महादेव का प्रसाद = एक लडका मंदिर के सामने हाथ जोडे भगवान से प्रार्थनाकर रहा था | उसके आंखो से आसू निकल रहे थे | उसको भी एक बहन चाहिये. अचानक से उसके कानो में किसी बच्ची कि रोने कि आवाज सुनाई दे रही थी | उसने भराई आंखो से इधर-उधर देखा. पर कोई दिखाई दि... महादेव का प्रसाद = एक लडका मंदिर के सामने हाथ जोडे भगवान से प्रार्थनाकर रहा था | उसके आंखो से आसू निकल रहे थे | उसको भी एक बहन चाहिये. अचानक से उसके कानो में किसी बच्ची कि रोने कि आवाज सुनाई दे रही थी | उसने भराई आंखो से इधर-उधर देखा. पर कोई दिखाई दिया नहीं. फिर वो जिस और आवाज आ रही हो उस और जाने लगा. ये मंदिर के पीछे कि जगह थी | वहा एक बच्ची रो रही थी | प्रणव ने पहले तो अपने आसू पोछे और उस बच्ची को गोद में उठा लिया. और खुश हो के बोला वहा! भगवान जी ने मुझे बहन दी | वो उस बच्ची को लेकर घर आ गया. प्रणव का घर छाया निवास प्रणव को घर में ना देखकर सब उसे इधर उधर खोज रहे थे | आज राखी थी तो प्रणव के मामा मामी भी आये हुए थे | तभी प्रणव एक बच्ची को लेके दरवाजे पर खडे देखा. सब हैरान हो गये | प्रणव के गोद में ये बच्ची किस कि हैं | प्रणव कि माँ कौशल्या जी पहले तो उसके पास आ कर बड़े प्यार से पूछा कहा गये थे. आप! हम कितनी परेशान हो गये थे | आप के लिये ! और ये बच्ची किस कि हैं. प्रणव के पिता जी भी सामने आके बोलें कहा
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महादेव का प्रसाद = एक लडका मंदिर के सामने हाथ जोडे भगवान से प्रार्थनाकर रहा था | उसके आंखो से आसू निकल रहे थे | उसको भी एक बहन चाहिये. अचानक से उसके कानो में किसी बच्ची कि रोने कि आवाज सुनाई दे रही थी | उसने भराई आंखो से इधर-उधर देखा. पर कोई दिखाई दिया नहीं. फिर वो जिस और आवाज आ रही हो उस और जाने लगा. ये मंदिर के पीछे कि जगह थी | वहा एक बच्ची रो रही थी | प्रणव ने पहले तो अपने आसू पोछे और उस बच्ची को गोद में उठा लिया. और खुश हो के बोला वहा! भगवान जी ने मुझे बहन दी | वो उस बच्ची को लेकर घर आ गया.
प्रणव का घर छाया निवास प्रणव को घर में ना देखकर सब उसे इधर उधर खोज रहे थे | आज राखी थी तो प्रणव के मामा मामी भी आये हुए थे | तभी प्रणव एक बच्ची को लेके दरवाजे पर खडे देखा. सब हैरान हो गये | प्रणव के गोद में ये बच्ची किस कि हैं | प्रणव कि माँ कौशल्या जी पहले तो उसके पास आ कर बड़े प्यार से पूछा कहा गये थे. आप! हम कितनी परेशान हो गये थे | आप के लिये ! और ये बच्ची किस कि हैं.
प्रणव के पिता जी भी सामने आके बोलें कहा गये थे | आप बोलिये ! कहा कहा नहीं ढूडा आप को और ये बच्ची किस कि हैं। प्रणव झट से बोला मेरी बहेन है. पापा !
प्रणव के पिता जी राजेंद्र जी शुक्ला | एक नामी गामी बिजनेस मॅन हैं | प्रणव के मामा जी पूछते हैं. बेटा आप ये बच्ची कहा से लाये. प्रणव बडी ही मासूम मीयत से जवाब देता हैं. आज मै मंदिर गया था. भगवान जी से कहा मुझे एक बहेन चाहिये. और देखिये भगवान जी ने मुझे बहेन दे भी दी | कितनी प्यारी हैं. | राजेंद्र जी कहते हैं मंदिर से ? हाँ पापा माँ ने ही तो कहा था. कि बच्चे भगवान जी देते हैं. तो मै आज भगवान जी को अपने लिये बहेन मागणे गया था | और देखी ये भगवान जी ने मुझे बहेन दे दी.
जैसे ही प्रणव ने कहा ! मामी जी झटसे बोल पडी. पता नहीं किसका पाप होगा. ये जो मंदिर के सामने छोड के चली गई. भाभी हम तो कहते हैं. जहाँ से लाये हैं. वही छोड आईये. राजेंद्र जी थोडा परेशान हो गये. (उन्होने मन में कहा पता नहीं किसकी बच्ची उठा लाये हैं) फिर उन्होने कौशल्या जी से कहा हम जाके देख कर आते हैं. कौशल्या जी ने भी सहमती दिखाई. तो राजेंद्र जी बाहर कि और चले गये. इधर प्रणव बडे ही प्यार से बच्ची का ख्याल रख रहा था | प्रणव तो किसी को भी बच्ची को हाथ तक लगाने नहीं देता था. सब खुद ही करणे कि कोशिश करता था. जैसे कि दूध पिलाना कपडे बदलना दूर खडी मामी ये सब देख कर मुह बिचकाने लगी. और कौशल्या जी कान भरणे लगी.
थोडी देर बाद राजेंद्र जी भी घर लोट आयें. उनको आते हुए देख कौशल्या जी ने नौकर को पाणी लाने को कहा ! राजेंद्र जी कि और चली आई | राजेंद्र जी सोफे पर बैठते ही पाणी का ग्लास उनकी और बढ़ा दिया. राजेंद्र जी पाणी ग्लास टेबल पर रखते हुए. पूछा प्रणव कहा हैं. कौशल्या जी ने जवाब दिया, अपने कमरे में फिर कौशल्या जी ने पुच्छ बैठी कुछ पता चला किस कि बच्ची हैं, नहीं किसी को नहीं पता वो बच्ची कहा से आई किस कि हैं. हमने पोलीस कंप्लेंट कर दी हैं। देखते हैं. क्या ? होता हैं.
उसेथोडी देर बाद राजेंद्र जी भी घर लोट आयें. उनको आते हुए देख कौशल्या जी ने नौकर को पाणी लाने को कहा ! राजेंद्र जी कि और चली आई | राजेंद्र जी सोफे पर बैठते ही पाणी का ग्लास उनकी और बढ़ा दिया. राजेंद्र जी पाणी ग्लास टेबल पर रखते हुए. पूछा प्रणव कहा हैं. कौशल्या जी ने जवाब दिया, अपने कमरे में फिर कौशल्या जी ने पुच्छ बैठी कुछ पता चला किस कि बच्ची हैं, नहीं किसी को नहीं पता वो बच्ची कहा से आई किस कि हैं. हमने पोलीस कंप्लेंट कर दी हैं। देखते हैं. क्या ? होता हैं. इस अचानक याद आता हैं. कल वो अपने बहेन को लेके आया था.
अगली सुबह :-
प्रणव बेड के दुसरे साईड देखता हैं. वहा कोई नहीं था. वो जल्दी से उठ खडा होता हैं. पुरा रूम में देखता हैं. और बाहर भागता हैं. नीचे हॉल में आके माँ को पुकारता हैं. माँ, माँ,,,, कहा हो आप,,,, माँ,,,, इतने में कौशल्या जी रसोई घर बाहर आती हैं. बोली क्या ? हुआ बेटा कुछ चाहिये आप को प्रणव ने इधर "" -उधर देखते हुए पूछा माँ मेरी बेहेन कहा हैं.
कौशल्या जी जैसे ही सूनती हैं. उन्हे बोहोत गुस्सा आता हैं. फिर वो प्रणव कि बात को अन्सुना करके बोलती.
प्रणव से कहती हैं. जाईये तयार हो जाईये. हम आपके लिये नाश्ता तयार करते हैं. प्रणव ने फिर से पूछा माँ मेरी बेहेन कहा हैं. हमे दिखाई क्यूँ ? नहीं दे रही हैं. कौशल्या जी को बोहोत गुस्से से (मन में बोली पता नहीं क्या? जादू कर दिया उस लडकी ने हम्म)
प्रणव ने अपनी माँ का हाथ पकड के हिलाते हुए. बोलियेना माँ कहा हैं. मेरी बेहेन ! कौशल्या जी ने डाट के कहा हमने कहा ना! जाके तयार हो जाईये आपको सुनाई नही दिया. ये सुनते ही प्रणव चौक गया और भाग के कमरे में चला गया. दरवाजा बंद कर दिया. कौशल्या जी फिर अपने कामो लग जाती हैं.
थोडी देर बाद राजेंद्र जी घर आते हैं. कौशल्या जी पाणी का ग्लास लेके आती हैं. राजेंद्र जी एक गुट पाणी पी लेते हैं. और पूछते हैं. प्रणव कहा हैं. ये सुनते ही कौशल्या जी को याद आता हैं. कि प्रणव को तो बोहोत देर से देखा ही नहीं. वो जल्दी से प्रणव कि रूम कि ओर जाती हैं. तो देखती हैं. दरवाजा बंद था | तो वो दरवाजा खटखटाते हुए. आवाज लागती हैं. बेटा प्रणव दरवाजा खोलीये. राजेंद्र प्रणव के रूम के पास आके कौशल्या जी से पूछते हैं. क्या ? हुआ,,,, आप ऐसे दरवाजा क्यूँ ? पिट रही हैं. कौशल्या जी थोडा डर ते हुए कहती हैं. वो हम प्रणव उस लडकी के बारे में पूछ राहा था. तो हमने डाट दिया. उसके बाद हम कामो में लग गई
क्या ? करती हो कौशल्या जी बच्चे पर ध्यान देना चाहियेथा. ना ! फिर वो प्रणव को पुकार ने लगे. प्रणव बेटा दरवाजा खोलीये,,,, बेटा दरवाजा खोलीये,,,, थोडी देर ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. पर दरवाजा नहीं खुला पर अंदर से प्रणव कि आज आई हम नहीं खोलेगे. जब तक हमारी बेहन को आप वापस घर नहीं लेके आते तब तक हम दरवाजा नहीं खोलेगे. प्रणव कि बात सूनके तो राजेंद्र जी और कौशल्या जी परेशान हो गये. उन्होने बोहोत समजाया पर प्रणव नहीं माना दोपहर से शाम हो गई. पर ना ही प्रणव बाहर आया. नाही दरवाजा खोला आखिर में हार मानके राजेंद्र जी बच्ची को वापस लाने चले गये.
कुछ देर बाद प्रणव के रूम के सामने एक छोटी बच्ची के रोने कि आवाज आणे लगी. प्रणव जो उदास बैठा था। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई. उसने दोड कर दरवाजा खोला तो देखा छोटी बच्ची रो रही थी. प्रणव ने जल्दी से बच्ची को गोद में लिया और प्यार से उसके माथे को चुम के बोला ऐसे रोते नहीं गुडिया ये एहसास पाके बच्ची एकदम से चूप होके प्रणव को टुकूर टुकूर भराई आंखो देखने लगी ये देख राजेंद्र जी के चेहरे मुस्कान आ गई. और कौशल्या जी ने राहत कि सास ली. पर मामा-मामी का मु बनगया. उन्हे तो लगा कौशल्या जी के कान भरणे से ये बच्ची वापस इस घर में कभी नहीं आयेगी. पर ये तो उलटा हो गया. प्रणव अपनी बहन को पाके खुश था | राजेंद्र जी ने प्रणव से कहा तुम्हारे बहेन का नाम क्या ?? हैं ये सुनते ही प्रणव ने कहा गुडिया नाम हैं हमारी बहन ये सूनते ही राजेंद्र जी हसने लगे. हा,,,, येतो उनका घर का नाम हुआ. सब थोडी इस नाम से पुकार सकते. प्रणव ने बडी मसुमीसे आपने पापा को देखा जैसे पूछ रहा हो,,,, दुसरा नाम रखना जरुरी हैं. राजेंद्र जी ने भी हाँ में गरदन हिला दी. ये देख प्रणव कुछ सोचने लगा. तो प्रणव ने कहा,,,, सोन परी सी सबकी जिंदगी में खुशिया लाने वाली ये हैं.... हमारी सोनम.....
और थोडा सा घुमा दिया. ये देख कर सोनम खील - खिला उठी,,,, उसको हसता देख कर प्रणव और राजेंद्र जी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई. ऐसे ही दिन बितते गये,,, पर सोनम को लेणे कोई नहीं आया पोलीस स्टेशन में राजेंद्र जी बैठे थे. पोलीस एन्स्पेकटर ने कहा हमने बोहोत खोज ने कि कोशिश कि पर कही से भी पता नहीं चला,,, गुमशुदा में भी देखने कि कोशिश कि पर उसमे भी इस बच्ची का कोई जिकर नहीं.
अब ये आप के उपर हैं. उस बच्ची को रखना चाहते हैं. या फिर अनाथाश्रम भेज ना हैं.
राजेंद्र जी कुछ सोचते हुए बोलें. अब ! मुश्किल हैं. उसे कही और भेजना मै उसे ऍडॉप्ट कर रहा हूं. बस ये देखने आया था. माँ-बाप या कोई रिश्तेदार तो नहीं आया हैं.
इन्स्पेक्टर ने कहा मुझे नहीं लगता अब कोई आयेगा. हम्म,,,, राजेंद्र जी बोले और फिर खडे होके इन्स्पेक्टर से हाथ मिला के बोलें ठीक हैं. फिर मै चलता हू,,, ये बोल के पोलीस स्टेशन से बाहर चले गये.
घर आके सबसे पहिले उन्होने वकील को कॉल किया और सोनम को गोद लेणे के लिये सारे पेपर तयार करणे को कह दिया. कौशल्या जी ने सुना तो भडक गई. कहा अब वो लडकी हमारे इस घर में रहेगी. राजेंद्र जी ने कहा कौशल्या जी ऐसे तो मत कहिये, छोटी बच्ची हैं.
थोडी देर बाद वकील साहब भी आ गये,,, और पेपर राजेंद्र जी कि ओर बढ़ा दिये, सारे पेपर चेक करणे के बाद राजेंद्र जी ने साईन किया. और वकील साहब को पेपर देके कहा काम जल्द से जल्द होणा चाहिये. वकील साहब ने हाँ में गर्दन हिलाई और चले गये, तभी प्रणव हॉल में आ गया. उसकी गोद में सोनम थी. उसने वकील साहब को जाते देख कर राजेंद्र जी से पूछा वकील अंकल क्यूँ ??? आयेथे पापा राजेंद्र जी ने सोनम को अपनी गोद में लेते हुए कहा हमारे गुडिया के लिए वो क्यूँ पापा,,, वो इसलिये कि हम ने गुडिया को हमेशा के लिये गोद लिया हैं,,, आज से गुडिया हमेशा के लिये हमारे पास रहेगी ये सुनते ही प्रणव ख़ुशी से पुरे हॉल में दौड ने लगा,, ये हमारी बेहेन हमारे पास रहेगी,,, ये..... ये...... प्रणव बोहोत खुश था. और उसे खुश देख के राजेंद्र जी भी मुस्कुराते हुए गुडिया को देख रहे थे.
छाया निवास कौशल्या जी सुबह डाट ना! शुरु हो गया | अरे इस लडकी को कोई जगा दे. तो मै भगवान को असली घी का प्रसाद चढाऊंगी
राजेंद्र जी सुबह सुबह कौशल्या जी कि आवाज सून गार्डन य पी रहे थे. वो घर के अंदर आ गये. ये सब आपकी ही लाड प्यार का नतिजा हैं. इस लडकी को सर पर चढाये नतिजा हैं। सुरज सर चढणे को आ गया हैं. पर तुम्हारी लाडली का अब तक सवेरा नहीं हुआ हैं. आज फिर कौशल्या जी राजेंद्र जी से शिकायत कर रही थी। पर किस कि और किसकी एक ही तो हैं. कुंभकरण जो आधी आये या तुफान उसकी नींद ना ! टूटती सोनम फिर से तकिया सर के उपर रखके फिर से सो गई. राजेंद्र जी मंद मंद मुस्कुराते हुए. चाय का घुट पिते हुए. बोलें कौशल्या जी काहे गुस्सा हो रही हो. आप सबेरे सबेरे अरे,,, बच्ची हैं. सो लेने दो एक बार जगणे के बाद चक्री कि तरह इधर से उधर गुमतीराहती हैं. थक जाती होगी बच्ची सोने दो थोडी देर. राजेंद्र कौशल्या जी का गुस्सा कम करणे के गरज से बोलें पर उलटा कौशल्या जी उनपर ही बरस पडी हाँ,,, हाँ,,,, और चढालो
सर पर उस लडकी को जब सासरे जायेगी वहा पर भी दिन चढे सोती रहेगी तो सब ये ही कहेंगे और ताना मारेंगे माँ ने कुछ सिखाया हैं.
कौशल्या जी गुस्से में बडबडते हुए किचन में चली गई. अरे क्या ? हुआ पापा इतनी सुबह सुबह माँ का पारा क्यूँ ? हाय हैं. बाहर से जॉगिंग कर के आते हुए प्रणव ने पूछा तो राजेंद्र जी मुस्कुराने लगे. ये हैं. प्रणव राजेंद्र जी के एकलोते बेटे जो अपनी पापा कि तरह मशहूर बिजनेस मॅन हैं दिल्ली में अभी वो छुट्टी लेकर अपने गाव आया था उसकी शादी तय होगी थी. और वो दो दिन बाद ही उस कि सगाई थी. उसीकी तयारी घर में चल रही थी. कुछ नहीं बेटा तुम तो अपनी माँ को जाणते हो उनको सोनम कि भविष्य कि चिंता हैं. और शायद इसलिये तुम्हारी माँ सोनम के लिए कुछ जादा ही सक्त हैं और उसी के चलते ये सब हो रहाँ हैं. भविष्य कि चिंता प्रणव ने असमज से उनकीऔर देखा तो राजेंद्र जी मुस्कुरा दिये,,, तो प्रणव कि आंखे बडी हो गई. क्या ?? ये कुंभकरण अभी तक उठी नहीं प्रणव ने पाणी पिणे के बाद कहा तो राजेंद्र जी हस पडे. तभी तो माँ इतना गुस्सा हो रही हैं. किसी दिन ये लडकी मुझे डाट पडवा कर ही रहेगी. ये बोलते हुए वो सोनम के कमरे कि और चल दिया. और कहा रुकीये मै उसे उठाकर लाता हू.
सोनम का कमरा सोनम अपने बेड के किनारे पे बिलकुल सीकुडीसी सो रही थी.
उसके उलझूलूल सोने तारिके कारण ब्लॅकेट कब का नीचे गीर गया था. और AC कि थंडी थंडी हवा के कारण वो सिकुडी सी सो रही थी. प्रणव ने जब अपनी प्यारी सी गुडिया को देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई. उसने नीचे गिरा हुआ. ब्लॅकेट उठाकर वापस बेड पर रख दिया. और प्यार से सोनम के सिर को सहलाने लगा. और सोनम से बोला अरे ! उठजा कुंभकरण वरणा आज माँ मेरी बली चढाके रहेगी. प्रणव ने धीरे से उसके कान में कहा तो सोनम कुणकुणते हुए कहा अम्म ! सोने दोना भाई अभी थोडे देर पहले माँ भी हमे डाट रही थी उनकी डाट से हमारी नींद एक बार खराब हो चुकी हैं. ये बोल करकम्बल को सर के उपर लेके अलसाई आवाज में बोली .
हम्म,,, मतलब तू ऐसे नहीं उठेगी. प्रणव ने अपनी जगह से उठते हुए कहा पर सोनम तो सोनम थी. उसपे किसी बात का असर नहीं हुआ. मजाल हैं. उसने आंखे खोल के देखा हो. प्रणव ने सोनम को एक बार देख के गहरी सास ली और उसने सोनम को उठा लिया. और गोल गोल घुमा दिया. ऐसे करते ही सोनम ने डर के आंखे खोलते ही. उसने जोर जोर चिलाते हुए. कहा भाई आप क्या ? कर रहे हैं. हमे नीचे उतारीये हमे डर लग रहाँ हैं,,,, प्लिज भाई हमे नीचे उतारीये नहीं पहले ये बता तेरी नींद खुल गई . कि नहीं. हाँ,,,, हाँ,,,,,, भाई हमारी नींद पुरी तरह से खुल गई हैं. आप हमे नीचे उतारीये हमारा सर गुमरहा हैं. ये सुनते ही प्रणव ने सोनम को बेड पर बिठा दिया. और खुद भी उसके बेड पर लेट गया उसकी भी तो सासे फुल गई थी . तो सोनम बोली क्या भाई अब हम बच्चे नही रहे जो आप हमे इस तरह से उठा रहे है सोनम की बात सूनकर प्रणव बोला तू तो मेरी वही छोटी सी गुड्डीया हैं . तो सोनम थोडा
उदास होके बोली जिसे आपने मंदिर के सामने से लेके आए थे.
प्रणवणे सोनम के सवाल को अन्सुना करके कहा चलो तयार हो जाओ फिर नाश्ते पर चलते हैं. सोनम ने फिर से जीद करते हुए कहा बताईये ना भाई माँ हमे कभी अपनायेगी नही. तो प्रनव ने थोडा गुस्से से कहा तू ये सोच भी कैसे सकती है गुडिया
माँ का स्वभाव तो तुम जानती हो ना ! वो थोडी सक्त हैं . सिर्फ तेरे लिये नही मेरे और पापा के लिये भी है और तुम्हे माँ की नाराजगी की दिखती है. मेरे और पापा का प्यार नही. अरे पापा का तो दिन नही निकलता तुम्हे देखे बिना और मेरा तो तू अभिमान है. प्रणवणे सोनम को गले लगाते हुए कहा तो सोनम तुरंत अपने कान पकडते हुए बोली सॉरी भाई हमारा वो मतलब नही था हम तो बस युही,, तो प्रणव झट से बोला अच्छा अब बस जल्दी से तयार हो जा पापा हमारा नाष्ते पर वेट कर रहे होंगे . ठीक है भाई आप जाईए हम आते है.सोनम ने कहा तो प्रणव बहार की और चल दिया. तो वो कुछ सोचते हुए पीछे मुडके उसने सोनम से पूछा अच्छा सून आज तो तेरी कोई वी. सी. थी ... ना!
तो ये सुनते ही सोनम एकदम से चिल्ला उठी और कहा
अरे " बाप रे भाई ये बात आप हमे अब बता रहे हो आप हमे तबसे हमारी नींद भगाने के लिए घुमाई जा रहे हो घुमाई जा रहे हो हमे पहले ही बता दिया होता तो हमारी नींद कब की भाग गई
होती. और हम तयार भी हो जाते. फिर अपने लॅपटॉप से पता कर लेते की हमे कब निकलना है. फिर वो उपर हात जोड के कहती है हे भोलेनाथ इस प्रॅक्टिकल इव्हेंट मे हमारा सिलेक्शन हो जाये.
और तोलिया लेके वॉशरूम मे भाग गई . ये देखकर प्रणव मुस्कुराते हुए कहा ये लडकी भी ना ! सोते हुए मासूम सी गुडिया और जागते ही आफत कि पुड्या हो जाती है. और फिर अपने रूम की और चला जाता है
डायनिंग हॉल मे आकर प्रणव बैठ जाता हैं . तो कौशल्या जी कहती है . ""उठ गई ,, तुम्हारी लाडली एक और नास्ते की प्लेट लगाते हुए. कहा! अम्म ,, हा माँ आती होगी . प्रणवणे नाश्ता लेते हुए कहा और चुपचाप नाश्ता करने लगा. माँ से कुछ भी कहना मतलब खुद ही दाट खाना . कौशल्या जी बडबडाई पता नही इस लडकी ने क्या जादू करके रखा है घर वालो पर कोई कुछ बोलता ही नही. और किचन की और चली गई. तो राजेंद्रजी बोले अरे धरम पत्नी जी बस भी कीजिए. सुबह से बच्ची के पीछे पडी हुई है.
आप अरे कुछ दिनों के लिए तो आती है वो भी दिन नही काटे जाते आपसे राजेंद्र जी गुस्से मे बोले तो किचन की और से बहार आते हुए कौशल्या जी बोली तो बुलाता कौन है.उसे यहा पर ना आए मेरी बलासे मुझे कोई फरक नही पडता.
प्रणव ने माँ की और देख के कहा ,,,, माँ शांत हो जाये सोनम को यहा मैंने बुलाया है मेरी शादी और सगाई मे शामिल होने. इसलिये वो यही पर रुकी हुई हैं. प्रणव को बहुत बुरा लग रहा था.माँ ने सोनम के बारे मे ऐसा कहा दुसरी और सोनम सीडीओ पर खडे होके सब सून रही थी. उसके आखो मे आसू आ गये. पर मालूम था उसके भाई और उसके पापा उस पर जान छिडकते थे. कौशल्या जी के कडे विरोध के बावजूद प्रणवणे सोनम का ऍडमिशन मेडिकल कॉलेज मे किया था. और वो सोनम को एक काबील डॉक्टर बनाने वाला था. आज इसके कॉलेज की व्हीसी थी.. जिसमे कुछ सिलेक्टेड मेडिकल स्टुडन्ट को प्रॅक्टिकल इव्हेंट के लिए भेजा जा रहा था. ये सोचते हुए उसने अपनी आसू पोछ कर चेहरे पर मुस्कान ले आई और डायनिंग टेबल पर आके राजेंद्र जी को गले लगाते हुए कहा गुड मॉर्निंग पापा ,, राजेंद्र जी ने खुश हो कि कहा गुड मॉर्निंग मेरा बच्चा और फिर दोनो नाश्ता करने लगे सोनम नीचे सर कीए हुई नाश्ता कर रही थी. उसकी तो हिंमत ही नही हो रही थी कौशल्याची की और देखने की थोडी देर बाद नाश्ता खतम करके प्रणव अपनी चेअर से उठते हुए बोला गुडिया आज शाम को तयार रहना मार्केट चलेंगे सगाई के लिए कुछ अच्छी सी ड्रेस लेके आते है तुम्हारे लिए प्रणवने प्यार कहा!
कौशल्या जी को ये बात बिलकुल पसंद नही आई. और उन्होने कहा इतनी सारी ड्रेसेस तो है उसमे से कुछपहेन लेंगी ,,, नये कपडो की क्या जरुरत और सगाई तेरी है उसकी नही. तो सोनम ने भी कहा भाई माँ सही कह रही हैं .. आपने जो लास्ट टाईम ड्रेस दी थी उसे मैने एक बार ही पहना है और वैसे भी कॉलेज मे ड्रेस कोड चलता है तो वाह हम पहन नही पाते उसे ही हम पहन लेंगे. प्रणवणे थोडे गुस्से मे कहा तुझे मेरे साथ चलना है मतलब चलना है. शाम को सात बजे तयार आहे. मै मेरा कुछ काम निपटा के आता हू.और तुम्ह भी अपनी वी.सी देख ले . ये कहते हुए बहार
की और चला गया तो कौशल्याजी ने कहा अरे मुझे क्या करना है सब पैसे लुटा दो इस पर कुछ बचा की मत रखना मेरी बहू और पोते के लिए और अपनी रूम की और चली गई. उन्हे जाता हुआ देख सोनम उदास हो गई. तो टेबल साफ करते हुए कांता उस घर की नोकरानी जब सोनम दो साल की थी. तब से वो यहा काम कर रही हैं. उसे सोनम पर बहुत दया आ रही थी. पर कौशल्य जी के गुस्से के कारण वो कुछ भी बोल नही सकती थी. तो राजेंद्र जी ने उसके सिर पर हात फेरते हुए कहा . जाओ बेटा तुम्हारे विसी का रिजल्ट आ गया होगा. सोनम शांती से खडी होके रूम की और चली गई. राजेंद्र जी सोनम को जाता हुआ देखकर मन मे बोले ( पता नही क्यू? तुम इस मासूम से नफरत करती हो जबसे ये बच्चे इस घर मे आई है चारो और खुशिया ही खुशिया आई है पता नही तुम इस बिन माँ की बच्ची को माँ का प्यार कब दोगी )
( क्या सोनम का सिलेक्शन प्रॅक्टिकल इव्हेंट मे होगा )
( और क्या कौशल्या जी सोनम को माँ का प्यार दे पायेंगे ).
लाईक और कमेंट जरूर करियेगा
सोनम जैसे ही रूम मे आती है. फॉरेन अपना लॅपटॉप खोलके बैठ जाती है. और जैसे जैसे साईड ओपन हो रही थी. उसकी दिल की धडकने भी बढ रही थी. वो अपनी एक आख बंद करके साईट को देख रही थी. और मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी. की उसका इस इव्हेंट मे सिलेक्शन हो जाये. थोडी देर बाद साईड ओपन हो गयी. और कुछ गीने चूने दस बारा डॉक्टर कि फायनल लिस्ट लॅपटॉप स्क्रीन पर दिखने लगी. सोनम मन ही मन भगवान से कहने लगी भगवान जी प्लीज हमारा नाम हो इस लिस्ट मे और फिर सासे थामें एक एक नाम पडणे लगी. तो उस लिस्ट मे डॉक्टर सोनम शुक्ला का नाम देखकर वो खुशी के मारे चिल्लाना चहती
थी. पर उसने खुद पर कंट्रोल किया और दबे पाव अपने भाई की कमरे की और जाने लगे. रास्ते मे ही जब उसने प्रणव को गार्डन मे बात करते हुए देखा तो व वही रूक गई. प्रणव जिस तरह से बात कर रहा था. उससे मालूम पड रहा था. कि वो कोमल से बात कर रहा है. सोनम ने उसे डिस्टर्ब करना ठीक नही समजा और वो अपने कमरे की और आ गई. अपने सिलेक्शन के बारे मे वो पापा को भी बताना चाहती थी. पर राजेंद्रजी इस वक्त अपने कमरे मे थे और उसी कमरे में कौशल्य जी थी. तो सोनम ने जाना मुनासिफ
नही समजा और मन मार के अपने कमरे मे चली गई. सोनम को सुबह तक का इंतजार करना पड रहा था. अपने पापा और भाई को अपने सिलेक्शन के बारे मे बता सके.
( मेडिकल प्रॅक्टिकल इव्हेंट कुछ भी नही चुने डॉक्टर के सिलेक्शन कर के टीम बनाई जाती है. जो मिले जुले हॉस्पिटल मे जाकर ड्युटी करते थे. ऊस प्रॅक्टिकल इव्हेंट मे सोनम का नाम शामिल होना उसकी काबीलियत का बखान करता था )
सोनम और भी ज्यादा खुश थी क्यू कि उसकी बेस्टी आरती का भी उसमे सिलेक्शन हो गया था. तो उसे इस काम में और भी मजा आने वाला था. पर उसे ये नही पता था कि नियती उसके साथ क्या खेल खेलने वाली है. जीवन उसकी खुशियों के साथ उसकी जिंदगी को भी बदलने वाला था. रुहानी मोहब्बत से दूर एक अखड सडू अकडू एरोगेट की उसकी जिंदगी मे इंट्री होने वाली थी. और उसकी जिंदगी में उथल -पुथलं करने वाली थी.
इसी तरह शाम हो गई सोनम अपने रूम की खिडकी पर खडे होकर बाहर का नजारा देख रही थी. प्रणव अंदर आते हुए सोनं को देखकर आवाज लगाते हुए बोला गुडिया तुम अभी तक तैयार नही हुई मैने तुमसे कहा था. ना! की आज शाम को हम बहार जायेंगे. प्रणव सोनम के पास आके खडा हो गया. और उसे देखने लगा तो सोनम खिडकी के बाहर देखते हुए बोली भाई आप हमे घर क्यू ??? ले आये हमारी वजह से माँ दोनो से नाराज रहती है. हमे बिल्कुल अच्छा नही लगता. प्रणव उसकी ये बात सून सोनम को अपनी तरफ करके कहा क्युकी तू मेरी बहन है. तुझे पता है बच्चा जब तुम्हे अपने नन्हे हाते उसे मेरी उंगली थामी थी. ना! तभी मुझे पता चल गया था की महादेव ने मुझे मेरी बहन देदी. और फिर सोनम की आखो से बेहते हुए आसु को साफ करते हुए कहा,,,अब ये सब छोड और तयार हो जा | वरना मै तुझसे नाराज हो जाऊंगा
सोनमने झटसे अपने कान पकडते हुए कहा सॉरी भैय्या हम आपको नाराज नही करना चाहते थे. आप तो दुनिया के बेस्ट भाई हो. सोनम की बात सूनकर प्रणव मुस्कुरा दिया. प्रणव ने सोनम से का तुम्हारे पास सिर्फ पंधरा मिनिट है जल्दी से तयार होके नीचे चले आणा. सोनम ने हा में गर्दन हिलाई. तो प्रणव बहार चला गया थोडी देर बाद सोनम और प्रणव दोनो को बाहर जाता हूँ देख राजेंद्रजी बोले अरे तुम दोनो बहार जा रहे हो तो आते वक्त मेरे लिये रसमलाई लेते आना बहुत दिन हो गये उसका स्वाद चखे हुए.
तू सोनम ने कहा जी पापा हम आते वक्त लेके आयेंगे. और प्रणव के साथ बहार चलेगी.
कौशल्याची आपली कमरे के खिडकी से सोनम और प्रणव को गाडी में बैठे हुए देख रही थी. उनकी गाडी चले जाने के बाद में कौशल्य जी ने गुस्से से खिडकी का पडदा जोर से बंद किया.
सोनम और प्रणव मॉल मे पहुंचकर बहुत सारी शॉपिंग की सोनम ने अपने लिए ब्लू कलर का सिवलेस गाऊन लिया सगाई में पहण ने के लिए और उसने फॉरन फिटिंग के लिए भी दे दिया. गाऊन आणे में टाईम था. तो प्रणव ने सोचा कोमल के लिए कुछ गिफ्ट लिये जाये फिर वो दोनो लेडीज सेक्शन मे चले गये. बहुत सारी चीजे देखने के बाद भी कुछ भी दोनो को पसंद नही आया. सोनम ज्वेलरी शॉप मे कुछ देख रही थी तो उसे एक ब्रेसलेट बहुत पसंद आया उसने खरीद लिया और वो पॅक करवा लिया. और फिर अपने भाई के हातो मे देते हुए कहा भाई ये आपकी तरफ से भाभी के लिए प्रणव आश्चर्यचकित होती गिफ्ट को देखने लगा और फिर बोला ये तूने कब लिया मुझे बताया भी नही . भाई ये ना भाभी के लिये हमारी पसंद से और हमे पुरा विश्वास है. की भाभी को ये जरूर पसंद आयेगा. पर अगर आपको डाऊट है तो हम अभी खोल के दिखाते है. और प्रणव के हाथ से हो गिफ्ट का बॉक्स लेकर खोलने लगी
ये देखकर प्रणव ने उसके हाथ से गिफ्ट का बॉक्स लेते हुए कहा पागल हो गई क्या ??? गुडिया मै तेरी पसंद पे शक करुंगा ऐसा तुने सोच भी कैसे लिया तो सोनम ने कहा भाई हम जानते है की आपको हमारी पसंद जरूर पसंद आयेगी पर भाभी की पसंद हमे मालूम नही है. तू प्रणवनी उसके हाथो को अपने हाथ मे लेते हुए कहा गुडिया कोमल को तुझसे मिलके बहुत अच्छा लगेगा और उसको हमारी बीच का प्यार को समझना ही होगा ये सुनते ही सोनम खुश हो गई फिर वो दोन लेडीज सेक्शन मे जाके सोनम का गाऊन पॅक कर के मॉल के बाहर निकलते हैं . रास्ते मे सोनम ने गाडी रुकवा के राजेंद्र जी के लिए रसमलाई पॅक कर वाली फिर थोडी देर बाद दोनो घर आ गये .
( क्या ??? सोनम अपने सिलेक्शन के बारेमे भाई और पापा को बता पायेंगे )
( क्या ?? कौशल्या जी कभी सोनम को माँ का प्यार देंगी)
घर पोहोचकर सोनम जैसे ही अपनी शॉपिंग की बॅग कौशल्या जी को दिखाने लगी. कौशल्या जी ने खडे होते हुए कहा मुझे कांता को रात के खाने के लिए सब्जी बतानी है. और वो कांता को आवाज लगाते हुए किचन की और चली गई. सोनम का चेहरा मायुस हो गया. उसने गर्दन उठा के देखा तो उसके पापा उसे ही देख रहे थे तो उसने उदासी छुपाते हुए. अपने पापा के पास आकर मी शॉपिंग दिखाने लगी और बताने लगी. देखो ना! पापा भाईने आज मुझे कितनी सारी शॉपिंग कर वादी उनका बस चलता तो आज पुरी शॉपिंग मॉल ही खरेदी लेते. उसके पिताजी ने शॉपिंग बॅग देखकर साईड रखते हुए कहा,,अरे ! वो सब तो ठीक है पर मैने तुम्हे जो लाने के लिए कहा था वो कहा है. तो सोनम मुस्कुराके अपने भाई की और देख रही थी. जो अभी अभी घर के अंदर आ रहा था. उसने ये बात सुनते ही कहा मै तो भूल गया था पापा,,, मुझे तो गुडिया ने याद दिलाया तो पापा ने रसमलाई लेते हुए कहा तू,,,, तो ,,,है,,,, ही नालायक मेरी बेटी कोही मेरी पसंत की चीज है याद रहती है ये कहते हुए रसमलाई खा लिया. फिर सोनम ने उन दोनो की तरफ देखते हुए. उन दिनो के बीच मे बैठकर बोली पापा भाई हमे आप लोगो को कुछ बताना हैं . और फिर उसने अपनी आखो मे ढेर सारा प्यार लेते हुए कहा ,,,, भाई हमारा विसी का रिजल्ट आज चुका है और हम उसमे सिलेक्ट हो चुकी है. ये सुनते ही प्रणवणे रसमलाई छोडकर सोनम को गोद में उठा के गोल गोल घुमाते हुए कहा ""आय न्यू इट,,,"" आय न्यू इट,,, मुझे तो पहले से पता था. गुडिया की तुम सिलेक्ट हो जाओगे. तो सोनम ने डरते हुए कहा भाई हमे नीचे उतारिये हमे मे डर लग रहा है. और उसकी नजर कौशल्या जी की तरफ गई जो गुस्से से उसे घुर रही थी. और उसे असहज बना रहे थी.. तो प्रणव ने उसे नीचे उतारकर उसके माथे को चुमते कहा,,, काँग्रॅच्युलेशन्स ,, फिर उसके पापा ने उसके सिर पर हात फिरते हुए कहा बधाई हो बेटा ,,,, ये सुनते ही सोनम ने पिताजी के पावछुए और थँक्यू काहाँ ,,, तो प्रणव ने थोडा चिंतित होते हुए कहा ,,,, गुडिया पर मै तुझे मेरी शादी और सगाई के बाद ही वहा जाने दूंगा. आखिर मेरी जिंदगी के इतनी एहमं मौके पर तुझे अपने से दूर नही जाने दूंगा.तो सोनम ने कहा भाई आपकी सगाई तो कल ही है. उसमे तो हम शामिल हो जायेंगे. पर शादी मे शायद हम शामिल ना हो पाये. क्यूकी हमे परसोही निकलना है. तो प्रणव थोडा उदास हो गया. ( पर कोई था जिसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी थी वो और कोई नही कौशल्या जी की जो मन ही मन खुश हो रही थी और कह रही थी अच्छा हुआ ये मनहुस शादी मे नही आ रही )
भाई हम आपकी सगाई के बाद रात की ट्रेन से निकल जायेंगे. हमने पता की है. तो सुबह तक हम पोहोच जायेंगे. तो राजेंद्र जी ने कहा पर रात का सफर अकेले करना ठीक नही है बेटा. उन्होने प्रणव की तरफ देखा तो मोबाईल मे कुछ कर रहा था. उनकी बात कौशल्या जी को पसंद नही है. तो उन्होने कहा क्यू ?? वहा पर भी तो ये अकेली ही रहती है. अकेली ही आना जाना करना पडता है. तो रात को जाने में क्या?? हरज है . ( कौशल्य जी को लगता था कि वो कल जाने से अच्छा है आज ही चले जाये ) राजेंद्र जी को उनकी बात पसंद नही आई और वो कुछ कहने वाले थे. की प्रणवने कहा हो गया और फिर सब की और अपना फोन दिखाते हुए कहा मैने तेरी टिकीट बाय एअर बुक कर दी है. अब तू कल शाम को नही अगली दिन दोपहर को जायेंगे. हम परसो सुबह दिल्ली के लिए निकलेंगे प्रणवणे अपने फोन को स्क्रीन को सबके सामने करदि फ्लाईट दिल्ली से है.और नाराजगी से कौशल्या जी की और देखने लगा सोनम ने कहा पर भाई तो प्रणवणे कहा पर वर कुछ नही. तू मेरी बहन है गुडिया. और मेरी जिम्मेदारी मै तुझे कॉलेज पुरे सुरक्षा के साथ पोहोच जाऊंगा. और फिर अपनी माँ की और देखकर कहा माँ आप कन्फर्म कर लीजिए सगाई मे कुछ कमी तो नही. बाकी मे देखता हु.
हाँ ,,, शुक्र हे तुझे ये तो याद रहा कि मै तेरी माँ हु. कौशल्या जी का चेहरा गुस्से से लाल था. प्रणव बिना कुछ कहे वहां से चला गया. और सोनम को भी अपने पीछे आने का इशारा किया . कौशल्याची बात को वही छोडकर सगाई के कामो मे लग गई थोडी देर बाद सोनम अपने कमरे मे पॅकिंग कर रही थी. तो उसे हॉल से कुछ आवाज सुनाई आ रही थी. तो बहार क्या??? हो रहाँ हैं . देख ने आ गई . तो कौशल्याची प्रणव पर गुस्सा कर रही थी. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. तो वो थोडा पास आकर सुने लगी. तो कौशल्याची प्रणव पर बरस पडी तू ऊस लडकी के लिए अपनी शादी की डेट आगे बढ़ा रहा है. अरे! वो लडकी नही रहेगी तो क्या?? तू शादी ही नही करेगा. उस लडकी के आगे तुझे तेरी माँ तेरे परिवार वाले किसी की खुशी नही दिखती. तो प्रणव गुस्से से चिख पडा.
माँ....आ.... आ.... वो कोई और लडकी नही मेरी बहन है मेरी गुडिया. प्रणव को इतने गुस्से मे देख सोनम तो पिलर से चिपक गई . और परिवार वाले आखे फाडे उसे देख रहे थे. ( क्यूकी प्रणव एक शांत किसम का इंसान था उसे गुस्सा कम ही आता आज तक उसने अपने बडो के सामने आवाज तक नही उठाइए )
मेरी गुडिया मेरी जान है. मेरी बहन है वो उसके ना होते हुए तो मै मरना भी पसंद नही करुंगा. यहा तो बाद शादी की है. ये सुनते ही सोनम भाग कर आई ,,, और भाई के मुह पर हाथ रखते हुए बोली
ऐसा नही बोलते भाई आपको तो हमारी भी उमर लग जाये. और फिर सुबकने लगी. उसको रोता हुआ देखकर कौशल्य जी बोली
" ए "" लडकी ये जो तेरे घडयाली आसू है ना! उसे इन दोनो के सामने बहाना मेरे सामने नही. इसका असर इन लोगो पे होगा मुझ अच्छे तरी से जानती हु ,,,, तुझे मेरे घर की खुशिया रास नही आती तुझे इसलिये बार बार मनुसियत लेकर आ जाती है.
( प्रणव ने शादी की डेट आगे करने से क्या ??? कौशल्याजी सोनम को माफ कर पायेंगे )
( और क्या शादी की डेट आगे ना बढाने के लिए सोनम प्रणव को मना पायेंगे )
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छाया निवास ,,,,, राजेंद्रजी बोले अरे धरम पत्नी जी अब बस भी किजीये,, कितना कोसोगी. आप उस बच्ची को और क्यू ? कोस रही हो ,,,, इसने तो मालूम ही नही की प्रणव कुछ ऐसा करेगा तो फिर क्यू??दोष दे रही हो. जो भी किया तुम्हारे बेटे ने किया. उसे बोलने की बजाय तुम इस बिचारी को कोस रही हो. अरे! क्या?? चाहती है बच्ची तुमसे माँ का प्यार और दो मिठठे बोल. तो कौशल्य जी बीच मे ही बोल पडी. माँ नही हु मै उसकी मेरा सिर्फ एक बेटा है. जिसे मैने नाजो से पाला था. पर अब! लगता है वो भी मेरा नही रहा. एक बार प्रणव की और देखती है और दुसरी बार सोनम कि ओर आंखो में गुस्सा और नफरत लिये तो सोनम ये देख कर अपनी गर्दन नीचे कर सुबकने लगती हैं.माँ मै अपना फेसला सुना चुका हू. और इस बात की खबर मैने कोमल के घर वालो को भी दे दि हैं. सगाई तो कल होगी. पर शादी तब होगी जब मेरी गुडिया को कॉलेज से छुट्टी मिलेगी.
हा,,,हा,,, कर लो सब अपने मन कि मेरी तो कोई सुनता ही नही ये कहते हुए अपने कमरे मे चली गई. प्रणवणे गेहरी सासली और सोनम का हात पकडते हुए का चल गुडिया मै तेरी पॅकिंग मे मदत करता हू. राजेंद्र जी ने सोनम को गले लागते हुए कहा बेटा माँ कि बातो को दिल से नहीं लागते,, जाओ पैकिंग कर लो.फिर प्रणव
सोनम की कमरे मे आ गया. सोनम को उदास देखकर प्रणवने कल सगाई मे पहने वाले कपडो एक एक करके सोनम को दिखाया. बता गुडिया कोनसे कपडो मे अच्छा लगुगा.
( जिससे की उसका ध्यान कौशल्या जी के कडवी बातो से हट जाये ) सोनम ने एक बार अपने भाई की और देखा और बोली आप बहुत अच्छे लगोंगे,,, भाई भाभी से भी ज्यादा उसने अपने आसु को भरकोस रोखते हुए काहा पर प्रणव ने उसके आसू देख लिये फिर उसने कपडे एक् साइड रख के सोनम अपने गले लगा लिया. और बोला तुझे पता है ना!गुडिया मुझे तेरे आसु बिलकुल बर्दाश नही. सोनम प्रणव के गले लगी हुई है जोर जोर से रोने लगे. और कहने लगी. भाई हम कितनी भी कोशिश करले पर माँ के दिल मे जगाह नही बना पा रहे हैं.
दुसरी और राजेंद्र जी, कमरा खिडकी के सामने खडे हुए राजेंद्रजी सोच रहे थे. कौशल्याची आज भलेही आप उस बच्ची को नही अपना पा रही है. पर देखना भगवान जी उसके लिए इतना प्यार करने वाला परिवार देंगा. उसे हमारी कभी मेहसूसी नही. मै भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मेरी बच्ची को सारी खुशीया मिले
सोनम का कमरा ,,, भाई माँ हमसे इतनी नाराज क्यू??रहती है और हमसे इतना नफरत क्यू?? करती है. हम कितनी भी कोशिश करले पर माँ हमे अपने दिल मे जगा नही दे पाती. तो प्रणव ने उसे प्यार से देखते हुए कहा क्या ?? करती हो बच्चा अरे!उनके दिल मे तो राजेंद्रजी हैं ना! और वैसे भी इस उमर मे उनके दिल में कोई और आने से रहा. फिर वो अपनी आखे मटका ते हुए खिलाकर हस दिया. मी भाई को यु हसता हुआ देख कर सोनम भी खिलखिला कर हसणे लगी. क्या? भाई आप भी ना ! माँ ने अगर सुन लिया ना! तो आपकी परेड एक लग जायेगी. तू प्रणवणे झट से अपनी होटो पर उंगली राखली. और मुस्कुराने लगा . ( प्रणवणी ये सब जानबुज कर किया था. ताकी सोनम का ध्यान कौशल्या जी की बातो से हट जाये ) और हुवा भी वैसा फिर प्रणव सोनम के हातो को पकडकर उसे बेड पर बिठाते हुए कहा पर बच्चा मे दिल से चाहता हू की तू अपने दिल की बात सूने और अपने जिंदगी मे किसी और को आने दे. माँ ने तो मुझे अपने दिल कि बात सुने का मोका नहीं दिया. और सिधा में शादी फिक्स कर दि. पर मै दिल से चाहता हू. तू अपने दिल कि सुने सोनम आखो को टकटकी लगाये अपनी भाई को देख रही थी तो प्रणव ने कहा तू अपनी दिल की सुने बच्चा तेरी जिंदगी मे ऐसी कोई आने दे.जो तुझे मुझसे भी ज्यादा प्यार करे जो तेरे खुशी में खुश हो और तेरी उदासी मे मुर्झा जाये जो तेरी खुशियों के लिए उसे दुनिया की सारी बाते बेमानी लगे जो तेरा खयाल मुझसे भी ज्यादा रखे. तो सोनम ने अपने भाई का हात कस के पकडते हुए कहा नही भाई आपके जैसा कोई नही है भगवानजी ने आपके जैसे किसी दूसरे इंसान को बनाना ही बंद कर दिया. फिर थोडा मुस्कुरा कर कहा आपने हमे अपने प्यार के साये मे रखा आप हमारे लिए दुसरो के सामने ढाल बनके खडे रहे.
आप जैसा कोई नही है भाई हम तो भगवान का शुक्रिया करते है की हमे आप जैसा भाई मिला. सोनम की ये बात सुनते है प्रणव ने कहा अच्छा अच्छा अब बहोत होगी भाई की तारीफ सो जा. कल सुबह जल्दी उठना भी है. और सोनम को लेटा कर उसके उपर ब्लॅंकेट डालकर कहा सीधे सोना उलटी-पुलटी होके मत सोना वरना ब्लॅंकेट नीचे गीर जायेगा. और रातभर थंडी सीकुड कर सोओगी. फिर उसके सिर पर हाथ फेर रहा था. सोनम देखते देखते सो गई. फिर उसने भगवान से प्रार्थना की गुडिया की जिंदगी मे ऐसा इंसान आ जाये. जो उसे बहुत प्यार करे.और उसको कभी हमारी याद कभी ना! आए. और उसकी आंखो से आसू निकल के उसके ही शर्ट सीने पर आ गीरा.तो उसने अपने आसू पोच्छे फिर उसने देखा सोनम सो गयी थी. तो उसे सोनम के सर को चुम के गुड -नाईट बच्चा कहा और कमरे की लाइट्स ऑफ की और बाहर की और चला गया.
( क्या???भगवान ची प्रणव की अरदास सुनेंगे )
( और क्या??सच मे सोनम को ऐसा परिवार मिलेगा जो उसे बहुत प्यार करेगा )
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वहा एक अलग ही हलचल थी. तू अभी कुछ दिन और नहीं रुक सकता क्या ??? कल्पना जी बॅग में कपडे भर रहे लडके को देख रही थी. डुग्गु मै तुझ से बात कर रही हु,,, कल्पना जी ने थोडे तेज आवाज में चिडते हुए कहा! माँ plz यार आप अच्छी तरह से जाणती हैं,, ना! मुझे इन सब में कोई इंट्रेस नहीं. ओर आप लोग जाण बुझ कर वही बात करते हो,,, वो गुस्से में कल्पना जी कि ओर देखकर फिर से अपने कपडे ठुस ने लगा.
अरे ,,, छोरे ताणें नफरत कोन से चीज से ना,,, से इबार थारे तरह से कोणी ,,,कल्पना जी के पीछे खडी दादी कब से अपने पोते कि अकड देख रही थी . तो वो लडका बोला ,,,, दादी यार अब!आप मत शुरु हो जाणा.और अलमीरा को धाड के आवाज के साथ बंद कर दिया कल्पना जी चुप - चाप देख रही थी ,,, अपनी तरफ उन्हे देखता पाकर बोला माँ मेरा कल निकलना बोहोत जरुरी हैं.
मुझे हेड कॉटर से अर्जंट इमेल आया था. अब! कब आयेगा तू कल तक नहीं रुक सकता क्या??कोमल कि माँ ने कितनी रिक्वेस्ट कि थी. तुझे अपने साथ कोमल के सगाई में लेते चलू कल्पना जी ने मुह बनाते हुए कहा,,, और मै इसी भस्ड कि वजह से मै नहीं रुकुगा ,,, यहा आप लोगो से मैने कितनी बार कहा हैं. कि मै शादी में इंटरेस्टेड नहीं हुं. फिर भी आप लोग जब भी मै छुट्टीयो में घर वापस आता हुं. आप लोग कोईना कोई बखेडा खडा कर ही देते हो वो नाक मुह सिकोडते हुए बोला,पर बेटा कल्पना जी ने इतना ही कहा था.उनकी बात मुह में ही रह गई.
माँ plz इस बारे में मुझे और कुछ नहीं कहना हैं. और वैसे भी मै कल तो यहा हुं. तो थोडा मेंटल टॉर्चर बचा के रखिये और अभी plz मुझे खाना दे ,,, दीजिये ,,, बोहोत भूक लगी हैं. और वोशरूम कि तर्फ बढ गया. " ये छोरा तो कतई जिद्दी से ''वा ''के मुह से कोई बात निकल जावे तो म्हारे भगवान भी ''वा '' के बात से हटासके कोणी " दादी ने गुस्से से उस लडके को जाते हुए देख कर कहा ,,, तो कल्पना जी ने धीरे से कहा माँ आप भी ना!अगर डुग्गु ने सून लिया ना!तो आफत ही आणि हैं,,, तो दादी बोली थारे को डरना से तो डर म्हारे को तो कतई डर कोणी ,,, दादी ने अपने बंदूक से धड ,,,, धड ,,,,, धड बुलेट चालते हुए . कहा ,,, ओर बाहर चली गई ,,,
बाहर डायनींग एरिया में सब! चुप-चाप बैठे थे.और खाणे को घुर रहे थे. उन सब के घुर ने से जैसे खाना भी कह रहाँ था. भाया खाओगे. तो मुह से ही या फिर खाकर पेट के अलवा कई और से भी ठुस ने का विचार हैं . महेश जी ,,, सुप्रिया ,,, और दादी कभी एक दुसरे को देखते तो कभी डुग्गु और कल्पना जी को,,,, अब!यहा पर क्या ?? हॉरर शो हो रहाँ हैं. जो सब के चेहरे पर बारा बजे हुए हैं. डुग्गु ने सब!कि ओर देखते हुए कहा कल्पना जी सब को चुप-चाप खाना परोस रही थी. ओफो माँ ये इमोशनल ब्लॅकमेल करणा बंद किजिये. डुग्गु ने अपने हाथ टेबल पर जोर से रखते हुए कहा ,,,माँ कि और देखने लगा कल्पना जी अब भी कुछ नहीं बोली तो डुग्गु ने अपने हाथ उपर करके कहा ok ,,, ok ,,, चलुगा मै कल कोमल कि सगाई में सबके बारा बजे हुए चेहरे पर ख़ुशी कि लहर दोड गई. पर मुझ से इसे जादा उमीद मत रखिये. अगर आप ने मुझे वहा किसीसे मिलने या मिलाने कि कोशिश कि तो याद रखेंयगा मेरा बॅग पैक हैं . डुग्गु ने एहसास जताते हुं कहा और खाना खाणे लगा "अरे" छोरे तू बस म्हारे साथ चला चल जो थारे बातो में थारे को ना!घुमा दिया, तो म्हा थारी बाप कि माँ और थारी दादी कोनी ,,, दादी मंद मंद मुस्कुराने लगी,, और डुग्गु ये अच्छे से नोटीस कर रहा था ,,,और दादी खाते खाते मुस्कुराने का मतलब मामला घनो गम्भीर से कितनी अजिब बात थी. मिस्टर एरोगेंट सगाई में जाणा नहीं चाहते थे. उन्हे लडकीयो में और लाडकीयो वाले हरकतो में कोई दिलचस्पी नहीं थी. और हमारी गुडिया (अजी सोनम) खुद को जबरदस्ती रोके हुए थी. वरणा वो आज ही निकल जाती मेडिकल कॉलेज पुणे के लिये, खैर अब तो दोनो ही आ रहे हैं ,,, देखते हैं ,,, कैसी होती हैं ... इनकी मुलाकात एक दुल्हे कि बेहन और दुसरा दुल्हन का कजन ब्रदर.............
(अब देखणा ये हैं ... क्या ??? रंग लाती हैं इनकी पहली मुलाकात )
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छाया निवास में सुबह सुबह एक अलग ही अशांती फैली हुई थी. अरे! लडाई -झगडे कि नहीं ,,, जल्दी जल्दी समानो को गाडी में रखने कि ,,, कौशल्या जी, आज के खास दिन कही सोनम को अपसेट ना ! कर दे . इसलिये प्रणव ने सोनम को अपना फोन और एक बॅग पकडवाके कहा कि उसे इन सब! चिजो कि कभी भी जरुरत पड सकती हैं . तो तू अपने पास सभाल के रख ,,,, ये कह कर उसे अपने साथ ही रखा ,,,, जी भाई बोलके सोनम गाडी में प्रणव के साथ बैठ गई , धीरे धीरे दो ,,, तीन गाडिया छाया निवास से निकलने लगी . कोमल और उसकी फैमिली ,,, यु ,,,तो नोएडा से थी . पर उन्होने खास सगाई के लिये इंदोर दिल्ली हाइवे के पास एक रिसॉर्ट बुक किया था . (प्रणव का गाव दिल्ली इंदोर हाइवे से कुछ दो ,,, तीन घन्टो के दुरी पर था ) और वो एक दिन पहले ही रिसॉर्ट आ गये ,,, कुछ ही देर में शुक्ला फेमिली कि गाडिया रिसॉर्ट के मेन गेट पर आ पोहोची . और कोमल के घर वाले उनके स्वागत के लिये खडे थे . प्रणव और सोनम एक साथ ही गाडी से बाहर निकले. कुछ आवभगत के बाद सभी अंदर जा रहे थे , कौशल्या जी सोनम को देख कर मुह 😏बनाकर आगे जाणे लगी . राजेंद्र जी ने ये देख कर कौशल्या जी से कहा देखो भाग्यवान मै यहा कोई तमाशा नहीं होणा चाहिये ,,, वरणा मै भूल जाऊंगा कि तुम लडके कि माँ हो ,,, इतना बोलके वो सिधा अंदर चले गये . देखा जीजी ,,, जिजाजी तो बिलकुल ही वह बिना खानदान कि मोडी के पीछे पागल हो गये हैं . प्रणव के मामा ने कौशल्या जी के कान भरते हुए कहा ,, अब! मै क्या ?? ही कर सकती हु ,,,,, भैया मेरी तो किस्मत ही फुटी हैं . पती तो पती मेरा बेटा भी उस अनाथ के पीछे पागल हैं . कौशल्या जी ने अपना दुखडा सुनाते हुए कहा ! पर जीजी कबतक इस मोडी को अपने गले में लटकाई रखोगी . ये सुधा थी ,,, प्रणव कि मामी सोनम के मामले में कौशल्या जी को भडकाने में इन दोनो का ही हाथ था ,,,,
कोई लडका देख कर ठिकाणे लगवादो इस बला को उसने जहर बुझी आवाज में कहा देखो कैसे चिपक के खडी हैं .
प्रणव बेटा से तो कौशल्या जी आंखे शोला बरसाने लगी थी.
पर वो इस समय कुछ कर नहीं सकती थी . बस! जेहर का घुट पी कर रह गई. और मेहमानो से मिलने लगी .
इधर प्रणव और सोनम काऊच पर बैठे हुए थे ,, सामने नास्ता रखा हुआ था . तो कोमल कि माँ उनके पास आते हुए बोली प्रणव बेटा आप तो कुछ लेही नहीं रहे हो ,,,, अरे ! नहीं नहीं आंटी इतना सब! बोहोत हैं .thanks ,,,, प्रणव थोडा नर्वस हो रहाँ था . अरे!आंटी क्यूँ ??? बोल रहे हो ,, कोमल कि तरह आप भी मुझे माँ कहो बेटा मुझे अच्छा लगेगा. रागिणी जी ने थोडा लाड लडाते हुए कहा , सोनम चुप-चाप उनकी बाते सून रही थी. अम्म,,, ये सोनम हैना.
रागिणी जी ने सोनम कि और देखते हुए पूछा तो प्रणव ने थोडा हिचकीचाते हुए कहा,, जी ,, जी,,, माँ ,,,,, पर आप हमे कैसे पहचान गई. सोनम हैरान थी . क्यूँ ? कि प्रणव की हर दुसरी बात तुमसे ही रिलेटेड होती हैं . कोमल तो बोहोत बेचेन हैं. तुम से मिलने रागिणी जी ने खुश हो कर कहा ,, सच " पर हमे तो लगा भाभी भैया से मिलने के लिये परेशान होगी. सोनम ने कुछ शरराती
अंदाज में कहा ,,,, गुडिया ,,,, प्रवण ने सोनम कि और देख कर धीरे से कहा ,,, तो रागिणी जी ने सोनम के कान पकडते हुए कहा शैतान ! तो सोनम खील -खिला के हस दी. उसे यु हसता देख प्रणव के जाण में जाण आई ,,,, चलो में छोटी कुछ देरी के लिये उस उदासी से बाहर तो आई ,,, और वो भी मुस्कुरा दिया . पर उसकी इस निश्चिल हसी ने कुछ लोगो का ध्यान अपनी तर्फ खिच लिया जो अभी अभी अपनी तशरीफ का टोकरा लेकर आ रहे थे .
(अजी और कोण मिस्टर ऐरोगेंटके माँ,,, पापा ,,, सुप्रिया और हमारी बातो के बुलेट वाली दादी )
"" के कहा था. लोग ये लडका कठे रह गयो से ,,,,, था लोग भी घना कमाल करो से ,,, अब! ये छोरा गाडी पार्क करके आवेगा कि नहीं ,,, वरणा के पता चले नगर पालिका वाले ,,, वा , कि धणो को लवारीस समज के धरके ले गये . (धणो डुग्गु के गाडी का नाम हैं)
बोहोत प्यारी बच्ची हैं. हैना ,,, माँ कल्पना जी ने दादी को कोहनी मारते हुए ,, दुसरी और देखने को कहा जिस और सोनम बैठी थी. अब ! घर में सडू ,,,, अकडू ,,,, ऐरोगेंट ,,,मोस्ट हेडसम ,,,वेल सेटल
और बेचलर लडका घर में ही मौजुद हो तो हर माँ को शादी और सगाई में आणे वाली लडकी में अपनी भावीवधू नजर आती हैं .
और लडकी सोनम जैसी हो तो हर माँ का मन करेगा ना! इसी मुहूर्त में सगाई और अगले मुहूर्त में शादी हो जाये . फुललेन्थ डार्क ब्लु कलर के गाऊन में वो किसी भी हिरोईन को मात देणे का दाव रख रही थी . उसने अपने काले लंबे बालो को खुला छोड रखा था
आंखो में काजल ,,, होटो पर लिबलॉस ,,,, कानो में पर्ल के टॉप्स
हाथो में ड्रेस से मेचींग ब्रेसलेट ,,, दुसरे हाथो में घडी बाधे थी . आज वो हर एक कि आंखो का निशाणा बनी हुई थी .
पर ये क्या ??? उसका दिलं अचानक से इतना तेज क्यूँ??
धडकणे लगा ,,,
(क्या ??? रंग लायेगी उनकी पहली मुलकात )
लाईक और कमेंट जरूर करीये .......👍🏻
प्रणव और कोमल के बाद सोनम ही लाइमलाईट थी . वो अपने भैया बात कर ही रही थी. कि अचानक उसके दिल कि धडकनो
कि स्पीड 100से भी जादा हो गई. वो बेचेनी से इधर -उधर देख रही थी. अनासया उसका हाथ अपने दिल कि और चला गया.
और उसके माथे पर पासीना आ जाता हैं . प्रणव ये देखकर सोनम से पूछता हैं. गुडिया तू ठीक तो हैं,,,, ना !
सोनम अपने माथे का पासीना पोछकर कहती हैं . हा ,,,हा,,,, हम ठीक हैं. भाई शायद हमे भीड -भाड वाली जगह के कारण सफोकेशन हो रही हैं ,हम जरा बाहर खुली हवा में टेहल के आते हैं . प्रणव ने हा में गर्दन हिलाई , तो सोनम बाहर कि और चली गई. ठीक उसी वक्त मिस्टर ऐरोगेंट अंदर कि तर्फ आ रहे थे . दोनो ही एक दुसरे को क्रॉस हुए . और अचानक डुग्गु कि धडकणे भी बुलेट ट्रेन कि तरह फास्ट हो गई . डुग्गु ने अपने दिलं पर हाथ रखते हुए कहा , "what the hell ,,, मुझे इतनी बेचेनी क्यूँ ?? मेहसूस हो रही हैं. एसा लग रहाँ हैं. जैसे कोई मेरे अंदर से धडकनो को अपने साथ लिये चले जा रहाँ हैं. उसने अपने चारो तर्फ देखा उसे सब !कुछ नॉर्मल ही लगा ,,, उसने अपने सर को झटक कर कहा जब! बिना मन के आओगे तो एसा ही होगा , और वो आगे अपने परिवार कि तर्फ चला गया . सोनम ने बाहर आके एक गेहरी सास लेते हुए कहा ,,,,, अब !कुछ अच्छा लग रहाँ हैं .सोनम बाहर पार्किंग कि तर्फ आ गई थी. और एक गाडी से टेक लगा के खडी हो गई वो मन में सोचने लगी. कितनी अजिब सी बेचेनी थी. जैसे कोई हमारे आस-पास भुचाल सा आणे को हैं ,,,, एक गेहरी गेहरी सास लेते हुए कहा अब,,, हमे थोडा ठीक लग रहा हैं . हमे भाई के पास चालना चाहिये ,,वो कही हमे
ढुढते हुए यहा ना ! आजाये वो अंदर के तर्फ जाणे लगी. (पर भुचाल ने तो उसके जिंदगी में कदम रख दिया. और तो और भुचाल के घरवालो के नजर में भी वो आ गई .फिलहाल तो दोनो ही अपनी अपनी बेचेनी कि हालत से अंजान हैं . और देखते हैं.
कब ,,,, तक दोस्तो ,,,,,)
मिस्टर ऐरोगेंट और सोनम दोनो ही सगाई में मोजूद थे . दोनो को ही एक - दुसरे के वहा पर मौजुद होणे से अजिब सा एहसास होता हैं . जिसे दोनो ही अंजान हैं . सोनम गाडी से टेक लगाई खडी थी .और खुद को रील्याक्स कर रही थी . कि तभी उसका फोन बजणे लगा फोन उठाकर उसने कहा ,,, हा ,,, पापा हम यही पर हैं . हम बस ! अभी पोहोचते हैं. भाई के पास सोनम ने जल्दी से कहा और फोन काट के जैसे ही आगे बढने को हुई ,,,
उसके मुह से निकला (AAuch ) अब ! ये क्या ?? मुसीबत हैं.
सोनम के लंबे बाल पता नहीं कैसे गाडी के हेंडल में फस गये थे.
और अब ,,,बिनाउसे सुलझाये वो आगे कैसे बढें ,,,, बाल पीछे कि तर्फ से फसे होणे के कारण सोनम उसे देख भी नहीं पा रही थी . हे भगवान जी आप भी ना ! हमेशा एसे मुसीबत में क्यूँ ??
फसते हो ,,,
भाई हमारा वेट कर रहे होगे. और हम यहा फसे हैं plz ,,, plz ,,, 🙏🏻 भगवान जी हमारी मदत किजिये ,,,, हम आगे से पक्का बाल खुले नहीं छोडेगे " प्रॉमिस '' सोनम हाथ जोडे खुद ही बडबडाये ,,जा रही थी ,, तभी एक (क्लिक )कि आवाज आई ,,, किसीने पीछे कि तर्फ से गाडी के दरवाजे को अंदर से खोल कर उसके उलझे हुए बालो को निकल दिया . खोदको फ्री होते ही सोनम जैसे ही पीछे कि और मुडी खिडकी का शिशा बंद हो गया था . उसका थँक्यू उसके मुह में ही रह गया . जब ! उसने गाडी के अंदर बैठे हुए ,,, इन्सान कि आवाज सुनी ,,,, जब ! बाल सभाले ही नहीं जाते तो इतने लंबे करणे कि जरुरत ही क्या ? हैं ,,, वो बंदा गाडी कि दुसरी तर्फ का दरवाजा खोलकर वापसअंदर कि और चला गया. सोनम ने ध्यान से देखा तो उसके हाथो में गिफ्ट का बॉक्स था . हाला कि सोनम उसका चहेरा नहीं देख पाई ,,,, क्यूँकी जब! तक सोनम मुडती गाडी का शिशा बंद करके दरवाजे से बाहर निकल गया था . और उसकीपीठ सोनम की तर्फ थी.
हम्म 😏 कैसा अजिब अकडू इन्सान हैं . ऐसे कोण किसकी हेल्प करता हैं. इतने एहसान ,,, और एटेट्युट में 😏 ,,,, वो जा रहाँ था . और सोनम उसे पीछे से देख रही थी . पर ये क्या ??? उसका दिलं फिरसे बेकाबू हो रहाँ था . और उधर डुग्गु भी चलते चलते रुक गया . उसका दिल भी तो धडक रहाँ था . "नो ,,नो ,,,,नो नॉट अगेन,,, व्हॉट द हेल इज धीस हॅपेनिंग टू मी ,,, दोनो ने ही एक साथही कहा ( ये हो क्या ??? रहाँ हैं )पर दोनो को ही एक दुसरे की आवाज सुनाई नहीं दी .. दोनो दूर जो थे . एक दुसरे के हालातो से भी और एक दुसरे से भी दोनो का हाथ इस वक्त अपने अपने दिलं पर था . और फिर वो अंदर अपनी फेमिली के पास पोहोच गया था . ये लिजिए आप की अमानत माँ ,,,, सुप्रिया और दादी उसे देख रही थी ,,, ओके ,,,,ओके डुग्गु इतना गुस्सा करणे की जरुरत नही हैं . महेश जी ने उसके कंधो को थप -थपाते हुए कहा ,,,
( पहली मुलकात तो हो गई ,,,, पर अंजान बनके )
(आगे देखते हैं, क्या ? रंग लाती हैं इनकी मुलकात)
लाईक ,,,, और ,,,कमेंट ,,,, plz
महेश जी की बात सून कर डुग्गु थोडा परेशान हो कर बोला ,,,, पा (महेश जी को) मै पेहेले ही आणा नहीं चाहता था ,,,,आप सबके फोर्स करणे पर मै तयार हो गया .तो अब ! शान्ति से एक जगह मुझे बैठे रहणे दीजिये . मुझे यहा - वहा भगाने की जरुरत नहीं हैं . 🤨हम्म ,,,, यो,,,, तो कतई कमाल से जब गाडी में गिफट,,, था भूल के आवगो तो वानू लेवेके थारा यो बापू जावेगा ,,, दादी ने कहा और चुपचाप चाऊमिन की स्टोल की तर्फ नजरे जमा दी. और प्रिया से बोली जरा मेरे लिये एक
प्लेट चटपटी चाऊमिन लेकर आणा. दादी जी डुग्गु की घुरती
हुई आंखो से बचणे की गरज से कहा और दुसरी तर्फ देखने लगी . जी दादी बोला के प्रिया चाऊमिन की स्टॉल की तर्फ चली गई. जुग जुग जिये म्हारी छोरी ,,,
म्हारा घना ख्याल राखती हैं . (डुग्गु को तिरची नजर से देखते हुए ) नहीं तो किसीको तो दिदा फाडणे से फुरसत नहीं
दादी ने धीरे से बडबड करते हुए कहा ,,,, तो डुग्गु खिस्याते हुए पास ही में एक चेयर पर बैठ गया . और वक्त काटणेके गरज से इधर उधर देखने लगा .
अरे ! कविता जीजी ,,, जिजाजी ,,,, दादी,,,,, आप सब ! यहा क्यूँ ??? बैठे हैं . आईये सगाई का प्रोग्राम शुरु होणे वाला हैं ,,, एक तर्फ से आती हुई ,,, रागिणी जी ने मुस्कुराते हुए कहा ,,,
अरे ! वहा ! डुग्गु भी आया है . जैसे ही रागिणी जी ने कहा डुग्गु ने उनकी तर्फ आके पैर छुते हुए कहा जी मासी ,,, रागिणी जी ने उसके सर पर हाथ रखते हुए , कहा ! अब ! तुम कब हमारे लिये बहु लाने वाले हो ,,, डुग्गु थोडा चिडते हुए कहा " मासी आप भी और अपनी चेयर पर जाके बैठ गया , रागिणी और बाकी सब !भी हस दिये , चलये रागिणी जी ने दादी का हाथ पकडते हुए कहा ,,, आ ,,, हा,,,, हा,,, चलो चले बेबसी से डुग्गु की तर्फ देखते हुए कहा ,,,,और चलणे का इशारा किया. पर डुग्गु जी ने जानबुज कर अपनी नजरो को दुसरी तर्फ जमा लिये थे .जैसे उसने कविता जी का इशारा देखा ही ना ! हो और फिर समजणें की तो नोबत ही नहीं ,,,, घनो जिद्दी से ये डुग्गु ,,, दादी ने धीरे से महेश जी से कहा ,, और धीरे धीरे वहा पोहोच गई थी . जहाँ सगाई के लिये जमा हुए थे .
सो्कॉल्ड फेमिली ड्रामा , डुग्गु ने एक उपेक्षित सी नजर सामने हो रहे फगशन की और डाली और आंखे बंद कर वही बैठ गया . वो मन में बोला ,,, और फिर बडबडते हुए कहा पहले इतना तामझाम करो और फिर कुछ महिनो बाद अपनी गल्तीयो का ठीकरा एक दुसरे पर फोडो "what rubbish "
और क्या ??? जरुरत हैं . ये सब नौटंकी करणे की वो खुद से बात करते हुए इरिटेड हो रहा था.
आप जिसे रब्बीश कह रहे हो ना !वो तो ना ! ज़िन्दगी का खूबसूरत सच हैं ,,,भाई ; डुग्गु पीछे पलट कर देखता हैं . तो प्रिया उसे देख मुस्कुरा रही थी . तू यहा क्या ??? कर रही हैं .
तुझे तो ये सब ड्रामा पसंद हैं ,,, ना ! तो जाणा . डुग्गु ने लपरवाही से कहा और आंखे बंद करली . तो प्रिया पास की खुर्ची पर बैठते हुए कहा ,,,, आपकी दिक्त क्या ??? हैं . भाई
अरे ! ये प्यार ,,, मोहोब्बत ,,, इश्क ये सब ! ना ! किसे कहानीयो में अच्छे लगते हैं . असल ज़िन्दगी में इसका कोई मेहेत्व नहीं हैं . कोई इतना अच्छा और समजदार होही नहीं सकता आप उसके साथ पुरी जिंदगी बिताले . डुग्गु ने अपना पक्ष रखते हुए कहा,,, अच्छा तो फिर भाई आपका माँ ,,, पापा
इन दोनो के बारमे आप क्या ??? कहोगे . अरे ! उस तरह लोगो की बात ही अलग थी . तब ! तो रिश्ते बनाये ही निभाने ने के लिये किये जाते थे . और आज कल के रिश्ते भी तभी तक रहते हैं . जबतक उनसे फायदा मिल रहा हो . नहीं तो कोई किसीको आख उठाके देखने की भी नौबत नहीं करता . डुग्गु के आवाज में एक तलखी आ गई थी . पर भाई रुहानी मोहोब्बत तो आज के जमाने में भी हैं . सुप्रिया के गाल ब्लॅश कर रहे थे . और आप देखणा ,,, जब आप इस एहसास से रुबरू होगे ना ! तो आपके ये अजिब से लॉजिक भी धरे के धरे रह जायेगे . पियु आजतक ऐसी कोई लडकी बनी ही नहीं हैं . जो मेरे आंखो से उतर कर रुह में उतर जाए . (डुग्गु ने थोडे स्टाइल से अपने कॉलर को झटक ते हुए कहा ) ,,, प्रिया थोडी हसी और कहा जरूर बनी होगी . पर दिखेगी ,,,,तो तब ! ना ! जब आप उनपर अपनी नजरे इनायत करेगे ,,,, पिया ने थोडी मस्ती करते हुए कहा ,,,, तो डुग्गु ने अपने चारो तर्फ तितलीयो की तरह मडराती लडकियों को एक तिरची नजर से देखते हुए कहा ,,,, और फिर व्यगात्मक हसी हस्ते हुए कहा ,, ये बतक की चोच जैसे चेहरे बनाकर सेल्फी लेते हुई . छिपकलीयो को मै ,,,,,, मै डॉक्टर अमित रघुवशी अपनी तर्फ उंगली करके ,,,मै देखूगा ,, पियू ,,,please don't crack the jokes ,,,,, पिया मन मसोस के रह गई . अपने भाई को शादी तो दूर की बात हैं . वो उन्हे देखने के लिये भी मना नहीं पा रही थी . डुग्गु ने कहा पियू मै बोहोत अच्छी तरह से जनता हुं ,,,, तू माँ और दादी की सेना की सेनापती हैं . पर sorry ,,, यार मै इस मामले में तेरी कोई मदत नहीं कर सकता
डुग्गु ने उसके उत्तरे हुए चेहरे की तर्फ देखते हुए ,,, कहा ,,,,
( क्या लगता हैं ,,, आपको प्रिया मना पायेगी डुग्गु को शादी के लिये )
Plz ,,,, कोई कमेंट तो दो ,,,, लाईक भी करदो ,,,,, और शेअर भी करदो,,,,,
भाई मै दादी या माँ के कहने पर नहींआई हुं. मै सच !में चाहती हुं .
की आपकी जिंदगी में कोई ऐसी लडकी आये. जिसे खुद से जादा आप का ख्याल हो ,,,जो आपकी ख़ुशी में में अपनी सब!कुछ कर जाये. जो बिना आपको बतायें बगेर आपके दर्द को अपना बनाले . प्रिया ये सब !कहते हुए ,,, डुग्गु के आंखो में एक बार झाकने लगी पर वहा तो निल बटे सन्नाटा था . वो पैर पटकते हुए खडी होके बोली ,,, क्या ??? भाई आप भी और जाणे लगी .
तो डुग्गु ने उसे पकडते हुए ,,, कहा ! पियू ,,,, पियू ,,, पियू
और उसे शांत होणे को कहा . और उसे फिर से बैठाते हुए ,, उसके हाथो को अपने हाथो में लेते हुए कहा ,,,,मै समजता हुं .
तू मेरे लिये कितनी फिकर मंद हैं . पर मै क्या ??? करू मै एसा ही हु ,,,,,और ये सब !! बडी बडी बते किताबो में ही अच्छे हैं.
और मुझे नहीं लगता की इस दुनिया में ऐसी कोई लडकी होगी मुझे इस हद तक समझेगी और मेरा बेवझह मेरा गुस्सा झेलेगी.
इसलिये जस्ट रिलेक्स और फिलहाल इस सगाई को एन्जॉय कर ,,,, डुग्गु ने प्रिया के गालो को थपथपाते हुए कहा
प्रिया बेमन से चली गई ,,, जिस और कल्पना जी और दादी थी.
और बाकी सब मेहमान खडे थे . प्रणव और कोमल की सगाई के लिये ,,,,, क्या ???? हुआ ,,,,, क्या ??? बोला वो जल मुर्गा
दादी ने छुटते ही कहा ,,,,, कोई फायदा नहीं हैं ,,, दादी ,,,,, नो ! माँ कोई फायदा नहीं ,,, प्रिया ने उदासी से कहा ,,,, भाई जैसे डिसाईड करके बैठे हैं . उन्हे शादी ,,,, सगाई या फिर लडकी को देखने की भी जेहमत नहीं उठाणे वाले हैं .
माँ और प्रिया तुम दोनो देखोना कितनी प्यारी बची हैं . देखने से ही लग रहाँ हैं कितनी मासूम और प्यारी और संस्कारी हैं .
कल्पना जी ने उन दोनो को कुछ ही दुरी पर प्रवण के पास खडी सोनम की तर्फ इशारा किया ,,, कोई बात नहीं बिंदणी जे छोरे के ब्याह होणे के तक माँ को हर छोरी मासूम और संस्कारी लागेसे पर छोरी के असली रंग बाद में पता चले से ,,,, था म्हारे को ही देखले ,,, दादी ने प्रिया को देख एक आख मारी ,, और दादी की बात सुनकर तो प्रिया दबी,,,, दबी ,,,, हसी हसणे लगी ,,, तो कविता जी बोली क्या ??? माँ आप भी 😏 ,,,
कुछ देर चुपी बाद दोनो सास ,,,, बहु ने एक दुसरे को देखा और खी ,,, खी ,,, करके हसणे लगी . इस बीच प्रणव और कोमल ने एक दुसरे को रिंग पहनाई .....
वहा मोजूद सभी लोगोने उन दोनो के लिये खूब तालिया बजाई ,,,, सोनम ने खुश होके ,,, कोमल को गले लगाते हुए कहा ,,,, मुबारक हो भाभी अब !आप ऑफिशली हमारे प्रणव भाई की हो गई . प्रणव और कोमल एक दुसरे को देख मुस्कुरा उठे ,,, आप ही गुडिया होणा ,,,, कोमल ने अपने पास बिठाते हुए कहा ,,, हम्म ,,, सोनम ने छोटा सा जवाब दिया .
सच ! में प्रणव से आपकी जितनी भी तारीफ सुनी थी ,,, आप तो उससे भी जादा प्यारी हो ,,,और बोहोत खूबसूरत भी ,,, सच ,, में और सोनम खील खिला दी ,,,, वैसे भाभी अब ! आप के आणे से हमारी ताकत डबल हो जायेगी सोनम ने प्रणव की तर्फ देखते हुए कहा ,,, (तो प्रणव ने आंखे छोटी करली , और सोनम को देखने लगा ,,, उसे पता था ,,, उसकी बेहेन शैतानी कर रही हैं ,,, ) तो कोमल ने कहा ,,, और वो कैसे (कोमल को भी सोनम का साथ अच्छा लग रहा था )
तो सोनम ने कहा क्यूँ ?? की अब ! हमे शरारत करणे के बाद हमे कही छुपने की जरुरत नहीं पडेगी ,,, हम भाग के आप के पास आ जायेगे ,,, और हमने देखा हैं . आप के सामने तो भाई
बस ,, हम्म ,,, हा,, जी ,,,, सही हैं ,,, यही बोलते सुना हैं ,,
तो फिर ( कोमल को गले लगाते हुए कहा ) हमे कोई नहीं डाटेगा
सोनम की बात सून कोमल ने प्रणव की तर्फ देखा तो वो उसे ही देख रहा था .प्रणव को ऐसे देखता पाकर कोमल ने शर्म से नजरे नीचे करली ,,,,
इधर लोन में बैठे रघुवंशी महिला मेम्बर (दादी ,,, प्रिया ,,, ओर कल्पना जी ) निगाहे इधर उधर घुम फिर कर सोनम पर ही
जा रही थी . कल्पना जी ने कुछ अर्थपूर्ण दृष्टीसे प्रिया को देखा
तो प्रिया खडे होके थोडे दूर होते हुए बोली माँ एसा सोचना भी मत भाई मुझे जाण से मार देंगे . आप को उनका गुस्सा पता हैं . और उन्हे अगर पता चला हम लोग भाई के लिये लडकी ढूड रहे हैं . I swear ,,, भाई जो यहा से उठकर गये ,,, ना !
तो सिधा पुणे जाके रुकेंगे ,,, अरे !फिर क्या ??? करू तुही बताना (कल्पना जी परेशानी में अपना पलू गोल गोल गुमाते हुए बोली ) प्रिया कुछ सोचते हुए बोली ,, भाई को यही बुलाले क्या?
और क्या ?? पता कन्या का मुखमंडळ देखकर बालक के विचार बदल जाए (प्रिया ने नोटकी करते हुए कहा) तो कल्पना जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई ,,, थे क्या ? किसी मुहूर्त का इंतजार
से थम दोनो को ,,, दादी बोहोत देर से दोनो माँ बेटी का वार्तालाप देख और सुनकर पक चुकी थी ,,, अंतह : ,,, दोनो के बीच में टपक पडी ,,,,
( लो ,,,, भाई फिर से लग गये ,,,, घरवाले डुग्गु को लडकी मिलवाने पर क्या ??? डुग्गु मिलेगा सोनम से या फिर .........)
### सोचिये #### सोचिये ####
और मिलते हैं ,,,, अगले एपिसोड में ,,,,बाय 🙋🏻♀️
🌸🌸 plz 🌸 कमेंट 🌸 लाईक 🌸 करदो 🌸🌸
योगेश बोला ,,, देख रही हो जीजी यो छोरी को अभी तक तो केवल प्रणव पर ही अपनी मोहिनी डाले हैं .अब ! तो ये छोरी प्रणव की बहू पर भी अपनी मिठी मिठी बातो में फसा लियो हैं.
कौशल्या जी के कानो में एक बार फिर से जहर घोलने की गरज से कहा ,,, मै का करू भैया ये लडकी से कैसे पिछा छुडाऊ कौशल्या जी ने बोहोत आग्रह भरी निगाह से योगेश को देखा
कहा ,,,, जैसे योगेश के पास उसके हर सवाल का जवाब हो.
उसका इंतजाम हम कर लिये जीजी ,,, पीछे से आती हुए
सुधा ने कहा ,,,, क्या ??? इंतजाम करो हैं. तुमने और हमको तो पता चले योगेश वही खुर्ची पर आलती -पालती मारके बैठ गया,,, अरे ! अरे ! भैया जरा कायदे से यो तुमरा गाव नाही हैं ,,, ये शेहर हैं . और हम सब ! इस समय प्रणव के ससुराल में हैं. कौशल्या जी को अपने भाई की ये हरकत कुछ पसंद नहीं आई
सुधा को योगेश की इस तरह बेजती करने पर बोहोत गुस्सा आया,, पर क्या ?? करती तो उसने अपने गुस्से को काबू किया और शांत खडी रही . गुस्सा तो योगेश को भी आया पर वो सुधा का इशारा पाके शांत रहा. कल इस मोडी को जाणे दो यहांसे बस !ताकी हमारी चांदी ही चांदी हो ,,, सुधा ने खिसे निपुडते हुए कहा तो ये कोणासी बडी बात हैं . ये हम भी जाणते हैं . कल प्रणव बेटा उसे दिल्ली तक छोडने जा रहा हैं . योगेश ने मुह बिचाकते हुए कहा ,,, असली बात तो तभी पता चलेगी तब तक तुम दोनो ये जलेबी खाओ हम अभी अभी मिठाई वाले स्टोल से गरमा गर्म निकल के लाये हैं . सुधा ने जलेबी एक एक तुकडा योगेश और कौशल्या जी के मुहमें लगभग ठुसते हुए कहा ,,,
दुसरी तरफ प्रिया को अपनी तर्फ जरुरत से जादा मुस्कुरा कर आते हुए ,,,,देख कर डुग्गु के कान खडे हो गये.
ये इतनी खतरनाक स्माईल क्यूँ ??? दे रही हैं . डुग्गु अपने चीन पर उंगली रख कर सोच रहा था . प्रिया आ रही थी. स्माईल करते हुये पर वह अंदर से खुद को कोस रही थी. मै ही क्यूँ ? हमेशा ,,,क्यूँ ?? इन सब के बीच फस जाती हुं . इस बार तो पका भाई मेरी चोटी खिच लेंगे ,,, अरे ! पर आज ही तो मैने अपने बाल सेट कारवाये हैं. फिर तो भाई को मेरी चोटी खिचणे को नहीं मिलेगी . इतना सोचते ही प्रिया का चेहरा खुशी से खील जाता हैं पर इस से क्या ??? कुछ याद करते ही फिरसे लटक जाता है
भाई को वैसे भी मेरी हेअर स्टाईल बिघडणे मे मजा आता है.
" ए नोटंकी " आती हुए ऐसे आडे तिरचे मुह क्यु?? बना रही है .यहा आस पास के सारे लडके तुझे देखकर डर गये थे. की कही तुझ पर माता तो नही आ गई. डुगु ने प्यार से उसके गाल पर हात मारते हुए कहा. हा हा हा ,,,, व्हेरी फनी प्रियाने मूह बनाते हुए कहा वैसे आपका हो गया होगा.तो चाहिये मेरे साथ आपको माँ और दादी बुला रही है. प्रियाने बेपरवाईसे काहा जैसे उसे डुगु के जाने ना जाने से कोई फरक पडणे वाला नही था. क्या ???
I mean kyu ?? डुगु ने अपने दोनो कंधे उचकाते हुए पूछा अब मुझे क्या पता आप खुद ही जा के देख लीजिये प्रियाने डुगू का हात खिचकर ले जाते हुए कहा ,,,, Priya wait wait ,,,
डुग्गु जबरदस्ती रुक गया था. क्या??हुआ भाई प्रिया भी चलते चलते रुक गयी थी. देखकर तुझे कुछ पता है. तो मुझे अभी ही बता दे मै नही चाहता की वहा जाके कोई सीन क्रिएट हो .डुगु ने एक नजर उस तरफ देखते हुए कहा ,,,,, जहा पर कविता जी और दादी की नजर काही बिगाहे सोनम की और ही जा रही थी. नही भाई जहा तक मुझे अंदाज है. ऐसा कुछ भी नही है.
हम्म ,,, डुग्गु कहा तो प्रिया बोली I think माँ आपको कोमल के फीयोनसे से मिलने के लिए बुला रही है ,,, प्रियाने थोडासा सच और थोडा झूट बोलते हुए कहा ,,,,, वो डफर है.एक नंबर की डुग्गु ने चलते चलते फिरसे बडबड करणे लगा .अरे ! कितना ब्राईट फ्युचर था उसका ,,,
फॅशन डिझाइनिंग में पर ना ! मॅडम को तो शादी करनी थी. वो भी एक ऐसे बंदे से जिसे उसने आज तक देखा तक नही डुग्गु ने थोडी नाराजगी से काहा ,,, तो आपकी हिसाब से अगर कोमल और प्रणव पहले से ही एक दुसरे को जानते तो क्या ?? तो क्या उनका डिसिजन राईट होता. हा भाई बताईये प्रियाने डुग्गु के तरफ देखते हुए कहा ,,,, अरे मुझे तो ये शादी ही समझ मे नही आती,,अरेंज मॅरेज मे होता है.की पैर पर कुल्हाडी आपके अपने ढूंढ के मारते है . और लव मॅरेज मे बंदा खुदी कोल्हाडी को ढूंढता है और कहता है. की आओ और मेरे पैर पर आके गिरो ,,, प्रिया डुगु के अजिबो गरिब लॉजिक को सुनकर हसने लगी. अब ! सच तो कहा है. इसमे हसने वाली कौन सी बात है. पता नही लोक शादी क्यू करते है. लाईफ मे करने के लिए इस से भी ज्यादा और बहुत कुछ है. डुगु ने प्रिया के सर पर चपत मारते हुए कहा ,,,,, और आगे बढ गया . प्रीया ने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा ,,(आऊच) दर्द होता है . भाई ,,,, और आप भी ना ! डुग्गु को आगे जाते हुए. देख कर उसने डुगु के पीछे दौड लगा दी. मेरे लिये रुको भाई ,,,, डुग्गु ने एक बार पीछे देखा और सामने की और चल दिया .
इधर सोनम प्रणव और कोमल से बात भी कर रही थी और उनके गिफ्ट साईड मे रख भी रही थी.
( क्या?? डुगू और सोनम एक दुसरी से मिल पायेंगे )
🌸प्लीज🌸 लाईक🌸 कमेंट्स 🌸कीजिए 🌸
जैसे जैसे डुग्गु के कदम उस और बढ रहे थे.सोनम को एक बार फिर वही ऐहसास सताने लगा उसने अपने आपको संभालते हुए इधर उधर देखा तो सब कुछ तो उसे नॉर्मली ही लगा तो फिर ये क्या ? हो रहा था . उसे ,,, और ये क्या ? था . जो उसे इस तरह बेचैन किये जा रहा था. गुडिया तू ठीक तो है ना ! प्रणव ने उसे परेशान होते देखकर कहा सोनम ने अपनी बेचैनी छुपाते हुए कहा हा भाई मै ठीक हु. उसने सबसे छुपाते हुए अपना हात अपने दिल पर रखा और बढती धडकनो को सामान्य करने लगी आखिर क्या ? परेशानी है . इसे सोनम अपनी बढती धडकन को संभालते हुए सामान्य कर रही थी . सोनम मन ही मन परेशान हो रही थी . उधर डुग्गु को भी चलते चलते वही अजीब सी फिलिंग होने लगी " dam shit "what is this happening to me ऐसा लग रहा है .जैसे कि मेरा दिल उछल कर बाहार आ जायेगा डुग्गु खुद मेंही उलझते हुए बिलकुल सोनम के सामने उसकी माँ और दादी के पास आकर खडा हो गया.
अरे!सोनम ,,,, रागिणी जी ने कहा तो सोनम ने भी उनकी तर्फ देख कर,,,, जी आंटी कहा ,,,, कब से ये बही खाता सभाल रही हो ,,, रागिनी जीने गिफ्ट की और देखते हुए कहा और हसते हुए बोली आओ तुम्हे कुछ और लोगो से मिलावा देती हु. और इसी बहाने कुछ खा भी लोगी नही तो इस मुनीम गिरी से तुम्हे फुर्सत नही मिलने वाली सोनमने प्रणव की और देखा तो प्रणव ने आखे झपका दि. तो सोनम रागिनी जी के साथ चली गई. उनके जाते ही वहा पर कल्पनाजी डुग्गू और प्रिया के साथ प्रणव और कोमल से मिलने आते है. अरे! पर ये क्या सोनम तो वहा थी नही. व एकदम से कहा चली गई अभी तो यही थी कल्पनाजीने प्रीया की कान मे फुसफुसाते हुए कहा इन सबसे बेखबर डुग्गु आगे बढकर प्रणव और कोमल को बधाई दी. प्रणव ये मेरे कझन है और ये मेरी मासी ये उनकी बेटी प्रिया कोमलने सभी की जान पहचान कराते हुए.कहा डुग्गु ने प्रणव से हॅन्डशेक करते हुए कहा हॅलो,,,, तो प्रणव ने भी आगे हात बडा कर हॅन्डशेक किया पर प्रणव को डुग्गु का नाम पता नही था तो एकदम से चुप हो गया तो डुग्गु ने समजते हुए कहा हॅलो I am Amit ,,,,, captain Amit Raghuvanshi प्रणवणे अमित का इंट्रो जाने के बाद उससे इम्प्रेस हुए बिना नही रह सका उसने एकदम से प्रश्नार्थक चिन्ह से कहा आप भी AFMC मे है. तो अमित ने छोटा सा जवाब दिया ,,,, जी ,,, डुग्गु ने प्रणव के हाव भाव पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया दोनी थोडी देर इधर उधर के बाते करते रहे थे. कि जैसे ही लडकियों के झुंड को उसे घुरते हुए अपनी तर्फ आते हुए देखा. उसने एक्सक्यूज मी केहकर वहासे जल्दी से निकल गया लडकिया बिचारी मनमसोस कर रहे गई एक हँडसम तो एंगेज हो गया और दुसरा लडकियो को देखकर तो ऐसे भागता है जैसे गधे के सर से सीग लडकिया आपस मे खुशखुसाते हुए दुसरी और चली गई
सॉरी गर्ल्स पर भाई के दिल में जग बनाना इतना आसान नही है. अब तो मुझे भी इंतजार है . कि माँ और दादी जिस लडकी को भाई के लिए पसंद किये है. वो कैसे भाई का अटेंशन अपनी तरफ खिचती है. शादी तो दूर की बात है भाई अगर उस लडकी से बात भी करले तो बहुत बडी बात है. प्रिया मुस्कुराते हुए वहा से चली गई. कुछ अजीब नही है आपके कझन भाई प्रणवणे अमित के बारेमे कोमल से पूछते हुए कहा थोडा अजिब हैं पर वह ऐसा ही है हमेशा खुद से रिझर्व रहता है और कम बोलने वाला कोमने कहते केहते रुक गई. और प्रणाम ने पूछा तू कोमल ने बताया लडकियो से तो ऐसे दूर भागता है जैसे लडकी ना होके साक्षात यमराज आ गये हो उसके सामने पर इस सबसे अलग प्रणवणे दिमाग मे कुछ चल रहा था ही महेश जी भी ना ! कहा चलेंगे पता नही कोनसे ऐसे दोस्त उनको मिल गये जो इनको ये भी खबर नही की उनका परिवार है. और उनके इस प्रोग्राम में साथ आये है.कल्पना जी थोडी दूरी पर बैठे महेश जी को देख कर नाराजगी से कहते चले जारी इस समय महेश जी किसी पुराने दोस्त कॉलेज के समय वाले मित्र से बतियाने मे बिझी थे. राजेंद्र जी ने अपने व्हाट्सअप से महेश जी के व्हाट्सअप पर कुछ भेजते हुए एक दुसरे को गले लगाकर विदा लिया फिर मिलने का वादा करके अपने अपने दिशा में चलते है.
शुक्र है तुझे याद तो आया की थारा भी परिवार खारे साथ भी आया है .दादी जी ने सबके बीच पोहोचते ही आडे हात महेश जी को ले लिया अरे माँ ऐसी बढिया खुशखबरी लाया हु कि आपकी नाराज की धरी की धरी रह जायेगी महेश जी ने खुशी से चहकते हुए कहा ऐसी भी क्या??? तू का लावो से जो था गॅस के गुब्बारे की तरह घनी उचल खुद करे घुमियो से ( दादी तो अपने बेटे की फिरकी लेने से भी नही छोडी थी तो ये तो डुग्गु कौन सी खेत की मुली हैं ) अरे ! यहा नही माँ घर पर चलके बात करते है.खतरा अपनी तरफ ही बढता हुआ आ रहा है महेशने अमित को अपनी तरफ आते हुए देखकर कहा अब ये महेश जी कोन सा रायता फैलाने की चक्कर मे है. मुझे उस लडकी के बारे मे पता लगाने के बारेमे कहना था और ये है कि पता नही कौन सा जादुई चिरा की बात कर रहे है.और रब करो और खुशिया ही खुशिया फेल जायेगी चारो तरफ देखते हुए कल्पना जी अपने मन के घोडे दोडा रही थी ना! ही कल्पनाजी और नाही का महेश जी इस वक्त कुछ कह सकते है ( अरे भाई समजा कीजिए आप लोग ,,,खतरा तो उन्ही की तरह बढ राहा था ,,, ना ! और वो खतरा था ,,, डुग्गु )
( तो क्या ??? लगता हैं . आपको महेश जी कोणसी खुशखबरी कि बात कर रहे हैं .)
🌸 लाईक 🌸 कमेंट 🌸 plz 🌸
🌸 स्टोरी अच्छी लगे तो दोस्तो शेअर करे 🌸
माँ और पा और कितनी देर तक यहा रुकने का इरादा हैं . This party is getting boring ,,, अमित ने मुह बनाते हुए कहा ,,,, हाँ ,,,, हाँ ,,,, बस !एक बार रागिणी और किशोर जी से मिलले फिर चलते हैं . कल्पना जी ने कहा ,,,, माँ प्लिज
जल्दी किजिये मुझे कल निकलना भी हैं . और आप सब आधी रात हो गई हैं . फिर भी यही पर हो डुग्गु ने चीड कर कहा ,,,
इधर दुसरी तर्फ ,,,, ओहो सॉरी ,,,, सॉरी ,,,, I am sorry ,,, प्रिया ने हडबडते हुए सामने से आती हुए लडकी से टकराणे के बाद कहा ,,, it's okay आप इतना सॉरी क्यू ?बोल रही है . हो जाता है.कभी ये गलती हमसे भी हो सकती है. सोनम ने प्रिया को संभालते हुए कहा प्रिया तो बस हक्की बक्की सी देखती रह गयी सोनम को सोनम दिखने में जितनी स्वीट थी उसका नेचर भी उतना ही स्वीट था. आप ठीक तो है.ना! सोनम ने प्रीया को यु खामोशी से नहारते हुए देखकर कहा और उसके कंधे को हिलाते हुए . Are you okay ,,, ha ha Hum I am totally fine ,,,, प्रियाने हसते हुए कहा वैसे मेरा नाम सुप्रिया हैं. पर प्यार से सब मुझे प्रिया पियू कहते है. प्रियाने एक हात आगे करते हुए कहा सोनम थोडासा कसमस साई फिर हात मिलाते हुए कहा हमारा नाम सोनम है. और सबका हमे तो पता नही पर हमारे भाई हमे प्यार से गुडिया कहते है.कभी छोटी बुलाते है.आप हैं ही इतनी स्वीट की प्रणव जीजू कि भी कोई गलती नही है. जो भी आपको देखेंगा वो आप हैं ही इतनी स्वीटकि प्रणव जीजु कि भी कोई गल्ती नहीं . प्रिया ने हसते हुए कहा तो आप कोमल भाभी की बहन है सोनम ने अंदाजा लगाया. हा ! कोमल मेरी मासी की बेटी है . प्रिया ने बताया अभी वो दोनो कुछ और बाते भी करती की तभी,,, धक ,,, धक ,,,धक,,,
सोनम का दिल फिर से धडकने लगा और वो बेचैन सी होने लगी . अमित उसके ठीक पीछे खडा हुआ था और ऐसा ही कुछ हाल अमितका भी था . वो भी अपने आसपास बडे गोर से देख रहा था . और कुछ समझने की कोशिश कर रहा था . और उसे कुछ भी समझ नही आ रहा ही अचानक उसका दिल ऐसे बेचैन क्यू हो रहा है . अमितने एक और कदम सोनम की और बढा दिये. सोनम की धडकाने और भी तेज हो गई सोनम अपनी बेताहाशा धडकनो वाले दिल को संभालने कि नाकाम कोशिश कर रही थी . प्रिया के सामने वो अपनी परेशानी बता भी नही सक्ती थी.और आखिर बता भी तो क्या ? बताये उसे खुद मालूम नही था. कि उसे अचानक हो क्या जाता है गाहे बघा हे कैसी बेचैन काही प्रिया उसे पागल ना समजे की बिलकुल झली है . येसा भी किसी को कभी कुछ हो सकता है. प्रिया तुम यहा क्या ? कर रही हो चलो सब हमारा वेट कर रहे . अमित अपनी परेशानी को सबसे छुपाते हुए बोला ये पहली बार था .जब सोनम ने अमित की आवाज सुनी तो कैसा ऐसा सो रहा था . उसे उसे उस आवाज को सुनकर अंदर तक सिरनसि दोड गई वो दिल का एक कोणा कह रहा था कि एक बार पलट करतो देखे इस रॉबदार नशीली आवाज वाले को पर दिमाग करा था कोई जरूरत नही है.जो भी है तुम्हे इससे क्या?मतलब उसकी खुद की खुद से हो रही जंग मे तब लगा जब प्रियाने उसके हाथ पर अपना हाथ रखना और हसकर कहा देखा तुमने मैने कहा था ना सब मुझे पियू बुलाते है. स्पेशली मेरे भाई सोनमणे बस मुस्कुरा दिया . इस समय वो कुछ कहने के स्थिती मे नही थी .अमित भी प्रिया की तरह चेहरा और सोनम को अपनी तरफ पीठ की एक लडकी को देखता है. और फिर आसपास देखने लगता है ऐसा कोई क्लू नही मिल रहा था उसे की अपने उस प्रॉब्लेम से जोड सके जो की अमित को इधर उधर देखते हुए प्रिया फिर से सोनम से बाते करने लगी थी.अरे! गुडिया सामने से राजेंद्र जी ने सोनम को आवाज दिया ,,,जी ,,, जी ,,, आई पापा सोनम प्रिया को बाय कहके अपने परेशानीयो से दामन छुडा के तेज कदमो से वाहसे चली गई. और हैरानी की बात येथी की थोडे दूर आते ही उसे जो फील हो रहा था उलझन भी ना !बेताहशा धडकन का धडकना बंद हो गया था
क्या ? भाई आप भी हमेशा तेजी के घोडे पर सवार रहते हो अरे ! दोन मिनिट चिल कर लेते आपको अपनी दोस्त से मिलवाती प्रियाने जानभूज पर ऐसा कहा शायद डुग्गु उसके बारेमे कुछ पूछे पियू वो तेरी दोस्त है.उसे मुझसे क्यू ? मिलवाणा था .तु मिललीना तो अब ! चल ,,,, डुग्गु ने टकासा जवाब दिया और आगे बढ गया .भाई आपका तो 🤦🏻♀️सच में कुछ नही हो सकता प्रियाने अमित के पीछे भागते हुए कहा और चिल्ला भी रही थी. अरे ! रुक तो जाओ अमित प्रिया की इंटेशन समझ गया था. क्यू ? कि ये अपनी सहेली से उसे क्यु ?मिलने की बात कर रही थी . आगे चल के उसके खडूस से चेहरे को सोनम जैसी प्यारी लडकी को भी इग्नोर करेंगा तो येतो महा खडूस होगा. पर अमित चलते चलते कुछ देर ही सही पर उसके चेहरे पर हलकी सी स्माईल आगई.
कहा रहे गयी थी .छोटी तू प्रणवणे सोनम को अपनी तरफ आते हुए देखकर कहा कही नही भाई हम तो बस ऐसेही आ रहे थे पर आपके पास पर वो हैना भाभी की माँ की बहन की लडकी की सोनम कहते कहते रुक गई ,,, और प्रणव से कन्फ्युज होके देख रहा . अरे ! बस बस छोटी इतना लंबा इंट्रो देंगी. तो मै कैसे समजूंगा. तुम प्रिया की बात कर रहे हो ना ! कोमलने पीछे से आते हुए कहा ,, हा,,हा,,,भाभी हम उन्हे की बात कर रहे थे. Thank god आपने हमे बचा लीया. पता नही. हम भाई को कैसे समजते और हम किस से बात कर रहे थे सोनम ने शरारती अंदाज से कहा वही पिया ना! जो कुछ देर पहले हमसे मिलने आई थी. कोमल ने हाँ कहा ,,,ओहो तो क्या? बात हो रही थी तुम दोनो मे प्रणव के आखो मे हजार वोलट के बल्प जैसे चमक आ गई थी .ये सुनते है जिसे कोमल ने बहुत आराम से मेहसूस कर रही थी.
( अब ! क्या ?? होगा ,,,सोनम और डुग्गु का क्या ??? वो दुबारा मिलेगे )
🌸 लाईक 🌸 और 🌸 कमेंट 🌸किजियेगा🌸
कुछ नही भाई हम बस ! एक दुसरे का नाम ही जाण पाये थे . कि तब तक उनके भाई वहा , आ गये थे . और फिर वो उनके साथ चली गई. सोनम ने बोहोत आराम से बताया था . पर प्रणव तो उसके हर एक शब्द को बडे गौर से सून रहा था .पता नही क्यु ??? उसके आखो की चमक कुछ हलकी हो गई. पर कोमल कुछ सोचकर मुस्कुरा उठी ,,,, कुछ देर मे राजेंद्र जी का परिवार सभी से इजाजत लेकर अपने अपने घर के लिए निकल गये. कोमल के घर घर वाले रिसॉर्ट मे ही रुकने वाले थे.वो सब कल सुबह निकलने वाले थे. घर पहुचकर ही प्रणवने सोनम को कहा जल्दी से जाकर सो जाओ क्यूकी रात बहुत हो गई है .और कल सुबह हम दोनो निकलना भी है. जी भाई गुड नाईट बोल के सोनम रूम की और चली गई थकान इतनी थी की कपडे बदलते ही सो गई. कल सुबह उसे दिल्ली के लिए निकालना था
सुबह सुबह ही कांता के साथ मिलकर महेश जी प्रणव सोनम के लिए सभी सामानोके अरेंजमेंट कर रहे थे. सोनम और प्रनव डायनिंग टेबल पर बैठके नाश्ता कर रहे थे जो कांतांनी ऊन दोनो के लिए पहले ही तयार कर दिया था सोनम नाश्ता करते करते कौशल्या जी की कमरे की और देख रही थी. अभी माँ उसे विदा करने के लिए बहार आ जायेगी गुडिया प्रणवणे सोनम की और देखकर कहा ( वो अच्छी तरह से जानता था माँ नही आयेगी ) जल्दी जल्दी नाश्ता फिनिश कर हमे बस दस मिनिट मे निकालना है .और कुछ रूक कर बोला और वैसे भी तू जिसकी इंतजार कर रही हैं . वो नही आयेगी और अपने हात नॅपकिन से पोछते हुए खडा हो गया कुछ देर बाद सोनम चुपचाप से गाडी मे आकर बैठ गई . महेश ने भी कौशल्याची के तरफ से लाड लढाते हुए तमाम हिदायते सोनम को देडाली समय से खाना पीना चिंता मत करना और मन लगाके पडना और वगैरा वगैरे सोनम इस आदत पर मुस्कुरा उठि और बोली पापा हमे पता है कि आपको हमारी कितनी चिंता है पर पर हम पहली बार थोडी ना जा रहे है. सोनम राजेंद्र जी के गले लग गई थी उसने अपनी भर आई आखो से पोछते हुए कहा आप अपना खाया रखना और माँ का खयाल रखना बस ! हम जल्दी आ जायेंगे राजेंद्रजी खामोशी से बस प्यार से उसके सर पर हाथ फिर रहे थे. गेट पर खडी कांता मन ही मन सोच रही थी इतनी भी क्या नाराजगी है. इन लोगोको इस बच्चे को आखं भर देखने तक की नही आ सकते सोनमने कांता और राजेंद्र जी को मुस्कुराते हुए बाय कहा और उन लोगो की तरफ से नजरे फेरली,,, और गाडी में आके बैठ गई . उपर बाल्कनी मे खडे योगेश और सुद्धा आखो देखा हाल कौशल्य जी को सुना रहे थे ( विथ एक्स्ट्रा नमक मीच ) कौशल्या जी का दिमाग खराब करने के लिए काफी था . इस बच्ची के दिल दुखा के तुम्हारे कौन से अहम की संतुष्टी होती है कौशल्या ,,,,, राजेंद्रजी आखो को साफ करते हुए कहा राजेंद्र जी की बात सुनते ही कांता भी सिसकर रोने लगती हैं. कांता को देख राजेंद्र जी ने कहा कभी कभी सोचता हूँ तुम और प्रणव ना! होते तो सोनम को जिंदगी भर मुझे अकेले के लिए उस बिना माँ की बच्ची को सभालना ही कितना मुश्किल होता.
मुझसे जो हो सकता है.मैं करूंगी मालिक " कांता ने कहा ,,, राजेंद्रजी थके कदमो से अंदर की तरफ चली गये. अभी मुह लटका के क्यू ?? बैठी है. प्रणवणे गाडी चलाते चलाते सोनम से बात किये जा रहा था .सोनम अभी थोडा अपसेट लग रही थी गुडिया जब हम किसी से उम्मीद करते है और वो हमे ना मिले तो हम दुख होता है. तो फिर किसी से उम्मीद करना ही क्यू ??और माँ के मामले मे तुझे मै यही समजना चाहता हु. पर तू शायद मेरी बातो को गोर करती ही नही प्रणवणे सोनम की सिर पर हाथ रखते हुए कहा आपकी हर बात को सुनते भी है.और समजते भी है और मानते भी है.आज हम जो भी है. सब आपकी वजह से है .तो ( फ्लाईट दोपहर की थी.तो प्रणव आराम से गाडी चलाते चलते हुए जा रहा था )
इधर रघुवंशी हाऊस में ये सब क्या ? है . मैं उधर जंगल मे नही रहता हु .डुग्गु ने बिस्तर पर रखे ड्रायफूट स्नॅक्स को देखकर कहा "ये बात तने चोखी कही छोरे " तो कभी कभी जंगली भी जंगल से छोड के हॉस्टेल मे आ सके से,,, दादी ने धीरे से फुसफुसाया और प्रिया के साथ ऊन स्नॅक्स को उलट पलटकर देखने लगी.डुगु ने खिसयाते हुए देखा और फिर अपने पॅकिंग मे लग गया. माँ क्या ??कर रही हो,,,, आप ये तुफान अपने जाने से पहले तहेसहेस ना! करदे जाने से पहले महेश जी दादी से धीरे से कहा प्रिया मंद मंद मुस्कुराते हुए सब की बाते सुन रही थी घर मे डुग्गु सभी को अपने बातो से चुप करा सकता है.पर यहा दादी के आगे तो कॅप्टन साहब की भी दाल नही गलती ,,,,अब ठीक हैं. माँ पर जल्दी करो अभी मुझे एअरपोर्ट पोहोचणे से पहले दिल्ली का महान ट्राफिक भी झेलना हैं. डुग्गु वहा गेट पर खडे होकर चिल्ला रहा था. और यहा कल्पना ची पूजा की कमरे मे जल्दी जल्दी डुग्गु का तिलक करने के लिए थाली सजा रही है कल्पनाजी भागते हुए आई बाहर पोहोची और गुस्से मे लाल पिले हो रहे अपने लाल को तिलक और मिठाई का एक तुकडा खिलाकर ध्यान रखना कहते हुए विदा किया. डुग्गु ने माँ और दादी के पैर छुये और प्रिय को गले लगा के दंद नाते हुए .महेश जी के गाडी के पास आकर उनके पैर छुये और बैठ गया. फिर सबको बाय कहा गाडी थोडी देर मे एअरपोर्ट के लिए निकल गई माँ और दादी आपको नही लगता की हमने किसी तुफान को घर से विदा किया है .प्रिया कल्पना जी के कंधो पर अपनी कोहनी टीका कर कहा " ये बात तने घनी चोखी कही से ,, ये तो किसी भी तुफान से कम नही जप तक घर मे रहेगा तब तक बस आतंकी आतंकी हैं दादी ने कहा,,,माँ पर कभी कभी मुझे बहुत चिंता होने लगती है मुझे डुगु की कल्पना जी के चेहरे पर अपने माँ होने वाली चिंता दिखने लगी कल्पना जी की और देखते हुए पिया माँ उसका गुस्सा उसका अक्कड पण और उसकी शादी और प्यार वाले चीजो से कोई तालुकात नही रखना चाहता उसकी ये बात कही उसे तन्हा ना कर दे.कल्पना जी की आखो मे डुग्गु के लिए परवा और चिंता दिख रही थी. माँ आप परेशान क्यु ??होती है भाई है. ना !! बहुत स्वीट है.भाई बस दिखाते है. वैसे नही है .पर उनके मन मे सबके लिये फिकर और परवा है. और हा रिश्ते के लिए सन्मान और प्यार भी है देखना भाई के लिए भी उनका प्यार होगा और मिल जायेगा हा बिंदणी ये छोरी एकदम सही बोले से म्हारा छोरा तो एक नंबर का हिरा से हिरा और वाके परकने के लिए मारे भगवानजी ने किसी असली कोहिनूर को ही चुना होगा तू चिंता कोणी कर और जल्दी से मारे वास्ते एक अद्रक वाली चाय बना दे दादी ने कल्पना जी के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा ,,,, मै उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हु . माँ जब इस लडके के जिंदगी मे भी प्यार का रंग चढ जायेगा कल्पना आहे भरते हुए कहा अंदर चली आई और किचन की और बड गई.
( क्या ?? कल्पना जी कि मनोकामना पुरी होगी ??)
( डुग्गु को कोई प्यार के एहसासो से रुबरू करायेगा??)
( ये तो वक्त ही बतायेगा ???)
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