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Seven shades of flame

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Simran

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Description

क्या था उसका अस्तित्व ? कौन कहलाती है एक औरत ? आखिर क्यों बेटियों के पैदा होने पर ख्वाइशे दब जाती है ? पतली है या मोटी हर बात में क्यों गहरी बातें कहीं जाती है ! आखिर क्यों हर लड़की में हर किसी को आदत है कमियां ढूंढने की क्या उसके अस्तित्व में बाहरी...

Total Chapters (16)

Page 1 of 1

  • 1. mat nikaliye jawai saa !!!

    Words: 1653

    Estimated Reading Time: 10 min

    कहानी की शुरुवात कहीं ना कहीं से होती ही है और इस कहानी की शुरुवात हुई राजस्थान से

    जहां का कल्चर सबसे अलग है जिसे आज भी दुनिया मानती आई है , उसकी खूबसूरती सबसे अलग , लोगों का नेचर सबसे अलग , जहां बेटियों को अब सर का ताज बनाया जाए , वैसा राजस्थान , पर कहते है ना की जहां सुख है वहीं दुख भी है , जहां लड़कियां खुश थी वहाँ दुखी भी तो थी ।

    राजस्थान के एक शहर मे जयपुर जहां आज हर तरफ एक ही न्यूज चल रही थी , “ सबसे रिच आदमी “ रुद्र प्रताप सिंह “ के घर आज है उनके सातवे बेटे का जन्मदिन , जहां सुबह से गरीब लोगों के लिए भंडहारे की तयारी हो रही थी ।

    साथ साथ मनाया जाएगा जशन , ये न्यूज हर जगह चल रही थी

    जहां एक तरफ खुशियां थी तो वही एक तरफ एक औरत के रोने की चीखें पूरे घर मे गूंज रही थी ।

    घर बहुत छोटा सा था , पर रहने लायक अच्छा था , घर की पूरी दीवारें व्हाइट कलर की थी , उस घर की नेम प्लेट के बाहर लिखा था ‘ शांति भवन ‘ पर उस घर मे शांति तो थी ही नहीं ।

    एक औरत के रोने की आवाजें बार बार गूंज रही थी ।

    घर के बाहर बहुत सारे लोग खड़े थे , वही एक 60 साल के आदमी एक दूसरे 35 साल के आदमी के सामने हाथ जोड़े खड़े थे , उनकी आँखों मे आँसू थे , उनके हाथ पूरी तरह से काँप रहे थे , उन्होंने व्हाइट कलर का कुर्ता और पाजामा पहन रखा था , उनका रंग काला था , उनके हाथों मे उनकी पगड़ी थी

    जवाई सा आप एसा क्यू कह रहे हैं , ये तो भगवान की मर्जी है ना की उन्होंने आपको आज दो बेटियाँ और दी , आप मेरी बच्ची को इस तरह से मत निकालिए , इसमे मेरी बच्ची और उन बच्चियों का कोई दोष नहीं है । भगवान के लिए मेरी बच्चियों के साथ एस मत कीजिए , वो तो आप का खून है “

    वो बूढ़े आदमी जिनका नाम बंसी लाल था ,

    वो रोते हुए सब बोल रहे थे तभी 35 साल का आदमी गुस्से से कहते हुए : आप अपनी बेटी को ले जाइए यहाँ से , आज इसने दो बच्चियों को मिलाकर सात लड़कियां पैदा कर दी है , और ऊपर से मेरी मा के सामने बोलती है , खुद तो मुझे एक बेटा नहीं दे पाई , और आप चाहते हैं अब मै इन सात लड़कियों का खर्च भी उठाऊँ बिल्कुल नहीं , इससे मांगा ही क्या था मैंने सिर्फ एक बेटा और इसने मुझे लड़कियों की लाइन लगाकर दे दी , अब इस औरत को मै एक पल भी यहाँ नहीं रखूँगा , इसे मेरे घर से अभी के अभी लेकर जाइए ।

    बंसी लाल जी हाथ जोड़ते हुए कहते हैं “ आप मेरी हालत तो जानते हैं मेरे परिवार मे कोई नहीं बचा सिर्फ नेहा के , मैंने अपनी सारी जमीन आपके नाम कर दी , अब आप ,मेरी बच्ची को मत निकालिए , मेरी उम्र ही कितनी बची है इस दुनिया मे , थोड़ा सा रहम खाइए जवाई सा , मै खुद मजदूरी कर रहा हु मै कैसे इन बच्चियों को पालूँगा ?

    वो आदमी जिसका नाम सुभाष शर्मा था वो गुस्से से अब घर के अंदर जाते हुए कहता : लेकर जाइए इनको , और आज के बाद मेरे घर की तरफ आँख उठा कर मत देखिएगा !

    सुभाष जी गुस्से से इतना कहते हैं तभी अंदर जाने लगते हैं और अगले ही पल बंसी लाल जी सुभाष जी के पैरों मे नीचे गिरते हुए : ऐसा मत कीजिए ! मैं कैसे संभालूंगा! आप मेरी परेशानी भी तो समझिए ! हम कहां जाएंगे !

    पर सुभाष जी सुनने को राज़ी नहीं थे उन्होंने अचानक से बंसी जी को धक्का दे दिया था !

    उनकी जैसे ही लात जैसे ही पैरों पर लगी थी वो वैसे ही नीचे गिर गए थे ! उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे !

    सुभाष जी ने जैसे ही धक्का दिया था वो सीधा अंदर चले जाते है और अगले ही पल बंसी लाल जी के सामने एक औरत को फेंकते हुए !

    उस औरत का सिर घर के बाहर की दहलीज पर जोर से लगा था ! उसकी रोने से पहले ही आँखें लाल हो चुकी थी !

    वो जैसे ही बंसी जी को देखती है तो झट से उनके गले लग जाती है : पापा ! पापा इसमें मेरी क्या गलती है ? पापा सात बेटियां तो भगवान की मर्जी है ना !

    बंसी लाल जी अपनी बेटी के सर पर हाथ रखते है और रोते हुए : नेहा तू रो मत , मैं हाथ पैर पकड़ के मनाऊंगा जवाई सा को ।

    वो आगे कुछ कहते और खड़े हो पाते उससे पहले ही एक एक करके सुभाष जी लड़कियों को बाहर लेकर आते है और वहां पर बंसी लाल जी के पास बिठा देते है ।

    जो बच्चियां पांच अभी बाहर लाई गई थी वो बहुत छोटी छोटी थी ।

    उसमें दो जो बच्चियां थी वो 6 साल के करीब थी और बाकी की उनसे छोटी । वहां पर अभी सिर्फ पांच बच्चियां मौजूद थी । जो अगले ही पल आकर नेहा से आकर चिपक गई थी ।

    वो औरत जिसका नाम नेहा था । वो जैसे ही बच्चियों का एहसास महसूस करती है वैसे ही अपनी आँखें गुस्से से बड़ी करते हुए और एक झटके से उन्हें धक्का दे देती है : ये सब तुम लोगों की वजह से हो रहा है ! ना तुम आती ना मेरे साथ ये होता ! ना मुझे घर से निकाला जाता !

    नेहा के चिल्लाने से वो बच्चे एक दूसरे के ऊपर गिर गए थे ! और जोर जोर से रोने लगे थे !

    बच्चे रोए जा रहे थे तभी सुभाष जी के हाथ में दो और बच्चियां थी जिन्हें वो वही दहलीज के पार नीचे रखते हुए : निकल जाओ मेरे इस घर से !

    सुभाष जी जैसे ही उन बच्चियों को वहां रखते है तो बंसी जी उनके पैर पकड़ते हुए : जवाई सा ऐसा मत कीजिए ! हम आपके आगे हाथ जोड़ते है ! आप जो हमसे कहेंगे हम वही करेंगे ! आगे कुछ जायदा बोलेंगे भी नहीं !

    बंसी जी को नेहा जी जैसे ही देखती है कि मजबूती से सुभाष जी के पैर पकड़े गए है तो वो अपने हाथ बढ़ा कर उनके पैर पकड़ते हुए : आप जैसा कहेंगे ना हम वैसा करेंगे ! आप कहेंगे ना इन बच्चियों को छोड़ दो हम वो भी छोड़ देंगे !

    सारे बच्चे रो रहे थे ! वो जो नवजात शिशु थे वो भी रो रहे थे ! उन्हें यूं ही नीचे रख दिया गया था !

    उनके हाथ पाऊं पकड़ने से सुभाष जी पर कोई असर नहीं पड़ा था वो उन दोनों को धक्का देते हुए अपना पैर छुड़वा लेते है : मेरा इन बच्चियों से और तुमसे और तुम्हारे इस गरीब बाप से कोई लेना देना नहीं है समझी !

    बेहतर होगा अभी के अभी निकल जा मेरे घर से ! मेरी मां को कदर नहीं की तूने और तुझे लगता है तेरी कदर करूंगा मैं ! बिलकुल नहीं।

    उनका इतना ही कहना था और उन्होंने एक झटके से उनके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया था !

    दरवाजा जैसे ही बंद हुआ था उसकी आवाज जोर से बंद होने की आवाज गूंजी थी ! जैसे किसी के आने की उम्मीद बंद कर दी गई हो !

    बच्चे अभी भी रो रहे थे ! उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे !

    दरवाजा बंद हुआ यानी उम्मीद टूट गई ! बंसी लाल जी की नजरे उन बच्चियों पर गई !

    वो उन बच्चियों को एक दम से अपने गले लगा लेते है और जोर जोर से रोने लगते है !

    बंसी लाल जी ने उन नवजात शिशुओं को अपनी गोदी में उठा लिया था ! और दूसरे नवजात शिशु को नेहा को पकड़ाते हुए : इन बच्चियों का क्या दोष है नेहा ! क्यों रुला रही है इनको !

    तेरी जरूरत है ! आँखें तो खोल के देख ! मै हु ना ! मै सब ठीक करूंगा !

    पर नेहा जी शायद जानती थी उनके ठीक करने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी ! उनका घर आज टूट चुका था ! वो आज इस घर से बेघर हो चुकी थी !

    नेहा जी बस बंद दरवाजे को देख रही थी ! बाकी बच्चे चुप नहीं हुए थे ! वो अपनी सुध बुध खो चुकी थी ,!

    तभी जो दोनों 6 साल की बच्चियां थी वो अपनी बाकी तीन बहनों को चुप करवाते हुए : चुप हो जाओ हम ना अभी घर घर खेलेंगे ! ठीक है ?

    वो दोनों 6 साल की बच्चियां जीभ दिखाने लग जाती है और कार्टून बनते हुए चुप करवा रही थी !

    बंसी लाल जी की नजरे उन बच्चियों पर पड़ती है जो किसी देवी के रूप से कम नहीं थी!

    पर आज की दुनिया में राक्षस भी कम नहीं थे अपने ही खून के साथ लोग ऐसा भी करते है !

    वो जैसे तैसे नेहा को खड़ा करते हुए कहते है : नेहा चल बेटा अभी घर चल !

    उन्होंने जैसे तैसे नेहा जी को खड़ा किया था और अगले ही उन्हें वहां से ले जाने लगते है !

    वो बच्चे एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पीछे पीछे जाने लगते है ! उनके पाऊं में जूते तक नहीं थे !

    वही आखिरी बार नेहा जी उस घर को देखती है और वहां से रोते हुए चली जाती है !

    समय अपना रंग दिखा रहा था ! वो एक जगह ठहरा ही नहीं था ! 17 साल बीतने में देर नहीं लगी !

    एक छोटे से घर में चिखने की आवाजे आ रही थी : खुद तो मर गई पर हमें यहां नरक देकर छोड़ गई !

    क्या होगा अब आगे ? क्या हुआ है इन 17सालों में ? कहां गई वो बच्चियां? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 2. tadap!!

    Words: 1635

    Estimated Reading Time: 10 min

    17 साल बीत चुके थे ! समय कभी ठहरता नहीं ! इन 17 सालों में सब बदल गया था !

    तो वहीं राजस्थान भी 17 साल में बहुत बदल चुका था ! पर राजस्थान में गर्मी का हाल और तपती हवा वैसी ही थी ! उसमें ना पहले कोई फरक आया था ! ना ही आज आया था ।

    जयपुर अब थोड़ा सा बदल चुका था !

    उस बड़े से शहर में एक छोटी सी गली में बहुत सारे घर थे ! वो घर बहुत अच्छे से बने हुए थे ! पर उस में से एक घर था जिसमें से चिल्लाने की बहुत तेज आवाज आ रही थी : खुद तो मर गई ! हमें इस नरक में छोड़ गई !

    उस घर की दीवारों पर क्रैक्स आ चुके थे ! समय के हिसाब से वो घर पुराना हो चुका था !

    राजस्थान में सुबह कब की हो चुकी थी ! सूरज कबका निकल चुका था !

    वही उस घर में सात लड़कियां एक साथ एक दीवार के सामने खड़े थे ! पांच हाथ जोड़े खड़ी थी पर बाकी की दो चिल्लाते हुए गुस्से से भड़क कर कहती है : क्या किया है इन्होंने ! हमें इस नरक में लाकर खुद सुसाइड कर लिया ! नानू के हाथ हमें छोड़ कर चली गई थी !

    ये जो लड़की बोल रही थी उसने इस वक्त वाइट कलर की शर्ट के साथ ब्ल्यू जींस डाली थी ! उसके बाल पूरे कर्ली थे पर खूबसूरत ! उसके माथे की बिंदी की साइड एक तील था !

    वो अपनी गुलाबी मुलायम होठों से आगे बोलने ही वाली थी तभी एक गुस्से वाली चिल्लाती हुई आवाज उसके कानों में गूंजी : निराली ! बस !

    हमने आपसे कितनी बार कहा है कि ये हमारी मां है ! हम सब की मां है ! आज हम यहां खड़े है तो भी इनकी वजह से आप इनके लिए हर वक्त बुरा क्यों बोलती है ! आपकी भी मां है ये !

    निराली सिर्फ 17 साल की थी जो गुस्से से बोल रही थी ! उसी के साथ कीरा खड़ी थी ! दोनों बिल्कुल सेम दिखती थी ! दोनों का गुस्सा भी सेम था !!

    कीरा ने ब्लैक शर्ट पहनी थी और उसके साथ ब्ल्यू जींस ! वो भी 17 साल की थी ! जो लड़की चिल्ला रही थी ! वो उस पर ही उल्टा चिल्लाते हुए : अग्निका ! हमारे ऊपर जलने की जरूरत नहीं है ! ना ही निराली कुछ गलत कह रही है !

    जो लड़की निराली को गुस्से से कह रही थी उसका नाम अग्निक था ! उसने पिंक कलर का फ्रॉक सूट पहना था !

    उसके बाल कमर से नीचे जा रहे थे ! उसके माथे पर एक स्टोन था जो बिंदी टाइप में था ! काली गहरी आंखे ! वो बहुत मासूम थी ! पर उसकी आंखों में गुस्से की अग्नि जल रही थी !

    अग्निका इन सब से बड़ी थी ! वो 23 साल की थी !

    वो आगे कुछ कहती तभी अग्निका के साथ एक लड़की खड़ी थी जिसने व्हाइट कलर का सूट पहना था ! वो भी दिखने में बहुत प्यारी थी ! पर वो अग्निका की जैसे नहीं दिखती थी !

    जो व्हाइट सूट में थी उस लड़की का नाम रूहानी था !

    वो अपनी ठंडी आंखों से निराली और किरा को देखते हुए : वो हमारी मां है जैसे भी है ! पर इसके आगे हम शब्द नहीं सुनेंगे !

    रूहानी ने इतना ही कहा था कि वो गुस्से से वहां से चली जाती है !

    अग्निका जैसे ही देखती है कि रूहानी चली गई है तो वो गुस्से से किरा और निराली को घूरते हुए : इतना ही है तो खाना भी तुम दोनों अपना खुद ही बना लेना !

    वो चारों वहां से चली गई थी पर वहां पर तीन और लड़कियां थी जिनकी आंखों में आंसू थे !

    उन तीन लड़कियों के चेहरे पर मायूसी आ गई थी ! उनमें से बीच वाली लड़की सामने लगी तस्वीर पर हाथ फेरते हुए : आप हमारी मां थी ! आप ही हमें छोड़ कर चली गई मां !

    हम आपके बिना आज भी नहीं खड़े हो पाए ! हम सात बहने होकर भी अंदर से अलग है मां!

    ये लड़की जिसका नाम आयुषी थी वो बंसी लाल जी की तस्वीर और नेहा जी की तस्वीर पर हाथ फेर रही थी !

    आयुषी के कंधे पर तभी लेफ्ट साइड में खड़ी लड़की उसके कंधे पर हाथ रखते हुए : आयुषी … रो मत ना ! हम सब एक साथ है ना ! दिल से नहीं है तो क्या हुआ पर साथ तो है ना ! एक दिन हम दिल से भी जुड़ जाएंगे ! मां की भी कोई मजबूरी होगी ना जो हम इस कारण से मां से अलग हो गए !

    आयुषी धीरे से हां में सिर हिलाते हुए : तान्या दी ! पर अग्निका दी हमारी जिम्मेदारी को क्यों नहीं समझ रही !

    तान्या आयुषी से बड़ी थी उसने लैवेंडर कलर का सूट पहना था ! वो भी बहुत सुंदर थी ! बाल सिर्फ शोल्डर्स तक आ रहे थे !

    वो भी बहुत जायदा खूबसूरत थी !

    तान्या आयुषी को चुप करवा ही रही थी कि अगले ही पल जो एक लड़की बच गई थी वो दोनों को एक झटके से गले लगाते हुए : आप दोनों हमेशा मुझे भूल जाते हो ! हम तीन ही है सिर्फ अपने लिए ! वो लोग जुड़वा हुए है तो सिर्फ अपना सोचते है हमारा नहीं आयुषी और तान्या दी !

    तभी पीछे से उस लड़की के सिर पर कोई हाथ फेरते हुए : कैसे नहीं सोचते हम अपनी आशना के लिए !

    आशना के बारे में हमें सब पता है हमे ये भी पता है कि उसका फेवरेट क्या है !

    आशना जैसे ही पीछे मुड़ती है तो देखती है वहां अग्निका खड़ी है जो उसे प्यार से देख रही है !

    आशना ने आज अग्निका के साथ ट्विनिंग की थी उसने भी व्हाइट कलर का सूट पहना था !!उसके भी बाल लंबे थे ! उसके चेहरे पर एक तिल था जो लिप्स के ऊपर था !

    अग्निका आशना की आंखों में देखती है और उससे कहते हुए ; हमे आप सबका ख्याल है ! हमें रूहानी , तान्या , आयुषी , आशना , निराली और किरा सबका ख्याल है।

    चलो आप हमारे साथ हम आज आप सबको अपने हाथों से खाना खिलाएंगे !

    अग्निका ने जैसे ही ये कहा था तो वैसे ही वो वहां से उन सभी को ले जाने लगती है !

    तभी तान्या अग्निका की तरफ देखते हुए : अग्निका दी ! मुझे भूख नहीं है आप सब खाना खा लीजिए !

    तान्या इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    तान्या के ऐसे चले जाने से आयुषी को अच्छा नहीं लगा था ! वो भी अग्निका से दूर जाते हुए : हां अग्निका दी हमें भी भूख नहीं है ! वैसे ही सुबह सुबह बहुत तमाशा हो गया है ! हम नहीं चाहते हमारी वजह से अब किरा और निराली हर्ट हो जाए !

    वैसे भी उन दोनों को तो हम बोझ ही लगते है ना !

    ये कहते हुए आयुषी की आंखों में आंसू आ गए थे ! अगले ही पल वो आशना का हाथ पकड़ती है और उसे भी वहां से ले जाती है !

    अग्निका जैसे ही ये सुनती है तो उन्हें रोकने की कोशिश करती है ! पर वो जा चुकी थी !

    उसकी आंखों में आंसू आ गए थे ! वो नेहा जी की तस्वीर की तरफ देखते हुए : मां! नानू ! हम कुछ नहीं संभाल पाए ! हम हमारी बहनों को नहीं संभाल पाए ! हम बड़े थे ! हम हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रहे मां! हम आपस में ही लड़ने लग गए है मां ! निकाले तो सब गए थे ना मां उस घर से फिर क्यों सारी एक दूसरे के खिलाफ हो गई है ! कौन पहले आया और कौन बाद में इससे क्या फरक पड़ता है मा ! है तो हम सब एक बहने ही ना !

    अग्निका रोते हुए ये सब बोल रही थी तभी उसके कंधे पर कोई हाथ रख देता है और धीरे से कहते हुए : सबको चुप करवाते करवाते खुद रोना शुरू कर देती है ;

    बाबा रूहानी नाम है मेरा ! तेरा दर्द तो यूं चुटकियों में ले लूंगी ! पर तू है कि अपने दिल में सब दबा लेती है ! जैसे नानू करते थे !

    सब दर्द अपने साथ ले गए ! हमें पाल कर उन्होंने बड़ा किया ! पर हमें पालने के लिए वो खुद दर्द से रोते रहे !

    रूहानी ने एक दम से अपने दिल पर हाथ रख लिया था ! अग्निका झट से उसे गले लगा लेती है और धीरे से उसका सिर सहलाते हुए : शांत रूह! दुखी मत हो !

    वो आगे कुछ कहती तभी रूहानी आगे कहते हुए : कैसे शांत हो जाऊं! नानू तड़प तड़प कर मर गए अग्नू! दिल में दर्द होता है जब भी वो बुरे दिन याद आते है !

    वो अपने कांपते हाथों से कहते हुए : उनके ना हाथ कांपते थे ! उनका शरीर गिर जाता था ! मजदूरी करके ! और हम कुछ नहीं कर पाए अग्नू उनके लिए ! ना मां के लिए !

    मां को हम सुसाइड करने से नहीं रोक पाए !

    रूहानी के दिल में बहुत तेज दर्द हो रहा था ! दोनों की आंखों से आंसू बह रहे थे !

    तभी अग्निका उसका सिर सहलाते हुए : बस बस ! शांत ! शांत ! तुझे मना किया है ना डॉक्टर ने स्ट्रेस लेने से ! क्यों सोच रही है फिर से वो !

    नानू अब जिधर भी होंगे खुश होंगे ! शांत हो जा !

    अग्निका धीरे धीरे रूहानी का सिर सहला रही थी ! वो सिर सहलाते हुए उसे चुप करवा रही थी !

    क्या होगा अब आगे ? क्या मोड़ लेगी इनकी कहानियां ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 3. aayushi ne chhorha ghar !!

    Words: 1663

    Estimated Reading Time: 10 min

    बेशक वो सारी अंदर से टूटी हुई थी। जिन हालातो में वो पली बड़ी थी उससे रूहानी स्ट्रेस ले चुकी थी !

    अंदर चाहे कुछ भी क्यों ना हो वो ! पर बाहर जो थी वो किसी को पता भी नहीं थी ! सारी बहने एक दूसरे से अंजान ! अपने कदम इस दुनिया में बढ़ा रही थी !

    अग्निका और रूहानी वहां पर बैठ ही गई थी कि अगले ही पल रूहानी अलग होते हुए : मुझे आज बाहर जाना है ! वैसे भी मुझे एक जॉब मिल गई है !

    रूहानी ने जैसे ही ये कहा था तो अग्निका हैरानी से उसे देखते हुए उसके सिर के बालों को सहलाते हुए : तुम इतनी स्ट्रेस मे आ जाती हो ! बाहर कैसे तुम्हे स्ट्रेस नहीं आएगा ! मै बाहर जाकर काम कर लूंगी !

    तुम घर पर बस आराम करो और कुछ नया करना सीखो !

    वैसे भी कीरा, निराली और आशना और आयुषी की पढ़ाई चल रही है ! मै सोच रही हु तान्या अभी सिर्फ 22 की ही है ! उसका भी मास्टर्स करवा देते है !

    तभी पीछे से एक आवाज आती है : मुझे कोई पढ़ाई नहीं करनी आगे ! वैसे भी तुम दोनों को मेरे बारे में सोचने की जरूरत नहीं है !

    अग्निका और रूहानी जैसे ही उस तरफ देखते है तो वहां पर तान्या खड़ी थी ! जिसने इस वक्त अपने कपड़े चेंज कर लिए थे ! उसने ब्ल्यू कलर का एक सूट पहना था ! जिसमें वो बहुत प्यारी लग रही थी !

    तान्या खूबसूरत थी पर उसका रंग थोड़ा सांवला था जिससे उसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रहा था !

    तान्या अभी सिर्फ 22 की ही थी उसने हैकिंग की स्टडी की थी ! वो बिल्कुल शांत रहती थी !

    उसे जायदा बोलना पसंद नहीं था ! बस जब बोलती थी तब कयामत आ जाती थी !

    रूहानी तान्या के पास अपने कदम बढ़ाती है और सीधा उसकी आंखों में देखते हुए धीरे से कहती है : क्यों नहीं करना मास्टर्स ! तुम्हे टीचर बनना था ना ! पढ़ाई नहीं करोगी तो कहां से टीचर बनोगी ?

    वो रूहानी से अपना आई कॉन्टैक्ट तोड़ते हुए : लेकिन आपके पैसे से मै कुछ नहीं करना चाहती ! मै निराली और किरा का एहसान बिल्कुल नहीं लूंगी ! अगर वो दोनों नहीं होते तो हम सब घर से बाहर नहीं निकाले जाते !

    वो ये सब अपनी मुट्ठी कसते हुए कह ही रही थी कि तभी अग्निका अपना हाथ दिखाते हुए : बस तान्या ! बस !

    आप निराली किरा आशना आयुषी से बड़ी है ! आपको तो समझना चाहिए ! बेटियां तो भगवान की देन है। हमारी वजह से भी तो निकाला गया है ना ! आपकी वजह से भी तो सब निकाले गए है !

    मुझे समझ नहीं आता !

    अग्निका जैसे जैसे बोल रही थी तो अपने बालों को कानों के पीछे करते हुए कहती है ! उसकी आंखे इस वक्त गहरी हो चुकी थी ; क्यों आप सब भटक रहे है ! आप सब क्यों उस इंसान की बात शुरू कर देते है जिसने हमें निकाल दिया ! हमारी मां को निकाल दिया ! क्यों आप सब लोग उनके पास रहना चाहते थे ! जिसने हमारी कभी कदर नहीं की !

    अग्निका की आंखे अब गुस्से से जल रही थी ! वो रूहानी को देखते हुए और तान्या को देखते हुए वहां से जाने लगती है तभी तान्या एक झटके से अग्निका का हाथ पकड़ लेती है : सारी मुसीबत की जड़ भी तो आप ही हो ! आप अगर पहले बेटे के रूप में आ जाती तो ! आज हम सब यूं इस दुनिया में ना आए होते !


    तान्या के तीखे ताने आज अग्निका सुन रही थी ! ये आज का नहीं था ! ये हर रोज का हो चुका था ! 17 सालों में सब धीरे धीरे सातों बहनों के बीच दरारों का घर बन चुका था!

    उसकी तीखी बाते सुनकर अग्निका के हाथों की मुट्ठी कस गई थी अगले ही पल वो एक जोर दार थप्पड़ तान्या के चेहरे पर मार देती है !

    “ बस ! बस तान्या ! बताओ मैने क्या कमी छोड़ी है तुम लोगो के लिए ! नानू को गए हुए इस दुनिया से पांच साल हो चुके है ! मैं तो बचपन से ही तुम लोगो के लिए काम करना शुरू कर चुकी थी ! बताओ आज तान्या ! क्या चाहती हो तुम कि मैं मर जाऊं ?


    तान्या के गाल पर अग्निका का थप्पड़ बहुत जोर से लगा था जिसकी आवाज पूरे घर में गूंजी थी ! अग्निका की आंखों में अब कोई आंसू नहीं थे ! बल्कि गुस्से की एक आग जल रही थी !

    वही तान्या की आंखों में आंसू आ गए थे ! उसकी आंखे लाल हो चुकी थी ! उसने अपने हाथ को गाल पर रख लिया था !

    वो धीरे से अपने आंसू बहाते हुए कहती है : आज पहली बार तुमने मुझे थप्पड़ मारा है अग्निका !

    रूहानी बस चुप चाप देख रही थी ! वो आगे जाना चाहती थी पर वही रुक गई थी !

    क्योंकि वो कभी भी अग्निका के बीच में नहीं आती थी ! वो हमेशा से सबके भले के लिए ही करती आई थी ! रूहानी ये बात बहुत अच्छे से जानती थी !

    वही इस थप्पड़ की और लड़ाई की गूंज बाकी लड़कियों के कान में भी पड़ी थी ! वो सब धीरे धीरे वहां आने लगी थी !

    तभी आयुषी गुस्से से आगे आते हुए : अग्निका माफी मांगो तान्या दी ! से ! तुमने उन्हें थप्पड़ कैसे मारा है ! बात की लड़ाई थी बात से सॉल्व हो सकती थी !

    आयुषी अभी सिर्फ 20 साल की थी ! वो अग्निका से हाइट में बहुत छोटी थी ! आयुषी की हाइट सिर्फ 5 थी ! जो बाकी सभी लड़कियों से कम थी !

    अग्निका की हाइट 5, 5 थी । और रूहानी भी सेम ही हाइट की थी !

    निराली और किरा दोनों ट्वींस थे तो हरकते और चॉइसेज दोनों की ही सेम थी !

    उस हॉल में काउच रखे हुए थे जो सिर्फ ब्लैक रंग के थे ! वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर वहां जाकर बैठ जाती है !

    और अपने एक पाऊं पर दूसरा पाऊं रखते हुए आशना की तरफ देखती है : आशना … जा ना बेबी एक पॉपकॉर्न ले आ ! मस्त कॉमेडी शो चल रहा है ;

    निराली उसके बाद अग्निका की तरफ देखते हुए : यार अग्निका ! थप्पड़ सीन दुबारा से रिपीट कर ना ! हम उससे वंचित हो गए !

    ये सब आयुषी से देखा नहीं जा रहा था ! वो अपनी उंगली को दोनो की तरफ प्वाइंट करते हुए अपनी गुस्से वाली आवाज में भड़कते हुए कहती है : शर्म तो दोनों ने ही बेच खाई है ! बहनों के बीच लड़ाई होती है तो तुम दोनों मजे लूटने आ जाते हो ! जैसे बाहर किसी अंजान का तमाशा चल रहा हो ! पढ़ाई में दोनों ही जीरो हो ! फिर भी हुकुम चलाना जानते हो !

    अग्निका और रूहानी का तो ये तमाशा देखकर दोनों का सिर फटने लगा था ! दोनों बहने थी ! तो एक साथ अपने सिर पर हाथ रख लिया था !

    निराली और किरा दोनों जुड़वां थी तो चेहरा भी सेम था ! पर निराली की कलाई पर निराली नाम का टैटू था और किरा की कलाई पर नहीं था।

    उन दोनों की पहचान ऐसे ही हो जाती थी !

    निराली और किरा को ये बात चुभ गई थी कि वो दोनों सिर्फ हुकुम चलाना जानते है ! तभी वो गुस्से से दोनों एक साथ खड़े होते है !

    निराली पहले कहते हुए : ऐसा है तो हमारी सोशल मीडिया की कमाई को मत खाओ ! समझो आयुषी ! तुम जाकर खुद ही कमा लो !

    निराली ने जैसे ही ये बात खत्म की तो किरा आगे कहते हुए : हां ऐसा ही है तो जाओ खुद ही कमाओ !
    तुम लोगो के लिए हम यहां फ्री नहीं बैठे है तुम्हे खिलाएं भी और सुनेगे भी तुमसे !

    और वैसे भी ये घर हमारी कमाई से ही बचा है ! मुफ्त की रोटी तो छोटी हाइट वाली तुम ही तोड़ रही हो !

    अग्निका की आंखों में गुस्सा तेर रहा था ! वो गहरी सांस लेते हुए : बस ! रुक जाओ अब तुम सब !

    पर आयुषी की आंखों में आंसू आ गए थे ! वो अपनी रुआंसी सी आवाज में कहते हुए : बोझ थी अपने बाप पर भी और तुम सब पर भी हु ! जा रही हु मै इस घर से !

    अग्निका जल्दी से उसे रोकते हुए : आयुषी !! रुको !

    पर आयुषी के कदम नहीं रुक रहे थे ! वो घर से बाहर निकल गई थी !

    तान्या वही पर खड़ी थी ! वो भी आशना के साथ आयुषी को रोकने लगती है पर अग्निका और आयुषी दोनों घर से निकल गई थी !

    आयुषी उस गली से भागने की कोशिश में थी तभी अग्निका उसके पीछे भागते हुए : आयुषी रुक जा ! ऐसे मत जा ! तुझे तो पता है ना वो गुस्से में होती है तभी ऐसा बोलती है ! आयुषी रुक जा ना !

    अग्निका हांफते हुए ये सब बोल रही थी पर आयुषी नहीं रुक रही थी !

    एक सबसे दूर जाना चाह रही थी !

    वही आयुषी अपने मन में कहते हुए : कभी नहीं जाऊंगी अब मैं उसे घर में जहां ! मेरे लिए कोई जगह नहीं है ! जहां मुझे हर वक्त सुनाया जाता है ! मेरी खुद की बहने ही मेरी हाइट का मजाक उड़ाती है कभी नहीं जाऊंगी अब मैं उस घर !

    गली से होते हुए अब आयुषी राजस्थान की मैंन सड़क पर आ गई थी !

    वही अग्निका भी उसके पीछे पीछे भाग रही थी ! उसे जोर से आवाज लगाते हुए : आयुषी रुक जा ना ! मेरे तेरे आगे हाथ जोड़ती हु !!



    क्या होगा अब आगे ? क्या रोक पाएगी अग्निका आयुषी को ? या फिर आज इन सब से आयुषी बहुत दूर चली जाएगी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 4. jalte ho tum sab humse !!

    Words: 1606

    Estimated Reading Time: 10 min

    वही आयुषी अपने मन में कहते हुए : कभी नहीं जाऊंगी अब मैं उसे घर में जहां ! मेरे लिए कोई जगह नहीं है ! जहां मुझे हर वक्त सुनाया जाता है ! मेरी खुद की बहने ही मेरी हाइट का मजाक उड़ाती है कभी नहीं जाऊंगी अब मैं उस घर !

    गली से होते हुए अब आयुषी राजस्थान की मैंन सड़क पर आ गई थी !

    वही अग्निका भी उसके पीछे पीछे भाग रही थी ! उसे जोर से आवाज लगाते हुए : आयुषी रुक जा ना ! मेरे तेरे आगे हाथ जोड़ती हु !!

    आयुषी मुड़ कर भी नहीं देखती ! बस उसकी आंखों में आंसू थे ! वो और अपमान नहीं सहना चाहती थी ! वो बस भाग जाना चाहती थी !


    राजस्थान की मैंन सड़क पर अब दोनों भाग रहे थे। अग्निका और आयुषी की सांसे फूलने लगी थी !

    तो वहीं उस घर में आशना और तान्या दोनों अपने रूम में गुस्से से चली गई थी ! वो किरा और निराली से बहस नहीं करना चाहती थी !

    उस घर में कोई सीढ़ियां नहीं थी ! बिल्कुल एक छोटा सा घर था जिसके अंदर भी दरारें आ चुकी थी !

    उस घर में सिर्फ दो कमरे कमरे थे — एक छोटा सा हॉल, एक तंग सी रसोई, और एक छोटा बाथरूम। घर में कोई सीढ़ियाँ नहीं थी ।

    कमरे बहुत छोटे छोटे थे, दो कमरे थे ! पहले कमरे में निराली और किरा रहती थी ! वो किसी भी और बहन को अपने कमरे में नहीं आने देती थी और दूसरे कमरे में तान्या , आयुषी और आशना रहती थी !

    अग्निका और रूहानी को हमेशा से एक हॉल ही मिला था ! वो वहां पर हर रात बेड बनाकर सो जाती थी ! और सुबह तक वो बेड वहां से गायब हो जाता था !

    उनके कपड़े हॉल में एक संदूक में पड़े रहते थे ! दोनों के पास कुछ नहीं था !

    खिड़कियाँ जर्जर थीं और दरवाज़े पुराने लकड़ी के थे जो चरमरा जाते थे। छत से अक्सर पानी टपकता था जब बारिश होती थी !

    रूहानी वही हॉल में बैठ जाती है और किचन की तरफ देखती है जो ओपन सी थी ! वहां पर अग्निका के बनाए हुए खाने की झलक दिख रही थी !

    पर किसी ने उस खाने को हाथ तक नहीं लगाया था !

    तभी अचानक से डोरबेल बजती है ! रूहानी की नजर मैन डोर पर जाती है जो व्हाइट कलर का था और लकड़ी से बना हुआ था !

    डोर तो कबका ही ओपन था !

    रूहानी काउच से एक दम से खड़ी हो जाती है और जैसे ही बाहर जाने लगती है तो किरा हाइ स्पीड से अपने कदम बाहर की तरफ बढ़ा देती है !

    वही रूहानी के कदम रुक चुके थे ! वो अपनी आँखें छोटी करते हुए कीरा को देख रही थी जो उछलते हुए आ रही थी।

    वो उछलते हुए मुस्कुराते हुए आ रही थी : आ गया … मेरा प्यार खाना… ओह हो … मेरे प्यार खाना … जिसे खायेंगे सिर्फ निराली और किरा …
    हां जिसे खायेंगे सिर्फ निराली और किरा ….

    बाकी सब देखते रह जाएंगे जलते हुए एक मामूली से कीड़ा ….

    कीरा उछल उछल को बोल ही रही थी कि तभी रूहानी की ठंडी और गहरी आवाज उसके कानों में पड़ती है : बाहर से खाना क्यों मंगवाया गया है ? क्या घर पर अग्निका खाना नहीं बनाकर गई !

    कीरा जो उछल रही थी उसके कदम अचानक से जमीन पर टिक गए थे ! वो रूहानी की तरफ देखती है जो उसे गुस्से से घूरते हुए कह रही थी ।

    अगले ही पल वो अपने कदम रूहानी की तरफ बढ़ाती है और उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए : अरे मेरी प्यारी बहना ! उस जले हुए सादे से बेकार खाने को तुम ही खाओ !
    क्या है ना अग्निका के हाथ का खाना खा कर मुझे ना उल्टी सी आती है ! अब अग्निका के लिए इतनी नफरत है दिल में तो खाना थोड़ी खाया जाएगा !

    क्यों ! तो आज से मैं और निराली बाहर से खाना खाएंगे ! हमारे लिए खाना बनाने को कोई जरूरत नहीं है !

    रूहानी की आँखें इस वक्त ठंडी थी पर गुस्से से घूर रही थी अगले ही पल वो किरा के हाथ को कंधे से पकड़ती है और एक झटके से उसकी कमर के साथ लगा कर मोड़ते हुए : शर्म आती है थोड़ी बहुत ! आयुषी घर से चली गई तुम दोनों की वजह से ! घर बना रखा है या कोई क्लेश का घर ! इतनी नफरत ! कीरा तुम तो बच्ची हो अभी पर हम बच्चे नहीं है क्या जो अपने हिसाब से अब करने के आगे रहते हो !

    कीरा के हाथ में दर्द हो रहा था ! रूहानी अपना सारा गुस्सा किरा के हाथ पर निकाल रही थी !

    दर्द से उसकी माथे की लकीरें एक साथ आ गई थी ! वो अपना हाथ छुड़वाते हुए : रूहानी हाथ छोड़ !

    रूहानी एक झटके से उसे दूर फैंकते हुए : मर गई तुम मेरे लिए आज से ! निकल जाओ मेरी नजरों के सामने से अब !


    कीरा की आंखों में आंसू आ गए थे ! वो झट से वहां से चली जाती है !

    उसके जाते ही किरा किचन में चली जाती है और अलग अलग प्लेट में खाना डालने लगती है । वहां पर आज खीर पूड़ी और काले छोले बने थे ! उस में से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी !

    आज संडे था !

    वो जैसे ही अलग अलग प्लेट में खाना डालती है तो उस प्लेट को अपने हाथ में उठा लेती है ! उसके हाथ में सिर्फ दो प्लेट थी !

    उसने तीसरी प्लेट नहीं लगाई थी ! वो तान्या और आशना के कमरे में जाती है और सीधा उन दोनों के सामने रखते हुए धीरे से कहती है : खाना खा लो !

    तान्या जैसे ही खाने को देखती है तो उसकी आँखें गहरी हो जाती है ! वो अपना मुंह दूसरी तरफ करते हुए : रूहानी ये भी तो किरा और निराली के पैसे बना होगा ! हमें नहीं खाना !

    रूहानी के कानों में जैसे ही तान्या के ये शब्द पड़े थे तो गुस्से से कहते हुए : नहीं खाना ! मत खाओ ! ये घर भी उनके पैसे से बना है ना ! तुम भी निकल जाओ ! मैने और अग्निका ने तो जैसे कुछ किया ही नहीं है इस घर के लिए ! तुमने तो जैसे कुछ किया ही नहीं है !

    निराली और किरा जो पैसे देती थी वो आज तक कभी लगे ही नहीं इस घर में ! समझी! अग्निका ने कभी भी वो पैसे लगने ही नहीं दिए !

    वो खुद जो कमा रही थी वहीं पैसे इस घर के लिए लगे है ! कभी अग्निका ने ये कहा क्या कि ये घर उसका है ! कभी नहीं कहा उसने ! जब हम कुछ नहीं कह रहे तो तुम लोग क्यों बंटवारा करने पर लगे हो ! क्यों बने बैठे हो एक दूसरे के दुश्मन !

    आशना और तान्या की आंखों में आंसू आ जाते है ! वो लोग आगे कोई जवाब नहीं देते !

    रूहानी वही बेड पर बैठ जाती है और धीरे से कहते हुए : तान्या मैने और अग्निका ने बस इतना चाहा है कि तुम सब खुश रहो ! जब तक तुम सब खुश नहीं रहोगे तब तक हम कैसे खुश रहेंगे ! लड़ाई झगड़ा एक तरफ है पर कम से कम ये घर तुम सबका है इसे तो अपना घर मानो !

    अग्निका अपनी मेडिसिंस तक नहीं लेती ताकि तुम सब ठीक से रहो ! मेरी माइग्रेन की मेडिसिंस चल रही है ! वो चलती रहे इसीलिए सुबह जल्दी उठ कर 10 km तक वो पैदल जाती है !

    कभी बताया उसने तुम्हे ये सब ! उसके पैर कितने दर्द होते है ! कभी सोचा है तुमने ये सब ! लेकिन नहीं ! जब मन आया अग्निका पर चिल्ला दिया ! उसे बोझ बता दिया ! भाई वो तुम सब की बड़ी बहन है कब समझोगे तुम सब ये !

    वही निराली बाहर से ये सब कुछ सुन रही थी ! वो एक दम से अन्दर आती है और अपने दोनों हाथों से ताली बजाते हुए : वाह! बहुत बढ़िया ! गिना दिए अग्निका की तारीफ के गुण! कोई कमी रह गई हो तो वो भी पूरी कर लो !

    क्या जताना चाहती हो तुम रूहानी की ये घर अग्निका के पैसे पर चल रहा है तो हम सब यहां से निकल जाए ! यही ना ! मै और किरा तुम सब पर बोझ है इसीलिए तुमने हमारे दिए हुए पैसे इस्तेमाल नहीं किए ! या फिर ऐसा है कि तुम हमसे इतना जलती हो कि ये सोचती हो कि हम सब इतने फेमस कैसे हो गए सोशल मीडिया पर इतनी कम उमर में !

    निराली आगे कुछ कहती तभी आशना कहते हुए : क्यू सुना रही हो रूहानी दी को तुम !

    निराली अब तक नहीं आई थी तभी किरा एक दम से आते हुए : चुप कर मोटी! कितना खायेगी थोड़ी सी पतली हो जा अब ! अपने वजन के हिसाब से बोला कर ठीक है ना !

    रूहानी गुस्से से किरा को कहने ही वाली होती है कि तभी निराली किरा का हाथ पकड़ते हुए : चल किरा इन से बहस करना मतलब अपना मूड खराब करना !

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    वही रूहानी अपने आप को शांत करते हुए गहरी सांस लेती है ; बस रूही! छोड़ दे सबको !

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    क्या होगा अब आगे ? क्या मोड़ लेगी इन सभी की कहानी ! जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 5. tumne meri behan ko hath kese lgaya!!

    Words: 1833

    Estimated Reading Time: 11 min

    वही रूहानी अपने आप को शांत करते हुए गहरी सांस लेती है ; बस रूही! छोड़ दे सबको !

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    राजस्थान की गलियों में अभी भी आयुषी के पीछे अग्निका भाग रही थी।

    तभी वो आयुषी आगे जाते हुए लेफ्ट साइड की और चली जाती है और जोर से चिल्लाते हुए कहती है : अग्निका चली जा यहां से ! मुझे नहीं आना घर !

    अग्निका जैसे ही ये सुनती है तो आगे से कहते हुए : रुक जा ना आयुषी ! मत जा ना !

    अग्निका अपनी प्यारी सी आवाज में हांफते हुए उसे रोकने की कोशिश कर रही थी पर वो तो रुक ही नहीं रही थी !

    जैसे आज आयुषी कोई मैराथन जितनी थी !

    आयुषी को भागते हुए काफी देर हो गई थी अब वो थक गई थी ! उसकी आंखे अब गहरी हो गई थी ! वो रुकना चाह रही थी पर अग्निका को अपने पीछे देखते हुए वो रुक नहीं रही थी !

    अगले पल उसकी नजर साइड में जा रही बिल्डिंग पर जाती है जिस पर लिखा था “ the five star club ”

    वो धीरे से अपने कदम अब उस क्लब की तरफ बढ़ा देती है ! अग्निका जैसे ही ये देखती है तो उसकी आँखें एक दम से गहरी हो जाती है : आयुषी वहां मत जा !

    पर आयुषी तो सुनने के लिए तैयार ही नहीं थी ! वो एक झटके से भागते हुए उस क्लब के अंदर एंटर कर जाती है तभी उसे कुछ बॉडीगार्ड्स रोकते हुए : अंदर एक पार्टी चल रही है आज नॉर्मल गेस्ट अलाउड नहीं है !

    आयुषी जल्दी से कहते हुए : हम नॉर्मल गेस्ट है भी नहीं ! पर आप देख रहे हो वो एक लड़की हमारे पीछे दूर से आ रही है !

    वो हमें जान से मारना चाहती है ! प्लीज हमें बचा लीजिए ! उस लड़की को कुछ देर यही रोक लीजिए ! और उसे ये मत बताएगा कि हम यहां है !

    आप प्लीज हमें बचा लीजिए ना !

    वो दोनों बॉडीगार्ड्स एक दूसरे की तरफ देखते है और अगले ही पल आयुषी को मेटल डिटेक्टर से स्कैन करने लगते है !

    आयुषी के पास कुछ भी नहीं था ! तो वो उसे जाने देते है !

    वही अग्निका आयुषी के पीछे आ गई थी ! वो जैसे ही अंदर जाने लगती है तो बॉडीगार्ड्स उसको रोकते हुए : मैडम आप अंदर नहीं जा सकती !

    और हम आपको पुलिस के हवाले करने जा रहे है आप एक लड़की को मारना चाहती है !

    वो बॉडीगार्ड अग्निका को वही रोक लेते है तभी अग्निका की आँखें हैरानी से एक दम बड़ी हो जाती है !

    उसका दुपट्टा जो कबसे इधर उधर हो गया था वो उसको सही से करते हुए : भैया वो मेरी बहन है ! मै उसे क्यों मारना चाहूंगी ! बल्कि वो घर से भाग गई है ! मै उसे ले जाने आई हु !

    लेकिन वो बॉडीगार्ड्स अग्निका पर विश्वास नहीं करते है ! हम आप पर विश्वास नहीं कर रहे है आप कोई सबूत दीजिए तभी हम आपको अंदर जाने देंगे !

    अग्निका जल्दबाजी में अपना फोन उठाना ही भूल गई थी ! उसकी आंखे अब छोटी हो गई थी !

    उसे बहुत तेज आ रहा था ! आयुषी अन्दर चली गई थी ! अग्निका को उसकी चिंता हो रही थी !

    वो अपने मन में कहते हुए : कैसे जाऊं अब मैं अंदर !

    अंजान जगह है कुछ हो ना जाए गलत !

    अग्निका बाहर खड़ी बेचैनी से बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी।

    उधर आयुषी धीरे-धीरे उस five star club के अंदर बढ़ती गई।

    लाइट्स, तेज म्यूजिक, हरे-नीले लाइट्स का झिलमिलाता माहौल… अंदर high profile लोग, models, businessmen और mafia type लोग इधर-उधर drink और conversation में लगे हुए थे।

    आयुषी का दिल तेजी से धड़क रहा था।

    वो अपने आप से मन में कहते हुए आगे कदम बढ़ाती है धीरे से : "बस कुछ देर रुकूंगी… फिर निकल जाऊंगी…" वो मन में सोचती है। इतने में अग्निका भी मुझे थक हार कर छोड़ कर चली जाएगी !

    वो जैसे जैसे अपने कदम आगे बढ़ाती है तभी वो किसी से एक झटके से टकरा जाती है जिससे सारी की सारी वाइन नीचे गिर जाती है । वो अपनी नजरे ऊपर करके देखती है तो वहां पर एक वेटर था ! सब लोग उसे और आयुषी को देखने लग गए थे !

    आयुषी एक दम सिंपल से कपड़ो में थी ! जो सॉन्ग एक दम से बज रहा था वो बंद हो गया था !

    सब लोग अपने आप धीरे से कहते हुए आयुषी की तरफ इशारा करते है : ये लड़की कौन है ?

    आयुषी जल्दी से अपने बाल को पीछे करते हुए अपने कान के पास ले जाती है और जल्दी से कहते हुए : हमे माफ कर दीजिए हमारा ध्यान नहीं था !

    वेटर चुप चाप वहां से चला जाता है !

    आयुषी वहां खड़े लोगों में से बहुत छोटी लग रही थी ! सब लड़कियां वहां जितनी भी मौजूद थी उन्होंने हिल्स पहनी थी !

    पर आयुषी ने स्लीपर्स पहने थे !

    वो जैसे ही आगे बढ़ती है तो इधर उधर देखते हुए बस हल्की सी स्माइल पास कर देती है !

    आयुषी आज ऐसी जगह आ गई थी जहां वो पहले कभी नहीं आई थी ! वो पहली बार आज किसी की पार्टी में आई थी ! नीचे वाइन फैल गई थी ! उसे साफ करने के लिए वेटर आ ही रहा था कि अचानक से आयुषी का पैर एक दम से फिसल जाता है और वो मुंह के बल नीचे गिरने ही वाली होती है कि तभी कोई उसे उसकी बाजू से पकड़ लेता है !

    आयुषी की धड़कन एक दम से रुक गई थी उसकी आंखे एक दम से बड़ी हो गई थी !


    तभी अचानक से उसके कानों में एक ठंडी आवाज सुनाई देती है : मेरे पास आने के लिए ये वाइन गिराने की जरूरत नहीं थी !

    आयुषी ने जैसे ही ये सुना था तो उसका खून खोल गया था !

    वो जैसे ही अपनी तीखे नजरे उस इंसान की तरफ करती है तो एक पल के लिए देखती ही रह जाती है ! हॉट चार्मिंग लड़का उसे उसकी बाजू से पकड़े हुआ था !

    हाइट 5”8 आयुषी से बहुत बड़ा ! उसकी ग्रे आईज जो डोमिनेट होने का इशारा कर रही हो ! ब्रॉड चेस्ट मस्कुलर बॉडी ! डार्क ब्लैक थ्री पीस सूट ! गले में एक पतली सी चैन जिसमें एक रिंग थी ! शायद किसी की निशानी !

    कलाई में एक्सपेंसिव वॉच ! दूध सा फेयर कलर ! आँखें गहरी कोई देखे तो बस डूब ही जाए ! ब्लैक हेयर्स! पैरों में ब्लैक लेदर शूज !

    आयुषी की नजरे उस इंसान से हट ही नहीं रही थी तभी अगले ही पल वो शख्स अचानक से आयुषी को खड़ा करता है और उसे उसकी कमर से खींच कर अपने करीब करते हुए : तुम मेरे में इतना खो गई ?.

    वो अपनी ठंडी आवाज में आयुषी को कह रहा था ! जो बस उसकी चेस्ट तक आ रही थी !

    अगले ही पल आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो उसे धक्का देते हुए : ओह हेलो मिस्टर ! मुझसे बदतमीजी करने की कोशिश मत करो !

    who the hell are you ! तुम्हे तो मैं जानती भी नहीं तो मैं तुम्हारे पास आने की कोई चाल नहीं चलूंगी !

    भाई तुम हो कौन पहली बात कोई सेलिब्रिटी हो जिसे देखने के लिए मरी जा रही हु !

    आयुषी अपनी एक सांस में ये बोल गई थी तभी वो लड़का एक दम से अपनी ठंडी आवाज में कहते हुए उसके कलाई पकड़ लेता है : तो आप है कौन ? मेरी पार्टी में बिना किसी परमिशन के आ गई !

    तभी कोई एक दम से उस लड़के के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उसका हाथ आयुषी की कलाई से हटा कर उसके चेहरे पर खींच कर थप्पड़ मार देता है !

    उस थप्पड़ की आवाज बहुत तेज गूंजी थी ! उस लड़के के गाल पर वो निशान छप गया था !

    वो इंसान अपनी गहरी आंखे करके उस इंसान को देख रहा था !

    तो वहां पर अग्निका खड़ी थी ! अग्निका गुस्से से कहते हुए : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन को हाथ लगाने की !

    उस इंसान की नजरे अब अग्निका पर आ चुकी थी ! जिसने उसे थप्पड़ मारा था !

    वहां का माहौल एक दम से ठंडा हो गया था ! सब लोग धीरे से अपने आप में फुसफुसाते हुए : ये कौन है जिसने वीरान प्रताप सिंह को थप्पड़ मार दिया ! हैकिंग हब के माफिया को थप्पड़ मार दिया !

    इंडिया के टॉप बिजनेसमैन को मारा ?. अब क्या करेंगे वीरान प्रताप सिंह !

    वीरान की आँखें एक दम से गहरी हो गई थी ! उसके हाथ की मुट्ठी कस गई थी ! आज किसी ने पहली बार वीरान को थप्पड़ मारा था !

    तभी एक दम से बहुत सारे बॉडीगार्ड्स आते है और अग्निका को घेर लेते है !

    और उसकी तरफ गन प्वाइंट कर देते !

    अग्निका एक दम से आयुषी को अपने पीछे कर लेती है ! उसे प्रोटेक्ट करते हुए धीरे से कहती है : आयुषी तुम घर चली जाओ यहां से भाग कर !

    आयुषी गुस्से से अग्निका को घूरते हुए : क्या जरूरत थी तुम्हे यहां आने की ! देखो अब खुद को मुसीबत में डाल दिया मेरे पीछे !

    अग्निका अपनी आंखों से उसे घूरते हुए : चुप ! तुम निकलो और सीधा घर जाओ ! मै यहां से बच कर आ जाऊंगी !

    लेकिन आयुषी डर गई थी ! इतनी सारी गंस को देखकर वो अग्निका को छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी !

    वीरान के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ जाती है वो अग्निका की तरफ कदम बढ़ाते हुए : वीरान प्रताप सिंह को थप्पड़ मारने का अंजाम जानती हो आप ?.

    आज पहली बार किसी ने अपनी बहन के लिए मुझे थप्पड़ मारा है तो जरूर उसकी बहन में कुछ खास होगा !

    अग्निका की पकड़ आयुषी पर कस गई थी ! वो अपने कदम पीछे लेते हुए : मेरी बहन है वो अपनी नजरे उसकी तरफ करना भी मत ! तुम जानते नहीं हो कि मैं तुम्हारा क्या हाल कर सकती हु !

    वो एक दम से अपने हाथ को फ्रीली छोड़ देती है और अपनी हाथों को नीचे रिलैक्स छोड़ते हुए फ्रंट हैंड को आगे कर लेती है !

    तभी अग्निका की नजर एक पर्दे की तरफ जाती है और अगले हो पल उस पर्दे में अचानक से आग लग जाती है।

    वीरान इससे पहले कुछ कहता तभी पूरे हॉल में धुआं फैलने लग गया था ! धुआं जैसे जैसे फैला था सब लोग खांसने लग गए थे !

    उन्हें उस धुएं में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ! तभी अग्निका एक दम से आयुषी का हाथ पकड़ती है और उसे वहां से ले जाती है !

    क्या होगा अब आगे ? क्या करेगा वीरान ? क्या होगा अंजाम ? और कैसे अग्निका ने एक परदे में आग लगा दी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 6. hume bachana chahiye agnila ko

    Words: 1617

    Estimated Reading Time: 10 min

    तभी अग्निका की नजर एक पर्दे की तरफ जाती है और अगले हो पल उस पर्दे में अचानक से आग लग जाती है।

    वीरान इससे पहले कुछ कहता तभी पूरे हॉल में धुआं फैलने लग गया था ! धुआं जैसे जैसे फैला था सब लोग खांसने लग गए थे !

    उन्हें उस धुएं में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ! तभी अग्निका एक दम से आयुषी का हाथ पकड़ती है और उसे वहां से ले जाती है !

    कुछ देर बाद …..


    अग्निका और आयुषी बाहर आ चुके थे ! आयुषी अपने दिल पर हाथ रखते हुए जोर जोर से हांफते हुए कहती है : थैंक गॉड अग्निका हम बच गए !

    पर अग्निका किसी ख्यालों में ही खो गई थी ! वो जैसे ही आयुषी की आवाज सुनती है तो उसकी आँखें एक दम से छोटी हो जाती है : भाग कर क्या मिला आयुषी ! देखा नहीं क्या हो गया !

    अब मुझे ये चिंता हो रही है वो इंसान कोई मामूली इंसान नहीं लग रहा था ! वो हमारे साथ कुछ कर ना दे !

    कहीं हम सब खतरे में ना जाएं ! स्पेशली तुम !

    वो आयुषी के चेहरे पर हाथ फेरते हुए उसकी आंखों में देखते हुए कहती है : वो जिस तरह से तुम्हे देख रहा था ! मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा ! तुम अभी छोटी हो !

    इन सब चीजों में कही बदले की आग में कुछ कर ना दे वो इंसान !


    अग्निका ये सब कह ही रही थी कि तभी आयुषी एक दम से अग्निका का हाथ झटकते हुए : बस कर अग्निका ! तेरी वजह से हुआ है ये जरूरी था तुझे उस इंसान को थप्पड़ मारना !

    आयुषी ने जैसे ही ये कहा था तो अग्निका के हाथ की मुट्ठी कस गई थी वो अपने मन में गहरी सांस लेते हुए : बस शांत हो जा अग्निका !

    यहां इस वक्त लड़ाई करने का कोई फायदा नहीं है ! शांत बिल्कुल शांत !

    अग्निका अगले ही पल धीरे से आयुषी का हाथ पकड़ती है और उसे वहां से ले जाने लगती है !

    धीरे धीरे वो दोनों पैदल ही चल रही थी ! उनके पास कोई पैसे या कुछ नहीं था !

    जिस वजह से वो रिक्शा नहीं ले सकती थी !

    कुछ देर चलते हुए दोनों घर आ चुकी थी तभी वो दोनों जैसे ही घर में एंटर करती है तो रूहानी मैंन डोर के पास ही खड़ी थी !

    वो अपने हाथ बांधे हुए इधर उधर देख रही थी ! पर जैसे ही आयुषी उसके सामने आती है तो उसे एक दम से गले लगाते हुए : आयु कहां चली गई थी तुम !

    पता है हम सब कितनी चिंता में आ गए थे ! तुझे थोड़ा सा भी ख्याल है या नहीं हमारा ! तुम ऐसे कैसे घर छोड़ कर जा सकती हो !

    हमारे बारे में भी तो सोचो ! तुम चली जाओगी तो हमारा क्या होगा !

    आयुषी एक दम से रूहानी को खुद से दूर धक्का देते हुए : वैसे भी दूर जाने ही वाली हु ! आपकी जुड़वां बहन ने जो हरकत की है उसके बाद वो अमीरजादा मुझे मार ही देगा !


    वो इतना ही कहती है तभी रूहानी अग्निका की तरफ देखती है जिसका चेहरा मुरझा चुका था ! उसने अपने बालों का बन बना लिया था !

    अग्निका अंदर आते हुए कहती है ; आज का दिन बहुत भारी था ! रूहानी ऐसा करो सबको खाना दे दो ! फिर हमारे लिए खाना ले आओ !

    मै तो थक चुकी हु ! अब मेरे में इतनी हिम्मत नहीं है कि उठ जाऊं और सबसे बहस करने लगूं और इनकी नखरे उठाऊं की खाना खा लो !

    रूहानी वही खड़ी थी ! वो देखती है कि अग्निका काउच पर पेट के बल लेट जाती है और अपनी आँखें बंद करते हुए एक गहरी सोच में डूब जाती है !

    वो धीरे से कहते हुए वहां से जाने लगती है : मैं भी अब किसी को खाना नहीं देने जा रही ! ये लोग खाना खाना ही नहीं चाहते !

    रूहानी इतना ही कहती है और चुप हो जाती है !

    अग्निका की आँखें अब भी बंद थी ! तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई देती है : अच्छा पहले खाना खा लो ! फिर आराम से बताओ क्या हुआ है !

    रूहानी जैसे ही ये पूछती है तो अग्निका के साथ अभी जो हुआ था वो याद करते हुए उसकी आँखें एक दम से खुल जाती है !

    वो अगले ही पल एक दम से उठ कर बैठते हुए : रूहू क्या मै बुरी हु जब भी अच्छा करने जाती हु उल्टा क्यों हो जाता है । हम अपनी बहनों को प्रोटेक्ट करने जाते है तो वो भी उल्टा हो जाता है !

    आज एक ही दिन में इतना सब कुछ हो गया है कि मैं थक गई हूं रूहानी !

    जस्ट टायर्ड….. मुझे सुकून चाहिए !

    तभी किचन से बर्तन गिरने की आवाज आती है ! दोनों की नजर वहां जाती है तो वहां पर आशना खड़ी थी !

    आशना बड़ी सी स्माइल दिखाते हुए : सॉरी वो मैं आयुषी दी के लिए खाना लेने आई थी !!

    हमारा खाना तो रूहानी दी दे आई थी !

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    अग्निका के चेहरे पर कोई भाव नहीं था बस वो आशना को वहां से जाते हुए देख रही थी !

    रूहानी प्लेट्स को टेबल पर रख देती है और अग्निका के साथ वही काउच रखे पर बैठते हुए उसके कंधे पर हाथ रख देती है : मै हु ना ! इतने साल सब सहन किया है ना आगे भी कर लेंगे ! चल अब खाना खाते है फिर बताना आयुषी का अमीरजादा कौन है !

    आयुषी रूहानी के मुंह से जैसे ही ये सुनती है तो अगले ही पल उसे घूरते हुए ; खाना खा लो ठंडा हो जाएगा ! और वो आयुषी का अमीरजादा नहीं है !

    बहुत खतरनाक है वो उसके बॉडीगार्ड्स ने मेरे और आयुषी के ऊपर सारी गंस पॉइंट्स कर दी थी ! वो तो अच्छा हुआ कि मेरे पास वो है जिसे मैने यूस करके वहां से अपने आप को और आयुषी को निकाल दिया !

    अग्निका उसे सब बता देती है !

    समय अब धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था ! अब रात के अंधेरे से सुबह हो चुकी थी !

    सोमवार का दिन आ चुका था !

    वही उस घर में सुबह सुबह चीखने की आवाज सुनाई देती है : अग्निका !!! कहां हो तुम अब ! तुम हमारे प्रिंस चार्मिंग वीरान प्रताप सिंह को थप्पड़ कैसे मार सकती हो !

    ये आवाज कीरा की थी जो फोन पर वीडियो को रिप्ले करते हुए चिल्ला रही थी !

    अग्निका कब की उठ चुकी थी ! कीरा कमरे से भागते हुए बाहर आ गई थी और सीधा अग्निका के सामने आकर खड़ी हो जाती है ! जिसने आज ग्रीन कलर का फ्रॉक सूट पहना था !

    कीरा अभी तक ब्ल्यू कलर के एक नाइट सूट में थी !

    अग्निका अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए : क्या है सुबह सुबह क्यों चिल्ला रही हो !

    कीरा गुस्से से उसके आगे फोन करते हुए : देखो इसे ! तुमने क्या किया है ! तुमने हमारे प्रिंस चार्मिंग वीरान प्रताप सिंह को थप्पड़ मारा है ! और हर जगह ये न्यूज चल रही है ! तुम जानती भी हो वो कौन है वो एक माफिया है तुम्हे चुटकियों में उठाकर फेंक सकता है !

    रूहानी जो सोई पड़ी थी वो किरा की आवाज से उठ जाती है और किरा की तरफ देखते हुए : किरा सुबह सुबह दूसरों के पीछे अब अपनी बहन से लड़ाई करोगी क्या ?

    कीरा रूहानी को अपनी आँखें छोटी करते हुए : बहन ? हमारी बहन ! अरे नहीं चाहिए एसी बहन जिसने हमारे प्रिंस चार्मिंग को थप्पड़ मारा !

    अग्निका किरा को इग्नोर करते हुए किचन में जाते हुए : प्रिंस चार्मिंग उसे बनाओ ! जिसके नक्शे कदमों पर चलो ! लेकिन तुम हर उस बुरे इंसान के पीछे जाना है जो तुम्हे कुछ अच्छा नहीं सिखाता! माफिया को प्रिंस चार्मिंग बनाओगी तो वो भी डूबोगे और तुम भी साथ डूब जाओगी !

    वो चाय के लिए बर्तन को गैस पर रख ही रही थी कि निराली उसके सामने उबासी लेते हुए आती है : अग्निका ! पर तुम एक माफिया से पंगा क्यों लेकर आई हो ! इससे तुम्हारी जान खतरे में जा सकती है !

    निराली के बोलने तक वहां पर सभी आ गए थे ! पर अग्निका कोई जवाब देती उससे पहले ही आयुषी कहते हुए : उसने मेरी कलाई पकड़ ली थी इसीलिए अग्निका ने उसे थप्पड़ मार दिया ! अब जो हो गया सो हो गया !

    अब हम अग्निका को इस समस्या से कैसे निकाले ! क्या हम ये सोच सकते है !

    रूहानी आयुषी को हाथ दिखाते हुए : फिलहाल तुम पांचों कॉलेज जाओ ! घर बैठने का सवाल नहीं है तुम्हारा ! आज मंडे है सभी जाओ !

    और तान्या तुम्हारा भी मास्टर्स का देखो कहा एडमिशन करवाना है ! और बताओ वहां मै और अग्निका करवा देंगे !

    रूहानी ने जैसे ही ये कहा था तो तान्या अपने कदम वहां से सीधा अपने कमरे की तरफ ले जाते हुए : कोई जरूरत नहीं है मै घर ही ठीक हु !

    तो वहीं दूसरी तरफ एक कमरे में जहां बहुत जायदा अंधेरा था उसमें एक ठंडी आवाज गूंजती है : पहली बार मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है ! और इसे तो मैं सबक सिखा कर रहूंगा।

    ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि वीरान प्रताप सिंह की थी !

    क्या होगा अब आगे ? क्या सच में किरा का कहा हुआ सच हो जाएगा ? क्या करेगी अब अग्निका और बाकी की 6 बहने ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 7. badle ki aag !!!

    Words: 1634

    Estimated Reading Time: 10 min

    और तान्या तुम्हारा भी मास्टर्स का देखो कहा एडमिशन करवाना है ! और बताओ वहां मै और अग्निका करवा देंगे !

    रूहानी ने जैसे ही ये कहा था तो तान्या अपने कदम वहां से सीधा अपने कमरे की तरफ ले जाते हुए : कोई जरूरत नहीं है मै घर ही ठीक हु !


    तो वहीं दूसरी तरफ एक कमरे में जहां बहुत जायदा अंधेरा था उसमें एक ठंडी आवाज गूंजती है : पहली बार मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है ! और इसे तो मैं सबक सिखा कर रहूंगा।

    ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि वीरान प्रताप सिंह की थी !


    सुबह हो चुकी थी ! कमी थी तो बस किसी तमाशे की ! और उसकी आग अग्निका कल ही लगा चुकी थी !

    सुबह से हर न्यूज चैनल पर एक ही वीडियो वायरल हो रही थी जिसकी हेडलाइन ये थी : एक लड़की ने मारा वीरान रुद्र प्रताप सिंह को थप्पड़ !! अब सवाल ये बनता है कि ये थप्पड़ क्यों मारा गया? आखिर ऐसा क्या किया वीरान रुद्र प्रताप सिंह ने जो वो एक थप्पड़ लड़की से खा चुके थे !

    एक बड़ी से हवेली राजस्थान के बीचों बीच !! वो हवेली किसी महल से कम नहीं थी!

    वो हवेली किसी और की नहीं बल्कि जाने माने बिजनेसमैन रुद्र प्रताप सिंह की थी !

    वो हवेली के बाहर मैन गेट पर एक नेम प्लेट थी जिस पर लिखा था “ प्रताप मेंशन ”

    तभी उस हवेली के बाहर एक कार आकर रुकती है वो कोई नॉर्मल कार नहीं थी बल्कि रोल्स रॉयल्स थी जो करोड़ों में बिकती थी ।

    वहां पर एक वॉचमैन खड़ा था उसकी नजर जैसे ही उस कार पर जाती है तो वो जल्दी से डोर को ओपन कर देता है !

    जिसे वो कार गार्डन से होती हुई सीधा सामने जाकर खड़ी हो जाती है !

    तभी उस में से एक शख्स बाहर निकलता है जिसने व्हाइट कलर की शर्ट के साथ ब्लैक ट्राउजर पहना था ! उसकी आंखे इस वक्त काली गहरी थी !

    वो दिखने में काफी हेंडसम था ! हाइट भी वीरान के जितनी थी पर थोड़ी सी छोटी थी !! उसके पैरों में इस वक्त ब्लैक शूज थे !

    वो जल्दी से अंदर जाता है और आया सीढ़ियों से होते हुए एक कमरे की तरफ चला जाता है !

    वो हवेली बिल्कुल किसी शीशे की तरह थी बहुत जायदा खूबसूरत ! हॉल के बीचों बीच एक बड़ा सा झूमर था जो गोल्ड का था !

    पूरा घर संगमरर के पत्थर से बना हुआ था ! वो शख्स जैसे ही एक रूम के सामने खड़ा हो जाता है तो उस रूम का डोर व्हाइट कलर का था !

    वो उस रूम के डोर पर नॉक करता है और धीरे से कहते हुए ; भाई ?

    भाई शब्द कहते है उस शख्स ने डोर को ओपन कर दिया था ! वो सीधा अंदर जाता है तो मिरर के सामने वीरान खड़ा था जो इस वक्त डार्क ग्रे कलर के थ्री पीस सूट में था ! उसकी ग्रे आंखे एक दम से उस शख्स पर जाती है जो एक दम से कमरे में आ गया था !

    वीरान अपनी टाई को बांध रहा था तभी अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए : इतनी भी क्या जल्दी थी ! एहसान !

    ये और कोई नहीं एहसान प्रताप सिंह था ! जिसकी काली गहरी आंखे वीरान के चेहरे पर पड़ती है जहां अभी तक उस थप्पड़ का निशान था !

    एहसान प्रताप सिंह की उम्र सिर्फ 19 साल की थी ! वो अपनी हाइयर स्टडीज के साथ साथ एक बिज़नेस सम्भल रहा था ! उसका अंडरग्राउंड वर्ल्ड से कोई लेना देना नहीं था !

    एहसान का अभी एक छोटा सा ही बिजनेस था ! जिससे वो करोड़ों रूपए कमा रहा था !

    उसके हाथ की मुट्ठी एक दम से कस गई थी ! उसकी चाल में भी एक डॉमिनेटिंग औरा था ! गुस्से वाला !

    वो वीरान के सामने जाकर खड़ा हो जाता है और उसके चेहरे पर हाथ लगाने ही वाला होता है : भाई आपको किस ने थप्पड़ मारा !

    उसे मैं छोड़ूंगा नहीं !!!

    एहसान जैसे ही वीरान के चेहरे को हाथ लगाने वाला था वैसे ही वो एहसान का हाथ पकड़ लेता है ! उसके हाथ की पकड़ उसकी कलाई पर कस गई थी ! वो गहरी आंखों से ना में सिर हिलाते हुए : नहीं ! ये एहसास उसका रहने दो एहसान !

    एहसान की आंखे एक दम से छोटी हो गई थी जब उसका हाथ पकड़ लिया गया था ! वो धीरे से कहते हुए : भाई ! आप आगे क्या करेंगे ! सारे न्यूज चैनल में एक ही खबर चल रही है ! एक लड़की ने मारा एक बिजनेस मैन को थप्पड़ !

    आप कहें तो मैं उसे यहां ले आऊं और सब मीडिया के सामने माफी मंगवाऊं!


    वीरान जैसे ही ये सुनता है तो उसकी आँखें गहरी हो जाती है तभी वहां पर किसी की आवाज सुनाई देती है जिस आवाज में एक शैतानी मुस्कुराहट थी ! शायद चिढ़ाने की कोशिश की जा रही थी !

    “ अरे बाबा रे ! हमारे वीरान प्रताप सिंह के साथ किसने क्या किया ! और ये खबर ऐसे कैसे छप गई !

    एहसान और विरान दोनों उस तरफ देखते है तो वहां पर दो और लड़के खड़े थे !

    जो लड़का बोल रहा था उसने इस वक्त डार्क ब्लू कलर के थ्री पीस सूट पहने थे ! दोनों ने ही एक साथ पहने थे !

    वहां पर दो लड़के खड़े थे जो दोनों एक जैसे दिख रहे थे ! हैंडसम डैशिंग इंसान ! पर एक के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और एक के चेहरे पर नहीं !

    जो लड़का हंसते हुए कह रहा था वो और कोई नहीं रिवांत रुद्र प्रताप सिंह है ! और जो उसका जुड़वा है वो और कोई नहीं बल्कि रौनकश रुद्र प्रताप सिंह है !

    दोनों ही माफिया वर्ल्ड से बिलॉन्ग करते है दोनों ने मेकअप इंडस्ट्री में अपना नाम बना रखा था टॉप पर इनके ही प्रोडक्ट्स सोल्ड होते थे ! जब भी कोई न्यू प्रोडक्ट आता था उसकी बुकिंग पहले ही स्टार्ट हो जाती थी !

    दोनों का नेटवर्क कनेक्शन बहुत स्ट्रांग था !

    रिवांत प्रताप सिंह थोड़ा हसमुख था ! कूल नेचर का था पर रौनकश थोड़ा अकडू टाइप था ! उसे अपने पास लड़कियां पसंद नहीं थी पर रिवांत हर वक्त लड़कियों के साथ घिरा रहता था !

    वीरान रिवांत को कुछ कहता तभी उससे पहले ही रौनकश कहते हुए : क्या बात है हम हैरान है आज वीरान प्रताप सिंह और एहसान प्रताप सिंह बदला लेने नहीं पहुंचे ?

    वीरान कुछ कहता उससे पहले ही एहसान शैतानी मुस्कुराहट के साथ कहते हुए : आप सोच भी नहीं सकते कि मैने क्या क्या प्लैनिंग की है उस लड़की से अपने भाई का बदला लेने की !

    वीरान 24 साल का था एहसान 19 का वही रौनकश और रिवांत 22 साल के थे यानी तीनों उससे छोटे थे !

    तभी रौनकश एहसान को घूरते हुए अपनी गहरी आवाज में कहता है : एहसान वीरान का मैटर है ये ! और किसी से बदला क्यों लेना है ! बाबा सा ने हमें ये नहीं सिखाया ? वीरान आपके भाई सा है जरूर उस लड़की को कोई गलतफहमी हुई होगी वरना कोई बिना बात के थप्पड़ नहीं मार जाता !

    अगले ही पल रौनकश वहां से जाते हुए : खैर हमारा इन सब से कोई लेना देना नहीं है ! आप देख लीजिएगा ! पर बड़े भाई सा को ये पता चला कि वीरान आपने और एहसान ने कुछ गलत किया है तो भूकम्प आने से कोई नहीं रोक सकता !

    वीरान और एहसान की आंखे गहरी हो गई थी पर वो आगे कुछ कहते नहीं ! पर अचानक ही वीरान अपनी गहरी आवाज में कहते हुए : आप और रिवांत आज कल कुछ जायदा हमारे फैसले नहीं लेने लगे कि हमें क्या करना है और क्या नहीं !

    आप भूल गए है क्या हम आपके बड़े भाई सा है ?.

    वीरान ने ये अपनी ठंडी और गहरी आवाज में कहा था ! वहां का माहौल एक दम से गिर गया था !! रौनकश की के कदम रुक गए थे तभी वो एक दम से पीछे मुड़ते हुए अपनी गहरी आवाज में कहता है : अगर आपको ऐसा लगता है तो आगे से हम आपके किसी फैसले में नहीं आयेंगे ! खैर थप्पड़ जायदा जोर से ना लगा हो ! अगर लगा है तो सहन कर लीजिएगा !

    रौनकश तंज कसते हुए ये कहता है और अगले ही पल रिवांत के साथ वहां से चला जाता है !


    वीरान की आंखे गुस्से से जल रही थी ! वही वो अगले ही पल एहसान की तरफ देखते हुए : जाओ आप भी यहां से हमें कुछ काम है !

    एहसान हां में सिर हिला कर वहां से जाने लगता है तभी वो अपने कदम रोकते हुए एक बार फिर वीरान के चेहरे की तरफ देखते हुए : भाई सा ! आपको नहीं लगता इस लड़की का थप्पड़ आपकी जिंदगी में आते ही रौनकश और आपके बीच लड़ाई हो गई !

    कहीं हम सातों भाई के बीच में ये लड़की कोई आई तूफान ना ले आए !

    तभी वीरान अपनी गहरी आवाज में कहते हुए : इस तूफान को हमें देखना भी आता है !

    वीरान ने इतना ही कहा था कि अगले ही पल वीरान वहां से चला जाता है !

    वही तान्या , अग्निका और रूहानी इस वक्त सिर्फ तीनों ही घर थे ! बाकी सब कॉलेज के लिए जा चुके थे !

    तान्या इस वक्त अपने रूम में बैठी थी तभी अग्निका और रूहानी एक साथ उसके कमरे में जाते है और वही बेड पर बैठते हुए अग्निका तान्या की आंखों में सवाल करते हुए देखती है : क्या बात है तान्या ! मास्टर्स क्यों नहीं करनी ?

    क्या होगा अब आगे ?.क्या सच में सात भाइयों के बीच अग्निका कोई तूफान तो नहीं ले आयेगी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 8. glat fehmi !!

    Words: 1571

    Estimated Reading Time: 10 min

    वही तान्या , अग्निका और रूहानी इस वक्त सिर्फ तीनों ही घर थे ! बाकी सब कॉलेज के लिए जा चुके थे !

    तान्या इस वक्त अपने रूम में बैठी थी तभी अग्निका और रूहानी एक साथ उसके कमरे में जाते है और वही बेड पर बैठते हुए अग्निका तान्या की आंखों में सवाल करते हुए देखती है : क्या बात है तान्या ! मास्टर्स क्यों नहीं करनी ?

    अग्निका जैसे ही ये पूछती है तो तान्या अपना मुंह फेरते हुए : इसका जवाब मेरे पास नहीं है ! पर हां काश होता तो तुम्हे जवाब दे देती ! अब ये समझ लो कि बस मन नहीं है !

    रूहानी तान्या के दिल पर हाथ रख लेती है और एक दम से अपनी आँखें बंद कर लेती है : क्यों अंदर से टूट रही हो तनु !

    तान्या हैरानी से रूहानी को देखने लगती है तभी उसे महसूस होता है कि रूहानी के दिल पर हाथ रखते ही दिल में दर्द एक दम से बंद हो गया था !

    उसके दिल में दर्द हो रहा था ! वो कब से वही बैठे हुए सुसाइड के ख्याल सोच रही थी !

    अचानक से तान्या को रूहानी का हाथ ठंडा लग रहा था ! वो जैसे जैसे उस हाथ को देखती है तो उस हाथ में से एक रोशनी निकलने लगती है !

    वो रोशनी नीले रंग की थी ! जिसे अग्निका भी देख रही थी ! पर अग्निका की आँखें इतनी बड़ी नहीं हुई थी जितनी तान्या की आंखे हैरानी से बड़ी हो गई थी !

    वो एक दम से रूहानी का हाथ झटकते हुए वहां से बेड पर खड़ी हो जाती है और गुस्से से चिल्लाते हुए : क्या कर रही हो रूहानी …

    और अगले ही पल उसके हाथ कांपने लग गए थे ! वो उसकी हाथ की तरफ उंगली से इशारा करते हुए : ये कैसी रोशनी है रूहानी ….. ये नीली रोशनी !

    तुम ये परियों की तरह कौनसी शक्तियां का यूस कर रही हो !

    रूहानी के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे ! वो बस अपनी काली गहरी आंखों से तान्या को देख रही थी जिसके चेहरे पर ना गुस्से के भाव थे और ना ही हैरानी के ! वो बस अचानक से रूहानी के हाथ की शक्ति को देख डर गई थी !

    उसने आज से पहले ऐसा कुछ नहीं देखा था ! वो बचपन से रूहानी के साथ थी ! पर रूहानी में उसने ये अजीब सी शक्ति पहले कभी नहीं देखी थी !

    अगले ही पल वो अग्निका की तरफ मुड़ते हुए : अग्निका ये क्या है जवाब दो ! रूहानी के हाथ को क्या हुआ !

    अग्निका तान्या के हाथ पकड़ती है और उसे रिलैक्स होने के लिए कहती है : तनु रिलैक्स हो जाओ ! वो बस टी जायदा स्ट्रेस ले रही हो ! रूहानी के पास बचपन से ही एक शक्ति है वो है हीलिंग पावर की ! वो इस शक्ति से किसी को भी ठीक कर सकती बस जिंदा नहीं !

    और वो बस दूसरों को ठीक कर सकती है पर खुद को नहीं !

    तान्या रूहानी की तरफ देखते हुए ; तुमने अब तक मुझसे ये क्यों छुपाया रूहानी ! तुमने बाकी सब बहनों से भी छुपाया रूहानी !

    तान्या की आंखों में आज गुस्से की जगह आंसू आ गए थे ! रूहानी उसके आंसू पोंछते हुए : देखा तुम डर गई। बचपन में बता देती तो तुम और डर जाती !

    पर अग्निका अपनी जादुई शक्ति को छुपा गई थी ! अगर रूहानी के पास किसी को ठीक करने की शक्ति थी तो अग्निका के पास किसी को भी जलाने की शक्ति थी ! चाहे वो इंसान ही क्यों ना हो !

    अग्निका एक पल रूहानी को देखती है और फिर अगले ही पल तान्या को ! वो धीरे से कहते हुए : तुम दोनों अब घर रहो ! मुझे जॉब पर जाना है !

    तान्या के दिल का दर्द गायब ही चुका था ! पर वो रूहानी की तरफ देखते हुए अग्निका की तरफ भागते हुए : नहीं ! मै इस रूहानी के साथ अकेले नहीं रहूंगी ! इसने मेरे साथ कुछ कर दिया तो ! अपनी जादुई शक्ति से मुझे मार दिया तो ! मै क्या करूंगी !

    अग्निका तुम अपनी इकलौती तनु को यही छोड़ के चली जाओगी ! थोड़ा सा तरस खाओ मुझ पर !

    रूहानी जैसे ही ये सुनती है तो अपनी आँखें छोटी करते हुए : मैने कभी तुम्हे दर्द देने की कोशिश नहीं की और आज तुम्हे लगता है मै तुम्हे दर्द दूंगी !

    और अगले ही पल धीरे से कहते हुए : क्योंकि दर्द देना तो अग्निका का काम है ! रूहानी का नहीं !

    उसने ये बहुत धीरे से बोल था जिसे तान्या सुन नहीं पाई थी पर अग्निका ने सुन लिया था ! अग्निका अगले ही पल रूहानी को घूरते हुए : क्या कहना चाहती हो तुम ! मै क्या कर दूंगी !

    रूहानी जल्दी से ना में सिर हिलाते हुए : अरे बाबा कुछ नहीं ! तुम क्या ही करोगी किसी के साथ ! हमारी अग्निका तो है ही प्यारी ! जाओ तुम जॉब पर !

    अग्निका एक बार तान्या की तरफ देखती है जो हां में सिर हिलाते हुए कह रही थी : अच्छा जाओ अग्निका !

    पर मुझे भी साथ ले जाओ।

    तनहा ने जैसे ही ये कहा था तो अग्निका उससे सवाल करती उससे पहले ही वो अपने डॉक्यूमेंट्स आगे करते हुए : तुम्हारी ही कंपनी में अप्लाई किया था मैने ! आज इंटरव्यू है !

    रूहानी और अग्निका तान्या को घूरते हुए : किसने कहा था ये भरने को को ! आगे मास्टर्स पूरी करो ! कोई जॉब नहीं करनी ! जॉब के लिए मैं हु !

    तान्या ना में सिर हिलाते हुए : ठीक है नहीं ले जाना तो मत ले जाओ मैं अकेली चली जाऊंगी !

    कुछ देर बाद !

    अग्निका और तान्या एक बिल्डिंग के सामने खड़े थे जिस पर लिखा था “ राज इंडस्ट्रीज ”

    अग्निका यहां पर काम करती थी ! वो सिर्फ एक रिसेप्शनिस्ट की जॉब पर थी !

    वो दोनों जैसे ही अंदर जाते है तो वहां पर कुछ जायदा ही हल चल हो रही थी !

    अग्निका उस कंपनी के स्टाफ से पूछते हुए : क्या हुआ सब भाग क्यों रहे है ?

    तभी वो स्टाफ तान्या को एक नजरे देखते हुए अपनी नजर अग्निका पर करते हुए : तुम आज इतनी लेट कैसे आ रही हो ! क्या तुमने अपना फोन चेक नहीं किया बॉस ने कंपनी को सेल कर दिया है ! अर्जेंट नोटिस आया हुआ है !

    अग्निका हैरानी से : लेकिन हमारी कंपनी कोई लॉसेस में नहीं थी जो इसे बेच दिया !

    वो स्टाफ जल्दी से जाते हुए कहता है : जल्दी से वर्क और अपॉइंटमेंट्स देख लेना ! क्योंकि न्यू बॉस जल्द ही आने वाले है !

    लेकिन वो स्टाफ एक दम से रोकते हुए : अग्निका तुम्हारी वीडियो आज ऑफिस में भी चल रही है !

    अग्निका को सुबह वाला सब याद आता है तभी वो उस स्टाफ को इग्नोर करते हुए अपनी जगह पर जाते हुए खुद से कहने लगती है : क्या वीरान प्रताप सिंह ने ही तो नहीं खरीद ली ! ये कंपनी !

    तान्या ने ये सुन लिया था ! वो अग्निका को हैरानी से देखते हुए : आज तुम डर रही हो क्या बात है !

    तभी वहां पर एक आवाज गूंजती है जो बिल्कुल ठंडी थी !! “ डरना तो चाहिए ही ! आखिर जुर्म जो किया है इन्होंने! बेकसूर इंसान को इन्होंने थप्पड़ जो मारा है !

    अग्निका की नजरे जैसे ही उस आवाज की तरफ जाती है जहां पर वीरान खड़ा था ! आंखों को शेड्स से कवर कर रखा था !

    आवाज कल की तरह ही रौबदार थी ! अग्निका वीरान के चेहरे की और देख रही थी ! उसे बस गुस्सा आ रहा था !

    लेकिन तान्या समझ गई थी कि वीरान ने अग्निका से बदला लेने के लिए पूरी कंपनी ही खरीद ली थी ! तान्या को पता था कि वीरान ने आयुषी के साथ कल क्या किया था !

    तभी उसके हाथ की मुट्ठी एक दम से कस जाती है और वो अपनी आईब्रो ऊपर करते हुए : क्या है ना जब कोई हमारी बहन की कलाई बिना पूछे पकड़ता है तो उसका हम वही हाल करते है ! ये तो शुक्र मनाओ की अग्निका ने अभी सिर्फ एक थप्पड़ मारा है ! वरना मैं तुम्हारा क्या हाल करती तुम सोच भी नहीं सकते !

    तान्या ने धमकी तो दे दी थी !

    लेकिन उसे अब अंदर से डर लग रहा था ! वही वीरान की आंखे गहरी हो चुकी थी ! वो आगे कुछ कहता तभी अग्निका आगे आते हुए : माफ कर दिजिए हमें !!

    अग्निका के शब्द जैसे ही वीरान के कानों में पड़ते है उसकी आँखें छोटी हो जाती है !

    तभी तान्या अग्निका की तरफ हैरानी से देखते हुए : क्या हुआ है तुम माफी क्यों मांग रही हो अब ! गलती इस इंसान की है इसने क्यों आयुषी की कलाई को पकड़ा !

    वीरान धीरे से अपनी रौबदार आवाज मे कहते हुए : हमने उसकी कलाई को जानबूझ कर नहीं पकड़ा था ! वो खुद मेरे सामने आकर गिरी थी ! हम तो उसे बस गिरने से बचा रहे थे !

    और आपकी इस बहन को लगा हम जबरदस्ती कर रहे है तो इन्होंने हमे थप्पड़ मार दिया !

    अग्निका जैसे ही ये सुनती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है ;

    क्या होगा अब आगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 9. pta nhi chlega ki kya hua !!

    Words: 1657

    Estimated Reading Time: 10 min

    वीरान धीरे से अपनी रौबदार आवाज मे कहते हुए : हमने उसकी कलाई को जानबूझ कर नहीं पकड़ा था ! वो खुद मेरे सामने आकर गिरी थी ! हम तो उसे बस गिरने से बचा रहे थे !

    और आपकी इस बहन को लगा हम जबरदस्ती कर रहे है तो इन्होंने हमे थप्पड़ मार दिया !

    अग्निका जैसे ही ये सुनती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है ;

    वो आगे कुछ कहती तभी तान्या अग्निका का हाथ पकड़ते हुए : अग्निका तुम ना चुप ही रहो !

    उसने धीरे से ये कहा ही था ! कि वीरान की आंखे कहते कहते गहरी हो गई थी !!

    उसने अग्निका के थप्पड़ के लिए कंपनी खरीद डाली थी ! अब वो उससे ही माफी मांग रही थी !!

    अग्निका ने कुछ ही देर में सब पलट दिया था !

    लेकिन अग्निका तान्या के हाथ से अपना हाथ छुड़वाते हुए वीरान के सामने आगे जाकर खड़ी हो जाती है !!

    वीरान अग्निका की आंखों में आंखे देखता है जिसमें कोई भाव नजर नहीं आ रहे थे !

    पर अगले ही पल अग्निका धीरे से कहते हुए : माफ कर दीजिए हमे !! हम जानते है कल जो भी हुआ वो हर जगह पर न्यूज में चल रहा है !

    इसके लिए हम आपसे हर न्यूज चैनल में माफी भी मांग लेंगे !

    वीरान जैसे ही ये सुनता है तो अग्निका के थोड़ा सा करीब जाते हुए उसके कान में धीरे से कहता है : और जो मैने आपसे बदला लेने के लिए इस कंपनी को खरीदा वो !

    आपने हमारी मेहनत को वेस्ट करवा दिया ! अब क्या करें हम !

    पर हम वेस्ट नहीं होने देंगे ! आप हमारी असिस्टेंट बनेंगी !

    अग्निका हैरानी से वीरान को देख रही थी !! पर वीरान को कहीं ना कहीं अग्निका में आयुषी दिख रही थी !!

    उसे जैसे ही अग्निका में आयुषी का चेहरा दिखता है वैसे ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है !

    पर तान्या दूर खड़ी थी तो उसने कुछ सुना नहीं था ! वो एक दम से आगे आती है और विरान से कहते हुए : खैर अग्निका ने माफी मांग ली है ! तो वो अब ये जॉब छोड़ रही है !

    वीरान आयुषी के चेहरे में गुम था कि अगले ही पल उसे अग्निका का चेहरा दिखने लगता है वो रियलिटी में आते हुए अपने मन में ; ये क्या हो रहा है !

    पर उसने तान्या की कोई बात नहीं सुनी थी ! वीरान तान्या और अग्निका को इग्नोर करते हुए वहां से चला जाता है !


    वो जैसे ही ऑफिस के अंदर जाता है जहां पूरा स्टाफ था !

    लेकिन तान्या का मूड खराब था वो सीधा अग्निका की आंखों में देखते हुए : अब इंटरव्यू तो नहीं होगा ना ! कंपनी में चेंजेज होंगे उसके बाद ही कुछ होगा शायद ! और इस इंसान की कंपनी में तो जॉब ही ना करू मैं !

    चलो तुम रेजिग्नेशन दे दो और घर चलो !

    तान्या ने जैसे ही ये कहा था तो अग्निका धीरे से ना में सिर हिलाते हुए : नहीं तान्या ! मै ऐसा नहीं कर सकती ! अर्जेंट में जॉब कहां से मिलेगी ! तुम सब का पढ़ाई और खाने और बाकी सब का खर्चा कैसे होगा !

    एक महीना बेरोजगार होने से अच्छा है मैं यही जॉब कर लू ! जायदा से जायदा ये इंसान क्या ही करेगा !

    अगर इसने कुछ किया तो रूहानी है ना अपनी हीलिंग पॉवर यूस करेगी !

    तभी वहां पर एक आवाज गूंजती है : तुम यहां क्या कर रही हो ! फ्री रहने के पैसे नहीं मिलते !! बॉस की न्यू असिस्टेंट हो ना ! जाओ उनसे अपने टास्क लो कि क्या करना है आज !

    तान्या आगे कुछ नहीं कहती और अग्निका वहां से जाते हुए : तान्या तुम घर जाओ ! मै काम खत्म करके आती हु !

    तान्या हां में सिर हिला देती है और वहां से चली जाती है !

    अग्निका जैसे ही वीरान के ऑफिस में जाती है तो वहां की लाइट्स ऑफ थी !

    वो उसके सामने खड़ी थी ! पर एक सूरज की रोशनी खिड़की से सीधा विरान के ऊपर गिर रही थी !

    वीरान धीरे से अपनी रौबदार आवाज मे कहते हुए कुछ फाइल्स उसके आगे फेंकते हुए : इन फाइल्स की समरी बनाओ ! और मुझे इमेल करो ! पास्ट की फाइल्स है किसके साथ क्या काम किया है और कैसे किया है सबका एक रिकॉर्ड बनाओ !

    और ये सब करने का सिर्फ आज आज का टाइम है तुम्हारे पास !

    अग्निका फाइल्स की तरफ देखती है तो वो 20 से जायदा कुछ फाइल्स थी ! उसकी आंखे एक दम से छोटी हो जाती है और अपना मन मारते हुए फाइल्स को उठा कर वहां से जाने लगती है !

    तभी वीरान उसे टोकते हुए: बात पूरी नहीं हुई है मिस अग्निका !!

    अग्निका के कदम वही रुक जाते है और धीरे से कहते हुए : यस सिर ! कुछ और काम भी है !

    वीरान एक फाइल को खोल कर पढ़ने लगता है और अग्निका को इग्नोर करने लगता है !

    2 से 3 , 3 से 4 और 4 से 15 मिनट बीत गए थे ! अग्निका वही खड़ी थी !

    वो एक बार फिर से कहते हुए : बॉस ?.

    वीरान अग्निका को इग्नोर करते हुए अपनी फाइल को ध्यान से देख रहा था ! उसकी आंखों में एक शैतानी मुस्कुराहट थी !!

    वो ये सब जानबूझ कर उसे परेशान करने के लिए कर रहा था !

    कुछ मिनिट्स बाद वो इस फाइल को भी अग्निका के आगे करते हुए : इसे भी ले जाओ।

    वही दूसरी तरफ तान्या घर नहीं गई थी ! बल्कि सुबह से रात हो गई थी !

    तभी अग्निका के पास फोन आता है वो जल्दी से उठाते हुए : रूहानी आज तुम खाना बना लो शायद मैं घर ना आ पाऊं ! बहुत सारा काम पड़ा है !

    रूहानी अग्निका का हेलो नहीं सुनती है और जल्दी से कह देती है तभी रूहानी कहते हुए : क्या हुआ ! इतना काम अचानक से ! ये छोड़ो तुम घर नहीं आ रही तो तान्या को भेज दो फिर !!!

    या मैं उसे लेने आ जाऊं !

    अग्निका ने जैसे ही ये सुना था तो उसके माथे की लकीरें एक साथ आ गई थी !

    वो धीरे से कहते हुए : रूहानी मजाक मत करो ! तान्या सुबह ही निकल गई थी यहां से !

    पूरा ऑफिस खाली हो चुका था

    पर पूरे ऑफिस में अग्निका ही बाकी थी !

    रूहानी आगे कहते हुए : मै मजाक नहीं कर रही हु अग्निका ! तान्या सच में घर नहीं आई है !!

    मै शाम से तान्या का फोन मिला रही हु वो बंद आ रहा था और तुम्हारा मिल नहीं रहा था !!

    तो अब मुश्किल से तुम्हारा फोन मिला तो पूछ लिया !

    अग्निका एक दम से खड़ी हो जाती है और अगले ही पल अपना पर्स उठाते हुए : मै देख कर आती हु ! कहां है वो !

    रूहानी अग्निका की आवाज में चिंता देख पा रही थी ! वो धीरे से कहते हुए : अग्निका में देख लेती हु आयुषी के साथ जाकर !

    तुम काम कर लो ! क्या पता वो अपनी किसी दोस्त के पास चली गई हो !

    तभी अग्निका के कानों में एक आवाज सुनाई देती है : बिना काम किए घर नहीं जा सकती आप !

    अग्निका उस तरफ देखती है तो वहां पर वीरान खड़ा था ! तभी रूहानी फोन कट करते हुए : तुम काम करो ! मै जाकर देखती हु!

    रूहानी ने इतना ही कहा था और फोन कट कर दिया था !

    अग्निका वीरान को घूरते हुए : आप मुझे जबरदस्ती परेशान करने की कोशिश कर रहे है ! और कुछ नहीं वीरान प्रताप सिंह !

    आप जानते नहीं है हम आपके साथ क्या कर सकते है !

    कहीं हमारी बहन को गायब करने के पीछे आपका हाथ तो नहीं।

    वीरान की आँखें गहरी हो गई थी ! वो अगले ही पल कहते हुए : वो छोटी हाइट वाली क्यूट सी लड़की ! क्या नाम है उसका आयुषी।

    अग्निका जैसे ही वीरान के मुंह से ये शब्द सुनती है तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती है : तुम सारे अमीरजादे इतने कैसे गिरे हुए होते हो !

    पर वीरान उसके टेबल पर जोर से हाथ मारते हुए : मै आपसे पूछ रहा हु मिस अग्निका आपकी कौनसी बहन गायब हुई है ! सात बहने है ना आपकी भी !

    वो हैरानी से वीरान को देखने लग गई थी! वो उसके बारे में सब पता कर चुका था !

    वो गुस्से से उसकी आंखों में देखते हुए : गाल पर लगता है थप्पड़ जोर से पड़ा है ! जो मेरे बारे में पूरी स्टडी कर ली बदला लेने के लिए !

    अगले ही पल वो अपने हाथ आगे बढ़ाती है और एक झटके से वीरान का कॉलर पकड़ते हुए : वीरान प्रताप सिंह ! अगर तान्या को गायब करने के पीछे आपका हाथ हुआ ना ! तो
    कसम से हम जो आपका हाल करेंगे ! आपको अंदाजा भी नहीं है ! अभी के अभी जिंदा जला सकते है हम आपको !

    वीरान अग्निका की आंखों में देख रहा था ! अगले ही पल उसकी दोनों कलाई को अपने कॉलर से छुड़वाते हुए : बेशक हम नहीं जानते है कि आप कौन है ! पर हम आपको दिखा सकते है कि हम कौन है !

    बेहतर होगा हमसे दूर रहिए ! वरना बदला लेंगे तो इस तरह लेंगे कि आप सोच भी नहीं पाएंगी !

    और छोटे बच्चों जैसी गेम हम नहीं खेलेंगे ! अभी सब मजाक चल रहा था !

    अगले ही पल अपनी रौबदार आवाज मे कहते हुए : अंडरवर्ल्ड में किस तरह से फेंक देंगे तो दुनिया में बाहर नहीं आ पाएंगी आप !

    वीरान ने इतना ही कहा था और अगल ही पल अपने हाथ छुड़वाते हुए वहां से जाने लगता है !

    क्या होगा अब आगे ? तान्या कैसे गायब हो गई ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 10. Seven shades of flame - Chapter 10

    Words: 1675

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगले ही पल अपनी रौबदार आवाज मे कहते हुए : अंडरवर्ल्ड में किस तरह से फेंक देंगे तो दुनिया में बाहर नहीं आ पाएंगी आप !

    वीरान ने इतना ही कहा था और अगल ही पल अपने हाथ छुड़वाते हुए वहां से जाने लगता है !


    फ्लैशबैक:

    सुबह जब वीरान की बातों से परेशान होकर अग्निका चुपचाप वहाँ खड़ी रही, लेकिन उसकी आंखों में डर और गुस्से का तूफान चल रहा था।



    तान्या ऑफिस से अग्निका को बाय बोलकर चली गई थी ! और तेज़ कदमों से बाहर निकली। वो बस अकेले रहना चाहती थी, बिना किसी बहस, किसी तनाव के।

    क्योंकि आज वो इंटरव्यू देने आई थी पर वो दे नहीं पाई जिससे उसे बहुत जायदा बुरा लग रहा था !

    तान्या अपने मन में कहते हुए : काश ये अग्निका ने पंगा ना लिया होता तो मुझे शायद आज जॉब मिल जाती ! और अग्निका और बाकी सब को पैसे देने का एक बहाना मिल जाता !


    सड़क पर हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी, और आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट गूंज रही थी।

    तान्या अपने बैग को पकड़ते हुए फुटपाथ पर चल रही थी। उसके कानों में ईयरफोन लगा लिए थे , और वो खोई हुई सी एक पुराना सा गाना सुन रही थी।

    "ज़िन्दगी थमी सी लगती है जब अपने ही समझ ना पाएं..."

    तभी...तान्या रोड क्रॉस करने की कोशिश करती है ! उसके कान में अभी भी एयरफोन थे ! उसमें सॉन्ग हाइ वॉल्यूम पर चल रहा था ! उसका ध्यान सिर्फ गाने में था और रोड क्रॉस करते हुए सामने ! वो इधर उधर देख ही नहीं रही थी !

    तो वहीं दूसरी साइड से एक तेज़ रफ्तार ट्रक मोड़ सामने आ रहा था ! ।

    वो ट्रक के अंदर बैठा इंसान जो ट्रक को चिल्ला रहा था ! वो जोर से चिल्लाते हुए कहता है : मैडम हट जाओ ! मेरे ट्रक की ब्रेक फैल हो गई है !!!

    , पर तान्या के कान में तो इयरफोन लगे हुए थे ! वो कुछ भी नहीं सुन रही थी ! जैसे उसने अपने कान बंद कर लिए हो ! ट्रक की रफ्तार बहुत जायदा खतरनाक थे।

    तान्या ने अचानक उस तरफ अपना चेहरा किया जिस तरफ से हाइ स्पीड में ट्रक आ रहा था ! उसने जैसे ही ट्रक को देखा था तो उसकी आंखे बड़ी हो गई थी ! उसकी सांसे अब रुक चुकी थी !!

    वो हटना चाह रही थी पर वो डर गई थी ! उसके पाऊं आगे बढ़ना ही नहीं चाह रहे थे ! जैसे उन्होंने साथ छोड़ दिया हो !

    पर अगले ही पल वो ट्रक तान्या के पास आता है और तान्या को टक्कर मार देता है !

    तान्या की चीख पूरी सड़क पर गूंज गई थी : आह ….

    सब कुछ एक झटके में बदल गया। तान्या के सिर से खून निकलने लग गया !

    पर वो ट्रक रुक नहीं बल्कि तान्या को क्रॉस करते हुए वहां से चला गया !

    वहां पर बहुत सारे लोग थे जो तान्या को हटने के लिए बोल रहे थे ! पर उसका ध्यान था ही नहीं !

    तान्या की सांसें धीमी हो चुकी थी ! उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे !!

    सारा खून वहां फैल गया था !

    वो सब एक दम से तान्या के पास आते है तभी उस में से एक इंसान एंबुलेंस को कॉल करने लगता है !

    फ्लैशबैक एंड !!

    अग्निका ऑफिस में थी उसे चिंता हो रही थी । वो बार बार तान्या का फोन ट्राई करने लगती है पर उसका फोन बार बार स्विचऑफ बता रहा था !

    उसके चेहरे पर चिंता के भाव नजर आ गए थे ! उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था ! उसके दिल में एक अजीब बेचैनी हो रही थी !

    वो अपने दिल पर हाथ फेरते हुए : तान्या तुम कहा हो ! तुम ठीक हो ना ? कुछ हुआ तो नहीं है ना तुमको !

    अग्निका अब फाइल्स की तरफ नहीं देख रही थी ! वो जल्दी से अपना पर्स लेकर ऑफिस से गायब हो जाती है !

    रात का समय था ! अब वहां पर व्हीकल्स जा रहे थे ! पर कुछ कुछ शॉप अब बंद हो चुकी थी !

    वो एक बार फिर रूहानी को फोन मिलाते हुए : जल्दी उठाओ रूहानी फोन !

    रिंग जैसे ही जाती है तो रूहानी फोन उठाते हुए : हां अग्निका !

    अग्निका जल्दी से पूछते हुए : तान्या मिली क्या ?

    वही रूहानी हर जगह उसे ढूंढ कर थक गई थी ! उसकी आंखे लाल थी !! वो अग्निका पर चिल्लाते हुए : अग्निका तुम्हे ध्यान रखना चाहिए था तान्या का ! वो कहीं नहीं मिल रही है तुमने उसे अकेला क्यों जाने दिया !

    कम से कम उसे ऑटो में बिठा कर घर भेज देती ! अब पता नहीं बिचारी कहां चली गई है !

    अग्निका बस चुप चाप सुन रही थी ! वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी अचानक से उसका रोना गले तक आ गया था !

    अग्निका इधर उधर देखने लगती है और फोन को कट करते हुए ! उस सामने वाली शॉप पर जाती है जो खुली हुई थी !

    उसके कदम उस शॉप की तरफ बढ़ गए थे ! वो जल्दी से अपने फोन में तान्या की फोटो निकालते हुए उस शॉप वाले भैया को दिखाती है और पूछते हुए : भैया आपने इस लड़की को देखा है क्या ?

    वो शॉप वाला कुछ देर देखता है और उसे याद आता है ! वो जल्दी से कहता हुए : हां बहन जी ये लड़की सुबह यही से जा रही थी ! पर थोड़ा सा आगे जाते हुए इस लड़की का एक्सीडेंट हो गया !

    अग्निका हैरानी से सुन रही थी ! उसके हाथ कांपने लग गए थे ! वो घबराई हुई सी आवाज में पूछते हुए : भैया …. उसको …. तान्या को कहां लेकर गए है ?

    वो शॉप वाला आगे कहते हुए : इस लड़की का मुझे नहीं पता कहां लेकर गए है !

    अग्निका अपनी रोनी सी आवाज में पूछते हुए : भैया याद करके बताइए ना ! कहां लेकर गए है मेरी बहन को ?

    वो शॉप वाले भैया अपने दिमाग पर जोर डालते हुए कहता है ; हां बहन जी वो जो एम्बुलेंस आई थी ना ! उस पर लिखा था city हॉस्पिटल !

    वो सिटी हॉस्पिटल की एंबुलेंस थी !

    वो एक ऑटो रोकती है, उसके मुंह से बस एक ही शब्द निकलता है —सिटी हॉस्पिटल! जल्दी!"

    अग्निका पूरी तरह से डर चुकी थी ! वो अपने हाथ जोड़ते हुए कहती है : प्लीज भगवान जी तान्या को कुछ नहीं होना चाहिए !

    ऑटो के पहिए जैसे उसकी धड़कनों की रफ्तार से भी तेज़ दौड़ रहे थे।

    हर एक मोड़ पर, हर एक झटके पर उसका दिल ऐसे बैठता जा रहा था जैसे… जैसे कहीं देर न हो जाए।

    कुछ देर बाद तेज स्पीड से ऑटो चलते हुए रुकता है !

    ऑटो सिटी हॉस्पिटल के सामने रुका था !
    अग्निका जल्दी से ऑटो से बाहर आती है और अपने पर्स से ऑटो वाले को पैसे देते हुए अंदर जाने लगती है !

    सिटी हॉस्पिटल एक ऊँची बिल्डिंग थी , जिसके बोर्ड पर चमकते अक्षरों में लिखा था:

    🏥 City Multispeciality Hospital

    अग्निका के पैर कांप रहे थे…अब वो एक पल भी वहां वक्त बर्बाद नहीं करना चाहती थी ! वो सीधे दौड़ते हुए अंदर चली जाती है !

    और जैसे ही रिसेप्शन पर पहुंचती है तो जल्दी से पूछते हुए :

    यहां सुबह एक लड़की का एक्सीडेंट हुआ था! उसका नाम तान्या है! वो कहां है ! वो राज इंडस्ट्रीज की कंपनी के कुछ दूरी पर ही एक्सीडेंट हुआ है जल्दी बताइए ना मेरी बहन कहां है !

    अग्निका ने सांस भी नहीं ली थी वो अपनी एक सांस में रिसेप्शनिस्ट से सवाल कर रही थी !

    रिसेप्शनिस्ट जैसे अग्निका के सवाल सुनती है तो उसे रिलैक्स होने के लिए कहती है और अगले ही पल उसे सब बताते हुए : "मैडम, एक्सीडेंट केस में जो लड़की है वो ICU में है... लेकिन उन्हें बहुत जायदा गहरी चोट आई है ! पर …

    रिसेप्शनिस्ट आगे कुछ बोलने से पहले ही रुक गई थी ! जिससे अग्निका को और चिंता होने लग गई थी ! वो एक दम से उस डेस्क पर अपना हाथ मारते हुए : पर क्या ! जल्दी बोलो !

    रिसेप्शनिस्ट आगे कहते हुए : पर मैम उन्हें अब तक होश नहीं आया है और शायद कभी आए भी ना !

    "
    रिसेप्शनिस्ट थोड़ी अग्निका को देख कर घबरा चुकी थी !
    "मैडम…उनकी हालत बहुत सीरियस है !!

    अग्निका जैसे ही ये सुनती है तो एक दम से नीचे गिर जाती है उसकी आंखों से आंसू निकलने लग जाता है ! उसकी सांसे धीमी हो गई थी !

    । उसका पर्स हाथ से गिर गया था !

    उसकी सांसें फूली हुई थीं।

    रिसेप्शनिस्ट जल्दी से अग्निका के पास जाती है और उसे खड़ा करते हुए : मैम आप अपने आप को संभालिए! उनको आपकी जरूरत है !

    अग्निका ने जैसे जरूरत वर्ड सुना तो वो जल्दी से खड़ी होती है और अगले ही पल अपने आंसू पोंछते हुए :

    "मुझे उससे मिलना है… मेरी बहन है वो। प्लीज़ मुझे उससे मिलाइए…"

    रिसेप्शनिस्ट डॉक्टर को कॉल करती है। थोड़ी देर बाद एक नर्स आती है।

    "मैडम, आप बाहर से ICU देख सकती हैं। अंदर अभी किसी को जाने नहीं दिया जा रहा।"

    अग्निका दीवार का सहारा लेकर चलती है, उसके पैर लड़खड़ा रहे हैं।

    वो ICU के उस कांच के दरवाजे तक पहुंचती है… और जैसे ही उसकी नज़र उस स्ट्रेचर पर पड़ी लड़की पर जाती है —
    उसका दिल टूट जाता है।

    तान्या... खून से सने पट्टों में लिपटी… ऑक्सीजन मास्क लगा… उसकी मासूम सी आंखें बंद थीं।

    अग्निका दोनों हाथ उस कांच पर रखती है और फफक कर रो पड़ती है।

    "तान्या... मुझे माफ़ कर दो… अगर मैंने तुम्हें रोका होता तो ये सब नहीं होता ! … अगर मैं तुम्हें अकेला ना जाने देती तो ये सब नहीं होता!"

    उसी वक्त पास खड़ी एक नर्स धीरे से कहती है: मैम कुछ फॉर्मेलिटीज है आप पूरी कर दीजिए !

    क्या होगा अब आगे ? क्या तान्या का साथ यही तक का था ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

    "

  • 11. Seven shades of flame - Chapter 11

    Words: 1517

    Estimated Reading Time: 10 min

    अग्निका दोनों हाथ उस कांच पर रखती है और फफक कर रो पड़ती है।

    "तान्या... मुझे माफ़ कर दो… अगर मैंने तुम्हें रोका होता तो ये सब नहीं होता ! … अगर मैं तुम्हें अकेला ना जाने देती तो ये सब नहीं होता!"

    उसी वक्त पास खड़ी एक नर्स धीरे से कहती है: मैम कुछ फॉर्मेलिटीज है आप पूरी कर दीजिए !


    तान्या इस वक्त हॉस्पिटल में थी ! अग्निका तान्या को इस हालत में देख कर टूट गई थी !

    वो अपने पर्स से फोन निकालती है और रूहानी को फोन करने लगती है !

    कुछ देर रिंग जाने के बाद रूहानी फोन को उठा लेती है वो आगे कुछ बोलती उससे पहले ही अग्निका रोते हुए : तान्या !! रूहानी !! तान्या इस वक्त खतरे में है !

    उसका एक्सीडेंट हो गया है !! मै इस वक्त सिटी हॉस्पिटल में हु !

    रूहानी जैसे ही ये सुनती है उसकी आंखों में एक दम से आंसू आ जाते है !!

    वो आयुषी के साथ सड़को पर घूम रही थी ! अगले ही पल वो एक ऑटो लेती है और आयुषी के साथ हॉस्पिटल जाने लगती है !

    रूहानी ऑटो वाले को कहते हुए : भैया सिटी हॉस्पिटल ले चलो !

    आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो हैरानी से रूहानी को देखते हुए : रूहानी ! तान्या दी ठीक तो है ना ! तुम मुझे अपने साथ हॉस्पिटल क्यों लेकर जा रही हो !

    रूहानी आयुषी के सवाल जैसे ही सुनती है तो धीरे से कहते हुए : तान्या का एक्सीडेंट हो गया है !

    हमें जल्द से जल्द हॉस्पिटल जाना होगा !

    आयुषी ने जैसे ही ये सुना था उसके हाथ एक दम से कांपने लग गए थे !

    पर आयुषी के मन में डर की जगह गुस्सा आ गया था ! वो गुस्से से कहते हुए : ये सब ना अग्निका की वजह से हुआ है ! वो अगर तान्या को सही सलामत घर छोड़ जाती तो ये सब नहीं होता ! और तान्या दी को अग्निका के साथ जाने की क्या जरूरत थी।

    जरूर किरा और निराली ने बददुआ दी होगी तान्या दी को ! मै किसी को माफ नहीं करुंगी !

    पर अगले ही पल आयुषी अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए रोने लगती है : ये क्या हो गया ! तान्या दी सुबह तक तो ठीक थी ! मुझे कॉलेज नहीं जाना चाहिए था उनको छोड़ के ! वो बोल भी रही थी कि उनको कुछ अच्छा नहीं लग रहा है !

    कुछ देर बाद दोनों हॉस्पिटल पहुंच गए थे ! आयुषी डोर से ही तान्या को देख रही थी ! जिसकी आँखें बस बंद थी !

    उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था ! सारा चेहरा मुरझा चुका था !

    बस मशीनस के चलने की आवाज सुनाई दे रही थी !

    आयुषी की आंखों में आंसू आ जाते है तभी अगले ही पल उसकी नजर अग्निका पर पड़ती है जो रूहानी के गले लग कर रो रही थी !

    वो रोते हुए कहती है : काश मैं तान्या को अकेला नहीं छोड़ती थी ! नर्स बोल रही थी ! अगले 24 घंटे इनके लिए भारी है ! कुछ भी हो सकता है हमारी तान्या को !

    आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो अग्निका की तरफ एक दम से अपने कदम बढ़ा देती है !

    उसने एक झटके से अग्निका को खींच लिया था और अगले ही पल पूरे हॉस्पिटल में थप्पड़ की आवाज गूंज गई थी !

    अग्निका के चेहरे पर थप्पड़ का निशान छप गया था ! उसकी आंखे जो पहले से ही लाल थी और जिस में से आंसू निकल रहे थे ! उसमें से अब लगातार आंसू निकलने लग गए थे !

    वो अपनी आँखें उठाकर आयुषी को देखती है जिसने उसे थप्पड़ मार दिया था !

    अग्निका एक दम से चुप हो गई थी पर आयुषी जोर से चिल्लाते हुए : अग्निका ! हो गया तुम्हारा सपना पूरा! मार दिया मेरी तान्या दी को ! ऐसे परवाह करती हो तुम हमारी ! कल तो तुम बहुत बड़ी बड़ी बातें कर रही थी ! तान्या आयुषी और बाकी सब तुम्हारी बहने है और तुम उनकी परवाह करती हो !

    ऐसे परवाह करती हो तुम ! की तुम्हे तान्या दी से जायदा अपनी जॉब जरूरी लगी ! कमा लिए तुमने पैसे !

    अगले ही पल आयुषी अग्निका को झकझोरते हुए : बोलो अग्निका कमा लिए तुमने पैसे ! कल भी तुम्हारी एक चाल ही थी ना ! सच बताना !

    कल तुमने वीरान प्रताप सिंह को थप्पड़ मारा किसलिए ! बताओ किसलिए इसीलिए ना ताकि वो उसकी नजरे मुझ पर जाए और वो मुझसे बदला ले ! और तुम्हारे प्यार में पड़ जाए !

    मेरी बहन की चालाकी मुझे आज समझ आई ! ओह गॉड! ताकि तुम एक अमीर आदमी के साथ सेट हो सको !

    इसीलिए तुमने पहले मुझे खतरे में डाला और अब तान्या दी को !

    रूहानी जो ये सुन रही थी उसके साथ की मुट्ठी एक दम से कस गई थी ! वो अग्निका के खिलाफ कुछ सुनना नहीं चाहती थी ! पर आयुषी उसकी भी बहन थी !

    अगर वो इस वक्त अग्निका की साइड लेती है तो आयुषी को लगेगा कि रूहानी भी उसके खिलाफ है इसीलिए वो चुप ही रहती है !

    पर आयुषी के कंधे पर हाथ रखते हुए उसकी आंखों में देखती है और धीरे से कहती है : मैं जानती ही आयुषी ! तुम तान्या के बहुत जायदा करीब हो ! और तान्या को कुछ होता है तो तुम्हारी रूह तक कांप जाती है !

    पर तुम क्या कर रही हो ! तान्या के लिए इस वक्त हम आपस में नहीं लड़ना चाहिए बल्कि अभी हमें तान्या के लिए प्राथना करनी चाहिए ! जिससे तान्या खतरे से बाहर आ जाए! तुम मंदिर में जाओ ! मै डॉक्टर से बात करके आती हु !

    अग्निका रूहानी की बात समझ गई थी ! वो आयुषी को वहां से भेजना चाहती थी ! क्योंकि वो खुद तान्या के वार्ड में जाना चाहती थी ! और आयुषी के होते हुए ये नहीं हो सकता था।

    आयुषी समझ जाती है और अपना सिर हां में हिलाते हुए : हां तुम सही कह रही हो !

    वो वहां से अपने कदम आगे जाने के लिए बढ़ाती है और अगले ही पल अग्निका जो चुप चाप वहां खड़ी थी ! और सिर्फ तान्या के वार्ड में देख रही थी !

    उसकी तरफ अपनी नजरे करते हुए और एक झटके से अग्निका का हाथ पकड़ते हुए : तुम अब यहां नहीं रहोगी! मेरी तान्या दी के करीब तुम नहीं आओगी ! समझी अग्निका !

    चलो यहां से !

    आयुषी अग्निका का हाथ पकड़ते हुए वहां से ले गई थी ! वो इस वक्त गुस्से में थी ! वो बस अपना सारा गुस्सा अग्निका के ऊपर उतरना चाहती थी !

    अग्निका कुछ नहीं कहती बस वो चुप चाप आयुषी के पीछे चलने लगती है ! वो जानती थी आयुषी इस वक्त बहुत गुस्से में है !

    इस वक्त कुछ कहने से आयुषी नहीं समझने वाली थी ! वही हॉस्पिटल में एक मंदिर था ! आयुषी वहां सामने चली जाती है मंदिर में !

    मंदिर के सामने आयुषी और अग्निका वहां जाकर खड़ी हो जाती है !

    पर मंदिर में आयुषी का मन अभी भी शांत नहीं था ! उसका ध्यान शांति में लग ही नहीं रहा था ! वो जैसे जैसे अग्निका को देख रही थी उसका गुस्सा आगे बढ़ रहा था !

    अग्निका का ध्यान सामने शिव जी पर था वो अपनी आँखें बंद करते हुए हाथ जोड़ लेती है और अपने मन में कहते हुए : हे शिव जी …..

    वो इतना ही कह पाई थी अपने मन में कि अगले ही पल अग्निका सीधा जाकर नीचे गिरी थी !

    इस बार अग्निका का बैलेंस बिगड़ गया था ! वो अपनी आँखें खोलती है और देखती है कि आयुषी ने उसे धक्का दे दिया है !

    अग्निका की आंखों से आंसू निकल गए थे ! वो अपने आंसुओं को पोंछते हुए : आयुषी …..

    आयुषी जैसे ही अपना नाम सुनती है तो गुस्से से कहते हुए : बस अग्निका ! बस कोई सफाई नहीं चाहिए तुम्हारी मुझे ! तुमने मेरी तान्या दी को आज मौत में धकेल दिया ! मुझे नफरत हो रही है अग्निका तुमसे ! तुम मर क्यों नहीं जाती !

    पर वहां कोई था जो ये सब देख रहा था ! वो और कोई नहीं बल्कि वीरान प्रताप सिंह था ! उसकी आंखे एक दम से गहरी हो गई थी !

    वो आज पहली बार आयुषी का गुस्से वाला रूप देख रहा था ! उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई थी !

    वो अपनी गहरी ठंडी आवाज में कहते हुए : मेरी होने वाली बीवी पहले ही बदला लेना शुरू कर रही है मेरी वजह से ,

    पर आयुषी और अग्निका को नहीं पता था कि वीरान उन दोनों को देख रहा है !

    वीरान अपने कदम वहां से बढ़ाता है और वहां से चला जाता है !

    क्या होगा अब आगे ? क्या करेगी आयुषी अग्निका के साथ आगे ? क्या सच में वीरान प्रताप सिंह आयुषी को अपनी बीवी बनाएगा ? क्या तान्या ठीक हो जाएगी ? या फिर आ जाएगा नया कोई संकट ? क्या होगा अब आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 12. Seven shades of flame - Chapter 12

    Words: 1546

    Estimated Reading Time: 10 min

    वो अपनी गहरी ठंडी आवाज में कहते हुए : मेरी होने वाली बीवी पहले ही बदला लेना शुरू कर रही है मेरी वजह से ,

    पर आयुषी और अग्निका को नहीं पता था कि वीरान उन दोनों को देख रहा है !

    वीरान अपने कदम वहां से बढ़ाता है और वहां से चला जाता है !

    पर वो वहां से बाहर नहीं गया था बल्कि सीधा हॉस्पिटल के ऊपर वाले थर्ड फ्लोर में चला गया था !

    आयुषी अभी भी अग्निका को गुस्से से देख रही थी ! उसका मन शांत नहीं था !

    वो अग्निका को वही छोड़ कर चली जाती है ; उसे अभी एक ठंडी हवा की जरूरत थी ! वो रिलैक्स नहीं हो पा रही थी !

    आयुषी हॉस्पिटल की छत पर जाने लगती है और धीरे से कहते हुए : मुझे रिलैक्स होना है ! मै तान्या दी के सामने ऐसे गुस्से में नहीं जा सकती ! मुझे अपने मन को शांत करना है !

    आयुषी जैसे ही मंदिर से गई थी तो अग्निका जल्दी से खड़ी होती है और रूहानी के पास जाने लगती है !


    अग्निका जैसे ही तान्या के वार्ड के पास जाती है तो रूहानी तान्या के वार्ड में थी ! उसके हाथ में अलग सी शक्ति चमक रही थी ! वही नीली रोशनी जो सुबह भी रूहानी के हाथ में चमक रही थी !

    वो धीरे धीरे तान्या के सिर पर हाथ रख रही थी कि अचानक से उसकी चोट जो गहरी थी वो एक दम से ठीक होने लग गई थी !

    वो ऐसे ही धीरे धीरे करते हर जगह पर हाथ फेरने लगती है !

    और सारी चोट को ठीक करने लगती है !

    पर रूहानी जैसे जैसे चोट ठीक कर रही थी ! उसके चेहरे पर पसीना आने लग गया था ! उसे अचानक से चक्कर आने लग गए थे !

    अगले ही पल वो एक दम से नीचे गिरने लगती है तभी अग्निका एक झटके से उसे पकड़ लेती है और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए : रूहानी ! तुम ठीक हो ना !

    रूहानी जब जब बहुत गहरी घाव को ठीक करती है या किसी ऐसे इंसान को हिल करती है जिसे ठीक होने में टाइम लगेगा तो उसमें उसकी एनर्जी बहुत जायदा डाउन हो जाती है ! कई कई दिन तक वो खुद खड़ी भी नहीं हो पाती !

    पर जैसे जैसे वो हेल्थी खाना खाती है तो उसकी एनर्जी रिकवर हो जाती है !

    अग्निका उसका सिर सहला रही थी ! रूहानी अपनी आँखें बंद करते हुए धीरे से कहती है ; अग्नू बहुत गहरी चोट थी ! तान्या की! होश का पता नहीं कब आएगा !

    अग्निका रूहानी का सिर सहलाते हुए : तुम मेरे कंधे का सहारा लो और बाहर चलो ! मै तुम्हे कुछ खिला देती हु !
    ऐसे तुम और विक पड़ जाओगी !

    रूहानी सबको ठीक कर सकती थी पर खुद को नहीं !

    तो वहीं हॉस्पिटल की छत पर आयुषी की आंखों से बेहिसाब
    आंसू निकल रहे थे !

    वो हॉस्पिटल की छत से सीधा नीचे देख रही थी ! जिसमें हॉस्पिटल की छत देखने से उसे चक्कर आ रहे थे !

    आयुषी धीरे से अपने आप से कहते हुए : क्या हो अगर कोई इस छत से नीचे गिर जाए और मर जाए ! उसे शांति मिल जाएगी ना इस संसार से !

    पूरा झंझट ही खत्म हो जायेगा ऐसे में !

    वो एक दम से हॉस्पिटल की छत की छोटी सी दीवार के ऊपर चढ़ जाती है ! और खुद से कहते हुए : नहीं जीना मुझे ! इस जालिम दुनिया ने। मां ने सुसाइड कर लिया ; बाप ने घर से निकाल दिया ! और बहने तो इतनी अच्छी है कि एक दूसरे को मारने तक की दुआ करती है !

    ऐसे नरक में कौन हो रहना चाहेगा ! मुझे तो नहीं रहना !

    वो नीचे देखते हुए अपना एक कदम और बढ़ाती तभी उससे पहले हो एक झटके से उसे कोई उसकी बाजू से खींच लेता है !

    और अगले ही पल उसके चेहरे पर थप्पड़ मार देता है !

    आयुषी के गाल पर थप्पड़ छप गया था ! उसके चेहरे पर उंगलियों के निशान छप गए थे ! उस थप्पड़ की आवाज पूरे हॉस्पिटल की टेरेस पर गूंज गई थी !

    आयुषी की हाइट छोटी थी ! उसका सिर नीचे हो गया था ! तभी वो अपना सिर ऊपर करके देखती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है !

    उसके सामने कोई और नहीं बल्कि वीरान प्रताप सिंह खड़ा था !

    जिसकी आँखें गुस्से से उसे घूर रही थी और गुस्से से जल रही थी ! वो अपनी गहरी और ठंडी आवाज में कहते हुए : क्या कर रही थी आप यहां !

    वीरान का एक सवाल आयुषी के कान में जोर से गुंजा था जिससे वो एक दम से डर गई थी !

    उसे आज पहली बार वीरान ने थप्पड़ मारा था ! उसका गुस्सा बढ़ चुका था ! उसकी आंखों में पहले से ही आंसू थे !

    आयुषी टूटने वालो में से नहीं थी ! पर वो एक दम से वीरान के गले लग जाती है और जोर जोर से रोने लगती है।

    वो रोते हुए वीरान को कस कर पकड़ लेती है : मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में सिर्फ तान्या दी है और आशना है ! पर आज उस अग्निका की वजह से मेरी तान्या दी खतरे में आ गई !

    आयुषी वीरान के गले जैसे ही लगी थी उसकी आंखे एक दम से ठंडी हो गई थी ! पर वीरान ने उसे अपने हाथों से कवर नहीं किया था ! उसके हाथ अभी भी नीचे ही थे !

    वो जैसे ही वीरान के गले लगी थी तो उसे वीरान को एक सुकून मिल रहा था ! उसकी आंखे जो कुछ देर पहले गुस्से से घूर रही थी वो अब सुकून से चमक रही थी !

    वीरान अगले ही पल अपने हाथ से उसका सिर सहलाते हुए : शांत ! कुछ नहीं हुआ है !! कोई आपकी तान्या दी को कुछ नहीं करेगा !

    आयुषी जिसका सिर सहलाने से उसका दिल शांत हो गया था ! उसे भी वीरान की कैद में एक सुकून मिल रहा था !

    पर अगले ही पल वो वीरान को एक झटके से धक्का देते हुए : how dare you तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की !

    जल्दी बोलो !

    आयुषी ने लगभग ये चीखते हुए कहा था !

    वीरान को जैसे ही आयुषी ने धक्का दिया था तो उसे कुछ खाली सा महसूस होता है ! वो उसकी बाहों से निकल गई थी !

    आयुषी की माथे की लकीरें एक साथ आ गई थी वैसे वीरान की ग्रे आंखे गहरी हो गई थी !

    वो इस बार अपने कदम आयुषी की तरफ धीरे धीरे बढ़ाते हुए कहता है : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई खुद को मारने की !

    वीरान ने ये अपने दांत पीसते हुए कहा था ! जिससे आयुषी एक दम से डर गई थी ;

    वो जैसे ही देखती है कि वीरान अपने कदम उसकी तरफ बढ़ा रहा है वो अपने कदम पीछे लेने लगती है और अपने हाथ को आगे करते हुए कहती है : मेरे करीब मत आओ ! वरना अच्छा नहीं होगा !

    वीरान जैसे ही ये सुनता है तो अपनी आईब्रो ऊपर करते हुए : अच्छा ? बताओ क्या अच्छा नहीं होगा। बताओ ! आयुषी क्या अच्छा नहीं होगा !

    आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है वो अगले ही पल कहते हुए : तुम्हे मेरा नाम कैसे पता !

    वीरान के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई थी पर वो कोई जवाब नहीं देता।

    पर अपने कदम उसकी तरफ बढ़ा रहा था और अगले ही पल उसकी कमर से उसे एक झटके से पकड़ लेता है !

    आयुषी के हाथ अब वीरान की चेस्ट पर आ गए थे। वो अपने आप को छुड़वाते हुए कहती है : छोड़ो मुझे और ये बताओ तुम्हे मेरा नाम कैसे पता है ; मैने कहा छोड़ो मुझे !

    तभी वीरान अपने चेहरे को आयुषी के कान के पास ले जाता है और धीरे से अपनी धीमी आवाज में कहते हुए : "

    मैं उन सबका नाम जानता हूँ… जिनसे मेरा रिश्ता... अधूरा है!"

    उसका लहजा इतना धीमा था जैसे किसी ने गूंजती चुप्पी में बम फोड़ दिया हो।

    आयुषी की आंखों में शॉक और कन्फ्यूजन की मिलीजुली लकीरें थीं।

    "क्या मतलब है तुम्हारा?" वो धीरे से कहती है, पर अब उसकी आवाज़ पहले जैसी कांपती नहीं — उसमें अब सवाल था।

    लेकिन वीरान इससे आगे आयुषी को कुछ नहीं कहता ! उसकी गर्म सांसे अभी भी उसके चेहरे पर पड़ रही थी !

    पर अगले ही पल वीरान उसे वहां से अलग करते हुए वहां से जाते हुए कहता है : अपनी मां की तरह मरने का मत सोचना ! तुम्हारी मां कायर थी ! पर तुम नहीं हो।

    वो इतना ही कहता है और वहां से चला जाता है !


    पर आयुषी के मन में बहुत सारे सवाल आ गए थे ! वो वीरान की पीठ को देख रही थी और धीरे से कहते हुए : क्या मतलब था इसकी बातों का ! कैसे पता इसे इतना सब मेरे बारे में !

    क्या होगा अब आगे ? क्या होगा वीरान और आयुषी की जिंदगी में ? क्या मतलब था वीरान का ? क्या करेगी अग्निका और रूहानी अब आगे ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 13. sidiyon se giri agnika !!

    Words: 1542

    Estimated Reading Time: 10 min

    पर आयुषी के मन में बहुत सारे सवाल आ गए थे ! वो वीरान की पीठ को देख रही थी और धीरे से कहते हुए : क्या मतलब था इसकी बातों का ! कैसे पता इसे इतना सब मेरे बारे में !

    वीरान तो वहां से जा चुका था ! पर आयुषी वही खड़ी देख रही थी !

    वो अपने कदम वापिस नीचे जाने के लिए बढ़ाती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं था !

    पर वो अभी भी वीरान के हाथ से थप्पड़ खा चुकी थी जिसकी जलन उसके गाल पर हो रही थी ! वो गुमसुम सी नीचे जा रही थी तभी उसके रास्ते में कोई आ जाता है और उसके गाल पर हाथ फेरते हुए : आयुषी तुझे किसी ने थप्पड़ मारा !

    वो और कोई नहीं बल्कि अग्निका थी !

    अग्निका दूसरी मंजिल की सीढ़ियों पर थी जहां पर वो गुमसुम सी आयुषी को ढूंढते हुए आ गई थी !

    आयुषी जैसे ही अग्निका को देखती है तो उसकी आँखें एक दम से जल जाती है !

    और जैसे ही उसकी नज़र आयुषी के सूजे गाल और सूनी आँखों से मिली, उसके चेहरे पर सिहरन दौड़ गई !

    पर आयुषी की आंखें जैसे ही अग्निका से मिली — कुछ टूट गया उसमें !

    "मत छूओ मुझे अग्निका ! !

    आयुषी एक झटके में चिल्ला उठी थी ! उसकी आवाज़ में घुला हुआ दर्द, ज्वाला बनकर बाहर आ रहा था वो बहुत गुस्से में थी ! वो लगभग चिल्लाते हुए कहती है :

    "मत आना मेरे पास ! मत दिखाना ये झूठा प्यार !"अग्निका! तुम्हारे झूठे दिखावे की वजह से हमेशा हमें दर्द ही मिला है !

    अग्निका चौक गई ! उसने आयुषी को चिल्लाते हुए सुना था ! वो पहले भी चिल्ला ही रही थी ! पर वो जानती थी इस वक्त आयुषी को कुछ कहना या पलट कर जवाब देना उसे दर्द ही देगा !

    पर पता नहीं अग्निका को कुछ बेचैनी होने लगी थी ! उसके दिल में घबराहट हो रही थी जैसे कुछ होने वाला हो !

    वो आयुषी की आंखों में देखती है और धीरे से कहते हुए :

    "आयुषी, क्या बात है… देख मै

    उसने इतना ही कहा था पर आयुषी का गुस्सा अग्निका को देखने के बाद और बढ़ गया था ! उसके हाथ की मुट्ठी कस चुकी थी

    पर अगले ही पल …. आयुषी की आँखें देख कर वो चुप हो गई थी !

    वो एक कदम और आगे अग्निका बढ़ती है, उसका हाथ थामने… पर आयुषी उस हाथ को झटक देती है और एक झटके में उसे धक्का दे देती है…

    "मत बनो मेरी बहन... तुम कुछ नहीं हो मेरी ज़िंदगी में !"

    और वो धक्का इतना ज़ोरदार होता है कि अग्निका सीढ़ियों से सीधे नीचे गिर जाती है !

    “धड़ाम !!”

    हॉस्पिटल की सीढ़ियां बहुत जायदा थी ! वो एक एक करते हुए सीढ़ी से नीचे गिरने लगी थी !

    अग्निका की चिल्लाने की आवाज पूरे हॉस्पिटल में गूंज रही थी ! उसका सिर बार बार सीढ़ियों की टाइल से लग रहा था !

    आयुषी जैसे ही देखती है कि उसने अग्निका को धक्का दे दिया है वो अपने कांपते हुए हाथों से देखने लगती है ; ये मैने क्या कर दिया !

    उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई थी।

    अग्निका को धक्का लगने से उसका बैलेंस सीढ़ियों से गिर गया था ! उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था !

    आयुषी जल्दी से अपने कदम अग्निका की तरफ बढ़ाती है और चिल्लाते हुए कहती है : अग्निका ! !!!

    पर अग्निका ने सुबह से कुछ नहीं खाया था ! रात को रोने की वजह से उसकी खुद की एनर्जी खत्म हो गई थी !

    आयुषी अग्निका को पकड़ने के लिए आगे बढ़ती है ! पर अग्निका आयुषी के हाथ नहीं आ रही थी !

    तभी अचानक से अग्निका का सिर फ्लॉवर वास पर लगता है !

    वहां का माहौल एक दम शांत हो गया था। अग्निका नीचे के फ्लोर पर गिर गई थी ! उसकी आंखों से कोई आंसू नहीं बह रहे थे ! बल्कि उसकी आँखें बंद हो चुकी थी !

    सारा खून वही फ्लोर पर धीरे धीरे फैल रहा था।

    वो पेट के बल जाकर गिरी थी ! आयुषी जल्दी से अग्निका के पास जाती है और रोने लगती है : अग्निका i am sorry !

    वहां पर बहुत सारे नर्स और हॉस्पिटल स्टाफ आ रहे थे ! तभी जल्दी से वो अग्निका को ट्रीटमेंट के लिए वार्ड में ले जाते है !

    अग्निका को जैसे ही लेकर जाते है तो आयुषी उनके पीछे पीछे चली जाती है !

    रूहानी जो वही आयुषी के पास आ रही थी वो अग्निका को जैसे ही इस हालत में देखती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है।

    वो जल्दी से भाग कर अग्निका के पास आने लगती है पर अग्निका को ट्रीटमेंट के लिए वार्ड में पहले ही ले जाया गया था !

    वो जल्दी से आयुषी से पूछते हुए: आयु अग्नू को क्या हुआ ? उसे अन्दर क्यों लेकर गए है ! और उसका चेहरा खून से लथपथ क्यों था !

    आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो एक दम से रूहानी के पैरों में गिर जाती है !

    उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे ! वो रूहानी के पैरों को पकड़ते हुए जोर जोर से रोने लगती है : रूहानी मुझे माफ कर दो ! मैने … मैने …. गुस्से में ध्यान नहीं दिया … हम वहां सीढ़ियों पर खड़े थे। . और मैने गुस्से में अग्निका को धक्का दे दिया ….

    अग्निका जिसका ट्रीटमेंट अंदर चल रहा था ! उसका चेहरा एक दम से सफेद पड़ गया था ! उसका चेहरा पहले ही मुरझा चुका था ! पर अब लग रहा था जैसे उसके शरीर में कोई जान ही नहीं बची ..

    रूहानी जैसे ही आयुषी की बात सुनती है तो उसे एक झटके से खड़ा करती है और अगले ही पल उसके चेहरे पर खींच पर थप्पड़ लगा देती है !

    वो थप्पड़ आयुषी को बहुत से जोर से लगा था ! एक स्मैक की आवाज पूरे हॉस्पिटल की लॉबी में गूंज गई थी !

    रूहानी के आंखों में गुस्से की ज्वाला जल रही थी !

    आयुषी …. तुमने आज अग्निका के साथ गलत नहीं किया बल्कि तुमने ये साबित किया कि तुम बहन बन ही नहीं सकती ! एक बहन के लिए तुमने दूसरी बहन की जान लेने की कोशिश की ! मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी ! तुमने ऑलमोस्ट अग्निका को मार दिया !!!

    वो अगले ही पल उसे झंकझोरते हुए कहती है : शर्म आती है मुझे ये कहते हुए आयुषी कि तुम हमारी बहन हो !

    तुमने ये ठीक नहीं किया। !!

    आयुषी जिसके गाल पर आज दूसरी पर थप्पड़ पड़ा था पहले वीरान से और आज रूहानी से !

    अग्निका भले ही आयुषी की बेवकूफियां बर्दाश्त कर रही हो ! पर सब जानते थे कि तान्या के एक्सीडेंट में अग्निका कोई गलती नहीं थी !

    बल्कि अब तो तान्या के सारे घाव भर चुके थे !

    तभी एक नर्स उस रूम से बाहर आती है और रूहानी से कहते हुए : मैम खून की बहुत जायदा जरूरत है ! उनका खूम सीढ़ियों से गिरते गिरते बहुत बह चुका है।


    सारी बहनों का खून एक ब्लड ग्रुप का था ! रूहानी जल्दी से कहते हुए : मै दूंगी खून !

    पर तभी आयुषी जिसकी नजरे नीचे थी और उसका हाथ जो गाल पर था ! वो एक झटके से रूहानी की कलाई पकड़ लेती है !

    रूहानी अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए गुस्से से आयुषी को देख रही थी जिसने उसका हाथ पकड़ लिया था।

    वो अगले ही पल अपना हाथ झटकते हुए और अपने दांत पीसते हुए कहती है : क्या चाहिए अब आयुषी तुम्हे ! मेरा हाथ छोड़ो ! अब क्या तुम अग्निका को खून भी नहीं चढ़ने दोगी !

    तुमने थोड़ी देर पहले उसे मारने की कोशिश की ही है अब क्या चाहती हो वो पूरी तरह मर जाए !

    रूहानी की आंखों में आंसू थे ! आज उसकी जुड़वां बहन अंदर थी जो बेजान सी लेटी हुई थी !

    आयुषी का गला भारी हो चुका था जिस वजह से वो बोल नहीं पा रही थी पर अपना सिर ना में हिलाते हुए : नहीं …. ना … रु रूहानी …. मेरी गलती से हुआ है …. तो अब मैं ही उसे खून दूंगी !

    पर रूहानी उसे अपने आप से थोड़ा सा दूर करते हुए बिल्कुल एक सख्त लहजे में कहती है : तुमने जितना खून पीना था पी लिया पर अब खून देने का काम मैं कर लूंगी !

    रूहानी इतना ही कहती है और आयुषी को वही छोड़ कर नर्स के साथ चली जाती है !

    आयुषी एक दम से टूट गई थी ! वो नीचे बैठ जाती है और अपने हाथों में अपना चेहरा छुपाते हुए : ये क्या कर दिया मैने ! मै अग्निका को कैसे मारने का सोच सकती हु !!

    वो इतना ही खुद से कहने लगती है और रोने लगती है !

    पर तभी एक आवाज आती है : तुम इतना रो रही हो लगता है तान्या हमेशा के लिए ऊपर चली गई ! चलो अच्छा है ! अब हमारे घर का खर्चा बचेगा !!!

    कौन है ये ? आखिर क्या होगा अब आगे ? क्या करेगी रूहानी और अग्निका ? क्या निकलेगी अग्निका खतरे से बाहर ? या हो जाए उसे कुछ ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 14. kya kregi tanya ayushi k sath

    Words: 1503

    Estimated Reading Time: 10 min

    आयुषी एक दम से टूट गई थी ! वो नीचे बैठ जाती है और अपने हाथों में अपना चेहरा छुपाते हुए : ये क्या कर दिया मैने ! मै अग्निका को कैसे मारने का सोच सकती हु !!

    वो इतना ही खुद से कहने लगती है और रोने लगती है !

    पर तभी एक आवाज आती है : तुम इतना रो रही हो लगता है तान्या हमेशा के लिए ऊपर चली गई ! चलो अच्छा है ! अब हमारे घर का खर्चा बचेगा !!!

    आयुषी जैसे ही उस तरफ देखती है तो वहां पर निराली खड़ी थी ! जो अपने हाथ बांधे खड़ी थी !

    वही आशना निराली और किरा के पीछे थी ! वो जल्दी से आगे आती है और एक झटके से आयुषी के गले लग जाती है और रोते हुए : दी तान्या दी ठीक हो जाएगी ! आप रोयो मत ! सब ठीक हो जाएगा ! हम सब ऐसे टूट जाएंगे तो अच्छा नहीं होगा !

    पर आयुषी जैसे ही ये सुनती है तो उसका मन टूटने सा लगता है वो रोते हुए : आशना वो …..

    पर किरा उस वार्ड के बाहर से अन्दर देख रही थी ! उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई थी !!

    वो एक दम से चिल्लाते हुए कहती है : अग्निका यहां क्या कर रही है ! एक्सीडेंट तो तान्या का हुआ था !

    आशना और निराली जैसे ही ये सुनती है तो उनकी आँखें भी हैरानी से बड़ी हो गई थी उनके चेहरे पर भी शॉकिंग एक्सप्रेशन आ चुके थे !

    निराली एक झटके से किरा को दूर कर देती है और वार्ड के अंदर देखने लगती है ! वो धीरे से कहती है : अग्निका !!!

    अग्निका को वो जैसे ही देखती है तो उसकी आंखों से एक दम आंसू निकल जाते है !

    वो धीरे से कांपते हुए कहती है : आयुषी अभी तो अग्निका ने कुछ देर पहले मुझसे बात की थी ! वो अंदर कैसे है !

    कीरा की आँखें अब आयुषी को घूर रही थी और अगले ही पल कहते हुए : आयुषी तान्या कहां है फिर ? और अग्निका उसने थोड़ी देर पहले हमे फोन किया था वो अंदर क्यों है !

    आशना निराली और किरा को गुस्से से देखते हुए : क्या दोनों को यहां भी मजाक सूझ रहा है ! तान्या दी ही होंगी अन्दर और वो ठीक है बोला था ना अग्निका दी ने !

    तुम दोनों को कोई और काम नहीं है क्या लड़ाई करने के अलावा !

    निराली जैसे ही आशना की बात सुनती है तो उसके हाथ की मुट्ठी कस जाती है और अगले ही पल उसे एक झटके से खींच कर खड़ा करती है जो आयुषी से चिपकी हुई थी।

    वो आशना को वार्ड के अंदर दिखाते हुए : आशना बोलने से पहले ध्यान से देखो !!!

    यहां पर तान्या नहीं बल्कि अग्निका !

    आशना की नजरे जैसे ही अग्निका पर पड़ती है तो जैसे उसके पैरों के तले से जमीन खिसक गई थी ! उसकी सांसे मानो रुक गई थी !

    उसका गला एक दम से भारी हो गया था ! वो डोर पर लगे शीशे पर हाथ फेरते हुए : अग्निका दी आपको क्या हुआ !!!

    ये कैसे हुआ …..

    आशना , निराली और किरा के मन में कुछ सवाल चल रहे थे ! अब जिसका जवाब सिर्फ आयुषी और रूहानी के पास था !

    उन तीनों के मन में एक ही सवाल था अगर अग्निका थोड़ी देर पहले ठीक थी तो वो यहां कैसे आई और उन्हें किसी ने बताया क्यों नहीं !!

    तभी रूहानी वहां आती है और देखती है निराली किरा और आशना हॉस्पिटल आ चुकी है !

    उनकी घूरती हुई नजरे रूहानी की तरफ पड़ती है तो रूहानी अपने सिर को मसाज करते हुए वही चेयर पर जाकर बैठ जाती है !

    रूहानी से जवाब ना मिलता देख ! निराली और किरा के हाथ की मुट्ठी कस गई थी !

    निराली रूहानी के सामने जाकर खड़ी हो जाती है और उसकी तरफ देखते हुए कहती है : रूहानी तुम इतना भी जरूरी नहीं समझती कि कम से कम हमें बता सको कि अग्निका के साथ कुछ हुआ है ! तुम लोग तो पहले भी हमसे चीजें छुपाते थे और अब भी छुपाते हो ! अगर तुम्हे हर चीज अकेले ही करने का शौंक है तो हमे यहां बुलाया ही क्यों !!!

    रूहानी जैसे ही ये सुनती है तो अपनी गहरी आवाज में कहते हुए : मेरी मां नहीं हो तुम ! जो हर चीज तुम्हे बता कर करू ! हॉस्पिटल में शोर मत मचाओ !

    अगर तुम्हे इतनी ही दिक्कत हो रही है तो यहां से चली जाओ !

    रूहानी ये लगभग निराली पर चीखते हुए कहा था तभी एक नर्स वार्ड से बाहर आते हुए: आप सब कितना चिल्ला रहे है एक साथ ! और ये हॉस्पिटल है रात के समय में सिर्फ एक ही इंसान रुक सकता है !

    बाकी सब आप घर जाइए।

    निराली गुस्से से नर्स को देखते हुए : जब दुनिया के जगह अपने ही निकाल दें तो वहां रुकने का कोई मतलब बनता ही नहीं !!

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है ! तभी रूहानी आशना की तरफ देखते हुए धीरे से कहती है : तुम भी आयुषी को घर ले जाओ ! घर जाकर सब कुछ खा लेना ! मै तान्या और अग्निका के साथ हु !

    तभी एक आवाज आती है : चलो सब घर चलते है अब मैं ठीक हु !

    कीरा अभी वही पर खड़ी थी ! पर ये आवाज जहां से आई थी सब लोग उस तरफ देखते है तो वहां पर तान्या खड़ी थी जिसने हॉस्पिटल के कपड़े पहन रखे थे !

    आयुषी और आशना जल्दी से तान्या के पास जाती है और उसके गले लग कर रोने लगती है !

    आशना रोते हुए : तान्या दी आप ठीक हो गए ! आपको देख कर तो ऐसा लग रहा है कि आपको चोट ही नहीं आई !

    तभी तान्या अपना सिर पकड़ते हुए : हां पर मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है !

    तान्या ने जैसे ही ये कहा था तभी उसे कुछ एहसास होता है वो जल्दी से रूहानी की तरफ देखती है जो अपना सिर पकड़ कर बैठी थी !

    रूहानी को देखते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी ! रूहानी ने उसे ठीक कर दिया था वो ये समझ चुकी थी !

    पर तान्या के मन में एक सवाल था ! वो अपने मन में कहते हुए : मेरी चोट बहुत जायदा गहरी थी ! रूहानी ने कैसे ठीक की होगी ?

    तान्या की नजरे सब पर जाती है : पर उसे निराली और अग्निका दिखाई नहीं देती !

    वो अपने मन में : शायद वो घर चली गई होंगी !

    तभी किरा तान्या के पास जाती है और धीरे से कहते हुए : अच्छा आप ठीक है ! आपको जायदा चोट नहीं आई !

    तान्या बस हां में सिर हिला देती है तभी उसकी नजर आयुषी पर जाती है जो अभी भी उससे चिपकी हुई थी !

    उसकी आंखे के आंसू सीधा तान्या के कंधे पर गिर रहे थे ! उसे उसके आंसू बहुत गरम लग रहे थे !

    वो आयुषी को कस कर गले लगाते हुए उसका सिर सहलाते हुए कहती है : आयुषी मै बिल्कुल ठीक हु ! क्यों रो रही हो तुम !

    अब मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है मुझे ! तुम शांत हो जाओ !

    पर तान्या को अभी खबर नहीं थी कि आयुषी ने अग्निका को मारने की कोशिश की थी ! उसे सीढ़ियों से धक्का दे दिया था ! ये बात अभी भी तान्या को नहीं पता थी!

    तान्या अब ठीक हो चुकी थी !

    पर फिर भी उसके शरीर में दर्द था ! रूहानी जैसे ही आयुषी को देखती है कि वो रो रही है तो तान्या को कहते हुए : तान्या आयुषी को घर ले जाओ ! और आशना को भी ! सुबह डिस्चार्ज पेपर हो जाएंगे !!!

    अब इतनी रात हो चुकी है ! तुम सारे घर जाओ अब !!!

    तान्या रूहानी को अपनी आँखें छोटी करते हुए देखती है : क्या मतलब है तुम घर नहीं चलोगी!

    रूहानी ना में सिर हिलाते हुए : अग्निका को अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती मै !

    तान्या जल्दी से पूछते हुए : तो अग्निका को साथ ले चलते है ना कहां है वो !

    पर रूहानी जवाब देती उससे पहले ही किरा कहते हुए : वार्ड में है ! ट्रीटमेंट चल रहा है अग्निका का !

    कीरा ये कहती है तभी आगे कहते हुए : तुम तीनों आ जाओ ! मै बाहर वेट कर रही हु।

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    पर तान्या की आँखें हैरानी से बड़ी हो गई वो जल्दी से पूछते हुए : क्या हुआ है अग्निका को ? वो क्यों एडमिट है ! उस वीरान ने कुछ किया क्या !!!

    क्या होगा अब आगे ? क्या मोड़ लेगी ये कहानी ? क्या होगा जब तान्या को पता चलेगा ये सब आयुषी ने किया है ? क्या करेगी तान्या आयुषी के साथ ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

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  • 15. Seven shades of flame - Chapter 15

    Words: 1095

    Estimated Reading Time: 7 min

    कीरा ये कहती है तभी आगे कहते हुए : तुम तीनों आ जाओ ! मै बाहर वेट कर रही हु।

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है !

    पर तान्या की आँखें हैरानी से बड़ी हो गई वो जल्दी से पूछते हुए : क्या हुआ है अग्निका को ? वो क्यों एडमिट है ! उस वीरान ने कुछ किया क्या !!!

    तान्या ने जैसे ही ये पूछा था तो रूहानी धीरे से जवाब देते हुए : आयुषी ने अग्निका को धक्का दे दिया है जिस वजह से अब वो एडमिट है !

    रूहानी के ये शब्द जैसे ही निकले थे तो तान्या एक दम से आयुषी को अलग करती है और और उसे अपनी आँखें छोटी करते हुए कहती है : आयुषी मै क्या सुन रही हु ये !

    आयुषी धीरे से रोते हुए कहती है : सॉरी तान्या दी ! पता नहीं मै इतना गुस्से में क्यों थी !

    पर तान्या आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही रूहानी कहते हुए : तान्या आशना और आयुषी को घर ले जाओ !

    अगर तुम ठीक हो चुकी हो तो ! या डिस्चार्ज पेपर रेडी करवा देते है !

    तान्या ना में सिर हिला देती है और अपने सिर को पकड़ते हुए ,: नहीं रूहानी मै यही तुम्हारे पास ही रुकूंगी! इस तरह से मेरा घर जाना सही नहीं है !!

    पर रूहानी आगे कहते हुए : ठीक है !! तुम यही रहो तुम्हारा चेकअप भी करवा देते है !

    और फिर बताना कि क्या कैसे हुआ था !

    तान्या बस हां में सिर हिला देती है !

    रूहानी बस तान्या की तरफ देख रही थी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे बस वो तान्या को शक भरी निगाह से देख रही थी !

    वो अपने मन में कहते हुए : तान्या ने आयुषी को कुछ कहा क्यों नहीं ? जैसे मैने उसे सुनाया उसने क्यों नहीं सुनाया ! अग्निका को ऑलमोस्ट जान से मार दिया फिर भी कुछ क्यों नहीं बोला ?

    अब ये सवाल रूहानी को परेशान कर रहे थे ! अचानक से उसकी आंखों में गुस्सा आ जाता है और वो तान्या को गुस्से से देखने लगते है !

    तान्या उसके साथ बैठ तो गई थी पर वो उससे दूर हो जाती है ! तान्या ये देख लिया था पर वो अपना सिर ना में हिलाते हुए झटक देती है !


    आयुषी , आशना , निराली और किरा घर जा चुके थे अब सिर्फ हॉस्पिटल में तीन लोग बचे थे रूहानी , तान्या और अग्निका जिसका ट्रीटमेंट अभी तक चल रहा था !

    पर तान्या को रूहानी का दूर होना इस तरह से पसंद नहीं आया था वो उसकी आंखों में देखते हुए पूछती है : रूहानी नाराज हो क्या मुझसे ?

    रूहानी सुनती है पर कोई जवाब नहीं देती !

    तान्या रूहानी का जवाब नहीं सुनती तो उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए धीरे से पूछती है : रूहानी क्यों नाराज हो मुझसे !

    उसके बार बार बार पूछने पर रूहानी तान्या की आंखों में देखती है पर रूहानी की आंखों में इस वक्त कोई भाव नहीं थे ! वो अपनी गहरी आवाज में पूछते हुए : एक्सिडेंट कैसे हुआ तान्या ?

    तान्या जैसे ही ये सवाल सुनती है तो वो अपने मन में सोचने लगती है वो धीरे से अगले ही पल कहते हुए : ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम मुझ पर शक कर रही हो कि मैने ये एक्सीडेंट खुद किया था ! मै जानबूझ कर ट्रक के नीचे आई? क्या तुम मुझ पर शक कर रही हो कि मैं अटेंशन लेने के पीछे ये सब करूंगी !

    रूहानी जैसे ही ये सुनती है तो उसकी आँखें छोटी हो जाती है । अगले ही पल वो थोड़ा सा तेज आवाज में कहते हुए : एक मिनट मैने तुमसे सिर्फ एक सवाल पूछा है और तुम क्या कर रही हो उल्टा इतनी कहानी बना दी ! कि मैं क्या सोच रही हु और क्या नहीं ?

    मुझे सीधा सा जवाब दो ! एक्सीडेंट कैसे हुआ ! और रही बात जब तुमने खुद से अटेंशन वाली बात बोल ही दी है तो अब मुझे पूरा शक हो रहा है तुम पर ! कहीं सच में इसके पीछे तुम्हारी कोई चालाकी तो नहीं !

    तान्या ने जैसे ही ये सुना था तो उसकी आंखों में गुस्सा आ गया था वो एक दम से गुस्से से खड़ी होती है और जोर से चिल्लाते हुए; बस रूहानी ! बस ! मुझे ये नहीं पता था तुम्हारी सोच मेरे लिए ऐसी है ! काश आज अग्निका और मेरी जगह पर तुम होती। कम से कम ये घटिया शब्द बोलने से पहले तुम्हारी जुबान ही बंद हो जाती !

    वो इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है ! तान्या जिस रूम में एडमिट थी वो सीधा वही ही चली जाती है !

    वही रूहानी बस तान्या को जाते हुए देख रही थी ! वो कुछ नहीं बोल रही थी पर रिपीट मोड पर उसके दिमाग में एक ही लाइन चल रही थी ! काश तुम मेरी और अग्निका की जगह होती !!!

    रूहानी की आंखों से एक आंसू निकल जाता है उसके दिल में अचानक से एक चुभन होने लग गई थी !

    वो अपने आंसू को पोंछती है तभी उसके कानों में एक आवाज सुनाई देती है : ट्रीटमेंट हो गया है उनका ! आप इनकी भी फॉर्मेलिटीस पूरी कर दीजिए ! और अभी वो इस वक्त खतरे से बाहर है ! साथ में ये कुछ मेडिसिंस है आप इन्हें ले आइए !

    रूहानी एक दम से खड़ी हो जाती है और वो अगले ही पल वार्ड के बाहर से अग्निका को देखने लगती है ! वो नर्स से कहते हुए : क्या मै अंदर जाकर मिल सकती हूं?

    नर्स मना करते हुए: अभी नहीं ! वो गहरी नींद में है आप ये बाकी का काम कर लीजिए !

    नर्स इतना ही कहती है और वहां से चली जाती है ! वही रूहानी भी मेडिसिन की स्लिप की तरफ देखती है और वहां से चली जाती है !

    वही दूसरी और आयुषी घर से बाहर इतनी रात को टहल रही थी ! उसका मन नहीं लग रहा था तभी उसे कोई एक दम से खींचता है और दीवार से सटा देता है !

    उसकी आंखे एक दम से बंद हो गई थी ! वो चिल्लाने ही वाली थी कि उसका मुंह किसी ने बंद कर दिया था !

    वो अपनी आँखें खोल कर देखती है तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती है वहां पर और कोई नहीं वीरान प्रताप सिंह खड़ा था !

    क्या होगा अब आगे ? ये कहानी क्या मोड़ लेगी ? जानने के लिए पढ़ते रहिए seven shades of flame

  • 16. Seven shades of flame - Chapter 16

    Words: 1548

    Estimated Reading Time: 10 min

    ### **“तू थक गई होगी दी… अब बस थोड़ी देर और… उठ जा ना…”**

    — ये वो वाक्य थे जो सातों बहनों की सांसों में उलझे थे…
    पर किसी के होठों तक नहीं आ पा रहे थे।

    ---

    ### **शमशान घाट – साढ़े चार बजे शाम**

    सूरज ढलने को था…
    सफेद कपड़ों में लिपटी **सात बहनें** एक कतार में खड़ी थीं —
    आंखें सूखी नहीं थीं,
    पर आंसू अब थम भी नहीं रहे थे।

    सबसे आगे **तान्या**, हाथों में अग्निका की तस्वीर लिए हुए,
    जिसे वो एकटक देखे जा रही थी।
    उस तस्वीर में मुस्कुराती अग्निका थी…
    और आज वो, चिता पर लेटी, शांत, सुस्त, और सबसे दूर हो चुकी थी।

    **रूहानी** अग्निका के सिरहाने बैठी थी —
    उसके होंठ लगातार कांप रहे थे, पर एक भी शब्द नहीं निकला।

    **आयुषी** फूट-फूट कर रो रही थी —
    अब तक जितनी बार "माफ़ी" कहा जा सकता था, वो कह चुकी थी।
    पर सबसे बड़ी माफ़ी तो अभी देना बाकी था — **खुद से।**

    **काव्या, आशना, किआरा और एलेना** — चारों पीछे खड़ी थीं,
    अपने आंसुओं को कपड़े में छुपाती,
    पर अब सबका दिल एक जैसी आवाज़ कर रहा था —
    **"मत जा दीदी..."**

    पंडित ने चिता सजाने को कहा।
    सफेद चादर में लिपटी अग्निका अब आखिरी बार बहनों की आंखों के सामने थी।

    फूलों से उसकी चिता सजाई गई…
    सबसे पहले तान्या ने एक गुलाब रखा —
    **"आपने हमें बचपन में बहुत बार गिरने से रोका दी…
    आज पहली बार आप खुद गिर पड़ीं… और हम कुछ कर ही नहीं पाए…"**

    फिर रूहानी झुकी,
    उसने कांपते हाथों से अग्निका की उंगलियों को छुआ…

    **"बस एक बार… बस एक बार दी… तू आवाज़ दे दे…
    कह दे कि सब झूठ था… तू गई नहीं…"**

    पर अग्निका अब भी शांत थी।

    आयुषी सबसे पीछे खड़ी थी…
    फिर एकदम से आगे आई —
    और घुटनों के बल बैठ गई।
    **"दी… मैंने बहुत गलत किया…
    पर तू सज़ा ऐसे क्यों दे रही है… उठ जा न… एक बार डांट ले… मार ले… लेकिन यूँ मत जा…"**

    **पंडित:**
    **"अब अग्नि दे दीजिए, आत्मा को शांति मिलेगी…"**

    तान्या ने हाथ में लकड़ी ली…
    लौ जल रही थी…
    उस लौ से चिता को अग्नि देने ही वाली थी…

    **तभी…**

    बहनों की आंखों के सामने
    **अग्निका की उंगलियां — धीरे-धीरे — हल्के से हिलने लगीं…**

    तान्या की सांसें थम गईं।
    **उसके हाथ से लकड़ी गिर गई।**

    **"रूहानी… देखो… देखो दी की उंगलियां… दीदी ज़िंदा है!!"**

    रूहानी एक पल को जड़ हो गई —
    फिर चौंककर आगे बढ़ी,
    उसने फिर से हाथ पकड़कर देखा…

    **हाँ… नाड़ी चल रही थी… बहुत धीमी… पर ज़िंदा…!!**

    **"डॉक्टर को फोन करो!! एम्बुलेंस बुलाओ!!"**
    किआरा चिल्लाई।

    **"दीदी… दीदी ज़िंदा है!!"** आशना ने ताली बजा दी जैसे भगवान ने कोई चमत्कार कर दिया हो।

    **"ओ माय गॉड... दीदी ने आंख हिलाई…"** एलेना और काव्या दोनों दौड़कर पास आ गईं।

    आयुषी वहीं बैठी थी —
    आंखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे…

    **"तू हमें छोड़ने वाली थी ना दी…
    फिर ये चमत्कार क्यों हुआ…
    शायद क्योंकि ऊपरवाला जानता है — हम अभी तेरे बिना अधूरे हैं…"**

    ---

    ### **कुछ देर बाद – एम्बुलेंस के अंदर**

    सातों बहनें अग्निका के साथ थीं।
    डॉक्टर लगातार CPR और ऑक्सीजन चेक कर रहे थे।

    **"अभी कुछ कहा उसने…"**
    डॉक्टर बोला।

    **अग्निका की पलकें हिलने लगीं…**

    **"रूहानी…"**
    उसका पहला शब्द था… बहुत धीमा, पर साफ़…

    **"हम सब यहीं हैं दीदी…"**
    रूहानी उसका हाथ थामकर बोली,
    **"अब कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा… सब तुम्हारे साथ हैं…"**

    ---

    अब कहानी में **एक नई जान** आ चुकी थी…

    **मौत के बाद की सांसें, ज़िंदगी से ज़्यादा वज़न रखती हैं।**

    और अब तान्या की आंखों में फिर से एक चमक थी…

    **"ये


    ---

    ### **अस्पताल – इमरजेंसी वार्ड**

    चारों तरफ भागदौड़ थी…
    स्ट्रेचर पर अग्निका को ICU की ओर ले जाया जा रहा था।
    डॉक्टर्स चिल्ला रहे थे —
    **"BP 70/40… जल्दी करो! ऑक्सीजन लो फ्लो में दो!"**

    पीछे पीछे तान्या, रूहानी, आयुषी, आशना, किआरा, एलेना और काव्या —
    सातों बहनें — एक ही डर में बंधी हुई,
    एक ही प्रार्थना दोहराती जा रही थीं…

    **"बस अब उसे कुछ ना हो…"**

    ICU के बाहर सब रुक गईं।
    दरवाज़ा बंद हो गया…
    और वक्त जैसे ठहर गया।

    ---

    **एक घंटा बीता।**

    आयुषी दीवार के सहारे बैठ गई थी —
    उसकी आँखों में अब भी अपराध का साया था।

    **"क्या मैं उसे हमेशा के लिए खो चुकी थी…?"**
    वो फुसफुसाई।

    **रूहानी**, उसके पास बैठती है —
    **"तूने जो किया, वो गलत था…"**
    **"लेकिन अग्निका दी वापस आईं… शायद इसलिए कि तू अपनी गलती को समझे…"**

    **"शायद ऊपरवाले को भी हमारी अधूरी बहनियां पसंद नहीं…"**
    रूहानी की आवाज़ अब भी भारी थी, लेकिन गुस्से से ज़्यादा **दर्द** था उसमें।

    ---

    **तभी दरवाज़ा खुला।**

    डॉक्टर बाहर आया।

    सबकी नजरें उसी पर थीं।

    **"मिरेकल है… अभी वो स्थिर हैं।
    होश में आने में थोड़ा वक़्त लगेगा।
    पर वो जिंदा हैं — और लड़ रही हैं…"**

    सबकी सांसें जैसे लौटीं।
    एक पल को अस्पताल की रोशनी हल्की-सी सुनहरी हो गई थी।

    ---

    ### **तीन घंटे बाद – ICU के अंदर**

    कमरे में अब सिर्फ रूहानी और तान्या को अंदर जाने की इजाज़त मिली।

    अग्निका बिस्तर पर थी —
    चेहरा बेहद थका हुआ, होंठों पर सूखापन,
    पर उसकी पलकों में अब भी वही गहराई थी —
    वो जो सबसे बड़ी बहन की आंखों में होती है —
    **ज़िम्मेदारी से भरी, पर बोझ से टूटी हुई।**

    रूहानी धीरे से उसका हाथ थामती है।

    **"दी…"**

    अग्निका अपनी आँखें धीरे से खोलती है।

    **"तुम सब… ठीक हो?"**
    उसकी आवाज़ रेत जैसी थी — सूखी, लेकिन जिंदा।

    **"हमें मत पूछो दी… ये बताओ…
    तुम कैसे हो?
    तुम्हें क्या हुआ था?"**

    एक लंबी चुप्पी…

    फिर अग्निका की आंखों में एक डर दिखा।

    उसने मुंह फेर लिया।

    \*\*"दीदी…" तान्या धीरे से बोली,
    **"अब और मत छुपाओ…
    हम सब जानना चाहते हैं कि क्या हुआ था उस दिन?"**

    ---

    ### **फ्लैशबैक की शुरुआत – अग्निका की आंखों से**

    > **"ऑफिस में उस दिन कुछ ऐसा हुआ, जो मैंने कभी नहीं सोचा था…"**
    >
    > **"वो मैं थी… एक कांफ्रेंस रूम में अकेली…"**
    >
    > **"और फिर वीरान आया…"**

    रूहानी और तान्या की आंखें फैल गईं।

    > **"उसने कुछ कहा… कुछ ऐसा… जो मुझे अंदर तक तोड़ गया।
    > उसने मेरी कमजोरी जान ली थी — मेरा परिवार…"**

    > **"फिर उसने मुझे जूस ऑफर किया।
    > मैं परेशान थी… मैंने पिया…"**

    > **"कुछ मिनट बाद ही मेरी सांसें भारी लगने लगीं…"**
    > **"मैं लड़खड़ाई… और वहीं बेहोश हो गई…"**

    ---

    **"वीरान?!"**
    तान्या की आवाज़ गूंज गई।

    **"तू कह रही है कि उस दिन तुझे ज़हर दिया गया था?"**

    **अग्निका बस सिर हिला देती है।**

    **"लेकिन रिपोर्ट में तो हार्ट अटैक बताया गया…"**
    रूहानी चौंक जाती है।

    **"क्योंकि किसी ने सब कुछ प्लान किया था…"**
    **"शायद मेरा मरना ज़रूरी था… किसी के लिए…"**

    ---

    अब चुप्पी नहीं रही।

    अब सवाल उठ चुके थे।

    अब कहानी **मौत से नहीं**, **साज़िश से भरी ज़िंदगी से** टकराने जा रही थी।

    ---

    ### **बाहर की ओर कैमरा शिफ्ट**

    एक लंबी काली गाड़ी अस्पताल के बाहर आकर रुकती है।
    उसमें से उतरता है — **Reyaan Pratap Singh.**

    गंभीर चेहरा…
    आँखों में सवाल…
    हाथ में एक फाइल — जिस पर लिखा है:

    **“वीरान की सीक्रेट कंपनी: HawkStone Enterprises – Confidential File”**

    रेयान अपनी तरफ से सच्चाई की तलाश में आ चुका था।

    और अब —
    **सात बहनों के साथ, वो भी अग्निका के लिए खड़ा था।**

    ---

    ### अग्निका के अंतिम शब्द इस दृश्य में:

    **"तान्या…"**

    **"अब लड़ाई मेरी नहीं… हमारी है…"**

    ---

    कमरा पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ है।
    सिर्फ टेबल पर एक स्क्रीन जल रही है —
    और उस स्क्रीन पर अस्पताल की CCTV फुटेज चल रही है —
    जिसमें अग्निका को ICU में ले जाया जा रहा है…

    वीरान अपनी कुर्सी पर झुका बैठा है, आंखें गुस्से से लाल।

    उसके सामने खड़ा है उसका सबसे भरोसेमंद आदमी – करण।

    वीरान अपनी बर्फ जैसी ठंडी आवाज़ में कहता है:
    "तुमने कहा था… उसका दम टूट गया था।"

    करण काँपता है:
    "सर… डॉक्टर्स ने भी यही कहा था… उसका हार्ट बंद हो गया था। हमने रिपोर्ट बदलवा दी थी…"

    वीरान अब धीरे-धीरे अपनी जगह से उठता है।
    काले रंग की कमीज़ और चांदी की घड़ी,
    चेहरे पर वो सन्नाटा जो किसी तूफ़ान से पहले आता है।

    "और अब?"
    वो फुसफुसाता है — लेकिन उसकी आवाज़ कमरे में गूंजती है।

    "अब वो ज़िंदा है…"

    "और ज़िंदा लौटने वाले लोग सबसे खतरनाक होते हैं…
    क्योंकि उन्हें अब खोने को कुछ नहीं बचता…"

    सीन कट – अस्पताल का कॉरिडोर, सुबह 3:30
    आयुषी, तान्या और रूहानी अब भी वहीं हैं।
    बाकी बहनें घर चली गई हैं।

    तभी एक साया सीधा उनकी तरफ बढ़ता है।

    रेयान प्रताप सिंह।

    काले ट्रेंच कोट में, आंखों में थकान और बेचैनी।
    पहली बार वो उतना मजबूत नहीं दिख रहा था…
    क्योंकि जिस लड़की ने उसकी कंपनी में काम किया,
    जिसे वो खामोशी से पसंद करता था,
    वो लड़की मौत के करीब थी — और उसे कोई खबर नहीं थी।

    रेयान ICU का दरवाज़ा देखता है…
    और फिर धीमे से पूछता है:
    "वो… कैसी है?"

    आयुषी चुप रहती है।

    फिर तान्या धीरे से कहती है:
    "ज़िंदा है… पर टूटी हुई। और अब… हमारे अंदर भी आग जल रही है।"

    रेयान एक पल के लिए आंखें बंद करता है, जैसे अपना आपा संभाल रहा हो।

    फिर जेब से वो फाइल निकालता है —
    जिसमें वीरान की सारी डिटेल्स हैं।

    "अब तुम अकेली नहीं हो, तान्या। अग्निका अकेली नहीं है।"
    "मुझे नहीं पता उसने क्या किया…"
    "पर मैं अब सब जानना चाहता हूं — सबकुछ।"