ये कहानी है आर्विका राणा की जिसे प्यार में सिर्फ धोखा ही मिला था क्या उसे मिले इस धोखे से वो उभर पाएगी क्या होगा जब अवि चौधरी और आर्विका राणा फिर से टकराएंगे क्या होगा जब उन्हें मालूम होगा कि उनके इश्क की बुनियाद को किसी ने हिला दिया था क्या होगा जब... ये कहानी है आर्विका राणा की जिसे प्यार में सिर्फ धोखा ही मिला था क्या उसे मिले इस धोखे से वो उभर पाएगी क्या होगा जब अवि चौधरी और आर्विका राणा फिर से टकराएंगे क्या होगा जब उन्हें मालूम होगा कि उनके इश्क की बुनियाद को किसी ने हिला दिया था क्या होगा जब दोनों को पता लगेगा कि एक दूसरे पर जान देने वालों को अलग करने में किसी अपने का हाथ था क्या कुछ गलतफहमी से बर्बाद हुई इस इश्क की कहानी को दोनो फिर से लिखेंगे या नफरत इसके आड़े आ जाएगी क्या हो जाएंगे दोनों एक दूसरे से जुदा जानने के लिए पढ़ते रहिए आर्विका राणा और अवि चौधरी की कहानी " इश्क है पिया" ओनली स्टोरी मानिया पर
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लंदन
सुबह का समय 10:00 AM
दस मंजिल की बनी हुई बड़ी बिल्डिंग, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है - “राणा इंडस्ट्रीज”।
उसी बिल्डिंग के लास्ट फ्लोर पर एक बहुत बड़ा कमरा बना हुआ था। शायद मीटिंग रूम था उस ऑफिस का। वहां मीटिंग भी चल रही थी।
उस रूम में बीचों-बीच एक बहुत बड़ा टेबल था। उसके आस-पास बीस चेयर लगी हुई थीं। सामने दीवार पर एक बड़ा सा प्रोजेक्टर लगा हुआ था।
उन चेयर पर कुछ लोग बैठे हुए थे। तो वहीं सामने की चेयर पर एक लड़की बैठी हुई, सामने प्रोजेक्टर पर बड़े ध्यान से देख रही थी। तो वहीं प्रोजेक्टर के सामने खड़ा लड़का कुछ समझा रहा था।
पर वो उस लड़की को देख कर काँप रहा था।
लड़के ने सब को समझाया और आकर चेयर पर बैठ गया।ऐसे ही सब अपना-अपना प्रोजेक्ट प्रोजेक्टर पर समझा रहे थे।
अब बारी उस लड़की की थी।वो खड़ी हुई और वहां की लाइट को ऑफ कर, प्रोजेक्टर को बड़े ध्यान से देख कर उसे अपने नाजुक से हाथों से सही किया और समझाना शुरू किया।
उसके समझाने को देखकर और उसके प्रोजेक्ट को देखकर सब हैरान थे।
कुछ मिनटों में जब लड़की ने बोलना बंद किया और “थैंक यू” बोल कर चेयर पर आकर बैठ गई, तो वहीं मीटिंग में बैठे लोग बता नहीं पा रहे थे कि लड़की कैसी दिखती है।
मिस्टर देवांश ओबरॉय ने कहा - हम ये मीटिंग राणा इंडस्ट्रीज के साथ करेंगे।
लड़की ने खड़े होकर अपना हाथ मिस्टर देवांश की ओर कर के हाथ मिलाया और बहुत ही प्यारी आवाज में कहा - “कांग्रैचुलेशन्स मिस्टर देवांश।”
मिस्टर देवांश ने हँसते हुए स्माइल के साथ कहा - “Congratulations on the success of your project, मिस आर्विका राणा।”
आर्विका हँसते हुए मुस्करा कर वहां पर और लोगों से बात करने लग गई।
आर्विका वहां खड़े किसी से बात कर रही थी कि बीच में ही एक आवाज उसके कानों में पड़ी - कैसी हैं मिस राणा आप?
आर्विका ने आवाज सुन उस ओर देखा, तो तकरीबन 30 से 35 साल का एक आदमी चेहरे पर अजीब मुस्कान लिए आर्विका को देख रहा था।
आर्विकाने भी उसी तरह उसे जवाब दिया - हम बहुत अच्छे हैं, मिस्टर वाडिया। दिख तो रहा ही होगा आपको।
मिस्टर वाडिया - मानना पड़ेगा तुम्हें, आखिरकार प्रोजेक्ट ले ही लिया तुमने।
आर्विका- अब क्या करें, क्या हैं ना, आर्विका राणा जो सोचती है, वो करके रहती है। तो ये तो फिर प्रोजेक्ट था।
आर्विकामीटिंग रूम से निकल कर लिफ्ट से ग्राउंड फ्लोर पर आ गई।
बाहर की रोशनी से आर्विका को साफ देखा जा सकता था। बिजनेस सूट में, कमर तक आते बालों की पोनी बना रखी थी। एक हाथ में वॉच थी, काली लंबी आँखें, दूध सा गोरा रंग, हाइट लगभग 5’8। इनका स्वभाव तो बता पाना थोड़ा मुश्किल था।
जैसे ही वो ग्राउंड फ्लोर पे आई, बाहर आकर पार्किंग में चली गई। वहां एक कार आकर रुक गई। आर्विका ने दरवाजा खोला और पीछे बैठ गई और ड्राइवर को चलने को कहा।और सिर को सीट के लगाकर आँखें बंद कर लीं।
जैसे ही आर्विका ने आँखें बंद कीं, उसे उसका पास्ट याद आ गया।
“I love you आरवी, I love you so much।”
वो उस लड़के के सामने रेड गाउन में बहुत प्यारी लग रही थी। बड़े प्यार से उस लड़के को मुस्कराकर देख रही थी।
अचानक गाड़ी के हॉर्न से आर्विका की आँखें खुल गईं और उनमें हल्के आँसू भी आ गए।
आर्विका ने अपनी आँखें साफ कीं और मन में कहा - “I hate you, I hate you, नफरत करते हैं तुमसे।”
आर्विका - “ड्राइवर अंकल, गाड़ी साइड ले चलिएगा।”
ड्राइवर ने गाड़ी को साइड वाले रास्ते पर ले लिया। गाड़ी अपनी रफ्तार लिए लंदन के रोड पर दौड़ रही थी।
कार आकर साइड पर रुक गई। आर्विका ने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल गई। जाते-जाते रुकी और वापस कार की ओर आकर ड्राइवर साइड की विंडो को खटखटाया। ड्राइवर ने विंडो नीचे किया और कहा - क्या हुआ बिटिया?
आर्विका - कुछ नहीं अंकल, आप घर जाइए। हम आ जाएंगे।
रामू अंकल - पर बिटिया, रात भी होने को आई। तुम अकेले कैसे आओगी?
आर्विका- आप हमारी टेंशन मत लीजिए अंकल। हम आ जाएंगे। आप जाइए।
ड्राइवर ने गाड़ी ली और घर की ओर चले गए।
आर्विका ने जाती हुई कार को देखा और एक बार चारों तरफ नजर घुमाकर देखा। फिर समुंदर के किनारे एक कोने में आकर बैठ गई, जहां आस-पास कोई नहीं था।
वह वही मिट्टी में बैठ कर सामने के समुंदर को निहार रही थी। साइड में रखा आर्विका का फोन बार-बार बीप हो रहा था।
आर्विका को कुछ आवाजें सुनाई दीं। उसने अपनी राइट साइड देखा तो एक कपल हाथों में हाथ लिए बैठे हुए थे। उन दोनों की आवाज आर्विका के कानों में पड़ रही थी।
उन दोनों को देख आर्विका ने समुंदर को देखते हुए अपने अतीत की यादों में खो गई।
एक लड़का - पता है आरवी, मैं तुम्हें कभी खुद से दूर नहीं जाने दूंगा, कभी भी नहीं।
आरवी - उस लड़के के कंधे पे अपना सिर टिकाकर आंखें बंद कर ली और उसके हाथों में अपना हाथ डालकर कहा - मैं भी कभी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगी।
Present…
कुछ ही दूरी पर एक ठेले पर गाने की आवाज आविका के कानों में पड़ी।
चाँद से बिछड़ी रातों की
आधी सी मुलाकातों की
कुछ बातें हैं दर्द की
तुझे सुनानी ऐ
इक याद पुरानी ऐ
तेरी मेरी कहानी ऐ
बारिश ना समझी तू
अंखियां दा पानी ऐ
इश्क दी लकीर का
किस्सा है रांझे हीर का
विछोड़े ने उड़ा दिया
ये पत्ता तकदीर का
आज भी उस दीवाने की
एक दीवानी है
इक याद पुरानी ऐ
तेरी मेरी कहानी ऐ
बारिश ना समझी तू
अंखियां दा पानी ऐ
खत तेरे प्यार के
अभी भी मेरे पास हैं
आवाजों में धड़क रहे
तेरे ही एहसास हैं
तू तो नहीं है साथ मेरे
तेरी निशानी है
इक याद पुरानी ऐ
तेरी मेरी कहानी ऐ
बारिश ना समझी तू
अंखियां दा पानी ऐ
आर्विका अभी भी गाने को बड़े ध्यान से सुन रही थी। कि उसके पास में पड़ा फोन बार-बार बीप हो रहा था।
फोन स्क्रीन पर 20 मिस्ड कॉल्स थे।
आर्विका अभी भी गाने को बड़े ध्यान से सुन रही थी। कि उसके पास में पड़ा फोन बार-बार बीप हो रहा था।
फोन स्क्रीन पर 20 मिस्ड कॉल्स थे।
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तो वहीं एक ऑफिस में बैठी लड़की किसी को बार-बार कॉल कर रही थी। और उसी के सामने चेयर पर एक लड़का बैठा हुआ था।
लड़की - हद है सर, मैम फोन नहीं उठा रही।
लड़का - ये कहां चली गई। मीटिंग तो काफी देर पहले ही खत्म हो गई ना।
लड़की - थोड़ा सोचकर - मुझे पता है मैम कहां गई होंगी।
लड़का - कहां गई होंगी?
लड़की - सर, बाद में बताती हूं। मैं अभी मैम के पास जा रही हूं।
लड़का - Hmm, मुझे भी कॉल कर देना मिलते ही।
लड़की ने हां में गर्दन हिलाई और वहां से कहीं चली गई।
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तो वहीं आर्विका मन ही मन खुद से बातें किए जा रही थी।
> क्यों तुम्हारी यादें हमारा पीछा नहीं छोड़तीं? क्यों… तुम तो चले गए पर क्यों हमारे पास इन यादों को छोड़ गए? क्यों… हमारी लाइफ में अब तुम्हारी और तुम्हारी इन यादों की कोई जगह नहीं है… नहीं है कोई जगह।
ये सब आर्विका गुस्से में बोले जा रही थी और वहीं गुस्से में अपने एक हाथ में मिट्टी को भर कर मुठ्ठियों को बिछा रही थी।
इन शब्दों को बोलते समय आर्विका की आंखों में आंसू लगातार बह रहे थे।
इन सब में खोई हुई थी कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा आर्विका ने जैसे ही अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया, उसने पीछे देखा तो एक लड़की उसे ही देख रही थी।
लड़की का रंग गोरा, कंधे तक आते बाल, रेड कुर्ती और व्हाइट जींस, एक हाथ में वॉच, और हाइट लगभग 5’5। उम्र लगभग 22 से 23।
आर्विका ने उसे देख वापस समुंदर को देखने लग गई।
लड़की ने आर्विका से कोई जवाब न मिलने पर उसके बगल में बैठ कर सामने देखने लगी जहां आर्विका देख रही थी और कहा - कितने कॉल किए हैं हमने आपको। कॉल तो आप उठाती नहीं हैं।
आर्विका ने जवाब में कुछ नहीं कहा।
लड़की - आप वही सब याद कर रही हैं ना फिर से? क्यों करती हैं आप ऐसा जिससे आप खुद ही हर्ट हो जाती हैं? भूल क्यों नहीं जातीं आप ये सब?
आर्विका - कैसे भूलें प्राची ये सब? तुम तो सब जानती हो ना। एक तुम और एक ये जगह ही तो है, जिसे हमारी सारी बातें पता हैं। (ये सब बोलते समय आर्विका का गला भर आया था।)
प्राची - हम सब जानते हैं, आप एक दूसरे से कितना प्यार करते थे। पर आप हमें बताइए क्या प्यार में भरोसा नहीं होता?
आर्विकाने कहा - कौन सा भरोसा प्राची… नहीं किया उसने हम पर भरोसा। क्यों नहीं किया उसने हम पर भरोसा? (ये सब बोलते हुए आर्विका की आंखों से आंसू बहने लगे थे।)
प्राची ने माहौल को हल्का करते हुए कहा - मुझे पता था आप यहीं मिलेंगी। मैंने आपको ढूंढ लिया।
आर्विका इस पर हल्का सा मुस्कराई और कहा - क्योंकि तुम्हें पता है हम जब भी कोई मीटिंग जीतते हैं तो उसके बाद यहीं आते हैं।
प्राची - आप ना हंसते हुए बहुत प्यारी लगती हैं। रोया मत कीजिए।
आर्विका ने खुद को नॉर्मल किया और कहा - हम अब से कभी भी नहीं रोएंगे। उसे और उसकी यादों को हमारे अंदर से निकाल देंगे। अब से वो आरवी मर गई। सिर्फ और सिर्फ आर्विका राणा है हम।
आर्विका ने खुद को नॉर्मल कर हंसते हुए कहा - ऐ प्राची, तुम रो रही हो पागल लड़की। आंखें साफ करो अपनी।
प्राची ने हंसते हुए अपनी गर्दन हिलाई और आंखों के आंसू साफ किए।
आर्विका ने उठते हुए कहा - चलो, यहीं रुकना है क्या?
प्राची ने जल्दी से कहा - नहीं-नहीं, और मासूम सा फेस बना कर कहा - जल्दी चलते हैं। हमें ना बहुत जोर की भूख लगी है।
उसके इस तरह फेस बनाने से और कहने से आर्विका हल्का सा मुस्कराई और अपना फोन लिया और प्राची को चलने को कहा।
पार्किंग साइड में आकर आर्विका ने प्राची से कार की चाबी ली और कहा - कार हम ड्राइव करेंगे।
प्राची ने कहा - पर हम… इतना ही कहा था कि आर्विका ने बीच में ही बात को काट कर कहा - हमने कहा ना हम कार ड्राइव करेंगे। इतना बोल वो कार की तरफ बढ़ गई और कुछ ही मिनटों में एक व्हाइट कार वहां आकर रुकी। प्राची ने एक बार कार को देखा और आगे का दरवाजा खोल सीट पर बैठ गई।
आर्विका ने प्राची को बैठते ही कार स्टार्ट कर हाईवे रोड पर दौड़ा दी।
तो वहीं प्राची को कार में बैठे-बैठे बोरियत महसूस हो रही थी। तो उसने कार का म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और गाना बजने लगा।
> चल चले कहीं, उड़के हम चले कहीं
आसमां इश्क है ख्वाहिशों सा खुला है
मुझको छू गया, एक एहसास अनछुआ
जैसे कोई नशा आसमान में घुला है
प्यार हुआ, हमको प्यार हुआ
पूरी हुई दुआ
हमको प्यार हुआ पूरी हुई दुआ
ये गाना सुनते ही आर्विका ने प्राची की ओर देखा तो उसने जल्दी से म्यूजिक सिस्टम बंद कर दिया और अपना चेहरा खिड़की से बाहर कर बाहर का नजारा देखने लगी। तो आर्विका ने उसे देख म्यूजिक सिस्टम वापस ऑन कर दिया और गाना चलने लगा।
> साथी रे, थोड़ा सा ठहर जा
अभी रास्ते कुछ बदल से जाएंगे
ओ साथी रे, थोड़ा ठहर जा
ये पांव भी अब संभल से जाएंगे
फिर वही बरसात होगी
और अश्क सारे धुल से जाएंगे
रौशनी दिन-रात होगी
और सब झरोखे खुल से जाएंगे
यारा तू ही तो बंदगी है
यारा तू ही दुआ
यारा कैसी ये बेरुखी है
इस गाने के बोल जैसे ही प्राची के कानों में पड़े वो मुस्करा कर आर्वीका को देखने लगी।
> यूं जुदा तू हुआ कहना था
और क्या, क्या मुझे नींद यूं आ गई
फिर तुझे साथी रे, थोड़ा सा ठहर जा
अभी मौसमों का बदलना बाकी है
ओ साथी रे, थोड़ा ठहर जा
कुछ दूर साथ चलना बाकी है
फिर उन्हीं रास्तों पे
तेरे मेरे कदमों का मिलना बाकी है
दर्द में रंजिशों में संग बुझना और जलना बाकी है
यारा तू ही तो बंदगी है
यारा तू ही दुआ
यारा कैसी ये बेरुखी है
यूं जुदा तू हुआ यारा
तू ही तो बंदगी है
यारा तू ही दुआ
यारा कैसी ये बेरुखी है
यूं जुदा तू हुआ
हां तेरे और मेरे दरमियां
अब भी बाकी है एक दास्तां
गाने को सुनते हुए आर्विका ने गाड़ी की रफ्तार और तेज कर दी।
तो वहीं प्राची आर्विका के इस बदले हुए रूप को देख कर बहुत खुश थी।
कुछ ही देर बाद दोनों एक बंगले के सामने आईं। तो कार को देख वॉचमैन ने दरवाजा खोल दिया और कार अंदर आ गई।
आर्विका ने कार को पार्क किया और प्राची के साथ घर में आ गई। जितना खूबसूरत घर बाहर से लग रहा था, उतना ही सुंदर अंदर से भी था।
घर का दरवाजा खुला ही था। आर्विका और प्राची दोनों अपने रूम में चली गईं।
आर्विका रूम में आते ही अपने कबर्ड से कपड़े लेकर बाथरूम में शावर लेने के लिए चली गई।
प्राची भी चेंज करके नीचे हॉल में आकर बैठ गई थी।
आर्विका ने पलाजो और टॉप पहन कर टॉवल से अपने बालों के पानी को साफ किया और टॉवल को चेयर पर रख बेड से अपना फोन लेकर बालकनी में आ गई।
बालकनी में आकर आर्विका को एक सुकून मिल रहा था। आर्विका ने अपना फोन देखा और थोड़ी देर रुक कर आर्विका नीचे आ गई।
सामने सोफे पर सिर को टिकाकर प्राची बैठी हुई थी। जिसे देख आर्विका हल्का सा मुस्कुराई और उसके पास जाकर अपने हाथों से उसके सिर पर हल्का सा फिराया।
प्राची ने आर्विका को देख कर कहा - चलो ना खाना खाते हैं, बहुत भूख लगी है। प्राची ने इतनी मासूमियत से कहा कि आर्विका मुस्कराने लगी और कहा - तुमने खाना क्यों नहीं खाया अभी तक?
प्राची - आपको पता है ना हम आपके बिना खाना नहीं खाते।
आर्विका ने प्राची की बात सुन कर कहा - चलो खाना खा लेते हैं।दोनों डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गईं।और कमला आंटी ने दोनों के लिए खाना टेबल पर लगा दिया। दोनों ने खाना खाया और अपने रूम में आ गईं। प्राची भी अपने रूम में न जाकर आर्विका के पास इसी के रूम से बेड पर एक साइड लेट गई।उसके लेटते ही आर्विका अपने रूम की खिड़की के पास आई और पास में रखी स्टडी टेबल पर बैठ कर पहले अपने बालों का हल्का सा जुड़ा बना लिया। और टेबल पर रखे एक बॉक्स से एक चश्मा निकाल कर अपनी आंखों पर लगा लिया। और टेबल पर रखे लैपटॉप को खोल कर उसके कीबोर्ड पर अपनी उंगलियां जल्दी-जल्दी चलाने लगी।
आर्विका काम में इतना खो चुकी थी कि उसे खिड़की से आती हवा से अपने बालों को सही करने का भी समय नहीं था।
खिड़की से आती हवा से उसके बाल उसके गालों को छू रहे थे। उसके चेहरे पर चश्मा बहुत अच्छा लग रहा था। आर्विका इस समय किसी मासूम बच्ची जैसी लग रही थी।
तकरीबन एक-दो घंटे काम करने के बाद आर्विका ने घड़ी में टाइम देखा तो रात के एक बजे बज रहे थे।
आर्विका ने लैपटॉप बंद किया और अपना चश्मा आंखों से निकाल कर बॉक्स में रख कर टेबल पर रख दिया आर्विका उठ कर अपने बेड की तरफ जाकर सोती हुई प्राची को देख हल्का सा उसका सिर सहलाया और ब्लैंकेट उड़ा कर अपनी साइड आकर सो गई।
रूम की घड़ी में समय सुबह के पांच बज रहे थे। आर्विका की आंख उसी समय खुल गई। आर्विका बेड से उठ कर बैठ गई और एक बार सोती हुई प्राची को देखा और रूम से बाहर आ गई और अपने कानों पर हेडफोन लगाकर जॉगिंग पर चली गई।
सुबह के सात बजे।
किचन में खड़ी आर्विका कॉफी मग में कॉफी डाल कर अपने रूम में आ गई जहां प्राची अभी भी सो रही थी।
आर्विका ने प्राची को उठाया और कॉफी पीने को बोल अपनी कॉफी लेकर बालकनी में आ गई। सूरज की हल्की किरणें आर्विका के चेहरे पर आ रही थीं।
आर्विका चारों तरफ बड़े ध्यान से देख रही थी और कॉफी खत्म कर अपने रूम में आ गई जहां प्राची अपने रूम में जा रही थी।
प्राची अपने रूम में आकर अपने कपड़े लिए और बाथरूम में शॉवर लेने चली गई।
अपने रूम में आर्विका बाथरूम से बाहर आते हुए अपने बालों को टॉवल से साफ कर रही थी। अपने बालों को साफ कर उसने टॉवल चेयर पर रखा और एक बार अपने बालों को देख वो वापस अपने अतीत की यादों में खो गई।
लड़का - आरवी, मुझे तुम्हारे ये बाल बहुत अच्छे लगते हैं। हमेशा इन्हें लंबे ही रखना।
आरवी - हम्मम। हमने इतनी मेहनत से लंबे जो किए हैं, अच्छे तो लगेंगे ही।
अपनी यादों से बाहर आते हुए आर्विका के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और अपने बालों को कंघी करने लगी।
ये सब करते हुए प्राची ने आर्विका को देख लिया और अपने मन में सोचने लगी - आप बहुत प्यारी लगती हैं आरवी जब आप हंसती हैं।
रूम में आकर प्राची बोली - क्या बात है? क्या मिल गया आपको जो इतनी स्माइल दी जा रही है?
आर्विका - कुछ भी नहीं। (थोड़ी सीरियस होते हुए) कुछ कहना था क्या प्राची?
प्राची - हां, वो हमारी एक मीटिंग है तो जल्दी ऑफिस जाना है।
आर्विका - हां, अभी चेंज करके आते हैं।
प्राची ने हां में गर्दन हिलाई और रूम से बाहर आ गई और नीचे डाइनिंग टेबल पर बैठ आर्विका का इंतजार करने लगी।
तकरीबन आधे घंटे बाद आर्विका सीढ़ियों से उतरती हुई अपने एक हाथ में वॉच बांधते हुए नीचे आ रही थी।
आर्विका नीचे आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई और दोनों नाश्ता करने लग गईं।
नाश्ता कर दोनों ऑफिस के लिए निकल गईं।
थोड़ी देर बाद दोनों राणा इंडस्ट्रीज पहुंच गईं और लिफ्ट से सिक्स्थ फ्लोर पर आ गईं।
आर्विका को देख सभी एम्प्लॉयी ने उन्हें गुड मॉर्निंग कहा और अपने कामों में लग गए। तो वहीं मेन एम्प्लॉयी के तो आर्विका को देख सबके हाल बेहाल हो रहे थे। आर्विका आज ग्रे कलर के बिजनेस सूट में और बालों की ऊंची सी पोनी में बहुत अच्छी लग रही थी।
आर्विका के केबिन में जाते ही सभी एम्प्लॉयी बातें करने लग गए।
नीता (एम्प्लॉयी) - तुझे पता है ये हमारी बॉस का गुस्सा किसी पर भी निकल जाता है। इसका गुस्सा नाक पर ही रहता है।
प्रीषा - देखने में ही लगता है कितना एटीट्यूड है इसमें।
आर्विका के कानों में इन सब की बातें जाते ही वो केबिन के दरवाजे से ही उन दोनों के पीछे अपने दोनों हाथों को फोल्ड कर के खड़ी हो गई और कहा -
आर्विका - If our stomach is full of evils, then do your work.
नीता - मैम वो… मैं…
आर्विका के कानों में इन सब की बातें जाते ही वो केबिन के दरवाजे से ही उन दोनों के पीछे अपने दोनों हाथों को फोल्ड कर के खड़ी हो गई और कहा -
आर्विका - If our stomach is full of evils, then do your work.
नीता - मैम वो… मैं…
आर्विका - If both of you have finished talking, then concentrate on work.
प्रीषा - मैम, हम दोनों तो बस…
आर्विका - (प्रीषा की बात को काटते हुए) Our company gives you money for work, not for talking. समझे आप दोनों?
आर्विका अपने केबिन में आकर अपनी चेयर पर बैठते हुए प्राची से कहा - रणवीर कहां है?
प्राची - वो रणवीर… सॉरी, वो रणवीर सर किसी मीटिंग के लिए बाहर गए हैं।
आर्विका - अच्छा, वो रणवीर… क्या बात है हम्म्म?
प्राची - वो… वो… कुछ नहीं। (प्राची ने इतना कहा और केबिन से बाहर की ओर चली गई।)
आर्विका - अरे, हम तो मजाक कर रहे थे। इतना बोलती हुई जाती हुई प्राची को देख मुस्कराने लगी।
> प्राची को जाता देख आर्विका के चेहरे पर स्माइल आ गई।
आर्विका अपने केबिन में बैठी अपने लैपटॉप पर बड़ी जल्दी-जल्दी अपनी उंगलियां चला रही थी।
थोड़ी देर बाद प्राची अपने हाथ में एक-दो फाइल लिए केबिन में आई और फाइल को टेबल पर रख कर आर्विका की तरफ देखा, जो अपनी नजरें अभी भी लैपटॉप में गड़ाए हुए थी।
प्राची - आर्विका मैम, आपकी मीटिंग है एक घंटे में।
आर्विका ने हां में गर्दन हिलाई और कहा - प्राची, एक कप चाय भेज देना।
प्राची ने आर्विका के मुंह से चाय की बात सुन एक लंबी सी स्माइल के साथ बाहर चली गई।
कुछ समय बाद प्राची अपने हाथ में चाय का कप लिए केबिन में आई और चाय आर्विका को देकर खुद कोई फाइल देखने लग गई।
इन सब में एक घंटा भी हो गया और दोनों मीटिंग रूम में चली गईं। तकरीबन तीन घंटे की मीटिंग के बाद दोनों बाहर आईं और अपने केबिन में आ गईं।
ऑफिस के सभी एम्प्लॉयी जा चुके थे।
आर्विका और प्राची भी अपनी गाड़ी लेकर घर की ओर चली गईं।
घर पहुंच कर दोनों ने ड्रेस चेंज किया और खाना खा कर अपने-अपने रूम में चली गईं।
आर्विका अपने लैपटॉप पर कुछ देख रही थी। और वहीं प्राची किसी से फोन पर बात कर रही थी।
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एक बड़े से आलीशान घर में सोफे पर बैठे एक पचास साल के लगभग एक आदमी सोफे पर सिर टिकाए बैठा था।
उसी के पास एक औरत बैठी हुई थी। उस औरत के सामने वाले सोफे पर एक और लगभग उसी उम्र के एक आदमी और एक औरत भी बैठे हुए हैं।
सबके चेहरे को देखकर लग रहा है सब किसी बात से बहुत परेशान हैं।
थोड़ी देर बात करने के बाद, पहले वाला आदमी बोला - सुनैना जी, अनुराग नहीं आया।
सुनैना जी (पहली वाली लेडी) - अभी तक नहीं आया।
अमर जी - हम्मम, आ जाए तब हमारे रूम में भेज देना।
सुनैना जी - जी, हम बोल देंगे।
अमन जी (अमर के छोटे भाई) - चलिए भाईसाहब, वो कल मीटिंग है ना, उसके बारे में कुछ बताना था।
अमर जी - हम्मम, चलो। इतना बोल दोनों भाई चले जाते हैं।
सुनैना - बिटिया सो गई मोहिनी?
मोहिनी जी (अमन की पत्नी) - जी दीदी, दोनों रूम में हैं अभी। कैसे सो सकती हैं दोनों जब तक अनुराग ना आ जाए।
सुनैना जी - 😊😊 पता नहीं अनुराग कब आएगा। जाओ तुम भी रेस्ट करो, मैं हूं यहां।
मोहिनी जी - जी दीदी।
मोहिनी जी अपने रूम में चली जाती है और थोड़ी देर बाद घर की डोरबेल बजती है। एक नौकर आकर दरवाजा खोल कर वहां से चला जाता है।
नौकर दरवाजा खोल कर चला गया।
दरवाजे पर एक लड़का खड़ा था। उसकी उम्र लगभग 26 साल होगी। 6 फुट की हाइट, एक हाथ में वॉच और बिजनेस सूट में बहुत ही हैंडसम लग रहा था।
लड़का अंदर आकर सोफे पे बैठ कर घर में चारों ओर अपनी नजरें घुमाता है।
सुनैना जी - आ गए तुम। इतना लेट कैसे हो गए अनुराग?
अनुराग - मां, आप तो जानती हो ना, ऑफिस में कितना काम होता है। और आज एक मीटिंग भी थी। तो उसी में लेट हो गया।
सुनैना जी - हम्मम, चलो फ्रेश होकर आ जाओ, तब तक हम खाना लगवाते हैं।
अनुराग - जी मां, हम अभी आते हैं। (यह बोलकर अनुराग अपने रूम में आ गया। और बेड पर अपना कोट उतार कर रख दिया और मोबाइल को बेड पे रख कर बाथरूम में चला गया।)
बाथरूम से निकल कर उसने अपने कपड़े पहन कर नीचे आ गया, जहां सुनैना जी डाइनिंग टेबल की चेयर पर बैठी अनुराग का ही इंतजार कर रही थी।
अनुराग चेयर खींच कर उस पर बैठते हुए - मां, आप जाइए रूम में रेस्ट कीजिए, मैं खाना खा लूंगा।
सुनैना जी - नहीं, हम कहीं नहीं जा रहे। चलो खाना खाओ।
अनुराग - जी मां।
अनुराग ने खाना खाया और अपने डैड के पास चला गया।
अमर जी का कमरा
अमर जी, अमन जी से कुछ बातें कर रहे थे। अनुराग रूम के दरवाजे पर आकर बोला - क्या मैं अंदर आ जाऊं डैड?
अमर जी - हां, आओ अनुराग।
अनुराग - जी डैड, आपने बुलाया, कुछ काम था?
अमर जी - हां, वो आज की मीटिंग कैसी थी?
अनुराग - जी डैड, अच्छी थी। वो प्रोजेक्ट हमें ही मिला है।
अमर जी ने अनुराग से बात कर अमन की ओर देखा और कहा - जाओ अमन, तुम रेस्ट करो। सुबह बात करते हैं।
अमन - जी भाईसाहब।
अमन के जाते ही…
अमर जी - तुम्हारी बात हुई उससे?
अनुराग - नहीं डैड, उसका फोन नहीं आया। और मुझे टाइम ही नहीं मिला। मैं बात कर लूं क्या उससे, डैड?
अमर जी - कर लो।
अनुराग - जी डैड। मैं जाऊं डैड?
अमर जी - हम्मम।
अनुराग वहां से उठ कर अपने रूम में आया और बेड से अपना फोन लेकर बालकनी में चला गया। और अपने फोन से किसी को फोन करने लग गया।
to be continue
नई स्टोरी है और इसे आपका प्यार चाहिए
अनुराग - नहीं डैड, उसका फोन नहीं आया। और मुझे टाइम ही नहीं मिला। मैं बात कर लूं क्या उससे, डैड?
अमर जी - कर लो।
अनुराग - जी डैड। मैं जाऊं डैड?
अमर जी - हम्मम।
अनुराग वहां से उठ कर अपने रूम में आया और बेड से अपना फोन लेकर बालकनी में चला गया। और अपने फोन से किसी को फोन करने लग गया।
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तो वहीं आर्विका अभी भी अपने लैपटॉप पर कुछ देख रही थी कि पास में रखा उसका फोन बजने लगा। उसने स्क्रीन पर देखा तो उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई। लेकिन कुछ ही पल में उस स्माइल की जगह गुस्सा उसके चेहरे पर दिख रहा था।
उसने अपना फोन लिया और बालकनी में आकर फोन उठा लिया और कान से लगा लिया।
दोनों तरफ की शांति को तोड़ते हुए दूसरी ओर से आवाज आई - सॉरी।
आर्विका - नहीं चाहिए आपकी सॉरी हमें।
दूसरी ओर से फिर आवाज आई - सॉरी बच्चा, माफ कर दे।
आर्विका - नहीं तो नहीं। हम नहीं माफ कर रहे आपको।
दूसरी ओर से - आर्विका…
आर्विका ने कोई जवाब नहीं दिया।
दूसरी ओर से फिर आवाज आई - सॉरी ना आर्विका।
आर्विका ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया।
दूसरी ओर से फिर आवाज आई - आरवी…
आर्विका ने उस ओर से आरवी सुन अपनी आंखें बंद कर ली। और फिर वापस खोलकर कहा - क्या है अनुराग भाई?
अनुराग - हम्मम, तो आरवी नाम से मनाना पड़ता है हमें आपको।
आर्विका (हल्का सा मुस्कराते हुए) - जी हां।
अनुराग - कैसी हो तुम? और प्राची कैसी है?
आर्विका - हम बिल्कुल ठीक हैं। और प्राची भी एकदम ठीक है।
आर्विका - हमें आपको कुछ बताना था।
अनुराग - क्या?
आर्विका - अभी नहीं, आपके लिए सरप्राइज है।
अनुराग - सरप्राइज? और मेरे लिए? क्या है बताओ।
आर्विका - अरे भाई, बताया ना, अभी सरप्राइज है। वेट कीजिए।
अनुराग - चल ठीक है। बाय, कल बात करते हैं। अभी तुम सो जाओ। मैं उन दोनों को देख कर आता हूं। तुम्हें पता है ना, जब तक मैं उनसे ना मिलूं, वो दोनों सोती नहीं हैं।
आर्विका - सही कहा आपने भाई। (कुछ सोचते हुए)
अनुराग - सॉरी।
आर्विका - It’s ok भाई। जाइए, हमें भी सोना है अब। बाय।
अनुराग - हम्मम, बाय।
अनुराग ने फोन बेड पर रखा और पास वाले रूम में आ गया, जहां दो लड़कियां, दोनों लगभग 20 और 21 साल की हैं। अनुराग उन दोनों के पास आकर बोला - कैसी हो तुम दोनों?
दोनों एक साथ - हम ठीक हैं भाई। आपने आने में कितनी देर कर दी।
अनुराग - सॉरी, महक और प्रियाल।
प्रियाल - It’s ok bhaii।
अनुराग ने दोनों को सुलाया और उनके सिर पर हाथ फेर कर अपने रूम में आकर सो गया।
तो वहीं दूसरी ओर प्राची भी अब तक सो चुकी थी।
बस नींद नहीं थी तो आर्विका की आंखों में। वो किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी। और इन सब के चलते आर्विका कब नींद के आगोश में चली गई।
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