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Stubbornness of junoon.

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Dilan H

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Description

चार साल पहले टूट चुकी अक्षिता जिसने अपना सब कुछ खो कर करती है अपनी ज़िंदगी की नई शुरुआत अपने बेटे के साथ। वाही अक्षत खुराना एक बेरेहम बिज़नेस मैन और एक प्ले बॉय जिसे प्यार नाम से नफरत है। जिसकी नफरत की सज़ा आज तक अक्षिता काट रही है। क्या होगा जब चार साल...

Characters

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अक्षिता।

Heroine

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अक्षत खुराना।

Hero

Total Chapters (37)

Page 1 of 2

  • 1. Stubbornness of junoon. - Chapter 1

    Words: 2368

    Estimated Reading Time: 15 min

    आगे।

    जर्मनी:-

    "हाँ बाबा मै आ जाउंगी टाइम पर बस आधा घंटा और संभाल ले मै बस अक्ष को लेकर आ ही रही हूँ।"


    "अक्षु बेबी!"

    "मै आ गया!"

    एक लड़की जो अभी फोन पर किसी से बाते कर ही रही थी अचानक उसके कानो मे एक प्यारी सी आवाज़ जाती है जिसे सुन उस लड़की के होंठो पर प्यारी सी स्माइल आ जाती है और वो फोन को कान के पास ही लगाय हुए पलट सामने देखती है।

    जहाँ से एक छोटा सा बच्चा जो लगभग चार साल के आस पास का था। वो अपने स्कूल यूनिफार्म ड्रेस मे अपने कंधे पर बैग लेकर उस लड़की की तरफ भागते हुए आता है।

    "मै करती हूँ बाद में बेबी आ गया।" वो लड़की सामने से आ रहे बच्चे को देखते हुए फोन पर कहती है और फोन कट कर देती है।

    उस लड़की के चेहरे से एक बार भी स्माइल गायब नहीं हुई थी। चेहरे पर प्यारी सी स्माइल middle lenth silki हेयर. उसके लते जो बाल बाल कभी उसकी आँखों को तो कभी उसके गालो को चूम रही थी। चेहरा इतना प्यार की कोई भी मोहित हो जाय। दिखने मे वो बिल्कुल भी नहीं लग रही थी की वो 22 साल की है। उसका फेस फीचर्स बिल्कुल बच्चो की तरह था पर आँखों मे एक अकेलापन जिसे वो अपनी मुस्कुराहट से छिपाय बैठी थी।

    हलकी गोल्डन आईज खूबसूरत आँखे और घनी पलके जो उसकी खूबसूरती मे चार चाँद लगा रहे थे। गोरी स्किन और ऊपर से वाइट लूज़ टीशर्ट और ब्लैक जिन्स जिसमे वो लड़की बला की खूबसूरत लग रही थी। जी हाँ ये कोई और नहीं अक्षिता शर्मा थी बहुत बदल चुकी थी इन चार सालो मे वो।

    "अक्षु बेबी आप यहाँ क्या कर रही हो? अभी तो आपको रेस्टुरेंट में होना चाहिए था ना?" वो छोटा सा बच्चा अपने दोनो हाथ कमर पर रख वो लड़की जिसका नाम अक्षु (अक्षिता) था। उसे डांटते हुए कहता है।

    "o my little boy आपकी अक्षु बेबी आपको लेने आई है आपको अच्छा नहीं लगा?" अक्षु अपनी निज के बल बैठ अक्ष के बिल्कुल बराबर मे होकर उसके chubby सिक्स को प्यार से खींचते हुए कहती है।

    अक्ष अक्षिता का बेटा जो अक्षिता के लिए पुरी दुनियाँ है। या यु कहे उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत हकीकत जिसे वो मुस्कुरा कर जी रही है। वाही अक्ष जो अपनी उम्र से काफी बड़ा और म्यूचर बिहेव करने वालो मे से है। बेसक से वो अक्षिता का बेटा है पर उसकी तरह इनोसेंस बिल्कुल भी अक्ष मे नहीं था। या यु कहे बच्चो वाले एक भी गुण उसमे नहीं थे और ना ही उसे दोस्त बनाना खेलना ये सब पसंद था। वो अकेला रहना ज्यादा पसंद करता था। और उसकी आदत भी बिल्लुल भी अक्षिता की तरह नहीं थी।

    अक्षु की इस हरकत से अक्ष चिड़ जाता है अपने गाल को अक्षु से छुड़वा कर अपने गालो को इस तरह रफ करने लगता है जैसे उसके गालो पर कुछ लग गया।

    "ये क्या है अक्षु बेबी you are young girl बच्चो जैसी हरकत मत किया करो मेरे साथ।"

    अक्ष की ये बात सुन अक्षु का तो मुँह ही बन जाता है। वो अपनी आँखे छोटी कर अक्ष को घूरने लगती है और मन में कहती है।

    सच मे कितना rude है इसको तो मेरी कदर ही नहीं है उन्हू!

    "और वैसे भी अब मै छोटा बेबी नहीं हूँ इसलिए don't be treat little boy. अब मै बड़ा हो गया हूँ और खुद अकेले घर आ सकता हूँ।"

    अक्ष की बातो से अक्षु का ध्यान टूटता है। अक्षु कुछ पल उसे बड़े ध्यान से देखती है। उसके फेस को और स्पेसली उसकी ब्राउन आँखे जो उसे किसी की याद दिला देती है।

    कुछ देर पहले खिला उसका चेहरा एक बार फिर उदासी के बदल मे छिप जाता है। वाही अक्ष अपनी अक्षु बेबी के एक्सप्रेसशन को अच्छे से नोटिस कर रहा था जिसे नोटिस कर वो जल्दी से बोल पड़ता है।

    "मुझे भूख लगी है।"

    ये बात वो बड़े ही क्यूट तरीके से कहता है जिसे सुन अक्षु का ध्यान एक बार फिर टूटता है और वो अक्ष को देखती है जो इस समय बेबी फेस के साथ अक्षु को देख रहा था। अक्ष की मासूमियत सिर्फ अक्षिता के लिए थी।

    अक्षु हलकी स्माइल करती है फिर अपनी जगह से खड़ी हो अक्ष का हाथ पकड़ते हुए कहती है।

    "चलो।"

    इतना बोल दोनो ही वहा से चले जाते है।

    वाही दूसरी तरफ:-

    "बॉस आपने जैसा कहा था मीटिंग अरेजमेंट करवा दी गई है।"

    "good अब उन्हे मना कर दो कह दो अक्षत खुराना को उनकी डील मे कोई इंटरस्ट नहीं है।"

    अक्षत अपने चल रहे असिस्टेंट से कहता है। उसकी बात सुन उस आदमी को थोड़ा झटकता लगता है।

    "पर बॉस आपको जर्मनी इसी डील के लिए आये थे ना? तो आ_अब कैंसिल क्यू?" अक्षत की बात पर उसका असिस्टेंट थोड़ा हकलाते हुए उससे पूछता है।

    उसकी बात पर अक्षत के कदम रुक जाते है और वो अपनी खा जाने वाली नज़रो से असिस्टेंट को देखता है और rude टोन मे कहता है।

    "मै डील के लिए आया हूँ पर कपूर के नहीं।"

    अक्षत की बात सुन असिस्टेंट को एक और झटका लगता है। की उसका बॉस क्या पागल हो गया है उसे समझ आ रहा है वो क्या बोल रहा है?

    फिर भी वो बेचारा अपना गला गिला कर हिम्मत कर कहता है। "अग_अगर आप कपूर की डि_डील के लिए नहीं आये है तो फिर किसके डील के लिए आये है?"

    " खन्ना!"

    अक्षत के ये एक शब्द थे जिसे सुनते ही उस असिस्टेंट के तो कदम अपने आप रुक जाते है। पर अक्षत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वो ना एक नज़र असिस्टेंट को देखता है और ना वो उसके लिए रुकता है।

    और वहा से निकल अपनी कार मे बैठ निकल जाता है।

    वो असिस्टेंट वर्फ की तरह जामा बस जाते हुए अक्षत को देखता है और खुद से कहता है।

    "क्या बॉस पागल हो गये है? वो कपूर के दुश्मन से डील क्यू कर रहे है? क्या ये जानते नहीं अगर इन्होने खन्ना से हाथ मिलाया तो कपूर से इनके कनेक्शन बिगड़ सकते है?" असिस्टेंट खुद में ही बड़बड़ता है।

    फिर अपना सर हिला हिला कर कहता है। " खैर मुझे क्या कौन सा ये किसी की सुनते है। करते वाही है जो इनका दिल करता है।"

    और फिर वो असिस्टेंट भी वहा से निकल जाता है।


    " thank you so much नैना!"

    अक्षु अपने सामने खड़ी जो अक्षिता की ही उम्र की थी उसके हाथ को पकड़े हुए कहती है। जिसका नाम नैना था। नैना नाम की तरह उसकी आँखे काफी खूबसूरत थी। दिखने मे वो अक्षिता जैसी ही थी पर वो अक्षिता से काफी ज्यादा म्यूचर थी पर दिखाती नहीं थी। और ना उसके चेहरे पर अक्षिता की तरह भोला पन था। उसका chill nature जो उसे अक्षिता से अलग बनता था।

    नैना हलकी स्माइल और हैरानी के साथ उससे पूछती है। " thank you किसलिए?"

    "सब चीज़ो के लिए अगर तु ना होती तो पता नहीं कैसे मे ये रेस्टुरेंट और खुद को सम्भलती।" कहते हुए अक्षु के चेहरे पर उदासी आ जाती है। नैना अक्षिता की बाते और उसके चेहरे को काफी अच्छे से देख और पढ़ पा रही थी। अक्षिता के चेहरे पर उदासी देख नैना जल्दी से उसे नॉर्मल होते हुए अपने अंदाज़ में कहती है।

    "oye पागल ये कैसी बात कर रही है? तु मेरी जान है और मै तेरे साथ नहीं होगी तो और कौन होगा?" नैना अक्षिता से कहती है। इस समय नैना के चेहरे पर हलकी स्माइल थी वाही अक्षिता अपनी मायुशी भरी नज़रो से उसे देख रही थी।

    नैना अक्षिता को देखती है फिर कुछ सोच कहती है।"but शायद तु मुझे अपना नहीं मानती तभी तो मुझे thank you बोल कर मुझे पराया कर रही है।" नैना नाराज़गी के साथ कहती है।

    नैना की बात सुन अक्षिता तुरंत ना मे सर हिला बोल पड़ती है। "नहीं नहीं ऐसा नहीं है। तेरे और अक्ष के सिवा मेरा है ही कौन?" कहते हुए वो अपनी नम आँखों से अक्ष की तरफ देखती है जो रेस्टुरेट के टेबल पर बैठ मज़े मे नूडल्स खा रहा था।

    जिसे देख उसके उदासी भरे चेहरे पर स्माइल आ जाती है। और वो फिर पलट कर नैना को देखते हुए कहती है।

    " चार साल पहले जब मैने ये सफर शुरु किया था तब कोई नहीं था मेरे पास सिवाय तेरे अलावा। तूने मेरे लिए इंडिया छोड़ दिया और मेरे साथ इस नाय देश मे आ गई। और मेरे हर सुख दुख मे मेरे साथ रही। जब मेरे अपनों ने भी मुझे ठुकरा दिया तब सिर्फ तूने मुझे सम्भला।" कहते हुए अक्षु की आँखे नम हो जाती है। उसे अपना दर्दनाक अतीत याद आया कैसे भूल सकती थी अपना अतीत जिससे उससे सब कुछ छीन लिया उसके अपने उसकी फॅमिली उसका पति जिससे शायद जाने अनजाने मे प्यार कर बैठी थी ये जानते हुए भी की वो उसे कभी नहीं मिलेगा।

    अक्षु की बाते और उसकी नम आँखों को देख नैना के चेहरे पर भी उदासी आ जाती है। पर वो खुद को नॉर्मल दिखाते हुए chill mood में आते हुए कहती है।

    " अब तु ना ऐसी सेंटी बाते कर मुझे इमशनल मत कर। पता है ना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है तुझे यु उदास देखना। और रही साथ देने की तो मै तेरा साथ हमेशा दूंगी तेरे पास कोई हो या ना हो मै हमेशा रहूंगी। तु और अक्ष ही मेरी फॅमिली है।" नैना अक्षु के गाल पर हाथ कहती है।

    नैना अक्षिता के अतीत से पुरी तरह वाकिफ थी उसने देखा था अक्षिता को स्ट्रगल करते हुए। वो नहीं भूल सकती थी अक्षिता का वो दर्द वो पल जब मात्र 18 साल की उम्र मे वो प्रेग्नेंट थी और बिल्कुल अकेली टूटी हुई अपनों के ही हाथों।

    जब भी वो अक्षिता को उदास देखती थी उसे चार साल पहले वाली अक्षिता याद आती थी जिसने खुद को मजबूत बनाया अपने अंदर से अपना बचपन मार कर खुद को खड़ा किया और अक्ष को जन्म दिया ये जानते हुए भी वो खुद एक बच्ची थी। इसके बाद भी खुद पर यकीन था वो अकेले खुद को और अपने बच्चे को सम्भल लेगी।

    नैना को अच्छे से पता था अक्षिता को कैसे खुश करना है हमेशा की तरह वो chill होकर कहती है।

    अक्षु के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो जल्दी से नैना के गले लग जाती है। "thank you सच में तु ना होती तो मै कभी खुद को और अक्ष को नहीं सम्भल पाती। और आज मेरा अक्ष मेरे पास है वो भी सिर्फ तेरी वजह से वरना शायद चर साल पहले जब मुझसे सब कुछ छीन चुका था मै हार गई थी जब मै अपनी ज़िंदगी खत्म कर देती। तब तुमने मुझे सम्भला।" कहते हुए एक बार फिर अक्षिता रोने लगती है। वो चाहती नहीं थी रोना पर उसके जख्म जो कभी भरे ही नहीं उन्हे याद कर उसे तकलीफ होती थी।

    अक्षु को हमेशा की तरह रोता बिखराता देख नैना उसकी पीठ को सेहलाते हुए कहती है।

    "शशश क्या हो गया है। तु फिर से उन पुरानी यादो को क्यू याद कर रही है। जो हो गया भूल जा i know थोड़ा मुश्किल है पर कभी ना कभी तो सब भूलना होगा ना। और देखना मेरा दिल कहता है एक दिन तुझे वो सब मिलेगा जो तुझसे छीन गया है। तेरा प्यार भी।" नैना अक्षु से कहती है।

    पर अक्षु कुछ नहीं कहती वो बस उसके गले लग रोना चाहती थी। आज उसका दिल बहुत भारी लग रहा था उसे आज रोने का दिल कर रहा था।

    नैना कुछ मिनट बाद अक्षु को खुद से दूर करती है। और उसके आँसू को साफ करते हुए कहती है।

    "ये आँसू मुझे वापस नहीं दिखने चाहिए समझी। और रही अक्ष की बात तो क्या मै उसकी मासी नहीं हूँ मेरा उसपर कोई हक़ नहीं है?"

    अक्षु जो अपने आँसू साफ कर रही थी नैना की बात सुन ना में सर हिलाते हुए हलकी स्माइल और आँखों मे नमी लिए कहती है।

    " ऐसा नहीं है। वो सिर्फ मेरा बेटा नहीं तेरा भी है जन्म चाहे मैने दिया हो पर तुम्हारे बिना मै कभी अक्ष की परवरिश नहीं कर पाती।"

    अक्षु की बात पर नैना मुस्कुरा देती है।

    "ufff god ये दोनो लेडीज कितना रोती है। इनका कुछ करो वरना ये मुझे भी अपने जैसा बना देगी।"

    अक्षु और नैना की बात खत्म हुई ही थी की अक्ष उनके पास आकर ऐटिटूड के साथ कहता है।

    उनकी बात सुन दोनो अपना सर झुका सामने अक्ष को देखती है।

    "अच्छा जी हम रोती है। भूलो मत छोटे सैतान जब तुम हुए थे ना तो मेरा और अक्षु दोनो का जीना हराम कर के रखा था रो रो कर।" नैना मुस्कुराते हुए अक्ष के सामने बैठती है और उसकी छोटी सी नाक खींचते हुए कहती है।

    अक्ष उसकी हरकत पर अपनी नाक सिकुड़ता है और फिर कहता है। "उफ्फ्फ हो नैनु मासी आप भी अक्षु बेबी की तरह बच्चो वाली हरकत करने लगी।"

    "बच्चो जैसी हरकत?" अक्ष की बात पर नैना अजीब सा मुँह बना कर अक्षु की तरफ देखती है जो हाथ बांधे मुस्कुराते हुए दोनो को देख रही थी।

    " कुछ ज्यादा हवा में नहीं है ये तुम्हारा लाडला?" नैना अक्षु से कहती है।

    " what हवा? देखा आप लोग बाते मे सेंसलेस करते है। मै बड़ा हो चुका हू पता नहीं आप दोनो कब बड़े होगे?" अक्ष नैना की बात पर अपने सर पर हाथ रख ना गवारी से सर हिलाता है।

    "अच्छा छोटे सैतान दिख रहा है बहुत बड़े हो गये हो अब लगता है तुम्हारी शादी करवानी पड़ेगी।" नैना अपनी जगह से खड़ी होती है।

    और फिर अक्षु की तरफ देख कहती है। "मै घर जा रही हूँ अक्ष को चेंज करवा कर वापस ले आउंगी। मुझे कही जाना है। तुम सम्भल लोगी ना अकेले रेस्टुरेंट?"

    अक्षु मुस्कुराते हुए कहती है। "हम्म्म तुम जाओ मै हूँ सब सम्भल लूंगी। पर प्लीज शाम होने से पहले आ जाना पता है ना यहाँ कितनी भिड़ लग जाती है।"

    अक्षु की रिक्वेस्ट सुन नैना मुस्कुराते हुए कहती है। " हाँ बाबा शाम से पहले आ जाउंगी।"

    इतना बोल वो अक्ष का हाथ पकड़ती है और फिर वो रेस्टुरेंट से बाहर निकल जाती है।

    उनके जाने के बाद एक बार फिर अक्षु की आँखों में नमी आ जाती है।

    "मै तुम्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी। मैने तुमसे प्यार किया था पर तुमने मुझे धोखा के सिवा कुछ नहीं दिया।"

  • 2. एक्सीडेंट। - Chapter 2

    Words: 2025

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।


    शाम का समय अक्षु ऑर्डर तैयार कर रही थी। आज उसे किसी के पार्टी का ऑर्डर रेडी करना था जिसमे वो बहुत ही ज्यादा बिजी थी। वाही उसके पास ही सोफे पर बैठा अक्ष काफी सेरियस होकर अपना वर्क कर रहा था।

    "पता नहीं नैना कहा रह गई कहा था मैने जल्दी आ जाय।" अक्षु अपना काम करते हुए परेशानी से कहती है उसके चेहरे से पता चल रहा था वो कितना ज्यादा थक गई है। ऊपर से उसे नैना की टेंशन हो रही थी शाम कर बोल कर गई थी और अब तक नहीं आई थी।

    कुछ देर बाद एक बड़ी सी ब्लैक कार उस रेस्टुरेंट के बाहर आकर रूकती है।

    कार रुकते ही बैक सीट पर बैठा शख्स अंदर से ही उस रेस्टुरेंट को देखता है जो ना बड़ा था और ना छोटा था। और उस रेस्टुरेंट का नाम भी बड़ा यूनिक था।

    " अपना रेस्टुरेंट?"

    "ये कैसा नाम है?" वो शख्स ड्राइवर से सख्त आवाज़ में कहता है।

    जाहिर सी बात है जर्मनी जैसी जगह पर इतना सिंपल नाम सुनना या इस नाम से रेस्टुरेंट होना काफी हैरानी वाली बात थी।

    उसकी आवाज़ से ड्राइवर कुछ पल के लिए डर जाता है पर हिम्मत कर कहता है।

    "बॉस ये रेस्टुरेंत बहुत अच्छा मैने लोगो के मुँह से सुना यहा की लेडी के हाथ मे जादू है जो भी इनके हाथ का खाता है दीवाना हो जाता है।" कहते हुय ड्राइवर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।

    "तो इसमे मे क्या करु? मुझे क्यू सुना रहे हो?" आक्षत ड्राइवर से चिड़ी हुई आवाज़ में कहता है। उसके चेहरे पर थकान साफ नज़र आ रही थी और ड्राइवर की बातो से उसे चिढ़ होनी शुरु हो गई थी।

    उसकी बात सुन ड्राइवर का मुँह छोटा हो जाता है उसने क्या सोचा था और क्या हो गया उसने सोचा अपने बॉस को यहा लाएगा यहा की दिश टेस्ट करवाएगा तो क्या पता इसके अकड़ू बॉस ठीक हो जाय पर यहा तो उलटी गंगा बह गई।

    "sorry बॉस मैने सोचा आपको भूख लगी होगी। तो मै आपको यहाँ ले आया।" ड्राइवर उदास मन से कहता है। उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी इतनी छोटी बात पर अक्षत इतना चिढ़ जायेगा। खैर गलती उसकी भी नहीं थी अक्षत था ही ऐसा। बहुत कम लोग है जिनसे अक्षत नॉर्मली बात करता होगा या यु कहे कोई है ही नहीं।

    आक्षत का ध्यान अपने फोन पर था पर वो ड्राइवर की सारी बाते सुन रहा था।

    "मुझे भूख लगी है या नहीं उसकी फ़िक्र तुम मत करो तुम्हारा जो काम है वो करो।" आक्षत रुड होकर कहता है।

    ड्राइवर हाँ मे सर हिलता है फिर कुछ पल कुछ सोच धीमी आवाज़ में कहता है।

    "वैसे ए_एक बार try करने में क्या हर्ज है।"

    ड्राइवर कहते हुए चुप हो जाता है क्युकी अब उसे अपने ऊपर आक्षत की तपिश महसूस हो रही थी। उसे पता था अब अगर उसने आगे कुछ कहा तो वो खाना खाये ना खाय पर अक्षत के गुस्से का शिकार ज़रूर हो जायेगा।

    ड्राइवर कुछ कहता है या अक्षत उसपर गुस्सा करता है इतने में एक आवाज़ दोनो के कानो मे जाती है और दोनो अपना ध्यान बाहर की तरफ करते है।


    वही दूसरी तरफ:-
    "अरे बाप रे आज तो लेट हो गई अक्षु बहुत गुस्सा करेगी।" नैना जल्दी जल्दी चलते हुए कहती है। और बार बार अपने फोन को चिढ़ी हुई देख रही थी।

    "ऊपर से फोन को भी अभी ही स्वीट ऑफ होना था वो तो जान ले लेगी मेरा।" नैना अपने फोन को ओंन करने की कोशिश करते हुए कहती है।

    पर उसका फोन जो गिर कर बंद हो गया था और तब से ऑन ही नहीं हो रहा था।

    "अब इस फोन का कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा ऐसे तो ये एक दिन मुझे फसवा कर मानेगा।"

    "एक तो टेक्सी नहीं मिल रही पता नहीं सब कहा मर गये। o god क्यू करते हो ऐसा?" नैना बार बार पीछे देखते हुए चिढ़ी हुई आवाज़ में कहती है। पर रात काफी होने की वजह से कोई नहीं दिख रहा था। ज़्यदा रात भी नहीं हुई थी पर नैना जिस रास्ते पर थी वहा लोगो का आना जाना कम ही होता है। जिस वजह से आज उसे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था की घर जल्दी पहुंचने के लिए उसने ऐसा रास्ता क्यू चुना?

    उसे दूर दूर तक कोई टेक्सी नज़र नहीं आ रही थी और ऊपर से रेस्टुरेंत काफी दूर था। पैदल चलती है तो काफी समय लग सकता है।

    वो चिढ़ी हुई आवाज़ में आगे बढ़ी ही रही थी अचानक उसकी नज़र सामने जाती है वो खुद को सम्भलती जब तक एक कार आकर उसको ठोक देती है।

    "ah माँ मर गई!" नैना जिसे कार ने हलके से हिट किया था। और आगे ध्यान ना होने की वजह से वो वाही गिर जाती है।

    "अंधे होकर गाड़ी चलाते हो क्या?जब आतो नहीं है तो क्यू चला रहे हो।" नैना बैठी हुई ही कार को देख कर रोने जैसा मुँह बना कर सुना रही थी।

    उसके हाथ पर हलका सा करोच आ गई थी जिसे देख उसपर फूंक मरते हुए कहती है। हलाकि वो हलकी सी ही थी खरोच थी।

    "कितनी जोर की लग गई।"

    "जितना आप तमाशा कर रही है उतनी तो आपको लगी भी नहीं है।" एक सख्त ठंडी आवाज़ नैना के कानो मे जातिओ है।

    नैना नज़रे उठा सामने देखती है जहाँ कार के पास ही एक लम्बा चौड़ा शख्स बड़े ही ऐटिटूड के साथ खड़ा नैना को ही देख रहा था। एक पल के लिए तो नैना की नज़र उस आदमी पर थम जाती है हलाकि की थोड़ा अंधेरा होने की वजह से उसका चेहरा साफ तो नज़र नहीं आ रहा था पर उसकी बॉडी हाईट और उसकी काली आँखे नैना बखूबी देख सकती थी।

    "लगता है असर दिमाग पर हुआ है?"

    "what you mean कहना क्या चाहते है?" नैना उसकी बात पर उसे घूरते हुए कहती है।

    "यही की आपका तमाशा खत्म हुआ हो तो मेरी कार के आगे से हटे मेरे पास समय नहीं है।" इतना कह कर वो शख्स वापस अपनी कार की तरफ मुड़ जाता है।

    वो अपने कार के पास पहुँचता है इतने में उसके कदम रुक जाते है।



    "क्या आप यहा अपना घर बनाना चाहते है?"

    आक्षत विंडो से बाहर देखता है। तो बाहर अक्ष खड़ा था जो उसे देख रहा था। अक्ष को देख उसके एक्सप्रेसशन बिगड़ते है और वो विंडो का शीशा निचे करता है।

    और अक्ष से कुछ कहता उससे पहले अक्ष बोलता है।

    "क्या आपको हमारे रेस्टुरेंट से प्यार हो गया है? या आपको ये इतना अच्छा लगा की आपको यहा रहने का मन कर रहा है।"

    "what? "

    अक्ष के बोले गये बात पर आक्षत थोड़ा चिढ़ते हुए कहता है।

    "ये क्या बोल रहे हो तुम?" आक्षत थोड़ी चिड़ी हुई आवाज़ में कहता है।

    अक्ष कहा कम रहने वाला था वो बड़े ही ऐटिटूड अंदाज़ में अपने दोनो कमर पर हाथ रख क्यूट तरीके से कहता है।

    "मै सही बोल रहा हूँ अगर आपको हमारे रेस्टुरेंट से कुछ नहीं चाहिए तो आपने अपनी इतनी बड़ी गाड़ी क्यू खड़ी की हुई है। क्या आपको दिखाई नहीं दे रहा शाम हो रही है इस समय कस्टमर्स का आने का टाइम है और आप है की हमारा रास्ता रोक कर खड़े है।" अक्ष इस समय बिल्कुल किसी बड़े लोगो की तरह कह रहा था।

    उसकी उम्र ही अभी छोटी थी बाकी उसका दिमाग और उसका बोलने का तरीका पुरा बड़ो के जैसा था। या यु कहे वो सारे बच्चो से अलग था उसके अंदर बचपना कम और समझदारी ज्यादा थी।

    वाही आक्षत जो अक्ष की बात सुन उसकी नज़र अक्ष पर टिक गई वो बड़े ही ध्यान से अक्ष को देख रहा था। उसकी आँखे उसका चेहरा उसका ऐटिटूड सब आक्षत को किसी की याद दिला रहा था। उसकी ब्राउन आँखे देख तो आक्षत कुछ पल के लिए खामोश हो गया। उसकी आँखे उसका मासूम चेहरा जिसमे में कही खो गया था।

    "क्या आप को सुनाई नहीं देता है क्या हैंडसम?" अक्ष की आवाज़ से उसका ध्यान टूटता है।

    उसके मुह से हैंडसम सुन आक्षत की आँखे छोटी हो जाती है उसके फेस एक्सप्रेसशन चेंज होते है।

    "क्या कहा तुमने?" अक्षत अक्ष से कहता है।

    "आपको सुनाई नहीं देता?" अक्ष थोड़े हैरानी से कहता है।

    "इसके बाद?" आक्षत बेसब्री के साथ कहता है।

    अक्ष को हैरानी और चिड़ दोनो होती है पर फिर भी वो मुँह बनाते हुए कहता है।

    "मैने आपको हैंडसम कहा अब ये मत पूछना क्यू? क्युकी आप हैंडसम दिखते हो इसलिय।"

    अक्ष ने इतना ही कहा था की इतने मे अक्षु की आवाज़ उसके कानो मे पड़ती है।

    "अक्ष कहा हो? वहा क्या कर रहे हो तुम्हे home work नहीं करना क्या?"

    अक्षु की आवाज़ सुन अक्ष तुरंत ही अक्षु की डायरेक्शन की तरफ देख बोल पड़ता है। वाही आक्षत के चेहरे के भाव बदलते है और उसके कान खड़े हो जाते है।

    "उफ्फ हो अक्षु बेबी मैने अपना home work कम्प्लीट कर लिया है।" अक्ष अक्षु से कहता है।

    और फिर आक्षत की तरफ देखता है जो उसे बड़े ही ध्यान से देख रहा था।

    " अक्षु बेबी तुम्हारी girl friend है क्या?पर आवाज़ से तो वो कोई बड़ी बच्ची लग रही है?" आक्षत अपने सवाल को अंदर ना दबा कर बाहर निकलते हुए कहता है।

    अक्ष अपनी आँखे छोटी कर अक्षत को देखता है। " आप यहाँ मेरा टाइम वेस्ट कर रहे है तो अच्छा होगा आप अपनी गाडी यहा से हटाइये वरना अक्षु बेबी की डांट पड़ जायेगी।"

    अक्ष की बात सुन आक्षत की आँखे छोटी हो जाती है। वो कुछ कहता उससे पहले अक्षु की एक बार फिर आवाज़ आती है।

    "अक्ष बाहर क्या कर रहे हो अंदर आओ।"

    "आया अक्षु बेबी।"

    अक्षु के कहने पर अक्ष कहता है और जल्दी से पलट अंदर की तरफ जाता है। वाही अक्षत जिसकी नज़र मैन डोर पर थी जहा अक्षु खड़ी थी। वो अक्षु को कमर तक ही देख रहा था क्युकी कार के अंदर होने की वजह से और सामने आकश के खड़े होने की वजह से वो आक्षु को नहीं देख पा रहा था। पर आक्षत के अंदर एक वैचैनी सी जाग उठी थी अक्षु को देखने की। उसका दिल अब जोरो से ठड़क रहा था जिसका अंदाजा उसे भी नहीं था।


    अक्ष अभी कुछ कदम ही चला था की कुछ सोच वो रुकता है और पलट कर आक्षत की तरफ देखता है।

    "दूसरी बात वो मेरी girl friend नहीं मेरी mumma है।"

    आक्षत पहले तो कुछ नहीं कहता फिर अक्ष की बातो पर ध्यान दे जल्दी से कहता है।

    "और पहली बात क्या है?"

    " पहली बात आप जल्दी जाओ अपनी बड़ी सी गड़ी लेकर वरना अक्षु बेबी बहुत गुस्सा करेगी।"

    इतना बोल अक्ष जल्दी से अंदर जाता है। और डोर के पास खड़ी आक्षु को देखता है।

    "कौना था किसके बात कर रहे थे?"

    "वो एक हैंडसम मैन थे उन्हे समझा रहा था की ऐसे किसी के रेस्टुरेंट के बाहर गाड़ी खड़ी नहीं करते।" अक्षु के पूछने पर अक्ष सीधा सीधा जवाब देता है।

    अक्षु अक्ष की बात सुन सामने खड़ी कार को देखती है जिसके अंदर उसे एक शख्स का अक्ष दिखाई देता है पर वो भी उसका चेहरा नहीं देख पा रही थी।

    "अक्षु बेबी!"

    अक्ष अक्षु को कही खोया देख उसका हाथ पकड़ हिलाता है।

    "haanha! " अक्षु अपना ध्यान सामने से हटा अक्ष को देखती है जो अपने chubby face के साथ उसे देख रहा था।

    "क्या हुआ?" अक्ष पूछता है।

    अक्षु मुस्कुराते हुए जवाब देती है। "कुछ नहीं। कितनी बार कहा है स्ट्रेंजर से बात नहीं करते।"

    "पर वो स्ट्रेंजर नहीं है अक्षु बेबी।" अक्ष तुरंत जवाब देता है।

    "अच्छा तो कौन है वो बताओ जरा क्या आप जानते हो उन्हे?" अक्सगु अक्ष से सवाल करती है।

    अक्ष ना मे सर हिलाता है और अपने चेहरे पर मासूमियत के साथ कहता है।

    "नहीं पर वो मुझे स्ट्रेजर नहीं लगे वो मुझे अपने से लगे।"

    " मुझे तो आपकी समझ ही नहीं आती आप कहते कता हो?" अक्षु अक्ष की बात पर ना गवारी से सर हिलाती है।

    और फिर एक नज़र कार की तरफ देखती है। फिर अक्ष के हाथ को थाम कहती है। "चलो अंदर।" इतना बोल वो अक्ष का हाथ पकड़ अंदर की तरफ बढ़ जाती है।

    "अक्षु बेबी!" आक्षत कार मे बैठा हुआ रेस्टुरेंट को देखते हुए अक्ष की बात दोहरता है उसके चेहरे पर इस समय एक स्माइल थी।

  • 3. I love you. -Chapter 3

    Words: 2100

    Estimated Reading Time: 13 min

    आगे।

    अक्षिता अपने घर मे छोटे से लिविंग हॉल मे टेंशन से इधर उधर घूम रही थी। वो बार बार अपने दोनो हाथों को रफ कर करते हुए कहती है। "पता नहीं कहा है नैना? अब तक तो आ जाती है मुझे बहुत टेंशन हो रही है। उसने कहा था वो शाम तक आ जायेगी पर अब रात के 12 बजने वाले है अब तक आई क्यू नहीं।" अक्षिता बार बार मैन डोर की तरफ देख रही थी उसकी नज़रे वाही पर जमी हुई थी।


    "एक तो फोन भी स्वीट ऑफ बता रहा है क्या करु मै? मुझे बहुत टेंशन हो रही है वो ठीक तो होगी ना?" अक्षु अब हद से ज्यादा परेशान होने लगती है उसकी आँखों मे अब आँसू आने लगे थे ये सोच सोच कर की नैना आखिर गई कहा ऊपर से उसका कुछ पता नहीं है।


    "नहीं नहीं मुझे कुछ करना होगा ऐसे तो नहीं बैठ सकती ना मै पर करु क्या?" फिर कुछ सोच कहती है। " हाँ मै पुलिस को इन्फॉर्म करती हूँ।" उसके चेहरे पर उम्मीद सी झलक जाती है।


    पर फिर कुछ सोच कहती है। "पर अभी 24 घंटे तो हुए नहीं? उन्होंने मेरी रिपोर्ट नहीं लिखी तो?" उसका चेहरा एक बार फिर उतर जाता है।


    वो वाही सोफे पर बैठ जाती है और सामने लगी वॉल घड़ी को देखने लगती है जिसका समय वक़्त के साथ बढ़ता जा रहा था उसी के साथ साथ अक्षु की टेंशन भी बढ़ती जा रही थी।


    कुछ देर बाद वो अपनी जगह से खड़ी होती है। "नहीं अक्षिता तु ऐसे आराम से नहीं बैठ सकती। नैना मिसिंग है तुझे कुछ करना होगा यु हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ नहीं होगा। तुझे कुछ सोचना होगा।" अक्षु खुद से कहती है।


    और फिर वापस इधर उधर घूमने लगती है और अपने हाथ पर मोबाइल फोन को हलके हलके मारते हुए कहती है। "कुछ सोच अक्षिता कुछ सोच?" कहते हुए वो अपने निचले होंठ को अपने दांतो के बिच दबाती है। उसकी नज़र अभी भी बार बार मैन डोर तो कभी वॉल पर जा रही थी।


    "क्या करु नैना को ढूंढ़ने जाऊ? पर कैसे मै यहाँ तो किसी को जानती भी नहीं और इतनी रात हो चुकी है। और अक्ष भी सो रहा है उसे कैसे छोड़ कर जाऊ?" वो सोचते सोचते मैन डोर तक आ गई थी और हलका सा अपना चेहरा बाहर निकाल इधर उधर देख रही थी। उसे अपने आस पास अकेला पन के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।



    उसे आस पास एक भी इंसान नहीं नज़र नहीं आ रहे थे।



    " मुझे जाना होगा इतनी रात को नैना अकेली होगी। plz कन्हा नैना ठीक हो मेरा सोचना गलत हो।" वो परेशान भरी आवाज़ में कहती है।



    और फिर अंदर कु तरफ आते हुए कहती है। "अपना बैग ले लेती हूँ क्या पता उसकी ज़रूरत पड़ जाय।" इतना बोल वो जल्दी से वाही एक कोने मे बने कमरे की तरफ जाती है।


    वो कमरा अक्षिता और अक्ष था जिसमे कभी कभी नैना भी आ जाया करती थी। अक्षु कमरे में आती है और अपना बैग उठाते हुए इसकी नज़र अक्ष पर जाती है जो अपने बिखरे बालो के साथ सोया हुआ था।



    अक्षु के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है और वो झुक कर उसके गाल पर kiss करते हुए कहती है। "मेरा बच्चा सोते हुए कितना मासूम लग रहा है।" और फिर उसके सिल्की बालो पर हाथ फेरने लगती है।


    "मम्मा अभी बस कुछ देर मै आ जायेगी नैना मासी के साथ।" इतना बोल वो एक बार फिर उसके गालो पर kiss करती है और अक्ष को अच्छे से ब्लेंकेत से कवर कर कमरे से बाहर निकल जाती है।


    अक्षिता कमरे से जल्दी जल्दी निकलते हुए कहती है। "घर पर ताला मार देती हूँ वरना कही बेबी उठ जाय और फिर बाहर ना निकल जाय वैसे भी इतनी रात हो रही है।" अक्षु अपने बैग का चैन बंद करते हुए आगे बढ़ रही थी।


    इतने में उसके कानो मे आवाज़ आती है जिसे सुन उसके कदम वाही रुक जाते है। "कहा जा रही हो?" अक्षु सामने खड़ी नैना को देखती है। जिसे देख अक्षु की जान में जान आती है और वो जल्दी से उसके पास जाकर उसके गाले लग जाती है।


    "कहा चली गई थी तुम? तुम्हे पता है कितनी टेंशन हो रही थी मुझे दिमाग में कितने बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे।" अक्षु उसे और जोर से हग कर लेती है।


    नैना के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है वो जानती थी अपनी अक्षु को जो बात बात पर किस तरह परेशान हो जाया करती थी। वैसे तो वो खुद को बाहर से बहुत स्ट्रांग दिखाती थी पर अंदर से उतनी ही ज्यादा मोम की थी थोड़ी सी छोटी छोटी बातो में वो इतना ज्यादा टेंशन ले लेती थी की पूछो मत। और आज तो उसका लेना बनता था आखिर नैना इतनी रात तक घर नहीं आई थी।



    नैना हलका सा मुस्कुराती है और अक्षु को बैक हग करते हुए कहती है। "उफ्फ्फ हो my डरने की मशीन मै ठीक हूँ।"


    अक्षु चिढ़ते हुए उससे दूर होती है।" अगर ठीक हो तो इतना लेट कैसे हो गया? तुम तो शाम से पहले आने वाली थी ना?" अक्षु की आँखों मे आँसू थे। वो किस लिए थे नैना समझती थी उसके अंदर हमेशा अपनों को खो देने का डर बना रहता था।



    नैना अक्षु को देखती है फिर अपना हाथ आगे बढ़ा उसके आँखों मे मोटे मोटे आंसु को साफ करते हुए कहती है। "कुछ नहीं हुआ है मुझे बस एक गधे ने कार ठोक दी थी मुझे।"


    "क्या?" नैना के कहते ही अक्षिता हैरान भरे भाव के साथ उसे देखती है।


    और फिर नैना को चेक करते हुए फ़िक्र भरी आवाज़ में कहने लगती है। "दिखाओ मुझे कहा लगी ज्यादा तो नहीं लग गई? तुम ठीक हो ना? चलो हम डॉक्टर के पास चलते है। plz चलो तुम्हे कही लग तो नहीं गई ना?"



    अक्षु एक साँस में बस बोले जा रही थी उसे इतना परेशान देख नैना अक्षु को दोनो कंधे से पकड़ती है। "शशशशश शांत बेबी शांत ठीक हूँ मै कुछ नहीं हुआ। वो तो सही मौक़े पर उस गधे ने कार रोक दी तो मै बच गई वरना तेरी नैना आज हॉस्पिटल मे आखिरो सांसे ले रही होती।" नैना मज़ाकिया अंदाज़ में कहती है।


    उसकी बात सुन अक्षु अपनी आँखे छोटी कर उसे देखती है फिर उसके कंधे पर मारते हुए कहती है। "shut up कैसी बाते बोल रही हो। कन्हा ना करे ऐसा कुछ हो।" अक्षु एक बार फिर इमोशनल हो जाती है और नैना के गले लग जाती है।



    "ऐसी बाते मत किया करो। तुम्हे पता है ना तुम्हारे अलावा मेरा और अक्ष बेबी का कोई नहीं है। तुम हमारी पुरी फॅमिली हो तुम्हारे बिना हम दोनो अधूरे है।" अक्षिता की आँखे नम हो जाती है गला भर उठता है। वो आँसू बहना नहीं चाहती थी पर अपने आप उसके आँसू निकल रहे थे।


    उसकी बात सुन नैना भी थोड़ी इमशनल हो जाती है और वो अक्षिता को कश कर हग करते हुए आगे कहती है। " और तु भी जानती है की तु और अक्ष मेरे लिए पुरी दुनियाँ हो तुम दोनो ही मेरा पुरा परिवार हो" और फिर अक्षिता को खुद से दूर कर उसे देखते हुए हलकी मुस्कुराहट के साथ कहती है। "हम हमेशा साथ रहेंगे। हमें कभी कोई अलग नहीं कर सकता और ना हम कभी होगे। और युही साथ साथ रहेगे। है ना?" उसकी बात पर अक्षिता हाँ में सर हिला देती है।



    "उफ्फ्फ़ हो ये लेडीज लोग भी ना कितना रोती है।" पीछे से अक्ष अपने कमर पर दोनो हाथ रख उन दोनो को देखते हुए कहता है।


    जैसे ही उन दोनो के कानो मे अक्ष की आवाज़ जाती है दोनो पलट कर सामने देखते है जहाँ अक्ष खड़ा बड़ा ही क्यूट लग रहा था। क्युकी वो अभी उठ कर आया था जिस वजह से उसका क्यूट फेस और ज्यादा क्यूट हो गया था ऊपर से उसके हलके ब्राउन सिल्की हेयर उसके माथे पर बिगड़े हुए थे। और ऊपर से अक्षु के पहनाया गया नाईट सूट जो उसके लूक को और प्यारा बना रहा था।



    नैना अक्ष को देखती है फिर अपने आँसू साफ करते हुए कहती है। "लो भई आ गया इस घर का मर्द।" और कह कर मुस्कुराने लगती है अक्षु भी अपने आँसू साफ करती है और बेबी की तरफ देखने लगती है।



    वाही अक्ष नैना की बात पर उसे घूरता है और कहता है। "आप लोग टाइम नहीं देखते क्या? जहाँ मिलता है रोना शुरु कर देते हो मै तो सोच रहा हूँ कही आप दोनो की आँखों में टंकी तो नहीं फिट है ना?" अक्ष कहता है।


    उसकी बात सुन नैना इसकी तरफ बढ़ते हुए कहती है। "सही कहा छोटे सैतान तुमने तुम्हारी mumma की आँखों मे सच मे टंकी है तभी तो देखो मुझे भी रुला देती है। वरना तुम तो जानते हो मुझे मै बिल्कुल तुम्हारी तरह हूँ स्ट्रांग।" नैना मुस्कुराते हुए अक्ष से कहती है और उसके चुब्बी गाल को खींचती है।


    अक्ष उसकी हरकतो पर चिड़ जाता है। वाही अक्षिता की आँखे बड़ी और हैरानी से फेल जाती है नैना की बाते सुन कर।


    वो कुछ कहती उससे पहले अक्ष कहता है। "very bad मासी आप मेरी अक्षु बेबी को वीक बोल रही है। अक्ष की mumma बहुत स्ट्रांग है बिल्कुल अक्ष की तरह तभी तो अक्ष भी स्ट्रांग है।" अक्ष अक्षु की तरफ देखता है जिसके चेहररे पर उसकी बात सुन स्माइल आ गई थी।


    नैना आंखे छोटी कर अक्ष को घूरती है हलाकि ये कोई पहली बार नहीं था। ये तो हमेशा का था जब भी अक्ष कुछ कहता और नैना अगर अक्षु के बारे में कुछ कह देती थी। तो अक्ष तुरंत ही उसका सपोर्ट करता था उसे बिल्कुल बरदस्त नहीं था कोई उसकी मम्मा के बारे में कुछ भी बोले। वो हमेशा अक्षु के चेहरे पर स्माइल देखना पसंद करता था और उसकी बातो को सुन ऐसा होता भी था।



    "हो कितने चालक हो अक्ष तुम।" नैना उससे नाराज़ होने का नाटक कर अपना चेहरा फूला दूसरी तरफ कर लेती है। अक्ष नैना की इस हरकत पर देखता है और ना में सर हिला अपना हाथ अपने माथे पर मार बड़े ही क्यूट अंदाज़ में कहता है। " किस किस के नखरे उठाउ मै। मै छोटा सा मासूम सा बच्चा और ये दोनो लेडिस परेशान कर दिया है मुझ मासूम को। पता नहीं कब बड़ी होगी दोनो।"


    अक्ष की बात सुन नैना उसे आँखे छोटी कर ऐसे घूरती है जैसे वो देख रही हो इतनी लम्बी लम्बी बाते करने वाला बच्चा आखिर है कितना बड़ा जो उन्हे बच्चा बोल रहा है।



    खैर उन दोनो का तो चलता रहता जिसे देख अक्षु अपना सर ना में हिलाती है। "अक्ष आप सोये नहीं आप उठ क्यू गये?" अक्षु उसकी तरफ बढ़ते हुए कहती है।


    अक्ष उसको अपनी तरफ आता देख अपने दोनो हाथ हवा में उठा लेता है। " मै तो सो रहा था पर आपको पता है अक्ष को अक्षु बेबी के बिना नींद नहीं आती इसलिय मै आपको देखने आ गया।" अक्ष के हाथ को देख अक्षु समझ जाती है की वो उसे गोद मे लेने के लिए कह रहा है। अक्षु मुस्कुराते हुए उसके पास आती है और उसे अपनी गोद में उठा लेती है।


    अक्ष जल्दी से अपने दोनो हाथ उसकी गर्दन पर लपेट लेता है। और बड़े ही गोर से अक्षु को देखने लगता है उसे अपनी mumma बहुत ही ज्यादा सुंदर लगती थी। वो हमेशा अक्षु को इस तरह देखता था जैसे वो दुनियाँ की सबसे खूबसूरत चीज़ देख रहा हो। वाही अक्षु उसे खुद को देखता पाती है। "क्या हुआ?"


    अक्ष कुछ नहीं कहता है और अक्षु का गाल अपने छोटे छोटे हाथों से टच करते हुए उसके गालो पर kiss करता है। " i love you mumma. " अक्षु मुस्कुरा देती है।


    वो भी उसको kiss बैक करते हुए कहती है। "लव यू टू बेबी।"



    "हा कितने बुरे हो तुम दोनो मुझे तो भूल ही गए।" कब से सब कुछ देख रही नैना अपनी जगह पर खड़ी होती है और अपने दोनो हाथ अपने कमर पर रख उनकी तरफ देखती है।



    उसकी बातो को सुन अक्षु और अक्ष दोनो एक साथ उस तरफ देखते है। जहाँ नैना मुँह फुलाय खड़ी थी उसे देख अक्ष और अक्षु एक बार फिर एक दूसरे को देखते है और फिर एक साथ मुस्कुरा अपने अपने हाथ फेला लेते है।

    जिसे देख नैना के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है और भागते हुए उन दोनो की तरफ बढ़ती है दोनो को हग करते हुए कहती है। "love you both. "


    अक्ष और अक्षु भी उसे कस के पकड़ते हुए हुए कहती है। "अंड we love you मासी।"



    और फिर तीनो एक दूसरे से बाते करते हुए कमरे की तरफ जाते है और सो जाते है।

  • 4. dady प्यार नही करते। - Chapter 4

    Words: 1612

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    अगली सुबह:-

    "आज कोई भी सैतानी मत करना बेबी। वरना आपकी टीचर्स से मुझे डांट खानी पड़ती है।" अक्षिता अक्ष की टाई की नोट बांधते हुए कहती है। अक्ष बेड पर चढ़ा हुआ अपना संडवीच खा रहा था और अक्षिता निचे खड़ी उसे समझा रही थी।



    "मै सैतानी नहीं करता हूँ। वो लोग हमेशा मुझे बुल्ली करते है।" अक्षिता की बात सुन अक्ष मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहता है। आशिता अपना चेहरा उठा अक्ष के चेहरे को देखती है जो chubby और फूला हुआ था।



    अक्ष की बात सुन अक्षिता समझ गई थी। इसलिय वो अपना हाथ अक्ष के गाल पर रख प्यार से कहती है। "मैने कितनी बार कहा है ना आपको आप उन लोगो की बातो को इग्नोर किया करो।"


    अक्ष अक्षिता को देखते हुए बेबी वॉइस के साथ कहता है। " वो लोग आपके बारे में बुरा बोलते है कहते है। कहते उनकी मम्मिया आपको बुरी औरत मानती है क्युकी आप अक्ष के साथ अकेली हो ना अक्ष के डैडा अक्ष के साथ नहीं है। वो कहते है मै नाजायज हूँ।" अक्ष अपनी बात पुरी करता उससे पहले अक्षिता उसके मुँह पर अपनी ऊँगली रख देती है।



    "शशशशश।"


    "ऐसी बाते नहीं बोलते है।" और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती है। "आप नाजायज नहीं हो मैने कहा है ना आपके dad है। जो आपसे बहुत प्यार करते है आगे से कोई भी ऐसी बाते कहे तो आप उन्हे इग्नोर मारना। आपके dad और मेरा रिश्ता पवित्र था और हमेशा रहेगा।" कहते हुए अक्षिता का गला भर आया था।



    उसकी आँखे मे दर्द झलक उठा था वो अक्ष को कश कर अपनी बहो मे समेटे आँखे बंद करती है उसकी आँखों के सामने एक मंजर घूमने लगता है।


    जहाँ एक लड़की दुल्हन के जोड़े में थी और उसके सामने एक शख्स खड़ा था जो उस लड़की पर गुस्सा कर रहा था। "यही चाहती थी ना तुम हाँ? मुझसे शादी करना मेरे करीब आना इसलिय तुमने ये सब किया था तो लो कर दी तुम्हारी खवाइश पुरी।" उसकी बाते सुन वो लड़की सिसकते हुए रो रही थी वो कहना चाहती थी पर कुछ कह नहीं पा रही थी। वो बिल्कुल बेबस सी खड़ी आंसु बहा रही थी।



    वाही वो शख्स अपनी अपनी पेंट के पॉकेट मे हाथ डालता है और उसमे से नोटों की गद्दी निकाल उस लड़की के ऊपर फेंकता है जिसके साथ उस लड़की की आँखे बंद हो जाती है। "यही चाहिए था ना तुम्हे पैसे तभी तो तुमने मेरे साथ खेल खेला अब लो अपनी एक रात की कीमत कम और तो बोलो और भी है मेरे पास तुम जैसी लड़कियों के लिए तो वैसे भी ये कम ही होगा।" और इसी के साथ वो एक और नोटों की गद्दी निकाल उसके ऊपर फेंकता है। अक्षिता रो रही थी।



    "आ_आप गलत स_समझ रहे है।"


    "shut up just shut up. " अक्षिता अपनी नज़रे झुकाय कुछ कहने की कोशिश करती है की उसकी आवाज़ सुन वो शख्स अपनी गुस्से भारी आवाज़ से उसपर चिल्ला उठता है। जिसे सुन अक्षिता सहम जाती है और उसकी आवाज़ उसके गले में ही रुक जाती है।



    वाही वो शख्स आगे बढ़ता है और गुस्से में अक्षिता के जबड़े को पकड़ता है। " कान खोल कर एक बात सुन लो तुमसे शादी मेरी मजबूरी थी। इसलिय मेरी बीवी समझने की गलती मत करना मैने तुमसे शादी ज़रुर की है पर तुम कभी मेरी बीवी नहीं बन पाउंगी और ना कभी मै तुम्हे वो हक़ दूंगा। समझ आई बात।" उस शख्स की आवाज़ धीरे धीरे शख्त होती जा रही थी अक्षिता को अपने जबड़े में दर्द हो रहा था पर वो अपनी प्लाके झुकाय खामोश खड़ी थी।


    वो शख्स अक्षिता को कुछ ना कहता देख उसका गुस्सा बड़ जाता है और वो उसे गुस्से के साथ झटकता है जिससे अक्षिता सीधे फर्श पर मुँह के बल जा गिरती है।


    " ये पैसे उठाओ और निकल जाओ और भूल जाना इस शादी को वरना अगर इसका फयदा उठाने की तुमने कोशिश की तो याद रखना अक्षत खुराना तुम्हारा वो हाल कर सकता था जिससे तुम ही नहीं तुम्हारी पुरी रुह कांप जायेगी। तो तुम्हारे लिए यही बेहतर होगा आपकी ये शक्ल और अपनी चाल बाजी लेकर कभी मेरे सामने मत आना।" अक्षत का गुस्सा इस समय आग उगल रहा था उसकी नज़रे लाल थी चेहरा ठंडा और सख्त जैसे कोई जवाला मुखी फटने को हो।


    अक्षिता युही मुँह के बल फर्श पर गिरी हुई थी उसकी आँखों से आंसुओ की बूँदे फर्श पर गिर रही थी। एक रात मै उसकी ज़िंदगी बदल चुकी थी जो शख्स कभी उसका क्रश हुआ था करता था आज उसका पति बन चुका था या यु कहे मजबूरी में। जिसके साथ रहने का हर लड़की का सपना हुआ करता यहाँ तक की अक्षिता का भी वो आज उसके साथ एक पवित्र बंधन मे बंध चुकी थी पर अक्षत के लिए वो रिश्ता सिर्फ गाली बन चुका था।



    वो रोना चाहती थी वो चिल्लाना चाहती थी। पर अक्षत के सामने वो टूट चुकी थी उसकी बातो ने उसे अंदर तक झंझोर दिया था वो अब खामोश ही रहना चाहती थी। वाही अक्षत उसे कुछ खड़ी खड़ा उसे देखता है फिर सीधा उस कमरे से निकल जाता है।



    "mumma. " अक्ष की आवाज़ से अक्षिता होश में आती है और अपनी आँखे खोलती है जो आंसुओ से भर कर लाल हो चुकी थी वो जल्दी से अपने आँसू साफ करती है और अक्ष को खुद से दूर कर उसके मासूम चेहरे को देखने लगती है।


    "हम्म्म!"



    "ये नाजायज क्या होता है? क्या ये कोई गाली है। और क्या सच मेरे डैडी आपको पसंद नहीं करते वो कहा है हमारे साथ क्यू नहीं रहते?" अक्ष के उस मासूम सवाल पर अक्षिता कुछ पल खामोश रहती है। उसे अक्ष का खुद को नाजायज कहना तकलीफ दे रहा था वो उसके उस सवाल कर कोई जवाब नहीं दे सकती थी। उसकी आँखों मे रुके आँसू बाहर आना चाहते थे पर।

    वो उसे रोकना अच्छे से जानती थी। वो कुछ पल अक्ष को देखती है जो अपने सवाल का इंतेज़ार कर रहा था। फिर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में थाम कहती है। " मैने आपको कितनी बार कहा है ना बेबी डैडी को बहुत काम होता है वो बिजी रहते है इसलिय वो आपसे मिलने नहीं आते। और रही आपसे प्यार की बात तो वो आपसे बहुत प्यार करते है।"



    "और आपसे?" अक्ष अक्षिता की बात को काटता है। उसकी बात सुन अक्षिता के चेहरे पर आई स्माइल पल मे गायब हो जाती है।



    "बोलो ना mumma क्या डैडी आपसे प्यार नहीं करते? अगर आपसे नहीं करते तो फिर वो तो मुझसे भी प्यार नहीं करते होगे ना। क्या वो बहुत बुरे है क्या मम्मा? उनसे आपकी फाइट हुई है?" अक्ष मायूस हो जाता है। उसे अच्छा नहीं लगता था की उसके dad उसके साथ नहीं रहते।


    स्कूल मे वो अक्सर सभी बच्चो को अपने परेंट के साथ देख अक्ष मायूस हो जाया करता था। वो भी चाहता था की उसकी मम्मा और उसके डैडी भी सबकी तरह उसे छोड़ने जाय। उसके साथ happy family की तरह रहे।

    पर ऐसा नहीं था। जिससे अक्ष अक्सर उदास हो जाया करता था और अक्षिता से सवाल किया करता था की उसके डैडी कहा है। पर अक्षिता हमेशा काम का कह कर बात टाल देती थी।


    अक्षिता प्यार से अक्ष के माथे को चूमती है। "आपके डैडी आपसे बहुत प्यार करते है और ये बात आप कभी मत भूलना। और आपके डैडी वर्ल्ड के बेस्ट डैडी है तो वो बुरे कैसे हो सकते है वो बहुत अच्छे है।" अक्षिता दर्द भरी स्माइल के साथ अक्ष से कहती है। वो कभी भी अक्ष के दिल मे उसके dad के लिए नफरत नहीं डाल सकती थी। इसलिय वो हमेशा अक्ष के पूछने पर वो हमेशा उसके dad के बारे मे अच्छा बताती है और हमेशा उनसे नफरत करने के लिए मना करती थी।


    " क्या डैडी कभी हमसे मिलने नहीं आएंगे? मुझे अपने भी अपने डैडी से मिलना। बाते करना और शिकायत भी।" अक्ष के इस सवाल पर अक्षिता निशब्द हो जाती है। ये एक ऐसा सवाल था जिसका जवाब शायद ही कभी अक्षिता दे पाएगी।


    पहले तो उसे लगता था वो सब सम्भल लेगी पर वक़्त के साथ साथ अक्ष के सवालो का जवाब देना अक्षिता के लिए मुश्किल होता जा रहा था।


    अक्ष अक्षिता को देखता है जो कही खो सी गई थी। अक्षिता के चेहरे का दर्द और मायूसी अक्ष भी समझता था वो छोटा ज़रूर था पर उसे इतना समझ आता था की उसके सवाल से अक्षिता को तकलीफ हुई। और वो कभी अक्षिता को उदास नहीं देख सकता था इसलिय वो जल्दी से अक्षिता के गाल पर किस्सी करते हुए कहता है।


    "उफ्फ्फ हो अक्षु बेबी फिर से sad face बना लिया आपने अब आपका बेबी लेट हो जायेगा।"


    अक्ष की एक बार फिर वाही मासूमियत और बेबी वॉइस सुन अक्षिता होश मे आती है और अक्ष को देखती है जो अब नॉर्मल हो चुका था। और अक्षिता के चेहरे पर आये बालो को पीछे कर रहा था। अक्षिता मुस्कुरा देती है।


    और अक्ष के बालो को सही करते हुए कहती है। "my baby. "


    अक्ष उसके गले मे हाथ डाल उसके फेस पर एक बार फिर kiss करता है। " my akshu baby. "


    उन दोनो का ये मोमेंट दूर खड़ी नैना देख रही थी। चेहरे पर स्माइल के साथ आँखे नम थी। " i hope वो शख्स अब कभी तेरी ज़िंदगी में ना आये जिसने तुझे इतनी तकलीफ दी है।" नैना ने देखा था इन सालो मे अक्षिता को वो किस तरह टूट कर जुड़ी थी। या यु कहे वो अभी भी टूटी हुई थी बस अक्ष के सामने उसने खुद को मजबूत बना रखा था।


    जब जब नैना अक्षिता के अतीत के बारे मे सोचती थी उसे बहुत गुस्सा आता था। इसलिय अब वो वहा से चाली जाती है।

  • 5. अतीत के कुछ दर्द। - Chapter 5

    Words: 1694

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।

    अक्षत अपने केबिन मे बैठा सिगरेट के कश लेते हुए कुछ पेपर्स की फिले रीड कर रहस्य था उसके चेहरे के एक्सप्रेसशन बिल्कुल डार्क थे। या यु कहे वो इसी तरह रहता थस तभी तो हर कोई उससे बात करने से पहले हज़ार बार सोचता था।


    वो अभी फाइल्स को थोड़े गुस्से के साथ पढ़ रहा था। वो खड़ा होता है और फाइल को वाही टेबल पर फेंक कहता है।


    "what the hell. " वो अपने डांट पीसते हुए कहता है और अपना फोन पॉकेट से निकाल किसी को कॉल करता है। " दिमाग खराब है तुम्हारा तुमने उस जमीन को क्यू छोड़ा पता है ना मुझे वहा की सारी जमीन चाहिए हर हाल में।" वो काफी गुस्से मे था।


    उस तरफ से कुछ कहा जाता है। "i don't care वहा कौन क्या कर रहा है कौन रह रहा है किसी के पास घर है या नहीं इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस मुझे इतना पता है तुम्हारी इस बेवकूफी से मेरा नुकसान होगा और अक्षत खुराना अपना नुकसान किसी भी हाल में बरदस्त नहीं कर सकता।" उसका हर एक एक शब्द गुरुर से भरा हुआ था उसकी आँखों मे पाने की लालसा थी।


    और वो था भी ऐसा उसे जो चाहिए होता था वो उसे पा कर रहता था चाहे सीधे रास्ते से या फिर किसी और तरीके से उसे अपनी चीज़ो पर दुसरो का हक़ बिल्कुल बरदस्त नहीं था।



    "तुम्हे समझ आया की नहीं मै यहाँ ज़िंदगी भर के लिए रहने नहीं आया हूँ मुझे इंडिया वापस भी जाना है। तुम्हारे पास एक दिन का समय है जर्मिनी आओ और सब कुछ हैंडल करो।" इतना बोल अक्षत गुस्से मे फोन कट करता है और सीधा सामने ग्लास वॉल पर दे मारता है।



    "कोई किसी काम का नहीं।" और अपने केबिन से निकल जाता है।


    अक्षिता अक्ष को किंडर गार्डन छोड़ रेस्टुरेंट आ चुकी थी। आज वो थोड़ी लेट हो गई थी इसलिय वो जल्दी जल्दी सब कुछ सम्भल रही थी। नैना को कुछ काम था जिस वजह से वो थोड़ा लेट होने वाली थी।



    अक्षिता अपने रेस्टुरेंट का बोर्ड बाहर लाकर लगाती है और उसे साफ करने लगती है। "आज तो काफी लेट हो गया ऊपर से नैना भी ना जब भी काम ज्यादा होता है वो बिजी हो जाती है।" अक्षिता अंदर की तरफ जाते हुए खुद से कहती है।


    और फिर अपने बालो का जुड़ा बनाती है अक्षिता के बाल ज्यादा लम्बे नहीं थे उसके बाल कमर से थोड़ा ऊपर और कंधे से निचे थे पर बेहद खूबसूरत थे। इस समय उसने फुल स्लीव वाइट टॉप और बेल बॉटम पहना हुस था।


    वो इतनी ज्यादा खूबसूरत और फिट थी के वो कही से नहीं लगती थी के वो चार साल के बच्चे की माँ है वो आज भी 18 19 साल की लड़कियों को भी पीछे छोड़ती थी। without मेकअप स्किन उसकी इतनी ज्यादा ग्लोइंग थी के जैसे मानो किसी छोटे सॉफ्ट बेबी का होता हो। यहा तक की कुछ लोग तो सिर्फ अक्षिता पर लाइन मारने और उसे स्कैन करने के लिए उसके रेस्टुरेंट आते थे।


    और कई बार तो अक्षिता के साथ बत्तमीज़ी भी किया करते थे पर अक्षिता ने इन सालो मे इन सब को कैसे हैंडल करना है सिख चुकी थी।



    अक्षिता अपने बालो का जुड़ा बनाती है। और एक कपड़ा उठा टेबल को साफ करने लगती है। " अक्ष की फीस भी देनी है रेस्टुरेंट का रेंट बाकी है ऊपर से मंथली राशन भी नहीं आया। इस महीने तो बहुत ज्यादा lose हो चुका है।" अक्षिता टेबल साफ करते हुए खुद ही हिसाब लगा रही थी।



    " लॉस तो होना ही है ना जब तुम फ्री में रहा चलते लोगो को खाना खिलाती रहोगी।" अक्षिता खुद से बाते कर ही रही थी के इतने में नैना वहा आते हुए उससे कहती है।

    अक्षिता अपना ध्यान वहा से हटा सीधी खड़ी हो नैना को देखतो है। "क्या ऐसे क्या देख रही हूँ सच तो बोल रही हूँ मै। कितनी बार मना किया है लोगो को फ्री में खिलाना बंद करो पर तुम्हे तो समझ नहीं आता।" नैना अक्षिता को खुद को देखता देख कहती है।



    अक्षिता उसकी बात सुन अपनी हमेशा की तरह मिलेडी वॉइस मे कहती है। " सबको नहीं खिलाती उन्हे खिलाती हूँ जिनके पास पैसे नहीं होते जो भूखे होते है। या मजबूर।"



    "कोई मजबूर और भूखा नहीं होता सब तुझे बेवक़ूफ़ बनाते है और कुछ नहीं वो सब तेरी इनोसेंस का फयदा उठा कर खाने आ जाते है।" नैना अक्षिता की बात खत्म होते ही बोलती है। अक्षिता उसे अपनी हलकी गोल्डन आँखों से देखती है।


    अक्षिता को देख नैना एक गहरी साँस लेती है। "देखो अक्षु मै ये नहीं कह रही तुम ज़रूरतमंदो की हेल्प मत करो या जो भूखे है उन्हे खाना मत खिलाओ पर मै ये कह रही हूँ सब पर भरोसा करना बंद करो। ये दुनियाँ है यहाँ के लोग मिंटो मे लोगो का फयदा उत्स निकल जाते है और पता भी नहीं चलता। और ऐसे ही अगर तु सबको दान करती रहेगी तो ये रेस्टुरेंट कैसे आगे बढ़ाएगी जो तेरा सपना है जिसे तु बहुत आगे ले जाना चाहती थी। पिछले तीन साल से तुमने इस पर अपनी मेहनत ही नहीं पैसे भी लगाय है पर बेबी कोई भी काम ऐसा नहीं चलता है जब तक तुम किसी भी काम से बेनिफिट नहीं पाओगी तो उसे आगे कैसे ले जाओगी।" नैना calmly और प्यार से अक्षिता को समझा रही थी।


    हलाकि की ये पहली बार नहीं था वो हमेशा उसे समझाया करती थी। पर अक्षिता जिसका दिल किसी को भी उदास देख पिघल जाता था और इसी का फयदा यहा आते कुछ लोग उठा लेते थे। कभी कोई बिमारी का बहाना बना फ्री मे खा कर चला जाता था तो कोई मजबूर तो कभी घर मै माँ बहन बीमार होने का कह कर और अक्षिता जिसका दिल हमेशा से दुसरो की तकलीफो मे मदद करने को तैयार रहता था वो उन सबकी बातो में आ जाती है।


    और नैना खामोशी से उसे ये सब करता देखती थी। उसे उसकी हरकत पर गुस्सा भी आता था और उसकी नादानी पर प्यार भी। वो चाहती तो अक्षिता को रोक सकती थी पर वो कभी नहीं चाहती थी के अक्षिता को वो किसी के सामने कुछ बोले और उसे लगे की वो अपना रेस्टुरेंट चलाने के काबिल नहीं है। एक तो बहुत मुश्किल से अक्ष के आने के बाद उसने हिम्मत कर अपना काम शुरु किया था। जैसे भी जो भी कर के आखिर पिछले तीन साल से अक्षिता अपना और अक्ष का खर्चा खुद उठा रही थी और ऊपर से रेस्टुरेंट का भी।



    अक्षिता अपनी नज़रे झुका लेती है। " मै क्या करु ऐसा नहीं है की मुझे पता नहीं होता की सामने वाला मुझसे झूठ बोल रहा है पर वो जिस तरह से कहता है और अपनी बेबसी दिखाते है मै उससे मना नहीं कर पाती। मुझे डर लगता है घबराहट होती है की अगर कही सच में ये झूठ नहीं सच बोल रहे हो तो कही सच मे उनके साथ कोई मजबूरी हो और मै उनकी हेल्प ना करु तो फिर कही उनकी बदुआ लग गई तो?" अक्षिता की आवाज़ मे भारी पन आ जाता है।


    जो नैना अच्छे से महसूस करती है और वो समझ जाती है की अब अक्षु रोने वाली है वो अपना हाथ आगे बढ़ा अक्षिता का चेहरा ऊपर करती है तो देखती है उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे।


    अक्षिता अपनी नम आँखों से नैना को देखते हुए आगे कहती है। " तुम्हे पता है ना चार साल पहले मै भी मजबूर थी मेरे पास खाने को कुछ नहीं था मै बेबस सी बस सड़को पर घूम रही थी कोई एक बूँद पानी पूछने को नहीं था। वो तुम थी जिसने मुझे सहारा दिया मेरे हर कदम हर फैसले पर साथ दिया। तो मै कैसे किसी की हेल्प ना करु अगर उनमे से कोई एक और अक्षिता निकली तो? तुम क्या चाहती हो मै इस बोझ के तले हमेशा दबी रहु की जब मेरे पास किसी की हेल्प करने के लीय था और मैने नहीं किया। और कोई मेरी तरह बेबस हारी हुई अक्षिता को अकेला छोड़ दिया।" कहते हुए अक्षिता का गला बुरी तरह भर आया था। उसे एक बार फिर अपना अतीत याद आने लगा था।



    किस तरह उसने कितनी राते सड़को पर बिताई कोई उसे अपनाने को तैयार नहीं था उसके घर वालो ने उसे त्याग दिया था। वो भूखी प्यारी नस जाने कितने दिनों तक दर दर की ठोकरे खा रही थी। अगर नैना ने उसकी मदद नहीं की होती और उसका साथ नहीं दिया होता तो ना जाने वो आज कहा होती।


    होती भी की नहीं?


    नैना ने तब अक्षिता का साथ दिया था जब वो खुद एक कॉलेज गर्ल थी। और खुद का ही गुज़ारा मुश्किल से कर पा रही थी इसके बाबजूद उसने अक्षिता की पुरी एक साल तक देख भाल की यहाँ तक की अक्षिता मरना चाहती थी और उसने कोशिश भी की थी पर जब उसे पता चला की वो प्रेग्नेंट है तो उसकी मानो दुनियाँ ही पलट गई थी।


    उसे यकीन नहीं हुस था पर वो अपने पेट मे अक्ष को महसूस कर सकती थी। अक्ष की साँसों ने कही नस कही अक्षिता को जीने की वजह दी। जिसके बाद से अक्षिता की ज़िंदगी अक्ष बन गया था उसका जीना मुस्कुराना खुश रहना सब अक्ष के लिए था। वरना वो तो अंदर से कब का खत्म हो चुकी थी।



    "अच्छा अब ज्यादा सेंटी मत हो मेरी माँ मुझे भी रुला कर ही मानेगी तु।" नैना जो खुद भी इमोशनल हो चुकी थी जल्दी से खुद को सम्भल अक्षिता से कहती है।


    अक्षिता नैना को देखती है और अपने आँसू साफ कर हलका सा मुस्कुरा देती है। "good girl. अभी अक्ष ने देख लिया होता ना तो अभी मुझे तो डांट पड़ जाती उसकी अक्षु बेबी को रुलाने पर।" नैना मुँह बनाते हुए कहती है।


    अक्षिता नैना को देखती है फिर मुस्कुराते हुए रेस्टुरेंट के अंदर चली जाती है। " प्लीज god अक्षु के हिस्से की खुशी उसे दे ज़रूर देना वरना आपकी और मेरी बड़ी वाली लड़ाई हो जायएगी।" नैना अक्षिता को जाते हुए देखती है फिर ऊपर देखते हुए कहती है।


    "अरे सुनो तो अच्छा sorry बाबा तुमको अब मै कुछ नहीं कहूँगी। तुम अपना रेस्टुरेंट दान कर दोगी तब भी नहीं।" नैना अक्षिता के पीछे जाती है।

  • 6. नोटिस। - Chapter 6

    Words: 1617

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    अक्षिता और नैना दोनो मिल कर कस्टमर्स को देख रहे थे। उनके रेस्टुरेंट मे वाही दोनो ही काम किया करते थे उन्होंने किसी स्टॉफ को नहीं रखा था उसके दो रीज़न थे पहला अक्षिता जिसे खाना बनाने में पहले कोई इंटरस्ट नहीं था और ना उसे कुछ बनाना आता था पर जब उसने तीन साल पहले अपना रेस्टुरेंट खोलने का फैसला लिया तब उसने यही डिसाइड किया की आज से वो रेस्टुरेंट उसके नाम और उसके काम से जाना चाहेगा।



    और वक़्त के साथ साथ उसे ये सब करना पसंद आने लगा और अब उसके हाथों का जादू हर किसी के जुबान और दिल मे उतर गया था। और दूसरा कारण यही था के वो पहले ही मुश्किल से अपना खर्चा निकलती है इसलिय उसके पास इतने पैसे नहीं थे के वो किसी को काम पर रख उसे पेमेंट दे सके। उसके पास जितना था वो खुश थी।



    "अक्षु मै अक्ष को लेने जा रही हूँ तु थोड़ी देर सम्भल लेना।" नैना किचन से निकलते हुए अक्षिता से कहती है। अक्षिता मेनू चाट को एडिट करते हुए हाँ में सर हिलाती है।


    "तो मिस्टर खुराना टाइम मिल गया तुम्हे?" एक लड़की फोन पर कहती है।


    अक्षत जो इस समय कार मे पेसेंजर सीट पर बैठा हुआ था हाथ मे tap चला रहस्य था और कान मे एअर्बादश लगाय कहता है। "shut up मैने तुम्हे फोन नहीं किया।"


    उसकी बात सुन उस लड़की का मुँह बन जाता है। "हाँ पता है मुझे पर तुमने जिसे फोन किया है वो अभी शावर ले रहा है।" अक्षत उसकी बात सुनता है वो आगे कुछ कहती उससे पहले वो कॉल कट कर देता है।


    "अकड़ू ये कभी नहीं सुधर सकता।"



    अपना रेस्टोरेंट:-

    "अरे अरे आप लोग अंदर कहा चले आ रहे है। आपको कुछ ऑर्डर करना है तो आप बाहर टेबल पर वेट कीजिये।" अक्षिता अंदर आते चार पाँच लोगो को देख कहती है और उनके आगे आकर खड़ी हो जाती है। वो लोग दिखने में इंडियन थे। और काफी अच्छे ख़ासे हटते कट्टे भी।


    उनमे से एक आदमी आगे आता है और अक्षिता के आगे एक रेड फाइल बढ़ाता है। अक्षिता ना समझी से उसे उसे फिर फाइल को देखती है।


    "ये नोटिस है।"


    "नो_नोटिस कैसा नोटिस?" अक्षिता हैरान भरे भाव के साथ देखते हुए देखती है उसकी नज़र एक बार उन चारो लोगो को एक एक कर देखती है फिर फाइल को।


    "ये नोटिस है आपके पास दो दिन का समय है ये जगह खाली करने के लिए।" वो आदमी अक्षिता से कहता है।


    अक्षिता को जैसे इस बात का झटका लगता है उसके चेहरे पर हैरानी आसानी से देखी जा सकती थी।


    "खाली क्या आपको यहाँ के मालिक ने भेजा है? वो ऐसा कैसे कर सकते है मै तो उनको समय पर रेंट देती हूँ बस इस बार दो दिन लेट हुआ है और वो इस तरह नोटिस भेजवा रहे है।" अक्षिता की आवाज़ धीमी और घबराई हुई थी।


    "एक मिनट." और फिर अक्षिता वहा से काउंटर के पास जाती है और कुछ ही मिनट में वापस आती है।


    "लीजिये ये पुरा रेंट है मै आज भेजवाने ही वाली थी अच्छा हुआ आप आ गये। ये उन्हे दे दीजियेगा और लेट होने के लिए मेरी तरफ से sorry आगे से मै इस चीज़ का पुरा ध्यासन रखूंगी।" अक्षिता अपने हाथ में लिए पैसे को उनके आगे करती है।


    वो लोग अक्षिता को तो कभी उसके हाथ मे पैसे को देखते है। फिर एक दूसरे को। " देखिये AK का ऑर्डर है। आपको ये रेस्टुरेंट हटाना होगा।"


    "AK? लगता है आपको गलत फेहमी हुई है यहाँ के मालिक मिस्टर बजाज है AK नहीं।"


    "हम भी आपसे यही बोल रहे है ये जमीन अब हमारे बॉस की है। यहाँ के आस पास का सारा एरिया उनके नाम पर है इसलिय आप जल्द से जल्द इसे खाली कर दीजिये।" वो आदमी अक्षिता से कहता है।


    अक्षिता थोड़े गुस्से में " ऐसे कैसे खाली कर दीजिये। ऐसे कैसे हो सकता मिस्टर बजाज ऐसा नहीं कर सकते।"



    "उन्होंने ऐसा किया है शायद आपको नहीं पता होगा वो जर्मनी से जा चुके है। आप एक लेडी है इसलिय हम आपसे आराम से बात कर रहे है अगर आपने दो दिन में ये खाली नहीं किया तो आप बॉस को जानती नहीं वो लड़कियों की बिल्कुल रेस्पेक्ट नहीं करते है।"



    "क्या बकवास कर रहे है आप यहाँ कोई मज़ाक़ चल रहा है। ऐसे कैसे आप बोल सकते है।" अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे। वाही वो आदमी फाइल वाही टेबल पर रखता है और दूसरे आदमी को कुछ इशारा करता है जिसका इशारा समझ वो आदमी हां मे सर हिलाता है और किचन की तरफ बढ़ वहा बड़ा सा ताला लगस देता है।



    अक्षिता उन्हे ऐसा करता देख जल्दी से वहा जाती है। " ये क्या कर रहे है ताला क्यू लगा रहे है।"


    "sorry मैडम पर यहाँ अब आपको कुछ भी करना allow नहीं है।" और फिर सभी लोग वहा से निकल जाते है।


    अक्षिता उन्हे जाता हुआ देखती रहती है। उसे समझ नहीं आता अभी हुआ क्या वो तो जैसे शॉक्ड हो चुकी थी। वो अपना सर पकड़ लेती है। "क्या ये मेरा सपना है? ये कैसे हो सकता है नहीं नहीं तीन सालो की मेहनत पल भर मे बर्बाद नहीं हो सकती।" अक्षिता की आँखे नम हो चुकी थी वो खुद से बढ़ बढ़ाती है उसके कदम लड़खड़ाते है और वो पीछे चेयर पर बैठ जाती है।


    वो यही सोच सोच कर पागल हो रही थी की अगर ये सच है तो अब वो क्या करेगी कहा जायेगी। उसका सपना जो उसने देखा तो वो कैसे पुरा करेगी वापस से कैसे नई शुरुआत करेगी। और ना जाने कितने ख्याल उसके दिमाग में उथल पुथल मचा रहे थे।


    अक्षिता कुछ देर वाही बैठी रहती है फिर अपने भारी कदमो के साथ उस टेबल तक आती है और उस रेड फाइल को उठाती है। " एक फाइल मेरा सपना मेरा सब कुछ नहीं छीन सकता। ऐसे कैसे कोई कर सकता है?" अक्षिता फाइल को देखते हुए कहती है। इतने में उसका फोन रिंग होता है।


    वो अपना फोन जिन्स से निकालती है उसपर नैना का नाम शो हो रहा था वो एक पल गवाय नैना का फोन उठाती है। " तुम बेबी को लेकर रेस्टुरेंट मत आना मै घर जा रही हूँ वाही मिलते है।" अक्षिता इतना कहती है और बिना नैना की बात सुने फोन कट कर देती है।



    कुछ देर बाद:-


    "अक्षु!"

    "अक्षु कहा हो?" नैना अक्ष के हाथ को थामे जल्दी जल्दी घर के अंदर आती है।


    "मै किचन में हूँ।" अक्षिता जिसका घर काफी छोटा था या यु कहे उन तीन के लिए काफी था और ये घर अक्षिता का खुद का था उसने ये छोटा सा ताज़ महल अपनी मेहनत से बनाया था जो उसे अक्ष और नैना को काफी प्यारा था।


    अक्षिता किचन से बाहर आती है। " तुम आ गई चलो साथ में लंच करते है।" फिर अक्ष की तरफ देखती है जो chubby face के साथ अक्षिता को देख रहा था।


    अक्षिता अपने निज के बल बैठ अक्ष के गाल और बालो को छूते हुए कहती है। " बेबी mumma ने आज टेस्टी बनाया है आपके लिए आज हम सब साथ में बैठते लंच करेंगे।"


    अक्षिता की ये बात सुन अक्ष का चेहरा खिल उठता है। "क्या सच मे? आप सच बोल रही हो हम सब मिल कर लंच करेंगे वो भी घर मे?" अक्ष काफी ज्यादा खुश हो जाता है।


    और होता भी क्यू ना बहुत ही कम मौक़े होते थे जब अक्ष नैना और अक्षिता मिल कर लंच करते थे। हाँ ब्रेकफस्ट और डिनर अक्सर वो साथ किया करते थे पर लंच ज्यादतर अक्ष नैना के साथ रेस्टुरेंट में किया करता था। उसका मन करता था अक्षिता के साथ भी करने का पर अक्षिता इतनी ज्यादा बिजी होती थी के उसे सांस लेने की फुर्सत नहीं होती। और ऐसे बहुत ही कम ही मौक़े आते थे जब अक्षिता अक्ष के साथ लंच करती थी।


    और जब भी तीनो एक साथ लंच करते थे तो सबसे ज्यादा अक्ष खुश हो जाता था और होता भी क्यू ना अपनी mumma को सुकून से खाते देख उसे भी सुकून मिलता था वरना वो तो हमेशा जल्दी में रहती थी।


    और अक्षिता भी जब भी उसे ऐसा मौका मिलता था तो वो अक्ष का फेवूरित पनीर बिरयानी बनाया करती थी। with पुदीना की चटनी के साथ। जो अक्ष बड़े ही खुशी और चाव के साथ खाता था।


    "बोलो ना मम्मा आज हम सब मिल कर घर में लंच करेंगे?" अक्ष बात कन्फर्म करते हुए कहता है। अक्षिता मुस्कुराते हुए हाँ मे सर हिलाती है।


    "मै अभी आता हूँ चेंज कर के आप दोनो मेरा वेट करना।" इतना बोल अक्ष जल्दी से अपना बैग लेकर कमरे की तरफ भागता है। अक्षिता मुस्कुराते हुए अक्ष को जाता हुआ देखती है। फिर नैना को जो उसे सीरियस एक्सप्रेसशन के साथ देख रही थी नैना को देखते हुए अक्षिता के चेहरे की स्माइल गायब हो जाती है।


    और वो अपनी जगह से उठती है। " तुम भी हाथ मूँ धो लो मै जब तक लंच टेबल पर रखती हूँ।"


    "तु ये छोड़ पहले ये बताओ आज रेस्टुरेंट बंद क्यू और तु घर पर? ऐसा तो कभी नहीं होता?" नैना अक्षिता को उसी सीरियसनेस के साथ पूछती है।


    अक्षिता नैना को देखती है। " और खबरदार अगर कुछ भी छुपाने की कोशिश की तो। तुम लोगो को बेवक़ूफ़ बना सकती हो मुझे नहीं इसलिय चुप चाप बताओ कुछ हुआ है क्या?" नैना के सवाल सुन अक्षिता को समझ नहीं आता अब वो क्या कहे क्युकी वो नैना को नहीं पररशान कर सकती थी।


    नैना allready अपनी जॉब के लिए परेशान रहती थी और वो नहीं चाहती थी की नैना उसके लिए भी परेशान हो। अक्षिता अपनी उसी इनोसेंस के साथ उसे देख रही थी। और नैना उसे घूर रही थी।


    (guys comments और review तो दे दिया करो।)

  • 7. best of luck. - Chapter 7

    Words: 1558

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    "ये क्या बोल रही हो ये कैसे हो सकता?" नैना अक्षिता की सारी बाते सुन शॉक्ड हो जाती है।


    वाही अक्षिता सोफे पर बैठी थी। "पता नहीं।" अक्षिता काफी ज्यादा निराश लग रही थी। नैना जल्दी से उसके पास आती है और अपने निज पर बैठ अक्षिता के हाथों पर हाथ रख कहती है। "अब क्या करोगी? तुम्हे पता है ये तुम्हारा सपना था।"


    "सपना था नहीं आज भी है।" अक्षिता नैना की बात काट कहती है और अपनी नज़रे उठा कर नैना को देखती है। " मै आज भी चाहती हूँ मै अपने नाम को अपने रेस्टुरेंट को बहुत आगे ले जाऊ इतना की कोई मेरी नाकामयाबी पर सवाल ना उठाय।" अक्षिता का लेहजा काफी धीमा हो चुका था।



    वो निराश थी उसका सपना उसकी उम्मीद सब उसे टूटती हुई नज़र आ रही थी।


    "पर फिर भी हम क्या कर सकते है? मैने तो पहले ही कहा था हम वापस इंडिया चलते है।"


    "नहीं।" नैना कहती है की अक्षिता तुरंत अपनी जगह से उठ जाती है। नैना भी उसके पीछे पीछे उठती है और अक्षिता को देखने लगती है।


    अक्षिता नैना को देखते हुए।" नहीं इंडिया नहीं मै कभी इंडिया नहीं जाउंगी।" अक्षिता घबराई हुई सी थी।


    नैना पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखती है। " चार साल गुज़ार गये है अक्षु। आखिर कब तक तु अनजान देश मे सफर करेगी।" नैना की आवाज़ नर्म थी। अक्षिता पलट कर उसे देखती है।


    " ये अनजान ने ही मुझे इतनो सालो तक हौसला दिया वरना इंडिया ने तो मुझे ठुकराया ही। चार साल पहले उस देश ने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया। वहा मेरा कोई नहीं है जो मेरा वहा अपना हो या मेरा इंतेज़ार कर रहा हो। और जो है मै उनसे कभी नहीं मिलना चाहती।" अक्षिता की आँखे नम हो चुकी थी। उसके चेहरे और आँखों में दर्द था जो नैना देख पा रही थी।


    " i know पर यहाँ कब तक स्ट्रल करेंगे देखो ना यहाँ मेरी जॉब भी परमानेंट नहीं होती। कितना कॉम्पिशन है यहाँ चीज़ो को लेकर।"


    " हाँ तो तुम्हे जाना है जाओ मै यहाँ अक्ष के साथ रह लूंगी। वैसे भी वहा तुम्हारी फॅमिली है अपने है सब।" अक्षिता थोड़ा गुस्सा हो जाती है बार बार नैना के मुँह से इंडिया जाने की बात सुन सुन कर।



    नैना उसकी बात सुनती है और अक्षिता को देखती है जो नाराज़गी से उसकी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई थी। वो उसको अपनी तरफ घुमाती है। " क्या कहा तुमने? चाली जाऊ तुम्हे और अक्ष को छोड़ कर और किसके पास उन फॅमिली के पास जिसे मैने हमेशा तुमसे निचे रखा वो फॅमिली जिसे सिर्फ पैसो से प्यार था मुझसे नहीं।" नैना के जख्म भी ताजा हो चुके थे।


    उसे अपनी फॅमिली से नफरत थी बेहद नफरत। उसके लिए अक्षिता और अक्ष ही अब सब कुछ थे जो उसे जैसी भी थे एक्सेप्ट कर रखे थे उससे प्यार करते थे इतना की शायद ही कभी उसकी फॅमिली ने किया होगा।


    अक्षिता को एहसास होता है उसने अभी गुस्से में क्या कह दिया था। " i am sorry मै हर्ट नही करना चाहती थी।" अक्षिता अपना हाथ नैना के हाथ पर रखती है।


    नैना उसे देखती है फिर नाराज़गी से उसका हाथ झटक देती है। "पर तूने किया। तूने कैसे सोच लिया क्या इतने सालो में तुझे यही लगता है की मै सेल्फिश हूँ जो तुझे और अक्ष को यहाँ अकेले छोड़ कर चली जाउंगी।" नैना हद से ज्यादा गुस्सा हो गई थी।


    उसे बुरा लगा था अक्षिता की बात। उसने इतने साल सिर्फ अक्षिता और अक्ष के लिए जिया था और अक्षिता का उसे ये कहना की वो अकेली चली जाय वो उसे अच्छा नहीं लगा। हलाकि उसे पता था अक्षिता ने जान बुझ कर उसे हर्ट नहीं किया उसे इंडिया के नाम से कितनी ज्यादा घबराहट और डर जाती थी नैना अच्छे से समझती है। अक्षिता ने अपना सब कुछ वाही खोया था। अक्ष के अलावा इंडिया में उसने सब कुछ गवा दिया था अपना वजूद भी।


    वो नहीं बुल सकती की जब वो प्रेग्नेंट थी तब लोगो ने कितना कुछ कहा था उसे कितना बदनाम किया था। जितना बुरा हो सकता था लोगो ने उसके साथ बर्ताव किया जिस वजह से अक्षिता ने खुद को घर की चार दिवारी में बंद कर दिया था वो पहले ही टूटी हुई और अब वो लोगो के ताने बरदस्त नहीं कर सकती थी। इसलिय अक्ष के जन्म लेने के बाद उसे लोगो से दुनियाँ के तानो से दूर रखने के लिए उसने इंडिया छोड़ना बेहतर समझा।



    पर उसे ये नहीं पता था ताना और इलज़ाम यहाँ पर भी कुछ लोग देना नहीं छोड़ेगे।



    अक्षिता नैना को देखती है जो गुस्से में थी अक्षिता जल्दी से नैना के गले लग जाती है। " plz गुस्सा मत हो i am sorry पता नहीं क्या हो गया था बस मेरे मुँह से निकल गया। i know मै जानती हूँ तुम मुझसे और बेबी से कितना प्यार करती हो तुमने जो कुछ भी मेरे और बेबी के लिए है मै चाह कर भी उसका एहसान नहीं चुका पाउंगी। पर तुम जानती हो ना जहाँ जाने की बात तुम कर रही हो वहा मै कभी नहीं जा सकती।" अक्षिता की पकड़ नैना पर कश गई थी और वो रोने लगती है।


    अक्षिता को रोता देख नैना एक गहरी साँस लेती है वो उसकी पीट पर हाथ रखती है। " मै जानती हूँ तेरा डर इंडिया नहीं कोई और है। तु इंडिया जाने से नहीं डरती तु डरती है कही तु उस इंसान से ना टकरा जाय। जो सालो पहले तुझे इस्तेमाल कर के छोड़ गया और कभी पलट कर ना तुझे और अक्ष को देखा। तुझे डर है कही वो तेरे सामने आ गया तो तु कैसे बरदस्त करेगी उसकी नफरत है ना।" नैना शांत और साफ लहज़े मे बोल रही थी। नैना की बात सुन अक्षिता का सुबकना बंद हो चुका था। वो चुप हो गई थी।


    नैना उसे दोनो कंधो से पकड़ से खुद से दूर करती है और अक्षिता के चेहरे को देखती है जो रोने से लाल और क्यूट हो चुका था। उसकी नोज बिल्कुल चेरी की तरह हि गये थे वो अपनी नज़रे झुका रखी थी।



    " मै उनका सामना नहीं कर सकती। वो मुझसे आज भी नफरत करते होगे। उनके लिए शादी सिर्फ बदला थी।" अक्षिता नज़रे झुकाय धीमी आवाज़ में कहती है।


    "तो उसने तेरी ज़िंदगी क्यू बर्बाद की मुझे आज तक समझ नहीं आया। उसने तुझसे शादी की मानती हूँ पर उसने तेरे साथ जबदस्ती क्यू की इसके बाद भी के वो तुझे छोड़ देगा उसने एक बार भी नहीं सोचा उसके बाद तेरा क्या होगा। उसने शादी की तेरे साथ रात बिताई और अगले दिन तुझे छोड़ कर चला गया।" नैना जब भी अतीत के बारे में सोचती थी उसका गुस्सा आसमान छु जाता था उसका बस नहीं चलता था की कब अक्षत उसके सामने आये और वो उसका मुँह नोच ले।


    "क्युकी उन्हे लगता है की उनकी लाइफ मेरी वजह से बर्बाद हुई।" अक्षिता सुबकते हुए कहती है।


    "लेकिन है झूठ है।" नैना तुरंत ही कहती है। अक्षिता अपना चेहरा उठती है और नैना को देख उसकी आँखों में आँखे डाल कहती है। "पर उनकी नज़रो में मै झूठी हूँ।" कहते हुए उसकी आवाज़ मे दर्द उमड़ आया था।



    नैना अक्षिता को देखती है उसे ये लड़की कभी समझ नहीं आती थी। इतना सब होने के बाद भी वो अक्षत के लिए बुरा नहीं बोलती थी। हाँ अक्षिता करती थी अक्षत से नफरत पर चाह कर भी नहीं कर पाती थी। वो चाहती थी अक्षत ने जो उसके साथ किया उसके बाद वो उससे नफरत करे उसे ब्लैम करे पर वो नहीं कर सकती थी।


    इतना आसान नहीं था उसके लिए जिससे वो मिलने से ना जाने कितने साल पहले से उससे प्यार करती थी उसके सपने देखती थी तो फिर कैसे वो उससे नफरत कर सकती थी कैसे इसे ब्लैम कर सकती थी।


    नैना अक्षिता की आँखों में देखती है जो आज तक उसकी नफरत का दर्द अपनी आँखों में लिए हुए थी। "तो क्या सोचा है?" नैना बेहद नर्म पड़ जाती है।


    वो नैना की बात सुनती है फिर गहरी साँसों के साथ कहती है। " मै उनसे मिलूंगी और उन्हे समझगी उनके लिए वो सिर्फ एक जमीन होगी पर मेरे लिए मेरा सपना है।"


    नैना कहती है। " और तु ये कैसे करेगी। तुझे कुछ पता भी तो नहीं है?"


    "नहीं वो कुछ समय के लिए जर्मनी में ही रुकने वाले है। और मैने उनके ऑफिस का एड्रेस भी लिया है ये देखो।" अक्षिया अपना फोन निकाल नैना के आगे करती है जिसमे उसने AK group का address लिखा हुआ था।



    "मै भी चलूंगी।"

    "नहीं तुम बेबी के साथ रहना। मै शाम को ही जाती हूँ हमारे पास बर्बाद करने के लिए बिल्कुल समय नहीं है। बस तुम प्रेय करना जिसके लिए जा रही हूँ वो काम हो जाय।" अक्षिता नैना को रोकती है।


    नैना उसको हौसला देते हुए कहती है। "तुम फ़िक्र मत करो सब ठीक होगा। पर तुम अकेली कैसे? कही तुम घबराने लगोगी तो?" नैना को उसकी फ़िक्र होती है।


    अक्षिता मुस्कुराती है। " तुम टेंशन मत लो मै नहीं घबराउंगी। इस बार मै देखना अपनी बात बिना डर के बोलूंगी " अक्षिता कॉन्फिडेंस के साथ कहती है। अक्सर वो अनजान लोगो के सामने थोड़ी घबरा जाती थी पर इस बार उसने हिम्मत जुटाई थी जिसकी नैना को भी खुशी थी।



    "best of luck. " नैना अक्षिता से कहती है। "thank you. " अक्षिता मुस्कुराते हुए जवाब देती है।

  • 8. party. - Chapter 8

    Words: 1683

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।

    "मम्मा आप कहा जा रही हो?" अक्ष मासूमियत के साथ मिरर के पास खड़ी अपने बालो को सुलझाती अक्षिता को देख कहता है।


    अक्ष इस समय होनेवर्क कर रहा था बेड पर उसने बड़े ही तरीके के साथ अपनी चीज़ो को रखा हुआ था। अक्ष को बिल्कुल भी अपने आस पास गंदगी या मेसी पन पसंद नहीं था।


    अक्षिता अपने बाल झाड़ने के बाद कॉम को वाही ड्रेसिंग टेबल पर रख अक्ष के पास आती है। "बेबी mumma को कुछ काम है इसलिय मम्मा को जाना होगा। आप नैना मासी के साथ रहना और उन्हे बिल्कुल परेशान मत करना और हाँ मैने चॉकलेट मिल्क शेक बना कर रॉकग दिया है नैना मासी पिला देगी ज्यादा नखरे मत करना।" अक्ष मिल्क शेक का नाम सुन अजीब सा है बनता है।


    "no mumma आपको पता है ना मुझे मिल्क शेक बिल्कुल पसंद नहीं अब मै छोटा बेबी नहीं हूँ।" वो अपने दोनो हाथ कमर पर रख खड़ा था।


    अक्षिता उसके चुब्बी गालो को खींचते हुए कहती है। " मेरे लिए आप हमेशा बेबी रहोगे इसलिय चुप चाप पी लेना ओके।" अक्षिता उसके गालो पर प्यार से kiss करती है।


    अक्ष को बिल्कुल भी मिल्क शेक पसंद नहीं था और स्पेसली चॉकलेट वाला तो बिल्कुल नहीं। पर अक्षिता जो उसे जबदस्ती पिलाया करती थी उसका बिल्कुल मन नहीं होता था पर वो अक्षिता को ज्यादा मना भी नहीं करता था वरना कही उसकी मम्मा को बुरा ना लग जाय यही सोच चुप हो जाता था।



    अक्षिता जिसके लिए अक्ष उसका चार साल का बेबी था। पर उसे क्या पता था वो सिर्फ उसके लिए बेबी था वरना उसकी मीटूरिटी लेवल अक्षिता को भी पीछे छोड़ती थी।



    अक्षिता का दिल रखने के अपना मन मार अक्ष हाँ मे सर हिला देता है। " ओके mumma. "



    "my little baby. " अक्षिता एक बार फिर उसके गालो पर kiss करती है अक्ष भी स्माइल करता है और अक्षिता के गर्दन से लिपट कर उसके दोनो गालो को बारी बारी kiss करत है। "my innocent mumma. "


    "ओहो तो अच्छा यहाँ मा बेटे का प्यार चालु है कोई हमें भी पूछ लिया करो।" डोर के पास खड़ी नैना जो कब से दोनो माँ बेटे को देख रही थी अब वो अंदर आते हुए कहती है।


    अक्ष और अक्षिता जो एक दूसरे से लिपटे हुए थे वो दोनो एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते है फिर नैना को।


    अक्षिता अपना हाथ आगे बढ़ा नैना को अपने पास आने का इशारा करती है। अक्ष कहता है। " आपके बिना हमारा hug इनकम्पलेट है मासी।" नैना के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है और वो जल्दी से जाकर उन दोनो को हग कर लेती है।


    अक्षिता अक्ष और नैना के चेहरे पर सुकून और मुस्कुराहट थी।



    कुछ देर बाद:-


    अक्षिता टैक्सी से बाहर निकलती है। और सामने बड़े से बिल्डिंग को देखती हो जो बहुत ही यूनिक तरीके से डिजाइन किया गया था।



    अक्षिता उस बिल्डिंग देखती है फिर अपना हाथ उठा अपने दिल पर रखती है जो काफी तेज तेज भाग रहा था। " घबराना नहीं है अक्षु calm down कुछ नहीं होगा तुझे बस अपनी बात सामने रखनी कोई खा थोड़ी जायेगा तुझे।" अक्षिता जिसे लोगो से बात करने में हद से ज्यादा घबराहट होती थी और ऐसी sitution उसके सामने पहली बार आई थी।


    और इस तरह किसी के ऑफिस में वो पहली बार आई थी उसकी दिल की धड़कने हद से ज्यादा बड़ी हुई थी।


    "be strong तुझे ये करना होगा बेबी और नैना के लिए।" अक्षिता दिल पर हाथ रखे खुद को हौसला दे रही थी।


    कुछ देर खड़ी रहने के बाद अक्षिता थोड़ी नॉर्मल होती है तो वो अपने कदम आगे बढ़ाती है। और ऑफिस के मैन डोर के पास पहुँचती है तो वहा खड़े दो गार्ड उसका रास्ता रोक लेते है।


    "आप कौन है?" उसमे से एक गार्ड कहता है।


    अक्षिता पहले तो उनको अचानक अपने सामने आता देख बेहद घबरा जाती है। "व_वो मुझे।" अक्षिता कहते कहते रुल जाती है घबराहट के मारे वो नाम भूल गई थी।



    दोनो गार्ड अक्षिता को देखते है फिर एक दूसरे को क्युकी अक्षिता कहते हुए रुक गई थी और कुछ गहरी सोच में गुम हो गई थी।


    " बोलिये आप कौन है अंदर आपकी ओपीटमेंट है क्या?" एक गार्ड अक्षिता को चुप देख कहता है।


    अक्षिता मासूमियत के साथ जल्दी से ना में सर हिलाती है। " नहीं वो मुझे AK हां इस ऑफिस के boss AK से मिलना है।" अक्षिता जल्दी से कहती है।


    "आप उनसे नहीं मिल सकती।" दूसरा गार्ड जवाब देता है।


    "क्यू?" अक्षिता अचानक ही बोल पड़ती है फिर उन दोनो को देख धीमी आवाज़ में कहती है। " व_वो मतलब क्यू नहीं मिल सकती। मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है प्लीज आप मुझे जाने दीजिये बस पांच मिनट उसके बाद मै आ जाउंगी।" अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था वो किस तरह से बोले उसे जैसे समझ आ रहा था वो बोले जा रही थी।


    उसको इन सब का एक्सपेरिंस बिल्कुल नहीं था की किस तरह से अपनी बात रखते है या ऐसे सिचुएन को हैंडल करते है।


    "देखिये आप अभी उनसे नहीं मिल सकती क्युकी अभी boss ऑफिस में नहीं है।"



    " कोई बात नहीं मै वेट कर लूंगी।" अक्षिता कहती है।


    "नो mam आप उनसे बिना ओपीटमेंट के नहीं मिल सकती और अगर आपके पास होता भी तो आप उनके मैनेजर मिल पाती बॉस से नहीं। उन्हे लोगो से मिलना बिल्कुल पसंद नहीं है।" गार्ड अक्षिता से कहता है।


    अक्षिता उनकी बात सुनती है और खुद में बड़ बड़ाती है। " boss लोगो से नहीं मिलता? बड़ा अजीब boss है इतनी बड़ी कम्पनी का मालिक होकर भी अपने एम्प्ली तक से नहीं मिलता? पता नहीं यहाँ के लोग कैसे झेलते होगे।" अक्षिता की आवाज़ बेहद धीमी थी।


    पर गार्ड अक्षिता को खुद मे बड़ बड़ता ऐसे देख रहे थे जैसे उनके सामने कोई पागल हो। वो दोनो ही एक दूसरे को ना समझी से देख रहे थे।


    "आप कुछ कह रही है?" एक गार्ड उससे कहता है।


    अक्षिता जल्दी से होश में आती है और ना में सर हिलाती है। "नहीं कुछ नहीं।"



    "तो आप प्लीज यहाँ से चले जाइये अगर boss को पता चला तो हमें छोड़ेगे नहीं।"


    अक्षिता उनकी बात सुनती है उसे निराशा होने लगती है। "वो कब तक आएंगे?"


    "पता नहीं मैम।"


    "अच्छा तो आप मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे तो मै क्या बाहर वेट कर लू।" अक्षिता हिचकते हुए सवाल करती है।


    "आपकी मर्ज़ी है पर आप रोड के उस पार जाकर वेट कीजिये ऑफिस के आस पास किसी को allow नहीं है।" गार्ड रेस्पेक्ट के साथ उससे कहता है।


    अक्षिता को बस कैसे भी कर के AK से मिलना था। इसलिय वो इसमे भी मान जाती है और ठीक है बोल वहा से चाली जाती है और रोड क्रॉस कर दूसरे साइड लगे बेंच कर जाकर बैठ जाती है।



    वो दोनो गार्ड भी अपनी अपनी जगह पर आकर खड़े हो जाते है। शाम होने मे अभी समय था जिस वजह से अभी हलकी हलकी धूप थी और बाहर का मौसम गर्म भी था अक्षिता बेंच पर बैठी उसे गर्मी का एहसास हो रहा था।


    वो धूप से बचने के लिए अपने बैग से स्टोल निकालती है और उससे अपना फेस कवर कर लेती है। वो एरिया पुरा ओपन था इसलिय वहा साया की उम्मीद करना बेकार थी।


    अक्षिता बैठी हुई बार बार उस ऑफिस की तरफ ही देख रही थी हर आती जाती गाड़ियों को देख वो यही सोचती की शायद ये गाड़ी रुकेकी और इसमे से AK बाहर आएगा पर ऐसा नहीं हो रहा था।


    "पता नहीं कैसा boss है अभी तक नहीं आया।" अक्षिता अपने फोन पर टाइम देखती है 6 बजने वाले थे।


    उसका फोन रिंग होता है। "hellow! "


    "हाँ अक्षु कहा हो अभी तक आई नहीं AK मिला बात हुई तुम्हारी उससे? क्या कहा उसने?" दूसरी तरफ कॉल पर नैना एक ही साँस मे सवालो की किताब खोल देती है।


    अक्षिता निराश भरी आवाज़ के साथ कहती है। " बात तो तब होगी ना जब मै अंदर जाउंगी और वो आएंगे।"

    "क्या मतलब?" नैना ना समझी से कहती है।


    "यही की गार्ड्स ने मुझे अंदर जाने नहीं दिया और ऊपर से AK अभी ऑफिस में नहीं है इसलिय मै बाहर वेट कर रही हूँ।" अक्षिता परेशान हो गई थी उसके चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी।


    उसकी बात सुन नैना तुरंत कहती है। " अच्छा तुम परेशान मत हो मै अभी आती हूँ। वाही रुको।"


    नैना की बात सुन अक्षिता उसे रोक देती है। " नहीं तुम मत आओ तुम बस बेबी का ध्यान रखो मै यहाँ सम्भल लुंगी। काफी टाइम हो गया शायद अब आने ही वाले होगे जैसे ही आते मै तुम्हे बताती हूँ।" अक्षिता की बात नैना नहीं काटती है और हार मान कर कहती है। "ठीक है पर ध्यान रखना और जैसे ही आये मुझे बताना।"


    "हम्म्म ठीक है।" अक्षिता कॉल कट कर देती है।


    धीरे धीरे शाम और फिर अंधेरा होने लगता है अक्षिता वैसे ही बैठी थी। अब ऑफिस की भी छुट्टी हो चुकी थी और लोग वहा से समय के साथ बाहर निकल रहे थे।



    ऑफिस से बाहर आते लोगो को देख अक्षिता खड़ी हो जाती है। " सबकी छुट्टी हो गई फिर अभी तक वो आये क्यू नहीं?" अक्षिता अब और ज्यादा परेशान हो जाती है।


    वो खड़ी अभी भी वाही ऑफिक्स की तरफ देख रही थी। कुछ इम्पोलॉइस अक्षिता की रोड की तरफ से जा रहे थे और कुछ बाते कर रहे थे।


    "अरे तुम्हे पता है आज boss किसी सक्ससेस पार्टी मे गये है। सुनने में आया है वहा बड़े बड़े बसस्नेस मैन आ रहे है।" एक लड़की कहती है।


    "अच्छा तभी आज boss ऑफिस नहीं आये वरना जब से वो जर्मनी आये है तब से उन्होंने एक दिन भी miss नहीं किया चलो अच्छा है कम से कम आज तो सभी सुकून से थे।" दूसरी लड़की कहती है।


    "हाँ यार बस अब बॉस जल्दी से इंडिया वापस चले जाय हम बस उनकी कम्पनी मे काम करके खुश है उनके साथ रह नहीं सकते।" पहली लड़की दुख बताते हुए कहती है और वहा से निकल जाती है।


    "पार्टी?" अक्षिता उनकी बात सुन लेती है।


    "मतलब मै इतने समय से यहाँ टाइम बर्बाद कर रही थी?" अक्षिता का बेचरगी जैसा मुँह बन जाता है।

  • 9. आपकी निशानी मेरी जान है। - Chapter 9

    Words: 1611

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    "o finally आप आ ही गये मिस्टर अक्षत खुराना वरना हमें लगा नहीं था आप जैसी हस्ती हमारे पार्टी में कदम रखेगी।" एक मिडिल एज आदमी मुस्कुराते हुए अक्षत की तरफ आता है वो अक्षत को जैसे ही गले लगाने को होता है।


    अक्षत दो कदम पीछे लेता है वो शख्स अक्षता को देखने लगता है अक्षत भी अपनी जलती गुस्से भरी नज़रो से उसे देखता है। " ये गलती दोबारा मत करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं कोई ऐरा गैरा मुझे टच करे।" अक्षत की आवाज़ काफी सख्त और ठंडी थी।


    जिसकी ठंडक वो भी महसूस कर पा रहे थे। " तुम अच्छे से जानते हो यहाँ में क्यू आया तो फोक्स उसी पर करो।" अक्षत सख्त लहज़े के साथ कहता है और वहा से चला जाता है।


    उसके जाने के बाद एक और शख्स वहा आता है और पहले शख्स से कहता है। " जितना सुना था उससे ज्यादा घमंडी है ये।"


    उसकी बात सुन पहला शख्स उसे देखता है फिर कहता है। " इसका घमंड टूटेगा जितना उड़ना है उड़ने दो इस अक्षत खुराना को। अगर इसने मुझसे हाथ ना मिलाया होता तो मै बताता इसे।" पहला शख्स गुस्से भरी नज़रो से उसी तरफ देख रहा था जिस तरफ से अभी अक्षत गुज़रा था उसकी आवाज़ में गुस्सा और नफरत दोनो थी।



    "अक्षु कहा हो यार रात हो गई है अक्ष ने भी परेशान कर दिया है मुझे अब तुम आकर उसे संभालओ।" नैना कॉल पर अक्षिता से कहती है।



    अक्षिता जो कैब में बैठी थी। " बस कुछ देर और वो आज किसी पार्टी मे है मैने वहा का एड्रेस ले लिया है वाही जा रही हूँ।"


    "क्या?" अक्षिता की बात सुन नैना तेज आवाज़ मे हैरानी के साथ चिल्ला उठती है। जब उसे एहसास होता है की उसकी आवाज़ ज्यादा तेज थी तब वो अपनी आवाज़ थोड़ी धीमी कर कहती है। "are you mad तुम पार्टी में जा रही हो। पागल मत बनो घर वापस आओ।"


    "नहीं मेरे लिए हर एक मिनट कीमती है आज नहीं मिली तो शायद फिर में इतनी हिम्मत जुटा पाउंगी प्लीज आज मुझे करने दो। बहुत मुश्किल से खुद को हौसला दिया है।" अक्षिता नर्म और पेसेंज के साथ कहती है। नैना को अक्षिता की बात कही ना कही सही लगती है।


    अक्षिता में इतनी हिम्मत नैना ने आज तक नहीं देखी थी। पर कहते है ना जब इंसान हद से ज्यादा टूटा हो और उसके पास जीने का सहारा उसका सपना होता है तो वो उस सपने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है अपनों से लड़ने के लिए भी। और अक्षिता के अंदर अभी वाही हिम्मत थी वो उसे हौसला दे रही थी की वो कर सकती है वो हर चीज़ कर सकती है। इतनी हिम्मत उसमे आई कहा से इस चीज़ से वो भी हैरान थी।



    नैना अक्षिता की बात सुन कुछ देर चुप रहने के बाद कहती है। " अच्छा ठीक है पर जल्दी आना।"


    "हम्म्म।" अक्षिता कहती है फिर फोन कट हो जाता है। अक्षिता विंडो से बाहर का नज़र देखने लगती है उसके बाल हवाओ मे उड़ रहे थे और अक्षिता बाहर की हवा अपने चेहरे और बालो को महसूस कर पा रही थी।


    वो जैसे जैसे मंजिल के करीब बढ़ रही थी वैसे वैसे ना जाने उसे अजीब सा एहसास हो रहा था।


    "ये मुझे क्या हो रहा है? ये कैसा एहसास है मेरा दिल इतनी बेचैनी से क्यू घबरा रहा है।" अक्षिता अपना हाथ अपने दिल पर रखती है जिसकी स्पीड सच मे बहुत तेज थी।


    वो विंडो से सर टिका आँखे बंद करती है। उसकी आँखों से एक कतरा आंसू बाहर गिरता है। " प्लीज आज मेरा साथ दे देना। आपको पता है ना मेरे पास बस यही अगर ये सपना भी टूट गया तो शायद फिर कभी ना जुड़े। ये बेचैनी मुझे डरा रही है जैसे कोई तूफ़ान आने वाला हो जो शायद सब कुछ बर्बाद कर दे।" वो आँखे बंद किये मन में कह रही थी उसका हाथ अभी भी उसके दिल के पास था। उसे अपने अंदर बहुत कुछ ऐसा महसूस हो रहा था जो उसे अंदर ही अंदर डरने पर मजबूर कर रहा था।



    वो अपनी आँखे धीरे धीरे खोलती है उसकी आँखे लाल आंसुओ से भरी हुई थी। वो अपना हाथ अपने सीने जे पास से हटा ऊपर की तरफ ले जाती है फिर अपने टॉप के अंदर हलका हाथ डाल अपने गले मे पहले एक पेंडेड की तरह दिखने वाला मांगसूत्र बाहर निकालती है। जो हमेशा उसके गले मे रहता था सबसे छुपा कर वो हमेशा इसे पहना करती है।


    वो अपनी नज़रे झुका अपने हाथों मे पकड़े उस मंगलसूत्र को देखती है। " मै आपसे नफरत करती हूँ। पर पता नहीं क्यू नहीं कर पाती मुझे तकलीफ होती है बहुत। मै कुछ भी आपसे जुड़ी निशानी अपने पास नहीं रखना चाहती क्युकी वो मुझे आपकी याद दिलाती है। पर मुझे याद आता है की आपकी सबसे बड़ी निशानी तो मेरी जान मेरा अक्ष है जिसे मै चाह कर भी खुद से दूर नहीं कर सकती। वो मेरी जीने की वजह है उससे मेरा वजूद है। आप को मै चाह कर भी नहीं भूल सकती पर मै कभी आपको माफ़ भी नहीं कर सकती।" उसकी आँखे नम गला नर्म पड़ गया था उसकी आँखे में अनचाह सा दर्द था।



    वो जब भी इस तरह अकेली होती थी उसे अपने किस्मत पर बहुत रोना आता था। वो क्यू आई थी अक्षत की ज़िंदगी में क्यू उसने अपना सब कुछ उस पर कुर्बान कर दिया था। ये सब बाते उसे सिर्फ तकलीफे ही देती थी।


    वो हमेशा सोचती थी अगर वो कभी अक्षत से ना मिली होती वो हादसा ना हुआ होता अगर वो उसे गलत ना समझता तो शायद उसकी लाइफ ऐसी ना होती। पर जब भी वो अक्ष को देखती थी उसे एक सुकून आता था उसकी ज़िंदगी ने भले ही उससे हर चीज़ छिन ली हो पर अक्ष उसके लिए उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा तोहफा था जो उसे अपनी जान से भी प्यारा था।


    अक्षिता उस मंगलसूत्र को अभी भी देख रही जिसे वो हमेशा सब से छुपा कर पहती थी। उस मंगलसूत्र से उसे अभी भी उसे अक्षत के हाथों का स्पर्स महसूस होता था वो पल महसूस होता था जब अक्षत ने उसे ये पहनाया था।


    वो एक बार फिर विंडो से अपना सर टिका अपने हाथ में उस मंगलसूत्र को पकड़ बाहर देख रही थी जो रात को लाइट की रौशनी मे अलग ही सुकून दे रहा था पर अक्षिता अभी बैसुकून थी क्युकी थी किसलिय थी उसे नहीं पता था। बस उसे इतना पता था कुछ अजीब कुछ ऐसा होने वाला है जो नहीं होना चाहिए।



    वाही दूसरी तरफ:-


    " अक्ष नो बेबी घर चलो।"


    अक्ष गार्डन में इधर से उधर भागते हुए कहता है। "नो मासी जब तक मम्मा नहीं आएगी मै कही नहीं जाऊंगा।"


    नैना जो अक्ष के पूछे भागते भागते थक चुकी थी ना जाने कब से वो उसे अपने पीछे भगा रहा था। "बेबी आप तो अच्छे हो ना जिद्द मत करो और चुप चाप घर चलो रात काफी हो गई है मम्मा बस आती होगी।"


    अक्ष भागते हुए " वाही तो मै भी कह रहा हूँ रात देखो हो गई और मेरी मम्मा बाहर है मुझे भी उनके पास जाना है उन्हे रात को डर लगेगा। आप भी नहीं हो और मै भी नहीं हूँ।" अक्ष पूरे पसीने से भींग चुका था उसकी वाइट शर्ट ट्रांसपेरेंट हो चुकी थी।


    नैना का भी ऐसा ही कुछ हाल था उसके बाल मेसी हो गये थे और कुछ पसीने के करण चेहरे पर चिपक रहे थे जो नैना को हद से ज्यादा गुस्सा दिलाने का काम कर रहे थे।


    "बेबी मम्मा आ जायेगी अभी मेरी उससे बात हुई थी।"


    "तो आपने मेरी बात क्यू नहीं कराई वो अकेली है। उन्हे मै प्रोटेक्ट करने के लिए जाऊंगा और आप भी मुझे नहीं रोकेगी।" अक्ष कुछ दूरी पर जाकर सीरियस एक्सप्रेसशन के साथ जाकर खड़ा होता है उसके दोनो हाथ उसकी कमर पर थे।


    और वो अपने chubby face के साथ सीरियस लूक के साथ नैना को देख रहा था इस समय वो काफी हद तक क्यूट और सीरियस लग रहा था।



    नैना जो खुद भागती भागती थक गई थी वो एक जगह रुक हाफ्ते हुए कहती है। " लास्ट बार बोल रही हूँ अगर आपने अब मेरी नहीं सुनी तो मै अक्षु को कॉल कर दूंगी और बताउंगी की तुम मुझे कितना ज्यादा परेशान कर रहे हो। फिर देख लेना वो तुम्हे बहुत डांटेगी और बात भी नहीं करेगी।" नैना की बाते सुन अक्ष अपनी आँखे छोटी कर घूरते हुए कहता है। " आप मुझे धमकी दे रही है मासी?"


    " हाँ अगर तुमने बात नहीं मानी तो ये धमकी मे सच भी कर सकती हूँ लगाउ फोन बोलो।" नैना भी अपने बालो को झटके से पीछे कर ऐटिटूड दिखाते हुए अक्ष से कहती है।


    अक्ष नैना को धमकी देता देख बुरी तरह घूर रहा था जैसे वो कह रहा हो। आपको छोडूंगा नहीं आप मम्मा के नाम पर मुझे डरा रही हो। पर अफ़सोस वो ऐसा कुछ अभी नही कह सकता था।


    "बोलो लगाऊ और ये भी बतऊँगी की उसका बेटा मुझे आँखे दिखाता है।" नैना अक्ष को खुद को घूरता देख कहती है।

    अक्ष की आँखे और छोटी हो जाती है। "very bad आपको छोडूंगा नहीं।" इतना बोल अक्ष वहा से जाने लगता है।


    नैना जिसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई थी। आखिर उसने अक्ष को घर जाने के मनवा जो लिया था। " हाँ हाँ देख लेंगे बड़ा आया छोटा चूहा।" नैना भी अक्ष के पीछे चल देती है।


    इनकी ये नोक झोक तो हमेशा चलती रहती थी। जिसे अक्षिता परेशान हो जाया करती थी।


    (guys Novel padhne ke baad support bhi kiya karo share kiya karo apne frnds ko batao kuch toa karo itne kharab views ka mai kya karungi.?)

  • 10. AK hot है। - Chapter 10

    Words: 1606

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    "अंदर कैसे जाऊ यहाँ तो इतनी सिक्योरिटी है।" अक्षिता इस समय बहुत बड़े से होटल के बाहर खड़ी थी वो जर्मनी का सबसे फेमस और महंगा होटल था।


    यहाँ अक्षिता भी कभी नहीं आई थी उसने बस इसके बारे में सुना था।


    वो पूरे होटल को देख रही थी जो हद से ज्यादा बड़ा और खूबसूरत था। और वहा सिक्योरिटी इतनी ज्यादा थी की पूछो मत और आज पार्टी के कारण और भी ज्यादा थी।



    अक्षिता वहा आते जाते लोगो को देख रही थी जिनके पास एक पास था जिसे दिखा कर वो सब अंदर जा रहे थे। और अक्षिता जिसके पास कुछ नहीं था वो तो इन सब के बारे में सोचा ही नहीं आने से पहले। उसे बस AK से मिलना था और वो बस चली आई।




    " इतनी सिक्योरिटी के बिच में अंदर कैसे जाउंगी?" अक्षिता अपने दोनो हाथों को आपस मे मल रही थी। एक तो पहले ही उसे घबराहट हो रही थी और अब इतनी रुकावटे उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।




    "excause me mam! " अक्षिता के पीछे से कोई उसे आवाज़ देता है अक्षिता थोड़ी घबरा जाती है और जल्दी से पलट कर देखती है।



    "आप थोड़ा साइड होकर खड़ी हो जाइये यहाँ बड़े बड़े लोगो का आज आना जाना है उन्हे प्रोबलम होगी।" वो उस होटल का मेनेजमेंट सम्भल रहा था उसके हाथ में कुछ बॉक्स थे शायद वो उस होटल के अंदर जा रहा था।



    अक्षिता उसकी बात सुनती है। " sorry. " और जल्दी से साइड होने लगती है। वो आदमी भी वहा से जाने लगता है की इतने में पता नहीं अक्षिता को क्या समझ आता है की वो उस आदमी को रोक देती है।



    "एक मिनट."


    "जी बोलिये?" वो भी बहुत ही रिक्वेस्ट के साथ कहता है। अक्षिता को पहले समझ नहीं आता वो क्या बोले वो चुप थी। "मैम बोलिये क्या हुआ मेरे पास टाइम नहीं है।" वो आदमी अक्षिता को चुप देख कहता है।



    अक्षिता हिम्मत कर कहती है। "वो मुझे अंदर जाना है।" उसकी बेहद धीमी थी।


    वो आदमी अक्षिता को ऊपर से निचे तक देखता है वो बहुत ज्यादा घबराई हुई सी लग रही थी वो लगातार अपने हाथ आपस मे रफ कर रही थी।




    "आपके पास एंट्री पास है? क्युकी आज यहाँ बहुत बड़ी sucess party जिसमे किसी को भी एंट्री नहीं है।" अक्षिता उसे सुनती है फिर अपना सर झुका ना में सर हिलाती है।



    "मेरे पास नहीं है।" फिर अपना चेहरा उठा उस आदमी को देख कहती है। " पर मेरा अंदर जाना बेहद ज़रूरी है।"



    "sorry मैम rule is rule. " वो आदमी की ना सुन वहा से जाने लगता है।



    अक्षिता जिसने इतनी मुश्किल से हिम्मत की थी के अब उसे ये उम्मीद भी टूटती नज़र आ रही थी।



    " प्लीज मेरा जाना बहुत ज़रूरी है। अगर आपने मेरी हेल्प नहीं की तो बहुत कुछ बिगड़ जायेगा। मेरा सपना बिखर जायेगा प्लीज मुझे अंदर जाने दीजिये। मै वादा करती हूँ बस पांच मिनट उससे ज्यादा मै एक मिनट भी अंदर नहीं रुकूंगी आप चाहे तो मुझपे नज़र रख सकते है। पर प्लीज मुझे जाने दीजिये।" अक्षिता के चेहरे पर परेशानी की लकीरे थी उसका चेहरा निराश से भरा हुआ आँखों मे उम्मीद ऐसे रुकी हुई थी जैसे कभी भी टूट सकती थी।



    वो आदमी पहले तो अक्षिता को मना करने लगता है पर वो अक्षिता को देखता है डरा सहमा चेहरा हाथ पेरो की मूवमेंट जो साफ बता रही थी की वो कितनी ज्यादा घबराई हुई है। उसकी आवाज़ भी बेहद धीमी और लड़खड़ती सी निकल रही थी।


    वो घबराई हुई कैसे ना होती ये सब वो पहली बार इतना सब हैंडल कर रही थी एक दिन में उसने इतने सारे स्ट्रेंजर्स से बात कर चुकी थी जितना उसने इन चार सालो में नहीं किया था।



    "okay पर आप आपने वादे पर रहना।" उसकी बात सुन अक्षिता का चेहरा खिल उठता है वो जल्दी से हाँ में सर हिलाती है। " आप फ़िक्र मत कीजिये बस पांच मिनट मतलब पांच मिनट।" अक्षिता उसे भरोसा दिलाती है।



    वो आदमी अपने जैब से एक पास निकालता है। " ये वर्कस पास है।" वो अक्षिता के आगे बढ़ाता है अक्षिता उसे ले लेती है।


    फिर वो आदमी एक बॉक्स अक्षिता को देता है। " ये आप ले लीजिये जिससे आप हमारा हिस्सा लगेगी और एंट्री पर आप ये पास दिखा देना। कोई प्रोबलम होगी तो मै अंदर ही हूँ।" वो आदमी अक्षिता को समझाता है।


    अक्षिता उस बॉक्स को लेकर हाँ में सर हिलाती है। "thank you. " अक्षिता हलकी स्माइल के साथ कहती है। वो आदमी वहा से चला जाता है।


    अक्षिता अपने हाथ मे पास और उस बॉक्स को देखती है। "बस कुछ मिनट और अक्षु बस यहाँ तक आ गई है थोड़ी सी और हिम्मत।" अक्षिता आंखे बंद कर गहरी साँस लेती है फिर खुद को अच्छी तरह से नॉर्मल कर अपने कदम आगे बढ़ाती है।



    उसके कदम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे उसके दिल की धड़कन भी बढ़ रही थी। उसकी बेचैनी एक बार फिर शुरु हो चुकी थी। उस चलते कदम जो उसका साथ देने से इंकार कर रहे थे वो हद से ज्यादा भारी हो चुके थे। वो बढ़ना नही चाहते थे पर अक्षिता रुक नहीं सकती थी।



    देखते ही देखते अक्षिता एंट्री गेट पर पहुँचती है और उसी के साथ वो बिना रुकावट के अंदर भी चली जाती है। वो अंदर आकर थोड़ी दूर पर खड़े उस आदमी को देखती है फिर उसे उसका पास देते हुए कहती है। "thank you so much. आज आपने मेरी बहुत हेल्प की।"



    "its okay बस आप जल्दी यहाँ से चले जाना वरना किसी को शक हुआ तो मै फ़स जाऊंगा।"



    "आप फ़िक्र मत कीजिये आप को कोई कुछ नहीं कहेगा।" दोनो बात करते है फिर अक्षिता अपने मंजिल की तरफ बढ़ जाते है।



    वो आगे बढ़ती जहा बहुत भीड़ थी वहा एक से बड़े एक bussness man आये हुए थे। उनमे से तो कइयो को उसने TV पर भी देखा था वहा इतना हाई वाइ लेडीज भी थी।


    अक्षिता की नज़र वहा चारो तरफ घूम रही थी उसके हाथों में वो रेड फाइल अभी भी मौजूद थी। " अब मै यहाँ AK को कैसे ढूंदु मैने तो उन्हे देखा ही नहीं है कभी।" अक्षिता सभी लोगो को देखते हुए खुद से कहती है।



    वो यहाँ तक तो आ गई थी पर अब वो AK से कैसे मिलेगी उसे कैसे पहचानेगी ये उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था। इतने सारे लोगो को देख वो हद से ज्यादा नर्वस हो चुकी थी।


    वो अंदर आ तो गई थी पर अब उसे डर लग रहा था। डर इस बात का की अगर किसी ने उससे कुछ पूछ लिया तो उसका सच पता चल गया तो वो क्या जवाब देगी। वो लोग उसके साथ क्या करेगी ये सब सोच उसका गला सूखने लगा था।



    वो इधर उधर देखती है फिर एक वेटर को रोकती है उसकी ट्रे से पानी का गिलास उठा कर पानी पीने लगती है वो इतनी ज्यादा नर्वस थी उसने एक साँस मे पुरा पानी का गिलास पी लिया था।



    "thank you. " अक्षिता गिलास रखती है और उस वेटर से कहती है। वेटर वहा से चला जाता है।



    "अब ये AK कहा है?" अक्षिता आगे बढ़ने लगती है गार्डन मे उसे कोई भी समझ नहीं आता इसलिय अब वो होटल के अंदर चली जाती है।



    होटल के अंदर भी अच्छी खासी भीड़ थी। अंदर भी बहुत सारे लोग इकट्टा थे। और आपस मे ड्रिंक करते हुए बाते कर रहे थे।


    अक्षिता खुद को नॉर्मल कर आगे बड़ रही थी। और इसी के साथ लोगो की बातो को भी गोर से सुन रही थी इस उम्मीद से की क्या पता इनमे से कोई AK निकल जाय।


    "तुम्हे पता है AK भी इस पार्टी में है।" एक लड़की जो काफी मॉडल कपड़े पहनी हुई थी हाई मेकअप के साथ दूसरी लड़की से कहती है।



    उसकी बात सुन अक्षिता के कदम रुक जाते है। और वो उस तरफ देखने लगती है। "क्या ये उसी AK की बात कर रही है?" अक्षिता मन में कहती है।


    "क्या तुम सच बोल रही हो?" दूसरी लड़की जो उसे टक्कर दे रही थी वो चौंकते हुए कहती है। उसकी बात सुन पहली लड़की हाँ मे जवाब देती है। उसकी बात सुन दूसरी लड़की के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है।



    " o my god तुमने पहले क्यू नहीं बताया तुम्हे पता है वो कितना ज्यादा हैंडसम और होट है। उसे आज तक में मैने सामने से नहीं देखा सुना है वो बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव है।" वो लड़की अपनी ही दुनियाँ मे खोती जा रही थी। उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल अभी भी मौजूद थी।



    उसे देख वो पहली लड़की कहती है। " o madam वापस आओ शायद तुम ये भूल रही हो की तुम्हारे AK को लड़कियों से सख्त नफरत है इसलिय उसके सपने देखना बंद करो।"



    उसकी बात सुन दूसरी लड़की घमंड के साथ अपने बालो को उंगलियों से खलते हुए कहती है। "आज तक उसने मुझ जैसी hot लड़की नहीं देखी होगी। अगर देखता तो लड़कियों पर जान वार देता मै भी देखती हूँ वो मुझसे कैसे दूर जायेगा।"



    "पागल मत बनो। तुम उसका गुस्सा नहीं जानती।"


    "मुझे जानना भी नहीं है मुझे बस उसे महसूस करना।"



    उन सब की बाते दूर खड़ी अक्षिता सुन रही थी उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे। " ये लोग कैसी बाते कर रहे वो भी उस इंसान के लिए जो लड़कियों से नफरत करता है फिर भी इन्हे वो पसंद है?" अक्षिता कहती है। "सच में लड़किया पागल हो चुकी है। " वो नगवारी से अपना सर हिलाती है।


    "अरे वो रहे mister AK? " वो लड़की एक्सीडेटड हो उठती है।


    अक्षिता चौंक जाती है और जल्दी से पलट कर सामने देखती है। उसकी धड़कने उतनी ही तेजी से भागने लगती है।

  • 11. अक्षत अक्षिता आमने सामने। - Chapter 11

    Words: 1539

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    अक्षिता जो AK का नाम सुन पलटती है उसकी साँसे और धड़कने तेज हो जाती है वो अपने ठीक सामने कुछ दूरी पर खड़े एक शख्स को देखती है जिसकी पीठ उसे नज़र आ रही थी।



    "क्या ये AK है?" अक्षिता खुद से सवाल करती है। फिर उन लड़कियों को देखती है जो कुछ देर पहले AK के गुण गा रही थी। वो लड़कियों जो जा जाने AK को किस किस नज़र से देख मुस्कुरा और खुश हो रही थी।


    अक्षिता उनकी नज़रे पहचानने मे थोड़ा भी वक़्त नहीं लगाती की ये AK है। पर वो उसका चेहरा नहीं देख पा रही थी वो इस समय उसकी तराफ पीट किये खड़ा था और अपने फोन में कुछ कर रहा था।


    पर उसकी बैक इतनी ज्यादा अट्रैक्टिव के की कोई भी बता सकता था ये बंदा आगे से कितना ज्यादा कहर ढा सकता है।



    अक्षिता एक बार फिर अपनी बढ़ती धड़कनो को सम्भलते हुए अपने दिल पर हाथ रखती है। "ये मुझे आज क्या हो गया है?" अक्षिता अपने दिल की तरफ देखती है फिर सामने।


    "अरे ये तो जा रहे है?" अक्षिता जब AK को जाता देखती है तो वो जल्दी से सब कुछ भूल आगे बढ़ने लगती है।



    वाही AK जो लिफ्ट की तरफ बढ़ रहा था और अक्षिता उसके पीछे पीछे जा रही थी AK की स्पीड तेज थी और अक्षिता जो उसे बीट नहीं कर पा रही थी।



    ऊपर से वहा पर थोड़ी भीड़ भी थी।



    AK लिफ्ट एरिया की तरफ आता है और लिफ्ट का बटन प्रेस कर अंदर जाने को होता है इतने में उसके कदम रुक जाते है।


    "एक्सकॉज मी।" अक्षिता जो पीछे से उसे आवाज़ देती है। उसने कितनी मुशिकल से कहा था वो सिर्फ वाही जानती थी उसकी साँसे भागने की वजह से तेज हो चुकी थी।



    वाही AK वैसे ही खड़ा था। अक्षिता जल्दी से उसके पास आती है और ठीक उसके पीछे आकर खड़ी होती है। और बिना वक़्त गवाय कहना शुरु करती है। " मुझे सिर्फ आपके पांच मिनट चाहिए।" किसी लड़की आवाज़ सुन AK की आँखे लाल और हाथ गले की नसे तन गई थी उसका चेहरा सर्द हो गया था।


    उसे लड़कियों से इतनी नफरत थी के वो उनकी आवाज़ को सुन भी नहीं सकता था। वो अपने हाथों की मूठी कैसे खड़ा था एक तो उसे अक्षिता ने टोक दिया था और ऊपर से वो लड़की थी।


    अक्षिता इन सब से अनजान थोड़ी हिम्मत कर कहती है। " व_वो आप मसी वाली जमीन क्यू लेना चाहते है? अगर आपको लेना है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है पर एक रिक्वेस्ट है वहा पर मेरा रेस्टुरेंट प्लीज उसे मत तोड़िये। मै उसके बदले आपको पैसे दे दिया करूंगी मै फ्री में नहीं लूंगी पर प्लीज वो ररस्टुरेंट मेरे लिए बेहद ज़रूरी है।" वो एक साँस में कह रही थी उसकी आवाज़ बेहद धीमी और शांत थी। वो अभी जिस कंडीशन मे थी ऐसा लग रहा था की कभी कभी उसकी साँसे बाहर आ सकती है। उसकी धड़कनो की स्पीड इतनी तेज हो गई ठु जैसे कभी भी बाहर आ जायेगा।



    AK अभी भी वैसे ही खड़ा अपनी आँखे बंद कर गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। अक्षिता अपने हाथ मे पकड़ी फाइल को देखती है। " ये फाइल आपके आदमियों ने दी थी प्लीज इसे cancel कर दीजिये।" वो कहती है AK से अब आवाज़ बरदस्त नहीं हो रही थी वो गुस्से में अक्षिता की तरफ पलटते हुए गुस्से मे अपना फोन सामने वॉल पर दे मारता है।

    अक्षिता डर जाती है और जल्दी से अपनी आँखे बंद कर दोनो हाथ अपने कानो पर रख लेती है।


    AK जो अब अक्षिता की तरफ खड़ा था वो गुस्से मे अक्षिता को देखता है जो अपना चेहरा निचे किये डर से आँखे बंद किये हुए थी।


    AK अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए। "हिम्मत कैसे हुई मेरे पीछे आने की?"वो अपने दाँत पिसते हुए कहता है अक्षिता धीरे से अपनी आँखे खोलती है उसकी नज़र उसके पेरो पर जाती है जो उसकी तरफ बढ़ रहे थे।


    अक्षिता ने अभी उसके गुस्से का डेमो देखा था। AK का जिसने अपना फोन इतनी जोर से फेनका था की अब वो फर्श ना ना जाने कितने टुकड़ो मे टूट का बिखरा हुआ था।


    उसे अपनी तरफ आता देख अक्षिता घबरा जाती है और अपने कांपते पेरो को पीछे लेने लगती है। AK जी नज़र उसकी झुकी नज़रो ही थी देखा तो अभी तक उसने भी नहीं था।



    " कुछ पूछा है मैने?" उसकी आवाज़ इतनी तेज थी के अक्षिता के रूह तक कांप जाती है। और ना चाहते हुए भी उसकी आँखों से आँसू बहने लगते है।


    अक्षिता ऊँची आवाज़ो को बरदस्त नहीं कर पाती थी। किसी की ऊँची आवाज़ सुन वो हद से ज्यादा घबरा जाती थी।



    अक्षिता आँखों में आंसू लिए "व_वो म_मै. . ." कहते कहते उसकी आवाज़ उसके गले में ही रुक जाती है जब वो अपनी नज़रे उठा सामने खड़े शख्स को देखती है। उसे देख उसकी साँसे मानो रुक सी गई थी उसकी धड़कनो ने अलग ही रुख कर लिया था।


    उसके सामने कोई और नहीं अक्षत खुराना खड़ा था। जिसे देख एक साथ जाने कितने दर्द अक्षिता के ताज़े हो जाते है उसकी आँखों मे रुके आँसू उसकी आँखों से बाहर गिर उसके गालो पर आने लगते है। अक्षिता की नज़र अक्षत पर थी जिसके फेस एक्सप्रेसशन कुछ चेंज थे। पर उसकी नज़र अक्षिता पर टिकी हई थी।



    "आ_अक्ष_अक्षत!" अक्षिता की जुबान उसका साथ नहीं दे रही थी। उसे अब समझ आया ये AK और कोई नहीं अक्षत खुराना था।


    उसके हाथ पुरी तरह कांप रहे थे जिस वजह हाथ पकड़ी फाइल तेजी से हिल रही थी।



    "कौन हो तुम?" अक्षत जिसने शायद अक्षिता को पहचानस नहीं था वो सांवलिया नज़रो के साथ उसे देख रहा था।



    वाही अक्षिता अक्षत की बात सुन उसका दिल टूटता हुआ महसूस होता है। क्या उसने उसे पहचाना नहीं? यही सोच सोच कर अक्षिता का दिल तड़प उठता है।


    अक्षिता की आँखों मे आँसू थे जो उसी आँखों के साथ उसे देख रही थी अक्षत आगे कहने वाला था की अक्षिता "न_नहीं नहीं य_ये नहीं हो सकता।" अक्षिता के कदम लड़खड़ा जाते है उसके हाथों मे पकड़ी फ़ाइल उसके कदमो पर गिर जाती है।


    वो पुरी तरह शॉक्ड हो चुकी थी उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी वो उससे दोबारा मिलेगी। वो फाइल को देखती है फिर डरती नज़रे उठा अक्षत वो आज भी वैसा ही था या यु कहे उससे भी ज्यादा सख्त हो चुका था।



    अक्षत कुछ सोचते हुए अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाता है। अक्षिता अपने कदम पीछे लेती है उसके कदमो ने उसका साथ छोड़ रहे थे। उसे डर लगने लगता है कही अक्षत उसे पहचान लिया तो या उसने उसे कही पहचान तो नहीं लिया। अगर ऐसा हुआ तो वो उसका गुस्सा और नफरत बरदस्त नहीं कर पाएगी। वो कांप रही थी वो इधर उधर देखती है वो जहा थी इस समय वहा दूर दूर तक कोई नहीं था।



    " नाम क्या है तुम्हारा?" अक्षत अपने कदम उसकी तरफ बधा रहा था अक्षिता एक बार फिर अपना ध्यान हटा अक्षत को देखती वो आज भी उसकी मौजूदगी से डर रही थी जितना वो चार पहले डरी थी।



    अक्षत उसकी तरफ आ रहा था अक्षिता के पास अब और कोई ऑप्शन नहीं था वो पलटती है और बिना कुछ बोले वहा से भाग जाती है। अक्षत के हाथों की मुट्ठी कश जाती है आँखे लाल और सख्त।



    वो निचे पड़ी फाइल देखता है और उठाता है। फिर अपना फोन निकाल किसी को कॉल करता है। "मसी की सारी इनफार्मेशन मुझे जल्द से जल्द चाहिए।" और फिर फोन कट कर देता है।



    और फिर सामने कुछ दूरी पर पड़े अपने पहले फोन जे टुकड़ो को देखता है। "मेरे हाथों से टूटी चीज़े कभी नहीं जुड़ती।" उसकी आवाज़ ठंडी और कठोर थी। वो अभी भी वाही खड़ा उस रेड फाइल को देख रहा था।



    वही दूसरी तरफ अक्षिता रोते हुए होटल से बाहर निकलती है। उसके दिमाग मे बार बार अक्षत का कुछ देर पहले वाला चेहरा घूम रहा था उसकी आँखे उसका चेहरा सब नफरत से भरे हुए थे। वो उसे पहचाना नहीं पर उसकी आँखों मे नफरत वाही थी।



    अक्षिता रो रही थी वो जर्मनी की खाली सड़को पर भागी जा रही थी जैसे वो बहुत दूर भाग जाना चाहती हो। " मेरी नफरत तुम्हे ज़िंदगी भर मिलेगी। बहुत शोक ना था मेरे साथ खेलने का अब तुम्हारी ज़िंदगी खेल बनेगी।" अक्षिता भाग रही उसके कानो मे अक्षत की आवाज़े गुंज रही थी वो लगातार रो रही थी।



    अपने आंसुओ को रोकने की कोशिश करते हुए अक्षिता भागे जा रही थी वो अपने कानो को तो कभी आंसुओ को रोकती।


    "ज़ारी ज़िंदगी तुम अब मेरी नफरत की आग मे जलोगी।"


    "तुम्हे पैसे चाहिए थे ना लो तुम्हारी कीमत मेरे साथ बिताने की।"



    "मेरे सामने की कोशिश कभी मत करना वरना वो तड़प उठेगी तुम सोच भी नहीं सकती अक्षत खुराना ना भूलता है और ना माफ़ करता है।" अक्षिता के जख्म ताजा हो चुके थे वो चाह भी अपने कानो मे आवाज़ को रोक नहीं पा रही थी।


    उसके पेरो ने उसका साथ छोड़ दिया था उसका चेहरा आंसुओ से भींग चुका था। वो इतनी ज्यादा खोई हुई भाग रही थी के उसे अपने आस पास चलती गाड़ियों की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही थी।



    "ये अक्षु फोन क्यू नहीं उठा रही?" नैना इधर से उधर परेशान सी घूम रही थी।

  • 12. Stubbornness of junoon. - Chapter 12

    Words: 1610

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    अक्षित काफी सीरियस एक्सप्रेसशन लिए बेहद रुड तरीके से पार्टी से बाहर निकलता है और अपनी कार में बैक सीट पर बैठता है।


    बैक सीट पर बैठते ही ड्राइवर कार स्टर्ट कर देता है। अक्षत अपना tap निकालता है उसकी आँखे सर्द थी उसकी आँखों मे क्या था उसे पढ़ पाना ना मुमकिन सा था।



    अक्षत tap में कुछ देखते देखते अचानक उसके चेहरे पर डेविल स्माइल बढ़ जाती है। "game begin. " और इसी के साथ वो अपना tap बंद करता है और बाहर खामोशी से देखने लगता है।


    उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। वो क्या था सिर्फ वाही जानता था।


    दूसरी तरफ:-


    अक्षिता अभी भी उन खाली सड़को पर भाग रही थी। उसकी आँखों मे आँसू जो उसके चेहरे को भींगा चुके थे। उसकी हालत किसी पागल की तरह हो चुकी थी आस पास के लोग उसे देख रहे थे।



    उसकी साँसे बेकाबू थी पर ना जाने क्यू वो रुकना नहीं चाहती थी जितना वो सोच रही थी उतना टूट रही थी।


    वाही घर पर नैना अक्ष को सुला कर लिविंग हॉल मे परेशान सी उधर से उधर घूम रही थी। उसे टेंशन हो रही थी आक्षिता फोन पिक नहीं कर रही थी। जिससे उसे और टेंशन हो गई थी।


    पहली बार वो अकेले थी कैसी थी कहा थी क्या हुआ नैना को कुछ नहीं पता था। पर अब उसे उसकी फ़िक्र शुरु हो चुकी थी।



    नैना कुछ सोच कमरे में आती है जहाँ अक्ष बेड पर pillo को हग किये सो रहा था उस pillo में अक्षिता और अक्ष कु बड़ी सी फोटो लगी हुई थी। जब अक्षिता उसके पास नहीं होती थी तो वो ऐसे ही pillo को अक्षिता समझ सोता था।



    अक्ष सोते हुए बहुत ही क्यूट लग रहा था जिसे देख नैना के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। वो अक्ष के पास आती है और उसके बालो पर हाथ फेरते हुए उसके गाल पर kiss करती है।


    "मासी mumma के पास जा रही है आप अपना ध्यान रखना। मासी और mumma जल्दी आ जायेगे।" नैना उसके गालो को प्यार से ममता के साथ छूती है। अक्ष करवट बदल लेता है।



    नैना बेसक से अक्ष की माँ नहीं थी पर उसे अक्ष अपने बच्चे की तरह ही प्यारा था उसने अक्ष को अक्षिता जितना नहीं पर प्यार किया है। अक्ष सिर्फ नैना के लिए अक्षिता का बेटा नहीं उसका भी बेटा है। हाँ वो अलग बात है की नैना और अक्ष की लड़ाई tom and jerry की तरह होती थी पर उस लड़ाई के पीछे बहुत सारा प्यार था।


    नैना अक्ष को सोते हुए देखती है। और कमरे से बाहर निकलती है और हॉल से अपना पर्श उठा मैन डोर से बाहर निकलती है और वहा बड़ा सा ताला लगा देती है।

    जिससे अक्ष उठता है तो बाहर नहीं निकल पायेगा। " i know अक्षु इसके लिए तु मुझे बहुत डांटेगी पर अभी मेरे लिए तुझसे ज्यादा ज़रूरी कुछ नहीं है।" नैना बंद डोर को देखते हुए कहती है फिर वहा से निकल जाती है।



    "तुमसे ज्यादा गिरी हुई और करेक्टर लेस लड़की मैने आज तक नहीं देखा।


    " नहीं!" अक्षिता अपने दोनो कानो पाए हाथ रख वाही सडक के बीचो बिच गिर जाती है। उसके कानो मे गूंजती चार पहले की वो कड़वी बाते बर्दास्त नहीं हो रही थी।


    वो वाही बेजान जी होकर गिर जाती है। "मैने कुछ नहीं किया था वो धोखा नहीं था।" अक्षिता अपने दोनो कानो पर अपने हाथों को रख रोते हुए चिल्ला रही थी।



    उसकी आवाज़ में दर्द था जो वहा फेले सन्नाटे को चीर रहा था।


    वो रो रही थी उसके आँसू निचे गिर रहे थे। " वो मुझे भूल गये उन्हे मै याद नहीं।" वो सडक पर अपने दोनो हाथों को मारते हुए कहती है। उसने जब अक्षत के मुँह से ये सुना की वो कौन है वो पल उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था।



    " उनकी ज़िंदगी में मेरी कोई जगह नहीं वो आज भी मुझसे उतनी नफरत करते है। उनकी आँखों में देखा है मैने।" वो रो रही थी उसके हाथों से अब खून आने लगा था क्युकी अनजाने में ही सही पर अक्षिता ने अपने हाथ सडक पर पटक दिये थे।


    जिससे उसके हाथ जख्मी हो गये। पर उसे इस दर्द का बिल्कुल एहसास नहीं हो रहा था। इससे बड़ा दर्द उसे अपने दिल में हो रहा था आज अक्षत को अपने सामने देख वो बता नहीं सकती किस तकलीफ से गुज़री उसकी आँखों मे आज भी खुद के लिए नफरत देख उसके अंदर बहुत कुछ टूट सा गया।


    एक पल को लगा वो सपना देख रही है ये सच नहीं हो सकता पर अक्षत की आवाज़ जो पहले भी डरावनी और सख्त थी और आज भी वो नहीं भूली थी वो रात और ना ही वो सुबह जब उसे उसके नफरत का शिकार होना पड़ा था।


    "अक्षु!" नैना जो ना जाने कब से अक्षिता को ढूंढ रही थी बिच सडक पर किसी को देख नैना जब टेक्सी से निकलती है तो देखती है वो अक्षिता है। और वो जल्दी से उसके पास आती है।



    "अक्षु बेबी क्या हुआ?" नैना अक्षिता की ऐसी हालत देख घबरा गई थी उसने कभी अक्षिता इस तरह नहीं देखा था।


    उसके बिखरे बाल चेहरा आंसुओ से भींगा और गिला हो चुका था। आँखे सूज गये थे होंठ कांप रहे थे हाथ जख्मी थे और उसका पुरा शरीर बेजान पुतले की तरह बैठा हुआ था।



    नैना को समझ नहीं आता अक्षिता को क्या हुआ पर वो इतना समझ गई जो नहीं होना था वाही हुआ।


    "अक्षु!" नैना हद से घबरा गई थी उसकी हिम्मत नहीं थी फिर भी वो अक्षिता के चेहरे को अपने दोनो हाथ में थाम अपनी तरफ घुमाती है।


    अक्षिता अपनी भींगी पलकों के साथ उसे देखती है। "क्या हुआ और क्या हालत बना ली है अपनी? तुम ठीक हो ना मुझे बहुत घबराह्य हो रही है बेबी।" नैना को ना जाने क्यू अक्षिता की ऐसी हालत देख डर लग रहा था कही कुछ गलत ना हो गया हो।



    अक्षिता नैना को देखती है और फिर बोलने की कोशिश करती है। "व_वो वो वो आ_ आ आ गये।" अक्षिता की आवाज़ कांप रही थी।


    "कौन आ गया?" नैना उसकी बात ना समझते हुए कहती है।


    अक्षिता बोलने की कोशिश कर रही थी पर बोल नहीं पा रही थी। नैना उसे देख जल्दी से अपने सीने से लगाती है। और उसकी पीठ को रफ करती है।


    "शशश चुप बिल्कुल चुप और बताओ क्या हुआ क्यू इतना डरी हुई है। मै हूँ ना बताओ मुझे।" नैना लगातार उसकी पीठ को रफ कर उसे सम्भलने की कोशिश कर रही थी।


    अक्षिता नैना को कस कर पकड़ लेती है। "वो आ गये वो आज भी मुझसे न_नफ़रत करते है। वो मुझे भूल गये उ_उन्हे में याद नहीं व_वो वाही है।" अक्षिता नैना की कस कर पकड़े रोये जा रही थी।


    नैना के लिए उसकी बाते समझना बहुत मुश्किल हो रहा था पर जब वो उसकी बातो पर गोर करती है तब उसे समझने में बिल्कुल समय नहीं लगता की वो किसकी बात कर रही है। क्युकी अक्षिता को इस तरह से एक ही इंसान तोड़ सकता है वो था अक्षत उसकी बाते उसकी यादे उसकी नफरत थी जो अक्षिता को इस कदर रुलाती थी।


    नैना अक्षिता को खुद से दूर करती है और उसके रोते चेहरे को देख पूछती है। "कौन? अक्षत ?" नैना चाहती थी ये बात झूठ हो उसका अंदाजा गलत हो।


    पर अक्षिता सुबकते हुए हाँ मे सर हिला देती है जिसे देख नैना को एक झटका लगता है। "न_नो ये कैसे हो सकता है। वो वो इंडिया में है ना।" नैना यकीन नहीं करना चाहती थी।


    अक्षिता वैसे ही बैठी आंसु बहा रही थी। नैना एक बार फिर अक्षिता से कहती है। "वो तुम्हे कहा मिला तुम तो AK से मिलने गई थी ना?"



    अक्षिता नैना को देखती और खामोश रहती है नैना भी कुछ पल उसकी आँखों को पढ़ने की कोशिश करती है। "न_नो shit इसका मतलब AK कोई और नहीं अक्षत खुराना है?"


    अक्षिता हाँ मे सर हिलाती है। "वो यहाँ क्यू आये है? क्या वो फिर से मुझसे मेरा सब कुछ छीन लेंगे।" अक्षिता किसी नादान जी बच्ची की तरह रोते हुए नैना से कहती है।


    नैना जो खुद अब तक शॉक्ड में थी वो अक्षिता को देखती है। " वो मुझसे आज भी उतनी ही नफरत करते है उन्हे म_मै याद नहीं प_पर उनकी आँखों म_में आज भी नफरत है और उसमे ऐसी आग जो मुझे जलाने आई है।"



    "चुप कर बिल्कुल चुप तुम ज्यादा सोच रही हो। कुछ नहीं होगा तुम्हे वो कुछ नहीं करेगा। जितना बुरा वो कर सकता था उसने किया अब कुछ नहीं करेगा।" और फिर से वापस अपने सीने से लगा लेती है अब तक नैना की आँखों में भी आँसू थे पर वो उसे अक्षिता के सामने बहा उसे कमज़ोर नहीं कर सकती थी।



    "और तुमने ही कहा ना तुम उसे याद नहीं हो?"


    "पर कैसे हो सकता उन्होंने कहा था वो मुझे कभी नहीं भूलेंगे वो मुझे कैसे भूल गये?" अक्षिता को अब तक यही तकलीफ दे रही थी की अक्षत उसे भूल गया।


    नैना समझती थी। " तुम किस लिए ज्यादा हर्ट हो वो आ गया है या वो तुम्हे भूल गया? तुम क्यू उस इंसान के लिए आंसु बहाती हो जिसने कभी तुम्हारी कदर नहीं की सिर्फ तुम्हे तकलीफ दी दर्द दिया स्ट्रोमा दिया।" नैना अक्षिता को युही खुद से लगाय कह रही थी।


    अक्षिता उससे चिपके बस सुबक रही थी नैना की बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था वो खुद नहीं जानती थी। आखिर क्यू वो उस इंसान से नफरत नहीं कर पाती थी क्यू आज भी उसने एक उम्मीद लगाई बैठी थी। वो खामोश थी क्युकी उसके पास उसके सवालों का जवाब नहीं था।


    थे तो सिर्फ आँसू। और वो रोना चाहती और नैना भी उसे नहीं रोकना चाहहती थी।

  • 13. पैनिक अटैक। - Chapter 13

    Words: 1724

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।


    "अक्षु stop it क्या कर रही हो?" नैना अक्षु के पीछे पीछे कमरे में आते हुए कहती है।


    अक्षिता जिसकी हालत अभी भी बिखरी हुई थी आँखों मे नमी चेहरा लाल बाल बिखरे हुए हाथ जख्मी। "धीरे बेबी है।" अक्षिता नैना की तरफ पलट उसे धीरे बोलने के लिए कहती है।


    नैना एक नज़र बेड पर सो रहे अक्ष को देखती है जो सुकून से सो रहा था।



    अक्षिता अब वहा से आगे बढ़ती है और वहा लगी छोटी सी अलमारी की तरफ जाती है। और उसमे से एक ट्रॉली बैग निकाल खोलती है।


    नैना उसके पीछे आती है। " अक्षु ये क्या कर रही हो?"


    अक्षिता अलमारी की तरफ बढ़ते हुए कहती है। "तुम भी अपना बैग पैक कर लो हम जा रहे है।"


    "कहा?" अक्षिता की बातो का मतलब नैना समझ नहीं पाती उसके चेहरे पर मिले जुले एक्सप्रेसशन थे।


    अक्षिता अलमारी से कुछ कपड़े निकाल नैना की तरफ पलटती है। नैना अक्षिता को देखती है अक्षिता नैना की आँखों में देखते हुए कहती है।


    "इंडिया हम वापस इंडिया जायेगे।" और इतना बोल वो उसके बगल से गुज़र वो कपड़े ट्रॉली बैग ने डालने लगती है।


    नैना उसकी बात सुन दंग रह जाती है। और अक्षिता के पास जाकर खड़ी होती है। " क्या मतलब है तेरा इंडिया वापस जायेगे कल तक तो तु इसके खिलाफ थी अब क्यू।"



    "क्युकी वो यहाँ है।" अक्षिता ने ये बात अपनी रुआसी आवाज़ में कही थी वो अभी बैग के ऊपर झुकी हुई कपड़ो को अर्जेस्ट कर रही थी कहते हुए उसकी आँखों से एक कतरा आँसू उसके कपड़ो पर जा गिला था।


    नैना अक्षिता की बात सुनती है फिर उसके हाथ को पकड़ सीधा खड़ा कर अपने सामने करती है और उसकी आँखों मे देख कहती है। "तु इसलिय वापस जाना चाहती है क्युकी वो यहाँ है?"

    अक्षिता नैना को देखती है आँखों मे आंसु लिए बेबस आवाज़ में कहती है। "मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है।"



    उसकी बात सुन नैना उसे थोड़ी सख्त आवाज़ में कहती है। "तो तुझे लगता है ये सही रास्ता है?" अक्षिता खामोश रहती है। नैना अक्ष एक नज़र अक्ष की तरफ देखती है फिर अक्षिता और फिर उसका हाथ पकड़ कमरे से बाहर लाती है।


    अक्षिता हॉल मे खाली खामोशी से आँसू बहा रही थी। "तुझे क्या लगता है तेरा ये रास्ता सही है। तो तु गलत है उसके यहाँ आने से तु इंडिया वापस जायेगी और तुझे लगता है ये सब आसान है एक इंसान की वजह से तु वापस वहा जाना चाहती है जहाँ तुझे सिर्फ तकलीफ मिली।" नैना काफी गुस्से में थी।


    अक्षिता अपनी नज़रे उठा नैना को देख कहती है। "तुम ही तो चाहती थी की हम इंडिया चले।"


    "हाँ चाहती थी पर अब नहीं और जिस तरह तु जाना चाहती वैसे तो बिल्कुल नहीं। तुझे क्या लगता है जिससे तु दूर जाना चाहती है वो क्या इंडिया नहीं आएगा। और आखिर कब तक तु भागती रहेगी अगर उसने तुझे इंडिया में पहचान लिया तो?"


    "वो नहीं पहचानेगे वो मुझे भूल चुके है।" अक्षुता नैना की आँखों मे देखते हुए अपने भरे गले के साथ कहती है।


    "एक्टेली वो तुझे भूल चुका तो तु क्यू नहीं भुल जाती है। क्यू तु भगाना चाहती है। damm sure वो कुछ दिनों के लिए यहाँ आया वो वापस चला जायेगा। और नहीं भी जायेगा तो रहने दे उसे यहाँ वो तुझे भूल गया तु भी उसे भूल जा।" नैना अक्षिता की बातो पर कहती है।


    अक्षिता बेशब्द थी। नैना शांत आवाज़ मे आगे कहती है। " देख लाइफ मे आगे बढ़ तु कब तक उस चीज़ को लेकर आगे बढ़ेगी जो तूने नहीं किया। कब तक भागेगी खुद से कब तक तु सामना नहीं करेगी अपने अतीत से आज नहीं तो कल तुझे उसका सामना करना होगा। डरना तुझे नहीं उसे चाहिए तुझसे जिसने तेरे साथ इतना सब कर के बिना गिल्ट के जी रहा है।" नैना ने अक्षिता के दोनो बाजुओं को पकड़ा हुआ था।


    अक्षिता अपना चेहरा झुका लेती है और सिसकने लगती है। "उन्हे में याद आ गई तो वो मुझे नहीं छोड़ेगे उन्हीने कहा था अगर मै उनके सामने आई तो वो बहुत बुरा करेंगे मेरे साथ।" कहते हुए उसे अचानक कुछ याद आता वो रोते हुए चुप हो जाती है और नैना को देखती है।


    "क_कही कही वो मेरे अक्ष को हर्ट करेंगे तो? अगर उन्हे पता चला तो वो उससे भी नफरत करेंगे।" नैना अक्षिता को देखती रह जाती है।


    अक्षिता जल्दी से अपने टॉप के बाजुओं से अपने आंसुओ को साफ करते हुए कहती है। "नहीं नहीं मै अपने बेबी को किसी को हर्ट नहीं करने दूंगी। उन्हे कुछ पता नहीं चलेगा मुझे जाना होगा वरना वो मुझसे सब कुछ छिन लेंगे मेरा सपना मेरा रेस्टुरेंट छीन लिया अब मै अपने बेबी को नहीं तकलीफ पहुचा सकती।" अक्षिता किसी पागल की तरह बोले जा रही थी।


    नैना हैरान सी उसे देख रही थी। इसका मतलब अक्षिता अक्ष के लिए डरी हुई है? नैना के दिमाग मे बाते चलने लगती है। वाही अक्षिता नैना से खुद को छुड़वा कमरे की तरफ भाग जाती है।


    "अक्षु!" नैना अक्षिता को भागता देख उसके पीछे जाती पर तब तक अक्षिता ने खुद को अंदर बंद कर लिया था।



    "अक्षु डोर खोलो पागल मत बनो भगाना solution नहीं है।" नैना डोर के पास खड़ी धिनी आवाज़ में अक्षिता से कहती है वो डोर नहीं बजा रही थी। क्युकी अंदर अक्ष सो रहा था।


    वाही अक्षिता डोर से चिपक फर्श पर बैठी थी। "वो नहीं छोड़ेगे सब छीन लेंगे।"


    "तुझे क्या लगता है इंडिया जाने से तु उससे वहा नहीं टकरायेगी? भूल मत चार साल पहले वो तुझे वाही मिला था।।" नैना साफ शब्दों में कहती है।


    अक्षिता डोर से अपन सर टिका ऊपर देखते हुए कहती है। "मुझे दूर जाना बहुत दूर मुझे उसके सामने नहीं आना।" उसके आँखों के कोनो से खामोशी से आँसू निकल रहे थे और उसके कानो से होते हुए उसके बालो को भींगा रहे थे। वो जानती थी नैना सही बोल रही है पर उसे सिर्फ भगाना था अपने अतीत से अपने डर से वो दूर जाना चाहती थी।


    उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे। वो अक्षता का वो चेहरा नहीं भूल पा रही थी उसकी आँखों में उसने चार साल पहले की नफरत देखी थी जो शायद और ज्यादा बढ़ चुकी थी।


    उसकी आवाज़ आज भी वाही रूह कांप देने वाली थी उसका चेहरा उसका औरा आज भी वाही था। वो नहीं भूल पाई थी उस रात को उस सुबह को जब अक्षत ने उसे हद से ज्यादा तकलीफ दी थी।


    पहले उसके साथ उसके जबदस्ती की उसे रात भर दर्द दिया तकलीफ दी वो रोती रही चिल्लाती रही पर अक्षत जो नशे में बस अक्षिता पर अपना गुस्सा ऐसे निकाल रहा था जैसे अक्षिता इंसान हो ही ना उसे दर्द हो ही ना रहा हो।


    वो उस रात बेड पर कांप रही थी उसकी आँखे बंद होने को तैयार थी शरीर ढीला हो गया था और बेड शीट खून से सन चुकी थी। पर अक्षत नहीं रुका उससे जितना हुआ उसने उसे दर्द दिया है।


    अक्षिता वैसे ही बैठी उस रात को याद कर कांप गई थी। वो उस पल को कभी याद नहीं करना चाहती थी। अक्षत की नफरत जो उसपर उस रात केहर बन कर टूटी थी वो आज भी trauma से बाहर नहीं आई थी। आज भी वो रात उसे डराती थी। शादी जिसके बाद हर किसी की ज़िंदगी बदल जाती है शादी का दिन हर लड़की के लिए खुशी और प्यार भरी यादो से भरा हुआ होता है। उसके बाद उसकी ज़िंदगी बदल जाती है उसे एक परिवार मिलता। उसकी ज़िंदगी में खुशियाँ आती है।


    वाही अक्षिता को सिर्फ उससे सिर्फ दर्द तकलीफ और दर्द भरी यादे मिली जिसके बाद उसकी जीवन मे खुशियाँ नहीं सिर्फ आँसू आये। वो चाह कर भी नहीं भूल सकती थी अगर अक्ष उसकी ज़िंदगी में ना होता तो शायद आज वो भी ना होती।


    वो बहुत बुरी तरह कांपने लगी थी उसकी साँसे ऊपर निचे हो रही थी वो लगातार हाफ रही थी उसकी साँसे इतनी तेज थी के उसकी साँसों की आवाज़ बाहर खड़ी नैना तक सुन सकती थी।

    "अक्षु बेबी डोर खोलो। अक्षु सुन रही हो ना डोर खोलो तबियत खराब हो रही है तुम्हारी।" नैना बहुत घबरा गई थी वो धीमी पर फ़िक्र भरी आवाज़ में कह रही थी।


    वाही अक्षिता जिसे बेचैनी होनी शुरी हो चुकी थी उसकी साँसे अब उसका साथ छोड़ रही थी वो नैना की आवाज़ सुन बड़ी मुश्किल से अपने सीने पर हाथ रख डोर को खोलती है।

    नैना बिना पल गवाय अंदर आती है और अक्षिता को देखती है जो हांफ रही थी उसकी आँखों में आंसु थे उसका हाथ अपने सीने को बेचैनी के साथ सेहला रहा था।


    ।अक्षिता को पैनिक अटैक आया था वो समझ गई थी वो जल्दी से उसे अपने गले लगाती है। अक्षिता की हालत देख अब नैना भी रोने लगती है।


    "प्लीज अक्षु चुप हो जाओ शांत हो जाओ कुछ नहीं हुआ और ना ही कुछ होगा मै हूँ ना तुम्हारे साथ कुछ नहीं होने दूंगी तुम्हे।" नैना का गला भी भर आया था उसकी आँखों मे भी आंसु थे।


    वो अक्षिता की पीठ सेहलाते हुए कहती है। "इस तरह से तुम अपनी तबियत बिगाड़लोगी तो कैसे होगा कम से कम अक्ष का तो सोचो उसके लिए खुद को संभालओ बच्चा प्लीज।" नैना अक्षिता के बाल और पीठ को रफ करती है।


    और फिर उसे कमरे से बाहर लाकर उसे सोफे पर बैठाती है और उसे पानी पिलाने लगती है अक्षिता हिचकिया लेते हुए चुप चाप पानी पीने लगती है उसके हाथ पेर अभी भी कांप रहे थे। नैना उसके बालो मे हाथ फेरते हुए उसे पानी पिला रही थी।


    अक्षिता की हालत को देख नैना को अक्षत पर बहुत गुस्सा आ रहा था। अगर अक्षत उसकी ज़िंदगी मे कभी ना आया होता तो शायद अक्षिता आज वो ना होती जो वो बन गई थी। डरी सहमी घबराई सी। आज शायद वो कोई स्ट्रांग लड़की होती या फिर इससे भी बुरी हालत मे? क्यू अक्षिता की फॅमिली भी उसके साथ कुछ अच्छी नहीं थी नैना जानती थी। तभी तो उन्होंने कभी अक्षिता को एक्सेप्ट नहीं किया।



    अक्षिता पानी पीती है नैना गिलास वाही रख अक्षिता के सर को अपने कंधे पर रखती है। " बस शांत हो जाओ। मै हूँ तुम्हारे साथ बेबी है तुम्हारे साथ कुछ नहीं करेगा वो घटिया इंसान तुम्हारे साथ।" कहते हुए नैना की आँखों में अक्षत के लिए गुस्सा भर आता है।


    अक्षिता खामोश रहती है। उसकी आँखों के आंसू सुख चुके थे।

  • 14. ड्रिंक। - Chapter 14

    Words: 1581

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।


    " हम्म बोलो इतनी रात को क्यू बुलाया?" एक शख्स अक्षत के सामने आकर कहता है।

    काली आँखे कले घने बाल जो बहुत ही सालीखे के साथ सेट थे ब्लैक शर्ट और फॉर्मल पेंट में वो बिल्कुल अक्षत को टक्कर दे रहा था वो अक्षत सामने आकर बैठता है।


    वाही अक्षत इस समय बड़े से पैलेस के अंदर हॉल के बीचो बिच सिंगल किंग साइज सोफे पर बैठा सिगरेट के कस भर रहा था। उसके शर्ट के सारे बटनस खुले हुए थे जिससे उसके eight पैक्स अच्छे से देखे जा सकते थे। उसके बाल जो माथे बिखरे मेसी लूक दे रहे थे चेहरा हमेशा की तरह सख्त और गुस्से से भरा हुआ।


    "बोलोगे अब या सिर्फ अपनी तरह मेरी भी नींद खराब करने का इरादा है।" वो शख्स अक्षत से चिड़ी हुई आवाज़ में कहता है और वो भी साइड मे रखी सिगरेट को उठा मुँह मे भर लेता है।


    वहा का पुरा माहौल धुएँ से भरा हुआ अक्षत अपना चेहरा थोड़ा सीधा कर अपने सामने बैठे शख्स को देखता है। "जुबान ज्यादा नहीं चलने लगी है तुम्हारी है औकात भूल गये हो?" उसकी बातो मे टोंट था।


    उसकी बात सुन उसके सामने बैठा शख्स अपनी इएबरों उप करता है और उसे घूरते हुए कहता है। "मुझे मेरी औकात मत बताओ समझ आई बात दोस्त हूँ इसलिय तुम्हारी बकवास हुए ये शक्ल झेलता हूँ इसलिय बार बार औकात की बात मत किया करो बत्तमीज़ आदमी।"


    उसकी बात सुन अक्षत उसे देखता है फिर तिरछा मुस्कुराता है। "हो तो मेरे असिस्टेंट।" उसकी आवाज़ में साफ था की वो इस समय अपने सामने बैठे शख्स का मज़ाक बना रहा था।


    उसकी बात सुन वो शख्स चिढ़ जाता है। "correct your word राइट हैंड हूँ तुम्हारा मेरे बिना तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता समझ आई बात। तो ज्यादा हवा में उड़ना बंद करो और बताओ क्यू बुलाया है मेरे पास तुम्हारी शक्ल देखने के अलावा और भी बहुत काम होते है तुम्हारी तरह पुरी रात सिगरेट और बेयर के नशे मे नहीं गुज़ारता।" वो हद से ज्यादा अक्षत की हरकतों से अर्रिटेट हो गया था।


    अक्षत उसकी बातो पर घूरता है और अपने मुँह मे लगी सिगरेट को फर्श फेंकता है। "तुम मुझ पर एहसान जता रहे हो you ." कहते हुए वो जैसे सीधे होने लगता है इतने में वो लड़खड़ा जाता है और वापस उस किंग साइज सोफे पर फेल जाता है।


    वो शख्स अक्षत को देखता है फीर अपनी आँखे बंद कर गहरी साँसों के साथ कहता है। "कुछ नहीं हो सकता इसका।" वो नगवारी से सर हिलाता है फिर अपनी जगह से उठता है और अक्षत के पास जाकर उसे उठाते हुए कहता है।


    " जब सहन नहीं कर पाते तो इतनी पी क्यू लेते हो जो सम्भलती नहीं।" वो अक्षत को सोफे पर सीधा बैठाने की कोशिश करता है।



    अक्षत जो नशे में था। "you औकात मे रही मुझे मत बताओ मैने पी है या नहीं मेरे खुद के पैसो की है तुम्हारी तरह गरीब नहीं हूँ।" अक्षत सोफे पर बैठते हुए नशे भरी आवाज़ में कहता है।


    वैसे उसके चेहरे को देख कर लग नहीं रहा था की उसने इतनी ज्यादा ड्रिंक की है पर उसकी बाते और हरकते बता रही थी।


    उसकी बात सुन वो शख्स घूरते हुए धीमी आवाज़ में कहता है। "हाँ मै भिखारी हूँ और ये किसी सल्तनत का राजा।" वो जानता था इस समय वो नशे मे ऐसी ही बकवास करेगा।


    वो एक बार और झुकता है और अक्षत को उठाने लगता है। " हाँ भाई मेरी क्या औकात तुम्हे कुछ कहने की तुम अपने पैसो मे आग लगाओ या पानी मे बहाओ।" वो उसे ताने देते हुए कहता है।


    अक्षत को उसके सहारे पर खड़ा हुआ था वो उसे खुद से दूर करते हुए कहता है। "दूर हटो हाथ मत लगाओ।" उसके दूर होते ही अक्षत लड़खड़ाने लगता है वो शख्स आकर उसे वापस पकड़ लेता है। " चल तो पा नहीं रहा अकड़ देखो जनाब की।" वो अपने दाँत पिसते हुए कहता है।


    अक्षत उसे घूरता है। "तुमने कुछ कहा?"



    "नहीं मेरी इतनी औकात कहा आपको कुछ कहु मै तो आपका असिस्टेंट हूँ ना मालिक।" मुस्कुराने का नाटक करते हुए वो शख्स कहता है। अक्षत के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है और उसके गाल को थप थपाते हुए कहता है। "good बहुत जल्दी सिख गये।"


    "thank you आपकी तारीफ के लिए में मरा जा रहा था।"


    और फिर अक्षत को पकड़ता है तो अक्षत उसे दूर कर देता है और उसको देखते हुए कहता है। " कहा ना तुम्हारी औकात नहीं मुझे छूने की हाथ मत लगाओ।" और वो आगे चलने लगता है।


    उसे लड़खड़ा देख वो ना गवारी से सर हिलाता है फिर उसके पास आकर वापस उसे संभालते हुए कहता है। "अबे ओ नशेड़ी यहाँ मै ही हूँ जो तुझे सम्भल सकता हूँ तुझे कोई और दिख रहा है लड़कियों से तो वैसे ही अलग दुश्मनी लेकर बैठा है लड़के में तुझे मुझसे भी चिढ चिढ़ होने लगी।" वो पुरी तरह चीड़ गया था अक्षत की हरकतो से उसका हमेशा का था i mean रोज का था रोज वो इतनी ज्यादा पी लेता था और फिर नशे की हालत मे उसे फोन लगा देता था।


    और जब वो आता था उसे ऐसे ही ना जाने कितनी बाते सुन देता था। खैर अब तो उसे आदत हो गई थी। अक्षत उसकी बातो पर उसे घूरता है। "तुम ज्यादा नहीं बोलते? तुम्हे पता है ना ज्यादा बोलने वाले लोग मुझे पसंद नहीं।"


    "और खुद को नशे में पुरा नशेड़ी बन जाता है उसका क्या आया बड़ा।" वो सख्त चिढ़ी हुई आवाज़ में अक्षत को वहा से ले जाने लगता है।


    वाही अक्षत अपने लड़खड़ाते कदमो के साथ उसके साथ चल रहा था चल क्या रहा था। बकवासे कर रहा था और वो उसे झेल रहा था।


    "baby i am not come आज एन्जॉय नहीं कर पाएंगे।" वो शख्स किसी को कॉल कर कहता है और फिर कॉल कट कर देता है।


    अक्षत उसके साथ चलते चलते रुक जाता है। "तुम्हारा baby भी है?"


    उसकी बात पर वो फर्स्टेड हो जाता है। " हाँ क्यू तुम्हे पता नहीं था मेरी 100 बीवियाँ और 1000 बच्चे है।"


    अक्षत उसे आँखे छोटी कर घूरता है। "क्या यार अक्षत दिमाग खराब मत कर एक तु इतना ड्रिंक कर लेता है की मेरी हर रात खराब कर देता है। शायद तु भूल गया है तुझे लड़कियों से चीड़ है मुझे नहीं कम से कम मुझे तो एन्जॉय करने दो उनके साथ।" वो अक्षत को लिफ्ट के अंदर लेकर जाता है और बटन प्रेस करते ही लिफ्ट बंद हो जाती है।



    वाही दूसरी तरफ:-

    अक्षिता अक्ष के बगल मे सोई हुई थी और नैना जो वाही खड़ी अक्ष और अक्षिता को सोते हुए देख रही थी। उसकी आँखों के सामने से अक्षिता का चेहरा जा ही नहीं रहा था।


    किस तरह अक्षिता रो रही थी पनिक कर रही थी कितनी मुश्किल से उसने उसे सम्भला और रुलाया था वाही जानती थी।


    आज उसने बहुत दिनों बाद अक्षिता को ऐसी हालत में देखा था दिनों नहीं शायद सालो बाद क्युकी ऐसे हालत अक्षिता की उसने आज तक नहीं देखी थी। ऐसा नहीं था अक्षिता की हालत पहले नहीं बिगड़ी थी पर इतनी ज्यादा नहीं बिगड़ी थी।



    वो समझ सकती थी उसका दर्द या शायद नहीं क्युकी वो तकलीफ उसने सही थी उसका सिर्फ नैना अंदाजा लगा सकती थी। पर अक्षिता पर वो बीती थी तभी तो आज वो इतनी ज्यादा वीक पड़ जाती है।


    अक्ष जो पिल्लो को पकड़ सो रहा था अब वो करवट बदलता है और अक्षिता के ऊपर अपना हाथ रखता जैसे ही उसे अक्षिता महसूस होती है। वो उससे बिल्कुल चिपक उसके सीने मे अपना चेहरा छुपा उसकी गर्दन मे अपना हाथ डालता है। "mumma. " अक्ष नींद था।


    नैना वाही खड़ी सब कुछ होते हुए देख रही थी। उसके चेहरे पर हलकी सी स्माइल आ जाती है। "thank you aksh baby अपनी mumma की ज़िंदगी में आने के लिए। तुम नहीं होते तो पता नहीं अक्षु का क्या होता। तुम्हारी वजह से आज वो ज़िंदगी जी रही है वरना शायद सालो पहले ही इसका वजूद खत्म हो जाता। आज वो जो भी सिर्फ तुम्हारी वजह से बेबी।" नैना अक्ष को देखते हुए कहती है और आगे बढ़ दोनो के ऊपर ब्लेंकेत डाल अच्छे से कवर करती है और अक्ष के बालो पर हाथ फेरने लगती है।


    उसकी नज़र अक्षिता पर भी थी सो रही थी। "तुम्हारी mumma बहुत अच्छी है अक्ष तुम कभी इसे हर्ट मत करना जैसे तुम्हारे डैडी ने किया। अक्षु तुमसे झूठ कहती है बेबी तुम्हारे डैडी बिल्कुल अच्छे नहीं है वो ना तुमसे और ना अक्षु से प्यार करता वो सिर्फ नफरत करता। इतनी की शायद अगर उसे तुम्हारे बारे मे पता चला तो शायद वो तुम्हे भी हर्ट कर दे।" नैना अक्ष के बालो को सेहलाते हुए कह रही थी।


    उसे बहुत गुस्सा आता था अक्षिता पर जब वो अक्ष को अक्षत के बारे में झूठ बोलती थी सिर्फ इसलिय ताकि वो कभी अक्षत से नफरत ना करे। जब नैना उसे झूठ बोलता देखती थी तो उसे बहुत गुस्सा आता था उसपर उसका दिल करता था की अभी जाकर अक्ष को सच बता दे की उसकी mumma उससे झूठ बोल रही है उसके डैडी बिल्कुल अच्छा इंसान नहीं है।


    पर वो अक्षिता के कारण चुप रह जाती है। वो अक्षत के माथे को चूमती है और फिर अक्षिता के सर पर भी प्यार से हाथ फेरती है। "good night. "


    और फिर बेड के दूसरी तरफ आती है और अक्षत बगल मे आकर लेट जाती है। आज वो यही सोने वाली थी वो ऐसी कंडीशन में अक्षिता को बिल्कुल अकेले नहीं छोड़ने वाली थी।

  • 15. तो मर जाओ। - Chapter 15

    Words: 1736

    Estimated Reading Time: 11 min

    आगे।

    अगली सुबह:-


    अक्षत बेड पर बैठा था उसका सर कल रात की वजह से काफी दर्द कर रहा था वो अपनी आँखे बड़ी मुश्किल से खोलने की कोशिश कर रहा था और अपने दोनो हाथों से सर को पकड़ा हुआ था।




    "हो गई सुबह आपकी? नशा उतरा या अभी नशे में है आप?" अक्षत के कानो मे ताने भरी आवाज़ जाती है।


    वो अपना चेहरा उठा सामने देखता है जहाँ मिहिर अंदर आता है और साइड टेबल पर नीबू पानी का गिलास रख हाथ बाँध खडा हो जाता है।


    मिहिर आर्यन अक्षत का दोस्त और राइट हैंड अक्षत किसी की बकवास सुन सकता था वो था मिहिर और कोई अक्षत को सुनाने दम भी रखता था।



    "क्या हुआ तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है? जो तुम मुझे इस तरह घूर रहे हो?" अक्षत उसे खुद को देखता देख चिढ़ते हुए कहता है।



    मिहिर अपने हाथों को बांधे खड़ा अक्षत को वैसे ही घूरते हुय कहता है। " देख रहा हूँ तुम्हारे खूबसूरत शरीर कितने मे बिकेगा।"


    "क्या बकवास कर रहे हो?" अचानक अक्षत चिल्ला उठता है। "दिमाग ठीक है या ठिकाने लगाउ?" वो अपने दाँत पिसते हुए कहता है।



    मिहिर कोई रियेक्ट नहीं करता। उसके चेहरे पर अभी भी मज़ाकिया मुस्कुराहट कायम थी। " क्यू क्या हुआ सच तो कहा मैने।" अक्षत उसे वैसे ही घूर रहा था अभी अगर उसके सर मे दर्द ना हो रहा होता तो वो उसे बताता।


    " अब तुम जो इतनी चढ़ा लेते हो बिना ये सोचे की तुम्हारे शरीर के अंदर के पार्ट्स किस तरह खराब हो जायेगे तुम्हे अंदाजा है।" फिर chill भरी आवाज़ में कहता है। "वैसे भी मुझे लगता है बहुत जल्द तुम स्वर्ग सीधार जाओगे तो क्यू ना मै तुम्हारी इस शरीर के अंदर के पार्ट्स किसी को दान कर दु थोड़ा गरीबो की दुआ लगेगी।"



    "दुआएं my foot. " अक्षत वो नीबू पानी का गिलास मिहिर के चेहरे पर दे मारता है। जिससे मिहिर का पुरा चेहरा उस नीबू पानी भींग जाता है।


    "what the फ" ck ये क्या किया तुमने?" मिहिर अपने चेहरे से पानी को निकालते हुए कहता है।


    अक्षत बेड से खड़ा होता है वो अभी शर्टलेस था उसने सिर्फ ब्लैक पेंट में पहना हुआ था।


    "उम्मीद है तुम्हारा नशा उतर गया होगा। इसलिय मेरे मेटर से दूर रहा करो मेरे पैसे लगते है तो मै जितनी चाहू उतनी पी सकता हूँ।" अक्षत मिहिर सामने खड़ा हो फर्स्टेड आवाज़ में कहता है।


    मिहिर भी उससे चीड़ गया था। "हाँ तो मर जाओ मुझे क्या खुद को आबाद करो या बर्बाद।" उसकी आवाज़ तेज थी अक्षत उसे खाने वाली नज़रो से घूरता है।


    "gate out. " अक्षत बोलता हुआ वाशरूम की तरफ बढ़ जाता है।


    मिहिर को उस पर हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था उसकी हरकतो पर। "हाँ जा रहा हूँ आगे से जब पी कर मरने लगो ना तब मुझे कॉल मत किया करो। अच्छा खासा mood बना हुआ होता है तुम्हारे चक्कर मे बर्बाद हो जाता है।" मिहिर बंद वाशरूम के डोर को देखते हुए कहता है। अक्षत की अंदर कोई आवाज़ नहीं वो शवर के निचे जाकर खड़ा हो जाता है।



    "घटिया आदमी ना खुद जी रहा है और ना मुझे जीने दे रहा है। इस पर तो लगता है ड्रिंक भी असर नहीं करती होगी।" मिहिर हद से ज्यादा चिढ चुका था उसकी हरकतो से।


    और फिर फर्श की तरफ देखता है जहा गिलास और नीबू पानी का कुछ हिस्सा गिरा हुआ था। " नौकर बना कर रखा हुआ साले मे मुझे।"


    "मै नहीं कर रहा साफ खुद करेगा लगता है अब उसे बुलाना ही पड़ेगा ये मुझसे अब नहीं सम्भलने वाला।" मिहिर पेर पटकते हुए कमरे से बाहर निकल जाता है।



    दूसरी तरफ:-


    अक्षिता किचन में थी और प्याज कट कर रही थी। कहने के लिए वो काम कर रही थी पर वो कही खोई हुई उसके हाथ रुके हुए थे और वो सामने देखते हुए बहुत कुछ सोच रही थी। उसकी सुनी आँखे जो अभी भी सुजी हुई थी।


    चेहरा पुरी तरह उतरा हुआ था। आज वो काफी ज्यादा जल्दी उठ गई थी तब से खुद का ध्यान बाटने की पुरी कोशिश कर रही थी पर नाकाम थी।



    "अक्षु!" नैना की तेज चिल्लाने की आवाज़ अक्षिता के कानो मे जाती है। वो घबरा जाती है जिस कारण उसके हाथों हाथ से चाक़ू छुट कर गिर जाता है।


    अक्षिता जो कदम पीछे हो जाती है जिससे वो चाक़ू उसके पेरो पर गिरने से बच जाता है। नैना जल्दी से आकर गैस बंद कर करती है।



    "ये क्या कर रही हो पागल हो गई हो? ध्यान कहा है तुम्हारा।" नैना अक्षिता से कहती है।


    अक्षिता की आँखे और जुबान बिल्कुल खामोश थे वो नैना की बात सुनती है और अपनी बेजान आँखों से गैस की तरफ देखती है जहाँ दूध पुरी तरह गिर कर जल गया था।


    "मै दूसरा गर्म कर देती हूँ।" अक्षिता नैना को इग्नोर कर फ्रेज़ की तरफ बढ़ जाती है। उसकी आवाज़ बिल्कुल धीमी थी उसकी आवाज़ में आज कोई जज्बात नहीं थे बिल्कुल खाली सी लग रही थी वो।


    नैना अक्षिता को जाता हुआ देखती है वो समझ जाती है अक्षिता ज़रूर कुछ सोच रही है वो अभी तक कल की बातो को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाई है।


    अक्षिता फ्रीज़ से दूध का डिब्बा निकालती है और उसे एक स्टील के बर्तन मे डालने लगती है। उसने सुबह से कुछ भी नही कहा था वो बस चुप चाप अपने रूटीन के हिसाब से काम कर रही थी।


    "अक्षु!" नैना कहते हुए अक्षिता के पास जाती है और पीछे से उसके हक़ कर बड़े ही मासूम तरीके से कहती है। "क्या हुआ क्यू अपसेट हो। अभी तक कल की बाते सोच रही हो?" और अपना चेहरा उठा अक्षु के चेहरे को देखती है हलाकि की पीछे खड़ी होने की वजह से उसे अक्षिता का सिर्फ साइड फेस ही दिख रहा था।


    उसने अभी भी अक्षिता को पीछे से हग किया हुआ था। "मुझे डर लग रहा है।" अक्षिता की आँखों मे पानी आ जाता है और चेहरे पर दर्द झलक उठता है।


    नैना उसकी बात सुनती है फिर उसे छोड़ उसे अपने सामने करती है। अक्षिता नज़रे झुका लेती है। "किस बात का डर? " नैना कहती है अक्षिता उसकी बात सुन अपनी नज़रे उठा कर उसे देखती।


    तो नैना उससे पूछती है। " क्यू डर रही हो ये बताओ वो इंसान भूल गया है तुम्हे आगे बढ़ चुका है अपनी ज़िंदगी। और तुम हो की अब तक उसके डर को अपने अंदर ज़िंदा रखा है। वो कुछ नहीं कर सकता है तुम डरना बंद करो।" नैना उसे समझाती है।


    अक्षिता वैसे ही उसे देखते हुए कहती है। " तुम नहीं समझ रही।"



    "मै सब समझ रही हूँ बस तुम ज्यादा सोच रही हो। अकेली नहीं हो अब तुम मै हूँ अक्ष है फिर किस चीज़ का डर है तुम्हे।" नैना अक्षिता की बात खत्म हो तुरंत कहती है।


    " इसी बात का डर है कही वो तुम्हे या बेबी को ना हर्ट कर दे।" अक्षिता सबकने लगती है। नैना उसे देखने लगती है की किस तरह से वो उससे डरी हुई थी।


    कल उसने सिर्फ अक्षत को देखा था। अक्षत ने उसे पहचाना तक नहीं तब इसका ये हाल है अगर वो इसे पहचान गया होता तो ना जाने अक्षिता का क्या होता। वो उसके खामोशी से इतना डरी हुई थी तो ना जाने उसका कहना उसे कितना डरा सकता था।



    अक्षिता सुबकते हुए अपने आँसू पोछ रही थी। "तु_तुम नहीं ज_जानती उन्हे गुस्सा बहुत आ_आता है। उनका गुस्सा बहुत बुरा है वो शायद मुझसे दुनियाँ मे सबसे ज्यादा नफरत करते है। उन_उनके गुस्से को मैने देखा है उनके गुस्से को झेला है। उन्होंने कहा था मै उनके सामने कभी ना आऊ वो मुझे नहीं छोड़ेगे।" अक्षिता रोते हुए इस समय छोटी बच्ची लग रही थी। उसकी नाक रोज की तरह लाल और मुलायम हो चुकी थी।


    उसके ग्लोसी लिप्स और भी ज्यादा रेड और पिंक का कॉम्पिनेशन बना रहे थे।


    नैना अक्षिता के चेहरे को थामती है और फिर उसके आंसुओ से भरी आँखों को साफ करते हुए कहती है। "पर तुम थोड़ी ना उसके पास गई हो। वो आया है जर्मनी तुम नहीं।"


    अक्षिता अभी भी रो रही थी। " प_पर वो नहीं समझेंगे वो मुझे पसंद नहीं करते।"


    "पहले तो तुम रोना बंद करो और भाड़ में जाने दो उस आदमी को। पता नहीं इंसान है या सैतान तुम्हारी तो कल से जान ही निकली हुई है उसे देख कर।" अब नैना अक्षिता को डांटने लगती है अक्षिता नैना को किसी छोटे मासूम बच्चे की तरह देखने लगती है।


    उसे देखता देख नैना कहती है। "देख क्या रही हों? तुम्हे तो प्यार से कुछ समझ नहीं आता कल से समझा रही हूँ पर तुम हो की अक्ष से भी ज्यादा जिद्द पर बैठी हो।" और फिर उसके हाथ से दूध का पैकेट रखते हुए कहती है। "चलो यहाँ से नास्ता में बना दूंगी। कल से रो रो कर बुरा हाल कर लिया है कोई कहेगा तुम्हे देख कर की तुम एक बच्चे की माँ खुद बच्ची बनी हुई हो। जैसे वो इंसान हो ही ना कोई हैवान हो जिसे देख कर तुम इतना डर गई हो।" वो उसे किचन से बाहर लाती है।


    अक्षिता चुप चाप उसके पीछे आती है अब रो नहीं रही थी पर उसकी आँखों में आंसु थे।


    "अब चुप चाप यहा बैठो।" वो उसे सोफे पर बैठाती है। अक्षिता कुछ कहती उससे पहले वो फोन उठाती है और एअर्बर्थ को अक्षिता के कानो मे लगाते हुए कहती है। "चुप चाप अपने गाने सुनो और रोना बंद करो। मै हूँ ना मै भी देखती हूँ। उस इंसान को कुछ कर के तो दिखाय वो तुम्हे।" नैना इस समय अक्षिता की माँ और अक्षिता कोई छोटी बच्ची बन चुकी थी।


    अक्षिता ने अब भी कुछ नहीं बोला बस वो नैना की टुकुर टुकुर देख रही थी। नैना अक्षिता का फेवूरित सांग प्ले करती है। अक्षिता की अपने आप सुकून से आँखे बंद हो जाती है और वो सोफे के हेड से अपने सर को टिका लेती है।

    अक्षिता जिसे गाने सुनना बहुत पसंद था और नैना जानती थी इस समय अक्षिता को शांत करवाने का इससे अच्छा तरीका कही नहीं है। इसे पता था सांग ही जो उसके दर्दो को बाहर निकाल उसे सुकून दे सकता था।


    नैना खड़ी अक्षिता को देखती है जो अब आँखे बंद किये बैठी थी। "मुझसे जो होगा वो करूंगी पर इस बार तुम्हे हारने नहीं दूंगी कभी नहीं।" नैना अक्षिता को देखते हुए कहती है और फिर किचन में चाली जाती है।


    और पहले गिरे हुए दूध को साफ करती है फिर ब्रेकफास्ट बनाने लगती है।

  • 16. सपनो का टूटना। - Chapter 16

    Words: 1571

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    अक्ष अक्षिता और नैना तीनो बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे। अक्ष जो मुँह बनाते हुए दूध पी रहा था अपनी बगल में बैठी मम्मा को बार बार देख रहा था। जो आज उसे कुछ ज्यादा ही चुप लग रही थी।

    अक्षिता जिसका ध्यान अभी भी खाने को छोड़ कही और ही लगा हुआ था। अक्ष नैना को देखता है जैसे पूछना चाह रहा हो की मम्मा को क्या हुआ। पर अक्षिता के सामने कैसे पूछे।

    नैना अक्ष को देखती है जो उसे देख रहा था। नैना उसे आँखों से कुछ इशारा करती है अक्ष समझ जाता है। और फिर दूध का गिलास रख मुँह बनाते हुए कहता है।

    "मै इसे नहीं पियुगा ये अच्छा नहीं है।" अक्ष की आवाज़ सुन अक्षिता अपना ध्यान अक्ष पर देती है। और अक्ष को देखती है जो अजीब सा मुँह बना कर बैठा हुआ था।

    "क्या हुआ?" अक्षिता अक्ष से कहती है। अक्ष तुरंत ही कहता है। "मम्मा में ये नहीं पियूँगा मै छोटा बच्चा थोड़ी हूँ जो आप रोज रोज ये दे देते हो। अब मै बड़ा हो गया हूँ।" अक्ष मुँह बनाते हुए कहता है और अक्षिता को देखता है जो उसे उसी तरह से देख रही थी जैसे वो हमेशा अक्ष की ऐसी हरकतो पर देखा करती थी।

    नैना मोके का फयदा उठा अक्षिता को देख कहती है। "देख रही हो ना अपने बेटे को कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है। बाते सुनो इसकी लगता है शादी करवानी पड़ेगी।" नैना अक्ष की टांग खींचते हुए कहती है।

    अक्ष नैना की बात पर उसे देखते हुए कहता है। "मासी मै शादी नहीं करूँगा मै अपनी मम्मा के साथ रहूंगा।" और अक्षिता के सीने से जा लगता है और वैसे ही मासूम सी शक्ल बना नैना को देखने लगता है।

    "तो तुम तो लड़की लाओगे ना तुम्हे थोड़ी लेकर जायेगा कोई।"

    "नहीं लड़कीया बुरी होती है वो अगर मेरी मम्मा से लड़ेगी तो।" अक्ष अक्षिता को और कस कर हग कर लेता है। अक्षिता चुप चाप कभी अक्ष तो कभी नैना को देख रही थी।

    नैना उसकी बात पर कहती है। "अच्छा जी और तुम्हे कैसे पता वो तुम्हारी मम्मा से लड़ेगी? प्यार भी तो कर सकती है जैसे तुम करते हो।"

    "नहीं मेरी मम्मा सिर्फ मेरी है। मम्मा सिर्फ अपने बेबी को प्यार करेगी और किसी को नहीं। मैने TV में देखा है सब लड़ती है। इसलिय अक्ष की मम्मा सिर्फ अक्ष की है।" फिर चेहरा उठा अक्षिता को देखते हुए मासूमियत से पूछता है। "है ना मम्मा आप सिर्फ अपने बेबी से प्यार करोगे ना?" वो इस समय बहुत ही ज्यादा क्यूट और मासूम लग रहा था।

    अक्षिता अपना चेहरा झुकाय अक्ष को देखती है हाँ मे सर हिला हलका सा मुस्कुराते अक्ष के माथे को चूमती है। "mumma हमेशा बेबी को प्यार करेगी।" अक्षिता की बात सुन अक्ष के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है। और वो नैना को देखने लगता है।

    "पर मम्मा नाराज़ हो जायेगी अगर बेबी ने इसे पुरा फिनिश नहीं किया तो।" अक्षिता अक्ष को खुद से दूर कर वो दूध का गिलास अक्ष की तरफ बढ़ाती है।

    अक्ष ना में सर हिला जल्दी से कहता है। "नो मम्मा ये मुझे नहीं पसंद है इसे आप पी लो मै बड़ा हो गया हूँ।" अक्ष जिद्द करते हुए कहता है।

    अक्षिता उसकी बात पर उसके गाल पर प्यार से हाथ रख कहती है। "मेरे लिए अभी आप छोटे हो इसलिय प्लीज मेरे लिए पी लो।" अक्षिता बहुत ही प्यार से अक्ष को कह रही थी अक्ष अक्षिता को देखता है वो उसे मना नहीं सकता था इसलिय मन मारते हुए उसके हाथों से उस दूध को पीने लगता है।

    और कुछ ही सेकंड मे वो दूध खत्म कर देता है। "good boy. " अक्षिता उसके मुँह को साफ करते हुए कहती है।

    अक्ष एक बार फिर मुँह बना कर कहता है। "पर सच में ये टेस्टी नहीं था।"

    "दिल से पीते तो टेस्टी लगता।" अक्षिता अक्ष से कहती है। नैना जो अपना ब्रेकफास्ट कर रही थी वो अक्षिता से कहती है।

    "अक्षु आज तुम अक्ष को अकेली को स्कूल छोड़ने चली जाओ। मेरी थोड़ी तबियत ठीक नहीं लग रही। " नैना की बात सुन अक्षिता परेशान हो जाती है। "क्या हुआ तुम ठीक हो?" उसे अब नैना की फ़िक्र होती है।

    "हाँ मै ठीक हूँ। बस सर में थोड़ा दर्द है।" नैना अपना सर पकड़ कहती है।

    "अच्छा ठीक है तुम रेस्ट करो कुछ भी प्रॉब्लम हो तो मुझे कॉल करना।" अक्षिता नैना से कहती है नैना हाँ मे सर हिलाती है।

    हमेशा अक्ष को स्कूल छोड़ने अक्षिता और नैना साथ मे जाया करती थी बहुत ही कम होता था जब दोनो मे से एक नहीं जा पाता था वरना दोनो हमेशा साथ ही होती थी।

    "चले बेबी। आपको लेट हो रहा होगा।" अक्षिता अक्ष से कहती है अक्ष हाँ मे सर हिलाता है। और अपनी जगह से खड़ा हो जाता है अक्षिता भी सोफे से उठती है और अक्ष का बैग लेकर अपन हाथ बढ़ाती है।

    अक्ष उसके हाथ को मुस्कुराते हुए थामता है। "तुम सच में ठीक हो ना?" अक्षिता नैना को देख पूछती है।

    "हाँ मै ठीक हूँ तुम जाओ।" नैना की बाते आज अक्षिता को थोड़ा अजीब महसूस करवा रही थी पर वो कुछ नहीं कहती और अक्ष को देख वहा से निकल जाती है।

    उसके जाते ही नैना बाहर की तरफ देखती है। "चाली गई।" और गहरी साँस लेकर अपनी जगह से उठती है और जल्दी जल्दी ब्रेकफास्ट प्लेटे उठा किचन की तरफ बढ़ जाती है।

    "अक्षु के आने से पहले मुझे वापस आना होगा।" नैना जल्दी से सारी पालेटे सींग ने रखती है और किचन से बाहर निकल अपना फोन और पर्स उठाते हुए कहती है।

    "आज तो इस अक्षत के बच्चे से मिलना ही पड़ेगा। मै भी तो देखु कौन सी टोप है ये। हमारा ररस्टुरेंट तोड़ेगा देखती हूँ कैसे तोड़ता हूँ आज तो सबक सिखा कर ही रहूंगी।" नैना अपने बैग का चैन बंद करते हुए टशन मे कहती है।

    और फिर वहा से जाने लगती है। "इसकी हिम्मत कैसे हुई जर्मनी आने की समझता क्या है खुद को पहले अक्षु के साथ गलत किया और अब उसे ही डरा कर रखा है।" कहते हुए वो बाहर निकलती है और ताला लगाती है।

    "मुझे जल्दी जाना होगा वरना अक्षु को पता चला तो ना वो खुद जायेगी और जा मुझे जाने देगी। मै उसका सपना इस तरह से नहीं टूटता हुआ देख सकती। मुझे उससे बात करनी ही होगी।" नैना ताला बंद करती है और अब वहा से निकल जाती है।

    नैना आज ररस्टुरेंट जाने वाली थी। क्युकी आज वो रेस्टुरेंट टूटने वाला था नैना ने अक्षिता को समझाया था पर अक्षिता नैना को मना कर दिया था। की अब वो कुछ नहीं कर सकती कोई और होता तो वो एक आखिरी कोशिश करती पर वो अक्षत के सामने नहीं जा सकती और ना ही नैना और अक्ष को जाने दे सकती थी।

    इसलिय जब नैना ने ये बात कही थी तो अक्षिता ने उसे साफ मना कर दिया था ये कह कर वो कुछ और सोच लेगी पर अब वो वापस उस रेस्टुरेंट के बारे में नहीं सोचेगी। पर नैना जो पिछले चार सालो से उसके साथ थी वो जानती थी ये रेस्टुरेंट नहीं था अक्षिता का सपना था उसके मुस्कुराहट की वजह थी। जिसे वो हर रोज वहा जाकर जीती थी और उसका सपना नैना को टूटता हुआ मंजूर नहीं था।

    अक्षिता बस स्टॉप खड़ी बस का वेट कर रही थी। अक्ष उसके बगल मे खड़ा बार बार अक्षिता को देख रहा था जो उससे बिल्कुल भी बात नहीं की थी वरना पूरे रास्ते अक्ष और अक्षिता बाते करते हुए जाते और आते थे।

    पर आज अक्षिता बिल्कुल चुप थी। उसने अक्ष की बातो का भी बिल्कुल ना के बराबर जवाब दिया था जैसे मानो अक्षिता तो यहा है पर उसका दिल और दिमाग और कही और।

    "नैना तुम देखना एक दिन ना मेरा बहुत बड़ा रेस्टुरेंट होगा। जहाँ मै ज़रूरतमंदो के लिए फ्री में खाना बनाया करूंगी। मेरे हाथों का खाना में और भी सारे लोगो को खिलाउंगी। और फिर मै अपने बेबी की हर ज़रूरत पुरी करूंगी जो उसे चाहिए।" अक्षिता खुशी से नैना से कहती है उसकी बात सुन नैना कहती है।

    "और फिर तुम मुझे भूल जाओगी। "


    नैना की बात सुन अक्षिता नैना को देखती है और फिर उसे पीछे से हग कर कहती है। " तुम तो मेरे सपने के सफर में मेरे साथ रहोगी तो मज़िल तो तुम्हारी भी होगी। मेरा सपना सिर्फ अक्ष और तुम्हारे लिए है ताकि मै तुम दोनो को खुश रख सकू। इसलिय ये बात कभी मत बोलना की मै तुम्हे भूल सकती हूँ।" और फिर उस पूरे रेस्टुरेंट को देख अपने हाथ फेला कर कहती है।



    "एक दिन मेरा भी नाम होगा और फिर हमें वो सब मिलेगा जिसकी हमने सपने देखे।"


    "मेरा तो सपना तुझे खुश देखने का अक्षु।" नैना अक्षिता से कहती है अक्षिता की आँखे नम हो जाती है नैना जैसा प्यार उससे कोई नहीं कर सकता था।


    "i love you so much नैना।" अक्षिता नैना को हग करती है। "love you too my baby. " नैना भी अक्षिता को पकड़ते हुए कहती है। दोनो के चेहरे पर स्माइल थी।



    अक्षिता खड़ी पुरानी यादो को याद कर रही। कहा उसने नैना के साथ कितने सपने देखे थे और आज उसका रेस्टुरेंट उससे हमेशा के लिए दूर होने वाला था और वो इतनी unlucky मान रही थी खुद को की वो उसे देख भी नहीं सकती थी।



    अक्षिता की आँखे नम गई थी बस उस आंसुओ को वो बाहर नहीं ला सकती थी। और अक्ष के सामने तो बिल्कुल नहीं।

  • 17. Stubbornness of junoon. - Chapter 17

    Words: 1534

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    नैना जल्दी से वहा से निकल रेस्टुरेंट के लोकेशन पर पहुँचती है। वो रेस्टुरेंट से कुछ दूरी पर खड़ी होती है और सामने देखती है जहाँ ररस्टुरेंट को तोड़ा जा रहस्य था या यु कहे आगे का पुरा हिस्सा टूट चुका था।



    नैना वहा खड़ी उस सपने को उस रेस्टुरेंट को टूटता हुआ देखती है जिसे कुछ सालो नैना और अक्षता जी रही थे और वो बहुत खुश थे। आज अपनी आँखों के सामने उसे टूटता देख नैना की आँखे ना जाने क्यू नम होने लगती है।


    चेहरे पर उदासी छा जाती है। वो जानती थी की ये रेस्टुरेंट अक्षिता के लिए क्या था इसकी हर एक दीवारओ को इसकी हर एक चीज़ को अक्षिता नैना और अक्ष ने मिल कर सजाया था।



    उनके लिए तो उनका दूसरा घर तो यही था जहाँ वो लोग 24 घंटो में से 13 14 घंटे यहाँ बिताते थे। इस रेस्टुरेंट में नैना और अक्षिता ने कितने मोमेंट शेयर किये थे।


    वो दोनो ने यहाँ अपना दर्द भी बहाया था और खुशी भी सेलिब्रेट किया था। यहाँ पर उन्होंने हर एक पल गुज़ारा ही नहीं जीया था। और अक्षिता के लिए तो ये बहुत कुछ था उसका पहला ऐसा सपना जिसे वो सच में पुरा कर जीना चाहती थी।


    पर आज नैना वहा खड़ी उसे टूटता हुआ देख रही थी उसकी आँखों के सामने वहा बिताए हर एक मोमेंट चल रहा था वहा पर उनकी खिलखिलाहट रोना और खुशियों के साथ मस्ती करना।



    वो महसूस कर पा रही थी जब ये देख उसे तकलीफ हो रही है तो ना जाने अक्षिता पर क्या बीत रही होगी। वो यहाँ नहीं आई थी पर उसका दिल और दिमाग यही पर था। सुबह से वो उसके चेहररे पर उदासी देख पा रही थी।


    जो आज उसके रेस्टुरेंट का टूट जाने का था।


    "अच्छा किया अक्षु तूने यहा ना आने का फैसला लिया। तु नहीं देख पाती सच में ये बहुत पैन फुल है।" नैना की आँखों से पानी झलक कर उसके गालो पर आ गया था।



    उसके कानो मे रेस्टुरेंट का हर एक हिस्सा टूटने की आवाज़ आ रही थी। वो आवाज़ जो शायद अक्षिता को बहुत तकलीफ देती है। इसलिय तो आज यहाँ नैना है जो सब कुछ देख पा रही थी।


    वो अपने आंसु साफ करती है। "आज नहीं छोडूंगी इस अक्षत के बच्चे को। बहुत रुला कर रखा है कल से।" वो अपने दाँत पिसते हुए कहती है और वहा से तुरंत आगे बढ़ती है।



    उसके चेहरे पर गुस्सा और दर्द दोनो था। वो लाल आँखों के साथ आगे बड़ रही थी।


    "अरे मैडम रुकिए आप कहा जा रही है? आगे मत जाइये आपको लग सकती है।" नैना को आगे बढ़ता देख एक मजदूर उसे रोकता है।


    "लग तो कब का चुकी है। बस अब उसे ठीक करना बाकी है।" कहते हुए उस मजदूर को देखती है। "मुझे आपके बॉस से मिलना है।"


    "बॉस?" मजदूर थोड़ा कन्फ्यूज्ड होते हुए कहता है।


    नैना हाँ में सर हिलाती है। "हाँ जिसके कहने पर ये जो तुम लोग तोड़ रहे हो। उसी बॉस की बात कर रही हो बताओ कहा है वो मुझे अभी उससे मिलना है।" नैना काफी गुस्से में आ चुकी थी जैसे जैसे उसके कानो मे वो आवाज़े आ रही थी वैसे वोसे ही वो खुद को बड़ी मुश्किल से खुद के गुस्से को कंटोल कर रही थी।



    उसने खुद को कितनी मुश्किल से रोका हुआ था वाही जानती थी उसका बस नहीं चल रहा की वो मुँह तोड़ दे उस अक्षत के बच्चे का।



    मजदूर को चुप खड़ा देख नैना भड़क उठती है। "आपको नहीं बताना फाइन। पर मुझे जाने दीजिये में मिल लूंगी खुद ही।"


    "नहीं नहीं रुकिए यहाँ से मत जाइये यहाँ से आपको लग सकती है उधर से जाइये वाही पर है वो।" वो नैना को जाता देख उसे रोकते हुए कहता है। नैना उसकी बात ध्यान से सुनती है फिर हाँ में सर हिलाती है। " ठीक है।" इतना बोल वो वहा से चली जाती है।





    "sorry अक्षु माफ़ कर देना मै लेट हो गई तेरा सपना टूट चुका है। पर तु टेंशन मत लेना मै हूँ ना इस इंसान को अच्छा सबक सिखाउंगी।" नैना कुछ दूरी पर खड़ी उससे दूर खड़े शख्स को देखते हुए कहती है।


    उससे कुछ दूरी पर उसकी तरफ पीट किये वो फोन पर कुछ कर रहा था। नैना उसे पीछे से देखते हुए कहती है। "देखो तो जरा कितना खुश नज़र आ रहा है हमारा सुकून छीन कर।" नैना को हद से ज्यादा नफरत हि रही थी उससे।


    जितना वो उसे देख रही थी उतना उसे अक्षिता का रोता मायूस चेहरा याद आ रहा था उसकी अक्षु ने कितना सफर किया था सिर्फ इस इंसान की वजह से उसने अकेले खुद को संभाला और इस काबिल बनाया। वरना इस इंसान ने तो उसकी ज़िंदगी खत्म कर ही दी थी।


    और अभी भी वाही करने वापस आ गया उसकी ज़िंदगी। नैना वहा खड़ी उसे कोस रही थी। और वो अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाती है।



    "excause me. " नैना उसके ठीक पीछे खड़ी होकर कहती है उसकी आवाज़ में बिल्कुल भी इज़्ज़त नहीं थे उसकी आवाज़ से लग रहा था वो उससे मुँह तक नहीं लगाना चाहती है। पर मजबूरी है।



    नैना की आवाज़ से वो अपने फोन से ध्यान हटा पलटता है।


    "tummmm? "


    "you. "


    दोनो जैसे ही एक दूसरे को देखते है हैरान रह जाते है नैना का तो मुँह खुला रह जाता है वाही उसके एक्सप्रेशन मिक्स्ड हो जाते है।



    "तुम यहाँ क्या रहे हो?" नैना अपने सामने खड़े मिहिर से कहती है उसकी आवाज़ तेज थी।


    उसकी बात सुन मिहिर अपने sun गिलासेज हटा अपनी इएब्रों उठाते हुए कहता है। "ये सवाल मेरा होना चाहिए।"



    "o shut up" नैना उसे बिच में रोकती है। और उसकागे तन कर खड़ी होते हुए कहती है। "उस दिन मेरा accident कर के सुकून नहीं मिला जो आया भी आ गये?" नैना मिहिर से कहती है।


    जी हाँ मिहिर वाही इंसान से जिसकी कार के आगे नैना उस रात आ गई थी और उसका होते होते एक्सीडेंट रह गया था। पर नैना के लिए वो हो चुका एक्सीडेंट था जिसपर उसने उसे कितना सुनाया था। और अक्षिता घर पर उसके लिए काफी परेशान हो रही थी।



    मिहिर के भाव से ही पता चल रहा था की वो नैना को यहाँ देख एर्रिटेट सा लग रहा था। वो कैसे भूल सकता था नैना को जो उस रात एक्सीडेंट ना होने पर इतना तमाशा किया था जैसे मिहिर ने उसे जान से ही मार दिया हो।


    और ऊपर से उसे ब्लैक मेल कर के उसको अपना ड्राइवर की तरह ट्रीट करते हुए घर तक खुद को छुड़वाया था। उसके दिमाग में तो उसे देख यही चल रहा था की अब कौन सा तमाशा करने आई है ये?


    "पीछा कर रहे हो मेरा?" नैना अपनी आँखे छोटी कर कहती है। मिहिर उसे अजीब एक्सप्रेसशन के साथ देखता है। "एक्सकॉज मी?" वो उसकी बाते सुन हैरान था क्या ये लड़की पागल है।



    नैना अपने दोनो कमर पर हाथ रखते हुए कहती है। "जी हाँ देखो तुम जैसे लड़को को मै अच्छे से जानती हूँ। पर कान खोल कर सुन लो मै वैसी लड़कियों में से नहीं हूँ। हाँ ठीक है उस दिन तुमने मेरा एक्सीडेंट किया था और मेरे घर मुझे ड्राप किया था। पर इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है की तुम मेरा पीछा भी करोगे।" नैना उसे घूरते हुए मुँह बनाते हुए जितने इलज़ाम लगा सकती थी लगा रही थी।



    "are you crazy? " मिहिर फर्स्टेड होते हुए कहता है। उसकी बाते सुन मिहिर का दिल किया अभी इसे इसी रेस्टुरेंट के साथ पिस्वा दे।


    "दिमाग खराब है तुम्हारा ये क्या बकवास है?"



    उसके कहते ही नैना बोल पढ़ती है। "बकवास नहीं सच है।"



    "मै यहाँ तुम्हारा पीछा विचा नहीं कर रहा हूँ बल्कि मुझे लग रहा है तुम कर रही हो।" मिहिर रुड होते हुए कहता है और नैना को ऊपर से निचे देखने लगता है।


    उसने इस समय पिंक क्रॉप टॉप और फ्लैट जिन्स पहनी हुई थी। बालो की पोनी और दोनो साइड से उसके लाते जो उसके गाल और कानो के पीछे थे। होंठ पर नूड लिपस्टिक दिखने में वो काफी सुंदर लग रही थी।


    उसे देख मिहिर के दिल से भी आवाज़ आती है। दिखने में तो लड़की कमाल है। फिर जब वो नैना के चेहरे को देखता तो मुँह बन कर मन में कहता है। "बस जुबान ही कड़वी है जब मिलती है बकवास करती है।"



    मिहिर को खुद को घूरता देख नैना चुटकी बजाते हुए उसे कहती है। "o hellow इधर बता सकते हो तुम मेरा पीछा नहीं तो क्या मुझसे माफ़ी माँगने आये हो?"


    "माफ़ी? कैसी माफ़ी?" मिहिर उसकी बात पर चिढ कर कहता है।

    नैना फटाक से कहती है। "हाँ माफ़ी उस दिन की जिस दिन तुमने मुझे अपनी कार से एक्सीडेंट किया था।"



    "वो एक्सीडेंट नहीं था।"


    "पर हो तो जाता ना। तुम मेरा मरने का इंतेज़ार कर रहे थे तब जाकर कार रोकते?" नैना तुरंत जवाब देती है।



    मिहिर अब उससे बहस नहीं कर सकता था। "तुम्हारे पास काम हो या ना हो पर मेरे पास बहुत है। हटो और मेरा काम करने दो और किसी और का टाइम वेस्ट करो" इतना बोल मिहिर वहा से चला जाता है।


    नैना का मुँह खुला रह जाता है। "इसने मुझे फालतु कहा इसकी इतनी हिम्मत" नैना का मुँह बना चुका था और वो टम टमाती हुई उसके पीछे जाती है।

  • 18. बेबी कहा हो? - Chapter 18

    Words: 1616

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।


    "अक्ष!"

    "बेबी कहा हो अक्ष!" अक्षिता सड़को पर इधर से उधर भाग रही थी वो हद से ज्यादा घबराई थी उसकी आँखों मे आंसु थे वो रही थी।


    अब उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था वो इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती थी। वो खुद के गम में इतनी खो गई की अक्ष पर ध्यान ही नहीं दे पाई।


    अक्षिता जो अक्ष के साथ खड़ी बस का वेट कर रही थी वो इतनी खोई हुई थी के उसे पता ही नहीं चला कब बस आई और अक्ष उस पर बैठ गया ये सोच की की अक्षिता उसके पीछे है। पर अक्षिता को किसी भी चीज़ का अंदाजा नहीं था जब उसे होश आया तब उसने आस पास देखा तो वो वहा अकेली अक्ष उसके साथ नहीं था।



    और तब से वो ना जाने कितनी देर से अक्ष को यहाँ से वहा ढूंढ रही थी। "बेबी अक्ष बेटा कहा हो प्लीज मम्मा को डर लग रहा है।" अक्षिता इधर उधर अक्ष को देखते हुए तेज तेज आवाज़ में कह रही थी।


    वहा पर आस पास के लोग और आते जाते हुए लोग उसे देख रहे थे। उसकी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी वो अक्ष के लिए डरी हुई थी और आँखे तड़प रही थी अक्ष को देखने के लिए।


    ये पहली बार था जब अक्षिता के साथ ये हुआ वरना उसने आंख को अपनी आँखों से कभी ओझल नहीं होने दिया था।



    "अक्ष मेरा बच्चा।" अक्षिता को अपने दिल मे बहुत तकलीफ होती है वो अपने दिल को थामे इधर उधर नज़रे घुमाती है। "मै इतनी पागल बेवक़ूफ़ कैसे हो सकती हूँ मेरा बच्चा कहा होगा। कहा ढूंढु मे उसे। मैने कैसे ध्यान नहीं दिया।" अक्षिता अपने दिल को थामे खुद से शिकायत कर रही थी।



    वो लगातार रोये जा रही थी। बेसक से वो चार साल से यहाँ रह रही थी पर आज भी ये देश उसके लिए उतना ही अजनबी था जितना पहले। वो ज्यादा कही आती जाती भी नहीं थी। उसकी दुनियाँ घर से रेस्टुरेंट और रेस्टुरेंट से घर और नैना अक्ष तक ही सीमित थी।


    बाहर के ज्यादातर काम नैना ही किया करती थी। वजह थी अक्षिता की बेवकूफी और मासूम दिल जो हर किसी स पिघल जाता था। अगर वो कुछ लेने भी जाती थी तो सस्ती चीज़े भी महंगी ले आती थी और उससे ज्यादा गरीबो को दान कर आती थी।



    "नहीं अक्षु तु आज अपना रेस्टुरेंट खो चुकी है अपने बेबी को नहीं खो सकती।" अक्षिता खुद को सम्भलाते हुए अपने आँसू साफ करने लगती है।



    और जल्दी से लोगो के पास जाकर पूछने लगती है।


    "Haben Sie hier ein kleines Kind im Alter von etwa vier Jahren gesehen?" (आपने यहाँ छोटे से चार साल के आस पास के बच्चे को देखा है?) वो जर्मन भाषा मे वहा एक बुक स्टोल वाले से पूछती है।


    अक्षिता को जर्मन काफी अच्छी तरीके से आती थी। उसने चार साल मे अपनी जर्मन भाषा काफी अच्छी कर ली थी क्युकी उसके रेस्टुरेंट मे इंडियन से ज्यादा जर्मन लोग आता करते थे। और वो उनसे उन्ही के भाषा में बात करती थी।


    "NEIN." वो स्टॉल वाला साफ मना कर देता है।


    अक्षिता निराश हो जाती है। "कहा हो बेबी?" अक्षिता अब अपने बाल पकड़ लेती है। उसका दिमाग सुन होने लगा था उसे समझ नहीं आ रहा था अब वो क्या करे कहा ढूंढे। उसे अक्ष की बहुत टेंशन हो रही थी।




    (Hast du meinen Sohn gesehen? Er ist noch sehr jung. Er trug eine.) "आपने मेरे बेटे को देखा है वो बहुत छोटा है। उसने स्कूल ड्रेस पहनी हुई थी?" अक्षिता एक जर्मन लेडीज को रोक उससे पूछती है।


    "nein."" वो उसे मना करती है और वहा से चाली जाती है।


    अक्षिता अपनी आंसु भरी लाल हो चुकी आँखों से इधर उधर देख रही थी इस उम्मीद से की शायद उसे अक्ष दिख जाय। "कहा हो मेरा बेबी। ये मुझसे क्या हो गया।" अक्षिता खुद को दोस देने लगती है।


    और वाही घुटनो के बल बैठ अपने चेहरे को हाथों से छुपा रोने लगती है। "वापस आ जाओ अक्ष मम्मा तुजे नहीं खो सकती। मम्मा से गलती हो गई प्लीज बेबी। मम्मा को बहुत डर लग रहा है।" वो रोये जा रही थी उसका दिल हद से ज्यादा अक्ष के बारे में सोच सोच बैचैन हो रहा था।


    जैसे कुछ गलत होने वाला हो। उसे डर था कही अक्ष को कुछ हो ना गया हो।



    वो काफी देर तक वाही सडक के बिच बैठी चेहरे पर हाथ रख रो रही थी। वहा से आते जाते लोग सभी उसे देख रहे थे और कुछ कुछ आपास में बोल भी रहे थे। पर अक्षिता जो बेबस हो चुकी थी।


    उसकी तो ज़िंदगी में मानो एक के बाद एक मुसीबत आई ही जा रही थी पहले वो अपने रेस्टुरेंट को नहीं बचा पाई और अब अक्ष को भी खो दिया।



    "मम्मा कहा है। अब मै कैसे ढूंढु उन्हे?" अक्ष एक बस स्टॉप पर खड़ा इधर से उधर नज़रे घूमा रहा था।


    वो बस पर ये सोच कर चढ़ गया था की अक्षिता भी उसके पूछे है पर जब उसे एहसास होता है की अक्षिता उसके आस पास नहीं है तो वो पूरे बस मे उसे ढूंढ़ता है और जब उसे वहा नहीं मिलती। तो वो समझ जाता है अक्षिता बस पर नहीं चढ़ी इसलिय वो नेक्स्ट स्टॉप आते ही उतर जाता है।



    वो उतर तो गया था पर अब उसे वापस जाने का रास्ता समझ नहीं आ रहा था आखिर था तो वो चार साल का छोटा बच्चा ही।



    "अक्ष को मम्मा ढूंढ रही होगी कितनी परेशान हो रही होगी? पर अब मै वापस कैसे जाऊ?" अक्ष जो घबराया हुआ था पर अपने लिए नहीं अक्षिता के लिए उसके चेहरे पर फ़िक्र के लकीरे आई हुई थी।


    वो अक्षिता को काफी अच्छे से जानता था। टेंशन लेना तो जैसे उसकी फेवूरित हॉबी थी। बात बात पर उसने अक्षिता को परेशान होते हुए देखा था। और आज भी सुबह से अक्षिता को वो पररशान ही देख रहा था। अक्षिता कुछ कहती नहीं थी पर वो उसकी परेशानी जान जाता था।


    और उसके लिए अक्षिता कितनी ज्यादा सेंसेटिव थी उसे पता था उसे महसूस हो रहा था की पक्का अक्षिता उसके लिए हद से ज्यादा परेशान होगी।



    अक्ष कुछ सोच अब धीरे धीरे पैदल ही वापस जाने लगता है। वहा के रास्ते बिल्कुल सीधे थे तो अक्ष ने सोचा वो एक स्टॉप चल कर पार कर ही लेगा।



    "मम्मा आप परेशान मत हो बेबी आपके पास आ रहा है। थोड़ी देर और आप रोना मत।" अक्ष बोलते हुए आगे बढ़ रहा था उसे अभी सिर्फ अक्षिता की ही टेंशन थी। अगर नैना उसके साथ होती तब उसे इतनी फ़िक्र नहीं होती क्युकी वो अक्षिता को सम्भल लेती।


    पर अभी वो अकेली थी और वो भी अक्ष के मामले में।



    अक्ष कहते हुए आगे बढ़ ही रहा था की अचानक उसके कदम रुक जाते है और वो अपना चेहरा हलका सा साइड घुमा कर कुछ दूरी पर देखता है। "ये little cat सडक के बिच क्या कर रही है?" अक्ष जिससे कुछ दूरी पर एक छोटा सा बिल्ली का बच्चा बैठा माऊ माऊ कर रहा था।



    उसे देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता था की वो अभी कुछ दिनों का ही है। "ये कितना छोटा है अगर किसी गाड़ी ने इसे ठोक दिया तो? मम्मा कहती है बेजुबानो की हेल्प करनी चाहिए।" अक्ष उस cat को देखते हुए कहते है।


    और फिर कुछ सोच अपने कदम cat की तरफ बधा देता है। अक्षिता ने हमेशा से अक्ष को अच्छी चीज़े ही सिखाई थी। उसने शुरु से अक्ष को यही समझाया था की जब भी कोई मुसीबत में हो तो हमें उसकी हेल्प करनी चाहिए किसी को भी हर्ट नहीं करना चाहिए।


    और ना ही किसी को बेवजह परेशान करना चाहिए। और अक्ष ने भी शुरु से अक्षिता को यही सब करते देखा था। अक्षिता खुद से पहले दुसरो के बारे मे सोचती थी। कई बार तो वो खुद के हिस्से की चीज़े भी दुसरो को खिला देती थी।


    जबकी वो खुद भूखी होती थी। अक्षिता की अच्छाईया देख देख कर ही तो अक्ष बड़ा हुआ था जो खुद से पहले दुसरो का सोचती थी। इसलिय वो भी ना चाहते हुए भी दुसरो की हेल्प कर दिया करता था वरना खून तो वो अक्षत का ही था।



    वो आगे बढ़ ही रहा था की इतने में उसकी नज़र दुसरे साइड जाती है जहाँ से एक कार आ रही थी और वो उस बिल्ली की तरफ ही बढ़ रही थी। "o no ये कार तो little cat की तरफ ही बढ़ रही है।" अक्ष कभी आती हुई कार को देखता तो कभी उस छोटी सी बिल्ली को जो अभी अभी मऊ माऊ कर रही थी।


    शायद वो भूखी थी या हेल्प मांग रही थी।


    "ये कार तो इसी की तरफ बढ़ रही है मुझे कुछ करना होगा वरना ये उस पर चढ़ जायेगी। और ये मर जायेगी नहीं ये तो बहुत छोटी है।" अक्ष अब उसके लिए परेशान हो जाता है।

    अब वो कार भी बहुत आगे आ चुकी थी अक्ष के पास अब एक ही रास्ता नज़र आ रहा था। वो जल्दी से अपना बैग वाही उतार जल्दी से कैट की तरफ भागता है। और उसे अपनी गोद मे उठाता है। पर जब तक वो उसे उठाता है तब तक वो कार उसके बेहद करीब आ गई थी।


    "मम्मा!"


    "अक्ष!" अक्षिता अचानक बैठी हुई चीख पड़ती है वो अपने दिल पर हाथ रखती है। "ऐसा क्यू लगा जैसे बेबी ने मुझे बुलाया?" अक्षिता जल्दी से अपनी जगह से खड़ी होती है।



    और अपने दिल पर हाथ रखती है जो काफी तेजी से भाग रहा था। "मुझे ऐसा कुछ लग रहा है जैसे कुछ गलत हुआ है।" अक्षिता को अब बहुत अजीब सा लगने लगा था उसके पेर हाथ पूरे शरीर की जान जैसे कभी भी निकल सकती थी।



    (क्या अक्ष ठीक है? अक्षिता ढूंढ पायेगी उसे?)

  • 19. नैना ने मारा थप्पड़ मिहिर को। - Chapter 19

    Words: 1632

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    "o hellow तुम मुझे इग्नोर कर के कहा जा रहे हो?" नैना मिहिर के आगे आकर उसका रास्ता रोकती है। मिहिर के एक्सप्रेसशन रुड थे।

    वाही नैना अपने दोनो हाथ कमर पर लग खड़ी थी। "और क्या कहा तुमने मुझे मै तुम्हे फालतु नज़र आती हूँ? तो कान खोल कर सुन लो तुमसे ज्यादा बिजी हूँ मै बहुत काम होते है मेरे पास।" वो कहते हुए बड़ी ही आदाओ के साथ अपने आगे के बालो को पीछे झटकती है।

    उसकी हरकतो पर मिहिर अपनी आँखे छोटी कर उसे देखता है। जैसे उसने इससे ज्यादा बेवक़ूफ़ लड़की ना देखी हो। "वो तो दिख ही रहा है कितनी बिजी हो।"

    नैना का मूँ बना जाता है। "मुझे भी दिख रहा तुम कितने बिजी हो।"

    "रास्ता तुमने रोका है मैने नहीं। अब हटो सामने से।" मिहिर उसके बगल से चला जाता है।

    नैना उसे जाता हुआ देख मुँह बना कर कहती है। "हूउउ बत्तमीज़।"

    "एक मिनट एक मिनट।" अचानक उसके दिमाग में कुछ हिट करता है। "ये यहाँ क्या कर रहा है। यहाँ तो किसी को अल्लो नहीं है सिवाय इन वर्कर्स और उस जाहिर इंसान. . ." कहते हुए उसकी आँखे बड़ी हो जाती है।

    और वो तुरंत पलट कर मिहिर को जाता हुआ देखती है। "ई_इसका मतलब य_ये अक्षत खुराना है?" नैना के मुँह से तो जानो आवाज़ ही धीमी हो गई थी।

    और वाही खड़ी मिहिर को देखती है जहाँ मिहिर अभी बुलदोजर ड्राइवर से कुछ बात कर रहा था और उसे कुछ समझा रहा था।

    नैना जो मिहिर को अक्षत समझ चुकी थी उसकी नज़र उस टिक गई थी। गुस्से और नफरत के साथ उसे देखते हुए अब उसकी आँखों के सामने अक्षिता का वो चार साल का दर्द सामने आने लगता है। उसकी झूठी मुस्कुराहट डर घबराहट और रात के अंधेरे मे अकेले बैठ कर अक्षत को याद कर रोना सब कुछ उसकी आँखों के सामने किसी रिल्स की तरह चलने लगता है।

    जैसे वो सब कुछ वापस उसकी आँखों के सामने चल रहा हो।

    "कोई इंसान इतना सुकून से कैसे हो सकता है?" नैना उसे देखते हुए खुद से कहती है।

    "इस इंसान के चेहरे पर कोई गिल्ट नहीं है कोई एहसास नहीं है की इसने क्या किया है? और ऊपर से कितना खुश होकर हमारे रेस्टुरेंट को तोड़ रहा है।" नैना की बातो में हद से ज्यादा नफरत थी वो उसी नज़रो से उसे देख रहा थी।

    वो अपने हाथों की मुट्ठी बांधे खड़ी अपने दाँत पिस रही थी।

    उसके अंदर का गुस्सा नफरत सब बाहर आने के लिए तड़प रही थी जब उससे बरदस्त नहीं होता तो ना जाने उसे क्या होता है वो लम्बे लम्बे कदमो के साथ मिहिर पास जाती है और झटके से उसे अपनी तरक पलट एक जोर दार थप्पड़ उसके गालो पर दे मारती है।

    वो थप्पड़ इतनी जोर का था की वहा पुरा माहौल उस थप्पड़ की आवाज़ से गुंज उठता है। वहा पर आस पास के रोको के कदम अपने आप रुक जाता है।



    और मिहिर जिसको अचानक थप्पड़ लगने की वजह से उसका फेस एक साइड झुक गया था उसकी आँखे गुस्से से लाल हो चुकी थी। चेजरा सर्द और हाथों की मुट्ठी कश चुकी थी।


    उसके गुस्से का अंदाजा उसके गर्दन पर उभर रही उसकी नशो से लगाया जा सकता था।



    "किस तरह के इंसान हो तुम। तुम्हारे अंदर दिल है भी या पत्थर? तुम्हे अंदाजा होता है की तुम इंसान के भेष में सैतान हो सैतान।" नैना की आवाज़ मे नफरत था उसके चेहरे कोई डर कोई पास्तव नहीं था उसे थप्पड़ मारने का।


    वाही मिहिर जिसे गुस्सा बहुत कम ही आया करता वो ज्यादातर अपने गुस्से को कंट्रोल रखता था। पर उसे बिल्कुल बरदस्त नहीं था की कोई उससे बत्तमीज़ी करे। और यहाँ तो नैना ने थप्पड़ मार दिया वो कैसे बरदस्त करता है।



    वो चाहता नहीं था पर वो उस थप्पड़ की गुंज भूल नहीं पा रहा था वो अपने दाँत पिसते हुए गुस्से में सीधा होता है और ना आय देखता है और ना बाय सीधा चिल्लाते हुए नैना का गला पकड़ता है।


    और उसे पीछे ढकलते हुए उसे बल्डोज़र से लगा देता है। मिहिर के इस झटके से वो सम्भल नहीं पाती और सीधा उससे लग जाती है और लगते ही उसकी पीठ पर उसका कोना लग जाता है। जिससे उसकी आँखे दर्द से बंद हो जाती है।


    "ahhhh! " उसकी आवाज़ से पता लगाया जा सकता था की उसे कितनी जोर लगा।


    मिहिर जिसकी आँखे गुस्से से लाल आग उगल रही थी हाथ पेर की नशे फटने वाली थी और चेहरा एक जीता जागता सैतान की तरह बन गया था। वो जितना शांत रहता था उतना ज्यादा ही आज उसके चेहरे पर गुस्सा था।


    उसके गुस्से को वहा मौजूद सभी लोग देख सहम गये थे। वो अच्छे से वाकिफ थे मिहिर और अक्षत के गुस्से से क्युकी हर बार कंट्रेक्ट उन्हे ही मिलता था।


    वहा माहौल का अंदाजा लगा वहा मौजूद सभी लोग चुप चाप वहा से निकल जाते है। उन्हे पता था अगर वो वहा रहेंगे तो मिहिर उन लोगो को दुनियाँ में रहने लायक नहीं छोड़ेगा।



    "बहुत हिम्मत आ गई तुम्हारे अंदर? तुम्हारी बकवास सुन रहा था इसका ये मतलब नहीं तुम्हे हाथ उठाने की परमिशन है।" उसकी आवाज़ हद से ज्यादा सर्द थी।


    नैना जिसने अभी आँखे बंद कर रखी थी दर्द से वो उसकी बाते सुन अपनी आँखे खोलती है आँखे खोलते ही नैना की नम आँखे मिहिर की काली आँखे जो अब खून की तरह लाल हो चुकी थी उससे जा मिलती है।



    मिहिर की पकड़ उसकी गर्दन पर कश जाती है। "ahhhh छोड़ो मुझे।" और अपने दोनो हाथों को मिहिर के हाथ पर रख उससे खुद को छुड़वाने लगती है।

    पर उसकी इस हरकत से मिहिर का गुस्सा और बढ़ जाता है और उसकी पकड़ और कश जाती है।



    "आआ हहहह!"


    "हिम्मत कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की। तुम जानती नहीं मै क्या हूँ।" उसकी पकड़ उतनी ही तेज नैना पर कसी हुई थी।



    "जानती हूँ तुम एक घटिया इंसान हो। तुम तो इंसान नहीं तुम तो इंसाना कहलाने लायक नहीं हो।" नैना वैसे ही अपने गले को छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहती है। उसकी आवाज़ बहुत मुश्किल से बाहर निकल रही थी।


    मिहिर की पकड़ उसपर कितनी जोर से थी उसका अंदाजा मिहिर का गुस्सा और उसकी हाथ और कलाई की उभरी नशे अच्छे से बता रही थी।



    उसकी बात सुन मिहिर का गुस्सा और भड़क उठता है। "काफी अच्छे से जानता हो मुझे हा?"


    "जानूगी क्यू नहीं आखिर तुम्हारी इतनी तारीफे जो सुनी है। काफी तारीफ के काबिल जो हो तुम।"नैना कड़वे शब्दों के साथ उसे ताना मारती है वो अपना दर्द भूल चुकी थी और बिना खौफ के बस मिहिर की आँखों मे देख रही थी।


    मिहिर जिसकी आँखे इस समय अंगारे जल रही थी उसे बिल्कुल बरदस्त नहीं था कोई उससे बत्तमीज़ी करे और यहाँ तो उसने उस पर हाथ उठाया था वो भी सबके सामने। और किसी इग्नोस्टिक इंसान के साथ कोई भी ऐसा करेगा तो उसका रिएक्शन तो अच्छा नहीं आएगा और ये तो फिर मिहिर था।


    अक्षत की परछाई कहना गलत नहीं होगा।



    "अह्ह्ह छोड़ो मुझे।" नैना को अब साँस लेने मे प्रॉब्लम होने लगती है। वो अपने दोनो हाथों से मिहिर के सीने पर हाथ रख धक्का मारती है।


    मिहिर जिसे नैना का चेहरा पिला पढ़ता नज़र आता है उसे एहसास होता है उसकी पकड़ कितनी है और अगर वो और उसे पकड़ कर रखा तो कुछ ही सेकंड मे वो भगवान को प्यारी हो जायेगी।



    वो नैना को छोड़ता है। नैना तुरंत ही अपने गले पर हाथ रख वैसे ही टेक लगा गहरी गहरी लम्बी लम्बी साँसे लेने लगती है उसके चेहरे पर पसीना आ चुका था।



    मिहिर जिसका गुस्सा अब थोड़ा कम था या यु कहे उसने कंट्रोल किया था। "तुम ठीक हो?" मिहिर नैना की हालत देख आगे बढ़ता है।

    की नैना जो अभी कमज़ोर सी पड़ गई थी अचानक उसके अंदर ना जाने इतनी हिम्मत कहा से आती है की वो उसे एक बार फिर दूर धक्का देती है। "दूर रहो समझे तुम।" वो तेज आवाज़ में चिल्लाती है।



    मिहिर उसे देखता है। "तुम जैसा इंसान मैने आज तक नहीं देखा जानवर हो तुम जानवर। तुम्हारे अंदर लगता है दिल नहीं है तभी तो दुसरो के साथ बुरा कर भी तुम्हे बुरा नहीं लगता।" नैना चिल्लाय जा रही थी।


    मिहिर उसे सख्त भाव के साथ आँखे छोटी कर उसे देख रहा था उसे नैना कोई पागल नज़र आ रही थी क्युकी उसकी बाते उसे समझ नहीं आती। अचानक इस लड़की हुआ क्या था वो उसे इतनी बाते क्यू और किस लिए सुना रही जब की वो उसे जानता भी नहीं था?


    क्या वो उसे जानती थी? मिहिर खड़ा उसके दिमाग में नैना को देख यही सब सवाल आ रहे थे।



    "क्या बकवास किये जा रही हो? क्या किया है मैने? तुम जानती हो मुझे?" मिहिर नैना को गुस्से मे देखते हुए पूछता है।


    वाही नैना अपने हाथों की मुट्ठी बांधे खड़ी गुस्से से मिहिर को देख रही थी। "बहुत अच्छे से तुमने किसी का द..." वो अपने दाँत पिसते हुए कहती है इतने में उसका फोन रिंग होता है।



    वो मिहिर को देखते हुए जिन्स से अपना फोन निकालती है। "अक्षु?" नैना फोन पर फ़्लास हो रहे नाम को देखते हुए कहती है।


    फिर मिहिर को देखते हुए कॉल अटेंड करती है। "हाँ अक्षु क्या हुआ बोलो?"


    वो मिहिर को अभी भी गुस्से में देख रही पर अचानक अक्षिता की बात सुन उसके चेहरे पर घबराहट झलक उठती है। "क्या बोल रही हो तुम? क्या हुआ है अक्ष?" वो परेशान हो जाती है।


    "अच्छा अच्छा तुम रो मत मै आ रही हूँ बस आ रही।" नैना जल्दी से कॉल कट करती है।


    और मिहिर को देखती है जो समझने की कोशिश कर रहा था। "any problem? " वो नैना को घबराया हुआ पूछता है।


    "तुम हो ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है।" नैना कहती है और तुरंत वहा से निकल जाती है। मिहिर वाही खड़ा उसे देखता रह जाता है।

  • 20. Stubbornness of junoon. - Chapter 20

    Words: 1537

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे।

    "अक्षु!" नैना सामने हॉस्पिटल बेंच पर बैठी अक्षिता को देख दूर से कहती है।


    अक्षिता जो बैठी रो रही थी वो नैना को देख जल्दी से खड़ी होती है और उसके पास जाकर जल्दी से गले लग सुबक सुबक कर रोने लगती है।


    "अक्षु!" नैना अक्षिता की पीठ पर हाथ रख कहती है।


    "ब_बेबी मेरा अक्ष।" अक्षिता की पकड़ नैना पर कस जाती है उससे बोला नहीं जा रहा था वो हद से ज्यादा रो रही थी।


    नैना अक्षिता को खुद से दूर करती है और उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ कहती है। "क्या हुआ अक्ष को? कहा है वो?"


    अक्षिता नैना को रोते हुए देखती है और उसका हाथ वैसे ही पकड़े कहती है। "प_पता नहीं बस इतना प_पता है बेबी यहाँ है बेबी क_को कुछ हुआ कोई कुछ नहीं बता रहा।" अक्षिता बस रोये जा रही थी।


    नैना अक्षिता की हालत समझ रही थी अक्ष उसके लिए क्या था वो उसकी जान था। "शशश शांत रोना बंद करो। तुम तो अक्ष को किंदर गार्डन छोड़ने गई थी ना फिर?" नैना अक्षिता से पूछती है।


    अक्षिता हा में सर हिलाती है।"म_मै मेरी गलती है मेरी वजह से हुआ। मैने बेबी पर ध्यान नहीं दिया इसलिय बेबी स्टॉप से चला गया मैने बहुत ढूंढा।" अक्षिता रोते हुए नैना को सारी बाते बताने लगती है।


    नैना उसकी बाते चुप चाप और गोर से सुनती है और उसे अपने सीने से लगाती है। "अच्छा बस रोना बंद करो मै पता करती हूँ अक्ष कहा है।"



    "Verzeihung" (excause me. ) एक नर्स वहा पर आती है।


    नैना और अक्षिता एक दूसरे से दूर होते है और उस नर्स को देखने लगते है।


    "Sie haben nach Ihrem Sohn gefragt, richtig?" (आप अपने बेटे के बारे मे पूछ रही थी ना?) वो नर्स अक्षिता से कहती है।


    क्युकी अक्षिता जिसे जैसे ही पता चला था की नेक्स्ट स्टॉप पर किसी बच्चे का एक्सीडेंट हुआ है तब अक्षिता का दिल बैठ गया था और वो भागते हुए ही नेक्स्ट स्टॉप तक पहुंची थी। उसका का दिल बार बार यही दुआ कर रहा था की वो उसका अक्ष ना हो उसे कुछ ना हुआ हो।


    पर वो जैसे ही वहा पहुँचती है तो वहा कुछ लोग बाते कर रहे थे। अक्षिता अपने दिल को थामे उन सबकी बाते सुन रही थी वो यकीन नहीं करना चाहती थी। पर जब उसकी नज़र वाही सडक पर पड़े अक्ष के बैग पर नज़र जाती है तब वो पुरी तरह से टूट जाती है।


    वहा पर लोगो से पूछने पर पता चलता है की किसी कार से उसका एक्सीडेंट हुआ है और वो कार वाला उसे वहा मे पास वाले हॉस्पिटल लेकर गया। फिर क्या था अक्षिता का इतना सुनना था की वो बिना कुछ देखे समझे सोचे हॉस्पिटल के तरफ बढ़ गई थी। और उसने नैना को भी कॉल कर दिया था।


    और जब वो हॉस्पिटल आई तब उसने रिसेप्शन पर हर किसी से अक्ष के बारे मे पूछा पर किसी ने कुछ नहीं कहा सबका एक ही जवाब था ऐसा कोई नहीं आया है अक्ष नाम। वो हॉस्पिटल काफी बड़ा था वहा ना जाने कितनी बिल्डिंग और कितने रास्ते थे ऊपर से अक्षिता का दिमाग काम करना बंद कर चुका था।


    वो हद से ज्यादा घबराई हुई थी उसका पुरा शरीर कांपने लगा था। इसलिय वो अब वाही बैठ जाती है। और उस नर्स से उसने पूछा था जिसने अक्षिता की हालत देख उसे बैठने का बोल वहा से अक्ष के बारे में पूछने चली गई थी।



    उसकी बात सुन अक्षिता अपने आंसु पोछते हुए कहती है। "Ja, wo ist mein Aksh, geht es ihm gut?" (हाँ कहा है मेरा अक्ष वो ठीक तो है?) अक्षिता उस नर्स के सामने थी।


    वो नर्स जर्मन थी इसलिय अक्षिता उससे उसी भाषा मे बात कर रही थी।



    नर्स हाँ मे सर हिलाती है। "Ja, vor einiger Zeit kam ein Mann mit einem kleinen Kind, ich habe die Adresse herausgefunden. Er ist im zweiten Stock des VIP-Boards." (हाँ कुछ देर पहले एक आदमी छोटे से बच्चे को लेकर आय है मैने पता लगवाया है। वो VIP बोर्ड के सेकंड फ्लोर पर है।)


    नैना आगे आ कहती है। "Geht es ihm gut?"( वो ठीक तो है ना?)



    "Das Kind hatte einen Unfall, es ist viel Blut ausgetreten, es wird wahrscheinlich operiert?" (उस बच्चे का एक्सीडेंट हुआ काफी ज्यादा ब्लड निकला है उसका शायद ऑपरेशन हो रहा है?) नर्स को जितना पता था वो उन्हे बताती है।


    उसकी बात सुन अक्षिता को सदमा लगता है और वो दो कदम पीछे लड़खड़ा जाती है। "अक्षु!" नैना जल्दी से उसे पीछे से सम्भलती है।


    अक्षिता जिसके शरीर मे मानो जान ही नहीं थी। वो अपने सीने पर हाथ रख रोते हुए कहती है। "अक्ष मेरा बेबी।" उसके हाथ कांप रहे थे।


    नैना अक्षिता को सम्भल रही थी। "अक्षु प्लीज शांत हो जाओ हमारा अक्ष ठीक होगा तुम रोना बंद करो।" घबरा तो नैना भी गई थी पर अगर वो रोती तो अक्षिता और भी ज्यादा रोने लगती है।

    नैना की आँखे नम थी। वो अक्षिता को हौसला तो दे रही थी पर घबराई वो भी थी।




    "मेरे बेबी को कुछ होगा तो नहीं ना?" अक्षिता रोते हुए नैना को देखते हुए पूछती है। नैना अक्षिता को देखती है। "मेरा बेबी के अलावा कोई नहीं है। उसे कुछ हो गया तो मै मर जाउंगी।" अक्षिता रोते हुए अपने दिल को थामे हुए थी।


    "और तुम दोनो को कुछ हुआ तो मै मर जाउंगी मेरा तुम दोनो के अलावा कोई नहीं है।" नैना भावुक हो गई थी। उसके अक्षिता को पकड़ा हुआ था क्युकी अक्षिता बिल्कुल बेजान सी खड़ी थी। अगर नैना उसे छोड़ दे तो वो अभी फर्श पर गिर जाय।



    "अक्षु रोना बंद करो चाली हम अक्ष के पास चलते।" नैना अक्षिता को देखती है अक्षिता हिम्मत कर खुद के सहहरे पर खड़ी होती है और हाँ मे सर हिलाती है।


    "thank you so much. " नैना वाही खड़ी नर्स से कहती है। और अक्षिता के साथ वहा से निकल जाती है।


    कुछ ही मिनट मे नैना और अक्षिता भागते हुए second फ्लोर पर आते है वो पुरा VIP बोर्ड था इसलिय वहा ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहाँ यु कहे वो पुरा खाली थी। वो भागते हुए OT की तरफ बढ़ते है।



    इतने में एक नर्स उन्हे रोकते हुए कहती है। "Wohin geht ihr? Das ist der VIP-Bereich."(आप लोग कहा जा रहे है? ये VIP एरिया है।)


    "Mein Baby ist da drinnen, es ist schwer verletzt, ich möchte es kennenlernen." (मेरा बेबी अंदर है उसे बहुत चोट आई है मुझे उससे मिलना है।) अक्षिता तुरंत उस नर्स से कहती है।


    नर्स उसकी बात सुन कहती है। "Sie sind also die Mutter dieses Kindes?"(अच्छा तो आप उस बच्चे की माँ है?)


    उसकी बात सुन अक्षिता हाँ मे सर हिलाती है। "Bitte wartet einen Moment, drinnen läuft gerade seine Operation."(आप लोग थोड़ी देर इंतेज़ार कीजिये अभी अंदर उनका ऑपरेशन चल रहा है।)


    "ऑपरेशन?" अक्षिता और नैना दोनो का दिल बैठ जाता है इस शब्द को सुन उन दोनो बैचैन दिल ये सुन और बैचैन हो उठता है।


    "Was ist mit ihm passiert? Warum wurde er operiert?" (उसे क्या हुआ है? उसका ऑपरेशन क्यू?) नैना उससे पूछती है।


    नर्स दोनो को देखती है। "Sie wissen es nicht. Sein Vater hat Ihnen nicht erzählt, dass er einen Unfall hatte, bei dem er eine schwere Kopfverletzung erlitten hat. Er hat viel Blut verloren und wird deshalb operiert." (आपको नहीं पता उनके डेड ने आपको नहीं बताया की उनका एक्सीडेंट हुआ जिससे उनकी सर पर गहरी चोट आई है। ब्लड काफी निकल चुका है इसलिय उनका ऑपरेशन किया जा रहा है।)


    "डेड?" नैना उसकी बातो पर गोर कर उसका ध्यान एक ही शब्द पर रुक जाता है। वहा अक्षिता जो अब तक सदमे मे जा चुकी थी और वाही लगे बेंच पर बेजान होकर बैठ जाती है। उसकी आँखों मे आँसू थे पर वो बाहर नहीं आ रहे थे। शायद वो रोना चाहती थी पर रो नहीं पा रही थी।


    उसका ये सोच कर ही दिल बैठ गया था। की उसके अक्ष का एक्सीडेंट हुआ जिसे उसने आज तक एक खरोच नहीं आने दी आज उसका एक्सीडेंट हो गया वो भी उसकी लापरवाही की वजह से।


    और आज उसका ऑपरेशन हो रहा है? जिससे अक्षिता सबसे ज्यादा डरती है।



    "Tot, was hast du gesagt? Vielleicht hast du es falsch verstanden." (डेड क्या कहा आपने? शायद आपको कोई गलत फैल्मी हुई है।) नैना ना समझी के साथ उस नर्स से कहती है।



    नर्स उसकी बात पर ना मे सर हिलाती है। "Nein. Wir hatten keine Fehlgeburt, die ihn hierher gebracht hat. Er ist tot. Deshalb haben sie das Operationsformular ausgefüllt und die Vaterschaftsoption unterschrieben." (नहीं। हमें कोई गलत फैल्मी नहीं हुई है जो उसे यहाँ लाय वो उसके डेड ही है तभी तो उन्होंने ऑपरेशन फॉर्म को फिल किया और उन्होंने फादर वाले ऑप्शन पर साइन किया।)


    नर्स की बात सुन नैना को काफो हैरानी होती है। "ये कैसे हो सकता है?" उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी आखिर कौन हो सकता है जो अक्ष को यहा लाया।



    "Sehen Sie das? Und er hat ihr sogar sein Blut gespendet, weil sein Blut mit ihrem übereinstimmte."(ये देखिये? और उन्होंने तो अपना ब्लड भी दिया उन्हे क्युकी उनका ब्लड उनसे मैच हो गया था।)


    नर्स का इतना कहना था की नैना को समझ नहीं आता वो क्या कहे? वो तो हैरान थी नर्स की बाते सुन।