यह कहानी है इश्क की एक अनोखी दास्तान, जहाँ मोहब्बत की शुरुआत नफरत और बदले की आग से होती है। दो दिल, दो जज़्बात, दो अलग कहानियां एक ऐसा रिश्ता जो शुरुआत में सिर्फ दुश्मनी का नाम था। लेकिन वक्त के साथ नफरत की यह आग धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगती है। और... यह कहानी है इश्क की एक अनोखी दास्तान, जहाँ मोहब्बत की शुरुआत नफरत और बदले की आग से होती है। दो दिल, दो जज़्बात, दो अलग कहानियां एक ऐसा रिश्ता जो शुरुआत में सिर्फ दुश्मनी का नाम था। लेकिन वक्त के साथ नफरत की यह आग धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगती है। और जब यह प्यार अपनी हदें पार करता है, तो बन जाता है एक ऐसा जुनून, जो किसी भी हद तक जाने को तैयार है! किसी के दिल में मोहब्बत की नर्माइश है, तो किसी के दिल में नफरत की आग। स्कूल से शुरू हुई यह कहानी, क्या अपनी मंज़िल तक पहुंच पाएगी? या फिर यह नफरत और बदले की आग ही इस मोहब्बत को हमेशा के लिए खत्म कर देगी? आखिर किस वजह से इन दोनों के बीच इतनी नफरत थी? यह नफरत धीरे-धीरे प्यार में कैसे बदल गई? क्या यह प्यार सच्चा है या सिर्फ एक खूबसूरत धोखा? क्या यह जुनूनी मोहब्बत अपने मुकाम तक पहुंच पाएगी, या रास्ते में ही दम तोड़ देगी? जानने के लिए पढिए, "Schoolmates To Soulmates" सिर्फ "Story Mania" पर।
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part 1 - परिचय
उदयपुर, राजस्थान...
राधनपुर गांव ( काल्पनिक नाम )...
गर्मी की छुट्टियां खत्म होने वाली थी और स्कूल खुलने वाली थी। इसलिए सभी बच्चे अपनी आखरी छुट्टियां एन्जॉय कर रहे थे लेकिन एक लड़की... जिसकी उम्र लगभग 18 साल जितनी होगी। पीले रंग का सलवार सूट पहने अपने गांव के मंदिर के पास बने तालाब की सीडी पे गुमसुम बैठी थी। तभी किसी ने उसे पीछे से आवाज लगाई...!!!
आवाज ने कहा, " मीठी.... मीठी..... ओय मीठी...!!!
मीठी पीछे मुड़ के देखती है की उसकी ही हमउम्र की लड़की जिसने sky कलर का ड्रेस पहना था... रिश्ते में उसकी चचेरी बहन लगती है। वो अपनी बहन को... जिसका नाम मीठी था, उसको आवाज देते हुए उसके पास पहुंच जाती है और उसके पास बैठ जाती है।
लड़की ने कहा, " मीठी यार क्या कर रही हो ? में कब से तुम्हे बुला रही हु लेकिन तुम हो की कुछ सुन ही नही रही हो। तुम्हारा तो यह रोज का हो गया है। जब तक में तुम्हे बुलाने ना आऊ तब तक तुम यही बैठी रहती हो, अगर तुम्हारा बस चले तो यही अपनी जिंदगी बिता दो...!!!
मीठी फीकी सी मुस्कान के साथ कहती है – ऐसा कुछ नहीं है किंजू, में तो बस ऐसे ही बैठी थी यह। देखना यहां कितना अच्छा लग रहा है कितनी शांति है यहां पे। यह लहराते हुए पेड़, आसमान में उड़ते पंछी की आवाज, ठंडी ठंडी हवाएं सब कुछ कितना सुंदर है। मन तो करता है की बस यही बस जाऊ...!!!
किंजु ने कहा, " हम्म्म, तो तुम्हे यहाँ रहना है...!!! ( कुछ सोच के मुस्कुराते हुए ) पर अगर तू यहां रहेगी तो उसको कैसे देखेगी ? हम्म, बोल...!!!
जैसे ही किंजू यह बोलती है तो मीठी के चेहरे पे शर्म की लाली छा जाती है। यह देख के किन्जू उसे छेड़ते हुए कहती है की – ओय होय देखो तो मेने तो नाम भी नहीं लिया और अभी से इतना शर्माना जैसे वो तुम्हारे सामने हो और उसने तुम्हे जोर की जादू की झप्पी दे दी हो।
कहते हुए किंजु जोर जोर से हंसने लगती है और मीठी उदास हो जाती है।
मीठी ने कहा, " नही किन्जु में उसे कभी नही बताऊंगी, में अपनी दोस्ती नहीं खो सकती और वैसे भी तुझे तो पता हैं न उसका और हमारा कोई मेल नहीं है, मेरी और उसकी तो कोई बराबरी ही नहीं है, इसलिए मेने सोच लिया है की उसे कभी भी कुछ नहीं बताऊंगी।
किंजु ने कहा, " यह क्या बोल रही हो तुम... अगर तुमने उसे कुछ नही बताया तो उसे थोड़ी पता चलेगा की तु उसे.....!!!
जैसे ही किंजू आगे कुछ कहती की मीठी उसे चुप करा के अपना एक हाथ उसके मुंह के आगे रख देती है...!!!
मीठी ने कहा, " प्लीज किंजू ऐसा मत बोलना वरना बहोत बड़ी प्रॉब्लम हो जायेगी और में नही चाहती की मेरी वजह से किसी को कुछ भी परेशानी हो, इसलिए प्लीज़ यह बात अपने तक ही रखना किसी को भी गलती से भी मत बताना...!!!
किंजु अपने मुंह पर से मीठी का हाथ हटाते हुए– अच्छा चल ठीक है नही बोलूंगी किसी को। पर चल अभी यहां से, तेरी पुजनीय माताजी तुझे पूरे घर में ढूंढ रही है, तुझे पता हैं न की जब तक वो तुझे देख नही लेती उनको एक पल की भी शांति नही मिलती।
मीठी उदास होके – हम्मम, पता हैं मुझे, चल ।
फिर दोनो बहने हाथो में हाथ पकड़े उछलते कूदते हुए अपने घर की तरफ चल पड़ती है।
मीठी... 18 साल की प्यारी और मासूम सी लड़की है। सांवला सा रंग, मीडियम हाइट, लम्बे घने बाल, काली गहरी सी आंखें और उसकी इन आंखों पर चशमा। आंखों में ढेर सारे सपने सजाए मीठी एक मिडिल क्लास फैमिली से है। संस्कार और समझदारी तो कूट कूट के भरी है। हर काम में अव्वल, चाहे पढ़ाई हो या घर के काम। स्कूल में हमेशा टॉप रैंक में आती है इसलिए स्कूल के टीचर भी मीठी को बहुत पसंद करते हैं लेकिन स्कूल के कई बच्चो को आंखों को मीठी बहुत खटकती है।
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उदयपुर शहर.......
एक बड़े से विला के एक बड़ा आलीशान से कमरे में दो लड़के कंप्यूटर पे गेम खेलते हुए एक दूसरे से कॉम्पिटिशन कर रहे थे....!!!
पहला लड़का ने कहा, " देखना इस बार तू हारेगा में तुझे जीतने नही दूंगा।"
दूसरा लड़का कुटिल मुस्कान करते हुए ने कहा, " आदित्य राणा की डिक्शनरी में कभी हारना लिखा ही नहीं।"
करीब 2 मिनट बाद आदित्य जोर जोर से चिल्लाते हुए कहता है "यस.. यस... मेने कहा था ना आदित्य से जितना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। याआआआहुऊऊऊ.."
पहला लड़का उदास होके : क्या यार आदि, तुम हर बार कैसे जीत जाते हो, अरे कभी तो अपनी दोस्ती के खातिर मुझे जीतने दे।
आदित्य उस लड़के के गले में अपनी बांहे डाल के : बेटा रनवीर, तेरे लिए तो में कुछ भी कर सकता हूं लेकिन क्या है ना की मुझे जो पसंद है वो में हर हाल में हासिल करके रहता हूं चाहे वो कोई गेम हो या इंसान। फिर चाहे कोई भी बीच में आ जाए उसे में जितने नही दूंगा।
रनवीर आदित्य का ऐसा जुनून देख कर थोड़ा डर जाता है फिर तिरछी नजरों से मुस्कान देते हुए कहता है : look who's talking, जो हर बार एक ही लड़की से हार जाता है।"
यह कहते हुए रनवीर जोर जोर से हंसने लगता है। उसकी बात सुनकर आदित्य की आंखो में गुस्सा भर जाता है।
आदित्य ने कहा, "कौन वो चश्मिश? हुह? तू देखना इस बार स्कूल में टॉप में ही करूंगा। कुछ भी करके फर्स्ट में ही आऊंगा। उस चश्मिश का तो में ऐसा हाल करूंगा... तब उसे पता चलेगा की उसने किससे पंगा लिया है।"
रनवीर ने कहा, "रिलेक्स ब्रो, छोड़ना, तू उसके लिए अपना मूड क्यों ऑफ कर रहा है, चल तेरे जीतने की खुशी में आज पार्टी करते है।"
आदित्य ने कहा, "ठीक है चल और सबको बुला ले..!!!"
रनवीर ने कहा, "ओके ब्रो...!!!"
आदित्य राणा.... 19 साल का बेहद डैशिंग लड़का, भूरी आंखे, गेहुआ रंग, लंबी हाइट, शॉर्ट टेंपर जो छोटी छोटी बातों में गुस्सा करता है। उदयपुर के बेहद ही रईस खानदान की औलाद और घमंड में चूर जो अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
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part 2 - Friends
आदित्य और उसके दोस्त कैफे में पार्टी कर रहे थे। वो कैफे भी काफी हाई क्लास था जो की आदित्य के पिता का था। जहा सब अमीर लोग ही आते थे। आदित्य अपने दोस्तो के साथ टाइम स्पेंट करने के लिए हमेशा वही जाता था इसलिए उसके नाम की टेबल हमेशा बुक ही रहती है।
आदित्य के फ्रेंड सर्कल में सात लोग है। रनवीर, जसदीप, पूजा, तमन्ना, आद्रिका और विक्की। आदित्य के ग्रुप में सात लोग के बाद आज तक इनका कोई अलग दोस्त नही बन पाया है। स्कूल में मस्ती करना, टीचर को परेशान करने में सबसे आगे है इनका ग्रुप। कहा जाए तो यह सभी आदित्य के बेस्ट फ्रेंड है लेकिन सबसे ज्यादा करीबी दोस्त रनवीर, जसदीप और पूजा ही है। एक पल के लिए आदित्य सब को इग्नोर कर सकता है लेकिन इन तीन की बातो को कभी टाल नही सकता।
सभी मिलके हसी मजाक और इधर उधर की बाते कर रहे थे, और अपना अपना ऑर्डर एंजॉय कर रहे थे। कैफे में धीमा धीमा सा रोमांटिक सॉन्ग बज रहा था। आदित्य रनवीर और पूजा से बाते कर रहा था, वही किसी की नशीली आंखें सिर्फ आदित्य को ही देख रही थी। वो कोई और नहीं अद्रिका थी। आदित्य को अपने उपर किसी की नजरे महसूस हो रही थी लेकिन वो उसे इग्नोर कर रहा था जिससे अद्रीका को मन ही मन गुस्सा भी आ रहा था।
विक्की बर्गर हाथ में लेते हुए : यार आदित्य एक बात बता, ना आज तेरा बर्थडे है और न ही हम सब में से किसी का और न ही आज कोई स्पेशल डे है तो यह ट्रीट किस बात कि दे रहा है तू ?
रनवीर : अरे आदि कभी कोई बिना रीज़न के करता है क्या ? आदि जो भी करता है उसके पीछे कोई न कोई वजह तो होती ही है। क्यों आदि, सही कहा न मेने...!!!
रनवीर की बात सुन के आदित्य सिर्फ एक छोटी सी स्माइल करता है। वही रनवीर की बाते किसी के समझ में नहीं आ रही थी।
तमन्ना... जो रनवीर के पास बैठी हुई थी, वो आदित्य को छेड़ते हुए कहती हैं : अच्छा ऐसा है, तो फिर बता ना ऐसा क्या रीजन है, क्या कोई गर्ल फ्रेंड पटाली है क्या या फिर किसी ने प्रपोज कर दिया है जिसकी खुशी में तू हमें पार्टी दे रहा है... ???
सभी लोग ठहाके लगाके हसने लगते हैं, इस बार आदित्य भी हस पड़ा लेकिन तमन्ना की यह बात आद्रिका को पसंद नहीं आती। आद्रिका बचपन से आदित्य को पसंद करती आई है और अब उसकी एक ही ख्वाहिश रही है और वो है आदित्य की पत्नी और राणा खानदान की बहू बनना। किसी और लड़की का नाम आदित्य के साथ जोड़ता देख उसके चेहरे पर गुस्सा भर जाता हैं।
आद्रिका एटिट्यूट से : नही, ऐसा कभी नहीं होगा। क्यों की आदित्य की लाइफ में सबसे ज्यादा क्लोज में ही हु। क्यों आदि, सही कहा न मेने ?
कहते हुए आद्रिका अपना एक हाथ आदित्य के हाथो पर रख देती है।
वही आदित्य आद्रिका का हाथ हटाते हुए और उसकी बातो को इग्नोर करते हुए बोला : अरे क्या तुम लोग खयाली पुलाव बनाने लगे, अपने पुलाव को गैस से नीचे उतारो । जैसा तुम लोग सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है। यह तो में और वीर गेम खेल रहे थे, उसमे में विनर रहा तो सोचा क्यों न छोटा सा सेलिब्रेशन हो जाए... इस बहाने थोड़ी मस्ती भी हो जायेगी।
पूजा : हा, यह बात तो सही कहा तूने। स्कूल की छुट्टियों में खेलने का मजा ही अलग होता है। सब के साथ बैठना, बाते करना, घूमने जाना, खेलना, मस्ती करना कितना मजा आता है न।
जसदीप : हा, लेकिन अब यह मजा ज्यादा देर तक नहीं रहने वाली। पता है न कि स्कूल खुलने में बस 10 दिन रह गए हैं।
जसदीप की बात सुन के सबका मूड ऑफ हो गया सिवाय आदित्य और पूजा के। क्यों की दोनो को पढ़ाई करना काफी पसंद था और साथ ही जसदीप को भी लेकिन बाकी सभी का पढ़ाई का नाम सुन के तो जैसे सिर दर्द हो गया।
विक्की मुंह बिगड़ते हुए बोला : क्या यार, कितना अच्छा मूड था सबका, तूने सबके मूड पर पानी फेर दिया स्कूल की बात करके।
अद्रिका : विक्की इस राइट जसदीप, तूने तो सारा मजा ही किरकिरा कर दिया। सब तेरी तरह पढ़ाकू नही होते।
जसदीप की स्कूल वाली बात सुनके आदित्य के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और वो बेहद शांत सा बैठ गया। वो पता नही क्या सोच रहा था या शायद उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
उसके शांत होने पर पूजा ने पूछा : आदि, क्या हुआ तुम्हे। तुम एक दम से चुप क्यों हो गए।
विक्की : यह सब इस जसदीप की वजह से।
जसदीप : मेने क्या किया, मेने तो जो था वही बोला इसमें गलत क्या क्या मेने ???
तमन्ना : हा हा ठीक है, तू कभी अपनी गलती नहीं मानेगा। आदि समझाओ इसे यार।।।।
जसदीप : अरे पर...…
आदित्य अपनी कड़क आवाज में बोला : ओके साइलेंस..…...
आदित्य इतना जोर से कहता है की सभी... जो बोल रहे थे वो एक दम से चुप हो जाते हैं और हैरान होके आदित्य को देखने लगते है।
आदित्य : व्हाट्स रॉन्ग विथ यू ऑल ??? दीप ने कुछ गलत नहीं कहा। 10 दिन के बाद हमारा स्कूल स्टार्ट हो रहे हैं। डैड के लेक्चर वापिस स्टार्ट हो जायेंगे। फिर से वही बोरिंग वाली लाइफ। अरे यार परेशान हो गया हु में उनसे। कितने अच्छे मार्क्स लाता हूं में, कितनी पढ़ाई करता हूं यहां तक कि स्पोर्ट्स में भी मैडल और ट्रॉफी लाता हूं लेकिन... लेकिन पता नही उनकी प्रॉब्लम क्या है, वो मेरे किसी काम से कभी खुश नही होते।
रनवीर : रिलैक्स ब्रो, शांत होजा मेरे भाई इतना हाइपर मत हो। देखना एक दिन तुम्हारे डैड जरूर समझेंगे और प्राउड फील करेंगे... !!!
आदित्य : नही, ऐसा कुछ नहीं होगा। एनीवे फ्रैंड्स, में घर जा रहा हु, मेरा अब बिल्कुल भी मन नही है, तुम लोग एन्जॉय करो, byeee....…
कहते हुए आदित्य जाने लगता है और आद्रिका उसका नाम पुकारते हुए उसके पीछे पीछे जाने लगती है......
आद्रिका : अरे लेकिन आदि, Listen... सुनो तो मेरी बात । में भी तुम्हारे साथ चलूंगी, मुझे अपने साथ ले चलो प्लीज। तुम मुझे ऐसे छोड़ के नही जा सकते ।
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part 3 - family....
आद्रिका : अरे लेकिन आदि, Listen... सुनो तो मेरी बात । में भी तुम्हारे साथ चलूंगी, मुझे अपने साथ ले चलो प्लीज। तुम मुझे ऐसे छोड़ के नही जा सकते ।
आद्रिका उठते हुए आदित्य के पीछे जाने लगी की तभी जसदीप उसे रोक देता है...
जसदीप : आद्रिका, जाने दो उसे। मुझे पता है जब उसका मूड उखड़ा होता है तब वो किसी की नही सुनता। थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा।
आद्रिका गुस्से से बोली : मुझे नही बैठना तुम जैसे मिडिल क्लास के साथ। सब तेरी वजह से हुआ है, बेचारा मेरा आदि। वो चला गया सिर्फ तुम्हारी वजह से। और वैसे भी तुम्हे तो फ्री फोगट का खाना मिल रहा है ना तो तुम ठुसो, में भी घर जा रही हु।
आद्रिका की बात सुनके जसदीप की आंखो में नमी आ गई। जसदीप के मिडिल क्लास होने की वजह से आद्रिका उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करती थी इसलिए कभी कबार जब आदित्य नही होता था तब वो जसदीप को जी भर कर सुना देती थी, उसे हमेशा नीचा दिखाती थी जिससे जसदीप काफी हर्ट हो जाता था ।
पूजा : दीप, तुम टेंशन ना लो। आदि तुम्हारी वजह से नही गया इसलिए तुम फिक्र मत करो, हम है ना। और आद्रिका की बात को सीरियसली मत लो तुमको तो पता है ना कि वो कैसी है। चलो, यह लो, तुम्हारा फैवरेट सैंडविच खाओ।
पूजा सैंडविच जसदीप की तरफ बढ़ा देती है और जसदीप एक फीकी सी स्माइल करते हुए उसको खा लेता है। कुछ ही देर बाद सभी अपने अपने घर पर चले जाते है।
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राधनपुर गांव.....
अग्रवाल सदन....
छोटा सा लेकिन बहुत खूबसूरत सा घर... जिसकी नींव संस्कार, प्यार और अपनेपन पे टिकी हुई थी। अग्रवाल सदन के अंदर एक छोटा सा गार्डन है... जिसमे कई सारे छोटे छोटे पैड पौधे लगे हुए थे। मीठी को पैड पौधो से काफी लगाव है और वो उनका काफी खयाल रखती है। अंदर जाते ही हॉल आता है... हॉल के राइट साइड किचन और हॉल की लेफ्ट साइड एक छोटा सा रूम और उसके पास सीडी थी... जो दूसरे फ्लोर तक जाती थी।
अग्रवाल सदन में सभी मिल झूल के रहते हैं...!!! जिनमे...
तनुश्री अग्रवाल : घर की मुखिया, मीठी और किंजल की दादी
राम अग्रवाल : मीठी के पिता
नीतू अग्रवाल : मीठी की मां
प्रतीक अग्रवाल : मीठी का छोटा भाई
वैशल अग्रवाल : मीठी के चाचा और किंजल के पिता
नवी अग्रवाल : मीठी की चाची और किंजल की मां
नीतू अग्रवाल और नवी अग्रवाल दोनो सगी बहनें हैं... लेकिन दोनो के स्वभाव बेहद अलग। जहा नीतू जी बेहद स्ट्रिक्ट है वही नवी जी थोड़ी सी मजाकिया । किंजल हूबहू अपनी मां को कॉपी है... दिखने में भी और स्वभाव में भी। मीठी किंजल से 15 दिन बड़ी है। जहा मीठी दिखने में सांवली ... वही किंजल काफी खूबसूरत...!!!
मीठी और किंजल ने जैसे ही घर में कदम रखा की तभी एक रौबदार आवाज आई : रुक जाओ वही...!!!
यह सुन के दोनो के चेहरों पर गभराहट आ जाती है। जिसने आवाज लगाई वो मीठी की मां नीतू अग्रवाल थी । मीठी अपनी मां से बहुत डरती है।
हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहने... चेहरे पर चमक और आंखो में गुस्सा लिए नीतू जी... मीठी और किंजल को घूर रही थी।
नीतू : कितनी बार कहना पड़ेगा कि लड़कियों का घर से देर तक बाहर रहना अच्छा नहीं है। मेने तुम दोनो को आधे घण्टे में वापिस आने को कहा था और अभी 45 मिनिट हो गए है... कहा थी तुम दोनो अब तक और क्या कर रही थी ???
मीठी डरते हुए : वो.... मां वो में.... वहा...
नीतू : वो में वो में क्या लगा रखा है हां..??? में तुम दोनो को बाहर जाने की इजाजत देती हूं... इसका मतलब यह नहीं कि अपनी मर्जी में आए वो करो... यह वहा घूमो। बताओ क्या कर रही थी...???
नीतू जी की बात सुन कर मीठी के गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी और उसकी आंखो में पानी आ जाता है...!!!
किंजल थोड़ी हिम्मत करते हुए बोली : वो... मासी मां... मंदिर में आज आरती थोड़ी देर से शुरू हुई... तो हम तब तक तालाब के पास ही थे... बस थोड़ी देर बैठे थे और वापिस बाते करते हुए आ रहे थे तो थोड़ी देर हो गई ...!!!
नीतू : बाते करते करते आ रहे थे ... ऐसी भी क्या बाते करनी होती हैं तुम दोनो को। घर में पूरा दिन साथ रहती हो तब बाते नही करने को मिलती जो बाहर जाके करनी पड़ती है.... बोलो कुछ...!!!!
किंजल धीरे से : आप बोलने दोगी तब ना..!!!
नीतू : क्या बोली तुम जोर से बोलो ।
किंजल : कु.. कुछ नही... मासी मां... में बोल रही थी की...
नीतू जी अपना एक हाथ दिखाकर बोली : बस... बहुत हो गई तुम दोनो की बाते। अब जाओ रसोई के कामों में हाथ बटाओ चलो...!!!
तभी राम जी बहार से घर के अंदर आते हुए कहते है की - अरे भाग्यवान, क्यों सुबह शाम बच्चीओ को परेशान करती रहती हो... अब इस उम्र में खेल कूद ना करे तो क्या हमारी उम्र में करे...
नीतू - आप तो चुप ही रहिये। ये सब आपकी ही वजह से होता है। आप इनको हमेशा बचाते रहते हो, तभी ये अपनी मनमानी पर उतर आई है। पर निकल आये है दोनों के, खास कर के आपकी उस छोटी लाड़ली के। ( किंजल के )
तनुश्री जी अपना चश्मा ठीक करते हुए वहा आ पहोची और बोली - सही कह रही है बहु। सालो पहले हमारे घर में जो हुआ... उस बात से दोनों अनजान कोणी... इतना तोह दोनों को समझना चाहिए की देर तक छोरिओ का घर से बहार रहना नहीं चाहिए। हमेशा तौर तरीको के साथ ही रहना पड़े। वरना आज कल को समाज चार बाते बना देवे है..।
राम - माँ, आपकी बात सही है लेकिन बच्चो को घर में कैद करके भी नहीं नहीं रखना चाहिए। ऐसे तोह उनके दिमाग पर प्रभाव पड़ सकता है, थोड़ी देर के लिए ही सही उनका मूड अच्छा रहता है। और वैसे भी हमारी बच्चियाँ तो संस्कारी है, हमारा खून दौड़ रहा है उन दोनों में। मुझे अपनी बच्चियों पर पूरा विश्वास है, वह कभी ऐसा गलत कदम नहीं उठाएगी।
अपने पापा की बात सुन के मीठी की आँखों मे से आंसू बहार आने ही वाले होते है की वो उसे पोछ देती है...
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part 4 - Strict parents....
अपने पापा की बात सुन के मीठी की आँखों मे से आंसू बहार आने ही वाले होते है की वो उसे पोछ देती है... ऐसा करते हुए किंजल उसको देख लेती है... उसको मीठी के लिए काफी बुरा लगता है।
तनुश्री जी कुछ याद करते हुए - संस्कारी तो वो भी थी लेकिन के किया उसने... हमारी नाक के निचे से ही...
इतना बोलने के साथ ही उनके आँखों में आँशु आ जाते है यह देखके मीठी जल्दी से अपनी दादी के पास जाती है और उनके आंसू पोछते हुए कहती है - दादी... दादी आप परेशान ना हो। में कभी भी अपनी जिंदगी में ऐसा कदम नहीं उठाउंगी... जिससे मेरे माँ पापा का सर झुक जाये... में कभी कोई गलत काम नहीं करुँगी... जिससे मेरे परिवार को किसी के ताने सुनने पड़े। यह मेरा वादा है आपसे। मुझपे भरोसा रखो दादी।
अपनी बेटी की बात सुनके राम जी और नीतू जी के मन में ख़ुशी की लहार दौड़ जाती है। तभी नवी जी वहा आके माहौल हल्का करने की कोशिश करते हुए कहती है - चलो, बस... बहुत हो गया रोना धोना... अभी सब बीती बाते छोडो और देखो मेने सबके लिए आलू के पकोड़े बनाये है।
किंजल - वाह मम्मी, आलू के पकोड़े... देखते ही मुँह में पानी आ गया। मुझे तोह बहुत भूख लगी है।
किंजल जैसे ही पकोड़े को हाथ लगाने वाली होती है की तभी नवी जी अपने हाथ में पकड़ी उस थाल को साइड में कर देती है...!!!
नवी - रे बावरी छोरी, थारे को कोई शर्म लाज है के कोणी। अठे सब बड़े बैठे है थारे सामने ... इतनी भी तमीज़ नहीं की पहले बड़ो को खाने दो फिर तुम खाओ। चलो, अब हटो।
अपनी मम्मी की बात सुनके किंजल चिढ जाती है. फिर नवी जी सभी को गरमा गरम पकोड़े और साथ में चाय देती है। उसके बाद मीठी और किंजल के आगे प्लेट करते हुए कहती है - यह लो, तुम तीनो के लिए। जाओ ऊपर छत पर प्रतिक बैठा है... वह जाके खाओ लेकिन झगड़ना नहीं है, म्हारी बात समझमे आई...!!!
किंजल अपने हर बोल पर जोर लगाते हुए बोली - जी मम्मी जी ...!!!
फिर दोनों प्लेट लेके छत पर चली जाती है...
उनके जाने के बाद राम जी अपनी माँ तनुश्री जी से कहते है - माँ, आपसे विनती है... आप बार बार उसकी बात बच्चो के सामने मत कीजिये।
तनुश्री - क्यों...??? उन्ही के सामने ही तो यह सब हुआ है और इस बात से दोनों अनजान कोणी। दोनों उसकी करतूत के बारे में अच्छी तरह जाने है।
राम - हां माँ, लेकिन फिर भी में तोह बस...
तभी नीतू जी अपनी आँखों से कुछ इशारा करती है और शांत रहने को कहती है। उसके बाद राम जी आगे कुछ नहीं कहते।
नीतू - माँ, आप चलिए अपने कमरे में... आपकी दवाई लेने का समय हो गया है।
नीतू जी और तनुश्री जी कमरे में चली जाती है। तनुश्री जी वैसे तोह काफी पुरानी सोचवाली है, जिनका मानना है की लड़कीओ को हमेशा चार दीवारी के अंदर ही रहना चाहिए और कभी भी अपनी मर्यादा लांघनी नहीं चाहिए। कुछ ऐसा ही नीतू जी के मन में भी है पर नीतू जी पहले ऐसी नहीं थी कुछ राज़ के चलते इनकी सोच ऐसी हो गयी है पर राम जी के मन में ऐसा कुछ नहीं था। भले ही उनको चिंता है लेकिन मीठी और किंजल को किसी चीज़ के लिए रोका नहीं। वो दोनों कही बिगड़ न जाये और किसी गलत रस्ते पर न चले इसलिए नीतू जी उनके साथ हमेशा स्क्ट्रिक्ट रहती है।
यहाँ छत पर किंजल और प्रतिक पकोड़े के लिए एकदूसरे से लड़ रहे थे...
किंजल प्रतिक के हाथो से प्लेट को खिचंते हुए - ओये मोटे बस कर, तूने सब पकोड़े खा लिए, मुझे तोह बहुत कम मिले। तुझे तोह पता है न की मुझे आलू के पकोड़े कितने पसंद है। अरे बस भी कर, खा खा के मोटा हो गया है तू... कोई लड़की भी पसंद नहीं करेगी तुझे देखना।
प्रतिक - क्या है जीजी, खाने दो न। कितने टाइम के बाद गाँव में आके पकोड़े खाने को मिल रहे है। और एक बात... मुझे किसी लड़की में इंट्रेस्ट नहीं है और जिसको भी मुझमे इंट्रेस्ट होगा वो खुद एडजस्ट करेगी... और वो ही होगी मेर सच्ची SOULMATE, समझी मेरी पगली बहना।
कहते हुए प्रतिक किंजल के गालो को पिंच करता है। मीठी और किंजल अपने भाई प्रतिक की ऐसी बाते सुनके शौक हो जाती है और एक दुसरे की तरफ देखती है फिर प्रतिक की तरफ...!!!
किंजल - वाह भाई, तेरी बातो से तो लगता है की तू बहुत आगे जायेगा।
प्रतिक अपनी दोनों बहनो के गालों को खींचते हुए हुए - में आगे जाऊंगा नहीं बल्कि में आगे हु।
फिर भागके निचे तरफ चला जाता है। वही मीठी और किंजल आँखे फाडे प्रतिक जाते हुए देखती रही... फिर एकदूसरे की और देख के एकदम से हस पड़ी।
कुछ देर बाद किंजल मीठी की तरफ देख के कहती है - मीठी, स्कूल खुलने में 10 दिन ही रह गए है...!!!
किंजल की बात सुनके मीठी के दिल में हलचल होने लगती है। उसके दिमाग में किसी का चेहरा आ जाता है।
किंजल - तू तो काफी एक्ससिटेड होगी न, है ना, बोलना यार चुप क्यों है...!!!
मीठी - अरे अरे बस, तू बोलने देगी तभी तोह में कुछ कह पाऊँगी ना। सच कहु तो, हां, एक्सीटेंड तोह हु। रोज़ उसको देखना, मैथ्स की प्रॉब्लम सॉल्व करना, फिर साथ में बैठ के होमवर्क करना, सब बहुत अच्छा सा लगता है। लेकिन...!!!
किंजल - लेकिन क्या मीठी...???
मीठी एक लंबी सांस लेके - लेकिन यह सिर्फ मेरी तरफ से है। में नहीं चाहती की यह बात उस तक पहुंचे, सिर्फ उस तक ही नहीं बल्कि किसी तक भी नहीं। अगर गलती से भी उसे पता चल गया तोह मेरी दोस्ती भी ख़तम हो जाएगी और हमारे परिवार के मानसम्मान पर भी असर पड़ेगा। तुझे तोह पता है न सालो पहले क्या हुआ था... उस बात को लेकर दादी और माँ आज तक वैसे ही परेशान रहते है। इसीलिए में नहीं चाहती की उन्हें और चोट पहुंचे।
किंजल - हम्म, बात तोह तेरी सही है लेकिन यार हमारे भी तो कुछ सपने है, हम भी बहार जाना है, दोस्त बनाना चाहते है, घूमना चाहते है... ऐसे घर में कैद नहीं रहना चाहते।
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part 5 - आपसी मनमोटाव
किंजल - हम्म, बात तोह तेरी सही है लेकिन यार हमारे भी तो कुछ सपने है, हम भी बहार जाना है, दोस्त बनाना चाहते है, घूमना चाहते है... ऐसे घर में कैद नहीं रहना चाहते।
मीठी - लेकिन दादी और माँ को यह पसंद नहीं।
किंजल थोड़ा गुस्सा होके - यार यह भी कोई बात हुई, अरे किसी और की वजह से हम क्यों अपने सपनो का गाला घोटे। सब हम ही क्यों सहन करे, क्यों एक लड़की को आज़ाद घूमने का हक़ नहीं, क्यों एक लड़की को अपने सपने पुरे करने का अधिकार नहीं, क्यों एक लड़की को अपना soulmate खुद चुनने का अधिकार नहीं...???
मीठी - अब यह बात दादी और माँ से पूछनी पड़ेगी...!!!
यह सुनके किंजल के चेहरे पे छोटी सी स्माइल आ जाती है, फिर वो कुछ सोचते हुए बोलती है - वो सब तो ठिक है लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही...!!!
मीठी - क्या ?
किंजल - यही की... देख, वो भी तोह कितना इंटेलिजेंट है स्टडी में, सभी में एक्सपर्ट है, ऐसा कोई काम नहीं जो उसको ना आता हो, फिर भी वो अपनी प्रॉब्लम लेके तेरे पास क्यों आता है... जबकि वह खुद भी इतना केपेबल है ?
मीठी - यह तोह मुझे भी नहीं पता। छोड़ना क्या फरक पड़ता है, हमे तोह पढाई से मलतब है न की दूसरो से।
किंजल सोचते हुए - फरक पड़ता है मीठी, बहुत फरक पड़ता है। तू तो बहुत भोली है, और इसी बात का डर है मुझे की कही तेरे भोलेपन का कोई फायदा न उठा ले। पता नहीं यह सच में दोस्ती है या एक छलावा। पर... पर कुछ भी हो में तेरे साथ कभी कुछ गलत नहीं होने दूंगी।
मीठी किंजल को ऐसे सोच में डूबे देख कहती है - क्या हुआ किंजू, इतना क्या सोचने लगी है तू ??
किंजल - अरे, कुछ नहीं। चल निचे चलते है, बहुत काम बाकी है वरना हमारे घर की दोनों हिटलर सारा राशन पानी लेके हमारे ऊपर चढ़ जाएगी।
मीठी हस्ते हुए - चुप कर, क्या कुछ भी बोलती रहती है। अगर दोनों मे से किसी एक ने भी सुन लिया ना तो सबसे पहले तेरी ही बलि चढ़ जाएगी।
किंजल - बात तोह तेरी सही है।
फिर दोनों हस्ते हुए रसोई में चली जाती है...
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उदयपुर शहर...
राणा मेन्शन...
एक बड़ा सा बंगला... जिसके चारो और गार्डन फैला हुआ था... जिनमे कई तरह के पैड, पौधे, रंगबेरंगी फूल, गेट से अंदर आते ही एक बहुत बड़ा सा फाउंटेन जिनमे से आती पानी की आवाज... कोई भी आये तोह ऐसा मनमोहक दृश्य को देखता ही रह जाए। बंगलो के बहार और अंदर कई सारेे गार्ड्स भी तेहनात थे।
राणा मेन्शन के सदस्य...
चरण राणा - राणा मेन्शन के मुखिया और आदित्य के दादा
भाग्यलक्ष्मी राणा - आदित्य की दादी
हिरदेश राणा - आदित्य के पिता
एकता राणा - आदित्य की माँ
रोहित राणा - आदित्य का बड़ा भाई।
इन्दर राणा - आदित्य के चाचा
लवली राणा - आदित्य की चाची
नेहा राणा - इन्दर और लवली की बेटी... रोहित और आदित्य की छोटी बहन
आदित्य कैफ़े से अपने घर लौट आया था। वो उदयपुर के काफी रीच एरिया में रहता है जहा बड़े बड़े राजनीतिक नेता, फिल्म स्टार, बिजनेसमैन रहते है। आदित्य अपने घर में आके बिना किसी की तरफ देखे सीधा अपने रूम की तरफ बढ़ने लगता है और तभी सोफे पे बैठे हुए एक आदमी की आवाज आती है - सुबह सुबह कहा से आ रहे हो बरखुरदार ? करली मौज मस्ती या अभी भी कुछ बाकी रह गया है ?
आदित्य के पैर उस आवाज को सुन के रुक जाते है। उसको गुस्सा आने लगता है और अपने आसपास देखने लगता है फिर पीछे मूड के उस आदमी की तरफ देख के कहता है - में कही भी जाऊ, जिससे भी मिलु, आपको उससे क्या ??
जिसने आवाज़ लगाई थी वो आदित्य के पिता हिरदेश राणा थे, जो अपने बेटे को आते देख उसको टोंट मार रहे थे। आदित्य और हिरदेश जी की आपस में बिलकुल भी नहीं बनती।
हिरदेश जी जोर से - जबान संभल के बात करो आदित्य... यही सिखाया है मेने तुमको, अपने डिसिप्लिन में रहना सीखो... इस तरह से बड़ो से बात की जाती है क्या ???
आदित्य - डिसिप्लिन माय फुट...!!! यह जो आपका डिसिप्लिन है ना... उसको अपने स्कूल में रखिये। में घर में आपके कोई डिसिप्लिन को नहीं मानने वाला... समझे आप...!!!
हिरदेश - अपनी हद में रहो आदित्य...!!! मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर मत करो... जो तुम्हे अच्छा ना लगे।
आदित्य - हंह...!!! आपने आज तक मेरे लिए किया ही क्या है डैड... जो आगे कुछ करोगे।
हिरदेश जी हैरान होके आदित्य को देखने लगते है। बाप बेटे की झगड़ो की आवाज सुन के सब बहार आ जाते है, सिवाय आदित्य के दादा चरण राणा और उसके चाचा इन्दर राणा के। क्यों की दोनों ही इस वक़्त घर में नहीं थे...!!!
आदित्य - बोलो न डैड... आपने आज तक ऐसा क्या किया है जो मुझे अच्छा लगे हां ? जो भी किया है मेने किया है...!!! अरे क्या कुछ नहीं किया मेने आपको खुश करने के लिए... मेने हर एक चीज़ में अच्छा परफॉर्म किया है... फिर चाहे वो स्टडी हो, स्पोर्ट्स हो, डान्सिंग हो या सिंगिंग, एक्टिंग ड्रामा, कराटे, बॉक्सिंग मैच, स्विमिंग... सभी में मेने मेडल्स और ट्रॉफ़ी जीता है। लेकिन पता नहीं आपको मुझसे क्या प्रॉब्लम है मुझे तोह समझ ही नहीं आता।
आदित्य की बात सुनके हिरदेश जी की आँखों में नमी आ जाती है। पर आदित्य का बोलना अभी बंध नहीं हुआ। वो आगे कहता है - हर काम... हर एक फिल्ड में मेने नाम कमाया... जिससे आपको खुश कर सकू, प्राउड फील करा सकू लेकिन आपको वह भी नहीं दीखता, आपको मेरे एफर्ट ही नहीं दीखते...!!! दिखेंगे भी कैसे... आपको तो वो चश्मिश जो दिखती है।
हिरदेश जी जोर से चिल्लाते हुए - आदित्य.........
आदित्य भी उसी तरह जवाब देता है - चिल्लाइये मत डैड...!!! क्या गलत कहा मेने... बताइये क्या गलत कहा। जब से वो स्कूल में आई है ना.... आपने तो मेरी तरफ देखना ही छोड़ दिया है। हर बात में आपको तो बस वो ही दिखाई देती है...!!! अरे ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने आप पर... जो हर बार उसका सपोर्ट करते है आप। आपके मुँह से हर वक़्त सिर्फ उसका ही नाम सुना है मेने। डैड, आप पहले तो ऐसे नहीं थे। ये... ये जो हो रहा है न यहाँ पे... हमारे घर में... उसी की वजह से तो हो रहा है। मुझे तोह कभी कभी ऐसा लगता है जैसे... जैसे में आपका बेटा नहीं बल्कि वह आपकी बेटी है...!!!
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continue.....
part 6 - रिश्तो में दरार
आदित्य भी उसी तरह जवाब देता है - चिल्लाइये मत डैड...!!! क्या गलत कहा मेने... बताइये क्या गलत कहा। जब से वो स्कूल में आई है ना.... आपने तो मेरी तरफ देखना ही छोड़ दिया है। हर बात में आपको तो बस वो ही दिखाई देती है...!!! अरे ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने आप पर... जो हर बार उसका सपोर्ट करते है आप। आपके मुँह से हर वक़्त सिर्फ उसका ही नाम सुना है मेने। डैड, आप पहले तो ऐसे नहीं थे। ये... ये जो हो रहा है न यहाँ पे... हमारे घर में... उसी की वजह से तो हो रहा है। मुझे तोह कभी कभी ऐसा लगता है जैसे... जैसे में आपका बेटा नहीं बल्कि वह आपकी बेटी है...!!!
एकता जी गुस्से से - आदित्य, ये क्या बकवास कर रहे हो... तुम्हे पता भी है क्या बोल रहे हो तुम ?? तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई किसी भी लड़की का नाम इस घर से जोड़ने की ?
आदित्य - मॉम, ये बात आप डैड से पूछिए...!!! क्यों की आज कल डैड उसकी तरफदारी ज्यादा कर रहे है। सोते, जागते, उठते, बैठते यहाँ तक की खाते वक़्त भी उनके मुंह पे उस दो कौड़ी लड़की का ही नाम रहता है।
हिरदेश जी गुस्से से - बस... बहुत हो गया आदित्य। बहुत बोल लिया तुमने और बहुत सुन लिया मेने। तुम्हे पता ही क्या है उस बच्ची के बारे में, तुम जानते ही क्या हो और....
आदित्य हिरदेश जी की बात काटते हुए बोला - और मुझे उसको जानने में जरा सी भी दिलचस्पी नहीं है डैड...!!! आपको जो करना हो कीजिये और मुझे जो करना है में वो ही करूँगा। क्यों की मुझे अब समझ आ गया है की... आपके लिए कितना ही कुछ क्यों न करलु में आपकी नज़रो में हमेशा निकम्मा ही रहूँगा। अब में आपको खुश करने के लिए और मेहनत नहीं करने वाला, अब में जो कुछ भी करूँगा... अपने लिए ही करूँगा। समझे आप...!!!
कहते हुए आदित्य अपने रूम की तरफ बढ़ जाता है...
एकता जी हिरदेश जी को गुस्से से बोली - आप हर बार क्यों उसे परेशान करते है। अरे इतना कुछ तो करता है आपको खुश करने के लिए और आपको क्या चाहिए, और ऐसा भी है उस लड़की में जिसको आपने इतना सिर पे बिठा रखा है।
हिरदेश - आप तो कुछ बोले ही मत...!!! ये सब आपके ही लाड लड़ाने का नतीजा है इतनी सी उम्र में अपने पिता से किस तरह से बात करता है आपने देखा नहीं क्या ? और रही बात उस लड़की की...तो वो लड़की हमारे आदित्य से कई गुना ज्यादा होशियार है। में आदित्य को गलत नहीं ठहरा रहा... में बस इतना चाहता हु की आदित्य उसकी तरह बने, उससे कुछ सीखे। लेकिन पता नहीं आपने उसको क्या क्या सीखा रखा है, बिगड़ गया है वो पूरा।
एकता जी अपनी सास भाग्यलक्ष्मी जी से कहती है - माँ, आप बताइये... क्या अपने बेटे की विश पूरी करना गलत बात है ? जब एक बेटा अपनी माँ से कुछ उम्मीद कर रहा है, कुछ मांग रहा है तो क्या माँ को अपने बेटे की विश पूरी नहीं चाहिए ??
हिरदेश - बिलकुल करनी चाहिए एकता...!!! लेकिन आप जो कर रही है वो गलत है, आप उसको गलत शिक्षा दे रही है आप अपने बेटे के प्यार में अंधी हो चुकी है। आपको ये नहीं दीख रहा... की आपका बेटा जो कर रहा है वो सही या गलत। रोहित को देखो, यहाँ रहता था तब भी डिसिप्लिन में रहता था और न्यू यॉर्क में भी उस तरह रेह रहा है। जबकि वहाँ उसे रोक टोक करने वाला कोई नहीं है। मेरी दी हुई हर एक सिख को आज तक निभा रहा है। वह आदित्य की तरह गैर जिम्मेदार बिलकुल भी नहीं है।
एकता - लेकिन...
हिरदेश - बस... आज का ड्रामा बहुत हो गया मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है, वैसे भी यहाँ किसी को कुछ कहना ही बेकार है, सबको बस अपनी ही पड़ी है। माँ, में ऑफिस जा रहा हु।
भाग्यलक्ष्मी - एकता, हिरदेश का कहना भी सही है कभी कभी बच्चो की जिद उनकी जिंदगी पे हावी हो जाती है, उसके सहारे वो गलत रास्ते पर चल पड़ते है... क्यों की उन्हें कोई टेंशन नहीं रहती की वे कुछ भी करे उनके पीछे माँ बाप खड़े है न उनकी गलती पर पर्दा डालने के लिए। तुमने देखा न... आज कल आदित्य अपने पापा से कैसे बर्ताव कर रहा है, वो सही नहीं है बेटा। वक़्त रहते संभल लेना चाहिए। उसकी जिद्द पर लिमिट लगाओ, कही ऐसा ना हो की आदित्य तुम्हारे हाथो से निकल जाये और तुम्हे जिंदगीभर सिर्फ पछताना पड़े, मेरी बातो को अच्छे से सोचना समझना... ठीक है। में मंदिर जाके आती हु।
उनके जाने के बाद एकता जी खुद से कहती है - नहीं... ऐसा कभी नहीं होगा। सही कहा आदित्य ने, ये सब उस लड़की की वजह से हो रहा है उसकी वजह से मेरा बच्चा इतना परेशान है, उसकी वजह से हिरदेश कितना बदल गए है। उस लड़की को तो में छोडूंगी नहीं। पर... पर वो है कौन, पता करना पड़ेगा। लेकिन उससे पहले आदि का मूड ठीक करना होगा।
एकता जी किचेन में चली जाती है। पर इन सब केअलावा कोई और भी था जो ये सब देख के अंदर ही अंदर खुश हो रहा था वह थी आदित्य की चाची लवली राणा। लवली जी ऊपर पिलर के पास खड़ी सब देख रही थी। उनको इन सब से कुछ ख़ास फरक नहीं पड़ रहा था... क्यों की आज कल ये आम बात हो रही थी। आदित्य और हिरदेश जी के बिच पड़ती दरार और रोज़ आये दिन राणा मेन्शन में हो रहे झगडे को देख लवली जी को बहुत मजा आ रहे था।
लवली जी कुटिल मुस्कान के साथ बोली - लड़ो... और लड़ो फिर लड़ लड़ के एक दुसरे को ही मार डालो, ताकि इस पुरे राणा मेंशन पर मेरा राज हो सके।
लवली जी का नाम भले ही लवली था लेकिन वह दिल की लवली बिलकुल भी नहीं थी। इस वक़्त चरण जी नहीं थे इसलिए आदित्य अपने पापा से इतना बोल पाया था। वरना चरण जी के रहते वो अपना मुँह भी नहीं खोल पता था। वो डरता था चरण जी से क्यों की उसको जितनी भी फ्रीडम मिल रही थी... वो सब उसके दादा चरण जी की वजह से ही मिल रही थी। अगर चरण जी चाहते तो आदित्य का घर से बहार निकलना भी मुश्किल हो जाता।
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part 7 - Jigar Chaudhary
चरण जी को ये बात पता थी... की आदित्य और हिरदेश जी के बीच आये दिन कुछ न कुछ खटपट होती रहती है लेकिन कभी कभी बात इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी ये नहीं पता था। पर कभी कबार वे भी अपने पोते की मोह में हिरदेश जी को फटकार लगा देते थे... इस बात से आदित्य काफी खुश भी हो जाता, पर उसकी ये ख़ुशी ज्यादा देर तक टिकती नहीं थी। चरण जी हिरदेश जी के साथ साथ आदित्य को भी काफी सख्त हिदायत के साथ डांटते थे, इसलिए आदित्य चरण जी के रहते अपने डैड को कुछ ना बोल पाता।
शाम होने चली थी। उधर राधनपुर में मीठी और किंजल छत पे बैठी चाय पि रही थी... की तभी प्रतिक वहा आता है और जोर जोर से चिल्लाने लगता है...
प्रतिक - सुनो... सुनो... सुनो, भाईओ और उनकी बहनो। नहीं... नहीं, एक मिनिट यहाँ भाई तो है ही नहीं। यहाँ तो सिर्फ बहने ही है। हां तो बहनों और बहनो... दिल थाम के बैठो क्यों की आपके दिल की धड़कन रुकने वाली है।
किंजल - मोटे, तू कहना क्या चाहता है... साफ़ साफ़ बोलना।
प्रतिक - ओहो जीजी, क्या आप थोड़ी देर के लिए चुप नहीं रह सकती। कितना मस्त ड्रामा कर रहा था।
मीठी - प्रतिक, क्या कर रहे हो तुम ? और ऐसी कौनसी खबर है जो तुम हमारी धड़कने रुकवाना चाहते हो ?
प्रतिक - अरे जीजी, बहुत ही अच्छी खबर है। इसलिए कृपया करके आप दोनों चुप चाप बैठी रहिये।
मीठी और किंजल अपनी एक उंगली मुँह पर रख के चुप चाप अच्छे स्टूडेंट की तरह बैठ जाती है...
प्रतिक - हाँ तो में कहा था... हां, याद आया...!!! हाँ तो बहनो अपना दिल थाम के बैठो...!!!
किंजल - अरे यार, कितना टाइम दिल थाम के बैठना पड़ेगा ?
प्रतिक चिढ़ते हुए - जाओ, मुझे किसी से कुछ नहीं कहना।
वो गुस्से से निचे जाने लगता है। उसे जाता देख मीठी जल्दी से किंजल को डांटते हुए कहती है - क्या यार किंजू, देख हो गया न गुस्सा। तू थोड़ी देर चुप रहना।
किंजल बुरा सा मुँह बनाके - अच्छा ठीक है, चल मोटे आजा... नहीं बोलूंगी अब। बोल तुझे जो बोलना है।
प्रतिक - पहले मुझे सॉरी कहो... उसके बाद ही बताऊंगा।
किंजल - चल बे, आया बड़ा। में कोई सॉरी वोरी नहीं बोलने वाली।
प्रतिक - ठीक है फिर में जाता हु। में तो तुम दोनों के लिए सरप्राइज लेके आया था... लेकिन अगर तुमको नहीं देखना तो कोई बात नहीं।
कहके वो जाने लगता है। यह देख के मीठी और किंजल को बुरा लगने लगता है। इसलिए किंजल जल्दी से प्रतिक के सामने जाके खड़ी हो जाती है और प्रतिक के दोनों कान पकड़ लेती है।
किंजल - अले अले मेरा प्यारा सा, मोटा सा, क्यूट सा भाई बुरा मान गया...!!! सॉरी, चल अपनी जीजी को माफ़ करदे, अब में पक्का कुछ भी नहीं कहूँगी... तेरी कसम।
प्रतिक अपनेआप को छुड़ाते हुए - अरे जीजी, क्या कर रही हो ? ऐसे कौन मांगता है माफ़ी ? छोडो मुझे दर्द हो रहा है...!!!
मीठी हस्ते हुए - किंजू, अब छोड़ भी दे उसे... वरना कान टुटके हाथ में आ जायेंगे।
किंजल - अच्छा चल ठीक है, तुम कहती हो तो छोड़ देती हु। चल अब जल्दी से बता वो सरप्राइज क्या है... क्यों की मुझसे अब और सब्र नहीं हो रहा।
मीठी - हां प्रतिक, अब जल्दी से बता दो...!!! मुझे भी जानना है।
प्रतिक - ठीक है ठीक है बताता हु, तो मेरी प्यारी सिस्टर... अब आपके सामने वो आ रहा है... जिसको देखते ही आप उछल पड़ोगे, लेकिन इतना भी मत उछलना की छत से निचे ही गिर जाओ, बताओ... बताओ वो है कौन ?
मीठी और किंजल को कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए वे दोनों अपना सिर ना में हिला देती है...
प्रतिक - चलो कोई बात नहीं में ही बता देता हु अरे बताता हु क्या दिखा ही देता हु... 3... 2... 1... टाडा......
उसके बाद वो दरवाजे से हट जाता है। मीठी और किंजल देखती है की वहा उन दोनों के हमउम्र का लड़का खड़ा होता है... जिसको देखते ही दोनों के चेहरे पर ना बया करने वाली मुस्कराहट आ जाती है फिर दोनों भागके उस लड़के के गले लग जाती है।
जिगर चौधरी... मीठी और किंजल का बेहद ख़ास दोस्त। गोरा रंग, घुंघराले बाल, गले में रुद्राक्ष का लॉकेट, कानो में दो छोटी छोटी बालिया। राधनपुर गांव के सरपंच का बेटा। लड़कीओ की इज़्ज़त करने वाला, घमंड ना मात्र। बेहद ही साफ़ दिल का लड़का। कुलमिलाके एक दम हैंडसम राजस्थानी बंदा । वैसे गांव की कई लड़किया जिगर पर लट्टू भी है... पर जिगर ने आज तक किसी लड़की को गलत नजरो से देखा नही।
मीठी और किंजल दोनों जिगर के गले रही होती है की तभी प्रतिक की आवाज आती है - लगता है यहाँ बाढ़ आने वाली है। हमे कही और रहने का बंदोबस्त करना पड़ेगा।
प्रतिक की बात सुनके तीनो अलग होते है और असमझ में प्रतिक को देखते है क्यों की उसकी बाते तीनो समझ नहीं पाते।
जिगर - क्या मतलब... समझ नहीं आया ??
प्रतिक - अरे भैया, आप देखो इन दोनों को... मुझे तो लगा था की आपको देखने के बाद खुश होगी लेकिन ये तो रोने लगी, ऐसा लग रहा है की इनकी आँखों का पानी पुरे गाँव को ना डूबा दे।
प्रतिक की बात सुनके सभी हसने लगते है। वही जिगर तो बस मीठी की हसी में खो गया। मीठी के चेहरे की मुस्कराहट देख के जिगर के दिल में हलचल होने लगती है। जिगर बचपन से ही मीठी को पसंद करता है लेकिन अभी ये बात किसी को पता नहीं थी सिवाय किंजल के।
किंजल प्रतिक से - बदमाश, बहुत बोलने लगा है तू आज कल। ( फिर जिगर को देख के ) वैसे जिगर, तुम आये कब ? आये तो आये पर तुमने हमे एकदम चौका ही दिया यार, क्या सरप्राइज दिया है तुमने मतलब मजा ही आ गया।
मीठी - हां जिगर, तुम कब आये ? बोलो ना..!!!
जिगर - अरे बस बस तुम दोनों बोलने दोगी तब तो बोलूंगा न में। वो में कल ही आया था, सोचा था कल रात को तुमसे मिलु पर वो क्या है न की दिल्ली से यहाँ तक कार में सफर किया तो थोड़ी कमर अकड़ गयी थी और काफी थक गया था फिर सोचा की रात को मिलने से अच्छा सुबह में ही आप देविओ के दर्शन करदु... तो मेरी थकान भी मिट जाएगी और दिन भी बन जायेगा। लेकिन सुबह भी नहीं आ पाया। बाबा सा के गेस्ट आये थे तो उनके साथ बहार गया था, अभी थोड़ी देर पहले ही आया हु घर पे। इसलिए मेने सोचा की कोई और आ जाये इससे पहले में यहाँ आ जाऊ। तो में आ गया।
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part 8 - मन की बात
जिगर अपनी बात ख़तम करके देखता है की मीठी, किंजल और प्रतिक तीनो हैरानी से उसे ही देख रहे थे। यह देख के वो कहता है - अरे, तुम तीनो को क्या हो गया ? मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ?
किंजल - काफी लम्बी कहानी सुनाई तुमने...!!!
किंजल की बात सुनके सभी हसने लगे। जिगर की आँखे सिर्फ मीठी को देख रही थी। उसकी नज़रो में मीठी के लिए अलग ही कसक थी। लेकिन मीठी के मन में ऐसा कुछ नहीं था वो सिर्फ जिगर को अपना अच्छा दोस्त ही समझती है।
जिगर का मीठी को देखना लगातार जारी था। किंजल ने देखा तो उसने खांसने का नाटक किया। यह सुनके जिगर हड़बड़ाहट में मीठी से नज़रे हटा देता है।
किंजल जिगर को देखते हुए अपनी एक आँख मारके इशारो से कहती है - प्रपोज़ करने का इरादा है क्या ?
जिगर किंजल का इशारा समझते हुए ना में सिर हिलाता है - ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सोच रही हो...!!!
किंजल - हम्म, मुझे पता है की तुम्हारे मन में क्या चल रहा है...!!! इसलिए मुझसे तो जुठ बोलो ही मत, समझे बच्चू।
मीठी उन दोनों को ऐसे इशारो में बाते करते देख कहती है - ये तुम दोनों इशारो इशारो में कब से क्या बाते करे जा रहे हो ? मुझे भी तो बताओ ...!!!
किंजल और जिगर एक साथ हड़बड़ाहट में - कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं...!!!
प्रतिक और मीठी उन दोनों को हैरान हो कर देखने लगते है। जैसे की उनकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो।
किंजल बात को बदलते हुए - अरे, चलो न इतने दिनों बाद हम मिले है तो बाहर जाते है... है न जिगर ?
जिगर - हं ? हा हा चलो न, और पता है... मेने तुम सब को बहुत मिस किया...!!!
मीठी मुस्कुराते हुए बोली - हमने भी।
मीठी मुस्क़ुरते हुए निचे की तरफ चली जाती है। उसके पीछे पीछे प्रतिक भी चला जाता है। अब बचे किंजल और जिगर। जिगर मीठी को जाते हुए देखने लगता है। उसको पता ही नहीं चला की कब वो निचे चली गयी और वो ऐसे ही देखता रहा।
किंजल जिगर के पास जाके - अच्छी है न ?
जिगर खोये हुए स्वर में - बहुत...!!!
किंजल - प्यारी भी है न ?
जिगर - बहुत ...!!!
किंजल - तो फिर क्या ख्याल है ?
जिगर - ख्याल तो बहुत है लेकिन मानेगी क्या ?
यह सुनते ही किंजल झट से बोल पड़ती है - अरे मानेगी न, क्यों नहीं मानेगी। तुम्हारी ये समझदार दोस्त किस काम में आएगी। ( अपनी और इशारा करके )
कहते हुए वो जिगर के कंधे पे अपना हाथ रख देती है। जिगर एकदम से होश में आता है... उसको समझ आता है की उसने अभी अभी किंजल को क्या कहा...!!! जिस कंधे पे किंजल ने अपनी कोहनी टिकाई थी... उस कंधे को थोड़ा झुकाते हुए साइड में चला जाता है... जिससे किंजल खुद को गिरने से संभल लेती है।
जिगर - क्या ? नहीं... ऐसा मत करना प्लीज्...!!!
किंजल - अरे, लेकिन क्यों ?
जिगर सीरियस होके - देखो किंजल, अभी ये सही वक़्त नहीं है। अभी तो हमारा स्कूल भी ख़तम नहीं हुआ... और ऐसे में उसे ये सब... मलतब की अपने मन की बात कहूंगा तो सोचो... उसकी लाइफ में और स्टडी में कितना असर पड़ सकता है... और शायद हमारी दोस्ती पर भी।
किंजल - हम्म, तुम सही कह रहे हो ...!!!
जिगर किंजल का हाथ पकड़के - तुम उसकी बहन हो... साथ में मेरी बेस्ट फ्रेंड भी। इसलिए कह रहा हु की में उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा...!!! में पहले उसके काबिल बनना चाहता हु, उस लेवल तक जाना चाहता हु की जब भी में मीठी का हाथ थामु तो उसके मन में मेरे लिए कोई सवाल न रहे, कोई शक या गुंजाइश न रहे और में तो खुद भी चाहता हु की वो मुझे अपनी soulmate के रूप में चुने। में उसपे अपना फैसला नहीं थोपूंगा। उसका जो भी फैसला होगा... मुझे वो मंज़ूर होगा।अगर उसकी ना भी होगी तो भी में उसका अच्छा दोस्त बन के उसके साथ हमेशा खड़ा रहूँगा।
जिगर बहुत ही अच्छा और साफ़ दिल का लड़का था। उसकी बात सुनके किंजल की आँखों में नमी आ जाती है, उसके मन में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है।
किंजल - तुम बिलकुल सही कह रहे हो जिगर...!!! हम अभी उस मुकाम तक नहीं पहोचे जहा हम एक दुसरे का हाथ थाम सके। लेकिन तुम बिलकुल भी फ़िक्र मत करो। तुम्हारे इस फैसले में... में हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी।
जिगर - थैंक यू किंजल...!!! तुम सच में बहुत अच्छी हो। एक सपोर्ट करने वाली दोस्त, एक प्यारी बहन, एक समझदार बेटी, और मुझे पूरा भरोसा है की तुम बहुत अच्छी soulmate भी बनोगी, देखना...!!!
उसकी बात सुनके किंजल के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान खिल गयी। निचे से मीठी की आवाज आती है फिर वे चारो गांव घूमने चले जाते है।
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राणा मेन्शन...
आदित्य गुस्से में अपने रूम में आता है और जोर से दरवाजा बंध करता है। आदित्य का कमरा भी बहुत आलिशान और खूबसूरत था। बीच में बड़ा सा बेड, बेड के ऊपर वॉल पर आदित्य का बहुत बड़ा सा फोटो था... जिसमे आदित्य ने अपने हाथो में गिटार पकड़ा हुआ हुआ था। वो बहुत ही अट्रैक्टिव लग रहा था। उसके रूम में आदित्य की ऐसी ही कई सारी फोटो थी। ब्लैक पेंट में रंगी हुई दीवारे... क्यों की उसका फेवरेट कलर ब्लैक था। रूम में अटैच बालकॉनी... जिसमे झूला लगा हुआ था। बालकनी भी काफी बड़ी थी... जहा छोटे छोटे प्लांट्स भी थे। उसको भी प्लांटस काफी पसंद थे। आदित्य के रूम की दूसरी साइड उसका पर्सनल पूल था... जिसमे वो रोज़ स्विमिंग करता था।
आदित्य जब भी उदास होता तो स्विमिंग करता। आज भी कुछ ऐसा ही था... अपने रूम में आके उसने कपडे उतारे। उसने सिर्फ शॉर्ट पेंट के अलावा कुछ नहीं पहना था। फिर कूद पड़ा पूल में। इसमें कोई शक नहीं की वो स्विमिंग में चैंपियन था। इतनी छोटी सी उम्र में वो एक प्रोफेशनल की तरह स्विम कर रहा था।
कुछ देर तक ऐसे ही स्विम करने के बाद वो बहार आ जाता है और टॉवल से अपने आपको पोछने लगता है। अब उसका मूड काफी हद्द तक ठीक हो गया था। फिर एक ढीली सी टी शर्ट और शॉर्ट पेंट पहन के बालकनी में लगे झूले पे बैठ के आसमान को एकटक देखने लगता है।
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part 9 - उदास आँखे
कुछ देर तक ऐसे ही स्विम करने के बाद वो बहार आ जाता है और टॉवल से अपने आपको पोछने लगता है। अब उसका मूड काफी हद्द तक ठीक हो गया था। फिर एक ढीली सी टी शर्ट और शॉर्ट पेंट पहन के बालकनी में लगे झूले पे बैठ के आसमान को एकटक देखने लगता है।
उसके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। कोई उसके पास आके उसके सिर पे हाथ फेरता है। आदित्य बिना देखे ही पहचान जाता है की वो कौन है... और वो आदित्य के आगे एक मग बढ़ाता है। उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान तैर जाती है।
आदित्य - आपको कैसे पता चल जाता है की मुझे क्या चाहिए ?
आदित्य के पास जो आया था वो उसकी माँ एकता जी थी। आदित्य जब गुस्सा होके अपने रूम में गया... तब एकता जी ने किचन में जाके आदित्य के लिए कैपेचीनो बनाने लगी... क्यों की वो आदित्य का फेवरेट था...!!!
एकता जी स्माइल करके बोली - जब बच्चा परेशान हो तो माँ कैसे शांत बैठ सकती है...!!!
आदित्य मुस्कुराते हुए एकता जी के हाथो से वो मग लेकर कैपेचीनो पिने लगता है...
एकता जी आदित्य के बालो में हाथ फेरते हुए बोली - आदि, तुम अपनी डैड की बात को इतना दिल पे मत लो। तुम सिर्फ अपने लक्ष्य पे फोकस रखो... में हु न तुम्हारे साथ हम्म। तुम्हारे डैड को में संभल लुंगी।
आदित्य - मॉम, में वो हर कोशिश करता हु जिससे डैड को अच्छा लग सके, पर पता नहीं उनको क्या हो जाता है हर बार ? वो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते...!!! वो मुझे उन निकम्मे बच्चे की केटेगरी में रखते है। कभी कभी तो लगता है की क्या में इतना बुरा बन गया हु... जो उनको मेरी कोशिशे ही नहीं दिखती ?
एकता - नहीं बेटा ऐसा नहीं है...!!! तुम बुरे नहीं हो, तुम मेरे बेटे हो... तुम तो हर फिल्ड में चैंपियन हो तो फिर बुरे कैसे बन गए ? अच्छा वैसे मुझे ये बताओ की वो लड़की है कौन जिसको तुम्हारे डैड इतना मानते है ?
आदित्य को एकता जी की बात सुनते ही गुस्सा आने लगता है और उसके हाथ में पकडे मग की पकड़ मजबूत हो जाती है...!!!
आदित्य - मॉम यू नो व्हाट, आई हेट थिस गर्ल... आई रियली डोंट लाइक हर...!!! उसका चेहरा देखते ही मुझे गुस्सा आने लगता है। पता नहीं ऐसे बहन जी जैसे लोग कहा से आ जाते है इतनी बड़ी हाई क्लास स्कूल में पढ़ने के लिए। पुरे उदयपुर में उसे ये एक ही स्कूल मिली थी, उसके जैसे लोगो के लिए सरकारी स्कूल भी तो है न...!!!
एकता - तुम बिलकुल भी चिंता मत करो बेटा, मुझे बस उस लड़की का नाम बताओ। में उसे अच्छे से सबक सीखा के स्कूल के बहार फिकवा दूंगी, फिर कभी वो तुम्हारे सामने नहीं आएगी।
आदित्य - नो मॉम, आप कुछ नहीं करेगी...!!!
एकता जी हैरान होके उसे देखती है... ये देख आदित्य आगे कहता है - यस मॉम, आप उसे कुछ भी नहीं करेगी, क्यों की जो करना है वो में करूँगा, ऐसा हाल करूँगा उसका की वो खुद ही स्कूल छोड़ देगी और मेरी लाइफ से हंमेशा के लिए चली जाएगी। बहोत शौख है न उसको सभी का अटेंशन पाने का और महान बनने का... ऐसा अटेंशन बना दूंगा उसका की किसी को अपना मुँह दिखाने के लायक नहीं बचेगी वो...!!!
एकता - ठीक है, तुम्हे जो करना है तुम करो... लेकिन अगर तुम्हे लगे की तुम्हे कोई हेल्प चाहिए तो बेफिक्र होके मेरे पास आना... ओके...!!!
आदित्य - ओके मोम... आपको पता है आप दुनिया की बेस्ट मोम है... आई लव यू मॉम...!!
एकता - आई लव यू 2 मेरे बच्चे...!!!
एकता जी में वैसे कोई बुराई नहीं है लेकिन आदित्य को लेकर वे थोड़ी पोसेसिव हो जाती है। आदित्य के हर एक कारनामे पर पर्दा डालती है चाहे वो गलत ही क्यों न हो... आदित्य उनका लाडला जो था। आदित्य को घमंड एकता जी से ही मिला है।
खैर, ऐसे ही आज का दिन निकल जाता है। एक दो दिन बाद आदित्य और उसके दोस्त घूमने चले जाते है। देखते ही देखते सात दिन निकल जाते है।
यहाँ गांव में अग्रवाल फॅमिली शहर जाने के लिए रवाना होती है। जहा बस स्टैंड पे जिगर उन सभी का वेट कर रहा था। जिगर मीठी को देखते ही उदास हो जाता है... लेकिन उसके मन में एक अच्छे एहसास भी थे की मीठी अपने साथ अच्छी यादो का पिटारा साथ लेके जाने वाली है। मीठी के साथ रोज़ मंदिर जाना, तालाब के पास बैठना, उसके साथ खेलना, मस्ती करना, पुरे गाँव में घूमना... ये सब सोच के ही जिगर की आँखों में नमी आ जाती है। वो पीछे मूड के अपनी आँखे पोछ लेता है।
राम जी जिगर को देख के कहते है - अरे बेटा, आप यहाँ इस वक़्त इतनी रात को क्या कर रहे है ?
जिगर - जी काका, में यहाँ आप सभी को छोड़ने आया था...!!!
नीतू - लेकिन बेटा, आप इतनी रात को ऐसी तकलीफ क्यों ले रहे है। आपकी माँ और सरपंच सा को आपकी चिंता हो रही होगी। आप घर जाइये बेटा... हम सब चले जायेंगे।
राम – हां, और वैसे भी बस अभी आ जाएगी इसलिए आप घर जाइए और जाके सो जाइए।
जिगर - अरे नहीं काका, ऐसे कैसे चला जाऊ। आप इस बात की टेंशन मत लीजिये... में घर पे बताके ही आया हु। और आपको तो पता ही है न... मीठी और किंजल मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। इतने टाइम हम साथ रहे है, खेले है, मस्ती की है और अभी ये दोनों जा रही है तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है की में अपनी दोनों दोस्त को अलविदा कहने आऊं। क्या मेरा यहाँ आना आपको अच्छा नहीं लगा ?
नीतू - अरे नहीं नहीं बेटा, ऐसी कोई बात नहीं है... आप ऐसा मत सोचिये...!!!
राम - ये दोनों बहुत खुशकिस्मत है की उनको आप जैसा दोस्त मिला है। ठीक है आप लोग बाते कीजिये में टिकिट लेके आता हु।
जिगर मुस्कुराके - जी काका...!!
राम जी वहा से चले जाते है। नीतू जी ओर प्रतिक थोड़ी दूर जाके चेयर पे बैठ जाते है। मीठी जिगर के चेहरे की उदासी भाप लेती है।
मीठी - जिगर, तुम ठीक हो न ?
जिगर अपनी आँखों की नमी छुपाते हुए - हां... हां में ठीक हु...!!!
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continue.....
part 10 - शहर वापसी
मीठी - जिगर, तुम ठीक हो न ?
जिगर अपनी आँखों की नमी छुपाते हुए - हां... हां में ठीक हु...!!!
मीठी - तुम्हे देख के लग तो नहीं रहा की तुम ठीक हो...!!!
जिगर अपने मन में - तुमने मुझे बिना बोले ही समझ लिया की में ठीक नहीं नहीं हु। तुम जा रही हो, कैसे ठीक हो सकता हु... कैसे कहु तुमसे...!!!
मीठी - क्या हुआ जिगर क्या सोच रहे हो तुम ??
जिगर - अरे नहीं नहीं... कुछ नहीं हुआ। तुम मेरी फ़िक्र मत करो... में ठीक हु...!!!
किंजल - वैसे तुम कब जा रहे हो वापिस दिल्ली ?
जिगर - मेरी स्कूल खुलने में अभी थोड़ा टाइम है... 10 - 15 दिन बाद जाऊंगा...!!!
किंजल - तो तुम भी हमारे साथ चलो न उदयपुर, में तुम्हे पूरा शहर घुमाऊँगी... हम सब जायेंगे बड़ा मजा आएगा...!!!
प्रतिक वहां आके बोला - बोल तो ऐसे रही है जैसे पूरा शहर देख लिया हो। खुद तो कही गयी नहीं और चली दूसरो को घुमाने... भैया, आप मेरे साथ चलो फिर हम दोनों जायेंगे साथ में घूमने...!!!
किंजल चीड़ के बोली - तू चुप हो जा मोटे, तू घूमेगा कब और खायेगा ज्यादा। में न इस बार तेरी शिकायत तेरी टीचर से करुँगी... की तुम्हे इतना सारा होमवर्क दे की लिखते लिखते तेरे हाथ ही दुख जाये... पर होमवर्क ख़तम ना हो।
दोनों ऐसे ही लड़ते रहते है... की जिगर उन्दोनो को चुप कराते हुए कहता है - अरे बस बस कितना लड़ते हो तुम दोनों... प्रतिक में आऊंगा और हम सभी जायेंगे घूमने... पर अभी नहीं फिर कभी...!!!
प्रतिक - पर क्यों भैया ? बादमे भी तो आना ही है न तो अभी चलो न...!!!
जिगर - नहीं प्रतिक अभी नहीं आ पाउँगा, क्यों की घर में करीबी रिश्तेदार की शादी है, तो वह जाना पड़ेगा पर में बादमे पक्का आऊंगा।
प्रतिक अपने हथेली की सबसे छोटी ऊँगली को आगे बढ़ाते हुए - फ्रेंडशिप प्रॉमिस...
जिगर भी मुस्कुरा कर प्रतिक की उस छोटी ऊँगली में अपनी छोटी ऊँगली पिरोते हुए - फ्रेंडशिप प्रॉमिस
उसके बाद जिगर मीठी को कुछ कहने ही वाला होता है की तभी बस के हॉर्न की आवाज आती है। बस को आता देख जिगर फिर से उदास हो जाता है। किंजल ने भी उसे नोटिस कर लिया की वो उदास क्यों है... पर उसने कुछ कहा नहीं।
राम जी सभी को बुलाते है फिर अपना अपना बैग लेके बस में बैठ जाते है...
मीठी और किंजल की सीट साथ में थी। मीठी विन्डो की तरफ बैठी थी... वो बहार जिगर को उदास होते हुए देख के अपना एक हाथ उठके मुँह के तरफ ले जा कर... अपनी ऊँगली और अपने अंगूठे की मदद से जिगर को स्माइल करने को कहती है।यह देख के जिगर स्माइल करने लगता है लेकिन मन में वो बहुत उदास था।
बस कुछ ही देर में अपनी राह पर निकल पड़ती है... और जिगर बस के साथ दौड़ के ज़ोर से आवज़ देके कहता है - मीठी, वहां पहुंच के फोन करना और अपना ख्याल रखना, में आऊंगा कभी मिलने वहा...!!!
मीठी - में अपना पूरा ख्याल रखूंगी, तुम भी अपना ख्याल रखना।
बस आगे चली जाती है और जिगर वही रुक जाता है... काफी हांफ रहा था वो। जो आँखों में नमी थी... उसने कबसे छुपा राखी थी... वो अब बहार आ चुकी थी। कुछ देर यूँही रुकने के बाद घर चला जाता है।
मीठी मुस्कुराके अपनी आँखे बंध करके अपने सीर को सीट से टिका देती है। वो जैसे ही आँखे बंद करती है... की उसे किसी की छवि दिखाई देती है। वो तुरंत अपनी आँखे खोल के अपनी सीट पर सीधी होके बैठ गयी... उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था।
उसको ऐसे देख किंजल बोली - क्या हुआ मीठी ? ऐसे अचानक क्यों बैठ गयी ?
मीठी - नहीं कुछ नहीं हुआ... वो में बस थोड़ा ठीक से बैठ रही थी ताकि सोने में दिक्कत ना हो इसलिए।
किंजल - अच्छा फिर ठीक है...!!!
कुछ देर बाद दोनों नींद में चली जाती है। सामने की ही सीट पर राम जी, नीतू जी और प्रतिक बैठे थे। प्रतिक भी विन्डो के पास बैठा था। वो भी गहरी नींद में चला गया था। अपने तीनो बच्चो को सुकून से सोता देख राम जी और नीतू जी मुस्कुरा उठते है।
राम - हमारी दोनों बच्चिया कितनी नसीबवाली है... जो जिगर जैसा दोस्त मिला है। कितना ख्याल रखता है दोनों का।
नीतू - जी आप ठीक कह रहे है... जिगर भले ही सरपंच सा का बेटा है लेकिन अपने पिता की तरह किसी भी इंसान में भेदभाव नहीं करता। वरना कुछ लोग तो हमारे साथ खड़े रहने भी कतराते है। जिगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है, दिल का बहुत सच्चा है वो।
राम - खाटू श्याम जी करे, हमारे बच्चो पे ये हसीं हमेशा बनाये रखे।
राम जी प्रतिक के सीर पे हाथ फेरते है। फिर कुछ देर में वे दोनों भी सो जाते है...!!!
मीठी और उसका परिवार पहले गाँव में ही रहता था। पर राम जी ने अपने बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए शहर में बस गए। राम जी के छोटे भाई वैशल जी खेतीबाड़ी करते है। उनका खुद का बहुत बड़ा सा खेत है... जहा वे फसल उगाते है और शहरों में बेचते है। खेत से उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो जाती है। वैशल जी की पत्नी यानि की किंजल की माँ नवी जी गाँव के छोटे बच्चो को घर में ट्यूशन पढ़ाती है। इसलिए तनुश्री जी, वैशल जी और नवी जी गाँव में ही रहते है। राम जी बच्चो की हर छुट्टियों में अपने गाँव चले जाते है।
3 दिन बाद...
उदयपुर शहर...
स्कूल की छुट्टियाँ ख़तम हो गयी थी। सभी बच्चे स्कूल की तरफ चल पड़े। कुछ बच्चो का मन तो नहीं स्कूल जाने का पर जाना पड़ रहा था और यही कुछ बच्चे पढाई को लेके काफी उत्सुक थे। स्कूल जाने के नाम से ही वे बहुत खुश थे।
उदयपुर शहर की एक छोटी कॉलोनी में एक छोटा सा घर था... जहा बहार नेम प्लेट पर लिखा था अग्रवाल हाउस...
मीठी, किंजल और प्रतिक तीनो स्कूल ड्रेस पहने अपना नाश्ता कर रहे थे।
नीतू जी किचन में से एक प्लेट में पराठा लाते हुए बोली - जल्दी नाश्ता ख़तम करो... तुम लोगो की बस आ जाएगी...!!!
कुछ देर में बस भी आ जाती है और तीनो नीतू जी और राम जी के पैर छूके बस में बैठ जाते है।
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continue....
part 11 - school day
नीतू जी तीनो को अच्छे से पढाई करने की और ज्यादा शरारते ना करने क सख्त हिदायत देती है। तीनो उनकी बात मान के हां में सीर हिला देते है। बस स्कूल की तरफ चली जाती है। नीतू जी भी घर में जाके काम करने लगती है। राम जी नास्ता करके अपने काम की तरफ निकल पड़ते है। राम जी एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट की जॉब करते है।
यहाँ मीठी के चेहरे पे एक अलग ही चमक थी। अब ये चमक स्कूल जाने की या किसी और की वजह से थी... ये समझ पाना मुश्किल था। मीठी पढाई में काफी अच्छी थी इसीलिए कुछ बच्चो को मीठी से बहुत जलन होती थी। लेकिन मीठी को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता था। वो तो हमेशा अपनी पढाई में मशगूल रहती।
इधर आदित्य भी अपने स्कूल के लिए चल पड़ता है। आदित्य रोज़ अपनी कार से स्कूल जाता। हलाकि वो अभी कार नहीं चला सकता था क्यों की हिरदेश जी ने सख्त मना किया था। घर में सभी को 20 साल के बाद ही कार या बाइक चलाने की इजाजत थी। इसलिए ड्राइवर हर रोज़ आदित्य को स्कूल पहुचाता और वापिस लेने भी आता। रणवीर और आद्रिका भी उसी के साथ कार में जा। क्यों की वे दोनों भी उसी एरिया में रहते थे। आद्रिका को भी आदित्य के साथ टाइम स्पेंट करने का मौका मिल जाता इसलिए वो इस मौके को गवाना नहीं चाहती।
आद्रिका आदित्य से बाते किये जा रही थी लेकिन आदित्य बिना भाव के बैठा था। वो आद्रिका की बात को सुन के भी अनसुना कर रहा था। उसके मन में इस वक़्त क्या चल रहा था वो कोई नहीं समझ पा रहा था। रणवीर को भी आदित्य का यूँ चुप रहना खल रहा था। आदित्य का चेहरा देख कर ही लग रहा था की उसे आद्रिका की बातो में कोई भी इंट्रेस्ट नहीं है... पर रणवीर कुछ कहने से कतरा रहा था। क्यों की वो आदित्य के गुस्से से वाकिफ था। आदित्य को एक बार गुस्सा आ गया फिर वो किसी की नहीं सुनता... इसलिए उसने चुप रहना ही सही समझा।
आद्रिका को आदित्य का इग्नोरेंस पसंद नहीं आया। आखिर में वो आदित्य से कुछ कहने ही वाली थी की तभी कार रुक गयी। उसने देखा की उनका स्कूल आ चूका था। तीनो कार से बहार आये और कैंपस की और बढ़ गए...!!!
राणा ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड इंस्टिट्यूट ( काल्पनिक नाम )...
एक बहुत बड़ा सा गेट... थोड़ा आगे बढ़ते ही पार्किंग एरिया आता है जिसमे स्टूडेंट अपनी साइकिल पार्क करते है। वहा से आगे की तरफ स्पोर्ट्स का बड़ा सा मैदान, दाई तरफ बड़ा सा ऑडिटोरियम था। स्कूल के अंदर जाते ही लॉकर रूम था जो दूर से आते स्टूडेंट के लिए बनाया गया था... जिसमे वे अपनी चीज़े रख सके, जैसे की मोबाइल वगेरा। वैसे तो मोबाइल स्कूल में अलाउड नहीं था... पर जो बच्चे दूर से आते है उनके लिए मोबाइल स्कूल से दिया जाता है ताकि बच्चे अपने माँ बाप के संपर्क में रह सके। लॉकर रूम के दूसरी तरफ क्लास शुरू होती है, सेकंड फ्लोर जाके आगे बढ़ने पर हर तरफ क लैब थी और क्लासेस भी थे। थर्ड फ्लोर पर म्यूजिक रूम, डांसिंग रूम, आर्ट क्लब, मेडिकल रूम और कैंटीन भी थे। काफी अच्छी फैसेलिटी थी स्कूल में। स्कूल के पीछे की तरफ ही कॉलेज था।
ये स्कूल चरण राणा ने बनवाया था। वैसे तो स्कूल काफी हाई क्लास है जिसमे अमीर लोगो के काफी बच्चे आते है। यहाँ का एजुकेशन पुरे राजस्थान में सबसे ज्यादा बेहतरीन है। जो की यहाँ की फीस भी ज्यादा हाई है जो मिडल क्लास के लोगो के पहोच के ना बराबर है। लेकिन यहाँ मिडल क्लास के बच्चे भी आते है। स्कूल का एडमिशन प्रॉसेस होता है और ये कम्पलसरी भी है। जो बच्चे हाई सोसइटी से आते थे उनके लिए 60 % स्कोर था और जो बच्चे मिडल क्लास फॅमिली से थे उनके लिए 70 % के ऊपर स्कोर लाना जरूरी था। उसके बाद ही एडमिशन मिलता था। यहाँ मिडल क्लास फॅमिली से जो भी स्टूडेंट इस एग्जाम को क्लियर कर देता था तो उनकी फीस आधी हो जाती थी उन्हें पूरी फीस भरने की जरूर नहीं पड़ती थी जो की एक बेनिफिट था मिडल क्लास के लिए।
चरण जी और उनके दोनों बेटे हिरदेश जी और इन्दर जी ने मिल के यह रूल्स बनाये थे ताकि इस स्कूल में हर बच्चा पढ़ सके चाहे वो अमीर हो या गरीब उनके लिए हर बच्चा एक सामान है।
आदित्य गेट से अंदर चला जाता है। वो स्कूल ड्रेस में भी बहुत ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था। लड़किया तो आदित्य को देख के आहे भर रही थी। कुछ लड़किया ऐसी भी थी जो आदित्य को पाने के सपने देख रही थी लेकिन यह बात पूरी स्कूल जानती थी... की आदित्य और आद्रिका एक साथ है। आद्रिका के रहते किसी भी लड़की में इतनी हिम्मत नहीं थी की वे आदित्य के आसपास भी भटके। सिवाय पूजा और तमन्ना के।
आदित्य आगे बढ़ रहा था... उसके पीछे पीछे रणवीर और आद्रिका भी आ रहे थे। आद्रिका देखती है की सब लड़किया आदित्य को देख रही है तो वो उन सभी लड़कियों को गुस्से भरी नज़रो से देखती है... तो सभी लड़किया आदित्य पर से अपनी नज़रे हटा देती है। आद्रिका आदित्य को आवाज लगा रही थी लेकिन वो कुछ सुन ही नहीं रहा था। वो बस आगे चलता जा रहा था। आद्रिका को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों की उसकी इग्नोरेंस सहन नहीं हो रही थी... तभी वो जल्दी से दौड़ के आदित्य के सामने जाके खड़ी रह जाती है जिससे वो रुक जाता है।
आद्रिका - व्हाट्स रॉंग विथ यू आदित्य ? व्हाई आर यू इग्नोरिंग मी ? में कबसे तुम्हे आवाज दे रही हु तुम सुन ही नहीं रहे हो। और ऐसे जल्दी में कहा जा रहे हो तुम प्लीज बताओ तो???
आदित्य थोड़ा गुस्से से - आद्रिका, जाहिर सी बात है की ये स्कूल है और हम यहाँ किस लिए आते है, पढ़ने। उसके लिए हमे क्लास में जाना पड़ता है अगर तुम्हे पढ़ना है तो चुप चाप मेरे साथ चलो और अगर नहीं पढ़ना तो घर चली जाओ... मुझे अपना टाइम वेस्ट करना बिलकुल पसंद नहीं और यह बात तुम अच्छे से जानती हो।
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continue...
part 12 - want revenge
आदित्य थोड़ा गुस्से से - आद्रिका, जाहिर सी बात है की ये स्कूल है और हम यहाँ किस लिए आते है, पढ़ने। उसके लिए हमे क्लास में जाना पड़ता है अगर तुम्हे पढ़ना है तो चुप चाप मेरे साथ चलो और अगर नहीं पढ़ना तो घर चली जाओ। मुझे अपना टाइम वेस्ट करना बिलकुल पसंद नहीं और यह बात तुम अच्छे से जानती हो।
इतना कह कर वो आगे बढ़ जाता है। पीछे खड़ी आद्रिका हैरान होकर उसे देख के कहती है - ये आदित्य को हो क्या गया है? कार में भी मुझे कोई जवाब नहीं दे रहा था। क्या रीज़न हो सकता है? जो भी है में उसे अकेला नहीं छोडूंगी। क्या पता मेरी जगह कोई और उसके पास ना बैठ जाये। आदित्य के साथ तो में ही बैठूंगी।
फिर वो दौड़ के आदित्य के पास पहोच जाती है और आदित्य की बांहे पकड़ के चलने लगती है। आदित्य उसे एक नज़र देख कर अपना सिर ना में हिला देता है जैसे कह रहा हो की इसका कुछ नहीं हो सकता।
जसदीप - अरे ये आदि कहा रह गया है, अभी तक आया नहीं।
रणवीर - वो तो कब का आ गया और क्लास भी चला गया। उसके पीछे पीछे वो छिपकली भी गयी है। हर वक़्त आदित्य से चिपकती रहती है। पता नहीं आदित्य इसको कैसे झेलता है?
पूजा - उससे क्या ही फरक पड़ता है, दोनों ही एक दुसरे को पसंद करते है।
तमन्ना - और आद्रिका तो वैसे भी आदित्य के आसपास किसी भी लड़की को भटकने नहीं देती। वो आदि की फॅमिली के काफी क्लोज भी है तो शायद आगे चल के इन दोनों का कुछ हो सकता है।
रणवीर - क्या ख़ाक क्लोज है। सिर्फ एकता आंटी ही आद्रिका को पसंद करती है। आंटी के कहने पर ही तो आद्रिका उसके के साथ कार में आती है ताकि दोनों पास आ सके। एंड यू नो व्हाट आज कार में क्या हुआ, आद्रिका पुरे रस्ते आदित्य से बाते करती रही लेकिन मजाल है जो आदित्य ने उसकी कोई बात का कोई रिएक्शन दे दिया हो।
जसदीप हैरानी से - क्या सच में?
रणवीर - हां, वो ध्यान ही नहीं दे रहा था, मतलब फुल इग्नोर। वैसे जो भी हो मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था आद्रिका का फेस देख के, कितनी चिढ़ी हु थी वो, जैसे की किसी ने उसकी मनपसंद चीज़ छीन ली हो।
रणवीर की बात पर सभी हस पड़े और बाते करते करते अपनी क्लास जाने लगे.l।
उन सभी के जाते ही गेट के बहार बस आके रूकती है, जिसमे से मीठी, किंजल और प्रतिक बहार आते है। मीठी जैसे ही गेट के अंदर कदम रखती है तो उसके दिल में हलचल होने लगती है। एक पल रुकने के बाद वो एक गहरी सांस लेके वापिस आगे बढ़ जाती है। प्रतिक मीठी और किंजल को बाय कहकर अपनी क्लास में चला जाता है। मीठी जैसे जैसे अपने कदम बढाती है वैसे ही उसका दिल धड़क उठता है।
दोनों अपने क्लासरूम पहोच जाती है। मीठी एक नज़र क्लासरूम पे डालती है फिर अंदर जाने लगती है की तभी एक लड़का क्लास से बहार आ रहा था... और उन दोनों की टक्कर होने ही वाली थी की दोनों अपनेआप को संभल के अपनी जगह पर खड़े रह जाते है। मीठी ने उस लड़के की आँखों में देखा तो उसका दिल पहले से काफी तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहा था। उसके लिए तो जैसे ये पल थम गया हो। जैसे यहाँ आसपास कोई ना हो बस उन दोनों के अलावा। वो दोनों लगातार एक दुसरे की आँखों में देख रहे थे की तभी स्कूल बेल बजती है। बेल की आवाज से दोनों होश में आते है फिर एक दुसरे नज़रे हटा देते है। मीठी उस लड़के को सॉरी कहकर अंदर चली जाती है और किंजल के पास जाके बैठ जाती है।
वो लड़का मीठी के जाते ही उसके होठो के कोर ऊपर की तरफ उठ जाते है और अजीब सी स्माइल करते हुए खुद से कहता है की - ओह, आखिरकार तुम आ ही गयी मिस स्कॉलर, लेकिन अब कैसे बचोगी। जो कुछ भी तुमने मेरे साथ किया उन सभी का बदला में इस साल लूंगा, कहीका नहीं छोडूंगा में तुम्हे। ऐसी आग लगाऊंगा तुम्हारी जिंदगी में जो कभी बुझ नहीं पाएगी, क्यों की इस बार में पूरी तैयारी के साथ आया हु। इस बार में हारूंगा बिलकुल भी नहीं। अब आदित्य राणा को हराना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा श्रेया अग्रवाल।
फिर आदित्य क्लास में जाकर अपनी सीट पर बैठ जाता है। आदित्य श्रेया यानी की मीठी को गुस्से से घूर रहा था। आदित्य की नज़रो में श्रेया के लिए बेहिसाब नफरत थी। उसकी साज़िशों से अनजान श्रेया अपनी पढाई कर रही थी। उसे कुछ कुछ एहसास हो चूका की आदित्य की नज़रे उसपर ही है। क्लास में टीचर के बाद आदित्य भी अपनी पढाई करने लगा।
ऐसे ही स्कूल ख़तम हुआ और सभी अपने अपने घर चले गए।
मीठी जिसका असली नाम श्रेया अग्रवाल है। उसके घर में सभी उसको मीठी ही कहते, क्यों की उसकी आवाज में काफी मिठास है।जितनी प्यारी वो खुद है उससे भी प्यारी है उसकी आवाज। मीठी को गाने सुनना और गाने गाना बहुत अच्छा लगता है।
राणा मेंशन
आदित्य घर आया और बैग निकालके सोफे पे पसर गया। तभी उसके दादा चरण जी आये और सोफे पर बैठ के बोले - तो कैसा गया हमारे शहज़ादे का दिन?
आदित्य - ग्रेट दादू
चरण जी उसके सिर पे हाथ फेरते हुए - लगता है काफी थक गए हो। कुछ हुआ है क्या स्कूल में? अगर किसी ने डांटा हो या किसी ने तुमसे लड़ाई की हो तो हमे उसका नाम बताओ, हम अच्छे से खबर लेंगे उसकी।
आदित्य - नो दादू, ऐसा कुछ नहीं हुआ और वैसे भी किसी में इतनी हिम्मत नहीं की चरण राणा के पोते के खिलाफ जाये, उसे अपनी जिंदगी थोड़ी न ख़राब करनी है।
चरण जी हस्के बोले – ये बात तो बिल्कुल सच कही तुमने। भला अपने ही स्कूल में कौन तुम्हे चैलेंज करने की हिम्मत करेगा?
दोनों हसने लगते है की तभी दरवाजे से एक प्यारी सी आवाज आती है - आप दोनों मुझे भूल गए, मुझे तो इस घर में कोई प्यार ही नहीं करता।
ये सुनके दोनों दरवाजे की और देखते है और मुस्कुराने लगते है...
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continue....
part 13 - वो एहसास
ये सुनके दोनों दरवाजे की और देखते है और मुस्कुराने लगते है।
वो लड़की गुस्से से घर के अंदर आते हुए बोली - आप दोनों मुझे कैसे भूल गए? मुझे तो कोई प्यार ही नहीं करता, मुझे किसी से बात करनी में जा रही हु अपने कमरे में और कोई भी मुझे डिस्टर्ब नहीं करेगा।
इतना कहकर वो सीडी की तरफ जाने लगती है। पर जैसे ही वो सीडी पर पहोच पाती की तभी आदित्य उसे पकड़ के अपनी गोद में उठा लेता और कहता है - अरे मेरी छोटी चुहिया को गुस्सा आ गया।
वो लड़की अपने छोटे छोटे हाथो से मुक्के बरसाके बोली - ब्रो लीव मी, मुझे किसी से बात नहीं करनी। जाने दो मुझे, और में कोई चुहिया नहीं हु, मेरा नाम नेहा है, नेहा राणा समझे आप।
आदित्य - अच्छा ऐसा, ठीक है फिर, जा छोड़ दिया।
कहते हुए वो नेहा को छोड़ देता है। उसके ऐसा करने से नेहा को काफी हर्ट फील होता है और उसका मुँह रोने जैसा हो गया था।
वो बस रोने ही वाली थी की आदित्य नेहा के पेट में गुदगुदी करने लगता है। फिर वो जोर जोर से हसने लगती है। ये देख के चरण जी भी हसने लगते है।
नेहा छटपटाते हुए – आह भाई छोड़ो मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है।
आदित्य - अरे तू इस राणा मेन्शन की जान है चुहिया, तेरे बिना तो इस घर में किसी का दिन शुरू नहीं होता। तू हमेशा चूहों की तरह इधर उधर कूदती रहती है।
नेहा उसे घूरते हुए - क्या ये मेरी तारीफ थी या बेइज़्ज़ती?
आदित्य - अब वो तेरे ऊपर है, जैसे तू लेना चाहे।
नेहा - भाई आपने मुझे फिर से चूहा बोला में छोडूंगी नहीं आपको, रुको आप।
फिर वो दोनों पुरे हॉल में भागने लगते है। तनाव भरे माहौल में शांत पड़ा राणा मेंशन नेहा और आदित्य के शोर से ही गूंजता है। भाग्यलक्ष्मी जी उन दोनों का शोर सुनके अपने कमरे से बहार आ जाती है।
भाग्यलक्ष्मी जी अपनी सर पर हाथ रखके - हे भगवान, दोनो फिर से शुरू हो गए। इनको भी एक दुसरे से लडे बिना चैन ही नहीं आता।
चरण जी मुस्कुराके बोले - भाई बहन का रिश्ता ऐसा ही होता है लक्ष्मी, जब तक एक दुसरे की टांग न खिच दे तब तक इनका दिन शुरू नहीं होता, लेकिन प्यार भी तो करते है एक दुसरे से।
भाग्यलक्ष्मी - सही कहा, चलो बच्चो अभी जाओ अपने रूम में, बहुत मस्ती करदी आपने, फटाफट हाथ मुँह धोके आओ फिर खाना खाने बैठते है।
आदित्य और नेहा एक साथ - यस कैप्टन।
फिर आदित्य नेहा को अपनी पीठ पर उठाके उसके कमरे तक छोड़ देता है और खुद भी अपने रूम में चला जाता है।
शाम के समय राणा मेन्शन के गार्डन में आदित्य के सभी दोस्त अपना होमवर्क कर रहे थे, जहा विक्की के अलावा सभी थे।
आद्रिका - फ्रेंड्स, बस अब बहुत हो गया, अब मुझसे और पढाई नहीं हो रही। में बहुत बोर हो रही हु।
तमन्ना – सीरियसली यार, भला पहले ही दिन इतना सारा होमवर्क कोई देता है क्या? मेरे तो हाथ दर्द करने लगे हैं, मुझे नही करना अब होमवर्क।
आदित्य ठन्डे स्वर में - अगर तुम दोनों को पढ़ना नहीं है तो यहाँ से जा सकती हो।
रणवीर हैरान होकर - आदि, व्हाट हप्पेनेड ब्रो? आर यू ओके ?
आद्रिका - हां, तुमने मॉर्निंग में भी ठीक से जवाब नहीं दिया और पुरे क्लास में भी कुछ बोले नहीं। तुम्हे हुआ क्या है?
आदित्य - में बिलकुल ठीक हु और मुझे कुछ नहीं हुआ है। देखो, 12th बोर्ड है हमारा, और हमे इस साल सीरियस होकर पढाई करनी है फिर मार्क्स कम आएंगे तो रोते रहोगे की हमे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला।
जसदीप - सही कहा तुमने लेकिन पढाई के साथ साथ थोड़ा एन्जॉयमेंट भी तो बनता है न। देखो पढाई के मामले में तो में भी सीरियस हु, पर ऐसे कन्टिन्यूसली पढ़ेंगे तो मजा नहीं आएंगे ना। चलो थोड़ा सा ब्रेक लेते है उसके बाद फिर से कंटीन्यू करेंगे। क्या कहते हो सब।
सभी जसदीप की बात से सहमत होते है। आदित्य को भी ना चाहते हुए उनकी बात माननी पड़ती है फिर सभी थोड़ी देर गेम खेलते है। नेहा भी आके उनको ज्वाइन करती है। थोड़ी देर बाद सभी वापिस पढ़ने बैठ जाते है। करीब 7 बजे के आसपास अपने अपने घर चले जाते है।
आदित्य अपने रूम में आकर फ्रेश होने के बाद बालकनी के झूले पर आंख बंद करके बैठ जाता है। उसने जैसे ही आँखे बंध की तो उसको श्रेया का चेहरा दिखने लगा। उसका दिल अचानक धड़कने लगा और चेहरे पर अनायास ही मुस्कान फ़ैल गयी पर एक पल में ही चली गयी। वो झट से उठ जाता है - यह, यह क्या हो रहा है मुझे? मुझे अभी वो चश्मिश क्यों दिखी? उसकी इतनी हिम्मत की वो मेरे ज़हन में उतर सके, नहीं आदित्य का ख्वाब इतना भी सस्ता नहीं की किसी के आने से टूट जाए। स्पेशली वो चश्मिश तो बिलकुल नहीं।
आदित्य झूले से उठ के बालकनी की रेलिंग को कस के पकड़ लेता है, फिर एक सटीक स्माइल करके कहता है - हम्म्म, वैसे कुछ तो बात है तुम में, में आज तक इतनी लड़कीओ से मिला यहाँ तक की आद्रिका भी मेरे इतने क्लोज है पर वो भी मेरे ज़हन में न उतर सकी। मेरे घर में मेरे डैड तुम्हारे ही गुणगान गाते नहीं थकते। तुम्हे लोगो की नज़रो में आने का बहुत शौक है न, ठीक है यह ख्वाहिश भी बहुत जल्द पूरी होगी मिस स्कॉलर, ऐसी इमेज बना दूंगा तुम्हारी की पूरा स्कूल तुमपे हसेगा। पछताओगी तुम, कोसोगी उस दिन को की तुम मेरे सामने आई ही क्यू ?
यहाँ आदित्य श्रेया के खिलाफ साज़िश रच रहा था तो उधर श्रेया आदित्य को याद करते हुए चाँद को देख रही थी - हे खाटू श्याम जी, यह कैसा एहसास है? आदित्य को देख के मेरा दिल इतना ज़ोर से धड़कता है की जैसे अभी बहार आ जायेगा। ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ? उसके ना होते हुए भी मेरी नज़रे हमेशा उसको तलाशती है। उसके सामने आते ही मेरी बोलती बंद हो जाती है। मन करता है जैसे ये पल बस यही थम जाये।
फिर एक गहरी लेके अपनी आंखे बंद करती है और आदित्य और अपनी पहली मुलाकात के बारे में सोचने लगती है।
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part 14 - टकरार और इल्जाम
2 साल पहले...
अग्रवाल फॅमिली गांव से शहर आ गए थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे की अभी घर ले सके इसलिए उन्होंने घर रेंट पे लिया था, जो की राम जी के दोस्त का ही था। दिन बढ़ते गए राम जी ने प्राइवेट कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई किया और उनको जॉब मिल भी गयी।
श्रेया, किंजल और प्रतिक स्कूल में एडमिशन के लिए आये हुए थे साथ में राम जी भी थे। राम जी ने जब स्कूल का नाम पढ़ा तो वो थोड़े सोच में दुब गए फिर खयालो को झटक के अंदर जाने लगे।
तीनो इतना बड़ा स्कूल देख के बहुत खुश हुए। थोड़े से लेट आये थे पर एडमिशन प्रॉसेस अभी चालू था। तीनो ने एग्जाम पास की और अच्छे स्कोर लाये, लगे हाथो एडमिशन भी हो गया।
अगले दिन स्कूल आये। तीनो का पहला दिन था। श्रेया और किंजल 10th में थी और प्रतिक 7th में। तीनो बहुत एक्सीटेंड थे। प्रतिक अपने क्लास चला गया, श्रेया और किंजल अपने।
दोनों अपनी बातो में मशगूल होके चल रही थी। उधर सामने से आदित्य भी अपने हाथो में बास्केटबॉल लिए अपने दोस्तों से बाते करते हुए आ रहा था। तभी वे दोनो एक दूसरे से टकरा जाते है और आदित्य के हाथ से वो बॉल छूट जाता है, वो श्रेया की कमर पकड़ के अपनी तरफ खींचता है लेकिन वो संभल नहीं पता फिर दोनों ही साथ में गिर पड़ते है। आदित्य के खींचने पर श्रेया उसके ऊपर गिर पड़ती है।
श्रेया अपनी आँखे डर की वजह से बंद कर देती है। आदित्य उसके भोले और मासूम चेहरे में खो जाता है। ये आदित्य का पहला एहसास था जो श्रेया को देख के महसूस हुआ पर उसने इग्नोर कर दिया।
आदित्य एकटक उसे देखता रहा, जब तक किंजल ने श्रेया को आवाज नहीं दी होती।
किंजल - मीठी, तू ठीक तो है ?
आदित्य एकदम से होश में आया, उसने श्रेया को देखा तो उसके चेहरे पर गुस्सा भर गया - ओ चश्मिश, ऐसे ही पड़े रहने का इरादा है क्या ?
श्रेया ने धीरे धीरे से अपनी आँखे खोली तो बस देखती ही रह गयी। आदित्य की भूरी आँखे बिलकुल समुन्दर की तरह गहरी थी जिसमे श्रेया डूब गयी। पहली बार उसका दिल बड़े ही जोरो से धड़क रहा था, जिसे आदित्य समझ चूका था।
आदित्य को श्रेया का ऐसे देखना उसे इरिटेट कर रहा था, वो चिढ़ते हुए बोला - ओ हेलो, अंधी के साथ साथ बेहरी भी हो क्या, मेरी आवाज तुम्हारे कानो में नहीं जा रही है क्या, हटो मेरे ऊपर से।
ये सुनके श्रेया हड़बड़ा के उठ जाती है और कहती है - सॉरी, माफ़ करना मेने देखा नहीं आपको।
आदित्य - क्या कहा तुमने मुझे नहीं देखा? हुँह, लग भी रहा है इसलिए तो अपनी आँखों पे इतना मोटा मोटा चश्मा लगा रखा है। जाओ अपना इलाज किसी अच्छे डॉक्टर से कराओ, आँखों की रौशनी कम हो गयी है।
आदित्य की बाते श्रेया के दिल में किसी सुई की तरह चुभ रही थी। वहा खड़े सभी बच्चे उस पर हसे जा रहे थे और चश्मिश वाली बंदरिया कह के चिढ़ाने लगे। श्रेया का मुँह रोने जैसा हो गया था क्यों की आज तक उसकी ऐसी इंसल्ट नहीं हुई।
किंजल से ये देखा नहीं गया और वो उसके बचाव में आगे आई और गुस्से से बोली - बस करो, चुप हो जाओ सब। उसने चश्मा पहना है इसका मतलब ये नहीं की वो अंधी है। वो तुमसे जानबुज कर नहीं टकराई है समझे। और सामने से तो तुम भी आ रहे थे न, अगर हम देख कर नहीं चल रहे थे तो तुम भी साइड हो कर चल सकते थे ना।
आदित्य - हे यू मिस बहन जी, जो भी नाम है तुम्हारा व्हाटएवर, मुझे समझाने की कोशिश मत करो तुम। और तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई आदित्य राणा पे इल्जाम लगाने की। आँख इसकी ( श्रेया की ) ख़राब है मेरी नहीं, इलाज कराओ इसका।
किंजल - तुम्हारी आँखे ठीक है, तुमने चश्मे नहीं पहने तो क्या हुआ कल का क्या भरोसा। कल को तुम्हे भी चश्मे आ जाये और कोई तुम्हे ऐसे चिढ़ाए, ऐसे सबके सामने मजाक उड़ाए तो तुम्हे कैसा लगेगा? तुम्हे किसी का भी सबके सामने इस तरह से इंसल्ट करने का कोई हक़ नहीं है, लड़कीओ से बात करने की तमीज़ ही नहीं तुममे।
विक्की - ऐ लड़की, तू जानती भी है किस्से बात कर रही है? जिस जगह पे तू खड़ी है न वो जगह इसके डैड की है समझी। ये पूरा स्कूल इसके डैड के नाम पर है। राणा खानदान का वारिस है यह, अगर ये चाहे तो तुम दोनों को एक झटके में यहाँ से बहार निकलवा दे समझी। लगता है तुम दोनों नई हो यहाँ इसलिए इसके बारे में जानती नहीं हो। यहाँ किसी भी बच्चे से पुछलो ऐसा कोई नहीं होगा जो आदित्य राणा को जानता न हो।
किंजल - मुझे इसके बारे में जानने के लिए किसी और से पूछने की क्या जरूरत, तुम्ही ने सब कुछ बता दिया है और वैसे भी हमे तुम लोगो के बारे में जानने में रद्दी भर की भी दिलचस्पी नहीं है और तो और हम यहाँ अपनी मेहनत से आये है, हमने एडमिशन प्रॉसेस अच्छे से कम्प्लीट किया है, किसी के घर वालो के दम पे नहीं।
किंजल की बात सुनके आदित्य के अंदर गुस्सा भर गया। इंदिरेक्ट्ली उसे लग रहा था की किंजल सभी के सामने उसकी इंसल्ट कर रही है। उसको श्रेया पर काफी ज्यादा गुस्सा आ रह था मन कर रहा था की अभी श्रेया को यहाँ से बहार कर दे। उसकी ईगो जो हर्ट हुई थी।
आदित्य - यू ब्लडी
ये क्या हो रहा है यहां पर? प्रिंसिपल के आने से आदित्य की बात अधूरी रह जाती है और शोर एकदम से शांत हो जाता है।
प्रिंसिपल उनसभी के पास आके बोले - तुम सभी अपनी क्लास छोड़ कर बहार क्या कर रहे हो? और किस बात का इतना शोर मचा रखा है? ( श्रेया और किंजल को देखके ) तुम दोनों तो न्यू स्टूडेंट हो न?
विक्की - सर एक्चुअली ये...
किंजल उसकी बात काटके बोली - सर में बताती हु, सर हम अपनी क्लास में ही जा रहे थे की तभी ये लोग सामने आ गए और श्रेया इससे गलती से टकरा गयी। इसने जानबुज कर नहीं किया फिर भी ये लोग हम पर गलत इलजाम लगा रहे है और इसने ये भी कहा की ये स्कूल इसका है इसलिए ये कुछ भी कर सकता है और हमे स्कूल से बहार भी कर सकता है।
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part 15 - Ego hurt
प्रिंसिपल - आदित्य, देखो तुम्हे ऐसे किसी भी स्टूडेंट को परेशान करने कोई हक़ नहीं है और अगर गलती से टक्कर हो भी गयी तो एक दुसरे को सॉरी बोलके मामला क्लियर करना चाहिए न की किसी की पुरे क्लास के सामने इंसल्ट करना। ये स्कूल तुम्हारा नहीं है तुम्हारे दादा का है। तुम्हारे दादा और तुम्हारे पापा का बहुत सम्मान करता हु में लेकिन इसका मतलब ये नहीं की तुम्हारी हर गलतिया माफ़ कर दूंगा। जरा सोचो, अगर तुम्हारे दादा को पता चला की तुम किसी को तंग करते हो तो कैसा लगेगा उन्हें? चलो सॉरी बोलो एकदूसरे को और अपनी क्लास में जाओ।
किंजल - सर, हमने तो पहले ही सॉरी कह दिया था। आप इसको कहिये की हमसे माफ़ी मांगे।
प्रिंसिपल - आदित्य माफ़ी मानगो इनसे।
आदित्य के पास अब कोई चारा नहीं था इसलिए वो उन्दोनो को गुस्से से घूरते हुए बोला - आई ऍम सॉरी।
फिर एकदम से श्रेया के नजदीक से निकालके क्लास में चला जाता है। उसके ऐसा करने से श्रेया 2 कदम पीछे चली जाती है। एक एक करके सारे स्टूडेंट अपनी क्लास में चले जाते है।
आदित्य गुस्से से श्रेया को देखके खुद से कहता है - आदित्य राणा ने आज तक किसी को सॉरी नहीं कहा और इस चश्मिश की इतनी हिम्मत की पुरे क्लास के सामने मेरी इंसल्ट करे। इसकी कीमत तो तुम्हे चुकानी ही पड़ेगी, मिस चश्मिश आज से तुम्हारे बुरे दिन शुरू। अब देखो में तुम दोनों का क्या हाल करता हु।
करीब दो घंटे बाद ब्रेक टाइम हुआ। कुछ बच्चे बाहर चले गए तो कुछ क्लास में ही रहे। श्रेया और किंजल अपना टिफिन बॉक्स निकाल कर नाश्ता करने लगी।
क्या में आप दोनों से कुछ बात कर सकता हु? – किसी की आवाज उन्दोनो के कानो में पड़ी। दोनों ने अपना सिर उठा के देखा तो एक लड़का सौम्य मुस्कान लिए खड़ा था। दोनों अनजान थी की आखिर ये है कौन?
उस लड़के ने अपना परिचय देते हुए कहा - मेरा नाम जसदीप है, जसदीप मेहता। तुम दोनों की ही क्लास में हु।
श्रेया और किंजल - हाय, हेलो
जसदीप - देखो, बहार जो हुआ उसके लिए में शर्मिंदा हु और अपने दोस्त की और से आप दोनों से माफ़ी मांगता हु और,,,,
किंजल - ओह तो तुम उस बद्तमीज़ लड़के के दोस्त हो। देखो तुम उसकी तरफदारी करने आये हो तो वापिस चले जाओ, हमे तुम्हारे उस बिगड़ैल दोस्त के बारे में कुछ नहीं सुनना। और वैसे भी तुम उसी के तो दोस्त हो क्या पता तुम भी उसके जैसे ही होंगे। जैसी संगत वैसी रंगत।
कहते हुए किंजल अपना मुँह फेर लेती है और जसदीप श्रेया को लाचारी से देखता है।
जसदीप - तुम मुझे गलत समझ रही हो। आदित्य मेरा दोस्त है लेकिन वो दिल का बुरा इंसान बिलकुल भी नहीं है और में उसकी सफाई में कुछ कहने नहीं आया पर उसने जो किया उसकी माफ़ी मांगने आया हु।
किंजल - अगर तुम्हारा दोस्त पुराण ख़तम हो गया हो तो यहाँ से जा सकते हो।
उसकी बात से जसदीप बुरा लग गया। वो क्या सोच के आया था की आदित्य की तरफ से माफ़ी मांगके सब ठीक कर देगा लेकिन ये तो उल्टा ही हो गया। किंजल तो उसकी बात तक सुनना नहीं चाहती थी। वो उदास होके वहा से चला गया।
श्रेया - किंजू, ये क्या किया तुमने। तुम्हे ऐसे नहीं कहना चाहिए था। वो बेचारा बस सॉरी कहने को ही आया था और तुमने ऐसी बाते करके उसको भगा दिया।
किंजल - तुम्हे बड़ी फ़िक्र हो रही है उसकी।
श्रेया - नहीं यार ऐसा नहीं है। वो लड़का मुझे कुछ अलग सा लगा, शायद वो अपने दोस्त के जैसा न हो और वो सच में माफी मांगने ही आया हो ऐसा भी हो सकता है न।
किंजल - और ऐसा भी तो हो सकता है न की यह अपने दोस्त के कहने पे आया हो, उसी ने कहा होगा की जाओ पहले अच्छी बाते करो फिर दोस्ती करो और फिर ऐसा कुछ करे जिससे हमारी फिर से इंसल्ट हो जाये इस पूरी स्कूल के सामने। मुझे तो लगता है की ये उसी बददिमाग लड़के का कोई प्लान होगा। देखना मीठी, वो चुप तो नहीं बैठेगा, कुछ न कुछ तो करेगा ही हमे फ़साने के लिए लेकिन हम फसेंगे नहीं।
आदित्य - फसना तो पड़ेगा मेरी जाल में। ऐसा जाल बिछा दूंगा की दोनों कभी उसमे से बहार निकल नहीं पायेगी। अरे छटपटायेगी उस बिन पानी की मछली के जैसे, लेकिन मुझे पहले उसकी कवच बनी बहन को तोडना पड़ेंगा । बड़ा गुरुर है न उसको अपनी बहन को लेकर। उसी गुरुर को चकनाचूर करूँगा में। पहले उसको ठिकाने लगाना पड़ेंगा उसके बाद उस चश्मिश की बारी।
विक्की सटीक स्माइल देकर बोला – तुम जो चाहते हो वही करो, में तुम्हारे साथ हु।
आदित्य और विक्की क्लास के बहार खड़े बाते कर रहे थे या यूँ कह लो की श्रेया और किंजल के खिलाफ प्लान बना रहे थे। सबके सामने आदित्य का किसी लड़की को सॉरी कहना उसकी ईगो हर्ट कर गया।
अग्रवाल हाउस... रात का समय...
स्कूल में जो हुआ उसकी वजह से श्रेया का मूड काफी उखड़ा उखड़ा था लेकिन उसने अपने चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान बनाई हुई थी इसलिए किसी को भी शक नहीं हुआ। सिवाय दो लोगो के, एक किंजल और दुसरे राम जी। श्रेया की उदासी उन्दोनो से छुप ना सकी। सभी खाना खा रहे थे इसलिए राम जी ने श्रेया से बादमे बात करने का सोचा।
खाना खाने के बाद राम जी श्रेया के पास आते है और देखते है की वो अपने हाथ में बुक लिए बैठी थी लेकिन उसका ध्यान किताब में नहीं था। उसको ऐसे ग़ुम देख राम जी उसके पास आके बैठ गए और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगे। श्रेया अपने सिर पर ममता भरा स्पर्श पा कर देखती है की उसके पापा मुस्कान लिए बैठे थे। ये देख के उसके चेहरे पे भी छोटी सी मुस्कान आ गयी।
श्रेया अपनी किताब को साइड में रख के राम जी के सामने सीधी हो कर बैठ गई और बोली – पापा आप यहां इस वक्त?
राम जी हस्ते हुए बोले - क्यों भाई, अब क्या हमे अपनी बेटी से मिलने के लिए कोई अपॉइंटमेंट लेनी पड़ेगी क्या?
श्रेया - नहीं नहीं पापा, ऐसा नहीं है। आप तो कभी भी आ सकते है, इसके लिए आपको किसी इजाजत की जरूर नहीं। आप इतनी रात को आये इसलिए थोड़ा अजीब लगा, बताइये न क्या बात है ?
आदित्य की ईगो काफी ज्यादा हर्ट हो चूकी थी और अब वह श्रेया और किंजल को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार था। वही दूसरी ओर, जसदीप सच में दोस्त बनना चाहता था, लेकिन किंजल उसे शक की नजर से देख रही है। वहीं, श्रेया की उदासी उसके पिता से छिप नहीं सकी।
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part 16 - अनकही बातें
श्रेया अपनी किताब साइड में रख के राम जी के सामने सीधी हो कर बैठ गई और बोली – पापा आप यहां इस वक्त?
राम जी हस्ते हुए बोले - क्यों भाई, अब क्या हमे अपनी बेटी से मिलने के लिए कोई अपॉइंटमेंट लेनी पड़ेगी क्या?
श्रेया - नहीं नहीं पापा, ऐसा नहीं है। आप तो कभी भी आ सकते है, इसके लिए आपको किसी इजाजत की जरूर नहीं। आप इतनी रात को आये इसलिए थोड़ा अजीब लगा, बताइये न क्या बात है ?
राम - ये तो में पूछना चाह रहा हु, क्या हुआ है बेटा? में जब से आया हु देख रहा हु तुम्हारे चेहरे पर वो चमक नहीं है जो आज सुबह मेने देखि थी। स्कूल में कुछ हुआ क्या?
राम जी बात सुन श्रेया सोच में पड़ जाती है की स्कूल में जो हुआ वो उनको बताये या नहीं? अगर बता दिया तो खामखा उनको टेंशन हो जाएगी और अपने पापा को टेंशन में देख उसकी मम्मी को भी चिंता होगी, इसलिए वो कुछ न बताना ही सही समझती है।
श्रेया को खामोश देख राम जी पूछते है - बोलो मीठी, ऐसे चुप रहोगी तो मुझे तुम्हारी चिंता होगी। क्या स्कूल में किसी ने तुमसे कुछ कहा या फिर किसी ने डांटा? अगर ऐसा है तो हम कल के कल चलके तुम तीनो का एडमिशन किसी और स्कूल में करा देते है।
श्रेया - नहीं नहीं पापा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, आप चिंता मत कीजिये। वो क्या है न की नयी जगह है, नया स्कूल है और नए लोग है इसलिए थोड़ा एडजस्ट होने में टाइम लगेगा। लेकिन स्कूल वाकई में बहुत अच्छा है पापा, आप बिलकुल भी फ़िक्र मत कीजिये।
राम जी - ठीक है तुम कहती हो तो मान लेता हु लेकिन अगर तुमको लगे की मुझे कुछ भी बताने जैसा है या स्कूल में कुछ गड़बड़ है और कोई परेशान कर रहा है तो बेझिजक होके कहना। मुझसे कुछ भी मत छुपाना ठीक है।
श्रेया - जी पापा।
राम जी के जाने के बाद किंजल उसके पास आके कहती है – तूने बड़े पापा से जूठ क्यों कहा? जो भी आज हुआ वो सब बता देना था न। अगर बता देती तो कल हम बड़े पापा के साथ जाके प्रिंसिपल से उस लड़के की कंप्लेन करते न।
श्रेया - नहीं किंजू, में पापा को परेशान नहीं करना चाहती और वैसे भी ये कोई इतनी बड़ी बात भी नहीं है। चल अब जाने दे ये सब बाते, अब सो जाते है।
श्रेया ने कहा तो किंजल रूम की लाइट ऑफ करके बेड पर लेट गयी।
किंजल - मीठी,,,,,
श्रेया - हम्म
किंजल - देख, मुझे पता है की तू आज सुबह की बात से परेशान है पर प्लीज् तू ऐसे परेशान मत हो। तुझे ऐसे देख के मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है और तू क्यों टेंशन ले रही है अगर उसने फिर से ऐसा कुछ किया तो हम सीधा प्रिंसिपल के पास जायेंगे।
श्रेया - में उस बात को लेके परेशान नहीं हु।
किंजल - तो फिर क्या बात है?
श्रेया - वो,,, ( फिर अपने मन में ) नहीं किंजू को बताना ठीक नहीं होगा, ये बात अपने तक ही रखनी होगी।
किंजल - मीठी, बता न क्या हुआ?
श्रेया - अरे कुछ नहीं में तो उस बात को कब की भूल गयी और अब तू भी भूल जा और शांति से सो जा वरना तेरे छोटे से दिमाग में असर पड़ जायेगा।
किंजल - हम्म सही कह रही है तू। हुँह? क्या कहा तुमने मेरा छोटा दिमाग, तेरी तो में,,,
किंजल श्रेया को गुदगुदी करने लगी इसलिए वो जोर जोर से हसने लगी साथ किंजल भी हस रही थी। दोनों के हसने की आवाज नीतू जी के कानो में गयी तो वे बड़बड़ाते हुए बोली - हे भगवान ये दोनों लड़किया भी ना, कुछ तमीज़ ही नहीं है पागलो की तरह जोर जोर से हसे जा रही है। ( फिर जोर से आवाज देकर ) मीठी, किंजल चुपचाप सो जाओ। अगर दोनों मे से किसी की भी आवाज आई तो अच्छा नहीं होगा।
नीतू जी की बात सुनके दोनों डर के मारे जल्दी से सो जाती है। श्रेया के आँख बंद करते ही उसे आदित्य की भूरी आँखे दिख रही थी जिसकी वजह से उसके चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है। इस बात से अनजान की जिसकी वजह से वो मुस्कुरा रही है अब वो ही उसके रोने की वजह बनने वाला है।
राणा मेंशन
सभी डिनर कर रहे थे जिसमे आद्रिका भी थी। वो आदित्य के पास ही बैठी थी। आद्रिका कभी कबार राणा मेंशन में ही रुक जाया करती थी। आद्रिका खाते समय थोड़ी थोड़ी देर में आदित्य को देख रही थी जिससे नेहा को गुस्सा आ रहा था क्यों की जब आदित्य आद्रिका के साथ होता तो वो नेहा को इग्नोर कर देता था।
और इस बात से नेहा काफी चिढ़ जाति, क्यों की उसे लग रहा था कि कही न कही आद्रिका आदित्य को उसकी फैमिली से दूर कर रही है इसलिए नेहा आद्रिका को जरा भी पसंद नहीं करती थी।
हिरदेश जी ने आदित्य को देख के कहा - बरखुरदार, सुनने में आया है की तुमने किसी को आज स्कूल में परेशान किया था, किसी ने पहली बार आदित्य राणा की ज़ुबान बंद करदी।
ये सुन के आदित्य को एकदम से ठसका लग जाता है और वो खांस ने लगता है। एकता जी पानी का ग्लास देके उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहती है - क्या आप भी, खाते वक़्त बच्चे को ठीक से खाने तो दीजिये। देखिये क्या हो गया।
हिरदेश - उसको कुछ नहीं हुआ है वो ठीक ही है। ये दुआ करो की इसकी वजह से दूसरे ठीक रहे। आये दिन गुंडागर्दी करता रहता है।
आदित्य चिढ के - डैड प्लीज मेने कोई जानबुज के नहीं किया। अब लोगो को खुद ही मुझसे पन्गा लेने का, चैलेंज करने का शौक है तो इसमें में क्या करू ?
चरण - क्या हुआ बच्चे? किसने तुमसे पन्गा लिया? हमे बताओ हम अच्छे से खबर लेंगे उसकी।
आदित्य हड़बड़ाते हुए - नहीं दादू कुछ नहीं हुआ।
इन्दर - एक बार कहो तो सही क्या हुआ स्कूल में?
भाग्यलक्ष्मी – आदि बेटा, जो भी बात अपने मन में है वो कह दो, परिवार से कुछ भी छुपाना नही चाहिए।
सभी के जोर देने पर आदित्य को ना चाहते हुए भी कहना ही पड़ा, वो हिचकिचाते हुए बोला - वो, वो एक लड़की है।
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श्रेया अपने पापा को सच्चाई नहीं बताना चाहती, लेकिन उसकी उदासी राम जी से छिप नहीं सकी। वहीं किंजल को पूरा यकीन है कि आदित्य इतनी आसानी से हार मानने वाला नहीं है। दूसरी ओर, आदित्य का गुस्सा और बढ़ गया है, और अब उसके परिवार को भी उसके स्कूल के किस्से के बारे में पता चल गया था।
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part 17 - नफरत की शुरुवात
सभी के जोर देने पर आदित्य को ना चाहते हुए भी कहना ही पड़ा, वो हिचकिचाते हुए बोलै - वो, वो एक लड़की है।
उसकी बात सुनके सभी के हाथ रुक जाते है और सभी बड़ी बड़ी आँखों से आदित्य को देखने लगते है...
आदित्य - एक्चुअली एक नहीं 2 लड़किया है और आज ही आई है दोनों।
नेहा हस्ते हुए - भाई का मुँह किसी लड़की ने बंद कर दिया, वाह बड़ा मजा आया कमाल हो गया। मुझे देखना है की वो लड़की कैसी दिखती है।
आदित्य चिढ के - हसना बंद कर चुहिया। आज तक ऐसा कोई नहीं जो आदित्य राणा का मुँह बंद कर सके और तू उससे मिलके क्या ही कर लेगी, वो तो दिखने में भी सुन्दर नहीं है। कितने बड़े बड़े चश्मे लगाती है, उसकी आँखे एकदम काली सी है और उसके लम्बे बाल उसने चोटी बाँध के रखी थी। उसने मेकअप भी नहीं किया था पर शायद काजल लगाया था और उसके होठ तो...
बोलते बोलते वो एकदम से चुप हो जाता है। उसे समझ आता है की उसने अभी अभी सभी से क्या कह दिया। फिर उसने एक नज़र सभी को देखा... सभी आँख मुँह फाड़े हैरानी से उसे ही देख रहे थे। सभी को इतना तो पता था आदित्य की फीमेल फ्रेंड सिर्फ आद्रिका, पूजा और तमन्ना ही है। पर इन तीनो के अलावा किसी और लड़की का इतनी बारीकी से वर्णन करना जैसे की काफी सालो से जनता हो ये काफी हैरानी भरा था।
वही आद्रिका को अंदर ही अंदर काफी गुस्सा आ रहा था। आदित्य के साथ उसे अपने नाम के सिवा किसी भी लड़की का नाम तक सुनना ना गंवारा था। वो श्रेया को जानती नहीं थी क्यों की आज वो स्कूल नहीं गयी थी, उसे श्रेया से काफी जलन महसूस हुई।
आद्रिका के हाथ में जो चम्मच पकड़ी हुई थी वो नीचे गिर गयी जिसके आवाज से सभी होश में आये और अपना खाना खाने लगे। किसी ने आदित्य के कुछ नहीं कहा, सब का युंह चुप रहना और किसी का कोई सवाल ना करना आदित्य को काफी अजीब सा लगा इसलिए उसे भी श्रेया पर गुस्सा आने लगा।
आद्रिका तीखे स्वर में बोली - आदित्य, इतना तो तुमने कभी मुझे भी ऑब्सेर्वे नहीं किया और वो लड़की है कौन जिसकी इतनी हिम्मत के उसने तुमने इतना सब कहा, में कल उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी।
आदित्य कुछ कहने ही वाला था की बीचमे भाग्यलक्ष्मी जी बोल पड़ी। शायद उनको आद्रिका का श्रेया के बारे में गलत कहना पसंद नहीं आया। इसलिए उन्होंने आद्रिका को चुप करते हुए कहा - आद्रिका, किसी के भी बारे में गलत सोचने से पहले परिस्थिति को जान लेना चाहिए, क्या पता आदित्य से भी अनजाने में कोई गलती हुई हो और इसलिए उस लड़की ने कुछ कह दिया हो।
एकता - लेकिन माँ, ऐसा भी तो हो सकता है की वो लड़की जानबुज के टकराई हो तकी आदित्य का ध्यान अपनी तरफ कर सके। आखिर आदित्य है ही ऐसा की हर एक लड़की उसको पाने की चाहत रखती है। शायद उसका भी मन टटोल गया हो।
हिरदेश - हो ही नहीं सकता, मुझे पता चला है की दोनों अच्छे मार्क्स से एग्जाम में पास हुई है और आप एक बात सोचो, वो तो आज ही आई है और उनको स्कूल के बारे में कुछ पता भी नहीं तो वहा के बच्चो के बारे में जानना तो दूर की बात है इसलिए ये वजह नहीं हो सकती।
चरण जी कुछ सोचते हुए बोले - हम्म, अब तो उस लड़की से मिलना ही पड़ेगा।
आदित्य और एकता जी को हिरदेश जी का यूँ श्रेया की साइड लेना पसंद नहीं आया। दोनों के मन में श्रेया को लेकर काफी हद तक नफरत होने लगी थी। आद्रिका ने भी मन ही मन श्रेया से बदला लेने का ठान लिया था। बेचारी श्रेया ने कुछ न करके भी काफी कुछ कर लिया था जिसको अब तक कोई भनक ही नहीं थी।
खाना खाने के बाद सभी अपने अपने रूम में चले गए और आद्रिका भी अपने घर चली गयी। आदित्य अपने बेड पे लेट के अभी अभी जो डाइनिंग टेबल पे हुआ उसके बारे में सोचे जा रहा था।
आदित्य - उफ़ चश्मिश, तूम तो पहले ही दिन छा गयी हो यार। मेरी फॅमिली तुमसे अभी मिली तक नहीं और आधे लोगो को अपने साइड भी कर लिया। मेरे डैड, मेरे दादू और दादी तो तुमपे फ़िदा हो गए। ऐसा कौनसा जादू करती हो तुम जिससे लोगो को अपनी तरफ अट्रैक्ट करना अच्छे से आता है। पर अफ़सोस तुम्हारा जादू मेरे पे नहीं चलेगा क्यों की तुम जैसी लड़कीओ को अच्छी तरह जानता हु में। सब तुम्हारी वजह से हुआ है, ना ही तुम मुझसे टकराती और न ये सब होता। तुम्हे तो में छोडूंगा नहीं चश्मिश।
अगला दिन
अग्रवाल हाउस
श्रेया - किंजल यार क्या कर रही हो? जल्दी करो न वरना लेट हो जायेगा, देखो बहार बस भी आ गयी है।
किंजल अपने मुंह में पराठा खाए – बस आ गई तो क्या 2 मिनिट रुक जायेगी, तू शांति से नाश्ता करने दे मुझे।
प्रतिक - हां जीजी, मेरा भी बस ख़तम होने ही वाला है।
श्रेया चिढ़ते हुए किंजल और प्रतिक का हाथ खींच कर दोनों को बस में बिठा देती है।
किंजल मुँह बिगड़ते हुए - क्या यार मीठी, ठीक से खाने भी नहीं दिया मुझे।
श्रेया - तुम दोनों के नास्ते के चक्कर में आज बस छूट ही जाती और हम स्कूल भी टाइम से न जा पाते। तुझे पता तो है की हमने मिडिल टर्म में एडमिशन लिया है उस हिसाब से हमे सिलेबर्स को कवर करना है और इसलिए मुझे एक भी लेक्चर मिस नहीं करनाा और रही नाश्ते की बात तो ये ले।
श्रेया प्रतिक और किंजल के सामने अपना हाथ आगे करती है। दोनो देखते है की उसके हाथो में दो पराठा थे उसे देख कर वे खुश हो जाते हैं।
किंजल - अरे मेरी प्यारी बहना, तुझे अच्छे से पता है की मेरा मूड कैसे ठीक करना है। इस पूरी दुनिया में तू ही तो है जिसके में अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हु।
प्रतिक श्रेया के हाथ मेसे पराठा लेके - सच में जीजी आप वर्ल्ड में सबसे बेस्ट हो।
श्रेया - अच्छा, मेने पराठा दिया तो में अच्छी हो गयी।
यह सुनके किंजल और प्रतिक अपनी बत्तीसी चमका देते है। दोनों को ऐसे देख श्रेया मुस्कुराके कहती है - नौटंकी।
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