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Chahat

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Hinal Vaidya

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चाहत एक ऐसी लड़की की कहानी है जो अपने प्यार की मंजिल पाने के लिए उसके रास्ते में आने वाली हर मुश्किल को पार कर जाती है।

Total Chapters (175)

Page 1 of 9

  • 1. Chahat - Chapter 1

    Words: 1261

    Estimated Reading Time: 8 min

    यह कहानी बेला की है, जो कंप्यूटर साइंस के तीसरे साल में थी। उसने परीक्षा दे ली थी और नागपुर की एक गेम कंपनी में आज इंटरव्यू देने आई थी। दिखने में साधारण सी थी बेला; एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी। नागपुर जैसे शहर में अपनी किस्मत आजमाने आई हजारों लोगों की तरह एक थी वह। लेकिन उसमें टैलेंट था; वह कंप्यूटर गेम बनाने में माहिर थी। अपनी एक दोस्त के साथ वह रूम शेयर कर रही थी। बड़ी मुश्किल से उसे इस कंपनी में इंटरव्यू देने का चांस मिला था। इंटरव्यू लेने वाले परीक्षकों ने उससे जॉब करने का कारण पूछा। उसने कहा कि उसे इंडिपेंडेंट बनना है, इसलिए वह जॉब करना चाहती है। प्रशिक्षक उसके जवाब से खुश नहीं हुए और उसे बाहर वेट करने को कहा। बेला अपने रिजल्ट का इंतजार करने लगी। वहाँ बैठे दस लोगों में से सिर्फ दो को चुना गया। बेला नाराज होकर लौट आई। आज का दिन उसका बर्बाद हो गया था। बेला जब घर आई, तो उसकी दोस्त निशा उसका बेचैनी से इंतजार कर रही थी। बेला ने जैसे ही घर के अंदर एंट्री ली, उसका मुरझाया चेहरा देखकर निशा समझ गई कि उसका इंटरव्यू इतना अच्छा नहीं गया है। वह बेला जब सोफे पर आकर बैठी, तो निशा उसके पास आकर बैठ गई। निशा: बेला, क्या इस बार भी तुम्हें नहीं लिया? बेला: कैसे लोग हैं! जब मैं एक गेम प्रोग्रामर हूँ, तो मुझे वह करने के लिए क्यों नहीं बोलते? अगर मैं उन्हें डेमो दिखाऊँगी, तब तो उन्हें समझ आएगा ना, मैं किस चीज़ में अच्छी हूँ! निशा: तुम टेंशन क्यों ले रही हो? हो जाएगा यार! लोग कितने सालों तक ट्राई करते हैं, पर उन्हें ढंग की नौकरी नहीं मिलती! उस हिसाब से तो हमारे पास समय ही समय है! बेला: मुझे शेखावत कंपनी में जाना है यार! नागपुर की सबसे बड़ी प्रोग्रामर कंपनी है वह! लेकिन मैं वहाँ नहीं जा सकती! इसलिए दूसरी कंपनियों में जॉब ढूँढ रही हूँ! निशा: क्यों? क्यों नहीं जा सकती वहाँ? टैलेंट को तो हर जगह पहुँच जाना चाहिए! वैसे भी उस कंपनी को थोड़े ही ना पता है किस बंदे में क्या टैलेंट है! तुझे एक बार तो ट्राई करना ही चाहिए, मेरे हिसाब से! बेला: नहीं जा सकती! वहाँ लड़कियों को एंट्री नहीं है! उसका बॉस वहाँ सिर्फ जेंट्स प्रोग्रामर रखता है! वहाँ आज तक किसी भी लड़की को एंट्री नहीं मिली! तो मैं वहाँ कैसे जा सकती हूँ! निशा: ऐसा कैसे कर सकता है वहाँ का बॉस? यह तो नाइंसाफी है! लड़कियों ने उसका क्या बिगाड़ा है? उल्टा लड़कियाँ लड़कों से बेस्ट होती हैं! बेला: शायद मेरा वहाँ काम करने का सपना सपना ही रह जाएगा! निशा: हम्म… लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूँगी! तु मुझे बता, तुझे उस कंपनी में काम करना है या नहीं? बेला ने हाँ में सिर हिलाया। निशा: तो बस, तू सब कुछ मुझ पर छोड़ दे! मैं तुझे उस कंपनी में काम दिलवा कर रहूँगी! लेकिन मेरी एक शर्त है; जो मैं कहूँगी, तुझे करना पड़ेगा! वरना तू वहाँ भी काम नहीं कर पाएगी! समझी? बेला ने हाँ कहा। और दोनों सहेलियाँ बाहर निकल गईं। निशा उसे एक बड़े पार्लर ले आई थी। इतना बड़ा सलून देखकर बेला को यकीन नहीं हो रहा था कि इस शहर में इतना बड़ा पार्लर भी है! वहाँ जाकर निशा ने अपनी पहचान के एक लड़के से बात की और बेला के सुंदर लंबे बाल काटने को कहा। बेला: लेकिन निशा, मेरे बाल? निशा: मैंने कहा था ना, तू कोई सवाल नहीं करेगी! उस लड़के ने अपने हाथ में पकड़े लंबे बालों पर कैंची चलाई और वह लंबे सुंदर बाल काट दिए। निशा ने कहा, "और काटो!" तो लड़के ने और काट दिए। निशा ने फिर कहा, "और काटो…" लड़के ने उन बालों को पूरी तरह काटकर लड़कों के बालों जैसा बना दिया। पर ये बाल बेला के नहीं थे, बल्कि एक विग थी, जो बेला पहनने वाली थी। लड़के की तरह छोटे-छोटे बाल देख निशा ने खुश होते हुए कहा, "अब सही है! ऐसे ही बाल चाहिए थे!" बेला ने निशा को घूरा। निशा: तुम क्यों मुझे घूर रही हो? इसके पैसे मैं ही देने वाली हूँ! अब चलो यहाँ से! हमें कपड़े भी खरीदने हैं! दोनों ने बाजार जाकर बहुत से लड़कों के कपड़े खरीदे। बेला समझ नहीं पा रही थी कि निशा आखिर करना क्या चाहती है। निशा ने घर आकर बेला की अलमारी से सारे कपड़े हटाकर दूसरी अलमारी में रख दिए और उसकी अलमारी में वह सब लड़कों के कपड़े रख दिए। बेला को कुछ ठीक नहीं लग रहा था, फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। अब निशा ने उसे आइने के सामने बिठाया और उसके सिर पर वह विग लगा दी। फिर उन लड़कों के कपड़ों में से एक ड्रेस निकालकर उसे पहन कर आने को कहा। बेला जब वह लड़कों की ड्रेस पहन कर आई, तब वह टॉमबॉय लग रही थी। निशा ने उसकी तरफ देखकर कहा, "अब कोई नहीं कह सकता तुम लड़की हो या लड़का! अब तुम्हें उन्हें नौकरी पर रखना होगा! किसी भी तरह बस तुम्हें अंदर एंट्री मिल जाए!" बेला: डरते हुए, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा! मैं ऐसे हर रोज ऑफिस नहीं जा सकती! यह ड्रेस और विग बहुत ही अनकम्फ़र्टेबल है निशा! मैं एक लड़का बनकर सबको धोखा कैसे दे सकती हूँ? निशा: तुझे कोई जॉब नहीं मिल रही बेला! ऐसा ही चलता रहा, तो तुम्हारे पैरेंट्स तुम्हें घर वापस आने के लिए बोल देंगे! फिर तुम्हारे सपनों का क्या? तुम उनसे लड़-झगड़कर यहाँ आई थीं! भूल गई तुम? तुम यह कैसे भूल रही हो, तुमने खुद उनके खिलाफ जाकर यह कंप्यूटर साइंस की फैकल्टी चुनी थी! तुम्हें नहीं लगता अब अगर तुम उसमें जॉब नहीं करोगी तो तुम्हारे पैरेंट्स तुमसे निराश हो जाएँगे! देखो बेला, हमें कुछ पाने के लिए कभी-कभी झूठ का सहारा लेना पड़ता है! तुम कुछ बुरा तो नहीं कर रही ना किसी के साथ! सिर्फ़ अच्छी जॉब पाने की कोशिश कर रही हो! तो फिर बस तुम्हें कुछ भी करके यह जॉब हासिल करनी होगी! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ! बेला: फिर भी मुझे कुछ सही नहीं लग रहा निशा! ऐसे किसी को धोखा देकर जॉब पाना सही नहीं है! निशा: तो फिर ठीक है! खाती रहो ठोकरें यहाँ-वहाँ! फिर तो तुम्हें नौकरी मिलने से रही! मेरा क्या है… मैं अपने ऑनलाइन चैनल पर अपने फैन्स से बातें कर जैसे-तैसे अपना गुजारा कर लेती हूँ! लेकिन फिर जब तुम मुसीबत में पड़ जाओगी तब मुझे मत कहना! निशा मुँह फूलाकर सोने चली गई। बेला अपने आपको उन कपड़ों के साथ आइने में देख रही थी। इस तरह लड़का बनकर किसी कंपनी में जाकर नौकरी करना उसके स्वभाव के विपरीत था! पर रहने का रेंट, पढ़ाई के लिए हुआ लोन, और फिर दूसरे खर्चे; इन सबके बारे में सोचकर बेला नीचे बैठ गई। बेला (मन ही मन): इस वक्त मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है, भगवान जी! और उससे भी ज़्यादा… मुझे उससे मिलना है, जिसके लिए मैं इस कंपनी में जाने की कोशिश कर रही हूँ! मैंने उसे बहुत मिस किया है भगवान जी! अगर मुझे लड़का भी बनना पड़ा उसके लिए… तो इस बार मैं वह भी बन जाऊँगी! पर मैं उससे मिलकर रहूँगी! इस बार मैंने कॉलेज खत्म होने का बहुत इंतज़ार किया ताकि वहाँ जा सकूँ! पर वहाँ कोई लड़की प्रोग्रामर ना होने की वजह से… मैं अब तक वहाँ जाने के बारे में सोच नहीं रही थी! पर आज निशा के कहने पर इस तरह लड़का बन ही गई हूँ! तो इसका फायदा उठाऊँगी! बेला सोचते-सोचते कपड़े बदलकर निशा के बगल में जाकर लेट गई और सो गई। जारी… डियर रीडर्स, यह है नई कहानी! आगे क्या होगा बेला के साथ… पढ़ेंगे दूसरे पार्ट में! हिनल वैद्य

  • 2. Chahat - Chapter 2

    Words: 2001

    Estimated Reading Time: 13 min

    बेला दूसरे दिन जब उठी, तो निशा उसके सिरहाने बैठी हुई मिली। बेला डरकर चिल्लाई। जिस वजह से निशा भी चिल्लाने लगी। "अरे यार... तुम पागल हो??? तुमने तो मुझे हार्ट अटैक दे दिया था!!" बेला ने बिगड़ते हुए कहा। तो निशा उसके पास आकर उसकी आंखों में देखने लगी। बेला ने दूर होते हुए कहा, "मुझे तुम्हारे इरादे सही नहीं लग रहे निशा। हटो सामने से।" निशा ने उसका हाथ पकड़कर रोका। "अरे रुक तो। मुझे देखने तो दो कि तुम्हारी आंखों के लिए क्या किया जा सकता है???" बेला: आंखों के लिए??? मेरी आंखें तो अच्छी हैं यार। तुम मेरी आंखों के पीछे क्यों पड़ी हो??? निशा: क्योंकि मुझे लगता है तुम्हें अपनी आंखों पर ग्लासेस पहनने चाहिए। तब जाकर तुम एक हैंडसम लड़का दिखोगी। बेला: लंबी सांस लेते हुए, अच्छा। ठीक है। मैं रेडी होकर आती हूं। फिर ग्लासेस लेने चलेंगे। निशा: एक मिनट। तुम भूल गई, तुम्हें यह पहनना है। बेला: उफ्फ, यह लड़कों की ड्रेस??? इसमें मुझे लगता है मैं सांस नहीं ले पाऊंगी। और याद कैसे रखूंगी कि मैं एक लड़का हूं। निशा: इसकी टेंशन तुम ना लो तो ही बेहतर है। एक बार सबने तुम्हें लड़का समझ लिया, फिर कोई तुम पर शक नहीं करेगा। बेला: और मेरी आवाज़ का क्या??? जो पूरी तरह लड़की की तरह साउंड होती है। निशा: आजकल लड़कों की भी पतली आवाज़ होती है बेला। तुम इतना निगेटिव सोचोगी तो कैसे चलेगा? बी पॉजिटिव। ओके। बेला निशा के हाथ की ड्रेस पकड़कर वॉशरूम चली गई। जब वह तैयार होकर आई, निशा उसकी तरफ देखती रह गई। "तुम इन बालों में सच में लड़का दिख रही हो बेला। और मुझे ऐसा लग रहा है मैं ही तुम पर लाइन मारना शुरू ना कर दूं???" बेला ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा, "इऊ... दूर रहो मुझसे समझी तुम???" निशा ने उसे गले लगाते हुए कहा, "कोई नहीं जानेमन। मेरे अलावा तुम पर कोई लाइन नहीं मारेगा। चलें???" बेला उसकी नौटंकी देखकर हंस पड़ी। दोनों घूमते हुए ग्लासेस खरीदने पहुंचीं। हर प्रकार के और लेंस के ग्लासेस निशा ने उससे ट्राई करवाए थे। उन्हें ट्राई करते-करते बेला पक चुकी थी। जब वह फिर एक ट्राई करने निशा की ओर मुड़ी, तो निशा ने अपने दोनों हाथों से क्रॉस बना दिया। सेल्समैन ने निशा की तरफ देखकर कहा, "मैडम, आप थोड़ा एक्सपेंसिव क्यों नहीं देखती...??? आपको ज़रूर उसमें से कुछ पसंद आ जाएगा।" सेल्समैन की बात सुनकर निशा खुश हो गई। उसने एक्सपेंसिव में से कुछ दिखाने को कहा। बेला ने उसे एक कोने में ले जाकर कहा, "निशा, वह बहुत महंगे हैं। मैं उन्हें नहीं खरीद सकती।" "डोंट वरी, उसका पेमेंट मैं कर रही हूं। तुम सिर्फ ट्राई करो।" "लेकिन मैं तुम्हें पैसे वापस कैसे करूंगी??? अगर मुझे नौकरी ही ना मिली तो???" "तु उसकी टेंशन मत ले बेला। जब तेरे पास आ जाएंगे तब दे देना। फिलहाल इसे ट्राई करके देख।" बेला उसकी तरफ देख आगे बढ़ गई। और उन महंगे ग्लासेस में से उसने एक कम रेंज वाला पसंद किया। अपनी आंखों पर लगाने पर निशा ने उसकी तरफ देखकर अच्छे का साइन कर दिया। और उसे खरीदकर दोनों कैफे की तरफ चल दीं। अब है बारी हमारे हीरो से मिलने की। हमारा हीरो, शेखावत कंपनी का सीईओ, आरव शेखावत है। जो अभी एक आर्ट गैलरी के इनॉगरेशन के लिए आया है। वहां आर्ट गैलरी में रखे एंटीक पीस देखकर वह अपना कंप्यूटर दिमाग चलाने की कोशिश कर रहा था। छब्बीस साल का आरव बहुत हैंडसम था। उसने बहुत कम उम्र में तरक्की हासिल कर ली थी। कॉलेज में ही उसने अपनी कंप्यूटर कंपनी के लिए प्रोग्रामिंग शुरू कर दी थी। वह बहुत टैलेंटेड था। अपना खुद का बिजनेस वह खुद के दम पर चला रहा था। आर्ट गैलरी का इनविटेशन एक्सेप्ट करके अब वह खुद ही पछता रहा था। आर्ट गैलरी की ओनर जब उसके सामने आकर खड़ी हुई, तब उसे पता चला, उसे उस आर्ट की तारीफ करनी चाहिए। "मिसेज़ खन्ना, यह आर्ट बहुत यूनिक है। इसे बनाने में आर्टिस्ट ने बहुत दिमाग लगाया है। बहुत खूबसूरत है यह। और बहुत उम्दा। अब मैं इसकी क्या तारीफ करूं??? अगर आप सोच रही हैं मैं ऐसा कुछ कहूंगा तो यह गलत है। क्योंकि मैं साइंस पर भरोसा करने वाला इंसान हूं।" "मि. शेखावत, मैं जानती हूं आपको आर्ट के बारे में कुछ समझ नहीं आता। फिर भी मैं चाहती थी आप यहां आएं। वह इसलिए क्योंकि आप अपना कंप्यूटर दिमाग इसमें यूज़ करके हमें कुछ सलाह दे सकते हैं।" "मिसेज़ खन्ना, आपने खुद ही अपने सवाल का जवाब दे दिया है। मुझे इस आर्ट के मामले में कुछ समझ नहीं आता। लेकिन फिर भी आपने मुझे यहां बुलाया इसके लिए थैंक्स। अब मुझे चलना चाहिए।" आरव अपना कैमरा लिए वहां से चला गया। और मिसेज़ खन्ना, जो उस पर डोले डालने की कोशिश कर रही थी, मुंह खट्टा कर उसके पीछे चली गई। आरव भी एक कैफे चला आया था, जहां उसे ज़बरदस्ती भेजा गया था। मिसेज़ खन्ना का डिवोर्स हो चुका था। वह बहुत यंग थी। उन्हें लग रहा था शायद इस इवेंट के ज़रिए वह आरव को अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब हो जाएं। पर यह उनका वहम था। वह कैफे चली आईं और ठीक आरव के सामने बैठ गईं। आरव जिस टेबल पर बैठा था, उसके ठीक पीछे बैठी थी हमारी बेला। बेला ने अपने ग्लासेस लगाए थे। निशा के सामने वेटर आकर खड़ी हो गई। "आप क्या ऑर्डर करना चाहेंगी मैम???" वेटर ने बड़ी अदब से पूछा। निशा ने वह मेन्यू कार्ड वेटर की तरफ लौटाते हुए कहा, "क्यों ना तुम सर से पूछ लो???" वेटर बेला की तरफ आई। "सर, आप क्या लेना पसंद करेंगे???" वेटर की अदब भरी आवाज़ फिर गुंजी। बेला ने देखा उसे वेटर ने 'सर' कहा है, तो वह बहुत खुश हुई। "मेरे लिए एक कैप्पुचीनो और मैम के लिए एक हॉट चॉकलेट ले आओ।" वेटर चली गई। और दोनों ने खुश होकर एक-दूसरे की तरफ देखा। निशा: हमारा प्लान कामयाब रहा। अब कोई नहीं कहेगा तुम लड़का नहीं हो। बेला: हां। इन ग्लासेस में एक बड़ा लड़का दिख रहा हूं। निशा: आए हाय... क्या बात है, तुम्हारी तो लैंग्वेज भी बदल गई। दोनों सहेलियां हंस पड़ीं। उनके पीछे बैठी मिसेज़ खन्ना ने आरव की तरफ देखकर कहा, "क्या हम यहां अपनी डेट के लिए आए हैं???" तो आरव ने अपने लैपटॉप पर नज़रें गड़ाते हुए कहा, "जी नहीं। यहां आने के लिए मुझे धमकाया गया है। वैसे यह भी बुरा नहीं है।" तभी वहां दूसरी लड़की भी आकर खड़ी हो गई जो दिखने में बहुत खूबसूरत थी। "मि. आरव शेखावत। क्या आप ही हैं???" "जी हां। मैं ही हूं। आप यहां बैठ सकती हैं। हम यहां डेट के लिए ही आए हैं।" मिसेज़ खन्ना और जो नई लड़की आई थी उन्होंने एक-दूसरे की तरफ देखा। और दोनों चौंक गईं। उन दोनों को एक ही टाइम पर डेट के लिए बुलाया था आरव ने। निशा: ओह... कितना चीप बंदा है। दोनों लड़कियों को एक ही टाइम पर बुलाया है डेट मीटिंग के लिए। बेला उन लोगों की तरफ पीठ करके बैठी थी, इसलिए देख नहीं पा रही थी पीछे क्या चल रहा है। और इस पूरे ड्रामे को निशा रिकॉर्ड कर रही थी अपने फोन से। नई लड़की ने कहा, "मि. शेखावत, क्या आपको नहीं लगता अब हम दोनों के साथ थोड़ा रूडली पेश आ रहे हैं???" आरव: नहीं तो। मैंने हम सबका टाइम बचाया है। डेटिंग मीटिंग के लिए खर्च करने के लिए मेरे पास इतना ही टाइम था। वैसे आप दोनों मेरे लिए एमएस वर्ड और एमएस एक्सेल की तरह हैं। दोनों से फायदा तो है, पर मुझे दोनों में इंटरेस्ट नहीं। आरव की बातें सुनकर दोनों लड़कियां उठकर खड़ी हो गईं। और गुस्से से उन्होंने पानी का ग्लास उठा लिया। निशा ने कहा, "बेला, पीछे तो देखो, लगता है बंदे को पानी की मार पड़ेगी।" बेला ने जैसे ही पीछे देखा, उन लड़कियों ने फेंका हुआ पानी बेला के चेहरे पर पड़ा। वह पूरी तरह गीली हो गई। दोनों लड़कियों ने देखा, आरव टेबल के नीचे छुप गया था और पानी से बच गया था। लड़कियां गुस्से में वहां से चली गईं। आरव ने टेबल से बाहर आते हुए कहा, "आई एम सॉरी लेडीज़। फाइल क्रैश होने पर ऐसा ही कुछ होता है।" बेला अब आरव की तरफ देख रही थी। वह उठकर खड़ा हो चुका था। उसकी नज़रें उस पर पड़ीं तो बस वह देखती रह गई। आरव ने अपने कपड़े ठीक कर जब बेला की तरफ देखा तो उसने कहा, "आप तो पूरे गीले हो गए। अगर आप चाहें तो मैं आपके नुकसान की भरपाई कर देता हूं। देखिए मैं भी उनका शिकार हुआ हूं। पानी मुझ पर भी गिरा है। तो आप बुरा मत मानिए।" बेला अब भी उसे देख रही थी। निशा आरव की तरफ जाने लगी। "यह इंसान समझता क्या है आपको???" निशा जैसे ही आरव के पास जाने लगी, बेला ने उसका हाथ पकड़कर उसे पीछे खींच लिया। निशा: यह तुम क्या कर रही हो??? तुम मुझे क्यों रोक रही हो???? बेला आरव के पास जाने लगी तो निशा ने कहा, "हां, यह सही है। जाओ। बहुत डांटो उसे। खूब चिल्लाओ। समझता क्या है वह अपने आपको???" लेकिन बेला ने उसके पास जाकर अपनी जेब से रुमाल निकालकर उसके सामने कर दिया। "यह लीजिए। आप गीले हो गए हैं।" उसकी बातें सुनकर आरव उसे हैरानी से देखने लगा। और निशा गुस्से में बेला की तरफ देख रही थी। "मुझे नुकसान की भरपाई नहीं चाहिए। मैं ठीक हूं। आप अपने बाल पोंछ लीजिए।" "यह तुम क्या कर रही हो??? डांटो इसे। इसकी वजह से तुम पर सारा पानी गिरा। तुम इसे ऐसे कैसे जाने दे सकती हो???" बेला निशा का चिल्लाना देख उसे बाहर ले आई। आरव ने उन दोनों को जाते देख वह रुमाल फेंक दिया जो अभी-अभी उसे बेला ने दिया था। "अच्छा हुआ हमने बालों का वाटरप्रूफ टेस्ट करवाया था। वीग गीली नहीं हुई। तुम छोड़ दो इस बात को।" "ऐसे लोग समझते हैं वह हैंडसम हैं तो कुछ भी कर सकते हैं। मैं छोड़ूंगी नहीं उसे।" निशा ने अपने मोबाइल में से अभी रिकॉर्ड की हुई रिकॉर्डिंग निकाली। और आरव ने उन दो लड़कियों को डेट पर एक साथ बुलाने वाला पार्ट सोशल मीडिया पर डाल दिया। बेला को प्रोफेसर का फोन आ गया था। वह उनसे बात कर रही थी। बेला: जी प्रोफेसर। हां, मैं दोपहर में फ्री हूं। तब आती हूं कॉलेज। बेला ने जब फोन रखकर निशा की तरफ देखा, निशा अपना काम खत्म कर चुकी थी। दोनों वहां से घर लौट आईं क्योंकि बेला को प्रोफेसर से मिलने जाना था। बेला रेडी हो गई। वह एक लड़की की तरह रेडी हुई थी। वह प्रोफेसर के घर चली आई जो बड़े से गार्डन के बीच में था। प्रोफेसर ने उनके लिए कॉफी बनाई थी। प्रोफेसर मानकर: आओ बेला। कैसी हो तुम??? बेला: मैं ठीक हूं प्रोफेसर। आप कैसे हैं??? प्रोफेसर: मैं भी ठीक हूं। तुमने आगे क्या सोचा है??? तुम्हारे पेरेंट्स कह रहे थे उन्हें तुम्हें किसी सरकारी पोस्ट पर देखना है। बेला: हां। पर मैं वह नहीं बनना चाहती प्रोफेसर। मेरे अपने कुछ अलग प्लान्स हैं। और मैं वही करना चाहती हूं जो मुझे पसंद हो। प्रोफेसर: यह भी सही है। तुम प्रोग्रामर हो ना। मैंने तुम्हारे सीनियर के यहां बुलाया है जो कंप्यूटर कंपनी का मालिक है। बेला: चौंककर, क्या??? क्या नाम है उनका??? प्रोफेसर: आरव शेखावत। बेला: मर गई। बेला ने आस-पास देखा। आरव बाहर से चला आ रहा था। वह जाकर पर्दे के पीछे छुप गई। "यह मुझे नहीं देख सकता। इसने मुझे देखा तो समझ जाएगा थोड़ी देर पहले जो लड़के के गेटअप में था वह मैं ही हूं।" बेला मन में बड़बड़ाए जा रही थी। आरव ने आगे आकर प्रोफेसर को हैलो कहा। प्रोफेसर: अरे आओ आओ आरव। तुम तो ईद का चांद हो गए हो। मिलते ही नहीं। बहुत अच्छे लग रहे हो। आरव: क्या करूं प्रोफेसर। बिज़नेस में इतना वक्त निकल जाता है कि टाइम ही नहीं मिलता। आरव ने उनके आगे बैठते हुए वहां एक लेडी बैग देखा, कॉफी मग भी देखा और फिर प्रोफेसर की तरफ देख कहा, "कोई और भी आया है क्या प्रोफेसर???" जारी। हिनल वैद्य।

  • 3. Chahat - Chapter 3

    Words: 2045

    Estimated Reading Time: 13 min

    हॉं!! मेरी एक स्टूडेंट आई थी!! जिसे मैं तुमसे मिलवाना चाहता था!! अभी तो यहीं पर थी... पता नहीं कहाँ चली गई!! रुको, मैं देखकर आता हूँ!!" कहकर प्रोफेसर बेला को ढूंढने बाहर चले गए। बेला जिस पर्दे के पीछे छुपी थी, वहाँ एक कमरा था। इस स्थिति से बचने के लिए वह अंदर चली गई। वहाँ उसे दिखाई दिया कि पेंटिंग का सारा सामान रखा हुआ था। अपने आपको बचाने के लिए उसे एक आइडिया सूझा। उसने उन पेंटिंग के रंगों से अपने चेहरे को रंग लिया। एक भी जगह खाली नहीं छोड़ी, सिर्फ आँखों को छोड़कर। वह जैसे ही कमरे से बाहर आई, किसी से टकरा गई। यह आरव था। बेला ने अपने मुँह के सामने पेपर पकड़ रखा था। उसने सॉरी बोला और आगे बढ़ गई। तब तक प्रोफेसर भी आ गए थे। प्रोफेसर: बेला.. कहाँ थीं तुम??? मैं कब से तुम्हें ढूँढ रहा था!! बेला: अपनी पर्स उठाते हुए, "प्रोफेसर, मुझे बहुत ज़रूरी काम याद आ गया है!! मैं चलती हूँ!!" बेला जैसे ही दरवाजे के पास पहुँची, वहीं खड़े आरव ने कहा, "यह तुमने अपना चेहरा क्यों छुपा रखा है???" बेला ने कहा, "क्योंकि मैं बदसूरत हूँ!! आपको क्या प्रॉब्लम है???" आरव ने उसका पेपर हटाते हुए कहा, "ठीक है, देख ही लेते हैं.. कितनी बदसूरत हो!!" आरव ने जैसे ही उसका पेपर हटाया, उसका रंग से पुता हुआ चेहरा देखकर डर गया। "यह क्या पोत रखा है चेहरे पर!!!" प्रोफेसर: बेला, यह क्या हुआ तुम्हारे चेहरे पर?? बेला: प्रोफेसर, वह मैं पेंटिंग देख रही थी, तो पेंट के रंग मेरे मुँह पर लग गए!! मैं चलती हूँ..!! मैं आपको बाद में फोन करूँगी!! बेला जल्दी-जल्दी में वहाँ से निकल गई। बाहर आकर उसने गहरी साँस ली। "आज बच गई तुम बेला!! वरना वह तुम्हें पहचान जाता!!!" आरव बेला जैसी अजीब लड़की को देखकर हैरान था। उसने प्रोफेसर के पास बैठते हुए कहा, "यही है वह टैलेंटेड लड़की जिससे आप मुझे मिलवाना चाहते थे???" प्रोफेसर: बेला अच्छी लड़की है आरव!! पता नहीं क्यों आज ऐसी उल्टी-सीधी हरकतें क्यों की उसने!! मैं उसे तुम्हारी कंपनी में भेजना चाहता हूँ। वह कंप्यूटर में मास्टर कर रही है!! आरव: प्रोफेसर, मैं आपकी बात से सहमत हूँ!! होगी ही वह टैलेंटेड..!! क्योंकि आपने कहा है!! पर मैंने बहुत सालों पहले ही लड़कियों को अपनी कंपनी में काम देना छोड़ दिया है!! इसलिए इसमें मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा!! प्रोफेसर: क्या तुम अब भी उस हादसे को भूल नहीं पाए हो??? आरव: प्रोफेसर, मुझे भी अब चलना चाहिए!! मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है!! आपसे मिलकर अच्छा लगा!! मैं चलता हूँ!! आरव भी वहाँ से चला गया। प्रोफेसर उसे जाते हुए देखते रहे। बहुत सफाई से उसने बात बदल दी थी। बेला घर आकर अपनी डायरी लेकर बैठ गई थी। वह डायरी जो उसने कॉलेज के पहले दिन से लिखनी शुरू की थी। उस डायरी में कैद थीं उसकी अनगिनत यादें। ऐसे ही एक याद फ़ोटो में कैद थी, जहाँ आरव भी था। यह कॉलेज के दूसरे साल की बात थी। आरव बहुत फेमस था कॉलेज में, क्योंकि वह बहुत टैलेंटेड था। कंप्यूटर की कंपटीशन में जीते हुए फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट को वह अवॉर्ड देने आया था, क्योंकि उसने कॉलेज के दिनों से ही अपनी कंपनी खोल ली थी और सक्सेस हासिल कर ली थी। स्टूडेंट को एनकरेज करने के लिए उसे ही अवॉर्ड देने के लिए बुलाया गया था। बेला को भी अवॉर्ड मिला था, वह भी आरव के हाथ से। फ़ोटो खिंचते समय वह पूरा समय उसे ही देख रही थी। आरव पर उसे क्रश था और उस फ़ोटो में वह आरव की तरफ़ ही देख रही थी, तभी कैमरे वाले ने फ़ोटो खींच दी। बेला अभी उसी फ़ोटो को देख रही थी। आस-पास जितने भी लोग थे, उनसे दो कदम की दूरी पर आरव खड़ा था। वह उसे देख मुस्करा रही थी। वह सब कुछ याद करके बेला ने उस फ़ोटो में से खुद को और आरव की तस्वीर को काट दिया। फिर अपनी तस्वीर और आरव की तस्वीर को डायरी में करीब चिपकाकर वह उसे देखने लगी। "आरव और बेला साथ में अच्छे लग रहे हैं ना???" उसने खुद से ही पूछा और डायरी रखकर सोने चली गई। इधर जब आरव घर आया, उसे उसके दोस्त हर्ष ने मैसेज किया। "आरव, तुम फिर फेमस हो गए यार!!" हर्ष ने उसके मैसेज के नीचे भेजी लिंक ओपन की तो उस पर एक वीडियो था, जब वह दोनों लड़कियाँ आरव पर पानी फेंक रही थीं। वह वीडियो देखकर आरव शॉक रह गया। उसने याद किया कि जिस पर पानी गिरा था, उस लड़के ने कहा था उसे नुकसान भरपाई नहीं चाहिए। फिर उसने यह वीडियो वायरल कैसे किया?? बहुत से निगेटिव कमेंट उसे दिखाई दे रहे थे अपने लिए। उसने उस वीडियो के अपलोडर को मैसेज भेजा, वह वीडियो डिलीट करने के लिए। पर सामने से कोई जवाब नहीं आया। आरव को अब गुस्सा आ रहा था। इतनी सी बात का बतंगड़ बना दिया था उस वीडियो ने और उसकी इमेज खराब हो रही थी। "ठीक है, अब तुमसे मिलकर ही इस प्रॉब्लम को सुलझाऊँगा," कहकर आरव सोने चला गया। शेखावत कंपनी, अपने नाम की तरह ही, बड़ी और फेमस थी। बेला आज यहाँ इंटरव्यू देने आई थी। वह पूरी तरह लड़के के गेटअप में थी, क्योंकि इस कंपनी में प्रोग्रामिंग में लड़कियों को एंट्री नहीं थी। उसे यह अवतार अपनाना पड़ा था। अपने फाइल को लेकर वह बाकी लड़कों की तरह अपनी बारी आने का वेट कर रही थी। इतने में नेचर कॉल ने उसे याद दिलाया और अपनी नर्वसनेस को भगाने के लिए वह दूसरे लड़के की तरफ देख बोली, "मुझे वॉशरूम जाना है.. मेरी बारी आने पर क्या तुम उन्हें बताओगे???" उस लड़के ने हाँ कहा और बेला वॉशरूम की तरफ दौड़ गई। वॉशरूम में आकर उसने दो दरवाजे खोलने चाहे, पर दोनों लॉक थे अंदर से। वह वेट करने लगी। एक दरवाजा खुला और अंदर से एक लड़की बाहर आई। उसने बेला को, यानी एक मेन को, वुमेंस वॉशरूम में देखकर चिल्लाना शुरू कर दिया। बेला ने देखा यह मैन्स वॉशरूम है, तो वह सकते में आ गई और बाहर की तरफ भागी। उसके पीछे भाग रही लड़की ने उसे पकड़ लिया। वहाँ कुछ लड़कियाँ और थीं। उस लड़की का चिल्लाना सुनकर उन्होंने बेला को पकड़ लिया और मारना शुरू कर दिया। बेला चिल्लाई, "अरे, मेरे बालों को मत छुना!! और मैं यहाँ नई हूँ!! मुझे नहीं पता था वह वुमेंस वॉशरूम है!!" वह लड़कियाँ फिर भी उसे मार रही थीं, तो पीछे से किसी ने कहा, "छोड़ दो उसे!! वह नया है यहाँ पर!! इंटरव्यू देने आया है!!" सबने उस तरफ देखा। सामने छब्बीस साल का एक लड़का था, जो दिखने में हैंडसम था। जिस लड़की ने उसका पीछा किया था, उसने कहा, "हर्ष सर.. यह लड़का वुमेंस वॉशरूम में था!! आप इसे सजा देने के बजाय उसकी साइड ले रहे हैं!!" "देखो, हमारी कंपनी नई है उसके लिए!! उसे समझ नहीं आया होगा कि किस तरफ जाना है!! उसका इंटरव्यू है अब.. तो जाओ तुम सब अपना काम करो!! और उसकी तरफ से मैं आप सबसे माफी मांगता हूँ!!" "अरे नहीं सर!! आप क्यों माफी मांगेंगे!! माफी तो इसे मांगनी चाहिए!!" "लेडिज, मैं आप सबसे माफी चाहता हूँ!! अब ठीक है!!" लड़कियाँ चली गईं और बेला ने गहरी साँस लेकर हर्ष की तरफ देखा। "हर्ष सर, मुझे बचाने का शुक्रिया!! मैं सच में भूल गया था देखना!!" "कोई बात नहीं!! जाओ!!! अरे हाँ, यह तुम्हारा रिज्यूम यहाँ पड़ा था!!" "थैंक यू सर!! सर....!! आपसे एक बात पूछूँ??? यहाँ तो लड़कियों को एंट्री नहीं है ना!!! फिर इतनी सारी लड़कियाँ???" "यह लड़कियाँ हमारे डिपार्टमेंट से नहीं हैं!! दूसरे डिपार्टमेंट की हैं!! दरअसल, आरव से इनका कोई संबंध नहीं आता!! पर जिस डिपार्टमेंट में वह है, वहाँ किसी लड़की को एंट्री नहीं है!!!" बेला: तभी तो मैं सोचूँ...??? ऐसा कैसे हो गया!! हर्ष वह रिज्यूम उसे थमाकर चला गया। बेला ने अपने बिगड़े बाल ठीक किए और वह भी उसके पीछे चलने लगी। हर्ष अपने केबिन की तरफ मुड़ गया। तब बेला ने देखा, वह यहाँ का डायरेक्टर था। "डायरेक्टर... हर्ष सर डायरेक्टर हैं!! पर कितने अच्छे इंसान हैं!! उन पागल लड़कियों से उन्होंने मुझे बचाया!!" बेला अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। फिर एक-एक को अंदर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इधर आरव शेखावत अपने घर से ऑफिस के लिए निकल चुका था। आरव को पता था आज उसने कंपनी में इंटरव्यू रखे हैं, तो वह जल्दी ही ऑफिस आ गया। हर्ष के केबिन में उसने सीधे एंट्री ले ली। हर्ष: तुम यहाँ क्या कर रहे हो??! आरव: इंटरव्यू के लिए आया हूँ!! हर्ष: तो दिखाओ अपना रिज्यूम!! तुम्हें भी अच्छी नौकरी करने की ज़रूरत है!!! आरव ने उसके पास जाकर हँसते हुए उसके बाल बिगाड़े। "तो कैसे चल रहा है सब???" आरव ने उसके पास बैठते हुए कहा। "नया कैंडिडेट ढूँढ रहा हूँ!! हमारे प्रोग्रामिंग के लिए!! और इस बंदे का रिज्यूम सबसे बेहतर है!!" हर्ष ने वह रिज्यूम उसके आगे कर दिया। बेला ने अपने रिज्यूम पर नाम अद्वैत लिखा था और फ़ोटो भी लड़के वाली लगाई थी। आरव उसे पहचान गया। यह वही कैफ़े वाला लड़का है, जिस पर पानी गिरा था। वह रिज्यूम को अपने चेहरे के सामने पकड़कर बैठ गया। बेला अंदर आ गई। हर्ष ने उसे देखकर बैठने के लिए कहा। आरव को अपने मुँह के सामने उसका रिज्यूम पकड़ते देख हर्ष को अजीब लगा, पर उसने कुछ नहीं कहा। बेला हर्ष के सामने आकर बैठ गई। हर्ष: तो अद्वैत, सिंपल सवालों से शुरू करते हैं, हमें आपको प्रोग्रामिंग में क्यों लेना चाहिए??? बेला: क्योंकि मेरे ग्रेड्स अच्छे हैं!! मैं बचपन से टॉपर रहा हूँ!! मैंने कंप्यूटर साइंस की अनेक प्रतियोगिताओं को जीता है!! किसी भी प्रोग्रामर के लिए ज़रूरी होता है, वह कोडिंग में माहिर हो!! और मैं कोडिंग में माहिर हूँ, इसलिए!! हर्ष: आरव, मैंने बहुत सालों बाद तुम्हारे रिज्यूम जैसा किसी का रिज्यूम देखा है!! एकदम परफेक्ट!! देखो..!! यह सारे अवॉर्ड जो इसने मेंशन किए हैं, वह तुम्हारे जैसे ही हैं!!! आरव, जिसने अभी भी रिज्यूम को अपने चेहरे के पास पकड़ रखा था, अद्वैत को देख रहा था। आरव: कॉन्फिडेंस होना अच्छी बात है!! तुम्हें क्या लगता है, प्रोग्रामर बनना आसान है??? अद्वैत: नहीं सर!! मैं बिल्कुल नहीं कह रहा कि प्रोग्रामर होना आसान है!! मैं चाहता हूँ, जैसे प्रोग्रामिंग के लिए कोडिंग परफेक्ट होनी चाहिए, वैसे मेरी ज़िंदगी भी प्रोग्रामर के तौर पर अच्छी हो!! इसके लिए मैं मेहनत करूँगा और ध्यान रखूँगा कि मुझसे कम गलतियाँ हों, जिससे आपका मुझ पर भरोसा बना रहे!! आरव उसकी बातों से काफ़ी इम्प्रेस हुआ था। उसने रिज्यूम नीचे रखा, तो बेला को उसका चेहरा नज़र आया और वह खुश हो गई। "हम फिर मिलें??? उस दिन वह सारा पानी तुम पर गिरा!! तुम्हें बहुत गुस्सा आया होगा ना???" "नहीं सर!! वह तो एक एक्सीडेंट था!! आपने जानबूझकर थोड़ी ना किया था!!" आरव: तो तुम्हें उस दिन कोई फ़र्क नहीं पड़ा!! अगर उस बात को याद रखकर मैं तुम्हें यह जॉब दे दूँ, तो दूसरे कैंडिडेट के साथ नाइंसाफी होगी ना!! अद्वैत: पर मुझे लगता है आप पर्सनल मैटर और प्रोफ़ेशनल बातों को अलग रखते होंगे..!! आरव: तुम जानना नहीं चाहोगे कि तुम्हारे इंटरव्यू का क्या रिजल्ट हुआ??? अद्वैत यानी बेला खुश होकर उसकी तरफ़ देखने लगी। पर आरव ने उसका रिज्यूम उसके सामने ही फाड़ दिया। आरव ने अब हर्ष की तरफ़ देखा। "हम इसे यहाँ जॉब नहीं दे सकते!! तुम यहाँ से जा सकते हो!!" अद्वैत: लेकिन क्यों??? मैं वजह जानना चाहता हूँ!! (कहीं इसे मेरा सच तो पता नहीं चल गया.. कि मैं लड़की हूँ!!!) आरव: तुमने झूठ कहा था कि तुम्हें नुकसान भरपाई नहीं चाहिए, लेकिन तुमने वीडियो पोस्ट कर दिया!!! अद्वैत: कौन सा वीडियो!! मैं किसी वीडियो के बारे में नहीं जानता??? आरव ने अपने फ़ोन में वीडियो चलाकर उसके सामने कर दिया। वह पानी फेंकने वाला वीडियो देखकर बेला आरव की तरफ़ देखने लगी। "यह मैंने नहीं किया!! यह मेरी दोस्त ने किया, जो उस दिन मेरे साथ थी!!" हर्ष सर, मैं सच कह रहा हूँ!! आरव: मुझे सुबह तुमने ही फ़ोन किया था ना, कि मैं फेमस हो गया हूँ!! यही है वह वीडियो!! आरव ने वह वीडियो हर्ष को दिखाया। हर्ष ने कहा, "लेकिन जब वह कह रहा है कि उसने नहीं किया, तो तुम उसकी बात तो सुन लो!!" "मुझे नहीं सुननी किसी की बात!! जो मेरी इमेज को बिगाड़ रहा हो, मैं उसी को अपनी कंपनी में एम्प्लॉई कैसे बना सकता हूँ???" आरव गुस्से से अपने आँखों पर ग्लासेस चढ़ाकर वहाँ से निकल गया!!! जारी!!!

  • 4. Chahat - Chapter 4

    Words: 2220

    Estimated Reading Time: 14 min

    बेला अपने सी पी यू मशीन को खोलकर बैठी थी!! स्रु ड्राइवर के साथ वह उसके नट बोल्ट खोल रही थी!!! निशा अपनी बिल्ली को लेकर उसके सामने वाली चेयर पर आकर बैठ गई!! "क्या मेरी वजह से तुम्हें वह नौकरी नहीं मिली!! मुझे बहुत बुरा लग रहा है बेला!! वह इंसान एक नंबर का झूठा और मक्कार है!! पहले गलती तो उसने की थी ना.. उन लड़कियों को एक साथ बुलाकर!! और अब जब मैंने विडियो पोस्ट किया!! और उसे निगेटिव कमेंट मिलने लगे.. तो कहता है.. तुमने उसकी इमेज खराब की!! एक नंबर का चालू इंसान हैं वह!!"         " तुम्हें जरुरत क्या थी किसी के फटे में टांग अड़ाने की!! वह वैसा इंसान नहीं हैं जैसा तुम सोच रही हो!!"          "एक बात बताओ बेला!! तुम उसकी इतनी साइड क्यों लेती हो??? कहीं उसी की वजह से यह कंपनी जॉइन नहीं करना चाहती थी ना तुम...??? एक मिनट तुम उसके लिए मुझसे लड रही हो!!!"         "मैं कहॉं लड़ रही हूं!! मैं तो बता रही हूं.. की मुझे तुम्हारा उसे कुछ कहना अच्छा नहीं लगा बस!!"           निशा बेला के पास आई... और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.. "तुम उसे चाहती हो ना???" बेला गड़बड़ाई... "यह क्या कह रही हो तुम..??? ऐसा कुछ नहीं है!!!"           "यह जो तुम्हारी आवाज़ कपकपा रही है ना .. यह खुद ही बता रही है.. की तुम जो कह रही हो वह झूठ है!! और जो मैं कह रही हूं.. वह सच!! देखो बेला हम बहुत सालों से दोस्त हैं.. तो तुम मुझसे झूठ बोल नहीं सकती!! बस मुझे इस बात का दुख है.. तु आज भी मुझे अपनी सच्ची दोस्त नहीं समझती.. इसलिए यह सारी बातें छुपा रही है!!!" बेला:: ऐसा कुछ नहीं है!! मैं तुम्हें अपनी सच्ची दोस्त मानती हूं!! बस बात इतनी सी है की.. तब तुम कॉलेज में मेरे साथ नहीं पढती थी!! जहॉं आरव और मैं साथ पढ़ते थे!!! निशा:: ओ..... बहुत पुराना याराना लगता है...??? बेला:: फिल्मी कीड़े.. फिल्मों के डायलॉग मारना बंद करो!! और यह बताओ.. तुम उससे माफी मांगोगी या नहीं!! निशा मुझे सच में आरव के साथ काम करना है!! और जैसे तुमने कहा.. उसी के लिए मैं इस कंपनी में जाना चाहती थी!! प्लीज़ मेरे लिए... मेरे लिए उस विडियो को हटा दो!! और उससे माफी मांग लो!! निशा:: दोस्त दोस्त ना रहा....!!! ए.. जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा!!! बेला :: इसका फिल्मी कीड़ा फिर बाहर आ गया!!! निशा....??? निशा:: बेला......!!! ठीक है...!! तुम्हारे लिए.. बस तुम्हारे लिए मैं विडियो हटा रही हूं!!! याद रखना!! अगर उस लंगूर ने तुम्हें परेशान किया.. तो मैं उसे छोडूंगी नहीं!! उसका कचुमर बना दुंगी..  बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना!!!        बेला उसका लास्ट डायलॉग सुनकर पेट पकड़ कर हंसने लगी!!! इस लड़की का मैं क्या करुं सोचकर!!! फिर वह सी पी यू के अंदर निकला हुआ वायर टेप से चिपका कर उसे फिर बंद करने लगी!! उसने निशा की तरफ देखा.. जो बिल्ली के सामने डायलॉग बोल रही थी!! " भाग धन्नो... आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है!!!" उसकी घोड़े पर बैठने की एक्टिंग.. और चाबुक से मारने की एक्टिंग देख बेला फिर हंस पड़ी!! निशा कार्टून नेटवर्क का वह चैनल थी.. जिसका बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं!!!उसके होते हुए बेला को और किसी दुसरे एंटरटेंनमेंट की जरूरत नहीं थी!! वह अपना सी पी यू लेकर अपने रुम में चली गई!! निशा का फिल्मी कीड़ा अब भी बिल्ली के साथ जारी था!!!          आरव अपने घर के बाहर लगे बास्केटबॉल कोर्ट में अकेला बास्केटबॉल खेल रहा था!! उसने लंबी हाइट की वजह से बहुत सारे बास्केट कर दिए थे!! थोडी देर बाद वहॉं हर्ष भी आ गया!! और उसने भी  बास्केटबॉल खेलना शुरू किया!!! हर्ष ने आरव को कड़ी टक्कर दी!! दोनों बचपन के दोस्त थे!! हर  चीज में एक जैसे थे!! इसलिए पक्के दोस्त थे!! अब जब हर्ष ने बास्केट पर बास्केट डालनी शुरू की.. तो आरव ने भी उसे कड़ी टक्कर देते हुए.. लगातार तीन बास्केट की और दोनों एक दुसरे से टकरा कर गिर पड़े!! दोनों ने ब्रेक ले लिया!! और बेंच पर आकर पानी पीने लगे!! आरव के मोबाइल की मैसेज टोन बजी तो आरव ने फोन लेकर देखना शुरू किया!! मैसेज निशा के आई डी से था!! निशा:: हैलो आरव सर!! मैं निशा हूं अद्वैत की दोस्त!! मैंने विडियो डिलिट कर दिया है!! मैंने आपको गलत समझा इसलिए.. आप मुझे माफ़ किजिए!! और अद्वैत की इसमें कोई गलती नहीं है!! उसे तो पता भी नहीं था मैंने विडियो पोस्ट किया है!!!प्लीज़ उसे एक मौका दे दिजिए!! मेरी वजह से आप उसके साथ ऐसा नहीं कर सकते!! प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़.. उसे उसके टैलेंट पर जज किजिए!! ना की मेरी बेवकूफी पर!! आरव:: नो!! मैं उसे माफ नहीं कर सकता!! और तुम्हें भी नहीं!!       आरव ने मैसेज सेंड किया!! हर्ष सब देख रहा था!! उसने कहा.." आरव तुम कुछ ज्यादा ही बात को आगे बढ़ा रहे हो!! उसने माफी मांगी ना??? और विडियो भी डिलिट कर दी!! और क्या चाहते हो तुम!!! जिस तरह की उसकी रिज्यूम थी.. वह बिल्कुल तुम्हारे जैसा है!! और हमारी टीम को एक प्रोग्रामर की जरुरत है!! तुम किसी लड़की को रखना नहीं चाहते.. उसमें क्या बुराई है!! वह हर तरह से हमारे काम के लायक है!!"         " मैंने कहा ना मैं उसे नहीं रखना चाहता!! उपर से वह लड़की की तरफ दिखता है!! मुझे ऐसे बंदे को नहीं रखना जिसकी मेरी नज़र में पहले ही ग़लत छवी बन गई हो!! तुम्हें बड़ी फिक्र हो रही है उसकी!! जाओ फिर दे दो उसे नौकरी!!!"            " तुम जानते हो जब तक तुज्ञ नहीं कहोगे.. मैं ऐसा कुछ नहीं करुंगा!!!फिर भी एक बार तो सोच लो!! हमारी कंपनी को उसकी जरुरत है!!!"         " हर्ष.. मेरा बैग लेकर आना.. और मोबाइल भी!!"      हर्ष ने अपनी गर्दन नीचे कर ली!! और उसे ना में हिलाने लगा!! इस इंसान का कुछ नहीं हो सकता कहकर!! दोनों का बैग अपने कांधे पर डालकर हर्ष आरव के पीछे चला गया!!            आज की सुबह बहुत सुहावनी थी!!! हल्के बादलों ने सुरज को थोड़ी देर ढक दिया था!! जिससे वातावरण में अजीब सी शांति चूली हुई थी!! बेला जल्दी उठ गई थी!! उसकी मम्मी उसे आज मिलने आने वाली थी!!बेला फटाफट तैयार हो गई!! मम्मी से मिलने के लिए उसने लड़की बनकर संवरकर जाने की पुरी कोशिश की थी!! उसकी मम्मी को उसका ऐसे लड़कों की तरह अलग रहना.. कंप्यूटर सिखना बिल्कुल पसंद नहीं था!! बेला की मम्मी शॉर्ट टेंपर थी!! उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आता था!!! बेला घर से जल्दी निकली थी!! फिर भी ट्राफिक में फंसने की वजह से वह बहुत लेट हो गई!! बेला की मम्मी यानी राधा पवार एक रेस्टोरेंट में टेबल पर बेटी हुई थी!! वह उसी का इंतजार कर रही थी!! बेला ने पहुंचकर कहा.. "सॉरी मम्मी मैं ट्राफिक में फंस गई थी!!" टेबल की तरफ देख उसपर रखी इतनी सारी डिशेज देखकर बेला की आंखें बड़ी हो गई!! "मम्मी आपने इतना सबकुछ मंगाया है????"            " हॉं मैंने सारी मंहगी मंहगी चीजें ऑर्डर की है तुम्हारे लिए!! मैं पिछली बीसी का नंबर जीत गई थी!! इसलिए मेरे पास बहुत से पैसे आ गए!! यह सबकुछ उसी की वजह से!! चलो खाओ!!"          " पर मम्मी इतना सारा खाना मैं कैसे खाऊंगी!! मैं मोटी हो जाऊंगी!!!"         "चुपचाप खाओ!!!"       मम्मी के चिल्लाने पर बेला ने चम्मच लेकर खाना अपने मुंह के अंदर ठुंसना शुरू किया!! और बेला की मम्मी शुरू हो गई!! "तुम्हारे आस पास बैठी हुई लड़कियों को देखो.. कितनी सुंदर सज संवर कर आई है!! और तुम कंप्यूटर साइंस लेकर उस डिब्बे में सारा दिन लगी रहती हो!! मुझे तुम्हें कंप्यूटर साइंस लेने ही नहीं देना चाहिए था!! उसी की वजह से तुम लड़की हो कर भी लड़कियों की तरह नहीं दिखती!! मेरे सामने आने पर ही तुम यह बालों की चोटी बनाती हो!! और लड़कियों की तरह ड्रेस पहनती हो!!" बेला:: मम्मी बस करो!! राधा जी:: अगर तुम नहीं चाहती यहॉं बैठे सारे लोग तुम्हारा नाम सुनें.. तो चुपचाप खाओ!!          बेला ने इत्तुसा मुंह बनाकर खाना शुरू किया!! वह आस पास देखें जा रही थी!! कोई देख तो नहीं रहा उसकी तरफ!! तभी वहॉं उस रेस्टोरेंट में एक लेडी की एंट्री हुई.. जो बड़ी अमीर लग रही थी!! उसने गले में पहना डायमंड नेकलेस चमक रहा था!! जैसे ही राधा जी की नजर उस औरत पर पड़ी!! उन्होंने बेला की आड़ में छुपने की कोशिश की!! "बेला सामने से बिल्कुल मत हटना!! जरा देखो तो मेरे लिपस्टिक फैली नहीं है ना..???" बेला :: मम्मी आप छुप क्यों रही हैं??? और किससे बचना चाह रही है!!        अभी बेला सवाल ही कर रही थी की.. उस लेडी ने राधा जी को देख लिया!! वह उनकी टेबल के पास आकर खड़ी हो गई!! बेला की पीठ थी उनकी तरफ!! "राधा... कैसी हो??? बहुत दिनों बाद मिलें!!! यहॉं नागपुर कब आईं???" ‌‌       "ओह... प्रेरणा... मैं ठीक हूं!! तुम कैसी हो???बहुत दिनों बाद मिलें हम पर तुम वैसी की वैसी ही हों!!"         "मम्मी यह कौन है???और आप इनसे छुप क्यों रही थी!!!" बेला ने अपनी मम्मी के कान में फुसफुसाते हुए कहा!! तभी वहॉं आरव ने आते हुए कहा.." मॉम...आप यहॉं हैं???" बेला ने मुड़कर देखा तो प्रेरणा जी के साथ बात कर रहा इंसान आरव है देखकर उसके होश उड़ गए!! उसने अपनी मम्मी के पास जाते हुए कहा.. "मम्मी क्या मेरा मेकअप ठीक है!!!" आरव:: हैलो आंटी!! मॉम यह कौन है??? प्रेरणा जी:: यह मेरी खास दोस्त हैं.. हम एक ही बेंच पर बैठते थे!! थोडी सी बुद्धू है!! पर अच्छी है!! राधा.. यह मेरा बेटा है.. आरव शेखावत!! राधा जी:: और यह मेरी बेटी है.. बेला पवार!! बेला.. इधर देखो बेटा!!        बेला ने अपना मुंह छुपा रखा था!! उसने फुलों का गुलदस्ता अपने चेहरे के उपर पकड़ते हुए कहा.. हैलो आंटी.. मुझे टच अप करने की जरूरत है!! मैं बस अभी आती हूं!!" कहकर बेला भाग गई!! उसे भागते देख आरव हैरान था!! उसका चेहरा वह दोनों नहीं देख पाए थे!!! राधा जी:: वह थोडी सी शर्मिली है ना इसलिए!! प्रेरणा जी:: यानी तुम्हारे जैसी बुद्धू.. है ना राधा!!       राधा जी को प्रेरणा जी का यूं तानें मारना बिल्कुल पसंद नहीं आया था!! पर क्या करती जब बेला ने ही बेडा गर्ग कर दिया था!! बेला जब भागी थी तब उसके हाथ से कोई चीज नीचे गिर गई थी!! आरव वहॉं उस चीज को उठाने चला गया!! वह चीज एक किचैन का टूटा हुआ भालू था!! जो बेला की पर्स से लटका हुआ था!! आरव ने उसे उठा लिया!! और बेला को वापस करने उसके पीछे चला गया!! जिस तरफ वह गई थी!! स्विमिंग पूल के पास आकर बेला ने लंबी लंबी सांसे लेना शुरू किया!! उसने पीछे मुडकर देखा तो आरव उसे ही ढूंढने उसके पीछे पीछे आया था!! छुपने की कोई जगह ना देखकर बेला ने पानी में छलांग लगाई!! और सांस लेकर पुल के अंदर जाकर बैठ गई!! आरव वहॉं आकर उसे ढूंढने लगा!! जब पानी की तरफ उसकी नजर गई तो उसे लगा पानी में कोई डूब रहा है!! उसे बचाने के लिए उसने भी पानी में छलांग लगा दी!! बेला ने आंखें खोलकर जब आरव को अपनी तरफ आते देखा.. तो वह तैरते हुए पानी के उपर आ गई!! और अपने चेहरे को अपने लंबे बालों से कवर कर उसने ढक दिया!! आरव आवाज देता रहा गया पीछे से.. "अरे सुनिए.. यह चीज तो ले जाईए.. यह आपकी है शायद!!"       बेला वहॉं होती तब तो कुछ सुन पाती!! वह तो कब की मांग गई थी!! आरव ने पूल पर अपने दोनों हाथ रख उपर आने की कोशिश की!! वह पूरी तरह गीला हो गया था!!" अजीब लड़की है!! ऐसे चेहरा छुपाकर बाहर रही थी जैसे अग्ली हो!! एक मिनट उस दिन प्रोफेसर सर के सामने भी वह लड़की ऐसे ही चेहरा छुपाकर भागी थी!! कहीं दोनों एक ही तो नहीं!!"      आरव अपने आप से बातें किए जा रहा था!! जब उसने बाहर आकर देखा बेला और उसकी मम्मी दोनों नहीं थे!! आरव अपनी मॉम के लिए घर चला आया!!          राधा जी जब भी बेला से मिलने आती.. होटल में रुकती थी!! बेला भी उनके साथ ही रुकती थी!! राधा जी उसके बाद सुखा रही थी!! उन्होंने बेला से पूछा.. "तुम अपना चेहरा छुपाकर क्यों भागी!! यह भी कम था की पूल में भी गिर गई!!"      " मम्मी वह सब छोड़िए आप यह बताइए!! आपने मुझे आज मिलीं हुई आंटी के बारे में पहले क्यों नहीं बताया???"        "क्योंकि हम दोनों भले ही एक बेंच पर बैठकर पढ़ी हो कॉलेज में!! उसकी और हमारी दुनिया अलग है!! वह बहुत अमीर घराने की है!! उसकी शादी भी एक अमीर लड़के से हुई थी!!! बस इसलिए  मैंने कभी तुम्हें उसके बारे में नहीं बताया !!!"      " मम्मी वह आंटी काफी अच्छी लग रही थी.. कितनी सोफ्ट  आवाज थी उनकी!! कितने प्यार से बात कर रहीं थीं!! और उनका बेटा भी अच्छा ही लगा रहा था!!"       "हॉं... हॉं!! सब अच्छे हैं दुनिया में!! एक तेरी मम्मी को छोड़कर!! यह ले तौलिया..  और खुद सुखाओ अपने बालों को!!" अपनी मम्मी को चिढ़ते देखकर बेला खामोश हो गई!! और उसने मुस्कुराते हुए कहा.. "आज बाल बाल बच गई!! अगर आज चेहरा दिख जाता.. तो मेरी रही सही उम्मीद भी टूट जाती वहॉं कंपनी में जाने की!!"     ‌इधर आरव सर्दी लगने की वजह से छींक रहा था!! उसकी मॉम उसके लिए गर्म दुध ले आईं थीं!! "आरव.. यह रहा तुम्हारा दुध!! चलो जल्दी फिनिश करो!! तुम्हें अच्छा लगेगा!! और मैंने उसी के साथ दवाई रख दी है.. ले लेना!!" आरव ने अपने हाथ में पकड़ रखे.. उस किचैन के भालू को देखते हुए कहा.. "अजीब लड़की है वह!! उसकी वजह से मैं पानी में कूदा.. और बिना थैंक यू बोले भाग गई!!" जारी!!!

  • 5. Chahat - Chapter 5

    Words: 1849

    Estimated Reading Time: 12 min

    यह तुम तब से क्या बड़बड़ा रहे थे? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था? यह लो... और हाँ, क्या ज़रूरत थी तुम्हें पानी में कूदने की! बिना बात के तुम्हें सर्दी लग गई! अच्छा, मैं बताना भूल गई, कल तुम फिर से डेट मीटिंग के लिए जा रहे हो! आरव ने अपनी मम्मी की तरफ देखकर कहा, "आप मेरी डेट फिक्स करना कब बंद करेंगी?" "जब तक तुम कोई लड़की अपने लिए पसंद नहीं कर लेते, तब तक! आखिर क्या खराबी है लड़कियों में? तुम्हें कोई पसंद क्यों नहीं आती? जहाँ तक मैं अपने बेटे को जानती हूँ, तुम में तो कोई खराबी नहीं है! हैंडसम हो, डैशिंग हो... और तो और, अमीर घराने से हो, खुद का बिज़नेस है तुम्हारा! तो तुम्हें कोई लड़की क्यों नहीं मिल रही?" "मॉम, आपकी बातों से मेरी और तबियत खराब हो रही है! आप जाइए, मुझे काम करना है!" "बिल्कुल नहीं! तुम आराम करोगे! और मुझे कम से कम यह तो बताओ, आखिर तुम्हारे टाइप की लड़की कैसी है?" आरव ने अपने हाथ में पकड़े उस भालू वाले की-चेन को देखा और वह अपनी मॉम के सामने करते हुए कहा, "ऐसी!" आरव ने उस भालू को अपनी उंगली से मारा। "यह की-चेन तो मेरी दोस्त की बेटी का है ना! ओह... तो वह तुम्हें पसंद आ गई! तुमने उसका चेहरा कैसे देखा, जब मैं नहीं देख पाई तो? ठीक है... उसकी मम्मी थोड़ी अकडू है! पर कोई नहीं, मैं तुम्हारे लिए उससे बात करके देखूँगी!" आरव की मॉम उसे गुड नाइट बोलकर चली गई। और आरव ने की-चेन की तरफ देखकर अपने आप से कहा, "अजीब लड़की... थैंक यू तो तुम्हें बोलना पड़ेगा!" आरव सो गया। दूसरे दिन, अपने लड़के के गेटअप में बेला "मिशन जॉब" पर निकल पड़ी। उसने आरव को फॉलो करना शुरू कर दिया। जब आरव ऑफिस आया और गाड़ी से बाहर निकला, तो बेला उसके सामने आ गई। "मि. आरव, यह रहा आपका ब्रेकफास्ट! आपकी जानकारी के लिए, मैंने अपनी दोस्त से कहकर वह वीडियो इंटरनेट से हटा दिया है! और सभी कमेंट करने वालों को भी समझा दिया कि क्या रीज़न था आपके ऐसा कुछ करने का! अब सब ठीक हो गया है तो प्लीज़, क्या आप माफ़ नहीं कर सकते? मुझे इस जॉब की ज़रूरत है!" आरव: देखो... क्या नाम था तुम्हारा... हाँ, अद्वैत! मुझे अब उस वीडियो के बारे में कोई बात नहीं करनी! और मैं उस बात को अब भूल चुका हूँ! तो तुम अब जा सकते हो! और हाँ, मेरे पीछे मत आना! बेला फिर भी उसके पीछे चलने लगी तो आरव ने कहा, "मैंने कहा ना, मेरे पीछे मत आओ!" बेला उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और उसने मुस्कुराते हुए कहा, "अब मैं पीछा नहीं कर सकती, है ना!" आरव ने उसे फिर डाँटा, "मुझे फ़ॉलो करना बंद करो, प्लीज़!" अब बेला दूसरे दिन जहाँ आरव जॉगिंग के लिए जाता था, वहाँ जाना सही समझा और साइकिल को पैडल मारते हुए उसने कहा, "आपने मुझे माफ़ तो कर दिया, पर मेरा रिज्यूम नहीं देखा! एक बार देख लीजिए सर!" आरव उससे बचने के लिए तेज़ भागकर निकल गया। उसके बाद किसी कैफ़े में आरव मीटिंग के लिए पहुँचा था, वहाँ भी बेला पहुँच गई। "मि. आरव, एक बार मेरा रिज्यूम देख लीजिए!" आरव वहाँ से भी उठकर चला गया। अब जहाँ बेला दिखती, वहाँ से आरव उठकर भागने लगा था। अब उसने एक दिन बेला पर बिगड़ते हुए कहा, "तुम किसी और कंपनी में ट्राई क्यों नहीं कर लेती? और भी अच्छी कंपनियाँ हैं!" बेला: पर मुझे तो आपकी ही कंपनी में काम करना है! यहाँ काम करना मेरा सपना है! (स्पेशली आपके साथ काम करना) आरव: अद्वैत, देखो... सभी जगह भर चुकी हैं! और अभी कोई वैकेंसी नहीं है! तो प्लीज़, मेरा पीछा करना बंद करो! बेला मायूस होकर चली गई। उसने अब पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। आरव आज ऑफिस लेट पहुँचा था। ऊपर केबिन की तरफ़ लॉबी में उसने किसी को खड़े देखा तो उसकी साँसें अटक गईं! सामने सुशांत शेखावत जी खड़े थे! उन्हें देखकर वह भागने की फ़िराक में आगे बढ़ गया! तभी आवाज़ आई, "आरव...?" आरव मुड़कर उनकी तरफ़ बढ़ गया। "सिनियर शेखावत, आप यहाँ कैसे आए...? कब आए...?" सुशांत जी ने अपने हाथ की बाजू ऊपर करते हुए आरव की तरफ़ देखा, "यह आप क्या कर रहे हैं सिनियर...? यह मेरा ऑफिस है!" सुशांत जी: मैंने सबको बोल दिया है, यहाँ थोड़ी देर के लिए कोई नहीं आएगा! आरव: मेरी इज़्ज़त का क्या सिनियर! वैसे आप यहाँ क्यों आए... मुझे बुला लिया होता! सुशांत जी: तुमने अपनी मॉम को गुस्सा क्यों दिलाया? उसकी वजह से मुझे कल सोफ़े पर सोना पड़ा! आरव: (हँसते हुए) आप सोफ़े पर सोए थे... वो...! मतलब मॉम आपके साथ ऐसा कैसे कर सकती है? सुशांत जी: तुम अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आओगे ना? सुशांत जी ने अपना कोट निकालना शुरू किया तो आरव डर गया! तभी वहाँ एक एम्प्लॉई पानी लेकर पहुँचा। "मि. शेखावत, आपके लिए पानी!" आरव ने जल्दी से बात बदलते हुए कहा, "सिनियर, यह सूट आप पर जच रहा है!" आरव ने वह कोट वापस अपने डैड के ऊपर पहना दिया। सुशांत जी: हाँ... नया जो है! सुशांत जी ने एम्प्लॉई की तरफ़ एक कार्ड बढ़ाया, "अपने बॉस से कहो... अगर आज वह इस डेट पर नहीं गया... तो मैं इसकी कंपनी के सारे फ़्लोर को खरीद लूँगा... और पुराने स्टाफ़ को हटा दूँगा! फिर तुम्हारे पास कोई जॉब नहीं होगी!" आरव: सिनियर शेखावत, आप ठीक नहीं कर रहे? सुशांत जी: यह सब मेरी बीवी को गुस्सा दिलाने से पहले सोचना चाहिए था! आरव के पास खड़ा एम्प्लॉई आरव की तरफ़ कार्ड देकर हँसने लगा तो उसने एम्प्लॉई को डाँटते हुए कहा, "तुम क्या हँस रहे हो...? उनकी बीवी मेरी मॉम है! जाओ काम करो अपना! और वह पानी की बोतल देते जाओ! इस पानी की मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरत है!" आरव की हालत देखकर एम्प्लॉई हँसते हुए चला गया। यह डाँट कम, एंटरटेनमेंट ज़्यादा थी उसके लिए! आरव अभी पानी पीते हुए बैठा ही था कि अद्वैत को वहाँ आते देख उसके मुँह का पानी बाहर आ गया! आरव: तुम फिर आ गए? तुम्हें एक बार कही हुई बात समझ नहीं आती है क्या? मैंने क्या कहा था तुम्हें... कि यहाँ सब जगह फ़ुल हो चुकी है! फिर भी तुम मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे! बेला: बात वह नहीं है मि. आरव! आपने कहा कि मुझे वीडियो की वजह से नहीं रखा जा रहा! आप मेरा रिज्यूम एक बार देख लीजिए... मैं हर तरह से आपकी कंपनी में काम करने के लिए बेहतर हूँ! फिर आप को गलतफ़हमी की वजह से मुझे जॉब देने से मना नहीं कर सकते! मैं वादा करता हूँ... आप जो कहेंगे, मैं वह करूँगा! आरव: कुछ भी करोगे... जो मैं कहूँगा! वैसे... एक काम है... अगर तुम करके दिखाओ... तो तुम्हारी जॉब के बारे में सोचूँगा! बेला: मैं कुछ भी कर सकती हूँ सर! थोड़ी देर बाद दोनों आरव की डेट मीटिंग की जगह पर थे! एक खूबसूरत लड़की, जो आरव के आने का इंतज़ार कर रही थी, छोटी ड्रेस पहनकर उसका इंतज़ार कर रही थी! उसकी घुटनों तक आती ड्रेस देखकर बेला समझ गई, "यह आरव की एक और डेट है!" "मि. आरव, हम यहाँ किसलिए आए हैं?" आरव: तुमने कहा था ना... कुछ भी करोगे! इस लड़की से ना बुलवा कर दिखाओ! तभी तुम्हें जॉब मिलेगी! लड़की: (आरव के नज़दीक आते हुए) आरव, तुम आ गए... यह कौन है? आरव: यह मेरा एम्प्लॉई है! तुम्हारे साथ पार्टिसिपेट करने आया है! मैं क्लाइम्ब नहीं कर सकता ना! मुझे ऊँचाई से डर लगता है! बेला: (मन में) ऊँचाई से तो मुझे भी डर लगता है! मि. आरव, क्या मुझे भी यह करना है? आरव: तुमने ही तो कहा था तुम कुछ भी कर सकती हो? अगर जॉब चाहिए तो करो... वरना रहने दो! बेला: ठीक है... मैं करती हूँ! लड़की आरव की बात सुनकर हैरान रह गई! बेला ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, "हाय, मैं अद्वैत हूँ! चलें?" लड़की आगे चली गई! उन्हें चढ़ाई करनी थी और केबल से उन दोनों को बाँध दिया था! बेला को ऊँचाई से डर लगता था! पर अभी उसके पास कोई रास्ता नहीं था, ऊपर चढ़ने के अलावा! बेला ने अपने सिर पर हेलमेट लगाया और उसे कसकर पिन लगाई! वह लड़की भी तैयार थी! तभी आरव बोल पड़ा, "ऐसे ही सिर्फ़ दीवारी चढ़ने में मज़ा नहीं आएगा... है ना? क्यों ना तुम दोनों रेस करो! देखने में मज़ा भी आएगा... और तुम दोनों के बारे में सोचने के लिए मुझे थोड़ा वक़्त मिल जाएगा!" लड़की: ने आरव को इम्प्रेस करने के लिए हाँ बोल दिया! वह चढ़ने में माहिर लग रही थी। "आरव, अगर मैं जीत गई तो तुम क्या दोगे मुझे?" आरव: एक और डेट पर चलूँगा तुम्हारे साथ! लड़की: वॉव, मज़ा आएगा! और तुम अद्वैत... तुम जीते तो क्या चाहते हो आरव से? आरव: उसकी जॉब पक्की! बेला ने मन में कहा, "अब तो कुछ भी करके तुम्हें जीतना है बेला! आर या पार करना होगा! तुम हार नहीं सकती! अगर तुम्हें आरव की कंपनी में काम करना है... तो तुम्हें यहाँ जीतना ही होगा!" बेला और वह लड़की तैयार हो गए! अब आरव ने अपने मुँह में पकड़ी सीटी बजाई और उन दोनों ने चढ़ना शुरू किया! लड़की बहुत फ़ास्ट थी इसलिए तेज़ी से ऊपर चढ़ने लगी! बेला पहली बार ऐसा कुछ कर रही थी इसलिए उसे समझ नहीं आ रहा था, उसे क्या करना चाहिए! फिर भी वहाँ बनाए हुए छोटे स्टेप पर पैर रख, वह चढ़ने की कोशिश करने लगी! हाथ में पकड़ी हुई रस्सी से उसका हाथ बार-बार फिसल रहा था! लड़की चढ़ तो गई थी ऊपर, पर उसका केबल किसी जगह पर अटक गया था जिससे वह आगे नहीं बढ़ पा रही थी! उसे छुड़ाने के लिए उसने खींचने की कोशिश की तो वह और कस गया और वह वहाँ अटक गई! बेला धीरे-धीरे संभलकर आगे बढ़ रही थी! बेला जैसे-जैसे ऊपर जा रही थी, उसे डर लग रहा था! अपने पैर से बैलेंस कर वह आगे बढ़ रही थी। "बेला, नीचे मत देख! मत देख यार... वरना तू भगवान को प्यारी हो जाएगी! और आरव के साथ काम करने के तेरे सपने पर पानी फिर जाएगा!" बेला खुद को ही समझाए जा रही थी! आरव: जिस तरह यह चढ़ रहा है! इसे तो ऊँचाई से डर लग रहा था ना! अब क्या हुआ? बेला ऊपर आ गई थी और वह लड़की भी ऊपर पहुँच गई! ऊपर रखे जीत के झंडे को दोनों को उठाना था! पहले बेला ने उसे छुआ, फिर उस लड़की ने! और दोनों ने उसे पकड़कर खींचना शुरू किया! दोनों की खिंचातानी में झंडा टूट गया और फट भी गया! दोनों के हाथ में उसका आधा-आधा हिस्सा आ गया! अभी उसे लेकर बेला खुश हो रही थी कि... टेबल पर से उसका हाथ छूट गया और वह नीचे गिरने लगी! उसे गिरते देख सब शॉक रह गए! नीचे खड़े आरव ने जल्दी दिखाई और वह उसे पकड़ने दौड़ पड़ा! और उसे पकड़ने में कामयाब भी हो गया! बेला ने डर के मारे आँखें बंद कर रखी थी! उसने आरव की कॉलर को पकड़ लिया था! आरव के लिए यह पल अहम था! यह लड़की जैसे दिखने वाला बंदा... उसमें ज़रूर कुछ बात थी... जो उसकी नज़रें बेला से हट नहीं रही थीं! जारी!

  • 6. Chahat - Chapter 6

    Words: 1977

    Estimated Reading Time: 12 min

    बेला की ओर देखकर वह खोया हुआ था कि बेला ने, होश में आते हुए, नीचे उतरना शुरू कर दिया। आरव उसकी आँखें और गर्दन देखकर अभी भी असमंजस में था। एक लड़के की गर्दन इतनी पतली… और आँखें लड़कियों जैसी कैसे हो सकती हैं? अपने मन में वह सोच ही रहा था कि बेला उसके पास आते हुए बोली,

    "मि. आरव, मैं जीत गई! अब मेरी जॉब पक्की ना…???"

    आरव ने सवालों भरी नज़रों से उसकी ओर देखा। और बेला सोचने की कोशिश कर रही थी कि आरव को हुआ क्या है? वह इस तरह अजीब तरीके से क्यों पेश आ रहा है उसके साथ?


    दूसरे दिन, जब बेला आरव से मिलने ऑफिस आई, तो आरव ऑफिस के बाहर किसी क्लाइंट का इंतज़ार कर रहा था। बेला ने उसे गुड मॉर्निंग विश करते हुए कहा,

    "सर, आप यहाँ बाहर क्यों हैं?"

    "क्योंकि मेरे क्लाइंट ने मुझे एक घंटे से यहाँ खड़ा कर रखा है! मैं उनका वेट कर रहा हूँ! तुम फिर आ गए!"

    "मैं तो बस यह पूछने आई थी… क्या अब मैं ऑफिस ज्वाइन कर सकता हूँ? आपने मुझे अपॉइंटमेंट लेटर नहीं दिया है अब तक!"


    जब बेला ने अपनी बात खत्म कर के आरव की ओर देखा, तो वह हैरान थी! ग्राउंड में नीचे बैठे कुछ कबूतरों में से एक आरव के कंधे पर आकर बैठ गया था! आरव चिल्लाना शुरू कर दिया! उसे बचपन से ही बर्ड का फोबिया था! बर्ड्स के नुकीले नाखून उसे किसी राक्षस के नाखूनों की तरह लगते थे! उसे चिल्लाते देख बेला ने आगे बढ़कर उस कबूतर को अपने हाथ से पकड़ा और उसे सहलाने लगी।

    "आप एक कबूतर से डर गए सर? यह कुछ नहीं करेगा… फ़िलहाल तो आपके चिल्लाने से यह खुद डरा हुआ है!"

    आरव ने उसे घूरा।

    "इसे दूर करो मुझसे! मुझे डर लगता है इस चीज से! दूर ले जाओ!"


    बेला ने कबूतर को उड़ा दिया।

    "आप थोड़ी देर के लिए आँखें बंद कर लीजिये सर! मैं आपको ऑफिस ले चलती हूँ!"

    आरव ने झट से आँखें बंद कर लीं, क्योंकि वह अभी भी डर रहा था! बेला ने उसका हाथ पकड़ा और ऑफिस के अंदर ले आई। अंदर आते ही आरव ने बेसिन के आगे जाकर हाथ धोये और हाथों को रगड़ना शुरू कर दिया। बेला उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रही थी! इतनी बड़ी कंपनी के सीईओ को एक कबूतर से डरते हुए देखकर! आरव ने उसकी ओर देखकर कहा,

    "ठीक है, तुम्हारी जॉब पक्की! पर मेरी एक शर्त है!"

    "क्या शर्त है सर? मुझे सब मंज़ूर है!"

    "पहले सुन तो लो! तुम्हें मेरी सारी डेट मीटिंग्स का ख्याल रखना होगा! मेरी डेट को बर्बाद करना होगा! क्योंकि मैं किसी को डेट करना नहीं चाहता!"

    "किसी भी कंप्यूटर में एंटीवायरस डालकर वायरस से बचा जा सकता है… पर डेट मीटिंग से बचना थोड़ा मुश्किल है सर!"

    "तो तुम्हें मेरी शर्त मंज़ूर नहीं है! है ना!"

    "ऐसा नहीं है! ठीक है… मैं कोशिश करूँगा… कि आपकी डेट बर्बाद कर सकूँ! लेकिन मैं गारंटी नहीं दे सकता… बर्बाद हो जाएगी इसकी!"

    आरव मुस्कुराते हुए बोला, "ठीक है!"


    बेला थककर घर आ चुकी थी! किसी भी तरह उसने आरव को अपनी जॉब के लिए मना लिया था! बस यही बहुत था उसके लिए! अब बस कल ऑफिस जाने की देर थी! उसने अपने कंप्यूटर पर अपनी डायरी ओपन की और उसमें लिखा, "आज मैंने एक कदम तुम्हारी तरफ़ बढ़ा दिया! मैं बहुत खुश हूँ!" बेला ने उसे सेव किया और वह सोने चली गई।


    दूसरे दिन, जब सुबह अलार्म बजा, तो बेला उठकर बैठ गई। घड़ी में छह बज रहे थे! अपनी बंद आँखें खोलकर उसने आस-पास देखा और उठकर बैठ गई! फिर निशा, जो उसकी बगल में सो रही थी, उसे भी उठाकर अपने पास बिठा लिया।

    "निशा… उठो! सुबह हो गई!"

    निशा उठ तो गई थी, पर अभी भी नींद में थी! नींद में चलते हुए, वह बेला के पास पहुँची! बेला ने उसकी ओर उसका ब्रश बढ़ा दिया और दोनों ब्रश से अपने दांत साफ़ करने लगीं! अब बेला ने फुर्ती दिखाई और रेडी हो गई! जैसे ही बाहर आई, निशा ने उसके लिए केक रेडी किया था! वह उसे लाकर सरप्राइज़ कहने लगी तो बेला डर गई।

    "अच्छा होता अगर यह सरप्राइज़ ना होता! मुझे डर लग रहा है!"

    "ऐसे कैसे…??? आज तुम्हारा ऑफिस का पहला दिन है! सरप्राइज़ तो बनता है! और तुम टेंशन मत लो! कोई नहीं कहेगा… कि तुम लड़की हो???"

    "सिर्फ़ कपड़े पहनने से यह साबित नहीं होगा कि मैं लड़का हूँ! देखो मेरी आँखें पूरी तरह लड़कियों की तरह हैं! और ये आइब्रोज़ भी लंबी हैं! क्या मुझे इन्हें कट कर लेना चाहिए! ताकि कोई मुझे पहचान ना पाएँ!"

    "तुम बेकार में टेंशन ले रही हो बेला! इतना मत सोचो! खुद पर भरोसा रखो! तो किसी को शक नहीं होगा! आजकल लड़कों के भी लंबे आइब्रोज़ होते हैं! अब ज़माना बदल चुका है यार… इतना सोचोगी तो कैसे चलेगा??? अच्छी-अच्छी बातें सोचो! और जाओ अब तुम्हें देर हो रही है! पहले ही दिन लेट होना चाहती हो क्या!"

    निशा ने उसे गले से लगा लिया और कहा, "तुम्हें एक और बात याद रखने की ज़रूरत है… जब भी लड़कों से मिलो… उनसे ऐसे कहना 'हाय… ब्रो' तो सब समझ जाएँगे… तुम लड़का हो!"

    "क्या यह काम करेगा??? कोई मुझ पर हँसेगा तो नहीं ना???"

    निशा ने उसे दही-शक्कर खिलाया। "जितनी मैंने आज तक फ़िल्में देखी हैं… अक्सर यंग लड़के एक-दूसरे को ऐसे ही मिलते हैं! और यही बोलते हैं! अब जाओ भी!"


    निशा ने उसे बाहर धकेला तो बेला बाहर आ गई! और खुद से बड़बड़ाई, "तुम कर सकती हो बेला!" थोड़ी ही देर में… वह ऑफिस के सामने खड़ी थी! ऑफिस में जाने का यह पहला दिन! जिसके लिए उसने क्या कुछ नहीं किया था! बहुत मुश्किल से आरव को मनाया था! अंदर कदम रखते ही उसे बहुत खुशी हुई! सीढ़ियों से ऊपर जाते वक़्त वह अपने पास से गुज़र रहे लड़कों को, जो वहाँ एम्प्लॉई थे, उन्हें देख रही थी! सबको लंबी बाजू वाली शर्ट पहने देख वह समझ गई यह यहाँ का ड्रेस कोड है! उसने जल्दी से मोबाइल निकालकर अपने लिए भी ऐसी ही एक शर्ट ऑर्डर कर दी! वह उन्हें देखते हुए अपने डिपार्टमेंट, यानी प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट की तरफ़ आ गई! आरव प्रोग्रामिंग में पहले से माहिर था! इसलिए उसने प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट को बहुत खूबसूरती से सजाया था! दीवारों पर खूबसूरत रंगों के साथ कोडिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हुई थी! सब देखते हुए उसने मुँह से "खूबसूरत" निकालने ही वाला था कि… उसके पास खड़े और बहुत देर से उसे देख रहे शेखर जी की नज़र उस पर पड़ी।


    शेखर जी: तुम "खूबसूरत" कहना चाहते हो है ना???

    बेला: हाँ! लेकिन आप…?

    शेखर जी: मैं प्रोग्रामिंग का हेड… शेखर स्वामी! और तुम शायद अद्वैत हो! हैं ना???

    बेला: शायद नहीं… अद्वैत ही हूँ!


    बेला ने उनसे हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया और निशा की बात याद आते ही हाथ खींचते हुए "हाय ब्रो" कहा! शेखर जी हँसने लगे! वह जरा ओल्डर थे! इसलिए बेला की हरकत पर हँस पड़े।

    "तुम यंगस्टर्स का यह स्टाइल बहुत नया है हम जैसों के लिए!"

    बेला को अपनी गलती पर शर्म महसूस हुई! उसने हँसते हुए कहा, "सॉरी सर!" तभी उसके पीछे से समीर बोल पड़ा,

    समीर: जो ड्रेस तुमने पहन रखी है वह यहाँ अलाउ नहीं है अद्वैत! हाय, मैं समीर!

    बेला: हाय समीर, मैं अद्वैत!

    शेखर जी: और यह नैतिक है! जरा बात कम करता है… पर अच्छा है! इसे आज तक प्यार नहीं हुआ… इसलिए अच्छी लड़की की तलाश में हैं!

    बेला: हाय नैतिक! मैं अद्वैत… आज से तुम्हारी प्रोग्रामिंग टीम ज्वाइन करूँगा!

    नैतिक: हैलो! तुम्हारी हाइट कुछ ज़्यादा ही कम नहीं है???

    बेला: क्या किसी की हाइट एक जैसी होती है क्या!!!


    सवाल पर सवाल से नैतिक मुस्कुरा दिया और अपने कंप्यूटर पर लग गया! शेखर जी ने बेला को उसकी डेस्क दिखाई! तभी उनकी नज़र सामने कंप्यूटर खोलकर बैठे प्रतिक पर गई! प्रतिक ने जैसे ही बेला को देखा, "हाय" कहकर हाथ ऊपर उठा दिया! बेला उसकी ओर बढ़ गई।

    प्रतिक: मैं प्रतिक… यहाँ का मशीन्स एक्सपर्ट… वेलकम टू द टीम!

    बेला: मैं अद्वैत! प्रतिक, तुमसे एक बात पूछूँ…? यहाँ हमारी टीम में कोई… लड़की क्यों नहीं है???

    प्रतिक: मैंने सुना है… बहुत साल पहले एक लड़की की वजह से आरव सर बहुत बड़ी मुश्किल में फँस गए थे! और तो और वह उस लड़की से प्यार भी करते थे… इसलिए… ओय… तुम अभी-अभी आए हो… और अभी से बातों में इतना इंटरेस्ट ले रहे हो! जाओ… शेखर सर तुम्हें बुला रहे हैं!!!!


    बेला ने मुड़कर देखा तो शेखर सर सच में उसे बुला रहे थे।

    शेखर जी: देखो यह तुम्हारा एम्प्लॉई कार्ड है! इसमें तुम्हें तुम्हारा आई कार्ड मेंशन करना है! रिसेप्शनिस्ट से मैं कह दूँगा… वह तुम्हारी मदद कर देगी! उसे रिकॉर्ड के लिए भी तुम्हारा आई कार्ड चाहिए होगा! तुम लाए हो ना…?


    बेला हड़बड़ाई! क्योंकि उसके आई कार्ड पर उसका नाम बेला था और जेंडर फ़ीमेल था! अब उसके सामने बड़ी आफ़त खड़ी हो गई थी! पर रिसेप्शनिस्ट से मिलना भी बहुत ज़रूरी था! वह उसके पास चली गई! जब बेला रिसेप्शनिस्ट के पास पहुँची, वह मोबाइल पर कोई मूवी देख रही थी! बेला ने उसके सामने पड़ी चेयर पर बैठते हुए कहा,

    बेला: क्या यहाँ मूवीज़ देखना अलाउड है… काम के टाइम पर??

    रिसेप्शनिस्ट: कौन है…? क्यों तंग कर रहे हो???


    रिसेप्शनिस्ट ने मोबाइल से ध्यान हटाकर सामने देखा तो अपने सामने बैठे… एक खूबसूरत पर सादगी से भरे लड़के को देख वह देखती रह गई! यह तो बिल्कुल मेरे सपनों के राजकुमार जैसा है! उसने मन में सोचा… और बस देखती रह गई! बेला ने उसके सामने चुटकी बजाकर उसे होश में आने पर मजबूर किया! फिर उसकी ओर देखकर पूछा,

    बेला: क्या मुझे आईडी कार्ड दिखाना ज़रूरी है???

    रिसेप्शनिस्ट: हाँ! अगर नहीं तो आपको घर का कोई प्रूफ़ देना होगा! वह भी चल जाएगा!

    बेला: (मन में) यह मेरे सामने इतनी शर्मा क्यों रही है??? मेरा आईडी कार्ड है मेरे पास… लेकिन???


    रिसेप्शनिस्ट ने उसके हाथ में उसका आई कार्ड देखकर खींच लिया!

    रिसेप्शनिस्ट: लेकिन… क्या कह रहे थे आप???

    बेला ने वह कार्ड पकड़ लिया! दोनों ने उसके सिरे पकड़ लिए थे! जब रिसेप्शनिस्ट ने उसका कार्ड पूरा ले लिया… तो बेला ने उसके हाथ पकड़ लिए! रिसेप्शनिस्ट फिर शर्मा गई! बेला ने मन में कहा… तुझे क्या-क्या करना पड़ रहा है बेला!

    बेला: (मन में) आपके हाथ कितने मुलायम हैं??? कौन सा क्रीम यूज़ करती हो???

    इस पर रिसेप्शनिस्ट ने शर्माते हुए कहा, "छोड़िए ना… कोई देख लेगा!!!"

    बेला ने उससे अपना कार्ड छीन लिया! क्योंकि उस पर उसकी लड़की वाली तस्वीर थी! वह वह कार्ड उसे दिखाना नहीं चाहती थी!

    बेला: मेरा कार्ड एक्सपायर हो गया है! इसे दोबारा बनवाते ही मैं आपको दिखा दूँगा! ठीक है!

    "ठीक है" कहकर रिसेप्शनिस्ट फिर अपने काम पर लग गई! बेला अब रिसेप्शनिस्ट के पास से उठकर ऊपर की तरफ़ जाने लगी… तो आरव उसे सामने से आता हुआ दिखा!

    बेला: गुड मॉर्निंग मि. आरव!

    कहकर वह ऊपर सीढ़ियाँ चढ़ने लगी तो आरव ने उसे रोक दिया।

    आरव: रुको! यह तुम्हारे हाथ में क्या है???

    बेला: मेरा आईडी… कार्ड…!!! (गधी कहीं की! तू खुद ही बैल को कहती है आ बैल मुझे मार!!! बेला ने मन में कहा!)


    आरव: दिखाओ तुम्हारा आईडी कार्ड!

    तो बेला ने कार्ड को अपने पीछे छुपा लिया!

    बेला: मैं नहीं दिखा सकती! यह आईडी एक्सपायर हो चुका है! वैसे भी आप क्या करेंगे मेरा आईडी देखकर!

    आरव: मुझे अब समझ आ रहा है तुम अपना आईडी कार्ड क्यों नहीं दिखा रही! क्योंकि उस पर खिंची हुई तुम्हारी फ़ोटो… बहुत गंदी आई होगी!

    बेला: हाँ मि. आरव, बहुत गंदी फ़ोटो है मेरी आईडी पर! प्लीज़ मत देखिये!

    आरव: सिर्फ़ छह प्रतिशत लोग हैं दुनिया में जो खूबसूरत हैं! उन में मैं भी शामिल हूँ! हर किसी की फ़ोटो अच्छी नहीं आ सकती… आईडी पर! जैसे कि तुम्हारी!


    आरव खुद की तारीफ़ कर चला गया और बेला की जान में जान आई! अपनी आईडी को उसने जल्दी से अपने बैग में रख दिया और अपनी जगह पर जाकर बैठ गई!

    जारी…

  • 7. Chahat - Chapter 7

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    बेला ने आरव की तरफ देखा। वह सीढ़ियाँ लेकर ऊपर अपने केबिन की तरफ चला गया। और बेला अपने कोडिंग में व्यस्त हो गई। तभी उसके फ़ोन पर मैसेजेस की टोन बजी! और फिर बजती रही! इतने सारे मैसेजेस किसने भेजे हैं? देखने के लिए बेला ने जैसे ही फ़ोन उठाया, तो एक से एक खूबसूरत लड़कियों की फ़ोटोज़ उसके मोबाइल पर भेजी थीं—ऑफ़िस के लड़कों ने!

    "हे भगवान... यह देखने से पहले मैं अंधी क्यों नहीं हो गई!" उसने अपने आप से पूछा। उसे ग्रुप में जॉइन कर लिया था और जो लड़कों की पसंद थी, अब बेला को झेलनी पड़ रही थी। उसने अपने हाथ से सब फ़ोटोज़ को डिलीट कर दिया और अपना काम जारी रखा।

    थोड़ी देर बाद, जब उसे सिर में खुजली होने लगी विग की वजह से, तो उसने आस-पास देखा। कोई नहीं था! सही मौका देखकर उसने अपने विग में पीछे से उंगली डाली और खुजलाना शुरू किया। क्योंकि ऑफ़िस में नया सामान लाना शुरू था, सब वहीं पर थे, तो उसे लगा उसके पास कोई नहीं होगा। पर शेखर जी वहीं पर खड़े थे! उसे विग में उंगली डालकर खुजाते देख, वह उसके पास आ गए।

    "यह क्या कर रहे हो तुम, अद्वैत?" शेखर जी ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

    बेला की साँसें थम गईं एक पल के लिए। उसने मुड़कर शेखर जी की तरफ देखा।

    शेखर जी: सच सच बताओ...तुमने विग पहनी है?

    बेला: हाँ!

    शेखर जी: क्यों? और तुमने हमें बताया नहीं?

    बेला: क्योंकि...क्योंकि... (अब मैं क्या बताऊँ...?) मेरे सिर पर बाल नहीं हैं!

    शेखर जी उसे देखते रह गए। "ओह... मुझे माफ़ कर दो! आजकल यंग जेनरेशन के भी बाल झड़ने शुरू हो गए हैं! तुम्हें कैसा लग रहा होगा? मेरे भी बहुत बार झड़ते हैं! मैं आयुर्वेदिक तेल का इस्तेमाल करता हूँ, जिसकी वजह से मेरे बाल झड़ना कम हो गया है! मैं तुम्हें भी वह तेल लाकर दूँगा! उसे इस्तेमाल करना तुम! ठीक है!"

    बेला: सर... मेरा यह राज...?

    शेखर जी: डोंट वरी! तुम्हारा राज...राज रहेगा! मैं किसी से नहीं कहूँगा।

    बेला: थैंक यू सर! आप बहुत अच्छे हैं!

    शेखर जी: चलो सब लोग इधर आओ!

    प्रतिक, नैतिक और समीर सब शेखर जी के पास चले आए।

    "आज हमें अद्वैत की वेलकम पार्टी करनी है!" शेखर जी के कहते ही सब खुश होकर चिल्लाने लगे।

    "सर, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है! मेरी वेलकम पार्टी देना इतना भी ज़रूरी नहीं है!"

    "अद्वैत... लेकिन हम पार्टी करना चाहते हैं! तो क्या कहते हो सब...?"

    प्रतिक: मैं हमेशा ही रेडी रहता हूँ!

    नैतिक: सबसे पहले स्टार्ट मैं करूँगा!

    सब लोग पार्टी करने चल पड़े। पार्टी भी उनकी कंपनी की बिल्डिंग में ही थी। बेला को अजीब लग रहा था। यह कैसी पार्टी थी जो यहीं कंपनी में होने वाली थी? जब वह लोग वहाँ पहुँचे, तो बेला शॉक रह गई! यह एक प्ले स्टेशन था जहाँ गेम खेले जाते थे! साइबर कैफ़े की तरह!

    बेला: ओह... तो आप सब इस पार्टी की बात कर रहे थे?

    समीर: हाँ! तो तुम्हें क्या लगता था?

    बेला: नहीं! यह भी अच्छा है! वैसे भी मुझे गेम्स खेलना पसंद है!

    नैतिक: हम ऐसे-वैसे गेम नहीं खेलते अद्वैत! हम दो टीम के साथ कंपटीशन करके खेलते हैं! तभी इसमें मज़ा आता है!

    बेला: तो हो जाए मैच!

    समीर: हो जाए!

    बेला भी अपनी सीट पर आकर बैठ गई। उन पाँच लोगों की टीम एक तरफ़ थी और उनके ऑपोज़िट दूसरे डिपार्टमेंट के लोग बैठे थे। उनका एक-दूसरे के साथ कंपटीशन था। गेम स्टार्ट हुआ। बेला दूसरी टीम पर शुरु से भारी पड़ रही थी। बेला को इतने अच्छे से खेलते देख, उसके टीम मेंबर बहुत खुश हुए।

    समीर: तुम बहुत अच्छा खेलते हो अद्वैत! हमें लगा नहीं था तुम गेम में इतने अच्छे होंगे!

    बेला: बस किसी की वजह से इसमें माहिर हो गया और बस गेम अच्छा हो गया!

    नैतिक: क्या बात है! तुम सामने वाली टीम को आगे ही नहीं बढ़ने दे रहे!

    अब पाँचों ने मिलकर सामने वाली टीम के बेस कैंप पर अटैक किया और उसे तबाह कर दिया। बेला की टीम जीत गई! सामने वाली टीम हारने पर नाराज़ हो गई। उन्होंने बेला की टीम को घूरकर देखना शुरू किया। दूसरी टीम के मेंबर ने कहा, "अभी गेम ख़त्म नहीं हुआ है! हम दोबारा खेलेंगे!"

    प्रतिक: पर हमें नहीं खेलना!

    दूसरी टीम का मेंबर उठकर खड़ा हो गया। "तुम्हें खेलना ही होगा! हम कभी इस तरह नहीं हारते! तुमने चीटिंग की है!" बेला उनको लड़ते देख सामने आई।

    "ठीक है! दोबारा खेलेंगे! इस बार गेम तुम स्टार्ट करना! मैं वाशरूम होकर आता हूँ!"

    बेला जैसे आगे बढ़ी, उस टीम के एक मेंबर ने अपने डेस्क के ऊपर रखी खाली पानी की बोतल नीचे गिराई और बेला की तरफ़ देख कहा, "साले... पहले तो चीटिंग करके खेलते हो और फिर मेरी बोतल गिराकर हमें बेइज़्ज़त करते हो?"

    "देखो... इसे मैंने नहीं गिराया! इसे तुमने गिराया है! मैं तो तुम्हारे डेस्क से कुछ दूरी पर खड़ा हूँ!"

    "एक तो गलती करता है, ऊपर से झूठ भी बोलता है!"

    उस लड़के ने बेला पर हाथ उठाने के लिए अपनी हाथ की मुट्ठी बाँध ली और जैसे ही बेला को मारने गया, किसी के मज़बूत हाथों ने उसकी मुट्ठी को अपने हाथ से रोक लिया। बेला के सामने आकर खड़ा हो गया। यह आरव था जो अपने टीम के लोगों को यहाँ ढूँढते हुए आया था। बेला ने डर के मारे आँखें बंद कर ली थीं। जब उसने आँखें खोलकर सामने देखा, आरव को अपने सामने खड़े देखकर उसे खुशी हुई!

    "इसे छोटा समझकर इस पर हाथ उठाना चाह रहे थे! पता भी है इसने आज ही मेरी कंपनी जॉइन की है!"

    आरव ने उस लड़के के हाथ को अपने हाथ से मरोड़ते हुए कहा। लड़का कराह रहा था। "जल्दी से मेरे लोगों से माफ़ी माँगो!"

    लड़का: आपको हमारे फ़ैसले में टांग अड़ाने की ज़रूरत नहीं है!

    आरव: बिल्कुल है! मैं इनका बॉस हूँ! जल्दी से माफ़ी माँगो!

    लड़का: अगर हमने आपकी बात नहीं मानी तो?

    आरव: मैं बहुत अमीर हूँ! तुम्हें अपने डिसीज़न पर पछताना पड़ सकता है!

    लड़का: गलती हो गई सर... माफ़ कर दीजिए!

    "पहले तो हार को एक्सेप्ट करना सीखो और दूसरा अपने से कमज़ोर लोगों की इज़्ज़त करना, ना कि उन पर हाथ उठाना! आगे से कभी भी ऐसा करते दिखाई दिए, दूसरे दिन तुम इस कंपनी में दिखाई नहीं दोगे! समझे!"

    लड़का और लड़के के साथी वहाँ से भाग गए। आरव ने मुड़कर बेला की तरफ़ देखा। "माना कि तुम्हारी हाइट कम है, मेरी तरह दिखने में अच्छे नहीं हो...पर खुद को प्रोटेक्ट करना तुम्हें आना चाहिए!" सब बाहर की तरफ़ चले गए।

    बेला: थैंक यू सर! आपने मुझे बचाया!

    आरव: तुम हमेशा मुश्किल में ही क्यों रहते हो? हमेशा मुसीबतें तुम्हारे आस-पास होती हैं! और तो और कितनी बार कहना पड़ेगा...लड़की जैसे दिखते हो...!

    बेला: मि. आरव, यह 2022 है! आजकल कोई भी कैसे भी अपने आप को ढाल सकता है! और तो और जेंडर को लेकर लोगों की सोच बदल रही है! फिर भी आप मुझे 'लड़की जैसे...' बोलते रहते हो!

    आरव ने उसके एकदम करीब जाकर उसके आँखों से होते हुए होंठों तक देखा। बेला ने आरव के इतने करीब आने पर अपनी ट्रेन से भी तेज दौड़ती धड़कनों को बहुत तेज धड़कते देखा और उसकी साँसें अटक गईं! आरव ने उसके चिन को ऊपर उठाते हुए कहा, "तुम्हारी गर्दन लड़कियों जैसी ही है!" बेला उसकी तरफ़ ना देख, यहाँ-वहाँ देख रही थी, अपनी धड़कनों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी।

    जारी!

  • 8. Chahat - Chapter 8

    Words: 2007

    Estimated Reading Time: 13 min

    रात को जब बेला घर आई, निशा को अपनी बिल्ली के साथ खेलते देख वह शॉक हो गई।

    "तुम आज इतनी जल्दी? अभी तो सिर्फ सात बजे हैं! कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!" निशा ने चिढ़ते हुए कहा।

    "हम गए थे उनसे मिलने। उन्होंने हमें पहचाना ही नहीं। जब दिल किया, इस बात पर रो लें बहुत, रोना आया ही नहीं!"

    बेला उसकी जोक भरी शायरी सुनकर हँस पड़ी।

    "ए मेरे मिर्जा ग़ालिब! शायरी की ऐसी तैसी करके शायरी को रुसवा ना कर। हमें डर लगने लगता है आपकी शायरी से!" बेला ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

    तो निशा ने उसे बिल्ली पकड़ाते हुए कहा, "तुम्हारा पहला दिन था न ऑफिस में! शुरू से शुरू करो!"


    बेला: अब क्या कहूँ दोस्त, मुझ पर तो क़यामत आ चुकी है!

    निशा: अब क्या हुआ?

    बेला ने उसे पूरी बात बताई। फिर आईडी से लेकर उन लड़कों से लड़ाई तक सब कह सुनाया। निशा सब सुनकर हैरान रह गई।

    "ओह! तो फिर तुमने गर्दन के लिए क्या कहा?"

    क्या कहती... मैंने कहा, "मि. आरव मुझे बचपन में गले में बहुत प्रॉब्लम हो गई थी! जिस वजह से मैं खाना नहीं खा पाता था! और बहुत बीमार भी पड़ गया था! तब से ही मेरे गले की ट्रीटमेंट शुरू हो गई! इसलिए मेरी गर्दन इतनी पतली है! क्या गर्दन पतली होने पर मर्द को मर्द नहीं समझा जाता?"

    "नहीं! ऐसी कोई बात नहीं! मर्द होने के लिए गर्दन का पतला होना ना होना मायने नहीं रखता! बस मुझे तुम कभी-कभी लड़की जैसे लगते हो इसलिए मैंने बोल दिया! तुम ज़्यादा मत सोचो! मैंने ऐसे ही कह दिया था! कोई बात मत रखना अपने मन में कि तुम असली मर्द नहीं हो! मैं चलता हूँ!"

    आरव अपने टीम के लोगों के साथ गेम खेलने बैठ गया! और बेला उसे देखती रही! निशा ने बेला के सामने चुटकी बजाकर उसे होश में लाया।

    "ओह देवी! कहाँ खो गई! मतलब वाह! क्या सफाई से झूठ बोला है! झूठ बोलने का कोई अवार्ड होता तो सबसे पहले तुम्हें ही मिलता!"

    "निशा की बच्ची यह सब तुमने शुरू किया है! भूल गई? अब तो उसे मुझ पर शक होने लगा है! कहता है बस तुम मुझे लड़की जैसे दिखते हो, इसलिए पूछा!"

    "ओह... हैलो मैडम! जॉब किसे चाहिए थी, वह भी शेखावत कंपनी में! छोड़ जो हो गया सो हो गया! पर उसका शक दूर करने के लिए एक रास्ता है मेरे पास!"


    दूसरे दिन जब बेला ऑफिस आई, उसने जल्दी से अपने डेस्क पर जाकर कंप्यूटर ऑन कर दिया। कंप्यूटर पर बहुत सारी फाइलें खोलकर वह नीचे कैफ़े में आ गई, कॉफी लेने। प्लान के मुताबिक, अब उसे वहीं होना था। जब कैफ़े में उसने अपने टीम के मेंबर्स को एक लाइन में खड़े होकर किसी को घूरते देखा, तो वह उनके पीछे जाकर खड़ी हो गई। सब टीम मेंबर एक लड़की को घूर रहे थे जो सेल्फी निकालने में बिजी थी। यह निशा थी! निशा को देख समीर ने कहा,

    समीर: यह बिल्कुल मेरे टाइप की है! लगता है मुझे प्यार हो गया, 45वीं बार!

    बेला और पीछे गई और उसने पीछे जाकर देखा, आरव आ रहा है या नहीं! और उसने निशा को मैसेज किया, "वह लोग आ रहे हैं!" निशा ने जैसे ही मैसेज पढ़ा, बेला को देखकर वह उसकी तरफ दौड़ती चली आई! टीम मेंबर्स के बीच से गुजरते हुए उसने बेला को "अद्वैत... आई मिस यू!" कहकर गले लगा लिया! टीम मेंबर्स के साथ-साथ हर्ष और आरव, जो साथ में वहाँ आए थे, वह भी उन दोनों को देखकर शॉक रह गए!

    बेला: यह मेरे काम की जगह है! और हम पब्लिक प्लेस में हैं, ऐसी हरकतें करना बंद करो! दूर खड़ी रहो!

    निशा: दूर खड़ी हो गई। अद्वैत क्या तुम मुझसे किसी बात से नाराज़ हो? देखो तुम मुझे बताओ, मैं उसे बदलने की कोशिश करूँगी!

    बेला: तुम यहाँ क्यों आईं? आइंदा मेरी काम की जगह पर मत आना! समझी!

    निशा: मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी! इसलिए तुमसे मिलने चली आई। तुम्हें नहीं पसंद तो मैं दोबारा यहाँ नहीं आऊँगी!

    बेला: ठीक है, जाओ यहाँ से अब!

    निशा: हम डिनर डेट पर मिलने वाले थे ना?

    बेला: हम वो बाद में डिस्कस कर लेंगे! अभी जाओ यहाँ से!

    बेला ने चिल्लाकर कहा और वहाँ से चली गई तो निशा रोने लगी! समीर, जिसे 45 बार प्यार हुआ था, उसका दिल टूट गया यह देखकर कि निशा अद्वैत की गर्लफ्रेंड है! सब टीम मेंबर्स बेला के पीछे चले गए! आरव और हर्ष भी! आरव और हर्ष के जाने के बाद निशा ने अपना झूठा रोना बंद कर दिया! लेकिन यहाँ एक गड़बड़ हो गई! सुरज ने उसे देख लिया जो आरव की ही कंपनी में काम करता था! सब टीम मेंबर्स बेला के पास आ गए! शेखर जी ने बेला को आवाज़ देते हुए कहा, "अद्वैत यह तुमने कैसे बात की एक लड़की से? क्या इस तरह बात की जाती है किसी लड़की के साथ!"

    बेला: सर आप नहीं जानते, लड़कियों को ऐसे ही रखना पड़ता है! वरना वह बहुत नखरे दिखाती हैं! और उनकी फ़रमाइश और आगे-पीछे घूमने पर लड़के मजबूर हो जाते हैं!

    शेखर जी: लेकिन वह रो रही है! हमें अच्छा नहीं लग रहा तुमने अपनी गर्लफ्रेंड को सबके सामने ऐसे डाँट दिया! यह सही नहीं है!

    बेला: कोई बात नहीं सर, रात को डिनर पर उसे कोई महंगी डिश खिला दूँगा, वह खुश हो जाएगी!

    समीर: वाह! तुम तो बड़े होशियार निकले यार, गुरुजी! मुझे अपना शिष्य बना लीजिए! आज तक कोई भी गर्लफ्रेंड बन नहीं पाई है मेरी! मुझे भी कोई टिप्स दे दीजिए! प्यार में पड़ता हूँ, पर बात आगे बढ़ती ही नहीं!

    बेला: अवश्य शिष्य!

    बेला ने आशीर्वाद के लिए अपना हाथ ऊपर उठा दिया! तभी नैतिक ने कहा, "अद्वैत क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड की कोई दोस्त या बहन नहीं है जिसे वह हमसे मिलवा सकें?"

    "मुझे नहीं पता! पर मैं पूछकर बताऊँगा!"

    तभी हर्ष और आरव वहाँ आ गए! हर्ष और आरव को देखकर शेखर जी और बाकी सब अपनी जगह पर चले गए!

    हर्ष: अद्वैत मैं तुम्हारी वेलकम पार्टी में नहीं था! चलो लंच के लिए साथ चलते हैं!

    बेला: लेकिन मुझे कुछ खास भूख नहीं है!

    आरव: बकवास! मुझे बहुत भूख लगी है!

    आरव ने एटीट्यूड दिखाते हुए उन दोनों के बीच से गुजरते हुए कहा! बेला उसके इतने पास से गुजरने पर दंग रह गई! आरव उसे लड़कों की तरह ट्रीट कर रहा था! पर वह थी तो एक लड़की! ऊपर से अपने पसंदीदा इंसान का इतने पास होना उसे गुदगुदा रहा था! वह उन दोनों के पीछे चल दी!

    सुरज निशा का हाथ खींचकर उसे एक कोने में ले गया।

    सुरज: निशा... तुम यहाँ क्या कर रही हो?

    निशा: सुरज... तुम यहाँ? ओह! तुम भी इस कंपनी में काम करते हो? तुम्हारी आईडी से तो यही लग रहा है!

    सुरज: तुम मुझ पर ज़रा सा और ध्यान देती तब तो तुम्हें पता होता मैं कहाँ काम करता हूँ? तुम उस लड़के के साथ क्या कर रही थी?

    निशा: वह मेरा बॉयफ्रेंड है सुरज! तुम्हें कोई प्रॉब्लम है?

    सुरज: मेरी परमिशन नहीं है... उसके लिए! तुम अभी उसे मना कर दो!

    निशा: सुरज... तुम मेरे पापा के दोस्त के बेटे हो! बचपन से हमें भाई-बहनों जैसा व्यवहार करने के लिए कहा गया है! तो तुम ऐसा करते क्यों नहीं? देखो मैं किसे पसंद करूँगी यह मेरी मर्ज़ी है! तुम मेरे मामलों से दूर रहो, समझे!

    सुरज ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "लेकिन तुम मेरी मर्ज़ी के बगैर अपने लिए लड़का पसंद नहीं कर सकती?" निशा उसका हाथ छुड़ाकर वहाँ से चली गई! और सुरज उसे देखता रह गया!


    इधर जब आरव और हर्ष अद्वैत के साथ लंच के लिए आए, तो हर्ष ने अद्वैत से पूछा, "अद्वैत क्या वह तुम्हारी गर्लफ्रेंड थी?"

    बेला: हाँ! क्यों? कोई प्रॉब्लम है?

    आरव: थोड़ी अजीब नहीं है वह! उसकी आँखें...?

    बेला: बहुत प्यारी है ना! इसलिए तो मैं उसे पसंद करता हूँ!

    आरव और हर्ष ने एक-दूसरे की तरफ देखा! फिर हर्ष ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "अद्वैत मैंने तुम्हारा रिज़्यूमे अच्छे से पढ़ा, तुम हमारी यूनिवर्सिटी से ही ग्रेजुएट हुए हो! लेकिन हमारे बाद, इसका मतलब तुम हमारे जूनियर थे!"

    बेला: हाँ, यह बात सच है! मैं आपका ही जूनियर हूँ! और आप लोग बहुत फेमस थे कॉलेज में! तो मुझ जैसे छोटे कद के लड़के पर आपकी नज़र कैसे पड़ी होगी?

    आरव: फेमस से तुम्हारा मतलब क्या है?

    बेला: फेमस का मतलब हर कोई आप दोनों जैसा बनना चाहता था! आप दोनों हम जूनियर्स के लिए आइडल थे!

    आरव और हर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा, "और क्या पता है तुम्हें हमारे बारे में?"

    बेला: यही कि आप दोनों बचपन के दोस्त हैं! स्पोर्ट्स हो या स्टडी, दोनों एक साथ करना पसंद करते थे! आप दोनों की पसंद भी एक जैसी ही है! और तो और आप दोनों ने कंपनी भी एक साथ शुरू की थी! और अब भी आप दोनों एक साथ हैं!

    हर्ष: वाह! तुमने तो हमारे ऊपर पूरी रिसर्च कर ली!

    बेला: आप दोनों को देखकर ही तो मैं इस कंपनी को ज्वाइन करना चाहता था!

    हर्ष: तब तो हमने तुम्हें यह जॉब देकर कोई गलती नहीं की! क्यों आरव!

    आरव: हाँ! अब दे ही दी है तो ठीक है! वैसे तुम्हारा आइडल कौन है?

    बेला: मन में... मेरे आइडल तो आप हैं मि. आरव! आपको देखकर ही तो कंप्यूटर की तरफ़ मेरा लगाव बढ़ा, इसे मैंने करियर के तौर पर चुना!

    आरव: को लगा बेला उसका नाम लेगी! तुम यहाँ, इस कंपनी में ज्वाइन करने के लिए इतने उतावले थे तो...

    बेला: मेरे आइडल हर्ष सर हैं! हर्ष सर ने हमारे कॉलेज में बहुत अच्छा लेक्चर दिया था कंप्यूटर पर! तब से ही यह मेरे आइडल बन गए!

    हर्ष: हँसते हुए, यह तो मेरा सौभाग्य है!

    आरव ने चिढ़ाते हुए, सामने रखी प्लेट से दम आलू को बेला की प्लेट में डालते हुए कहा, "बातों से ही पेट भरना है या खाना भी खाना है! चलो खाओ!" बेला अपने सामने रखे दम आलू को देखती रह गई! उसे हिचकिचाहट हो रही थी खाने में! उसने प्लेट से चम्मच उठाई और दम आलू को खाना शुरू किया! आरव जो भी उसे परोसता रहा वह खाती रही! हर्ष उसे अपने कॉलेज के किस्से सुनाने लगा! थोड़ी देर बाद जब वह लोग खाकर ऑफिस में आए, तो बेला अच्छा फ़ील नहीं कर रही थी! अपनी जगह पर बैठकर वह काम करने तो लगी, पर उसके शरीर पर खुजली आने लगी थी! हाथ पर, गर्दन पर रैशेज आ गए थे! हर्ष आरव के ऑफिस में बैठा था! वह जैसे ही बाहर आया, उसकी नज़र अद्वैत पर पड़ी! उसे याद आया, दम आलू खाते वक़्त वह कम्फ़र्टेबल नहीं था! और अब उसे सब जगह खुजलाते देख वह समझ गया कि कुछ गड़बड़ है! उसने अद्वैत को आवाज़ लगाई।

    हर्ष: अद्वैत ज़रा मेरे ऑफिस में आना तो!

    बेला: अभी आता हूँ!

    अद्वैत हर्ष के ऑफिस में चला गया।

    बेला: आपने मुझे बुलाया सर?

    हर्ष: तुम्हें दम आलू से एलर्जी है ना अद्वैत?

    बेला: सर आपको कैसे पता कि मुझे दम आलू से एलर्जी है!

    हर्ष: तुम खाने की टेबल पर दम आलू देखकर टेंशन में आ गए थे! फिर भी तुमने उसे खाया! और अब तुम अपने शरीर पर यह रैशेज देख लो! जिसकी वजह से तुम्हें खुजली आ रही है! तुम्हें खुजलाते हुए देखकर ही मैंने तुम्हें यहाँ बुलाया है! अगर तुम्हें इतनी ही प्रॉब्लम होती है तो तुमने उसे क्यों खाया?

    बेला: (मन में, क्योंकि पहली बार आरव ने मेरे लिए कुछ परोसा! मैं उसे ना खाकर आरव के प्यार को मना कैसे कर सकती थी!) सर... मुझे लगा एक दम आलू खाने से कुछ नहीं होगा! पर अब यह रैशेज बढ़ गए हैं!

    हर्ष: अपने ड्रावर से क्रीम निकालते हुए, यह लो इससे तुम्हें थोड़ी राहत मिलेगी! दम आलू आरव की फ़ेवरेट डिश है! सबकी ही हो ज़रूरी तो नहीं! और फिर तुम्हें इतनी तकलीफ़ में देखकर मुझे बुरा लग रहा है उसका क्या? आखिर तुमने मुझे आइडल बोला है!

    बेला: थैंक यू सर! मैं आगे से ध्यान रखूँगा!

    अद्वैत यानी बेला वहाँ से चली गई! हर्ष ने उसके जाते ही अपने आप से कहा, "क्या एक दम आलू खाने से किसी को इतने रैशेज आ सकते हैं! पता नहीं कुछ कह नहीं सकते!" हर्ष सोचते हुए अपने कंप्यूटर के साथ बिजी हो गया! और बेला आरव के केबिन की तरफ़ चली गई!

    जारी!

  • 9. Chahat - Chapter 9

    Words: 2257

    Estimated Reading Time: 14 min

    बेला ने हर्ष की दी हुई क्रीम लगाई और अच्छा महसूस किया। पर हर्ष के ऑफिस के पास आकर वह आरव के ऑफिस की तरफ जाने का लालच नहीं रोक पाई। आरव अपने कंप्यूटर पर व्यस्त था। उसकी उंगलियाँ तेज़ी से की-बोर्ड पर चल रही थीं। कोडिंग में माहिर था वह। अपने हैंडसम लुक के साथ, उसका इतना परफेक्ट होना अपने काम को लेकर बेला को अच्छा लग रहा था। वह बाहर से ही आरव को छुप-छुपकर देख रही थी। आरव अपने काम में इतना मशगूल था कि उसका ध्यान ही नहीं था कि दरवाज़े पर कोई खड़ा है और उसे देख रहा है। बेला उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। जब आरव ने गर्दन में दर्द होने की वजह से ऊपर देखा, तो दरवाज़े पर किसी को खड़ा देख, देखने की कोशिश करने लगा। बेला को जैसे ही लगा कि आरव की नज़र उस पर पड़ी है, वह छुप गई। आरव ने खड़े होते हुए कहा,

    "अंदर आ जाओ, मैं तुम्हें देख चुका हूँ!"

    बेला अंदर आ गई।

    "मि. आरव, आप बहुत काम करते हैं ना?"

    आरव: "और तुम्हें भी करना चाहिए! कोडिंग आती है ना? मेरे लिए इसे सोल्व कर दो!"

    आरव अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और बेला की तरफ बैठने का इशारा कर दिया। बेला ने हाँ में सिर हिलाया और वह आरव की चेयर पर जाकर बैठ गई।

    "मैं यहाँ बैठ सकती हूँ ना सर?"

    "काम करने के लिए तुम कहीं पर भी बैठ सकती हो!"

    आरव ने टेबल पर बैठते हुए कहा। वह थक चुका था और उसकी गर्दन में अब भी दर्द हो रहा था। वह गर्दन को मरोड़कर सही मसाज दे रहा था। बेला उसे देख रही थी।

    आरव: "शुरू भी करो, या मुझे इसके लिए भी तुम्हें अवॉर्ड देना पड़ेगा!"

    बेला: "नहीं! बस कर रही हूँ! मि. आरव, क्या आपकी गर्दन में दर्द है?"

    आरव: "हाँ! लगातार कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ देखने से गर्दन को एक ही डायरेक्शन में रखना पड़ता है, तो बस दर्द हो रहा है!"

    बेला को अब भी खुजली हो रही थी। अपने हाथ को खुजलाकर उसने फिर काम करना शुरू किया। फिर भी खुजली हो रही थी। पीठ पर खुजलाकर जब उसने हाथ निकाला, तो उसने शर्ट के अंदर पहनी टॉप बाहर आ गई, जिस तरफ उसका बिल्कुल ध्यान नहीं था। कोडिंग कंप्लीट करके जब उसने एंटर दबाया, तो कहा,

    "डन सर!"

    आरव उसका वर्क देखने के लिए अपना मोबाइल रखकर कंप्यूटर की स्क्रीन की तरफ झुक गया, जिससे वह बेला के एकदम करीब आ गया था। बेला उसके पास आने से बड़ी मुश्किल से साँस ले पा रही थी। आरव कोडिंग देख रहा था। बेला खुद को कोस रही थी।

    "उल्लू की पट्टी! तू क्या सोच रही है? अपने ख्याल निकाल मन से!"

    फिर भी बेला का दिल नहीं मान रहा था, तो वह आरव की तरफ देखने लगी। जब आरव को लगा कि बेला उसे देख रही है, तो उसने अपना चेहरा उसके चेहरे के सामने करते हुए कहा,

    "मुझे पता है सुंदर चीजें आकर्षक होती हैं, पर काम करने के टाइम पर तुम्हें सीरियस होना चाहिए! मुझे बाद में देख लेना, पहले इसे सभी टीम मेंबर्स को भेजो!"

    आरव ने कहते हुए उसकी गर्दन अपने चेहरे से हटाकर स्क्रीन की तरफ कर दी। तभी बेला की नज़र अपने टॉप पर गई जो शर्ट के बाहर झाँक रहा था। बेला ने दोनों हाथों से उसे शर्ट के अंदर दबाया। तब आरव की नज़र उस पर पड़ी। बेला हैरान रह गई, कहीं आरव उसकी टॉप न देख ले! तो वह जल्दी-जल्दी में उठ गई और आरव को भी उठना पड़ा। बस इस जल्दी-जल्दी में आरव के चिन पर बेला का सिर लग गया।

    "आह..... तुम देखकर उठ नहीं सकती?"

    "सॉरी मि. आरव! पर अब अगर कोई काम ना हो तो मैं अपनी जगह पर वापस जाती हूँ!"

    "अजीब लड़की है! जब देखता है तो अजीब लगता है! पता नहीं क्यों?"

    बेला अपने डेस्क पर आकर बैठ गई। उसने जल्दी-जल्दी से अपना काम खत्म किया। तभी नैतिक उसके पास आ गया।

    "तुम्हारा काम खत्म हो गया बेला?"

    "हाँ! लेकिन क्या आप लोग ओवरनाइट करने वाले हो?"

    "हाँ... कोडिंग के अलावा हमारी दुनिया में रखा क्या है?!"

    समीर ने शेखर जी के पास आते हुए कहा,

    "तुम जल्दी जा रही हो तो क्यों ना... तुम्हारी गर्लफ्रेंड से मिल लो!"

    "इसकी ज़रूरत नहीं है! मैं उसे मना कर दूँगी और वह समझ जाएगी!"

    समीर: "इसके जैसे बंदे की गर्लफ्रेंड हो सकती है, तो मुझमें क्या खराबी है शेखर सर!"

    शेखर जी: "तुम्हें भी जल्द ही मिल जाएगी! टेंशन मत लो!"

    बेला: "मैं दुआ करूँगी तुम्हें जल्द ही अपनी पसंद की लड़की मिले! ठीक है, बात सबको, मैं चलती हूँ!"

    सबने बेला को बाय कहा और बेला घर की तरफ निकल पड़ी। आरव के साथ बिताए वे कुछ पल उसे बहुत सुकून दे गए थे। बेला घर आते हुए उन्हीं पलों के बारे में सोच रही थी। आखिर यह कंपनी जॉइन करने के पीछे उसका एक ही तो रीज़न था कि वह आरव के पास रह सकें, उसे करीब से देख सकें, उसकी छोटी से छोटी बात में उसका साथ दे सकें। उसे देखकर उसका दिन बन जाता था। आज उसके इतने करीब होने पर दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, पर खुशी भी तो हुई थी! बेला इसी खुशी के साथ घर आ गई। जैसे ही निशा ने उसे आते देखा, वह दौड़ते हुए उसके पास आई।

    "इतनी देर कहाँ लग गई तुम्हें? पता भी है कब से इंतज़ार कर रही हूँ! क्या हुआ ऑफिस में? अब वह लड़के तुम्हें लड़का समझते हैं ना?"

    "हाँ, लड़का समझते ही नहीं हैं बल्कि... उन्हें जलन हुई कि मेरे पास तुम जैसी सुंदर गर्लफ्रेंड है! और हैरान-परेशान थे मैं अपनी गर्लफ्रेंड को इतना काबू में कैसे रख लेती हूँ!"

    "इसका मतलब सब अच्छा रहा! बस एक चीज़ के..."

    "मतलब क्या हुआ? तुमने कोई नई मुसीबत तो नहीं खड़ी कर दी!"

    "तुम सुरज को जानती हो ना? वह तुम्हारी कंपनी में ही काम करता है और उसने वहाँ मुझे तुम्हारे साथ यानी एक लड़के के साथ देखा!"

    "इसका मतलब वह मुझे तुम्हारा बॉयफ्रेंड समझ रहा होगा! तो अच्छा है ना, प्रॉब्लम क्या है?"

    "प्रॉब्लम यह है मेरी बेला रानी, हम बचपन से दोस्त हैं और हमारे पैरेंट्स भी! वह मुझसे हमेशा से लड़ता आया है और बड़े होने का रौब झाड़ता आया है। वह हमारे रिश्ते के लिए भी तैयार नहीं है। कह रहा था तुम्हारे साथ ब्रेकअप कर लूँ! इस वजह से वह तुम्हें कंपनी में तंग कर सकता है!"

    "ओह तो यह बात है! ठीक है, करने दो तंग, देख लेंगे! और हम कर भी क्या सकते हैं?"

    "अगर उसने तुम पर गुस्से में हाथ उठा दिया तो?"

    "नहीं उठा पाएगा! मैं उसे मना लूँगी! और हाँ, उसे बताना मत मैं लड़की हूँ, वरना हमारी पोल खुल जाएगी!"

    निशा: "मैं बताना भूल गई, मैं कुछ दिनों के लिए मम्मी-पापा के पास जा रही हूँ!"

    बेला: "क्यों?"

    निशा: "बस ऐसे ही उन्होंने बुलाया है! प्लीज़ मेरी बिल्ली का ध्यान रखना!"

    बेला: "हाउ मीन निशा रानी! तुम्हें अपनी बिल्ली की फ़िक्र है, मेरी नहीं!"

    निशा: "तुम्हारी फ़िक्र करने की क्या ज़रूरत... अब तो तुम्हें आरव मिल गया है ना?"

    बेला (हंसते हुए): "यह बात भी सही है! निशा, मुझे लगता है मैं इस दुनिया की सबसे खुशकिस्मत लड़की हूँ जो... मेरे पास आरव है!"

    "लो भाई, हो गई इसकी दीवानगी शुरू! कॉलेज में था तब तो कुछ बोल नहीं पाई, अब क्या खाक बोलोगी! वैसे तुम उसे बताती क्यों नहीं हो कि हम दिल दे चुके सनम... मेरे सपनों के राजकुमार... यह दिल है तुम्हारा!"

    "हाँ और वह कहेगा... दर्दे दिल... आवारगी... हम आपके हैं कौन?"

    निशा जोर-जोर से हँसने लगी। उसने बेला के गले में हाथ डालते हुए कहा,

    "इश्क-विश्क प्यार-व्यापार... आजा तेरी याद आई!"

    बेला: "दोस्ताना?"

    बेला ने कुछ इस तरह निशा की तरफ देखा कि दोनों झट से अलग हो गईं।

    "इउ... कितनी गंदी हो तुम बेला रानी!"

    दोनों हँसते हुए अंदर चली गईं।

    प्रेरणा जी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने ही घर में बने गार्डन में कुछ फूलों के गुलदस्ते बना रही थीं।

    सारिका: "प्रेरणा, तुम फूलों को सजाने में माहिर हो, बस एक बात तुमसे नहीं हो पा रही!"

    गीता: "और वह क्या है सारिका?"

    सारिका: "अपने बेटे की भी ज़िंदगी संवार दो इन फूलों की तरह! छब्बीस का हो गया है वह! दो महीनों में 27 का हो जाएगा!"

    प्रेरणा: "चाहती तो मैं भी यहीं हूँ! पर कैसे? जिस भी लड़की से डेटिंग के लिए भेजती हूँ, वहाँ से भाग जाता है!"

    गीता: "ऐसे कैसे चलेगा प्रेरणा? इस उम्र में मेरा बेटा एक बेटी का बाप बन गया है! बच्चों की सही उम्र में ही शादी कर देनी चाहिए! ताकि आगे जाकर उन्हें कोई तकलीफ़ ना हो!"

    सारिका: "आरव की जिस तरह अफ़वाहें उठ रही हैं उससे तो नहीं लगता वह किसी लड़की से शादी कर पाएगा!"

    प्रेरणा: "क्या मतलब?"

    सारिका: "ओह... कम ऑन प्रेरणा, तुम नहीं जानती उस हर्ष को! लोग बातें कर रहे हैं कि आरव का कुछ संबंध है उसके साथ!"

    प्रेरणा जी के हाथ से गुलदस्ता नीचे गिर गया।

    "ऐसा नहीं हो सकता! आरव ऐसा नहीं है! हे भगवान, यह सुनने से पहले मैं बहरी क्यों नहीं हो गई?"

    गीता: "इतनी ओवर एक्टिंग करने की ज़रूरत नहीं है! हम जानते हैं दोनों बचपन से दोस्त हैं! पर तुम सबके मुँह को कैसे बंद करोगी? लोग तो नहीं जानते ना इस सच्चाई को! सबने अगर उसे 'वैसा' मान लिया तो?"

    प्रेरणा जी दोनों की बात सुनकर टेंशन में आ गईं। उन्होंने अपनी बेटी को फोन किया। जी हाँ, मि. आरव की एक बहन भी है! जो दिखने में बहुत खूबसूरत है, स्टाइलिश है, बहुत पढ़ी-लिखी है और सबसे बड़ी बात अपनी अमीर माँ की लाडली है! अपना कोई भी काम प्रेरणा जी उसी से करवाती हैं! जैसे कि अपने बड़े भाई को ठीक करना! उसका नाम है आलिया शेखावत! आलिया को अपने भाई से काम निकलवाने के और अपनी बात मनवाने के ढेर आइडियाज़ पता हैं! कभी चल जाते हैं तो कभी नहीं! अभी वह कार ड्राइव कर रही थी कि उसका फ़ोन बजा! अपनी मम्मी का फ़ोन देखकर उसने उठा लिया।

    आलिया: "हाँ बोलो मम्मी!"

    प्रेरणा जी: "मैं बर्बाद हो गई आलिया! तुम्हारे भाई ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा!"

    आलिया: "मम्मी, पहले तो आप रोना बंद कीजिए! और फिर बताइए बात क्या है!"

    प्रेरणा जी ने उसे पूरी बात बता दी और कहा कि उनकी सहेलियाँ उन्हें काफी कुछ सुनाकर गई हैं। तो आलिया ने पूछा,

    "मम्मी, किसके साथ मेरे भाई का नाम जोड़ा जा रहा है?"

    "वह तो उसका दोस्त है ना, बचपन से! तो वह आरव के साथ ऐसा कैसे कर सकता है?"

    आलिया: "आप कहीं हर्ष की बात तो नहीं कर रही! मम्मी, आप मेरे हर्ष के बारे में ऐसा बोल भी कैसे सकती हैं? मैं अभी पता लगाती हूँ!"

    प्रेरणा जी ने रोते हुए फ़ोन रखा और आलिया शेखावत कंपनी की तरफ अपनी कार की स्पीड बढ़ाकर चली गई।

    इधर सुरज बेला के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था। जब बेला बाहर आई, तब सुरज ने उससे कहा,

    "बेला, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!"

    सुरज को देखकर बेला को निशा की बातें याद आ गईं।

    बेला: "हाँ मि. सुरज, क्या बात करना चाहते हैं आप?"

    सुरज: "तुम्हारा मि. आरव के साथ क्या नाता है?"

    बेला (मन में): हे भगवान, कहीं इसे पता तो नहीं चल गया! अब मैं क्या करूँ? मुझे माफ़ी माँग लेनी चाहिए! देखिए, वह मेरे बॉस हैं!

    बेला: "वह मेरे बॉस हैं!"

    सुरज: "झूठ! तो फिर तुम इतने दिनों से उनके आगे-पीछे क्यों थीं? एक मिनट, तुम उसे पसंद करती हो! तुम्हें लड़के पसंद हैं ना?"

    बेला: "यह गलत डायरेक्शन में क्यों जा रहा है? वैसे... अब क्या बताऊँ इसे! आप गलत सोच रहे हैं!"

    सुरज ने अपने फ़ोन में दोनों की कुछ समय पहले खींची हुई तस्वीर बेला के सामने कर दी।

    "मैं जानता हूँ तुम अच्छे लड़के नहीं हो!"

    बेला: "यह तस्वीर! इसे डिलीट कर दो प्लीज़!"

    सुरज: "इसके लिए मेरी एक शर्त है! तुम्हें निशा से ब्रेकअप करना होगा और उसे यह नहीं लगना चाहिए कि उसका ब्रेकअप मैंने करवाया है!"

    बेला: "ठीक है! मैं उससे ब्रेकअप कर लूँगी! पर उसके बाद तुम्हें यह तस्वीर डिलीट करनी होगी!"

    सुरज: "इतनी आसानी से मान गई! मतलब तुम निशा के साथ सीरियस नहीं थे! मैं अच्छे से जानता हूँ तुम जैसे लड़कों को, जो प्यार का दिखावा करते हैं और मन भर जाने के बाद लड़की को छोड़कर भाग जाते हैं!"

    बेला: "मैं ऐसी नहीं हूँ! पर मैं जितना भी आपको समझाऊँ, आप समझने वाले नहीं, तो इस सस्पेंस को ऐसे ही रहने देते हैं! यह फ़ोटो ज़रूर डिलीट कर देना!"

    बेला आगे बढ़ गई और ऑफिस में चली गई। सुरज ने उसकी तरफ़ देखकर कहा,

    "पता नहीं क्यों, पर इसका चेहरा जाना-पहचाना लग रहा है!"

    बेला अपनी सीट पर जाकर बैठ गई और कंपनी में इमरजेंसी अलार्म बज गया। नहीं, नहीं, कोई आग नहीं लगी थी! यह आलिया के ऑफिस में आने की चेतावनी थी! वह जब भी ऑफिस आती, कुछ इसी तरह अलार्म बज जाता था! क्योंकि आलिया का गुस्सा सबको पता था! अगर वह कंपनी में आई तो सबकी बंध बजेगी, इसलिए मेन गेट को लॉक कर दिया जा रहा था! आलिया ने गाड़ी रोकी, अपनी हील कार से बाहर रखकर वह उसे पहनने की कोशिश करने लगी, पर सामने बंद होता गेट देखकर उसने अपनी हील उस गेट पर फेंककर मारी! जिससे वह काँच का गेट टूट गया और गेट की जगह अब काँच के टुकड़े वहाँ पड़े थे! आलिया एक हील पहनकर वहाँ लँगड़ाते हुए पहुँची और अपने सामने खड़े हर्ष को देखकर खुश हो गई! हर्ष शॉक में खड़ा गेट के पुर्जों को देख रहा था जो उसके सामने पड़े थे!

    जारी!

  • 10. Chahat - Chapter 10

    Words: 1850

    Estimated Reading Time: 12 min

    हर्ष ने आलिया की तरफ देखकर कहा, "आलिया.....यह क्या बचपना है???" तुमने कांच का गेट तोड़ दिया!

    आलिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "इसे ना...पुराना होकर बहुत समय हो गया था...इसी बहाने नया जाएगा! और तुम्हें मेरे साथ बाहर आने का मौका मिल जाएगा! लेकिन मैं तुमसे एक बात को लेकर नाराज हूँ! क्या तुम मेरे भाई को पसंद करते हो???"

    "तुम्हारे भाई को??? हाँ...!! वह तो मैं उसे बचपन से करता हूँ! इसलिए तो हम आज तक साथ-साथ हैं!"

    आलिया: मैं उस तरह नहीं कह रही, जिस तरह तुम समझ रहे हो।

    हर्ष: तुम किस तरह कह रही हो??? क्या...??? तुम पागल हो गई हो...? मैं एक असली मर्द हूँ! और तुम्हारा भाई भी! हम उस तरह एक-दूसरे को पसंद नहीं करते! बेवकूफ लड़की!

    आलिया: अच्छा...इसका मतलब जो मम्मी ने कहा, वह सिर्फ एक अफवाह है!

    हर्ष: यह तुम क्या बड़बड़ा रही हो??? मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा!

    आलिया: मैं खुश हूँ कि तुम सिर्फ मेरे हो! हर्ष, चलो ना...बाहर चलते हैं...खाना खाने!

    हर्ष: बिल्कुल नहीं! मैं अभी बिजी हूँ! और ऑफिस में हूँ! और एक बात...आलिया, मैंने तुमसे कितनी बार कहा है हम सिर्फ दोस्त हैं!

    आलिया: पर मैं तुम्हें दोस्त नहीं मानती! तुम दोस्त से बढ़कर हो मेरे लिए!

    हर्ष: देखो आलिया, तुम्हें कोई भी अच्छा लड़का मिल जाएगा...तुम इतनी खूबसूरत हो...मुझसे भी हैंडसम लड़का मिलेगा! जो तुम्हें बहुत प्यार करेगा! पर मेरे दिल में तुम्हारे लिए यह अहसास नहीं है!

    आलिया: मैं तुम्हें चाहती हूँ, मेरे लिए इतना ही काफी है!

    हर्ष अभी और कुछ कहने वाला था कि शेखर जी, नैतिक और समीर के साथ बाहर आ गए! हर्ष ने उन तीनों को देखा। "यह आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं!"

    शेखर जी: आरव सर ने कहा है आप आज छुट्टी ले सकते हैं! और आलिया मैम के साथ जा सकते हैं!

    समीर: यह रहा आपका वॉलेट! आपके ग्लासेस!

    नैतिक: और यह रहा आपका कोट!

    हर्ष: यह दुनिया का पहला लड़का होगा जो अपने दोस्त को जबरदस्ती अपनी बहन के साथ डेट पर भेज रहा होगा!

    आलिया: हर्ष, ऑल सेट! चलो!

    हर्ष ने सब सामान ले लिया और कोट पहना! आलिया उसका हाथ पकड़कर खींचकर उसे ले गई! आलिया ने गाड़ी में बैठते हुए कहा, "आज तुम ड्राइव करोगे हर्ष!" आलिया बैठकर हर्ष के बैठने का इंतज़ार करने लगी! जैसे ही हर्ष बैठा, उसने उसका ड्राइविंग बेल्ट लगा दिया! उसे लगाने के बाद आलिया सीधी बैठ गई! और हर्ष ने गाड़ी आगे बढ़ा दी!

    बेला अंदर सबके आने का इंतज़ार कर रही थी! जैसे ही शेखर जी और सब उसे आते हुए दिखाई दिए, उसने कहा, "कहाँ गए थे आप सब! और यह इमरजेंसी अलार्म किस चीज़ का था!"

    "यह अलार्म...आलिया मैम के आने पर ही बजता है! वह यहाँ आकर किसे और कब तोड़ेगी, किसी को नहीं पता! आज हमारा एंट्रेंस गेट इसी वजह से शहीद हो गया!"

    "शहीद हो गया मतलब???"

    "मतलब टूट गया! अब वह दोबारा बनाना पड़ेगा! तुम अच्छा हुआ उनसे नहीं मिली...अगली बार मिल लेना!"

    शेखर जी: सब लोग सुनो...अभी-अभी मैसेज आया है! हमें डिपार्टमेंट ने एक दिन के वर्कशॉप के लिए...रिसॉर्ट पर बुलाया है!

    समीर: यह हुई ना बात! अद्वैत...इस बार हम तुम्हारे साथ बहुत मस्ती करेंगे रिसॉर्ट पर!

    बेला: रिसॉर्ट पर??? वहाँ तो यह सब नहाएँगे! और मुझे इनके साथ...? नहीं-नहीं! मैं नहीं जा सकती! सर...मैं नहीं आऊँगा! मुझे कुछ काम है!

    शेखर जी: यह बिल्कुल नहीं चलेगा! तुम्हें पता है आरव सर किसी भी वर्कशॉप पर जाने के लिए...एक्साइटेड होते हैं! और सबका आना कंपलसरी होता है! ज़्यादा मत सोचो! हम बहुत मज़े करेंगे, ठीक है!

    बेला: अब मैं इन्हें क्या बताऊँ कि मेरी सच्चाई बाहर आ जाएगी! ठीक है! आ जाऊँगा कल!

    बेला ने मन में कहा, "इसका मतलब सब वहाँ होंगे! आरव भी! तुम्हें और करीब से जानने का मौका मिलेगा! अच्छा है! तब तो मुझे कल का इंतज़ार रहेगा! पर इंतज़ार सबको भेजने के बाद का रहेगा! अगर मैं ऑफिस लेट जाऊँगी...तो कोई नहीं होगा ऑफिस में! और मुझे ना जाने का बहाना मिल जाएगा!" बेला इसी खुशी में दूसरे दिन नौ बजे के बाद ऑफिस पहुँची! ऑफिस में कोई नहीं था! वह अपनी सीट पर जाकर आराम से बैठ गई। "कितना अच्छा लग रहा है! कोई परेशान करने वाला नहीं है! सब चले गए!" अभी बेला खुश हो रही थी कि आरव अपनी मिनी बाइक पर बैठा वहाँ आ गया! उसे इतनी सी बाइक पर बैठे हुए देख बेला अपने हाथ नीचे कर हड़बड़ी में उठकर खड़ी हो गई! "मि. आरव, गुड मॉर्निंग!"

    आरव: तुम यहाँ??? सब नौ बजे चले गए! और तुम साढ़े नौ बजे आ रहे हो!

    बेला: सर, मैं ट्रैफिक जाम में फँस गया था! इसलिए लेट हुआ हूँ! आप अब तक नहीं गए!

    आरव: मेरा कुछ काम बचा था! इसलिए रुक गया था! अब पूरा हो गया है तो चलो मेरे साथ! अद्वैत, तुम चल रहे हो ना?

    बेला: हाँ??? हाँ...लेकिन बस तो चली गई!

    आरव: तुम किस्मत वाले हो...जो मेरी कार में बैठने का तुम्हें मौका मिल रहा है! चलो!

    आरव ने बाइक एक जगह पार्क कर दी! और वह दोनों बाहर आ गए! बेला के प्लान पर पानी फिर चुका था! वह बाहर आकर गाड़ी के पास खड़ी हो गई! और नया बहाना ढूँढने लगी! उसे डिपार्टमेंट से कोई मैसेज आया तो उसने आरव से कहा, "सर, मेरे घर में पाइप लीकेज हो गया है! मुझे आपके साथ आना कैंसिल करना पड़ेगा! अगर घर नहीं पहुँचा...तो पूरे घर में बाढ़ आ जाएगी!"

    आरव: जरा तुम्हारा फ़ोन दिखाना! तुम्हें डिपार्टमेंट की तरफ़ से मैसेज आया होगा! क्योंकि वही मैसेज मुझे भी आया है! अगर तुम फिर भी नहीं आना चाहते तो दूसरी नौकरी ढूँढ सकते हो!

    बेला जल्दी से गाड़ी के अंदर जाकर बैठ गई! "मैं चल रहा हूँ मि. आरव!" आरव के चेहरे पर स्माइल आ गई! वह भी ड्राइविंग सीट पर बैठ गया! बेला को किसी सोच में देखकर वह उसके पास बढ़ गया! बेला ने उसे करीब आते देखा तो अपने आप अपनी धड़कनों की रफ़्तार बढ़ते हुए उसे महसूस होने लगी! आरव ने सीट बेल्ट लेकर उसे लॉक कर दिया! आरव बेला के चेहरे के एकदम करीब था! बेला की खुशबू उसे थोड़ी देर के लिए मदहोश कर गई! आरव बेला के चेहरे की तरफ़ देखने लगा! जबकि बेला बाहर की तरफ़ देख अपनी बढ़ी हुई साँसों को कम करने की कोशिश कर रही थी! आरव ने अपनी जगह पर आते हुए कहा, "तुम सीट बेल्ट लगाना भूल गए थे!"

    आरव ने गाड़ी आगे बढ़ा दी! और अपने धड़कते हुए दिल पर भी हाथ रख लिया। "जब भी इसके करीब जाता हूँ...यह इतना तेज़ क्यों हो जाता है! पगले, यह लड़का है...लड़की नहीं! जो तू अपनी नियत खो रहा है!" आरव कहकर खामोश हो गया! और उसने एक नज़र बेला की तरफ़ देखा! बेला खुद को जब्त कर बाहर देख रही थी! उसने बड़ी मुश्किल से अपने आपको शांत किया था! आरव ने अपनी स्पीड हमेशा की तरह रखी! लेकिन उसकी गर्दन में पेन हो रहा था! यह बात बेला नोटिस कर चुकी थी!

    आरव: तुम्हें पता है मैंने तुम्हें एक नाम दिया है...!

    बेला: कैसा नाम???

    आरव: बंदर!

    बेला: हाउ मीन मि. आरव! मैं बंदर जैसा नहीं हूँ!

    आरव: हरकतें तो उसी तरह हैं! तुम्हारा ध्यान नहीं रहता...और हमेशा मंद बुद्धि की तरह रहते हो! जैसे बंदर रहते हैं एक ही जगह पर!

    बेला ने कुछ नहीं कहा! जब फिर आरव अपनी गर्दन को इधर-उधर घुमाने लगा तो बेला ने कहा, "मि. आरव, क्या मैं ड्राइव करूँ???"

    "तुम्हें ड्राइविंग आती है???? तो अब तक कहाँ क्यों नहीं...मैं कितनी तकलीफ़ में था!"

    "मैंने इस मॉडेल को कभी चलाया नहीं है! पर आज मैं ट्राई करूँगा!"

    बेला और आरव अपनी-अपनी जगह से उठ गए! आरव बेला की सीट पर आकर बैठ गया! और बेला आरव की सीट पर आकर बैठ गई! "मि. आरव, मेरी स्पीड ज़्यादा है! आप सह पाएँगे ना...?" "मेरी स्पीड भी ज़्यादा ही है...देखी ना तुमने.........????" आरव ने जल्दी से हैंडल पकड़ लिया! उसकी आँखें बड़ी हो गई! बेला फ़ुल स्पीड पर कार चला रही थी! आरव चिल्लाया, "वह गाड़ी देखो....??? अद्वैत, वह गाड़ी हमसे टकराएगी!"

    बेला: डोंट वरी सर! मैं हूँ ना! मैंने आपसे कहा था ना मेरी स्पीड ज़्यादा है! क्या अब आप मुझे मंदबुद्धि कहोगे???

    आरव: नहीं यार...माफ़ कर दे मुझे! पर गाड़ी धीरे भगा! मैं मरना नहीं चाहता!

    बेला: मि. आरव, अब यह गाड़ी होटल के सामने जाकर ही रुकेगी!

    बेला ने जब नागपुर से बाहर आकर दूसरे शहर में एंट्री ली तो उसने थोड़ी सी स्पीड कम कर दी! आरव के चेहरे की तरफ़ देखकर! आरव दोनों हाथों से हैंडल पकड़कर बैठा था! जिसे देखकर उसे हँसी आ रही थी! थोड़ी देर बाद जब वह होटल पहुँचे तो आरव जल्दी से गाड़ी से उतरकर बाहर भाग गया! उसे वोमिट जैसा लग रहा था!

    बेला: मि. आरव, क्या आप ठीक हैं???

    आरव: मैं कसम खाकर कहता हूँ...आज के बाद तुम जिस गाड़ी को ड्राइव करोगे उसमें कभी नहीं बैठूँगा! नेवर!

    बेला होंठ दबाकर हँस दी! और उसके पीछे चलने लगी! कार से बैग निकाल लिया था उसने! आरव अपने रूम की चाबी लेकर आगे चल रहा था! रूम को खोलकर वह अंदर आया तो बेला भी उसका बैग लेकर अंदर आ गई!

    बेला: मि. आरव, यह रहा आपका बैग! मैं चलता हूँ...अपने टीम मेंबर्स के पास!

    आरव: यह हम दोनों का रूम है! हम दोनों रूम शेयर करने वाले हैं!

    बेला: क्या??? मैं आपके साथ नहीं रह सकता!

    आरव: क्यों??? क्यों नहीं रह सकते???

    बेला: आपको मेरी वजह से परेशानी होगी सर! और मुझे मेरी प्राइवेसी बहुत प्यारी है! मैं किसी के साथ रूम शेयर नहीं कर सकता!

    आरव: वह सब दो रूम शेयर कर रहे हैं! तुम वहाँ जाओगे तो उन सबको परेशानी होगी! वैसे भी यह रूम बड़ा है! फिर तुम्हें यहाँ रुकने में क्या प्रॉब्लम है! लड़की तो तुम हो नहीं! जो मेरे साथ अनकम्फ़र्टेबल महसूस करो!


    बेला (मन में): अब क्या बताऊँ आरव...तुम्हारे साथ ही तो अनकम्फ़र्टेबल हूँ...क्योंकि मैं लड़की हूँ! हम साथ नहीं रह सकते!

    आरव: वैसे भी तुम्हें इस होटल में दूसरा रूम नहीं मिलेगा...क्योंकि यह होटल बुक है! यह रूम मैंने डबल पे करके लिया है! अद्वैत....अद्वैत, तुम शॉवर ले रहे हो???

    बेला: नहीं!

    आरव: ठीक है, मैं शॉवर लेने जा रहा हूँ! तुम काउच पर सो सकते हो!

    बेला ने आरव को अपने कपड़े उतारते देखा तो वह घूम गई! "हे...भगवान...और क्या-क्या दिखाना बाकी है! काउच पर??? बेड और काउच का अंतर एक पैर के फ़ासले का है....! मैं ऑफिस गई ही क्यों???" बेला ने अपने आस-पास देखा! उसे आरव के शॉवर ऑन करने की आवाज़ आई तो वह अपना बैग उठाकर बाहर चली आई! जब वह नीचे पहुँची...उसे अपने टीम मेंबर्स दिखाई दिए!

    शेखर जी: अद्वैत, तुम कहाँ थे??? हमने कितने फ़ोन किए तुम्हें???

    बेला: वह मैं ट्रैफ़िक जाम में फँस गया था!

    नैतिक: चलो हम रिसॉर्ट जा रहे हैं!

    बेला: आप सब जाइए...मैं नहीं आना चाहता!

    शेखर जी: सब लोग...उसे तंग मत करो! बस उठाकर ले चलो!

    बेला को लगा था शेखर जी उसकी साइड लेंगे! पर उनके उठाने को कहते ही लड़कों ने उसे पकड़ा...और रिसॉर्ट की तरफ़ ले गए!

    जारी!!!

  • 11. Chahat - Chapter 11

    Words: 1469

    Estimated Reading Time: 9 min

    बेला को सब चेंजिंग रूम में उठाकर ले आए थे। और सबको शर्ट निकालते देख, बेला ने आधा-टेढ़ा मुँह करके उनसे पीठ करके खड़ी हो गई। उसने ऊपर देखकर ना में सिर हिलाया। फिर मुड़ी तो सब तौलिये लपेटकर उसी का इंतज़ार कर रहे थे। तौलिये में सबको देख बेला का चेहरा ऐसे हो गया था जैसे, 'यहाँ से कहाँ भागू?' तभी नैतिक उसके पास आकर बोला,

    "अद्वैत, तुम किस चीज़ का इंतज़ार कर रहे हो? चलो, चेंज करो जल्दी से! पुल पर जाना है! तुम्हें गर्मी नहीं लग रही?"

    बेला ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा,

    "आप लोग आगे चलिए। मेरे दोस्त को मुझे कुछ डॉक्यूमेंट्स भेजने हैं। उन्हें वह भेजकर मैं अभी आता हूँ।"

    समीर: पता नहीं कितने दोस्त हैं इसके, जो हमेशा इसे ही प्रॉब्लम में फ़ोन करते हैं!

    बेला: मैं अभी आया, चेंज करके।

    समीर: अगर तुमने यहाँ से भागने की कोशिश की तो हम तुम्हें रूम से खींचकर लाएँगे। समझे? चलो दोस्तों!

    सब पुल पर जाकर ठंडे पानी का मज़ा लेने लगे। और इधर बेला यहाँ से भाग जाना चाहती थी कहीं दूर। उसने लड़कों की तरह हाफ पैंट और टी-शर्ट पहन ली और पुल पर चली गई। सबने उसे देखकर कहा,

    "तुम यह टी-शर्ट पहनकर क्यों आई हो? उतार दो इसे! हमने भी तो नहीं पहनी?"

    बेला: नहीं! मैं इसे उतार नहीं सकती। यह मेरी गर्लफ्रेंड का गिफ्ट है! अगर उसे पता चला कि मैंने उसकी दी हुई टी-शर्ट नहीं पहनी तो वह मेरा सिर खा जाएगी!

    प्रतिक: लेकिन टी-शर्ट पहनकर पुल में कौन आता है? आजकल तो लड़कियाँ भी स्विमिंग कॉस्ट्यूम में पुल में उतरती हैं!

    शेखर जी: चुप करो ठरकी कहीं के! अद्वैत, जैसा तुम कम्फ़र्टेबल महसूस करो! तुम यहाँ आ गए, यही बड़ी बात है! हमें तो लगा था तुम यहाँ आओगे ही नहीं!

    प्रतिक: सर, आप हमेशा उसकी साइड लेते हैं!

    शेखर जी: मैं किसी की साइड नहीं ले रहा, बस लेने की कोशिश कर रहा हूँ!

    सब हँस पड़े। और बेला पानी में पैर डालकर बैठ गई। सब पानी में मज़े कर रहे थे। बेला को अब तक आरव नहीं दिखा था। वह उसके आने का ही इंतज़ार कर रही थी। तभी कहीं से लड़कियों की आवाज़ आई। तो समीर उस तरफ़ बढ़ गया। पास के ही पुल में, जो झाड़ियों के पीछे था। लड़कियाँ पुल में मस्ती कर रही थीं। यह भी शेखावत कंपनी से ही आई थीं। बस लड़कियों के अरेंजमेंट्स अलग थे। समीर ने अपनी कंपनी की लड़कियों को छुपकर देखा और बाकी सबको भी आवाज़ देकर बुला लिया। बेला वहीं बैठी थी जो पहले पहुँच गई और देखने लगी। जबकि शेखर जी अब भी पानी में बैठे, गाने गा रहे थे।

    समीर: बस यही कमी थी! वह भी पूरी हो गई! मुझे लगता है मुझे फिर प्यार हो गया! यह तो हमारी रिसेप्शनिस्ट पूजा है ना?

    नैतिक: हाँ, वही तो लग रही है!

    बेला: हम लड़कियों को छुपकर क्यों देख रहे हैं? उनके पास चलते हैं!

    प्रतिक: उनके सामने जाओगे? चुपचाप यहीं खड़े रहो! अपनी खैर चाहते हो तो!

    बेला: लेकिन क्यों?

    अब तक पूजा की नज़र इन सब पर पड़ी और वह चिल्लाने लगी,

    "कौन है वहाँ? क्यों छुपकर देख रहे हो? सामने आओ!"

    पूजा को चिल्लाते देख सारे लड़के भाग गए। पर बेला वहीं खड़ी थी। पूजा ने बाकी लड़कियों के साथ उधर आना शुरू कर दिया। शेखर जी लड़कों को भागते देख और बेला को वहीं खड़े देख उसके पास आ गए।

    "क्या हुआ? यह सब क्यों भाग गए?"

    जब शेखर जी को पूरा मामला समझ आया तो वह भी भागने लगे और बेला को वहीं खड़े देख उन्होंने पूछा,

    "तुम क्यों नहीं भाग रही? लड़कियाँ इधर आईं तो मार-मार के भर्ता बना देंगी!"

    "मैं क्यों भागूँ? हमने गलत क्या किया है?"

    "क्यों तुम लड़के नहीं हो? तुम लड़कियों को नहाते वक्त ताड़ नहीं रहे थे?"

    जब बेला को बात समझ आई तो वह पैर पकड़कर ऐसी भागी कि लड़कों के पास जाकर रुकी। उसने फिर ऊपर देखकर ना में सिर हिलाया। लड़के उसके पास से फिर भाग गए। सारा दोष उस पर ना आ जाए इसलिए वह फिर घूमकर पुल की तरफ़ आई और पानी में जाकर बैठ गई। हर्ष वहाँ से गुज़रा तो लड़कियों ने उससे पूछा,

    हर्ष सर, "क्या आपने लड़कों को यहाँ से भागते देखा?"

    "हाँ! वह लोग उस तरफ़ भागे हैं!"

    लड़कियाँ भी उस तरफ़ चली गईं। बेला पानी में बैठी थी। किसी के कदमों की आहट सुनकर उसने उस तरफ़ देखा तो आरव आ रहा था। उसने अपने आपको पानी में डुबो लिया। आरव पानी में आ गया था। किसी को पानी में बहुत देर तक मुँह डाले हुए देखकर वह उसके पास जाकर दोनों हाथों से बांधते हुए खड़ा हो गया। बेला जब बाहर आई तो अपने सामने आरव को देख हड़बड़ा गई और उसका पैर फिसला। इससे पहले कि वह गिरती, आरव ने एक हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ लिया। बेला उसी की तरफ़ देख रही थी और आरव उसकी तरफ़। दोनों इस पल में खोए थे। आरव की धड़कनें तेज हो गई थीं। उसने गला साफ़ करते हुए अद्वैत का हाथ छोड़ दिया।

    "तुम यहाँ क्या कर रहे थे? बाकी सब कहाँ हैं?"

    "मैं... पूल पर कोई क्यों आता है?"

    आरव वहाँ से जाने लगा तो बेला ने पूछा,

    "आप कहाँ जा रहे हैं? मि. आरव?"

    "जहाँ तुम हो वहाँ मुझे नहीं रहना! अजीब सी बेचैनी होने लगती है!"

    बेला को उसका बड़बड़ाना सुनाई तो नहीं दिया पर वह भी उसके पीछे निकल गई।

    पूजा ने सारी लड़कियों को इकट्ठा कर लड़कों को अपने सामने बिठाया था। लड़के वहाँ बैठे, चुपचाप उनकी बकबक सुन रहे थे। आरव और उसके पीछे बेला वहाँ आ गए।

    "क्या हुआ पूजा? तुमने इन सबको इकट्ठा क्यों कर रखा है?"

    "सर, यह सब हम लड़कियों को नहाते हुए देख रहे थे! हमें अच्छा नहीं लगा! पर इन्हें सज़ा दीजिए सर!"

    "कोई और भी था इस सबके साथ?"

    सारे लड़कों ने बेला की तरफ़ हाथ कर दिया।

    "अद्वैत भी था हमारे साथ!"

    "उल्लू के पट्टों में लड़की हूँ! पर आज मुझे क्या-क्या झेलना पड़ रहा है!"

    बेला मन में कहकर चुप हो गई और आरव ने उसकी तरफ़ देखा।

    "तो तुम क्या सज़ा देना चाहती हो सबको?"

    पूजा: सर, वापस लौटते ही इन्हें एक दिन के लिए लड़कियों के कपड़े पहनकर कंपनी में आना होगा! यही इनकी सज़ा है!

    नैतिक: पागल हो गई तुम...? सर, यह सही नहीं है!

    प्रतिक: हम लड़कियों की ड्रेस पहनकर काम कैसे करेंगे?

    आरव: यह तो अपनी ही कंपनी में काम करने वाली लड़कियों को नहाते हुए देखने से पहले सोचना चाहिए था!

    समीर: यह सही नहीं है! हम तो आवाज़ें किस चीज़ की आ रही है यह देखने गए थे!

    पूजा: हम आपके ही साथ काम करते हैं! आप सबको हमारी रिस्पेक्ट करनी चाहिए, ना कि ऐसे छुप-छुप कर देखना चाहिए!

    आरव ने पूजा की तरफ़ देख कहा, "यह सब आएंगे लड़कियों की ड्रेस पहनकर! अब आप सब जा सकती हैं!" पूजा अपनी जीत पर इतराती हुई चली गई। आरव ने अद्वैत की तरफ़ देख कहा,

    "तुम भी इस तरह के शौक रखते हो? अजीब है! अगर मैं यहाँ ना होता तो तुम सबका कचूमर बना देती वह सब!"

    आरव वहाँ से चला गया और बेला ने अपने बाल पकड़ लिए।

    "तुमने अपने ही हाथों से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी ली! क्या सोच रहा होगा आरव मेरे बारे में! मैं कितना बुरा लड़का हूँ? हैश... तुम गई क्यों थी वहाँ?"

    बेला ने खुद को ही दो-तीन थप्पड़ लगा ली और वह रूम में चली गई। आरव अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। वह चुपचाप जाकर अपने मोबाइल में गेम खेलने लगी। पर अब भी उसकी नज़र बार-बार आरव पर जा रही थी। आरव की गर्दन में दर्द हो रहा था। बार-बार अपनी गर्दन को आधा-टेढ़ा कर वह आराम पाने की कोशिश कर रहा था। आरव ने अपने लैपटॉप को नीचे रख दिया और बेड पर फैल गया। उसके गर्दन का दर्द देख बेला मोबाइल लिए रिसेप्शन पर आ गई।

    बेला: जी सुनिए, आपके पास कोई गर्दन की मोच की दवाई है?

    रिसेप्शनिस्ट: नहीं सर! आपको और कुछ चाहिए?

    बेला: नहीं, थैंक यू!

    बेला अपने मोबाइल पर आस-पास मेडिकल ढूँढ रही थी। उसने रिसेप्शनिस्ट से कहकर साइकिल ले ली और साइकिल चलाते हुए बाहर आई। बाहर आने पर हर्ष उससे टकरा गया।

    "अद्वैत, कहाँ जा रहे हो इतनी रात को?"

    "बस ऐसे ही टहलने जा रहा हूँ! वहाँ से आने के बाद मिलता हूँ!"

    "कोई हेल्प चाहिए हो तो मुझे ज़रूर बताना! और जल्दी वापस आना, देर हो गई है!"

    "जल्दी आऊँगा! और फ़िक्र मत कीजिए! जाकर सो जाइए!"

    हर्ष ने कुछ देर पहले हुआ वाकया याद किया जब वह बेला चेंज कर रही थी उस रूम में गया था।

    जारी!

  • 12. Chahat - Chapter 12

    Words: 1790

    Estimated Reading Time: 11 min

    बेला सबके जाने के बाद कपड़े बदल रही थी। लड़कों के चेंजिंग रूम को देखकर हर्ष उस तरफ आया था। वहाँ जाते ही उसने किसी लड़की को उसकी तरफ पीठ करके खड़े देखा। और वह जल्दी से पीछे मुड़ गया। किसी के बुलाने पर जब बेला ने कहा,

    "आ रहा हूँ!!!"

    तो हर्ष उसकी आवाज पहचान गया और छिप गया। बेला स्विमिंग पूल की तरफ गाउन पहनकर चली गई। उसने देखा भी नहीं कि कोई वहाँ है। हर्ष यह सब याद करके वर्तमान में लौट आया।

    "इसका मतलब अद्वैत एक लड़की है! और वह यहाँ आरव की वजह से लड़का बनकर जॉब कर रही है! आरव को पता चला तो वह बहुत नाराज़ होगा! अब मुझे क्या करना चाहिए? मुझे लगता है मुझे अद्वैत को पूछना पड़ेगा, वह क्यों ऐसा कर रही है? क्या कहूँ...? उफ़्फ़... यह तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई! कहीं मेरे मुँह से ही कुछ उल्टा-पुल्टा ना निकल जाए!"

    हर्ष सोचते हुए अपने रूम की तरफ चला गया। बेला साइकिल चलाते हुए मेडिकल की खोज में निकल पड़ी थी। मोबाइल पर मैप में आस-पास के मेडिकल ढूँढते हुए वह एक मेडिकल के पास पहुँच गई, पर कोई फायदा नहीं हुआ। मेडिकल बंद था। बेला अब फिर दूसरी मेडिकल ढूँढने लगी जो वहाँ से एक किलोमीटर की दूरी पर थी। बेला यहाँ आते-आते ही थक चुकी थी। अब एक किलोमीटर और जाना था उसे, पर उसने हार नहीं मानी। आखिर सवाल आरव की हेल्थ का था। वह निकल पड़ी। एक किलोमीटर तक साइकिल चलाने के बाद उसे मेडिकल दिखाई दिया। उसने नेक पेन की दवाई ली और क्रीम। पेमेंट कर जब वह बाहर आई, तब थकावट के बावजूद उसके चेहरे पर सुकून था। सुकून इस बात का कि आरव को अब और दर्द नहीं होगा। सुकून इस बात का कि अब उसकी गर्दन ठीक हो जाएगी। उसे कुछ राहत मिलेगी। सुकून इस बात का कि अब वह उसे आराम से सोते हुए देख पाएगी। उसका अब साइकिल चलाने का बिल्कुल मन नहीं था। पैर दर्द करने लगे थे उसके। वह पैदल ही चल रही थी। रात काफी हो चुकी थी, तो उसने फिर साइकिल चलाना शुरू कर दिया। जब वह होटल पहुँची, तब जाकर उसे अच्छा महसूस हुआ। वह साइकिल रखकर अपने रूम की तरफ चली गई। एक रूम में रहने के बावजूद उसने अब तक आरव को पता नहीं चलने दिया था कि वह लड़का नहीं, लड़की है। वह जैसे ही दरवाजा खोलकर अंदर आई, आरव ने कहा,

    "तुम्हें यह तो पता है ना कि कहीं जाने के समय पर किसी को बताकर जाना चाहिए कि कहाँ जा रहे हो?"

    "सॉरी, मैं जल्दी-जल्दी में भूल गया! अगली बार जरूर ऐसा नहीं करूँगा!"

    "वैसे तुम इतनी रात को कहाँ गए थे?"

    "मैं मेडिकल में आपके लिए यह क्रीम लाने गया था! पास वाला बंद था, तो दूर जाना पड़ा और उसी चक्कर में देर हो गई!"

    "तुम मेरे लिए क्रीम लाने के लिए गए थे इतनी दूर? तुम्हें कैसे पता मेरी गर्दन में दर्द है?"

    "ऑफिस में कई बार आपको गर्दन को मोड़ते हुए देखा था! तभी समझ गया था कि आपकी गर्दन में दर्द हो रहा है! और यहाँ भी आपको काम करते वक्त तकलीफ हो रही थी, इसलिए यह लाने चला गया! मैं क्रीम लगा दूँ?"

    "हम्म..."

    बेला क्रीम लगाने के लिए आरव की कॉलर को नीचे करने लगी, तो आरव को ऐसे लगा जैसे किसी लड़की ने छुआ हो। वह एक बार के लिए चौंक गया और उसकी तरफ मुड़ गया। बेला ने हैरानी से पूछा,

    "क्या हुआ?"

    "कुछ नहीं! ऐसे लगा जैसे......! छोड़ो वह बात! यह काम करेगी ना!"

    "बिल्कुल! उस मेडिकल वाले ने कहा था यह पावरफुल है! थोड़ी ही देर में असर शुरू कर देगी! आपको कुछ महसूस नहीं हो रहा?"

    "नहीं! पता नहीं कैसे पर लग रहा है, कुछ असर नहीं हो रहा!"

    "तो मैं मसाज कर दूँ? आपको आराम मिलेगा!"

    "तुम्हें मसाज करना आता है? कभी किया है?"

    "हाँ! इसमें कोई पहाड़ खोदना थोड़ी होता है! बस ऐसे गर्दन की तरफ, कांधे की तरफ हाथ रखना है और सही भार लेकर दबाना है! आपको अच्छा लग रहा है ना?"

    "अच्छा लग रहा है!"

    आरव ने कहा तो दिया, पर उसका ध्यान बेला के हाथों की तरफ था। उसकी पतली उंगलियाँ और नर्म मुलायम हाथ... एक लड़के के हाथ ऐसे कैसे हो सकते हैं? और तो और, मुझे अजीब सी फीलिंग क्यों होती है इसके पास रहने पर? सोचते हुए आरव उसके दोनों हाथों को, कभी गर्दन इधर मोड़कर या कभी उधर मोड़कर देखने लगा। बेला इस बात से अनजान होकर उसे अच्छे से मसाज दे रही थी। आरव ने सामने टेबल पर पड़ी शैंपेन की बोतल उठा ली और इस फीलिंग को कम करने के लिए पीना शुरू किया। वह बहुत पी चुका था और बेला मसाज देकर थक चुकी थी। उसने सामने आते हुए आरव से कहा,

    "मि. आरव अब आपको सोना चाहिए!"

    आरव: (नशे में) तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रहे हो?

    बेला: शैंपेन...!! शैंपेन पीकर ही इन्हें नशा हो गया! तभी ऐसे बातें कर रहे हैं! सर, मैं अद्वैत हूँ! हम साथ में यहाँ आए थे! मैं आपके साथ रुका हुआ हूँ!

    आरव: अच्छा...!! तो मुझे पता क्यों नहीं है? जाओ तुम यहाँ से! मुझे सोना है!

    बेला: ओह नो..!! अब क्या करूँ? मि. आरव आप यहाँ नहीं सो सकते! बेड पर जाकर सोइए! चलिए मैं आपको लेकर चलता हूँ!

    आरव: (रोते हुए) मुझे गोदी उठाओ! मुझे गोदी उठाओ!

    बेला: हे भगवान, कहाँ फँस गई? मेरे ही साथ सारी गड़बड़ क्यों हो जाती है?

    आरव: गोदी लो...!! गोदी लो..!!

    बेला ने बड़ी मुश्किल से आरव को एक साइड से पकड़कर खड़ा किया और बेड की तरफ ले जाने लगी।

    इधर आलिया अपने घर आ चुकी थी। उसके पापा बाहर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।

    "सिनियर शेखावत, मैं आ गई!!!" उसने चिल्लाते हुए कहा।

    सुशांत जी: आवाज कम करो, शैतान! तुम्हारी मम्मी को बड़ी मुश्किल से सुलाकर आया हूँ!

    आलिया: क्यों सिनियर शेखावत? कुछ हुआ है क्या?

    सुशांत जी: यह सब उस आरव की गलती है! मेरी बीवी को परेशान करता रहता है! उसी की वजह से वह रो रही थी!

    आलिया: सिनियर, वह वैसा नहीं है जैसा मम्मी सोच रही थी! हर्ष एक असली मर्द है! वह किसी मर्द के साथ नहीं है!

    सुशांत जी: तो तुम कहना चाहती हो, तुम्हारा भाई... "वैसा" है, हर्ष नहीं!

    आलिया: नहीं सिनियर, जूनियर भी वैसा नहीं है! वह तो बस मम्मी की डेट मीटिंग से बचने के लिए उसने किसी लड़के को गले लगा लिया होगा और किसी ने उसे गलत समझ लिया होगा और इस बात की अफवाह फैला दी कि मेरा भाई... ग... है!

    सुशांत जी: तो यह पता कौन करेगा, हाँ! कि तुम्हारा भाई वैसा है या नहीं?

    आलिया: अब किसी को तो करना पड़ेगा ना, सिनियर! इतनी रात हो गई है! कोई इतनी दूर कैसे जाएगा भला?

    सुशांत जी: एक ब्रांड न्यू कार के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?

    आलिया: बहुत अच्छा ख्याल है! मैं अभी निकलती हूँ! बस मेरी कार को मत भूलना पापा!

    सुशांत जी: जब कुछ चाहिए होता है तब तुम्हारे मुँह से पापा सुनने को मिलता है, शैतान!

    आलिया: फैमिली प्रॉब्लम है! इतनी आसानी से यह आदत छूटेगी नहीं! मैं चलती हूँ!

    आलिया वहाँ से जहाँ आरव रिसॉर्ट गया था, वहाँ निकल पड़ी। अपनी कार में लाउड म्यूजिक लगाकर वह गाते-गुनगुनाते हुए सुबह वहाँ पहुँच चुकी थी। वह वीआईपी गेस्ट थी। होटल के मैनेजर से अपने भाई के रूम की मास्टर की लेकर वह जैसे ही रूम में दाखिल हुई, चिल्लाकर बाहर भागी! अंदर बेला और आरव को एक ही बिस्तर पर सोते हुए देख लिया था उसने! माई मिस्टेक... एक लड़के के साथ अपने भाई को सोते हुए देख लिया था! आरव उसके पीछे बाहर आ गया।

    आरव: त...तुम यहाँ क्या कर रही हो, आलिया?

    आलिया: मैं तो तुमसे मिलने आई थी! पर यहाँ तो कुछ और ही हो रहा है!

    आलिया: इस बार सिनियर शेखावत ने क्या देने का प्रॉमिस किया है?

    आलिया: कार....!!!! अबबब... जूनियर, यह तुम सही नहीं कर रहे! मम्मी तुम्हारी वजह से नींद की गोलियाँ खा रही है और तुम यहाँ...? इसका मतलब वह अफवाह नहीं थी!

    आरव: जैसा तुम सोच रही हो, वैसा नहीं है! वह लड़का मेरी कंपनी में काम करता है और हम दोनों को रूम शेयर करना पड़ा, बस!

    आलिया: ठीक है तो मुझे उससे मिलना है!

    आलिया ने अंदर जाते हुए कहा, तो आरव ने उसे रोक दिया।

    "नहीं...!! वह अनकम्फ़र्टेबल महसूस करेगा! तुम अंदर नहीं जा सकती!"

    "तो तुम यह कह रहे हो कि तुम उसे डेट मीटिंग से छुटकारा पाने के लिए यूज़ कर रहे हो! मुझे पता था! अगर तुम चाहते हो कि मैं अपना मुँह बंद रखूँ, तो तुम्हें मुझे पैसे देने होंगे!"

    "इतने सारे पैसों का करती क्या रहती हो तुम?"

    "पार्टी भाई... पार्टी!!! पार्टी का मज़ा तुम नहीं समझोगे! धीरे-धीरे सिनियर जो होते जा रहे हो!"

    "आलू की बच्ची, तुने मुझे सिनियर कहा!!"

    आरव ने उसे पकड़ते हुए कहा, तो आलिया ने कहा,

    "मैं जा रही हूँ और सिनियर शेखावत और मम्मी को सब बता दूँगी!"

    "अच्छा ठीक है! तुम्हें मेरी कंपनी जॉइन करनी थी ना? तुम जॉइन कर सकती हो!"

    आलिया की आँखें चमक उठीं! उसे इतनी खुशी हुई कि वह कूदने लगी! "येई... अब मैं भी कंपनी में काम करूँगी! हर्ष के साथ रहूँगी!" आलिया सब अपने मन में कहकर खामोश हो गई। दोनों भाई-बहन इस बात पर डिस्कशन करते हुए वहाँ से रूम में आए। रूम में वह लड़का नहीं था जो थोड़ी देर पहले आलिया को दिखा था! यह कहाँ गया? सोचते हुए आरव रूम में उसे ढूँढने लगा।

    बेला ब्रेकफास्ट के लिए बाहर आ गई थी। कैफेटेरिया में बैठकर वह कुछ खाने के लिए ऑर्डर कर रही थी कि हर्ष उसके पास आकर बैठ गया।

    "अद्वैत, तुम क्या खाना चाहते हो? मैं लेकर आता हूँ!"

    बेला: सर, उसकी ज़रूरत नहीं है! मैं लेकर आता हूँ!

    हर्ष: तुम ठीक से सोए थे ना?

    बेला: आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं सर? मैं ठीक से ही सोया था!

    हर्ष: क्योंकि कल कुछ मैंने गलती से ऐसा कुछ देखा जो मुझे नहीं देखना चाहिए था!

    बेला: आप किस...?

    आलिया ने हर्ष की तरफ बढ़ते हुए कहा,

    "हर्ष, मैं बहुत खुश हूँ, सुबह-सुबह तुमसे मिल रही हूँ! गुड मॉर्निंग!!"

    आरव भी आलिया के साथ ही वहाँ आया था। बेला को बैठे देखकर वह भी उसके पास बैठ गया। हर्ष ने जब बेला से पूछा,

    "अद्वैत, तुम क्या खाना चाहते हो?"

    तो बेला की जगह आलिया बोल पड़ी,

    "तुम उसके लिए क्यों खाना लेकर आओगे? वह हमारा एम्प्लॉई है! उसे हमारे लिए लेकर आना चाहिए!"

    आरव: अद्वैत, जाओ मेरे लिए कुछ खाने को लेकर आओ!

    आलिया: हर्ष, तुम मेरे लिए कुछ लेकर आओगे, प्लीज़...!!

    आलिया ने कहा तो हर्ष मना नहीं कर पाया। आखिर वह आरव की बहन थी! वह और बेला साथ में डिश लेने के लिए चले गए।

    जारी...

  • 13. Chahat - Chapter 13

    Words: 2014

    Estimated Reading Time: 13 min

    अब हर्ष और बेला खाने की डिश चुनने लगे। बेला ने आरव की पसंद की डिश ले ली और खुद के लिए कुछ नहीं ले पाई क्योंकि उसके दोनों हाथों में सामान था। वह जाकर आरव के सामने बैठ गई। उसकी पसंद की चीजें उसके सामने रख, वह उसकी तरफ देखने लगी। आरव ने खाना शुरू कर दिया। हर्ष आलिया के लिए सलाद ले आया था, तो वह भी खाने लगी। हर्ष और बेला को साथ में खाने की डिश लेते समय आरव देख रहा था। वे मुस्करा कर बात कर रहे थे, तो चुभन उसे महसूस हो रही थी। हर्ष ने बेला को कुछ ना खाते देख अपना जूस का ग्लास उसके सामने कर दिया।

    "अद्वैत, तुम कुछ खा नहीं रहे हो! यह लो, जूस पी लो!"

    हर्ष का कहना था। और आरव ने जल्दी से उसका बढ़ाया हुआ जूस का ग्लास खुद पकड़कर पी लिया। जब दोनों उसे हैरानी से देखने लगे, तब उसने कहा,

    "वह... मुझे बहुत प्यास लगी थी! तो मैंने पी लिया!"


    हर्ष: क्या मैं तुम्हारे लिए दूसरा ग्लास ले आऊँ?

    बेला: नहीं, मुझे प्यास नहीं लगी।

    आलिया: वह लड़का है! खुद अपना काम ठीक से कर सकता है! तुम उसे लड़कियों की तरह ट्रीट क्यों कर रहे हो?


    सुनते ही आरव ने बेला की तरफ देखा जो मुस्कुरा कर इधर-उधर देखने लगी थी। उसके बिहेवियर से लग रहा था उसे यह बात बुरी लगी थी और आरव 'लड़का' शब्द सुनकर होश में आ गया था। अभी-अभी जो उसने फील किया था, क्या वह गलत था? वह फिर अपने खाने में व्यस्त हो गया। आलिया ने फिर कहा,

    "हर्ष, क्या हम घुड़सवारी करने चलें?"

    "हाँ... पर आरव साथ चले तभी मैं भी आऊँगा!"

    "ठीक है, चलते हैं! पर अद्वैत भी साथ जाएगा! मुझे देखना है, इसने जो प्रॉमिस किया था कि 'मैं कुछ भी करूँगा', यह पूरा करता है या नहीं!"


    बेला (मन में): लो... बैठे-बैठे बेला की लग जाती है! मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है जो हर उल्टे काम में मुझे घसीट लिया जाता है! अब यह घुड़सवारी जिससे मेरा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है! पर मुझे करना पड़ेगा अब! आप मुझसे बदला ले रहे हो ना भगवान जी!

    बेला ने ऊपर गुस्से से देखते हुए कहा।


    बेला सबके साथ घुड़सवारी करने पहुँच गई। आरव और हर्ष घुड़सवारी की ड्रेस पहनकर तैयार हो गए थे। वहाँ बेला भी चेंज करके आई। हर्ष ने उसकी तरफ हेलमेट बढ़ा दिया।

    "वैसे तो सब घोड़े ट्रेन होते हैं, फिर भी अपनी सुरक्षा के लिए तुम्हें इसे पहनना होगा! और हाँ, यह कपड़े सूट कर रहे हैं तुम्हें!"

    बेला: यह मेरी पहली हॉर्स राइडिंग है, मुझे घबराहट हो रही है!

    हर्ष: डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, हम सब साथ हैं!

    आरव (गुस्से से): यह लो तुम्हारे ग्लव्स, इन्हें पहनकर बाहर आओ!


    बेला ने आरव को नाराज़ होते देखकर झट से वह ग्लव्स ले लिए। वह बाहर चली आई। हर्ष भी बाहर आया तो आलिया ने उसे आवाज दी।

    "हर्ष, देखो ना... यह घोड़ा मुझे बैठने नहीं दे रहा!"

    हर्ष उसकी तरफ बढ़ गया। उसने आलिया को घोड़े पर बैठने में मदद की।


    आलिया: वैसे हर्ष, एक बात तो मैं तुम्हें बताना भूल ही गई! मैं अब तुम्हारे अंडर काम करूँगी! है ना गुड न्यूज़!

    हर्ष: तुम्हारे भाई ने तुम्हें परमिशन दे दी?

    आलिया: हाँ! अब हमारा ऑफिस रोमांस शुरू होगा! मैं बहुत एक्साइटेड हूँ!

    हर्ष (मन में): इस आरव की तो मैं...? दोनों भाई-बहन मुझे मारकर ही दम लेंगे!


    हर्ष ने आरव को बहुत-सी गालियाँ मन में दीं। फिर आलिया को बिठाकर वह खुद बैठने चला गया घोड़े पर। इधर बेला को ट्रेनर ने घोड़े पर बिठा दिया था। वह बहुत खुश हो रही थी और बार-बार घोड़े को सहला रही थी ताकि वह उसे गिरा ना दे। पर ऐसा कब हुआ है कि हीरोइन कभी किसी मुसीबत में ना पड़े! बेला का घोड़ा अचानक ही बेकाबू हो गया और अपने शरीर को झाड़ने लगा। ट्रेनर चला गया था, इसलिए बेला समझ नहीं पा रही थी उसे कैसे शांत किया जाए। तभी आरव अपने घोड़े के साथ वहाँ आ गया। अद्वैत को मुसीबत में देख उसने अपने घोड़े को अद्वैत के घोड़े के पास लाना शुरू किया और अद्वैत के घोड़े की लगाम को पकड़ने की पूरी कोशिश करने लगा। घोड़ा तेज़ भाग रहा था और उसकी लगाम पकड़ने में मुश्किलें आ रही थीं। फिर भी अपनी पूरी ताकत लगाकर आरव ने उस घोड़े की लगाम पकड़ ली और उसे तेज़ कसना शुरू किया। लगाम की वजह से अद्वैत के घोड़े की रफ़्तार धीमी हो गई और घोड़ा रुक गया। बेला जोर-जोर से हाँफने लगी। उसे लगा था अब उसकी कोई ख़ैर नहीं, पर घोड़े के रुकते ही उसकी जान में जान आई। बेला ने आरव की तरफ देखा जो खुद लंबी साँसें ले रहा था। वहाँ पर अभी-अभी पहुँचे हर्ष और आलिया ने यह सारा माज़रा देख लिया था। दोनों उनकी तरफ आ गए।


    हर्ष: अद्वैत, तुम ठीक हो? चोट तो नहीं लगी?

    बेला: हाँ! मैं ठीक हूँ! मि. आरव ने बचा लिया!


    आरव ने अपने घोड़े से उतरते हुए कहा,

    "क्या अब भी घुड़सवारी करनी है तुम्हें?"

    बेला ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "मैं स्ट्रांग बंदा हूँ सर! इतनी बात से नहीं डरता!"

    "ठीक है, तो अब मैं तुम्हें सिखाता हूँ घुड़सवारी कैसे की जाती है!"


    पलक झपकते ही आरव अपने घोड़े से उतरकर बेला के घोड़े पर चढ़ गया।

    "घोड़े के साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए सबसे ज़रूरी है, तुम अपने शरीर को उसके शरीर के हिसाब से ढाल लो! और उसके बाद उसकी धड़कनों को महसूस करो! फिर वह तुम्हारे साथ सहज महसूस करेगा!"

    बेला ने आँखें बंद कर ली और वह महसूस करने लगी।

    "सच में ऐसा हो रहा है मि. आरव!"

    अब जब बेला नॉर्मल हो चुकी थी, तो आरव ने पूछा,

    "कल रात को मैंने कोई उल्टी-सीधी हरकत तो नहीं की?"

    बेला: क्या आपको कुछ भी याद नहीं?

    आरव: नहीं! मैंने जब वह बोतल खत्म की मुझे वहाँ तक ही याद है! उसके बाद क्या हुआ?

    बेला: कुछ नहीं हुआ! उसके बाद आप सीधा सो गए थे! आप थोड़ी सी पीने पर भी होश में नहीं थे! आपको नहीं पीनी चाहिए!

    आरव: हाँ, वो मैं बहुत कम पीता हूँ तो...!! सच में कुछ नहीं किया ना मैंने?

    बेला: जी नहीं!


    थोड़ी देर बाद हर्ष और आरव के बीच रेस लगी और वे दोनों बहुत इन्जॉय कर रहे थे। आलिया अद्वैत के पास खड़ी हर्ष की तरफ देख रही थी। अद्वैत को दोनों की तरफ ऐसे देखते देख आलिया ने कहा,

    "मैंने सुना तुमने हर्ष की वजह से कंपनी ज्वाइन की! ऐसा क्या ख़ास था उसमें?"

    "उनमें एक चमकती रोशनी है जो मुझे उनकी तरफ खींचती है! मैं उनके जैसा बनना चाहता हूँ क्योंकि वे मुझे उस रोशनी को पाने के लिए मोटिवेट करते हैं!"

    आलिया का यह सुनकर मुँह उतर गया। फिर भी बेला एक लड़का है सोचकर उसने खुद को संभाल लिया।


    हर्ष (वहाँ आते हुए): यह क्या बातें कर रहे हो तुम दोनों?

    आलिया: अद्वैत कह रहा है, तुम उसके आइडल इसलिए हो क्योंकि उसमें उसे एक रोशनी दिखाई देती है! पर मेरे लिए तुम सूरज की तरह हो जो रोशनी का भंडार है!

    आरव (चिढ़ते हुए): बंद करो यह रोशनी-सूरज! घर जाने का टाइम हो गया है, चलो!


    आलिया कपड़े बदलने चली गई और क्योंकि बेला लड़कों के गेटअप में थी, वह हर्ष और आरव के साथ चली गई। जब चारों बाहर आकर मिले, तो बेला ने आरव की गाड़ी में बैठने की कोशिश की, पर बैठने से पहले ही आरव ने उसे डाँट दिया।

    "कहाँ बैठ रही हो? मैं कहीं और जा रहा हूँ!"

    बेला पीछे हट गई। तभी वहाँ हर्ष ने आते हुए कहा,

    "अद्वैत, तुम हमारे साथ चलो! हम तुम्हें छोड़ देंगे!"

    आरव: उसकी कोई ज़रूरत नहीं! मैं उसे छोड़ दूँगा!

    हर्ष: अभी तो तू उसे बैठने से मना...

    आलिया: अद्वैत, जाकर आरव भाई के साथ बैठो! हम दोनों को अकेले जाना है!

    बेला: ठीक है! पर दो लोग अकेले कैसे हो सकते हैं?


    आलिया ने हर्ष को खींचते हुए वहाँ से चलने पर मजबूर कर दिया। वे लोग दूसरी गाड़ी में जाकर बैठ गए। इधर बेला ने आरव की तरफ इशारा किया, मैं गाड़ी चलाऊँ? तो आरव ने जल्दी से ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए कहा,

    "गाड़ी मैं चलाऊँगा!"

    बेला साइड वाली सीट पर जाकर बैठ गई और उनकी गाड़ी नागपुर के लिए निकल गई।


    निशा अपने ऑनलाइन चैनल पर सबसे बात कर रही थी।

    "हैलो दोस्तों... कैसे हैं आप? मैं तो बहुत बढ़िया हूँ! आज का टॉपिक है... नौकरी! क्या आप में से किसी ने नौकरी पाने के लिए झूठ बोला है? तो भेजिए मुझे अपना रिकॉर्ड किया हुआ वाकया और हम करेंगे उस पर ढेर सारी बातें! तो मिलते हैं अगले सेशन में! तब तक मेरे चैनल को फॉलो कीजिए और भेजिए मुझे अपना कोई ऐसा वाकया! बी हेल्दी, बाय!"

    निशा ने अपना सेशन खत्म किया और बेला को आवाज लगाई।

    "बेला... बेला कहाँ हो?"

    बेला ने बाहर आकर निशा की तरफ देखा। निशा उसका टेंशन से भरा चेहरा देखकर उसके पास आ गई और नाचने लगी।


    याद आ रही है!
    तेरी याद आ रही है!
    याद आने से, तेरे
    जाने से, जान जा रही है!


    उसके अजीब डांस से बेला के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई।

    "तुँ क्यों ऐसा करती है?"

    बेला ने उससे पूछा। निशा ने कहा,

    "तुँ क्यों यह इतना सीरियस मुँह बनाती है? ऐसे लगता है कोई मर गया!"

    बेला: लड़कों को समझना इतना मुश्किल क्यों है?

    निशा: मतलब?

    बेला: पहले तो आरव ऐसे दिखाता है उसे मेरी बिल्कुल भी फ़िक्र नहीं! पर जब हर्ष सर मदद करने आते हैं तो अचानक से जिस चीज़ के लिए ना बोल देते हैं, उस चीज़ के लिए रेडी हो जाते हैं!

    निशा: क्योंकि वह तुम्हें लड़का समझता है! देखो, तुम उसके लिए दवाई लाने गई, उसे मसाज भी दिया! फिर उसकी हर बात मानती है! वह तुझे पसंद कर रहा होगा... अच्छे काम के लिए... पर फिर तू लड़का है यह सोचकर दूरी बनाता होगा!

    बेला: मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा! हम सब लड़कों को कल लड़कियों की ड्रेस पहनकर जाना है ऑफ़िस! हमारी पनिशमेंट है!

    निशा: तू उसकी चिंता मत कर! कल तेरी सुंदरता देखकर हर कोई दंग रह जाएगा!

    बेला: अगर किसी को सच पता चल गया तो... कि मैं सच में लड़की हूँ... तब मेरी ख़ैर नहीं!

    निशा: तू टेंशन बहुत लेती है यार! किसी को पता नहीं चलेगा!


    निशा ने उसे ड्रेस रूम में बुलाया और हर तरह के ड्रेस उससे ट्राई करवाए। तभी निशा ने कहा,

    "बेला, सूरज ने कुछ कहा क्या?"

    बेला: हाँ, उसने मेरी और आरव सर की, उनको मनाने के वक़्त की फ़ोटो ले ली और मुझे ब्लैकमेल किया कि मैं तुमसे ब्रेकअप कर लूँ!

    निशा: ब्रेकअप...?

    बेला: और हाँ, उसने यह कहा है वह फ़ोटो तब डिलीट करेगा जब उसे पता चल जाएगा कि तुम अब मेरे साथ नहीं हो!

    निशा (उठते हुए): उसकी इतनी हिम्मत! समझता क्या अपने आपको? मैं अभी बात करती हूँ उससे!

    बेला: नहीं निशा, वह ग़लत नहीं है! बस तुम्हारी परवाह करता है! और वह तुम्हें सेफ़ रखना चाहता है!

    निशा: आई कांट बिलीव दिस... कि अब मेरे ब्रेकअप पर कोई किसी को ब्लैकमेल कर रहा है!

    बेला: तू टेंशन क्यों ले रही है? उसे अब भी मुझ पर शक नहीं हुआ है! वैसे अब तुम बताओ मैं क्या पहनूँ?


    निशा ने उसे एक व्हाइट कलर की खूबसूरत ड्रेस निकालकर दी, पर उसके साथ-साथ पुराने जमाने में चेहरे को कवर करने के लिए जैसे नकाब पहना जाता था, वैसा नकाब उसे सौंप दिया।

    "इससे काम बन जाएगा मेरी रानी!"

    निशा ने खुशी से कहा।


    बेला: बस कल कोई मुझे पहचान ना पाए!


    दूसरे दिन सब लड़के लड़कियों जैसी ड्रेस पहनकर आए थे और रिसेप्शनिस्ट अपनी कुछ सहेलियों के साथ उनकी फ़ोटोज़ ले रही थी। आरव और हर्ष खड़े होकर यह सब देख रहे थे। जब लड़के परेशान हो गए तो उन्होंने आरव से रिक्वेस्ट की।

    "सर, हम ऐसे कपड़ों में काम नहीं कर सकते! प्लीज़ हमें चेंज करने दीजिए!"

    आरव: जब तक लड़कियाँ नहीं चाहेंगी तुम सबकी पनिशमेंट खत्म नहीं होगी! इसलिए जल्दी से यह काम खत्म करो और काम पर लगो!

    पूजा: सर, इनमें एक लड़का नहीं है! वह कहाँ है?

    आरव: कौन नहीं आया है?

    नैतिक: सर, अद्वैत नहीं आया है!


    तभी अद्वैत ने वहाँ एंट्री ली और सब उसे देखते रह गए!

    जारी!

  • 14. Chahat - Chapter 14

    Words: 1029

    Estimated Reading Time: 7 min

    बेला ने वहाँ वाइट ड्रेस में एंट्री ली। हर कोई उसकी तरफ देखता रहा। यहाँ तक कि पूजा के साथ-साथ बाकी लड़कियाँ भी उसे ही देख रही थीं। उसके लंबे बालों को देखकर हर्ष और आरव उससे नज़र नहीं हटा पाए थे। तभी प्रतिक ने कहा,

    "अगर हमें पहले पता ना होता कि यह लड़का है... तो मैं इसे लड़की समझकर अभी प्रपोज कर देता!"

    आरव ने यह बात सुन ली और उसे गुस्सा आया। उसने कहा,

    "सबकी पनिशमेंट खत्म हो गई है! जाओ जाकर काम पर लग जाओ!"

    पूजा: पर सर, अद्वैत तो अभी आया है?

    आरव: मैंने कहा ना... पनिशमेंट खत्म हो गई! अद्वैत, मेरे केबिन में आओ!

    सब इधर-उधर हो गए। हर्ष भी समझ नहीं पाया कि अभी जो हँसी-मज़ाक का माहौल चल रहा था, आरव अद्वैत के वहाँ आने पर ऐसे क्यों रिएक्ट करने लगा। उसे ऐसे देखकर हर्ष भी अपने केबिन की तरफ चला गया। आरव अपने केबिन में बैठा था। बेला ने जैसे ही अंदर कदम रखा, उसके हाथों में बंधे ब्रेसलेट से घूंघरूओं की आवाज आई। आरव उठकर उसके पास आया।

    "तुम्हें इस कॉस्ट्यूम में बहुत मज़ा आ रहा है क्या? लग नहीं रहा तुम्हें पनिशमेंट मिली है?"

    "मि. आरव, यह पनिशमेंट आप ही ने तो दी थी! मैं तो बस आपकी बात मान रहा हूँ!"

    "यह क्या पहन रखा है तुमने? हटाओ इसे... इससे तुम्हारा चेहरा कवर हो रहा है!"

    "लेकिन मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है मि. आरव! डोंट वरी... मैं इसे निकाल दूँगा!"

    "तुमने सुना नहीं मुझे? यह अच्छा नहीं लग रहा! हटाओ इसे... एक मिनट, मैं ही हटा देता हूँ!"

    कहकर आरव बेला के पास आया, पर वह भागने की कोशिश करने लगी और उसके टेबल के इर्द-गिर्द चक्कर काटने लगी। आरव ने उसके हाथ को पकड़ लिया और उसे पीछे दीवार से सटा दिया। बेला हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी। धड़कनें तेज थीं भागने की वजह से, तो एक-दूसरे की साँसों को वह साफ-साफ सुन पा रहे थे। दोनों एक-दूसरे की आँखों में डूबे हुए थे कि आरव ने होश में आते हुए उसके उस मास्क की डोरी खोल दी। और मास्क निकलने के बाद बेला का वह लड़की वाला खूबसूरत चेहरा आरव को पहली बार नज़र आया। आँखों से होते हुए जब उसकी नज़र बेला के सुरख होंठों पर पड़ी, उसका हाथ उसके होंठों तक चला आया। पर बेला ने एक सेकंड में होश में आते हुए आरव से दूरी बना ली। दोनों दूसरी तरफ हो गए। इस ऑकवर्ड सिचुएशन से बचने के लिए आरव ने उसे फिर डाँट दिया।

    "जल्दी से यह लड़की वाले कपड़े चेंज कर लो... इसमें अजीब प्राणी नज़र आ रहे हो तुम!"

    बेला: मैं जा रहा हूँ सर!

    आरव: और प्लीज़ यह घूंघरू हटा दो! कहाँ से बज रहे हैं ये!

    बेला: जी सर, अभी हटा देता हूँ!

    बेला तो चली गई, पर आरव ने अपना सिर पकड़ लिया।

    "गधा... उल्लू का पठ्ठा... तुम दिन ब दिन बेकार होता जा रहा है! वह लड़का है! लड़का! और तुम... उसके बारे में...? इससे पहले कि तुम कन्वर्ट हो जाओ, अपने आपको संभाल! वरना जिन अफ़वाहों को तुमने अपनी ढाल बनाया था, वह सच हो जाएँगी!"

    कहते-कहते तो आरव ने अपने आपको एक थप्पड़ भी लगा दिया था। अब जब भी उसे बेला दिखती, वह उससे बचने के लिए दूसरा रास्ता अपना लेता। अगर वह नीचे रहती तो वह ऊपर चला जाता। अगर वह अंदर आती तो वह बाहर चला जाता। बेला आरव का इग्नोर करना समझ नहीं पा रही थी। जब बात करने के लिए वह ऑफिस छूटने के बाद बाहर आई, तो उसे देख आरव जल्दी से गाड़ी में बैठकर निकल लिया। बेला बस कुछ कदम की दूरी से उससे बात नहीं कर पाई। दूसरे दिन सुरज से मिलने निशा कैफ़े में गई। सुरज उसी का इंतज़ार कर रहा था। सुरज के सामने बैठी निशा गुस्से में उसे देख रही थी।

    सुरज: तब से गुस्से से देख रही हो? बात क्या है वह तो बताओ?

    निशा: तुमने मेरे बॉयफ्रेंड से यह कहा कि वह मुझसे ब्रेक अप कर लें? क्यों? तुम्हें क्या तकलीफ़ है मेरी पर्सनल लाइफ से?

    सुरज: कोई तकलीफ़ नहीं है! बस वह लड़का अच्छा नहीं है!

    निशा: तुम्हें कैसे पता वह अच्छा नहीं है? फिर भी मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया है! अब तुम खुश हो?

    सुरज: तुम समझ नहीं रही हो निशा... लड़के अच्छे नहीं होते! वह लोग बस फ़ायदा उठाते हैं!

    निशा: यह तुम कह रहे हो जो खुद एक लड़का है!


    इधर बेला अपने कंप्यूटर पर काम कर रही थी। अचानक ही उसके पेट में दर्द होने लगा और वह समझ गई कि यह उसके पीरियड्स का काम है। उसने जल्दी से बाथरूम की तरफ जाना शुरू किया। अंदर जाकर उसने सबसे पहले निशा को फोन लगाया जो सुरज से फ़िलहाल लड़ रही थी। बेला का फोन देखकर निशा ने उठा लिया।

    निशा: हाँ बेला, बोलो!

    बेला: मुझे तुम्हारी मदद चाहिए! मैं इस वक्त ऑफिस में हूँ और तुम समझ गई ना?

    निशा: ओह गॉड! मैं समझ गई! दस मिनट में पहुँचती हूँ!

    निशा ने जल्दी से पानी पिया और सुरज को बाय बोलकर जाने लगी। तो सुरज ने उसे टोक दिया।

    "तुमने अभी अपना नाश्ता खत्म नहीं किया है!"

    "इमरजेंसी है! मुझे जाना पड़ेगा! तुम आराम से आओ, ठीक है!"

    कहकर निशा भाग गई, पर सुरज उसकी अजीब हरकत देखकर दंग था। निशा ऑफिस पहुँच गई थी टैक्सी लेकर और जैसे ही ऊपर आई, उसे सामने से आरव आता दिखाई दिया। वह सीढ़ियों की तरफ जाकर छुप गई। उसने देखा आरव वहीं पर खड़ा है जहाँ से उसे बाथरूम की तरफ मुड़ना है, तो वह चुपचाप वहीं पर छुपी रही। आरव अब बाथरूम के अंदर चला गया था। उसने हाथ धोए और अपने बालों को संवारने लगा। किसी की आहट पाकर बेला खामोश थी। उसे पेट दर्द भी बहुत हो रहा था। तभी आरव के पीछे सुरज आकर खड़ा हो गया।

    "सर, आपकी फ़ाइल कंप्लीट हो गई है! आपको मीटिंग रूम में बुलाया है!"

    आरव: हाँ, बस वहीं जा रहा हूँ... थैंक्स सुरज!

    आरव वहाँ से चला गया और सुरज ने अपने पीछे छुपाया हुआ पैकेट बेला जहाँ थी उस दरवाजे पर लटका दिया।

    "तुम्हारा पैकेट दरवाजे पर लगा है! ले लो!"

    कहकर सुरज वहाँ से चला गया और बेला ने वह पैकेट ले लिया।

    जारी!

  • 15. Chahat - Chapter 15

    Words: 1987

    Estimated Reading Time: 12 min

    पैकेट लेकर उसने चेंज किया। फिर वह बाहर आई। थोड़ी देर बाद सुरज, बेला और निशा कंपनी के बाहर एक कैफ़े में बैठे थे। तीनों खामोश थे। बेला ने सुरज की तरफ देखकर कहा,
    "प्लीज़, तुम आरव को कुछ भी मत कहना। वरना मेरी नौकरी चली जाएगी। जिसके लिए मैंने यह सब किया।"

    सुरज ने दोनों की तरफ देखकर कहा,
    "इसका मतलब यह सारा नाटक तुमने... नौकरी के लिए किया? तुम दोनों को पता है झूठ पसंद नहीं है आरव को।"

    "पता है। पर और कोई रास्ता नहीं था। यहाँ किसी लड़की को जॉब मिलना कितना मुश्किल था... यह तुमसे बेहतर कौन जानता है।"

    "और बेला की कोई गलती नहीं है। इसे मैंने ही यह सब करने के लिए बोला। क्योंकि उसे आरव के साथ ही काम करना था।"

    "अब इसका मतलब मैं क्या समझूँ?"

    "ओफ्फो, डफर कहीं के... बेला आरव को पसंद करती है। कॉलेज के दिनों से। उसी के लिए उसने यह फ़ील्ड चुनी थी। क्या अब हम दोनों लड़कियाँ मिल सकती हैं... आपकी इजाज़त हो तो?"

    "अब जब यह लड़की है... तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। तुम दोनों मिल सकती हो।"

    "सुरज, प्लीज़ वह फ़ोटो डिलीट कर दो। तुम्हें नहीं पता मैं उसी के बारे में सोच रही थी दो दिन से।"

    "हाँ। अभी कर देता हूँ।"

    "एक मिनट... लड़की है... का क्या मतलब? अगर यह लड़का होता तो तुम मुझे इसे डेट नहीं करने देते। तुम मेरी लव लाइफ़ के पीछे क्यों पड़े हो शनि बनकर? मैं चाहे किसी को भी डेट करूँ, प्यार करूँ, यह मेरा पर्सनल मैटर है। अगली बार टांग मत अड़ाना।"

    "मेरी मर्ज़ी के बगैर तुम किसी को भी डेट नहीं करोगी। मैं नहीं करने दूँगा। तुम्हें पता भी है लड़के कैसे होते हैं? नहीं पता ना? ऐसा कुछ मत करना... कि मैं तुमसे नाराज़ हो जाऊँ।"

    बेला: खामोश...!!! यार, कितना झगड़ते हो तुम दोनों! बड़े हो गए हो ना... या अब भी बच्चे हो? आस-पास देख तो लिया करो।

    सुरज और निशा ने आस-पास देखा। कैफ़े में बैठे सारे लोग उन्हें देख रहे थे। दोनों खड़े होकर लड़ रहे थे। दोनों ने धीरे से अपनी-अपनी सीट पकड़ी और बैठ गए। तो सभी हँसने लगे। बेला ने कहा,
    "मैं चलती हूँ। मुझे काम है। और प्लीज़, लड़ना मत।"

    बेला ऑफ़िस आ गई। तभी वहाँ से आरव गुज़रा। वह उसे ही ढूँढ़ रहा था। क्योंकि वह बहुत देर से अपनी डेस्क पर नहीं थी। उसने बेला के फ़ीके पड़े चेहरे की तरफ़ देखकर पूछा,
    "कहाँ थे तुम? और यह इतने बीमार क्यों लग रहे हो?"

    बेला: सर, मुझे पेट दर्द हो रहा है। पता नहीं खाने में कुछ उल्टा-सीधा खा लिया हो।

    आरव: ठीक है, चलो।

    बेला: कहाँ?

    आरव: हॉस्पिटल। तुम्हें दवाइ की ज़रूरत है।

    बेला: नहीं मि. आरव। मैं ठीक हूँ। बस थोड़ा रेस्ट करूँगा तो ठीक हो जाऊँगा।

    आरव: तो ठीक है। आज छुट्टी ले लो। चलो, मैं तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूँ।

    बेला: (मन में) ओह, तुम्हें भी आज ही अच्छे से पेश आना है मेरे साथ आरव। ठीक है। मुझे इस छुट्टी की वाकई ज़रूरत है।

    कहकर बेला अपनी बैग ले आई और आरव ने उसे घर ड्रॉप कर दिया। निशा घर पर ही थी। किसी की गाड़ी को घर के सामने रुकते देख वह बाहर आ गई। बेला जैसे ही बाहर निकली, वह उसके गले लग गई।
    "अंदर गाड़ी में कौन है बेला रानी?"

    "आरव है। मुझे घर छोड़ने आया है।"

    निशा सुनते ही अपने एक्टिंग के साथ शुरू हो गई।
    "ओह बेबी, तुम्हें क्या हुआ? तुम इतने बीमार क्यों लग रहे हो? अब मैं क्या करूँ? तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाती हूँ।"

    आरव गाड़ी से बाहर आया।

    निशा: (बेला की बांह में बांह डालते हुए) मि. आरव, वेलकम... आपने मुझे पहचाना। मैं ऑफ़िस आई थी।

    आरव: हाँ, मैं जानता हूँ।

    निशा: मेरे हनी को घर छोड़ने के लिए आपका शुक्रिया। आइए ना, मैं आपको गरमा गरम कॉफ़ी पिलाती हूँ।

    आरव: उसकी ज़रूरत नहीं है। और तुम अद्वैत... अच्छे से रेस्ट करना।

    आरव अपनी गाड़ी स्टार्ट कर निकल गया और दोनों लड़कियाँ अंदर आ गईं।
    "तुम इस तरह क्यों पेश आ रही थी उसके साथ?" बेला ने अंदर जाकर बैठक पर पटक दिया।

    निशा: तुने देखा नहीं। जैसे ही मैंने तुम्हें तेरे हाथ में हाथ डाला उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं। ऐसा लग रहा था... उसे मेरा तेरे करीब आना पसंद नहीं आया। उसके चेहरे पर बारह बजे थे।

    बेला: (बाथरूम में जाते हुए) सुरज क्या कह रहा था और?

    निशा: कुछ नहीं। उसने मुझसे प्रॉमिस किया है वह तुम्हारा सीक्रेट किसी को नहीं बताएगा। इनफैक्ट कह रहा था पहले पता होता तो वह तुम्हारी मदद करता।

    बेला: बहुत सुलझा हुआ है वह। उसने ज़रा भी गुस्सा नहीं किया कि हमने झूठ बोला है। काश आरव भी सच पता चलने पर ऐसे ही रिएक्ट करे मेरे साथ। मुझे तो कभी-कभी डर लगता है। जिस दिन उसे पता चलेगा... पता नहीं वह क्या करेगा।

    निशा: कुछ नहीं होगा, ट्रस्ट मी। तू उसे इतना पसंद करती है ना... इसलिए तुझे डर लग रहा है। जहाँ तक मैं उसे समझ पाई हूँ... वह सुलझा हुआ ही लग रहा है मुझे।

    बेला: मैं सोने जा रही हूँ।

    निशा: मैं भी आ रही हूँ।

    दोनों सहेलियाँ बातें करती हुई नींद की आगोश में चली गईं। दूसरे दिन एक नया सवेरा दोनों का इंतज़ार कर रहा था। निशा अबकी बाहर चली गई थी और बेला रेडी होकर बस स्टॉप की तरफ़ भाग रही थी। उसे यह बस किसी भी कीमत पर पकड़नी थी और वह सफल भी रही। बहुत भीड़ होने के बावजूद उसने बस में जगह बना ली। दूसरी तरफ़ ऑफ़िस में हड़कंप मचा हुआ था क्योंकि आलिया ऑफ़िस आ रही थी। आलिया ने पहले ही ऑफ़िस में बहुत सारे कपड़े भिजवा दिए थे और चार हट्टे-कट्टे बॉडीगार्ड, जो सबके ऊपर नज़र रखने वाले थे। उसने लिफ़्ट से एंट्री ली। शेखर जी के साथ-साथ प्रतीक, नैतिक और समीर हाथ बाँधकर कोर्ट मार्शल के लिए एक लाइन में खड़े थे। आलिया ने उनकी तरफ़ आते हुए कहा,
    "मैं चाहे किसी भी डिपार्टमेंट में क्यों ना जाऊँ, जिसे फैशन सेंस नहीं है... वह इस कंपनी में काम नहीं करेगा। और सबसे पहले तो तुम सबके ये चेक शर्ट्स... इउ... कितने आउटडेटेड हो तुम सब? तुम लोग अभी के अभी इन कपड़ों को चेंज करोगे और जो मैं लेकर आई हूँ... इन्हें पहनोगे।"

    आलिया के खामोश होते ही उसके बॉडीगार्ड चिल्लाए,
    "शर्ट उतारो!!!"

    सबके साथ-साथ आलिया भी अपने चेस्ट पर हाथ रख डर गई। तभी वहाँ बेला ने एंट्री ली। उसने आलिया को देखकर उसे गुड मॉर्निंग कहा।

    शेखर जी: अद्वैत, यहाँ... यहाँ आ जाओ।

    बेला: ठीक है। वह मैं अपनी चेक शर्ट लाने गई थी... आज ही डिलीवर हुई है।

    आलिया: सब लोग मेरी लाई हुई ड्रेसेज़ पहनेंगे। चलो, ये ड्रेसेज़ लो और जाकर चेंज करके आओ।

    बेला सबकी तरह लाइन में खड़ी होकर देख रही थी कि यह आखिर चल क्या रहा है। तभी आलिया ने उसके पास आकर कहा,
    "ये लो, तुम इसे पहन लो। लाओ, मैं ही तुम्हारी मदद कर देती हूँ अद्वैत।"

    आलिया बेला की शर्ट के बटन खोलने की कोशिश करने लगी तो उसने दोनों हाथों से अपनी शर्ट को पकड़ लिया और ना में सिर हिलाते हुए कहा,
    "नहीं। मुझे चेंज नहीं करना। मैं ऐसी ढीली शर्ट में ही कम्फ़र्टेबल हूँ।"

    फिर भी आलिया जबरदस्ती करती रही और शोर सुनकर वहाँ आरव आ गया। बेला ने मन में कहा,
    "आरव, प्लीज़ मुझे बचा लो... अपनी बहन से।"

    आरव: आलिया, तुम मेरे स्टाफ़ को तंग कर रही हो?

    आलिया: नहीं भाई, तुम देखो ना इनके कपड़ों की तरफ़... कितने आउटडेटेड हैं।

    आरव: यह मेरी गेम कंपनी है। कोई फैशन शो नहीं। और तुम सब... तुम सबको काम नहीं है।

    सब वहाँ से ऐसे भागे जैसे गधे के सिर से सींग। आरव अपने केबिन की तरफ़ चला गया। आलिया भी गुस्से से उसके पीछे चली आई।
    "भाई...? मुझे डायरेक्टर की पोस्ट चाहिए ताकि मैं हर्ष के पास रह सकूँ।"

    "नहीं। मैं तुम्हें मैनेजर की पोस्ट से अलग दूसरी कोई पोस्ट नहीं दे सकता। और तुम्हें वही पोस्ट लेनी होगी।"

    "भाई, आप मुझे हर्ष से अलग कर रहे हो।"

    "बिल्कुल नहीं। उल्टा एक ही कंपनी की सारी मीटिंग्स में तुम उसके साथ रहोगी।"

    बुरा सा मुँह बनाकर जब उसने गुस्से में आरव का लैपटॉप पटकने के लिए उठाया तो आरव ने कहा,
    "अगर मेरे लैपटॉप को कुछ भी हुआ... तो हर्ष के साथ मीटिंग भूल जाओ।"

    आलिया ने संभालकर लैपटॉप को धीरे से टेबल पर रख दिया और आरव हँसते हुए बाहर निकल गया। आरव नीचे की तरफ़ आया तो आलिया भी अपने उसके पीछे बड़बड़ाते हुए चली आई।

    दूसरी तरफ़ बेला कॉफ़ी पीने कैफ़ेटेरिया की तरफ़ आई तो वहाँ हर्ष पहले ही अपने लिए कॉफ़ी बना रहा था। बेला ने उसके पास जाकर कहा,
    "हर्ष सर, मैंने टीम रिपोर्ट आपके डेस्क पर रख दी है।"

    तो हर्ष ने कहा,
    "ठीक है, मैं बाद में देख लूँगा। क्या तुम कॉफ़ी पीने आए थे?"

    बेला ने हाँ में सिर हिलाया और हर्ष ने कहा,
    "रुको, मैं देता हूँ।"

    और हर्ष वेंडिंग मशीन पर कॉफ़ी लेने लगा। तभी आरव और आलिया वहाँ पर आ गए। हर्ष और बेला को बात करते देख आरव को पता नहीं क्या हुआ पर बेला की तरफ़ बढ़ाया हुआ कॉफ़ी मग आरव ने अपने हाथ में लेकर पी लिया।

    आरव: थैंक यू फ़ॉर द कॉफ़ी हर्ष।

    बेला चौंक गई और मि. आरव कहकर चुप हो गई। हर्ष ने आरव की तरफ़ देखकर कहा,
    "तुम तो कभी कैफ़ेटेरिया नहीं आते?"

    आरव: तो क्या हुआ? मेरी कंपनी है, मैं कहीं भी आ सकता हूँ। और अद्वैत, मैंने तुम्हें कॉफ़ी पीने के लिए काम पर नहीं रखा, काम करने के लिए रखा है। चलो मेरे साथ।

    "हाँ।" कहकर बेला उसके पीछे चलने लगी। आरव उसे अपनी कंपनी दिखाने लगा।
    "यहाँ मैंने कंपनी के लोगों के लिए ही गेम ज़ोन बनाया है। ताकि वह खेलकर देख सकें कि उस गेम में क्या-क्या ड्रॉबैक्स हैं। गेम्स की कमियों को निकालकर हम उन्हें पूरा कर सकें, इसलिए यह मेरा ही आइडिया था।"

    बेला ने थम्ब्स अप दिखाकर आरव से कहा,
    "मि. आरव, आप ग्रेट हैं। आपने कंपनी में ही गेम ज़ोन बना दिया। बहुत अच्छी सोच है। तभी तो आप आज इतने सक्सेस हैं।"

    आरव: तुम मेरी झूठी तारीफ़ तो नहीं कर रही हो ना?

    बेला: मेरी इतनी हिम्मत... कि मैं आपके सामने झूठ बोलूँ। यह मैंने दिल से कहा है। वैसे और भी ज़ोन देखे हैं मैंने।

    आरव: हाँ। वह भी गेम कंपनी का ही हिस्सा है। मैं चाहता था कुछ हटकर गेम्स हों। पर अभी उन्हें शुरू नहीं कर पाया हूँ। जल्द ही उन्हें भी शुरू करूँगा। यह लो, इसे पहन लो।

    बेला: इससे तो गेम खेलते हैं ना। क्या आपसे एक बात पूछूँ? मैं कंपनी में कॉफ़ी नहीं पी सकती... लेकिन गेम खेल सकती हूँ। अजीब नहीं है! और नीचे!

    आरव: हम गेम नहीं खेल रहे... गेम को जाँच रहे हैं।

    बेला: ओह, अच्छा।

    आरव ने उसकी आँखों पर गेम का बॉक्स लगा दिया।
    "तुम्हें इसे लगाने के बाद सिर्फ़ गेम के अंदर का ही दिखेगा। तुम ठीक हो?"

    बेला ने हाँ में सिर हिलाया। आरव ने अपनी आँखों पर भी बॉक्स लगाया और वह दोनों गेम के अंदर प्रवेश कर चुके थे। यह एक 3D गेम था। जैसे ही बेला पर कोई वार करता... आरव उसे बचाता। आरव ने उसे अपने पीछे कर लिया। बेला उसकी शर्ट का कोना पकड़कर खड़ी थी... किसी छोटे बच्चे की तरह। जैसे ही उस पर हमला होता आरव बीच में आकर उस वार को बचा लेता। इस तरह उसने गेम खेलना स्टार्ट किया। बेला भी उसका साथ दे रही थी। उसने भी अब दूसरे लोगों पर वार करना स्टार्ट किया। वार करके वह आरव को बचा रही थी। जब वह इन सब में बिजी थी तब... आरव वहाँ से गायब हो गया। वह उसे ना पाकर घबरा गई।
    "मि. आरव, कहाँ हैं आप? प्लीज़ सामने आइए।" आप मुझे दिख नहीं रहे हैं।

    बेला आरव को ढूँढ़ रही थी। आरव ने उसे परेशान देखा और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। बेला ने उसकी तरफ़ देखा और उसे तसल्ली हो गई।

    जारी...

  • 16. Chahat - Chapter 16

    Words: 1225

    Estimated Reading Time: 8 min

    आरव ने कहा, "आज के लिए बहुत हो गया। चलो अब!" बेला उसके पीछे ऑफिस चली आई। ऑफिस में हल्ला मचा हुआ था। समीर और प्रतिक अपने-अपने काम के लिए लड़ रहे थे। प्रतिक ने समीर से कहा कि वह उसकी फाइल लेकर उसकी मदद करे काम करने में। पर समीर अपने काम में ही उलझा हुआ था, इसलिए उन दोनों की अनबन चल रही थी। जैसे ही बेला ने एंट्री ली, वह उन दोनों की तरफ भागी।

    "समीर, डोंट वरी! यह काम मैं कर देता हूँ! तुम अपना काम करो!"

    प्रतिक: "थैंक यू अद्वैत! तुम अब तक कहाँ थे?"

    आरव: "वह मेरे साथ था। तुम दोनों को समझ नहीं आ रहा कि तुम अपना काम भी अपने साथियों में बाँट रहे हो, और वह भी न्यू मेंबर में! जो अभी भी काम करना नहीं जानता ठीक से!"

    प्रतिक: "सॉरी सर!"

    बेला: "कोई बात नहीं मि. आरव। मेरा काम खत्म होने को ही है, तो मैं समीर और प्रतिक की मदद कर देती हूँ। मुझे अच्छा लगता है इनकी मदद करके!"

    प्रतिक: "थैंक्स अद्वैत! तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया! तुम नहीं होते तो हमारा क्या होता?"

    आरव ऊपर अपने केबिन की तरफ चला गया। और शेखर जी ने कहा, "हम सब क्या आज लेट नाइट काम करने वाले हैं?" तो प्रतिक ने कहा, "जी सर! आज कोई घर नहीं जा रहा!"

    शेखर जी: "लेकिन अद्वैत का तो कल डे ऑफ है! वह यहाँ क्यों है?"

    सबने चौंक कर बेला की तरफ देखा।

    बेला: "हाँ, मेरा डे ऑफ है कल! तो क्या हुआ? कल मैं थोड़ी देर ज्यादा सो जाऊँगा!"

    सब उसकी तरफ देखकर हँस दिए। काम करते-करते रात के दो बज गए थे। हर्ष उन सबके लिए लेट नाइट स्नैक का ऑर्डर दे दिया था। जैसे ही डिलिवरी आई, सब उस पर टूट पड़े। आरव सबको ऊपर से देख रहा था। उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी कंपनी के वर्कर इतने पैशनेट थे अपने काम को लेकर। हर्ष ऊपर आरव के पास आकर खड़ा हो गया।

    हर्ष: "क्या देख रहे हो आरव?"

    आरव: "जब कंपनी को स्टार्ट किया था हमने, कभी नहीं लगा था हम अच्छे एम्प्लॉई ला पाएँगे यहाँ... जो अपने काम को इतनी शिद्दत से निभाएँगे! अगर तब हम नहीं चाहते कि यह कंपनी खड़ी हो, तो शायद हम इस कंपनी की इतनी सक्सेस नहीं देख पाते!"

    हर्ष: "सही कह रहे हो! कॉलेज में रहकर कंपनी स्टार्ट करना कोई आसान बात नहीं थी! हमने स्टार्टअप से लेकर सब कुछ खुद अपने दम पर किया!"

    आरव: "और उसमें हमारा साथ दिया हमारे इन दोस्तों ने, जो हमारी कंपनी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं! शेखर जी ने बहुत मेहनत की है हर्ष!"

    हर्ष: "मैं जानता हूँ! लेकिन मुझे तुमसे एक शिकायत है!"

    आरव: "अब मैंने क्या किया?"

    हर्ष: "तुमने कहा था तुम अपनी बहन को कोई बहाना देकर मैनेजर बना दोगे, तो वह अब भी यहाँ क्यों है?"

    आरव: "वह सीनियर की लाडली है! कुछ भी बोलूँ, तो पापा को बताऊँगी का हवाला देकर मेरी नाक में दम कर देती है यार! तो मैं और क्या करता? पर तुम डरो मत, उसे हैंडल कर लिया है मैंने! वह मैनेजर का ही काम करेगी!"

    हर्ष: "और बैंड मेरी बजेगी!"

    हर्ष का मुँह देखकर आरव हँसने लगा। अचानक बेला की नज़रें ऊपर गईं। हमेशा रौब झाड़ने वाले आरव को खिलखिला कर हँसते देख, उसके चेहरे पर भी प्यारी स्माइल आ गई।


    दूसरे दिन बेला की छुट्टी थी। इसलिए वह वीकेंड में अपने घर आई थी, जो नागपुर में ही था। बस वहाँ उसके मम्मी-पापा उसके साथ रहने आ जाया करते थे। बेला की मम्मी को उसका कंप्यूटर पर काम करना कभी जँचा नहीं था। इसलिए इस बात के ताने वह हमेशा सुनती रहती थी। उसे देर तक सोते देख उसकी मम्मी का आलाप शुरू हो चुका था।

    "कहाँ हैं आप? देखिए अपनी बेटी को! सुबह चार बजे घर आई है और अब तक सो रही है! आप उसे कुछ कहते क्यों नहीं?"

    मोहन जी: "राधा, तुम क्यों उसके पीछे पड़ी रहती हो? दो दिन तो मिलते हैं उसे छुट्टी के! उसे आराम करने दो!"

    राधा: "आपके भरोसे उसे छोड़ूँगी तो हो चुका काम! कोई बात नहीं, मैं ही उठा देती हूँ उसे!"

    "बेला... बेला उठो! सूरज सिर के ऊपर आ गया है! कब तक सोओगी तुम? और यह सब क्या है? लड़कों की तरह कपड़े पहनना कब से स्टार्ट कर दिया तुमने? चलो मुझे तुम्हारे लिए ढंग के कपड़े खरीदने हैं!"

    "मम्मी, मेरे पास हैं कपड़े! और थोड़ी देर सो लेने दो ना मम्मी!"

    कहते-कहते बेला फिर सो गई। उसकी मम्मी बड़बड़ाते हुए किचन की तरफ चली गई थीं। वह वहीं से चिल्लाई, "बेला...?..." तो बेला हड़बड़ाकर उठ गई और बाहर चली गई। उसे मम्मी की सुबह-सुबह और डाँट नहीं खानी थी।


    बेला अब मॉल में अपनी मम्मी के पीछे घूम रही थी। बहुत सारी शॉपिंग कर ली थी उसकी मम्मी ने, और सारे बैग्स बेला के हाथ में थे।

    बेला: "जल्दी-जल्दी चलो! कितने धीमे चल रही हो तुम! मैं तुमसे भी तेज़ चल रही हूँ! इसलिए कहती हूँ सारा दिन उस डिब्बे के सामने मत बैठा करो! तुम्हारा शरीर धीमा होता जा रहा है उसकी वजह से! कंप्यूटर-कंप्यूटर... उस स्क्रीन की तरफ देख-देख कर ही तुम्हारी आँखें छोटी हो गई हैं!"

    बेला ने अपने हाथ ऊपर करके कहा, "मैं इन बैग्स की वजह से थक गई हूँ मम्मी!"

    राधा जी चुप हो गईं, क्योंकि सारे बैग्स उसी ने पकड़ रखे थे।

    बेला: "आप यहीं रुकिए, मैं पीने के लिए कुछ लाती हूँ!"

    राधा जी: "कुछ भी मीठा मत खाना तुम! तुम्हारा वज़न बढ़ जाएगा!"

    बेला: "प्लीज़ चुप हो जाइए मम्मी! सिन्हा जी इन्हें अपनी आवाज़ में खामोश बोल दीजिए एक बार! मैं आती हूँ!"

    कहकर बेला वहाँ से भाग गई। उसने मॉल के कैफ़े की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए और अपने सामने का नज़ारा देखकर उसकी आँखें चार हो गईं। कैफ़े में आरव हर्ष के साथ खड़ा कॉफी पी रहा था। बेला ने बुरा सा मुँह बनाया। "आसमान से गिरे खजूर में अटके" वाली हालत हो गई थी उसकी! आरव को देख उसने मुँह घुमा लिया और बाहर की तरफ चलने लगी। आरव ने भी देख लिया था उसे। उसे उस दिन वाली लड़की याद आई जो भालू वाला चैन गिराकर चली गई थी, और तो और उसकी नाक पर जिसने जोर से मारा था! वह सब याद आते ही आरव ने हर्ष से कहा, "पीछे से तो वही लग रही है! आज तो मैं इसे सबक सिखाकर रहूँगा!" आरव उसके पीछे भागा और हर्ष चिल्लाता रहा, "किसे सबक सिखाओगे?" हर्ष ने भी आरव के पीछे दौड़ना शुरू किया। बेला आरव उसके पीछे आ रहा है देखकर और जोर से दौड़ने लगी और उसने बैग्स अपने चेहरे के सामने कर लिए। वह एलिवेटर पर चढ़ गई, तो आरव भी एलिवेटर पर चढ़ गया। दोनों के बीच टॉम एंड जेरी वाली पकड़म-पकड़ाई चल रही थी। बेला ने अब उतरने वाला एलिवेटर लिया, तो आरव भी उसके पीछे ही उतरने वाला एलिवेटर लेकर उसके पीछे दौड़ने लगा। बेला भाग-भाग कर थक चुकी थी। मॉल में अब वह कहाँ छुपती! ऊपर से मम्मी उसका इंतज़ार कर रही थी, वह अलग! उसने अपने माथे पर हाथ दे मारा। "भगवान जी, क्यों मेरी जान लेने पर तुले हो आप? ऐसा करो मुझे ही यहाँ से गायब कर दो!" बेला ने आँखें बंद की और फिर खोली। वह गायब नहीं हुई देखकर उसकी शक्ल रोने जैसी हो गई!

    जारी!

  • 17. Chahat - Chapter 17

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    खुद से ही किया हुआ मजाक, जिस पर उसे रोना आ रहा था! वह फिर एक कपड़ों की दुकान में चली गई। उस दुकान में चेंजिंग रूम बने हुए थे। आरव ने उसे उस दुकान में जाते हुए देख लिया था। वह भी चेंजिंग रूम की तरफ चला आया। बेला अंदर जाकर छिप गई थी। आरव ने पहले चेंजिंग रूम का दरवाजा खोला; वहाँ पर कोई नहीं था। यह देखकर उसने दूसरे चेंजिंग रूम का दरवाजा भी खोल दिया; पर वहाँ भी उसे...वह लड़की नज़र नहीं आई, जिसका वह पीछा कर रहा था। अब एक दरवाजा उसे दिखा, जिसे खोलने के लिए उसने हाथ आगे बढ़ाया; पर उसे खोल नहीं पाया। तब तक दुकान में काम कर रही लड़की आरव के पीछे आकर खड़ी हो गई।

    "सर, आपको कुछ चाहिए था? यह हमारा स्टोर रूम है!"

    आरव ने सुनकर पीछे देखा और एक लास्ट ट्राई समझकर उस दरवाजे को खोल दिया। वह सच में स्टोर रूम था। बेला की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। आरव ने ठीक से देखने की कोशिश की; उसे कोई नज़र नहीं आया।

    "सर, अंदर कोई नहीं है! क्या आप कुछ खरीदना चाहते हैं?"

    "हाँ, खरीदना चाहता हूँ!"

    आरव ने दुकान में लगे लेडीज अंडरगारमेंट की तरफ देखा और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। वह पीछा करते हुए यह देखना भूल गया था कि दुकान किस चीज़ की है।

    "सर, आप क्या खरीदना चाहते हैं? मुझे बताइए, मैं आपकी मदद कर देती हूँ!"

    आरव उसकी बात सुनकर वहाँ से भाग गया, और लड़की उसके पीछे भागने लगी।

    "अजीब इंसान हैं! पहले कहता है...खरीदना है! फिर भाग गया!"

    आरव दुकान से बहुत दूर चला गया। जब लड़की अपने काम में उलझ गई, तब बेला उस रूम से बाहर आई। हाथ में पकड़े बैग्स लेकर जैसे ही उसने दुकान के बाहर कदम रखा, अपने सामने खड़े शख्स को देखकर उसकी आँखें बड़ी हो गईं। यह हर्ष था, जो आरव को ढूँढते-ढूँढते वहाँ चला आया था। हर्ष ने बेला को लड़की वाले रूप में देखा और उससे कहा,

    "तुम मुझे सारा सच बताओगी। मैं इंतज़ार करूँगा!"

    हर्ष वहाँ से चला गया, और बेला ने सिर नीचे कर लिया।

    "सत्यानाश...अब मुझे कोई नहीं बचा सकता!"

    बेला अपनी मम्मी के पास लौट आई। हर्ष आरव से मेन गेट पर मिलने आया। आरव ने हर्ष से पूछा,

    "कहाँ थे यार तुम अब तक?"

    "तुम्हें ही ढूँढने गया था! किसके पीछे भागे थे?"

    "वह एक अजीब इंसान है! जिसका दो बार मिलने पर भी मैं चेहरा नहीं देख पाया हूँ! आज भी...वह इतने से अंतर से बच गई!"

    तभी हर्ष के मोबाइल में मैसेज की टोन बजी। हर्ष ने मोबाइल छिपा लिया। आरव ने कहा,

    "लगता है आलिया है! लेकिन आज तुम मेरे साथ हो, उसे यहाँ मत बुलाना!"

    "ठीक है, नहीं बुलाऊँगा! चलें!"

    हर्ष ने आरव के आगे बढ़ते ही मैसेज पढ़ा, जो बेला का था। उसने लिखा था,

    "हर्ष सर, क्या हम आज रात मिल सकते हैं!"

    हर्ष ने जल्दी से मैसेज टाइप कर उसे भेज दिया, जिसमें उसने 'हाँ' लिखा था।

    मम्मी को घर छोड़कर बेला हर्ष के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसने दोनों के लिए कॉफी खरीदी थी। उसे डर लग रहा था, हर्ष कैसे रिएक्ट करेगा! तभी हर्ष उसे आता हुआ दिखाई दिया।

    "तुम काफ़ी देर से इंतज़ार कर रही हो शायद...वह मुझे ट्रैफ़िक में देर हो गई!"

    बेला: कोई बात नहीं सर! यह लीजिए कॉफ़ी! आपने बनाई थी, उतनी अच्छी नहीं है; लेकिन अच्छी है!

    हर्ष: तो ऐसे दिखती हो तुम! लंबे बाल अच्छे लग रहे हैं तुम पर!

    बेला: क्या चेंजिंग रूम में आपने मेरी मदद की थी?

    हर्ष: हाँ! उस लड़की को मैंने ही कहा था कि वह तुम्हें आरव से बचाए; इसलिए वह उसके पीछे भागी थी!

    बेला: तो क्या आपको पहले ही पता था मेरे बारे में?

    हर्ष: हाँ! मुझे पता था! मुझे हमारे वर्कशॉप के समय गलती से तुम्हें देख लिया था!

    बेला: तो फिर आपने अपने दोस्त को मेरे बारे में क्यों नहीं बताया? वह तो आपके क्लोज़ फ्रेंड हैं!

    हर्ष: मुझे पता था तुम्हारे पास कोई ठोस कारण होगा, और सिर्फ़ जेंडर चेंज हो जाने से तुम्हारी क्वॉलिटीज़ तो नहीं बदल जाती ना! मैं तुम्हें उस बेसिस पर जज नहीं करना चाहता था!

    बेला: सर, आप मुझसे नाराज़ नहीं हैं ना? मैं नौकरी की तलाश में थी, और आप की कंपनी किसी वुमन को अपने यहाँ नौकरी पर नहीं रखती, यह सुना था मैंने; इसलिए मुझे इसका सहारा लेना पड़ा! फिर भी आपने इतने दिनों तक मेरे राज को राज रखा, इसलिए थैंक यू सो मच!

    हर्ष: मैं कहीं ना कहीं जानता था यही रीज़न होगा! मैंने आरव से इस बारे में बहुत बार बात की; पर वह सुनने को तैयार नहीं है! तुम उसके लिए एक अच्छा उदाहरण हो! शायद तुम्हारी वजह से उसका नज़रिया बदल जाए!

    बेला: क्या मि. आरव को किसी फीमेल एम्प्लॉई से कोई परेशानी हुई थी? इसलिए वह ऐसी सोच रखते हों!

    हर्ष: मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता! यह उसका पर्सनल मैटर है! पर एक बात मेरी समझ में आ गई; हमारी कंपनी एम्प्लॉई के आईडी चेक नहीं कर रही शायद! तभी तुम्हारी आईडी में...उसे तुम्हारा जेंडर नहीं मिला!

    बेला: सॉरी सर! पर उसमें पूजा की कोई गलती नहीं है! मैंने ही उसे अपने झूठे डॉक्यूमेंट्स दे दिए थे; इसलिए वह उस पर ध्यान नहीं दे पाई! मैंने बचने की बहुत कोशिश की थी; पर झूठ तो एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है! सर, उसे प्लीज़ कुछ मत कहिएगा; उसकी गलती नहीं है!

    हर्ष: फिर भी सेफ्टी के लिए तो हमें कंपनी की सिक्योरिटी को स्ट्रांग करना पड़ेगा!

    बेला: हाँ सर! सर...मैं आपके लिए रोज़ कॉफ़ी ले आऊँगी! बस इस बार संभाल लीजिए! और थैंक यू फिर से!

    हर्ष: थैंक यू बोलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी अगर तुम मुझसे दोस्ती कर लो तो!

    बेला: यह तो और अच्छा है सर! आज से हम फ्रेंड्स हैं! आज समझ आया आरव सर आप पर इतनी जान क्यों छिड़कते हैं! आप बहुत अच्छे इंसान हैं सर! जिससे हर कोई दोस्ती करना चाहेगा!

    हर्ष: यह तो पता नहीं! पर बस खुद खुश रहता हूँ और सबको खुश रखने की कोशिश करता हूँ!

    हर्ष और बेला वापस आने के लिए वहाँ से निकल गए। आरव अपने केबिन में बैठा कुछ देख रहा था। तभी उसकी नज़र ड्रॉवर में रखे उस भालू पर गई, जो उस लड़की के हाथ से गिरा था। आरव उसी के बारे में सोचने लगा।

    जारी!

  • 18. Chahat - Chapter 18

    Words: 2102

    Estimated Reading Time: 13 min

    उस भालू को याद कर वह बेला का, पहली बार मिलना याद करने लगा। जब वह मुंह छिपाकर उसकी मम्मी के सामने से भाग गई थी, और इस भालू को उसने वहाँ जमीन पर गिरा दिया था। आज तुम एक पल की दूरी से वहाँ से भाग गई; वरना मैं आज तुम्हें पकड़ ही लेता। बेला को तब पीछे की तरफ से ही उसने देखा था; इसलिए बेला का चेहरा वह देख नहीं पाया। बेला के बारे में सोचकर जब उसने अपने हाथ में वह भालू देखा, तो अपने आप से कहा,

    "मैं तुम्हारे बारे में क्यों सोच रहा हूँ? जब तुम भाग ही जाती हो हर बार!"

    सोचकर आरव ने वह भालू की चैन वहीं ड्रॉवर में रख दी, और ऑफिस में काम करने लगा। अपने दूसरे हाथ से वह क्यूब को सॉल्व करने लगा। क्यूब को सॉल्व कर दिया था उसने, पर बेला के बारे में ही बार-बार सोच रहा था। उसने वहाँ से उठकर डॉक्टर के पास जाने की सोची, और आधे घंटे में डॉक्टर के पास पहुँच गया। डॉक्टर मेहरा आरव के फैमिली डॉक्टर थे। आरव ने जाकर ही उनसे पूछना शुरू कर दिया।


    आरव: डॉक्टर अंकल, प्लीज़ मुझे पहले चेक कीजिए!

    डॉक्टर मेहरा: अरे आरव बेटा, तुम...? बड़े दिनों बाद आए हो? क्या बात है? ठीक है, यहाँ बैठो! नर्स, अगले पेशंट को थोड़ी देर के लिए रुकने के लिए बोलो!

    आरव: डॉक्टर अंकल, मुझे अजीब-अजीब ख्याल आते हैं! एक ही इंसान के बारे में सोचता रहता हूँ! और वह इंसान रात को सपनों में भी आ जाता है!

    डॉक्टर मेहरा: हम्म... किस तरह का इंसान है वह? कुछ बता सकते हो?

    आरव: हाँ! वह मेरी कंपनी में काम करता है! सोते-जागते, खाते-पीते, बस उसी का ख्याल रहता है मेरे मन में! खाने में भी मन नहीं लग रहा! ऐसा लगता है मैं बिना बात के उसी के बारे में सोचता रहता हूँ!

    डॉक्टर मेहरा: इसका मतलब तुम्हें मेरी नहीं, उस इंसान की ज़रूरत है!

    आरव: मतलब... मैं समझा नहीं?

    डॉक्टर मेहरा: तुम्हें उस इंसान से प्यार हो गया है और क्या?

    आरव: मुझे उससे प्यार कैसे हो सकता है डॉक्टर अंकल! वह लड़का है! और जहाँ तक मैं अपने आपको जानता हूँ, अभी मैं कन्वर्ट नहीं हुआ हूँ!

    डॉक्टर मेहरा: ओह, फिर तो सीरियस प्रॉब्लम है! एक काम करो, खुद को समझाओ कि वह इंसान सिर्फ़ तुम्हारा एम्प्लॉई है और कुछ नहीं! उसकी बातों को और उसे निगलेक्ट करो! जब तुम अपने दिमाग को समझाओगे कि वह... वह नहीं है जिसे तुम चाहते हो, तो ऐसे ख्याल आने बंद हो जाएँगे!

    आरव: शायद यह तरकीब काम कर जाए!


    आरव डॉक्टर मेहरा से कुछ सप्लीमेंट्स लेकर ऑफिस आ गया। इधर बेला अपना वीकेंड खत्म कर घर वापस आने के लिए तैयार थी। उसने जल्दी से अपने लड़के वाले कपड़े बैग में भरे, और विग को भी संभाल कर डाल दिया। तभी उसकी मम्मी उसे ब्रेकफास्ट के लिए बुलाने आ गई।

    "बेला, कहाँ हो? जल्दी से नाश्ते के लिए आ जाओ!"

    "आ रही हूँ मम्मी! बस थोड़ी देर!"

    बेला ने बैग लाकर सोफे पर रख दिया, और खाने बैठ गई। उसने जल्दी-जल्दी खाना शुरू किया तो उसकी मम्मी ने उसे फिर डाँटना शुरू किया।

    "धीरे से खाओ! किस बात की जल्दी है तुम्हें? तुम्हारा ऑफिस कैसा है बेला? वहाँ कैफेटेरिया है या नहीं?"

    "नहीं मम्मी! लेकिन हम सब मिलकर खाना ऑर्डर करते हैं, और अपना-अपना शेयर देते हैं! जिससे कम पैसों में काम हो जाता है!"

    "इसका मतलब तुम रोज़ बाहर का खाती हो? हेल्थ पर क्या असर पड़ता होगा! तुम यहाँ घर पर रहकर ऑफिस भी जा सकती हो!"

    "नहीं मम्मी! यह घर मेरे ऑफिस से बहुत दूर है! और निशा अकेली रहती है! उसे मेरी कंपनी की ज़रूरत है! और मम्मी, मैं अब बड़ी हो गई हूँ! इतनी चिंता मत कीजिए! मैं खुद का ख्याल रख सकती हूँ!"

    "इसी बात की तो चिंता है! तुम बड़ी तो हो गई हो, फिर भी नादान हो! कुछ नहीं समझती! कहाँ जा रही हो? इसे खत्म तो करती जाओ! और उस बैग में क्या है?"

    "मम्मी, मुझे लेट हो रहा है, बाय! और मेरी काम की चीज़ें हैं बैग में! इसे आप खा लीजिए! पापा को बोलिएगा, मैंने उन्हें बाय कहा है!"

    बेला जल्दी से नीचे चली गई। उसने बिल्डिंग के हॉल में जाकर कपड़े चेंज किए, विग लगाई, और उसे सेट कर आईने में देखा। जब वह पूरी तरह रेडी हो गई, तो ऑफिस के लिए निकल गई। ऑफिस पहुँच कर वह दौड़ते हुए अंदर गई तो आरव गेट पर ही खड़ा था। उसने उसे अनदेखा करते हुए भी कह दिया,

    "गुड मॉर्निंग मि. आरव!"

    आरव: रुको! गुड मॉर्निंग! कल तुम कहाँ थे अद्वैत?

    बेला: कल मैं घर पर थी! मेरी छुट्टी थी न कल!

    आरव: क्या किया तुमने घर पर?

    बेला: मैंने खाना खाया, फिर सोया, फिर बहुत देर तक गेम खेलता रहा! क्यों सर, कोई प्रॉब्लम है?

    आरव ने उसके चेहरे के पास आते हुए कहा, "नहीं तो! कोई प्रॉब्लम नहीं है!" तभी सामने से आ रहे हर्ष ने आरव को देखा, और वहीं से कहना शुरू किया,

    "आरव, तुम सुबह-सुबह मेरे एम्प्लॉई को परेशान करने लगे?"

    आरव: परेशान? मैंने तो सिर्फ़ कुछ सवाल पूछे हैं!

    हर्ष: गुड मॉर्निंग अद्वैत! चलो, मैं कॉफ़ी बना रहा हूँ!

    अद्वैत: ठीक है! मैं कप धो देता हूँ!

    आरव: मुझे भी चाहिए कॉफ़ी!

    आरव वहाँ से कैफे की तरफ़ चला गया। दोनों ही उसे देखते हुए कॉफ़ी मशीन के पास चले आए। दोनों एक-दूसरे के साथ हँस-हँस कर बातें कर रहे थे, और कॉफ़ी भी बना रहे थे। आरव अपनी दोनों आँखें उन पर बनाकर उन्हें देखे जा रहा था। फिर उसने पूछ ही लिया,

    "तुम दोनों कुछ ज़्यादा ही फ्रेंडली नहीं हो गए हो?"

    हर्ष: तुमने सही पहचाना! वह क्या है ना, हमने एक-दूसरे से सीक्रेट शेयर किया है, और उस सीक्रेट की वजह से हम में दोस्ती हो गई है!

    आरव: अच्छा, और क्या है वह सीक्रेट?

    अद्वैत: सीक्रेट बताया थोड़ी ना जाता है सर!

    अद्वैत यानी बेला ने कॉफ़ी का कप आरव की तरफ़ बढ़ा दिया। आरव ने एक घूँट लेकर बुरा सा मुँह बनाया।

    "ओह, यह बहुत कड़वी है!"

    "कड़वी है? नहीं तो मेरी कॉफ़ी तो बहुत अच्छी है हर्ष सर!"

    "मैंने तुम्हें यहाँ कॉफ़ी पीने के लिए हायर किया है या काम करने के लिए! जाओ जाकर अपना काम करो!"

    "एस सर! हर्ष सर, मैं कॉफ़ी अपने साथ ले जा रही हूँ! वापस लौटा दूँगा थोड़ी देर में!"

    हर्ष: एक मिनट रुको! आरव, तुम्हें इससे कुछ काम है क्या?

    आरव: नहीं!

    हर्ष: तो फिर तुम जाओ! मुझे इसे कुछ काम सिखाना है!

    आरव ने हर्ष की चेयर छोड़ दी, और अपने केबिन में चला आया। हर्ष ने बेला से कहा, "बेला, बैठ जाओ! और कॉफ़ी खत्म कर के जाना!" बेला मुस्कुराते हुए बैठ गई और कॉफ़ी पीने लगी। इधर अपने केबिन में आकर आरव एक जगह पर बैठ नहीं पाया।

    "तुम लड़की जैसे क्यों दिखते हो आखिर? मैं कंट्रोल क्यों नहीं कर पा रहा खुद को! आरव, डॉक्टर अंकल की बातें याद करो!"

    आरव अभी उन बातों को सोच ही रहा था कि उसके पापा का फ़ोन आ गया।

    आरव: सीनियर, अगर मैं पागल हो गया, तो हमारी कंपनी के सारे शेयर्स आलिया के नाम पर मत करना! वह दूसरे दिन कंपनी बेच देगी! और मेरी रूम कभी उसे मत देना सीनियर!

    सुशांत जी: तुमने सुबह-सुबह पी रखी है क्या? यह कैसी बातें कर रहे हो?

    आरव: सीनियर, हमारी कंपनी को बचाना ठीक है! मैंने बहुत मेहनत से इसे खड़ा किया है!

    सुशांत जी ने बड़बड़ाते हुए फ़ोन रख दिया, और आरव सिर पकड़ कर बैठ गया।


    बेला की मम्मी ने अब बेला के रूम में साफ़-सफ़ाई करनी शुरू की। सारे कपड़े अस्त-व्यस्त थे। उन्होंने सब कपड़ों को करीने से गँठ कर के रखा। फिर उनकी नज़र कंप्यूटर टेबल पर गई, जहाँ बेला का आईडी कार्ड रखा हुआ था। वह आज अपना आईडी कार्ड ले जाना भूल गई थी।

    "उफ़्फ़, यह लड़की भी ना! आईडी कार्ड के बगैर इसे अंदर एंट्री कैसे मिलेगी? लगता है मुझे ही जाना पड़ेगा अब!"

    राधा जी फ़टाफ़ट तैयार हो गईं। उन्होंने आईडी कार्ड को पर्स में डाला, और टैक्सी लेकर बेला के ऑफिस पहुँच गईं। बेला ने अपने फ़ोन को रिंग होते देखा, तो उसकी नज़र फ़ोन पर पड़ी। मम्मी का फ़ोन देखकर उसने धीरे से मम्मी से बात करना शुरू किया।

    बेला: हाँ मम्मी! बोलो!

    राधा जी: यह सही बिल्डिंग है ना? मैं तुम्हारे ऑफ़िस के सामने खड़ी हूँ! ऊपर आ जाऊँ?

    बेला: नहीं मम्मी! प्लीज़, प्लीज़ ऊपर मत आना, सब हँसेंगे मुझ पर! रुको, मैं दो मिनट में नीचे आ रही हूँ!

    बेला ने यहाँ-वहाँ देखा। सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे। बेला ने अपनी बैग उठाई, और वॉशरूम की तरफ़ भाग गई। उसने अपने आपको आईने में देखा।

    "मेरी मम्मी इस लड़के को नहीं पहचानती! अगर उन्होंने मुझे ऐसे देखा, तो सबके सामने मेरी इज़्ज़त का फ़ालूदा बन जाएगा!"

    बेला ने विग उतार कर लड़की वाले कपड़े पहन लिए, और बालों की पोनीटेल बना ली। अब सब ठीक था, पर ऑफिस के बाहर अगर वह निकली और किसी ने उसे ऐसे देख लिया तो क्या होगा, सोच-सोचकर वह परेशान हुई जा रही थी।


    आरव अपने केबिन से नीचे आया। सब लोग काम कर रहे थे, पर उसे अद्वैत नज़र नहीं आया। यहाँ-वहाँ नज़रें दौड़ाकर उसने प्रतिक से पूछा,

    "अद्वैत कहाँ हैं?"

    "सर, अद्वैत अभी-अभी बाहर गया है! नहीं, अपना बैग लेकर भागा है! उसने कुछ बताया नहीं!"

    आरव की नज़र उसकी डेस्क पर गई, जहाँ एक पेन ड्राइव पड़ा था, और उस पेन ड्राइव पर वही भालू की चैन लगा था! आरव ने उसे उठा लिया, और देखने लगा।

    "यह तो वही है, जिसे उस लड़की ने ड्रॉप किया था! लेकिन यह अद्वैत के पास?"

    आरव वह भालू वाला की चैन लेकर बाहर आ गया। उसने अपनी मम्मी को फ़ोन किया।

    प्रेरणा जी: आज मेरे बेटे को ऑफिस आवर में अपनी मम्मी की याद कैसे आ गई? ज़रूर कुछ काम होगा, है ना?

    आरव: मम्मी, इट्स अर्जेंट! आपने अपनी दोस्त की बेटी का नाम क्या बताया था?

    प्रेरणा जी: मेरी दोस्त की बेटी? यह पहली बार है जब तुम सामने से किसी लड़की के बारे में पूछ रहे हो! कहीं तुम उसे सच में पसंद तो नहीं करते?

    आरव: क्या उन्हें सच में बेटी है? कोई बेटा नहीं?

    प्रेरणा जी: तुम चाहो तो मैं पता कर सकती हूँ! क्या मैं पूछूँ उनसे?

    आरव: नहीं, रहने दीजिए! रखता हूँ!

    आरव ने फ़ोन रख दिया। प्रेरणा जी बड़बड़ाईं, "पता नहीं क्या चलता रहता है इसके दिमाग में! और ऐसे ही चलता रहा तो यह शादी कब करेगा?" आरव फ़ोन रखते ही रिसेप्शनिस्ट पूजा के पास आ गया, जहाँ पूजा ऑनलाइन कोई सीरीज़ देख रही थी। आरव ने उसके पीछे खड़े रहकर कहा,

    "एक और सीरीज़ देखनी स्टार्ट कर दी तुमने? और काम का क्या?"

    पूजा: (हड़बड़ाकर) सर आप...? वह मैं... कोई काम नहीं था तो? आपको कुछ चाहिए सर?

    आरव: मुझे उसका डिप्लोमा चाहिए!

    पूजा: सॉरी सर, वह हर बार अपना डिप्लोमा लाना भूल जाता है, और कहता है उसका आईडी एक्सपायर हो चुका है! अगर आप चाहते हैं तो मैं अभी उसे लाने को कह देती हूँ!

    आरव: उसकी कोई ज़रूरत नहीं है! वह तुम्हें कभी लाकर नहीं देगा! और तुम्हें सीरीज़ देखनी है, तो लगता है जॉब की ज़रूरत नहीं है!

    पूजा: नहीं सर! ऐसी बात नहीं है!

    आरव वहाँ से चला गया, और पूजा सोचती रह गई, "वह मुझे क्यों लाकर नहीं देगा? ऐसा क्यों कहा सर ने? कहीं इस अद्वैत ने डॉक्यूमेंट्स में झोलझाल तो नहीं किया!"


    इधर बेला मम्मी के पास पहुँच गई। राधा जी फ़ुल ऑन सेल्फ़ी लेने में बिजी थीं।

    "मम्मी, आप यहाँ क्यों आईं?"

    राधा जी: मैं तुम्हारा आईडी कार्ड लेकर आई हूँ जिसे तुम घर पर भूल गई थी! और लंच भी लेकर आई हूँ! चलो, ऑफिस में चलकर खाते हैं!

    बेला: मम्मी, अंदर-बाहर वालों को आने के लिए मना किया गया है! आप अंदर नहीं जा सकती! चलिए यहाँ से!

    राधा जी: तो ठीक है, यह लंच तुम अपने साथ ले जाओ! मैं तुम्हारे पापा के साथ खा लूँगी! और हाँ, अगर यह काम अच्छा नहीं है, तो सिविल सर्विस के लिए ट्राई करो! क्या रखा है उस कंप्यूटर में, और कोडिंग में?

    बेला: मम्मी... आप जाइए यहाँ से! मैं अंदर जा रही हूँ!


    आरव अद्वैत को ढूँढते-ढूँढते नीचे चला आया था। उसने फ़्रंट डेस्क पर भी उसके बारे में पूछा। जब वह अद्वैत के बारे में पूछ रहा था, बेला मेन गेट से अंदर एंट्री ले रही थी। फिर जब आरव ने नज़रें घुमाईं, तो उसे एक लड़की लिफ़्ट के अंदर जाती दिखी। जब तक वह पहुँचा, लिफ़्ट का दरवाज़ा बंद हो चुका था। अब उसने सीढ़ियों से ऊपर जाने का रास्ता ले लिया। आज वह अद्वैत के सच का पता लगाकर ही दम लेना चाहता था!

    जारी!

  • 19. Chahat - Chapter 19

    Words: 2041

    Estimated Reading Time: 13 min

    सीढ़ियों से ऊपर आने पर उसने उस लड़की को ढूँढा, पर वह पता नहीं कहाँ गायब हो गई थी। उसने एंप्लॉई की तरफ जाकर देखा, तो वह लड़की वहाँ भी नहीं थी। आरव ने देखा शेखर जी काम कर रहे हैं, तो वह उनके पास चला गया।

    "क्या अद्वैत यहाँ आया था, शेखर जी?"

    आरव के पूछने पर शेखर जी ने कहा, "नहीं, वह तो बहुत देर से यहाँ नहीं है।"

    आरव फिर हर्ष की केबिन की तरफ आ गया। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, उसे हर्ष की चेयर पर अद्वैत दिखा जो लैपटॉप पर काम कर रहा था। और हर्ष उसके पास खड़ा था। दोनों ने हैरानी से आरव की तरफ देखा।

    "आरव, तुम यहाँ?"

    आरव: अद्वैत, तुम यहाँ कब आए?

    अद्वैत: मि. आरव, मैं तो दो घंटों से यहीं काम कर रहा हूँ। क्या हुआ? कोई प्रॉब्लम है क्या?

    आरव: हर्ष, क्या यह सच कह रहा है?

    हर्ष: हाँ! वह क्या है ना... मुझे इसकी मदद की ज़रूरत थी, इसलिए मैंने उसे यहाँ बुलाया था।

    आरव ने खोला हुआ दरवाज़ा फिर बंद कर दिया। आरव अपने केबिन की तरफ आया।

    "मुझे कोई भ्रम नहीं हुआ है! वह लड़की ऑफिस आई थी! और आज तक मैं उसे पीछे से ही देखता आया हूँ, तो मुझे पता है, यह वही भालू की चैन वाली लड़की है! बहुत हो गई आँख मिचौली, अब मैं तुम्हें सामने लाकर रहूँगा!"

    बेला ने धीरे से अपना बैग टेबल के नीचे खिसका दिया अपने पैर से। आरव के जाते ही दोनों ने गहरी साँस ली।

    "हर्ष सर, आज फिर आपने मुझे बचा लिया! पर इस तरह मि. आरव से झूठ बोलकर मुझे अच्छा नहीं लग रहा।"

    हर्ष: अच्छा, तो मुझे भी नहीं लग रहा! पर क्या कर सकते हैं! उसे पता चला तो वह बहुत नाराज़ होगा!


    राधा जी बस स्टॉप पर खड़ी बस के आने का इंतज़ार कर रही थीं। लेकिन अभी तक बस नहीं आई थी, तो उन्होंने बैग में हाथ डालकर अपना फोन निकालना चाहा, पर फोन की जगह उनके हाथ लगा बेला का आईडी कार्ड। जिस पर बेला की फ़ोटो नहीं थी। और यह कोई आम आईडी कार्ड नहीं था। इस पर भी कोडिंग थी। यह कंप्यूटर से बना हुआ था, और मशीनों की भाषा ही जानता था। राधा जी ने उस आईडी की तरफ देखकर कहा, "लो, जिस काम के लिए आई थी, उसे देना तो भूल ही गई!" वह बस स्टॉप से वापस बेला के ऑफिस चली आईं। ऑफिस यहाँ आने पर उन्होंने रिसेप्शनिस्ट के पास जाकर प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट में जाने की बात कही। पूजा ने उनसे पूछताछ शुरू की।

    पूजा: मैम, किससे मिलना है आपको?

    राधा जी: मेरी बेटी प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट में काम करती है। उसका नाम बेला पंवार है।

    पूजा: देखिए मैम! आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। यहाँ बेला पंवार नाम की कोई लड़की काम नहीं करती, वह भी प्रोग्रामिंग डिपार्टमेंट में। वहाँ तो लड़कियों को एंट्री नहीं है!

    राधा जी: ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने अभी उससे बात की! वह मुझसे अभी लंच बॉक्स लेकर ऊपर गई है! मैं उसे उसका आईडी कार्ड वापस देने आई थी! ज़रा तुम अपनी मशीन में चेक करो!

    पूजा ने आईडी कार्ड मशीन में लगाया, तो वहाँ पर एंप्लॉई की इन्फ़ॉर्मेशन आ गई। जहाँ लिखा था- अद्वैत पंवार और जेंडर मेल! जिसे देख राधा जी के होश उड़ गए! राधा जी को बहुत बड़ा शॉक लगा! उन्होंने बाहर आकर जल्दी से बेला को फ़ोन लगाया। बेला अपने डेस्क पर काम कर रही थी। मम्मी का फ़ोन देख उसने अपने बाल नोंच लिए। "आज मम्मी मुझे मारकर ही दम लेंगी," कहकर उसने फ़ोन उठा लिया।

    राधा जी: बेला, अभी के अभी मुझे घर पर आकर मिलो! मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बात करनी है!

    बेला: अभी आती हूँ, मम्मी!

    बेला ने फिर जाकर चेंज किया और वह पैदल ही निकल पड़ी। कांच की दीवार से आरव बेला को फिर पीछे से देख रहा था। अपने हाथ में पकड़ा भालू का की-चेन उसने कस लिया था। बेला जब घर पहुँची, तब उसकी मम्मी और पापा दोनों डायनिंग टेबल पर बैठे उसका ही इंतज़ार कर रहे थे। बेला ने पापा की तरफ देखकर इशारा किया कि क्या हुआ है? तो वह चुप हो गए और ना में सिर हिलाया। बेला को देखकर उसकी मम्मी शुरू हो गईं। उन्होंने अपनी बैग से उसका आईडी कार्ड निकालकर टेबल पर रख दिया।

    "बेला, देखो मैंने आज एक नई तरकीब सीखी है! मोबाइल से क्यूआर कोड को स्कैन करना! और ऐसा मैंने इस आईडी कार्ड के साथ किया, तब पता है क्या हुआ? यह इस एंप्लॉई की पूरी जानकारी यहाँ मेरे मोबाइल पर आ गई!"

    बेला के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे, सब सुनकर।

    "देखो तो, यहाँ जो लड़का दिख रहा है, वह बिल्कुल तुम्हारी तरह दिखता है! और तो और, लड़का होकर तुम्हारी कंपनी में ही काम कर रहा है! मुझे तो याद नहीं कि तुम्हारे जैसा मेरा कोई बेटा भी है! मुझे तो बस एक ही लड़की थी! तुम्हें पता है क्या इस बारे में?"

    "मम्मी, कंप्यूटर में कोई एरर आ गया होगा! इसलिए मेरे नाम की सारी इन्फ़ॉर्मेशन गलत दिखाई दे रही है! ऐसा कुछ नहीं है जो आप सोच रही हैं!"

    "अच्छा, तो दिखाओ बैग में क्या है?" कहकर राधा जी ने बेला की बैग खिंचनी शुरू की। बेला ने पापा को आवाज़ लगाई, "पापा, प्लीज़ मेरी मदद कीजिए ना!" बेला के पापा यानी मोहन जी ने राधा जी को पीछे से पकड़ लिया। अब बेला एक तरफ और राधा जी दूसरी तरफ, ऐसे बैग पकड़कर खड़ी थीं! दोनों ने खिंचना शुरू कर दिया था। राधा जी कह रही थीं, "अरे आप मुझे क्यों खींच रहे हैं? बैग को खींचिए! इसी बैग में उसने कुछ छुपा रखा है!" बेला ने पापा को सिर हिलाकर ना कहा। इस खिंचातानी में बेला के बैग की चैन टूट गई और उसमें से सारा सामान बाहर आकर गिर गया। बेला की विग नीचे ज़मीन पर पड़ी उसे चिढ़ा रही थी। उसने इतना मुँह बना हुआ था। मोहन जी कुर्सी पर अपने सिर पर हाथ लगाकर बैठ गए थे। राधा जी भी जब उनके पास आकर बैठ गईं, तब उन्होंने उन्हें मसाज देना शुरू किया हाथों पर।

    राधा जी: तुमने हमसे झूठ बोला! अगर आज मैं तुम्हारी कंपनी नहीं गई होती, तो तुम हमें कभी कुछ नहीं बतातीं ना!

    बेला: मम्मी, वहाँ लड़का बनकर जाना मेरी मजबूरी थी! मुझे नौकरी पाने के लिए झूठ बोलना पड़ा!

    राधा जी: नौकरी मिल जाने के बाद तुम सबको सच बता सकती थी! लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया!

    बेला: वहाँ सब मुझे लड़का समझते हैं अब! अगर मैं उन्हें बताती कि मैं लड़की हूँ, तो वह मुझे झूठी समझते!

    राधा जी: वह तो तुम्हें अब भी समझेंगे! बस एक वही कंपनी नहीं है नागपुर में! तुम वहाँ रिजाइन करोगी! समझी!

    बेला: मम्मी, पर मुझे वहाँ काम करना अच्छा लगता है! मैं वह जॉब नहीं छोड़ना चाहती!

    राधा जी: वह मुझे कुछ नहीं पता! अभी फ़ोन करो और रिजाइन करो! आप कुछ बोलेंगे या नहीं?

    मोहन जी: हाँ, कर दो रिजाइन! लेकिन अब तो सब घर चले गए होंगे! क्यों ना कल बता दें वह!

    राधा जी: किसकी साइड पर हैं आप? आपको इसे और बिगाड़ना है! आज इसने झूठ बोला है! कल इससे भी बुरा होगा, उसका इंतज़ार कर रहे हैं आप!

    मोहन जी: बेला, अभी फ़ोन करो! और कहो मैं रिजाइन कर रही हूँ!

    बेला: पापा!

    राधा जी: अगर तुम फ़ोन नहीं करोगी, तो मैं कर लूँगी! बताओ तुम्हारे फ़ोन का पासवर्ड क्या है?

    बेला सुनकर नाराज़ हुई और अपने रूम में भाग गई। उसने दरवाज़े को लॉक कर दिया। राधा जी ने फ़ोन मोहन जी की तरफ़ करके कहा, "इसका पासवर्ड बताइए!"

    मोहन जी: तुम्हें लगता है मुझे पासवर्ड पता होगा!

    राधा जी: आप किसी काम के नहीं हो! बेला, सुन लो, अगर कल तुम जाकर रिजाइन नहीं करोगी, तो मैं तुम्हारे ऑफ़िस चली जाऊँगी! और तुम्हारा सारा सच बता दूँगी, फिर वह लोग खुद ही तुम्हें निकाल देंगे!

    मोहन जी: उसके साथ इतना बुरा बर्ताव करना ज़रूरी है!

    राधा जी: यह सब उसे हमसे झूठ बोलने से पहले सोचना चाहिए था! खाना खाने चलिए!

    दोनों खाना खाने टेबल पर आ गए। बेला अंदर दरवाज़े के पास ही खड़ी थी। "हे भगवान, अब मैं क्या करूँ? मेरी इतनी सारी मेहनत जो मैंने उस गेम में लगाई है, पूरी बेकार हो जाएगी! नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दे सकती! मुझे मम्मी को समझाना होगा!"

    मोहन जी ने एक प्लेट में सब खाना लेना शुरू किया। राधा जी उन्हीं की तरफ़ देख रही थीं। "यह क्या कर रहे हैं आप? अपना खाना खाइए!"

    मोहन जी: पर उसे भी भूख लगी होगी! तुम उसे भूखा रखना चाहती हो!

    राधा जी: आप उसे बिगाड़ रहे हैं! आपकी ही वजह से आज वह अपना जेंडर चेंज करती हुई फिर रही है! कल और कुछ करेगी! क्या हम कुछ नहीं हैं उसके लिए? क्या इज़्ज़त है उसकी नज़रों में हमारी?

    मोहन जी: वह कोई छोटी बच्ची नहीं है, राधा! बड़ी हो गई है! उसे अच्छा-बुरा सब समझ आता है अब! हमें उसकी ज़िंदगी में दखल नहीं देनी चाहिए! यह उसकी ज़िंदगी है! उसे पता है उसे क्या करना है!

    राधा जी: तो क्या माँ होने के नाते अब उसकी ज़िंदगी पर मेरा कोई अधिकार नहीं? मैं उससे कुछ पूछ भी नहीं सकती!

    मोहन जी: इसलिए तो कह रहा हूँ! तुम उसके साथ शांति से बात करके देखो! वह तुमसे सच में बात करना चाहती है! मैं सही कह रहा हूँ ना, बेला?

    बेला: अंदर रूम से ही, हाँ पापा! मैं मम्मी से बात करना चाहती हूँ! पर वह मेरी बात ही नहीं सुन रही हैं!

    मोहन जी: आओ बेला, अपनी मम्मी से बात करो!

    बेला दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गई। उसने मम्मी के पास आकर कहा, "मम्मी, मैं कल रिजाइन कर दूँगी।"

    "देखा, मैंने कहा था ना हमारी बेला समझदार है!"

    "मम्मी, आपको ज़ोर से तो नहीं लगी? मुझे माफ़ कर दीजिए! आप जैसा कहेंगी, मैं वैसा ही करूँगी!"

    "मैं चाहती हूँ तुम कल रिजाइन कर दो!"

    बेला: मम्मी, यह मेरी पहली जॉब है! मैंने बहुत अच्छी गेम बनाई है, पर वह अभी भी अधूरी है! प्लीज़ मुझे उसे पूरी कर लेने दीजिए! फिर मैं वहाँ रिजाइन कर दूँगी!

    राधा जी: तुम बातें बनाकर मुझे फँसाने आई हो है ना!

    बेला: नहीं मम्मी! क्या आप यह चाहती हैं कि मैं अपना काम आधा-अधूरा छोड़कर आ जाऊँ? मुझे बस एक हफ़्ता दीजिए! उस गेम के पूरे होते ही मैं वह जॉब छोड़ दूँगी!

    मोहन जी: बच्ची इतना कह रही है तो उसकी बात मान लो, राधा!

    राधा जी: ठीक है, सिर्फ़ एक हफ़्ता! चलिए खाना खाइए!

    सब खाना खाने लगे और बेला ने चैन की साँस ली। बेला ने दूसरे दिन ऑफिस में आकर गेम पर काम करना शुरू कर दिया। जब थोड़ा समय मिलता, तो वह मम्मी को क्या कहकर मनाए, इस बारे में लिखने लगती। उसे खोया हुआ देखकर शेखर जी और नैतिक उसके पास आकर खड़े हो गए। नैतिक ने कहना शुरू किया, "क्या हुआ, अद्वैत, तुम कहाँ खोए हुए हो? कोई प्रॉब्लम है तो हमें बताओ! हम उसे सुलझाने की कोशिश करेंगे!"

    बेला: प्रॉब्लम यह है कि अगर आपके पैरेंट्स आपके किसी डिसीज़न के ख़िलाफ़ हैं, तो उन्हें मनाने के लिए आपको क्या करना चाहिए?

    शेखर जी: मुझे लगा ही था कोई ना कोई प्रॉब्लम है! तुम्हारे पैरेंट्स तुम्हारी गर्लफ्रेंड को एक्सेप्ट नहीं कर रहे हैं ना?

    बेला: नहीं!

    शेखर जी: मेरी मम्मी भी मेरी वाइफ़ के साथ शादी करने के लिए नहीं मानी थी! तो मैंने उन्हें बहुत समझाया था कि ऐसे नहीं करते! वह मेरा प्यार है!

    बेला: फिर?

    शेखर जी: उसके बाद बड़ी मुश्किल से वह मानी थी! और अब हम दोनों साथ हैं!

    बेला सब कुछ लिख रही थी। फिर नैतिक ने कहा, "तुम अपने पैरेंट्स को मनाओ! ना माने तो दादा-दादी को मनाओ! अगर वह भी ना माने तो तुम्हें रास्ते से उठाकर लाया गया है, यह बात कन्फर्म हो जाएगी!" बेला ने घूरकर नैतिक को देखा और उसके पास खड़े समीर और प्रतिक ने उसे एक-एक चमाट लगाई! यह कोई सॉल्यूशन हुआ! बेला अब अपने लैपटॉप की स्क्रीन की तरफ़ देखने लगी। "अरे कोई तो बताओ मुझे कौन सा सॉल्यूशन अपनाना चाहिए?"

    आरव ने वहाँ कदम रखा, तो सब अपनी-अपनी सीट पर भाग गए थे। आरव ने उसकी सीट घुमाई। बेला के चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर आरव ने पूछा, "किस चीज़ का सॉल्यूशन चाहिए तुम्हें?" बेला उसकी तरफ़ देखती रही।

    जारी!

  • 20. Chahat - Chapter 20

    Words: 2091

    Estimated Reading Time: 13 min

    मि. आरव आप यहाँ??? वह मैं... कुछ नहीं!! मैंने तो...!!!" आरव उसके चेहरे के बहुत करीब था; बेला के शब्द लड़खड़ा रहे थे। आरव ने पीछे जाते हुए कहा, "यह हाथ में क्या है तुम्हारे???" बेला ने अपने हाथ में पकड़ी चिठ्ठी कसकर पकड़ी। क्योंकि अभी-अभी उसने जो कुछ भी उसमें लिखा था, वह अगर आरव ने पढ़ लिया तो मुसीबत होने वाली थी। बेला ने ना में सिर हिलाया।

    "कुछ नहीं सर... वह बस कुछ रफ नोट्स हैं कोडिंग के। कुछ काम का नहीं है। मुझे दोबारा ट्राई करना पड़ेगा सब।"

    आरव वहाँ से चला गया। आरव के जाते ही बेला ने चैन की साँस ली।

    "यह दिन ब दिन इतने खतरनाक क्यों होते जा रहे हैं!! मेरी जान निकल गई थी एक पल के लिए!!!"


    बेला हर्ष के बुलाने पर उसके ऑफिस में चली गई।

    "हर्ष सर, आपने मुझे बुलाया???"

    बेला के कहते ही हर्ष ने उसकी तरफ देखा।

    "मैं लंच कर रहा था। और मुझे लगा तुमने अब तक लंच नहीं किया, इसलिए मैंने तुम्हें यहाँ बुलाया था। कुछ खाओगी?"

    "नहीं सर। मैं अभी स्टाफ मेंबर के साथ खाकर आई हूँ। मुझे आपसे बात करनी थी सर। आप ने मुझे बहुत बार बचाया है। मैं आपको एक अच्छी सी ट्रीट देना चाहती हूँ... आप चलेंगे ना...?"

    "ज़रूर चलूँगा... पर बात यह नहीं थी। तुमने बात को क्यों बदल दिया?"

    "ओह... आपको पता चल गया। मेरी मम्मी को मेरे इस नाटक के बारे में पता चल गया है कि मैं लड़का बनकर यहाँ काम कर रही हूँ। वह बहुत नाराज़ हैं। और चाहती हैं मैं यह काम छोड़ दूँ। आज ही रिजाइन कर दूँ। पर मैंने उन्हें मनाकर एक हफ्ते का टाइम माँगा है।"

    "बुरा हुआ। तुम लड़की हो या लड़का, कोई फ़र्क नहीं पड़ता जब तुम प्रोग्रामिंग में इतनी माहिर हो। तुम्हारी मम्मी को तुम्हें समझना चाहिए था।"

    "यही तो बात है सर। पैरेंट्स हम बच्चों को हमारे सपनों को फ़ॉलो नहीं करने देते... जिनमें हम बेस्ट हैं। उन्हें अपने हिसाब से हमें ढालना होता है। वह चाहती हैं मैं सिविल सर्विस में ट्राई करूँ। मैं पास हो जाऊँगी सर, पर मैं अपना हंड्रेड परसेंट नहीं दे पाऊँगी वहाँ। क्योंकि मुझे कंप्यूटर पसंद है। और जिसमें मुझे जबरदस्ती डाला जाएगा, वह काम बोरियत भरा हो जाएगा मेरे लिए। कंप्यूटर और कोडिंग मेरा पैशन है। आरव को देखकर मैंने अपने लिए इसे चुना था, पर अब यह मेरा पैशन बन चुका है।"

    "तो असली बात जुबान पर आई ही गई।"

    "मेरे कहने का मतलब वह नहीं था सर। आप भी ना..."

    दोनों हँस दिए। और इधर आरव का अभी भी सर्च ऑपरेशन जारी था। वह बेला को अपनी जगह पर ना देखकर उसके डेस्क के पास आया। और डस्टबिन में से उसने वह चिट्ठी निकाली जो बेला ने छुपाई थी। उसने उसे खोलकर देखा, पर चिठ्ठी पर नीली स्याही डालकर सब बिगाड़ दिया था बेला ने। लेकिन फिर भी आरव के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। उसे यह कंफर्म हो गया कि बेला यानी अद्वैत कुछ छुपा रहा है।

    "तो अब तुम्हारा क्या प्लान है?"

    "मैं यह जॉब छोड़ना नहीं चाहती। मुझे यहाँ काम करना अच्छा लगता है। सब बहुत अच्छे हैं। कितनी मदद करते हैं मेरी। कुछ भी हुआ तो संभाल लेते हैं। मुझे नहीं करना रिजाइन।"

    हर्ष उसकी तरफ देख मुस्कुराया। बेला मायूस थी। उसे कम्फ़र्ट देने के लिए उसने बेला के सिर पर हाथ रख उसे सहलाया। तभी आरव वहाँ आ गया। उसने जब हर्ष को अद्वैत का सिर सहलाते देखा, तो उसे पता नहीं क्यों अच्छा नहीं लगा। आरव वहाँ से चला गया। जब बेला अपने डेस्क की तरफ आई तो उसे अपनी चेयर पर आरव बैठा हुआ दिखाई दिया।

    "मि. आरव आप यहाँ?"

    "मुझे लगता है तुम लंच करने कहीं और गए थे। कहाँ गए थे?"

    "वह मैं हर्ष सर के साथ बात कर रहा था।"

    "और क्या बात कर रहे थे?"

    बेला के मुँह से आवाज नहीं निकली; वह खामोश हो गई। तो आरव ने कहा, "लगता है तुम्हारे पास इसका जवाब नहीं है... और काम भी नहीं है। चलो मेरे साथ।" बेला के पास आरव की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वह उसके पीछे चली गई। आरव उसे लेकर पार्किंग में आ गया और एक गाड़ी के सामने जाकर खड़ा हो गया। यह एक ट्रक था जो कंपनी के कंप्यूटर्स मार्केट ले जाता था और डिस्ट्रिब्यूट करता था। बेला उस ट्रक को देख हैरान थी। आरव ने ट्रक के पिछली साइड जाकर कहा, "यह सारे बॉक्सेस अंदर ले जाने हैं। चलो उठाओ।"

    "इन सारे बॉक्सेस को उठाना है? ठीक है, मैं बाकियों को भी बुलाकर लाता हूँ।"

    "नहीं। इसे सिर्फ़ तुम उठाओगी। और गोदाउन में रखोगे।"

    "इतने भारी बॉक्सेस मैं अकेली कैसे उठाऊँगी! इस आदमी को मुझ पर जरा सी दया नहीं आ रही। मैं नन्ही सी जान... कैसे उठाऊँगी!"

    "चलो उठाओ। सोच क्या रही हो?"

    "जी मि. आरव।"

    बेला की आवाज भी नर्म पड़ गई थी उन बॉक्सेस को देखकर। आखिर किस बात का बदला लिया जा रहा है मुझसे? मैंने तो कुछ नहीं किया! बेला ने बॉक्स उठाकर आरव की तरफ देखा और उसे गोदाउन की तरफ ले जाने लगी। आरव ने कहा, "जब तुम इन सब बॉक्सेस को अंदर रख दोगे, तो इन्हें इनकी कैटेगरी के हिसाब से अरेंज कर देना।"

    "ज़रूर। तुम्हें आज कुछ उल्टा-सीधा काम किया है। तभी यह इतने नाराज़ हैं तुमसे। क्या किया तुमने बेला?"

    बेला खुद पर ही नाराज़ होने लगी जब वह बॉक्स अंदर रख रही थी। तब आरव अपने मोबाइल में गेम खेलते हुए वहाँ आकर खड़ा हो गया। बेला से अब सहा नहीं जा रहा था; उसने पूछ ही लिया।

    "मि. आरव, क्या आप मुझसे नाराज़ हैं किसी बात को लेकर? क्या मैंने कुछ ग़लत किया है?"

    "मोबाइल की तरफ़ देखते हुए, सोचो तो जरा।"

    "क्या मैंने कॉफी बहुत कड़वी बनाई थी?"

    "नहीं।"

    "क्या मैंने कोडिंग ग़लत लिखी थी?"

    "उसकी तरफ़ ना देखते हुए, नहीं।"

    "मैंने तो आपके ऑफिस में आज क़दम भी नहीं रखा।"

    "इसके अलावा और कुछ?"

    बेला को और कुछ समझ नहीं आया, तो वह अपना काम करने लगी। उससे जवाब ना पाकर आरव अपने केबिन में आ गया। उसने कोडिंग लिखना स्टार्ट कर दिया था। तीन घंटे बीत चुके थे। उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। पाँच बज रहे थे। ऑफिस टाइम ख़त्म होने को था।

    "लगता है मुझे इस बार उसे जाने देना चाहिए। उसके लिए इतनी पनिशमेंट बहुत हो गई आज के लिए।"

    इधर बेला अपना काम ख़त्म कर चुकी थी, पर उसकी मदद करने पहुँच गया था हर्ष। हर्ष ने और उसने मिलकर सारा काम ख़त्म कर दिया था।

    "सब कुछ हो गया। हर्ष सर, आज फिर आपने मेरी इतनी हेल्प की। वरना मुझे इसे ख़त्म करने में तीन घंटे लग जाते।"

    "कोई बात नहीं। तुम अकेली यह सब नहीं कर पाती। अच्छा हुआ मैंने तुम्हें डेस्क पर ना देखकर फ़ोन रख लिया था। यह काम ख़त्म हो गया। अब एक और काम ख़त्म करना बाकी है। चलो।"

    "कहाँ?"

    "वह तुम्हें वहाँ जाकर पता चलेगा।"

    वह दोनों वहाँ से चले गए। और आरव वहाँ आ पहुँचा। सब बॉक्सेस को अपनी जगह पर सेट देख... और कैटेगरी वाइज़ लगे देख वह हैरान रह गया। पूरा गोदाउन सेट था।

    "इससे अकेले यह सब कर पाना नामुमकिन है। ज़रूर किसी ने इसकी हेल्प की है। लेकिन किसने की होगी हेल्प? कहीं हर्ष ने तो..... यह हर्ष का बच्चा पीटेगा मुझसे।"

    हर्ष बेला को लेकर उसके घर आया था और इस वक़्त उसके पापा के सामने बैठा था। बेला अपने काँधे से बैग लटकाए परेशानी में खड़ी थी कि अब कौन सा बम फूटेगा उसके सिर पर। हर्ष बेला की मम्मी के आने का इंतज़ार कर रहा था। मोहन जी भी चुप ही थे। माहौल बहुत ख़तरनाक हो रखा था वहाँ। तभी राधा जी कॉफ़ी लेकर आई ट्रे में। उन्होंने बेला की तरफ़ देख कहा, "जाओ पहले यह विग उतारकर आओ। बहुत अजीब लग रही हो इसमें।" बेला अपने रूम की तरफ़ भागी। राधा जी हर्ष के सामने बैठ गईं। हर्ष ने अपना बिज़नेस कार्ड निकालकर मोहन जी को दिया।

    "अंकल, यह मेरा कार्ड है।"

    मोहन जी ने कार्ड पर 'डायरेक्टर' पढ़कर कार्ड को राधा जी को सौंप दिया। राधा जी ने कार्ड पर नज़र डाली: 'हर्ष रहेजा' और 'डायरेक्टर ऑफ़ कंपनी' पढ़कर उनकी आँखें बड़ी हो गईं।

    "डायरेक्टर साहब, आपके यहाँ आने का क्या कारण है? आप उम्र में बहुत छोटे नज़र आ रहे हैं।"

    "अंकल, मैं काम की वजह से ही यहाँ आया हूँ। वह क्या है कि बेला बहुत टैलेंटेड है और उसका टैलेंट सब लोगों को प्रभावित कर रहा है ऑफ़िस में। लेकिन मैंने सुना आप उसे जॉब छोड़ने के लिए कह रहे हैं।"

    "देखिए डायरेक्टर साहब, मुझे मेरी बेटी का यूँ लड़का बनकर ऑफ़िस जाना, काम करना नहीं पसंद। इसलिए मैं चाहती थी कि वह यह जॉब छोड़ दें। और यह अच्छा वक़्त है कि वह यह जॉब छोड़ दें।"

    "वह हमेशा के लिए लड़का बनकर ऑफ़िस नहीं आएगी। मैं अपने सीनियर से बात करूँगा इस बारे में और यह प्रॉब्लम सॉल्व करने की कोशिश करूँगा। फिर उसे लड़कों की तरह आने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    "देखिए मुझे उसका कंप्यूटर के साथ खटपट करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। मैं चाहती हूँ वह सिविल सर्विस के लिए अप्लाई करें।"

    "उसे कंप्यूटर और कोडिंग में इंटरेस्ट है आंटी। अगर आप उसे जबरदस्ती कुछ और बनाना चाहेंगी तो वह कुछ भी ढंग से नहीं कर पाएगी।"

    "पर आप उसके लिए बात करने क्यों आए हैं...? यह मेरी समझ में नहीं आया।"

    "क्या बेला ने आपको नहीं बताया... मैं उसी के कॉलेज में उसका सीनियर रह चुका हूँ। हमने एक ही कॉलेज से पढ़ाई की है।"

    "ओह... यह बात है। तुम दोनों पहले ही एक-दूसरे को जानते हो। बहुत अच्छी बात है।"

    "देखिए अंकल, मैं उसकी भलाई चाहता हूँ दोस्त होने के नाते। इसलिए आपसे रिक्वेस्ट करने आया हूँ... प्लीज़ उसे जॉब मत छोड़ने दीजिए। मैं कंपनी का भी भला चाहता हूँ इसमें। हम इतनी अच्छी एम्प्लॉई को खोना नहीं चाहते। कंपनी का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि कंपनी में अच्छे एम्प्लॉई हैं या नहीं। आप समझ रहे हैं ना मैं क्या कहना चाहता हूँ।"

    "हाँ हाँ बेटा... हम बिल्कुल समझ रहे हैं तुम क्या कहना चाहते हो।"

    "बेला को आते देख... आप तो बहुत यंग हैं डायरेक्टर साहब... क्या आपकी शादी हो गई है? या फिर कोई गर्लफ्रेंड है आपकी?"

    हर्ष कॉफ़ी पी रहा था; सवाल सुनते ही कॉफ़ी उसकी गले में अटक गई और वह खांसने लगा। बेला ने आगे बढ़ उसकी पीठ सहलाई।

    "सर आप ठीक तो हैं? मैं पानी लाती हूँ।"

    हर्ष ने ना में सिर हिलाकर उसे रोक दिया।

    "मम्मी बस भी कीजिए... कितने सवाल पूछेंगी आप?"

    "इट्स ओके बेला। आंटी, मैं अभी 28 का हूँ और सिंगल हूँ। मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है।"

    "अच्छा......... तो आप रहने वाले कहाँ के हैं?"

    "आंटी, मैं यही नागपुर का रहने वाला हूँ। मेरा जन्म यहीं हुआ है।"

    "यह तो बहुत अच्छी बात है। और..."

    "सर आप बहुत थके हुए लग रहे हैं। आपको अब घर जाकर रेस्ट करना चाहिए।"

    "हाँ। अंकल आंटी, मैं अब चलता हूँ। आप बेला के रिजाइन के बारे में सोचिएगा ज़रूर।"

    "आप फिर आइएगा डायरेक्टर साहब... काम के लिए नहीं। काम के अलावा भी आपका स्वागत है हमारे घर पर।"

    हर्ष उठकर बाहर आ गया। तभी उसे आरव की कॉल आ गई। हर्ष ने उठाते हुए कहा, "हाँ आरव बोलो।"

    "कहाँ हो तुम? मुझे भूख लगी है। जल्दी यहाँ पहुँचो। मैं एड्रेस सेंड कर रहा हूँ।"

    हर्ष ने फ़ोन काटा और जल्दी से गाड़ी में बैठ गया। जब वह होटल पहुँचा, आरव उसका इंतज़ार कर रहा था। आरव ने बहुत सारी खाने की डिशेज़ मंगाई थीं। आरव को खाता देख हर्ष ने हैरानी से पूछा, "क्या हुआ है? इस तरह क्यों खा रहे हो? तुमने दोपहर में लंच नहीं किया क्या?"

    "हाँ... नहीं किया। मैं भूल गया था लंच करना। मुझे याद नहीं रहा। तुम बताओ कहाँ गायब था? मैंने तुझे ऑफ़िस से निकलते नहीं देखा। तुम बहुत पहले ही चला गया था क्या?"

    "अरे नहीं... वह थोड़ा ऑफ़िशियल ही काम था जिसे मुझे ठीक करने जाना था। वहीं से आ रहा हूँ। आई होप सब ठीक हो जाए।"

    "मैं देख रहा हूँ... तेरे सुर बदले हुए हैं। काफ़ी बदलाव आ गया है तुझमें।"

    "सच में? मुझे तो ऐसा नहीं लगता।"

    "काफ़ी बातें छुपाने लगा है तू। अच्छा वह सब छोड़, तुझे अद्वैत के बारे में क्या लगता है?"

    अद्वैत का नाम सुनकर हर्ष हड़बड़ाया, जिसे आरव ने नोटिस कर लिया था।

    जारी...