ये कहानी है युग सिंघानिया की जिसे एक ऐसी लड़की से प्यार हो जाता है जिसे वो जानता भी नही था ! शायद पहली नज़र का प्यार हो गया था उसे ,इश्क़ हो गया था उसे ! पर अफसोस इससे पहले की वो अपनी महोब्बत तक पहुंच पाता या उसे ढूंढ पाता ...किस्मत उसके साथ ऐसा खेल... ये कहानी है युग सिंघानिया की जिसे एक ऐसी लड़की से प्यार हो जाता है जिसे वो जानता भी नही था ! शायद पहली नज़र का प्यार हो गया था उसे ,इश्क़ हो गया था उसे ! पर अफसोस इससे पहले की वो अपनी महोब्बत तक पहुंच पाता या उसे ढूंढ पाता ...किस्मत उसके साथ ऐसा खेल खेलती है जिसके बारे मे युग ने कभी सोचा भी नही था ! जिस लड़की को वो पूरे शहर मे ढूंढ रहा था वो लड़की उसके एम्पलाई की पत्नी निकली और किस्मत तो देखो युग दोनो को बधाई देने उनकी शादी मे पहुंच गया पर जब दुल्हन के रूप मे उसने अपनी महोब्बत को देखा तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई ! अब क्या होगा युग का ? क्या वो अपने पहले प्यार को भुला पाएगा या कहानी कुछ और होगी ?? जानने के लिए जुडिए मेरी कहानी के साथ ...
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शाम का वक्त, सूरज ढलने की कगार पर था! पक्षी अपने-अपने घोंसलों में वापस आ गए थे! पर दिल्ली का ट्रैफिक था जो चलना तो दूर हिलने का नाम भी नहीं ले रहा था! और इसी ट्रैफिक में फंसा था (युग), पूरा नाम युगवीर सिंघानिया...!! सिंघानिया कंपनी का इकलौता वारिस, जिसके पापा एक कार एक्सीडेंट में मर गए थे! जब वो मात्र 12 साल का था! 12 साल का एक बच्चा, जिसके कंधो पर एकदम से जिम्मेदारी आ गई थी, अपनी मां की जिम्मेदारी जो अचानक अपने पति की मौत से सदमे में चली गई थी! उसके साथ उसकी केयर टेकर माला भी थी, जिसने इस मुसीबत की घड़ी में ना सिर्फ अपनी मालकिन (मालिनी) को संभाला बल्कि युग का भी पूरा ख्याल रखा!! एक चीज और थी जिससे युग को आगे बढ़ने के लिए बहुत प्रेरित किया और वो थी "कनिका"! जब उसके पिता इस संसार से चले गए थे तो 5 साल की मासूम कनिका उसे फुटपाथ पर मिली थी जो कि उससे खाने को मांग रही थी! युग को कनिका पर इतना प्यार आया कि वो उसे अपने घर ले आया और अपनी बहन बनाकर हमेशा के लिए अपने पास रख लिया!! युग कनिका को बहुत प्यार करता था! इसकी एक वजह ये भी थी कि जिस दिन कनिका युग के साथ उसके घर आई उसी दिन से मालिनी भी ठीक होने लगी! सदमे से बाहर आई और अपना घर परिवार संभाला...! उसने भी कनिका को अपनी बेटी के रूप में खुले दिल से स्वीकार कर लिया!! अपनी मां को ठीक होता देख युग की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा! उसने कनिका को अपने सर पर बिठा लिया कि ये सब कनिका की वजह से हुआ है! और युग ने उसे इतना लाड़ प्यार दिया कि कनिका थोड़ी सी जिद्दी हो गई थी पर वो भी युग से बहुत प्यार करती थी! जान छिड़कती थी वो अपने भाई पर...!! मालिनी ने दोनों बच्चों को पढ़ाया लिखाया, युग तो इतना कामयाब हो गया था कि उसने अपने पापा का बिजनेस बखूबी संभाल लिया था और कनिका अभी पढ़ाई कर रही थी!! मालिनी ने घर और ऑफिस साथ-साथ संभाला और इन सब में उसका साथ दिया माला ने! उसको दो-दो बच्चे मिल गए थे, उसने शादी नहीं की..!! अब चारों एक परिवार की तरह रहते थे! मालिनी को मां और माला को छोटी मां कहते थे युग और कनिका...!! युग बहुत ही समझदार, सुलझा हुआ और शांत स्वभाव का था! बात तो उतनी ही करता था जितनी जरूरत हो! फालतू किसी से मतलब नहीं! वैसे उसका जो कुछ भी था कनिका का था! यूं कहे कि कनिका ही उसकी पूरी दुनिया थी!! आज वो दुनिया के सामने एक पावर फुल बिजनैस मैन बनकर खड़ा था पर घमंड दूर-दूर तक नहीं था उसमें!! खैर वो अभी भी ट्रैफिक में फंसा हुआ था! हर तरफ से आती गाड़ियों का शोर सर में दर्द कर रहा था! इन सब से अपना ध्यान हटाने के लिए युग अपने फोन में आए मेल चेक करने लगता है! तभी एक फूल बेचने वाली उसके शीशे पर नॉक करती है! युग उसकी तरफ देखता है! वो फूलवाली अपनी आंखों से ही उससे फूल खरीदने की मिन्नत करती है! उसका चेहरा देखकर ही पता चल रहा था कि उसे पैसों की जरूरत है! शायद काफी टाइम से भूखी थी वो...! युग शीशा डाउन करता है! फूल वाली उसकी तरफ फूल बढ़ाती है! युग वो फूल ले लेता है और बदले में उसकी तरफ दो हजार का नोट बढ़ाता है! "मेरे पास खुले पैसे नहीं है साहब!" फूल वाली अपनी लाचारी बताती है! "कोई बात नहीं, तुम इसे रख सकती हो!!" ये सुनते ही उस फूल वाली का चेहरा खुशी से खिल जाता है, वो युग को अनेकों दुआएं देते हुए चली जाती है! युग वापस अपने फोन में लग जाता है! उसकी गाड़ी का शीशा अभी भी डाउन था...!! युग का पूरा ध्यान अपने फोन पर था! तभी एक लहराता हुआ दुपट्टा आकर उसके चेहरे को छूता है! युग की आंखें खुद-ब-खुद बंद हो जाती है! एक सुकून, मिलता है उसे जिसे वो समझ नहीं पाता! उस दुपट्टे से आती भीनी खुशबू... उफ्फ... जैसे हजारों फूल एक साथ खिले हो! युग का रोम-रोम महक जाता है! वो अभी ढंग से उस दुपट्टे से बाहर नहीं आया था कि इतने में उसके कान में किसी के खिलखिलाकर हंसने की आवाज़ पड़ती है! युग को ऐसा लगता है जैसे कोई मधुर संगीत उसके कानों में घुल गया हो! वो तुरंत अपनी आंखें खोलता है और देखता है कि कोई लड़की उसकी गाड़ी के पास से गुजरी है जिसका वो दुपट्टा था जो कि अब युग के हाथ से फिसल गया था!! व्हाइट सूट उस पर पीला दुपट्टा, कमर तक आते उसके सिल्की-सिल्की बाल! बस इतना ही देख पाया था वो! इससे पहले की वो उस लड़की का चेहरा देखता, वो उससे दूर जा चुकी थी! "कौन थी वो..?" उसके दिल से आवाज़ आती है! तभी पीछे से उसे गाड़ियों का हॉर्न सुनाई देते है, जिससे उसे पता चलता है कि ट्रैफिक खुल गया है पर उसकी गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं रही! और बढ़ती भी कैसे युग तो खो गया था उस पीले दुपट्टे वाली में...!! वो जल्दी से गाड़ी आगे भगाता है! पर उस लड़की का चेहरा देखने की बैचेनी बढ़ गई थी उसके दिल में..!! पर अब वो लड़की तो हवा के झोंके की तरह गायब हो गई थी! लेकिन उसके दुपट्टे का एहसास अभी भी युग को हो रहा था! उसके दुपट्टे की भीनी-भीनी खुशबू अभी भी उसे महसूस हो रही थी! पहली बार वो किसी लड़की के बारे में इतना सोच रहा था! खैर वो अपने घर की तरफ निकल जाता है...!! मालिनी उसका ही इंतजार कर रही थी! कुछ ही देर में युग अंदर आता है! और मालिनी के पास जाकर बैठ जाता है!! "कहां रह गया था युग?? ऑफिस से तो कब का निकल गया था तू..!!" माला उसके लिए पानी लेकर आती है! युग पानी का गिलास उठाते हुए, "पूछो मत मां, इतना ट्रैफिक, इतना ट्रैफिक की बस..! छोटी मां बहुत भूख लगी है जल्दी से कुछ दे दो!!" "अभी लाती हूं!" इतना कहकर माला किचन में चली जाती है! युग इधर-उधर देखते हुए, "आज घर में इतनी शांति क्यू है?? हमारे घर की रौनक कहा है??" "अपने कमरे में है! सो रही है घोड़े बेचकर! तूने कुछ ज्यादा ही सर पर चढ़ा लिया है उसे..!! बहुत लापरवाह हो गई है ये लड़की..!!" युग मुस्कुराते हुए, "बच्ची ही तो है मां! यही तो दिन है उसके हंसने खेलने के..!! उसे कुछ मत कहा कीजिए!!" "हे भगवान क्या करू मैं इन दोनों का! हमेशा एक दूसरे की वकालत करते रहते है!!" माला नाश्ता लेकर आते हुए, "ये तो इनका हर बार का है दीदी! मैंने तो कुछ कहना ही छोड़ दिया है!" उसकी बात पर युग हल्का सा मुस्कुरा देता है! इसके बाद वो थोड़ा बहुत खाकर ऊपर अपने कमरे में चला जाता है अपनी कल की मीटिंग की तैयारी करने!! कल वो बहुत बड़ी डील साइन करने वाला था!! खैर रात गहरा जाती है! बिस्तर पर गिरते ही सो जाने वाले युग को आज नींद नहीं आ रही थी! एक अनछुआ सा एहसास बार-बार उसे छूकर जा रहा था! वो आंखें बंद करता तो वही दुपट्टा उसको अपने चेहरे पर महसूस होता, वही हंसी अपने कानों में घुलती हुई महसूस होती!! "ये क्या हो रहा है मुझे!!!" वो करवटें बदलते हुए बोलता है!! खैर किसी तरह रात गुजरती है और सुबह होती है!! युग तो जल्दी से तैयार होकर ऑफिस निकल गया था और कनिका अपने कॉलेज जाने की तैयारी कर रही थी!! वो रेडी होते हुए, "आज बस भाई की डील साइन हो जाए, फिर तो वो मुझे शॉपिंग पर लेकर जाएंगे ही..." खुशी से चहकते हुए वो ये सब बोल रही थी!! फिर जैसा कि सबको पता था कि युग ये डील जरूर साइन करेगा! यही होता है अपनी मेहनत से वो ये करोड़ों की डील साइन करता है! आज वो बहुत खुश था! वैसे तो वो हमेशा ही खुश रहता था पर आज कुछ अलग बात थी! दोपहर होते ही कनिका अपनी एक सहेली के साथ उसके ऑफिस पहुंच जाती है शांपिग पर जाने के लिए!! युग भी अपना जल्दी से अपना सामान समेटता है और जल्दी से कनिका के साथ चला जाता है! युग ड्राइविंग सीट पर बैठता है! कनिका और उसकी सहेली "सारिका" दोनों पीछे वाली सीट पर बैठ जाती है! युग दोनों को घूरता है कि मैं क्या तुम दोनों का ड्राइवर हूं?? पर वो दोनों उसकी बात समझ कर भी ना समझ कर देती है और अपनी बातों में लग जाती है!! "अच्छा ये तो बताओ कि जाना कहां है??" वो गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोलता है!! "चांदनी चौक" कनिका चहकते हुए बोलती है! "व्हाट?? इतनी भीड़ वाली जगह..! कहीं और चलो!!" युग बोलता है! "नो भाई आपने प्रॉमिस किया था! मुझे तो वही जाना है शॉपिंग करने!! आप बस चलो!!" युग हार मानते हुए चांदनी चौक की तरफ गाड़ी भगा देता है! कुछ ही देर वो वहां पहुंच जाते है!! तीनों गाड़ी में से बाहर आते है! युग अपना कार्ड उसे देते हुए, "जो चाहिए वो ले आओ! पर मुझे अपने साथ आने को मत कहो! मै तुम दोनों का यही वेट करता हूं!" कनिका भी उसकी बात मान जाती है और सारिका के साथ चली जाती है!! युग गाड़ी से टेक लगाकर वही खड़ा हो जाता है और अपने फोन में लग जाता है! तभी वही जानी पहचानी सी खुशबू, जानी पहचानी सी हंसी उसको सुनाई देती है! वो झट से अपना चेहरा ऊपर करता है और इधर-उधर देखता है! ब्लू कलर का चूड़ीदार, मैचिंग दुपट्टा, एक हाथ में सिल्वर कलर की मेटल की चूड़ियां, लहराते खुले बाल, ये वही लड़की थी जो युग के सामने से गुजरी थी! "ये, ये वही है!" युग के दिल से आवाज़ आती है! उसे पता ही नहीं चलता कब उसके कदम उस लड़की के पीछे चल पड़ते है!! अपने दुपट्टे को संभालती, अपने बालों को संवारती वो लड़की अपनी सहेली के साथ बातें करते हुए आगे बढ़ रही थी! और उसके पीछे दिवाना हुआ युग उसके पीछे-पीछे जा रहा था!! वो दोनों एक दुकान के अंदर जाती है और वो लड़की अपने लिए इयररिंग देखने लगती है! युग अभी तक उसका चेहरा नहीं देख पाया था! हां पर चेहरे देखने की बहुत बैचेनी हो रही थी उसे..! इतने में कोई उस लड़की को पीछे से आवाज़ लगाता है! "रावी.....!!" वो लड़की तुरंत पलट कर देखती है!! गेहुंआ रंग, काजल से सनी बड़ी-बड़ी आंखें, गुलाबी होंठ, और उसके गालों में पड़ते डिम्पल...!! युग तो बस देखता ही रह गया था उसको...!! "रावी....!!" उसके होंठ हिलते है!! पता नहीं क्या हो गया था उसे! और रावी थी जो उस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती और वहां से चली जाती है! युग तो बस खो गया था उस भीनी खुशबू में..।। इससे पहले की वो उसके पीछे जाता तभी कनिका उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, "भाई आप यहां..?? युग एक दम से होश में आते हुए, "मैं तुम दोनों को देखने आया था और कितना टाइम लगेगा..?? "बस भाई थोड़ी देर और!!" इतना कहकर वो फिर चली जाती है और तब तक रावी भी उसकी आंखों से ओझल हो गई थी!! युग की नज़रे बस उसे ही ढूंढ रही थी! "रावी....!!" कितना प्यारा नाम है! वो मन ही मन सोचता है! उसके बाद तो जैसे युग का चैन बस रावी के पास ही रह गया! युग रावी को भूल ही नहीं पा रहा था! सोते जागते, उठते बैठते बस रावी का ख्याल! पर इतने बड़े शहर में उसे कहां ढूंढे? कैसे पता लगाए उसके बारे में... देखते ही देखते 1 हफ्ता बीत जाता है! 1 हफ्ते में युग जब भी बाहर जाता तो उसकी नज़रे बस रावी को तलाशती रहती पर वो उसे कहीं नहीं मिली..!! फिर एक दिन वो अपने ऑफिस में काम कर रहा था! उसकी सेक्रेटरी उसके पास खड़ी थी! "मेरा आज का शेड्यूल क्या है मिस मोनिका??" युग लैपटॉप पर तेजी से उंगलिया चलाते हुए बोलता है! "सर आज दोपहर को आपकी मीटिंग है! और रात को आपको शादी में जाना है!" "शादी..?? युग एक दम से बोलता है!! "सर वो पीयूष वर्मा है! उसकी शादी है आज, वो आपको पर्सनली इनवाइट करके भी गया था! और अगर आपको नहीं जाना तो मैं एक अच्छा सा गिफ्ट उन्हें भिजवा देती हूं!!" पीयूष उसी के ऑफिस में काम करता था! सबको ये लग रहा था कि इतने बड़े ऑफिस का मालिक, एक एंप्लॉई की शादी में नहीं आएगा..! पर युग अलग था, वो इंसान देखता था अमीरी गरीबी नहीं!! "मैं पीयूष की शादी में जरूर जाऊंगा!!" वो मुस्कुराते हुए बोलता है! रात हो जाती है और युग पीयूष की शादी में पहुंच जाता है!! बाराती जोरों शोरों से नाच रहे थे पीयूष के दोस्त और ऑफिस के सभी लोग पहुंच जाते है! दूल्हा दुल्हन स्टेज पर बैठे थे! तभी युग अंदर आता है! ऑफिस के सभी लोग उसे देखकर हैरान रह जाते है! पीयूष की नजर दूर से ही युग पर जाती है! वो खुद उठकर उसका वेलकम करने जाता है! पीयूष, "वेलकम सर, वेलकम मुझे लगा की आप नहीं आओगे!!" "शादी की बहुत-बहुत बधाई पीयूष!" युग उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोलता है! पीयूष उससे हाथ मिलाते हुए, "थैंक यू सो मच सर, थैंक यू! आइए मैं आपको अपनी वाइफ से मिलवाता हूं..!!" ये कहता हुआ वो उसे स्टेज पर ले जाता है!! "आइए सर, मीट माई लवली वाइफ "रावी"....." युग जैसे ही उस लड़की को देखता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है!! वो कोई और नहीं, वही रावी थी जिसे वो अपना दिल दे बैठा था... जारी है..
गातांक से आगे...
अब तक आपने पढ़ा कि युग रावी को देखते ही अपना दिल दे बैठा था!! और अब वो अपने ऑफिस में काम करने वाले पीयूष की शादी में जाता है..!
पीयूष उससे हाथ मिलाते हुए, "थैंक यू सो मच सर, थैंक यू! आइए मैं आपको अपनी वाइफ से मिलवाता हूँ।" ये कहता हुआ वो उसे स्टेज पर ले जाता है!!
"आइए सर, मीट माई लवली वाईफ "रावी"....."
युग जैसे ही उस लड़की को देखता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है!! वो कोई और नहीं, वही रावी थी जिसे वो अपना दिल दे बैठा था...!! युग रावी की तरफ देखता है जो मुस्कुरा कर उसको नमस्ते कर रही थी! एक ही पल में युग के दिल के हजारों टुकड़े हो जाते है!! बस एक रोता नहीं है वो, बाकी कोई कमी नहीं रहती..!! बड़ी मुश्किल से वो खुद पर काबू पाता है और रावी की नमस्ते का जवाब देता है!!
"पीयूष आपकी बहुत तारीफ कर रहे थे! कि हमारे बॉस बहुत अच्छे है, वो जरूर आएगे..!! और सच में आपको यहां देखकर बहुत अच्छा लगा।" रावी कसकर पीयूष का हाथ पकड़ते हुए बोलती है!!
युग पर क्या बीत रही थी ये तो बस वही जानता था!! आज पहली बार उसका प्यार उसके सामने था, पहली बार वो उसकी आवाज़ सुन सकता था पर वो प्यार किसी और का होने वाला था..!! उसका प्यार किसी और की दुल्हन के रूप में उसके सामने था और वो कुछ भी नहीं कर पा रहा था..!!
तभी जय माला का वक्त होता है!! पीयूष का परिवार और रावी का परिवार स्टेज पर आते है!! दोनों को माला पकड़ाते है!! रावी बड़े प्यार से पीयूष को देख रही थी और युग रावी को...!!
रावी हाथ में माला पकड़े हुए पीयूष की तरफ बढ़ रही थी!! जैसे जैसे वो पीयूष की तरफ बढ़ रही थी, वैसे वैसे युग स्टेज से नीचे आ रहा था!! वो रावी के चेहरे की खुशी देख रहा था!! देखते देखते पीयूष और रावी एक दूसरे को हार पहना देते है और युग नम आँखों से बस देखता ही रह जाता है...!!
उसके लिए वहा रुकना भारी हो रहा था पर फिर भी पता नहीं क्यूँ वो वहा पर रुका हुआ था! शायद रावी के लिए, जिसे ये भी नहीं पता था कि दुनिया में एक इंसान ऐसा भी है जो उसे हद से ज्यादा चाहता है!!
युग ने जिंदगी में पहली बार प्यार किया और बेइंतहा किया, बेपनाह किया...पर अफसोस वो प्यार उसे नहीं मिल सका..!! वो प्यार उसकी आंखों के सामने किसी और का हो गया और वो कुछ कर भी नहीं पाया..!!
लेकिन वो कर भी क्या सकता था और किसके लिए करता..?? रावी पीयूष के साथ खुश थी!! युग दोनों को नम आंखों से देख रहा था!! इससे पहले कि कोई उसे इस हालत मे देखे, वो वहां से चले जाना ही बेहतर समझता है!! क्योंकि उससे अब वहां पर नहीं रुक जा रहा था...!!
जैसे ही वो वहां से जाने लगता है तभी पीयूष उसे एकदम से रोक लेता है!! "सर प्लीज हमारे साथ एक फोटो खिंचवाइए ना...प्लीज सर!!"
युग उसे मना नहीं कर पाता और एक बार फिर उसके कदम रावी की तरफ बढ़ जाते हैं!! दिल रो रहा था उसका पर होठों पर मुस्कान सजा रखी थी उसने...!! और इसी मुस्कान के साथ वो दोनों के साथ फोटो खिंचवाता हैं!! और दोनों के लिए जो गिफ्ट लाया था वो उनको देता है और एक बार फिर उन दोनों को बधाई देता है!!
इतने मे रावी की माँ बोलती है कि फेरो का वक्त हो गया है और वो युग को रोक लेते हैं कि खाना खा कर ही उसको जाने देंगे!! युग उनको मना नहीं कर पाता!!
पीयूष और रावी को मंडप मे ले जाया जाता है!! पंडित जी मंत्र पढ़ रहे होते हैं और देखते ही देखते युग के सामने रावी पीयूष की हो जाती है!!
युग किसी को बिना बताए वहां से निकल जाता है!! वो अपनी गाड़ी में बैठता है और वहां से चला जाता है!! लो कहां जा रहा था? किधर जा रहा था... कोई पता नहीं था!! बस वो गाडी भगाए जा रहा था..!! उसकी आंखों के सामने उसके प्यार को कोई अपना बना रहा था और वो कुछ नही कर पाया...!
कुछ वक्त के लिए उसे पीयूष से जलन भी होने लगी थी!! वो अपनी गाड़ी हाईवे की तरफ मोड़ देता है, आगे जाकर काफी लंबा जाम लगा हुआ था और लेकिन उसे किसी से कोई मतलब नहीं था!! वो किसी हारे हुए खिलाड़ी की तरह गाडी में से बाहर आता है और हाईवे के पास बने एक ढाबे पर जाकर बैठ जाता है!! जहां पहले से ही काफी लोग मौजूद थे!!
कुछ बंजारे भी वहा पर थे जो कि नाच गाना कर रहे थे!! कुछ लोग वहां पर शराब पी रहे थे!! युग क्या कर रहा है? क्या नहीं?? कुछ होश नहीं था उसको..!! वो एकदम से शराब की बोतल उठाता है और अपने होठों से लगा लेता है...!! जिंदगी में पहली बार आज उसने शराब को हाथ लगाया था....!! वो अपनी आँखे बंद करता है पर बंद आँखो से भी रावी का चेहरा नज़र आता है...वो गट गट करके शराब पीने लगता है, साथ साथ उसकी आँखो से आसू बह रहे थे...!!
तभी वहा पर नाचने वाला लड़का उसके पास आकर गाते हुए -
"खाली दिल नहीं जान वी ये माँगदा..
खाली दिल नहीं जान वी ये माँगदा...
इश्क दी गली विच कोई कोई लंगदा...
इश्क दी गली विच कोई कोई लंगदा..."
जैसे जैसे वो गा रहा था वैसे वैसे युग को रावी की और भी ज्यादा याद आ रही थी! ऊपर से उसने शराब पी ली थी! अब तो बस रावी का फितूर उसके सर पर चढ़ गया था!! उसका दिल कर रहा था कि वो रावी को पीयूष से छीन ले और हमेशा के लिए अपने पास रख ले..!! सैकंडो विचार चल रहे थे उसके दिल और दिमाग मे...!!
वो लड़का और उसके साथ एक लड़की फिर से गाते हुए -
"दुश्मन है दिल का ऐसा मन का यह मीत है
जग से निराली इस खेल की रीत है
दुश्मन है दिल का ऐसा मन का यह मीत है
जग से निराली इस खेल की रीत है
जीत में हार है हार में जीत है
जीत में हार है हार में जीत है
इश्क़ इश्क़ है मैदाने नहीं जंग दा...
इश्क़ इश्क़ है मैदाने नहीं जंग दा...
हाय....इश्क दी गली विच कोई कोई लंगदा...
इश्क दी गली विच कोई कोई लंगदा..."
युग वो पूरी बोतल शराब की पी जाता है और उसके दिल मे चल रहे गलत विचार और भी तेजी से उस पर हावी हो जाते है!! वो उठता है और अपनी गाडी की तरफ बढ़ता है....
जारी है..
युग वो पूरी बोतल शराब की पी जाता है और उसके दिल में चल रहे गलत विचार और भी तेजी से उस पर हावी हो जाते हैं! वो उठता है और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ता है....
पहली बार शराब पीने की वजह से उसको कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था! वो लड़खड़ाते कदमों से अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ता है और उसके अंदर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट करके वापस उसी जगह जाने के लिए घुमा देता है जहां पीयूष और रावी की शादी हो चुकी थी!
युग की आंखों के सामने उन दोनों की शादी हो चुकी थी, वो दोनों एक दूसरे के हो चुके थे लेकिन इसके बावजूद भी उसका दिल नहीं मान रहा था! आखिर मोहब्बत है... इंसान मरते दम तक अपने प्यार को पाने की कोशिश करता है फिर युग बेचारे ने पहली बार प्यार किया और वो अपने प्यार का इजहार भी नहीं कर पाया!
ये उसकी किस्मत अच्छी थी कि उस वक्त ट्रैफिक बहुत कम था जो वो शराब पीकर गाड़ी चला रहा था और उसे कुछ हुआ नहीं! किसी तरह वो वापस गाड़ी चला कर उसी मैरिज हॉल में पहुंचता है! वो अपनी गाड़ी के अंदर बैठा मैरिज हॉल को देख रहा था! जहां उसकी खुशियां खत्म हो चुकी थी, रावी का चेहरा उसकी आंखों के सामने बार-बार घूम रहा था! उसकी वो मीठी सी आवाज उसके कानों में घूम रही थी...!
वो गाड़ी का गेट खोलकर बाहर आने लगता है पर तभी उसकी नजर अंदर से आ रहे पीयूष और रावी पर पड़ती है! रावी की मांग में सिंदूर दूर से चमक रहा था और उसके चेहरे की खुशी बता रही थी कि वो कितनी खुश है!
युग अपने कदम वहीं रोक लेता है! वो अपना सर पीछे सीट पर टिका कर एक गहरी सांस लेता है! ना चाहते हुए भी उसकी आंखों से 2 आंसू बह जाते हैं!
वो वहीं बैठा-बैठा जी भरकर रावी को देखता है जो अपनी जिंदगी में बेहद खुश थी और फिर वहां से चला जाता है! पर वो उस पूरी रात घर नहीं जाता! वो इस रात को अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता, कभी भी नहीं!
जहां रावी अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर चुकी थी वही युग की तो पूरी जिंदगी ही उजड़ गई थी!
खैर अगली सुबह....
वो घर जाता है! जैसे ही वो घर के अंदर जाता है तो उसे माला और मालिनी दोनों ही परेशान सी बैठी नजर आती है! दोनों की नजर युग पर पड़ती है... दोनों ही जल्दी से उसके पास जाती है!
मालिनी उसे दोनों कंधों से पकड़ते हुए बोली, "बेटा कहां चला गया था तू? कितना फोन लगाया तुझे, कितना परेशान हो गए थे हम! तू तो ऐसा कभी भी नहीं करता, ऑफिस में फोन किया तो पता चला तू तो वहां से कब का निकल गया फिर तू घर क्यों नहीं आया बच्चे? कहां रह गया था और ये तेरी आंखें इतनी लाल क्यूं है? क्या हुआ तुझे? तू रो रहा था क्या?" वो उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोल रही थी!
युग समझ सकता था कि उसकी मां पर क्या बीत रही होगी जब उसका बेटा घर नहीं आया!
"हां युग बाबा हम सब कितना परेशान हो गए थे! हमारी तो जान ही निकली जा रही थी! ऐसी लापरवाही आज तक आपने नहीं की पर आज क्या हुआ आपको? कहां रह गए थे आप?" माला भी उससे पूछती है!
युग का दिल तो कर रहा था कि वो अपनी मां से लिपटकर रो ले और उन्हें सब बता दे! पर बताता भी तो क्या... कि एक प्यार भरा लम्हा आया उसकी जिंदगी में और वो उस लम्हे को जी पाता उससे पहले ही वो लम्हा गुज़र गया!
युग खुद पर काबू पाते हुए बोला, "गलती हो गई मां... आइंदा से कभी नहीं होगी! बस कहीं अटक गया था!" इतना कह कर वो अपने कमरे में चला जाता है!
मालिनी और माला एक दूसरे की तरफ देखती है! वो दोनो ही परेशान थी युग को इस हाल में देखकर... ये पहली बार हुआ था कि युग की हालत ऐसी हुई थी!
वरना वो तो बड़ा प्यारा, सुलझा हुआ इंसान था! ऐसी लापरवाही और ऐसी गलती तो कभी नहीं करता था!
मालिनी माला की तरफ देखकर बोली, "क्या हो गया मेरे बच्चे को? एक काम करते हैं तू जल्दी से उसके लिए कॉफी बना दे! मैं उसके पास काफी लेकर जाती हूं फिर उससे पूछती हूं!"
माला फटाफट से युग के लिए कॉफी बना कर लेकर आती है और मालिनी युग के पास जाती है! दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था! युग तब तक नहा कर आ चुका था! मालिनी अंदर जाती है और देखती है कि युग अपने कपड़े पैक कर रहा है!
"युग बेटा तू पैकिंग क्यूं कर रहा है?" वो उससे सवाल करती है!
युग उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बिठाते हुए बोला, "मेरी बात ध्यान से सुनो मां... मैंने कुछ फैसला किया है! मुझे उम्मीद है आप मेरे फैसले से नाराज नहीं होंगी!"
मालिनी प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "वक्त से पहले बड़ा हो गया मेरा बेटा, वो भी इतना समझदार! हमेशा से समझदारी भरे फैसले लिए हैं मेरे बच्चे ने, उसके फैसले पर तो सवाल उठाने का मतलब ही नहीं बनता और नाराजगी तो बिल्कुल भी नहीं! तू बोल बेटा क्या चाहता है?"
युग उसकी गोद में अपना सर रखते हुए बोला, "मां मैं कुछ समय के लिए अमेरिका जाना चाहता हूं! कितने वक्त के लिए ये नहीं कह सकता! जिस बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने की मैं बात कर रहा था उसके लिए वहां जाना जरूरी है! बस यही कहना था मुझे!"
दरअसल वो इस शहर से दूर जाना चाहता था! या हम कह सकते हैं कि रावी से दूर जाना चाहता था! उसकी जिंदगी से दूर जाना चाहता था कि कहीं उसकी वजह से रावी और पीयूष की जिंदगी में कोई मुसीबत ना आ जाए!
पहली बार युग ने मालिनी से कोई फरमाइश की थी तो वो कैसे मना कर सकती थी? वो भी अपने इकलौते बेटे को! हालांकि वो उसके जाने से खुश नहीं थी लेकिन फिर भी युग की खुशी के लिए वो उसको जाने की आज्ञा दे देती है! ये सोचकर कि 1-2 महीने में युग वापस आ जाएगा!
पर नहीं... युग ऐसा गया कि 2 सालों तक वापस आया ही नहीं...! "आज आऊंगा, कल आऊंगा, अभी काम है, अभी बिजी हूं!" ऐसा कह कह कर उसने 2 साल निकाल दिए!
लेकिन 2 सालों में जो वो करने गया था वो नहीं कर पाया! यानी कि वो रावी को भूलने गया था लेकिन नहीं भुला पाया! ऐसा कोई दिन नहीं गया जब उसे रावी की याद ना आई हो! पर उसने पलट कर कभी रावी और पीयूष की खोज खबर लेने की कोशिश नहीं की!
अपनी कंपनी उसने मालिनी के हाथों में हैंडोवर कर दी थी और फिर बाकी सारा स्टाफ भी बहुत अच्छा था! मैनेजर भी था सब कुछ संभालने के लिए! वो वहीं बैठा बैठा सब कुछ कर रहा था...! सब कुछ हो रहा था!
मालिनी हर रोज उसे वापस आने का कह रही थी और फिर एक दिन उसने युग को वापस आने के लिए मजबूर कर ही दिया! देखते ही देखते 2 साल बीत गए...!
बहुत कुछ बदल चुका था इन 2 सालों में!
2 साल बाद....
जारी है.. 🙏🙏
गातांक से आगे...
मालिनी हर रोज उसे वापस आने का कह रही थी और फिर एक दिन उसने युग को वापस आने के लिए मजबूर कर ही दिया !! देखते ही देखते हैं दो साल बीत गए...!!
बहुत कुछ बदल चुका था इन दो सालों में..!!
दो साल बाद....
सुबह के दस बज रहे थे !! कनिका इस वक्त अपने कालेज की कैटिंन मे थी !! वो अपने दोस्तो के साथ थी और सबको पार्टी दे रही थी !! किस खुशी में..? अपने प्यारे भाई युग के वापस आने की खुशी में !! वो सबको चहक चहक कर बता रही थी कि आज फाइनली उसका भाई अमेरिका से वापस आ रहा है और वो बेहद खुश है..!!
कनिका युग के लाड़ प्यार की वजह से थोड़ी सी जिद्दी , थोड़ी सी बिगड़ैल हो गई थी लेकिन वो युग से प्यार बहुत करती थी और युग भी कनिका से बहुत ज्यादा अटैक था बहुत ज्यादा प्यार करता था वो अपनी बहन को ..!!
ये कनिका का कॉलेज में लास्ट ईयर था ! उसकी सहेलियां उसको चिढ़ाते हुए - अमेरिका से जो तेरे भाई गिफ्ट लाएगे ना तेरे लिए वो हम सबको भी दिखा दियो कहीं सब अकेले हड़प जाए..!!
कनिका हंसते हुए - मेरे लिए तो मेरा सबसे बड़ा तोहफा मेरा भाई खुद है ! जब वो खुद आ रहे हैं तो समझो मेरी पूरी दुनिया वापस आ रही है और रही बात गिफ्ट की तो एक दिन तुम सबको शॉपिंग पर ले जाऊंगी !! जी खोलकर शॉपिंग करना ,पैसे मैं दूंगी ..!!
उसकी दूसरी सहेली सुप्रिया जो कि उसकी सबसे अच्छी सहेली थी !! लो सुन लो पैसे ये देगी ..!! तू कहां से देगी..? तू भी तो युग भाई की जेब से ही देगी ..!! उसकी बात सुनकर सब लोग ठहाका मार कर हंसने लगते हैं और उनके साथ-साथ कनिका भी खिल खिलाकर हसने लगती है !!
दोपहर हो जाती है और कालेज टाईम खत्म हो जाता है ..!! कनिका और सुप्रिया बातें करते हुए कॉलेज से बाहर आ रही थी !! कितने बजे तक आएंगे युग भाई ?? सुप्रिया उससे पूछती है..!
कनिका अपनी अपनी गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए - वो आज रात तक आएंगे !! अब तू जल्दी से मेरे साथ चल ,मुझे भाई के लिए एक अच्छा सा वेलकम केक लेना है और उनके लिए कोई गिफ्ट भी लेना है !! ये कहते हुए वो दोनों गाडी में बैठकर वहां से चली जाती है ...!!
कनिका और सुप्रिया सबसे पहले माल जाती है !! कनिका युग के लिए एक अच्छी सी शर्ट लेती है उसके बाद वो दोनों केक शॉप पर जाती है !! युग को फ्रूट केक बहुत पसंद था तो कनिका उसके लिए फ्रूट केक ही पैक करवाती है !!
वकेक वाला बॉक्स उसके हाथों में था और वो सुप्रिया से बाते करती हुई आगे बढ़ रही थी !!
सामने से एक लड़का चला रहा था जिसका ध्यान अपने फोन पर था और कनिका का ध्यान सुप्रिया की बातों पर या हम कह सकते हैं कि अपने भाई के ऊपर था !!
दोनों ही एक दूसरे पर ध्यान नहीं देते और आपस में टकरा जाते हैं जिससे वो केक नीचे गिर जाता है .. !!
ओह नो...कनिका एकदम से बोलती है !! ओ शीट ...वो लड़का भी अपनी आंखों से गॉगल्स हटाते हुए बोलता है !!
सॉरी सॉरी ...आई एम रियली सॉरी ...वो लड़का कनिका की तरफ देखकर बोलता है !! कनिका घूर कर उस लड़के की तरफ देखती है पर उसे देखते ही उसका गुस्सा गायब हो जाता है - ब्लैक कलर की शर्ट , ब्लैक जींस , गोरा रंग ,भूरी आँखे ,क्लीन शेव , और उसके सिल्की सिल्की बाल जो की हल्के हल्के उड़ कर उसके माथे पर आ रहे थे जिनमे वो बडा़ ही प्यारा , बड़ा ही क्यूट लग रहा था !!
वो बार-बार कनिका को सॉरी बोल रहा था !! कनिका तो बस उसे देखे जा रही थी!!
ये पहली बार था कि किसी ने कनिका का नुकसान किया हो और उसने उसे कुछ न कहा हो !! ये देखकर सुप्रिया हैरान थी !
वो लड़का सॉरी बोलते बोलते फटाफट से दूसरा केक लेकर आता है कनिका को देते हुए - एक बार फिर से सॉरी ..मेरी वजह से आपका केक गिर गया !!
कनिका अभी भी पागलों की तरह उसे देखे जा रही थी..!! सुप्रिया उसे कोहनी मारती है जो काफी थी उसे होश में लाने के लिए ! वो एकदम से होश मे आते हुए - आप प्लीज सारी मत कहिए , मेरा भी ध्यान नहीं था..!! और ये केक आप रहने दीजिए.. मैं दूसरा ले लूंगी ..!! वो मुस्कुराते हुए बोलती है !!
सुप्रिया अपनी आँखे बडी करके उसे देख रही थी कि ये कनिका ही है ना ??
नहीं नहीं प्लीज आप मना मत कीजिए वरना मुझे बहुत बुरा लगेगा..!!आप ये केक ये लीजीए प्लीज.... उसका प्लीज कहना काफी था कनिका के दिल के तार छेड़ने को ..!! वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ते हुए - हाय मेरा नाम कनिका है !!
वो लड़का उसे हाथ मिलाते हुए - हैलो ..मैं अपूर्व वो मुस्कुराते हुए बोलता है !! इससे पहले की कनिका कुछ और बोलती उससे पहले ही अपूर्व का फोन रिंग करता है और वो एक्सक्यूजमी कहता हुआ वहा से चला जाता है !!
कनिका उसे जाते हुए देखती है और फिर वो भी वहां से चली जाती है !! सुप्रिया उसे छेडते हुए - क्या बात है कहीं तुझे पहली नजर का प्यार तो नहीं हो गया..? उस लड़के ने तेरा केक गिरा दिया और तूने उसे ऐसे ही जाने दिया...? ये बात कुछ हजम नही हुई !! तू कनिका ही है ना ...
कनिका अपूर्व के ख्यालों में खोई हुई - प्यार का तो पता नहीं पर ये लड़का ना मुझे बहुत अच्छा लगा !! एक अलग सी फीलिंग आ रही थी और उसके साथ ! जिसे मैं समझ ही नहीं पा रही हूं..!!
हो सकता ये बस एक अटरैक्शन हो...!! चल छोड़ अब घर चलते है ! मुझे और भी तैयारी करनी है !! इसके बाद वो दोनो वहा से चली जाती है !!
अपूर्व भी उस केक शाप से एक छोटा सा केक लेकर वहां से चला जाता है ! वो अपनी गाडी मे बैठता है और अपने घर के निकल जाता है !!
कुछ ही देर मे वो अपने घर पहुंचता है , वो अपनी गाडी पार्क करके घर के अँदर जाने वाला ही होता है तभी एक लड़की उसके पैरो के पास आकर गिरती है ....
और अंदर से एक औरत के चिलाने की आवाज़ उसके कानो मे पड़ती है - मनहूस कहीं की ...निकल मेरे घर से , पता नही वो कौन सी घडी़ थी जब मैं तुझे अपने घर ले आई ... पता नही तू जिंदा ही क्यू है ..? तू क्यू नही मर गई उस हादसे मे ...वो औरत बहुत गुस्से से बोल रही थी !!
मा.... अपूर्व एक दम से चिलाता है और नीचे गिरी लड़की को उठाते हुए अपनी मा की तरफ देखकर - आपके अँदर दिल नही है क्या ?? या पत्थर हो चुकी है आप बिल्कुल ही ...., शरम आनी चाहिए आपको ,मेरी भाभी को धक्का दिया आपने ...छी...अरे कम से कम ये ही देख लो कि ये बेचारी अपाहिज है...! वो उस लड़की को उसकी वीलचेयर पर बिठाते हुए बोलता है ...वो लड़की कोई और नही " रावी " थी.. ..
जारी है...🙏🙏
कमैॆट प्लीज 😊😊
गातांक से आगे...
पिछले भाग मे आपने पढा कि अपूर्व की मा एक लड़की को घर से बाहर की तरफ धक्का दे देती है और उसकी बहुत बेजज्ती करती है !! ठीक उसी वक्त अपूर्व वहा पर पहुंच जाता है और अपनी मा की हरकत देख कर वो हैरान रह जाता है !!
मा..... अपूर्व एक दम से चिलाता है और उस लड़की को उठाते हुए अपनी मा की तरफ देखकर - आपके अँदर दिल नही है क्या ?? या पत्थर हो चुकी है आप बिल्कुल ही ...., शरम आनी चाहिए आपको ,मेरी भाभी को धक्का दिया आपने ...छी...अरे कम से कम ये ही देख लो कि ये बेचारी अपाहिज है...! वो उस लड़की को उसकी वीलचेयर पर बिठाते हुए बोलता है ...वो लड़की कोई और नही " रावी " थी.. ..
अपने बेटे की बात सुनकर उसकी मा ( बबीता ) गुस्से से आग बगूला होते हुए - तो क्या गलत कह रही हू ..?? शादी होते ही मेरे बेटे को खा गई और खुद अपाहिज होकर हमारी छाती पर मूंग दलने के लिए आ गई ..., पूरे दो साल से मैं इसे अपनी आँखो के सामने देख रही हू.. ,कितना बर्दाशत करू मैं ?? जब भी इसे देखती हू तो मुझे अपने बेटे की याद आती है..! मनहूस कहीं की..., चली क्यू नही जाती यहा से तू ..?? वो रावी की तरफ देखकर दांत भीचते हुए बोलती है !!
रावी जिसकी आँखो से लगातार आसू बह रहे थे , जो चुपचाप बबीता के ताने सुन रही थी वो भी पिछले दो सालो से...!! और कोई रास्ता भी तो नही था उसके पास...
अपूर्व अपनी मा पर चिल्लाते हुए - मा प्लीज...!! आप कितनी कठोर हो गई है आपको अँदाजा भी है !! भाभी तो पहले ही इतनी दुखी है ऊपर से आप ..!!जो भी हुआ उसमे भाभी की क्या गलती थी ?? अगर आपने बेटा खोया है तो इन्होने भी तो अपना पति खोया है ...!! और तो और भाभी ने तो अपने पैर तक गवां दिए ..., अपाहिज हो गई बिचारी...!! वो एक हादसा था ...इतनी सी बात आपको समझ क्यू नही आती ?? बहुत गुस्से से बोलता है !!
बबीता भी उतने ही गुस्से से रावी की तरफ देखकर - हादसा था तो उस हादसे मे ये क्यू नही मर गई ???
मा...!! अपूर्व फिर से चिलाता है ।। इससे पहले की वो कुछ और बोलता तभी रावी एक दम से उसका हाथ पकड़ लेती है , जैसे उसे चुप रहने के लिए कह रही हो !!
ये देखकर बबीता और भी गुस्से से भर जाती है !! अपूर्व रावी की वील चेयर पकड़ता है बबीता को घूरते हुए रावी को वापस घर के अंदर ले जाता है !!
बबीता गुस्से का घूट पीकर रह जाती है !
अपूर्व रावी को उसके कमरे मे ले जाता है !! रावी की आँखो से अभी भी आसू बह रहे थे जिन्हे वो रोकने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी !! अपूर्व उसे ही देख रहा था...!! पिछले दो सालो से वो यही देख रहा था , हर रोज बबीता रावी को जलील करती , उस पर ताने कसती और रावी हर बार चुप रह जाती , घँटो अपने कमरे मे बैठ कर रो लेती पर अपने मूंह से एक शब्द नही बोलती ...!!
उसकी इसी चुप्पी पर अपूर्व झल्ला जाता था !! वो रावी को हमेशा समझाता , कभी गुस्से से तो कभी आराम से कि उसे यू चुपचाप मा की बाते नही सुननी चाहिेए..!! अपने लिए आवाज़ उठानी चाहिए ..!! जो कुछ भी हुआ वो एक एक्सीडेंट था , एक हादसा था !!
तो वो क्यों उसको दोषी मान कर दूसरों की बातें सुनती रहती है ..?? हर बार अपूर्व उसको ये बात समझाता था !! कभी-कभी तो वो गुस्से से उस पर चिला भी देता था कि कभी तो रावी अपने लिए आवाज उठाएगी पर नहीं रावि तो बिल्कुल ही बदल चुकी थी ..!! वो तो कोई और ही रावि थी...!!
वो , तो वो रावी थी ही नही जिसे सब जानते थे ! वो रावी तो मर चुकी थी !!
आज भी यही हुआ !!आज भी बबीता ने उसको जलीकटी सुना कर उसको जलील़ किया ,उसके ताने मारे और हमेशा की तरह रावी सब सुनती रही..!!
हर बार की तरह अपूर्व ने उसका साथ दिया और उसको उसके कमरे में ले आया और अब वो उसको रोते हुए देख रहा था !! अब तो उसे रावी पर तरस भी आने लगा था कि क्या किस्मत है इसकी ...!!
वो उसके पास जमीन पर बैठते हुए - कम से कम इन आंसुओं को बहने से तो मत रोकिए आप...! आप क्यों खुद को इतनी तकलीफ दे रही है भाभी ?? रो लेंगी तो मन हल्का हो जाएगा . फिर कल भी आपको यही सब सुनना है !!
उसकी बात सुनकर रावी अपनी आसू भरी नज़रो से उसकी तरफ देखती है !!
अपूर्व उसको फिर से समझाते हुए - मैं पूछता हूं आप इतना सहती क्यों है ये सब ...?? क्यों नहीं बोलती कुछ ?? कभी तो अपने लिए आवाज़ उठाइए.. यूं आसू बहाने से कब तक काम चलेगा ?? वो फिर से चिलाते हुए बोलता है ..!!
रावी अपने आंसू साफ करते हुए - कुछ गलत भी तो नहीं कहती मां...!! पीयूष जी की जिंदगी मे ,मैं आई और मेरे आते ही ....ये कहते हुए उसकी रुलाई फूट पड़ती है !!
उसकी हालत देखकर अपूर्व की भी आँखे नम हो जाती हैं !! पूरे घर मे एक अपूर्व ही था जो उसका ख्याल रखता था ...!! उसका भाई ,उसका दोस्त , उसका देवर.. उसके सुख-दुख का साथी .!! एक वही था जो उसे अच्छे से समझता था...!!
अपूर्व अपने गुस्से पर काबू पाता है और रावी का हाथ अपने हाथ में पकड़ते हुए - प्लीज भाभी खुद को दोष देना बंद कीजिए !! अगर आप खुद को दोषी मानना बंद कर देंगी तो दुनिया भी आपको दोषी नही कहेगी..!!
एक ही बात मैं आपको और मां को समझा समझा कर थक गया हू कि वो बस एक हादसा था !! जो किसी के साथ भी हो सकता है उसमें किसी का कोई दोष नहीं है..!! लेकिन आप तो कुछ समझने के लिए तैयार ही नही है !!
उसकी बाते सुनकर रावी को और भी रोना आ रहा था !! आखिर कितना सब्र करती वो ?? वो भराए गले से - प्लीज अपूर्व मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो ...प्लीज ..।।
अपूर्व उसकी हालत अच्छे से समझ रहा था ! पर उसे इस कमजोर रावी पर गुस्सा भी आ रहा था !! वो बिना कुछ बोले उठता है और कमरे से बाहर चला जाता हैै , जाते हुए वो जोऱ से दरवाजा बंद करता है...जिससे रावी समझ जाती है कि वो कितने गुस्से मे है !! उसके जाते ही रावी के कबके रूके हुए आसू बह जाते है !!
उसकी नज़र सामने टेबल पर रखी पीयूष की तस्वीर पर जाती है !! एक बार फिर से वही सब उसे याद आ जाता है , उसकी आँखो के सामने वही सब घूमने लगता है !! आज फिर वो अतीत की गलियो मे भटकने लगती है ...!!
उसे याद आता है कि कितनी खुश थी वो उस दिन जब वो पीयूष की दुल्हन बनकर इस घर मे आई थी !! यही घर था , यही लोग थे , और कितने खुश थे !! बबीता ने तो प्लको पर बिठा रखा था रावी को.......यही दरवाजा था जिससे आज बबीता ने उसे घर से बाहर फेंक दिया था और उस दिन इसी दरवाजे से वो उसे बडे प्यार से अँदर लेकर आई थी...!!
दुल्हन सी सजी रावी अपने कमरे मे बैठी थी ! खुश थी पर घबराहट भी हो रही थी उसे...!! आखिर जानती ही कितना थी वो पीयूष को..? उसके पापा की पंसद थी पीयूष...शादी से पहले बस एक ही बार मिली थी वो उससे.... और उसके बाद सीधा शादी...!
अपनी वील चेयर पर बैठी रावी पीयूष की फोटो को देखते हुए अपनी आँखे बंद कर लेती है उसकी बंद आँखो से भी आसू बह जाते है....
दो साल पहले.....
जारी है...
दुल्हन सी सजी रावी अपने कमरे में बैठी थी! खुश थी पर घबराहट भी हो रही थी उसे...!! आखिर जानती ही कितना थी वो पीयूष को...? उसके पापा की पसंद थी पीयूष...शादी से पहले बस एक ही बार मिली थी वो उससे.... और उसके बाद सीधा शादी...!
अपनी वील चेयर पर बैठी रावी पीयूष की फोटो को देखते हुए अपनी आँखे बंद कर लेती है, उसकी बंद आँखो से भी आसू बह जाते है....
2 साल पहले.....
रावी सुहाग सेज पर बैठी थी! कुछ घूबराई हुई, कुछ शरमाई हुई! वो ये सोच सोच कर घबरा रही थी कि पीयूष से कैसे बातचीत शुरू करेगी? कैसे अपने रिश्ते की शुरूवात करेगी?? क्योकि मुश्किल से एक दो बार मिली है वो पीयूष से और उसमे भी इतनी बातचीत नही हुई थी!
"पता नही पीयूष जी का नेचर कैसा होगा? हंसमुख होगे या गुस्से वाले होंगे??" वो बैठे बैठे ये सब सोच रही थी कि तभी पीयूष कमरे मे आता है!! उसके आते ही रावी के दिल की धड़कने बढ़ जाती है और वो खुद मे ही सिमट कर बैठ जाती है!!
उसकी ये हरकत पीयूष भी देख लेता है और उसकी हरकत पर वो मुस्कुरा उठता है!! वो धीरे से रावी के पास बैठते हुए बोला, "आपने अभी तक चैंज नही किया?? इतना हैवी लंहगा, इतनी हैवी ज्वैलरी वो भी आपने कब से पहनी हुई है, मैं तो आपको देख कर ही थक गया हू, आप नही थकी क्या??" वो रावी के साथ सहज होते बोलता है!
उसकी बात सुनकर रावी हैरान रह जाती है! क्योकि उसकी सहेलियो ने तो उसे कुछ और ही बताया था!! वो पीयूष की तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुरा देती है!!
"जाइए आप चैंज कर लीजीए, तब तक मैं भी चैंज कर लू! फिर आराम से बाते करेंगे" वो प्यार से उसका गाल थपथपाते हुए बोलता है!!
पहली ही बार मे दिल जीत लेता है पीयूष रावी का! वो उठती है और अपने सारे गहने उतारकर एक तरफ रख देती है और फिर अपने कपडे लेकर वाशरूम मे चली जाती है!! पीयूष भी अपने कपडे बदलने लगता है!!
रावी चैंज करते हुए सोचती है, "पीयूष जी तो कितने अच्छे है! मैं तो खामखा डर रही थी!!"
पीयूष कपडे बदल कर बिस्तर पर बैठ गया था! उसने रेड कलर की लूज सी टी शर्ट पहनी हुई थी और ब्लैक कलर का लोवर पहना हुआ था!! वो बिस्तर से टेक लगाकर रावी का इँतजार करने लगता है!!
ठीक उसी वक्त रावी बाहर आती है! पिंक कलर का सूट, खुले बाल, हल्के मेकअप वो बहुत ज्यादा प्यारी लग रही थी, इतनी ज्यादा प्यारी की पीयूष तो अपनी नज़रे नही हटा पा रहा था! और ये बात रावी भी महसूस कर रही थी और उसके गोरे गाल शरम से लाल टमाटर जैसे हो गए थे!!
वो पीयूष की तरफ देखती है, पीयूष उसे अपने पास बैठने का इशारा करते हुए बोला, "आईए यहा बैठिए!!" रावी सकुचाती हुई उसके पास जाकर बैठ जाती है! हा पर दोनो मे एक फासला था!!
रावी के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो अभी भी पूरी तरह सहज नही हो पा रही है!! "देखिए आप पहले रलैक्स हो जाइए और ऐसे समझिए कि मैं आपका दोस्त हू!! और एक दोस्त की तरह मुझसे बात कीजीए!" वो रावी को और भी सहज करते हुए बोलता है!!
धीरे धीरे पीयूष की बातो से रावी उसके साथ सहज होने लगी थी!! दोनो मे बाते होने लगी थी, पूरी रात दोनो बाते करते रहते है, एक दूसरे को समझते है और कब सुबह हो जाती है दोनो को पता ही नही चलता!!
पँछियो के चहचाने की आवाज़ से दोनो को पता चलता है कि सुबह हो चुकी है! रावी हैरानी से बोलती है, "सुबह कब हुई? हम सारी रात बाते करते रहे क्या??" वो अपने खुले बालो को कान के पीछे करते हुए बोलती है!!
पीयूष अपने हाथ से उसके बाल बिगाड़ते हुए बोला, "हा, आप बाते ही इतनी प्यारी करती है कि कब सुबह हुई पता ही नही चला, और मैं तो सारी जिदंगी आपकी बाते सुन सकता हू!!" वो बेहद प्यार से बोलता है!!
रावी शरमा कर अपना चेहरा फेर लेती है! पीयूष की बातो से दिल धड़क रहा था उसका! उसके बाद वो घडी़ मे टाईम देखते हुए बोलती है, "मैं जल्दी से नहा लेती हू, इससे पहले की मम्मी जी आ जाए!!" ये कहते हुए वो जल्दी से बिस्तर से उठती है पर पीयूष एक दम से उसका हाथ पकड़ लेता है!!
रावी की धड़कने और भी बढ़ जाती है!! वो पीयूष की तरफ देखती है, जैसे पूछ रही हो कि क्या हुआ?? बदले मे पीयूष उसके हाथ मे एक लिफाफा रख देता है!!
"खोल कर देखिए तो सही...!!" वो मुस्कुराते हुए बोलता है!! रावी झट से वो लिफाफा ओपन करती है, उसके अँदर दो टिकट थे हनीमून पर जाने के लिए, वो भी शिमला के क्योकि रावी को हमेशा से शिमला ही जाना था!!
टिकट देखकर रावी के चेहरे पर जो खुशी आती है न वो शब्दों मे ब्यान नही की जा सकती!! वो हैरानी और खुशी के मिलेजुले भाव अपने चेहरे पर लाते हुए बोलती है, "आपको कैसे पता कि मुझे शिमला जाना पसंद है??"
पीयूष हल्का सा उसके करीब जाते हुए बोला, "शादी की है आपसे, तो आपकी पसंद ना पसंद का ख्याल तो रखना पडेगा ना..! वेैसे आपकी बहन रिया से पूछा था मैने!!"
उसकी बात सुनकर रावी बस मुस्कुरा कर रह जाती है! उसे समझ ही नही आता कि वो क्या बोले!!
"एक बात कहू रावी..., मैं हमेशा से लव मैरिज करना चाहता था! इस तरह से अरैंज मैरिज नही ..और उस दिन मैं आपको शादी के लिए मना करने ही आया था पर जैसे ही आपको देखा एक बार को तो दिल धड़कना ही भूल गया..!! फिर आपसे बाते हुई ...जैसे जैसे आपको जानता गया, आपकी बाते, आपकी मासूमियत दिल मे उतर गई,फिर दिल ने कहा कि यही है वो जिसकी मुझे तलाश थी...!!"
जैसे जैसे पीयूष बोलता जा रहा था वैसे वैसे वो रावी के दिल मे उतरता जा रहा था!
पीयूष आहिस्ता से उसके और करीब जाता है और उसका चेहरा अपने हाथो मे भरते हुए बोला, "और एक बात और रावी जी .. अपनी तरफ से मैने लव मैरिज ही की है!"
ये सुनते ही रावी का चेहरा सुर्ख लाल हो जाता है! पीयूष अपने प्यार का इजहार कर रहा था और रावी खुद मे सिमटती जा रही थी!! पीयूष धीरे से अपने होंठ उसके माथे पर रखते हुए बोला, "प्यार हो गया था आपको देखते ही..!!"
रावी एक दम से उसके सीने से लग जाती है!! फिर क्या था उसी दिन पीयूष रावी को लेकर शिमला के लिए निकल जाता है!! हालांकि उसकी मा उसको बोलती है कि बेटा अभी तो वहा का मौसम ठीक नही है, इतनी बर्फबारी हो रही है, बाद मे चले जाना!!
पीयूष अपनी मा को समझाते हुए बोलता है, "मा आप खामखा फिक्र कर रही है! कोई मौसम खराब नही है और फिर मैं रावी को कह चुका हू और उसका इतना मन है तो .."!!
उसके बाद वो रावी को लेकर शिमला के लिए निकल जाता है!! देर रात तक दोनो शिमला पहुंच जाते है!! दोनो ही अपनी आने वाली जिदंगी को लेकर बहुत एक्साईटिड थे!!
पर उन्हे क्या पता था कि उनकी ये खुशिया बस चंद पलो की है!! वही होता है जिसका पीयूष की मा को डर था .. गाडी मे बैठकर पीयूष और रावी होटल जा रहे थे!! बहुत ज्यादा जाम लगा हुआ था!! आने वाले खतरे से हर कोई अनजान था!!
गाड़ियों की लाइन में पीयूष की गाड़ी भी लगी हुई थी!! दोनों अपनी कभी ना खत्म होने वाले बातों में लगे हुए थे कि ठीक उसी वक्त ऊपर से एक लैंडस्लाइड होता है और एक बड़ा सा पत्थर आकर सीधा उनकी गाड़ी पर गिरता है!! जिसमे पीयूष की गाडी नीचे खाई मे गिर जाती है और बुरी तरह चकनाचूर हो जाती है!! उस हादसे मे पीयूष की लाश भी नही मिलती ..! और रावी, वो अपने पैर खो देती है!! उसके पैरों की जान खत्म हो जाती है ...!! सिर्फ वही दोनों नहीं और भी लोग थे जो उस हादसे का शिकार हुए थे!!
हर तरफ अफरा तफरी मर जाती है!! फटाफट से कुछ लोगों की मदद से सभी जख्मी लोगों को अस्पताल लेकर जाया जाता है!!टीवी पर भी ये न्यूज़ दिखाई जाती है!! पीयूष की मां का तो रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है वो सब और रावी के घर वाले भी जल्दी से जल्दी शिमला निकलते हैं!!
रावी हास्पिटल मे बेहोश पडी थी और पीयूष उसे छोड़कर जा चुका था!! जब तक रावी को होश आता है तब तक उसकी पूरी दुनिया बदल चुकी थी!!
पीयूष की मां ने अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार रावी को मान लिया था कि यही उसको शिमला लेकर गई थी!! इसी का मन रखने के लिए वो शिमला आया था जिसमें ये खुद तो बच गई लेकिन उनका बेटा नहीं बच पाया..!!
उन्होंने तो उसी वक्त अस्पताल में ही रावी से नाता तोड़ दिया था! ये कहकर कि मेरे घर में इसके लिए कोई जगह नहीं है!! बेचारी रावी, किस्मत ऐसी बदली उसकी की उसके घर वाले भी उसको नहीं रख पाए! उसकी दो बहने और थी!!उसके पिता ने भी ये कहकर हाथ खड़े कर लिए की अभी एक ही लड़की की शादी की है उसे भी घर में रख लूंगा तो बाकियो का क्या होगा ..? किसी ने ये भी नहीं देखा कि रावी की इस वक्त क्या हालत है!!
ऐसे मे सिर्फ उसका साथ दिया उसके देवर अपूर्व ने!! अपनी मा के खिलाफ जाकर वही उसे घर लेकर आया था!!
देखते देखते 2 साल बीत गए!!लेकिन इन 2 सालों में कुछ नहीं बदला! ना पीयूष की मां, ना रावी की तकदीर ना, उसकी जिंदगी..!! वो आज भी वही खड़ी है जहां पीयूष उसे छोड़कर गया था..!!
जारी है ..
देखते-देखते 2 साल बीत गए! लेकिन इन 2 सालों में कुछ नहीं बदला! न पीयूष की मां, न रावी की तकदीर, न उसकी जिंदगी! वो आज भी वहीं खड़ी है जहां पीयूष उसे छोड़कर गया था।
अतीत को याद करके रावी की आंखों से झर-झर आंसू बह रहे थे! वो अपने एक हाथ से अपनी व्हीलचेयर को चलाते हुए टेबल के पास जाती है जहां पर पीयूष की फोटो रखी हुई थी!
रावी उसकी फोटो को उठाती है और रोते हुए अपने सीने से लगा लेती है! वो रोते हुए कहती है, "छोड़कर ही जाना था तो तुम मेरी जिंदगी में आए ही क्यों?? आए तो आए फिर मुझे अपने साथ क्यों नहीं लेकर गए?? क्यों छोड़ गए मुझे इस पूरी दुनिया में अकेला? तुमसे शादी क्या हुई मेरे तो सारे रिश्ते ही खत्म हो गए पीयूष...!!" वो बहुत ज्यादा रोते हुए बोल रही थी!
ठीक उसी वक्त अपूर्व अंदर आता है! वो आहिस्ता से दरवाजा खोलता है! रावी उसकी आहट से ही जान गई थी कि अपूर्व आया है, क्योंकि वही था जो उसके कमरे में आता था, उससे बात करता था, बाकी तो किसी को रावी से कोई मतलब नहीं था!
रावी अपने आंसू साफ कर लेती है! अपूर्व उसके पास जाता है और उसके हाथ से पीयूष की फोटो लेकर वापस टेबल पर रखते हुए कहता है, "अतीत में भटकना बंद करो भाभी, कब तक आप यूं आंसू बहाने वाली हैं?" वो अपने हाथ में पकड़ा हुआ केक टेबल पर रखते हुए बोलता है।
रावी आंसू भरी नजरों से उसकी तरफ देखती है, जैसे कह रही हो कि ये आंसू तो मेरी तकदीर बन गए हैं! पर वो बिना कुछ बोले अपनी नजरें फेर लेती है!
अपूर्व घुटनों के बल उसके पास बैठते हुए कहता है, "चलिए अब जल्दी से आंसू पोंछिए और ये केक कट कीजिए! आपको तो ये भी याद नहीं है कि आज आपका बर्थडे है!" वो उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोलता है!
सच में कभी पागल हुई रहती थी अपने बर्थडे के लिए रावी! एक महीना पहले ही गाना शुरू कर देती थी कि मेरा बर्थडे आ रहा है, मेरा बर्थडे आ रहा है और एक आज का दिन है उसे अपना जन्मदिन तक याद नहीं! वो अपूर्व की तरफ देखते हुए कहती है, "क्यों करते हैं आप मेरे लिए ये सब?? क्यों माजी से डांट खाते हैं और आपको पता है ना कि मैं अपना जन्मदिन नहीं मनाती फिर भी आप..!" इतना कहकर वो चुप हो जाती है!
2 मिनट तक वहां पर शांति छाई रहती है! फिर वो एक गहरी सांस लेकर कहती है, "आप ले जाइए ये केक, मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता!" वो बेबसी से बोलती है!
"आपके इस तरह घुट-घुट कर जीने से क्या भैया वापस आ जाएंगे?" अपूर्व थोड़े जोर से बोलता है!
"अपूर्व..!!" रावी भी थोड़े गुस्से से बोलती है!
"माफ कीजिएगा भाभी पर आप अपने साथ गलत कर रही हैं! बहुत गलत कर रही है, जो कुछ भी हुआ उसमें आपकी कोई गलती नहीं है और हर रोज जुल्म सह रही है वो भी बेवजह और जुल्म सहना भी एक अपराध है! इससे जुल्म करने का साहस और भी बढ़ता है!"
"अगर आपके इस तरह जीने से, मां की बातें सुनने से पीयूष भैया को वापस आना होता ना तो वो कब के आ जाते! मानता हूं कि आपके लिए ये बहुत दुख की बात है लेकिन भाभी 2 साल हो गए...! 2 साल...! अब खुद पर थोड़ा तो रहम खाओ..! दुनिया तो बाद में आपके ऊपर रहम करेगी, पर आप खुद भी अपने ऊपर रहम नहीं कर रही हैं! ऐसे तो आपकी जिंदगी बोझ बन जाएगी और बन भी चुकी है!"
अपूर्व के कड़वी बातें और सच्ची बातें एक बार फिर रावी के दिल पर हमला करती हैं! एक बार फिर उसके घाव हरे हो जाते हैं! एक बार फिर उसकी आंखें भीग जाती है!
रावी को रोता हुआ देखकर अपूर्व एक बार फिर टूट जाता है! वो सोच कर आया था कि अब वो उस पर गुस्सा नहीं करेगा! उसका बर्थडे बनाएगा पर फिर उसने अपना सारा गुस्सा रावी पर उतार दिया! वो खुद को शांत करता है और रावी के हाथ में चाकू पकड़ाते हुए कहता है, "भाभी...! क्या मैं आपका कुछ नहीं लगता??"
"अगर मेरी जगह आपका भाई होता तो क्या आप उसे भी यूं मना कर देता है!"
उसकी बात सुनकर रावी को एहसास होता है कि इस घर में एक वो ही तो है जो उसका ख्याल रखता है! वो उसका दिल नहीं दुखा सकती थी! वो उसकी तरफ देखते हुए कहती है, "आप मेरे भाई नहीं बड़े भाई बनते जा रहे हैं जो हर वक्त मुझे डांटते रहते हैं!" ये कहते हुए वो हल्का सा मुस्कुरा देती है!
"ये हुई ना मेरी भाभी वाली बात..! चलिए अब अपने आंसू साफ कीजिए और जल्दी से केक कट कीजिए मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है!" वो माहौल को हल्का करते हुए बोलता है!
रावी का बिल्कुल दिल नहीं था ये सब करने का पर वो अपूर्व को मना नहीं कर पाती! वो अपने हाथ में पकड़े हुए चाकू से केक कट करने लगती है! अपूर्व उसके लिए बर्थडे सॉन्ग गा रहा था और क्लैपिंग कर रहा था!
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था! जिसकी चौखट पर खड़ी अपूर्व की मां बबीता दोनों को देख रही थी! रावी को केक कट करता हुआ देखकर वो पूरे गुस्से से भर जाती है! लेकिन अपूर्व के सामने कुछ बोल नहीं पाती और अपने गुस्से का घूंट पीकर अपने कमरे में चली जाती है!
अपूर्व रावी को अपने हाथ से केक खिलाता है! तभी एक नर्स अंदर आती है! "सॉरी दीदी थोड़ा लेट हो गई!" वो हांफते हुए बोलती है!
अपूर्व उसे देखते हुए कहता है, "तुम तो 2 घंटे की छुट्टी लेकर गई थी ना?? और अब आ रही हो?" वो गुस्से से बोलता है!
"जाने दो ना अपूर्व...!" रावी उसे शांत करते हुए बोलती है!
"सॉरी सर..!"
"भाभी का ख्याल रखो अब!" वो अपने कमरे में जाते हुए बोलता है! उसके जाते ही वो नर्स जिसका नाम कोमल था वो राहत की सांस लेती है! और रावी के पास जाते हुए कहती है, "आपके लिए खाना ले आऊं दीदी?"
"अभी मन नहीं है! मुझे लेटना है बस, मुझे बिस्तर पर..." नर्स उसको बिस्तर पर लिटाने लगती है और फिर आराम से उसके पैरों को सीधा करती है और एक तकिया उसके पैरों के नीचे रख देती है!
दरअसल इस नर्स को भी अपूर्व ने ही रखा था रावी की देखभाल के लिए! क्योंकि बबीता ने तो उसे घर में रखने से भी मना कर दिया तो उसकी देखभाल तो दूर की बात है! वैसे तो अपूर्व रावी की बहुत केयर करता था पर उसकी भी एक लिमिट थी जिसे वो पार नहीं कर सकता था! तो उसने रावी के लिए एक नर्स रखना ही सही समझा! हालांकि इस बात के लिए भी बबीता ने पूरा घर सर पर उठा लिया था! वो तो चाहती थी कोई देखभाल ना हो रावी की और वो भूखी प्यासी मर जाए! पर अपूर्व के सामने उसकी एक नहीं चली!
खैर, रावी बिना खाना खाए ही लेट जाती है! रात गहरा गई थी! और इस रात के अंधेरे में कोई और भी था जो बरसों बाद लौट कर आया था, ना सिर्फ अपने घरवालों के लिए बल्कि रावी के लिए भी...! और वो था युगवीर! हालांकि वो रावी के हालातों से अनजान था पर अपनी एक तरफा मोहब्बत में वो आज भी जी रहा था! रावी के इश्क़ का फितूर अब तक उसके सर से उतरा नहीं था...!
बस एक बार रावी की सच्चाई उसके सामने आ जाए फिर शुरू होगा उसके इश्क़ का फितूर...
जारी है 🙏🙏
रावी बिना खाना खाए ही लेट जाती है! रात गहरा गई थी! और इस रात के अँधेरे मे कोई और भी था जो बरसो बाद लौट कर आया था, ना सिर्फ अपने घरवालो के लिए बल्कि रावी के लिए भी...! और वो था युगवीर! हालांकि वो रावी के हालातों से अनजान था पर अपनी एक तरफा मोहब्बत मे वो आज भी जी रहा था! रावी के इश्क़ का फितूर अब तक उसके सर से उतरा नही था...!
बस एक बार रावी की सच्चाई उसके सामने आ जाए फिर शुरू होगा उसके इश्क़ का फितूर....
शहर मे दाखिल होते ही वहा की हवाए युगवीर के दिल को सकून पहुंचाती है! उसे ऐसा लगता है कि वहा की फिजाओ मे सिर्फ रावी की महक है, सिर्फ रावी की जो युग के अंदर तक समाती जा रही थी!
गाडी मे बैठा युग अपना सर पीछे सीट से टिकाकर अपनी आँखे बंद कर लेता है, जैसे वो समझा रहा हो खुद को कि वो उसकी नही है, किसी और की अमानत है!
खैर कुछ ही देर मे वो अपने घर पहुंचता है! गाडी बंगले के सामने रूकती है! गाडी की ब्रैक लगते ही युग अपने ख्यालो से बाहर आता है! वो अपने घर की तरफ देखता है जिसे वो पूरे 2 साल बाद देख रहा था! अपने घर को देखते ही उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है! वो अपना मूड सही करता है और घर के अंदर जाता है!
अंदर बेस्बरी से उसकी मां मालिनी, उसकी बहन कनिका और उसकी छोटी मां माला... उसका इंतजार कर रही थी और हो भी क्यों ना आखिर पूरे 2 साल बाद वो वापस आ रहा था! उस घर की जान वापस आ रहा था!
जैसे ही युग अंदर जाता है कनिका तो भाग कर उससे लिपट जाती है!
"भाई.....कितना इंतजार करवाया आपने? ऐसा कोई करता है क्या? दो महीने का कह कर गए थे और दो साल लगा दिए वापस आने मे!" वो किसी छोटे बच्चे की तरह शिकायत करते हुए बोल रही थी!
मालिनी भी उसके पास आती है और उसके कान खींचते हुए, "सही कह रही है ये बिल्कुल! ऐसा कोई करता है क्या? ऐसा भी कौन सा काम कर रहा था तू? जो तुझे दो साल तक तुझे अपनी बहन की याद नहीं आई, ना अपनी मां की, ना अपनी छोटी मां की और देख कितना कमजोर हो गया है तू! हालत देख अपनी क्या बना रखी है तूने!" वो उसके कान खीचते हुए और नाराजगी जताते हुए बोलती है!
युग आगे बढ़कर उसके पैर छूता है और फिर उसके सीने से लग जाता है! मालिनी का सारा गुस्सा एक ही पल में ठंडा हो जाता है!
कुछ देर मे सब लोग बाते कर रहे थे! एक बार फिर घर में हंसी मजाक की आवाजे गूंज रही थी! जो घर बिल्कुल शांत शांत हो गया था वो युग के आने के बाद फिर से चहक उठा था!
माला जल्दी से डिनर टेबल पर लगाती है!
"युग बेटा जल्दी से आजा, आज सारा खाना तेरी पसंद का है और अभी तक किसी ने भी खाना नहीं खाया कि आज तो तेरे साथ ही खाएगे!"
युग सोफे पर से उठते हुए, "मैं बस चेंज करके आता हूं छोटी मा! फिर सब साथ में खाते हैं" और फिर वो एक बड़ा सा सूटकेस कनिका को देते हुए, "ये तेरे लिए, इसके अंदर के सारे गिफ्ट तेरे है!"
ये सुनते ही कनिका खुशी से झूम उठती है!
"सच में भाई? इतने सारे गिफ्ट मेरे लिए? आप ना दुनिया के सबसे अच्छे भाई हो!"
"मैं तो अभी सारे के सारे खोलकर देखने वाली हू," ये कहते हुए वो सूटकेस लेकर जल्दी से अपने कमरे में भाग जाती है! मालिनी पीछे से उसे आवाज लगाते हुए, "अब जल्दी आना! खाना ठंडा मत कर देना...ये लड़की भी ना पता नहीं कब बड़ी होगी!"
इसके बाद वो युग की तरफ देखकर, "जा बेटा तू भी जल्दी से फ्रेश होकर आजा, फिर साथ में खाना खाते हैं!"
"जी मा!" वो मुस्कुराते हुए बोलता है और अपने कमरे में चला जाता है! मालिनी नजरों से उसका पीछा करती है!
माला उसके पास आते हुए, "क्या बात है दीदी? आप खुश नहीं है? अब तो युग बाबा भी वापस आ गए! फिर भी आपके चेहरे पर ये उदासी क्यों?" वो उससे सवाल करती है!
मालिनी एक गहरी सांस लेकर, "पता नहीं क्यों मुझे युग को देखकर ऐसा लग रहा है कि मेरा बेटा खुश नहीं है! कुछ है जो उसे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा है!"
"तुझे याद है न जाने से पहले युग पूरी एक रात घर नहीं आया था! बस उसी रात कुछ ना कुछ हुआ है मेरे बच्चे के साथ! वो तब से ही ऐसे घूट घूट कर जी रहा है! कुछ तो ऐसा है जो उसने आज तक किसी को नहीं बताया! ये मेरा युग है ही नहीं माला! पता नहीं मेरा बच्चा कहां खो गया है?" वो बेबसी से सोफे पर बैठते हुए बोलती है!
माला उसे समझाते हुए, "कोई बात नहीं दीदी, पहले तो वो वापस आने के लिए भी तैयार नहीं था लेकिन अब आगे आया ना, आप देखना धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा सब कुछ! पर आप उसे खुद कुछ मत पूछना! अगर उसे आपसे बताना होता तो पहले ही बता देता, जरूर कोई ऐसी बात है जो वो आपको नहीं बता पा रहा है या बताना नहीं चाहता है! इसलिए आप सही वक्त आने का इंतजार कीजिए दीदी!" माला उसे समझाते हुए बोलती है!
"चलिए अब अपना मूड सही कीजिए वरना आपको परेशान देखकर युग भी परेशान हो जाएगा!"
कुछ देर में सब लोग खाने के लिए इकट्ठा होते हैं! अपने घर आकर युग को बहुत अच्छा लग रहा था! उसकी मां, उसकी बहन, उसकी छोटी मां सब कितने खुश हैं!
कुछ ही देर में सब लोग खाना खा चुके थे! सारा खाना युग की पसंद का बना था! वो खाते हुए, "छोटी मां सच में आपके खाने जैसा ना, कहीं भी जवाब नहीं है! मैं तो कुछ ज्यादा ही खा गया आज! सच में बहुत अच्छा खाना बनाती है आप!"
इसके बाद वो वहां से उठने लगता है पर कनिका उसे रोकते हुए, "अरे भाई अभी रूको! आपके लिए एक सरप्राईज है" ये कहते हुए वो जल्दी से किचन में जाती है और फ्रिज में रखा केक निकालने लगती है! जैसे ही वो उस केक को देखती हैं तो उसकी आंखों के सामने अपूर्व का चेहरा घूम जाता है, जिस पर उसे खुद भी बहुत हैरानी होती है कि मैं उस लड़के के बारे में इतना क्यों सोच रही हूं?
वो अपने सर पर चपत मारते हुए, "मैं भी ना... कुछ भी सोचने लगती हूं!" ये कहते हुए वो केक लेकर बाहर आती है! "ये देखिए भाई आपका फेवरेट केक ..!"
"क्या बात है बड़ा केक शेक लाया जा रहा है अपने भाई के लिए! हमारे लिए तो कभी कोई मीठा नहीं लाई है ये लड़की!" मालिनी उसे छेड़ते हुए बोलती है!
उसके बाद युग और कनिका मिलकर केक कटिंग करते हैं और सब लोग केक खाते हैं! रात बहुत ज्यादा हो गई थी तो सब अपने कमरे में आराम करने चले जाते है और कनिका भी, उसको तो कल कॉलेज जाना था!
मालिनी युग से कहती है कि उसने मन्नत रखी थी कि जब भी तू वापस आएगा तो सबसे पहले वो मंदिर जाकर तेरे साथ प्रार्थना करेगी, तो कल सुबह तुझे मंदिर चलना है मेरे साथ! युग भी उनकी बात झट से मान लेता है कि जहां आप लेकर चलोगी वहां चल दूंगा!
खैर रात बीत जाती है और सवेरा होता है! ये सवेरा कईयों की जिंदगी बदलने वाला था!
युग और मालिनी तैयार होकर मंदिर जाने के लिए निकल रहे थे! तभी कनिका भी तैयार होकर आ जाती है! वो कॉलेज जा रही थी! पर मालिनी उसे भी अपने साथ मंदिर आने का बोलती है कि हम तुझे कॉलेज छोड़ देंगे! कनिका भी उनके साथ मंदिर जाने के लिए निकल जाती है!
उधर अपूर्व रावी को लेकर मंदिर आ रहा था! हफ्ते में एक दिन और वो रावी को जरूर मंदिर लेकर आता था! कि घर की किच किच से दूर, बाहर मंदिर मे रावी को थोड़ी शांति तो मिलेगी! और सच कहे तो मंदिर लाना तो एक बहाना था! वो चाहता था कि रावी एक कमरे के अंदर सिमट कर ना रह जाए! बस यही वजह थी जो वो मंदिर का रास्ता देकर उसे घर से बाहर लेकर आता था और आज भी यही हुआ!
कुछ ही देर में दोनों गाड़ियां मंदिर के सामने रूकती है और वो दोनों ही गाड़ियां आमने-सामने थी! एक गाडी मे रावी बैठी हुई थी और एक गाडी मे युग....
गातांक से आगे ...
पिछले भाग मे आपने पढा़ कि क्यों घर वापस आ जाता है ! उसे देखकर उसके घर वाले बहुत खुश होते हैं और मालिनी उसे अपने साथ सुबह मंदिर जाने के लिए कहती है !! उधर अपूर्व भी रावी को लेकर मंदिर जा रहा था और इधर युग मालिनी और कनिका के साथ मंदिर जा रहा था!! अब आगे....
कुछ ही देर में दोनों गाड़ियां मंदिर के सामने रूकती है और वो दोनों ही गाड़ियां आमने-सामने थी !! एक गाडी़ मे रावी बैठी हुई थी और एक गाडी मे युग....!
मालिनी और कनिका गाडी मे से उतर जाती है !! युग भी गाड़ी में से उतरने लगता है !!ठीक उसी वक्त उसका फोन रिंग करता है और वो फोन अपने कान पर लगाते हुए मालिनी की तरफ देखकर - आप दोनो चलिए मैं बस फटाफट से ये कॉल अटेंड कर के आता हू , बहुत अर्जेंट है ये काल !!
मालिनी बड़बड़ करते हुए - ये और इसका काम ! पता नहीं कहां से इतने काम का भूत सवार हुआ है इस पर ?? वो मंदिर की सिढिया चढ़ने लगती है और उसकी बड़बड़ सुनकर कनिका हसने लगती है !!
युग फोन पर बात कर रहा था !! अपूर्व गाडी से बाहर आता है और फिर वो पिछली सीट पर रखी रावी की व्हीलचेयर को बाहर निकालता है और फिर धीरे से रावी को बाहर निकाल कर उस पर बिठा देता है !! रावि के गाड़ी से बाहर आते ही युग की धड़कने अचानक से बढ़ जाती है !! एक जाना पहचाना सा अहसास ,जानी पहचानी सी खुशबू उसके अंदर तक समा जाती है !!
वो आँखे बंद कर इस एहसास को महसूस करते हुए - ये तो वैसा ही एहसास है जैसा मुझे रावी के साथ ...इसका मतलब वो यही आसपास ही है !! ये कहते हुए वो अपनी नजरे इधर-उधर दौड़ाता है पर उसे रावी कहीं नजर नहीं आती क्योंकि हवा से रावी का दुपट्टा लहरा रहा था जो कि उसके पूरे चेहरे को कवर कर चुका था !!
उसे बस वील चेयर पर बैठी लड़की के पैर नज़र आ रहे थे और ऐसा तो वो सपने में भी नहीं सोच सकता !! युग एकदम से अपने सारे ख्याल झटकते हुए - ये क्या सोच रहा हूं मैं ?? वो यहां पर कैसे हो सकती है ? मुझे तो हर वक्त उसी का एहसास होता है !! वो गाडी़ मे बैठा हुआ ये सब सोच रहा था !!
अपूर्व गाड़ी को लॉक करता है और फिर रावी को वहां से लेकर जाने लगता है !! युग अभी भी अपनी गाड़ी के अंदर ही था और रावी उसके पास से गुजर रही थी !! जैसी ही वो उसके पास से गुजरती है ठीक उसी वक्त युग गाडी़ का दरवाजा खोल कर बाहर आने लगता है !! लेकिन किस्मत का खेल देखो कि उसी वक्त उसका फोन गाड़ी में ही गिर जाता है जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुक जाता है और एक बार फिर उन दोनों का आमना सामना नहीं हो पता...!!
जब तक अपना फोन लेकर युग बाहर आता है तब तक रावी वहा से जा चुकी थी !!
सबसे पहले अपूर्व मंदिर के पीछे की तरफ बने बगीचे मे उसे लेकर जाता है ! क्योकि अभी मंदिर मे भीड़ कुछ ज्यादा ही थी ! अपूर्व वहा पर रखे बैंच पर बैठ जाता है और रावी अपनी वील चेयर पर बैठी थी !! वो अपूर्व की तरफ देखकर - आप खामखा मेरे लिए परेशान होते हो , अपना सारा काम छोड़कर...अपूर्व बीच मे ही उसकी बात काटते हुए - इस बात का कोई मतलब है भाभी ?? आपको लगता है कि मैं इस मामले मे आपकी सुनूंगा ??
आप वैसेे भी मेरी बात कहां सुनते है ? रावी मुंह बनाते हुए बोलती है !
अच्छा आपकी जगह मैं होता तो आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ देती ?? अपूर्व उससे सवाल करता है !
अपूर्व ....!! रावी गुस्से से उसे टोकती है ! और फिर उसे डांटते हुए - जो मुंह मे आता है वो बोल देते हो , थोडा़ तो सोच कर बोलो ! भगवान न करे ऐसा तुम्हारे साथ हो ..अरे तुम्हारे साथ क्या किसी के साथ भी हो !! जिंदा लाश बनकर जीना क्या होता है ये मुझसे पूछो ..!! दोबारा ऐसी बात मत करना..! आज पहली बार रावी इतने गुस्से से उससे बात कर रही थी !
यही तो अपूर्व चाहता था कि रावी अपने दर्द को अँदर ही अँदर ना दबाए ! वो उसे बाहर निकाले , बाकि लोगो की तरह हंसे , मुस्कुराए , अपनी जिदंगी मे आगे बढ़ जाए !!
वो रावी की तरफ देखता है जिसका चेहरा गुस्से से लाल हुआ पडा़ था ! अपूर्व उसे शांत करते हुए - अच्छा अच्छा सारी मेरी प्यारी भाभी , इतना भी गुस्सा नही करते !! वो रावी को मनाते हुए बोलता है !
पर अपनी वील चेयर को आगे बढा़ते हुए - मुझे आपसे बात ही नही करनी !! इतना कहकर वो आगे बढ़ जाती है !
दूसरी तरफ .....
युग ,मालिनी और कनिका मंदिर मे पूजा कर चुके थे और वो अब वहा से जाने वाले थे !! युग कनिका से - चल तुझे कालेज छोड़ दू फिर मुझे आफिस भी जाना है !!
नही भाई , आप चले जाओ ,मेरी दोस्त सपना आ रही है मुझे लेने और हमे कुछ काम भी है तो..!! कनिका उसे बताती है !!
युग मालिनी को अपने साथ ले जाते हुए - अच्छा ठीक है , ध्यान से जाना !! इतना कहकर वो वहा से चला जाता है !!
कनिका अपनी दोस्त का इँतजार कर रही थी और वो घूमते घूमते पीछे बगीचे की तरफ चली जाती है !!
उधर...रावी गुस्से से अपनी वीलचेयर चला कर आगे जा रही थी ! पता नही कैसे पर एकदम से उसकी आँखो के सामने अँधेरा छा गया और उसे नीचे गढडा़ नही दिखाई दिया और उसकी वीलचेयर उस गढ्डे मे अटक गई ,जिससे रावी सम्भंल नही पाई और वो नीचे गिर गई !!
ये देखकर अपूर्व जल्दी से उस तरफ दौड़ता है और फटाफट से रावी को अपनी गोद मे उठा लेता है !!
ठीक उसी वक्त कनिका वहा पर आती है और उसकी नज़रे जाती है अपूर्व पर और उसकी बांहो मे जो थी उस रावी पर !! ये देखकर उसकी आँखे हैरानी से फैल जाती है !!
आप यहां बैठिए , वो रावी को बैंच पर बिठाता है और फिर खुद भी उसके पास बैठते हुए - ओह फो भाभी क्या करती है आप ?? अपना जरा़ भी ख्याल नही रखती , अभी कुछ हो जाता आपको तो ?? अपूर्व उसकी चिंता करते हुए बोलता है !!
दूर खडी़ कनिका दोनो को देख रही थी ! वो उनकी बाते तो नही सुन सकती थी पर अपूर्व के चेहरे के हाव भाव से उसे इतना तो समझ मे आ गया था कि ये लड़की अपूर्व के लिए खास है , और वो उसकी बहुत फिक्र कर रहा है !
अपूर्व को रावी के साथ देखकर , कनिका को अँदर ही अंदर जलन होने लगी थी !! उसे बहुत गुस्सा भी आ रहा था ! और इस चीज़ को वो समझ भी नही पा रही थी !
अपूर्व जल्दी से रावी को पानी पिलाता है ! वो देखता है कि गिरने की वजह से रावी के माथे पर खरोंचे भी लग गई है ! ये देखकर वो उस पर गुस्सा भी करता है !!
रावी धीरे से - पता नही कैसे चक्कर आ गए !!
सब पता है मुझे , खाने पीने का ध्यान नही रखती हो ! चक्कर तो आएगे ही !! अब चलो , सबसे पहले डाक्टर , आज मैॆ आपकी एक नही सुनूूंगा..!! इतना कहकर वो उसे अपनी गोद मे उठा लेता है और अपनी गाडी़ की तरफ बढ़ने लगता है !!
कनिका हैरानी और गुस्से से उसे ही देख रही थी !! अपूर्व रावी को गोद मे उठाए उसके पास से गुजर जाता है , कनिका की तरफ तो वो देखता भी नही है...!
जारी है..🙏🙏
कमैंट प्लीज 😊
सब पता है मुझे, खाने पीने का ध्यान नहीं रखती हो! चक्कर तो आएँगे ही!! अब चलो, सबसे पहले डॉक्टर, आज मैं आपकी एक नहीं सुनूँगा..!! इतना कहकर वो उसे अपनी गोद में उठा लेता है और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगता है!!
कनिका हैरानी और गुस्से से उसे ही देख रही थी!! अपूर्व रावी को गोद में उठाए उसके पास से गुजर जाता है, कनिका की तरफ तो वो देखता भी नहीं है...! इतना काफी था कनिका के दिल में हलचल पैदा करने के लिए! रावी को अपूर्व की बाहों में देखकर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था और इस बात को वो समझ नहीं पा रही थी कि उसे इतना गुस्सा क्यों आ रहा है! रह रह कर उसकी आँखों के सामने वही पल घूम रहा था जब अपूर्व रावी को लेकर उसके पास से गुजर गया और उसकी तरफ देखा भी नहीं!!
वो फ्रस्ट्रेटेड होकर वहाँ रखे एक बैंच पर बैठ जाती है और अपने गुस्से को काबू करते हुए, "मुझे इतना गुस्सा क्यों आ रहा है? वो किसी के साथ भी रहे, किसी के साथ भी बोले, किसी को भी अपनी गोद में उठाएं, मुझे क्या फर्क पड़ता है?? वैसे भी मैं उसे जानती ही कितना हूँ और लगता भी क्या है वो मेरा?" ये सब बातें वो खुद को तसल्ली देते हुए बोल रही थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अपूर्व को सालों से जानती है!
जैसे उसका बहुत पुराना रिश्ता है उसके साथ!! उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था!! तभी उसकी सहेली उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, "क्या हुआ?? यहाँ अकेली बैठी क्या बड़बड़ कर रही है??"
कनिका उसकी तरफ देखती है और फिर वहाँ से उठते हुए, "कुछ नहीं हुआ है मुझे! चल अब!!" इतना कहकर वो वहां से चली जाती है!!
"अब इसे क्या हुआ??" उसकी सहेली कंधे उचकाते हुए बोलती है!! इसके बाद वो दोनों कॉलेज जाने के लिए निकल जाती है!!
उधर युग मालिनी को घर छोड़ कर अब ऑफिस जाने के लिए निकल गया था!! हालाँकि ऑफिस जाते हुए उसे बहुत बेचैनी हो रही थी! क्योंकि उसकी नज़र में तो पीयूष आज भी उसी के ऑफिस में ही काम करता था! अब जाहिर सी बात है अगर वो पीयूष से मिलेगा तो रावी का जिक्र भी होगा। फिर से उसे वही सब याद आएगा, हालाँकि वो रावी को एक पल के लिए भूला नहीं था पर आज उसे कुछ ज्यादा ही बेचैनी हो रही थी! जिसे वो समझ नहीं पा रहा था!!
उधर अपूर्व रावी को जल्दी से हॉस्पिटल लेकर जाता है! उसे रावी की बहुत टेंशन हो रही थी कि अचानक से रावी को क्या हो गया? ऐसे कैसे चक्कर आ गया? बस यही सवाल उठ रहे थे उसके मन में!!
रावी उसको कितनी बार कह चुकी थी कि वो ठीक है, उसे हॉस्पिटल जाने की जरूरत नहीं है! पर अपूर्व था जो उसकी एक नहीं सुन रहा था! वो एक दोस्त की तरह, एक भाई की तरह उसे डांटते हुए, "आप तो चुप ही रहिए भाभी, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि जरूर आपने दवाई में लापरवाही की होगी, खाने में लापरवाही की होगी, उसी का नतीजा है ये! उस नर्स की भी आज खबर लूँगा मैं!" अपूर्व गुस्से से बोलता है!!
उसका गुस्सा देखकर रावी कुछ बोल ही नहीं पाती! वो खामोशी से बैठ जाती है! पर उसे पता चल गया था कि आज उसकी और नर्स की खैर नहीं!!
कुछ ही देर में युग ऑफिस पहुँच गया था! जहाँ उसके स्वागत के लिए सारा स्टाफ खड़ा था! युग गाड़ी से बाहर आता है तो मैनेजर जल्दी से उसके हाथ में एक बुके देते हुए, "वेलकम सर, वेलकम!!" बाकी सब भी युग को वेलकम बोलते हैं, उसका हाल चाल पूछते हैं और युग भी बेहद अपनेपन के साथ सबका जवाब दे रहा था, वो भी उनका हाल चाल पूछ रहा था!! हाँ पर उन सब में उसकी आँखें पीयूष को तलाश रही थीं जो कि उसे नज़र नहीं आ रहा था!!
खैर सब लोग अंदर आते हैं! उनके साथ युग भी अंदर आता है और सीधा अपने केबिन में जाता है! जहाँ उसके वेलकम के लिए भी बहुत तैयारियाँ की हुई थीं, एक छोटी सी पार्टी का भी इंतज़ाम किया गया था!! हर कोई खुश था युग के वापस आने पर क्योंकि युग हमेशा से ही बहुत अच्छा बॉस रहा है! जहाँ काम की जरूरत होती थी वहाँ काम!! जहाँ मौज मस्ती की जरूरत होती थी वहाँ मौज मस्ती!! सबके साथ उसका व्यवहार हमेशा अच्छा ही रहा है इसलिए वो हर किसी का चहेता था!
ऑफिस के पुराने चेहरों में उसे कुछ नए चेहरे भी नजर आ रहे थे! लेकिन जिसका चेहरा वो ढूंढ रहा था वो नहीं नजर आ रहा था!! लेकिन इस वक्त वो किसी से पूछ भी नहीं सकता था!!
दूसरी तरफ अपूर्व रावी को लेकर अस्पताल पहुँच गया था और इस वक्त डॉक्टर रावी का चेकअप कर रही थी! अपूर्व की आँखे गुस्से से लाल हुई पड़ी थीं जिसे वो बार-बार रावी की तरफ घूर रहा था और रावी बार-बार किसी बच्चे की तरह उससे नज़रें चुरा रही थी!!
डॉ उर्वशी जोकि एक सीनियर डॉक्टर थीं! अपनी उम्र बेहद तजुर्बा था उनको और वो बहुत ही अच्छी डॉक्टर थी!! रावी का ट्रीटमेंट वही करती थी और रावी से उनको एक खास लगाव भी था!
वो रावी से सवाल पूछते हुए, "क्या टेंशन है बेटा तुमको? क्यों इतना स्ट्रेस लेकर घूम रही हो? क्या हुआ है? ना ठीक से खाती पीती हो ना दवाइयों का ध्यान रखती हो! ऐसा कैसे चलेगा बच्चे?? ये कोई उम्र है तुम्हारी इस तरह से कमजोर होकर चक्कर खाने की??"
इतना सुनने की देर थी कि अपूर्व का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था!! लेकिन वो डॉक्टर के सामने रावी को कुछ नहीं कहना चाहता था! इसलिए अभी उसने चुप रहना ही बेहतर समझा!
रावी कुछ नहीं बोलती, बस खामोशी से अपनी नज़रें झुका लेती है!! पर उसकी खामोशी भरी खाली आँखें बहुत कुछ कह रही थीं!!
उर्वशी रावी की हालत बहुत अच्छी तरह समझ रही थी! वो अपूर्व को अपने साथ बाहर आने का इशारा करती है और फिर केबिन से बाहर निकल जाती है! अपूर्व उसके पीछे जाते हुए, "क्या बात है आंटी सब ठीक है ना??" उर्वशी उनकी फैमिली डॉक्टर थी इसलिए अपूर्व उसको आंटी ही कहता था!!
उर्वशी रावी की हालत से, उसकी परिस्थितियों से अच्छी तरह वाखिफ थी! वो अपूर्व की तरफ देखकर, "कुछ भी ठीक नहीं है बेटा, रावी ऊपर से जितनी अच्छी, जितनी सही लग रही है! उतनी ही वो अंदर से टूटी हुई और कमजोर है!! हम ऐसा कह सकते हैं कि उसकी जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है!! वो सिर्फ अपनी जिंदगी का बोझ ढो रही है!! इसकी सबसे बड़ी वजह तो उसका पास्ट है जिससे वो खुद ही बाहर नहीं आना चाहती! और दूसरी वजह है तुम्हारी माँ..!! जो हर वक्त उसको कुछ ना कुछ सुनाती रहती है!!
अब अगर एक पल के लिए रावी अपने अतीत से बाहर आना भी चाहे तो तभी उसके सामने कोई ऐसी बात आ जाती है जो उसे वापस उतना ही पीछे धकेल देती है!! जिससे वो हर चीज के लिए खुद को ही दोषी मानने लगती है! ऐसे में इंसान का कैसे मन करेगा कुछ खाने पीने का?? या खुश रहने का? तुम खुद बताओ!!"
उसकी बातें अपूर्व को सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं!
उर्वशी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, "रावी के आस पास का माहौल बदलने की जरूरत है अपूर्व!! तब जाकर वो अंदर से खुश होगी, अंदर से ठीक होगी! वरना कितनी भी दवाइयाँ खिला लो, वो ठीक नहीं होगी।"
अपूर्व उर्वशी की बातों पर गौर करते हुए रावी को वहाँ से ले जाता है!!
उधर कॉलेज में....
कनिका का कहीं मन नहीं लग रहा था! रह रह कर उसकी आँखों के सामने वही पल घूम रहा था! पढ़ाई में भी उसका ध्यान नहीं था! उसकी सहेली सुप्रिया कब से उसे नोटिस कर रही थी! उनकी क्लास खत्म होती है और वो कनिका का हाथ पकड़कर गार्डन में ले जाती है और फिर उससे सवाल करती है, "चल अब बता कि क्या हुआ है तुझे? सुबह से देख रही हूँ क्यूँ मुँह फुला रखा है तूने??" वो कनिका को बेंच पर बिठाते हुए बोलती है!!
कनिका सुप्रिया से कुछ नहीं छिपाती थी! वो तुरंत अपनी दुविधा उसके सामने रखते हुए, "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा!! तुझे वो कल वाला लड़का याद है जो केक शॉप में मुझसे टकराया था!!" उसके बाद वो एक-एक करके उसे सारी बात बता देती है की कैसे उसने किसी लड़की को उसके साथ देखा था! जिसे अपूर्व ने अपनी गोद में उठा रखा था!! "ये सब देखकर मुझे बहुत बुरा लग रहा है, गुस्सा आ रहा है!! मैं चाहकर भी अपने दिमाग से ये सब निकल नहीं पा रही हूँ और मुझे क्यों बुरा लग रहा है ये सब कुछ सोचकर?? क्यूँ उस लड़की से जलन हो रही है?" ये सब कहते हुए कनिका सुप्रिया को सारी बात बता कर वापस अपना सर पकड़कर वहीं बैठ जाती है!!
सुप्रिया उसके पास बैठती है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए, "प्यार हो गया तुझे उस लड़के से इसलिए तुझे उस लड़की से जलन हो रही है!!"
उसकी बात सुनकर कनिका हैरानी से उसकी तरफ देखती है जैसे पूछ रही हो सच में?? सुप्रिया उसका हाथ पकड़ कर उसके दिल पर रखती है और उसे अपनी आंखें बंद करने के लिए कहती है!! "अब देख तुझे क्या नजर आ रहा है??" कनिका अपनी आँखें बंद करती है तो उसे अपूर्व का चेहरा नज़र आता है और साथ ही साथ उसकी धड़कने बढ़ जाती है!! कनिका की आंखें एकदम से खुल जाती है!! अपनी फीलिंग को वो समझ चुकी थी पर अभी उसे ये नहीं पता था कि वो लड़की कौन थी उसके साथ??
फिर एक दिन वो हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था!! ठीक एक हफ्ते के बाद रात का समय...युग अपने कमरे में लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था!!
तभी कनिका हाँफते हुए उसके पास जाती है! उसका चेहरा पूरा आंसुओं से भीगा हुआ था! आँखें रो रो कर लाल हो गई थीं!! अपनी बहन की ऐसी हालत तो युग ने कभी नहीं देखी थी!! अपनी बहन की ऐसी हालत देखकर युग भी हैरान रह जाता है!! इससे पहले की वो उस से कुछ पूछता, कनिका एकदम से उससे लिपट जाती है और बहुत ज्यादा रोने लगती है!! उसका रोना काफी था युग के दिल में हलचल पैदा करने के लिए!! जिस बहन को वो जान से भी ज्यादा प्यार करता था, उसकी आँखों में आंसू बर्दाशत नहीं हो रहे थे उससे!!
कनिका रोते हुए, "भाई आज तक आपने मुझे हर चीज ला कर दी है, जो भी मैंने माँगा है वो सब लाकर दिया है!! आज भी मैं आपसे कुछ मांगने आई हूँ और मुझे वो चाहिए, हर हाल में चाहिए!!" कनिका रोते हुए बोलती है, "वादा कीजिए जो मैं आपसे मांगने वाली हूँ वो आप मुझे जरूर देंगे, जो मैं कहूँगी वो जरूर करेंगे.."!!
कनिका की हालत देखकर युग बहुत ज्यादा परेशान हो गया था!! वो उसे रोते हुए नहीं देख सकता था! वो तुरंत उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बिना सोचे समझे, "मैं वादा करता हूँ जो तू कहेगी वो मैं करूँगा पर अब तू चुप हो जा.."!!
कनिका अपनी आसू भरी नज़रों से युग की तरफ देखती है और उसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाते हुए, "चलिए मेरे साथ!"
आखिर कहाँ लेकर जा रही है कनिका युग को? और ऐसा क्या हुआ बीते एक हफ्ते में?? ये सब सवालों के जवाब आपको अगले भाग में मिलेंगे..!!
जारी है...
गातांक से आगे...
कनिका की हालत देखकर युग बहुत ज्यादा परेशान हो गया था। वो उसे रोते हुए नहीं देख सकता था! उसने तुरंत उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बिना सोचे समझे कहा, "मैं वादा करता हूँ जो तू कहेगी वो मैं करूंगा पर अब तू चुप हो जा...!"
कनिका अपनी आंसू भरी नज़रों से युग की तरफ देखती है और उसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाते हुए बोली, "चलिए मेरे साथ!"
वो गाड़ी में बैठती है और युग उसके साइड वाली सीट पर बैठ जाता है! कनिका गाड़ी स्टार्ट करती है और फिर सड़क पर भगा देती है, उसकी आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे जिन्हें वो बार-बार साफ़ कर रही थी! युग से कनिका की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही थी, अब उसे गुस्सा आ रहा था कि ऐसी क्या वजह है जो कनिका को इतना रोना आ रहा है? उसके भाई के होते हुए उसे रोना आ रहा है? ऐसी क्या चीज़ है जो वो उसे लाकर नहीं दे पाया? ये गुस्सा उसे खुद पर आ रहा था जिस पर वह काबू नहीं कर पाता और एकदम से झल्लाते हुए बोला, "कुछ बताएगी भी क्यों रोए जा रही है?? यहां मेरी जान जा रही है तुझे रोता हुआ देखकर!! कुछ तो बोल बच्चे...!"
पर कनिका के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता क्योंकि उससे बोला ही नहीं जा रहा था! रोना ही इतना आ रहा था उसे!!
उसे याद आता है कि 1 हफ्ता पहले जब उसने अपूर्व को उस लड़की के साथ देखा था गार्डन में तब उसे कितनी जलन हुई थी! तब उसे एहसास हुआ था अपने प्यार का कि उसे पहली नजर का "लव" हो गया है और वो इस हद तक हो गया है कि वो अपूर्व को किसी के साथ नहीं देख सकती!! पर उसे नहीं पता था कि वो लड़की उसकी भाभी है, दोस्त है, बहन है, सब कुछ है वो!!
पर कनिका ने तो कुछ और ही समझ लिया था! आप लोगों को याद होगा कि 1 हफ्ते पहले डॉक्टर ने अपूर्व से कहा था कि रावी के आस पास का माहौल बदलने की जरूरत है! उसके घर का माहौल टेंशन वाला है जिस वजह से वो दिन ब दिन बीमारी का शिकार हो रही है जो कि उसके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है!!
अब अपूर्व अपनी मां को तो समझा नहीं सकता था! क्योंकि उन्हें तो सिर्फ रावी ही गलत नजर आती थी! सारी गलती उसी की नजर आती थी तो उसने सोच लिया था कि जितना हो सकेगा वो रावी के साथ बाहर रहेगा, घूमेगा जो जगह रावी को पसंद है वहां से ले जाएगा और उधर कनिका अपने दोस्तों के साथ सेम जगह जा रही थी!!
उन्होंने भी घूमने का प्लान बनाया था! अब हुआ ये की जहां-जहां अपूर्व और रावी थे वहां वहां कनिका भी पहुंच गई और फिर से उसने उन दोनों को साथ में देख लिया! कभी साथ में लंच करते हुए, कभी पार्क में कभी मूवी देखते हुए लेकिन ये सब कुछ इस तरीके से हुआ कि अभी तक कनिका को ये पता नहीं चला था कि रावी अपाहिज है क्योंकि उसे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था अपूर्व के साथ रावी को देखना!! वो आधा अधूरा देखती और फिर गुस्से से वहां से चली जाती!!
कम से कम 1 हफ्ते से यही सब हो रहा था! कनिका अपने इश्क के फितूर में बिल्कुल पागल हो चुकी थी! पहली बार उसे प्यार हुआ और इस कदर हो गया कि अब उसे रावी बर्दाश्त नहीं हो रही थी अपूर्व की जिंदगी में! उसे सही गलत, अच्छा बुरा कुछ नजर नहीं आ रहा था!! उसे अपूर्व चाहिए तो मतलब चाहिए! कितने दिनों से वो ये सब देख रही थी!! बस अब वो और बर्दाशत नही कर पा रही थी!!
और हद तो आज हो गई जब वो अपनी फ्रेंड के साथ मॉल से बाहर आ रही थी तो उसे सामने गाड़ी में रावी बैठी नजर आई! अपूर्व उस वक्त वहां पर नहीं था! वो फोन पर बात करते-करते दूसरी साइड चला गया था!!
कनिका अपूर्व की गाड़ी को पहचानती थी!! रावी गाड़ी की आगे वाली सीट पर बैठी हुई थी! एक बार फिर कनिका को समझ में नहीं आया कि ये लड़की अपाहिज है!!
वो गुस्से से उसकी तरफ बढ़ती है लेकिन उसकी सहेली उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेती है, "तू पागल हो गई है क्या?? ये सही वक्त नही है" पर कनिका के सर पर तो जुनून सवार था!
वो अपना हाथ छुड़वाते हुए बोली, "आज नहीं छोडूंगी इसको!"
उसकी सहेली फिर से उसको रोकते हुए बोली, "पागल मत बन! यहां सबके सामने तमाशा करने की क्या जरूरत है?? तू प्यार करती है अपूर्व से, पर उसका क्या?? अभी तक तो तुझे ये भी नहीं पता कि वो तुझे लेकर कुछ फील करता भी है या नहीं?? होश से काम ले!!" वो उसको समझते हुए बोल रही थी!
इससे पहले की कनिका कुछ बोलती तभी उसकी दूसरी फ्रेंड वहां आते हुए बोली, "क्या बहस चल रही है दोनों में??" वो उन दोनों को छेड़ते हुए बोलती है!
तभी कनिका का उसकी तरफ रावी की तरफ इशारा करते हुए बोली, "इस लड़की को देख रही है? यही है मेरी दुश्मन, मेरे प्यार की दुश्मन..! जो हर वक्त मेरे अपूर्व के साथ चिपकी रहती है!! अभी भी देख उसकी गाड़ी में बैठी हुई है!!"
वो लड़की रावी की तरफ देखती है!! वो रावी को जानती थी! क्योंकि उसकी मम्मी और अपूर्व की मम्मी दोनों फ्रेंड थी! "अरे ये तो रावी भाभी है!!"
ये सुनते ही कनिका बोली, "भाभी...???" वो हैरानी से बोलती है!!
पूजा उसे बताते हुए बोली, "हां ये अपूर्व की भाभी है!! बेचारी विधवा है!! दरअसल शादी के दूसरे दिन ही एक्सीडेंट..." इससे पहले कि वो उसे सारी बात बताती तभी उसका बॉयफ्रेंड वहां पर आ जाता है और वो उसे अपने साथ ले जाता है!!
बाकी की बात कनिका खुद सोच लेती है! अब कनिका को इतना तो पता चल गया था कि वो अपूर्व की भाभी है!! लेकिन अपाहिज है ये नहीं पता था!! वो राहत की सांस लेते हुए बोली, "मैं पता नही क्या-क्या सोच रही थी और इसको भी मैं कितना बुरा भला कह दिया मन ही मन में!!" वो पछताते हुए बोलती है!!
ठीक उसी वक्त अपूर्व वहां पर आता है! उसके हाथों में 2 आइसक्रीम के कोन थे! वो 1 रावी को देता है! पर रावी मना कर रही थी पर अपूर्व उसे जबरदस्ती खिलाने लगता है!! कनिका और उसकी सहेली दोनों को देख रही थी!!
उसकी सहेली बोली, "देख कनिका इस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ है! मैं मानती हूं और अपूर्व सिर्फ उसकी केयर कर रहा है! अपनी भाभी के नाते...ये बात तू जानती है, मैं जानती हूं, अपूर्व जानता है! लेकिन दुनिया नहीं जानती..! अगर तू उसे सच में प्यार करती है तो तुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा!! ऐसा ना हो कि उसके घर वाले मिलकर इसकी शादी अपूर्व से ही करवा दे और वो उसके साथ कितना क्लोज है ये तो तू अच्छी देख रही है ना!! डू समथिंग" वो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोलती है!!
कनिका 1 नजर दोनों को देखते हुए वहां से चली जाती है! वो खुद को शांत करने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी आंखों के सामने बार-बार वही नजारा आ रहा था और ऊपर अपनी सहेली की बातें क्योंकि ऐसा ही होता है! ऐसा ही वो देखती आई है कि अगर 1 भाई की मौत हो गई तो दूसरे भाई के साथ शादी करवा देते हैं घर वाले और हो सकता है कि अपूर्व के साथ भी यही सब हो!
सोच सोच कर पागल हो गई थी वो जब उसे कुछ समझ नहीं आता तो वो पागलों की तरह रोना शुरू कर देती है! उसे लगता है कि अपूर्व उसे कभी नही मिलेगा, उसका प्यार उसे कभी नही मिलेगा!! और ऐसे में सिर्फ उसे युग नजर आता है! अपना भाई नजर आता है जो उसे हर वो चीज लाकर देता था जो वो चाहती थी और वो यही दिखाने के लिए उसे अपने साथ ले जा रही थी!!
कनिका तो ये चाहती थी कि युग कुछ ऐसा करें जिससे रावी अपूर्व की जिंदगी से दूर हो जाए और रावी को भी कोई तकलीफ ना हो! पर उसे नहीं पता था कि अनजाने में वो युग को उसकी सबसे बड़ी खुशी देने जा रही है!! उसकी जिंदगी देने जा रही है, उसका सुकून देने जा रही है...!!
अगले ही पल उसकी गाड़ी अपूर्व के घर के सामने आकर रूकती है! अपूर्व के बारे में उसने सारी जानकारी हासिल कर ली थी! उसका घर, उसका ऑफिस, उसका "जॉब" हर वो चीज जानती थी कनिका जो अपूर्व से जुड़ी हुई थी!!
इस वक्त रावी घर के बाहर बने बगीचे में थी और वो अपनी व्हीलचेयर पर बैठी हुई थी!! उसका चेहरा दूसरी तरफ था और पीठ मेन गेट की तरफ जो कि खुला हुआ था!
ठीक उसी वक्त अपूर्व हाथ में 2 कप कॉफी लिए हुए रावी के सामने आकर बैठ जाता है!! उसका ध्यान भी कनिका और युग की तरफ नहीं गया था जो घर के दरवाजे से उन दोनों को देख रहे थे!! युग को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कनिका उसे यहां क्यों लेकर आई है हां पर उसके दिल की धड़कने इस वक्त हद से ज्यादा बढ़ गई थी जिस चीज को वो अभी समझ नहीं पा रहा था!!
कनिका रोते हुए बोली, "भाई आप पूछ रहे थे ना कि मुझे क्या चाहिए??" वो अपूर्व की तरफ इशारा करते हुए बोली, "वो चाहिए मुझे!! मैं उससे बहुत प्यार करती हूं, उसके बिना नहीं जी पाऊंगी!! कुछ भी कीजिए पर मुझे वो चाहिए!!
उसके साथ जो लड़की है आप कैसे भी करके इस लड़की को इसकी जिंदगी से दूर कर दीजिए!! कुछ भी कीजिए पर मुझे अपूर्व चाहिए!!" वो बहुत ज्यादा रोते हुए बोलती है और बोलते बोलते वहीं बेहोश होकर गिर जाती है!!
उसके गिरने के शोर से अपूर्व को एहसास होता है कि कोई घर के बाहर है!! "भाभी 1 मिनट मैं अभी आया!!" इतना कहकर वो जल्दी से बाहर जाता है!!
युग जो कि कनिका को होश में लाने की कोशिश कर रहा था!! अपूर्व कनिका को देखते ही पहचान लेता है और बोलता है, "अरे ये क्या हुआ इसको?? क्या किया तुमने इसके साथ??" वो गुस्से से बोलता है!!
उसकी तेज आवाज सुनकर रावी को कुछ सही नहीं लगता तो वो अपनी व्हीलचेयर को अपने हाथ से चलाते हुए घर से बाहर की तरफ आ जाती है!!
"क्या हुआ अपूर्व???" उसकी आवाज काफी थी युग को ये एहसास दिलाने के लिए कि वो कोई और नहीं उसकी जिंदगी है, उसका प्यार है!! वो झट से उसकी तरफ देखता है और जब देखता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है....!!
जारी है..🙏
रावी की आवाज काफी थी युग को ये एहसास दिलाने के लिए कि वो कोई और नहीं उसकी जिंदगी है, उसका प्यार है!! वो झट से उसकी तरफ देखता है और जब देखता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है....!!
बुझा-बुझा बेरौनक चेहरा, चेहरे पर उदासी, आँखों में खालीपन और सबसे बड़ी बात कि वो वील चेयर पर?? ये देखकर युग को एक धक्का लगता है, एक पल के लिए तो उसकी सांसें रुक जाती हैं! उसको ऐसा लगता है जैसे किसी ने उसके शरीर से उसकी जान निकाल दी हो!! वो हैरानी से बस उसे ही देखे जा रहा था!! और एक रावी थी जिसने एक बार युग की तरफ देखा और फिर अपनी नज़रे फेर ली!!
जिस युग के लिए रावी उसकी पूरी जिंदगी बन गई थी, उसका सुकून बन गई थी, उसकी सांसें बन गई थी उस रावी के लिए युग सिर्फ एक अनजान इंसान था! उसे तो उसका चेहरा भी याद नहीं था! रावी के जिस चेहरे पर युग अपना दिल हार गया था! उस रावी को तो उसका चेहरा तक याद नहीं था!! युग अभी तक होश में नहीं आया था! वो अभी भी एक टक रावी को देख रहा था!!
जबकि अपूर्व कनिका को होश मे लाने की कोशिश कर रहा था! "मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हू!" वो युग के ऊपर चिल्लाते हुए बोलता है!! "बहरे हो..?? सुनाई नहीं देता तुम्हें..?? क्या किया तुमने इस लड़की के साथ..?? कैसे बेहोश हुई ये??" वो कनिका का माथा छूते हुए बोलता है जो बुखार से तप रहा था!! "इसे तो बहुत तेज बुखार है...!!"
ये सुनते ही युग भी कनिका का चेहरा छूने लगता है! पर अपूर्व एकदम से उसका हाथ पकड़ लेता है!! "डोंट टच हर...!!" इस बार भी वो बहुत गुस्से से बोलता है!!
"ओह शेटअप..!! मैं भाई हूं इसका", युग भी उसे गुस्से से जवाब देता है!! रावी को कुछ समझ नहीं आ रहा था! उसने अपूर्व को इतने गुस्से में पहले कभी नहीं देखा था! इससे पहले कि वो कुछ कहती तभी अंदर से अपूर्व के माता-पिता जाते हैं और वो भी उससे पूछते हैं कि क्या हुआ??
अपूर्व युग की तरफ देखकर - "आई एम सॉरी मुझे लगा कि!!" "अच्छा ये सब छोड़िए फटाफट से इनको अंदर ले चलिए तब तक मैं डॉक्टर को फोन करता हूं!" अपूर्व अपना फोन निकालते हुए बोलता है!! युग कनिका को अपनी गोद में उठाता है और घर के अंदर ले जाता है!!
वो बात अलग थी कि वो रावी से बात करने के लिए तड़प रहा था! उसका हाल जानने के लिए तड़प रहा था! पूछना चाहता था उससे की ये सब कैसे हुआ?? और सबसे बड़ी बात कि पीयूष उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था! जिस वक्त पीयूष और रावी की शादी हुई थी तब अपूर्व किसी काम से कुछ देर के लिए कहीं गया था! उसी वक्त युग वहां पर आया था! इस वजह से अपूर्व और युग एक दूसरे को नहीं जानते थे!!
कनिका को गेस्ट रूम में लेटा दिया जाता है!! तब तक अपूर्व ने डॉक्टर को फोन कर दिया था!! युग कनिका के पास बैठा उसका हाथ रगड़ रहा था! अपूर्व की मां और पापा भी वही खड़े थे! अभी तक अपूर्व की मां ने भी उसको नहीं पहचाना था पर उसके पापा ने उसको पहचान लिया था कि ये युग है पीयूष का बॉस!!
ठीक उसी वक्त अपनी वीलचेयर को अपने हाथ से चलाती हुई रावी भी वहां पर आ जाती है! उसे देखकर बबीता का मुंह बन जाता है पर वो युग के सामने कुछ नहीं कहती!! तभी डॉक्टर आते हैं और कनिका का चेकअप करने लगते हैं! चेकअप करने के बाद - "इनको तो बहुत तेज बुखार है, कमजोरी भी बहुत है! ऐसा लगता है जैसे इन्होंने कई दिनों से ठीक से खाना नहीं खाया!! कोई परेशानी है क्या इनको?? कोई स्ट्रेस??"
अपूर्व कनिका की हालत देखकर हैरान था! उसे तो वही कनिका की याद आती है जो उसे केक शॉप में मिली थी! हंसती, मुस्कुराती बिंदास सी लड़की और आज पता नहीं उसे क्या हो गया!!
युग डॉक्टर की तरफ देखकर - "मैं खुद हैरान हू कि पता नही इसे क्या हुआ है!" हालांकि वो समझ गया था कि कनिका को क्या हुआ है पर वो डॉक्टर से क्या बताता कि कनिका अपूर्व से बेहद मोहब्बत कर बैठी है और ये उसी का नतीजा है!! "मैं अपनी बहन का पूरा ध्यान रखूंगा" वो डॉक्टर को विश्वास दिलाते हुए बोलता है!!
डॉक्टर कनिका को कोई इंजेक्शन देते हुए - "इन्हें 2 घंटे मे होश आ जाएगा और ये कुछ दवाइयां है जो आपको इनको देनी है और इनके खाने पीने का पूरा ध्यान रखना है और कोशिश करनी है कि इनको कोई तनाव ना हो!! चलिए अब बाहर चलिए और इनको आराम करने दीजिए!" ये कहता हुआ डॉक्टर कमरे से बाहर निकल जाता है और उनके साथ-साथ बाकी सब भी!!
युग डॉक्टर को उसकी फीस देता है जिसके बाद वो वहां से चले जाते हैं!! उनके जाते ही अपूर्व के पापा युग की तरफ देखकर - "आप युग सिंघानिया है ना? पीयूष के बोस??"
"जी अंकल आपने सही पहचाना!" युग हल्का सा मुस्कुरा कर बोलता है! बबीता उसके सामने पानी का गिलास करते हुए - "तभी मैं इतनी देर से सोच रही हूं कि इस लड़के को कहीं देखा है पर याद नहीं आ रहा था" वो अपनी बत्तीसी दिखाते हुए बोलती है!!
"थैंक यू आँटी!!" वो पानी का गिलास उठाते हुए बोलता है!! वो बात अलग थी कि उसकी नज़रे बार-बार रावी पर जा रही थी! उसने खुद पर कैसे काबू पाया हुआ था ये तो बस वही जानता था!
अपूर्व उसको सोफे पर बैठने का इशारा करता है! युग सोफे पर बैठ जाता है और पानी का गिलास अपने होठों से लगा लेता है!! बबीता रावी को आंखें दिखाती है जिससे वो समझ जाती है कि उसका यहां रुकना बबीता को पसंद नहीं आ रहा इसलिए वो अपनी व्हीलचेयर चलाती हुई अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगती है! युग का पूरा ध्यान उसी पर था!!
"अंकल पीयूष कहीं नजर नहीं आ..." वो इतना बोल ही रहा था कि तभी सामने दीवार पर लगी पीयूष की फोटो पर उसकी नज़रें जाती है जिस पर हार लटका हुआ था!! ये देखकर पानी का गिलास उसके हाथ से छूट जाता है और सारा पानी कार्पेट पर छलक जाता है!!
सिर्फ पानी ही नहीं छलका था! उसके इस तरह पीयूष का जिक्र करने से रावी के आंसू भी छलके थे जो कि किसी को नजर नहीं आए क्योंकि उसकी पीठ सब की तरफ थी और चेहरा दूसरी तरफ!! अगले पल वो कस कर अपनी आंखें बंद कर लेती है और अपने हाथों की मुट्ठी कस लेती है जैसे कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी इस वक्त किसी के भी सामने!!
ये युग के लिए दूसरा झटका था! वो पूरी तरह शाक्ड हो गया था! पीयूष के जिक्र से एक बार माहौल फिर उदासी में बदल गया था!!
अपूर्व के पापा युग के पास बैठते हुए उसे सारी बात बताते हैं की शादी के अगले दिन ही दोनों का एक्सीडेंट हो गया था जिसमें हमने अपना बेटा खो दिया और इसने अपना पति और अपने पैर भी!! सब किस्मत का खेल है वो अपनी आंखों की नमी को साफ करते हुए बोलते हैं!!
तभी बबीता की कर्कश आवाज़ सबके कान में पड़ती है - "किस्मत का खेल नहीं है! सब इस मनहूस लड़की का दोष है! ना ये मेरे लड़के की जिंदगी में आती और ना मेरा बच्चा आज हमसे दूर होता..!!" बबीता एक बार फिर अपना जहर उगते हुए बोलती है!!
रावी जो व्हीलचेयर से अपने कमरे की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रही थी उसके कानों में भी बबीता के शब्द पड़ते हैं जो मजबूर कर देते हैं उसे रोने के लिए और इस बार उसके आंसू युग भी देख लेता है!!
वो मन में - "मतलब 2 साल से रावी इस हालत में है?? मतलब जिस दिन में अमेरिका गया उसी दिन ये सब?? ओह गोड...."
अपूर्व एकदम से बबीता को शांत करते हुए - "मां प्लीज...! बस भी करो, अब तो भाभी को कोसना कम करो! कम से कम मेहमानों के सामने तो आप..." वो अपनी मां को चुप करवाते हुए बोलता है! पर बबीता को तो मौका चाहिए था हर किसी के सामने रावी को जलील करने का! वो कहां चुप रहने वाली थी! वो तपाक से बोलती है - "क्यों चुप रहू मैं?? अरे मेहमानों को भी पता चलना चाहिए ना कि हमारे बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन है?? यही लड़की है!! पता नहीं कौन सी घड़ी थी जो मैं इसे अपने घर की बहू बना कर ले लाई!!"
"करमजली खुद तो बच गई पर मेरे बेटे को खा गई!! ये क्यों नहीं मर गई मेरे पीयूष की जगह..." उसकी बात सुनकर युग को गुस्सा आ जाता है और वो एकदम से सोफे से उठते हुए - "बस.....!!"
गातांक से आगे...
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि युग को पता चल जाता है कि पीयूष अब इस दुनिया में नहीं रहा! और बबीता उसके सामने ही रावी को उल्टा सीधा बोलने लगती है!
"करमजली खुद तो बच गई पर मेरे बेटे को खा गई!! ये क्यों नहीं मर गई मेरे पीयूष की जगह..." उसकी बात सुनकर युग को गुस्सा आ जाता है और वो एकदम से सोफे से उठते हुए बोला, "बस.....!! ये आप क्या कह रही हैं आंटी?" वो अपने गुस्से पर काबू पाते हुए बोलता है! गुस्सा तो उसे बहुत आ रहा था पर उसका गुस्सा कहीं रावी के लिए मुसीबत ना बन जाए ये सोचकर उसने खुद पर काबू पा लिया!!
बबीता अपनी आँखों में आंसू भरते हुए बोली, "बेटा खोया है मैंने अपना और इसी लड़की की वजह से खोया है! मेरे दिल पर जो गुजरती है, वो कोई नहीं समझ सकता! बस सब लोग मिलकर मुझे ही चुप करवाते रहते हो!" बबीता और भी ज्यादा रोते हुए बोलती है!!
"आपके इस तरह भाभी को कोसने से भाई वापस नहीं आ जाएंगे मां!! अगर आपने अपना बेटा खोया है तो उन्होंने भी अपना पति खोया है, यहां तक की अपाहिज हो चुकी है वो और पति के साथ साथ अपना हर रिश्ता भी खोया है! आपको तो बस बहाना चाहिए हर आए गए के सामने भाभी को नीचा दिखाने का!" अपूर्व भी गुस्से से अपनी मां को सुना देता है और फिर वो रावी के पास जाने लगता है!!
अंदर बैठी रावी अपूर्व की बातें सुन रही थी! वैसे कोई और भी था जो अपूर्व की बातें सुन रहा था और वो थी कनिका!! उसको होश आ गया था और वो खामोशी से अपूर्व की बातें सुन रही थी! उसे इतना तो समझ आ गया था कि अपूर्व अपनी भाभी का बहुत ध्यान रखता है और उसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकता! हालांकि उसे पता चल गया था कि अपूर्व और रावी का रिश्ता क्या है पर फिर भी उसे अपूर्व का रावी की इतनी केयर करना पसंद नहीं आ रहा था! जलन हो रही थी उसे अंदर ही अंदर!! पर इस वक्त वो कुछ नहीं कर सकती थी!!
गुस्सा तो युग को भी बहुत आ रहा था बबीता पर लेकिन इस वक्त वो भी मजबूर था! वो वहां से जाने का बहाना करते हुए बोला, "मैं देखता हूं कि कनिका को होश आया या नहीं आया!!" इतना कहकर वो कनिका के पास चला जाता है।
अपूर्व रावी के पास जाता है और उसके पास जाकर बोलता है, "आप ऐसे अंदर क्यूं आ गई भाभी?? चलिए बाहर..." वो उसकी वीलचेयर को बाहर की तरफ मोड़ते हुए बोलता है!!
रावी एकदम से बोलती है, "नहीं, नहीं मैं वहां जाकर क्या करूंगी! मुझे कुछ देर अकेले रहना है प्लीज!"
अपूर्व जो पहले से ही तपा हुआ था वो एकदम से बोलता है, "हां बस यही करना आप, इस कमरे में कैद हो जाओ, ना किसी से मिलो ना बात करो! बस यूं ही रहो अकेले..." इतना कहकर वो गुस्से से कमरे से बाहर निकल जाता है!!! रावी की आंखें फिर से भीग जाती हैं!
उधर युग कनिका के पास जाता है! तब तक कनिका उठ कर बैठ गई थी! युग उसके पास जाता है और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोलता है, "पागल कहीं की... सिर्फ इतनी सी बात के लिए तूने अपनी क्या हालत कर ली! मैं वादा करता हूं तुझसे कि अपूर्व तेरा ही होगा!!" ये सुनते ही कनिका एक दम से उसके सीने से लग जाती है!
युग भी उसे अपने सीने से लगाते हुए मन में सोचता है, "आज तो तू मुझसे जो मांगती ना, वो भी मैं तुझे दे देता! क्योंकि तू नहीं जानती कि आज तूने मुझे कितनी बड़ी खुशी दी है!! तू सच में बहुत लक्की है मेरे लिए! जब तू मेरी जिंदगी में आई थी तब मेरी मां मुझे वापस मिली थी और आज फिर से तेरी वज़ह से मुझे मेरा प्यार, मेरी जिंदगी सब कुछ वापस मिला है!! अब मैं रावी को कभी अकेला नहीं छोडूंगा, कभी भी नहीं!" युग मन ही मन ये सब बोल रहा था!! उसे समझ आ गया था कि अब उसे क्या करना है!!
युग ने कनिका से वादा तो कर दिया था की अपूर्व उसी का होगा लेकिन कनिका को तसल्ली नहीं थी! क्योंकि अभी भी उसके दिमाग में रावी और अपूर्व की नजदीकियां घूम रही थी! ये पहली बार था जब वो अपने भाई की बात पर भरोसा नहीं कर पा रही थी! उसका दिल और दिमाग इस बात के लिए राजी ही नहीं हो रहे थे! वो कितनी कोशिश कर रही थी इस बात से अपना ध्यान हटाने की, लेकिन फिर भी ना चाहते हुए भी उसका ध्यान रावी और युग की बढ़ती नजदिकियो पर रहा था जो उसके सोचने समझने की शक्ति को खत्म कर रहा था!!
उसके इश्क का फितूर उसके सर पर किस कदर सवार हो गया था कि वो अपूर्व को पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी! कितना फर्क था दोनों बहन भाइयों में... प्यार तो युग ने भी किया था रावी से, रावी के इश्क का फितूर तो उसके सर पर भी सवार था लेकिन उसने इस चीज को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया! उसने कभी रावी को पाने के लिए जिद नही की...!!
लेकिन कनिका के प्यार में मोहब्बत तो थी लेकिन उसके साथ-साथ जिद और जुनून भी सवार था! अपूर्व को पाने की जिद, उसे अपना बनाने का जनून..! देखना ये होगा कि अपनी जिद और जनून मे कनिका किस हद तक जाती है!!
कुछ देर बाद युग कनिका को वहा से लेकर जाने लगता है!! हालांकि उसका मन था कि जाने से पहले वो एक नज़र रावी को देख ले पर रावी तो अपने कमरे से बाहर ही नही निकलती। युग का दिल तो कर रहा था कि अभी रावी को वो अपने साथ ले जाए!! पर वो मजबूर था!!
वो अपनी गाड़ी में बैठते हुए मन में सोचता है, "अभी तो जा रहा हूं पर बहुत जल्द तुम्हें अपना बनाकर यहां से ले जाऊंगा..."
जारी है...
गातांक से आगे....
कुछ देर बाद युग कनिका को वहां से लेकर जाने लगता है!! हालांकि उसका मन था कि जाने से पहले वो एक नज़र रावी को देख ले, पर रावी तो अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकलती। युग का दिल तो कर रहा था कि अभी रावी को वो अपने साथ ले जाए!! पर वो मजबूर था!!
वो अपनी गाड़ी में बैठते हुए मन में, "अभी तो जा रहा हूं, पर बहुत जल्द तुम्हें अपना बनाकर यहां से ले जाऊंगा..." मन ही मन वो ये सब कहते हुए वहां से चला जाता है! रावी अभी भी अपने कमरे में उदास बैठी थी! बबीता के कड़वे बोल अभी भी उसके कान में घूम रहे थे! "यही मनहूस लड़की मेरे बेटे को खा गई, खुद तो बच गई पर मेरे बेटे को मार दिया इसने, ये क्यूं नहीं मर गई..." और भी पता नहीं क्या क्या कहती है बबीता रावी को, जो सब उसके जहन में घूम रहा था!!
वहीं अपूर्व के जहन में डॉक्टर की बातें घूम रही थी कि अगर रावी के आस पास का माहौल नहीं बदला तो वो डिप्रेशन में भी जा सकती है!
उधर युग के दिमाग में भी रावी की हालत और बबीता की कड़वी बातें घूम रही थी! वो ये सोच रहा था कि जो औरत उसके सामने रावी को सुनाने से नहीं हट रही वो पीछे से रावी को कितना परेशान करती होगी! उसे कितने ताने मारती होगी!! रावी की वो आंसू भरी आंखें युग की नज़रों के सामने बार बार आ रही थी जो उसे बहुत बेचैन कर रही थी! उसका दिल तो कर रहा था कि अभी रावी के पास जाए और उसे अपने साथ ले जाए, पर इस वक्त वो मजबूर था!! लेकिन उसने सोच लिया था कि उसे क्या करना है!!
वहीं कनिका के जहन में रावी और अपूर्व की नज़दीकियां घूम रही थी! वो चाहकर भी अपना ध्यान वहां से हटा नहीं पा रही थी! उसकी बेचैनी पल पल बढ़ती जा रही थी! उसका बस नहीं चल था वरना वो खुद रावी को अपूर्व से दूर कर देती!! कनिका अपने प्यार को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थी! हम कह सकते है कि वो पागल हो चुकी थी! थोड़ी जिद्दी तो वो पहले से थी लेकिन इस वक्त तो अपूर्व को पाने की जिद उसकी बहुत बढ़ गई थी! उसे इस चीज से मतलब नहीं था कि अपूर्व उसे पसंद करता भी है या नहीं? वो अपूर्व को चाहती है इतना काफी था उसके लिए!! कैसे रावी को अपूर्व से दूर किया जाए वो बस यही सोच रही थी! तभी उसको बबीता की बातें याद आती है जो वो रावी से कह रही थी! उसकी बातों से वो इतना तो समझ गई थी कि बबीता रावी को बिल्कुल पसंद नहीं करती, वो उसे अपने घर से निकालना चाहती है!!
कनिका मन ही मन कुछ सोचते हुए, "सारी रावी..! मेरी तुमसे कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है पर जो मेरा है, वो सिर्फ मेरा है! उसे मैं किसी के साथ बांट नहीं सकती! भले ही तुम अपूर्व की भाभी हो, पर तुम्हें उसकी जिंदगी से जाना ही होगा!! अब बस मुझे कल सुबह का इंतजार है!! दो दिन में तुम्हें उस घर से निकाल कर रहूंगी!!"
कुछ ही देर में युग कनिका को लेकर घर पहुंच जाता है!! वो गाड़ी साइड में लगाते हुए कनिका की तरफ देखकर, "आज जो भी हुआ वो मां को बताने की जरूरत नहीं है वो खामखा परेशान हो जाएगी!!" वो उसे समझाते हुए बोलता है!
"जी भाई!!" इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए घर के अंदर चली जाती है!!
इसके बाद युग भी अंदर जाता है!! कुछ देर बाद वो कपड़े बदलकर अपनी मां के पास जाता है! कनिका अपने बिस्तर पर टेक लगाकर किसी गहरी सोच में गुम थी! शायद वो खुद भी युग के ख्यालों में गुम थी! तभी दरवाजा नोक करके युग कमरे में आता है! आज वो पूरे 2 साल बाद इस तरह से उसके पास आया था!!
कनिका उसे देखकर खुश होते हुए, "युग बेटा, तू यहां पर? आ मेरे पास!" वो उस पर अपनी ममता लूटाते हुए बोलती है!!
युग उसके पास जाता है और बिना कुछ बोले उसकी गोद में सर रखकर लेट जाता है!! वो हमेशा ऐसे ही करता था जब उसे मालिनी से कोई बात करनी हो या वो किसी बात से परेशान हो और मालिनी भी उसकी ये बात जानती थी!!
वो प्यार से उसके बालों में हाथ फेरते हुए, "क्या बात है युग, तू किसी बात को लेकर परेशान है क्या? मुझसे कुछ कहना चाहता है?" वो ऐसे बोलती है जैसे उसने युग के दिल की बात पढ़ ली हो!!
युग उठकर बैठता है और उसका हाथ अपने हाथो मे लेते हुए, "आप मुझे कितना समझती हो ना मा!! अगर मैं आपको कुछ बताऊं तो आप मुझे गलत तो नहीं समझेगी ना??" युग किसी छोटे बच्चे की तरह उससे सवाल करता है!!
मालिनी उसकी बात पर मुस्कुराते हुए, "मेरा बेटा कभी किसी बात को लेकर गलत हो ही नहीं सकता!! तू बोल बेटा, क्या बात है!!"
उसकी बात सुनकर युग उसे सारी बात बताता है कि कैसे वो 2 साल पहले रावी उसकी जिदंगी में पल भर के लिए आई थी और पल में ही उसका दिल ले गई! पर ये खुशी ज्यादा दिन के लिए उसके पास नहीं रही, क्योंकि रावी की शादी पीयूष से हो गई और फिर युग का 2 साल के लिए अमेरिका चले जाना लेकिन अब रावी की जो हालत है! शादी के दूसरे दिन ही पीयूष की मौत हो जाना और रावी का अपाहिज हो जाना! युग एक एक बात मालिनी को बताता है!!
रावी के बारे में सुनकर मालिनी को बेहद दुख होता है! और उससे भी ज्यादा उसे युग के लिए दुख होता है! अब उसे समझ आता है कि युग 2 साल से किस बात पर परेशान है! वो युग के बालों में हाथ फेरते हुए, "बहुत प्यार करता है रावी से??"
युग मालिनी से लिपटते हुए, "बहुत ज्यादा मा! वो आज भी मेरे लिए उतना ही माइने रखती है जितना पहले रखती थी! मैं आज भी उससे उतना ही प्यार करता हूं जितना पहले करता था! मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वो विधवा है या अपाहिज है! मेरे लिए तो बस मेरी जिंदगी है, मेरा प्यार है! जिसे अब मैं गवाना नहीं चाहता!! मा अगर आपको एतराज ना हो तो मैं रावी से शादी करना चाहता हूं!!" वो बड़ी उम्मीद से उसकी तरफ देखते हुए बोलता है!!
मालिनी उसका माथा चूमते हुए, "मेरा प्यारा बेटा, मुझे गर्व है तुझ पर! तेरी सोच पर गर्व है! बता अब बहू को लेने कब जाना है??" वो उसके गाल पर चपत मारते हुए बोलती है! युग खुशी के मारे मालिनी से लिपट जाता है!! "बस मा मैं एक बार अपूर्व से बात कर लू फिर रावी को वहां पर एक मिनट के लिए नहीं रहने दूंगा!!" इसके बाद वो मालिनी से कुछ देर बात करने के बाद वापस अपने कमरे मे चला जाता है!! और खो जाता है रावी के ख्यालो मे...!! जल्दी ही उसे नींद आ जाती है!!
अगली सुबह.....
हमेशा देर से उठने वाली कनिका आज सबसे पहले उठकर रेडी होकर कहीं चली गई थी! उसके बाद वो अपनी गाड़ी लेकर अपूर्व के घर की तरफ चली गई! नहीं नहीं अपूर्व से मिलने के लिए नहीं, बबीता से मिलने के लिए! क्योंकि एक बबीता ही थी जो रावी को पसंद नहीं करती थी और इसी बात का फायदा उठाने वाली थी कनिका!! वो अपूर्व के घर के बाहर अपनी गाड़ी में ही बैठी बबीता का इंतज़ार कर रही थी कि बस एक बार उसे बबीता से बात करने का मौका मिल जाए! किस्मत उसके साथ थी जो उसे जल्द ही बबीता से बात करने का मौका मिल गया! बबीता मंदिर जाने के लिए घर से निकली थी!!
बस यही तो कनिका को चाहिए था! वो अपनी गाड़ी लेकर उसके पीछे जाती है और ऐसा दिखाती है जैसे उनका मिलना एक इत्तेफाक हो!! बबीता को देखकर वो गाड़ी साइड में रोकती है और फिर बाहर निकल कर अच्छे से उससे मिलती है!!
बबीता भी उसे देखकर बहुत खुश होती है! कनिका उसे गाड़ी में बैठने का आग्रह करते हुए, "आइए आंटी मैं आपको मंदिर ले चलती हूं!!"
बबीता, "अरे तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तुम्हें तो आराम करना चाहिए!!" वो कुछ ज्यादा ही अच्छा बनते हुए बोलती है!
"अब मैं बिल्कुल ठीक हूं आंटी, आप आइए तो सही!" वो उसका हाथ पकड़कर गाड़ी में बैठाते हुए बोलती है! बबीता गाड़ी में बैठते हुए, "तुम खामखा परेशान हो रही हो! मैं चली जाऊंगी..!!" पर कनिका कहां उसकी कोई बात सुनने वाली थी! "आंटी इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है मैं उसी तरफ जा रही हूं और इसी बहाने से आपसे बातें भी हो जाएगी, कल तो मैं आपसे बात ही नहीं कर पाई" वो ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोलती है और फिर गाड़ी स्टार्ट करती है!!
हालांकि अपूर्व अच्छी खासी जॉब करता था! ठीक-ठाक पैसे कमाता था उनके घर में कोई तंगी नहीं थी!! लेकिन बबीता ठहरी लालची! और फिर युग और कनिका की तो बात ही अलग थी! वो तो इसी बात पर खुश हो रही थी कि इतनी अमीर लड़की मेरे अपूर्व की दोस्त है! वो उसकी गाड़ी को देखते हुए मन में, "गाड़ी तो बड़ी मस्त है इस लड़की की..." फिर उसकी नजर कनिका के हाथ में पहने हुए ब्रेसलेट पर जाती है जो की डायमंड का था! उससे रहा नहीं जाता तो वो उसे छूकर देखते हुए, "ये डायमंड का है?? बड़ा ही प्यारा है...!!"
कनिका उसकी नजरों में लालच साफ देख पा रही थी!! वो झट से अपना डायमंड ब्रेसलेट उतार कर उसके हाथ में पहनाते हुए, "आंटी ये प्यारा तो है लेकिन आपके हाथों में बहुत प्यारा लग रहा है! इसे आप ही रख लीजिए!" मेरी तरफ से आपके लिए एक छोटा सा गिफ्ट...!!" वो मुस्कुराते हुए बोलती है!
ये सुनकर बबीता की आंखे फटी रह जाती है!! इतना महंगा तोहफा, वो लड़की उसे यूं ही दे रही है?? और बबीता को क्या चाहिए था!! वो थोड़ा ना नुकुर करने के बाद वो ब्रेसलेट को रख लेती है!!
अब कनिका को मौका मिल गया था अपनी बात कहने का!! "देखिए आंटी मुझे घुमा फिरा कर बात करने की आदत नहीं है!! दरअसल मैं आपसे यहां कोई खास बात करने के लिए ही आई हूं!" फिर वो अपनी गाड़ी साइड में लगाती है और बबीता की तरफ देखकर, "मैं अपूर्व को बहुत पसंद करती हूं और उससे शादी करना चाहती हू!!"
पहले तो बबीता को कनिका की बात पर यकीन नहीं आता यह सुनते ही वो हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए, "क्या कहा तुमने?? तुम मेरे अपूर्व से शादी करना चाहती हो? बेटा तुम कहां और हम कहां??" वो थोडा़ नाटक करते हुए बोलती है!!
"ये सब बातें मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती आंटी! मुझे अपूर्व पसंद है तो बस पसंद है और मैं शादी भी जल्द से जल्द करना चाहती हूं!! पर मेरी एक शर्त है..." इतना कहकर वो अपनी गाड़ी साइड मे लगाते हुए, "आपको उस लड़की को यानी की रावी को अपने घर से निकलना होगा!! देखिए आंटी मुझे पता है कि अपूर्व रावी की बस हेल्प करता है, पर हेल्प करते करते उन दोनो की नज़दीकियां बढ़ गई तो?? मेरा क्या होगा??"
"आप अपने एक बेटे तो खो चुकी है, अब रावी के चक्कर में दूसरा बेटा भी खोना चाहती है क्या??" वो बबीता का ब्रेनवाश करते हुए बोलती है!!
"मैं शादी करूंगी अपूर्व से और उस घर में आऊंगी और मुझे देने वाला टाइम अपूर्व रावी को देगा ये बात में बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी!! बाद में लड़ाई झगड़ा करने से अच्छा है कि अभी फैसला हो जाए.."! कनिका सारी बात उसके सामने रखते हुए बोलती है!!
बबीता की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो!! एक तरफ उसे रावी से छुटकारा मिलने वाला था दूसरी तरफ सोने का अंडा देने वाली मुर्गी उसकी बहू बनने को तैयार थी! वो झट से कनिका की हा मे हां मिलाते हुए, "बेटा मैं तो खुद उस लड़की को पसंद नहीं करती! पर क्या करूं हर बार अपूर्व की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ता है! वो उसके खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार ही नहीं है!!"
"वो कभी राजी नहीं होगा उसे घर से निकालने के लिए!!" बबीता अफसोस करते हुए बोलती है!!
कनिका उसे समझाते हुए, "आंटी आपको उसे बताने की क्या जरूरत है ये सब?? चलिए ठीक है आप कम से कम उसके जैसा कोई लड़का देख कर जो उसी की तरह अपाहिज हो, गरीब हो!! उससे आप उसकी शादी क्यों नहीं करवा देती! इससे आपको उससे छुटकारा भी मिल जाएगा और चार लोगों में आपकी तारिफ भी होगी!"
कनिका की बाते सुनकर बबीता मन मे, "ये मैने पहले क्यो नही सोचा?? मैं आज ही रावी की शादी किसी गरीब से करवा देती हू! बस अब वो मेरे घर मे नही रहेगी..." वो मन ही फैसला करते हुए बोलती है!!
जारी है...
अगले भाग मे होने वाला है एक बडा धमाका ....
गातांक से आगे...
कनिका उसे समझाते हुए बोली, "आंटी आपको उसे बताने की क्या जरूरत है ये सब? चलिए ठीक है, आप कम से कम उसके जैसा कोई लड़का देख कर, जो उसी की तरह अपाहिज हो, गरीब हो! उससे आप उसकी शादी क्यों नहीं करवा देती! इससे आपको उससे छुटकारा भी मिल जाएगा और चार लोगों में आपकी तारीफ भी होगी!"
कनिका की बातें सुनकर बबीता मन में सोचती है, "ये मैंने पहले क्यों नहीं सोचा? मैं आज ही रावी की शादी किसी गरीब से करवा देती हूं! बस अब वो मेरे घर में नहीं रहेगी..." वो मन ही मन फैसला करते हुए बोलती है।
उसके बाद वो और कनिका कुछ और प्लानिंग करती हैं और फिर सारी बातें तय करने के बाद कनिका वापस उसे घर छोड़ देती है और खुद अपने घर के लिए निकल जाती है!
वो गाड़ी चलाते हुए खुद से कहती है, "सॉरी रावी, मैं तुम्हारा बुरा नहीं चाहती पर तुम मेरे और अपूर्व के बीच आ रही हो! जो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती! और मैं नहीं चाहती कि तुम पूरी जिंदगी मेरे अपूर्व पर बोझ बनकर रहो! मैं बुरी नहीं हूं पर इतनी अच्छी भी नहीं हूं कि तुम्हारे चक्कर में अपनी जिंदगी खराब कर लूं! और फिर अपूर्व को पाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकती हूं, किसी भी हद तक!" खुद से ही ये सब बोलती हुई कनिका अपने घर की तरफ बढ़ रही थी!
उधर युग तैयारी कर रहा था कि किस तरीके से अपूर्व से बात की जाए जिससे रावी के मान सम्मान पर कोई आंच ना आए! सबसे पहले तो उसने अपने किसी खास आदमी से सारी बात पता पर करवाई कि आखिर रावी की ऐसी हालत हुई कैसे? छानबीन करने पर उसे पता चला कि शादी के दूसरे दिन ही पीयूष रावी को लेकर शिमला घूमने के लिए गया था और जहां एक लैंडस्लाइड होने की वजह से वो अपनी जान गवा बैठा और रावी अपना सब कुछ!
ये जानकर उसे बेहद दुख हुआ और उसे इस बात पर भी अफसोस हुआ कि अगर वो अमेरिका नहीं जाता तो आज रावी इस हालत में ना होती! 2 साल से वो जिल्लत भरी जिंदगी जी रही है! "पर अब जो बीत चुका था उसे बदला नहीं जा सकता था! नहीं अब और नहीं..., बहुत सह चुकी है मेरी रावी, पर अब और नहीं!" ये कहता हुआ वो घर से निकल जाता है अपूर्व से मिलकर बात करने के लिए!
उधर बबीता ने कमर कस ली थी कि वो आज ही रावी के लिए कोई लड़का देखेंगी और कल उसकी शादी करवा देगी!! पर मसला ये था कि वो ऐसा लड़का कहां ढूंढे? सोफे पर बैठी वो ये सब सोच ही रही थी तभी उसकी नज़र उसके घर में काम करने वाली कमला पर पड़ती है! वो उसे देखते हुए मन में सोचती है, "अरे हां... ये कमला भी तो गरीब है! इसकी नज़र में तो जरूर कोई लड़का होगा, मैं इससे बात करके देखती हूं!" इसके बाद वो बहाने से कमला को अपने साथ स्टोर रूम ले जाती है ताकि उसकी बात कोई और ना सुन ले!! फिर वो कमला को सारी बात बताती है और साथ ही साथ उसे बीस हजार रूपए का लालच भी दे देती है कि अगर तूने मेरा काम करवा दिया तो मैं तुझे पूरे बीस हजार दूंगी..!!
उसकी बात सुनकर कमला के मन में भी लालच आ जाता है! वो झट से कहती है, "लड़का तो मेरी नज़र में है मालकिन पर रावी से उम्र में बड़ा़ है और शराबी भी है! उसकी 2 बार पहले शादी हुई थी पर उसकी शराब की वजह से दोनों पत्निया उसे छोड़कर चली गई! अब तो बस उसकी एक मां है! हमारे घर के पास ही में है उसका घर पर किराए का है!! आप उसको भी 10-20 हजार दोगी तो वो रावी जैसी अपाहिज से भी शादी करने को तैयार हो जाएगा!"
बस बबीता के तो मन की मुराद पूरी हो गई! उसे इस चीज से कोई मतलब नहीं था कि वो लड़का रावी के लायक है भी या नहीं, या वो शराबी है रावी को तंग करेगा!! नहीं उसे तो बस रावी को अपने घर से निकालना था!! वो जल्दी से कमला को उन लोगों को वही लाने को बोलती है!
"तू अभी जा और उस लड़के से बात करके उसे यहां लेकर आ, मैॆ आज ही इस आफत को अपने घर से निकालना चाहती हूं और वैसे भी अपूर्व ऑफिस के काम से सुबह ही बाहर गया है तो वो कल से पहले आएगा नहीं! उसके पीछे से एक बार शादी हो गई तो वो भी कुछ कर नहीं पाएगा..."!
बस फिर क्या था कमला भागी भागी अपने घर की तरफ गई और झट से उस लड़के से और उसकी मां से बात की!! लड़का तो पैसों के बारे में सुनकर ही तैयार हो गया था! जबकि उसकी मां कमला को डांटते हुए बोली, "तू पागल हो गई है कमला, ये तो पहले ही कुछ काम नहीं करता, ऊपर से वो लड़की अपाहिज, मैं अपनी देखभाल करूं या इस नालायक की या उस अपाहिज की..? मुझसे नहीं होगा!"
पर वो लड़का तो रावी की फोटो देखकर ही पागल हो गया था!! वो अपनी मां को चुप करवाते हुए बोला, "तू चुपकर बुढ़िया, तेरी जिंदगी बच्ची ही कितनी है जो बड़ बड़ कर रही है! इतनी सुंदर लड़की देखी है कभी तूने ऊपर से साली अपाहिज भी है, छोड़ कर भी नहीं जाएगी.."! वो गंदे तरीके से बोलता है और फिर अपने दांत निपोरने लगता है!! उसकी बात सुनकर कमला भी हसते हुए बोली, "तो बस फिर अभी नहा धोकर मेरे साथ चल! वो लोग आज ही शादी करना चाहते है!"
कुछ ही देर में वो रावी के घर जाने के लिए निकल गए थे! कमला ने बबीता को फोन करके बता दिया था कि वो लड़के को लेकर आ रही है!!
बबीता तो घर पर अकेली थी! अपने पति को भी बहाने से उसने कहीं भेज दिया था और रावी अपने कमरे में थी!! जो नर्स उसकी हेल्प के लिए अपूर्व ने रखी थी उसने रावी को नहलाकर रेडी कर दिया था! पीले कलर के सूट में और गीले उलझे बालों में रावी बहुत प्यारी लग रही थी! पर अंदर ही अंदर उसको बैचेनी हो रही थी, एक डर सा लग रहा था, जिसे वो समझ नहीं पा रही थी!!
उधर युग अपूर्व से मिलने उसकी कंपनी में गया पर तब तक अपूर्व वहा से निकल चुका था! वो कंपनी के काम से अहमदाबाद गया था और अगले दिन लौटने वाला था! युग ने उसको फोन भी किया पर अपूर्व का फोन नहीं लग रहा था! कुल मिलाकर आज हर तरीके से बबीता की जीत हो रही थी!!
बबीता रावी के पास जाती है! आज पहली बार वो उसके कमरे में आई थी ये देखकर रावी हैरान थी! बबीता नर्स को वहा से भेजते हुए बोली, "तुम जाओ यहां से, मुझे रावी से कुछ बात करनी है!!" वो नर्स को उसके घर जाने का बोलती है!! नर्स वहां से चली जाती है!!
रावी बहुत हैरान थी बबीता को वहा देखकर! उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था!! ना वो कुछ बोल पा रही थी!
बबीता उसके पास जाती है और उसके बाल बनाते हुए बोली, "पहले पीयूष को फसाया तुमने और अपूर्व को फसांने में लगी हो? शर्म नहीं आती तुझे?" हमेशा की तरह बबीता अपना जहर उगलते हुए बोलती है!! रावी तो दंग रह जाती है! वो हैरानी से उसकी तरफ देखती है!! "मतलब..?" उसके होंठ फडफडाते है...!
बबीता उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर करते हुए बोली, "ज्यादा बन मत लड़की, हमेशा बहाने से अपूर्व को अपने पास बुलाती रहती है, मुझे क्या दिॆखता नहीं है कि तू क्या करने की कोशिश कर रही है!! पीयूष नहीं तो अपूर्व ही सही ...आखिर जिस्म की भूख तो मिटानी है ना?" वो उस पर तंज कसते हुए बोलती है!!
रावी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है उसकी गंदी बातें सुनकर! और उसे गुस्सा भी आता है! वो गुस्से से बोली, "मां जी...!!" यहां तक की उसकी आंखों मे आंसू भी आ जाते है!
"चिला मत, सच सुना नहीं जा रहा है क्या? बहुत चालाकी कर चुकी है तू मेरे घर में, पर अब नहीं, अब मैं तेरा किस्सा ही खत्म कर दूंगी!" ये कहते हुए वो उसकी वीलचेयर खिचते हुए उसे कमरे से बाहर ले जाती है!!
"आप मुझे गलत समझ रही है, अपूर्व तो मेरे भाई समान है, आप मुझे कहां लेकर जा रही है?" वो रोते हुए बोलती है!!
पर बबीता उतने ही गुस्से से कहती है, "तेरे ये नकली आंसुओं का मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला! तू कितनी शातिर लड़की है ये मुझे पता चल गया है! बस आज तो मैं तुझे अपने घर से निकाल कर रहूंगी!!" इतने मे कमला भी उस लड़के को लेकर वहा पर पहुंच जाती है जो अभी भी नशे मे झूल रहा था!! और अपनी गंदी नज़रो से रावी को देख रहा था!!
बबीता रावी की वीलचेयर को खीचते हुए उस लड़के के पास ले जाते हुए कहती है, "सुन लड़के, ये पकड़ अपने बीस हजार, और भर दे इसकी मांग मे सिंदूर! और कर ले इससे शादी और ले जा इसे यहा से..!"
ये सुनते ही रावी को एक धक्का लगता है! उसका दिल दहल जाता है!!
वो लड़का रावी को अपनी गंदी नज़रो़ से देखते हुए कहता है, "इससे तो मैं बिना पैसे के भी शादी कर लेता, क्या चीज़ है ये ...!" वो अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए बोलता है!! और फिर सिदूंर लेकर रावी की तरफ बढ़ता है...!!
रावी एक दम से चिलाते हुए कहती है, "नहीं......."
जारी है...🙏🙏
वो लड़का रावी को अपनी गंदी नज़रों से देखते हुए बोला, "इससे तो मैं बिना पैसे के भी शादी कर लेता, क्या चीज़ है ये...!" वो अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए बोलता है और फिर सिंदूर लेकर रावी की तरफ बढ़ता है।
रावी एकदम से चिल्लाते हुए बोली, "नहीं......" ये कहते हुए वो अपनी व्हीलचेयर को पीछे करने लगती है, पर घबराहट में उससे कुछ नहीं हो रहा था।
वो शराबी धीरे-धीरे रावी की तरफ बढ़ रहा था और रावी उतनी ही जल्दी से पीछे होने की कोशिश कर रही थी, लेकिन नहीं हो पा रहा था उससे। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। वो रोते हुए बबीता की तरफ देखकर बोली, "मां जी प्लीज!! मुझ पर तरस खाइए। ये आप क्या कर रही हैं? मैं आपकी बहू हूं और मैं पीयूष के अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती!! प्लीज मां जी!!" रावी उससे मिन्नतें करते हुए बोलती है।
लेकिन बबीता पर उसके आंसुओं का कोई असर नहीं हो रहा था। वो उस पर चिल्लाते हुए बोली, "चुप कर...!! जब मेरा बेटा ही नहीं रहा तो तू मेरी बहू कहां से हो गई? तू मेरे लिए सिर्फ एक बोझ है जिसे मैं आज अपने घर से निकाल कर ही रहूंगी!! जब तक तू मनहूस मेरे घर में है ना, तब तक कोई खुशी मेरे घर में नहीं आ सकती!!" बहुत गुस्से से बोलती है बबीता।
उसके बाद वो कसकर रावी की व्हीलचेयर पकड़ लेती है ताकि वो वहां से जा ना पाए। रावी बुरी तरह रो रही थी, चिल्ला रही थी पर कोई नहीं था वहां पर उसकी सुनने वाला।
वो शराबी लड़का नशे में झूलते हुए रावी के बेहद करीब पहुंच जाता है और सिंदूर उसकी मांग में भरने लगता है। पर पता नहीं कहां से रावी मे हिम्मत आ जाती है और वो टेबल पर रखा फूलदान उठाती है, जोर से उस शराबी के मुंह पर मारती है और फिर मारती चली जाती है। उसने इतनी जोर से मारा था कि उसके नाक से खून बहने लगता है और नशे में होने की वजह से वो वहीं गिर जाता है।
ये देखकर कमला घबरा जाती है और बबीता भी कि अगर इस शराबी को कुछ हो गया तो उन पर पुलिस केस हो सकता है। वो दोनो जल्दी से उस लड़के के पास जाती है और उसे उठाने की कोशिश करने लगती है। मौका देखकर रावी वहा से अपने कमरे मे जाने लगती है।
वो शराबी खड़ा होता है और कमला और बबीता को गंदी गाली देते हुए बोला, "मुझे नही करनी इस पागल लड़की से शादी, ये तो पागल है पूरी, साली अपाहिज होकर भी कितने नखरे कर रही है! ये तो मुझे जान से मार देगी, और कमला ताई मैं जा रहा हूं पुलिस स्टेशन तुम दोनो के खिलाफ रपट करने...जान लेवा हमला किया हुआ है इस घर में मेरे ऊपर...पुलिस केस तो मैं करूंगा ही!" वो दोनो को धमकी देते हुए बोलता है और वहा से जाने लगता है।
बबीता की तो सिटी पिटी गुम हो जाती है उसकी बात सुनकर। वो तुरंत कमला को उसे रोकने के लिए बोलती है। बड़ी मुश्किल से कमला उसको समझा बुझाकर और पूरे 50 हजार देकर मामला शांत करवाती है और उसे घर तक छोड़ने जाती है! लेकिन इतना सब होने के बाद बबीता पूरी गुस्से से भर जाती है और उसका ये सारा गुस्सा रावी पर उतरने वाला था। वो गुस्से से भरी हुई दनदनाती हुई रावी के कमरे मे जाती है जो कि एक कोने मे बैठी सुबक सुबक रो रही थी। उसके हाथ मे पीयूष की तस्वीर थी!
बबीता उसके पास जाती है और एक चांटा खीचकर मारती है उसके गाल पर! उसने इतनी जोर से मारा था कि रावी संभल नहीं पाती और पीयूष की तस्वीर उसके हाथ से गिरकर टूट जाती है!! इतने से बबीता को तसल्ली नही हुई वो एक थप्पड़ और मारती है उसके गाल पर!
यहां तक कि उसकी ऊंगलियों के निशान रावी के गोरे गाल पर साफ चमक रहे थे! उसका गाल पूरा लाल हो गया था!! बबीता उसके दोनो कंधो को जोर से पकड़ते हुए बोली, "पहले तो मुझे सिर्फ शक था पर अब पूरा यकीन हो गया है कि तू अपूर्व को अपने जाल मे फंसाना चाहती है, इसलिए तेरा इस घर से जाने का कोई इरादा नही है!! तभी इतनी बेज्जइती होने के बाद भी तू यहा से टस से मस नही होती! पर अब नही, मैं अपूर्व को तेरे नजदीक नही आने दूंगी, तू बस अब निकल यहा से...." इतना कहकर वो उसकी व्हीलचेयर पकड़ती है और बहुत जोर से उसे चलाते हुए घर से बाहर की तरफ ले जाने लगती है।
रावी लगातार रोए जा रही थी! उसकी मिन्नत कर रही थी पर कोई फायदा नही। बबीता इतनी जोर से उसकी व्हीलचेयर चला रही थी कि रावी नीचे गिर जाती है!! पर बबीता पर तो आज दौलत का नशा सवार था, वो दौलत जो उसे कनिका से मिलने वाली थी! जिसके लिए रावी को इस घर से निकालना जरूरी था! और वही वो कर रही थी!! उसे फर्क नही पड़ रहा था कि रावी गिर गई है या उसके लग रही है!!
वो जोर से उसकी बाजू पकड़ती है और उसे बाहर की तरफ ले जाने लगती है! और घर की चौखट के पास जाकर वो उसे जोर से बाहर की तरफ धक्का देते हुए बोली, "चल निकल मेरे घर से, आज के बाद यहां नज़र मत आना, अपना मनहूस साया मेरे बेटे से दूर ही रखना!" इतना कहकर वो उसे बाहर की तरफ धकेल देती है!! रावी का माथा पहले दरवाजे से टकराता है और फिर वो बाहर की तरफ गिरने लगती है, लेकिन इससे पहले की वो गिरती तभी युग की मजबूत बांहे उसे थाम लेती है!!
रावी एकदम से उसके सीने से जा लगती है!! गिरने के डर से उसने कस कर अपनी आंखे बंद की हुई थी! युग रावी की तरफ देखता है जो डर के मारे कांप रही थी, उसका पूरा चेहरा आंसुओ से भीगा हुआ था, माथे पर खरोंचे थी, गालो पर चांटो के निशान थे!! उसकी रावी की ऐसी हालत..ये देखकर युग की आंखो मे खून उतर आता है!! रावी जब नही गिरती तो वो अपनी आंखे खोलकर देखती है तो खुद को सुरक्षित युग की बांहो मे पाती है!! "तुम ठीक हो?" युग बहुत बैचेनी से बोलता है!!
पता नही क्या होता है रावी को जो कभी किसी से बात नही करती थी वो युग के सामने कमजोर पड़ गई! उसका दिल भर आता है और वो रोते हुए बोली, "ये मेरी जबरदस्ती शादी कर..." इतना कहकर वो रोते हुए उसके सीने से लग जाती है!! बस इतना काफी था युग का फितूर जगाने को!! एक बार उसकी रावी उससे दूर हुई वो सह गया पर अब दोबारा से ..?? नही ये बर्दाश्त नही कर सकता था वो....!!
वो अपनी जलती निगाहो से बबीता की तरफ देखता है! उसकी गुस्से से भरी लाल आंखों को देखकर बबीता डर जाती है, पर वो अपने चेहरे से पता नही चलने देती!!
"आप औरत हैं या डायन???" युग गरजता है उस पर!!
अब बबीता को गुस्सा तो बहुत आता है पर कनिका के बारे मे सोच कर वो अपना गुस्सा पीते हुए बोली, "देखो तुम, ये हमारे घर का मामला है! और ये लड़की जिसकी भी जिंदगी मे जाएगी, उसकी जिंदगी नरक हो जाएगी, ये तो है ही मनहू..."
इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करती युग एक दम से उस पर चिल्लाते हुए बोला, "बस...!! एक शब्द और नही! अब ये यहा एक पल नही रहेगी! ये मेरे साथ जाएगी..!" ये सुनते ही रावी को भी एकदम से होश आता है!! और वो हैरानी से युग की तरफ देखती है!!
"क्यू क्या लगती है ये तेरी??" बबीता तंज कसते हुए बोलती है!! ये सुनते ही युग अपनी जलती निगाहो से उसकी तरफ देखता है और फिर एक एक कदम चलता हुआ उसके करीब जाता है!! रावी को उसने कस कर अपने आगोश मे समा रखा था!! वो एक एक कदम चलता हुआ बबीता के पास जाता है और फिर घर के अंदर... बबीता हैरानी से उसे देख रही थी!!
युग मंदिर मे रखा सिदूंर उठाकर रावी की मांग भरते हुए बोला, "मेरी पत्नी है ये...."
जारी है...🙏🙏
गातांक से आगे....
"क्यू क्या लगती है ये तेरी ??" बबीता तंज कसते हुए बोलती है !! ये सुनते ही युग अपनी जलती निगाहों से उसकी तरफ देखता है और फिर एक-एक कदम चलता हुआ उसके करीब जाता है !! रावी को उसने कस कर अपने आगोश में समा रखा था !! वो एक-एक कदम चलता हुआ बबीता के पास जाता है और फिर घर के अंदर... बबीता हैरानी से उसे देख रही थी !!
युग मंदिर में रखा सिंदूर उठाकर रावी की मांग भरते हुए - "मेरी पत्नी है ये !!" ये सब देख सुन कर रावी की आंखें हैरानी से फैल जाती हैं !! और उसके साथ-साथ बबीता की भी! उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि युग ऐसा भी कुछ कर सकता है!
युग रावी की तरफ देखता है जो कि उसे हैरानी से देख रही थी! जैसे कह रही हो "ये तुमने क्या किया?" रावी की नजरें सामने लगी पीयूष की तस्वीर पर जाती है, उसकी आंखों से आंसू बह जाते हैं जैसे वो ये कहना चाह रही हो़ कि "क्यू छीन लिया पीयूष की पत्नी होने का हक़ मुझसे?? मैं उसकी यादों के साथ भी खुश थी!!" युग उसकी नज़रों का पीछा करता है और पीयूष की तस्वीर को देखकर और फिर रावी की आंखों में आज भी उसके लिए प्यार देखकर उसके दिल में एक टीस उठती है!
वो उसे देखते हुए मन में, "कैसे यकीन दिलाऊंगा तुम्हें कि किसी मजबूरी में तुमसे शादी नहीं की है मैंने! दिल से चाहा है तुमको, पागलों की तरह चाहा है तुमको, कैसे अपने प्यार का यकीन दिला पाऊंगा रावी तुमको?? तुम तो मेरी तरफ देख भी नहीं रही हो!" युग मन ही मन बोलता है!!
रावी अभी भी एकटक पीयूष की तस्वीर को देखे जा रही थी और उसकी आंखों से टपटप आंसू बह रहे थे जो सीधा योग के दिल पर गिर रहे थे!
बबीता जो अभी तक शोक में थी वो एकदम से युग के पास जाकर - "ये तूने क्या किया? ये मनहूस लड़की..." इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी करती युग एकदम से उसे हाथ दिखा कर चुप करवाते हुए - "बस...! एक शब्द और नहीं, बस आपकी उम्र का लिहाज कर रहा हूं मैं, वरना आपको बता देता की युगवीर सिंघानिया की पत्नी को कुछ भी कहने का अंजाम क्या होता है! आइंदा से अपना मुंह सोच समझ कर खोलना!"
इतना कहकर वो़ रावी को वहां से अपने साथ ले जाने लगता है!! रावी तो अपनी सुध बुध खो बैठी थी! जैसे-जैसे युग उसे घर से लेकर जा रहा था वैसे-वैसे पीछे छूट रहा था उसके हाथों से पीयूष और उसकी यादें!! उसकी नजर अभी भी पीयूष की तस्वीर पर टिकी थी और कान में युग के शब्द घूम रहे थे "युगवीर सिंघानिया की पत्नी को कुछ भी कहने का अंजाम क्या होता है!"
उसके कान में ये शब्द हथौड़े की तरह चोट कर रहे थे! युगवीर सिंघानिया की बीवी...युगवीर सिंघानिया की बीवी.. एक पल में वो पीयूष की बीवी से युग की बीवी बन गई! एक पल में उसकी किस्मत बदल गई! उसकी मर्जी जाने बिना उसकी जिंदगी बदल दी गई! आज पहली बार उसे अपने अपाहिज होने पर दुख हो रहा था! अपनी बेबसी पर तरस आ रहा था!
उसकी मर्जी जानने की किसी ने कोशिश नहीं की, कि वो क्या चाहती है क्या नहीं? आज अगर उसके पैर सही सलामत होते हैं तो वो भाग जाती यहां से, भाग जाती हर रिश्ते से दूर!! क्योंकि अभी उसे युग के प्यार का एहसास नहीं था!! पता नहीं वो युग के फैसले को कैसे स्वीकार करेगी?? कैसे स्वीकार करेगी युग को अपने पति के रूप में?? कैसे स्वीकार करेगी अपने और उसके रिश्ते को??
और युग कैसे उसे उसके अतीत से बाहर निकालेगा? कैसे अपने प्यार का एहसास दिलाएगा? कैसे यकीन दिलाएगा वो उसे कि वो उसे दिलो जान से चाहता है और क्या रावी समझ पाएगी उसके जज्बात?? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा..!! फिलहाल तो युग उसे अपने साथ घर लेकर जा रहा था!! वो गाडी चला रहा था और रावी उसकी साइड वाली सीट पर बैठी थी! और दोनों ही खामोश थे!
युग तो तरस रहा था उससे बात करने के लिए पर जिस रावी से उसने प्यार किया था वो तो ये रावी थी ही नहीं, ये तो कोई और ही रावी थी! कहां वो चंचल, खुशमिजाज, जिंदादिल लड़की और कहा ये जो बस सांसे लेकर अपने जिंदा होने का सबूत दे रही थी बाकि उसके अंदर कोई उमंग नजर नहीं आ रही थी!! युग तो उसकी ये हालत देखकर अंदर ही अंदर टूट रहा था पर बिचारा कुछ कर नहीं पा रहा था!
पूरे रास्ते ना तो रावी कुछ बोलती है और ना ही युग! हा बस पूरे रास्ते रावी की आंखो से आसू बहते रहते है जिन्हे युग चाहकर भी रोक नही पा रहा था! रावी थी जो अतीत की गलियो मे भटक रही थी! जैसे जैसे गाडी आगे बढ रही थी वैसे वैसे रावी को बीता समय याद आ रहा था! वो पीयूष से पहली मुलाकात, फिर शादी, सुहागरात पर दोनो का एक दूसरे को समझना, पीयूष का रावी को सहज करना, फिर दोनो का घूमने जाना और फिर पीयूष का कभी लौट कर वापस ना आना!! बस यही सब किसी फिल्म की तरह उसकी आंखो के सामने घूम रहा था!
खेैर कुछ देर बाद युग अपने घर पहुंच जाता है! जैसे ही वो गाडी के ब्रेक लगाता है तो रावी अपने अतीत से बाहर आती है! युग गाडी मे से बाहर आता है और फिर रावी की तरफ का दरवाजा खोलता है! रावी एक बार भी उसकी तरफ नही देखती पर युग तो युग था! वो तो उसका दीवाना था, रावी की खामोशी भी पढ़ लेता था जो कि उसे ये एहसास करवा रही थी कि उसकी इस हरकत पर रावी उससे बहुत नाराज है! लेकिन रावी को पहले जैसा करने के लिए उसे उसकी नाराजगी भी मंजूर थी!
युग तो अपनी नज़रे नहीं हटा पा रहा था रावी के मासूम से चेहरे पर से! उसका दिल कर रहा था कि इस वक्त उसे अपने सीने से लगा ले और बता दे कि वो उसे कितना प्यार करता है! लेकिन अभी इस चीज के लिए सही वक्त नहीं था!! पता नहीं रावी उसे गलत ना समझ ले ये सोचकर वो खुद पर काबू पा लेता है!! वो़ हल्का का रावी के करीब जाता है और उसे अपनी गोद में उठाते हुए - "आओ अपने घर चलो!!"
उफ्फ....कितने अपनेपन से, कितने प्यार से, कितने हक से कहा था युग ने की ये उसका अपना घर है!! एक रावी के घरवाले थे जिन्होने अपना घर होते हुए कभी रावी से नहीं कहा कि अपने घर चलो, जिन्होने मुड़ के रावी की तरफ देखा नहीं, उसका अपना घर होते हुए उसे घर में आने की इजाजत नहीं थी! एक बबीता थी जो उसे हमेशा ये कहकर ताने मारती थी कि "निकल मेरे घर से ...!!" तो रावी का अपना घर कौन सा हुआ??
युग की बात सुनकर उसकी आंखें डबडबा जाती है और वो डबडबाई आंखो से युग की तरफ देखती है! कितना ही दर्द उभर आता है रावी के चेहरे पर जो युग देख पा रहा था! वो उसका चेहरा देखते हुए मन में, "तुम्हे तुम्हारे सारे दर्द से दूर करना है मुझे रावी, सारी तकलीफों से आजाद करना है बस थोड़ा वक्त...! एक बार तुम मुझ पर भरोसा कर लो! उसके बाद में तुम्हारी दुनिया बदल दूंगा...!!" वो उसे घर के अंदर ले जाते हैं ये सब सोच रहा था!!
जबकि रावी एकटक उसे देखे जा रही थी जैसे वो यकीन करना चाहती हो कि ये जो कुछ भी हो रहा है वो सच है या सपना..??
कनिका बाहर सोफे पर बैठी अपने फ़ोन में अपूर्व की फोटो देख रही थी! अब उसे बहुत बड़ा झटका लगने वाला था!! माला उस वक्त किचन में थी और मालिनी अपने कमरे में ...!! ठीक उसी वक्त युग की आवाज पूरे घर में गूंज जाती है! वो घर की चौखट पर खड़ा होकर मालिनी को आवाज लगाते हुए - "मां देखिए...! मैं किसे लेकर आया हूं..! जल्दी से बाहर आइए और आरती उतारिए अपनी बहू की!!"
युग बेपरवाह सा मुस्कुराता हुआ बोले जा रहा था और हर कदम पर रावी को हैरान कर रहा था! लेकिन उससे ज्यादा कोई और हैरान और परेशान था और वो थी कनिका!! रावी को युग की बाहों में देखकर और उसकी मांग में लगे सिंदूर को देखकर और युग के मुंह से बहू सुनकर...!! लगभग उसे अटैक आते हुए बचा था! उसकी आंखें हैरानी से फटी रह गई थी और उसके हाथ में जो फ़ोन था वो छूट कर नीचे गिर गया था....
जारी है...🙏🙏
मा देखिए…! मैं किसे लेकर आया हूं..! जल्दी से बाहर आइए और आरती उतारिए अपनी बहू की!!
युग बेपरवाह सा मुस्कुराता हुआ बोले जा रहा था और हर कदम पर रावी को हैरान कर रहा था! लेकिन उससे ज्यादा कोई और हैरान और परेशान था और वो थी कनिका!! रावी को युग की बाहों में देखकर और उसकी मांग में लगे सिंदूर को देखकर और युग के मुंह से बहू सुनकर…!! लगभग उसे अटैक आते हुए बचा था! उसकी आंखें हैरानी से फटी रह गई थीं और उसके हाथ में जो फोन था वो छूट कर नीचे गिर गया था!!
इतने में मालिनी कमरे में से बाहर आते हुए बोली, "कौन आया है यु..." पर जब वो युग के साथ किसी लड़की को देखती है और उसकी मांग में सिंदूर देखती है तो वो समझ जाती है कि यही रावी है! उसकी बहू, युग की जिंदगी..!! वो समझ जाती है कि जरूर कोई बात हुई होगी तभी युग ऐसे शादी करके आया है!! पर उस वक्त वो कुछ भी पूछना सही नहीं समझती!! वो जल्दी से रावी के पास जाती है ताकि देख सके कि युग क्यूं इस लड़की पर दिल हार गया?? पर जब देखती है तो बस देखती रह जाती है!!
कितनी पाक, कितनी मासूम थी रावी! मालिनी की तो ममता उमड़ आती है रावी पर! लेकिन रावी को डर लग रहा था, उसे तो आदत हो गई थी हर पल बबीता से जलील होने की, उसे तो अब यही लग रहा था कि बबीता की तरह मालिनी भी उसे देखकर उस पर ताने कसेगी, उस पर चिल्लाएगी, उसे अपने घर से जाने के लिए कहेगी!! डर के मारे वो युग के और भी करीब हो जाती है और कस कर उसकी शर्ट को पकड़ लेती है!! लेकिन अभी रावी को इस बात का एहसास नहीं था कि वो युग के करीब क्यूं जा रही है? वो इसलिए क्योंकि वो उसकी बांहों में, उसके आगोश में खुद को महफूज महसूस कर रही थी! हां बस, उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं था! जबकि युग उसकी एक-एक बात को नोटिस कर रहा था!! और मन ही मन मुस्कुरा रहा था!! रावी की आंखों में डर साफ नज़र आ रहा था और वो डरते हुए मालिनी की तरफ देख रही थी!
लेकिन यहां तो मालिनी ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा, उसकी बलाइयां लीं और खूब आशीर्वाद दिया!!
"कितनी सुंदर बहू लाया है मेरा युग!! माला जल्दी से आरती की थाली लेकर आ, मुझे मेरे बच्चों की आरती उतारनी है!" वो बेहद प्यार से रावी के सर पर हाथ फेरते हुए बोलती है!!
उसका ममता भरा स्पर्श पाकर रावी हैरानी से उसकी तरफ देखती है जैसे यकीन करना चाहती हो कि मालिनी ने अभी जो कहा सब सच कहा या उसे कोई गलतफहमी हुई है!!
लेकिन उससे ज्यादा कनिका हैरान हो रही थी! उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था!! रावी से तो वो पहले ही चिढ़ने लगी थी! वो इतनी जिद्दी और लाड़ली थी कि अपनी चीजें भी किसी को देना नहीं चाहती थी! और यहां तो बात उसके प्यार की थी! चाहे वो अपूर्व का प्यार हो या फिर उसके भाई युग का!! वो बांट नहीं सकती थी किसी के साथ अपनी चीजें और ना ही अपना प्यार और रावी के साथ तो बिल्कुल भी नहीं…!!
जो रावी को अपनी नजरों से हमेशा के लिए दूर करना चाहती थी वही रावी अब उसकी भाभी बनकर हमेशा के लिए उसके घर में आ गई थी! अब तो रावी से उसके जलने की भावना और भी बढ़ गई थी! उसे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन यहां सब लोगों के सामने वो कुछ नहीं बोल सकती थी! इतने में माला आरती की थाली लेकर बाहर आती है और वो थाली मालिनी के हाथ में देती है!!
रावी के बारे में पहले ही मालिनी ने उसे सब बता दिया था! युग मुस्कुराता हुआ कभी अपनी मां को देख रहा था तो कभी रावी को देख रहा था जो हैरानी से सबको देख रही थी कि इतने अच्छे लोग भी होते हैं क्या?? उसे तो यकीन नहीं आ रहा था!! लेकिन वो अपनी जिंदगी में इतने धोखे खा चुकी थी कि इतनी जल्दी किसी पर यकीन करना उसके लिए संभव नहीं था!
खैर, मालिनी दोनों की आरती उतारती है और दोनों के माथे पर टीका लगाती है!
"आओ बहू अंदर आओ! युग मेरी बहू को अंदर लेकर आओ बेटा!!" युग उसे अपनी गोद में उठाए घर के अंदर आता है!! रावी मन में सोचती है, "अभी इनको ये नहीं पता कि मैं अपाहिज हूं! जब पता लगेगा तो जितने प्यार से अपने घर में बुला रही है उतना ही दुत्कार के अपने घर से बाहर निकाल देंगे!!" रावी मन ही मन ये सब सोच रही थी क्योंकि उसने जो देखा था, जो उसके साथ बीता था उसे तो वही सब नजर आएगा ना!! सभी लोग वैसे ही लगेंगे ना!!
लेकिन अभी रावी को पता नहीं था कि उसकी जिंदगी, उसकी किस्मत सब बदल चुकी है! युग उसे इतनी मोहब्बत करता है कि वो सोच भी नहीं सकती थी! पर टाइम लगने वाला था रावी को ये सब समझने के लिए! फिलहाल तो वो इस बात पर गुस्सा थी कि उसकी मर्जी के बिना युग ने उससे शादी की!!
युग उसे अंदर लेकर आता है और आराम से सोफे पर बिठा देता है! मालिनी माला को देखकर बोली, "जल्दी से कुछ मीठा लेकर आ माला!! बहू आई है घर में, उसका मुंह मीठा नहीं करवाएगी?? जा जल्दी!!" वो मुस्कुराते हुए बोलती है!
कनिका ये सब देखकर पागल हुई जा रही थी! ना तो उसे युग के प्यार का पता था कि वो रावी से पहले से मोहब्बत करता है और ना इस बात का पता था कि उसने मालिनी को भी सब कुछ बता दिया है! युग उसकी तरफ देखता है और फिर उसे आवाज़ लगाते हुए बोला, "तू वहां क्यों खड़ी है? अपनी भाभी से नहीं मिलेगी?"
उसकी बात सुनकर रावी कनिका की तरफ देखती है और कनिका उसकी तरफ!! कनिका जबरदस्ती मुस्कुरा देती है और फिर युग के पास आते हुए बोली, "पर भाई ये शादी…?" युग को ये था कि कहीं कनिका नादानी में रावी के सामने कोई ऐसी वैसी बात ना कर दे! वो एकदम से अपना हाथ उसके कंधे पर रखकर उसका कंधा दबाते हुए बोला, "वो सब मैं तुझे बाद में बताऊंगा!!" पर कनिका को सब्र कहां..?? उसे तो जल्दी से जल्दी बबीता से बात करनी थी!!
"भाभी को वेलकम करो बेटा..!!" मालिनी उसे समझाते हुए बोलती है! "भाभी, भाभी," ये शब्द सुनकर उसके कान पक आए थे! वो मन में सोचती है, "उधर अपूर्व भाभी भाभी करता था और यहां पर ये लोग भाभी भाभी कर रहे हैं!" किसी तरह वो खुद पर काबू पाती है और जबरदस्ती मुस्कुरा कर रावी की तरफ देखते हुए बोली, "वेलकम भाभी..!!" फिर एकदम से बोली, "मैं अभी आई!" इतना कहकर वो जल्दी से अपने कमरे में भाग जाती है!
"ये लड़की भी ना! झल्ली है, कुछ याद आ गया होगा इसको! कुछ रख भूल गई होगी...!! ये ऐसी ही है बेटा..." मालिनी सोफे पर रावी के पास बैठते हुए बोलती है!! इतने में माला मिठाई लेकर आती है! ठीक उसी वक्त युग का कोई फोन आता है वो फोन कान पर लगाकर दूसरी तरफ चला जाता है!!
मालिनी मिठाई का एक पीस उठाकर रावी की तरफ बढ़ाते हुए बोली, "खालो बेटा!!" वो उसे अपने हाथ से बड़े प्यार से खिलाते हुए बोलती है, जैसे कभी उसकी मां खिलाती थी! लेकिन अब तो उसकी मां ने उससे ऐसे नाता तोड़ा था जैसे कभी रावी उसकी बेटी थी ही नहीं!
ये देखकर रावी का दिल भर आता है और आंखें भी! वो अपनी आंसू भरी आंखों से मालिनी की तरफ देखते हुए बोली, "मैं अपाहिज हूं, चल नहीं सकती..!" ये कहते हुए उसका गला रूंध जाता है! रावी उसे अपनी सच्चाई इसलिए बताती है क्योंकि उसे लगता है कि मालिनी को सच्चाई पता नहीं है, इसलिए वो उसे इतना लाड़ लड़ा रही है! पर लेकिन बाद में जब उसे पता चलेगा तो बाद में वो भी उसे ताने देगी!
कितनी तकलीफ थी रावी के दिल में, उसकी आंखों में जो कि मालिनी को महसूस हो गई थी!! पर वो उसकी बात को अनसुना करते हुए अपनी कलाई में पहने हुए कंगन उतारती है और रावी के हाथों में पहनाते हुए बोली, "ये हमारे खानदानी कंगन हैं, जो युग की दादी के हैं पर अब इस घर की बहू यानी कि तुम्हारे हैं!!" उसकी बात सुनकर रावी की आंखें हैरानी से फैल जाती है और वो मालिनी की तरफ देखकर बोलती है, "आपने सुना नहीं मैंने क्या कहा, मैं अपाहिज…," इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करती युग उसके पास आता है और वो मिठाई उसे अपने हाथ से खिलाते हुए बोलता है, "तुम बहुत स्पेशल हो, फिर कभी खुद को अपाहिज मत कहना" बेहद प्यार से बोलता है युग!! इतने प्यार से ही एक बार को तो रावी खो जाती है उसकी आवाज़ में....
जारी है...
गातांक से आगे...
"हमारे खानदानी कंगन है, जो युग की दादी के है पर अब इस घर की बहू यानी की तुम्हारे है!!" मालिनी ने कहा।
उसकी बात सुनकर रावी की आँखे हैरानी से फैल जाती है और वो मालिनी की तरफ देखकर बोली, "आपने सुना नही मैने क्या कहा, मैं अपाहिज....,"
इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करती युग उसके पास आता है और वो मिठाई उसे अपने हाथ से खिलाते हुए बोला, "तुम बहुत स्पेशल हो, फिर कभी खुद को अपाहिज मत कहना।" युग ने बेहद प्यार से कहा।
इतने प्यार से ही एक बार को तो रावी खो जाती है उसकी आवाज़ मे!! पर अगले ही पल उसकी नज़र पीछे लगे आईने पर जाती है और वो खुद को देखती है जहा उसे अपनी मांग मे लगा सिंदूर नजर आता है! और युग के कहे शब्द एक दम से उसके कानो मे शोर करते है, "युगवीर सिघांनिया की पत्नी को कुछ कहने का अँजाम क्या हो सकता है ये बता देता मैं आपको।"
युगवीर सिघांनिया की पत्नी बस यही शब्द किसी हथौडे की तरह उसके दिल और दिमाग पर चोट कर रहे थे! अँदर ही अँदर दिल रो रहा था उसका!! एक दम से उसके दो आसू लुढ़क कर गालो पर आ जाते है जो काफी थे युग को बैचेन करने के लिए!!
वो एकदम से अपना हाथ आगे बढाकर उसके आसू साफ करते हुए बोला, "रोना नही प्लीज!! नही देख सकता मैं रोते हुए!!" भावनाओं मे बहकर वो बोल देता है!!
पर रावी से अब बर्दाशत नही हो रहा था! उसकी आँखे बार बार नम हो रही थी और वो सबके सामने रोना नही चाहती थी! उसकी मंशा कहीं ना कहीं मालिनी ने समझ ली थी! वो समझ सकती थी कि रावी के लिए ये सब इतना आसान नहीं है! इन नए रिश्तो को अपनाना वो भी दिल से, ये उसके लिए बहुत मुश्किल है!! वो युग को इशारा करते हुए बोली, "बेटा ये थक गई होगी, जाओ इसको कमरे में ले जाओ! थोड़ा आराम कर लेगी!!"
ये सुनते ही रावी की बची कुची जान भी निकल जाती है! आज तक वो जैसे भी रही लेकिन पीयूष की पत्नी बन कर रही! उसकी विधवा बन कर रही है! किसी और के बारे में तो उसने कभी सोचा भी नहीं और यहां एकदम से उसके मायने ही बदल गए!! उसकी पहचान ही बदल गई!!
युग की बातो से, उसके इस तरह उससे शादी करने से रावी के मन में एक ही विचार चल रहा था कि क्या उसकी जिंदगी पर उसका कोई हक नहीं? कहीं ना कहीं उस शराबी की बातें भी उसके जहन में घूम रही थी, "इससे तो मैं बिना पैसों के भी शादी कर लेता और ये तो अपाहिज है साली भाग भी नहीं पाती।"
कहीं ना कहीं रावी युग के बारे में गलत सोचने लगी थी और इसका क्या अंजाम होने वाला था ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा! पता नहीं वो अपनी गलतफहमी में अपने गुस्से में अपनी भावनाओं में बहकर युग को क्या-क्या कह देगी?? युग आराम से उसे अपनी बाहों में उठाता है और ऊपर अपने कमरे की तरफ ले जाने लगता है!!
जहां युग की नज़रे रावी पर टिकी हुई थी वही रावी उसकी तरफ देख भी नहीं रही थी! ये उसके मजबूरी थी कि वो उसके साथ जा रही थी! अगर उसके बस में होता तो वो कब का भाग जाती है यहां से!!
उधर कनिका अपने कमरे में जाकर दनदनाते हुए बबीता को फोन करती है और जैसे ही बबीता फोन उठाती है तो उस पर बरसते हुए बोली, "ये क्या किया आपने? मैंने कहा था रावी को अपने घर से निकाल दो लेकिन ये नहीं कहा था कि अपनी मुसीबत हमारे घर पर भेज दो! मुझे इरिटेशन हो रही है रावी से! नहीं देखना चाहती मैं उसको ना ही अपूर्व के साथ और ना ही अपने भाई युग के साथ!!" अपनी नादानी में वो न जाने क्या-क्या बोले जा रही थी! क्या-क्या सोचे जा रही थी!!
बबीता उसे सारी बात बताते हुए बोली, "मैं क्या करती कनिका, तुम्हारे भाई पर तो शादी करने का जनून सवांर था, उसने न आव देखा ना ताव बस उसके मांग में सिंदूर भर दिया और ले गया अपने साथ! मैं तो उसे घर से निकाल रही थी पर एन मौके पर युग आ गया और फिर...!!"
कनिका को याद आता है की ऐसी कोई चीज नहीं जो कनिका ने मांगी हो और युग ने उसे लाकर ना दी हो! उसे लगता है कि युग ने रावी से शादी सिर्फ और सिर्फ इसलिए की है ताकि वो अपूर्व से दूर हो जाए और उसकी और अपूर्व से शादी हो जाए!! वो बबीता की पूरी बात सुने बिना ही फोन कट कर देती है!!
जहां उसके दिल में युग के लिए प्यार और बढ़ गया था वही रावी के लिए गुस्सा भी बढ़ गया था कि उसके भाई ने उसके लिए एक अपाहिज लड़की से शादी कर ली और उसके लिए अपनी पूरी जिंदगी खराब कर ली! वो अपना सर पड़कर वहीं बैठ जाती है!!
उधर युग रावी को लेकर कमरे में पहुंचता है! कमरा बेहद ही खूबसूरत और साफ सुथरा था! कमरे के बीचो बीच किंग साइज बेड रखा हुआ था! साइड में एक सोफा, खूबसूरत से लगे हुए पर्दे! साइड में रखी एक स्टडी टेबल जिस पर युग का ऑफिस का बैग और लैपटॉप ये सब रखा हुआ था! बिस्तर के दोनों साइड छोटी-छोटी टेबल रखी हुई थी जिस पर बड़े ही प्यारे फूलदान रखा हुआ था!
कमरे से अटैच वॉशरूम था और उसके साथ ही वॉडरोब! पर अभी तो रावी को किसी चीज से मतलब नहीं था! उसने नजर उठाकर किसी चीज की तरफ नहीं देखा! उसकी ये झुकी पलके, उसकी ये उदासी, उसका ये रोना युग से बर्दाशत नहीं हो रहा था! लेकिन अभी इतना हक नहीं था उसका की वो रावी से खुलकर बात कर सके! उसे समझा सके! वो बेहद आराम से रावी को बिस्तर पर बिठा देता है और खुद उससे पीछे होते हुए बोला, "तुम आराम करो, कुछ चाहिए तुम्हें..?"
वो उससे सवाल करता है इस उम्मीद में कि रावी उसकी बात का कुछ तो जवाब देगी और जवाब देने के बहाने उसकी तरफ देखेगी तो सही!! पर नहीं...!! ना तो रावी कुछ बोलती है ना उसकी तरफ देखती है! बस खामोशी से वो खुद पर काबू पाकर बैठी रहती है! 2 मिनट तक तो वो उसके बोलने का वेट करता है लेकिन अब उससे भी ये सब नहीं सहा जा रहा था! या हम कहे कि वो रावी की ये हालत नहीं देख पा रहा था! लेकिन युग भी जानता था कि उसे ही सब्र से काम लेना होगा!!
इसलिए वो वापस अपने कदम बाहर की तरफ लेते हुए बोला, "मैं थोड़ी देर में आता हूं तब तक तुम आराम करो!" ये कहकर वो बाहर निकल जाता है कमरे का दरवाजा अभी पूरी तरह बंद नहीं हुआ था! उसके जाते ही रावी बिखल बिखल कर रोने लगती है! वो अपना चेहरा अपने दोनों हाथों में भरकर बहुत ज्यादा रो रही थी! कमरे के बाहर खडा युग उसका रोना साफ सुन पा रहा था! रावी के आसू युग के दिल पर गिर रहे थे! उसका दिल तो कर रहा था कि वो रावी के पास जाए और समेट ले उसे अपनी बाहो़ं मे!! और अपने सीने से लगा ले!! पर अफसोस कि नही कर सकता था वो ये सब....जब उससे सहन नही हुआ तो वो वहा से चला जाता है!!
उधर से कनिका भागे भागे युग के पास आ रही थी! सामने ही उसे युग मिल जाता है! वो एकदम से उसके सीने से लग जाती है जैसे शुक्रिया करना चाहती थी कि आपने मेरे लिए इतना बडा़ कदम उठा लिया!!
युग समझ नही पाता कि इसे क्या हुआ? वो प्यार से उससे पूछता है, "क्या हुआ?"
कनिका उसकी तरफ देखते हुए बोली, "भाई आपने ये शादी क्यू कि वो भी उस अपाहिज रावी से...?"
इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही उसकी बात सुनकर युग को गुस्सा आ जाता है! रावी के खिलाफ अब कुछ नही सुन सकता था वो! वो एकदम से कनिका को डांटते हुए बोला, "कनिका..., आज तो ये बात कह दी दोबारा मत कहना..." ये पहली बार था जब युग ने उसे डांटा हो, युग वहा से चला जाता है और कनिका अपनी आखो मे आसू भरकर उसे जाते हुए देखती रहती है! आज पहली बार मेरे भाई ने मुझे डांटा, वो भी सिर्फ तुम्हारी वजह से रावी.....सिर्फ तुम्हारी वजह से...आई हेट यू आई रियली हेट यू। गुस्से से बोलती है कनिका और फिर दनदनाते हुए रावी के पास जाने लगती है।
जारी है....
गातांक से आगे...
युग कनिका को डांटते हुए, "कनिका..., आज तो ये बात कह दी, दोबारा मत कहना...।" ये पहली बार था जब युग ने उसे डांटा हो, युग वहा से चला जाता है और कनिका अपनी आंखो मे आंसू भरकर उसे जाते हुए देखती रहती है! "आज पहली बार मेरे भाई ने मुझे डांटा, वो भी सिर्फ तुम्हारी वजह से रावी.....सिर्फ तुम्हारी वजह से...आई हेट यू, आई रियली हेट यू," गुस्से से बोलती है कनिका और फिर दनदनाते हुए रावी के पास जाने लगती है।
उधर रावी अभी तक रो रही थी! आंसू नहीं रुक रहे थे उसके! रह-रह कर उसको पीयूष की याद आ रही थी। कमरे का दरवाजा अभी भी खुला हुआ था! जिसमे से कनिका उसे देख रही थी! वो आई तो रावी पर अपना गुस्सा निकालने थी लेकिन रावी को रोता हुआ देखकर वो कमरे के अंदर आ ही नहीं पाती!! पता नहीं रावी को रोता हुआ देखकर उसको क्या हो जाता है वो वापस चली जाती है!!
उधर युग गार्डन में चला गया था! रावी का रोना अभी भी उसके कानों में शोर कर रहा था! उसकी आंसू भरी आंखें अभी भी उसकी आंखों के सामने घूम रही थी!! उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे रावी को हैंडल करे? जितना आसान उसने सोचा था उतना आसान नहीं था ये सफर! उसे बहुत बैचेनी हो रही थी, कुछ समझ नही आ रहा था! तभी मालिनी उसके कंधे पर पीछे से हाथ रखती है!
युग पीछे मुड़कर देखता है तो उसकी नम आंखों को देखकर मालिनी के दिल में एक टीस सी उठती है! "युग..?" वो हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए बोलती है! जैसे पूछ रही हो कि तू रो रहा था??
युग एकदम से अपनी मां से लिपट जाता है और उसके सीने से लगते हुए, "मैं क्या करूं मा?? मैं उससे प्यार बहुत, बहुत प्यार करता हूं! लेकिन वो तो मेरी तरफ देख भी नहीं रही! कैसे उसे यकीन दिलाऊंगा? कैसे समझा पाऊंगा मैं उसको ये सब?? क्या वो समझेगी मेरे जज्बातो को?? वो तो बिल्कुल अजनबियों की तरह व्यवहार कर रही है मा!" वो दिल की बात मालिनी के सामने रख देता है!! इस वक्त युग को किसी अपने के सहारे की जरूरत थी!!
मालिनी उसकी भी मंशा समझ रही थी और रावी की भी! अपनी-अपनी जगह दोनों सही थे! वो उसको प्यार से समझाते हुए, "बेटा वो अजनबियों की तरह व्यवहार नहीं करेगी तो और क्या करेगी?? हम सब उसके लिए अजनबी ही तो है! तू उससे प्यार करता है ये बात तू जानता है, वो नहीं!! उसके दिमाग मे तो ये चल रहा होगा कि आखिर तुमने एक अपाहिज लड़की से शादी क्यों की? ऐसी कौन सी मजबूरी थी तुम्हारी?"
"मजबूरी" शब्द सुनकर युग हैरानी से उसकी तरफ देखता है जैसे पूछ रहा हो मतलब?? मालिनी उसको वहा रखी कुर्सी पर बिठाते हुए, "यहां बैठ और ठंडे दिमाग से खुद को रावी की जगह रख के सोच!! तेरी किसी से शादी हुई, वो तेरे साथ है या नहीं है फिर भी तू दिल से उसके साथ जुड़ा हुआ है! लेकिन अचानक से कोई आता है और तुझे अपना बना लेता है फिर चाहे तेरी मर्जी है या नहीं है!! उस वक्त तुझे कैसा लगेगा?? बस यही हालत है रावी की इस वक्त!!"
मालिनी की बाते युग को सोचने पर मजबूर कर दिया था! अब वो रावी की हालत और भी अच्छे से समझ रहा पा रहा था! वो समझ गया था कि इस वक्त रावी के दिल पर क्या बीत रही होगी!! वो तकलीफ को महसूस कर पा रहा था! मालिनी उसे आगे समझाते हुए, "बेटा रावी बहुत तकलीफ मे है इस वक्त! बेटा तुझे ही उसे समझना होगा, सब्र करना होगा, सबसे पहले तो तुझे उसे भरोसा दिलाना होगा कि ये घर उसका है और हम सब भी, उसे भरोसा दिलाना होगा कि हम सब उसे अपना मानते है, वो लड़की जो खुद से भी प्यार करना भूल चुकी है उसे वापस जिदंगी जीना सिखाना होगा! तू समझ रहा है ना??" वो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोलती है!!
युग अपनी आँखो की नमी को साफ करते हुए, "मैं समझ गया मा, सब समझ गया!! मुझे समझ आ गया कि आगे क्या करना है!" ये कहता हुआ वो उठता है और रावी के पास जाने लगता है!!
मालिनी भगवान के हाथ जोड़ते हुए, "हे भगवान मेरे बच्चो की जिदंगी खुशियो से भर दो!" उसके बाद वो अंदर जाती है और माला से कुछ बात करने लगती है!
ऊपर कमरे मे कनिका अपना सर पकड़कर कमरे मे बैठी थी! उसे तो अभी तक यकीन ही नही आ रहा था कि ये सब हुआ क्या? उसके दिमाग मे यही चल रहा था कि उसकी वजह से युग ने अपनी जिदंगी खराब कर ली, कैसे रहेगे भाई उसके साथ? कैसे?? वो यही सब सोच रही थी! फिर वो उठती है और मालिनी के पास जाती है ये पूछने के लिए कि उसने रावी को क्यू अपनी बहू माना??
उधर रावी रो-रो कर अपना मन हल्का कर चुकी थी! उसकी आखे अभी भी नम थी! वो अपनी आँखे बंद करके अपना सर पीछे प्लंग के सिरहाने से टिका लेती है! ठीक उसी वक्त युग वहा पर आता है, उसकी नज़रे जाती है रावी पर, उसके चेहरे पर सूख चुके आसुओ के निशानो पर, जिनसे वो समझ जाता है कि रावी बहुत रोई है!! बडी मुश्किल से युग खुद पर काबू पाता है और दरवाजा नोक करते हुए अंदर जाता है! रावी अपनी आँखे खोलती है और फिर युग को देखकर वो सीधी होकर बैठ जाती है!! और अपनी नज़रे झुका लेती है जैसे देखना नही चाहती थी उसकी तरफ!!
लेकिन युग तो युग था जो रावी से दिलोजान से प्यार करता था! जिसके लिए रावी उसका जनून बन चुकी थी, उसकी जिदंगी बन चुकी थी उसका सकून बन चुकी थी! वो अब रावी की तरफ अपने कदम बढा़ चुका था तो पीछे हटने का तो सवाल ही उठता!! जितना रावी उसे इग्नोर कर रही थी उतना ही युग अपनापन जताते हुए उसके पास जाता है और उससे कुछ दूरी पर बिस्तर पर बैठ जाता है!! वही रावी का दिल घबराहट से धक-धक करने लगता है, ये सोचकर की युग उसके पास क्यू आ रहा है? यहा तक की उसके हाथो की मुट्ठी भी कस जाती है और वो घबराकर पीछे हो जाती है।
युग उसकी एक-एक हरकत देख रहा था! जिस रावी को वो हमेशा से अपने सामने देखना चाहता था, वो आज सच मे उसके सामने थी और वो भी उसकी पत्नी के रूप मे पर फिर भी अजनबी था वो उसके लिए!
"गुस्सा आ रहा है??" वो बेहद आराम और शांत भाव से बोलता है! उसकी बात सुनकर रावी अपनी नज़रे उठा कर उसकी तरफ देखती है पर कुछ बोलती नही है! युग फिर से, "बहुत गुस्सा आ रहा है ना मुझ पर??" वो जानबूझ कर बोलता है क्योकि वो चाहता था कि रावी उस पर गुस्सा करे इसी बहाने उसके दिल मे दबा गुबार, दिल मे दबी बाते तो बाहर आएगी जो वो ना जाने कब से अपने अंदर समेटे बैठी है!!
"बोलिए ना!! गुस्सा आ रहा है ना आपको??" रावी भी कब तक चुप रहती वो उसकी तरफ देखते हुए, "चीजो को कहां गुस्सा आता है? उनकी कोई भावनाए कहां होती है? वो तो बस बेजान चीजे है!" ये कहते-कहते उसकी आवाज़ भारी हो जाती है! ये पहली बार था जब उसने युग की किसी बात का जवाब़ दिया हो, या उससे बात की हो!!
"तुम कोई बेजान चीज़ नही हो रावी! खुद की तुलना बेजान चीजो से मत करो," ये कहता-कहता वो रावी के हाथ पर अपना हाथ रख देता है! इतना काफी था रावी को और भी गुस्सा दिलाने के लिए...वो एक दम से उसका हाथ झटकते हुए, "चीज़ ही तो हूं, जिसे एक जगह से लाकर दूसरी जगह रख दिया है, वो भी बिना उसकी मर्जी के! एक जगह रखे-रखे पुरानी हो गई थी, किसी काम की नही थी, तो फेंक रहे थे मुझे घर से बाहर..! लेकिन आपने पकड़ लिया, और यहा ले आए, पता नही क्या फायदा नज़र आया आपको मेरे अंदर...? जो आपने... एक ही मिनट मे मेरी जिदंगी बदल दी, मेरी पहचान बदल दी, मेरे मायने बदल दिए! अब खुद को चीज़ ना कहू तो क्या कहू?? जब इस चीज़ से आपका मन भर जाएगा तो आप भी उठाकर बाहर फैंक देना, कुछ दिन तो आपके काम आ ही सकती हू और सबसे बडी बात अपाहिज हू ना भाग भी नही पाऊंगी...." रावी बहुत गुस्से से रोते हुए बोल रही थी!!
जबकि उसकी बातो से युग का दिमाग खराब हो गया था! रावी उसके बारे मे ऐसा सोच रही है कि वो उसके साथ जबरदस्ती....वो एकदम से उसके करीब जाता है और उसे दोनो कंधो से पकड़ते हुए, "बस, एक शब्द और नही..." ये कहता हुआ वो उसके बेहद करीब हो जाता है इतना कि उसकी गर्म सांसे रावी को अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी और वो अपनी आसू भरी नज़रो से उसकी तरफ देख रही थी....
जारी है...