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Hope Eternal

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Hayat Khan

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Description

एक बिजनेस टाइकून जो एरोगेंट पर्सनैलिटी का मालिक था... दिखने में इतना हैंडसम की लोग उसे देखते रह जाए....जिसे औरतें से नफरत थी... सिवाय अपनी मम्मी के , , , ,उसे प्यार नाम का शब्द बेकार लगता था.... एक दिन उसकी मम्मी के कहने पर मजबूरन एक लड़की से शादी कर...

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Ahaan Veer Singh Rathor 😎

Hero

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Manat Ahuja

Heroine

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. Hope Eternal - Chapter 1

    Words: 1285

    Estimated Reading Time: 8 min

    मन्नत भगवान के लिए....”

    ड्रेसिंग टेबल का सामान बिखर गया... दीवाल अलमारी के शीशे छमा कै से टूट गए कांच का गुलदान जो नफरत और बदले की ख्वाइश से जमीन पर फेंका गया था... उसके टुकड़े यहां वहां बिखर गए थे....”

    मन्नत....! मन्नत ऐसा ना करो....! मन्नत नहीं....मन्नत मेरा बच्चा....मन्नत भगवान के लिए....!”

    एक तड़प.... एक पुकार....एक मिन्नत.....

    उसने एक पलके झपकाया.... मंजर एक लम्हे के लिए धुंधला हुआ था शायद आंखों की नामी बड़ी थी....

    आकाश....! आकाश....! मुझे बचाओ..."दिल दहला देने वाली चीख के साथ ही एक झटके से आंख खुल गई थी...."बेडक्राउन के साथ लगा अपना सर उठाते हुए वह हड़बड़ा कर सीधी बैठी हुई थी.... उसने अपना लेफ्ट हैंड अचानक अपने चेस्ट पर रख दिया था....।

    नाइट स्टैंड की येलो रोशनी में कामदार जोड़े पर नजर पढ़ते ही... अपने सपने से बाहर आ गई....अचानक सर उठा कर उसने डरो हुई आंखों से अपने साइड देखा....। व्हाइट और ब्लैक कलर की थीम में khubsurti से तरसा हुआ बेहद बड़ा और आलिसन रूम में एक बड़े साइज के बेड पर रेड कलर के लहंगा पहने बैठी थी....। यह घर उसका नहीं था.... यह कमरा भी उसका नहीं था....।

    सेकंड के हजार हिस्से में कुछ घंटे पहले शादी और तकलीफ का मंजर उसकी आंखों के सामने लहरा गए.... सूखे होंठ को हिलाते हुए लहंगे को अपने हाथों में सम्भल कर वो बेड से उतर गई.... चूड़ियां खनक उठी... लाखों का गले का हार गले पर लटक गया....जुड़े पर लगा गजरा उसकी गर्दन पर झूल रहा था...।

    वह इंसान होकर पथर थी....आंखों से दरवाजा खोलकर वह कुछ खौफ कुछ.... घबराहट के साथ बाहर आ गई...मास्टर बेडरूम के राइट साइड एक मिरर लगी हुई थी उसके पास एक टेबल पर गुदान रखा हुआ था.... उसके आगे जाने पर नीचे की तरफ जाती हुई सीढ़ियों पर वह उसे बैठा दिखाई दे गया था....मन्नत की धड़कने एक सेकंड के जैसे थम सी गई थी.... सर गिरा हुआ..,कंधे झुके हुए, और मुठिया जोर से भींचे हुए... जैसे वो तकलीफ की सबसे कष्ट पड़ाव से गुजर रहा हो.... अभी फिलहाल उसका मूड खुश गवार नहीं था...., वो जानती थी... शादी के टाइम भी उसके तेवर ठीक नहीं थे.... वो यह भी जानती थी...।

    "बड़े अजीब हैं यह आहान भाई..." रीमा ने बहुत अच्छे से नोट किया था,"मंगलसूत्र ऐसे पहना रहे थे जैसे...." “कुछ कहते कहते वह अचानक चुप होगई थी ” "जैसे....?" उसने बिना पलके झपकाए उसे देखा था...”"जैसे.... कुछ नहीं " लबों पर मुस्कुराहट सजा कर उसने बात अधूरी छोड़ दी थी....। और वो अधूरी बाते जैसे अब मुकम्मल होने को थी....।

    डर उसकी बॉडी जकड़ ते हुए वो एक झटके से उठ कर उसकी तरफ मुड़ा था... उसकी की घूरती गहरी आंखों में गुस्सा वो ख़जब बढ़ता हुआ एहसास मन्नत आहूजा कि पीठ की हड्डी में जान जनाहट दौड़ गया....। "तुमने अभी तक चेंज नहीं किया....?" गहरी, भरी , सख्त लहजा.... लहंगे को संभाले मन्नत की हाथों की उंगलियों की मुट्ठी बन गई थी....उसने इतनी मजबूती से मुट्ठी विंची थी कि उसके नाखून उसके हथेलियों में दंश गए थे...." यह शादी सिर्फ नाम का है मन्नत आहूजा.....! इस शादी को सिर्फ नाम की शादी तक ही रखना.......” एक एक शब्द नफरत से अदा करते हुए उसके और अपने बीच कुछ कदमों के फासले को उसने एक ही लम्हे में बांट लिया था...."नाम की शादी....!”

    वह फटी फटी आंखों से उसे देखकर रह गई थी...."मम्मी को एक बहू चाहिए थी.... सिर्फ एक बहू.....! उसकी बाजू से पकड़ कर बहुत गुस्सैल अंदाज में उसे रास्ते से हटाया गया....यहां सिर्फ बहू बनकर रहो.... बीवी बनाकर मेरे सर पर नाचने की कोशिश भूल से भी मत करना....वरना बहुत बड़ा करूंगा मैं....आंखों में शक्ति से देखते हुए उसने उंगली उठाकर धमकी दी थी....फिर उसी सख्त अंदाज से वह रूम में चला गया था...."सदमे से गुम होते दिमाग के साथ मन्नत ने मुड़कर उसे बे यकीनी से देखा था....वह जो बहुत इज्जत और मन से उसे विदा करके अपने घर ले आया था....अब कुछ नफरत और घिन से बेड पर बिखरे गुलाब की पत्तों को हटा रहा था...फूलों को नोच घसीट कर फेंक रहा था.... ताज रोज के बोले को तो उसने जमीन पर दे मारे थे.... वह अपने गुस्से को काबू में करने की कोशिश कर रहा....था वरना उसका बस चलता तो... वह कमरे की एक-एक चीज तहस नहस कर दे आग लगा दे.... सब तबाह ओ बर्बाद कर दे....।

    मन्नत की भूरी आंखों में अरमानों का खून रिस् गया.... कब कब आते होठों पर चुप्पी ठहर गया... वह पत्थर की मूरत बनी आंखों में हैरत.... सदमा और बे यकीनी लिए उसे देख रह गई थी.... दीवार पर एक बड़ा आईना में उसकी नजर पड़ी जो उसकी परछाई खुद में समाई जा रही थी सच को उसके चेहरे के सामने ले आया थी...सच.... सच्चाई का रूप धरे एक बद्दुआ थी....जो उसके पीछे-पीछे यहां तक चली आई थी... यहां तक.... घर छोड़ने से....शहर बदलने से.....नए रास्ते बनाने से...उसकी किस्मत नहीं बदली थी...नफरतें और धुत्कार अब भी उसका नसीब रह गई थी...लानत..., गालियां अब फिर उसका नसीब ठहरी थी...."get lost.... dammit....अबकी बार वह जोर से चिल्लाया था...."भारी भरकम लहंगा....फैला हुआ दुपट्टा ओढ़े हुए वह अपने लहंगे को अपनी खून से राशि हुई हथेलियां में संभाले वह अचानक पीछे हट गई थी... दरवाजा उसके मुंह पर बंद हो गया था धड़ाम की आवाज के साथ....। एक एक करके उसके सारे सपने टूट गए थे....एक-एक करके सारी उम्मीदें बिखर गई थी..."हमेशा अच्छा सोचना...!.... सब अच्छा होगा...." उसने अच्छा सोचा था...., मगर अच्छा ना हुआ था.....।

    "...हर दर्द के साथ आसानी ही..." मुश्किल ही मुश्किल चुनौती ही चुनौती.....दुख ही दुख.... सजा ही सजा....और हर तरफ तकलीफ ही तकलीफ... वह उल्टे कम पीछे होती गई यहां तक की दीवारों से जा लगी.... कॉरिडोर के एक सिरे पर सीढ़ियां थी....तो दूसरे सिरे पर छोटा सा लांच.... जिसकी दीवार की खिड़कियों से पूरा चांद नजर आ रहा था.... तुमने मनीषा के साथ जो किया है मन्नत.... भगवान...! तुम्हें उसकी वह सजा देगा जो तुम सारी उम्र याद रखोगी....” siskiyan Sine mein dafan ho gai aansu palakon per Bah Gaye...."सारी जिंदगी तुमने मां को दुख दिया है सारी उमर तुम उनके लिए अजब बनी रही हो...."सीने में दर्द उठा.... गला भारी होने लगा...आंखें बंद दरवाजे पर ठहर गई....."ऐसी बेटियों को पैदा होते ही मर जाना चाहिए....शब्द सपाट थे रूह छलनी हुई थी...."बहुत मुश्किल से उसने कदम उठाते हुए लॉन्च की तरफ रूख मोडा....पूरा खाली आसमान वह चांद के सामने बे नूर चेहरा लिए सोफे पर बैठ गई... शोर अभी था....आवाज अब भी पूछ रही थी.... वह सर से दुपट्टा उतार कर अपने हेयर स्टाइल के बाल खोलने लगी..... हेयर स्प्रे से बोल आकड़े हुए थे....बहुत मुश्किल से सीधे हो पाए.... उसने फिर कानों के झुमके उतारे.... , , , , , , गले को नेकलेस की बोझ से आजाद किया... बिंदिया उतार कर सोफे पर रखी..."उन्हें मत उतरो मन्नत..!

    अभी जी भर कर देखने दो मुझे...."गले से उभरती गिल्टी को बहुत मुश्किल से नीचे उतरते उसने फोन भेज कर ख्यालों को झटकना चाहा.... मगर नाकाम रही... आज की रात कुछ भी उसके दिमाग से ओझल होने वाला नहीं था... रह-रह कर एक-एक पल... एक एक लम्हा... एक एक वक्त.... याद आ रही थी....' भगवान तुम्हें वह सजा देगा जो तुम सारी उमर याद रखोगी...'palakon ki diwaron mein pehra dalte kuchh aansu uske galon per ludhak Gaye...."यह भी आकाश का एहसान है कि उसने तुम्हें कुछ नहीं किया.... , , , , , वरना सोचो वह क्या नहीं कर सकता था...."हां तुम सोचो....! अब तुम सोचो....!

    आज तुम सोचो...! रूम की हर एक चीज आवाज बन गई थी....दिलो जान को जो चीर गई थी...।"बद्दुआ....! baddua....! खिड़कियों से ठंडी हवाएं सर सर कर गुजर रही थी...। गले में उभरती गिल्टी को बड़ी मुश्किल से नीचे उतारते हुए मन्नत ने घुटनों पर अपना कर रखदिया....आज की रात एक मुश्किल रात थी उसके लिए....और उसके लिए भी जो बंद कमरे में अपना सर थमे खामोश बैठा था....।

  • 2. Hope Eternal - Chapter 2

    Words: 1170

    Estimated Reading Time: 8 min

    गले में उभरती गिल्टी को बड़ी मुश्किल से नीचे उतारते हुए मन्नत ने घुटनों पर अपना कर रखदिया....आज की रात एक मुश्किल रात थी उसके लिए....और उसके लिए भी जो बंद कमरे में अपना सर थमे खामोश बैठा था....।

    अब आगे , , , , ,। । । ।

    khidkiyon se jhankti Suraj ki kirane uske chehre per padi , , , , , , to usne kasmasa kar Aankhen khol di thi aur wah uthkar beth gai thi , , , , usne kandhon per aage piche bikhre sunhare rang ke balon ko samet kar right kandhe per dal diya tha. , , , , , chehra sukha hua tha , , , , be khaufi ka shikar lal padti aankhon mein Nami thehri hui thi , , , , Zameen par kadam jamate hue usne befiayali mein sar uthaya tha , , , , , aur agle hi pal apni Jaga tham kar rah gai thi , , , , ब्लैक जींस पर स्काई कलर की शर्ट पहने वह सिंगल सोफे पर टांग पर टांग जमाये बादशाहो की तरह बैठा था , , , , , धूप में लाइट ब्राउन सेट देते घने काले बाल माथे पर बिखरे हुए थे , , , , ,रगे तनी हुई , , , , जबड़े भींचे हुए , , , , और गहरी है जल आंखों में तो जैसे खून उतरा हुआ था , , , , उसने राइट हैंड में एक बुक उठा रखी थी , , , सर आंखों से जांच जारी था , , , , । । । । ।

    Mannat ki heartbeat miss Hui , , , , सांस तो पहले से रुका हुआ था , , , उसके दिमाग में भी नहीं था कि इस तरह इतने सजे सवरे उसके सामने बैठा होगा , , , , nind se uthne ke bad khud sharminda ho gai , , , ,"कल रात जो कुछ हुआ , , , इसकी भनक मम्मी को नहीं पढ़नी चाहिए , , , बुक बंद हो चुकी थी , , , बिल्कुल डोर की तरह , , , , अब उठकर खड़ा हुआ था , , , बेपरवाही से पॉकेट में हाथ डाले जाने के लिए मुड़ गया था , , ," मन्नत ने नजरे उठाई थी , , , Ahaan veer singh Rathor , , , , Rathore industry का CEO , , , , ! ! लंबा , छोड़ , 8 पैक्स , दमदार पर्सनैलिटी का मालिक खूबसूरत नौजवान , , , , जो उसकी नजरों से अब तक ओझल हो चुका था , , , , मगर उसके कदमों की आहट थी की वहीं पर ही ठहर गई थी , , , बंद दूर की आवाज भी वहीं कहीं भटक रही थी , , , teekha behaviour sakht lehja aur aankhon ki nafrat bayan karte अल्फ़ाज़ उसके पलट पलट उसे पर वार करने लगे थे , , , , और वह मूर्ति बनी टूटे बिखरे जिस्म पर कुछ ख्वाब , , , ,कुछ बेचारगी , , , , और कुछ उलझन से तकदीर और किस्मत की उन भूल भुलैया को देखने लगी थी , , , , जो हर बार हमेशा उसे एक ही मुकाम पर ले आई थी , , , , वह मुकाम जो आपकी तरह था आग की तरह था , , , , सुलगा–सुलगा कर रख करता था , , , , फिर मिट्टी कर देता था , , , । । । ।

    वह पैरों तले रौंदी जाने वाली इसी मिट्टी से , , , , एक बार फिर जन्म लेती थी , , , , हर बार इसी उम्मीद के साथ के अब कुछ अलग होगा , , , , हर बार किसी यकीन के साथ की अब वह अपने जाएगी , , , , , मगर हर बात वही होता जिसकी उसे खबर ना होती , , , , हर बार वही मिलता है जिसकी चाहत ना होती , , , , एक हल्की सी मुस्कान उसके जोर से भींचे होठों को नुमाया कर गई , , , , FIR vah hansdi , , , , Yun hi Achanak बिना वजह , , , वेयरहाउस के दीवारों में उसकी हंसी गंजी जैसे कोई हंसते-हंसते अचानक रो पड़ा हो , , , , । । । ।

    शादी जितनी सिंपल से हुई थी , , , , reception इतनी ही शानदार तरीके से की गई थी , , , , दूल्हे के साइड जब वह स्टेज पर आई तो हर एक की निगाह में वाहवाही की ठहर गई थी , , , honey Singh agar apni apne aap mein bemisal tha to Mannat bahut Kamal bhi अपनी आत्मविश्वास और अपनी अच्छी पर्सनैलिटी के वजह से बहुत कमाल नजर आ रही थी , , , , उसकी सुनहरी रंग की आंखें रोशन और कोमल चेहरा चमक रहा था , , , गुलाब की नरम पर पंखुड़ियां जैसी लबों पर माध्यम सी मुस्कान टिहरी हुई थी , , , , उसके रिएक्शन ना झूठे लग रहे थे , , , ,और ना ही बनावटी , , , क्यों लगता था जैसे उसे सच्चा प्यार करने वाला हमसफर मिल गया हो , , , , । । । ।

    हमसफर भी ऐसा जो अपनी आन बान में राठौर जैसा हो , , , नाम की तरह ही उमड़ा और दमदार नजर आता हुआ , , , ,"मगर वो दमदार पर्सनैलिटी का आदमी , , , ," हमसफर बन कर जुबान की दो धारी तलवार से इमोशंस , और फीलिंग्स , को कत्ल करने वाला भी हो तो , , , ,” । । । । ।

    उसका दिमाग फिर से भाटका था , , , सोच और ख्यालात फिर से बिखरे हुए थे , , , और उसने एक बार फिर व्हाइट क्लोज़ पर गिराफ़त मजबूत करते हुए अपने आप पर काबू पा लिया था , , , व्हाइट और लाल फूलों से डेकोरेट किए गए खूबसूरत हाल में यहां वहां देखते , , , , साथ में बैठे अहन वीर सिंह के ब्लैक थ्री पीस सूट से उठती मेल कॉलोन की खुशबू महसूस करते , , , वह पलके छपका छपका कर आंखों में उभरती नमी को दबाने की कोशिश कर रही थी , , , , तुम खुश तो हो ना मन्नत , , , , ? बराबर में बैठी सहला आंटी ने बहुत प्यार और मांन से पूछा था , , , , मन्नत नहीं गर्दन मोड कर उन्हें देखा , , , , वह जी एहसास के बारे में पूछरही थी , , , वह उसके आसपास , , , , उसके अंदर उसके दिल में कहीं भी नहीं था , , , , मगर वह इस बार सही माना मैं उनके लिए अलग दिखना चाहती थी , , , , राज होना चाहती थी , , , , वह उन्हें और उनके फैसले के एक-एक को यह बता देना चाहती थी , , , , , कि उसे अपनी खुशी मिल चुकी है , , , , , सजा खत्म हो गई है वह दुख और तकलीफ से बाहर आ गई है , , , , । । । ।

  • 3. Hope Eternal - Chapter 3

    Words: 1182

    Estimated Reading Time: 8 min

    वह उन्हें और उनके फैसले के एक-एक को यह बता देना चाहती थी , , , , , कि उसे अपनी खुशी मिल चुकी है , , , , , सजा खत्म हो गई है वह दुख और तकलीफ से बाहर आ गई है , , , , । । । ।

    अब आगे , , , , । । ।

    "बहुत , , , , ! ! "उसने कहा था , , , उसकी आवाज खोकली थी मगर होठों पर उभरता खूबसूरत मुस्कुराहट हर तकलीफ छिप गई थी , , , आंखें भी कमाल की एक्टिंग कर रही थी तकलीफ में ढल कर उसके चेहरे को पर्फेक्ट बन गई , , , सहला आंटी ने उसके कांडों में हाथ डालते हुए use अपने करीब करके उसके माथे को चुम्मा , , , , वह आप बहुत खुश नजर आ रही थी , , , राठौर खानदान के साथ यह रिश्ता के साथ रिश्ता करना उनको सबसे अच्छा फैसला लगा था , , , , यह शादी भी उनकी वजह से पूरी हुई थी , , , , यही वजह थी की मन्नत उन्हें इस झूठे सुकून भरी इस हालात से अनजान रखना चाहती थी , , , , होंठ पिचकर और पलके छक्का कर आंसुओं को रोकते हुए उसने कर उठाया तो आंखों में हैरानी उभर गई , , , , कामदार मेहरून साड़ी पहने लाइट मेकअप किये वह इलेक्ट्रॉनिक वाइल चेयर पर बैठी थी , , , चेहरा निखार से चमकता हुआ लग रहा था , , , काली आंखों में खुशी की चमक लहरा रही थी , , , होठों पर जिंदगी से भारी पूरी मुस्कुराहट बिछी थी , , , क्योंकि हार्ट पेशेंट थी पैरालाइज की शिकार से भी होने के बावजूद अपने बेटे की शादी पर वह बहुत सेहतमंद और खुश नजर आ रही थी , , , वैसे देखते हुए मुस्कुराई तो मन्नत भी मुस्कुरा दी , , , , और कोई भी देखकर बता सकता था , , , , कि वो उस औरत के लिए कितने दिल से मुस्कुराई थी , , , , । । । फिर आहान वीर सिंह ने मन्नत को एक होप डायमंड की रिंग पहने थी , , , वो रिंग इतनी खूबसूरत थी , , , कि कोई देखता ही रह जाए , , , आहान ने उसे बिना एक्सप्रेशन के उसे रिंग पहनाई थी , , , अब डायरेक्ट शादी हुई थी , , , तो उसने रिसेप्शन में रिंग पहनाई थी , , , , । । ।

    शाम का अंधेरा धरती पर फैल चुका था , , , खिड़कियों के पर्दे डोरियों में बंधे हुए थे , , , आसमान का पूरा चांद उसके उसके ऊपर था , , , वह कुछ देर पहले मिसिज राठौर के घर पहुंची थी और अब ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी कुछ बे दीली और झुंझलाहट से अपने ज्वेलरी उतार रही थी , , , aankhon mein nami thi , , , चेहरा दुख और तकलीफ से और लाल हो रहा था , , , , रिसेप्शन के टाइम वह कितनी आत्मविश्वास और पेरफैक्ट इमोशन के साथ कितनी खूबसूरत लग रही थी और अब जब अकेले में हुई तो कैसे टुकड़े-टुकड़े हो रही थी , , ," जिंदगी फूलों की सेज किसी के लिए भी नहीं होती मन्नत , , , , ! "मैसेज राठौर ने कुछ देर पहले उसे पास बिठाकर कहा था , , , नई माहौल नई रिश्तो में एडजस्ट होने में कुछ टाइम लगता है , , , टाइम आराम की ख्वाहिश रखता है सबर जाता है , , , , फिर उसका हाथ थाम कर अपने हाथों में लेकर , , , प्यार से उसकी आंखों में देखा था , , ,"दुनिया का सबसे हसीन और साफ फीलिंग प्यार होता है , , , इसमें इतनी ताकत होती है की नफरत की हर चट्टान को तोड़कर रख देने की , , ," मन्नत की आंखों में एक दुख ठहरा था , , , उसकी मुस्कुराहट से उलझा था , , , उसके चेहरे पर बिखरा था , , , kyunki message Rathore janti thi Apne bete ko , , , अच्छी तरह से समझती थी उसे , , , । । । ।

    तुम्हारी आह्वान से शादी मेरी वजह से नहीं हुई है , , , , ना ही तुम्हारी आंटी की वजह से , , , , तुम्हारी किस्मत है जो तुम्हें यहां लाया है , , , , बाद खून फिर कर एक बार फिर उसकी किस्मत तक आ गई थी , , , हर बार यह लफ्ज़ उसे डरा देता था , , , har bar yah sacchai usse tadpa deti thi , , , अगर अब भी किस्मत ही यहां लाया था तो , , , जलन का शाम गार्डन से लिखना था , , , दिल पर उसके अपने आप पर पत्थर बरसे थे , , , वो tukde tukde hokar bikhar gai thi , , , , । । । ।

    किस्मत , , ,! !

    उलझे ख्यालात के साथ उसने सर उठाकर आईने में उसे मन्नत को तलासा जो दुल्हन थी , , , मगर उसके सामने जो खड़ी थी , , , वह तो कुछ भी न थी , , , कदमों की आहट के साथ कमरे का डोर खुल गया था , , , उसकी झुमके उतरती उंगली नहीं ठहर गई थी , , , उसने नजर उठाकर उसने आईने में आहान को ही देखा था , , , , ताई के नोट ढीली करता , , , कोट उतारकर स्टैंडर्ड पर लटका ता अब बेड पर बैठकर अपने जूते उतार रहा था , , , wrist watch , , , कैफ लेंस उसने साइड टेबल पर रख दिया था , , , vah जल्दी-जल्दी Apne kam kar raha tha aur Mannat dressing table ke samne khadi हूई , , , अपने झुमको में ही अटकी खड़ी थी , , , वह अहान वीर सिंह ko dekh rahi thi , , , और अहान वीर सिंह ने भूल से भी एक गलत निगाह उसे पर नहीं डाली थी , , , अचानक ही कोई मंजर दिमाग के पर्दों पर लहराया था , , , अपने आप उसकी तकलीफ बढ़ गई थी , , present aaina Bankar past ka saya dikhaye to taklif badh hi jaati hai , , ,"यह एहसास कितना तकलीफ नाक होता है , , , ab maujud hun aur koi aapko anjaan Bana de जैसे कि आप यहां हो ही नहीं , , ,"koi khayal chot Bankar dimag mein utra tha , , , आंखें जल उठी थी , , , । । ।

    कपड़े बदलकर woh iPad hath mein thame room se bahar a gaya tha, , , black trouser aur upar white rang ki dhile dhali ti-shirt mein Apne aam se huliye mein bhi wo bahut khubsurat najar a raha tha , , , अपने आप से अनजान उसने कमरे की लाइट ऑफ कर दी थी , , , , अब सिर्फ नाइट बल्ब ही था , , , जो अंधेरे में माध्यम सी रोशनी कर रहा था , , , मोबाइल चार्जिंग पर लगाये वह सोने के लिए लेट चुका तो , , , , । । । ।

  • 4. Hope Eternal - Chapter 4

    Words: 455

    Estimated Reading Time: 3 min

    अपने आप से अनजान उसने कमरे की लाइट ऑफ कर दी थी , , , , अब सिर्फ नाइट बल्ब ही था , , , जो अंधेरे में माध्यम सी रोशनी कर रहा था , , , मोबाइल चार्जिंग पर लगाये वह सोने के लिए लेट चुका तो , , , , । । । ।

    अब आगे , , , , । । । ।

    मन्नत ने अपने गमों से निकलते हुए मुड़कर उसे हताश से देखा था , , , , अब आईने का सहारा दर कर ना था , , ,"यह तुम्हारी किस्मत है जो तुम्हें यहां लाया है , , , ,"गले में उभरती गिल्टी को बड़ी मुश्किल से नीचे उतरते हुए वो bathroom के अंदर चली गई, , , कपड़े बदलकर वह बाहर आई थी , , , सोफे पर बैठकर रोई , , , रोई , , , सी लाल आंखों के साथ कुछ देर तक , , , , हो उससे ही देखती रही थी , , , । । । ।

    किस्मत , , , , ! ! सफेद सोल खुद पर फैलाई वह सीख सकते हुए सोफे पर सो गई , , , कुछ थकावट का असर था , , , कुछ तकलीफ दुख का , , , सबके बेस्ट भाभी थी की आंखें बंद करते ही उसे नींद ने लिया था , , , और एक बार फिर वह इसी बे रहम रात के शिकंजी में जकड़ती गई थी जो बहुत कोशिश बावजूद के भी उसके दिमाग से निकलती नहीं थी , , , घर में दाखिल होते ही सहला ने सर उठाकर अपने बेटे को देखा जो निढाल कदम उठाता उनके सामने आकर रुक गया था , , , आंखें लाल सी थी , , , चेहरा लाल हो रहा था , , ,रोमी एक नजर भाई पर डालते तेज तेज कदम उठाती अंदर चली गई थी , , , मगरसैला ऐसा नहीं कर सकी थी , , ,। । । ।

    "मैं समझ रहा था उसे सजा मिल चुकी है , , , मगर उसकी सजा तो जैसे अब शुरू हुई है मम्मी , , ,!!"Aman , , , , सैलक लहजा काट दार हुआ था , , , आंखें गम और गुस्से की वजह फैली थी , , ,मन्नत का रिसेप्शन अटेंड करके अभी वह कुछ देर पहले ही दिल्ली पहुंची थी , , , और अभी से अमन का यह बिहेवियर और बातें उन्हें चौक गया था , , , आहान वीर सिंग की बीवी है अब वो , , , , राठौर खानदान कि बहु , , , उनका लेजा सपाट था , , ,"इसी आहान वीर सिंह को रीमा का रिश्ता क्यों नहीं दिया आपने , , , ,??"रीमा ने अचानक मुड़कर अपने भाई को दिखा , , ,