A.R—एक ऐसा नाम, जिसे सुनकर बड़े से बड़े पॉलिटिशियन भी कांप जाते थे। अविनाश राणा, सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि खौफ का दूसरा रूप था। रहम, मोहब्बत, मासूमियत—ये सब उसके लिए महज़ कमजोरियों के नाम थे। वह जो चाहता था, उसे किसी भी कीमत पर हासिल कर लेता था… फि... A.R—एक ऐसा नाम, जिसे सुनकर बड़े से बड़े पॉलिटिशियन भी कांप जाते थे। अविनाश राणा, सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि खौफ का दूसरा रूप था। रहम, मोहब्बत, मासूमियत—ये सब उसके लिए महज़ कमजोरियों के नाम थे। वह जो चाहता था, उसे किसी भी कीमत पर हासिल कर लेता था… फिर चाहे वो किसी की ज़िंदगी हो या रूह। लेकिन क्या हो जब ये माफिया खुद ही एक मासूम कैद में फँस जाए…? मिहिका, एक 18 साल की लड़की, जिसने कभी बाहरी दुनिया नहीं देखी। बचपन से ही अंधेरों में कैद, एक ऐसी हकीकत से अनजान, जहाँ सत्ता, खून और नफरत का खेल चलता है। उसे नहीं पता कि बाहर की दुनिया कैसी होती है… पर अब उसे जबरन इस दुनिया में खींच लिया गया था। जब मासूमियत, बेरहमी से टकराएगी… जब एक पिंजरे में पली लड़की, एक खूंखार शेर के सामने होगी… तो क्या वो खुद को बचा पाएगी, या फिर… खुद उस शेर की सबसे बड़ी कमजोरी बन जाएगी? एक ऐसी दास्तान, जहाँ जुनून, नफरत और दिलों की कैद की हदें परखने को तैयार हैं जानने के लिए जरुर पढ़े __ Owned by her innocence by Shabdini ink & Obsession ✨✨
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hey guys my storymania mai new hu and yaha ye meri first novel hai i hope ki aap sabhi ko kafi pasand aayega and aap sabhi kagi support karoge chp accha lage to follow karna like comment karna na bhule thank you..
**मुंबई के एक बड़े से महल के एक छोटे से कमरे में…**
पूरा कमरा अंधेरे से भरा हुआ था। वहाँ बस कुछ दीयों और मोमबत्तियों की हल्की-फुल्की रोशनी थी, जो टिमटिमा रही थी। उसी हल्की रोशनी में, कमरे के एक कोने में एक अठारह साल की लड़की सिकुड़कर बैठी थी। वह किसी राजकुमारी जैसी लग रही थी—हरी बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, दूध-सा गोरा और बेदाग मासूम चेहरा, काले घने लंबे बाल। उसने पिंच कलर की फ्लोरल फ्रॉक पहनी हुई थी, जो पुरानी तो लग रही थी, लेकिन फिर भी उस पर बेहद खूबसूरत लग रही थी।
**ये हैं हमारी कहानी की नायिका—मिहिका।**
वैसे तो मिहिका एक राजघराने से ताल्लुक रखती थी। उसके पिता कभी इस रियासत के राजा हुआ करते थे, लेकिन जब मिहिका सिर्फ चार साल की थी, तब उसके माता-पिता का देहांत हो गया। इसके बाद उसकी बड़ी माँ और उनके पति ने उसकी पूरी संपत्ति हड़प ली और उसे कैद कर लिया। हालाँकि, मिहिका की माँ मेघा ने अपनी कुछ अनमोल प्रॉपर्टी मिहिका के नाम करवाई थी, जिसका अधिकार उसे अठारह साल की उम्र में मिलना था। यही वजह थी कि उसकी बड़ी माँ और पिता उसे कैद में रखे हुए थे—ताकि मिहिका अपनी संपत्ति पर दावा न कर सके।
**अब वापस कहानी पर…**
मिहिका सिकुड़कर खाना खा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसे कई दिनों से ठीक से खाना न दिया गया हो। वह जल्दी-जल्दी निवाले निगल ही रही थी कि अचानक…
**"धड़ाम!"**
एक ज़ोरदार धमाके की आवाज़ गूँजी। मिहिका डर के मारे काँप गई। उसके हाथ से रोटी का टुकड़ा गिर गया और उसकी साँसें तेज़ हो गईं। घबराकर वह कमरे के कोने में सिमट गई और कांपते हुए बड़बड़ाने लगी—
**"माँ… माँ… इस बार मिहिका ने कुछ नहीं किया… कुछ नहीं किया…"**
उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े।
अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाई थी कि अचानक उसके कमरे का दरवाज़ा एक ज़ोरदार झटके के साथ खुला! कुछ नकाबपोश आदमी भीतर घुसे। मिहिका ने घबराकर पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कर पाती, उनमें से एक ने उसके चेहरे पर कोई स्प्रे छिड़क दिया।
कुछ ही सेकंड में उसकी आँखें भारी होने लगीं। दुनिया धुंधली पड़ने लगी। उसने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसका शरीर धीरे-धीरे शिथिल पड़ गया।
अगले ही पल, मिहिका बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ी।
वहीँ, उन नकाबपोश आदमियों ने मिहिका को उठाया और उसे अपने साथ ले गए…
**लेकिन ये लोग कौन हैं? और वे मिहिका को कहाँ ले जा रहे हैं?**
जानने के लिए पढ़ते रहिए—
*
📖 प्यारे रीडर्स के नाम 💌
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प्यार और दुआओं के साथ,
shabdini
hello friends kaise ho aap sabhi ummid karti hu ki sabhi acche honge to chalo chalte hai apni khani ki duniya mai ......
एक बड़े से मेंशन में
ये मेंशन काफी सुंदर था जगह जगह से इसे बॉडीगार्ड्स ने घेर रखा वहीं मेंशन के बाहर बड़े सुंदर और सुनहरे अक्षरों में लिखा था A .R मेंशन वही वहां पास खाली सभी बॉडीगार्ड्स की शर्त पर लगा बैच में भी A .R का टैग लगा हुआ था ।
अंदर एक आदमी सोफे पर राजा कि तरह बैठा हुआ था उस आदमी कि उम्र करीब 28 साल कि लग रही थी वो आदमी इतना हैंडसम था कि कोई भी उसे देखे तो देखता रह जाए गोरा रंग भूरी आंखें शार्प बियर्ड तीखे नैन-नक्श गठीला बदन 8 पैकेज एब्स जो उसके ब्लैक शर्ट से उभर कर बाहर आ रहे थे वो आदमी दिखने में जितना हैंडसम था उतना ही डेंजरस ।
वही ठीक उसके सामने मिहिका बंधी हुई बैठी थी ।
" मुझे छोड़ दो प्लीज़ मुझे छोड़ मिहिका ने कुछ नहीं किया सच्ची मिहिका ने कुछ नहीं किया " मिहिका रोते हुए बड़बड़ा रही थी ।
वही उसके इस तरह से रोने कि वजह से वो आदमी जो कोई और नहीं बल्कि हमारी कहानी का हिरो द माफिया किंग था जिसका नाम अविनाश राणा है वो चिढ़ कर अपने बॉडीगार्ड्स को घूरते हुए " ये किसकी बच्ची को किडनैप करके ले आए तुम लोग " अविनाश की बात सुनकर वह बॉडीगार्ड जो अभी तक सर झुका कर खड़ा था वह एक नजर मिहिका को देखा है जो सच में दिखने में कोई छोटी सी बच्ची की तरह लग रही थी मिहिका भले ही 18 साल की थी पर वह दिखने में किसी 12 साल की बच्ची की तरह ही ये बात थोड़ा आश्चर्य जनक है पर ये संभव है चुंकि जैसा कि हमने पहले ही बताया था कि मिहिका के मां-पिता की मौत के बाद उसके बड़ी माता पिता ने उसे बंदी बना कर रखा था जिस वजह से उसे की की दिन भुखे रहना पड़ता था और सिर्फ यही नहीं बल्कि उसे काफी टॉर्चर भी किया जाता था और यही वजह है कि मिहिका सभी से काफी डरती है ।
" सॉरी बॉस पर वह राजमहल में सिर्फ और सिर्फ यही थी इसलिए हम इसे उठा ले आए " अविनाश का बॉडीगार्ड सर झुकाए हुए बोला जिसे सुनकर अविनाश एक नजर घूरते हुए मिहिका को देखता है ।
" ए लड़की तुम राजमहल में क्या कर रही थी " अविनाश गुस्से में मिहिका से पुछता है ।
वही उसके गुस्से भरी आवाज सुनकर मिहिका जवाब देने की बजाय रोने लगी ।
जिसे देखकर अविनाश ने फ्रस्ट्रेशन से अपना सर पकड़ लिया ।
वही अविनाश को फ्रस्ट्रेटेड होते हुए देखकर अविनाश का असिस्टेंट अहान जो कि उसका दोस्त भी है वह उसे शांत करते हुए " अविनाश काम डाउन मैं देखता हूं " इतना कहकर अहान धीरे से मिहिका कि ओर बढ़ने लगा वही अहान को खुद की ओर आते हुए देखकर मिहिका डर से पीछे कि ओर खिसकने लगी ।
" मिहिका मिहिका ने कुछ नहीं किया सच्ची भईया मिहिका को मत मारो मिहिका को मत मारो " मिहिका पीछे की ओर खिसकते हुए बोली वही खुद के लिए उसके मुंह से भैया सुनकर और उसके बातों को सुनकर अहान का दिल पसिज गया और वह कहीं ना कहीं यह समझ गया था कि मिहिका के साथ काफी बुरा हुआ ।
" मिहिका मेरे बच्चे डरो मत मैं भैया हू ना आपका डरो मत मेरा बच्चा मेरा बेटू " अहान प्यार से मिहिका को पुकारते हुए धीरे कदमों से मिहिका कि ओर बढ़ रहा था ।
वही उसके मुंह से इतने प्यार बड़े शब्द किसी लड़की के लिए सुनकर अविनाश और वहां पास खड़े सभी बॉडीगार्ड हैरान रह गए ।
वही अविनाश अपनी हैरानी को संभालते हुए आह्वान को सचेत कर " अहान उसे लड़की के ज्यादा पास मत जाओ कहीं ऐसा ना हो यह मासूमियत का ढोंग कर रही हो और अचानक से तेरे ऊपर हमला कर दे "
" तू चुप कर मुझे पता है कौन मासूमियत का नाटक कर रहा है कौन नहीं " इतना कह कर आह्वान मिहिका के पास पहुंचता है और उसकी हाथों में बंधी रस्सी खोलता है ।
" मेरा बच्चा आप वहां कैसे पहुंचे लाडो मेरी रानी " अहान रस्सी खोलते ही झट से मिहिका को अपने गले लगा कर बोला वही किसी का स्नेह महसूस कर मिहिका भी उससे लिपट गई और रोने लगी ।
वही इन सब से बिल्कुल अलग मिहिका को यूं अहान के गले लगे हुए देखकर अविनाश को जलन महसूस होने लगी पर उसने अपनी इन अंजान फिलिंग्स को झटक कर अपनी नज़रें आहान और मिहिका पर टिका दी ।
" बच्चा मेरा बेटू आप वहां कैसे पहुंचे लाडो मेरी रानी" अहान ने एक बार फिर से अपने सवाल को दोहराते हुए पूछा ।
वही उसके प्यार को महसूस करते हुए मासूम मिहिका मासुमियत से उससे पूरी बात क्या क्या हुआ जो जो उसे पता था सभी बातों को आह्वान को बताने लगी जैसे एक छोटा सा बच्चा अपने बड़े से बाकियों कि शिकायत कर रहा हो ।
वही अहान भी शांति से मिहिका कि बातें सुन रहा था उसे मिहिका की बातों को सुनकर उसे पर काफी तरस आ रहा था वह बातों ही बातों में यह तो समझ गया था कि मिहिका राजमहल में कैदी थी और कैसे उसे परेशान किया गया ।
वही मिहिका कि बातों को सुनकर अविनाश अपनी बॉडीगार्ड्स की ओर देखकर " मैं भी तो इस लड़की से वही पूछा था कि ये राजमहल कैसे पहुंची तो उसने मुझे क्यों नहीं बताया क्या मेरे अंदर कांटे लगे हैं "
" सर ये लड़की सिर्फ बड़ी है लेकिन मन से बच्ची है जिस वजह से आपकी गुस्से भरी आवाज सुनकर डर गई और अहान सर उसे प्यार से पैंपर कर रहे हैं इसलिए वह उन्हें पूरी बातें बता रही है और आपने इसकी पूरी बात सुनी इसे काफी परेशान किया गया है जिस वजह से ये ऐसे डरती है और अक्सर ऐसे केश में इंसान किसी दो साल के बच्चे कि तरह हो जाता है " अविनाश की बात सुनकर उसका बॉडीगार्ड एक साथ में पूरी बात बोलता है जिसे सुनकर अविनाश का मुंह बन गया और वो मिहिका को घूरने लगा जिसकी शिकायतें बंद ही नही हो रही थी ।
" अच्छा हुआ मैंने प्यार से इसे नहीं बोल वरना मेरे भी यह ऐसे ही कान का जाति बोल बोल कर थकती नहीं है क्या यह कब से बिचारे आह्वान को पका रही है ।"
वही अहान भी मिहिका का ध्यान भटकाते हुए " अच्छा क्या मेरे बेटू को भूखी लगी है "
अहान के इस सवाल पर मिहिका कुछ जवाब दे पाती उससे पहले ही अविनाश की तेज आवाज उसके कानों में परी " भुखी वो भुख होता है पागल "
" चुप कर ले और आवाज धीरे कर अपनी कितना तेज बोलता है तू " अहान अविनाश कि तेज आवाज सुनकर गुस्से में उसे डांटते हुए बोला जिसे सुनकर अविनाश का मुंह बन गया ।
वही अहान अविनाश को डांटने के बाद मिहिका कि ओर देखता है जो अविनाश की तेज आवाज सुनकर डर गई थी ।
मिहिका को फिर से ड्रा हुए देखकर अहान गुस्से में एक नजर अविनाश को घूरता है उसके बाद मिहिका को देखते हुए " उसे इग्नोर करो बच्चा वो पागल है आप बताओ आपको भुखी लगी क्या मेरे बेटू को खाना खाना है ??"
जहां एक और अहान की बात सुनकर मिहिका हां मे सिर हिला कर जवाब देती है वही खुद के लिए पागल शब्द सुनकर अविनाश हैरानी से आह्वान को देखने लगा वही उसके पास करें बॉडीगार्ड्स भी आह्वान को देखने लगे ।
आज के लिए सिर्फ इतना ही मिलते नेक्स्ट चैप्टर में बाय बाय 😘
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अब आगे 👉👉👉👉
डाइनिंग टेबल पर
अहान मुस्कुराते हुए अपने हाथों से मिहिका को खाना खिला रहा था तो वहीं मिहिका किसी मासूम छोटे से बच्चे कि तरह शांति से उसके हाथों से खाना खा रही थी ।
और वही अविनाश और बाकी बॉडीगार्ड्स उन्हें देख रही थी ।
" तुम लोगों को खाना है तो लेकर खा लो पर इस तरह घूर घूर कर मेरे बच्चे के खाने को नजर न लगाओ " अहान। मिहिका को खाना खिलाते हुए बोला जिसे सुनकर अविनाश कंधा उचकाते हुए " तुम्हारी बच्ची का खाना नजर लगने लायक ही है दिखने में तो छोटी सी है पर खाना अकेले चार लोगों का खाती है पता नहीं ये खाना कहां जाता है "
अविनाश इतना कहकर शांति से बैठ गया वही उसकी बात सुनकर जहां मिहिका मासुमियत से भरी आंखों से उसे देखने लगी तो वहीं अहान भी गुस्से में अविनाश को घूरने लगा ।
" तुझे नहीं लगता तो कुछ ज्यादा बोलता है और कुछ अच्छा नहीं बोल सकता तो मुंह बंद रखा कर बड़ा आया मेरे बच्चे के खाने पर नजर लगाने वाला हूंहह " अहान इतना कहकर मिहिका की ओर देखा है जो अविनाश की ओर देख रही थी मिहिका को देख कर अहान प्यार से " उसे इग्नोर करो बच्चे आप बताओ और खाओगे "
" नहीं " मिहिका धीमी मगर अपनी मीठी आवाज में बोली जिसे सुनकर अविनाश का एक बॉडीगार्ड रह नहीं पता और झट से बोल पड़ा " मिहिका बच्चा आपकी आवाज काफी मिठी है और आप भी बोहोत प्यारे हो " जहां एक तरफ बॉडीगार्ड्स की तारीफ सुनकर मिहिका आह्वान के चेहरे पर मुस्कान आ गई वही अविनाश उसे बॉडीगार्ड को गुस्से में घूरते हुए " मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस लड़की के आने के बाद सारे बॉडीगार्ड और मेरा खुद का दोस्त इसके और चला गया मेरे तरफ कोई है और तुम कुछ ज्यादा आवाज मीठी नहीं लग रही है तुम लोगों को इसकी बताओ मैं जा करके बाहर सुरक्षा के लिए तैनात हो जाओ वरना दूंगा एक-एक निकलो यहां से सारे के सारे " अविनाश चिल्लाते हुए तेज आवाज में बोलता है जिसे सुनकर मिहिका सबसे पहले अहान के सीने में अपना सर छुपा कर छुप गई जिसे देखकर बाकी बॉडीगार्ड " क्या सर आपने स्वीटी को डरा दिया"
" अब यह स्वीटी कौन है ??" अविनाश उस बॉडीगार्ड की बात सुनकर गुस्से में बोला जिसे सुनकर बॉडीगार्ड निडर होकर " अरे मिहिका बच्ची और कौन "
" जा रहे हो या बताएं भागों यहां से निकलो " उसे बॉडीगार्ड की बात सुनते ही अविनाश झटके से गुस्से में खड़ा हो गया मैं उसे इतने गुस्से में देखकर सारे बॉडीगार्ड्स बिना एक पल की देरी के वहां से भाग जाते हैं उन सभी के जाने के बाद अविनाश कि नजर मिहिका पर पड़ती है जिसने अपना सर किसी खरगोश कि तरह अहान के सीने में छुपा रखा था जिसे देख कर अविनाश गुस्से में उसका हाथ पकड़ अहान से दूर करते हुए चिल्लाता है " तुम क्या यहां पर लड़कों सिड्यूस कर और अपनी इस मासुमियत का ढोंग रच कर अपनी खुबसूरती कि जाल में फसाने कि कोशिश कर रही हो हहहह" इन सभी शब्दों को अविनाश ने काफी तेज और चिल्लाते हुए कहा था जिसे सुनकर मिहिका डर से कांपने लगी और रोने लगी वही अविनाश को इस तरह गुस्से में चिल्लाते हुए देख कर अहान भी उठ गया लेकिन वह कुछ का पता उससे पहले ही अविनाश उसे गुस्से में घूर कर चुप करा देता है ।
भले ही वह अविनाश का दोस्त था पर यह भी सच था कि वह अविनाश का असिस्टेंट था इसलिए वह भी डर कर चुप हो गया वहीं अविनाश मिहिका के आंसुओं से फ्रस्ट्रेटेड होकर " तुम अपना ये नाटक " अविनाश ने अभी इतना कहां ही था कि मिहिका रोते हुए उसकी बाहों में निढाल होकर झूल गई वही उसकी आंखें धीरे-धीरे करके बंद हो गई वो बेहोश हो गई जिसे देखकर अविनाश और अहान हैरान रह गए ।
अविनाश चिंता में मिहिका को अपनी गोद में उठा कर अपनी रूम क्यों ले जाते हुए चिल्लाया " लेडी डाक्टर को कॉल करो और उसे 15 मिनट के अंदर आने को कहो " इतना कहकर अविनाश बिना एक पल की देरी किए जल्दी से मिहिका को अपनी गोद में लिए हुए अंदर ले जाता है ।
वही अहान भी जल्दी ही लेडी डॉक्टर को कॉल कर आने को कहता है ।
15 मिनट बाद
लेडी डॉक्टर मिहिका को चेक करती है ।
" क्या हुआ मिसेज शर्मा बच्ची ऐसे बेहोश क्यों हो गई ??" अहान जल्दी आगे आते हुए डॉक्टर मिसेज शर्मा से सवाल करता है जिसे सुनकर डॉक्टर मिसेज शर्मा " हम्मम इनकी कंडिशन देख कर लगता है कि इन्हें काफी ज्यादा मेंटली और फिजिकल टार्चर किया गया एंड इनका शरीर भी काफी कमजोर है क्या इन्हें प्रॉपर खाना नहीं मिलता ??"
" हमें इस बारे में नहीं पता है क्योंकि वह आज ही यहां आई है " अविनाश डॉक्टर मिसेज शर्मा की बात सुनकर बोला जिसे सुनकर डॉक्टर मिसेज शर्मा जिनकी उम्र करीब 40 साल की लग रही थी वो एक गहरी सांस लेकर " मुझे तजुर्बा है इतने सालों का जिस वजह से मैं साफ-साफ पूरे विश्वास से कह रही हूं कि इस बच्ची को फिजिकली मेंटली काफी टार्चर किया गया है एंड इसे प्रॉपर डाइट भी नहीं दिया गया है और शायद इसे किसी एक जगह से बंद रखा गया है क्योंकि इनको देखकर लगता है इन्हें काफी ज्यादा टार्चर किया गया है बाकी जब ये होश में आ जाए तो आप इन्हें अस्पताल ले आना इनका प्रॉपर चेकअप नहीं होगा बाकी अभी के लिए उनके प्रॉपर डाइट और उनकी काफी केयर करना पड़ेगा क्योंकि ये इस वक्त फिजिकल और मेंटली काफी कमजोर है सो इनकी केयर कीजिए इनका ध्यान रखिएगा " इतना कहकर डाक्टर मिसेज शर्मा अपनी पेमेंट लेकर वहां से बाहर कि ओर निकल गई ।
वहीं उनकी बातों को सोचते हुए अविनाश एक गहरी सोच में डूबे हुए " मुझे इस लड़की के बारे में पूरी जानकारी चाहिए जाओ निकालो अहान अपनी मुंहबोली ताजी ताजी बहन कि इनफॉरमेशन "
" हम्म जा रहा हूं पर मेरी ताजी ताजी बहन को परेशान मत करना मैं उसे अपने साथ अपने अपार्टमेंट ले जाऊंगा क्योंकि मैं उसे वापस से उसे नर्क में नहीं जाने देना चाहता " इससे आगे आह्वान कुछ का पता उससे पहले अविनाश उसकी बात बीच में ही काटते हुए " शट अप उसे यहां पास ले आया गया तो वह यही रहेगी "
" पर मैं तुम पर कैसे विश्वास कर लूं आई मीन तुम जैसे हो मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकता वो अपनी बहन के मुकाबले में बिल्कुल नहीं " अहान अपनी आइस रोल करते हो जिसे सुनकर अविनाश उसे पंच दिखाते हुए " जा रहे हो या दूं एक "
" जा रहा हूं धमकी क्यों दे रहे हो " इतना कहकर अहान रूम से बाहर निकल गया पर रूम से बाहर निकलती है उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गई ।
" चलो अविनाश तुम्हारी जिंदगी संभालने वाली आ गई " इतना कहकर मुस्कुराते हुए आह्वान बाहर की ओर निकल गया ।
वही रुम में
" सो मिस रैबिट क्या हुआ है तुम्हारे साथ " अविनाश मिहिका को देखते हुए बोला फिर कुछ पल रुक कर मिहिका के मासूम से चेहरे को गौर से देखते हुए " छोटू खरगोश " ये कहते हुए उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई न जाने क्यों पर मिहिका को देखते हुए उसके दिल में एक अनकहा जज़्बात जन्मने लगा जिसे वो खुद समझ नहीं पा रहा था या वो समझना नहीं चाह रहा था ।
तो क्या अब मिहिका और अविनाश के बीच नजदीकियां बढ़ेगी या आएगा कोई तुफान जानने के लिए पढ़ते रहिए Monster 's innocent baby......
अविनाश अपने कमरे में बैठा काम कर रहा था, जबकि मिहिका उसके बेड पर चैन से सो रही थी। कमरे में हल्की रोशनी थी, और बाहर की दुनिया से बेखबर, मिहिका किसी नन्हे बच्चे की तरह गहरी नींद में थी। अभी मुश्किल से आधा घंटा ही बीता था कि अचानक एक धीमी-सी आवाज अविनाश के कानों में पड़ी—
"मम्मा... मम्मा..."
अविनाश का ध्यान तुरंत मिहिका की ओर गया। उसने देखा कि वह आँखें मलते हुए कुछ बड़बड़ा रही थी, मानो किसी सपने में खोई हो। उसके चेहरे पर हल्की शिकन थी, जैसे कोई अधूरा अहसास उसे बेचैन कर रहा हो।
अविनाश हल्की मुस्कान के साथ उसके पास आया और उसके मासूम चेहरे को देखता हुआ बड़बड़ाया—
"बिलकुल छोटी-सी बच्ची है ये... छोटू खरगोश।"
लेकिन जैसे ही मिहिका की नींद टूटी और उसकी नजर सामने खड़े अविनाश पर पड़ी, उसकी आँखें डर से फैल गईं। उसकी साँसें तेज हो गईं, और वह घबराते हुए पीछे हटने लगी।
"अहह... मिहिका ने... कुछ नहीं... कुछ-कुछ नहीं!"
वह रोते हुए अटक-अटक कर बोली। उसकी आवाज में इतना डर था कि अविनाश ने लाचारी में अपना सिर पकड़ लिया।
"अभी तो आह्वान भी नहीं है... कौन संभालेगा इस छोटे खरगोश को?"
वह झुंझलाया। उसने जैसे ही मिहिका को छूने के लिए हाथ बढ़ाया, मिहिका और ज्यादा डर गई। वह तेजी से पीछे हटने लगी और बेड के कोने में जा सिमटी।
"छोटू खरगोश, खिसको मत... गिर जाओगी!"
अविनाश ने चेताया, लेकिन उसकी चेतावनी देर से आई।
मिहिका पीछे खिसकते-खिसकते संतुलन खो बैठी, और गिरने ही वाली थी कि अविनाश ने झटपट उसे अपनी ओर खींच लिया। लेकिन इस खींचतान में वह खुद भी संतुलन खो बैठा और सीधे बेड पर गिर पड़ा—मिहिका के ऊपर।
अब हाल यह था कि नन्ही-सी मासूम मिहिका नीचे थी और हट्टा-कट्टा अविनाश उसके ऊपर। उनकी साँसें आपस में टकरा रही थीं, और उनके होंठ मुश्किल से एक इंच की दूरी पर थे।
अविनाश की नजर मिहिका के डरे हुए चेहरे पर गई। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थीं, होठों पर हल्की-सी कंपकंपी थी, और उसकी मासूमियत ने अविनाश को कुछ देर के लिए बाँध-सा लिया।
"मेरा छोटा खरगोश..."
अविनाश उसके चेहरे को निहारते हुए खोए हुए अंदाज में बड़बड़ाया।
लेकिन उसकी यह बड़बड़ाहट मिहिका के लिए किसी खतरे की घंटी थी। उसे लगा कि वह फँस चुकी है, और इस बार तो बच भी नहीं सकती। उसकी आँखों में फिर से डर उमड़ आया, और वह जोर-जोर से रोने लगी।
"अ-अ- गंदे मॉन्स्टर ने मिहिका को दबा दिया!"
उसने रोते-रोते अपने टूटे-फूटे शब्दों में शिकायत की।
अविनाश को जैसे झटका लगा। वह अपनी आइस रोल करते हुए चिढ़कर बोला—
"अब क्या हुआ, मेरी माँ?"
"दबाया... मिहिका को दबाया!"
मिहिका रोते हुए हिचकियाँ लेने लगी।
अविनाश तुरंत हटा और बेड पर बैठते हुए उसे गौर से देखा।
"छोटी खरगोश, पीचकी तो नहीं?"
मिहिका ने उसे घूरकर देखा, और इससे पहले कि अविनाश कुछ समझ पाता, उसने पास रखा तकिया उठाया और सीधा उसके मुँह पर दे मारा।
अविनाश एक पल के लिए स्तब्ध रह गया। लेकिन फिर वह भी कम नहीं था। उसने तुरंत पलटवार किया और मिहिका के ऊपर तकिया दे मारा।
"छोटू खरगोश, मेरी बहादुरी को ललकार रही हो?"
बस फिर क्या था! देखते ही देखते तकिया युद्ध छिड़ गया। मिहिका हर बार एक नयी रणनीति अपनाती, और अविनाश हर वार का जवाब पूरे दमखम से देता।
कमरा देखते ही देखते कॉटन के फाहों से भर गया। चारों तरफ नर्म-नर्म रूई के गोले उड़ रहे थे, जैसे किसी बच्चे की परी-कहानी का जादुई माहौल बन गया हो।
लेकिन तभी...
अविनाश का पैर अचानक फिसल गया, और वह सीधे मिहिका को लेकर बेड पर गिर पड़ा। इस बार हालात पहले से भी ज्यादा गड़बड़ थे।
इस बार उन दोनों के होंठ आपस में टकरा चुके थे।
मिहिका की आँखें आश्चर्य और डर से फैल गईं, जबकि अविनाश के दिमाग ने कुछ पलों के लिए काम करना बंद कर दिया। उसके होंठों पर अनजाने में हल्की मुस्कान आ गई, जबकि मिहिका को लगा कि उसके प्राण निकल गए।
कमरे में अचानक एक अजीब-सी चुप्पी छा गई।
"छोटू खरगोश... यह क्या किया?"
अविनाश ने धीमे से बड़बड़ाया, लेकिन इससे पहले कि वह और कुछ कहता...
"गंदा मॉन्स्टर गंदा! बहुत गंदा!"
मिहिका ने तुरंत उसे जोर से धक्का दिया और खुद को छुड़ाकर दूर हट गई।
अविनाश को अपनी हालत पर खुद ही हंसी आ गई। वह सिर झटकते हुए मुस्कुराया।
"लगता है, ये छोटू खरगोश मेरे लिए मुसीबत बनने वाली है!"
उसने खुद से कहा और फिर मिहिका की तरफ देखा, जो अब भी नाराजगी से उसे घूर रही थी।
अविनाश मुस्कुराया, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह छोटू खरगोश सच में उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत बनने वाली थी... या फिर सबसे खूबसूरत अधूरा अहसास।
आगे के लिए इंतजार करें नेक्स्ट चैप्टर का बाय बाय
baki chp acchaa laga ho to comment karna na bhule ...
"गंदा मॉन्स्टर गंदा! बहुत गंदा!"
मिहिका ने तुरंत उसे जोर से धक्का दिया और खुद को छुड़ाकर दूर हट गई।
अविनाश को अपनी हालत पर खुद ही हंसी आ गई। वह सिर झटकते हुए मुस्कुराया।
"लगता है, ये छोटू खरगोश मेरे लिए मुसीबत बनने वाली है!"
उसने खुद से कहा और फिर मिहिका की तरफ देखा, जो अब भी नाराजगी से उसे घूर रही थी।
अविनाश मुस्कुराया, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह छोटू खरगोश सच में उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत बनने वाली थी... या फिर सबसे खूबसूरत अधूरा अहसास।
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वही अविनाश को खुद को घूरता हुआ देख कर मिहिका बिना एक पल कि देरी किए दहाड़े मार मार कर रोने लगी जिसे देखकर अविनाश जो उसे देख रहा था वो हंसने लगा जिसे देखकर मिहिका रोते चिढ़ने लगी और कॉटन को उठाकर अविनाश कि ऊपर मारने लगी जिससे अविनाश कि हंसी तेज हो गई ।
" अले अले मेरा छोटू खरगोश गुस्सा हो अले मेरा छोटू खरगोश मेरा बेबी " इतना कहकर अविनाश अपनी हंसी कंट्रोल कर मिहिका को किसी बच्चे कि तरह अपने गोद मे उठा कर पीठ थपथपाते हुए रुम में घूमने लगा ।
" अले मेरा बच्चा गुस्सा हो गया क्या ?? " अविनाश मिहिका को बच्ची कि तरह उठाएं हुए बोला जिसे सुनकर मिहिका चिढ़ते हुए रोंदू सी आवाज़ में " मिहिका बच्ची नहीं है वो वो बड़ी है " मिहिका अपनी अटकती टूटी फूटी आवाज में बोली जिसे सुनकर अविनाश उसको हैरानी से देखते हुए" सच में "
वही अविनाश को इस तरह बोलते ही मिहिका किसी बच्चे कि तरह हाथ पैर चलाते हुए दहाड़े मार मार कर रोने लगी जिसे देखकर अविनाश अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए मिहिका को गोद में लिए हुए उसकी पीठ थपथपाते हुए पूरे मेंशन में घूमने लगा वही पूरे मेंशन को गौर से देखते हुए मिहिका चुप हो गई जिसे महसूस कर अविनाश उसकी पीठ को हल्के हाथों से थपथपाते हुए पूरे मेंशन में घूमाने लगा वही मिहिका भी बड़े गौर से पूरे मेंशन को देख रही वो पूरा मेंशन दिखने मे जितना सुंदर था उतना ही बड़ा भी मेंशन तीन मंजिला था जिसमें की रूम थे और वहां पास रखा हर एक छोटा सा छोटा समान काफी एक्सपेंसिव और सुंदर था
जिसे मिहिका बड़े गौर से देख रही थी ।
वही पूरा मेंशन घूमने के बाद अविनाश हल्के से मिहिका के माथे को चूम कर " हम्म तो अब बताइए आपको मेंशन के गार्डन एरिया बैकयार्ड एरिया स्विमिंग एरिया और थिएटर में घुमाऊ ??"
वैसे तो छोटे से बड़े तक सिर्फ एक ही अंधेरे से भरे कमरे में रहने कि वजह से मिहिका को अविनाश कि बात समझ नहीं आई पर फिर भी उसने अपने सिर को मासुमियत से हां में हिला दिया जिसे देखकर अविनाश मिहिका को गोद में लिए हुए लिविंग रुम से होते हुए गार्डन एरिया में आता है और उसे वहां घूमाने लगता है वही अविनाश का इतना स्वीट जेस्चर देख कर वहां खड़े बॉडीगार्ड्स हैरान रह गए वहीं एक बॉडीगार्ड तो बेहोश होते होते बचा ।
" यार रवि ये हमारे बॉस ही है या उनका कोई हमशक्ल " एक बॉडीगार्ड जिसका नाम राहुल था वो हैरानी से बोला जिसे सुनकर उसका साथी दूसरा बॉडीगार्ड जिसका नाम रवि था वो भी हैरानी से" हां यार मुझे भी हैरानी हो रही है " ये दोनों ही बॉडीगार्ड अविनाश के मेन बॉडीगार्ड्स थे जिस वजह से वह हमेशा ही अविनाश के आस पास रहा किया करते थे और हमेशा अविनाश के साथ रहने कि वजह से वो अविनाश का बिहेवियर अच्छे से पहचानते थे जिस वजह से आज अविनाश का ऐसा स्वीट जेस्चर देखकर वो काफी हैरान थे ।
वही अविनाश तो सब को इग्नोर कर मिहिका को अपनी गोद में लिए हुए पूरा गार्डन एरिया घूम रहा था ।
जब उसे महसूस हुआ कि मिहिका सो गई है तब उसे सुकून महसूस हुआ ।
और वो दबे पांव अंदर कि ओर जाने लगा वही अविनाश को इस तरह डरते डरते दबे पांव अंदर की ओर जाते हुए देखकर बॉडीगार्ड्स का तो सर ही घूम गया ।
" ये इंसान वही माफिया किग है न जो किसीको मारने से पहले भगवान से भी नहीं डरता ??" राहुल हैरानी भरे लहजे से बोला जिसे सुनकर रवि उसकी बात आगे बढ़ाते हुए" हां जो इंसान भगवान से नहीं डरता वो इस वक्त एक छोटी सी लड़की कि नींद न टूटे इस बात से डर रहा है अरे मेको चक्कर आ रहे हैं " रवि अपने सिर पर हाथ रख कर बोला जिसे सुनकर राहुल भी हैरानी से अविनाश को देखने लगा ।
वही अविनाश मिहिका को लेकर अपने रुम में आ जाता है ।
दूसरी ओर अविनाश के जाते ही राहुल बिना एक पल कि देरी किए अहान को फोन कर पूरी बात बताता है जिसे सुनकर अहान के चेहरे पर एक मिठी मुस्कान छा जाती है ।
" हम्म चलो तुम्हें राक्षस से इंसान बनाने वाली आ गई अविनाश बस तुम लोग हमेशा खुश रहो और साथ रहो " अहान बॉडीगार्ड राहुल की बात सुनकर कॉल डिस्कनेक्ट कर मुस्कराते हुए खुद में बोला ।
रुम में ____★★★★★_________★★★
1. अविनाश रुम में आकर धीरे से मिहिका को बेड पर लेटाता हैं मानो मिहिका कोई मोम कि गुड़िया हो जो ज्यादा जोड़ लगाने पर टूट जाएगी ।
2. वही मिहिका कि पकड़ खुद पर मजबूत महसूस कर आखिर में अविनाश खुद भी मिहिका के बगल में लेट जाता है ।
शाम का वक्त
अविनाश कि नींद फोन के रिंग करने पर खुलती हैं ।
" आहहह कौन है सोने भी नहीं देते हैं " अविनाश ने अभी इतना कहा ही था कि कुछ सोचते ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और वो झट से आंखें खोलकर मिहिका को देखता है जो फोन कि रिंग बार-बार बजने के वजह से कसमसा रही थी जिसे देखकर अविनाश बिना एक सेकेंड कि देरी किए पहले फोन को साइलेंट करता है और उसके बाद मिहिका कि पीठ थपथपाने लगता है जो बस जागने ही वाली थी पर उसके इस तरह थपथपाने पर वापस से सो गई
वही मिहिका के सोते ही अविनाश बेड से उठ कर कॉल रिसीव करता है जो एक बार कट कर वापस वाइब्रेट हो रहा था ।
अविनाश बालकनी में जाकर फोन अपने कान में लगाए हुए बिना स्क्रीन पर फ्लैश होने नाम को देखें दबी आवाज में गुस्सा करते हुए " क्या है एक बार फोन नहीं उठा रहा हूं तो समझ जाना चाहिए ना कि मैं कुछ जरूरी काम कर रहा हूं ना अभी तुम्हारे कॉल की वजह से छोटू खरगोश कि नींद खुल जाती तो "
अविनाश ने अभी इतना कहा ही था कि कॉल की दूसरी ओर से कुछ ऐसा सवाल और ऐसी आवाज अविनाश को सुनने को मिलती है जिसे सुनकर उसकी हैरानी का कोई जवाब नहीं था ।
तो किसका कॉल आया है अविनाश को ?? और क्या सवाल पूछा गया अविनाश से जानने के लिए बने रहे .......
comment karna na bhule ....
शाम का वक्त
अविनाश कि नींद फोन के रिंग करने पर खुलती हैं ।
" आहहह कौन है सोने भी नहीं देते हैं " अविनाश ने अभी इतना कहा ही था कि कुछ सोचते ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और वो झट से आंखें खोलकर मिहिका को देखता है जो फोन कि रिंग बार-बार बजने के वजह से कसमसा रही थी जिसे देखकर अविनाश बिना एक सेकेंड कि देरी किए पहले फोन को साइलेंट करता है और उसके बाद मिहिका कि पीठ थपथपाने लगता है जो बस जागने ही वाली थी पर उसके इस तरह थपथपाने पर वापस से सो गई
वही मिहिका के सोते ही अविनाश बेड से उठ कर कॉल रिसीव करता है जो एक बार कट कर वापस वाइब्रेट हो रहा था ।
अविनाश बालकनी में जाकर फोन अपने कान में लगाए हुए बिना स्क्रीन पर फ्लैश होने नाम को देखें दबी आवाज में गुस्सा करते हुए " क्या है एक बार फोन नहीं उठा रहा हूं तो समझ जाना चाहिए ना कि मैं कुछ जरूरी काम कर रहा हूं ना अभी तुम्हारे कॉल की वजह से छोटू खरगोश कि नींद खुल जाती तो "
अविनाश ने अभी इतना कहा ही था कि कॉल की दूसरी ओर से कुछ ऐसा सवाल और ऐसी आवाज अविनाश को सुनने को मिलती है जिसे सुनकर उसकी हैरानी का कोई जवाब नहीं था ।
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अविनाश और उसके डैड – एक दिलचस्प बातचीत
"अविनाश, तुम कब से जानवर पालने लगे?"
फोन की दूसरी ओर से एक सख्त आवाज आई, जिसे सुनते ही अविनाश का दिमाग ठनक गया। उसने फोन को थोड़ा दूर किया और गहरी सांस लेते हुए आंखें बंद कर लीं। उसे समझते देर नहीं लगी कि यह आवाज उसके डैड, सुमित राणा की थी।
"तुम्हें तो जानवरों से चिढ़ थी, और अब पाला भी तो क्या… खरगोश?" सुमित जी की आवाज में हैरानी के साथ हल्की हंसी भी झलक रही थी।
अविनाश ने झुंझलाते हुए दीवार की ओर देखा और मन ही मन खुद को कोसा।
"इस लड़की ने मुझे पागल कर दिया है!"
उसका बस चलता तो अभी फोन काटकर चैन की सांस लेता, लेकिन वह जानता था कि अगर उसने ऐसा किया तो सुमित जी सीधे घर पहुंच जाएंगे और फिर सवालों का सिलसिला और भी लंबा हो जाएगा।
"अरे! फोन पर है या चला गया?" सुमित जी की आवाज दोबारा आई।
"यहीं हूं!" अविनाश खीजकर बोला, "आप बताइए, किसलिए फोन किया?"
सुमित जी ने उसकी झुंझलाहट को नजरअंदाज करते हुए कहा, "मैं तेरा बाप हूं, तू मेरा बाप नहीं! इसलिए पहले मेरे सवाल का जवाब दे कि तूने कब से जानवर पालना शुरू कर दिया?"
अविनाश ने एक सेकंड के लिए सोचा और फिर सच्चाई छिपाने के लिए झूठ बोलते हुए कहा, "वह मेरा नहीं, अहान का है। और आप उसे 'जानवर-जानवर' कहना बंद करिए, वह जानवर नहीं है… रैबिट है! आप उसे रैबिट ही कह सकते हैं!"
"अच्छा?" सुमित जी ने हल्की हंसी के साथ कहा, "तो अब खरगोश को जानवर कहना गुनाह हो गया? क्या खरगोश बोलने से वह जानवर से अलग हो जाएगा? है तो आखिर जानवर ही!"
अविनाश ने फोन को घूरा, मानो उसका बस चलता तो फोन के उस पार बैठे अपने डैड को तगड़ा जवाब दे देता। मगर वह जानता था कि ऐसा करना बेकार है। सुमित जी अगर सवालों पर उतर आएं, तो बचना नामुमकिन होता है।
"आपको खरगोश से क्या परेशानी है?" उसने खीजते हुए कहा।
"मुझे परेशानी नहीं है, मुझे हैरानी है!" सुमित जी हंसते हुए बोले, "तू वही अविनाश है न, जो बचपन में खरगोश से चिढ़ता था और जब तन्मय ने खरगोश पाल था तब तूने उसे धमकी दी थी कि इस खरगोश को हटा देना तुझे भी खरगोश के साथ बाहर फेंक दूंगा और ऐसा इसलिए तूने कहा था क्योंकि खरगोश काफी शरारती होते हैं और अब तू खरगोश पाल रहा है? इतनी जल्दी खरगोश से दोस्ती कैसे कर ली?"
"डैड, मैं दोबारा कह रहा हूं, वह मेरा नहीं है, अहान का है!"
"तो तेरे घर में रह कौन रहा है? अहान या खरगोश?" सुमित जी ने तुरंत सवाल दागा।
"डैड!" अविनाश ने गुस्से में सिर पकड़ लिया।
"देख बेटा, बात सीधी है। अगर तू सच कह रहा है तो ठीक, लेकिन अगर कोई और बात है तो बता दे। क्योंकि मुझे शक हो रहा है कि यहां मामला सिर्फ खरगोश का नहीं है।"
"कोई और मामला नहीं है, बस आपको फालतू शक करने की आदत है!" अविनाश तेज आवाज में बोला।
"शक तो तब करूं जब तू झूठ बोले… और तेरा लहजा बता रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है।"
अविनाश को लगा, अगर वह अब और देर तक बात करेगा तो डैड सच तक पहुंच ही जाएंगे। उसने जल्दी से बात खत्म करने की कोशिश की, "डैड, मुझे बहुत काम है। बाद में बात करता हूं।"
"अच्छा, ठीक है। लेकिन सुन, वो तेरी मां मुझे बहुत याद कर रही है तो शाम में आ जाना …!"
"क्या आज शाम में " ........ अविनाश तेज आवाज में हैरानी से बोला इसे सुनकर सुमित जी सवालिया आवाज में " इसमें इतनी हैरान होने की क्या बात है और हां यह बहाना तो तुम बिल्कुल भी मुझे मत देना कि तुम बाहर हो क्योंकि मैंने पहले तुम्हारे बॉडीगार्ड रवी पता कर लिया है कि तुम मुंबई में ही हो अपने मेंशन में तो आज शाम में आ जाना वरना " इतना कहकर सुमित जी कॉल स्पीकर पर कर अपनी पत्नी को आवाज देते हैं जिसे सुनकर अविनाश चिढ़ कर " ठीक है मैं आ जाऊंगा " इतना कहकर अविनाश बिना एक पल की देरी किए कॉल कट कर देता है ।
अविनाश कॉल डिस्कनेक्ट करते ही फोन को टेबल पर पटका और गहरी सांस ली।
"उफ्फ! यह लड़की मुझे वाकई पागल कर देगी!"
Mafia's Innocent Baby
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अविनाश लैपटॉप पर व्यस्त था, जब अचानक उसे मिहिका की मासूम सी आवाज सुनाई दी—
"गंदे मॉन्स्टर!"
उसने तुरंत अपनी नजरें उठाईं और बेड की ओर देखा। मिहिका अपने निचले होंठ को बाहर निकालकर मासूमियत से उसे घूर रही थी। उसकी गोल-गोल हरी आँखें किसी शरारती बच्चे जैसी चमक रही थीं।
अविनाश को जागा हुआ देखकर, उसने झटपट लैपटॉप बंद किया और टेबल पर रखकर मिहिका के पास चला गया।
"हाँ, मेरा छोटू खरगोश!"
उसने प्यार से मिहिका के माथे पर एक हल्का चुम्बन दिया। लेकिन जैसे ही उसके होंठ मिहिका की मुलायम त्वचा से टकराए, अगले ही पल उसे एक हल्की सी चपत पड़ गई।
'थप!'
अविनाश चौंक गया। यह क्या हुआ? उसने स्तब्ध होकर मिहिका की ओर देखा, जो अपनी मासूम आँखों से उसे घूर रही थी।
"गंदे मॉन्स्टर! मेरे गालों को खाता!"
मिहिका ने मासूमियत से कहा।
अविनाश पूरी तरह से कन्फ्यूज़ था। वह हँसे या नाराज़ हो? लेकिन यह तो साफ था कि अगर मिहिका की जगह कोई और उसे थप्पड़ मारता, तो वह इस वक्त जिंदा ना बचता। पर मिहिका? उसके थप्पड़ में भी एक मासूमियत थी, जिसने अविनाश का दिल पिघला दिया।
उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई, और उसने बिना किसी झिझक के मिहिका को अपनी बाहों में भर लिया।
"अरे मेरा मासूम छोटा खरगोश!"
वह उसे बाँहों में जकड़ते हुए बोला।
मिहिका अभी भी उसे टकटकी लगाए घूर रही थी, जैसे कुछ सोच रही हो।
"क्या हुआ मेरे छोटू खरगोश को? भूख लगी है?"
अविनाश ने उसके चेहरे के भाव देखकर पूछा।
मिहिका ने झट से सिर हिलाया और बोली—
"हाँ! मिहिका को भूख लगी है!"
अविनाश को हंसी आ गई, लेकिन उसने किसी तरह खुद को रोका। वह जानता था कि अगर वह हंस पड़ा, तो यह नन्हा खरगोश रो-रोकर पूरा घर सिर पर उठा लेगा।
"चलो, मैं तुम्हें नीचे ले चलता हूँ।"
उसने मिहिका को गोद में उठाया और सीधे किचन में ले आया। वहाँ उसने उसे किचन के स्लैब पर बैठाया और खुद उसके लिए कुछ बनाने लगा।
"हम्म... तो मेरा छोटा खरगोश क्या खाएगा?"
अविनाश ने मुस्कुराते हुए पूछा।
मिहिका ने खुशी-खुशी जवाब दिया—
"दाल-चावल!"
अविनाश ने एक पल के लिए उसे गौर से देखा, फिर हल्की हैरानी से पूछा—
"तुम्हें दाल-चावल कुछ ज्यादा पसंद नहीं है? सुबह भी यही माँगा था और अब भी?"
मिहिका ने सिर झुकाया और मासूमियत से कहा—
"दाल-चावल के सिवा भी कुछ होता है? मैंने तो बचपन से बस यही खाया है..."
इतना कहते ही उसकी आँखों में आँसू आ गए।
अविनाश के अंदर गुस्सा भड़क उठा। उसके बड़े मम्मा-पापा ने इस नन्ही सी जान को कितनी तकलीफ दी होगी, यह सोचकर ही उसका खून खौलने लगा। लेकिन उसने खुद को संभाला और धीरे से बोला—
"कोई बात नहीं... अब मैं हूँ न तुम्हारे साथ। मैं तुम्हें हर एक डिलीशियस डिश खिलाऊँगा, ओके? और ये छोटी-छोटी चीज़ों के लिए रोते नहीं मेरा छोटा खरगोश!"
उसने प्यार से मिहिका के माथे को चूमा।
मिहिका की आँखों में एक चमक आ गई, और उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बिखर गई।
थोड़ी देर बाद, अविनाश ने एक सेब काटकर उसे दिया।
मिहिका ने सेब का एक टुकड़ा मुँह में डालते ही खुशी से चहकते हुए कहा—
"अम्म! ये मीठा है! पता है, एक बार बड़ी मम्मा ने मुझे चावल दिया था जिसमें दूध भी था... वो भी ऐसा ही मीठा था!"
अविनाश हल्के से मुस्कुराया और बोला—
"हम्म... उसे खीर कहते हैं, जिसे तुम्हारी बड़ी मम्मा ने तुम्हें खिलाया था।"
---
कुछ देर बाद...
डाइनिंग टेबल पर सभी बैठे हुए थे। इस बीच, अहान भी आ गया था, जिसे अविनाश ने बुलाया था।
अविनाश ने अपना सैंडविच खत्म किया और उठकर बोला—
"हम्म... मेरा हो गया। अब मैं जा रहा हूँ। अहान, तुम छोटू खरगोश के साथ रहना।"
वह तैयार होकर जाने ही वाला था कि अचानक मिहिका ने उसका हाथ पकड़ लिया।
अविनाश ने हैरानी से उसकी ओर देखा—
"क्या हुआ, छोटा खरगोश? तुमने मेरा हाथ क्यों पकड़ा?"
मिहिका ने अपने दूसरे हाथ से सैंडविच प्लेट में रख दिया और दोनों हाथों से अविनाश का हाथ कसकर पकड़ लिया।
"गंदे मॉन्स्टर! तुम कहाँ जा रहे हो?"
उसके मासूम से सवाल पर अविनाश कुछ कह पाता, उससे पहले ही अहान मुस्कुराकर बोला—
"बेटू, अविनाश अपने घर जा रहा है।"
मिहिका का चेहरा तुरंत उतर गया। उसकी आँखों में नमी तैरने लगी।
"क्या गंदे मॉन्स्टर! तुम मिहिका को छोड़कर जा रहे हो?"
उसकी आवाज़ कंपकंपा रही थी। कोई भी देख सकता था कि वह किसी भी पल रो सकती थी।
अविनाश ने गहरी सांस ली।
"इस लड़की की ओर मेरा झुकाव मेरे लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। मैं एक माफिया किंग हूँ। यह मासूमियत मेरे लिए खतरा बन सकती है।"
यह सोचते ही उसने अपने चेहरे के भाव सख्त कर लिए और झटके से मिहिका का हाथ झटक दिया।
"मैं थोड़ा प्यार से पेश आ गया, तो तुमने अपने आप को क्या समझ लिया? और दूसरी बात, मैंने तुम्हारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली है कि तुम्हारी केयर करूँ, तुम्हारे पास रहूँ। समझी?"
उसका स्वर अब ठंडा और बेरहम था।
"इसलिए अपनी हद में रहो। मैंने तुम्हारा ठेका नहीं लिया है!"
इतना कहकर वह गुस्से में वहाँ से निकल गया।
मिहिका स्तब्ध रह गई। उसकी बड़ी-बड़ी हरी आँखों से आँसू छलकने लगे।
अगले ही पल, वह फूट-फूटकर रोते हुए अपने कमरे की ओर भागी।
अहान ने चिंतित होकर उसकी ओर देखा और तुरंत उसके पीछे-पीछे भागा।
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तो अब क्या असर पड़ेगा अविनाश की इन बेरहम बातों का मिहिका के मासूम दिल पर? जानने के लिए पढ़ते रहिए...
chaoter ne thoda sa bhi hasaya ho ho to comment karna na bhule ...
अब तक आपने पढ़ा होगा ✨ 🧿 ✨ 🧿 ✨ 🧿
क्या गंदे मॉन्स्टर! तुम मिहिका को छोड़कर जा रहे हो?"
उसकी आवाज़ कंपकंपा रही थी। कोई भी देख सकता था कि वह किसी भी पल रो सकती थी।
अविनाश ने गहरी सांस ली।
"इस लड़की की ओर मेरा झुकाव मेरे लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। मैं एक माफिया किंग हूँ। यह मासूमियत मेरे लिए खतरा बन सकती है।"
यह सोचते ही उसने अपने चेहरे के भाव सख्त कर लिए और झटके से मिहिका का हाथ झटक दिया।
"मैं थोड़ा प्यार से पेश आ गया, तो तुमने अपने आप को क्या समझ लिया? और दूसरी बात, मैंने तुम्हारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली है कि तुम्हारी केयर करूँ, तुम्हारे पास रहूँ। समझी?"
उसका स्वर अब ठंडा और बेरहम था।
"इसलिए अपनी हद में रहो। मैंने तुम्हारा ठेका नहीं लिया है!"
इतना कहकर वह गुस्से में वहाँ से निकल गया।
मिहिका स्तब्ध रह गई। उसकी बड़ी-बड़ी हरी आँखों से आँसू छलकने लगे।
अगले ही पल, वह फूट-फूटकर रोते हुए अपने कमरे की ओर भागी।
अहान ने चिंतित होकर उसकी ओर देखा और तुरंत उसके पीछे-पीछे भागा।
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✨ राणा मेंशन – शान, शोहरत और रहस्यों का महल ✨
मुंबई के सबसे रईस और ताकतवर परिवारों में से एक— राणा परिवार।
इनका नाम ही काफी है लोगों को डराने के लिए। इनके सामने बड़े-बड़े बिजनेसमैन, राजनेता और रसूखदार लोग भी जुबान खोलने से पहले सौ बार सोचते हैं।
राणा मेंशन— ये सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि सत्ता और शक्ति की पहचान है। अंदर से जितना भव्य, उतना ही रहस्यमयी। यहाँ हर ईंट की अपनी एक कहानी है और हर कोने में कोई न कोई राज़ दफ्न है।
अब आइए, जानते हैं राणा परिवार के सदस्यों को... ❤️🔥
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👑 राणा फैमिली – ताकत और ठसक का दूसरा नाम
🔸 परिवार के मुखिया – सूर्या राणा (अविनाश के दादा)
➡️ एक ऐसा नाम, जो सत्ता की गद्दी पर बैठने वालों तक की नींद उड़ा सकता है। उनका फैसला आखिरी होता है, जिसे कोई बदलने की हिम्मत नहीं करता। उम्र के इस पड़ाव में भी उनकी मौजूदगी ही लोगों को झुकने पर मजबूर कर देती है।
🔸 राणा परिवार की स्तंभ – सुनैना राणा (अविनाश की दादी)
➡️ बाहर से सख्त और कठोर, लेकिन अपनों के लिए बेहद नर्मदिल। उनकी नजरों से कुछ भी नहीं छुपता। वो परिवार की रीढ़ की हड्डी हैं, जिनके बिना ये साम्राज्य अधूरा है।
🔸 राणा परिवार का असली वारिस – अविनाश राणा
➡️ ताकत, क्रूरता और दिमाग का सही संतुलन। वो जो चाहता है, हासिल करके ही दम लेता है। उसके खिलाफ जाने की हिम्मत किसी में नहीं, और जिसने की... वो फिर इस दुनिया में नहीं रहता।
🔸 अविनाश के पिता – सुमित राणा
➡️ परिवार के लिए मजाकिया और स्नेही, लेकिन बाहरी दुनिया के लिए सख्त, रौबदार और बेदर्द बिजनेसमैन। उन्होंने अपने दम पर राणा परिवार को ऊँचाइयों पर पहुँचाया है।
🔸 अविनाश की मां – सुमित्रा सुमित राणा
➡️ एक ऐसी महिला, जो नर्म दिल होते हुए भी अपने फैसलों में कठोर है। वो राणा परिवार की परछाईं बनकर नहीं रहतीं, बल्कि अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। घर में उनकी बात को टालना किसी के बस की बात नहीं।
🔸 अविनाश की चाची – सोना राणा
➡️ एक बेहद रहस्यमयी महिला। कोई नहीं जानता कि वो वास्तव में क्या सोचती हैं और उनके इरादे क्या हैं।
🔸 अविनाश के चाचा – रंजीत राणा
➡️ उनकी मौजूदगी ही अपने आप में एक रहस्य है। उनका व्यवहार हमेशा सस्पेंस से भरा रहता है, और कोई नहीं जानता कि वो किसके साथ हैं और किसके खिलाफ।
🔸 अविनाश का छोटा भाई – तन्मय राणा
➡️ इस परिवार का सबसे खुशमिजाज और मजाकिया शख्स। जहाँ अविनाश गंभीर और क्रूर है, वहीं तन्मय हर मौके को एंजॉय करने वाला फ्लर्टी टाइप लड़का है। लेकिन क्या ये सिर्फ उसका बाहरी व्यक्तित्व है या इसके पीछे भी कोई राज़ छुपा है?
🔸 अविनाश की बहन – तान्या राणा
➡️ अविनाश की परछाईं, उसकी कार्बन कॉपी। उतनी ही रूड, उतनी ही एरोगेंट और उतनी ही खतरनाक। उसकी आँखों में वो ही गुस्सा और वो ही ठसक है, जो अविनाश की आँखों में दिखती है।
🔸 अविनाश का कजिन भाई – निखिल राणा
➡️ एक और रहस्यमयी शख्सियत। वो हंसता है, बोलता है, लेकिन उसके असली इरादों को कोई नहीं समझ पाता।
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🔥 अब मिलते हैं इस ख़तरनाक, दमदार और रहस्यमयी राणा परिवार से...
कौन है दोस्त? कौन दुश्मन? कौन वफादार? कौन गद्दार?
इस परिवार की सच्चाई जानना आसान नहीं...
क्योंकि जो इस परिवार के खिलाफ गया... वो इस दुनिया में नहीं रहा!
✨ राणा मेंशन – जब अविनाश बेचैन हुआ... ✨
रात का वक्त था। राणा मेंशन के भव्य डाइनिंग हॉल में हर रोज़ की तरह सभी परिवारजन डिनर के लिए एकत्र हुए थे। मेज के सबसे ऊँचे हेड चेयर पर सूर्या राणा विराजमान थे, और उनके ठीक बगल में सुनैना राणा—राणा परिवार की फिमेल हेड।
आमतौर पर इस परिवार में हर सदस्य की एक निश्चित जगह होती थी, लेकिन आज माहौल थोड़ा अलग था।
अविनाश राणा—जो लंबे समय बाद घर लौटा था—आज उसकी सीट सुनैना जी के बगल में तीसरी हेड चेयर पर नहीं, बल्कि अपनी माँ सुमित्रा के पास थी। सुमित्रा जी ने खुद उसे अपने पास बिठाया था, शायद इसलिए क्योंकि वह काफी समय बाद परिवार के साथ बैठा था।
लेकिन अविनाश यहाँ होते हुए भी यहाँ नहीं था। उसका ध्यान... उसका मन... मिहिका में अटका हुआ था।
---
📞 जब दिल न लगे, तो फोन ही सहारा!
सुमित्रा जी ने अपने बेटे को यूँ गुमसुम बैठे देखा, तो प्यार से बोलीं,
"बेटा, क्या सोच रहा है? खाना खा।"
अविनाश उनकी आवाज़ से अपनी सोच से बाहर निकला। उसकी नजर जैसे ही खाने पर गई, वैसे ही मिहिका की मासूम बातें उसके दिल में गूंज उठीं। उसने खुद ही उसे डांटकर यहाँ से भगा दिया था, लेकिन अब बेचैनी उसे अंदर से खाने लगी थी।
आखिर जब उससे और सहा नहीं गया, तो उसने सीधा आहान को फोन लगाया।
📲 रिंग... रिंग...
फोन दो बार बजा और फिर...
"जी बोलिए, सर।"
सामने से आहान की गुस्से से भरी आवाज़ आई। अविनाश ने फोन की स्क्रीन को थोड़ा हैरानी से देखा और फिर सीधा बोला,
"क्या हुआ? इतना गुस्से में क्यों है?"
"तू काम ही ऐसा करके गया है कि गुस्सा न आए?" आहान फोन पर ही फट पड़ा।
अविनाश ने उलझकर पूछा, "मैंने क्या किया?" फिर बात बदलते हुए बोला, "अच्छा, यह छोड़। बताओ, छोटू खरगोश ने खाना खाया?"
आहान ने गुस्से में और भी तेज आवाज़ में कहा,
"तू ऐसा काम करके गया है कि वो खाना नहीं खा रही! रोते-रोते उसकी हालत खराब हो गई है, और अब उसे बुखार भी चढ़ गया है!"
"क्या??"
अविनाश की आँखें चौड़ी हो गईं। वो लगभग चिल्लाते हुए उठा, "छोटू खरगोश को बुखार!? सिट! मैं आ रहा हूँ!"
इतना कहकर वह बिना एक पल गंवाए डाइनिंग टेबल से उठा और तेजी से बाहर भाग निकला।
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😲 पूरा परिवार रह गया हैरान!
सभी ने उसे यूँ अचानक जाते देखा, तो पूरे परिवार में सन्नाटा छा गया।
"इसे क्या हो गया?" सुमित्रा जी ने हैरानी से कहा।
उनकी बात सुनकर सुमित जी हल्की मुस्कान के साथ बोले,
"आपके बेटे ने खरगोश पाला है।"
पूरा परिवार अवाक् रह गया।
"क्या?? सच में भाई ने खरगोश पाला है?" तन्मय की आँखें चौड़ी हो गईं। उसे अभी भी अपना बचपन याद था, जब उसने एक बार खरगोश पाला था, और तब अविनाश ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने खरगोश को घर से नहीं निकाला, तो वो तन्मय को भी खरगोश के साथ फेंक देगा!
...और आज वही अविनाश एक खरगोश के लिए इतना परेशान था?
"हाँ, सही सुना," सुमित जी ने शांत स्वर में कहा, "वैसे वो खरगोश आहान का है, लेकिन अभी अविनाश के पास है।"
तन्मय मुस्कुराया, "अगर भाई ने खरगोश पाला है, तो पक्का उससे प्यार भी करता होगा। मैं कल ही जाकर उसे देखूँगा... और अगर मौका मिला, तो उसे उठा भी लाऊँगा!"
वो इतना ही कह पाया था कि उसकी बहन तान्या, जो बगल में बैठी थी, सख्त लहज़े में बोली,
"सोचना भी मत! बिना भाई की परमिशन के वहाँ जाना तो दूर, उसके बारे में ज्यादा बोलना भी मत! वरना खरगोश का तो नहीं, लेकिन भाई तुम्हें धक्के मारकर मेंशन से बाहर जरूर फेंक देगा!"
फिर वह चेयर से उठी और सीधे अपने कमरे में चली गई।
"हम्फ़! कितनी सख्त है यह लड़की!" तन्मय ने मुँह बनाया।
वैसे तो तान्या और तन्मय जुड़वा थे, लेकिन दोनों के स्वभाव में जमीन-आसमान का फर्क था।
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🔥 अब क्या करेगा अविनाश?
क्या मिहिका ठीक होगी?
क्या वाकई अविनाश का दिल पिघलने लगा है?
या ये सब सिर्फ एक परछाईं है, जिसे वो खुद भी नहीं समझ पा रहा?
👉 जानने के लिए, पढ़ते रहिए अगले अध्याय में!
Bye Bye! ❤️🔥 comment karna mat bhulna ....
A.R मेंशन
अविनाश तेज कदमों से दौड़ता हुआ सीधे उस कमरे में पहुंचा, जहां मिहिका बालकनी में खड़ी चांद को देख रही थी। आसमान में छिटकी चांदनी जैसे उसकी आंखों में उतर आई थी, लेकिन उस रोशनी के बीच उसकी आंखों में छुपी उदासी साफ झलक रही थी। उसकी खामोशी में कोई अनकही शिकायत छुपी थी, जिसे अविनाश बिना कुछ कहे ही समझ सकता था। बालकनी में आती ठंडी हवा उसके लहराते बालों को हल्के-हल्के छूकर गुजर रही थी। वह अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी।
अविनाश दरवाजे के पास रुककर कुछ देर तक उसे देखता रहा। उसका चेहरा मासूमियत और गहरी खामोशी का मिलाजुला रूप था। उसे इस हाल में देखकर अविनाश का दिल भर आया। उसने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और बेहद प्यार से बोला, "क्या हुआ मेरे छोटू खरगोश, गुस्सा है क्या?"
अविनाश की आवाज सुनकर भी मिहिका ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी जगह से हिलने की भी कोशिश नहीं की। उसकी खामोशी और उसकी आंखों में आई नमी ने अविनाश को बेचैन कर दिया। उसने धीरे-से मिहिका को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया।
लेकिन मिहिका ने उसकी बाहों से खुद को छुड़ाने की हल्की कोशिश की। उसकी हरकतों में नाराजगी साफ नजर आ रही थी। अविनाश ने उसे और कसकर पकड़ा और परेशान होकर कहा, "क्या हो गया? मुझसे तो कुछ कहो। ऐसे खामोश रहोगी तो मैं कैसे समझूंगा?"
तभी अविनाश के कानों में मिहिका के सुबकने की आवाज पड़ी। उसने जल्दी से मिहिका का चेहरा अपने हाथों से ऊपर उठाया। उसकी गीली आंखों को देखकर अविनाश का दिल एकदम टूट गया। उसने और ज्यादा परेशान होकर कहा, "मिहिका, मेरी जान, रो क्यों रही हो? क्या मेरा छोटू खरगोश अपने मॉन्स्टर से नाराज है?"
लेकिन मिहिका ने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे। अविनाश का दिल पिघल गया। उसने बिना कुछ कहे उसे गोद में उठा लिया और बेहद प्यार से उसके आंसू पोंछने लगा। मिहिका ने अपनी आंखें बंद कर लीं और चुपचाप उसके सीने पर अपना सिर टिका दिया।
कुछ देर तक अविनाश ने उसे शांत करने की कोशिश की। उसने उसके बालों को सहलाते हुए कहा, "जो भी हुआ, मुझसे कहो न। तुम्हारा ये मॉन्स्टर तुम्हारी हर परेशानी को दूर करेगा। तुम्हारे ये आंसू मेरे दिल को तोड़ रहे हैं। प्लीज, मुझसे कुछ कहो।"
मिहिका ने हल्की आवाज़ में कुछ कहना चाहा, लेकिन उसकी सुबकियों के बीच से शब्द ठीक से निकल नहीं पाए। उसने बस अविनाश की शर्ट को कसकर पकड़ लिया। अविनाश ने प्यार से उसके गालों पर बहते आंसुओं को पोंछते हुए कहा, "अब तो बताओ, मेरे छोटू खरगोश से क्या गलती हो गई? क्या वो अपने मॉन्स्टर से इतनी नाराज है?"
इस बार मिहिका ने अपनी गुस्से भरी आंखों से उसकी ओर देखा और रोते-रोते टूटे-फूटे शब्दों में बोली, "गंदे मॉन्स्टर! तुमने मिहिका को डांटा। तुम बहुत गंदे हो। मिहिका तुमसे बात नहीं करेगी!"
उसकी बात सुनकर अविनाश का दिल एकदम टूट गया। उसने मिहिका को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और उसके माथे पर एक प्यार भरा चुंबन दिया। उसकी सुबकियों के बीच उसने बेहद नरम स्वर में कहा, "अरे, मेरा छोटू खरगोश...उस वक्त मैं जरूरी काम में फंसा हुआ था ना, और जब तुमने मुझे रोका तो मुझे गुस्सा आ गया। इसलिए डांट दिया। मैं सच में बहुत सॉरी हूं। अब नहीं डांटूंगा, पक्का। रो मत मेरी बेबी, मेरा छोटू खरगोश ऐसे रोता हुआ अच्छा नहीं लगता।"
अविनाश की यह बात सुनकर मिहिका ने हल्का सा रिएक्शन दिया, लेकिन उसकी आंखों में अभी भी नमी थी। अविनाश ने उसके गालों पर बहते आंसुओं को पोंछते हुए कहा, "अब तो मुस्कुराओ। देखो, तुम्हारी ये प्यारी-सी मुस्कान मुझे कितनी अच्छी लगती है।"
धीरे-धीरे मिहिका की सुबकियां कम हो गईं। उसने अपने छोटे-छोटे हाथों से अविनाश की शर्ट को कसकर पकड़ा और सिर झुका कर उसके सीने पर रख दिया। उसकी आंखें अब भी नम थीं, लेकिन अविनाश के प्यार ने उसे थोड़ा सुकून दिया था।
कुछ देर बाद, मिहिका ने अपना निचला होंठ बाहर निकालते हुए मासूमियत से कहा, "मुझे वो चाहिए जो शाम को खिलाया था।"
अविनाश उसकी मासूम सी शक्ल देखकर खुद को हंसने से रोक नहीं पाया। उसने मिहिका की नाक को हल्के से दबाते हुए मुस्कराकर कहा, "अरे, मेरा छोटू खरगोश! वो सैंडविच कहते हैं, समझा था न उस दिन? मेरा भोंदू खरगोश!"
मिहिका ने झट से उसकी बात को काटते हुए सिर ऊपर उठाकर भोलेपन से पूछा, "भोंदू किसे कहते हैं?" उसकी भोली शक्ल देखकर अविनाश का मन किया कि वह दीवार पर अपना सिर दे मारे। उसने गहरी सांस लेते हुए मुस्कान को दबाने की कोशिश की और खुद से ही बड़बड़ाया, "हे भगवान, इस लड़की से बहस करना मतलब खुद की हार सुनिश्चित करना है।"
मिहिका उसकी ओर देखने लगी। अविनाश ने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, "कुछ नहीं, अब डिनर करेंगे। चलो, नीचे चलते हैं।"
अविनाश ने मिहिका को अपनी गोद में उठाया और सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगा। नीचे आते ही उन्होंने देखा कि डाइनिंग टेबल पर खाना सजा हुआ था। अहान ने पूरी मेज़ बड़े सलीके से सजाई थी। अविनाश ने मुस्कराते हुए कहा, "वाह अहान, आज तो तुमने शानदार काम किया है। लेकिन मेरी छोटू खरगोश के लिए सैंडविच तैयार करना पड़ेगा।"
अहान ने मुस्कुराते हुए मिहिका की ओर देखा, जो अब अविनाश की गोद में बैठे-बैठे शांत थी। उसने हंसते हुए कहा, "भैया, छोटू खरगोश को देखकर तो लगता है कि उसे सिर्फ आपका प्यार चाहिए। खाना तो बस बहाना है।"
यह सुनते ही मिहिका ने झट से अहान की ओर घूरते हुए कहा, "नहीं! मुझे सैंडविच ही चाहिए!"
सभी उसकी इस मासूम हरकत पर हंस पड़े। अविनाश ने उसे कुर्सी पर बिठाया और कहा, "ठीक है, मेरी जान। तुम्हारा सैंडविच तैयार हो जाएगा। लेकिन अब तो मुस्कुरा दो।"
मिहिका ने धीरे से सिर हिलाया और अपनी प्यारी-सी मुस्कान के साथ कहा, "पहले सैंडविच लाओ।"
अहान और अविनाश उसकी इस बात पर फिर से हंस पड़े। अविनाश ने प्यार से मिहिका के गाल खींचते हुए कहा, "तुम्हारे बिना ये घर अधूरा लगता है। जल्दी-जल्दी खाना खाकर मुझे अपना छोटू खरगोश बनकर दिखाओ।"
मिहिका की हंसी अब पूरे घर में गूंजने लगी, और वह शाम खुशियों से भर गई।
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