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Gangster's immature bride

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ये कहानी है महलो की राजकुमारी  इरा राजपूत की! जो है राजकुमारी पर उसकी जिंदगी नोकरो से भी बदतर है और दूसरी तरफ है अपनी दुनिया पर राज करने वाला इन्सान जिसका नाम है अर्नव यदुवंशी जिसके नाम मै ही महासागर समाया हो तो किरदार मै गहरापन होना लाजमी है! इरा अप...

Total Chapters (20)

Page 1 of 1

  • 1. Gangsters immature bride - Chapter 1

    Words: 2032

    Estimated Reading Time: 13 min

    ये कहानी है महलो की राजकुमारी इरा राजपूत की, जो अपनी जिंदगी नोकरों से भी बदतर है। दूसरी तरफ है अपनी दुनिया पर राज करने वाला इन्सान जिसका नाम है अर्नव यदुवंशी, जिसके नाम में ही महासागर समाया हो तो किरदार में गहरापन होना लाजमी है। इरा अपने ही घर में होकर कैद है और अर्नव घर से बेघर होकर भी राज करता है। इरा जो है दुनियादारी से अनजान, बिल्कुल नवजात शिशु की तरह, वही अर्नव है शातिर खिलाड़ी। क्या होगा जब आयेंगे दोनों आमने सामने? क्या इरा कभी अपनी कैद से आजाद हो पाएगी? क्यों है अर्नव इतना शक्तिशाली होने के बाद भी अपने ही घर से बेघर?

    सुबह की खिलती धूप खिड़की से छन कर एक परी जैसी खूबसूरत लड़की के चेहरे पर पड़ रही थी। वह लड़की जमीन पर बिस्तर लगा कर सो रही थी।

    "उठ जाओ इरा, सुबह हो गई है बेटा," एक 45 साल के आसपास की औरत उस खूबसूरत परी को उठाने की कोशिश कर रही थी।

    उस लड़की ने मासूमियत से निंद भरी आवाज में कहा, "थोड़ी देर और सोना है, इरा को।"

    इरा की आई सुजाता, जो राजपूत हवेली में सबसे वफादार और पुरानी मेड है।

    इरा कसमसा कर वापस सो चुकी थी कि तभी उसके रूम का दरवाजा धड़ाम से खुला और एक 40 के आसपास की उम्र की औरत अंदर आई।

    उस औरत ने डरावनी आवाज में गुस्से से कहा, "अगर तू इतनी देर तक सोती रहेगी तो हमारे लिए खाना कौन बनाएगा? तुम दिन पर दिन बहुत काम चोर होती जा रही हो, हमारा आदेश नहीं मान रही हो। कुछ ज्यादा ही पर निकल आए हैं तुम्हारे मुझे कतरने पड़ेंगे।"

    उस औरत की डरावनी आवाज सुनकर इरा बहुत ज्यादा घबरा चुकी थी। वह तुरंत उठकर बैठ गई और सुजाता के गले लगाते हुए घबरा कर बोली, "इरा को डर लग रहा है, आई। इनसे बचाओ मुझे, कहो मैं खाना बना दूंगी। मैं इनका हर आदेश मानूंगी।"

    इरा की ऐसी बात सुनकर उस औरत के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई। यह है इस हवेली की मालकिन सरोजिनी राजपूत, इरा की काकी सा।

    सरोजनी इतराते हुए बोली, "बस ये डर बरकरार रहना चाहिए तुम्हारे दिलो दिमाग में।"

    इरा ने मासूमियत से हां में सर हिला दिया।

    वही दूसरी तरफ...

    मुंबई शहर का बाहरी इलाका, जहां गाड़ियों का शोर शराबा बिल्कुल नहीं है।

    डार्क हेवन।

    एक बड़े से बंगलो पर खूबसूरती से डार्क हेवन लिखा था। उस घर के अंदर सैकड़ों की संख्या में सर्वेंट्स काम कर रहे थे।

    वही 5वें फ्लोर पर जिम एरिया में...

    एक लड़का ट्रेड मिल पर फुल स्पीड से दौड़ रहा था। उसने इस वक्त एक व्हाइट टॉवल पहना था और अपर बॉडी बियर्ड थी, जिससे पसीने से चमकते उसके एट पैक एब्स साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे।

    उसकी एम्बर आंखें भी अलग सा गुरुर लिए दहक रही थीं।

    एक लड़का जिम एरिया में एंटर होते हुए बोला, "अर्नव मल्होत्रा के वो आदमी जो जबरदस्ती घुस आए थे अब हमारे कब्जे में है।"

    अर्नव के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान खिल जाती है।

    "तुम चलो, समीर, मैं आता हूं,"

    अर्नव ने अपनी भारी आवाज में कहा और समीर वहां से वापस चला गया।

    अरनव ट्रेड मिल से उतर कर टॉवल से पसीना पोंछ कर बोला, "किस्मत भी कितनी बेरहम है तुम लोगों की जो तुम सब अरनव यदुवंशी के हाथों मरने के लिए आ गए। ये दुश्मनी बहुत महंगी पड़ेगी तुमको।" मानिक मल्होत्रा।

    इतना बोल कर अरनव हैवानों की तरह हंसने लगता है।

    कुछ देर बाद...

    अर्नव तेज कदमों से चलते हुए बंगलो के बेसमेंट में जाता है, जहां तीन लड़के और एक लड़की फर्श पर गिरे थे और समर्थ की कुछ आदमी बंदूक तान उन तीनों के चारों तरफ खड़े थे।

    अर्नव पेंट की पॉकेट में हाथ डाले रूम में एंटर करता है और फिर विशल बजाते हुए उस लड़की को ऊपर से नीचे तक घूरता है।

    जिसने इस वक्त एक डेनिम शॉर्ट्स और क्रॉप टॉप पहना था। क्लीवेज से लेकर थाइज तक उसका बहुत कुछ रिवील हो रहा था।

    ये देख कर अर्नव के चेहरे पर कुटिल मुस्कान खिल जाती है और वो समीर को बोलता है, "समीर, तुम इन तीनों लड़कों की खातिरदारी करो और मैं इस हसीना को संभालता हूं। और हां, फरमान और मीर से कॉन्टैक्ट कर लेना, अभी तक उनका कोई मैसेज नहीं आया है।"

    समीर हां में गर्दन हिलाते हुए वहां से चला जाता है और वो बॉडी गार्ड्स उन तीनों लड़कों को घसीटते हुए वहां से ले जाते हैं और वो लड़के चिल्लाने लगते हैं।

    अर्नव वहां रखी एक चेयर पर बैठ जाता है और उस लड़की को शिद्दत से घूरने लगता है।

    उस लड़की को लग रहा था वो अपने प्लान में कामयाब हो चुकी है तो वो हिम्मत कर के उठी और फिर समर्थ के पास आकर उसकी चेयर पर झुकते हुए बोली, "तो आपको पसंद आई मेरी खूबसूरती।"

    अर्नव एक स्मिर्क के साथ बोला, "तो तुम्हें ये कीमत लगती है अरनव के जमीर को खरीदने की? उसको मोह के जाल में इतनी आसानी से फंसाने की?"

    वो लड़की अपना क्लीवेज शो करते हुए बोली, "नहीं, हम तो आपके किरदार के दीवाने हैं बस एक बार आप छू लो तो मुझे जन्नत नसीब हो जाएगी।"

    अर्नव ने झट से उस लड़की के बाल पकड़ते हुए दांत पीसते हुए कहा, "दीवाने तो होंगे ना हमारे किरदार के जब हु ही इतना काबिल।"

    पर अफसोस, तुम्हें जन्नत नसीब नहीं करवा सकता, ना मैं भगवान हूं, ना मैं खुदा। बस एक बेरहम इंसान हूं जो तुम्हें जान से मार सकता हूं, वो भी बिना ऊपर वाले की इजाजत के।

    इतना बोलते हुए अर्नव ने उसे लड़की का गला कसकर पकड़ लिया और फिर दांत पीसते हुए बोला, "तुम्हारे मालिक को अब तुम्हारी यह हसीन लाश मिलेगी, शायद उसे मेरी लास का इंतजार है और यह इंतजार उसका भगवान के पास जाकर ही खत्म होगा, शायद हम दोनों हेल में वापस मिलें?"

    इतना बोल कर अर्नव एक झटके से उस लड़की को उठ कर उसका सर दीवार पर दे मारता है और वो एक चीख के साथ जमीन पर गिर पड़ती है।

    कुछ पलों में तड़प कर उसने इस जिंदगी को अलविदा कह दिया।

    अर्नव उसके पास आया और उसकी खुली आंखों को हाथ से आहिस्ता से बंद करते हुए बोला, "सी यू सून इन द हेल, स्वीटहार्ट।"

    इतना बोल कर अर्नव किसी साइको की तरह हंसते हुए बेसमेंट से बाहर निकल गया...

    उसके हाथ पर खून लग गया था और वो लाल रंग अर्नव का पसंदीदा रंग था।

    अर्नव अपने रूम में जाकर शावर लेने लगता है। वही हॉल में बैठी एक औरत खुद में बड़बड़ा रही थी, "हे शिव, कैसा बेटा दिया है रोज सुबह इसकी खून के साथ होती है और दिन भी खून के साथ ढलता है। कब इसे अकल आएगी?"

    इतना बोल कर वो हंसी में गर्दन हिलाते हुए किचन की तरफ जाती है, जहां कुछ सर्वेंट्स ब्रेकफास्ट की तैयारियां कर रहे थे।

    "अंबी, तुम जरा मेरे साथ चलो, मुझे गार्डन में नए फूल लगवाने हैं।"

    एक सर्वेंट ने हां में गर्दन हिलाकर कहा, "जी मालकिन, चलिए।"

    ये है अर्नव की मां दामिनी यदुवंशी।

    अर्नव की फैमिली में अर्नव, दामिनी, अर्नव का छोटा भाई समर्थ, अर्नव के चाचा दिलीप यदुवंशी, चाची कोमल यदुवंशी और उनकी बेटी राधा यदुवंशी है।

    दामिनी के बाहर जाते ही एक एक कर के बाकी फैमिली मेंबर्स भी डाइनिंग हॉल में आ जाते हैं...

    समर्थ और राधा स्टेयर्स से नीचे आ रहे थे और आपस में बात कर रहे थे, ओह सॉरी लड़ रहे थे।

    राधा: देखो भाई अगर आपने अर्नव भाई से इस बारे में कुछ भी कहा तो मुझसे बूरा कोई नहीं होगा।

    समर्थ ने दांत दिखाते हुए कहा, "ए छिपकली मैं तेरी बुजदिल धमकियों से डरता नहीं हूं, समझी। कॉकरोच से डर लगता है और आई बड़ी समर्थ यदुवंशी से पंगा लेने वाली हूं।"

    राधा ने जाड़ पीसते हुए गुस्से मै कहा, "भाई भूलो मत मेरी रगों में भी यही यदुवंशी खून बहता है। अपनी पर आई ना तो आपकों कॉकरोच समझ कर ही मसल डालूंगी।"

    समर्थ ने हाथ दिखाते हुए कहा, "चल हट बड़ी आई समर्थ यदुवंशी को डराने वाली।"

    राजपूत हवेली...

    इरा अपने रूम में बैठ कर सिसक रही थी, खाना बनाते वक्त उसका हाथ जल गया था और सुजाता अभी काम में बिजी थी, इसलिए इरा को देखने वाला कोई नहीं था।

    वो बस रोते हुए बोल रही थी, "आई, इरा को दर्द हो रहा है, आप कहां हो, आ जाओ ना। इरा बहुत रो रही है।"

    जितना दर्द इरा की आवाज में था, उसे सुन कर तो कोई पत्थर दिल भी पसीज जाए...

    पर इस बेजुबान चार दिवारी में उसकी ये दर्द भरी सिसकियां सुनने वाला कोई इंसान नहीं था।

    इस घर के लोग इंसान के रूप में हैवान थे...

    राजपूत हवेली का दूसरा कमरा...

    एक लड़का और एक लड़की बिना कपड़ों के एक दूसरे की बाहों में चूर थे। उस लड़के ने मदहोशी से उस लड़की के जिस्म को सहलाते हुए कहा, "कब हो रही है राजपूत हवेली तुम्हारे नाम, बेबी?"

    वो लड़की बिना पानी की मछली की तरह तड़पते हुए बोली, "फिलहाल तुम मुझ पर ध्यान दो, बाद में बात करेंगे इस टॉपिक पर।"

    तो वो लड़का उसकी गर्दन चूमते हुए बोला, "अपना एक एक वादा याद रखना। मानिक मल्होत्रा जितना वादे का पक्का है उतना ही सामने वाले से वादा मनवाना भी आता है। मुझे उस लड़की के 21 के होते ही उससे शादी करके अपनी दासी बनाना है, और तुम इसमें मेरा साथ दोगी, ये तुमने ही कहा था।"

    हम्म्म्म... वो लड़की एक आह भरते हुए बोली...

    मानिक और इरा की काकी सा की लड़की, हर्षाली दोनों कई बार हमबिस्तर हो चुके थे पर उनमें प्यार जैसा कुछ नहीं था। मानिक अपने फायदे के लिए हर्षाली से जुड़ा था और हर्षाली अपने फायदे के लिए उससे।

    डार्क हेवन...

    अर्नव सीढ़ियों से उतर कर नीचे आ रहा था कि उसके चाचा दिलीप ने चिल्लाते हुए कहा, "ये लड़का यहां क्या कर रहा है जब मैं इसे घर से धक्के मार कर निकाल चुका हूं?"

    राधा ने मुड़ कर अर्नव को देखा और फिर समर्थ को और फिर मन ही मन बोली, "ये भाई भी ना कहा था ना इन्हें पीछे के दरवाजे से निकल जाना पर नहीं इन्हें सामने से जाना है और अगर बाय एनी चांस पापा को कल का कांड पता चल गया तो भाई के साथ साथ मुझे भी घर से बेदखल कर देंगे। भगवान जी बचा लेना।"

    ऐसा ही हाल समर्थ का भी था।

    अर्नव नीचे आया और दामिनी और कोमल के पास आकर उन्हें साइड हग करते हुए बोला, "रिलैक्स चाचू, आपकी भाभी जी को मेरी याद आ रही थी, मैं बस निकल ही रहा हूं।"

    इतना बोल कर अरनव समर्थ की तरफ आई विंक करते हुए घर से बाहर चला गया...

    और दिलीप ने घूर कर समर्थ को देखा जो अब नीची नजरें किए उनसे नजरें चुरा रहा था और अपने मन में बोला, "ये भाई खुद तो खिसक लेते हैं और हर बार मुझे फंसा देते हैं मेरी तरफ आंख मारने की क्या जरूरत थी? मैं कोई उनकी माशूका हूं हम्म्म्म।"

    अर्नव घर से निकाल कर बाहर अपनी कार में बैठ जाता है और एक बार घर की तरफ देखकर एक गहरी सांस छोड़ता है और फिर स्पीड से अपनी कार सड़क पर दौड़ने लगता है। कुछ ही पलों बाद अर्नव की कार एक और प्राइवेट प्लेस पर जाकर रुकती है, जहां उसका प्राइवेट जेट खड़ा था। अर्नव तेज कदमों से चलकर जेट की तरफ बढ़ जाता है और वहां ऑलरेडी दो बॉडीगार्ड खड़े थे। वह जीत का डोर अर्नव के लिए ओपन करते हैं और अर्नव स्टाइल से जेट के अंदर चला जाता है। कुछ देर बाद...

    स्टार आईलैंड (काल्पनिक)

    यह अरनव का पर्सनल आईलैंड है जहां दूर-दूर तक सिर्फ अरनव की दुनिया है। यहां वही होता है जो अरनव चाहता है। अर्नव को सब यहां किंग के नाम से जानते हैं...

    अर्नव की खुद की एक गैंग है जिसे डार्क डेविल्स के नाम से जानते हैं, जिसमें टोटल 6 मेंबर हैं।

    राजपूत हवेली...

    शाम का वक्त...

    आई आप इरा को कहां भेज रही हो? वो मालकिन बहुत डाट लगाएगी।"

    इरा ने रोते हुए सुजाता से कहा...

    सुजाता ने कहा, "बेटा तेरी वो मालकिन तुझे बेचने वाली है और मेरे जीते जी मैं ये कभी नहीं होने दूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए। तू चल मेरे साथ..."

    सुजाता राजपूत हवेली के पीछे के रास्ते से इरा को बाहर लेकर जा रही थी।

  • 2. Gangsters immature bride - Chapter 2

    Words: 2035

    Estimated Reading Time: 13 min

    सुजाता इरा को खुफिया रास्ते से हवेली से बाहर ले जाती है! इरा अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से बाहर की दुनिया देख रही थी जो उसने कभी नहीं देखी थी। "सब कुछ कितना रंगबिरंगा है अम्मा!" इरा ने अपनी पलकों को मासूमियत से झपकाते हुए सुजाता से कहा। सुजाता अपनी डरी हुई नज़रों से चारों तरफ देख रही थी कहीं उन्हें बाहर जाते हुए कोई देख तो नहीं रहा है। इरा की बात सुनकर वह एक बार उसकी तरफ छोटी सी स्माइल कर देती है और उसके बाद एक टैक्सी लेते हुए ईरा को शहर से बाहर ले जाने लगती है! वही मानिक मल्होत्रा जो हवेली के बाहर था, उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी। उसे पता था एक दिन ये होगा क्योंकि सुजाता इरा को बिल्कुल अपनी बच्ची की तरह मानती है तो वो उसे बिकने कैसे दे सकती है, या उसकी मासूमियत किसी को छीनने दे सकती है? वो तुरन्त अपनी कार उस टैक्सी के पीछे लगा देता है! वही सुजाता का दिल डर से कांप रहा था, कहीं कुछ गलत ना हो जाए। उसने इरा के चेहरे पर एक दुपट्टा बांध दिया था जिससे अब उसकी प्यारी नीली आंखें ही दिखाई दे रही थी, उसका चेहरा नहीं! वही हीरा बाहर का यह शोरगुल, गाड़ियां, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में हंसते खेलते लोग इन सबको देखकर बहुत ज्यादा हैरान थी। वह बार-बार अपनी गर्दन घुमाते हुए कभी इधर तो कभी उधर देख रही थी। कहीं म्यूजिक बज रहा था तो कहीं लोगों के हंसने की आवाज ही गूंज रही थी, कहीं कोई इंस्ट्रूमेंट चल रहा था तो कहीं गाड़ियों के हॉर्न। यह सब हीरा को बहुत ज्यादा एक्साइटेड कर रहे थे। ईरा ने सुजाता का हाथ पकड़ते हुए कहा, "आई, इरा को भी यह सब करना है, इरा को भी जाना है यहां!" सुजाता ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "हां मेरी बच्ची, एक दिन तेरी जिंदगी में भी राजकुमार आएगा जो तुम्हें वह सारी खुशियां दे देगा जिसकी हकदार तू है, बस कुछ दिन रुक जा।" इरा के होठों पर एक मुस्कान आ गई। सुजाता उसे कब से बोल रही थी कि उसकी जिंदगी में एक राजकुमार आएगा। हीरा को बेसब्री से इंतजार था उसे राजकुमार का जो उसे उसकी कैद से आजादी दिलवाएगा। वही मानिक तेज स्पीड से उनकी टैक्सी का पीछा कर रहा था। सुजाता शहर से बाहर निकलते ही टैक्सी वाले को रोकने के लिए बोलती है और उसे किराया देते हुए टैक्सी से उतर जाती है। यह ऐसा इलाका था जहां से शहर खत्म होकर गांव आना शुरू हो जाते हैं। यही पास में सुजाता की किसी रिलेटिव का गांव था। वह बस यहां से बस लेकर वहां जाने वाली थी। वह जैसे ही आगे कदम बढ़ाती है अचानक ही उन दोनों के आगे माणिक की कार आकर रुक जाती हैं, जिसे देखकर सुजाता की आंखें डर से फैल जाती है और ईरा की पकड़ सुजाता के हाथ पर कस जाती है और वह धीरे से बोलता है - "इरा को डर लग रहा है आई।" सुजाता ने भी इरा पर अपनी पकड़ कस ली और फिर से उस कार की तरफ देखने लगी। वही मानिक एक जहरीली मुस्कान लिए कार से उतरता है! और अपने कदम उन दोनों की तरफ बढ़ा देता है। मानिक के कदम लगातार इरा की ओर बढ़ रहे थे और सुजाता के हाथ बुरी तरह इरा के हाथ पर कसते जा रहे थे। डर से हालत उसकी भी खराब हो रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था वो कहा जाए, क्या करे? और किससे मदद मांगे इस शैतान से बचने के लिए? उसने हिम्मत करके जैसे ही कदम बढ़ाया - मानिक ने इरा का दूसरा हाथ कस कर पकड़ लिया। और फिर डरावनी हंसी हंसते हुए बोला - "कहा लेकर जाओगी ताई इस कमसिन कली को? इसे टूटना तो मेरे ही हाथों है, पर तुम ये भगाने की कोशिश करके इसे सिर्फ तोड़ने पर नहीं बल्कि बुरी तरह कुचलने पर मजबूर कर रही हो मुझे।" ये सुन कर सुजाता की दिल डर के मारे कांप उठा। और इरा भी उसकी इतनी तेज पकड़ से सिहर उठी। और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। पर उसकी कोशिशे सब बेकार थी। मानिक ने एक झटके से खींचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया। और उसकी मासूम आंखो में देखते हुए बोला - "बहुत इंतजार किया है मैने इस वक्त का, इतनी आसानी से तो नहीं जाने दूंगा तुम्हे।" ईरा डरते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर उसकी नाजुक कलाइयों में इतनी ताकत नहीं थी कि वह मानिक जैसे बॉडीबिल्डर से खुद को छुड़ा पाए। वही मानिक ने एक झटके से सुजाता का हाथ हीरा से झटक दिया था जिससे वह मुंह के बल सड़क पर गिर चुकी थी और उसके हाथ पैर में कंकर चुप चुके थे। उसकी दर्द के मारे एक आह निकल गई जिसे देख कर ईरा बुरी तरह रोने लगी। मानिक ने ईरा के दोनों गालों को अपने हाथ से भींचते हुए कहा - "अरे तुम क्यों रो रही हो, तुम्हें थोड़ी ना कुछ कर रहा हूं। तुम तो बहुत नाजुक हो, तुम्हें मैं बहुत संभाल के रखूंगा, अपनी रानी बनाकर रखूंगा मैं तुम्हें।" ईरा की आंखों से मोटे-मोटे आंसू निकल कर गिर रहे थे। उसकी सिसकियां बंधी हुई थी। और अगले ही पल मानिक ने जबरदस्ती उसे उठाया और उसे अपनी कार की बैक सीट पर डालते हुए, खुद ड्राइवर सीट पर बैठ गया और एक तिरछी मुस्कान सुजाता की तरफ देखते हुए पास की और एक झटके से कार स्टार्ट कर ली। सुजाता बहुत हिम्मत करके उठी पर तब तक वह गाड़ी स्टार्ट हो चुकी थी। सुजाता ने उसके पीछे भागते हुए इरा को आवाज़ लगाई पर उसके बूढ़े हो चुके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह एक गाड़ी का पीछा कर सके। कुछ ही देर में वह ठक्कर फिर से सड़क पर गिर गई और रोने लगी। वह अपनी किस्मत को कोस रही थी उसकी वजह से ईरा की मुसीबतें कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ चुकी थी। वह बस भगवान से प्रार्थना कर रही थी किसी फरिश्ते को भेजने की जो इरा को इन सब से निकल सके, उसे एक शांति भरी जिंदगी दे सके जिसमें सुकून हो, ईरा की मुस्कान हो। Star island.. अर्णव अपने स्टडी रूम में लैपटॉप पर कुछ वर्क कर रहा था की वहा उसके left hand कम भाई ज्यादा "क्रिश" की एंट्री हुई तो ये हैं dark devels gang के चार्मिंग प्रिंस क्रिश डिसूजा उम्र 26 साल, नीली आंखे, गोरा रंग, 6 फूट हाइट, 6 पैक्स एब्स वाली मस्कुलर बॉडी, left eyebrow पर एक कट शर्ट के ऊपर से तीन बटन ओपन थे जिसमें से सीने पर बना ईगल टैटू थोड़ा थोड़ा विजिबल हो रहा था लड़कियां तो जैसे दीवानी हैं इनकी। अर्णव ने बिना उपर देखे अपनी रूड टोन मै कहा - "Hmm बोलो क्या न्यूज है।" क्रिश ने स्टाइल से अर्णव के सामने बैठते हुए कहा - "Today's breaking news King का जानी दुश्मन चला है love date पर।" अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए का, "साफ-साफ बोलो क्या हुआ है।" क्रिश ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा - "आज मानिक मल्होत्रा को किसी लड़की के साथ देखा गया है! और सुना है बेहद खूबसूरत थी हो।" अर्णव ने घूरते हुए कृष को देखा क्योंकि उसे पता था वह उसे छेड़ रहा है। अर्णव ने तुरंत लैपटॉप बंद करते हुए का - "तो चलो हम भी मिल लेते हैं उसे खूबसूरत हसीना से।" और क्रिश तुरंत ही खुश हो गया। अर्णव और वो दोनों एक साथ बाहर निकल गए। कुछ देर बाद वो दोनों एक चॉपर मै थे जो सीधा मुम्बई की एक सड़क के किनारे लैंड हुआ। मानिक जिसे दूर से ही कुछ अजीब सा धुंध दिखाई दे रहा था। जब उसे पता चला यह धूल का धुंध किसी चॉपर के लैंड होने से हुआ है तो उसकी आंखों में थोड़ी हैरानी झलक आई और थोड़ा गुस्सा भी और शायद किंग का डर भी। क्योंकि एक दिन पहले उसने जो आदमी भेजे थे उनकी लाश टुकड़ों में उसके पास आई थी वापस। वह कुछ सोच समझ पाता उससे पहले ही उसकी कर के सामने चलते हुए कृष और अरनव दोनों आ गए। वह दोनों hell से उतरे हुए devil लग रहे थे। ब्लैक शर्ट, ब्लैक पेंट ऊपर एक long ब्लैक कोर्ट, ब्लैक शेड्स दोनों काफी डैशिंग लग रहे थे। ईरा की मासूम नजरों में एक होप नजर आने लगी थी। अपने सामने दूसरे आदमियों को देखकर उसे वह बिल्कुल फरिश्ते लग रहे थे जो उसे इस शैतान से बचाने आए थे। वही मानिक जो डरा हुआ था उसने ध्यान ही नहीं दिया कि उसने ईरा का हाथ छोड़ दिया है। ईरा ने तुरंत ही car का डोर खोला और भागते हुए उन दोनों के पास चली गई। अर्णव और कृष अभी भी उसे देख रहे थे। कृष की तो आंखें फैल चुकी थी उसे लग रहा था उसने किसी परी को देख लिया है। वही अरनव भी उसके मासूमियत को देख रहा था क्योंकि ईरा के चेहरे पर बहुत ज्यादा डर नजर आ रहा था। इरा भागते हुए आई और तुरंत ही अर्णव के पीछे छुप गई। अर्णव और क्रिश को तो कुछ समझ ही नहीं आया आखिर इतनी जल्दी हुआ क्या। इरा ने डरते हुए अर्णव की जैकेट को कस कर अपनी छोटी छोटी मुट्ठियों मै भर रखा था। क्रिश झुकते हुए इरा को देखने की कोशिश कर रहा था। अर्णव ने गर्दन टेढ़ी करते हुए घुर कर इरा को देखा। अर्णव की silver eyes को खुद पर महसूस कर इरा ने जल्दी से अपनी आंखे भीचंते हुए अपनी मासूम आवाज मै कहा - "आ... आई के पास जाना है इरा को! डर लग रहा है ,!" अर्णव एक आई ब्रो उचका ते हुए क्रिश की तरफ देखता है जैसे पूछ रहा हो कुछ समझ आया ये क्या कह रही है! क्रिश ने अपने कंधे उचका दिए क्योंकि इरा ने जो भी बोला उसके सर से 100 की स्पीड से गुजर गया था। मानिक की पकड़ स्टेयरिंग पर कस गई और उसने जाड़ भींचते हुए इरा को देखा और अपने मन मै बोला - "इसके पास जाकर तुम्हारी जिंदगी नरक से कम नहीं होने वाली है! और कोई कमी रहेगी तो मै पूरी कर दूंगा!" इतना बोल कर उसने एक झटके से कार स्टार्ट कर ली पर वो कही जा पाता उससे पहले ही एक बुलेट सीधा उसकी कार के टायर पर आकर लगी और उसकी कार एक अजीब सी आवाज के साथ इधर उधर होने लगी। उसका बैलेंस बिगड़ चुका था और कुछ ही पलों मै कार पीछे एक पेड़ से टकरा कर रुक गई। क्रिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी। उसने खुद के कंधे को थप थपा कर कहा - "Well done Krish you are make another right glitch " अर्णव ने कहा - "अपने लें डायलॉग बाद में मारना CV को कॉल करो!" क्रिश ने कहा - "करता हूं ना भड़क क्यों रहे हो।" इतना बोल कर क्रिश ने किसी को कॉल किया वही अर्णव हाथ अपनी पॉकेट मै डाले, मानिक की कार की तरफ बढ़ गया। मानिक को जो अपने फुट चुके सर को संभाल रखा था उसे अपने करीब आता देख हड़ बड़ा हट मै अपना फोन लेता है और किसी को कॉल करता है। सामने वाला कॉल जैसे ही उठाता है - "कहा मर गए हो तुम सब?" सामने वाले ने मानिक की ऐसी आवाज सुन कर डरते हुए कहा - "ज.. जी बॉस बस आ रहे है!" मानिक ने झल्लाते हुए कहा - "क्या अब मेरी मैय्यत पर आओगे कमिने जल्दी आओ!" अर्णव ने अपनी जेब में रखी गन को लोड किया और मानिक की कार के दरवाजे को एक लात मारते हुए तोड़ दिया। मानिक ने भी अपनी gun लोड कर ली थी अर्णव के होठों के कोने मुड़ चुके थे। उसने हल्की devilish smile के साथ गहरी आवाज में कहा - "तुम्हारे भेजे चुजे तो किसी काम के नहीं निकले मानिक मल्होत्रा... और वो खूबसूरत मोहतरमा भी!" "अब मजा नहीं आ रहा है तुम्हारे साथ ये गेम खेलने मै तुम दिन पर दिन बोरिंग होते जा रहे हो!" मानिक के दिमाग मै बहुत कुछ चल रहा था उसकी नजर इरा पर गई जिसने अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छिपा रखा था और डर के मारे कांप रही थी। उसने एक स्माइल के साथ कहा - "पर इस बार वाली अप्सरा तुम्हारा सब कुछ तबाह कर देगी।" अर्णव ने एक eye ब्रो चढ़ाते हुए कहा - "Lets see"

  • 3. Gangsters immature bride - Chapter 3

    Words: 1993

    Estimated Reading Time: 12 min

    अर्णव और मानिक दोनों ने एक दूसरे के हेड पर निशाना लगा रखा था कि अचानक एक साथ 4 से 5 गाड़ियां आ गईं। मानिक के चेहरे पर स्माइल तैर गई क्योंकि ये उसके आदमी थे। सबसे पहले एक कार से सूट बूट पहने एक आदमी बाहर आया। ये था मानिक का राइट हैंड निर्भय सिंह! निर्भय के पीछे-पीछे और भी आदमी उतरे जो गन का निशाना अर्णव की तरफ करते हुए आगे बढ़ रहे थे। मानिक ने कहा, "किंग अब तुम्हारा आखिर वक्त चल रहा है क्योंकि तुम्हारे आदमी हमेशा की तरह आज भी लेट हैं और शायद इतने लेट कि सिर्फ तुम्हारा जनाजा उठाने आएंगे, उससे पहले नहीं।" अर्णव के होठों पर एक मुस्कान तैर गई जिसके अगले ही पल वहाँ पर चॉपर उड़ने की आवाजें आने लगी थीं। अर्णव ने गहरी आवाज में कहा, "तेरी जुबान से अब भी मेरे लिए किंग ही निकल रहा है, ये मेरी जीत का सबसे बड़ा सबूत है।" मानिक, निर्भय और उनके बाकी सब आदमी आंखें फाड़े आसमान की तरफ देख रहे थे। हमेशा तो माफिया किंग्स के बहुत सारे बॉडी गार्डस होते हैं पर यहां कुछ अलग था। Devil's Gang में 6 लोग हैं और उन 6 के पर्सनल 12 भरोसेमंद आदमी। इतने काफी है दुश्मन की डर के मारे पेंट गीली करने के लिए। उन चॉपर से कुछ लोग रस्सियों की मदद से उतरने लगे और देखते ही देखते ये नॉर्मल सी सड़क किसी जंग का मैदान लगने लगी। वहीं इरा बहुत डर चुकी थी, अभी वो डरते हुए पीछे हट रही थी कि वो किसी से टकरा गई। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो ये एक लड़की थी जिसकी मास्क की वजह से सिर्फ काली कजरारी आंखें दिख रही थी। क्रिश ने दूर से ही कहा, "CV इसे ले जाओ, king का ऑर्डर है!" उस लड़की ने क्रिश की तरफ एक नजर देखा और फिर इरा का हाथ पकड़ लिया। CV यानी की चांदनी वासु जिसे सब CV बुलाते है, वो इरा का हाथ पकड़े उसे जबरदस्ती अपने साथ खींचने लगती है। तो इरा धीरे से बोलती है, "इरा को खींचो मत, मैं खुद आ रही हूं।" CV ने हैरानी से इरा को देखा, कैसी लड़की है खुद ही गुंडों के साथ जा रही है और ऐसे बता रही है जैसे CV उसे ICECRRAM PARLER लेकर जा रही हो। पर CV ने अपने ख्याल झटके और इरा को अपनी CAR में लेजा कर बैठा दिया। इरा अपनी नीली आंखे टिमटिमाते हुए CV के हर एक एक्शन को देख रही थी, जैसे समझने की कोशिश कर रही हो आखिर ये लड़की कर क्या रही है... CV ने car स्टार्ट कर दी और इरा ने कस कर seat belt को पकड़ लिया जिसे देख कर CV के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान खिल गई। वहीं मानिक और अर्णव दोनों के आदमियों के बीच फायरिंग हो रही थी और इसी बीच निर्भय ने मानिक को अर्णव की नज़रों से दूर भी कर दिया था.... क्रिश ने अर्णव को छेड़ते हुए कहा, "क्या हुआ किंग दुश्मन तो निकल गया?" अर्णव ने तीरछा मुस्कुराते हुए कहा, "पर अपनी सबसे कच्ची नब्ज मेरे पास छोड़ गया!" क्रिश ने हैरानगी से अर्णव को देखा तो अर्णव ने मानिक की कार की तरफ इशारा किया और फिर उस कार की back seat से एक सूटकेस निकाल लिया जिसे देख कर क्रिश के चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई और उन दोनों ने एक दूसरे को हाई फाइव दिया... जिसके बाद क्रिश ने अपने पर्सनल बॉडीगार्ड्स यानी कि 12 योद्धाओं के अलग ग्रुप मै मैसेज कर के बता दिया कि फाइट अब इतनी ही होगी। ओर वो दोनो चॉपर मै बैठते हुए Star आइलैंड के लिए निकल गए। अर्णव के दिमाग मै अब भी सिर्फ इरा घूम रही थी... अर्णव का चॉपर सीधे star iland मै उसके बंगलो के टैरिस पर रुका और क्रिश और अर्णव तेजी से चलते हुए वहां से अंदर आ गए। हॉल का माहौल कुछ गर्म था। 2 नौजवान हाथ मै तलवार लिए लड़ने की बजाय चमचे और कुकर लिए लड़ रहे थे। उनमें सी से एक ने लगभग चीखते हुए कहा, "कमीने सब तेरी वजह से हुआ है!" सामने वाला भी कोई कम नहीं था उसने जवाब दिया, "हराम जादे अपनी गलती मुझ पर डालना बंद कर वरना इस कुकर से तेरा सर फोड़ दूंगा।" अर्णव साइड मै सोफे पर बैठते हुए अपना मोबाइल चलाते हुए बोला, "नौटंकी करने की जरूरत नहीं है cv आ रही है थोड़ी देर में वो बना देगी खाना।" क्रिश ने टेबल से एक apple उठाया और उसे बाइट करते हुए बोला, "और उसके साथ एक अप्सरा जैसी लड़की भी आ रही है क्या पर आपको वो कितना अच्छा खाना बनाती होगी।" अर्णव को इरा को थोड़ा बहुत भुला था उसके दिमाग मै फिर से इरा का मासूम चेहरा घूम गया... इतना बोल कर क्रिश भी अर्णव के साइड मै बैठ गया। वहीं वो दोनो लड़के एकदम से चमचा और कुकर साइड में फेकते हुए क्रिश के पास आकर एक ने कहा, "क्या सच मै उस डायन cv के अलावा भी कोई devil's villa मै आ सकता है बिल्कुल सपने जैसा लग रहा है।" क्रिश ने हंसते हुए कहा, "उग्र सिंह ये सपना नहीं है वो लड़की तेरी डायन से भी ज्यादा सुंदर है।" उग्र ने अपनी तीखी भूरी आंखे छोटी करते हुए कहा.. "चल हट पहली बात तो वो मेरी डायन नहीं है वो सिर्फ डायन है।" की अचानक ही दरवाजे से cv की आवाज आई, "उग्रवादी... !!!" और उग्र की एकदम से हैरानी से आंखे फैल गई। "उग्रवादी!! तूने मुझे फिर से डायन कहा।" तो उग्र और क्रिश के साइड मै बैठे एक हैंडसम और क्यूट बॉय मीर ने उठ कर cv के पास जाकर उसके कंधे पर अपना सर रख ते हुए कहा, "ऑफकोर्स my lord आप जैसी खूबसूरत, डैशिंग, क्यूट, प्रिटी, ब्यूटीफुल...." क्रिश ने एप्पल का एक ओर बाइट लेते हुए कहा, "अबे कानखजूरे जल्दी कर कल पनवेल निकलना है .." Cv को हंसी आ गई वहीं उग्र की डर से हालत खराब थी। Cv ने अपनी जैकेट की बाजू कोहनी तक मोड़ते हुए कहा, "रात को बताऊंगी ये डायन क्या क्या कर सकती है मिस्टर उग्रवादी एंड मीर babu मखन लगाने की जरूरत नहीं है बोलो क्या खाना है!" मीर के होठों पर बच्चों जैसी स्माइल आ गई और उसकी sky blue eyes मै चमक उसने जल्दी से कहा, "खीर खानी है, एकदम टेस्टी वाली मिस डैशिंग के हाथ की।" Cv जैसे ही किचन की तरफ बढ़ी सबकी नजर डरी सहमी खड़ी इरा पर गई जो कब से सीवी के पीछे खड़ी होकर उनकी बकवास सुन रही थी पर सारी बकवास उसके सर के ऊपर से निकल चुकी थी पर सब उसे ऐसे देख रहे थे जैसे आज से पहले इतनी khubsirt लड़की ना देखी हो, छोड़ के उग्र को क्योंकि उसे अपनी डायन का डर जो सता रहा था उसने नजरे उठा कर इरा को एक बार भी नहीं देखा था और आंखे बंद किए प्लान बना रहा था आज कैसे अपनी डायन से बचेगा। की अचानक सबके कानों मै इरा की मिश्री जैसी आवाज पड़ी, "आप सच मै सपनो के राजकुमार हो?" और सब ने चौंक के उसकी तरफ देखा क्योंकि उसका इशारा अर्णव की तरफ था। अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "पागल हो गई हो?" इरा ने चहकते हुए कहा, "आपको वो वो क्या कहते है umm umm जादू हा जादू आता है आप कैसे हम से पहले यहां पहुंच गए वहां आप उस गंदे आदमी से लड़ रहे थे।" इरा की मासूमियत भरी बाते सुन कर सबको हंसी आ रही थी और अर्णव की यकीन नहीं हो रहा था क्या ये लड़की सच मै इतनी पागल है इसे वहां खड़ा इतना बड़ा चॉपर नहीं दिखा और दिखा भी नहीं तो क्या इसका मतलब ये है कि वो उससे पहले नहीं पहुंच सकता। क्रिश ने अर्णव को चिढ़ाते हुए कहा, " आज की breaking news पहली बार king की जुबान हुई बंद एक अप्सरा जैसी दिखने वाली लड़की के मामूली से सवाल पर ओर सूत्रों से खबर मिल रही है king blush भी कर रहे है, तो जनाब अपने दिल को संभाल लो ये सीन को देख कर कही आपका दिल सीने मै उछल कूद ना करने लगे।" वो आगे कुछ बोलता उससे पहले एक कुशन सीधे उसके मुंह पर आके लगा जो अर्णव ने फेंका था। अर्णव ने गुर्राती आवाज में कहा, "अपनी मासूमियत के मुखौटे के पीछे जो चालाक चेहरा है उसे मै बखूबी समझ सकता हूं, मेरे सामने ये भोलेपन का नाटक करने की जरूरत नहीं है। मीर शैलजा को कॉल करो।" मीर ने हैरानी से अर्णव को देखा क्योंकि इरा उसे सच में मासूम लग रही थी। अर्णव ने उसे आंखे दिखाते हुए कहा, "सुनाई नहीं दिया मैने क्या कहा।" मीर ने हा मै सर हिलाते हुए जल्दी से किसी को कॉल किया। अगले 5 मिनट बाद ही इक लड़की वहां आई जिसने बॉडी गार्ड जैसे कपड़े पहने थे और वो गुस्से में इरा का हाथ पकड़ कर उसे हथकड़ी पहनाने लगी। इरा ने रोना चेहरा बना कर सबकी तरफ देखा जैसे वो उसे बचा लेंगे पर किसी ने उसकी तरफ नहीं देखा ओर इरा की मासूम नीली आंखों में आंसु आ गए। उसने भरे गले से कहा, "आ.. आई के पास जाना है इरा को.. सब... सब बुरे हो तुम.. म... मुझे.. मुझे नहीं जाना राजकुमार के पास आई.. कहा हो आप.. इरा को.. इरा को दर्द हो रहा है।" इतना बोल ने के साथ ही इरा बुरी तरह सिसक उठी और ना चाहते हुए भी शैलजा की पकड़ ढीली होने लगी। इरा की ऐसी आवाज ऐसी बाते सुन कर उसके दिल मै भी हल्का दर्द शुरू हो गया। इरा के आंसु एक एक कर के बहने लगे, इरा ने रोते हुए धीरे धीरे भी अपना बड बडाना बंद नहीं किया था। "आ.. आई ले जाओ इरा को.. इरा को नहीं जाना कही पूरी दुनिया बहुत गंदी है सब सब लोग गंदे हैं आई..!!!" शैलजा को ना चाहते हुए भी इरा को जबरदस्ती ले जाना पड़ा। शैलजा ने इरा को अर्णव की बनाई स्पेशल जेल में बंद कर दिया था जहां आस पास ओर भी वैसे ही रूम बने हुए थे और उनमें कुछ आदमी जख्मी हालत में थे। उन्हें देख कर इरा का दिल डर से कांप रहा था। उसे सब बहुत डरावना और घुटन भरा लग रहा था और अचानक ही उसकी पूरी बॉडी बुरी तरह से शिविर करने लगी जिससे इरा ने अपने दोनों हाथों को खुद पर लपेट ते हुए धीरे से कांपते होठों से कहा, "आ.. आई इरा को ठ... ठंड लग रही है ब.. बहुत तेज।" पर शायद उसकी आई इस वक्त उसके पास नहीं आ सकती थी। इरा उस रूम के कोने में दुबक कर बैठ गई और दोनों घुटनो को मोड़ते हुए उन मै सर छुपाते हुए बस बार बार सुजाता को याद करने लगी क्योंकि जब भी इरा को कुछ होता था हमेशा सुजाता ही उसका ख्याल रखती थी वो भी तब जब सरोजनी आस पास नहीं होती थी। इरा को इतनी तेज ठंड लगने लगी कि उसके होठ एकदम नीले पड़ने लगे.... दूसरी तरफ Mumbai city hospital 🏥 सुजाता इस वक्त हॉस्पिटल के बेड पर लेटी थी और उसके पास एक लड़की व्हाइट कोट पहने सुजाता के हाथ में लगे ग्लूकोस ड्रिप मै एक इंजेक्शन इंजेक्ट कर रही थी। वो लड़की दिखने मै बेहद प्यारी लग रही थी, सर पर पिंक दुप्पटा माथे के बीचों बीच छोटी सी काली बिंदी और होठों पर लिप बाम बस इतने मै ही उसकी सादगी निखर कर आ रही थी। उसकी आंखे light purple थी जो उसे सबसे अलग बनाती है। वो जैसे ही वहां से जाने को मुड़ी सुजाता की पलके फड़ फड़ा ने लगी और वो वहीं रुक गई। सुजाता ने मुश्किल से अपनी आंखे खोलते हुए उस लड़की को देखा और फिर आस पास खुद को hospital मै पाकर सुजाता की आंखें फैल गई वो जैसे ही उठने को हुई उसे अपने हाथ में दर्द फील हुआ क्योंकि वहा ग्लूकोज ड्रिप की नीडल लगी थी। उस लड़की ने सुजाता को फिर से बेड पर अच्छे से लेटा ते हुए कहा, "अरे अम्मा शांत रहिए कहा जाना है आपको अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है बिल्कुल भी।"

  • 4. Gangster's immature bride - Chapter 4

    Words: 2170

    Estimated Reading Time: 14 min

    सुजाता ने हैरानी से उस लड़की को देखा तो उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा

    " अम्मा मेरा नाम मन्नत है मै एक डॉक्टर हु मै जब आज evening शिफ्ट देने आ रही थी हॉस्पिटल तो आप मुझे रास्ते में बेहोशी की हालत मै मिले थे"

    " कुछ हुआ था आपके साथ ?"

    मन्नत के इतना बोलते ही सुजाता की आंखों के सामने से मानिक और इरा का चेहरा घूम गया और सुजाता की आंखों में एकदम से पानी आ गया

    मन्नत सुजाता के पास बैठ कर उसका हाथ अपने हाथ मै लेते हुए बोली

    " क्या हुआ अम्मा ना आप कुछ बोल रही हैं और ऊपर से ये आंसु, कुछ हुआ है तो आप बताइए मुझे मै पुलिस कंप्लेन कर दूंगी कोई चोरी हुई है या आप बीमार रहती हो "

    मन्नत को बिलकुल सब्र नहीं था वो एक के बाद एक लगातार सुजाता के सामने सवालों की झड़िया लगा रही थी

    वही सुजाता के दिल में डर बैठा हुआ था उसे कभी ना कभी तो राजपूत हवेली के लोग ढूंढ ही लेंगे और साथ मै वो इरा की भी जान नहीं बचा पाई उसे भी उसकी आंखों के सामने मानिक उठा के ले गया

    उसने मन्नत का हाथ टाइटली पकड़ते हुए कहा

    " बे.. बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद तुम ने अनजान होते हुए भी मेरी जान बचाई पर.. पर मुझे यहां नहीं रुकना मेरे पीछे कुछ लोग पड़े हैं जिनका पुलिस कुछ नहीं बिगाड़ सकती ये ग्लूकोज निकालो तुम मुझे जाना है यहां से "

    मन्नत की आंखे छोटी हो गई

    " अम्मा किसी मै इतनी हिम्मत नहीं है जो इस हॉस्पिटल मै आकर दंगा कर पाए आप चिंता मत करो "

    सुजाता को समझ नहीं आ रहा था वो उसे कैसे समझाए

    सुजाता ने फिर से अपनी टूटी हुई आवाज में कहा

    " बेटा समझने की कोशिश करो वो लोग बहुत खतरनाक हैं पुलिस भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती भगवान के लिए मुझे इस हॉस्पिटल से जाने दो "

    मन्नत ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा

    " बहुत जिद्दी हो अम्मा.. पर ठीक है आप इस हॉस्पिटल से जा सकती हैं पर.."

    सुजाता ने जल्दी से कहा

    " पर क्या "

    मन्नत के एक स्माइल के साथ कहा " पर आपको मेरे साथ रहना पड़ेगा , मै अकेली रहती हु और आपको वहां कोई नहीं ढूंढ पाएगा "

    सुजाता ने कुछ सोचते हुए कहा

    " ठीक है "

    Devil's castle 🏯...

    अर्णव इस वक्त अपने कमरे में एक चेयर पर बैठा था उसके हाथ में ब्लैक कॉफी का एक मग था और उसके सामने एक फुटेज चल रही थी जिसमें ओर कोई नहीं बल्कि इरा थी

    जो ठंड लगने की वजह से बिल्कुल बेहोशी की कगार पर थी

    अर्णव की आंखे बुरी तरह गुस्सा उगल रही थी

    उसने अपने मन में कहा

    " हीटर ऑन हुए पूरा एक घंटा हो चुका है पर इस लड़की का नाटक अब तक खत्म नहीं हुआ है, सच मै काफी ट्रेनिंग ली है मानिक से, पर अर्णव के सामने बड़े बड़े चालबाजों ने घुटने टेके हैं ये 5 फूट क्या बिगाड़ लेगी मेरा "

    Evening 7 pm...

    Mumbai india

    Mumbai high way

    दो स्पोर्ट्स कार फुल स्पीड से दौड़ रही थी और कुछ इस तरह दौड़ रही थी जैसे दोनों कार्स मै एक दूसरे के जानी दुश्मन बैठे हो ...

    कभी black car 🖤आगे तो कभी gray 🩶

    आस पास चल रही गाड़ियों मै बैठे लोग उन्हें गालियां बक रहे थे

    पर उन दोनो को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था

    ओर एक टाइम पर दोनों गाड़िया एक दूसरे के बिल्कुल पास पास आ गई और ड्राइविंग सीट पर बैठे दोनों लड़कों की आंखे आपस मै मिली

    उनमें से जो ब्लैक कार ड्राइव कर रहा था उसकी आंखे " गहरी काली थी eye brow पर एक साइड हल्का सा कट लगा था माथे पर उसके बाल बिखरे थे जो उसके कान से कुछ नीचे तक लंबे थे जिनकी उसने हॉफ पोनी बना रखी थी

    वही दूसरे की आंखे light amber थी जिनमें कोई भी डूब सकता है

    कुछ ही देर मै फिर से उन cars के बीच कुत्तों बिल्ली वाली फाइट शुरू हो चुकी थी

    Star ✨ आइलैंड

    Devil's castle 🏯

    अर्णव इरा को देख देख कर फ्रस्ट्रेट हो चुका था वो उठा ओर gusse से चलते हुए castle से बाहर बने उस farm house मै चला गया जहां उसके कैदियों को रखा जाता है

    क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कोई इंसान हीटर के इतने ज्यादा टेंप्रेचर के बाद भी कैसे ठिठुरने की एक्टिंग कर सकता है

    वो जैसे ही अंदर गया वहां मौजूद सब लोग डर के मारे कांपने लगे थे

    उनको सबसे ज्यादा खौफ था किंग का.. ओर वो जब भी फॉर्महाउस आता है किसी न किसी की मौत पक्की होती है

    लेकिन फिलहाल अर्णव बिना किसी पर ध्यान दिए सीधा इरा के पास गया

    जहां इरा धीरे धीरे बोल रही थी उसकी आवाज बहुत ज्यादा धीमी थी

    और उसके होठों पर अब भी बस उसकी आई का नाम था जैसे वो अभी आके उसे वहां से ले जाएंगी

    अर्णव उसके पास जाकर एक घुटना मोड कर उसके बिल्कुल सामने बैठ गया और उसके बाल पकड़ते हुए उसके मासूम चेहरे को अपनी आंखों के सामने किया

    इरा का पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था

    उसने अपनी नीली आंखों को मुश्किल से खोलते हुए कहा

    " आ... आई..!"

    और अर्णव की आंखे छोटी हो गई अर्णव ने गुस्से से उसके बाल छोड़ते हुए सीधा उसका गला पकड़ लिया और दांत पीसते हुए बोला

    " ओवरएक्टिंग बंद करो समझी!!!""

    पर वो आगे कुछ नहीं बोल पाया क्योंकि इरा की बॉडी इतनी तेज तप रही थी कि अर्णव को अपनी हथेली पर जलन महसूस होने लगी

    और उसने इरा की गर्दन छोड़ दी

    और उसके ऐसा करते ही इरा निढाल हो कर वही फर्श पर गिर गई शायद बेहोश हो गई थी

    अर्णव को कुछ समझ नहीं आया कहा वो इसे सबक सिखाने आया था और ये लड़की अब उसके आते ही बेहोश हो गई

    अर्णव ने कुछ सोचते हुए उग्र को कॉल किया और डॉक्टर बुलाने को कहा और फिर गहरी सांस छोड़ते हुए इरा को अपनी बाहों मै उठा लिया

    Devil 's castle

    Hall..

    हॉल मै सोफे पर इरा लेटी थी और एक फीमेल डॉक्टर उसे चेक कर रही थी

    अर्णव क्रिश और मीर वही साइड मै खड़े थे और बाकि उग्र ओर उसकी डायन सीवी दोनों किचन में कुकिंग कर रहे थे

    क्रिश ने धीरे से मीर के कान मै कहा

    " ये क्या हो रहा है इस devil मै angle आ गई क्या? अपने दुश्मन का इलाज wah wah"

    मीर ने क्रिश को एक चपत लगाते हुए कहा

    " कमिने वो बच्ची है दिख नहीं रही तुझे कितनी मासूम सी तो है"

    क्रिश को हंसी आ गई..

    अर्णव ने घूरते हुए दोनों की तरफ देखा तो क्रिश ने जबरदस्ती अपनी हंसी रोकते हुए मीर से फिर से कहा

    " तुझ से ज्यादा छोटी नहीं लग रही मुझे खुद को बहुत बड़ा आदमी समझता है तू पूरे 22 साल का है समझा आया बड़ा बच्ची है "

    मीर ने जाड़ भींच ते हुए कहा

    " हा छोटा हुआ तो क्या हुआ तूने  26 का होके कौनसे तीर मार लिए तेरे से तो ज्यादा मैच्योर हु"

    क्रिश ने puppy face बनाते हुए कहा

    " Ohh really my baby boy"

    Just set up idiots

    अर्णव ने गुस्से मै गुर्राते हुए कहा

    तो दोनों की बोलती बंद हो गई

    और वो डॉक्टर इरा को अब तक चेक कर चुकी थी उसने अर्णव की तरफ देखते हुए कहा

    " King ये डर के कारण बेहोश हो गई और शायद फीवर भी इसी वजह से आया है "

    इसे बहुत बड़ा ऐसे शोक लगा हो ऐसा कुछ हुआ है अभी या फिर इसने कुछ पहली बार देखा हो?

    अर्णव ने गहरी सांस छोड़ ते हुए कहा

    " आप जा सकती हैं हम संभाल लेंगे"

    डॉक्टर सर झुकाते हुए एक बार अर्णव को ग्रीट करती है और वहा से चली जाती है

    अर्णव वही उस सोफे के सामने लगे दूसरे सोफे पर बैठ जाता है और तिरछा मुस्कुराते हुए बोलता है

    " मानिक मल्होत्रा जिसे मेरी तबाही बोल रहा था वो मेरे इस विला को देखने भर से बुखार मै तप रही है इंट्रेस्टिंग वरी मच इंट्रेस्टिंग"

    क्रिश उसके बगल में बैठते हुए बोला

    " King लोग इतना जल्दी तो दोस्त पर विश्वास नहीं करती जितना तुमने अपने दुश्मन पर कर लिया है उसने बोला और तुमने मान लिया "

    I don't think so ऐसा कुछ है !

    अर्णव ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा

    " लेट्स सी क्या है और क्या नहीं क्योंकि इस अग्नि परीक्षा से तो इसे गुजरना होगा चाहे ये गुनहगार हो चालबाज हो या कोई मामूली बेगुनाह इंसान "

    कुछ देर बाद हॉल मै एक साथ दो लोगों की एंट्री होती है ये है

    " अरहान ओझा और फरमान दुर्रानी "

    ये दोनों भी devil's gang के मेंबर हैं..

    फरमान की आंखे light amber थी वही अरहान की deep black..

    वो दोनो आए और एकदम से क्रिश और मीर के गले लगते हुए बोले

    " I miss you my cuties.. "

    वो इतनी तेज चिल्लाए कि बेचारी इरा जो हल्की होश मै आई थी जागते हुए एकदम से हड़ बड़ा गई और सोफे से नीचे गिर गई...

    इतने मै CV और उग्र भी हाथो मै खाने की प्लेट लेकर आए और उसे डाइनिंग टेबल पर रखने लगे

    फरमान और अरहान दोनों की नजरे एक साथ इरा पर गई जो अब डरते हुए उन सब को देख रही थी

    अर्णव भी गर्दन टेढ़ी करते हुए उसे ही देख रहा था...

    सबकी नजरे खुद पर महसूस कर के तो उसका डर से गला सुख गया था

    उसका निचला होठ हल्का सा बाहर निकला हुआ था जैसे वो अब ही रोने वाली हो

    अरहान ने आंखे छोटी करते हुए कहा

    " तुम लोगों ने बच्चों का किडनैपिंग बिजनेस कब से चालू कर दिया बे"

    मीर ने उसका साथ देते हुए कहा

    " हा मै कब से यही तो समझा रहा हूं कि ये बच्ची है "

    अरहान ने हंसते हुए कहा

    " छोटे तुझसे नहीं पूछा मैने "

    अर्णव ने इरा को घूरते हुए कहा

    " Get up!!!'

    पर इरा आंखे टीम टीमा कर उसे देख रही थी क्योंकि उसे समझ नहीं आया अर्णव ने क्या कहा ...

    फरमान ने धीरे से कहा

    " शायद उसे इंग्लिश नहीं आती "

    अर्णव ने गुस्से से दो उंगली अपने माथे पर रब करते हुए कहा

    "

    " मैने कहा उठो यहां से "

    और इरा एकदम से डरते हुए खड़ी हो गई

    उसके घुटने डर के मारे कांप रहे थे

    उसकी नज़रे बस किसी ऐसे को तलाश रही थी जो उसकी मदद कर सके वो डरते हुए बारी बारी से सबको देख रही थी

    अचानक ही उसकी नजर CV पर पड़ी और वो भागते हुए उसके करीब चली गई और उसकी बाजू पकड़ते हुए बोली

    " ई इरा को नहीं रहना यहां हमे हमें आई के पास छोड़ आओ "

    उसकी इस हरकत पर अर्णव की मुट्ठियां गुस्से में कस गई

    CV को इरा को इस तरह रोते देख कर बहुत बुरा लग रहा था पर उसके हाथ बंधे थे वो अपने लीडर के ऑर्डर के बिना किसी दुश्मन की तरफदारी तो हरगिज नहीं कर सकती थी...

    अर्णव ने किसी राजा की तरह एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ा कर सोफे पर फैल कर बैठते हुए एक सिगरेट जलाई और उसके लंबे कस भरते हुए बोला

    " Miss छुईमुई come to me.."

    इरा अब भी CV का हाथ कस कर पकड़े थी जिसे cv ने जबरदस्ती छुड़ा लिया था

    अर्णव ने फिर से तेज आवाज में कहा

    " छुईमुई इधर आओ मुझे तुमसे कुछ पूछना है उसका जवाब दे दो मै तुझे तेरी आई के पास खुद छोड़ कर आऊंगा "

    इरा ने जैसे ही ये सुना उसके होठों पर एक मासूम मुस्कान तैर गई और वो CV को छोड़ कर तेज कदमों से चल कर अर्णव के सामने खड़ी हो कर बोली

    " पूछो पूछो जल्दी पूछो मेरी आई मेरा इंतजार कर रही होगी और साथ मै इरा को भूख भी लगी है आई के पास जाकर खाना भी खाना है "

    इरा ये सब बिलकुल बच्चों वाले अंदाज मै बोल रही थी

    अरहान ने धीरे से अर्णव के कान मै कहा

    " कही मेंटली डिस्टर्ब तो नहीं है ये लड़की "

    फरमान ने उसका साथ देते हुए कहा

    " हा मुझे भी यही डिसऑर्डर लग रहा है इसे बिल्कुल 4 - 5 साल के बच्चे की तरह बिहेव कर रही है "

    इरा को सब इस तरह देख रहे थे जैसे वो कोई एलियन हो !

    इरा ने उम्मीद भरी नजरो से अर्णव को देखते हुए कहा

    " अब पूछ भी लो राजकुमार क्या पूछना है "

    राजकुमार सुन कर तो अर्णव की बोहे तन गई थी

    पर उसने गहरी आवाज मै कहा

    " तुम मानिक मल्होत्रा के लिए क्या कर रही थी और क्या रिश्ता है तुम्हारा उसके साथ "

    इरा ने तीन चार बार अपनी पलके झपकाते हुए कहा

    " मानिक मल्होत्रा.. कौन है ? "

    और सब को एक साथ हंसी आ गई पर अर्णव का गुस्सा आसमान छू रहा था उसने दांत पीसते हुए कहा

    " ज्यादा भोली बनने का नाटक मत करो छुईमुई तुम्हारे लिए ये बहुत महंगा पड़ सकता है "

  • 5. Gangsters immature bride - Chapter 5

    Words: 1945

    Estimated Reading Time: 12 min

    इरा ने उसकी गुस्से भरी इतनी तेज आवाज सुनकर सहमते हुए कहा, "पर मैं तो कुछ खरीदती ही नहीं, जो आई देती है वहीं लेती हूं, तो कैसे महंगा पड़ेगा?" क्रिश ने कहा, "बाय गॉड! ये मुझे सच में पागल लगती है। इसे टॉर्चर करके किंग को कुछ नहीं हासिल होने वाला।" मीर ने उसका साथ देते हुए कहा, "हां, मुझे भी यही लग रहा है।" अर्णव सबसे ज्यादा ये 'आई' वर्ड सुन-सुन कर इरिटेट हो चुका था। उसने मीर की तरफ देखते हुए कहा, "इसकी आई का पता लगाओ, कौन है, कहां रहती है और क्या करती है।" अर्णव की बात सुनकर मीर ने कहा, "पर कैसे पता चलेगा कि किस 'ए' बोल रही है और वह औरत कहां रहती है, कैसी दिखती है, हमें तो इसका भी नहीं पता है, यह कौन है और कहां से आई है?" अर्णव ने ईरा को घूरते हुए कहा, "यह खुद बताएगी, इसकी 'ए' कैसी दिखती है। एक स्केच आर्टिस्ट को बुलाओ।" ईरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह बस पलक झपकाते हुए कभी इधर देख रही थी तो कभी उधर। उसे अर्णव से एक उम्मीद मिली थी कि वह उसे उसकी आई के पास छोड़कर आएगा, पर अर्णव तो उसे डांटे ही जा रहा है। ईरा ने धीरे से कहा, "क्या मैं आई से नहीं मिल सकती हूं?" अर्णव उस से बिल्कुल इरिटेट हो चुका था। वह अपने माथे को अपने हाथ से रब करते हुए, जाड़ भींच कर बोला, "तुझे पता है, तेरी आई कहां रहती है या इस वक्त कहां है?" ईरा ने मासूमियत से ना में सर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मुझे नहीं पता है। उस गंदे आदमी ने धक्का दिया था उनको, जिससे वो गिर गई और फिर वो आई को सड़क पर छोड़ आया था। इसके बाद आई वहीं गिरी हुई थी, मैंने उसे नहीं देखा उसके बाद।" उसकी इस बात पर अर्णव ने चिल्लाते हुए कहा, "तो फिर कहां से मिलेगी तू अपनी आई से, जब तुझे पता ही नहीं है कि वह है कहां?" ईरा ने आंखें बड़ी करते हुए कहा, "पर आप तो राजकुमार होना, आपको पता होगा मेरी आई कहां पर है, क्योंकि उन्होंने ही तो भेजा होगा आपको मुझे बचाने के लिए।" अरहान ने हंसते हुए कहा, "भाई साहब, इसकी तो अलग ही कहानी चल रही है। इसको लग रहा है तू इसका राजकुमार है जो इस मुसीबत से बचाने आया था। वाह! क्या विचार है दिव्य देवी आपके।" ईरा ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "मेरा नाम ईरा है, दिव्य देवी नहीं।" क्रिश ने हंसते हुए कहा, "मुझे सच में लग रहा है इसका स्क्रू ढीला है।" फरमान ने कहा, "ढीला नहीं है भाई, कहीं गिर चुका है निकल कर, तभी तो ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रही है।" वहीं उग्र ने स्केच आर्टिस्ट को कॉल कर दिया था। कुछ पल की शांति के बाद सीवी ने कहा, "अब ये खाना ठंडा हो जाएगा, खा लो सब, मैं फिर से गर्म करके नहीं दे रही।" सब जल्दी-जल्दी डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। वहीं ईरा मासूमियत से होठों पर जीभ फेरते हुए उन्हें देख रही थी। सीवी ने एक नजर अर्णव को देखते हुए कहा, "King, शायद उसे भी भूख लगी है।" इरा ने जल्दी से कहा, "हां-हां, ईरा ने सुबह से कुछ नहीं खाया।" अर्णव ने उसकी बात सुनकर मुड़ते हुए उसकी तरफ देखा और वो जिस गुस्से में उसे घूर रहा था... ईरा का मासूम चेहरा उतर गया और उसने नजरे झुकाते हुए कहा, "ऐसे.. ऐसे डराओ मत ईरा को... न.. नहीं लगी है भूख, आप खा लो... बच जाएगा तो ईरा खा लेगी।" मीर, अरहान, सीवी और क्रिश को ईरा के लिए दिल से बुरा लग रहा था। अब तो वो जल्द से जल्द सच का पता लगाना चाहते थे। बाकी फरमान, अर्णव और उग्र तीनों के दिल में सिर्फ अपनों के लिए इमोशंस है, गैरों के लिए वो बिलकुल हार्टलेस हैं। इरा अब उनकी तरफ देख भी नहीं रही थी, वहीं अर्णव के डर से बाकी किसी में भी हिम्मत नहीं थी कि वो ईरा को खाने के लिए बोल सके। कुछ देर बाद उनका खाना फिनिश हो चुका था और मीर तुरंत उठते हुए बोला, "अब आ गई होगी स्कैच आर्टिस्ट, मैं बनवाता हुं स्कैच।" इतना बोल कर मीर ईरा की तरफ आया और हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बोला, "चलो मेरे साथ..." इरा ने एक नजर मीर को देखा और फिर जल्दी से मीर का एक हाथ पकड़ते हुए बोली, "Hmm, चलो।" इरा का हाथ मीर के हाथ पर देख कर अर्णव के जबड़े कस गए और अगले ही पल वो उठा और एक झटके से ईरा की बाजू पकड़ कर उसे मीर से अलग करते हुए बोला, "इतने प्यार से नहीं मीर baby..." और फिर ईरा को देख कर "and you छुईमुई, तुम्हे सिर्फ अर्णव संभाल सकता है चलो मेरे साथ.." इतना बोल कर वो उसे उस विला के बाहर ले गया। गार्डन में एक स्कैच आर्टिस्ट डरते हुए अर्णव के बॉडी गार्ड को देख रहा था क्योंकि उसे जबरदस्ती यहां लाया गया था। क्योंकि जो कोई डेविल्स विला में एंट्री लेता है बहुत चांसेज होते है कि वो मुर्दा ही वहां से लौटेगा। अर्णव ने एक झटके से ईरा को वहा छोड़ा और जेब में हाथ डालते हुए उस स्केच आर्टिस्ट को घूरते हुए बोला, "अगले 15 मिनिट में उस लेडी का स्केच रेडी होना चाहिए समझे?" उस लड़के ने डरते हुए धीरे से हा में सर हिला दिया और समान निकालने लगा जो जो उसे चाहिए था। इरा बहुत बारीकी से अब उसे देख रही थी कि वो कैसे क्या कर रहा है। उस लड़के ने एक चार्ट निकाला जिसमें बहुत सारे eye शेप थे। उसने ईरा को देखते हुए पूछा कैसी थी उनकी आंखे... इरा ने एक तरफ इशारा किया और वो आर्टिस्ट अपने काम में लग गया। Eye complete होने के बाद उसने एक ओर चार्ट eye ब्राउज का निकाला तो ईरा इरिटेट होते हुए बोली, "इरा को भी करना है, इरा खुद आई की तस्वीर बनाएगी।" उस लड़के ने डरते हुए अर्णव को देखा जो अब कुछ दूरी पर किसी से कॉल से बात कर रहा था। ईरा ने बच्चों सा मुंह बनाते हुए कहा, "बनाने दो ना।" तो उस लड़के ने पेंसिल ईरा के हाथ में दे दी और ईरा ने स्केच बनाना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में ईरा ने बहुत ही खूबसूरती से बिना किसी मिस्टेक के सुजाता का स्कैच रेडी कर दिया था। अर्णव हैरानी से ईरा को देख रहा था जो अब उस स्कैच को देख देख के खुश हो रही थी और अचानक ही वो तालिया बजाते हुए बोली, "Yeah!!!! ईरा ने बना दिया आई का चित्र।" उस लड़के ने डरते हुए अर्णव की तरफ देखा कही उसका गुस्सा अब उस पर ना फूट पड़े पर अर्णव तो हैरानी से ईरा को ही देख रहा था। क्या सच में उसकी कैचिंग पावर इतनी अच्छी है? एक बार देखा और उसे बनाना आ गया। कुछ देर बाद अर्णव ने मीर को बुलाया और समझाते हुए कहा, "इस औरत को जल्द से जल्द ढूंढो।" मीर बिना कोई सवाल किए वो स्केच अपने हाथ में लेते हुए वहा से चला गया... अब तक दिन भी ढल आया था... वही ईरा का मुंह उतरा हुआ था। उसे भूखे रहने की आदत थी पर हमेशा उसका रोने का मन करता है जब-जब वो भूखी रहती है। अर्णव ने एक नजर उसे देखा और उसका हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर को तरफ ले गया। जहां अब सब लोग ड्रिंक करने की तैयारी कर रहे थे... क्योंकि डिनर हमेशा शाम के वक्त ही हो जाता है... अर्णव ने सबको इग्नोर किया और ईरा को सीढ़ियों से ऊपर की तरफ ले गया... फरमान ने आंखे छोटी करते हुए कहा, "अब क्या चल रहा है इसके दिमाग में?" क्रिश ने एक शिप लेते हुए कहा, "टेस्टिंग कर रहा है शायद।" ओर सबने हा में सर हिला दिया। उग्र हाथ में लैपटॉप लिए बैठा था क्योंकि इन सब के बीच वही एक साधु था जो ड्रिंक नहीं करता... ओर उसकी पूर्ति पूरी-पूरी सीवी करती है। वो उन सबसे ज्यादा एल्कोहोलिक है.. अर्णव ने एक कमरे के अंदर लेकर ईरा को एक झटके से छोड़ते हुए कहा, "छुईमुई.. तुम इस रूम को एंजॉय करो जब तक तुम्हारी आई नहीं मिल जाती।" इरा ने कन्फ्यूजन से अर्णव को देखा और वो कुछ बोलने को हुई उससे पहले ही अर्णव ने झटके से रूम बंद कर दिया और ईरा एकदम से डर गई। अर्णव वहां से निकल कर अपने मास्टर बेड रूम में आता है जो ग्रे कलर से पेंट था बेड शीट ब्लैक थी कार्पेट लाइट रेड... ये कॉम्बो काफी अच्छी वाइब दे रहा था और उसके रूम में अजीब सी शांति थी जो अर्णव के लिए सुकून था। अर्णव रोलिंग चेयर ओपन करते हुए अपना कंप्यूटर ऑन करता है जिसमें उस रूम की सीसीटीवी फुटेज चल रही थी जिसमें अर्णव ने इरा को बंद किया था। अर्णव की शार्प आइज ईरा की हर छोटी हरकत पर बारीकी से नजर रख रही थी। वही ईरा को डर लग रहा था पर अक्सर उसे अंधेरे में रहने की आदत थी... उसने हल्के डर के साथ घुटने मोड़ लिए और दीवार से टेक लगा कर अपनी सहमी नजरो से इधर उधर देखने लगी। उस कमरे हल्की रेड लाइट जल रही थी जो उसे हल्की डरावनी वाइब दे रही थी। इरा ने घुटनो में चेहरा छिपाते हुए अपने पेट को अपने हाथों से पकड़ लिया क्योंकि उसको भूख लगी थी। उसने धीरे धीरे सिसकते हुए कहा, "आई, ईरा को भूख लगी है, आप आ जाओ।" इसी लाइन को वो कई बार दोहराती रही और अचानक ही वैसे ही बैठे बैठे लुढ़क गई क्योंकि शायद उसे नींद आ गई थी। अर्णव ने अपनी चेयर पर पीछे सर टिका लिया और आंखे बंद करते हुए अब तक हुए हर उस इंसीडेंट को याद करने लगा जो जो ईरा के साथ हुआ था..... दूसरी तरफ सब टल्ली हो कर अपने कमरे में जा रहे थे। वही उग्र ने सीवी को अपनी बाहों में भर रखा था और उसे उसके रूम में छोड़ने जा रहा था। इन सब में मीर नहीं था जो सुजाता को ढूंढने के लिए निकल गया था। उग्र ने सीवी को उसके बेड पर आराम से लेटा कर उसके पांव से सैंडल उतारी और उसके गले में पड़ा एक छोटा सा पेंडेंट निकालते हुए उसे बिल्कुल comfy pose में सुला देता है पर जैसे ही जाने लगता है सीवी उसका हाथ पकड़ कर अपनी नशीली निगाहों से उसे घूरती हुई लड़ खड़ा ती जुबान में बोली, "कहा.. चले मिस्टर उग्रवादी, इस सीवी को कब अपनी बीवी बनाओगे ? Hmmm " उग्र ने मुड़ कर सीवी के हाथ को देखा जिसने उसकी शर्ट को अपनी मुट्ठी में भर रखा था... उग्र की आंखो में हल्की खुमारी आ चुकी थी उसने झुकते हुए हल्के से सीवी के फॉर हेड पर किस्स करते हुए कहा, "तुम्हे पता है ड्रिंक करने के बाद तुम्हारी आवाज.. मुझ पर सो बोतलों का नशा चढ़ा देती है और मैं अपनी बाउंड्री क्रॉस नहीं करना चाहता मिस चुड़ैल।" सीवी को तुरंत कुछ याद आया और उसने कस कर उसकी कॉलर पकड़ते हुए कहा, "क्या बोल रहे थे तुम सब को.. hmm... मुझसे शादी नहीं करोगे मै चुड़ैल जैसी लगती हूं और बाकि सब अप्सराएं hmm" ये बोलते वक्त वो काफी क्यूट लग रही थी.. पर उग्र ने अपने इमोशंस पर कंट्रोल करते हुए उसके हाथ हल्के से अगल करते हुए कहा, "नहीं.. मुझे चुड़ैल ही पसंद है अब ठीक है सो जाओ अब hm " वो जैसे ही निकलने के मुड़ा अचानक क्रिश ने दरवाजे पर आकर उसकी तरफ eye wink करते हुए कहा, "एंजॉय योर नाइट विद योर मिस चुड़ैल।" इतना बोल कर उसने दरवाजा बाहर से लोक कर दिया और उग्र बस उसे घूरते रह गया। वो किसी तूफान की स्पीड से आया था और तूफान की स्पीड से वापस चला भी गया उग्र को फंसा कर।

  • 6. Gangsters immature bride - Chapter 6

    Words: 2152

    Estimated Reading Time: 13 min

    उग्र ने पीछे मुड़ते हुए वा की तरफ देखा, जो अभी नशीली निगाहों से एकटक उसे घूर रही थी। उग्र ने सोफे की तरफ जाते हुए बोला, "ऐसे क्यों घूर रही हो, खाने का इरादा है क्या मुझे?" शिवनी बेड पर कडल करते हुए पेट के बल लेटते हुए कहा, "एक बार इजाजत तो दो, रुकने को कहोगे तब भी नहीं रुकूंगी।" उग्र ने सोफे पर लेटते हुए कहा, "कितनी बेशरम चुड़ैल हो तुम।" सीवी ने स्माइल करते हुए कहा, "हूं, तुम लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए उग्रवादी।" इतना कहकर वह बेड से उठ गई और उग्र की तरफ बढ़ गई, जिसे देखकर उग्र की आंखें हैरानी से फैल गईं और उसने झट से सोफे पर से उठते हुए कहा, "अरे नहीं मेरे पास मत आओ।" सीवी ने उसके सीने पर हाथ रखते हुए उसको फिर से सोफे पर लेटा दिया और फिर उसके ऊपर पूरी तरह लेटते हुए बोली, "यह तो तुम्हें मेरे पास आने से पहले सोचना चाहिए था, अब एक बार तो मेरे पास आ चुके हो तो मैं तो हर बार तुम्हारे ही पास आऊंगी।" इतना बोलने के साथ-साथ ही सीवी की पलकें भारी हो रही थीं क्योंकि उसने शायद कुछ ज्यादा ही नशा कर लिया था और कुछ ही पलों में नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया था, और वह उग्र की गर्दन में अपना चेहरा छुपाते हुए सुकून से सो गई। उग्र के चेहरे पर भी एक स्माइल आ गई। उसने भी वा को टाइट हग करते हुए उसके फोरहेड पर किस किया और अपनी आंखें बंद कर लीं। वही इरा के सोते ही अर्णव उठा और उस रूम में वापस गया। उसने इरा के चेहरे पर आए बालों को पीछे करते हुए इरा के मासूम से चेहरे को देखा जो डर के कारण कुछ ज्यादा ही मायूस लग रहा था। उसके गालों पर आंसुओं के निशान बने हुए थे। अर्णव ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया और अचानक ही उसकी आंखों में हैरानी आ गई और उसने अपने मन में कहा, "इस लड़की में रूई जितना भी बोझ नहीं है, छुईमुई नाम मैने बिल्कुल सही रखा है इसका।" कुछ ही पलों बाद अर्णव अपने कमरे में था। उसने ईरा को आहिस्ता से अपने बेड पर सुलाया और फिर उसका टेंपरेचर चेक किया और जैसा कि उसे उम्मीद थी, इरा का टेंपरेचर बहुत हाई था, जिसका साफ मतलब था उसे फिर से फीवर हो गया है। अर्णव ने कुछ सोचकर पास रखे जग के पानी से अपने रुमाल को भीगाते हुए इरा के माथे पर रख दिया ताकि उसका टेंपरेचर कुछ कम हो जाए। वही मीर पूरे मुंबई शहर में सुजाता को ढूंढते-ढूंढते थक चुका था। उसे वो कहीं नहीं मिली इसलिए उसने अब किसी होटल में रुकने का सोचा। आज बिन मौसम बरसात भी होने लगी थी। मीर की पलकें नींद के कारण बार-बार झपक रही थीं। सामने लगे कांच पर पानी गिरने से सब धुंधला नजर आ रहा था और अचानक ही उसकी कार एक खंभे से जा टकराई। मीर का सर स्टेयरिंग से टकराया और वहां से खून निकलने लगा। "Shit! ये भी अभी होना था।" मीर ने अपना सर पकड़ते हुए कहा। उसने अपनी पॉकेट से फोन निकाला और फरमान को कॉल लगा दिया। "हेलो।" सामने से फरमान ने नींद भरी आवाज में कहा, "हां, वो....." मीर बोलते-बोलते अचानक रुक गया क्योंकि उसकी कार की खिड़की पर एक लड़की बार-बार नॉक कर रही थी। मीर को बस उसके हाथ में झूलता खूबसूरत ब्रेसलेट दिख रहा था। मीर ने शीशा नीचे किया तो उस लड़की ने छाते को अपने चेहरे से ऊपर उठाते हुए मीर को देखा, और मीर की नजर जैसे ही उसकी कजरारी आंखो पर पड़ी वो भूल ही गया कि उसके सर पर चोट लगी थी या वो किसी से बात कर रहा था। ऐसे लग रहा था उसे जैसे सारा जहां एकदम से रुक गया हो और उसके सामने वो खूबसूरत लड़की ही हो। उस लड़की ने उसकी आंखो के सामने हाथ हिलाते हुए कहा, "हेलो मिस्टर, मैं आप से ही बात कर रही हूं, आपको कुछ सुनाई दे रहा है?" ये लड़की और कोई नहीं बल्कि मन्नत थी जो हॉस्पिटल से अपने अपार्टमेंट पर ही जा रही थी। फोन की दूसरी साइड से फरमान, "हेलो हेलो बोल बोल कर थक चुका था पर मीर की कोई आवाज नहीं आ रही थी लेकिन उसे मन्नत की आवाज सुनाई दे रही थी और फरमान ने एकदम से अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "क्या बे तू भी गया एक लड़की के चक्कर में सारे लड़के बिगड़ चुके हैं। इस गैंग का नाम डेविल्स गैंग की जगह फ्लर्टी गैंग होना चाहिए था, एक से बाद एक नमूना भरा पड़ा है।" इतना बोलकर उसने फ्रस्ट्रेशन में कॉल कट कर दिया और फिर से सो गया। वही मन्नत ने एक बार फिर मीर के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे हिलाते हुए कहा, "मिस्टर क्या आपको सुनाई नहीं देता है?" मीर एकदम से होश में आते हुए बोला, "जी जी कहिए मोहतरमा, आपको कोई काम है, मुझे कोई मदद चाहिए?" मन्नत ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "जी बिल्कुल नहीं, आपकी ऐसी हालत नहीं है कि आप किसी की मदद कर सको, फिलहाल आपको मदद की सख्त जरूरत है।" इतना बोलकर मन्नत ने मिर का हाथ पकड़ा और उसे कार से बाहर निकाल लिया। मीर भी बिल्कुल किसी पतंग की तरह उसके साथ खींचता चला गया। मन्नत ने उसके हाथ में छाता पकड़ाते हुए कहा, "यह लो इसे पकड़ो वरना तुम्हारी चोट पर बारिश का पानी गिर जाएगा।" मिर ने बिल्कुल वैसा ही किया, वह मन्नत की हर बात आंख मिचकर मान रहा था। मन्नत उसे खींचते हुए लेजा रही थी। मीर के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और यह उसे खुद भी नहीं पता था कि वह हंस भी रहा है। कुछ ही देर में मन्नत का अपार्टमेंट आ चुका था। मन्नत ने डोर बेल बजाई और सामने से सुजाता ने दरवाजा खोला। वीर का ध्यान अब भी सिर्फ मन्नत पर था उसने सामने देखा कि नहीं की जिसे वह पूरे शहर में ढूंढ रहा था अब वह उसके सामने है मन्नत ने उसे अंदर ले जाते हुए सोफे पर बैठाया तो सुजाता ने हैरानी से कहा, "बेटा यह कौन है?" मन्नत ने एक नजर मिर को देख कर अपने गले से दुप्पटा निकाल कर गिले बालों को झटकते हुए कहा, "पता नहीं कौन है आई, पर सर पर देखो कितनी चोट लग गई है इनकी कार खंभे से टकरा गई थी, यही पास में तो मैं अपने साथ ले आई, पट्टी करके इनको वापस भेज देंगे और एक मैकेनिक भेज देंगे इनकी कार के पास ताकि वो उसे ठीक कर दे।" सुजाता ने हल्की मुस्कान के साथ हा मै सर हिलाते हुए कहा, "ठीक है तुम उनकी पट्टी करो, मैं खाना लगती हूं।" मन्नत ने एक स्माइल के साथ कहा, "जी आई।" मन्नत अंदर गई और 5 ही मिनट बाद कपड़े चेंज करके आई। अब वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसने इस वक्त टीशर्ट ओर पजामा पहन लिया था और बालों को खोल लिया था जो उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे। उसने फर्स्टेड बॉक्स साइड मै रखा और सोफे पर मीर के पास बैठ गई। मन्नत मीर के फॉर हेड पर कॉटन लगाते हुए बोलती है, "वैसे कहा जा रहे थे मिस्टर आप? लेट हो गया होगा ना?" मीर मन्नत को अपने करीब महसूस करके दूसरी दुनिया में पहुंच चुका था वो बस मन्नत की खुशबूरत आंखो को तो कभी उसके हिलते गुलाबी नरम होठों को देख रहा था। देखकर मन्नत ने आमिर की आंखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा, "कहा खो गए मिस्टर आप?" मीर ने तुरंत कहा, "मायसेल्फ मीर।" "मन्नत का मीर" वो मन ही मन बड़ बड़ा या। मन्नत ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "ओके मिस्टर मीर अब बताइए कहा जा रहे थे आप और कही लेट तो नहीं हो गया।" मन्नत की बात सुनकर आमिर को ख्याल आया कि वह सुजाता को ढूंढने निकला था और उसने धीरे से कहा, "ओह शीट वो अर्णव नाम का जल्लाद मुझे चैन से नहीं जीने देगा अगर उस आंटी को नहीं ढूंढा तो और मेरा दिल मुझे चैन से सांस नहीं लेने देगा अगर मिस मन्नत मिस ब्यूटीफुल मन्नत को मैने छोड़ दिया तो, ummm क्या करूं।" उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से पता लग रहा था कि वो बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन मै है। ये देख कर मन्नत ने कहा, "क्या चोट इतनी गहरी थी जो आपकी यादाश्त चली गई आप भूल हुए किस काम जा रहे थे और कहा जा रहे थे।" ये बोलते बोलते भी वो अपना काम पूरे फोकस से कर रही थी। मीर ने उसके होठों को देख कर एक बार अपने सूखते होठों पर जीभ फिराई और फिर कहा, "वो एक्चुअली मै किसी को ढूंढने निकला था।" मीर ने अपने मन मै कहा, (मीर अपनी मन्नत से झूठ नहीं बोलेगा चाहे बात को राउंड राउंड करना पड़े)। मन्नत ने उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसकी चोट पूरी तरह से पट्टी से कवर करते हुए बोली, "ठीक है आप खाना जरूर खा के जाना मिस्टर मीर।" मीर तो जैसे उसकी शहद जैसी बोली मै खो गया था वो जो बोल रही थी बस मुंडी हा मै हिला रहा था... सुजाता ने कहा, "खाना लग गया है बेटा आ जाओ।" उनकी आवाज सुन कर मन्नत ने हा मै सर हिलाया और मीर से कहा, "चलिए।" मीर ने मुस्कुरा कर कहा, "जी बिल्कुल जो आदेश।" पर उसने उठते हुए जैसे ही सुजाता को देखा उसके पांव वही जम गए, लेकिन अचानक ही उसके चेहरे पर ढेर सारी खुशी झलकने लगी जैसे किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो। उसने एक्साइटेक्टन मै कहा, "एक तीर से दो निशाने।" मन्नत और सुजाता ने कंफ्यूज हो कर उसकी तरफ देखा तो मीर ने जल्दी से कहा, "आई आप ही हो ना मिस मासूम की आई।" ये सुन कर सुजाता के चेहरे पर हल्की घबराहट आ गई क्योंकि उसे आई सिर्फ इरा बोलती है.... मीर ने जल्दी से नाटक करते हुए उदास आवाज मै कहा, "वो क्या है ना हम उसे बचा के ले आए थे उस जल्लाद से लेकिन उसके बाद से भी वो बिल्कुल बोल हो नहीं रही जब भी बोलती है बस आई आई बोलती है, बेचारी हमे लगा शायद उसकी मेंटल हेल्थ खराब है।" ये सुन कर सुजाता ने हल्के गुस्से मै कहा, "नहीं वो पागल नहीं है उसे पागल बनाया गया है वो ठीक हो सकती है।" मन्नत उन दोनों की बात मै इंट्रेस्ट लेते हुए बोली, "कौन इरा आई?" सुजाता जी की आंखों मै आंसु आ गए और उन्होंने कहा, "वो मेरी बेटी है।" मीर ने जल्दी से कहा, "तो आपको मिलना नहीं अपनी बेटी से वह खाना भी नहीं खा रही है ढंग से मैं आप ही को ढूंढ रहा था।" सुजाता ने जल्दी से कहा, "हा मिलना है मुझे उससे।" मन्नत ने कहा, "हम पहले खाना खा लेते हैं उसके बाद चलेंगे, मुझे भी मिलना है आपकी बेटी से उसे क्या दिक्कत है यह भी चेक कर लूंगी।" ये सुन कर मीर का दिल गार्डन गार्डन हो गया था उसने छोटी सी स्माइल के साथ कहा, "जी जी बिल्कुल आप भी चलिए डॉक्टर साहिबा।" कुछ देर बाद उन तीनों ने खाना खाया और मीर ने कार ड्राइव करना शुरू किया..... अभी रात ज्यादा हो गई थी तो मीर मीडियम स्पीड से ही कार ड्राइव कर रहा था..... और करीब सुबह के 3 बजे वो लोग स्टार आइलैंड के बॉर्डर पर पहुंच चुके थे..... वहां से अब उन्हें बोट के जरिए आइलैंड में इंटर करना था बस.... आइलैंड पहुंच कर मीर ने सुजाता और मन्नत को गेस्ट रूम मै छोड़ कर कहा, "इरा से आप मॉर्निंग मै मिलना अभी वो सो रही होगी।" वही मन्नत को यहां से नेगेटिव वाइब आना शुरू हो चुकी थी। हाथो मै गन लिए खड़े बॉडीगार्ड और मुंबई से इतनी दूर किसी खुफिया जगह की तरह बना ये आइलैंड किसी माफिया अड्डे से कम नहीं लग रहा था। कुछ यही हाल सुजाता का भी था कहीं उन्होंने मीर की बातों पर भरोसा करके गलत तो नहीं कर दिया है। Next morning.... morning 6 am इरा ने कसमसाते हुए अपनी आंखे खोली क्योंकि भूखे पेट उसे ज्यादा देर तक नींद नहीं आती थी, वही उसकी आंखे खुली तो उसने सामने बैठा अर्णव दिखा जिसकी गहरी तीखी काली नजरे बस उसी पर टिकी थी.... "रा... राजकुमार..." अर्णव ने गुर्राते हुए कहा, "मै कोई राजकुमार नहीं हूं।" इरा भी आहिस्ता से उठ कर बेड पर बैठ गई और अपनी पलकों को बार बार झपकाते हुए बोली, "हा... तुम तुम दानव हो एक नंबर के रात को.... रात को... वो चुहे..." इतना बोलते हैं वो सिसक उठी और फिर बुरी तरह रोते हुए बोली, "इरा को आई के पास जाना है दानव के पास नहीं रहना है।" अर्णव ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "छुईमुई रोना बंद करो तुम्हारी आई आ चुकी है चलो मिलवाता हु तुम्हे।" ये सुन कर इरा ने एक हिचकी लेते हुए अर्णव को शक भरी नजरों से देखा, क्योंकि अब तक अर्णव ने जो जो इरा के साथ किया है उसमें अच्छाई तो बिल्कुल नहीं थी।

  • 7. Gangster's immature bride - Chapter 7

    Words: 2102

    Estimated Reading Time: 13 min

    अर्णव ने बिना ईरा की बात आगे सुने उसको अपनी बाहों में उठा लिया उसके ऐसा करते ही इरा ने जल्दी से कहा
    " दानव तुम मुझे अपनी गोद में क्यों उठा लेते हो और क्या रात को भी तुम मुझे गोद में उठा कर यहां लाए थे ।"


    अर्णव ने धीरे से हां कहा और उसे सीढ़ियों के जरिए नीचे ले गया ।
    नीचे जब उग्र फरमान और मीर ने उसे ऐसा करता देखा तो उन तीनों के कॉफी पीते हाथ रुक गए ।
    वह हैरानी से अर्णव को देख रहे थे आज तक इस मॉन्स्टर ने किसी लड़की को अपने करीब नहीं आने दिया था और कि कल की लड़की आई उसकी बाहों में झूल रही है

    और वह भी तब जब अर्णव ने खुद कहा था कि वह इस पनिशमेंट देगा तो यह पनिशमेंट के बजाय प्रिंस ट्रीटमेंट कैसे दिया जा रहा था ।

    फरमान के दिल में थोड़ा सुकून उतर आया था क्योंकि कल से उसे लग रहा था कि ईरा की मेंटल हेल्थ खराब है वह अर्णव को चोट पहुंचाने तो बिल्कुल नहीं आ सकती है यहां ।

    अर्णव ने ईरा को आहिस्ता से सोफे पर बैठाते हुए उग्र से कहा

    " जाओ इसकी आई को बुला कर लाओ "
    उग्र उठ पाता उससे पहले ही जल्दी से मीर ने जल्दी से कहा
    "नहीं मैं बुलाकर लाता हूं "
    और फिर उठते हुए तेज कदमों से हॉल से बाहर चला गया अर्णव फरमान और उग्र तीनों के चेहरे पर एक साथ कन्फ्यूजन आ गया ।
    मीर बाबू बिना कहे कोई काम कर दे इंपॉसिबल फिर यह किसकी वजह से पॉसिबल हो रहा है ? उन तीनों की नजरे आपस में मिली और फिर तीनों ने ही हैरानी से ना में गर्दन हिला दी ।

    अब अरनव भी इरा के सामने रखे सोफे पर बैठ कर अपना फोन ओपन कर उसमें कुछ देखने लगा । जिसमें समीर ने कुछ मेल्स भेजी थी समीर अरनव का पर्सनल असिस्टेंट था जो उसका बिज़नेस संभालता था उसका डेविल्स गैंग से कोई नाता नहीं था। वो यदुवंशी फैमिली और यदुवंशी बिजनेस बस इन सब का ख्याल रखता था।

    वहीं दूसरी तरफ
    मीर जल्दी से डार्क कैसल से निकाल कर उसे पोर्शन में जा रहा था जहां उसने मन्नत और सुजाता के रहने का इंतजाम किया था।

    कमरे के सामने पहुंच कर मीर ने एक गहरी सांस ली और फिर चेहरे पर मुस्कान सजाते हुए कमरे को नोक किया।
    मन्नत और सुजाता जो दडरी सहमी सी  कमरे में बैठी थी इस आवाज से एक पल के लिए घबरा कर उनका दिल जोरो से धड़क उठा।
    पर अगले ही पल  मन्नत ने हिम्मत जुटाई और उठ कर दरवाजा खोला।

    सामने मीर को देख कर उसने हल्के गुस्से में कहा
    "हमें किसी कैदी की तरह यहां बंद करके क्यों रखा है?  कब मिलवा रहे हो हमें इरा से ?"
    मीर ने अपने एक हाथ से अपना कान पकड़ते हुए कहा
    " माफी मोहतरमा आपको इतना इंतजार करवाया पर आप अब मिस ईरा से मिल सकती हैं ।"

    ये की सुन कर मन्नत ने पीछे सुजाता जी की तरफ देखा और फिर उन्हें बाहर आने का इशारा किया।
    अब वह तीनों वापस डार्क केसल की तरह बढ़ गए।

    बाहर से वह काफी डरावना लग रहा था मन्नत अपनी मोटी मोटी आंखों को और ज्यादा बड़ा करते हुए पूरे विला को घुर रही थी, पर अंदर जाकर उसके दिल में आए विला के लिए ख्याल पूरी तरीके से बदल गए क्योंकि अंदर से विला काफी खूबसूरत और लग्जरी था ।
    वही सुजाता की आंखे आस पास की चीज ना देख कर बस इरा को तलाश रही थी , कब से उसने ईरा को नहीं देखा था।

    वही होल में ईरा अपने दोनों पांव को हिलाते हुए फर्श को एक टक देख रही थी वह बस जल्द से जल्द सुजाता से मिलना चाहती थी।

    उसने जैसे ही कदमों की आहट सुनी नजरे उठा कर सामने देखा ।

    वही सुजाता। मीर और मन्नत ने भी होल का आधा एरिया ही पार किया था जब वहां हॉल के मिड में लगे बड़े बड़े सॉफे दिखाई दिए जिन पर ईरा और बाकी सब बैठे थे ।

    ईरा का चेहरा खुशी से चमक उठा था वह जल्दी से भागती हुई सुजाता की तरफ आते हुए बोली
    " आई आप आ गई "
    सुजाता ने भी ईरा को ऐसे भागते देख कर अपनी बाहें फैला दी थी।
    इरा किसी बिल्ली के बच्चे की तरह सुजाता के सीने से लिपट गई।

    सुजाता ने उसके बालों को सहलाया और फिर उसके माथे पर किस करते हुए बोली
    "बेटा आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई क्या इन लोगों ने आपको तंग किया ।"

    ईरा ने एक बार मुड़ कर अरनव की तरफ देखा जो अपनी तीखी नजरों से उसे ही देख रहा था उसे अब इरा की हर एक प्रतिक्रिया को बारीकी से देखना था ।

    इरा ने मुंह बनाते हुए कहा
    " हां इस दानव ने मुझे परेशान किया "

    लेकिन फिर इरा हंसते हुए बोली
    " लेकिन उस गंदे इंसान से भी बचाया था मुझे समझ नहीं आया आप जिस राजकुमार की बात कर रहे थे वह यही है क्या क्योंकि बिल्कुल राजकुमार की तरह यह मुझे उस गंदे आदमी से बचाने आ गए थे लेकिन यहां आने के बाद उन्होंने मुझे बहुत डांटा इसलिए अब मैं राजकुमार नहीं दानव बोलूंगी उन्हें "

    सुजाता ने इरा के इस बचपन से डरते हुए अपना सलाइवा गटक लिया क्योंकि वह सामने देख कर बता सकती थी , कि यह लोग भी मानिक की तरह कितने ज्यादा खतरनाक है।
    उसने ईरा का हाथ कस कर पकड़ा और फिर मुस्कुराते हुए सामने बैठे लोगों को देख कर बोली
    " आपका बहुत - बहुत धन्यवाद आपने मेरी बेटी को बचाया और उसका ख्याल रखा पर अब हमें यहां से जाना है । "

    यह सुनकर अरनव किसी शैतान की तरह हंसते हुए बोला
    " अभी तो अपने होल में कदम रखे हैं और अभी से जाने की बातें? इतना डर बस किसी चोर में होता है तो बताइए आपने क्या चुराया है । "
    सुजाता ने जल्दी से कहा नहीं हमने कुछ नहीं चुराया है।

    अर्णव सोफे से एक झटके से उठा फिर तेज कदमों से चलते हुए हीरा और सुजाता की तरफ बढ़ गया सुजाता और इरा दोनों को ही डर लग रहा था पर सुजाता ने खुद के दर को काबू करते हुए इरा को अपनी बाहों में भर लिया हीरा भी बस अपनी बिल्ली जैसी आंखों को खोलकर अर्णव को देखने की कोशिश कर रही थी।
    अर्णव ने सुजाता के पास आते ही इरा का पतला सा हाथ अपने सख्त हाथ में पकड़ा और एक झटके से उसे सुजाता से अलग कर लिया
    और हीरा अब सुजाता के बजाय अरनव के चौड़े सीने से जा टकराई।

    यह देख कर मन्नत ने जल्दी से आगे बढ़ने की कोशिश करते हुए कहा
    "यह सब क्या कर रहे हो तुम?"

    पर मन्नत आगे कुछ कर पाती उससे पहले ही मीर ने उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया मीर भले ही फेस से दिखने में किसी बच्चे जैसा था, पर उसकी मस्कुलर बॉडी के सामने मन्नत कुछ नहीं थी वह टस से मस भी नहीं हो पा रही थी।
    मीर ने अपना चेहरा मन्नत की गर्दन और कंधे के बीच टीका कर हुए धीरे से कहा " मोहतरमा यह यहां के किंग है उनके सामने बोलने की किसी में हिमाकत नहीं होती है वह तो मैं तुम्हें पसंद करता हूं बस इसीलिए अर्णव ने तुमसे कुछ नहीं कहा। "

    मन्नत ने अपनी कोहनी से मीर को पीछे धकेलने की कोशिश करते हुए कहा

    " हराम जादे छोड़ो मुझे सब कुछ तुम्हारी वजह से हुआ है ना तुम्हारे कहने पर हम यहां आते और ना ही आई की जान को खतरा होता बाकी ईरा को ढूंढने में तो पुलिस भी हमारी मदद कर ही देती हमने तुम पर भरोसा करके बहुत बड़ी बेवकूफी कर दि आह छोड़ो मुझे "
    पर मीर को इन सब से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था वह बस अब अर्णव को देख रहा था कि अरनव आखिर इरा के साथ करना क्या चाहता है।

    फरमान और उग्र अभी भी शांति से सोफे पर बैठे बस सामने चल रहे हैं इस ड्रामा को देख रहे थे उनकी आंखें छोटी हो चुकी थी मीर को मन्नत के इतने करीब देख कर ।
    उग्र ने मुंह खोलते हुए हैरानी से कहा
    " ये लफंगा इंसान कल की आई हुई लड़की के साथ बदतमीजी कर रहा है? क्या हमने यही सिखाया है इसे ?"
    फरमान ने भी अपना सर खुजाते हुए कहा
    "इससे ज्यादा उम्र तो मेरी हो गई है मैंने तो आज तक किसी लड़की से हाथ भी नहीं मिलाया और यह इडियट सीधा पीछे से बाहों में भारी खड़ा है।"

    सुजाता ने अरनव से इरा को छुड़वाना चाहा  पर उससे पहले ही अर्णव ने अपनी पेट में रखी गन निकालते हुए सुजाता की तरफ पॉइंट कर दी
    जिस से सुजाता डरते हुए दो कदम पीछे हट गई और ईरा ने अरनव से खुद को छुड़ाने की कोशिश की
    " दानव मेरी आई को कुछ मत करना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    उसकी इस मासूमियत भरी धमकी को सुन कर अरनव के होठों पर तिरछी स्माइल आ गई उसने गर्दन टेढ़ी करके ईरा के छोटे से चेहरे को देखते हुए कहा
    " छुईमुई तुम्हें सच में लगता है कि तुम मेरा एक बाल भी बांका  कर सकती हो "

    इरा ने झट से अपने दूसरे हाथ से अरनव के बाल पकड़ते हुए कहा

    " लो यह तो मैं अभी कर सकती हूं।"

    वही उसकी इस हरकत पर उग्र फरमान और मीर को बहुत तेज हंसी आई  मीर ने हंसते हुए कहा
    " वेल डन मिश छुई हुई क्या कमाल कर दिया तुमने। "

    अर्णव ने जिस हाथ से गन पकड़ी थी उसी हाथ से ईरा का वह हाथ झटके से हटा दिया ।
    और फिर ईरा के दोनों हाथों को अपने एक हाथ में पकड़ लिया ईरा के दोनों हाथ आसानी से अरनव की एक मुट्ठी में आ चुके थे ।
    जिसे देख कर अर्णव को और ज्यादा हंसी आ रही थी यह पिद्दी सी लड़की उसे मारने की धमकियां दे रही है यह सुनने में ही किसी बड़े जोक से कम नहीं था ।

    सुजाता कुछ और कह पाती उससे पहले ही  हॉल में  सीवी और शैलजा की एंट्री हुई उन दोनों ने आते ही सुजाता को शैलजा जाने पकड़ लिया ।
    वही सीवी ने अपने कदम मीर की तरफ बढाते हुए कहा
    " मीर बाबू छोड़ो उसे अब , बस ईरा के दर्शन करवाने थे इन्हें "

    मीर  ने छोटा सा मुंह बनाते हुए मन्नत को पलटते हुए अपने सीने से लगा लिया और फिर उसकी कमर को जकड़ते  हुए बोला
    "नहीं मैं डॉक्टर साहिबा को तुम्हारे साथ नहीं भेजूंगा मुझे उसे अपने साथ रखना है।"

    उसकी इस बात पर अर्णव ने पीछे मुड़कर घूरते हुए मीर को देखा तो
    मीर ने पप्पी फेस बनाते हुए कहा
    " प्लीज किंग इसे मेरे पास रहने दो ना आई स्वेर मैं इस कमरे से बाहर भी नहीं आने दूंगा ये यहां किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगी "
    इतना बोल कर मीर ने मन्नत के चेहरे को देखते हुए कहा

    " मैं सही बोल रहा हूं ना डॉक्टर साहिबा तुम किसी को नुकसान नहीं पहुंचाओगी ना और वैसे भी ये तो डॉक्टर है अच्छे इंसान है किसी को नुकसान कैसे पहुंचा सकती है। "

    अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा
    " अगर बात खुद की सेफ्टी पर आए तो भगवान भी दूसरों को नुकसान पहुंचाने पर उतर आए थे ये तो फिर भी इंसान है छोड़ो इसे । "
    मीर ने उदास सा चेहरा बनाते हुए मन्नत को सीवी के हवाले कर दिया वही सीवी उसके हाथ पर हथकड़ी लगाते हुए उसे ले जाने लगी ।

    मन्नत ने मुड़ते हुए एक बार मीर को देखा जिसकी आंखों में उदासी साफ-साफ झलक रही थी जैसे मीर कभी नहीं चाहता मन्नत उससे अलग हो जाए।

    वही सुजाता रोने लगी थी उसने रोते हुए कहा
    " ईरा को कुछ मत करना वह नादान है उसे दुनियादारी की समझ नहीं है वह बचपन से बस एक कमरे में कैद रही है उसे किसी चीज का कोई ध्यान नहीं है वह बिल्कुल किसी नवजात शिशु की तरह है तुम लोग उसे चालाक समझकर उसे तकलीफ मत दो।  "

    सुजाता को रोते हुए देखकर हीरा की आंखों में भी पानी आ गया उसने जल्दी से अरनव की तरफ देखते हुए का दानव प्लीज ए रो रही है ना उन्हें छोड़ दो मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगी पर मेरी आई को कुछ मत करो।

    अर्णव ने अपना चेहरा झुकाते हुए इरा के चेहरे के करीब किया इतना कि उन दोनों की नाक भी आपस में टच हो रही थी और फिर उसकी आंखों में देख कर गुर्राती आवाज में बोला
    "  तो छुईमुई तुम मेरी सारी बातें करने के लिए तैयार हो।  "

  • 8. Gangster's immature bride - Chapter 8

    Words: 2162

    Estimated Reading Time: 13 min

    ईरा अर्णव की इस तेज़ गुस्से वाली आवाज़ से एक पल के लिए डर चुकी थी, पर अगले ही पल सुजाता की रोने की आवाज़ सुन कर उसने फिर से कहा, "हाँ, दानव, मैं तुम्हारी बात मानूँगी, पर मेरी आई को कुछ मत करो। उन्होंने तो कुछ नहीं किया। दानव तो मैं बोलती हूँ ना तुम्हें, तो तुम मुझे पनिशमेंट दो, आई को नहीं। वह बहुत अच्छी इंसान हैं।"

    अर्णव ने शैलजा से कहा,

    "इन्हें आराम से उस कमरे में वापस छोड़ कर आओ जहाँ उन्होंने पूरी रात बिताई थी, और इन्हें किसी भी तरीके से कोई टॉर्चर नहीं मिलना चाहिए। अच्छा खाना मिलना चाहिए।" शैलजा और सीवी दोनों ने हाँ में गर्दन हिलाई, और फिर वह दोनों मन्नत और सुजाता को लेकर वहाँ से चली गईं।

    अर्णव ने उनके जाते ही इरा को अपनी बाहों में उठा लिया, और फिर अपने कमरे की तरफ़ बढ़ते हुए बोला,

    "तुम लोग अपना काम करो। मैं आज ज़्यादा बिज़ी हूँ।"

    उग्र ने मुँह खोलते हुए कहा,

    "हे भगवान, यह सब क्या देखने को मिल रहा है मुझे? कहीं मैं दूसरी दुनिया में तो नहीं आ गया या फिर अभी तक मैं सुबह उठा ही नहीं हूँ, सपने देख रहा हूँ।" उसके पास बैठे फरमान ने उसे चींटी काटते हुए कहा, "अभी चेक कर लेते हैं।"

    और उग्र ने चिखते हुए कहा,

    "हरामजादे, रुक जा, मैं भी तुझे होश में लाता हूँ।"

    इतना बोल कर उसने भी फरमान का कान मरोड़ दिया और अब दोनों को यक़ीन हो चुका था कि वह जाग रहे हैं और अर्णव सच में ऐसा बिहेव कर रहा है।

    वहीं मीर सड़ा सा मुँह बनाते हुए बोला, "प्लीज़ गाइज़, आई वांट लीव, मुझे नहीं काम करना आज।"

    इतना बोल कर वह भारी क़दमों के साथ अपने कमरे की तरफ़ चला गया और उग्र ने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा,

    "लो इस घर का सबसे छोटा बच्चा आशिक बन चुका है। इसकी अभी तक कॉलेज भी पूरी नहीं हुई है और एकदम देवदास की तरह व्यवहार कर रहा है।"

    फरमान ने उग्र के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा,

    "तेरा तो सेट है, तेरी डायन तुझे छोड़ कर नहीं जाएगी। उस बेचारे का हार्ट ब्रेक हुआ है, तू नहीं समझेगा। चल अपन दोनों चलते हैं अरहान और क्रिश के पास। वह दोनों कब से मानिक की अपकमिंग डील्स के पीछे पड़े हैं। उन दोनों को अलग ही मज़ा आता है मानिक को स्टॉक करने में। वरना तो आजकल के लड़के सिर्फ़ लड़कियों को स्टॉक करते हैं। उन दोनों को देखो, मानिक मल्होत्रा को स्टॉक कर रहे हैं।"

    यह बोलते वक़्त फरमान को हँसी आ रही थी और उग्र भी हँसते हुए उसके साथ-साथ बाहर चला गया।

    वहीं अर्णव ने इरा को कमरे में छोड़ा और फिर किसी को कॉल किया। इरा अपनी बिल्ली जैसी नज़रों से अर्णव को घूर रही थी। अर्णव ने उसे सोफ़े पर बैठा रखा था और ख़ुद उसके सामने रखी टेबल पर बैठा था।

    इरा ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा, "दानव क्या तुम मुझे पनिशमेंट दोगे? तब मुझे खाना नहीं खाने दोगे या फिर मुझे बंद अंधेरे कमरे में बंद करके रखोगे या फिर वह चूहे के..." बोलते वक़्त इरा का चेहरा डर से सफ़ेद हो गया और उसने अपना सलाइवा घटते हुए कहा, "मैं भूखी भी रह लूँगी और अंधेरे कमरे में भी पर चूहों के पास मत छोड़ना मुझे। उनसे मुझे बहुत ज़्यादा डर लगता है।"

    अर्णव ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "मिस छुईमुई, तुम यह बताओ तुम्हारा घर कहाँ है और उसमें और कौन-कौन है?"

    इरा ने मासूम सा चेहरा बना कर कहा, "मुझे जगह का नाम तो नहीं पता कि मेरा घर कहाँ है, पर मेरा घर बहुत बड़ा है। बहुत-बहुत-बहुत ज़्यादा बड़ा है। इतना बड़ा है कि तुम्हारे घर जैसे दो घर बन जाएँ।"

    यह सुन कर अर्णव की आँखें छोटी हो गईं। आख़िर मुंबई में इतना बड़ा किसका घर है कि अर्णव के डार्क कैसल जितने दो घर उसमें समा जाए?

    इरा ने आगे कहा,

    "मेरा घर उसको राजपूत हवेली बोलते हैं। उसमें एक तो मेरी काकी सा है, बिल्कुल तुम्हारी तरह बहुत गंदी है। मुझे बहुत सारे काम करवाती है, मुझको बहुत मारती भी है और कभी-कभी तो मेरा हाथ भी जला देती है।"

    इतना बोलते-बोलते इरा का मासूम सा चेहरा बिल्कुल ऐसे हो गया जैसे वह किसी भी पल रो देगी और अगले ही पल इरा ने अपना नाज़ुक से हाथ अर्णव के सामने करते हुए कहा, "देखो-देखो इसका निशान अभी भी नहीं गया। उसने यहाँ पर गरम-गरम कॉफ़ी गिराई थी और देखो इधर-उधर देखो, इस पर गरम-गरम चाकू लगाया था।" वह अर्णव को अपनी चोट के निशान दिखा रही थी और अचानक ही उसकी आँखों से मोती जैसे आंसू गिरने लगे और उसके नरम गाल को भिगोने लगे।

    अर्णव जो ध्यान से उसकी बातें सुन रहा था, उसको रोते देख कर पता नहीं क्यों पर उसे अच्छा नहीं लगा। उसने आँखें छोटी करते हुए कहा, "मैंने कहा मेरे सवालों का जवाब देना है, रोना नहीं है यहां। मैं रोने के लिए नहीं कहा है तुम्हें। और मिस छुईमुई अपनी यह चिप ट्रिक बंद करो, तुम अर्णव यदुवंशी को बेवकूफ़ नहीं बना सकती हो।"

    इरा ने सुबकते हुए अर्णव को देखा और फिर अपने आंसू पूछते हुए बोली, "मैं क्या बेवकूफ़ बनाऊँगी? तुम तो पहले से ही बेवकूफ़ हो जो तुम्हें लगता है कि मैं तुमसे झूठ बोल रही हूँ।"

    इतना बोलकर रोती हुई इरा हँसने लगी थी। अर्णव ने आँखें बड़ी करके अपने मन में कहा, "क्या यह लड़की पागल हो गई है? एक पल यह रोने लगती है और दूसरे ही पल पागलों की तरह हँसने लगती है।"

    अर्णव ने अपना गला सही करते हुए कहा, "तुम्हारी काकी सा के अलावा कौन है और घर में?"

    ईरा ने कुछ सोचते हुए कहा, "और काको सा भी है, पर वह काम करते हैं। वह बहुत मेहनती है इसलिए वह घर में नहीं रहते हैं, और और मेरी एक बहन भी है, पर मैं जब उसे बहन कहती हूँ तो मुझे थप्पड़ मार कर बोलती है कि मैं तुम जैसी गंदी लड़कियों को बहन नहीं बनाती हूँ। क्या मैं तुम्हें गंदी लगती हूँ? देखो, मैं तो कितनी सुंदर हूँ, है ना?"

    इतना बोल कर इरा का चेहरा वापस रोने जैसा हो गया और उन्होंने अपना माथा पीटते हुए कहा,

    "इसके मूड स्विंग्स क्या मेरे झेलने के लिए बने हैं? मैं यहां इसका ड्रामा देख रहा हूँ या इन्वेस्टिगेट कर रहा हूँ।" अर्णव ख़ुद बहुत ज्यादा कंफ्यूज हो चुका था क्योंकि इरा जैसी लड़की से पहले उसका पाला जो नहीं पड़ा था।


    इरा रोते हुए बहुत ज़्यादा क्यूट लग रही थी, बिल्कुल किसी 5 साल के बच्चे की तरह। उसने अपने हाथ की पिछली साइड से अपने आँसुओं को पोंछकर कहा, "बताओ ना, मैं कैसी लगती हूँ? क्या वह सही बोलती है?"

    अर्णव उसके इन सवालों से तंग आ चुका था। उसने गुस्से में कहा, "मैं यहाँ तुमसे सवाल करने के लिए बैठा हूँ, तुम्हारे जवाब देने के लिए नहीं। तो मैं जो पूछ रहा हूँ सिर्फ उसका जवाब दो, सामने से मुझसे सवाल मत करो।"

    इरा ने मुँह बनाते हुए कहा, "तुम तो एक नंबर के दानव हो। तुम उन सब से भी गंदे हो, सबसे गंदे। पूरी दुनिया में जितने भी आदमी हैं, उन सबसे गंदे हो।"

    अर्णव कुछ बोल पाता उससे पहले ही उसके कमरे का दरवाज़ा नोक हुआ और अर्णव ने अपने माथे पर दो उँगलियों को रब करते हुए कम इन कहा।
    दो लड़कियाँ तेज़ क़दमों से अंदर आईं। उनके पास दो ट्रॉलीज़ थीं जिनमें इरा के लिए कपड़े और कुछ समान था और लड़कियों ने उन दोनों ट्रॉलीज़ को अंदर लाते हुए इरा के समान को अर्णव के कमरे में मौजूद कपबोर्ड में सेट करने लगे। उन्हें यह करने में सिर्फ़ 5 मिनट लगा और वह तेज़ी से वहाँ से बाहर भी चली गईं।
    अर्णव ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "ठीक है, अब मैं तुमसे कुछ नहीं पूछूँगा। तुम जाओ और नहा कर उनमें से कुछ कपड़े पहन कर आओ, उसके बाद मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम्हें क्या करना है।"

    इरा ने कुछ सोच कर कहा,
    "तो तुम मेरे सवाल का जवाब नहीं दोगे? बस एक बार ही तो बताना है कि मैं गंदी दिखती हूँ या सही दिखती हूँ।"

    यह सुन कर अर्णव ने आँखें उठाते हुए गौर से इरा के चेहरे को देखा। कोई कैसे बोल सकता है कि वह बदसूरत दिखती है? ऐसा लगता है उसका हर एक फ़ीचर बिल्कुल परफ़ेक्ट है और वह उसके चेहरे में खो गया था जिसकी वजह से इरा ने उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए कहा, "दानव, मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ।"
    अर्णव ने उसका हाथ झटकते हुए कहा, "मुझे नहीं पता तुम कैसी दिखती हो। सामने शीशा है, ख़ुद देख लो और वह रहा बाथरूम, जाओ जल्दी से तैयार होकर आओ। अगले 5 मिनट में अगर तुम यही अच्छी तो तुम्हारी आई के साथ मैं क्या करूँगा, यह तुम सोच भी नहीं सकती हो।"

    इरा झट से उठी और दौड़ते हुए कपबोर्ड में से कुछ निकाल कर बाथरूम में चली गई।

    अर्णव ने दोनों हाथों से अपना सर पढ़ते हुए कहा, "लास्ट बार पूरे महीने में मैं इतना नहीं बोला था जितना इस लड़की ने मुझे एक दिन में बोलने पर मजबूर कर दिया है।"

    अर्णव ने इतना ही कहा था कि उसका फ़ोन बजे उठा। उसने फ़ोन उठाते हुए स्क्रीन पर फ़्लैश होते नाम को देखा तो राधा नाम फ़्लैश हो रहा था और नाम नहीं फ़ोन उठाते हुए कान से लगाकर कहा, "हाँ, छोटी, एवरीथिंग इस अलराइट?"

    राधा ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा, "भाई, पापा मेरे लिए रिश्ता देख रहे हैं पर मैं तो आपको पता है ना किसको पसंद करती हूँ। मुझे तो उसी से शादी करनी है। कोई भी तैयार नहीं है शादी के लिए, मुझे बहुत ज़्यादा बुरा लग रहा है, आप कुछ करो ना।"

    अर्णव ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, शादी का मैं देख लूँगा और तुम्हारी शादी उसी से होगी जिससे तुम चाहती हो। चाचू को मैं संभाल लूँगा, वैसे भी वह मुझसे नाराज़ है, घर से बेदख़ल तो कर ही चुके हैं। यह बात भी मेरे मुँह से सुनेंगे तो थोड़ा सा और गुस्सा कर लेंगे। इससे ज़्यादा क्या ही करेंगे? पर तुम उनके सामने ऐसी कोई बात मत करना, ठीक है।"

    राधा ने धीरे से हाँ बोलते हुए कहा, "ठीक है भैया, अपना ख़याल रखना और अब वापस डार्क हेवन कब आ रहे हो आप?"

    अर्णव ने उस टेबल से उठते हुए गहरी साँस छोड़ कर कहाँ, "पिछली बार मुझे काम था। कुछ लोग घुस आए थे डार्क हेवन में, उनको निपटाना था। अभी भी सिक्योरिटी फुल टाइट है। अगर फिर से कोई काम हुआ तो मैं ज़रूर आऊँगा।" राधा ने जल्दी से कहा, "मेरे बर्थडे पर नहीं आओगे?"

    अर्णव ने अपने बालों में हाथ घुमाते हुए कहा, "मेरी छोटी बहन का बर्थडे हो और मैं ना मौजूद रहूँ, ऐसा तो कभी नहीं हो सकता। उसकी चिंता मत करो, तब तो मैं वहीं पर रहूँगा।"

    यह सुनकर राधा खुश हो गई और उसने खुशी से अर्णव को बाय बोलते हुए कॉल कट कर दिया।

    वही अर्णव ने अब समीर को फ़ोन मिलाया। समीर जो फ़िलहाल कंपनी के डायरेक्टर्स को डाँट रहा था क्योंकि वह काम ढंग से नहीं कर रहे थे। उसने जैसे ही अरनव का नाम अपनी स्क्रीन पर फ़्लैश होते हुए देखा उसने जल्दी से कहा, "मीटिंग इज ओवर, गेट बैक टू योर वर्क।" और फिर जल्दी से कॉल उठाते हुए बोला, "जी सर।"

    अर्णव ने कहा, "मुंबई में राजपूत हवेली किसकी है? इसका प्रेजेंट पास्ट सब कुछ मुझे शाम तक पता चल जाना चाहिए और उस घर में कितने लोग रहते हैं और वह क्या-क्या काम करते हैं, उनका किस-किस से क्या-क्या संबंध है? यह सब कुछ तो मुझे डिटेल से बताओगे।"

    समर्थ ने हां बोलते हुए कॉल कट कर दिया।

    वही अर्णव ने अपना फ़ोन जेब में डाला और मुड़ते हुए देखा और अचानक ही उसके क़दम वहीं ठहर गए
    क्योंकि सामने इरा इस वक़्त अपने बदन पर छोटा सा टॉवल लपेट कर खड़ी थी जो मुश्किल से उसकी आधी थाईज को कवर कर पा रहा था। अर्णव ने अपना सलाइवा गटकते हुए ख़ुद से कहा, "क्या यह लड़की सच में मुझे सेड्यूस कर सकती है? ऐसा तो आज से पहले कभी नहीं हुआ है। इन फ़ैक्ट मेरे तो हार्मोनस ही काम नहीं करते हैं। डॉक्टर ने तो कहा था मैं शायद स्ट्रेट ही नहीं हूँ, तो फिर यह सब क्या हो रहा है?"

    वही इरा ने अपने हाथ में पकड़ी ड्रेस को अर्णव को दिखाते हुए कहा, "दानव, मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि इसको कहाँ से पहनना है, क्या तुम बता सकते हो?"
    यह बोलते वक़्त इरा बहुत ज़्यादा क्यूट लग रही थी और साथ में कंफ्यूज भी। उसे सच में नहीं समझ आ रहा था कि मॉडर्न ड्रेस को कैसे पहनते हैं। वह अपने घर में तो नॉर्मल सूट या फिर लहंगा और चोली ही पहनती थी, लेकिन फ़िलहाल जो लड़कियाँ उसके लिए कपड़े लेकर आई थी वह सब की सब मॉडर्न ड्रेस थी और इरा को बिल्कुल नहीं समझ आ रहा था कि वह उन्हें गले में भी कैसे डालें, पहनना तो दूर की बात।
    to be continued

  • 9. Gangster's immature bride - Chapter 9

    Words: 2098

    Estimated Reading Time: 13 min

    अर्णव एक पल के लिए आँखें बंद करते हुए गहरी साँस लेता है, और फिर धीमे कदमों से इरा के पास जाता है और उसकी वह ड्रेस अपने हाथ में लेते हुए, पहले तो उसको सीधा करता है जिसको इरा ने देखने के लिए उल्टा कर दिया था, फिर वह उसे हाथ में पकड़ते हुए कहता है, "इसमें गला डालना है, इसमें हाथ, फिर यह तुम्हारे घुटनों तक आ जाएगी। उसके बाद पीछे से यह चैन लगानी है और यह डोरी बांधनी है।"

    इरा बार-बार आइस को ब्लिंक करते हुए अर्णव के सारे इंस्ट्रक्शन सुन रही थी, पर सब कुछ सौ की रफ़्तार से उसके सर के ऊपर से गुज़र चुका था। उसने कहा, "ऐसे कपड़े कौन बनाता है? मुझे अभी नहीं समझ आया, इसमें पाँव डालने के लिए जगह नहीं है।"

    क्योंकि इसके साथ नीचे पहनने के लिए कुछ नहीं था।

    अर्णव ने अफ़सोस से अपना माथा पीट लिया, और फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए बोला, "अपना टॉवल हटाओ, मैं पहनता हूँ।"

    इरा ने बिना एक पल गँवाए अपना टॉवल हटा दिया। उसने इस वक़्त व्हाइट कलर की ब्रॉलेट पहनी थी, जिसमें उसका दूध सा रंग और भी ज़्यादा निखरकर खूबसूरत लग रहा था, और ठंडे पानी से नहाने की वजह से उसका बदन हल्का गुलाबी हो चुका था, जो और ज़्यादा खूबसूरत लग रहा था।

    अर्णव ने अपनी नज़रें झुकाईं उसे इरा को देख कर अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था। और फिर इरा के गले में वह ड्रेस डालते हुए धीरे से बोला, "अपने हाथ इधर की साइड डालो।" इरा ने वैसा ही किया जैसा अर्णव ने कहा, और कुछ ही वक़्त में उसने वह खूबसूरत पिक नी लेंथ फ्रॉक पहन ली थी। फिर अर्णव ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "पीछे घूमो।" और इरा बिल्कुल किसी बच्चे की तरह एक्साइटमेंट में जल्दी से पीछे घूमते हुए बोली, "जल्दी करो दानव, मुझे खुद को मिरर में देखना है, मैं कैसी लग रही हूँ? मैंने ऐसे कपड़े आज से पहले कभी नहीं पहने।"

    अर्णव ने गहरी साँस लेते हुए अपनी आँखें उठाकर इरा की पीठ को देखा और अचानक ही उसकी आँखें छोटी हो गईं, क्योंकि उसकी पीठ पर एक नीला निशान बना हुआ था, जैसे किसी ने चाबुक चलाया हो। अर्णव की उंगली अपने आप ही उसे छूने के लिए बढ़ गई। उसने जैसे ही आहिस्ता से अपनी उंगली से इरा की पीठ को छुआ, इरा चिहुंकते हुए बोली, "अरे दानव, क्या कर रहे हो वहाँ? मुझे काकी सा ने मारा था। मैंने तुम्हें बताया था न कि एक काकी सा बिल्कुल तुम्हारी तरह मुझे बहुत डाँटती है, और तुम्हारी तरह पनिशमेंट देती है।"

    अर्णव को याद आया थोड़ी देर पहले इरा कैसे रोने लगी थी। इसलिए उसने जल्दी से फ्रॉक को पीछे से चैन लगाकर बांधते हुए कहा, "फिर से रोने मत लग जाना, ठीक है? मैं नहीं पूछ रहा तुमसे कुछ भी।" इरा ने भागते हुए मिरर के सामने खड़े होकर खुद को देखा और फिर खुशी से गोल-गोल घूमते हुए बोली, "अरे, मैं तो बिल्कुल राजकुमारी जैसी लग रही हूँ।"

    उसे इस तरह खुश देखकर पता नहीं क्यों पर अर्णव ने एक सुकून की साँस ली, जैसे इतनी देर से उसकी चोट को देखकर, उसकी बातों को देखकर उसकी साँसें गले में ही अटकी हुई थीं। अब इस तरह उसे खुश देखकर उसे थोड़ा आराम मिला था।

    वहीं दूसरी तरफ़ राजपूत हवेली...

    सरोजिनी अपने बॉडीगार्ड को फटकार लगाते हुए बोल रही थी, "जब हुकुम से आएँगे तो हम उन्हें क्या जवाब देंगे? हम एक लड़की को नहीं सँभाल पाए? तुम लोगों को दो दिन हो गए पागल कुत्तों की तरह भटकते हुए पर उस लड़की का कोई सुराग़ नहीं मिला है। आख़िर वह गई तो गई कहाँ? उसे धरती निगल गई क्या या आसमान खा गया?"

    हर्षाली कोने में चुपचाप खड़ी थी, क्योंकि उसे पता था कि मानिक इरा को लेकर गया था। मानिक ने हर्षाली से कुछ नहीं छुपाया था, पर अभी सरोजिनी का गुस्सा उस पर न उतर जाए, बस इस ख़याल से हर्षाली चुप खड़ी थी।

    सरोजिनी ने दोनों हाथों से अपना माथा पीटते हुए कहा, "अगर वह लड़की हमें नहीं मिली तो इस हवेली की एक फूटी कौड़ी हमारे नाम नहीं होगी, ऊपर से जितने लोन अय्याशी करने के लिए हम सबने ले लिए हैं, उस तरीक़े से अगर पूरी ज़िंदगी कटोरा लेकर भीख भी माँगें तो भी लोन नहीं चुका पाएँगे और बैंक वाले वैसे जीना हराम कर देंगे। तो जितनी जल्दी हो सके उस लड़की को ढूँढो, और अब हम कोई देर नहीं करेंगे। उसके मिलते ही प्रॉपर्टी पेपर पर उसके सिग्नेचर होंगे और उसके बाद उसकी अर्थी उठेगी सीधे।" यह बोलते वक़्त इरा के लिए सरोजिनी के चेहरे पर ढेर सारा गुस्सा दिख रहा था, जैसे अगर वह अभी होती तो उसे गुस्से की आग से ही जलाकर मार देती।

    फिर सरोजिनी ने सुजाता को याद करते हुए कहा, "और एक वह हरामख़ोर, नमक हराम हमारा खाकर हमें ही धोखा देकर चली गई, उस पर हमें विश्वास ही नहीं करना चाहिए था। उसी की वजह से इरा यहाँ से भागकर गई है, वरना उस पागल को तो यह भी नहीं पता कि हवेली का दरवाज़ा कहाँ है जिससे लोग बाहर जाते हैं।"

    सरोजिनी ने आँखें उठाकर अपने सामने खड़े उन पाँचों बॉडीगार्ड को देखा जो अब भी सर झुकाए उसकी डाँट सुन रहे थे, और फिर उन पर चिल्लाते हुए बोली, "गंज सेंड जैसे क्या खड़े हो? निकलो अब यहाँ से, अपने काम पर लग जाओ, आज शाम तक मुझे उसकी ख़बर चाहिए, वरना मैं तुम पाँचों को ज़रूर जान से मार दूँगी, बाक़ी तो कुछ कर पाऊँगी या नहीं।"

    वह बॉडीगार्ड डरते हुए जल्दी से हाँ में कर हिलाते हुए वहाँ से चले गए।

    वहीं अब सरोजिनी ने मुड़कर हर्षाली की तरफ़ देखा जो बिल्कुल ऐसे खड़ी थी जैसे उसने कोई चोरी की हो। फिर सरोजिनी ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "अब तू क्या छुपा रही है, वह भी बता दे। वैसे भी दिमाग़ गरम है, अगर उसके बाद मुझे कुछ पता चला तो तुम्हारी भी ख़ैर नहीं है।"

    हर्षाली धीमे कदमों से सरोजिनी के पास आई और फिर उसके पास घुटनों के बल बैठते हुए बोली, "माँ प्लीज मुझ पर गुस्सा मत करना, पर मैंने मानिक से पूछा था कि क्या उसने इरा को देखा, तो वह बोला कि हाँ, मैं ही इरा को लेकर गया हूँ। उसके बाद से वह मेरा कॉल नहीं उठा रहा है।"

    हर्षाली की बात सुनकर मानो सरोजिनी के शरीर का खून उबल करने लगा था। उसने एक झटके से हर्षाली को एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा, "मैं पागलों की तरह दो दिन से उस लड़की को ढूँढने के लिए भटक रही हूँ और तू मुझे आज बता रही है कि तुझे पहले से बताया कि वह कहाँ गई थी!" इतना बोलकर उसने हर्षाली के बाल पकड़ लिए और फिर उंगली पॉइंट करते हुए बोली, "जितना तुझे सर पर चढ़ना है, उतनी ही तेज़ी से फ़र्श पर भी गिर सकती हूँ जानती नहीं है तू सरोजिनी राजपूत को!" और फिर एक झटके से उसके बाल छोड़ते हुए बोली, "मेरे मुँह पर पागल लिखा है जो मैं पागलों की तरह तुम लोगों से सवाल-जवाब कर रही हूँ और सब के सब मुझे बस इनकार पर इनकार किए जा रहे हैं!" हर्षाली के होठों के किनारों से खून बहने लगा था और सरोजिनी की उंगलियों के निशान उसके गाल पर छप गए थे। वह दर्द से करती हुई पीछे हटते हुए बोली, "माँ मुझे नहीं पता अब वह कहाँ है, पर आख़िरी बार वह मानिक के साथ ही थी, बस मुझे इतना ही पता है इससे ज़्यादा नहीं।" इतना बोलकर उसने अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा लिया, क्योंकि उसे सरोजिनी के गुस्से से बहुत ज़्यादा डर लग रहा था।

    कॉन्फ्रेंस रूम में सब लोग स्क्रीन के सामने देख रहे थे जहाँ फ़रमान तेज़ी से कीबोर्ड पर उंगलियाँ चला रहा था और सब बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि कब मानिक की डिटेल्स उनकी आँखों के सामने होंगी, और जैसे ही वह स्क्रीन विज़िबल होने लगी कृष्णा उछलते हुए कहा, "वह एक और गुड न्यूज़ मिल गई, मैं अभी किंग को बात कर आता हूँ।"

    उसे ऐसे जाते देखकर अरहान ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "यह इस गैंग में कर क्या रहा है? इस लंगर बना देना चाहिए।"

    फिर अचानक ही अरहान ने मुड़ते हुए कहा, "हाँ यह काम तो हो गया पर आज मीर बाबू नहीं दिख रहे, कहाँ गए?"

    उसकी यह बात सुनकर फ़रमान और उग्र को हँसी आ गई। उन्होंने हँसते हुए कहा, "तुझे पता नहीं उसका फर्स्ट हार्टब्रेक हुआ है, उसी का सेलिब्रेशन कर रहा होगा मुझे तो नहीं पता बाक़ी।"

    वहीं मीर का कमरा... वह इस वक़्त सोफ़े पर बैठा था और उसके हाथ में एक शराब की बोतल थी जिसे वह अब तक आधी ख़त्म कर चुका था। हाँ वह ड्रिंक करता था, लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं जितनी वह आज कर रहा था। उसका सर घूम रहा था और बार-बार बस मन्नत उसे नज़र आ रही थी। उसने उस बोतल को टेबल पर रखा और अचानक ही उसे लगा उस बोतल की जगह मन्नत है, और उसने अपनी आँखों को मसलते हुए अपनी नशीली आवाज में कहा कहा

    , "क्या तुम इतनी नशीली हो डॉक्टर साहिबा?" और उसे अब उस बोतल में मन्नत हँसती हुई नज़र आ रही थी। यह देखकर मीर ने छोटा मुँह बनाते हुए कहा, "क्या यार तुम मुझ पर हँस रही हो, मेरे फर्स्ट साइट लव का मज़ाक़ बना रही हो? दिस इज़ नॉट फेयर, मैं तुमसे कट्टी हूँ, मैं तुमसे बात ही नहीं करूँगा।"

    इतना बोलकर उसने साइड में मुँह कर लिया और कुछ पर बात जब उसे महसूस हुआ कि सामने से उसे कोई जवाब नहीं मिला तो उसने मुड़कर हुए देखा तो अब उसे वह बोतल ही नज़र आ रही थी और उसकी आँखों में तुरंत नमी आ गई। उसने लगभग रोते हुए कहा, "यह क्या डॉक्टर साहिबा तो नाराज़ हो गई फिर से गायब हो गई? मैं, मैं अपनी डॉक्टर साहिबा को ढूँढ कर लाऊँगा।"

    इतना बोलकर मेन्स ऑफिस से उठा और लड़खड़ाते कदमों से सीढ़ियों की तरफ़ चला गया। वहीं अर्णव जो इरा को कमरे में लॉक करके आ रहा था, आमिर को ऐसे जाते देखकर उसकी आँखें छोटी हो गईं, और उसने अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "इस घर के सारे लोग पागल हो चुके हैं, इनका कुछ न कुछ इलाज करना पड़ेगा।" पर फिलहाल उसके पास इतना टाइम नहीं था कि वह मीर से बकवास कर सके, इसलिए वह तेज़ कदमों से डार्क कैसल से बाहर चला गया। बाहर पहले से उसके लिए एक गाड़ी रेडी थी और ड्राइवर ने कर स्टार्ट कर रखी थी। दो बॉडीगार्ड कर के बाहर अर्णव के लिए दरवाज़ा खोलने के लिए खड़े थे। अर्णव जैसे ही वहाँ आया उन दोनों ने सर झुकाते अर्णव को ग्रेट किया और उनमें से एक ने दरवाज़ा खोल अर्णव अपना कोट सही करते हुए गाड़ी के अंदर बैठा, और फिर ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर ली।

    कुछ देर बाद अर्णव की गाड़ी एक घर के सामने रुकी जो आईलैंड पर ही बना था और यह थे अर्णव के पर्सनल डॉक्टर। अर्णव ने ड्राइवर को देखते हुए कहा, "मुझे आने में वक़्त भी लग सकता है।" तो ड्राइवर ने सर झुकाते हुए बस दो बार हमें सर हिला दिया, और अर्णव तेज़ी से अंदर चला गया।

    अंदर किचन में डॉक्टर साहब अपने लिए कुछ बना रहे थे। उन्होंने जैसे ही अर्णव को देखा तो वह जल्दी से हाथ धोकर हाल में आते हुए बोले, "किंग अपने यहाँ आने की तकलीफ़? क्योंकि मुझे बोल देते मैं खुद आ जाता आपको चेक करने, क्या ज़्यादा दिक्कत हो रही है आपको किसी चीज़ की?"

    अर्णव ने एक गहरी साँस लेकर कहा, "मुझे कोई दिक्कत नहीं है बस कुछ डिस्कस करना था।"

    "हाँ ज़रूर, यह डॉक्टर कपिल आपके लिए हमेशा हाज़िर है।"

    अर्णव वहीं सोफ़े पर बैठकर कुछ पल शांत रहता है और फिर एकदम से बोलता है, "मेरे अंदर हार्मोनल चेंजेज हो रहे हैं, पहली बार किसी लड़की को देखकर मुझे अजीब सा फील हुआ जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। जैसा कि तुमने मुझे कहा था कि मैं लड़कियों की तरफ़ अट्रैक्टिव ही अट्रैक्ट ही नहीं हो रहा हूँ, तो मेरी बॉडी में ज़रूर कोई दिक्कत है, तो फिर उसे लड़की की वजह से ऐसा क्यों हो रहा है? मेरा दिल दिमाग़ सब काम करना बंद कर देता है जब वह बोलना शुरू करती है।"

    फिर अचानक ही अर्णव ने कहा, "और किसी ने कहा था कि उसने मुझे सेड्यूस करने के लिए ट्रेनिंग ली है वह मेरी तबाही है। क्या ऐसा हो सकता है कि कोई लड़की इतनी ज़्यादा ट्रेनिंग ले ले कि वह अर्णव यदुवंशी को पागल बना सके? क्योंकि मुझे उसका चेहरा देखकर फिलहाल एक परसेंट भी नहीं लगता कि वह मुझसे झूठ बोल रही है।"

    to be continued

  • 10. Gangster's immature bride - Chapter 10

    Words: 2087

    Estimated Reading Time: 13 min

    कपिल ध्यान से अर्णव की सारी बातें सुन रहा था। वह किचन की तरफ जाते हुए बोला,

    "आप 2 मिनट रेस्ट करिए, मैं आपके लिए कॉफी लेकर आता हूँ।"

    डॉक्टर कपिल अकेला यहाँ रहता है क्योंकि उसकी फैमिली में बाकी कोई नहीं है और उसे अपने घर में मेड रखना पसंद नहीं है। तो औरतों के काम भी सारे उसे ही करने पड़ते हैं, चाहे मेहमानों की खातिरदारी करनी हो या फिर घर की साफ-सफाई।

    अर्णव पीछे सोफे पर सर टिकाते हुए अपनी आँखें बंद करता है और एक लंबी साँस भरते हुए इरा की हरकतों को याद करता है। कुछ देर पहले जब वह उसे कमरे में बंद करके आया था।

    फ्लैश बैक

    इरा खुद को मिरर में देख-देख कर खुश हो रही थी कि तभी अर्णव ने उसकी बाजु पकड़ कर उसे खुद की तरफ करते हुए कहा, "क्या तुम स्कूल गई हो कभी?"

    ईरा मासूमियत से दो-तीन बार पलकें झपकाते हुए बोली, "नहीं, वह क्या होता है?"

    और अर्णव ने अपने माथे पर दो उंगली रब करते हुए कहा, "तुम ऐसी बातें क्यों करती हो जैसे तुम एलियन हो इंसान नहीं?"

    ईरा ने और भी बड़ी-बड़ी आँखें करते हुए कहा, "अब एलियन क्या चीज होती है?"

    अर्णव ने ईरा का हाथ छोड़ते हुए अपना सर दोनों हाथों से पकड़ कर कहा,

    "अगर मैं इससे कुछ पूछूंगा तो जो मुझे पता है वह भी भूल जाऊंगा, इससे अच्छा है मैं पहले इसका मेंटल टेस्ट करवाऊँ, क्या यह पागल है क्या? फिर यह बच्ची है?"

    अर्णव ईरा से बुरी तरह चिढ़ चुका था। उसने अपने तेज कदम दरवाजे की तरफ बढ़ाए तो ईरा दौड़ती हुई उसके पास आई और उसकी बाजु पकड़ते हुए बोली,

    "मुझे, मुझे आई के पास छोड़ आओ, अगर तुम यहाँ से जा रहे हो मैं अकेली नहीं रहूंगी।"

    अर्णव उसके ऐसे हाथ पकड़ने से और ज्यादा खीज गया और एक झटके से उसे पीछे धक्का दे दिया जिससे इरा फर्श पर जा गिरी और उसकी हल्की सी कराह निकल गई अगले ही पल अर्णव अपनी गुर्राती हुई आवाज मै धमकी देते हुए बोला,

    "तुम कहीं नहीं जाओगी, तुम यहीं रहोगी, यही तुम्हारी पनिशमेंट है, तुम अपनी आई से तब तक नहीं मिलोगी जब तक तुम मेरे सवालों के जवाब देने लायक ना हो जाओ, अब मैं शाम को ही आऊंगा, तब तक तुम्हें इसी कमरे में रहना है।"

    इतना बोल कर अर्णव कमरे से बाहर आया और कमरे को बाहर से लॉक कर दिया। घर से निकलते वक्त उसने बॉडीगार्ड से कहा था कि कुछ भी हो जाए पर कोई ईरा का कमरा ना खोल पाए।

    फ्लैश बैक एंड

    "सर आपकी कॉफी।"

    अर्णव कपिल की आवाज सुन कर ईरा के ख्यालों से बाहर आया और सोफे पर सीधा बैठते हुए कॉफी का मग अपने हाथ में लेते हुए बोला, "मुझे शक है या तो वह लड़की मेंटली अनस्टेबल है और दूसरा यही कि वह बहुत ज्यादा शातिर है।"

    कपिल ने उसके सामने बैठकर कॉफी का सिप लेते हुए कहा,
    "वह आपसे ज्यादा शातिर है इस बात पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है, सबसे पहले मैं आप ही का टेस्ट कर लेता हूँ और उसके बाद आप उस लड़की के जितना हो सके उतना करीब रहने की कोशिश करिए और फिर किसी और लड़की के करीब जाइए हो सकता है आपकी बीमारी ठीक हो गई हो सिर्फ उससे नहीं बल्कि किसी और लड़की से भी आपको अपनी बॉडी में चेंज दीखेंगे। इसका यही मतलब होगा कि आप ठीक हो गए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर हम उस लड़की की जांच करेंगे।"

    अर्णव काफी हद तक कपिल की बातों से सहमत था इसलिए उसने धीरे से हाँ में सर हिला दिया और अपनी कॉफी पीने लगा।

    दूसरी तरफ डार्क कैसल

    मीर लड़खड़ाते कदमों से केसल से बाहर जा रहा था। वह खुद में बड़बड़ा रहा था, "मैं अपनी मन्नत को ढूंढ कर रहूंगा, मन्नत सिर्फ मीर की है, वह ऐसे कैसे मेरी आंखों के सामने से गायब हो गई।"

    वही क्रिश जब अर्णव के कमरे के सामने आया और वहाँ अर्णव नहीं मिला तो उसका मुंह उतर गया। उसने खुद से कहा, "यह क्या मैं तो किंग को ब्रेकिंग न्यूज़ देने आया था और वह तो यहाँ है ही नहीं।" और तभी उसे कमरे के अंदर से इरा के सिसकने की आवाज सुनाई दी। क्रिश दरवाजे से कान लगाते हुए कहा, "अरे इसमें तो वह पागल लड़की है।"

    उसने दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एक बॉडीगार्ड तेज कदमों से दौड़ता हुआ आया। उसे ऐसे दौड़ता देखकर क्रिस ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "ऐसे क्यों दौड़ रहे हो जैसे पीछे तुम्हारे सांड लगे हो?"

    उस बॉडीगार्ड ने हाँफते हुए कहा, "वह किंग ने मना किया था कि ये का दरवाजा नहीं खोलना है, मैं बस आपको यही बताने आया था।"

    यह सुनकर क्रिश ने अपना हाथ पीछे खींच लिया। वह अर्णव के फैसले के खिलाफ कभी नहीं जा सकता था, लेकिन अंदर से आई ईरा की सिसकियां उसे बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी। उसने अफसोस से ना में गर्दन हिलाते हुए कहा, "एक दिन यह किंग का बच्चा बहुत पछताएगा, इस मासूम लड़की को तंग कर रहा है।"

    दूसरी तरफ मन्नत सुजाता को संभाल रही थी क्योंकि जब से वह ईरा को देख कर आई थी तब से बस रोए जा रही थी। मन्नत ने उसे अपने सीने से लगा रखा था।
    "अम्मा आप रोना बंद करो, मैं हूं ना, हम कुछ कर लेंगे, हम पुलिस को खबर कर देंगे, कोई भी आपकी ईरा को कुछ नहीं कर पाएगा, आप चुप हो जाइए, रोने से वैसे भी कोई हल नहीं निकलने वाला है। हम यहां से निकलने का कोई ना कोई रास्ता जरूर ढूंढ लेंगे।"

    सुजाता ने रोते हुए कहा, "मेरी बच्ची बहुत भोली है, उसे किसी चीज का ध्यान नहीं है, इतने दिनों से उसने सिर्फ घर का काम सीखा है, उससे ज्यादा कुछ नहीं, उसने कभी हवेली से बाहर कदम तक नहीं रखा, वह कैसे इन राक्षसों के सामने टिक सकती है, कैसे खुद को संभालेगी मुझे उसके लिए बहुत डर लग रहा है। काश मैं उसे अपने पास ला पाती।"

    मन्नत गौर से सुजाता की बातें सुन रही थी और उसे कहीं ना कहीं अंदाजा हो चुका था कि ईरा की पहले वाली जिंदगी भी बहुत ज्यादा खराब थी वह सिर्फ यहां कैद नहीं है बल्कि वह पहले भी कहीं कैदी ही थी, आजाद पंछी नहीं।

    मन्नत और सुजाता एक दूसरे से कुछ और कह पाए उतने में ही उनका दरवाजा जोर-जोर से नॉक होने लगा और मन्नत एकदम से डर गई। उसने तेज आवाज में कहा, "क्या दरवाजा तोड़ने का इरादा है? मैं आ रही हूं।" लेकिन वह ठक-ठक की आवाज बढ़ाते पल के साथ बस बढ़ती ही जा रही थी, अब तो मन्नत को और ज्यादा डर लग रहा था। सुजाता ने मन्नत का हाथ पकड़ते हुए कहा, "बेटा मत जाओ, मुझे डर लग रहा है, यहां तो सब मर्द ही मर्द है और वह जो दो लड़कियां हैं वह भी मर्दों जैसी हट्टी कट्टी है, मुझे तो उनसे भी डर लगता है तुम बाहर मत जाओ।"

    मन्नत ने अपना दूसरा हाथ सुजाता के हाथ पर रखकर उसे शांतवना देते हुए कहा,

    "अम्मा आप चिंता मत करो मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, मैं भी देखूं आखिर कौन है।"

    इतना बोलकर मन्नत ने सुजाता से अपना हाथ छुड़ाया और तेज कदमों से दरवाजे के पास गई और उसने जैसे ही दरवाजा खोला मीर जो दरवाजे से सहारा लेकर खड़ा था धम्म से उसके पैरों में जा गिरा।

    और मन्नत घबराते हुए दो कदम पीछे हट गई। मीर ने आंखें खोली तो सबसे पहले उसके सामने मन्नत के गोरे गोरे पैर थे, उन्हें देखकर मीर के होठों पर एक मासूम सी स्माइल आ गई, उसने वैसे ही गिरे हुए मन्नत के दोनों पांव को अपने हाथों से पकड़ते हुए कहा, "हे देवी जी पाए लागू, आप मुझे मिल ही गई, मैं कब से आपको ढूंढ रहा था।"

    मन्नत ने अफसोस से अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा, "अब क्या यहां बेवड़े इंसान भी रहते हैं?" फिर उसने झुक कर मीर को खड़े करते हुए कहा, "मैं कोई देवी नहीं हूं, डॉक्टर मन्नत हूं।"

    मीर ने उसकी आंखों में देखते हुए धीरे से कहा, "मन्नत नहीं तुम मेरी जन्नत हो।" इतना बोलकर वह मन्नत को गले लगाने के लिए आगे बढ़ा तो मन्नत ने पीछे खिसकते हुए कहा, "अपनी लिमिट में रहो तुमने पी रखी है तुम्हारे अंदर से अल्कोहल की स्मेल आ रही है निकल जाओ यहां से मैं शराबियों के मुंह नहीं लगती।"

    मीर ने बच्चों जैसा मुंह बनाकर कहा, "तो किसके मुंह लगती हो बताओ मुझे मैं अभी उसे जिंदा जला के आता हूं, किसकी हिम्मत जो मीर की मन्नत को छु पाए वह तो सिर्फ मीर की ही है और हमेशा उसी की रहेगी।"

    बार-बार मीर की मन्नत सुनकर मन्नत बुरी तरह चिढ़ चुकी थी। उसने मीर को डांटते हुए कहा, "हां समझ गई मैं मीर की मन्नत कौन है अब जाओ यहां से जब नशा उतर जाए तब आना बात करने।"

    मन्नत के इस तरह डांटने से मीर की आंखों में आंसू आ गए और वह रोते हुए घुटनों के बल बैठ गया,

    "तुम तुम बहुत बुरी हो तुम कैसे हो मुझे डांट सकती हो सब लोग बस मुझे ही डांटे रहते हैं जैसे सारी गलती मैं ही करता हूं, अब तुम मुझे अच्छी लगती हो इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं है मैंने अपने दिल को एक बार भी नहीं कहा कि जा और मन्नत को पसंद कर लो इतनी सारी लड़कियों ने प्रपोज किया है मुझे मैं आज तक किसी को हां नहीं बोला और तुम मुझे दिन-ब-दिन बस नखरे ही दिख रही हो नकचढ़ी औरत।"

    इतना बोलकर मीर रोने लगा उसे देखकर मन्नत को समझ नहीं आया कि उसे क्या करना चाहिए उसने मुड़ते हुए सुजाता को देखा जो कुछ देर पहले रो रही थी अब मीर की हरकतों को देख कर अपनी हंसी कंट्रोल नहीं कर पाई।

    और उन्हें देखकर मन्नत के चेहरे पर भी छोटी सी स्माइल आ गई वह आगे बढ़ते हुए मीर के पास गई और फिर धीरे से उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोली,
    "ठीक है मैं समझ गई तुम्हारी कोई गलती नहीं है पर अब तुम यहां से जाओ जब तुम्हारा नशा उतर जाए तब आ जाना।" इस बार मन्नत ने उसे गुस्से में कुछ नहीं कहा जो कहा बस प्यार से कहा जिसे सुनकर मीर का चेहरा खिल उठा और वह झट से अपना सर मन्नत की कमर पर लगाकर अपनी दोनों बाह कसकर उसकी कमर पर लपेट दी और अपनी आंखें बंद करते हुए बोला, "अगर तुम इतने प्यार से मनाओगी तब तो मैं बिल्कुल छोड़कर नहीं जाऊंगा प्लीज मुझे यही रहने दो मैं इन मर्दों के बीच रह रह के तंग आ चुका हूं कोई मुझे प्यार नहीं करता सब गंदे आदमी है तुम बहुत अच्छी हो और देखो मेरी चोट मेरी चोट की पट्टी उतर गई है इसे फिर से कर दो मुझे यहां भी दर्द हो रहा है।"

    मन्नत ने गौर किया सच में मीर के सर की पट्टी उतर गई थी और उसकी चोट पर अब हल्की सी काली पपड़ी जम गई थी जो यह प्रूफ कर रही थी की मन्नत की लगाई दवा ने असर कर दिया है। और मीर की चोट ठीक हो रही है मन्नत ने मीर का हाथ पकड़ कर अपनी कमर से हटाते हुए कहा, "हां चलो वहां बैठो सोफे पर मैं करती हूं तुम्हारी पट्टी दोबारा।" मीर बहुत ज्यादा खुश हो गया उसने आहिस्ता से मन्नत की कमर को चूमते हुए कहा, "मीर की मन्नत बहुत अच्छी है।"

    और उसके गीले होठों को अपनी कमर के इतने नाजुक हिस्से पर महसूस कर मन्नत के पूरे शरीर में मानो बिजली सी दौड़ गई हो उसकी पीठ सुजाता की तरफ थी तो सुजाता नहीं देख पाई अभी-अभी क्या हुआ और मन्नत नहीं चाहती थी कि सुजाता को यह पता चले पर उसका पूरा चेहरा शर्म से लाल हो चुका था उसने गुस्से से मीर को घूरा लेकिन उसे कुछ कहा ना पाई और मीर भी उठते हुए एक बार सोफे से टकराया एक बार टेबल से और आखिरकार आराम से सोफे पर बैठ ही गया।

    वही ईरा अब रो रो के थक चुकी थी उसका सर बुरी तरह फट रहा था इसलिए वह उठी और अर्णव के कमरे को देखने लगी उसने अपने आंसू पोछते हुए कहा,
    "यह दानव इसे तो यमराज उठाकर लेकर जाएंगे और जैसे आई बोलती है जो इंसान बुरे काम करता है उसे यमराज गरम-गरम तेल में तल देते हैं वैसे ही दानव को भी तेल में तल देंगे और उसके अच्छे-अच्छे पकोड़े बन जाएंगे, फिर मैं यमराज से कहूंगी मुझे दानव के पकोड़े खाने हैं बेकार आदमी बात ही नहीं करूंगी, ईरा को इतना तंग किया अब ईरा भी उसे तंग करेगी।"

  • 11. Gangster's immature bride - Chapter 11

    Words: 2313

    Estimated Reading Time: 14 min

    रात के करीब 10 बजे

    Dark castle का मेन गेट खुलता है और अर्णव तेज कदमों के साथ हॉल में एंटर करता है, जहाँ डाइनिंग एरिया में सब डिनर कर रहे थे।

    अरहान, उग्र, फरहान, क्रिश, और सीवी मीर वहाँ नहीं था, ये देखकर अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "मीर कहाँ गया?"

    फरमान ने हंसते हुए कहा, "वह आज पूरे दिन बेवड़ा बनके घूम रहा था, मीर की मन्नत, अमीर की मन्नत करते हुए इस लड़की के कमरे में गया था, फिर वापस नहीं आया।"

    उग्र ने एक बाइट खाते हुए कहा, "मैं उसे लेने गया था वहाँ से, लेकिन नींद में भी वह उस कमरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था, तो हमने उसे वहीं सोने दिया।"

    अर्णव ने एक गहरी सांस छोड़ी और फिर अपने कमरे की तरफ देखा जो अभी बंद था, जिसका मतलब था कि किसी ने भी एरा से कोई बात नहीं की थी।

    अर्णव ने वहाँ खाना सर्व करती मद से कहा, "मेरा खाना ऊपर रूम में भेज देना।"

    और फिर तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया।

    क्रिश ने उसकी तरफ देखकर गुस्से से कहा, "वह लड़की इस दानव...सही बोलता है, उसे सुबह से खाने के लिए भी नहीं पूछा, पूरा दिन उसे कमरे में बंद रखा था और अब भी इसका मूड देखकर लग नहीं रहा है कि उसे चैन से सोने भी देगा।"

    फरमान ने खाना खाते हुए जवाब दिया, "हाँ, मुझे तो उसे पर दया आ रही है, मुझे सच में लगता है कि वह मासूम है, किंग को उसे परेशान नहीं करना चाहिए, यहाँ तक कि उसका अब यहाँ कोई काम भी नहीं है, उसे उसकी आई के साथ यहाँ से भेज देना चाहिए।"

    उग्र ने कुछ सोचते हुए कहा, "तुम दोनों की बात बिल्कुल सही है, लेकिन एटलीस्ट हमें पता तो करना चाहिए कि उसके साथ प्रॉब्लम क्या है।"

    क्रिश ने एक आइब्रो उठाते हुए कहा, "तो क्या हमने यहाँ धर्मशाला खोल रखी है जो उसकी प्रॉब्लम का पता लगाएंगे फिर उसकी केयर करेंगे? अगर हमारा उससे कोई लेना देना नहीं है तो हमें उस पर टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए।"

    अरहान ने अपनी गहरी काली आंखे छोटी करते हुए कहा, " बेरहम इंसान...इंसानियत नाम की भी कोई चीज होती होगी।"

    क्रिश ने अपने हाथ में पड़ी स्पून को स्टाइल से घूमते हुए कहा, "नेवर, डार्क डेविल्स के दिल में कभी किसी के लिए दया नहीं आ सकती और इंसानियत तो दूर-दूर तक नहीं, हम किसी को फिजूल में चढ़ते नहीं तो साथ में फिजूल में किसी पर अपने पैसे या टाइम भी वेस्ट नहीं करते हैं, समझे।"

    उन्हें यूँ लड़ता देख उग्र ने अपना माथा पकड़ लिया था।

    वहीं अर्णव ने जैसे ही अपने कमरे का दरवाजा खोला तो सामने का नजारा देखकर उसके माथे की नसें गुस्से से तन गई, वह तेज कदमों से अंदर जाते हुए बोला, "मिस छुईमुई, तुमने यह सब क्या किया है?"

    क्योंकि अंदर इरा ने पूरे कमरे का नक्शा ही बदल दिया था, अर्णव के सारे कपड़े तीतर-बितर थे, यहाँ तक की उसकी लगे पेंटिंग्स भी अब काफी हद तक खराब हो चुकी थी क्योंकि उन पर इरा ने अपने नाखून चुभो दिए थे और जिन कांच लगे थे उनके कांच टूट चुके थे।

    ऐसा लग रहा था अरनव के कमरे में कोई तेज तूफान आकर गुज़रा हो और सब कुछ तहस-नहस करके चला गया हो।

    एरा बेड पर घुटनों के बाल बैठी थी, उसके हाथ में फिलहाल एक किताब थी जिसे वह उल्टा-सुलटा करके देख रही थी और अचानक ही उसका एक पेज पढ़ते हुए बोली, "यह सब क्या है दानव, तुम इन सब चीजों का क्या करते हो?"

    इरा फूल ही चुकी थी कि उसने अब तक कितना नुकसान कर दिया है, वह फिलहाल जिस चीज के बारे में सोच रही थी सिर्फ उसी का जिक्र उसके लबों पर था।

    वह बिल्कुल किसी मासूम बच्चे की तरह अपना मुंह फुल अरनव से सवाल कर रही थी और अब उसका चेहरा देखते हुए उसके जवाब का वेट कर रही थी, अरनव की सिल्वर आइस अब तक गहरी लाल हो चुकी थी।

    वह अपने जबड़े कसे हुए धीमे कदमों से चलकर बेड के पास जाता है, इरा अब भी बार-बार पलके चिपकाते हुए उसे देख रही थी, फिर उसने चाहते हुए वह बुक अरनव के सामने करते हुए कहा, "मैं इसकी बात कर रही हूं, यह सब क्या है?"

    इरा यह बोलते हुए उसे किताब के अंदर बने ड्राइंग्स पर इशारा कर रही थी, अर्णव ने एक झटके से उसके हाथ से वह किताब ली और फिर उसे बेड पर फेंक दिया, अगले ही पल उसने इरा के छोटे से चेहरे को अपने हाथ में पकड़ लिया, इरा के गाल इतने मुलायम थे कि अर्णव ने जैसे ही उसके दोनों गालों को भेजो, इरा का चेहरा लाल हो गया और उसके होंठ भी हल्के से खुल गए, उसने अरनव का हाथ हटाने की कोशिश की तो अर्णव ने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और फिर दाँत पीसते हुए बोला, "तुमने मेरे कमरे का सारा सामान तोड़ दिया और अब मुझे उम्मीद करती हो कि मैं तुम्हें यह समझाऊं कि इस किताब में क्या लिखा है? सीरियसली तुमने मुझे पागल समझा है?"

    इरा की आँखों में आंसू आ गए थे, उसने झटपटाते हुए अर्णव को खुद से दूर करने की कोशिश की क्योंकि अरनव के ऐसे पकड़ने से वह अपनी सफाई में कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।

    वहीं अरनव का गुस्सा हर पल बढ़ते ही जा रहा था, उसने एक झटके से इरा का चेहरा छोड़ा और अगले ही पल एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ते हुए बोला, "क्या तुम 5 साल की बच्ची हो जो इतना सारा नुकसान कर दिया मेरा? तुम्हें पता भी है यह एंटीक पीस कितने पैसे में आते हैं और कहाँ से लिए जाते हैं? अर्णव यदुवंशी का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता और तुमने उसकी इतनी एक्सपेंसिव चीज तोड़ दी, ब्लडी ड्रामा मेकर, तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हें सिंपैथी दूंगा बेवकूफ समझ कर।" इतना बोलकर उसने फिर से अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि उसे इरा के हाथ दिखे जो खून से सने हुए थे, उन्हें देखकर अरनव का बड़ा हुआ हाथ अपने आप अपनी जगह रुक गया और उसने माथे पर बल डालते हुए कहा, "यह सब क्या है इडियट ये हाथ पर चोट?"



    इरा ने सुबकते हुए खुद को बेड पर पीछे की तरफ हटाना शुरू कर दिया, क्योंकि अर्णव की लाल हो चुकी आँखों से उसे बेहद डर लग रहा था। वह पीछे खिसकती जा रही थी, तभी अर्णव का ध्यान उसके पाँव पर पड़ा, जहाँ से खून बह रहा था। अर्णव ने उसका छोटा-सा पाँव अपने हाथ में भर लिया। वह इतना छोटा था कि अर्णव की पूरी हथेली में समा चुका था। अर्णव ने अपनी आँखें उठाते हुए इरा के चेहरे को देखा, जो अब डर से सफेद पड़ गया था, और उसका पूरा शरीर ऐसे काँप रहा था जैसे ठंड का महीना चल रहा हो, और साथ में उसके माथे पर आती पसीने की बूँदें बता रही थीं जैसे बहुत तेज़ गर्मी हो।

    अर्णव ने अपने दूसरे हाथ से अपने माथे को रब किया और एक गहरी साँस लेकर अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोला, "छुईमुई, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ, यह खून कैसे बह रहा है? क्या कोई आया था कमरे में मेरे जाने के बाद?"

    इरा उसकी गुस्से वाली तेज़ आवाज़ से डरकर अपनी आँखें भींचते हुए धीरे से बोली, "नहीं, यहाँ कोई नहीं आया था, मैं अकेली ही थी।"

    अर्णव ने फिर उसके पाँव को देखते हुए कहा, "तो फिर यह सब क्या है?" अर्णव का हाथ भी अब तक खून से सन चुका था, और उसने जैसे ही पाँव को ऊपर करते हुए उसकी स्किन पर हाथ लगाया, तो उसे पता चला उसके पाँव में काँच चुभे हैं।

    यह देखकर अर्णव ने झटके से उसका पाँव छोड़ दिया, और इरा ने डरते हुए कहा, "वह जब मैं उस फोटो को देख रही थी, तब वह टूट गई, और उसके बाद मैं घूमते हुए वापस वहाँ गई, तो मेरे पाँव में काँच चुभ गए।"

    अर्णव ने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ लिया, क्योंकि उसके सर में तेज़ दर्द होने लगा था। इरा की बेतुकी बातें सुनकर जब उसे पता था कि वह फ्रेम टूट चुका है और उसका काँच बिखर गया है, तो वह वापस वहाँ गई ही क्यों थी? उसने अपनी बंद आँखों को खोलते हुए अपने दोनों हाथों को इरा की दोनों साइड टिका दिया और उस पर झुकते हुए बोला, "तो तुम खुद को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रही थी? तुम्हें क्या लगता है, तुम अपनी मर्जी से मर सकती हो? कभी नहीं। तुम अर्णव यदुवंशी की कैद में हो, जहाँ तुम इतनी साँस लेगी जितनी मैं चाहता हूँ। तुम चाहकर भी कभी खुद को खत्म नहीं कर पाओगी।" इरा ने दो-तीन बार ना में गर्दन हिलाते हुए कहा, "नहीं, नहीं, इरा को मरना नहीं है, वह बस मुझे तुम पर गुस्सा आ रहा था दानव इसलिए मैं तुम्हारी चीज़ों को तोड़ रही थी, उन सब में यह कब हो गया मुझे पता भी नहीं चला।"

    और यह बात सच थी। इरा उन फ़ोटोज़ को तोड़ रही थी तब उसकी पूरी उंगलियाँ ज़ख़्मी हो चुकी थीं और हथेली भी, लेकिन उसने तब इस बात पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा था, और उसके पेट में भूख के कारण होती ऐंठन के आगे उसके हाथ और पैर का दर्द कुछ नहीं था, और इस गुस्से में उसने सब कुछ तोड़ डाला, और जब वह शांति से बेड पर बैठी तब उसे दर्द का एहसास हुआ, और उसने उस खून को देखा वह पैनिक भी बहुत थी, लेकिन उसके बाद उसके हाथ वह किताब लग गई जिसमें अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे, जिसकी वजह से एक बार फिर वह अपनी चोटों को भूल गई। इरा मासूमियत से अर्णव को देख रही थी और उसके अगले ब्रह्म शब्दों का इंतज़ार कर रही थी।

    अर्णव ने अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए कहा, "तो तुम कहना चाहती हो कि चोट लगने पर तुम्हें दर्द भी नहीं हुआ?"

    इरा ने दोनों हाथों से अपने पेट को पकड़ते हुए कहा, "क्योंकि मेरे पेट में ज़्यादा दर्द हो रहा था। तुमने मुझे खाना नहीं दिया दानव।" यह याद आते ही इरा ने रोते हुए कहा, "हाँ, मुझे भूख लगी है, तुम पहले मुझे खाना दो, उसके बाद जो बोलना है वह बोल देना।" इरा ने रोते हुए फिर आगे बढ़कर अर्णव का हाथ पकड़ लिया और उसे हिलाते हुए बोली, "तुम सुन रहे हो ना दानव, मुझे भूख लगी है, प्लीज पहले मुझे खाना ला कर दो।"

    अर्णव की आँखें हैरानी से फैल गईं। यह लड़की दो पल पहले उससे डर रही थी, और अब इसकी हिम्मत इतनी है कि वह सामने से ऑर्डर चला रही है कि उसे भूख लगी है और अर्णव उसे खाना देगा।

    अर्णव ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा, "पता नहीं मेरी इन धमकियों का कोई असर हो भी रहा है या नहीं, फिलहाल मुझे अपना हर एक शब्द फ़िज़ूल ही लग रहा है। इससे अच्छा है कि पहले मैं इसका ट्रीटमेंट करवाऊँ, उसके बाद देखता हूँ। अर्णव यदुवंशी की ज़िंदगी में आज तक ऐसा कोई शख्स नहीं आया जिसकी वजह से वह इतना बेचैन हो जाए, और इस विधि की हिम्मत देखो, 2 दिन से नाक में दम करके रखा है।"

    इरा की नीली आँखों से मोती जैसे आँसू टपक रहे थे, और उसकी छोटी सी नाक भी लाल हो चुकी थी। इरा ने फिर अर्णव का हाथ छोड़ते हुए कहा, "दानव, तुम इतने बुरे क्यों हो? इतनी बुरी तो मेरी काकी सा भी नहीं थी, वह कम से कम मुझे खाना तो देती थी, तुम मुझे खाना भी नहीं देते हो।" अर्णव ने गौर से इरा के चेहरे को देखा, उसका एक गाल सूज चुका था जहाँ अर्णव ने उसे थप्पड़ मारा था, और उसकी उंगलियों के निशान छपे हुए थे।

    अर्णव उसे कुछ बोल पाता उससे पहले ही उसका दरवाज़ा लॉक हुआ, और अर्णव फिर इरा को वहीं छोड़कर वापस दरवाज़े के पास गया जहाँ वह मेड हाथों में खाने की ट्रॉली लिए खड़ी थी। अर्णव ने कहा, "तीन-चार लोगों को भेजो कमरे की सफाई करवानी है, और यह खाना दूसरे कमरे में लेकर चलो, मैं आ रहा हूँ वहीं।"

    उस मेड ने "यस सर" बोलते हुए अपना सर झुकाया और ट्रॉली लेकर अर्णव के कमरे के ठीक बगल वाले कमरे के अंदर चली गई, जो भी अर्णव का ही कमरा था, क्योंकि इस फ़्लोर पर ज़्यादातर चीज़ें अर्णव ही यूज़ करता था। उस कमरे में सिर्फ़ एक चीज़ एक्स्ट्रा थी, और वह था एक बार।

    अर्णव वापस इरा के पास आया, जो सुबकते हुए उसे देख रही थी। अर्णव ने आगे बढ़ते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया और फिर तेज़ कदमों से कमरे से बाहर निकलने लगा। इरा ने अपनी दोनों बाजुएँ उसके गले में डालते हुए कहा, "दानव, इस तरह तुमसे पहले कभी किसी ने मुझे ऐसे गोद में नहीं उठाया।"

    अर्णव को अब इरा की हर बात इरिटेट कर रही थी। उसने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया, तो इरा ने आगे कहा, "तुम मुझे कभी-कभी अच्छे लगते हो, लेकिन उसके बाद तुम मुझे इतना परेशान करते हो कि मुझे इस दुनिया में सबसे बुरे इंसान लगने लगते हो।"

    अर्णव ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया, तो इरा ने उखड़ते हुए कहा, "क्या तुम बहरे हो गए हो, या तुमने बोलना छोड़ दिया है?"

    अर्णव ने उसे कमरे के अंदर इंटर होते हुए इरा को सोफे पर बैठाया और फिर कमरे की टेबल के नीचे बने ड्रॉर से एक मेडिसिन बॉक्स निकालकर लाया।

    और फिर सोफे के सामने रखी टेबल पर बैठते हुए इरा के पाँव को अपने हाथ में ले लिया और फिर कॉटन का एक टुकड़ा लेकर उसके ब्लड को पोंछने लगा। इसके साथ इरा के मुँह से एक दर्द भरी कराह निकल गई - "आह दानव, ये मत करो इरा को दर्द हो रहा है।"

    अर्णव ने जबड़े भींचते हुए कहा, "यह सब तो बेवकूफी करने से पहले सोचना चाहिए था कि यह कितना दर्दनाक हो सकता है।"

  • 12. Gangster's immature bride - Chapter 12

    Words: 1535

    Estimated Reading Time: 10 min

    अर्णव ने इरा के पैरों के जख्मों पर मरहम लगाने के बाद उसके छोटे-छोटे हाथों से भी कांच के टुकड़े निकाले। उसने नजर उठाकर इरा के चेहरे को देखा जो रोने के कारण लाल हो चुका था। अर्णव ने उसके हाथों पर दवाई लगाकर इरा को अपनी बाहों में उठाते हुए कहा, "तुम्हारे पूरे कपड़े भी खराब हो चुके हैं। मुझे घिन आती है ऐसे गंदे लोगों से।"

    इरा ने सुबह उठते हुए कहा, "मैं गंदी नहीं हूँ।"

    अर्णव उसे बाथरूम के स्लैब पर बैठाते हुए बोला, "नहीं, तुम गंदी नहीं, तुम बहुत ज्यादा गंदी हो।"

    इतना बोलकर वह वापस बाथरूम से बाहर आया और उसने रूम की कपबोर्ड से अपना एक शर्ट निकालते हुए वापस बाथरूम में गया, जहाँ इरा अपने दोनों हाथों को देख रही थी। उसकी चार उंगलियों पर अर्णव ने पट्टी की थी।

    अर्णव एक गहरी सांस छोड़ते हुए उसके करीब जाकर बोला, "मुझे तुम्हारे कपड़े चेंज करने हैं।"

    इरा ने अपने दोनों हाथ उठाते हुए कहा, "कर लो।"

    अर्णव ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "तुम एक मौका नहीं छोड़ती हो ना अपनी बेशर्मी दिखाने का और फिर कितनी जल्दी मासूम बनने का नाटक करने लगती हो।" अर्णव को गुस्सा आ रहा था इस विधर्मी सी लड़की पर जो तूफान की रफ़्तार से अपने बिहेवियर को चेंज कर लेती है।

    अर्णव ने आगे बढ़कर उसकी फ्रॉक की ज़िप खोली और फिर पीछे से डोरी भी खोल दी। उसके हाथ कांप रहे थे लेकिन उसके चेहरे पर अभी शक था, जैसे अपने मन में चल रही हलचल को वह इरा से बहुत दूर रखना चाहता हो।

    अर्णव ने उसके कंधों से जैसे ही ड्रेस को निकाला उसकी नजर एक बार फिर इरा के क्लीवेज पर चली गई जहाँ एक तिल बना हुआ था और काफी अट्रैक्टिव लग रहा था। अर्णव का दिल कर रहा था कि एक बार उसे दिल को छू ले और उसकी उंगलियां भी थरथर रही थी, जैसे उन पर से अर्णव का कंट्रोल छूट रहा हो।

    अर्णव बस उसे तिल को छूने ही वाला था कि अचानक इरा ने कहा, "दानव तुम क्या कर रहे हो? जल्दी करो ना, मुझे भूख लगी है।"

    इरा की आवाज सुनकर जैसे अर्णव होश में आया हो। उसने अपनी आंखें भिंचते हुए उसकी फ्रॉक को निकालकर अपना शर्ट उसकी बाजू में डाला, जिसके साथ ही इरा ने कराहते हुए कहा, "दोनों मेरे हाथ में दर्द हो रहा है। तुम छोड़ो लोगे, यह मुझे पहनना आता है।"

    इतना बोलकर इरा ने वह शर्ट खुद पहनना शुरू कर दिया और अर्णव ने एक गहरी सांस लेते हुए दो कदम पीछे रख लिए। उसने अब एक बार भी आंखें उठाकर इरा की तरफ नहीं देखा।

    वहीं इरा ने अपनी चहकती आवाज में कहा, "दानव, मैं पहन लिया। अब तुम मुझे फिर से गोद में उठाओ।"

    अर्णव की आंखों में गुस्सा आ गया। यह लड़की क्या उसे आर्डर दे रही है या उसे अपना नौकर समझती है? अर्णव तेज कदमों से बाथरूम से बाहर जाते हुए बोला, "तुम खुद आ सकती हो।"

    अर्णव बाहर आकर सोफे पर बैठकर अपना माथा पकड़ते हुए बोला, "यह सब क्या हो रहा है? ऐसा तो मैं कभी नहीं था। मैं क्यों इस लड़की की इतनी केयर कर रहा हूं, जबकि मुझे पता है यह मानिक मल्होत्रा ने भेजी है और यह जानबूझकर मेरे दिल के साथ खेलना चाहती है।"

    वह इतना सब सोच ही रहा था कि इरा की सिसकने की आवाज उसके कानों में पड़ी। उसने धीरे से गर्दन घुमा कर देखा तो इरा लड़खड़ाते कदमों से बाथरूम के दरवाजे से बाहर निकल रही थी। उसके पैरों में दर्द हो रहा था, लेकिन फिर भी वह तेज कदमों से चलकर अर्णव की तरफ आ रही थी। वह अर्णव के पास आकर सोफे पर बैठते हुए बोली, "अब ठीक है दानव, अब मुझे खाना दे दो।"

    अर्णव ने ट्रॉली में से खाना निकलते हुए सामने रखी टेबल पर दो प्लेट्स रखीं और इरा ने झट से एक प्लेट उठाकर खाना शुरू कर दिया। अर्णव ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। उन्होंने अपने हाथ में चम्मच पकड़ी थी जो वह इरा को देना चाहता था, लेकिन इरा ने हाथ से ही खाना शुरू कर दिया था। दो-तीन बीते लगातार खाने की वजह से इरा के गले में खाना फस गया और वह जोर-जोर से खांसने लगी, जिसे देखकर अर्णव ने एक गिलास में पानी डालते हुए कहा कि खाना कहीं भाग कर नहीं जा रहा है, तुम आराम से भी खा सकती हो और यह क्या जानवरों वाली हरकत है? यहां चम्मच रखी है, तुम्हें दिखाई नहीं दे रही है?

    इरा ने वह निवाला निकलते हुए जल्दी से पानी पीकर कहा, "वह मुझे बहुत तेज भूख लगी है दानव और मैं तो हाथों से ही खाती हूं, चम्मच से खाना मुझे अच्छा नहीं लगता।" इतना बोलकर एक बार फिर इरा वैसे ही खाने लगी जैसा उसे पसंद था और अर्णव को उसे ऐसे देखकर अजीब लग रहा था। उसने अपनी नज़रें इरा से हटा ली और खुद आराम से खाना खाने लगा।

    अब करीब रात के 11:00 बज चुके थे। अर्णव ने इरा को इस कमरे में छोड़ते हुए कहा, "तुम पूरी रात यही रहना और भागने की कोशिश मत करना। मैं तुम्हारे साथ एक कमरे में तो कभी नहीं रह पाऊंगा, इसलिए मैं बगल वाले कमरे में हूं।"

    इतना बोलकर अर्णव तेज कदमों से कमरे से बाहर चला गया, वहीं इरा ने भी एक सुकून की सांस ली और धीमे कदमों से बेड की तरफ चली गई। बेड पर लेटने के बाद इरा अपने हाथों को देख रही थी जिस पर अर्णव ने पट्टी की थी। उसने धीरे से उस पट्टी को अपने दूसरे हाथ से छूते हुए कहा, "क्या यह दानव अच्छा है? इसने मेरे दर्द होने पर मुझे दवा लगाई है, लेकिन कैई सा तो ऐसा नहीं करती थी।"

    वहीं अर्णव अपने कमरे में बैठकर अब ड्रिंक कर रहा था क्योंकि उसके सामने बार-बार इरा की वह छवि आ रही थी जब उसने इरा के कंधों से उसे फ्रॉक को नीचे सरकाया था। चाह कर भी अर्णव के दिमाग से वह दृश्य निकल नहीं रहा था और उसका एक ही इलाज था कि वह अपने दिमाग को डाइवर्ट कर ले और उसका सबसे अच्छा इलाज थी उसकी शराब।

    अगली सुबह

    अर्णव की आंखें किसी के बार-बार दरवाजा बजाने से खुली और उसने अपने सर पर हाथ रखते हुए खुद की हालत को देखा। वह सोफे पर बैठे-बैठे ही सो गया था।

    वह कराहते हुए उठा और फिर जाकर दरवाजा खोला तो सामने अपनी चार्मिंग स्माइल लिए क्रिश खड़ा था।

    उसे देखकर अर्णव ने माथे पर बाल डालकर धीरे से कहा, "इतनी सुबह क्या चाहिए तुझे मेरे से?"

    क्रिश ने उसका यह हाल देखकर कहा, "क्या हुआ किंग, तुम सोए नहीं रात को?" अर्णव ने अपना सर पकड़ते हुए कहा, "हां, बस थोड़ा सा हेडेक है। तुम बताओ क्या बोलना है इतनी सुबह तुम्हें?"

    क्रिश अर्णव के पीछे-पीछे अंदर आते हुए बोला, "मैं कल शाम से तुम्हें ढूंढ रहा हूं। मानिक मल्होत्रा के बारे में न्यूज़ देनी थी पर तुम हो कि मिल ही नहीं रहे और फिर रात को इतनी लेट आए तो मैंने सोचा अभी रहने देता हूं, सुबह बताऊंगा।"

    अर्णव बेड पर बैठते हुए अपने पास रखे इंटरकॉम से नीचे किचन में कॉल करता है। सामने से एक मेड की आवाज आती है, "जी सर।" अर्णव बोलता है, "एक गिलास नींबू पानी लेकर आना।" और फिर कॉल कट कर देता है।

    क्रिश उसके पास बैठे हुए बोलता है, "वह बात यह है कि मानिक मल्होत्रा आज रात को मिस्टर डिसूजा की सेलिब्रेशन सेरेमनी में शामिल होने वाला है, हमारे पास इनविटेशन कार्ड आया है।"

    मानिक का नाम सुनते ही अर्णव के जहां में जो पहला ख्याल आया था वह था इरा का।

    अर्णव ने दृढ़ता से कहा, "हम जरूर जाएंगे और हमारे साथ वह छुईमुई भी जाएगी। वहां जाकर हो ना हो मानिक उसे एक बार मिलने की कोशिश तो जरूर करेगा या फिर वह खुद सामने से कोशिश करेगी ताकि यहां की अपडेट दे पाए क्योंकि उसके पास कोई फोन नहीं है तो अब तक मानिक को नहीं पता उसके साथ हमने क्या किया है और क्या नहीं।"

    क्रिश ने अपने दोनों हाथों को मिलते हुए कहा, "और मुझे भी उसे निर्भय से बदला लेने का मौका मिल जाएगा। मानिक का लेफ्ट हैंड होकर पता नहीं खुद को क्या समझता है, जब देखो तब मेरी हर डील में टांग अड़ाता रहता है।"

    अर्णव और क्रिश अपनी बातों में लग चुके थे और वहां मेड अर्णव के लिए नींबू पानी लेकर भी आ चुकी थी। अर्णव ने एक घूंट में वह नींबू पानी पिया और फिर बेड से उठ कर कपबोर्ड से अपने कपड़े निकालते हुए बोला, "दो दिन बाद राधा का बर्थडे है, उसके लिए गिफ्ट भी खरीदने हैं तो तुम व और उग्र से बोल देना, वह दोनों साथ जाकर उसके लिए गिफ्ट खरीद लेंगे।"

    क्रिश ने कहा, "और कोई आर्डर?" अर्णव ने अपना सर दबाते हुए कहा, "एक मेरे लिए हेडेक की टेबलेट निकाल कर रखो, मैं बस फ्रेश होकर आया, उसके बाद हम डील के बारे में बात करेंगे, कल क्लाइंट भी आने वाले हैं।"

    क्रिश अपना सर खुजाते हुए बोला, "हां हां, इतने सारे काम एक साथ ही क्यों होते हैं?"

    इतना बोलकर क्रिश ने सबसे पहले टैबलेट निकालकर वहां रखी टेबल पर राखी और फिर तेज कदमों से बाहर चला गया व और उग्र को मार्केट भेजने के लिए।

  • 13. Gangster's immature bride - Chapter 13

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    अर्णव ने रेडी होकर वह टैबलेट खाई और फिर तेज कदमों से अपनी बगल वाले कमरे में गया जहाँ उसने इरा को छोड़ा था। उसने दरवाजा खोल कर देखा तो इरा अब भी बिल्कुल किसी खरगोश की तरह सिमट कर बेड पर लेटी हुई थी, शायद गहरी नींद में थी।

    अर्णव उसके पास जाते हुए बोला, "छुईमुई, उठ जाओ। सुबह हो गई है।"

    इरा ने अर्णव की आवाज सुनकर कसमसाते हुए कहा, "नहीं, इरा को और सोना है, प्लीज।"

    अर्णव ने टेबल पर रखे जग को उठाया और उसका सारा पानी इरा पर उढ़ेलते हुए कहा, "मैंने कहा सुबह हो गई है, क्या तुम्हें सुनाई नहीं दिया?"

    अपने ऊपर सुबह-सुबह इतना ठंडा पानी गिरने से इरा चिल्लाते हुए उठकर बैठ गई और गहरी-गहरी सांसें लेते हुए खुद को देखने लगी। वह पूरी तरह से पानी से भीग चुकी थी। उसने आंखें उठाकर अर्णव की तरफ देखा। वहीं अर्णव का चेहरा गुस्से से भरा हुआ था। इरा ने छोटा सा मुंह बनाते हुए कहा, "तुम सुबह-शाम इतने गुस्से में ही क्यों रहते हो, दानव?" वहीं अर्णव ने यह किया तो सिर्फ इरा को परेशान करने के लिए था, लेकिन अब वह खुद भी परेशान हो रहा था क्योंकि पानी गिरने से उसकी सफेद शर्ट इरा की बॉडी से चिपक कर उसके सारे कर्व को और भी ज्यादा एनहांस करके दिखा रही थी। ऊपर से शर्ट का कलर वाइट होने की वजह से उसके बॉडी पार्ट्स भी कुछ-कुछ विजिबल हो रहे थे जिससे अर्णव के माथे पर पसीने की बूंदें छलक रही थीं। उसने दृष्टि मोड़ते हुए कहा, "जल्दी से उठो और उस कमरे में जो तुम्हारे कपड़े हैं, उस कमरे में है और आज कुछ ऐसा पहनना जिससे तुम्हें पहनना आता हो। मैंने वहां ट्रेडिशनल ड्रेस भी रखाई है। मैं हॉल में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। अगर ज्यादा वक्त लगाया तो उठाकर इस खिड़की से बाहर फेंक दूंगा।"

    इरा ने घबराते हुए मुड़कर खिड़की की तरफ देखा जो काफी बड़ी थी और फिर अर्णव की तरफ जो उसे एक नजर घूरते हुए अब कमरे से बाहर चला गया था। सीढ़ियों से उतरते हुए अर्णव खुद में बड़बड़ा रहा था, "क्या लड़की है यह और मैं इतना क्यों इफेक्ट हो रहा हूँ?"

    वहीं डायनिंग एरिया में सोफे पर बैठे फरमान और अरहान की नजर जैसे ही खुद में बड़बड़ाते अर्णव पर पड़ी तो दोनों हंसने लग गए। फरमान ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा, "किंग, मुझे लगता है उसे छोटी सी बच्ची जैसी दिखने वाली लड़की ने तुम्हें पागल बना दिया है। आज तक मैंने तुम्हें खुद से बातें करते हुए नहीं देखा। यह पहली बार था जब तुम खुद में ही बड़बड़ा रहे हो।"

    इतना बोलकर उसने अरहान को हाई-फाई दिया और दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगे।

    अर्णव ने उन्हें इग्नोर करते हुए कहा, "एक डिजाइनर को बुलाओ, मुझे उसके लिए ड्रेस चाहिए, शाम की पार्टी में वह भी हमारे साथ जाएगी।"

    फरमान की कॉफी गले में अटक गई और वह बुरी तरह हंसने लगा तो अरहान ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, "ऐसे शॉकिंग न्यूज़ को कैसे सुन रहा है? उस लड़की का क्या करेंगे हम पार्टी में? तुझे पता है ना वह कैसी पार्टी होती है।"

    अर्णव ने सोफे पर लीन होते हुए कहा, "मुझे सब पता है और मुझे ऑर्डर देने की कोई जरूरत नहीं है। भूलो मत इस टीम का लीडर कौन है।" अरहान ने कुछ नहीं कहा और अपना फोन निकाल कर डिजाइनर को कॉल करने लगा।

    वहीं दूसरी तरफ मन्नत ने सोफे पर लेटे मीर को हिलाते हुए कहा, "उठो मिस्टर आमिर, सुबह हो गई है। तुम्हारे टीम के मेंबर कितनी बार तुम्हें यहां से उठने के लिए आ चुके हैं।" मिलने का समाचार आते हुए अपनी आंखें खोली और सामने मन्नत का खूबसूरत चेहरा देखकर उसके होठों पर हल्की सी स्माइल आ गई। मन्नत ने अभी-अभी शावर लिया था जिस वजह से उसके बाल गीले थे और उसका चेहरा बिल्कुल किसी खिले हुए गुलाब जितना खूबसूरत लग रहा था। मिलने अपना हाथ उठाते हुए उसके नरम गाल को छूकर कहा, "गुड मॉर्निंग मेरी मन्नत।"

    मन्नत ने अफसोस से ना में गर्दन हिलाया और फिर उसका हाथ अपने गाल से हटाते हुए बोली, "तुम्हारे टीम के मेंबर आए थे अभी तुम्हें बुलाने के लिए। बोल रहे थे किंग तुम्हारा इंतजार कर रहा है हॉल में।" मन्नत को कोई अंदाजा नहीं था कि उनमें से किंग कौन है और बाकी सब लोगों के नाम क्या-क्या है।

    वहीं मीर ने जैसे ही अर्णव का जिक्र सुना तो एक झटके से उठकर बैठते हुए बोला, "ओह गॉड, यह सब क्या कर रहा हूं मैं।"

    फिर वह सोफे से उठाते हुए बोला, "थैंक यू सो मच मेरा ख्याल रखने के लिए। कभी नहीं भूलूंगा इस एक रात को। यह बहुत खूबसूरत थी।"

    इतना बोलकर मीर तेज कदमों से वहां से चला गया और पीछे छोड़ गया एक अजीब सी खामोशी। मन्नत नहीं धीरे से कहा, "पर मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया था।"

    हां कल मन्नत नहीं मीर की बहुत सारी बातें मानी थी जैसे मन्नत ने मीर का सर दबाया था, थोड़ी देर उसके बालों में हाथ घुमाया था, उसकी चोट पर दवा लगाई थी और उसके कहने पर कुछ देर उसके पास भी बैठी थी। लेकिन यह सब तो नॉर्मल थी, वह एक डॉक्टर थी और ऐसा वह कई मरीजों के लिए कर चुकी थी इसलिए उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी, पर मीर जो बचपन से ही प्यार का भूखा था, आज तक उसे किसी ने इतनी केयर के साथ नहीं रखा था। उसके लिए मन्नत का छोटा सा एफर्ट भी बहुत बड़ा था इसीलिए उसका चेहरा भी खिला हुआ था। वह जैसे ही हॉल में इंटर हुआ उसकी नजर अरहान, फरमान और अर्णव पर गई, बाकी वहां कोई नहीं था।

    मीर धीमे कदमों से चलकर उनके पास गया तो एक मेड ने मीर को कॉफी पकड़ा दी। अमीर वह कॉफी लेकर फरमान के बगल में बैठ गया। फरमान ने उसकी तरफ देखकर आंखें छोटी कर कर्तव्य कहा, "बेटा इतनी लेट तक कौन सोता है और क्या डार्क कैसल में इतने कम कमरे हैं कि तुम्हें एक सोफे पर सोना पड़े।"

    मीर ने कुछ नहीं कहा, वह गर्दन झुकाए अब धीरे-धीरे कॉफी पी रहा था और अर्णव की डांट का इंतजार कर रहा था।

    अर्णव ने वीर की तरफ देखकर शक्ति से कहा, "आज तुम्हारा कॉलेज मिस हो गया आमिर, सिर्फ कल की एक लड़की की वजह से? आखिर ऐसा क्या कर दिया उसे लड़की ने तेरे लिए जो हम लोग इतने दिन से नहीं कर सके?"

    मीर ने नजर उठाकर अर्णव की तरफ देखकर धीरे से कहा, "आई एम सॉरी किंग, आगे से नहीं होगा।"

    अर्णव ने गुस्से में अपनी मुट्ठियां कस ली और वो मेरे को कुछ और बोलते ही वाला था कि अचानक उसके कानों में इरा की मासूम से आवाज आई और उन चारों का ध्यान अब इरा की तरफ शिफ्ट हो गया।

    अनु ने उड़ते हुए इरा को देखा। इरा ने एक खूबसूरत सा सलवार सूट पहना था जो हल्के गुलाबी रंग का था और काफी हद तक इरा की स्किन टोन से मैच हो रहा था और बेहद ही खूबसूरत लग रहा था। इरा ने अपने दुपट्टे को लहराते हुए कहा, "दानव मुझे ऐसे कपड़े पसंद है और मैंने ऐसे कपड़े बहुत पहने हैं। तुमने जो कल पहनाया था वह मैं कल से पहले कभी नहीं पहना था। देखो आज मैं खुद कपड़े पहन लिए, कैसे लग रहे हैं?"

    मीर ने हल्के से मुस्कुराकर कहा, "बिल्कुल गुलाबी परी लग रही हो।"

    वहीं फरमान और अरहान ने हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखा और फिर अर्णव की तरफ। फरमान ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा, "क्या तुमने बेबी सिटिंग का काम भी शुरू कर दिया है? तुम इसे कपड़े पहन रहे थे? सीरियसली? अर्णव यदुवंशी एक लड़की को कपड़े पहन रहा था? यह कुछ हजम नहीं हो रहा है या फिर हमारे कानों ने कुछ गलत सुन लिया है।"

    इरा नहीं जल्दी से कहा, "नहीं नहीं, आपने कुछ गलत नहीं सुना, इन्होंने कल मुझे कपड़े पहनाए थे क्योंकि मुझे वह पहनने नहीं आ रहे थे।"

    फरहान ने अपने मुंह पर हाथ रखकर हंसते हुए कहा, "ओह गॉड, क्या-क्या देखना पड़ रहा है।" फरमान भी हंसते हुए अब अर्णव को देख रहा था वही अर्णव ने आज से पहले कभी इतना अजीब फील नहीं किया था। उसे इन सबके सामने बैठने में ही अजीब लग रहा था लेकिन वह अपने चेहरे को नॉर्मल करते हुए इरा की तरफ देखकर बोला, "कोई और नौटंकी करनी है तुम्हें? कितनी सफाई से झूठ बोल लेती हो तुम और इतना मासूम बनना सीख लिया? वाकई मानिक ने तुम्हें काफी अच्छी ट्रेनिंग दी है, मानना पड़ेगा।"
    इरा ने मासूमियत से दो-तीन बार पलके झपकाते हुए अर्णव को देखा और फिर धीरे से कहा, "कौन है यह मानिक?"

    और फिर अचानक ही एक्साइटमेंट में दो-तीन बार ताली बजाते हुए बोली, "क्या मानिक सबसे अच्छा इंसान है जिससे तुम बहुत सारा प्यार करते हो? जैसे मैं अपनी आई से प्यार करती हूं तो मैं बात-बात पर आई आई बोलती रहती हूं, वैसे ही मुझे लगता है दानव तुम मानिक से बहुत प्यार करते हो और वह शायद तुम्हारा बहुत ख्याल रखता होगा इसीलिए तुम्हें बार-बार उसी की याद आ जाती है, है ना? मैंने बिल्कुल सही बोला ना।"

  • 14. Gangster's immature bride - Chapter 14

    Words: 1535

    Estimated Reading Time: 10 min

    इरा की यह बात सुनकर अर्णव ने दोनों हाथों से अपना माथा पकड़ लिया, तो वहीं अरहान, फरमान और मीर का हंस-हंस कर बुरा हाल हो रहा था। फरमान ने हंसते हुए कहा, "बिल्कुल, तुमने बिलकुल सही समझा है। मानिक मल्होत्रा और अर्णव यदुवंशी एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं और अर्णव तो इतना बड़ा आशिक है, उसका मैं क्या बताऊं! यह सोते-जागते बस उसी का नाम रटता रहता है। वैसे तुम कितनी अच्छी हो, तुमने यह फिलॉसफी सीखी कहाँ से है? हमें ज़रूर बताना।"

    अर्णव ने चिल्लाते हुए कहा, "जस्ट शट अप! यह बदतमीजी की जा रही है और तुम लोग इसकी हां में हां मिलाकर हंस रहे हो। और यू इडियट, कम हियर, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कैरेक्टर का इतना बड़ा मज़ाक उड़ाने की? क्या मैं तुम्हें गे नज़र आ रहा हूँ जो मैं किसी लड़के से प्यार करूँगा?"

    इरा ने बार-बार पलकें झपकाते हुए कहा, "क्यों एक लड़का दूसरे लड़के से प्यार नहीं कर सकता? अब मैं भी तो लड़की हूँ और ए भी लड़की है, लेकिन मैं तो आई से बहुत प्यार करती हूँ, तभी तो मैं उनका बार-बार नाम लेती रहती हूँ, वह मुझे बेहद अच्छी लगती है।"

    अर्णव उठा क्योंकि उसके बर्दाश्त की हद पार हो चुकी थी और उठकर इरा का हाथ कसकर पकड़ते हुए बोला, "वह अलग प्यार होता है इडियट और जो तुम बोल रही हो वह अलग होता है।" इरा ने कराते हुए कहा, "मेरे हाथ में दर्द हो रहा है दानव।" अर्णव ने उसका हाथ पकड़ कर उसकी पीठ से लगाते हुए कहा, "और इसीलिए मैंने पकड़ा है ताकि तुम्हें दर्द हो और तुम उस सपने से बाहर आ जाओ जिसमें तुम्हें यह लगता है कि तुम्हारी इन हरकतों से तुम अर्णव यदुवंशी को पागल बना सकती हो।" इरा की आंखों में आंसू आ गए और उसने बार-बार पलकें झटक कर अपनी आंखों को साफ करना चाहा, क्योंकि आंसू आने के कारण उसे अर्णव धुंधला दिख रहा था। कुछ पलों में उसकी आंखों के आंसू जब उसके गालों पर आ गए तब उसे वापस अर्णव सही से दिखाई देने लगा और उसने रोते हुए कहा, "दानव, मैं फिर से कुछ नहीं बोलूंगी, प्लीज मेरा हाथ छोड़ दो।"

    अर्णव ने एक झटके से उसका हाथ छोड़ दिया जिससे इरा एक पल के लिए लड़खड़ा गई, लेकिन अगले ही पल उसका हाथ सीढ़ियों की रेलिंग पर कस गया और वह गिरने से बच गई। अर्णव वापस अपने सोफे पर आकर बैठ गया और वहां सामने रखे जग से पानी का गिलास भरते हुए एक साथ में पी गया और अपने मन ही मन बोला, "कंट्रोल अर्णव कंट्रोल, ये सब क्या है?"

    तभी दरवाजा खुला और एक लड़की स्टाइल से चलते हुए अंदर आई। अंदर जाकर उसने सबको देखा और फरमान जल्दी से उठकर उसके पास आते हुए बोला, "निहारिका तुम?"

    उस लड़की ने ब्लैक जींस और उसके ऊपर व्हाइट क्रॉप टॉप पहना था। उसकी लगभग पूरी कमर दिखाई दे रही थी क्योंकि टॉप का साइज़ कुछ ज्यादा ही कम था। वह काफी स्टाइलिश और स्टनिंग नज़र आ रही थी। उसके बाल सिर्फ कंधे तक आ रहे थे जिसे उसने बेहद एलिगेंट वे में स्टाइल किया हुआ था। होठों पर गहरी मेहरून लिपस्टिक, कानों में बड़े-बड़े लेकिन लाइटवेट इयररिंग्स जो कुंडल टाइप में थे और उस ड्रेस के साथ काफी खूबसूरत लग रहे थे। उसने ब्लैक शूज पहने थे। वह स्टाइल से चलती हुई आई और फरमान को हग करते हुए बोली, "मुझे अरहान ने बुलाया था। तुम लोग तो भूल ही चुके थे कि तुम्हारी दोस्त भी डिजाइनर है। उसने कल भी डिजाइनर का जिक्र किया था और आज उसने अभी थोड़ी देर पहले मुझे कॉल किया। मैं वैसे भी यही आ रही थी और कुछ ही देर में मेरे एंप्लॉइज यहां ड्रेस लेकर आ जाएंगे। वैसे ड्रेस किसके लिए चाहिए?" इतना बोलकर उसने अपनी नज़रें घुमाई और सामने खड़ी इरा को देखकर उसकी आंखें छोटी हो गईं। उसने अर्णव की तरफ देखते हुए कहा, "किंग तुमने मुझे कभी बताया नहीं कि तुम्हारी ऐसी भी कोई रिश्तेदार है, बिकॉज़ मैं जहां तक जानती हूँ तुम्हारी फैमिली में सिर्फ राधा है जो तुम्हारे सबसे करीब है, बाकी कोई फीमेल मैं आज तक तुम्हारे आसपास नहीं देखी है मेरे अलावा।" यह बोलते हुए उसने स्टाइल से अपने कंधे के बालों को झटका था वहीं आंखें फाड़े उस लड़की को देख रही थी। उसे वह बेहद खूबसूरत लगी थी पर वह अभी अपना मुंह नहीं खोलना चाहती थी क्योंकि थोड़ी देर पहले तो उसने अर्णव से कहा था कि अब वह बिल्कुल नहीं बोलेगी और इरा ने ठान लिया था अब वह एक शब्द नहीं बोलेगी चाहे कुछ भी हो जाए।

    अर्णव ने घूरते हुए अरहान को देखा जो आई थिंक करते हुए मुस्कुरा कर बोला, "वेलकम निहारिका, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था, आओ बैठो।" फिर उसने मेड की तरफ देखते हुए कहा, "तुम अब तक खड़ी क्यों हो जाओ मैडम के लिए कॉफी लेकर आओ, काफी दिनों बाद यह डार्क कैसल में आई है।" निहारिका ने एक गहरी सांस छोड़कर सोफे पर बैठते हुए कहा, "या फाइनली आफ्टर 6 मंथ्स, पूरे 6 महीने बाद मैं तुम लोगों के दर्शन किए हैं फर्न, जब से अर्णव और मेरा ब्रेकअप हुआ था तुम लोग भी मुझे भूल गए थे जैसे मैं सिर्फ यहां अर्णव की गर्लफ्रेंड थी और तुम लोगों की कुछ नहीं लगती।"

    वहीं उसने जैसे ही गर्लफ्रेंड का जिक्र किया अर्णव के दिमाग में डॉक्टर कपिल की बातें आई कि उसे इरा के अलावा बाकी लड़कियों के भी करीब जाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसे पता लग सके उसकी बीमारी ठीक हो गई है या सिर्फ ईरान ही वह स्पेशल लड़की है जिनके करीब जाकर अर्णव इतना ज्यादा आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है।

    निहारिका भी अर्णव के चेहरे के एक्सप्रेशन को ही देख रही थी आखिर वह अभी निहारिका से उतना ही गुस्सा है जितना 6 महीने पहले था। निहारिका ने बस एक छोटी सी डिमांड की थी कि उसे किस डे वाले दिन अर्णव को किस करना था, लेकिन अर्णव उसे बात पर इतना बिगड़ गया कि उसने सीधा ही उससे ब्रेकअप कर लिया और उसके बाद निहारिका गुस्से में डार्क कैसल को छोड़कर चली गई।

    निहारिका अर्णव से कुछ बोल पाती उससे पहले ही एक मेड ने उसके सामने कॉफी का कप किया और निहारिका ने कॉफी सिप लेते हुए धीरे से कहा, "अर्णव तुमने बताया नहीं कि यह लड़की कौन है।"

    बाकी सब भी शांति से अर्णव को देख रहे थे क्योंकि वह खुद अर्णव के मुंह से जानना चाहते थे आखिर इरा के साथ उसका रिश्ता क्या है।

    अर्णव ने शांति से कहा, "वह यहां एक कैदी है।"

    निहारिका ने हैरानी से इरा की तरफ देखा जिसके कपड़े देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वह यहां अनु की कैद में है और जैसे वह यहां सबके सामने खड़ी है बिना किसी हथकड़ी के, कौन उसे कैदी समझ पाएगा। फिर निहारिका ने कंफ्यूज होते हुए कहा, "एक कैदी के लिए इतने बड़े ड्रेस डिजाइनर को कौन हायर करता है? अर्णव क्या मेरे चेहरे पर बेवकूफ लिखा हुआ है?"

    अर्णव ने एक नजर इरा को देखकर कहा, "अर्णव यदुवंशी को क्या करना है और क्या नहीं, यह तो मुझे नहीं सिखा सकती हो और मेरा अगला कदम क्या होगा यह तो भगवान भी नहीं जान सकता तो मैं तुम्हें क्यों बताऊं कि मैंने इस लड़की को यहां क्यों रखा है और यह कैदी है तो भी है इस तरीके से क्यों है और मैं इसके लिए डिजाइनर ड्रेस क्यों बनवा रहा हूं इन सब बेतुके सवालों का जवाब मेरे पास नहीं है। तुम जो काम करने आई हो बस वह कम करो और तुम्हें फुल पेमेंट मिलेगी।"

    निहारिका ने गुस्से में कॉफी का एक और घूंट भर अर्णव के शब्द उसे यह महसूस करवा रहे थे कि वह यहां एक अजनबी है उसकी अपनी नहीं जिसे अर्णव कुछ नहीं बताना चाहता, लेकिन काफी हद तक वह अर्णव के इस बिहेवियर से वाकिफ थी कि वह सब के साथ ऐसा ही उखड़ा हुआ व्यवहार करता है आज तक उसने किसी से प्यार से बात नहीं की तो वह कैसे एक्सपेक्ट कर सकती है कि अर्णव उसके साथ आराम से पेश आएगी। उसने कॉफी खत्म करके उठकर इरा के पास जाकर उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा, "तो कैसी ड्रेस सेलेक्ट करनी है इसके लिए, जो इसने पहनी है बहनजी टाइप ऐसी या फिर कुछ मॉडर्न स्टाइलिश?"

    अर्णव ने अपना फोन निकाल कर उसमें एक पिक्चर खोलते हुए निहारिका की आंखों के सामने करते हुए कहा, "मुझे इस तरीके की ड्रेस चाहिए।" उसमें एक व्हाइट कलर का बेहद खूबसूरत एलिगेंट और महंगा प्रिंसेस गाउन था।

    निहारिका ने उस फोटो को देखते हुए हां में सर हिला कर कहां, "गॉट इट, ऐसा शाम तक बन जाएगा।" अर्णव ने कहा, "मुझे शाम को 5:00 से पहले चाहिए बिकॉज़ पार्टी रात को ही है और हम वह पार्टी अटेंड करने वाले हैं, उसका थीम है बॉयज के लिए ब्लैक कोट पेंट और गर्ल्स के लिए ऐसी वाइट प्रिंसेस गाउन।"
    फिर उसने अरहान और फरमान की तरफ देखते हुए कहा, "तुम लोग भी अपने लिए ड्रेस सेलेक्ट कर लेना।" और फिर मीर की तरफ देखते हुए कहा, "और तुम्हें वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है, तुम अपना हैंगओवर उतरे और उस लड़की का नशा भी अपने सर से उतार फेंको तुम लोगों का कोई फ्यूचर नहीं है यह बात अपने दिमाग में बैठा लो।"

  • 15. Gangster's immature bride - Chapter 15

    Words: 1620

    Estimated Reading Time: 10 min

    अर्णव की ऐसी बात सुनकर मीर को काफी बुरा लगा, वह तो मन्नत को हमेशा के लिए अपना बनाना चाहता है और यहां अर्णव उसे हर सेकंड याद दिला रहा है कि उसका और मन्नत का कोई फ्यूचर नहीं है, पर फिर भी उसने बिना किसी न नुकुर के बस हमेशा हिला दिया और अर्णव भी सोफे से उठाते हुए निहारिका के पास जाकर बोला,

    "और मुझे तुम्हें पर्सनल में भी कुछ बोलना है, अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो।"

    निहारिका का मानो खुशी से झूम का दिल कर रहा था। अर्णव उसे सामने से पर्सनल बात करने के लिए बुला रहा था, आखिर उसके पास टाइम कैसे नहीं होता? निहारिका ने जल्दी से कहा,

    "ऑफ कोर्स, मैं अपनी टीम को सारी डिटेल फॉरवर्ड कर दूंगी तो ड्रेस वह खुद रेडी कर देंगे, इसमें मेरी ज्यादा जरूरत नहीं है और मेरे पास तुम्हारे लिए हमेशा से ही वक्त है, जितना चाहो उतना खर्च करो।"

    अर्णव ने डेविल स्माइल करते हुए कहा,

    "लेकिन मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है, वह लिमिटेड है।"

    इतना बोलकर वह सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। निहारिका एक पल के लिए अर्णव की बात से नाराज हुई, लेकिन जिस तरीके से अर्णव ने पहली बार उसे अप्रोच किया था उसके नाराज की कुछ ही पलों में हवा हो गई और वह तेजी से हीरा की साइड से निकलकर अर्णव के पीछे-पीछे चली गई।

    वहीं हीरा चोर नजरों से जाते हुए अर्णव को देख रही थी और अपने मन ही मन बोल रही थी कि

    "दानव कि मेरे लिए ड्रेस बनवा रहा है? क्या सच में मैं भी इतनी सुंदर लगूंगी जितनी यह लड़की लग रही है?"

    हीरा को निहारिका इतनी सुंदर लग रही थी जैसे वह यहां आई हुई कोई परी हो।

    वहीं अमीर भी अपना सड़ा सा मुंह लेकर उठाते हुए वहां से जाने लगा तो फरमान ने उसे रोकते हुए कहा,

    "अर्णव यह सब तुम्हारी भलाई के लिए बोल रहा है अमीर, हो सकता है वह लड़की भी जानबूझकर यहां आई हो और तुम्हें अपने जाल में फसना चाहती हो।"

    मीर ने गुस्से में मोड़ते हुए कहा,

    "मुझे जो बोलना है बोलो, मेरी मन्नत को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं है हर कोई पैसा नहीं होता जैसे तुम लोग हो सबको इतना चालाक समझना बंद करो।"

    और फिर पैर पटकते हुए वहां से अपने कमरे की तरफ चला गया।

    कुछ पल बाद हीरा ने अरहान की तरफ देखते हुए कहा,

    "मैं आई से मिल सकती हूं क्या?"

    अरहान ने सोफे से उठाते हुए कहा,

    "एक काम करो तुम खाना खा लो, आई से मिल सकती हो या नहीं ये हम डिसाइड नहीं कर सकते, यह सब अर्णव के हाथ में ही है।"

    दूसरी तरफ राजपूत हवेली का हॉल

    सरोजिनी अपने पैर पर दूसरा पर चढ़ाई हॉल में बैठी थी, उसके पास हर्षाली और सामने मानिक मल्होत्रा बैठा था। मानिक आराम से अपनी कॉफी इंजॉय कर रहा था, वहीं सरोजिनी का चेहरा गुस्से से लाल था। हर्षाली अपनी मां से डर रही थी, वह सिमट कर बैठी थी, उसकी नज़रें एक तक बस फर्श को घूर रही थी जैसे उसने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो।

    मानिक ने जैसे ही कॉफी खत्म करके अपना कप सामने रखी टेबल पर रखा सरोजिनी ने झट से कहा,

    "अगर आपकी मेहमान नवाजी हमने अच्छे से कर दी हो तो आप हमारी बात सुनेंगे अब।"

    मानिक नाम आराम से सोफे पर ली होते हुए कहा,

    "जी बिल्कुल आपकी ही तो बात सुनने हम यहां इतनी दूर आए हैं वरना क्यों कष्ट करते यहां आने का।"

    सरोजिनी ने अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए कहा,

    "वह लड़की आखरी बार आपके साथ थे तो उसके बाद कहां चली गई?"

    मानिक ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "मुझे क्या पता मैं तो उसे अपने साथ ले जाने आया था, एक महल की रानी बनना चाहता था, लेकिन उसे फुटपाथ की बेखरन ही बना था तो इसमें मेरा तो कोई कसर नहीं है।"

    फिर उसने हर साल की तरफ देखकर कहा,

    "हर्षाली तुमने बताया नहीं अपनी माता को कि हमारे बीच क्या शर्त लगी थी।"

    हर्षाली ने डरते हुए मानिक को देखा जैसे बोलना चाह रही हो कि यह सब उसकी माता को नहीं पता है और अब ना ही पता चले तो ज्यादा बेहतर है क्योंकि सरोजिनी का गुस्सा फिलहाल हर्षाली पर सबसे ज्यादा था। उसने जबर्दस्ती मुस्कुराते हुए कहा,

    "मैं कैसी बातें कर रहे हो प्लीज मनसा को सच-सच बताओ वह लड़की कहां गई है?"

    मानिक ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा,

    "मैं उसे अपने साथ ही ले जा रहा था पर रास्ते में मुझे मेरा सबसे बड़ा दुश्मन अर्णव यदुवंशी मिल गया और उसे लगा हीरा मेरी गर्लफ्रेंड है और वह उसे अपने साथ ले गया बाकी वह जितना बड़ा मेरा दुश्मन है अब तक वह लड़की जिंदा भी बची है या नहीं मैं कुछ कह नहीं सकता।"

    यह सुनकर सरोजिनी का चेहरा दर से सफेद पड़ गया अगर हीरा जिंदा नहीं रही तो यह शान शौकत कैसे उसके नाम होगी लेकिन फिर उसने मुस्कुराते हुए कहा,

    "मुर्दे तो कोर्ट में कैसे नहीं करते हैं अगर वह मर गई है तो ज्यादा अच्छा है बस मैं चाहती हूं वह कहीं किसी दिन समझदार बन के मेरे सामने ना आ जाए और अपना हक ना मांगने लगे बाकी वह मर जाए इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।"

    मानिक ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "आज शाम को ही मैं अर्णव से मिलने वाला हूं अगर वह अब तक जिंदा है तब तो अर्णव उसे अपने साथ पार्टी में जरूर लेकर आएगा और अगर वह जिंदा नहीं है तब वरना उसे नहीं लेकर आएगा।"

    यह सुनकर सरोजिनी ने जल्दी से कहा,

    "तो तुम उसे पार्टी में जरूर जाओ और हो सके तो अपने साथ हर्षाली को भी लेकर जाओ और वह लड़की अगर मिल जाए तो हर्षाली उसे अपने साथ ले आएगी और वहां ज्यादा लोग होंगे तो अर्णव यदुवंशी जिसे तुम नाम ले रहे हो वह भी कुछ नहीं कर पाएगा।"

    फिर उसने हर्षाली की तरफ देखते हुए कहा,

    "तुम उसकी बहन हो बस यह बोल देना हीरा वैसे ही खुश हो जाएगी और खुद तुम्हारे साथ-साथ हवेली तक चल कर आएगी और उसके बाद हम उसके दोनों पैर काट देंगे आगे से कभी हवेली के बाहर जाने की हिम्मत नहीं करेगी।"

    मानिक ने सोफे से उठाते हुए कहा,

    "ठीक है चलते हैं अगर और पार्टी का थीम व्हाइट गाउन ड्रेस है लड़कियों के लिए तो तुम वाइट गाउन पहन कर आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा स्वीटहार्ट।"

    हर्षाली ने जबड़े कस्ता हुए माणिक की तरफ देखा क्योंकि उसने जैसे स्वीटहार्ट बोला था सरोजिनी जरूर उसे पर फुट सकती थी लेकिन फिलहाल सरोजिनी के दिमाग से हीरा के नाम का भूत नहीं होता रहा था तो उसने माणिक की बातों पर ध्यान नहीं दिया और मानिक हर्षाली की तरफ आई थिंक करते हुए राजपूत हवेली से बाहर चला गया।

    डार्क कैसल

    अर्णव ने कमरे में जाते ही पीछे मुड़कर देखा तो निहारिका भी उसके सामने खड़ी थी और उन्होंने कहा,

    "दरवाजा बंद करो।"

    निहारिका ने डेविल स्माइल करते हुए वापस मोड़कर दरवाजा बंद कर दिया और फिर अर्णव के पास आकर उसके सीने पर हाथ रखते हुए बोली,

    "क्या बात है आज कुछ ज्यादा बदले बदले मिजाज लग रहे हैं तुम्हारे क्या मेरी कमी महसूस हुई इन 6 महीना में?"

    अर्णव ने अपना पूरा जोर लगाकर अपने हाथों को उठाए ताकि वह निहारिका की कमर को पकड़ सके और उसने जैसे ही निहारिका की खुली कमर को पकड़ा उसके हाथों में अजीब सी खुजली होने लगी जैसे उसने किसी गंदी चीज को छू लिया हो और उसने झट से अपने हाथ हटा लिए। यह देखकर निहारिका हैरान रह गई उसने अर्णव के गाल पर हाथ रखते हुए कहा,

    "अर्णव तुम ठीक हो ना ऐसा क्यों बिहेव कर रहे हो मेरे पीछे लड़कों की लाइन लगी रहती है और तुम हो कि मुझे ऐसे दिखते हो जैसे मुझे गंदी चीज तुमने इस पूरी दुनिया में नहीं देखी हो।"

    अर्णव ने उसका हाथ अपने गाल से हटाते हुए कहा,

    "ऐसी कोई बात नहीं है निहारिका मुझे तुमसे बस यही कहना था कि मुझे तुमसे पैचअप करना है वापस, लेकिन आज भी मैं तुम्हारे साथ कोई फिजिकल रिलेशन नहीं बनना चाहता हूं पर तुम मेरी गर्लफ्रेंड बन सकती हो और अर्णव यदुवंशी की गर्लफ्रेंड बनने के कितने बेनिफिट्स हैं यह शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं है।"

    निहारिका ने खुश होते हुए कहा,

    "ऑफ कोर्स मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं अर्णव तुम मुझे लाख बार ठुकराने के बाद भी अगर एक बार अपने आ जाओगे तो मेरे मुंह से कभी ना नहीं निकलेगा बल्कि मैं तो और ज्यादा खुश हो जाऊंगी कि मेरा आशिक वापस मेरे पास चल कर आ रहा है।"

    अर्णव ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "यह तुम्हारी गलतफहमी है कि मैं तुम्हारा आशिक हूं।"

    निहारिका उसके करीब बढ़ते हुए बोली,

    "और यह गलतफ़हमी काफी खूबसूरत है मैं पूरी जिंदगी इसी गलतफहमी के साथ गुजारना चाहती हूं।"

    इतना बोलकर उसने अर्णव को अपनी बाहों में भर लिया लेकिन अर्णव के हाथ उसे वापस हग करने के लिए उठी नहीं रहे थे ऐसा नहीं था कि वह निहारिका को गले नहीं लगाना चाहता था लेकिन उसके हाथ उसके फैसले के खिलाफ थे और उसने कसकर अपने हाथों की मुठिया बना ली। कुछ पल बाद निहारिका उससे अलग हुई तो उन्होंने कहा,

    "अब तुम जो उस लड़की का मेजरमेंट लो और जल्द से जल्द वह ड्रेस रेडी करो मेरी मीटिंग है ऑनलाइन उसके बाद मैं तुमसे बात करता हूं।"

    निहारिका ने हां में सर हिलाया और कमरे से बाहर चली गई वहीं अर्णव ने अपना माथा पकड़ कर कहा,

    "डॉक्टर कपिल से वापस बात करनी पड़ेगी मेरी बॉडी बाकी लड़कियों के साथ वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन उसे छुईमुई के पास जाने से ही मेरी बॉडी में अजीबोगरीब रिएक्शन होते हैं।"

    फिर अर्णव ने कुछ सोचते हुए कहा,

    "हो सकता है उसने ऐसी कोई केमिकल्स यूज किए हो जिसकी वजह से मेरी बॉडी रिएक्ट करती है।"

  • 16. Gangster's immature bride - Chapter 16

    Words: 1256

    Estimated Reading Time: 8 min

    शाम 7 बजे

    अर्णव अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था कि उसका दरवाजा नॉक हुआ।
    अर्णव ने बिना ऊपर देखे कहा "कम इन " और तेज़ कदमों से चलती हुई निहारिका अंदर आई।

    निहारिका ने अर्णव के सामने आकर अपने सीने पर अपने हाथ बांधते हुए कहा, " इरा रेडी है! मैंने अपनी क्लाइंट को वैसे ही ड्रेस बनकर दिया जैसे तुम चाहते थे।"

    अर्णव ने आँखें उठाकर निहारिका की तरफ देखा। निहारिका का चेहरा उतरा हुआ था। पता नहीं क्यों हर बार तो वह अपने क्लाइंट को ड्रेस देने के बाद हद से ज़्यादा खुश होती है क्योंकि उसके डिजाइंस बहुत निखर कर बाहर आते हैं और क्लाइंट बेहद खूबसूरत लगता है लेकिन इरा को ड्रेस पहनाने के बाद उसका यह रिएक्शन नहीं था। उसे देख कर लग रहा था कि वह काफ़ी गुस्से में है।

    अर्णव ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा,

    "उसका मेकअप वग़ैरह करो और हेयर स्टाइल बनाओ तब तक मैं रेडी होकर आता हूँ। 8:00 बजे हम यहाँ से निकल जाएँगे। मेरे साथ क्रिश और अरहान भी जा रहे हैं तो उन दोनों को भी बोल दो कि वह रेडी हो जाएँ।"

    इतना बोलकर अर्णव अपनी चेयर से उठा और बाथरूम की तरफ़ जाने लगा तो निहारिका ने उसे रोकते हुए कहा, "क्या मैं भी तुम्हारे साथ चल सकती हूँ?"

    अर्णव के कदम ठहर गए। उसने मुड़ते हुए निहारिका को देखा और फिर सिर हिलाते हुए बोला,

    "मेरी पार्टनर बन कर छुईमुई जा रही है। तुम अरहान और क्रिश से किसी एक के साथ पेयरिंग करके जा सकती हो। वह तुम्हारी मर्ज़ी है।"

    इतना बोलकर अर्णव तेज़ कदमों से कबर्ड से अपने कपड़े लेते हुए बाथरूम के अंदर चला गया और निहारिका का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। वह चाहती थी कि अर्णव बोले हाँ वह उसकी पार्टनर बनकर जाएगी और इरा को क्रिश और अरहान में से किसी और के साथ भेज देगा लेकिन अर्णव ने ऐसा नहीं किया। निहारिका पैर पटकते हुए उसे कमरे से निकली और वापस वहाँ आ गई जहाँ उसने इरा को रेडी किया था।

    उसने बिना इरा की तरफ़ देखे अब अपने लिए एक ड्रेस सेलेक्ट की और वह भी बाथरूम के अंदर चली गई। अर्णव नहाते वक़्त सोच रहा था कि इरा कैसी लग रही होगी। पता नहीं क्यों उसके दिलो-दिमाग़ में यह ख़्याल था। वरना उसे यह सोचना चाहिए था कि पार्टी में क्या होगा लेकिन उसके दिमाग़ में फ़िलहाल सिर्फ़ इरा ने क़ब्ज़ा कर रखा था।

    वह नहा कर बाहर आया। उसने ब्लैक कोट पैंट पहना था जो उस पर बेहद जच रहा था और उसके औरे को और ज़्यादा डिफाइन कर रहा था। उसने अपनी सिल्वर आँखों को उठाते हुए मिरर में एक बार अपने अक्ष को देखा और फिर अपने बाल सेट करते हुए हाथों में रोलेक्स पहने और फिर हल्का सा परफ़्यूम लगाया और अपने ड्रॉवर से एक छोटी सी सूटकेस निकालते हुए बाहर की तरफ़ बढ़ गया।

    उसने बाहर जाकर हॉल में इधर-उधर चारों तरफ़ नज़रे घुमाई। अभी तक कोई भी रेडी होकर नहीं आया था। अर्णव ने दो उंगलियों से अपने माथे को रब करते हुए कहा,

    "यह हरामजादे कभी टाइम पर रेडी नहीं होते हैं। इतने नखरे तो लड़कियाँ नहीं करती हैं जितने इनके हो गए। 2 इंच के बाल हैं क्या उन्हें बनाने में भी वक़्त लगता है?"

    तभी क्रिश अपने बाल सेट करते हुए आया।

    "सॉरी-सॉरी ब्रो! वह क्या है ना पार्टी में जा रहा हूँ, थोड़ा ज़्यादा चार्मिंग बन के जाना चाहता हूँ। क्या पता मुझे भी मेरे सपनों की राजकुमारी मिल जाए जैसे तुम्हारी वाली मिल गई है, पर अफ़सोस वह तो मैं अब राजकुमार की बजाय दानव बोलती है।"

    इतना बोलकर क्रिश हँस दिया तो अर्णव ने अपनी डेविल नज़रों से उसे देखते हुए कहा,

    "अपनी ज़बान को क़ाबू में रखो वरना एक मुक्के में सारी बत्तीसी बाहर आ जाएगी और फिर सपनों की राजकुमारी सिर्फ़ सपनों में मिलेगी हक़ीक़त में नहीं।"

    क्रिश ने उसे देखा लेकिन कुछ कहा नहीं। अरहान भी तैयार होकर आ चुका था। उसने इधर-उधर देखते हुए कहा, "वह बच्ची नहीं आई अभी? और हम चार लोग जा रहे हैं ना?"

    तभी उन्हें सीढ़ियों से हिल्स की टकटक की आवाज़ आनी शुरू हुई और साथ में निहारिका ने कहा, "मैं भी चलूँगी तुम लोगों के साथ अरहान। मैं तुम्हारी पार्टनर बन के जाना चाहती हूँ। क्या तुम्हें कोई प्रॉब्लम है?"

    अरहान की आँखें बड़ी हो गई। उसने अब तक मुड़कर निहारिका को नहीं देखा था। उसके सामने क्रिश खड़ा था जिसने आई विंक करते हुए कहा,

    "नहीं निहारिका। आख़िर अरहान को तुमसे क्या दिक्कत हो सकती है और तुम दोनों साथ में काफ़ी अच्छे लग रहे हो।" इतना बोलकर क्रिश आगे बढ़कर अरहान का कंधा थप थपाते हुए कहा, "है ना! तुम कर लोगे माय बॉय।"

    और अरहान ने जबड़े कसते हुए क्रिश को घूरा और फिर मुड़ कर ज़बरदस्ती की मुस्कान करते हुए निहारिका से बोला
    "हा ऑफ कोर्स व्हाय नॉट। तुम मेरी पार्टनर बन सकती हो।"

    उसके पीछे-पीछे इरा और इरा के साथ निहारिका की दो एम्प्लाइज आ रही थी क्योंकि इरा से वह ड्रेस संभाल नहीं रही थी। उसकी दुबली पतली काया उसे हेवी ड्रेस को संभाल नहीं पा रही थी इसलिए वह दोनों लड़कियाँ इरा को सीढ़ियों से उतरने में मदद कर रही थी। सबने उसे देखा तो बस देखते रह गए। अर्णव ने एक ठंडी सांस छोड़ते हुए अपने दिल में कहा,

    "मेरा दिल किसी को देख कर इतनी तेज़ रफ़्तार से आज तक नहीं धड़का है।"

    अचानक ही अर्णव के ज़हन में के सवाल उठा कि अब तो इरा उससे काफ़ी दूरी पर है अगर वह किसी केमिकल का इस्तेमाल करें तो भी इतनी दूर से वह अर्णव पर इफेक्ट नहीं कर सकता है। इसका मतलब है उसे सच में इरा के लिए फिलिंग्स आ रही है।

    अर्णव ने अपने हाथ उठाते हुए धीरे से अपने गाल को थपथपाया और फिर इरा की तरफ़ देखा। बाक़ी सब भी इरा को ही घूर घूर के देख रहे थे। फिर क्रिश ने हल्की सी स्माइल करते हुए कहा,
    "वाव तुम सच में एक राजकुमारी लग रही हो। क्या तुम अर्णव की बजाय मेरी पार्टनर बनना पसंद करोगी?"

    इतना बोल कर क्रिश आगे बढ़ा और आख़िरी सीढ़ी के पास जाकर अपना एक हाथ आगे बढ़ाते हुए इरा के सामने कर दिया।

    अर्णव ने जैसे ही यह देखा मानो उसका खून उबले करने लगा उसने मुठिया कसकर हीरा को ऐसे देखा जैसे अगर उसने हां बोली तो अभी उसे कच्चा चबा जाएगा।
    इरा ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा,

    "दानव तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? क्या यह ड्रेस अच्छी नहीं लग रही है तुम्हें? फिर उसने निहारिका की तरफ़ देखते हुए कहा, उनके ऊपर तो ही ऐसी ड्रेस काफ़ी अच्छी लग रही है क्या मेरे ऊपर नहीं लग रही है?" इरा के मुँह से खुद की तारीफ़ सुनकर निहारिका ने इतराते हुए कहा, "उसके लिए फ़िगर की भी ज़रूरत होती है बेबी! तुम पर भी ठीक-ठाक ही लग रही है।" यह बोलते वक़्त एक पल के लिए उसका कॉन्फिडेंस डगमगाए था क्योंकि उसे भी पता था वह झूठ बोल रही है। इरा काफ़ी खूबसूरत लग रही थी।

    ईरा ने है फिर क्रिश की तरफ़ देख कर कहा,
    "मुझे भी दानव से डर लगता है अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो मुझे ज़्यादा अच्छा लगेगा।" इतना बोलकर उसने अपना छोटा सा हाथ क्रिश के हाथ में थमाना चाहा उससे पहले ही अर्णव किसी तूफ़ान की रफ़्तार से उन दोनों के पास आया और इरा का हाथ पकड़ कर झटके से उसे अपने क़रीब खींचते हुए बोला, "जान से मार दूँगा अगर मेरे अलावा किसी का ख़्याल तुम्हारे दिमाग़ में भी आया पार्टनर बनना तो बहुत दूर की बात है छुईमुई।"

  • 17. Gangster's immature bride - Chapter 17

    Words: 1622

    Estimated Reading Time: 10 min

    इरा, अर्णव की डरावनी आवाज़ को सुनकर खुद में सिमटते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी और फिर लगभग रोते हुए बोली, "दानव, मुझे तुमसे डर लग रहा है, तुम बोलोगे तो मैं नहीं जाऊँगी उनके पास, मेरा हाथ छोड़ो। मेरे हाथ में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।"

    बाकी सब भी हैरानी से अर्णव को देख रहे थे। आज से पहले अर्णव ने ऐसा व्यवहार कभी नहीं किया था। यह सब के लिए बहुत ज़्यादा चौंकाने वाला था। वहीं, निहारिका भी आँखों में जलन लिए इरा को देख रही थी। ऐसी पजेसिवनेस इरा ने कभी निहारिका के लिए नहीं दिखाई। इन फ़ैक्ट, आज मॉर्निंग में तो उसने खुद से उसे बोला था कि वह उसकी गर्लफ्रेंड बन जाए। इसके बावजूद शाम आते-आते वह किसी और की पार्टनर बन चुकी थी, लेकिन इन सब के बाद भी अर्णव की आँखों में निहारिका के लिए कोई इनसिक्योरिटी या पजेसिवनेस नहीं थी, जो इरा के लिए फूट-फूट कर बाहर आ रही थी।

    वहीं, क्रिश डेविल स्माइल करते हुए कहा, "किंग, देखो मैंने पकड़ लिया ना। थोड़ी देर पहले कोई मेरे दाँत तोड़ना चाहता था इस बात पर, लेकिन अब सामने से जला हुआ अंगार बन चुका है। अब तो मानते हो ना, यह तुम्हारी राजकुमारी है।"

    इरा ने जल्दी से मुड़ते हुए क्रिश को देखकर कहा, "राजकुमारी नहीं बनाओ। राजकुमारी नहीं हूँ। मैंने एक दिन अपने घर में कहा था कि मैं राजकुमारी हूँ, इसके लिए मुझे बहुत मार पड़ी थी। अब मुझे राजकुमारी नहीं बना है।"

    इरा को याद आया जब हर्षाली को सब राजकुमारी बोल रहे थे, जिस दिन उसका जन्मदिन था, तब इरा भी तैयार हुई और सबको बोली कि मैं भी एक राजकुमारी हूँ। उस दिन सरोजिनी ने इरा के साथ बहुत ज़्यादा मारपीट की, जिसमें इरा दो दिन तक बुखार से तपती रही और उसने फ़ैसला किया वह अपनी ज़िंदगी में दोबारा कभी राजकुमारी नहीं बनेगी और ना ही यह बोलेगी कि वह एक राजकुमारी है।

    उसे दर्द को याद करके इरा की आँखों में आए आँसू उसके गालों पर आ गए और उसकी आँखों में अजीब सा ख़ौफ़ देखने लगा, जैसे राजकुमारी शब्द से ही उसका दिल दहल रहा हो। वह जल्दी से अर्णव की तरफ़ देखते हुए बोली, "दानव, मैं कोई राजकुमारी नहीं हूँ। क्या तुम मुझे इसलिए हर्ट कर रहे हो कि मैं तुम्हें राजकुमारी लगती हूँ?"

    अरहान और क्रिश का दिल जैसे छलनी हो गया इरा के इन मासूम शब्दों को सुनकर। क्रिश को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, जैसे उसने इरा के पास्ट को याद दिला कर बहुत बड़ी ग़लती कर दी, लेकिन अर्णव के चेहरे पर ऐसे कोई भाव नहीं थे और उसके दिल में क्या चल रहा था यह जान पाना भी मुश्किल था, लेकिन उसने इरा का हाथ छोड़ते हुए कहा, "ज़्यादा नौटंकी करने की कोई ज़रूरत नहीं है, हम लेट हो रहे हैं। चलो सब बाहर।" इतना बोलकर वह आगे-आगे चलने लगा और इरा अपनी कलाई को देखने लगी जहाँ अर्णव के हाथ की उंगलियों के निशान छप चुके थे इरा की सेंसिटिव स्किन होने के कारण।

    अरहान और निहारिका भी अर्णव के पीछे-पीछे चल पड़े थे। वहीं, क्रिश ने गुमसुम इरा को देखा और फिर अपने कान पकड़ते हुए बोला, "आई एम सॉरी। मेरी वजह से तुम्हें अपना गंदा सा परिवार याद आ गया। अब चले पार्टी में, तुम्हें कोई तंग नहीं करेगा।"

    यह सुनकर इरा खुश होते हुए बोली, "सच? क्या वहाँ अच्छा-अच्छा खाना भी मिलेगा?"

    "जैसे कल रात दानव ने खिलाया था वैसा खाना मिलेगा? वहाँ मुझे वैसा ही खाना खाना है।"

    क्रिश जल्दी से कहा, "हाँ बिल्कुल, तुम्हें वैसा ही खाना मिलेगा। अब जल्दी चलो वरना उसे स्थान में सचमुच का दानव आ जाएगा और वह दहाड़ने लगेगा।"

    यह सुनकर इरा जल्दी-जल्दी क्रिश के साथ बाहर जाने लगी।

    कुछ देर में वह अर्णव की गाड़ी के सामने थी। अर्णव ने अपने दोनों हाथ सीने पर बाँध रखे थे और गाड़ी से टेक लगाकर खड़ा था। वह जैसे ही क्रिश से बातें करते हुए बाहर आई, अर्णव ने अपनी गाड़ी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "छुईमुई, तुम यहाँ बैठो और यू क्रिश दूजा, जो अपनी गाड़ी में।"

    क्रिश जी की स्माइल करते हुए कहा, "तुम जले हुए भोंकड़े जब बनते हो तब और भी ज़्यादा अच्छे लगते हो। बस ऐसे ही रहा करो, मेरी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं।" इतना बोलकर वह अर्णव को चढ़ाते हुए अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया जहाँ बैक सीट पर अरहान और निहारिका पहले से बैठे थे। निहारिका की नज़र अर्णव की गाड़ी पर थी। अर्णव ने बाहर आते ही निहारिका को साफ़-साफ़ बोल दिया था कि वह अरहान और क्रिश के साथ है, जिससे उसका मुँह लटका हुआ था। क्रिश पैसेंजर सीट पर बैठते हुए बोला, "क्या हुआ इन मोहतरमा को?" अरहान ने आँखें बड़ी करके क्रिश को चुप रहने का इशारा किया और फिर उनके पास ड्राइवर भी आ गया और वह ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए गाड़ी स्टार्ट कर लेता है। वही अर्णव खुद गाड़ी ड्राइव कर रहा था और इरा उसकी बगल में सहेमी हुई बैठी थी, बिल्कुल किसी बिल्ली के छोटे बच्चों की तरह। बाकी सब के साथ वह ज़्यादा कंफर्टेबल थी। काश वह क्रिश और अरहान के पास जा पाती, बस यही सोच-सोच कर उसका मुँह गुस्से से फूल जा रहा था, लेकिन अफ़सोस वह यह गुस्सा अर्णव के सामने नहीं दिखा सकती थी।

    वहीं, अर्णव कार ड्राइव करते हुए मन ही मन सोच रहा था कि आख़िर वह इतना पजेसिव बिहेव कैसे कर सकता है? उसने एक नज़र इरा की तरफ़ देखा जो अब खिड़की से बाहर छूटते घरों और पेड़ों को देख रही थी। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो रही थी जैसे भी कोई नई चीज़ उसकी आँखों के सामने आ रही थी, जैसे उसने यह पहली बार देखा हो। अर्णव अपने मास्टरमाइंड प्लान को अब थोड़ा नीचे समझ रहा था। 2 दिन से वह इस छुईमुई को नहीं समझ पा रहा था, कितने शर्म की बात थी उसके लिए। उसने अपने मन ही मन कहा और अब मैं ड्राइवर क्यों नहीं लेकर आया हूँ? मुझे ड्राइवर से क्या दिक्कत थी? मैं खुद ड्राइव कर रहा हूँ? शायद मैंने कभी किसी के लिए ड्राइव नहीं किया है। फिर उसने इरा की तरफ़ देखते हुए कहा, "तुम सच में स्पेशल हो या तो मेरी सबसे बड़ी दुश्मन या मेरे सबसे करीब।"

    दूसरी तरफ़ माणिक और हर्षाली भी एक गाड़ी में बैठकर इस पार्टी के लिए निकल चुके थे।

    हर्षाली ने मेकअप करके पूरी कोशिश की थी कि सरोजिनी के मारे थप्पड़ के निशान उसके चेहरे पर ना दिखें, लेकिन उसका गाल हल्का सूजा हुआ था जो साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था। मानिक ने तिरछी स्माइल करते हुए कहा, "तुम्हारी माता श्री इतनी बेरहम हैं, मुझे पता नहीं था, बच्चे वरना मैं कभी उन्हें सच नहीं बताता।" हर्षाली ने गुस्से में मलिक को देखते हुए कहा, "मैंने तुम्हारे जैसा हार्टलेस इंसान आज तक नहीं देखा है। मुझे लगा था सब लोग सिर्फ़ पैसों के पीछे पागल हो सकते हैं, लेकिन तुम... तुम उस दो कौड़ी की लड़की के पीछे पागल हो जिसके पास से सब कुछ छिन जाएगा और वह तुम्हारे किसी काम की नहीं रहेगी, उसकी खूबसूरती का क्या अचार डालोगे।"

    मानिक ने कार की स्पीड बढ़ाते हुए कहा, "हाँ यही समझ लो, अचार डालकर ही खाऊँगा पर मुझे वह चाहिए, यह मेरी इज्जत है और किसी भी कीमत पर उसे अर्णव यदुवंशी से मैं उसे वापस लेकर रहूँगा।"

    फिर उसने डेविल स्माइल करते हुए कहा, "लेकिन मैंने उसे गुमराह ज़रूर कर दिया था कि इरा सच में मेरी गर्लफ्रेंड है और वह अर्णव की सबसे बड़ी दुश्मन है और जितना मैं अर्णव यदुवंशी को जानता हूँ उसने इरा के टुकड़े-टुकड़े कर दिए होंगे अब तक। तो तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे पास ही रहने वाला हूँ। ज़्यादा चलोगे तो तुम्हारा रंग काला पड़ जाएगा स्वीटहार्ट।"

    हर्षाली ने चिढ़ते हुए कहा, "मुझे निकनेम देना बंद करो। मुझे पता है आज भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई जगह नहीं है।"

    मानिक ने कहा, "तो मैंने कब कहा था तुम मेरे लिए अपने दिल में जगह बनाओ। यह टू टेक एंड गिव वाला रिलेशन था, पहले दिन से यह तुम्हें पता था, फिर भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए इमोशंस आए इसमें मेरी तो कोई ग़लती नहीं है।"

    हर्षाली की आँखों में आँसू आ गए। उसने अपनी आँखों को पोंछते हुए कहा, "सारी ग़लती मेरी ही है। मैं कब तुम्हें ब्लेम कर रही हूँ? बस मेरी माँ के सामने मुझे और नीचा दिखाने वाले काम मत करना, मैं तुम्हें बस इतना ही बोलना चाहती हूँ।"

    मानिक ने कल जैसे हर्षाली और अपने रिश्ते को सरोजिनी के सामने रखा था उन सब से सरोजिनी हर्षाली से और ज़्यादा नाराज़ हो गई थी और हर्षाली अब आगे ऐसा कोई इंसिडेंट नहीं चाहती थी इसीलिए पहले से मानिक को वार्निंग दे रही थी।
    मानिक ने भी सर हिलाते हुए उसकी वार्निंग एक्सेप्ट कर ली थी।

    और कुछ ही देर में उनकी गाड़ी बड़े से होटल के सामने जाकर रुकी। आज इस पूरे होटल को इस आलीशान पार्टी के लिए बुक किया गया था। अब तक रात के 8:30 बज चुके थे। यह पूरा होटल बिल्कुल किसी जुगनू की तरह जगमगा रहा था। बाहर की इस शानदार सजावट को देखकर हर्षाली की आँखें चमक उठी थी। उसने अपनी ज़िंदगी में आज से पहले इतनी आलीशान पार्टी नहीं देखी थी। अंदर से हल्के-हल्के म्यूज़िक की आवाज़ भी आ रही थी और वह वहाँ लाइव परफ़ॉर्मेंस हो रहा था। हर्षाली का यह शॉकिंग रिएक्शन देखकर मानिक ने कहा, "क्या हुआ बेबी? आज से पहले ऐसी जगह चाँद नहीं देखी तुमने?"

    हर्षाली ने कहा, "हाँ ऐसा ही कुछ। क्या इरा की किस्मत इतनी चमक गई है कि वह एक काल कोठरी से सीधा यहाँ आ गई है।"
    मानिक ने कार से उतरकर हर्षाली की तरफ़ का दरवाज़ा खोलते हुए कहा, "हाँ ऐसा ही कुछ समझ लो। अर्णव यदुवंशी बहुत ज़्यादा अमीर है। यह होटल तो उसके आगे कुछ नहीं।"

  • 18. Gangster's immature bride - Chapter 18

    Words: 1499

    Estimated Reading Time: 9 min

    मानिक और हर्षाली तेज़ी से चलते हुए पार्टी हॉल में पहुँचे जहाँ पहले से मिस्टर आदित्य डिसूजा सबका स्वागत कर रहे थे। मानिक को देखते ही उन्होंने आगे आते हुए मानिक की तरफ़ हाथ बढ़ाकर कहा, "हेलो मिस्टर मल्होत्रा!" मानिक ने भी उनका हाथ मिलाते हुए हल्की स्माइल के साथ कहा, "कंग्रेचुलेशंस मिस्टर डिसूजा! आपकी एक और जीत मुबारक हो।"

    आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा, "बस आप सब लोगों का हाथ है।" फिर उसने हर्षाली की तरफ़ देखकर कहा, "यह आपकी गर्लफ्रेंड है?" मानिक ने धीरे से हाँ में सर हिला दिया और आदित्य ने हर्षाली को भी ग्रीट किया। आदित्य की उम्र क़रीब 32 साल होगी। दिखने में वह भी काफ़ी हैंडसम था। उसने इस वक़्त पार्टी में मौजूद थीम के अकॉर्डिंग कपड़े नहीं पहने थे। उसे सबसे अलग दिखना था इसलिए उसने व्हाइट कोट पैंट पहने थे और बाक़ी सबको ब्लैक कोट पैंट पहनने के लिए कहा था ताकि सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन वह बना रहे और सबको पता चले कि यह पार्टी मिस्टर डिसूजा ने रखी है।

    हर्षाली डिसूजा को ऊपर से नीचे तक देख रही थी। कहाँ मानिक था और कहाँ आदित्य! उनकी पर्सनैलिटी में बहुत ज़्यादा फ़र्क़ था। आदित्य मानिक से काफ़ी ज़्यादा हैंडसम लग रहा था और काफ़ी ज़्यादा स्लिम भी, जिसे लोगों से कैसे बात करते हैं वह पता हो। उसके हाथ में एक ड्रिंक था। उसने वेटर को इशारा करते हुए हर्षाली और मानिक के लिए भी ड्रिंक मंगवाया और वेटर कुछ पलों में उनके लिए भी ड्रिंक लेकर आ चुका था। हर्षाली और मानिक ने वह ड्रिंक लेकर बस डिसूजा के साथ बातें करना शुरू ही किया था कि अचानक पूरे पार्टी हॉल में शांति छा गई। अचानक आई इस शांति को देखकर आदित्य की नज़र भी दरवाज़े की तरफ़ गई। मीडिया रिपोर्टर्स जो शांत हो चुके थे, वह अचानक ही होटल के दरवाज़े के पास भीड़ जमा करके किसी शख्स की फ़ोटो लेने की कोशिश करने लगे लेकिन उस शख्स के बॉडीगार्ड्स उन मीडिया वालों को धमकाते हुए दूर करने की कोशिश कर रहे थे जिस वजह से वह लोग एक भी फ़ोटो नहीं ले पाए। वह अर्णव था, जो ईरा का हाथ पकड़े हुए तेज़ी से अंदर आ रहा था। आज से पहले अर्णव के साथ निहारिका स्पॉट होती थी और उसे स्पॉट हुए भी क़रीब डेढ़ साल बीत चुका था। हाँ, उनका ब्रेकअप ज़रूर 6 महीने पहले हुआ था लेकिन अर्णव को अपनी बीमारी का डेढ़ साल पहले पता चल चुका था जिस वजह से उसने निहारिका के साथ पार्टी में जाना अवॉइड कर दिया था। लेकिन इतने दिनों बाद वापस आने को किसी लड़की के साथ देखकर मीडिया वालों के बीच सनसनी फैल चुकी थी। पार्टी में मौजूद लोग भी आँखें फाड़े अर्णव और ईरा को देख रहे थे जो अब गेट से अंदर आ चुके थे। आदित्य एक लंबी सी स्माइल चेहरे पर सजा तेज़ी से अर्णव के पास गया और उसे जाते ही सर झुकाकर ग्रीट करते हुए बोला, "वेलकम किंग! आप हमारे इस छोटे से आश्रय आने में शामिल होने आए इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम आओगे।" अर्णव ने हल्के से स्माइल के साथ कहा, "आता क्यों नहीं? तुमने स्पेशल इनविटेशन जो दिया था।" आदित्य की नज़र ईरा पर पड़ी और वह शॉकिंग होते हुए बोला, "ओ गॉड! शी इज द टाइम ब्यूटीफुल! हेलो एंजेल! क्या तुम एंजेल की दुनिया से आई हो? तुम्हारी यह नीली आँखें कितनी ख़ूबसूरत है!" ईरा ने आदित्य के बढ़े हुए हाथ को देखा। कुछ देर पहले का नज़ारा उसे याद था कि अर्णव ने उसे कितना हर्ट किया था कृष की तरफ़ हाथ बढ़ाने से। इस बार वह फिर से यह ग़लती नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने हल्की सी स्माइल करते हुए अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा, "नहीं, मैं एंजेल की दुनिया से नहीं आई हूँ। मेरा नाम ईरा है और यह ज़रूर दानव है। यह दानव की दुनिया से आया होगा।" ईरा की बात सुनकर एक पल के लिए आदित्य ने शॉक होते हुए अर्णव की तरफ़ देखा और फिर टाहा के मारकर हँसते हुए बोला, "तुम बहुत फ़नी हो।" अर्णव ने ईरा का हाथ भेजते हुए कहा, "छुईमुई हम यहाँ ज़्यादा बातें नहीं करेंगे किसी से। यह डिसाइड करके आए थे ना।"

    ईरा का चेहरा मासूम सा हो गया। उसने आदित्य की तरफ़ देखकर कुछ बोलना चाहा लेकिन उससे पहले ही आदित्य ने कहा, "वाह! क्या नाम दिया दोनों ने- छुईमुई और दानव! आज से पहले मैंने इतने यूनिक कपल नाम कभी नहीं देखे। सोना-मोना वाला टाइम शायद चला गया है और जानू-मनु वाला भी। अब यह नया टाइम है- दानव और छुईमुई का।"

    अर्णव ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, "अर्णव यदुवंशी की हर चीज़ यूनिक और स्पेशली होती है। तुम बताओ मिस्टर डिसूजा, आज भी अकेले ही दिख रहे हो! अब तक गर्लफ्रेंड बनी नहीं तुम्हारी?"

    आदित्य ने सर को खुजाते हुए कहा, "शायद मेरी सोलमेट भगवान बनाना भूल चुका है। आओ चलो अंदर हम केक कटिंग करते हैं। मैं बस तुम लोगों का ही वेट कर रहा था। क्या साथ में कोई और नहीं आया?" तभी पीछे से कृष और अरहान बातें करते हुए आए और उनके साथ चलती हुई निहारिका। उनकी गाड़ी बीच में पंचर हो गई थी जिस वजह से उन्हें लेट हो गया। निहारिका का चेहरा ग़ुस्से से लाल हो चुका था जैसे सारे गड़बड़ घोटाले वाले काम उसी के साथ क्यों होते हैं।

    आदित्य ने जैसे ही कृष को देखा उसके चेहरे की स्माइल और ज़्यादा बड़ी हो गई और उसने आगे बढ़ते हुए हाथ मिलाने की कोशिश की लेकिन कृष ने अपनी नज़रें फेर लीं और फिर आदित्य ने जबरदस्ती की स्माइल के साथ अरहान से हाथ मिला लिया।

    आदित्य ने उन दोनों को देखकर कहा, "वेलकम गेस्ट! बहुत दिनों बाद मैं तुम दोनों को देख रहा हूँ।"

    अरहान ने हँसते हुए कहा, "हम दोनों ईद के चाँद जो हैं।"

    यह सुनकर आदित्य को हँसी आ गई और वह दोनों एक साथ अंदर बढ़ गए। कृष की नज़र सीधे मानिक पर पड़ी और मानिक के साथ निर्भय को न देखकर उसका भी चेहरा उतर गया। उसने अरहान के कान में कहा, "यह लो मेरा मज़ा तो यहीं ख़त्म हो गया। मेरी वह गर्लफ्रेंड तो आई नहीं। मैं तो सोच रहा था निर्भय के साथ फ़्लर्ट करूँगा पर यहाँ तो मालिक अपनी दूसरी ही माशूका के साथ घूम रहा है। पहले वह छोटी बच्ची और अब यह।"

    अर्णव ने भी हर्षाली को देखा और उसके ग़ुस्से से मुठियाँ कट गईं। उसने उसे देखा ज़रूर था लेकिन किसी को महसूस नहीं हुआ कि अर्णव की नज़रें ईरा के अलावा किसी और पर भी उठी होंगी। वहीं हर्षाली तो अर्णव को देखकर लगभग बेहोश होने वाली थी। उसने मानिक से कहा, "यह बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह दिखता है और इसकी पर्सनैलिटी इतनी अट्रैक्टिव क्यों है? मिस्टर आदित्य ने सबसे अलग कपड़े पहने हैं लेकिन इसके बावजूद सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन अर्णव यदुवंशी बना हुआ है। वाकई वह इस वर्ल्ड का किंग है।" मानिक ने जबड़े करते हुए कहा, "तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो यह भूलो मत। तुम उसकी तारीफ़ कैसे कर सकती हो?" हर्षाली ने भी इसी ग़ुस्से के साथ कहा, "तुम मेरे साथ रहकर भी जैसे ईरा की ख़ूबसूरती की तारीफ़ कर सकते हो, मैं भी किसी दूसरे मर्द की तारीफ़ कर सकती हूँ और अगर वह अर्णव यदुवंशी हो तो 100% कर सकती हूँ।"

    और फिर उसने ईरा की तरफ़ देखते हुए कहा, "तुम तो बोल रहे थे वह ईरा के टुकड़े-टुकड़े कर देगा लेकिन यहाँ वह उसे महारानी बनाकर लाया है। कपड़े देख रहे हो कितने महँगे होंगे वह कपड़े भी। आज तक ईरा ने मेरे दिए हुए कपड़े पहने हैं। उसे नया एक जोड़ी कपड़ा तक नहीं मिला है और वह यहाँ सीधा राजकुमारी बनकर आई है।" मानिक भी ईरा को देखकर अपने दिल के होश खो बैठा था। उसने अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहा, "वाकई वह काफ़ी चेंज लग रही है पर मुझे यह देखकर ज़्यादा ख़ुशी हो रही है क्योंकि अर्णव तो आज भी उसे मेरी ही गर्लफ्रेंड समझता होगा। मेरी कितनी अच्छी क़िस्मत है। मेरा दुश्मन सबसे ख़ूबसूरत लड़की को मेरी गर्लफ्रेंड समझता है।"

    इतना बोलकर वह हर्षाली का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ते हुए बोला, "चलो तुम्हें मैं अपने दुश्मन से मिलवाता हूँ।"

    वह दोनों तेज़ी से चलते हुए अर्णव और ईरा की तरफ़ आए और फिर मानिक ने हाथ बढ़ाते हुए अर्णव से हैंडशेक करने की कोशिश करते हुए कहा, "हेलो मिस्टर यदुवंशी! कैसे हैं आप और कैसे बीत रहे हैं दिन मेरी गर्लफ्रेंड के साथ?"

    इतना बोलकर मानिक ने ईरा की तरफ़ देखकर आँख मार दी जिससे ईरा अर्णव के पीछे छुपते हुए डरी सी आवाज़ में बोली, "दानव, मुझे इससे बहुत डर लगता है।"

    अर्णव को लग रहा था अभी ईरा नाटक कर रही है। उसने अपने दाँत किटकिटाते हुए कहा, "मैं तुम्हें बेवकूफ़ नज़र आता हूँ? तुम अपने ही बॉस से डर रही हो? रियली? जिसने तुम्हें इतनी ट्रेनिंग दी है कि तुम अर्णव यदुवंशी के साथ दो दिन तक ज़िंदा रह पाई हो, तुम्हें तो इसे थैंक यू बोलना चाहिए।" फिर अर्णव ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसे मेरे दिन काफ़ी अच्छे गुज़र रहे हैं। यह काफ़ी सेटिस्फाइंग है।"

  • 19. Gangster's immature bride - Chapter 19

    Words: 1533

    Estimated Reading Time: 10 min

    अर्णव के मुंह से इरा के लिए ऐसे शब्द सुनकर हर्षाली का मुंह खुला का खुला रह गया। उसने इरा की तरफ देखा जो अब माणिक और हर्षाली दोनों से नजरे चुरा रही थी और अरुण के कोर्ट में अपना मुंह छुपाने की कोशिश कर रही थी। उसकी नीली आंखें बड़ी-बड़ी हो चुकी थी और डर से उसकी आंखों की पुतलियां भी फैल गई थी।

    हर्षाली ने अपने मन ही मन कहा, "मैं तुम्हें भोली भाली समझती थी इरा लेकिन तुम तो मुझे भी 10 कदम आगे निकल ऐसे इंसान को बिस्तर पर सेटिस्फाइड करती हो जो माफिया वर्ल्ड का किंग है जिसके सामने हर कोई सर झुकाता है। मानना पड़ेगा इस भोली सूरत के पीछे तुमने कितना चालक चेहरा छुपा रखा था। काफी अच्छी एक्टिंग स्किल्स है तुम्हारी।" यह सब सोचते हुए हर्षाली एकटक इरा को ही घूर रहे थे और उसका यह घूरना अर्णव को बिल्कुल पसंद नहीं आया। उसने हर्षाली की तरफ देखकर गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा, "अपनी नज़रें उससे दूर रखें वरना मुझे आंखें निकाल कर गोटिया खेलने का बहुत ज्यादा शौक है बाय गॉड तुम्हारी तो आंखें भी काली काली है इसे गोटिया खेलने में तो मुझे और ज्यादा मजा आएगा।"

    मानिक के सामने हर्षाली को अर्णव ने धमकी दे दी थी। इसके बाद भी मानिक में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह हर्षाली की साइड बोल पाए। फिर उसने इरा की तरफ देखकर अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिश्रा कैसी हो तुम? कहीं मेरा दुश्मन तुम्हें ज्यादा परेशान तो नहीं कर रहा और कैसा चल रहा है हमारा प्लान। यह सब देखकर तो लग रहा है जैसा मैंने प्लान किया था बिल्कुल उसी रास्ते पर चल रही हो तुम और कुछ ही दिनों में अर्णव यदुवंशी तुम्हारे पैरों में होगा और उसके बाद तुम मेरी बाहों में।"

    उसने इतना ही कहा था कि वहां आदित्य आते हुए बोला, "कौन किसकी बाहों में जा रहा है?"

    अरनवाने मुस्कुराते हुए कहा, "केक कटिंग के बाद कपल डांस होगा ना तो हम बस उसी की बातें कर रहे हैं।"

    फिर उसने इरा की कमर पकड़ कर उसे खुद से चिपकाते हुए कहा, "मुझे तो इंतजार नहीं हो रहा कब मैं अपनी छुईमुई के साथ बाहों में भी डालकर कपल डांस करूंगा।" इतना बोलते हुए उसने इरा के चेहरे पर आई बालों की लटों को उसके कान के पीछे किया। वही उसकी गरम उंगलियों को अपनी गाल पर महसूस कर इरा को बहुत अजीब लग रहा था। उसने हकला की आवाज में कहा, " द दानव ऐसे मत छुओ मुझे बहुत अजीब लग रहा है।"

    उसने यह बहुत दबी आवाज में कहा था क्योंकि अरनव की पकड़ उस पर बहुत ज्यादा तेज थी जिस वजह से उसे लग रहा था कि कुछ ही पलों में उसका दम घट जाएगा और उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।

    आदित्य ने कहा, "चलो सब रेडी है हम केक कट करते हैं।" इतना बोलकर वह सभी गेस्ट के बीच में रखें 10 लेयर केक के सामने जाकर खड़ा हो गया जो कि ब्राउन कलर का था और बेहद एलिगेंट वे में सजाया हुआ था। आदित्य ने के कट करके सबसे पहले क्रिश की तरफ बढ़ाया। कृष्णा ने उसके हाथ में से छोटा सा केक का पीस अपने हाथ में लेते हुए खा लिया और फिर वहां से साइड चल गया। उसे ऐसे जाते देखकर आदित्य ने एक गहरी सांस लेकर कहा, "इसकी नाराजगी कब खत्म होगी?" उसके बाद उसने खिलाया मानिक को। अपनी बेइज्जती होती हुई महसूस हो रही थी जहां अरनव और उसके लोग ज्यादा इंपॉर्टेंट थे आदित्य के लिए जबकि वह सिर्फ एक नॉर्मल गेस्ट।

    अर्णव ने केक खाने के बाद अपने हाथ में पड़ा सूटकेस आदित्य को देते हुए कहा, "यह रहा बर्थडे गिफ्ट।"

    उसे सूटकेस को देखकर माणिक की आंखें फैल गई। यह वही सूटकेस था जो अरनव और माणिक की फाइट के समय मानिक अपनी कर में भूल आया था। वह कुछ कहना चाहता था लेकिन शब्द उसके गले में अटक चुके थे क्योंकि वह भी इस सूटकेस का असली हकदार नहीं था तो वह किस मुंह से बोल दे कि यह मेरा है। वही अर्णव ने डेविल स्माइल करके माणिक की तरफ देखकर कहा, "वेल मैंने सुना है आपने भी काफी कोशिश की थी मानिक मल्होत्रा जी इस सूटकेस को पाने के लिए।" मानिक ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा, "मैं तो क्या ही करूंगा इसका यह सब तो मिस्टर डिसूजा के ही काम आ सकता है मेरा तो रिसर्च में या किसी भी साइंटिफिक फील्ड में कोई प्रोजेक्ट नहीं है।" यह सुनकर अर्णव ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा, "बिल्कुल सही समझो तुम्हारा उन फील्स में कोई हक नहीं है तो उन चीजों से भी डरा करो जो उस फील्ड से जुड़ी हो।"

    कुछ ही देर बाद सब लोगों का नाश्ता भी हो चुका था और पूरे हॉल में हल्का म्यूजिक प्ले वापस शुरू हो गया और सब ने कपल डांस करना शुरू किया। इरा सबको आंखें फाड़े देख रही थी। अर्णव ने अपना एक हाथ आगे बढ़ते हुए कहा, "छुईमुई लेट'एस डांस कम ऑन।"

    इरा ने हकलाते हुए कहा, "लेकिन मुझे डांस करना नहीं आता है। यह सब कैसे करते हैं।"

    अर्णव ने इरा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और अगले ही पल मजबूती से उसकी पतली सी कमर को अपने एक हाथ में भर लिया और दूसरे हाथ में उसकी नाजुक हाथ पकड़ते हुए बोला, "तुम बस मेरी आंखों में देखना उसके बाद में सिखा दूंगा डांस कैसे करते हैं।"

    इरा ने घबराहट से सूखने अपने होठों पर जब फेर कर कहा, "ठीक है मैं कोशिश करूंगी मैं जल्दी से सीख जाऊं।"

    इरा ने जब अपने होठों पर जीभ फेरी तो उसके मुलायम होता और भी ज्यादा अट्रैक्टिव लगने लगे और अरनव का दिल मानो उसके सीने से निकालकर उसके मुंह में आने को तैयार हो गया था। उसने अपनी आंखें बंद करते हुए कहा,
    "How can i lose my control aaahh "
    अरनव का चेहरा फ्रस्ट्रेशन से भर चुका था लेकिन वह फ्रस्ट्रेशन क्यों थी यह इरा को नहीं समझ आ रहा था। उसने अरणों का चेहरा देखते हुए अपना दूसरा हाथ उठाकर अर्णव के गाल पर रखते हुए कहा, "तुम ठीक हो ना दानव तुम्हें इतना पसीना क्यों आ रहा है?" और ना उसके छूने भर से जैसे तड़प उठा था। उसने उसका हाथ पकड़ कर नीचे करते हुए कहा, "कुछ नहीं छोडूंगी चलो डांस करते हैं।" इतना बोलकर वह उसकी नीली आंखों में देखते हुए धीरे-धीरे अपने कदमों को मूव करने लगा। इरा के दोनों पर उसके दोनों पैरों पर थे इसलिए इरा ऑटोमेटेकली उसके हर मुंह के साथ हिल रही थी। क्रिश और अरहान दूर से उन दोनों को देख रहे थे दोनों के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था। कृष्णा स्माइल करते हुए कहा, "अरहान बाबू तुम्हें क्या लगता है हमारे किंग की क्वीन यह बन सकती है।"

    अरहान ने दो घूंट भरते हुए कहा, "ऑफ कोर्स मुझे तो लगता है बन सकती है।"

    वही निहारिका फिलहाल हर्षाली से बात कर रही थी और हर्षाली ने ही निहारिका को अपने पास बुलाया था क्योंकि उसे पता था निहारिका अरनव के साथ आई है। हर्षाली ने हॉकी से मुस्कुराहट के साथ कहा, "हेलो मिस वह मुझे जानना था कि यह जो अरनव यदुवंशी के साथ है वह लड़की क्या उनके साथ खुश है क्योंकि वह मेरी बहन है मैं उसे अपने साथ अपने घर ले जाना चाहती हूं पर मुझे अरनव से बेहद डर लग रहा है मैं कैसे उसके सामने यह कहूं मुझे समझ नहीं आ रहा है। वैसे मेरी बहन तो पैसों की लालची है इसलिए मुझे नहीं लगता वह सामने से मेरे साथ जाने के लिए रेडी हो जाएगी लेकिन मैं सब कुछ उसके भले के लिए ही करना चाहती हूं आप भी जानती होगी अरनव यदुवंशी कितना खतरनाक आदमी है उसके साथ रहना वह भी चंद पैसों के लिए यह बहुत गिरी हुई बात है और मैं नहीं चाहती मेरी बहन ऐसे किसी जाल में फंसे अभी फोन नादान है शायद बड़ी होगी तो उसे समझ आ जाएगी।"
    निहारिका ने हर्षाली की बात सुनकर एक नजर अर्णव और इरा को देखा इरा काफी कंफर्टेबल लग रही थी अरनव के साथ और अरनव भी अरनव की वह सिल्वर आंखें जो देखने के लिए लड़कियां तरसती हैं वह लगातार इरा की आंखों में उलझी हुई थी जैसे आज ही उनमें डूब जाएंगे। निहारिका ने फिर हर्षाली की तरफ देखते हुए कहा,
    " ऑफ कोर्स मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूं बिकॉज़ मुझे भी वह लड़की अरनव के आसपास बिल्कुल पसंद नहीं है। अरनव मेरा बॉयफ्रेंड है और वह यहां किसी प्रोजेक्ट की वजह से इरा को अपने साथ लिए घूम रहा है बाकी उसका उसके साथ कोई रिलेशन है मुझे नहीं लगता क्योंकि अरनव यदुवंशी कुछ भी कर सकता है लेकिन किसी को चीट नहीं कर सकता उसका करेक्टर बहुत ज्यादा स्ट्रांग है तो तुम यह चिंता मत करो कि तुम्हारी बहन का मिस यूज़ हो रहा होगा वह सब नहीं हो रहा है हां उसकी जान को जरूर खतरा है अरनव यदुवंशी वाकई बहुत खतरनाक इंसान है उसे झील पाना हर किसी के बात नहीं है और तुम्हारी बहन तो दिखने में ही इतनी नाजुक सी है और साथ में उतनी ही ना समझ भी तो वह अरनव यदुवंशी के लिए बिल्कुल सही नहीं है एक बार डांस खत्म होने दो उसके बाद मैं खुद अरनव से इस बारे में बात करूंगी।"

  • 20. Gangster's immature bride - Chapter 20

    Words: 1663

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    निहारिका की बात सुनकर हर्षाली बेफिक्र हो चुकी थी क्योंकि जिस तरीके से इतराते हुए निहारिका ने कहा था कि अर्णव यदुवंशी ऐसा लड़का नहीं है और दूसरा उसका बॉयफ्रेंड है तो हर्षाली को लगा अरनव जो निहारिका की सारी बात मान लेगा और वह बिना ज्यादा एफर्ट लगाए इरा को अपने साथ राजपूत हवेली भी ले जाएगी।

    उसने मुस्कुराते हुए कहा, "जी थैंक यू मिस।" फिर उसने अपना हाथ आगे बढ़ते हुए कहा, "वैसे माइसेल्फ हर्षाली राजपूत।" निहारिका ने भी अपना हाथ उसके हाथ पर रखते हुए कहा, "माइसेल्फ निहारिका बजाज।"
    हर्षाली ने जल्दी से कहा, "ओह! टॉप मोस्ट डिजाइनर का एशिया आप ही है ना वह जिनका पिछले साल अवार्ड भी मिला था।" निहारिका को जब लगा हर्षाली तो उससे ऑलरेडी इंप्रेस है वह बहुत ज्यादा खुश हो गई और और भी ज्यादा इतराते हुए बोली, "हां मुझे हर साल ही वह अवार्ड मिलता है बिकॉज़ आई एम डिजर्विंग। बाकी किसी में उतना टैलेंट ही नहीं है कि वह निहारिका बजाज की डिजाइनिंग को कंपेयर कर पाए और नाइस टू मीट यू।"
    हर्षाली ने अपने मन ही मन कहा, "काश मैं ऐसी पार्टी में रोज आ पाती तो इतने हाई प्रोफाइल लोगों से रोज मेरी मुलाकात होती।" उसने भी मुस्कुराते हुए बस हमेशा हिला दिया और वह दोनों फिर ड्रिंक एरिया की तरफ आ गई।
    रहीम अरनव अब इरा की लैवेंडर फ्रेगरेंस को महसूस कर बस अपनी आंखें बंद करके उसकी गर्दन की तरफ झुक रहा था और जैसे ही उसके होंठ इरा की गर्दन को छुए इरा एकदम से कांपते हुए बोली, "दानव क्या कर रहे हो तुम?"
    अर्णव ने जल्दी से होश में आते हुए अपना चेहरा इरा के सामने किया और फिर सख्त आवाज में बोल, "क्यों कोई प्रॉब्लम है क्या तुमने ऐसा कुछ पहले किया नहीं है?" वह भूल नहीं था थोड़ी देर पहले कैसे मानिक ने इरा से बात की थी सब कुछ प्लान के अकॉर्डिंग चल रहा था।
    इरा ने अपने घबराहट से सूखने होठों पर जी फिर कर कहा,
    "नहीं मेरे पेट में ऐसे बुलबुल उठ रहे हैं जैसे कोई गुदगुदी कर रहा हो बहुत-बहुत अजीब सी फीलिंग है मैं बता नहीं सकती आपको कि मुझे कैसा लग रहा है और यह आज से पहले कभी नहीं हुआ है दानव मुझे बहुत डर लग रहा है क्या मैं मरने वाली हूं? मैंने सुना है लोगों को जब-जब अजीब महसूस होता है तब वह मर जाते हैं।"

    फिर उसने अपने दोनों हाथ अरनव के गले में डालते हुए कहा, "पर मुझे मरना नहीं है।" इतना बोलकर उसने जल्दी से अर्णव को टाइट हग कर लिया और मानो अरनव का दिल सो की स्पीड से धड़कने लगा जैसे अभी उसके दिल से इराक के दिल तक की दूरी को एक सेकंड में तय कर लेगा। अर्णव ने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर करते हुए कहा, "तुम नहीं मरोगी।" पता नहीं यह उसने इरा को तसल्ली देने के लिए कहा था या खुद को पर उसके होठों से बस यही शब्द निकले थे। उसके बाद अर्णव को महसूस हुआ कि चारों तरफ के लोग उन्हें अजीब नजरों से देख रहे हैं तो वह इरा को खुद से अलग करते हुए बोला, "बहुत हो गया डांस और रात के 9:00 बजने को चले हैं अब हम वापस डार्क कैसे जाएंगे जो काम करना था वह हो चुका है।"

    अर्णव इरा का हाथ पकड़े वापस क्रिश और अरहान की तरफ आ रहा था कि बीच में निहारिका हर्षाली के साथ आई और फिर अरनव से बोली, "तुम्हारी छुईमुई इसकी बहन है यह अपनी बहन को अपने घर वापस ले जाना चाहती है।"
    अर्णव ने आंखें छोटी करके हर्षाली को घूरते हुए कहा, "क्या यह तुम्हारी बहन है?"
    हर्षाली ने जल्दी से कहा, "हां सर की मेरी बहन है आप चाहे तो इससे भी पूछ सकते हैं।"
    अर्णव ने गणतंत्र टेढ़ी करके इरा की तरफ देखते हुए कहा, "छुईमुई क्या यह तुम्हारी बहन है?" इरा को याद आया पिछली बार जब उसने कहा था कि वह हर्षाली की बहन है तब सरोजिनी ने उसे कितना मारा था। उसने जल्दी से अपने गाल पर हाथ रखते हुए कहा, "नहीं कई सैन मना किया है कि मैं इसकी बहन नहीं हूं मैं तो मैं अनाथ हूं मेरा कोई नहीं है सिर्फ आई है।"

    यह सारे शब्द सरोजिनी ने इरा को सिखाए थे और वह भी हर्षाली के कहने पर क्योंकि हर्षाली को लगता था इरा को अपनी बहन मनाना बहुत बड़ी इंसल्ट है और वह अपने इंसल्ट नहीं करवाना चाहती पर हर्षाली को नहीं पता था उसका यह गांव किसी दिन उसी के ऊपर उल्टा पढ़ने वाला था। वह कहते हैं ना कर्म एक दिन जरूर लौटता है हर्षाली के साथ भी वैसा ही कुछ हुआ उसका चेहरा सफेद पड़ गया क्योंकि अरनव अब जल्दी निगाहों से उसकी तरफ देख रहा था अर्णव ने टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा, "तो अब क्या कहेंगे आप क्या इराक आपकी बहन है?"

    हर्षाली ने जबरदस्ती बस कर आते हुए कहा, "वह इरा मेरे ताऊजी की बेटी है वैसे तो कजिन सिस्टर ही हुई ना।" फिर उसने इरा की तरफ देखकर झूठा प्यार जताते हुए कहा, "इरा मुझे तुम्हारी बहुत याद आई तुम्हारे बिना राजपूत हवेली बिल्कुल सुनसान हो चुकी है सब तुम्हें बहुत ज्यादा मिस कर रहे हैं और तुम्हें पता है दो दिन बाद बाबा साहब भी महल आने वाले हैं और अगर तुम उन्हें वहां नहीं देखी तो वह हम सबको बहुत डांट लगाएंगे। मन तुम में घूमने फिरने का शौक है पर इतना घूमने काफी हो गया तुम दो दिन से घर नहीं रोती हो माता भी काफी चिंता में है।"

    वह ढंग से खाना भी नहीं खा रही है यह सोचकर कि कहीं अकेले में तुम्हारे साथ कुछ हो तो नहीं गया।
    इरा आंखें टिमटिमाते हुए हर्षाली को देख रही थी और उसके बोले गए शब्दों का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी आज से पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ और क्या उसे घूमने का शौक है उसने अपनी जिंदगी के 21 साल एक काल कोठरी में कटे हैं और उसे आज बोला जा रहा है कि उसे घूमने का शौक है इरा को तो यह भी नहीं पता कि ऐसा कोई शौक रखा भी जाता है। फिर इरा ने आई ब्लिंक करते हुए कहा, "पर मैं तो कभी घूमने नहीं गई मैं तो बस उसे एक कमरे में रहती थी और फिर हवेली में जाकर खाना बनाते थे तो फिर मैं कब घूमने गई यहां तो मुझे आई लेकर आई थी पता नहीं क्यों लेकर आई थी।"

    यह सोचकर इरा को फिर से सुजाता की याद आ गई और उसने अरनव की बाजू पढ़ते हुए कहा, "दानव अब मैं तुम्हारी सारी बात मानी है तो क्या तुम मुझे आई से मिलवाओगे।"

    अर्णव नाम उसकी तरफ देखते हुए कहा, "तुम डिसाइड करो तुम्हें अपनी काकी सा से मिलना है या अपनी आई से मिल ना है।"
    ईरानी जल्दी से कहा, "मुझे आई से मिलना है काकी सा तो गंदी औरत है मुझे उनसे नहीं मिलना है।"

    निहारिका मुंह फाड़े कभी हर्षाली को देख रही थी तो कभी इराक को और निहारिका को लगा जैसे हर्षाली ने ही उसे झूठ बोला हो और निहारिका ने गुस्से से हर्षाली को घूरते हुए कहा, "तुम तो बोल रही थी यह तुम्हारी छोटी बहन है तुम्हें इसकी काफी फिक्र है लेकिन इसकी बातों से लग रहा है तुमने इसे काफी टॉर्चर करके रखा है और साथ में तुम्हारी मां ने भी।" हर्षाली ने कहा, "नहीं नहीं मैंने आपको बताया तो था कि बहुत चालाक है इसे बाहर रहना है बस इसी वजह से ऐसे बहाने बना रही है पर मैं तो इसकी बहन हूं इसे प्यार करती हूं मैं इसे अब भी अपने साथ ले जाना चाहूंगी।"
    उसने इरा की तरफ देखकर वापस मुस्कुराते हुए कहा, "प्लीज इरा मान जाओ घर चलो एक बार माता से मिल लो उसके बाद भी तुम्हें बाहर आना होगा तो मैं खुद तुम्हें यहां छोड़ कर जाऊंगी।"

    इरा ने जल्दी से अरनव के पीछे छुपते हुए कहा, "नहीं मुझे काकी साहब से नहीं मिलना है वह मुझे इसकी भी सजा देगी कि मैं घर से भाग गई थी मुझे नहीं जाना है तुम्हारे साथ।"

    अर्णव ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मिस आपने अपनी आंखों से देख लिया यह तुम लोगों के साथ नहीं जाना चाहती है लेकिन फिर भी मैं बहुत अच्छा इंसान हूं मैं कुछ दिनों में खुद इरा को राजपूत हवेली लेकर आऊंगा तुम चिंता मत करो। फिलहाल मेरे पास बहुत सारे काम है तो मैं कल तो नहीं आ पाऊंगा लेकिन जैसे ही सारे काम निपेंगे अगले हफ्ते तक मैं राजपूत हवेली इराक को छोड़ने आऊंगा और उम्मीद करता हूं उससे पहले तुम वापस मुझे नजर नहीं आओगे।"

    हर्षाली ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा, "जी सर जैसी आपकी मर्जी।" फिर अर्णव ने कहा, "गुड गर्ल।" और निहारिका को देखते हुए बोला, "उन दोनों को बुलाओ चलो डार्क कैसल चलते हैं।"

    इतना बोलकर अरनव इरा का हाथ पकड़े वापस एग्जिट गेट की तरफ चल पड़ा। आदित्य उसे रास्ते में मिलते हुए बोला, "प्लीज मेरी और क्रिश की सेटिंग करवा दे वह मुझसे इतना रूठा हुआ क्यों रहता है?" अर्णव ने आंखें छोटी करके कहा, "क्या वह तेरी गर्लफ्रेंड है जो मैं उसे सेटिंग करवा दूं या फिर तुम दोनों गए हो जो ऐसे हर तीसरे दिन लड़ते रहते हो।" आदित्य ने जल्दी से कहा, "नहीं ऐसी बातें मत कर वह मेरा कजन भाई है।"

    अर्णव ने बेफिक्री से कहा, "तो फिर मना लो अपने भाई को मैने ठेका नहीं ले रखा है हर दूसरे दिन तुम दोनों का गठबंधन करवाने का।"

    इतना बोलकर अरनव आगे बढ़ गया और इरा ने जल्दी से कहा, "यह क्या होता है?"
    अर्णव ने दूसरे हाथ से अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा, "और गोद इसकी बकबक फिर से शुरू हो गई।" फिर उसने गाड़ी का फ्रंट दरवाजा खोलते हुए कहा, "गाड़ी में बैठो बताता हूं।"
    इरा जल्दी से गाड़ी में बैठ गई और अरनव ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "जब कोई लड़का दूसरे लड़के को पसंद करता है तो उसे जी कहते हैं।"
    इरा ने जल्दी से की ब्लैंक करते हुए कहा, "मतलब तुम जी हो जाना तुम भी तो मानिक को पसंद करते हो।"