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Deadly obsessed

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Evil queen era.. Dora

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coming.... Ful to romance जिसकी एक नज़र पर पूरी दुनिया झुक जाती है, लेकिन वो खुद झुकता है सिर्फ एक के आगे..." सबकी नज़रों में वो ठंडा, सख़्त और दूर से देखने वाला बिज़नेस वर्ल्ड का सबसे ताकतवर खतरनाक बादशाह है।           श्रेय मल्होत्रा — हैंड...

Total Chapters (31)

Page 1 of 2

  • 1. Deadly obsessed - Chapter 1

    Words: 690

    Estimated Reading Time: 5 min

    मिडनाइट

    कसीनो बार की रात जश्न में डूबी हुई थी। जो लोग शराब पीकर लाल चेहरे लिए बैठे थे, वो ऐसे दिख रहे थे जैसे किसी यॉट पर लेटे हुए हों और आसपास का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा हो...

    "उह..." अविका कराहती हुई उठी।

    उसी वक्त उसके कानों में लगातार शोर सुनाई दे रहा था। अचानक उसकी नींद पूरी तरह खुल गई।

    "क्या कर रही हो? चलो, और पियो!"

    उसका सिर अभी भी थोड़ा घूम रहा था। कुछ देर लगी उसे याद करने में कि आज रात एक इन्वेस्टर ने फिल्म क्रू को शहर के सबसे शानदार होटल में डिनर के लिए बुलाया था। वो, जो कि सिर्फ एक जूनियर कलाकार थी, उसे इस पार्टी में शामिल होने का हक़ नहीं मिला था। इसलिए उसे पास के बार में इंतज़ार करने के लिए कहा गया।

    हूँ~
    यह तो बस एक मीठा सा सपना था।

    अविका ने खुद को अचानक ढीला छोड़ दिया। तभी उसे एहसास हुआ कि उसका चेहरा गर्म हो रहा है और उसका शरीर चिपचिपा लग रहा है, जैसे उसने कोई जंग अभी-अभी लड़ी हो।

    उसी समय, एक और टकीला का ग्लास उसके सामने रखा गया। जो लड़का पहले से उसे चिढ़ा रहा था, वो अब उसके कंधे पर झुका और हँसते हुए बोला,
    "क्या सपना देख रही थी अभी? बड़ी जोश में चिल्ला रही थी। कहीं किसी..."

    "हैंडसम लड़के" जैसे शब्द उसके कानों में पड़े।

    अविका ने फौरन टेबल पर रखा टकीला का ग्लास उठाया, एक ही सांस में गटका और ग्लास वापस टेबल पर रखकर बात बदल दी—
    "एक और लाओ।"

    "सिर्फ पीने से क्या होगा? क्यों न कोई गेम खेलें?" किसी ने सुझाव दिया।

    तुरंत एक और आवाज़ आई, "हां! क्या खेलें?"

    "Truth or dare कैसा रहेगा?"

    अविका का पेट जल रहा था। उसने एक हाथ से अपनी ठुड्डी को टिकाया, आंखें आधी मूंदी हुई थीं। उसके काले बालों को लापरवाही से ऊपर बांधा गया था, जिससे उसकी खूबसूरत गर्दन साफ दिख रही थी। वह ज़ोर से टेबल पर हाथ मारते हुए बोली,
    "खेलते हैं! मैं हार मानने वालों में से नहीं हूँ!"

    बगल में बैठी एक ठंडी लड़की ने अपनी आंखें घुमाईं,
    "हट ना! तू और जीत? गेमिंग ब्लैक-होल के नाम से फेमस है और कहती है नहीं हारेगी! किसे बेवकूफ बना रही है?"

    "चलो शुरू करते हैं!"

    तीन सेकंड बाद

    अविका बड़बड़ाई,
    "हरामखोर! मैं 'डेअर ' चुनती हूँ। बता, क्या करना है?"

    रोशनी ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ ग्लास घुमाया और ऊपर दाएँ कोने में पीठ किए बैठे एक लड़के की तरफ इशारा किया—
    "वो जो टेबल पर बैठा हैंडसम लड़का है, मुझे लगता है वो अभी वॉशरूम जाएगा। मेरा टास्क बहुत बड़ा नहीं है। तुम्हें इंटिमेट विडियो वाली हरकत नहीं करनी है। बस एक 'बाथरूम  सीन विडियो' जैसा कुछ चाहिए।"

    बाथरूम में ऐसा शूट...

    "लो, ये लो। मैंने नया फोन खरीदा है। नाइट शूटिंग मोड बेमिसाल है, बिलकुल परफेक्ट। चलो करो।"

    अविका के हाथ में एक और फोन था। रोशनी ने उसे वीडियो मोड में ऑन करके दे दिया। अविका ने उसे तिरछी नज़र से देखा और फोन वापस दे दिया—
    "पगला गई हो क्या? बार के बाथरूम में कोई इंटिमेट विडियो शूट करूँ? ये तो हद है! मैं 'truth ' चुनती हूँ।"

    रोशनी ने चालाकी से आंखें मटकाईं,
    "'सच' हाँ? तो बताओ, कल रात तुमने सेवन-स्टार होटल का सिक्योरिटी सिस्टम कैसे हैंक किया, बारहवीं मंज़िल की प्रेसिडेंशियल सुइट तक कैसे चढ़ गई और हमारे इन्वेस्टर को परेशान किया?"

    "ये तो गलत है! टॉपिक चेंज करो! ये तो छेड़छाड़ थोड़ी हुई? वो बूढ़ा खुद स्कैंडल बना रहा था!"

    "ठीक है, तो फिर ये बता— कौन है वो जिसे देखकर तू घबरा जाती है और हमेशा उससे दूर भागती है?"

    अविका ने गुस्से में वो फोन उठा लिया जो उसने वापस दिया था और बोली—
    "तू तो बहुत घटिया है! देखना, तेरा भी विडियो निकालूंगी। पर शर्त है—अगर वो आदमी साथ नहीं देगा, तो मैं हार नहीं मानूंगी!"

    "जा, जा... मैं देख रही हूँ।"
    रोशनी ने हँसी छुपाते हुए कहा,
    "घबराना मत, तेरी बेस्ट फ्रेंड तुझे धोखा नहीं देगी। मुझे पूरा यकीन है, वो लड़का कम से कम 8/10 होगा। अगर वो रणबीर कपूर नहीं निकला, तो विवेक ओबेरॉय जैसा तो होगा ही।"

    "हेह, बस राजपाल यादव जैसा ना हो—बाकी सब चलेगा।"

  • 2. Deadly obsessed - Chapter 2

    Words: 890

    Estimated Reading Time: 6 min

    अविका हाई चेयर से नीचे उतरी, दस इंच की हाई हील्स में लड़खड़ाते हुए चलने लगी...

    जैसा कि उम्मीद थी, वो आदमी वॉशरूम की तरफ बढ़ा।

    वो फोन हाथ में लिए उसके पीछे-पीछे चल पड़ी।

    कद – 1.8 मीटर से ज्यादा, बोनस पॉइंट्स!
    सफेद शर्ट – परफेक्ट फिटिंग, मतलब बढ़िया बॉडी, बोनस पॉइंट्स!
    छोटे, शार्प बाल – बोनस पॉइंट्स!
    लंबी, स्लिम टांगें – और बोनस पॉइंट्स!
    पीछे से लुक – लगभग परफेक्ट! शायद वाकई विवेक ओबेरॉय  जैसा हो, जैसे उस डायन रोशनी ने कहा था।

    थोड़ी ही देर में वो दोनों मेंन्स वॉशरूम पहुँच गए।

    वो उसके पीछे-पीछे अंदर चली गई।

    मुंबई सिटी के सबसे हाई-फाई वेन्यू में से एक होने के कारण, वॉशरूम किसी महल की तरह सजा हुआ था – जैसे संगमरमर पर सोना चढ़ा हो।

    शराब ज्यादा पी लेने की वजह से, जब एसी की हवा उसके चेहरे पर लगी, तो उसका सिर चकराने लगा। उसके पैरों की दस इंच की हील्स वैसे ही परेशानी भरी थीं, अब ऐसे लग रहा था जैसे वो खंभों पर चल रही हो।

    “हिक~”

    उसके मुँह से ज़ोरदार हिचकी निकली। वो झुकी और अपनी हील्स उतारने लगी।

    उसी वक्त, एक आदमी जो टॉयलेट से बाहर आ रहा था, उसे देखकर चौंक गया।

    "औरत? क्या मैं कुछ गलत देख रहा हूँ या…"

    उसे लगा कि शायद वो गलती से लेडीज़ वॉशरूम में आ गया है।

    अविका ने ज़मीन से अपनी हील्स उठाई और उसकी तरफ घूरते हुए बोली,
    "क्या घूर रहा है? औरत कभी देखी नहीं क्या?"

    "न-नहीं मैडम, माफ़ कीजिए..."
    शर्मिंदा होकर वो आदमी तुरंत वहाँ से निकल गया।
    बाहर जाने से पहले उसने बोर्ड की तरफ देखा और कन्फर्म किया कि ये वाकई मेंन्स वॉशरूम ही है। सिर खुजाते हुए बड़बड़ाया,
    "मैं गलत जगह नहीं आया... तो वो औरत... फोन लेकर मर्दों के वॉशरूम में क्या कर रही थी? कहीं कोई…औरत  pervert  तो नहीं?!"

    आजकल की औरतें, खुलेआम घुस जाती हैं!



    ठंडी संगमरमर की ज़मीन पर नंगे पाँव...

    पहले ही ज़्यादा पी लेने के कारण, अब हर कदम पर उसका सिर और चकराने लगा।

    अविका को उल्टी  सी महसूस हो रही थी, उसने फोन कसकर पकड़ा हुआ था। अब वो जल्दी से ‘टास्क’ खत्म कर के घर जाकर सोना चाहती थी।

    “हैंडसम...”

    जैसे ही वो आदमी पलटा—उसका चेहरा कील-मुहासों से भरा हुआ था और कद बस उसके माथे तक आ रहा था।

    वो भौंहे चढ़ाकर बोली,
    "सॉरी, मैं किसी और को समझ बैठी थी। तुम अपना काम करो।"

    वो 1.6 मीटर का आदमी, पैंट पकड़ते हुए हैरान खड़ा रहा, उसका मुँह इतना खुल गया कि उसमें अंडा आ जाए।

    औरत... पागल औरत!



    इधर-उधर ढूँढने के बाद...

    अविका ने आखिरकार उस आदमी को ढूँढ ही लिया जिसे उसने पहले देखा था—वॉशरूम के सबसे अंदर वाले हिस्से में।

    आ... मिल ही गया!

    वो जल्दी से उसके पास पहुँची, कंधे पर थपकी मारी, और अपनी उंगली उसकी रीढ़ पर हल्के से फिरा दी।

    “ओ हैंडसम... रात लंबी है, नींद का नाम नहीं। मेरे साथ एक ‘इंटिमेट विडियो क्विक’ करना चाहोगे?”

    अगले ही पल, उसकी कलाई किसी ने ज़ोर से पकड़ ली।

    वो आदमी पलटकर उसके सामने आ गया...

    वॉशरूम की हल्की रोशनी में उसका चेहरा, स्लिम कमर, लंबी टांगें... डार्क ट्रेंच बूट्स पहने हुए, जैसे कोई रैंप वॉक कर रहा हो!

    "रात को नशे में धुत होकर सड़कों पर घूमना, अजनबी मर्दों से फ्लर्ट करना... अविका, कुछ सालों में तू कितनी बेहया हो गई है!"

    धमकाने वाला लहजा! जबरदस्त दबदबा!

    और वो बाज़ की नज़रें—सीधे उसे घूरती हुई, बेहद जान-पहचान वाली नज़रों से!

    अविका की पहली रिएक्शन थी—भागो!

    लेकिन उसकी कलाई इतनी कसकर पकड़ी गई थी कि वो हिल भी नहीं सकी।

    "इंटिमेट क्विक विडियो चाहिए?"
    उस आदमी ने उसकी हथेली पकड़कर नीचे सरकाई, जिससे ज़िप की ठंडी धातु की आवाज़ उभरी—

    ‘जि .…..’

    अविका की नशा एक झटके में उतर गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया। वो हकलाते हुए बोली,
    "नहीं… माफ कीजिए… आप गलत समझ रहे हैं।"

    “सच में?”

    गलत इंसान?
    अगर उसका ये घिनौना चेहरा राख बन भी जाए, तब भी वो उसे पहचान लेगा!

    "हां-हाँ, आप किसी और को समझ रहे हैं..."
    उसने बोला ही था कि उसकी कलाई जबरदस्ती उस बंदूकनुमा चीज़ पर रखवा दी गई।

    कपड़े के ऊपर से ही उसे जलती हुई गर्मी महसूस हुई।

    वो अभी इस झटके से उबरी भी नहीं थी कि उसका फोन छीन लिया गया।

    "वीडियो मोड?"

    "..."

    "लगता है, काफी तैयार होकर आई थी!"

    "...क्या करूँ? इतनी मनहूस हूँ कि इंटिमेट विडियो गेम खेलते हुए उसी से टकरा गई!"

    जैसे वो उसकी सोच पढ़ सकता हो, उस आदमी की बाज़ जैसी आंखें सिकुड़ गईं। वह उसके फोन से खेलने लग गया।

    "हूँ, लेटेस्ट आईफोन मॉडल?"

    "वापस दो!"

    अविका उछलकर फोन लेने के लिए लपकी, लेकिन उस आदमी ने पहले से ही रिएक्शन भाँप लिया था। उसने हाथ ऊपर उठाकर उसे दीवार से चिपका दिया।

    "अविका, लगता है तूने मुझसे अलग होने के बाद बहुत ऐश कर ली है?"

    अविका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा, हथेलियों से पसीना बहने लगा। उसने छूटने की बहुत कोशिश की और चिल्लाई,
    "तुम गलत समझ रहे हो! मैं तुम्हें जानती तक नहीं!"

    "हूंफ! अच्छा... तो चलो, याद दिला देता हूँ!"

    यह कहते हुए, उसने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा —जैसे सज़ा दे रहा हो! उसकी मुलायम, दूध-सी सफेद त्वचा पर वो अपने निशान छोड़ने लगा...

    "छोड़ो मुझे!"
    "गुंडा! जानवर! नीच!"

    अगले ही सेकंड, उसे अपनी गर्दन के पीछे तेज़ दर्द हुआ... और वो बेहोश होकर गिर पड़ी...

  • 3. Deadly obsessed - Chapter 3

    Words: 1211

    Estimated Reading Time: 8 min

    आज की रात बेचैनी भरी थी।

    मुंबई सिटी के सबसे महंगे कसीनो बार में रात अपने चरम पर थी। डीजे जोर-जोर से म्यूज़िक बजा रहा था, और लोग डांस फ्लोर पर जोश से डांस कर रहे थे, कुछ जोड़े एक-दूसरे को बेतहाशा चूम भी रहे थे।

    अचानक, बार के गेट पर हलचल मच गई।

    एक ग्रुप के कमांडो भीतर घुसे और दोनों तरफ लाइन से खड़े हो गए।

    सब लोग हैरान-परेशान इधर-उधर देखने लगे कि आखिर हो क्या रहा है। तभी बार का मैनेजर घबराया हुआ किसी खास मेहमान का स्वागत करने आया। उसके चेहरे पर हैरानी और चापलूसी दोनों साफ दिख रहे थे।

    "श्रेय  सर, आप यहां? अगर मुझे पता होता आप आ रहे हैं, तो मैं बाहर ही किसी को भेज देता स्वागत के लिए।"

    कसीनो बार का  मुंबई सिटी में बड़ा दबदबा था, लेकिन आज तक किसी ने इसके मालिक को इस तरह किसी के आगे झुकते नहीं देखा था।

    जो लडका अंदर दाखिल हुआ, उसके चारों तरफ लोग उसकी तारीफ में झुके जा रहे थे। वह बहुत ही हैंडसम और यंग था, पतली कमर, लंबे पैर और तिखे चेहरे के साथ।

    लेकिन जो आभा उससे निकल रही थी, वह इतनी सख़्त और डराने वाली थी जैसे किसी ने तलवार निकाल ली हो — कोई उसे हल्के में लेने की हिम्मत नहीं कर सकता था।

    हैरानी की बात ये थी कि उस रौबदार इंसान की गोद में एक लड़की बेसुध पड़ी थी।

    उस लड़की का चेहरा अंदर की तरफ था, इसलिए कोई देख नहीं पाया कि वो कौन है।

    मैनेजर ने बस एक नज़र डाली ही थी कि श्रेय  की नज़र उस पर पड़ी और उसने डर के मारे तुरंत नज़रें फेर लीं।

    "आप आज यहां...?"

    मैनेजर ने हिम्मत कर पूछा।

    श्रेय  ने उसकी तरफ देखा तक नहीं, बल्कि पूरे बार को नज़र से स्कैन किया और गुस्से में भौंहें सिकोड़ लीं।

    सभी लोग डर के मारे कांप गए, मानो कमरे में अचानक ठंड बढ़ गई हो। तभी उसने ठंडी, लेकिन तिखी आवाज़ में कहा—

    "बार को सील कर दो!"

    "जी सर!"

    कमांडो बिजली की रफ्तार से आगे बढ़े।



    जैसे ही वे हथियारबंद कमांडो बाहर निकले, पूरे बार में दोबारा हलचल शुरू हो गई।

    एक लड़की, जो अभी तक उत्साह में थी, उस दिशा में देखती हुई बोली, “वो कौन था इतना हैंडसम?”

    एक और लड़की ने उसे घूरा और फिर ऐसे बोली जैसे अपने पति की बात कर रही हो, "अरे, तुम्हें नहीं पता? वो श्रेय मल्होत्रा है!"

    "वो देश का सबसे यंग और पावरफुल कमांडर है,
      और एक मल्टीनेशनल कंपनी के सीक्रेट प्रेसिडेंट भी। पैसे, पावर, शकल—हर चीज़ में परफेक्ट!"

    "हर लड़की का ड्रीम बॉय! एक देश जितनी दौलत और ताक़त वाला इंसान!"

    "अफसोस, वो बहुत लो-प्रोफाइल हैं और शायद ही कभी मीडिया इंटरव्यू देते हैं। सोचो, आज हम उन्हें असल में देख पाए! कितनी किस्मत है हमारी!"

    कुछ दूरी पर बाकी लड़कियाँ भी हैरान थीं और एक-दूसरे की बाहें पकड़ कर excitement में चिल्ला रहीं थीं।

    इन्हीं दीवानी लड़कियों के बीच, रोशनी दौड़ती हुई वापस आई।

    "अविका गायब है। किसी ने उसे देखा है क्या?"

    थिएटर ग्रुप की लड़कियाँ श्रेय मल्होत्रा की तारीफ में इतनी डूबी थीं कि रोशनी की आवाज़ ही नहीं सुन पाईं।

    "किसी ने अविका को देखा?"

    आखिरकार एक लाइटिंग इंजीनियर ने कहा, "अविका ? नहीं देखा। मुझे लगा वो इंटिमेट विडियो शूट करने गई होगी।"

    "बाथरूम में तो कोई नहीं है," रोशनी परेशान होकर बोली।

    "चिंता मत करो। हो सकता है उसे वीडियो बनाना अच्छा न लगा हो और चुपचाप घर चली गई हो, ताकि कोई उसे डांटे न।"

    "घर गई?" रोशनी को सबसे ज़्यादा डर था कि कहीं उसे किसी बदमाश ने बार में नुकसान न पहुंचाया हो। उसके साथी की बात सुनते ही वो तेजी से कार की चाबी उठाकर बोली, "मैं घर जाकर देखती हूँ।"




    "कमांडर?"

    "चालू करो!"

    काली बेंटली अंधेरे में दौड़ पड़ी और 10 मिनट बाद अचानक ब्रेक मारे।

    श्रेय  ने बेहोश लड़की को उठाया और सीधा विला की ओर बढ़ा।

    एक मिडिल-एज औरत एप्रन में आई, "सर, प्रेसिडेंट ने कहा था कि आप आएं तो उन्हें कॉल करें। ये कौन हैं...?"

    आंटी मैरी को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था।

    उसने क्या देखा?

    जो इंसान औरतों से नफरत करता था, वो आज किसी लड़की को गोद में लिए खड़ा था?

    वो मन ही मन भगवान से दुआ करने लगी — अच्छा है, कम से कम कोई लड़की तो Young Master की ज़िंदगी में आई।

    "आंटी मैरी, डॉ. अमन  को बुलाओ," श्रेय ने ऑर्डर  दिया।

    डॉ. अमन देश के सबसे टैलेंटेड और मल्टीस्पेशलिस्ट डॉक्टर थे, और श्रेय के पर्सनल फिजिशियन भी।

    "अभी बुलाती हूँ!"

    "जल्दी करो।"

    श्रेय ने लड़की को ऊपर ले जाकर अपने कमरे के बेड पर लिटाया।

    काले चादरों पर लेटी लड़की की त्वचा और भी गोरी लग रही थी। उसकी आंखें बंद थीं, मानो कोई शांत और सीधी लड़की हो।

    लेकिन श्रेय जानता था, ये सब सिर्फ दिखावा था।

    अविका पिछले बीस सालों से उसके जिंदगी में उथल-पुथल मचाने वाली थी।

    बिलकुल बिंदास और बेपरवाह, उसके जिंदगी में घुस आई थी जैसे उसे कोई रोक नहीं सकता।

    कभी तो ऐसा लगता था जैसे वो उसकी ज़िंदगी से कभी जाएगी ही नहीं।

    लेकिन उसने भूल की — सूरज भी कभी-कभी छिप जाता है।

    अब वो उसे दोबारा खोने नहीं देगा।

    श्रेय की मुट्ठियाँ कस गईं।

    तभी फोन बजा।

    "हैलो?"

    "श्रेय, आरवी ने कहा तुम उसे इग्नोर कर रहे हो , क्या हुआ? तुमने वादा किया था उसके साथ जाओगे।"

    "कुछ ज़रूरी काम आ गया।"

    "ऐसा क्या ज़रूरी था जो आरवी से भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया?"
    तभी नीचे किसी के कदमों की आवाज़ आई।


    श्रेय ने जल्दी से कहा, "बाद में बताता हूँ। अभी काम है।" और फोन काट दिया।

    "नॉक-नॉक"

    "आओ।"

    तभी सफेद कोट में पसीने से भीगा हुआ एक शख्स अंदर आया, "सर, क्या हुआ?"

    उसे पता था कि श्रेय की हेल्थ एकदम ठीक रहती है, सिवाय इनसोम्निया के।

    श्रेय ने अपना कोट उतारते हुए कहा, "मैं ठीक हूँ, उसे देखो।"

    "लड़की?" अमन भी चौंक गया।

    "देखो क्यों बेहोश हुई।" श्रेय ने पानी लिया और पास के सोफे पर बैठ गया।

    "कौन है ये?" अमन ने पूछा।

    "...मेरी मंगेतर।" सही कहें तो, पहले की मंगेतर।

    "मंगेतर?!" अमन हिचकिचाया, "मैं अभी कुछ नहीं कर सकता, कोई इक्विपमेंट नहीं है मेरे पास।"

    "तो लाओ अभी!" श्रेय ने कड़क आवाज़ में कहा, "आधे घंटे में पूरी रिपोर्ट चाहिए।"




    रात गहराने लगी।

    गाइनेकोलॉजी के टॉप एक्सपर्ट लड़की की जांच कर रहे थे।

    थोड़ी देर में रिपोर्ट आ गई।

    और रिपोर्ट को श्रेय के स्टडी रूम में पहुंचाया गया।

    श्रेय ने रिपोर्ट पढ़ी। उसकी आंखें सुई जैसी तीखी हो गईं — ठंडी, खतरनाक, और सख़्त।

    वो अचानक खड़ा हुआ और पास की कुर्सी को लात मारी।

    धड़ाम!

    सभी लोग कांप गए।

    "ये तुम्हारा रिपोर्ट है?"

    उसने रिपोर्ट को ज़ोर से मेज पर पटका।

    उसके हाथ की नसें उभर आई थीं और होंठ एक पतली सी रेखा बन गए थे।

    "80% संभावना है प्रेग्नेंसी की?"

    सब चुप।

    "हरामज़ादे!"

    तभी उसने दीवार पर मुक्का मारा। और खून बहने लगा।

    सब हैरान रह गए।

    "सर!"

    "कमांडर!"

    "कोई पास मत आओ!" श्रेय ने चिल्लाते हुए कहा और फिर एकदम शांत हो गया। चेहरा नीला पड़ चुका था।

    उसने ऑर्डर दिया—

    "अमन, उसे हॉस्पिटल ले जाओ। अगर प्रेग्नेंट है, तो तुरंत अबॉर्शन करवा दो!"

    फिर कुछ सोचकर उसने आंखें बंद कीं, और जब खोलीं तो वो पूरी तरह ठंडा हो चुका था।

    उसके होंठ हिले—

    "...नहीं, उसे बाहर फेंक दो!"

  • 4. Deadly obsessed - Chapter 4

    Words: 725

    Estimated Reading Time: 5 min

    मुंबई सिटी में देर रात तापमान 0° के करीब पहुँच गया था।

    अविका ठंड की वजह से जाग गई।

    जब उसकी आंख खुली, तो उसने खुद को सड़क के किनारे पड़ा पाया, उसका मोबाइल और बैग ज़मीन पर बिखरे हुए थे।

    खुशकिस्मती से वहाँ आसपास कोई नहीं था, वरना उसके साथ क्या हो सकता था, ये सोचकर ही उसके रोंगटे खड़े हो गए।

    साले की!

    अविका उठी और चारों तरफ नज़र दौड़ाई।

    ये इलाका शहर से बाहर का लग रहा था, दूर-दूर तक कोई गाड़ी नहीं दिख रही थी।

    बिलकुल साफ था कि ये सब श्रेय  ने अपने आदमियों से करवाया था।

    वो हाई हील्स जो वो पहले हाथ में लिए हुए थी, अब कहीं नहीं थी। और अगर मिल भी जाती, तो भी वो दस इंच की हील्स पहन कर नहीं चल सकती थी। हार मानकर अविका नंगे पांव शहर की ओर चल पड़ी—एक कदम गहरा, अगला हल्का...

    करीब दो घंटे तक पैदल चलने के बाद आखिरकार उसे एक टैक्सी मिल गई।



    एक जूनियर आर्टिस्ट की ज़िंदगी बहुत मुश्किल होती है, और सैलरी भी बेहद कम।

    इतनी कम कमाई में वो मुंबई सिटी जैसे शहर में घर नहीं खरीद सकती थी। रोशनी ने उसकी मदद की और उसे किराए पर एक छोटा सा टू-रूम वाला फ्लैट दिलाया।

    टैक्सी उस पुराने मोहल्ले के बाहर आकर रुकी जहाँ अविका रहती थी। उसने किराया चुकाया और ऊपर चली गई।

    उसने चाबी टटोल कर दरवाज़ा खोला।

    जैसे ही वो अंदर घुसी, उसका मोबाइल बज उठा।

    उसने दरवाज़ा बंद किया, बैग से फोन निकाला और देखा कि कॉल रोशनी की थी। सिर में तेज़ दर्द के साथ उसने फोन उठाया।

    "...हैलो?"

    "अविका! तू कल रात गई कहाँ थी? मैंने तुझसे वॉशरूम वीडियो शूट करने को कहा था, और तू सच में किसी लड़के के साथ वन-नाइट स्टैंड पर चली गई क्या?" —हालाँकि उसके शब्द तीखे थे, लेकिन आवाज़ में बेचैनी साफ़ झलक रही थी।

    धीरे-धीरे बीती रात की बातें अविका को याद आने लगीं और सिर में तेज़ दर्द होने लगा। उसे याद आया कि वो अभी-अभी देश लौटी थी और रोशनी के साथ बार में गई थी। वहाँ उन्होंने ड्रिंकिंग गेम खेला और बहुत ज़्यादा पी लिया। रोशनी ने ज़िद की थी कि वो और एक लड़का "truth or dare " खेलें। वो भी नशे में थी और थोड़ा जोश में भी, आधा मना और आधा राज़ी होकर खेलने लगी... और फिर उसकी मुलाकात... उस आदमी से हुई।

    क्या वो सच में उस हालत में श्रेय  से मिली थी? और क्या उसने उसके साथ वाकई "वो सिन रिकॉर्ड किया था?

    वो रात को घर कैसे पहुँची? श्रेय जैसा गुस्सैल इंसान—उसने उसे फाड़कर क्यों नहीं फेंका?

    अविका की कनपटी लगातार फड़क रही थी। वह सोफे पर बैठ गई और एक गिलास पानी पिया। पानी पीने के बाद ही थोड़ा आराम महसूस हुआ।

    "मैं तुझसे पूछ रही हूँ!" —फोन के दूसरी तरफ रोशनी की आवाज़ और भी बेचैन हो गई।

    अविका ने सिर पकड़ा। ऐसा लग रहा था जैसे उस एक रात में उसकी सारी साल भर की ऊर्जा निकल गई हो। वो कमजोर और थकी हुई थी। लेकिन रोशनी लगातार सवाल पूछती रही, तो उसने थकते हुए जवाब दिया—"नहीं, मैं एक जान-पहचान वाले से मिल गई थी। अब घर पर हूँ।"

    "तू तो अभी देश लौटी है, तुझे कौन जानता होगा?"

    "अंशु के पापा।"

    "क्या?!" —फोन की दूसरी ओर की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि ऐसा लगा जैसे कान के पर्दे फट जाएंगे।

    अविका ने अपने कान मल लिए। उसे बिना देखे भी साफ़ समझ आ गया कि रोशनी उछल कर खड़ी हो गई होगी।

    "तुझे यकीन है कि वही आदमी था?"

    रोशनी जानती थी कि स्कूल के दिनों में अविका का एक बॉयफ्रेंड था। लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि अविका अचानक विदेश चली गई। अगले ही साल उसने एक बच्चे को जन्म दिया। उस बच्चे का नाम था अंश (निकनेम: अंशु)। अभी भी वो बच्चा विदेश में एक बुजुर्ग जोड़े की देखरेख में रह रहा था। बहुत समय बाद बार-बार पूछने पर अविका ने बताया था कि वो बच्चा उसी लड़के का है जिससे वो पहले प्यार करती थी।

    "हाँ, मुझे पूरा यकीन है।"

    "फिर जब तुम उससे मिली तो क्या हुआ? क्या तुमने उसे अंशु के बारे में बताया?"

    "बच्चा मेरा है। मैंने उसे जन्म दिया है, मैंने ही उसे पाला है। मैं उसे क्यों बताऊँ?" —अविका थोड़ी देर चुप रही, फिर होंठ भींचते हुए बोली—"अगर उसे पता चल गया, तो वो मेरी कस्टडी छीन लेगा।"

  • 5. Deadly obsessed - Chapter 5

    Words: 761

    Estimated Reading Time: 5 min

    अविका और श्रेय  के बीच स्टेटस फर्क बहुत ज़्यादा था। अगर कभी कोर्ट तक बात पहुँचती, तो जज भी ज़रूर अंशु की कस्टडी श्रेय को ही दे देते। ऊपर से, श्रेय मल्होत्रा के पास ताक़त और रुतबा दोनों थे—अगर उसे अंशु के बारे में पता चल गया, तो वो कोर्ट-कचहरी का रास्ता भी नहीं अपनाएगा, सीधे उसे उससे छीन लेगा।

    वो आदमी ना सिर्फ घमंडी था, बल्कि एक बिगड़ा हुआ औरतों का दीवाना भी। अविका कभी भी अंशु को उसके साथ नहीं रहने दे सकती!

    बिलकुल भी नहीं!

    अविका ने जबड़े कस लिए।

    "रोशनी, तुम्हें याद है तुमने पूछा था कि मैं अचानक विदेश क्यों चली गई थी?"

    "हां?"

    "तब मैं प्रेग्नेंट थी, और कुछ मजबूरी थी जिसकी वजह से मुझे देश छोड़ना पड़ा। तो अब अगर मैं उसे बताऊँ कि अंशु उसका बेटा है, तो भी वो यकीन नहीं करेगा।"

    रोशनी ने भौंहें चढ़ाते हुए कहा, "क्यों यकीन नहीं करेगा? अगर शक है तो DNA टेस्ट करवा लो। आखिर अंश उसका बेटा है। तुम कोई ऐरी-गैरी लड़की तो नहीं हो। अगर वो बाप नहीं है, तो और कौन होगा?"

    अविका के चेहरे पर फीकी-सी मुस्कान आ गई, क्योंकि श्रेय मल्होत्रा की नजरों में तो वो पहले से ही एक हल्की और लापरवाह लड़की थी।

    "मैं अंश का DNA टेस्ट उसके साथ करवा सकती हूं, लेकिन अगर साबित भी हो गया कि वो उसका बाप है, तो क्या? मैं नहीं चाहती कि अंशु को 'नाजायज़ औलाद' समझा जाए।"

    इस पर रोशनी चुप हो गई।

    उसके मुंह से निकलने ही वाला था कि "तुम दोनों शादी कर लो, फिर तो अंशु की पहचान भी सही हो जाएगी", लेकिन उसे याद आ गया कि अविका ने बताया था कि वो आदमी बहुत पैसे वाला और ताकतवर है। इसलिए उसने अपनी बात गले में ही दबा ली।

    अगर कोई आम इंसान होता, तो घर बसाना और फैमिली बनाना सामान्य बात होती, लेकिन जब बात किसी अमीर और रसूखदार की हो, तो मामला मुश्किल हो जाता है।

    "क्या वो आदमी इतना अमीर है कि बिना कोर्ट के सीधा बच्चा ले जाए?" रोशनी से रहा नहीं गया और उसने पूछ ही लिया।

    "यूं समझ लो कि वो कानून को भी अपनी मर्जी से मोड़ सकता है।" —अविका ने थोड़े हताश लहजे में कहा।

    आख़िर वो आदमी था ही इतना अमीर और उसका बैकग्राउंड भी बहुत हाई था।

    अगर वो कानूनी प्रक्रिया को नजरअंदाज करके सीधा फैसला लेना चाहे, तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

    "...इतना पावरफुल?" रोशनी को जैसे झटका लग गया, वो कुछ देर तक कुछ बोल ही नहीं पाई।

    "अरे हां, रोशनी, तुमने कॉल क्यों किया था?" —अविका ने पूछा।

    "मैं समझ नहीं पा रही थी कि कैसे बताऊँ, लेकिन..."

    "क्या बात है?"

    "जो इंटिमेट विडियो तूने कल रात शूट किया था, वो किसी ने इंटरनेट पर अपलोड कर दिया है।"

    विडियो?

    अविका कुछ सेकंड के लिए हैरान रह गई। "कौन-सी विडियो?"

    "क्या मतलब 'कौन-सी विडियो'?!"

    "..."

    रोशनी थोड़ी झिझकी, फिर बोली—

    "अविका, तू अभी तक नींद में है या मुझसे मज़ाक कर रही है? जो तूने और उस लड़के ने बार में शूट किया था, वही वाला! बाथरूम इंटिमेट सीन्स विडियो! वो इंटरनेट पर डाल दिया गया है! इसलिए पूछ रही हूं कि तू कल किससे मिली थी?"

    क्या श्रेय  ने वो मज़ाक में शूट किया गया विडियो ऑनलाइन डाल दिया?

    क्यों किया उसने ऐसा?

    क्या ये सब बदला लेने के लिए था?

    फोन के दूसरी ओर, रोशनी अब भी सवाल पर सवाल कर रही थी, "देख, अविका, एक रात साथ बिताई थी तूने उसके साथ। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वो तुझे इस तरह बदनाम करे! वो है कहाँ? मैं उसकी खबर लेती हूँ!"

    "नहीं... ज़रूरत नहीं है।" अविका पूरी तरह से उलझ गई थी और उसे अब ये सारी बातें समझाने की भी हिम्मत नहीं बची थी। उसने जल्दी-जल्दी कहा, "रोशनी, मुझे अभी जाना है, बाद में बात करती हूं।"

    "अरे! अविका, मेरा मतलब ये नहीं था..."

    "बात खत्म। मुझे जाना है।"

    अविका ने कॉल काट दी और फोन साइड टेबल पर फेंक दिया। उसने समय देखा।

    सुबह के 4:30 बज रहे थे।

    शूटिंग यूनिट में सभी को सुबह 8 बजे तक सेट पर होना जरूरी था, और एक छोटी आर्टिस्ट होने के नाते वो बिल्कुल भी देर नहीं कर सकती थी!

    साले की! छोड़ो सब!

    वो पहले ही उसे सड़क के किनारे फेंक चुका है। शायद अब वो अविका को दोबारा देखना भी नहीं चाहता।

    तो जाओ, भाड़ में जाओ!

    इस वक्त सबसे जरूरी था—सोना। शरीर ही क्रांति की असली ताक़त है! जो होगा, देखा जाएगा!

    अविका ने कंबल उठाया, बिना मुंह धोए सीधे बिस्तर पर घुस गई। कुछ ही मिनटों में वो गहरी नींद में चली गई।

    w

  • 6. Deadly obsessed - Chapter 6

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    "कितना डरावना सपना था !"

    अविका ने सपना देखा कि श्रेय  उसके दरवाज़े पर आया और फिर  अंशु को लेकर उससे झगड़ रहा है, और एक और सपना देखा कि वह अंशु को लीड कर रहा है और दोनों ने मिलकर उससे कहा— "तेरा सीना बहुत छोटा है, जब बड़ा हो जाए, तब हमारे पास आ जाना।"

    हालाँकि अविका जानती थी कि यह सब सिर्फ सपना था, फिर भी वो बेचैन थी और नींद से उठ नहीं पा रही थी।




    अगली सुबह

    खिड़की से धूप की एक किरण लकड़ी के फर्श पर आकर पड़ी।

    अविका ने सिर दर्द के साथ उठते हुए अपना माथा मल लिया। नाइटस्टैंड पर रखा मोबाइल जोरों से वाइब्रेट हो रहा था, उसने अलार्म बंद किया।

    कंबल हटाते ही और हाथ फैलाते ही उसे लगा जैसे उसके पूरे शरीर से कोई गाड़ी गुजर गई हो, हर जगह दर्द हो रहा था।

    "उफ्फ—"
    वो दर्द में कराह उठी और धीरे-धीरे आईने की ओर गई।

    आईने में खुद को देखकर वो दंग रह गई— उसकी गर्दन और कॉलरबोन पर बैंगनी-लाल लव बाइट्स के निशान थे।

    श्रेय मल्होत्रा...

    उसने होंठ दबाए और नज़रें फेर लीं। नहाने का फैसला किया। बैग से फाउंडेशन निकाला, निशानों को ढका, दाँत ब्रश किए और चेहरा धोकर जल्दी से निकल पड़ी।




    "तेरा मेरा प्यार"    इस वक़्त की सबसे पापुलर फिल्म थी , बोहोत से इन्वेस्टर ने इस फिल्म में इन्वेस्ट किया था जिसमें कपूर एंटरटेनमेंट कंपनी भी शामिल थी

    इसमें उस वक्त के सबसे मशहूर एक्टर्स और एक्ट्रेसेज़ को लिया गया था।




    अविका को इस शो में एक छोटे से किरदार के लिए लिया गया था— वो भी रोशनी की सिफारिश से।

    जैसे ही अविका सेट पर पहुँची, उसने कुछ एक्ट्रेसेज़ को बातें करते सुना—

    "अविका अभी तक आई क्यों नहीं?"

    "हम्म... लगता है कल रात से थक गई होगी।"

    "वो तो अजीब ही है, एक आदमी को हाथ से संतुष्टि देती हुई इंटिमेट विडियो खुद ही ऑनलाइन डाल दी। इतनी बुरी तरह फेमस होना चाहती है क्या?"

    "विडियो में लड़की और लड़के का चेहरा तो नहीं दिखा, शायद वो अविका नहीं है?"

    पहली लड़की ने हँसते हुए कहा—
    "कल रात कितने लोग बार में थे, सबने कहा कि वो हार गई और भागकर किसी के साथ इंटिमेट विडियो बनाने चली गई। रात को ही विडियो आया। टाइम और लोकेशन मिलती है, अगर वो नहीं है, तो और कौन?"

    कामना ने ताना मारा—
    "किसी को उसके लुक्स से मत आंकना। इस इंडस्ट्री में हर तरह के लोग होते हैं। हमारी यही थर्ड फीमेल लीड डायरेक्टर से जुड़कर आई है। डायरेक्टर खुद 40 साल से ऊपर है, बूढ़ा और बदसूरत, लेकिन वो फिर भी उसके साथ सोती है। और अविका... वो तो असिस्टेंट डायरेक्टर से जुड़कर आई है। लगता है उसके साथ भी कुछ चल रहा है..."

    "अरे नहीं यार, ये ज़्यादा नहीं हो गया?"

    "हाँ कामना, ये सब तुमने कहाँ सुना? खाना गलत खा सकते हो, पर बात गलत नहीं करनी चाहिए।"

    अविका मेकअप रूम के दरवाज़े पर खड़ी थी, दाँत भींचे हुए, अंदर जाकर सबके सामने सफाई देने की हिम्मत को दबाए।

    अफवाहें कुत्ते जैसी होती हैं, जितना उन्हें समझाओ, उतना ही भौंकती हैं। अगर वो अभी जाकर सफाई देती, तो शायद बात और बिगड़ जाती।

    वो चुपचाप दरवाज़े पर खड़ी रही, जब तक उनकी बातें खत्म नहीं हुईं।

    तभी उसके पीछे से एक मीठी आवाज़ आई—
    " श्रेय, क्या हुआ?"

    श्रेय?

    अविका के दिमाग़ में वही खूबसूरत लेकिन बेरहम चेहरा घूम गया!

    श्रेय मल्होत्रा? क्या किस्मत इतनी खराब है?

    उसने पलटकर देखा— कुछ सालों बाद, वो आदमी और भी ज़्यादा हैंडसम और सख्त हो चुका था। काले टेलर-फिटेड सूट में उसका रौब देखते ही बनता था। चेहरे पर न कोई मुस्कान, होंठ सीधी पतली रेखा में दबे हुए।

    वो ही है!

    वो यहाँ क्या कर रहा है? क्या वो यहाँ अविका की वजह से आया है?

    अविका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा!

    रश्मि ने अविका को देखा, जो पहले तो हैरान हुई, फिर खुद को सँभालने की कोशिश करने लगी। उसने श्रेय की तरफ देखा, जो लगातार सिर्फ अविका को ही देख रहा था।

    रश्मि ने उसका हाथ थामते हुए मुस्कराकर पूछा—
    " श्रेय, आप अविका को जानते हैं?"

    अविका रश्मि को जानती थी— वो भी उसी शो में आई थी लेकिन सीधे सेकंड लीड बनकर।

    जबकि अविका का रोल बहुत छोटा था, रश्मि के सीन्स तो लीड एक्ट्रेस से भी ज़्यादा थे।

    कहा जाता था कि रश्मि का परिवार बहुत पावरफुल है, लेकिन अविका को नहीं पता था कि इसमें श्रेय  भी शामिल होगा।

    रश्मि आमतौर पर घमंडी रहती थी और बाकी लोगों से बात नहीं करती थी, तो ये देखकर आश्चर्य हुआ कि उसे अविका का नाम याद है।

    "अविका, क्या तुम दोनों एक-दूसरे को जानते हो?"

    श्रेय ने जवाब नहीं दिया, तो रश्मि ने फिर अविका से पूछा।

    "हम..." अविका ने अपने मुट्ठियाँ कस लीं।

    श्रेय ने उसकी हरकत देखी और खुद जवाब दिया—
    "हम एक-दूसरे को जानते हैं।"

    और कैसे नहीं जानते!

    अविका ही पहली और एकमात्र लड़की थी जिसने उसे मूर्ख बनाकर छोड़ दिया था— और फिर किसी और से फ्लर्ट करती दिखी थी— और अब फिर से वापस आकर उसे लुभाने की कोशिश कर रही थी!

    ऐसी बेहयाई को कौन भूल सकता है?

    अविका ने होंठ दबाए और जबरन मुस्कराते हुए कहा—
    "हाँ, बस एक बार मुलाकात हुई थी।"

    जैसे ही उसने यह कहा, श्रेय की पूरी बॉडी से एक ठंडी सिहरन सी निकली।

    "ओह," रश्मि ने कहा, फिर शरारती अंदाज़ में पूछा—
    "मुझे कैसे नहीं पता कि आप अविका से मिले थे?"

    "इतनी मायने नहीं रखती कि उसका ज़िक्र किया जाए।" श्रेय ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा।

    रश्मि की आँखें चमक उठीं और उसने राहत की साँस ली। फिर अविका से कहा—
    "अविका, सॉरी... उसका थोड़ा गुस्सैल स्वभाव है, दिल पे मत लेना। वैसे दोपहर को फ्री हो? लंच साथ में करेंगे?"

    "नहीं..." अविका ने मना करना चाहा, लेकिन...

    "वो तुम जैसी नहीं है, उसे कोई दिक्कत नहीं होगी।" श्रेय ने बीच में कहा।

    "ठीक है फिर अविका, लंच साथ में करते हैं। श्रेय और मैं बाहर इंतज़ार करेंगे।"
    रश्मि ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "चलिए श्रेय, अंकल हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।"

    "हाँ।"

    और दोनों वहाँ से चले गए...

  • 7. Deadly obsessed - Chapter 7

    Words: 740

    Estimated Reading Time: 5 min

    भले ही उसे जाने का मन नहीं था, लेकिन दोपहर में वो फिर भी आ गई।
    अविका ने कपड़े बदले, अपना बैग उठाया और बाहर जाने की तैयारी करने लगी।

    जैसे ही वो दरवाज़े से बाहर निकलने वाली थी, कामना अचानक सामने आ गई।
    सुबह की कड़वी बातों का उसके चेहरे पर अब कोई असर नहीं था।
    बल्कि उसने बड़े ही जोश से कहा,
    “अविका, चलो लंच साथ में करते हैं।”

    अविका ने सीधे कहा,
    “नहीं, मेरा पहले से अपॉइंटमेंट है।”

    कामना ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा,
    “ओह, अपॉइंटमेंट है?”
    फिर थोड़े मतलब भरे अंदाज़ में बोली,
    “ठीक है फिर, अगली बार सही।”

    अविका नहीं जानना चाहती थी कि उसके पीछे कौन क्या कह रहा है।
    वो चुपचाप बाहर निकल गई।



    जैसे ही वो शूटिंग सेट के कोने तक पहुँची, उसने सड़क किनारे खड़ी एक काली Maybach देखी।

    एक ही नज़र में वो पहचान गई—
    ये श्रेय  की कार थी।

    पाँच साल पहले, वो नई गाड़ी लेने वाले था।
    पहले उसने Bentley पसंद की थी,
    लेकिन उस वक़्त अविका को एक मिलिट्री थीम वाला टीवी शो बहुत पसंद था,
    और उसने ज़िद की थी कि SUV लेनी चाहिए।

    श्रेय ने उसकी बात मान ली और ये काली Maybach खरीद ली।

    उसे उम्मीद नहीं थी कि आज भी वो यही गाड़ी चला रहे हैं...

    लेकिन फिर उसे श्रेय और रश्मि के बीच की नज़दीकियाँ याद आ गईं।
    उसने अपने मन से सारी उम्मीदें निकाल दीं और कार का दरवाज़ा खोल दिया।

    रश्मि पहले से कार में बैठी थी।
    जैसे ही अविका अंदर आई, रश्मि थोड़ी झिझकती हुई बोली,
    “अविका, माफ़ करना। मैंने सोचा था तुम्हारा बाहर इंतज़ार करूंगी,
    लेकिन श्रेय ने कहा कि तुम्हें पता है कौन-सी गाड़ी उसकी है,
    और मुझे ठंड लग रही थी… तो मैं पहले ही बैठ गई।”

    अविका ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा,
    “कोई बात नहीं। पिछली बार भी मैं श्रेय से अचानक मिल गई थी और उन्हीं की कार से गई थी।”




    Maybach सीधी ऑर्किड क्लब के सामने जाकर रुकी।

    अविका को नहीं पता कि ये जान-बूझकर किया गया या संयोग था—
    लेकिन ये वही प्राइवेट रेस्टोरेंट था जहाँ वो डेट के समय अकसर जाया करते थे।

    उसे यहाँ का चिली पनीर  सबसे ज़्यादा पसंद था।
    श्रेय हमेशा उसे चिढ़ाता था कि उसका टेस्ट अच्छा नहीं,
    लेकिन फिर भी हर बार खुद ही वो डिश ऑर्डर कर देता था।

    कार से उतरते हुए, रश्मि ने श्रेय का हाथ पकड़ा हुआ था और बोली,
    “अविका, यहाँ का कोफ्ता काफी ज़बरदस्त है। तुम्हें ज़रूर ट्राय करना चाहिए।”

    फिर वो पलटी, मेन्यू उठाया और बोली,
    “श्रेय, तुम्हें चिली पनीर पसंद है न? मैं तुम्हारे लिए मंगवा देती हूँ।”

    अविका के दिल में जैसे किसी ने सुई चुभो दी हो।
    उसने जैसे-तैसे उस नज़र को टाल दिया जो श्रेय उसकी ओर डाल रहा था।

    तीनों लोग एक साथ प्राइवेट रूम में दाखिल हुए।

    रश्मि, जो इस जगह से अच्छी तरह वाकिफ़ थी,
    उसने कुछ डिशेस ऑर्डर कीं और फिर मेन्यू अविका की ओर बढ़ाते हुए बोली,
    “अविका, तुम भी देख लो—कुछ और चाहिए तो बताओ। संकोच मत करना, आज मैं ट्रीट दे रही हूँ।”

    “हम्म।”

    अविका ने यूँ ही मेन्यू पलटा और दो डिश ऑर्डर कीं।
    फिर वेटर ने तीनों के लिए पानी रखा और बोला,
    “कृपया थोड़ा इंतज़ार कीजिए, खाना थोड़ी देर में सर्व किया जाएगा।”



    रूम में एक अजीब सा चुप्पी भरा माहौल था।

    अविका ने पानी का गिलास उठाया और एक घूंट लिया।

    तभी रश्मि अचानक पूछ बैठी—
    “अविका, क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?”

    “...”
    अविका ने चौंककर सिर उठाया।
    लेकिन उसे नहीं पता चला कि श्रेय, जो अब तक चुप बैठा था,
    उसने उसकी तरफ एक धीमी, मगर पैनी निगाह डाली।

    जब अविका ने जवाब नहीं दिया,
    रश्मि हँसते हुए बोली,
    “मैं बस ऐसे ही पूछ रही थी।
    मुझे याद है कि सेट पर कई लड़के तुम्हें पसंद करते थे,
    लेकिन तुम किसी में भी ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती थीं…
    तो मैंने सोचा शायद तुम्हारा पहले से कोई बॉयफ्रेंड हो।”

    अविका ने नज़रें झुका लीं,
    श्रेय की गहरी नज़रों से बचते हुए पानी का गिलास मेज़ पर रखा और बोली,
    “हां, मेरा बॉयफ्रेंड है।”

    इसके पहले कि रश्मि कुछ और पूछती—

    अविका खड़ी हो गई और बोली,
    “सॉरी, मुझे बाथरूम जाना है।”

    “हाँ, ज़रूर, जाओ।”

    जैसे ही अविका उठी और बाहर निकली,

    ठीक उसी वक़्त वो ठंडा, सख़्त और ग़ुस्सैल आदमी भी अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर खड़ा हो गया।

    वो बोला,
    “मैं भी थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूँ।”

    और फिर वो बिना पीछे देखे प्राइवेट रूम से बाहर चला गया।

  • 8. Deadly obsessed - Chapter 8

    Words: 642

    Estimated Reading Time: 4 min

    बाथरूम में, अविका ने बस अभी अपने चेहरे पर पानी मारा ही था और जैसे ही वो हाथ पोंछने वाली थी, किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और सीधे लेडीज़ रेस्टरूम में घसीट लिया——

    "श्रेय , ये क्या कर रहे हो तुम? मुझे जाने दो!"

    "..."

    वो आदमी जिसने उसे पकड़ा हुआ था, उसने जोर से बाथरूम का दरवाज़ा लात मारकर खोला और उसे अंदर धकेल दिया।

    अविका का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उसने छूटने की कोशिश की और गुस्से में ऊपर देखा, "हटो मेरे रास्ते से!"

    'क्लिक!'

    बाथरूम का दरवाज़ा अंदर से लॉक हो गया था!

    अविका ने गुस्से में सिर उठाया, "ये क्या बेहूदगी है? तुम्हें चाहिए क्या?"

    श्रेय मल्होत्रा ने उसका जबड़ा कसकर पकड़ लिया, उसकी आंखों में गुस्सा झलक रहा था, "तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है?"

    वो एक पल को रुकी और तुरंत उसका हाथ झटक दिया, "तुम्हें इससे क्या लेना-देना है? दूर रहो मुझसे, मुझे यहां से निकलना है!"

    क्या वो पागल हो गया है?

    उसे क्यों जानना है कि उसका बॉयफ्रेंड कौन है? उनका आपस में क्या लेना-देना था!

    तंग से बाथरूम में माहौल बहुत भारी हो चुका था।

    तभी,

    अचानक,

    रश्मि की आवाज़ बाहर से आई।

    "अविका, तुम अंदर हो क्या?"

    रश्मि यहां तक कैसे आ गई?

    अविका का दिल एकदम कांप उठा।

    उसी पल, वो आदमी जिसने उसका जबड़ा पकड़ा था, नीचे झुक गया और अचानक उसके होंठों को अपने होंठों से ढक लिया।

    जैसे उसने जान-बूझकर उसके होंठों को चीरकर उसकी मिठास खींचनी चाही हो, उसे मजबूर कर दिया कि वो भी जवाब दे।

    "उँह..."

    "अविका?"

    कदमों की आहट धीरे-धीरे पास आ रही थी।

    अविका का दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा था कि उसके कानों में गूंज रहा था, आंखें अपने आप चौड़ी हो गईं।

    वो सोच भी नहीं पा रही थी कि अगर रश्मि ने ये देख लिया, तो वो उसके बारे में क्या सोचेगी। अगर उसने देख लिया, तो अविका फिल्म में कैसे टिकेगी! रश्मि का फैमिली बैकग्राउंड इतना स्ट्रॉन्ग था कि अगर उसने बदला लेने की ठान ली, तो शायद अविका को मुंबई सिटी तक छोड़नी पड़े!

    ये कमीना!

    "अविका? तुम हो?"

    अविका उसे धक्का देकर हटाना चाहती थी, लेकिन रश्मि बाहर ही थी... और वो आवाज़ नहीं निकाल सकती थी।

    जितना ज़्यादा वो डर रही थी, उतनी ही उसकी हर भावना और संवेदना और ज़्यादा जागती जा रही थी।

    अविका का चेहरा सुर्ख हो गया और उसने होंठ काट लिए।

    लेकिन वो नीच इंसान जानबूझकर उसे उठाकर बाथरूम की सीट पर बैठाने लगा।

    ये पोज़िशन...

    अविका के कानों में सिर्फ भनभनाहट हो रही थी।

    रश्मि बस बाहर आ ही चुकी थी...

    श्रेय  अचानक झुका, उसकी आंखें उसके चेहरे पर गड़ी थीं, जिनमें अब मज़ाक और क्रूरता भरी थी— "अविका, यहीं ले लूं तुम्हें?"

    यहीं, अभी।

    अविका का खूबसूरत चेहरा शर्म और डर से लाल-सफेद हो गया।

    उसे पता था, ये आदमी कुछ भी कर सकता है!

    श्रेय  ऐसा ही था!

    निर्दयी और बेरहम, ताकत और दौलत का मालिक।

    जब प्यार करता था तो चांद-तारे भी तोड़कर ला सकता था।

    और जब नहीं करता, तो ज़मीन पर रौंदी हुई धूल से ज़्यादा कुछ नहीं समझता था।

    ऐसा आदमी— उसकी मुस्कान मतलब ये नहीं कि वो खुश है।

    और उसका खामोश रहना ये नहीं कि वो नाराज़ है।

    उसकी फितरत ही ऐसी थी— ज़िद्दी और खतरनाक, एक बार जो सोच लिया, उसे कोई बदल नहीं सकता।

    "अविका?" रश्मि अब उनके सामने ही आ चुकी थी।

    अविका ने कभी खुद को इतना बेबस महसूस नहीं किया था।

    वो अब भी मजबूरी में उसकी कमर को थामे हुए थी, उसके हाथ अब उसके स्वेटर के अंदर पहुंच चुके थे... और रश्मि बस बाहर ही थी।

    उसने अपने निचले होंठ को इतना कसकर भींचा कि खून सा महसूस हुआ।

    लेकिन अब उसका शरीर उसका कहा नहीं मान रहा था।

    अगर उसने अभी कोई आवाज़ निकाली, तो उसका करियर, उसकी पहचान, उसका सबकुछ खत्म हो जाएगा।

    ये आदमी... उसे बर्बाद कर रहा था।

  • 9. Deadly obsessed - Chapter 9

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    "यहां नहीं है?" रश्मि की आवाज़ बाथरूम के बाहर से आई, वो हैरान थी।

    उसने देखा था कि अविका और श्रेय  एक के बाद एक बाहर निकले थे। वो प्राइवेट रूम में बैठी हुई थी, लेकिन उसे बेचैनी महसूस हो रही थी, इसलिए वो बाहर उन्हें ढूंढने निकल पड़ी। उसे कॉरिडोर में श्रेय नहीं मिला, फिर उसे याद आया कि अविका शायद बाथरूम गई हो, तो उसने वहीं जाकर उसे ढूंढने की कोशिश की।

    लेकिन अविका बाथरूम में नहीं थी।

    श्रेय भी बाहर नहीं था।

    तो दोनों साथ में...?

    रश्मि का दिल बैठने लगा।

    असल में, जब से सेट पर श्रेय और अविका की टक्कर हुई थी, तभी से उसे दोनों के बीच कुछ अजीब सा लग रहा था। एक औरत की छठी इंद्रिय बता रही थी कि इन दोनों के बीच कोई कहानी है।

    उसने कई बार सोचा था कि सीधे श्रेय से बात करे, लेकिन असल में उनके रिश्ते दोनों परिवारों के बड़ों ने तय किए थे। ये रिश्ता बजाज फैमिली ने मल्होत्रा फैमिली से जोड़ने के लिए ही जोड़ा था।

    खुद श्रेय  ने कभी भी उसके साथ रहने की इच्छा नहीं दिखाई।

    लेकिन वो श्रेय था — वो इंसान जिससे दुनिया की हर लड़की शादी करना चाहती थी! और रश्मि भी कोई अपवाद नहीं थी।

    रश्मि ने पैर पटका और बाथरूम के आखिरी बंद स्टॉल का दरवाज़ा खटखटाया, "अविका, क्या तुम अंदर हो?"

    "अंदर कोई है!"
    जल्दी से आई आवाज़ में साफ नॉन-लोकल शख्स था, जो साफ बता रहा था कि वो आवाज़ अविका की नहीं थी।

    रश्मि ने होंठ काटे, उसका चेहरा बिगड़ गया, "माफ करना, मेरी गलती थी।"

    इतना कहकर वो जल्दी से वहां से चली गई।

    बाथरूम के अंदर

    अविका ने गहरी सांस ली, जैसे उसकी जान में जान आई हो।

    धत्त, डर ही गई थी।

    उसने नहीं सोचा था कि रश्मि इतनी ज़िद्दी हो जाएगी कि दरवाज़ा खटखटाएगी, लेकिन शुक्र है उसने फुर्ती से जवाब दे दिया।

    "तुम्हें इतना डर है कि कोई पता लगा ले? मुझे तो लगा था कि तुम निडर हो," श्रेय  ने उसके चेहरे का हाव-भाव देखकर कहा, मज़ाक उड़ाते हुए, "अविका, कल रात तो ऐसा नहीं था।"

    उसकी उंगलियां अविका की त्वचा पर फिसलने लगीं, जैसे शरीर में आग लगा रही हों।

    अविका का चेहरा लाल हो गया, और उसे अपने शरीर में शर्मिंदगी की लहर दौड़ती महसूस हुई। उसने अपने गले से निकलती हल्की सी सिसकी दबा दी और उसे घूरते हुए बोली, "मैं कल रात बस दोस्तों के साथ पार्टी में पी रही थी। अगर मैंने तुम्हें नाराज़ किया हो, तो मैं माफ़ी मांगती हूं।"

    "माफ़ी?" उसकी आवाज़ में ताना और ठंडापन था।

    "हां, माफ़ी। मैं माफ़ी मांगती हूं।"

    अगर उसे पहले से पता होता कि ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आएंगे जहां उसे अपने एक्स-बॉयफ्रेंड से बार-बार टकराना पड़ेगा, तो वो कभी भी रोशनी के साथ वो इंटिमेट विडियो गेम नहीं खेलती।

    अब तो बस हार मान लेना ही ठीक रहेगा।

    श्रेय  की तेज़ निगाहें ऐसे उस पर जमी थीं जैसे वो कोई अपराधी हो, उसके पतले होंठ हिले, "तुम सिर्फ इतनी सी बात की कर्ज़दार नहीं हो।"

    "पाँच साल पहले, तुम मुझसे चिपकी हुई थी और शादी करना चाहती थी। जब मैं हमारी शादी की तैयारी कर रहा था, तब तुम अचानक गायब हो गई।"

    "..."

    क्योंकि...

    "मैं बताता हूं क्यों। क्योंकि तुमने उस औरत से 7 लाख 50 हज़ार रुपये का ब्रेकअप अमाउंट लिया था।" उसने दांत पीसते हुए कहा, "अविका, तुम भी कमाल हो! उस औरत ने तुम्हें 1.5 लाख ऑफर किए थे, लेकिन तुम्हें पता था कि मैं उससे कहीं ज़्यादा 'कीमती' हूं, तो तुमने पांच गुना ज़्यादा मांगा और छोड़ दिया!"

    सालों पहले उसे नहीं पता था कि ऐसी भी बेशर्म और मतलबपरस्त लड़कियां होती हैं दुनिया में।

    उसे लगा था कि ये लड़की उससे सच्चा प्यार करती है, इसलिए उसने परिवार के दबाव में आकर शादी के लिए हां कहा था। लेकिन उस लड़की ने तो उसे धोखा दे दिया! उसकी माँ से पैसे लिए और बिना कुछ कहे गायब हो गई! अगर उसकी माँ ने वो सब रिकॉर्ड न किया होता, तो आज भी वो ये मान बैठा होता कि अविका एक सीधी-सादी लड़की थी।

    लेकिन नहीं, उसने उसे खिलौने की तरह इस्तेमाल किया, और फिर किसी और के बच्चे के साथ वापस लौट आई।

    शानदार! यही तो है अविका!

    "वो 7.5 लाख का क्या? मज़े से खर्च कर लिया?"

    "..."

    "अब इतनी जल्दी वापस काम पर भी आ गई हो, क्या सारा पैसा खत्म हो गया?"

    अविका का चेहरा पीला पड़ गया, मुट्ठी भींच ली और नज़रें उसकी आंखों में डालकर बोली, "हां, सारा खर्च कर दिया।"

    श्रेय की आंखों में बिजली कड़कने जैसी चमक थी — आने वाले तूफ़ान की चेतावनी।

    "इस तरह मुझे मत देखो, वरना मुझे लगेगा कि तुम्हारे दिल में अब भी मेरे लिए कुछ बचा है," अविका ने अंदर से कांपते हुए कहा, "मैंने तुम्हारा पैसा मुफ्त में नहीं लिया। तुम्हारी हैसियत देखकर तो तुम एक कॉलेज स्टूडेंट को पल भर में सपोर्ट कर सकते थे, घर और गाड़ी जैसी गिफ्ट्स का तो कोई हिसाब ही नहीं। और वैसे भी, मुझे तुम्हारे साथ बिताया वक्त मज़ेदार लगा, तो पैसे यूं ही नहीं लिए।"

    क्या वो लड़की इतनी हिम्मत से ये सब कह सकती है?

    उसकी नज़रों में उसका सच्चा प्यार सिर्फ एक अमीर बॉस के साथ बिताया गया 'मज़ेदार वक्त' था?

    कमाल है!

    श्रेय ने दीवार पर मुक्का दे मारा!

    धड़ाम!

    अविका डर के मारे झट से मुड़ी और उसे घबराकर देखने लगी।

    श्रेय के हाथ से खून बह रहा था, और वो मुस्कराया—एक ऐसी मुस्कान जो आंखों तक नहीं पहुंची।

    उसने हाथ बढ़ाया, अविका की ठुड़ी थाम ली, जैसे कोई चीज़ उठाकर देख रहा हो, "अगर पैसे खर्च हो गए हैं, तो क्या अब कुछ और कमाना चाहोगी?"

    "...क्या मतलब?"

    उसके स्वभाव से तो ये लग रहा था कि अब वो उसे फेंक देगा?

    या फिर अब तो वो उसे देखना भी पसंद नहीं करेगा?

    लेकिन तभी, श्रेय ने उसके हाथ पकड़कर उसके सिर के ऊपर बांध दिए। उसका दूसरा हाथ धीरे-धीरे उसके कपड़ों के नीचे जाने लगा।

    "तुम सही कह रही हो, हां, अब भी तुम्हारे लिए मेरे अंदर कुछ बाकी है।"

    अविका कांप गई!

    और अगले ही पल... उसके ऊपर ठंडा पानी उड़ेल दिया गया!

    "अब भी तुम्हारे शरीर के लिए है वो लगाव। जब तुम खुद को बेच ही रही हो, तो क्यों न मैं तुम्हें खरीद लूं... सिर्फ मज़े के लिए?"

  • 10. Deadly obsessed - Chapter 10

    Words: 695

    Estimated Reading Time: 5 min

    "हूँ...। तो तुम ऐसी जगह पर भी पहले से ही उत्तेजित हो रही हो, है ना?"

    इतना सुनते ही अविका चौंककर होश में लौट आई।

    वो बुरी तरह से विरोध करने लगी, "श्रेय , मुझे जाने दो! मैं बिकाऊ नहीं हूँ!"

    "जब पहले तुम खुद बेचने के लिए तैयार थी, अब क्यों नहीं बेच रही?"

    अविका ज़ोरों से छटपटाते हुए उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, "वो पहले था। अब मुझे पैसों की ज़रूरत नहीं है। क्या मैं अब नहीं बेच सकती?"

    "बिजनेस भरोसे का मामला होता है। जब तुमने पहले खुद को मुझे बेचा था, तो अब भी बेचना होगा!"

    वो आखिर अपनी मासूमियत किसके लिए बचा रही थी?

    उस बॉयफ्रेंड के लिए जिसके बारे में उसने दावा किया था?

    हूँफ!

    पहले भी वो उसका बॉयफ्रेंड था, यहाँ तक कि मंगेतर भी था, फिर भी उसने तब अपनी मासूमियत नहीं बचाई। और अब किसी और मर्द के लिए?

    बस ये सोचकर कि दूसरे मर्दों ने उसके जिस्म को छुआ था, उसके सबसे निजी हिस्सों तक पहुंचा था, और उन्हें भी वही कमज़ोरियाँ पता थीं जो श्रेय को... उसके अंदर एक अजीब सी आग भड़क उठी!

    "अविका, तुमने अभी तक मेरा जवाब नहीं दिया। अगर मैं यहीं ले लूं तुम्हें तो?"

    "तुम पागल हो!" अविका सिहर उठी। उसकी आँखों में एक पल के लिए विद्रोह की चमक आई ही थी कि वो ठंडा, गुस्सेल आदमी झुक गया और ज़ोर से उसके होंठों को चूम लिया — रफ और गहरा।

    "उँह!"

    अविका ने पूरी ताक़त से उसे खुद से ढकेल दिया।

    लेकिन उसने साफ महसूस किया कि जो हाथ पहले उसकी स्वेटर पर था, अब धीरे-धीरे उसकी कमर की ओर बढ़ रहा था...

    नहीं।

    ये नहीं होना चाहिए।

    ये बाथरूम है, कोई भी आ सकता है।

    रश्मि शायद बाहर उसका इंतज़ार कर रही हो। अगर उसे पता चल गया तो...

    जैसे ही वो आदमी उसके छुपे हुए नाज़ुक हिस्सों को छूता और छेड़ता गया, अविका की नज़रों के सामने सब धुंधला होने लगा।

    नहीं।

    वो ऐसा नहीं कर सकती।

    "क्या तुम्हें वाकई इतनी चाह है?"

    जैसे किसी ने ठंडे पानी की बाल्टी उसके सिर पर उड़ेल दी हो। अविका की बॉडी अकड़ गई और वो और भी ज़ोर से छटपटाने लगी।

    अगले ही पल, उस आदमी ने उसके होंठों को छोड़ दिया। उसकी आँखों से सारी भावनाएँ जैसे बह गईं हों। उसने उसकी कोशिशों की परवाह किए बिना, ज़ोर से उसकी स्वेटर उठाई और उसकी नज़र उसके पेट पर पड़े एक निशान पर जा टिकी। उसके चेहरे पर बिजली सी कौंध गई, एक तूफ़ान जैसा उबाल उठा। उसने उसकी ओर देखा—

    "ये क्या है?"

    वो तो बिल्कुल किसी ऑपरेशन के निशान जैसा था!

    क्या इसका मतलब ये है कि वो न सिर्फ और मर्दों के साथ थी, बल्कि शायद बच्चे को भी जन्म दे चुकी थी!

    श्रेय  के होंठ कसकर भींच गए और उसने एक कदम पीछे हटकर अपनी पकड़ ढीली कर दी, उसे थोड़ी जगह दी।

    "ये निशान किस चीज़ का है?"

    कांपती टाँगों के साथ, अविका किसी तरह खुद को संभालने लगी और झट से अपनी स्वेटर नीचे कर लीच "ये अपेंडिक्स की सर्जरी का निशान है।"

    "अपेंडिक्स?" उसे तो ये किसी डिलीवरी के बाद का निशान लग रहा था!

    "हाँ, अपेंडिक्स!" अविका ने बिना सोचे बोल दिया!

    उसी वक्त, बगल वाले बाथरूम से फ़ोन की वाइब्रेशन की आवाज़ आई।

    श्रेय ने अपना फोन निकाला और एक बार देखा, फिर सामने खड़ी सतर्क अविका को देखा। उसके होंठ एक सीधी लाइन में खिंच गए, फिर उसने अपने वॉलेट से नोटों की एक गड्डी निकाली और उसके सामने फेंक दी।

    "आज का 'पेमेन्ट'।"

    जैसे ही अविका ए देखा उसे अपमानित महसूस  हुआ, अविका का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने पैसे उसकी ओर वापस धकेल दिए, "मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है।"

    उसने अपने कपड़े ठीक किए, दांत भींचे और सिर उठाकर बोली, "यंग मास्टर श्रेय, कृपया कामना मैम से कहिए कि फील्ड सर्विस का कॉल आया था, मैं पहले निकल रही हूँ।"

    "अविका।"

    अविका के कदम रुक गए।

    "कल मिलते हैं।"

    "..."

    कल मिलते हैं? इसका मतलब?

    क्या वो कल फिर से उनकी शूटिंग पर आएगा?

    आख़िर श्रेय मल्होत्रा चाहता क्या है?

    अविका उलझन और बेचैनी से  थी, और तभी वो आदमी उसके पीछे से आगे बढ़ता हुआ वहां से चला गया...

  • 11. Deadly obsessed - Chapter 11

    Words: 1165

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगले दिन।

    अविका  सुबह 7:45 तक घर पर रही, फिर आखिरकार बाहर निकली।

    वह ठीक आठ बजे फिल्म सेट पर पहुँची।

    जैसे ही वह अंदर आई, कामना ने उसका वेलकम किया ,
    "अविका दी, आप इतनी देर से क्यों आईं? रश्मि मैम आपको ढूंढ़ते हुए आई थीं, लेकिन आप यहाँ नहीं थीं।"

    रश्मि मैम?

    अविका ने अपना बैग नीचे रखा,
    "रश्मि मैम मुझसे क्या चाहती थीं?"

    "कुछ ख़ास नहीं, बस यह बताने आई थीं कि इन्वेस्टर्स जल्दी ही वापस आ रहे हैं, और हमें तैयार रहना चाहिए।"

    कुछ समय पहले अफवाह थी कि इस फिल्म को एक नया बड़ा इन्वेस्टर मिल गया है, जो 150 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट करेगा, जिससे यह साल की सबसे बड़ी प्रोडक्शन बन जाएगी।

    अविका ने अपनी चाय का कप नीचे रखा और संकोच से पूछा,
    "क्या तुमने उस नए इन्वेस्टर को देखा है?"

    कामना ने अपनी डेस्क से टीबैग उठाया, खुद के लिए चाय बनाई और बोली,
    "नहीं, लेकिन सुना है वह बहुत अमीर है, स्मार्ट है और यंग भी। वो इस प्रोजेक्ट में इसलिए इन्वेस्ट कर रहा है क्योंकि उसे रश्मि मैम को प्रमोट करना है, और वो लोग इस साल शादी करने वाले हैं।"

    "ठक!"

    अविका से चाय का कप हाथ से छूटकर ज़मीन पर गिर गया।

    मेकअप रूम में सभी लोगों की नज़र उसकी ओर चली गई।

    वह जल्दी से नीचे झुकी कप उठाने के लिए, और उस पल की अप्रत्याशित हैरानी को छुपा लिया।

    श्रेय  शादी कर रहे हैं?

    कामना भी उसके साथ नीचे झुकी,
    "अविका दी, आप ठीक हैं?"

    "अरे, आपका हाथ जल गया है। मैं गीला टॉवल लाकर देती हूँ।"

    अविका उठी और हल्की मुस्कान के साथ बोली,
    "कोई बात नहीं, मैं खुद दवा ले लूंगी।"

    "ठीक है।"

    कामना ने देखा कि उसका जलना काफ़ी गंभीर लग रहा था, तो उसने चिंता से आंखें सिकोड़ लीं,
    "जब फील्ड सर्विस आएगी, मैं आपकी छुट्टी की बात कर दूंगी।"

    "थैंक यू।"

    बड़ी प्रोडक्शन में आमतौर पर एक मेडिकल ऑफिस होता है। अगर कोई एक्टर घायल हो जाए, तो दवा वहीं से मिल जाती है।

    अविका मेडिकल ऑफिस गई और जलन की दवा की एक ट्यूब ली। जैसे ही वो बाहर निकली, उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ी जिसे वो सबसे कम देखना चाहती थी।

    "अविका?"

    रश्मि ने आश्चर्य से पुकारा।

    अब अविका के लिए यह दिखाना मुश्किल था कि वह उन्हें नहीं जानती। वह आगे बढ़ी और विनम्रता से सभी को नमस्ते कहा,
    "गुड मॉर्निंग डायरेक्टर सर, असिस्टेंट डायरेक्टर, रश्मि मैम..."

    "...श्रेय  सर, गुड मॉर्निंग।"

    रश्मि की मुस्कुराती नज़रें उसके हाथ पर गईं,
    "ओह, ये क्या हुआ? अविका, तुम्हारा हाथ जल गया?"

    श्रेय  ने भी नज़र घुमा ली।

    अविका ने झट से हाथ पीछे छुपा लिया,
    "गलती से पानी गिर गया था।"

    "ओह अच्छा। लेकिन ध्यान रखा करो अविका, लड़कियों पर दाग अच्छे नहीं लगते।"
    रश्मि ने हँसते हुए श्रेय का हाथ थामा,
    "हम तो बस सेट पर जा रहे हैं, चलो साथ चलते हैं।"

    अविका तो मन ही मन मना करना चाहती थी, लेकिन डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर जैसे लोगों के सामने, एक छोटे रोल वाली ऐक्ट्रेस होकर वह कुछ बोल भी नहीं सकती थी। न चाहते हुए भी उसे उनके साथ चलना पड़ा।

    साथ चल रहे सब लोग कपूर ग्रुप के बड़े अफसर थे। सब बड़े रौब से चल रहे थे और अविका सबसे पीछे थी। रश्मि और श्रेय थोड़े आगे चल रहे थे।

    वो दोनों आपस में बात कर रहे थे। रश्मि का चेहरा किसी खिले फूल की तरह लग रहा था और वो आदमी, जो आमतौर पर ठंडा रहता था, आज उसके साथ ज़्यादा सख़्ती नहीं दिखा रहा था।

    अविका ने चाल धीमी कर दी।

    उसी पल डायरेक्टर ने पीछे मुड़कर मज़ाक में कहा,
    "रश्मि, तुम और श्रेय  शादी कब कर रहे हो?"

    रश्मि ने डरते हुए श्रेय की ओर देखा, कहीं वह उनके रिश्ते को नकार न दे। लेकिन तभी उसने गहराई भरी आवाज़ में कहा,
    "हम थोड़ा और समय साथ बिताना चाहते हैं।"

    उसने क्या कहा?

    रश्मि का दिल जैसे शहद से भर गया। वो हँसती हुई बोली,
    "डायरेक्टर सर~ मैंने अभी शादी के बारे में नहीं सोचा। आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे मैं शादी के लायक नहीं रही!"

    "अरे तुम तो बिल्कुल शादी लायक हो! इतनी सुंदर और टैलेंटेड हो, भला कौन तुम्हें पसंद नहीं करेगा? श्रेय तो सच में तुम्हें बहुत पसंद करता है।"

    श्रेय ने ज़रा भी हिचकिचाए बिना पीछे चलती अविका की ओर एक नज़र डाली,
    "हूँ।"

    उसे यकीन नहीं था कि उस औरत को कोई फर्क नहीं पड़ा।

    अविका पहले ही उनकी शादी की बात सुन चुकी थी, इसलिए अब कोई रिएक्शन नहीं दे रही थी। वो बस अपने काम में लगी आगे चल रही थी।

    श्रेय चुपचाप उसकी हर हरकत देख रहा था, लेकिन जब उसने देखा कि वो बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं हुई, तो उसके सीने पर जैसे कोई भारी पत्थर रख गया हो। साँस लेना तक मुश्किल हो गया।

    उसने मुट्ठी भींच ली।
    यह औरत सच में कोई फ़र्क नहीं पड़ने दे रही थी, या वो उसके साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेल रही थी?

    इसी पल, कुछ प्रॉप्स वर्कर तेज़ी से कोने से मुड़े, एक बड़ा प्रॉप्स ट्रॉली धकेलते हुए।

    "हटो, हटो!"

    वे बहुत तेज़ मुड़े और अविका, जो अपनी सोच में खोई थी, समय पर नहीं हट पाई। उसका पैर अटक गया और वह ज़मीन पर जोर से गिर गई।

    एक प्रॉप्स वर्कर उसकी मदद करने रुका,
    "आप ठीक हैं?"

    अविका दर्द में उठ नहीं पा रही थी, फिर भी उसने दर्द सहते हुए सिर हिलाया,
    "मैं ठीक हूँ, आप अपना काम करो।"

    रश्मि भी रुक गई और चिंतित होकर उसके पास आई,
    "अविका, तुम ठीक हो?"

    अविका कुछ बोलने ही वाली थी कि...

    श्रेय की आँखें एकदम सिकुड़ गईं, जैसे ही उसकी नज़र अविका की पैंट के कोने पर पड़े खून के निशान पर पड़ी।

    उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने सामने रखा ट्रॉली एक झटके में लात मारकर गिरा दी और तेजी से आगे बढ़ा।

    "हटो!"

    "श्रेय  सर?" रश्मि की आवाज़ पहली बार हड़बड़ाई।

    श्रेय ने उसे एक ओर धक्का दिया, झुककर ज़मीन पर पड़ी अविका को गोद में उठाया, और मेडिकल ऑफिस की ओर चल पड़ा।

    "श्रेय !"
    रश्मि का चेहरा एकदम उतर गया। वह चिल्लाई।

    लेकिन वह आदमी बिना एक पल रुके, मोड़ से आगे निकल चुका था।

    डायरेक्टर  रवी और बाकी लोग एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे,
    "रश्मि, क्या श्रेय उस लड़की को जानता है?"

    रश्मि का चेहरा काफ़ी फीका पड़ गया था। उसने ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,
    "हाँ, हम पहले साथ में खाना भी खा चुके हैं। अविका, श्रेय की दोस्त है। शायद उसे लगा कि वो बुरी तरह गिरी है, इसलिए उसे मेडिकल के लिए ले गया। डायरेक्टर सर, आप चिंता मत कीजिए, हम लोग चलते हैं।"

    उसने बड़ी चालाकी से श्रेय और अविका के रिश्ते को 'दोस्ती' बताया, और साथ ही ये भी समझाया कि उसने क्यों इतनी जल्दी प्रतिक्रिया दी।

    लेकिन वह दूसरों को तो बहला सकती थी, खुद को नहीं।

    श्रेय और अविका...

    रश्मि का दिल जैसे एक सुई जितना छोटा हो गया!

    "ओह, ठीक है।"
    डायरेक्टर ने उसके पीले चेहरे को देखा, शक़ और गहरा हो गया, लेकिन कुछ बोले बिना आगे बढ़ गया।

  • 12. Deadly obsessed - Chapter 12

    Words: 803

    Estimated Reading Time: 5 min

    अविका  श्रेय  की बाहों में थी, और शुरूआती झटके और हैरानी के बाद वह जल्दी ही शांत हो गई थी।

    उसे अभी-अभी लोगों की जो नज़रें मिली थीं, उन्हें याद करके वह थोड़ा परेशान हो गई और धीमी आवाज़ में बोली,
    "मुझे नीचे उतारो, मैं खुद चल सकती हूँ।"

    "चुप रहो!"

    श्रेय  उसे तेजी से मेडिकल ऑफिस में ले गया, और उसे हॉस्पिटल बेड पर रखते ही डॉक्टर को घूरते हुए गुस्से में बोला,
    "इसका मिसकैरेज हुआ है, जल्दी से चेक करो!"

    उसे जब ये याद आया कि ये बच्चा कैसे अस्तित्व में आया था, तो वह खुद ही उसे मार देना चाहता था।

    लेकिन जैसे ही उसने अविका को खून बहाते देखा, उसकी पहली प्रतिक्रिया थी — रश्मि को वहीं छोड़कर इस औरत को सबके सामने गोद में उठाना!

    श्रेय के सीने में जैसे कुछ फंसा हुआ था, जो ऊपर भी नहीं जा रहा था और नीचे भी नहीं।

    अविका, जिसे बेड पर फेंका गया था, पूरी तरह कन्फ्यूज़ हो गई,
    "मिसकैरेज? ये क्या बकवास है?"

    "मैंने कहा चुप रहो!"

    उसे अभी उसकी आवाज़ भी बर्दाश्त नहीं थी। वह डर से सहमे डॉक्टर पर चिल्लाया,
    "तुम अंधे हो या तुम्हारे हाथ टूटे हैं? मैंने कहा इसका मिसकैरेज हुआ है, जल्दी से चेक करो! अगर इलाज में देर हुई, तो मैं तुम्हें खत्म कर दूंगा!"

    "तुम्हारा दिमाग खराब है क्या?! मैं प्रेग्नेंट नहीं हूँ; बकवास मत करो।"
    वह उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसके टखने में तेज़ दर्द हुआ।

    कमबख्त, उसका टखना सच में मुड़ गया था।

    डॉक्टर ने पहले अविका को देखा, फिर गुस्से से भरे श्रेय  को। फिर दराज से एक सिरिंज निकाली और बोला,
    "झगड़ा बंद करो, हम ब्लड सैंपल लेकर पता लगा सकते हैं कि वो प्रेग्नेंट है या नहीं।"

    "मैं प्रेग्नेंट नहीं हूँ..."

    अविका को अजीब लग रहा था — उसे खुद नहीं पता होगा कि वो प्रेग्नेंट है या नहीं? क्या वो कोई समंदर का घोड़ा है जो खुद से प्रेग्नेंट हो जाए?

    "मैंने कहा चुप रहो!"
    श्रेय ने बगल की लाइट को ज़ोर से पलट दिया।

    अविका ने गर्दन सिकोड़ ली और चुप हो गई।

    "वो प्रेग्नेंट है, गिर गई और ब्लीडिंग हो रही है।"

    "चिंता मत करो, मैं उसका ब्लड पहले चेक कर लेती हूँ।"

    एक लेडी डॉक्टर ने अविका की आस्तीन ऊपर की, एक छोटी सी ट्यूब में ब्लड सैंपल लिया और उसे असिस्टेंट को दिया। फिर उसकी नब्ज़ चेक की। थोड़ी ही देर में असिस्टेंट रिपोर्ट लेकर वापस आया।

    डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी, भौंहें सिकोड़ लीं और श्रेय  की तरफ देखा,
    "HCG इंडेक्स के अनुसार वह प्रेग्नेंट नहीं है; उसके कपड़ों पर जो खून है, वो उसकी पीरियड्स की ब्लीडिंग हो सकती है।"

    "प्रेग्नेंट नहीं?"

    श्रेय  की बाज़ की तरह तीखी नज़रें गहरी हो गईं।

    "नामुमकिन!"

    लेडी डॉक्टर ने रिपोर्ट उसकी तरफ बढ़ाई,
    "आप खुद देख सकते हैं, वो प्रेग्नेंट नहीं है। पता नहीं आपने उसे पहले कैसे टेस्ट किया था। लेकिन मैं आपको बता दूं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट स्ट्रिप्स 100% सही नहीं होतीं, उनमें 5% तक का अंतर हो सकता है। वह सच में प्रेग्नेंट नहीं है।"

    श्रेय ने रिपोर्ट पर एक नज़र डाली।

    HCG इंडेक्स सच में दिखा रहा था कि वह प्रेग्नेंट नहीं है।

    तो क्या अविका प्रेग्नेंट नहीं थी?

    कल रात जो टेस्ट किया था, उसने तो दिखाया था कि वह प्रेग्नेंट है?

    क्या वह खुद गड़बड़ कर गया?

    ऐसा कैसे हो सकता है?

    श्रेय  के सिर के पास की नसें फड़कने लगी थीं। वह पूरी तरह भूल गया था कि कल रात के टेस्ट में सिर्फ 80% संभावना थी, न कि 100%।

    वह रिपोर्ट हाथ में पकड़े चुपचाप खड़ा रहा, उसका चेहरा बता रहा था कि उसका मूड बिल्कुल खराब है। और कोई भी उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं कर रहा था।

    "हालांकि वह प्रेग्नेंट नहीं है, लेकिन उसका पैर ज़रूर मुड़ गया है। बेहतर होगा कि आप उसे ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में ले जाएं और उसका इलाज करवाएं, वरना हालत और खराब हो सकती है।"
    लेडी डॉक्टर ने सख्ती से कहा।

    "..."

    अविका ने जल्दी से बात संभाली,
    "श्रेय  सर को तकलीफ़ देने की ज़रूरत नहीं है, मैं अपने दोस्त को कॉल कर लूँगी।"

    "तुम्हारा दोस्त?" श्रेय ने उसकी तरफ देखा।

    "हाँ।"

    "कौन दोस्त?"

    "..."

    वह एकदम तीखे लहजे में बोला,
    "तुम्हारा बॉयफ्रेंड?"

    अविका का दिल धक से रह गया। उसने सिर उठाकर उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा,
    "हाँ, मैं अपने बॉयफ्रेंड को बुलाऊंगी, वो मेरा ख्याल रखेगा। आप अपने काम पर ध्यान दीजिए, श्रेय  सर।"

    "तो, लोगों को इस्तेमाल कर फेंक देना तुम्हारी आदत है। हुँह, तुम बस एक लालची और दिखावटी औरत हो। न तुम चाहती हो कि मैं यहाँ रहूं, और न मैं रहना चाहता हूँ।"

    श्रेय  गुस्से में फट पड़ा और पटाखे की तरह भड़कते हुए बाहर निकल गया।

    अविका चुपचाप रही, बस उसे जाते हुए देखती रही। फिर उसने लंबी साँस ली और थकी हुई-सी बेड पर ढेर हो गई। कुछ पल बाद उसने फोन निकाला और रोशनी को कॉल लगाया।

  • 13. Deadly obsessed - Chapter 13

    Words: 771

    Estimated Reading Time: 5 min

    दस मिनट बाद।

    रोशनी ने अपनी छोटी सी बीएमडब्ल्यू दौड़ाई और सीधे सेट पर पहुंची, अविका को हॉस्पिटल ले गई ताकि उसका टखना चेक कराया जा सके, और डायरेक्टर से एक दिन की छुट्टी भी दिलवा दी। दवा उठाकर वो जल्दी से अविका के छोटे से अपार्टमेंट की ओर लौट गई।

    अविका ने मुंबई सिटी के सेट के पास एक टू-बीएचके अपार्टमेंट किराए पर लिया था। इलाका थोड़ा पुराना था, लेकिन सेट से नज़दीक और किफायती था।

    रोशनी तेज़ी से अंदर घुसी, फ्रिज खोला और मिनरल वॉटर की एक बोतल एक सांस में पी गई। फिर जब उसकी सांस कुछ नॉर्मल हुई, तो वो अविका के सामने बैठ गई जैसे किसी अपराधी से पूछताछ करने वाली हो।

    "अब बता, टखने का क्या किया तूने?"

    "गलती से गिर गई थी।"

    "ओहो! कमाल है, गिरने से तुझे पीरियड्स भी आ गया!"

    "..."
    उसे खुद ये सब नहीं चाहिए था!

    रोशनी ने एक और घूंट लिया, और जैसे-तैसे अपने एक्साइटमेंट को कंट्रोल करते हुए बोली,
    "जब मैं सेट पर तुझे ढूंढने गई थी, तो एक इंसान से टकरा गई। बता, कौन मिला?"

    "कौन?"

    अविका का टखना अभी-अभी ट्रीट हुआ था, तो फिलहाल वो चल-फिर नहीं सकती थी। ध्यान भटकाते हुए उसने हॉस्पिटल से लाई मेडिकल रिपोर्ट निकाल ली।

    "गेस कर!"
    रोशनी ने रिपोर्ट उसके हाथ से झपट ली और सिरियस से बोली।

    अविका से रहा नहीं गया,
    "कौन था वो?"

    "श्रेय मल्होत्रा!"

    अविका ने ज़्यादा रिएक्शन नहीं दिया और अपने फोन से खेलने लगी।

    "क्या कर रही है? ये कौन-सा रिएक्शन था? वो श्रेय मल्होत्रा था! दुनिया की हर लड़की जिसे शादी के लिए सपना समझती है! पैसा है, पॉवर है, लुक्स हैं, और अब तक सिंगल है। खुद गॉड ने उसे छू लिया है!"

    अविका को उसकी बातों से झुरझुरी सी होने लगी और उसने टोकते हुए कहा,
    "तू ये यकीन से कह सकती है कि गॉड ने उसे किस किया है, या फिर पीछे से थप्पड़ मारा?"

    उसने बात खत्म ही की थी कि रोशनी ने उसके सिर पर हल्का सा थपका मारा।

    "बस कर अविका! अगर तेरी ये बातें इंटरनेट पर आ गईं तो क्या होगा पता है?"

    "क्या होगा?"
    अविका ने सिर सहलाते हुए कहा।

    "हज़ारों लड़कियाँ तुझे चबा जाएंगी!"

    अविका ने सोचा,
    "..."
    थोड़ा ज़्यादा नहीं हो गया?

    "वो श्रेय मल्होत्रा है, ओके! अभी सिर्फ 27 का है और इतनी ताकत रखता है कि दुनिया हिला दे। तुझे पता है उसने जो सिस्टम बनाया है, उससे उसने कितने पैसे कमाए हैं?"

    "दुनिया के 99% लोग वो सिस्टम यूज़ करते हैं, और सिर्फ उसी से उसने इतनी दौलत बना ली कि वो वर्ल्ड का सबसे अमीर इंसान बन सकता है। इतना अमीर, इतना हैंडसम, और तू कह रही है कि गॉड ने उसे थप्पड़ मारा!"

    जब रोशनी को लगा कि वो अभी और बोलेगी, तो अविका ने जल्दी से बात बदली,
    "वैसे रोशनी, वो रिक्वेस्ट वाला क्या हुआ, कुछ पता चला?"

    रोशनी रुकी, और थोड़ा शक भरी नज़रों से देखने लगी,
    "थोड़ी खबर तो है… लेकिन तूने सच में सोच लिया है?"

    "हाँ।"

    अगर वो दोबारा श्रेय  से न टकराई होती, तो शायद इतना जल्दी फैसला नहीं करती — लेकिन अब और वक़्त बर्बाद करने का स्कोप नहीं था।

    "मेरे अंकल को कोई जान-पहचान वाला मिला। उसने तेरी सिचुएशन सुनी और उसे दिलचस्पी भी हुई। लेकिन शर्त ये है कि सीक्रेट मैरिज होगी — ना कोई शादी का सर्टिफिकेट, ना कोई मिलना-जुलना। और तलाक कब होगा, ये भी वही तय करेगा। भविष्य में प्रॉपर्टी को लेकर कोई पचड़ा न हो, इसलिए वो एक एग्रीमेंट साइन करवाना चाहता है जिसमें तू प्रॉपर्टी के बंटवारे से स्वेच्छा से इनकार करेगी।"

    रोशनी थोड़ी देर के लिए रुकी, फिर बोली:

    "मैंने आज तक उस इंसान को देखा नहीं। जब मैंने अंकल से पूछा तो वो कुछ भी क्लियर नहीं बोले, बस भरोसा दिलाते रहे कि तुझे नुकसान नहीं होगा। लेकिन मेरे हिसाब से ये बहुत रिस्की है। हमें उसका नाम, उम्र या शक्ल तक कुछ नहीं पता।"

    अविका को अंशु को अपने हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन में डालना था, लेकिन उसे कोई ऐसा शख्स नहीं मिल रहा था।

    तो उसने वैसा ही तरीका सोचा, जैसा बाहर से आने वाले लोग करते हैं — मुंबई सिटी में घर खरीदने के लिए किसी लोकल से शादी करते हैं, शादी से पहले एक कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, फिर रजिस्ट्रेशन के बाद तलाक।

    उसकी योजना थी कि रजिस्ट्रेशन से पहले शादी कर ले और बाद में तलाक ले ले।

    वो सामने वाले को  कुछ हज़ार रुपए देना चाहती थी — जैसे बाकियों के रेट होते हैं।

    लेकिन वह अभी-अभी विदेश से लौटी थी, और उसका यहां कोई कनेक्शन नहीं था — इसलिए उसने रोशनी से मदद मांगी थी।

    और हैरानी की बात — रोशनी ने सच में कोई ढूंढ लिया...

  • 14. Deadly obsessed - Chapter 14

    Words: 704

    Estimated Reading Time: 5 min

    ना शादी का सर्टिफिकेट...
    और ना ही मुलाकात...

    अविका ने सोचा और महसूस किया कि इनमें से कोई भी बात उसके लिए कोई समस्या नहीं थी। आखिरकार, वो सच में किसी मर्द से शादी नहीं कर रही थी, बस अपने बच्चे अंशू की हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन के लिए ये सब कर रही थी।

    उसने वो सवाल पूछा जो उसके मन में सबसे ज़्यादा था, "अगर शादी का सर्टिफिकेट नहीं होगा, तो क्या अंशु की हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन पर कोई असर पड़ेगा?"

    रोशनी ने आँखें चौड़ी करते हुए उसे देखा, "अविका, क्या तुम सच में उस शख्स से शादी करने जा रही हो जिसे तुम जानती तक नहीं और कभी मिली भी नहीं?"

    "मेरे पास और कोई चारा नहीं है। अंशु विदेश से वापस आने वाला है। जैसे ही वो लौटेगा, स्कूलिंग की बात शुरू करनी होगी। बिना रजिस्ट्रेशन के वो स्कूल कैसे जाएगा?"

    रोशनी कुछ पल के लिए चुप हो गई, "लेकिन..."

    अविका ने शांत लहजे में उसे समझाया, "तुमने ही तो कहा था कि तुम्हारे मामा भरोसेमंद हैं? अगर उन्होंने कहा है कि वो मुझे धोखा नहीं देंगे, तो नहीं देंगे। और फिर, तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, वो तुम्हारी वजह से मुझे नुकसान नहीं पहुंचाएँगे।"

    रोशनी ने भौंहे सिकोड़ते हुए कुछ देर सोचा, "मेरे मामा वाकई अच्छे इंसान हैं। हालांकि वो मुझे उस इंसान से मिलने नहीं ले जाते, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि सामने वाला परिवार साफ-सुथरा है, कोई ऐसा बदतमीज़ बूढ़ा नहीं है जो औरतों से चिपकता हो। मैं तुम्हारे लिए एक बार फिर से पूछती हूँ।"

    "अविका, क्या तुम सच में सिर्फ अंशू की हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन के लिए किसी अनजान आदमी से शादी करके तलाक लेने जा रही हो? तलाकशुदा औरत की कीमत कम हो जाती है।"

    "मैंने सोच-समझकर ही ये फैसला लिया है।"

    उसने तो वैसे भी कभी शादी करने के बारे में नहीं सोचा था, बस अंशू को एक अच्छा रजिस्ट्रेशन मिल जाए, इतना ही चाहिए था।

    "अगर तुमने सोच लिया है तो ठीक है। वैसे, अपना हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन बुक मुझे दे दो। अगर कोई दिक्कत नहीं हुई, तो मैं मामा से कहूँगी कि तुम्हारी मदद करें। उनका सिविल अफेयर्स ब्यूरो में अच्छा संपर्क है।"

    "ठीक है।"

    अविका ने अपने दराज़ से रजिस्ट्रेशन बुक निकाली और उसे दे दी।

    रोशनी ने उसे अच्छे से रख लिया, फिर थोड़ी देर बातें की और रात का खाना खाने के बाद चली गई।

    अविका ने घर साफ़ किया, नहाई और फिर बिस्तर पर लेटकर अंशू को कॉल किया।

    "हैलो, डार्लिंग।"

    "मॉम, आपको याद आया मुझे कॉल करने का? मुझे लगा आपने तो मुझे भुला ही दिया।"

    ये प्यारी और नन्ही सी आवाज़, थोड़ा चिढ़ी हुई, बिलकुल उसी के अंशु की थी।

    हालांकि उसकी बातों से लग रहा था कि छोटा पटाखा शायद नाराज़ है।

    "ऐसा कैसे हो सकता है?" अविका ने तुरंत सफाई दी, "मम्मी अपने बेबी को कभी नहीं भूल सकती!"

    अंशु, उर्फ़ अंश मल्होत्रा, थोड़ी देर चुप रहा, "तुम मुझे लेने कब आओगी?"

    "जल्द ही।"

    "कितनी जल्दी?" ये अधूरी और टालने वाली बात उसे धोखा नहीं दे सकी। उसने मुंह फुलाया, लेकिन उसकी दूधिया प्यारी आवाज़ में कोई धमकी नहीं थी।

    अविका ने उस "शादी सर्टिफिकेट" के बारे में सोचा जो जल्दी ही बनने वाला था, फिर बोली, "मम्मी यहाँ कुछ काम निपटा रही है। जैसे ही सब खत्म होगा, मैं तुम्हें लेने आ जाऊँगी।"

    "सच?"

    अविका का दिल अचानक नरम पड़ गया, "सच में।"

    "तुम्हें कावेरी नानी की बात माननी है, और मम्मी सब कुछ निपटा के तुम्हें लेने आएगी, ठीक है?"

    "मैं अच्छे से रहूँगा, तुम्हें मेरी फिक्र नहीं करनी चाहिए।" अंशु कुछ पल रुका, फिर थोड़ा शरमा कर जल्दी से बोला, "मुझे तुम्हारी याद आ रही है, अविका।"

    ओह गॉड! ये बच्चा तो लोगों को सीधे दिल में जाकर घायल कर देता है!

    "मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है, अंशु।"

    फोन की दूसरी तरफ़ थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद वो आवाज़ फिर से खिल उठी, खुश होकर बोला, "तुम जल्दी सो जाओ, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ ~ बाय-बाय।"

    "टूट टूट टूट..." अविका कुछ कहती, उससे पहले ही दूसरी तरफ़ से कॉल कट चुका था।

    फोन की बीप सुनते हुए, अविका मुस्कराई और हल्के से फुसफुसाई, "गुड नाइट।"

    उसने फोन रखा, फिर से मुंह धोया, घड़ी देखी — काफ़ी देर हो चुकी थी। और वो गहरी नींद में डूब गई...

  • 15. Deadly obsessed - Chapter 15

    Words: 724

    Estimated Reading Time: 5 min

    सुबह की धूप खिड़की के पास की हरियाली पर चमक रही थी, रातभर की ओस की बूंदें पौधों की नसों पर छोटे मोतियों की तरह चमक रही थीं।

    कमरे के उस आरामदायक बिस्तर पर एक लड़की लेटी थी, जिसने सफेद कॉटन की नाइटी पहन रखी थी। उसकी नींद में भी एक मासूम और सुकून था मानो सुबह की रोशनी में वो खुद ही एक किरण हो। उसके घने काले बाल बिस्तर पर बिखरे थे, जिनके बीच उसका चेहरा बर्फ से भी ज़्यादा उजला लग रहा था।

    ना ज़्यादा मेकअप, फिर भी हद से ज़्यादा आकर्षक।

    श्रेय  ने बाकी लोगों को इशारे से जाने को कहा, फिर बिस्तर के पास खड़ा होकर उस औरत को सोते हुए एक टक देखने लगा।

    अचानक, उसने कम्बल खींचकर फेंक दिया।

    “हम्म?”

    अविका को अचानक ठंड महसूस हुई और वो झटके से जाग गई। उसकी आंखों के सामने एक हैंडसम चेहरा था।

    अगर उस आदमी के भयंकर मिज़ाज को कुछ देर के लिए नज़रअंदाज़ कर दिया जाए, तो उसे देखकर कोई भी लड़की दीवानी हो जाए — वो चेहरा था ही ऐसा, जैसे जानलेवा , अट्रैक्टिव, हैंडसम  ।

    लेकिन सुबह-सुबह कोई लड़की जब जागती है और अपने बेडरूम में एक अजनबी खूबसूरत मर्द को पाती है — तो आकर्षण नहीं, खौफ ही महसूस करती है!

    “श्रेय मल्होत्रा?!”

    एक पल बाद, अविका सीधी होकर बैठ गई।

    “तुम यहाँ कैसे आए?”

    क्या उसने जबरदस्ती अंदर घुसपैठ की?

    नामुमकिन!

    अगर उसने ज़बरदस्ती घुसने की कोशिश की होती, तो ज़रूर कोई आवाज़ आती।

    सोचों के बवंडर में उलझी हुई अविका ने अनायास ही भौंहें सिकोड़ लीं और पास पड़े कम्बल से खुद को ढकते हुए खुद को शांत दिखाने की कोशिश की — “आप इतनी सुबह यहाँ क्या करने आए हैं,
    बॉस श्रेय?”

    उसकी ये रक्षात्मक हरकतें श्रेय  की नज़रों से छुप नहीं पाईं। उसकी गहरी, रात जैसी काली आंखें सिकुड़ीं और उसने बेरहमी से उसका जबड़ा पकड़ लिया, और झुककर बोला —

    “अविका, ये कौन सा खेल चल रहा है तुम्हारा?”

    “…क्या मतलब?”

    उसकी मासूम आंखें अभी भी वैसे ही झूठा हैरानी जताए हुए उस पर टिकी थीं, जिसे देखकर श्रेय के भीतर जैसे कोई आग सी भड़क उठी। उसने अपनी उंगलियां और भी कस लीं, मानो खुद पर गुस्सा हो, और फिर एक ठंडी मुस्कान के साथ बोला, “तुम तो मुझसे पहले ही जाग चुकी थीं, है ना? लेकिन जब देखा कि मैं हूं, तो झूठमूठ सोने का नाटक करने लगीं ताकि मुझे बहका सको?”

    अविका की आंखें अविश्वास में फैल गईं…

    वो उसे बहकाने की कोशिश कर रही थी?

    ये तो सरासर बकवास था!

    अपने गुस्से को दबाते हुए उसने शांती से जवाब दिया, “ऐसी कोई बात नहीं है। मैं कल बहुत थक गई थी, गहरी नींद में थी। अभी-अभी ही तो जागी हूं।”

    लेकिन श्रेय ने उसकी बातों को पूरी तरह अनसुना करते हुए, सीधे सवाल दागा, “थकी हुई थी? अगर मुझे सही याद है, तो कल तुम्हें तुम्हारा ‘बॉयफ्रेंड’ घर छोड़कर गया था। तो क्या उसने ही तुम्हें सारी रात जगाए रखा और थका दिया?”

    उसके शब्दों में कड़वाहट थी!

    अविका ने उसकी बदतमीज़ी को सहते हुए जबरन मुस्कराते हुए कहा, “ये बात आपसे जुड़ी नहीं है, बॉस श्रेय।”

    “किया या नहीं?”

    उसके सवाल में ज़बरदस्ती थी, जैसे किसी तरह की माफी की गुंजाइश नहीं थी!

    जबड़े में दर्द और उस डरावने माहौल ने अविका को अहसास कराया कि उसे इस आदमी के सामने झुकना ही पड़ेगा। कोई और रास्ता नहीं था।

    खुद को थोड़ा संभालते हुए, उसने सीधे उसकी आंखों में देख कर शांत स्वर में कहा, “हां।”

    श्रेय मल्होत्रा कुछ देर चुपचाप उसे देखता रहा। फिर उसने उसकी ठुड्डी छोड़ दी — लेकिन फिर तुरंत ही उसके और करीब झुकते हुए बोला, “अविका, मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि तुम जैसी औरत से सच्चाई की उम्मीद करना ही बेवकूफी है।”

    असल में उसने अविका पर नज़र रखवाई थी — और ये एक औरत थी जिसने कल रात उसे घर छोड़ा था!

    इसके बावजूद भी, वो उसकी आंखों में आंखें डालकर झूठ बोल गई कि वो उसका बॉयफ्रेंड था! क्या वो उसे बेवकूफ समझती थी?

    “…तुम ये क्या कर रहे हो? हटो!”
    सुबह-सुबह अपने ही घर में किसी मर्द द्वारा बिस्तर पर इस तरह दबाया जाना किसी भी औरत का सबसे बुरा सपना होता है। अविका ने डर और घबराहट में उसे धक्का देने की कोशिश की — उसकी आवाज़ काँप रही थी —
    “श्रेय , मैं सच में पुलिस बुला लूंगी! ये जबरदस्ती है!”

  • 16. Deadly obsessed - Chapter 16

    Words: 720

    Estimated Reading Time: 5 min

    जैसे ही उसके शब्द पूरे हुए, किसी और ने उसके होंठों को अपने होंठों से सील कर दिया। उस आदमी ने ज़ोर से उसके होंठों को खोलते हुए उसका स्वाद खींच लिया…

    “हम्म।”

    अविका की जीभ का सिरा चूसे जाने से सुन्न हो गया और उसने बुरी तरह छटपटाना शुरू कर दिया।

    श्रेय  शुरू में सिर्फ उसकी झूठ बोलती जुबान बंद करना चाहता था, लेकिन उसकी धक्कामुक्की और उसे खुद से दूर करने कि कोशिश ने उसे उत्तेजित कर दिया, और वो खुद को रोकते-रोकते मुश्किल में आ गया कि यहीं उसी वक्त उसे पा न ले।

    शुक्र था कि उसने खुद को रोक लिया।

    उसने उसे खुद से दूर करती अविका के दोनों हाथ उसके सिर के ऊपर दबोच लिए और उसके पैर जो बार-बार उसे दूर धकेल रहे थे, उन पर अपना पेट दबाते हुए बोला—
    “'कभी सुना है कि सबसे बड़ा धोखा अपने सबसे करीब वालों से मिलता है?' अगर तुम दोबारा हिली, तो मैं कसम खाता हूं — तुम्हारी पीरियड की हालत की भी परवाह नहीं करूंगा!”

    ये सुनते ही अविका शांत हो गई एकदम से रुक गया।

    श्रेय  जानता था कि धमकी देने पर वो मान जाती है, लेकिन जब वाकई में उसने उसकी बात मान ली, तो उसके सीने में जैसे आग जल उठी — और कहीं निकलने की जगह नहीं मिली!

    क्या वो कोई ऐसा जानवर है जो कभी संतुष्ट ही नहीं होता?

    हजारों लड़कियाँ उसकी बांहों में आने के लिए लाइन में खड़ी रहती हैं, और ये लड़की तो जैसे बेजान मूर्ति बनकर पड़ी है — एक इंच भी नहीं हिली। इसका मतलब क्या था?

    उसका मूड एकदम से बिगड़ गया। वो खड़ा हुआ, पास की एक कुर्सी लात मारकर गिरा दी और फिर बिस्तर पर पड़ी लड़की को झटके से खींचकर उठाया — “उठो, मेरे साथ चलो।”

    अविका को उसने बुरी तरह खींचा, वो लड़खड़ाई और बोली, “कहाँ?”

    “इतने सवाल मत पूछो, बस चुपचाप चलो!” उसके चेहरे पर झुंझलाहट साफ़ दिख रही थी।

    बिना पल सोचे, अविका ने उसका हाथ झटक दिया और सख्ती से कहा, “मैं नहीं जाऊंगी।”

    श्रेय  वहीं रुक गया। पलटा, और उसकी आंखें उसकी आंखों में सीधे गड़ गईं। उसकी नज़र में गुस्सा उबाल पर था —
    “अविका, क्या मैं तुम्हें कोई मज़ाक लगता हूं?”

    अविका ने होठ भींच लिए।

    श्रेय ने फिर से उसकी बाई कलाई पकड़ लि और उसे खींचते हुए बोला —
    “तुम्हारे लिए बेहतर होगा कि चुपचाप मेरे साथ चलो। वरना मैं चाहूं तो तुम्हें एक पल में बेघर कर सकता हूं।”

    “क्या मतलब?”

    “जिस घर में तुम रह रही हो, मैंने वो खरीद लिया है। अब इस फ्लैट का मालिक मैं हूं। समझीं?”

    “तुमने ये घर खरीद लिया?”
    अविका को ज़ोर का झटका लगा — वो बड़बड़ाई — “ये नामुमकिन है!”

    “और हां, तुम उस फिल्म क्रू में रहना चाहती थीं न? अब उस फिल्म में सबसे बड़ा इन्वेस्टर मैं हूं।
    अविका, अगर तुम समझदार हो, तो मुझे खुश करने की कोशिश करो — न कि मुझे चिढ़ाने की।”

    काम, घर — जैसे वो हर तरफ से उसे एक जाल में जकड़ चुका था।

    वो आखिर चाहता क्या था?

    क्या ये सब उसने सिर्फ इसलिए किया कि पांच साल पहले अविका उसे बिना बताए छोड़कर चली गई थी?

    क्या वाकई?

    पांच साल पहले तो वो उसे नफरत करता था न?
    उसे तो वो बस अपने ब्लाइंड डेट्स से बचने के लिए साथ रखता था, एक ढाल की तरह।

    क्योंकि वो हर बात मान जाती थी, उसके मामलों में दखल नहीं देती थी, चाहे वो बाहर कितनी भी लड़कियों के साथ जुड़ा हो, फिर भी कोई बवाल नहीं करती थी — इसलिए उसे उसने एक आदर्श गर्लफ्रेंड की तरह अपने पास रखा था।

    अब अचानक इतनी ज़िद क्यों? ऐसा बर्ताव कर रहा था जैसे वो वाकई उससे कुछ पाई हुई हो?

    क्या हो सकता है कि श्रेय ...

    “मेरे साथ चलो।”
    उसने उसकी कलाई फिर से कसकर पकड़ी और बेपरवाही से उसे खींचते हुए बाहर ले गया।

    अविका की कलाई में जोर का दर्द हुआ — और उसी पल वो बेतुका सा ख्याल उसके दिमाग से गायब हो गया।

    ये सब उसका ज़्यादा सोचने का नतीजा था।

    ऐसा मर्द — श्रेय  — भला उससे प्यार कर सकता है?

    नहीं — ये सब सिर्फ उसकी ज़िद थी, उसका एटीट्यूड था, बदला लेने की आग थी।

    उसे बस सब सहना होगा…
    उसे बस उसका गुस्सा झेल लेना होगा, फिर शायद बात वहीं खत्म हो जाए…

  • 17. Deadly obsessed - Chapter 17

    Words: 712

    Estimated Reading Time: 5 min

    काली SUV ने रोड पर रफ्तार पकड़ रखी थी, दोनों ओर की हरियाली तेजी से पीछे छूट रही थी।
    अविका चमड़े के सोफ़े पर बैठी थी, सिर मोड़कर खिड़की के बाहर दौड़ते नज़ारों को देख रही थी, जैसे खुद को अदृश्य बनाने की कोशिश कर रही हो।

    लेकिन, साफ़ था कि कोई उसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला था।

    "क्या देख रही हो?"

    "कुछ नहीं।"

    श्रेय  ने जबरन उसका चेहरा अपनी ओर घुमा दिया, "अगर कुछ देखने को नहीं है, तो मुझे देखो। मैं तुम्हें मुझे देखने की इजाज़त देता हूँ।"

    अविका ने भौंहें सिकोड़ लीं।

    अगले ही सेकंड, उसके होंठों के कोने को बुरी तरह काट लिया गया। दर्द से उसकी सांस अटक गई।

    "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ध्यान भटकाने की!"

    अविका लगभग उसे गाली देने ही वाली थी, लेकिन उसकी दबदबा भरी मौजूदगी के आगे उसने अपने गुस्से को निगल लिया।

    वो किसी भी हालत में श्रेय  जैसे पावरफुल इंसान को नाराज़ नहीं कर सकती थी। अगर उसने उसे नाराज़ किया, तो उसका अंजाम बेहद बुरा हो सकता था।

    अब उसके पास बस एक ही रास्ता था—उसके साथ चलती रहे जब तक कि वो ऊब न जाए।

    अविका ने खुद को समझा लिया और उसकी मर्ज़ी के मुताबिक उसकी तरफ देखने लगी।

    मुश्किल से दस मिनट ही बीते होंगे कि वही आदमी जिसने उसे देखने को कहा था, अचानक फाइल को बंद करता है। एक झटके में उसे अपनी बाहों में खींच लेता है और उसके हैरान होठों को एक गर्म फ्रेंच किस से जकड़ लेता है—इतनी गहरी कि अविका को सांस लेने में तकलीफ होने लगी।

    जैसे ही उसे होश आया और उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, उसे अचानक अपनी ज़ुबान में तेज़ दर्द महसूस हुआ।

    श्रेय को अपने अंदर और भी गर्माहट महसूस होने लगी, उसका सेंसिटिव पार्ट ऊपर-नीचे हिलने लगा, उसकी कमर पर जकड़ और मजबूत हो गई, “इतनी ज़ोर से आवाज़ निकाल रही हो… चाहिए तुम्हें?”

    "नहीं चाहिए।" अविका ने उसे धक्का दिया और पीछे हट गई।

    जिसे अचानक काटा जाए, वो चिल्लाएगा ही, और वो भी ऐसी जगह पर काटा जाए तो...

    श्रेय  ने उसे गहरी नज़र से देखा, हँसा, और उसे फिर से अपनी ओर खींचकर टिकने दिया। फिर फाइल दोबारा खोली और सुस्त लहजे में कहा, “तुम्हें चाहिए या नहीं, उससे फर्क नहीं पड़ता। अभी मेरा मूड नहीं है। तुम्हें अपने पीरियड्स खत्म होने तक इंतज़ार करना होगा।”

    जब जबरदस्ती किस उसने की थी, तो ऐसा क्यों लग रहा था जैसे वो अविका ही थी जिसे इसकी ख्वाहिश थी? अविका का चेहरा शर्म से जलने लगा, जैसे डूबते सूरज का रंग हो।

    वो आदमी जो अब फिर से अपने ठंडे और बेरुखे रूप में लौट चुका था, एक हल्की नज़र डालकर बोला, “ड्रामेबाज़!”

    कार पूरे स्पीड में दौड़ रही थी, श्रेय के परफ्यूम की खुशबू अविका की नाक में समाई हुई थी। अविका ने हल्के से अपनी कमर को एडजस्ट करने की कोशिश की, लेकिन श्रेय ने फ़ौरन नोटिस कर लिया। जैसे वो उसके काम में बाधा बन रही हो, उसने गुस्से से देखा और फिर उसे अपनी गोद में खींच लिया। “शांति से बैठो।”

    “एकदम चुप!”

    अविका के पास कोई चारा नहीं था, बस उसी की गोद में अकड़कर बैठी रही।

    इच्छा न होने के बावजूद, श्रेय का हाथ उसकी कमर पर था, और ज़रा सी भी हरकत उससे छुपती नहीं थी। कौन जाने फिर वो कौन-सी शर्मिंदा करने वाली बात कह दे।

    लेकिन हिले बिना भी, उसके गर्म शरीर की तपिश उसके ट्राउज़र के कपड़े से पार होती जा रही थी, जिससे अविका को बहुत असहज महसूस हो रहा था। हर सेकंड एक सज़ा बन गया था…

    शुक्र है ड्राइवर तेज़ था। जब अविका को लगा कि अब और सहा नहीं जाएगा, गाड़ी रुक गई।

    “सर, पहुँच गए।”

    “उतरो।”

    श्रेय  ने लापरवाही से फाइल वापस सीट पर फेंकी और अविका को बाहर खींच लिया।

    सामने एक खूबसूरत यूरोपियन स्टाइल विला था, दो मंज़िला इमारत के नीचे एक भव्य स्विमिंग पूल था। सूरज की रोशनी उस पानी पर पड़कर ऐसा चमक रही थी जैसे किसी जादुई दृश्य में हों।

    अविका जानती थी कि ठीक ऐसा ही एक पूल दूसरी मंज़िल पर मेन बेडरूम की बालकनी में भी है, जहाँ एक लग्ज़री बार भी है—हद से ज़्यादा लग्जरीस।

    सिर्फ ये विला ही नहीं, ज़मीन समेत इसकी कीमत अरबों में थी, अंदर के इंटीरियर्स की तो बात ही अलग थी…

  • 18. Deadly obsessed - Chapter 18

    Words: 654

    Estimated Reading Time: 4 min

    "अंदर चलो, तुम्हें रास्ता दिखाने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए।"

    अविका ने उसके शब्दों में छिपी ताना मारती हुई आवाज़ को अनदेखा करने का नाटक किया और उसके पीछे चल पड़ी।

    जैसे ही वो दरवाज़े तक पहुँचे, दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया।

    अंदर से एक जानी-पहचानी और भावुक आवाज़ आई,
    "बॉस, आप वापस आ गए… उह… अविका?!"

    आंटी मेरी, उत्साहित होकर आगे बढ़ीं और अविका का हाथ थाम लिया,
    "क्या ये अविका है? तुम वापस आ गई?"

    "इन सालों में तुम कहां थी? तुमने फोन क्यों नहीं किया? मुझे लगा था तुम और बॉस खैर, अच्छा हुआ कि तुम वापस आ गई, बहुत अच्छा। क्या तुम भूखी हो? तुम अभी भी पजामा में क्यों हो? क्या तुम्हें ठंड नहीं लग रही?"
    वो एक के बाद एक सवाल पूछती चली गईं।

    अविका खुद को असहज महसूस कर रही थी, पहली बार उसे शर्मिंदगी के मारे भाग जाने का मन हुआ।

    श्रेय ने उसे ठंडेपन से देखा, उसे उस स्थिति से निकालने का कोई इरादा नहीं दिखाया और सीधे अंदर चला गया,
    "अब भी बाहर ही खड़ी हो? अंदर आओ!"

    अविका जल्दी से उसके पीछे चल पड़ी।

    विला का अंदरूनी हिस्सा पाँच साल पहले जैसा ही था, यहाँ तक कि फर्नीचर भी वैसा ही था।

    एक पल के लिए उसे चक्कर सा आया। लेकिन ये एहसास बस एक क्षण ही रहा, क्योंकि उसने तुरंत देखा कि लिविंग रूम में वह अकेली नहीं थी—कुछ लोग पहले से खड़े थे।

    उनमें से एक आदमी सफेद कोट में था, जो बाकी सब में अलग दिख रहा था, और उसके पास एक कुर्सी रखी थी।

    अविका धीरे-धीरे रुक गई,
    "वो क्या है?"

    श्रेय, जो उसके आगे चल रहा था, ने उसकी बात अनसुनी की, स्टाइल में अपना कोट उतारा और सोफे पर फेंक दिया, और धीमी मगर सख्त आवाज़ में आदेश दिया,
    "उसे बैठाओ!"

    "जी, बॉस श्रेय।"

    काले कपड़ों में कुछ बॉडीगार्ड्स आगे आए और सीधे अविका को पकड़कर कुर्सी पर बैठा दिया।

    अविका चौंक गई और छूटने के लिए हलचल करने लगी,
    "श्रेय , क्या तुम पागल हो गए हो? तुम करना क्या चाहते हो? मुझे जाने दो!"

    उसका दिल अंदर ही अंदर डूबता चला गया…

    वो आदमी उसकी शर्म से लाल होती जा रही चेहरे को देखकर मुस्कराया, जब उसका रंग सफेद से लाल हो गया, फिर वो सोफे पर बैठ गया। उसके पास खड़ा नौकर उसे एक ग्लास शैम्पेन देकर गया, उसने एक घूंट लिया और टांग पर टांग रखकर बेपरवाही से बोला—

    "अमन, शुरू करें?"

    शुरू?

    क्या शुरू करें?

    इससे पहले कि अविका कुछ समझ पाती, उसने देखा कि सफेद कोट पहना वो नौजवान, एक नोटबुक पकड़े हुए, उसकी ओर बढ़ रहा है, उसके अजीब मगर हैंडसम चेहरे पर  मुस्कान थी, जैसे कोई चालाक लोमड़ी,
    "मिस अविका, हम फिर मिल गए। शायद आप मुझे याद न करें, मैं खुद को फिर से इंट्रोड्यूस करता हूँ—मैं अमन, श्रेय मल्होत्रा का पर्सनल डॉक्टर हूँ। उनकी हर बीमारी से लेकर जटिल केस तक, सब मैं ही देखता हूँ।"

    "चुप रहो!"
    श्रेय ने उस पर तीखी नज़र डाली, और अमन ने मुस्कराते हुए अविका को आंख मारी।

    अविका चुप रही।

    वो फिर बोला,
    "डरने की ज़रूरत नहीं है। वो बस कुछ बातें क्लियर करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें लगा कि आप सहयोग नहीं करेंगी, इसलिए आपको यहाँ लाया गया।"

    अविका ने तुरंत पीछे देखा, उस इंपेशेंट आदमी की ओर, जो टांग पर टांग रखकर बैठा था।

    क्या ये आदमी बीमार है?!

    सुबह-सुबह उसके घर में घुस आना, ज़बरदस्ती उसे उठा लाना… बस सवाल पूछने के लिए?

    उसे जानना क्या है? इतनी ज़हमत क्यों?

    श्रेय भी उसे देख रहा था, और उनकी नजरें आपस में टकराईं।

    वो नज़र… हावी करने वाली! ज़िद्दी! एरोगेंट जैसी! और उस नज़र में जबरदस्त हक़ जताने वाला पागलपन था!

    अविका का दिल एक पल को कांप गया।

    क्या ऐसा हो सकता है कि उसे कुछ पता चल गया हो?

    नहीं… ये नामुमकिन है।

    उसे अंशु के बारे में कैसे पता चलेगा?

    "मिस अविका, आपकी धड़कन बहुत तेज़ है। घबराइए मत, रिलैक्स कीजिए, हम शुरू कर रहे हैं…"

  • 19. Deadly obsessed - Chapter 19

    Words: 693

    Estimated Reading Time: 5 min

    अविका को जब समझ आ गया कि वो खुद को छुड़ा नहीं सकती, तो उसने आखिरी कोशिश की, “अगर मैं तुम्हारा साथ दूँ, तो क्या तुम बाद में मुझे जाने दोगे? मुझे अभी एक फिल्म की शूटिंग करनी है।”

    “उस बारे में…” अमन ने काउच पर बैठे आदमी की तरफ देखा, “मुझे डर है कि नहीं।”

    श्रेय ने अपने हाथ में पकड़े शैम्पेन के ग्लास को घुमाते हुए तिरछी नजर से जवाब दिया, “मैंने पहले ही फिल्म क्रू को बता दिया है कि तुम ‘बीमार’ हो, और वे जानते हैं कि तुम एक दिन घर पर आराम करोगी।”

    उसने 'बीमार' शब्द पर खास ज़ोर दिया।

    जब उसकी आखिरी उम्मीद भी टूट गई, तो अविका ने अपना मुँह बंद कर लिया और कुछ न कहने का फैसला किया।

    वो ताकतवर था, पावरफुल था; वो उसे अगवा कर सकता था जैसे कोई किसी पालतू को रख लेता है। लेकिन बोलना या न बोलना उसका अपना फैसला था—और उसने तय किया कि वो सहयोग नहीं करेगी!

    “मिस अविका, क्या आपको अक्सर पीरियड्स अनरेगुलर आते हैं?”

    अमन ने मुस्कुराते हुए अपने होंठों का कोना उठाया, और बोर्ड पर कुछ लकीरें खींचते हुए कहा, “लगता है आपके पीरियड्स नियमित हैं। पिछली बार मैंने गलत देखा होगा।”

    पिछली बार?

    कब?

    अब उसे याद आया—वो रात जब वो दोनों फिर मिले थे, और जब उसे गाड़ी से बाहर फेंका गया था। तो उसने तभी उसकी जांच कर ली थी।

    अमन ने साइकोलॉजि की पढ़ाई की थी और उसने बोर्ड पर लिखी बातों के आधार पर सवाल पूछना जारी रखा, “तुमने वो 7 लाख 50 हज़ार रुपए लेकर पाँच साल पहले क्यों छोड़ दिया था?”

    “तुम जानती हो कि अगर तुम बॉस श्रेय से शादी कर लेती, तो तुम्हें 7.5 लाख से कहीं ज़्यादा मिलता। और तुमने पहले ही शादी के लिए हाँ कर दी थी, फिर अचानक पैसे लेकर चली क्यों गईं?”

    अविका ने अनजाने में सामने बैठे उस आदमी की तरफ देखा, और काउच पर बैठे उस आदमी ने उसकी तरफ देखने की ज़हमत तक नहीं उठाई। लेकिन वो जानती थी कि वो ज़रूर सुन रहा है!

    चाहे वो जितना भी दिखावा करे, ये साफ़ था कि वो जवाब जानना चाहता था, इसलिए उसने किसी और से वो सवाल करवाया।

    लेकिन वो सच्चाई नहीं बता सकती थी।

    उसने शुरुआत में शादी इसलिए मानी थी क्योंकि उसे पता चल गया था कि वो अंशु के बच्चे की माँ बनने वाली है। और बाद में उसी अंशु की वजह से वो भाग गई। अगर उसने सच बता दिया, तो श्रेय को अंशु के बारे में तुरंत पता चल जाएगा, और फिर वो उसका बच्चा उससे छीनने की पूरी कोशिश करेगा।

    अविका ने गहरी साँस ली, और बोलने को तैयार हुई, “मैंने शादी के लिए इसलिए हामी भरी थी ताकि मेरी कीमत बढ़ जाए। एक मंगेतर की कीमत एक गर्लफ्रेंड से ज़्यादा होती है, है ना।”

    उसने बस इतना कहा ही था कि ‘क्रैक’ जैसी तेज़ आवाज़ गूंजी।

    अविका का दिल बैठ गया। उसे समझ आ गया कि वो आदमी गुस्से में है।

    “श्रेय…” अमन कुछ कहना चाहता था।

    श्रेय का चेहरा गुस्से से तमतमा गया, और उसने गुस्से से दहाड़ लगाई, “निकल जाओ!”

    उसने सामने रखी कॉफी टेबल को जोर से लात मारकर गिरा दिया, “सब निकल जाओ यहां से!”

    अमन को उसके गुस्से के बारे में पता था। उसने उसे एक चिंतित नज़र से देखा और बाकी लोगों को बाहर निकलने का इशारा किया। पहले से ही डरे हुए बाकी लोग ऐसे भागे जैसे जान बचाकर भाग रहे हों।

    कुछ ही पलों में, लिविंग रूम में सिर्फ अविका रह गई।

    अविका भी जाना चाहती थी, लेकिन वो उसकी भारी और डरावनी मौजूदगी में जैसे जड़ हो गई थी। वो सिर्फ देख सकती थी कि वो गुस्से से भरा हुआ आदमी उसकी तरफ आ रहा था।

    ये तो मानना पड़ेगा कि श्रेय  एक ऐसा आदमी था जो किसी भी औरत को दीवाना कर सकता था—यहाँ तक कि जब वो गुस्से में होता, तब भी उसका चेहरा बेहद हॉट और अट्रैक्ट लगता था। लेकिन अविका के लिए उसका लुक अब कोई मायने नहीं रखता था; उसे अच्छे से पता था कि इस गुस्से का मतलब क्या था।

    इसका मतलब था कि अब उसके लिए कोई भी चीज़ आसान नहीं होने वाली थी।

  • 20. Deadly obsessed - Chapter 20

    Words: 692

    Estimated Reading Time: 5 min

    जैसा कि उम्मीद थी...

    उसकी ठुड्डी को जबरन पकड़ा गया और ऊपर उठाया गया।

    अविका हिल भी नहीं सकी, वह संघर्ष तक नहीं कर सकी, बस उसकी आँखों में झांकती रही।

    “मैं सच में पागल हो गया हूँ, जो ये सोच लिया कि तुम्हारे पाँच साल पहले छोड़ने के पीछे कोई और वजह रही होगी। तुम्हारे पास खूबसूरत चेहरे के अलावा है ही क्या, अविका?”
    अविका चुप रही।
    उसकी इस बातों को सुनकर अविका चुप हो गई

    “हूँफ! सही कहा, तुम एक झूठी, दिखावटी और पैसे की भूखी औरत हो!”

    श्रेय  उसकी बेरुखी से भरी शक्ल को घूरते हुए उसे मार देने की हद तक चाह रहा था, फिर भी उसके हाथ हिल नहीं पाए।

    धत्त तेरी की!

    उसने हताशा में उसे छोड़ दिया, उसकी ओर नीचे देखता हुआ बोला, “अविका, तुम जीत गई।”

    “…” पर उसने जीता क्या?

    श्रेय  ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा, “मैं मानता हूँ कि आज भी मेरे मन में तुम्हारे लिए फीलिंग्स बची हैं। तो, बताओ — कितना पैसा चाहिए तुम्हें, ताकि तुम मेरे पास तब तक रहो जब तक मैं खुद तुमसे ऊब न जाऊं?”

    क्या कह रहा है वो? उसे अब भी अविका के लिए फीलिंग्स हैं? ये जानते हुए भी कि वो पहले सिर्फ पैसों के लिए उसके साथ थी, अब भी वो उसे अपने पास रखने के लिए पैसे देने को तैयार है?

    क्या ये वही ज़िद्दी और घमंडी आदमी है?

    “डेढ़ मिलियन?”

    “कम लग रहा है? तो तीन मिलियन कैसा रहेगा?”

    फिर भी, अविका ने चुप्पी नहीं तोड़ी। वह चिढ़ गया, “कितना चाहिए? सीधे-सीधे बोलो।”

    उसकी आवाज़ में झल्लाहट साफ थी।

    तभी अविका को होश आया। उसे हँसी आनी चाहिए थी, मगर वो हँस नहीं सकी। उसने बस होंठों को हल्का सा फैलाने की कोशिश की, “मुझे तुम्हारे पैसों की ज़रूरत नहीं है।”

    श्रेय  ने उसे ऊपर से नीचे तक ऐसे देखा, जैसे पहली बार देख रहा हो। उसने उसकी ठुड्डी उठाई और बेहद करीब आकर कहा, “अगर पैसा नहीं चाहिए, तो क्या मर्द चाहिए?”

    अविका का चेहरा लाल पड़ गया, उसने तुरंत जवाब दिया, “तुम गलत समझ रहे हो, मेरा मतलब था कि मुझे न तुम्हारे पैसों की ज़रूरत है और न ही तुम्हारी सोहबत की।”

    उसका हैंडसम चेहरा एकदम ठंडा हो गया।

    अविका ने एक गहरी साँस ली और बोली, “सच है, मैंने पाँच साल पहले पैसों के लिए तुम्हारे साथ गलत किया था। और मैं उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ। लेकिन अब मुझे अपनी गलती का एहसास है, और मैं उसे दोहराना नहीं चाहती।”

    उसने पैसों के लिए उसके साथ गलत किया।

    उनका पाँच साल पहले का रिश्ता बस एक ग़लती थी, जिसे वह फिर से नहीं दोहराना चाहती थी।

    हूं।

    श्रेय  ने पास की कॉफी टेबल पर ज़ोर से घूंसा मारा। कांच के टुकड़े उसके हाथ की पीठ में घुस गए, खून बहने लगा — घाव डरावना लग रहा था।

    अविका का चेहरा पीला पड़ गया, “श्रेय …”

    उससे पहले कि वो कुछ और कहती, उस आदमी ने गुस्से में दहाड़ लगाई, “निकल जाओ!”

    “अभी के अभी निकल जाओ!”

    अविका थोड़ी देर रुकी, फिर उठ खड़ी हुई और जाने लगी। उसने जाते-जाते एक बार उसकी ओर देखा, जो गुस्से से कांप रहा था।

    मगर जैसे ही उसने दो कदम लिए, उसकी कलाई किसी ने पकड़ ली।

    धप्प!

    वो दीवार से जा टकराई, और खून से भरी आँखों वाला वो आदमी उस पर झुक गया और जबरन उसके होंठों को चूमने लगा।

    “उम्…”

    श्रेय  ने एक हाथ से उसकी कलाई पकड़ ली और दूसरे हाथ से उसे खुद से कस कर चिपका लिया, फिर उसके होठों को बेतहाशा चूमता रहा…

    अविका ने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की, मगर उसके जंगली किस के आगे उसका शरीर खुद-ब-खुद कांपने लगा। उसने खुद को रोका, होंठ भींचे और आखिरकार ज़ोर से काट लिया।

    श्रेय  दर्द से कराहा, उसने उसके होंठ छोड़े, दीवार से टिकाया और हाँफते हुए उसे घूरता रहा।

    अविका का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। डर लग रहा था कि अब वो क्या करेगा।

    पर शुक्र है, श्रेय  ने सिर्फ उसे घूरा। कुछ और नहीं किया। कुछ देर बाद, उसकी साँसे धीरे-धीरे शांत होने लगीं। उसने सीधा खड़ा होकर उसकी कलाई छोड़ी, और जैसे कुछ हुआ ही न हो — पूरी ठंडक से बोला,

    “निकल जाओ…”