"Arrange marriage, जितना ये शब्द घर के बड़ों के कानों को सुनना पसंद है, उतना ही ये शब्द घर के बच्चों के कानों में दहशत पैदा कर देता है! और करे भी कैसे न, एक अंजान से शादी करनी पड़ जाती है, पूरी जिंदगी भर का साथ! और यहां तो एक घंटे भी किसी के साथ ठीक... "Arrange marriage, जितना ये शब्द घर के बड़ों के कानों को सुनना पसंद है, उतना ही ये शब्द घर के बच्चों के कानों में दहशत पैदा कर देता है! और करे भी कैसे न, एक अंजान से शादी करनी पड़ जाती है, पूरी जिंदगी भर का साथ! और यहां तो एक घंटे भी किसी के साथ ठीक से नहीं बनती! तो इसी arranged marriage के डोर में बंध गए हैं सत्या और रिदांक्ष। रिदांक्ष की शादी होने वाली थी सत्या की बड़ी बहन अनुश्री से, पर इस शब्द के दहशत से डर कर वह शादी वाले दिन ही भाग गई, और तब ना चाहते हुए भी सत्या को करनी पड़ी अपने प्रोफेसर से शादी! क्योंकि वह अपने माता पिता के लिए कुछ भी कर सकती है! क्या रंग लाएगा इनका ये जबरदस्ती से बंधा रिश्ता? कब तक साथ निभा पाएंगे दोनों? उम्र में दस साल की दूरी क्या कर देगी इन दोनों को अलग? या उम्र की सीमा को लांघ कर भरेगा एक नया इश्क उड़ान! Satya is a cheerful college girl and she had a crush on her Professor. But she has to kill it because he was her sister's fiancé. Suddenly on their wedding night Satya gets to know that Anushree her older sister has eloped with her lover and left a note. Ridanksh's mother begs her to marry him and take the place of Anushree. Because if people get to know about Anushree 's elopment they will make things and her father and mother have to face the consequences and the dirty looks and criticism of society. So for the sake of her parents she agreed to marry her professor and the feelings of that stupid crush she thought she had already killed was slowly getting reincarnated. Is there a story that simple? Never. what consequences does she have to face? What about Ridanksh's feelings? What does he feel about her? What if Satya's developing crush into Love, might get crushed because of not being reciprocated? To know more about their story Please read "His Replaced Bride"
Mrs. Satya Ridanksh Singh Chauhan
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Ridanksh Singh Chauhan
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"Arrange marriage, जितना ये शब्द घर के बड़ों के कानों को सुनना पसंद है, उतना ही ये शब्द घर के बच्चों के कानों में दहशत पैदा कर देता है! और करे भी कैसे न, एक अंजान से शादी करनी पड़ जाती है, पूरी जिंदगी भर का साथ! और यहां तो एक घंटे भी किसी के साथ ठीक से नहीं बनती! तो इसी arranged marriage के डोर में बंध गए हैं सत्या और रिदांक्ष। रिदांक्ष की शादी होने वाली थी सत्या की बड़ी बहन अनुश्री से, पर इस शब्द के दहशत से डर कर वह शादी वाले दिन ही भाग गई, और तब ना चाहते हुए भी सत्या को करनी पड़ी अपने प्रोफेसर से शादी! क्योंकि वह अपने माता पिता के लिए कुछ भी कर सकती है! क्या रंग लाएगा इनका ये जबरदस्ती से बंधा रिश्ता? कब तक साथ निभा पाएंगे दोनों? उम्र में दस साल की दूरी क्या कर देगी इन दोनों को अलग? या उम्र की सीमा को लांघ कर भरेगा एक नया इश्क उड़ान!
Marriage lawn के बाहर बड़े और बोल्ड अक्षरों में लिखा था (Rostogi family welcomes you to our beloved child's wedding, 'Ridanksh weds Anushree')
सजावटें बेहद खूबसूरत थीं और लोग भी बहुत सारे जमा थे, मण्डप में पंडित जी वर और वधू का, सभी मेहमानों और मंडप में जल रही पवित्र अग्नि के साथ इंतजार कर रहें थें।
वहीं दुल्हन के कमरे में एक लड़की चुपचाप बैठी थी और उसके हाथ में एक कागज था। उस लड़की की उम्र मुश्किल से उन्नीस बीस ही लग रही थी और उसकी आँखें भरी हुई थीं आंसुओं से। उसके दिमाग में बस उस कागज में लिखें शब्द गूंज रहें थें "मां पापा! मुझे माफ कर दीजिए, पर मुझसे ये नहीं होगा! मैने जिंदगी के हर मोड़ पर आपकी बात मानी है और कभी आपको ना नहीं कहा, आज पहली बार मुझे एहसास हो रहा था कि ना कहना सीखना कितना जरूरी था! आज से पहले होता भी कैसे, आज से पहले आप लोगों ने इसकी जरूरत महसूस भी तो नहीं होने दी ना मुझे कभी! पर आज! आज मुझे इसकी बहुत जरूरत है, पर मेरे अंदर हिम्मत नहीं है! और सीखने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है, और हम बहुत आगे निकल चुके हैं! फिर भी मैने पूरी कोशिश की थी, आप लोगों से बात करने की, आप लोगों को समझाने की, पर आप लोगों के सामने कुछ भी कहने की हिम्मत मैं कभी जीत ही नहीं सकी! आज से पहले कभी जरूरत भी तो नहीं पड़ी कुछ कहने की आप लोगों से! मैं सच में बोहोत शुक्रगुजार हूं आप लोगों की और शर्मिंदा हूं खुद पर, पता नहीं कब मैं इतनी बुज़दिल बन गई, और आज मुझे ये कदम उठाना पड़ रहा है, मैं अपनी हर हरकत के लिए माफी मांगती हूँ सिवाए इसके कि मैने प्यार किया! और इसीलिए मैं ये शादी नहीं कर सकती, चौहान अंकल बहुत अच्छे हैं! मुझे नहीं पता मेरे इस कदम से क्या होने वाला है पर मैं ये शादी नहीं कर सकती मां पापा, I am sorry, मैं किसी और से प्यार करती हूँ! और मैं अपने प्यार को कुर्बान नहीं कर सकती, I am sorry! मैं एक अच्छी बेटी नहीं बन सकी!"
उस लड़की ने अपने हाथों में उस कागज को मरोड़ दिया और तभी उसके कानों में उसकी मां की आवाज पड़ी "सत्या!, please, अब सिर्फ तुम ही हो जो हमारी नाक और अपने पापा की इज्जत इतने लोगों के सामने बचा सकती हो! मैं तुमसे भीख मांगती हूँ बेटी! Please!" सत्य की मां ने उसके सामने बैठ कर हाथ जोड़ते हुए कहा तो उसकी आँख से एक आँसूं गिर गया।
तभी दरवाजा खुला और दूल्हे के कपड़ों में एक लड़का अंदर आया और उसने कहा "आप लोग ये क्या कर रहें हैं! भगवान के लिए, उसे मजबूर करना बंद किजिए! वो बस उन्नीस साल की है! और मैं उससे शादी नहीं कर सकता! आप सबका दिमाग खराब हो गया है!"
तभी उसके पीछे से एक औरत आकर उसे रोकते हुए बोली "दिमाग तुम्हारा खराब हो गया है रिदांक्ष! अगर आज इस मंडप में तुम्हारी शादी नहीं हुई तो तुम जानते हो हम दोनों परिवार की कितनी बदनामी होगी? समाज में सब थू थू करेंगे, कितनी बातें बनेंगी और तुम्हारी बढ़ती उम्र को कमी बताएंगे! और सत्या! अनुश्री ने जो किया है उसका असर तुम्हे क्या लगता है सत्या पर नहीं पड़ेगा? उसकी भी शादी नहीं हो पाएगी उसके कैरेक्टर पर भी उंगलियां उठाई जाएंगी! तुम समझते क्यों नहीं?"
"क्योंकि ये गलत है मां! Stop manipulating her! जो होगा देखा जाएगा! एंड exactly वो मुझसे बहुत छोटी है मां! नहीं, मैं ये शादी नहीं करूंगा! और ऊपर से वो मेरी स्टूडेंट है! नहीं, मैं अपनी स्टूडेंट से शादी नहीं कर सकता! आप सब पागल हो गएं हैं!" रिदांक्ष ने चिल्लाते हुए कहा।
तभी सत्या ने अपनी हाथ जोड़ कर बैठी मां को और कुछ दूर पर सर पकड़ कर बैठे पापा को देखा, उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं कहा था, एक बार भी उसे शादी के लिए भी नहीं कहा था और वो जानती थी कि वो कहने वाले भी नहीं थें पर इसमें उनकी भी क्या गलती थी? एक बाप जो सिर्फ अपनी बच्चियों की खुशी चाहता है वो किस वक्त कितना मजबूर हो सकता था ये कोई भी नहीं जानता! जब उसके घर की इज़्ज़त उसकी बेटीयों के गले में फांसी का फंदा बन रही थी और वो कुछ भी नहीं कर सकता था!
और ये सब सोचते हुए सत्या की आँखें अचानक से कठोर हो गई उसने एक गहरी सांस ली और आँखें बंद की तो उसके दिमाग में उसकी अपनी आवाज गूंजी "अनुश्री बुज़दिल हो सकती है पर सत्या नहीं! वो मजबूत है! और वो अपनी मम्मा पापा के साथ उनके लिए खड़ी हो सकती है!"
और उसके दिमाग में अपने माता पिता की हंसते हुए चेहरे की तस्वीर घूमी और उसने एक हल्की सी मुस्कान के साथ गहरी सांस लेकर कहा "मैं ये शादी करूंगी!" उसकी बात सुनकर सभी अपनी जगह जम कर उसे देखने लगें।
रिदांक्ष की आंखे बड़ी हो गई और उसने कहा "Are you mad! तुमसे किसी ने नहीं पूछा! तुम बच्ची हो अभी चुपचाप बैठो! ये फैसला तुम नहीं ले सकती!"
सत्य ने आँखें खोली और अपनी माँ का हाथ पकड़ कर उन्हें उठाया और उनके आँखों से आँसूं पोंछ कर उन्हें खड़ी किया।
फिर उसने रिदांक्ष की तरफ देखा और उसके सामने जाकर मजबूती के साथ कहा "मैने ये फैसला ले लिया है! मैं ये शादी करूंगी!"
रिदांक्ष ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा "तुम्हारा दिमाग खराब है! नहीं! तुम इस तरह emotional fool बनकर इतना बड़ा dicision नहीं ले सकती! समझी! तुम ये शादी नहीं कर सकती!"
"मैं अपने मम्मा पाप के लिए कुछ भी कर सकती हूँ!" सत्या ने दृढ़ता से उसकी आंखो में देखते हुए कहा और रिदांक्ष कुछ कहने वाला था कि उसकी मां ने उसे रोक दिया और बोला "रिदांक्ष तुझे मेरी कसम है! और ये बात हमारे बीच ही रहेगी कि सत्या तुम्हारी स्टूडेंट है! उसे मैं अपनी बेटी की तरह रखूंगी तुम जानते हो! Please! अपने डैड के लिए! अब तुम इस शादी से इनकार मत करना! उनकी आखिरी इच्छा थी कि तुम रस्तोगी जी की बेटी से शादी करो!"
रिदांक्ष ने उन्हें देखा और कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था की उन्होंने हाथ जोड़ लिया। रिदांक्ष ने बेबसी से मुंह बंद कर लिया और गुस्से से चिल्लाकर सत्य को देखते हुए बोला "ये लड़की पागल है!"
और फिर वह वहां से चला गया।
उसके जाने के बाद मिसेज चौहान ने आकर सत्या कि मां का हाथ पकड़ा और बोली "सत्या की चिंता आप मत कीजिए अब से, वो मेरी बेटी है!"
फिर उन दोनों ने सत्या की तरफ जाकर उसके सामने हाथ जोड़ कर कहा "हमें माफ कर देना हो सके तो!"
सत्या ने कुछ नहीं कहा और अपने पापा के पास चली गई। वह उनके पास जाकर बैठी और उनके हाथ को छुआ तो रस्तोगी जी के आंखों के कोरों पर ठहरा हुआ आँसूं एकदम से लुढ़क कर गालों पर गिर गया।
सत्या ने उनके आसूं को पांच कर उनके चेहरे को हाथों में थाम लिया और बोली "अपनी बेटी का कन्यादान करना है पापा आपको! और ऐसे आंसू मत जाया कीजिए मुझे मेरी विदाई पर सारे सूत समेत चाहिए! पर उससे पहले नहीं! देख सकती मैं इन्हें!"
और इतना कहकर उसने कसकर उन्हें गले लगा लिया और वह फूट फूट कर रो पड़े। वह बस एक ही बात कहते "मुझे माफ कर दे मेरी बच्ची! मैं स्वार्थी बना गया हूँ!"
और सत्या की आँखों से भी आंसुओं की धार बह निकली उसने और ज्यादा कस कर उन्हें गले लगा लिया।
कुछ देर बाद रिदांक्ष मंडप पर बैठ हुआ था और रस्तोगी जी पीछे खड़े थें। दुल्हन के जोड़े में सजी सत्या को मिसेज चौहान और मिसेज रस्तोगी सीढ़ियों से लेकर आ रहीं थीं।
सत्या का घूंघट उसके गले तक था। रिदांक्ष और और रस्तोगी जी दोनों ही लोग उसकी तरफ बढ़ गएं और एक साथ सत्या का हाथ थाम कर उसे मंडप तक ले जाने लगें।
सत्या के दाएं हाथ को रस्तोगी जी ने थाम रखा था और इसका एहसास होते ही उसने कसकर अपने पिता के हाथ को थाम लिया वहीं रिदांक्ष ने उसके हाथ को थाम रखा था पर सत्या की पकड़ उसके हाथ पर नहीं थी।
फिर भी रिदांक्ष ने उसे थामे रखा। चलते हुए अचानक सत्या का पैर अपने लहंगे में फंस गया और वह गिरने लगी ही थी की रिदांक्ष और रस्तोगी जो ने तुरंत उसे संभाल लिया और अनजाने में ही सत्या के हाथों की पकड़ अपने पिता और पति दोनों के हाथों में कस गई।
रस्तोगी जो ने आंखों में नमी के साथ कहा "संभाल कर!"
और रिदांक्ष ने उन्हें देखते हुए पलकें झपका कर कहा "I am sorry!"
और उसने हल्के से झुक कर सत्या के लहंगे को हल्का सा अपने दूसरे हाथ से पकड़ कर उठा दिया ताकि वह आराम से चल सके और उसकी इस हरकत से सभी मेहमानों ने ख़ुसुर फुसुर शुरू कर दी जिसे सुनकर रिदांक्ष ने अपनी आँखें घूमा दी वहीं ये देख रस्तोगी जी ने भी अपने एक हाथ से सत्या का लहंगा पकड़ कर उसे हल्के से उठा दिया।
वह मंडप में गए तो रस्तोगी जी ने सत्या के हाथ को छोड़ दिया और इसका एहसास होते ही सत्या ने और मजबूती से उनके हाथ को पकड़ लिया और रुक गई, उसे रुक देख कर रिदांक्ष भी रुक गया, ये देख कर रस्तोगी जी ने सत्या के हाथ को फिर से पकड़ा और उसपर अपने दूसरे हाथ को रख कर हल्के से थपथपाया कर उसे आश्वस्त किया, फिर उसकी पकड़ से अपने हाथ को छुड़ा कर पीछे हट गईं और रिदांक्ष उसे लेकर मंडप में बैठ गया।
शादी के मंत्र पढ़े गईं और सारी विधियां पूरी की जाने लगीं रिदांक्ष ने ये साफ महसूस किया कि सत्या थोड़ी कांप रही थी और उसने उसके हाथ को थामे रखा।
हालांकि उसके एहसास ने सत्या की नर्वसनेस खत्म नहीं की पर कुछ हद तक कम हों गईं। फेरे पूरे करने के बाद जब पंडित जी ने कहा "विवाह संपन्न हुआ आप बड़ों का आशीर्वाद ले लें! आज से आप दोनों पति पत्नी हैं!"
रिदांक्ष ने सत्या का हाथ थाम रखा था और फिर वह उन दोनों के पेरेंट्स के तरफ बढ़ गया। सबसे पहले रस्तोगी जी के पैर छुए और उन्होंने आंखों में आसूं भर कर कहा "हमारी जान को हिफाज़त से रखना! बस यही विनती है!" रिदांक्ष ने उनके हाथों को पकड़ कर सर हिलाया और फिर रस्तोगी जी उन दोनों से माफी मांगी।
सत्या ने उन्हें कसकर गले लगा लिया। सत्या की मां ने और मिसेज चौहान ने भी उन दोनों को आशीर्वाद देने के बाद उनसे माफी मांगी।
विदाई के बाद रिदांक्ष के साथ सत्या उसके घर आ गई। गृह प्रवेश के बाद मिसेज चौहान सत्या को रिदांक्ष के कमरे में ले गईं।
कुछ देर बाद रिदांक्ष अंदर आया और उसने सत्या को बेड पर बैठा देखा उसने अपने बालों में हाथ फिराया और आस पास देखा और फिर माथे पर बल डालते हुए बोला "तुमने कपड़े क्यों नहीं बदले? अब क्या सच में शादी पूरी करना चाहती हो?"
सत्या को कुछ समझ नहीं आया और वह बोली "मतलब!"
रिदांक्ष को एहसास हुआ और उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और बोला "I, I am sorry!"
"एक मिनट! मतलब क्या था आपका?" सत्य ने तुरंत अपना घूंघट उठा कर गुस्से से उसे देखा और रिदांक्ष ने अपना सर पकड़ लिया।
## अध्याय - 2
सत्या रिदांक्ष को आँखें छोटी कर के घूर रही थी और रिदांक्ष ने अपना सर पकड़ लिया था।
वह आस पास देखा और फिर बोला, "मेरा मतलब वो नहीं था, मैं बस यहां आया और तुम ऐसे नई नवेली दुल्हन की तरह घूंघट डाल कर बैठी थी और मैने बस वो expect नहीं किया था तो मेरे मुंह से निकल गया। मैने,"
वह कह ही रहा था कि सत्या ने उसे घूरते हुए कहा, "ये क्या बात हुई? अब नई नवेली दुल्हन हूं तो वैसे ही बैठूंगी न! ये कोई मेरा घर नहीं है और मुझे जैसे आंटी ने कहा था मैं बस वही कर रही थी! मुझे कोई शौक नहीं है आपके साथ ये सब शादी वादी निभाने का और आप समझते क्या हैं खुद को? कुछ भी सोचेंगे!?"
सत्या की बातें सुनकर रिदांक्ष ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा, "ओह हैलो! तुम बैठी थी ऐसे, इसीलिए मुझे लगा, समझ में आया! और ये शादी मानने का taunt ना तुम मुझे न दो तो ही बेहतर, वो तुम ही थी जिसने शादी के लिए हां की थी! ये सब ना तुम्हे सोचना चाहिए था शादी करने से पहले! इमोशनली manipulate होकर फैसला लेने से पहले, तब क्यों नहीं सोचा तुमने! जब मैं कह रहा था चुप रहो, तब तो समझ आई नहीं तुम्हें! किया क्यों तुमने ये सब? हां, क्यों की तुमने शादी के लिए?"
सत्या शांत हो गई और उसने सर झुका कर कहा, "I am sorry, पर मैं अपने मम्मा पापा की आँखों में आँसूं नहीं देख सकती थी! अगर आज मैं ये शादी नहीं करती तो लोग उनका जीना मुश्किल कर देते, बदनामी होती और क्या क्या नहीं कहा जाता, और मैं सब कुछ सह सकती हूं पर अपने मम्मा पापा के लिए कुछ बुरा नहीं सुन सकती हूँ! और अभी जो मैने कहा था आपसे, उसके लिए भी मैं सॉरी हूँ! आप मुझे मारिएगा मत, मैं पक्का अच्छे से रहूंगी और शिकायत का मौका भी नहीं दूंगी! आप मम्मा पापा को कुछ मत बोलिएगा!"
सत्या को ऐसे देख कर रिदांक्ष हैरानी से उसे देखने लगा और बोला, "तबयत तो ठीक है तुम्हारी? क्या कह रही हो तुम?"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "मैने बदतमीजी से बात की उसके लिए माफी मांगी और,"
कहते हुए वह एकदम से रुक गई और अपनी उंगली को रगड़ना शुरू कर दिया वह अपने शब्दों के साथ उलझी हुई थी और रिदांक्ष उसे ध्यान से देखा और बोला, "और?"
रिदांक्ष के सवाल पर सत्या ने उसे देखा और बोली, "और, मैं, अभी, अभी वो सब करने के लिए तैयार नहीं हूँ! इसलिए, I am sorry, but please force,"
"Shut up okay!" रिदांक्ष की आँखें एकदम से बड़ी हो गई और उसने तुरंत उसकी बात को काटते हुए कहा तो सत्या ने उसे देखा और रिदांक्ष उसके पास गया और उसके सर पर हल्की सी चपत देकर कहा, "बच्ची हो! बेहतर होगा वही बनकर रहो, ज्यादा अपने ये दिमाग के घोड़े दौड़ाना बंद करो और चुपचाप चेंज कर के सो जाओ! और मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं कर सकता!"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "क्यों प्रोब्लम है कुछ?"
सत्या की बात सुनकर रिदांक्ष की आँखें बाहर आने को थी और उसने दांत पीसते हुए कहा, "नहीं! क्योंकि तुम बच्ची हो और मेरी स्टूडेंट हो, और मैं अपनी स्टूडेंट के अलावा तुम्हे और कुछ," वह रुक गया और फिर उसने एक गहरी सांस लेकर बोला, "मैने तुम्हे कभी उस नजर से नहीं देखा!"
सत्या ने राहत की सांस ली और रिदांक्ष ने कहा, "जाओ जाकर चेंज करो ये सब इतने भारी भरकम ओह, तुम्हे देख कर मुझे उलझन हो रही है!"
सत्या ने उसे देखा और वह बहुत कुछ कहना चाहती थी पर चुप रही। वह उठ कर ड्रेसिंग टेबल के पास गई और अपनी चूड़ियां गुस्से से उतारने लगी पर वह परेशान थी उससे चूड़ियां भी उतारी नहीं जा रही थीं।
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "बच्ची हो तुम सच में, ऐसे नहीं करतें, लग जाएगी तुम्हे! इधर दो!"
सत्या ने उसे देखा और अपनी हाथ को दूर करती हुई बोली, "नहीं, मैं कर लूंगी!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "कुछ नहीं कर सकती तुम, और खुद को चोट लगा लोगी सो अलग, मुझे करने दो कहा ना मैने!"
सत्या ने उसे देखा और चुपचाप हाथ उसकी तरफ कर दिया। रिदांक्ष ने उसकी चूड़ियों को धीरे धीरे कर के निकला और बोला, "patience is the key!"
सत्या ने उसे पलकें उठा कर देखा तो दोनों की नज़रें मिली और रिदांक्ष ने कहा, "जिसकी उम्मीद तुमसे नहीं की जा सकती!"
सत्या ने मुंह बना लिया और वापिस नीचे देखने लगी। रिदांक्ष के माथे पर बल पड़ गएं पर उसने कुछ कहा नहीं।
उसके एक हाथ की सारी चूड़ियां निकालने के बाद उसने दूसरे हाथ की भी निकाली और फिर उसके गले से हार मांग टीका, इयरिंग्स और उसकी नथ भी निकाली।
उसके बाद सत्या अपने पायल खोलने के लिए झुकी तो रिदांक्ष ने कहा, "मैं करता हूं!" सत्या ने उसे देखा और जल्दी से बोली, "नहीं, आप मुझसे बड़े हैं, मेरे पैर नहीं छू सकतें! और मैं खुद खोल लूंगी इन्हें!"
रिदांक्ष ने सर हिला दिया और अपने कपड़े लेकर चेंज करने चला गया। कुछ देर बाद वह t-shirt और sweatpants में बाहर आया तो उसने देखा सत्या अब भी अपने पायलों में उलझी पड़ी हुई थी।
उसने सर हिला दिया और उसके सामने जमीन पर अपने एक गुठने के बल बैठ कर बोला, "इधर दो! तुमसे नहीं होगा और तुम्हारे दांत टूट जाएंगे, दूध के हैं ना?"
सत्या ने उसे घूरा और वह कुछ बोलने ही वाली थी की चुप हो गई। रिदांक्ष मुस्कुरा रहा था क्योंकि उसे लगा था कि सत्या उससे लड़ेगी पर सत्या को चुप देख कर वह भी सीरियस हो गया और उसने झुक कर उसके पायल को दांतों से खोला और फिर उसे थमा दिया, फिर उसने दूसरे पैर का भी ऐसे ही खोला और फिर उसे थमा कर बोला, "जाओ जाकर कपड़े चेंज कर लो!"
सत्या ने सर हिला दिया और हल्के से बोली, "थैंक्स," रिदांक्ष ने कुछ नहीं कहा, बस सर हिला दिया। सत्या कपड़े बदल कर आई और उसने एक हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी।
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "तुम इनमें कंफर्टेबल हो?"
सत्या ने उसे देखा और कुछ सोचने के बाद ना में सर हिला दी और क्योंकि उसने साड़ी ठीक से पहनी भी नहीं थी तो उसे चलने में भी प्रॉब्लम हो रही थी।
रिदांक्ष ने सर हिला दिया और बोला, "तो अपने कोई नॉर्मल कपड़े पहनो! तुम्हे यहां कोई नहीं बोलेगा!"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "पर मैं अपने कपड़े नहीं लाई ये luggage दी कि है, और उन्होंने सिर्फ साड़ियां ही रखी हैं!"
रिदांक्ष ने उसे कुछ पल देखा और फिर एक कपबोर्ड की तरफ इशारा करते हुए बोला, "उसमें मेरे कुर्ते हैं, तुम उनमें से कोई निकाल कर पहन लो!"
सत्या ने हल्के से सर हिला दिया और फिर कुछ सोचती रही तो रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "क्या हुआ? कुछ कहना है?"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "क्या, मैं भी आपकी कोई t-shirt और sweatpants पहन सकती हूँ?!"
रिदांक्ष बस उसे देखता रहा पर कुछ बोला नहीं तो सत्या ने उसे सर उठा कर देखा और हल्के से बोली, "क्या हुआ?"
रिदांक्ष ने माथे पर बल डालते हुए कहा, "सोच रहा हूँ कि तुम कौन हो? हम कहीं रास्ते में रुके भी नहीं थें कि तुमसे कोई चुड़ैल चिपक जाए! और ये जो मेरे सामने खड़ी है वो मेरे क्लास की सबसे दुष्ट, बदतमीज और शरारती लड़की तो नहीं लगती, बिल्कुल भी नहीं!"
सत्या का मुंह हल्का सा खुला रह गया और उसने कहा, "मैं ऐसी नहीं हूँ!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "तुम्हे पता नहीं है!"
सत्या ने उससे कुछ कहना चाहा और फिर बोली, "क्या पहन सकती हूँ?"
रिदांक्ष उसे देखता रहा और उसने हां में सर हिला दिया और बोला, "हम्म्!"
सत्या ने सर हिला दिया और जल्दी से पलटी ही थी की उसकी साड़ी में फंस कर वह गिरने लगी थी ये देख रिदांक्ष जल्दी से उठता हुआ बोला, "सम्भल कर!"
सत्या ने couch का सहारा ले लिया था तो वह बच गई और सीधी खड़ी होकर उसने मुड़ कर रिदांक्ष को देखते हुए हल्के से सर हिला दिया।
उसने अपनी साड़ी समेटी और फिर उसके कपबोर्ड तक जाने लगी तो रिदांक्ष उठ खड़ा हुआ और उसकी तरफ बढ़ता हुआ बोला, "तुम अंदर जाओ मैं देता हूँ।"
सत्या ने सर हिला दिया और चुपचाप अन्दर चली गई। रिदांक्ष ने सर हिला दिया और कपड़े निकलने चला गया।
उसने कपड़े लिएं और बाथरूम की तरफ चला गया। हल्के से दरवाजे पर knock करने के बाद उसने कहा, "कपड़े,"
सत्या ने दरवाजा खोला और हाथ निकाला रिदांक्ष ने उसे कपड़े दे दिए और वापिस बेड पर चला गया।
कुछ ही देर बाद सत्या बाहर आई तो उसने सबसे पहले रिदांक्ष को देखा तो वह सो गया था। यह देख कर वह भी हल्के से हिचकिचाहट के साथ बेड की तरफ बढ़ गई। वह धीरे से बेड की दूसरी तरफ लेट गई।
रिदांक्ष उसके opposite side चेहरा कर के सोया हुआ था फिर भी सत्या को नींद नहीं आ रही थी।
वह बस चुप चाप लेटी हुई अपनी शादी के बारे में ही सोच रही थी उसकी धड़कनें बढ़ी हुई थी एक अजीब से डर की वजह से और नर्वसनेस की वजह से वह अपना एक पैर लगातार हिला (shake) रही थी।
रिदांक्ष भी सोने की कोशिश कर रहा था पर नींद उसकी भी आँखों से कोसो दूर थी। फिर भी जब उसे सत्या के बाहर आने का एहसास हुआ तो उसने झट से आँखें बंद कर ली थी। पर जैसे ही उसे सत्या के बेड पर लेटने का एहसास हुआ उसने आँखें खोल ली। यह सब उसके लिए बोहोत ही ज्यादा awkward था।
तभी उसे एहसास हुआ कि सत्या लगातार अपने पैर हिला रही थी। जब काफी देर तक भी उसने पैर हिलाना बंद नहीं किया तो रिदांक्ष के माथे पर बल पड़ गएं और उसने हल्के से पलट कर सत्या को देखा।
सत्या की पीठ उसकी तरफ थी। सत्या अपने ख्यालों में इतनी उलझी थी कि उसे एहसास ही नहीं हुआ कि रिदांक्ष उसकी तरफ पलट गया था।
रिदांक्ष ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह एकदम से उठ कर बैठ गई और बोली, "I am sorry! पर मैं इसके लिए रेडी नहीं हूँ! आपने कहा था कि!"
"What the hell!" रिदांक्ष ने तुरंत कहा और सत्या उसे पलकें झपकाते हुए चुपचाप देखने लगी और रिदांक्ष ने हल्के गुस्से और चिढ़ के साथ कहा, "just shut up, okay! मैं बस पूछने वाला था कि तुम परेशान क्यों हो! But क्या तुम अपनी ये overthinking बंद कर सकती हो? मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करने वाला! कहा न मैने!"
सत्या बस चुप चाप उसे देखती रही और बोली, "please मुझे मारिएगा मत!" रिदांक्ष ने अपना सर पकड़ लिया और बोला, "यार, मैं क्या करूं तुम्हारा?"
सत्या ने उसे देखा और रिदांक्ष भी उसे ही देख रहा था। उसे समझ आ रहा था कि सत्या कुछ कहना चाहती थी तो उसने कहा, "अब क्या? बोलो!"
सत्या ने धीरे से कहा, "I am sorry, पर मैं साथ नहीं सो सकती!"
रिदांक्ष ने सर हिला दिया और अपना तकिया लेकर बेड से नीचे उतर गया। वह couch पर जाकर सो गया और सत्या बस उसे देखती रही।
रिदांक्ष अपने आँखों पर बाजू रख कर सो गया और बोला, "अब सो जाओ कल कॉलेज नहीं जाना क्या तुम्हे?"
सत्या की नींद खुली तो उसे चिड़ियों की चहचहाहट साफ़ सुनाई दे रही थी। उसने आँखें खोलकर आस-पास देखा और उसे सब याद आया, उसकी दीदी का भागना और उसकी शादी उसी के प्रोफ़ेसर रिदांक्ष के साथ।
उसने अपने चेहरे पर हाथ फेरा और एक गहरी साँस छोड़ी। सारी चीज़ों को सोचते हुए पता नहीं कब उसे नींद आ गई थी। उसने कमरे में लगी दीवार घड़ी में वक़्त देखा तो सुबह के पाँच बजने वाले थे। उसने तुरंत कुछ की तरफ़ देखा तो वहाँ उसे रिदांक्ष भी दिखा।
उसके माथे पर बल पड़ गए। वह ब्लैंकेट हटाकर बिस्तर से उठी और बालकनी में गई तो उसने रिदांक्ष को पुशअप्स करते देखा। उसकी आँखें एकदम से बड़ी हो गईं और गला सूख गया। वह तुरंत ही वहाँ से जाना चाहती थी पर उसकी नज़रें रिदांक्ष पर से हट ही नहीं रही थीं।
रिदांक्ष की टी-शर्ट उसके बगल में रखे बीनबैग पर थी और उसके कानों में इयर पॉड्स लगे रखे थे। इसीलिए शायद उसका ध्यान नहीं गया पीछे खड़ी सत्या पर, वहीं सत्या का ध्यान उसकी पीठ और बाज़ू की उभरी हुई मसल्स को ही ऑब्ज़र्व करने में था। रिदांक्ष की पूरी पीठ पसीने से तर थी।
सत्या उसे देखे जा रही थी कि उसकी काउंटिंग उसे सुनाई दी "नाइंटी एट, नाइंटी नाइन,"
वहीं सत्या के दिमाग़ में आवाज़ हुई "नो नो नो, टर्न टर्न टर्न सत्या, मूव, मूव,"
पर इससे पहले कि सत्या पलटती रिदांक्ष उठ खड़ा हुआ और उसने पलटते ही सत्या को खड़ा देखा तो उसकी भी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
उसने तुरंत से अपनी टी-शर्ट उठाई और पहनता हुआ बोला "तुम कब आई?"
सत्या की तंद्रा टूटी और उसने तीन-चार बार पलकें झपकाईं। उसने रिदांक्ष के चेहरे को देखा और बोली "हं? क्या?"
रिदांक्ष ने उसे कुछ पल के लिए देखा और फिर बोला "मैंने पूछा तुम जागी कब?"
सत्या ने अपनी गर्दन खोजते हुए नज़रें इधर-उधर घुमाईं, उसकी समझ में कुछ नहीं आया था कि रिदांक्ष ने उससे क्या पूछा।
रिदांक्ष उसकी इस अजीब हरकत को देख कर बोला "तुम ठीक हो न?"
सत्या का ध्यान फिर से उसकी तरफ़ गया और उसने हैरानी से कहा "हाँ, क्या क्या? हाँ, मैं ठीक हूँ!"
उसने अपने हाथ से अपने चेहरे को हवा करते हुए कहा "गर्मी बोहोत है नहीं?" रिदांक्ष ने मुँह बिचकाया और अपना प्रोटीन शेक पीते हुए टॉवेल से अपने पसीने पोछते हुए बोला "तुमसे मैंने कुछ पूछा था!"
सत्या ने माथे पर बल डालते हुए कहा "क्या?" रिदांक्ष ने उसे आँखें छोटी करके नापसंदी से घूरा और बोला "तुम कब जगी?"
सत्या ने तुरंत जवाब दिया "बस अभी अभी!" रिदांक्ष ने सर हिला दिया और बोला "मुझे लगा था कि सिर्फ़ क्लासेज़ के टाइम ही तुम ज़ोन्ड आउट होती हो! पर तुमने मुझे ग़लत साबित कर दिया!"
सत्या को कुछ समझ नहीं आया और उसने कंफ़्यूज़ होकर पूछा "मतलब?"
रिदांक्ष ने उसे घूरा और वहाँ से चला गया। सत्या को एहसास हुआ कि वह हमेशा ही रिदांक्ष के क्लासेज़ में कुछ न कुछ दूसरी बातें अपनी दोस्तों के साथ डिसकस करती रहती और उसी के बारे में सोचती रहती थी। यह याद आते ही सत्या का मुँह हैरानी से खुल गया। रिदांक्ष अभी अभी उसे ताना मार गया था।
उसने मुँह बना लिया। तभी उसकी नज़र सामने उगते हुए सूरज पर गई। आसमान धीरे-धीरे ऑरेंज होता जा रहा था और अँधेरा गायब हो रहा था।
सत्या के चेहरे से इरिटेशन एकदम से हट गई। तभी उसके पीछे से आवाज़ आई "ख़ूबसूरत है ना!?" सत्या जो इस व्यू में ही खोई थी उसने तुरंत अपनी गर्दन हल्की सी मोड़ कर देखा तो रिदांक्ष खड़ा था।
वह कुछ पल उसके चेहरे को ही देखती रही और उसने हल्के से बेख्याली में ही सर हिला दिया और फिर दोनों ही उगते हुए सूरज को देखने लगे। बालकनी के दरवाजे के एक तरफ़ सत्या ने अपना कंधा टिका रखा था और दूसरी तरफ़ रिदांक्ष ने। दोनों ही इस ख़ूबसूरत नज़ारे से मेस्मेराइज़्ड लग रहें थें पूरी तरफ़ से।
और सत्या ने कहा "बेस्ट व्यू! मैंने आज तक इतनी ख़ूबसूरत सन राइजिंग नहीं देखी!" रिदांक्ष ने जवाब में कहा "आई नो!"
सत्या हैरानी से उसे देखते हुए बोली "हाउ?" तो उसने अपने कंधे झटकते हुए कहा "आई नो दिस इज अ बेस्ट सन राइजिंग व्यू! इसीलिए तो मैंने ये जगह चूज़ की, एंड आई नो, कि तुमने उगते हुए सूरज का इतना ख़ूबसूरत व्यू कभी नहीं देखा, क्योंकि ऑफ़ कोर्स, उसके लिए जल्दी उठना होता है और तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम एक अर्ली बर्ड पर्सन हो, सो! याह, आई नो!"
और फिर वो आगे बढ़ गया, उसने डंबल्स उठा कर एक तरफ़ रखें और फिर योगा मैट बिछाने लगा।
सत्या ने मुँह बना लिया और वहाँ से चली गई। पर कुछ ही देर बाद वह वापिस बालकनी में गई और रिदांक्ष ने पूछा "क्या हुआ?"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा "क्या मैं एक और टी-शर्ट और स्वेटपैंट्स ले सकती हूँ? पहनने के लिए?"
रिदांक्ष ने सर हिला दिया तो सत्या वहाँ से चली गई। वह नहा कर आई तो उसके गीले बाल उसके कमर तक झूल रहे थें और उनसे पानी टपक रहा था।
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला "वॉट द हेल?" सत्या डर गई और उसने तुरंत पलट कर देखा तो रिदांक्ष ने हल्के ग़ुस्से से कहा "तुमने बाल ठीक से नहीं पोंछे? पूरा पानी टपक रहा है फ़्लोर पर!"
सत्या ने ज़मीन पर देखा और हड़बड़ाते हुए बोली "आई एम सॉरी, मैं अभी साफ़ कर देती हूँ!" उसने टॉवेल उठा कर बाल लपेटे तो रिदांक्ष ने अपने आइब्रोज़ के बीच के हिस्से को अपनी उंगली के बीच मलते हुए अपना ग़ुस्सा शांत करते हुए बोला "रहने दो!" फिर ख़ुद बाथरूम में चला गया और एक कपड़ा लेकर आया और फ़्लोर से पानी साफ़ करने लगा।
सत्या ने ये देखते ही कहा "मैं कर देती हूँ, आई एम सॉरी, मुझे दीजिए!"
रिदांक्ष ने उसे घूर कर देखा और बोला "तुम अपना काम करो!" सत्या चुप चाप खड़ी रही।
वह रिदांक्ष को फ़्लोर साफ़ करते हुए देखती रही और फिर रिदांक्ष जब हाथ धुल कर बाहर आया तो उसने सत्या को देखा जो अब भी खड़ी उसे ही देख रही थी।
रिदांक्ष ने एक गहरी साँस छोड़ी और उसके पास गया तो सत्या ने डरते हुए कहा "आई-- आई एम सॉरी, मैं आगे से ध्यान रखूँगी पक्का,"
रिदांक्ष तब तक उसके पास आगया था और ये देख कर सत्या के हाथ काँपने लगे थें अचानक से और उसने कहा "प्लीज़!" रिदांक्ष ने उसे कंधे से पकड़ा तो वह एकदम से सिहर उठी।
रिदांक्ष ने उसे कुर्सी पर बिठाया और उसके बालों को टॉवेल से पोंछने लगा तो सत्या ने एक राहत की साँस ली।
रिदांक्ष ने भी उसे देखा और बोला "इतनी केयरलेस होना अच्छी बात नहीं, ठंड का मौसम है, तुम बीमार पड़ सकती हो! वैसे भी आज जल्दी उठ कर नहा लिया है तुमने!"
सत्या ने रिदांक्ष की बातों को सुना तो उसने कहा "आप ग़ुस्सा नहीं हैं?"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला "तुम्हे क्या लगता है?"
सत्या ने उसे देखा और नज़रें झुका कर बोली "आप चिल्लाए तो मुझे लगा आप ग़ुस्से में कहीं,"
रिदांक्ष ने गहरी साँस लेकर कहा "तुम्हे किसने कहा कि मैं तुम्हें मारूँगा?"
सत्या ने ना में सर हिला दिया और फिर बोली "मेरा मतलब वो नहीं था,"
रोदांक्ष ने उसके बालों को पोंछने के बाद दो कदम पीछे हटा और बोला "आई एम सॉरी, मेरा कोई इरादा नहीं था तुम पर चिल्लाने का,"
सत्या ने उसे देखा और सर हिलाते हुए बोली "आपको सॉरी कहने की ज़रूरत नहीं है,"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला "तुम्हे इतनी बड़ी बड़ी बातें करने की ज़रूरत नहीं है, और तयार हो जाओ! कॉलेज जाना है ना!?"
सत्या ने बस हल्के से सर हिला दिया। और रिदांक्ष वहाँ से बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद वह नहा कर बाहर आया और उसने देखा तो सत्या अब भी बैठी हुई थी।
उसने उसे देखा और बोला "अब क्या हुआ? तयार क्यों भी हुई तुम?"
सत्या ने उसे देखा और बोली "मुझे साड़ी पहननी नहीं आती!"
रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा "तो मत पहनो साड़ी कुछ और पहन लो!"
सत्या ने उसे देखा और चिढ़ कर बोली "पर कुछ और नहीं है मेरे पास, क्या पहनूँ?"
रिदांक्ष ने उसे देख और सत्या को तुरंत एहसास हुआ और वो बोली "आई-- आई एम सॉरी! मेरे मुँह से निकल गया, आई डिडंट मीन टू शाउट!"
रिदांक्ष ने हल्के से सर हिलाकर कहा "कोई बात नहीं!"
सत्या ने बैग खोली एक साड़ी उठाई और बाथरूम में घुस गई।
रिदांक्ष ने उसे देखा और सर खुजाने लगा। फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने तब तक सत्या भी जैसे तैसे साड़ी लपेट कर बाहर आ गई और रिदांक्ष ने उसे देखा और सत्या भी उसे देखती रही।
रिदांक्ष को उसे देखता हुआ देख कर सत्या हल्के से बोली "मुझे पहनने भी आती तो," रिदांक्ष ने कुछ नहीं कहा तो सत्या आगे आई पर उसे पैर बढ़ाने में भी प्रॉब्लम हो रही थी।
रिदांक्ष ने उसे देखा पर इससे पहले कि कुछ कहता सत्या आगे बढ़ते हुए गिर गई थी और उसके मुँह से एकदम से "आउच!!" निकल गया और रिदांक्ष ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया।
सत्या की आँखें एकदम से भर आई थीं। रिदांक्ष जल्दी से उसके पास गया और बोला "तुम ठीक हो?"
सत्या ने अपने होंठ दबाए और हल्के से सर हिला कर स्माइल करके उठने की कोशिश करने लगी।
तो रिदांक्ष ने कहा "वेट!" सत्या ने उसे देखा तो रिदांक्ष ने कहा "मैं, मे आई?"
सत्या ने उसे देखा और हल्के से सर हाँ में हिला दी तो रिदांक्ष ने उसे खड़े होने में मदद की। वह आगे बढ़ने लगी पर उसे अब भी साड़ी की वजह से उलझन और परेशानी हो रही थी।
ये देख कर रिदांक्ष ने कहा "क्या मैं?" सत्या ने उसे सवालिया नज़रों से देखा तो रिदांक्ष ने उसे गोद में उठाया और उसे काउच पर बैठा दिया।
सत्या बस उसे देखती रही रिदांक्ष ने कहा "मैं, मैं माँ को बोलता हूँ वो तुम्हें इसमें हेल्प कर देंगी!"
सत्या ने बस हल्के से सर हिला दिया तो रिदांक्ष बाहर चला गया। कुछ ही देर बाद मिसेज़ चौहान अंदर आई और उन्होंने सत्या को देखा तो सत्या ने सर झुका लिया और खड़ी हो गई।
वह हल्के से बोली "आंटी, सॉरी, पर मुझे ये पहननी नहीं आती!"
मिसेज़ चौहान मुस्कुराती हुई बोली "कोई बात नहीं, मैं हूँ ना, इसमें उदास होने वाली कोई बात नहीं है," उन्होंने जाकर सत्या को साड़ी अच्छे से पहनाया।
सत्या ठीक तरह से साड़ी पहनने के बाद मिसेज़ चौहान के पैर छूती है तो वह उसे गले लगा कर कहती हैं "मैंने इसलिए तुम्हे नहीं लाया है, मैं अब भी तुम्हारी मिली आंटी हूँ! ओके!"
उन्होंने उसके गालों को छू कर प्यार से कहा और सत्या ने बस नज़रें झुका कर हल्के से हिला दिया। तभी मिली ने कहा "मैंने अब तक रिदांक्ष के बुआ और चाची ताई की बहुओं को शादी की शुरुवात में साड़ी पहनने में मदद करते देखा सुना था पर आज तुम्हे साड़ी पहनते हुए कुछ अलग नहीं लगा, तुम मेरी छोटी सी सत्या हो अब भी! जो बचपन में मुझसे तयार होने आया करती थी!"
सत्या ने कुछ भी कहा तो मिली ने अपनी भर आई आँखो को साफ़ करते हुए कहा "आई एम सॉरी, बेटा! हमने तुमसे तुम्हारे लाइफ़ का सबसे बड़ा डिसीजन लेने का हक़ छीन लिया!"
सत्या ने ना में सर हिलाया, वह कुछ कहती उससे पहले ही दरवाजा खुला और रिदांक्ष अंदर आया।
मिली और सत्या ने उस तरफ़ देखा तो रिदांक्ष ने अंदर आते हुए कहा "चलो, चल कर नाश्ता कर लो फिर कॉलेज चलते हैं!"
उसकी बात पर मिली ने कहा "बेटा, पर तुम लोगों की कल ही शादी ही है, और शादी के बाद की कई सारी रस्में बाक़ी हैं!"
उनकी बात सुनते ही रिदांक्ष का चेहरा ग़ुस्से से भर गया और बोला "माँ, आपका ये सब ख़त्म कब होगा? पहले शादी और अब ये सब नाटक! उसकी पढ़ने की उम्र है और आप लोगों ने पहले ही उसे इस सब में डाल दिया है! मुझे कोई रस्म नहीं करनी अब, और हम कॉलेज जा रहे हैं! सत्या भी मेरे साथ कॉलेज जाएगी!"
उसकी बात सुनते ही मिली कि आँखें भर आइए उर उन्होंने कहा "मैं उसे या तुम्हे कॉलेज जाने से भी रोक रही पर, ये रस्में ज़रूरी हैं, इसीलिए बस आज के लिए,"
उनकी आवाज़ भारी हो गई थी तो सत्या ने उनके कंधे पकड़ कर कहा "हाँ, आंटी, मैं कल से कॉलेज चली जाऊँगी! वैसे भी मेरे कपड़े नहीं हैं और साड़ी पहन कर नहीं जा सकती,"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला "तुम चुप रहोगी क्या प्लीज़!"
सत्या ने उसकी बात भी सुनी और मिली से बोली "आप रस्मों की तैयारी कीजिए!"
रिदांक्ष ने उसे ग़ुस्से से देखा और बोला "तो अकेली बैठ कर करती रहना मैं जा रहा हूँ कॉलेज!"
सत्या को मिली ने चिंता भरी नज़रों से देखा तो सत्या ने पलकें झपका कर उन्हें आश्वस्त किया।
मिली कमरे से चली गई और रिदांक्ष तुरंत उसके पास आया
और ग़ुस्से से बोला "क्या नाटक है अब ये तुम्हारा? हाँ! अच्छे से जनता हूँ! पढ़ाई से भागने के बस रस्ते ढूँढती रहती हो ना तुम!? इसीलिए कहा न तुमने? बट यू नो वॉट! तुम चाहे जितनी कोशिश कर लो भागने की! मैं तुम्हें भागने नहीं दूँगा समझी!"
मिली कमरे से चली गई और रिदांक्ष तुरंत सत्या के पास आया और गुस्से से बोला, "क्या नाटक है अब ये तुम्हारा? हाँ! अच्छे से जानता हूँ! पढ़ाई से भागने के बस रास्ते ढूँढ़ती रहती हो ना तुम!? इसीलिए कहा ना तुमने?"
सत्या ने उसे देखा और उसके माथे पर बल पड़ गए और उसे रिदांक्ष का ये लहजा बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था। उसने उसे घूरते हुए हल्के से तेज़ आवाज में कहा, "क्या आप कुछ वक्त के लिए अपने रूड, एंग्री, डॉमिनेटिंग पर्सनैलिटी से बाहर आ सकते हैं? हाँ, माना कि मैं क्लासेज बंक करती हूँ और मेरा पढ़ने में उतना दिल नहीं लगता, खासकर आपके सब्जेक्ट्स! बट, मैं हर वक्त पढ़ाई से भागने का नहीं सोचती रहती हूँ! सो प्लीज़! और अभी मैंने इसीलिए आंटी को कहा क्योंकि मैं सच में कॉलेज ये साड़ी पहन कर नहीं जा सकती हूँ!"
उसकी बात पर रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा, "ओह, प्लीज़, अपना ये नाटक बंद करो! क्यों नहीं जा सकती इस साड़ी में कॉलेज, अच्छी तो लग रही हो! प्रॉब्लम क्या है?"
उसके मुँह से तारीफ सुनकर सत्या का मुँह हैरानी से खुल गया और उसने एकदम से कहा, "वॉट?"
उसके सवाल पर रिदांक्ष भी हड़बड़ा गया और उसने कहा, "म म, मेरा वो मतलब नहीं था, मेरे कहने का बस इतना मतलब था कि ठीक, ठीक तो लग रही हो साड़ी में तुम सिर्फ कॉलेज बंक करने के लिए ही बहाने बना रही हो सब जानता हूँ मैं!"
सत्या ने उसे घूरा और बोली, "अच्छा, अपने तो पहन ली है अपनी वही रोज वाली शर्ट और पैंट तो आप तो बोलेंगे ही! पर मैं कभी साड़ी पहन कर नहीं गई कॉलेज!"
उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि रिदांक्ष ने एकदम से पूछ लिया, "तो क्या पहन कर जाती हो?"
सत्या ने उसे गुस्से से देखते हुए कहा, "मैं हमेशा वेस्टर्न क्लोथ्स पहन कर जाती हूँ! आपको पता नहीं है क्या?"
रिदांक्ष ने उसकी बात पर हड़बड़ाते हुए कहा, "नहीं, मैंने कभी नोटिस नहीं किया!"
सत्या ने आँखें घुमाई और बोली, "बाय द वे, मुद्दा ये नहीं है, मुद्दा ये है कि मै ये साड़ी वगैरह पहन कर कॉलेज नहीं जा सकती, वरना सब मुझसे सौ सवाल पूछेंगे! और सबको पता चल जाएगा कि मेरी शादी हो गई है! मैं ऐसा नहीं होने दे सकती, मैं बहुत छोटी हूँ! वो सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे!"
रिदांक्ष ने जब उसकी बातें सुनी तो उसने अपने हाथ बांध लिए और उसे घूरता रहा और बोला, "बड़ी जल्दी समझ नहीं आया तुम्हें ये बात, कि तुम शादी के लिए बहुत छोटी हो! तब जब मैं चिल्ला चिल्ला के कह रहा था कि तुम छोटी हो, तुम्हारी उम्र भी है शादी की तब तो तुम्हें सुना नहीं, और अब यहां मुझसे कह रही हो? यही कॉन्फिडेंस अगर उस वक्त यूज़ किया होता ना तो आज यहां इस बारे में नहीं सोच रही होती!"
सत्या ने एक गहरी सांस छोड़ी और बोली, "हाँ, तो मैं और क्या करती? मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं! मुझे ये करना पड़ा, अनुश्री दी भाग गई, उसने एक बार भी मेरे पापा, मम्मा किसी के बारे में भी सोचा! और पापा, मम्मा की इसमें क्या गलती थी? उनकी एक बेटी ने उन्हें धोखा दे दिया! तो क्या दूसरी भी दे देती! उन्हें लोगों की जिल्लत सहने के लिए छोड़ देती! उनके लिए मुझे ये करना पड़ा! आप समझते क्यों नहीं हैं? और अभी भी आंटी को इसीलिए मैंने कहा रस्मों की तैयारी करने को क्योंकि तो मैं और क्या करती, मेरी बहन भाग गई इसमें उनकी गलती नहीं है, और अगर अभी वो रस्में नहीं करेंगी, तो उन्हें भी चार बातें लोगों के ताने सुनने ही पड़ेंगे! तो क्यों ना रुकूँ मैं उनके लिए, मेरी शादी हुई है और मुझे ये सब करना ही होगा!"
सत्या की बातें सुनकर रिदांक्ष को भी एहसास हुआ और उसने उसे देखते हुए कहा, "आई-आई एम सॉरी, आई वॉज़ बिहेविंग लाइक ए जर्क, इसमें तुम्हारी भी कोई गलती नहीं है, तुम्हें भी हर वक्त कॉम्प्रोमाइज़ और सैक्रिफाइस करने की ज़रूरत नहीं है! वैसे भी तुमने मुझसे शादी करके अपनी चॉइसेस और फ्रीडम के साथ बहुत बड़ा सैक्रिफाइस किया है! मुझे ये समझने की ज़रूरत थी और मैं कब से! आई एम रियली सॉरी, तुम्हें अकेले रुकने की ज़रूरत नहीं है मैं भी रुकूंगा, आई नो, मैं कब से तुम पर चिल्ला रहा था, अपनी फालतू की फ्रस्ट्रेशन तुम पर निकाल रहा था, उसके लिए आई एम रियली सॉरी।"
सत्या उसे हैरानी से देखती रही तो रिदांक्ष ने कहा, "मैं सीरियस हूँ!" सत्या ने हल्के से सर हिला कर कहा, "इट्स ओके, मैं भी सॉरी हूँ! मुझे भी आप पर चिल्लाना नहीं चाहिए था! आप मुझसे बड़े हैं और,"
उसकी बात को काटते हुए रिदांक्ष ने कहा, "इट्स ओके, तुम्हें सॉरी बोलने की ज़रूरत नहीं है, हाँ! पर तुम अपने प्रोफेसर पर नहीं चिल्ला सकती!"
सत्या ने हल्के से सर हिला दिया और रिदांक्ष ने एक गहरी सांस लेकर कहा, "यार, अब हम क्या करेंगे? आई नो अब हमारी शादी हो गई है, बट फिर भी, मैंने कभी तुम्हें उस नज़र से नहीं देखा और ना हीं ये मुझसे होगा!"
सत्या ने भी सोचा और बोली, "हाँ, तो फिर रहने देते हैं न, जब तक चल रहा है सबके सामने एज़ ए कपल एक्ट करते हैं, और आप अपनी लाइफ फ्रीली जिए और मैं अपनी जिऊंगी, बस हमें ये कमरा शेयर करना होगा!"
रिदांक्ष की भी आँखें हल्की सी उम्मीद से चमक गई और फिर उसने कहा, "और कॉलेज में हमारी शादी का पता नहीं चलने देंगे!"
"यस," सत्या ने भी कहा और फिर दोनों ने एक गहरी सांस ली। सत्या ने फिर उसे देखते हुए कहा, "तो चलें? बाकी की रस्में करने?"
रिदांक्ष ने उसे देखा और अपने होंठों को आपस में दबाकर हल्के से सर हिला दिया। सत्या कमरे से बाहर गई और उसने मिली से कहा, "आंटी! बताइए क्या करना है? मैं हेल्प कर देती हूँ!"
मिली उदास थी ये सोचकर कि रिदांक्ष जाने वाला हैं और वह कोई भी रस्म ठीक से नहीं कर पाएगी तो उसने कहा, "बेटा, मैं सोच रही थी आज रहने देते हैं, तुम लोग फ्री भी नहीं हो, तो आज तुम लोग कॉलेज चली जाओ, हम किसी और दिन ये रस्में कर लेंगे!"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "नहीं, आंटी, ये रस्में भी तो जरूरी हैं ना! और किसने कहा हम लोग आज फ्री नहीं हैं? मैं और सर दोनों ही आज कहीं नहीं जाने वाले, बल्कि आपकी मदद करने वाले हैं कामों में, चलिए बताइए क्या काम है?"
सत्या ने कहा तो मिली बोली, "बेटा पर रिदांक्ष तो कॉलेज जा रहा है,"
सत्या ने ना में सर हिलाते हुए कहा, "कहीं नहीं जा रहे हैं वो!"
तभी रिदांक्ष वहां आ गया और उसने कहा, "क्या करना है जल्दी बताइए!"
मिली ने उसे देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई उसने जल्दी से उसे एक पर्ची थमाते हुए कहा, "ये समान हैं बाजार से लेते आ,"
रिदांक्ष ने पर्ची ली और सत्या को देखा सत्या ने बस हल्की सी स्माइल की और रिदांक्ष ने निराशा से सर हिलाकर एक गहरी सांस छोड़ी, रिदांक्ष के जाने के बाद मिली ने सत्या को देखते हुए कहा, "मैंने नाश्ता बना दिया है, तुम वो खा लो और फिर तयार हो जाओ, कुछ ही देर में मेहमान आ जाएंगे फिर हम रस्में करेंगे!"
सत्या ने सर हिलाया और वहां से चली गई। उसने सारे गहने पहन लिएं और चूड़ियाँ वगैरह भी पहन कर तैयार हो गई।
फिर वह काउच पर बैठ कर पायल पहनने की कोशिश करने लगी एक तो उसने जैसे तैसे पहन लिया था और दूसरा पहनने की कोशिश कर रही थी तभी दरवाजा खुला और रिदांक्ष अंदर आया तो सत्या तुरंत खड़ी हो गई।
उसने उसे देखते हुए पूछा, "पानी?" रिदांक्ष ने ना में सर हिलाते हुए कहा, "हम क्लास में नहीं हैं, तो मुझे देख कर खड़े होने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें!"
सत्या ने सर हिला दिया और वापिस बैठ कर पायल पहनने लगी तो रिदांक्ष ने पूछा, "क्या कर रही हो? मैं हेल्प करूँ?"
सत्या ने उसे देखा फिर हल्के से सर हिला दी। रिदांक्ष नीचे बैठ गया और उसने अपने एक घुटने पर उसका पैर रख कर उसके पायल की कोड़े को दांत से कसने लगा की तभी दरवाजा खुला और एक लड़की अन्दर आई।
रिदांक्ष और सत्या को देखते ही उसने तुरंत मुँह पे हाथ रख लिया और बोली, "हाए राम, ये क्या कर रहे हो तुम रिदांक्ष?"
रिदांक्ष ने सर उठा कर तुरंत पीछे देखा और सत्या भी तुरंत खड़ी हो गई उसने कहा, "आई-आई एम सॉरी,"
रिदांक्ष ने सत्या को देखते हुए पूछा, "तुम क्यों सॉरी बोल रही हो?"
तो पीछे खड़ी लड़की ने कहा, "क्योंकि पति अपने पति के पैर नहीं छूते!"
"जस्ट शट अप! दीक्षा!" रिदांक्ष ने तुरंत कहा तो दीक्षा ने कहा, "मुझे तो शट अप, कर दोगे पर मैंने कुछ गलत नहीं कहा! सब कहते हैं ऐसा कि पति पत्नी के पैर नहीं छूते!"
रिदांक्ष पलटा और बोला, "तुम अपना मुँह बंद करोगी या मैं तुम्हें घर से बाहर फेंक दूँ?"
दीक्षा ने मुँह बंद कर लिया और रिदांक्ष ने आगे कहा, "ये मेरी बीवी है! मैं चाहे जो करूँ तुम्हारा या किसी का इससे कोई लेना देना नहीं है समझी! मेरा मन होगा तो मैं उसके पैर छूँगा भी और दबाऊंगा भी! एनी प्रॉब्लम?"
दीक्षा ने सर ना में हिला दिया और सत्या को घूरते हुए देखा, वहीं सत्या सर झुकाए रिदांक्ष के पीछे खड़ी थी।
रिदांक्ष ने दीक्षा को देखा और पूछा, "क्या काम था यहां तुम्हें?"
दीक्षा ने उसे देखा और चिढ़ कर बोली, "मिली आंटी बाहर बुला रही है, सब लोग आ गए हैं तुम दोनों का इंतजार हो रहा है,"
रिदांक्ष ने सर हिलाते हुए कहा, "तुम जाओ हम आ रहे हैं!" और फिर वह सत्या की तरफ पलट कर उससे पूछा, "तुम्हारा सब हो गया?"
सत्या ने सर हिलाया तभी दीक्षा बोली, "पर तुमने मुझे तो अपनी पत्नी से मिलवाया ही नहीं!" और तब तक वह उन दोनों के पास आ गई थी।
सत्या ने उसे देखा और दीक्षा बड़ी सी मुस्कान के साथ बोली, "हाय, मैं दीक्षा हूँ! तुम्हारे सामने वाले फ्लैट में रहती हूँ! कोई भी परेशानी हो कुछ भी ज़रूरत हो बेझिझक मुझसे कह सकती हो! और मैं रिदांक्ष की भी बहुत अच्छी दोस्त हूँ! क्यों रिदांक्ष?"
रिदांक्ष ने उसे घूरा और बोला, "झूठ बोलना बंद करो! हम दोस्त नहीं हैं, और अगर मिलना हो गया हो तो बाहर निकलो, सत्या! चलो मेरे साथ!"
सत्या ने उसे देखा और रिदांक्ष उसका हाथ पकड़ कर जाने ही लगा था की दीक्षा ने एकदम से कहा, "सत्या? पर तुम्हारी बीवी का नाम तो अनुश्री है ना? कार्ड पर तो यही लिखा था!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और कुछ पल सोचने के बाद बोला, "सत्या उसका घर का नाम है! और मेरी बीवी मैं चाहे जिस नाम से बुलाऊं तुम अपना मुँह बंद रखो!"
सत्या बस उन दोनों को देख रही थी और दोनों के बीच एक अजीब सी टेंशन थी वह ये साफ महसूस कर सकती थी।
रिदांक्ष फिर सत्या के साथ कमरे से निकल गया। वहीं दीक्षा ने गुस्से से चिल्ला कर कहा, "हाँ, तो मैंने कब कहा कुछ," उसकी आँखें नम थी और वह काफी ज्यादा गुस्से में थी।
रिदांक्ष सत्या के साथ बाहर आया तो मिली सभी लोगों को नाश्ता दे रही थी। उसने उन दोनो को देखते ही कहा, "अरे, आओ आओ दोनों, इनसे मिलो, ये हमारी कोल्हापुर वाली मौसी हैं, वो मौसा, और ये इनकी बेटी रिदांक्ष से बस चार साल ही छोटी है, नैना बेटा ये सत्या है, मेरी बहु!"
तभी एक औरत और आई और उन्होंने कहा, "वाह मिली, बस अपनी बहन को ही मिला रही हमे तो इस घर में भैया के बाद कोई याद ही रखने वाला नहीं है!"
रिदांक्ष ने उन्हें देखते हुए कहा, "अरे कहां बुआ जी, मैं तो हूँ यहीं, कैसी बात कर रहे, मैं कभी आपको भूला हूँ क्या!"
बुआ जी ने उसके गालों को छुटे हुए कहा, "आह्ह्ह मेरा बच्चा! तेरी माँ को इतने रिश्ते बताए पर इन्हें करना ही नहीं था, क्या लाई है बहु वैसे!?"
रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा, "अंकल जी ने ज़रूरत से ज्यादा भर पूरा सामान दिया है, बुआ जी आप अंदर तो आइए, और रोहन और रौशनी को नहीं लाईं आप?"
तभी पीछे से दो सत्या के ही उम्र की एक लड़की और एक लड़का आए और उन्होंने आते ही कहा, "हाय, भईया हाय, भाभी!"
सत्या ने उन्हें नमस्ते किया और बुआ जी जाकर बैठते हुए बोली, "सब तो ठीक है पर लड़की को कुछ संस्कार नहीं दिए क्या भाई साहब ने, ना पैर छुए ना कुछ!"
मिली ने जल्दी से कहा, "अरे, नहीं जीजी वो बस अभी नई नई है न तो थोड़ा वक्त लगेगा, सत्या, बेटा इधर आओ!"
सत्या उनके पास गई और उनके पैर छुए मिली ने कहा, "ये सुनीता बुआ हैं, छोटी बुआ, बड़ी बुआ अभी आ नहीं सकी हैं, वो कुछ दिनों बाद आएंगी!"
तभी उन्होंने आस पास देखते हुए कहा, "ये दीक्षा कहां रह गई, तुम लोगों को बुलाने भेजा था आई नहीं,"
मिली ने कहा ही था कि दीक्षा आइए और बोली, "जी आंटी आपने बुलाया!" दीक्षा पर बहुत ही अजीब तरह से सत्या को घूरे जा रही थी। सत्या ने जब उसे देखा तो उसने सर झुका लिया।
मिली ने उसे देखा और बोला, "बेटा, मम्मी को और रिया को बुला लाओ, इनकी अंगूठी ढूँढने की रस्म शुरू करते हैं!"
दीक्षा ने तुरंत एक झूठी मुस्कान होंठो पर सजा कर बोली, "जी अभी बुलाती हूँ!" फिर वह वहां से चली गई।
सत्या और रिदांक्ष साथ में बैठे हुए थे और उनके आगे दूध से भरा एक बड़ा बर्तन रखा गया था, जिसमें गुलाब के फूल की पंखुड़ियां भी थीं।
सभी लोग उनके आस-पास बैठे थे और रौशनी और रोहन दोनों ही रिदांक्ष के पास बैठे थे, वहीं नैना खड़ी उनकी फोटो ले रही थी और वीडियो बना रही थी। तभी मिली ने कहा, "चलो, दीक्षा अंगूठी बर्तन में डालो और रिदांक्ष, सत्या तुम्हें ये अंगूठी ढूंढनी होगी! और जिसने भी अंगूठी ढूंढ निकाली वो जीत जाएगा!"
मिली के कहने के बाद दीक्षा ने सत्या और रिदांक्ष को देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "ध्यान से, हाँ! ऐसा माना जाता है कि जो भी जीतेगा रिश्ते में उसका पलड़ा भारी होगा! उसी की चलेगी!" वह रिदांक्ष को देखती हुई ये सारी बातें बोल रही थी और सत्या उसे देख रही थी।
रिदांक्ष ने उसे इग्नोर किया तो दीक्षा ने फिर सत्या को देखा और मुस्कुरा दी। सत्या ने कोई रिएक्ट नहीं किया।
तभी रौशनी ने कहा, "भैया, भाभी! All the best!"
नैना और रोहन ने भी कहा और रोहन ने सत्या को cheer करते हुए कहा, "भाभी आप ही जीतोगे! I know!"
सत्या हल्के से मुस्कुराई और फिर नैना ने काउंट करते हुए कहा, "वन, टू, थ्री, स्टार्ट!" फिर रिदांक्ष और सत्या ने एकदम से हाथ डालकर अंगूठी ढूंढनी शुरू कर दी। पहले राउंड में रिदांक्ष को अंगूठी मिल गई।
सत्या ने उसे देखा पर कुछ बोली नहीं तो रोहन ने कहा, "It's okay भाभी! हमारे पास अभी दो और चांसेज हैं!"
रिदांक्ष ने रोहन को घूरा तो रोहन ने कहा, "तुम तो हारोगे भईया!"
रिदांक्ष ने आँखें घुमाई और बोला, "देखेंगे!" और फिर दीक्षा ने उसके हाथ को पकड़ लिया तो रिदांक्ष ने उसे देखा, दीक्षा ने उसकी आंखों में देखते हुए उसके हाथ से अंगूठी ली। सत्या उसके हाथ को ही देख रही थी जो रिदांक्ष को जैसे जानबूझ कर छू रही थी, तभी रिदांक्ष ने एकदम से उससे हाथ छुड़ा लिया। तो दीक्षा ने एकदम से मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, अब दूसरा राउंड!"
फिर उसने अंगूठी बर्तन में डाल दी। रिदांक्ष और सत्या ने फिर से अंगूठी ढूंढनी शुरू की और इस बार अंगूठी सत्या को मिली। नैना, रोहन और रौशनी ने एक साथ हूटिंग की और दीक्षा ने एकदम से सत्या के हाथ से अंगूठी छीन ली तो सत्या के मुंह से सिसकारी निकली।
जिसे सुनते ही रिदांक्ष ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, "What the hell? क्या कर रही हो तुम! आराम से नहीं कर सकती क्या तुम कुछ भी?"
दीक्षा ने एकदम से उसे देखते हुए कहा, "पर मैंने क्या किया? मैंने तो बस अंगूठी ली उससे!"
सत्या ने रिदांक्ष से धीरे से कहा, "It's okay, मैं ठीक हूँ!"
पर रिदांक्ष ने दीक्षा पर चिल्लाते हुए कहा, "मैंने देखा तुमने कैसे लिया! अगर उसे लग जाती तो?"
दीक्षा की आँखें नम हो गईं और उसने कहा, "इतनी कमजोर है तुम्हारी बीवी! तो बाहर क्यों लाए? रुई में सजा कर रखते!"
रिदांक्ष का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया और उसने कहा, "मेरा मन होगा तो वो भी करूंगा! तुम्हें क्या!?" तभी मिली ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और बुआ जी ने कहा, "क्या तमाशा लगा रखा है लड़के, जाने दे, अब उसकी शादी हो गई है, थोड़ी बातें सुनेगी तभी मजबूत बनेगी! बिना मार के कोई मजबूत नहीं बनता! लोहा भी नहीं!"
रिदांक्ष ने उन्हें देखा और बोला, "वो मेरी बीवी है बुआ जी, कोई समान नहीं!"
"हां, देखो ज़रा एक रात में ही बहु के पल्लू से बंध गया लड़का हमारा तो! भाई मिली अब तो तेरा पत्ता कट! देख रही है अपने लाडले की! अब तो सानवी को खुद ही संभाल लेना!" सुनीता ने कहा तो मिली ने मुस्कुराते हुए कहा,
"इसमें मेरी बहु की क्या गलती है जीजी, और वो ऐसी भी है मैं जानती हूँ! और रिदांक्ष का गुस्सा तो आप जानती ही हो! तो क्या बात का बतंगड़ बनाना! दीक्षा बेटे रिदांक्ष की तरफ से मैं सॉरी बोलती हूँ! चलो रस्म पूरी कराओ! तुम्हे तुम्हारी नेग भी तो लेनी है!"
दीक्षा ने अंगूठी रौशनी के हाथ में थमाई और बोली, "इसे ही दिल देना नेग! मैं यहां इसकी बहनों का हक लेने भी आई थी!"
इतना कहकर वह खड़ी हो गई और एक औरत के पास चली गई। उन्होंने उसके हाथ को पकड़ कर कहा, "ये क्या बात हुई दीक्षा, ऐसे तमाशा नहीं बनाते! तुम्हें कैसे मैं समझाऊं?"
दीक्षा ने उन्हें घूरते हुए कहा, "आपको हमेशा मेरी ही गलती दिखती है ना मम्मा हर बात में!?"
वह अपने आंसू साफ करती हुई जाने लगी तो मिली ने उसे पकड़ कर कहा, "कहां जा रही हो! इधर आओ! तुम तो रिदांक्ष का गुस्सा जानती हो! कब कहां किस पर निकल जाए कोई नहीं जानता! उसकी तरफ से मैं सॉरी बोलती हूँ! अपनी आंटी को इतना काम अकेले करने के लिए छोड़ जा रही हो!?" दीक्षा ने ना में सर हिलाया तभी सत्या की आवाज आई, "इन्होंने चीटिंग की! इन्होंने मेरे हाथ से अंगूठी ली!"
"भाई चीटिंग! Professor होकर आप चीटिंग करोगे तो बच्चों पर क्या असर पड़ेगा! नॉट फेयर भईया!" रोहन ने कहा तो रिदांक्ष ने उसे घूरते हुए कहा, "ओए तू चुप कर जा बड़ा आया भाभी का चमचा! कोई चीटिंग नहीं की मैंने! ये तेरी भाभी झूठी है!"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "झूठी मैं भी आप हो!"
"अच्छा? सबूत है तुम्हारे पास?" रिदांक्ष ने तुरंत कहा तो सत्या चुप हो गई।
मिली तभी वहां आई और बोली, "अच्छा बस करो! तुम दोनों!" वह सत्या के पास बैठी तो सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "पर मैं सच कह रही हूँ आंटी, इन्होंने चीटिंग की!"
उसकी बात पर मिली ने झुक कर उसकी कान में कहा, "बर्तन का दूध उस पर डाल दो!" सत्या ने उसे आँखें बड़ी कर के देखा तो मिली ने मुस्कुराते हुए सर हिला कर उसे बर्तन का दूध रिदांक्ष पर डालने का इशारा किया।
सत्या ने रिदांक्ष को देखा, उसे उसके गुस्से से तो डर लगता था पर उसे पता था उसने चीटिंग की थी तो वो रिदांक्ष को ऐसे तो जाने नहीं देने वाली थी तो उसने भी बर्तन को उठाया और रिदांक्ष पर उड़ेल दिया पूरा, जो कि नैना को pose दे रहा था अंगूठी के साथ जीतने की।
जब ऊपर दूध पड़ा तो उसका मुंह हल्का सा खुला रह गया। वहीं रोहन, नैना और रौशनी हंसने लगे और ताली बजाने लगे। मैंने जल्दी से रिदांक्ष की ढेर सारी तस्वीरें ले ली।
रिदांक्ष ने अपना चेहरा साफ किया और सत्या को घूरा पर इससे पहले की वो कुछ कहता सत्या ने कहा, "आपने चीटिंग की थी!" इतना कहकर वो खड़ी हुई और एकदम से भाग गई, वहीं उसके एक पैर की पायल रह गई।
रिदांक्ष ने उसे देखा और उस पायल को किसी की भी नज़र पड़ने से पहले उठा कर एकदम से जेब में डाला और खुद भी उठता हुआ बोला, "तुम्हे तो मैं बताता हूँ!"
सत्या जाकर मिली के पीछे खड़ी हो गई तो मिली ने कहा, "जाकर कपड़े बदलो! और मेरी बहु को परेशान मत करो!"
"तुम सास बहु टीम अप कर रही हो न मेरे खिलाफ! कर लो जो करना है! मैं भी बताऊंगा! चुन चुन कर बदला लूंगा!" रिदांक्ष ने कहा और अपने बालों को ठीक करता हुआ वहां से चला गया।
मिली हंसी और उसने सत्या को पकड़ कर किचेन में ले जाते हुए कहा, "आओ, अब ये रस्म तुम्हे करनी है, पहली रसोई! कुछ मीठा बना दो! हलवा, या खीर!"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "पर मुझे कुछ बनाना नहीं आता!"
मिली ने उसे देखा और बोली, "कोई बात नहीं मैं बताती हूँ," उसने सारे सामान इकट्ठे किए और उसे हलवा बनाना बताने लगी "पहले कढ़ाई में घी डालो! और सूजी भून लो, फिर पानी, चीनी और ड्राई फ्रूट्स डालना!"
उनके बताने के साथ साथ ही सत्या वैसे वैसे करने लगी। तभी सुनीता ने मिली को आवाज देते हुए कहा, "अरे भाभी कुछ बहु को खुद भी कर लेने दो, जब से आई हूँ देख रही हूं माँ बेटी बस बहु की ही खातिरदारी में लगी हो! इधर भी तो आओ जरा!"
"जी आती जीजी," मिली ने कहा और सत्या से बोली, "मैं दीक्षा को भेजती हूँ वो तुम्हें सब बता देगी," सत्या ने हल्के से सर हिलाया और बोली, "जी,"
मिली वहां से चली गया और फिर दीक्षा आई उसने सत्या को देखते हुए कहा, "क्या बना रही हो?"
"हलवा," सत्या ने जवाब दिया तो दीक्षा ने कहा, "रिदांक्ष को सूजी का हलवा ज्यादा पसंद नहीं है और वो ड्राई फ्रूट्स में सिर्फ बादाम और काजू ही पसंद करता है! उसे काफी पसंद है, वो चाय भी पीता और हां उसके लिए पानी साथ ले जाना!"
दीक्षा ने कहा तो सत्या ने उसे देखा और फिर हल्के से मुस्कुराती हुई बोली, "इतना तो मैं भी नहीं जानती थी!"
दीक्षा ने कहा, "मैने तो उसे भी कई बार कहा है, मुझसे ज्यादा उसे कोई नहीं जानता, और वो मानता ही नहीं!"
सत्या ने दीक्षा को देखा और बोली, "पहले कोई था नहीं, अब मैं आ गई हूँ, मैं जान लूंगी उन्हें शायद आपसे ज्यादा!"
"Wish you luck!" इतना कहकर दीक्षा ने दांत पीसते हुए उसे घूरा और वहां से चली गई।
सत्या ने उसे जाते हुए देखा और फिर हलवा बनाने लगी।
कुछ देर बाद ही वह हलवा निकाल कर सभी को देने लगी सभी ने हलवा खाते हुए उसकी तारीफ की, मिली ने भी गर्व भरी मुस्कान के साथ कहा, "जाओ रिदांक्ष कमरे में है, उसे भी दे देना!"
सत्या ने सर हिलाया और जब उसने कमरे का दरवाजा खोला तो वह अपनी जगह पर जमी रह गई।
उसने देखा दीक्षा ने रिदांक्ष की कॉलर पकड़ रखी थी और हल्के आंसुओं के साथ उसकी आंखों में देख रही थी और बोल रही थी, "मैंने कितनी बार तुमसे अपने प्यार का इजहार किया था ना? फिर क्यों किया तुमने ऐसा? बोलो रिदांक्ष उससे क्यों शादी की?"
रिदांक्ष ने उससे खुद को छुड़ाते हुए कहा, "Shut up and get out! तुम्हारा दिमाग खराब है दीक्षा! जाओ यहां से!"
तभी दीक्षा ने और रिदांक्ष ने दोनों ने सत्या को देखा और दीक्षा हंसी, फिर उसने रिदांक्ष को देखा और उसके सीने पर हाथ रख कर उसे बेड पर धक्का दे दिया। रिदांक्ष डिसबैलेंस होकर बेड पर पीठ के बल गिर गया तो दीक्षा उसके ऊपर चढ़ गई और उसके कॉलर को पकड़ कर उसे उठते हुए बोली, "ऐसा क्या है इसमें जो मुझमें नहीं है? जो तुम मुझ पर चिल्ला रहे हो इसके लिए? हां? बोलो? क्या बेड पर इतनी अच्छी है ये? मुझे मौका दो मैं भी,"
वह कह ही रही थी कि रिदांक्ष ने चिल्लाते हुए कहा, "बस! चुप बिल्कुल! और निकल जाओ यहां से!" दीक्षा की आंखों में आसूं भर गए और वह उसके ऊपर से हट गई। रिदांक्ष गुस्से से उबल रहा था और उसने कहा, "निकल जाओ मेरे कमरे से इससे पहले की मैं ये भूल जाऊं कि तुम एक लड़की हो! और अगर अगली बार तुमने ऐसी कोई भी हरकत की तो!"
दीक्षा वहां से पलटी, उसने सत्या को घूरा और फिर वहां से चली गई। रिदांक्ष सत्या के पास आया और उसने कहा, "I I am sorry! ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो तुमने देखा वो, उसने, I don't know क्यों किया, I- I am sorry, सत्या!"
सत्या ने मुस्कुराते हुए कहा, "It's okay, आप भूल गए सर? हमने तय किया था कि आप अपनी life जिएंगे और मैं अपनी! और आपको मुझे कुछ भी explain करने की जरूरत नहीं है! मैं आपके लिए हलवा लाई थी!"
रिदांक्ष उसे देखा और उसके हाथ में पकड़े हुए ट्रे को, फिर उसने सत्या को देखते हुए पूछा, "तुमने खाया?"
सत्या ने हल्के से ना में सर हिलाया और बोली, "बस जा ही रही थी! आप ये खाइए! मैं भी जाती हूँ!"
रिदांक्ष ने उसके हाथ को पकड़ कर कहा, "रुको मैं मांगा देता हूँ यहीं!"
तभी दरवाजे पर knock हुआ और रिदांक्ष ने कहा, "मैं देखता हूँ!"
सत्या ने हां में सर हिला दिया। रिदांक्ष ने दरवाजा खोला तो सामने रौशनी खड़ी थी और वह रिदांक्ष को देखते ही बोली, "भईया, ये हलवा भाभी के लिए!"
रिदांक्ष ने हां में सर हिलाया और उससे हलवे का प्लेट ले लिया। उसने सत्या को लाकर वह प्लेट दिया।
सत्या ने हल्के से वो प्लेट लिया और रिदांक्ष भी उसके पास ही बैठ गया, उसने सत्या जो लाई थी वो कटोरी का हलवा लिया और एक चम्मच खाते ही बोला, "ये अच्छा है, तुम्हे कुकिंग आती है?"
सत्या ने ना में सर हिलाते हुए कहा, "नहीं, आंटी ने बताया और दीक्षा ने,"
रिदांक्ष के चेहरे की मुस्कान एकदम से गायब हो गई और उसने कहा, "Listen, I am sorry! तुमने जो देखा ऐसा कुछ भी नहीं है हमारे बीच but दीक्षा pta nhi kyon इतना वियर्ड बिहेव कर रही थी, उसने आज से पहले ऐसा कभी नहीं किया! एंड I promise you आगे भी ऐसा कभी नहीं होगा!"
सत्या ने सर झुका कर कहा, "It's okay, मैने कहा न, ये आपकी लाइफ है, और आप जैसे जिसके साथ चाहे रह सकते हैं! और मैं आपको कभी भी रोकूंगी!"
रिदांक्ष ने सर झुका लिया और हल्के से बोला, "पर दोबारा ऐसा कभी भी होगा!"
सत्या ने बस सर हिला दिया तो रिदांक्ष ने फिर कहा, "तुमने खाया ही नहीं! खाओ! इतना अच्छा हलवा बनाया है!"
सत्या ने देखा और एक चम्मच उठा कर खाया ही था की वह बुरी तरफ से खांसने लगी। सत्या की आँखें भर आइए और वह "सी-ईष-सि-सि," कर रही थी।
रिदांक्ष उसे देख कर परेशान हो गया और उसने हड़बड़ाते हुए कहा, "क्या हुआ तुम्हे?"
सत्या ने सी सी करते हुए कहा, "तीखा, मिर्ची, पानी, Please!"
मुझे उम्मीद है कि ये बदलाव आपकी कहानी को बेहतर बनाने में मदद करेंगे! यदि आपके कोई अन्य प्रश्न हैं तो बेझिझक पूछें।
"रिदांक्ष ने जब सत्या को देखा तो उसका पूरा चेहरा लाल पड़ गया। रिदांक्ष जल्दी से पानी लेने गया, पर वह रुक गया। उसने एक बक्सा खोला और उसमें कुछ चॉकलेट थीं। वह उन्हें लेकर जल्दी से सत्या के पास आया और उसे वो चॉकलेट देते हुए कहा, "इसे खाओ! इससे तीखा नहीं लगेगा! पानी से और ज़्यादा जलन होगी!"
सत्या ने जल्दी से उसके हाथ से चॉकलेट ली और उसे खा गई। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, और उसकी नाक और गाल बुरी तरह से लाल पड़ गए थे।
उसने उसे देखते हुए पूछा, "ठीक है अब?" सत्या ने अपने चेहरे से आँसू पोंछते हुए सर हिलाया, और फिर हाथ आगे बढ़ा दिया, तो रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा, "हं?"
तो सत्या ने हल्के से कहा, "एक और मिलेगी?" रिदांक्ष ने हाँ में सर हिलाया और उसे डिब्बा थमा दिया। सत्या ने उसमें से चॉकलेट निकालकर खाते हुए पूछा, "ये कौन सी हैं? मेरा मतलब है, इस चॉकलेट का नाम क्या है?"
रिदांक्ष ने उसकी बात सुनी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह बोला, "ये मेरे स्पेशल हैं, ये बाहर नहीं मिलते!"
"क्या?" सत्या ने हैरानी से पूछा तो रिदांक्ष मुस्कुराया, तभी उसने हलवा देखा और उसके चेहरे पर गुस्सा भर गया, और उसने चिल्लाते हुए नैना को आवाज़ लगाई।
"नैना?!!! नैना!!!" दरवाजा खुला और नैना अंदर आते हुए बोली, "हाँ, भैया?!"
रिदांक्ष ने उसे गुस्से से देखते हुए कहा, "तुमने इस हलवे में क्या डाला?"
नैना ने उसे नासमझी से देखते हुए कहा, "पर मैंने तो कुछ भी नहीं मिलाया, ये तो मुझे दीक्षा दी ने दिया था! क्या हुआ? कुछ प्रॉब्लम है क्या?"
रिदांक्ष गुस्से से बाहर जाने लगा तो सत्या ने उसे रोकते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। रिदांक्ष ने उसे देखा तो सत्या ने हल्के से कहा, "जाने दीजिए! सब लोग हैं घर में, प्लीज! मैं और कोई बखेड़ा नहीं चाहती घर में! वैसे भी मेरी वजह से, सबने सुबह आंटी को बहुत कुछ बोला था।"
रिदांक्ष ने सर हिला दिया और फिर सत्या कमरे से बाहर चली गई। रिदांक्ष ने चॉकलेट के डिब्बे को बंद करके रखा और फिर अपना काम करने लगा।
सभी मेहमानों के जाने के बाद सत्या कमरे में आई, उसने बाथरूम में जाकर हाथ-मुँह धोया, फिर बाहर आई, तभी रिदांक्ष ने कहा, "तैयार हो जाओ और मेरे साथ चलो!"
सत्या के माथे पर बल पड़ गए और उसने पूछा, "पर कहाँ?"
रिदांक्ष ने अपना पेन बंद करके रखा और लैपटॉप शट डाउन करते हुए बोला, "शॉपिंग! तुम्हारे लिए कपड़े लेने! कल से कॉलेज जाना है! और मेरे टीशर्ट और स्वेटपैंट पहनकर तो तुम कॉलेज जाओगी नहीं! ऑब्वियसली! तो जल्दी से तैयार हो जाओ!"
सत्या ने अपने बाल बनाए और फिर बोली, "ठीक है, चलिए!"
रिदांक्ष ने अपने कार की चाबी उठाई और फिर वहाँ से निकल गया। सत्या भी उसके पीछे-पीछे चल दी।
मिली ने उन दोनों को देखा तो बोली, "तुम लोग कहीं जा रहे हो?"
रिदांक्ष ने उसे देखते हुए जवाब दिया, "हाँ, मैं इसे कपड़े दिलाने ले जा रहा था, कल से ये मेरे साथ ही कॉलेज जाएगी!"
मिली ने मुस्कुराते हुए कहा, "ये तो बहुत अच्छी बात है! बेटे, दो-चार सूट भी ले लेना, तुम्हें साड़ी पहननी नहीं आती तो अगर बुआ जी लोग आएँ तो तुम घर में उन्हें पहन सकती हो!" सत्या ने सर हिला दिया और फिर रिदांक्ष के साथ निकल गई।
रिदांक्ष ने एक मॉल के बाहर कार रोकी और सत्या कार से बाहर निकल गई।
अंदर जाकर रिदांक्ष ने कहा, "तुम्हें जो भी कुछ लेना है ले लो!"
सत्या ने हल्के से सर हिलाया और फिर अंदर की तरफ चली गई, उसने हर तरफ नज़र दौड़ाई। उसने कुछ टॉप्स और डेनिम और शॉर्ट्स उठाए और कुछ ड्रेसेज़ भी लीं।
वह एक पिंक कलर की फ्लोरल ड्रेस देखकर उसके पास गई, उसकी आँखें चमक उठीं। वह ड्रेस बहुत प्यारी लग रही थी। तभी उससे किसी ने कहा, "तुम ये लेने वाली हो?" सत्या ने पलट कर देखा तो सामने एक हैंडसम-सा लड़का खड़ा था, रेड चेक्स शर्ट और डेनिम पहने हुए था, उसके बाल मेसी थे, पर उसपर सूट कर रहे थे।
उस लड़के ने सत्या को खुद को ऐसे देखते हुए देख कर कहा, "कुछ तो शर्म कर लो! शादीशुदा होकर मुझे घूर रही हो!"
सत्या के माथे पर बल पड़ गए और उसने तुरंत ही गुस्से से कहा, "ओह, एक्सक्यूज़ मी, मुझे तुम्हें घूरने की कोई ज़रूरत नहीं है! और मैं बस तुम्हें देख रही थी!"
उस लड़के ने हाथ बाँध कर उसे देखते हुए कहा, "ओह, अच्छा? और यही अभी अगर मैं कर रहा होता तो मुझपर तो तुमने अब तक मॉलेस्टेशन का चार्ज लगा दिया होता?"
सत्या ने उसे गुस्से से देखा और चिढ़ कर बोली, "व्हाट द हेल? तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है?"
"मुझे ये ड्रेस चाहिए!" उस लड़के ने कहा तो सत्या ने उस ड्रेस को लेते हुए कहा, "पर मैं ये ले रही हूँ!"
सत्या ने कहा तो इस लड़के ने कंधे उचकाते हुए कहा, "फाइन, ले लो! वैसे भी लगने वाली तो तुम बंदरिया ही हो!"
"व्हाट द," सत्या ने दाँत पीसते हुए कहा और फिर बोली, "व्हाटएवर, कम से कम बिना नहाया हुआ चिंपांजी लगने से तो बेहतर है! नाउ गेट ऑफ ऑफ माय साइट!" सत्या ने कहा और उसके बगल से निकल कर वह ड्रेस लेकर ट्राय करने के लिए ट्रायल रूम में चली गई।
और वो लड़का खड़े उसे जाता हुआ देखता रहा। सत्या जब ड्रेस पहन कर बाहर आई तो उस लड़के ने पलट कर देखा और सत्या सच में किसी डॉल की तरह लग रही थी उसमें, बहुत प्यारी!
सत्या ने जब देखा कि उस लड़के की नज़र उस पर जम गई थी तो उसने अपने बालों को फ्लिप करते हुए कहा, "क्यों? चिंपांजी की नज़रें नहीं हट रही?"
उस लड़के की तंद्रा सत्या के आवाज़ से टूटी और उसने कहा, "तुम्हारी शादी की उम्र लगती तो नहीं! बाल विवाह कर लिया क्या तुमने? छोटी आनंदी?"
सत्या का गुस्सा बढ़ गया और उसने तुरंत चिल्लाते हुए कहा, "जस्ट शट अप! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे बोलने की? तुम लोगों को और कोई काम नहीं होता बस कैसे भी लड़की को कमेंट करना, हाँ?"
वहीं दूसरी तरफ रिदांक्ष अपने फोन में लगा हुआ था, फिर उसने वक्त देखा तो उन्हें मॉल आए एक घंटे हो गए थे।
उसने सत्या को ढूँढने के लिए नज़रें उस तरफ घुमाई जहाँ सत्या गई थी, पर उसे न देख कर वह घबरा गया।
वह आस-पास ढूँढने लगा, तभी उसने ट्रायल रूम की तरफ देखा तो सत्या किसी लड़के पर गुस्से से चिल्ला रही थी।
रिदांक्ष की आँखें गुस्से से भर गई और वह तुरंत उस तरफ गया। उसने एकदम से उस लड़के की कॉलर पकड़ ली और बोला, "क्या कर रहा था तू?"
इस लड़के ने हैरानी से पलट कर देखा और बोला, "मैंने कुछ नहीं कहा, ये खुद ही गुस्सा हो गई!"
रिदांक्ष ने गुस्से से उसे झटकते हुए कहा, "झूठ बोलने की कोशिश मत कर वरना मैं तेरा मुँह तोड़ दूँगा!"
सत्या ने उसे रोकने के लिए उसके हाथ को पकड़ लिया, तब रिदांक्ष ने उसे देखा और दोनों की नज़रें कुछ पल के लिए एक दूसरे पर ही टिकी रहीं।
सत्या को जब एहसास हुआ तो उसने तुरंत उसके हाथ को छोड़ दिया और चार कदम पीछे हट कर उसने कहा, "उसने कुछ नहीं किया है, उन्हें जाने दीजिए!"
रिदांक्ष ने एक गहरी साँस ली और सर हिलाकर फिर उस लड़के की कॉलर छोड़ दी। वह लड़का वहाँ से चला गया और रिदांक्ष ने पलट कर सत्या को देखा।
रिदांक्ष की नज़रें एकदम से उसपर ठहर गई थीं, उसने एक गहरी साँस ली और उसने तुरंत नज़रें घुमा ली।
उसने एक भारी साँस छोड़ते हुए कहा, "चलें?" सत्या ने उसे देखा और बोली, "हाँ, मैं ये चेंज कर लेती हूँ!"
रिदांक्ष ने हाँ में सर हिला दिया। सत्या चेंज कर कर आई और उसने वो ड्रेस वहीं वापिस रखने लगी तो रिदांक्ष ने उसे टोकते हुए कहा, "रख क्यों रही हो इसे?"
सत्या ने उसकी बात पर हैरानी से उसे देखा और फिर सर झटकते हुए बोली, "बहुत छोटी लग रही थी मैं इनमें!"
रिदांक्ष ने उसे घूर कर देखा और बोला, "ओह रियली? लाइक सीरियसली?! लड़कियाँ चाहती हैं कि वो छोटी दिखें और तुम हो कि तुम्हें दिक्कत है!? और उम्र क्या है तुम्हारी? छोटी ही हो तुम! ऑब्वियसली वैसी ही लगोगी ना! और बुराई क्या है? बहुत प्यारी लग रही थी तुम!"
रिदांक्ष ने जैसे ही कहा, सत्या ने उसे हैरानी से देखते हुए कहा, "व्हाट?"
रिदांक्ष तुरंत हड़बड़ा गया और उसने कहा, "मेरा, मेरा मतलब था कि ड्रेस! इतनी बुरी भी नहीं है, बहुत प्यारी है, ले लो!"
सत्या ने हल्के से सर हिला दिया और फिर कुछ सूट के सेट्स भी खरीद कर उन्होंने बिलिंग करवाई।
फिर रिदांक्ष और सत्या कार में बैठ गए। रिदांक्ष रोड पर निकला ही था कि तेज़ बादल गरजा और उसने कहा, "ओह नो, बारिश शुरू होने वाली है, मौसम इतना खराब हो रहा है!"
सत्या वहीं ये देखकर खुश हो गई और उसने कहा, "वाह! कितना अच्छा मौसम है!"
रिदांक्ष ने एक गहरी साँस लेकर उसे देखते हुए पूछा, "इसमें अच्छा क्या लगता है तुम्हें, हर तरफ कीचड़ और गंदगी!"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "आप कभी बारिश में भीगे हो?"
रिदांक्ष ने बेरस से कहा, "मुझे शौक नहीं!"
सत्या ने मुँह बना लिया, फिर पूछी, "कभी बारिश में चाय-पकोड़े खाए हैं!?"
"नहीं! मैं सोना पसंद करता हूँ ऐसे मौसम में!" रिदांक्ष ने जवाब दिया तो सत्या ने नाक सिकोड़ कर कहा, "ओह्ह!"
फिर उसने कार से बाहर देखा तो उसकी आँखें एकदम से चमक उठीं और वो बोली, "क्या आपने बारिश में कभी स्ट्रीट फूड ट्राय किया है!?"
"तुम कितने फालतू के सवाल करती हो!?" रिदांक्ष ने चिढ़ कर कहा और फिर आँखें रोल करते हुए कहा, "फाइन, नहीं!"
सत्या ने बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा, "तो फिर चलिए आज करते हैं!"
रिदांक्ष ने उसकी बात पर हैरानी से कहा, "व्हाट्ठ!? नो, नो, नो! मैं कहीं नहीं जाने वाला! तुम्हारा दिमाग खराब है क्या? देखो कितनी तेज़ बारिश हो रही है और कितना कीचड़ है! यक्क! मैं तो नहीं जा रहा!"
रिदांक्ष की बात पर सत्या ने उसे हल्के से घूरते हुए कहा, "आपको चलना पड़ेगा! प्लीज, प्लीज, प्लीज सर! प्लीज!"
वह चिल्लाने लगी तो रिदांक्ष ने एक गहरी साँस ली और बोला, "ओके फाइन! बोलो क्या खाना है!"
सत्या की आँखें ये सुनते ही चमक उठीं और उसने कहा, "मंचूरियन!"
रिदांक्ष ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "ओके," फिर उसने कार साइड में लगाई और बोला, "कार से उतरने की ज़रूरत नहीं है, यहीं रुको, मैं लेकर आता हूँ!"
सत्या ने सर हिला दिया, पर जैसे ही रिदांक्ष कार से निकला, सत्या भी निकल आई और बारिश में भीगती हुई बोली, "सॉरी सर, पर मैं बारिश में भीगे बिना नहीं रह सकती! आप जल्दी से मंचूरियन लगवाओ!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और गुस्से से बोला, "स्टॉप इट, सत्या, ये क्या बच्चों जैसी हरकत है, बीमार हो जाओगी तुम!"
"तो आप डॉक्टर को दिखा देना! बट मैं तो भीगने वाली हूँ!" और ये कहकर वह बाहें फैला कर भीगने लगी।
वहीं रिदांक्ष ने जल्दी से मंचूरियन का ऑर्डर देते हुए कहा, "भईया, दो प्लेट मंचूरियन लगाना!" ऑर्डर देकर जब रिदांक्ष ने बारिश में डांस कर रही सत्या को देखा तो एकदम से जैसे उसकी मासूमियत में खो गया।
उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और वह एकदम से उसकी तरफ बढ़ गया। उसने सत्या का हाथ थामा तो सत्या ने भी उसकी तरफ देखा और उसकी मुस्कान और ज्यादा बड़ी हो गई। रिदांक्ष ने उसे एकदम से अपनी तरफ खींचा तो सत्या उसकी बाँहों में आ गिरी।
रिदांक्ष की नज़रें उसके चेहरे के हर कोने को तराशने लगीं। बारिश की बूंदें हीरे की तरह सत्या के चेहरे पर चमक रही थीं, "भईया, ये लीजिए आपके दो प्लेट मंचूरियन!"
दुकानदार की आवाज़ के साथ रिदांक्ष की तंद्रा टूटी और उसने एकदम से उसे देखा और सामने भीग रही सत्या को। उसने अपना सर झटकते हुए कहा, "दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा रिदांक्ष!? बच्ची है वो! स्टूडेंट है वो तेरी!, उसमें कितना बचपना है, ये गलत है, तू उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है!?"
फिर उसने सत्या को देखा और उसकी नज़र उसपर पड़ी तो उसे एहसास हुआ कि सत्या की साड़ी गीली होकर उससे चिपक गई थी। रिदांक्ष एकदम से उसकी तरफ बढ़ गया।
उसने उसके हाथ को पकड़ा और अपने साथ उस ठेले वाले तक ले गया और उसे डाँटता हुआ बोला, "चुपचाप यहाँ खड़ी रहो! पूरी भीग गई हो! सर्दी हो गई तो?"
सत्या चुपचाप उसके साथ खड़ी रही तो रिदांक्ष ने उसे मंचूरियन के प्लेट्स थमाए। रिदांक्ष ने भी उसके साथ खाया और बोला, "तुम्हें इतना स्पाइसी खाना पसंद है?"
सत्या ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, और बारिश में तो कुछ भी खाओ उसका रस्ते डबल हो जाता है!"
रिदांक्ष उसके चेहरे को ही देख रहा था और उसकी नज़रें सत्या के होंठों पर गईं। मंचूरियन के तीखे और ऑयली होने के वजह से सत्या के होंठ ग्लॉसी हो गए थे और रिदांक्ष की साँसें भारी हो रही थीं उसे देख कर।
रिदांक्ष ने अपनी नज़रें परे घुमा ली और सत्या मज़े से अपने मंचूरियन को ख़त्म करने में ही लगी हुई थी। उसने खाते हुए कहा, "आपको पता है क्या सर?! बारिश में ना मुझे कुछ मसालेदार खाना, और भुट्टे खाने की बड़ी क्रेविंग होती है! जब मैं टेंथ स्टैंडर्ड में थी ना, तो अनुश्री दी और मैं दोनों छत पर छतरी लेकर जाते और बारिश में खूब भीगते और डांस करते थे, और पापा अंगीठी जला कर भुट्टे भूनते थे, और उस पर नमक और नींबू लगा कर, उम्माह! क्या मजे थे! अनुश्री दी और मेरी हमेशा लड़ाई होती थी कि किसने ज़्यादा खाया, और हम रेस भी लगाते थे, और आपको पता है क्या, अनुश्री दी हमेशा हार जाती थी!"
रिदांक्ष उसे देख रहा था और उसे एहसास हुआ कि अनुश्री और उसकी बातें करते हुए सत्या की आँखें भर आई थीं। सत्या ने अपने आँसू छुपाते हुए कहा, "काफ़ी देर हो गई है! घर चलते हैं!"
रिदांक्ष ने हाँ में सर हिला दिया और उसके हाथ से प्लेट ले ली। उसने ठेले वाले को पैसे दिए और फिर सत्या को कार तक ले गया।
उसने सत्या को कार में बिठाने के बाद कार के पीछे वाली सीट से टॉवेल ले जाकर उसने सत्या को दिया। सत्या ने बालों को पोछा और रिदांक्ष ने एक टॉवेल उसे ओढ़ा दिया।
कार चलते हुए रिदांक्ष ने हल्के से सत्या की तरफ़ देखा जो जब से कार चल रही थी चुप-चाप खिड़की के बाहर ही देखे जा रही थी।
उसकी आँखें भी नम थीं और वह बार-बार अपने गालों पर से आँसू पोंछ रही थी। उसके हर आँसू से रिदांक्ष के दिल में एक टीस उठ रही थी।
जब उससे नहीं रहा गया तो उसने कार एक तरफ़ रोक दी। सत्या ने हैरानी से उसकी तरफ़ देखा और बोली, "क्या हुआ, कार क्यों रोक दी आपने?"
रिदांक्ष स्टीयरिंग व्हील पर अंगूठे से टैप कर रहा था और कुछ पल बाद उसने गहरी साँस लेकर कहा, "तुम रो क्यों रही हो?"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "नहीं, क्या? मैं कहाँ रो रही हूँ?"
रिदांक्ष ने हल्के गुस्से से उसे देखा और बोला, "मुझसे झूठ मत बोलो!"
सत्या की आँखें एक बार फिर भर आई और उसने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। वह अपने आँसुओं को रोकने की बेहद कोशिश कर रही थी।
रिदांक्ष को उसे देख कर बेहद तकलीफ़ हो रही थी और तभी सत्या के आँसुओं ने खुल कर बहने की ठान ली थी शायद। सत्या फूट-फूट कर रोने लगी और सिसकियों के बीच बोली, "आखिर मेरे साथ ही क्यों? मेरी अभी कॉलेज लाइफ़ स्टार्ट हुई थी! अनुश्री दी ने लाइफ़ में पहले कभी ऐसा नहीं किया, कभी किसी चीज़ से नहीं भागी! उन्होंने मुझे सक्सेसफ़ुल इंडिपेंडेंट बनने के लिए सपने दिखाए और आखिर में मुझे पिंजरे में क़ैद करके चली गई! क्यों? मैंने क्या बिगाड़ा था!?"
रिदांक्ष ने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं और चेहरा दूसरी तरफ़ घुमा लिया। उसका गुस्सा बढ़ रहा था उसे ऐसे रोता देख कर। रोते हुए सत्या की हिचकियाँ बंध गई थीं। रिदांक्ष ने जब उसकी तरफ़ देखा और तुरंत ही पीछे वाली सीट से पानी की बोतल खोलते हुए उसे थमा दिया।
सत्या ने पानी की बोतल ली और एक घूँट पानी पिया। उसने रिदांक्ष की तरफ़ देखा और हल्के से बोली, "सॉरी!" उसकी आवाज़ भी ठीक से नहीं निकल रही थी। रिदांक्ष ने सर हिलाकर कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या कहना चाहिए बट तुम्हें सॉरी बोलने की ज़रूरत नहीं है! आई नो, जो तुम्हारे साथ हुआ वो बहुत बुरा है! तुमसे तुम्हारी टीनएज लाइफ़ छीन ली गई, जो कि नॉर्मली लोगों के लिए उनके लाइफ़ की सबसे एक्साइटिंग स्टेज ऑफ़ लाइफ़ होती, और उसे स्पॉइल करने में कहीं ना कहीं मैं भी ज़िम्मेदार हूँ! तो आई एम सॉरी! पर एक बात मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ, मैं तुम्हें कभी किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूँगा! तुम जो चाहो जैसे चाहो कर सकती हो! और," उसने अपनी सारी ताक़त जैसे जुटाकर कहा, "अगर तुम्हें कभी किसी से प्यार हो गया तो भी मैं तुम्हें नहीं रोकूँगा! आई प्रॉमिस! तुम अपनी लाइफ़ एक नॉर्मल अनमैरिड गर्ल की तरह ही स्पेंड कर सकती हो! ये रिश्ता बस एक कॉम्प्रोमाइज़ है! और मैं इसे कभी तुम्हारे पैरों की बेड़ियाँ नहीं बनने दूँगा!"
सत्या ने उसे देखा और रिदांक्ष की बातों को सुनकर सत्या को ऐसा लगा जैसे उसका दिल कहीं गहराइयों में गिर गया हो, एक अजीब सी हलचल उसे अपने सीने में महसूस हुई। सत्या को समझ नहीं आ रहा था कि ये उसे क्या महसूस हुआ और उसे रिदांक्ष की बातों पर कैसे रिएक्ट करना चाहिए।
सत्या ने बस हल्के से सर हिला दिया और फिर रिदांक्ष ने कहा, "चलें?" सत्या ने सर हाँ में हिला दिया तो रिदांक्ष ने कार स्टार्ट कर दी।
घर पहुँचते ही मिली ने उन दोनों को देखा और बोली, "ओह, तुम दोनों तो बहुत भीग गए हो! जाओ जल्दी से चेंज कर लो, मैं खाना गरम कर देती हूँ!"
सत्या जल्दी से कमरे में गई और उसने एक टॉप और स्वेटपेंट निकाल कर बाथरूम में चेंज करने चली गई।
सत्या जब बाथरूम से बाहर आई तो उसने रिदांक्ष को देखा रिदांक्ष टॉवेल से अपने बाल पोंछ रहा था। वह भी कपड़े लेकर चेंज करने चला गया और सत्या किचन में आ गई।
उसने मिली को देखते हुए कहा, "आंटी, मैं हेल्प कर दूँ?"
मिली ने उसे मना करते हुए कहा, "नहीं, बेटे, तुम बैठो मैं लाती हूँ!"
सत्या ने मना करते हुए कहा, "नहीं, आंटी, लेट मी ना, मैं मम्मा की भी हेल्प करती थी! थोड़ी बहुत!"
मिली ने हाँ में सर हिला दिया और सत्या खाना ले जाने लगी।
मिली भी खाना ले आई और सत्या ने प्लेट्स लगा दीं। रिदांक्ष कपड़े बदल कर आया तो उसने कहा, "माँ, मेरा खाना खाने का दिल नहीं कर रहा, बस एक रोटी खाऊँगा!"
रिदांक्ष के कहने पर मिली ने कहा, "ठीक है, पर पहले आकर बैठ तो!"
रिदांक्ष ने सर हिलाया और आकर उनकी बगल वाली चेयर पर बैठ गया। सत्या ने उसके प्लेट में खाना लगाई।
खाना खाने के बाद मिली ने कहा, "रिदांक्ष! आज तेरी टर्न है बर्तन धुलने की!"
रिदांक्ष ने सर हिला दिया और बोला, "आई नो, मुझे याद है!"
मिली ने उसे देखा और उसके माथे को छू कर बोली, "क्या हुआ? तेरी तबीयत नहीं ठीक है क्या?"
रिदांक्ष ने सर ना में हिला दिया और बोला, "नहीं, ठीक हूँ! बस ऐसे ही! कुछ अच्छा नहीं लग रहा!"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "मैं बर्तन साफ़ कर दूँगी!" रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "बिल्कुल नहीं, तुम जाकर सोओगी! कल कॉलेज जाना है! ज़्यादा देर तक जागने की ज़रूरत नहीं है!"
सत्या ने उसे घूरा और बड़बड़ाती हुई उठ कर जाने लगी, "पता नहीं कब प्रोफ़ेसर मोड ऑन हो जाता है!"
सत्या कमरे में चली गई। रिदांक्ष बर्तन धुलते हुए बार-बार सत्या के बारे में ही सोच रहा था। उसने खुद से कहा, "आखिर हो क्या रहा है? उसके आँसू मुझे इतना क्यों बेचैन कर रहे थे? दिमाग़ ख़राब हो गया है मेरा! वो बहुत छोटी है मुझसे! बच्ची है!" उसने सर झटका और फिर से बर्तन धुलने लगा। उसे छींक आने लगी। उसने बर्तन धुलने के बाद एक ग्लास पानी लेकर पिया और फिर कमरे में चला गया।
उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला उसे छींक आ गई। सत्या का ध्यान उस पर गया और रिदांक्ष अंदर गया उसे दोबारा से छींक आ गई। "ब्लैस यू!" सत्या ने कहा तो
रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा, "तुम सोई नहीं अब तक?"
सत्या ने नाक सिकोड़ ली गुस्से और चिढ़ से उसके सवाल कम डाँट पर और बोली, "मुझे बोल रहे थे और खुद बीमार पड़ गए! खुद का स्टेमिना लो है! तो मुझे बारिश में भीगने से रोक रहे थे!"
रिदांक्ष को उसकी बात सुन गई थी और उसने उसे घूरते हुए कहा, "क्या कहा?" कहते ही उसे फिर से छींक आ गई तो सत्या ने उसे देखा और बोली, "ब्लैस यू! आपको सर्दी हो गई है! मैं चाय बना लाऊँ!?"
रिदांक्ष ने मना करते हुए कहा, "नो थैंक्स! मैं चाय नहीं पीता!" छींक*
सत्या ने उसे देखा और बोली, "चुप-चाप बैठिए! मैं अदरक वाली चाय लाती हूँ! वो पी लीजिए राहत मिलेगी!"
रिदांक्ष ने उसे रोकना चाहा पर तब तक सत्या कमरे से निकल गई। रिदांक्ष ने सर पकड़ लिया और बोला, "ये लड़की!" फिर उसने अपनी रुमाल ली और लैपटॉप खोल कर बैठ गया। उसने अपना काले रिम वाला चश्मा लगाया हुआ था। उसका शेप ज्योमैट्रिक था और रिदांक्ष के चेहरे पर वो अच्छा लग रहा था।
तभी सत्या चाय लेकर आ गई। उसकी नज़र रिदांक्ष पर गई और उसने अपना थूक गटका, उसके पेट में उसे अजीब सी हलचल महसूस हुई और उसकी धड़कनें अचानक से उसे सुनाई देने लगी हों जैसे।
फिर उसने अपना सर झटका और बोली, "टाडा, आपकी गरमा गरम अदरक वाली चाय! इसे पीने के बाद आपकी सर्दी यूँ फुर्र हो जाएगी!"
सत्या के बचपने भरे लहजे को देख कर रिदांक्ष ने सर हिला दिया। सत्या उसके सामने बैठ गई और उसने अपनी कप की चाय उठा ली।
रिदांक्ष ने भी चाय पिया और एक सिप लेते ही कहा, "ये तो बढ़िया है!" सत्या के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई और उसने अपने बालों को फ़्लिप करते हुए कहा, "ऑब्वियस्ली!"
रिदांक्ष ने उसके इस बिहेवियर को देख कर सर हिला दिया। फिर बोला, "तो तुम्हें कुकिंग आती है?"
सत्या ने सर ना में हिलाते हुए कहा, "बस थोड़ी-थोड़ी सी! चाय तो मैं पापा को बना कर देती थी तो सीखी! और मम्मा के साथ छोटी-मोटी डिशेज़, बाक़ी आती तो मुझे सिर्फ़ मैगी ही है!"
कहकर सत्या हँसी तो रिदांक्ष ने हल्के से सर हिला दिया। फिर उसने चाय पीते हुए कहा, "इट्स रियली नाइस!"
सत्या ने हल्के से कहा, "थैंक्स!"
* * * * * * *
अगली सुबह रिदांक्ष और सत्या कार में बैठे थे। सत्या ने कहा, "बस यहीं रोक दीजिए, मैं यहाँ से कॉलेज चली जाऊँगी! और प्लीज़! आपका और मेरा कोई रिश्ता नहीं है! मैं प्रोफ़ेसर हम आप स्टूडेंट ओके?"
रिदांक्ष ने एक गहरी साँस ली और बोला, "हम्म! डोंट वरी! मुझे याद है! कि मैं प्रोफ़ेसर हूँ!"
सत्या कार से बाहर निकल गई। रिदांक्ष ने उसके जाने का इंतज़ार किया और फिर वह भी कार स्टार्ट करके कॉलेज चला गया।
सत्या क्लास में बैठी, उसके पास बैठी लड़की ने कहा, "यार, दीदी की शादी में इतनी बिज़ी हो गई कि बात भी नहीं की एक दिन! वैसे जीजू कैसे हैं!?"
सत्या ने मुँह बना कर मन ही मन कहा, "अब मेरे हसबैंड हैं!"
तभी क्लास में रिदांक्ष आया और उसने कहा, "स्टूडेंट्स सेटल डाउन ऑन योर सीट्स!"
सभी ने उसे गुड मॉर्निंग कहा और सत्या के पास बैठी लड़की ने कहा, "भाई, सर भी आज इतने दिनों बाद आ गए! यार, इनके बिना तो क्लासेज में मन ही नहीं लगता!"
सत्या ने उसे देखा और आँखें घुमा कर बोली, "शट अप, नव्या! ऐसा भी क्या है? जो तुम लोगों ने इतना हाइप दे रखा है!"
नव्या ने उसे देखते हुए कहा, "सीरियसली? भाई तेरी आँखें ख़राब हैं क्या? देख ज़रा उनको! आई मीन ही इज सो हॉट!"
सत्या ने गहरी साँस ली और बोली, "और हॉटनेस ही सब कुछ होती है क्या! शट अप ओके! तू पागल है!"
नव्या ने सर हिला कर कहा, "और तू होपलेस! मैं तो बस इंतज़ार कर रही हूँ! एक बार तेरा क्रश बने फिर मैं देखती हूँ! तुझे क्या पसंद आता है उसमें, पूछूँगी मैं!"
"मिस नव्या एंड सत्या, अगर इजाज़त हो तो मैं क्लास स्टार्ट करूँ?" रिदांक्ष ने कहा तो सत्या ने सर झुका लिया और नव्या ने कहा, "ऑफ़ कोर्स! आई मीन सॉरी सर!"
सत्या ने उसे घूरा और फिर सर हिला दिया। क्लास के बाद रिदांक्ष ने कहा, "किसी को कोई डाउट है?"
"नो सर!" सबने कहा तभी आगे की रो में बैठी एक लड़की ने कहा, "यस सर!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "यस, वट?"
पर इससे पहले कि वो लड़की बोलती रिदांक्ष ने वक़्त देखते हुए कहा, "रिसेस में मेरे चैंबर में आ जाना!" और फिर वह अपना सामान उठा कर वहाँ से चला गया।
सत्या ने उस लड़की को देखा और नव्या ने कहा, "ये क्रिया आई डोंट नो चाहती क्या है? आई मीन, इसके जैसी बहुत सी लड़कियाँ उन पर ट्राय कर चुकी हैं, आधी से ज़्यादा कॉलेज की लड़कियाँ रिदांक्ष सर को अपना क्रश मानती हैं, और ये लड़की इसकी अलग ही ऑब्सेशन है! पता नहीं क्या समझती है खुद को!?" नव्या की बात पर सत्या ने भी क्रिया को देखा, वह हाइट में सत्या से भी थोड़ी लंबी थी और उसके बाल भी पूरे स्ट्रेट उस पर बहुत अच्छे लग रहे थे। ओवरऑल वो मॉडल लग रही थी।
सत्या ने सर झटक दिया और नव्या को देखा। नव्या ने उससे कहा, "ये पीरियड फ़्री है, चल ग्राउंड में हमारे कॉलेज का हॉट सीनियर लौट आया है! उसकी बास्केटबॉल प्रैक्टिस चल रही होगी!"
सत्या ने कन्फ़्यूज़ होकर उसे देखा और बोली, "अब ये कौन है!?"
नव्या ने उसे देखते हुए कहा, "चल तो बताती हूँ! वो रिदांक्ष सर के बाद कॉलेज की लड़कियों का दूसरा क्रश है!" नव्या ने उसका हाथ पकड़ कर उसे खींच कर ले जाते हुए कहा।
मुझे उम्मीद है कि यह मददगार होगा! यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो मुझे बताएं।
"यार, मुझे लड़के ताड़ने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, नव्या! तू क्यों मुझे खींच रही है!" सत्या ने चिढ़ के साथ कहा, तो नव्या ने उसे चुप कराते हुए और ऑडियंस सीट की तरफ जाते हुए कहा, "शट अप, सत्या! अभी तो एज है! अभी भी लड़के नहीं ताड़ेगी, तो क्या शादी के बाद करेगी ये सब?"
सत्या ने आँखें घुमाते हुए कहा, "यू आर टू मच, नव्या!"
सत्या की बात पर नव्या ने कहा, "इट्स ओके! चल, अब उधर देख। वो है हमारे कॉलेज का हॉट सीनियर, सक्षम सचदेवा! मस्त है ना! भाई, मैं बता रही हूँ! एक ऐसा बन्दा मिल जाए, उम्माह, मजे ही मजे!"
जहाँ नव्या सक्षम के बखान करने में लगी थी, वहीं सत्या उसे देख कर हैरान थी। उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं और उसे मॉल में उसकी उस लड़के के साथ लड़ाई याद आ गई।
सत्या के मन में तुरंत आया, "इसका मतलब ये! ओह नो! अगर इसने पूरे कॉलेज में ये बात फैला दी तो?" सत्या की आँखें ये सोचते ही बड़ी हो गई, "नो नो नो नो!"
वह हल्के से बड़बड़ाई, तो नव्या ने भौंहें सिकोड़ कर उसे देखते हुए कहा, "ओए, क्या हुआ तुझे? क्या बड़बड़ा रही है कब से? और रंग क्यों उड़ा हुआ है तेरे चेहरे का?"
सत्या ने नव्या की बातों को इग्नोर करते हुए वापिस ग्राउंड में खेल रहे सक्षम की तरफ देखा और बेख्याली में ही उसकी तरफ बढ़ गई।
नव्या ने उसे देख कर रोकते हुए कहा, "अरे, रुक जा, कहां जा रही है! सत्या! सत्या, सम्भल के! हट वहां से!"
नव्या तेज़ से चिल्लाई, पर तब तक बॉल पूरे फोर्स से आई और सत्या के सर पर लग गई। बॉल लगते ही सत्या गिर गई और वह पूरी तरह से बेहोश हो चुकी थी।
सक्षम ने भी उस तरफ देखा और बोला, "ओह शीट!" वह और बाकी सारे लड़के वहां इकट्ठा हो गए। नव्या भी भाग कर उसके पास गई और सक्षम उसके पास बैठ कर उसके गालों को थपथपाते हुए बोला, "हेलो! उठो! हेय!"
नव्या ने उसे गुस्से से देखते हुए कहा, "तुम्हारे बॉल मारने से वो बेहोश हो गई है! नाटक नहीं कर रही जो तुम बोलोगे और वो उठकर बैठ जाएगी!"
फिर वह परेशान होकर सत्या के पास बैठ गई। उसने बाकी सब को देखते हुए कहा, "हेल्प, इसे डिस्पेंसरी ले चलने में प्लीज कोई हेल्प कर दो!"
सक्षम ने उसे देखा और बोला, "मैं ले चलता हूँ!" और फिर वह सत्या को गोद में उठा कर ले गया।
नव्या भी उसके पीछे पीछे चलती हुई बोली, "अगर मेरी फ्रेंड मुझे भूल गई ना, तो तुम देखना! तुम्हारी जिंदगी से यादाश्त की भी यादाश्त गायब कर दूंगी मैं!"
सक्षम ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, "जस्ट शट अप! एक बॉल ही लगी है! उससे किसी की याद्दाश्त नहीं जा सकती, समझी! यूज योर कॉमन सेंस! एंड शट योर ब्लडी माउथ!"
सक्षम की बात सुनकर नव्या ने गुस्से से उसे घूरा।
सक्षम उसे डिस्पेंसरी ले गया। नर्स ने सत्या को देखा और बोली, "इसे क्या हुआ?"
सक्षम ने उसे देखते हुए कहा, "बॉल लग गई थी, बेहोश हो गई!" कहते हुए सक्षम ने उसे बेड पर लिटाया। नर्स ने सत्या की पल्स चेक कि और बोली, "हम्म, इसे और तो कहीं चोट नहीं आई? सिर्फ सर पर लगी!?"
सक्षम ने हामी भरते हुए कहा, "हां! बस सर पर ही!"
नर्स ने सर हिला दिया। सत्या को दवा दी और एक आइस पैक देते हुए बोली, "इसके माथे पर रखो!"
सक्षम ने सत्या के माथे पर आइस पैक रखा। कुछ ही देर बाद उसे होश आने लगा। सक्षम ने एक राहत की सांस लेते हुए कहा, "थैंक गॉड तुम जाग गई, छोटी आनंदी!"
सत्या ने अपने सर को हल्के से अपने हाथ से दबाया और उठ कर बैठ गई। तभी सक्षम ने उसके कंधे को पकड़ कर पूछा, "तुम ठीक तो हो?"
सत्या ने गुस्से से उसके हाथ को झटक दिया और बोली, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
सक्षम ने उसे देखते हुए कन्फ्यूजन में पूछा, "क्या मतलब यहाँ क्या कर रहा हूँ? इस कॉलेज का स्टूडेंट हूँ! ऑब्वियसली यहीं होऊंगा ना!"
सत्या ने उसे घूरा और बोली, "मुझसे ज्यादा बकवास मत करो! और खबरदार जो तुमने मुझे दोबारा आनंदी कहा तो!"
सक्षम ने उसे करेक्ट करते हुए कहा, "छोटी आनंदी!"
सत्या ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा, "व्हाटएवर!"
सक्षम ने उसे देखते हुए कहा, "हां, वैसे तुम्हारा मंगलसूत्र कहाँ है? और सिंदूर!" कहते हुए उसने हाथ बढ़ाया ही था कि सत्या ने उसके हाथ को झटक कर कहा, "तुमसे मतलब!? मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना!"
सक्षम ने अपने हाथ खड़े कर दिए और बोला, "ओके, कूल! सॉरी! बाय द वे, तुम्हारा कौन सा ईयर है?"
सत्या ने उसे घूरा और बोली, "तुमसे मतलब?" सक्षम ने उसे देखते हुए कहा, "तेवर से तो फर्स्ट ईयर की लगती हो! जूनियर!"
सत्या चिढ़ गई और उसने उसके हाथ से आइस पैक छीन लिया और वहाँ से उठकर जाने लगी तभी अचानक सक्षम ने उसकी कलाई पकड़ ली, सत्या के माथे पर बल पड़ गएं और उसने पलट कर उसे देखा तो सक्षम ने कहा, "आई एम सॉरी!"
सत्या ने उसके हाथ से अपनी कलाई को छुड़ाया और बोली, "गुड! यू शुड बी!" और फिर वह अपने माथे पर हल्के से आइस पैक लगाते हुए बाहर निकली तो नव्या बाहर ही खड़ी थी।
उसने उसे देखते ही कहा, "सत्या, तू ठीक तो है?" इससे पहले कि सत्या कुछ भी कहती, उसके पीछे से आवाज आई, "तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो!?"
सत्या ने पलट कर देखा और नव्या ने भी सामने देखा। रिदांक्ष उनके सामने खड़ा था और जैसे ही उसकी नजर सत्या के माथे पर पड़े लाल निशान पर गई, उसने कहा, "तुम्हें क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?"
सत्या को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे, वह चुप चाप खड़ी रही, तभी नव्या ने कहा, "सर वो सत्या के सर पर बास्केट बॉल लग गई थी!"
रिदांक्ष ये सुनते ही गुस्से से बोला, "कैसे? और तुम ग्राउंड में क्या कर रही थी!?" तभी सक्षम भी बाहर आया और उसने रिदांक्ष की बात सुन ली थी और उसने कहा, "आई एम सॉरी सर, दैट वास माय फाल्ट!"
सत्या ने उसे हैरानी से देखा और रिदांक्ष ने कहा, "अपनी अपनी क्लास में जाओ तुम लोग और सत्या, तुम्हें घर जाना है?"
सत्या ने उसे देखा और इससे पहले की वो कुछ कहती, सक्षम ने कहा, "याह, इफ यू वांट आई कैन ड्रॉप यू!"
सत्या ने सक्षम की तरफ देखा और रिदांक्ष ने तुरंत कहा, "क्यों? तुम क्यों ड्रॉप करने जाओगे उसे? और मैने कहा ना कि अपनी क्लास में जाओ तुम लोग!"
सक्षम ने उसे देखते हुए कहा, "क्योंकि मेरी वजह से ही उसे चोट लगी है!"
रिदांक्ष ने उसे देखा और सख्त लहजे में बोला, "कोई जरूरत नहीं है! मैने कहा ना क्लास में जाओ!"
सत्या की आँखें हैरानी से बड़ी हो गई, रिदांक्ष की आँखों में गुस्सा साफ झालक रहा था और सत्या ने शायद ही उसे कभी इतने गुस्से में देखा था।
सक्षम वहां से चला गया और सत्या ने हल्के से कहा, "मैं, भी क्लास में जा रही हूँ!"
रिदांक्ष इससे पहले की उससे कुछ कहता, सत्या ने नव्या का हाथ पकड़ा और उसे वहाँ से ले गई।
कॉलेज खत्म होने के बाद सत्या रोड पर कुछ दूर चली और फिर रिदांक्ष अपनी कार लेकर उसके पास आ गया। सत्या कार में बैठ गई और फिर रिदांक्ष कार लेकर घर की तरफ निकल गया।
रिदांक्ष ने जब कार रोकी तो सत्या ने बाहर देखा तो वह अभी घर नहीं पहुंचे थें। सत्या ने कन्फ्यूज होकर रिदांक्ष को देखा तो रिदांक्ष ने कहा, "तुम यहीं रुको, मैं अभी आया!" इतना कहकर वह कार से बाहर निकल गया।
सत्या बैठी रही तभी रिदांक्ष कुछ देर बाद आया और उसने एक ट्यूब सत्या की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "इसे लगा लो!"
सत्या ने उसे देखते हुए कहा, "पर मैं ठीक हूँ!" रिदांक्ष ने उसे देखते हुए थोड़ी सख्ती से कहा, "क्या तुम एक बार के लिए भी मेरी एक बात मान सकती हो?! हर वक्त, तुम्हें हर चीज़ के लिए ना ही करनी होती है या उसका उल्टा करना होता है!"
सत्या ने उसे देखा और बोली, "मैने ऐसा कब किया?" रिदांक्ष ने उसे देखा और गुस्से से चिल्लाकर बोला, "अगर मेरी बात मानी होती तो आज तुम मेरी बीवी नहीं होती!"
सत्या ने उसे देखा पर कुछ नहीं बोल सकी, उसने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और रिदांक्ष को भी एहसास हुआ कि उसे उस पर चिल्लाना नहीं चाहिए था।
उसने एक गहरी साँस ली और बोला, "आई-आई एम सॉरी! प्लीज, इसे लगा लो!"
सत्या ने उसे देखा और फिर गुस्से से चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। रिदांक्ष ने एक गहरी सांस ली और फिर बोला, "फाइन! फिर मैं खुद ही लगाऊंगा!"
सत्या ने उसके इस बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया, तो रिदांक्ष थोड़ा सा उसकी तरफ मुड़ा और उसने सत्या की ठुड्ढी पकड़ी और दूसरे हाथ से उसकी बाजू।
सत्या को पता नहीं क्यों पर उसकी छुअन से एक सिहरन का एहसास हुआ और रिदांक्ष ने उसे अपनी तरफ घुमाया। रिदांक्ष ने ट्यूब से ऑइंटमेंट निकाल कर हल्के से उसके माथे पर लगाया। वह थोड़ा आगे बढ़ा और उसने सत्या की बाजू पकड़ कर उसे अपनी तरफ हल्के से खींचा।
सत्या की धड़कन एकदम से बढ़ गई, उसने पलकें उठा कर रिदांक्ष के चेहरे को देखा। सत्या के नाक से एक इंच की दूरी पर रिदांक्ष के होंठ थें। अचानक ही सत्या को जैसे लग की उसकी सांसे रुक गई थी।
रिदांक्ष ऑइंटमेंट लगा कर हल्के से हटने लगा तो उसने सत्या के चेहरे को देखा, दोनों की ही नज़रें मिली और हवा में एक अजीब सा भारीपन महसूस होने लगा। सत्या वहीं हल्के से रिदांक्ष के होंठों की तरफ बढ़ने लगी।
रिदांक्ष की साँसें भी भारी हो गई थी पर तभी उसने खुद पर कंट्रोल करते हुए कहा, "नहीं!"
सत्या की भी तंद्रा टूटी और उसने आँखें खोल कर उसे देखा। वह एकदम से ऑकवर्ड फील करने लगी और झट से पीछे होकर बैठ गई।
रिदांक्ष ने भी गला खंखार कर हल्के से कहा, "हमें लेट हो रहा है, घर चलना चाहिए!"
सत्या ने कुछ नहीं कहा और रिदांक्ष ने कार स्टार्ट कर दी। कार में एक काटने वाली खामोशी छा गई थी, जो कि सत्या और रिदांक्ष दोनों को ही बेहद अजीब महसूस करा रही थी।
रिदांक्ष ने हल्के से थूक गटकते हुए कहा, "मैं कोई सॉन्ग लगा देता हूँ!"
और उसने कार का म्यूजिक सिस्टम ऑन किया। म्यूजिक सिस्टम ऑन होते ही गाना बजा, "जिस्म के समंदर में, एक लहर जो ठहरी है, उसमें थोड़ी हरकत होने दो!"
सत्या और रिदांक्ष दोनों की ही आँखें बड़ी हो गई ये लिरिक्स सुनकर और दोनों ने एकदम से एक-दूसरे की तरफ देखा,
(शायरी सुनाती इन दो नशीली आँखों को,
मुझको पास आके पढ़ने दो!
इश्क की ख्वाहिशों में भीग लो बारिशों में,
आओ ना!)
सत्या और रिदांक्ष दोनों के हाथ तुरंत सॉन्ग बंद करने के लिए बढ़ गए और दोनों ने कहा, "सॉरी!"
"इट्स ओके!" सत्या ने कहा और चेहरा दूसरी तरफ घुमाकर खिड़की से बाहर देखने लगी। रिदांक्ष भी चुप चाप कार चलाने लगा। पूरे रास्ते दोनों शांत रहें और एक दूसरे की तरफ देखा भी नहीं।
जैसे ही वह दोनों घर पहुंचे तो सामने सत्या के पापा सोफे पर बैठे हुए थें। रिदांक्ष और सत्या दोनों ने उन्हें देखा और मिली ने कहा, "लीजिए ये दोनों भी आ गएं, आओ बैठो दोनों!"
सत्या ने उन्हें देखा और तुरंत किचन में चली गई। रिदांक्ष ने उसे देखा और फिर आगे जाकर उसने सत्या के पापा के पैर छुए और नमस्ते किया।
सत्या ने किचन में जल्दी से एक ग्लास में पानी भरा और उसे गटागट पी गई। उसने गहरी साँसे ली और आँखें बंद कर ली। खुद को सामान्य करने के बाद, उसने खुद को कोसते हुए कहा, "व्हाट द हेल, सत्या! तेरा दिमाग खराब है? तू सर को किस करने वाली थी! बेवकूफ लड़की!" और फिर अचानक ही उसके आँखों के सामने वो सीन घूम गया जब शादी के दूसरे दिन उसने रिदांक्ष को पुश अप्स करते हुए देखा था। सत्या का गला सुख गया था।
तभी रिदांक्ष की पीछे से आवाज आई, "वो तुम्हें लेने आएं हैं!" सत्या की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसने पलट कर रिदांक्ष को देखा।
सत्या ने हैरानी से उसे देखते हुए कहा, "क्या, पर क्यों?" रिदांक्ष ने उसे देखा और बोला, "आई डोंट नो! आई मीन, मां ने बताया मुझे! तो तुम तयार हो जाओ!"
सत्या ने हल्के से सर हिला दिया और बाहर गई तो रस्तोगी जी ने उसे देखा। सत्या उनके पास गई तो मिली ने कहा, "बेटा तयार हो जाओ, भाईसाहब तुम्हे लेने आए हैं!"
सत्या ने उनकी बात पर भी वही सवाल किया तो मिली ने कहा, "पग फेरे की रस्म के लिए!"
सत्या ने हल्के से सर हिला दिया और फिर अंदर चली गई। उसने एक सूट निकाल कर पहना और बाल बनाने लगी, पर पूरे वक्त उसके दिमाग में रिदांक्ष ही चल रहा था। तभी वह बालकनी में गई और उसने देखा कि बगल वाली बालकनी में दीक्षा खड़ी थी। उसने उसको देखा और मुस्कुरा दी। सत्या के माथे पर बल पड़ गएं क्योंकि उसकी मुस्कान बहुत अजीब सी थी।
दीक्षा वापिस जाने लगी तो सत्या ने कहा, "रुकिए!" दीक्षा रुक गई और उसने उसकी तरफ देखा। सत्या ने कहा, "आप,"
"मैं रिदांक्ष को पसंद करती हूँ! यही पूछना चाहती हो न तुम?" दीक्षा ने सत्या की बात पूरी कर दी तो सत्या ने बस हल्के से हाँ में सर हिला दिया। दीक्षा मुस्कुराई और बोली, "हाँ, करती हूँ उसे पसंद! और तुम्हें देख कर बता सकती हूँ कि तुम रिदांक्ष के टाइप की नहीं हो! वो तुम्हें कभी नहीं अपनाएगा!"
सत्या को अपने सीने में एक तेज दर्द का एहसास हुआ, पता नहीं क्यों, और फिर उसे अचानक नव्या की कही बात याद आई, "कॉलेज की आधी से ज्यादा लड़कियों के क्रश हैं रिदांक्ष सर!"
क्रिया, "रिसेस में मेरे चैम्बर में आ जाना!" सत्या के दिल में एक अजीब सी जलन का एहसास हुआ।
तभी रिदांक्ष कमरे में आया और उसने पूछा, "तुम तैयार हो? अंकल वेट कर रहें हैं!"
सत्या ने उसे देखा और उसकी तरफ बढ़ गई। रिदांक्ष ने उसे देखते हुए कहा, "तुम," पर तब तक सत्या ने एकदम से आगे बढ़कर उसके होंठों को अपने होठों के गिरफ्त में ले लिया था।
रिदांक्ष हैरान था और उसका शरीर जैसे अपनी जगह पर जम सा गया था। सत्या उससे दूर हुई और फिर बिना कुछ कहे कमरे से निकल कर चली गई।
कुछ देर बाद वह अपने पापा के साथ कार में बैठी हुई थी, जब रस्तोगी जी ने उससे कहा, "बेटे, मैंने रिदांक्ष से डाइवोर्स के बारे में बात की है! तुम्हें इस जबरदस्ती के रिश्ते में रहने की जरूरत नहीं है! और हम किसी को पता नहीं चलने देंगे तुम्हारी शादी का! और ना ही डाइवोर्स का!"
ये सुनते ही सत्या के चेहरे का रंग उड़ गया था।