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Bound by obsession

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कहते है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं, एक ही पल में क्या मोड़ ले कोई नहीं जानता। क्या हो जब आज़ादी का दिन किसी के लिए कैद बन जाये। ऐसी ही ये कहानी है प्यार और पागलपन के बीच की। आन्या जो कि अपनी ही दुनिया में खुश थी पर तब तक जब तक वो अन्वेष मल्होत्रा, ज...

Total Chapters (61)

Page 1 of 4

  • 1. Bound by obsession - Chapter 1

    Words: 1178

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक बड़े से मैंशन के एक आलीशान कमरे में बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था कि एक सुई की आवाज़ भी शांति को चीरने के लिए काफ़ी थी! उसी कमरे के किंग साइज़ बेड पर एक प्यारी सी लड़की बेहोश आराम से लेटी हुई थी! कमरे की डिम लाइट में उसका फ़ेस बिल्कुल चमक रहा था! लेकिन हाथों पर पट्टी बंधी हुई थी! पलकें बंद थीं पर आँखों के नीचे आंसुओं के निशान थे जो ये बताने के लिए काफ़ी थे कि वो लड़की कितनी रोई होगी।

    2 घंटे बाद _
    वो लड़की कसमसाने लगी, शायद उसे होश आ रहा था।

    अचानक ही वो लड़की थोड़ा-थोड़ा कांपने लगी और एक ज़ोरदार चीख़ के साथ चिल्लाई- "पापा!" और बेड पर उठकर बैठ गयी! वो लड़की बहुत घबराई हुई थी! डर उसकी आँखों में साफ़-साफ़ देखा जा सकता था। वो इधर-उधर नज़रें घुमाकर देखने लगी। उठते ही सबसे पहले उसकी नज़र अपनी ड्रेस पे गयी! ड्रेस को देखकर उसने एक गहरी, शायद चैन की सांस ली, इसी के साथ उस लड़की की बड़ी-बड़ी प्यारी सी आँखों से आँसू बह रहे थे। वो इधर-उधर नज़रें घुमा कर देख ही रही थी कि तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और एक लम्बी-चौड़ी पर्सनैलिटी का एक साया अंदर आया।

    जैसे ही डोर खुलने की आवाज़ आई, उस लड़की की नज़रें भी दरवाज़े की तरफ टिक गयीं। वो साया दरवाज़े से टेक लगाकर खड़ा था और एकटक उस लड़की की तरफ अपनी इंटेंस नज़रों से देखे जा रहा था।

    वो लड़की उस इंसान का चेहरा देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ डिम लाइट और कुछ रोने की वजह से वो उस साये को ठीक से देख नहीं पा रही थी। अचानक ही वो इंसान थोड़ा सा आगे आया जिससे उस लड़की को उस इंसान का चेहरा नज़र आने लगा। जैसे ही लड़की ने उसका चेहरा देखा उस लड़की की आँखों में खौफ़ उतर आया। दिल की धड़कन डर की वजह से बुलेट ट्रेन से भी तेज भागने लगी।

    वो लड़की उसे देखते ही बेड से जल्दी से खड़ी हो गयी और उसके मुँह से बस एक ही वर्ड निकला- "तुम!" लेकिन सामने वाले इंसान ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। वो अभी भी अपनी इंटेंस नज़रों से उसे देखे जा रहा था। लेकिन उस लड़की की तो डर और घबराहट से हालत ख़राब थी। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। उसका पूरा शरीर पसीने से भीग गया था, वो लड़की अपनी डरी भरी आँखों से चारों तरफ़ देख रही थी, जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो कि वो कहाँ पर है? क्योंकि ये जगह उसे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी। वो लड़की इधर-उधर देख ही रही थी कि तभी उस सन्नाटे को चीरते हुए एक गहरी और जुनूनी आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "Wifey!"

    जैसे ही ये आवाज़ आई उस लड़की की एकदम से साँसें ही अटक गयीं। उसकी हिम्मत ही नहीं हुई नज़र घुमाकर भी देखने की। तभी सामने वाले व्यक्ति, जिसने अभी-अभी वाइफ़ी कहकर पुकारा था, उसी लड़के की फिर से आवाज़ आई, "Wifey! Look at me."

    उस लड़की ने कसकर अपने दोनों हाथों को उलझा लिया और पीछे पलटी, और उस लड़के की तरफ देखने लगी। अब दोनों एक दूसरे को देख रहे थे लेकिन उस लड़की की आँखों में उस वक़्त डर, घबराहट थी, वहीं लड़के की आँखों में जुनून। जुनून ऐसा कि सबकुछ बर्बाद करके रख दे। वो लड़का उस लड़की की गहरी काली आँखों में एकटक देखे जा रहा था मानो आँखों से ही खुद में समा लेना चाहता हो। लेकिन उस लड़की को उन आँखों की तपिश खुद पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए उसने नज़रें हटा लीं। नज़रें हटते ही उस लड़के की आँखें सर्द हो गयीं। उसने उसी सर्द आवाज़ में कहा, "Wifey! नज़रें मुझ पर!"

    वो लड़की जो सोचने की हालत में भी नहीं थी इस आवाज़ से ही वो डर चुकी थी। अब जाकर उसका ध्यान लड़के के वर्ड्स पर गया था अचानक ही उसने लड़के को एक नज़र देखा और खुद में ही बुदबुदाई, "वा... Wifey..."

    लड़का जिसकी नज़रें उस पर ही थीं, वो उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था! उसने उस लड़की को जो अपनी ही सोच में गुम थी, उसे वापस उसके सेंस में वापस लाने के लिए उसके सामने चुटकी बजाई। चुटकी बजाने से वो वापस अपने सेंस में आई। उसने ऊपर देखा तो लड़का जो उसे ही ध्यान से देखे जा रहा था वो धीरे-धीरे कदम लेकर उसकी तरफ बढ़ने लगा। अपनी तरफ़ बढ़ता देखकर उस लड़की की आँखें बड़ी हो गयीं वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।

    लड़का अभी भी एकटक उसे देखते हुए कदम बढ़ाता जा रहा था। जैसे-जैसे वो आगे बढ़ रहा था वैसे-वैसे वो लड़की अपने कदम पीछे लेती जा रही थी। उसका दिल बहुत बुरी तरह धड़क रहा था। उसके मुँह से आवाज़ तक नहीं निकल पा रही थी डर से, फिर भी कदम पीछे लेते हुए ही वो हकलायी आवाज़ में बोलने की कोशिश करने लगी, "व्ह... व्हा... What are u do... Doing? वहीं रुको। मैंने कहा वहीं रुक जाओ।"

    वो लड़की अपनी हकलायी आवाज़ में उस लड़के को रुकने के लिए कह रही थी लेकिन उस लड़के पे तो किसी बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वो वैसे ही आगे बढ़ रहा था। अपनी किसी बात का असर ना होते और उसे वैसे ही अपनी तरफ़ बढ़ते देख वो लड़की बुरी तरह घबरा गयी और इस बार तेज आवाज़ में बोली, "I said just stop.”

    लेकिन लड़का फिर भी नहीं रुका वो वैसे ही आगे बढ़ता रहा। लड़के के आगे कदम बढ़ाने के साथ-साथ ही वो लड़की अपने कदम पीछे लेते जा रही थी। वो चारों तरफ़ देखते पीछे हो ही रही थी कि तभी दीवार से टकरा गयी। उसने एक नज़र पीछे मुड़कर देखा और फिर अपनी नज़रें वापस सामने कर लीं। अब उसके पास पीछे जाने के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं थी उसका फ़ेस जो आलरेडी पसीने से भीगा हुआ था अब तो पूरा पसीने से लथपथ हो गया था।

    लड़का जो कुछ कदम की दूरी पर था और उसकी वो जुनूनी आँखें गहराई से बस उसी पर टिकी थीं। वो अपने लंबे कदम लेकर उसके पास आया और उससे दो कदम की दूरी पर खड़ा हो गया। लड़की ने जब उसे अपने सामने खड़े हुए देखा तो उसने डरकर अपनी ड्रेस को मुठ्ठियों में भींच लिया और हकलाते हुए बोली, "दू... दू... दूर रहो पास आ... आने कि को... कोशिश भी म... मत करना।"

    लेकिन उस लड़के ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं। वो अब और पास आ गया था। लड़की ने सामने देखा तो वो एकदम उसके करीब खड़ा था और उस लड़की को बड़े ही गौर से देख रहा था। वो उसके ऊपर झुकने लगा। ये महसूस करते ही लड़की ने अपनी ड्रेस को और भी कसकर अपनी मुठ्ठियों में भींच लिया और आँखें मींच लीं। उसने अपनी मुठ्ठियाँ इतनी कसकर भींची हुई थीं कि नाखून उसकी हथेली में चुभने लगे थे।

    तभी एक आवाज़ आई।

    Done.

    किसकी थी ये आवाज़ और क्या होगा आगे?

  • 2. Bound by obsession - Chapter 2

    Words: 1920

    Estimated Reading Time: 12 min

    लड़की ने जब उसे अपने सामने खड़े देखा तो डरकर अपनी ड्रेस को मुठियों में भींच लिया और हकलायी आवाज़ में बोली-

    "दू. दू.. दूर रहो, पास आ. आने की को. कोशी. कोशिश भी म मत करना।"

    लेकिन उस लड़के ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं, वो वैसे ही उसकी तरफ बढ़ते हुए उसे ही गौर से देखे जा रहा था। तभी वो उसके एकदम करीब आकर खड़ा हो गया और उसपे ही नजरें टिकाते हुए उसके उपर झुकने लगा। जैसे ही उस लड़की ने ये महसूस किया कि वो उसके उपर झुक रहा है, उस लड़की ने अपनी आँखे बंद कर ली।

    कुछ ही पल बीते थे कि एक आवाज़ आयी-

    "कटाक..!" इस आवाज़ को सुनकर लड़की आँखे खोलने को हुई कि तेज रोशनी उसकी आँखों में पड़ी। रोशनी पड़ते ही उसने अपनी आँखों को अपने दोनों हाथों से ढक लिया। इतनी देर से डिम लाइट में रहने और रोने के कारण जो उसकी आँखें सूज गयी थी, इसलिए वो अपनी आँखे नहीं खोल पा रही थी।

    थोड़ी देर बाद जब उसने अपनी आँखे खोली तो पाया कि अभी तक रूम में जो डिम लाइट थी वहीं अब पूरे कमरे में व्हाइट रोशनी थी। वो देख ही रही थी कि तभी-

    उसे अपने उपर किसी की नजरें महसूस हुई। उसने सामने देखा तो लड़के की नजरें उस पर ही टिकी हुई थी। वो उसके चेहरे को बड़े ध्यान से देख रहा था।

    "उस लड़की की काली आँखे, जिनपर बड़ी बड़ी पलकें जो पूरी आँसुओं से भीगी हुई थी, गाल इन्फैक्ट पुरा फेस जो रोने की वजह से लाल हो गया था, उसके पिंक लिप्स जो हल्के- हल्के काँप रहे थे, जिन्हे वो लड़की बार बार अपने अपर लिप्स के बीच में दबा रही थी।"

    लड़का जो उसे देख ही रहा था, उसने जब देखा कि लड़की घबराहट में अपने अंगूठे के उपर के हिस्से को अपने दातों से चबाते हुए इधर उधर देख रही है, ये देखते ही लड़के की भौहें तन गयी और उसने कहा-

    "स्टॉप डूइंग दिस..! और तुम्हारी नजरें मुझ पर होनी चाहिए, wifey!"

    लड़की जो अपने में ही खोयी हुई थी वो आवाज़ सुनते ही अपने सेंस में आयी। लेकिन जैसे ही उसने लास्ट वर्ड ‘wifey’ सुना उसने नजर उसके उपर की। ये वर्ड सुनते ही उसे गुस्सा आ गया, उसने उसे एक हाथ से जरा सा पुश किया और वो थोड़ा चिल्लाते हुए बोली-

    "नहीं, बंद करो बार बार ये बोलना।"

    "नहीं हुँ मैं किसी की वाइफ।"

    ये सुनते ही लड़का जो अभी तक नॉर्मल था, उसके एक्सप्रेशन सख्त हो गये। उसी सख्त एक्सप्रेशन के साथ वो एक कदम लेकर आगे आया और उस लड़की की बाजू पकड़ते हुए अपनी कड़क आवाज़ में बोला-

    "नहीं करूँगा, बिल्कुल भी नहीं करूँगा बंद बोलना..! और एक बात और तुम किसी और की नहीं, मेरी wifey हो, सिर्फ और सिर्फ मेरी wifey।" ये बोलते उस लड़के की आवाज़ और आँखों में एक ज़िद, और अजीब सा पागलपन नजर आ रहा था। फिर अचानक ही वो लड़का तिरछा मुश्कुराते हुए बोला-

    "तुम अब मेरी wife बन चुकी हो। और अगर तुम ये बात भूल गयी हो तो चलो मैं तुम्हे याद करवा देता हुँ।" कहते हुए लड़के ने उस लड़की को उपर से नीचे तक देखा।

    ***

    फ्लैशबैक

    एक दिन पहले-

    मुंबई, जिसे सपनों का शहर कहा जाता है, जहाँ हर रोज़ न जाने कितनों के सपने पूरे होते है और कितनो के सपने टूटकर चूर हो जाते है, उसी मुंबई शहर की किसी जगह के---

    एक अंधेरे कमरे जिसमे किसी के चीखने की आवाज़ आ रही थी, लेकिन आवाज़ भी पूरी तरह नहीं निकल पा रही थी क्योंकि जिस भी शक्स की वो आवाज़ थी, उस शक्स के मुह पर कपड़ा बाँधा गया था जिससे कि उसकी चीखें उसके मुह में ही घुट रही थी। देखने से लग रहा था कि वो जो भी है उसे बहुत बुरी तरह टॉर्चर किया गया है। कि तभी

    उस कमरे में लंबे कदम लेते हुए एक शक्स एंटर हुआ। उसके आते ही वहाँ पुरी तरह से शांति छा गयी। वहाँ जितने भी लोग थे, सब अपने सर झुकाकर खड़े हो गए।

    आते ही उस शक्स ने एक नजर उस कमरे पर डाली। उस कमरे का इंटीरियर और एटमॉस्फियर दोनों ही इतना भयानक था कि देखते ही दिल में खौफ उतर जाए।

    "ग्रे कलर का पुरा इंटीरियर, दीवारों पे खून के छीटें और डिम ग्रीन कलर की लाइट में उस रूम में फर्श पे बिच्छू पड़े हुए थे, एक तरफ स्ट्रेचर पड़ी हुई थी जिसके पास ही टेबल पे कुछ वेपन्स रखे हुए थे, साइड में रसियाँ टंगी हुई थी, ब्लड की स्ट्रांग स्मेल् आ रही थी।"

    कुल मिलाकर उस रूम का माहौल ऐसा था कि जिस किसी को भी वहाँ पर लाया जाता होगा, कमरे को देखकर ही उसके सामने मौत का भयानक नजारा घूम जाता होगा।

    उस शक्स ने एक नजर कमरे को देखकर उस कुर्सी पर बंधे शक्स पे नजरे डाली, जिसके चेहरे पे खौफ साफ साफ नजर आ रहा था। उस शक्स को बुरी तरह टॉर्चर किया गया था। उसके पैरों और हाथों से खून रिस रहा था, जगह- जगह बिच्छुओं के डंक के निशान थे, पैरों के तलवे जले हुए थे। ये देखकर उस सामने वाले शक्स के होठों पे एक जहरीली मुस्कान आ गयी। उसने एक नजर गार्ड को देखा।

    उसका इशारा समझ कर गार्ड ने उस शक्स के हाथ में एक धारदार नाइफ़ रख दी और उस आदमी के मुह से कपड़ा हटा दिया।

    कपड़ा हटाते ही वो आदमी उसके सामने गिड़गिड़ा कर माफी मांगने लगा पर वो शक्स तो जैसे बेरहम था, उसे तो ये सब देखकर मज़ा आ रहा था। अचानक ही एक जोरदार चीख वहाँ गूंज गयी क्योंकि उस आदमी की पांचो उंगलियाँ काट दी थी उस शक्स ने। वो आदमी चीखते हुए ही कहने लगा-

    "माफ कर दो, आगे से ऐसा कुछ नहीं करूँगा, म मैं ये देश छोङकर चला जाऊंगा...! प्लीज़ इस बार माफ कर दो, आगे से गल.. गलती नहीं होगी..!"

    तभी उस लड़के की कड़क आवाज़ वहाँ गूंजी-

    "गलती तो तब होगी ना जब तु गलती करने लायक बचेगा, देश छोङकर तो तु जब जायेगा जब तु कुछ छोड़ने लायक बचेगा।"

    "ये सब तो तुझे मुझे धोका देने से पहले सोचना चाहिए था सिन्हा, जब तूने वो नकली पेपर पे साइन करके मुझे डबल क्रॉस चेक करने की हिम्मत की थी..!" उस लड़के ने गुस्से से कहा और अगले ही पल उसने उस नाइफ़ को उस आदमी के गले में घुसा दिया था। और इसी के साथ वहाँ सब कुछ शांत हो गया था।

    लड़के ने चाकू वहीँ पर फेंका और बाहर जाने लगा। उसने बिना पीछे मुड़े ही कहा- "क्लीन दिस मेस।"

    उसके साथ ही एक और आदमी उसके पीछे चला गया। उसके जाते ही वहाँ खड़े गार्ड्स ने चैन की साँस ली जैसे इतनी देर से उनकी साँसों पर किसी और का कब्ज़ा था।

    एक घंटे बाद-

    एक लिमिटेड ऐडिशन की कार आकर एक 40 मंजिला बिल्डिंग के ऑफिस के सामने आकर रुकी। उस कार की फ्रंट सीट से एक आदमी बाहर आया और उसने बैक सीट का दरवाजा खोला। और उसमे से एक 25-26 साल का थ्री पीस सूट पहने एक लड़का बाहर आया।

    अपनी सिल्वर गहरी आँखों पे गोग्लस् चढाये, जेल से सेट बाल, पैरों में महंगे शूज़, हाथ में एक्सपेंसिव रिस्ट वॉच, जिस पर एक नजर डाल वो लड़का एट्टिटूड से उस बिल्डिंग के अंदर चला गया।

    उस लड़के के एंटर होते ही वहाँ इतनी देर से जो चहल- पहल और फुसफुसाहट थी, वहाँ एकदम शांति हो गयी । सारे इंप्लॉयस् जो अभी तक रिलेक्स थे, जैसे ही उस लड़के ने उन्हे घूर कर देखा, सब हडबडा गए और अपने अपने काम में लग गए।

    लगते भी क्यों नहीं, उस शक्स का गुस्सा कितना खतरनाक था ये सबको पता था। उनकी जरा सी गलती और वो सीधा जॉब से बाहर। उस लड़के ने उन्हे एक नजर घुरकर देखने के बाद अपने कदम लिफ्ट की तरफ बढ़ा दिये। और अपनी प्राइवेट लिफ्ट से अपने कैबिन जो की टॉप फ्लोर पे था, चला गया।

    उस लड़के के जाते ही, कुछ फीमेल एंप्लॉयीज जो उस लड़के को ही अपनी चोर नजरों से देख रही थी, उसके जाते ही आपस में घुसूर- पुसूर करने लगी-

    उनमे से एक ने कहा- "हाय; ये सर कितने हैंडसम है, क्या कातिल लुक है, और एटिट्यूड तो कमाल का है। काश एक नजर भी मुझे देख ले तो बात बन जाए।"

    तभी दूसरी इंप्लोय ने कहा- "हाँ यार, सर हैंडसम तो बहुत है, पर इनका गुस्सा कितना खतरनाक है। मुझे तो इनके गुस्से से बहुत डर लगता है। और तुझे याद है ना पिछली बार क्या हुआ था, वो रीना जिसने सर के करीब जाने की कोशिश की थी, सर ने उसका पूरा करियर बर्बाद कर दिया था।" ये बोलके वो वापस अपने काम में लग गयी।

    टॉप फ्लोर के केबिन में

    एक शक्स जो अपनी फ़ाइल में डूबा हुआ था, उसके कानों में किसी के डोर नॉक करने की आवाज़ आयी। उसने बिना नजरें उपर किये ही ‘कम इन' कहा। परमिशन मिलते ही एक शक्स जो कि उसका असिस्टेंट था, अपने हाथ में कॉफी मग लेकर अंदर आया, उसने उसे ग्रीट किया और कॉफी टेबल पर रख दी। और उसे उसका मीटिंग शेडुल बताने लगा। जिसके जवाब में उस लड़के ने सिर्फ ‘हम्म' कहा। और वापस फाइल में डूब गया।

    कुछ देर बाद उस लड़के की कड़क आवाज़ आयी, "उस जगह का क्या हुआ?"

    तभी उसका असिस्टेंट जो कुछ बोलने ही वाला था, उसने सवाल सुनकर एक गहरी साँस लेकर बोलना स्टार्ट किया, "सर गवर्नमेंट ने तो वो टेंडर और वो पेपर अप्रूव कर दिये है लेकिन..." बोल असिस्टेंट चुप हो गया..!

    "लेकिन क्या?" उस लड़के की कड़क आवाज़ वहाँ गूंजी।

    "सर लेकिन वहाँ के लोग ना कुछ समझने को और ना ही उस जगह को छोड़ने के लिए तैयार है क्योंकि आप तो जानते है उस जगह पर कॉलेज बना हुआ है तो अब वहाँ जाकर ही ये सब शॉट आउट करना होगा।" और... ये कहकर उसका आसिस्टेंट चुप हो गया।

    "आगे बोलो..." लड़के ने कहा।

    "सर पहले वहाँ आद्विक सर जाने वाले थे, लेकिन अभी उनका कॉल आया था कि वो बाहर जा रहे है तो अब आपको वहाँ चलना होगा..!" अपनी बात जल्दी से बोलकर उसका असिस्टेंट चुप हो गया और अपने बॉस के जवाब का वेट करने लगा।

    वहीं अपने असिस्टेंट की बात सुनकर उस लड़के ने कुछ सोचा और फिर अपनी उसी एटिट्यूड वाली आवाज़ में कहा, 'ठीक है'।

    "जेट रेडी रखना, हम कल सुबह निकलेंगे। लगता है उन्हे अपनी ही भाषा में समझाना पड़ेगा, यानी की 'अन्वेष मल्होत्रा' की भाषा में।"

    जी हाँ तो ये है हमारा फर्स्ट मेल लीड - अन्वेष मल्होत्रा; द फेमस बिसनेस टाइकून एंड CEO ऑफ मल्होत्रा कॉर्पोरेशन। जिसका बिजनेस पूरे देश में ही नहीं, वर्ल्ड में फैला हुआ है। लेकिन इस बिजनेस टाइकून के पीछे एक और पहचान छुपी हुई है; अंडरवर्ल्ड माफिया किंग की, जो बेदिल, बेरहम् बेदर्द इंसान है, इंसान भी नहीं, इंसान के भेष में शैतान है। जो किसी कि छोटी सी गलती पे भी उसकी जान लेने से पहले एक बार नहीं सोचता।

    पर्सनैलिटी ऐसी कि देखते ही हर कोई फिदा हो जाए, गुस्सा और एटिट्यूड ऐसा कि एक आवाज़ से ही दिल दहल जाए, पर शख्शियत ऐसी कि अगर कोई असली चेहरा देख ले तो साये से भी दूर रहना चाहे।

    अगली सुबह-

    तो अब देखना है कि क्या तूफान लेकर आयेगा ये सफर?

  • 3. Bound by obsession - Chapter 3

    Words: 1838

    Estimated Reading Time: 12 min

    अगली सुबह

    एक प्राइवेट जेट जयपुर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ।

    जयपुर - यानी कि पिंक सिटी, "राजा-महाराजाओं का शहर, जिस शहर की हवा में भी वीरता बसती है, जहाँ अतिथि का दिल खोलकर स्वागत किया जाता रहा है। और आज तो यहाँ के कण-कण में जोश भरा हुआ था।" पूरा जयपुर सफ़ेद, नारंगी और केसरिया रंग से सजा हुआ था। गानों की आवाज़ हर किसी के कानों तक पहुँच रही थी, जो एक अलग ही खुशी, दिल को एक अलग ही सुकून पहुँचा रहे थे। पूरा जयपुर, जयपुर ही क्या, पूरा देश जश्न में मना रहा था।

    जश्न होता भी क्यों नहीं? आखिर आज पूरे देश के लिए इतना बड़ा दिन था। दिन था - 15 अगस्त, साल का सबसे बड़ा दिन, आजादी का दिन, Independence Day। इसके जश्न के कारण वहाँ एक अलग ही चहल-पहल थी, लेकिन साथ ही कड़ी सुरक्षा भी थी। किसी को भी बिना चेक किए आने-जाने नहीं दिया जा रहा था।

    तभी उस जेट में से एक लड़का बड़े ही एटीट्यूड से निकलकर बाहर आया और बिना किसी सिक्योरिटी प्रोसेस को चेक आउट किए ही आगे बढ़ गया। उस लड़के का एटीट्यूड ही ऐसा था कि हर किसी की नज़रें उसी पर टिक गई थीं। पर वह बिना किसी की भी तरफ़ ध्यान दिए अपनी कार की पिछली सीट पर जाकर बैठ गया। उसके बैठते ही उसका असिस्टेंट भी आगे की सीट पर बैठ गया। और इसी के साथ उसकी कार हवा से बातें करते हुए सड़कों पर दौड़ने लगी। उसके पीछे ही 3 और बॉडीगार्ड्स से भरी कारें भी तेज स्पीड में निकल गईं।

    दूसरी तरफ़-

    जयपुर के छोटे से टाउन श्रीपुर के एक कॉलेज में चारों तरफ़ भीड़ थी। पूरे कॉलेज को बैलून्स से सजाया गया था। पूरा ग्राउंड लोगों से भरा हुआ था। उसी ग्राउंड में ठीक सामने ऊपर आसमान में तिरंगा लहरा रहा था।

    ग्राउंड के बीचों-बीच कार्पेट बिछाया गया था। कार्पेट के एक तरफ़ वहाँ आए हुए लोग बैठे हुए थे और एक तरफ़ स्टूडेंट्स थे। उसी ग्राउंड के स्टेज पर अनाउंसमेंट हो रही थी। स्टेज के ठीक सामने कुर्सियों पर कॉलेज के अधिकारियों के सदस्य और मुख्य अतिथि बैठे हुए थे।

    उसी स्टेज के पीछे ग्रीन रूम में एक लड़की अपने सामने खड़ी दूसरी लड़की को घूर रही थी। लेकिन उस दूसरी लड़की पर तो जैसे कोई असर ही नहीं हो रहा था। वह लड़की, जिसका नाम कशिश था, वह अपने सामने खड़ी लड़की पर बस फट ही रही थी कि,

    "ये क्या है? मैंने क्या कहा था, और तू क्या लेकर आई है? मैं ये तो पहनकर बिल्कुल भी स्टेज पर नहीं जाने वाली।"

    लेकिन उसके सामने खड़ी लड़की बिल्कुल पहले की तरह ही थी। बल्कि वह अपनी आँखें घुमाते हुए उसे देखते हुए ही प्यारी सी मुस्कराहट के साथ बोली-

    "किशु... ओ मेरी प्यारी किशु, यार तू कितनी क्यूट है,"! उस लड़की ने उसके गाल खींचते हुए कहा।

    "हाँ, पर अब भी मैं ये पहनकर नहीं जाने वाली," वह लड़की कशिश अपने सामने खड़ी लड़की से मुँह बनाकर बोली।

    "मुझे नहीं पता, मैंने तुझे ज़िम्मेदारी दी थी, मेरी ड्रेस की तो तुझे इसका दुपट्टा भी लाना चाहिए था। अब बिना मैचिंग दुपट्टे के मैं स्टेज पर जाकर परफॉर्म नहीं करने वाली।"

    उसका मुँह बना हुआ देखकर सामने खड़ी लड़की को हँसी तो बहुत आ रही थी, पर उसने अपनी हँसी कंट्रोल कर ली क्योंकि एक तो अभी उसे दुपट्टा अरेंज करना था और दूसरा अगर वह लड़की हँसती तो कशिश, जो कि उसकी बेस्ट फ्रेंड थी, वह उस पर फट ही पड़ती।

    अरे भई, अब दोस्त है और दोस्त चाहे फटे, पीटे, गालियाँ दें, सब कुछ सहन करना पड़ता है, तो यहाँ का सीन अलग कैसे हो सकता था।

    तभी वह लड़की, जो सोच ही रही थी कि दुपट्टे का अरेंजमेंट कैसे करे, आखिर उसकी बेस्ट फ्रेंड की परफॉर्मेंस जो थी, खराब कैसे होने दे सकती थी, उसकी नज़र एक कॉरिडोर से गुज़रते हुए लड़के पर पड़ी जिसके हाथ में एक मल्टी कलर का दुपट्टा था। उसने बिना एक पल गँवाए उसके हाथ से वह दुपट्टा ले लिया। वह लड़का तो बस मुँह खोले देख रहा था।

    उस लड़की को भागते देख उस लड़के ने उसे आवाज़ दी- "मिर्ची क्या है तेरा? ये मेरी एक परफॉर्मेंस के लिए लिया था।"

    लड़के की बात सुनकर लड़की ने पीछे मुड़े बिना ही कहा- "तेरी टर्न आने तक ये तेरे पास होगा, पर अभी ये मुझे चाहिए।"

    ये कहते हुए बिना उस लड़के की बात सुने वह भाग गई।

    रूम में जाकर उसने अपनी फ्रेंड कशिश को वह दुपट्टा देते हुए कहा- "ले आ गया दुपट्टा, तेरी व्हाइट ड्रेस पर ये मल्टी कलर दुपट्टा बिल्कुल परफेक्ट लगेगा।"

    वह उस दुपट्टे को सेट कर ही रही थी कि एक लड़की ने उसके कान में आकर कुछ कहा। जिसे सुनकर वह लड़की बाहर भागते हुए जाने लगी। जाते-जाते ही वह पीछे मुड़ी और "ऑल द बेस्ट किशु" कहते हुए उसने अपनी फ्रेंड की तरफ़ एक फ्लाइंग किस पास की और बाहर की तरफ़ भाग गई।

    कशिश ने उसे देखकर ना में सर हिलाया और मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा सेट करने लगी।

    बाहर स्टेज पर-

    वह लड़की माइक के पास जाकर खड़ी हो गई। उसी के पास एक आदमी, जिसकी 6 फीट ऊँचाई और उम्र 29-30 के आसपास होगी, जो कि प्रोफ़ेसर था, उन्होंने सामने देखते हुए उसे थोड़ा सा डाँटते हुए कहा-

    “तुम्हारे 5 मिनट अब हो गए हैं, या फिर भूल ही गई थी कि फ़ंक्शन को होस्ट मेरे साथ-साथ तुम्हें भी करना है? कौन सा उटपटांग काम कर रही थी...”

    तभी उस लड़की ने प्यारी सी शक्ल के साथ ‘सॉरी सर’ कहते हुए किसी को इशारा किया, इसी के साथ वहाँ पर एक देशभक्ति गाना चलने लगा।

    गाने के ख़त्म होते ही वहाँ तालियाँ बजने लगीं और लड़की के अनाउंसमेंट करने की आवाज़ आई- “नेक्स्ट डांस परफ़ॉर्मेंस लेकर आ रही हैं, कशिश अग्रवाल” ऑन ‘देश मेरा रंगीला’।

    कशिश, जिसने व्हाइट ड्रेस पर मल्टी कलर दुपट्टा डाला हुआ था, वह स्टेज पर आई और इसी के साथ गाना प्ले हो गया-

    सपने में देखा था जिसको, आज वहीं दिन आया है
    सूली के उस पार खड़ी है, माँ ने हमें बुलाया है। ...

    .... रंगीला... देश मेरा रंगीला
    ... रंगीला... ओ देश मेरा रंगीला..

    डांस ख़त्म होते ही सब तालियाँ बजाने लगे कि तभी-

    कॉलेज के बाहर एक कार आकर रुकी। कार में से अन्वेष बाहर आया और कॉलेज के दूसरी तरफ़ के रास्ते, जो कि बिल्कुल खाली था, वहाँ से अंदर जाने लगा। और उसके पीछे-पीछे उसका असिस्टेंट भी चला गया। उनके जाते ही गार्ड्स कॉलेज के बाहर अपनी पोज़िशन लेकर खड़े हो गए।

    वहीं स्टेज के सामने कुर्सियों पर जो मुख्य अतिथि, जो कि जयपुर के कलेक्टर थे, खुशी से फ़ंक्शन अटेंड कर ही रहे थे कि उनके फ़ोन में एक नोटिफ़िकेशन आया। नोटिफ़िकेशन देखते ही अभी तक उनके चेहरे पर जो खुशी थी वह ग़ायब हो गई, और उनके माथे पर सिलवटें पड़ गईं, चेहरे पर पसीने की बूँदें आ गईं। उन्होंने बगल में बैठे सदस्यों से कुछ कहा और डीन के साथ वहाँ से उठकर चले गए।

    थोड़ी देर बाद ही एक शख़्स व्हाइट सूट पहने, जेब में हाथ डाले, बिना किसी पर ध्यान दिए चला आ रहा था,

    यह शख़्स ‘अन्वेष मल्होत्रा’ ही था, जिसके आने की ख़बर से मुख्य अतिथि और पूरा कॉलेज मैनेजमेंट टेंशन में आ गया था।

    वह शख़्स आते ही बिना किसी की परवाह किए जाकर हेड चेयर पर बैठ गया। तब तक डीन और कलेक्टर भी वहाँ आकर उसके सामने खड़े हो चुके थे। अब सबकी नज़रें उसकी ओर ही टिक गई थीं।

    वहाँ खड़े जितने भी स्टूडेंट्स और लोग थे, सब उसे ही अपनी हैरान नज़रों से देख रहे थे। लड़कियाँ-लड़के सबकी नज़रें इस हैंडसम हंक पर ही टिकी हुई थीं।

    वहीं उसके सामने खड़े डीन और मुख्य अतिथि की जान तो हलक में अटकी हुई थी।

    लेकिन उसने बिना किसी की तरफ़ ध्यान दिए अपने असिस्टेंट की तरफ़ इशारा किया तो उसके असिस्टेंट ने अपनी जेब से निकालकर एक पेपर उसके हाथ में रख दिया।

    वह पूरे घमंड से उन्हें पेपर पकड़ाने ही वाला था कि तभी-...

    उसकी नज़र सामने की तरफ़ गई जहाँ से वही लड़की, जो एंकरिंग कर रही थी और अन्वेष के आते समय अंदर चली गई थी और अब भागते हुए बाहर आ गई, और फिर से माइक के पास जाकर खड़ी हो गई।

    उस लड़की की नज़रें तो अपने फ़ोन पर थीं, पर कोई था जिसकी नज़रें बस उस पर ही टिक गई थीं, वह एकटक बिना अपनी पलकें झपकाए उसे ही देख रहा था।

    यह अन्वेष ही था जिसकी नज़रें बस अपने सामने खड़ी लड़की पर ठहर गई थीं।

    जब डीन ने अन्वेष को सामने देखते हुए देखा तो उन्होंने भी एक नज़र सामने देखा और फिर एक नज़र चारों तरफ़ घुमाई तो सब लोग उन्हें ही देख रहे थे।

    तब डीन ने एक गहरी साँस लेकर स्टेज पर खड़े प्रोफ़ेसर को कुछ इशारा किया। उनका इशारा समझकर प्रोफ़ेसर ने माहौल, जो कि थोड़ा अजीब हो चुका था, उसे वापस सामान्य करने के इरादे और फ़ंक्शन को वापस जारी रखते हुए माइक में कहा-

    “चलिए, अब आगे के कार्यक्रमों को हम जारी रखते हैं मिस ‘आन्या शर्मा’ की एंकरिंग और उनकी इस ख़ूबसूरत त्याग, बलिदान और गर्व की भावना से ओतप्रोत कविता “ये भारत हमारा है” के साथ:”

    इसी के साथ वहाँ तालियाँ बजने लगीं, और सबके ध्यान वापस फ़ंक्शन की तरफ़ हो गया, लेकिन अन्वेष की नज़रें तो बस अपने सामने खड़ी लड़की पर थीं।

    वह उसका नाम सुनकर खुद से ही बोला, ‘आन्या शर्मा, hmm अच्छा नाम।’

    तो यह है हमारी फ़ीमेल लीड - 5'4' ऊँचाई, क़रीब 20 साल की आन्या शर्मा, जिसे अन्वेष बड़े ही गौर से देख रहा था,...

    “उसकी काली आँखें, उन पर बड़ी-बड़ी पलकें, जिन पर आईलाइनर लगा हुआ था, उसके गुलाबी होंठ, जिन पर लिप ग्लॉस लगा हुआ था, गुलाबी हाई नेक टॉप, सफ़ेद जीन्स, एक हाथ में घड़ी, एक हाथ में ब्रेसलेट पहने, खूबसूरती से लहराते बाल, उसकी वह नज़रें, उनमें बसी मासूमियत, सब कुछ अन्वेष को आकर्षित कर रहा था।” आन्या की पहली ही झलक में वह उसका दीवाना बन चुका था। उसने उसे देखते हुए ही कहा-

    “आई लाइक हर, आई लव हर, नाउ शी इज़ माइन, ओनली माइन।” यह कहते हुए उसकी आँखों में एक सनक थी।

    इन सब से बेख़बर सामने-

  • 4. Bound by obsession - Chapter 4

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    वो उसका नाम सुनकर खुद से ही बोला, "आन्या शर्मा, हम्म नाइस नेम।" तो यह है हमारी फीमेल लीड - 5'4" हाइट, करीब 20 साल की आन्या शर्मा, जिसे अन्वेष बड़े ही गौर से देख रहा था...

    "उसकी काली आँखें, उन पर बड़ी-बड़ी पलकें, जिन पर आईलाइनर लगाया हुआ था, उसके पिंकिश लिप्स, जिन पर लिप ग्लॉस लगाया हुआ था, पिंक हाई नेक टॉप, व्हाइट जींस, एक हाथ में घड़ी, एक हाथ में ब्रेसलेट पहने सिम्पली खुले लहराते बाल, उसकी वो नज़रें, उनमें बसी मासूमियत सब कुछ अन्वेष को आकर्षित कर रहा था।"

    आन्या की पहली ही झलक में वो उसका दीवाना बन चुका था। उसने उसे देखते हुए ही कहा, "I like her, I love her, now she is mine, only mine। ये सिर्फ मेरी है।" यह कहते हुए उसकी आँखों में एक सनक थी।

    इन सब से बेखबर सामने आन्या ने माइक हाथ में लिए अपनी कविता शुरू की:

    "यह मातृभूमि भी हमारी है, यह तिरंगा भी हमारा है;

    विश्वगुरु जो कहलाया था, हाँ वो भारत देश हमारा है।"

    ये poem गाते हुए आन्या की आवाज़ बिल्कुल बुलंद थी और उसके हाथ और आँखों, और चेहरे के expression ने वहाँ बैठे लोगों को रोमांचित कर दिया था।

    उसने आगे गाया:-

    "कलकल करती नदियाँ बहती यहाँ, करने रक्षा हिमालय खड़ा

    धर्म, जाती नश्ल होकर अनेक, भी सब है यहाँ एक,

    गर्व है हमें कि ये गौरव हमारा है;

    ‘सोने की चिड़िया' जो कहलाया था, हाँ वो भारत देश हमारा है।

    ना झुका, ना टूटा, ना हारा जो, आबाद किया जिसने विदेशों को

    मिट्टी के लिए मिट्टी में मिल जाने वालों से, देश के लिए हँसते- हँसते फांसी पर झूल जाने वाले वीरों से;

    सुखदेव, राजगुरु, बॉस, भगत सिंह, आजाद से रचा कुछ इतिहास हमारा है;

    तीन रंगों से सज़ा हाँ ये तिरंगे वाला देश हमारा है।

    15 August के अवसर पर stage पर खड़े होकर देशभक्ति की धुन में आन्या की ये बुलंद आवाज़ में गाती कविता भारत के शौर्या और वीरता को बखूबी प्रदशित कर रही थी।

    और उपर से उसके हाथ उपर करके उंगलियों के expression ऐसे थे कि सभी बस एक टक सामने की और देखते, पूरे जोश में लीन होकर चुपचाप सुन रहे थे।

    वो गा रही थी-

    “सियाचिन पर खड़े जो जवान है, पहचान जिनकी हिंदुस्तान है;

    अपनी माँ से प्यारी जिन्हे, भारत माँ की शान है;

    इसी आन- बान - शान से रचा कुछ गौरव हमारा है

    और कुछ यूँ, अपनी पहचान से रूबरू करवाने वाला ये हिंदुस्तान हमारा है।

    तीन रंगो से सज़ा आज आसमां में तिरंगा हमारा है;

    क्योंकि आज स्वंतत्र दिवस हमारा है”।

    आन्या के कविता खत्म करते ही जैसे सारे अपने होश में आए और जोर-जोर से तालियाँ बजाने लगे। लेकिन वहीं अन्वेष तो जैसे आन्या के हर अंदाज़ से उसका और दीवाना हुए जा रहा था। पहले उसकी आँखें, उसकी मासूमियत, और अब उसकी इतनी प्यारी बुलंद आवाज़ को सुनकर वो बस उसे ही अपनी इंटेंस नज़रों से देखे जा रहा था।

    उसे बस अब आन्या अपने पास चाहिए थी। वहीं उसके थोड़ा साइड में बैठा उसका असिस्टेंट शॉक होकर उसे ही देख रहा था। उसका खडूस, खतरनाक बॉस जो इतना घमंडी था कि मुश्किल से वो भी कई रिक्वेस्ट्स के बाद किसी ऐसे फंक्शन को अटेंड करता था, और उसमें भी उसका ध्यान सिर्फ अपने फोन में होता था और आज वो किसी लड़की पर नज़र टिकाए बैठा था।

    वो यहाँ सिर्फ उस जगह को खाली करवाने के लिए आया था, फिर वो चाहे धमकी देकर हो या किसी को मारकर, और अब वो ये करने के बजाय वहाँ बैठे उस लड़की को उपर से नीचे तक देखे जा रहा था।

    वहीं आन्या आने वाले तूफां से बेखबर एक प्यारी सी स्माइल के साथ फंक्शन कंटिन्यू कर रही थी, कि उसे अपने उपर किसी की नज़रें महसूस हुई। उसने चारों तरफ एक नज़र डाली पर उसे सब यूजुअल ही लगा। उसे कोई नहीं दिखा तो उसने वापस अपनी नज़रें फोन पे कर ली लेकिन अब भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी की नज़रें उस पर हो, जिससे वो अनकम्फर्टेबल फील कर रही थी।

    उसने वापस एक बार उपर देखा तभी उसे प्रोफेसर की आवाज आयी जो उसी से कुछ कह रहे थे। वहीं आन्या को जब इस बार भी कोई नहीं दिखा तो उसने इसे अपना वहम समझकर वो प्रोफेसर की बात सुनने लगी।

    इधर अन्वेष जो स्टेज के थोड़े टेढ़े साइड से सामने बैठा आन्या को ही देख रहा था, लेकिन आन्या की नजरें अब तक उस पर नहीं गयी थीं।

    आन्या एंकरिंग करते हुए फंक्शन को होस्ट कर रही थी, कि तभी उसने एक प्ले की अनाउंसमेंट की। उसके अनाउंस करते ही वो लड़का जिसका दुपट्टा आन्या लेकर भाग आयी थी, वो और उसकी टीम स्टेज पर आयी, आते ही उस लड़के ने साइड में स्टैंड के पास खड़ी आन्या के कान में कुछ कहा, जिसे सुनकर आन्या ने हाँ में अपना सर हिला दिया....

    और सामने खड़ी कशिश को कुछ इशारा किया। उसका इशारा समझकर कशिश स्टेज पर आयी और दुपट्टा आन्या को पकड़ दिया। दुपट्टा लेकर आन्या ने उसे उस लड़के की तरफ उछाल दिया, जिसका नाम वरुण था, और वो उसी का क्लासमेट था, उसकी तरफ उछाल दिया, जिसे वरुण ने हवा में कैच करते हुए ही आन्या की तरफ देखकर स्माइल कर दी।

    लेकिन वरुण का आन्या के पास जाकर उसके कान में कुछ कहना, और स्माइल करते देखकर सामने बैठा अन्वेष आग-बबूला हो गया था। वो गुस्से में आ गया था, और उसने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली थीं।

    कुछ पल बाद अन्वेष ने कुछ सोचते हुए अपने फोन को निकालकर एक मैसेज टाइप किया, उसके मैसेज को पढ़कर उसका असिस्टेंट जिसका नाम ‘रोनक' था, वो अन्वेष के पास आया।

    रोनक ने अन्वेष के पास आकर कहा- "सर आपने मुझे बुलाया।"

    तभी अन्वेष ने सामने आन्या की तरफ अपनी उंगली से इशारा करते हुए कहा- "आन्या शर्मा, मुझे इसकी इंफॉर्मेशन चाहिए।

    "I want to know everything, every detail about her" Go and collect her details. और हाँ ये काम एक घंटे के अंदर हो जाना चाहिए।" ये सुनकर रोनक ने उसे अपनी हैरान नजरों से देखा लेकिन जैसे ही अन्वेष ने उसे घूरकर देखा, वो हड़बड़ा गया और जाने के लिए मुड़ गया। जाते-जाते वो खुद से ही बड़बड़ाता जा रहा था- "ये इन्हें क्या हो गया, अब इन्हें उस लड़की क्या नाम है उसका, हाँ आन्या शर्मा, उसकी डिटेल्स क्यों चाहिए।"

    "करने क्या आये थे और पता नहीं कर क्या रहे हैं ये, वरना सर और इतनी देर शांति से बैठे रहे, लेकिन जिस तरह उस लड़की को सर एक टक, बिना पलकें झपकाए देख रहे थे, that's strange."

    "खैर फिलहाल तो मैं अपना काम करता हूँ वरना सर मेरा कचूमर बना देंगे।" ये कहते हुए वो बाहर की तरफ चला गया।

  • 5. Bound by obsession - Chapter 5

    Words: 1032

    Estimated Reading Time: 7 min

    "करने क्या आए थे और पता नहीं कर क्या रहे हैं ये, वरना सर और इतनी देर शांति से बैठे रहे। लेकिन जिस तरह उस लड़की को सर एकटक, बिना पलकें झपकाए देख रहे थे, दैट्स स्ट्रेंज..!"

    "खैर फिलहाल तो मैं अपना काम करता हूँ वरना सर मेरा कचूमर बना देंगे।" ये कहते हुए वो वहाँ से बाहर की तरफ चला गया।

    लगभग 1 घंटे बाद -

    अब आगे -

    रौनक अन्वेष के सामने खड़ा था और उसके हाथ में एक फाइल थी। अन्वेष ने अपना हाथ आगे किया तो रौनक ने, "सर, इस फाइल में उस लड़की, आय मीन आन्या शर्मा की सारी जानकारी है," कहते हुए फाइल अन्वेष के हाथ में पकड़ा दी।

    अन्वेष ने फाइल लेकर उसे जाने का इशारा किया तो रौनक चुपचाप वहाँ से चला गया। उसके जाते ही अन्वेष ने एक नज़र सामने देखी, फिर फाइल को खोला और उसमें लिखी हर जानकारी को ध्यान से पढ़ने लगा।

    उस फाइल के फर्स्ट पेज पर आन्या की एक प्यारी सी तस्वीर थी जिसमें उसने जीन्स-टॉप पहना हुआ था और उसकी हथेली के पिछले हिस्से पर एक बटरफ्लाई बैठी हुई थी, जिसे आन्या देखते हुए मुस्कुरा रही थी।

    उस फोटो के नीचे उसकी सारी जानकारी लिखी हुई थी जिसे अन्वेष ने पढ़ना शुरू किया—

    नाम: आन्या शर्मा; अपने ग्रेजुएशन के लास्ट ईयर में है। पापा: कपिल शर्मा, जो कि एक बैंक मैनेजर हैं..! माँ: शिखा शर्मा; हाउस वाइफ़, एक छोटा भाई, और एक बेस्ट फ्रेंड कशिश अग्रवाल।

    इसके साथ ही उस फाइल में आन्या की और भी डिटेल्स थीं। सारी जानकारी पढ़ने के बाद अन्वेष ने फाइल को बंद करते हुए खुद से कहा, “इंटरेस्टिंग।”

    उसके दिमाग में कुछ तो चल रहा था जिससे आन्या की ज़िंदगी एक झटके में बदलने वाली थी।

    इतना कहकर उसने एक नज़र आन्या पर डाली, जो कि हँसते हुए अपने कुछ क्लासमेट्स, जिनमें लड़के भी थे, से बातें कर रही थी। फिर उसने रौनक को पास बुलाया और उससे कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनकर रौनक शॉक होकर अन्वेष को देखने लगा।

    उसे अपने कानों पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके इस साइको बॉस ने उससे कुछ ऐसा कह दिया है। इसलिए उसने एक बार कन्फर्म करने के लिए फिर से पूछा, "सर, आपने जो अभी...!"

    उसने अभी इतना ही कहा था कि तभी अन्वेष ने उसकी बात को बीच में काटकर अपनी सर्द नज़रों से घूरते हुए कहा, “मैंने वहीं कहा जो तुमने सुना, इसलिए अब ज़्यादा अपना दिमाग चलाने की ज़रूरत नहीं है। नाऊ डोंट वेस्ट द टाइम एंड डू इमीजिएटली व्हाट आइ सेड..!”

    उसकी बात सुनकर रौनक ‘यस सर’ कहते हुए वहाँ से चला गया। उसके जाते ही अन्वेष ने ठंडी नज़रों से स्टेज की तरफ देखा और खुद से कहा—

    "बस कुछ देर और, फिर हँसना-बोलना तो दूर, तुम्हें देखने का हक भी किसी को नहीं होगा सिवाय मेरे।
    तुम पर सिर्फ मेरा हक होगा, सिर्फ और सिर्फ मेरा… जस्ट वेट फॉर सम टाइम।"

    लगभग आधे घंटे बाद -

    अब तक फंक्शन लगभग खत्म हो चुका था, बस 1-2 परफॉर्मेंस बाकी थीं। इस वक़्त स्टेज पर आन्या अकेली थी और उसकी नज़रें स्टैंड पर रखे अपने फोन में गड़ी हुई थीं, कि तभी—

    उसे अपने हाथ पर किसी की मजबूत पकड़ महसूस हुई। आन्या जो अपने फोन में ही व्यस्त थी, उसने जैसे ही अपने हाथ में किसी की पकड़ महसूस की, वह चौंक गई और झट से पीछे मुड़ी।

    पीछे मुड़ते ही उसकी नज़र अपनी कलाई पर गई, जिसे किसी ने कसकर पकड़ रखा था। ये देखते ही उसने ऊपर देखा तो एक 24-25 साल का लड़का, एक हाथ अपनी पैंट की पॉकेट में डाले, दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़े खड़ा था और एकटक उसे ही देखे जा रहा था।

    आन्या को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि ये है कौन जिसने सरेआम स्टेज पर आकर उसका हाथ पकड़ लिया और क्यों?

    लेकिन किसी लड़के ने उसका हाथ पकड़ा है, ये सोचकर ही आन्या की त्योरियाँ चढ़ गईं और उसने गुस्से से एक नज़र अपने हाथ पर डालते हुए कहा, "हाथ छोड़िए मेरा, ये क्या तरीका है?" लेकिन अन्वेष ने अभी भी उसका हाथ नहीं छोड़ा था।

    जब उसने अब भी उसका हाथ नहीं छोड़ा, तो इस बार आन्या गुस्से में बोली—

    "मैंने कहा, मेरा हाथ छोड़िए! आप हैं कौन? और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की? हाथ छोड़िए मेरा।" आन्या एक झटके में अपना हाथ छुड़ाते हुए दाँत पीसकर बोली।

    उसे ये सब बेहद इंसल्टिंग लग रहा था। आज तक किसी ने उसके साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं की थी, और अन्वेष का टच करना उसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। वो बहुत uncomfortable महसूस कर रही थी।

    लेकिन वहीं अन्वेष, अब भी वैसे ही खड़ा, अपनी गहरी सिल्वर आइज़ से सिर्फ उसे ही देखे जा रहा था। उसने अब तक एक शब्द भी नहीं कहा था, बल्कि उसके गुस्से और उसकी “हाथ छोड़िए” वाली बात पर उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ गई थी। उसी मुस्कान के साथ उसने कहा—

    "छोड़ने के लिए थोड़े ही पकड़ा है, जान।"

    अन्वेष की ये बात और "जान" शब्द सुनकर तो आन्या का गुस्सा सातवें आसमान पर था। एक तो ये आदमी बदतमीज़ी कर रहा था, ऊपर से माफी मांगने के बजाय और भी साइको बातें कर रहा था। वो गुस्से से उसे देखती हुई दाँत भींचते हुए बोली—

    "व्हाट...? व्हाट रब्बिश? क्या बकवास है ये? बदतमीज़।"
    कहते हुए उसने उसे घूरा और अपना फोन उठाकर वहाँ से जाने लगी।

    आज फंक्शन के दिन वो किसी तमाशे में नहीं पड़ना चाहती थी, वरना अन्वेष की हरकतें देखकर उसका मन कर रहा था कि वो उसे एक ज़ोरदार थप्पड़ मार दे।

    आन्या ने जैसे ही दो कदम आगे बढ़ाए, तभी अन्वेष ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया और उसे एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया।

    अन्वेष की इस हरकत से आन्या सीधे जाकर उससे टकराई, लेकिन वह उसके सीने से लग पाती उससे पहले ही उसने अपना हाथ लगाकर उसे रोक लिया।

    अन्वेष उसका हाथ पकड़े हुए ही उसे देखते हुए बोला—

    "बकवास नहीं है ये जान, सच है।
    नाऊ यू आर गोना बी लॉक्ड इन मी फॉरएवर..!"

  • 6. Bound by obsession - Chapter 6

    Words: 1303

    Estimated Reading Time: 8 min

    आन्या ने जाने के लिए दो कदम बढ़ाए ही थे कि तभी अन्वेष ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया और उसे एक झटके से अपने पास खींच लिया। अन्वेष के ऐसे झटके से खींचने से आन्या सीधे जाकर उससे टकराई, लेकिन वो उसके सीने से लग पाती उससे पहले ही उसने अपना हाथ लगाकर रोक लिया।

    अन्वेष उसका हाथ पकड़े हुए ही उसे देखते हुए बोला, "बकवास नहीं है ये जान, सच है। Now you're gonna be locked in me forever।"

    आन्या तो ये सुनकर एक पल के लिए फ्रीज ही हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो उसे ही अपनी हैरान नजरों से देखे जा रही थी। जब अन्वेष ने उसे ऐसे देखते हुए देखा तो वो थोड़ा सा उसके ऊपर झुका और उसके चेहरे पर अपनी एक उँगली फिराते हुए बोला, "येस जान..! येस..! पसंद आ गयी हो तुम मुझे, पहली ही झलक में दीवाना बन चुका हुँ मैं तुम्हारा। and now You're gonna be mine, just mine, only mine. इसलिए तुम्हे इतना हैरान होने की जरूरत नहीं है।"

    अब जाकर आन्या को सारा माजरा समझ आया था। आखिर आन्या के साथ ये सब स्कूल टाइम से ही होता आया था। आन्या थी ही इतनी सुंदर, इतनी प्यारी, उसका लुक, उसका जादू था ही कुछ ऐसा कि जो भी उसे देखता, पहली ही नजर में आन्या उसे पसंद आ जाती थी। आज तक न जाने उसे कितने ही लड़कों ने प्रपोज किया था। आन्या अपने स्कूल टाइम से ही इन सब से डील करती आयी थी, और कॉलेज में तो लगभग हर तीसरे दिन कोई ना कोई उसे प्रपोज करता था।

    कोई उसके सामने गुलाब लेकर खड़ा हो जाता तो किसी की उसे चिट्ठी मिलती। कितनों का वो क्रश थी, कोई उसे अपनी पसंद बताता, तो कोई प्यार बताकर इज़हार करता। स्कूल, कॉलेज ही नहीं, बाहर से भी उसे कई प्रपोजल मिले थे।

    इन में से कुछ ऐसे थे जो आन्या की खूबसूरती के कायल थे, तो कुछ ऐसे भी थे जिनको आन्या की cuteness, उसकी नजरों और उसके दिल ने attract किया था।

    लेकिन आन्या ने आज तक किसी को भी हाँ नहीं कहा था। उसने आज तक किसी को एक मौका तक नहीं दिया था। वो इन सब से जितना हो सके उतना बचने की कोशिश करती थी। फिर भी उसे आए दिन प्रपोजल मिलते ही रहते थे लेकिन वो पहली ही बार में ‘sorry’ बोलकर मना कर देती थी।

    आन्या ने कभी अपनी जिंदगी में किसी को आने ही नहीं दिया था। उसने आज तक कभी किसी के बारे में ऐसा कुछ सोचा तक नहीं था, या फिर शायद अभी तक उसे कोई ऐसा मिला ही नहीं था जिसके लिए वो ऐसा कुछ सोचने पर मजबूर हो सके।

    आन्या को भले ही कितनों ने प्रपोज किया था, और आन्या ने उन्हे reject किया था लेकिन फिर भी आज तक किसी भी लड़के ने आन्या के साथ ऐसी बदतमीज़ी करने की हिम्मत नहीं की थी।

    लेकिन अन्वेष ने तो हद पार कर दी थी। उसने सिर्फ उसका हाथ ही नहीं पकड़ा था बल्कि अब वो उसे छू भी रहा था। अन्वेष का हाथ अपने गाल पे देखके आन्या ने उसका हाथ झटका और उसे धक्का देते हुए, अपनी उँगली उसे point करते हुए गुस्से से चीख कर बोली, "Just shut up, बंद कीजिये अपनी बकवास। और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे ही कॉलेज में आकर मेरा हाथ पकड़ने की, मुझसे बदतमीज़ी करने की। how dare you to touch me..!"

    "खबरदार, जो अब मुझसे कोई भी बदसलूकी की तो, मुझे मजबूरन मैनेजमेंट से आपकी कंप्लैन करनी पड़ेगी और गार्ड्स को बुलाना पड़ेगा। So Now just stay away from me. दूर रहिये मुझसे।"

    वहीं आन्या की बातें सुनकर भी अन्वेष को कोई फर्क नहीं पड़ा था। लेकिन उसकी गार्ड्स वाली बात सुनकर वो जोर- जोर से हँसने लगा। आन्या तो बस खड़ी उसे देख रही थी। अन्वेष की हँसी ऐसी थी जैसे आन्या ने कितना बड़ा मजाक किया था। थोड़ी देर हँसने के बाद अन्वेष ने अपनी हँसी कंट्रोल की और एक नजर सबको देखते हुए बोला, "गार्ड्स ..! रियली जान? तुम मुझे गार्ड्स की धमकी दे रही हो। तुम्हे लगता है कि तुम्हारा मैनेजमेंट और गार्ड्स मेरा कुछ बिगाड़ सकते है। तो कहाँ है तुम्हारा मैनेजमेंट..?"

    ये सुनकर आन्या ने जैसे ही कुछ कहने के लिए अपना मुह खोला कि वो एक दम से चुप हो गयी। इस बात पे तो उसने अभी तक ध्यान दिया ही नहीं था।

    सही तो बोल रहा था अन्वेष, आखिर वो उसके साथ कितनी देर से बदतमीज़ी किये जा रहा था, वो भी पूरे कॉलेज के सामने लेकिन फिर भी ना मैनेजमेंट और ना ही किसी और ने अभी तक कुछ भी कहा था।

    जैसे ही उसका ध्यान इस बात पर गया, उसने पलटकर सामने देखा जहाँ पूरा कॉलेज मैनेजमेंट, यहाँ तक खुद कलेक्टर भी डरी हुई और लाचार नजरों से उन्हे ही देख रहे थे। आन्या सभी को अपनी हैरान और कंफ्यूजिंग नज़रों से देख रही थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि सब अन्वेष को आन्या के साथ बदतमीज़ी करते हुए देखकर भी चुप क्यों थे। किसी ने एक बार भी अन्वेष को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की थी। और ना ही उसके खिलाफ कोई एक्शन लिया था।

    आन्या ये सब सोच ही रही थी कि उसके कानों में एक बार फिर से अन्वेष की आवाज़ आयी, "तुम्हारा मैनेजमेंट कुछ नहीं कर सकता जान। कुछ भी नही"।

    पर आन्या ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए डीन और चीफ गेस्ट की तरफ देखकर कहा, "सर आप लोग चुप क्यों है, प्लीज़ कुछ तो कहिये। ये मेरे साथ यहाँ पर बदतमीज़ी किये जा रहे है, और आप लोग चुपचाप देख रहे है। सर प्लीज़ एक्शन लीजिये और इस आदमी को यहाँ से बाहर निकलवाये..!" लेकिन वो लोग भी कुछ नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने कुछ नहीं कहा। वो वैसे ही चुप खड़े रहे।

    वहीं अन्वेष जो ये सब रिलेक्स होकर ये सब देख रहा था, उसने जैसे ही डीन को कुछ ना बोलते हुए देखा, उसके फेस पे एक तिरछी मुस्कुराहट आ गयी और उसने अपना सर टेढ़ा करके आन्या को देखते हुए कहा, "जान, जान मैने तुमसे कहा ना कि तुम्हारा ये मैनेजमेंट कुछ नहीं कर सकता। तो क्यों बेवजह अपनी एनर्जी वेस्ट कर रही हो..!"

    "अपनी एनर्जी बचाकर रखो, आखिर आगे तुम्हे इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है..!" लास्ट लाइन अपने मन में सोचते हुए वो बोला।

    फिर उसने सबको देखते हुए अपने कोल्ड एक्सप्रेशन और attitude के साथ सीधे खड़े होते हुए कहा- "कोई कुछ नहीं कर सकता क्योंकि अन्वेष मल्होत्रा के साथ उलझने की और उसके सामने बोलने की हिम्मत यहाँ किसी में नहीं है"। किसी में भी नहीं, so don't waste your energy sweetheart. Now keep quiet and let me see you." ये केहकर अन्वेष आन्या को उपर से नीचे तक स्कैन करने लगा।

    वहीं वहाँ आए कॉमन लोग जो ये सब हैरान होकर देखे जा रहे थे। उन्हे तो खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था। क्योंकि अन्वेष लो प्रोफाइल रहता था, इसलिए वहाँ आए ज्यादातर लोगों को अन्वेष के बारे में कुछ भी पता नहीं था। केवल कुछ ही लोग जो न्यूज़ और बिजनेस वर्ल्ड से जुड़े हुए थे, वो ही उसे जानते थे। और उनमे से भी ज्यादातर ने सिर्फ अन्वेष् मल्होत्रा का नाम सुना हुआ था। उन्हे केवल इतना ही पता था कि अन्वेष मल्होत्रा एक business tykoon है, उसकी शकल बहुत कम लोगों ने देखी थी।

    इसलिए जैसे ही उन्होंने अन्वेष मल्होत्रा नाम सुना, वो लोग शॉक रह गए। क्योंकि जो लोग उसके बारे में जानते थे, वो उसके गुस्से के बारे में भी जानते थे इसलिए जैसे ही उन्होंने अन्वेष् मल्होत्रा नाम सुना, वो लोग चुपचाप खड़े हो गए और सामने देखने लगे। तभी उनमे से एक मिडिल एज का आदमी जिसे शायद अन्वेष के बारे में कुछ भी नहीं पता था, वो आगे आया और उसने अन्वेष को देखते हुए कहा-

    Done.

  • 7. Bound by obsession - Chapter 7

    Words: 1787

    Estimated Reading Time: 11 min

    इसलिए जैसे ही उन्होंने अन्वेष मल्होत्रा नाम सुना, वो लोग शॉक रह गए। क्योंकि जो लोग उसके बारे में जानते थे, वो उसके गुस्से के बारे में भी जानते थे, इसलिए जैसे ही उन्होंने अन्वेष मल्होत्रा नाम सुना, वो लोग चुपचाप खड़े हो गए और सामने देखने लगे। तभी उनमें से एक मिडिल एज का आदमी जिसे शायद अन्वेष के बारे में कुछ भी नहीं पता था, वो आगे आया और उसने अन्वेष को देखते हुए कहा-

    "छोड़ो उस बच्ची को। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उसका हाथ पकड़ने की, इसके साथ बदतमीज़ी करने की। बहुत हो गयी तुम्हारी बकवास, अब छोड़ो चुपचाप आन्या को और निकलो यहाँ से।"

    फिर उसने डीन और कलेक्टर की तरफ देखकर कहा, "और सर आप लोग, आप लोग कर क्या रहे हैं? ये लड़का इतनी देर से यहाँ आन्या के साथ आप सबके सामने ऐसी हरकतें कर रहा है और आप लोग कोई एक्शन लेने के बजाए चुपचाप खड़े तमाशा देख रहे हैं। क्या यहीं जिम्मेदारी निभाते हैं आप लोग अपने कॉलेज के स्टूडेंट्स के साथ?"

    "क्या इसीलिए हम अपनी बच्चियों को यहाँ पढ़ने भेजते हैं कि कोई भी आकर उनके साथ बदसलूकी करे और आप लोग आँख बंद करके तमाशा देखते रहे।"

    फिर उस आदमी ने वापस अन्वेष की तरफ देखते हुए कहा, "और तुम, तुम जो भी हो, अन्वेष एंड व्हाटएवर, जो भी, बहुत हुआ तुम्हारा तमाशा, बहुत सुन ली हमने तुम्हारी बकवास, अब निकलो चुपचाप यहाँ से, इससे पहले की मैं पुलिस को बुलाकर तुम्हे अरेस्ट करवाऊँ।"

    वहीं आन्या जो कि अन्वेष का नाम सुनकर भी वैसे ही खड़ी थी। उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे। मतलब साफ था- कि आन्या को अन्वेष मल्होत्रा के बारे में कुछ भी नहीं पता था कि वो कौन है और क्यों उसके बिहेवियर को देखकर भी सब लोग चुप खड़े थे, क्यों उसकी बकवास बातें सुन रहे थे और उसकी हरकतों को बर्दाश्त कर रहे थे।

    कौन है ये अन्वेष मल्होत्रा जो उसी के कॉलेज में आकर उसके साथ बदतमीज़ी कर रहा था और तो और ये सब वो सबके सामने बिना डरे बिल्कुल बेफिक्र होकर कर रहा था। यहाँ तक कि वो सबको खुली चेतावनी दे रहा था और सारे रेस्पांसिबल लोग चुपचाप खड़े थे। कोई उसे कुछ क्यों नहीं कह रहा था और क्या सामने खड़े शख्स को पुलिस और सिस्टम का बिल्कुल भी डर नहीं था।

    अब आन्या को अन्वेष के बारे में पता होता भी कैसे, उसका तो बिज़नेस वर्ल्ड से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था और अन्वेष तो वैसे भी कम ही मीडिया के सामने आता था। लेकिन ये सब कुछ और अन्वेष का एटिट्यूड देखकर आन्या को इतना तो अंदाज़ा हो गया था कि उसके सामने खड़ा शख्स कोई आम इंसान तो नहीं है, वरना ऐसे ही कोई भी उसके साथ पब्लिकली ऐसी हरकत करने की हिम्मत नहीं कर सकता था।

    आन्या अभी बस चुप खड़ी ये सोच ही रही थी कि उसे एक आदमी कि आवाज़ सुनाई दी जो अभी थोड़ी देर पहले ही वहाँ आये थे और अन्वेष को आन्या का जबरदस्ती हाथ पकड़े देख उसे छोड़ने के लिए कह रहे थे। आन्या के कानों में जैसे ही ये आवाज़ आयी, उसने नजर घुमाकर देखा तो वहाँ चोला-पैजामा पहने एक करीब 44-45 साल के आदमी खड़े थे। उनका नाम रितेश था और वो आन्या के पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे।

    उन्हें देख आन्या जैसे ही 'रितेश अंकल' बोलकर आगे बढ़ने को हुई कि,

    वो एकदम से फ्रीज हो गयी, उसके कदम जहाँ थे वहीं रुक गए और दिल धक-धक करने लगा।

    क्योंकि अन्वेष जो कि आन्या को उपर से नीचे तक, उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था, वो उसका रिएक्शन और एक्सप्रेशन देखकर इतना तो समझ गया था कि आन्या उसके बारे में कुछ भी नहीं जानती। वो उसे ही देख रहा था कि उसे आन्या के अंकल की आवाज़ आयी जो उसे आन्या को छोड़ने के लिए कह रहे थे। अपने सामने किसी को ऊँची आवाज़ में बात करते देख अन्वेष की आँखे सर्द हो गयी थीं।

    अन्वेष तो वैसे भी एक शॉर्ट-टेम्पर्ड इंसान था, जिसे कब, किस बात पे गुस्सा आ जाए, कोई नहीं कह सकता था। वो गुस्से में अक्सर अपना आपा खो देता था और अभी भी वही हुआ था। और जैसे ही उसने आन्या को छोड़ने की बात सुनी, उसका पारा हाई हो गया, और उसने बिना सोचे समझे अपनी गन निकालकर फायर कर दी थी।

    वहीं आन्या जिसने रितेश अंकल को देखकर कुछ कदम बढ़ाए ही थे कि गन की आवाज़ सुनकर वो जहाँ खड़ी थी, वहीं खड़ी रह गयी। कुछ पल बाद वो धीरे से पीछे पलटी तो अन्वेष एक हाथ अपने जेब में डाले खड़ा था और दूसरे हाथ में उसने गन पकड़ी हुई थी जिससे उसने अभी-अभी उपर हवा में फायर किया था।

    इस वक़्त उसका चेहरा गुस्से की वजह से एकदम डरावना लग रहा था जिसे देखकर एक पल के लिए तो आन्या भी काँप गयी। कि तभी-

    अन्वेष ने गन आन्या के अंकल की तरफ पॉइंट कर दी और अपने खतरनाक एक्सप्रेशन के साथ बोला, "चुप, बिल्कुल चुप, अब अगर एक वर्ड भी अपने मुँह से निकाला, तो अगली बार कुछ बोलने के लायक नहीं रहोगे...! इसलिए अपने इस ब्लडी शिट मुँह को बंद रखो और चुपचाप खड़े रहो, वरना गन की सारी की सारी गोलियाँ अभी के अभी तुम्हारे भेजे में उतार दूंगा और तुम्हारी वो सो कॉल्ड पुलिस भी तुम्हे बचा नहीं पायेगी।" इस वक़्त अन्वेष का औरा इतना खतरनाक था कि आन्या के अंकल आगे कुछ बोल ही नहीं पाए।

    वहीं गन की आवाज़ सुनकर और अन्वेष का ओरा देखकर वहाँ खड़े सभी लोगों की डर से हालत खराब हो रही थी। आन्या जो खुद ये सब देखकर घबरा गयी थी, वो जैसे ही अपने अंकल के पास जाने को हुई कि अन्वेष ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    और उसे अपनी लाल आँखों से देखते हुए जुनूनी आवाज़ में बोला, "कोशिश भी मत करना एक कदम भी बढ़ाने की। वरना तुम्हारे ये अंकल इसी वक़्त जान से हाथ धो बैठेंगे।" जिसे सुनकर आन्या को ना चाहते हुए भी अपने कदम रोकने पड़े।

    फिर अन्वेष ने आन्या के हाथ पे अपनी पकड़ कसते हुए कहा और उसकी काली आँखों में इंटेंसिटी से देखते हुए बोला, "प्यार करता हूँ मैं तुमसे, बहुत प्यार, इतना जितना तुम सोच भी नहीं सकती। टाइमपास नहीं कर रहा हूँ मैं तुम्हारे साथ।"

    "पहली ही नजर में खो चुका हूँ मैं तुम्हारी इन आँखों में और अब तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ..! बोलो- बनोगी मेरी। क्योंकि अब तुम पर सिर्फ और सिर्फ मेरा हक है, सिर्फ मेरा।" ये सब कहते हुए उसकी आँखों में कोई रिक्वेस्ट या प्रपोजल के भाव नहीं थे बल्कि एक जुनून था, एक ज़िद थी जो आन्या के लिए बहुत खतरनाक साबित होने वाली थी।

    आन्या जो ये सब सुनकर शॉक थी और उसे अन्वेष की आँखों में एक जुनून भी नजर आ रहा था जिसे देखकर आन्या को कहीं ना कहीं डर भी लग रहा था। पर फिर भी आन्या ने अपने चेहरे के भाव नॉर्मल ही रखे। उसे इतना तो समझ आ चुका था कि अन्वेष एक शॉर्ट-टेम्पर्ड इंसान है, और वो अब उससे और ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी।

    इसलिए बात खत्म करने के इरादे से वो अन्वेष से अपना हाथ छुड़ाते हुए एक गहरी सांस लेकर बोली, "देखो अन्वेष! आप मुझसे प्यार करते होंगे पर मैं आपसे प्यार नहीं करती हूँ। अरे मैं तो आपको जानती तक नहीं हूँ तो प्यार करने का तो सवाल ही नही है।

    "आपने अपने प्यार का इजहार किया, और मैने मना कर दिया। ये बात बस यहीं पर खत्म। इसके आगे इस बात का और कोई मतलब ही नहीं बनता।

    "सो नाउ एंड दिस टॉपिक एंड गो फ्रॉम हियर। वैसे भी आपकी वजह से पहले ही यहाँ बहुत तमाशा हो चुका है तो प्लीज अब और कोई तमाशा मत कीजिये। देयर हैज़ आलरेडी बीन अ लॉट ऑफ़ ड्रामा हियर, सो प्लीज डोन्ट क्रिएट एनी मोर ड्रामा एंड गो अवे।" इतना बोलकर आन्या वहाँ से जाने लगी।

    पर इससे पहले की वो वहाँ से जा पाती, अन्वेष ने उसकी बाजू पकड़ कर उसे रोक लिया। आन्या की बात सुनकर वो पुरा गुस्से से ज्वालामुखी बन चुका था। उसकी सिल्वर आईज लाल हो गयी थी, वो इतना गुस्से में आ गया था कि उसके माथे की नसें दिखने लगी थी, और मुट्ठियाँ भींच गयी थी। इसी गुस्से में उसकी पकड़ आन्या पर कस चुकी थी और वो उसे ही अपनी जलती निगाहों से देखे जा रहा था।

    उसकी पकड़ आन्या पर इतनी मजबूत थी कि आन्या को अपने हाथ में दर्द होने लगा था। आन्या ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा- "छोड़ो मुझे, ये क्या कर रहे है आप, ये क्या तरीका है, प्लीज छोड़िये मुझे, मुझे दर्द हो रहा है, यू आर हर्टिंग मी। प्लीज लीव मी।"

    पर अन्वेष ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं था। वो तो आन्या की ये बात "कि वो उससे प्यार नहीं करती और वो इस टॉपिक को यहीं खत्म करे और जाए यहाँ से" सुनकर बिल्कुल बौखला चुका था। वो अपने गुस्से में इस कदर पागल हो चुका था कि उसे कोई होश नहीं था। वो वैसे ही उस पे अपनी पकड़ कसते हुए, दांत भींचते हुए एक एक शब्द चबाकर बोला-

    "आई डोंट केयर, आई जस्ट डोंट केयर कि तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं। लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ, और प्यार से भी ज्यादा जुनून हो तुम मेरा, ज़िद हो तुम मेरी, जिसे मैं किसी भी कीमत पर पुरा करके ही रहूँगा और वैसे भी अन्वेष मल्होत्रा को जो चीज एक बार पसंद आ जाए, वो चीज उसकी हो जाती है, फिर वो चाहे प्यार से हो, मर्जी से हो, या फिर जबरदस्ती से, आई डोंट केयर और तुम तो फिर मेरी सनक बन चुकी हो, मेरा पोज़ेशन बन चुकी हो तो तुम्हे तो मैं हासिल करके ही रहूँगा।"

    ये कहकर अन्वेष ने उसे झटके से छोड़ा जिससे आन्या गिरते-गिरते बची। अन्वेष ने इतनी जोर से आन्या की बाजू पकड़ी थी कि आन्या को अपने पूरे हाथ में बहुत तेज दर्द हो रहा था और उपर से अन्वेष की ऐसी बातें उसे अंदर तक डरा रही थी और उसका ये कहना कि "जो चीज उसे पसंद आ जाए, वो उसकी हो जाती है, फिर चाहे वो जबरदस्ती ही क्यों ना हो" आन्या को गुस्सा भी दिला रहा था।

    आखिर क्या मतलब था उसका, क्या वो कोई चीज थी, जो उसे पसंद आ गयी, उसने उस पर हाथ रखा और वो उसकी हो गयी। पर अन्वेष को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसके लिए सिर्फ अपनी मर्जी, अपनी खुशी मायने रखती थी।

  • 8. Bound by obsession - Chapter 8

    Words: 1182

    Estimated Reading Time: 8 min

    आखिर क्या मतलब था उसका, क्या वो कोई चीज थी, जो उसे पसंद आ गयी, उसने उस पर हाथ रखा और वो उसकी हो गयी। पर अन्वेष को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसके लिए सिर्फ अपनी मर्जी, अपनी खुशी मायने रखती थी।

    फिर अन्वेष ने एक गहरी साँस लेकर टेढ़ा मुस्कुराते हुए कहा-

    "और रही बात जानने की, तो अभी तो पूरी जिंदगी पड़ी है स्वीटहार्ट जिसमें तुम मुझे अच्छे से जान जाओगी। और मैं खुद इसमें तुम्हारी हेल्प करूँगा।"

    फिर एक attitude के साथ-

    "वैसे तो अन्वेष Malhotra को किसी introduction की जरूरत नहीं है, क्योंकि अन्वेष Malhotra कोई नाम नहीं बल्कि अपने आप में एक ब्रांड है।"

    फिर थोड़ा मुह बनाते हुए एक नजर आन्या पे डाल सबकी तरफ देखते हुए -

    "पर my bad luck कि मेरी जान को मेरे बारे में कुछ भी नहीं पता, वो मुझे नहीं जानती, तो अब उसकी ये शिकायत तो दूर करनी पड़ेगी ना, उसे तो खुद से introduce करवाना पड़ेगा।" इस वक़्त अन्वेष से बिल्कुल साइको वाली vibe आ रही थी।

    ये कहकर वो वहीं रखी राउंड चेयर पर राजा की तरह जाकर बैठ गया और अपनी gun पे फूंक मारकर अपने हाथ में घुमाते हुए आन्या को देखकर बोला-

    "सो जान, अभी तुम्हारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जायेगी। Let me introduse myself to you. बोलो क्या जानना चाहती हो मेरे बारे में।"

    पर आन्या ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। तो अन्वेष ने दुबारा कहा- "tell me jaan, what do you wanna know about me." लेकिन आन्या अभी भी वैसे ही चुपी साधे स्टैंड के पास अपने हाथ को पकड़े खड़ी थी।

    वहीं अन्वेष ने जब देखा कि आन्या उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे रही है तो उसे थोड़ा गुस्सा आया और वो चिल्लाते हुए बोला- "बोलो..! speak demmit..!" उसकी आवाज़ इतनी तेज थी कि आन्या घबराकर एक कदम पीछे हो गयी, पर कहा उसने अभी भी कुछ नहीं था।

    अन्वेष को ये देखकर कि आन्या उसकी बात को इग्नोर कर रही है, उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर वो खुद को कंट्रोल करते हुए smile के साथ बोला-

    "चलो कोई बात नहीं, वैसे भी आज काफी बोल चुकी हो तुम, तो थक गयी होगी। मैं ही तुम्हे अपने बारे में बता देता हुँ। I am anvesh Malhotra, owner of Malhotra empire which is count in Asia's top three companies."

    इतना कहकर वो चेयर से खड़ा हुआ और अपना फोन निकालकर उसमे अन्वेष Malhotra टाइप किया और आन्या के सामने कर दिया और अपनी आँखों से इशारा करते हुए फोन में देखने को कहा।

    वहीं आन्या तो शॉक थी ये सब सुनकर। उसे अब तक इतना तो अंदाज़ा हो गया था कि अन्वेष कोई आम इंसान नहीं है, पर उसने ये बिल्कुल नही सोचा था कि अन्वेष इतना बड़ा और powerful आदमी होगा। उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था तो उसने confirm करने के लिए फोन को देखा। तो अन्वेष के फोन की screen पे अन्वेष की एक - दो फोटो के साथ उसके बारे में काफी डिटेल्स लिखी हुई थी। आन्या तो एक टक फोन की स्क्रीन को ही घूरे जा रही थी।

    वहीं अन्वेष के फेस पे एक जेहरिलि smile थी आन्या के फेस expression देखकर। लेकिन आन्या वो तो बुरी तरह डर गयी थी ये सब जानकर। अब तक तो आन्या को अन्वेष की बदतमीज़ी देखकर गुस्सा आ रहा था पर अब उसे डर लगने लगा था क्योंकि उसे अन्वेष की बातों में एक जुनून नजर आ रहा था। उसने अन्वेष की आँखों में एक अजीब सा पागलपन देखा था और उपर से उसकी अभी की हुई हरकत ने वहाँ खड़े सभी लोगों में एक खौफ पैदा कर दिया था।

    आन्या ने एक नजर अन्वेष की तरफ देखा। आन्या को अन्वेष् से बिल्कुल भी अच्छी vibe नहीं आ रही थी। उसे कुछ गलत होने का अंदेशा हो रहा था। अपने सामने खड़े शक्स में उसे अपने लिए बस खतरा नजर आ रहा था। इसलिए अब वो यहाँ एक और पल भी नहीं रुकना चाहती थी।

    उसने अपनी नजर इधर उधर घुमाई और वहाँ से side में भागने लगी। वो अभी थोड़ी दूर ही गयी थी की अन्वेष जिसका ध्यान उसी पर था, उसने आन्या को भागते देख लम्बे कदम लेकर फूर्ति से पीछे से आन्या के हाथ को पकड़ कर अपने पास खींचा और उसे अपनी तरफ turn करते हुए बोला-

    "अ... आ.. आ आ... बेबी, भागने की कोशिश, not bad, पर कोशिश करना बेकार है क्योंकि ये अन्वेष् Malhotra की पकड़ है, और अन्वेष मल्होत्रा की पकड़ से छूट पाना या भाग पाना नामुमकिन है..!"

    "और अब तुम मेरी नज़रो में कैद हो चुकी हो, तो भागने का ख्वाब तो तुम छोड़ ही दो। क्योंकि तुम कभी मुझसे नहीं भाग सकती। मैं अब तुम्हे खुद से दूर कभी नहीं जाने दूंगा। कभी भी नहीं। समझ में आया तुम्हे। तो आइंदा कोशिश भी मत करना, भागने की या मुझसे दूर जाने की। वरना मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा, मुझे खुद नहीं पता।"

    ये बोलते - बोलते उसका लहजा कड़क हो चुका था। उसकी आवाज़ भले ही धीमी थी, लेकिन उसका बोलने का तरीका ऐसा था कि आन्या उसमे अपने लिए चेतावनी साफ- साफ महसूस कर सकती थी।

    अन्वेष ये सब कह ही रहा था कि उसे main gate से रोनक हाथ में bag पकड़े, कुछ आदमियों के साथ आता दिखाई दिया। जिसे देखकर अन्वेष के होठों पे मुश्कुराहट आ गयी, जो किसी तूफान के आने का संकेत थी।

    रौनक ने अपने साथ आये आदमियों को इशारा किया और उसका इशारा मिलते ही वो आदमी अपने साथ लाये हुए सामान को वहाँ रखने लगे। वहीं ये सब देखकर वहाँ खड़े लोग और आन्या जो कि अन्वेष से खुद का हाथ छूडाने की कोशिश कर रही थी, ये सब देखकर हैरान हो गए और हैरानी से उन आदमियों को देखने लगे। वो सब हैरानी से ये सब देख ही रहे थे कि तभी रोनक वहाँ आया और अपने हाथो में पकड़े बैग्स को वहीं रखकर, अन्वेष को ग्रीट करते हुए बोला-

    "sir सब कुछ आ चुका है, और सब कुछ वैसा ही है, जैसा आपने कहा था। आप चाहे तो चेक कर सकते है।" ये बोलकर वो हाथ बांध कर खड़ा हो गया।

    अन्वेष ने एक नजर आन्या को देखा और फिर रोनक से बोला-

    "नहीं, उसकी कोई जरूरत नहीं है, बस तुम आगे की तैयारियाँ करवाओ, और हाँ याद रहे एक भी कमी नहीं रहनी चाहिए, everything should be perfect. After all आज मेरी शादी जो है।"

    ये सुनकर आन्या जो कि अभी तक खुद को छूडाने की कोशिश में लगी थी, उसने हैरानी और confusing नजरों से अन्वेष की तरफ देखा और फिर रौनक की तरफ।

    वो कभी अन्वेष को देखती तो कभी रौनक को। तभी अन्वेष ने उसका चेहरा अपनी तरफ किया और उसके बालों को पीछे करते हुए उसके चेहरे को गौर से देखते हुए बोला-

    "हाँ जान, आज मेरी शादी है, O sorry, my mistake, मेरी नहीं, हमारी, मेरी और तुम्हारी यानी की हमारी, और ये सारा सामान हमारी शादी के लिए ही है।"

    ये सुनते ही आन्या के उपर मानो कोई बिजली गिर गयी। वो सून् रह गयी।

  • 9. Bound by obsession - Chapter 9

    Words: 1479

    Estimated Reading Time: 9 min

    वो कभी अन्वेष को देखती तो कभी रौनक को। तभी अन्वेष ने उसका चेहरा अपनी तरफ किया और उसके बालों को पीछे करते हुए उसके चेहरे को गौर से देखते हुए बोला- "हाँ जान, आज मेरी शादी है। फिर-, O sorry, my mistake, मेरी नहीं, हमारी, मेरी और तुम्हारी यानी की हमारी, और ये सारा सामान हमारी शादी के लिए ही है।"

    ये सुनते ही आन्या के ऊपर मानो कोई बिजली गिर गयी। वो सुन्न रह गयी।

    अन्वेष ने जैसे ही कहा कि वो उससे शादी करने वाला है, आन्या तो सन्न रह गयी। अभी कुछ देर पहले तक तो सब ठीक था, फिर अभी ये क्या हो गया था उसके साथ! उसने अन्वेष की आँखों में जुनून तो देखा था, पर बात शादी तक पहुँच जायेगी, अन्वेष उससे शादी करेगा, वो भी अभी, ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।

    फ़्लैशबैक-

    जब अन्वेष ने देखा कि आन्या अपने क्लासमेट्स के साथ हँस-हँस कर बात कर रही है, तो वो गुस्से से आग-बबूला हो गया था। एक तो उसे पहले से ही वरुण का आन्या के करीब होकर बात करने से गुस्सा आ रहा था और अब ये सब देखकर तो उसका गुस्सा आउट ऑफ़ कंट्रोल हो गया था।

    उसके हिसाब से आन्या उसे पसंद आ गयी थी तो अब वो सिर्फ़ उसकी थी। उस पर केवल उसका हक था। उसे अब आन्या पर किसी की नज़रें तक बर्दाश्त नहीं थीं। उसका ये सोचकर ही खून खौल रहा था कि आन्या ने उस पर एक नज़र तक नहीं डाली थी और बाकी लड़कों से वो बात तक कर रही थी। तभी उसने कुछ सोचा और रौनक को अपने पास बुलाया और उसे आर्डर देते हुए बोला-

    "मुझे शादी करनी है, आज और अभी। तो तुम्हारे पास 1 घंटा है, सारी preparation के लिए। अगले 1 घंटे बाद तुम मुझे यहाँ मिलने चाहिए विथ आल अरेंजमेंट, अगर जरा भी देर हुई तो अपनी punishment के लिए रेडी रहना।" फिर थोड़ा रुककर, "और हाँ बेस्ट makeup artist और मल्होत्रा corporation designs के जयपुर वाले collection से एक सबसे बेस्ट शादी का जोड़ा लाना मत भूलना।"

    वहीं रौनक तो अपने बॉस की शादी की बात सुनकर ही शॉक हो गया था। मतलब उसका बॉस खतरनाक होने के साथ-साथ सच में सनकी भी था, जो एक लड़की को देखते ही उससे अभी की अभी शादी करने की बात कर रहा था।

    रौनक समझ गया था कि उसका बॉस आन्या से ही शादी करने वाला है। पर रौनक को तो अभी भी अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था इसलिए उसने confirm करने के लिए वापस से पूछा, पर वो अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही अन्वेष ने उसे घूरते हुए सर्द आवाज़ में कहा- "तुमने जो सुना, वही सच है! I wanna marry right now. So you do fast what I said." ये सुनकर अब रौनक कुछ नहीं कह सकता था इसलिए वो वहाँ से चला गया। और अन्वेष तिरछा मुस्कुराते हुए अपना ध्यान वापस सामने लगा लिया।

    फ़्लैशबैक खत्म।

    वर्तमान समय-

    अन्वेष ने जब देखा कि आन्या सन्न खड़ी है, कोई react नहीं कर रही तो उसने उन makeup artist को बुलाते हुए सख्त भाव कहा- "मेरी जान को लेकर जाओ और उसे बिल्कुल से अच्छे से तैयार करो। कुछ भी छूटना नहीं चाहिए, आफ्टर आल अब ये अन्वेष मल्होत्रा की दुल्हन बनने वाली है।"

    फिर उसने उन makeup artist को घूरते हुए धमकी देने के लहजे में कहा- "याद रहे, गलती से भी कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए, वरना दुबारा तुम दोनों इस दुनिया में नजर नहीं आओगी।"

    उसकी धमकी सुनकर उन दोनों makeup artist को तो अपनी जान सूखती हुई नजर आ रही थी। फिर उन्होंने डरते हुए हाँ में सिर हिलाया और आन्या के पास आकर, बाजू पकड़कर उसे ले जाने लगीं।

    उनके छूने से आन्या अपने सेंस में आयी और सेंस में आते ही उनका हाथ झटकते हुए बोली- "छोड़ो मुझे, दूर, दूर हटो!" लेकिन वो makeup artists अभी भी वहीं थीं तो आन्या ने थोड़ा चिल्लाते हुए, दाँत भींचकर कहा- "दूर हटो, मैंने कहा! दूर हटो, पीछे हो, पास आने की कोशिश भी मत करना।"

    "नहीं, नहीं जाना मुझे कहीं, नहीं करनी मुझे किसी से शादी। जाओ यहाँ से!"

    वहीं जब अन्वेष ने सुना कि आन्या शादी करने से मना कर रही है तो उसकी आँखें लाल हो गयीं। उसने आन्या की बाजू को जोर से पकड़ा और अपनी लाल आँखों से घूरते हुए, दाँत पीसते हुए बोला- "क्या? क्या कहा तुमने? जरा फिर से कहना! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये कहने की भी कि तुम्हें मुझसे शादी नहीं करनी। मेरी एक बात ध्यान से सुन लो आन्या! शादी तो तुम्हें करनी ही पड़ेगी, फिर चाहे कैसे भी हो!"

    अन्वेष इस वक़्त इतने गुस्से में था कि उसने आन्या की बाजू को बहुत जोर से पकड़ा हुआ था।

    थोड़ी देर पहले और अब फिर से इतना कसके बाजू पकड़ने से आन्या के हाथ में बहुत दर्द होने लगा था जिस वजह से उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। अन्वेष ने जब आन्या की आँखों में आँसू देखे तो उसे realize हुआ कि उसने आन्या का हाथ बहुत कसकर पकड़ा हुआ है। उसने आन्या के हाथ को छोड़ा और उंगलियों से अपने माथे को रब करने लगा। फिर एक गहरी सांस लेकर बोला-

    "आन्या क्यों अपनी बातों से मुझे गुस्सा दिला रही हो, मेरा गुस्सा बहुत खतरनाक है, गुस्से में मैं अपना आपा खो देता हूँ। और मैं तुम्हें हर्ट नहीं करना चाहता, इसलिए मुझे गुस्सा मत दिलाओ क्योंकि मेरा गुस्सा तुम झेल नहीं पाओगी। और शादी तो तुम्हारी मुझसे ही होगी, वो भी आज और अभी। इसलिए कोई ड्रामा किये बिना चुपचाप जाकर तैयार हो जाओ। समझी।"

    आन्या तो दंग थी अन्वेष का ऐसा पागलपन देखकर। उसके सिर्फ़ इतना कहने भर से कि उसे ये शादी नहीं करनी, अन्वेष तो जवालामुखी बन चुका था। पर उसे क्या पता था कि अभी जो उसने देखा वो तो कुछ भी नहीं था। आगे उसे अन्वेष का इससे भी भयानक रूप देखने को मिलेगा।

    दर्द से आन्या के आँखे आँसुओ से गीली हो चुकी थी। अन्वेष के पकड़ने से उसका हाथ लाल पड़ चुका था और सूज गया था। लेकिन आन्या को इस वक़्त अपने दर्द की कोई फिक्र नहीं थी। उसे सिर्फ़ अन्वेष से अपना पीछा छुड़ाना दिख रहा था।

    वो अन्वेष से किसी भी हालत में शादी नहीं करना चाहती थी। अन्वेष से शादी करने का मतलब था उसकी पूरी जिंदगी का बर्बाद होना। इसलिए उसने अपने आँसुओ को दोनों हाथों से साफ किया। आँसू साफ करती आन्या अन्वेष को बिल्कुल किसी बच्चे की तरह cute लग रही थी।

    आँसू साफ करके आन्या ने गहरी सांस लेकर अन्वेष को समझाते हुए कहा- "लुक अन्वेष! समझने की कोशिश करो, please try to understand, शादी कोई बच्चों का खेल नहीं है! कि जब चाहा, जिससे चाहा कर लिया!"

    "मैं आपको नहीं जानती, ना ही मैं आपसे प्यार करती हूँ, और ना ही आपसे शादी करना चाहती हूँ! I am not interested in you, so please don't be stubborn! मेरी और आपकी दुनिया बहुत अलग है इसलिए मैं आपसे request करती हूँ, मुझे जाने दीजिये क्योंकि मैं आपसे शादी नहीं करना चाहती!"

    "और वैसे भी आपको मुझसे बहुत अच्छी लड़की मिल जायेगी। So please let me go."

    "मुझे तुमसे अच्छी लड़की चाहिए ही नहीं, मुझे बस तुम चाहिए, बस तुम! I want you only, no one else than you.... और रही बात प्यार की तो मेरा प्यार काफी है, तुम्हारे प्यार की कोई जरूरत ही नहीं है!" आन्या की बात सुनकर अन्वेष उसके गालों को सहलाते हुए ठंडी आवाज़ में बोला।

    "और वैसे भी प्यार से ज्यादा obsession और जुनून हो तुम मेरा जिसे मैं हमेशा सिर्फ अपने तक और अपना बनाकर रखना चाहता हूँ, और इसके लिए हमारी शादी होना जरूरी है।" ये कहते हुए अन्वेष एक हाथ से आन्या के गालों को सहलाते हुए एकटक उसकी आँखों और चेहरे को देखे जा रहा था।

    आन्या भी अन्वेष को ही देख रही थी जिसकी आँखों में उसे अपने लिए ना कोई respect नजर आ रही थी और ना ही कोई प्यार। बस नजर आ रही थी तो केवल अपने लिए एक सनक। ऐसी सनक जो बस उसे हासिल करने की थी, फिर उसके लिए चाहे आन्या को कितना ही दर्द क्यों ना देना पड़े।

    कि तभी अन्वेष जो कि उसे ही देख रहा था, और उसके चेहरे में इतना खो गया था कि उसे आस पास का कोई होश ही नहीं था। वो सब कुछ भूलकर बस आन्या के चेहरे को देखे जा रहा था और अब उसका खुद पर से कंट्रोल लूज़ हो रहा था।

    आन्या को देखते हुए ही उसने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरे हाथ से गालों को सहलाते हुए उसके फेस पे उपर से नीचे तक अपनी उंगली फिराते हुए उसके उपर झुकने को हुआ कि तभी-

  • 10. Bound by obsession - Chapter 10

    Words: 1458

    Estimated Reading Time: 9 min

    अन्वेष जैसे ही आन्या के ऊपर झुकने को हुआ कि तभी वहाँ एक चटाक की आवाज़ गूँज गयी। ये थप्पड़ आन्या ने अन्वेष को मारा था।

    अन्वेष के आन्या की कमर पे हाथ रखते ही आन्या को एक झटका सा लगा। तभी अन्वेष उसके गालों को सहलाते हुए उसके चेहरे पे अपनी उंगलियाँ फिराने लगा। अन्वेष तो आन्या में पूरा खो गया था, वहीं आन्या को अन्वेष का touch बहुत गंदा लग रहा था। उसे नफरत हो रही थी अन्वेष से और उसके touch से।

    एक तो पहले से ही अन्वेष का ऐसा पागलों वाला behaviour देखकर आन्या को उसपे गुस्सा आ रहा था। ऊपर से उसका उसे शादी के लिए फोर्स करना और अब तो अन्वेष ने सारी हदें पार कर दी थी। वो उसे जगह जगह छू रहा था।

    और जैसे ही अन्वेष उसके ऊपर झुक कर उसे किस करने ही वाला था कि,

    ये देखते ही आन्या की सारी बर्दाश्त की हद पार हो गयी थी। वो उसे किस करता उससे पहले ही आन्या ने उसे धक्का दिया और एक जोरदार चांटा उसके गाल पे रख दिया। आन्या ने थप्पड़ इतना जोरदार मारा था कि अन्वेष का चेहरा एक तरफ झुक गया।

    वहीं स्टेज से नीचे अभी जो लोग आपस में खुसर-पुसर कर रहे थे, आन्या की थप्पड़ की आवाज़ सुनकर वहाँ एकदम से सन्नाटा छा गया। सारे students, teachers और वहाँ खड़े लोगों ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और शॉक होकर आन्या को देखने लगे।

    उन्हें अब आन्या के लिए डर लग रहा था, पता नहीं अन्वेष अब आन्या के साथ क्या करेगा। उसका साइकोपन अब तक वहाँ खड़े सब देख चुके थे। और यहाँ तो आन्या ने अन्वेष को थप्पड़ मारा था।

    वो बस अब आन्या के लिए pray कर रहे थे कि अन्वेष आन्या के साथ कुछ ना करे क्योंकि अगर अन्वेष ने आन्या के साथ कुछ भी किया तो आन्या को कोई नहीं बचा सकता था आखिर अन्वेष को रोकने की हिम्मत वहाँ खड़े किसी में भी नहीं थी।

    वहीं स्टेज पर आन्या के थप्पड़ से अन्वेष का चेहरा एक तरफ झुका हुआ था पर आन्या तो इस वक़्त बस पूरे गुस्से में थी। वो उसी गुस्से में चिल्लाते हुए चीखी-

    "Enough, enough is enough अन्वेष मल्होत्रा। तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की। How dare you to touch me....मेरे साथ ऐसी घटिया हरकत करने के बारे में सोचा भी कैसे तुमने।"

    "समझते क्या हो तुम अपने आप को कि जो मन में आया वो करोगे।

    क्या सोचकर इतनी घटिया हरकत करने वाले थे तुम?" वो दाँत भींच चीखते हुए बोली।

    लेकिन अन्वेष अभी तक वैसे ही अपना चेहरा एक तरफ झुकाए खड़ा था।

    आन्या हाँफ रही थी चिल्लाने की वजह से। पर फिर भी उसका अन्वेष पर चिल्लाना कम नहीं हुआ। उसने आगे चिल्लाते हुए ही कहा-

    "और रही बात शादी की तो मेरी एक बात कान खोल कर सुनो और अपने दिमाग में अच्छे से बिठा लो तुम अन्वेष- नहीं करनी है मुझे तुम से शादी।।।।ना मैं तुम्हें जानती हूँ, ना ही तुम्हें पसंद करती हूँ, और ना ही तुम जैसे घटिया शक्स से कभी शादी करूँगी।

    तुम एक सनकी ही नहीं, निहायती घटिया और गिरे हुए इंसान हो, जिसे लड़कियों की respect तक करनी नहीं आती, जो लड़कियों को केवल कोई सामान समझता है।"

    "और मैं कोई सामान या चीज नहीं हूँ मिस्टर अन्वेष मल्होत्रा कि तुम्हें पसंद आ गयी, तुमने बाजार से खरीद ली और जबरदस्ती अपनी बना ली।

    होगे तुम powerful और दुनिया पर राज करने वाले, पर मुझ पर तुम्हारी कोई भी जबरदस्ती नहीं चलेगी।

    तुम जैसा इंसान जो लड़कियों को अपनी property समझता है, मैं ऐसे इंसान से कभी शादी नहीं करूँगी। समझे।

    So don't you dare to touch me again and stay away from me."

    आन्या अन्वेष की इस हरकत से इतना गुस्से में आ गयी थी कि उसने ध्यान ही नहीं दिया था कि अन्वेष अभी तक वैसे ही खड़ा चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था।

    उसने अभी तक अपना चेहरा ऊपर नहीं किया था, इसी वजह से आन्या देख ही नहीं पायी कि आन्या के थप्पड़ और उसकी बातों से अन्वेष का फेस गुस्से से काला पड़ गया था, आँखे बिल्कुल लाल हो गयी थी, माथे और हाथ की नसें दिखने लगी थी। वो तो बस continue उस पर चिल्लाये जा रही थी। चीखने की वजह से आन्या का पूरा फेस लाल हो गया था, साँसे तेज चल रही थी और आँखों में आँसू आ गए थे।

    जैसे ही आन्या चुप हुई, अन्वेष ने अब अपना फेस ऊपर करके आन्या की तरफ देखा। आन्या जो अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी, अन्वेष का ऐसा रूप देखकर तो काँप गयी।

    अन्वेष की आँखे इस वक़्त खून की तरह लाल थी, उसकी आँखों में अंगारे दहक रहे थे।

    अब आन्या को एक पल भी वहाँ रुकना ठीक नहीं लगा। वो पीछे पलटकर भागने लगी।

    स्टेज थोड़ा ऊपर था और सीढियाँ side में थी। लेकिन आन्या को तो इस वक़्त बस कैसे भी करके अन्वेष से दूर जाना था, वो बिना देखे- सोचे भाग रही थी। इसलिए उसने direct stage से jump मार दिया।

    लेकिन वो कूद पाती उससे पहले ही अन्वेष ने उसे कमर से पकड़कर हवा मे उठा दिया। और एक जोरदार झटके के साथ उसे अपनी तरफ खींचा।

    ऐसे झटके से खींचने से आन्या का हाथ स्टैंड पर लगा जिससे उसमे लगी कील आन्या के हाथ में गड गयी। तभी अन्वेष ने आन्या का हाथ अपनी तरफ खींचा जिससे कील गड़ी होने की वजह से आन्या की पूरी हथेली छिल गयी और उसके हाथों से खून की धारा बहने लगी।

    दर्द की वजह से आन्या की चीख निकल गयी और उसकी आँखों से टप- टप आँसू बहने लगे लेकिन अन्वेष तो इस वक़्त पूरा गुस्से में तमतमाया हुआ था। उसने आन्या के दोनों हाथों को अपने एक हाथ में पकड़ा और बुरी तरह पीछे की तरफ मोड़ दिया और दूसरे हाथ से कसकर उसका जबड़ा पकड़ भींचते हुए गुस्से से बोला-

    "लगता है तुम्हें मेरी कोई बात सीधे सीधे समझ नहीं आती। कहा था मैने तुम्हें, समझाया था ना थोड़ी देर पहले कि कोशिश भी मत करना मुझसे भागने की, या मुझे गुस्सा दिलाने की, क्योंकि मैं तुम्हें खुद से दूर कभी नहीं जाने दूंगा, फिर तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी बातों के खिलाफ जाने की, शादी से मना करने की, फिर से भागने की हाँ।"

    ये सब कहने के साथ ही अन्वेष आन्या की कलाइयों को और भी tightly मोड़े जा रहा था। उसने आगे कहा- "मैं नहीं चाहता कि तुम्हें हर्ट करू लेकिन तुम, तुमने तो कसम खा रखी है मुझे गुस्सा दिलाने की।

    और क्या कहा तुमने कि मैं निहायती घटिया और गिरा हुआ इंसान हूँ। तो जान! मैं अगर अपना घटियापन दिखाने पर आया ना तुम भी कुछ नहीं कर पाओगी। और_

    ये जो तुमने अभी मुझे थप्पड़ मारा है ना, आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि मुझ पर उँगली भी उठा सके, अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक मैं उसे जहनूम के दर्शन करा चुका होता,

    और तुम्हे भी मैं चाहूँ तो अभी इस थप्पड़ का ऐसा जवाब दे सकता हूँ कि उसके बाद तुम थप्पड़ तो क्या, मुझे नजर उठाकर देखने से भी काँप जाओगी।" आन्या तो ये सुनकर ही अपनी जगह पर जम गयी थी। (अपनी लाल आँखों से आगे जुनून से आन्या की आँखों में देखते हुए) आगे कहा-

    "पर मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा जानती हो क्यों, क्योंकि मै तुमसे प्यार करता हूँ इसलिए तुम्हारी सारी हरकतों को बर्दाश्त कर रहा हूँ।

    और रही बात शादी की तो वो तो तुम्हे करनी ही पड़ेगी किसी भी कीमत पर। क्योंकि तुम्हें पाना मेरी ज़िद है तो ये शादी तो आज होकर ही रहेगी और कैसे होगी वो भी तुम्हें अभी थोड़ी देर में पता चल जायेगा।" Just wait and watch.

    वहीं आन्या तो दर्द से बेहाल थी। उसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। हथेली पूरी खून से सन्न चुकी थी, और अन्वेष के हाथ मोड़ने और जबड़े को कसकर दबाने की वजह से उसे ऐसा लग रहा था कि उसका हाथ और जबड़ा अभी टूट जायेगा। पर आन्या अन्वेष के सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी इसलिए उसने अपने होठों को दातों तले दबा लिया।

    अन्वेष अभी भी गुस्से से उसका हाथ मरोड़े जा रहा था कि तभी रौनक आगे आया और उसने हकलाते हुए कहा- "Bo... Boss.. वो ma.। Ma'am का हाथ।" रौनक को बीच में बोलते देख अन्वेष उसे लाल आँखों से घूरने लगा।

    कि तभी अन्वेष को अपने हाथों पे कुछ गिला महसूस हुआ।

  • 11. Bound by obsession - Chapter 11

    Words: 1121

    Estimated Reading Time: 7 min

    कहानी अब तक-
    Anvesh अभी भी गुस्से से उसका हाथ मरोड़े जा रहा था कि तभी रौनक आगे आया और उसने हकलाते हुए कहा- bo... Boss.. वो ma.। Ma'am का हाथ। रौनक को बीच में बोलते देख अन्वेष उसे लाल आँखों से घूरने लगा।

    कि तभी अन्वेश को अपने हाथों पे कुछ गिला महसूस हुआ।

    अब आगे-

    उसने आन्या के जबड़े को एकदम से छोड़ उस हाथ से आन्या के हाथों को पकड़ा और अपना दूसरा हाथ आगे किया तो उसपे खून लगा हुआ था।

    खून देख अन्वेष ने जल्दी से आन्या के हाथों को फ्री किया। और उसके दोनों हाथ को आगे किया तो उसकी आँखे बड़ी हो गयी। आन्या के हाथ में कील गड़ी थी, जिससे उसका पूरा हाथ छील गया था, हथेली खून से सन्न चुकी थी और अब खून बहकर नीचे जमीन पे गिर रहा था, कलाइयाँ मरोड़ने से सूझ चुकी थी और उनपे गहरे लाल निशान बन चुके थे।

    आन्या की ये हालत देखते ही अन्वेष का सारा गुस्सा गायब हो गया। वो फिक्र करते बोला- "O shit, तुम्हारा तो पुरा हाथ छील गया है आन्या। रौनक जल्दी से first aid box लेकर आओ, फास्ट..!" उसने चिल्लाते हुए कहा।

    "कितना खून बह रहा है।" फिक्र से उसने अपनी जेब से रूमाल निकाल आन्या की हथेली पे बांधने को हुआ पर आन्या ने गुस्से और रोते हुए उससे अपना हाथ छुड़ा लिया।

    ये देखकर अन्वेष ने गुस्से से हाथ की मुट्ठी बना ली। और वापस से प्यार से उसका हाथ पकड़ लिया।

    लेकिन आन्या भी कम ज़िद्दी नहीं थी। आन्या ने फिर से अपना हाथ छुड़ा लिया। Anvesh को गुस्सा आ गया लेकिन अभी आन्या की हालत सच में बहुत खराब थी। उसके हाथ से खून बहे ही जा रहा था। ये सोचके उसने अपना गुस्सा कंट्रोल किया और थोड़ा नर्म लहजे में कहा-

    "आन्या देखो ज़िद मत करो, तुम्हारे हाथ से बहुत खून बह रह रहा है, infection हो जायेगा। इसलिए चुपचाप से मुझे ड्रेसिंग करने दो। लाओ अपना हाथ दो।"

    पर आन्या तो आन्या थी। आन्या ने फिर भी अपना हाथ आगे नहीं किया। इतना कुछ होने के बाद भी वो अन्वेष को resist कर रही थी। ये देखकर अन्वेष भी एक पल के लिए हैरान रह गया और उसके फेस पे एक मुश्कुराहट आ गयी। लेकिन आन्या के हाथ में अभी भी कील घुसी हुई थी और खून निकल रहा था, और आन्या थी कि ज़िद पर ही अड़ी थी, ये सोचते ही फिर से उसके चेहरे के भाव सर्द हो गए और इस बार उसने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा-

    "आन्या मुझे गुस्सा मत दिलाओ, चुपचाप अपना हाथ दो।"

    आन्या ने अपना हाथ और पीछे ले लिया और अपना मुह फेरकर दूसरे हाथ से आँसू पोंछने लगी जो continuously बह रहे थे।

    "ये लड़की, एक मौका नहीं छोड़ती मुझे गुस्सा दिलाने का। चोट लगी है, हाथ से इतना खून बह रहा है, लेकिन dressing की जगह ज़िद करनी है इसे तो। प्यार से तो ये लड़की मेरी कोई बात मान ही नहीं सकती।" अन्वेष् आन्या को ज़िद करता देखकर गुस्से से दाँत पीसता हुआ खुद से बोला।

    फिर अन्वेष ने एक गहरी साँस लेकर आन्या को अपनी तरफ खींचा। आन्या का एक हाथ अन्वेष् ने पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से आन्या खुद को छूडाने की कोशिश कर रही थी।

    वहीं अन्वेष चुपचाप बिना किसी भाव के बस उसे देखे जा रहा था। थोड़ी देर बाद, काफी कोशिशों के बाद भी आन्या खुद को छुड़ा नहीं पायी तो वो अन्वेष को गुस्से से घूरने लगी।

    अन्वेष् उसे शांत होता देखकर बोला- "हो गया तुम्हारा, अब बाकी का गुस्सा बाद में कर लेना, पहले चुपचाप dressing करवाओ।"

    ये कहकर उसने आन्या को ले जाकर एक चेयर पर बिठा दिया। और खुद घुटनों के बल बैठ गया। आन्या अपने आँसुओ को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी, और बार बार अपने हाथ से उन्हे पोंछ रही थी लेकिन आन्या की आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

    अब तक रौनक भी first aid box लेकर आ चुका था। Anvesh ने रौनक से first aid box लिया और उसमे से कॉटन निकालकर आन्या का हाथ पकड़ने को हुआ लेकिन आन्या ने हाथ पीछे खींच लिया। Anvesh के हाथ हवा में ही रह गए।

    ये देखकर अन्वेष ने अपने हाथ की मुट्ठी कस ली और आन्या को देखने लगा। आन्या ने अन्वेष को खुद को देखता पाकर एक ज़िदी बच्चे की तरह नजरे फेर ली, बस फर्क इतना ही था की उसके मुह फेरने की वजह नाराजगी नहीं बल्कि गुस्सा और नफरत थी।

    वहीं रौनक ये सब शॉक होकर देखे जा रहा था। उसका सनकी बॉस जो एक गिलास पानी भी खुद से नहीं पीता, वो आज किसी लड़की के लिए घुटने के बल बैठा हुआ है।

    और उससे भी ज्यादा हैरानी उसे आन्या को देखकर हो रही थी। रौनक को अच्छे से पता था कि उसके बॉस पे न जाने कितनी ही लड़कियाँ मरती है, कितनी ही लड़कियाँ उसके बॉस के करीब आने की कोशिश करती है, लेकिन उसका ये साइको बॉस किसी को नजर उठाकर तक नहीं देखता। और यहाँ आन्या थी कि वो खुद अन्वेष् से दूर रहना चाहती थी।

    रौनक उन्हे shocking नजरों से देखते हुए खुद से ही बडबडाया - "बॉस ने ढूंढी तो अपने लिए टक्कर की लडकी है, ये मिस आन्या तो बिल्कुल sir के जैसे ही ज़िदी है।" फिर मासूम सा फेस बनाते हुए- "लेकिन कितनी प्यारी और मासूम है, और एक अन्वेष sir है, जो तबाही का मंजर है। पता नहीं कहा से इनकी नजर इस प्यारी सी लड़की पर पड़ गयी, हे भगवान रक्षा करना इनकी क्योंकि इनकी आँखों में तो पहले ही इनके लिए इंकार है, aur अन्वेष् sir पर तो मिस आन्या को पाने का जुनून सवार हो चुका है और अब ये जो करने वाले है उससे तो मिस आन्या इनसे और भी नफरत करेगी।" ये सब बातें वो उपर की तरफ देख कर बोल रहा था जिससे वहाँ खड़ी वो makeup artist उसे अजीब से नजरों से घूर रही थी।

    वहीं अन्वेष् ने जब देखा कि आन्या अपनी ज़िद नहीं छोड़ रही है तो उसने उस कॉटन को वापस बॉक्स में रखा और आन्या को देखते हुए धीरे मगर गुस्से भरी आवाज़ में बोला- "तो तुम ऐसे नहीं मानोगी, मैं जितनी कोशिश करता हुँ कि तुम्हारे साथ प्यार से पेश आऊँ, तुम उतना ही मुझे तुम्हे दर्द देने और जबरदस्ती करने पे मजबूर करती हो।

    हाथ में चोट लगी है, खून बह रहा है, ये नहीं कि दवाई लगवालो, लेकिन नहीं, तुम्हे तो ज़िद करनी है, तो ठीक है, करो तुम अपनी ज़िद, लेकिन मैं भी देखता हूँ कब तक? कब तक करती हो तुम अपनी ज़िद। अब तुम खुद चुपचाप dressing भी करवाओगी, और शादी भी करोगी, just wait and watch." ये बोलकर उसने गुस्से से first aid box वही रखा और खड़ा हो गया।

  • 12. Bound by obsession - Chapter 12

    Words: 1301

    Estimated Reading Time: 8 min

    हाथ में चोट लगी है, खून बह रहा है, ये नहीं कि दवाई लगवा लो, लेकिन नहीं, तुम्हें तो ज़िद करनी है, तो ठीक है, करो तुम अपनी ज़िद, लेकिन मैं भी देखता हूँ कब तक? कब तक करती हो तुम अपनी ज़िद। अब तुम खुद चुपचाप ड्रेसिंग भी करवाओगी, और शादी भी करोगी, जस्ट वेट एंड वॉच।" ये बोलकर उसने गुस्से से फर्स्ट एड बॉक्स वहीं रखा और खड़ा हो गया।

    वहीं आन्या ये सुनकर सवालियाँ और घबराहट भरी नज़रों से अन्वेष को देखने लगी।

    अन्वेष ने एक नज़र आन्या को देखा और फिर उसे इग्नोर कर अपना मोबाइल में कुछ टाइप किया। टाइप करने के बाद उसने मोबाइल वापस जेब में रखा और आन्या की तरफ देखकर एक तिरछी मुस्कान पास कर दी।

    आन्या तो अन्वेष को देखकर समझने की कोशिश कर रही थी कि अन्वेष क्या करने वाला है। उसे डर भी लग रहा था क्योंकि अन्वेष का जुनून और ऐसा बिहेवियर देखकर उसे ये तो समझ में आ गया था कि अन्वेष उसके लिए पूरा ओब्सेस्ड है और ऊपर से उसका पूरा कॉन्फिडेंटली कहना आन्या को कुछ गलत होने का एहसास दिला रहा था।

    आन्या ने अन्वेष को देखते हुए पूछा- "क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में, क्या करने वाले हो तुम..!"

    फिर उसने अपनी उंगली अन्वेष की तरफ पॉइंट करते हुए कहा- "खबरदार जो कुछ भी उल्टा सीधा किया तो, क्योंकि मैं तुमसे शादी कभी नहीं करुँगी..!"

    अन्वेष ने मुस्कुराते हुए आन्या की उंगली में अपनी उंगली क्रॉस की और अपना सर टेढ़ा कर, भौंहे ऊपर चढ़ा कर देखते हुए- "आप से सीधा तुम..! ...क्या बात है इतनी जल्दी साइड चेंज... बट डोंट वरी बिकॉज़ आई लाइक इट..!" फिर जुनूनियत से देखते हुए पूरे कॉन्फिडेंस के साथ- "शादी तो तुम्हें मुझसे करनी ही पड़ेगी, और अब तुम खुद चुपचाप मुझसे शादी करोगी।"...

    उसने आन्या के सर पे टैप करते हुए एक नज़र उसके हाथ को देखा। हाथ पे नज़र जाते ही उसके चेहरे के भाव सीरियस हो गए और तभी उसने आन्या को अपने पीछे देखने का इशारा किया।

    आन्या उसके इशारे को समझ घबराते हुए अपने लॉकेट को टॉप के ऊपर से ही कसकर पकड़ते हुए धीरे से पीछे मुड़ी।...और जैसे ही उसने अपनी नज़रें उठाकर सामने देखा तो उसकी आँखे फैल गयी।

    सामने अन्वेष के गार्ड्स ने कशिश को पकड़ उसके ऊपर गन पॉइंट कर रखी थी।

    "कशिश..!" आन्या जोर से चिल्लाई..! उसने अपने कदम बढ़ाए तभी अन्वेष ने उसे पकड़ लिया..!

    "यू कांट गो फ्रॉम हियर जान..!" अन्वेष ने शांत लहजे में कहा। आन्या ने उसे एक नज़र गुस्से से घूरा, फिर सामने देखा..!

    कशिश को ऐसे पकड़ा हुआ देखकर आन्या उन गार्ड्स पर गुस्से में चिल्लाई- "क्या कर रहे है आप लोग, ये क्या तरीका है किसी लड़की के साथ बिहेव करने का..! छोड़िये उसे..!" लेकिन गार्ड्स ने कशिश को नहीं छोड़ा..!

    "आप लोगों ने सुना नहीं मैने क्या कहा- मैने कहा छोड़िये उसे, आई सेड जस्ट लीव हर..!" आन्या फिर चिल्लाई..! लेकिन उन गार्ड्स ने तो जैसे आन्या की बातें सुनाई नहीं दी। उन गार्ड्स पर अपनी किसी बात का असर ना होते देख आन्या गुस्से में अन्वेष की तरफ पलटी।

    और उस पर बीफ़रते हुए बोली- "ये क्या बेहूदगी है। क्या तुम्हे जरा भी शर्म नहीं आती एक लड़की के साथ ऐसा बिहेव करते हुए। मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी तो ब्लैकमेलिंग पर उतर आये अब तुम, डिसगस्टिंग..! शेम ऑन यू मिस्टर अन्वेष मल्होत्रा...जितना मैने सोचा था तुम तो उससे भी ज्यादा घटिया हो।"

    फिर एक नज़र गार्ड्स पर डाल वापस अन्वेष को देखते हुए दांत पीसकर बोली- "अपने इन गार्ड्स को बोलो कि कीशु को छोड़े, तुम्हारा उससे कोई लेना देना नहीं है तो बेहतर यही होगा कि तुम उन्हे बीच में ना लाओ..!"

    तभी अन्वेष उसके करीब आया और तिरछा हँसते हुए बोला- "सही कहा जान, मुझे तो सिर्फ तुमसे मतलब है।...मेरा इनसे कोई लेना देना नहीं है, लेकिन तुम्हारा तो है ना। और रही बात ब्लैकमेलिंग की तो ट्रस्ट मी जान, मैं तुम्हें बिल्कुल भी ब्लैकमेल नहीं करना चाहता था, बल्कि मैं तो तुमसे प्यार से शादी करना चाहता हूँ लेकिन तुम्ही ने मुझे मजबूर किया है ये सब करने के लिए..!"

    "तुम ही अपनी ज़िद पर अड़ी थी। तुम ही ना ड्रेसिंग करवाने के लिए तेयार थी, ना ही शादी के लिए, तो फिर मुझे कुछ तो करना था ना तो अपने होने वाले साली साहिबा को बीच में लाना पड़ा..!"

    फिर मुस्कुराते हुए रिलेक्सिंग वे मे जाकर चेयर पर बैठ गया और एक नज़र ग्राउंड की तरफ डाल आन्या को देखते बोला- "तो अब बताओ तुम मुझसे शादी करोगी या नहीं या फिर मैं तुम्हारे इकलौती फ्रेंड को उपर पहुंचा दुँ। आंसर मी एंड फ़ास्ट बिकॉज़ आई एम वेरी डेस्पेरेट टू मैरी यू..!"

    "बिल्कुल भी नहीं, शादी और तुमसे, कभी नहीं। शादी माय फूट। मैं तुम जैसे साइको और घटिया आदमी से कभी शादी नहीं करुँगी। और खबरदार जो तुमने कीशु को कुछ भी किया तो।" अन्वेष की धमकी सुनकर आन्या भी गुस्से मे बोली।

    अब अन्वेष का सब्र जवाब दे चुका था। आन्या का बार बार मना करना अन्वेष को गुस्सा दिला गया। उसमें तो वैसे ही सब्र नहीं था और यहाँ आन्या बार बार उसके पेशेंस का टेस्ट ले रही थी। धमकी देने के बाद भी आन्या ने जब शादी के लिए मना कर दिया तो अन्वेष का पारा सातवें आसमान पे पहुँच गया।

    वो चेयर से खड़ा हुआ और एक झटके से अपनी गन निकालकर शूट कर दिया जिससे वहाँ पे एक जोरदार चीख गूंज गयी। आन्या जो कि अभी कुछ और भी कहने वाली थी..! शूट की आवाज़ सुनते ही उसकी जैसे धड़कने ही रुक गयी। उसमे हिम्मत ही नहीं थी कि वो पीछे पलटकर भी देख सके।

    फिर भी वो धीरे से पलटी तो सबसे पहले उसकी नज़र कीशु पर गयी जो बिल्कुल सही सलामत खड़ी थी और दूसरी तरफ देख रही थी। कशिश को सही सलामत देख आन्या की जान में जान आयी। लेकिन जैसे ही उसने उस की नज़रों का पीछा किया तो फिर से उसकी आँखें बड़ी हो गयी और मुह शॉक से खुला रह गया।

    क्योंकि अन्वेष ने गोली एक लड़के के हाथ पर चलाई थी जिससे उस लड़के का पूरा हाथ छलनी हो गया था। और वो दर्द से कराह रहा था लेकिन अन्वेष के गार्ड्स किसी को भी उसके पास जाने तक नहीं दे रहे थे।

    वो लड़का आन्या का ही एक क्लासमेट था, विनीत को गोली लगे देख आन्या ' विनीत' कहते उसके पास जाने लगी। तभी अन्वेष की कँपा देने वाली आवाज़ वहाँ गूंजी।

    "डोंट यू डेयर टू टेक वन मोर स्टेप आन्या। कोशिश भी मत करना यहाँ से हिलने की भी और अपनी जुबान से किसी लड़के का दुबारा नाम लेने की भी, वरना आई स्वियर आन्या यू विल बी रिग्रेट।" अन्वेष की ऐसी आवाज़ सुनकर आन्या जहाँ थी, वही रुक गयी।

    वो अब अन्वेष की बातों को नजरंदाज करने की गलती बिल्कुल नहीं कर सकती थी। क्योंकि उसे इतना तो समझ आ चुका था कि अन्वेष एक सनकी है, जो अगर बिना किसी गलती के भी विनीत पर गोली चला सकता है तो वो अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी कर सकता है।

    तभी अन्वेष उसके पास आया और आन्या के आँसुओ को अपने अंगूठे से बेरहमी से पोंछते हुए अपनी कड़क आवाज़ में बोला-

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई किसी लड़के का नाम भी अपनी जुबान से लेने की। बोलो। आंसर मी। मेरी एक बात तुम अच्छे से याद रखना आन्या- आइंदा गलती से भी गलती मत करना अपनी जुबान पर किसी और का नाम लाने की भी, वरना मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम सह नहीं पाओगी।"

    फिर अपनी गन सबके सामने घुमाते हुए- "अगर तुम में से एक की नज़र भी मुझे आन्या पर दिखी, तो तुम्हारे परिवार वालों को तुम्हारी लाश भी नसीब नहीं होगी।" अन्वेष के इतना कहते ही वहाँ खड़े सब ने अपनी नज़रें आन्या से हटा ली।

  • 13. Bound by obsession - Chapter 13

    Words: 1237

    Estimated Reading Time: 8 min

    फिर अपनी gun सबके सामने घुमाते हुए अन्वेष बोला, "अगर तुम में से एक की नजर भी मुझे आन्या पर दिखी, तो तुम्हारे परिवार वालों को तुम्हारी लाश भी नसीब नहीं होगी।" अन्वेष के इतना कहते ही वहाँ खड़े सब ने अपनी नजरें आन्या से हटा लीं।

    फिर अन्वेष आन्या को देखते हुए फिर बोला, "अब बताओ, तुम चुपचाप शादी कर रही हो या नहीं।" लेकिन आन्या ने कोई जवाब नहीं दिया।

    आन्या को कोई जवाब न देता देख अब अन्वेष की आँखें लाल हो चुकी थीं। वो वैसे ही लाल आँखों से आन्या को घूरते हुए गुस्से में दांत पीसते हुए बोला, "लगता है तुम्हें अपनी फ्रेंड से प्यार नहीं है, तभी मेरी बातों को इग्नोर करने की गलती कर दी जान।" ये कहते हुए ही उसने शूट कर दिया और इस बार उसने विनीत के पाँव पर शूट किया था, जिससे कि विनीत नीचे जमीन पे गिर गया।

    वहीं आन्या विनीत को गिरते देखकर अन्वेष से चिल्लाते हुए बोली, "Are you mad, विनीत पर क्यों गोली चलाई तुमने?"

    तभी अन्वेष आन्या के बालों को बेरहमी से अपनी मुट्ठी में भींचकर दांत पीसते हुए बोला, "Don't, don't Aanya, don't, सोचना भी मत उस लड़के का नाम अपने मुह से निकालने के बारे में वरना अभी तक तो सिर्फ हाथ और पैर पर shoot किया है,...अब अगर तुमने किसी की तरफ नजर उठाकर भी देखा ना तो तुम्हें तो इसकी punishment बाद में मिलेगी पर उससे पहले मैं उसे जान से मार दूंगा। ....क्योंकि तुम सिर्फ मेरी हो, सिर्फ मेरी। तुम पर सिर्फ मेरा हक है, और मुझे अपनी चीजों पे किसी की नजरें बर्दाश्त नहीं है, किसी की भी नहीं। So don't try to ignore my words." ये कहते हुए उसकी आँखों में जुनूनियत साफ नजर आ रही थी।

    फिर आन्या के बालों को छोड़ते हुए बोला, "तुम्हारे पास सिर्फ दो मिनट हैं, अगले दो मिनट में मुझे तुम्हारा जवाब हाँ में चाहिए वरना ठीक दो मिनट बाद तुम्हारे भाई और तुम्हारी फ्रेंड तड़पते हुए नजर आयेंगे।"

    "And ya, what I say, I definitely do that. Mark my words. तो जो भी बोलो सोच समझकर कहना क्योंकि तुम्हारे एक हाँ या ना पे इन दोनों की जिंदगी टिकी है।"

    "Your time starts now," Anvesh अपनी घडी में देखते हुए बोला।

    वहीं आन्या तो सदमे से खड़ी उसे देख रही थी। तभी उसे अन्वेष् की आवाज़ सुनाई दी जो कह रहा था, "जान, डेढ़ मिनट।" ये सुनते ही आन्या अपने सेंस में आयी और कीशु की तरफ देखा, जो खुद को गार्ड्स से छुड़ाने के लिए struggle करते हुए आन्या से को शादी के लिए हाँ कहने से मना कर रही थी।

    "नहीं आन्यु, बिल्कुल भी नहीं। इसको जो करना है, करे पर तुम इस घटिया इंसान से बिल्कुल भी शादी नहीं करोगी।" कशिश अन्वेष का behaviour देख वो आन्या से चिल्लाते हुए बोली।

    तभी अन्वेष ज़ोर से बोला, "Time's up. Now answer me. हाँ या ना आन्या...!"

    आन्या तो अभी भी चुप खड़ी थी। उसे चुप देख अन्वेष को और भी गुस्सा आ गया और उसने अपने गार्ड्स को इशारा किया। उसका इशारा मिलते ही गार्ड्स ने अपना हाथ trigger पे रखा। और जैसे ही वो गार्ड triggar दबाने वाला हुआ वैसे ही आन्या की आवाज़ आयी-

    "I am ready to marry you."

    ये सुनते ही अन्वेष् के फेस पे जंग जीतने वाली smile आ गयी और उसने अपने guards को हाथ दिखाकर रोक दिया। फिर वो आन्या से बोला, "क्या कहा तुमने, मैने सुना नहीं, जरा फिर से कहना।"

    "मैं तुमसे शादी के लिए तैयार हूँ, पर please कीशु को छोड़ दो और विनीत को hospital ले जाने दो। Please।" ये कहते हुए आन्या रोते हुए जमीन पे बैठ गयी।

    फिर से विनीत का नाम सुन अन्वेष ने अपनी मुट्ठी कस ली और अपनी आँखे बंद कर लीं।

    फिर एक गहरी सांस लेकर वो आन्या के पास बैठा और उसे एकदम से हग कर लिया। उसके हग करते ही आन्या ने अपनी मुठी भींच ली।

    Anvesh फिर उससे अलग होकर प्यार से बोला, "चलो अब dressing करवालो, फिर makeup artist तुम्हें रेडी कर देंगी।"

    Anvesh फिर उसका हाथ पकड़ कर उसकी dressing करने लगा तो आन्या ने अपना हाथ खींच लिया और गुस्से से ज़ोर से खींच कर एक झटके से अपने हाथ में गड़ी कील को बाहर निकल दिया जिससे उसके हाथ से खून पानी की तरह बहने लगा।

    इस वक़्त उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि वो अन्वेष से खुद को बचा नहीं पा रही है, और यहीं गुस्सा वो खुद पर उतार रही थी।

    पर ये देखके अन्वेष की आँखे बिल्कुल सर्द हो चुकी थीं। वो गुस्से में दहारते हुए आन्या पर चिल्लाया, "आन्या, what childish behavior this is..! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई खुद को चोट पहुंचाने की?"

    तभी आन्या रोते हुए बोली, "Please I don't like you. मुझे तुमसे शादी नहीं करनी।" ये कहते हुए अब आन्या सिसकते हुए ज़ोर से रोने लगी थी।

    उसे रोते देख अन्वेष ने खुद को शांत किया और उसे खड़ा कर चेयर पे बिठाते हुए बोला, "बाकी सारी बातें हम बाद में करेंगे, पहले तुम्हारी चोट की dressing करवाओ।" ये बोलकर वो घुटनों के बल बैठकर आन्या के हाथ पे dressing करने लगा।

    आन्या का हाथ पुरा जख्मी हो चुका था। हथेली के बीच में एक गहरा कट लगा था और अब आन्या के कील को पकड़ खींचने की वजह से उसका हाथ खून से लथपथ हो चुका था। आन्या की ऐसी हालत और उसकी ज़िद देखकर अन्वेष को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर अभी उसने आन्या से कुछ नहीं कहा।

    Dressing करने के बाद अन्वेष ने आन्या के बिखरे बालों को ठीक किया और अपने अंगूठे से उसके आँसुओ को पोंछते हुए उसे खडा किया और बहुत ही नर्मी से बोला, "जाओ अपनी हालत ठीक करो और रेडी होकर आओ.... फिर हम शादी करेंगे..! Go."

    तभी आन्या एक लास्ट बार कोशिश करते हुए उसे देखकर अपना सर ना में हिलाने लगी, जैसे कह रही हो- "Please, मत करो ऐसा।"

    पर अन्वेष उसकी request को इग्नोर करते हुए strictly बोला, "आन्या no more test my patience now, just go and be ready otherwise consequences will not good for you."

    सीधे सीधे धमकी देकर अन्वेष ने उन makeup artist को आन्या को ले जाने का ऑर्डर दिया। वो makeup artist आगे आई और request tone में बोली, "Mam please चलिए, ये कहकर उन्होंने ने उन बैग को लिया और आन्या को अपने साथ ले जाने लगी।

    वहीं आन्या के पास अब कोई रास्ता नहीं था सिवाय अन्वेष की बात मानने के। इसलिए वो चुपचाप उनके साथ चली गयी।

    ***

    कमरे में-

    Make up artist आन्या को लेकर रूम में आयी और उसे दिलासा देते हुए बोली, "Ma'am please आप ऐसे रोइये मत, चुप होजाइये, सब ठीक हो जायेगा।... Please mam आपकी हालत वैसे ही खराब है, और तबियत खराब हो जायेगी।"

    लेकिन आन्या अब और भी तेज रोने लगी थी। अब तक बाहर आन्या ने जो भी हिम्मत रखी हुई थी अब वो सारी टूट चुकी थी। आन्या को अब अपने सारे सपने, अपनी पूरी जिंदगी एक पल में बिखरते हुए नजर आ रही थी।

    आन्या को खुद पे भी गुस्सा आ रहा था कि वो कितनी बेबस थी इस वक़्त जो अन्वेष जैसे राक्षस के हाथों खुद को बचा भी नहीं पा रही थी। इस वजह से वो टूट सी गयी थी। वहीं आन्या को ऐसा रोता देख उन makeup artist को खुद रोना आ रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए बस आन्या को ready करने लगी।

    लगभग 45 मिनट बाद-

    Done...

  • 14. Bound by obsession - Chapter 14

    Words: 1266

    Estimated Reading Time: 8 min

    आन्या को खुद पे भी गुस्सा आ रहा था कि वो कितनी बेबस थी इस वक़्त जो अन्वेष जैसे राक्षस के हाथों खुद को बचा भी नहीं पा रही थी। इस वजह से वो टूट सी गयी थी। वहीं आन्या को ऐसा रोता देख उन makeup artist को खुद रोना आ रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए बस आन्या को ready करने लगी।

    लगभग 45 मिनट बाद-

    बाहर अन्वेष चेयर पे किंग की तरह बैठा हुआ था और उसकी नजरें एक टक अपने सामने की तरफ थीं। उसी के पास एक मंडप सजा हुआ था और वही side में पंडित जी सहमे से खड़े थे। वहीं नीचे खड़े लोग भी अपनी बेबस, लाचार और खौफ भरी नजरों से ये सब होता हुआ देख रहे थे।

    तभी सबकी नजर सामने की तरफ टिक गयी, जहाँ आन्या रेड और गोल्डन कलर का bridal लहन्गा पहने खड़ी थी। उसने एक रेड कलर का दुपट्टा सर पे डाला हुआ था और दूसरे गोल्डन दुपट्टे को लहन्गे में टक कर रखा था। उसके लहन्गे पर ग्रीन embroidery की हुई थी।

    कानों में बड़े बड़े झुमके, हाथों में भरी हुई चूड़ियाँ और फुल ज्वेलरी के साथ आन्या सच में बहुत खूबसूरत लग रही थी बस कमी थी तो smile की। उसे देखके साफ पता चल रहा था कि वो इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थी । उसका पुरा फेस मुरझाया हुआ था।

    लेकिन अन्वेष की नजर तो आन्या पर ही थम गयी थी। वो खड़ा हुआ और आन्या के पास जाकर अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया। उसके हाथ को देखकर आन्या ने उसकी तरफ देखा और बिना आवाज़ निकाले ही कहा-
    "please..!"

    अब अन्वेष कोई बहस नहीं चाहता था इसलिए उसने आँखों से ही वार्निंग देते हुए अपना सर ना में हिला दिया और खुद ही आन्या का हाथ पकड़कर मंडप की तरफ ले जाने लगा।

    मंडप में ले जाकर उसने आन्या को बिठाया और पंडित जी को शादी करवाने का ऑर्डर दिया। जैसे जैसे शादी की विधिया पूरी हो रही थी वैसे वैसे अन्वेष् के फेस पे मुश्कुराहट बढ़ती जा रही थी। वहीं आन्या तो बस बिना भाव के ये सब देख रही थी लेकिन उसका दिल इस वक़्त चीख चीख कर रोने का कर रहा था।

    पंडित जी ने फेरों के लिए कहा तो अन्वेष् ने आन्या को खड़ा किया और फेरे लेने लगा, आन्या तो बस चुपचाप वही किये जा रही थी जो अन्वेष उससे करवा रहा था।

    फेरे के बाद जैसे ही पंडित जी ने कन्या दान के लिए कहा तो अन्वेष ने एक नजर सब पे डाली तभी उसकी नजर प्रिंसिपल पे जाके ठहर गयी जो अपनी वाइफ के साथ खड़े थे।

    अन्वेष ने रौनक को इशारा किया तो रौनक प्रिंसिपल को मंडप में लेकर आया। अन्वेष ने उन्हे धमकी देते हुए कहा-
    "mister रॉय अगर आप नहीं चाहते कि आपके कॉलेज के सारे स्टूडेंट्स को यहाँ से निकाला जाए और उनका फ़्यूचर खराब हो तो चुपचाप कन्यादान कीजिये।"

    अन्वेष की धमकी सुनकर प्रिंसिपल ने बेबसी से अपनी आँखें बंद कर ली क्योंकि वो जानते थे कि अगर अन्वेष् ने कॉलेज खाली करवाया तो सारे स्टूडेंट्स का फ्यूचर खतरे में पड़ जायेगा।

    वो चुपचाप मंडप में बैठ गए और कन्यादान करने लगे। उन्हे आन्या के लिए बहुत बुरा लग रहा था। आखिर आन्या कॉलेज की एक brilliant स्टूडेंट थी और उसके कुछ अपने सपने थे, जिन्हे वो हर हाल में पुरा करना चाहती थी।

    कन्यादान के बाद अन्वेष् ने अपने पास से एक A नाम का मंगलसूत्र निकाल आन्या के गले में पहना दिया। ये भी उसने रौनक से लाने को कहा था जिसकी design उसने खुद पसंद की थी।

    मंगलसूत्र पहनाने के बाद उसने एक नजर आन्या को देखा जो बिना भाव के जलती हुई अग्नि को देख रही थी। आन्या को एक नजर देखने के बाद अन्वेष ने थाली में से सिंदूर लिया और आन्या की मांग में भर दिया।

    सिंदूर भरते ही अन्वेष के फेस पे डीप smile आ गयी वहीं आन्या ने अपनी मुठी कसके भींच ली और अपनी आँखे बंद कर ली। इसी के साथ उसकी आँख से एक आँसू लुढ़क कर उसके गालों पर आ गया।

    अन्वेश एक टक आन्या को निहारे जा रहा था। उसकी माँग में अपने नाम का सिंदूर, गले में मंगलसूत्र को देख उसके फेस से smile जा ही नहीं रही थी।

    वो उसे देख ही रहा था कि अचानक ही उसकी नजरें विनीत पर गयी जो अभी भी वहीं था। विनीत को देखकर अन्वेष् के फेस पर एक खतरनाक मुस्कान आ गयी। और वो अजीब से सनकीपन से खुद में ही बोला-

    "बेवजह अन्वेष मल्होत्रा कोई काम नहीं करता। वजह थी इस भीड़ में सिर्फ तुम पर गोली चलाने की और वो वजह थी तुम्हारी ये निगाहें..!"

    "गलती की थी तुमने जो अपनी इन नजरों को काबू में नहीं रखा। इन्ही आँखों से मेरी आन्या को देखा था ना तुमने और मुझे मेरी आन्या पे किसी का छूना तो दूर, नजर भर कर देखना भी मंजूर नहीं है, आन्या सिर्फ मेरी है, सिर्फ मेरी..!"

    "इन्ही कदमों से आगे बढ़कर, इन्ही हाथों से तुमने मेरी जान को छूना चाहा था ना, गलती की थी तुमने तो इन्हे तो सज़ा मिलनी ही थी।...सज़ा तो मैं तुम्हारी इन आँखों को भी देना चाहता था पर फिल्हाल ऐसा कर नहीं सकता था, वरना तुम्हे अपने गुनाह की ऐसी सज़ा देता की तुम देखते what is The real anvesh Malhotra..!"

    फिर मुश्कुराते हुए मन ही मन-
    "इसलिए तुम्हारी इस सज़ा को मैने अपने फायदे के लिए use किया और देखो जो मुझे चाहिए था, मुझे मिल गया..!"

    दरअसल अपने फ्रेंड्स से बात करने के बाद जैसे ही आन्या आगे हुई, उसका पाँव एकदम से कार्पेट में उलझ गया और वो गिरने को हुई की विनीत एकदम से आगे बढ़ उसे थामने लगा। लेकिन विनीत उसे पकड़ता उससे पहले ही आन्या ने पिलर पर हाथ रखकर खुद को संभाल लिया था।

    हालांकि ये बस एक नॉर्मल सी situation थी, विनीत का कोई गलत इरादा नहीं था लेकिन अब अन्वेष को ये कौन बताये। अन्वेष तो एक तो पहले ही आन्या के सबसे बात करने से गुस्से में था और अब जैसे ही उसने विनीत को आन्या को touch करते देखा , उसका दिमाग और भी गर्म हो गया।

    फिर जब स्टेज पे अन्वेष ने देखा की विनीत आन्या को देख रहा है, और अपने फोन से किसी को कॉल करने की कोशिश कर रहा है तो अन्वेष और भी गुस्से में आ गया। हालांकि तब भी विनीत सिर्फ concern से उसे देख रहा था क्योंकि आन्या उनकी classmate थी । लेकिन अन्वेष ने जब ये देखा तो उसे गुस्सा आ गया और उपर से आन्या का शादी के लिए मना करना। बस फिर क्या था उसने विनीत को शूट कर दिया।

    वहीं आन्या ने अभी तक अपने हाथ की मुट्ठी बनाई हुई थी और आँखे बंद कर रखी थी। वो बस सुन्न होकर बैठी थी। उसे इस वक़्त आस पास का कोई होश नहीं था। उसके दिमाग में बस अपनी फैमिली, अपने सपने ,अपनी यादें , अपनी जिंदगी एक रील की तरह घूम रही थी।

    क्या- क्या सपने नहीं देखे थे उसने अपने लिए, कैसे वो कुछ देर पहले तक कितनी खुश थी, फंक्शन एंजॉय कर रही थी पर अब, अब जैसे सब कुछ खतम सा हो चुका था। उसके दिमाग में बस यही चल रहा था तभी उसे कशिश की आवाज़ सुनाई दी जो रोते हुए उससे कह रही थी,
    "आन्यु..! ये क्या किया तुमने..? क्यों तुमने इस घटिया इंसान से शादी की?"

    कशिश की आवाज़ सुनकर आन्या जो अभी तक खुद में ही खोयी थी, अपने सेंस में आयी और एकदम से आँखे खोलकर उसने पलटकर देखा तो कीशु और विनीत दोनों ही जमीन पर गिरे हुए थे।

  • 15. Bound by obsession - Chapter 15

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    कहानी अब तक-

    कशिश की आवाज़ सुनकर आन्या जो अभी तक खुद में ही खोयी थी, अपने सेंस में आई और एकदम से आँखे खोलकर उसने पलटकर देखा तो कीशु और विनीत दोनों ही जमीन पर गिरे हुए थे।

    अब आगे-

    विनीत तो गोली लगने के कारण उठ नहीं पा रहा था और कीशु आन्या को इस हालत में देख हताश होकर घुटनों के बल नीचे जमीन पर गिर गई थी। वहीं उनके साइड में खड़े गार्ड्स ने अभी भी उन पर गन तानी हुई थी।

    ये देखते ही आन्या फट से उठ खड़ी हुई और अपने दुपट्टे से गठबंधन को झट से अलग कर वहीं फेंका, और बिना एक पल गवाए स्टेज से कूद भागकर कशिश के पास गई। जाते ही उसने कीशु को टाइटली हग कर लिया।

    "तुम, तुम लोग ठीक तो हो, उसने, उसने कुछ किया तो नहीं तुम, तुम्हे? हाँ, हाँ बोलो...! कीशु, कीशु तुम ठीक हो ना?"

    आन्या ने उसे टाइटली हग किए ही फिकर भरी आवाज़ में पूछा। इस वक़्त आन्या वो आन्या लग ही नहीं रही थी, जो इतनी देर से अन्वेष के सामने बेखौफ होके बोले जा रही थी, बल्कि ये आन्या तो अपनी जान से प्यारी फ्रेंड को खोने के डर से ही डर गई थी।

    और ये सच भी था क्योंकि जब आन्या ने अन्वेष को विनीत को शूट करते देखा तो वो बहुत बुरी तरह डर चुकी थी और इसी वजह से उसने शादी के लिए हाँ कह दिया था।

    तभी आन्या की नजर विनीत पे गई तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने जैसे ही विनीत से कुछ कहना चाहा कि उसे अन्वेश की बातें याद आ गई जिसने उसके सिर्फ विनीत का नाम लेने से उस पर गोली चला दी थी।

    ये याद आते ही आन्या एकदम से चुप हो गई। वो अब कोई भी गलती करके विनीत की जान खतरे में नहीं डालना चाहती थी। उसने एक तिरछी नजर से अन्वेष को देखा और आँखों ही आँखों में विनीत से सॉरी कहा, और वापस कशिश की तरफ देख उसके चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए बोली-

    "म, मैं चेंज करके आती हूँ, फिर घर चलते है, हम्म। सब ठीक हो जायेगा, तुम, तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ।" ये कहते हुए आन्या खड़ी हुई और उठकर भागते हुए उसी रूम में चली गई जहाँ वो रेडी हुई थी।

    वहीं अन्वेष आन्या को जाता देख उसके पीछे जाने को हुआ कि उसका मोबाइल रिंग करने लगा। मोबाइल रिंग होता देख वो अपनी जगह पर रुका और फोन निकालकर जब उसने स्क्रीन पर फ्लैश होता नाम देखा तो उसने कुछ सोचा और कॉल पिक करके साइड में जाके बात करने लगा।

    रूम में-

    वहीं आन्या रूम में दौड़कर आई और रूम को अंदर से लॉक कर दरवाजे से टिक कर बैठ गई और बुरी तरह रोने लगी।

    सच में आन्या में हिम्मत तो बहुत थी तभी तो उसने अन्वेश के सामने बिल्कुल भी हार नहीं मानी थी। इसीलिए एट द लास्ट अन्वेश ने उसको झुकाने के लिए उसकी फ्रेंड पर वार किया था और जबरदस्ती शादी कर ली थी जिससे आन्या टूट गई थी।

    और अब भी बाहर उसने काफी हद तक खुद को संभाल रखा था, अपने इमोशन को कंट्रोल कर रखा था, पर अब वो अकेले में खुद को नहीं संभाल पा रही थी।

    आन्या अन्वेष जैसे शख्स से शायद अपनी जिंदगी में कभी मिलना भी नहीं चाहती थी, जिसे न किसी की रेस्पेक्ट और न ही किसी की फीलिंग्स की कद्र हो, पर यहाँ अन्वेश उसकी जिंदगी की वो बुरी हक़ीक़त बन चुका था, जिसे न वो एक्सेप्ट कर सकती थी और न ही नजरंदाज।

    एक पल में किस मोड़ पर आ चुकी थी उसकी जिंदगी। कहाँ उसने अपने सपनों की तरफ कदम बढ़ाकर अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करने का सोचा था और उसकी किस्मत ने उसे कहाँ लाकर पटक दिया था।

    आन्या यहीं सोच-सोचकर रोए जा रही थी, और इस वक़्त आन्या को संभालने वाला भी कोई नहीं था। वो इस वक़्त इतने बुरे तरीके से रो रही थी कि शायद कोई भी उसे देखता तो खुद रो पड़ता।

    तभी आन्या उठी और मिरर के सामने जाकर खड़ी हो गई। उसने खुद को ऊपर से नीचे तक देखा। उसकी नजरें अपने सिंदूर और मंगलसूत्र पे जाकर अटक गई।

    जिस सिंदूर और मंगलसूत्र को देख उसे खुशी होनी चाहिए थी, उसी मंगलसूत्र और सिंदूर को देख उसे सबसे ज्यादा नफरत हो रही थी। उसी नफरत और गुस्से से खुद को मिरर में देख आन्या बोली-

    "I hate you Anvesh Malhotra, बेइंतेहा नफरत है मुझे तुमसे। तुमने मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी। I just hate you, I just hate you Anvesh Malhotra।" कहते हुए आन्या चीखी और ड्रेसिंग टेबल का सारा सामान हाथ मारकर नीचे गिरा दिया।

    और फिर एक झटके से मंगलसूत्र को तोड़कर फेंक दिया, और अपने हाथों से रगड़-रगड़ कर सिंदूर को साफ करने लगी, जैसे वो खुद पर से अन्वेश का वजूद ही मिटा देना चाहती हो।

    कुछ देर ऐसे ही करने के बाद आन्या ने खुद को शांत किया और फिर एक-एक करके सारी ज्वेलरी उतार दी। फिर उसने ड्रेस चेंज करके खुद को मिरर में देखा।

    रगड़ने से उसके माथे पे सिंदूर फैल गया था। ज्वेलरी को खींचकर उतारने से गले और हाथों पर स्क्रैच आ गए थे। उसकी हाथ की ड्रेसिंग भी इन सब में खराब हो चुकी थी पर उसे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    इस वक़्त उसके दिल का दर्द उसकी चोट से कहीं ज्यादा था। फिर वो चुपचाप वॉशरूम में चली गई।

    थोड़ी देर बाद आन्या वॉशरूम से बाहर आई और मिरर के सामने जाकर खड़ी हो गई।

    अब वो बिल्कुल अपने पहले वाले लुक में थी। उसने अपने वहीं जीन्स टॉप पहना हुआ था। सिंदूर पूरे तरह से हटा दिया था। इस वक़्त उसने गले में सिर्फ एक लॉकेट और हाथ में घड़ी पहन रखी थी। बालों के बन को खोलकर गजरा हटा दिया था और बाल खोल लिए थे, लेकिन उसके बाल थोड़े से रफ थे जिन्हें देखके पता चल रहा था की कितनी बेदर्दी से खोले गए है। पूरा मेकअप साफ कर लिया था।

    इस वक़्त उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि आन्या की अभी कुछ देर पहले ही शादी हुई है। उसने एक नजर खुद को देखा और अपना बैग उठाकर टांग लिया और बाहर जाने लगी। उसका फेस बिल्कुल एक्सप्रेशनलेस था।

    जैसे ही वो बाहर पहुंची, उसे किसी की गुस्से से चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी।

    वो इस आवाज़ को अच्छे से पहचानती थी। ये आवाज़ आन्या के पापा की थी।

    'पापा यहाँ'... आन्या खुद से ही बुदबुदाई और जल्दी से बाहर की तरफ भागी। बाहर पहुँचते ही सबसे पहले उसकी नजर अपने पापा पे गई जो बहुत ही गुस्से में अन्वेष की कॉलर पकड़े हुए थे।

    "पापा यहाँ क्या कर रहे है? और पापा को इंफोर्म किसने किया?"

    आन्या खुद से ही सवाल कर रही थी की तभी उसकी नजर रितेश अंकल पर गई जिन्हे देख उसे समझ आ गया की रितेश अंकल ने ही उसके पापा को यहाँ बुलाया है और सब कुछ बता दिया है जिसकी वजह से उसके पापा इतने गुस्से में है।

    वहीं आन्या के पापा अन्वेश की कॉलर पकड़कर उसपे गुस्से से चिल्लाते हुए बोले-

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी के साथ जबरदस्ती शादी करने की, उसकी जिंदगी बर्बाद करने की?" इतना कहकर उन्होंने अन्वेश के गाल पे एक जोरदार तमाचा जड़ दिया।

  • 16. Bound by obsession - Chapter 16

    Words: 1108

    Estimated Reading Time: 7 min

    वहीं आन्या के पापा अन्वेश की कॉलर पकड़कर उसपे गुस्से से चिल्लाते हुए बोले-

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी के साथ जबरदस्ती शादी करने की, उसकी जिंदगी बर्बाद करने की?" इतना कहकर उन्होंने अन्वेश के गाल पे एक जोरदार तमाचा जड़ दिया।

    अपने पापा की इतनी गुस्से से भरी आवाज़ सुनकर तो आन्या भी दंग रह गयी थी। उसने डर से अपने मुह पर हाथ रख लिया। उसने आज तक कभी अपने पापा को इतने गुस्से में नहीं देखा था।

    लेकिन आज उसके पापा बहुत ज्यादा गुस्से में थे। उनका गुस्सा जायज़ भी था। आखिर कौन सा बाप अपनी बेटी की जबरदस्ती शादी बर्दाश्त कर सकता था।

    वहीं आन्या ने जब अपने पापा को इतने गुस्से में देखा तो वो हैरान रह गयी। लेकिन जैसे ही उसके पापा ने अन्वेष पर हाथ उठाया वो एकदम से डर गयी, क्योंकि थप्पड़ की वजह से अन्वेश के गाल पे उंगलियाँ छप चुकी थी।

    और अन्वेश का चेहरा एक साइड हो गया था लेकिन उसकी आँखे लाल हो चुकी थी। वहीं अन्वेश के बॉडीगार्ड्स ने अब तक आन्या के पापा पे गन तान ली थी।

    ये देखकर आन्या को अपने पापा के लिए बहुत डर लग रहा था की कहीं अन्वेश उसके पापा को कोई नुकसान ना पहुंचा दे।

    इसलिए आन्या भागकर अपने पापा के पास गयी और उनके गले लग गयी और उनको अन्वेश से दूर करते हुए बोली, "पापा, पापा..! प्लीज़ छोड़ दीजिये इसे..! पापा प्लीज़ चलिए हम घर चलते है, पापा प्लीज़..!"

    लेकिन आन्या के पापा ने अभी भी अन्वेश के कॉलर को पकड़ रखा था। उनकी आँखों में कोई डर नहीं था, था तो सिर्फ गुस्सा, बेहताशा गुस्सा।

    उन्होंने वैसे ही उसके कॉलर को पकड़े हुए आन्या को हटाते हुए कहा- "नहीं आन्या, बिल्कुल भी नहीं, मै इसे नहीं छोडूंगा। जान से मार दूंगा मैं इसे।"

    "इसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हारे साथ ऐसा करने की। How dare him to hurt you..!" कहते हुए वो आन्या को हटाने लगे लेकिन आन्या उन्हे और भी tightly हग करते हुए बोली- "नहीं पापा , मेरे लिए पापा प्लीज़ शांत हो जाईये..! हम ... हमे इससे कोई मतलब नहीं रखना है, हम घर चलते है।" लेकिन उसके पापा अभी भी गुस्से से अन्वेष की आँखों में देख रहे थे।

    तभी आन्या ने अपने पापा का हाथ पकडा और बिना अन्वेश की तरफ एक नजर देखे उन्हे खींचते हुए बोली- "चलिए पापा, हम अभी घर चल रहे है।" ये कहकर उसने कीशु को चलने का इशारा किया।

    आन्या के पापा ने एक नजर गुस्से से अन्वेश को देखा और फिर उसे झटके से छोड़ते हुए आन्या का हाथ पकड़ जाने लगे।

    तभी एकदम से उनके कदम चलते चलते रुक गए। उन्होंने पीछे पलट कर देखा तो अन्वेश ने आन्या का हाथ पकडा हुआ था।

    ये देख उनकी आँखें फिर से गुस्से से लाल हो गयी। वहीं आन्या तो खुद डर, हैरानी और घबराहट से अन्वेष को देख रही थी और अपने हाथ को छूडाने की कोशिश कर रही थी लेकिन अन्वेश ने उसका हाथ बहुत कसकर पकड़ रखा था जिसकी वजह से वो अपना हाथ नहीं छुड़ा पा रही थी।

    तभी आन्या के पापा उसके बगल में आये और फिर गुस्से से बोले- "हाथ छोड़ो उसका, पहले ही बहुत तमाशा कर चुके हो तुम।" ये कहते हुए उन्होंने झटके से आन्या के हाथ को अन्वेष से छूडाया।

    वही अन्वेश ने भी आन्या के हाथ को छोड़ उसे एक नजर देख फिर आन्या के पापा की तरफ देखा।

    "चलिए यहाँ से पापा..!" तभी आन्या बोली तो आन्या के पापा वहाँ से चलने को हुए की उन्हे अन्वेष् की कड़क आवाज़ सुनाई दी-

    "आन्या आपके साथ नहीं जायेगी..!"

    "क्या बकवास कर रहे हो तुम..!" अन्वेश की बात सुन आन्या के पापा गुस्से से बोले।

    "मैं बकवास नहीं बल्कि सच कह रहा हुँ। आन्या आपके साथ आपके घर नहीं बल्कि मेरे यानी की अपने पति के साथ उसके घर जायेगी..!" अन्वेश एक तिरछी मुस्कान के साथ अपने एक एक शब्द पे ज़ोर देते हुए बोला।

    वहीं ये सुनकर आन्या की तो जैसे जान ही निकल गयी थी। उसकी धड़कने तेज हो गयी थी।

    आन्या ने ये तो सपने में भी नही सोचा था की अन्वेश उसे अपने साथ लेकर जायेगा। उसे तो अब तक यहीं लग रहा था की अन्वेष् ने अपने गुस्से और सनक के चलते उससे शादी कर ली है। पर अब अन्वेष् की उसे खुद के साथ लेकर जाने वाली बात सुनकर ही उसकी साँसे अटक गयी थी।

    आन्या ने डर के मारे अपने पापा के हाथ को कसकर पकड़ लिया।

    "अपनी बकवास बंद करो। आन्या मेरी बेटी है, तुम्हारा उस पे कोई हक नहीं है, इसलिए आन्या मेरे साथ अपने घर जायेगी। समझे तुम..!"

    Anvesh की बात सुनकर आन्या के पापा अपने दाँत पीसते हुए बोले।

    "आन्या आपकी बेटी है, पर मेरी उससे शादी हुई है तो अब वो मेरी बीवी है, और इस नाते मेरा उस पर पुरा हक है, और इसलिए अब वो मेरे साथ ही जायेगी।" अन्वेश भी बिल्कुल confidently बोला।

    वहीं आन्या की हालत खराब होते जा रही थी अब। वो ये सोचना भी नहीं चाहती थी की अन्वेष उसे अपने साथ लेकर जायेगा। अभी कुछ घंटो पहले तक तो वो अन्वेष को जानती तक नहीं थी और अभी भी उसे सिर्फ इतना पता था की अन्वेष् मल्होत्रा एक वर्ल्ड famous business tykoon है। उसके लिए तो अन्वेष् एक स्ट्रेंजर ही था तो कैसे वो एक स्ट्रेंजर के साथ जा सकती थी।

    "नहीं है वो तुम्हारी बीवी। जबरदस्ती शादी कर लेने से तुम्हारा उस पे कोई हक नहीं बन जाता। वो सिर्फ मेरी बेटी है।" आन्या के पापा चीखते हुए बोले। लेकिन वो आगे कुछ बोलते और करते की अन्वेष् के गार्ड्स ने उनको पकड़ लिया।

    आन्या ने अभी भी अपने पापा को कसकर पकड़ रखा था। पर अब उसे सब कुछ धुंधला नजर आ रहा था, और इसी के साथ उसकी पकड़ भी अपने पापा से छूटती जा रही थी। और इसी के साथ उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और वो गिरने को हुई।

    लेकिन वो गिरती उससे पहले ही अन्वेष् ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। आन्या तो बेजान सी उसकी बाँहों में झूल गयी।

    आन्या की ऐसी हालत देखकर उसके पापा अपना पुरा ज़ोर लगाकर खुद को छूडाने लगे। लेकिन गार्ड्स ज्यादा थे और आन्या के पापा अकेले जिस वजह से वो खुद को छुड़ा नहीं पा रहे थे।

    अन्वेश ने एक नजर आन्या के पापा को देख फिर रौनक को इशारा किया। जिससे रौनक और गार्ड्स ने आगे आकर अन्वेष् के पापा और कीशु को उनसे दूर कर दिया।

    अन्वेश ने फिर एक नजर आन्या पे डाली जो बेजान सी उसकी बाहों में थी।

    उसने फिर आन्या को अपनी बाहों में उठा लिया और बिना किसी को देखे सीधे बाहर निकल गया।

  • 17. Bound by obsession - Chapter 17

    Words: 1638

    Estimated Reading Time: 10 min

    अन्वेश ने फिर एक नज़र आन्या पर डाली जो बेजान-सी उसकी बाहों में थी।
    उसने फिर आन्या को अपनी बाहों में उठा लिया और बिना किसी को देखे सीधे बाहर निकल गया।

    आन्या के पापा, और कीशु खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन गार्ड्स ने उन्हें बहुत मजबूती से पकड़ रखा था।

    तभी रौनक के पास एक नोटिफिकेशन आया, उसने खोलकर देखा और फिर सभी गार्ड्स को एक इशारा किया। उसके बाद रौनक वहाँ से बाहर की तरफ आ गया।

    वहीं अन्वेष अब तक आन्या को कार में लेकर बैठ चुका था और उसे अपनी गोद में लिटाए हुए था। तभी रौनक आया और कार की फ्रंट सीट पर आकर बैठ गया। रौनक के बैठते ही ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर दी।

    उनके जाते ही गार्ड्स ने आन्या के पापा को छोड़ा और फुर्ती से बाहर जाकर कार में बैठकर अन्वेष की गाड़ी के पीछे फुल स्पीड से अपनी कार दौड़ा दी।

    वहीं आन्या के पापा भी बाहर की तरफ भागे लेकिन उससे पहले ही अन्वेष आन्या को लेकर जा चुका था।

    आन्या के पापा वहीं घुटनों के बल ज़मीन पर गिर गए। अपने दोस्त को ऐसी हालत में देख रितेश उनके पास आये और उन्हें गले लगा लिया। अब तक वहाँ बाकी सब भी आ चुके थे और आन्या के पापा को संभाल रहे थे।

    कार में:

    आन्या बेहोश अन्वेष की गोद में लेटी हुई थी। तभी ड्राइवर ने एकदम से टर्न लिया, जिससे आन्या का सिर खिड़की से टकराने को हुआ, पर उससे पहले ही अन्वेष ने अपना हाथ आगे कर लिया और ड्राइवर को अपनी जलती हुई निगाहों से देखने लगा, जिसे देखकर आगे बैठे बेचारे ड्राइवर को अपनी जान सूखती हुई महसूस हो रही थी।

    "ढंग से ड्राइविंग नहीं आती तो अभी के अभी कार से बाहर निकलो।" अन्वेश दांत पीसते हुए बोला।

    "सॉरी, सॉरी सर...!" ड्राइवर ने अन्वेश की बात सुन जल्दी से माफ़ी माँगी और वापस से अपना ध्यान ड्राइविंग की तरफ कर लिया।

    थोड़ी देर बाद:

    कुछ देर बाद अन्वेश की कार आकर एयरपोर्ट के बाहर रुकी। कार से सबसे पहले रौनक बाहर आया और बैक सीट का डोर खोल खड़ा हो गया। कार में से अन्वेष अपने उसी ऑरा में आन्या को गोद में लिए बाहर आया। गार्ड्स ने आकर जल्दी से दोनों को कवर किया और अन्वेष बिना किसी की तरफ एक नज़र डाले अंदर जाकर अपने प्राइवेट जेट में जाकर बैठ गया।

    उस प्राइवेट जेट में सारी लग्ज़री सुविधाएँ थीं। अन्वेश आन्या को सीधे जेट में बने रूम में लेकर आया और बेड पर लिटा दिया और खुद भी वहीं आन्या के पास बैठकर उसे एकटक निहारने लगा।

    अन्वेश आन्या के चेहरे को गौर से देख रहा था। इस वक्त आन्या की हालत कुछ ठीक नहीं थी।

    आँखें सूजी हुई थीं, चेहरा लाल पड़कर मुरझा गया था। गले और हाथ पर खरोंचों के निशान बने हुए थे। हाथ की पट्टी खुल चुकी थी और आन्या के अपने ऊपर गुस्सा निकालने की वजह से चोट से वापस खून आने लगा था।

    वो ये सब देख ही रहा था तभी उसकी नज़र आन्या की माँग पर गयी जहाँ से सिंदूर पूरा मिट चुका था और आन्या ने मंगलसूत्र भी उतारकर फेंक दिया था।

    आन्या का मिटा हुआ सिंदूर देख अन्वेश की आँखें सर्द हो गयीं।

    "ये लड़की, सच में बहुत ही ज़िद्दी है। इसकी हिम्मत कैसे हुई सिंदूर मिटाने की।" अन्वेश गुस्से में खुद से ही बोला।

    उसे इस वक्त आन्या पर सच में बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका मन कर रहा था कि अभी के अभी वो आन्या को इसके लिए सज़ा दे लेकिन अफसोस आन्या इस वक्त बेहोश थी और उसकी हालत भी खराब थी, जिस वजह से अन्वेश ने खुद को शांत किया और एक गहरी साँस लेकर वॉशरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद वो एक कपड़ा और पानी लेकर वॉशरूम से बाहर आया और आन्या के पास बैठकर उसके चेहरे को गीले कपड़े से साफ़ करने लगा।

    उसने उसके चेहरे को साफ किया और ड्रॉअर से ऑइंटमेंट निकालकर आन्या के गले और हाथ पर लगाने लगा।

    ऑइंटमेंट लगाने के बाद अन्वेश ने आन्या के हाथ की पट्टी खोली तो कट और भी गहरा हो चुका था। यह देख अन्वेश ने गुस्से से अपने माथे को रगड़ा और एक लंबी साँस ली।

    फिर कॉटन से आन्या की पूरी हथेली को साफ़ करके ऑइंटमेंट लगाकर अच्छे से पट्टी की और उसके बिखरे बालों को सही किया और उसे देखने लगा।

    आन्या को देखते हुए ही वो अजीब लहजे में बोला—

    "सुबह तक जहाँ कोई हक नहीं था, वहाँ अब तुम पर तुमसे भी ज्यादा हक है मेरा।

    आई नो हिम्मत और ज़िद बहुत है तुममें आन्या, पर इस हिम्मत और ज़िद को तोड़ना बहुत अच्छे से आता है मुझे और इसका पहला एक्सम्पाल तो तुम्हें शादी के लिए मजबूर करके दे ही दिया है मैंने।

    और अब तुम मेरी हो चुकी हो, सिर्फ मेरी। Now you're locked in me और अब मुझे तुम पर किसी की नज़रें तो दूर, साया भी बर्दाश्त नहीं है। अब अगर किसी ने भी तुम पर नज़रें डालने की कोशिश की तो ये अन्वेश मल्होत्रा उसे मौत से भी भयानक सज़ा देगा...!" कहते हुए अन्वेश की इंटेंस नजरे आन्या पर ही टिकी थी।

    "आय डोंट केयर कि तुम मुझे पसंद करती हो या नहीं, प्यार करती हो या नहीं, क्योंकि अब रहना पूरी ज़िंदगी तुम्हें मुझ में क़ैद होकर ही है, फिर चाहे प्यार से रहो या ज़बरदस्ती से, हँसकर रहो या रोकर, लेकिन रहना तुम्हें मेरे पास ही पड़ेगा। मैं तुम्हें खुद से दूर अब कभी नहीं जाने दूँगा क्योंकि प्यार करता हूँ मैं तुमसे, पर प्यार से भी बढ़कर सनक बन चुकी हो तुम मेरी...!"

    "तुम अब मेरी हो तो तुम्हारा जिस्म, रूह, आँसू, हँसी, फिक्र, तुम्हारा सब कुछ अब सिर्फ मेरे लिए होना चाहिए। Now you are only mine, तो तुम्हारी हर एक चीज, हर एक emotions पर भी अब सिर्फ मेरा हक है।

    और अब अगर गलती से भी तुमने ये हक किसी और को देने की कोशिश की, किसी को खुद के करीब लाने की या खुद मुझसे दूर जाने की कोशिश की ना आन्या तो मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा, तुम्हें ऐसी सज़ा दूँगा कि तुम मेरे खिलाफ़ जाना तो दूर, मेरी तरफ़ नज़र उठाकर देखने से भी डरोगी। मेरी एक आहट से भी काँप जाओगी तुम आन्या।

    इसलिए कभी कोशिश भी मत करना ऐसा कुछ करने की, वरना मेरी डेविल साइड तुम नहीं सह पाओगी। क्योंकि मुझे अपनी चीजों पर सिर्फ अपना क्लेम पसंद है, और तुम तो मेरी सबसे क़ीमती चीज़ हो, तो तुम्हें हासिल करने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ।"

    ये सब कहते हुए अन्वेश आन्या को एकटक देखते हुए उसके गालों को सहला रहा था और उसकी आँखें इतनी जुनूनी थीं कि उनमें सिर्फ बर्बादी थी और ये बर्बादी कुछ तबाह करने वाली थी तो कुछ आबाद, पर क्या, ये तो वक़्त ही बताने वाला था।

    थोड़े समय बाद:

    एक कार आकर एक आलीशान बंगले के सामने रुकी। बंगले के बाहर एक प्लैटिनम की नेम प्लेट लगी हुई थी जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में "मल्होत्रा पैलेस" लिखा था। बंगले के चारों तरफ़ हाई सिक्योरिटी थी। हर तरफ गार्ड्स गन लेकर खड़े हुए थे।

    तभी कार में से अन्वेश आन्या को अपनी बाहों में लिए बाहर आया और मेंशन के अंदर जाने लगा।

    वहीं रास्ते में जितने भी गार्ड्स खड़े थे, उन्होंने अन्वेश को आता देख उसे ग्रीट किया, लेकिन जैसे ही उन सबकी नज़रें अन्वेश की गोद में बेहोश आन्या पर गईं, सबकी आँखें बड़ी हो गईं। वो सब हैरानी से एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। उन्हें भी रौनक की तरह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके बॉस किसी लड़की को अपनी गोद में लिए हुए हैं क्योंकि जो भी अन्वेश के आसपास के लोग थे, वो सब जानते थे कि आज तक अन्वेष के क़रीब कोई लड़की नहीं आई है।

    लेकिन जैसे ही अन्वेश ने उन पर अपनी घूरती हुई नज़रें डाली तो सब ने वापस नज़रें नीची कर लीं।

    अन्वेश आन्या को लेकर मेंशन के अंदर चला गया और सीधे सीढ़ियों से ऊपर जाते हुए अपने बेडरूम में गया और आन्या को ले जाकर अपने किंग साइज़ बेड पर लिटा दिया। उसने आन्या को ब्लैंकेट से कवर किया और एक नज़र आन्या को देख रूम से बाहर निकल गया।

    रूम से सीधे निकलकर वो नीचे हॉल में आया तो वहाँ जितने भी सर्वेंट्स थे, जो खुद अन्वेष के साथ एक लड़की को देख शॉक्ड थे और आपस में घुसर-पुसर करने लगे थे, सबकी अन्वेश को देखते ही सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। वो सब अपनी घुसर-पुसर छोड़ नज़रें नीचे कर अपने काम में लग गए क्योंकि अन्वेश का कोई भरोसा नहीं था कि वो कब, किस बात पर कैसे रिएक्ट कर दे।

    अन्वेश सबको घूरते हुए बोला- "आज से वो तुम सबकी लेडी बॉस है, मिसेज आन्या अन्वेष मल्होत्रा। So be careful कि उसको लेकर गलती से भी कोई गलती ना हो।"

    वहीं ये सुनते ही सारे सर्वेंट्स शॉक्ड हो गए, लेकिन जैसे ही उन्होंने उसकी आखिरी बात सुनी, सब घबरा गए और सबने एक साथ अपना सर हाँ में हिला दिया।

    फिर उसने वहीं खड़ी एक मैड जो कि उम्र में बड़ी थी और बाकी सबकी हेड थी, जिनका नाम नीलम था, उन्हें देखकर कहा—

    "नीलम आंटी उसका ध्यान रखिएगा और जब वो होश में आ जाए तब मुझे कॉल कर दीजिएगा।" ये कहते हुए वो मेंशन से बाहर चला गया।

    और जस्ट अभी वो वापस आया। उसने वापस आते ही नीलम आंटी से पूछा—"आन्या को होश आ गया?" तो नीलम आंटी ना में सर हिलाते हुए बोलीं—"नहीं सर, मैंने काफी बार चेक किया, लेकिन मैडम को अभी तक होश नहीं आया है।" ये बोलकर वो चुप हो गईं, तो अन्वेश ने उन्हें आगे कुछ नहीं कहा और सीधे ऊपर आ गया।

    और जैसे ही ऊपर आकर उसने रूम का डोर खोला तो आन्या को होश आते देख वो वहीं दरवाज़े से टिककर खड़ा हो गया और आन्या को देखने लगा।

  • 18. Bound by obsession - Chapter 18

    Words: 1477

    Estimated Reading Time: 9 min

    कहानी अब तक-
    और जैसे ही ऊपर आकर उसने रूम का डोर खोला तो आन्या को होश आते देख वो वहीं दरवाजे से टिककर खड़ा हो गया और आन्या को देखने लगा।

    Flashback end.

    अब आगे-

    श्रीपुर:-

    आन्या के कॉलेज में कपिल शर्मा (आन्या के पापा) काफी गुस्से में थे। और उनके सामने ही कॉलेज के डीन और कलेक्टर खड़े हुए थे। उनके आस पास ही कीशु, रितेश अंकल और बाकी लोग भी वहीं थे। तभी आन्या के पापा कलेक्टर को देखते हुए थोड़ा गुस्से में बोले-

    "सर आप लोग कहाँ थे उस वक़्त जब ये सब हो रहा था?... कर क्या रहे थे आप लोग कि आप लोगों के कॉलेज में आकर आप लोगों के सामने ही कोई भी आकर किसी के साथ बदतमीजी करता है, ब्लैकमेल करता है, धमकी देता है और आप लोग बस सर झुकाए खड़े थे।"

    "वो अन्वेष मल्होत्रा आकर मेरी बेटी से जबरदस्ती शादी करके अपने साथ ले गया और आप लोग बस खड़े होकर तमाशा देख रहे थे...!" कपिल जी की बोलते- बोलते साँस फूल गयी थी।

    उन्होंने एक नजर सबको घूरा फिर चीखते हुए बोले, "ये जिम्मेदारी निभाते है आप लोग, इसलिए आप लोग इतने ऊँचे-ऊँचे पदों पर है, इसलिए सरकार ने आप लोगों को इतनी पॉवर दे रखी है कि कोई भी आकर अपने पॉवर दिखायेगा, तानाशाही करेगा और आप लोग उसके खिलाफ एक एक्शन तक ना ले सकें।"

    आन्या के पापा की बात सुनकर कलेक्टर अपनी सफाई देते हुए शांति से बोले, "सॉरी मिस्टर शर्मा...! वी आर वेरी सॉरी, लेकिन हमारे हाथ में कुछ भी नहीं था। अगर हम आपकी बेटी को बचा सकते तो जरूर कुछ करते।... हमारे पास बेशक पॉवर है पर वो पॉवर उसकी पॉवर के आगे कुछ भी नहीं है।"

    "अन्वेश मल्होत्रा जैसे फेमस बिजनेस टाइकून के आगे तो खुद गवर्नमेंट के बड़े से बड़े ऑफिसर की कोई औकात नहीं है, कानून को अपनी मुट्ठी में रखता है वो, उसके गुस्से के चर्चे तो पूरे देश में है, उसे किसी का डर नही है, इसलिए तो सरेआम गोली चला दी उसने और आन्या को भी आपके बेटे और फ्रेंड को मारने की धमकी देकर जबरदस्ती शादी कर ली। यहां तक की आपके सामने से आपकी बेटी को अपने साथ ले गया वो...!" कलेक्टर आन्या के पापा से माफी मांगते हुए बोले।

    "होगा वो बिजनेस टाइकून लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो किसी के भी साथ जबरदस्ती कर सकता हैं...!"

    "उसकी औकात, उसकी हैसियत से मुझे कोई मतलब नहीं है, मुझे सिर्फ अपनी बेटी से मतलब है, जो अभी उस राक्षस के पास है।...पता नहीं कैसी होगी आन्या, क्या किया होगा उसने मेरी बेटी के साथ...!" इस बार आन्या के पापा कुर्सी पर बैठते हुए बेबसी के साथ बोले।

    "कपिल संभालो अपने आप को। हमें आन्या को भी उस के पास से लेकर आना है। अभी तो हमें ये भी नहीं पता वो आन्या को लेकर कहाँ गया है। मुंबई गया भी है या नहीं या फिर कहीं और लेकर चला गया...!" अपने दोस्त को यूँ देख रितेश, कपिल के कंधे पर हाथ रख उन्हे दिलासा देते हुए बोले।

    रितेश की बात सुनकर आन्या के पापा ने खुद को संभाला और कीशु को देखते हुए बोले- "कीशु तुम घर जाओ, मैं पुलिस स्टेशन होकर आता हुँ। चलो रितेश...!"

    "अंकल मैं भी आपके साथ चलूंगी...!" तभी कशिश ने कपिल जी को रोकते हुए कहा। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।

    जिसे सुनकर कपिल जी के सर पर हाथ फेरते हुए बोले- "नहीं बेटा, तुम घर जाओ। मै और रितेश पुलिस स्टेशन जाकर कंप्लेंट दर्ज करवाकर आते है।"

    फिर कलेक्टर की तरफ देखकर- "और आप लोग सर, ये कहकर की आप लोगों के हाथ में कुछ भी नहीं है, अपनी जिम्मेदारियों से मुह नहीं मोड सकते।... कानून और आम जनता की रक्षा करना आप लोगों का फर्ज है, जिसकी आज आपने बिल्कुल परवाह नहीं की।"

    "आप लोगों ने एक बार कोशिश तक नहीं की उसे रोकने की, आप लोगों की आँखों के सामने उसने एक मासूम लड़की के सपने, उसकी जिंदगी को बर्बाद करके रख दिया, और सिर्फ इतना ही नहीं, हमें ये भी नहीं पता की वो अब आन्या के साथ क्या करेगा, उसने अगर कुछ गलत कर दिया ना आन्या के साथ तो इसके ज़िम्मेदार बहुत हद तक आप लोग होंगे।"

    "और रही बात की आप लोग कुछ नहीं कर सकते, तो बैठिये जाकर अपने लग्जरियस रूम में लेकिन मैं, मैं हाथ पे हाथ धरे नहीं बैठ सकता। मैं जा रहा हुँ पुलिस स्टेशन और उन्हे मेरी कंप्लेंट लिखनी ही होगी...!" इतना कहकर आन्या के पापा वहाँ से जाने लगे तभी पीछे से कशिश की आवाज़ आयी-

    "अंकल प्लीज़ आन्यु को सही सलामत लेकर आईयेगा।" कीशु की बात सुनकर कपिल जी ने अपनी पलके झपकई और रितेश के साथ वहाँ से चले गए।

    वहीं आन्या के पापा की बात सुनकर कॉलेज अथॉरिटीज के लोग और कलेक्टर सब सर झुकाकर खड़े हो गए। क्योंकि ये बिल्कुल सच था कि उनमे से किसी ने भी एक बार भी अन्वेष को रोकने तक की कोशिश नहीं की थी।

    दूसरी तरफ -

    "तो आय होप कि तुम्हे अब बहुत अच्छे से याद आ गया होगा कि अभी कुछ घंटो पहले ही हमारी शादी हुई है, वो भी सबके सामने और अब तुम मेरी वाइफ बन चुकी हो, मिसेज आन्या अन्वेष मल्होत्रा।" अन्वेश आन्या को याद दिलाते हुए आँखों में देखते हुए बोला और थोड़ा सा पीछे हट गया।

    वहीं आन्या जो की अन्वेष के मुह से बार बार अपने लिए 'wifey' सुनकर गुस्से में आ गयी थी, अब एकदम ब्लैंक खड़ी थी और उसके दिमाग में सुबह से लेकर अब तक का एक - एक इंसिडेंट फिल्म की तरह उसकी आँखो के सामने घूम रहा था।

    वो अन्वेष का स्टेज पर आकर उसका हाथ पकड़ना, उसे जान कहना, उसे पर्पस करना, अन्वेश की अपने साथ की हुई बदतमीजी, और उसके उसे ना कहने पर अन्वेश का गुस्सा, विनीत पर गोली चलाना और लास्ट में जबरदस्ती उसे उसकी फ्रेंड को मारने की धमकी देकर उससे शादी करना ये सब आन्या को याद आ रहा था। जिसे याद करके ही आन्या की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे।

    वो बुत बनी खड़े बस ये सब सोच ही रही थी की तभी उसे अपने बेहोश होने से पहले का सिन याद आया कि कैसे अन्वेश उसे अपने साथ लाने कि बात कर रहा था, और ये सुनते ही आन्या की हालत खराब होने लगी थी, उसे सबकुछ धुंधला नजर आने लगा था और फिर एकदम से ही उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। ये सब याद आते ही आन्या जो अभी तक नम्ब खड़ी थी, अपने सेंस में आयी।

    और सामने अन्वेष् की तरफ एक नजर डाल पूरे कमरे में अपनी नजरें घुमाई और फिर अन्वेष् की तरफ देख उससे थोड़े गुस्से और घबराहट से बोली-

    "ये कहाँ, कहाँ पर हुँ मैं, कहाँ लेकर आये हो तुम मुझे,। कोनसी जगह है ये।"

    पर अन्वेश तो खड़ा बस आन्या को देखे जा रहा था।

    उसने कोई जवाब नहीं दिया तो आन्या फिर बोली-

    "मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूं, जवाब दो कहाँ लेकर आये हो तुम मुझे। और, और मेरे पापा कहाँ है? बोलो।"

    "तुम्हारे पापा वहीं है जहाँ उन्हे होना चाहिए था, और तुम वहीं हो जहाँ तुम्हे होना चाहिए था"। आन्या की बात का जवाब देते हुए अन्वेश बिना किसी भाव के बोला।

    "क्या मतलब?" आन्या ने फिर पूछा।

    "मतलब ये जान कि तुम्हारे पापा अपने घर मतलब जयपुर है और तुम मेरे घर पर हो।" आन्या का सवाल सुन अन्वेष इस बार उसके थोड़ा पास आते हुए बोला।

    "What you mean कि पापा जयपुर है और मैं तुम्हारे घर हुँ।" आन्या ने फिर से अन्वेष की बात को रिपीट करते हुए पूछा।

    "फिर एकदम से आँखे बड़ी करके- इसका मतलब क्या मैं जयपुर में नहीं हूं इस वक़्त।" आन्या को जैसे ही अन्वेष की बात का मतलब समझ आया तो उसकी आँखे बड़ी हो गयी और उसने कंफर्म करने के इरादे से पूछा।

    "हहह, वेरी स्मार्ट जान...! वेरी स्मार्ट...!" अन्वेश ने उसके और पास आकर उसके चेहरे पे अपनी उँगली फिराते हुए कहा।

    आन्या ने उसे एक हाथ से ज़रा सा पुश किया और चिल्लाते हुए बोली-

    "अगर मैं जयपुर में नहीं हुँ तो कहाँ हुं इस वक़्त, कोनसी जगह है ये। कहाँ लेकर आये हो तुम मुझे।" फिर अन्वेश की तरफ ऊँगली पॉइंट करते हुए-

    "और सच बताना मुझे, झूठ बोलने की कोशिश भी मत करना। बताओ कहाँ हुँ मैं इस वक़्त।"

    "मुंबई...!" अन्वेश आन्या की बात सुनकर उसे एक वर्ड में जवाब देते हुए कोल्डली बोला।

    वहीं आन्या ये सुनकर की इस वक़्त वो जयपुर अपने सिटी में नहीं बल्कि मुंबई में है, उसने "ओह माय गॉड...!" कहते हुए अपने सर पे हाथ रख लिया।

    तभी अन्वेश जो आन्या की घबराहट साफ देख पा रहा था, वो अपने पैंट की पॉकेट में दोनों हाथ डाल सीधे खड़े होते हुए बोला, "हाँ जान, तुम इस वक़्त मुंबई में मल्होत्रा पैलेस में हो...!"

  • 19. Bound by obsession - Chapter 19

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    तभी अन्वेश जो आन्या की घबराहट साफ देख पा रहा था, वो अपने पैंट की पॉकेट में दोनों हाथ डाल सीधे खड़े होते हुए बोला, "हाँ जान, तुम इस वक़्त मुंबई में मल्होत्रा पैलेस में हो।"

    अन्वेश की बात सुन आन्या की आँखे हैरानी से फैल गयीं।

    अगले ही पल वो आन्या चिल्लाते हुए बोली, "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है जो मुझे यहाँ लेकर आये हो। जबरदस्ती शादी करके तुम्हारा पेट नहीं भरा, जो अब जबरदस्ती अपने साथ मुंबई लेकर आ गए हो?"

    "स्वीटहार्ट तुम शायद भूल रही हो की अब तुम्हारी शादी हो चुकी है। तुम अब मिसेज आन्या अन्वेष मल्होत्रा हो, तो तुम अपने घर कैसे रह सकती थी।" अन्वेश ने मुस्कुराते हुए शांति से आन्या की बात का जवाब दिया।

    "वो घर अब तुम्हारा नहीं है। तुम्हारा घर ये है, मल्होत्रा पैलेस, इसलिए तुम्हे तो यहाँ आना ही था। इसलिए इसमें इतना हैरान होने या चिल्लाने की जरूरत नहीं है। हम्म!"

    अन्वेश ये सब बिल्कुल शांत होकर बोल रहा था, जैसे उससे शांत इस दुनिया में और कोई हो ही ना। वहीं आन्या उतने ही गुस्से में थी और अंदर ही अंदर उसे डर भी लग रहा था।

    "रात होने वाली है, तुमने सुबह से काफी ज्यादा सफर कर लिया, इतना चिल्ला चुकी हो तुम सुबह से, सो नाव स्टॉप फॉर टूडे!"
    "सुबह से कुछ नहीं खाया है तुमने, चलो फ्रेश हो जाओ और डिनर कर लो।" अन्वेश ने गहरी साँस लेते हुए कहा और ऊपर से नीचे तक उसे निहारने लगा।

    फिर तिरछा मुस्कुराते हुए, "और वैसे भी अब तुम्हे पूरी जिंदगी यहीं रहना है तो आर्गुमेंट के लिए टाइम ही टाइम होगा तुम्हारे पास। हम्म तो बाकी का आर्गुमेंट बाद में करना।"

    "और आर्गुमेंट ही क्यों, इसके अलावा भी बहुत कुछ करना है अभी तो। यू नो व्हाट आई मीन!" कहते हुए अन्वेश के फेस पे एक तिरछी मुस्कान थी और अब वो धीरे धीरे आन्या की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा।

    वहीं अन्वेश की डबल मीनिंग बातें आन्या बखूबी समझ रही थी और यहीं चीज थी जो उसे सबसे ज्यादा डरा रही थी।

    अन्वेश को अपनी तरफ कदम बढ़ाते देख आन्या अपने कदम पीछे लेने लगी, लेकिन उसके पास बिल्कुल भी जगह नहीं थी पीछे जाने के लिए।

    वो दीवार से लगी हुई थी। उसके माथे और पूरे चेहरे पर पसीने की बूंदे उभर आयी थीं। दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि धडकनो की आवाज़ बाहर तक सुनाई दे रही थी।

    वो दीवार से लगे हुए ही बोली, "अन्वेश वहीं रुको!"

    "अन्वेश पास मत आना। अन्वेश मैं कह रही हूँ पास मत आना।"

    लेकिन अन्वेश उसके एकदम पास आ गया और उसके चेहरे को गौर से देखने लगा। वो आन्या को अपनी आँखों से एकदम गहराई से स्कैन कर रहा था। वहीं आन्या को उसका ऐसे देखना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसे बहुत uncomfortable लग रहा था।

    अन्वेश आन्या को ऐसे देख रहा था जैसे नजरों से ही उसे खुद में समा लेगा। वहीं आन्या को उसका ऐसे खुद को स्कैन करना अच्छा नहीं लग रहा था।

    जैसे जैसे, जहाँ जहाँ अन्वेश की नजरें पड़ रही थीं, आन्या को अपने शरीर में एक अजीब सनसनी महसूस हो रही थी।

    जब आन्या से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो साइड से निकलकर जाने लगी लेकिन उससे पहले ही अन्वेष ने अपना एक हाथ दीवार पे रख दिया।

    तभी आन्या दूसरी साइड से जाने लगी तो अन्वेष ने दूसरी साइड भी हाथ रख उसे भी ब्लॉक कर दिया। अब आन्या बीच में फंस चुकी थी।

    अन्वेश ने कुछ देर उसे ऐसे ही देखा, फिर अपनी जेब से रूमाल निकालकर उसके माथे और चेहरे के पसीने को पोछने लगा। आन्या अब तक पूरी पसीने से भीग चुकी थी।

    तभी अन्वेष उसके चेहरे से पसीने को साफ करते हुए बोला, "Relax जान! इतना घबरा क्यों रही हो। शादी हो चुकी है हमारी। पति हूँ मैं तुम्हारा। और तुम हो कि अपने पति से ही इतना घबरा रही हो, डर रही हो। व्हाइ?" उसने अपनी भौहें उचकाते हुए पूछा।

    "अन्वेश प्लीज़ हटो। दूर हटो यहाँ से।"

    आन्या ने उसका हाथ अपने फेस से हटाते हुए कहा और अपने हाथ से ही अपना फेस पोछ लिया।
    "क्यों, क्यों हटूं? अब तो पुरा राइट है मेरे पास।" अन्वेश बोला और वापस आन्या की तरफ देखते हुए उसके फेस पर अपनी ठंडी उंगलियाँ चलाने लगा।

    अचानक ही वो उसके चेहरे के एकदम करीब आ गया और अपने होंठ आन्या के गाल पे रखकर किस करने वाला था कि आन्या ने अपना सर टेढ़ा करके पीछे की तरफ कर लिया और उसे धक्का दे दिया।

    लेकिन अन्वेश को आन्या के धक्के देने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। वो सिर्फ 2 कदम ही पीछे हटा और उसे smile करते हुए देखने लगा।

    आन्या ने फिर से साइड से निकलना चाहा कि अन्वेश ने उसे फिर से रोक लिया। आन्या की तो हालत ही खराब हो रही थी ये सब देखकर।

    लेकिन अन्वेश पर इस वक़्त एक अलग ही नशा सवार था। वो फिर उसके पास आया।

    आन्या ने इस वक़्त अपने सुबह वाला ही हाई नेक टॉप पहना हुआ था। टॉप फुल स्लीवस था लेकिन उसके टॉप की स्लीवस जिप्ड थी। तभी अन्वेश ने एकदम से उसके स्लीवस् की ज़िप खोल दी।

    लेकिन वो ज़िप पूरी खोल पाता उससे पहले ही आन्या ने टॉप की स्लीवस् को बीच में पकड़ लिया।

    वहीं अन्वेश तो अब एकटक आन्या के एकदम गोरे, सॉफ्ट हाथों को देख रहा था। उसका मन आन्या के हाथों को किस करने का कर रहा था। वो उसके हाथों को देख ही रहा था कि तभी उसकी नजर आन्या के गले पर गयी।

    जैसे ही अन्वेश की नजर आन्या के गले पर गयी, उसका खूद पर से कंट्रोल लूज़ होने लगा। वो बस अब उसको छूने के लिए बेताब हो रहा था।

    वहीं आन्या का ध्यान इस वक़्त अपनी ज़िप को बंद करने में था जो अटक गयी थी। उसने ध्यान ही नहीं दिया कि अन्वेष् की नजर अब उसके गले पर है। तभी अन्वेष एकदम से उसके फेस के करीब गया और उसके गले पर अपने होठ रख दिये।

    वहीं आन्या जो अपनी ज़िप को बंद करने में लगी हुई थी, उसे जैसे ही अन्वेष के होठ अपने गले पे फील हुए, आन्या को झटका सा लगा।

  • 20. Bound by obsession - Chapter 20

    Words: 1376

    Estimated Reading Time: 9 min

    आन्या का टॉप वैसे तो हाई नेक था पर स्लीवस् की ज़िप खोलने की वजह से उसका गला ऊपर से थोड़ा दिख रहा था।
    वो एकदम से चिहुक गयी और अन्वेष को देखा जो एकदम उसके करीब खड़ा था।

    वहीं आन्या ये देखकर कि अन्वेश उसके साथ क्या करने की कोशिश कर रहा है, उसकी आँखे गुस्से से लाल हो गयीं।

    वहीं अन्वेश का पूरा ध्यान इस वक़्त आन्या के गले पर था जिसे वो चूमना चाहता था। वो जैसे ही आन्या को किस करने वाला था कि आन्या ने उसे अपना पूरा जोर लगाकर धक्का दे दिया।

    आन्या के धक्का देने की वजह से अन्वेश अपने सेंस में आया और घुरकर आन्या की तरफ देखने लगा।

    आन्या भी अन्वेश को ही देख रही थी। उसे इस वक़्त बहुत बुरा गुस्सा आ रहा था। वो उसी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली-

    "अन्वेश..! What are you doing...! अपनी हद में रहो..!"

    "तुमने सोचा भी कैसे मेरे साथ कुछ भी ऐसा-वैसा करने के बारे में, इतनी घटिया हरकत करने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी..!" चिल्लाने से उसकी साँसें तेज हो गयी थीं।

    "कोशिश भी मत करना मेरे साथ ये सब करने के बारे में सोचने की भी अन्वेश..! तुम्हें क्या लगता है तुमने मेरे साथ जबरदस्ती, ब्लैकमेल करके, धमकी देकर मुझसे शादी कर ली, मुझे अपने साथ यहाँ लेकर आ गए तो आगे मेरे साथ कुछ भी करोगे..!"

    "सोचना भी मत।" (सर ना में हिलाते हुए)

    आन्या अन्वेश की हरकत से इतने गुस्से में आ गयी थी कि वो उससे चिल्लाते हुए दाँत पीसते हुए बोली।

    वहीं अन्वेश जिसे आन्या का ऐसे धक्का देना और खुद से दूर करना बिल्कुल पसंद नहीं आया था जिस वजह से उसे गुस्सा आ रहा था, ऊपर से आन्या की बातें आग में घी डालने का काम कर रही थीं।

    आन्या की बातों ने उसके गुस्से को और भड़का दिया था। वो वैसे ही उसे घूरते हुए आगे आया और आन्या की बाजू को कसकर पकड़ते हुए बोला-

    "ये क्या हरकत थी आन्या…पति हूँ मैं तुम्हारा, शादी की है मैंने तुमसे वो भी पूरे रश्मो-रिवाजों के साथ। तो पूरा हक बनता है मेरा तुम पर। तुम्हारे साथ कुछ भी करने का राइट है मेरे पास, समझी।" अन्वेश बहुत गुस्से में बोला।

    "और क्या कहा तुमने घटिया हरकत; तुम्हें ये घटिया हरकत लगती है। मेरा छूना तुम्हें घटिया लगता है। वाइफ हो तुम मेरी तो मै तुम्हें जहाँ चाहूँ, जब चाहूँ छू सकता हूँ। और तुम मुझे मना नहीं कर सकती।"

    अन्वेश ने भी दाँत पीसते हुए कहा और वापस आन्या की तरफ बढ़ने लगा।

    लेकिन इस बार अन्वेश की बातें सुनकर आन्या का दिमाग खराब हो चुका था। उसने अपने दोनों हाथों से उसे पीछे की तरफ धकेल दिया जिससे अन्वेश भी एक पल के लिए लड़खड़ा गया, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया।

    अब उसकी आँखे बिल्कुल सर्द हो चुकी थीं, लेकिन आन्या भी पूरी आग बनी हुई थी। वो भी दुगुने गुस्से से चीखते हुए बोली-

    "नहीं, बिल्कुल भी नहीं, कोई राइट, कोई हक नहीं है मुझ पर तुम्हारा। और कभी होगा भी नहीं..!"

    "नहीं मानती हूं मैं तुम्हें अपना पति। कोई रिश्ता नहीं है मेरा तुमसे और कभी हो भी नहीं सकता, सिवाय नफरत के..!"

    "और ये जो तुम सुबह से शादी-शादी अलाप रहे हो तो तुम शायद भूल रहे हो अन्वेश, देन लेट मी रिमाइंड यू कि मेरी शादी मेरी मर्जी से नहीं हुई है। अरे मर्जी तो दूर, मंजूरी भी नहीं थी मेरी इस शादी में..!"

    "जबरदस्ती बंदूक की नोक पर शादी की है तुमने मुझसे। और जबरदस्ती ही मुझे यहाँ लेकर आये हो। तो कोई हक नहीं बनता तुम्हारा मुझ पर, समझे।"

    "और क्या कहा तुमने की घटिया टच..! तो बिल्कुल तुम्हारा टच बहुत ही घटिया और गंदा है। इसलिए मुझे टच करने के बारे में सोचना भी मत और अपनी हद में रहना तुम।"

    "Don't try to cross your limits..!" आन्या अपनी ही धुन में बोली जा रही थी। वहीं अन्वेश की गुस्से से मुट्ठियाँ भींच चुकी थीं।

    "ये जो तुम मुझे जबरदस्ती अपने साथ लेकर आये हो तो मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो मिस्टर अन्वेश मल्होत्रा मैं यहां बिल्कुल भी नहीं रहने वाली हूँ। किसी भी हाल में नहीं। मैं वापस अपने घर जा रही हुं। क्योंकि तुम्हारी इस जबरदस्ती की शादी की मेरी नजरों में कोई कीमत नहीं है।" आन्या बोल ही रही थी कि उसके मुंह से दर्द भरी चीख निकल गयी।

    क्योंकि अन्वेश ने उसके जबड़े को कसकर पकड़ लिया था। वो गुर्राते हुए बोला-

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब कहने की हाँ। How dare you demmit?"

    इतना कहकर उसने आन्या के जबड़े को झटके से छोड़ा और पीछे मुड़कर अपने माथे को अपनी दो उंगलियों से रब करने लगा।

    फिर उसी पल वापस आन्या की तरफ मुड़ते हुए उसकी बाजू पकड़कर-

    "कैसे कहा तुमने की कोई हक नहीं है मेरा तुम पर। हाँ, कैसे कहा। है, पूरा हक है मेरा तुम पर।"

    "शादी चाहे जैसे भी हुई हो, तुम्हारी मर्जी थी नहीं थी, जबरदस्ती हुई..! I don't care..!"

    "मुझे सिर्फ इतना पता है अब हमारी शादी हो चुकी है एंड नाव I am your husband and you are only mine..! और रही बात जाने की तो ये ख्याल तुम अपने दिमाग से निकाल ही दो की अब तुम यहां से कहीं भी जा सकती हो..!"

    "तुम कहीं नहीं जा सकती, पूरी जिंदगी, अपनी आखिरी साँस तक तुम्हें यहीं रहना है, फिर चाहे मुझे तुम्हें कैद करके ही क्यों ना रखना पड़े। तुम्हें अपने पास रखने के लिए मैं वो भी करूँगा। मेरा टच करना तुम्हें पसंद नहीं है ना, घटिया और गंदा लगता है तुम्हें मेरा छूना, तो बेबी गर्ल आदत डाल लो अब इस टच की क्योंकि अब ये टच तुम्हें जिंदगी भर झेलना है, महसूस करना है।" अन्वेश तिरछा मुस्कुराते हुए बोला।

    "और सिर्फ यहीं टच है जो तुम्हारे शरीर पर रह सकता है। क्योंकि मेरे अलावा किसी का भी टच मुझे तुम पर बर्दाश्त नहीं है और अगर कभी किसी ने कोशिश भी की तुम्हें हाथ लगाने की, या छूने की तो मैं उसका क्या हाल करूँगा, मैं खुद भी नहीं जानता। तुम्हारे ऊपर अब मुझे किसी की नजरें बर्दाश्त नहीं है, किसी की भी नहीं।"

    अन्वेश इस वक़्त बिल्कुल साइको की तरह behave कर रहा था। वो ये सब कहते हुए एकदम सनकी आशिक लग रहा था जो अपने सनकीपन में कुछ भी कर सकता था।

    वहीं आन्या को भी डर लग रहा था अन्वेश की ऐसी बातें सुनकर, ऐसा जुनून और पागलपन देखकर। उसे अब यहां अन्वेश के साथ एक मिनट रहना भी खतरे से खाली नहीं लग रहा था। वो बस अब यहां से जल्द से जल्द भागना चाहती थी।

    तभी अन्वेश ने उसे वैसे ही घूरते हुए दांत पीसते हुए बोला-

    "और क्या कह रही थी तुम, हद की बात कर रही थी न तुम। कि मैं अपनी हद में रहूँ। तो मैं दिखाता हूँ अब तुम्हें अपनी हद भी और अपना हक भी।" इतना कहकर उसने वैसे ही उसे बाजू से पकड़े हुए ही अपना गाल उसके चेहरे के करीब ले जाकर उसके गाल से रब करने को हुआ कि आन्या ने अपना हाथ बीच में टिकाकर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।

    अन्वेश ने ये देख उसके हाथों को नीचे कर दिया और फिर से अपने गाल उसके गाल से रब करने लगा। जैसे ही अन्वेश ने अपने गाल उसके गाल से हल्के से टच किया कि आन्या अपना मुंह इधर-उधर करने लगी।

    आन्या को मुंह इधर-उधर करते देख अन्वेश थोड़ा सा इरिटेट हुआ और उसने आन्या के दोनों हाथों को अपने एक हाथ में पकड़ा और उन्हें पीछे की तरफ मोड़ दिया।

    और आन्या के गालों पर अपना गाल रब करने लगा। वहीं आन्या अब बहुत घबरा गयी थी। उसे दर्द भी हो रहा था। उसकी आँखे पूरी आँसुओं से भीग गयी थीं लेकिन अन्वेश तो इस वक़्त पूरा गुस्से में पागल हो गया था। उसे होश ही नहीं था कि वो आन्या के साथ क्या कर रहा है। इन सबका, उसकी इस हरकत का आन्या पर क्या असर पड़ रहा था।

    अन्वेश ने एक हाथ से आन्या के हाथों को पकड़ रखा था और उसका दूसरा हाथ उसके बाजू से नीचे खुले हाथ पर चल रहा था। आन्या को ये सब बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसे बहुत बुरा लग रहा था।