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जिंदगी एक सौदा

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Priya Swami

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ये कहानी है...मन्नत और शिवांश मित्तल की ..मन्नत की शादी उसके पापा किसी मज़बूरी मे करते है..मन्नत सब बातो से बहुत अनजान ..एकदम मासूम चहेरा..वही शिवांश एकदम उसे अपोजिट ..पता नहीं उसे किस बात का बदला लेना चाहता है... क्या ये।मज़बूरी की शादी एक अपना ए...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. जिंदगी एक सौदा - Chapter 1

    Words: 1544

    Estimated Reading Time: 10 min

    दिल्ली शहर
    रात का वक्त देसाई मेंशन
    पूरा मेंशन जगमगा रहा था क्योंकि आज इस घर की इकलौती बेटी मन्नत देसाई की शादी हो रही थी
    मन्नत देसाई अपने होने वाले पति के साथ मंडप मै बैठी थी पंडित जी मंत्रों उच्चारण कर रहे थे
    मन्नत की शादी उसके पापा के दोस्त के बेटे शिवांश मित्तल के साथ हों रही थी

    वों नहीं जानती थी उसके पापा की क्या मज़बूरी थी कि वो उसकी इतनी जल्द बाजी में शादी कर रहें है

    और उससे भी बड़ी बात शादी मै सिर्फ दूल्हा है उसका पूरा परिवार नहीं पूरा परिवार छोड़ो परिवार का एक सदस्य भी नहीं

    पंडित जी ने आहुति देते हुए कहा
    कन्यदान के लिए वधु के माता पिता आगे आए
    मन्नत के पिता धर्मेश जी आते ह और मन्नत का कन्या दान करते है
    औरइसी तरह एक एक करके सभी शादी की रस्में हो जाती हैै
    शादी सम्पन हों जाती है

    कुछ देर बाद
    मन्नत की विदाई का समय हों जाता है
    मन्नत के पापा धर्मेश जी उसे गले लगाते हुए हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं और शिवांश मन्नत का हाथ पकड़े उसे अपनी मर्सडीज मै ले जाकर बैठा देता है और खुद उसके साइड मै बैठ जाता है
    कुछ ही पलों मै गाड़ी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी मन्नत का घर कस्बा सब पीछे छुटते जा रहे थे जिससे अब मन्नत के आंसु रोके नहीं रुक रहे थे

    शिवांश मन्नत की सिसिकियों कि आवाज सुनाई दे रहि थी ..
    जिससे वो बुरी तरह इरिटेट हो चुका था
    कुछ टाइम तक जब उसके आंसु नहीं रुके तो शिवांश ने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाल कर मन्नत के सामने कर दिया
    ओर अपने मन में सोचा
    इतनी नौटकी करने कि क्या जरूरत है खुन करने वाली को पानी के आंसु शोभा नहीं देते

    कुछ टाइम बाद मित्तल मेन्सन आ जाता है
    लेकिन वहा कोई शादी वाला माहौल नहीं था ना हि कोई चकाचौंध ना हि किसी तरह कि सजावट
    वहा का माहौल एकदम शांत था...

    शिवांश कार से बहार निकलता है और बिना किसी किसी एक्सप्रेंस के rude tone के साथ मन्नत कों बोलता है
    उतरो अब

    मन्नत अपने आंशु आंसु पोंछ रही थी पर शिवांश की इस नाराजगी भरी आवाज का कारण उसे समझ नहीं आ रहा था
    वो उलझन में पड़ चुकी थी शिवांश के इस बर्ताव से और इस चक्कर मै भूल गई कि शिवांश ने उससे कुछ कहा है

    वही मन्नत की तरफ़ से कोई जबाब ना पाकर शिवांश के जबड़े कस जाते हैं और वो थोड़ी ऊँची आवाज में बोलता है
    लगता है तुम्हे थोडा कम सुनता है मैने कहा उतरो कार से

    मन्नत शिवांश की इतनी तेज आवाज सुन कर थोडा सहम जाती है
    और फिर अपना भारी भरकम लहगा हाथों से संभालते हुए कार से उतर जाती है लेकिन लहंगा बहुत भारी होने के कारण मन्नत कों चलने में थोड़ी मुश्किल हों रहि थी
    शिवांश मन्नत से नजरे फेर लेता है जैसे इसे कुछ फरक ना पड़ रहा हो

    शिवांश आगे बढ़ कर मित्तल मेंशन के बाहर लगी बेल बजाता है
    मेन्सन की बेल बजती है तो कोई नौकर दरवाजा खोलता है

    मित्तल मेंशन के सभी लोग हॉल में ही बैठे हुये थे जैसे ही सब की नजर अंदर आ रहे शिवांश और मन्नत पर पड़ती है सब हक्के बक्के रह जाते है

    हॉल मै एक 57 - 58 साल की ओरत जिसने वाइट साड़ी पहन् रखी थी वो शिवांश की दादी अमृता चौहान थी बहुत ही ज्यादा सॉफ्ट दिल की थी उन्होंने जैसे ही अपने पोते को एक लड़की के साथ शादी के कपड़ों मै देखा वो बहुत ज्यादा खुश हो गई
    वो खुशी से नौकर से आरती की थाली मगवाती है " रघु जा जल्दी से आरती की थाल लेकर आ मेरा पोता मेरे लिए बहु लेकर आया है "

    थोड़ी ही देर मै रघु आरती की थाल लेकर आ जाता है
    अमृता जी जैसे ही आरती करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाती है वैसे ही पीछे से एक कड़कती मर्दाना आवाज आती है
    रुकिए मा
    तब सबकी नजर उसी आवाज़ पर जाती है
    1 महीने बाद इसकी शादी थी मेरे दोस्त रणजीत ठाकुर की बेटी गुंजन के साथ जरा पूछिए अपने लाडले बेटे से ये सब क्या है मै अपने किए वादे नहीं तोड़ता मै उन्हें क्या जवाब दूंगा "

    शिवांश ने अपने कठोर लहजे को बरकरार रखते हुए कहा
    मै  आपको जबाब देना जरूरि नहीं समझता मिस्टर मितल और अपने दोस्त को क्या जवाब देना है ये आपकी प्रॉब्लम है
    किसी ओर से बिना कुछ कहे शिवांश मन्नत का हाथ पकड़ कर कमरे की तरफ बढ़ जाता है
    उसकी दादी उसे जाते देख आवाज देती है लेकिन वो पीछे नहीं मुड़ता
    वही बेचारी मन्नत को कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर इस घर मै हो क्या रहा है
    और शिवांश के चेहरे से झलकता गुस्सा उससे कुछ सवाल जवाब करने की हिम्मत नहीं होने दे रहा था

    वही रूम के अंदर आते ही शिवांश एक झटके से मन्नत का हाथ छोड़ देता है उसके ऐसे झटकने से मन्नत लड़खड़ा जाती है

    और उसकी आंखो में पानी आ जाता है वो भरी आंखों से मुड़ते हुए शिवांश की तरफ़ देखती है
    पर वो उससे कुछ कह पाती इससे पहले ही शिवांश तेज कदमों से बाथरूम की तरफ बढ़ जाता है
    मन्नत बेबसी से अपनी आंखों के कोने पौंछ लेती है और एक नजर घुमा कर पूरे रूम को देखती है
    जो काफी एस्थेटिक वाइब दे रहा था
    पूरा कमरा ग्रे कलर से पेंट था राउंड शेप मास्टर बेड और उस पर रखे ग्रे कंफर्टर सब कुछ बहुत ज्यादा यूनिक और एंटीक वाइब दे रहा था

    मन्नत एक गहरी सांस लेकर मिरर के सामने रखी चेयर पर बैठ जाती है और एक नजर खुद को देखती है
    लाल आंखें मांग मै सिंदूर गले मै मंगल सूत्र और कुछ भारी ज्वैलरी
    मन्नत एक एक करके अपनी ज्वैलरी उतारने लग जाती है
    थोड़ी   देर बाद शिवांश स्लीव्लेश् t _shirt और लोवर पहन कर हाथ मे एक टोवल् लेकर  माही  के पिछे आइने के सामने आकर अपनें बाल पोंछने लगता है

    मन्नत आंखें उठा कर आइने में देखती है
    शिवांश की भूरी तीखी आंखे अब भी गुस्से से हल्की लाल थी उनमें गुस्से के अलावा कोई इमोशन नहीं था
    वही उसे यू गुस्से में देख कर मन्नत मिरर के सामने से उठ जाती है और
    जाने लगती है
    वही शिवांश को लग रहा था मन्नत उसे इग्नोर कर रही है
    शिवांश एक झटके से मन्नत का हाथ पकड़ कर उसकी पीठ से लगाते हुए उसका चेहरा बिल्कुल अपने चेहरे के सामने कर लेता है

    मन्नत कन्फ्यूजन मै शिवांश को देख रही थी वही शिवांश ने जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुंह खोला उसका फोन बज उठा जो साइड टेबल पर रखा था

    शिवांश ने घूरते हुए मन्नत का हाथ छोड़ दिया और फोन उठाते हुए बालकनी की तरफ चला गया तभी फोन के दूसरी साइड से आवाज आती है _बॉस आपका काम हो गया ।
    शिवांश डेविल स्माइल करते हुये good उसकी अच्छी से खातर दारी करों मै आता हु ..

    सुनसान जगह पर एक बंद कमरा मे जों बहुत भयानक लग रहा था काली कोठरी मे शिवांश बहुत बड़ी कुर्सी पर बैठा हुआ था ..उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही था शिवांस ने एक हाथ मे बंदूक पकड़ी हुई थी और उसके सामने पड़ा आदमी उससे जान की भीख माग रहा था

    लेकिन शिवांश के चहेरे पर डेविल स्माइल थी उसके चेहरे पर जरा भी दया की भावना नहीं थी .

    sorry बॉस मुझे माफ़ कर दीजिये फिर से ऐसा ना होगा
    शिवांश _ बन्दूक की तरफ़ देखकर शिवांश मित्तल दुबारा मोका देता भी नहीं है ..

    मेरे लिए दुबारा मोका सिर्फ मौत है ...राणा को भी पता चलना चाहिए शिवांश की दुश्मन भारी और शिवांश की दुश्मनी और भी भारी ..

    शिवांश ..की बन्दूक उसका दिमाग चिरकार निकल जाती है ...
    शिवांश अपने बॉडीगर्ड को इशारा करते हुये कहता है...इसे भूखे मगरमच्छ को फेक दो..

    खन्ना _ मुझे जल्द से जल्द राणा का कांट्रेक्ट चाहिए ..
    ओके बॉस

    मित्तल मेन्सन
    मन्नत अपने मन मे सोचते हुये _क्या क्या सपने देखे थे मैने कोई इंसान इतना निर्दयी कैसे हो सकता है।..

    तभी कमरे मे दरवाजा बजता है..मन्नत दरवाजा खोलते है तो वहा अमृता जी होती है ..

    अमृता जी _ मुस्कराकरा मै अंदर आ जाऊ

    मन्नत_ आइये ना आंटी
    अमृता जी मन्नत के सर पर हाथ रखकर ....आंटी नही मा
    मन्नत_ मा कहकर रोने लगी मुझे कभी मा का प्यार नही मिला .आपसे मिलकर वो कमी भी पुरी हो गयी

    मन्नत अमृता जी के गले लग गयी ..
    अमृता जी _ ये तुम्हारे लिए कपड़े इन्हे पहनकर निचे आ जाओ ..
    एक बात और बेटा .शिवांश दिल का बुरा नहीं है ..बहुत अच्छा है

    मन्नत मन मे सोचते हुये _ लगता तो नही है लगता तो राक्षस ही है ..नहीं इतने प्यार से बात कोंन करता है

    अमृता जी _ उसे अकेलापन बहुत सताता है ..बचपन से ही मा पापा का प्यार ना मिला इसलिए वो इतना कठोर हो गया ..
    मुझे पूरा यकीन है तुम उसका ये अकेलापन भर दोगी

    मन्नत मन मे सोचते है ..लगता है की आपका पोता मेरे जिंदगी ही बेरग कर देगा
    अमृता जी के जाने के बाद ..मन्नत चेंज जाने ही लगती है ..तभी उसे दरवाजे पर थोड़ी थोड़ी आँखे नजर आती है
    तब ही वह छोटी सी बच्ची को अपने पास बुलाती है ...

    कोंन है वो बच्ची जानने के लिए पढ़ते रहिये

  • 2. जिंदगी एक सौदा - Chapter 2

    Words: 398

    Estimated Reading Time: 3 min

    अमृता जी के जाने के बाद ..मन्नत चेंज जाने ही लगती है ..तभी उसे दरवाजे पर थोड़ी थोड़ी आँखे नजर आती है

    तब ही वह छोटी सी बच्ची को अपने पास बुलाती है ...

    .....वो बच्ची घबरा सी अपने छोटे छोटे पेरो से मन्नत के पास आती है ....मन्नत उसके गाल को टच करते हुये कहती है आपका नाम क्या है ....

    वो बच्ची कुछः नहीं बोलती है...वह मन्नत को धक्का देकर वहा से भाग जाती है ....

    उस बच्ची ने इतनी जोर से धक्का दिया था की....की मन्नत पीछे की और गिर गयी ....वो बच्ची रोते हुये निचे चली गयी ..

    तभी उसे गेट बहुत तेज पीटने की आवाज़ आती है ....जैसे अगर उसने अभी गेट नहीं खोला तो कोई गेट तोड़ देगा....


    मन्नत अपने ऊपर ध्यान ना देते हुये ...गेट को खोल देती है ....

    जब ही वो गेट को खोलती है तो देखती है दरवाजे पर शिवांश था ....शिवांश बहुत गुस्सा मे था ...लेकिन जब ही उसने मन्नत को देखा ....उसका गुस्सा गायब हो गया ....

    मन्नत की नाभि उसे एकदम दिखाई दे रही थी ..उसकी कमर ....शिवांश कुछः secend के लिए मन्नत की आँखों मे खो सा गया ....जैसे उसने इतनी सुन्दर लड़की पहले नहीं देखी कहा ......


    मन्नत शिवांश को ऐसे घूरते देख ....अपने ऊपर धयान करती है ....मन्नत ...शर्म से अपने हाथ अपने दोनो हाथ मन्नत__अपने सीने से स्टा लेती है ...ये देखकर शिवांश अपनी नजरें नीचे कर लेता है....


    मन्नत_ कभी लड़की देखी नहीं क्या .??
    शिवांश मन्नत की बातो को इग्नोर करके ....मन्नत को और जाने लगता है ....जैसे जैसे शिवांश मन्नत की और आ रही थी ....मन्नत पीछे हटती जा रही थी ....

    मन्नत इतनी पीछे हट जाती है की....वह दिवार से टकरा जाती है ...

    शिवांश मन्नत के इतना करीब चला जाता है की दोनो को दोनो की सांस साफ साफ सुनाई देती है ..अगर शिवांश अगर और नजदीक आया तो...दोनो का सीना आपस मे टच हो जाता है..दोनो के होंठ आपस मे मिल जाते ...


    मन्नत__आपको क्या लगता है मै आपस डर गयी आप हमसे दूर रहिये .....नजदीक आने की कोसिस भी मत करना ...


    शिवांश _ गुस्से भरी आवाज़ मे कहते हुये ...तुम्हे क्या लगता है ...तुम्हारे ऐसे करने से मै तुम पर लट्टू हो जाऊगा ...मै बहुत अच्छे से जानता हु तुम जैसी लड़कियों को ...आइंदा मुझे ऐसे इम्प्रेस करने के बारे मे सोचना भी मत ...


    मन्नत के आखो मे पानी आ जाता है।

  • 3. जिंदगी एक सौदा - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min