूम सी शिकायते ,कसम से दिल लूट लेती है मेरा , हर बार तुमसे और भी प्यार कर बैठता हू ! अभिक बेहद प्यार से बोल रहा था ,और उसकी बाते सांझ को भी मजबूर कर रही थी उससे और भी प्यार करने के लिए ! इस बार वो उसे सुन रही थी ! अभिक उसे छेड़ते हुए - अब ऐसे खामोश बैठी रहोगी या कुछ बोलोगी भी ! ये सुनकर सांझ - अच्छा जी , जब मैं बोलती हू तो आपको शिकायते लगती है इससे अच्छा तो मैं चुप ही रहू ! ओह हो , अब बस भी करो ,अच्छा कल मैं तुम्हे अक्षत से मिलवाऊंगा ,एक काम करना तुम शाम के चार बजे मुझे मेरे आफिस मे ही मिलना ! ओके ...?
हा बाबा ,पहुंच जाऊँगी ! इसके बाद दोनो ना जाने कितनी देर तक बाते करते रहते है ! और बाते करते करते कब सो जाते है दोनो को पता नही चलता ! खैर रात गुजरती है और सवेरा होता है और फिर वो समय आता है जिसका अभिक को कब से इंतजार था ! आज वो सांझ और अक्षत को एक दूसरे से मिलाने वाला था ! वो घडी मे टाईम देखते हुए - चार बज गए पर अभी तक ये दोनो आए क्यू नही ? तभी उसके कैबिन का दरवाजा खुलता है और गुस्से से भरा हुआ अक्षत अंदर आता है ! वो इतने गुस्से मे था कि गुस्से से उसकी आँखे लाल हो गई थी ! अभिक उसे देखकर - तुझे क्या हुआ ? इतना गुस्से मे क्यू है ? अक्षत कुछ बोलता उससे पहले ही उसका फोन रिंग करता है और वो बात करने के लिए दूसरी तरफ चला जाता है ! तभी कैबिन का दरवाजा खुलता है और सांझ अंदर आती है ! उसका मूड भी उखडा उखडा सा था ! अभिक उसे देखकर - अब तुम्हे क्या हुआ ?
सांझ अपना मूड सही करते हुए - नही कुछ नही , अच्छा कहा है तुम्हारा दोस्त ? अभिक उसका हाथ पकड़कर - आओ मिलवाता हू तुम्हे ! ये कहता हुआ वो अक्षत के पास ले जाता है ,उसका चेहरा दूसरी तरफ था ! अक्षत ये है मेरी जिंदगी ,मेरा प्यार ,मेरी सांझ ,मेरा सब कुछ...! ये सुनकर अक्षत पीछे पलटता है पर जैसे ही वो पीछे पलटता है तो सांझ को देखकर और सांझ उसे देखकर - तुम ?? दोनो एक दूसरे को गुस्से से घूरते हुए बोलते है ! दोनो की आँखो मे इतना गुस्सा था जैसे आँखो से ही एक दूसरे को भस्म कर देंगे ...
आखिर कहां और कैसे हुई इन दोनो की पहली और खतरनाक मुलाकात ?
जारी है...🙏🙏
कमैंट प्लीज 😊😊
गातांक से आगे....
अभिक उसका हाथ पकड़कर बोला, "आओ मिलवाता हूँ तुम्हें!" ये कहता हुआ वो अक्षत के पास ले जाता है, उसका चेहरा दूसरी तरफ था! "अक्षत, ये है मेरी जिंदगी, मेरा प्यार, मेरी साँझ, मेरा सब कुछ...!"
ये सुनकर अक्षत पीछे पलटता है, पर जैसे ही वो पीछे पलटता है तो सांझ को देखकर और सांझ उसे देखकर "तुम??" दोनों एक दूसरे को गुस्से से घूरते हुए बोलते हैं! दोनों की आँखों में इतना गुस्सा था जैसे आँखों से ही एक दूसरे को भस्म कर देंगे!
वही दोनों का रिएक्शन देखकर अभिक बहुत हैरान था! वो कभी सांझ को देख रहा था तो कभी अक्षत को! "तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो?" वो हैरानी से बोलता है!
तभी अक्षत एकदम से बोला, "वो सब छोड़, पूरी दुनिया में प्यार करने के लिए यही झगड़ालू लड़की मिली थी?" वो सांझ को घूरते हुए बोलता है!
बदले में सांझ भी उसे घूरती है और लगभग उस पर चढ़ते हुए बोली, "ओह शट अप यू इडियट...अगर मुझे पता होता कि तुम जैसा घमंडी इंसान अभिक का दोस्त है तो मैं कभी तुमसे मिलने नहीं आती!" सांझ भी बहुत ज्यादा गुस्से से बोलती है!
अभिक तो उसका ये रूप देखकर हैरान हो गया था! क्योंकि उसने सांझ को कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था! अरे इतना गुस्सा छोड़ो उसने तो कभी उसे गुस्सा करते हुए देखा ही नहीं था! वो हैरानी से कभी सांझ को देख रहा था तो कभी अक्षत को और वही अक्षत और सांझ एक दूसरे को अभी भी गुस्से से घूर रहे थे और न जाने क्या-क्या बोल रहे थे! अभिक का तो दिमाग खराब हो गया था उनका झगड़ा देखकर!
वो एकदम से चिल्लाया, "चुप हो जाओ, चुप हो जाओ तुम दोनों! आखिर हुआ क्या है? कोई मुझे भी बताएगा कि तुम दोनों इतना झगड़ क्यों रहे हो?" अभिक गुस्से से बोलता है ताकि वो दोनों चुप हो जाएँ।
"ये अपने घमंडी दोस्त से पूछो..." सांझ एकदम से बोलती है।
"अच्छा जी.. मैं घमंडी? और तुम क्या हो एटीट्यूड की दुकान, बत्तमीज झगड़ालू?" अक्षत एक बार फिर से शुरू हो गया था! ये सब देखकर अभिक अपना सर पीट लेता है।
वो एकदम से दोनों पर चिल्लाते हुए बोला, "बस अब अगर एक शब्द भी बोला ना तुम दोनों ने तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। शांत हो जाओ तुम दोनों।"
उसकी बात सुनकर सांझ और अक्षत दोनों ही चुप हो जाते हैं! सांझ मुंह फुलाकर वही कुर्सी पर बैठ जाती है और अक्षत वहां रखे सोफे पर। दोनों की आंखों से अभी भी अंगारे बरस रहे थे।
अभिक दोनों के सामने पानी का गिलास रखते हुए बोला, "पियो इसे और अपना दिमाग शांत करो दोनों के दोनों।" फिर वो सांझ की तरफ देखकर बोला, "और तुम्हें क्या हुआ है आज? तुम कब से इतना गुस्सा करने लगी? आज तक मैंने कभी तुम्हें ऊंची आवाज में बात करते हुए नहीं सुना और तुम ...!"
वो अभी बोल ही रहा था कि तभी अक्षत एकदम से बोला, "अच्छा जी तो तेरे कहने का मतलब है कि मैं झगड़ालू हूँ? मैं गुस्सा करता हूँ? इसकी तो कोई गलती ही नहीं है ना?"
"हे भगवान कहां फंस गया हूं मैं...कहां फंस गया हूं आज?" अभिक अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोलता है और फिर अक्षत की तरफ देखकर बोला, "कम से कम तू तो चुप हो जा।"
अबकी बार सांझ बोली, "अच्छा जी तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि मैं चुप नहीं होती? मैं किसी को बोलने का मौका नहीं देती?"
अभिक एक गहरी सांस लेता है और सांझ के पास जाकर, उसके दोनों हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोला, "शांत हो जाओ ना प्लीज...!" बस उसका इतना कहना ही काफी था सांझ को शांत करने के लिए। वो कुछ नहीं बोलती और अपनी गरदन झुका लेती है। ये देखकर अक्षत अपना चेहरा फेर लेता है।
कुछ पल के लिए वहां पर बिल्कुल खामोशी छा जाती है! यकीन नहीं आ रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले जो केबिन सब्जी मंडी बना हुआ था अब वहां एकदम सन्नाटा पसरा हुआ था! अब दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था!
"अब तुम दोनों में से मुझे कोई बताएगा कि आपकी ये खतरनाक मुलाकात कब और कैसे हुई है?" अभिक अपनी कुर्सी पर बैठते हुए बोलता है।
"मैं बताती हूं..." सांझ एकदम से बोलती है। "मैं अच्छे खासे मूड के साथ तुमसे मिलने आ रही थी और तुम्हारे इस दोस्त से भी..." ये बात वो अक्षत की तरफ देखकर मुंह बनाते हुए बोलती है! "लेकिन रास्ते में..."
कुछ देर पहले....
सांझ का मूड आज बहुत ज्यादा अच्छा था क्योंकि एक तो अभिक का दोस्त वापस आ गया था और उसके आने के बाद ही वो उससे शादी कर सकती थी! फिर सुबह-सुबह उसे अभिक का चेहरा देखने को मिल जाए तो फिर तो उसका दिन ही बन जाता था! इसलिए वो टाइम से तैयार होकर निकल गई थी अभिक के पास जाने के लिए!
वो अपनी स्कूटी से जा रही थी और ये स्कूटी अभिक ने उसे गिफ्ट की थी। हालांकि स्कूटी की कीमत कुछ मायने नहीं रखती थी उसके लिए लेकिन ये अभिक का दिया हुआ वो अनमोल तोहफा था जो उसके लिए बेशकीमती था! इसके लिए तो वो दुनिया की सारी दौलत लुटा सकती थी।
उसे याद आता है कि कितना मना किया था उसने स्कूटी को लेने के लिए तो उस वक्त कैसे अभिक ने पूरा हक जताकर उसे ये गिफ्ट की थी! ये कहकर कि अब वो उसकी होने वाली पत्नी है, अर्धांगिनी है तो उसका हक बनता है उसे वो सब चीजें देना जो वो चाहता है! और वो सब उसे लेना पड़ेगा, मना नहीं कर सकती वो!
उसके बाद कितने ही बेशकीमती पल उसने और अभिक ने स्कूटी के साथ बिताए थे! तो उसकी बहुत प्यारी-प्यारी यादें जुड़ी हुई थी इसके साथ।
अब हुआ ये कि जब वो अभिक के ऑफिस जा रही थी तब रास्ते में... उसकी स्कूटी के आगे अचानक से छोटा बच्चा आ गया। सांझ को स्कूटी के ब्रेक मारने पड़े। हालांकि उस बच्चे को स्कूटी टच भी नहीं हुई थी लेकिन फिर भी वो घबरा गया और गिर गया!
बस सांझ जल्दी से अपनी स्कूटी वही खड़ी करके उस बच्चे को उठाती है और फिर साइड में ले जाकर उसको देखने लगती है कि कहीं उसको चोट तो नहीं लगी। तभी उस बच्चे की मम्मी भागते हुए आती है और सांझ का शुक्रिया करके बच्चे को वहां से ले जाती है।
इससे पहले की सांझ वापस अपनी स्कूटी के पास आती तभी उसे एक तेज धमाका सुनाई देता है।
वो पीछे मुड़कर देखती है तो उसे पता चलता है कि किसी गाड़ी वाले ने उसकी स्कूटी को बहुत बुरी तरह टक्कर मार दी है जिससे उसकी स्कूटी काफी डैमेज हो गई है! उसकी स्कूटी डैमेज नहीं हुई थी उसका दिल, उसके साथ जुड़ी यादें सब डैमेज हो गए थे। अभिक के लिए इस हद तक पागल थी वो कि उसकी दी हुई चीजों के साथ भी उसे इतना लगाव था कि शायद ही किसी को? ये देखते ही उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और वो गाड़ी वाला कोई और नहीं अक्षत था।
उसकी भी गलती नहीं थी! वो फुल स्पीड से गाड़ी लेकर आ रहा था और सामने बीच सड़क पर स्कूटी खड़ी हुई थी! वो ब्रेक मारने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन गाड़ी की स्पीड ज्यादा होने की वजह से ब्रेक मारते-मारते भी स्कूटी के साथ उसकी टक्कर हो ही गई।
वो गाड़ी से बाहर आता है और स्कूटी को देखकर बड़बड़ करते हुए बोला, "पता नहीं इनको लाइसेंस कौन दे देता है? जिन्हें यही नहीं पता कि कौन सी गाड़ी कहां खड़ी करनी है!" वो बेहद गुस्से से बोल रहा था और उसकी ये बातें पीछे खड़ी सांझ भी सुन रही थी!
अगले ही पल वो उसके पास जाती है और लगभग उसका गिरेबान पकड़ते हुए बोली, "अंधे हो तुम? तुम्हें इतनी बड़ी स्कूटी दिखाई नहीं दी? तुम्हे लाइसेंस किसने दिया?" वो बहुत ज्यादा गुस्से से बोलती है और ये पहली बार था जब कोई लड़की उससे इस तरीके से बात कर रही थी।
अक्षत उतने ही गुस्से से उसका हाथ झटकते हुए बोला, "अंधा मैं नहीं अंधी तुम हो! इतनी बड़ी सड़क के बीचो बीच ये खटारा खड़ी करोगी तो कोई भी हादसा हो सकता है। बजाए अपनी गलती मानने के उल्टा मुझसे बहस कर रही हो। बदतमीज कहीं की।" अक्षत भी गुस्से से बोलता है।
खटारा शब्द सुनकर सांझ को और भी गुस्सा आ जाता है! "ओह हेलो- चुपचाप मेरी स्कूटी वैसे ही करके दो जैसे ये पहले थी! अदरवाइज तुम मुझे जानते नहीं हो।"
ये सुनकर अक्षत एकदम से बोला, "मैं तुम जैसे लोगों को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ, पैसों के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो!" ये कहता हुआ वो अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालता है और सांझ के हाथ पर रखते हुए बोला, "दूसरी ले लेना! अब मेरा टाइम वेस्ट मत करो और दफा हो जाओ मेरे सामने से!" इतना कहकर वो अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ जाता है।
तभी सांझ वहां सड़क के किनारे रखा बड़ा सा पत्थर उठाकर लाती है और एकदम से उसकी गाड़ी के शीशे पर मार देती है जिससे पूरा शीशा चकनाचूर हो जाता है और भी काफी नुकसान होता है गाडी का!
ये सब देखकर अक्षत गुस्से से भर जाता है और सांझ की तरफ बढ़ते हुए बोला, "यू..." पर तभी सांझ उसके दिए हुए पैसे उसके मुंह पर मारते हुए बोली, "अब तुम दूसरी गाड़ी ले लेना।" इतना कह कर वो वहां से चली जाती है और अक्षत गुस्से से बस उसे जाते हुए देखता रह जाता है...
जारी है...
गातांक से आगे.....
"मैं तुम जैसे लोगों को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, पैसों के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो!" ये कहता हुआ वो अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालता है और सांझ के हाथ पर रखते हुए बोला, "दूसरी ले लेना! अब मेरा टाइम वेस्ट मत करो और दफा हो जाओ मेरे सामने से!" इतना कहकर वो अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ जाता है।
तभी सांझ वहां सड़क के किनारे रखा बड़ा सा पत्थर उठाकर लाती है और एकदम से उसकी गाड़ी के शीशे पर मार देती है जिससे पूरा शीशा चकनाचूर हो जाता है और गाड़ी का भी काफी नुकसान होता है! ये सब देखकर अक्षत गुस्से से भर जाता है और सांझ की तरफ बढ़ते हुए बोला, "यू..."
पर तभी सांझ उसके दिए हुए पैसे उसके मुंह पर मारते हुए बोली, "अब तुम दूसरी गाड़ी ले लेना।" इतना कह कर वो वहां से चली जाती है और अक्षत गुस्से से बस उसे जाते हुए देखता रह जाता है!
ये सारी बातें सांझ अभिक को बताती है! पूरी बात सुनने के बाद अभिक अपना सर पीट लेता है कि दोनों जरा सी बात पर कैसे बच्चों की तरह लड़ पड़े! गलती दोनों की ही थी पर कोई माने तब ना!
"अब तुम ही बताओ अभिक क्या गलत किया मैंने?? और क्या गलती थी मेरी?" ये सुनकर अक्षत एक बार फिर भड़क जाता है!
वो सोफे से उठता है और सांझ के पास आते हुए बोला, "तो क्या मेरी गलती है? एक तो बीच सड़क पर अपनी वो खटारा रोक कर खड़ी थी, ऊपर से मुझे ही सुनाती जा रही थी और फिर भी पैसे दे रहा था ना मैं... लेकिन तुमने क्या किया मेरी गाड़ी तोड़ दी!"
उसकी बातें सुनकर और फिर से अपनी स्कूटी के लिए खटारा शब्द सुनकर सांझ को भी गुस्सा आ गया था! वो झट से कुर्सी से खड़ी होती है और अक्षत को ऊंगली दिखाते हुए बोली, "खबरदार जो मेरी स्कूटी को खटारा कहा तो, और तुम अपनी गाड़ी की बात कर रहे हो शुक्र मनाओ मैंने तुम्हारा मुंह नहीं तोड़ा!"
सांझ भी बेहद गुस्से से बोल रही थी और अक्षत भी उतने ही गुस्से से उससे बहस कर रहा था! दोनों एक बार फिर शुरू हो गए थे जो जी में आ रहा था एक दूसरे को बोलते जा रहे थे! दोनों का ये हाल देखकर अभिक अपना सर पकड़कर वहीं बैठ जाता है! लेकिन सांझ और अक्षत थे कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रहे थे! कुछ देर तक तो अभिक दोनों के चुप होने का इंतजार करता है लेकिन जब वो दोनों चुप नहीं होते तो वो एकदम से दोनों पर बरसते हुए बोला, "बस करो, बस करो तुम दोनों! बस करो अब..." वो दोनों पर चिल्लाता है! उसका गुस्सा देखकर सांझ और अक्षत दोनों ही चुप हो जाते हैं!
अभिक गुस्से से अक्षत की तरफ देखकर बोला, "बहुत बड़ा पैसे वाला बन गया है तू? एक तो गलती करता है ऊपर से पैसों का रौब दिखाता है! गलती तो तेरी भी है, क्यूं तेज गाड़ी चला रहा था तू? तू भी तो माफी मांग सकता था ना?" अभिक अक्षत को डांटते हुए बोलता है बदले में अक्षत अपना सर झुका लेता है!
इसके बाद अभिक सांझ की तरफ देखते हुए बोला, "और तुम? तुम्हें क्या हो गया है आज? तुम कबसे इतना गुस्सा करने लगी हो? और ये क्या जबसे स्कूटी, स्कूटी लगा रखा है तुमने? गलती तो तुम्हारी भी है ना? माना कि तुम किसी की हेल्प कर रही थी लेकिन बीच सड़क पर स्कूटी खड़ी करना कहां की समझदारी और भगवान ना करें उस स्कूटी के पास तुम भी खड़ी होती और तुम्हें कुछ हो जाता तो? सोचा है कभी इस बारे में?"
"तुम्हें कुछ हो जाता तो मेरा क्या होता इसका अंदाजा है तुम्हें? और फिर वो महज स्कूटी ही तो थी ना सांझ, उसके लिए इतना बवाल करने की क्या जरूरत थी?" ये सुनकर सांझ की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वो आंसू भरी नजरों से अभिक की तरफ देखते हुए बोली, "वो महज स्कूटी नहीं थी मेरे लिए, तुम्हारा दिया हुआ पहला तोहफा था अभिक जिसके साथ मैं इमोशनली अटैच थी! जिसके साथ मेरी न जाने कितनी यादें जुड़ी थी, जिसके साथ मैं जुड़ी हुई थी। तुम सोच भी नहीं सकते कि वो मेरे लिए क्या मायने रखती थी क्या नहीं! हर वो चीज जो तुमसे जुड़ी हुई है वो चाहे कोई चॉकलेट का रैपर ही क्यों ना हो जो तुमने मुझे दिया हो उसे भी संभाल कर रखा है मैंने अभिक और तुम उस स्कूटी की बात कर रहे हो जो मेरे बेहद करीब थी! तुम नहीं समझोगे..." वो रोते हुए बोलती है और अपना पर्स उठाकर रोते हुए वहां से चली जाती है। अभिक उसे आवाज लगाता रह जाता है लेकिन वो नहीं सुनती!
अभिक बेबसी से अक्षत की तरफ देखता है लेकिन बदले में अक्षत बच्चों की तरह मुंह फूलाते हुए बोला, "उससे तो बड़े प्यार से बात कर रहा था तू और मुझे खाने को दौड़ रहा था! जा देख ली तेरी दोस्ती," इतना कहकर वो भी मुंह बनाकर वहां से चला जाता है और एक बार फिर अभिक अपना सर पकड़कर वहीं बैठ जाता है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे दोनों को हैंडल करे! एक की तरफदारी करता था तो दूसरा बुरा मान जाता था, दूसरे की तरफदारी करता था तो पहला बुरा मान जाता था! प्यार और दोस्ती के बीच उलझ गया था बेचारा अभिक!
गुस्से से सांझ भी अपने घर जाने के लिए निकल गई थी और अक्षत भी अपने घर जाने के लिए निकल गया था! आज अभिक कितना खुश था कि वो दोनों को एक दूसरे से मिलाएगा! फिर तीनो साथ में कहीं घूमने जाएंगे! लेकिन सब गड़बड़ हो गई। अक्षत और सांझ के बीच हुआ ये छोटा सा झगड़ा इतना बड़ा रूप ले लेगा ये किसी ने नहीं सोचा था। ऊपर से दोनों ही अपनी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे, दोनों ही एक दूसरे का चेहरा नहीं देखना चाहते थे। ठीक उसी वक्त अभिक की कोई जरूरी मीटिंग आ जाती है और उसे वहां पर जाना पड़ता है और मिटिंग में वो इतना बिजी हो जाता है कि पूरा दिन फ्री नहीं हो पाता और ना ही वो सांझ को फोन कर पाता है और ना ही अक्षत को!
जारी है.....
गातांक से आगे...
अक्षत और सांझ के बीच हुआ ये छोटा सा झगड़ा इतना बड़ा रूप ले लेगा ये किसी ने नहीं सोचा था। ऊपर से दोनों ही अपनी-अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे, दोनों ही एक दूसरे का चेहरा नहीं देखना चाहते थे। ठीक उसी वक्त अभिक की कोई जरूरी मीटिंग आ जाती है और उसे वहां पर जाना पड़ता है और मीटिंग में वो इतना बिजी हो जाता है कि पूरा दिन फ्री नहीं हो पाता और ना ही वो सांझ को फोन कर पाता है और ना ही अक्षत को!
इस बात से सांझ और अक्षत दोनों का ही मुंह और भी ज्यादा फूल जाता है। रात का वक्त... अभिक अपना काम खत्म करके थकाहारा घर लौटा था और ऊपर से सबसे ज्यादा परेशानी उसे इस बात की थी कि उसका प्यार भी उससे नाराज है और उसका दोस्त भी उससे नाराज है और पहले वो किसको मनाए यही उसके लिए बड़ी दुविधा थी। पूरा दिन खाना भी नहीं खाया था उसने! वैसे खाना तो सांझ ने भी नहीं खाया था! उधर अक्षत ने भी नहीं खाया था क्योंकि उन दोनों का मूड भी बहुत ज्यादा खराब था!
फिलहाल तो अभिक अपने कमरे में जाता है, सबसे पहले वो शावर लेता है और फिर खुद को रिलैक्स करके सीधा फोन करता है सांझ के पास! सांझ भी कहां ज्यादा देर तक गुस्सा रह सकती थी उससे! आज का दिन उसने कैसे बिताया था ये तो बस वही जानती थी! पहली ही रिंग पर वो उसका फोन उठाकर कान पर लगाते हुए बोली - "मिल गई तुम्हे अपने दोस्त से फुर्सत? आ गई याद कि इस दुनिया में तुम्हारा कोई और भी है जो तुम्हारे लिए मरा जा रहा है। दोस्त क्या आ गया तुम तो मुझे ही भूल ही गए अभिक!" सांझ उससे शिकायत करते हुए बोलती है लेकिन उसकी शिकायत में भी कितना प्यार छुपा हुआ था ये तो बस अभिक ही देख सकता था। उसकी प्यार भरी शिकायत सुनकर अभिक के होठों पर एक मुस्कान बिखर जाती है। "हे भगवान क्या लड़की बनाई है आपने, मतलब ये नहीं पूछ रही कि मैं कैसा हूं कैसा नहीं, मैंने कुछ खाया है या नहीं बस फोन उठाया और शिकायतें करना शुरू!"
"हां हां अब तो तुम्हें मेरी बातें भी शिकायतें ही लगेंगी।" सांझ एक बार फिर उसको सुना देती है।
"सांझ प्लीज ना! बस ना। छोड़ दो ना इस बात को, तुम्हें पता है ना कि नहीं रह सकता मैं तुम्हारे बिना! तुम्हें पता है आज मैंने पूरा दिन कुछ नहीं खाया। ऊपर से काम में इतना बिजी हो गया कि पहले तुम्हें फोन भी नहीं कर पाया और अब फुर्सत मिली तो सीधा तुमको फोन मिला दिया और तुम हो कि..." ये कहते हुए वो चुप हो जाता है। उसकी बातों में सांझ को सच्चाई साफ नजर आ रही थी। "वैसे खाना तो मैंने भी नहीं खाया आज" वो धीरे से बोलती है। ये सुनकर अभिक प्यार से उसे डांटते हुए बोला - "तुम पागल हो? ऐसे खाना पीना कौन छोड़ता है यार? मैं तो काम में फस गया था इसलिए तुम्हें पहले नहीं मना पाया वरना मैं झट से तुम्हारे पास आ जाता लेकिन तुम... चलो तुम फटाफट से पहले कुछ खाओ वरना मैं तुमसे बात नहीं करूंगा।"
सांझ कुछ सोचते हुए बोली - "अच्छा बाबा ठीक है! मैं खाना खाकर तुम्हें कॉल बैक करती हूं।" इतना कहकर वो फोन कट कर देती है। "बेचारा अभिक उसने खाना भी नहीं खाया। ये सब ना उसके घमंडी दोस्त की वजह से हुआ है! लेकिन नहीं हमारी सुबह जरूर खराब हो गई थी लेकिन अब मैं रात खराब नहीं होने दूंगी।" ये कहती हुई वो फटाफट से उठती है और किचन में जाकर अपने लिए और अभिके लिए खाना पैक करने लगती है।
सांझ से बात करने के बाद अभिक अक्षत को फोन मिलाता है और अक्षत भी बेसब्री से उसके फोन का इंतजार कर रहा था! वो फोन उठाते के साथ ही बोला - "मिल गई फुर्सत? आ गई दोस्त की याद? मुझे तो लगा कि तू तो मुझे बिल्कुल ही भूल गया है। लड़की क्या आ गई तेरी जिंदगी में तूने तो मुझे पल में पराया कर दिया कमीने!" अक्षत उसे सुनाते हुए बोलता है।
अभिक अपने बाल नोचते हुए बोला - "अरे यार.. क्या लगा रखा है तुम दोनों ने? अभी-अभी बड़ी मुश्किल से सांझ को मना कर आया हूं और अब तू शुरू हो जा!"
"हां... देखा देखा पहले तूने उसे फोन किया, उसे ही मनाया दोस्त की तो कोई परवाह ही नहीं है ना?" अक्षत और भी ज्यादा मुंह बनाते हुए बोलता है! अभिक एकदम से बोला - "तू इतना बच्चा क्यों बन चुका है? यहां मैंने सुबह से कुछ खाया नहीं है, पूरा दिन मेरा खराब गया है और तू अपनी ही धुन में गाए जा रहा है, जा मैं बात नहीं करता तुझसे..." इतना कहकर वो फोन कट कर देता है! अक्षत को भी एहसास होता है कि वो कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर गया।
अगले ही पल वो भी एकदम से उठते हुए बोला - "नहीं यार! मैं इतनी दूर से लड़ने के लिए थोड़ी ना आया हूं! ये साला तो है ही पागल और ऊपर से अपने से महान पागल लड़की भी ढूंढ ली इसने। अब क्या ही कर सकते है!" फिर वो जल्दी से रेडी होता है और खाना ऑर्डर करते हुए वो भी निकल जाता है अभिक के घर की तरफ।
एक तरफ सांझ अभिक के लिए खाना लेकर आ रही थी, दूसरी तरफ अक्षत भी आ रहा था! धमाका तो एक बार फिर से होने वाला है।
इंतजार कीजिए अगले धमाकेदार एपिसोड का..
जारी है....
गातांक से आगे...
एक तरफ सांझ अभिक के लिए खाना लेकर आ रही थी, दूसरी तरफ अक्षत भी आ रहा था! धमाका तो एक बार फिर से होने वाला है!
उधर सांझ खुशी से चहकते हुए अभिक के लिए खाना लेकर जा रही थी और इधर अक्षत। और दोनों ने ही इस बारे में अभिक को नहीं बताया था। अगर बताया होता तो अभिक किसी एक को तो मना कर ही देता। लेकिन नहीं, इतनी जल्दी तो ये आफत उसकी जिंदगी से जाने वाली नहीं है।
खैर, खाना लेकर पहले सांझ अभिक के घर पहुंचती है! वो अपने ड्राइवर के साथ आई थी लेकिन उसने अभिक के घर से कुछ दूरी पर गाड़ी रुकवा दी थी और ड्राइवर को वापस भेज दिया था क्योंकि उसे पता था की वापसी में तो अभिक उसे छोड़ ही देगा! अभिक बस कपड़े बदलकर अभी नीचे आया ही था कि तभी डोर बेल बजती है।
अभिक घड़ी में टाइम देखते हुए, "इस वक्त कौन आया होगा?"
कंचन जो सोफे पर बैठी थी, "तू देख तब तक मैं तेरे लिए खाना लगाती हूं।"
"नहीं मां, आज मेरा खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है।" ये कहता हुआ वो दरवाजा खोलता है लेकिन जैसे ही दरवाजा खुलता है और सामने सांझ को देखकर वो हैरान रह जाता है। सांझ ने उसकी बात सुन ली थी, वो अंदर आते हुए पूरे हक के साथ उसका कान खींचते हुए, "ऐसे कैसे खाने का मन नहीं है? सुबह से तुमने कुछ नहीं खाया है और काम दुनिया भर का किया है और खाने का तुम्हारा मन नहीं है? खाना तो तुम्हें पड़ेगा ही, ये देखो मैं कितने प्यार से तुम्हारे लिए खाना लेकर आई हूं।" वो उसका कान खींचते हुए बोलती है।
"आहह, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, सांझ प्लीज छोडो!"
दोनों की प्यार भरी नोक झोक देखकर कंचन हंस देती है। "बिल्कुल सही कह रही हो तुम बेटा, ये ऐसा ही करता है, एक नंबर का लापरवाह है! अब तुम ही इसे सुधार सकती हो।"
ये देखकर अभिक एकदम से, "क्या मां आप भी हमेशा इसकी हां में हां मिलने लग जाती हो!" अभिक अपना कान छुड़वाते हुए बोलता है! जैसे ही सांझ उसका कान छोड़ती है तभी वो झट से उसका कान पकड़ते हुए, "सांझ की बच्ची खाना तो तुमने भी नहीं खाया ना? तो ये लापरवाही नहीं है, काम तो तुम भी करती हो ना? तुम भी तो अपना ध्यान नहीं रखती।" वो भी उसे प्यार भरी डांट लगाता है और फिर आहिस्ता से उसका कान छोड़ देता है।
कंचन दोनो को देखते हुए, "तुम दोनों ही एक जैसे हो।" ये कहते हुए कंचन सांझ के पास जाती है और सांझ झट से उसके गले लग जाती है।
"चलिए आप दोनों जल्दी से बैठ जाइए, मैं फटाफट से खाना लेकर आती हूं।" ये कहती हुई वो किचन में जाने लगती है!
पीछे से कंचन, "अरे नहीं बेटा, मैंने तो टाइम से ही खा लिया था क्योंकि मुझे दवाई खानी होती है! मैं तो जा रही हूं सोने अब तुम दोनों लड़ो-झगड़ो, एक दूसरे को मनाओ, एक दूसरे को खाना खिलाओ, मैं तो चली अपने कमरे मे!" ये कहकर वो अपने कमरे में चली जाती है। अभिक घर का दरवाजा बंद करता है और एकदम से सांझ को बाहों में पकड़ कर अपने करीब करता है और आहिस्ता से अपने होंठ उसके कान पर रखते हुए, "सॉरी शोना, जोर से खींच दिया ना?" उसकी छुअन से सिहर उठती है सांझ और एकदम से उसे धक्का देकर किचन में भाग जाती है। शर्म से उसका चेहरा गुलाबी हो गया था। उसकी हरकत पर अभिक मुस्कुरा उठता है और वो अपने बालों में हाथ घूमाता हुआ उसके पीछे जाता है और देखता है कि सांझ खाना प्लेट में निकाल रही है।
अभिक उसके पीछे जाता है और पीछे से बाहों में भरता है और उसके खुले बालों को एक साइड कंधे पर करते हुए, "आई मिस यू सो मच शोना! तुम नहीं जानती कि आज पूरा दिन कितना बेचैन रहा मैं तुम्हारे बिना! मैं ही जानता हूं कि कैसे बिताया है आज का दिन मैने!"
ये कहता हुआ वो उसे और भी कसकर पकड़ लेता है और अपने होठ उसके कंधे पर रख देता है। सांझ की आंखें खुद ब खुद बंद हो जाती है। दोनो एक दूसरे की करीबी से मदहोश हो रहे थे। अभिक उसे छोड़ ही नहीं रहा था! वो लगातार उसके कंधे को चूम रहा था जो काफी था सांझ को पागल करने के लिए। वो झट से पीछे पलटती है और एकदम से उसके सीने से लग जाती है! उसके सांसे बहुत तेज चल रही थी। दिल इतनी जोर से धड़क रहा था जैसे अभी उछल कर बाहर आ जाएगा।
ऐसा ही कुछ हाल अभिक का था। वो उसका चेहरा अपने हाथों में भरता है और उसके होठों पर झुकने लगता है। सांझ एकदम से अपनी आंखें बंद कर लेती है। अगले ही पल अभिक के होठों का एहसास उसे अपने माथे पर महसूस होता है। ये देखकर उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है और वो आंखें खोल कर उसकी तरफ देखती है। अभिक अपनी बांहे उसके गले में डाल देता है और उसके माथे से अपना माथा जोड़ते हुए, "तुम मुझे कभी मना क्यों नहीं करती हो खुद के करीब आने से? मैं बहक गया तो?"
सांझ मुस्कुराते हुए, "खुद से ज्यादा भरोसा है तुम पर अभिक!" ये कहती हुई वो उसके सीने से लग जाती है और अभिक भी कसकर उसे अपनी बांहो में भर लेता है। कुछ देर दोनों ऐसे ही एक दूसरे को महसूस करते हैं।
तभी सांझ को याद आता है कि वो तो उसके लिए खाना लेकर आई थी जो कि ठंडा हो रहा है। "हे भगवान इस लड़के के चक्कर में ना मैं सब कुछ भूल जाती हूं।" वो उसे खुद से दूर करते हुए बोलती है और फिर फटाफट से खाना प्लेट में निकालते हुए, "तुम ऊपर कमरे में चलो, मैं खाना लेकर आ रही हूं।"
अभिक एकदम से, "ऐसे कैसे मैं भी तुम्हारी हेल्प करूंगा, हम दोनों साथ में चलते हैं!" एक प्लेट वो पकड़ लेता है और दूसरी प्लेट सांझ और दोनों ऊपर चले जाते हैं। और दरवाजा बंद। ठीक उसी वक्त घर की डोरबैल फिर से बजती है लेकिन अभिक के कमरे का दरवाजा बंद होने की वजह से उसे सुनाई नहीं देती।
कंचन जो कि अभी सोई नहीं थी वो उठती है और अपने कमरे से बाहर आती है। वो गेट की तरफ जाते हुए, "अब कौन आ गया?" ये कहती हुई वो दरवाजा खोलती है और सामने अक्षत खड़ा था! अक्षत उसे देखते ही, "मां, मां" कहता हुआ उससे लिपट जाता है।
"तू कब आया? और मुझे बताया भी नहीं तुम दोनों ने।"
अक्षत अंदर आते हुए, "आपका बेटा ना सब कुछ भूल चुका है! ना उसे अपने खाने का होश है और ना ही अपने दोस्त का! ये देखो अब मैं उसके लिए खाना लेकर आया हूं। मैं आपसे बाद मे मिलता हूं! पहले मैं उस डफर को खाना खिला दू।" वो बिना उसकी बात सुने झट से ऊपर चला जाता है!
कंचन उसे रोकने की कोशिश करते हुए, "सुन तो, ऊपर तो सांझ..." जब तक वो अपनी बात पूरी करती तब तक वो वहां से जा चुका था।
कंचन दरवाजा बंद करते हुए, "इन बच्चों का कुछ पता नहीं चलता।" इसके बाद वो फिर से अपने कमरे में चली जाती है।
ऊपर कमरे में सांझ और अभिक एक दूसरे के कुछ ज्यादा ही करीब बैठे हुए थे और दोनों एक दूसरे को अपने हाथ से खिला रहे थे। ना तो सांझ ने एक बार भी अक्षत जिक्र किया और ना अभिक ने! पहले तो अभिक ने सोचा था कि वो इस बारे में उससे बात करेगा लेकिन फिर ये सोचकर नहीं बोला कि पहले खाना खा लेते हैं बाद में इसे समझाऊंगा। लेकिन इससे पहले कि वो उसे कुछ समझा पाता या इस बारे में बात कर पाता, तभी अक्षत एकदम से कमरे का दरवाजा खोल देता है! वो पहले भी जब वहां आता था तो बिना नोक किए अंदर चला जाता था क्योंकि उन दोनों दोस्तों में इन चीजों का कोई मतलब नहीं था! और वैसे भी उसे थोड़ी पता था कि इतनी रात को वहां सांझ हो सकती है।
अब जैसे ही वो दरवाजा खोलता है और अंदर सांझ को देखता है तो हैरान रह जाता है और ऊपर से उन दोनों को ऐसे एक दूसरे के करीब देखकर वो झट से अपना चेहरा फेर लेता है। अभिक और सांझ एकदम से हड़बड़ा जाते हैं। अब उन्हें थोड़ी पता था कि कोई ऐसे ऊपर आ जाएगा वरना वो अंदर दरवाजा लॉक कर लेते!
उसे देखकर अभिक एक दम से उठते हुए, "अक्षत तू यहां इस वक्त? बाहर क्यों खड़ा है अंदर आ ना!"
इतने में सांझ खुद को सही करते हुए आराम से बैठ जाती है लेकिन अक्षत को देखकर उसका मुंह जरूर बन गया था! वो मन में, "इसे चैन नहीं है, हमेशा हम दोनों के रोमांटिक मूमेंट खराब करने आ जाता है।"
वहीं सांझ को देखकर भी अक्षत का मुंह बन गया था क्योंकि वो कितना खुश था कि कुछ पल अपने दोस्त के साथ बिताएगा, पुरानी यादें ताजा करेगा, लेकिन यहां तो! वो अंदर आते हुए, "तेरे लिए खाना लाया था। पर तू तो पहले ही खाना खा चुका है। चल छोड़ मैं चलता हूं।" इतना कहकर वो वहां से जाने लगता है।
अभिक अच्छी तरह जानता था कि जब मैंने पूरा दिन खाना नहीं खाया तो अक्षत ने भी नहीं खाया होगा! वो एकदम से उसका हाथ पकड़ते हुए, "अरे हमने बस अभी शुरू किया है, तू बैठ और हमारे साथ खाना खा!" वो भी तो चाहता था कि दोनों के बीच का झगड़ा खत्म हो जाए। लेकिन ये झगड़ा इतनी जल्दी तो खत्म होने वाला लगता नहीं।
अभिक की बात सुनकर सांझ घूरकर उसकी तरफ देखती है। अभिक आंखों ही आंखों में उससे रिक्वेस्ट करता है कि प्लीज ना। अक्षत का भी मन नहीं था वहां रुकने का लेकिन जब वो आ ही गया था और अभिक ने उसे रोक लिया था तो बेचारा क्या करता! हालांकि वो मना करता है कि नहीं मैं चलता हूं पर अभिक उसकी एक नहीं सुनता। ना चाहते हुए उसे वहां बैठना पड़ता है और मन मार कर सांझ को भी उसे बर्दाश्त करना पड़ता है। दो पल के लिए वहां बिल्कुल खामोशी छा जाती है! तीनों को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले!
सांझ एकदम से वहां से उठते हुए, "मैं दूसरी प्लेट लेकर आती हूं।"
लेकिन अभिक उसे रोकते हुए, "अरे नहीं नहीं कहीं जाने की जरूरत नहीं है! ये 2 प्लेट है तो सही।"
"तुम इस प्लेट में खाओ और हम दोनों तो एक ही प्लेट में खा लेंगे क्यों अक्षत?" बदले में अक्षत बस मुस्कुरा देता है। जबकि सांझ उसकी मुस्कुराहट से और अभिक की बात से चिढ़ जाती है। वो मन में, "हां हां खाओ खाओ, अपने इस बदतमीज और घमंडी दोस्त के साथ ही खाओ! शादी के बाद भी इसी के साथ खाना और इसी के साथ ही सो जाना डफर....😂"
जारी है ...🙏🙏
सांझ एकदम से वहां से उठते हुए बोली, "मैं दूसरी प्लेट लेकर आती हूं।"
लेकिन अभिक उसे रोकते हुए बोला, "अरे नहीं, नहीं, कहीं जाने की जरूरत नहीं है! ये दो प्लेट हैं तो सही। तुम इस प्लेट में खाओ और हम दोनों तो एक ही प्लेट में खा लेंगे, क्यों अक्षत?"
बदले में अक्षत बस मुस्कुरा देता है, जबकि सांझ उसकी मुस्कुराहट से और अभिक की बात से चिढ़ जाती है। वह मन में बोली, "हां, हां, खाओ खाओ, अपने इस बदतमीज और घमंडी दोस्त के साथ ही खाओ! शादी के बाद भी इसी के साथ खाना और इसी के साथ ही सो जाना, डफर....!"
सांझ मन ही मन इरिटेट होते हुए बोल रही थी! जबकि अभिक की बात सुनकर अक्षत तो खुशी से फूला नहीं समा रहा था! उसे इस बात की इतनी खुशी हो रही थी कि उसका दोस्त उसके साथ खाएगा ना कि अपनी गर्ल फ्रैंड के साथ और उसकी ये खुशी उसके चेहरे से भी पता चल रही थी, जो कि सांझ भी देख पा रही थी! उसका बिल्कुल नहीं था वहां पर रुकने का पर अभिक का सोच कर वो चुप रह जाती है!
अक्षत एकदम से बोला, "तू ये खा ना! तेरे लिए मैं तेरा फेवरेट शाही पनीर लेकर आया हूं।"
ये सुनते ही सांझ तुनक कर बोली, "मैं भी उसके लिए वही लेकर आई हूं।"
"तो? तुम क्या चाहती हो कि मेरा दोस्त सिर्फ तुम्हारा लाया हुआ खाना खाएगा, मैं उसके लिए इतने प्यार से खाना लेकर आया हूं उसका कोई मतलब नहीं है?" अक्षत भी उसे जवाब दे देता है।
ये सुनते ही सांझ बोली, "प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी? तुम हर बात को गलत ही क्यों समझते हो? तुम्हारा लाया हुआ खाना, खाना और मेरे खान का कोई मतलब नहीं?" सांझ उसे आंखे दिखाते हुए बोलती है!
अक्षत भी उसे घूरते हुए बोला, "देखो तुम्हारा ना अब ज्यादा हो रहा है.." वो दोनों एक बार फिर शुरू हो गए थे! ये देखकर अभिक अपना सर पीट लेता है कि ये दोनों कब सुधरेंगे और दोनों का ये बचपना कब खत्म होगा? वह एकदम से दोनों को शांत करते हुए बोला, "अरे बस करो तुम दोनों, सुबह भी तुम्हारी वजह से कुछ खा पाया था अब तुम दोनों फिर शुरू हो गए! अरे बाबा हम सब मिलकर खा लेंगे ना? मैं तुम्हारा लाया हुआ खाना भी खाऊंगा और तुम्हारा लाया हुआ भी! बस अब खुश दोनों? अब खाना शुरू करें?" वह दोनों को समझाते हुए बोलता है।
सांझ और अक्षत जो एक दूसरे को घूर रहे थे, वो गुस्से से अपना अपना चेहरा फेर लेते है! इसके बाद वो तीनों खाना शुरू करते हैं! अक्षत और अभिक एक साथ एक ही प्लेट में खा रहे थे और सांझ अलग प्लेट मे! अभिक कभी सांझ से बाते कर रहा था तो कभी अक्षत से! असल में वो कोशिश कर रहा था कि ऐसी कोई बात चलाई जाए जिससे ये दोनों भी बातों में इंवॉल्व हो जाए और इनकी भी दोस्ती हो जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता! ना तो अक्षत सांझ की किसी बात पर कोई जवाब देता है और ना ही सांझ उसकी किसी बात पर ध्यान देती है। दोनों का रवैया देखकर अभिक मन में सोचता है, "ऐसे कैसे चलेगा? ये दोनों तो बच्चों से भी ज्यादा जिद्दी हैं और दोनों ही मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है! मैं दोनों के बिना नहीं रह सकता।"
कुछ देर में तीनों ही खाना खा चुके थे! सांझ बर्तन उठाते हुए बोली, "मैं बर्तन नीचे किचन में रख कर आती हूं और फिर मुझे लेट हो रहा है मुझे जाना भी है।"
अभिक उसकी हेल्प करते हुए बोला, "अरे मैं तुम्हारी हेल्प करता हू, मैं भी आ रहा ही तुम्हारे साथ!"
ये देखकर अक्षत मन ही मन बोला, "हां हां इसकी तो बड़ी हेल्प हो रही है मेरी तो आज तक कभी हेल्प नहीं कि इसने!"
सांझ और अभिक बर्तन उठाकर नीचे चले जाते हैं! उनके पीछे-पीछे अक्षत भी चला जाता है! वह अकेला बैठकर वहां क्या करता? वैसे उसको भी अब अपने घर जाना था। अभिक सीढियो से नीचे उतर रहा था तभी एकदम से उसका पैर मुड़ जाता है और वो दर्द के मारे चिल्ला पड़ता है। उसके पैर में मोच आई थी! ये देखकर सांझ और अक्षत दोनों ही घबरा जाते हैं और दोनों उसे संभालते हुए सोफे तक लेकर आते हैं और आराम से वहा बिठा देते है! अभिक को बहुत दर्द हो रहा था।
सांझ जल्दी से ड्राअर में रखी एक स्प्रे लेकर आती है और उसके पैर पर लगाते हुए बोली, "तुम बहुत लापरवाह हो अभिक! अपना जरा भी ध्यान नहीं रखते, कितनी बार तुमसे कहा है कि सीढिओ से उतरते समय ध्यान रखा करो, लेकिन तुम मेरी सुनते नहीं हो ना।" वह साथ-साथ उसके पैर पर स्प्रे लगा रही थी और साथ-साथ उस पर गुस्सा कर रही थी।
अभिक उसे शांत करते हुए बोला, "अरे यार जानबूझकर थोड़ी करता हू, मुझे क्या खुशी मिली है खुद को चोट लगवा कर!"
"तू चुप रह! बिल्कुल सही कह रही है वो...बीस बार तो मैंने तुझे समझाया है कि सीडीओ से आराम से उतरा कर लेकिन तू सुनता है कभी? तू है ही एक नंबर का लापरवाह!" इस बार अक्षत सांझ की हां में हां मिलाते हुए बोलता है!
ये देखकर अभिक मन में सोचता है, "वैसे तो इन दोनों को एक दूसरे की कोई बात पसंद नहीं आ रही थी! एक दूसरे से बात नहीं कर रहे थे और अब मुझे डांटने का नंबर आया तो कैसे सुर में सुर मिल रहे हैं दोनों के!"
सांझ उसके पैर को देखते हुए बोली, "बहुत दर्द हो रहा है?"
अभिक जानता था की चोट भले ही उसे लगी है लेकिन दर्द सांझ को हो रहा है! वह उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाते हुए बोला, "इतना भी नहीं हो रहा है कि तुम्हें उदास होना पड़े। अब तुम ऐसे उदास उदास यहां से जाओगी तो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा! चलो एक प्यारी सी स्माइल दो।" वह उसका मूड सही करते हुए बोलता है!
अभिक की बातें सुनकर अक्षत वहां से दूसरी तरफ चला जाता है क्योंकि उससे बर्दाश्त नही हो रहा था ये सब! वह दूसरी तरफ जा रहा था और बड़बड़ाते हुए बोला, "क्या बकवास है ये, प्यारी सी स्माइल दो, उदास मत हो, ऐसे अच्छी नहीं लगती हुह...! अरे मुझे तो ये किसी भी एंगल से अच्छी नहीं लगी पता नहीं इसको कैसे अच्छी लग गई?" वह अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन सांझ पर उतारते हुए बोल रहा था।
कुछ देर तक भी जब अभिक और सांझ की बातें खत्म नहीं होती तो वो इरिटेट होते हुए दोनों के पास जाता है और अभिक के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए बोला, "चल तुझे तेरे रूम मे छोड़ दूं, बाद में तू अकेला कैसे जाएगा?"
ये सुनकर अभिक बोला, "अरे नहीं यार मुझे सांझ को भी छोड़ कर आना है अभी! मैं मैनेज कर लूंगा।"
सांझ एकदम से बोली, "नहीं नहीं तुम्हारे पैर में बहुत ज्यादा लगी है .. तुम कहीं नहीं आ रहे हो! मैं अपने आप चली जाऊंगी, तुम परेशान मत हो।" वह उसे मना करते हुए बोलती है!
"अरे बाबा तुम पागल हो गई हो? जो इतनी रात को अकेले जाओगी और मैं तुम्हें जाने दूंगा? और मुझे इतनी भी नहीं लगी है कि मैं गाड़ी ना चला सकू!"
पर सांझ उसकी किसी भी बात पर राजी नहीं होती। वह उसे मना करते हुए बोली, "नो मिंस नो! मैं चली जाऊंगी अभिक, डॉन'टी वरी।"
पर तभी अभिक के दिमाग में एक आईडिया आता है- वह एकदम से बोला, "मैं भी ना खामखा परेशान हो रहा हूं! तुम्हे अक्षत छोड़ देगा!" दरअसल वो चाहता था कि अगर दोनों साथ में जाएंगे तो दोनों का झगड़ा खत्म हो जाए। अब साथ में जाएंगे तो थोड़ी बहुत बातचीत तो करेंगे ही! शायद इसी बहाने दोनो की दोस्ती हो जाए!
लेकिन ये सुनकर सांझ एकदम से बोली, "क्या कहा तुमने? मैं और इसके साथ, इसकी गाड़ी में? नैवर...! मैं पैदल चली जाऊंगी, लेकिन इसके साथ नहीं जाऊंगी।"
उसकी बात सुनकर अक्षत भी गुस्से से बोला, "हा तो मैं मरा नहीं रहा तुम्हे अपने साथ लेकर जाने के लिए, वो तो मेरे दोस्त ने बोला है तो मैं मना नहीं कर रहा हूं वरना तुम्हे तो मैं अपने और अपनी गाड़ी के पास भी ना फटकने दूं!"
"हा तो मैं भी मरी नही जा रही तुम्हारे साथ जाने के लिए! तुम्हारे साथ जाना तो दूर मैं तो तुम्हारी शक्ल भी ना देखूं! वो तो मैं अभिक की वजह से तुम्हें बर्दाश्त कर रही हूं।"
"बस करो, बस करो तुम दोनों! जब देखो झगड़ा, झगड़ा झगड़ा, सांझ तुम अक्षत के साथ जा रही हो ये बात फाइनल है। अब तुम एक शब्द नहीं बोलोगी इस बारे मे, तुम्हे मेरी कसम।" इस बार अभिक थोड़े गुस्से से बोलता है और ऊपर से उसने अपनी कसम भी दे दी थी!
अब तो सांझ कुछ बोल ही नहीं सकती थी! वो कुछ नही बोलती बस अपनी गरदन झुका लेती है!
उसके बाद अक्षत अभिक को उसके रूम तक छोड़ कर आता है! उसके बाद वो नीचे आता है और बिना कुछ बोले बाहर चला जाता है! मन मारकर सांझ भी उसके पीछे जाती है! वह दरवाजा बंद कर देती है और लाॅक लगा देती है! अक्षत गाडी मे उसका इंतजार कर रहा था, सांझ वहां जाती है और चुपचाप गाडी मे बैठ जाती है...! वो बात अलग थी कि ना तो वो उसके साथ जाना चाहती थी और ना अक्षत उसे अपने साथ लेकर जाना चाहता था! दोनो बस अभिक की वजह से चुप थे! खैर अक्षत गाडी स्टार्ट करता है और आगे बढ़ जाता है...
क्या लगता है, बिना लडे झगडे ये सफर खत्म होगा? या फिर कोई धमाका होगा?
जारी है....
गातांक से आगे...
अक्षत अभिक को उसके रूम तक छोड़ कर आता है! उसके बाद वो नीचे आता है और बिना कुछ बोले बाहर चला जाता है! मन मारकर सांझ भी उसके पीछे जाती है! वो दरवाजा बंद कर देती है और लॉक लगा देती है! अक्षत गाड़ी में उसका इंतजार कर रहा था, सांझ वहां जाती है और चुपचाप गाड़ी में बैठ जाती है...! वो बात अलग थी कि ना तो वो उसके साथ जाना चाहती थी और ना अक्षत उसे अपने साथ लेकर जाना चाहता था! दोनों बस अभिक की वजह से चुप थे! खैर, अक्षत गाड़ी स्टार्ट करता है और आगे बढ़ जाता है!
सांझ बैठे-बैठे यही सोच रही थी कि कैसे भी करके उसे अपना घर आने से पहले अक्षत की गाड़ी से उतरना है! क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि अक्षत को किसी कीमत पर ये पता चले कि उसकी असली पहचान क्या है! वो अपना फोन निकलती है और अपने ड्राइवर को मैसेज कर देती है कि वो इस जगह पर पहुंच जाए। वो अभी मैसेज कर ही रही थी कि तभी अक्षत की आवाज उसके कानों से टकराती है, "वैसे तुम बहुत ही ज्यादा जिद्दी और बदतमीज लड़की हो। मतलब मेरी गाड़ी तोड़ दी और बजाए मुझे सॉरी बोलने के अपना एटीट्यूड दिखा रही थी! आई कांट बिलीव कि अभिक को तुम्हारे अंदर क्या नजर आया? तुम्हारे अंदर क्या पसंद आया? वो कैसे तुम्हें झेल रहा है पिछले 2 साल से..." वो अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन उसके ऊपर निकालते हुए बोलता है!
क्योंकि उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था अभिक का सांझ के साथ घुलना मिलना, उसकी केयर करना! चिढ़ हो रही थी उसे कि कहां तो वो दोनों दोस्त हमेशा साथ रहते थे, मौज मस्ती करते थे लेकिन इस लड़की के आने के बाद अभिक कितना टाइम सिर्फ इसी को देता है! मुझे नही! उसकी ये बच्चों जैसी नादानी थी, वो बड़ा हो ही नहीं रहा था, समझना ही नहीं चाहता था सिचुएशन को कि हमेशा दिन एक जैसे नहीं रहते, हमेशा हालात एक जैसे नहीं रहते। हर रिश्ते की अपनी अपनी अहमियत होती है, हर रिश्ते का अपना अपना महत्व होता है! उसी हिसाब से हम अपने रिश्तों को बैलेंस करते हैं लेकिन अक्षत इस बात को समझना चाहता ही नहीं था।
बस इतना काफी था सांझ के गुस्से को हवा देने के लिए! वो तो पहले ही भरी बैठी थी! एक तो उसकी वजह से उनका रोमांटिक डिनर भी खराब हुआ। ऊपर से अभिक ने सांझ के साथ खाने की बजाय अक्षत के साथ खाना खाया। इस बात को भी उसने चलो नजरअंदाज कर दिया लेकिन अब अक्षत की बातें...इनको तो वो नजरअंदाज नहीं कर सकती थी! वो गुस्से से उसे घूरते हुए बोली, "व्हाट द हेल..उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। एक तो तुमने मेरी इतनी प्यारी स्कूटी जो मुझे अभिक ने गिफ्ट की थी वो स्कूटी तोड़ दी! बजाए मुझे सॉरी बोलने के, मुझसे उम्मीद कर रहे हो कि मैं तुम्हें सॉरी बोलूंगी और क्या बोला तुमने कि अभिक मुझे झेल रहा है! अरे झेल तो मैं रही हूं तुम्हें, जब से तुम हम दोनों की लाइफ में आए हो तब से...."
अक्षत बीच में ही बोला, "ओह हेलो, बीच में तो तुम आई हो हम दोनों के..."
ये सुनते ही सांझ को और भी ज्यादा गुस्सा आ जाता है, "एक्सक्यूज मी, तुम बड़े ही बतमीज हो, अरे तुम तो किसी भी एंगल से अभिक के दोस्त कहलाने लायक नहीं हो, तुम तो बिल्कुल भी उसके जैसे नहीं हो! कहां मेरा प्यारा सा अभिक, शांत, सुलझा हुआ और तुम उतने ही बदतमीज और घमंडी इंसान! एक तो मेरी पूरी मॉर्निंग खराब कर दी, फिर हमारे डिनर में भी टपक पड़े। और टपके तो टपके अलग से प्लेट लेकर नहीं खा सकते थे तुम? क्या जरूरत थी अभिक के साथ खाने की?"
ये सुनते ही अक्षत उसे आंखें दिखाते हुए बोला, "ओह हेलो...तुम बाद में आई हो, तुमसे पहले वो मेरा दोस्त है और मेरा अधिकार उस पर ज्यादा है।"
हे भगवान ये दोनों तो ऐसे लड़ रहे हैं जैसे ये दोनों अभिक की बीवियां हों। अब सांझ के लिए अक्षत को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और अक्षत के लिए भी सांझ को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।
"गाड़ी रोको। आई सेड स्टॉप द कार।" सांझ गुस्से से बोलती है! अक्षत भी झट से गाड़ी साइड में लगा देता है!
सांझ गाड़ी से बाहर निकलती है और उस पर बरसते हुए बोली, "तुम्हारे साथ जाए मेरी जूती।"
"हां तो मैं भी मरा नहीं जा रहा तुम्हें अपने साथ लेकर जाने के लिए। वो तो मैं मना नहीं कर पाया अभिक को वरना तुम्हें अपनी गाड़ी को टच भी न करने देता।"
"हां मैं तो जैसे मरी जा रही थी तुम्हारे साथ जाने के लिए, तुम्हारी इस घटिया गाड़ी में बैठने के लिए।"
"एक्सक्यूज मी ?? घटिया किसको बोला? जिंदगी में कभी देखी भी है इतनी महंगी कार।" ये सुनते ही सांझ मन में बोली, "घमंडी इंसान है, कितना घमंड है इसे अपने पैसों का और एक मेरा अभिक है, कितना प्यारा है, कितना डाउन टू अर्थ है, पैसों का तो जरा भी घमंड नहीं है इसे और ये उतना ही बदतमीज और घमंडी।" वो अभी सोच ही रही थी कि ठीक उसी वक्त उसका ड्राइवर वहां पर गाड़ी लेकर आता है जो की ब्लैक कलर की थी और उसके ब्लैक कलर के शीशे थे! मतलब के अंदर कुछ भी नहीं दिख रहा था। उसका ड्राइवर गाड़ी रोक देता है, सांझ अक्षत को घूरते हुए गाड़ी का दरवाजा खोलती है और उसमें बैठती है और वहां से चली जाती है। और वो गाड़ी अक्षत की गाड़ी से कई गुना ज्यादा महंगी थी।
"ये किसकी गाड़ी थी और ये ऐसे किसके साथ चली गई? खैर मुझे क्या...भाड़ में जाए?" इतना कह कर वो वापस अपनी गाड़ी में बैठता है और अपने घर के लिए निकल जाता है! वो अभी गाड़ी पार्क करके ऊपर अपने कमरे में पहुंचा ही था कि तभी अभिक का फोन आ जाता है। अक्षत फोन उठा कर अपने कान पर लगाता है लेकिन इससे पहले कि वो कुछ बोलता तभी सामने से अभिक बोला, "छोड़ दिया सांझ को उसके हॉस्टल?" उसका पहला सवाल यही था।
"सांझ, सांझ, सांझ इस लड़की ने तो नाक में दम कर दिया है, बावला हो गया है मेरा दोस्त। पता नहीं इस नकचढ़ी लड़की में क्या अच्छा लगा इसको?" मन ही मन वो खिझते हुए बोल रहा था। लेकिन उसकी चुप्पी और उसकी ख़ामोशी से अभिक समझ गया था कि जरूर इन दोनों में फिर से कोई झगड़ा हुआ है।
अभिक एकदम से बोला, "फिर से झगड़ा किया तूने उससे?"
बस ये सुनने की देर थी कि अक्षत उस पर बरसते हुए बोला, "बस उसी की बोली बोलने लग ना तू? तेरी नजर में भी मैं ही झगड़ालू हूं, तेरी वो प्रेमिका तो कुछ करती नहीं है, उसके मुंह में तो जुबान ही नहीं है। खबरदार तूने मेरे सामने उस लड़की की जरा सी भी तारीफ की तो वरना...बस मुझे कोई बात नहीं करनी उसके बारे में। वो खुद ही मेरे साथ जाना नहीं चाहती थी, बीच सड़क पर झगड़ा किया, फिर में गाड़ी मे से उतर गई उसके बाद कोई गाड़ी आई और वो उसमें बैठकर चली गई। बस अब अगर उसके बारे में मुझे कुछ भी पूछा ना तो मैं तुझे वही आकर पीट दूंगा।" अक्षत बहुत ज्यादा गुस्से से बोलता है!
ये सुनकर अभिका अपना माथा पीट लेता है कि क्यों उसने सांझ को अक्षत के साथ भेजा? झगड़ा कम होने की बजाय और बढ़ गया। और अभी तक तो बस उसने अक्षत का गुस्सा देखा था। अभी तो सांझ की बातें सुनना, उसका गुस्सा झेलना बाकी था।
"देख अभिक मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है। तू ना फोन रख दे बस!" इतना कह कर अक्षत फोन कट कर देता है अभी उसने फोन कट किया ही था कि इतने में अभिक का फोन रिंग करता है जो सांझ का था!
सांझ का नंबर देखते ही अभिक भगवान से बोला, "बचा लो भगवान, कहां फंस गया हूं मैं? इतना तो दो सौतने भी आपस मे नहीं लड़ती जितना ये लड़ रहे है मेरे लिए..😂"
इसके बाद वो फोन उठाकर अपने कान पर लगाता है...
जारी है....🙏🙏
गातांक से आगे....
अभी तक तो अभिक ने अक्षत का गुस्सा देखा था। अभी तो सांझ की बातें सुनना, उसका गुस्सा झेलना बाकी था।
"देख अभिक मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है। तू ना फोन रख दे बस!" इतना कह कर अक्षत फोन कट कर देता है।
अभी उसने फोन कट किया ही था कि इतने में अभिक का फोन रिंग करता है जो सांझ का था! सांझ का नंबर देखते ही अभिक भगवान से, "बचा लो भगवान, कहां फंस गया हूं मैं? इतना तो दो सौतने भी आपस में नहीं लड़ती जितना ये लड़ रहे हैं मेरे लिए.."😂
इसके बाद वो फोन उठाकर अपने कान पर लगाता है! इससे पहले कि वो कुछ बोलता उससे पहले ही सांझ उस पर बरस पड़ती है!
"सुनो अभिक आज के बाद मुझसे कभी कह मत देना अपने उस घटिया और घमंडी दोस्त से मिलने के लिए या उसके साथ कहीं जाने के लिए! अगर तुम नहीं चाहते कि मेरे हाथों तुम्हारे दोस्त का खून हो और मैं अपनी बाकी की जिंदगी जेल में बिताऊँ तो प्लीज आज के बाद उस बतमीज इंसान का नाम भी मत लेना मेरे सामने! वो तुम्हारा दोस्त है बस अपनी ये दोस्ती अपने तक ही रखो, मुझे शामिल मत करो और हम दोनों के बीच तो उसे लाने की कोशिश भी करना!" सांझ बेहद गुस्से से ये सब बोल रही थी, इतने गुस्से में तो अभिक ने सांझ को कभी नहीं देखा था! वो तो हैरान था ये सोचकर कि सांझ को भी इतना गुस्सा आता है! वो बिचारा कुछ बोल ही नहीं पाता! सांझ भी बिना उसकी बात सुने गुस्से से फोन कट कर देती है!
अभिक अपना फोन अपने सर पर मारते हुए, "ये दोनों कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ना कब बंद करेंगे? कब बड़े होंगे ये दोनों...हे भगवान आपको मैं ही मिला था फंसाने के लिए! एक की बात मानो तो दूसरा मुंह फुला लेता है, एक को मनाओ तो दूसरा रूठ जाता है! क्या क्या नहीं सोचा था मैंने कि हम तीनों साथ में खूब मस्ती करेंगे, साथ में घूमेंगे! और यहां इन दोनों ने मुझे ही घुमा दिया है! ना बाबा, अब कुछ दिन इन दोनों को एक दूसरे से दूर रखना ही सही होगा! ना एक दूसरे से मिलेंगे, ना एक दूसरे को देखेंगे! हो सकता है कुछ दिनों बाद दोनों को भी अपनी-अपनी गलती का एहसास हो और दोनों एक दूसरे से माफी मांग कर बात खत्म कर दें।" अभिक खुद से ही बोल रहा था और उसे यही रास्ता सही लगता है।
और वो ऐसा ही करता है।
अब जब भी वो सांझ से बात करता तो अक्षत का कोई जिक्र नहीं करता और अक्षत से बात करता तो सांझ का कोई जिक्र नहीं करता।
जब एक से मिलने जाता तो दूसरे को मिलने के लिए बिल्कुल नहीं बुलाता।
इसी तरह फिलहाल तीनों की जिंदगी एक बार फिर सही से चलने लगी थी। एक बार फिर अभिक और सांझ की जिंदगी में खुशियां भर गई थी, प्यार भरा गया था। और अभिक और अक्षत की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी। वैसे सांझ और अक्षत में एक खासियत थी कि ना तो सांझ उन दोनों की दोस्ती के बीच आई थी और ना अक्षत उसके प्यार के बीच। ऐसे ही दिन बीत रहे थे!
लेकिन फिर वो दिन भी आया जिसकी सांझ को बहुत ज्यादा टेंशन थी। उसकी असलियत को लेकर जो वो कबसे अभिक को बताना चाहती थी लेकिन बता नहीं पा रही थी! वो नहीं चाहती थी कि अभिक को ये सच्चाई किसी और से पता चले। इस वक्त वो अपने केबिन में थी और तेजी से अपनी उंगलियां लैपटॉप पर चला रही थी! आज वो और उसके पापा एक बहुत बड़ी प्रेजेंटेशन देने वाले थे। उसके पापा पूरे शहर में टॉप के बिजनेसमैन थे, नंबर वन पर आते थे वो। हर कोई उनके साथ बिजनेस करने के लिए तरसता था। और आज उसी के सिलसिले में उसके पापा ने एक मीटिंग रखी थी! अपने ऑफिस में, हर उस कंपनी को बुलाया था जो उसके साथ बिजनेस करना चाहते थे और उनमें से एक अभिक भी था। और सांझ को इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी। ऐसा नहीं था कि उसने पता करने की कोशिश नहीं की, जब तक उसने सारी जानकारी हासिल की थी तब तक अभिक का आना कंफर्म नहीं हुआ था! मतलब लिस्ट में उसका नाम नहीं था तो उसे लगा कि वो नहीं आ रहा है। कैसे लगता, क्योंकि उसके हिसाब से जो लिस्ट उसके हाथ में आई थी वही फाइनल लिस्ट है!
लेकिन ऐसा नहीं होता! जब वो अपने काम में पूरी तरह डूब जाती है! उसके बाद अभिक अपना आना कंफर्म कर देता है और एक नई लिस्ट जारी होती है जिसमें अभिक का भी नाम था! लेकिन वो लिस्ट सांझ तक पहुंच ही नहीं पाती!
हमेशा की तरह आज सुबह भी दोनों ने फोन पर बात की थी! और बातों बातों में अभिक सांझ को बता देता है कि आज उसकी एक बहुत जरूरी मीटिंग है तो वो उसे गुड लक विश करे। सांझ एक बार भी ये नहीं सोच पाती कि वो किस मीटिंग की बात कर रहा है। वो उसे गुड लक विश करती है। और उसके बाद दोनों ही फोन रख देते हैं और अपनी अपनी मीटिंग की तैयारी करने लगते हैं। सांझ तो पहले ही तैयार होकर ऑफिस पहुंच गई थी। इस बात से अनजान कि आज वो चाहकर भी अपनी पहचान, अपनी सच्चाई अभिक से छुपा नहीं पाएगी। और क्या रिएक्शन होगा अभिक का ये जानकर कि जो सांझ उसकी जिंदगी में एक सिंपल सी, एक मामूली सी लड़की बनकर दाखिल हुई है, असल में वो लड़की कोई मामूली नहीं है! वो तो शहर के टॉप बिजनेसमैन की बेटी है सांझ बंसल है! जो अगर चाहे तो अपने एक इशारे पर पूरा शहर खरीदने का दम रखती है।
आखिर क्यों किया सांझ ने ऐसा? क्यों अभिक से सच्चाई छुपाई और क्या उनका प्यार इतना मजबूत नहीं हुआ अभी तक जो वो अभिक को सच्चाई नहीं बता पाई! और क्या अभिक समझेगा उसकी बात? पता नहीं...शायद समझ जाए और शायद ना भी।
खैर वक्त बीत रहा था और मीटिंग की सारी तैयारियां हो चुकी थी! मीटिंग बंसल ऑफिस में ही होने वाली थी! सांझ अभी भी अपने केबिन में थी। वो सब के पहुंचने के बाद वहां पर पहुंचने वाली थी! अपने पापा का सारा बिज़नस अब वही संभाल रही थी। और जैसे उसके पापा ने बिजनेस को टॉप पर रखा हुआ था वैसे ही सांझ ने भी इस लेवल को नीचे नहीं गिरने दिया था। एक एक करके सभी कंपनियों के ओनर वहां पर पहुंचने लगे थे। लगभग वो सब पहुंच गए थे बस अभिक अभी तक नहीं आया था। बंसल साहब भी मीटिंग रूम में पहुंच गए थे बस एक अभिक का इंतजार था और एक सांझ का।
कुछ देर में अभिक वहां पर पहुंच जाता है। वो खुश भी था और थोड़ा नर्वस भी! क्योंकि इस मौके की उसे बहुत देर से तलाश थी! अब जाकर उसे ये मौका मिला था तो वो भी अपना बेस्ट देना चाहता था। वो भी सीधा मीटिंग रूम में चला जाता है। बंसल जी सबका वेलकम करते हैं। कुछ इधर-उधर की बातें करते हैं।
"मैं जानता हूं आप सब यहां मेरे कहने पर, अपना अपना बिजनेस प्रपोजल लेकर आए हैं! देखिए आप सब अपने-अपने में बेस्ट हैं लेकिन सलेक्ट कोई एक होगा। पहले आपको एक प्रेजेंटेशन दिखाई जाएगी, हमारा जो बिज़नेस प्लान है वो बताया जाएगा, उसके विहाफ पर आपको अपनी एक प्रेजेंटेशन तैयार करनी है और जो मुझे सबसे ज्यादा इंप्रेस करेगा वही मेरे साथ काम करेगा।" सबको बंसल साहब का ये ईमानदारी भरा तरीका बहुत पसंद आता है। सब उनके इस फैसले का सम्मान करते है!
अभिक जो सबसे आगे वाली कुर्सी पर बैठा था वो एकदम से खडे होते हुए, "आपका आईडिया बहुत अच्छा है सर, आपके बारे मे जैसा सुना था आप वैसे ही है! बहुत कुछ सीखने को मिलेगा हमे आप से..." सब जन अभिक की हा में हा मिलाते है!
"थैंक यू यंग मैन..." बंसल जी अभिक का कंधा थपथपाते हुए बोलता है!
"तो मिटिंग शुरू करे सर?"
"वैल..मिटिंग तो मेरी बेटी स्टार्ट करेगी! वो बस अभी आती ही होगी!" तभी कैबिन का दरवाजा खुलता है और सांझ अंदर आती है!
बंसल जी उसकी तरफ देखते हुए, "लो आ गई! मीट माई डॉटर "सांझ बंसल"।" सांझ का नाम सुनते ही अभिक झट से उसकी तरफ देखता है, तभी सांझ की नजर अभिक पर पड़ती है! उसे वहां देखकर उसके पैरो तले जमीन खिसक जाती है, चलते चलते उसके कदम वही रुक जाते है! ऐसा ही कुछ हाल अभिक का था...वो हैारानी से उसे देख रहा था!
तभी बंसल जी, "अरे बेटा रुक क्यू गई? आओ ना..." सांझ की नजरे झुकी हुई थी वो अभिक से नजरे नही मिला पा रही थी पर ये कुछ भी कहने या सुनने के लिए सही वक्त नही था! वो धीरे धीरे चलकर अपने पापा के पास जाती है!
बंसल जी उसके कंधे पर हाथ रखकर पूरे गर्व के साथ, "ये है मेरी होनहार बेटी, सांझ बंसल, जो मेरा सारा बिजनैस सम्भालती है और इसी के साथ आपको काम करना है..."
सांझ एक नजर अभिक की तरफ देखती है! बदले मे अभिक अपना हाथ उसकी तरफ बढाते हुए, "हेलो मैम...."
जारी है...🙏🙏
सांझ की नज़रें झुकी हुई थीं, वो अभिक से नज़रें नहीं मिला पा रही थी, पर ये कुछ भी कहने या सुनने के लिए सही वक़्त नहीं था! वो धीरे-धीरे चलकर अपने पापा के पास जाती है!
बंसल जी उसके कंधे पर हाथ रखकर पूरे गर्व के साथ, "ये है मेरी होनहार बेटी, सांझ बंसल, जो मेरा सारा बिज़नेस सम्भालती है और इसी के साथ आपको काम करना है..."
सांझ एक नजर अभिक की तरफ देखती है! बदले में अभिक अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए, "हेलो मैम!" पर उसकी आवाज़ में नाराज़गी, गुस्सा सब झलक रहा था! जो कि सांझ बहुत अच्छे से समझ रही थी! उसका दिल कर रहा था कि जल्दी से अभिक पास जाए, उससे बात करे, उसे समझाए, उसकी नाराज़गी दूर करे, पर किसी भी चीज के लिए ये सही समय नहीं था!
"हेलो!" सांझ धीरे से उससे हाथ मिलाते हुए बोलती है!
ये उसकी जिंदगी का पहला ऐसा लम्हा था जिसमें वो नर्वस हो रही थी, घबरा रही थी। एक पल के लिए तो उसका दिमाग खाली हो गया था! उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्या नहीं? अभिक अपनी नाराज़गी जताते हुए वापस अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है! तभी बंसल जी की आवाज़ सबके कानों में पड़ती है।
"सो जेंटलमैन - आप सब मेरी बेटी से तो मिल ही चुके हैं। सांझ बंसल, यही आपको प्रेजेंटेशन देंगी, हमारा बिज़नेस प्लान समझाएंगी। कम ऑन बेटा शुरू हो जाओ," वो उसका कंधा थपथपाते हुए बोलते हैं और फिर सामने रखी अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाते हैं। सांझ अभी भी बहुत ज्यादा घबरा रही थी!
क्योंकि ये उसका एक ऐसा सच था जो वो खुद अभिक को बताना चाहती थी, लेकिन आज अचानक से अभिक के सामने उसकी सच्चाई आ गई थी! बस यही उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और ऊपर से अभिक की नाराज़गी भी वो तो सहन नहीं सकती थी! अभिक का ऐसा मन कर रहा था कि वो भी अभी उठकर वहां से चला जाए। लेकिन अगर वो ऐसा करता तो बात बहुत बढ़ जाती, फिर वो बंसल जी को क्या जवाब देता? और फिर इस काम के लिए उसने दिन रात मेहनत की थी! वो अपनी मेहनत पर पानी नहीं फेर सकता था।
सांझ अंदर ही अंदर खुद को शांत करती है, खुद को समझाती है कि ये वक़्त नहीं है अभिक के बारे में सोचने का! ये वक़्त है अपने पापा के अधूरे सपने को पूरा करने का! वो एक गहरी सांस लेती है और फिर प्रेजेंटेशन देना शुरू करती है! इस वक़्त वो एक अलग ही सांझ लग रही थी! वो अभिक की सांझ तो कहीं से कहीं तक नहीं लग रही थी। एकदम बिजनेस वूमेन की तरह, उसकी चाल, ढाल, उसके बात करने का तरीका, प्रेजेंटेशन देने का तरीका, कोई चाहकर भी उसके काम मे गलती नहीं निकाल सकता था। पर अपने गुस्से में अभिक को ये सब बिल्कुल नजर नहीं आ रहा था।
खैर किसी तरह सांझ प्रेजेंटेशन कंप्लीट करती है! सब लोग उसकी काबिलियत को देखकर उससे बहुत इम्प्रेस होते हैं कि वाकई में अगर बंसल के साथ काम करना है तो फिर उनके जैसा दिमाग और उनके जैसे तौर तरीके अपनाने होंगे। प्रेजेंटेशन खत्म करने के बाद सांझ अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाती है जो की ठीक अभिक के सामने वाली कुर्सी थी! वो नज़रें उठाकर अभिक की तरफ देखती है जो उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था! सांझ उसे ही देख रही थी, अभिक को भी ये बात पता थी! वो एक नजर उसको देखता है बदले में सांझ धीरे से, "सॉरी!" लेकिन अभिक ने बेरुखी से अपनी नजर फेर ली। एक बार फिर बंसल जी उठकर सबके सामने आते हैं।
"सो जेंटलमैन... उम्मीद है आपको हमारा बिज़नेस प्लान समझ में आ गया होगा! अब आप लोगों के पास 1 हफ्ते का टाइम है! ठीक 1 हफ्ते बाद हम फिर से इसी जगह इकट्ठे होंगे, आप सबकी प्रेजेंटेशन देखेंगे और जैसे कि मैंने पहले ही कहा था जो मुझे सबसे ज्यादा इम्प्रेस करेगा, वही एक सेलेक्ट होगा! वैसे आप सबके लिए लंच का इंतजाम किया गया है सो लंच करके ही जाइएगा!" लेकिन अभिक के लिए आप एक पल के लिए भी रुकना भारी हो रहा था। वो अपना लैपटॉप, अपनी फाइल, अपना सामान समेटते हुए खड़ा होता है और बंसल जी की तरफ देखकर, "सॉरी सर, मैं आज लंच नहीं कर पाऊंगा, मुझे बहुत जरूरी काम है! इफ यू डोंट माइंड प्लीज।" ये कहता हुआ वो तेजी से वहां से बाहर निकल जाता है!
सांझ अच्छे से समझ रही थी कि वो नाराज होकर, गुस्सा होकर वहां से गया है। इतने में बंसल जी किसी और के साथ बात करने लगते हैं, उसके साथ बिजी हो जाते हैं! मौका देखकर सांझ झट से अभिक के पीछे जाती है। जब तक वो बाहर जाती है तब तक अभिक ऑफिस से बाहर निकल जाता है! वो बस अपनी गाड़ी में बैठने वाला ही था कि तभी एकदम से सांझ उसका हाथ पकड़ लेती है! लेकिन उसके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था! अभिक गुस्से से उसका झटकता है और बिना उसकी तरफ देखे वापस से गाड़ी में बैठने लगता है! लेकिन एक बार फिर सांझ उसका हाथ पकड़ते हुए, "प्लीज अभिक मुझे बोलने का मौका तो दो, कम से कम मेरी बात तो सुनो।" पर अभिक बहुत ज्यादा गुस्से में था! वो फिर से उसका हाथ झटकते हुए, "अब भी कुछ कहना सुनना, या देखना बाकी रह गया है? जो अंदर देखकर आ रहा हूं, सुनकर आ रहा हूं वो काफी नहीं है? सांझ बंसल जी।" लगभग वो उसे टोंट मारते हुए बोलता है!
सांझ उसकी हालत अच्छे से समझ रही थी! समझ सकती थी वो कि अभिक को कितना बुरा लगा है, उसका गुस्सा होना जायज है!
"मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा कि इन सब का क्या मतलब है? क्यूं छिपाई तुमने मुझसे ये सच्चाई? क्या कहकर पुकारु तुम्हे? अपनी सांस कहूं या सांझ मैडम कहूं?" वो बहुत ज्यादा गुस्से से बोल रहा था।
"अभिक मैं मानती हूं मेरी गलती है... पर!"
"पर क्या? पर क्या सांझ बंसल जी? तुमने झूठ बोला मुझसे, हमारे रिश्ते की शुरूवात ही झूठ से कर दी? ये ठीक नहीं किया तुमने..." इतना कहकर वो अपनी गाडी मे बैठता है और वहां से चला जाता है....
जारी है...
गातांक से आगे....
"मुझे तो समझ ही नही आ रहा कि इन सब का क्या मतलब है? क्यूँ छिपाई तुमने मुझसे ये सच्चाई? क्या कहकर पुकारूँ तुम्हे? अपनी सांस कहूँ या सांझ मैडम कहूँ?" वो बहुत ज्यादा गुस्से से बोल रहा था।
"अभिक, मैं मानती हूँ मेरी गलती है... पर!"
"पर क्या? पर क्या सांझ बंसल जी? तुमने झूठ बोला मुझसे, हमारे रिश्ते की शुरूवात ही झूठ से कर दी? ये ठीक नही किया तुमने..." इतना कहकर वो अपनी गाड़ी मे बैठता है और वहाँ से चला जाता है...!
सांझ अपनी आँसू भरी नज़रों से उसे जाते हुए देखती है! वो मन में, "वही हुआ जिसका मुझे डर था, अभिक को सच पता चल गया लेकिन गलत तरीके से पता चला! पता नही वो मेरी बात सुनेगा भी या नही!" वो वही खड़ी ये सब सोच रही थी तभी पियून उसके पास आकर, "मैम, बंसल सर आपको बुला रहे है!"
सांझ खुद पर काबू पाती है और अंदर जाती है!
अभिक बहुत गुस्से से गाड़ी चलाते हुए अपने ऑफिस की तरफ जा रहा था! उसे अभी भी यकीन नही हो रहा था कि उसकी सांझ ने उससे इतनी बड़ी बात छुपाई और वो भी बिना किसी वजह से...! आखिर क्यों किया ऐसा उसने? और 2 साल हो गए हमारे रिलेशन को, इन दो सालों में उसने एक बार भी मुझे सच्चाई से रूबरू करवाना जरूरी नहीं समझा। मतलब अभी भी मेरे प्यार में कुछ कमी है जो सांझ को मुझसे बातें छुपानी पड़ रही है। वो खुद से सही सवाल करते हुए आगे बढ़ रहा था!
उधर सांझ का भी किसी काम में मन नहीं लगता, उसे तो बहुत बेचैनी हो रही थी! उसको ये था कि जल्दी से ये लंच खत्म हो उसके बाद वो अपना बाकी का काम खत्म करे और सीधा अभिक के पास जाए और उसे मनाए।
आज अक्षत भी अपने कुछ काम में बिजी था तो उसकी भी अभिक से कुछ ज्यादा बात नहीं हुई थी। खैर किसी तरह ये दिन बीत जाता है और शाम होती है।
अभिक का मूड तो पहले ही उखड़ा हुआ था! उसका किसी काम में मन नही लग रहा था इसलिए वो वक्त से पहले ही आज घर पर आ गया था।
कंचन उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर, "क्या हुआ तुझे? इतना उदास, इतना परेशान क्यों लग रहा है? कोई बात हुई है क्या?"
अभिक सोफे पर बैठते हुए, "नही माँ, बस हल्का सा सर दर्द है और कुछ नहीं!" वो कंचन को कोई भी बात बता कर परेशान नहीं करना चाहता था।
"अच्छा चल तू हाथ मुंह धो ले, तब तक मैं चाय बनाती हूं।"
इतना कहकर वो किचन मे चली जाती हैं और अभिक अपना ऑफिस बैग लेकर ऊपर कमरे में कैमरे के अंदर! वो अभी कमरे के अंदर पहुंचा ही था कि तभी उसका फोन रिंग करता है जो की अक्षत का था। वो फोन उठाता है और अपनी बुझी बुझी आवाज में, "हां बोल भाई।"
अक्षत तो उसकी आवाज सुनकर ही पहचान गया था कि आज कोई ना कोई बात जरूर हुई है, वरना अभिक की इतनी मायूसी भरी आवाज कभी नहीं होती।
"क्या हुआ तू इतना उदास और मायूस क्यों लग रहा है? सब ठीक है ना?"
"हां सब ठीक है बस एक मीटिंग में फस गया था तो बहुत थक गया हूं! सर दर्द कर रहा है।" अभिक उसे कुछ भी नहीं बताता और बताने का कोई मतलब भी नहीं बनता था! ये उसके और सांझ के बीच की बात है, इन दोनो मे किसी और का क्या काम! बस इसलिए वो उसे भी कुछ नही बताता!
भले ही वो सांझ के साथ नाराज था, उससे गुस्सा था लेकिन उसकी रेपुटेशन का ख्याल भी उसे पूरा था! सांझ के साथ उसकी नाराजगी थी लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि वो उसकी बुराई करना शुरू कर दे। लेकिन अक्षत को उसकी बात से पता चल जाता है कि वो झूठ बोल रहा है!
"देख अभिक तू नहीं बताना चाहता तो वो बात अलग है लेकिन मैं जानता हूं कि तू झूठ बोल रहा है।"
अभिक गहरी सांस लेकर, "कुछ नहीं बस सांझ के साथ थोड़ी लड़ाई हो गई है और कुछ नहीं। चल मैं तुझे बाद में फोन करता हूं" इतना कहकर अभिक फोन कट कर देता है।
सांझ के जिक्र से भी अक्षत चिढ़ जाता है! "उस लड़की को झगड़ा करने के अलावा कुछ नहीं आता, पता नहीं अभिक को क्या नजर आता है इसमें? बेचारा मेरा दोस्त, अच्छी हंसी जिंदगी चल रही थी पता नहीं ये झगडालू लड़की कहां से हम दोनों के बीच आ गई!" बड़ बड़ करते हुए वो वापस अपना काम करने लगता है उधर सांझ ने एक-एक पल कैसे काटा था!
ये तो बस वही जानती थी! जितनी जल्दी हो सके वो अपना सारा काम खत्म करती है, घर जाती है अपने कपड़े चेंज करती है और फिर निकल जाती है अभिक के पास जाने के लिए! आज पूरा दिन उसने कुछ नहीं खाया था! उसे बस यही टेंशन हो रही थी कि अभिक बस एक बार उसकी बात सुन ले, उसकी बात समझ जाए और जल्दी से जल्दी अपनी नाराजगी खत्म कर दे।
कंचन ने अभी चाय बनाई ही थी कि तभी घर की डोर बेल बजती है।
दरवाजा खोलती है तो सामने सांझ खड़ी थी। उसे देखते ही कंचन खुश हो जाती है। हमेशा की तरह वो उसे अपने सीने से लगा लेती है! उसके अंदाज से उसके हाव भाव से सांझ समझ जाती है कि अभिक ने कंचन को कुछ नहीं बताया है।
"अभिक कहां है माँ?" वो उससे पूछती है!
"अच्छा हुआ तू आ गई! बोल रहा था बहुत सर में दर्द है, चेहरा भी उतरा हुआ है! मैंने उसके लिए चाय बनाई है ले ऊपर ही ले जा, तेरे लिए भी एक कप रख दिया है पी लेना।" वो प्यार से उसका गाल थपथपाते हुए बोलती है।
उसकी बात पर सांझ मुस्कुरा देती हैं!
"अच्छा बेटा मुझे कुछ काम से राधा मौसी के पास जाना है तू अभिक को बता देना!" इतना कहकर वो वहां से चली जाती है! सांझ दरवाजा बंद कर देती है और फिर चाय लेकर ऊपर अभिक के पास जाने लगती है!
अभिक अभी हाथ मुंह धोकर कपड़े बदलकर वॉशरूम से बाहर आया ही था! इतने में सांझ उसके कमरे में पहुंच जाती है। अभिक नाराजगी से उसकी तरफ देखता है और फिर बेरूखी से, "ओह हो सांझ बंसल जी, अपना कीमती समय निकालकर यहां आने की तकलीफ कैसे की आपने मैडम जी?" एक बार फिर वो उसे टोंट कसते हुए बोलता है।
सांझ चाय के कप टेबल पर रखती है और अभिक के पास जाकर उसके दोनों हाथ पकड़ते हुए, "प्लीज अभिक एक, बस एक बार मेरी बात सुन लो! मैं जानती हूं मैंने बहुत बड़ी गलती की है, मुझे तुम्हें ये सब पहले ही बता देना चाहिए था! लेकिन हिम्मत ही नहीं हुई, डरती थी कि पता नहीं तुम समझोगे या नहीं? नाराज हो जाओगे, गुस्सा हो जाओगे कहीं मुझे छोड़ ना दो, क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती! मैं खुद तुम्हें ये सब बताना चाहती थी लेकिन पता नहीं क्यों मैं नहीं बता पाई और तुम्हारे सामने इस तरीके से सच्चाई आ जाएगी ये मुझे नहीं पता था! प्लीज एक बार मेरी बात सुन लो।" वो उससे रिक्वेस्ट करते हुए बोल रही थी यहां तक कि उसकी आंखों में आंसू भी आ गए थे।
अभिक को बहुत तकलीफ हो रही थी! लेकिन इस वक्त उसका गुस्सा उस पर हावी था। वो उसके हाथ झटक देता है और वहां से उठकर बाहर बालकनी में जाते हुए, "मैंने तुमसे कह दिया ना मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी, कुछ नहीं सुनना मुझे, कुछ नहीं जानना। मुझे सिर्फ इतना पता है कि तुमने मुझसे झूठ बोला! अभी भी हमारे प्यार में वो मजबूती वो विश्वास नहीं आया है जो तुम मुझसे खुलकर अपनी सारी बातें बता सको! मैंने अपनी जिंदगी का एक एक पन्ना तुम्हारे सामने खोल कर रख दिया सांझ और तुमने मुझसे इतनी बड़ी बात छुपाई? इतना ही भरोसा करती हो तुम मुझ पर?" बेहद गुस्से को बोलता है अभिक और फिर बाहर बालकनी में चला जाता है!
सांझ जानती थी कि उसकी कही एक-एक बात, एक-एक लफ्ज सच है! अभिक ने उससे नहीं छुपाया था, उसे अपनी जिंदगी से जुड़ा हर अच्छा बुरा पहलू, सब चीजों से उसके सामने रखी थी। उसका गुस्सा होना जायज था। वो उसके पास जाती हैं और उसके पास खड़ी होकर अपना हाथ उसके हाथ पर रखते हुए, "अपने पापा की इकलौती बेटी हूं और लाडली भी बहुत हूं! करोड़ो की जायदाद है मेरे नाम पर लेकिन रिश्तों के नाम पर मैंने अपने आसपास सिर्फ उन लोगों को पाया है जिन्हें मुझसे नहीं मेरे पैसों से मतलब है! मेरी जायदाद से मतलब है। चाहे उन्हें मेरे दोस्त कह लो, या रिश्तेदार कह लो हर कोई मेरे पास सिर्फ अपने मतलब के लिए आता था, अपने मतलब के लिए मुझसे दोस्ती करता था। और मैं पागल रिश्तो की कच्ची उन पर आसानी से भरोसा कर लेती थी और जितनी बार मैंने भरोसा किया उसके बाद मैंने धोखा ही खाया! वो तो चलो ये इतने खास रिश्ते नहीं थे! लेकिन एक जीवनसाथी का रिश्ता मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पापा मेरे लिए एक ऐसा लड़का ढूंढें या मैं खुद अपने लिए कोई ऐसा लड़का ढूंढ लो जिसे मुझे नहीं मेरे पैसों से प्यार हो। इसलिए मैंने फैसला लिया था कि अब से मैं अपनी पहचान छुपा कर रखूंगी और मैंने ऐसा ही किया! अपनी पहचान छुपाई, जानबूझकर बैंक में एक मामूली सी जॉब की और लोगों को परखा! तब मुझे पता चला कि दुनिया कितनी फरेबी है, कितनी मतलबी है, दो दो चेहरे लेकर घूमती है! लेकिन उन सब में तुम एक अलग थे। तुम वैसे ही थे जैसे जीवनसाथी कि मुझे तलाश थी, तुम्हारे ऊपर आकर मेरी तलाश खत्म हुई अभिक। तुम वो हो जिसने सांझ बंसल से नहीं एक मामूली सांझ से प्यार किया, वो भी दिल से किया। इसलिए मैं इस कदर तुम्हारे प्यार में पागल हो चुकी हूं। एक सच्चा हमसफ़र चाहती थी जो जीवन की हर परिस्थिति में मेरा साथ निभाए, बस इसलिए मैंने अपनी पहचान तुम्हे नहीं बताई थी। बताना चाहती थी पर कभी मौका नहीं मिला, कभी हालात नहीं थे तो कभी मैं डर गई। बस यही मेरी सच्चाई है, इतनी सी बात है इससे ज्यादा कुछ भी नहीं!"
"मैं मानती हूं कि मैंने गलती की है मुझे तुम्हें पहले सब बता देना चाहिए था। लेकिन तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं हुआ सांझ तुम अब भी मुझे परख रही थी। 2 साल से हम रिलेशन में है और 2 साल में तुम्हें कभी नहीं लगा कि तुम्हें मुझे सच्चाई से रूबरू करवा देना चाहिए! इसका मतलब अभी भी तुम्हें मेरे प्यार पर भरोसा नहीं हुआ है।" अभिक काफी गुस्से से बोलता है!
"नहीं अभिक ऐसा बिल्कुल नहीं है, तुम समझने की कोशिश..."
अभिक बीच में ही उसे अपना हाथ दिखाकर रोकते हुए, "मैं बहुत कुछ समझ चुका हूं, बहुत कुछ देख चुका हूं, बहुत कुछ सुन चुका हूं। अब मुझे ना कुछ देखना है, ना सुनना है और ना समझना है! तुम बस चली जाओ यहां से.. मैं नहीं चाहता कि मैं गुस्से में तुम्हें कुछ भी उल्टा सीधा बोल दूं।"
"तुम्हे मुझे जितना सुनाना है, सुना लो जितना डांटना है डांट लो पर मुझे खुद से दूर मत करो प्लीज अभिक, एक बार मेरी जगह आकर देखो प्लीज।" सांझ रोते हुए बोल रही थी।
"मैं सब समझ रहा हूं सांझ, तुम्हारी जगह जाकर भी देख चुका हूं लेकिन मैं अगर तुम्हारी जगह होता तो इतना वक्त नहीं लगता सच बताने में। जिस दिन तुम्हे मेरे प्यार पर यकीन हो गया था उसी दिन तुम्हें मुझे सब कुछ बता देना चाहिए था! मुझे अभी भी ऐसा लग रहा है कि तुम सिर्फ मेरा टेस्ट ले रही हो और मैं तुम्हारे टैस्ट मे पास नहीं हो पाया हूं।" ये कहता हुआ वो उसका हाथ झटक देता है...
जारी है...🙏🙏
तुम्हे मुझे जितना सुनाना है, सुना लो, जितना डांटना है डांट लो, पर मुझे खुद से दूर मत करो प्लीज अभिक, एक बार मेरी जगह आकर देखो प्लीज।" सांझ रोते हुए बोल रही थी। "मैं सब समझ रहा हूं सांझ, तुम्हारी जगह जाकर भी देख चुका हूं, लेकिन मैं अगर तुम्हारी जगह होता तो इतना वक्त नहीं लगता सच बताने में। जिस दिन तुम्हे मेरे प्यार पर यकीन हो गया था उसी दिन तुम्हें मुझे सब कुछ बता देना चाहिए था! मुझे अभी भी ऐसा लग रहा है कि तुम सिर्फ मेरा टेस्ट ले रही हो और मैं तुम्हारे टैस्ट मे पास नहीं हो पाया हूं।" ये कहता हुआ वो उसका हाथ झटक देता है और वापस कमरे में आ जाता है!
सांझ उसके पीछे जाते हुए - "प्लीज अभिक मेरी बात समझने की कोशिश तो करो।" वो फिर से उससे रिक्वेस्ट करते हुए बोलती है लेकिन अभिक के सर पर तो इस वक्त गुस्सा सवार था। वो गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए - "तुम्हे एक बार में समझ नहीं आ रहा? मैं कह दिया ना मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी, कुछ नहीं समझना, अभी के अभी यहां से चली जाओ वरना आज तुम मेरा वो रूप देखोगी जो तुमने कभी नहीं देखा होगा।" इस पर वो और भी गुस्से से बोलता है।
बदले में सांझ उसके पास जाकर प्यार से उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए - "मैं तुम्हारा हर रूप देखने के लिए तैयार हूं, सब कुछ झेलने के लिए तैयार हूं लेकिन मुझे यहां से जाने के लिए मत कहो! खुद से दूर मत करो!"
"मैं चली जाऊंगी लेकिन पहले तुम मुझे माफ कर दो! अगर तुम मुझे माफ नहीं करोगे तो मैं नहीं जाऊंगी, फिर चाहे मुझे पूरी रात यही रहना पड़े। बस एक बार, एक बार, ठंडे दिमाग से सोचो अभिक जिसने रिश्तों के नाम पर हमेशा धोखा खाया हो वो..."
अभिक बीच मे ही उसे खुद से दूर करते हुए - "मानता हूं कि तुमने रिश्तो के नाम पर हमेशा धोखा खाया है, तुम अपनी जगह सही हो। तुमने अपना हर कदम बहुत ही सोच समझ कर रखा लेकिन मेरी एक बात का जवाब दो सांझ - क्या पिछले 2 साल में कभी तुम्हें मेरे प्यार पर यकीन नहीं हुआ? कभी मुझ पर यकीन नहीं हुआ? जब तुम्हें मुझ पर विश्वास ही नहीं है, तुम्हें मेरे प्यार पर भरोसा ही नहीं है तो फिर किस हक से तुम मुझ पर हक जता रही हो?"
"नहीं अभिक ऐसा बिल्कुल नहीं है! मुझे तुम पर खुद से ज्यादा भरोसा है और तुम्हारे प्यार पर तो उंगली उठाने का सवाल ही नहीं बनता।"
अभिक फीका मुस्कुरा कर - "हां वो तो दिख ही रहा है! जो बात मुझे तुमसे पता चलनी चाहिए थी वो आज मुझे लोगों से पता चल रही है वो भी सबके सामने। अगर मैं आज मीटिंग में नहीं जाता तो शायद मुझे कभी पता ही नहीं चलता।" ये सुनकर सांझ अपनी गरदन झुका लेती है!
"देखो सांझ मेरा मूड बहुत ज्यादा खराब है! मैं गुस्से मे तुम्हें कुछ भी उल्टा सीधा कहना नहीं चाहता! हाथ जोड़ रहा हूं तुम्हारे सामने यहां से चली जाओ।"
बदले में सांझ - "मैंने भी कह दिया ना एक बार जब तक तुम मुझे माफ नहीं कर देते तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी।" इस बार वो भी गुस्से से बोलती है।
"तो तुम ऐसे नहीं मानोगी।" ये कहता हुआ अभिक उसका हाथ पकड़ता है और उसे अपने कमरे से बाहर ले आता है और लगभग खींचते हुए नीचे लेकर आता है। और फिर उसे घर से बाहर निकालते हुए, बाहर गार्डन मे ले जाता है और उसका हाथ झटकते हुए - "जाओ यहां से। तुम्हारी कोई कहानी नहीं सुननी, तुम्हारी कोई बात नही सुननी!" इतना कहकर वो दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर देता है।
सांझ अभी भी बाहर खड़ी थी उसे अभिक की बातों से या उसकी हरकतों पर गुस्सा नहीं आ रहा था क्योंकि वो जानती थी कि उसका गुस्सा जायज है! उसे सच बताने में उसने बहुत देर लगा दी! लेकिन अब उसे मनाने में वो और देर नहीं लगाएगी। वो वहीं से - "मैं सच कह रही हूं अभिक मैं पूरी रात यहीं खड़ी रहूंगी लेकिन यहां से जाऊंगी नहीं, जब तक तुम मुझे माफ नहीं कर देते! जब तक तुम मेरे पहले वाले अभिक नहीं बन जाते। अभी तुम मुझे अच्छी तरह जानते नहीं हो, बहुत जिद्दी हूं मैं।"
ये सुनकर अभी हल्का सा दरवाजा खोलता है और उसकी तरफ देखकर - "सच कहा तुमने, मैं तुम्हें सच में नहीं जानता सांझ बंसल जी।" इतना कहकर वो फिर से दरवाजा बंद कर देता है!
"पीछे से सांझ मेरी बातों को हल्के में मत लेना अभिक अगर मैंने कह दिया ना कि मैं यहां पर पूरी रात खड़ी रहूंगी तो मतलब खड़ी रहूंगी।"
"तो खड़ी रहो, जो करना है वो करो, मेरा दिमाग मत खाओ! मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे पूरी रात यही खड़ी हो! आई डोंट केयर।" ये कहता हुआ वो कंचन के कमरे की तरफ जाता है और बाहर से ही - "मा, मेरे सर मे बहुत दर्द है! मैं दवाई खा कर सो रहा हूं और आप इस पागल लड़की को बोल दीजिएगा कि यहां से चली जाए।" इतना बोल वो बिना कंचन की बात सुने ही ऊपर चला जाता है लेकिन उसे ये नहीं पता था कंचन तो घर में है ही नहीं। वो तो किसी काम से बाहर गई हुई है।
उधर सांझ दरवाजा पीट रही थी! उसको कंचन के छोड़कर अभिक अपने कमरे में चला जाता है ये सोचकर कि थोड़ी देर बाद मा उसे समझा कर उसे वापस भेज देगी। वो अपने कमरे में जाता है, दवाई लेता है और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके बिस्तर पर लेट जाता है। दरवाजा उसने अंदर से इसलिए बंद किया था ताकि सांझ उसे दोबारा परेशान करने के लिए ना आए। पर कंचन घर मे होती तो उसके लिए दरवाजा खोलती। घर में उसके अलावा तो कोई था ही नहीं। सुबह का भूखा अभिक, सर में दर्द और ऊपर से गुस्सा और तनाव! दवाई की वजह से कुछ ही देर में उसे गहरी नींद आ जाती है।
सांझ अभी भी बाहर गार्डन में खड़ी थी। सच में वो बहुत जिद्दी थी, अगर उसने बोला है कि जब तक अभिक नहीं मान जाता वो वहां से नहीं जाएगी तो वो सच में वहां से नहीं जाएगी। जब जब सांझ और अभिक का मिलन हुआ है तो हमेशा बारिश ने उनका साथ दिया है लेकिन आज एक बार फिर वैसे ही तूफानी बारिश होने लगी थी जैसी अभिक और सांझ के पहली बार मिलने पर हुई थी और दूसरी बार मिलने पर हुई थी! बारिश को देखते ही सांझ के होठों पर बड़े सी मुस्कान आ जाती है। वो मन में - "ये बारिश तो हमारे मिलन की गवाह है अभिक, हमेशा हमारा साथ देती है तो आज भला कैसे नहीं देती? तुम्हें मुझे माफ करना ही होगा!" गार्डन में खड़ी वो तेज बारिश में भीगती हुई मुस्कुराते हुए ये सब बोल रही थी। और हर चीज से बेखबर अभिक गहरी नींद में सोया हुआ था।
उधर कंचन जो राधा मौसी के घर पर गई थी पर बारिश की वजह से वो वहीं फंस गई! उसने अभिक को फोन किया लेकिन अभिक का फोन साईलैंट मोड पर था! जब उसने नहीं उठाया तो वो उसको मैसेज सेंड कर देती है की बारिश की वजह से आज रात वो वहीं रुक रही है। अभिक कंचन के भरोसे पर सांझ को छोड़ कर आया था। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी ये जरा सी लापरवाही सांझ के लिए कितनी बड़ी मुसीबत बन सकती है। और एक बारिश भी आज रुकने का नाम नहीं ले रही थी बल्कि वो अपनी रफ्तार के साथ और भी तेज होती जा रही थी! लेकिन सांझ उस बारिश में अभी भी खड़ी थी! टस से मस नहीं हुई थी वो! ठंड से कंप कपाती हुई, सुबह की भूखी प्यासी सांझ, वो वहीं खड़ी थी इस उम्मीद में की अब भी अभिक आएगा! लेकिन उसे नहीं पता था कि अभिक तो दवाई खाकर सो चुका है! जिसका वो इंतजार कर रही है उसे तो किसी बात का ही नहीं पता।
5 घंटे हो गए थे सांझ को लगातार बारिश मे भीगते हुए! अब उसकी हालत खराब हो रही थी! तेज बारिश के साथ अब तो बिजली भी चमकने लगी थी! सांझ के कपडे उसके बदन से चिपक गए थे और उसने अपने दोनो हाथो से खुद को कवर कर रखा था लेकिन फिर भी वो बुरी तरह ठंड से कांप रही थी! इस वक्त रात के 2 बजने वाले थे, तभी अभिक को नींद मे बहुत बेचैनी होने लगती है, उसे सपना दिखाई देता है कि सांझ और उसने मजबूती से एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा है लेकिन कोई है जो उन दोनों को अलग करने की कोशिश कर रहा है। जितना वो मजबूती से उसे अपनी तरफ खींच रहा था उतना ही कोई सांझ को उससे दूर कर रहा था और फिर एकदम से सांझ का हाथ उसके हाथ से छूट जाता है। अभिक एकदम से चिल्लाता है - "सांझ" और एकदम से उसकी नींद खुलती है और वो उठकर बैठता है। पसीने लथपथ, घबराया हुआ वो अपने दिल पर हाथ रखते हुए - "ये कैसा सपना था?" ये कहता हुआ वो टेबल पर रखा पानी का गिलास उठाकर गटगट करके पीने लगता है। तभी उसे बाहर हो रही तूफानी बारिश का पता चलता है। "ये बिन मौसम बरसात कैसी?" ये कहता हुआ वो अपना फोन उठाता है और जैसे ही फोन ऑन करता है तो ऊपर ही कंचन का मैसेज था कि वो राधा मौसी के घर पर रुक रही है! मैसेज पढ़ने के साथ ही अभिक हैरानी से - "मतलब मा घर पर है ही नहीं? वो राधा मौसी के यहां पर.." एकदम से उसे सांझ का ख्याल आता है वो तुरंत उठता है और बाहर बालकनी की तरफ भागता है। जैसे वो ही बाहर बालकनी में जाता है और नीचे गार्डन में देखता है तो उसकी आंखें हैरानी से फैल जाती है .....
जारी है....