ये कहानी है अवनी की जो की एक भारी भरकम 90 किलो की सांवली सी दिखने वाली लड़की है , शादी वाले दिन उसका होने वाला पति उसके भारी भरकम शरीर को देखकर उसे शादी के मंडप में छोड़कर चला जाता है , जिसके बाद उसकी शादी उसके पिता के दोस्त के बेटे ध्रुव रायचंद से ह... ये कहानी है अवनी की जो की एक भारी भरकम 90 किलो की सांवली सी दिखने वाली लड़की है , शादी वाले दिन उसका होने वाला पति उसके भारी भरकम शरीर को देखकर उसे शादी के मंडप में छोड़कर चला जाता है , जिसके बाद उसकी शादी उसके पिता के दोस्त के बेटे ध्रुव रायचंद से हो जाती है, जिसे वो बचपन से पसंद करती थी , वहीं ध्रुव तारा को पसंद करता है इसीलिए वो अवनी से नफरत करता है और बेदर्दी दिखाते हुए उसे बेहद दर्द देता है , तो क्या अवनी अपनी मोहब्बत से ध्रुव के दिल में अपने लिए प्यार जगह पाएगी या फिर इस बेदर्दी के इश्क में उसकी मोहब्बत एक तरफा ही रह जाएगी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए "बेदर्दी से इश्क"!
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रॉयल ब्लू होटल के उस बड़े से हाॅल में पार्टी खूब जोरों शोरों से चल रही थी , लोग खाते पीते हुए एक दूसरे से बातें कर रहे थे , कोई अपने बिजनेस को लेकर बातें कर रहा था , तो कोई एक दूसरे से अपनी जान पहचान बढ़ा रहा था। वहीं दूसरी तरफ स्टेज पर ध्रुव और अवनी चुपचाप खड़े थे .. उनके होठों पर कोई मुस्कुराहट नहीं थी नाही चेहरे पर कोई खुशी अपनी सालगिरह को लेकर! ऐसा लग रहा था वो बस वहां पर खड़े होकर लोगों से मिलने की फॉर्मेलिटी निभा रहे हो , लोग आ रहे थे और उन्हें शादी की सालगिरह की मुबारकबाद दे रहे थे , जिस पर ध्रुव अपना सर हिला देता , तो अवनी हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते कर झुक कर उनके पैर छू लेती , उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था वो बस शांति से खड़ी हुई थी ... हालांकि उसके कानों में लोगों की आवाजें पढ़ रही थी , जो कि आपस में एक दूसरे से बात करते हुए उसका मजाक उड़ा रहे थे।
यार क्या देख कर ध्रुव सर ने इस लड़की से शादी की , आई मीन इस लड़की का और उनका कोई कंपैरिजन ही नहीं है।
हां यार सही कह रहा है तू , कहां हमारे ध्रुव सर इतने हॉट हैंडसम हर लड़की के ड्रीम बॉय और कहां ये लड़की जस्ट लुक एट हर , ना तो इसकी शक्ल अच्छी है और ना ही इसका फिगर .. पूरी बफेलो लग रही है , मैं तो कुंवारा मर जाऊं पर ऐसी लड़की से कभी शादी ना करूं!
तभी कोई तीसरा वहां आते हुए !" अरे सर ने इस लड़की से खुद से शादी नहीं की , वो तो उनके पापा ने उन पर प्रेशर डाला था , दरअसल ये उनके दोस्त की बेटी है शादी वाले दिन जब इसकी शादी हो रही थी , तो वो लड़का इस लड़की को देखकर इस रिजेक्ट करके चला गया था , जिस वजह से अंकल ने अपने दोस्त को बदनामी से बचने के लिए ध्रुव सर को बली का बकरा बनाकर इस लड़की की शादी उनसे करवा दी , वरना वो तो तारा मैंम से बहुत प्यार करते थे।
तारा मैंम अपनी वही ऑफिस वाली तारा मैंम ना जो सर की पर्सनल असिस्टेंट है , (तो एक लड़की ने हां मे सय हिला दिया) तो वो लड़का !" अरे यार वो तो बहुत खूबसूरत है सच कहूं ना पहले दिन जब मैं ऑफिस में आया था , मुझे उन पर क्रश आ गया था , अगर उनकी और ध्रुव सर की शादी होती तो कितना अच्छा होता , सच में इनकी जोड़ी मेड फॉर ईच अदर लगती है , कहां ध्रुव सर इस मोटी के चक्कर में पड़ गए , सच में यार उन्होंने अपनी लाइफ खराब कर ली!
अरे चुप हो जा , अगर किसी ने सुन लिया ना तो जॉब से निकाल दिया जाएगा !
अरे जाॅब से निकालेंगे ना तो निकाल दे , सच कहने में मैं डरता थोड़ी हूं , अगर ध्रुव सर के सामने भी मुझे ये सब कहना पड़े , तो मैं खुशी-खुशी कह दूं , यार मैं उन्हें बहुत एडमायर करता हूं और इस लड़की के साथ मैं उनकी लाइफ बर्बाद होते हुए नहीं देख सकता ... मैं तो कहता हूं उन्हें इस लड़की को डिवोर्स देकर तारा मैंम से शादी कर लेनी चाहिए।
उन लोगों को अंदाजा भी नहीं था , कि उन लोगों की बात करते हुए आवाज इतनी तेज थी , कि उनके ओर पास मौजूद लोग भी उनकी बातों को सुन पा रहे थे। जिनमें अवनी और ध्रुव भी शामिल थे , जहां लोग उन लोगों की बातें सुनकर अवनी का मजाक उड़ा रहे थे , तो वही अवनी बिल्कुल शांत खड़ी हुई थी जैसे उसे उन लोगों की इन बातों से कोई फर्क ही ना पड़ता हो , जाने कब से उसे लोगों की ऐसी बातों की आदत हो गई हो , अगर अवनी की जगह इस वक्त कोई और होता तो यकीनन उन लोगों की बातें सुनकर रो देता , लेकिन ये अवनी थी जिसके चेहरे पर उनकी बातों से एक शिकन भी नहीं आई थी , जैसे उसे कोई दर्द ही महसूस ना होता हो , वही ध्रुव उसे तो जैसे अवनी के होने ना होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था ।
तभी एक बला की खूबसूरत लड़की अपने हाथों में एक गिफ्ट बॉक्स लिए चलकर ध्रुव और अवनी के पास आई, उसका रंग दूध के जैसे गोरा था और देखने में इतनी खूबसूरत लगती थी कि जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर आई हो , इस वक्त उसने एक रेड कलर की नेट वाली साड़ी पहनी हुई थी , साथ में हल्की सी डायमंड ज्वेलरी करी की हुई थी , जिससे वो वाकई में बेहद खूबसूरत सी अप्सरा जैसी लग रही थी , उसके होठों पर लगी डार्क रेड लिपस्टिक उसे बेहद हॉट दिख रही थी, जिससे पार्टी में मौजूद सभी लोगों की नजरे उस लड़की पर टिक गई थी।
उसने पहले ध्रुव को देखा , जो उसी की तरफ देख रहा था .. और फिर अवनी को! उसके बाद वो अवनी के पास आकर मुस्कुरा कर उसे गले लगाते हुए उससे बोली!" हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी अवनी , कैसी हो तुम मैंनें लेट तो नहीं कर दिया पार्टी में आने में, फिर अवनी से अलग होकर ध्रुव की तरफ देखते हुए !" हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी ध्रुव एंड कंग्रॅजुलेशंस तुम्हारे फॉरेन की क्लाइंट तुम्हारे साथ डील करने के लिए तैयार है , अब तुम्हें नंबर वन की पोजीशन पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।
उसकी बात सुनकर ध्रुव की आंखों में चमक आ गई , और वो उस लड़की की तरफ देखते हुए उससे बोला!" तुम सच कह रही हो तारा , तो तारा ने हां में सर हिला दिया और ध्रुव से बोली!" हां लेकिन उनकी एक शर्त है उनकी ना आज रात की ही वापसी की फ्लाइट है , इसीलिए वो आज ही तुमसे मिलकर डील फाइनल करना चाहते हैं , मैंने उन्हें समझाया आज तुम्हारी एनिवर्सरी है , इसीलिए तुम आ नहीं सकोगे पर उन्होंने कहा कि अगर तुम 1 घंटे के लिए भी उनसे मिल पाओ तो अच्छा रहेगा, वरना उन्हें वापस लौटना पड़ेगा और फिर यहां जल्दी आने के भी उनके कोई चांस नहीं है , हो सकता है इस वजह से तुम्हें फिर महीनों तक डील फाइनल करने के लिए इंतजार करना पड़े।
उसकी बात पर ध्रुव जल्दी से उससे बोला!" नहीं कोई इंतजार नहीं करना पड़ेगा , मैं आज ही डील फाइनल करूंगा , हम लोग अभी थोड़ी देर में यहां से निकलेंगे ... तुम सारी फाइलें रेडी कर लो , वैसे भी पार्टी खत्म होने वाली है तो हम लोग आराम से वहां चल सकते हैं , मैं अभी मोम से बात कर लेता हूं! इतना कह कर वहां से नीचे लोगों के बीच अपनी फ्रेंड से बात करती अपनी मां की तरफ बढ़ गया!
वही तारा ने मुस्कुराते हुए अवनी को देखा , फिर अपने हाथ में पकड़ा हुआ गिफ्ट उसकी तरफ बढ़ते हुए बोली !" ये तुम्हारे लिए अवनी , मुझे तुम्हारी चॉइस का पता नहीं था तो इसीलिए मैं अपनी समझ से ही तुम्हारे लिए ये ले आई , होप यू लाइक इट , तो अवनी ने चुपचाप से उसके हाथ से गिफ्ट ले लिया।
तभी नीचे से ध्रुव ने तारा को आवाज दी , जिस पर तारा ने मुड़कर ध्रुव की तरफ देखा , तो ध्रुव उसे अपने हाथ से इशारा कर अपने पास बुला रहा था , जिस पर तारा मुस्कुराते हुए उसकी तरफ बढ़ गई , पार्टी में मौजूद हर शख्स तारा को ध्रुव के पास जाते हुए देखकर खुश हो रहा था। वही तारा ने ध्रुव के पास जाकर उसकी मां के पैर छुए ... तो उन्होंने प्यार से उसके सर को सहलाया और उससे कुछ बातें की , उसके बाद दोनों पार्टी से चले गए , वही स्टेज पर खड़ी अवनी खाली आंखों से उन दोनों की तरफ देखते रही।
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रात के 12:00 बज गए थे , जब एक फ्लैट के सामने आकर एक गाड़ी रुकी और उसमें से अवनी बाहर निकली .. उसने फ्लैट को देखा दो माले ये फ्लैट बेहद खूबसूरत था , जिसकी नेम प्लेट पर ध्रुव रायचंद लिखा हुआ था , ये देख अवनी ने एक गहरी सांस ली और अपने कदम अंदर की तरफ बढ़ा दिए ... घर के मेंन दरवाजे पर आकर उसने अपने पर्स में से एक चाबी निकाली और दरवाजा खोलकर घर के अंदर चली गई!
कुछ वक्त बाद अवनी ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़े होकर अपनी ज्वेलरी निकाल रही थी , रह रह कर उसके कानों में उन्हीं लोगों की आवाज गूंज रही थी जो पार्टी में उसका मजाक उड़ा रहे थे , उसके शरीर पर और उसके चेहरे पर टिप्पणियां कर रहे थे , जिससे न चाहते हुए भी मिरर के जरिए उसकी नजर खुद के अक्स पर चली गई।
ठीक ही तो कह रहे थे धूप के दोस्त और उसके एम्पलाइज कहां ध्रुव लंबा चौड़ा गठिले बदन वाला गोरे रंग का एक बेहद हैंडसम लड़का , एकदम लड़कियों के ख्वाबों के राजकुमार जैसा ... जिसे हर लड़की पाना चाहे और कहां वो सांवली रंगत की , ऊपर से उसका 90 किलो का भारी भरकम शरीर ना चेहरा अच्छा और ना शरीर तो कौन ही उसे पसंद करेगा और कौन ही उसे ध्रुव के साथ देखना चाहेगा , ध्रुव के साथ तो वाकई में तारा की जोड़ी जमती है ... शायद इसी वजह से ध्रुव भी उसकी जगह तारा को पसंद करता है , यही सब सोचते हुए उसके होठों पर एक खुद का मजाक उड़ाने जैसी मुस्कुराहट आ गई , वो आईने के सामने से उठकर कवर्ड की तरफ गई और उसमें से एक नाइटी निकाल कर बाथरूम में चली गई।
थोड़ी देर बाद वो बाहर निकाल कर आई , उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया और फिर सीढ़ियां उतरकर नीचे हॉल से होते हुए किचन में चली गई , उसने अपने लिए कॉफी बनाने की सोची , तो उसे याद आया आज सुबह ही उसकी काॅफी खत्म हो चुकी है , उसने गहरी सांस ली और फिर खुद के लिए गैस पर चाय चढ़ा दी , चाय बनाते हुए उसकी नजर पूरे हाॅल में इधर-उधर घूमने लगी , इस पूरे फ्लैट में वो अकेली रहती थी , अकेली कहां ध्रुव भी तो रहता था उसके साथ वो बात अलग थी , कि वो घर कभी-कभी ही आता था और आता भी था , तो अपने अलग कमरे में रहता था । जिससे दोनों की बात तो दूर सामना भी महीना में एक बार मुश्किल से हो पता था। उसे अवनी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था उसके लिए अवनी का कोई वजूद ही नहीं था , उसके लिए वो ऐसी थी जैसे वो गलती से मार्केट से घर में सजाने वाला कोई शोपीस उठा लाया हो , और उसके बाद उसकी जरूरत न पड़ने पर घर के किसी कोने में उसे यूं ही फेंक दिया हो।
ये सब सोचते हुए अवनी का दिल भरी होने लगा , आंसू की दो बूंद आंखों से निकाल कर उसके गालों पर बहकर आ गई। जिन्हें उसने बड़ी सफाई से पौछ लिया। उसने अपने लिए कप में चाय ली और फिर उसे लेकर ऊपर अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
थोड़ी देर बाद वो अपने कमरे में खिड़की के पास लगी चेयर पर बैठी हुई थी और बाहर आसमान में निकले हुए चांद को देखकर ठंडी हवा महसूस करते हुए अपनी चाय पी रही थी।
चाय पीते हुए उसके होठों पर मुस्कुराहट थी , क्योंकि उसके जहन में उसके बीते हुए दिनों की यादें चल रही थी , जब उसकी मां जिंदा थी , कितना सही था उसका परिवार उसके मां , पापा , एक छोटा भाई , सब कुछ अच्छा चल रहा था। उसके मां पापा टॉप के बिजनेसमैन थे , दोनों एक दूसरे को बेहद प्यार करते थे और बिजनेस को साथ में संभालते थे। लेकिन फिर एक एक्सीडेंट में उसकी मां चल बसी और सब कुछ बिखर गया। 16 साल की उम्र में उसने अपनी मां को खो दिया। लोगों की बातों में आकर उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली , दूसरी मां तो आई , पर अपनी दूसरी बेटी के साथ , जो हमेशा दूसरी मां बनकर ही रही , दोनों बहन भाइयों को कभी मां का प्यार ना दे सकी ... उनकी संगत में उसके पापा का बिहेवियर भी उसके प्रति पूरी तरह से बदल गया , जो पिता कभी उसकी मां के सामनें उसे जान से ज्यादा चाहता था अब वो उसे एक फुटी आंख भी नहीं देख सकता था , वही उसकी सौतेली बहन सोनाक्षी वो अब उनकी जान बन गई थी , जिसे देखे बगैर उनकी सुबह भी नहीं होती थी।
वही उसके पापा को अपनी तरफ और अपनी बेटी की तरफ हद से ज्यादा झुकता देख माया यानी कि उसकी सौतेली मां की तो जैसे खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं रहा , उन्होंने बात-बात पर अवनी को उसके भारी भरकम शरीर के लिए ताना देना शुरू कर दिया , उसे हद से ज्यादा परेशान करने लगी , खाने के लिए भी उसे परेशान करने लगी , उसे उसका मनपसंद का खाना छोड़ सिंपल सादा खाना दिया जाता और जब अवनी इस बात की शिकायत अपने पापा से करती , तो वो भी उसे ही डांटते उसे ही वजन घटाने को कहते , जोकि इंपॉसिबल था दरअसल अवनी का वजन बचपन से ही ऐसा था उसकी मां भी शुरुआत से हेल्दी थी , साथ ही उसके पापा भी शुरुआत से भारी भरकम शरीर के थे , उनकी पूरी फैमिली भी ऐसी थी , इसी वजह से अब इसे जींस कहें या कुछ और अवनी शुरुआत से ही ऐसी थी , उसने बहुत बार खुद का वजन घटाने की कोशिश की थी , लेकिन कभी कोई रिजल्ट नहीं निकला उल्टा अवनी को दो-तीन बार हाॅस्पिटल में एडमिट होना पड़ा , इसके बाद उसकी मां ने कभी उसे इस तरह की कोशिश नहीं करने दी क्योंकि वो अवनी से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती थी , लेकिन अब जब उसकी मां नहीं थी तो शायद उसकी जिंदगी नरक से भी बत्थर हो गई थी।
यही सब सोचते हुए उसका मन बहुत भारी हो गया , उसे घुटन होने लगी , तो वो बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर निकल आई , उसने सामने देखते हुए अपनी आंखें बंद की , फिर अपने शरीर को ढीला छोड़ते हुए हाथों को पूरी तरह से फैला कर खड़ी हो गई , और लंबी सांस लेने लगी। ये तरीका उसने अपनी मां से सीखा था , जब कभी भी तुम्हें घुटन महसूस हो , खुद को अकेला महसूस करो , तो अकेले में अपनी आंखें बंद कर अपने हाथों को फैला कर खड़ी हो जाना , फिर शांति से खुद को महसूस करना , तुम्हारा अकेलापन पल भर में दूर हो जाएगा ... तुम्हें ऐसा लगेगा जैसे कोई है जो तुम्हें गले लगा कर खड़ा है , कोई है जो तुम्हें थामे हुए खड़ा है , क्योंकि उस वक्त बेसक तुम्हारे पास कोई मौजूद न हो , लेकिन उस वक्त तुम अकेली होकर भी अकेली नहीं होओगी , उस वक्त तुम खुद से मिलोगी , अपने वजूद से मिलोगी।
और सच में अब ऐसा करने से अवनी को बहुत अच्छा महसूस होता था , जब कभी भी उसे घुटन महसूस होती थी अकेलापन महसूस होता था, वो ऐसा ही करती थी पिछले कुछ सालों से जैसी उसकी जिंदगी थी , तब से उसने इस तरीके को न जाने कितनी बार अपनाया था .. जिससे उसे सुकून और राहत दोनों मिलते थे!
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अब तक आपने पढ़ा -
अवनी बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर निकल आई , उसने सामने देखते हुए अपनी आंखें बंद की , फिर अपने शरीर को ढीला छोड़ते हुए हाथों को पूरी तरह से फैला कर खड़ी हो गई , और लंबी सांस लेने लगी। ये तरीका उसने अपनी मां से सीखा था , जब कभी भी तुम्हें घुटन महसूस हो , खुद को अकेला महसूस करो , तो अकेले में अपनी आंखें बंद कर अपने हाथों को फैला कर खड़ी हो जाना , फिर शांति से खुद को महसूस करना , तुम्हारा अकेलापन पल भर में दूर हो जाएगा ... तुम्हें ऐसा लगेगा जैसे कोई है जो तुम्हें गले लगा कर खड़ा है , कोई है जो तुम्हें थामे हुए खड़ा है , क्योंकि उस वक्त बेसक तुम्हारे पास कोई मौजूद न हो , लेकिन उस वक्त तुम अकेली होकर भी अकेली नहीं होओगी , उस वक्त तुम खुद से मिलोगी , अपने वजूद से मिलोगी।
और सच में अब ऐसा करने से अवनी को बहुत अच्छा महसूस होता था , जब कभी भी उसे घुटन महसूस होती थी अकेलापन महसूस होता था, वो ऐसा ही करती थी पिछले कुछ सालों से जैसी उसकी जिंदगी थी , तब से उसने इस तरीके को न जाने कितनी बार अपनाया था .. जिससे उसे सुकून और राहत दोनों मिलते थे!
अब आगे -
अभी अवनी अपने कमरे की बालकनी में आंखें बंद करके खड़ी हुई थी। कुछ देर वो ऐसे ही खड़ी रही , फिर उसके बाद आंखों में उमड़ती नींद को महसूस कर वो अंदर अपने कमरे में आ गई , उसने बालकनी का दरवाजा बंद किया और अपने बिस्तर की ओर जाने लगी , कि तभी एक झटके के साथ उसके कमरे का दरवाजा खुल गया , जिस पर अवनी ने चौक कर दरवाजे की तरफ देखा ... जहां पर ध्रुव खड़ा हुआ था जो इस वक्त बेहद गुस्से में लग रहा था उसके हाथों की मुठ्ठिया बंधी हुई थी! लेकिन अवनी का ध्यान उसके गुस्से से भरे चहरे पर नहीं था , उसका पूरा ध्यान तो इस वक्त ध्रुव पर था ... वो हैरानी से ध्रुव को देख रही थी , शादी के 1 साल बाद ये पहली बार था , जब ध्रुव उसके कमरे के दरवाजे पर खड़ा था ... वरना ध्रुव उसके कमरे में आना तो दूर उसकी तरफ देखने की भी जहमत नहीं उठाता था , इस फ्लैट में एक साथ रहने के बावजूद भी दोनों की मुलाकात महीनों तक नहीं हो पाती थी , आज से पहले अवनी ने उसे दो महीने पहले देखा था ... जब वो दिल्ली अपनी एक मीटिंग के लिए जा रहा था !
अभी वो कुछ कहती कि उससे पहले ही ध्रुव तेज कदमों से उसके सामने आकर खड़ा हो गया। उसने एक जोरदार तमाशा अवनी के गाल पर जड़ दिया, जिससे अवनी का सर घूम गया , उसका चेहरा एक तरफ को झुक गया.. ध्रुव ने उसे बहुत जोर से थप्पड़ मारा था , उसकी पांच उंगलियों के निशान उसके गाल पर छप गए थे .. अवनी ने अपने गाल पर हाथ रखे हैरानी से अपना चेहरा घूमाकर वापस से ध्रुव की तरफ देखा , की तभी वापस से ध्रुव ने उसे एक और थप्पड़ मार दिया ... जिससे अवनी पीछे की तरफ लड़खड़ा गई , पर उसने खिड़की के पास रखी चेयर को पड़कर खुद को गिरने से बचा लिया ... दर्द से उसकी आंखें डबडबा गई आंसू बहकर उसके गालों पर आ गए... वो अपने गाल पर हाथ रख ध्रुव को देखने लगी , फिर रुंधी आवाज में उससे बोली!" मैंने किया क्या है जो आप इस तरह से मेरे साथ बिहेव कर रहे हैं?"
उसकी बात पर ध्रुव ने गुस्से में उसे एक तेज धक्का देते हुए कहा!" क्या कहा तुमने , तुमने क्या किया है .. क्या तुम्हें सच में नहीं पता तुमने क्या किया है?
उसके धक्का देने से अवनी खिड़की से जा कर टकरा गई जिससे उसकी कोहनी में चोट आ गई , दर्द की वजह से उसने अपने दूसरे हाथ से कोहनी को पकड़ लिया और उसे सहलाते हुए ध्रुव की तरफ देखकर बोली!" मेरा यकीन कीजिए , मुझे सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रहे हैं !
तो ध्रुव उसकी तरफ बढ़ते हुए !" तो तुम्हें नहीं पता तुमने क्या किया है , ठीक है मैं ही तुम्हें बता देता हूं ... इतना कहकर बेड के पास जाकर बल्ब का स्विच ऑन कर दिया! जिससे अवनी की नजर उस पर पड़ी तो वो उसे हैरानी से देखने लगी , ध्रुव की पूरी बॉडी पर उसके चेहरे पर बड़े-बड़े लाल रैशेज उभरे हुए थे , जैसे उसे किसी चीज से एलर्जी हुई हो।
वो हैरानी से ध्रुव को देखते हुए बोली!" ये आपके चेहरे को क्या हुआ ,?
तो ध्रुव गुस्से भरी हंसी हंसते हुए उससे बोला!" कितना अच्छा नाटक करती हो तुम भोली बनने का ... पर अफसोस मेरे सामने तुम्हारा ये नाटक बिल्कुल नहीं चलेगा...
फिर उसके पास आकर गुस्से में दांत भिंचते हुए उससे बोला !" अब बोलो क्यों किया तुमने ये सब , क्या मिला तुम्हें ये करके (उसके कंधों को कसकर पकड़ते हुए) तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ड्रग्स देने की , ऊपर से अब इतनी भोली बन रही हो जैसे तुमने कुछ किया ही नहीं ... (उस पर चिल्लाते हुए) बोलो क्यों किया , तुम्हारी वजह से आज मेरे हाथ से मेरी डील चली गई ... इतना कह कर उसे ज़ोर से जमीन की तरफ धक्का दे दिया , जिससे अवनी फर्श पर गिर गई!
उसके इस तरह रिएक्ट करने से अवनी घबराने लगी , ध्रुव आज बहुत गुस्से में लग रहा था और जिस तरह की वो हरकतें कर रहा था , उससे इतना साफ चल रहा था कि आज वो अवनी को किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ेगा .. यही सब सोचते हुए अवनी घबराने लगी ... वो किसी तरह खुद को संभाल कर खड़ी हुई , और पलट कर ध्रुव की तरफ देखते हुए डरते हुए उससे बोली!" मैंने , मैंने आपको कोई ड्रग्स नहीं दी , मुझे तो पता भी नहीं आप किस बारे में बात कर रहे हैं , प्लीज मेरा यकीन कीजिए मैंनें कुछ नहीं किया।
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उसके इस तरह रिएक्ट करने से अवनी घबराने लगी , ध्रुव आज बहुत गुस्से में लग रहा था और जिस तरह की वो हरकतें कर रहा था , उससे इतना साफ चल रहा था कि आज वो अवनी को किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ेगा .. यही सब सोचते हुए अवनी घबराने लगी ... वो किसी तरह खुद को संभाल कर खड़ी हुई , और पलट कर ध्रुव की तरफ देखते हुए डरते हुए उससे बोली!" मैंने , मैंने आपको कोई ड्रग्स नहीं दी , मुझे तो पता भी नहीं आप किस बारे में बात कर रहे हैं , प्लीज मेरा यकीन कीजिए मैंनें कुछ नहीं किया।
तो ध्रुव गुस्से में उसे घूरने लगा फिर उसके पास आकर अपने हाथ से पीछे से उसके बाल पकड़ कर खींचते हुए उसका चेहरा ऊपर करके गुस्से में !" यकीन करूं और वो भी तुम्हारा वो क्यों ऐसी कौन सी वजह है जो मैं तुम पर यकीन करूं , जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो , मेरी जिंदगी को नर्क बना कर रख दिया है तुमने , तो क्यों यकीन करूं मैं तुम्हारा , अब अपने भोले बनने का नाटक छोड़कर मान क्यों नहीं लेती , कि तुम्हीं ने मुझे ड्रग्स दिया है।
उसकी इतनी तेज पकड़ से अवनी को अपने बालों के साथ सर में भी तेज दर्द होने लगा ... उसकी आंखों से आंसू और तेजी से बहने लगे , वो रोते हुए ध्रुव से बोली!" आहह छोड़ दीजिए प्लीज मुझे दर्द हो रहा है , मैं क्यों आपको ड्रग्स दूंगी , मैं क्यों करूंगी ऐसा , भला इससे मुझे क्या मिलेगा ... प्लीज मेरा यकीन कीजिए!
तो ध्रुव उसके बालों पर अपनी पकड़ और मजबूत करते हुए उससे बोला!" दर्द हो रहा है तो होना भी चाहिए ... इन फैक्ट इससे ज्यादा होना चाहिए , इसी दर्द के लायक हो तुम और क्या कहा तुमने , तुम मुझे ड्रग्स क्यों दोगी तुम्हें इससे क्या मिलेगा , अरे मुझे ड्रग्स देने से सबसे ज्यादा फायदा तो तुम्हारा ही है , क्योंकि मेरी इस हालात का फायदा सबसे ज्यादा तो तुम्हें ही होगा ... पिछले 1 साल से जो हमारे बीच नहीं हुआ मुझे ड्रग्स देकर तुम वो करना चाहती थी , मेरे साथ रिश्ता बनाना चाहती थी ... इसीलिए तुमने मुझे ड्रग्स दी , क्योंकि तुम जानती थी होश में तो मैं तुम्हारे पास आने से रहा , इसीलिए नशे में मेरा फायदा उठाना चाहती थी ... पर अफसोस मुझे मीटिंग के लिए जाना पड़ा , इस वजह से तुम्हारा प्लान चौपट हो गया , बोलो ठीक कहा ना मैंने!
तो अवनी रोते हुए अपनी भरी हुई आंखों से उसकी तरफ देखकर बोली!" नहीं ये सच नहीं है , मैंने कभी कुछ ऐसा करना नहीं चाहा , कभी आपको लेकर इस तरह का ख्याल अपने मन में लेकर नहीं आई , मेरा यकीन कीजिए मैं अपने भाई की कसम खा कर कहती हूं , मैंनें सच में आपको ड्रग्स नहीं दी।
वहीं ध्रुव पर ड्रग्स का असर बढ़ता ही जा रहा था , जिससे वो अपनी सोचने समझने की शक्ति खो रहा था .. जिस वजह से उसे अवनी की किसी बात पर भी विश्वास नहीं हो रहा था!
इसी चक्कर में उसने एकदम से एक बार फिर अवनी को धक्का दे दिया , जिससे इस बार वो सीधे बेड पर गिर गई , वहीं ध्रुव उस पर चिल्लाते हुए बोला !" अरे नहीं कर सकता मैं तुम पर यकीन ... मेरा दिल गवाही ही नहीं दे रहा , तुम पर यकीन करने के लिए .... पार्टी में तुमने मुझे जूस दिया था , जिसके बाद मैंने कुछ भी नहीं पिया ना खाया तो फिर साफ है ना , कि उसी जूस में ड्रग्स थी और अब तुम मेरे सामने अपनी बात से मुकर रही हो , क्योंकि तुम्हारा प्लान फ्लॉप हो गया .... जब से तू मेरी जिंदगी में आई हो नर्क बना दिया है तुमने मेरी जिंदगी को ,और तुम कह रही हो कि मैं तुम पर यकीन करूं , बट मिस अवनी अवस्थी तुम गलत हो ... मैं तुम पर यकीन बिल्कुल नहीं करूंगा , बल्कि अब मैं तुम्हें ऐसी सजा दूंगा ... जिसके बाद तुम कभी भी मुझसे टकराने की कोशिश नहीं करोगी , आज तुम्हें पता चलेगा ध्रुव रायचंद से पंगा लेने का क्या अंजाम होता है।
ध्रुव अपनी बात कहकर अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए अवनी की तरफ बढ़ने लगा .... वही उसकी बात सुनकर अवनी घबरा गई , और उसे अपनी तरफ बढ़ते देख उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया ...
वो बेड पर पीछे सरकते हुए घबराते हुए ध्रुव से बोली!" व ,ह, ज ,स वो जूस तो मैंने आपकी मां के कहने पर आपको दिया था , इसमें मेरी कोई गलती नहीं है , मुझे नहीं पता उसमें ड्रग्स थी या नहीं लेकिन सच में मैंने कुछ नहीं किया , मैंने आपको ड्रेस नहीं दी ... प्लीज मुझे छोड़ दीजिए मैं आपसे कभी कुछ नहीं कहूंगी , आपके सामने भी नहीं आऊंगी , आप कहेंगे तो आपकी जिंदगी से भी बहुत दूर चली जाऊंगी , प्लीज मुझे जाने दीजिए!
तो ध्रुव ने उसके पास आकर उसके गालों को कसकर पकड़ लिया , और गुस्से में अपने दांत पीसते हुए उससे बोला!" अब तुम्हारी हिम्मत इतनी भी बढ़ गई कि तुम खुद कि की गई गलती का इल्जाम मेरी मां पर लगाओ , ये तुमने बहुत गलत किया , नाउ बी रेडी फॉर योर पनिशमेंट...
इतना कहकर उसके होठों की तरफ झुकने लगा .... की अवनी ने अपने दोनों हाथों से पूरा जोर लगाकर उसे धक्का दिया , और बेड से उठकर जाने लगी ... की ध्रुव ने तेजी से उसे पकड़ लिया , उन दोनों में खींचातानी होने लगी , अवनी उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी वो रोते हुए ध्रुव को खुद से दूर करते हुए बोली !" नहीं प्लीज छोड़ दीजिए मैंने कुछ नहीं किया मेरा विश्वास कीजिए प्लीज मुझे जाने दीजिए .... पर ध्रुव पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था , ड्रग्स में वो अपने होश हो चुका था उसे एहसास ही नहीं था , कि वो इस वक्त अवनी के साथ जबरदस्ती कर रहा है , उसे अपने अंदर गर्मी और जलन महसूस हो रही थी , जिसे उसे अब किसी भी तरह अवनी के करीब जाकर शांत करना था .. साथ ही उसके जहन में अवनी के लिए बेपनाह गुस्सा भरा हुआ था , जिस वजह से उसे अवनी के आंसू भी नहीं दिख रहे थे और ना ही उसकी सच कही गई बातें , इन सब में ध्रुव के हाथ में अवनी की नाइटी की कोटी आ गई और खींचातानी में ध्रुव ने उसे गुस्से में एकदम से फाड़ दिया!
जिस पर असहाय होते हुए अवनी रोते हुए अपने हाथों से खुद को ढकने लगी , और बिस्तर पर पीछे को होने लगी ध्रुव को खुद से दूर करने के लिए , वहीं ध्रुव ने एक पल के लिए अवनी के बदन को देखा , जिसके बाद उसकी बॉडी में खुद-ब-खुद हलचल होने लगी पर अवनी को खुद से दूर जाते देख उसने गुस्से में अपनी शर्ट को उतार कर फेंक दिया , वही इसी मौके का फायदा उठाकर अवनी जल्दी से बिस्तर पर से उठकर भागने लगी , की ध्रुव ने जल्दी से हरकत कर उसका हाथ पकड़ कर झटके से उसे खींच लिया , जिससे अवनी बिस्तर पर आ गिरी , तो ध्रुव इसी मौके का फायदा उठाकर उस पर हावी हो गया , उसने अवनी के दोनों हाथों को पकड़ कर जबरदस्ती उन्हें बेड में धसा दिया , फिर उसके होठों पर अपने होंठ रखते हुए उसे जबरदस्ती किस करने लगा , कुछ वक्त बाद दोनों के कपड़े कमरे में फर्श पर बिखरे हुए थे , धीरे-धीरे उसने अवनी और अपने बीच के सभी बंधनों को तोड़ दिया और जबरदस्ती उसके करीब चला गया। वही अवनी की आंखों से आंसू निकल कर तेजी से बहने लगे ... क्या ये शख्स सच में उसका पति था , जिसने कभी उसे नहीं अपनाया , कभी उसे पत्नी होने का हक नहीं दिया , कभी उससे प्यार नहीं किया , कभी अपने रिश्ते को नाम नहीं दिया और आज दिया भी तो जबरदस्ती से ... जिसमें कोई प्यार नहीं , कोई लगाव कोई अपनापन नहीं , है तो सिर्फ एक सजा वो भी उस गलती की , जो उसने कभी नहीं की।
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अब तक आपने पढ़ा -
ध्रुव ने एक पल के लिए अवनी के बदन को देखा , जिसके बाद उसकी बॉडी में खुद-ब-खुद हलचल होने लगी पर अवनी को खुद से दूर जाते देख उसने गुस्से में अपनी शर्ट को उतार कर फेंक दिया , वही इसी मौके का फायदा उठाकर अवनी जल्दी से बिस्तर पर से उठकर भागने लगी , की ध्रुव ने जल्दी से हरकत कर उसका हाथ पकड़ कर झटके से उसे खींच लिया , जिससे अवनी बिस्तर पर आ गिरी , तो ध्रुव इसी मौके का फायदा उठाकर उस पर हावी हो गया , उसने अवनी के दोनों हाथों को पकड़ कर जबरदस्ती उन्हें बेड में धसा दिया , फिर उसके होठों पर अपने होंठ रखते हुए उसे जबरदस्ती किस करने लगा , कुछ वक्त बाद दोनों के कपड़े कमरे में फर्श पर बिखरे हुए थे , धीरे-धीरे उसने अवनी और अपने बीच के सभी बंधनों को तोड़ दिया और जबरदस्ती उसके करीब चला गया। वही अवनी की आंखों से आंसू निकल कर तेजी से बहने लगे ... क्या ये शख्स सच में उसका पति था , जिसने कभी उसे नहीं अपनाया , कभी उसे पत्नी होने का हक नहीं दिया , कभी उससे प्यार नहीं किया , कभी अपने रिश्ते को नाम नहीं दिया और आज दिया भी तो जबरदस्ती से ... जिसमें कोई प्यार नहीं , कोई लगाव कोई अपनापन नहीं , है तो सिर्फ एक सजा वो भी उस गलती की , जो उसने कभी नहीं की।
अब आगे -
अगले दिन साइड टेबल पर रखा हुआ ध्रुव का फोन बज उठा ... जिससे उसकी नींद खुली उसने अपना हाथ बढ़ाकर टेबल से अपना फोन उठाया और देखा , तो उस पर तारा शो हो रहा था , ये देख उसने कॉल रिसीव किया !" हां बोलो क्या हुआ ?"
तो तारा उसकी चिंता करते हुए बोली !" ध्रुव तुम ठीक तो हो ना , अब तुम्हारी तबीयत कैसी है , ड्रग्स का असर कुछ काम हुआ कि नहीं ... अगर तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तो मैं आज की मीटिंग कैंसिल कर देती हूं , तुम आज घर पर रेस्ट करो।
तो ध्रुव उसकी बात सुनकर उससे बोला!" नहीं मीटिंग कैंसिल करने की कोई जरूरत नहीं है , मैं ठीक हूं ... तुम मीटिंग की सारी तैयारी करके रखना , मैं थोड़ी देर में पहुंच रहा हूं ... इतना कहकर फोन कट कर दिया , फिर उसने नज़रें घूमा कर अपने साइड में देखा , तो अवनी उसकी तरफ पीठ करके लेटी हुई थी , उसका जिस्म सिर्फ एक चादर से ढका हुआ था , लेकिन उसकी बार-बार भारी होती सांसों से उसकी हिचकियों से ध्रुव समझ गया , कि वो जागी हुई है और रो रही है।
ये देख ध्रुव गुस्से में उससे बोला!" अब तो तुम्हें पता चल ही गया होगा , कि ध्रुव रायचंद से उलझने का क्या अंजाम होता है , इसीलिए आज के बाद कुछ भी करने से पहले अपने अंजाम के बारे में सोच लेना ... क्योंकि मुझसे उलझने वाले का अंजाम में बद से बत्तर कर देता हूं , इतना कहकर चादर उठाकर बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया , तो उसकी नजर बिस्तर पर लगे हुए खून पर गई , जो कि उसकी रात मैं की गई अवनी के साथ की बेरहमी को साफ बयां कर रहा था , ये देख उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया , फिर जमीन पर पड़ी हुई अपनी शर्ट को उठाकर उसे पहनते हुए एक बार फिर अवनी की तरफ देखते हुए बोला!" वैसे तुम्हें तो खुश होना चाहिए , तुम जो चाहती थी वो तुम्हें मिल गया , हमारे बीच रिश्ता बनाना चाहती थी ना सो बन गया , तो अब ये आंसू क्यों बहा रही हो ... अवनी ने फिर उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया , तो ध्रुव गुस्से में उसके कमरे से बाहर निकलने लगा ,
तभी वो दरवाजे पर रुका और पलट कर अवनी की तरफ देखते हुए गुस्से में उससे बोला!" आज के बाद अपनी कोई भी घटिया चाल चलने से पहले अपनी इस हालत को याद कर लेना , वरना अंजाम इससे भी बुरा हो सकता है ... इतना कह कर कमरे से बाहर निकल गया ,
वहीं बिस्तर पर लेटी अवनी ने उसकी बातों को सुनकर अपनी आंखों को और कसकर बंद कर लिया , उसके आंसू और भी तेजी से बहने लगे ... उसने अपने मुंह को तकिए में दबा लिया , इस वक्त उसने एक हाथ से अपने पेट को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ में चादर को कसकर भिंचा हुआ था , ध्रुव की रात की बेरहमी की वजह से उसके पेट में , पूरे शरीर में बेहद दर्द हो रहा था , दर्द की वजह से उसका चेहरा भी पीला पड़ गया था। उसके होठों के पास कट के निशान बने हुए थे जिन पर हल्का सा सूखा हुआ खून लगा था। साथ ही गालों पर उंगलियों के निशान छपे हुए थे , उसके बाल बिखरे हुए थे ... इसके अलावा उसके पूरे जिस्म पर , गले , सीने , शरीर के हर हिस्से पर काटने नोचने के निशान बने हुए थे , जो की ध्रुव की क्रूरता को साफ बयां कर रहे थे , कि रात में वो उसके साथ कितनी बेरहमी से पेश आया था।
उसने खुद को संभालते हुए उठने की कोशिश की , कि उसे अपने पेट के नीचे बहुत तेज दर्द हुआ , जिससे उसकी आह निकल गई और वो वापस से वैसे ही लेट गई , दर्द को कम करने के लिए उसने अपने पेट को सहलाते हुए गहरी सांस लेना शुरू कर दिया , थोड़ी देर बाद उसका दर्द हल्का हुआ , तो उसने वापस से खुद को चादर से कवर करते हुए आंखें बंद कर ली , शायद अब सो कर ही उसकी बॉडी को थोड़ा आराम मिल सकता था , तभी वो कोई काम कर सकती थी।
दूसरी तरफ ध्रुव अपने कमरे में आया और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया। वहां उसने वॉश मेशन के पास लगे हुए मिरर में अपने आप को देखा , तो उसके चेहरे के रैशेज कम हो गए थे , साथ ही उसकी बॉडी की जलन भी अब बंद हो गई थी , फिर वो नहा धोकर अपनी फाइलें लेकर अपने कमरे से बाहर निकल आया .... वो सीढ़िया उतर कर नीचे आने लगा , कि उसके कदम रुक गए , उसने अपनी नज़रें घूमा कर एक पल को अवनी के कमरे की तरफ देखा , जिसका दरवाजा बंद था , ये देख उसकी आंखें सर्द हो गई ... वो वापस से सीढ़ियां उतरते हुए नीचे आ गया , और हाॅल से होते हुए घर से बाहर निकल आया , उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और ऑफिस के लिए निकल गया।
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रायचंद ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज
ध्रुव अपने ऑफिस पहुंचा , तो ऑफिस के सभी लोग उसे मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग कहने लगे , जिस पर ध्रुव अपना सर हिलाते हुए कॉन्फ्रेंस रूम की तरफ बढ़ गया , जहां पर तारा ने मीटिंग की सारी तैयारी कर रखी थी।
उसके जाने के बाद एक फीमेल एम्पलाइज अपने पास खड़ी दूसरी एम्पलाई से बोली !" यार ये ध्रुव सर कितने हैंडसम लगते हैं ना , सच में यार मुझे ना इन पर बहुत टाइम से क्रश है , कहां ये इतने हैंडसम और कहां इनकी वो मोटी वाइफ अवनी , दोनों का कोई मैच ही नहीं है .. कितना अच्छा होता अगर ध्रुव कर सिंगल होते और उनकी लाइफ में मैं होती!"
तो दूसरी वाली उससे बोली!" तू तो अपने सपने देखना ही छोड़ दे अगर ध्रुव सर सिंगल भी होते तो भी वो तुझे नहीं मिलते , क्योंकि उनकी लाइफ में बहुत पहले से ही तारा मैम है , जो की तुझसे मुझसे बहुत ज्यादा खूबसूरत है , मैं तो ये कहती हूं काश ध्रुव सर की शादी तारा मैम से होती , तो कितना अच्छा होता ये दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं और दोनों एक दूसरे को समझते भी हैं , तारा मैम सर को कितना पसंद करती हैं उनकी हर एक जरूरत का ख्याल रखती है , हर रोज उनके लिए घर से लंच बनाकर लाती है वही वो अवनी एक साल हो गया उसकी शादी को आज तक कभी ऑफिस नहीं आई , ना ही कभी किसी ने उसे सर के लिए लंच लाते देखा और ना ही कभी उनकी केयर करते हुए ... तुम्हें पता है वरुण बता रहा था ध्रुव सर तो ज्यादातर रात को अपने घर से बाहर ही रहते हैं कभी किसी मीटिंग में तो कभी होटल में , तारा मैंम भी उनकी केयर करने के लिए उनके साथ रहती हैं ,
तो वो लड़की उसकी तरफ देखते हुए हैरानी से बोली !" ऐसा क्यों कह रही है यार , सर अपने घर से बाहर क्यों रहते हैं , क्या कोई प्रॉब्लम है इन दोनों के बीच ?"
तो वो लड़की सर हिलाते हुए उससे बोली !" पता नहीं लेकिन हमने कभी भी सर को कभी भी उस लड़की से बात करते नहीं देखा , वही उस अवनी को सर की कोई फिक्र भी नहीं है , वो अकेली ही घर में पड़ी रहती है कभी सर की खैर खबर लेने के लिए फोन भी नहीं करती , पता नहीं कैसी बीवी मिली है सर को , अरे उसे तो ध्रुव सर का खुद से भी ज्यादा ख्याल रखना चाहिए , आखिर ध्रुव सर ने उसकी जिंदगी सवारी है वरना कौन करता इस मोटी से शादी , उसका खुद का दूल्हा तो उसे मंडप पर छोड़कर भाग गया , अगर ध्रुव कर ना होते तो इसकी और इसके बाप की दोनों की इज्जत की धज्जियां उड़ जाती , लेकिन वो लड़की तो है ही एहसान फरामोश , सच में यार ध्रुव सर की लाइफ खराब हो गई इस औरत से शादी करके , आई विश की फ्यूचर में ध्रुव सर और तारा मैंम एक साथ हो पाए , मुझे ना इन दोनों के लिए बहुत बुरा लगता है , तो उस एम्पलाई ने हां में सर हिला दिया , दोनों ऐसे ही ध्रुव और तारा के गुणगान करते हुए अवनी की बुराइयां करने लगी।
ध्रुव कॉन्फ्रेंस रूम में पहुंचा जहां पर उसके सभी बिजनेस पार्टनर उसका इंतजार कर रहे थे। वहां जाकर उसने सीधा सभी को हाय हेलो कहकर मीटिंग शुरू कर दी , उसकी मीटिंग दो-तीन घंटो तक चली जो की सक्सेसफुल रही , और उसे कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। उसके बाद उसके बिजनेस पार्टनर वहां से चले गए , धीरे-धीरे कर उसके एम्पलाइज भी जो इस प्रोजेक्ट में शामिल थे , वो भी उस रूम से बाहर निकल गए , अब उस रूम में सिर्फ ध्रुव और तारा ही बचे थे , तभी तारा ने ध्रुव को देखा और एकदम से भाग कर उसके पास आई और उसके सीने से लिपट गई। फिर ध्रुव से बोली !" थैंक गॉड तुम ठीक हो ध्रुव , तुम नहीं जानते रात को तुम्हें दर्द में देखकर मेरी क्या हालत हो गई थी , पूरी रात में चैन से सो नहीं पाई दिल कर रहा था अभी भाग कर तुम्हारे पास पहुंच जाऊं , लेकिन अपनी लिमिट्स जानती थी इसीलिए किसी तरह खुद को काबू किया , पर फाइनली थैंक गॉड तुम ठीक हो वरना आज में सभी मीटिंग कैंसिल कर तुम्हारे पास ही आने वाली थी , (फिर उसके सीने से अलग होकर उसके चेहरे को हाथों में भरते हुए) तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं हो रही ना , तुम कहो तो हम अभी डॉक्टर के पास चल सकते हैं , मैं तुम्हें लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती , यू नो ना हाउ मच आई लव यू!
तो ध्रुव उसके हाथों को पकड़ कर उससे बोला!" नहीं तुम चिंता मत करो अब मैं बिल्कुल ठीक हूं ... ।
तो तारा उसके चेहरे की तरफ देखते हुए उससे बोली!" पक्का ना तुम सच कह रहे हो ना? तो ध्रुव ने हां में सर हिला दिया! तभी तारा कुछ सोच कर ध्रुव से बोली!" अच्छा ध्रुव तुमने अवनी से बात की उसने तुम्हें ड्रग्स क्यों दी , क्या कहा उसने , आखिर तुम्हें तकलीफ पहुंचा कर क्या ही मिल जाता उसे , जो उसने ऐसी हरकत की। मुझे तो समझ नहीं आता , तुम्हारी बीवी होने के बावजूद वो तुम्हारे साथ इतनी घटिया हरकत कैसे कर सकती है ,
उसकी बात सुनकर ध्रुव को अवनी का ख्याल आया और उसके जहन में कल रात की बीती यादें ताजा हो गई। जिस पर उसने अपनी मुट्ठियों को भिंच लिया। और वो तारा से बोला !" उसकी चिंता तुम मत करो उसने जो कुछ किया उसे एक्सेप्ट तो नहीं किया , लेकिन मुझे पता है मुझे ड्रग्स उसी ने दी थी , क्योंकि मैंने पार्टी में जूस के अलावा कुछ लिया ही नहीं था और वो जूस उसी ने मुझे दिया था , इसीलिए उसकी गलती की मैंने उसे ऐसी सजा दी है कि आज के बाद वो ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगी।
उसकी बात सुनकर तारा के कान खड़े हो गए , उसने आंखें बड़ी कर ध्रुव की तरफ देखा और उससे बोली!" तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो , कि वो ऐसी गलती दोबारा नहीं करेगी , ऐसी क्या सजा दी है तुमने उसे,,, इतना कहते हुए उसकी नजर अचानक ही ध्रुव के गले पर गई है , जहां पर नाखून से खरोचने निशान बने हुए थे , जिन्हें देख कर उसकी आंखें हैरानी और डर से और भी ज्यादा बड़ी हो गई और वो अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से ध्रुव की तरफ देखने लगी।
वहीं ध्रुव !" मैंने उसे क्या सजा दी ये बात तुम्हें जानने की जरूरत नहीं है , इतना कह कर बिना उसकी बात का जवाब दिए कॉन्फ्रेंस रूम से बाहर निकल गया , और अपने केबिन की तरफ बढ़ गया। वहीं कुछ सोचकर तारा का चेहरा पसीने से भर गया और उसके कदम लड़खड़ा गए , वो जल्दी से अपनी चेयर पर बैठ गई।
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सुबह से दोपहर हो चुकी थी , पर अवनी अभी भी अपने बिस्तर पर उसी हालत में सोई हुई थी , तभी उसके पास रखा हुआ उसका टूटा फूटा फोन बज उठा ... जिससे अवनी की नींद खुली , दर्द की वजह से उसे अपने बदन में बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , उसने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर फोन उठाया और उसकी स्क्रैच से भरी हुई स्क्रीन को देखा , जिस पर दादी मां शो हो रहा था , ये देख उसने खुद को नॉर्मल किया और फिर फोन को रिसीव कर हल्की की आवाज में मुस्कुराते हुए बोली!" जी दादी मां
उधर रायचंद मेंशन में सोफे पर बैठी हुई सविता रायचंद यानी कि ध्रुव की दादी मां चाय पीते हुए अवनी से बोली!" दादी मां की बच्ची , कब आएगी आज तू , मैं यहां सुबह से तेरा इंतजार कर रही हूं , पर तेरी शक्ल ही नहीं दिख रही आज आएगी भी या नहीं , तुझे पता है तेरे इंतजार में मेरे पैरों में दर्द होना शुरू हो गया है।
उनकी बात पर अवनी थोड़ी सी हिली तो उसे अपने पेट में फिर से दर्द महसूस हुआ , जिस पर उसने गहरी सांस ली और फिर वो हल्की आवाज में दादी मां से बोली !" सॉरी दादी मां , आज मैं आ नहीं पाऊंगी , आज तबियत कुछ ठीक नहीं है!
उसकी बात सुनकर दादी चौक गई और फिर उसके लिए परेशान होते हुए उससे बोली!" क्यों क्या हुआ तेरी तबीयत को , मैं आऊं क्या तेरे पास ... तो अवनी की आंखें भर आई , वो अपने आंसू पौछते हुए हल्के से मुस्कुराकर उनसे बोली!" नहीं दादी मां इसकी कोई जरूरत नहीं है , मैं ठीक हूं , वो तो बस (कुछ सोचते हुए) वो दरअसल रात में लेट घर लौटने की वजह से सर्दी लग गई , इसी वजह से हल्का सा बुखार आ गया है और कुछ नहीं ... आज आराम करूंगी तो ठीक हो जाएगा , आप चिंता मत करिए कल मैं जरूर आऊंगी आपके पास और अच्छे से आपके पैरों की मालिश करूंगी!
तो दादी मां सर हिलाते हुए उससे बोली!" ठीक है तू फिर आराम कर अगर किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे बता देना , मैं समीर से कह कर भिजवा दूंगी!
तो अवनी ने रुंधी आवाज में हम्म कह कर फोन कट कर दिया , वही फोन कटने के बाद दादी खुद से बोली!" तू कितना भी अपने दर्द को मुझसे छुपा ले अवनी पर छुपा नहीं पाएगी , इस घर में एक मैं ही हूं जो तुझे तुझसे ज्यादा जान चुकी हू , जान चुकी है कि कितना दर्द भरा है तेरे दिल में इतना कि अब उस दर्द का एहसास भी होना तुझे बंद हो गया है , पता नहीं इस घर के लोग और ध्रुव कब तुझे समझेगें या फिर कभी समझेगे भी या नहीं।
तभी नीलम यानी कि ध्रुव की मां उनके पास आई , और उनसे बोली!" क्या हुआ मां क्या कहा अवनी ने ,बात हुई आपकी उससे , कब आ रही है वो?"
तो सविता जी उसकी तरफ देखते हुए बोली!" वो नहीं आ रही आज, उसकी तबीयत ठीक नहीं है , इस वजह से।
उनकी बात सुनकर नीलम मन ही मन मुस्करा उठी और फिर अपने चेहरे पर परेशानी लाते हुए उनसे बोली !" अच्छा उसकी तबीयत खराब है , फिर तो रहने दीजिए उसे आराम करने दीजिए , आपके पैरों की मालिश आज बिरजू कर देगा!
सविता जी ने हां में सर हिलाया और वहां से उठकर अपने कमरे की तरफ चली गई , तभी नीलम जी का फोन बज उठा ... उन्होंने नंबर देखा तो तारा शो हो रहा था , ये देख उन्होंने पूरे हॉल में अपनी नज़रें घूमा कर देखा और फिर कॉल रिसीव करते हुए उससे बोली!" हां बोलो क्या बात है तारा , तुमने इस वक्त कॉल क्यों किया , कोई प्रॉब्लम है क्या?"
तो तारा गुस्से में उनसे बोली!" प्रॉब्लम , प्रॉब्लम की तो आप बात ही मत कीजिए , प्रॉब्लम तो आप लोगों ने खड़ी की है बहुत बड़ी वो भी मेरे लिए , आप जानती भी हैं आपकी और मेरी प्यारी मां की एक छोटी सी गलती की वजह से अब कितनी बड़ी प्रॉब्लम्स खड़ी हो गई है ।
उसकी बात पर नीलम जी चिड़ते हुए उससे बोली!" ओफ्फो तारा पहेलियां मत बुझाओ , जो भी बात है सीधे-सीधे बताओ .... मुझे तुम्हारी ये घुमा फिरा कर की गई बातें समझ नहीं आती , क्या किया है हमने और ऐसा क्या हो गया जो इतनी परेशान हो , इतनी गुस्सा हो ।
तो तारा गुस्से में उनसे बोली!" कल रात को आपने जो प्लान बनाया था ना मुझे और ध्रुव को करीब लाने के लिए ... जिसके लिए अपने और मां ने अवनी के हाथों ध्रुव को ड्रग्स दिलवाई थी , आप जानती भी है आपके उस करनामे ने मेरे लिए कितनी बड़ी प्रॉब्लम खड़ी कर दी है , आपके इस प्लान की वजह से ध्रुव जिसे मेरे करीब आना था , वो रात में गुस्से में अवनी के करीब चला गया और उसने उसके साथ रिलेशन बना लिया।
उसकी बात पर नीलम हैरान हो गई , और वो एकदम से तेज आवाज में तारा से बोली !" क्या ये क्या कह रही हो तुम , ऐसा कैसे हो सकता है हमने वो ड्रग्स सोच समझ कर ही दी थी पूरा प्लान बनाकर और इसीलिए तो तुम्हें ध्रुव के साथ पार्टी से बाहर भी भेज दिया था , ताकि तुम दोनों के एक होने में कोई प्रॉब्लम ना हो , फिर ऐसा कैसे हो सकता है ?"
तो तारा गुस्से में उनसे बोली!" कैसे हो सकता है नहीं ऐसा हो चुका है , दरअसल बात ये थी रात को जब हम दोनों पार्टी से निकलकर क्लाइंट से मिलने जा रहे थे , तभी ध्रुव पर ड्रग्स का असर शुरू हो गया था उसके बाद मैं उसे डॉक्टर पर लेकर गई तो उन्होंने उसे बताया कि उसे ड्रग्स दी गई है , इसके बाद मैंने ध्रुव को अपनी बातों में लेने की कोशिश की , उसे अवनी के खिलाफ भड़काया , ताकि वो मेरे करीब आ सके , लेकिन हो उसका उल्टा गया वो अवनी पर बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया और अवनी से उसकी करतूत का जवाब मांगने के लिए सीधे अपने फ्लैट पर चला गया , उसके बाद मैंने उसे बहुत फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन ही नहीं उठाया , और वहां जो कुछ भी हुआ उसके बारे में तो मुझे नहीं पता , लेकिन आज ऑफिस में मैंने ध्रुव की गर्दन पर कुछ निशान देखे जिससे मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है , और बार-बार मेरे जहन में यही ख्याल आ रहा है कि उनके बीच कुछ तो हो चुका है , इसीलिए प्लीज आप एक बार अवनी को देखो उसके फ्लैट पर जाओ , और कंफर्म करो कि मेरा शक सही है या फिर गलत , आई विश की मेरा शक गलत निकले।
उसकी बात पर नीलम जी जल्दी से उठकर खड़े होते हुए घबरा कर उससे बोली !" तुम , तुम चिंता मत करो मैं अभी जाकर अवनी से मिलकर आती हूं मुझे भी लगता है कुछ तो गलत हुआ है , क्योंकि अवनी आज यहां भी नहीं आई है वरना वो सुबह 10:00 तक ही मां की मालिश के लिए आ जाती थी , और आज उसने आने से भी मना कर दिया , ये कहकर कि उसे बुखार है , अब तो मुझे भी डर लग रहा है तुम जो सोच रही हो। कहीं वो सच तो नहीं हो गया , अगर ऐसा हुआ तो हमारी पिछली 1 साल की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर जाएगा ,
उनकी बात पर तारा गुस्से में बोली!" नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी , मैंने ध्रुव को पाने के लिए क्या कुछ किया है ये मैं ही जानती हूं और अब मैं अपनी इस मेहनत को यूं ही जाया नहीं जाने दूंगी , अगर उनके बीच में कुछ हुआ भी है तो क्या फर्क पड़ता है रात गई बात गई , वैसे भी ध्रुव ने जो किया वो गुस्से में किया वरना वो उस लड़की को एक नजर मुड़कर भी नहीं देखता और मैं पूरी तरह से श्योर हूं अब के बाद ध्रुव उसके पास भटकेगा भी नहीं ... ध्रुव पहले भी मेरा था , अब भी मेरा है और हमेशा मेरा रहेगा। ... उस अवनी की उसकी जिंदगी में कोई जगह नहीं , इसीलिए उसे ध्रुव की जिंदगी से जाना ही होगा।
इतना कहकर उसने फोन कट कर दिया और परेशानी से चेयर पर बैठ गई , उसने अपना सर पकड़ लिया और आंखें बंद कर ली।
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वहीं दूसरी तरफ दोपहर होने की वजह से अवनी को अब भूख का एहसास होने लगा था , और घर में कोई सर्वेंट था नहीं जो उसे खाना बना कर देता या उसकी जगह पर पूरे घर की साफ सफाई कर देता , कितनी अजीब बात है ना इतने बड़े बिजनेसमैन की बीबी जिसके पास कोई सर्वेंट नहीं और वो अपने सारे काम चाहे वो छोटे से छोटा हो या बड़े से बड़ा खुद करती है , अगर किसी से इस बात को कहे तो वो हंसेगा , लेकिन ये बात सच थी अवनी के लिए इस पूरे फ्लैट में एक भी सर्वेंट नहीं था , घर के कामों में उसकी मदद करने के लिए , वजह क्योंकि उसकी सो कॉल्ड सासू मां का कहना था , कि अगर वो घर के सारे काम खुद करेंगी , तो इससे उसका शरीर चलता फिरता रहेगा और उसका वेट भी नहीं बढ़ेगा और क्या पता सारे घर के काम खुद करने से उसका वेट भी घट जाए , और अपनी इसी बात पर अमल करते हुए उन्होंने अवनी के फ्लैट में एक भी सर्वेंट को उसके लिए नहीं छोड़ा था ,सभी को अपने रायचंद मेंशन में लगा लिया था , रही घर के बाकी लोगों की बात या फिर ध्रुव की तो बात वही आती है उन्हें अवनी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था , शिवाय दादी के लेकिन इस बुढ़ापे की उम्र में उनकी सुनता कौन था , इसीलिए वो चुपके से दादू की पेंशन में से हर महीने अवनी के अकाउंट में कुछ पैसे ट्रांसफर करवाती थी , जिससे अवनी हर महीने का अपना खर्च निकालती थी और कुछ पैसे वो पास के बच्चों को ट्यूशन देकर जुटा लेती थी , ऐसा नहीं है कि वो बाहर कहीं जॉब नहीं कर सकती थी , पर बात वही है ना इतने बड़े टॉप 2 की लिस्ट में आने वाले बिजनेसमैन की बीवी के पास पैसों की क्या कमी , जो उसे किसी दूसरे के यहां नौकरी करने की जरूरत पड़े , बस यही सोच नीलम जी की यही सोच की वजह से वो कभी घर से बाहर जॉब के लिए नहीं जा पाई , एक दो बार गई भी तो वहां उसे यही सब सुनने को मिला और उसे जॉब देने की जगह लोगों ने उसके सामने अपने हाथ जोड़ दिए , यह कहकर कि वो उसे क्या नौकरी देंगे , अगर अवनी चाहे तो वो खुद उन्हें नौकरी पर रख सकती है।
यही सब सोचते हुए और अपनी किस्मत पर हंसते हुए अवनी के होठों पर दर्द भरी मुस्कान खिल गई और आंखों की नमी आंखों के बंद होने पर बहकर गालों पर आ गई । उफ्फ क्या जिंदगी है उसकी , जहां ना वो खुलकर जी सकती है ना मार सकती है , भगवान ने जैसे उसे भारी भरकम शरीर नहीं दिया बल्कि दुनिया भर की मनहूसियत उसी के अंदर ही भर दी है , तभी तो हर कोई उसका तिरस्कार करने पर लगा रहता है , और ध्रुव के साथ शादी करके तो पता नहीं उसने जाने कौन सा बड़ा गुनाह कर दिया है जिसकी वजह से पूरी दुनिया की नजरों में उससे बुरी और बेकार लड़की कोई है ही नहीं।
अवनी ने अपने जज्बातों को काबू करने के लिए गहरी सांस ली और फिर धीरे से उठ कर बिस्तर पर बैठ गई। उसके कपड़े इस वक्त जमीन पर यहां वहां बिखरे हुए थे , ये देख एक बार फिर से रात की यादें उसके जहन में ताजा हो गई , जिससे एक बार फिर उसकी आंखें भर आई उसने अपने हाथ से आंसूओ को साफ किया , फिर उस चादर को जिसे उसने ओढ़ रखा था , उससे खुद को धीरे-धीरे कवर किया , और फिर धीरे-धीरे उठकर बिस्तर से खड़ी होने लगी , दर्द की एक तेज लहर फिर से एक बार उसके शरीर में दौड़ गई , पर अब उसे उठाना ही था अगर नहीं उठाती तो शायद भूख की वजह से उसे और कमजोरी होती , इसके बाद उसका खुद को संभालना और मुश्किल होता , उसने उठकर खड़े होकर बेड के क्राउन का सहारा लेते हुए खुद को संभाला , फिर धीरे-धीरे चलकर कवर्ड की तरफ गई , उसमें से उसने अपने लिए कपड़े निकाले और फिर धीमे कदमों से ही चल कर बाथरूम में चली गई , अंदर जाकर उसने कुछ वक्त तक गर्म पानी से शावर लिया , जिससे उसे अपने बदन में राहत महसूस होने लगी।
कुछ वक्त बाद वो बाहर निकाल कर आई , और उसने अपने कपड़ों को जमीन से समेट कर उन्हें एक तरफ रख दिया और कमरे को साफ करने लगी , बेड की चादर को भी हटाकर चेंज कर दिया और फिर अपने कपड़े और गंदी चादर को ले जाकर बाथरूम में रख आई , फिलहाल उसकी हालत कपड़े धोने के लिए ठीक नहीं थी , तो उसने कपड़े धोने का बाद में सोचा और कमरे को साफ कर धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे आकर पहले वो घर के मेंन दरवाजे की तरफ बढ़ गई , उसने दरवाजा खोला तो बाहर दूध का पैकेट छोटी सी टोकनी में रखा हुआ था , शायद दूध वाला सुबह दूध रखकर चला गया था , उसने दूध उठाया और फिर वापस से दरवाजा बंद कर किचन में चली गई।
उसने अपने लिए चाय चढ़ा दी और फिर सामान देखने लगी .... उसके पास फिलहाल 2 दिन के लिए राशन था , ये देख उसने राहत की सांस ली , दो दिन तक उसकी तबीयत पूरी ठीक हो जाएगी , तो वो आराम से राशन ले आएगी , रही कॉफ़ी की बात तो क्या हुआ अगर 2 दिन काॅफी नहीं पिएगी तो , वो चाय से काम चला लेगी नहीं तो कल दादी के पास से लौटते वक्त लेती आएगी , यही सब सोचते हुए उसने एक आलू , एक प्याज वगैरा काट लिया और फिर थोड़े से पोहे निकालकर उन्हें साफ कर अपने लिए बनाने लगी , जैसे ही उसके पोहे रेडी हुए तो उसने चाय को अपने लिए कप मैं निकाल लिया और फिर एक प्लेट में पोहा लेते हुए चाय और पोहे की प्लेट को लेकर हाॅल में आ गई।
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अभी अवनी खाने के लिए बैठी ही थी कि तभी डोर बेल की आवाज उसके कानों में पड़ी , ये सुनकर उसने खाने को वहीं छोड़ा और उठकर धीरे-धीरे दरवाजे तक पहुंच गई , जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो सामने देखकर चौंक गई ...सामने मुस्कुराते हुए नीलम जी खड़ी थी , अवनी आंखें बड़ी कर हैरानी से उनकी तरफ देखकर बोली !" आप यहां इस वक्त ... पर ध्रुव जी तो घर पर नहीं है!"
तो नीलम जी उसे अपनी गहरी आंखों से ऊपर से नीचे तक घूरते हुए स्कैन कर रही थी , लेकिन अवनी के बंद कॉलर और फुल आस्तीन के कुर्ते की वजह से उन्हें कुछ नहीं दिख रहा था , तो वो मुस्कुराते हुए अवनी से बोली !" हां मैं जानती हूं ध्रुव घर पर नहीं है , पर तुम तो होना क्या मैं तुमसे मिलने भी नहीं आ सकती , वैसे भी ये मेरे बेटे का घर है तो मैं जब चाहे यहां आ सकती हूं ,
तो अवनी जल्दी से उनसे बोली!" नहीं ऐसी बात नहीं है वो आप हमेशा उनसे मिलने आती है , तो मुझे लगा अभी भी आ,,
तो नीलम जी उसकी बात काटते हुए उससे बोली !" तुम्हें क्या लगा क्या नहीं वो तुम तुम तक ही रहने दो और रास्ता छोड़ो मुझे अंदर आने दो , मां ने बताया आज तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है , इसलिए मैं तुम्हें देखने चली आई।
वहीं अवनी रास्ते से हट गई , तो वो अंदर चली आई , अवनी दरवाजा बंद कर उनके पीछे आ गई , हाॅल में आकर उन्होंने चाय और पोहे की प्लेट देखी ... तो वो उससे बोली!" अरे वाह पोहे ,, तुम पोहे खा रही थी इसका मतलब अब तुम ठीक हो , चलो अच्छा है मैं परेशान हो गई थी तुम्हारे लिए , कि तुम अकेले घर में सब कुछ अकेले कैसे मैनेज करोगी , पर अब तुम्हें ठीक-ठाक देख कर अच्छा लगा , इतना कहते हुए सोफे पर बैठ गई। फिर अवनी की तरफ देखते हुए !" वैसे तुम्हारी सासू मां तुम्हारे घर आई है तो कुछ चाय पानी नहीं पूछोगी , तुम्हारी पोहे की प्लेट देखकर मुझे भी जोरों की भूख गई , मेरे लिए भी एक कप चाय और पोहे ले आओ , आज दोनों सास बहू साथ में बैठकर नाश्ता करते हुए बातें करते हैं!
उनकी बात पर अवनी सर हिलाते हुए उनसे !" ठीक है आप बैठिए , मैं अभी आपके लिए चाय नाश्ता लेकर आती हूं , इतना कह कर धीरे-धीरे किचन की तरफ जाने लगी ... वही उसकी धीमी चाल को देखकर नीलम उसके पैरों की तरफ और उसे घूर कर देखने लगी .... बेशक अवनी के बदन पर उन्हें कुछ ना दिखा हो , लेकिन उसकी धीमी चाल देखकर उन्हें अपना शक कुछ-कुछ यकीन में बदलता हुआ दिख रहा था , उन्होंने देखा जैसे ही अपनी किचन में चली गई , वो तेजी से उठी और अवनी की चाय के पास आ गई , उन्होंने जल्दी से अपने पर्स को खोल और उसमें से एक मेडिसिन निकाली फिर उसमें से दो गोलियां निकालकर अवनी की चाय में मिला दी !" अगर अब तुम दोनों के बीच में कुछ हुआ भी होगा , तो भी कोई प्रॉब्लम नहीं , क्योंकि ये गोलियां अब कोई प्रॉब्लम होने नहीं देगी , इस रात की कोई निशानी अगर होगी भी तो ये गोलियां उसे खत्म कर देंगी। मन ही मन इतना कहकर शैतानी हंसी हंसते हुए वो वापस अपनी जगह पर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद अवनी उनके लिए चाय नाश्ता ले आई और उनके सामने रख दिया , फिर अपनी जगह पर बैठकर अपनी चाय उठा ली , तो नीलम जी ने भी मुस्कुरा कर चाय का कप उठा लिया , अब उनका यहां पर कोई काम तो नहीं था लेकिन अपने सामने पड़े चाय नाश्ते को छोड़कर वो कैसे जा सकती थी , इसीलिए वो अपनी चाय पीते हुए अवनी पर नजरे जमाए हुए थी ... वहीं जैसे ही अवनी ने चाय के कप को अपने होठों से लगाकर उसका एक घूंट भरा , तो नीलम जी के होठों पर मुस्कुराहट आ गई। आखिर उनका प्लान कामयाब हो गया और अवनी ने वो चाय पी ली ,
थोड़ी देर में उन्होंने अपना नाश्ता खत्म किया और फिर उठते हुए अवनी से बोली !" अच्छा अवनी मैं चलती हूं , तुम ये बर्तन साफ करके आराम करना और कल जरूर दादी के पास आ जाना .... वो तुम्हे याद कर रही थी , तो अवनी ने हां में सर हिला दिया , इसके बाद नीलम जी वहां से चली गई ...
वहीं अवनी उन्हें देखती रही उन्होंने अवनी से कहा तो ये था कि वो उसका हाल-चाल पूछने आई है , उसे देखने आई है , लेकिन यहां आकर उन्होंने उससे एक बात भी नहीं की थी ... हालांकि अवनी उनसे ड्रग्स के बारे में पूछना चाहती थी , लेकिन चाह कर भी वो उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाई , क्योंकि अतीत की कुछ बातें उसके जहन में ताजा हो गई थी , बात जबकि है जब शादी के बाद उसकी पहली रसोई थी और अवनी ने खाना बनाया था ... तो नीलम जी ने चुपके से उसके खाने में बहुत सारी मिर्च मिला दी थी , उन्हें ऐसा करते हुए अवनी ने देखा भी था ... और जब सभी परिवार वालों ने अवनी को डाटा , तो अवनी ने उन्हें सच बताया जिस पर किसी ने उसका यकीन नहीं किया , इतना ही नहीं नीलम जी का मन इससे भी नहीं भरा , तो उन्होंने अपने झूठे आंसू बहा कर रोते हुए ध्रुव के कान भरते हुए न जाने क्या कहा था , कि उसके बाद ध्रुव ने अवनी पर हाथ तक उठा दिया था , वो तो भला हो दादी का कि उन्होंने अवनी को बचा लिया था .... पर इसके बाद ध्रुव ने उसे सख्त वार्निंग दी थी , कि वो उसकी मां के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कह सकती वरना वो बर्दाश्त नहीं करेगा , बस यही वजह थी कि आज अवनी उनके सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाई।
अवनी ने चाय के बर्तनों को समेटा और उन्हें लेकर किचन में चली गई , उसने बर्तनों को साफ किया फिर किचन साफ की , उसके बाद धीरे-धीरे उसने हाॅल की सफाई की और फिर अपने कमरे में चली आई , उसका बदन अभी भी दर्द कर रहा था .... इस वजह से वो अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और थोड़े वक्त बाद ही उसकी आंखे लग गई।
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अवनी ने चाय के बर्तनों को समेटा और उन्हें लेकर किचन में चली गई , उसने बर्तनों को साफ किया फिर किचन साफ की , उसके बाद धीरे-धीरे उसने हाॅल की सफाई की और फिर अपने कमरे में चली आई , उसका बदन अभी भी दर्द कर रहा था .... इस वजह से वो अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और थोड़े वक्त बाद ही उसकी आंखे लग गई।
शाम को अवनी की आंखें खुली , तो अब उसे अपने बदन में आराम महसूस हो रहा था , वो उठी और फिर वॉशरूम में फ्रेश होने चली गई , बाथरूम में उसने अपने गंदे कपड़ों को पडे़ हुए देखा , तो फिर वो अपने कपड़े धोने लगी अभी कल दादी के पास जाने की वजह से उसे शायद ही कपड़े धोने के लिए वक्त मिल पाता , थोड़ी देर बाद वो अपना मुंह टॉवल से पौछते हुए एक हाथ में कपड़े की बकेट लिए बाहर आई , और फिर टाॅवल को वही चेयर पर रखकर बालकनी में चली गई , उसने सारे कपड़ों को सूखाने के लिए डाला , उसके बाद कमरे में आ गई फिर उसने टाइम देखा तो 7 बज गए थे .... ये देख वो जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई , वो किचन में आई और उसने अपने लिए खाना बनाना शुरू कर दिया , उसे खाना सिर्फ अपने लिए ही बनाना था , क्योंकि ध्रुव बहुत कम ही घर पर आता था और आता भी था तो भी उसके हाथ का खाना उसने कभी नहीं खाया था , एक दो बार अवनी ने उसके लिए खाना बना कर भी रखा था , लेकिन अगले दिन उसे वो कुत्तों को खिलाना पड़ा था , शादी के पहली रसोई के खाने के बाद ध्रुव ने कभी उसके हाथ के खाने को हाथ तक नहीं लगाया था शायद वो अभी भी उससे नाराज था , उसे दिन हुए उस हंगामा की वजह से या फिर उसे उसके हाथ का खाना और वो पसंद ही नहीं थी पर इसमें उसकी भी क्या गलती उसने जो कुछ भी कहा वो सच ही तो कहा था और ना ही वो खुद से जानबूझकर उसकी जिंदगी में शामिल हुई , अगर उस वक्त हालत इतने बिगड़े ना होते और उसका मंगेतर से मंडप पर छोड़कर ना जाता , तो शायद वो भी उसकी जिंदगी में ना होती और ध्रुव की जिंदगी भी अच्छी खासी चल रही होती , सोचते हुए अवनी ने दाल और चावल धोए क्योंकि अभी तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं हुई थी और बदन में अभी भी दर्द था , उसने जल्दी से खुद के लिए सिर्फ दाल चावल वाली खिचड़ी चढ़ा दी और उसके बनने का इंतजार करने लगी .... साथ में छौक के लिए तैयारी करने लगी! थोड़ी देर बाद उसकी खिचड़ी बनाकर तैयार हो गई तो उसने एक बॉल में अपने लिए खिचड़ी निकाल ली और फिर उसे लेकर डाइनिंग हॉल में आ गई ,
वो खाना खाने लगी तो उसकी नजर अपने आप ही पूरे घर में चारों तरफ घूमने लगी , इस पूरे घर में उसके और इन चार दीवारों के अलावा उसके पास कोई नहीं था ना नौकर ना घर परिवार का कोई मेंबर और ना ही ध्रुव का साथ , इसी वजह से अगर वो अपनी मन की बात किसी से कहना भी चाहे तो किसी से कह नहीं पाती थी , क्योंकि मन हल्का करने के लिए उसके पास कोई मौजूद ही नहीं था यही वजह थी कि वो खुद में घुटती रहती थी और इसी अकेलेपन के कारण हस्ती खिलखिलाती अवनी एकदम शांत पड़ गई थी , जिसके होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट भी सिर्फ बीते लम्हों को याद करने से आती थी , वरना मुस्कुराने की उसके पास कोई वजह ही नहीं थी।
अवनी ने जैसे तैसे अपने जज्बातों को काबू कर अपना खाना खत्म किया और फिर बर्तनों को समेट कर किचन में जाकर उन्हें धोकर वापस से रख दिया और फिर अपने लिए कॉफी बनाकर उसे लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई , कितना अजीब लगता है ना जब हमें किसी के साथ की जरूरत हो किसी से अपने मन की बातें बांटने की जरूरत हो , लेकिन उस वक्त कोई हमारे पास ना हो और हम हर तरफ से खुद को अकेला महसूस करें , दम घुटता है रोना आता है बस आंसू पहुंचने के लिए या दिलासा देने के लिए कोई मौजूद नहीं होता , और अवनी का भी अभी वही हाल था।
उसने कमरे में आकर कॉफी को एक टेबल पर रखा , फिर बेड के पास जाकर एक ड्रॉ में से अपनी एक डायरी निकाल ली , और स्टडी टेबल के पास जाकर वहां से पेन उठा लिया फिर अपनी कॉफी को उठाकर उसे लेकर बालकनी में चली गई , वहां जाकर वो एक सोफे पर बैठ गई जहां से आसमान में निकला हुआ चांद साफ दिखाई देता था , वही उसके और पास चारों तरफ तारे टिमटिमाते हुए दिखते थे और सामने देखने पर उसे एक पार्क की दूर तक फैली हरियाली दिखती थी , जिसके पास के पेड़ो पर पक्षी बैठकर ची ची चो चो करते थे और उनके शोर में अवनी को एक अजीब सा सुकून महसूस होता था।
आज भी बिल्कुल वैसा ही हाल था , पूरी छत पर चांद की रोशनी फैली हुई थी , वही उसके पास टिमटिमाते हुए तारे बहुत सुंदर लग रहे थे ठंडी हवा चल रही थी , जो की अवनी बदन को छुती हुई वहां से गुजर रही थी , जिससे अवनी को सुकून महसूस हो रहा था उसने अपनी डायरी खोली और फिर पेन से कल रात से लेकर आज के दिन के बारे में सब कुछ लिखने लगी , यही डायरी थी उसकी हम दर्द उसकी साथी जिसमें वो अपनी जिंदगी की हर बातों को लिखती थी , जो उसके दिल को खुशी देती थी दर्द देती थी अपने हर एहसास को वो इन्हीं डायरी के पन्नों पर उतारती थी , ये डायरी लिखना उसने अपनी मां के जाने के बाद से ही शुरू कर दिया था पहले वो कभी-कभी उन्हीं बातों को लिखती थी जो उसे ज्यादा हर्ट करती थी या ज्यादा खुशी देती थी , लेकिन पिछले 1 साल से ये उसकी सबसे बड़ी हमदर्द उसकी साथी बन गई थी , जिसमें उसकी पिछली 1 साल की जिंदगी की सारी बातें लिखी हुई थी , जो कुछ उसने महसूस किया था जो कुछ उसने सहा था सब कुछ।
अवनी ने डायरी में सारी बातें लिखकर डायरी बंद कर दी और अपनी कॉफी पीने लगी , कॉफी पीने के बाद वो कुछ देर वहीं पर टहलने लगी, फिर वो वापस सोफे पर बैठ गई और उस चांदनी रात में चलती हुई हल्की सी हवाओं को महसूस करने के लिए अपनी आंखें बंद कर ली और अपनी तन्हाई में ही सुकून को तलाशने लगी।,
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अपनी बॉडी में होती हल्की सी कपकपी को महसूस कर अवनी की आंखें खुल गई, आसमान में बादल घिर आए थे और हवाएं तेज हो गई थी, जिस वजह से उसे ठंड लगने लगी थी और उसकी आंखें खुल गई थी, वरना वो तो यहीं पर सो गई थी, अवनी सोफे से उठकर खड़ी हो गई और उसने अपनी साड़ी को सही किया उसके बाद सारा सामान समेंट कर कमरे में आ गई , उसने अपनी डायरी ड्राॅ में रखी ही थी की तभी उसे कदमों की आहट आने लगी , जो उसके कमरे की तरफ ही बढ़ रहे थे ये महसूस कर अवनी का बदन कांपने लगा , इन कदमों की आहट को अच्छे से
पहचानती थी , जो की ध्रुव के थे लेकिन वो अब क्यों उसके कमरे की तरफ आ रहा था , अब तो उसने कुछ किया ही नहीं , ये सब सोचते हुए उसे फिर से कल रात ध्रुव की की गई दरिंदगी का ख्याल हो आया , जिससे उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया , क्या आज भी फिर से ध्रुव उसके साथ,,, नहीं वो ऐसा नहीं कर सकता , ये सब सोचते हुए उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गई , जो खुला हुआ था , ये देख वो जल्दी से दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी , तभी ध्रुव वहां आकर खड़ा हो गया ... जिससे अवनी के कदम बीच में ही रुक गए , ध्रुव को सामने देख उसका दिल घबराने लगा उसने अपने हाथों को नीचे कर अपनी मुट्ठियों को बांध लिया और अपनी नज़रें झुका ली।
वही ध्रुव ने जब उसके डर से पीले पड़े हुए चेहरे को देखा तो उसकी आंखें ठंडी पड़ गई , उसने एक नजर अवनी के हाथों की तरफ देखा जिसने अपने हाथों की मुट्ठियों को कसकर बांध रखा था और नजरे झुका रखी थी , पर फिर भी उसके बदन में हो रही कंपन से साफ पता चल रहा था कि वो उसकी मौजूदगी से घबरा रही थी , ये देख अचानक ही ध्रुव के चेहरे के भाव सख्त हो गए।
वो अंदर अवनी के कमरे में अपने कदम बढ़ने लगा , ये देख अवनी जो कमरे में बीचो-बीच खड़ी थी , वो डरते हुए अपने कदम पीछे लेने लगी , उसके चेहरे पर इस वक्त डर और घबराहट साफ दिख रही थी और आंसू भी अब बह कर उसके गालों पर आने को तैयार थे , पीछे जाते हुए वो बेड के बाएं तरफ को हो गई , वही ध्रुव जो अवनी की तरफ ही देख रहा था उसने अवनी पर से अपनी नज़रें फेर ली और वो बेड के बाई तरफ को चला गया , ये देख अवनी ने सुकून भरी सांस ली , पर फिर भी अपने कमरे में अभी भी ध्रुव की मौजूदगी से उसे घबराहट हो रही थी ... वहीं ध्रुव ने बेड के दाएं तरफ बने हुए ड्रॉ को खोला और उसमें से अपनी घड़ी निकाल ली , जिसे लेकर वो वापस मुड़कर वहां से जाने लगा , पर तभी वो रुका और बिना अवनी की तरफ देखे हुए तेज आवाज में उससे बोला !" कल शाम को एक पार्टी है मेरे बिजनेस क्लाइंट के यहां , वहां पर उसने अपने सभी पार्टनर्स को उनकी वाइफ के साथ इनवाइट किया है , तुम्हे भी मेरे साथ चलना होगा , इसीलिए शाम को टाइम पर अच्छे से तैयार हो जाना और हां (वार्निंग भरे लहजे में अवनी की तरफ पलट कर) गलती से भी वहां पर कोई चालाकी दिखाने की कोशिश मत करना और अगर तुमने पिछली रात की पार्टी की तरह कोई भी हरकत की , तो फिर अपने अंजाम के लिए भी तैयार रहना।
उसकी बात सुनकर अवनी ने धीरे से हां मे सर हिला दिया , तो ध्रुव गुस्से में उसे देखते हुए तेज कदमों से चलकर उसके करीब आकर उसके सामने खड़ा हो गया , ये देख अवनी घबरा गई , ध्रुव की नजदीकी से उसका बदन कांपने लगा, वो अपने कदम पीछे लेने लगी , कि तभी ध्रुव ने कसकर उसे कंधों से पकड़ लिया और उसे अपने करीब खींचते हुए गुस्से में उसके चेहरे को घूरते हुए उससे बोला" मुंह में जवान नहीं है क्या , जो सर हिला रही हो , जो बोला गया है उसका जवाब दो , वरना,,,,! कहते हुए अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब लाने लगा. जिससे अवनी ने घबराहट के मारे अपना चेहरा उसकी तरफ से घुमा लिया और रुंधी हुई आवाज में धीमे से उससे बोली!'' जी, जी मैं समझ गई , मैं पूरी कोशिश करूंगी कि कल पार्टी में मुझसे कोई गलती ना हो , तो ध्रुव जो उसके खुद की तरफ से चेहरा मोड लेने की वजह से उससे हल्का खफा सा हो गया था , क्योंकि उसे पसंद नहीं आया था अवनी का खुद से यूं इस तरह मुंह मोड़ लेना कल तक तो वो उसके करीब आने की हर मुमकिन कोशिश कर रही थी और आज जब वो खुद उसके करीब आ रहा है, तो उससे नज़रें फेर रही है ये बात उसे कैसे बर्दाश्त हो उसने कुछ पल गुस्से में उसे देखा और फिर एकदम से अपने एक हाथ को उसकी कमर में डालते हुए उसे खींच कर अपने करीब ले आया।
उसकी इस हरकत से अवनी और ज्यादा घबरा गई ,उसके हाथ खुद ब खुद अपने और ध्रुव के बीच में दूरियां बनाने के लिए ध्रुव के सीने पर आ गए , ये देख ध्रुव ने अपने दूसरे हाथ से अपने सीने पर रखे हुए अवनी के एक हाथ को पकड़ लिया और फिर उसकीक कलाई को थाम कर उसे कसकर दबाते हुए अवनी के चेहरे के करीब जाकर उसके चेहरे पर अपनी गर्म सांस छोड़ते हुए अपनी सख्त आवाज में उससे बोला '' क्या हुआ कल तक तो मेरे करीब आने के लिए तुम बड़ी बेताब थी, तड़प रही थी मुझे अपने करीब लाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही थी, तो अब क्या हुआ अब जब मैं खुद करीब आ रहा हूं तो फिर मुंह क्यों फेर रही हो, क्यों दूर जा रही हो, क्या इतनी जल्दी मन भर गया मुझसे या मैं पसंद नहीं आया तुम्हें , या फिर मैंने तुम्हें ठीक से सेटिस्फाइड नहीं किया शायद , है ना यही वजह है ना।
उसकी बातें सुनकर अवनी ने रोते हुए कसकर अपनी आंखों को बंद कर लिया , पर अभी भी वो ध्रुव की तरफ देखने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी , वही ध्रुव अपने चेहरे को उसके बिल्कुल करीब ले आया और उसकी गर्दन पर अपनी नाक और होंठ चलाते हुए बोला'' चलो कल की रही सही कसर में आज पूरी कर देता हूं , आज तुम्हें मैं फुल ऑन सेटिस्फाइड कर दूंगा , जिससे तुम्हें फालतू में मुझे अपने करीब लाने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, और ना ही कोई चल चलनी पड़ेगी , कहते हुए उसने अवनी का जवाब न मिलने पर गुस्से में उसकी कलाई को और जोर से दबा दिया , जिससे अवनी की चीख निकल गई क्योंकि ध्रुव के उसकी कलाई दबाने से उसकी चूड़ियां टूट कर उसकी कलाई में दब गई थी, ये देख ध्रुव ने एक पल के लिए उसकी कलाई की तरफ देखा , जिस पर खून की बूंदे चमक रही थी और कांच के छोटे-छोटे टुकड़े उसकी कलाई में दबे हुए थे, अचानक ही ध्रुव के चेहरे के भाव बदल गए , उसने एकदम से अवनी और उसकी कलाई को छोड़ दिया, उसने अवनी के चेहरे की तरफ देखा जो पूरा आंसुओं से भीगा हुआ था, ये देखकर ध्रुव के चेहरे का रंग बदल गया उसने एक पल के लिए अपनी मुट्ठियों को कस लिया, और ''कल की पार्टी के लिए टाइम से तैयार रहना, देर नहीं होनी चाहिए, वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा !
कहकर वो वापस पलट कर दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए उसके कमरे से बाहर निकल गया , उसके जाने के बाद अवनी घुटनों के बल जमीन पर बैठकर अपनी कलाई को देखते हुए फूट-फूट कर रोने लगी , क्या जिंदगी थी उसकी जिसमें सिर्फ दुख ही थे ना तो उसे शादी से पहले प्यार मिला और ना ही शादी के बाद। मिला तो सिर्फ दुख दर्द और तिरस्कार वो भी अपने ही पति से, जिससे उसकी सारी उम्मीदें और सपना जुड़े हुए थे, अब तो बस वो खुद ही खुद का सहारा थी, कोई नहीं था उसके साथ जो उसके दुख दर्द को बांट सके , सोचते हुए अवनी ने रोते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया , कुछ पल रोने के बाद अवनी ने गहरी सांस ली और अपने आंसुओं को पोंछ लिया वो उठकर खड़ी हुई उसने सबसे पहले तेजी से जाकर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दरवाजा अच्छे से लॉक कर दिया। उसे डर था कि कहीं ध्रुव वापस उसके पास ना आ जाए वैसे भी वह उसकी कल की बेदर्दी भूली नहीं थी और वापस उस दर्द को जीना नहीं चाहती थी उसके बाद अवनी ने बेड के पास आकर ड्रौर में से एक ट्यूब निकाला और धीरे से उसे अपनी कलाई पर लगाने लगी , ट्यूब लगाने के बाद वो अपने कपड़े लेकर वॉशरूम में चली गई, थोड़ी देर बाद वो नहा कर आई और बिस्तर पर आकर लेट गई , बदन की थकावट और दर्द इतना था कि थोड़ी देर बाद ही उसकी आंख लग गई , लेकिन नींद में भी उसकी आंखों की कोरों से बूंद बूंद में बहते आंसू इस बात का गवाह थे , कि उसकी जिंदगी कितनी दर्द से भरी हुई थी , जहां उसको सुकून के दो पल देने वाला कोई नहीं था लेकिन दर्द देने वाले हजारों की संख्या में थे , जिनमें उसका खुद का पति भी शामिल था ।
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अब तक आपने पढ़ा-
उसके बाद अवनी ने बेड के पास आकर ड्रौर में से एक ट्यूब निकाला और धीरे से उसे अपनी कलाई पर लगाने लगी , ट्यूब लगाने के बाद वो अपने कपड़े लेकर वॉशरूम में चली गई, थोड़ी देर बाद वो नहा कर आई और बिस्तर पर आकर लेट गई , बदन की थकावट और दर्द इतना था कि थोड़ी देर बाद ही उसकी आंख लग गई , लेकिन नींद में भी उसकी आंखों की कोरों से बूंद बूंद में बहते आंसू इस बात का गवाह थे , कि उसकी जिंदगी कितनी दर्द से भरी हुई थी , जहां उसको सुकून के दो पल देने वाला कोई नहीं था लेकिन दर्द देने वाले हजारों की संख्या में थे , जिनमें उसका खुद का पति भी शामिल था ।
अब आगे -
अगले दिन अवनी अपने रोज के टाइम पर ही उठी और उसने घर के कामों को करना शुरू कर दिया , उसके बाद वो नहा धोकर फ्रेश हुई और फिर अपने लिए नाश्ता बनाने लगी , वो सभी काम जल्दी-जल्दी कर रही थी क्योंकि उसे रोज की तरह दादी के पास जाना था , उनके पैरों के मालिश करने के लिए दादी को उसके हाथों की मालिश बहुत पसंद थी , और ये शायद अवनी के हाथों का ही कमाल था , कि बेजान हो चुके दादी के पैरों में अब जान आने लगी थी , वो अपनी व्हीलचेयर से उठकर एक दो कदम चल लेती थी , इसी वजह से दादी अवनी को बहुत पसंद करती थी घर में एक दादी ही थी , जिनके साथ अवनी अवनी बन कर रहा करती थी , उसने जल्दी से नाश्ता बनाया और फिर अपने लिए प्लेट में निकाल कर वही स्लैब के पास खड़ी होकर खाने लगी , उसने अपना नाश्ता खत्म किया और फिर प्लेट धोकर रख दी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
थोड़ी देर बाद वो अपना पर्स संभालते हुए सीढ़ियां उतरकर हाॅल में आई और फिर उस घर से बाहर निकल गई , उसने दरवाजे को अच्छे से लॉक कर दिया और ऑटो में बैठकर रायचंद मेंशन के लिए निकल गई यूं तो वह पैदल ही रायचंद मेंशन जाती थी लेकिन आज उसे जल्दी पहुंचना था ताकि जल्दी वापस आते हुए रास्ते से वह घर का सारा जरूरत का सामान ले आए ।
थोड़ी देर बाद वो रायचंद मेंशन पहुंच गई , उसने ऑटो वाले को पैसे दिए और अंदर चली गई , वो गार्डन से होते हुए अंदर जा रही थी , कि तभी एक लड़की से टकरा गई उसने सर उठाकर सामने देखा , तो वो उसकी ननंद सीमा थी , वही सीमा गुस्से में अवनी को देख रही थी उसकी वजह से और उसके टकराने की वजह से सीमा का पर्स और उसका महंगा फोन जमीन पर गिर गया था , ये देख वो गुस्से में अवनी से बोली !" अंधी हो गई है आप दिखता नहीं है आपको , मेरा सारा सामान गिरा दिया आपने , उसकी बात पर अवनी जल्दी से नीचे झुक कर उसका पर्स और फोन उठाते हुए उससे बोली!" सॉरी सीमा मैंने जानबूझकर नहीं किया , मैं जल्दी में थी इसीलिए मेरा ध्यान नहीं था के सामने से तुम आ रही हो , आई एम रियली सॉरी तो सीमा ने अपने फोन की चटकी हुई स्क्रीन को देखा और फिर गुस्से में उससे बोली !" आपके सॉरी का क्या अचार डालूं मैं दिख नहीं रहा आपको मेरे फोन की पूरी स्क्रीन टूट गई , आप ना बिल्कुल चलती फिरती आफत हो जहां भी जाती हो वहां कुछ ना कुछ बिगाड़ना जरूर है आपको , जैसे मेरे भाई की जिंदगी बिगाड़ कर रखी है अपना सॉरी मत बोलो मुझे बस मुझ पर एक एहसान करो , जितना हो सके मुझसे दूर रहा करो ताकि मैं और मेरी चीजे आपसे सेफ रहे , इतना कह कर गुस्से में उसे घूरते हुए वहां से चली गई।
वही अवनी सीमा को जाते हुए देखती रही , फिर उसने गहरी सांस ली और वो मेन डोर से होते हुए अंदर गई , तो सामने हाॅल में ही दादी बैठी हुई चाय पी रही थी , उनके बगल में ही थोड़ी दूरी पर बैठी हुई नीलम मटर छील रही थी।
ये देख वो अंदर की तरफ बढ़ गई , दादी ने जब उसे देखा तो वो खुश हो गई और वो मुस्कुराते हुए एकदम से बोली !" अरे अवनी तू आ गई आजा मैं कब से तेरा इंतजार कर रही थी , कल तु नहीं आई थी ना तो मेरा दिन ही नहीं कट रहा था, साथ ही अपने बूढ़े पैरों पर गुस्सा भी आ रहा था , अगर इन बुढ़ी हड्डियों में जान होती ना तो मैं ड़ौड कर कर तेरे पास भागी चली आती।
तो अवनी मुस्कुराई और उनके पास आते हुए बोली !" तो क्या हुआ दादी मां आप नहीं आ पाई पर मैं तो आ सकती हूं ना ... कल बस तबीयत ठीक नहीं थी इसीलिए नहीं आ पाई , वरना ऐसा हो सकता है आपके पास आए बिना मेरा दिन कट जाए मुझे खुद आपसे मिले बगैर खालीपन महसूस होता है , इतना कह कर झुक कर उनके पांव छू लिए , फिर वो नीलम जी की तरफ आई और उनके पैर छूने को हुई , तो वो उसे रोकते हुए बोली !"बस बस रहने दो मां जी के पैर छुए उतना ही बहुत है तुम उनकी ही सेवा करो , मुझे इसकी जरूरत नहीं है ... इतना कह कर मुंह बनाते हुए मटर का कटोरा उठाकर लेकर वहां से चली गई!
नीलम जी की बात पर अवनी खामोश रह गई , हालांकि उसके चेहरे पर आई मायूसी साफ देखी जा सकती थी , फिर वो हल्के से मुस्कुराते हुए दादी के पास चली आई और उनसे बोली!" दादी मां आपका तेल कहां है , दरअसल आज मुझे आपकी मालिश करके मार्केट जाना है राशन का सामान लेने , इसीलिए मैं जल्दी लौटने का सोच रही थी।
तो दादी मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखकर बोली !" कमरे में है बेड के पास जो टेबल रखी है ना उसकी नीचे वाली ड्रॉ में !
तो अवनी मुस्कुराते हुए उनसे बोली !" ठीक है आप बैठिए यहां पर अपनी चाय पीजिए , मैं अभी तेल लेकर आती हूं , इतना कह कर वहां से चली गई , वहीं दादी उसकी बात पर सर हिलाते रह गई।
अब तक आपने पढ़ा-
नीलम जी की बात पर अवनी खामोश रह गई , हालांकि उसके चेहरे पर आई मायूसी साफ देखी जा सकती थी , फिर वो हल्के से मुस्कुराते हुए दादी के पास चली आई और उनसे बोली!" दादी मां आपका तेल कहां है , दरअसल आज मुझे आपकी मालिश करके मार्केट जाना है राशन का सामान लेने , इसीलिए मैं जल्दी लौटने का सोच रही थी।
तो दादी मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखकर बोली !" कमरे में है बेड के पास जो टेबल रखी है ना उसकी नीचे वाली ड्रॉ में !
तो अवनी मुस्कुराते हुए उनसे बोली !" ठीक है आप बैठिए यहां पर अपनी चाय पीजिए , मैं अभी तेल लेकर आती हूं , इतना कह कर वहां से चली गई , वहीं दादी उसकी बात पर सर हिलाते रह गई
अब आगे-
उसके जाने के बाद वो ऊपर सीलिंग की तरफ देखते हुए आंखें बंद कर मन ही मन बोली!" हे ईश्वर और कितनी परीक्षा होगी इस बच्ची की और कितने दुख दोगे इसे सभी को इसका रंग रूप दिखाता है , लेकिन इसका साफ दिल किसी को भी नहीं दिखता , किसी से क्या शिकायत करूं मेरा ध्रुव भी इन लोगों के जैसा ही हो गया है वो खुद भी अवनी को नहीं समझना चाहता , पर मुझे ना किसी से शिकायत नहीं है मुझे सिर्फ आपसे शिकायत है जब ये दोनों एक दूसरे के लिए बने ही नहीं थे तो फिर आपने इन दोनों को एक साथ इस रिश्ते में बांधा ही क्यों और अगर ये दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं तो फिर सारी परीक्षाएं अकेली अवनी ही क्यों दे , ध्रुव क्यों नहीं , क्यों सिर्फ सब कुछ अवनी को ही सहना पड़ता है डांट फटकार लोगों के ताने , सिर्फ अवनी को ही क्यों मिलते हैं , आपसे बस इतनी प्रार्थना है अगर आप उसके जीवन में खुशी नहीं दे सकते तो फिर उसे और दुखी होने की वजह तो मत दीजिए अगर अवनी के नसीब में ध्रुव का प्यार है ही नहीं तो फिर क्यों उसे अभी तक ध्रुव के साथ बांध रखा है आपने तोड़ क्यों नहीं देते उनके रिश्ते को , जिससे मेरी बच्ची भी आगे अपनी जिंदगी में अपनी खुशियों से रूबरू हो पाए , उसके जीवन में भी खुशियां आए , जिन्हें वो खुलकर गले लगा सके ना कि हमेशा घुट घुट कर जीती रहे।
तभी अवनी वापस आई और उनके पैरों के पास जमीन पर बैठ गई फिर मुस्कुराते हुए उनके पैर पर तेल से मालिश करने लगी , तो दादी उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी , जिसके चेहरे पर इस वक्त उनके साथ होने से हल्की सी मुस्कुराहट थी और वो बहुत प्यारी लग रही थी।
तभी वो अवनी से बोली !" अवनी तू मुस्कुराती हुई बहुत अच्छी लगती है इसीलिए अपनी इस मुस्कान को किसी की भी वजह से कभी खुद से दूर मत होने देना ।
उनकी बात सुनकर अवनी ने अपनी नजरे उठाकर उनकी तरफ देखा , दादी पहली इंसान थी जो उसकी तारीफ करती थी , जो उसके रंग रूप को ना देख कर उसकी खूबियां देखी थी और जिन्होंने पहली बार उसकी मुस्कुराहट की तारीफ करी थी।
तभी दादी कुछ सोच कर अवनी के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए उससे बोली !" एक वादा करेगी मुझसे ?"
अवनी ने कुछ पल उन्हें देखा और फिर अपना सर हां में हिला दिया।
तो दादी उससे बोली !" आज मैं हूं तो तू मेरे साथ खुशी के कुछ वक्त बिता लेती है लेकिन मेरी उम्र हो चुकी है बेटा और एक न एक दिन मुझे यहां से जाना ही पड़ेगा , ऐसे में बस तुझसे एक वादा चाहती हूं जब मैं ना रही और तेरी जिंदगी के हालात इसी तरह बने रहे , तो तब तू सब कुछ यहां पीछे छोड़कर यहां से चली जाना बेटा और अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करना , क्योंकि मैं तुझे घुट घुट कर इस तरह से जीते हुए नहीं देख सकती , तुझे इस तरह जीते देखकर मेरी आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी बेटा और अगर तू दुनिया समाज की परवाह करें तो मेरी एक बात हमेशा याद रखना लोग क्या कहते हैं क्या नहीं उनकी बातों पर कभी ध्यान मत देना , क्योंकि इस पूरी दुनिया में तुझे मोटिवेट करने से ज्यादा डिमोटिवेट करने वाले लोग मिलेंगे , जो तेरी हर छोटी सी छोटी गलती हर एक बात पर तुझ में खामियां निकलेंगे यहां ऐसे बहुत कम लोग हैं जो हमारी गलती को नजरअंदाज कर हमारी कमियों को नजरअंदाज कर हमारी खूबियों को देखते हैं बाकी ये दुनिया बहुत ज्यादा स्वार्थी हो चुकी है जिसे सिर्फ अपने से मतलब है और अपना फायदा दिखता है , इसीलिए तू कभी किसी की परवाह मत करना और जितना हो सके खुद के लिए सोचना , क्योंकि तू खुद के लिए सोचेगी तो ही तू जी पाएगी , वरना कोई तेरे लिए नहीं सोचेगा सभी को सिर्फ खुद से मतलब होता है।
तो अवनी ने उनकी तरफ देखा उसकी आंखें आंसुओं से भर चुकी थी साथ ही गला भर आया था वो भरे हुए गले से उनसे बोली !" आप ऐसा क्यों कह रही हैं दादी आपको कुछ नहीं होगा , ना ही मैं आपको छोड़कर कहीं जाने वाली हूं समझी आप , इसीलिए फालतू की बातें मत करिए इतना कह कर अपना हाथ पीछे लेने लगी ,
तो दादी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और उसकी तरफ देखकर बोली!" मैं फालतू की बातें नहीं कर रही अवनी नाहीं ये सब बातें यूं ही कर रही हूं इन सब बातों के पीछे एक कारण है और तू माने या ना माने एक न एक दिन मुझे यहां से जाना ही होगा क्योंकि इस धरती पर कोई अमृत खाकर नहीं आया जो सदा जिंदगी जीता रहेगा , इसीलिए एक न एक दिन मुझे जाना पड़ेगा और क्या पता वो बुलावा कब आ जाए और मुझे तुझसे ये सब कहने का मौका ना मिले , बस इसीलिए तुझे सारी बातें आज ही समझ रही हूं और तुझे मेरी बातें माननी होगी समझी तू वरना तेरी दादी की आत्मा हमेशा तेरे लिए परेशान होकर भटकती रहेगी , मुझे कभी मोक्ष नहीं मिलेगा और तू चाहती है कि तेरी दादी भूत और चुड़ैलों की तरह हमेशा भटकती रहे , (अवनी नें ना में सर हिलाया) तो वादा कर मुझसे मेरी बातों को आगे चलकर समझेगी और उन पर अमल भी करेगी तू ।
अवनी ने हां में सर हिलाते हुए उनके दोनों हाथों को पकड़ कर उन पर अपना सर टिका दिया , और धीमी आवाज में उनसे बोली !" वादा दादी मां !" तकरीबन 1 घंटे बाद उनके पैरों की मालिश करके अवनी रायचंद मेंशन से निकल गई!
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जारी है अपनी रेसिंग कमेंट देना ना भूले