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Hot Devil Lover

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Sameer Bose

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ये कहानी नव्या और अर्जुन के हाॅट और ओपन रोमांस कि हैं, 🔥 **जब दिल की बात होंठों तक आए बिना नहीं रुकती… जब नज़रों की टक्कर से जिस्म में आग लग जाए… और जब मोहब्बत शर्म नहीं, ज़रूरत बन जाए — तब शुरू होती है नव्या और अर्जुन की कहानी।**...

Total Chapters (136)

Page 1 of 7

  • 1. Hot Devil Lover - Chapter 1

    Words: 936

    Estimated Reading Time: 6 min

    रात बहुत गहरी हो चली थी, लेकिन शहर के उस प्राइवेट डिस्को क्लब में रात अभी बस शुरू हुई थी। तेज़ म्यूज़िक, चमकती लाइट्स, नशे में डूबी आवाज़ें और झूमते हुए शरीरों से वो जगह एक नशे की दुनिया लग रही थी।

    हर कोई किसी न किसी जोश में खोया था, लेकिन कोने की टेबल पर बैठी एक लड़की अपनी ही दुनिया में डूबी हुई थी। उसके हाथ में ग्लास था, जिसमें पीली तरल रौशनी झिलमिला रही थी। वो लगातार एक के बाद एक ड्रिंक पी रही थी। उसकी नज़रें किसी एक बिंदु पर अटकी थीं, जैसे अपने अंदर कुछ दबा रही हो। लेकिन ये कोई आम ड्रिंक नहीं थी। उसमें किसी ने कुछ मिला दिया था... शायद ड्रग्स।

    लड़की का नाम नव्या था। उम्र लगभग उन्नीस साल। बेहद खूबसूरत, मासूम चेहरा, लेकिन उस मासूमियत में भी कुछ बागी सा था आज। उसकी आंखों में नमी और होंठों पर गुस्से की पपड़ी थी। वो गिलास रखते हुए फिर से बोल पड़ी—खुद से या शायद किसी अदृश्य इंसान से, जो उसके अंदर बैठा था।

    "साले अंकित... तूने कहा मैं हैपनिंग नहीं हूं? हॉट नहीं हूं? अब देख, आज रात सबकुछ बदल दूंगी मैं।"

    वो फिर से गिलास उठाने लगी, लेकिन तभी उसे थोड़ा चक्कर आने लगा। वो लड़खड़ाई, और एक अजनबी लड़का उसका सहारा देने आगे आया। वो कुछ बोलने ही वाला था कि नव्या ने अचानक ही उसका हाथ पकड़कर खींचा और अपने करीब ले आई।

    उसने बिना हिचकिचाहट उसके थाईज पर हाथ रखा और शराबी लहराती आवाज़ में कहा,

    "कभी कुछ किया है?"

    लड़का ठिठक गया, लेकिन फिर वो हँसते हुए बोला,

    "बहुत बार... लेकिन तुम क्यों पूछ रही हो? क्या आज रात तुम मजा चखना चाहोगी?"

    नव्या की आंखों में अजीब सी आग जल उठी थी। उसने धीमे से फुसफुसाते हुए कहा,

    "हां, आज सारे बंधन और कपड़े खोलकर, मैं कुछ हटके करना चाहती हूं। उस साले अंकित ने कहा कि मैं हॉट नहीं हूं... इसलिए मुझसे रिश्ता तोड़ दिया। देखना, आज रात को वो पछताएगा। तुम रुको... मैं अभी आती हूं।"

    इतना कहकर नव्या उठी और लड़खड़ाती चाल से वॉशरूम की ओर बढ़ गई।

    लेकिन चक्कर और नशे ने मिलकर उसके कदमों को भटका दिया। वो गलती से उस क्लब से सटे होटल के गलियारे में जा पहुंची। और फिर... एक कमरे का दरवाज़ा उसे खुला मिला।

    कमरा किसी आम इंसान का नहीं था। वो होटल का प्रीमियम सूट था। वहां पहुंचकर वो सीधे बिस्तर पर जा लेटी, आंखें बंद कर लीं और गहरी सांस ली। उसके होठों पर अब भी हल्की शराबी मुस्कान थी।

    तभी, उस कमरे का असली मालिक लौट आया।

    वो टॉल, डार्क, और एक्सट्रीमली हैंडसम था। कंधों तक गीले बाल, टॉवल से खुद को पोंछता हुआ, खुले सीने के साथ वो कमरे में दाखिल हुआ। उसकी नजरें अभी बिस्तर की ओर नहीं गई थीं। वो सीधा बाथरूम में घुसा और फिर दो मिनट बाद बाहर आया।

    जब उसकी नजरें बेड पर पड़ीं, तो उसके माथे की रेखाएं सिकुड़ गईं।

    "ये लड़की कौन है... और मेरे कमरे में क्या कर रही है?"

    वो चौंक कर रुका। लेकिन फिर मुस्कुराया।

    "ओह... शायद मेरे दोस्तों ने फिर से कोई 'सरप्राइज' प्लान किया है। जानते हैं ना कि मुझे इन सब चीजों में दिलचस्पी नहीं है... फिर भी..."

    वो पास आया, लेकिन जैसे ही उसने नव्या का चेहरा देखा—उसके कदम वहीं रुक गए।

    मासूम चेहरा, शराबी नज़रों वाली लड़की—लेकिन उसकी खूबसूरती में एक अजीब सा खिंचाव था। उसकी ड्रेस, जो मुश्किल से उसके शरीर को ढँक पा रही थी—छोटी, ऑफ-शोल्डर और दो टुकड़े की। उसकी नाभि खुली थी, बाल बिखरे हुए थे, और होंठ थोड़े सूजे हुए। वो नशे में थी, लेकिन फिर भी—उसमें कुछ था जो दिल रोक देता था।

    उस आदमी का नाम था—**अर्जुन सिंघानिया।** मुंबई का मशहूर बिलियनेयर। इतना रिच और पावरफुल कि दुनिया की कोई भी लड़की उसके साथ एक रात बिताने के लिए तैयार रहती थी। लेकिन अर्जुन—उसे कभी कोई पसंद नहीं आया। उसकी दुनिया बिज़नेस, अनुशासन और अकेलेपन के बीच घूमती थी।

    लेकिन आज... इस लड़की को देख, अर्जुन का दिल एक लम्हे के लिए रुक गया था।

    वो उसके करीब आया। झुका, और उसके चेहरे से बालों की लट हटाई। जैसे ही उसके नर्म गालों को छुआ, नव्या की पलकों में हरकत हुई।

    उसने आंखें खोलीं।

    कुछ पल दोनों की नज़रें मिलीं। नव्या ने कुछ देर उसे देखा, फिर हल्की मुस्कान के साथ कहा,

    "तुम... अच्छे दिखते हो। क्या मैं आज तुम्हारे साथ सो सकती हूं?"

    अर्जुन चौंका।

    "तुम्हें पता है ये मेरा रूम है?" वो सख्ती से बोला।

    "नहीं... और मुझे फर्क भी नहीं पड़ता। आज... मैं किसी के साथ होना चाहती हूं। किसी अजनबी के साथ।"

    उसका स्वर मासूम था, लेकिन उसमें गहराई और दर्द दोनों थे। अर्जुन का दिल अजीब सी उलझन में फंस गया।

    "तुम नशे में हो। तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए।" अर्जुन ने धीमे से कहा।

    "मुझे नहीं करना चाहिए... लेकिन मुझे करना है। आज नहीं किया तो... खुद से हार जाऊंगी मैं।"

    अर्जुन ने एक गहरी सांस ली और उसके हाथ को अपने हाथ में लिया।

    "तुम्हारा नाम क्या है?"

    "नव्या..." उसने आंखें झपकाते हुए कहा।

    "ठीक है नव्या, आज रात तुम मेरे रूम में रह सकती हो... लेकिन जैसा तुम सोच रही हो, वैसा कुछ नहीं होगा।"

    "तुम भी बाकियों जैसे ही निकले... बोरिंग।" नव्या ने मुंह बनाते हुए कहा।

    "शायद... लेकिन कम से कम मैं तुम्हें यूज़ नहीं करूंगा।"

    अर्जुन ने उसके लिए पानी मंगवाया, उसे कंबल ओढ़ाया और खुद सोफे पर जाकर बैठ गया।

    कमरे में सन्नाटा था, लेकिन दिलों में शोर था। लेकिन नव्या को देख उसे अपने शरीर के नीचले हिस्से में कसावट महसूस होने लगी। मन ही मन उसका सब्र टूट रहा था, अचानक वो खड़ा होकर बेड के पास पहुंचा।

    ---

  • 2. Hot Devil Lover - Chapter 2 ( इंटीमेसी )

    Words: 509

    Estimated Reading Time: 4 min

    रात बहुत गहरी हो चुकी थी। कमरे में बाहर की स्ट्रीट लाइट से छनती पीली रोशनी एक नर्म-सी परछाईं बना रही थी। चारों ओर सन्नाटा गहराता जा रहा था, और उस सन्नाटे में अर्जुन की धड़कनों की आवाज़ उसे खुद ही साफ़ सुनाई देने लगी थी।

    वो चुपचाप नव्या को देख रहा था—उसके चेहरे को, जिसमें मासूमियत और रहस्यमयी आकर्षण एक साथ समाया था। उसकी निगाहें जैसे उस क्षण को अपनी आँखों में कैद कर लेना चाहती थीं। गर्दन से कंधों तक, और फिर भीगी-सी लटों के बीच से झाँकते चेहरे पर उसकी नजरें ठहर गईं।

    **अर्जुन (मन में सोचते हुए):**

    "कितनी खूबसूरत है... जैसे किसी ख्वाब की तरह। नाज़ुक, और फिर भी अजीब सी ताक़त लिए हुए।"

    उसकी नज़रें नव्या के होंठों पर टिक गईं—जो किसी अनकहे वादे जैसे लग रहे थे। उसने अनजाने में ही हाथ बढ़ाया, जैसे एक तड़प से राहत पाने की कोशिश कर रहा हो।

    लेकिन तभी नव्या चौंक कर उठ बैठी। उसकी आँखें खुली थीं, सवालों से भरी हुईं।

    **नव्या (चौंक कर):**

    "तुम...? तुम कौन हो? मेरे घर में क्या कर रहे हो? मैं अभी पापा को बुला लूँगी! वो पुलिस में हैं!"

    अर्जुन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई, पर उसमें कोई उपहास नहीं था। बस एक ठहराव था।

    **नव्या (गुस्से और मासूमियत में):**

    "मत हँसो! मेरी बात कोई सीरियस क्यों नहीं लेता? मदर प्रॉमिस... मेरे पापा सच में पुलिस में हैं!"

    अर्जुन ने उसकी बातों को ध्यान से सुना। वो उसके हिलते होंठों को देख रहा था, उसकी आँखों की बेचैनी को महसूस कर रहा था। पल भर को वो रुका... लेकिन फिर जैसे कोई जज़्बात ज़ोर पकड़ गया।

    वो थोड़ा आगे झुका... और नव्या को चूम लिया।

    नव्या एक पल को सन्न रह गई। उसकी साँसें थम सी गईं। लेकिन फिर उसने भी उसे थामा, और उसी खामोशी में अपनी स्वीकृति दे दी।

    **नव्या (धीरे से मुस्कुराकर):**

    "आँख के बदले आँख... और शायद... ये भी।"

    अर्जुन की आँखों में अब एक नशा-सा था—लेकिन उसमें जल्दबाज़ी नहीं थी, बस एक तलब थी, जो धीरे-धीरे गहराती जा रही थी।

    **अर्जुन:**

    "बेबी डॉल... ये रात खास है। क्या तुम भी चाहती हो इसे खास बनाने देना?"

    नव्या कुछ कहती, इससे पहले ही अर्जुन ने फिर से उसके होंठों को छुआ। इस बार उनका स्पर्श थोड़ा और गहरा था, थोड़ा और बयाँ करने वाला।

    नव्या ने आँखें बंद कर लीं, जैसे उस पल को महसूस करना चाहती हो। कमरे की हवा में अब एक अलग सी गर्माहट घुलने लगी थी।

    अर्जुन ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में लिया, और उसकी गर्दन पर हल्के से होंठ रख दिए। नव्या की साँसें अनियंत्रित-सी होने लगीं।

    उसने उसकी गर्दन पर हल्की सी निशानी छोड़ दी। नव्या की उँगलियाँ उसकी बाज़ुओं को थामने लगीं।

    **नव्या (धीमी फुसफुसाहट में):**

    "डैविल बेबी... तुम जादू करते हो..."

    अर्जुन के हाथ उसकी कमर पर फिसले। स्पर्श में कोई जल्दबाज़ी नहीं थी, सिर्फ एहसास था। उनके बीच की नज़दीकियाँ अब एक-दूसरे की धड़कनों में उतरने लगी थीं।

    उनके स्पर्श, उनकी साँसें, उनके लफ़्ज़ अब सब कुछ एक ही लय में बहने लगे थे... जैसे ये रात उनके लिए ही रुकी हो।

    ---

  • 3. Hot Devil Lover - Chapter 3 (**नव्या )

    Words: 649

    Estimated Reading Time: 4 min

    ### **अध्याय**

    नव्या की आँखें अब बंद थीं। उसकी साँसें गहरी और रुक-रुक कर चल रही थीं, जैसे हर पल में कुछ नया महसूस हो रहा हो... कुछ ऐसा जो पहले कभी नहीं हुआ।

    अर्जुन का चेहरा उसकी गर्दन से नीचे खिसकने लगा था। उसके होंठों का गर्म एहसास, उसके नाज़ुक बदन पर रेंगते हुए जैसे आग की लपटें छोड़ रहा था। नव्या की रग-रग में सरसराहट दौड़ गई।

    **नव्या (धीरे से):** "माए डैविल बेबी... क्या कर रहे हो तुम..."

    उसकी आवाज़ में विरोध नहीं था—उलझन थी, पर उन उलझनों के पीछे छुपी थी एक बेकाबू चाह। वो खुद नहीं समझ पा रही थी कि ये जो हो रहा है, वो इसे रोकना चाहती है या महसूस करना।

    अर्जुन ने उसकी कमर को और कसकर पकड़ा। उसकी स्कर्ट अब और ऊपर खिसक चुकी थी। वो अब नव्या की जांघों पर अपने होंठ फिरा रहा था, हर स्पर्श के साथ नव्या की साँसें तेज़ हो रही थीं।

    उसने अपनी उँगलियाँ उसकी कमर से खिसकाकर उसकी जांघों के पास ले आईं। अब वो पेंटी के ऊपर से ही उसे छू रहा था। नव्या की आँखें कसकर बंद हो गईं और होंठों से एक हल्की-सी सिसकी निकली—

    **नव्या:** "उह्ह... डैविल... रुक जाओ..."

    लेकिन अर्जुन की उँगलियाँ अब उस सीमा रेखा के पार उतर रही थीं, जहाँ स्पर्श अब सिर्फ शारीरिक नहीं रह जाता।

    उसने अपने चेहरे को ऊपर उठाया और नव्या की आँखों में झाँका। उनकी नज़रें मिलीं—और उस एक टकराहट में सब कुछ साफ़ था।

    **अर्जुन:** "तुम चाहती हो मैं रुक जाऊँ... लेकिन तुम्हारा जिस्म की हर लहर मुझे कुछ और कह रही है।"

    नव्या कुछ बोल नहीं पाई। उसने बस अपनी आँखें फेर लीं, लेकिन उसकी उँगलियों की पकड़ अर्जुन की कलाई पर और कस गई थी... मानो खुद को थाम रही हो या उसे रोक रही हो—या फिर शायद खुद को उसकी तरफ और धकेल रही हो।

    अर्जुन अब उसके ऊपर झुक गया। उनके चेहरे इतने करीब थे कि साँसों की गर्माहट एक-दूसरे की धड़कनों को महसूस कर रही थी।

    **नव्या (धीरे से):** "तुम पागल हो..."

    **अर्जुन (मुस्कुराते हुए):** "हाँ... तुम्हारे लिए... सिर्फ तुम्हारे लिए पागल।"

    फिर एक और किस—और ये किस अब पहले से भी ज़्यादा गहरी थी, ज़्यादा भूखी... जैसे अब कोई रुकावट बची ही नहीं।

    कमरे की फिज़ा अब पूरी तरह बदल चुकी थी। बाहर कहीं दूर एक कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आई, लेकिन कमरे के भीतर सिर्फ एक-दूसरे की सिसकियाँ, साँसों की आवाज़ और रगों की धड़कनें थीं।

    अर्जुन ने धीरे-धीरे उसकी पेंटी को खींचना शुरू किया। नव्या ने अपनी जांघें कस लीं, लेकिन उसका विरोध आधा-अधूरा था। अर्जुन उसकी आँखों में देखता रहा—और जब उसे महसूस हुआ कि नव्या की आँखें अब पिघल चुकी हैं, उसने पेंटी को पूरी तरह उतार दिया।

    उसका हाथ अब उस सबसे नाज़ुक हिस्से तक पहुँचा, जिसे अब तक किसी ने शायद छुआ भी नहीं था। वो पुरी तरह से गीला था, उसकी कुछ बूंदें बिस्तर पर टपक रही थी, ये देख अर्जुन के दिल में बेचैनी बढ़ रही थी।

    नव्या की साँसें बेकाबू हो चुकी थीं। उसने अपने होंठ दबा लिए थे, लेकिन अंदर से हर थरथराहट बाहर निकलने को बेताब थी।

    **नव्या:** "प्लीज़... प्लीज़... कुछ भी करो, पर मुझे छोड़ कर मत जाना..."

    अर्जुन ठहर गया। उसका चेहरा एक पल को शांत हो गया, जैसे उसके दिल की किसी छुपी हुई गहराई को नव्या ने छू लिया हो।

    **अर्जुन (धीरे से):** "अब जब तुम मेरी हो गई हो... तो समझ लो, तुम मुझसे कभी अलग नहीं हो सकती।"

    उसने अपना माथा नव्या के माथे से सटा दिया। दोनों की आँखें बंद थीं, और दिल—एक ही ताल में धड़क रहे थे।

    फिर उसने नव्या को पूरी तरह अपनी बाहों में समेट लिया। दोनों जिस्म अब एक-दूसरे से लिपटे हुए, बेतरतीब सांसों और धड़कनों के समुंदर में डूब रहे थे।

    रात गहराती रही। दीवारों पर परछाइयाँ और गाढ़ी होती रहीं। सन्नाटे ने सारी आवाज़ें निगल लीं, सिवाय उन दो धड़कनों के... जो अब एक साथ चल रही थीं।

  • 4. Hot Devil Lover - Chapter 4 (उसे खुद के )

    Words: 762

    Estimated Reading Time: 5 min

    रात गहराती जा रही थी, लेकिन उस कमरे के भीतर हर पल जैसे एक लपट में बदलता जा रहा था। अर्जुन की आँखों में नशा था, लेकिन उससे ज़्यादा जुनून। नव्या की साँसें भारी थीं—नशा, उत्तेजना, और अर्जुन की नज़रों का असर सब कुछ मिला-जुला कर उसे किसी दूसरी ही दुनिया में ले जा रहा था।

    अर्जुन उसके और करीब आया, और बिना कोई बात किए, उसकी पैंटी धीरे से नीचे सरकाई... फिर उसे होंठों से चूमा—एक हल्का, गीला, लेकिन तेज़ चुंबन। नव्या ने आँखें मूँद लीं। अर्जुन ने पैंटी दूर फेंक दी।

    नव्या अब किसी होश में नहीं थी। उसका गर्म होता शरीर उसकी हर सोच पर हावी हो चुका था। वो खुद को रोक नहीं सकी, और अर्जुन का हाथ पकड़कर अपने दोनों बूब्स पर रख दिया। उसकी उंगलियाँ जैसे उसके बूब्स पर कसने लगीं।

    **अर्जुन मुस्कराया,** उसकी आँखों में शरारत चमकी—

    "जान... तुम तो मुझसे भी ज़्यादा बेसब्र हो रही हो।"

    नव्या ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा,

    "हाँ... बहुत, माय डैविल बेबी..."

    अर्जुन ने कपड़ों के ऊपर से ही उसके बूब्स को जोर से दबाया। नव्या की रगों में जैसे करंट दौड़ गया। उसके होंठों से सिसकियाँ फूट पड़ीं। वो हौले से आगे झुकी—जैसे उसे खुद के बूब्स को दिखाना चाह रही हो—

    "देखो... ये कितने बड़े हैं, कितने खूबसूरत..."

    अर्जुन की आँखें कुछ पल उस पर टिकी रहीं। फिर, अचानक—एक ही झटके में उसने नव्या के बाकी सारे कपड़े उतार फेंके।

    "अब और नहीं सहा जा रहा..." उसकी आवाज़ में खुरदरापन था, एक मर्दाना प्यास।

    नव्या अब अर्जुन के सामने एकदम नंगी थी। उसकी साँसें तेज़ थीं, चेहरा शर्म से गुलाबी हो चुका था। उसने झट से अपने बूब्स को दोनों हाथों से ढक लिया—जैसे पहली बार खुद को किसी की नज़र से देख रही हो।

    "ये क्या?" अर्जुन ने कहा, उसकी हथेलियाँ उसके हाथों पर रख दीं, "अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं हो सकता..."

    उसने धीरे से उसके हाथ हटा दिए... नव्या को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। उसकी उंगलियाँ, नव्या की उंगलियों में फँस गईं। वो कस कर पकड़ रहा था, जैसे वो पल कहीं भाग न जाए।

    फिर अर्जुन ने उसे वाइल्ड होकर चूमा—पहले होंठ, फिर गर्दन। हर बाइट के साथ नव्या की सिसकियाँ गहरी होती गईं। जब उसने बूब्स पर अपने होंठ रखे, नव्या की कमर अनायास ही ऊपर उठ गई।

    "तुम्हारे बूब्स... बहुत बड़े हैं... खूबसूरत भी... और सॉफ्ट..." अर्जुन ने कहा, फिर जीभ से काटने लगा, जैसे वहाँ कोई मिठाई हो।

    नव्या ने अपनी आंखें बंद कर लीं, उसकी उंगलियाँ अर्जुन के बालों में चली गईं। वो बुरी तरह सिहर रही थी, उसकी हर सांस में चाह थी।

    कुछ ही देर बाद, अर्जुन नीचे सरक गया—नव्या के पैरों के बीच। उसने वहाँ अपनी जीभ फिराई, हल्की बाइट करी और चूमा। नव्या की टाँगें खुद-ब-खुद कसने लगीं। उसने अर्जुन के सिर को अपनी टांगों से जकड़ लिया।

    "अर्जुन..." वो सिसकारी भरती रही।

    अर्जुन अब पूरे जोश में था, उसकी जीभ, उसकी ब्रीथ—सब कुछ नव्या को पिघला रहा था। फिर वो खड़ा हुआ, और अपने भी सारे कपड़े उतार फेंके। बेड के किनारे अर्जुन एकदम नंगा खड़ा था, उसकी साँसें तेज़ थीं।

    नव्या की निगाहें उस पर गईं... वो ठहर गईं।

    "ये तो... बहुत बड़ा है," नव्या की आवाज़ धीमी लेकिन भरी हुई थी, "मैंने आज तक... खुली आंखों से ऐसा कुछ नहीं देखा..."

    **अर्जुन ने मुस्कराते हुए पूछा,**

    "क्या तुम इसे... मुँह में लेना चाहती हो?"

    नव्या ने अपनी गर्दन झुकाई, होंठों पर जीभ फिराई, और कहा,

    "यस... माय डैविल बेबी..."

    वो बिस्तर पर बैठी, घुटनों पर झुकी... अर्जुन के सामने एकदम नंगी। उसने उसके मैनहुड को हाथों में थामा—गर्म, कड़ा, धड़कता हुआ। फिर धीरे-धीरे उसे अपने मुँह में लिया।

    अर्जुन की सांसें उखड़ने लगीं। उसने अपने हाथ नव्या के बालों में डाले और कस कर पकड़ लिया।

    "शिट... नव्या..."

    वो एक पल को आँखें बंद कर लेता है, फिर नीचे देखता है—नव्या उसकी तरफ देख रही है, उसकी आँखों में प्यास, होंठों में आग। वो उसे गहराई तक महसूस कर रहा था।

    हर बार जब नव्या उसे अपने मुँह में गहराई तक लेती, अर्जुन की साँसें भर आतीं। उसकी उंगलियाँ कसने लगतीं। एक पल ऐसा भी आया जब वो नव्या की ठुड्डी थाम कर उसे ऊपर देखता है—दोनों की नज़रें मिलती हैं—

    "तुम्हारी आँखों में शैतान बसता है..." अर्जुन बड़बड़ाता है,

    "और मैं तुम्हारा कैदी बनना चाहता हूँ..."

    नव्या ने उसकी बात पर हल्की मुस्कान दी... और फिर से उसे अपने अंदर ले लिया।

    कमरे में सिर्फ सिसकियाँ थीं, साँसों की धड़कन थी, और वो आवाज़ें जो सिर्फ एक पागल रात में होती हैं। ये जुनून था, ये प्यास थी, ये प्यार नहीं... आग थी।

  • 5. Hot Devil Lover - Chapter 5 (और फिर )

    Words: 803

    Estimated Reading Time: 5 min

    ### 🖤 चैप्टर...

    नव्या अब अर्जुन के मैनहुड को पूरी तरह अपने अंदर लेने की कोशिश कर रही थी। उसकी आँखें बंद थीं, होंठ खुले, और साँसें बेकाबू। अर्जुन उसकी हर हरकत पर अपनी उँगलियाँ और कस रहा था—उसके बालों में अपनी पकड़ और भी गहरी करता जा रहा था। उसकी कमर खुद-ब-खुद आगे को झुक रही थी, मानो वो और अंदर तक महसूस करना चाहता हो।

    "नव्या... पागल कर रही हो मुझे..." अर्जुन सिसकते हुए बोला।

    नव्या ने उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कराया, फिर मैनहुड को अपने होंठों से छोड़कर उसकी आँखों में देखा। उसकी आँखें लाल हो रही थीं, जैसे किसी आग में जल रही हों।

    "मैं पागल करने ही तो आई हूँ... माय डैविल बेबी..." उसने धीरे से कहा, और फिर दोबारा उसे अपने होंठों में भर लिया।

    अर्जुन अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसने एक झटके में नव्या को खींचकर ऊपर उठाया, उसे सीने से चिपकाया और बेड पर पलटकर गिरा दिया। नव्या की पीठ अब बेड पर थी और अर्जुन उसके ऊपर झुका हुआ था।

    वो दोनों अब एक-दूसरे की सांसों में डूबे हुए थे।

    "अब मैं तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाने वाला हूँ..." अर्जुन की आँखों में एक पागलपन था, जो सिर्फ नव्या के लिए था।

    उसने एक बार फिर नव्या के होंठों को चूमा—इस बार और गहराई से। फिर धीरे-धीरे उसकी गर्दन, कॉलर बोन, और सीने तक अपनी जीभ से उतरता गया। उसने नव्या के बूब्स को फिर से थामा—पहले धीरे से सहलाया, फिर जोर से दबाया।

    "तुम्हारी ये चीज़ें... मुझे तुम्हारा गुलाम बना रही हैं..." अर्जुन ने दाँतों से हल्का सा बाइट लिया और फिर जीभ से चाटने लगा।

    नव्या की चीख निकल गई, लेकिन वो उसे रोक नहीं रही थी—बल्कि खुद अर्जुन के सिर को अपने सीने से और कस कर पकड़ लिया।

    "और करो माए डैविल... और..." उसकी आवाज़ में हुक्म नहीं, विनती थी।

    अब अर्जुन नीचे गया—उसकी जीभ नव्या के पेट से होती हुई उसके थाईज़ तक पहुँच गई। वहाँ पहुँचकर उसने एक बार फिर नव्या की टांगें अलग कीं, और उसके बीचोंबीच अपनी जीभ रख दी।

    नव्या की चीख कमरे की दीवारों से टकरा गई।

    "ओह्ह माए डैविल..."

    वो अब काँप रही थी—उसकी उंगलियाँ बेड की चादरें मरोड़ रही थीं, कमर ऊपर उठ रही थी, और साँसें टूटने की कगार पर थीं।

    अर्जुन वहाँ जीभ से खेलता रहा—अंदर, बाहर, ऊपर, नीचे—हर जगह वो उसे पिघला रहा था। नव्या अब एक पल भी नहीं रोक पा रही थी। उसने अर्जुन के बाल खींचते हुए उसे ऊपर खींचा। अर्जुन के मुंह पर गाढ़ी मलाई लगी थी नव्या की गाढ़ी मलाई।

    "अब मुझे और चाहिए माए डैविल... अंदर चाहिए... अभी..."

    अर्जुन ने एक बार फिर उसकी आँखों में देखा। वो अब बिल्कुल पिघल चुकी थी। उसने बिना देर किए अपना मैनहुड पकड़ा और खुद को नव्या के छेद पर रखा।

    "तैयार हो?"

    "हर एक इंच के लिए तैयार हूँ..." नव्या ने आँखें बंद करते हुए कहा।

    और फिर अर्जुन ने खुद को अंदर धकेल दिया—एक ही झटके में।

    "हाआआ..." नव्या की चीख तेज़ थी। अर्जुन भी सिसका।

    दोनों अब एक लय में थे—एक आग की लहर के साथ हिलते हुए। अर्जुन की कमर उसकी कमर से टकरा रही थी, और हर बार वो थोड़ा और गहराई तक जाता था। नव्या की उंगलियाँ अर्जुन की पीठ में धँस रही थीं।

    "तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी..." अर्जुन बड़बड़ा रहा था।

    "हाँ माए डैविल... सिर्फ तुम्हारी..." नव्या बेजान सी होकर सिर्फ उसकी पकड़ में थी।

    उनकी गति अब तेज़ हो रही थी। बेड ज़ोर से हिल रहा था, कमरे में सिर्फ उनकी आवाज़ें, उनकी साँसें, उनकी सिसकियाँ थीं। अर्जुन बीच-बीच में नव्या के होंठों को चूमता, गर्दन पर बाइट करता, और फिर नीचे जाकर उसके बूब्स पर अपने होंठ टिकाता।

    फिर उसने एक और झटका दिया—इस बार और ज़्यादा गहराई से। नव्या की पूरी देह झनझना गई।

    "मुझे सब कुछ चाहिए नव्या... तुम्हारा शरीर, तुम्हारी रूह, सब कुछ..."

    "ले लो ... सब ले लो..." उसकी आवाज़ टूट रही थी।

    अर्जुन की रफ़्तार तेज़ होती गई। अब वो खुद भी आखिरी मोड़ पर था। उसने नव्या को अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया, और एक आखिरी ज़ोरदार मूवमेंट में खुद को उसके अंदर पूरी तरह उतार दिया।

    उन दोनों की चीखें एक साथ निकलीं—जैसे कोई तूफान फट पड़ा हो।

    कुछ पल बाद अर्जुन नव्या के ऊपर ही लेटा रहा, उसकी साँसें अभी भी थमी नहीं थीं। नव्या ने अपनी उंगलियाँ उसकी पीठ पर फिराई और मुस्कराकर कहा—

    "तुम सच में डैविल हो, बेबी..."

    अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—

    "और तुम मेरी पर्सनल हैवन..."

    ---

    कुछ मिनट बाद...

    अर्जुन ने नव्या को गोद में उठाया और बाथरूम की ओर बढ़ गया। उसका शरीर अब भी काँप रहा था, लेकिन उसके होठों पर एक संतुष्ट मुस्कान थी। उसने अर्जुन के कंधे पर सिर रखा और आँखें बंद कर लीं।

    आज रात उन्होंने एक-दूसरे को सिर्फ छुआ नहीं था... समर्पित किया था।

    ---

  • 6. Hot Devil Lover - Chapter 6 (तुम्हारा ये )

    Words: 699

    Estimated Reading Time: 5 min

    उस पागलपन के बाद कमरे में गहरी खामोशी थी। लेकिन वो खामोशी भी जैसे सिसकियों से भीगी हुई थी। बेड पर चादरें अस्त-व्यस्त थीं, तकिए ज़मीन पर गिरे हुए, और बीच में नव्या अर्जुन के सीने पर सर रखकर अधूरी नींद में थी।

    अर्जुन उसकी पीठ पर उंगलियाँ फेर रहा था, जैसे उसे छुए बिना उसका दिन शुरू ही न होता हो।

    अचानक ही अर्जुन की उंगलियाँ नव्या की कमर से नीचे खिसकने लगीं… और फिर उसके हिप्स पर रुक गईं। उसने एक हाथ से कस के नव्या को खींच लिया।

    "ओए डैविल बेबी… फिर से?" नव्या की नींद में आवाज़ थी, लेकिन होंठों पर मुस्कान भी थी।

    "सुला के जगा कौन रहा है… तुम्हारा ये नंगा जिस्म खुद बोलता है… 'छू मुझे फिर से'..." अर्जुन ने उसकी गर्दन पर होंठ रगड़ते हुए कहा।

    नव्या ने करवट ली और अब अर्जुन के नीचे आ गई। उसने दोनों हाथों से उसका चेहरा थाम लिया और बोली—

    "मैं तुम्हारी हूं … पर तुम्हारी ये भूख कभी कम नहीं होगी क्या?"

    "नहीं। और तुम ही हो जो इसे और बढ़ा देती हो।" अर्जुन ने एक झटके में उसे अपनी बांहों में कस लिया, उसके बूब्स सीने से दब गए थे और दोनों फिर से एक-दूसरे में घुलने लगे।

    नव्या ने नीचे झुककर अर्जुन के होंठों को चूमा, फिर सीधा उसके सीने पर जीभ फेरने लगी।

    "आज तो तुम मेरा मीडनाईट डीनर हो…" उसने दाँतों से अर्जुन के निप्पल पर हल्की बाइट ली।

    अर्जुन की सिसकारी निकल गई, उसने उसका चेहरा उठाया और बोला—

    "तो फिर मैं भी तुम्हारी प्लेट तैयार कर दूं?"

    अर्जुन ने उसके बाल पकड़े, और उसे फिर से नीचे धकेल दिया। नव्या अब अर्जुन के मैनहुड के पास थी— उसे अपनी हथेलियों में पकड़कर उसने उसकी तरफ देखा।

    "ओह माय गॉड… ये पहले से और भी बड़ा लग रहा है…"

    "क्योंकि तुम हो यहाँ…"

    नव्या ने बिना कुछ कहे उसे मुंह में लेना शुरू किया… गहराई तक… अर्जुन अब आँखें बंद करके बस सांसें ले रहा था। नव्या की जीभ की चाल और होंठों की गर्मी उसे फिर से जगा रही थी।

    अर्जुन ने एक हाथ से नव्या के बालों को खींचा, और दूसरे से उसके गालों को पकड़कर उसे ऊपर खींचा—

    "अब मेरी बारी है… अब तुम खुद चढ़ कर दिखाओ मुझे…"

    नव्या मुस्कराई और सीधा अर्जुन के ऊपर आ बैठी— एकदम नंगी, बाल बिखरे हुए, और चेहरे पर वो नशा जो अर्जुन को अपना दीवाना बना देता था।

    उसने मैनहुड को अपने हाथ में लिया, और खुद को धीरे-धीरे अर्जुन के अंदर उतारने लगी। जैसे-जैसे वो अंदर जाती, उसकी गर्दन पीछे की ओर झुकती जाती।

    "हाआ… अर्जुन… फिर से…"

    अर्जुन उसके हिप्स पकड़ कर उसे ऊपर-नीचे करने लगा, और नव्या अब खुद को अर्जुन पर पूरी तरह छोड़ चुकी थी। उसकी हर हरकत, हर आहट, हर कसमसाहट अर्जुन को दीवाना बना रही थी।

    "तेरा ये बदन… तेरी ये आहें… मेरी जान ले लेंगी एक दिन…" अर्जुन ने उसके बूब्स को पकड़कर जोर से दबाया।

    "ले ले मेरी जान… ले ले… लेकिन यूँ ही… अंदर रहकर…" नव्या ने उसकी आंखों में झाँकते हुए कहा।

    अब वो दोनों पागल हो चुके थे। गति तेज़ हो गई थी, कमरे की दीवारें थरथराने लगी थीं, और चादरें फिर से अस्त-व्यस्त होने लगीं।

    अर्जुन ने अचानक ही नव्या को नीचे गिरा दिया— अब वो ऊपर था।

    "अब मेरी स्पीड में झेलो…"

    उसने एक झटके में खुद को गहराई तक धकेल दिया— नव्या की चीख निकल गई—

    "हाआ डैविल...!"

    उसने उसके दोनों पैर कंधों तक उठा लिए और अंदर तक जाने लगा… जैसे वो आज उसे तोड़ कर ही दम लेगा।

    "कहो ना... किसका बना दिया तुम्हें?"

    "तुम्हारा... सिर्फ तुम्हारा डैविल बेबी..." नव्या की आवाज़ काँप रही थी।

    कमरे की हवा में फिर वही पुराना नशा था, वही आवाजें, वही पागलपन… जैसे इश्क और जिस्म की जंग साथ चल रही हो।

    आखिरी झटका… आखिरी आह… और दोनों फिर से एक साथ बिखर गए।

    ---

    कुछ देर बाद…

    नव्या चुपचाप अर्जुन के सीने पर सिर रखे पड़ी थी। उसकी साँसें धीरे-धीरे काबू में आ रही थीं।

    "तुम मेरे लिए क्या हो डैविल?" उसने धीमे से पूछा।

    अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा,

    "तुम्हारे हर कपड़े के नीचे का मकसद हूँ मैं…"

    नव्या ने हल्के से उसकी छाती पर मुक्का मारा—

    "पागल!"

    "तेरी वजह से..."

    ---

  • 7. Hot Devil Lover - Chapter 7 (बिना कपड़ों )

    Words: 576

    Estimated Reading Time: 4 min

    सुबह की रौशनी कमरे में धीरे-धीरे घुस रही थी… पर कमरा अब भी गुनगुना था—जैसे किसी तूफ़ान के बाद की चुप्पी। चादरें अब भी अस्त-व्यस्त, तकिए ज़मीन पर, और बीच में नव्या, जो अब नींद से जागी थी… लेकिन चेहरे पर उलझन थी।

    उसने धीरे से आँखें खोलीं, कुछ पल तक छत को देखा… फिर अपनी जगह पर हल्की सी हिली। उसी पल एक एहसास दौड़ा उसके शरीर में—बिना कपड़ों के शरीर में कुछ अलग था, कुछ भारी… कुछ नम…

    वो झटके से उठ बैठी, लेकिन चादर लिपट गई थी। उसके बाल बिखरे हुए थे, और माथे पर पसीने की परत… आँखों में डर और शक।

    "मैं… क्या हुआ था रात को?"

    उसने इधर-उधर देखा—अर्जुन अब भी सो रहा था, बिना कपड़ों के, उसके ठीक बगल में। उसका मजबूत सीना साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था, होंठों पर वही शैतानी सुकून…

    नव्या ने जल्दी से चादर लपेट ली, अपने बदन को छिपाया—जैसे किसी ने उसकी रूह तक देख ली हो। उसकी आँखें भीगने लगी थीं… लेकिन यादें साथ नहीं दे रही थीं।

    "मैंने क्या किया…? मैंने… मैं तो बस… एक ड्रिंक ली थी न?"

    उसके दिमाग में फ्लैशेज़ आ रहे थे—अर्जुन की जीभ, उसके होंठ, चादर में उसकी अपनी सिसकियाँ… लेकिन सब कुछ टूटे हुए टुकड़ों जैसा। साफ़ नहीं था, पर शरीर बता रहा था कि कुछ बहुत गहरा हुआ है।

    वो उठना चाहती थी, भाग जाना चाहती थी… लेकिन पैर कांप रहे थे। तभी अर्जुन करवट लेकर उसकी तरफ मुड़ा—आँखें धीरे-धीरे खुलीं।

    "गुड मॉर्निंग... डार्लिंग..." उसकी आवाज़ अब भी भारी थी, लेकिन मुस्कान वही तेज़।

    नव्या ने पलटकर उसकी तरफ देखा, उसकी आंखों में डर था।

    "वो... मैंने... क्या हम... क्या हुआ रात को?"

    अर्जुन मुस्कराया, अपनी बांहों को फैलाया—

    "ओह बेबी, तू तो जान थी पूरी रात... तूने ही कहा था—'डैविल बेबी, मुझे तोड़ के रख दो'..."

    नव्या का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसने सर पकड़ा।

    "मैं... मुझे कुछ याद नहीं... मैं नशे में थी... और तूने..."

    अर्जुन अब थोड़ा ऊपर उठा, अपनी कोहनी पर टिक कर उसकी तरफ देखा।

    "तो क्या? तू नशे में थी, लेकिन तुम्हारे होंठ, तुम्हारी आँखें, तुम्हारी उंगलियाँ—सब बोल रहे थे... मैं तुम्हारी हूँ। तुमने खुद बोला था—'मुझे अपना बना ले पूरी तरह'..."

    नव्या ने चादर को और कसकर पकड़ लिया। उसकी आंखों में गुस्सा, डर और शर्म सब एक साथ थे।

    "पर मैं होश में नहीं थी मिस्टर! तुम्हारे साथ ये सब... मैंने सोचा भी नहीं था..."

    "तो अब पछतावा हो रहा है?" अर्जुन की आवाज़ बदल गई थी, अब उसमें पज़ेसिवनेस थी, गुस्सा नहीं… हक था।

    "मैंने तुम्हें छीन लिया दुनिया से, अब तुम्हें मेरी होना ही पड़ेगा… चाहे तुम्हें याद रहे या न रहे।"

    नव्या ने जैसे अपने होंठ काट लिए, वो कुछ कहना चाह रही थी लेकिन जुबान बंद थी।

    "तुम अब मेरी हो, नव्या। तुम्हारी रात की हर सिसकी, हर आवाज़, मेरी साँसों में दर्ज है। और तुम्हारे शरीर पर जो मेरे निशान हैं, वो गवाही देंगे—तुम मेरी हो, चाहे तुम्हें याद हो या नहीं।"

    कमरे का माहौल बदल चुका था।

    नव्या का दिल काँप रहा था। उसे अर्जुन की नज़रों में दीवानगी दिख रही थी—और वो सिर्फ़ रात की नहीं थी, वो अब भी ज़िंदा थी।

    "मुझे... वक़्त चाहिए ..." नव्या ने धीरे से कहा।

    "ले लो… लेकिन याद रख, तुम्हें जितना वक़्त चाहिए, उतनी रातें मैं तुमसे छीन लूंगा… तुम भूलेगी, मैं दोबारा याद दिला दूंगा…"

    अर्जुन ने उसके गाल पर हाथ रखा—और फिर उसकी उंगलियों की पकड़ थोड़ी सख़्त हो गई।

    "इस बार तेरी मर्ज़ी से नहीं… मेरी हकदारी से…"

  • 8. Hot Devil Lover - Chapter 8 (बाइट्स गहरे, तेज़, )

    Words: 857

    Estimated Reading Time: 6 min

    कमरे में रोशनी पूरी तरह फैल चुकी थी, लेकिन नव्या अब भी अँधेरे की तरह उलझी हुई थी। वो चुपचाप बैठी थी, अर्जुन की शर्ट अपने नंगे बदन पर डाली हुई थी, और उसके पैरों में वो चादर जो अब किसी लड़ाई की तरह लिपटी हुई थी।

    **पर असली लड़ाई उसके अंदर चल रही थी...**

    उसे याद नहीं था कि रात को क्या हुआ था, लेकिन उसकी रूह में कुछ था - **एक गर्मी**, **एक प्यास**, **एक बेचैनी** जो न तो बैठने दे रही थी, न ही सोचने। उसका शरीर अब भी सिहर रहा था, जाँघों के बीच एक हल्की सनसनी जैसे किसी अनदेखे स्पर्श की याद दिला रही थी।

    **"शायद… अर्जुन ने मुझे छुआ था… नहीं, सिर्फ छुआ नहीं… उसने मुझे जिया था पूरी तरह…"**

    वह सोचने लगी, और जैसे ही ख्याल उसकी गर्दन तक पहुंचा, उसने देखा - वहाँ **हल्के नीले निशान** थे। बाइट्स। गहरे, तेज़, जानवर जैसे।

    **उसकी सांसें तेज़ हो गईं।**

    उसे अब भी याद नहीं आ रहा था, लेकिन **उसके बदन को सब याद था।**

    कमर के नीचे हलकी जलन, सीने पर उंगलियों की छाप, होंठ सूजे हुए… और रगों में जैसे कोई ज्वालामुखी।

    वह उठी, और धीरे से बेड पर सो रहे अर्जुन की तरफ देखा। वह अब भी बेजान लेटा था, एक हाथ सिर के नीचे, दूसरा आधा फैला हुआ - जैसे नव्या को फिर से थाम लेना चाहता हो।

    **नव्या की आंखों में अब डर नहीं था।**

    अब वहाँ कुछ और था - **लालसा**, **सवाल**, और वो प्यास जो उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी।

    उसने चुपचाप शर्ट खोली, जो कुछ देर पहले ही पहनी थी, धीरे से फर्श पर गिरा दी… अब वो एक बार फिर उसी हालत में थी - नंगी, बेपरवाह, और जिंदा।

    उसके कदम खुद-ब-खुद अर्जुन की तरफ बढ़े… जैसे कोई चुंबक खींच रहा हो।

    वह बेड पर चढ़ी… एक घुटने से उसके पास आकर बैठी, और फिर उसकी जाँघों पर धीरे से हाथ रखा।

    **अर्जुन की आंखें खुल गईं।**

    पहली नज़र में वो कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन नव्या की आँखों में आग थी - वो आग जो रात में थी, लेकिन अब होश में जल रही थी।

    **"फिर से?"** अर्जुन ने आवाज़ भारी कर पूछा।

    **"हाँ… फिर से… लेकिन इस बार मैं जाग रही हूँ … और अब मेरे अंदर जो जल रहा है, उसे बुझाना है..."**

    अर्जुन एक पल को शांत रहा… और फिर जैसे एक शिकारी की तरह उठ बैठा।

    उसने नव्या को पकड़कर अपनी गोद में बिठा लिया - उसकी जाँघों पर बैठते ही नव्या ने एक लंबी सांस ली, जैसे खुद को अर्जुन के बदन में डुबो रही हो।

    **"मुझे मत रोकना इस बार…"** नव्या ने कहा, **"मुझे पता नहीं क्या हुआ रात को… लेकिन आज मैं सब कुछ दोबारा जीना चाहती हूँ… होश में…"**

    अर्जुन ने उसका चेहरा पकड़ कर उसकी आँखों में देखा -

    **"तो फिर ये सुबह… सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं… मेरे लिए भी आग होगी…"**

    और फिर नव्या ने खुद को झुकाया, उसके होंठों को चूमा - इस बार वो चुम्बन नशे में नहीं था, **ये इरादा था**, **एक सज़ा थी**, जो उसने खुद के लिए चुनी थी।

    उसने अर्जुन को धीरे से बेड पर लिटाया, और खुद नीचे सरकते हुए उसके मैनहुड को हाथ में लिया।

    **"अब मैं खुद यादें बनाऊँगी…"**

    उसने उसे जीभ से छुआ, फिर होंठों में भर लिया - गहराई तक, धीरे-धीरे लेकिन प्यास के साथ। अर्जुन की उंगलियाँ खुद-ब-खुद उसके बालों में समा गईं, उसकी गर्दन को गाइड कर रही थीं।

    **"नव्या... ओह फक... यू आर ड्राइविंग मी क्रेज़ी..."**

    नव्या ने जीभ से गोल घुमाते हुए ऊपर देखा - उसकी आँखों में वो प्यास थी जो किसी और के लिए नहीं थी। वो अब **अर्जुन की गुलाम नहीं**, **उसकी शिकारी बन चुकी थी।**

    कुछ देर बाद अर्जुन ने उसे ऊपर खींच लिया, खुद को सीधा किया, और बोला -

    **"अब बैठो… वैसे ही जैसे तुमने चाहा था…"**

    नव्या ने खुद को ऊपर उठाया, और धीरे-धीरे अर्जुन के मैनहुड पर खुद को नीचे किया - पहले थोड़ा, फिर और गहरा… जब तक उसकी चीख नहीं निकल गई -

    **"हाआ डैविल... हाआआ…"**

    अब वो ऊपर-नीचे हो रही थी, उसकी सांसें तेज़, हाथ अर्जुन के सीने पर, और आँखें बंद - लेकिन इस बार **हर सेकंड वो खुद चुन रही थी।**

    **"जितनी गहराई रात में थी, उतनी अब भी है…"** उसने बड़बड़ाते हुए कहा।

    **"क्योंकि तुम में आग है जान… और आग जलानी है तो होश भी नहीं चाहिए…"**

    अर्जुन ने उसे कस कर पकड़ लिया, फिर उसे पलट कर नीचे गिरा दिया - और खुद ऊपर आ गया।

    अब वो उसकी टाँगें फैला कर, खुद को उसमें समेट रहा था - एक के बाद एक गहराई में। नव्या की सिसकियाँ तेज़ होती जा रही थीं।

    **"तुम अब मेरी हो… होश में, बेहोशी में, हर हालत में…"** अर्जुन ने उसकी गर्दन पर बाइट ली।

    **"हाँ माए डैविल… मेरी रूह भी तेरी है…"** नव्या ने उसकी कमर में हाथ डालते हुए कहा।

    आखिरी झटके के साथ दोनों फिर से एक साथ बिखर गए।

    ---

    कुछ देर बाद, नव्या चुपचाप अर्जुन की बाँहों में थी - इस बार नशा नहीं था, सिर्फ **एक सुकून**… और एक **सच**।

    **"अब मुझे सब याद रहेगा अर्जुन…"**

    **"और हर बार… मैं और गहराई तक ले जाऊँगा तुझे…"**

    ---

  • 9. Hot Devil Lover - Chapter 9 ( अंदर जाओ )

    Words: 765

    Estimated Reading Time: 5 min

    सुबह अब थोड़ी चढ़ चुकी थी। नव्या ने अब हल्के से फ्रेश होकर अर्जुन की बड़ी सी वाइट शर्ट पहन रखी थी—बाल अभी भी बिखरे हुए थे, होंठ हल्के सूजे, और गर्दन पर अर्जुन के बाइट के नीले निशान साफ दिख रहे थे।

    वो दरवाज़े के पास खड़ी थी, जैसे जल्दी निकल जाना चाहती हो। लेकिन **अर्जुन अब भी बैड पर बैठा था**, शर्ट के सिर्फ दो बटन बंद, बालों में उंगलियाँ फिराता हुआ—**वो उसे देख रहा था, निगाहें टिकी हुई थीं**।

    **"मैं खुद जा रही हूँ, ज़रूरत नहीं है छोड़ने की…"** नव्या ने कहा, लेकिन आवाज़ में खुद भरोसा नहीं था।

    अर्जुन उठा, उसके पास आया और सीधा उसकी कमर में हाथ डाल दिया।

    **"इतनी रात मेरा सब कुछ लेने के बाद, अब इतनी सुबह फासला कर रही हो?"**

    **"तुम जानते हो, मेरी हालत देख… मैं खुद को आईने में नहीं देख पा रही…"** नव्या ने धीमे से जवाब दिया।

    **"पर मैं देख सकता हूँ… और अभी भी तुम्हें वैसे ही खाना चाहता हूँ जैसे कुछ घंटे पहले खाया था…"** अर्जुन ने उसकी गर्दन पर होंठ रगड़ते हुए कहा।

    नव्या ने हल्की सी सिसकी भरी—फिर झटककर दूर हटी।

    **"प्लीज़ अर्जुन… मुझे घर छोड़ दे बस…"**

    **"ठीक है… लेकिन याद रख, रास्ता सीधा नहीं होगा…"**

    ### 🚗 **कार स्टार्ट हो चुकी थी… पर जो रफ्तार अर्जुन की साँसों में थी, उससे भी तेज़ थी…**

    नव्या खिड़की की तरफ देख रही थी, लेकिन उसका मन भटक रहा था। अर्जुन ड्राइव कर रहा था, एक हाथ स्टीयरिंग पर, दूसरा बार-बार गियर चेंज करते हुए **उसकी जांघ के बिल्कुल पास** रुक जाता।

    वो **जानबूझ कर** ऐसा कर रहा था।

    **"तुम इतना शांत क्यों हो?"** अर्जुन ने पूछा।

    **"शांत नहीं हूँ, बस थोड़ा डरी हुई हूँ… रात को सब भूल जाना आसान नहीं…"**

    **"तो फिर याद रखो—और याद करने का सबसे सही तरीका है… दोबारा करना।"**

    नव्या ने उसकी तरफ देखा—अर्जुन की आँखें अब भी **भूखी** थीं।

    थोड़ी देर की खामोशी के बाद, अर्जुन ने गाड़ी **सुनसान जगह पर रोक दी**। चारों तरफ सन्नाटा… बस थोड़ी धूप, और कार के अंदर **साँसों की गर्मी**।

    **"क्या कर रहे हो?"** नव्या ने पूछा।

    **"तुम्हारे होंठों पर जवाब है, आँखों में नहीं…"**

    अर्जुन ने अपना सीट बेल्ट खोला, उसकी तरफ झुका और एक झटके में नव्या के होंठों पर चूम लिया। वो किस भारी था, जंगली था—और नव्या ने चाहकर भी खुद को नहीं रोका।

    उसके हाथ अर्जुन की कमर पर आ गए, और उसने भी एक हाथ उसकी गर्दन के पीछे रखा और दूसरा **सीधा उसके थाई के अंदर** सरका दिया।

    **"तेरे जिस्म ने मुझे बुलाया, नव्या…"**

    अब वो बेकाबू हो चुका था। उसने कार का हैंड ब्रेक खींचा, सीट को पीछे धकेला और नव्या को गोद में बिठा लिया—**उसके ऊपर, उसकी कमर में हाथ डालकर उसे खुद से जोड़ लिया**।

    **"तुम फिर से वही चाहती हो ना… बिना बोले, तुम्हारी धड़कनें बोल रही हैं…"**

    नव्या ने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए, और अर्जुन ने **उसके पैरों से स्कर्ट ऊपर सरकाते हुए** उसे और करीब खींच लिया।

    **"ये क्या हो रहा है अर्जुन… ये नशा… ये बार-बार क्यों चढ़ रहा है…?"** नव्या ने उसकी गर्दन पर होंठ रगड़ते हुए पूछा।

    **"क्योंकि तुम ही हो नशा… और मैं पीने वाला… बार-बार…"**

    अब नव्या ने खुद को झुकाया और अर्जुन के मैनहुड के ऊपर अपनी जांघों को कस कर जकड़ लिया।

    उसने खुद को सीधा उठाया, स्कर्ट ऊपर कि पेंटी को थोड़ा नीचे किया और धीरे-धीरे **अपने अंदर उसे समा लिया…**

    **"हाआ अर्जुन…"** उसकी आवाज़ सीट के कवर्स तक काँप गई।

    गाड़ी अब बंद थी, लेकिन सीट हिल रही थी। नव्या अर्जुन की गोद में ऊपर-नीचे हो रही थी—उसका चेहरा पसीने से भीग रहा था, और अर्जुन के हाथ उसकी पीठ से होते हुए बूब्स तक जा चुके थे।

    **"तुम पागल बना रही हो…"** अर्जुन ने कहा, **"इस बार पूरी तरह से खत्म कर दूँगा तुम्हें…"**

    उसने उसे कस कर पकड़ लिया, और अब **नीचे से धकेलने लगा**, हर बार तेज़, हर बार गहरा।

    नव्या की सिसकियाँ गाड़ी के अंदर गूंज रही थीं—

    **"ओह माई गॉड डैविल… अंदर जाओ पूरा… फाड़ दो मुझे…"**

    **"बस अब तुम में ही रहना है मुझे…"**

    अर्जुन ने एक हाथ से उसके बाल पकड़कर उसे पीछे खींचा, और उसकी गर्दन पर बाइट की—इतनी तेज़ कि **निशान हमेशा के लिए बने**।

    **"अब तुम सिर्फ मेरी हो… और ये दुनिया गवाह बनेगी, इस कार की हर सीट पर…"**

    कुछ और झटकों के बाद, नव्या ने खुद को अर्जुन के सीने पर गिरा दिया—उसके होंठ अब भी अर्जुन की गर्दन पर थे।

    दोनों की सांसें अब भी तेज़ थीं।

    **"अब तो छोड़ दोगे न मुझे घर?"** नव्या ने पूछा।

    **"छोड़ूँगा… लेकिन तुम्हारे अंदर अपना नाम छोड़ कर जाऊँगा…"**

  • 10. Hot Devil Lover - Chapter 10 ( ** ऊपर हल्की सी लालिमा** )

    Words: 555

    Estimated Reading Time: 4 min

    ### 🖤 **चैप्टर 7**

    सुबह थी, लेकिन नव्या के लिए रात अब तक खत्म नहीं हुई थी।

    वो बाथरूम में अकेली खड़ी थी—गर्म पानी उसके बदन से फिसल रहा था, और भाप से शीशा पूरी तरह धुंधला हो चुका था।

    लेकिन सबसे ज़्यादा धुंध उसके ज़हन में थी।

    अर्जुन की हर एक छुअन, उसकी सांसों की गरमी, उसकी पकड़, उसकी जीभ और हाथों की हर हरकत… सब याद आ रहा था। साथ ही उसकी बेशर्म नजरें जो उसके जिस्म के बाहर अंदर सभी हिस्सों को देख रही थी।

    उसने गर्दन झुकाई और अपनी जांघों पर हाथ फेरा—वहाँ अब भी हल्की हल्की झनझनाहट थी।

    बदन कह रहा था कि कुछ अब भी बाकी है।

    उसे खुद पर शर्म नहीं आ रही थी… बल्कि एक बेचैनी थी, जो उसे अंदर तक खा रही थी।

    उसने खुद को आइने में देखा—गले पर अर्जुन के बाइट्स, पीठ पर नाखून के निशान, और बूब्स के ऊपर हल्की सी लालिमा… सब कुछ उसकी मालिकियत की मुहर जैसा लग रहा था।

    "अगर वो अभी होता…"

    उसने धीरे से बुदबुदाया और नज़रें बंद कर लीं।

    फ्रेश होकर वो रूम से निकलते हुए अपना फोन ढूंढ रही थी, जब गलती से गलत कमरे का दरवाज़ा खुल गया।

    कमरा बड़ा था, थोड़ा अंधेरा। अंदर से ठंडी सी खुशबू आ रही थी—वही जो अर्जुन की शर्ट से आती थी।

    "अर्जुन?" उसने धीमे से पुकारा, लेकिन जवाब नहीं आया।

    वो अंदर चली गई… दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।

    कमरा खाली था, लेकिन उस कमरे की दीवारों पर अर्जुन की मौजूदगी चिपकी हुई थी।

    एक साइड बेड, उस पर आधी खुली चादरें, कुछ किताबें और टेबल पर रखा वो परफ्यूम, जो अर्जुन इस्तेमाल करता था।

    नव्या ने जैसे ही उस परफ्यूम को उठाया, एक फ्लैश उसके दिमाग में दौड़ गया—

    वही रात, वही कार की सीट पर उसकी गोद में बैठा होना, अर्जुन की गर्म सांसें उसके सीने पर…

    उसके बदन में फिर से वही तपिश दौड़ गई।

    वो बिना सोचे बेड के पास बैठ गई, और खुद को धीरे-धीरे उसी चादर में समेट लिया—

    "यही वो जगह है जहां शायद वो मुझे फिर से…"

    उसने आंखें बंद कीं। उसकी उंगलियाँ अब उसकी जांघों पर थीं। उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं।

    वो अब भी होश में थी, लेकिन अंदर की यादों ने फिर से पिघला दिया था।

    उसने चुपचाप आँखें बंद कर लीं और अर्जुन की वो बातें याद करने लगी:

    "तुम मेरी हो नव्या… तुम्हारे जिस्म का हर कोना मेरा है…"

    "तुम्हारे अंदर जो softness है ना, मैं पूरी ज़िंदगी वही चाटता रहूं…"

    "तुम्हारी मलाई से मीठा कुछ नहीं…"

    बस… इतना याद करते ही उसका गुप्त अंग फिर से गीला हो चुका था।

    वो बेड पर लेट गई, करवट बदल कर चादर में खुद को लपेट लिया, और सोचा—

    "काश अर्जुन अभी यहां होता…"

    "तो मैं खुद कहती—मेरी सारी softness ले लो डैविल… पूरा पिघला दो मुझे…"

    वो करवट में सिमटी रही, उसका बदन अब भी कांप रहा था।

    उसके होंठों पर अर्जुन की जीभ का एहसास अब भी था… और बूब्स पर उसके हाथ का एहसास अब भी था।

    दरवाज़ा धीरे से खुला…

    अर्जुन खड़ा था।

    उसकी नज़र नव्या पर पड़ी—चादर में लिपटी, पसीने में भीगी हुई, आँखें बंद, होंठों पर नाम उसका।

    "तुम सच में मुझसे दूर नहीं जा सकती…" उसने धीमे से कहा।

    नव्या ने आँखें खोलीं, उसे देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा।

    "तुम्हारे बदन ने मुझे बुलाया…" अर्जुन उसके पास आया।

  • 11. Hot Devil Lover - Chapter 11 (**बिस्तर नहीं, दीवार भी पिघल रही थी…** )

    Words: 709

    Estimated Reading Time: 5 min

    💋🔥 **चैप्टर 1** नव्या ने जैसे ही आँखें खोलीं, सामने अर्जुन को देखा—दरवाज़े पर खड़ा, एकदम शांत, लेकिन उसकी नज़रें सबकुछ पढ़ रही थीं। चादर में लिपटी नव्या का बदन काँप रहा था। नज़रें नीचे झुकी हुई थीं, पर होंठों पर एक बेचैन मुस्कान थी—वो मुस्कान जो अर्जुन को सीधा उसके पास खींच लाती थी। अर्जुन अंदर आया। वह कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप उसकी तरफ़ बढ़ा। हर कदम के साथ नव्या की सांसें तेज़ होती जा रही थीं। वह उसके सामने बैठा। उसकी नज़रें सीधी उसकी आँखों में थीं—जैसे वह देख रहा हो कि नव्या क्या महसूस कर रही है, कैसे उसके नाम पर फिर से गीली हो रही है। "तुम मेरी यादों में थी, मैं तुम्हारे बदन में..." अर्जुन ने फुसफुसाते हुए कहा, और उसकी उंगलियाँ चादर के किनारे पर आ गईं। नव्या की उंगलियाँ खुद-ब-खुद ढीली हो गईं। चादर उसके कंधों से नीचे खिसकने लगी…और अर्जुन ने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए। "तुम्हारी गर्मी अभी भी बाकी है नव्या…और मैं अब और नहीं रुक सकता…" उसने उसके कंधों को चूमा—हल्के से नहीं, प्यास के साथ। नव्या ने खुद को और पास खींच लिया…उसकी साँसें अब नज़दीकी की आग में जलने लगी थीं। "तुम जानवर बन जाता है डैविल…" "क्योंकि तुम मुझे इंसान नहीं रहने देती…" अर्जुन ने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में लिया और उसकी आँखों को चूम लिया—फिर उसकी नाक, फिर उसके होठों को बेहद धीमी, गहरी और वाइल्ड किस दी। अब नव्या की उँगलियाँ अर्जुन की गर्दन में थीं, उसकी शर्ट के कॉलर को कस के पकड़ रखा था जैसे वो कह रही हो—"अब मत हटना…" 🔥 **बिस्तर नहीं, दीवार भी पिघल रही थी…** अर्जुन ने नव्या को अपनी बाँहों में उठा लिया। वो अब पूरी तरह उसकी बाहों में सिमटी हुई थी, और उसने खुद को अर्जुन की गर्मी में खो दिया था। दीवार के पास पहुँचते ही, अर्जुन ने उसे टिका दिया—पूरी ताक़त से। उसके होंठ अब फिर से नव्या की गर्दन से नीचे की ओर जा रहे थे…धीमे…सोच-समझ कर…एक-एक सांस के साथ। नव्या की पीठ अब दीवार से लग चुकी थी, और उसका सीना अर्जुन के सीने से…उसका पूरा शरीर अर्जुन की साँसों में समा चुका था। "तुम्हारा बदन आज फिर से पिघल रहा है…" "क्योंकि तुम अंदर तक जल रहा है माय डैविल बेबी…" अर्जुन ने अपने दोनों हाथ उसके बूब्स के ऊपर से चादर को हटाया, और सीधे अपनी हथेलियों में उन्हें भर लिया। "यही softness… यही मलाई… जो हर बार मुझे तेरी तरफ खींच लाती है…" नव्या ने सिर पीछे किया, उसकी सिसकी दीवार से टकराकर वापस उसके कानों में गूंज रही थी। ✨ **कमरे में अब कोई आवाज़ नहीं थी… सिर्फ़ दो जिस्मों की हांफती धड़कनें थीं…** अर्जुन ने उसे पलट दिया, अब नव्या दीवार से पीठ टिका कर खड़ी थी। उसके हाथ नव्या की कमर पर कसते जा रहे थे, और होंठ उसके पेट पर, फिर नीचे, फिर उसके घुटनों पर। "तुम चाहती हो ना… मैं तुम्हें वहीं से फिर से शुरू करूं जहाँ छोड़ा था…" नव्या की सांसें अब टूट रही थीं। उसने गर्दन मोड़ी और अर्जुन की आँखों में देखा— "तुम्हारे होंठों मेरी सोफ्टनेस से हटे तो बताऊँ…" अब अर्जुन ने उसकी थाईज़ के बीच हाथ सरकाया और उसकी सॉफ्टनेस को महसूस किया— "गीली हो? या मैंने तुम्हें फिर से भिगो दिया?" नव्या कुछ बोल नहीं सकी। उसकी आँखें भर आईं थीं—प्यास से, मोह से, और उस आग से जो अब पूरे कमरे में फैली हुई थी। 🛏️ **बेड पर फिर से वो लड़ाई शुरू हुई… जिस्म और रूह के बीच की…** अर्जुन ने अब चुपचाप उसे बेड पर लिटाया। वो खुद उसके ऊपर आ गया। एक-एक कपड़ा उतारते हुए…एक-एक सांस में उसे जिंदा करता गया। नव्या अब पूरी तरह अर्जुन के नीचे थी—अपनी पलकें बंद किए, अपने बदन को अर्जुन के हवाले किए, उसकी हर हरकत को महसूस कर रही थी। "तुम फिर से मेरी बनने आई है नव्या…" "मैं तो कभी गई ही नहीं डैविल…" उन दोनों ने एक-दूसरे को ऐसे जिया—जैसे बदन ही इबादत हो गया हो। 🔥 **आखिरी में…** अर्जुन का सिर नव्या के सीने पर था। उसकी साँसे अभी भी तेज़ थीं। नव्या ने उसकी पीठ पर हाथ फिराया, उसकी गर्दन में अपनी उंगलियाँ उलझाईं और कहा— "तुम आज भी मुझे खत्म नहीं कर पाए…" "क्योंकि तुम हर बार फिर से खुद को देने आ जाती है…"

  • 12. Hot Devil Lover - Chapter 12 (अर्जुन की )

    Words: 510

    Estimated Reading Time: 4 min

    कमरे की बत्ती बुझी हुई थी। पर्दे आधे खुले थे और हल्की चांदनी नव्या के चेहरे पर पड़ रही थी। बिस्तर पर वो करवट लेकर पड़ी थी—माथे पर पसीने की बूँदें, होंठ सूखे, और साँसें अभी भी हल्की-हल्की हांफती हुईं। उसकी आँखें अचानक खुलीं— तेज़-तेज़ साँसें लेते हुए वो बैठ गई… और एक पल को खुद को देखती रही। **उसका गला सूख चुका था। उसका शरीर भीग चुका था।** बेड की चादरें अस्त-व्यस्त थीं, जैसे अभी-अभी किसी ने उसे ज़ोर से थामा हो… या जैसे वो खुद अपने ही तन्हा बदन से उलझ रही हो। **"अर्जुन…"** उसने धीमे से नाम लिया, और वो लहजा ऐसा था जैसे उसने अभी कुछ खो दिया हो। उसके दिमाग में पिछले कुछ मिनटों की तस्वीरें अभी भी तैर रही थीं— **वही छुअन**, वही बाइट्स, वही दीवार पर सिसकियाँ, और अर्जुन की जीभ जो उसकी सॉफ्टनेस पर फिर रही थी… सबकुछ बेहद असली लगा था। **"पर ये सब तो हुआ ही नहीं… तो फिर ये महसूस क्यों हो रहा है?"** उसने हाथ बढ़ाकर पानी पिया। फिर खिड़की तक आई और हल्की ठंडी हवा अपने चेहरे पर ली। पर ठंड से ज़्यादा, उसके अंदर की गर्मी उसे बेचैन कर रही थी। **"क्या ये सिर्फ एक सपना था? या मेरा मन ही अब मेरे जिस्म को बहकाने लगा है?"** वो फिर से बेड पर बैठी। अपनी उंगलियाँ अपनी जांघों तक ले गई— **वहाँ अब भी हल्की गीली सी गर्मी थी।** **"सपना था, पर बदन झूठ नहीं बोलता…"** उसके बूब्स पर उंगलियाँ चली गईं— **"इन पर अर्जुन के होंठों का निशान नहीं था… लेकिन अब भी ऐसा क्यों लग रहा है कि वो यहीं थे…"** ### 🌙💭 **उसने सोचा—** > "क्या ये मेरा अवचेतन है? > क्या अर्जुन सच में मेरे अंदर उतर चुका है… > इतना गहरा कि अब नींद भी उसे जीने लगी है?" उसे याद आया— कल वो अर्जुन से मिली थी… कुछ ज़्यादा बात नहीं हुई थी… बस उसकी आँखों में कुछ था… कुछ ऐसा जो सीधा उसके बदन तक उतर गया था। **"उसकी आँखें… जैसे मेरे सारे कपड़े एक नज़र में पार कर गई थीं…"** नव्या उठी। वॉशरूम गई। शीशे में खुद को देखा। उसने खुद से पूछा— **"तू किससे भाग रही है? उससे? या अपनी भूख से?"** उसने होंठों पर पानी डाला, फिर गर्दन पर हाथ रखा— **"यहाँ नहीं, पर अहसास अब भी जिंदा है…"** वो मुस्कराई… **हल्की सी, पर पूरी तरह डूबी हुई मुस्कान।** **"अगर ये सपना था… तो फिर मैं सोने से डरूँगी नहीं…"** ### ✨ **और फिर उसने बिस्तर की तरफ देखा—जैसे अर्जुन वहीं हो…** वो बेड पर वापस लेटी, चादर खुद पर खींच ली, और आँखें बंद कर लीं। **"अर्जुन… इस बार अगर तुम सपने में आए… तो प्लीज़ अधूरा मत छोड़ना…"** नव्या अर्जुन के टच से पागल हो चुकी थी, उसे सपने में भी अर्जुन ही दिख रहा था जो उसके साथ हमबिस्तर हो रहा था, ऐसी तड़प ऐसी बेचैनी उस ने कभी अपने ब्वायफ्रेंड अंकित के साथ नहीं कि थी। उनका रिश्ता पुराना था लेकिन टूटा हुआ। अंकित को अब नव्या में ज़रा दिलचस्पी नहीं थी, इसी दुख में वो अर्जुन के करीब जा चुकी थी।

  • 13. Hot Devil Lover - Chapter 13 (निम्मी के नाज़ुक )

    Words: 622

    Estimated Reading Time: 4 min

    चैप्टर

    नव्या अपने कॉलेज में थी। क्लास ले रही थी। उसकी दोनों सहेलियाँ भी उसके साथ थीं।

    क्लास ली और लंच भी खत्म कर, अब वो लाइब्रेरी में थीं। तीनों अंकित की बातें कर रही थीं।

    निम्मी — "यार, ये अंकित तो बहुत बुरा निकला। उसने तुम्हें छोड़ा, खुद को समझता क्या है? एक बार मेरे सामने आ जाए, तो उसके मुँह तोड़ दूँ। उसे तेरे से हॉट लड़की कहीं नहीं मिलने वाली, वो तुझे बोरिंग कहता है। वो खुद कितना बड़ा बोरिंग है, उसने कभी अपनी शक्ल आइने में देखी भी है, बंदर कहीं का, अरे नहीं वो बंदर भी नहीं, कीड़ा है नाली में रेंगने वाला।"

    काजल — "यार, उसकी बात छोड़। वो बात ना यार... नव्या, वो कल रात कौन बंदा मिला था जिसके साथ तू बहक गई थी?"

    नव्या के गाल शर्म से लाल हो गए।

    नव्या — "यार, उसके बारे में मत पूछ। कुछ अजीब सा होने लगता है... वो रात फिर मेरी आँखों के आगे नाचने लगती है... जिस्म उसके टच के लिए पागल सा होने लगता है।"

    निम्मी — "अच्छा ये बता, उसने अपना कार्ड वगैरह या फोन नंबर कुछ दिया? उसे फिर कैसे मिलेगी?"

    नव्या — "हाँ, कहा है — आज रात डिस्को आना... वो वहीं मिलेगा।"

    काजल — "वाओ यार! हम भी साथ चल सकते हैं क्या?"

    नव्या — "हाँ, चल सकती हो।"

    और फिर, निम्मी को एक फोन आया। उस पर बात कर वो "बाय" बोल चली गई।

    नव्या — "ये अचानक कहाँ चली गई?"

    काजल — "ज़रूर वहीं होगा समीर... एक नंबर का पागल! उसी से मिलने गई होगी। कितनी बार कहा, उसे छोड़ दे — वो ठीक नहीं है।"

    ---

    वहीं दूसरी तरफ —

    निम्मी इस वक्त कॉलेज के वीरान, न यूज़ होने वाले क्लासरूम में थी। वहाँ समीर भी उसके साथ था।

    दोनों झगड़ रहे थे। उनका रिश्ता टूटा ऐसा ही था — अधूरा, उलझा हुआ।

    समीर — "अच्छा, चलो ठीक है — हम कहीं घूमने चलेंगे। लेकिन तुम्हें अभी मुझे 'वो' देना होगा।"

    निम्मी थोड़ा शरमा गई।

    निम्मी — "वो... अभी? ये जगह तो देखो…"

    लेकिन तभी समीर ने निम्मी का हाथ पकड़, उसे अपने सख़्त सीने से लगा लिया।

    वो, निम्मी के नाज़ुक बूब्स पर अपने सीने को रगड़ने लगा।

    दोनों की साँसें भारी हो रही थीं।

    समीर ने अपना एक हाथ निम्मी के बूब्स पर रख, उसे ज़ोर से दबाया।

    निम्मी की एक हल्की सी चीख निकल गई —

    "क्या कर रहे हो? नाज़ुक हैं! इतना ज़ोर से करोगे तो मैं मर जाऊँगी!"

    ---

    निम्मी रुकी नहीं। वो उसके बेहद करीब आ चुकी थी। उसकी साँसें तेज़ थीं, और दिल बेचैन।

    "क्योंकि अभी भी लगता है… कुछ बाकी है…" निम्मी की आवाज़ में कंपन था।

    समीर ने उसकी आँखों में देखा — वहाँ डर नहीं था, बस अधूरी भूख थी।

    उसने धीरे से निम्मी का हाथ पकड़ा, उसकी उंगलियाँ अपनी उंगलियों में फँसाई और उसे अपनी ओर खींच लिया।

    अब दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब थे। निम्मी की पीठ दीवार से लग गई, और समीर सामने था। उनकी साँसें एक-दूसरे के चेहरे को छू रही थीं।

    "तू चाहती है मैं फिर से…?" समीर ने धीमे से पूछा, उसका चेहरा निम्मी के कान के पास था।

    निम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस उसकी शर्ट की कॉलर पकड़ ली।

    समीर ने अपनी उंगलियाँ उसकी कमर पर रखीं — हल्के-से दबाव के साथ। निम्मी ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

    कुछ सेकंड बाद समीर ने निम्मी की ठुड्डी ऊपर की और कहा,

    "अगर आज भी मुझसे डर लग रहा है, तो दरवाज़ा खुला है। वरना… खुद को मेरे हवाले कर दे।"

    निम्मी की आँखों में अब जवाब था। उसने खुद को समीर के सीने से लगा लिया।

    कमरे में अब सिर्फ़ साँसों की आवाज़ थी, और बंद दरवाज़े के पीछे एक अधूरी मोहब्बत का तूफ़ान धीरे-धीरे उठने लगा था।

  • 14. Hot Devil Lover - Chapter 14 (निम्मी का टाॅप उतार फेंकता है )

    Words: 729

    Estimated Reading Time: 5 min

    **चैप्टर** समीर इस वक्त निम्मी के जिस्म को ऊपर से छू रहा था, निम्मी बेचैनी महसूस कर रही थी, वो जगह ऐसी थी जहाँ इस वक्त कोई नहीं आ सकता था इसलिए उन्हें किसी का ज़रा डर नहीं था। समीर अपने एक हाथ से निम्मी के टॉप को थोड़ा ऊपर कर देता है, जिसके बाद निम्मी का एक बूब ब्रा से ढका दिख रहा था। ब्रा का कलर रेड था क्योंकि आज उसने रेड कलर के कपड़े पहने थे, समीर पहले देखता है फिर अचानक निम्मी के बूब को चूम लेता है, इससे निम्मी के निप्पल में करंट सा लगा, एक गुदगुदी सी महसूस हुई, तभी किसी के कदमों की आहट सुन निम्मी ने कपड़े ठीक कर लिए, समीर ने बाहर जा कर देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था। "तू यार बेकार में डरती है, बाहर कोई नहीं था, मुझे समझ नहीं आता हम लोग कहा जाकर प्यार करे अपने लिए कोई जगह है ही नहीं।" निम्मी अब समीर की बाँहों में थी, दीवार से टिके हुए, और समीर उसके बेहद करीब। उसके सीने की गर्मी निम्मी को साफ़ महसूस हो रही थी। समीर ने उसकी आँखों में देखा और धीमे से उसके बालों को कान के पीछे सरकाया। निम्मी की गर्दन में वो थरथराहट थी जो हर अधूरी ख्वाहिश के बाद पैदा होती है। "तू अब भी कांपती है मेरे पास आकर?" समीर ने फुसफुसाकर कहा। "तेरे टच से अब भी अंदर कुछ पिघलने लगता है…" निम्मी ने कांपती आवाज़ में जवाब दिया। समीर ने एक हाथ उसकी कमर पर रखा, और धीरे-धीरे उसे ऊपर सरकाने लगा — उसकी साँसें अब निम्मी की गर्दन को छू रही थीं। निम्मी ने दोनों हाथों से समीर की शर्ट पकड़ी, जैसे खुद को संभालना मुश्किल हो रहा हो। समीर की उंगलियाँ अब उसकी पीठ से होते हुए नीचे तक जा चुकी थीं। उसका चेहरा अब निम्मी की गर्दन में छुपा था — वह वहाँ अपनी साँसें छोड़ रहा था, और निम्मी हर सांस पर सिसकियाँ ले रही थी। "मेरे पास आकर फिर दूर ना जाना…" समीर की आवाज़ जैसे कोई कसक थी। निम्मी ने खुद को उसके और करीब कर लिया। उनकी छातियाँ अब एक-दूसरे को महसूस कर रही थीं। उनकी रफ़्तार तेज हो चुकी थी — लेकिन हड़बड़ाहट नहीं, एक जंग थी, जो **काबू और चाहत** के बीच चल रही थी। निम्मी ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, और पहली बार खुद आगे बढ़कर उसे चूमा। उस एक चुंबन में उन दोनों की सारी लड़ाइयाँ, सारे गिले, और अधूरी प्यासें घुल चुकी थीं। समीर ने उसका चेहरा पकड़ा और धीमे से कहा — "आज तू मेरा कुछ भी रोक नहीं सकती… न तुझे, न खुद को…" निम्मी की आँखें जवाब दे चुकी थीं। समीर तभी एक झटके में निम्मी का टॉप उतार फेंकता है, निम्मी लज्जा से उसकी ओर देखती है, उसने खुद के सीने पर क्रोस कर हाथों से उसे ढक लिया, तब समीर उसके दोनों हाथों को पकड़ ऊपर पकड़ लेता है। "इन्हें छुपाने का हक तुझे नहीं जान, ये तो दिखाने कि चीज़ है।" वो शरमा कर नजरें नीची कर लेती है, समीर उसकी ब्रा को गले तक ऊपर कर देता है बिना खोले। निम्मी के गोरे बूब्स समीर के सामने थे, वो ऐसे उन्हें देख रहा था जैसे पहली बार देख रहा था, उसने जल्दी से एक को अपने मुंह में भर लिया, जिससे निम्मी आहे भरने लगी, उसकी सांसें गहरी हो रही थी। समीर निम्मी के बूब को किसी बच्चे जैसे चूस रहा था। "ऐसे ही पीते रहो, बोहोत अच्छा लग रहा है, तेरा टच जालिम पागल कर रहा है।" समीर ने कहा, "जान तेरी वो गिली हुई क्या मुझे तेरी मलाई खानी है, बोहोत स्वाद है उसमें।" निम्मी ने सिडक्टिव वोइस में कहा, "हां, वहां बोहोत सारी मलाई निकल रही है।" इसके बाद समीर ने एक मिनट में निम्मी के सारे कपड़े निकाल फेंके और खुद के भी, दोनों बेशर्मी के सागर में गोते खा रहे थे। समीर ने वही एक पुराने बेंच पर निम्मी को लेटा दिया, निम्मी ने साइड से भेंट पकड़ी और जैसे ही समीर उसके टांगो के बीच गुप्त अंग में चूमने लगा, निम्मी के बूब्स ऊपर उठ गए, समीर ने उन्हें जोर से पकड़ लिया, वो लगातार निम्मी कि मलाई भी खा रहा था, साथ ही उसके बूब्स को दबा रहा था, दोनों कि सिसकियां कमरे में गुजर रही थी, पल भर में समीर अपनी हार्डनेस को निम्मी कि सोफ्टनेस में डाल देता है, निम्मी कि चीख निकली।

  • 15. Hot Devil Lover - Chapter 15 (समीर ने उसका )

    Words: 743

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    **चैप्टर**

    कमरा अब शांत था। सिर्फ उनकी साँसों की धीमी लय थी, और कहीं दूर खिड़की से आती हल्की हवा की सरसराहट।

    निम्मी समीर की बाहों में सिमटी थी, उसके सीने पर अपना चेहरा रखे। समीर की उँगलियाँ निम्मी की पीठ पर हल्के से घूम रही थीं, जैसे वो उसे महसूस कर रहा हो… हर पल, हर साँस। दोनों इस भी उस हालत में थे जैसे एक पति सिर्फ अपनी पत्नी के सामने और पत्नी सिर्फ अपने पति के सामने ही आ सकते थे| दोनों के जिस्म एक दम चिपके थे ,

    “थक गई?” समीर ने मुस्कुराते हुए पूछा, उसकी उंगलियां निम्मी की थाई को सहलाते हुए।

    “नहीं…” निम्मी ने धीरे से उसकी ओर देखा, “तेरे पास आकर हर थकान मिट जाती है।”

    “और मेरे अंदर तो तू जान बनकर समा जाती है…” समीर की आवाज़ में सच्चाई थी, बिना किसी बनावट के।

    निम्मी ने उसकी उँगलियों को अपने होंठ में थाम लिया। मुंह में डाल कर अपनी ही उन्हें प्यार कर रही थी , वो समीर के पास एक टांग थोड़ा खुल कर बैठी थी यानी बेंच पर पैर रख तो वहीं दूसरा फर्श पर था ,

    “कभी-कभी लगता है... तू सिर्फ मेरा ख्वाब है,” निम्मी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा।

    “तो फिर मैं ऐसा ख्वाब बनना चाहता हूँ जो तू रोज़ देखे... और कभी टूटने ना दे।” समीर ने उसका होंठों को चूमा। और वहां जोर से काटा भी , निम्मी आहे भरने लगी ,

    वो दोनों अब चुप थे। चुप्पी भी कभी-कभी बहुत कुछ कह जाती है। निम्मी उसकी धड़कनों को सुन रही थी। समीर उसकी साँसों की गर्मी महसूस कर रहा था। वो फिर निम्मी कि पैर पर अपनी ऊंगली फेर रहा था निम्मी भी उसका टच पाकर दिवानी हो रही थी ,

    “तू जब मुझे देखता है ना... ऐसा लगता है जैसे मैं पहली बार और आख़िरी बार जिंदा हूँ।” निम्मी ने धीरे से कहा।

    समीर ने उसकी ठोड़ी को अपनी उँगलियों से ऊपर किया।

    “और जब तू मुझे छूती है, लगता है जैसे मैं किसी और दुनिया का हिस्सा हो गया हूँ… जहाँ बस तू है… और मैं हूं… कोई वक़्त नहीं, कोई डर नहीं।”

    निम्मी की आँखें भर आईं थीं। वो उसके और करीब खिसक आई।

    “तू मेरी मजबूरी बन गया है, समीर... अब तुझसे दूर रहना मुमकिन नहीं।”

    “और तू मेरी ज़रूरत… जिस दिन ना दिखे ना, लगता है जैसे सब अधूरा है… मैं खुद भी।”

    समीर ने उसके बालों को अपनी उंगलियों में उलझाते हुए कहा।

    निम्मी ने मुस्कुरा कर पूछा — “तू मुझे कब से चाहता है?”

    समीर ने कुछ देर सोचा… फिर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा —

    “जब तू पहली बार लाइब्रेरी में आई थी, और बिना कुछ कहे मेरी किताब उठा ली थी। उस दिन तेरे अंदर कुछ देखा था… जो आज तक किसी में नहीं दिखा।

    निम्मी हँस दी — “और मैंने सोचा था ये लड़का तो बड़ा बेशर्म है है… कैसे मुझे देख रहा है।”

    “तुझे देख लिया था, पर डर गया था…” समीर ने आँखें मूंद लीं, “डर था कि कहीं तू मेरी ज़िन्दगी को उलझा ना दे… और तूने उलझाया भी… पर इतने खूबसूरत तरीक़े से कि अब उस उलझन में जीना ही सुकून है।”

    निम्मी ने हल्के से समीर का चेहरा अपने हाथों में लिया — “कभी छोड़ना मत मुझे तू ही तो है जिसने मुझे ये सूख दिया है नहीं तो मुझे कौन पूछता था ”

    “तू हवा बनकर मेरे अंदर रहती है, जान… तुझे कैसे छोड़ दूँ?”

    “और तू आग बन गया है मेरे लिए… जो जलाता नहीं, लेकिन हर वक़्त मेरे अंदर धधकता रहता है…”

    फिर कुछ देर वो बस यूँ ही लेटे रहे। निम्मी की उँगलियाँ समीर के सीने पर कुछ आकृतियाँ बना रही थीं। समीर उसकी पीठ पर हल्की थपकी दे रहा था, जैसे लोरी दे रहा हो।

    “समीर…”

    “हां…”

    “अगर कभी हम खो जाएँ इस दुनिया से… तो अगली ज़िन्दगी में तू फिर से मुझे ढूंढेगा न?”

    “इस बार नहीं ढूंढना पड़ेगा… मैं अगले जन्म में तुझे अपने साथ लेकर ही मरूँगा…” उसने कहा, और दोनों मुस्कुरा दिए।

    फिर अचानक निम्मी ने हल्के से कहा — “अब भूख लग रही है…”

    समीर ने झट से कहा — “तो क्या ऑर्डर करूं? या आज भी तेरी आंखों से ही पेट भर लूं?”

    निम्मी ने उसकी छाती पर एक हल्का मुक्का मारा — “तेरी बातें ना… जान ले लेंगी कभी।”

    “और तेरा साथ, मुझे ज़िन्दा रखेगा हमेशा…”

    ये भूख खाने कि नहीं थी किसी और ही चीज़ कि थी निम्मी ने समीर के चेहरे को देखा ,

  • 16. Hot Devil Lover - Chapter 16

    Words: 573

    Estimated Reading Time: 4 min

    ---

    **चैप्टर**

    शहर की रात जैसे आज नशे में झूम रही थी।

    डिस्को के बाहर लंबी लाइनें थीं, लेकिन जैसे ही अंदर कदम रखते, एक अलग ही दुनिया सामने होती — तेज़ बीट्स पर थिरकती रौशनी, कलरफुल लाइट्स की चमक और स्पीकर्स से आती धड़कनों जैसी म्यूजिक जिसने हर सांस को रिद्म दे रखा था।

    तीनों सहेलियाँ – नव्या, निम्मी और काजल – एक साथ अंदर दाखिल हुईं।

    **नव्या** ने वेस्टर्न ड्रेस पहनी थी — ब्लैक बॉडीकॉन जिसमें उसकी जिस्म उभर रहा था, उसके बड़े बड़े बूब्स कपड़ों से निकलने को तैयार थे ,खुले बाल और रेड लिपस्टिक के साथ उसकी पर्सनालिटी वैसे ही कहर थी।

    **निम्मी** ने मेटालिक सिल्वर शॉर्ट ड्रेस और **काजल** ने वाइन कलर की स्लिट ड्रेस पहनी थी।

    तीनों की एंट्री ही डिस्को की रौशनी में जैसे स्लो मोशन में हो रही हो।

    "ओ माय गॉड, आज तो इस फ्लोर पर आग लगने वाली है," काजल ने कानों में झुमके झुलाते हुए कहा। उसके गालों को चूम रहे थे,

    "चलो... पहले डांसफ्लोर चेक करें," निम्मी ने आँख मारी।

    नव्या ने हाथ से रोका, "एक सेकंड यार, कोई दिखा मुझे…"

    वो पलटा — और सामने **अर्जुन सिंघानिया** खड़ा था।

    ब्लैक शर्ट की ऊपर के दो बटन खुले थे, हाथ में ग्लास और चेहरे पर वही हक जमाने वाला कॉन्फिडेंस।

    उसकी नज़र सीधी नव्या पर थी।

    **नव्या मुस्कुराई** और अपने दोनों हाथों से अपनी सहेलियों को खींचते हुए अर्जुन के पास ले आई।

    "गर्ल्स, मीट अर्जुन... अर्जुन सिंघानिया। और अर्जुन, ये हैं मेरी पागल लेकिन फेवरेट गर्ल्स — निम्मी और काजल।"

    अर्जुन ने एक हल्की सी स्माइल दी, लेकिन उसकी आंखें अब भी सिर्फ नव्या को देख रही थीं।

    "हाय…" निम्मी और काजल ने एक साथ कहा, और फिर इशारों में नव्या से पूछा — *"वो ही है?"*

    नव्या ने बस आँखों से इशारा किया — *"यस बेबी, यही है..."*

    "हम तो डांस करने जा रहे हैं… तुम लोग बात करो!"

    निम्मी और काजल ने शरारत भरी मुस्कान के साथ नव्या को धक्का दिया और खुद डांस फ्लोर की भीड़ में खो गईं।

    अब नव्या और अर्जुन आमने-सामने थे।

    "माय डैविल बेबी," नव्या ने होंठों पर मुस्कान बिखेरते हुए कहा, "आज बड़े पहले से भी ज्यादा हाॅट लग रहे हो।"

    अर्जुन ने उसकी कलाई थाम ली। हल्के लेकिन पक्के अंदाज़ में।

    "हमारी पार्टी… यहाँ नहीं है।"

    उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें कुछ ऐसा था जो रोंगटे खड़े कर दे।

    नव्या ने भौंहें उठाईं, "मतलब?"

    "चलो," अर्जुन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "मैं तुम्हें एक जगह दिखाना चाहता हूँ।"

    नव्या ने कुछ कहने के लिए होंठ खोले, लेकिन तब तक वो उसकी उंगलियाँ थामे उसे डिस्को की पीछे की ओर ले जा चुका था — जहाँ शोर कम और रहस्य ज़्यादा था।

    कांच के दरवाज़ों से होते हुए वो एक **प्राइवेट सेक्शन रूम** में पहुँचे — जहाँ VIP एक्सेस था।

    वहाँ का माहौल बिलकुल अलग था — म्यूट म्यूजिक, डिम लाइटिंग, दीवारों पर लगी ब्लू-रेड आर्ट लाइट्स, और एक बड़ा सा काउच जिसके सामने कांच की टेबल पर बर्फ में रखी ड्रिंक्स की बॉटल्स रखी थीं।

    दीवार पर एक बड़ा सा मिरर लगा था, और एक कोने में गोल्डन बार स्टैंड।

    "Welcome to my kind of party," अर्जुन ने कहा और दरवाज़ा पीछे से बंद कर दिया।

    नव्या अब भी अर्जुन का चेहरा देख रही थी।

    "और मैं?" उसने हल्के से मुस्कुरा कर पूछा, "मैं इस पार्टी का हिस्सा कैसे बनी?"

    अर्जुन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए जवाब दिया —

    "तुम इस पार्टी की वजह हो, नव्या।"

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  • 17. Hot Devil Lover - Chapter 17 (इन्हें )

    Words: 717

    Estimated Reading Time: 5 min

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    ### ** चैप्टर **

    कमरे की लाइट अब और धीमी हो चुकी थी।

    म्यूजिक की धड़कनें उनके दिल की रफ्तार से मिल चुकी थीं।

    नव्या की साँसें हल्की-हल्की चढ़ी हुई थीं। उसकी **ड्रेस की बैकलेस कटिंग से अर्जुन की उंगलियाँ कुछ ज़्यादा ही वक़्त गुजार रही थीं।**

    उसकी उँगलियों की हर हरकत पर नव्या की कमर एक सिहरन से काँप जाती थी।

    अर्जुन ने उसके कान के पास आकर फुसफुसाया —

    **"तुम्हारी ये साँसे... मेरी बीट पर नाच रही हैं।"**

    नव्या ने हल्के से गर्दन घुमाकर उसकी नज़रों में देखा।

    उसके बाल एक तरफ लहराए हुए थे, और **गर्दन की खुली स्किन अर्जुन को बेहिसाब खींच रही थी।**

    **अर्जुन ने धीरे से अपनी उंगलियों से उसके कॉलरबोन को ट्रेस किया,** और फिर वहीं रुक गया।

    नव्या की आंखें आधी बंद हो गईं, जैसे वो उस टच को महसूस ही नहीं, जी रही थी।

    "अगर मैं एक और सेकंड चुप रहा…" अर्जुन की आवाज़ भारी थी, "तो तुम्हें चुरा लूंगा इस दुनिया से।"

    नव्या ने उसकी शर्ट की कॉलर पकड़कर उसे और करीब खींच लिया।

    अब उनके बीच कोई जगह नहीं थी।

    **उसका नव्या के बूब्स अर्जुन की छाती से पूरी तरह सटा हुआ था।**

    अर्जुन की साँसे उसकी गर्दन से टकरा रही थीं।

    **उसने अर्जुन की शर्ट के ऊपर से उसकी बॉडी की शेप को छुआ,** और धीमे से कहा,

    "चुरा तो वैसे भी लिया है… अब छुपा भी लो।"

    अर्जुन ने नव्या की कमर पर हाथ रखते हुए उसे घुमाया — उसकी पीठ अब अर्जुन के सीने से लगी हुई थी।

    और फिर…

    **उसने नव्या की गर्दन पर अपने होंठ रखे — बिना कुछ कहे।**

    नव्या का शरीर एक पल को थरथरा उठा।

    उसने अर्जुन का हाथ कसकर पकड़ा, और गहरी साँस लेकर कहा —

    "रुक जाओ… मैं कुछ सोच नहीं पा रही।"

    अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा —

    "सोचना यहाँ मना है… यहाँ सिर्फ महसूस किया जाता है।"

    कमरे की हवा अब सिर्फ सांसों से भारी थी।

    **नव्या की ड्रेस की स्लिट धीरे-धीरे उसकी जांघों तक ऊपर सरक चुकी थी,** और अर्जुन का हाथ उसकी जांघ पर टिक चुका था — उसकी हथेली की गर्माहट ने नव्या को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लिया था।

    उनका डांस अब नहीं था — वो एक **इमोशन बन चुका था।**

    सिर्फ साँसे, स्पर्श और धड़कनों की आवाज़…

    **"तुम मेरी हो…"**

    अर्जुन ने धीरे से उसके कान में कहा।

    नव्या ने उसकी हथेली अपनी छाती के पास खींचते हुए सिर्फ इतना कहा —

    **"सिर्फ तुम्हारी..."**

    दोनों इस वक्त बोहोत ही सैक्सी डांस कर रहे थे , दोनों सामने थे उनके होंठ जैसे डांस करते वक्त बार बार लड़ रहे थे , इसी बीच अर्जुन ने अपने हाथों को रोक नव्या के चेहरे को हाथों में ले लिया अपने सकते होंठ नव्या के मुलायम होंठों पर रख कर , पेशेंनेट किस करने लगा , वो नव्या के होंठों को चूम कम खा जाता रहा था , दोनों कि सांसें भारी हो रही थी तभी अर्जुन नव्या के बूब्स पर ऊंगली से चिमटी काटी , जिससे नव्या कि चिख निकल गई तभी जब उसनू मुंह खुला , अर्जुन अपनी जबान उसके मुंह डाल दी | और फिर दोनों फ्रेंच किस करने लगे |

    अर्जुन उसके मुंह के सभी हिस्सों का अपनी जबान से टच कर रहा था , दोनों को ही इस चीज में बोहोत मज़ा आ रहुं था , फिर दोनों जब थक गए तो अर्जुन ने अपनी जीभ नव्या के मुंह से बाहर निकाल ली , दोनों कि सांसें फुल रही थी अर्जुन और नव्या जाकर सोफे पर बैठ गए | फुलती सांसों से अर्जुन ने कहा ,

    " तुम्हारे होंठ तुम्हारी मुंह का हर हिस्सा बाहोत टेस्टी है बेबी डाॅल , अच्छा ये कहो आज सारा दिन मेरी याद आई क्या ,"

    नव्या ने मुस्कुराते हुए कहा ,

    " हां हर पल तुम्हारे प्यार कि याद आ रही थी ,"

    तंबू अर्जुन ने नव्या को अपनी गोद में बैठा लिया , इस सब में नव्या जब अर्जुन कि गोद में बैठी थी , अर्जुन कि हार्डनेस नव्या के बम के बीच टच हो रही थी नव्या इस एहसास से उछल सी गई , वही अर्जुन आहिस्ता से अपने दोनों हाथों से नव्या के बूब्स पीछे पकड़ लेता है और बैचैनी के आलम उन्हें जोर से मसलने लगा। , नव्या आहे भरने लगी ,

    " इस माय डैविल ऐसे ....ही करते रहो , इन्हें निचोड़ दो ,"

  • 18. Hot Devil Lover - Chapter 18 ( तुम्हारी )

    Words: 627

    Estimated Reading Time: 4 min

    अर्जुन सोफे पर बैठा, नव्या को अपनी गोद में बैठाए हुए था। वह उसके बूब्स को कसकर दबा रहा था। नव्या भी मचल रही थी। उसने अपने हाथ अर्जुन के हाथों पर रख दिए। वह खुद ही जोर से अर्जुन के हाथों पर दबाव बनाकर, अपने बूब्स दबा रही थी। उसे दर्द हो रहा था, बीच-बीच में चीखें भी निकल रही थीं, लेकिन उसे सब मंज़ूर था। सदियों से उसकी आत्मा जिस प्यार की तलाश में थी, आज उसे वह मिल रहा था। अर्जुन भी उसके बूब्स को कपड़े के ऊपर से ही दबा रहा था, लेकिन तभी उसके शरीर में गर्मी बढ़ने लगी। वहीं नव्या भी अपने चूतड़ों को अर्जुन की हार्डनेस पर रगड़ रही थी।

    "डैविल, तुमसे पहले... कभी किसी ने मेरे साथ ऐसा नहीं किया था। तुम पहले हो..."

    नव्या की साँसें तेज थीं, आँखें भीगी सी, पर उनमें कोई पछतावा नहीं था — सिर्फ़ सुकून और एक अजीब-सी चमक।

    अर्जुन ने उसकी गर्दन पर हल्का सा चुमते हुए मुस्कराकर कहा,

    "डार्लिंग, वो तो मुझे कल रात ही पता चल गया था..."

    नव्या ने उसकी ओर चौंककर देखा, जैसे पूछ रही हो — कैसे?

    अर्जुन ने धीमे से फुसफुसाया,

    "तुम्हारी आँखों में डर नहीं था... बस एक मासूम-सी हिचक थी।

    तुम्हारे स्पर्श में अनुभव नहीं था... बस एक जिज्ञासा थी।

    और जब मैंने तुम्हें थामना चाहा, तो तुम काँपी नहीं... बस थमी रहीं — जैसे कोई पहली बार किसी को खुद में समाने दे।

    तुम पहली बार किसी के इतने क़रीब आई थीं... और मुझे महसूस हुआ... कि तुम खुद को सच में सिर्फ़ मेरे लिए बचाकर लाई थीं।"

    नव्या की आँखें भर आईं। उसने अर्जुन का हाथ अपने सीने पर रखा और बस धीमे से कहा,

    "हां... और अब मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूँ।"

    नव्या को इस जवाब ने सेटिस्फाई नहीं किया उसने अर्जुन से फिर पूछा ,

    " नहीं सच कहो ,"

    नव्या चुप थी… लेकिन उसकी साँसें अब भी तेज़ थीं।

    अर्जुन उसके बालों को हल्के-हल्के सहला रहा था, जैसे हर थकावट, हर असहजता को अपनी उँगलियों से मिटा देना चाहता हो।

    फिर उसने उसके माथे को चूमते हुए धीरे से कहा,

    "डार्लिंग… अब थोड़ा बेहतर महसूस हो रहा है?"

    नव्या ने हल्के से 'हां' में सिर हिलाया… पर उसकी आँखों में सवाल था — जो उसने शब्दों में नहीं, खामोशी में पूछा।

    अर्जुन मुस्कराया…

    "तुम जानना चाहती हो ना, मुझे कैसे पता चला कि तुम पहली बार किसी के इतना करीब आई थीं?"

    वो थोड़ा झिझकी, फिर धीरे से बोली,

    "हां… पर कैसे?"

    अर्जुन ने उसकी उँगलियाँ थाम लीं,

    "जब कोई लड़की पहली बार अपने शरीर को खोलती है… तो वो सिर्फ बाहर से नहीं, अंदर से भी बदलती है।

    तुम्हारा बदन हल्का काँप रहा था, साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं… और सबसे बड़ा सच था — वो हल्का सा दर्द और खून, जो सिर्फ पहली बार होता है। तुम्हारी गुप्त अंग में वो दर्द और खून जो निकल रहा था वो उसी बात कि निशानी है"

    नव्या ने एक पल के लिए आँखें झुका लीं… थोड़ी शर्म, थोड़ी उलझन।

    अर्जुन ने उसकी ठोड़ी उठाई,

    "Hey... इसमें शर्म की कोई बात नहीं। ये हर उस लड़की के साथ होता है जो पहली बार अपने आप को किसी को सौंपती है — पूरी तरह से, पूरे भरोसे के साथ।"

    वो ठहरकर बोला,

    "वहाँ ब्लीडिंग होना कोई गंदगी नहीं… बल्कि एक संकेत होता है कि तुमने खुद को मुझे सौंपा, पूरी मासूमियत और सच्चाई के साथ। और मैं… इसे एक इज़्ज़त की तरह देखता हूँ, कोई सबूत या टेस्ट नहीं।"

    नव्या की आँखें अब भीगी थीं… लेकिन उनमें अब सुकून था। वो अर्जुन की बाँहों में और सिमट गई।

    "थैंक यू अर्जुन… मुझे समझाने के लिए… और मुझे जज नहीं करने के लिए।"

    अर्जुन ने हल्के से मुस्कुराकर कहा,

    "मैं तुम्हारा पहला था… और चाहता हूँ कि आख़िरी भी मैं ही रहूँ।"

  • 19. Hot Devil Lover - Chapter 19 ( फेंच किस )

    Words: 859

    Estimated Reading Time: 6 min

    कमरे की रौशनी और भी धीमी हो चुकी थी। हलकी चाँदनी खिड़की से नव्या के चेहरे को छू रही थी, और अर्जुन की आँखें उसी चेहरे पर ठहर गई थीं — वहाँ जहाँ चाहत अब खामोशी से भरी हुई थी।

    उसने अपनी उँगलियों से नव्या की ठुड्डी को धीरे से उठाया, उसकी आँखों में झाँका — वहाँ हल्की थरथराहट थी, पर इन्कार नहीं।

    "तुम जानती हो…" अर्जुन की आवाज़ में एक धीमी गरमाहट थी, "…तुम्हारा हर पल मेरी सांसों में घुल रहा है।"

    नव्या की पलकों ने इजाज़त दे दी।

    अर्जुन धीरे से आगे बढ़ा — उसके होंठ नव्या के होंठों से टकराए, पहले सिर्फ़ हल्के स्पर्श की तरह। एक एहसास, जो सिरहन बनकर दोनों के भीतर उतर गया।

    लेकिन फिर उस स्पर्श ने अपना रंग बदला।

    नव्या की उँगलियाँ अब अर्जुन की गर्दन के पीछे उलझने लगी थीं, और अर्जुन का हाथ उसकी कमर को अपनी तरफ़ खींच रहा था — धीरे, लेकिन प्यास के साथ।

    उनके होंठ अब सिर्फ़ छू नहीं रहे थे — वो एक-दूसरे को महसूस कर रहे थे। अर्जुन की जीभ ने नव्या के निचले होंठ को छुआ, और नव्या ने जवाब में उसे पूरा अपनाकर अपनी गर्म साँसों में बाँध लिया।

    किस अब धीमा नहीं रहा था। वो गहराता जा रहा था — एक गीली, रसीली चाहत में लिपटा हुआ… जहाँ अर्जुन की उँगलियाँ अब उसकी पीठ पर घूम रही थीं, और नव्या की बदन उसकी बाँहों में मचल रही थी।

    उसने नव्या को अपनी गोद में बिठा लिया। दोनों की धड़कनें एक लय में धड़कने लगी थीं। अब उनके बीच कोई शब्द नहीं बचा था — सिर्फ़ स्पर्श, सिर्फ़ साँसें, सिर्फ़ एक लंबा, भीगा हुआ फ्रेंच किस… जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

    नव्या की उँगलियाँ अब उसकी छाती पर घूम रही थीं, और अर्जुन की हथेलियाँ उसकी पीठ को धीरे-धीरे सहला रही थीं… कभी कसकर, कभी बेहद नर्मी से — जैसे वो हर अहसास को अपनी उँगलियों में कैद कर लेना चाहता हो।

    वो सिर्फ़ किस नहीं था — वो एक वादा था…
    एक तड़पती हुई आत्मा का दूसरे की साँसों में घुल जाना।




    अर्जुन की उँगलियाँ जैसे नव्या की बदन पर शब्द लिख रही थीं — धीमी, सिहरन पैदा करने वाली, जानबूझकर भटकती हुई।

    हर बार जब उसकी उँगलियाँ नव्या की कमर से पीठ तक फिसलतीं, नव्या की साँस एक पल को थम जाती। उसकी आँखें बंद थीं, होंठ आधे खुले — जैसे हर स्पर्श से एक नई दुनिया में पहुँच रही हो।

    उसकी पीठ झुक रही थी… और अर्जुन अब उसके कंधे पर अपने होठों की गर्माहट छोड़ रहा था। किस कर रहा था,

    वो कोई जल्दी में नहीं था। लेकिन एक वाइल्ड नेस ज़रूर थी ,
    उसकी उँगलियाँ अब गर्दन से नीचे तक उतर चुकी थीं — बहुत धीमे, बहुत जानबूझकर। और हर जगह जहाँ वे रुकतीं, नव्या का बदन काँप उठता… जैसे बदन नहीं, कोई साज़ बज रहा हो, जिसकी हर तार अर्जुन के स्पर्श से झनक रही हो।

    "तुम नहीं जानती," अर्जुन की आवाज़ उसकी गर्दन पर गिरती गर्म साँस जैसी थी, "तुम्हारे जिस्म की हर हरकत… मेरे होश चुराती है।"

    नव्या की हथेलियाँ अब उसकी पीठ पर थीं, लेकिन वो पकड़ नहीं रही थी — **वो महसूस कर रही थी**।
    उसके नाखूनों की नोकें कभी गर्दन पर सरकतीं, तो कभी उसकी बाज़ुओं को दबा देतीं — जैसे वो बताना चाहती हो कि ये कोई सपना नहीं, वो इसे सच में जी रही है।

    अर्जुन ने उसे अपनी गोद में और करीब खींच लिया। अब उनके बदन के बीच एक भी परत बाकी नहीं थी, जो एहसासों की लहरों को रोके।

    नव्या का चेहरा अर्जुन के सीने से टकराया, फिर उसने अपनी गरदन उठाई — उसकी साँसें अब उसकी आँखों से बोल रही थीं।

    अर्जुन ने उसका चेहरा दोनों हाथों में लिया, और अपने होंठ उसके होंठों पर टिकाए रखे — इस बार हल्के से नहीं,
    बल्कि गहराई से…
    एक लंबी, गीली, गर्म **फ्रेंच किस** — जिसमें चाहत सिर्फ़ लफ़्ज़ों में नहीं थी, बल्कि **हर पल, हर कम्पन, हर साँस में खुलकर महसूस हो रही थी।**

    नव्या अब अर्जुन को अपनी ज़ुबान से जवाब दे रही थी — तेज़, बेचैन, गहराई में उतरती हुई।
    उसका बदन अब सिर्फ़ स्पर्श नहीं कर रहा था, वो खुद को अर्जुन के हर एहसास में **पिघलाकर दे रही थी।**

    हर साँस, हर थरथराहट, हर स्पर्श… अब सिर्फ़ एक बात कह रहा था —
    **"अब कोई रोक नहीं है… बस मैं हूँ, और तू।"**


    और तभी किस ब्रेक किये बिना नव्या पहले अर्जुन कि शर्ट के बटन खुलने लगी उसने एक झटके में अर्जुन कि शर्ट निकाल फेंकी , किस करते हुए , नव्या कि उंगलियां अर्जुन के सकत सीने पर सहला रही थी , उसके सीने पर हल्कू बाल थे जोकि उसकी मर्दानगी कि निशानी थे नव्या उन्हें मुठ्ठी में कसने कि कोशिश कर रही थी , वही अर्जुन के हाथ धीरे से नव्या कि कपड़ों में सरक रहे थे जांघों से होते हुए , नव्या कि पेंटी में घूस गए | वहां वो महसूस करता है नव्या पुरी तरह से गिली हो चली थी वु उसकी मलाई को उंगलियों में लेकर महसूस कर रहा था , तभी अर्जुन ने नव्या के गुप्त अंग वाले होंठो पर नोंच लिया , जिससे नव्या कि चिख निकल गई ,

  • 20. Hot Devil Lover - Chapter 20 (लाल हो रही थी साथ हुआ )

    Words: 769

    Estimated Reading Time: 5 min

    दोनों एक दूसरे में खो रहे थे , अर्जुन ने नव्या को खुद से दूर किया , नव्या हैरान होकर अर्जुन कि और देखने लगी ,

    "क्या हुआ ! मुझे खुद से ऐसे दूर क्यों कर दिया ,"

    अर्जुन ने कहा , मुस्कुराते हुए ,

    " डार्लिंग !अब वो करना है जो सबसे खास काम है क्या तुम उसके लिए। तैयार हो ,"

    नव्या शरमा गई उसे बोहोत शरम सी आ रही थी ,

    " जान इतना। क्या शरमा रही हो कल भी तू हमने वहीं किया था , तो आज फिर इतनी शरम क्यों ,"

    " हां ! किया था लेकिन तुम्हारे साथ ऐसा लग लगता है हर बार जैसे पहली बार हो ,"

    और फिर वहां फोन में अर्जुन ने एक रोमांटिक म्यूजिक चला दिया , ये कोई गाना नहीं था बस हल्का सा म्यूजिक था , जिसे सून दोनों के दिल कामुकता से भरनै लगे थे | उस म्यूजिक को सून नव्या ने अर्जुन के गले में हाथ डाल कहा ,

    " बोहोत अच्छा म्यूजिक है ,"

    "खास इस मौके के लिए चूज़ किया था तुम्हें अच्छा लगा तो मेरा काम हो गया ,"

    तभी अर्जुन ने अपनी ऊंगली नव्या के होंठों पर रखखी आहिस्ता से जिसे नव्या ने अपने गुलाबी होंठों से चूमा , दोनों के दिल में सिरहन दौड़ पड़ी ,

    " उऊफ तुम्हारे ये चूमबन मुझे पागल कर देते हैं, ऐसे। किस तुम मुझे हर वक्त देती रहो ,"

    " बिल्कुल नहीं ! मैं तुम्हें हमेशा ऐसे किस नहीं करूंगी ,"

    अर्जुन हैरान हो गया उसे नव्या कि बात कुछ समझ नहीं आई उसने कहा ,

    " क्यों बेबी डाॅल ! तुम ऐसा क्यों बोल रही हो मुझसे कुछ गलती हुई क्या ,"

    नव्या हंसने लगी और बोली ,

    " अरे डरो नहीं मैं तो बस मज़ा कर रही थी ,"

    और फिर दोनों के बीच फेंच किस फिर शुरू हो गया दोनों की जीभ मुंह में लड रही थी कोई भी छोड़ने को तैयार नहीं था , सांसें फुलने लगी तभी अर्जुन ने नव्या के कपड़े उतारने शुरु किये अब नव्या सिर्फ अंडरगार्मेंट में थी वो भी उसके शरीर पर बोहोत बुरी तरह कसे हुए थे | नव्या लाज से मर रही थी अर्जुन भी इस वक्त सिर्फ पेंट में ही था ,

    " जान मेरी पेंट उतारो ,"

    नव्या गालों पर लाली लिये अर्जुन का ऑर्डर फोलो करने लगी , नव्या अपने हाथों को अर्जुन कि पेंट कि और धीरे बढ़ाने लगी और फिर पेंट कि जी़प खोलने लगी हल्के से , जी़प ऊपरी जैसे ही खुली अर्जुन खुश हुआ , फिर नव्या ने अर्जुन कि पेंट नीचे खिसकाने लगी धीरे से पेंट भी पहले कुल्हों से उतर रही थी , तभी नव्या ने अर्जुन को लाल चढ्ढी में देख बोहोत महंगी लग रही थी , और फिर नव्या ने जब अर्जुन कि पेंट उतार दूर फेंक दी अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ उसे सीने से लगा लिया अब दोनों सिर्फ अंडरगार्मेंट में ही थे जिस पर अर्जुन नू कहा ,

    " अब हुई ना बात बराबर कि तुम भी अध नग्न हो और मैं भी अध नग्न हूं ,"

    नव्या शरम से भर गई वही दूसरी तरफ डांस फ्लोर पर काजल और निम्मी डांस कर रही थी एक लड़का बार बार काजल से टकरा रहा था , काजल ने उसे घूर कर देखा ,

    " क्या प्रोब्लम है दिमाग खराब है तो बता दो पास में ही हास्पिटल है वहां तुमू छोड़ आते हैं ,"

    लड़का काजल के हुस्न को निहार रहा था उसकै नजर काजल के बूब्स जान टिकी जोकि ड्रेस के वी शेप गले से थोड़ा झांक रहे थे और जब काजल उछाल कर डांस कर रही थी तो उसके वो भी डांस कर रहे थे हिल रहे थे जोर से , काजल ने उस लड़की कि नज़रों का पीछा किया तो वो गुस्से से पागल हो गई ,

    " ज्यादा देखने कि ज़रूरत नहीं है आंखें निकाल लूंगी समझा ना ,"

    निम्मी ने कहा ,

    " शांत यार क्या हुआ ,"

    " यार देख ना वो यहां देख रहा है इन लड़कों का कुछ नहीं है सकता है ,"

    वही कमरे मे नव्या बिस्तर पर बिना कपड़े लेटी थी अब तो अंडरगार्मेंट भी शरीर पर नहीं थे शायद अर्जुन ने उन्हें भी उतार फेंक था , जोकि साफ तौर पर दिखता था नव्या के अंडरगार्मेंट बेड के साइड में पड़े थे ब्लैक कलर के , तभी अर्जुन भी अब अंडरवियर उतार फेंक देता है दोनों एक दूसरे के सामने बिन कपडू थे कमरे में हल्की लाल रोशनी और एक खुशबू , अर्जुन उसकी और बढ़ा तो उसका नागराज हिल रहा था , नव्या उसे दूर से ही देख लाल हो रही थी साथ हुआ गिली भी ,