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Tied with destiny

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Jahnavi Sharma

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अनुष्का सिंह ओबेरॉय, एक फेमस फिल्म स्टार, जिसकी एक्सीडेंटल मौत हो जाती है। उसकी जुड़वा बहन आयुष्का सिंह ओबेरॉय अपनी बहन की मौत का जिम्मेदार आरव खुराना को समझती है। क्योंकि मौत के आखिरी समय वो आरव के साथ थी। आरव खुराना, जो लोगो की नजरों में एक कैसोनोव...

Total Chapters (391)

Page 1 of 20

  • 1. Tied with destiny - Chapter 1

    Words: 1463

    Estimated Reading Time: 9 min

    एक बड़ी सी स्क्रीन पर न्यूज चल रही थी। किसी ने आकर चैनल चेंज किया लेकिन हर एक न्यूज चैनल पर उसी न्यूज की हाइप थी। तभी हवा में एक रिवॉल्वर तेज गति से स्क्रीन की तरफ आई और टीवी स्क्रीन टूट गई। “यूजलेस पिपल....” बोलते हुए एक आदमी काउच पर लीन हो गया। वो लगभग 28 साल का था। उसने गहरी सांस लेकर छोड़ी और अपनी आईपैड स्क्रीन देखने लगा। वहां भी वही न्यूज थी। उसे देखने के बाद उसकी ओसियन ब्लू आईज में गुस्सा तैर गया। इस बार उसने टैबलेट बंद करने के बजाय न्यूज को सुनना शुरू कर दिया। उसके फेस पर एक मॉकिंग स्माइल थी, जिससे उसके राइट गाल पर एक हल्का सा डिंपल पड़ रहा था। “फेमस एक्ट्रेस अनुष्का सिंह ओबेरॉय को हॉस्पिटल ले जाया जा चुका है। होटल साज की टेरेस से गिरने के बावजूद उनकी सांसे अब तक चल रही है। हॉस्पिटल में उनका इलाज जारी है। अब ये बात वही जानती है कि उन्होंने सुसाइड करने की कोशिश की या किसी ने उनके साथ ये जानबूझकर किया। उनके गिरने के साथ-साथ एक और वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। ये वीडियो उनके एक्सीडेंट से थोड़ी देर पहले का है, जहां वो मुंबई के टॉप बिजनेसमैन मिस्टर आरव खुराना के साथ थी। दोनों होटल साज के टॉप फ्लोर पर थे और एक दूसरे को काफी पैशनटली किस कर रहे थे। क्या उन दोनो के बीच कोई अफेयर है?” उसके बाद न्यूज़ रिपोर्टर ने वो वीडियो दिखाया, जिसमें अनुष्का और आरव एक दूसरे को किस कर रहे थे। उस वीडियो के शुरू होते ही उस आदमी ने टैबलेट की स्क्रीन बंद करके उसे साइड में रख दिया। वो आरव खुराना था, मुंबई का टॉप बिजनेसमैन। कम उम्र में सक्सेसफुल और डैशिंग होने की वजह से वो सेलिब्रेटी बिजनेसमैन के तौर पर भी फेमस था। छह फीट की हाइट, परफेक्ट मस्कुलर बॉडी और हैंडसम फेशल फीचर। आरव ने आंखें बंद की और कुछ सोचने लगा। लगभग 3 घंटे पहले.... होटल साज के टेरेस पर बिल्कुल शांति थी। वहां टेरेस की एक दीवार से लगकर एक लड़की खड़ी थी। वो मुंबई की टॉप एक्ट्रेस अनुष्का सिंह ओबेरॉय थी और वहां खड़ी किसी से कॉल पर बात कर रही थी। “अब किस के दिमाग के साथ खेलकर आ रही हो लिटिल सिस्टर।” अनुष्का मुस्कुरा कर बोली। वो यहां अपनी नेक्स्ट मूवी के प्रोजेक्ट के लिए आई थी इसलिए उसी हिसाब से तैयार हुई थी। ब्लैक शिमरी शॉर्ट ड्रेस, ब्लैक हील्स, कंधे से थोड़े ही लंबे घुंघराले बाल और चेहरे पर बिल्कुल परफेक्ट मेकअप। जैसे किसी एक्ट्रेस को एनी टाइम परफेक्ट दिखना होता है, अनुष्का बिल्कुल उसी तरह लग रही थी। सामने से एक लड़की की आवाज आई, “तुम मुझसे सिर्फ दस मिनिट बड़ी हो, सो स्टॉप कॉलिंग मी लिटिल सिस्टर। अच्छा बताओ कहां हो तुम और घर कब आ रही हो?” “ओके फाइन लिटिल सिस्टर...” अनुष्का ने आंखें घुमाकर कहा, “हम्म मै तो हमेशा की तरह टॉप पर हूं... आई मीन होटल की टेरेस पर हूं। मिलते है थोड़ी देर में... वैसे तुम कहां हो?” “तो टॉप फ्लोर पर हो.. और मैं यहां ग्राउंड फ्लोर पर... जल्दी आओ आई एम वेटिंग फॉर यू।” सामने से लड़की ने जवाब दिया। अनुष्का वहां किसी से कॉल पर बात कर रही थी। वो बिल्कुल बेफिक्र थी जबकि उसके पीछे वहां कोई और छुपते छुपाते पहुंचा। उसके हाथ में गन थी और वो आरव खुराना था। “ब्लडी हेल...” आरव ने गुस्से में आंखें घुमाई। “ये आदमी कब मेरा पीछा छोड़ेगा। पता नहीं इसे मेरी हर न्यूज़ देता कौन है? आज फिर इसने मुझे यहां देख लिया तो अपनी सो कॉल्ड पुलिस टीम लेकर फिर से मेरे घर आ जाएगा और दादी हंगामा मचा देगी।” आरव ने गन को पीछे पेंट में टक कर लिया और आगे बढ़ने लगा। वहां आगे की तरफ जाते हुए आरव की नजर अनुष्का पर पड़ी। उसे देखते ही उसके फेस पर इविल स्माइल आ गई। वो उसकी तरफ बढ़ने लगा और अचानक अनुष्का को अपने पास खींचकर उसे पेशेंटली किस करने लगा। इन सब में अनुष्का का मोबाइल नीचे गिर गया। “हैलो... हैलो अनु...” कॉल पर से वो लड़की चिल्लाती रह गई पर अनुष्का की आवाज नही आई तो उसने कॉल कट कर दिया। “आरव खुराना, मैं अच्छे से जानता हूं तुम यही हो। हर बार तुम मुझे दो कदम आगे रहते हो लेकिन इस बार मुझसे बच नहीं पाओगे। आज मैंने तुम्हें रंगे हाथ पकड़ ही लिया।” वो आवाज एक पुलिस ऑफिसर की थी। उसके हाथ में गन थी। उसने चारों तरफ नजरे दौड़ाई तो पूरी टेरेस खाली थी, बस एक तरफ कोने में एक लड़का और लड़की एक दूसरे को किस कर रहे थे। उन्हें देखकर उसने तुरंत अपनी नजर घुमा ली। “मैंने उसे यहीं आते देखा था... फिर वो कहां जा सकता है।” पुलिस वाला हैरान था। वो उस कपल की तरफ बढ़ने लगा ताकि उनसे पूछताछ कर सके। उसे अपने पास आते देख आरव ने हाथ के इशारे से उसे वहां से जाने को कहा। इंस्पेक्टर ने हां में सिर हिलाया और वहां से चला गया। जैसे ही वो वहां से गया, आरव ने बिना अनुष्का का चेहरा देखकर उसे खुद से दूर धकेल दिया। “हु द हेल आर यू... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे जबरदस्ती किस करने की? रुको मिस्टर... तुम्हें तो मैं बताती हूं।” अनुष्का पीछे से चिल्लाई। आरव ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और वहां से चला गया। उसके बाद वहां क्या हुआ, उसके बारे में आरव को कुछ नहीं पता था। वो घर पहुंचा तो टीवी पर ये न्यूज़ आ रही थी। “ब्लडी हेल.... इन मीडिया वालों को मुझसे प्रॉब्लम क्या है। मैं अगर छींक भी लूंगा तो उसे भी ये कंट्रोवर्शियल करके वायरल कर देंगे। पता नहीं किस इडियट ने वो वीडियो शूट किया था।” आरव गुस्से में उठा और अपनी गाड़ी लेकर कहीं जाने के लिए निकल गया। आरव गुस्से में काफी फास्ट ड्राइव कर रहा था। उसने अपना ब्लूटूथ ऑन किया और किसी को कॉल पर कहा, “कबीर, मैं ऑफिस पहुंच रहा हूं। तुम्हारे पास 2 घंटे का टाइम है। पता करो होटल साज के टॉप फ्लोर पर मेरे, अनुष्का और इंस्पेक्टर रोहन के अलावा और कौन मौजूद था। वो कोई रिपोर्टर है। अगले 2 घंटे में वो मेरे सामने होना चाहिए।” उससे बात करते ही आरव ने कॉल कट कर दिया। वो लगभग 2 घंटे बाद अपने ऑफिस पहुंचा। वो अपने केबिन में जाने के बजाय ऑफिस के सीक्रेट एरिया में जा रहा था, जो कि बिल्डिंग के बेसमेंट के भी अंडरग्राउंड में बनाया हुआ था। जैसे ही आरव वहां गया, उसकी नजर जमीन पर गिरे आदमी पर गई। उसके हाथ पैर बंधे हुए थे और मुंह पर टेप था। उसे देखकर आरव खतरनाक तरीके से मुस्कुराया और उसके बाल खींचकर बोला, “एक बार वीडियो शूट करने से पहले सोच लेते कि किसका वीडियो शूट कर रहे हो। तुम मीडिया वालों को जितनी हाइप चाहिए होती है, वो मैं देता हूं... उसके बावजूद चोरी छुपे किसी को शूट करना गलत बात होती है। तुम्हारी इस गलती की वजह से एक लड़की के एक्सीडेंट का इल्जाम मुझ पर आ गया... ऊपर से उस ब्लडी रोहन को पता चल गया कि होटल की छत पर मैं ही था।” बोलते हुए आरव ने एक झटके में रिपोर्टर के मुंह से टेप हटा दिया। “आई....आई एम सॉरी सर.... मैं... मैं बोल दूंगा वो आप नहीं थे।” रिपोर्टर गिड़गिड़ाते हुए बोला। “तुम्हारे बोलने से अब कुछ नहीं होगा। प्रॉब्लम क्रिएट करने का काम सिर्फ मेरा है, मैं किसी और को ये करने का हक नहीं देता... मेरी लाइफ में तो बिल्कुल नहीं। अब जो तुमने रायता फैलाया है उसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी ही....” उससे बात करने के बाद आरव ने एक आदमी की तरफ देखा। वो उसका मैनेजर कबीर था। आरव ने उसकी तरफ देखकर कहा, “जहां भी ये वीडियो अपलोड हुआ है, सब जगह से हटवा दो।” “लेकिन सर एक्ट्रेस के होने की वजह से केस सबकी नजरों में आ गया है... ऊपर से वीडियो की वजह से आपका भी नाम जुड़ गया है तो चीजें अपने आप हाइप पकड़ रही है। अगर उसे कुछ हो गया तो बात पुलिस तक चली जाएगी।” कबीर ने सर झुका कर कहा। “ठीक है जाने दो। क्या फर्क पड़ता है? लोगों को कंट्रोवर्सीज पसंद होती है। लेट देम एंजॉय।” कहकर आरव वहां से जाने लगा। वो थोड़ी दूर चला होगा तभी उसने बिना मुड़े कहा, “और हां, जब भी मामला ठंडा हो, इसे होटल साज की टेरेस से नीचे फेंक देना। एक्ट्रेस का पता नहीं लेकिन ये बचना नहीं चाहिए।” आरव ने बिना किसी भाव से कहा और कबीर को ऑर्डर देखकर वहां से चला गया। कबीर लगभग आरव की ही उम्र का था। उसने रिपोर्टर की तरफ देखा। उसके चेहरे पर डर के भाव थे। अब तक लोग जिस आरव खुराना को सिर्फ एक बिजनेसमैन के नाम पर जानते थे, वो असल में कौन था, ये सामने आने के बाद इस तरह का डर होना जायज था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 2. Tied with destiny - Chapter 2

    Words: 1775

    Estimated Reading Time: 11 min

    मुंबई के सबसे बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में अनुष्का का ट्रीटमेंट चल रहा था। वहां की सिक्योरिटी टाइट थी और पुलिस ने मीडिया को अंदर आने से रोक रखा था। अंदर ऑपरेशन थिएटर में अनुष्का की सर्जरी चल रही थी। डॉक्टर्स की पूरी टीम मौजूद थी। सीनियर डॉक्टर के साथ वहां दो जूनियर डॉक्टर भी थे। उनके साथ नर्स की टीम इस सर्जरी में उन्हें असिस्ट कर रही थी। “सिस्टर, पेशेंट का ब्लड लेकर लैब जाओ। रिजल्ट 2 मिनट में लेकर आना। हमें ब्लड की जरूरत होगी। ब्लड बैंक में ब्लड का पता करो और फैमिली को भी पूछ लो। किसी का ब्लड ग्रुप इससे मैच करता हो तो उन्हें बोलो वो तैयार रहे।” उनमें से एक जूनियर डॉक्टर ने बोलते हुए जल्दी से ब्लड को एक छोटी सी बोतल में डाला और नर्स को पकड़ा दिया। नर्स वहां से जाती उससे पहले जूनियर डॉक्टर में से दूसरी डॉक्टर ने कहा, “ओ नेगेटिव.... हर ब्लड ग्रुप इज ओ नेगेटिव।” उसकी आवाज भर्राई हुई थी। सीनियर डॉक्टर ने उसकी तरफ देखा। चेहरे और बालों में मास्क होने की वजह से सिर्फ उसकी आंखें दिखाई दे रही थी। उसकी लाइट एम्बर ब्राउन आइज नम थी। “क्या तुम दोनों का ब्लड ग्रुप सेम है डॉक्टर आयुष्का?” सीनियर डॉक्टर के पूछने पर उसने हां में सिर हिला दिया। एक पल के वहां शांति छा गई। अब तक आयुष्का खुद को कंट्रोल करके सर्जरी में पूरी तरह से साथ देने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब उसकी आंखों में आंसू आ गए। समय का बीतता हर सेकंड अनुष्का की जिंदगी के लिए बहुत जरूरी था। आयुष्का खुद ही उसे ब्लड चढ़ाने के लिए तैयारी करने लगी। उसने नर्स की हेल्प से दूसरा बेड तैयार किया और वहां जाकर लेट गई। उसके हाथ में आइवी लगी थी और अगले 2 मिनट में उसका खून अनुष्का को चढ़ाया जा रहा था। “मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी। इस दुनिया में एक साथ आए थे तो जायेगे भी एक साथ ही...। कोई भी हम दोनों को अलग नहीं कर सकता... खुद मौत भी नही।” आयुष्का अपने इमोशंस को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रही थी। अनुष्का उसकी जुड़वा बहन थी। वही ऑपरेशन थिएटर के बाहर उनकी पूरी फैमिली मौजूद थी। उसके मम्मी पापा, भैया और भाभी बाहर सर्जरी खत्म होने का वेट कर रहे थे। वो एक दूसरे को संभालने की पूरी कोशिश कर रहे थे। “मॉम आप घबराइए मत.... आपको पता है ना आयु हर काम अच्छे से करती है। वो अपनी अनु को बचा लेगी।” आयुष्का के बड़े भाई रूद्र ने कहा। वो अपनी मां तारा के पास बैठा था और उसे हिम्मत रखने का कह रहा था तो वहीं दूसरी तरफ आयुष्का के पापा मिस्टर जय सिंह ओबेरॉय खड़े थे। उनके पास रुद्र की वाइफ सिमरन थी। “डैडी जी, आप देखिएगा, अभी थोड़ी देर बाद आयु ऑपरेशन थिएटर से बाहर आ जाएगी। बाहर आते ही वो हमेशा की तरह अनु की शिकायत लगाएगी कि वो उसे परेशान कर रही है। कुछ नहीं होगा... अपनी अनु ठीक हो जाएगी।” बोलते हुए सिमरन रोने लगी। तभी जय सिंह ओबेरॉय ने उसे गले लगाया। “पहले खुद को तो संभाल लो बेटा, फिर बाद में मुझे संभालना।” उन्होंने धीमी और शांत आवाज में कहा। उनका दिल भी बहुत घबरा रहा था पर वो स्ट्रांग होने का दिखावा कर रहे थे। उनसे कुछ दूरी पर खड़ा एक इंस्पेक्टर उन्हें गौर से देख रहा था। उसने अपने कान पर लगा ब्लूटूथ ऑन किया। कॉल कनेक्ट होते ही वो धीमी आवाज में बोला, “सर आपका शक बिल्कुल सही था। कुछ देर पहले आपने होटल साज की टेरेस पर जिसे देखा था, वो आरव खुराना ही था। एक बार इस लड़की को होश आ जाए तो फिर इसके स्टेटमेंट से हम बहुत कुछ प्रुफ कर सकते हैं।” “मुझे शक नहीं पूरा यकीन था रावत। तभी मैं आरव के पीछे वहां गया था। अब कुछ भी करके इस एक्ट्रेस का ठीक होना बहुत जरूरी है। इस बार वो हमारे हाथ से बचने वाला नहीं है। हो ना हो सबूत मिटाने के लिए आरव ने ही इसे छत से धकेला हो। मैने उन दोनो को किस करते हुए भी देखा था।” सामने से रोहन की आवाज आई। वो वही इंस्पेक्टर था जो टेरेस पर आरव का पीछा कर रहा था। कॉल कट करने से पहले उसने कहा, “ठीक है तुम नजरें बनाए रखो। मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।” “जी सर।” इंस्पेक्टर ने जवाब दिया और कॉल कट कर दिया। वो रोहन के ऑर्डर फॉलो करते हुए वहां वेटिंग एरिया में ओबेरॉय फैमिली के साथ सर्जरी कंप्लीट होने का इंतजार कर रहा था। ______________________ अंदर ऑपरेशन थिएटर में भी माहौल काफी सीरियस था। अनुष्का को ब्लड चढ़ाया जा चुका था। सर्जरी को शुरू हुए लगभग 2 घंटे से भी ज्यादा का टाइम बीत चुका था। अचानक डॉक्टर ने देखा अनुष्का की पल्स रेट गिरने लगी। हार्ट मॉनिटरिंग मशीन में उसकी हार्ट लाइंस सीधी आने लगी थी। “एईडी मशीन रेडी करो। क्विक... हार्ट रेट गिर रही है... हमें शॉक थेरपी यूज करनी होगी।” सीनियर डॉक्टर चिल्ला कर बोला। आयुष्का अनुष्का के पास आ गई और उसका हाथ पकड़ लिया। वो जानती थी इस तरह की सिचुएशन में इमोशनल सपोर्ट भी काफी काम कर सकता है। वो अनुष्का का हाथ सहलाने लगी और रोते हुए बोली, “नो, नो..न... नो.. नो यू कांट लूज हॉप्स.... याद है ना हम दोनों ने बेट लगाई थी... तीन सालों में दोनों में से कौन ज्यादा सक्सेसफुल होगा। अभी तो सिर्फ एक साल बिता है। 2 साल अभी बाकी है। कम ऑन गेट अप।” जैसे ही एईडी मशीन रेडी हुई, आयुष्का अनुष्का से दूर हो गई। सीनियर डॉक्टर जल्दी-जल्दी अनुष्का को मशीन के जरिए शॉक दे रहे थे। तभी अचानक मशीन में तेज बीप की आवाज आई। अनुष्का की हार्ट रेट लाइंस बिल्कुल सीधी हो गई थी। फिर भी डॉक्टर ने दो से तीन बार फिर से शॉक देकर उसे रिवाइव करने की कोशिश की। फिर भी अनुष्का की हार्ट रेट फिर से नहीं लौट सकी। इसी के साथ डॉक्टर ने अपनी थेरेपी रोक दी। कुछ देर के लिए वहां बिल्कुल शांति छा गई। उस कमरे में आयुष्का के रोने के अलावा और कोई आवाज नहीं आ रही थी। “नहीं... तुम ऐसे कैसे जा सकती हो। तुम ये जानबूझकर मुझे तंग करने के लिए कर रही हो ना ताकि मॉम डैड तुम्हें अच्छा समझे और मुझे बुरा.... देखो तुम्हारी ये ट्रिक यहां काम नहीं आएगी... तुम उठो। गेट अप...” आयुष्का उसका हाथ पकड़ कर बुरी तरह रोने लगी। सीनियर डॉक्टर ने अपना मास्क निकला। वो डॉक्टर अयान सिंघानिया थे। न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डॉक्टर, जो लगभग 26 साल के थे। लंबी हाइट और लाइट ग्रे आईज के साथ कर्ली हेयर। अयान ने आयुष्का के कंधे पर हाथ रखा। “स्टे स्ट्रॉन्ग डॉक्टर..।” वो उसे सिंपैथी देने की कोशिश कर रहा था, तभी आयुष्का ने उसका हाथ हटाया और उसकी तरफ देखकर कहा, “आप... आप मुझे सिंपैथी क्यों दे रहे हो डॉक्टर? इसे कुछ नहीं हुआ है। आप मशीन रेडी करो। वी विल रिवाइव हर... एक बार और ट्राई करके देखते है।” “खुद को संभालो डॉक्टर आयुष्का... शी इज नो मोर। बाहर तुम्हारी फैमिली को भी इस बारे में बताना है।” अयान ने धीमी लेकिन सख्त आवाज में कहा। अयान के गुस्सा करने पर आयुष्का वहां से दौड़कर ओटी के वॉशरूम में गई। अनुष्का की जुड़वा बहन होने के बावजूद दोनो की शक्ल बिल्कुल अलग थी, बस उनकी आंखें एक जैसे थी, लाइट एम्बर ब्राउन कलर की आंखे। आयु ने अपना मास्क निकाला। उसका गोरा चेहरा रोने की वजह से लाल हो गया। आयुष्का हिचकियां लेते हुए रोने लगी। “आई कांट इमेजिन माय लाइफ विदाउट यू... तुम... तुम मुझे छोड़कर कैसे जा सकती हो।” आयुष्का का सारा दर्द रोते हुए बाहर आ रहा था। अनुष्का के बिना उसे खुद को संभालना मुश्किल साबित हो रहा था। आयुष्का अंदर रो रही थी तभी बाहर से अयान ने दरवाजा खटखटाकर कहा, “तुरंत बाहर आओ डॉक्टर.... वी नीड यू।” आयुष्का ने अपना मुंह धोया और वॉशरूम से बाहर आई। वो लगभग 24 साल की थी। अनुष्का एक्ट्रेस थी लेकिन आयुष्का दिखने में उससे भी ज्यादा खूबसूरत थी। लगभग 5 फुट 6 इंच हाइट, गोरा चेहरा और कमर से भी लंबे बाल। अनुष्का उसे अक्सर हीरोइन कहकर चिड़ाया करती थी। उसे ये हॉस्पिटल ज्वाइन किए हुए 8 महीने का वक्त ही हुआ था। उसने अभी तक सर्जरी वाली ड्रेस ही पहन रखी थी और बालों को पिगटैल में बांध रखा था। बाहर आते ही अयान ने उसे गले लगा लिया और उसे सहलाने लगा, “जो हुआ, उसे चेंज नहीं किया जा सकता। तुम्हें खुद को और अपनी फैमिली को संभालना होगा आयु।” आयुष्का ने उसकी बात पर हामी भरी और उससे अलग होकर ओटी से बाहर जाने लगी। पूरी टीम एक साथ बाहर निकली। उन्हें देखते ही ओबेरॉय फैमिली उनके पास आ गई। आयुष्का का चेहरा उतरा हुआ था और आंखें लाल थी। उसे देखकर उसकी मां तारा जी ने कहा, “तुम... तुम रो क्यों रही थी? बोलो... मेरी अनु कहां है।” “सॉरी मिसेज ओबेरॉय... वी कांट सेव हर।” सीनियर डॉक्टर होने के नाते अयान ने सारी जिम्मेदारी लेते हुए तारा जी को अनुष्का के मरने की बात बताई। तारा जी रोते हुए नीचे गिर गई। आयुष्का ने नीचे बैठकर उन्हें गले से लगाया और संभालने लगी। उन्होंने रोते हुए आयुष्का को खुद से दूर धकेला। तारा ने सुबकते हुए कहा, “एक काम भी ठीक से नहीं होता तुमसे.... पहले गलतियां करती थी तो संभालने के लिए अनु आगे रहती थी लेकिन तुमने तो.... तुम उसे क्यों नहीं बचा पाई।” तारा जोर-जोर से रोने लगी, तभी जय जी उनके पास आकर उन्हें संभालने लगे। “आयु की इसमें कोई गलती नहीं है। तारा, आप उसे ब्लेम नहीं कर सकती।” “तो मेरी अनु को किसने छीना है मुझसे? मुझे नहीं पता... मुझे वो वापस चाहिए।” तारा रोते हुए बच्चों की तरह जिद करने लगी जबकि उन्हें इस तरह रोता देख आयुष्का वहां से दौड़कर चली गई। अनुष्का की मौत का सुनकर इंस्पेक्टर का चेहरा भी उतर गया। वो तुरंत वहां से हट गया और कॉल करके रोहन को अनुष्का की मौत की खबर दी। अनुष्का के मरने के साथ उनकी भी आखिरी उम्मीद खत्म हो गई थी। वही आयुष्का हॉस्टिपल लॉबी से बाहर आ रही थी, तभी उसकी नज़र टीवी स्क्रीन पर गई। टीवी में वही आरव और अनुष्का की न्यूज आ रही थी। साथ ही उनका वीडियो भी चल रहा था। उसे देखने के बाद आयुष्का के चेहरे पर दुख के साथ-साथ गुस्से के मिले-जुले भाव थे। “आरव खुराना....तो तुमने किया है ये। तुम कैसे हो, ये पूरी मुंबई जानता है। अपनी हरकतों से बहुत नुकसान पहुंचा दिया औरो को.... लेकिन वो और ही थे। आई चैलेंज यू आरव खुराना... आई विल रूइन यू।” आयुष्का की आंखों में आरव के लिए नफरत थी। बाकी दुनिया की तरह अनुष्का के इस एक्सीडेंट के लिए आयुष्का भी आरव को ही दोषी समझ रही थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 3. Tied with destiny - Chapter 3

    Words: 1608

    Estimated Reading Time: 10 min

    न्यूज़ चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक सब जगह एक ही न्यूज़ ट्रेंड कर रही थी। एक्ट्रेस अनुष्का ओबरॉय अब इस दुनिया में नहीं रही थी। होटल साज की टेरेस से गिरकर उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत की न्यूज बाहर आते ही पुलिस भी एक्टिव हो गई। इस केस में सस्पेक्ट के तौर पर आरव खुराना का नाम सामने आ रहा था। खुराना इंडस्ट्रीज के 15वे फ्लोर पर आरव अपने केबिन में बैठा था। उसके पास कबीर खड़ा था। दोनो सामने लगी स्क्रीन में यही न्यूज देख रहे थे। कबीर ने आरव की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। “सर...” कबीर ने आरव की तरफ देखकर कहा, “आपके दिमाग में क्या चल रहा है?” “दादी की तबियत कैसी है कबीर?” आरव ने पूछा। कबीर को लगा आरव उससे केस के बारे में बात करेगा। उसके लीक से हटकर कुछ पूछने पर कबीर ने चौंकते हुए कहा, “हां सर?” “तुम पिछले छह साल से मेरे साथ हो... अब तक इतना तो समझ आ गया होगा मुझे बात रिपीट करना पसंद नहीं है।” आरव ने उसकी तरफ घूरकर देखा। “हां सर,... सॉरी सर। दादी, वो उनके कल सारे टेस्ट फिर से होंगे। डॉक्टर ने कहा है उन्हें एक्स्ट्रा केयर और 27/7 अटेंशन की जरूरत है। थोड़ी सी भी टेंशन उनके दिमाग के लिए ठीक है।” कबीर ने बताया। “हम्म... घर का वाईफाई कनेक्शन कट करवा दो। केस की पहली सुनवाई में मेरी बेगुनाही का सबूत लेकर खन्ना कोर्ट पहुंच जाना चाहिए।” आरव ने उसे सब समझाते हुए कहा। कबीर ने मुस्कुराते हुए जवाब में कहा, “ऑफिस की सीसीटीवी फुटेज की कॉपी मैने पहले ही पहुंचा दी है।” “तो फिर ये मीडिया रिपोर्ट्स? ये मुझे क्यों कल्प्रिट साबित करने पर तुले है।” आरव ने इरिटेट होकर पूछा। “इनके कहने से क्या होता है सर... अगर सबूत पुलिस स्टेशन नही पहुंचते तो अब तक आपका फेवरेट इंस्पेक्टर रोहन उछलता हुआ आ चुका होता।” कबीर ने खुश होकर जवाब दिया। वो अक्सर आरव के कहे बिना ही उसकी इस तरह की प्रोब्लम्स सॉल्व कर देता था। “गुड... ऐसा करो इन सभी न्यूज़ चैनल्स को डीफिमेशन का नोटिस भिजवाओ। उस रिपोर्टर की क्या रिपोर्ट है?” आरव ने पूछा। “मैने अभी भी उसे नीचे कैद कर रखा है। कल रात उसे गिराता तो चीजें ज्यादा उलझ जाती।” कबीर ने जवाब दिया। “सही किया।” आरव ने कहा और वहां से उठकर जाने लगा। “सर आप इस टाइम कहां जा रहे है... वो मीटिंग... युवानी...।” कबीर उठकर उसके पीछे आने लगा। “तुम मेरी वाइफ नही हो कबीर, जो मैं तुम्हें अपने पल पल की रिपोर्ट दूं। युवानी को बोल देना... मीटिंग में मेरी प्रेजेंस चाहिए तो बारह घंटे पहले बताया करें।” आरव ने बिना मुड़े कहा और सीधा अपनी प्राइवेट लिफ्ट में चला गया। “हां जैसे अपनी वाइफ को तो ये सब बताने वाले ही है।” कबीर ने आंखे घुमाकर कहा। कबीर वहां से आरव का काम संभालने के लिए नीचे के फ्लोर पर चला गया। जबकि आरव इस वक्त कहां गया था, इस बारे में सिवाय उसके किसी को पता नही था। ______________________________ ओबेरॉय मेंशन में गम का माहौल था। अनुष्का की डेडबोडी के अंतिम दर्शन के लिए बी टाउन से लेकर नाती रिश्तेदारो की लंबी भीड़ थी। मीडिया को अंदर आना अलाऊ नही था तो सब घर के आगे जमा थे। अनुष्का के अंतिम संस्कार से पहले की सभी जरूरी विधियां की जा रही थी। वही इन सबसे दूर आयुष्का अभी भी हॉस्पिटल में थी। अयान के मना करने के बावजूद वो उसे एक सर्जरी में असिस्ट कर रही थी। उसके दिल का दर्द उसकी आंखों से साफ झलक रहा था। “क्यूं खुद को तकलीफ दे रही हो आयु... ऐसा करने से वो वापिस नही आ जायेगी।” अयान ने बीच सर्जरी में आयु की तरफ देखकर सोचा। “डॉक्टर सिद्धि... पेशेंट की फैमिली को बोलो उसकी कंडीशन स्टेबल है।” अयान ने सर्जरी खत्म करके कहा। बाहर जाने से पहले उसने तेज आवाज में आयुष्का से कहा, “डॉक्टर आयुष्का, कम टू माय केबिन....” आयुष्का ने उसकी बात पर हामी और स्टोर रूम में चेंज करने चली गई। अगले दस मिनिट में वो अयान के साथ उसके केबिन में थी। “तुम अभी मेरे साथ चल रही हो। आई डोंट वांट एनी आर्गुमेंट।” अयान ने सख्त आवाज में कहा और आयुष्का का हाथ पकड़कर उसे ले जाने लगा। “अयान छोड़ो मुझे.... व्हॉट द हेल आर यू डूइंग....सब हमारी तरफ देख रहे है।” आयु ने अयान से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की। हॉस्पिटल में काम करने वाला स्टाफ उन्ही की तरफ देख रहा था लेकिन अयान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो आयुष्का को जबरदस्ती अपनी गाड़ी के पास लेकर गया और उसे बैठा दिया। वो ड्राइविंग सीट पर था और उसे कही ले जा रहा था। “गाड़ी रोको अयान....तुम क्यों कर रहे हो मेरे साथ ये....मुझे कही नही जाना।” आयुष्का रोते हुए बोली। अयान काफी फास्ट ड्राइव कर रहा था। उसने आयुष्का की तरफ देखे बिना कहा, “यही सवाल मेरा है। तुम खुद के साथ ये क्यों कर रही हो? तुम अनु से कितना प्यार करती हो, ये मुझसे बेहतर और कोई नही जान सकता। तुम अच्छे से जानती हो इस वक्त तुम्हारा कहां होना ज्यादा जरूरी है।” “मैने....मैं उसे नही बचा पाई अयान।” आयुष्का ने रोते हुए कहा। “तुम्हारी गलती नही हैं। उसे हॉस्पिटल लाया गया तब तक उसका काफी सारा ब्लड लॉस हो चुका था। चोट सीधे सिर के नाजुक हिस्से पर लगी थी। एक डॉक्टर होकर तुम ऐसे बेवकूफों जैसी बातें कैसे कर सकती हो।” अयान ने उसे डांटा। कुछ देर बाद गाड़ी मुंबई के शमशान घाट के आगे रुकी। अयान गाड़ी से बाहर निकला और आयुष्का का हाथ पकड़कर उसे बाहर निकालने लगा। “न....नही अयान। प्लीज ये मत करो। मैं.... मैं उसे ऐसे नही देख पाऊंगी।” आयुष्का रोने लगी। वो गाड़ी से बाहर नहीं निकल रही थी। अयान ने उसकी एक नही सुनी और जबरदस्ती उसे अंदर ले गया। अंदर अनुष्का का अंतिम संस्कार बस होने ही वाला था। सब आयुष्का के आने का इंतजार कर रहे थे। रुद्र ने नम आंखों से आयुष्का की तरफ देखा। उसने अनुष्का के शरीर को अग्नि दी। कुछ ही देर में उसका शरीर अग्नि में विलीन हो गया। सब लोग वहां से चले गए लेकिन आयुष्का अभी भी वही थी। “तुमने चीटिंग की है। तुम....तुम मुझे अकेले छोड़कर चली गई अनु। तुमने अपने हिस्से की हर चीज पहले मुझे दी है.. तो जब मरने की बारी आई तो मौत भी पहले मुझे आनी चाहिए थी।” आयुष्का वहां नीचे बैठी पागलों की तरह रो रही थी। अयान उसके पास आया और उसे संभालने लगा। “इट वॉज जस्ट एन एक्सीडेंट। ये किसी के साथ भी हो सकता हैं।” “नही.... नो अयान, इट वॉज नॉट जस्ट एन एक्सीडेंट। उसने.... उस आरव खुराना ने मारा है मेरी बहन को।” आयुष्का चिल्लाकर बोली। अयान ने कुछ नहीं कहा। आयुष्का रोते हुए बोली, “मै... मैं उसे बरबाद कर दूंगी अयान।” “तुम्हें क्या हो गया है आयु। अपनी लाइफ में आगे बढ़ने का सोचो। अनु अब इस दुनिया से जा चुकी है। तुम्हे इस सच को एक्सेप्ट करना होगा। इसके लिए तुम, मैं या आरव खुराना, हम में से कोई जिम्मेदार नहीं है” अयान उसे समझाने लगा। “अक्सर दूसरों की बरबादी सोचने वाले खुद बरबाद हो जाते है आयु।” “मुझे अपनी हर बरबादी मंजूर है। मेरी जिंदगी तो अनु के साथ ही खत्म हो गई है। पर उसे नही छोडूंगी मैं।” आयुष्का ने अपने आंसू पोंछे और वहां से उठकर बाहर जाने लगी। “ये किस जिद पर अड़ गई हो तुम आयु। आरव खुराना.... तुम.... तुम नही जानती वो कौन है। भगवान ना करें कि गलती से भी वो दिन आए जब तुम आरव की जिंदगी का हिस्सा बनो। वो पहले से बरबाद है.. उसे किसी को खोने का डर नहीं... पर तुम्हारी जिद तुम्हें ना तबाह कर दे।” अयान के चेहरे पर घबराहट थी। उसके बात करने का लहजा बता रहा था जैसे उसने आरव का वो चेहरा देखा था, जो दुनिया की नजरों में अब तक एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन के नकाब के पीछे छुपा था। _________________________________ रात के 1:00 बज रहे थे। मुंबई से दूर महातवली बीच पर, जहां अरेबियन सी कोस्ट था, वहां एक बड़ी सी शिप आकर रुकी। शिप के बाहर एक बड़ा सा ट्रक था। कुछ लोग उस शिप से बहुत बड़े बड़े बक्से ट्रक के अंदर डाल रहे थे। “लोकेशन सेट की हुई है। ड्राइवर भरोसे का तो है ना... माल बहुत कीमती है। अगर थोड़ा भी इधर उधर हुआ तो बात सीधी जान पर बनेगी।” एक लगभग पचास साल का आदमी किसी लड़के से बात कर रहा था। वो लड़का उम्र से 22 या 23 साल का लग रहा था। उसने जवाब में कहा, “उम्र अपन की भले ही कम है पर इस काम में सालों से लगे हैं। बेईमानी या घपले का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। ट्रक अपनी जगह पर पहुंच जाएगा भाऊ।” उस आदमी ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया। लड़के ने उस आदमी से हाथ मिलाया और ट्रक में जाकर बैठ गया। कुछ ही देर में वो बक्सों वाला ट्रक वहां से रवाना हो गया। इसी के साथ वो आदमी निश्चिंत हो गया और उसी शिप के साथ वहां से चला गया। उनसे कुछ दूर आरव कबीर के साथ गाड़ी में बैठा हुआ था। वो शिप से काफी दूर थे। उन्हें ठीक से कुछ खास दिखाई नहीं दे रहा था पर ट्रक के जाते ही उन दोनों के फेस पर स्माइल आ गई। “बस अब धमाके का इंतजार है कबीर। देखना इस बार बेचारी को कुछ ज्यादा ही बड़ा नुकसान होगा। बहुत रोएगी वो, मुझे कोसेगी और यही बद्दुआ देगी कि ना जाने किस घड़ी में उसने मुझे तकलीफ देने के बारे में सोचा।” आरव ने मुस्कुरा कर कहा, जिस पर कबीर ने हामी भरी। उसने कबीर को चलने का इशारा किया। इसी के साथ दोनों वहां से चले गए। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 4. Tied with destiny - Chapter 4

    Words: 1567

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनुष्का के अंतिम संस्कार होने के बाद अगले दिन फॉर्मेलिटी के लिए केस कोर्ट पहुंचा। ओबेरॉय फैमिली से वहां उनके लॉयर के अलावा कोई नही पहुंचा था। आरव के लॉयर मिस्टर खन्ना ने हादसे के वक्त उसके ऑफिस में होने के प्रूफ पेश कर दिए थे तो वही होटल साज की सीसीटीवी फुटेज से भी कुछ साबित नही हो पाया। कोर्ट ने इस केस को एक्सीडेंट का नाम देकर पहली सुनवाई में ही बंद कर दिया। पहले अनुष्का के मरने की तो अब केस बंद होने की न्यूज सब जगह वायरल थी। आयुष्का अपने घर पर रूम में बैठी थी। उसने वो न्यूज देखी तो उसके चेहरे पर गुस्सा था। “ये तो होना ही था। तुम जैसे लोग क्राइम करते है और बच कर निकल जाते है। लेकिन इस बार नही... मैं केस रीओपन करवाउगी और अपनी बहन को इंसाफ दिला कर रहूंगी।” आयुष्का बोल ही रही थी कि उसके कानों में उसकी मॉम तारा जी की आवाज पड़ी। “बस करो आयु... जब तुम्हे उसे बचाने की बारी आई, तब तो तुम कुछ नही पाई.. तो अब ये दिखावा किसलिए?” तारा ने सख्त लहजे में कहा। “मॉम आप बार बार मुझे क्यों ब्लेम कर रही है? आप ऐसे बिहेव कर रही है जैसे मैंने अनु को टेरेस से धक्का दिया हो।” आयु ने चिढ़कर कहा। उसकी बात सुनकर तारा ने सिर हिलाया। उनके हाथ में खाना था। खाने की ट्रे को बेड साइड पर रखने में बाद वो बोली, “खाना खा लेना।” कहकर वो जाने लगी। दरवाजे के पास जाकर तारा जी रुकी और आयु की तरफ देखकर नम आंखों से कहा, “तुमने उसे नही धकेला होगा... पर तुम उसे नही बचा पाई। इसके लिए मैं कभी तुम्हे माफ नही करूंगी आयु।” उनकी बात सुनकर आयु की आंखों से आंसू लुढ़क गए। “आप तो क्या मॉम, मैं भी खुद को माफ नही कर पाऊंगी। जिस दिन मैं अनु के कातिल को जेल के पीछे पहुंचा दूंगी, उस दिन हक से आपसे माफी मांगने आऊंगी।” आयुष्का ने अपना मोबाइल उठाया। उसने किसी का कांटेक्ट नंबर निकाला और उसे देख कर कहा, “आई वंडर कि तुम अब तक आगे क्यों नहीं आए हो? ऐसे टाइम में तुम ही हो, जो मेरी हेल्प कर सकते हो। मुझे तुमसे मिलना ही होगा।” कांटेक्ट लिस्ट में मौजूद नंबर को आयुष्का ने कुछ देर देखा और फिर उस पर कॉल किया। “मुझे तुमसे मिलना है... आज ही।” कॉल रिसीव होते ही आयुष्का तुरंत बोली। “पर मैं तुमसे नहीं मिलना चाहता। आगे से मुझे कॉल मत करना।” सामने से एक लड़के की आवाज आई। वो अपनी बात कह कर कॉल कट करने वाला ही था कि आयु तुरंत जल्दी से बोली, “रात को डिनर पर मिलते हैं।” लड़के ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कॉल कर कर दिया। उसके कॉल कट करने के बाद आयुष्का ने अपने मोबाइल में एक इमेज निकाली। उसमें अनुष्का किसी लड़के के साथ थी। दोनों साथ में खुश नजर आ रहे थे। “तुम दोनों के रिलेशनशिप हाइड करने का कारण मुझे समझ आता है पर उसकी मौत के बाद भी तुम चुप कैसे रह सकते हो मंथन आहूजा। यू हैव टू आंसर मी... सिर्फ तुम ही हो जो आरव खुराना से टक्कर लेने की हिम्मत रखता है। तुम्हें मेरी हेल्प करनी ही होगी।” आयुष्का जल्दी से तैयार हुई और अपना बैग लेकर मंथन से मिलने के लिए निकल गई। ___________ जब तक अनुष्का और आरव की न्यूज़ ज्यादा चर्चा में थी, तब तक आरव अपने घर नहीं गया था। उसने सभी न्यूज़ चैनल्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स से अपनी वीडियो और नाम हटवा दिया था तो वहीं अब अनुष्का का केस भी बंद हो चुका था। आरव की तरफ से चीजें क्लियर होने के बाद उसे किसी बात का डर नहीं था। रात के लगभग 9 बजे के करीब आरव कबीर के साथ घर पहुंचा। वो दोनों घर आए, तब लिविंग रूम में अंधेरा था और टीवी ऑन था। टीवी स्क्रीन पर यूट्यूब चल रहा था। वो किसी होटल रूम की क्लिप थी, जहां आरव एक लड़की के साथ होटल रूम में गया था। उसी की क्लिप वायरल हो चुकी थी। “अब ये क्या नया सियापा है?” कबीर ने आरव से धीमी आवाज में पूछा। “आपने मुझे इसके बारे में क्यों नहीं बताया।” आरव उसकी बात का कोई जवाब देता उस से पहले लिविंग रूम की लाइट्स ऑन हो गई। आरव और कबीर ने देखा सामने आरव की दादी गौरवी जी खड़ी थी। गौरवी जी लगभग 75 साल की थी। वो दिखने में अपनी उम्र से लगभग 10 साल छोटी लगती थी। उन्होंने डिजाइनर नाइट सूट पहना था। उनके ब्राउन और ब्लैक मिक्स कलर्ड हेयर कंधे से थोड़े नीचे तक के थे। “व्हाट इज दिस आरव?” गौरवी जी ने गुस्से में कहा। “आ... आई डोंट नो दादी... मैं बस वहां मीटिंग के लिए गया था।” आरव उनके पास जाते हुए बोला। गौरवी जी को मनाने के लिए आरव ने उन्हें हग कर लिया तो वहीं उन्हें साथ देकर कबीर ने बड़बड़ा कर कहा, “कौन सोच सकता है कि आरव खुराना जैसा रफ एंड टफ इंसान अपनी दादी से इतना डरता है।” “मुझे अच्छे से पता है तुम्हारी वहां कौन सी मीटिंग हो रही थी। आए दिन मुझे इस तरह के वीडियोस देखने को मिल जाते हैं। तुम्हारी वजह से किटी पार्टी की लेडीस मुझे मैसेज करके उल्टी-सीधी बातें सुनाती है।” गौरवी जी ने मुंह बनाकर कहा। “हां तो आप उन्हें बुलाते ही क्यों है हमारे घर पर? अगली बार जब भी वो आए, मुझे कॉल कर दीजिएगा। मैं एक एक से निपट लूंगा।” आरव ने जवाब दिया। “मुझे अच्छे से पता है तुम कैसे निपटोगे। वैसे भी तुम्हारे डर से कोई भी यहां आना नहीं चाहता, ऊपर से जो आ रहे हैं उन्हें भी तुम भगाना चाहते हो। मुझे कुछ नहीं सुनना। मुझे लोगों की गॉसिप और इन बेफिजूल के विडियोज से छुटकारा चाहिए।” गौरवी जी ने सख्त आवाज में कहा। आरव ने उनकी बात पर हां में सिर हिलाया और फिर कबीर की तरफ देख कर कहा, “कबीर, ऐसा करो घर के वाईफाई कनेक्शन कट करवा दो। हम दोनों और हाउस हेल्पिंग स्टाफ के अलावा अगर कोई यहां पर कदम भी रखे तो...” आरव बोल रहा था तभी गौरवी जी ने उसकी बात के बीच में कहा, “मुझे ऐसे भी छुटकारा नहीं चाहिए कि तुम सब का आना जाना ही बंद कर दो। या तो तुम कुछ करो या फिर मैं कुछ करूंगी।” “हम दोनों को ही कुछ नहीं करना है दादी, चलिए डिनर करते हैं। आई एम हंगरी।” आरव ने बात को टालने के लिए कहा। वो गौरवी जी का हाथ पकड़कर उन्हें डाइनिंग टेबल के पास ले जाने लगा। कबीर भी उनके पीछे-पीछे आ रहा था। तभी उसकी नजर टीवी स्क्रीन पर पड़ी। कुछ देर उसे देखने के बाद कबीर ने फिर उसे बंद कर दिया। वीडियो देखने के बाद कबीर ने अपने मन में कहा, “ऐसा कैसे हो सकता है कि इस तरह का कोई वीडियो वायरल हो और आरव सर को पता ही ना चले।” उसे कुछ समझ नहीं आया तो वो भी उनके साथ डाइनिंग टेबल पर चला गया। गौरवी जी कबीर को अपने पोते की तरह ही मानती थी। वो भी उनके साथ डिनर ले रहा था। “तुम कब इन हरकतों को बंद करोगे? तुम्हारी इन्हीं हरकतों की वजह से आज कल तो रिश्ते भी आने बंद हो गए हैं।” गौरवी जी चेयर पर बैठते हुए बोली। “व्हाट दादी? मैंने कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं की। आप चाहे तो मेरा मेडिकल टेस्ट करवा सकती है आई एम स्टिल वर्जिन...” आरव ने खाते हुए कहा। उसकी बात सुनकर कबीर और गौरवी जी उसकी तरफ आंखें फाड़ कर देख रहे थे। “मुझे कोई टेस्ट वेस्ट नहीं करवाना और ना ही मेरी इतनी हिम्मत है कि मैं रोज रोज तुमसे बहस कर सकूं। आई वांट कि मैं मरने से पहले तुम्हारी शादी होते देखूं। कम से कम मेरी...” गौरवी जी बोलते हुए रुक गई क्योंकि आरव उनकी तरफ सर्द निगाहों से देख रहा था। उसने खाना खाना भी बंद कर दिया था। उसके देखने के तरीके से गौरवी जी समझ गई थी कि हर बार की तरह आरव को उनके इस तरह के बात करने पर गुस्सा आ रहा था। उन्होंने बात को बदलते हुए कहा, “अच्छा ठीक है। नहीं कहूंगी आगे से, पर तू मेरी इतनी सी विश पूरी नहीं कर सकता क्या? मुझे इस घर में और भी मेंबर चाहिए।” आरव ने अपनी खाने की प्लेट उठाई और कमरे की तरफ जाने लगा। उसने पीछे बिना देखे तेज आवाज में कहा, “कबीर, घर के पीछे का हिस्सा रेंट के लिए अवेलेबल करवा दो। दादी को इस घर में और भी लोग चाहिए।” आरव अपना खाना लेकर कमरे में चला गया तो वही कबीर और गौरवी जी एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। “वो फिर मुझसे नाराज हो गया।” गौरवी जी ने कबीर की तरफ देख कर कहा। “हां तो आप बार बात पर मरने की बात क्यों करती हो? सिर्फ आप ही हो, जिनके सामने सर थोड़ा सॉफ्ट हार्टेड हो जाते हैं। आप उन्हें लड़कियों को लेकर भी कुछ मत कहा कीजिए। आप जानते हैं ना वह...” “वो औरतों से नफरत करता है। मुझसे बेहतर मेरे आरव को कौन जान सकता है। उसकी नफरत की वजह कौन है, ये तुमसे भी नही छिपा है। भगवान उस मनहूस औरत को कभी खुशियां नही देंगे, जिसने मेरे आरव को अकेला छोड़ा।” गौरवी जी ने उसकी बात काट कर कहा। उन्हें गुस्सा आ रहा था तो कबीर ने उन्हें पानी का ग्लास पकड़ाया। गौरवी जी चेहरे पर परेशानी के भाव थे और वो कबीर को वहीं पर छोड़ कर चली गई। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 5. Tied with destiny - Chapter 5

    Words: 1809

    Estimated Reading Time: 11 min

    रात के लगभग 8 बजे आयुष्का दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर निकली। उसने स्काई ब्लू बैगी पैंट्स के साथ लॉन्ग स्लीव्स ब्लैक क्रॉप टॉप पहना था। वहां से चेक आउट करने के बाद वो कैब लेकर मंथन के घर पहुंची। वो इस समय दिल्ली के सीएम के घर के आगे खड़ी थी। मंथन के पापा मिस्टर निशान्त आहूजा दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। अंदर जाने से पहले सिक्योरिटी ने उसे रोक लिया। “मुझे मंथन आहूजा से मिलना है। मेरी पहले से ही उनसे मीटिंग फिक्स थी। आप चाहे तो कॉल करके पूछ सकते हैं।” आयुष्का ने सिक्योरिटी गार्ड से कहा। सिक्योरिटी गार्ड ने उसकी बात पर हामी भरी और अंदर कॉल लगाया। बात करने के बाद उसने आयुष्का को अंदर जाने की परमिशन दे दी थी। “आप बाहर मीटिंग रूम में पहुंचे। मंथन सर आते ही होंगे।” सिक्योरिटी गार्ड ने कहा और आयुष्का को अंदर मीटिंग रूम तक ले जाने लगा। उधर मंथन को उसके आने का पता चला तो वो खुद उसे लेने चला गया। मंथन अनुष्का के साथ पिछले 2 साल से रिलेशनशिप में था। वो लगभग 27 साल का था। छह फीट से भी लंबी हाइट, मस्कुलर बॉडी, हल्का गेरुआ रंग और गहरी काली आंखे... मंथन की फिजिकल अपीयरेंस काफी इंप्रेसिव थी। आयु आज उससे पहली बार मिल रही थी। मीटिंग रूम में पहुंचकर वो मंथन के आने का इंतजार करने लगी। अंदर आते ही मंथन ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। वो एक साउंडप्रूफ रूम था। जैसे ही मंथन और आयु की आंखें मिली। उन दोनों की आंखें उनके दिल का हाल बता रही थी। दोनों की ही आंखें लाल थी। आयुष्का की आंखों में देखते हुए मंथन ने तुरंत अपनी नजरें फेर ली और कहा, “अगर तुम्हारे पास आई वियर है, तो पहन लो।” “और वो क्यों? मेरी आंखें देखकर उसकी याद आ रही है? लगता नही कि तुम्हें उसकी मौत से कुछ फर्क भी पड़ा होगा।” आयुष्का ने गुस्से में कहा। “ओह जस्ट शट अप...” मंथन गुस्से में उसकी तरफ मुड़ा और उसके कंधों से पकड़ लिया। अब वो आयु की आंखों में आंखें डालकर बात कर रहा था। “अगर इस दुनिया में किसी को उसके मरने पर सबसे ज्यादा फर्क पड़ा है, तो वो मैं हूं। तुम अच्छे से जानती हो मैं किस पोजीशन पर हूं। मैं तुम लोगों की तरह अपना दुख सबके सामने जाहिर नहीं कर सकता इसका मतलब ये नहीं कि मुझे तकलीफ नहीं हो रही।” “छोड़ो मुझे...” आयुष्का ने उसे खुद से दूर किया और कहा, “अगर तुम्हें उसकी मौत का इतना ही फर्क पड़ रहा है तो तुम चुप क्यों हो? मेरी बहन का मर्डर हुआ है। तुम इतनी बड़ी पोजीशन पर हो कि सामने वाले को सजा दिला सकते हो। फिर क्यों कुछ नहीं कर रहे हैं?” “तुम्हारे पास कोई प्रूफ है उसका मर्डर ही हुआ है?” मंथन ने पूछा तो आयु चुप हो गई। उसके चुप्पी ने मंथन के सवाल का जवाब दे दिया था। “गेट आउट... आगे से कभी भी मेरे सामने मत आना।” मंथन ने चिल्लाकर कहा। “हां नहीं आऊंगी और मुझे भी कोई शौक नहीं है तुमसे मिलने का। अच्छे से पता चल रहा है तुम उससे कितना प्यार करते थे। तुम भी बाकी लड़कों की तरह पजेसिव और शक्की मिजाज इंसान हो। तुमने उसे आरव खुराना के साथ देखा तो अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए ना... जबकि सच ये है कि आरव ने ही उसे धक्का दिया था। तुम मेरी बहन के जाने के बाद उसके प्यार पर शक कर रहे हो।” आयु ने गुस्से में काफी कुछ बोल दिया। मंथन ने उसे जाने के लिए कह दिया था तो उसके पास अपने दिल की भड़ास निकालने का आखरी मौका था। उसकी बात सुनकर मंथन हल्के से हंसा और फिर कड़वाहट भरी मुस्कुराहट के साथ कहा, “अनु बिल्कुल ठीक कहती थी। तुम उससे सिर्फ 10 मिनट छोटी हो लेकिन तुम्हारा दिमाग अभी भी बच्चों जैसा है। पूअर गर्ल...।” उसके ऐसा कहने पर आयु ने उसकी तरफ घूर कर देखा। मंथन ने आगे कहा, “तुम्हें क्या लगता है एक वीडियो देखने के बाद मैं उससे अपने सारे रिश्ते तोड़ दूंगा या उस पर शक करूंगा कि उसका आरव खुराना के साथ अफेयर था। तुम्हारी इंफॉर्मेशन के लिए बता दूं तुम्हारी बहन एक एक्ट्रेस थी। मूवी में किस सीन से लेकर और भी बोल्ड सीन शूट होते थे। तब भी मैंने उसे कुछ नहीं कहा तो वो छोटा सा वीडियो, जिसका सच हम दोनों ही नहीं जानते, उसके चलते मैं उससे रिश्ता कैसे तोड़ सकता हूं।” “तो फिर तुम कुछ कर क्यों नहीं रहे? तुम्हें ही कुछ करना होगा। आरव खुराना की पहुंच बहुत आगे तक है। मैं कभी उससे लड़ नहीं पाऊंगी। लड़ना तो दूर की बात है मैं तो उस तक पहुंच भी नहीं पाऊंगी लेकिन तुम्हारे साथ ऐसा नहीं है। तुम और तुम्हारे डैड जिस पोजीशन पर हो, उस पर तुम आराम से उसे सजा दिलवा सकते हो।” आयु ने अपना पॉइंट रखा। पूरी बात सुनने के बाद मंथन ने गहरी सांस लेकर छोड़ी। “जब वही इस दुनिया में नहीं रही है तो मुझे उन लोगों से कोई लेना देना नहीं है। चली जाओ यहां से... तुम्हारी... तुम्हारी आंखें... मुझे नहीं पता था तुम दोनों की आंखें बिल्कुल एक जैसी होगी। मुझे तुम उसकी याद दिला रही हो। उसके जाने के बाद मुझे किसी से कोई मतलब नहीं है। जिसको जो करना है, समझना है, समझने दो। मुझे अकेला छोड़ दो।” मंथन ने भारी आवाज में कहा। उसकी आवाज से उसका दिल का दर्द साफ नजर आ रहा था। मंथन तुरंत वहां से निकल गया । आयु ने उसके पीछे जाकर उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। मंथन अपने बंगलों के अंदर जा चुका था तो वहीं आयु वहां बिना परमिशन के नहीं जा सकती थी। दुखी मन से वो वापस मुंबई जाने के लिए उसके घर से निकल गई तो वही कोई दूर से उन दोनों को देख रहा था। वो मंथन की बड़ी बहन साक्षी थी। “तुम कौन हो मैं नहीं जानती पर मंथन तुमसे मिलने आया है, तो जरूर तुम उससे जुड़ी हुई हो। मेरे भाई ने उसके बारे में मेरे अलावा किसी को नहीं बताया और आज उसके जाने के बाद 3 दिन बाद वो अपने कमरे से बाहर निकला है तो तुमसे मिलने के लिए। जरूर तुम उसी से जुड़ी हुई हो। तुम ही हो, जो उसे इस दर्द से निकाल सकती हो।” साक्षी को आयु के रूप में मंथन के लिए कुछ उम्मीदें नजर आ रही थी। वो अंदर चली गई तो वही जाने से पहले आयु ने एक नोट लिखा। गार्ड को उसे मंथन तक पहुंचाने का बोल कर वहां से चली गई। उसके जाने के बाद सिक्योरिटी गार्ड ने वो नोट मंथन तक पहुंचाया। मंथन अपने कमरे में अनुष्का और अपनी फोटोज देख रहा था लेकिन जैसे ही उसने वो नोट पढ़ा उसने गुस्से में अपना आईपैड फेंक दिया। “तुम्हारी बहन सच में बहुत जिद्दी है अनु... अब समझ आ रहा है मुझे... तुम उसके हर मोमेंट की खबर क्यों रखती थी। तुम तो चली गई पर... ना चाहते हुए भी तुम्हारी बहन की रिस्पांसिबिलिटी मुझे उठानी पड़ रही है। सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए अनु... तुम अपनी बहन से इतना प्यार करती थी और आज जिंदा होती तो उसे किसी मुसीबत में कभी नहीं देख पाती। तुम्हारे प्यार के लिए उस पागल लड़की का ख्याल अब मुझे ही रखना होगा।” मंथन ने अपना सिर पकड़ कर कहा और फिर किसी को फोन किया। उसने कॉल पर कहा, “एक लड़की की फोटो भेज रहा हूं उसकी हर मूवमेंट पर नजर रखना... उसे किसी की भी तरह की हेल्प की जरूरत पड़ सकती है जो कि लीगल किसी भी तरीके से नहीं है। ध्यान रखना उसे एक खरोंच भी नहीं आनी चाहिए।” उससे बात करने के बाद मंथन ने कॉल कट कर दिया। उसने फिर एक नजर आयु के लिखे नोट की तरफ देखा। “तुम्हारा प्यार कैसा है मुझे नहीं पता पर मैं इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार अपनी बहन से करती हूं। कुछ मोमेंट ऐसे थे जब मुझे कोई नहीं समझ पाता था, तब भी वो बिना कहे मेरे दिल की बात समझ लेती थीं। वो मेरे लिए मेरा सब कुछ थीं और उसे मुझ से छीनने वाले को मैं वही मौत दूंगी, जो उसे मिली थी। देखना जैसे मेरी बहन की न्यूज़ सब जगह वायरल हो रही थी, एक दिन आरव खुराना की न्यूज़ भी सब जगह वायरल होगी। उसी होटल साज़ की टेरेस से गिरकर उसकी मौत होगी।” आयु के लिखे नोट के पढ़ने के बाद मंथन ने सिर हिलाकर कहा, “बेवकूफ लड़की...” ___________ रात के लगभग 11:00 बज रहे थे। अयान अपने बेडरूम में परेशानी में इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था। आयु आज हॉस्पिटल नहीं आई थी इस वजह से अयान उसे बार-बार कॉल कर रहा था। “समझ नहीं आ रहा, तुम्हें कैसे रोकूं? एक तो तुम जिद्दी भी बहुत हो। किसी चीज की जिद्द पकड़ लेती हो तो बच्चों की तरह जब तक जिद्द पूरी नहीं हो जाए, मानती भी नहीं...” अयान ने खुद से कहा। वो फिर से आयु को कॉल लगाने जा रहा था तभी किसी ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटा कर कहा, “हमारी लविंग मॉम गई है ब्रो... इस बार पूरे ढाई महीने बाद। फाइनली उन्हें हमारी याद आ गई। चलो कुछ और नहीं तो जाकर उनकी शक्ल ही देख लेते है।” बाहर से एक लड़की की आवाज आई। “जस्ट कमिंग रायशा।” अयान ने आंखें घुमा कर जवाब दिया। इतने बड़े सिंघानिया मेंशन में अयान और रायशा अकेले रहते थे। रायशा 20 साल की थी। दिखने में मासूम और चेहरे पर हमेशा मीठी सी मुस्कान लिए रायशा हर सिचुएशन में पॉजिटिव रहती थी। अयान और रायशा के बीच की बॉन्डिंग अच्छी थी। उसकी पॉजिटिविटी देख कर अयान उसे अक्सर ये कहकर छेड़ा करता था कि उसके सामने अगर किसी का मर्डर भी हो रहा होता तो वो मर्डरर को एक गिलास जूस पिलाकर गाड़ी में आराम से उसकी मर्जी से पुलिस स्टेशन छोड़ कर आती। अयान बाहर निकल कर आया तो उसकी मॉम मिसेस छवि सिंघानिया बाहर अपने असिस्टेंट के साथ खड़ी थी। वो उम्र में लगभग 50 साल के करीब थी पर दिखने में काफी जवान नजर आती थी। उन्होंने ब्लैक मिड थाई ड्रेस पहनी थी। उनके मिड बैक तक के स्ट्रेट बाल गोल्डन ब्लैक हाई लाइटेड किए हुए थे। “आई मिस्ड यू मॉम...” कहकर रायशा उनके गले लग गई। “मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया बेबी। भाई कहां है?” छवि ने इधर उधर देखा तो उसे अयान सामने से आता दिखाई दिया। “वेलकम होम मॉम... आई विश इस बार आप और जल्दी चली जाए और वापिस... आप ना भी आए तो चलेगा।” अयान ने उनसे काफी रूखे तरीके से बात की और बाहर चला गया। “मैं देखती हूं मॉम...” रायशा उसके पीछे दौड़कर गई। उसकी बाते सुनकर छवि अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश कर ही रही थी कि उसके मैनेजर ने उसके पास कहा, “आरव खुराना... उसने फिर हमारा काम बिगाड़ दिया।” “आरव...” इस बार छवि से उसका गुस्सा काबू नही हुआ तो वो जोर से चिल्लाई और पास रखा स्टेच्यू उठाकर फेंक दिया।

  • 6. Tied with destiny - Chapter 6

    Words: 1853

    Estimated Reading Time: 12 min

    छवि अपने मैनेजर मिस्टर राहुल सिंह के साथ घर आई हुई थी। अयान के रूखे बर्ताव से वो बहुत ज्यादा गुस्सा थी। वो अपना गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रही थी कि तभी राहुल ने उसे कुछ ऐसा बताया, जिसे सुनने के बाद उसका गुस्सा अब पूरी तरह बेकाबू था। “आई हेट हिम... मैंने... मैने खान को कमिटमेंट दी थी कि उनके गोल्ड बार्स मैं बिना किसी प्रोब्लम के इंडिया तक पहुंचाउंगी। इसीलिए मैं यहां आई थी.. बट आरव...” बोलते हुए छवि रुक गई। उस की नज़र लिविंग रूम के डोर पर गई जहां रायशा और अयान खड़े थे। रायशा अयान को जैसे तैसे मानकर वापिस लाई थी। अयान के चेहरे पर कड़वाहट भरी मुस्कुराहट थी तो वही छवि की बात सुनकर रायशा का चेहरा उतर गया था। “आप इस बार भी सही हो ब्रो... मॉम अपने ही काम से यहां आई थी।” रायशा ने बुझी आवाज में कहा। अयान ने उसकी बात को पूरी तरह इग्नोर कर दिया। उसने रायशा का हाथ पकड़ा और कहा, “चलो बाहर किसी क्लब में चलते है।” “लेकिन इस... ?” रायशा बोल रही थी तभी अयान ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “हां तो क्लब रात में ही जाते है।” वो इस वक्त कैसे भी करके रायशा का ध्यान छवि से हटाना चाहता था। “मैं टाइम की नहीं भाई कपड़ों की बात कर रही हूं।” बोलते हुए रायशा ने अपने कपड़ों की तरफ इशारा किया। उसने व्हाइट शॉर्ट्स के साथ पीच ओवरसाइज्ड टीशर्ट पहनी थी। “ठीक है फिर, बीच पर चलते हैं।” अयान ने रायशा का हाथ पकड़ा और वापस दरवाजे से लौट गया। “मैं अच्छे से जानती हूं अयान तुम क्या करने की कोशिश कर रहे हो। पर फिलहाल तुम दोनों से ज्यादा जरूरी मेरी डील है। आई कांट मिस दिस एनीवे...” छवि ने सिर हिलाकर कहा। फिर उसने राहुल की तरफ देखा। “दुबई से आए हमारे शिप को पुलिस ने पकड़ लिया है। उसे इस बारे में पहले ही पता था और उसने सारी तैयारियां करके रखी थी।” राहुल ने धीमी आवाज में कहा। “व्हाट एवर... पुलिस को खरीदो या किसी पॉलिटिशियन को। मुझे मेरा शिप हर हाल में वापस चाहिए। जानते हो ना उसमें कितना गोल्ड था।” छवि ने ऑर्डर देते हुए कहा। “आप जानती हैं इसमें अकेले आरव का हाथ नहीं है। इनफैक्ट उसे पुलिस या इस गोल्ड से भी कोई लेना देना नही है। उसे मतलब है तो बस...” राहुल बोल रहा था तभी छवि ने उसकी बात बीच में काट कर कहा, “सिर्फ और सिर्फ मुझे बर्बाद करने में। नाहर लूथरा को कॉल करो और कहो कि माफिया प्रिंसेस को थोड़ा काबू में रखें।” राहुल ने बिना कुछ कहे उसकी बात पर हां में सिर हिलाया। छवि उसे वहीं पर छोड़ कर बाहर चली गई। वो कहीं जा रही थी। उसके पीछे से राहुल ने नाहर लूथरा को कॉल करने की कोशिश की पर उसका कॉल कनेक्ट नहीं हो पा रहा था। “बहुत सोच समझ किया है तुमने ये... शिप भी पकड़ा दिया और अपना नाम भी नही आने दिया। स्मार्ट मूव आरव खुराना... लेकिन जिस दिन खान को सच का पता चला तो तुम जिस माफिया प्रिंसेस के सहारे इतने आगे आए हो... वो सबसे पहले उसे खत्म करेगा।” राहुल ने कोल्ड वॉयस में कहा। राहुल वही बैठ गया और नाहर लूथरा से कांटेक्ट करने की कोशिश करने लगा। ______________________ गौरवी जी से आर्गुमेंट होने के बाद आरव खाने के साथ अपने कमरे में आ गया। उसने टीवी ऑन किया और न्यूज़ देखते हुए खाना खाने लगा। टीवी पर उस समय की ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी। “इस वक्त हमारे देश की पुलिस के हाथ एक बहुत बड़ी साजिश की लीड लगी है। दुबई से मुंबई वॉटर वे के जरिए एक शिप यहां आया था। कहा जा रहा है उसमें दुबई से मुंबई गोल्ड स्मगल किया जा रहा था। अब उसमें कितनी सच्चाई है ये तो पुलिस के आधिकारिक बयान सामने आने के बाद ही पता चलेगा। हमारे एक्सपर्ट्स को इन सब के पीछे बिजनेस माफियाज और अंडरवर्ल्ड का हाथ लग रहा है।” वो न्यूज़ देखने के बाद आरव के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट थी। उसने टीवी बंद किया और चुपचाप अपना खाना इंजॉय करने लगा। “उफ्फ... कुछ चीजें कभी वर्ड्स में एक्सप्लेन नहीं की जा सकती। जो इंसान आपको दर्द देता है बदले में जब आप उसे बर्बाद करते हो तो वो फीलिंग ही अलग है। उससे भी ज्यादा मजा तब आता है जब सामने वाला चाह कर भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाए। कम ऑन छवि सिंघानिया... अब खिसियानी बिल्ली की तरह खंबा नोचने से कुछ नहीं होगा। आरव खुराना को तकलीफ पहुंचाई है तुमने, तुम्हारी जिंदगी का हर एक लम्हा मैंने दुखों से नहीं भर दिया तो मेरा नाम भी आरव खुराना नहीं।” बोलते हुए आरव के चेहरे के एक्सप्रेशन हार्श हो गए। आरव ने खाना खत्म किया ही था कि उसके फोन की रिंग बजी। स्क्रीन पर आ रहे माहिरा लूथरा के नाम को देखकर आरव के चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े सॉफ्ट हो गए। ये एक वीडियो कॉल था। आरव ने कॉल पिक किया तो सामने माहिरा बैठी थी। वो लगभग 25 साल की थी। उसने स्विम सूट पहना था और ऊपर श्रग डाली थी। उस ड्रेस में उसकी बॉडी का ज्यादातर हिस्सा विजबल था। लाइट डस्की स्किन टोन, गहरी ग्रे कलर की आंखे, कमर से थोड़े ऊपर तक के लूज कर्ली हेयर और शार्प फेशियल फीचर्स के साथ वो बहुत हॉट दिखती थी। “हे...” माहिरा ने हाथ उठाकर हेलो कहा। फिर उसने आरव के चेहरे पर हल्की स्माइल देखी तो उसने मुस्कुराकर कहा, “तुम्हारे फेस की स्माइल बता रही हैं हमारा काम हो गया है।” “ऑफ कोर्स... कोई काम आरव खुराना अपने हाथ में ले और अधूरा रह जाए, हो ही नहीं सकता।” आरव ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ जवाब दिया। फिर उसने पूछा, “वैसे मैं होटल में तुम्हारा वेट करता रह गया। तुम मीटिंग में आने वाली थी ना?” “सॉरी वो मेरी फ्लाइट मिस गई हो गई।” माहिरा ने जवाब दिया। फिर उसने आगे कहा, “इन सबमें हमें पुलिस को इंवॉल्व नहीं करना चाहिए था। हमारा भी इसमें काफी नुकसान हुआ है। वो शिप अगर हमें मिलती तो...” बोलते हुए माहिरा रुक गई। उसके चेहरे के भाव गंभीर हो गए थे। “चिंता मत करो लौटकर वो हमारे पास ही आएगी। मैं खान से दुश्मनी नहीं करना चाहता हूं, बस तभी पुलिस को इंवॉल्व किया।” आरव ने जवाब दिया। फिर उसने बातचीत का रुख बदलते हुए आगे कहा, “इतनी रात को पूल में नहाना सही नहीं है। तुम्हें कोल्ड हो सकती है।” “अच्छा तो तुम्हें मेरी फिक्र है?” माहिरा ने हल्के से हंसकर पूछा। “संभलकर आरव खुराना... कहीं तुम्हें मुझसे प्यार ना हो जाए। वैसे मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है। इन फैक्ट मैं तो उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं पर नुकसान तुम्हारा ही है।” माहिरा ने तिरछा मुस्कुरा कर कहा। “डोंट वरी बेबी, ऐसा कभी नहीं होगा। आई बेट यू, मुझे ना तो तुमसे और ना ही किसी और लड़की से प्यार होगा।” आरव ने जवाब दिया। “मुझसे प्यार करो तो चलेगा डार्लिंग लेकिन किसी और से प्यार करने के बारे में सोचा भी तो इन्हीं हाथों से उसकी जान ले लूंगी।” माहिरा ने कॉल्ड एक्सप्रेशन के साथ कहा। आरव माहिरा से बात कर रहा था तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। उसने माहिरा से बिना कुछ कहे बाय में हाथ हिलाया और कॉल कट कर दिया। वहीं उसके अचानक कॉल कट करने पर माहिरा ने हंसते हुए अपना फोन काउच पर फेंक दिया। “तुम्हारी दादी ही है, जो तुम्हें कंट्रोल कर सकती हैं... बट डोंट वरी... वो दिन भी जल्द ही आएगा, जब तुम्हारे दिल की डोर मेरे हाथों में होगी।” माहिरा आंख बंद करके आरव के बारे में सोचने लगी तो वही दूसरी तरफ आरव के कमरे में गौरवी जी आई थी। “दादी मुझे कोई एक्सप्लेनेशन नहीं सुननी नहीं है। मुझे बहुत नींद भी आ रही है। सुबह बात करते हैं।” आरव ने अपने फोन से कमरे की लाइट ऑफ कर दी लेकिन गौरवी जी ने स्विच ऑन करके लाइट फिर से ऑन कर दी थी। “मुझे अभी बात करनी है। ओके आई एम सॉरी, नेक्स्ट टाइम मैं खुद से जुड़ी कोई बात नहीं करूंगी लेकिन तुम से जुड़ी बात करने से तुम मुझे रोक नहीं सकते। मैंने सुना तुम किसी से फोन पर बात कर रहे थे। सच बताओ तुम किसी को डेट कर रहे हो ना?” गौरवी जी ने आरव के पास बैठते हुए पूछा। “आई विश इतने बुरे दिन किसी लड़की के ना आए दादी कि मुझे उससे प्यार हो। मैं माहिरा से बात कर रहा था। शी इज माय बिजनेस पार्टनर।” आरव ने बिना कुछ छुपाए गौरवी जी को सब बता दिया हालांकि वो और माहिरा किस काम में बिजनेस पार्टनर थे, इस बात से गौरवी जी अब तक अनजान थी। “अपनी बिजनेस पार्टनर को ही लाइफ पार्टनर बना ले। कभी मिलवाया नहीं उस से, यहां तक की फोटो तक नहीं दिखाई।” बात करते हुए गौरवी जी ने आरव का फोन लेने की कोशिश की लेकिन आरव ने उसे कसकर पकड़ रखा था। “वो दुबई में रहती है। कभी मुंबई आई तो जरूर मिलवाऊंगा। आई एम डैम श्योर आपको वो बिल्कुल पसंद नहीं आएगी। बस आपकी चॉइस का सोच कर ही मैंने कभी उसे घर नहीं बुलाया। आप खामखा मुझसे शिकायतें करती है। देखे मुझे आपकी कितनी फिक्र है।” आरव ने गौरवी जी को परेशान करने के लिए कहा। “हां जैसे तुझे मेरी चॉइस का ख्याल है ही...” गौरवी जी ने मुंह बना कर जवाब दिया। “अच्छा तुम्हारी चॉइस क्या हैं, कभी बताई नहीं। अगर तुम थोड़ा बहुत बताओ तो मैं फिर भी उस टाइप की लड़की को ढूंढने की कोशिश करूं। एट लिस्ट मुझे पता होना चाहिए।” आरव गौरवी जी को अपसेट नहीं करना चाहता था। उसने उनकी गोद में सर रख लिया। वो उसके बालों को सहला रही थी। आरव ने आंखें बंद करके कहा, “दादी मैं बता भी दूंगा तो भी आप उस लड़की को कभी नहीं ला पाओगी। ऐसी कोई लड़की बनी ही नहीं, जो मेरा दिल जीत ले।” “तू बता तो सही...” गौरवी जी ने जोर देकर पूछा। “ठीक है फिर सुनिए दादी... मुझे ऐसी लड़की चाहिए जिसकी आंखें... आंखें कैसी होनी चाहिए...“बोलते हुए आरव को अचानक अनुष्का का ख्याल आया। जब उसने उसे किस किया था तो सिर्फ उसकी आंखें ही काफी गौर से देखी थी। “उसकी आइज का कलर डिफरेंट होना चाहिए... उम्म्म लाइट एम्बर आईज...” उनका दिल रखने के लिए आरव ने कुछ भी बता दिया हालांकि उसके दिल में ऐसा कुछ नहीं था। “ठीक है इस कलर के लैंसेज खरीद के दे दूंगी उसे।” गौरवी जी ने मजाकिया तरीके से कहा। “चलो अब आगे बताओ।” आरव ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। गौरवी जी ने देखा वो सो चुका था तो उन्होंने उसका सर पिलो पर रखा और ब्लैंकेट ओढ़ाया। उसके बाद वो लाइट ऑफ कर के वहां से चली गई। उनके वहां से जाते ही आरव ने अपनी आंखें खोली। “ये दादी के दिल में मेरी शादी का ख़्याल किसने डाला होगा? ऐसे अचानक तो वो किसी चीज के लिए जिद नहीं करती।” गौरवी जी के बर्ताव में आए अचानक इस बदलाव को देखकर आरव थोड़ा हैरान था। तो वही उसके कमरे से निकलने के बाद गौरवी जी नीचे हॉल में बैठकर लैपटॉप पर लाइट एम्बर आईज वाली लड़कियों को ढूंढने की कोशिश कर रही थी।

  • 7. Tied with destiny - Chapter 7

    Words: 2449

    Estimated Reading Time: 15 min

    आरव ने गौरवी जी का दिल रखने के लिए उन्हें लड़कियों के मामले में अपनी चॉइस के बारे में कुछ भी बता दिया। वही उसकी बातों को सीरियसली लेते हुए गौरवी जी अपने कमरे में लैपटॉप के साथ बैठी थी। वो उसमे कुछ सर्च कर रही थी। लैपटॉप स्क्रीन पर काफी सारी लड़कियों की पिक्चर्स निकली हुई थी, जिनकी आंखें एम्बर शेड में थी। उन सबको देखते हुए गौरवी जी ने बड़बड़ाकर कहा, “बाकी फीचर्स भी बता देता तो ढूंढने में प्रोब्लम नही होती। सिर्फ आंखों का कलर देखकर किसी को कैसे प्यार हो सकता है। अगर आंखों का रंग देखकर ही प्यार होता तो आरव अब तक सिंगल नहीं होता... उसकी ब्लू आईज कितनी प्यारी हैं।” स्क्रीन स्क्रॉल करते हुए अचानक वहां अनुष्का की फोटो आई, जिसकी आंखें ठीक वैसी ही थी, जैसे आरव ने बताई थी। “अनुष्का सिंह ओबेरॉय...” गौरवी जी उसे गौर से देखने लगी। तभी उनकी नजर रिसेंट न्यूज़ पर गई। वो हैरानी से बोली, “ये... ये इसकी डेथ कब हुई? यूट्यूब पर सामने वीडियोज आए, तो मुझे लगा वो फेक होगे। बेचारी इतनी कम उम्र में चल बसी। कितनी खूबसूरत है। मुझे तो इसकी आने वाली फिल्म का बेसब्री से इंतजार था और अब देखो क्या हो गया।” गौरवी जी अनुष्का की मौत की न्यूज उदास हो गई। उन्होंने उसकी मौत का कारण जानने के लिए एक न्यूज़ पर क्लिक किया, तब उन्हें आरव और अनुष्का की किस करते हुए पिक्चर्स देखी। उसमें आरव का नाम भी लिखा था। उसे देखने के बाद वो चौक गई। “आरव का अनुष्का सिंह ओबेरॉय के साथ क्या रिलेशन है? अगर ये उसकी गर्लफ्रेंड है तो उसकी मौत के बाद भी उसके चेहरे पर शिकन की एक लाइन भी नहीं... चल क्या रहा है तुम्हारी लाइफ में आरव।” उन सब चीजों को देखने के बाद गौरवी जी और भी उलझन में आ गई और उन्होंने सुबह सबसे पहले आरव से बात करने का सोचा। उन्होंने टेबलेट को बेड साइड पर रखा और उसके बाद कुछ दवाइयां ली। लाइट ऑफ करके वो सोने की कोशिश करने लगी। ______________________ मंथन से मिलने के बाद आयुष्का घर लौटी तब सुबह के 3:00 बज रहे थे। घर पर सब सो चुके थे तो वो दबे पांव अंदर आई और सीधे अपने कमरे में चली गई। मंथन के हेल्प ना करने की वजह से वो अपसेट थी। “कोई मेरी हेल्प करें या ना करें पर मुझे जो करना है वो मैं करके रहूंगी। हर तरह से खुद को स्ट्रांग बनाऊंगी ताकि जिस दिन तुमसे सामना हो, उस दिन तुम्हारा अच्छे से मुकाबला कर सकूं आरव खुराना।” आयुष्का ने अपने मन में कहा। चेंज करने के बाद आयुष्का बेड पर थी। उसके हाथ में उसका लैपटॉप था। ट्रैवलिंग के बाद वो बहुत थक गई थी। फिर भी आराम करने के बजाय वो आरव के बारे में सर्च करने लगी। “कभी सोचा नहीं था कि अपनी जिंदगी से हटकर किसी और चीज पर ध्यान दूंगी खासकर तुम जैसे लोगों पर। बट लाइफ में कब क्या हो जाए किसे पता चलता है।” खुद से बातें करते हुए आयुष्का लैपटॉप स्क्रीन को देख रही थी। वहां आरव और अनुष्का की पिक्चर साथ देख कर उसकी आंखें नम हो गई। “कम ऑन आयु... यू कांट गिव अप। अभी तो बस शुरुवात है। आगे ना जाने क्या कुछ झेलना पड़ेगा।” आयुष्का ने अपने गुस्से को शांत करने के लिए गहरी सांस लेकर छोड़ी। आरव की पर्सनल लाइफ से जुड़ा ज्यादा कुछ उसे मिला नही। ऑनलाइन डेटा के हिसाब से उसके बिजनेस और पार्टी लाइफ के विडियोज थे। काफी सारी न्यूज नेटवर्क पर उसके अलग अलग लड़कियों के साथ साथ रिलेशन होने के बारे में लिखा गया था। इन शॉर्ट उसे आरव के बारे में उसके सक्सेसफुल बिजनेसमैन होने के अलावा कुछ भी अच्छा पढ़ने को नही मिला। आयुष्का ने लैपटॉप की स्क्रीन बंद की। उसके चेहरे पर गुस्सा था। वो बेड पर लेट गई और आरव के बारे में सोचने लगी, “लगा भी था कि तुम कोई अच्छे इंसान तो होने वाले हो नहीं... लेकिन ये उम्मीद भी नहीं की थी। मेरी बहन के अलावा तुमने ना जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद की होगी। पर एक बात मुझे अभी भी समझ नहीं आ रही। उस रात अनु मुझसे कॉल पर बात कर रही थी। वो मंथन से प्यार करती है तो फिर आरव खुराना को किस क्यों करेगी? इस बात को मैं अच्छे से जानती हूं कि उसे मंथन के अलावा किसी और के बारे में सोचा तक नहीं था। अपने प्यार को लेकर पूरी तरह क्लीयर थी, फिर बीच में ये आरव खुराना कहां से आ गया? इस का जवाब तो अब वही दे सकता है। मुझे आरव खुराना तक पहुंचने के लिए कुछ ना कुछ करना होगा।” सोचते हुए उसे नींद आ गई थी। ______________________ अगली सुबह अलार्म बजने के साथ आयुष्का की आंख खुली। सुबह के 7:00 बज रहे थे। सुबह के लगभग 9 बजे के करीब वो रोज हॉस्पिटल अपनी ड्यूटी पर जाती थी। आयुष्का तैयार होकर बाहर आई तो उसने देखा कि उसके घर पर अनुष्का के कंडोलेंस सेरेमनी की तैयारी चल रही थी। आज के दिन ज्यादातर रिश्तेदार और अनुष्का से जुड़े हुए लोग उनके घर सांत्वना प्रकट करने के लिए आने वाले थे। उसे हॉस्पिटल के लिए तैयार हुआ देखकर तारा जी ने उसके पास आकर कहा, “रियली आयु, तुम आज भी काम पर जाना चाहती हो। मुझे समझ नहीं आ रहा तुम्हें उसके जाने का दुख है भी या नहीं?” “ये मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है मॉम। मुझे नहीं पता था आज कंडोलेंस सेरेमनी है।” आयु ने बिना किसी भाव के जवाब दिया। “हां तो पता होने के लिए घर पर मौजूद होना भी जरूरी होता है। कल रात तुम डिनर टेबल पर नहीं थी। ऊपर से पार्टी करके दबे पांव जब घर पर आई थी, तब तुम्हें क्या लगा था मुझे पता नहीं चलेगा।” तारा जी ने सिर हिलाकर कहा। उनकी आयु से कुछ खास नहीं बनती थी। “फर्स्ट एड ऑल मैं पार्टी करके नहीं आ रही थी। आप सब लोग जाग ना जाए इसलिए मैं दबे पांव घर पर आई थी। मैं एक डॉक्टर हूं मॉम, हॉस्पिटल में इमरजेंसी हो सकती है।” आयुष्का ने उन्हें झूठ बोला। उसके दिल में आरव के लिए जो बदले की भावना पनप रही थी, वो उसे किसी के सामने जाहिर नहीं करना चाहती थी। “इमरजेंसी हो सकती है पर हुई नहीं। मैंने हॉस्पिटल कॉल किया था। कल तुम एक बार भी वहां नहीं गई। खैर छोड़ो, मुझे इस टाइम तुमसे बहस करके अपना मूड खराब नहीं करना, वो ऑलरेडी खराब है। मैं नहीं चाहती बाकी लोगों को ये कहने का मौका मिले कि तुम्हें अनु की मौत का कोई फर्क नहीं पड़ता। जाओ और जाकर चेंज करके आओ।” तारा जी ने सख्त आवाज में कहा। आयु ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कमरे में चली गई। उसने अपनी ड्रेस चेंज करके वाइट कलर का सूट पहन लिया था। कुछ ही देर में कंडोलेंस सेरेमनी के लिए गेस्ट आने शुरू हो गए थे। आयु अपनी फैमिली के साथ मौजूद थी। _____________________________________ मंथन सुबह सुबह नहा कर अपने कमरे से बाहर आया और टीवी स्क्रीन पर अनुष्का की मूवी लगाकर बैठ गया। रात को आयु से मिलने के बाद मंथन उसे बारे में भूल चुका था। अनु के जाने के बाद वो अब तक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था। “तुम्हें अपनी ये मूवी कुछ खास ही पसंद थी। शायद इसने बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कलेक्शन किया था इस वजह से और इसके बाद से ही तुम्हें नेम और फेम मिली थी।” मूवी देखते हुए मंथन धीरे से बुदबुदाया। उसका पूरा ध्यान अनुष्का को देखने में था तभी उसके कमरे पर किसी ने नॉक किया। बाहर न जाने की वजह से उसका खाना अंदर ही आता था। उसे लगा घर का हाउस हेल्पर आया होगा। ये सोचकर उसने टीवी स्क्रीन को बंद किया और उठकर दरवाजे पर गया। उसने दरवाजा खोला तो सामने नाश्ते की प्लेट के साथ साक्षी खड़ी थी। “कब तक खुद को बिना किसी गलती की सजा देते रहोगे।” साक्षी ने कहा और उसे साइड करके अंदर आ गई। “मुझे कुछ दिनों के लिए अकेला रहना है दी।” मंथन अभी तक दरवाजे पर खड़ा था। “लेकिन मुझे तुम्हें अकेला नहीं छोड़ना है। तुम्हारे अकेले रहने से वो वापस नहीं आ जाएगी।” बात करते हुए साक्षी ब्रेकफास्ट सर्व करने लगी। “चलो आओ, साथ में ब्रेकफास्ट करते हैं।” मंथन साक्षी के बहुत क्लोज था इसलिए वो उसे मना नहीं कर पाया। वो उसके पास जाकर बैठ गया और चुपचाप नाश्ता करने लगा। “वो लड़की कौन थी जो कल रात आई थी?” अचानक साक्षी ने पूछा। “वो अनु की ट्विन सिस्टर है। न जाने क्या बकवास कर रही थी। मैंने उसकी बात की तरफ ज्यादा नोटिस नहीं किया और उसे वापस भेज दिया। आप भी ज्यादा ध्यान मत दो।” मंथन ने थोड़ी लापरवाही से जवाब दिया। “वो तुमसे मिलने यहां तक क्यों आई थी? आई मीन वो मुंबई में रहती है और सिर्फ एक छोटी सी मीटिंग के लिए दिल्ली तक आ गई, वो भी सीएम निवास में। ये छोटी बात नहीं होती।” “अनु ने मुझे उसके बारे में बताया था। वो थोड़ी चाइल्डिश है। अनु के जाने के बाद मैंने रिएक्ट नहीं किया तो मुझे जवाब लेने यहां तक आ गई।” मंथन ने उसे आधी अधूरी बातें बता दी ताकि वो इस तरफ ज्यादा ध्यान ना दें। “तब तो सच में पागल ही है।” साक्षी ने जवाब दिया। वो मंथन की तरफ देख रही थी। नाश्ता हो जाने के बाद मंथन ने कहा, “दी प्लीज बाहर सब संभाल लीजिएगा। जब तक मैं थोड़ा टाइम खुद के साथ नहीं बिताऊंगा, मुझे कुछ नहीं होगा। उसे भूल पाना मेरे लिए आसान नहीं है।” साक्षी ट्रे के साथ खड़ी हुई और मंथन का कंधा सहला कर कहा, “ठीक है मैं देख लूंगी। तुम अनु की बहन का एक बार पता कर लेना। कहीं वो अपने पागलपन में कुछ गड़बड़ ना कर दें।” “मैंने उसके पीछे अपने किसी आदमी को लगाया है। वो उसका देख लेगा।” मंथन ने जवाब दिया। साक्षी ने मुस्कुरा कर हां में सिर्फ हिलाया और वहां से जाने लगी। उसने जाते वक्त एक नजर मंथन की तरफ देखकर सोचा, “तो मैं सही थी। वो लड़की तुम्हें अफेक्ट करती है क्योंकि वो अनु से जुड़ी हुई है। मुझे कैसे भी करके उससे बात करनी होगी और तुम्हें फिर से पहले जैसा बनने में उसकी हेल्प लेनी होगी।” साक्षी वहां से चली गई तो मंथन ने उसके जाने के बाद फिर से टीवी स्क्रीन को ऑन किया और मूवी देखने में लग गया। _________________________________ अगली सुबह गौरवी जी अपने सवालों के साथ आरव का डाइनिंग टेबल पर इंतजार कर रही थी। कबीर भी उन्हीं के घर पर रहता था। वो गौरवी जी के साथ ब्रेकफास्ट टेबल पर मौजूद था जबकि आरव अब तक आया नहीं था। गौरवी जी के चेहरे के भावों को पढ़ते हुए कबीर ने पूछा, “रात को आप उनसे बात करने गई थी। आप दोनों के बीच के नाराजगी खत्म नहीं हुई क्या, जो आप परेशान लग रही है?” “जब तक सांसे चल रही है तब तक आरव को लेकर मेरी परेशानी कभी खत्म होने वाली लगती नहीं।” गौरवी जी ने जवाब दिया। आरव सीढियों से नीचे आ रहा था तब उन्होंने गौरवी जी की बात सुन ली थी। उसने आंखे घुमाई और चेयर पर आकर बैठ गया। “दादी, मैं बच्चा नहीं हूं, जो आप मेरे लिए परेशान हो रही है।” बोलते हुए आरव अपनी प्लेट में खाना डालने लगा। “हां वही तो मैं कह रही है... अब तू बच्चा नहीं है। तू खुद बच्चे पैदा कर सकता है।” जैसे ही गौरवी जी ने कहा आरव और कबीर खांसने लगे। गौरवी ने आगे कहा, “पानी पियो दोनो.. और तू बता आरव.. तेरा अनुष्का सिंह ओबेरॉय से क्या रिलेशन है?” “कौन अनुष्का सिंह ओबेरॉय?” आरव ने पूछा। वो तो उसका अनुष्का का नाम तक भूल गया था। कबीर ने बात को संभालते हुए कहा, “दादी आप उस एक्ट्रेस अनुष्का सिंह ओबेरॉय की बात क्यों कर रही है? मैने सुना, वो अब इस दुनिया में नही रही।” कबीर ने एक्ट्रेस शब्द पर जानबूझकर जोर दिया ताकि आरव को याद आ जाए। “अच्छा वो... हां मुझे भी बहुत दुख हुआ।” आरव ने कबीर की तरफ देखकर कहा। “अच्छा? और इस दुख की वजह? तुझे तो किसी के कुछ भी होने से फर्क नहीं पड़ता। सच बता तेरा उससे अफेयर था ना... मैने तुम दोनो की पिक्चर्स देखी थी। तुम उसे किस कर रहे थे।” गौरवी जी ने आरव को घूरते हुए कहा। “अरे दादी फेक न्यूज होगी। आप को याद हो तो कल रात भी आप उसी तरह की कोई न्यूज़ देख रही थी।” आरव ने कहा। “ओह तो वो वीडियो दादी का ध्यान भटकाने के लिए था। ताकि दादी गलती से भी अनुष्का के साथ आरव की पिक्चर्स या वीडियो देख ले तो उन्हें सफाई ना देनी पड़ी।” कबीर ने आरव की तरफ देखकर सोचा। “मुझे सच में सुनकर बुरा लगा दादी... अब मैं इतना भी इनसेंसिटिव नही हूं।” आरव ने खाते हुए कहा। “ठीक है फिर चलते है।” गौरवी जी तुरंत खड़ी हुई। “आज उसकी कंडोलेंस सेरेमनी है। वहां जाकर दुख प्रकट करते है।” अपनी बात कहकर गौरवी जी अपने कमरे मे जाने लगी। आरव पीछे से चिल्लाया, “न... नो दादी। आई हैव मीटिंग्स... ऊपर से आप जानते हो ना, मैं ऐसी जगह नहीं जाता। हमारा तो उनसे कोई लेना देना भी नही है।” जब तक गौरवी जी अपने कमरे के दरवाजे तक नहीं पहुंच गई आरव उन्हें ना जाने के अलग अलग बहाने दे रहा था। अपने कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर गौरवी जी आरव की तरफ पलटी और तेज आवाज में कहा, “जय सिंह ओबेरॉय, उस के पापा, उनकी कंपनी में हमारे भी शेयर्स है। उसकी मां तारा सिंह ओबेरॉय तुम्हारे डैड की फ्रेंड थी। इतने रिश्ते नाते काफी है या और गिनाऊं? जाकर चेंज करो।” आरव को ऑर्डर देकर गौरवी जी अंदर चली गई। वही आरव ने अपना सिर पकड़ लिया। “ये दादी सबसे रिश्ते निकाल कैसे लेती है।” “जाना तो पड़ेगा ही... आफ्टर ऑल दादी का ऑर्डर है।” कबीर ने कंधे उचका कर कहा। आरव ने उसकी बात पर हामी भरी और चेंज करने चला गया। उसने व्हाइट कस्टम मेड सूट पहना था और आंखों पर ब्लैक गॉगल्स लगाए थे। गौरवी जी ने व्हाइट साड़ी तो कबीर ने कुर्ते पजामे पहने थे। आरव को इतना तैयार हुआ देखकर गौरवी जी ने कबीर से फुसफुसा कर कहा, “तैयार तो ऐसे होकर आया है, जैसे रिश्ता देखने जा रहे है।” उनकी बात सुनकर कबीर की हंसी छूट गई। आरव ने उन दोनो को देखकर कहा, “मुझे लिप रीडिंग आती है... सो डोंट ट्राई टू बी स्मार्ट।” कबीर ने तुरंत अपने चेहरे के भावों को सामान्य किया और आरव के साथ आगे की सीट पर बैठा। वो गाड़ी ड्राइव कर रहा था जबकि गौरवी जी पीछे बैठी थी। कुछ ही देर में वो ओबरॉय मेंशन पहुंच चुके थे, जहां दरवाजे पर आयुष्का अपने भाई रुद्र के साथ आने वाले गेस्ट को अटेंड कर रही थी।

  • 8. Tied with destiny - Chapter 8

    Words: 2143

    Estimated Reading Time: 13 min

    गौरवी जी जबरदस्ती आरव को अनुष्का की शोक सभा में ले गई। वहां रुद्र और आयुष्का आने वाले लोगो को अटेंड करने के लिए पार्किंग एरिया से आगे खड़े थे। जैसे ही गाड़ी से आरव बाहर निकला, आयुष्का तुरंत दूसरी तरफ पलट गई। “सोचा नहीं था तुम यहां तमाशा लगाने आओगे आरव खुराना। पता नहीं किस मकसद से तुम यहां आए हो। हाउ शेमलेस यू आर... तुम्हें एक बार भी खुद पर शर्म नहीं आई कि जिस लड़की को तुमने मारा, उसी की कंडोलेंस सेरेमनी में तुम शोक जताने आए हो।” आयु ने सोचा। रूद्र से मिलने के बाद गौरवी जी, आरव और कबीर के साथ अंदर पहुंची। अंदर आते ही आरव की नजर अनुष्का की फोटो पर पड़ी। उसकी फोटो देखने के बाद उसने सोचा, “वैसे तो मैं किसी के लिए सॉरी फील करता नहीं हूं लेकिन उस दिन तुमने मुझे बचाया था। तुम वहां नहीं होती तो मेरी इंपॉर्टेंट फाइल उस पुलिस वाले के हाथ लग जाती। आई विश जैसे तुमने मुझे बचाया था, वैसे ही मैं तुम्हें बचा सकता। ओके... किसी ने तो उस रात तुम्हे धकेला ही था। मैं इस बात का पता लगा लूंगा। आई होप अब तुम एक अच्छी जगह पर हो।” आरव ने मन ही मन उसके लिए प्रार्थना की। कुछ देर उसकी फोटो देखने के बाद आरव ने एक नजर उसके परिवार पर डाली। वहां थोड़ी देर रुककर वो तीनों बाहर आ गए। बाहर आते हुए आरव के पास किसी का कॉल आया तो वो पार्किंग एरिया में जाने के बजाय गार्डन की तरफ जाने लगा। वही उससे बचने के लिए आयुष्का गार्डन में छुपी हुई थी। जब उसने आरव को उस तरफ आते देखा तो उसने खुद से बड़बड़ा कर कहा, “ये यहां क्यों आ रहा है? मैं इसके सामने नहीं आ सकती। आगर इसने आज मुझे यहां देख लिया तो फ्यूचर में मैं अपना काम नहीं कर पाऊंगी।” आयुष्का ने नजरें नीची की और तेज कदमों से चलते हुए वापस पार्किंग एरिया की तरफ आने लगी। वही आरव किसी से कॉल पर बात कर रहा था। उसका ध्यान भी नीचे की तरफ था। आरव गलती से आयुष्का से टकरा गया तो वो नीचे गिर गई। “देख कर नहीं चल सकती तुम?” आरव ने उसे गिरे हुए देखा तो सख्त आवाज में कहा। आयु का चेहरा आरव के दूसरी तरफ था और उसने अपना फेस नीचे कर रखा था। “हां जैसे खुद तो बहुत देख कर चल रहा था।” आयु ने अपने मन में कहा। उसने एक नजर भी आरव की तरफ नहीं देखा और जल्दी से उठ कर चली गई। “अजीब लड़की है। अपने किए के लिए सॉरी तक नहीं बोला। बाय गॉड मैंने आज से पहले इससे ज्यादा नाजुक लड़की नहीं देखी। छोटे से धक्के से नीचे गिर गई।” आरव ने आंख घुमाकर कहा और दूसरी तरफ चला गया। आरव की बात सच थी। एक छोटे से धक्के से ही आयु नीचे गिर गई थी और उसे चोट आ गई थी। रूद्र ने उसे गिरते हुए देख लिया था। वो उसके पास गई तो रुद्र ने पूछा, “तुम ठीक हो ना? मैंने देखा तुम काफी तेजी से नीचे गिरी थी।” “हां, मेरा ध्यान नहीं था। डोंट वरी आई एम फाइन।” आयु ने जवाब दिया। “अपना ध्यान रखो।” रुद्र ने कैरिंग वे में कहा, जिस पर आयुष्का ने हां में सिर हिला दिया। आयु ने आरव की आखिरी बातें सुन ली थी। उसे उसकी बातें बुरी लग रही थी। वो अपने कमरे में गई और गिरने की वजह से अपने घुटने पर लगी चोट को देखने लगी। “सच ही तो कहा है उसने... मैं उस से टक्कर लेने का सोच रही हूं जबकि उसके एक छोटे से झटके ने मुझे गिरा दिया। तुम हमेशा से स्ट्रांग रही हो अनु, बाय बर्थ और मैं... पैदा होने के साथ ही मेरे ऊपर वीक होने का मार्क लग गया था।” आयु की आंखों में आंसू थे। वो और अनु ट्विंस थे, जिनमे आयु अनु से फिजिकल स्ट्रेंथ में वीक थी। उसके जेहन में बचपन की कुछ यादें ताजा हो गई, जहां उसे वीक कहकर एक्स्ट्रा केयर की जाती थी। इसी वजह से आयु का बिहेवियर थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया था और घरवालों से थोड़ी कम बनने लगी थी। सिर्फ अनु ही थी जिसके साथ वो खुलकर बात कर सकती थी, अपने दिल का हाल कह सकती थी पर अब वो भी इस दुनिया से जा चुकी थी। आयु ने अपने आंसू पोंछे और खुद से कहा, “नहीं, मैं वीक नहीं हूं। अगर मैं तैयार नहीं हूं तो खुद को तैयार करूंगी तुम से लड़ने के लिए आरव खुराना। अगर मैंने कुछ करने का सोचा है तो वो करके ही दम लेती हूं और तुम्हारी नाक में दम नहीं कर दिया तो मेरा नाम भी आयुष्का सिंह ओबरॉय नहीं।” आयु ने अपनी चोट पर ऑइंटमेंट लगाया और बाहर आ गई। बाहर आकर उसने देखा आरव खुराना अपनी फैमिली के साथ वहां से जा चुका था। आरव से लगे एक छोटे से झटके से आयु को उसकी फिजिकल स्ट्रैंथ का अंदाजा हो गया था और अब वो खुद को पूरी तरह तैयार करके ही उसके सामने जाना चाहती थी। _________________________________ अनुष्का की मौत को लगभग एक महीना बीत चुका था। सबकी जिंदगी फिर से चल पड़ी थी। इस बीच आयुष्का हॉस्पिटल इमरजेंसीज में इतनी बिजी हो गई थी कि उसे उससे हटकर आरव के खिलाफ सोचने तक का मौका नहीं मिल पा रहा था। लंच ब्रेक में वो अपने केबिन में आई थी तभी एक नर्स तेज कदमों से चलती हुई उसके केबिन में आई। “थैंक गॉड कोई तो डॉक्टर फ्री है। प्लीज आप मेरे साथ चलिए.. एक केस आया है और इस वक्त कोई भी फ्री नहीं है।” नर्स ने जल्दबाजी में कहा। “ठीक है मैं आती हूं।” आयुष्का ने जवाब दिया और नर्स के साथ जनरल वॉर्ड में जाने लगी। “मैं आपको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी। थोड़ी देर बाद आप सर्जरी में भी असिस्ट करने वाली है पर कोई भी जूनियर डॉक्टर फ्री नहीं है। एक लड़का आया है उसे बहुत चोट लगी है। मैं कर देती पर मैंने नया ही ज्वाइन किया... मुझे थोड़ा अनकंफर्टेबल फील हो रहा था।” नर्स ने हिचकिचाते हुए बताया। “कोई बात नहीं, कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है और हम डॉक्टर लोगों का इलाज करने के लिए ही बने हैं, चाहे छोटी चोट हो या बड़ी।” आयु ने पोलाइटली जवाब दिया। दोनों कुछ ही देर में जनरल बोर्ड में पहुंच चुके थे। वहां एक लड़के को बुरी तरह पीटा गया था। उसे देखते ही आयु ने सिर हिलाकर कहा, “तुम... तुम यहां फिर से आ गए?” “आप जानती हैं इसे?” नर्स ने आयु की तरफ देखकर पूछा। “हां, ऑफ कोर्स जानती हूं। आप ऐसा कीजिए सिस्टर, सबसे पहले पुलिस को कॉल कीजिए।” बोलते हुए आयु उस लड़के को घूर कर देख रही थी। “और तुम, मैंने तुम्हें मना किया था ना कि आगे से इस हॉस्पिटल में मत आना।” “सबसे पास में यही हॉस्पिटल है तो यही आना पड़ता है। वरना मुझे शौक नहीं है यहां का महंगा बिल देने का... और आप क्यों खाली फोकट पुलिस को इंवॉल्व कर रही हैं। मेरा इलाज करो ना, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।” उस लड़के ने कहा। वो शक्ल से काफी मासूम लग रहा था। “पुलिस को कॉल करना है या नहीं?” नर्स अभी भी असमंजस की स्थिति में खड़ी आयु से पूछ रही थी। “इस बार के लिए जाने दीजिए। अगली बार ये यहां दिखे तो पुलिस को कॉल कर दीजिएगा। आप फर्स्ट एड लेकर आइए, सबसे पहले इस के घाव साफ करने होंगे।” आयु के कहते ही नर्स तुरंत वहां से चली गई जबकि आयु अभी भी उसकी तरफ देख रही थी। “ऐसे क्यों देख रही हो, प्यार हो गया है क्या मुझसे?” लड़के ने दर्द में भी हल्का मुस्कुरा कर कहा। वो लगभग 20 साल का था। उसके ऐसा कहने पर आयु ने उसके हाथ पर हल्का सा मारा। “शर्म नहीं आती फ्रैंकी तुम्हें इलीगल फाइट करते हुए। गलती से भी पुलिस ने देख लिया तो तुम्हारे साथ साथ मेरी भी छुट्टी हो जाएगी।” “पैसे की बहुत जरूरत रहती है अपन को... दिन में दो फाइट किए बिना गुजारा नहीं चलता, पता है ना आप को।” फ्रैंकी ने मायूस होकर जवाब दिया। नर्स के जाते ही वो आयु से काफी फ्रेंडली तरीके से बात करने लगा। आयु ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और उसके पास बैठ गई। “मैंने तुम्हें बोला था तुम्हारी बहन को यहां शिफ्ट कर लेते हैं। उसका ट्रीटमेंट मैं देख लेती।” “बस भी करो। इतने महंगे हॉस्पिटल में मलहमपट्टी कराने के इतने पैसे ले लेते हैं जबकि मेरी बहन के तो दिल में छेद है। उस छेद के बिल को भरते भरते तो मेरी पूरी बॉडी में छेद हो जाएंगे, फिर भी मैं पैसे नहीं चुका पाऊंगा।” फ्रैंकी ने सिर हिलाकर कहा। तभी नर्स वहां आ गई तो आयु ने उससे बात करना बंद कर दिया। वो नर्स के साथ मिलकर फ्रैंकी के घाव साफ कर रही थी। दर्द के मारे फ्रैंकी के मुंह से आह निकल गई। “अब ऐसी आवाजें निकालने से कुछ नहीं होने वाला।” आयु ने उसके दवाई लगाते हुए कहा। “आगे से अपना ये टूटा हुआ चेहरा लेकर यहां मत आना।” फ्रैंकी का फर्स्ट एड करने के बाद आयु ने कुछ मेडिसिंस लिखी और उसे नर्स को पकड़ाते हुए कहा, “इसमें कुछ पैन कीलर्स लिखी है मैने... आप इसे हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से ला दीजिए। आई विल पे।” नर्स आयु से पर्ची लेकर तुरंत वहां से चली गई। उसके जाते ही फ्रैंकी बोला, “इसकी क्या जरूरत थी डॉक्टर?” आयु उसकी बात का कोई भी जवाब देती उससे पहले उसे कुछ सुझा। उसने फ्रैंकी से धीमी आवाज में कहा, “मेरे साथ मेरे केबिन में चलो। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।” फ्रैंकी पिछले कई महीनों से वहां ट्रीटमेंट के लिए आ रहा था। जब भी उसे चोट लगती वो यहीं आता था। अब तक आयु ने जब भी उसे वहां देखा, तब डांटा ही था। आज पहली बार वो उसे अपने साथ आने का कह रही थी। “अपन ने बोल दिया है मैडम, अपने को कोई फ्री इलाज नहीं चाहिए। अपन अपनी बहन का इलाज करवा सकता है।” फ्रैंकी ने जवाब दिया। “कोई एहसान नहीं कर रही, मुझे तुम्हारी हेल्प की जरूरत है। सबके सामने नहीं बोल सकती। तुम मेरे साथ चलो।” आयु ने इरिटेट होकर कहा। फ्रैंकी ने उसकी बात पर हामी भरी और आयु के साथ उसके केबिन में आ गया। वहां आते ही आयु ने उसे चेयर पर बैठने का इशारा किया और खुद उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गई। “अच्छा तुम मुझे बताओ कि तुम ये फाइट वगैरह कैसे करते हो और तुम्हें इसकी ट्रेनिंग कहां से मिली है?” वहां बैठते ही आयु ने पूछा। “बस करो मैडम, आगे से यहां नहीं आऊंगा। तुम तो मुझे पुलिस के पास ले जाने का अच्छा खासा प्लान बना कर बैठी हो। बोल तो दिया मजबूरी में करना पड़ता है। अपन में इतनी ताकत है कि अपन अच्छे अच्छों को फाइट में हरा सकता है पर पैसों के लिए खुद हारना पड़ता है।” फ्रैंकी चिड़कर बोला। उसकी बातें सुनकर आयु भी इरिटेट हो गई। उसने गुस्से में कहा, “इनफ नाउ...अगर तुम्हें पुलिस के हवाले करना होता तो अब तक कर चुकी होती। जो पूछ रही हूं उसका जवाब दो।” “कहीं आपको तो रिंग में नहीं उतरना? ये आप के बस की बात नहीं है मैडम। आप बहुत नाजुक हो।” जैसे ही फ्रैंकी ने कहा आयु गुस्से में उसे बुरी तरह घूरने लगी। फ्रैंकी उसके इस तरह देखने पर हड़बड़ा गया। उसने कहा, “मेरा मतलब है आपको तो बहुत ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। हमारे यहां लड़कियों को भी ट्रेनिंग दी जाती है पर आप... आप उस टाइप की नहीं है। वो तो देखने में ही हट्टी कट्टी पहलवान नजर आती है... आप तो पतले से हो।” “मुझे खुद को तैयार करना है ताकि आगे से मुझे कोई तुम्हारी तरह नाजुक या कमजोर कहकर ताना ना मार सके। अब मेरी बात गौर से सुनो। तुम मुझे अच्छी तरह ट्रेनिंग दोगे बदले में... बदले में तुम्हारी बहन के पूरे इलाज की जिम्मेदारी मेरी।” आयु ने सख्त आवाज में कहा। आयु ने जो ऑफर रखा था उसके बाद फ्रैंकी ने तुरंत हां कर दिया। “ठीक है फिर आ जाना सुबह 6:00 बजे। एड्रेस अपन भेज देगा पर हां तेरी... मतलब आपकी जो भी हड्डी टूटेगी या.. मेरा मतलब फाइट में तो चोट लगती ही है ना मैडम, उसकी जिम्मेदारी आपकी खुद की होगी।” आयु ने उसकी बात पर हामी भरी और उसे वहां से भेज दिया। उसके जाने के बाद उसके चेहरे पर हल्की स्माइल आ गई। “चलो इतने दिनों में कुछ तो अच्छा हुआ। मैं तुम्हें अच्छे से जानती हूं फ्रैंकी, तुम अपनी बहन के इलाज के लिए खुद फाइट हार सकते हो तो मुझे ट्रेनिंग देने के लिए अपना दिन रात एक कर दोगे। बस हॉस्पिटल का थोड़ा सेटल करना होगा।” आयु ने खुद से कहा। इतने दिनों में भले ही वो कितनी भी बिजी रही हो लेकिन आरव से बदला लेने की फीलिंग जो उसके दिल में थी, वो बिल्कुल भी कम नहीं हुई थी और अब तो उसने उसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी।

  • 9. Tied with destiny - Chapter 9

    Words: 1889

    Estimated Reading Time: 12 min

    आयुष्का ने फ्रैंकी को खुद को ट्रेनिंग देने के लिए तो मना तो लिया था पर ये इतना आसान नहीं रहने वाला था। वो एक डॉक्टर थी। अनुष्का के जाने के बाद उसके घर वाले भी उसे लेकर एक्स्ट्रा केयरफुल हो गए थे ऐसे में उसके लिए ट्रेनिंग के लिए जाना काफी मुश्किल साबित होने वाला था। आयुष्का अपने केबिन में चहलकदमी करते हुए इस बारे में सोच रही थी। “सबसे पहले ड्यूटी का सेट करना होगा। नाइट ड्यूटी शिफ्ट करवा लेती हूं। अयान को ट्रेनिंग के बारे में बताया तो वो समझ जाएगा मेरे मन में क्या चल रहा है और उसका लेक्चर फिर शुरू हो जाएगा.... ओके हॉस्पिटल का सब सेट है.. अब घर का सोचना होगा। घर पर नाइट ड्यूटी का बोल दूंगी और दिन में एग्जाम प्रिपरेशन और क्लासेज का बहाना लगा दूंगी। जो एक्स्ट्रा टाइम बचेगा, उसमे सोना और स्टडी एडजस्ट करनी होगी।” आयुष्का के चेहरे पर हल्की स्माइल थी। उसने ट्रेनिंग, हॉस्पिटल और घर पर क्या कहना है, इन सबका शेड्यूल सेट कर लिया था। “चलो तो फिर शुरुआत हॉस्पिटल से की जाए।” बोलते हुए आयुष्का ने अपनी नाइट ड्यूटी शिफ्ट करने की एप्लीकेशन टाइप की और तुरंत उसे अपने सीनियर अयान सिंघानिया को सेंड कर दिया। जैसे ही आयुष्का अयान को एप्लीकेशन लेटर सेंड कर के बैठी। उसके पास फ्रैंकी का कॉल आया। “तुमने इतनी जल्दी वापस कॉल क्यों किया? कहीं तुमने मना करने के लिए तो ये कॉल नहीं किया है ना?” उसका कॉल रिसीव करते ही आयुष्का ने घबराकर पूछा। “अरे नहीं मैडम। अगर आपको लाइफ में कुछ करना है तो सबसे पहले ये नेगेटिविटी छोड़नी होगी। कहां आप कितने पढ़े लिखे हो और मैं अनपढ़ आपको ज्ञान दे रहा हूं। मैंने अपने ट्रेनिंग वाले सर जी से बात कर ली है। वो आपसे मिलना चाहते हैं। मैं आपको लोकेशन भेज देता हूं। अगर हो सके तो अभी आ जाओ। वो अभी खाली बैठे हैं।” फ्रैंकी ने जवाब दिया। “ठीक है, मैं आती हूं।” कहकर आयुष्का ने कॉल कट कर दिया। जाने से पहले उसने अपना शेड्यूल चेक किया तो 3 घंटे बाद उसे अयान को एक सर्जरी में असिस्ट करना था। आयु ने फ्रैंकी की भेजी हुई लोकेशन चेक की तो वो वहां से ज्यादा दूर नहीं थी। “3 घंटे तो काफी होते हैं। मैं 2 घंटे में आराम से वापिस आ सकती हूं।” आयु ने खुद से कहा। आयु ने अपना बैग उठाया और डॉक्टर्स कोट वही उतार कर रख दिया। वो जल्दबाजी में बाहर की तरफ आ रही थी कि तभी अयान से टकरा गई। अयान ने उसका भेजा एप्लीकेशन लेटर देख लिया था। वो उससे बात करने के लिए उसके केबिन में ही आ रहा था। “सॉरी वो मेरा ध्यान नही था।” आयु ने टकराने को लेकर अयान से सॉरी कहा। “हां वो तो दिख ही रहा है। कहीं जा रही हो? बहुत जल्दबाजी में लग रही हो।” अयान ने उसके चेहरे की हड़बड़ाहट को देखकर कहा। “हां वो मुझे कुछ काम था। मैं तुम्हें आकर मिलती हूं। मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी थी।” आयु को अगले 3 घंटे में वापस लौटना था इसलिए वो जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहती थी। वो वहां से जाने को हुई तभी अयान ने कहा, “मुझे पता है तुम्हें क्या बात करनी है। मैंने तुम्हारा एप्लीकेशन देख लिया है? क्या मैं इसका कारण जान सकता हूं?” उसकी बात सुनकर आयु के कदम वहीं रुक गए। उसने धीमी आवाज में कहा, “तुम तो जानते हो इस साल मेरा एमडी का लास्ट ईयर है। हॉस्पिटल ज्वॉइन करने के चक्कर में ऐसे ही मैंने ठीक से क्लासेस नहीं ली है। मैं थोड़ा टाइम अपनी स्टडी और फैमिली को देना चाहती हूं। अनु के जाने के बाद से मॉम काफी लोनली फील करती है।” आयु ने जवाब पहले से ही सोच रहा था इसलिए उसने बिना हड़बड़ाहट के सब कुछ बता दिया। इससे अयान को भी उस पर शक नहीं हुआ। “यही वजह है ना?” अयान ने क्लियर करने के लिए एक बार फिर पूछा। जवाब में आयु ने हां में सिर हिला दिया। उसके हां कहते ही अयान ने कहा, “ठीक है मैं तुम्हारी ड्यूटी रीशेड्यूल कर दूंगा। फिर भी मुझे दिन में तुम्हारी जरूरत पड़ी तो तुम्हें आना होगा।” “ठीक है आ जाऊंगी पर अभी मुझे जाना होगा। 3 घंटे बाद सर्जरी है तब तक मैं आ जाऊंगी। जाने में देर की तो आने में भी देर हो जाएगी।” आयु ने अयान को बाय कहा और फिर वहां से चली गई। अयान वहां खड़ा उसे जाते हुए देख रहा था। उसने अपने मन में कहा, “किसी बहाने से ही सही तुम आगे बढ़ रही हो, ये देख कर मुझे अच्छा लग रहा है। थैंक गॉड तुमने अपने माइंड से वो बदला लेने जैसे सिली चीजों को निकाल दिया है।” अयान वहां उसे वापस अपने केबिन में चला गया जबकि आयु बाहर आई तो उसने देखा मौसम काफी अच्छा था। “यार इतने अच्छे मौसम में मैं गाड़ी में कैसे जा सकती हूं।” बोलते हुए उसने इधर उधर देखा तो पार्किंग एरिया में उसे एक स्कूटी दिखाई दी। “हां ये परफेक्ट रहेगी।” आयु ने स्कूटी की तरफ देख कर कहा। वो सिक्योरिटी गार्ड के पास गई और उससे जाकर स्कूटी के बारे में पूछा। “अरे ये तो यहां काम करने वाली नर्स की ही है मैडम। उन्होंने बोल रखा है कि जब भी किसी को जरूरत हो तो मैं उन्हें यूज करने के लिए दे सकता हूं। कई बार मैं भी यूज़ करता हूं। आपको चाहिए तो मैं आपको चाबी दे देता हूं, बस लौटते टाइम पेट्रोल भरवा दीजिएगा।” सिक्योरिटी गार्ड ने कहा और तुरंत उसकी चाबी लाकर आयु को दे दी। स्कूटी पर बैठने से पहले आयु ने हेलमेट लगाया और उसे लेकर फ्रैंकी के बताए हुए रास्ते पर निकल गई। वो कुछ दूर पहुंची ही थी कि आगे जाकर वो ट्रैफिक जाम में फंस गई। “उफ्फफ... बस इसी की कमी रह गई थी। अब ये जल्दी से क्लियर हो जाए वरना मैं सर्जरी के टाइम तक लौट नहीं पाऊंगी। क्या मुसीबत है यार...” बोलते हुए आयु ने इधर-उधर देखा। उसके जस्ट पास में एक गाड़ी खड़ी थी। उस गाड़ी में कबीर और आरव थे। कबीर गाड़ी ड्राइविंग सीट पर था जबकि आरव उसके पास वाली सीट पर बैठा था। उन्हें भी किसी मीटिंग में पहुंचना था इसलिए ट्रैफिक में फंसने की वजह से आरव इरिटेट हो रहा था। “मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि कोई भी मीटिंग रखनी हो तो हमारे ऑफिस में रखा करो। मुझे ट्रैफिक में स्टक बिल्कुल पसंद नहीं है। बेवजह का टाइम वेस्ट होता है और कुछ नहीं...” आरव इरिटेशन में कबीर पर चिल्ला रहा था। “हां आपने कहा है लेकिन ऑफिस इस तरह की मीटिंग्स अजीब लगती है। ऑफिस लीगल कामों के लिए है। फिर इलीगल कामों की ऑफिस में मीटिंग करना सही नहीं लगता।” कबीर ने शांत लहजे में जवाब दिया। “व्हाट डू यू मीन बाय इलीगल काम? मैं क्या तुम्हें कोई क्रिमिनल नजर आता हूं जो इलीगल काम करता है?” आरव ने उसकी तरफ घूर कर देखा। उसकी बात सुनकर कबीर ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर जवाब में कहा, “हां आप तो नहीं करते... पर आप समझ सकते हो कि वो काम लूथराज से जुड़ा हुआ है इसलिए अपने आप ईलीगल हो जाता है। छवि सिंघानिया को बर्बाद करने के चक्कर में आप सही गलत कुछ भी नहीं सोच रहे हो... आप माहिरा लूथरा की हेल्प ले रहे हो, तो आगे से ये मत कहिएगा कि आप कोई इलीगल काम नहीं करते। छवि सिंघानिया के इलीगल कामों को बर्बाद करने के लिए आप इलीगली माहिरा लूथरा की मदद ले रहे हो।” कबीर ने अपने मन की सारी भड़ास निकाल दी। उसने जानबूझकर एक से ज्यादा बार ईलीगल शब्द का यूज किया और बार-बार उस शब्द पर जोर दिया। “तुम कुछ ज्यादा ही नहीं बोल रहे हो आजकल? ये सब दादी की संगत का असर है।” आरव ने आंखें घुमा कर कहा। “दादी और आप की संगत का असर है। दिल में जो भी होता है वो बोल देता हूं। कभी आपने सोचा है कि दादी को इसके बारे में पता चला तो उनकी हेल्थ पर क्या असर पड़ेगा? उनके ब्रेन...” बोलते हुए कबीर रुक गया। उसने देखा आरव उसकी तरफ गुस्से में देख रहा था तो उसने अपने मुंह पर अंगुली लगा ली। “इट्स बेटर नाउ...” आरव ने जवाब दिया। फिर कुछ पल‌ उसने ट्रैफिक की तरफ देखा जो अभी भी ज्यों का त्यों बना हुआ था। “इसका कुछ करवाओ... मेरा दम घुट रहा है।” आरव ने अपनी शर्ट के ऊपर का बटन खोला और सांस लेने के लिए कार की विंडो ओपन कर ली। वो गहरी सांसे ले रहा था। “आप चाहो तो खुली हवा में जा सकते हो।” उसका दम घुटते देख कबीर ने कहा। “ट्रैफिक क्लियर होते ही मैं आपको कॉल कर दूंगा।” “नहीं, मैं ठीक हूं।” आरव ने जवाब दिया। उसने अपना मुंह विंडो के बिल्कुल पास कर लिया ताकि सांस ले सके। जब उसे थोड़ा बैटर लगने लगा, वो सही होकर बैठ गया लेकिन कार की विंडो अभी भी ओपन थी। “यार इससे अच्छा तो मैं पैदल दौड़ कर चली जाती। अगर ये ट्रैफिक ऐसे ही रहा तो मुझे वापस हॉस्पिटल जाना होगा।” बड़बड़ाते हुए आयुष्का ने इधर-उधर देखा तो उसके पास वाली कार में उसे आरव दिखाई दिया। “अच्छा तो दुश्मन भी यही पास में ही है। ये अच्छा मौका है इसकी जान लेने का...” आयु ने उसकी तरफ देख कर सोचा। उसने देखा आरव का ध्यान बातें करने में था। आयुष्का ने एक नजर उसके गाड़ी को गौर से देखा और फिर कहा, “गाड़ी तो काफी लक्जीरियस लग रही है और महंगी भी... मैंने पढ़ा था इसके इंटरव्यू में, इसे लक्जीरियस गाड़ियों का शौक है। चलो बदला लेने की शुरुआत कर ली जाए...” आयु के चेहरे पर हल्की स्माइल थी। उसने अपने पैर की तरफ देखा तो उसने पेंसिल हील पहन रखी थी। उसने अपने एक पैर की हील निकाली और उसे अपने हाथ में लिया। वो गाड़ी के पास आकर अपनी हील से गाड़ी के खुरचने लगी, जिससे उस पर निशान बन गया। “वेरी गुड..! अभी तो तुम्हारी गाड़ी पर निशान दिया है। आगे आगे देखो क्या होता है। मैं तुम्हारी जिंदगी पर भी ग्रहण लगा दूंगी।” आयुष्का हाथ में हील लिए मुस्कुराते हुए गाड़ी की तरफ देख रही थी तभी आरव की नजर उस पर गई थी। “हे? क्या कर रही हो तुम?” आरव ने उसकी तरफ हैरानी से देखा। वो गाड़ी से बाहर निकलने लगा तभी आयु जल्दी से वापस स्कूटी पर बैठ गई। ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से वो गाड़ी का दरवाजा नहीं खोल पा रहा था लेकिन उसने खिड़की से झांक कर देखा तो उसकी गाड़ी पर एक बड़ा सा निशान बना हुआ था। आयु ने उसकी तरफ थम्स डाउन का इशारा किया। “छोडूंगा नहीं मैं तुम्हें... इस गाड़ी के पैसे तो तुम ही भरोगी।” आरव गुस्से में आयु को बुरी तरह घूर रहा था, वही कबीर को कुछ समझ नहीं आया। उसे आगे कुछ कहने या करने का मौका नहीं मिला और ट्रैफिक क्लियर होने लगा। आयु ने जल्दी से अपनी स्कूटी वहां से दौड़ा ली। पीछे से आरव ने स्कूटी के नंबर प्लेट की फोटो क्लिक कर ली थी। “पता लगाओ ये लड़की कौन है? मुझे ये अपने पास चाहिए।” आरव ने कबीर की तरफ गुस्से में देखा और कहा। कबीर ने उसकी बात पर हामी भरी और उस पिक्चर को किसी को सेंड कर दिया। आयु अपनी तरफ से आरव को उसका पहला जख्म देकर वहां से निकल चुकी थी जबकि उसकी इस छोटी सी हरकत से वो बहुत ज्यादा गुस्से में था।

  • 10. Tied with destiny - Chapter 10

    Words: 2047

    Estimated Reading Time: 13 min

    फ्रैंकी के ट्रेनिंग सेंटर का एड्रेस भेजने के बाद आयुष्का तुरंत वहां जाने के लिए निकल गई। रास्ते में वो ट्रैफिक में फंस गई थीं, इस वजह से उसे थोड़ी लेट हो गई थी। जैसे ही वो वहां पहुंची, उस एरिया को गौर से देखने लगी। वो एक बड़ी सी बिल्डिंग थी जिसके 4th फ्लोर पर जिम के साथ ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया था। वो जगह काफी बड़ी थी। “ओ वाओ... लोगों को दिखाने के लिए जिम खोल रखा है और यहां साथ में रिंग फाइट भी होती है। सही तरीका है अपने इलीगल कामों को छुपाने के लिए... लीगल तरीके से कोई भी काम खोलो, इससे आपका ब्लैक मनी वाइट हो जाएगा। अगर मेरी मजबूरी नहीं होती तो इस जगह पर मैं कभी नहीं आती।” आयुष्का को वो जगह पसंद नहीं आई थी, फिर भी खुद को स्ट्रांग बनाने के लिए उसे कंप्रोमाइज करना पड़ रहा था। वो एंट्रेंस पर खड़ी उस जगह का मुआवना कर रही थी। हॉल के शुरू होते ही एक कोने में रिसेप्शन टेबल लगी थी। आगे के आधे हिस्से को जिम में बदला गया था जबकि दूसरी तरफ का हिस्सा एक रेसलिंग मैदान की तरह बनाया हुआ था। जिम की तरफ कुछ लोग थे जो एक्सरसाइज कर रहे थे। दूसरा हिस्से में ज्यादा लोग नही थी और वहां शांति थी। “अरे मैडम आप आ गई। मैं बस आप का ही वेट कर रहा था।” फ्रैंकी को आयु दिखाई दी तो उसने दूर से ही आवाज लगाई। उसे देखकर आयु ने अपना हाथ ऊपर उठाया और हल्की मुस्कुराहट दी। वो अंदर चली गई। “मैंने बहुत मुश्किल से सर को रोक कर रखा है। उनके पास सिर्फ दस मिनट है। इस दस मिनट में आपको उन्हें ये साबित करना होगा कि आप इस ट्रेनिंग के लायक हैं। वो ऐसे ही किसी को ट्रेनिंग नहीं देते हैं।” फ्रैंकी ने अंदर जाने से पहले उसे सब कुछ समझाया। आयुष्का ने उसकी बात पर हामी भरी और उसके साथ अंदर गई। वहां आगे चलकर एक क्यूबिकल बनाया हुआ था, जिसके अंदर एक लगभग 35 साल का आदमी बैठा हुआ था। वो दिखने में काफी लंबा चौड़ा और हट्टा कट्टा था। जैसे ही आयुष्का अंदर गई, उस आदमी ने ऊपर से लेकर नीचे तक उसे गौर से देखा और फिर कहा, “ये लड़की ट्रेनिंग करना चाहती है? एक्ट्रेस हो क्या तुम, जो किसी मूवी में दिखाने के लिए एक्शन सीन सीखने की इच्छा से यहां आई हो?” उसने आयुष्का को देखकर अंदाजा लगाया। “नहीं सर जी, ये तो डॉक्टर है।” जैसे ही फ्रैंकी ने बताया वो आदमी जोर से हंसने लगा। “अगर डॉक्टर है तो हड्डियां जोड़ने के बजाए तुड़वाने क्यों आई है?” उसने हंसकर कहा। “आपको मुझे ट्रेनिंग देने से मतलब है फिर क्या फर्क पड़ता है कि मैं किसी भी प्रोफेशन से क्यों ना हूं।” आयु ने सख्ती से जवाब दिया, जिससे वो पहली बार में ही इंप्रेस हो गया। “दम तो है। चलो देख लेते हैं इस नाजुक से शरीर में कितनी ताकत है।” उस आदमी ने कहा और उठकर आयु के पास आया। “मेरा नाम जहान है।” आयु ने उसे अपना परिचय देते हुए कहा, “और मेरा नाम आयु है।” उसने उसे अपना पूरा नाम नहीं बताया। “आयु? ये कैसा बच्चों जैसा नाम है। खैर छोड़ो... पहले तुम्हारी स्ट्रेंथ का अंदाजा लगा लेते हैं। बाकी चीजें बाद में डिसाइड करेंगे।” जहान बोला। “मेरी फिजिकल स्ट्रैंथ बहुत वीक है इसीलिए मैं यहां आई थी।” आयु ने मायूसी से जवाब दिया। उसने यहां जितने भी लोगों को देखा था, वो सब फिजिकली काफी स्ट्रॉन्ग नजर आ रहे थे। “और मेंटल स्ट्रैंथ नाम की चीज तो जैसे दुनिया में होती ही नहीं है।” जहान ने हंसकर जवाब दिया। जहान की फिजिकल अपीयरेंस देखने के बाद आयु को लगा था कि वो कोई सख्त और स्ट्रिक्ट सा आदमी होगा लेकिन जहान काफी जिंदादिल और हंसमुख टाइप का इंसान था। उसके बोलने के लहजे से भी पता चल रहा था कि वो कोई पढ़ा-लिखा और समझदार टाइप का आदमी है। आयु ने उसकी बात पर हामी भरी। आयु का पूरा ध्यान उस से बातें करने में था, तभी अचानक जहान ने अपने हाथ का पंच बनाया और आयु की तरफ वार करने के लिए आगे बढ़ाया। वो तुरंत नीचे झुक गई। उसके ऐसा करने पर जहान ने एक नजर फ्रैंकी की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर स्माइल थी। “क्या मैडम जी पहली बार में ही समझ गई। अक्सर बड़े-बड़े इसमें मात खा जाते हैं। अचानक हुए हमले से हड़बड़ा जाते हैं और उन्हें चोट लग जाती है। आपने तो कमाल कर दिया।” फ्रैंकी ने ताली बजाते हुए कहा, जिस पर आयु खुश हो गई। “इतना खुश होने की जरूरत नहीं है। ये बहुत छोटा सा टेस्ट था।” जहान ने मुंह बनाकर कहा। उसने आयु को इशारे से अपने पीछे आने को कहा। जहान के पीछे-पीछे आयु और फ्रैंकी दोनों ही आ रहे थे। बाहर आते ही जहान ने तेज आवाज में कहा, “धारा... धारा कहां हो?” उसने धारा को बुलाने के लिए आवाज लगाईं। उसके बुलाने पर धारा नाम की एक लड़की आई। जहान ने आयु का और धारा का इंट्रोडक्शन कराया और फिर कहा, “आयु ये धारा है। हमारी ट्रेनिंग तीन फेजेस में होती है, जिसमें पहला फेज धारा कंप्लीट करवाती है।” धारा ने मुस्कुराते हुए आयु से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। जैसे आयु ने उससे हाथ मिलाया धारा ने उसका हाथ जोर से दबा दिया, जिससे आयु के मुंह से आह निकल गई। “तुम्हें तो बहुत ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत है लड़की। एक लड़की को इतना भी वीक नहीं होना चाहिए। कम से कम सेल्फ डिफेंस तो आना ही चाहिए।” जहान ने कहा। “तो क्या मैंने टेस्ट पास कर लिया?” आयु ने जहान की तरफ देखकर पूछा। उसके हाथ में दर्द हो रहा था इसलिए वो अपने हाथ को हवा में झटक रही थी। “वैसे तो तुम जैसे स्टूडेंट्स की यहां कोई जगह नहीं है पर तुम एक डॉक्टर हो। हमें यहां डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। कई बार ईलीगल फाइट के चलते हम लोग हॉस्पिटल नहीं जा सकते।फ्रैंकी ने मुझे बताया कि तुम इसके और फाइट के बारे में सब कुछ जानती हो। मैं तुम्हें ट्रेनिंग दे दूंगा बस बदले में तुम्हें फाइट में इंजर्ड हुए लोगों का ट्रीटमेंट करना पड़ेगा, वो भी फ्री में। तुम्हारी ट्रेनिंग भी फ्री होगी।” जहान ने ट्रेनिंग देने से पहले शर्त रखी। “नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी। मैंने फ्रैंकी को भी बहुत बार कहा है कि वो फाइट में इंजर्ड होकर हमारे हॉस्पिटल में ना आए। मुझे आपकी शर्त मंजूर नहीं है।” आयु ने तुरंत मना कर दिया, जिस पर फ्रैंकी और जहान दोनों को ही हैरानी हुई। “एक बार फिर सोच लो। तुम्हें हमसे अच्छी ट्रेनिंग और कोई नहीं दे पाएगा। हमसे अच्छी छोड़ो, तुम्हें यहां हमारे जैसे ट्रेनिंग देने के लिए कोई मिलेगा तक नहीं... वो सिर्फ डिफेंस करना सिखाते है या कुछ नॉर्मल मूव्स। सेल्फ ट्रेनिंग में बहुत टाइम लग जाएगा। तुम एक गोल्डन ऑपर्च्युनिटी मिस कर रही हो डॉक्टर।” जहान ने एक बार फिर पूछा। आयु कुछ पल के लिए सोच में पड़ गई। उसने आरव से बदला लेने का सोचा था, उसमें जहान उसकी मदद कर सकता था। उससे पहली बार मिलने पर ही वो समझ गई थी कि वो ना सिर्फ उसे फिजिकली बल्कि मेंटली और स्ट्रांग बना देगा। फिर भी उसने जो भी शर्त रखी थी, उसे पूरा करने के लिए उसका दिल गवाही नहीं दे रहा था। आयु ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर मुस्कुरा कर कहा, “आई नो मेरे लिए डिसीजन लेना बहुत मुश्किल है पर फिर भी मेरी तरफ से ना है। मैं अपनी उसूलों की पक्की हूं। आज नहीं तो कल आपके जैसा कोई और मिल ही जाएगा।” जहान भी अपनी जिद्द का पक्का था। उसने आयु को ट्रेनिंग देने के लिए हां नहीं की और उसे जाने के लिए दरवाजे का रास्ता दिखाया। उसके मना करने पर फ्रैंकी का भी चेहरा उतर गया था। “मिलकर अच्छा लगा।” वहां से जाने से पहले आयु ने जहान से कहा, “तुम्हें देखकर लगता है कि तुम एक पढ़े लिखे और सेंसिबल इंसान हो। फिर इस तरह ये इल्लीगल काम क्यों करते हो? बहुत से लोगों को सेल्फ डिफेंस सीखना चाहते है। उन्हें सिखाओ। उससे भी तुम पैसे कमा सकते हो। फिर गलत काम करके पैसे कमाने की क्या जरूरत है।” “अगर तुम्हारा ये ज्ञान देना हो गया है, तो तुम यहां से जा सकती हो। अक्सर ये उसूलों वाली बातें वही लोग करते हैं, जिनके पास पहले से पैसा होता है। तुम्हारा बिहेवियर और शक्ल देखकर कोई भी कह देगा कि तुम बहुत नाज़ों से पली हो, इतने नाज़ों से कि एक लड़की के धीरे से हाथ का दबाना तक नहीं सहन कर पाई और तुम्हारी आंखों में आंसू भर आए थे। जिस दिन जिंदगी मैं पैसों की कमी महसूस होगी, उस दिन तुम्हारे उसूल धरे रह जाएंगे मैडम।” जहान ने सख्त शब्दों में कहा और अपने दोनों हाथ जोड़ लिए। उसके मना करने पर आयु को बहुत बुरा लग रहा था पर फिर भी वो वहां से निकल आई। वो पार्किंग एरिया की तरफ गुस्से में बड़बड़ाती हुए जा रही थी। “अरे नहीं पसंद मुझे वो लोग जो ग़लत काम करते हैं। उन्हीं की वजह से और लोगों को सफर करना पड़ता है। मेरी मजबूरी नहीं होती तो मैं यहां कभी नहीं आती। अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। जो होगा देखा जाएगा। मैं जैसी भी हूं, उस आरव खुराना को टक्कर दे सकती हूं... पर उससे पहले मुझे उस तक पहुंचने का रास्ता ढूंढना होगा।” आयु ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और उसे हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा लिया। पहले ही वो ट्रैफिक की वजह से लेट हो चुकी थी और उसे जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचना था। ______________________ अनुष्का की मौत को एक महीना भी चुका था लेकिन फिर भी मंथन अभी भी अपना सारा काम अपने रूम से ही कर रहा था। उसके लिए अनुष्का की यादों से बाहर निकल पाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा था। वो लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था, तभी उसके पास कोई कॉल आया। स्क्रीन पर आ रहे नाम को देखकर मंथन ने हैरानी से कहा, “पूरे एक महीने बाद इसने अब कॉल किया है। जब एक महीने तक वो शांत थी तो अब... आई होप सब ठीक हो और वो लड़की कोई गड़बड़ ना कर दे।” मंथन ने कॉल पिक किया तो सामने से आवाज आई। “एक महीने तक वो शांति थी, तो मुझे लगा कि वो अब कुछ नहीं करने वाली। मैंने तो वापिस आने का भी सोच लिया था सर लेकिन हम गलत थे।” “क्या किया है उसने अब?” मंथन ने तुरंत पूछा। “वो अभी-अभी एक ऐसे ट्रेनिंग सेंटर से निकली है जहां पर ईलीगल तरीके से लोगों को रिंग फाइट या गैंगस्टर के अंडर काम करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती हैं। आप इसका मतलब समझ रहे हो ना सर?” सामने से एक आदमी ने जवाब दिया। ये वही आदमी था, जिसे मंथन ने आयु की जासूसी के काम पर लगाया था। “हां अच्छे से समझ रहा हूं। तो वो खुद को तैयार कर रही है। उसे कुछ भी करके रोकना होगा शांतनु।” मंथन ने परेशान स्वर में कहा। “तो क्या मैं जाकर उससे बात करूं? अगर हमने बात की तो उसे सब समझ आ जाएगा। वो गुस्से में ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकली थी। मैं उसकी बात तो नहीं सुन पाया पर मामला ठीक नहीं लग रहा। अगर वो उन लोगों के कांटेक्ट में आई तो उसकी रेपुटेशन तक दांव पर लग सकती है। उसके पीछे रहते हुए मैंने महसूस किया है कि वो एक अच्छी इंसान है।” पिछले एक महीने में शांतनु ने आयु को काफी अच्छे से ऑब्जर्व किया था। वो उस हिसाब से ही मंथन को सब बता रहा था। “अच्छी तो होना ही है आफ्टर ऑल मेरी अनु की ट्विन सिस्टर है। लगता है अब मुझे इंवॉल्व होना ही पड़ेगा। तुम ऐसा करो मेरे लिए हमारा फ्लैट रेडी करवाओ।” कहकर मंथन ने कॉल कट कर दिया। उसने बेड साइड पर लगी अपनी और अनु की तस्वीर को देखा और कहा, “काश हर बार की तरह अपनी बहन के सिली हरकतों को रोकने के लिए तुम यहां होती। खैर तुम नहीं तो मैं सही। मुझे उसके लिए मुंबई जाना ही होगा।” मंथन ने तुरंत अपना काम वही छोड़ा और आयु की सेफ्टी के लिए मुंबई जाने का डिसाइड किया। उसने अपना सामान पैक किया और कुछ ही देर में सामान के साथ बाहर निकला तो वही साक्षी ने एक महीने बाद मंथन को सामान के साथ अपने कमरे के बाहर देखा तो वो भी हैरान थी।

  • 11. Tied with destiny - Chapter 11

    Words: 2200

    Estimated Reading Time: 14 min

    मंथन ने आयु की निगरानी के लिए उसके पीछे एक आदमी लगा रखा था। उसने उसे आयु के फाइट क्लब जाने की बात बताई तो मंथन ने तुरंत मुंबई जाने का डिसाइड किया। वो अपने सामान के साथ बाहर आया तो साक्षी उसे देख कर चौक गई। उसका बाकी परिवार उस वक्त वहां मौजूद नहीं था। जाने से पहले मंथन साक्षी के पास गया और कहा, “दी प्लीज हर बार की तरह सब संभाल लेना। आई हैव टू गो मुंबई।” “नो मंथन, नो आई कांट। ऑलरेडी पिछले एक महीने से घर वालों को बहाने लगा कर परेशान हो गई हूं। तुम्हारे बाहर के काम मुझे देखने पड़ते हैं। और पापा... सोचा है उनको क्या जवाब दोगे?” साक्षी ने कहा। “मैं नहीं जानता मुझे क्या जवाब देना है पर मेरा मुंबई जाना जरूरी है। वो खुद ही अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रही है। अगर अनु होती तो उसे ये करने से जरूर रोकती।” मंथन ने साक्षी को अपने मुंबई जाने का रीजन बताया। बोलते हुए उसकी आवाज भारी होने लगी थी। उसकी बात सुनकर साक्षी कुछ पल चुप रही और फिर सख्त आवाज में कहा, “मुझे लगा था पिछले एक महीने में तुम समझ गए होगे कि वो वापस नहीं आने वाली। क्यों ये सब बेवकूफियां कर रहे हो? देखा जाए तो अनु की बहन और तुम में कोई भी अंतर नहीं है। वो भी अभी तक उसे लेकर बैठी है और तुम भी...दोनो ही इस चक्कर में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।” साक्षी की बात का मंथन के पास कोई जवाब नहीं था। उसने अपने लगेज का हैंडल पकड़ा और कहा, “मुझे पता है दी आप देख लोगे।” वो वहां से जाने लगा लेकिन साक्षी तेज कदमों से चलती हुई उसके आगे आ गई। “ठीक है ये आखिरी बार है पर मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी।” मंथन को उसकी बात का जवाब देने का मौका नहीं मिला, तभी उसके पापा मिस्टर निशांत आहूजा वहां आ गए। उन्होंने मंथन को लगेज के साथ देखा, तो वो भी हैरान थे। “कहीं जा रहे हो?” उन्होंने सख्त आवाज में पूछा। “मुंबई जा रहा हूं। वहां कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करने के बारे में सोच रहा हूं।” मंथन ने नजरें नीची करके जवाब दिया। “अच्छा तो उसी की तैयारी के लिए खुद को कमरे में बंद कर रखा था।” उसके जाने का कारण जानकर निशांत जी के चेहरे पर हल्की स्माइल आ गई। उन्होंने मंथन के कंधे पर हाथ रखा और कहा, “ठीक है जो भी करो, उसमें सफल होकर आना। मेरी मदद चाहिए तो बता देना।” मंथन ने उनकी बात पर हामी भरी। वो काफी दिनों से अपना नया बिजनेस शुरू करने का प्लान कर रहा था तो निशांत जी को उसकी बात पर शक नहीं हुआ। मंथन वहां से निकलता उससे पहले साक्षी तुरंत बोली, “पापा, इसके साथ मैं भी जा रही हूं।” “तुमने बताया क्यों नहीं इस बारे में? मेरी ज्यादातर मीटिंग्स तुम ही शेड्यूल करती हो। वर्मा जी से ज्यादा तुम्हें मेरे बारे में पता होता है। तुम चली जाओगी तो मेरा काम रुक जाएगा।” निशांत जी साक्षी के जाने की बात सुनकर खुश नहीं हुए। “हां, जानती हूं पर मैं ये सब वहां से ही देख लूंगी। ये अकेले वहां ठीक से सेटल नहीं हो पायेगा। इसे सेटल करने के बाद कुछ दिनों में वापस आ जाऊंगी। डोंट वरी मेरे जाने के बाद भी आपका काम नहीं रुकेगा।” साक्षी ने सारा काम संभालने का वादा किया तो निशांत जी ने उसे जाने की हां कह दी। “ठीक है तो जाने से पहले एक बार तुम्हारी मम्मी से मिल लेना। वरना उनके सवालों की झड़ी शुरू हो जाएगी।” निशांत जी ने कहा और वहां से चले गए। उनके जाने के बाद मंथन ने साक्षी की तरफ नाराजगी भरी नजरों से देखा। “अब अगर मम्मी को पता चला तो वो सौ सवाल पूछेंगी। आपको भी पैकिंग करनी है। इतना सब कुछ करने के चक्कर में मैं लेट हो जाऊंगा।” मंथन ने कहा। “हां तो क्या हो गया जो 2 घंटे लेट हो जाओगे? वैसे भी इन दो-तीन घंटों में वो लड़की कुछ भी उल्टी-सीधी हरकत नहीं करेगी।” साक्षी ने जवाब दिया और वहां से चली गई। मंथन के पास उसका वेट करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। कुछ ही देर में साक्षी अपने सामान के साथ वापस आ गई थी और उसने जाने से पहले अपनी मम्मी को भी इस बारे में बता दिया था। साक्षी के आते ही मंथन तुरंत उसके साथ मुंबई जाने के लिए निकल गया। ______________________ शाम के लगभग 5:00 बज रहे थे। खुराना इंडस्ट्रीज में आरव अपने केबिन में बैठा था‌। आयु ने उसकी गाड़ी खराब कर दी थी, इस वजह से वो मीटिंग में भी नहीं गया था। “उस लड़की की हिम्मत कैसे हुई आरव खुराना की गाड़ी खराब करने की। मेरी गाड़ी खराब की थी ना, मैं उसकी जिंदगी खराब कर दूंगा। मिलने दो मुझे उससे... मिलने से याद आया, कबीर को काफी टाइम हो गया लेकिन अभी तक उसने उस लड़की का पता नहीं लगाया।” गाड़ी खराब होने की वजह से आरव बच्चों की तरह मुंह फुला कर बैठा था। उसने तुरंत कबीर को कॉल करके कहा, “मैंने शायद तुम्हें आज एक काम दिया था। तुमने अभी तक पता नहीं लगाया कि मेरी गाड़ी किसने खराब की थी। आई डोंट नो एनीथिंग अभी के अभी मेरे केबिन में आओ।” अपनी बात कहकर आरव ने उसकी बात सुने बिना ही कॉल कट कर दिया। वही कबीर अपने हाथ में आईपैड लेकर बैठा था। उसके पास उस स्कूटी से जुड़ी हुई डिटेल आ गई थी। वो आरव को कुछ कहता उससे पहले ही उसने कॉल कट कर दिया था। “एक गाड़ी ही तो खराब हुई है यार। उसके लिए इतना ओवर, रिएक्ट करने की क्या जरूरत है? ये तो ऐसे बिहेव कर रहे हैं जैसे इनके पास वो एक ही गाड़ी हो। वैसे भी वो पुरानी हो चुकी थी... और मैंने पता नहीं लगाया? रियली? कभी सामने वाले की बात पूरी सुनते भी हैं या नहीं।” कबीर ने बड़बड़ा कर कहा। वो वहां से आरव के फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ गया। कुछ ही मिनटों में वो आरव के फ्लोर पर था। अंदर जाने से पहले उसने दरवाजा खटखटाया। “यस कम इन...” आरव ने तेज़ आवाज़ में कहा। आरव कुछ कहता उससे पहले ही कबीर ने अपना आईपैड उसके टेबल पर रख कर कहा, “इसमें सारी डिटेल्स है। वो स्कूटी एक लड़की के नाम पर रजिस्टर्ड है। लड़की का नाम भव्या द्विवेदी है और वो लाइफ केयर हॉस्पिटल में एक नर्स के तौर पर काम करती हैं।” “अच्छा तो मेरे ही हॉस्पिटल में काम करके मेरी ही गाड़ी खराब कर दी।” आरव ने जवाब दिया। “उसे थोड़ी ना पता होगा कि वो हॉस्पिटल आपका है? उसका सारा काम दादी ने किसी और को सौंप रखा है। ये तो वहां काम करती है... वो भी नर्स के तौर पर। आपको पता ही है कि वो हॉस्पिटल आपके दादा जी के पापा ने बनवाया था। आपने खुद तो गलती से भी वहां कदम रखा नही... फिर वो कैसे सब जान सकती है।” कबीर ने शांत लहजे में जवाब दिया। “अच्छा ये बात है। ठीक है तो फिर सबको बता दो कि वो हॉस्पिटल आरव खुराना का है।” जैसे ही आरव ने कहा कबीर हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा। कबीर ने ना में सिर हिलाया और धीमी आवाज में कहा, “आपका पता नहीं लेकिन ऐसा करने पर दादी सच में मुझे मार डालेगी।” “हां खतरा तो मुझे भी है। पर देखा ना तुमने, उस ने बेवजह मेरी गाड़ी खराब कर दी। वो कोई छोटी बच्ची है क्या?” आरव ने बच्चों जैसे बनाकर कहा। “मैंने बात कर ली है, वो डेंट ठीक हो जाएगा और आपके लिए एक नई गाड़ी भी रजिस्टर करवा दी है। अब तो बच्चों की तरह बिहेव करना बंद कीजिए। वो गाड़ी है आपकी गर्लफ्रेंड नहीं।” कबीर अपनी तरफ से आरव को समझाने की कोशिश कर रहा था। “मेरी गाडियां ही मेरी गर्लफ्रेंड है तो आगे से ये मत कहना और रही बात वो डेंट ठीक करने की, तो वो अब तभी ठीक होगा जब उस लड़की से मैं अपना बदला ले लूंगा। मुझे जानबूझकर गलती करने वाले लोगो से सख्त चिढ़ है। अभी के अभी हॉस्पिटल चलो।” आरव वहां से उठा और बाहर जाने लगा। कबीर को आगे कुछ कहने का मौका नहीं मिला। मजबूरन उसे भी आरव के पीछे जाना पड़ा। आरव अपने केबिन से बाहर निकला ही था कि तभी उसकी पर्सनल असिस्टेंट युवानी वहां आई। युवानी उसके लिए लगभग 2 साल से भी ज्यादा समय से काम कर रही थी लेकिन अब तक वो उससे ज्यादा बार मिली नही थी। बिजनेस मीटिंग्स आरव कबीर के साथ ही अटेंड करता था। युवानी को आरव से बहुत डर लगता था। जैसे ही उसने अपने सामने आरव को देखा वो जल्दी से हड़बड़ा कर बोली, “वो... वो सर मीटिंग सच में बहुत जरूरी है।” “मैं फिलहाल के लिए बिजी हूं और कोई मीटिंग के लिए नहीं जाऊंगा। तुम्हें कितनी बार कहा है अगर किसी मीटिंग में मेरी प्रेजेंस चाहिए तो मुझे 12 घंटे पहले बताया करो।” आरव ने गुस्से में जवाब दिया तो युवानी और भी घबरा गई। उसने एक नजर कबीर की तरफ देखा, जिस ने आंखों ही आंखों में सब संभालने का कहा। युवानी के बजाय कबीर ने जवाब देते हुए कहा, “मीटिंग कल है सर और मैंने ही इसे आज इन्फॉर्म करने के लिए कहा था।” “तुम क्या इसके वकील हो जो इसकी तरफ तरफदारी कर रहे हो?” आरव ने कबीर की तरफ घूरते हुए देखा। फिर वो कुछ सेकंड के लिए चुप रहा और अजीब नजरों से उन दोनों को देखते हुए कहा, “कहीं ये वो लड़की तो नहीं जिससे तुम आधी रात को गार्डन में टहलते हुए बातें करते हो? तुम दोनों रिलेशनशिप में हो क्या?” “न... नहीं...” युवानी उसे ना कहने वाली थी तभी पहले ही कबीर बीच में बोल पड़ा, “हां ये वही है।” “दादी को इस बात का पता चला तो तुम दोनों को काम से निकाल दूंगा। मुझे इस बात का लेक्चर नहीं सुनना कि तुम रिलेशनशिप में हो कबीर और मैं अब तक सिंगल।” आरव ने इतना ही कहा और फिर लिफ्ट में चला गया। कबीर अभी भी युवानी के पास था। उसने युवानी का हाथ पकड़ कर कहा, “तुम्हें इनसे इतना डर क्यों लगता है? मैंने तुम्हें बताया था ना कि मैं इनके साथ किस वजह से हूं?” “हां जानती हूं तुम माहिरा लूथरा के असिस्टेंट थे और इन दोनों के बीच का कनेक्शन बनने के लिए तुम इनके साथ काम करने लगे हो। माफिया वर्ल्ड से तुम जुड़े हुए हो लेकिन डर मुझे इन से लगता है।” युवानी ने बताया तो कबीर हंसने लगा। “ऐसा कुछ नहीं है। मैं पिछले 6 साल से इनके साथ हूं। इनका बिहेवियर बिल्कुल बच्चों की तरह है। इन्हें पूरी अटेंशन खुद पर चाहिए होती है और कोई थोड़ा सा भी इन्हें हर्ट कर दे तो फिर बच्चों की तरह उनसे बदला लेना होता है।” कबीर ने जवाब दिया। युवानी ने उसकी बात पर हामी भरी, तभी कबीर के पास आरव का कॉल आया। उसने कॉल पर कहा, “तुम दोनों का रोमांस करना हो गया हो तो नीचे आ जाओ।” अपनी बात कह कर आरव‌ ने कॉल कट कर दिया। “ठीक है मैं चलता हूं। यू टेक केयर।” कबीर ने कहा। जाने से पहले उसने युवानी के माथे पर हल्का सा किस किया और वहां से चला गया। कुछ ही देर में कबीर और आरव लाइफ केयर हॉस्पिटल में थे। वहां आरव हॉस्पिटल के सीईओ के साथ उसके केबिन में मौजूद था और उसके सामने वो नर्स खड़ी थी जिसकी स्कूटी लेकर आयु गई थी। “तो भव्या द्विवेदी, तुम्हें पता है एक्जेक्टली मेरी गाड़ी कितने रुपए की है, जिस पर बहुत प्यार से आज तुमने अपनी हील से बड़ा सा डेंट दे दिया।” आरव भव्या द्विवेदी के सामने खड़ा था और उससे सर्द लहजे में बात कर रहा था। वो तो आरव का लहजा देखकर ही घबरा गई थी। उसने ना में सिर हिलाते हुए कहा, “मैं... मैंने कुछ नहीं किया है सर। मैं तो आज पूरा दिन जनरल वॉर्ड में बिजी थी। आप चाहो तो सीसीटीवी देख सकते हो।” “अच्छा तो मैं क्या झूठ बोल रहा हूं और तुम्हारी स्कूटी के पास कुछ मैजिकल पावर्स है, जो वो खुद ही उड़ कर मेरी गाड़ी के पास चली गई और... आई डोंट नो एनीथिंग। मुझे मेरी गाड़ी उसी हालत में वापस चाहिए।” आरव ने जिद करते हुए कहा। “देखो अभी भी टाइम है। अपनी गलती कबूल कर लो। हो सकता है बाद में ये तुम्हें उसके लिए माफ भी कर दे।” हॉस्पिटल के सीईओ मिस्टर कपूर ने भव्या को समझाने की कोशिश की। उनकी बात सुनकर आरव ने तुरंत कहा, “नहीं, माफ तो मैं इसे नहीं करने वाला। इसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी गाड़ी खराब करने की।” “सर जब मैं कह रही हूं मैं पूरा दिन बिजी थी, आप सबूत के तौर पर सीसीटीवी देख सकते हैं। फिर आप मेरी बात सुन क्यों नहीं रहे? मेरी स्कूटी बहुत बार वॉचमैन भैया भी यूज़ करते हैं। उन्होंने किसी को दे दी होगी। आप उनसे बात कर लीजिए।” भव्या ने कहा। “ठीक है अभी सब साफ हो जाएगा। मैं गार्ड को बुलाता हूं।” मिस्टर कपूर ने कहा और इंटरकॉम पर कॉल करके सभी सिक्योरिटी गार्ड्स को अंदर ऑफिस में आने के लिए कहा। उन गार्ड्स में वो भी मौजूद था, जिसने सुबह आयु को स्कूटी दी थी और इन सबसे बेखबर आयु अयान के साथ ओटी में सर्जरी में बिजी थी।

  • 12. Tied with destiny - Chapter 12

    Words: 2244

    Estimated Reading Time: 14 min

    आरव की गाड़ी जिसने खराब की थी उसका उसने पता लगा लिया था। वो कबीर के साथ लाइफ केयर हॉस्पिटल में आया हुआ था। आयुष्का जिस नर्स की स्कूटी लेकर गई थी, उसका नाम भव्या द्विवेदी था। उसने आरव की गाड़ी खराब करने से साफ मना कर दिया। उसकी बात सही साबित करने के लिए हॉस्पिटल के सीईओ मिस्टर कपूर ने सारे सिक्योरिटी गार्ड्स को ऑफिस में बुला लिया। उन सबके आते ही हॉस्पिटल मिस्टर कपूर ने कहा, “क्या इस नर्स की स्कूटी आज कोई बाहर लेकर गया था?” जिस गार्ड ने आयु को भव्या की स्कूटी दी थी, वो बोला, “हां सर। मैने आज किसी डॉक्टर को इनकी स्कूटी कुछ देर के लिए दी थी।” गार्ड के हामी भरते ही भव्या ने कहा, “देखा मैंने कहा था ना कि मैं पूरे दिन बिजी थी। मैंने सोचा मेरे स्कूटी देने से यहां के स्टाफ की हेल्प होगी लेकिन यहां तो कुछ उल्टा ही हो रहा है। गार्ड भैया, आगे से आप मेरी स्कूटी किसी को मत दीजिएगा।” “हां ठीक है। अब तुम जा सकती हो...।” मिस्टर कपूर ने तुरंत उसे वहां से भेज दिया ताकि बात ना बढ़ जाए। इसके बाद उन्होंने बाकी सिक्योरिटी गार्ड की तरफ देख कर कहा, “पाटिल को छोड़कर तुम सब लोग भी जा सकते हो।” सारे गार्ड्स अपने काम पर वापस लग चुके थे तो वही भव्या द्विवेदी भी जा चुकी थी। अब केबिन में हॉस्पिटल मिस्टर कपूर आरव, कबीर और उस गार्ड के अलावा कोई नहीं बचा था। “क्या तुम्हें याद है तुमने वो स्कूटी किसे दी थी?” मिस्टर कपूर ने पाटिल की तरफ देखकर पूछा। “इतना बड़ा हॉस्पिटल है और यहां बहुत सारा स्टाफ काम करता है। मैं उन्हें नाम से नहीं जानता लेकिन हां देखूंगा तो तुरंत पहचान जाऊंगा। मुझे बस इतना याद है उनकी आंखों का कलर अलग था, दिखने में भी वो बहुत सुंदर थी, बाल भी लंबे से और खुबसूरत थे।” गार्ड को आयु के बारे में जितना भी याद था, उसने उन लोगो को बता दिया। “हमें यहां उसकी खूबसूरती की तारीफ नहीं सुननी है। तुम्हें नाम याद है तो बताओ, वरना जाओ यहां से...” आरव ने काफी रुखे तरीके से जवाब दिया। जवाब में गार्ड ने ना में सिर हिला दिया। मिस्टर कपूर ने उसे वहां से भेज दिया। उसके जाते ही उसने आरव से कहा, “आई नो आप इस हॉस्पिटल के ओनर है पर ये बात यहां हर कोई नहीं जानता। आपकी गाड़ी का जो भी नुकसान हुआ है, वो मैं पे करने के लिए तैयार हूं।” “और आपको क्या लगता है मिस्टर कपूर, क्या मेरे पास में इतने पैसे नहीं है जो मैं उसे ठीक करवा सकूं? मुझे रियल कल्प्रिट चाहिए। पूरे हॉस्पिटल स्टाफ को लाइन में लगाओ और उस गार्ड को बुलाकर पूछो कि किसने किया था वो... वरना मुझे इस हॉस्पिटल को किसी लग्जरियस होटल में बदलते देर नहीं लगेगी।” इस बार आरव ने सर्द लहजे में कहा। वो इन सब से काफी गुस्सा हो गया था और उसके कहने के तरीके भर से मिस्टर कपूर घबरा गए। उन्होंने उम्मीद भरी निगाहों से कबीर की तरफ देखा, तो कबीर ने कहा, “सर प्लीज समझने की कोशिश कीजिए। इस तरह बच्चों की तरह जिद करना सही नहीं है। उस लड़की ने बेवकूफी की, जरूरी थोड़ी ना है कि आप भी करोगे।” आरव ने उसकी तरफ बिना कुछ कहे सिर हिलाया तो कबीर ने मिस्टर कपूर से कहा, “आप अपनी फीमेल डॉक्टर्स को किसी भी बहाने से केबिन में बुला सकते हैं या उस गार्ड को किसी काम से सभी फीमेल डॉक्टर्स के पास भेज सकते हैं।” आरव के लहजे से कबीर समझ गया था कि वो जब तक उस डॉक्टर से अपना बदला नहीं ले लेता, वहां से हिलने वाला नहीं। वही मिस्टर कपूर के पास भी और कोई चारा नहीं था। “आप दोनों यही बैठिए। मैं इस मामले में कुछ करता हूं। बी कंफर्टेबल।” मिस्टर कपूर ने कहा। “ऑफ कोर्स आई विल कंफर्टेबल। ये मेरा ही हॉस्पिटल है। मैंने ध्यान देना क्या छोड़ दिया लोग मनमानी पर उतर आए लेकिन लगता है कि अब ऑफिस छोड़कर यही बैठना होगा।” आरव ने धमकी भरे लहजे से कहा। मिस्टर कपूर को उसकी जॉब खतरे में महसूस हुई तो इस मामले में खुद ही कुछ करने के लिए वो तुरंत वहां से निकल गए। उनके जाने के बाद आरव उनकी कुर्सी पर आराम से बैठा था जबकि कबीर उसके सामने वाली सीट पर था। “मुझे एक चीज समझ नहीं आई। वो लड़की आपको मिल भी गई तो आप क्या कर लोगे? वो एक डॉक्टर है और आपकी कार को हुए नुकसान को आराम से पे कर सकते हैं। फिर उससे मिलने या ना मिलने का क्या फायदा हुआ?” कबीर को आरव के बर्ताव पर हैरानी हो रही थी। “सबसे पहले तो मैं उसके किए के लिए उसे इस हॉस्पिटल से नेगेटिव मार्किंग करके बाहर निकाल लूंगा और ये मैक श्योर करूंगा कि उसे जिंदगी में कभी किसी हॉस्पिटल में नौकरी ना मिले, मुंबई में तो खासकर नहीं... फिर उसे पता चल जाएगा कि आरव खुराना का नुकसान करने का नतीजा क्या होता है। मुझे चिढ़ है उन लोगो से जानबूझकर गलतियां करते हो और खुद के फायदे के लिए लोगो को धोखा देते है। इस डॉक्टर ने भी यही किया है। शी विल पे फॉर दिस।” आरव ने कबीर के सवाल का जवाब दे दिया था। उसकी बात सुनकर कबीर चुप हो गया। वही आरव मिस्टर कपूर के लौटने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। ______________________ मिस्टर कपूर को आरव का रवैया बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वो गुस्से में हॉस्पिटल में हर एक फीमेल डॉक्टर नर्स से जाकर बात कर रहे थे। उन्होंने लगभग स्टाफ से बात कर ली थी। तभी सामने स्टोर रूम से डॉक्टर सिद्धि बाहर निकली। “क्या आज तुम हॉस्पिटल से किसी नर्स की स्कूटी लेकर बाहर गई थी डॉक्टर सिद्धि?” मिस्टर कपूर ने डॉक्टर सिद्धि के पास जाकर पूछा। “नहीं सर पर आप ये सब क्यों क्यों पूछ रहे हो? सब कोई आपके इस सवाल से परेशान हैं?” सिद्धि ने हिचकिचाते हुए पूछा। “वो सब तुम छोड़ो। मैं सब से पूछ चुका हूं और सबने ना ही कहा है। क्या कोई ऐसी लेडी डॉक्टर है, जो ओटी में बिजी हैं?” मिस्टर कपूर ने फिर पूछा। “दूसरों का शेड्यूल तो पता नहीं लेकिन अभी अभी हम लोग एक सर्जरी से फ्री हुए हैं, जहां डॉक्टर अयान के साथ मैं और डॉक्टर आयुष्का मौजूद थे। वो चेंज करने गई है। आपको कहो तो उसे बुलाऊं?” डॉक्टर सिद्धि ने पूछा। आयुष्का का नाम लेते ही मिस्टर कपूर को कुछ स्ट्राइक हुआ। उन्होंने खुद से बड़बड़ा कर कहा, “गार्ड ने कहा था उसकी आंखों का कलर अलग है। आयुष्का की आंखें भी तो डिफरेंट है कहीं उसी ने तो...” उसके बारे में सोचते ही मिस्टर कपूर के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। आरव की वजह से वो पहले से ही परेशान हो गए थे। उन्होंने डॉक्टर सिद्धि से कहा, “डॉक्टर आयुष्का को कहो कि अभी के अभी मेरे केबिन में पहुंचे।” सिद्धि ने उनकी बात पर हामी भरी और वहां से स्टोर रूम की तरफ चली गई। उसने आयु को सारी बात बताई और सीधे मिस्टर कपूर के केबिन में जाने को कहा। आयु चेंज करने के बाद सीधे मिस्टर कपूर की केबिन में जाने लगी। वहां पहुंचकर उसने केबिन का दरवाजा हल्का सा खोला तो उसे सामने आरव दिखाई दिया। उसने तुरंत केबिन का दरवाजा बंद कर दिया। “ओह गॉड, ये यहां क्या कर रहा है? कहीं इसे पता तो नहीं चल गया कि सुबह मैंने इसकी गाड़ी खराब की थी।” आयु ने घबराकर कहा। वो उल्टे पैर वहां से वापस जाने लगी, तभी मिस्टर कपूर से टकरा गई। मिस्टर कपूर ने उसके चेहरे के भावों को नोटिस किया और कहा, “घबराई हुई लग रही हो, चेहरे पर भी पसीने की बूंदे है। मतलब तुम ही हो जिसने सुबह आरव खुराना की गाड़ी जानबूझकर खराब की थी।” मिस्टर कपूर हॉस्पिटल के सीईओ होने के साथ-साथ एक साइकेट्रिस्ट भी थे। लोगों के बिहेवियर को ऑब्जर्व करके उनके दिमाग में क्या चल रहा था, इसका पता लगाते उन्हें देर नहीं लगती थी। “नहीं सर, मैं तो पूरे दिन हॉस्पिटल में थी।” आयु ने सफाई देने की कोशिश की। “मेरे सामने झूठ मत बोलो डॉक्टर। तुम अच्छे से जानती हो कोई फायदा नहीं होगा। तुम्हारी वजह से आज मेरी नौकरी खतरे में आ गई है। जाकर चुपचाप उससे सॉरी बोलो और मामला रफा-दफा करो।” मिस्टर कपूर ने गुस्से में कहा। आयु के सामने अब कोई रास्ता नहीं बचा था तो वहीं अयान को हॉस्पिटल में क्या हो रहा था, उस बारे में पता चल चुका था। वो मिस्टर कपूर से बात करने आ रहा था कि उसने उन दोनों की बातें सुन ली। “सॉरी टू इंटरप्ट यू सर लेकिन ये सही कह रही है। आज ये बाहर गई जरूर थी लेकिन मेरे किसी काम से। आप चाहे तो सीसीटीवी चेक कर सकते हैं। रिकॉर्डिंग देख कर आपको पता चल जाएगा बाहर जाने से पहले हम दोनों मिले थे और मैंने ही अपने किसी काम से इसे भेजा था।” अयान ने कहा। “मैंने कब मना किया कि इसे तुम नहीं भेज सकते? भेजा होगा तुमने लेकिन ये भव्या की स्कूटी लेकर गई थी और उसने जो किया, वो यही तुम्हें बताएगी। खैर छोड़ो, ये तो तुम्हें झूठ ही बोलेगी, तो चलो मैं बता देता हूं। इसने ना जाने क्या सोचकर आरव खुराना की गाड़ी पर बड़ा सा डेंट दे दिया। अब वो इंसान मेरे केबिन में बैठकर मुझे धमका रहा है।” मिस्टर कपूर ने एक सांस में उन्हें सब कुछ बता दिया। उनके बात करने का तरीका साफ बता रहा था कि वो आरव से थोड़ी ही देर में किस कदर परेशान हो गए थे। “अगर वो आपको धमका रहा है तो आपको पुलिस को कॉल करना चाहिए। आप तो बेवजह मुझ पर चढ़ रहे हो।” आयु बोली। “रियली डॉक्टर? तुम्हारे एटीट्यूड ने सब साफ कर दिया है। तुमने ही किया है ना ये सब?” मिस्टर कपूर ने एक बार फिर पूछा। आयु ने उनकी बात का कोई जवाब नही दिया। उसकी नजरें झुकी हुई थी। उसकी झुकी नजरें देखकर अयान सब समझ गया। आयु वैसे भी आरव से बदला लेने की बात कह रही थी तो उसे समझते देर नहीं लगी कि उसने ये क्यों किया होगा। “ये मेरे अंडर काम करती है तो सारी रिस्पॉन्सिबली मैं खुद पर लेने के लिए तैयार हूं। आप चलिए मैं आरव खुराना से बात करता हूं। मैं उसके डैमेज का भी पे कर दूंगा।” अयान ने कहा। “और तुम्हें क्या लगता है कि वो मान लेगा? मैंने उसके सामने ये ऑप्शन नहीं रखा होगा। वो उसी इंसान से मिलना चाहता है, जिससे उसकी गाड़ी खराब की थी।” मिस्टर कपूर ने बताया। “तो मैं बोल दूंगा कि वो गाड़ी मैंने खराब की थी। मैं उससे बात करने जा रहा हूं एंड प्लीज आप बीच में मत आइएगा। मैं अकेले में उससे बात करना चाहता हूं।” अयान ने सारा मामला खुद पर लिया और मिस्टर कपूर के केबिन में चला गया। मिस्टर कपूर भी अब आरव से और बहस नहीं करना चाहते थे इसलिए वो अंदर नहीं गए। अयान के जाते ही उन्होंने आयु से सिर हिलाकर कहा, “भले ही उसके सामने कुछ नहीं आएगा लेकिन तुम्हारी वजह से मुझे जो परेशानी हुई है, उसका भुगतान तुम्हें करना पड़ेगा डॉक्टर ओबरॉय। तुम एक अच्छी डॉक्टर हो इसलिए एक्सपेल नहीं करूंगा। एज पनिशमेंट अगले दो महीने तक तुम तीन घंटे की एक्स्ट्रा ड्यूटी करोगी।” कहकर मिस्टर कपूर वहां से रिलैक्स करने के लिए बाहर चले गए। वही आयु को अब अपनी गलती का पछतावा हो रहा था। वो आरव के सामने नहीं आना चाहती थी इसलिए वापस अपने केबिन में चली गई। दूसरी तरफ अयान मिस्टर कपूर के केबिन में पहुंचा। उसे वहां देखकर आरव ने कबीर से कहा, “तुम बाहर जाओ।” कबीर उसकी तरफ हैरानी से देख रहा था क्योंकि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि आरव ने उसे किसी मीटिंग से बाहर भेजा हो। उस वक्त उसने आरव से कुछ नहीं पूछा और वहां से चला गया। उसके जाते ही आरव ने सर्द लहजे से अयान की तरफ देख कर कहा, “क्यों आए हो यहां पर? आई डोंट वांट टू सी यू।” “मुझे भी कोई शौक नहीं है आपको देखने का। सुबह आपकी गाड़ी के साथ जो भी हुआ, वो मैंने किया था। आप जानते हैं मैंने क्यों किया होगा।” अयान ने झूठ बोलते हुए सारी जिम्मेदारी खुद पर ले ली। उसकी बात सुनकर आरव के चेहरे पर कड़वाहट भरी मुस्कुराहट थी। उसने उसी लहजे में कहा, “अच्छा, हेयर कट करवा कर आए हो क्या? मुझे अच्छे से याद है वो कोई लड़की थी और उसके बाल बहुत लंबे थे।” “हां ठीक है, वो मैं नहीं था लेकिन वो जो भी थी...” अयान बोल रहा था तभी आरव ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, “शायद तुम्हारी गर्लफ्रेंड है। वो भी डॉक्टर थी और तुम भी... तभी उसकी बदतमीजी का इल्जाम तुम अपने सिर ले रहे हो। लगता है तुमने अभी तक बताया नहीं कि हम दोनों के बीच क्या रिलेशन है? आगे से उसे बोल देना कि गलती से भी मेरे साथ ऐसी बचकानी हरकत ना करें वरना मैं बार-बार लोगों को माफ नहीं करता हूं।” अयान ने उसकी बात पर हामी भरी। “थैंक्स इस बात को जाने देने के लिए। मैं उसे समझा दूंगा।” “थैंक्स माय फुट... मेरा पूरा दिन और मूड खराब कर दिया।” आरव ने सिर हिलाकर कहा और वहां से चला गया। उसके जाने के बाद अयान के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई। फिर उसे याद आया की आयु ने क्या किया था तो तुरंत उसके चेहरे के भाव बदल गए। उसे आयु पर बहुत गुस्सा आ रहा था और वो उससे बात करने के लिए उसके केबिन में जाने के लिए बढ़ा। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

  • 13. Tied with destiny - Chapter 13

    Words: 1561

    Estimated Reading Time: 10 min

    आयु ने आरव की गाड़ी पर डेंट दिया था उसका सारा इल्जाम अयान ने अपने सिर ले लिया। उसने जैसे तैसे आरव को कन्वेंस कर लिया था। आरव के वहां से जाने के बाद अयान गुस्से में आयु के केबिन में गया। जैसे ही आयु ने उसे वहां देखा, वो झट से बोली, “लेट मी एक्सप्लेन फर्स्ट...” “नो, आई डोंट नीड एनी एक्सप्लेनेशन।” अयान ने गुस्से में कहा, “मैंने तुमसे कहा था उनसे दूर रहना। सुबह मुझे लग भी रहा था कि तुम झूठ बोलकर यहां से जा रही हो। फिर तुमने अपनी ड्यूटी शिफ्ट करवाने का जो बहाना दिया, उससे मुझे लगा कि तुम आगे बढ़ रही हो। बट आई वॉज रॉन्ग। अभी भी समझा रहा हूं अपने कदम पीछे ले लो और ये उल्टी-सीधी हरकतें करना बंद करो। यू आर नॉट ए किड।” अयान ने अपने दिल की सारी भड़ास एक साथ निकाल दी। “तुम्हें... तुम्हें कोई गलतफहमी हो रही है। मैं उससे कोई बदला नहीं ले रही। सुबह जब मैं जा रही थी, तो ट्रैफिक में फंस गई थी। मेरे पास उसकी गाड़ी खड़ी थी। पता नहीं मुझे अचानक क्या हो गया जो मैंने वो बेवकूफी कर दी। बाकी मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं है। मुझे सच... सच में मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है।” आयु ने अपनी तरफ से सफाई दी। वो बोलते हुए हड़बड़ा रही थी। “मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है। तुम बेवजह कुछ नहीं करती। पिछले काफी सालों से जानता हूं मैं तुम्हें...” अयान ने कहा। वो अपनी तरफ से आयु को समझाने की कोशिश कर रहा था। “उसे गए हुए एक महीना बीत चुका है। अब तक तुम्हें समझ आ जाना चाहिए कि वो वापस नहीं आएगी। तुम ही आगे बढ़ना होगा। रही बात आरव खुराना से बदला लेने की, तो ही इज इनोसेंट। उसने अनु को पुश नही किया होगा।” हालांकि आयु को मन ही मन बहुत गुस्सा आ रहा था पर इस बार उस ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो चुप हो गई। जाने अनजाने में अयान ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था। अयान उसके पास आया और उसे हग करके सहलाने लगा। “प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड। तुम एक ब्रिलिएंट डॉक्टर हो। तुम्हारी एमडी कंप्लीट होने के बाद कुछ साल की प्रैक्टिस के बाद तुम सीनियर डॉक्टर की पोजीशन पर आ जाओगी। अगर इन सब में अपना दिमाग खराब करोगी तो तुम्हारा कैरियर बर्बाद हो जाएगा।” आयु ने उसकी बात पर हामी भरी और उससे अलग हो गई। “मैं अपनी स्टडी पर फोकस करूंगी और कैरियर पर भी...” अयान ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा, “ठीक है फिर प्रॉमिस करो कि आज के बाद तुम्हारी जुबान पर कभी आरव खुराना का नाम नहीं आएगा।” उसकी बात सुनकर आयु की नजरें झुक गई। उसने कुछ नहीं कहा तो अयान ने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़कर अपने हाथ पर रख दिया। “प्रॉमिस करो आयु...” अयान ने जोर देकर कहा तो जवाब में आयु ने हां में सिर हिला दिया। आयु ने अपना हाथ उससे अलग किया और बातचीत का रुख बदलने के लिए कहा, “तुमने बताया नहीं, तुमने उससे कैसे डील की? वो इतनी आसानी से मान कैसे गया?” आयु को थोड़ी हैरानी हो रही थी क्योंकि अयान बहुत जल्दी आरव से मिलकर वापिस भी आ गया था। “बस मैंने कर लिया हैंडल। मैंने उन्हें सॉरी कहा और बदले में उनकी गाड़ी का जो भी नुकसान हुआ है, वो पे करने के लिए कहा।” अयान ने जवाब दिया। “और वो मान भी गया?” आयु ने फिर पूछा। “हां मान गए। अब बार-बार तुम इस बारे में बात क्यों कर रही हो? आगे से ऐसी हरकत मत करना। मैं हर बार बचाने नहीं आ पाऊंगा। मैंने तुम्हारी नाइट ड्यूटी शिफ्ट करवा दी है। आई होप कि तुम ने जो कहा, तुम वही करो... ना कि कुछ और।” अयान ने स्ट्रिक्टली कहा। “कुछ और करने का ऑप्शन ही कहां है? हमारे प्यारे सीईओ ने मुझे एज पनिशमेंट 3 घंटे एक्स्ट्रा ड्यूटी करने का कहा है। वो भी तो करना पड़ेगा।” आयु ने जवाब दिया, जिस पर अयान हल्का सा हंस दिया। “तुम्हारे लिए ये पनिशमेंट जरूरी थी ताकि आगे से ऐसा कुछ भी करने का सोचो तो ये याद आ जाए। चलो, पनिशमेंट तुम्हें मिली है मुझे नहीं। मेरा घर जाने का टाइम हो गया है। कल सुबह मिलते हैं।” अयान ने आयु को बाय कहा और वहां से चला गया। उसके जाने के बाद आयु अपनी चेयर पर बैठी और पानी पिया। “क्या यार सब कुछ आज ही होना था? कितना कुछ करने का सोचा था और सब गड़बड़ हो गई। यहां आरव खुराना हॉस्पिटल पहुंच गया तो वहां जहान ने मुझे ट्रेनिंग देने से मना कर दिया। लगता है पूरी दुनिया मेरे खिलाफ हो गई है। डोंट वरी आयु, तुम अकेली ही काफी हो।” आयु खुद को मोटिवेट करने की कोशिश कर रही थी, तभी उसने टाइम देखा तो शाम के 6:00 बज रहे थे। इस टाइम उसकी ड्यूटी खत्म हो जाती थी पर मिस्टर कपूर ने उसे एक्स्ट्रा ड्यूटी करने के लिए भी कहा था। “ऐसा करती हूं आज तो निकल जाती हूं। कल से एक्स्ट्रा ड्यूटी शुरू कर दूंगी।” सोचते हुए आयु ने अपना बैग उठाया और वहां से निकलने ही वाली थी कि एक नर्स उसके पास आई। उसके हाथ में एक पेपर था। “ये मिस्टर कपूर ने भेजा है। आज से तीन महीने तक आप एक्स्ट्रा ड्यूटी करने वाली है। ये उसका शेड्यूल है।” नर्स ने उसे वो पेपर देते हुए कहा। मजबूरन आयु को उस पेपर को लेना पड़ा। आज उसका दिन पूरा थका देने वाला था लेकिन फिर भी उसे मिस्टर कपूर के बताए अनुसार ड्यूटी पर जाना ही पड़ा। ____________________________ अयान से बात करने के बाद आरव हॉस्पिटल से बाहर निकला। कबीर उसका पार्किंग एरिया में वेट कर रहा था। जैसे ही आरव उसके पास पहुंचा, उसने गाड़ी का दरवाजा अनलॉक किया। आरव गाड़ी में बैठ गया जबकि कबीर गाड़ी ड्राइव कर रहा था। कुछ देर तक उन दोनों के बीच चुप्पी छाई रही। “ऐसे चुप मत रहो, मैं बोर हो रहा हूं।” आरव ने इरिटेट होकर कहा। “आपने मुझे बाहर क्यों निकाला?” कबीर ने सबसे पहले यही पूछा। “ओह तो तुम इस बात पर मुंह फुला कर बैठे हो? मैं उससे अकेले में बात करना चाहता था इसलिए तुम्हें बाहर भेजा था।” आरव ने जवाब दिया। “हां तो उसी का कारण जानना चाहता हूं कि ऐसा क्या है, जो आप उससे अकेले में बात करना चाहते थे। आज से पहले तो ये नहीं हुआ। मैं आपके साथ हर एक मीटिंग में मौजूद था, फिर आज निकालने का कारण?” आरव का कबीर को यूं अयान के सामने बाहर जाने को कहना, उसे अच्छा नहीं लगा था। आरव ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर धीमी आवाज में कहा, “वो छवि सिंघानिया का छोटा बेटा है।” उसकी बात सुनकर कबीर ने झटके से ब्रेक लगाए और आरव की तरफ देखने लगा। आरव ने उस समय उसे बाहर क्यों भेजा था उसका कारण उसे समझ आ गया। “आप ठीक तो है?” कबीर के चेहरे पर थोड़ी देर पहले आरव के लिए गुस्सा था, वही गुस्सा अब फिक्र में बदल गया था। आरव ने हां में सिर हिलाया और हल्के से मुस्कुरा कर कहा, “डोंट वरी... हमें एक दूसरे से प्रोब्लम नही है।” उसकी आवाज में मायूसी थी, जिसे वो अपनी स्माइल के पीछे छुपाने की कोशिश कर रहा था। कबीर ने फिर से गाड़ी स्टार्ट की। “फिर तो आप परसो रात की पार्टी मिस नहीं करेंगे।” कबीर ने मुस्कुरा हुए पूछा। “बिल्कुल भी नहीं...” आरव ने इविल स्माइल के साथ जवाब दिया। “आफ्टर ऑल वो दिन किसी के लिए बहुत बड़ा है और मेरी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं उसके उस बड़े दिन को खराब करूं। गिफ्ट की तैयारी कर ली है ना तुमने?” “हां जरूर...” कबीर ने जवाब दिया। परसों रात की पार्टी उनके लिए बहुत खास होने वाली थी और आरव ने उसे खराब करने का प्लान पहले ही बना रखा था। आरव और कबीर वहां से सीधे घर जाने के लिए निकल गए। ____________________________ रात के 10:00 बज रहे थे। आयु ने अपनी एक्स्ट्रा ड्यूटी खत्म की, तब तक काफी देर हो गई थी। एक्स्ट्रा आर्स की ड्यूटी निपटाने के बाद आयु हॉस्पिटल से बाहर निकली। “पक्का ये कपूर मुझसे बदला ले रहा है। अरे एक गाड़ी ही तो खराब की थी यार, पैसे दे देती। ना जाने क्यों इतना हंगामा किया। जनरल वॉर्ड में ड्यूटी करना कितना मुश्किल होता है। लोग गलती से मुसीबत में पड़ जाते हैं लेकिन यू नो व्हाट आयुष्का सिंह ओबरॉय, तुमने जानबूझकर ऐसी गलतियां की, जिससे तुम मुसीबत में आ गई हो। मुझे क्या पता था वो जहान मुझे ट्रेनिंग देने से मना कर देगा। खामखा नाइट ड्यूटी करवा ली। रात में तो ज्यादा पेशेंट भी नहीं आते। अब तो मैं ठीक से सो भी नहीं पाऊंगी। ओ गॉड, ये क्या चल रहा है मेरी लाइफ में...” आयु बड़बड़ाते हुए पार्किंग एरिया की तरफ जा रही थी। चलते हुए वो अपनी गर्दन दबा रही थी। वो पार्किंग एरिया के पास पहुंची ही थी कि तभी एक गाड़ी तेज गति से उसके पास आई और रुक गई। “हद है... अभी मेरी जान ले लेता ये तो..।” आयु गुस्से में गाड़ी के पास गई और विंडो खटखटा कर कह, “हॉस्पिटल में एक्सीडेंट करने का इरादा है क्या तुम्हारा? गाड़ी चलानी नही आती, तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज किया करो ना...” तभी गाड़ी की विंडो ओपन हुई। वहां बैठे शख्स को देख कर आयु हैरान रह गई। उसने उस शख्स के वहां होने और उससे मिलने की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं की थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 14. Tied with destiny - Chapter 14

    Words: 2372

    Estimated Reading Time: 15 min

    हॉस्पिटल में एक्स्ट्रा ड्यूटी करने के बाद आयु वहां से बाहर निकली तभी एक गाड़ी तेज गति से उसके पास आई और रुक गई। आयु ने गाड़ी के पास जाकर उसकी विंडो खटखटाई तो ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स ने विंडो ओपन खोला। सामने मौजूद शख्स को देखकर आयु ने हैरानी से कहा, “तुम यहां क्या कर रहे हो और तुम्हें कैसे पता कि मैं यहां काम करती हूं मंथन?” “गाड़ी में बैठो।” मंथन ने उसकी बात का जवाब देने के बजाय गाड़ी में बैठने के लिए कहा। “पर मेरे पास खुद की कार है। मुझे घर भी जाना है। ऑलरेडी मैं लेट हो चुकी हूं।” आयु ने गाड़ी में बैठने से मना कर दिया। उसके मना करने पर मंथन ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और उसकी तरफ देखकर शांत लहजे में कहा, “तुम्हें हर बात पर बहस करना जरूरी है क्या? तुम्हारी गाड़ी यहां से कोई चोरी करके नहीं ले जाएगा। जो कहा है उतना करो।” इस बार आयु ने कुछ नहीं कहा और मंथन के पास वाली सीट पर आकर बैठ गई। उसके बैठते ही मंथन ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा, “ड्रॉर खोलो। वहां तुम्हारे लिए कुछ रखा है। वो ले लो।” आयु उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी। मंथन का अचानक वहां आना और फिर उसे कहीं लेकर जाना, ये सब उसके मन में काफी सारे सवाल पैदा कर रहे थे। “मैं गाड़ी में बैठ गई हूं, अब तो मेरे सवालों के जवाब दे दो। तुम यहां क्यों आए हो? और हम कहां जा रहे हैं?” आयु ने फिर पूछा। “हम मेरे फ्लैट पर चल रहे हैं। घर पर कॉल करके बोल दो कि तुम आज रात घर नहीं आओगी।” मंथन ने जवाब दिया। वो उसे ऑर्डर देने के वे में बात कर रहा था। “और मैं तुम्हारे साथ क्यों चलूं? तुम तो मुझ पर ऐसे ऑर्डर झाड़ रहे हो जैसे मैं तुम्हारी सर्वेंट हूं। चुपचाप गाड़ी रोको, मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है।” आयु ने हल्के गुस्से में कहा। “तुम्हें फाइट क्लब नहीं जाना चाहिए था। वो जगह तुम जैसे लोगों के लिए बिल्कुल नहीं बनी है।” जैसे ही मंथन ने फाइट क्लब में जाने की बात कही, आयु ने उसकी तरफ घूर कर देखा। “अच्छा तो तुम मेरी जासूसी करवा रहे हो?” आयु ने सिर हिला कर कहा। “हां तो? मैं गई थी फाइट क्लब, तुम तो कुछ कर नहीं रहे हो। मुझे तो करना ही होगा ना.... यू नो व्हाट मंथन आहूजा यू आर ए फेक पर्सन। आई डोंट नो मेरी बहन ने क्या सोचकर तुमसे प्यार किया था बट तुम उसके लायक बिल्कुल नहीं हो। तुम यहां इसलिए आए हो ना ताकि मुझे डरा धमका सको।” आयु गुस्से में मंथन को लगातार सुनाए जा रही थी। उसकी बातें सुनकर मंथन को भी गुस्सा आ रहा था। उसने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी। वो काफी रैश ड्राइविंग कर रहा था। “गाड़ी रोको... इस तरह गाड़ी मत चलाओ, हमारा एक्सीडेंट हो जाएगा। हम बिजी रोड पर है।” उनकी गाड़ी लगभग किसी गाड़ी से टकराने ही वाली थी कि आयु ने मंथन का हाथ पकड़ा। मंथन ने जल्दी से ब्रेक लगाए और एक झटके के साथ गाड़ी रुक गई। गाड़ी रुकते ही मंथन ने आयु का हाथ अपने हाथ से अलग कर दिया। उसने आयु की तरफ गुस्से में देखा और सख्त लहजे में कहा, “आगे से मुझे टच मत करना। हां करवा रहा था तुम्हारी जासूसी क्योंकि तुम.... तुम बेवकूफियां कर रही हो। मेरी जगह अनु होती तो वो भी तुम्हें रोकती। मुझे बताओ तुम क्या चाहती हो? आई विल हेल्प यू आउट बट प्रॉमिस करो कि तुम इन सब से दूर रहोगी।” “ये तो इंपॉसिबल है। तुम्हें मेरी हेल्प करनी है तो करो वरना मुझे कोई जरूरत नहीं है किसी की हेल्प की....” आयु ने रुडली जवाब दिया। “मेरे घर चलकर आराम से बात करते हैं। वहां जाने से पहले ड्रॉर में लैंसेस पड़े हैं वो निकाल कर लगा लो। आई डोंट वांट टू सी योर आइज।” मंथन ने ड्रॉर खोलकर लैंसेस निकले और आयु के हाथ में थमा दिए। “डिस्गस्टिंग...।” आयु ने सिर हिलाया, “कल को तो तुम मेरी आंखें निकलवा दोगे क्योंकि वो अनु जैसी लगती है।” कहते हुए आयु ने लैंसेस का बॉक्स गाड़ी से बाहर फेंक दिया। उसकी इस हरकत पर मंथन उसे गुस्से में देख रहा था। “मुझे ऐसे मत देखो। जब भी मैं अपनी आंखों को देखती हूं तो मुझे ये एहसास होता है वो मेरे अंदर है, आज भी मेरी आंखों में वो कहीं ना कहीं जिंदा है। तुम मेरी हेल्प कर रहे हो इसका मतलब ये नही मैं तुम्हारे सारे ऑर्डर्स फॉलो करूंगी।” आयु ने लैंसेस फेकने का कारण बताया। मंथन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो सामने देखकर गाड़ी चला रहा था। उसके मन में काफी कुछ चल रहा था। “जो एहसास तुम्हें होता है, मैं नहीं चाहता कि वही एहसास मुझे फील हो। तुम्हारी आंखों में देखता हूं, तो मुझे भी यही लगता है कि एक पल के लिए अनु मेरे सामने आ गई है। मुझे खुद की फिलिंग्स को कंट्रोल करना होगा।” मंथन ने अपने मन में सोचा। बाकी के रास्ते में उन दोनों ने कोई बात नहीं की। लगभग दो घंटे बाद वो साउथ बॉम्बे के एक लग्जरियस अपार्टमेंट के आगे थे। मंथन ने गाड़ी पार्क की ओर उसे वहां से अपने फ्लैट में लेकर गया। वो फ्लैट भी काफी बड़ा और खूबसूरत था। वहां आते ही आयु फ्लैट को नजरे घुमाकर देख रही थी जबकि मंथन ने अंदर आते ही तेज आवाज में कहा, “साक्षी दी... दी वो आ गई है।” मंथन के आवाज लगाने पर साक्षी बाहर निकाल कर आई। उसके आने पर आयु ने उसे देखा। वो लगभग उसी की हाइट की थी। गेरुआ रंग, मीडियम लेंथ के स्ट्रेट हेयर और जींस के ऊपर कुर्ता पहने हुए साक्षी का लुक काफी प्रोफेशनल लग रहा था। बाहर आते ही साक्षी ने भी आयु की तरफ गौर से देखा। फिर उसकी नजर उसकी आंखों पर गई तो उसने एक नजर फिर मंथन की तरफ देखा। “दी ये अनु की छोटी बहन है।” मंथन ने साक्षी को बताया और फिर आयु की तरफ देखकर कहा, “और ये मेरी बड़ी बहन साक्षी है।” आयु ने मुस्कुरा कर साक्षी को हेलो कहा। फॉर्मल इंट्रोडक्शन होने के बाद वो तीनों घर के लिविंग रूम में बैठे थे। वहां आते ही मंथन बोला, “आई होप दी आप इसे बेहतर तरीके से समझा पाए। इसे लगता है कि अनु की डेथ एक्सीडेंटल नहीं थी। उसे किसी ने टेरिस की छत से धक्का दिया था और ये उस इंसान से बदला लेना चाहती हैं।” मंथन साक्षी की तरफ देखकर बात कर रहा था। “हां तो इसमें गलत क्या है? जिस शख्स ने मेरी बहन को धक्का दिया है, वो कैसा है ये पूरा मुंबई जानती हैं। एक नंबर का कैसेनोवा इंसान है वो... अपने फायदे के लिए दूसरों को यूज करने वाला। पता नहीं मेरी बहन उसके जाल में कैसे फंस गई। मुझे पूरी बातों का नहीं पता है पर इतना यकीन है एक दिन मैं सब सच जान लूंगी और उस इंसान को उसके किए की सजा जरूर दिलवाऊंगी।” आयु का गुस्सा उसके शब्दों के जरिए बाहर आ रहा था। “और यहां तुम किस शख्स की बात कर रही हो?” साक्षी ने हैरानी से पूछा। आयु ने अब तक आरव का नाम नहीं लिया था। “वही इंसान, जिसके साथ उसका वीडियो वायरल हुआ था। वो वीडियो... मुझे नहीं पता उसमें जो दिख रहा था, वो रियल है या वो भी फेक था लेकिन आखिरी वक्त वो उसी के साथ थी....” आयु साक्षी को आरव के बारे में बता रही थी, तभी साक्षी ने उसकी बात बीच में काटकर कहा, “मंथन... कहीं ये आरव की बात तो नहीं कर रही?” मंथन ने हां में सिर हिलाया। साक्षी ने फिर आयु की तरफ देखकर कहा, “तुम्हें कोई गलतफहमी हो गई होगी। वो ऐसा नहीं करेगा।” “अरे आप जानती ही कितना हो उस इंसान को.... और आप तो इस तरह बात कर रही हो जैसे उसे अच्छे से जानती....” आयु बोलते हुए रुक गई। उसने साक्षी के चेहरे की तरफ देखा, जिसने पलकें झपका कर उसकी बात पर हामी भरी। “साक्षी दी और आरव स्कूल टाइम फ्रेंड्स है।” मंथन ने बताया। “अच्छा तो इसीलिए तुम उसके खिलाफ कुछ कर नहीं रहे। तुम्हारी बातों से साफ है कि तुम भी उसे अच्छे से जानते हो। लगता है मैं गलत टाइम पर दो गलत इंसानों के सामने बैठी हूं।” आयु उठकर वहां से जाने लगी, तभी साक्षी जल्दी से खड़ी हुई और उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका। “वो वीडियो मैंने भी देखा था और तुम आरव के बारे में जो भी कह रही हो, वो सच भी हैं... पर दूसरा सच ये भी है कि वो बेवजह किसी की जान नहीं लेता।” साक्षी बोली। “बेवजह किसी की जान नहीं लेता से आपका क्या मतलब? क्या उसे कोई वजह मिले तो वो सामने वाले की जान ले सकता है?” आयु ने चौंकते हुए पूछा। साक्षी कुछ पल के लिए चुप हो गई। वो आरव की काफी क्लोज फ्रेंड थी उस वजह से उसकी लाइफ से जुड़ी काफी बातें उसे पता थी। “ऐसा कुछ नहीं है। बस फ्लो फ्लो में मेरे मुंह से निकल गया। वो क्यों किसी की जान लेगा। उसने ऐसा नहीं किया है।” साक्षी ने आयु को समझाने की कोशिश की। “अगर मैं प्रूफ कर दूं तो? बस बदले में आपको मुझे उस आरव खुराना तक पहुंचाना होगा... एंड वन मोर थिंग आप उसे ये नहीं बताओगे कि मैं उसे उसके किए की सजा देना चाहती हूं।” आयु ने कहा। “पीठ पीछे वार करना चाहती हो?” मंथन ने सख्त आवाज में कहा। आयु उसकी बात का कोई जवाब देती उससे पहले साक्षी बोल पड़ी, “ध्यान से, कहीं उस पर वार करने के चक्कर में खुद ही घायल ना हो जाओ। आरव को पीठ पीछे वार करने वाले लोगों से सख्त चिढ़ है।” साक्षी ने इशारों इशारों में उसे समझाने की कोशिश की। “मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरा इरादा पक्का है। आप लोग मेरी हेल्प नहीं भी करोगे तो भी मैं वो करके रहूंगी, जो मैंने सोचा है।” आयु ने अपना आखिरी फैसला सुना दिया था। वो अभी भी अपनी जिद पर अड़ी थी। साक्षी और मंथन वहां असमंजस की स्थिति में खड़े थे। उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा।‌ साक्षी और मंथन का समझाना बेकार साबित हो रहा था। अब तक वो दोनों आयु को काफी नरमी से समझा रहे थे। उसके जिद करने पर मंथन ने सख्त आवाज में कहा, “तुम अपनी बहन के बहुत क्लोज थी ना, क्या तुमने कभी उसके मुंह से आरव खुराना का नाम सुना था?” आयु ने ना में सिर्फ हिला दिया तो मंथन फिर बोला, “एक्जेक्टली। उन दोनों का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। तुम्हें क्या लगता है मैं इन सबसे दूर हूं तो मुझे अपडेट नहीं मिलती? उस वीडियो को शूट करने वाला इंसान भी रियल कातिल हो सकता है। फिर तुम्हारे शक के घेरे में आरव ही क्यों? उसके होटल से निकलने से लेकर होटल के बाद वो ऑफिस था, उस तक की फुटेज कोर्ट रूम में सबमिट हुई थी। चलो तुम इतना जिद कर ही रही हो, तो मान लेता हूं कि उस रात किसी ने अनु को धक्का दिया होगा। आरव को छोड़कर अगर तुम किसी और को कल्प्रिट समझकर उस पर फोकस करो और सच का पता लगाने की कोशिश करो, तो मैं हर तरीके से तुम्हारी हेल्प करूंगा।” मंथन ने आयु की हेल्प करने के लिए हां तो कह दिया था पर वो इस बात को मानने से साफ इनकार कर रहा था कि उस रात आरव ने अनु को धक्का दिया होगा। “ठीक है। तुम मेरी हेल्प करो, फिर क्या फर्क पड़ता है कि मैं किसी के भी पीछे जाऊं? मैं तुमसे प्रॉमिस करती हूं कि मैं सच का पता लगा कर तुम्हारे सामने लाकर रख दूंगी, लेकिन आरव खुराना ने ही ये सब किया होगा, तो तुम पीछे नहीं हटोगे?” आयु ने फिर अपनी शर्त रखी। उसे कोई भी प्रॉमिस करने से पहले मंथन ने साक्षी की तरफ देखा। साक्षी ने उसकी तरफ पलके झपका कर हामी भरी। “ठीक है फिर आई विल हेल्प यू। मैं यहां सिक्स मंथ के लिए हूं। बोलो तुम्हें किस तरह की हेल्प चाहिए?” मंथन ने पूछा। “मुझे आरव खुराना तक पहुंचना है।” आयु ने तुरंत कहा। “क्या तुम सच में ये करना चाहती हो और इसके लिए तैयार हो?” मंथन ने एक बार फिर पूछा। “हां मैं करना चाहती हूं पर इससे पहले मैं खुद को तैयार करना चाहती हूं। मैने फाइट क्लब के एक बंदे को खुद को फिजिकली स्ट्रांग करने के लिए ट्रेनिंग देने को कहा था लेकिन उसने मना कर दिया। तुम फाइट क्लब में मेरी ट्रेनिंग की अरेंजमेंट करवा दो।” आयु ने कहा। “तुम फाइट क्लब नहीं जाओगी एंड इट्स फाइनल।” मंथन ने सख्त शब्दों में कहा। बोलते हुए गलती से उसका आयु से आई कांटेक्ट हो गया था। उसकी आंखों में देखने के बाद एक पल के लिए वो वीक पड़ गया और तुरंत अपने कमरे में जाने लगा। आयु उसके पीछे से चिल्लाई, “अरे तुम होते कौन हो मुझे ऑर्डर देने वाले.... मुझे जो करना होगा, वो मैं करूंगी। पहले तो कहते हो हेल्प करनी है और अब हर बात पर इरिटेट हो रहे हो। इतने पावरफुल हो लेकिन थोड़ी सी भी हेल्प नहीं कर सकते।” “अगर मेरी हेल्प चाहिए तो कल से आंखों पर लैंसेस लगा कर आना, वरना मुझे दिखना भी मत। रही बात पावरफुल होने की, तो बिना लैंसेस के मेरे सामने आई तो उसका पता नहीं पहले मैं तुम्हें गायब करवा दूंगा।” मंथन ने उसकी तरफ बिना देखे कहा। वो कमरे में चला गया और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसकी बात सुनकर आयु अभी भी सकते में बाहर खड़ी थी जबकि साक्षी के चेहरे पर हल्की सुकून भरी मुस्कराहट थी। पिछले 1 महीने में मंथन ने बहस करना तो दूर किसी से ठीक से बात नहीं की थी। अब उसे नॉर्मल देखकर उसे एक होप नजर आ रही थी। “सॉरी आरव, आई नो तुम इनोसेंट हो और ये कुछ भी कर ले, तुम खुद को कुछ नहीं होने दोगे। इसकी ये कोशिश कुछ काम करें या ना करें पर मेरे भाई को नॉर्मल जरूर कर सकती है, तो रेडी रहना इससे टकराने के लिए।” साक्षी ने मुस्कुराते हुए अपने मन में सोचा। आरव को लेकर वो पूरी तरह कॉन्फिडेंट थी कि आयु चाहे कुछ भी कर ले पर वो आरव को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। इसलिए उसने आयु के जरिए मंथन को फिर से नॉर्मल करने का सोचा। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 15. Tied with destiny - Chapter 15

    Words: 1778

    Estimated Reading Time: 11 min

    रात के लगभग 11 बजे के करीब आरव और कबीर घर पहुंचे। रास्ते में उन दोनों ने अपने जरूरी काम निपटाए इस वजह से उन्हें घर आने में लेट हो गई। जैसे ही कबीर ने गाड़ी पार्क की और आरव के साथ अंदर जाने लगा, उसके पास माहिरा का कॉल आया। माहिरा का नंबर देखकर उसने आरव से कहा, “आप चलिए, मैं आता हूं।” “हां पर जल्दी आना। तुम जानते हो ना फ्रेश होने के बाद मैं डिनर के लिए ज्यादा देर रुकने वाला नहीं हूं।” आरव ने जवाब दिया। भले ही वो कबीर के साथ फॉर्मल बिहेव करता हो लेकिन उन दोनों का बॉन्ड काफी अच्छा था। उसके ऐसा कहने पर कबीर मुस्कुराते हुए अजीब नजरों से उसे देखने लगा। आरव उसके सामने उसके लिए अपनी फीलिंग जाहिर नहीं करना चाहता था इसलिए उसने चिढ़ते हुए कहा, “व्हाट? ऐसे क्या देख रहे हो? जानते हो ना दादी हम दोनों के साथ ही डिनर करती हैं। तुम नहीं आओगे तो वो मुझे भी खाने नहीं देगी।” “हां हां सब जानता हूं। डोंट वरी मैं ज्यादा टाइम नहीं लगाऊंगा।” कबीर ने कहा। जब आरव अंदर चला गया तब उसने पीछे से बड़बड़ा कर कहा, “रात को तो दादी साथ होती है पर लंच टाइम में तो सिर्फ हम दोनों ही होते हैं। तब भी आप मेरा वेट करते हो, तो ना जाने क्यों खामखा रुड बनकर रहते है।” माहिरा का कॉल कट चुका था। कबीर वहां से गार्डन एरिया में आया और वहां लगे झूले पर बैठ कर कुछ देर रिलैक्स किया। “मैं इस बार फिर इन्हें कॉल करके इस हफ्ते की रिपोर्ट देना भूल गया। ऊपर से कॉल भी पिक नहीं किया। बी रेडी कबीर, ये पक्का गुस्सा करेगी।” कबीर ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर माहिरा को कॉल किया। “तुमने मेरा कॉल पिक क्यों नहीं किया?” कबीर का कॉल पिक करते ही माहिरा सबसे पहले यही बोली। वो इस वक्त ट्रेडमिल पर थी, तो हल्का हांफ रही थी। “बस सर के साथ था। यू नो वेरी वेल उन्हें नहीं पसंद कि मैं उनकी हर एक खबर आप तक पहुंचाऊं।” कबीर ने शांत लहजे में जवाब दिया। “हां ठीक है पर आगे से मेरा कॉल इग्नोर मत करना। जरूरी नहीं मुझे हर बार अपडेट लेने के लिए ही कॉल करना होता है। अगर तुम उसके सामने कॉल पिक नहीं करोगे तो उसे सच में डाउट हो जाएगा।” माहिरा ने ट्रेडमिल से नीचे उतर कर जवाब दिया। वो काउच पर बैठकर रिलैक्स हो कर बात करने लगी। “जी मैम...” कबीर ने उसकी बात पर हामी भरी। वो माहिरा के कॉल से काफी इरिटेट हो जाता था और इस वक्त उसके चेहरे से ये साफ नजर आ रहा था। कुछ पल की शांति के बाद माहिरा ने कहा, “मैं कल सुबह इंडिया आ रही हूं।” “क्या कोई मीटिंग है? लास्ट टाइम भी आप मीटिंग में नहीं आई थी जबकि वो काफी इंपॉर्टेंट मीटिंग थी।” कबीर ने चौकते हुए पूछा। “मीटिंग नहीं है। मैं परसों होने वाली पार्टी अटेंड करने आ रही थी। वैसे भी आरव से मिले हुए काफी दिन हो गए तो आना ही था। खैर मैंने अपने कॉल करने का रीजन बता दिया है। अगर तुम्हारे आसपास आरव नहीं है तो तुम मुझे इस हफ्ते की पूरी रिपोर्ट अपडेट कर सकते हो।” माहिरा ने कहा। कुछ भी बोलने से पहले कबीर ने एक बार इधर उधर देखा। वहां आसपास कोई नहीं था तो उसने माहिरा की बात का जवाब देते हुए कहा, “बिजनेस काफी सही जा रहा है, स्टोक्स भी ऊपर उठ गए हैं। हालांकि उनका बिजनेस में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने यहां जितनी भी कंपनी में शेयर्स है, उनको अच्छे से मेंटेन कर रखा है।” कबीर पूरी रिपोर्ट बता रहा था तभी माहिरा उसकी बात बीच में काट कर हल्का इरिटेट होकर बोली, “ओह कम ऑन कबीर, तुम पिछले 6 साल से उसके साथ हो। अच्छे से जानते हो मैंने तुम्हें बिजनेस अपडेट लेने के लिए कॉल नहीं किया है। मुझे ये जानना है कि उसके आसपास कोई लड़की तो नहीं आई? वो किसी को डेट कर रहा है या किसी लड़की से मिला हो, जो उसे अच्छी लगी हो। मैं वीडियोज और बाकी कॉन्ट्रोवर्सीज में यकीन नहीं करती। मुझे अच्छे से पता है वो सब खबरों में रहने के लिए आरव जानबूझकर क्रिएट करता है। मुझे सच्चाई जाननी है। क्या होटल रूम वाला वीडियो रियल था?” माहिरा ने एक सांस में काफी कुछ बोल दिया। “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। आप जानती है उनका प्यार जैसी फीलिंग में यकीन नहीं है। इस हफ्ते उन्हें लेकर जो भी वीडियोज या न्यूज़ आई थी, वो सब फेक थी।” कबीर ने बताया। माहिरा ने आगे कुछ नहीं कहा और कॉल कट कर दिया। कॉल कट होते ही कबीर ने राहत की सांस ली। वो आरव की लाइफ से जुड़ी अपडेट्स ना के बराबर उसे बताता था। अचानक उसके माइंड में कुछ स्ट्राइक हुआ तो उसने खुद से कहा, “स्ट्रेंज... सारी बातें कर ली लेकिन उन्होंने उस वीडियो के बारे में नहीं पूछा, जहां आरव सर उस एक्ट्रेस को किस कर रहे थे जबकि आज से पहले जो भी वीडियो वायरल हुए थे, वो डांस या हग करने के होते थे तो कोई होटल रूम में जाने तक के थे। पहली बार कोई किसिंग वीडियो वायरल हुआ और उन्होंने नॉर्मल रिएक्ट किया।” कबीर कुछ देर तक वहां खड़ा सोच रहा था तभी उसके मोबाइल पर आरव का कॉल आया। वो डाइनिंग टेबल पर डिनर के लिए उस का वेट कर रहा था। कबीर ने कॉल रिसीव करने के बजाय उसे कट कर दिया। फिर उसने खुद से कहा, “हो सकता है मैं ज्यादा सोच रहा हूं। इस बीच दोनों की बात हो गई होंगी।” कबीर ने इस बात की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अंदर चला गया। वहां वो गौरवी जी और आरव के साथ डिनर ले रहा था। उन दोनों को रात को आने में चाहे कितनी भी लेट हो जाए पर गौरवी जी उनके साथ ही डिनर करती थी। ___________________________ रात को आयु मंथन के घर पर ही रुकी थी। अगली सुबह वो उठी तो उसके फोन पर अयान का मैसेज आया हुआ था। उसने आयु को उसका नया शेड्यूल भेज दिया था। मैसेज देखने के बाद आयु ने खुद से कहा, “खामखा नाइट ड्यूटी करवाकर फस गई। अब और कुछ तो करने को है नहीं, तो घर ही चली जाती हूं। वैसे भी आज रात घर ना जाने के लिए मॉम के ताने सुनने भी तो बाकी है।” आयु वॉशरूम में गई और फ्रेश होकर अपने बाल और कपड़े सही किए। वो बैग के साथ बाहर निकली तो मंथन और साक्षी डाइनिंग टेबल पर थे। आयु को बैग के साथ देखकर साक्षी ने कहा, “अरे तुम जा रही हो। मुझे लगा हम साथ ब्रेकफास्ट लेंगे।” “नहीं, आई हैव टू गो। कल रात भी ये मुझे यहां ले आया था। घर पर किसी से इस बारे में बात भी नहीं हुई।” आयु ने मंथन की तरफ देख कर कहा। मंथन वहां बिना कुछ बोले चुपचाप ब्रेकफास्ट कर रहा था मानो आयु के वहां होने से उसे कोई फर्क ना पड़ रहा हो। उसने एक नजर आयु की तरफ देखा तक नहीं। “मुझे घर छोड़ने की कृपा करोगे तुम?” आयु ने उसके इग्नोर करने पर सारकास्टिक वे में कहा। “हां जब यहां लाने की गलती की है तो वापस छोड़कर तो आना ही होगा।” मंथन ने आयु के लहजे में ही जवाब दिया और फिर उठकर अंदर चला गया। “ये आ रहा है, तब तक तुम कुछ खा लो।” साक्षी ने आयु की तरफ देख कर मुस्कुरा कर कहा। आयु उसके पास चेयर पर आकर बैठ गई। उसने कहा, “नहीं मैं इतनी सुबह कुछ नहीं खाती हूं। दी ये ऐसा क्यों है? जब देखो दूसरों पर ऑर्डर मारता रहता है।” “हां क्योंकि इसे कभी किसी के ऑर्डर लेने की जरूरत नहीं पड़ी ना... ये पापा के अलावा और किसी के सामने नीची आवाज में बात नहीं करता।” साक्षी ने हंसकर बताया। “हां सही है। अच्छा, आप आरव को काफी टाइम से जानती हैं। जैसे वो बाकी लड़कियों के साथ बदतमीजी से पेश आता है, क्या आपके साथ में भी वो ऐसा ही करता है?” आयु ने पूछा। “अब पता नही ये कोइंसिडेंस है या रियलिटी पर मेरे दो खास मेल पर्सन का बिहेवियर काफी रूड है।” साक्षी ने बताया। आरव के पास जाने से पहले आयु उसे अच्छे से जानना चाहती थी इसलिए उसने आगे पूछा, “अच्छा उसकी लाइफ में कुछ हुआ था या वो हमेशा से ऐसा ही था?” “पहले कुछ हुआ होगा तो मुझे नहीं पता, पर जब मैं उससे मिली तब वो ऐसा ही था। लाइक हमारी फ्रेंडशिप भी ऐसी है जैसे... जैसे टॉम एंड जेरी टाइप की। वो कभी क्लीयरली नहीं कहता कि वो मुझे अपनी फ्रेंड मानता है। हां जब भी कोई पार्टी, बर्थडे या सेलिब्रेशन होता था या कोई बात बतानी होती तो वो मुझसे शेयर करता था और पूछने पर बोलता था कि तुम मेरी अच्छी वाली दुश्मन हो। वो जो भी बोलता है, उससे तुम उसके दिमाग में क्या चल रहा है, इस बारे में कभी नहीं जान पाओगी। जबकि मंथन के दिल में जो होता है, वही उसकी जुबान पर होता है। इन शॉर्ट आरव काफी ट्रिकी इंसान है।” साक्षी ने आरव के बिहेवियर के बारे में बताया। तभी मंथन बाहर आ गया। “तुम्हारा इंटरव्यू खत्म हो गया है तो चले?” मंथन ने सिर हिला कर कहा। वो उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही दरवाजे की तरफ जाने लगा। “आपसे मिलकर अच्छा लगा दी। हम फिर मिलेंगे।” जाने से पहले आयु ने साक्षी को हग करके बाय कहा और फिर मंथन के पीछे पीछे चली गई। मंथन आयु के साथ उसकी कार में थी। वो जीपीएस में आयु के घर की लोकेशन सेट करने लगा। आयु ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा, “मुझे घर नहीं जाना।” मंथन ने उसका हाथ झटक कर दूर कर दिया। “कहा था ना मुझे टच मत करना।” जाने अंजाने में मंथन का फिर से आयु से आई कॉन्टैक्ट हो गया। “लेंसेस ले लेना।” आयु ने ना में सिर हिलाया और कहा, “नही लूंगी। मुझे फाइट क्लब जाना है, वहां छोड़ देना।” “तुम वहां नही जाओगी।” मंथन बोला। “मैं जाऊंगी... तुम मत छोड़ो, मैं अकेली चली जाऊंगी।” कहकर आयु गाड़ी का डोर खोलने लगी। मंथन उसे रोकने के लिए उसके पास आया और इस चक्कर में वो आयु के कुछ ज्यादा ही करीब आ गया था। अचानक मंथन के दिल की धड़कनें बढ़ गई। वो तुरंत गाड़ी से बाहर निकला और आयु के लिए दरवाजा खोला। “बाहर निकलो... अभी के अभी बाहर आओ।” उसने आयु को हाथ पकड़कर बाहर निकाला। “छोड़ो मुझे... क्या कर रहे हो?” आयु उसकी इस हरक़त से हैरान थी। मंथन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। आयु उसकी तरफ हैरानी से देख रही थी तभी मंथन गाड़ी में बैठा और उसे वहां छोड़कर वापिस गाड़ी अंदर पार्क करके चला गया। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 16. Tied with destiny - Chapter 16

    Words: 1675

    Estimated Reading Time: 11 min

    मंथन ने आयु को उसके घर छोड़ने के बजाय अपार्टमेंट के बाहर अपनी गाड़ी से बाहर निकाल दिया। उसने गाड़ी वापस अंदर पार्क की और ऊपर चला गया। उसके जाने के बाद आयु अभी तक वहीं पर खड़ी हैरानी से अपार्टमेंट के दरवाजे को देख रही थी। “समझ नहीं आता इन लड़कों की प्रॉब्लम क्या है? ये इतने कॉम्प्लिकेटेड क्यों होते हैं। पता नहीं अनु इसे कैसे झेलती होगी।” आयु गुस्से में पैर पटकती हुई वहां से अकेले ही चली गई। आगे जाकर उसने कैब की और वहां से फाइट क्लब जाने के बजाय अब अपने घर के लिए निकल गई। आयु घर पहुंची तो उस समय उसकी पूरी फैमिली डायनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट कर रही थी। “इससे पहले इन सब का लेक्चर शुरू हो, जल्दी से अपने कमरे में निकल लेती हूं।” आयु ने बड़बड़ाकर कहा। वो सीधे अपने कमरे की तरफ जाने लगी। “अब ये लड़की और ज्यादा लापरवाह हो रही है। पहले अनु थी तो एटलिस्ट इसे संभाल तो लेती थी, पर अब तो ये किसी की नहीं सुनती।” आयु को देखकर तारा ने हल्के गुस्से में कहा। वो उसे डांटने के लिए उसके पास जा ही रही थी कि जय जी ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोक लिया। “रुकिए तारा, जाने दीजिए उसे।” जय जी ने शांत लहजे में कहा। “डैड सही कह रहे है मॉम। मैने किया था पता, वो कल लेट नाइट तक हॉस्पिटल में ही थी।” रुद्र ने बताया। “और उसके बाद?” तारा ने गुस्से में कहा, “उसके बाद तो ये घर नहीं आई थी ना। अब अनु नहीं है जो हमें इसकी हर पल की अपडेट दे सके। इससे कुछ पूछो तो ये उल्टा झगड़ा करने पर आ जाती है। पता नहीं इसे कब समझ आएगा हमें इसकी भी परवाह है।” बोलते हुए तारा भावुक होने लगी। रुद्र ने उठकर उन्हें चेयर पर बिठाया और पानी का गिलास दिया। फिर उसने कहा, “डोंट वरी मॉम... मैं देख लूंगा।” “वो भी अनु के बहुत क्लोज थी और उसके जाने के बाद अब तक खुद को नहीं संभाल पाई है। ऊपर से अपनी नाराजगी के चलते किसी से बात भी नहीं करती। हमें उसको टाइम देना होगा मम्मी जी।” सिमरन ने भी तारा को समझाने की कोशिश की। “ना जाने किन किन बातों की नाराजगी लेकर बैठी है। आप चिंता मत करो मॉम। मैं उसके लिए बॉडीगार्ड हायर कर दूंगा। वो एनीटाइम उसे प्रोटेक्ट करेगा और साथ ही उसकी हर पल की अपडेट भी दे देगा।” रूद्र बोला। उसकी बातों से तारा को कुछ तसल्ली हुई ही थी, तभी जय जी ने कहा, “गलती से भी ऐसा करने का मत सोचना वरना उसे पता चला तो वो ये घर छोड़कर चली जाएगी। मैं नहीं चाहता फिर से उसके मन में ये फीलिंग ग्रो हो कि हम उसे वीक समझते हैं। हमारा उसके लिए ओवरप्रोटेक्टिव होना कब उसके लिए घुटन बन गया इस बात का पता चलते चलते ऑलरेडी काफी देर हो गई थी। वो अकेले अपने दम पर सरवाइव करना चाहती है तो उसे करने दो। जब तक कोई गलती ना करें तब तक बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है। वो खुद को संभाल सकती है।” जय जी के बोलने का लहजा सख्त था। उनका नाश्ता हो चुका था इसलिए वो वहां से ऑफिस जाने के लिए निकल गए। उनके जाने के बाद तारा ने कहा, “ये कुछ भी बोले लेकिन तुम आयु के लिए गार्ड हायर कर देना। उसे बोलना वो उससे दूर रहे। उसे ये बात पता नहीं चलनी चाहिए।” “प्लीज ऐसा मत कीजिए मम्मी जी। डैडी जी को पता चला तो वो भी नाराज हो जाएंगे और आयु का गुस्सा तो सातवें आसमान पर होगा ही।” सिमरन ने उन्हें समझाने की कोशिश की। तारा ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अंदर चली गई। उनके जाने के बाद सिमरन ने उम्मीद भरी नजरों से रुद्र की तरफ देखा तो रुद्र ने जवाब में कहा, “मैं कुछ नहीं कर सकता। मुझे भी अपनी बहन की फिक्र है। एक को खो चुका हूं, बस अब दूसरी को नहीं खोना चाहता। वो चाहे जो भी समझे पर मैं उसके लिए गार्ड हायर करने जा रहा हूं।” एक-एक करके सब वहां से चले गए। बस सिमरन ही डाइनिंग टेबल पर बैठी थी। उनके जाने के बाद उसने खुद से कहा, “पहले मुझे आयु पर गुस्सा आता था, वो इन लोगों के प्यार को दूसरा ही नाम दे रही है लेकिन अब सच में ये लगता है कि ये उसकी प्राइवेसी तक उससे छीन रहे हैं। वो बच्ची नहीं रही है खुद को संभाल सकती है। इन्हें ये बात समझनी होगी।” सिमरन को उन सब पर बहुत गुस्सा आ रहा था पर इस वक्त उसका कोई जोर भी नहीं चल रहा था। इस मामले में वो आयु से बात करती तो रुद्र और तारा नाराज हो जाते इसलिए उसने मामले को वही छोड़ा और अपने काम में लग गई। ____________________________ आयु अपने कमरे में थी। तैयार होने के बाद वो ब्रेकफास्ट करने के लिए बाहर आई। डाइनिंग टेबल पर सिमरन के अलावा कोई नहीं था। आयु भी वहीं आकर बैठ गई और चुपचाप ब्रेकफास्ट करने लगी। “कैसी हो तुम?” सिमरन ने पूछा। “बिलकुल वैसे ही जैसे पहले थी... हां बस आप लोगों की तरह मेरी लाइफ भी बदल गई है।” आयु ने जवाब दिया। सिमरन उठकर उसके पास वाली चेयर पर आ गई। “बहुत मिस करती हो ना उसे?” सिमरन ने उसके बालों को सहला कर कहा। आयु ने हां में सिर हिलाया और कहा, “मैं तो उसे भूली ही नहीं हूं भाभी। कभी-कभी लगता है सब मेरी गलती की वजह से हुआ है। हम लोग ऑपरेशन थिएटर में रोजाना किसी न किसी की सर्जरी करते हैं। जिन लोगों के जीने की उम्मीद नहीं होती वो तक ठीक हो जाते हैं पर मैं अपनी ही बहन को नहीं बचा पाई।” बोलते हुए आयु की आंखों से आंसू का कतरा बह गया। “खुद को संभालो आयु। उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। मैंने नोटिस किया है उसके जाने के बाद तुम बहुत कम घर आती हो। किसी से ठीक से बात भी नहीं करती। तुम्हारी नाराजगी के चलते कोई तुमसे ठीक से कुछ पूछ भी नहीं पाता। अब तो कम से कम दिलों में मौजूद दूरियां मिटा दो।” सिमरन उसे काफी प्यार से समझा रही थी। अनु के बाद आयु अगर घर में किसी से ठीक से बात करती थी तो वो सिमरन ही थी। “कोशिश करूंगी भाभी...” आयु ने हल्का मुस्कुरा कर कहा। उसका ब्रेकफास्ट हो जाने के बाद उसने सिमरन से कहा, “अच्छा भाभी घर पर बोल दीजिएगा कि मेरी नाईट ड्यूटी शिफ्ट हो गई है और किसी वजह से मुझे एक्स्ट्रा ड्यूटी भी करनी पड़ रही है। मेरे एग्जामस पास आने वाले हैं तो कुछ क्लासेस लेनी पड़ेगी। उसके लिए जा रही हूं।” “ठीक है अपना ख्याल रखना पर यही बात तो मम्मी जी को बताती तो उन्हें ज्यादा खुशी होती।” सिमरन ने जवाब दिया। “कोई बात नहीं आप बता दीजिएगा एक ही बात है।” आयु ने बात को टालने के लिए कहा। वो उठी और सिमरन को हल्का सा हग किया। “मैं जानती हूं भाभी आप इन्हें अनु की कमी महसूस नहीं होने देगी। रही बात मेरी तो मुझसे तो इन्हें कभी उम्मीद नहीं थी।” आयु सिमरन से अलग हुई और उसे बाय बोल कर वहां से चली गई। उसकी गाड़ी हॉस्पिटल में होने की वजह से उसने केब की और सीधा फाइट क्लब पहुंची। “होप सो आज मैं जहान को मना पाऊं वरना जैसे मेरे घरवालों को मुझ से कोई उम्मीद नहीं है वैसे मुझे भी उस मंथन से कोई उम्मीदें नहीं है। जब देखो रुडली बात करता है। गाड़ी से बाहर निकाल दिया। घर पर भी नहीं छोड़ा। आइ स्वेयर आज अगर अनु जिंदा होती और मुझे उसके इस बिहेवियर का पहले पता होता तो उन दोनों का पक्का ब्रेकअप करा देती। पता नहीं मेरी बहन से कितना झगड़ा किया होगा इस सडू़ इंसान ने।” बड़बडा़ते हुए आयु फाइट क्लब वाले फ्लोर पर पहुंची। वहां पहुंचकर वो हैरान थी। आज जिम एरिया बिल्कुल खाली था जबकि रिंग एरिया में सारे लोग एक साथ इकट्ठा थे। वहां फाइट चल रही थी और सब उसे बहुत गौर से देख रहे थे। भीड़ में चेयर करने की काफी सारी आवाजें आ रही थी जिससे कुछ साफ समझ नहीं आ रहा था। “ये क्या आज यहां खुद जॉन सीना फाइट करने आ गया है, जो ये सब लोग इतना एक्साइटेड हो रहे हैं।” आयु ने मुंह बनाते हुए कहा और भीड़ में जाने लगी। वो भीड़ को साइड करने की कोशिश कर रही थी पर ज्यादा लोग होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रही थी। तभी फ्रैंकी की नजर उस पर पड़ी तो वो तुरंत उसके पास आया। “अरे मैडम आप यहां क्या कर रही हैं। आपको तो मना किया था ना सर ने। आपने अपना डिसीजन बदल दिया क्या?” शोर होने की वजह से फ्रैंकी ने तेज आवाज में चिल्ला कर पूछा। “बाद में बताऊंगी। पहले ये बताओ यहां क्या चल रहा है। यहां इतनी भीड़ क्यों है?” आयु ने उसी की तरह चिल्लाकर जवाब दिया। “अरे मैडम ये भीड़ तो आपको महीने में एक बार जरूर देखने को मिलेगी। आज हमारे फाइट क्लब के रियल बॉस आए हुए हैं। बस जहान सर के साथ उन्हीं की रिंग फाइट चल रही है। टक्कर का मुकाबला है। आज का दिन ही अलग है।” फ्रैंकी ने बताया। बताते हुए वो काफी एक्साइटेड लग रहा था। “अच्छा, मुझे लगा जहान ही यहां का रियल बॉस है। चलो मैं भी तो देखूं कौन है यहां का ओनर। क्या पता जहान ना माने तो मैं उसे खुद की ट्रेनिंग के लिए पटा लूं।” आयु ने कहा। “आप एक बार के लिए भगवान जी को मना सकती है मैडम लेकिन फाइट क्लब के रियल बॉस को नहीं। यहां आई हर लड़की उन्हें पटाने के लिए अलग अलग तरह से ट्राई करती है पर वो तो किसी की तरफ पलट कर तक नहीं देखते। चलिए आइए आपको मिलवाता हूं।” फ्रैंकी ने जवाब दिया। भीड़ में अंदर जाने के लिए उसने आयु का हाथ पकड़ा। कुछ ही देर में दोनों भीड़ को चीरते हुए आगे पहुंच चुके थे। जैसे ही आयु की नजरें रिंग में लड़ रहे वहां के रियल ऑनर पर गई तो वो तुरंत दूसरी तरफ पलट गई। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 17. Tied with destiny - Chapter 17

    Words: 1776

    Estimated Reading Time: 11 min

    आयु फाइट क्लब के रिंग एरिया में थी। वहां जहान की फाइट क्लब के रियल ऑनर के साथ रिंग फाइट चल रही थी। जैसे ही आयु ने उसे देखा, वो तुरंत दूसरी तरफ पलट गई। “ये आरव खुराना यहां क्या कर रहा है? ये फाइट क्लब का रियल ओनर है? नही... ये नही हो सकता। ये तो बिजनेस मैन है.. ही इज क्लासी.. ये ऐसे काम क्यों करेगा? एक बार फिर चेक कर लेती हूं।” बोलकर आयु वापिस रिंग की तरफ पलटी। आयु किसी के पीछे खड़ी थी और हल्का सा झांककर रिंग की तरफ देखा। “ये वही है... हद है यार... ये इंसान सब जगह क्यों आ जाता है?” आयु वहां खड़ी बड़बड़ा रही थी। जहान और आरव के बीच टक्कर का मुकाबला हो रहा था। जहान ने आरव को पुश करते हुए रिंग के किनारे फेंका। वो वहां बाउंड्री से लगकर गिरा था तभी उसकी नजरें आयु से मिली। “एम्बर आईज...” अचानक आरव के मुंह से निकला। उस से आई कॉन्टैक्ट होने पर आयु जल्दी से वहां से जाने लगी तो वही आरव भी अब रिंग से बाहर आ गया था। वो उसके पीछे पीछे जा रहा था। “आई नेवर फॉरगेट दीज आइज... वो मर चुकी है फिर... इट्स इंपॉसिबल।” बोलते हुए आरव आयु के पीछे जाने लगा। वही आयु उसे पीछे आते देख जल्दी-जल्दी वहां से बाहर आ रही थी। “ये मेरे पीछे क्यों आ रहा है? कहीं इसे डाउट तो नहीं हो गया। हद है यार, मैं इसी के फाइट क्लब में इसी को हराने के लिए ट्रेनिंग लेने आई थी।” आयु दौड़कर लिफ्ट में चली गई। उसके जाने के बाद आरव वहीं पर रुक गया। “ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुझे किसी की फेशियल फीचर इतने अच्छे से याद हैं। मैं उसकी आईज को कभी नहीं भूल सकता... अनुष्का सिंह ओबेरॉय, पर वो मर चुकी है फिर... आई होप इट्स जस्ट ए कोइंसिडेंट।” आरव हैरानी में खड़ा खुद से बातें कर रहा था। उसने तुरंत कबीर को कॉल किया। “कबीर पता करो अनुष्का सच में मर गई है या नहीं?” आरव ने उसके कॉल पिक करते ही कहा। “ये आप कैसी बातें कर रहे हो सर? याद है ना हम उसके घर कंडोलेंस सेरेमनी में गए थे। न्यूज़ चैनल्स में पूरे 15 दिनों तक उसी की न्यूज़ हाइप कर रही थी। फिर वो जिंदा कैसे हो सकती हैं?” कबीर ने पूछा। “मुझे ऐसे लग रहा है जैसे मैंने उसे देखा हो। वो आंखें और उस लड़की की आंखें, दोनों बिल्कुल एक जैसी थी।” आरव के दिमाग में मानो अनुष्का की आंखें छप गई हो। “आप बेवजह ज्यादा सोच रहे हो। आईज का कलर्स सेम होना कॉमन बात होती है। आप इन सब को छोड़िए। आप कहां हैं मैं गाड़ी लेकर आ रहा हूं। माहिरा मैम आ रही है। हमें एयरपोर्ट के लिए निकालना होगा।” कबीर ने आरव का ध्यान हटाने के लिए कहा। “तुम रहने दो, मैं खुद आ जाऊंगा।” कहकर आरव ने कॉल कट कर दिया। वो वहां से वापस अंदर गया और चेंज करके अपने ऑफिस जाने के लिए निकल गया। वही जब तक आरव वहां से गया तो आयु उसे छुप कर देख रही थी। “आज तो बच गई लेकिन ये मेरा पीछा क्यों कर रहा था? क्या अयान और मंथन सही कह रहे थे मैं बेवजह इन सब में पड़ रही हूं?” आयु वहां बैठकर सोच रही थी। उसके चेहरे पर मायूसी के भाव थे। अचानक उसके आंखों के सामने अनु का चेहरा घूमने लगा। “नहीं, इस दुनिया में कुछ भी बेवजह नहीं होता और अनु की मौत तो बिल्कुल भी बेवजह नहीं हो सकती। उसने जिंदगी की अभी शुरुआत की थी कि आरव खुराना ने उसे मार दिया। ऐसे कैसे सब बातों को जाने दूं। कोई कुछ भी बोले, तुम भी वही मौत डिजर्व करते हो, जो मेरी बहन को मिली। बस मुझे तुम तक पहुंचने के लिए कोई और रास्ता निकालना होगा।” आयु ने फिर से खुद को सख्त किया और वहां से चली गई। ____________________________ मुंबई के किसी सेवन स्टार होटल में छवि सिंघानिया अपने मैनेजर राहुल सिंह के साथ खड़ी थी। वहां किसी पार्टी की तैयारी चल रही थी। “एवरीथिंग इज परफेक्ट मैंम। कहीं कोई कमी लग रही है तो आप बता दीजिए। मैं ठीक करवा दूंगा।” राहुल छवि को पार्टी के इंतजाम दिखाने के लिए लेकर आया था। “कमियां बताना मेरा काम नहीं। मुझे सब कुछ परफेक्ट तैयार चाहिए। जानते हो ना इस पार्टी में बड़े बड़े बिजनेसमैन से लेकर माफिया की हस्तियां शामिल होगी। छवि सिंघानिया की पार्टी ग्रैंड होती है तो किसी भी तरह की कमी होने का सवाल ही पैदा नहीं होना चाहिए।” छवि ने पूरे एटीट्यूड से जवाब दिया। उसने ठीक से कुछ नहीं देखा और वहां से चली गई। उसके जाने के बाद राहुल ने सिर हिलाया और इवेंट मैनेजमेंट टीम को बुलाकर सब कुछ क्रॉस चेक करने लगा। ____________________________ शाम का वक्त था। आयु रूम में चेंज कर रही थी। वो अभी अभी अयान के साथ एक सर्जरी करके बाहर निकली थी। सर्जरी के बाद अयान ने उसे अपने केबिन में बुलाया था तो वो चेंज करके उसके केबिन में पहुंची। “देखो मुझे तुम्हारी डांट सुनने का कोई इरादा नहीं है। पहले ही बता देती हूं मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीं किया है।” आयु ने केबिन के अंदर घुसते ही कहा। उसकी बात सुनकर अयान हल्का सा हंसा और फिर कहा, “दोस्त होने के नाते थोड़ा बहुत डांट लेता हूं इसका मतलब ये नहीं की हर बार तुम्हें डांटने के लिए ही केबिन में बुलाता हूं। कल शाम मेरी मॉम की बर्थडे पार्टी है। वैसे मैं इस इवेंट को बिल्कुल अटेंड नहीं करना चाहता पर मजबूरी में करना होगा। क्या तुम इस बोरिंग से इवेंट में थोड़ी देर के लिए मेरा टाइम पास बनोगी?” “ओ प्लीज यार, आई हेट पार्टीज।” आयु ने मुंह बनाकर कहा, “एंड वन मोर थिंग मैं किसी का टाइम पास नहीं हूं और ना ही बनने वाली हूं।” “भाव मत खाओ। मैं अकेला पड़ जाऊंगा, प्लीज आ जाना।” अयान ने इस बार थोड़ा रिक्वेस्टिंग वे में कहा। “ठीक है मैं आ जाऊंगी तुम्हारे साथ पार्टी में लेकिन उसके लिए तुम्हें मुझे पांच बार प्लीज बोलना होगा और... और मेरी नाईट ड्यूटी है, तो लीव का अरेंजमेंट भी तुम ही करोगे और पार्टी के बाद मेरा ढाबे का खाना खाने का मन है, तो तुम मुझे वहां लेकर चलोगे... उसके बाद घर भी तुम्हें ही छोड़ना होगा। पार्टी में पहनने के लिए मेरे पास कोई एक्साइटिंग ड्रेस नहीं है तो तुम्हें मेरे साथ शॉपिंग करने के लिए चलना होगा। तैयार होने के लिए मेकअप आर्टिस्ट के पास भी जाना होता है तो वहां भी मुझे तुम ही लेकर जाओगे और पूरी देर मेरे बाहर निकलने तक मेरा वेट करोगे।” आयु ने अयान के सामने एक लंबी चौड़ी लिस्ट रख दी जिसे सुनने के बाद अयान उसकी तरफ घूर कर देख रहा था। “रहने दो। मैं बोर होना ज्यादा पसंद करूंगा।” अयान ने मुंह बनाकर जवाब दिया। “तो ठीक है, फिर मेरी तरफ से हां है। आई नो तुम लीव का अरेंजमेंट करवा दोगे तो फिर कल सुबह शॉपिंग करने चलेंगे। फिलहाल मुझे जनरल वॉर्ड में ड्यूटी देनी है इसलिए मैं जा रही हूं।” अयान के जवाब का इंतजार किए बिना ही आयु वहां से जाने लगी। उसके जाने पर अयान पीछे से चिल्लाकर बोला, “लेकिन मैंने हां नहीं कहा है छिपकली। तुम इस तरह नहीं जा सकती।” “डॉक्टर हूं मैं डॉक्टर... तमीज से बात करो।” आयु ने बिना मुड़े कहा और वहां से चली गई। उसके ऐसा कहने पर अयान के फेस पर स्माइल आ गई। आयु के जाने के बाद अयान ने खुद से कहा, “बस मैं इसी आयु को मिस कर रहा था जो पिछले डेढ़ महीने में खो सी गई थी। आई प्रॉमिस मैं तुम्हें पहले जैसा कर दूंगा।” आयु के जाने के बाद अयान ने उसकी तरफ से लीव एप्लीकेशन डाली और खुद ही उसे एक्सेप्ट कर दिया। ____________________________ मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आरव और कबीर वेटिंग एरिया में खड़े थे। अभी अभी दुबई से आने वाली फ्लाइट लैंड हुई थी लेकिन उन्हें वहां वेट करते हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था। उन दोनों के चेहरों पर इरिटेशन साफ नजर आ रही थी। “तुम अकेले भी उसे लेने आ सकते थे।” आरव ने कबीर की तरफ बिना देखे कहा। “अकेला मैं ही टॉर्चर क्यों झेलूं? आपकी गर्लफ्रेंड है तो आप जानो।” कबीर ने रूखे तरीके से जवाब दिया। “सबसे पहले उसे मेरी गर्लफ्रेंड कहना बंद करो। तुम अच्छे से जानते हो हम दोनों के बीच सिर्फ प्रोफेशनल रिलेशंस हैं। मेरा छोड़ो, वो तुम्हारी बॉस है... तो तुम उसकी सेवा पानी करो ना। मुझे यहां क्यों खड़ा कर रखा है।” आरव चिड़कर बोला। “पिछले 6 साल से आप मेरे बॉस हो। बस इसी नाते आपका साथ देने के लिए यहां खड़ा हूं। वरना मेरा यहां कोई काम नहीं था। आपको तो मेरा थैंकफूल होना चाहिए कि मैंने आपके टॉर्चर को 50% कम कर दिया।” कबीर ने जवाब दिया। दोनों की बातों से साफ था कि वो दोनों वहां जबरदस्ती खड़े थे और माहिरा का वेट करने का उनका बिल्कुल मन नहीं था। दोनों का मुंह बना हुआ था तभी सामने से सिक्योरिटी चेक के बाद माहिरा बाहर निकल चुकी थी। उसे देखते ही दोनों के चेहरे पर स्माइल आ गई। “अच्छे से स्माइल कीजिए सर... मैंने उन्हें कॉल पर बोला था कि आप उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हो।” कबीर ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा। “हां तुम्हारी वजह से यहीं पर फंसा हुआ हूं। इसकी सजा तो तुम्हें दे कर रहूंगा। तुम्हारे ऐसा कहने के बाद वो शाम की फ्लाइट में आने के बजाय सुबह ही आ गई।” आरव ने भी उसी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया। उन दोनों को स्माइल करते देख माहिरा के चेहरे पर भी मुस्कुराहट थी। उसने शॉर्ट ब्लैक ड्रेस पहनी थी और उस से मैच करता हुआ स्मोकी मेकअप कर रखा था। माहिरा आरव के पास आई और उससे गले लग कर बोली, “आई मिस यू सो मच।” “मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया... इतना कि बता नहीं सकता। मेरे तो शब्द ही खत्म हो गए हैं। समझ नहीं आ रहा कैसे बोलूं, क्या बोलूं, आई एम सो हैप्पी टू सी यू हियर।” आरव ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा। माहिरा को हग करने के बाद वो उससे अलग हो गया। आरव को देखकर कबीर मुश्किल से अपनी हंसी रोक पा रहा था। उसने कहा, “आप दोनों की गाड़ी बाहर तैयार है। मैं अलग गाड़ी में आता हूं।” कहकर वो वहां से चला गया। “ठीक है। फिर तुम रेस्ट करो। कल शाम पार्टी में मिलते हैं। मैं तुम्हें होटल ड्रॉप कर देता हूं।” आरव ने कहा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया। माहिरा भी उसके साथ ही आ रही थी। छवि सिंघानिया की बर्थडे पार्टी काफी ग्रैंड होने वाली थी, जिसे अटेंड करने के लिए खास बाहर से भी गेस्ट आ रहे थे और माहिरा भी उनमें से एक थी। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 18. Tied with destiny - Chapter 18

    Words: 1643

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरव माहिरा को लेकर होटल पहुंचा। उन्होंने वहां के वीआईपी सुइट में चेक इन किया। वीआईपी एरिया होने की वजह से वो पूरी तरह से प्राइवेट था। वहां आते ही माहिरा ने अपना समान दूसरी तरफ किया और आरव के गले में अपनी बाहें डाल ली। उसके ऐसा करने पर आरव अनकंफरटेबल फील कर रहा था फिर भी उसे दिखाने के लिए उसके चेहरे पर नकली मुस्कुराहट थी। “मुझे मीटिंग के लिए निकलना है।” आरव ने उसे खुद से दूर करने की कोशिश की लेकिन माहिरा ने उसे खुद से दूर नहीं जाने दिया। “तुम कब से मीटिंग अटेंड करने लगे। कबीर को कॉल करके बोल दो वो देख लेगा। वैसे भी हम काफी दिनों बाद मिल रहे हैं।” बोलते हुए माहिरा आरव के और करीब आ गई। उन दोनों के नोज एक दूसरे से टच हो रहे थे। “माहिरा मुझे सच में जाना है। तुम रेस्ट करो हम रात को मिलते हैं ना...” बोलते हुए आरव माहिरा से दूर हो गया। उसके ऐसा करने पर माहिरा हंस कर बोली, “लड़की मैं हूं और अनकंफर्टेबल तुम फील कर रहे हो।” “मैं कोई अनकंफर्टेबल फील नहीं कर रहा। बस इस वक्त मुझे जाना होगा। आई होप यू डोंट माइंड...” आरव ने माहिरा के पास आकर उसे हल्का सा हग किया और बाय बोल कर वहां से चला गया। उसके जाते ही माहिरा बेड पर रिलैक्स होकर बैठ गई। वो हल्का स्माइल करते हुए बोली, “कब तक दूर भागोगे? पर मुझे तुम्हारी ये अदा भी पसंद आई... खुद को हाइप करने के लिए तुम लड़कियों का सहारा लेते हो, जबकि सच्चाई ये है कि उनके पास आते ही अनकंफर्टेबल हो जाते हो। देखा जाए तो इसमें भी मेरा ही फायदा है।” आरव के जाने के बाद माहिरा ने चेंज किया और वो रेस्ट करने लगी तो वही उससे बचकर आरव अपनी गाड़ी में था। “अजीब मुसीबत है यार... ये जितना काम की है उतना ही इरिटेट करती हैं। आई नो लड़का होकर मैं ये प्रे करता हुआ थोड़ा अजीब लगूंगा... बट प्लीज गॉड इस लड़की से मेरी इज्जत बचा लेना।” आरव खुद को रिलैक्स करने के लिए गहरी गहरी सांसे लेने लगा। उसने पानी पिया और फिर कबीर को कॉल किया, “आगे से अपनी बॉस को तुम ही संभालना।” “इसका मतलब कि उन्होंने फिर आप को किस करने की कोशिश की।” कबीर ने आरव को परेशान करते हुए कहा। “जब सब पता ही है तो पूछ क्यों रहे हो। उसे अच्छे से पता है मुझे रिलेशंस और प्यार जैसे फीलिंग भी यकीन नहीं है, फिर भी क्लोज आती रहती हैं। खैर छोड़ो, उसके बारे में बात करके मुझे अपना खून नहीं जलाना है। मैं ऑफिस पहुंच रहा हूं। युवानी को बोलो जितनी भी मीटिंग अटेंड करनी है सब लाइन अप कर दो। मुझे कल शाम तक बिजी रहना है।” कबीर को सब समझा कर आरव ने कॉल कट किया और ऑफिस जाने के लिए निकल गया। वही उससे बात करके कबीर के चेहरे पर हल्की स्माइल थी। उसने उसी अंदाज में कहा, “आपको प्यार और रिलेशन जैसी चीज पर यकीन ना हो लेकिन एक दिन आप उसके लिए सबसे फाइट करोगे। जब किस्मत बदलती है ना सर तो अच्छे अच्छे लोग उसके आगे घुटने टेक देते हैं। देखना, आपकी लाइफ में भी एक दिन ऐसा जरूर आएगा, जब आप अपने प्यार को पाने के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाओगे।” अपनी बात पूरी करके कबीर आरव के बताए हुए काम पर लग गया क्योंकि आरव नहीं चाहता था कि कल शाम होने वाली पार्टी से पहले वो माहिरा से मिलने जाए और उसे उसके पास आने का कोई भी मौका दें। ____________________________ रात के समय मंथन अपने फ्लैट पर था और लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था। उसने सुबह आयु को अपने अपार्टमेंट के बाहर छोड़ा था उसके बाद से उन दोनों की कोई बात नहीं हुई थी। यहां तक कि उसके दिमाग में एक बार भी आयु का ख्याल तक नहीं आया था। वो अपने ही कामों में उलझा था। मंथन अपना काम कर रहा था तभी उसके पास उसके पापा निशांत आहूजा का कॉल आया। “काम कैसा चल रहा है?” निशांत जी ने पूछा। “बस अभी तो शुरुआत है। थोड़ा टाइम तो सेटल होने में ही लग जाएगा। बिजनेस शुरू करना है तो थोड़ी जान पहचान भी बनानी होगी। मेरी यहां कोई खास जान-पहचान नहीं है।” मंथन ने बताया। उसके बोलने का लहजा काफी शांत था। “चलो अच्छी बात है। तुम आगे बढ़ रहे हो पर मत भूलो कि तुम निशांत आहूजा कर बेटे हो। तुम्हें जान पहचान बनाने की जरूरत नहीं है...लोग खुद चलकर तुम्हारे पास आएंगे।” निशांत जी ने गर्व से कहा। “हां पर मैं सब कुछ अपने दम पर करना चाहता हूं इसीलिए दिल्ली से मुंबई आया था।” मंथन ने जवाब दिया। “वो तुम्हारी मर्जी है। खैर छोड़ो, मैंने तुम्हें ये बताने के लिए कॉल किया था कि कल शाम तुम्हें वहां की फेमस बिजनेसवुमन छवि सिंघानिया के बर्थडे पार्टी में जाना है। ये अच्छा मौका है जब तुम अपने दम पर जान पहचान बना सकते हो। वहां काफी बड़ी बड़ी हस्तियां आएगी।” निशांत जी ने बताया। इसी के साथ मंथन समझ गया था कि उन्होंने उसे कॉल क्यों किया होगा। मंथन ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसे चुप देखकर निशांत जी ने फिर कहा, “हां जानता हूं तुम्हें पार्टी अटेंड करना पसंद नहीं है लेकिन मेरे पास इतना टाइम नहीं है। इस फंक्शन को अटेंड करना भी जरूरी है तो मेरे बीहाफ में तुम जाओगे। मैं ना नहीं सुनना चाहता।” उन्होंने हल्के सख्त लहजे में कहा था। “ठीक है मैं चला जाऊंगा।” कहकर मंथन ने कॉल कट कर दिया। उसने गहरी सांस लेकर छोड़ी और कहा, “छवि सिंघानिया की बर्थडे पार्टी... यहां मुंबई की सभी बड़ी हस्तियां आएगी तो फॉर श्योर आरव खुराना भी होगा। अनु की बहन को भी यहां होना चाहिए था।” मंथन ने अब तक आयु को उसके नाम से नहीं बुलाया था। वो उसे अनु की बहन कह कर ही बुलाता था। साक्षी उस समय मंथन को डिनर के लिए बुलाने आई थी। उसने मंथन की कुछ बातें सुन ली थी। वो मुस्कुराते हुए बोली, “अगर उसे वहां होना चाहिए तो अपने साथ लेकर क्यों नहीं जाते? इसी बहाने उसका आरव खुराना से मिलने का सपना भी पूरा हो जाएगा।” “दी आप ऐसे बात मत कीजिए। उसके सामने तो बिल्कुल भी कुछ मत कहिएगा। इससे उस को बढ़ावा मिलेगा। मैं यहां उसकी हेल्प करने नहीं उसे रोकने आया हूं। गलती से भी इस बात का उसके आगे जिक्र मत कीजिएगा।” मंथन बोला। “हां हां ठीक है, कुछ नहीं कहूंगी। देखा जाए तो सुबह तुमने उसके साथ अच्छा नहीं किया। बेचारी को बाहर ही छोड़ दिया और अंदर आ गए.. दिस इज नॉट फेयर। तुम्हारी अनु होती तो वो ये कभी नहीं करती।” साक्षी ने मंथन को डांटा। “मेरी अनु का नाम लेकर ब्लैकमेल मत कीजिए। वैसे भी वो किसी भी एंगल से उसकी बहन नहीं लगती। हम उसकी बात ही क्यों कर रहे हैं। चलिए डिनर करते हैं मुझे बहुत भूख लगी है।” मंथन ने साक्षी को टालने के लिए कहा। आयु की करीबी मंथन को बेचैन कर देती थी इसी वजह से वो उसके बारे में सोचना तक नहीं चाहता था। उसने जैसे तैसे साक्षी को टाला और उसके साथ डिनर करने के लिए बाहर आ गया। ____________________________ अगले दिन आयु सब कुछ भूल कर पहले की तरह अयान के साथ मॉल मे थी। पहले भी वो दोनों इस तरह शॉपिंग करने साथ जाया करते थे। “यार तू क्या कर रही है? इतना टाइम तो सर्जरी की प्रिपरेशन में नहीं लगता, जितना तू एक पार्टी की ड्रेस डिसाइड करने में ले रही है। सब कपड़े अच्छे ही तो है, कोई सा भी ले ले। तू कुछ भी पहन ले, अच्छी ही दिखेगी।” अयान ने थोड़ा इरिटेट होकर कहा। वो दोनों मॉल में काफी सारी ड्रेसेस के सामने खड़े थे। आयु उन्हें देखकर कंफ्यूज हो रही थी। वो सोचते हुए अंदाज में बोली, “अच्छा बताओ तुम कौन से कलर की ड्रेस पहनने वाले हो। हम दोनों ट्विनिंग कर लेते हैं।” “मैंने डार्क ब्लू सूट डिजाइन करवाया है।” अयान ने बताया। फिर उसकी नजर सामने लगे एक इवनिंग गाउन पर गई। उसने उसकी तरफ इशारा करके कहा, “वो देखो, ठीक उसी कलर का।” “रुक मैं उसे ट्राई करके देखती हूं। हम दोनों साथ जाएंगे। एक कलर की ड्रेस पहनेंगे तो अच्छा लगेगा।” आयु वहां से उस ड्रेस को ट्राई करने चली गई। कुछ ही देर बाद शॉपिंग बैग्स के साथ अयान और आयु बाहर थे। सारे बैग्स अयान ने पकड़ रखे थे। उसने कहा, “पहले ही पूछ लेती मेरे ड्रेस का कलर क्या है। अगर मुझसे ट्विनिंग करनी थी तो इतना टाइम वेस्ट करने की क्या जरूरत थी। तेरी वजह से मैंने भी छुट्टी ली है।” “हां तो क्या हो गया। तेरे लिए मैं भी तो कंप्रोमाइज कर रही हूं ना। अच्छा मैंने स्पा में बुकिंग करवाई है, हम दोनों वहां मेकओवर करवाओगे।” आयु ने गाड़ी में बैठते हुए कहा। उसके ऐसा कहते ही अयान उसे घूर कर देखने लगा। “ऐसे मत देखो। आजकल लड़के भी काफी अच्छे तरीके से तैयार होते हैं। अब मेरे साथ जा रहे हो तो तुम्हें भी स्पेशल दिखना बनता है।” आयु ने जवाब दिया। वो गाड़ी ड्राइव कर रही थी। कुछ ही देर में दोनों स्पा के आगे पहुंच चुके थे, जहां आयु फीमेल एरिया में तो अयान मेल एरिया में चला गया था। वही से वो दोनो तैयार होकर पार्टी वेन्यू में पहुंचने वाले थे। वहीं दूसरी तरफ छवि सिंघानिया की बर्थडे की ग्रैंड पार्टी स्टार्ट हो चुकी थी। सब वहां एक से बढ़कर एक लग रहे थे और उसी के बीच आरव और माहिरा भी पहुंचे। आरव ने कस्टम मेड ब्लैक सूट पहना था तो वहीं माहिरा ने गोल्डन कलर का इवनिंग गाउन पहन रखा था। उसके साइड लो स्लिट थी और ऊपर से लो वी नेक था। माहिरा उस ड्रेस में काफी हॉट लग रही थी। जैसे ही आरव माहिरा के साथ पार्टी में दाखिल हुआ, छवि की उस पर नजर गई। उसे देखते ही उसके फेस पर इविल स्माइल आ गई। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 19. Tied with destiny - Chapter 19

    Words: 1908

    Estimated Reading Time: 12 min

    छवि सिंघानिया की बर्थडे पार्टी शुरू हो चुकी थी। पार्टी वाकई काफी ग्रैंड थी। वहां मुंबई से लेकर दुबई तक के बिजनेस मैन और माफिया से जुड़े लोग आए थे। आरव और माहिरा भी वहां पहुंच चुके थे। छवि राहुल के साथ सामने खड़ी थी। वो उस पार्टी की सेंटर ऑफ अट्रैक्शन थी। उसने पेस्टल आइवरी कलर का इवनिंग गाउन पहना था। कर्ली हेयर और मिनिमल मेकअप के साथ छवि काफी खूबसूरत लग रही थी। उसके हाथ में वाइन का ग्लास था। छवि ने आरव को देखते ही स्माइल पास की। माहिरा ने छवि के एक्सप्रेशंस को नोटिस करते हुए कहा, “उफ्फ, इस औरत की दूसरों को चिढ़ाने की आदत गई नहीं है। तुम बस खुद को काम डाउन रखना बेबी... तुम्हारी एक स्माइल ही काफी होगी इसे चिढ़ाने के लिए।” माहिरा ने आरव का हाथ पकड़ रखा था। वहां मौजूद ज्यादातर लोगों की नजरें माहिरा पर थी। वहां आए लोगों में वो भी कोई आम इंसान नहीं थी। वो दुबई के एक बड़े माफिया की बेटी थी और हर कोई उसे माफिया प्रिंसेस के नाम से जानता था। “चलो, बर्थडे विश करने चलते हैं।” आरव ने जवाब दिया और माहिरा के साथ छवि के पास गया। आरव को अपने पास आता देख छवि भीड़ से अलग हो गई। जब तक आरव उसके पास पहुंचा, वहां छवि के पास उन दोनों के अलावा और कोई नहीं खड़ा था। “अनहैप्पी बर्थडे मिसेज सिंघानिया... मैं भगवान से दुआ करूंगा कि आप जल्द ही मर जाए और अगले साल आपको आपका बर्थडे मनाने का मौका ना मिले।” आरव के शब्दों से उसका गुस्सा साफ जाहिर था। उसकी आंखें गुस्से से लाल थी। “यही कुछ बातें तुमने मुझे पिछले साल भी कही थी। देख लो आज भी मैं यहीं इसी दुनिया में हूं और मेरा यहां होना तुम्हें उतनी ही तकलीफ दे रहा है।” छवि ने मुस्कुराकर जवाब दिया। फिर उसने माहिरा की तरफ देख कर कहा, “दुबई की माफिया प्रिंसेस... और मेरी बर्थडे पार्टी में आई है। कमाल है तुम्हारी फैमिली के क्लास के हिसाब से ये पार्टी कुछ छोटी नहीं है।” “चलो तुमने माना तो सही कि तुम्हारा ओहदा और औकात मुझसे बहुत छोटी है। अब यहां आ ही गई हूं तो उम्मीद है कि मैं यहां बोर ना होऊं।” माहिरा ने भी पूरे एटीट्यूड से जवाब दिया। “तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था क्योंकि यहां की प्रिंसेस और क्वीन दोनो ही मैं हूं। तुम्हें यहां भाव नहीं मिलेगा माहिरा लूथरा। आई थिंक तुम दोनों को यहां से चले जाना चाहिए।” छवि ने कहा। वो किसी भी मामले में माहिरा के सामने कम नहीं पड़ना चाहती थी। उसकी बात सुनकर आरव ने कड़वाहट भरी मुस्कुराहट दी और कहा, “अब तक मुझे लगता था कि आप बुरी इंसान ही है लेकिन आप तो एक बहुत बुरी होस्ट भी निकली मिसेज सिंघानिया। कौन अपने घर आए मेहमानों को बाहर जाने को कहता है? हम तो पार्टी पूरा इंजॉय करके जाएंगे... आफ्टर ऑल अभी आपका गिफ्ट देना भी तो बाकी है।” उससे बात करके आरव ने अपना हाथ माहिरा की तरफ बढ़ाया और कहा, “कम बेबी, लेट्स हैव सम फन।” “श्योर डार्लिंग।” माहिरा ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। दोनों वहां से दूसरी तरफ चले गए। उन दोनों के जाते ही छवि सिंघानिया के चेहरे के भाव बिगड़ गए। उसने राहुल को अपने पास बुलाया और दबी आवाज में कहा, “आज का दिन मेरे लिए बहुत स्पेशल है। मैं नहीं चाहती कोई गड़बड़ हो। उन दोनों पर नजर रखना। आई डोंट वांट टू स्पॉइल माय डे।” राहुल ने छवि की बात पर हामी भरी। पूरी पार्टी में अब उसकी नजरें सिर्फ और सिर्फ आरव और माहिरा पर ही थी। इस बीच पार्टी में मंथन भी पहुंच गया था। “सब आ गए हैं बस मेरे ही बच्चों को यहां आने की फुर्सत नहीं है।” छवि ने बड़बड़ा कर कहा। तभी उसकी नजर सामने से आ रही रायशा पर पड़ी। रायशा ने व्हाइट कलर का शॉर्ट ड्रेस पहना था। वो उसमें काफी क्यूट नजर आ रही थी। उसे देखकर छवि के चेहरे पर हल्की स्माइल आ गई। रायशा छवि के पास गई और उसे गले लगाकर बर्थडे विश किया। “अयान कहां है रायशा? उसका पार्टी में आने का इरादा है भी या नहीं?” छवि ने पूछा। “मेरी उनसे बात हुई थी। वो बस आ ही रहे हैं। उनके साथ उनकी फ्रेंड है। उसकी वजह से उन्हें देर हो रही है।” रायशा ने जवाब दिया। फिर वो वहां से चली गई। पार्टी शुरू हुए अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था कि तभी पार्टी के अंदर सभी गेस्ट को मास्क बांटे जा रहे थे। ये एक मास्क्यूरेड पार्टी थी। माहिरा ने अपने ड्रेस से मैच करता गोल्डन मास्क लगाया। उसने ब्लैक कलर का मास्क उठाकर आरव की तरफ बढ़ाया तो उसने लगाने से मना कर दिया। “मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो छवि सिंघानिया चाहती हैं।” आरव ने जवाब दिया। कबीर उसके साथ पार्टी में नहीं था इस वजह से वो बोर हो रहा था। ऊपर से माहिरा भी उसके साथ कुछ ज्यादा ही क्लोज हो रही थी। “एक सेकंड, मैं अभी आया।” कहकर आरव बाहर की तरफ चला गया। आरव वेन्यू के बाहर चला आया। वो कबीर को कॉल कर रहा था कि उसकी नजर अयान पर पड़ी, जो आयु के साथ अभी अभी वहां पहुंचा था। आयु का गाउन हैवी होने की वजह से वो उसे कैरी नहीं कर पा रही थी तो अयान उसकी गाड़ी से निकलने में हेल्प कर रहा था। “क्या दिन आ गए हैं इसके... अच्छा तो ये है वो स्कूटी कल्प्रिट। आज तो इसे पकड़ कर रहूंगा। ज्यादा कुछ नही बट सॉरी तो इसे कहना ही पड़ेगा।” आरव ने दूसरी तरफ होकर आयु को देखने की कोशिश की लेकिन अयान के आगे होने की वजह से वो उसे ठीक देख नहीं पा रहा था। उसने सिर्फ उसे पीछे से देखा, जहां उसका गाउन बैकलेस होने की वजह से उसकी नेक्ड बैक दिखाई दे रही थी। आयु और अयान की ड्रेस का कलर भी सेम था। आयु ने डार्क ब्लू कलर का स्लीवलेस इवनिंग गाउन पहना था। उसके बाल कर्ल करके साइड बन के रूप में बंधे हुए थे। आयु उसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी। “अगर पहले पता होता है ये ड्रेस मुझे संभालनी पड़ेगी तो मैं तुम्हें ये ड्रेस कभी नहीं लेने देता। जितना कपड़ा इसने नीचे लगाने में वेस्ट किया है, थोड़ा बहुत पीछे भी लगा देते तो ज्यादा बैटर नहीं होता। पीछे से तो एकदम खुला है और नीचे...” बोलते हुए अयान चुप हो गया। उसने देखा आयु उसकी तरफ घूर कर देख रही थी। “जब से तैयार होकर आई हूं, मेरी बुराई ही कर रहे हो। एक छोटा सा कॉन्प्लीमेंट तक नहीं दिया।” आयु ने मुंह बनाकर कहा। “अगर कॉन्प्लीमेंट देने जैसी तैयार हुई होती तो जरूर देता। अब जल्दी अंदर चलो। मुझे तो ऐसा लगता है हमारे अंदर पहुंचने तक पार्टी ही खत्म हो जाएगी।” अयान पीछे से उसका गाउन पकड़कर उसे अंदर लेकर जा रहा था। उसे ऐसा करता देख ना चाहते हुए भी आरव के फेस पर स्माइल आ गई। अब तक वो पार्टी में बोर हो रहा था और कबीर को बुलाने का सोच रहा था लेकिन जैसे ही उसने आयु को देखा, वो कबीर को कॉल करना छोड़ उनके पीछे जाने लगा। “चलो सबसे पहले तुम्हारी मॉम को बर्थडे विश कर देते हैं।” आयु ने अंदर आते ही कहा। “वैसे कोई जरूरत तो नहीं है लेकिन तुम्हारा मन है, तो कर दो।” अयान ने मायूसी से कहा। अब तक उसने भी छवि को बर्थडे विश नहीं किया था। दोनों वहां से छवि के पास पहुंचे। आरव अभी भी आयु की बेक ही देख पा रहा था। “हैप्पी बर्थडे आंटी...” आयु ने छवि के पास जाकर कहा। छवि ने मुस्कुराते हुए उसे थैंक्स कहा। उसे लगा वो अयान की गर्लफ्रेंड है इसलिए उसने उसे हग कर लिया। छवि को आयु के गले लगते देख आरव ने तुरंत अपनी नजरें फेर ली। “मुझे यहां आना ही नहीं चाहिए था।” आरव गुस्से में पैर पटकता हुआ ड्रिंक के काउंटर की तरफ गया। वो वहां बैठकर वाइन पी रहा था जबकि माहिरा अपने जान पहचान वाले लोगों के साथ बिजी थी। अयान और आयु भी उनसे अलग हो गए थे। उन दोनो ने भी अपनी ड्रेस से मैच करते हुए मास्क लगा दिया। पार्टी में ऐसे बहुत से गेस्ट थे जिन्होने मास्क नहीं लगा रखा था। उनमें से मंथन भी एक था। मंथन भी वहां बोर हो रहा था इसलिए वो बार काउंटर की तरफ गया तो वहां आरव से मिला। “हे... मंथन, तुम यहां क्या कर रहे हो?” आरव ने उसे देखते ही पूछा। “वही जो आप कर रहे हो। ये समझ लीजिए मैं भी यहां बोर होने के लिए आया था। डैड ने बोल दिया तो आना पड़ा।” मंथन ने जवाब दिया। “साक्षी भी मुंबई आई हुई है क्या? किसी खास परपज से आए हो या ऐसे ही किसी काम के चलते यहां हो।” आरव वहां खड़े होकर मंथन से बातें करने लगा। दोनों वैसे भी एक दूसरे को पहले से जानते थे। “बस बिजनेस शुरू करने का सोच रहा था। हां, मेरे साथ साक्षी दी भी आई हुई है।” मंथन ने जवाब दिया। उससे बात करते हुए अचानक उसे आयु की याद आई, जब वो बार-बार आरव का अनु को धक्का देने की बात कह रही थी। “अच्छा कुछ दिनों पहले आपका एक वीडियो वायरल हो रहा था एक एक्ट्रेस के साथ... वो क्या था?” अचानक मंथन ने पूछा। उसकी बात का जवाब देने से पहले आरव ने अपने ग्लास की ड्रिंक खाली की और फिर कहा, “वो बस ऐसे ही था। यू समझ लो उस रात उस लड़की ने मुझे बचाया था पर अफसोस किसी ने उसे ही मार दिया।” बोलते हुए आरव के चेहरे के भाव हल्के गंभीर हो गए। मंथन ने आगे कुछ नहीं कहा। वो चुपचाप वहां खड़ा पार्टी की तरफ देख रहा था। उसके मन में कुछ और ही चल रहा था। “इन्हे झूठ बोलने की क्या जरूरत पड़ेगी। जरूर अनु की बहन को गलतफहमी हो गई होगी। आई विश वो भी यहां होती, तो मैं उसे ये क्लियर करवा देता। आरव कितने भी रुड क्यों ना हो, पर वो झूठ नही बोलते।” मंथन ने सोचा। वो दोनो आपस में बातें कर रहे थे तभी आयु की नजर आरव और मंथन पर गई। वो अयान और रायशा से काफी अच्छे से बातें कर रही थी लेकिन उन्हें देखते ही आयु के चेहरे के भाव सर्द हो गए। अयान ने उसकी नजरों को फॉलो किया तो उसकी नजर आरव पर थी। आयु ने गुस्से में अपना मास्क निकाल लिया था। अयान ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “चलो यहां से चलते हैं।” आयु ने ना में सिर हिलाया। उसकी आंखें नम होने लगी थी तो अयान ने उसे हग किया और सहलाते हुए कहा, “काम डाउन... तुम पैनिक करोगी तो तुम्हें प्रॉब्लम हो सकती है। गहरी गहरी सांस लो। सब ठीक हो जाएगा।” वही मंथन ने भी आयु को अयान के साथ देख लिया था। उसने उन दोनों को गले लगे देखा तो उसने अपना चेहरा तुरंत दूसरी तरफ कर लिया। “वो अयान की गर्लफ्रेंड है।” आरव ने मंथन से कहा। “जिस चीज को जितना इग्नोर करो, वो उतनी ही सामने आ जाती है। मुझे भी ये दोनों तीन-चार दिनों से कुछ ज्यादा ही आसपास दिख रहे हैं।” “मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है।” मंथन ने काफी रुखे तरीके से जवाब दिया, जिस पर आरव को भी हैरानी हुई। उसने अब तक मंथन का शांत रूप ही देखा था। वो उसे कुछ कहता उससे पहले मंथन उस पार्टी से चला गया। आयु को अयान के साथ देख कर उसे बुरा लग रहा था और इसका कारण उसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था। °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 20. Tied with destiny - Chapter 20

    Words: 1928

    Estimated Reading Time: 12 min

    छवि सिंघानिया के बर्थडे की ग्रैंड पार्टी चल रही थी। वहां पार्टी थोड़ी बोरिंग होती दिखी तो रायशा ने कमान संभाली और डांस फ्लोर पर गई। उसने पार्टी में लाइव म्यूजिक बन्द कराया। रायशा ने माइक लिया और कहा, “अटेंशन गाइज... आई नो इस पार्टी में ज्यादातर बिजनेस पर्सनेलिटीज मौजूद है लेकिन आपको नहीं लगता ये पार्टी थोड़ी बोरिंग हो रही है। इसे हैपनिंग बनाने के लिए क्यों ना थोड़े एफर्ट्स डाले जाएं।” रायशा की बात सुनकर सबका ध्यान उसकी तरफ गया। उसकी बात का जवाब देते हुए छवि ने तेज आवाज में कहा, “व्हाय नॉट बेटा...” छवि की बात सुनते ही आरव ने माहिरा से कहा, “चलो, इन्होंने माना तो सही इनकी थ्रो की हुई पार्टी बहुत बोरिंग है। चलते हैं यहां से।” “नहीं ना, रुकते हैं। थोड़ी देर देखते हैं छवि सिंघानिया की बेटी पार्टी को कैसे हैपनिंग बनाती है।” माहिरा ने जवाब दिया। उसने आरव का हाथ पकड़कर उसे वही रोक लिया। “ओके देन आप सब अपने अपने पार्टनर के साथ डांस फ्लोर पर आ जाए। म्यूजिक प्ले होगा और डांस करते हुए आपको अपना पार्टनर एक्सचेंज करना होगा। पार्टनर एक्सचेंज करने के बाद क्या होगा ये थोड़ा सरप्राइज है। सो हेयर वी गो गायज...” रायशा ने एक्साइटेड होकर कहा। उसके अनाउंसमेंट करते ही काफी लोग अपने-अपने कपल के साथ डांस फ्लोर पर पहुंचे। उन सबमें अयान आयु के साथ था तो आरव माहिरा के साथ। कपल बनते ही रायशा ने म्यूजिक प्ले करने का इशारा किया। अयान और आयु ने एक दूसरे का एक हाथ पकड़ा था जबकि आयु का दूसरा अयान के कंधे पर था तो अयान का आयु की बैक पर। वही माहिरा आरव के काफी क्लोज थी। उसने आरव के कंधो पर हाथ रख रखे थे और आरव ने उसकी लोअर बैक पर। “तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे, तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे, किया रे जो भी तूने कैसा किया रे... जिया को मेरे बांध ऐसे लिया रे। समझ के भी ना, समझ मैं सकूँ, सवेरों का मेरे तू सूरज लागे... तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे। अपना बना ले पिया... अपना बना ले पिया।” डांस करते हुए सभी कपल्स ने अपना कपल चेंज किया। आयु टर्न होकर आरव के पास चली गई, तो माहिरा अयान के पास आ गई। “अपना बना ले मुझे, अपना बना ले पिया... अपना बना ले पिया..अपना बना ले पिया। दिल के नगर में... शहर तू बसा ले पिया।” आरव ने मास्क नही लगा रखा तो आयु तुरंत उसे पहचान गई। वही उसे देखते ही आयु ने अपनी नजरें नीची कर ली। “मुझे तुम्हारे साथ डांस नहीं करना है।” कहकर आयु उससे दूर जाने को हुई तभी आरव ने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर अपनी तरफ कर लिया। “अच्छा... प्लानिंग काफी अच्छी है बचकर निकलने की लेकिन इतनी आसानी से निकल नहीं पाओगी।” आरव के फेस पर ईविल स्माइल थी। “तुम्हें क्या लगा मेरी गाड़ी खराब करके अयान को आगे करके तुम बचकर निकल जाओगी। ऐसा नहीं होने वाला। मैंने तुम्हे पहचान लिया स्कूटी कल्प्रिट।” आरव ने भी आयु को उसकी ड्रेस से तुरंत पहचान लिया था। “तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गए। एक गाड़ी ही तो थी, उसके लिए इतना ओवर रिएक्ट करने की क्या जरूरत है।” आयु ने हल्के गुस्से में जवाब दिया। वो फिर से आरव से दूर होने की कोशिश करने लगी लेकिन आरव ने उसे कसकर पकड़ रखा था। आयु ने कसमसाते हुए कहा, “छोड़ो मुझे... तुम किसी अननोन लड़की को इस तरह पकड़ भी कैसे सकते हो।” “ठीक वैसे ही जैसे तुम किसी अननोन इंसान की गाड़ी मजे मजे में खराब कर सकती हो। चुपचाप यही खड़ी रहो और डांस करती रहो।” आरव ने सख्त लहजे में कहा। उसके दोनों हाथ आयु के पीछे लोअर बैक पर थे जबकि मजबूरन आयु ने अपने हाथ उसके कंधे पर रख रखे थे। आयु की नजरे अभी तक नीचे थी। तभी रायशा ने म्यूजिक बंद कराया और माइक में कहा, “तो ये है आपके फाइनल पार्टनर, जिसके साथ आपको पेपर डांस करना है। अपने पार्टनर के साथ तो सब कंफर्टेबल होते हैं इसलिए कोई भी जीत सकता है। लेट्स सी किसी और के पार्टनर के साथ आप कितनी डेडीकेशन के साथ डांस करते हो।” “मुझे नहीं करना इसके साथ कोई भी डांस।” आयु ने चिढ़कर कहा। “लेकिन मुझे करना है और इसमें बहुत मजा आएगा।” आरव ने उसे रोकने के लिए उसका हाथ पकड़ लिया। रायशा ने सभी कपल्स के पैरों में एक पेपर रखा और फिर म्यूजिक प्ले कर दिया। डांस करते हुए आरव आयु का चेहरा देखने की कोशिश कर रहा था। “देखूं मैं तुझे या देखूं कुदरत के नजारे, मुश्किलों में है ये दिल मेरा माना तेरी सूरत की है चाँदी सौ टका बिल्लो... मेरे दिल का सोना भी खरा ये तेरी चाँद बालियां, है होंठों पे ये गालियाँ ये तेरी चाँद बालियां, है होंठों पे ये गालियाँ सोचने का मौका ना दिया हाय... मैं तो तेरे पीछे हो लिया, मैं तो तेरे पीछे हो लिया। फर्स्ट राउंड में पेपर बड़ा होने की वजह से सब आराम से डांस कर रहे थे वही अयान के साथ माहिरा होने की वजह से उसने जानबूझ कर डांस करते हुए पहले ही राउंड में उसे पेपर से बाहर कर दिया। “माहिरा लूथरा को आज तक किसी ने इग्नोर नहीं किया है। इसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे जानबूझकर आउट करने की।” माहिरा घूरते हुए अयान की तरफ देख रही थी। फिर उसने अयान की नजरों से बचते हुए उसकी फोटो क्लिक की। आउट होने के बाद माहिरा दूर खड़ी होकर बाकी लोगों का डांस इंजॉय करने लगी। हर एक राउंड में पेपर छोटा होता जा रहा था। आयु ने डांस करते हुए बीच में आउट होने की पूरी कोशिश की पर आरव ने उसे अच्छी तरह पकड़ रखा था। लास्ट राउंड तक आते-आते वहां पर सिर्फ तीन कपल बचे थे, जिनमे आरव और आयु एक थे। पेपर की लास्ट फोल्डिंग करने के बाद रायशा ने माइक में कहा, “गाइज असली मजा तो अब आने वाला है। अब इस पेपर पर इतनी ही जगह बची है कि एक इंसान अपने दोनों पैर ठीक से टिका सके। लेट'स सी ये फाइनल राउंड कौन जीतता है। चलिए आप अपने अपने कपल के साथ कंफर्टेबल खड़े हो जाइए क्योंकि इस बार सॉन्ग पूरा प्ले होगा।” “देखो आई एम नॉट कंफरटेबल विद यू... मुझे नहीं करना है डांस। अजीब जबरदस्ती है तुम्हारी।” आरव के बहुत ज्यादा क्लोज होने पर आयु ने चिढ़कर कहा। “तुम्हें तो खुद को लकी समझना चाहिए कि तुम वो पहली लड़की हो, जो आरव खुराना के इतने करीब आई है।” आरव पेपर पर खुद को कंफर्टेबल करते हुए बोला। “बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मुझे तुम्हारे बारे में कुछ पता ही नहीं है। ज्यादा शरीफ बनने का नाटक मत करो। मैं अच्छे से जानती हूं तुम कौन हो और किस चीज के लिए लोग तुम्हें ज्यादा जानते हैं।” आयु ने गुस्से में कहा। पूरे डांस के टाइम उसने एक बार भी आरव के साथ आई कांटेक्ट नहीं किया। पूरे टाइम उसकी नजरें नीचे की तरफ थी। “लगता है तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ ज्यादा ही अच्छे से पता है।” आरव ने आई विंक करके कहा। “तो आप सब तैयार हो ना गाइज? अगले 1 मिनट में म्यूजिक प्ले होने वाला है।” म्यूजिक प्ले करने से पहले रायशा ने कहा। “मैंने नोटिस किया कि डांस करते टाइम तुम्हारी आंखें नीचे थी। अगर ऐसे ही रहा तो हम आउट हो जाएंगे। तुम बस मेरी आंखों में देखना... बाकी सब मैं संभाल लूंगा।” आरव बोला। आयु कुछ कह पाती उससे पहले आरव ने उसे कमर से पकड़ा और थोड़ा ऊपर उठा लिया। उसके बाद आरव ने कहा, “अपने पैरों को मेरे पैरों से रेप कर लो ताकि नीचे ना गिर जाओ। तुम्हारे वजन का पता नहीं लेकिन इतनी भारी ड्रेस पहनकर आने की क्या जरूरत थी।” “हां तो तुम्हें भी किसी ने कहा नहीं मुझे उठाने को... पता नहीं कौन सा गोल्ड मेडल मिलेगा जो जीतने पर अड़े हो। कब से देख रही हूं बच्चों की तरह जिद्द कर रहे हो। कभी गाड़ी को लेकर तो कभी जीतने को लेकर।” आयु ने इरिटेट होकर कहा। “हां तुम नहीं समझोगी... तुम्हारा पता नही लेकिन आरव खुराना जीतने में यकीन करता है... फिर चाहे बात एक छोटे से डांस कंपटीशन की ही क्यों ना हो।” आरव ने जवाब दिया। “हुह... ओह गॉड इस लड़के ने मुझे इतनी देर में ही इरिटेट कर दिया है। कब से आरव खुराना ये नहीं करता, आरव खुराना वो नहीं करना की रट लगा कर रखी है। किस एंगल से ये इतना बड़ा बिजनेसमैन लगता है। बिहेवियर तो इसका बिल्कुल बच्चों वाला है।” आयु ने बड़बड़ा कर कहा, तभी म्यूजिक प्ले हो गया। “इश्क़ की धुनी रोज़ जलाए, उठता धुंआ तो... कैसे छुपाएं। हो अँखियाँ करे जी हजूरी, मांगे है तेरी मंजूरी। कजरा सियाही, दिन रंग जाए, तेरी कस्तूरी रैन जगाए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। डांस करते हुए आरव आयु हल्के से घुमा रहा था, तभी उसकी उंगलियां आयु की बैक को टच हुई तो वो खुद में सिमटने लगी। हो चाहे भी तो भूल ना पाए, मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। आरव ने इशारे से उसे आंखों में देखने के लिए कहा। आयु ने आरव की आंखों में देखा। पहली बार उसने उसकी आंखों को इतने करीब से देखा था जो गहरे नीले रंग की थी और बहुत ही खूबसूरत थी। जोगिया जोग लगाके, वखरा रोग लगा के। इश्क़ की धुनी रोज़ जलाए, उठता धुंआ तो कैसे छुपाए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। आरव का पूरा ध्यान आयु को संभालते हुए डांस करने में था। जब आरव का ध्यान आयु आंखों की तरफ गया तो ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया, “एंबर आईज...” “ चाहे भी तो भूल ना पाए...। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए।” “अनुष्का सिंह ओबेरॉय...”आरव को आयु की आंखें देखते ही उसकी याद आई तो वही आयु को भी अनु का नाम सुनकर हैरानी हुई। आरव ने जैसे तैसे मैनेज करके उसका मास्क निकाला। उसने पहली बार आयु को देखा था। आयु की आंखों की छाप आरव के दिल में पहले ही बस चुकी थी तो उसकी खूबसूरती और चेहरे की मासूमियत उसे अपनी तरफ खींच रही थीं। “हो ओढ़ के धानी प्रीत की चादर आया, तेरे शहर में राँझा तेरा। दुनिया ज़माना, झूठा फ़साना... जीने मरने का वादा, सांचा मेरा। हां शीश-महल ना मुझको सुहाए, तुझ संग सुखी रोटी भाए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए। मन मस्त मगन... मन मस्त मगन, बस तेरा नाम दोहराए।” जब तक म्यूजिक खत्म हुआ, आरव और आयु के अलावा बाकी सारे कपल्स पेपर से आउट हो चुके थे। आरव और आयु एक दूसरे की आंखों में खोए हुए थे। तालियों की गड़गड़ाहट सुनकर उन दोनों का ध्यान टूटा तो आरव ने आयु को नीचे उतार दिया। “इसी के साथ हमारे विनर हैं आरव खुराना और आयुष्का।” रायशा ने माइक में अनाउंस किया। “आयुष्का।” आरव ने आयु का नाम दोहराया। वो अभी तक खोई हुई नजरों से आयु की तरफ देख रहा था, जबकि आयु जो उसके सामने नहीं आना चाहती थी, वो इन सब के चक्कर में उसके सामने आ चुकी थी। यहां तक कि उसे उसका नाम भी पता चल गया था। उसके बाद आयु पार्टी में 1 मिनट भी नहीं रुकी और तुरंत वहां पार्टी वेन्यू से बाहर चली गई। आरव आयु से और भी बात करना चाहता था, लेकिन वो उसे पार्टी की भीड़ में खो चुका था। °°°°°°°°°°°°°°°°