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MERI JAAN

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Roohi Sahu

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Description

अधीरा एक बेहद प्यारी सी और मासूम सी 19 साल की लड़की !जो दिखने में बिल्कुल परी जैसी पर उसकी जिन्दगी में दर्द और तकलीफ के आलावा कुछ नहीं !क्योंकि उसका खुद का परिवार करता है उससे बेहद नफ़रत !पर क्यों? क्यों करता है उसका खुद का परिवार उससे इतनी नफरत !क्...

Characters

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EKAANSH SINGH RAJPUT

Hero

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ADHIRA SHARMA

Heroine

Total Chapters (20)

Page 1 of 1

  • 1. MERI JAAN - Chapter 1

    Words: 829

    Estimated Reading Time: 5 min

    श्री गणेशाय नमः 🙏

    एक घर था ...... जो न ज्यादा छोटा था न ज्यादा बड़ा उसी घर के एक रूम

    में जो रूम कम स्टोररूम ज्यादा लग रहा था..

    उसी रूम के एक कोने में एक

    लड़की जमीन पर सिकुड़ कर सो रहीं थीं ! उसके चेहरा नहीं दिख रहा था ,

    क्योंकि उसके लंबे बालों ने उसका चेहरा ठक रखा था....., उसने नीचे एक फटा सी.....

    छटाई बिछाया हुआ था ! और वो ठंड से कंप रहीं थीं क्योंकि उसके पास ओढ़ने के लिए कुछ भी नहीं था, उसके कपड़े बहुत पुराने थे!

    और जगह-जगह से फाटे हुए थे उसके शरीर पर मरने के निशान भी थे!

    जिसका साफ़ मतलब था उसे किसी ने बहुत बुरे तरीके से मारा है ,

    तभी किसी ने उसके ऊपर ठंडा पानी डाला जिससे वो हड़बड़ा के उठ गयी !

    पानी पड़ने की वजह से वो एकदम से काम्प गयी क्योंकि पानी बहुत ठंडा था!

    वही पानी पड़ने की वजह से उसका चांद सा चेहरा सामने आ गया.... गोरा रंग बेदाग चेहरा .....अधीरा दिखने में बेहद खूबसूरत थी..... उपर से उसकी हरी आँखे उसे और खूबसूरत बनती थी .........! उसका छोटा सा चेहरा उसपे दुनिया जहां की मासूमियत..... उसे जो उसे सबसे खास बनाती हैं, भरे हुए गाल, छोटी सी नाक, गुलाबी होंठ ,उसके होंठों के कॉर्नर पर एक सा काला तिल, जैसे भगवान ने उसे बुरी नजर में बचाने के लिए खुद उसे काला टीका लगाया हो, ......उम्र 19 साल !

    अधीरा दिखने में जितनी खूबसूरत थी उसकी किस्मत उतनी बुरी थी !

    क्योंकि अधीरा के ऊपर जिसने पानी डाला था वो उसकी चाची कामिनी थी

    जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी वो उससे नफरत करती थी

    इसके पीछे क्या वजह है ,वो तो वही जाने.......

    वो उससे घर के सारे काम करवाती थी

    कोई गलती हो जाने पर वो अधीरा को बहुत बुरे तरीके से मारती थी, फिर चाहे गलती अधीरा की हो या न हो !

    कामिनी अधीरा के पास आयी और उसके बालों को अपनी मुट्ठी में कसकर पकडते हुए कहाः_ ....महारानी यहां चैन से सो रहीं हैं घर के सारे काम कौन करेगा... और नाश्ता कौन बनाएगा ...तेरी मरी हुई माँ आके बनाएगी तेरी वज़ह से अगर मेरी रश्मि को कॉलेज जाने जाने में देरी हुए तो...... मे तेरी खाल खीच लूँगी !......

    कामिनी के इस तरह बाल पकडने की वज़ह से अधीरा को अपने बालों में बेहद दर्द हो रहा था जिसकी वजह से उसके आँखों से आंसू किसी झरने की तरह बह रहे थे !

    और वो दर्द से सिसकते हुए उससे कहती हैं!.....चाची जी please हमारे बालों को छोड़ दीजिए ...,हमे बहुत दर्द हो रहा है..... ,हम घर के सारे काम कर देते है, और टाइम से नाश्ता भी बना देंगे !.....जिससे रश्मि दी को बिल्कुल भी कॉलेज के बिल्कुल भी लेट नहीं होगा..... ,पर आप please हमारे बालों को छोड़ दीजिए!......

    अधीरा की बात सुनकर कामिनी ने उसके बालों को झटके से छोड दिया! जिससे अधीरा मु के बल गिर गयी और उसके मु से एक आह् निकल गयी तभी कामिनी उससे बोली _....चल जा जाके नास्ता बना!

    उसकी बात सुनकर अधि जल्दी से अपनी जगह से खड़ी होकर किचन में चली जाती हैं ,....उसने अभी अपने कपड़े नहीं बदले थे अगर वो कपड़े बदलने जाती तो उसे देर हो जाता , ..और वो ये गलती बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी!.....

    जिसकी वजह से कामिनी को फिर से उसे डांटने या मारने का मौका मिले.....

    अधीरा जल्दी-जल्दी अपने हाथ चला रहीं थीं क्योंकि उसे घर के और भी काम करने थे .......

    तभी किचन में कामिनी आयी और अधीरा से बोली. _...मेरी रश्मि उठ गयी होगी काफ़ी बनाके उसके रूम में लेके जा ......

    उसकी बात सुनकर अधीरा ने अपना सिर हिलाया और जल्दी से काफ़ी बनाया और उसे लेके रश्मि के रूम लेके चली गई ....

    अधीरा रश्मि के रूम के दरवाज़े को खोलकर अन्दर आयी उसने बेड की तरफ़ देखा ........जहा रश्मि सो रहीं थीं उसने काफ़ी को वही बेड के पास मौजूद टेबल पर रख दिया ........

    फिर अधीरा अपनी मीठा सी आवाज में उसे उठाते हुए बोली. __....रश्मि दी उठिए अपको कॉलेज के लिए लेट हो जायेगा .........

    अधीरा ने उसे दो- तीन बार आवाज दी पर वो नहीं उठी तो .......

    इसबार वो थोड़ी तेज़ आवाज में बोली. __.....दी उठिए वर्ना आपकी काफ़ी ठंडी हो जाएगी....

    .

    वही इसबार रश्मि झुलाते हुए उठे और उससे अपनी तेज आवाज़ में बोली __......क्या है क्यों मेरी नींद खराब कर रहीं हैं .....तुझसे मैंने कितनी बार कहा है..... अपना मनहूस चेहरा लेके सुबह सुबह मेरे मत आया कर ......

    वही उसकी इतनी तेज आवाज़ सुनकर अधीरा थोड़ी सहेम जाती है..... क्योंकि अधीरा को तेज़ आवाज से डर लगता है ......पर वो जल्दी से खुद सम्भाल कर...

    उससे अपनी प्यारी सी आवाज़ में बोलती है ___.......आपकी काफ़ी ....

    इतना कहकर वो काफ़ी का कप उसके आगे बढ़ा देती हैं ......तो रश्मि उससे कप ले लेती है ......

    और उससे कहती हैं. __ ....अब जा यहा से.....

    तो अधीरा रुम से जाने लगती है....


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  • 2. MERI JAAN - Chapter 2

    Words: 986

    Estimated Reading Time: 6 min

    श्री गणेशाय नः🙏














    वही रश्मि अपने हाथ में लिए काफी को देख रहीं थीं......... तभी कुछ सोच कर उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ जाती हैं ......

    और वो अधीरा को रोकते हुए कहती हैं __... ये काफ़ी तूने बनाईं हैं मेरे लिए न....

    जिसपर अधीरा मासूमियत से अपना सिर हाँ में हिलती है .....

    जिसपर वो बोली __....फिर तो टेस्ट करना पड़ेगा कि कैसा बना है .....

    उसकी इस बात पर अधीरा उसे से देख रहीं थीं...... क्योंकि वो रोज ही उसके हाथ की बनी काफ़ी पीती है ...... क्योंकि रश्मि कभी इतनी सुबह उठकर खुद अपने लिए काफी बनाएगी नहीं ........और अधीरा के रहते......कामिनी किचन में कभी क़दम रखेगी नहीं ...... क्योंकि अधीरा उनके लिए एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं हैं ......तो फिर इसमें काफ़ी टेस्ट करना कैसा .....

    रश्मि काफ़ी का एक सिप लेती है और कहती है __..... ह्म्म अच्छा है लेकिन मजा नहीं आया *तिरछी मुस्कान )......पर अब आयेगा मजा.....

    वही मासूम अधीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रश्मि अखिर करना क्या चाहतीं है......... वो तो बस मासूमियत से उसे देख रहीं थीं .....

    तभी कानो में रश्मि की आवाज़ आयी जो अपनी मम्मी कामिनी को बुला रही थी......

    तभी रूम कामिनी आयी और रश्मि से बोली. __......क्या हुआ रश्मि बेटा तूने मुझे एसे क्यूँ बुलाया (अधीरा को देखते हुए (.....कही इसने फिर तुझे कुछ नुकसान तो नहीं पहुंचाया ........

    उसकी बात सुनकर रश्मि अपने मगरमच्छ के आँसू बहते हुए कहा ____..... हाँ मम्मी इसने फ़िर से मुझे हर्ट करना चाहा.......जानबूझकर मेरे लिए ज्यादा गर्म काफ़ी लेके आयी....... ताकि जब मे उसे पीयू तो मेरा मु जल जाये और मैं बदसूरत दिखने लगू .......

    इतना कहकर वो अपने मगरमच्छ वाले ऑंसु बहा कर रोने लगी .........



    वहीं ही अधीरा ने रश्मि की बात सुनी तो उसकी ऑंखे शॉक की वजह से बड़ी हो गयी और वो डर की वज़ह से बुरी तरह कापने लगी.......

    उसके आँखों से ऑंसू बहनें लगे थे क्योंकि उसे पता था कामिनी अब उसे छोड़ेगी नहीं जरूर उसे कोई बहुत बड़ी सजा देगी .......

    वही कामिनी ने अपनी प्यारी रश्मि कि बात सुनी उसे अधीरा पर बेहद गुस्सा आया वो अधीरा के पास आयी वही कामिनी को अपने पास आता देख अधीरा और बुरी तरह कापने लगी और उसके आँखों से और तेजी से बहने लगे थे

    वो उससे बोली. __न नहीं ..हम... हम... हमने कु ....कुछ ..नह.. नहीं ..किया ..

    डर की वज़ह उससे ठीक बोला नहीं जा रहा था वही अधीरा को खुद से इतना डरते देख कामिनी के होंठों पर तिरछी मुस्कान आ गयी यही तो वो चाहतीं थीं....

    वो अधीरा के बालों को पकड़ते हुए उससे बोली __..मुझे बहुत अच्छे से पता हैं.....

    तूने क्या किया है क्या नहीं...... मैं तुझे क्या बेवकूफ़ लगती हूँ ......जो तेरी बात पर यकीन कर लूँगी ......लगता है तू कल रात की मार भूल गयीं हैं ....इसलिए सुबह होते ही तूने फिर से अपनी हरकतें चालू कर दी ....पर तुझे और तेरी हरकतों को कैसे काबु में रखना है मुझे बहुत अच्छे से पता है.....

    इतना कहकर उसने अधीरा के हाथ को आगे किया और गर्म काफ़ी उसके हाथ पर गिरा दि जैसे अधीरा के हाथ पर गर्म काफ़ी गिरा रूम में उसकी एक दर्दनाक चीख़ निकल गयी .........

    शर्मा निवास

    अभी अधीरा किचन में थी औऱ कामिनी ने उसके जिस हाथ को गर्म काफ़ी से जलाया था उसने उस हाथ को ठंडे पानी के बाउल में डाला हुआ था ..

    थोड़ी देर बाद जब उसने अपना निकाला तो उसका छोटा सा हाथ पूरा लाल हो गया था ठंडे पानी से भी उसे ज्यादा आराम नहीं मिला था उसे अभी भी अपने हाथ में बेहद जलन मेहसूस हो रहीं थीं जिसकी वजह से उसकी हरी आँखों में फिर से आँसू भर आए और जलद आँसू उसके गोरे गालों पर बह गये....

    और वो सिसकते हुए बोली. ___बहुत जल रहा है मम्मा !...

    दूसरी तरफ

    एक बहुत ही खूबसूरत व्हाइट कलर का विला था.......

    उसी विला के मास्टर बेडरूम जो काफी बड़ा और लग्जरियसt था जिसका इंटिरियर एकदम यूनिक था उसी मास्टर बेडरूम में मौजूद साइज बेड पर एक शख्स सोया हुआ था......

    .

    पर उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था और उसके चेहरे पर बैचेनी साफ दिख रही थी अचानक ही वो शख्स झटके से उठ कर बैठ गया वो बहुत लंबी-लंबी सांसे ले रहा था थोड़ी देर बाद जब उसकी सांसे नार्मल हुए तो उसने बेड पास मौजूद टेबल पर रखा पानी का ग्लास और अपने मुँह से लगा कर एक ही झटके से पूरा ग्लास खाली कर दिया और खाली ग्लास टेबल पर रख दिया पानी पीने के बाद भी उस शख्स की बैचेनी खत्म नहीं हो रहीं थीं....

    .

    वो शख़्स खुद से बोला ___...मुझे इतनी बेचैनी क्यों हो रहा हैं ......कहीं मेरा कोई अपना तकलीफ़ में तो नही........

    तभी उसके आँख से एक कतरा आंसू बह कर उसके गाल पर लुढ़क गया तभी उसका हाथ अपने दिल पर चला गया जो इस वक़्त तेजी से धारक रहा था .....

    अचानक उसके मुँह से निकला.. जान

    तभी वो शख्स बेड से उठकर अलमीरा के पास आया उसने अलमीरा को खोला

    उसमें से एक रेड कलर का बॉक्स निकाला उसने उस रेड बॉक्स को खोला उसमें एक झुमके की जोड़ी थी उसने उनमे से एक झुमका निकाला और......

    उस झुमके को देखते हुए बोला ___.. बस कुछ वक़्त और इंतज़ार करलो मेरी जान..... उसके बाद तुम मेरे पास मेरी बाहों में होगी..... जनता हूँ बहुत दर्द में हो तुम .......ये मुझे इतनी बेचैनी हो रहीं हैं..... मेरा दिल जो इतनी तेजी से धङक रहा है ......ये इस बात का सबूत है कि मेरी जान दर्द में है.... एक बार तुम मुझे मिल जाओ..... फिर में तुम तक कोई दर्द कोई तकलीफ पहुचने नहीं दूँगा.... हमेशा तुम्हें अपनी बाहों में महफ़ूज़ रखूँगा ये तुमसे एकांश सिंह राजपूत का वादा है मेरी जान .....

    इतना कह कर एकांश ने सच्ची शिद्दत से उस झुमके को चूम लिया जैसे वो झुमका न होकर उसके जान के होंठ हो ......




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  • 3. MERI JAAN - Chapter 3

    Words: 817

    Estimated Reading Time: 5 min

    राजपूत विला
















    एकांश सिंह राजपूत दुनिया का no 1 बिज़नेस मैन और राजपूत इंडस्ट्रीज का सीईओ एकांश ने अपना बिजनेस सिर्फ इंडिया में ही ब्लकि विदेशों में भी फैलाया हुआ है एकांश के साथ के साथ काम करने का हर बिजनेस मैन का सपना होता है क्योंकि जिसने भी एकबार राजपूत इंडस्ट्रीज के साथ काम कर लिया तो तो उसकी कंपनी को ऊचाई पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता था एकांश दिखने में बेहद handsome है, गोरा रंग ,सुन्दर चेहरा उसपे सेट किए हुए दाढी मूछें, समुद्र सी गहरी नीली आंखे पर जिनमे देखने की हिम्मत किसी में भी नहीं है, मस्कुलर बॉडी और डार्क औरे का मालिक है एकांश .हाइट 6 फीट 3inch उम्र 28 साल !

    फिर वो उस झुमके को वापस बॉक्स में रखकर वापस अलमीरा में रख देता है फिर वो वासरूम में चला जाता है दस मिनट बाद अपने जीम के कपड़े पहनकर वापस आता है जीम में अपना वर्कआउट करने चला जाता है जो उस फ्लोर पर था........

    ब्लकि ये पूरा फ्लोर एकांश का प्राइवेट फ्लोर था राजपूत मैंशन पूरे पाँच फ्लोर का है जिसमें से आखिरी यानी पांचवां फ्लोर एकांश का था इस फ्लोर पर एकांश के आलावा किसा का भी आना मना था सिवाय उसके प्राइवेट सर्वेंट के जो अपना काम करके वापस चले जाते थे उसके आलावा किसी का भी आना मना था....



    करीब दो घंटे बाद

    एकांश जीम से वापस आया और वासरूम में चला गया

    आधे घंटे बाद

    एकांश वासरूम से बाहर आया उसने इस वक़्त अपने कमर पर सिर्फ एक वाइट कलर की लपेट रखी थी उसकी मस्कुलर बॉडी पर ठहरी पानी की बूंदे उसे एकदम हाट बना रहीं थीं .......

    एकांश सीधे चेंजिंग रूम में चला गया वहां से ब्लैक थ्री पीस सूट पहनकर आया और ड्रेसिंग टेबल के सामने मिरर के सामने अपने बाल सेट किए शूज पहने फिर अपना फोन पॉकेट में रख ड्रेसिंग टेबल पर रखी हुए अपनी घडी उठाई उसे पहनते हुए रूम से निकल गया एकांश अपने expression less चेहरा के साथ लिफ्ट से नीचे आया .....

    तभी एक लड़की जिसकी उम्र करीब 18 साल होगी उसने ब्लैक टॉप और ब्लू jeans पहनी वो फुदकते हुए आयी और एकांश को hugs करते हुए अपनी प्यारी-सी आवाज में बोली. ____good morning भाई !..

    एकांश ने उसके माथे को चुमते हुए अपनी थोड़ी सॉफ्ट आवाज में उससे बोला __ good morning princess !..

    जिससे सिया के चेहरे पर मुस्कान आ गयी

    introduction

    संध्या सिंह राजपूत(दादी )

    राजवीर सिंह राजपूत( पापा )

    मीरा सिंह राजपूत (माँ )

    विधान सिंह राजपूत(भाई )

    सिया सिंह राजपूत (बहन )

    तभी एक लड़का आया उसने भी एकांश को hugs करते हुए गुड morning विश किया......

    एकांश ने उसे खुद से दूर करते हुए कहा___ तुम दूर से भी morning विश कर सकते हो विधान ......

    उसकी बात सुनकर विधान बोला __पर भाई जब इस चुहिया ने

    ( जिसपर एकांश ने उसे घूरा तो )

    उसने अपनी बात सुधारते हुए कहा__ मेरे मतलब है जब सियु ने आपको hugs करके मॉर्निंग विश किया ....तो आपने ने भी उसके माथे पर किस करके मॉर्निंग विश किया .....और मुझे तो अपने hugs करने भी नहीं दिया.......

    (लास्ट लाइन वो बच्चों के जैसे बोलता है )

    एकांश ने कहा ___क्योंकि तुम मेरी princess नहीं हो........

    इतना कहकर उसने सिया हाथ पकड़ा उसे लेकर डाइनिंग एरिया की तरफ चला गया .......

    वहीं जब विधान ने एकांश की बात सुनी तो वो खुद से बोला _____इसका मतलब मुझे प्रिंसेस

    बनाना होगा तभी भाई मुझे खुद को गले लगाने देंगे .......

    इतना कह कर वो खुद को प्रिंसेस की तरह इमेजिन करने लगा मतलब उसने लड़कियों की तरह ड्रेसिंग की है तो एकांश उसे प्यार से अपने गले लगा रहा है उसके माथे पर किस कर रहा

    पता नहीं क्या-क्या सोचता रहता है ये लड़का 🙄

    विधान अपने ख़यालों में खोया हुआ था कि तभी उसके कानो में सिया की आवाज आई जो उससे कह रहीं थीं___ विधान भाई अगर आपका ख्यालों की दुनिया में खोना हो गया हो तो....... आके नाश्ता कर लीजिए वरना आलू के पराठे ठंडे हो जाएगे !

    वही विधान ने आलू के पराठे सुने उसकी आँखों में चमक आ गयी आख़िर चमक आये भी क्यु नहीं आलू के पराठे उसके फेवरिट जो हैं वो बिना टाइम वेस्ट किए जल्दी से डायनिंग टेबल पर आ कर चेयर पर बैठ गया......

    उसने सिया की प्लेट में मौजूद आलू के पराठे को उठाया और उसे खाते हुए बोला ____वाह क्या पराठे बनाये हैं अपने mom आपको तो शेफ होना चाहिए...... जी तो करता आपके हाथों को चूम लूँ ......

    वो जैसे ही मीरा जी के हाथों को चूमने के लिए बढ़ता है तभी उसके पोसेसिव डैड राजवीर जी मीरा जी को अपनी तरफ खींचते हुए कहते है ___किस तुम अपनी बीवी को करना मेरी बीवी को नहीं!

    उनकी बात सुनकर विधान बोला____ don't be jealous dad मम्मा हैं वो मेरी ...

    उसकी बात सुनकर राजवीर जी बोले___ पहेले बीवी है मेरी हैं फिर तुम्हारी mom ...







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  • 4. MERI JAAN - Chapter 4

    Words: 1146

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजपूत विला

    वही विधान ने जैसे ही सिया की प्लेट से आलू के पराठे उठाए तो सिया के cubby चिक्स गुस्से में फूल गए...... क्योंकि आलू के पराठे जितने विधान के favorite थे..... उससे ज्यादा सिया के थे वो अपनी सारी चीजें शेयर कर सकती थी ..... लेकिन अपने जान से प्यारे आलू के पराठे को बिल्कुल.... नहीं

    वो अपनी नाक फुलाते हुए विधान से कहती है ___हूं विधान भाई आपकी हिम्मत कैसी हुए मेरी प्लेट से आलू के पराठे लेने की अगर आपको पराठे चाहिए तो आप मम्मा से माँग लो ......

    इतना कहकर वो विधान के हाथ में मौजूद आलू के पराठे को लेकर अपने मुँह में डाल लेती हैं जिसकी वज़ह से फ़ूले हुए गाल और फूल जाते है जिसमें वो बहुत क्यूट लग रहीं थीं ..........वही विधान अपने खाली हाथ को देखता जिसमें अभी आलू का पराठा था जिसे सिया ने खा लिया पर जैसे ही विधान सिया के देखता है खासकर उसके फूल हुए गालों को तो उसके होठों पर मुस्कान आ जाती है और .....

    वो उसके chubby cheeks को प्यार से खींचते हुए कहता है___ मेरा आलू.... आलू के पराठे खा- खा कर ....आलू जैसा हो गया है ...

    सिया अपने गालों को विधान से छुड़ाते हुए कहती है__ दर्द होता है विधान भाई!

    तो विधान कहता है __तभी तो खींचता हूँ.... मेरा क्यूट आलू 😍

    एकांश अपनी हेड चेयर पर बैठा न्यूज पेपर पढ़ रहा था तभी मेड आके उसकी ब्लैक काफ़ी रख कर चली जाती है ......एकांश ने जैसे ही कॉफी का कफ उठाने के लिए हाथ बढ़ाता है पर उसका ध्यान न्यूज पेपर में होने की वज़ह से गर्म कॉफी उसके हाथ पर गिर जाती है..... और कप नीचे गिर कर टूट जाता है वही जब सबके कानो में कुछ टूटने की आवाज आती है तो सब एकांश की तरफ देखते हैं... जैसे ही मीरा जी की नजर एकांश के हाथ पर जाती है तो वो तुरंत उसके पास आती है और उसके हाथ को अपने हाथों में लेकर देखती हैं तो उसका हाथ पूरा लाल हो गया था जिसे देखकर उनके आँखों में आंसू आ जाते.....

    वो अपने रुधि आवाज में एकांश से कहती है ____ध्यान कहा हैं आपका एकांश..... कितना जल गया है आपका हाथ !

    जहा सबको एकांश की चिंता हो रही थी सब उसके लिए परेशान हो रहे थे वही इतनी गर्म कॉफी गिरने बाबजूद एकांश के चेहरे पर दर्द की एक शिकन तक नहीं थी उसे देखकर एसा लग रहा था मानो उसे अपने हाथ में कोई जलन ही न मेहसूस हो रहीं हो वो तो बिना किसी भाव के अपने लाल हाथ को देख रहा था तभी उसके कानों में मीरा जी आवाज आयी पर जैसे एकांश ने उनकी आँखों में आंसू देखे

    तो उसने मीरा जी को अपनी पास की चेयर पर बिठाया और उनके आँसू पोछते हुए कहा___ में ठीक हूं MOM .....आप प्लिज रोना बंद कीजिए!

    तो मीरा जी ने कहा__ पर आपका हाथ!

    एकांश एकांश ने कहा___ मेरा हाथ ठीक है MOM ....बस थोड़ा सा जला ठीक हो जाएगा..... पर आप पहले रोना बन्द कीजिये !

    जिसके बाद एकांश ने सबको समझा दिया कि वो ठीक फिर सबने मिलकर नाश्ता किया और निकल गए अपनी मंजिल की तरफ

    राजपूत इंडस्ट्रीज

    एक 70 माले की बनीं बिल्डिंग के सामने करीब दस कार आके रुकी जिनमें से बहुत सारे bodyguards निकले उनमें एक bodyguards ने आके बीच की कार का दरवाजा खोला उसमें से एकांश अपने डार्क औरे के साथ कार से उतरता है एकांश एक नजर उस 70 माले कि बनी बिल्डिंग को देखता जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में राजपूत इंडस्ट्रीज लिखा था ......

    फिर एकांश अपने तेज कदमों से ऑफिस में इंटर करता है उसके ऑफिस में कदम रखते ही पूरे ऑफिस में पिन ड्राप साइलेंट छा जाता है क्योंकि एकांश को अपने ऑफिस में शोर बिल्कुल भी नहीं पसंद था सबने अपना सिर झुका कर एकांश को ग्रीट किया पर एकांश बिना किसी पर ध्यान दिए अपने पर्सनल लिफ्ट की तरफ बढ़ गया ......

    ऑफिस में दो लिफ्ट थे एक employees के लिए दूसरा एकांश का पर्सनल लिफ्ट जिसे use करने की इजाजत किसी को नहीं थी सिवाय उसके P.A के .........

    70 फ्लोर

    एकांश का कैबिन का बहुत बड़ा था उसके कैबिन के कलर का थीम डार्क था उसकी टेबल के पीछे एक बड़ी सी वाॅल थी जो पूरी काँच की थी जिससे पूरे मुंबई शहर नज़ारा दिख रहा था एकांश आगे बढ़ता और ग्लास विंडों पर अपना एक हाथ रखकर मुंबई शहर को देखने लगता है इस वक़्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं उसका चेहरा एक्सप्रेशन लेस था उसकी समुद्र सी नीली आँखें बिल्कुल शांत पर उसके अंदर उतनी ही हलचल थी क्योंकि उसकी बेचैनी अभी भी ख़त्म नहीं हुईं थीं उसे अभी भी बेचैनी हो रहीं थीं तभी किसी ने कैबिन का डोर नाॅक किया ...........

    एकांश ने सामने देखते हुए अपनी सर्द आवाज में कहा __come in

    वही उसकी इतनी सर्द आवाज सुनकर कैबिन के बाहर खड़ा विधान एक पल के लिए डर गया पर उसने खुद को संभाल कर अदर आया ........

    एकांश ने बिना पीछे मुड़े उससे कहा __update !

    एकांश का सवाल सुन के विधान ने डर के मारे अपना सलाईवा गटक लिया क्योंकि एकांश ने उससे जिस बारे में पूछा है उसे उस बारे अभी कुछ भी नहीं पता चला है ....

    जब विधान काफी देर कुछ नहीं कहा तो एकांश पीछे पलटकर उसे देखता है तो विधान किसी ख़्यालों में खोया हुआ था .......

    एकांश उससे से कहता है___ मैंने तुमसे कुछ पूछा है विधान.!

    एकांश की आवाज सुनकर विधान अपने ख्यालों से बाहर है और कहता है _भाई में कोशिश ......

    अगले पल कुछ टूटने की आवाज तो विधान ने कसकर अपनी आँखे मीच ली उसने धीरे से अपनी आंखें खोली जमीन पर टूटे हुए फ्लॉवर वास को देखा जो एकांश के गुस्से का शिकार हो गया था उसने धीरे से अपना सिर उठा कर एकांश को देखा जो अपनी गुस्से भरी नजरों से उसे घूर रहा था ......

    एकांश उससे कहता है ___ डेढ़ साल पिछले डेढ़ से मैं यही सुनता आ रहा हूँ .....कि तुम कोशिश कर रहे हों..... तुम मुझे एक लड़की की इंफॉर्मेशन नहीं दे पाये अभी तक ....किस काम की है ये तुम्हारी हैकिंग....जो तुम एक लड़की का पता नहीं लगा पाये !

    विधान बोला ___भाई इसमें मैं क्या करूं किसी भी फुटेज में उनका चेहरा साफ नहीं आ रहा है..... उन्होंने अपने face को स्कार्फ से कवर किया हुआ अगर किसी फुटेज में उनके चेहरे से स्कार्फ हटा भी है तो कैमरे की तरफ उनकी पीठ है...... किसी में भी से उनका चेहरा साफ नहीं दिख रहा है..... आप ही बताइए में बिना उनका चेहरा देखे आपको उनके बारे में कोई गलत इंफॉर्मेशन कैसे दे सकता हूँ !

    एकांश ने कहा__ दो हफ्ते का टाइम देता हूं में तुम्हें .....अगर तुमनें मुझे इन दो हफ्तों में मुझे मेरी doll की कोई इंफॉर्मेशन लाके नहीं दी ....तो तुम ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए तैयार रहना...... आउट

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  • 5. MERI JAAN - Chapter 5

    Words: 978

    Estimated Reading Time: 6 min

    ab आगे





    विधान चुपचाप से कैबिन से बाहर चला जाता है क्योंकि वो जनता था अगर उसने एकांश को उसकी doll कोई इंफॉर्मेशन नहीं लाके दी तो एकांश उसे सच में ऑस्ट्रेलिया भेज देगा और वो वहाँ बिल्कुल भी नहीं जाना चाहता है !

    कैबिन के अन्दर एकांश आँखें बंद कर के एक गहरी साँस लेता जैसे अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा हो एकांश अपनी चेयर पर बैठ जाता है उसने अपने शर्ट की पॉकेट में से एक झुमका निकाला ये वही झुमका है जिससे सुबह वो बात कर रहा था .......

    उसने उस झुमके को देखते हुए कहा__ अब और इंतजार नहीं होता जान ....बहुत तड़पा रही तुम मुझे..... तड़पालो जितना तुम्हें मुझे तड़पना है ..... जिस दिन तुम मुझे मिली न उस मैं अपनी हर एक तड़प का हिसाब तुमसे सूत समेत लूँगा !

    इतना कहकर उसने उस झुमके को अपने सीने से लगा लिया और अपना सिर चेयर के पीछे टीका लिया आँखें बंद करते ही उसके सामने आंसू भरी दो खूबसूरत हरी आ गयी उसने अपनी आँखे खोली नहीं थी उसने वैसे ही अपनी आखें बंद रखी थी थोड़ी देर बाद उसने अपनी आँखे खोली और उस झुमके को टेबल के पास ही रख दिया और laptop ओपेन करके अपना ऑफिस का काम करने लगा !













    दोपहर का वक़्त

    शर्मा हाउस

    अधीरा ने घर का सारा काम कर लिया था पर अभी उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी थी क्योंकि रात भर ठंडे फर्श पर सोने की वज़ह से और कामिनी ने उसके ऊपर जो ठंडा पानी डाला था उसकी वज़ह से उसे अब बुखार चढ़ने लगा था उसे अपने शरीर में बेहद दर्द हो रहा था .....

    ऊपर से उसने कल रात से कुछ भी नहीं खाया था जिसकी वजह से उसे चक्कर भी आ रहे थे इसके पीछे भी रश्मि का ही हाथ था.....

    फ्लैशबैक

    रात का वक़्त

    शर्मा हाउस में सब खाने के लिए डायनिंग टेबल पर बैठे हुए थे अधीरा ने सब की प्लेट में खाना परोसा और एक साइड में खड़ी हो गई क्योंकि उसे सब के साथ मे खाने की इजाजत नहीं थी अधीरा सब के खाने के बाद खाती थी कई बार तो उसके खाने के लिए कुछ भी नहीं बचता था वो सिर्फ पानी पी सो जाया करती थी ...

    इंट्रोडक्शन

    राजीव शर्मा (चाचा )

    कामिनी शर्मा( चाची )

    समर शर्मा(भाई )

    रश्मि शर्मा (बहन )

    शर्मा हाउस

    रश्मि ने अधीरा को देखा उसे देखकर उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट आ गयी उसने सब्जी रोटी का एक निवाला खाया और एसे रिऐक्ट किया जैसे सब्जी में कितनी ज्यादा मिर्च हो जब कि एसा कुछ भी नहीं था जब अधीरा ने कहा उसने सब्जी में मिर्च रोज जितनी डाली है .........

    तो कामिनी ने कहा__ अब तू जुबान चलायेगी.... तेरे कहने का क्या मतलब है मेरी रश्मि झूठ बोल रही है..... मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ तू उसकी खूबसूरती से जलती हैं .....इसलिए तू हमेशा उसे नुकसान पहुंचाती रहती है... रुक तू आज मैं तेरी खाल खीच लुंगी!

    इतना कह कर कामिनी वहा मौजूद डंडे से अधीरा को मारने लगी जिससे डायनिंग टेबल पर अधीरा की दर्दनाक चीखें गुजने लगी पर अफसोस वहा पर मौजूद किसी भी शख्स को उसकी चीखो से कोई मतलब नहीं था ब्लकि वो लोग खुद उस मासूम को दर्द देते थे पता नहीं उन लोगों को एसा क्या मिलता था वो लोग उस नन्ही सी जान को इतना दर्द देते थे.......

    लगभग आधे घंटे तक अधीरा को डंडे से मारने के बाद कामिनी ने उस डंडे को वही साइड में फेंक फिर वहा से चली गयी वही कामिनी के मरने की वज़ह अधीरा की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गयीं थी उसके कपड़े जगह जगह से फट चुके थे फिर भी उन जालिमों को मासूम सी बच्ची पर ज़रा सा भी तरस नहीं आया !

    अधीरा खुद को संभलते हुए अपने रूम में आयीं और ठंडे फ़र्श पर बिना कुछ बिछाये एसी ही लेट गयी और सिसकते हुए बोली__ मम्मा पापा आप दोनो अधीरा को छोड़ कर क्यू चले गए.... प्लीज आप लोग वापस आ जाओ और हमे भी अपने साथ ले चलो ......अधीरा को यहां नहीं रहना यहा सब अधीरा को बहुत मारते हैं .....कोई हमसे प्यार नहीं करता.... अगर आप लोग होते तो हमे बहुत सारा प्यार करते ....तब कोई अधीरा को नहीं मारता ...नहीं रहना हमे यहा नहीं हमे आप दोनों के पास आना है.... हमे भी अपने साथ ले चलो एसे ही रोते रोते अधीरा की आँख लग जाती हैं

    फ्लैशबैक एंड

    अधीरा जैसे तैसे खुद को संभालते हुए रूप में आयी पर अब उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी कि वो खुद को और सम्भाल पाए दर्द और भूख की वज़ह उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी जिसकी वजह से वो बेहोश होकर जमीन पर गिर गयी !

    थोड़ी देर बाद कामिनी अधीरा के रूम में आई उसे इस तरह सोता देख गुस्सा हो गई और वो गुस्से से देखते हुए बोली __हे भगवान क्या करूं मैं इसका जब देखो तब ये महारानी आराम ही करती रहती है ...बस दिन भर मुफ्त का खाना ,पीना और सोना इसके अलावा कुछ नहीं आता इस लड़की को.... पैसे तो जैसे इसके माँ बाप छोडकर गए हैं न इसके लिए ....ऐ चल उठ तू कही की प्रिंसेस नहीं है कि जो मन में आयेगा वो करेगी कभी भी सो जाएगी !

    कामिनी अधीरा को उठा रहीं पर अधीरा अपनी पालके भी नहीं झपका रहीं थीं अखिर उठती भी कैसे बेहोश जो थी वो तभी कामिनी ने जैसे अधीरा का हाथ पकड़ा तो उसकी आँखें बड़ी हो क्योंकि अधीरा की बॉडी आग की तरह जल रहीं थीं !

    कामिनी ने अधीरा की तरफ देखते हुए कहा__ इसका शरीर तो आग की तरह जल रहा बहुत तेज बुखार है इसे.... पर मुझे क्या हर दूसरे दिन तो इसको बुखार आ जाता पडी रहे एसे ही!

    इतना कह कर वो अधीरा को एसे ही बेहोश हालत में छोडकर रूम से चली गईं!

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  • 6. MERI JAAN - Chapter 6

    Words: 985

    Estimated Reading Time: 6 min

    राजपूत इंडस्ट्रीज

    एकांश अपने लैपटॉप में ऑफिस का काम कर रहा था उसकी मोटी उंगलियां लैपटॉप के कीबोर्ड पर तेजी से चल रही थी इस वक़्त वो बेहद हैंडसम लग रहा था उसके शर्ट के ऊपर के तीन बटन खुले हुए थे जिससे उसका सख्त सीना साफ दिख रहा था उसने अपने शर्ट के सिल्व कोहली तक फोल्ड किया हुआ था उसकी हाथ की उभरी हुई हरी नशे साफ दिख रही थी उसके सिल्की बाल माथे पर बिखरे हुए थे उसने अपने कोट को चेयर के पीछे टांग रखा था!

    तभी किसी कैबिन का डोर नाॅक किया एकांश लैपटॉप में अपना करते हुए अपनी सर्द आवाज में कहा __come in

    तो डोर ओपन करके उसका पीए वीर आया उसने आके एकांश को ग्रीट फिर उससे बोला__ सर आज पाँच बजे आपकी मिस्टर बिरला के साथ मीटिंग है.!

    एकांश अपने हाथ में पहने घड़ी में देखा जिसमें अभी चार बज रहे थे एकांश उससे कहता है __ठीक है तुम मुझे आधे घंटे बाद फिर से इंफॉर्मेम कर देना!

    वीर.. जी सर



    वीर कैबिन से चला जाता है तभी एकांश को फिर से बेचैनियों ने खेर लिया कैबिन में AC चलने के बाद भी उसका पूरा चेहरा पसीने में भीग गया था उसे साँस लेने में दिक्कत होनी लगी जिसकी वजह से उसने अपने शर्ट के दो बटन और खोल दिए और अपने दिल पर हाथ रख कर कैबिन में इधर उधर घूमने लगा !

    तभी कैबिन का डोर ओपन करके एक शख्स आया जिसकी उम्र एकांश जितनी ही थी उसने जब एकांश को एसे देखा तो वो घबरा गया!

    वो एकांश के पास आया और से पूछा__ एकांश क्या हो रहा है तुम्हें तुम ठीक हो ना !

    एकांश ने कुछ नहीं कहा वो आके सोफ़े पर बैठ जाता है और अपना चेहरा अपने हाथों में थाम लिया !

    अक्षत उसकी पीठ सहलाते हुए बोला __क्या हुआ तुझे एकांश.. तू ठीक तो है न मेरे भाई !

    एकांश__मैं ठीक नहीं हूँ अक्षत ...मुझे बहुत घबराहट हो रहीं हैं मेरे सीने में बहुत दर्द हो रहा है (घबराते हुए )

    मेरी जान वो ठीक नहीं है अक्षत उसे मेरी जरूरत है .....तभी मुझे इतनी बेचैनी हो रहीं हैं... वो बिलकुल भी ठीक नहीं है !

    अक्षत__ रिलैक्स एकांश वो ठीक होगी... कुछ नहीं हुआ है उसे ..तू कुछ ज्यादा सोच रहा है तू पहले पानी पी तुझे अच्छा लगेगा !

    इतना कह कर अक्षत पानी का ग्लास एकांश की तरफ बढ़ा देता है एकांश

    पानी का ग्लास लेके एक ही बार में सारा पानी पी जाता है और सोफ़े पर अपना सिर टिकाकर अपनी आँखें बंद कर लेता है उसके आँख के कोने से दो बूंद आंसू निकल कर सोफ़े पर बह जाता है

    एकांश__ प्लिज मेरी जान खुद का ध्यान रखो मेरे लिए... में बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ .. मुझे पता है बच्चा तुम दर्द में हो ...पर जब तक तुम मुझे मिल नहीं जाती तब तक खुद को सम्भाल कर रखो मेरी जान फिर लूँगा !

    वही एकांश की एसी हालत देख अक्षत की भी आँख नम हो जाती हैं.. क्योंकि उसने एकांश को कभी किसी के लिए इतना तड़पते हुए नहीं देखा जितना उसने एकांश को इन डेढ़ साल में देख लिया एकांश अपने परिवार और दोस्तों के लिए एक ढाल की तरह था उसके रहते कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता था !

    अक्षत अपने आँसुओं को अपने आँखों में ही रोकते हुए एकांश की तरफ देखते हुए अपने मन में कहता है __प्यार भी क्या चीज़ है ना... पत्थर दिल इंसान को भी पिघला देता है ....जिस इंसान को प्यार शब्द से नफरत थी आज वही किसी के प्यार में इस हद तक पागल हो गया है उसके लिए इतना तड़प रहा है ... उसके दर्द को महसूस कर आंसू बहा रहा है ....प्लीज़ तुम जहां कहीं भी हो एकांश की जिंदगी में आ जाओ बहुत तड़प रहा है वो तुम्हारे लिए!

    आधे घंटे बाद

    इस वक़्त एकांश मीटिंग रूम में मौजूद अपनी हेड चेयर पर बैठा था वो एक सामने प्रोजेक्टर में चल रही प्रेजेंटेशन देख रहा था इस वक़्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे !

    करीब दो घंटे बाद मीटिंग खत्म होती है एकांश मीटिंग खत्म होते ही सीधा राजपूत विला चला जाता है क्योंकि उसका ऑफिस में रुकने बिल्कुल मन नहीं था और वैसे भी ऑफिस hour's भी खत्म हो गया था एकांश की कार आके राजपूत विला रुकती है एक बॉडीगार्ड आकर उसके कार का गेट खोलता है उसमें एकांश उतरता है सीधे विला के अन्दर चला जाता है .......

    एकांश जब अन्दर आता है तो देखता है सिया विधान एक-दूसरे के बाल खीच रहे थे एकांश को देखते ही सिया विधान के बालों को छोडकर दौड़कर जल्दी से एकांश के सीने से लग जाती हैं एकांश भी सिया के माथे पर किस करके उसे अपने सीने से लगा लेता है !

    एकांश सिया के छोटे से चेहरे की अपनी सीने से निकाल कर देखता है तो उसके बालों थोड़े बिगड़े हुए थे उसका चेहरा भी थोड़ा लाल था जिससे वो थोड़ी क्यूट और थोड़ी फनी लग रहीं थीं !

    एकांश सिया से पूछता है __प्रिंसेस ये क्या हालत बना रखी है तुमने अपनी.. तुम्हारे बाल इतने बिखरे हुए क्यूँ है!

    बस एकांश के ये पूछने भर की देरी थी सिया के आँखों में मोटे मोटे आंसू जमा हो अगले पल वो दहाड़ मार कर रोने लगी वही उसे रोता देख एकांश घबरा गया क्योंकि सिया के आंसू उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी!

    उसने सिया के चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए कहा __ क्या हो गया बच्चा.. तुम रो क्यूँ रहीं हो ...किसने की तुम्हरी ये हालत !

    सिया ने सुबकती हुए अपनी छोटी सी उंगली विधान की तरफ पॉइन्ट कर दी एकांश विधान की तरह तो उसके बालों का चिड़िया का घोसला बना हुआ था वही सिया की उंगली खुद की तरफ पाके उसकी तो सिट्टी पट्टी गुल हो गयी अब वो पछता रहा था... कि क्यूँ उसने इस छोटी शैतान से पंगा लिया !




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  • 7. MERI JAAN - Chapter 7

    Words: 971

    Estimated Reading Time: 6 min

    फ्लैशबैक

    सिया मीरा जी गोद में सर रख कर लेटी थी और उनके गले में पहने बड़े से मंगलसूत्र के साथ खेल रहीं थीं और मीरा जी उसके बालों को सहला रहीं थीं !

    वही विधान अपनी दादी के गोद में सर लेटा था और उनसे एकांश की शिकायत कर रहा था विधान___ दादी आपको पता एकांश भाई मुझसे ऑफिस में कितना काम कराते हैं ...उन्हें मुझ मासूम बच्चे पर जरा सा भी तरस नहीं आता... आप ही बताइए अभी तो मेरे खेलने कूदने के दिन है... फिर भाई मुझसे ढेर सारा काम कराते हैं और उन्होंने मुझे धमकी दी है... अगर मैंने उनका दिया हुआ काम नहीं किया तो वो मुझे ऑस्ट्रेलिया भेज देंगे !

    इतना कह कर वो एकांश की शिकायत उनसे करने लगा जैसा एकांश कितना ज्यादा जुल्म उस पर किया हो वही सिया विधान की बात सुनी तो उसका छोटा सा चेहरे पर गुस्सा दिखने
    सिया विधान की बात सुनी तो उसका छोटा सा चेहरे पर गुस्सा दिखने लगा क्योंकि वो अपने एकांश भाई के बारे में एक

    गलत शब्द नहीं सुन सकती थी क्योंकि वो एकांश से बहुत प्यार करती थी एसा नहीं था कि विधान से प्यार नहीं करती वो विधान से भी बहुत प्यार करती उसका रिश्ता विधान के साथ टॉम और जेरी जैसा था पर एकांश के उसका बॉन्ड बहुत अलग था एकांश के लिए सिया उसकी बहन न होकर उसकी बेटी जैसी थी एकांश सिया को अपनी बेटी ही मानता है !

    अगर गलती से भी कोई उससे एकांश के बारे में कुछ बुरा बोल दे तो छोटी सी सिया उसे उसकी नानी याद दिला दिया करती थी आज नानी याद करने की बारी विधान की थी!

    सिया अपनी आँखे छोटी करके विधान को घूरते हुए बोली__ झूठ मत बोलिए भाई .. मुझे पता है जरुर अपने ही कुछ किया होगा तभी भाई आपको ऑस्ट्रेलिया जाने की पनिशमेंट दे रहे हैं... क्योंकि मुझे पता मेरे एकांश भाई बिना किसी गलती के पनिश नहीं करते हैं !

    विधान__ तभी में सोचूँ अभी तक भाई की चमची ने कुछ कहा क्यूँ नहीं !

    वही सिया ने जब अपने लिये चमची सुना तो उसका चेहरा गुस्से लाल हो गया !

    सिया ___विधान भाई अपने मुझे चमची कहा में आपको छोड़ेंगी नहीं !

    इतना कर वो विधान के बालों को अपने नन्हें नन्हे हाथो से खींचने लगी तो विधान भी सिया के बालों को अपने हाथों से खींचने लगा था हालाँकि उसने अपने ताकत के एक पर्सेंट भी use किया था क्योंकि अगर वो अपने ताकत का एक पर्सेंट भी use करता सिया का एक भी बाल टूट कर उसके हाथ में आ जाता और सिया उन्हें देख लेती तो वो विधान की टकला करके छोड़ती !

    फ्लैशबैक एंड

    एकांश से विधान से बोला __प्रिंसेस को सॉरी बोलो विधान !

    तो विधान सिया को सॉरी बोलने में ही अपनी भलाई समझता है !

    विधान__ सॉरी चुह सियु !

    सिया __थोड़े अच्छे से बोलिए !

    विधान अपने दोनों हाथ जोड़कर अपना सिर सिया के सामने थोड़ा झुका कर कहता __सिया माते कृपया करके मुझ जैसे तुच्छ मनुष्य को क्षमा कर दीजिए... मैंने आप जैसी देवी से इस तरह का व्यवहार किया ...मैं अपनी की गयी भूल की आपसे क्षमा माँगता हूँ!

    वही उसके एसे बोलने सबको हँसी आ गयी थी !

    सिया भी विधान से उसी तरह से बोली ___ हमारा हृदय बहुत बड़ा है इसलिए हम आपको क्षमा करते पर एक शर्त पर

    विधान__ कैसी शर्त !

    सिया मुस्कराते हुए बोली__ आपको मेरे पैर दबाने होगे !

    विधान अपनी आंखें छोटी करके सिया से बोला __ चुहिया तुझे तो मैं

    इसके आगे के शब्द उसके मुँह में रह गये क्योंकि एकांश उसे अपनी खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था!

    तो विधान ज़बर्दस्ती मुस्कराते हुए बोला __जरूर देवी सिया आइए आके इस सोफ़े पर लेट जाइए... ताकि मैं आपके पैरों को दबा सकूँ!

    सिया अपने बालों को स्टाइल से झटकते हुए आके सोफ़े पर लेट जाती हैं विधान भी आके सोफ़े पर बैठ जाता है और सिया के पैरों को अपनी गोद में रखकर हल्के हल्के से उसके पैर को दबाने लगता है !

    विधान सिया के पैरों को उंगलियों को छूटे हुए कहता है __सियु में तो तुझे चिढ़ाने के लिए चुहिया कहता हूं.. पर तू तो सच मे चुहिया जैसी तेरे पैर कितने छोटे है कितने सॉफ्ट है !

    इतना कहकर विधान सिया के पैर के तलवों पर उँगली चलने लगता है जिससे सिया को गुदगुदी हो रही थी वो अपने पैरों को खींचते हुए बोली __ विधान भाई मत कीजिये गुदगुदी हो रही है !

    विधान उसके दोनों पैरों को पकड़कर गुदगुदी करने लगता है जिससे सिया खिलखिला के हसने लगती उसकी खिलखिलाने की आवाज पूरे हॉल में गूँजने लगती है जिससे सबके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है यहा तक कि एकांश के एक्सप्रेशन लैस चेहरे पर भी छोटी सी मुस्कान आ जाती है !

    मीरा जी एकांश के पास आते हुए बोली__ एकांश बेटा आज आप बहुत जल्दी आ गये !

    मीरा जी ने एकांश से इसलिए ये सवाल किया क्योंकि एकांश कभी भी ऑफिस से इतनी जल्दी घर नहीं आता था भले ऑफिस hour's क्यु ना खत्म हो जाए वो हमेशा लेट घर आता था !

    एकांश__ हाँ MOM आज ऑफिस में ज्यादा काम नहीं था तो सोचा जल्दी घर आ जाऊँ !

    मीरा __बहुत अच्छा किया अपने जाइए जाके फ़्रेश हो जाइए.. तब तक हम आपके लिए आपकी ब्लैक कॉफी बनाते हैं !

    जिसके बाद एकांश फ़्रेश होने के लिया अपने रुम में चला जाता है बीस मिनट बाद एकांश फ़्रेश होके नीचे आता और सोफ़े पर बैठ जाता है मीरा जी उसे उसकी ब्लैक कॉफी देती हैं एसे ही डिनर का टाइम हो जाता सब साथ मे मिलकर डिनर करते हालाँकि एकांश का खाने का मन बिल्कुल भी नहीं था पर उसने मीरा जी के लिया थोड़ा सा खा लिया था !

    उसके सब अपने रूम में सोने के लिए चले !



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  • 8. MERI JAAN - Chapter 8

    Words: 988

    Estimated Reading Time: 6 min

    एकांश का रूम ......

    एकांश इस वक़्त बाल्कनी में खड़े था वो एक टक बिना किसी इमोशन के चाँद को देख रहा था नहीं नहीं ...खूर रहा था क्योंकि उसका मानना था उसकी जान इस चाँद से ज्यादा खूबसूरत हैं क्योंकि जिसकी आँखे इतनी खूबसूरती हैं उसका चेहरा कितना खूबसूरत होगा थोड़ी देर बाद एकांश कमरे में आता है और लैपटॉप लेके सोफ़े पर बैठ जाता है और अपना ऑफिस का काम करने लगता है क्योंकि उसे नींद बहुत कम आती थी इसी तरह धीरे-धीरे रात गुजरने लगी यहां एकांश की रात जाग कर गुजरी तो वही अधीरा की रात बेहोशी में गुजरी !

    इसी तरह एक हफ्ते बीत गए इन एक हफ्ते में कुछ भी नहीं बदला ना ही अधीरा की तकलीफें कम हुई न ही एकांश की बेचैनी अधीरा की हालत अब थोड़ी ठीक थी उसके शरीर पर जो ज़ख्म थे वो भी ठीक हो गये थे क्योंकि अधीरा ने उनका घरेलु उपचार कर लिया था!




    एक हफ्ते बाद

    सुबह का वक़्त

    शर्मा हाउस

    अधीरा इस वक़्त किचन में थी और सबके लिए नाश्ता बना रहीं थीं कामिनी और रश्मि हॉल सोफ़े पर बैठे बात कर रही थी आज संडे था तो कॉलेज की छुट्टी थी

    तभी रश्मि कामिनी से बोली___ मम्मी हम कब तक इस मनहूस को पालेंगे ...किसी काम की तो ये है नहीं बस हम मुफ़्त में इसे पाल रहे हैं !

    कामिनी__ बस छह महीने और एक बार ये उन पेपर्स पर साइन कर दे फिर तो मैं इसे धक्के मार के इस घर से बाहर निकाल दूंगी !

    वहीं रश्मि जैसे जैसे कामिनी की बात सुन रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान आ रही थी पर वो मुस्कान एक शैतानी मुस्कान थी जिसका साफ मतलब था कि वो अधीरा के कुछ बहुत बुरा करने वाली है ...

    राजपूत इंडस्ट्रीज

    एकांश का कैबिन

    एकांश इस वक़्त लैपटॉप में अपना काम कर रहा था तभी कैबिन का डोर ओपन हुआ एक शख्स बिना एकांश की परमिशन के अन्दर आया एकांश ने अपना सर उठाने की जहमत नहीं की क्योंकि उसे पता था बिना उसकी परमिशन के उसके कैबिन में आने की हिम्मत सिर्फ एक ही इंसान में है वो है अक्षत

    अक्षत आके टेबल के सामने लगी चेयर पर बैठ गया एकांश अपनी नजरे लैपटॉप में बनाए हुए उससे कहता है __यहा आने की कोई खास वज़ह!

    अक्षत___ हाँ वो मिस्टर सिंघानिया तुझसे डील के सिलसिले में मिलना चाहते हैं इसलिए उन्होंने sunshine क्लब में मीटिंग रखी है !

    एकांश उसे देखते हुए कहता है __पर उस डील को तो तू हैंडल करने वाला था ना!

    अक्षत __मिस्टर सिंघानिया चाहते हैं की तू इस डील को कर क्योंकि वो इस डील के बाद इंडिया हमेशा के लिए छोड देंगे.... और तुम जानते हो मिस्टर सिंघानिया हमारे पुराने बिजनेस पार्टनर है इसलिए में उन्हें चाहकर भी मना नहीं कर पाया.!

    एकांश ने कुछ सोचते हुए कहा __ okay... कितने बजे हैं मीटिंग !

    अक्षत __सात बजे !

    मैंने आप सब अक्षत के बारे बताया नहीं चलिए इनके बारे में भी जान लेते हैं इनका पूरा नाम अक्षत कपूर .... कपूर इंडस्ट्रीज के एक लौते मालिक ये भी दिखने में एकांश की तरह बेहद handsome है गोरा रंग ,भूरी आँखें, मस्कुलर बॉडी, हाइट 6feet 3inch, उम्र 27... ये भी राजपूत इंडस्ट्रीज के बाद कपूर इंडस्ट्रीज दुनिया में नंबर दो की पॉजिशन पर है ये एकांश के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बिजनेस मैन है अक्षत और एकांश बचपन के दोस्त है इनकी बहुत ज्यादा गहरी है !

    एकांश की तरह ये भी किसी से बेहद मोहब्बत करते हैं पर कभी उसके सामने जाहिर नहीं करते ...पर ये जिस शख्स से मोहब्बत करते हैं वो भी इनसे बहुत प्यार करता हैं बस फर्क़ इतना है वो हमेशा इनसे अपने प्यार का इजहार करता है और ये हमेशा उसे नकार देते हैं ....अक्षत जब दस साल का था तभी इनके मम्मी पापा की मौत एक कार एक्सिडेंट में हो गयी थी तब से अक्षत एकांश के साथ उसके घर में ही रह रहा उन दोनों के मम्मी पापा बचपन के दोस्त थे जब अक्षत के ममी पापा की मौत हुई तो तब राजवीर जी और मीरा जी अक्षत को अपने साथ राजपूत विला ले आए थे उन्होंने कभी अपने तीनों बच्चों और अक्षत में कोई भेदभाव नहीं किया उनके जैसे अपने बच्चे थे वैसे अक्षत भी था !

    शर्मा हाउस

    रश्मि तैयार होकर हॉल में आती हैं कामिनी जो हाल बैठी टीवी देख रही थी वो रश्मि को देख कर बोली __रश्मि बेटा कही जा रहीं हो तुम !

    रश्मि __हाँ मम्मी वो मेरी दोस्त का birthday तो वही जा रही हूँ !

    कामिनी _अच्छा ध्यान से जाना और अपना ख्याल रखना

    इतना कहकर उसने अपना ध्यान वापस टीवी में लगा लिया

    तभी अधीरा हॉल में आती है उसे देखकर तो रश्मि अन्दर तक जल जाती है क्योंकि अधीरा लग ही रही थी इतना खूबसूरत अधीरा ने एक सिम्पल सा डार्क

    ग्रीन कलर का अनारकली सूट पहन था और अपने लंबे बालों की चोटी बनाई थी इसके अलावा न उसने कोई मेकअप किया था न ही कोई ज्वैलरी पहनी थी फिर भी वो बला की खूबसूरत लग रहीं थीं ......

    वही रश्मि जिसने एक रेड कलर का थाई लेथ की शॉर्ट ड्रेस पहन था चेहरे पर भरकर मेकअप किया था इसके बावजूद भी रश्मि अधीरा के सामने कुछ भी नहीं लग रही थी रश्मि की अधीरा से नफरत करने की एक वज़ह ये भी थी अधीरा का खुबसूरत होना ....

    रश्मि अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए अधीरा से बोली __तैयार हो गयी हो तुम !

    अधीरा ने प्यारी सी मुस्कान के साथ अपना सिर हाँ मे हिलाया अधीरा आज काफी खुश थी क्योंकि इतने सालों में पहली बार रश्मि ने उससे इतने प्यार से बात की थी पर उस मासूम को क्या पता था उसकी इस मुस्कान के पीछे उसके लिए कितनी नफ़रत थी और आज तो वो अपनी इसी नफरत की वजह से अधीरा के साथ कुछ एसा करने वाली है जो अधीरा के लिए बेहद बुरा था

    !

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  • 9. MERI JAAN - Chapter 9

    Words: 1030

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे.......











    रश्मि अधीरा से बोली ___तू तैयार है तो हम चले वरना पार्टी के लिए लेट हो जाएंगे !

    वही अधीरा को रश्मि के साथ जाते देख कामिनी की आँखें छोटी हो गयी वो अधीरा को घूरते हुए रश्मि से बोली _^रश्मि बेटा तुम इस मनहूस को अपने साथ क्यूँ लेकर जा रही हो

    उसकी बात सुनकर रश्मि घबरा गई पर उसने अपनी घबरा हट छुपाते हुए बोली__ मम्मी अगर मुझे वहा चाहिए होगा तो ये लाके देगी ना मुझे

    कामिनी __तू पहले भी कई बार पार्टीज गई है इसे तो कभी नहीं लेके गयी फिर आज क्यू लेकर जा रही है !

    रश्मि__ आज मेरी फ्रेंड का बर्थडे है वो बहुत अमीर है इसलिए उसने क्लब बहुत बड़ी पार्टी रखी है ....और मुझे कुछ चाहिए होगा तो मैं अपने से थोड़ी ना लेने जाऊँगी ....इसलिए इसे साथ लेकर जा अगर मुझे चाहिए होगा तो ये मुझे लाके देगी !

    कामिनी __तो फिर लेकर जा इस मनहूस को अपने साथ... वैसे भी ये है ही इस लिए !

    वही अधीरा जो उन दोनों की बात सुनकर रही थी उसका खिला हुआ चेहरा उनकी बात सुनकर पूरी तरह से मुर्झा गया था उसके चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी पर इससे उन माँ बेटी को कोई फर्क़ पड़ने था ....बिलकुल भी नहीं !

    रश्मि अधीरा के साथ घर से बाहर आयी उसने अधीरा के चेहरे को देखा उसके छोटे से चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी उसे एसे उदास देख कर

    वो अपने मन में बोली _^अगर ये एसे उदास रहेगी तो मैं अपना काम कैसे करूंगी उसके लिए मुझे इसे मनाना होगा !

    रश्मि अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए अधीरा से बोली __तू उदास क्यु हो रही हैं अधीरा मैंने मम्मी से वो सब इसलिए कहा ताकि वो तुझे मेरे साथ जाने परमिशन दे तू तो जनती है ना मम्मी तुझे जल्दी घर से बाहर नहीं निकलेगा देती हैं !

    जिसपर अधीरा ने अपना सिर हाँ में हिलाया हाँ ये बात सच थीं कामिनी अधीरा को घर से बाहर नहीं जाने देती थी जब घर का कोई समान लाता होता था तभी वो अधीरा को घर से बाहर जाने की परमिशन देती थी वारना अधीरा हमेशा घर में ही रहती थी!




    sunshine club

    मुंबई का सबसे आलीशान क्लब जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था, इस वक्त सभी लड़के और लड़कियां मिलकर एक -दूसरे के साथ डांस कर रहे थे । चारों तरफ म्यूजिक सुनाई दे रहा था । और इन सबके बीच क्लब की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ यह एक बहुत ही शानदार क्लब था, जहां पर सिर्फ हाई-क्लास और हाई -प्रोफाइल के लोग ही आ सकते थे। यहां कोई कुछ गलत करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि इसकी सिक्योरिटी बहुत ज्यादा टाइट थी। यह क्लब अलग -अलग हिस्सों में बंटा हुआ था। मीटिंग के लिए भी इस पूरे शोर से दूर शांत कमरे बने हुए थे । वह पूरा एरिया मीटिंग एरिया था, जहां पर किसी भी तरह का शोर सुनाई सुनाई नहीं देता था उसमें से एक प्राइवेट एरिया में पार्टी मनाई जा रही थी। कोई ड्रिंक कर रहा था, कोई डांस कर रहा था, और कुछ लोग बातें कर रहे थे

    इसी क्लब में रश्मि अधीरा के साथ इंटर करती है वो अधीरा को लेकर एक तरफ जाती है जहां छह लड़कों और लड़कियों का एक ग्रुप था वो सबके सब अमीर बाप की बिगड़ी हुए औलादें थे जिन्हें अपने बाप के पैसे खर्च करने के अलावा कोई काम नहीं था उनमें से लड़कियों ने हद से ज्यादा शॉर्ट ड्रेस पहनी हुए थी जो उनके शरीर को ना के बराबर ढक रहा था उनके प्राइवेट पार्ट भी साफ शो हो रहे थे साथ मे अपने चेहरे पर भर-भर कर मेकअप किया हुआ था

    उनमे से एक लड़की ने अधीरा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए रश्मि से बोली__ rash बेबी ये तुम किस बहन जी को अपने साथ लेकर आयी हो क्या तुमने इसे बताया नहीं तुम क्लब जा रही न कि मंदिर !

    इतना कहकर वो अधीरा पर हसने साथ में उसके दोस्त भी

    ये लड़की रश्मि की दोस्त रिया है जिसका आज birthday हैं और ये पार्टी भी इसी ने रखी है !

    वो सब लोग अधीरा का मजाक उड़ा रहे थे उस पर हँस रहे थे सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने उन सब तरह शॉर्ट ड्रेस ना पहन कर... आनरकली पहन था वो उन लड़कियों की तरह अपना बदन दिखा नहीं रही ब्लकि... अपने शरीर को ढका था वही मासूम अधीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो तो मासूमियत से उन सबको अपनी बड़ी-बड़ी हरी आंखों से देख रहीं थीं इस वक़्त उसके छोटे से चेहरे पर confusion साफ दिख रहा था कि क्यु ये सब उसपे हँस रहे हैं !

    उनमें एक लड़का अधीरा के पास आया उसने अधीरा को गंदे तरीके से ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा __ स्वीटहार्ट तुम्हारा नाम क्या है !

    अधीरा अपनी मीठी आवाज में बोली _अधीरा..

    वो लड़का बोला___ उफ्फ कितनी मीठी आवाज है एसा लग रहा है जैसे चाशनी में डूबो कर अपना नाम बताया हों !

    उसने ये बात बहुत ही गंदे तरीके से बोली थी वो अधीरा को बहुत ही गंदे तरीके से देख रहा था जिससे अधीरा काफी असहज महसूस कर रही थी वो बार- बार अपने दुपट्टे को अपने सीने की तरफ खीच रही थी !

    उस लड़के ने अधीरा की कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींचा और उसके चेहरे को देखते हुए बोला__ बेबी जब तुम्हारी आवाज इतनी मीठी है तो.. तुम्हारे होठ कितने मीठे होंगे ...पर बिना टेस्ट किए ये पता कैसे चलेगा उसके लिए तो तुम्हारे इन होंठों पर किस करना होगा !

    इतना कहकर वो अधीरा के होठों की तरह झुकने लगा तो अधीरा उसे अपने आप से दूर करने की कोशिश कर रही थी !

    तभी रश्मि ने उस लड़के को अधीरा से दूर करते हुए कहा__ स्टॉपेज विक्रम क्यु परेशान कर रहे हो उसे (तिरछी मुस्कान )थोड़ा सब्र करो होठ के साथ पूरी स्वीट डिश मिलेंगी !

    उसकी बात सुनकर उन तीनों लड़को के चेहरे पर हवसभरी मुस्कान आ गयी जिसका साफ मतलब था वो लोग अधीरा के साथ कुछ बहुत गलत करने वाले हैं !

    चैप्टर अच्छा लगे तो फीलो भी कर लेना.....

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  • 10. MERI JAAN - Chapter 10

    Words: 840

    Estimated Reading Time: 6 min

    Sunshine club

    रश्मि अधीरा को रखे सोफ़े पर बिठाते हुए कहा __तू यही कहीं जाना मत में यही अपने फ्रेंड के साथ हूँ(उसे जूस का ग्लास देते हुए) तबतक तू ये जूस पी ले !

    अधीरा ने भी मुस्कुराते हुए जूस का ग्लास ले लिया फिर रश्मि अपने दोस्तों के पास चली गयी इधर अधीरा ने जूस पूरा खत्म कर लिया था पर थोड़ी ही देर में बहुत अजीब लगने लगा था, ऐसे ही बिल्कुल थोड़ा वक्त बीता होगा अधीरा को अपने शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी महसूस हो रही थी.... ,उसके शरीर में हद से ज्यादा गर्मी बढ़ गई थी..... उसकी पूरी बॉडी पसीने से भर गई थी ...उसका छोटा सा चेहरा भी बिल्कुल लाल हो गया था ....यहां तक की उसकी पूरी बॉडी कांपने लगी थी.... उसकी पूरी बॉडी शिविर कर रही थी !

    रश्मि भले ही अपने दोस्तों के साथ हो लेकिन उसका पूरा ध्यान अधीरा पर था उसकी बिगड़ती हालत देख कर उसके चेहरे पर डेविल स्माइल आ गयी और उनके लड़कों चेहरे पर घिनौनी !

    .रश्मि अधीरा के आते हुए अपनी झूठी फिक्र दिखाते हुए कहा__ अधीरा तू ठीक है ...तुझे इतना पसीना क्यू आ रहा है .. तेरी तबीयत तो ठीक है न !

    अधीरा अपना सिर पकड़ते हुए कहा__ पता नहीं दी. बहुत अजीब लग रहा है... सर बहुत भारी -भारी सा हो रहा है !

    रश्मि__ मुझे लगता है तेरी तबीयत खराब हो गई है( उसे उठाते हुए) तू उठ मैं तुझे रूम लेकर चलती हु !

    अधीरा__ पर दी यहां रूम.....

    रश्मि___ हाँ यहां हम सबके लिए room's बुक है अगर हम लेट जाये तो यही पर रुक सके !

    रश्मि उसे लेकर बुक किए रूप कि तरफ चलीं गयी !

    विक्रम अपनी घिनौनी मुस्कान के साथ अपने दोनों दोस्तों से बोला__ चलो चलकर अपनी सबसे खूबसूरत रात को इंजॉय करते हैं !

    फिर वो लोग भी रश्मि के पीछे चले गए !

    इसी क्लब में एकांश भी अपनी मीटिंग के लिए आया हुआ था इस वक़्त वो

    Vip एरिया के प्राइवेट रूम में अपनी सीट पर बैठा हुआ था.... उसके साइड उसका P.A वीर खड़ा था उसके सामने एक 50 साल का आदमी बैठा हुआ कि जो मिस्टर सिंघानिया थे उनके पास उनका अस्सिटेंट खड़ा था....इस वक़्त उसका पूरा ध्यान मीटिंग में था !

    तभी एकांश को फिर से बेचैनियों ने खेर लिया ये बेचैनी उसे अभी नहीं हो रहीं थीं,जब से वो अपने ऑफिस से इस क्लब में आने के लिए निकला था,तब उसे ये बेचैनी हो रहीं थीं..... जैसे -'जैसे उसकी कार क्लब की ओर बढ़ रही थी ...वैसे- वैसे उसकी बेचैनिया भी बढ़ रहीं थीं !

    एकांश जैसे तैसे खुद को सम्भाला और अपना ध्यान वापस मीटिंग में लगा लिया!

    आधे घंटे बाद

    अब एकांश की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है... रूम में AC चलने के बावजूद उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था... उसे ठीक से साँस नहीं आ रही थी... वो मुँह खोलकर लंबी-लंबी साँसे ले रहा था ..उसे अपने दिल में बेहद दर्द हो रहा था ...उसे एसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसके सीने में हज़ारों सुईयां चुभो दी हो ...जैसे उसका अपना कोई मुसीबत में हो और उसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो !

    वही उसकी एसी हालत देख कर मिस्टर सिंघानिया बोले__ क्या हुआ आपको मिस्टर राजपूत... आप ठीक तो है न !

    पर एकांश अभी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं था उसे इस कमरे में घुटन हो रही थी ....जब उससे ज्यादा देर तक रूम में नहीं रहा गया... तो वो बिना कुछ कहे कमरे से बाहर निकल गया !

    उसके पीछे वीर ने मिस्टर सिंघानिया को समझा दिया था कि एकांश की तबीयत खराब है ...क्योंकि एसे एकांश के बिना जवाब दिए जाने की वज़ह से उन्हें थोड़ा बुरा लगा था . .जैसे भी वो उसके बिजनेस पार्टनर है ...और सबसे बड़ी बात वो एकांश से उम्र में बड़े है उसके पिता की उम्र के है इस वजह से उन्हें थोड़ा बुरा लगा !

    एकांश खुद को संभालते हुई आगे कि तरफ बढ़ रहा था तभी... एक बेहद खूबसूरत सा एहसास उसके जिस्म को छू कर गुजर गया.... इस एहसास को महसूस करने भर से ही उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी... एक सुकून की लहर उसके पूरे शरीर में दौड़ गयी !



    एकांश अपनी आँखें बंद किए हुए ही अपने मन में बोला __ मुझे एसा क्यूँ लगा रहा हैं जान की तुम मेरे आस-पास हो... अगर तुम यही हो तो प्लीज बच्चा मेरे सामने आ जाओ .....बहुत तड़प रहा है तुम्हारा एकांश तुम्हारे लिए ...एक बार अपने एकांश के सामने आकर उसकी इस तड़प को मिटा दो !



    इतना कह कर एकांश ने अपनी आँखें खोली और अपनी बैचेन भारी नीली आँखों से चारों तरफ देखने लगा कि शायद उसे उसकी जान दिख जाए पर अफसोस उसे उसकी जान नहीं दिखी !





    अभी एकांश दो कदम आगे बढा ही था .....तभी उसके शरीर को एक झटका लगा एक छोटा सा वज़ू उसके सीने से लगा हुआ था..... उसका छोटा सा सिर एकांश के सीने पर था...... उसके छोटे छोटे हाथ एकांश की कमर के आस-पास लिपटे हुए थे !

  • 11. MERI JAAN - Chapter 11

    Words: 718

    Estimated Reading Time: 5 min

    sunshine club.........




    अब आगे

    वही जैसे ही सारे बॉडीगार्ड्स ने और वीर ने एकांश के सीने से किसी लड़की को लगे देखा तो उन सब की आंखे डर की वजह से बड़ी बड़ी हो गयी ....उनकी साँसे गले में अटक गयी ......क्योंकि उन सभी को पता था एकांश को अपने आसपास लड़कियाँ बिल्कुल भी नहीं पसंद है..... अगर कोई लड़की गलती से भी एकांश के करीब आने की कोशिश भी करती थी ....तो .....अगले दिन उसका नामों निशान इस दुनिया से मिट जाता था....... किसी को भी नहीं पता होता था वो लड़की कहा गयी .....उन्हें डर था कहीं इस लड़की की हालत भी बाकियों की तरह न हो जाए

    वही वो छोटा सा वज़ू जब एकांश के सीने से लगा तो..... एकांश को जो अबतक बेचैनी हो रही थी..... जो उसके दिल में दर्द हो रहा था ...वो एक पल में खत्म हो गई ....उसे भी उस वजू को सीने से लगाए हुए काफी सूकून मेहसूस हो रहा था... जिस सुकून की तलाश में वो पिछले डेढ़ साल से था.... उसने भी उस लड़की को अपने सीने में भींच लिया......... पर ......जल्द ही होश आया कि उसकी बाहों में आने का हक़ सिर्फ एक ही लड़की का वो है उसकी ......जान..... साथ ही उसे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कैसे वो किसी भी लड़की को गले लगा सकता है......

    एकांश ने उस लड़की को खुद से दूर करते हुए कहा __ hu the hell are you तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे गले लगाने की.... एकांश सिंह राजपूत के सीने से लगने का हक़ सिर्फ एक लड़की को है.... ना कि तुम ........

    पर जैसे ही एकांश ने उस लड़की का चेहरा देखा तो उसके आगे के शब्द उसके मुँह में ही रह गये..... उसकी आँखें खुशी से नम हो उठी ...उसके मुँह से निकला.... जान....

    उसने उस लड़की का चेहरा अपने हाथों में भरा और उसके पूरे चेहरे को चुमते हुए कहा__ में ...मेरी.. जा.. जान मेरी ग्रीन डॉल !

    तभी उसकी आँखों से बूंद आँसू निकल कर उस लड़की के गाल पर गिर गया...

    एकांश अपनी रूंधि आवाज में बोला. तुम कहा चली गयी थी बच्चा... तुम्हें पता मैंने कितना ढूँढा ....पर तुम मुझे कहीं भी नहीं मिली... कहा थी तुम इतने वक़्त से बच्चा ....पर अब तुम मेरे पास आ गयी हो न ....अब मैं तुम्हें खुद दूर नहीं जाने दूंगा !

    एकांश उसके माथे पर प्यार भरा किस करते हुए कहा__ तुम्हारा नाम क्या है जान !

    वो लड़की बोली __अधी... अधीरा !

    एकांश ने अपनी आँखें बंद की और अधीरा का नाम दोहराते हुए कहा__ अधीरा.. एकांश की अधीरा !

    एकांश अधीरा के माथे पर किस किया उसे दुबारा अपने सीने से लगा लिया

    अब आप सब जान गए होंगे एकांश की जान और कोई नहीं अधीरा ही थी....

    जिसकी तलाश में वो पिछले डेढ़ साल से था .....पर .....डेढ़ साल पहले अधीरा एकांश से मिली कैसे इसका जवाब आपको आगे मिलेगा.....

    पर अब हम ये जानते हैं अधीरा एकांश तक पहुंची कैसे... क्योंकि वो रश्मि के साथ थी इसके लिए हमे फ्लैशबैक में जाना होगा .....

    फ्लैशबैक ...

    रश्मि अधीरा को बुक किए रूम में लायी उसे बेड पर लिटाते हुए बोली __अधीरा तू यही आराम कर ....में अभी तेरे लिए दावा आती हूँ !

    इतना बोलकर वो रूम से बाहर चली गयी कुछ देर में अधीरा बेड पर बुरी तरह तड़पने लगी ......

    थोड़ी देर बाद उस कमरे का दरवाजा खुला और विक्रम अपने दोनों दोस्तों के साथ कमरे के अंदर आया

    उसने बेड पर देखा जहां अधीरा बुरी तरह तड़प रहीं थीं.... उसका पूरा चेहरा पसीने से लथपथ होने लगा था ......वो बार बार रह रहकर अपने कपड़े निकलने की कोशिश कर रही थी ....क्योंकि उसे हद से ज्यादा गर्मी महसूस हो रही थी... उसने कसकर बेडशीट को अपने मुट्ठी में जकड़ रखा था !

    रूम के बाहर रश्मि अपने हाथों में मौजूद नोटों की गड्डी को देखते हुए डेविल मुस्कान के साथ बोली _

    my dear little sister अधीरा आज की रात को बाद से तुम्हारी पूरी जिंदगी बदल जाएगी..... क्योंकि जब तुम सुबह सोके उठेगी तब तक तुम्हारा सब कुछ लुट चुका होगा .....enjoy your romantic night my dear sister

    उसने एक नजर रूम के डोर पर डाली जो बंद था उसके बाद वो मटकते हुए वहां से चली गयी !

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  • 12. MERI JAAN - Chapter 12

    Words: 826

    Estimated Reading Time: 5 min

    sunshine club.......



    फ्लैशबैक कंटिन्यू........

    रूम के अन्दर

    विक्रम चलकर बेड के पास आया उसने बेड पर तड़प रही अधीरा के चेहरे पर अपनी एक ऊंगली बुरी तरह से चलते हुए कहा__ what happened sweetheart कुछ हेल्प चाहिए तुम्हें !

    अधीरा __ग ... ग... गर्मी लग रही हैं.... हम ....हमारी हेल्प कीजिए !

    विक्रम ___गर्मी लग रहीं हैं बेबी को.... कोई बात नहीं बेबी ...में तुम्हारी गर्मी मिटाने ही तो आया हूँ !

    ये कहने साथ ही विक्रम अपने हाथों को अधीरा के बदन पर बुरे तरीके से चला रहा था .....नशे में होने के बावजूद अधीरा को समझ आ रहा था विक्रम उसे गंदे तरीके से छू रहा है ....इसलिए वो उसके हाथों को हटा रही थी !

    उसकी इस हरकत पर विक्रम अपनी घिनौनी हँसी के साथ बोला__ अरे अरे स्वीटहार्ट अपने इन हाथों को थोड़ा कम चलाव..... हम तुम्हें तुम्हारे इन छोटे-छोटे हाथों को भी use करने का भी भरपूर मौका देंगे.... लेकिन अभी नहीं इसके लिए अभी पुरी रात बाकी !

    है उनमें से एक लड़के ने अधीरा को ऊपर क देख कर अपने होठों पर जिब फेर कर कहां__आज तक लड़कियां तो बहुत देखी है एक से बढ़कर एक देखी है...... लेकिन इसके जैसी कली इसके जैसी खुबसूरती आज जिंदगी में पहली बार देख रहा हूं .........मासूम खूबसूरत किसी के भी दिल में आग लगाने को तैयार है .........इसे देखकर तो मैं पूरी तरीके से हिल गया हूं!

    उनकी बात सुनकर अधीरा बुरी तरह डर गयी ........हालाँकि नशे में होने की वजह उसे ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था ..........लेकिन फिर भी उसें उन लड़कों से नेगेटिव वायब आ रही थी.......... इसी वजह से अधीरा को बहुत ज्यादा डर लग रहा था.......

    डर की वजह से वो बेड पर पीछे अधीरा को इस तरह डराता देख विक्रम ने उससे कहा ___अरे बेबी तुम तो डर गई देखो डरने की कोई बात नहीं है..... हमारा तो काम है तुम जैसी मासूम सी कली को फूल बनाना...... उसका डर निकलना और ,तुम ही ऐसे डर रही हो यह तो अच्छी बात नहीं है ........तुम हमारे साथ कॉर्पोरेट करो...... तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा.... तुम जैसी खुबसूरती को हम बिल्कुल भी हर्ट नहीं करेंगे !

    ये कहने साथ विक्रम बेड पर अधीरा के ऊपर झुक रहा था .......

    अधीरा ने उसके सीने पर अपने हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए कहा_ नहीं हमारे पास मत आना....... हमें मत छूना लीव मी.... हमें छोड़ दो... हम किसी को भी तुम्हारे बारे में नहीं बताएंगे.... हमें जाने दो !

    विक्रम उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला ___ एसे कैसे तुझे जाने दे.....तुझे पता भी है........ तेरे लिए मैंने अपने कितने पैसे खर्च किए.... बिना अपना काम किए तुझे कैसे जाने .......और, वैसे भी जब तुम यहां से जाओगी तभी तो किसी को हमारे बारे में बताओगी...... इसीलिए बिना किसी नाटक के हमारा साथ दो... हमें भी इंजॉय करने दो...... और, तुम खुद भी इंजॉय करो ....चलो आज की रात को हसीन बनाते हैं..... और ,यादगार बनाते हैं !

    उन में से एक लड़के ने विक्रम से कहा__ पहले तू इसके साथ एंजॉय कर ले.... उसके बाद हम.... तु तो जनता ही है हम कितने ज्यादा वाइल्ड है ....बेचारी नाजूक सी है.... एक साथ हम तीनों को सह नहीं पाएगी.... इसलिए तू इसके साथ एंजॉय कर ....और, हम अपनी ड्रिंक एंजॉय करते हैं !

    इतना कहकर वो दोनों सोफ़े पर बैठ गए और अपनी ड्रिंक एंजॉय करते हुए... अधीरा की बेबसी का तमाशा देखने लगे !

    इधर अधीरा खुद को विक्रम से छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी...... पर ... उसके हाथ और पैर विक्रम के कब्जे में होने की वजह से वो खुद को छुड़ा नही पा रही थी ......अचानक अधीरा ने अपना पूरा जोर लगाया अपना एक घुटना उठा कर विक्रम के प्राइवेट पार्ट पर जोर से किक किया.... तो... विक्रम ने दर्द से छटपटाहटे हुए अधीरा से दूर हुआ..... और बेड की दूसरी तरफ लेट गया ....अधीरा बेड पर से उठी और खुद को सम्भालते हुए रूम से बाहर निकल जाती है .....अधीरा तो इस वक्त इतनी ज्यादा गर्मी लग रही थी ....कि उसे यह भी होश नहीं रहा कि वह लिफ्ट से पता नहीं कौन से फ्लोर पर पहुंच गई है

    क्योंकि गर्मी की वजह से उसके दिमाग ने ही काम करना बंद कर दिया था ...उसे इस वक्त उन लड़कों से बचने के लिए और कुछ समझ नहीं आ रहा था.... इसीलिए अपने आप को जैसे तैसे संभालते हुए दौड़ते हुए आगे जाने लगती है ... अधीरा जैसे तैसे अपने आप को संभालते हुए आगे की तरफ जा रही थी ....

    इस वक्त उसका दिमाग बिल्कुल कम नहीं कर रहा था ....उसे अपनी गर्मी को कम करना था और इन लड़कों से कैसे भी करके बचना था.... वरना वो तीनों भेड़िये उसे नोच डालते..... अधीरा भले ही भोली और मासूम थी पर वो इतनी भी नादान नहीं थी कि उसे पता न हो वो तीनों लड़के उसके साथ क्या करना चाहते थे !

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  • 13. MERI JAAN - Chapter 13

    Words: 826

    Estimated Reading Time: 5 min

    sunshine club


    फ्लैशबैक कंटिन्यु.......


    रूम के अन्दर

    विक्रम चलकर बेड के पास आया उसने बेड पर तड़प रही अधीरा के चेहरे पर अपनी एक ऊंगली बुरी तरह से चलते हुए कहा__ what happened sweetheart कुछ हेल्प चाहिए तुम्हें !

    अधीरा __ग ... ग... गर्मी लग रही हैं.... हम ....हमारी हेल्प कीजिए !

    विक्रम ___गर्मी लग रहीं हैं बेबी को.... कोई बात नहीं बेबी ...में तुम्हारी गर्मी मिटाने ही तो आया हूँ !

    ये कहने साथ ही विक्रम अपने हाथों को अधीरा के बदन पर बुरे तरीके से चला रहा था .....नशे में होने के बावजूद अधीरा को समझ आ रहा था विक्रम उसे गंदे तरीके से छू रहा है ....इसलिए वो उसके हाथों को हटा रही थी !

    उसकी इस हरकत पर विक्रम अपनी घिनौनी हँसी के साथ बोला__ अरे अरे स्वीटहार्ट अपने इन हाथों को थोड़ा कम चलाव..... हम तुम्हें तुम्हारे इन छोटे-छोटे हाथों को भी use करने का भी भरपूर मौका देंगे.... लेकिन अभी नहीं इसके लिए अभी पुरी रात बाकी !

    है उनमें से एक लड़के ने अधीरा को ऊपर क देख कर अपने होठों पर जिब फेर कर कहां__आज तक लड़कियां तो बहुत देखी है एक से बढ़कर एक देखी है...... लेकिन इसके जैसी कली इसके जैसी खुबसूरती आज जिंदगी में पहली बार देख रहा हूं .........मासूम खूबसूरत किसी के भी दिल में आग लगाने को तैयार है .........इसे देखकर तो मैं पूरी तरीके से हिल गया हूं!

    उनकी बात सुनकर अधीरा बुरी तरह डर गयी ........हालाँकि नशे में होने की वजह उसे ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था ..........लेकिन फिर भी उसें उन लड़कों से नेगेटिव वायब आ रही थी.......... इसी वजह से अधीरा को बहुत ज्यादा डर लग रहा था.......

    डर की वजह से वो बेड पर पीछे अधीरा को इस तरह डराता देख विक्रम ने उससे कहा ___अरे बेबी तुम तो डर गई देखो डरने की कोई बात नहीं है..... हमारा तो काम है तुम जैसी मासूम सी कली को फूल बनाना...... उसका डर निकलना और ,तुम ही ऐसे डर रही हो यह तो अच्छी बात नहीं है ........तुम हमारे साथ कॉर्पोरेट करो...... तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा.... तुम जैसी खुबसूरती को हम बिल्कुल भी हर्ट नहीं करेंगे !

    ये कहने साथ विक्रम बेड पर अधीरा के ऊपर झुक रहा था .......

    अधीरा ने उसके सीने पर अपने हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए कहा_ नहीं हमारे पास मत आना....... हमें मत छूना लीव मी.... हमें छोड़ दो... हम किसी को भी तुम्हारे बारे में नहीं बताएंगे.... हमें जाने दो !

    विक्रम उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला ___ एसे कैसे तुझे जाने दे.....तुझे पता भी है........ तेरे लिए मैंने अपने कितने पैसे खर्च किए.... बिना अपना काम किए तुझे कैसे जाने .......और, वैसे भी जब तुम यहां से जाओगी तभी तो किसी को हमारे बारे में बताओगी...... इसीलिए बिना किसी नाटक के हमारा साथ दो... हमें भी इंजॉय करने दो...... और, तुम खुद भी इंजॉय करो ....चलो आज की रात को हसीन बनाते हैं..... और ,यादगार बनाते हैं !

    उन में से एक लड़के ने विक्रम से कहा__ पहले तू इसके साथ एंजॉय कर ले.... उसके बाद हम.... तु तो जनता ही है हम कितने ज्यादा वाइल्ड है ....बेचारी नाजूक सी है.... एक साथ हम तीनों को सह नहीं पाएगी.... इसलिए तू इसके साथ एंजॉय कर ....और, हम अपनी ड्रिंक एंजॉय करते हैं !

    इतना कहकर वो दोनों सोफ़े पर बैठ गए और अपनी ड्रिंक एंजॉय करते हुए... अधीरा की बेबसी का तमाशा देखने लगे !

    इधर अधीरा खुद को विक्रम से छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी...... पर ... उसके हाथ और पैर विक्रम के कब्जे में होने की वजह से वो खुद को छुड़ा नही पा रही थी ......अचानक अधीरा ने अपना पूरा जोर लगाया अपना एक घुटना उठा कर विक्रम के प्राइवेट पार्ट पर जोर से किक किया.... तो... विक्रम ने दर्द से छटपटाहटे हुए अधीरा से दूर हुआ..... और बेड की दूसरी तरफ लेट गया ....अधीरा बेड पर से उठी और खुद को सम्भालते हुए रूम से बाहर निकल जाती है .....अधीरा तो इस वक्त इतनी ज्यादा गर्मी लग रही थी ....कि उसे यह भी होश नहीं रहा कि वह लिफ्ट से पता नहीं कौन से फ्लोर पर पहुंच गई है

    क्योंकि गर्मी की वजह से उसके दिमाग ने ही काम करना बंद कर दिया था ...उसे इस वक्त उन लड़कों से बचने के लिए और कुछ समझ नहीं आ रहा था.... इसीलिए अपने आप को जैसे तैसे संभालते हुए दौड़ते हुए आगे जाने लगती है ... अधीरा जैसे तैसे अपने आप को संभालते हुए आगे की तरफ जा रही थी ....

    इस वक्त उसका दिमाग बिल्कुल कम नहीं कर रहा था ....उसे अपनी गर्मी को कम करना था और इन लड़कों से कैसे भी करके बचना था.... वरना वो तीनों भेड़िये उसे नोच डालते..... अधीरा भले ही भोली और मासूम थी पर वो इतनी भी नादान नहीं थी कि उसे पता न हो वो तीनों लड़के उसके साथ क्या करना चाहते थे !

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  • 14. MERI JAAN - Chapter 14

    Words: 791

    Estimated Reading Time: 5 min

    sunshine club

    फ्लैशबैक कंटिन्यू

    कमरे के अंदर

    विक्रम बेड पर दर्द से बुरी तरह छटपटा रहा था उसे इस तरह देख कर उसके दोनों दोस्त उसके पास आए

    उसे संभालते हुए ने कहा_ विक्रम तू ठीक तो है न!

    विक्रम ने अपने दर्द को सहते हुए कहा _मेरी छोड़ो उस लड़की को पकड़ो ......बहुत पैसे दिए हैं मैंने उस रश्मि को उसके लिए .....इसलिये उसे ढूँढ़ो.... इक बार वो मुझे मिल गयी..... उसकी एसी हालत करूंगा... उसे अपनी जिंदगी पर भी पछतावा होगा !

    फिर वो तीनों एक साथ मिलकर अधीरा को ढूढ़ने के लिए कमरे से बाहर निकल गए .....

    इधर अधीरा खुद जैसे तैसे खुद को संभालते हुए आगे बढ़ रही थी ......पर..... उसके लिए एक भी कदम बढ़ाना काफी मुश्किल था..... क्योंकि नशा उसके ऊपर पूरी तरह से हवी हो गया था ......अधीरा पहले से ही काफी कमजोर थी.... और रहीं सही कसर नशे ने पूरी कर दी..... इस वजह से उसके लिए एक कदम भी आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल था ..... फिर वो जितना हो सके उतना तेजी से आगे की ओर बढ़ रही थी ......अगले ही पल वो किसी के मजबूत सीने से लगी हुई थी..... उसका छोटा सा सिर उस शख्स के मज़बूत सीने पर था... उसके छोटे- छोटे हाथ उस शख्स के कमर के आसपास लिपटे हुए थे !

    फ्लैशबैक एंड

    एकांश बंद कर के अधीरा को अपने सीने से लगाए अपना सुकून हासिल कर रहा था ......वही अधीरा भी बहुत आराम से उसके सीने से लगी हुई थी..... क्योंकि उसे एकांश से कोई नेगेटिव वायब नहीं आ रही थी...... ब्लकि उसे एकांश से एक अपनापन मेहसूस हो रहा था !

    तभी विक्रम भी अधीरा को ढूंढते हुए इसी फ्लोर पर आ गया.......

    उसने जब अधीरा को किसी बाहों में देखा तो उसके आँखों में गुस्सा देखने लगा उसने एकांश से कहा __ए कौन है तू ......छोड उस लड़की को ....ये लड़की हमारी है...... हमने आज की रात के लिए इसकी कीमत चुकाई है...... अगर तुझे भी इसके साथ मजे करने है..... तो ....हम तुझे भी मौका देंगे..... लेकिन बाद में ......पहले हम इसके साथ मजे करेंगे... इसलिए तू छोड़ उसे !

    वही एकांश जो अधीरा को अपने सीने से लगाए सुकून पा रहा था..... उसने जब अपनी जान के लिए विक्रम के मुँह एसी बात सुनी..... खासकर के अपनी जान के लिए हमारी सुनी तो .....उसने झटके से अपनी आँखे खोली.... उसकी आँखें खून सी लाल थी.... इस वक़्त एकांश की आंखे इतनी लाल थी......उसकी आँखों को देख कर लग रहा था.... जैसे सारा खून उसकी आँखों में ही जमा हो गया है ......उसका चेहरा पूरी तरह से काला था.... इस वक़्त उसके चेहरे पर बिल्कुल डेविल एक्सप्रेशंश थे ....अचानक से वहा का माहौल बिल्कुल ठंडा हो गया था ......जिसे महसूस कर वहा पर खड़ा हुआ हर इंसान काम्प गया... रहीं बात अधीरा की तो उसे कुछ होश ही नहीं उसके आसपास क्या हो रहा है ...... वो तो आराम से एकांश के सीने से लगी हुई थी!

    वही विक्रम ने जब एकांश का चेहरा देखा तो वो डर से कांप गया.... क्योंकि एकांश अपनी खून सी लाल आँखों से उसे ही देख रहा था......

    एकांश विक्रम को अपनी खून सी लाल आँखों से देखते हुए अपनी सबसे खतरनाक और सर्द आवाज में वीर से कहा__ वीर इन तीनों को हेल विला लेकर जाओ .....और इस बात का खास ख्याल रखना इनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिये..... इन्हें मौत के दर्शन जरूर कराना पर ....इन्हें जान से मारना मत .....जान तो मैं इनकी अपने हाथों से लूँगा !

    जिसपर वीर ने भी उन तीनों को अपनी गुस्से भरी नजरो से देखते हुए एकांश से कहा __जी बॉस आप फिक्र मत कीजिए.... मैं इन तीनों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखूँगा !

    फिर एकांश के बॉडीगार्ड उन तीनों को वहा से घसीटते हुए ले गए ....इस बीच वो खुद को बचाने की कोशिश करते रहे... चीखते रहे ....पर उन बॉडीगार्ड ने उनकी एक न सुनी ......उन लोगों को घसीटते वहां से ले गये !

    तभी एकांश को महसूस हुआ उसकी जान उसके सीने पर अपने होंठ चला रहीं हैं..... उसे किस कर रही है ......जिसे महसूस कर एकांश ने अधीरा का छोटा सा चेहरा अपने सीने से बाहर निकाला ....जैसे उसने अधीरा का चेहरा ध्यान से देखा तो उसकी आँखें फैल गई...... क्योंकि अधीरा का पूरा चेहरा लाल था .... उसकी आँखें भी लाल थी !

    जिसे देख एकांश समझ गया किसी ने उसकी जान को ड्रग्स दिया है.... हालाकि एकांश समझ गया था ये काम उन्हीं तीनों का होगा ....लेकिन फिर भी वो एक बार इस बात को कंफर्म करना चाहता था..... क्योंकि उसे पूरा यकीन था उसकी जान इस क्लब अपने से तो नहीं आयी है ....ज़रूर वो किसी के साथ आयी है !

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  • 15. MERI JAAN - Chapter 15

    Words: 971

    Estimated Reading Time: 6 min

    sunshine club...........



    अब आगे


    एकांश ने अधीरा के चेहरे को थामा और उसके माथे पर किस करते हुए कहा.. जान क्या तुमसे अल्कोहल लिया है !

    अधीरा__ न ...नहीं जूस ...बहुत अजीब था !

    हा उस वक़्त जब अधीरा जूस पी रही थी तब उसे जूस का टेस्ट अजीब लगा था उसने ये सोचकर रश्मि नही पूछा था शायद यहां पर एसा ही जूस मिलता है!

    उसकी बात सुनकर एकांश भी समझ गया किसी अधीरा को जूस में ही ड्रग्स मिलकर दिया था

    एकांश__ जान किसने दिया था तुम्हें वो जूस !

    अधीरा __रश ....रश्मि दी ने !

    एकांश समझ जाता है अधीरा को ड्रग्स रश्मि ने ही दिया है एकांश ने अपने पास खड़े वीर को इशारा किया उसका इशारा समझ कर वीर ने भी अपना सर हाँ में हिलाया !

    एकांश ने अधीरा को अपनी गोद में उठा लिया उसे लेकर अपने प्राइवेट रूम की तरफ बढ़ गया......

    हा प्राइवेट रूम एकांश अक्सर अपनी मीटिंग्स के लिए यहां पर आता रहता है ........ इस वज़ह से उसके लिए यहा पर एक प्राइवेट रूम बुक रहता है .... जो बिलकुल साफ सुथरा रहता है जिसकी सफाई रोज होती है.......

    रुम तक पहुंचने में एकांश की बहुत खराब हो गई थी.... क्योंकि अधीरा जिसके ऊपर ड्रग्स का नशा पूरी तरह से हो गया था..... उसके लिए एकांश का करीब होना बहुत सुकून पहुँचा रहा था..... जिस वज़ह से वो कभी एकांश को किस करती ......तो कभी उसे बाइट करती ....कभी उसके गले की स्किन को अपने मुँह में भरकर Suck करती ......

    उसके एसे करने से एकांश की पूरी बॉडी में करेंट दौड़ रहा था साथ ही उसका खुद पर से कंट्रोल छूट रहा था ........

    एकांश को लेकर कमरे में आता है और उसे बेड पर बिठा देता है .....उसके बाद एकांश सबसे पहले अपना कोट निकाल कर उसे सोफ़े पर फेंकता है.... और अपने पेंट के पॉकेट से फोन निकाला है और डॉक्टर को कॉल लगा देता है....

    क्योंकि इस वक़्त अधीरा को डॉक्टर की सख्त जरूरत थी वरना बात उसकी जान पर आ सकती थीं .....अभी रिंग जा ही रही थी कि... तभी

    अधीरा ने पीछे आकर एकांश को गले लगा लिया और इसी चक्कर में एकांश के हाथ से फोन छुटकार फ्लोर पर गिर गया. ......

    वही अधीरा अपने गालों को एकांश की पीठ पर रब करते हुए बोली__ आप हमसे दूर क्यों जा रहे हैं .....हमारे पास रहिये.... आपका पास होना हमे सुकून पहुँचा रहा है .....आपको पता है इस वक़्त हमारा शरीर कितना जल रहा है... हमे एसा महसूस हो रहा है जैसे हमे किसी ने आग की भट्टी में बिठा दिया है... लेकिन आप पास होना हमे सुकून पहुँचा रहा है ....इस गर्मी से हमारा शरीर बहुत ज्यादा जल रहा है .....अब हमें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा !

    आखिरी लाइन कहते हुए अधीरा की आँखों में आँसू आ गये उसके आँसू एकांश की शर्ट को भिगो रहे थे ........वही जब एकांश ने अधीरा के आंसू अपने पीठ पर महसूस किये तो उसका दिल तड़प उठा ......क्योंकि एकांश की आवाज से साफ महसूस कर सकता था ......

    अधीरा इस वक़्त कितने दर्द में है...... साथ ही एकांश को रश्मि पर बेहद ग़ुस्सा आ रहा था .......अगर रश्मि एकांश के सामने मौजूद होती तो एकांश उसे जान से मार देता ......क्योंकि उसकी वजह से अधीरा की ये हालात थी......

    एकांश पीछे मुड़ता है अधीरा के आंसू साफ करता है...... और उसकी आँखों को पर बारी -बारी से किस करता है उसके चेहरे को अपने हाथों में भरता है उसके माथे को चुमते हुए कहता है __अधि मेरा बच्चा मेरी बात सुनो ....मेरी जान मुझे पता है तुमसे गर्मी नहीं सहन हो रहीं हैं ....पर मेरी जान जब तक डॉक्टर नहीं आ जाते तुम्हें ये सहना होगा ......

    एक बार डॉक्टर आ जाये वो तुम्हें एंटीडोट दे देंगे जिससे तुम्हें आराम मिलेगा !

    अधीरा रोते हुए बोली__ नहीं नहीं सहन होगी हमसे ये गर्मी...... हमे आपकी जरूरत है डॉक्टर की नहीं!

    एकांश प्यार से उसे कहता है___ मेरा बच्चा मेरी बात सुनो.... जो तुम चाहती हो वो मैं नहीं कर सकता हूं..... मेरी बात समझो जान ....मैं हमारी मिलन की रात को स्पेशल बनाना चाहता हूं ....इतनी की वो हमारी खूबसूरत यादों में से एक हो.... मैं बिलकुल भी नहीं चाहता हूं हमारा मिलन इस तरह से हो !

    पर अधीरा एकांश की कोई बात सोचने समझने की हालत में नहीं थी.... उसे महसूस हो रहा था वो थी उसकी जिस्म की गर्मी.... जो वक़्त के साथ बढ़ती जा रही थी !

    अधीरा एकांश की शर्ट के कॉलर को अपनी मुठ्ठी में पकडते हुई बोली__ बहुत गर्मी लग रहीं हैं.... हमे एसा मेहसूस हो रहा है जैसे हमारी बॉडी में हमे ढेर सारी किटे काट रहे है ....प्लीज कुछ कीजिए ना वरना हम मर ........

    इससे पहले अधीरा अपने शब्दों को पूरा करती एकांश ने अपने सख्त होंठ अधीरा के गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे नर्म होंठ पर रख दिए ......

    कैसे सुन सकता था अधीरा के कहे आखिरी शब्दों को.......... जिस लड़की से उसने पिछले डेढ़ साल से मोहब्बत कि...... ....जिसके दर्द को महसूस कर उसने आँसू बहाए ........जिसकी तलाश में वो पिछले डेढ़ सालों से था .......जिसे उसने कहा- कहा नही ढूँढा .......पर उसे हर जगह से सिर्फ निराशा मिली........ आज वो उसे मिली भी तो इस हालत में .......इतने दर्द में ....क्या एकांश अपनी जान को इतने दर्द में देख सकता था........ जवाब था....... बिलकुल ......न !

    हा उसने अपनी और अधीरा की मिलन की रात को स्पेशल बनाना चाहता था.......... की वो उनकी खूबसूरत यादों में से एक हो ..........पर अभी हालात एसे थे कि उसे उनके सामने घुटने टेकने पड़े ............क्योंकि अधीरा को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी......... क्योंकि रश्मि ने जो उसे ड्रग्स दिया था वो काफी हाई डोज था......... जिसकी वजह अधीरा चेहरा ही नहीं उसकी पूरी बॉडी लाल हो गयी थी !

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  • 16. MERI JAAN - Chapter 16

    Words: 765

    Estimated Reading Time: 5 min

    sunshine club

    एकांश का प्राइवेट रूम...........

    एकांश ने अधीरा को किस करते हुए ही अपने बाहों में उठा लिया उसे लाकर बेड पर बहुत आहिस्ते से बेड पर लिटा दिया...... जैसे अधीरा कोई काँच की गुड़िया हो........ अगर उसने ज्यादा जोर लगाया तो वो टूट जाएगी....... एकांश बहुत ही सॉफ्टली अधीरा को किस कर रहा था........ उसका एक हाथ अधीरा के गाल पर था दूसरा उसके कमर पर जिसे वो सहला रहा था ......अधीरा ने भी अपनी नन्ही- नन्ही मुट्ठियों में एकांश की शर्ट को कसकर पकड़ रखा था....... वो अपनी आँखें बंद करके एकांश के किस को महसूस कर रही थी....... वही एकांश अधीरा के होठों के एक- एक कतरा पी रहा था......... उसके रसीले लबों का एक- एक बूंद निचोड़ रहा था !

    करीब बीस मिनट बाद जब अधीरा को साँस लेने में दिक्कत होने लगी जिसे महसूस कर एकांश ने धीरे उसके होंठों को एक पॉप के साउड के साथ छोड़ दिया......

    एकांश के छोड़ते ही अधीरा तेज- तेज से साँस लेने लगी...... क्योंकि इस बीस मिनट की किस में एकांश ने लगभग उसके साँसों रोक ही दिया था.... जोर- जोर साँस लेने की वज़ह से अधीरा का सीना उपर नीचे हो रहा था..... जो सीधा एकांश के सख्त सीने से टकरा रहा था ........

    अधीरा के सॉफ्ट सीने को अपने सख्त सीने पर महसूस कर एकांश की बॉडी में एक करेंट दौड़ गया...... उसकी हार्डनेस हार्ड होने लगी थी......

    तेज -तेज साँस लेने की वज़ह से अधीरा के मुँह से निकालती गर्म -गर्म साँस सीधे एकांश के होंठों को छू रही थी......

    एकांश धीरे से अधीरा के खुले हुए लबों को अपने लबों में कैद कर लिया.... वो उसे चूम नहीं रहा था....... ब्लकि उसने सिर्फ अपने लबों में लबों अधीरा के लबों कैद किया था .......

    अधीरा के मुँह से निकालती गर्म- गर्म साँस...... एकांश के मुँह से होते हुए उसकी रूह में उतर रहीं थीं.......... एकांश अपनी नीली आँखों से अधीरा के नन्हे- से चेहरे को देख रहा था....... जो अपनी आँखे बंद किये हुए अपनी साँसे सम्भाल रही थी........ करीब दो मिनट बाद अधीरा ने अपनी आँखें खोली उसकी नशीली हारी आँखें एकांश की नीली आँखों से जा मिली....... दोनों एक दूसरे की आँखों में बिना पालके झपकाए देख रहे थे......

    जहां अधीरा की आँखें नशे से नशीली थी ..........वही एकांश की आँखों में अधीरा को प्यार करने का नशा था........ एकांश ने अधीरा के आँखों में देखते हुए एक बार फिर उसके नर्म होंठों को अपने सख्त होंठों में कैद कर लिया.......

    अधीरा ने अपने आँखों को खुला रखना चाहा पर नशे की वज़ह से और एकांश के इतने सॉफ्ट किस की वजह उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी......

    इस बार उसके छोटे- छोटे हाथ अपने आप उसकी गर्दन में लिपट गए ......

    बहुत जल्द उसके हाथ एकांश के बालों में चले गए....... उसने अपनी छोटी- छोटी उंगलिया एकांश के बालों में उलझा दी .......वो एकांश के बालों को सहला रही थी.......

    दस मिनट बाद एकांश ने अधीरा के होठों को छोड़ा तो.......

    अधीरा के होठों सूज कर बिल्कुल चटक लाल हो गये थे.........

    एकांश अपना हाथ अधीरा की पीठ पर ले गया उसने अधीरा की सूट की डोरी को खोल दिया........ जिससे अधीरा का सूट ढीला हो गया...... एकांश ने उसके सूट को एक साइड से सरका दिया....... जिससे अधीरा की पहनी हुए ब्रा की रेड स्ट्रिप दिखने लगी थी..... उसने अपने होंठों को अधीरा के कंधे पर रख दिए .....

    वही एकांश के ठंडे होंठों को अपने कंधे पर महसूस कर अधीरा के मुँह से एक सिसकी निकल गयी........ इश्श्श्

    जो सीधा एकांश के कानों में पहुंची .....क्योंकि उसके कान अधीरा के होठ के बिल्कुल पास थे .......अधीरा के मुँह से निकली गर्म साँस के साथ सिसकी सीधे एकांश के कानों में गयी .......

    अधीरा के होठों एकांश के कान को छू गये .....जिससे एकांश की आँखें अपने आप बंद हो गयी......

    एकांश बहुत ही सॉफ्टली अधीरा के कॉलरबोन को चूम रहा था..... बीच- बीच में उसे बाइट भी कर रहा था .....जिससे कॉलरबोन पर लाल निशान भी बन गया था.......

    एकांश ने धीरे-धीरे अधीरा के सारे कपडों को उसके शरीर से अलग कर दिया था..... और खुद की शर्ट को भी.......

    अब अधीरा एकांश के सामने रेड कलर के ब्रा पैंटी में थी.....

    एकांश अधीरा के सीने को अपनी नशीली निगाहों से देखते हुए अपनी मदहोश भरी आवाज में बोला__ red suits you jaan

    उसकी बात सुनकर उसकी नशीली निगाहों को अपने सीने पर महसूस कर अधीरा के दोनों गाल टमाटर जैसे लाल हो गये थे..... ब्लकि उसका पूरा चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था !

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  • 17. MERI JAAN - Chapter 17

    Words: 824

    Estimated Reading Time: 5 min

    अब आगे

    sunshine club...........

    एकांश का प्राइवेट रूम...........




    एकांश अपनी नशीली निगाहों से अधीरा के पूरे शरीर को स्कैन कर रहा था ......

    जिसे महसूस कर अधीरा अपने मे सिमट रहीं थी .......क्योंकि एकांश की नज़र बहुत इंटेंस और डार्क थीं......

    अधीरा खुद मे ही सिमट रही उसकी दिल की धड़कने बुरी तरह शोर कर रही थी......

    गाल लाल हुए जा रहे थे...... साँसे वक़्त के साथ बढ़ती जा रही थी ....उस शांत कमरे में अधीरा की सांसे उसकी बढ़ी हुई धड़कनो का शोर था......

    तेज -तेज़ साँस लेने की वजह से अधीरा के ब्रा में कसे bosoms तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे ........

    जिनपर एकांश की इंटेंस निगाहें ठहरी हुई थी....

    एकांश अधीरा के एक बूब्स को अपनी मुठ्ठी में भरकर मसल दिया.....

    अधीरा सिसकते हुए बोली __उम्म् इश्श् एसा मत कीजिए न दर्द हो रहा है....




    एकांश अधीरा की सिसकियाँ सुनकर और एक्साइटेड हो रहा था उसने अधीरा के बाॅसम को और जोर से मसलते हुए बोला ___अभी से सिसकने लगी तुम जान .......अभी तो पूरी रात बाकी है तुम्हारे सिसकने के लिए ......... आज पूरी रात तुम्हारे मुँह से सिर्फ सिसकियाँ ही निकलेंगी .........आज की पूरी रात और आने वाली सभी रातो को तुम बेड पर सिर्फ मेरे नाम की सिसकियाँ भरते हुए कभी मेरे नीचे तो कभी मेरे ऊपर सिसकती रह जाओगी....... मैं हर रात तुममें शामिल होकर बेड पर तुम्हारी सिसकियाँ निकालूँगा......... इस पूरे कमरा में आज सारी रात सिर्फ तुम्हारी मीठी- मीठी सिसकियाँ और आहें गूंजेंगी.......
    पूरी रात तुम इस बेड पर मेरे नीचे मेरा नाम लेकर सिसकने वाली हो जान ...
    आज मैं तुमपे अपनी पूरी डेढ़ साल की तड़प निकालूँगा..... बहुत तड़पाया है तुमने मुझे इन डेढ़ साल में जान...... जिसकी कीमत तुम आज और आने वाली सभी रातो को तुम बेड पर मेरे नाम की मेरे नीचे सिसकियाँ भरते हुए चुकाओगी.. मैंने तुमसे वादा किया था न मेरी जान .....जिस दिन तुम मुझे मिली मैं तुमसे अपनी सारी तड़प का हिसाब सूत समेत लूँगा be ready for sweet pain jaan !





    वही उसकी एसी बात सुनकर अधीरा शर्म से मरी जा रही साथ ही उसे डर भी लग रहा था....... क्योंकि ये सारी बातें एकांश ने बहुत ही सैंसुअल और इंटेंस तरीके से बोली थी......




    एकांश ने अधीरा के ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया था जिससे अब अधीरा के गोल- गोल बाॅसम एकांश के आँखों के सामने थे जिन्हें वो अपनी डार्क नजरो से देख रहा था .......



    एकांश अधीरा के दोनों बाॅसम्स को अपने हाथो में भरा उन्हें जोर से स्क्वीज करते हुए बोला__ ये तो बहुत छोटे है जान....... पर कोई बात नहीं मैं इन्हें अपने प्यार से बड़ा कर दूंगा .....ताकि ये मेरे हाथों में बिल्कुल फिट आए !




    एकांश ने अधीरा के एक बूब्स को मुँह में भर लेता है उन्हें तेजी से सक करने लगता है दूसरे को प्रेस करने लगता है..... जिससे अधीरा चिहुंक गयी एकांश के  passinate मूव से उसकी सिसकियां तेज होने लगी ......उसने बिना किसी विरोध के एकांश के हवाले खुद को कर दिया..... लेकिन अब वो इस फैसले पर पछता रही थी क्योंकि अब उसे हल्का- हल्का  दर्द होने लगा ......



    एकांश काफी तेजी से अधीरा के सीने को सक कर रहा था साथ ही उसे बाइट भी कर रहा था जिससे अधीरा की सिसकियाँ बढ़ रही थी .......
    एकांश उसके दूसरे बूब्स को अपने हाथों से काफी तेजी से मसल रहा था..... एकांश की दो उंगलियों के बीच अधीरा के नाजुक और छोटे रेड चेरी जैसे निप्पल थे जिन्हें वो कभी खीचता ,तो कभी उन्हें मसलता जिससे .....अधीरा की सिसकियाँ निकलने लगती है साथ ही उसे दर्द हो रहा था........उसके पूरे बॉडी में सिरहन पैदा होने लगी उसकी साँसें हद से ज्यादा बढ़ गयी थी ......



    जैसा एकांश ने कहा था पूरे कमरे में सिर्फ उसकी आहें और सिसकियाँ गूंजेंगी ठीक वहीं हो रहा था........ पूरे कमरे में सिर्फ अधीरा की आहों और सिसकियों का शोर था .......





    एकांश ने अधीरा के दोनों बूब्स को सक करके लाल कर दिया था लेकिन फिर भी एकांश रुकने के मूड में बिलकुल भी नहीं था........ एकांश किसी प्यासे की तरह अधीरा दोनों उभारो को चूम रहा था.......
    उनका कतरा -कतरा पी रहा था...... अधीरा के लिए एकांश का ये स्वीट टॉर्चर सहना मुश्किल हो गया था...... उसके बाल पूरी तरह से बिखर गये थे...... उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था...... साँसे हद से ज्यादा गहरी चल रही थी ........वो सिसकियाँ भरते भरते वो थक चुकी थी........








    वो सिसकते हुए एकांश को रोकते हुए बोली __अह्ह्ह् ,,रुक जाइए प्लीज.... उम्म्म्उम नहीं करिए, आप बहुत जोर काट रहे हैं ,,अह्ह्ह् ......आप अह्ह् छोड दीजिए हमे .....जान निकाल रहे हैं आप हमारी ,इश्श्श् ,, नही बर्दाश्त हो रहा है हमसे आपका ये स्वीट टॉर्चर...... छोड दीजिये हमें ,पूरी तरह से लाल कर दिया है आपने इन्हें ....अब तो छोड दीजिये इन्हें ,बहुत दर्द हो रहा है हमे... अह्ह्ह् ,, अब सह नहीं पा रहे हैं हम !







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  • 18. MERI JAAN - Chapter 18

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    sunshine club.......

    एकांश का प्राइवेट रूम..............

    एकांश अधीरा के उभारो का कतरा- कतरा पी रहा था उन्हें बेबी की तरह सक कर रहा था.... लेकिन अब एकांश का ये स्वीट टॉर्चर उसके लिए सहना मुश्किल हो गया था वो सिसकते हुए बोली__ अह्ह्ह् रुक जाइए प्लीज .....उम्म्म्उम ,,नहीं करिए, आप बहुत जोर काट रहे हैं..... अह्ह्ह् ,आप अह्ह् छोड दीजिए हमे ......
    जान निकाल रहे हैं आप अपनी जान की, इश्श्श् , नही बर्दाश्त कर पा रही है आपकी जान आपका ये स्वीट टॉर्चर.... छोड दीजिये हमे ......

    एकांश ने अधीरा के दोनों उभरो को छोड़ा और उसके नजदीक आया उसने अधीरा के सूजे हुए होंठों पर एक प्यार भरा किस करते हुए कहा __सॉरी मेरी जान.... मैं चक्कर में ये भूल गया कि मेरा छोटा सा बच्चा मेरा ये स्वीट टॉर्चर बर्दाश्त नहीं कर पायेगा..... पर, मेरा बच्चा तुम मुझे रोको मत क्योंकि मैं तुम्हारे रुकने से भी नहीं रुकूंगा.... मुझे पता है मेरी जान सुबह होते ही तुम हमारे इन प्यार भरे लम्हों को भूल जाओगी.... अभी तुम खुद को मेरी कह रही हो सुबह होते ही मैं तुम्हारे लिए अजनबी ही जाऊँगा .......

    आखिरी लाइन कहते कहते एकांश का गला रुंध गया था, साथ ही उसकी आँखें भी नम हो गयी थी ,.....क्योंकि ये सच था सुबह होते ही अधीरा उसे और उनके इन प्यार भरे लम्हों को भूल जाएगी ....

    एकांश ने खुद को संभाला और अधीरा के होठों पर एक लाइट किस करते हुए बोला___ जान एक बार मेरा नाम लो बोलो एकांश


    अधीरा उसकी आँखों में देखते हुए अपनी मीठी आवाज में बोली.. ए ,एक अंश

    अपनी जान के मुँह से खुद के लिए अंश सुनकर एकांश का दिल तेजी से धड़कने लगा..... कितने अपनेपन से अधीरा ने उसे ....अंश ......बुलाया .....

    एकांश उसके माथे पर किस किया उससे बोला__ फिर से कहो जान, जो तुमने अभी अभी कहा .....


    अधीरा अपनी पलके झपकाते हुए अपनी मीठी आवाज में बोली _अंश

    पता नहीं कैसे पर, उसके मुँह से एकांश के लिए...... अंश अपने-आप निकल गया !


    अधीरा के मुँह से अंश सुनकर एकांश आँखें अपने आप बंद हो गयी एकांश उसे शिद्दत से देखते हुए एक बार फिर से उसके नाजूक लबों को अपने लबों में कैद कर लिया उसे बेहद प्यार से किस करने लगा......... किस करते हुए एकांश हाथ अधीरा की पतली कोरी कमर पर रखा, उसे बेहद प्यार से सहलाने लगा....
    तभी अधीरा की एक सिसकी निकल गयी,जो एकांश के किस करने की वज़ह से मुँह में रह गयी ..... क्योंकि एकांश ने उसकी नाजूक पतली कमर को अपनी सख्त मुठ्ठी में भर लिया था !

    दस मिनट बाद जब एकांश ने अधीरा के होठों को छोड़ा तो, अधीरा के होंठ पहले से ज्यादा सूज के बड़े हो गये थे..... एकांश अधीरा को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ रहा था.... उसने अधीरा की कमर पर अपने होंठ रख कर उसे बेतहाशा चूमने लगा, वहीं अधीरा उसके होंठों को अपनी क़मर पर महसूस कर खुद के होंठो को चबाने लगी, उसका एक हाथ एकांश के बालों में उलझा के वो तेज आवाज में आहे भरने लगी !

    एक बार फिर उस शांत कमरे में अधीरा की मदहोश भरी सिसकियाँ गूँजने लगी

    धीरे-धीरे वो नीचे की ओर बढ़ रहा था एकांश ने अधीरा के शरीर पर मौजूद उस आखिरी लिबास को भी निकलने लगा..... अब अधीरा एकांश के सामने बेलिबाज थी ....अब एकांश की आँखों के सामने अधीरा की पिंक सॉफ्टनेस थीं !

    एकांश ने अधीरा की पतली कमर को अपने सख्त हाथों में थामकर, उसकी सॉफ्टनेस को अपने मुँह में भरकर तेजी से सक करने लगा !

    वही एकांश के लबों को अपने सॉफ्टनेस पर महसूस कर अधीरा की बॉडी में करेंट दौड़ गया,..... कसकर बेडशीट को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और तेज- तेज आहें भरने लगी!

    एक घंटे बाद एकांश ने अपना चेहरा अधीरा की सॉफ्टनेस से निकला और अपने भीगे हुए होंठों को उसके पेट पर पोछा, एकांश अब पूरी तरह हार्ड हो गया था, उसने अपनी पैंट को निकाल दिया अब वो भी पूरी तरह बेलिबाज था !


    उसने अधीरा के माथे को चूमा उससे बोला__ थोड़ा सा दर्द होगा मेरी जान ,
    मैं कोशिश करूँगा तुम्हें ज्यादा दर्द न हो ,I will be Gantel !

    अचानक ही अधीरा के चहरे पर दर्द दिखने लगता है उसकी आँखों में आंसू जमा हो गए थे...... क्योंकि एकांश खुद को धीरे धीरे अधीरा में शामिल कर रहा था, अगले ही पल वो पूरी तरह से अधीरा के अंदर था.... इसी के साथ अधीरा की एक दर्दनाक चीख़ पूरे कमरे में गूँज गई, उसकी हरि आँखों से आंसू तेजी से बहने लगे थे......


    अधीरा की चीख इतनी तेज थी, अगर रूम साउंड प्रूफ़ न होता तो उसकी चीख पूरे फ्लोर पर गूँजती.. .... ...

    अधीरा एकांश पीठ पर अपने हाथों की मुठ्ठीया बनाकर जोर- जोर से मारते हुए बिलख बिलख कर रोते हुए बोली __अह्ह्ह् ,,अंश बाहर निकालिये ,,,हमे बहुत पैन हो रहा है ....अपने कहा था दर्द नहीं होगा.... बहुत दर्द हो रहा है हमे अंश, हम मर जायेंगे !


    वही एकांश जो सिर्फ अधीरा में शामिल था उसने खुद मूव नहीं कर रहा था,
    उसे पता था उसकी जान को इस वक़्त बेहद दर्द हो रहा है.....

    उसने अधीरा के आंसू पोंछे उसके दोनों आँखों पर किस किया उसका सर सहलाते हुए बोला __बस मेरी जान हो गया.... तुम्हारा फर्स्ट टाइम है ,इसलिए तुम्हें ज्यादा दर्द हो रहा है.... मैं धीरे-धीरे करूंगा तुम्हें भी अच्छा लगेगा!

    इसी के साथ एकांश खुद को अधीरा में धीरे-धीरे मूव करने लगा....

    पहले तो अधीरा को दर्द हुआ फिर ,धीरे -धीरे वो भी अपना दर्द भूलने लगी.... वो अपने नाखूनों को एकांश की पीठ पर चुभाते हुए एकांश के नाम की सिसकियाँ भरने लगी ......पूरा कमरा अधीरा की सिसकियाँ और उसकी आहों से भर गया था !

    एकांश खुद को मूव करते हुए अधीरा के होठों अपने होंठों में कैद कर लिया उसे बेहद प्यार से किस करने लगा .....
    एकांश काफी तेजी से खुद को अधीरा में मूव कर रहा था....


    पूरे कमरे में अधीरा की सिसकियाँ एकांश की गहरी सांसों का शोर था...
    पूरे कमरे में उनके प्यार की भीनी-भीनी खुशबू फैली हुई थी ये सिलसिला सुबह पांच बजे तक चलता रहा ,,,एकांश अधीरा को सुबह पांच बजे छोड़ा था इस बीच अधीरा थक कर पहले ही सो गयी थी....

    एकांश ने अधीरा के माथे पर किस किया उसे अपनी बाहों में भरकर सो गया !








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  • 19. MERI JAAN - Chapter 19

    Words: 1077

    Estimated Reading Time: 7 min

    sunshine club

    सुबह का वक़्त ......

    एकांश का रूम ........

    कमरे के फ्लोर पर एकांश अधीरा के कपड़े चारों तरफ फैले हुए थे......

    कमरे में चारों तरफ इंटिमेसी की भीनी-भीनी खूशबू अभी भी फैली हुई थी ....

    एकांश और अधीरा एक दूसरे की बाहों में बेलिबाज थे उसके शरीर पर सिर्फ एक व्हाइट कलर की ब्लैंकेट थी ......

    एकांश अधीरा को अपनी बाहों में भरे हुए सुकून से सो रहा था ....

    अखिर डेढ़ साल बाद उसका सुकून उसकी बाहों में जो था ......

    इस वक़्त उसके चेहरे पर सुकून साफ नजार आ रहा था.....

    अधीरा भी एकांश के सीने पर सर

    रखकर आराम से सो रहीं थीं ......पर उस के छोटे से चेहरे पर कल रात की थकान साफ दिख रही थी...... थकान दिखे भी क्यों न एकांश ने रात भर उसे सोने कहा दिया था .... ..

    बाल्कनी से छनकर आती सूरज की रौशनी सीधे अधीरा के चेहरे पर पड़ रही थी.... अधीरा ने कसकसाते हुए अपनी आँखें खोली..... अधीरा कुछ क्लीयर नही दिख रहा था .....तो वो अपनी आँखों को मलती है अब उसे हर चीज क्लीयर दिख रहा था......

    अधीरा जब अपने आस - पास देखती है तो किसी अंजान रूम मे खुद को पा कर बुरी तरह से घबरा जाती है ......

    तभी अधीरा को महसूस होता है किसी ने उसे अपनी मजबूत बाहों में भरा हुआ है...... अधीरा धीरे से अपना चेहरा उपर उठाती है तो उसके सामने एकांश का हैंडसम सा चेहरा आ जाता है.....

    अधीरा धीरे से खुद को एकांश की बाहों से आजाद करती है और उठकर बैठ जाती है अधीरा एक नजर फिर से कमरे को ध्यान से देखती है तो उसे कल रात की बातें धीरे-धीरे याद आने लगती है..... कैसे विक्रम और उसके दोस्त उसके साथ जबरदस्ती कर रहे थे........ कैसे वो खुद को बचते हुए इस फ्लोर पर आ गयी थी...... कैसे वो किसी अजनबी शख्स की बाहों में थी.....

    अधीरा इसके आगे की चीजें याद कर रही थी पर उसे इसके आगे का कुछ याद नहीं आ रहा था .......क्योंकि उसे उसके सिर में बेहद दर्द हो रहा था वो अपने सिर को दबाते हुए आगे की चीजों को याद कर रही थी पर चाह कर भी उसे इसके आगे का कुछ भी नहीं याद आ रहा था......तभी उसका ध्यान खुद के उपर जाता है....... उसके शरीर पर सिर्फ एक पतली सी चादर है ......

    खुद इस हालत में देख अधीरा बुरी तरह घबरा जाती है साथ. ही उसकी आँखों में आँसू भर जाते हैं.........भले ही अधीरा को कल रात की बातें याद न हो पर कमरे की हालत और खुद की हालत देख कर उसे इतना समझ आ गया था जरूर उसके साथ कुछ बुरा हुआ है .........

    जिसे महसूस कर उसके आँखों में जमा हुए आँसू तेजी से बहने लगते..........अगले पल हो सिसक सिसककर रोने लगी........ पूरे कमरे में उसके रोने की और सिसकने की आवाज गूँज रही थी ........

    वही एकांश जो काफी सुकून से सो रहा था..... जैसे ही उसके कानो में अधीरा की रोने की आवाज सुनाई दी ........तो उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलने लगी उसने अपने बगल में देखा........

    जहां अधीरा अपना सिर घुटनों में छुपाये रो रही थी.......

    जिसे देख एकांश घबरा गया वो झटके से उठा .....उसने अधीरा को अपनी गोद में बिठाया और उसके चेहरे को अपने हाथों से थामा और उसके आंसू पोछते हुए बोला __क्या हो गया जान..... तुम रो क्यूँ रही हो बच्चा..... कहीं दर्द हो रहा है तुम्हें ......बताओ मुझे जान..... मैंने कल रात तुम्हें ज्यादा दर्द दे दिया क्या जान ......बताओ न बच्चा.... मुझे बहुत घबराहट हो रहीं हैं... बताओ न मेरी जान....

    वही अधीरा एकांश के एसे गोद में बिठाने की वजह से घबरा गई थी... पर एकांश के इतने प्यारे बिहेव करने की वजह से और इतने प्यार से पूछने की वजह से अधीरा की घबराहट थोड़ी कम हो गयी थी ......

    अधीरा एकांश से कहती है __आप कौन है.... हम यहा कैसे आये... क्या हुआ था कल रात .....हमे हमारी बॉडी में इतना पैन क्यों हो रहा है ...हमारा शरीर इतना दर्द क्यों कर रहा है.....

    इतना कहकर अधीरा फिर से रोने लगी क्योंकि कल नशे में होने की वजह से उसे ज्यादा दर्द का अहसान नहीं हुआ था.... पर अब उसे अपने शरीर में बेहद दर्द हो रहा था.... सबसे ज्यादा दर्द तो उसे अपने लोअर पार्ट में हो रहा था ......

    अखिर अधीरा थी ही कितने साल की महज 19 साल की.....

    अधीरा के लिए पूरी रात एकांश को सहना आसान नहीं था .......अधीरा तो बीच में ही थककर सो चुकी थी .....पर एकांश तो उसके सोने के बाद भी इंटिमेट होता रहा ....जब तक वो पूरी तरह से सेटिस्फाइड नहीं हो गया था.... तब तक उसने अधीरा को फ्री नहीं था ....... पर इसमें गलती एकांश की भी नहीं थी भले जैसे भी वो दोनों एक हुये हो.... लेकिन एकांश अपनी पूरी जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की के करीब गया था... ....वो कोई और नहीं उसकी मोहब्बत.. उसकी जान थी......... इसलिये एकांश चाहकर भी अधीरा के साथ जेंटल नहीं रह पाया था. ...... और अधीरा का उसका नाम लेकर सिसकना उसे और वाइल्ड होने पर मजबूर कर रहा था ......अधीरा के मुँह से निकली सिसकियों में अपना नाम सुनना उसे जन्नत की शैर जैसा लग रहा था........

    अधीरा की आखिरी बात सुनकर एकांश ने कसकर अपनी आंखें मीच ली....

    क्योंकि इसमें गलती तो उसकी ही थी....उसी ने पूरी रात अधीरा को सोने नहीं दिया था ......

    एकांश ने अधीरा के आंसू पोंछे उसकी आँखों को चुमते हुए कहा__ मुझे माफ कर दो मेरी जान ......मैं कल रात कुछ ज्यादा ही वाइल्ड हो गया था.... अपनी तड़प मिटाने के चक्कर में मैंने अपनी छोटी सी जान को इतना दर्द दे दिया.... सॉरी मेरा बच्चा !

    वही अधीरा जो एकांश की बातों को ध्यान से सुन रही थी अचानक ही उसे कुछ याद आया जिसकी वजह से वो हङबाङते हुए बोली ___हमें घर जाना हैं ......

    हम पूरी रात यही थे......अब तक तो रश्मि दी भी चली गयी होंगी.. हमे अपने घर जाना हैं .....वरना चाचीजी बहुत गुस्सा करेंगी... वो हमें मारेंगीं ..हमे जाने दीजिए !

    इतना कहकर अधीरा रोने लगी थी..... वही जब अधीरा ने रश्मि का जिक्र किया तो एकांश के चेहरे पर गुस्सा दिखने लगा था उसकी आँखें भी गुस्से से लाल हो गयी थी...... क्योंकि उसके आँखों के सामने कल रात के सारे पल घूमने लगे थे कैसे अधीरा दर्द से तड़प रही थी .....रो रही थी सिर्फ और सिर्फ उस रश्मि की वज़ह से !

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  • 20. MERI JAAN - Chapter 20

    Words: 546

    Estimated Reading Time: 4 min

    अधीरा को रोता देख और उसकी बातों को सुनकर एकांश को बहुत तकलीफ हो रहीं थीं अधीरा के एक एक बूँद आंसू एकांश के दिल पर किसी खंजर की तरह लग रहे थे एकांश ने जल्दी से अधीरा को अपने सीने से लगाया उसके बालों को सहलाते हुए उसे शांत कराते हुए बोला shhhhh शांत हो जाओ मेरा बच्चा कोई तुमपे गुस्सा नहीं करेगा नाही तुम्हें कोई मारेगा शांत हो जाओ मेरी जान तुम्हारा अंश तुम्हारे साथ है तुम्हारे अंश के होते हुए कोई तुम्हें हर्ट नही कर सकता है एकांश अधीरा के माथे को बार बार चूमते हुए उसे शांत करा रहा था साथ ही वो उसके बाल और पीठ को सहलाते हुए उसे शांत करा रहा था ताकि अधीरा शांत हो जाये हुआ भी एसा धीरे-धीरे अधीरा शांत होने लगी अब अधीरा पूरी तरह से शांत हो चुकी है उसका रोना बंद हो चुका अधीरा ने अपना सिर ऊपर उठाया और अपनी हरि आँखों से एकांश को टुकुर टुकुर देखने लगी ये करते हुए अधीरा बहुत क्यूट लग रही थी एकांश को अधीरा पर इस वक़्त बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि अधीरा बेहद प्यारी और बिल्कुल एक खिले हुए फूल की तरह लग रही थी कल उनके मिलन की वजह से अधीरा का चेहरा बिल्कुल नूर की तरह दमक रहा था बाल्कनी से आती सूरज की रौशनी में उसका छोटा सा चेहरा बिल्कुल सोने की तरह चमक रहा था एकांश ने अधीरा का चेहरा अपने हाथों में भरा उसके माथे पर किस किया और उससे बोला जान तुम जो चाहती हो तुम्हें वो सब मिलेगा प्यार परिवार घर सब कुछ तुम जो कराना चाहती हो कर सकती हो तुम्हें सब चीजों की इजाजत है लेकिन तुम्हें एक चीज की इजाजत नहीं है तुम्हें अपने घर जाने की इजाजत नहीं मुझसे दूर जाने की इजाजत नहीं मेरे इतने करीब आने के बाद तुम्हें मुझसे दूर जाने की इजाजत नहीं है बहुत तड़पा हूँ मैं तुम्हारे लिए बच्चा इन डेढ़ साल में मैं एक पल के लिए भी सुकून से नहीं रहा है और रहता भी कैसे मेरा सुकून मुझसे दूर जो था पर अब मेरा सुकून मेरी जान मेरे पास है मैं तुम्हें खुद से दूर जाने नहीं दूंगा चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यू न करना पड़े ये सारी बातें एकांश अधीरा की आँखों में देखते हुए कह रहा था साथ ही उसकी उन नीली आँखों अधीरा के लिए बेपनाह मोहब्बत और उसके लिए जुनून साफ दिख रहा था जिसे अधीरा भी साफ महसूस कर सकती थी अधीरा को एकांश थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि ये सारी बातें एकांश ने काफी जुनून से कहीं थी उस कहे एक एक लफ्ज़ में सच्चाई थी वो अधीरा को खुद से दूर नहीं जाने देगा अधीरा को खुद से डरता देख एकांश ने अधीरा को अपने सीने से लगाया उसके सिर को सहलाते हुए बोला डरों मत जान में तुम्हें डराना नहीं चाहता था लेकिन तुम्हें मुझसे दूर जाने की इजाजत नहीं है इसलिये मुझसे दूर का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो अधीरा लेकिन आप क्यू हमे अपने पास रखना चाहते हैं हम तो आपको जानते भी नहीं है हम तो आपसे इससे पहले मिले भी नहीं है फिर क्यू आप हमें अपने पास रखना चाहते हैं एकांश ने प्यार से अधीरा के एक सॉफ्ट किस किया उसके चेहरे को देखते हुए