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Vampire king's forced bride

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Teena

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सारा, जो एक राजा की दासी से हुई बेटी थी, उसे एक समझौते के तहत वैंपायर किंग के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया। वैंपायर किंग, आरम्भ, जो अपनी पत्नियों को शादी की पहली रात मारने के लिए जाना जाता है, क्या सारा उसे अपने प्यार से जीत जाएगी? क्या सारा क...

Total Chapters (38)

Page 1 of 2

  • 1. Vampire king's forced bride - Chapter 1

    Words: 1621

    Estimated Reading Time: 10 min

    “यह शादी संपन्न हुई, और आज से आप तमोवर की महारानी हैं। शादी के रस्म के बाद आप तमोवर के रिवाज के मुताबिक अपने पति के सामने झुकेंगी और फिर उनके दोनों हाथों को चूमेंगी,” शादी करवा रहे पुजारी ने कुछ रटी-रटाई लाइनों को दोहराया। यह शादी तमोवर के शाही रीति रिवाजों के हिसाब से हो रही थी।

    उसकी बात को सुनकर आसपास के लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे। कुछ को उस पर दया आ रही थी, तो कुछ मुंह पर हाथ रख कर हंस रहे थे।

    वही दुल्हन बनी सारा ने नज़र उठाकर एक बार उन सब की तरफ देखा। शादी में शामिल हुए मेहमानों की आँखों और बाकी हाव-भाव से साफ़ हो रहा था कि वह सारा का मज़ाक उड़ा रहे हैं। शादी करवा रहे पुजारी की भी कुछ ऐसी ही हालत थी। आज तक उसने यह अनोखी शादी नहीं देखी थी।

    सारा ने भी नज़रें झुका ली थीं। उसकी शादी ज़रूर हो गई थी, लेकिन आख़िरी रस्म करने के लिए तो उसका पति मौजूद ही नहीं था। उसकी शादी तमोवर के राजा की तलवार के साथ हुई थी।

    सारा ने गहरी साँस ली। वह सबके सामने इस तरह खुद को शर्मिंदा नहीं होने दे सकती थी। उसने अपनी नज़रें उठाईं और उन सब की तरफ़ पूरे कॉन्फ़िडेंस के साथ मुस्कुरा कर देखा।

    उसके चेहरे पर स्माइल देखकर उसकी सौतेली बहन ने सिर हिलाकर अपने दूसरे भाई से कहा, “यह लड़की पागल हो गई है। यहाँ लोग इसकी इंसल्ट कर रहे हैं और यह ऐसे ज़ाहिर कर रही है, जैसे इसे कोई फ़र्क ही ना पड़ रहा हो।”

    “तुम इसे जज मत करो। इसे इस तरह सबका अपमान सहने की आदत है। शाही ख़ानदान के नाजायज़ बच्चे इसी दिन के लिए पाले जाते हैं, जब वह किसी समझौते के तहत अपने साम्राज्य के काम आ सकें।” उसके भाई ने उसे समझाया।

    वहीं पास में उनकी एक और बहन खड़ी हुई थी। वह बोली, “हाँ, इससे शादी के बाद हमारी पृथ्वनिक हमेशा के लिए उन लोगों से सुरक्षित हो जाएगी। बदले में छोटी-मोटी कुर्बानी दे दी जाए तो क्या फ़र्क पड़ता है।”

    हाँ, सारा की शादी एक समझौते के तहत हो रही थी, जिसके बाद उनका साम्राज्य पृथ्वनिक, तमोवर नामी साम्राज्य के ख़तरे से आज़ाद होने वाला था।

    इस शादी से हर कोई खुश था सिवाय सारा के। उसने एक नज़र अपनी इकलौती दोस्त हिना की तरफ़ देखा, जो उसकी उम्र की ही थी। हिना ने उसे आँखों-आँखों में तसल्ली दी, जिसके बाद सारा वहाँ मज़बूती से खड़ी थी।

    आज उसका 19वाँ जन्मदिन था, और पृथ्वनिक के कानून के हिसाब से वह आज एडल्ट हो गई थी। आज ही के दिन उसकी शादी हो गई थी। अचानक सारा के दिमाग़ में लगभग 10 दिन पुरानी यादें ताज़ा हो गई थीं,जब पहली बार उसे इस समझौते का पता चला था।

    सारा पृथ्वनिक के किंग वचन के दासी की बेटी थी। सारा अपने अस्तित्व से अच्छी तरह वाकिक थी कि वह बस एक रात की ग़लती थी और कुछ नहीं।

    सारा मुख्य महल में रहने के बजाय महल के आसपास बने छोटे घरों में से एक घर की तीसरी मंजिल पर रहती थी। उसकी घर के आसपास की जगहों पर राजा की बाकी नाजायज संताने रहती था।

    आज तक वह अपने पिता से कभी नहीं मिली थी, हाँ, दूर से उन्हें बहुत बार देखा था। वह हमेशा की तरह खोई हुई अपनी पेंटिंग करने में बिज़ी थी, तभी उसकी दोस्त हिना दौड़ते हुए उसके पास आई।

    “सारा... सारा तुम क्या कर रही हो? तुम यहाँ पेंटिंग करने में बिज़ी हो और वहाँ तुम्हारे पिताजी तुमसे मिलने के लिए आ रहे हैं। जल्दी से खुद का हुलिया सही करो, ऐसा लग रहा है जैसे तुम कोई कलर करने वाली मिस्त्री हो।” हिना ने उसे झिंझोड़ते हुए कहा।

    हिना ने एक नज़र सारा के चेहरे की तरफ़ देखा। उसके खूबसूरत गोरे चेहरे पर जगह-जगह रंग लगा हुआ था। उसकी सुनहरी चमकने वाली एम्बर आईज देखकर लगता था, मानो खुद सूरज उसकी आँखों में चमक रहा हो। छोटा-सा नाक और उस पर बराबर उभरे हुए खूबसूरत गुलाबी होंठ। अगर सारा महल की दासी की बेटी नहीं होती तो वह सब राजकुमारियों में सबसे खूबसूरत होती। परफ़ेक्ट फ़िगर, 5 फुट 4 इंच हाइट और सफ़ेद चमकता चेहरा, जिस पर उसके होठों के ऊपर एक तिल चार चाँद लगाता था।

    “तुम फिर से मेरे साथ मज़ाक करने के लिए आ गई। तुम्हें पता है कि मुझे उन्हें पिताजी तक कहने का हक़ नहीं है। वह भला मुझसे मिलने के लिए क्यों आएँगे? आज से पहले तो नहीं आए?” सारा ने अपनी सुनहरी आँखों से उसे घूरते हुए पूछा। उसके दोनों हाथ अपनी कमर पर थे।

    “मैं सच कह रही हूँ और उन्होंने ही मुझे तुम्हें तैयार रहने के लिए कहा है। जो अब तक नहीं हुआ, वह अब होने जा रहा है, पागल लड़की जाकर जल्दी से कपड़े बदलो।” हिना ने उसे पकड़ा और ज़बरदस्ती उसके कमरे में लेकर गई।

    सारा का कमरा बाकी राजकुमारियों की तरह नहीं था। वहाँ बस एक क्वीन साइज़ बेड, अलमारी और साइड में किताबों की शेल्फ़ बनी हुई थी।

    सारा ने अपनी अलमारी खोली। उसके पास कोई भी सुंदर महंगी ड्रेस नहीं थी, जिसे पहनकर वह अपने पिता के सामने जा सके। पिछले साल उसने एक ब्लू कलर का गाउन खरीदा था। सारा ने उसे ही पहन लिया। उसने जल्दी से अपना मुँह धोया और बालों को पीछे चोटी में बाँध दिया। उसके भूरे सुनहरे बालों की चोटी उसके कंधों से थोड़ी ही नीचे तक थी।

    सारा ने एक नज़र खुद को आईने में देखा और फिर कहा, “क्या उन्हें मुझसे कोई काम होगा? अचानक मेरी याद क्यों आई होगी? उम्मीद है, हिना ने उनके स्वागत की तैयारी कर ली होगी।”

    सारा वहाँ खड़ी राजा के आने का कारण सोच रही थी तभी एक दासी दौड़कर आई और उसे राजा के आने की बात बताई। महाराज वचन के आते ही सारा जल्दी से बाहर बने आँगन में चली गई।

    उसने एक नज़र राजा की तरफ देखा, जो उम्र में 50 के आसपास थे। उनके बाल भी सारा की तरह सुनहरे भूरे रंग के थे। बालों की पीछे चोटी बनी हुई थी और उनकी गहरी मूँछें उनके रौब का प्रतीक थीं।

    सारा ने मुस्कुरा कर उनके सामने अपनी गर्दन झुका ली। वचन चलकर उसके पास आया और सारा के बालों पर हाथ रखा।

    “कुछ ही दिनों में तुम्हारा जन्मदिन है, तुम व्यस्क होने वाली हो।” किंग ने कहा।

    सारा के आँखों के कोने में मुस्कुराहट तैर आई थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था किंग को उसका जन्मदिन याद था पर अगले ही पल उसकी मुस्कुराहट गायब हो गई।

    “अब तुम शादी लायक हो गई हो। तुम्हारे अंदर भले ही एक दासी का खून दौड़ रहा हो लेकिन तुम हमारी जिम्मेदारी हो। हमने तुम्हारी शादी तय कर दी है और जिस दिन तुम्हारा जन्मदिन है उसी दिन तुम्हारी शादी होगी।” किंग वचन ने बताया। इसी के साथ सारा और हिना दोनों ही समझ गए थे कि वह वहाँ क्यों आए होंगे।

    सारा मानो अपनी जगह पर जम-सी गई थी। उसे ऐसा हक़ नहीं चाहिए था। हिना ने उसके पीछे जाकर उसका हाथ पकड़ा ताकि सारा अपने गुस्से पर काबू रख सके।

    “तुम्हारे लिए एक गवर्नेंस रख दी जाएगी, जो तुम्हें एक राजकुमारियों की तरह रहना सिखाएगी। उसकी किसी भी बात को टालना मत और जल्द ही सीखना क्योंकि ज्यादा टाइम नहीं बचा है।” किंग ने अपनी आखरी लाइन भी बोल दी थी और फिर वहाँ से जाने लगा। वो उसी काम के लिए वहां आया था।

    अचानक सारा ने पीछे से तेज आवाज में कहा, “लेकिन मेरी शादी किससे हो रही है, मुझे यह जानने का हक़ है?”

    सारा ने पूछ तो लिया था लेकिन इस तरह जुबान लड़ाना किंग के साथ बदतमीजी मानी जाती थी। उसके पूछते ही हिना ने उसे आँखें दिखाई और चुप रहने का इशारा किया, तब तक किंग उसकी तरफ पलटे। उनकी आँखों में गहरे गुस्से के भाव थे।

    “तुम्हारी शादी हो रही है, तुम्हें पहले बता दिया है। तुम्हारा बस इतना ही हक था, उसके अलावा और कुछ नहीं।” किंग वचन ने सख़्ती से कहा।

    “माफ कीजिए पिताजी, मैं बस अपने होने वाले पति का नाम जानना चाहती हूं।” सारा ने इस बार थोड़ी दबी आवाज में कहा ताकि उसकी बातें बेअदबी ना लगे।

    “ठीक है मैं बता दूँगा लेकिन उससे क्या होगा, कौन सा तुम यहाँ आस-पास के सभी साम्राज्य और कुलीन परिवारों को जानती हो?” किंग वचन ने सिर हिलाकर कहा।

    सारा की नज़रें झुक गई थीं। उसने राजा से कुछ नहीं कहा लेकिन पढ़ाई करते वक्त उसने सभी आसपास के साम्राज्य और कुलीन परिवारों के नाम याद कर लिए थे ताकि कभी उनके सामने जाना पड़े तो वह उन्हें पहचान सके।

    राजा ने गहरी साँस ली और कहा, “तुम्हारी शादी तमोवर के किंग आरंभ के साथ तय की गई है।”

    राजा ने उसे नाम बताया और फिर वहाँ से चले गए तो वहीं तमोवर और आरंभ का नाम सुनकर सारा के चेहरे का रंग उड़ गया था। उसकी हालत इस वक्त ऐसी हो गई थी मानो काटो तो खून नहीं। वह रोते हुए जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई थी।

    हिना को उसके इस रवैये का कारण पता नहीं चला लेकिन तमोवर की सच्चाई क्या थी, यह सारा अच्छे से जानती थी।

    “व... वो मेरी शादी उनके साथ कैसे तय कर सकते हैं? अपने फायदे के लिए मुझे नीलाम करने जा रहे हैं? हर कोई जानता है कि तमोवर में इंसान नहीं, वैंपायर रहते हैं। वह मेरी शादी रक्त पीने वाले पिशाचों के राजा के साथ करने वाले हैं।” सारा ने मन ही मन कहा और इसी के साथ उसकी आँखों से आँसू का कतरा बह गया था।


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    हेलो रीडर्स,
    ये मेरी पहली कहानी है, ओर मुझे लिखने का ज्यादा एक्सपीरियंस भी नहीं है। उम्मीद है आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी। प्लीज आप मुझे फॉलो करे, और मुझे सपोर्ट करे। पढ़ने के बाद रेटिंग देकर कमेंट जरूर करें।

  • 2. Vampire king's forced bride - Chapter 2

    Words: 1563

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा के पिता महाराज वचन, जो आज तक उससे मिलने के लिए नहीं आए थे, वह अचानक आज सारा से मिलने उसके साधारण से घर में पहुंचे। हालांकि सारा उनकी ही बेटी थी, लेकिन आज वो पहली बार पिता से आमने-सामने मिल रही थी। जल्द ही सारा को उनके वहां आने का कारण पता चल गया था। वचन ने सारा की शादी तमोवर के किंग के साथ तय कर दी थी और उसके इस जन्मदिन पर उसकी शादी होने वाली थी।

    सारा ने किताबों के जरिए आसपास के साम्राज्य और उनके राजाओं के बारे में काफी कुछ पढ़ा था। तमोवर वैंपायर सिटी था। जैसे ही उसे पता चला कि उसकी शादी एक वैंपायर से होने वाली है, सारा अपने घुटनों के बल बैठकर रोने लगी थी।

    उसकी दोस्त हिना को उसके रोने का कारण नहीं समझ आया, वह सारा को शांत करवाते हुए बोली, “मैं जानती हूं कि अभी तुम बहुत छोटी हो, शादी की सही उम्र भी नहीं है, पर तुम्हारी शादी एक राजा के साथ होने वाली है, वह तुम्हें प्यार से रखेगा, तुम इन घुटन भरी दीवारों से बाहर निकल पाओगी, हमेशा से तुम्हारा सपना था कि तुम खुद ही हवा में सांस लो। सारा तुम्हारा सपना पूरा होने वाला है, फिर तुम रो क्यों रही हो।”

    सारा ने भीगी पलकों से हिना की तरफ देखा और ना में सिर हिला कर कहा, “क्योंकि मैं मरना नहीं चाहती हूं हिना।”

    हिना हैरानी से सारा की तरफ देखने लगी, उसे कुछ समझ नहीं आया। उसने सारा को समझाते हुए कहा, “सारा हर राजा क्रूर नहीं होता है। तुम्हें यह क्यों लगता है कि वह तुम्हारे साथ मारपीट करेगा?”

    “मेरे साथ मारपीट नहीं करेगा बल्कि जान से मार देगा। तमोवर में रात के राजा रहते हैं, रात के राजा किसे कहते हैं पता है ना... वैंपायर। तमोवर के लोग आम प्राणी नहीं है, वह वैंपायर हैं।” सारा ने सुबकते हुए हिना को बताया।

    हिना को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। सच में उसका बाप बहुत निर्दई और घटिया था। आज पहली बार अपनी बेटी से मिलने आया, तो भी एक सौदे के लिए, वह भी कोई आम सौदा नहीं। हमेशा से पृथ्वनिक और आसपास के क्षेत्रों पर वैंपायर का खतरा मंडराता रहता था, तो उन्होंने इस तरह उसे खतरे से निपटने का रास्ता निकाला था।

    “सब ठीक हो जाएगा सारा, वह तुम्हें नहीं मारेगा, तुम उसकी क्वीन बनने वाली हो।” इतनी मुश्किल परिस्थिति में भी हिना सारा को तसल्ली देने की कोशिश कर रही थी।

    सारा की मां उसे बचपन में ही इस दुनिया को छोड़कर चली गई थी, वहां रहने वाली सहेलियों और उसकी मां की सहेलियों ने उसे बड़ा किया। उसे कभी एक राजकुमारी के हक नहीं मिले थे फिर भी सारा को तसल्ली थी, पर आज उसके सारे सपने एक पल भर में टूट कर रह गए थे।

    सारा अपनी जिंदगी के बारे में सोच रही थी, पहले ही उसे राजकुमारी वाली जिंदगी ना मिली हो, लेकिन वह एक ऐसी लड़की थी जिसने अपनी जिंदगी को लेकर बहुत सपने देखे थे। हर एक कला और चीज को चाव से सीखा। वचन ने एक झटके में सारा के सारे सपनों को चूर-चूर कर दिया था, अब तो सारा को अपने सामने सिर्फ मौत दिखाई दे रही थी।

    सारा ने गहरी सांस ली और फिर हिना की तरफ देखा, वह जल्दी से बोली, “मुझे मरना नहीं है हिना, प्लीज मुझे यहां से बाहर निकाल दो, मुझे यहां से भगा दो, फिर कोई शादी नहीं होगी।”

    हिना इस बात का कोई जवाब देती, उससे पहले दो सैनिक वहां पहुंच चुके थे।

    इनमें से एक सैनिक तेज आवाज में बोला, “राजकुमारी, शादी हो जाने तक हम यहां आपकी सुरक्षा में तैनात हैं।”

    आज से पहले उसे किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी गई थी, मतलब साफ था कि राजा जानता था कि सारा इस शादी से इनकार कर देगी या भाग जाएगी, इसलिए उसने पहले ही वहां कड़ा पहरा लगा दिया था, अब सारा के पास बचने का कोई तरीका नहीं था।

    वहां कुछ दासियां भी पहुंच चुकी थी, उनमें से एक बोली, “राजकुमारी, आपको इस तरह जमीन पर नहीं बैठना चाहिए, अपने कमरे में जाकर आराम कीजिए, राजकुमारियों का सबके सामने खुलेआम रोना ठीक नहीं है।”

    सारा हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी, वह पहले भी उससे मिली थी और आज तक उसने उसे राजकुमारी कहकर नहीं बुलाया था, अचानक से ही सब उसे इज्जत देने लगे थे। हिना ने सारा को उठाया और उसके कमरे में लेकर चली गई थी, सारा के भागने के सारे रास्ते बंद हो गए थे, वह कमरे में काफी देर तक रोती रही और इसी तरह उसे नींद आ गई थी, सारा के जुबान पर बस एक ही नाम था कि वह मरना नहीं चाहती है।

    सारा के सो जाने के बाद हिना उसके कमरे के बाहर आई, तो कुछ नौकरानियां आपस में बात कर रही थीं।

    “वह आदमी सच में निर्दयी है, मुझे नहीं लगा था कि इतनी जल्दी शादी हो जाएगी।”

    “हां वह किसी और को भी चुन सकता था, लेकिन उसने जानबूझकर सारा को चुना क्योंकि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है, बेचारी की खूबसूरती उसके लिए अभिशाप बनकर रह गई।”

    उनकी बातें सुनकर हिना उनके पास जाकर बोली, “मुझे तो पहले से ही शक था कि उसका वह घटिया बाप उससे मिलने के लिए क्यों आ रहा है, मैं कुछ भी कहकर सारा का दिल नहीं दुखाना चाहती थी।”

    “गलती तुम्हारी भी है ना, तुम्हें उसे वह सब किताबें नहीं लाकर देनी चाहिए थी।” एक नौकरानी बोली।

    “मैं बस उसका दिल बहलाने चाहती थी, उसे किताबें पढ़ना पसंद है तो मुझे लगा कि वैंपायर और जादुई प्राणी उसे रोमांचित कर देंगे, बस यही सोचकर मैंने ऐसा किया पर मुझे कहां पता था कि एक दिन वह अपने होने वाले पति से ही डर जाएगी।” हिना ने सफाई दी।

    उन लोगों की आपसी बातचीत के बाद हिना सोने जा चुकी थी, अगली सुबह सारा की नींद टूटी, वह अभी भी उसे कल मिले झटके के बारे में भूली नहीं थी।

    सारा मायूस होकर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, तभी बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया। सारा ने जानबूझकर उठकर दरवाजा नहीं खोला था।

    उसके दरवाजा न खोलने पर बाहर से तेज आवाज आई, “राजकुमारी बाहर आइए। आपको सिखाने के लिए गवर्नेंस आ चुकी है, आपका इंतजार कर रही है।”

    सारा ने उनकी बातों को पूरी तरह अनदेखा कर दिया था, उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी कि वह किसी तरह की ट्रेनिंग ले, आज तक तो उसकी किसी ट्रेनिंग और पढ़ाई के बारे में नहीं सोचा गया था, आज जब उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा था तो अचानक उन्हें उनकी ट्रेनिंग की फिक्र सताने लगी।

    सारा करवट लेकर दूसाराी तरफ सो गई थी, लेकिन तभी अचानक वापस से फिर से एक तेज आवाज आई, “अगर आपने दरवाजा नहीं खोला तो हम महाराज को जाकर बता देंगे।”

    अब तक सारा उनकी बातों को अनसुना कर रही थी, लेकिन राजा के धमकी देने पर वह जल्दी से उठकर खड़ी हुई और बाहर निकली। वह लोग सारा को राजकुमारी जरूर बुला रहे थे, लेकिन उनकी आंखों में सारा के लिए कोई इज्जत नहीं थी, मजबूरी में सारा तैयार हुई और मुख्य महल में पहुंची, वहां एक बुजुर्ग महिला उसका इंतजार कर रही थी।

    सारा के आते ही वह उसे घूर कर देखने लगी, उसने सिर हिला कर कहा, “तो तुम हो वह, जो तमोवर की रानी बनने वाली है।”

    वह सारा को देखने लगी, उसका नाजुक शरीर और खूबसूरत त्वचा भले ही किसी वैम्पायर को अपनी तरफ आकर्षित कर दे, लेकिन वह उस भयानक जीव के सामने एक रात भी नहीं टिक सकती थी, ऊपर से उसकी शादी किसी आम वैम्पायर से नहीं बल्कि वैम्पायर किंग से होने वाली थी।

    “क्या तुम उनके बारे में कुछ जानती हो?” उस महिला ने पूछा।

    सारा ने बिना कुछ कहे ना में सिर हिला दिया था, उसे नहीं पता था कि सच में वैम्पायर किंग की पत्नी बनने के बाद उसे क्या करना था। वह एक आम शादी नहीं थी जहां अक्सर पति-पत्नी के बीच प्यार भरे रिश्ते बनते हो और दोनों एक दूसराे को खुश रखने की कोशिश करते हो।

    वो उसे वैम्पायर्स के बारे में बताने लगी, "रात के जीव वैसे नहीं होते, जैसे ज्यादातर बातों और किताबों में बताया गया है। वे दिन में भी बाहर घूम सकते हैं, लेकिन वे ठंडी जगहों में रहना पसंद करते हैं जहाँ सूरज ज़्यादा तेज़ न हो। वे हमारे जैसे ही खा सकते हैं, खेल सकते हैं, नाच सकते हैं, दौड़ सकते हैं — लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें खून भी चाहिए होता है। कई वैंपायर बोतलों में खून रखते हैं, जिन्हें सप्लीमेंट्स के साथ मिलाया जाता है ताकि वह सुरक्षित रहे। लेकिन ज़्यादातर शाही वैंपायर सीधे अपने शिकार से खून पीते हैं, और उनके लिए सबसे स्वादिष्ट व्यक्ति होती है — उनकी पत्नी!"

    उनकी आखिरी कुछ बातें सुनकर सारा की रूह काँप गई। इसका मतलब था कि वह सिर्फ उसके लिए एक चलती-फिरती खून की बोतल थी, जो अपने पति की प्यास बुझाने वाली थी।

    अब तक हिना की बातों ने उसे कुछ तसल्ली दे रखी थी कि उसका पति उसे प्यार से रखेगा। वह रानी बनेगी तो वह उसकी जान नहीं लेगा लेकिन उस बूढी महिला की बातों ने इस बात को साबित कर दिया था कि उसका काम क्या होने वाला है। वैंपायर को सबसे ज्यादा अपनी पत्नी का खून पीना पसंद था तो जरूर शादी की रात ही वह उसके साथ प्यार करने के बजाय उसका खून पीकर उसकी जान ले लेगा।

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  • 3. Vampire king's forced bride - Chapter 3

    Words: 1571

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा की शादी तय हो गई थी, लेकिन उसे तमोवर की महारानी के तौर पर तैयार करना भी ज़रूरी था। इसके लिए महाराज वचन ने उसके लिए एक गवर्नेंस का इंतज़ाम किया था, वह एक बुजुर्ग महिला थी। सारा का बिल्कुल मन नहीं था, फिर भी उसे जबरदस्ती ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। जब उस बुजुर्ग महिला ने सारा को देखा, तो उसे यही लगा कि वह लड़की एक दिन भी उनके आगे नहीं टिक पाएगी।

    उसके बाद वह बुजुर्ग महिला सारा को वैम्पायर के बारे में बताने लगी। जैसा बाकी लोग कहते थे, वे उनसे काफ़ी अलग होते थे। वैम्पायर को खून पीना पसंद होता था, खासकर अपनी पत्नी का। यह सुनते ही सारा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी।

    सारा के चेहरे का उड़ा हुआ रंग देखकर उस बुजुर्ग महिला ने कहा, "उन्हें खून के अलावा और भी चीज़ें पसंद हैं, जैसे खूबसूरत लड़कियाँ, खूबसूरत कपड़े, लेकिन वह कपड़े, जिनमें ज़्यादा से ज़्यादा शरीर दिखता हो। उन्हें अच्छा लगता है जब उनकी औरत उनकी हर बात मानती है। वह तेज़ आवाज़ में बात करना और ज़िद को बर्दाश्त नहीं करते हैं। सबसे पहले मैं तुम्हें उनके रहने-सहने और खाने-पीने के तौर-तरीके सिखाऊँगी।"

    उसी दिन से सारा की ट्रेनिंग शुरू हो गई थी। उसे खास यही सिखाया गया था कि उसे हर वक्त खूबसूरत लगना है, वरना वह कभी भी अपने पति का भोजन बन सकती थी। हालाँकि ट्रेनिंग के दौरान वह ज़्यादातर डर कर ही रहती थी और वह दिन आ ही गया था जब सारा का जन्मदिन था। उस दिन वह व्यस्क घोषित कर दी गई और उसी दिन उसकी शादी थी।

    शादी से पहले जब वह तैयार होने के लिए जा रही थी, तब उसका पिता उससे मिलने के लिए आया। वचन ने सारा के कंधे को सहलाते हुए शांति से कहा, "तुम्हें खुद पर गर्व होना चाहिए क्योंकि तुम हमारे साम्राज्य में सुरक्षा लेकर आ रही हो। आज तक हम उनके खतरे के साए में जी रहे थे, लेकिन अब वह खुद हमारी रक्षा करेंगे।"

    जवाब में बस सारा मुस्कुरा कर रह गई थी। उसके बाद वह हिना के साथ मुख्य महल में तैयार होने के लिए गई। वहाँ उसने अपने सौतेले भाई-बहनों को देखा। उसने कभी नहीं सोचा था कि उन सब के साथ उसकी पहली मुलाकात इस तरह होगी। उन सब की आँखों में उपहास के भाव थे।

    सारा के चेहरे पर नर्वसनेस देखकर हिना ने हल्के तरीके से कहा, "अगर तुम इसी तरह परेशान होती रही तो शादी में बदसूरत लगोगी।"

    "मुझे समझ नहीं आ रहा मैं उसका सामना कैसे करूँगी। क्या मैं तुम्हें अपने साथ ले जा सकती हूँ?" सारा ने अपनी बाजुओं को आपस में रगड़ते हुए कहा।

    उसके बाद सारा को तैयार करने के लिए ले जाया गया। वह उनके रीति-रिवाज़ के हिसाब से गहरे लाल रंग के इवनिंग गाउन में थी, जिसका ब्राइडल वेल काफ़ी लंबा था। उसे पहनने के लिए असली हीरे के गहने दिए गए थे। उसके बालों को सजाने के लिए सोने और हीरो से सजी हुई क्लिप लगाई गई थी। सारा बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    ऐसा नहीं था कि वही सिर्फ़ खूबसूरत लग रही थी। कहा जाता था कि वैम्पायर भी दिखने में बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन उनका स्वभाव बहुत रहस्यमई होता था। वे आसानी से किसी से मिलते नहीं थे। लोगों को यही गलतफहमी थी, वैंपायर्स खूंखार होते है। किसी ने उन्हें ठीक से देखा नहीं था, तो उनके लिए वो बदसूरत खून पीने वाले प्राणी थे।

    आज सारा के साथ-साथ बहुत से लोग आरंभ को पहली बार देखने का सोच रहे थे, लेकिन वह तो अपनी शादी तक में नहीं आया था और उसने अपनी तलवार भिजवा दी थी।

    "आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं, राजकुमारी।" उसे तैयार करने के बाद दासी ने कहा।

    सारा ने एक नज़र खुद को आईने में देखा। वह खूबसूरत लग रही थी, लेकिन फिर भी उसके चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी। एक राजकुमारी होने के तौर पर उसे हमेशा इतनी ही देखभाल और बाकी सब चीज़ें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन उसने एक दासी की तरह अपनी ज़िंदगी बिताई थी।

    "अब तो मुस्कुरा दो। एक राजकुमारी के चेहरे पर इस तरह चिंता अच्छी नहीं लगती, खासकर उस दिन जब उसकी शादी होने वाली हो।" हिना ने उसकी पीठ सहला कर कहा।

    सारा की आँखों में आँसू आ गए थे, जिसे देखकर उसे सजा रही नौकरानी ने जल्दी से पूछा, "क्या मैंने कोई कमी रख दी? आपको मेरा काम पसंद नहीं आया?"

    "सब ठीक है।" सारा ने जबरदस्ती मुस्कुरा कर जवाब दिया। उसे अजीब लग रहा था। ना जाने क्यों उस अनजान औरत को उसकी फ़िक्र हो रही थी, लेकिन फिर भी सारा आज आख़िरी बार इतने सारे इंसानों के बीच घिरी हुई थी। उसके बाद तो उसे वैम्पायर के साथ ही रहना था।

    सारा कुर्सी से उठ चुकी थी। गवर्नेंस उसके पास आई और बोली, "विवाह का समय हो रहा है, आपको चलना चाहिए।"

    "लेकिन पिताजी कहाँ हैं? क्या वह मुझे लेने के लिए नहीं आए?" सारा ने भारी आवाज़ में पूछा।

    रस्म के मुताबिक एक पिता ही अपनी बेटी को दुल्हन बनने के बाद दूल्हे के पास लेकर जाता था, लेकिन उसके पिता ने तो इतनी फ़ॉर्मेलिटी करना भी ज़रूरी नहीं समझा।

    "वह शादी में मेहमानों को देखने में व्यस्त हैं, आपको वहीं पर मिलेंगे।" गवर्नेंस ने जवाब दिया और फिर सारा का हाथ पकड़ कर उसे ले जाने लगी।

    सारा के पीछे काफ़ी सारी दासियाँ उसकी ड्रेस को संभालते हुए पीछे-पीछे आ रही थीं। जल्द ही सारा वेटिंग हॉल में पहुँच चुकी थी। यह वही दिन था जब सारा की शादी हो रही थी और अचानक सारा पुरानी यादों में खो गई थी। यहाँ आने पर सारा को पता चला कि आरंभ ने वहाँ खुद आने के बजाय अपनी तलवार को शादी के लिए भेज दिया था।

    उन सब की नज़रें सारा का मज़ाक उड़ा रही थीं। सारा ने अपनी ड्रेस का कोना पकड़ा और मन ही मन कहा, "वैम्पायर कहीं का, मर क्यों नहीं जाता! लेकिन वो तो मर नहीं सकता। अपनी ही शादी को भला कौन मिस करता है? बेवकूफ़ वैम्पायर।"

    अपने चेहरे पर मुस्कुराहट ओढ़े सारा मन ही मन आरंभ को गालियाँ दे रही थी। गवर्नेंस की ट्रेनिंग ने उसे थोड़ा स्ट्रांग कर दिया था। वह जानती थी कि वह मरने वाली है, लेकिन फिर भी वह एक इज़्ज़त की मौत मारना डिजर्व करती थी।

    इस बीच किंग वचन सारा के पास आए और उसका माथा चूमकर कहा, "तुम एक अच्छी रानी बनोगी और मेरी यही कामना है कि तुम एक खुशहाल जीवन जियो।"

    सारा को मन ही मन उनके आशीर्वाद पर हँसी आ रही थी। उसे मौत के मुँह में धकेल कर वह एक खुशहाल ज़िंदगी जीने का आशीर्वाद दे रहे थे। वह रानी थी, लेकिन उसका कोई अधिकार नहीं था। जल्द ही उसे विदा करने की तैयारी की जाने लगी। उसके भाई-बहन उसे देखकर बातें कर रहे थे।

    "चलो शर्त लगाते हैं, यह कितने दिन तक जिंदा रह पाएगी?" सारा की सबसे बड़ी बहन ने कहा।

    "कितने दिन? मुझे तो नहीं लगता कि यह महल भी पहुँच पाएगी। उससे पहले ही रास्ते में कोई ना कोई इसे मार देगा। देखना, यह अपने पति तक को नहीं देख पाएगी।" दूसरी बहन तिरछा मुस्कुराते हुए बोली।

    "मुझे तो इस की किस्मत पर अफ़सोस हो रहा है। जो भी हो, हमारी सौतली बहन खूबसूरत है, और उसे एक बदसूरत खून पीने वाला प्राणी कुछ ही देर में खा जाएगा।" उसका भाई बोला।

    "चलो जो भी हो, एक रात के लिए यह काफ़ी है।" उसके दूसरे भाई ने कहा।

    सारा जब वहाँ से जा रही थी, तब उनकी बातें उसके कानों में पड़ रही थीं। क्या भाई-बहन ऐसे होते हैं? वे तो उसके मरने पर शर्त लगा रहे थे। सारा उन्हें चिल्ला कर कहना चाहती थी, वो कोई रेस का घोड़ा नहीं है, जो वो उस पर दाव लगा रहे थे।

    जल्द ही सारा रथ के पास आ गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी परी कथा में आ गई हो। इतनी सुंदर चीज तो वहीं पर होती थी। सिर्फ़ एक शादी और एक रात के तमाशे के लिए इतना खूबसूरत रथ भेजा गया था, जिसके ऊपर हीरे-जवाहरात जड़े हुए थे।

    उन सब की आँखों में सारा के लिए दया का भाव था। ऐसा लग रहा था कि अब वे वापस उसे कभी नहीं देख पाएँगे और अगले दो-तीन दिनों में उसके मरने की ख़बर भी आ जाएगी। बड़े भारी मन से सारा रथ के अंदर जाकर बैठ गई थी। जैसे ही वह रथ उसके साम्राज्य की सीमा के पार जा रहा था, सारा का दिल बैठा जा रहा था।

    एक लंबी यात्रा करने के बाद वह तमोवर की सीमा में पहुँच चुकी थी। वह इलाका ठंडा था और चारों तरफ़ पेड़-पौधे बर्फ़ से ढके हुए थे। ठंड के मारे सारा खुद में ही सिमटने लगी थी। जल्द ही वह एक सफ़ेद महल के आगे खड़े थे। एक शानदार महल, जिसके बारे में सारा ने परियों की किताबों में देखा था।

    जैसे ही उनका कारवां महल के पास आया, बैंड बाजे बजने शुरू हो गए। सारा को ऐसा लग रहा था जैसे वे उसकी मौत का मातम मना रहे हों।

    उसके स्वागत में कुछ दास-दासियाँ आगे आए और वह उसके रथ से बाहर निकलने का इंतज़ार कर रहे थे। उनकी तरफ़ देखकर सारा ने मन ही मन कहा, "नहीं, मैं बाहर नहीं जाऊँगी। अगर मैं बाहर गई तो वे मुझे मार देंगे।"

    मरना तो उसे वैसे भी था, लेकिन सारा आख़िरी साँस तक मुक़ाबला करना चाहती थी और उसने यही सोचा था कि वह रथ से बाहर नहीं निकलेगी।

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  • 4. Vampire king's forced bride - Chapter 4

    Words: 1603

    Estimated Reading Time: 10 min

    आखिरकार सारा की शादी आरंभ के साथ हो ही गई थी, चाहे उसमें उसकी मर्ज़ी हो या नहीं। हर कोई उसे ऐसे विदा कर रहा था जैसे वह कोई बलि का बकरा हो। शादी के बाद सारा तमोवर पहुँच चुकी थी। महल में उसका भव्य स्वागत किया जा रहा था और हर किसी को उसके रथ से बाहर निकलने का इंतज़ार था।

    उन सब से अलग सारा को यह लगता था कि अगर वह रथ से बाहर निकली तो उसे मार दिया जाएगा। सारा ने बाहर निकालने के बजाय अंदर ही रहने का फ़ैसला किया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था।

    उन सब को सारा के बाहर निकलने का इंतज़ार था। सारा ने मन ही मन कहा, "अगर मैंने यहाँ से भागने की कोशिश की तो भी ये मुझे पकड़ लेंगे। महाराज ने काफ़ी अच्छी चाल चली है। रथ को रास्ते में कहीं भी नहीं रोका गया ताकि मैं अपनी जान बचाकर भाग न सकूँ और मुझे अंदर जाना ही पड़े।"

    सारा उनके अगले कदम का इंतज़ार कर रही थी। उसने रथ की खिड़की से बाहर झाँक कर देखा। नौकरानियाँ और नौकर बिल्कुल इंसानों की तरह लग रहे थे, बस उनकी आँखों में एक लाल चमक थी।

    "दिखने में तो बिल्कुल हमारी तरह लगते हैं। लेकिन ये खाना खाकर गुज़ारा नहीं कर सकते क्या, क्या ज़रूरत है इंसानों का खून पीने की?" सारा ने मन ही मन कहा।

    काफ़ी देर के बाद भी सारा बाहर नहीं निकली तो एक नौकरानी आगे आई और उसने दरवाज़ा खटखटाकर कहा, "राजकुमारी बाहर आइए, हम सब आपके स्वागत में तैयार खड़े हैं।"

    सारा ने कोई जवाब नहीं दिया और वह महल के अंदर की तरफ़ झाँक कर देखने लगी। पूरा रास्ता फूलों से सजाया हुआ था। अगर सच में उसका पति एक नॉर्मल इंसान होता तो उसके लिए यह सब किसी सपने से कम नहीं था। उन सब के चेहरों पर भले ही खुशी न दिखाई दे रही हो, लेकिन उन्होंने अपनी महारानी के स्वागत में बहुत अच्छी तैयारी की थी।

    "मरना तो मुझे वैसे भी है, तो क्यों न मैं उन लोगों से बदला लेकर जाऊँ जिन्होंने मुझे यहाँ मौत के मुँह में डाल दिया है। पृथ्वीनिक के लोग मुझे मौत के मुँह में डालकर खुशियाँ मना रहा है। देखना, बर्बाद हो जाएँगे वे लोग।" सारा ने गुस्से में बड़बड़ा कर धीरे से कहा।

    अभी भी वह खुद में लगी हुई थी तभी नौकरानी ने फिर से तेज़ आवाज़ में कहा, "क्या हुआ राजकुमारी, आप बाहर क्यों नहीं आ रही हैं?"

    जब नौकरानी ने सारा के चेहरे पर खिड़की के अंदर से मुस्कुराहट देखी तो वह चिढ़ गई थी। वह उन्हें एटीट्यूड दिखा रही थी, तो क्या वह खुद को उनकी सच में रानी समझने लगी थी, जबकि उसकी ज़िंदगी सिर्फ़ एक रात की ही थी।

    इस बार नौकरानी ने सख़्त लहजे में कहा, "बाहर आइए राजकुमारी सारा, हमारे किंग आपका इंतज़ार कर रहे हैं और उन्हें इंतज़ार करना पसंद नहीं है।"

    उसके गुस्से में बात करने पर सारा ने भी उसे बेपरवाही से देखा और तेज़ आवाज़ में कहा, "तो? मैं क्या करूँ?" उसे गुस्सा आने लगा था कि यहाँ के काम करने वाले भी उसके साथ अदब से बात नहीं कर रहे थे। उसने अपनी ज़िंदगी दाँव पर लगा दी थी, कम से कम वह इज्ज़त से बात करना तो डिज़र्व करती थी।

    सारा का जवाब सुनकर उन सब ने हैरानी से एक दूसरे की तरफ़ देखा। नौकरानी ने इस बार जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा, "आप बाहर आइए ताकि आप उनसे मिल सकें।" फिर वह धीरे से मन ही मन बड़बड़ाकर बोली, "उनसे मिलो तो सही, फिर उन्हें तुम्हारी इस बदतमीज़ी का पता चले और एक झटके में वह तुम्हारी जान ले लें।"

    "मुझे नहीं आना है।" सारा ने इस ज़िद के साथ जवाब दिया। वह अपने हाथों की अँगूठी के साथ खेल रही थी।

    "क्या हमसे कोई गलती हो गई है जो आप हमारे साथ नहीं जाना चाहती हैं?" उसने पूछा।

    बाकी सब लोग आपस में फुसफुसा कर बात करने लगे थे कि यह लड़की सच में पागल हो गई है। एक इंसान का एक वैम्पायर के साथ शादी करना थोड़ा अजीब था, लेकिन इस लड़की ने जल्दी ही अपने मानसिक संतुलन तक को खो दिया था।

    "कोई कमी नहीं रही है, लेकिन मुझे तुम्हारे साथ महल के अंदर नहीं जाना है।" सारा ने जवाब दिया।

    वह नौकरानी आगे कुछ कहती तभी एक दूसरी नौकरानी आगे चलकर आई, उसका नाम काया था। काया को सारा के लिए ही रखा गया था।

    "और आप हमारे साथ क्यों नहीं चलना चाहती हैं राजकुमारी?" काया ने आगे जाकर हैरानी जताते हुए पूछा।

    "क्योंकि मेरी शादी तुम लोगों से नहीं हुई है, तो मैं तुम लोगों के साथ क्यों जाऊँ?" सारा ने पूरी हिम्मत करके जवाब दिया।

    उसकी बात को समझते हुए काया धीरे से मुस्कुराई और उसे ऐसे समझाने लगी जैसे वह कोई बच्ची हो। वह थोड़ा प्यार से बोली, "तो आप किंग से मिलना चाहती हैं, लेकिन हम आपको इसीलिए तो लेने आए हैं, आप बाहर आएगी तभी तो हम आपको किंग के पास लेकर चलेंगे।"

    "अगर वह मुझसे मिलना चाहते हैं तो मुझे खुद लेने के लिए क्यों नहीं आए? मैं यहाँ से बाहर नहीं निकलूंगी जब तक तुम्हारे किंग मुझे खुद लेने के लिए नहीं आएंगे।" सारा ने ज़िद पर अड़ते हुए जवाब दिया और खिड़की पर पर्दे लगा लिए थे। वह जानती थी कि उसकी इस हरकत के लिए वे सब उसे मूर्ख समझ रहे थे या उन्हें लग रहा था कि वह पागल हो गई है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था।

    सारा की तलवार के साथ शादी होने पर सब लोग उसका मज़ाक बना रहे थे, लेकिन अब वह यहाँ अपना मज़ाक नहीं बनने दे सकती थी। मरना तो उसे वैसे भी था, लेकिन अंदर तो वह राजा के साथ ही जाने वाली थी।

    "क्या यह लड़की पागल है? क्या अपने होने वाले पति के बारे में नहीं जानती है? वह एक सनकी बादशाह है। रात का राजा और हमारे क्लेन का सबसे पावरफुल वैम्पायर। वह इसे लेने के लिए क्यों आएँगे?" एक सैनिक ने गुस्से में बड़बड़ा कर कहा।

    उसने गहरी साँस ली। अगर सारा अगली कुछ देर में आरंभ के पास नहीं गई तो आरंभ उन सबको मार देता।

    "बस मैं अब यह और नहीं होने दे सकता हूँ। यह खुद तो मरना चाहती है, लेकिन साथ में हमें भी घसीट रही है। अगर यह बाहर नहीं आएगी तो मैं इसे खींचते हुए किंग के पास लेकर जाऊँगा।" एक सैनिक ने गुस्से में भड़कते हुए बाकी सैनिकों से कहा।

    सारा तो वैसे भी मरने वाली थी, फिर वह बेवजह उन्हें क्यों मौत के मुँह में घसीट रही थी। हर कोई उसकी बात से सहमत था। वह सैनिक गुस्से में सारा के रथ की तरफ़ बढ़ रहा था तभी अचानक खिड़की के पर्दे खुले। उन सब को लगा कि सारा को अकल आ गई है और वह बाहर निकलने के लिए तैयार है।

    लेकिन तभी सारा बोली, "और हाँ, उन्हें बोल देना कि मुझसे मिलने आए तो मेरे कपड़ों से मैच करते हुए कपड़े पहन कर आएँ।"

    वे सब लाचारी से एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे थे। वह लड़की सच में पागल हो गई थी जो अपने साथ-साथ उन्हें भी मारने का प्लान बना बैठी थी।

    काया आगे आई और उसे समझाते हुए बोली, "राजकुमारी बच्चों की तरह ज़िद मत कीजिए। अगर किंग को आपकी इस हरकत पर का पता चला तो वह गुस्सा हो जाएँगे और गुस्से में वह सबको मार भी सकते हैं।" काया ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन सारा तो सुनने के लिए जैसे तैयार ही नहीं थी।

    "ठीक है, मेरी डिमांड अभी खत्म नहीं हुई है, पूरा सुन तो लो।" सारा बोली तो उन सब का दिल डर के धक-धक करने लगा था। वे यही सोच रहे थे कि न जाने यह बेवकूफ़ लड़की आगे क्या डिमांड करने वाली थी।

    हालाँकि सिर्फ़ वही नहीं डरे हुए थे, सारा को भी बहुत डर लग रहा था। उसके हाथ पसीने से भीग गए थे। इतनी ठंड में भी उसके चेहरे पर भी पसीने की बूँदें आई थीं। वह थोड़ा काँप रही थी, लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी। अगर वह अब हार मान लेती तो खुद को कभी नहीं बचा पाती। जबकि उसे ट्रेनिंग के दौरान यही सिखाया गया था कि वैम्पायर को आज्ञाकारी लड़कियाँ पसंद हैं, पर यहाँ तो सारा सब कुछ उल्टा ही कर रही थी।

    "जब वे आएँ तो उन्हें कहना कि साथ में एक अँगूठी लेकर आएँ और मुझे पहनाकर यह वादा करें कि वे मेरी रक्षा करेंगे, मुझे हमेशा प्यार करेंगे और किसी और लड़की की तरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखेंगे।" सारा ने अपने डर को काबू करके अपने दिल की बात उन सबके सामने रख दी।

    सारा की आख़िरी डिमांड तो उन सबको और भी हैरान कर रही थी। सब जानते थे कि वैम्पायर को औरतों और खून से कितना प्यार होता था। वे कभी एक औरत के साथ नहीं रह पाते थे। ऊपर से उनके किंग के लिए तो कोई भी रूल नहीं थे। वे कभी नहीं मर सकते थे, फिर एक औरत के साथ पूरी ज़िंदगी कैसे बिता सकते थे, खासकर जब वह इंसान हो। उनके किंग को तो एक साथ कई सारी पत्नियाँ तक रखने की इजाज़त थी।

    सभी लोग सारा के इस डिमांड को सुनकर हैरान परेशान खड़े थे। न तो वह बाहर आ रही थी ऊपर से वह जो कुछ भी माँग कर रही थी उनमें से किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह जाकर आरंभ को इस बारे में बता सके।

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    क्या सारा की बेवकूफी उसे मौत के मुंह धकेल देगी, या आरंभ देगा उसकी इस गुस्ताखी की सजा? कैसी रहेगी, आरम्भ और सारा की पहली मुलाकात, लेट्स सी इन another chapter, please follow my account and review after reading. I'm new here, so support me .

  • 5. Vampire king's forced bride - Chapter 5

    Words: 1569

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा की शादी तमोवर के राजा आरंभ के साथ हो चुकी थी, हालाँकि शादी के लिए आरंभ खुद आने के बजाय उसने अपनी तलवार भेजी थी। अब सारा एक रथ के अंदर आरंभ के महल के आगे खड़ी हुई थी। वहाँ काम करने वाले दास-दासियाँ और सैनिक सारा को अंदर जाने के लिए मना रहे थे, लेकिन सारा ज़िद पर अड़ी थी। वह यही चाहती थी कि आरंभ उसे खुद लेने के लिए आए। सारा की डिमांड्स बढ़ती ही जा रही थीं, पहले उसने आरंभ को मैचिंग के कपड़े पहन कर आने को कहा, तो बाद में वह ज़िद करने लगी कि आरंभ उसके लिए अंगूठी लेकर आए और साथ ही उसे वादा करे कि वह हमेशा उसके प्रति वफ़ादार रहेगा।

    सारा की डिमांड सुनकर वे सब लाचारी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे, उनमें से किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह जाकर आरंभ को खुलकर सब कुछ बता सके।

    उनके कोई भी जवाब न देने पर सारा तिरस्कार भरे स्वर में बोली, “तुम लोग किसी काम के नहीं हो! तुम्हारे किंग तुम्हें काम करने के पैसे देते भी हैं या नहीं? जो मेरे इतने कहने के बावजूद तुम सब यहाँ पर खड़े हुए हो।”

    सारा की बात सुनकर उन सबको होश आया था। उनके चेहरे सफेद पड़ गए थे, जिससे साफ़ था कि उन्हें आरंभ का कितना डर था। नौकरानियाँ उसके आगे लाचार हो चुकी थीं, फिर उन्होंने सैनिकों की तरफ देखा। उनमें से मुख्य सैनिक ही अब कुछ कह सकता था। जब सारा को गवर्नेंस ने ट्रेनिंग दी थी, तब उसने बताया था कि वहाँ हर एक वैम्पायर की रैंक के हिसाब से उनकी यूनिफॉर्म होती थी।

    मुख्य सैनिक की गहरी नीली यूनिफॉर्म के ऊपर कई मेडल लगे हुए थे। अब सबको उसी से उम्मीद थी। वह गुस्से में पैर पटकते हुए आगे आया और बोला, “तुमने हमारे किंग के साथ शादी ज़रूर की है, लेकिन मत भूलो कि तुम एक इंसान हो। तुम्हारा ओहदा कितना भी बड़ा हो, लेकिन यहाँ काम करने वाली नौकरानी तक तुमसे ज़्यादा ख़ास है। तुम पागल हो गई हो, लेकिन हम नहीं! हम तुम्हारी मूर्खतापूर्ण माँग को किंग के आगे नहीं रखेंगे।”

    उसे लगा कि उसके इतना कहने पर सारा डर जाएगी, लेकिन सारा ने हिम्मत के साथ तेज़ आवाज़ में कहा, “लेकिन तुम्हारे किंग ने एक नौकरानी से तो शादी नहीं की है ना! मुझसे शादी की है, क्योंकि मैं ख़ास हूँ। तुम लोगों को बिल्कुल भी तमीज़ नहीं है और ना ही तुम्हें डिसिप्लिन में रहना आता है। एक बार मुझे तुम्हारे किंग से मिलने दो, मैं अच्छे से उन्हें समझाऊँगी कि अपने यहाँ काम करने वाले लोगों को कैसे कंट्रोल में रखा जाता है। अब मुझे सीधे-सीधे बताओ कि तुम अंदर जा रहे हो या नहीं?”

    सारा अभी भी बिल्कुल बेबाक थी। वह वैम्पायर बस दाँत पीसता रह गया। सारा जैसी मामूली लड़की ने इतने लोगों के सामने उसकी बेइज्ज़ती की थी, जबकि वह उनके एक वक़्त के खाने के अलावा और कुछ नहीं थी।

    सैनिक अपनी बेइज्ज़ती बर्दाश्त नहीं कर पाया। वह मन ही मन बोला, “अगर तुम शर्मनाक और जल्दी मौत चाहती हो, तो मैं सुनिश्चित करूँगा कि तुम्हें बदतर मौत मिले।” उसकी आँखों में गुस्से की लाल चमक चमक रही थी और वह सारा से बोला, “ठीक है, मैं अंदर जाकर उन्हें सब बताता हूँ।”

    इतना कहकर जैसे ही वह अंदर जाने के लिए मुड़ा, उसे अपने सामने आरंभ का मुख्य सहायक रक्षित दिखाई दिया। रक्षित को देखते ही उसने अपना सिर तुरंत झुका लिया था।

    “सर, आपको आने की क्या ज़रूरत थी? हम बस अभी आ ही रहे थे।” सैनिक ने सर झुका कर कहा, लेकिन रक्षित ने तो एक नज़र उसकी तरफ़ देखा तक नहीं।

    रक्षित की आँखों में हल्के गुस्से के भाव थे। उसकी उपस्थिति उन सब के अंदर एक डर पैदा कर रही थी और सब नज़रें झुकाकर खड़े हो गए थे। सारा ने भी एक नज़र उसकी तरफ देखा, तो वह हल्का सा काँप गई थी।

    रक्षित ने गहरी साँस ली और सख़्त आवाज़ में कहा, “क्या चल रहा है यहाँ पर? तुम लोग अभी राजकुमारी को लेकर अंदर क्यों नहीं आए हो?” उन्हें डाँटते हुए, रक्षित अपने क़दम रथ की तरफ़ बढ़ाते हुए सारा से बोला, “क्या आपको किसी तरह की परेशानी है राजकुमारी?” उसकी आवाज़ गहरी थी, उसमें एक ठहराव था।

    “हाँ, मुझे परेशानी है! मैं कब से इन लोगों को कुछ कहे जा रही हूँ, लेकिन कोई मेरी सुन ही नहीं रहा है।” सारा ने खुद को मज़बूत करके जवाब दिया, मानो उसे रक्षित की मौजूदगी से कोई असर ही ना पड़ रहा हो।

    सारा की बात सुनकर रक्षित ने उन सब की तरफ़ गुस्से में देखा और तेज़ आवाज़ में कहा, “आखिर चल क्या रहा है यहाँ पर? अगर राजकुमारी कुछ चाहती है, तो वह उन्हें दिया क्यों नहीं गया? तुम लोग जानते हो ना कि वह यहाँ की नई रानी है।”

    सारा ने रक्षित के शब्दों पर ग़ौर किया। उसके चेहरे पर हल्के हैरानी के भाव उभर रहे थे। उसने तुरंत पूछा, “नई रानी से आपका क्या मतलब है? क्या पहले भी कोई और रानी है यहाँ पर?” एक पल के लिए उसका दिल काँप गया था। ऐसे भी वह घबराई हुई थी, ऊपर से किसी और रानी के होने का सुनकर सारा ओर घबरा गई थी।

    उसका सवाल सुनकर रक्षित के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट थी। सारा ने वापस पूछा, “मुझे यही कहा गया था कि उनकी कोई रानी नहीं है। क्या मैं उनकी इकलौती रानी नहीं हूँ?”

    “बेशक आप है राजकुमारी, क्योंकि पहली तीन पत्नियाँ मर चुकी है।” रक्षित ने जवाब दिया।

    सारा आगे कुछ नहीं बोली, हाँ उसकी आँखें ज़रूर डर से बड़ी हो गई थीं। रक्षित फिर काया की तरफ़ पलटा और बोला, “मुझे बताओ हमारी नई रानी क्या चाहती है?”

    “वह यह चाहती है कि किंग यहाँ खुद उन्हें लेने के लिए आए। उनके कपड़े भी रानी के कपड़ों से मैच करते हुए होने चाहिए। वह एक रिंग की भी डिमांड कर रही है और साथ ही कुछ वादों की भी।” काया ने नज़रें झुका कर दक्षित को सब कुछ बता दिया था।

    रक्षित के चेहरे पर एक प्लेफुल स्माइल थी। उसने हाँ में सिर हिला कर कहा, “ठीक है, मैं महाराज से बात करने जा रहा हूँ और उन्हें खुद बताता हूँ कि हमारी नई रानी की क्या डिमांड है।”

    उसके बाद रक्षित ने आगे कुछ नहीं कहा। उसके क़दम सीधे महल के अंदर बढ़ रहे थे, वहीं बाहर मौजूद लोग आपस में फुसफुसा कर बातें करने लगे।

    “बहुत घमंड दिखा रही थी ना यह! अब अकल आएगी इसे। इसे लगता है कि हमारे महाराज इसकी तरह मामूली इंसान है जो इस जैसी लड़की का स्वागत करने के लिए खुद आएँगे।”

    “मैं तो यह सोच रहा हूँ कि इसे जेल में डाला जाएगा या महाराज आकर सीधा इसका गला घोंटेंगे।”

    “मुझे लगता है वह पहले अपनी प्यास बुझाना चाहेंगे। शाही ख़ून काफ़ी स्वादिष्ट होता है, वह इसे इस तरह से जाया नहीं करना चाहेंगे।”

    “मुझे तो हैरानी हो रही है कि सर रक्षित इसको देखने के लिए यहाँ पर आए थे। क्या फर्क पड़ता है यह अंदर जाती है या नहीं।”

    “खैर बातें बनाना छोड़ो, यही सही मौका है। शर्त लगाते हैं और कुछ पैसे बनाते हैं। क्या कहते हो इसकी मौत आसान होगी या मुश्किल? या कितने घंटे यह जिंदा रह पाएगी?”

    उन सबके बातें करने की आवाज़ सारा के कानों में पढ़ रही थी। वह लोग कितने बुरे थे जो उसकी मौत पर शर्त लगा रहे थे। थोड़ी देर पहले शादी के वक़्त सारा के भाई-बहन भी ऐसा ही कुछ कर रहे थे। यह सब देखकर सारा का दिल कड़वाहट से भर आया था।

    वहीं दूसरी तरफ़ अंदर एक अंधेरे कमरे में आरंभ एक बड़े से सिंहासन के ऊपर बैठा हुआ था। उसके आसपास कुछ लोग थे।

    एक बूढ़ा आदमी उसके सामने खड़ा हुआ था, जिसकी नज़रें झुकी हुई थीं।

    “महाराज, आपको खुद शादी करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। आप चाहते तो अपने किसी आदमी से उस लड़की की शादी करवा सकते थे, लेकिन हमें ख़ुशी है कि आपने व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़कर उस लड़की से शादी की।” बूढ़ा आदमी बोला।

    उसकी आवाज़ सुनकर पास में ही एक छोटे सिंहासन पर एक औरत बैठी हुई थी, जो जबरदस्ती मुस्कुराते हुए खा जाने वाली निगाहों से देख रही थी। उसने काले और लाल रंग का पारंपरिक इवनिंग गाउन पहना हुआ था और हाथ में रेड वाइन का गिलास पकड़ा हुआ था, जिसके अंदर खून मिलाया हुआ था।

    आरंभ ने उसकी बात का कोई ख़ास जवाब नहीं दिया। वह उसे बोरियत भरी नज़रों से देख रहा था।

    “आपने शाही लड़की से शादी की है, तो अब आपको काउंसिल का हिस्सा बनने की इजाज़त मिल जाएगी।” बूढ़ा आदमी आगे बोला।

    आरंभ उसकी बात का कोई जवाब देता उससे पहले उन्हें कदमों की आहट सुनाई दी। रक्षित अंदर आ रहा था, लेकिन उसे अकेले अंदर देखकर वह सब हैरानी से उसकी तरफ़ देखने लगे। रक्षित कभी अपने काम को अधूरा छोड़कर नहीं आया था।

    रक्षित ने एक नज़र आरंभ की तरफ़ देखा और फिर सीधा उसके पास जाकर उसके कान में बिल्कुल धीमी आवाज़ में कुछ बोला। उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि आसपास मौजूद लोगों के पास शक्तियाँ होने के बावजूद वह उसकी बात नहीं सुन पाए थे। वहीं रक्षित ने जो भी बताया उसे सुनने के बाद आरंभ के चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट थी और उसकी बोरियत भरी आँखों में एक चमक आ गई थी।

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    तो रक्षित ने आरंभ को सब बता दिया है, देखते हैं आरंभ क्या करता है? चलिए, आप पढ़कर समीक्षा कर दीजिए। अगले चैप्टर पर मिलते हैं।

  • 6. Vampire king's forced bride - Chapter 6

    Words: 1595

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरंभ ने सारा को लाने के लिए अपने मुख्य सहायक रक्षित को बाहर भेजा था। बाहर आने पर रक्षित को सारा की डिमांड के बारे में पता चला। किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह सारा की माँगों के बारे में जाकर आरंभ से कह सके, लेकिन रक्षित इस बारे में बताने के लिए आरंभ के पास गया। जैसे ही रक्षित ने आरंभ को सब कुछ बताया, उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कराहट थी। उसके दिमाग़ में काफ़ी कुछ चलने लगा था।

    रक्षित के अचानक वहाँ आने और इस तरह धीरे से अपने मालिक के कान में कुछ कहने पर बूढ़े आदमी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थीं।

    “क्या हुआ? कोई समस्या आन पड़ी है क्या?” वह चिंतित स्वर में बोला।

    “ऐसा कुछ नहीं है, बस मैं थोड़ी देर में आता हूँ।” इतना कह कर आरंभ अपने सिंहासन से उठा और अपने क़दम बाहर की तरफ़ बढ़ाने लगा।

    उसके पीछे-पीछे रक्षित भी आ रहा था। वह आरंभ की इस स्माइल का मतलब अच्छे से समझता था। आरंभ सीढ़ियाँ उतरते हुए अपने कमरे की तरफ़ जा रहा था। रास्ते में काफ़ी सारी नौकरानियाँ और सैनिक सुरक्षा के लिए खड़े हुए थे। जैसे-जैसे आरंभ उनके पास में आ रहा था, वे अपने सर झुका रहे थे। आरंभ सीधा अपने कमरे में गया।

    वहाँ जाते ही वह एक नौकरानी से बोला, “जाओ, मेरे लिए वह सूट लेकर आओ, जो शादी के लिए डिज़ाइन किया गया था।”

    आरंभ का आदेश सुनकर वह हैरानी से उसकी तरफ़ देखने लगी। अचानक उनका मालिक शादी में दिलचस्पी क्यों ले रहा था? लेकिन वह कुछ कह भी नहीं सकती थी। वह सनकी बादशाह था। उसके पास इतनी शक्तियाँ थीं कि वह एक वैम्पायर को भी ख़त्म कर सकता था।

    जल्दी उसके लिए शादी के दिन के लिए डिज़ाइन किया गया सूट लाया गया। आरंभ ने कपड़े बदले। एक नौकरानी उसे जैकेट पहना रही थी, तो दूसरी उसके जूतों के फीते बांध रही थी। तैयार होने के बाद आरंभ ने खुद को आईने में देखा। वह बिल्कुल किसी दूल्हे की तरह तैयार हुआ था, फिर उसने अलमारी में से एक काला डिब्बा निकाला, जिसमें अंगूठी थी। उसे देखकर वह हँस पड़ा था। उसकी हँसी आसपास खड़े लोगों में डर पैदा कर रही थी।

    आरंभ जैसे ही कमरे से बाहर निकला, रक्षित उसकी तरफ़ हैरानी से देखने लगा। वह जानता था कि आरंभ को नई चुनौतियाँ और उलझी सीधी चीज़ें करने में बहुत मज़ा आता था, पर वह नहीं जानता था कि सारा को लाने के चैलेंज में वह खुद को दुल्हा ही बना लेगा।

    उसके बाद आरंभ अपने क़दम बाहर बढ़ाने लगा। रक्षित उसकी स्पीड को मैच करते हुए पास में चल रहा था।

    आरंभ ने चलते हुए पूछा, “क्या और कोई डिमांड रखी उसने? सिर्फ़ कपड़े ही मैचिंग के चाहिए और साथ में अंगूठी, और कुछ तो नहीं बोला ना उसने?”

    “उसे एक वादा चाहिए। उसे अंगूठी पहनाते वक़्त यह वादा चाहिए कि आप हमेशा उसके लिए वफ़ादार रहेंगे, उसके अलावा किसी और लड़की की तरफ़ देखेंगे तक नहीं और उसे हमेशा प्यार करेंगे, उसकी रक्षा करेंगे।” रक्षित ने सारा के शब्दों को ज्यों का त्यों बता दिया।

    आरंभ ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सर हिला कर रह गया था। वही सारा बाहर अभी भी रथ के अंदर बैठी हुई थी। उसके आसपास के दास-दासियाँ वहाँ पर थककर नीचे बैठ गए थे। उनके दिल घबराहट के मारे ज़ोर से धड़क रहे थे। सारा रथ के अंदर थी। उसकी भी हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी। अगर उसने अपनी घबराहट पर क़ाबू नहीं पाया होता, तो थोड़ी ही देर में वह भी उन्हीं की तरह बेहोश होकर रथ के अंदर गिरी मिलती।

    सारा की नज़रें दरवाज़े पर टिकी हुई थीं। उसने मन ही मन कहा, “गवर्नेंस ने बताया था कि वैम्पायर में बहुत ताक़त होती है। वह तो किसी पेड़ को भी उखाड़ कर फेंक देते हैं। अगर आते ही उसने मेरे गाल पर थप्पड़ लगाया तो क्या होगा? मैंने क्या ज़्यादा ही ज़िद कर दी? क्या सच में वह सबके सामने मेरी जान ले लेगा? यह सब तो इसी बात का इंतज़ार कर रहे हैं। इससे ज़्यादा अपमान आज से पहले मैंने कभी नहीं सहा था।” सारा अपने गाल पर हाथ लगाए खुद से बड़बड़ा रही थी।

    तभी उसने देखा अंदर महल की सीढ़ियों से एक ख़ूबसूरत लेकिन बदमिज़ाज सा वैम्पायर चलकर आ रहा था। उसके कपड़े देखकर सारा की आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं। आरंभ ने ब्लैक शाही सूट पहना था, जिसके अंदर का शर्ट सारा से मैच कर रहा था। उसके चेहरे पर एक घमंड भरी मुस्कराहट थी।

    सारा अपनी गर्दन टेढ़ी करके आरंभ को खोई हुई निगाहों से देख रही थी। उसने खोए हुए अंदाज़ में कहा, “किसने कहा कि वैम्पायर बदसूरत होते हैं? मैंने आज तक इस से ख़ूबसूरत आदमी नहीं देखा। आदमी तो मैंने पहले भी नहीं देखे थे, लेकिन तस्वीरों में भी इससे ख़ूबसूरत आदमी नहीं हो सकता। यह वैम्पायर थोड़ी ना है, यह तो कोई देवता लग रहा है या कहीं का राजकुमार।”

    आरंभ की हाइट लगभग 6 फुट के करीब थी। बिल्कुल फिट बॉडी और गहरी काली आँखें, जिन में हल्की लाल चमक थी। दूध सा सुंदर शरीर। जैसा उसने किताबों में पढ़ा था, वैसे उसके दाँत भी बाहर नहीं निकले हुए थे। वह चलता फिरता ग्रीक गॉड नज़र आ रहा था।

    जैसे-जैसे आरंभ चलकर सारा के पास आ रहा था, उसके दिल की धड़कनें तेज़ होने लगीं। वह तुरंत इधर-उधर देखने लगी ताकि आरंभ को यह ना लगे कि वह उसी को घूर रही है।

    सिर्फ़ सारा की ही हालत ख़राब नहीं थी, आसपास दास-दासियाँ और सैनिक भी उसे आँखें फाड़े देख रहे थे। उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था कि वह एक बदमिज़ाज इंसानी दुल्हन की नाजायज़ माँगों को पूरा करने के लिए इतना तैयार होकर आया था। उन्हें लगा था कि आरंभ के चेहरे पर गुस्से के भाव होंगे, लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी, जिससे उसके गालों पर डिंपल पड़ रहे थे।

    उन्हें यक़ीन नहीं हो रहा था कि यह उनके वही सरफिरे बादशाह है, जिसने यह कहकर शादी में जाने से इनकार कर दिया था कि इंसान से शादी करने जाने के लिए वह अपना वक़्त बर्बाद नहीं कर सकता है। उसने अपनी तीन पत्नियों को बस छोटी सी बात पर गुस्सा आने पर मार डाला था, आज वह एक इंसान के ख़ातिर चलकर इतनी मेहनत करके आ रहा था।

    उन सब की नज़रें आरंभ को घूर रही थीं, तो रक्षित ने उन्हें इशारे से नज़रें नीचे करने के लिए कहा। वहीं आरंभ अब सारा के रथ के पास पहुँच चुका था। सारा का दिल कितना तेज़ धड़क रहा था, मानो कोई लोहे पर हथौड़ा पटक रहा हो।

    आरंभ हल्का मुस्कुराया और फिर अपनी दिलकश आवाज़ में खिड़की का दरवाज़ा खटखटा कर बोला, “क्या मैंने आपकी सारी डिमांड्स को पूरा किया है राजकुमारी? या अभी भी कुछ बाक़ी रह गया है?”

    सारा ने गहरी साँस ली और अपनी नज़रें दूसरी तरफ़ करके कहा, “अभी पूरी तरह नहीं।”

    रक्षित ने उसे याद दिलाते हुए कहा, “किंग, अंगूठी और वादा भूल रहे हैं आप?”

    उन सब का दिल धक से रह गया था। वे अच्छे से जानते थे कि आरंभ जैसा सनकी वैम्पायर कभी किसी की इच्छाओं को पूरा नहीं करेगा। कपड़े पहनना अलग बात होती है, लेकिन अंगूठी के साथ वादा करना अलग। पर आरंभ उन्हें झटके पर झटके दिए जा रहा था।

    आरंभ ने अपनी पॉकेट से एक अंगूठी निकाली और सारा को दिखाते हुए कहा, “फ़िलहाल ज़्यादा टाइम नहीं मिला था, इस वजह से यही लेकर आया हूँ पर आई प्रॉमिस बाद में दूसरी बनवा दूँगा।”

    सारा ने एक नज़र अंगूठी की तरफ़ देखा। उसके अंदर सफ़ेद चमकता हुआ हीरा लगा हुआ था। आज से पहले सारा ने उस से ख़ूबसूरत अंगूठी नहीं देखी थी।

    सारा ने गहरी साँस ली और रथ का दरवाज़ा खोल दिया था। सारा की नज़रें झुकी हुई थीं। आरंभ ने उसे पहली बार देखा। वह किसी नाज़ुक खूबसूरत सफेद गुलाब की तरह थी, ख़ूबसूरत और अनछूई।

    आरंभ ने सारा का हाथ पकड़ा और अंगूठी पहनाने लगा। हालाँकि वह उसके साइज़ से काफ़ी बड़ी थी, पर सारा ने फ़िलहाल एडजस्ट कर लिया था।

    एक पल के लिए उन दोनों की नज़रें टकरा गई थीं। सारा ने तुरंत अपनी नज़रें नीचे कर लीं। उसकी इस हरकत पर आरंभ के चेहरे पर भी मुस्कराहट उभर आई थी।

    आसपास खड़े लोग इस नज़ारे को ऐसे देख रहे थे मानो उन्होंने किसी तरह का कोई सपना देख लिया हो। उनके लिए वह किसी सपने से कम भी नहीं था जहाँ उन्होंने पहली बार आरंभ का इतना सॉफ़्ट साइड देखा था।

    “क्या अब आप मेरे साथ चलने के लिए तैयार हैं राजकुमारी?” आरंभ ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पूछा।

    अब सारा किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकती थी। हालाँकि आरंभ ने अभी तक किसी तरह का वादा नहीं किया था, लेकिन फिर भी उसने सारा की सारी डिमांड्स पूरी की थीं। आज पहली बार उसने लाल रंग जैसा चमकीला शर्ट पहना हुआ था।

    सारा ने आरंभ का हाथ पकड़ा और रथ से नीचे उतर आई थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका पति इतना ख़ूबसूरत होगा और खुद अपना हाथ पकड़ कर उसे अंदर लेकर जाएगा, लेकिन तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिससे सारा का दिल धक से रह गया था। उसकी आँखें बड़ी हो गई थीं।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    आरंभ से आपकी पहली मुलाक़ात कैसी रही? सारा और आप लोगों पहली बार आरंभ से मिले है। अच्छा बताइए कि आरंभ में ऐसा क्या किया है जिसके बाद सारा इतनी हैरान रह गई। कहीं ऐसा तो नहीं, अंगूठी पहनाकर वैंपायर ने खून चूस लिया हो। उसका कोई भरोसा भी नहीं है। प्लीज मुझे सपोर्ट कीजिए और मेरी कहानी पढ़ कर मुझे फॉलो कीजिए और मेरे पार्ट्स पर समीक्षा कीजिए

  • 7. Vampire king's forced bride - Chapter 7

    Words: 1543

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा की शादी वैम्पायर किंग आरंभ के साथ हो चुकी थी। महल के अंदर जाते ही सारा ने अच्छी खासी डिमांड्स रखी थीं। वह यही चाहती थी कि उसका पति खुद उसे लेने के लिए आए, उसे अंगूठी पहनाए और साथ ही उसकी रक्षा करने का वादा करे। सारा की इन मूर्खतापूर्ण मांगों को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं था। किसी भी दासी या सैनिक में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आरंभ को जाकर सारा की शर्तों के बारे में बता सके।

    उन सबके मन में डर था। तब आरंभ ने अपने मुख्य सहायक रक्षित को बाहर भेजा। रक्षित को सब पता चलने पर उसने आरंभ को इस बारे में बताया। आरंभ जैसा कठोर दिल सनकी वैम्पायर ने जब यह सुना तो उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। ना जाने क्यों वह सारा की सारी शर्तों को मान रहा था। उसे देखकर वहां मौजूद हर एक वैम्पायर और इंसान सदमे में खड़ा उन्हें ही देख रहा था।

    सारा को अंगूठी पहनाने के बाद आरंभ ने उसका हाथ पकड़कर उसे रथ से बाहर निकाला। फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना वहां मौजूद हर शख्स तो क्या सारा भी नहीं कर सकती थी। अचानक आरंभ ने सारा को अपनी बाहों में उठा लिया था।

    उसकी इस हरकत पर सारा बुरी तरह हड़बड़ा गई थी। वह अटकते हुए बोली, “यह... यह आप क्या कर रहे हैं?”

    सारा अपने चेहरे से बनावटी आत्मविश्वास दिखाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके दिल की धड़कनें तेज थीं। आरंभ यह अच्छे से सुन पा रहा था। उसने सारा के लाल होते गालों को देखा तो उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट उभर आई।

    “कुछ अलग तो नहीं कर रहा हूं। मैंने सुना है पृथ्वीनिक में दूल्हा अपनी दुल्हन को ऐसे ही बाहों में उठाकर अंदर लेकर जाता है।" आरंभ ने सारा की आंखों में देखते हुए कहा।

    सारा ने डर के मारे अपने हाथों से आरंभ की कमर को कसकर पकड़ रखा था। उसके कांपते हाथ आरंभ को महसूस हो रहे थे। वह बस यही सोच रही थी कि कमरे के अंदर जाने के बाद वह कैसे बर्ताव करती है। वहीं, आसपास खड़े लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि इस बेदिल राक्षस को अचानक क्या हो गया है जो वह इतना प्यार से पेश आ रहा है।

    वहीं, सारा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह आरंभ की बात का क्या जवाब दे। सच में उनके साम्राज्य में यह परंपरा थी कि नई शादीशुदा जोड़ा इसी तरह घर के अंदर जाता था। दूल्हा अपनी दुल्हन को गोद में उठाकर सीधे कमरे के अंदर लेकर जाता था पर आरंभ ऐसा करेगा यह उसने सोचा नहीं था। वह अचानक उसके बारे में इतना क्यों सोच रहा था? उसकी हर एक मांग को मान रहा था। वह उसका सिर्फ एक वक्त का भोजन थी, फिर उसके लिए इतना एफर्ट करने की कोई जरूरत नहीं थी।

    वहीं सारा के कोई जवाब नहीं देने पर आरंभ मुस्कुराते हुए अंदर जाने लगा। अचानक सारा के दिमाग में कुछ ख्याल आया। वह मन ही मन बोली, “अरे नहीं, गवर्नेंस ने बताया था वैम्पायर को औरतों से बहुत प्यार होता है। वह अपनी सारी डिजायर्स पूरी करते हैं और उनका खून भी पीते हैं। तो क्या इसलिए मुझे अपने कमरे में लेकर जा रहा है और इतने प्यार से पेश आ रहा है? मैं इसके साथ कुछ भी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं।"

    आरंभ के दिमाग में क्या चल रहा होगा इस बारे में ख्याल आते ही सारा जोर से चिल्लाई। उसके साथ आरंभ के पीछे आ रहे सभी सैनिकों और आरंभ के कदम भी रुक गए थे।

    “डियर वाइफी, कोई प्रॉब्लम है?” आरंभ ने अपनी एक भौंह उठाकर पूछा।

    आरंभ के मुंह से 'डियर वाइफी' सुनकर सारा हैरानी से आँखें बड़ी करके देखने लगी। उसने कितनी आसानी से ये शब्द कह दिए थे, जबकि ये वही घमंडी वैम्पायर था, जिसने खुद की शादी तक में आना ज़रूरी नहीं समझा। वो तो ऐसे बर्ताव कर रहा था, जैसे उनका प्रेम विवाह हो।

    “मैं... मैं भूखी हूं। खाना मिलेगा?” सारा ने बहाना बनाया। उसने सोचा कि खाने के बहाने ही सही, उसे आरंभ से बचने का रास्ता मिल जाएगा।

    “भूख तो मुझे भी बहुत लगी है वाइफी।" आरंभ बोला और उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट उभर आई थी।

    अचानक सारा की नजर उसके दांतों की तरफ गई। उसके दो दांत काफी नुकीले थे। हालांकि कहानियों में यही कहा जाता था कि वैम्पायर के दो नुकीले दांत बाहर निकले हुए होते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था पर वह किसी खंजर की तरह तीखे थे। अचानक आरंभ ने अपनी उंगली सारा की गर्दन पर घुमाई जिससे सारा को और डर लगने लगा था। सारा की बॉडी कांपने लगी थी और यह आरंभ ने महसूस कर लिया था।

    अगले ही पल आरंभ इस दिलकश मुस्कुराहट के साथ बोला, “मेरे कहने का मतलब है, हम दोनों साथ में डिनर करते हैं।”

    सारा का दिल अभी भी डर के मारे तेजी से धड़क रहा था। वह उससे कितने भी प्यार से बात करे लेकिन सच यह था कि वह एक वैम्पायर था। गवर्नेंस ने उसे काफी सारी बातें बताई थीं।

    अगर उसके कहने का सच में यही मतलब था तो उसने फिर सारा की गर्दन पर उंगली क्यों घुमाई? सारा यह देखकर हैरान रह गई थी।

    “चलो चलकर साथ में खाना खाते हैं।” आरंभ बोला और उसे उठाते हुए एक कमरे की तरफ बढ़ने लगा।

    जैसे ही उसने दरवाजा खोला, सामने वही बूढ़ा आदमी, वह लड़की और एक और आदमी बैठा हुआ था। सारा को इस तरह आरंभ की गोद में देखकर उन तीनों के चेहरे पर गहरी हैरानी के भाव उभर आए थे। उन लोगों ने आरंभ का क्रूर चेहरा देखा था। वह तो तुनकमिजाज था, छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता था, लेकिन फिलहाल तो वह एक दिलकश मुस्कुराहट के साथ एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था। उसके पीछे रक्षित भी खड़ा हुआ था।

    आरंभ को देखकर वह तीनों खड़े हो गए थे। उनके चेहरे के हाव-भाव को नोटिस करते हुए आरंभ ने बेपरवाही से कहा, “मुझे इस तरह क्यों घूर रहे हो जैसे मुझे पहली बार देखा है?”

    इसी के साथ वह सब होश में आ गए थे। बूढ़ा आदमी सारा झुका कर बोला, “नहीं महाराज, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं यह कहना चाहता हूं कि आपका और नई रानी का महल में स्वागत है।”

    आरंभ ने आईज रोल की और फिर दूसरे आदमी की तरफ देखा। वह काउंसिल का हेड था। उसने गहरी सांस ली और कहा, “मैं आपका काउंसिल हेड प्रयत्न महाराज और नई रानी को उनकी शादी की बधाइयां देता हूं।”

    प्रयत्न वही आदमी था, जिसने आरंभ और सारा की शादी करवाई थी। उसने सारा को चुना था। कहने को सारा एक आम सी लड़की थी, लेकिन इस शादी पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी टिकी हुई थी। तीन साम्राज्य जो आपस में कभी भी शांति से नहीं रहे, वह इसी शादी से शांति समझौता करने का सोच रहे थे।

    अचानक सारा को कुछ समझ में आने लगा। तो क्या आरंभ उसे काउंसिल हेड प्रयत्न को दिखाने के लिए एक अच्छा पति होने का दिखावा कर रहा था?

    सारा ने प्रयत्न की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखा और मन ही मन कहा, “यह आदमी जो भी है, वह मेरी मदद कर सकता है। अगर मैं तीन साम्राज्य के बीच की शांति दूत बनकर यहां आई हूं, तो मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तो बनती है।"

    सारा को इसलिए चुना गया था क्योंकि वह शाही होने के साथ एक दासी की बेटी थी। उन्हें एक ऐसी ही लड़की चाहिए थी जिसे किसी तरह की सुख सुविधा न मिली हो, जिसे जुबान लड़ाने की आदत ना हो और साथ ही वह उनके हर बात पर हमें हां में हां मिलाए, लेकिन साथ में वह दिखने में खूबसूरत भी होनी चाहिए। ऐसे में सारा से परफेक्ट और कौन हो सकता था।

    आरंभ ने अभी भी सारा को अपनी गोद में पड़ा हुआ था। इस बीच अचानक काउंसिल हेड प्रयत्न ने तारा की तरफ देखकर पूछा, “उम्मीद है नई महारानी, आपको महल में किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। आपको किसी तरह की शिकायत तो नहीं है ना?"

    आरंभ ने सारा की सारी शिकायतों को मिटा दिया था। अपने बर्ताव से अलग वह सारा के लिए वह सब कर रहा था, जिससे वह खुश हो जाए, लेकिन तभी अचानक सारा ने मुंह बनाते हुए कहा, “अब जब आपने पूछ ही लिया है तो बता देती हूं कि मेरी कुछ शिकायतें हैं।"

    बूढ़ा आदमी आंखें फाड़कर सारा की तरफ देखने लगा। वह इस वक्त आरंभ की गोद में थी, एक ऐसे सनकी और क्रूर बादशाह की गोद में जो अंधेरे का बेताज बादशाह माना जाता था। ऐसी गुस्ताखी होते ही वह एक मिनट नहीं लगाता था सामने वाले की जान लेने से पहले और यहां सारा ने इतनी बड़ी हिम्मत दिखा दी थी।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    भाई मानना पड़ेगा, सारा के अंदर सच में बहुत हिम्मत है। लेकिन देखते हैं कि यह हिम्मत उसे कहां तक लेकर जाती है। फिलहाल के लिए इतना ही। मेरी आपसे एक शिकायत है कि अगर आप मेरा चैप्टर पढ़ रहे हो तो प्लीज उस पर कमेंट किया करो और मुझे फॉलो भी करो। अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं कंपटीशन तो जीतना दूर की बात है, यहां ज्यादा दिनों तक सरवाइव भी नहीं कर पाऊंगी। प्लीज आप नए लेखक की कहानियों को भी थोड़ा प्यार दिया करो।

  • 8. Vampire king's forced bride - Chapter 8

    Words: 1519

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा और आरंभ की शादी कोई आम शादी नहीं थी। वह इंसानों और वैम्पायर के बीच होने वाले युद्ध और उनके रिश्तों को अच्छा करने के लिए थी। सारा और आरंभ की शादी पहली इंसानी और वैम्पायर की शादी थी, जिसके बाद आरंभ को काउंसिल में शामिल होने का मौका मिल गया था। काउंसिल का आदमी जिसने यह शादी तय की थी, वह यह सुनिश्चित करने आया था कि सारा महल में ठीक है या नहीं।

    जैसे ही प्रयत्न ने सारा से उसके बारे में पूछा कि उसे किसी तरह की शिकायत है या नहीं, तो सारा ने सबसे पहले यही कहा कि उसे यहां कुछ शिकायतें हैं, जिसे सुनकर वहां मौजूद लोग हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे थे।

    "बताओ तुम्हें क्या शिकायत है।" प्रयत्न ने काफी विनम्र आवाज में पूछा।

    "मेरी शादी एक जीते-जागते शख्स से हुई है। चाहे वह एक वैम्पायर ही क्यों ना हो, लेकिन यह मुझसे शादी करने के लिए वहां पर नहीं आए थे। मुझे तलवार के साथ सारी रस्में करनी पड़ी।" सारा ने जवाब दिया।

    आरंभ ने उसे नीचे उतार दिया था। प्रयत्न ने गहरी सांस ली और वह सारा से बोला, "अच्छा, इतनी सी बात? वह इस वजह से क्योंकि तुम जिस इलाके में रहती हो वह एक बहुत ही गर्म इलाका है और वैसी जगह पर वैम्पायर नहीं आ सकते हैं। तुम अब जब यहां की नई महारानी बन गई हो, तो चाहे तो अपनी शादी की रस्में फिर से करवा सकती हो।"

    वहीं सारा की बात सुनकर पास खड़ी औरत चिढ़ गई थी। उसने सिर हिलाकर कहा, "लगता नहीं कि इस लड़की की वजह से हमारे रिश्ते अच्छे हो पाएंगे। इसे तो हमारे खिलाफ अच्छा खासा सीखा कर भेजा गया है। आते ही यह हम पर हुकुम जमाने लग गई है। इसकी पोजीशन इंपॉर्टेंट है लेकिन कही इसे यह तो नहीं लगता कि यह हम पर राज करने के लिए आई है।"

    सारा ने बोरियत भरी निगाहों से उसकी तरफ देखा। फिर वह एटीट्यूड से चलते हुए वहां पर लगी कुर्सी पर बैठ गई थी। ऐसे लग रहा था जैसे उसे किसी भी फिक्र ना हो। बाकी लोग जहां खड़े होकर बात कर रहे थे, वहीं सारा कुर्सी पर बैठी हुई थी। यह उसका घमंड दिखा रहा था, जबकि सच तो यह था कि इतने सारे वैम्पायर के बीच में अगर वह थोड़ी देर और खड़ी होती तो डर के मारे बेहोश होकर नीचे गिर जाती।

    वहीं आरंभ के चेहरे पर स्माइल थी। वह सारा के दिल की धड़कनें इतनी दूर होने के बाद भी साफ़ सुन सकता था। वह लड़की डरी हुई थी फिर भी सबके सामने नॉर्मल रहने का दिखावा कर रही थी। यह बात उसे बहुत दिलचस्प लगी।

    सारा की बातों ने उस लड़की को चिढ़ा दिया था। वह उसे उंगली दिखाते हुए बोली, "और ऐसी हरकत करके तुम क्या साबित करना चाहती हो? यहां हम सबके किंग, जो सबसे शक्तिशाली है, वह खड़े हुए हैं और तुम आकर बैठ गई हो। किंग के साथ शादी हुई है तो खुद को ज्यादा खास मत समझ लेना।"

    सारा ने बेपरवाही से सिर हिलाया और बोली, "तुम कुछ ज्यादा ही बकवास नहीं कर रही हो? वह मेरा पति है। अगर उसे मेरे किसी बिहेवियर से प्रॉब्लम होगी तो वह बोलेगा। वह वहां चुपचाप खड़ा है तो फिर तुम्हें इतनी मिर्ची क्यों लग रही है? आखिर हो कौन तुम?"

    उस औरत ने सारा की बात का जवाब देने की बजाय आरंभ की तरफ देखा। आरंभ कितना सनकी था यह वह अच्छे से जानते थे, अगर यही गुस्ताखी कोई और करता तो अब तक वह उसकी जान ले लेता।

    उस लड़की ने तेज आवाज में कहा, "आरंभ तुम वहां खड़े होकर क्या सुन रहे हो? यह लड़की हमारी बेज्जती करे जा रही है और तुम मुस्कुराते हुए खड़े हो।"

    इतना कहकर उसने सारा की तरफ देखा। सारा अब अपना पैर दूसरे पर पैर चढ़ा कर बैठ गई थी।

    आरंभ को सारा का एटीट्यूड अच्छा लगा। उसने गहरी सांस ली और बोला, "लेकिन मुझे तो कहीं से नहीं लगा कि वह किसी की इंसल्ट कर रही है। उसने बस आपसे यह पूछा है कि आप हैं कौन जो उसे इस तरह आदेश दे रहे हैं और मुझे उसका सवाल कहीं से भी गलत नहीं लगा।" बोलते हुए आरंभ सारा के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठा और बोला, "मुझे तो यहां इसका इस तरह बैठना भी बुरा नहीं लगा। बेचारी इतनी दूर से यात्रा करके आई है। थक गई होगी, इसे आराम की जरूरत है।"

    आरंभ की बातें सुनकर वह तीनों उसकी तरफ हैरानी से देखने लगे थे। वह किसी मजाक की तरह था। सारा पूरी दूर रथ में बैठकर आई थी। यहां पहुंचने के बाद भी उसने अपना पैर भी रथ से बाहर नहीं निकाला था। कमरे तक भी उसे आरंभ अपनी बाहों में उठाकर अंदर लेकर आया था, फिर वह कैसे थक सकती थी?

    सारा को भी सब कुछ अजीब लग रहा था। ना जाने क्यों आरंभ उसकी बदतमीजियो में उसका साथ दे रहा था। सारा ने एक नजर काउंसिल के आदमी की तरफ देखा। क्या सच में आरंभ यह उसकी सुरक्षा के लिए कर रहा था या सिर्फ उस आदमी को दिखाने के लिए उसे समझ नहीं आया।

    "तुम... तुम इसका समर्थन कैसे कर सकते हो आरंभ?" वह औरत चिढ़ते हुए बोली।

    वह आगे कुछ कह पाती उससे पहले आरंभ ने उसकी तरफ घूर कर देखा जो उसे चुप करवाने के लिए काफी था। फिर उसने सारा की तरफ देखकर कहा, "यह अंतरा है, मेरी हुआ। अब तक महल के कामकाज यहीं देखती आई थी। तुम उनकी बात का बुरा मत मानना। दिखने में भले ही जवान लगती हो लेकिन लगता है उम्र का असर होने लगा है। वैसे यह तुम्हें महल के कामकाज सिखाने वाली है ताकि तुम इस महल की जिम्मेदारियों को अच्छे से संभाल सको।"

    सारा ने एक नजर अंतरा की तरफ देखा जो तिरछी मुस्कुराते हुए इसे देख रही थी। सारा को उसकी देख-रेख में छोड़ा गया था मतलब वह उसे तंग करने के लिए एक भी मौका नहीं छोड़ने वाली थी।

    सारा इस बारे में कोई शिकायत कर पाती उससे पहले आरंभ प्रयत्न से बोला, "मुझे लगता है अब आपको भी यहां पर चले जाना चाहिए। यह काफी थक गई है ऊपर से इसे भूख भी लगी हुई है। इसे आराम करना चाहिए। या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हें यकीन ही नहीं हुआ कि हम इसका अच्छे से ध्यान रख पाएंगे।"

    "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।" प्रयत्न बोला और एक नजर सारा की तरफ देखकर वहां से जाने लगा। आरंभ का बर्ताव सारा के लिए काफी अच्छा था, लेकिन वह एक शातिर शक्तिशाली वैम्पायर था। सामने वाले को महसूस हुए बिना उसकी आत्मा तक को निकाल सकता था तो काउंसिल के आदमी को धोखा देना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।

    आरंभ भी उसके पीछे जा रहा था। थोड़ी दूर चलकर उसने मुड़कर अंतरा की तरफ देखा और कहा, "इसे भूख लगी है, इसके खाने का इंतजाम कर देना। उम्मीद है कि तुम इसका अच्छे से ख्याल रखोगी।"

    आरंभ के चेहरे पर रहस्यमई मुस्कुराहट थी जो सारा समझ नहीं पा रही थी। वह आदमी सच में काफी अजीब था। सारा चिल्लाकर कहना चाहती थी कि वह अंतरा के साथ उसे अकेला छोड़कर ना जाए।

    जैसे ही वह तीनों आदमी कमरे से बाहर निकले, अंतरा ने कातिलाना निगाहों से सारा की तरफ देखा। इस वक्त अंतरा के बिना कुछ कहे ही सारा को समझ में आ रहा था, वह यही कह रही होगी कि अब सारा की खैर नहीं।

    अंतरा सारा के पास चलकर आई और उसके गाल पर उंगली घूमते हुए बोली, "अच्छा तो हमारी नई रानी को भूख लगी है? यह मेरी गलती है जो मैं तुम्हारे लिए पहले खाना नहीं मंगवा पाई।"

    इतना कहकर अंतरा ने ताली बजाई तो एक दासी जल्दी से अंदर आई। उसने दासी से कहा, "जाओ, हम दोनों के लिए खाना लेकर आओ। हम यही खाना खाने वाले हैं, वह भी एक साथ बैठकर।"

    सारा अच्छे से जानती थी कि वह उसके साथ खाना खाने के मूड में बिल्कुल नहीं है। ना जाने क्यों वह दिखावा कर रही थी। अंतरा ने भौहें चढ़ाकर कहा, "तो हमारी नई रानी को सबसे पहले शिष्टाचार सीखने की जरूरत है। उसे यह सीखने की जरूरत है कि अपने से ताकतवर लोगों से कैसे बात की जाती है, कैसे उनके साथ बैठा उठा जाता है।"

    बातों ही बातों में वह सारा की बदतमीजी पर उसे ताने दे रही थी। अचानक अंतरा ने दूसरी तरफ पलटते हुए एक गिलास के साथ आई। उस में लाल रंग का लिक्विड था। सारा को समझते देर नहीं लगी कि वह उसमें खून होगा।

    अंतरा आगे कुछ कहती उससे पहले दासी खाने के साथ आ गई थी। सारा को यही लग रहा था कि दासी जो भी लेकर आई थी वह उसके खाने लायक बिल्कुल नहीं होने वाला था। शायद यही वजह थी कि अंतरा उसे चिढ़ा रही थी।

    आरंभ खुद तो निकल गया था लेकिन सारा को अच्छा खासा फंसा गया था। ना जाने उसके दिल में क्या चल रहा था।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    ओके, फिलहाल के लिए इतना ही। आज थोड़ी लेट अपडेट दी है उसके लिए सॉरी पर प्लीज आप लोग पढ़ कर समीक्षा किया करो और मुझे फॉलो भी करो ताकि मैं आपको और भी अच्छे-अच्छे कहानियां पढ़ने के लिए देती रहूं।

  • 9. Vampire king's forced bride - Chapter 9

    Words: 1519

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरंभ सारा की सारी शर्तों को मानते हुए उस को महल के अंदर ले आया था। काउंसिल के हेड, प्रयत्न, को भी यकीन हो गया था कि आरंभ सारा का ध्यान रखेगा। आरंभ ने कुछ देर के लिए सारा की जिम्मेदारी अपनी बुआ, अंतरा, पर छोड़ी और वह बाहर चला गया था। जाते वक्त आरंभ ने सारा को खाना खिलाने के लिए कहा था।

    सारा ने थोड़ी देर पहले अंतरा के साथ बदतमीजी से बात की थी। उसे पक्का यकीन था कि वह उसकी सजा सारा को जरूर देगी, क्योंकि आरंभ ने सारा को वहाँ के तौर-तरीके सीखाने की जिम्मेदारी अंतरा पर सौंपी थी।

    कुछ ही देर में दासी उनके लिए खाना लेकर आ गई थी। उसने सभी डिशेज को वहाँ बड़ी-सी टेबल पर रखा और चली गई। खाना शुरू करने से पहले सारा ने एक नजर अंतरा की तरफ देखा, जो बड़ी-सी टेबल पर पैर पर पैर चढ़ाकर बैठी हुई थी। वह देखने में उम्र में बिल्कुल उसी के बराबर लगती थी, पर सारा जानती थी कि वह उम्र में उससे काफी बड़ी होगी। बिल्कुल दूध-सी सुंदर सफेद और साफ त्वचा, गहरी काली आँखें, खूबसूरत लंबे स्ट्रेट बाल, और मोटे उभरे हुए होंठ, जिन पर ब्लड रेड लिपस्टिक लगाया हुआ था। अंतरा देखने में बहुत खूबसूरत थी। इसकी एक वजह यह भी थी कि वह शाही और शुद्ध खानदान की ऊँचे दर्जे की वैंपायर थी।

    “चलो, खाना शुरू करो।” अंतरा ने सारा को बैठने का इशारा किया।

    हालाँकि सारा को भूख नहीं लगी थी, लेकिन खाने को देखते ही उसे एहसास हुआ कि उसने पिछले एक दिन से कुछ नहीं खाया था। वह तुरंत बैठ गई थी। जैसे ही उसने डिशेज के ऊपर से प्लेट को हटाया, उसे उल्टी आने लगी थी। खाना पूरी तरह मांसाहारी था, ऊपर से ठीक से पकाया गया भी नहीं था। उसके ऊपर खून दिखाई दे रहा था। साथ में उन्हें पीने के लिए पानी और लाल द्रव्य परोसा गया था। सारा कंफ्यूज थी कि उसके अंदर रेड वाइन है या फिर इंसान का खून।

    अंतरा ने खाना शुरू कर दिया था। सारा ने उसकी प्लेट की तरफ देखा; जैसे ही उसने उसके अंदर अपना काँटा लगाया, खून की एक धारा बह निकली थी।

    सारा ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। उसका बिगड़ा हुआ मुँह देखकर अंतरा ने भौहें उठाकर पूछा, “क्या हुआ?”

    “यह मेरे खाने लायक बिल्कुल नहीं है। आज यहाँ मेरी पहली दावत है, तो आप मुझे इतना सिंपल सा खाना परोसने वाली हो क्या, जो ठीक से पका हुआ भी नहीं है?” सारा ने एटीट्यूड दिखाते हुए कहा। उसने एक पल के लिए भी अपने चेहरे से जाहिर नहीं होने दिया कि वह इस तरह का खाना खाना तो दूर, देख तक नहीं सकती थी।

    “मतलब क्या है तुम्हारा? यह अच्छा नहीं है क्या?” अंतरा उसे घूरते हुए बोली।

    उसे थोड़ा हैरानी भी हो रही थी कि सारा अब तक डरी क्यों नहीं है। अंतरा महसूस कर सकती थी कि उसके दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थीं, लेकिन फिर भी उसका कॉन्फिडेंस आसमान पर था।

    सारा ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “मैं महारानी हूँ, तो मुझे यह डिसाइड करने का हक है कि मुझे क्या खाना है या क्या नहीं। खाना अच्छा होगा, लेकिन बहुत ही आम सा है।” इतना कहकर सारा ने अंतरा से अपना ध्यान हटाया और दासी से बोली, “मुझे अपनी शादी का केक खाना है। चॉकलेट भी होनी चाहिए।”

    सारा अपनी डिमांड बताती जा रही थी, वहीं अंतरा को गुस्से में देखकर दासी काँपने लगी थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि अपनी महारानी का हुक्म माने या फिर अंतरा का।

    उसके कोई जवाब न देने पर सारा गुस्से में बोली, “तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा, मैं तुम्हें क्या कह रही हूँ?”

    सारा की आवाज सुनकर वह डरते हुए चौंक गई थी। उसने जल्दी से कहा, “नहीं, नहीं, महारानी, वह बात नहीं है।”

    वह हड़बड़ाकर अपनी सफाई पेश करने की कोशिश कर रही थी, तभी सारा ने हाथ ऊपर उठाया और सख्त आवाज में बोली, “मुझे कोई बहाना नहीं सुनना है, और न ही इस बात से फर्क पड़ता है कि तुम आज से पहले किसके लिए काम करती थी। फिलहाल मैं यहाँ की महारानी हूँ, और तुम्हें अपनी वफादारी मुझे साबित करनी होगी।” उसका लहजा काफी ठंडा और खतरनाक था, जिससे दासी के शरीर में सिहरन-सी पैदा हो गई।

    “मुझे माफ कीजिए, राजकुमारी। आगे से ऐसा नहीं होगा। अभी आपके लिए लेकर आती हूँ।” वह जल्दी से बोली और वहाँ से जाने लगी। उसकी इतनी हिम्मत नहीं हुई थी कि वह अंतरा के सामने कुछ कह सके।

    इन सबके बीच अंतरा ने खाना जारी रखा। सारा ने अंतरा की तरफ देखा और बिना किसी भाव के कहा, “अगर तुम्हारा खाना हो गया है, तो तुम यहाँ से जा सकती हो। वैसे भी, मैं अच्छे से जानती हूँ, तुम्हें मेरे साथ खाने में कोई इंटरेस्ट नहीं है।” इतना कहकर उसने पानी का गिलास उठाया और उसे सूँघा। जब उसे लगा कि पानी सामान्य है, तब सारा ने उसे पी लिया था।

    सारा के इतना कहने के बावजूद भी अंतरा वहाँ पर वैसे ही बैठी हुई थी। उसके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे।

    सारा ने भौंहें उठाई और कहा, “मैं तुम्हारे इरादों को अच्छी तरह समझती हूँ, लेकिन एक बात याद रखना। अगर काउंसिल ने मुझे शांति के लिए चुना है और इस शादी की वजह से तीन साम्राज्यों के रिश्ते सुधर रहे हैं, तो तुम मुझे नुकसान नहीं पहुँचा सकती हो।”

    सारा के इस तरह कॉन्फिडेंस और बदतमीजी से बात करने की वजह से अंतरा गुस्सा हो गई थी। उसने अपना मुँह खोला, तो उसके आगे के दो तीखे दाँत दिखाई दिए, जो अचानक थोड़े बड़े हो गए थे, फिर अपने आप नॉर्मल शेप में आ गए थे।

    “वह मुझे नहीं मारेगी। वह मुझे नहीं मार सकती है।” डर के मारे सारा मन ही मन बुदबुदाने लगी।

    अंतरा जल्दी से गुस्से में उठी और वहाँ से बाहर जाने लगी। वह इतनी तेजी से गई थी कि उसके पीछे की कुर्सी तक नीचे गिर गई थी, जिसकी आवाज से सारा डर गई थी। सारा ने अपने दिल पर हाथ रखा; डर के मारे उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।

    सारा ने अपना चेहरा नीचे किया और उसे अपने हाथों से थाम लिया था। ऐसा लग रहा था जैसे वह अगले ही पल रो देगी। तभी दासी वहाँ पर आई और उसे इस हाल में देखकर थोड़ा घबरा गई थी।

    “महारानी, आप ठीक तो हैं ना?” वह जल्दी से सारा के पास आकर बोली।

    सारा ने तुरंत अपना चेहरा ऊपर करके चेहरे के भाव सख्त कर लिए थे, मानो उसे इन सब चीजों से कुछ फर्क ही न पड़ता हो। उसने हाँ में सिर हिलाया और कहा, “मैं ठीक हूँ। बस मुझे बहुत भूख लगी थी। ऐसा करो कि टेबल साफ करो और मेरे लिए खाना लगा दो।”

    दासी ने जल्दी से पहले मौजूद खाने के सामान को हटाकर उसे साफ कर दिया था। सारा को बहुत भूख लगी थी, लेकिन उन कठिन हालातों को देखकर उसका खाने का मन नहीं किया। उसने थोड़ा-बहुत खाया।

    सारा ने नहीं सोचा था कि उसके लिए चीजें इतनी मुश्किल होने वाली हैं। वह काफी थक भी गई थी। उसने दासी की तरफ देखकर कहा, “मुझे आराम करना है। क्या तुम मुझे मेरे कमरे तक छोड़ सकती हो?”

    दासी ने हाँ में सिर हिलाया और फिर सारा को आरंभ के कमरे की तरफ ले जाने लगी। रास्ते में चलते हुए सारा महल को देख रही थी। वह काफी खूबसूरत जगह थी। वहाँ दीवारों पर अलग-अलग तरह की तस्वीरें लगी थीं, जैसे उनके महल में लगी हुई थीं। शायद यह उनके पूर्वजों की थीं, लेकिन फर्क यह था कि सारा के महल में लगी तस्वीरें आम इंसानों की थीं, और यहाँ लगी तस्वीरें वैंपायर की थीं, जिनके चेहरों पर घमंड और आँखें लाल थीं। वे दिखने में काफी डरावनी लग रही थीं।

    “यही आपका कमरा है।” दासी ने सारा को कमरे के आगे छोड़ने के बाद कहा।

    “ठीक है, तुम जाओ।” सारा बोली और उसे जाने का कह दिया था।

    दासी के जाते ही सारा ने कमरे के दरवाजे की तरफ देखा। वह काफी सुंदरता से बनाया हुआ था। इस कमरे का भारी-भरकम दरवाजा ही बता रहा था कि वह उनके वैंपायर किंग का कमरा है, तो खास तो होना ही है।

    “मुझे खुद को इनसे लड़ने के लिए मजबूत करना होगा और कहीं से भी यह जाहिर नहीं करना कि मुझे डर लग रहा है। अगर इन्होंने मेरी कमजोरी का पता लगा लिया, तो यह मुझे और परेशान करेंगे। थोड़ी देर आराम करती हूँ और फिर सोचूँगी कि आगे क्या करना है।” सारा ने मन ही मन कहा।

    वह सच में एक अच्छी नींद लेना चाहती थी। कभी-कभी जब से शादी हुई थी, वह डर के माहौल में ही जी रही थी। आराम करने की इच्छा से सारा ने कमरे का दरवाजा खोला, तो वह जोर से चिल्लाई। ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल बाहर निकलकर उछलकर गिर जाएगा।

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    क्या लगता है, ऐसा क्या देख लिया सारा ने कि इसके बाद बेचारी डर के मारे इतना जोर से चिल्लाने लगी? वैसे सारा कितनी भी डरी हुई क्यों न हो, लेकिन वह बहादुरी से सबका मुकाबला करती है। आपको सारा का कैरेक्टर कैसा लगा? प्लीज पढ़कर समीक्षा कीजिएगा। अगले चैप्टर पर मिलते हैं।

  • 10. Vampire king's forced bride - Chapter 10

    Words: 1517

    Estimated Reading Time: 10 min

    आरंभ ने सारा के खाने की जिम्मेदारी अंतरा को सौंपी थी। अंतरा ने जानबूझकर ऐसा खाना मँगवाया, जो सारा कभी नहीं खा सकती थी, लेकिन सारा हार मानने वाली नहीं थी। भीतर से कितना भी डर लग रहा हो, लेकिन उसके चेहरे पर पूरा आत्मविश्वास था। सारा ने खाने को खाने से साफ मना कर दिया था। मजबूरन दासी को सारा की इच्छा के अनुसार खाना लेकर आना ही पड़ा।

    खाना खाने के बाद सारा थक गई थी, इसलिए उसने आराम करने की इच्छा जताई। दासी सारा को लेकर आरंभ के कमरे में पहुँच गई थी। उसे वहाँ छोड़कर वह वहाँ से निकल गई। जैसे ही सारा ने कमरे का दरवाजा खोला, डर के मारे वह जोर से चीखी।

    सामने बिस्तर के किनारे पर आरंभ बैठा हुआ था, और उसकी गोद में एक लड़की थी। आरंभ के दाँत उस लड़की की गर्दन पर गड़े हुए थे। उसकी गर्दन से हल्का-सा खून बह रहा था। मतलब साफ था कि आरंभ उसका खून पी रहा था।

    सारा ने एक नजर उस लड़की की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर डर का कोई भाव नहीं था। उसकी आँखें बंद थीं, मानो वह इन सब का आनंद ले रही हो। वहीं, सारा के चिल्लाने पर आरंभ का ध्यान टूट गया था। सारा की मौजूदगी का एहसास होने के बावजूद आरंभ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह आराम से अपने काम में लगा हुआ था, तो वहीं उस लड़की ने आँखें खोलकर नई महारानी की तरफ देखा। इन सबको देखकर सारा इतना डर गई थी कि वह जल्दी से बाहर भाग गई।

    वहीं, कमरे के अंदर मौजूद लड़की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी। उसे अच्छा लग रहा था कि अपनी नई पत्नी के आने के बावजूद आरंभ ने उसकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया था।

    “कैसा लग रहा है?” लड़की ने पूछा।

    “हमेशा की तरह लाजवाब।” आरंभ ने जवाब दिया।

    गवर्नेस ने सारा को बताया था कि जो ऊँचे दर्जे के शुद्ध रक्त के वैंपायर होते हैं, वे बोतल या कंटेनर से खून पीने के बजाय हमेशा ताजा इंसानी खून पीना पसंद करते हैं। यहाँ तो आरंभ वैंपायर क्‍लैन का सबसे शुद्ध रक्त और ऊँचे दर्जे का वैंपायर था। जरूरत महसूस होने पर उसने हमेशा इंसान का ही खून पिया था।

    वहीं, बाहर सारा की हालत खराब हो गई थी। उसका चेहरा डर से सफेद पड़ गया, मानो उसने कोई भूत देख लिया हो। सारा ने अपने दिल पर हाथ रखा और धीरे से कहा, “हे भगवान, प्लीज मुझे बचा लीजिए। यह मैंने क्या कर दिया? गवर्नेस ने कहा था कि मुझे वैंपायर के सामने यह बिल्कुल जाहिर नहीं करना कि मुझे उनसे डर लगता है। अगर ऐसा हुआ, तो वे मेरे डर का फायदा उठाकर मुझे और डराएँगे, लेकिन जो देखा, वह बहुत डरावना था।” सारा की आवाज काँप रही थी। वह अभी भी उससे बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।

    “अगर वह मुझे डराने की कोशिश करेगा, तो मैं काउंसिल में उसकी शिकायत लगा दूँगी। वह लड़की उसके कितनी करीब थी? क्या वह सिर्फ उसका खून पी रहा था, या उनके बीच में कुछ और भी चल रहा था?” अचानक सारा के दिमाग में उलटे-पुलटे ख्याल चलने लगे थे।

    आरंभ के कमरे से थोड़ा आगे सारा डरी हुई हालत में खड़ी थी। दासी उसे छोड़कर चली गई थी, और पास मौजूद सैनिक ऐसे जता रहे थे, मानो उन्होंने कुछ देखकर भी न देखा हो।

    कुछ देर बाद खुद को शांत करने के बाद सारा ने हिम्मत की और अपने कदम फिर से आरंभ के कमरे की तरफ बढ़ा दिए थे। जैसे ही सारा कमरे के अंदर पहुँची, उसने देखा कि वह लड़की अपने कपड़े ठीक कर रही थी, और आरंभ रुमाल से अपने होंठ पोंछ रहा था।

    लड़की ने एक नजर घमंड भरी निगाहों से सारा की तरफ देखा और फिर वह आरंभ की तरफ पलटी। उसने कहा, “मुझे अब जाना चाहिए, किंग। अगले हफ्ते वापस मिलते हैं। फिर भी, आपको मेरी जरूरत महसूस हो, तो आप मुझे कभी भी बुला सकते हैं। मैं आपकी सेवा में हमेशा हाजिर हूँ।” वह खोई हुई निगाहों से आरंभ के खूबसूरत चेहरे को देख रही थी, जो उसके पास तो था, लेकिन वह कभी उसे पा नहीं सकती थी।

    “हम्म।” आरंभ ने काफी रुखा जवाब दिया।

    पिछली बार आरंभ ने सारा की तरफ देखा तक नहीं था, लेकिन अब उसकी नजरें सारा पर टिकी हुई थीं। आरंभ की इस हरकत ने लड़की को गुस्सा दिला दिया था। आज से पहले भी उसकी कई पत्नियाँ इस तरह कमरे में दाखिल हुई थीं, लेकिन आरंभ ने कभी उनकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया था। पिछली बार जब सारा कमरे में आई थी, तब आरंभ ने उसे अनदेखा किया, तो उस लड़की को लगा कि आरंभ आगे भी उसमें कोई दिलचस्पी नहीं लेगा।

    वहीं, सारा ने उस लड़की की तरफ घूरकर देखा और कहा, “तो तुम इंसान हो?”

    सारा पता करना चाहती थी कि वह लड़की इंसान है या कोई निचले दर्जे की वैंपायर। ऊँचे दर्जे के वैंपायर निचले दर्जे के वैंपायर का खून भी पी सकते थे।

    “हाँ, महारानी, और आप यह क्यों जानना चाहती हैं?” लड़की ने घमंड भरे अंदाज में जवाब दिया।

    वह सारा को चिढ़ाना चाहती थी कि उसका पति थोड़ी देर पहले उस लड़की की बाहों में था, और उसने सारा की तरफ ध्यान तक नहीं दिया था। वह जैसा चाहती थी, वैसा ही हुआ। सारा का खून खौल गया था, लेकिन उसका गुस्सा उस लड़की के लिए नहीं, बल्कि आरंभ पर था।

    सारा जल्दी से उस लड़की के पास आई और उसे खींचकर आरंभ से दूर कर दिया था, मानो आरंभ उसे मार देगा। फिर वह उस लड़की से बोली, “मुझे बताओ कि तुम्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्या? अगर ऐसा है, तो मैं तुम्हें यहाँ से आजादी दिलवाने में मदद कर सकती हूँ। तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। तुम पहले की तरह अपनी लाइफ नॉर्मल तरीके से बिता सकती हो।”

    वह लड़की सारा की बात सुनकर हैरानी से देखने लगी। हैरान तो आरंभ भी हुआ था, लेकिन अचानक फिर उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट उभर आई थी। सारा उससे कई गुना ज्यादा दिलचस्प थी, जितना उसने सोचा था।

    वह लड़की घबरा गई थी कि कहीं आरंभ गुस्सा न हो जाए। उसने तुरंत आरंभ की तरफ देखकर कहा, “किंग, मुझे नहीं पता कि यह महारानी ऐसा क्यों कह रही हैं। मेरा यकीन कीजिए, आपकी सेवा करके मुझे अच्छा लगता है। मुझे किसी तरह की मजबूरी नहीं है। अगर मेरा बस चलता, तो उम्र भर मैं आपके पास रहकर सिर्फ आपकी सेवा करती।”

    वह लड़की अपनी बातों से आरंभ को यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अफसोस, आरंभ तो उसकी तरफ देख तक नहीं रहा था। उसकी निगाहें लगातार अपनी पत्नी पर टिकी हुई थीं, जो उसे अब तक की सबसे दिलचस्प इंसान लग रही थी।

    आरंभ ने भौहें उठाई और फिर सारा के पास आते हुए बोला, “तो मेरी वाइफी को इस लड़की से जलन हो रही है। तुम इससे छुटकारा पाना चाहती हो क्या? बस बता दो, मुझे एक मिनट लगेगा।”

    सारा गुस्से भरी निगाहों से आरंभ की तरफ देखने लगी। वह उन दोनों लड़कियों को अपने मनोरंजन के साधन के अलावा और कुछ नहीं समझ रहा था। अगर सारा आरंभ से उस लड़की को आजाद करने की कहती, तो वह एक बार में ही उसका पूरा खून पीकर खत्म कर देता, और इससे लड़की की जान चली जाती। सारा ऐसा कभी नहीं चाहती थी।

    “मैंने... मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। मैं बस यह चाहती हूँ कि तुम इसे छोड़ दो। जान से नहीं मारना है, जिंदा छोड़ना है।” सारा ने अपनी बात हड़बड़ाते हुए क्लीयरली आरंभ के सामने रख दी थी।

    उन दोनों की आँखों ही आँखों में एक अजीब-सी जंग चल रही थी। वह लड़की इन सब में बीच में उलझकर रह गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सारा को उसकी इतनी फिक्र क्यों सता रही है। कहीं उसके चक्कर में वह अपनी जान और बाकी चीजों से हाथ न धो बैठे। वैसे भी, उसे कोई दिक्कत नहीं थी, अगर आरंभ उसे बुलाकर उसका खून पीता भी है।

    आरंभ दिलचस्प निगाहों से सारा की तरफ देख रहा था। सारा ने अपनी एक और डिमांड रख दी थी कि वह उस लड़की को जिंदा जाने दे। उसकी बात सुनकर आरंभ सारा के बिल्कुल पास आया। सारा का दिल डर के मारे तेजी से धड़क रहा था, जिसे आरंभ बखूबी महसूस कर सकता था।

    अचानक आरंभ सारा के कान के पास आकर रुका और थोड़ा झुकते हुए अपनी भौहें उठाकर मुस्कुराते हुए बोला, “तो तुम चाहती हो कि मैं इसे हमेशा के लिए जिंदा आजाद कर दूँ? मुझे कोई दिक्कत नहीं है, छोड़ दूँगा, लेकिन बदले में तुम्हें वादा करना होगा कि जब भी मुझे प्यास लगेगी, तुम मेरी प्यास बुझाने के लिए मेरे पास रहोगी। बोलो, मंजूर है, डिअर वाइफी?”

    आरंभ की शर्त सुनकर मानो सारा पर बम टूट गया हो। उसके कान बिल्कुल सुन्न हो गए थे। उस लड़की को बचाने का तो उसने कह दिया था, लेकिन बदले में उसने खुद की जान आफत में डाल दी थी। यह ऐसा था जैसे खुद की कब्र खुद ही खोदना, और वही सारा ने किया था।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    ओके, फिलहाल के लिए इतना ही। अगले चैप्टर पर मिलते हैं। प्लीज समीक्षा कर दीजिएगा।

  • 11. Vampire king's forced bride - Chapter 11

    Words: 1536

    Estimated Reading Time: 10 min

    जब सारा आरंभ के कमरे में आई, तो उसने देखा कि आरंभ एक लड़की का खून पी रहा था, और वह उसकी गोद में बैठी हुई थी। पहले सारा इस सीन को देखकर काफी डर गई थी। बाद में उसे उस बूढ़ी महिला की ट्रेनिंग याद आई। उसने उसे यही सिखाया था कि रक्त जीवों के सामने अपना डर जाहिर नहीं करना है, वरना वे आपका खून पीकर आपको खत्म करने में एक मिनट का भी समय बर्बाद नहीं करेंगे।

    जैसे-तैसे हिम्मत जुटाकर सारा वापस कमरे के अंदर पहुँची। तब तक आरंभ अपने काम से फ्री हो चुका था। सारा को पता चला कि आरंभ ने जिसका खून पिया था, वह एक इंसान थी। सारा यही चाहती थी कि आरंभ उस लड़की को जाने दे, लेकिन बदले में आरंभ ने यह शर्त रख दी कि वह उस लड़की को जिंदा छोड़ देगा, बशर्ते आरंभ को जब भी प्यास लगेगी, सारा को उसके लिए हाजिर रहना होगा।

    उस लड़की को बचाने के चक्कर में सारा ने खुद के लिए मुसीबत खड़ी कर ली थी। सारा का चेहरा तुरंत ही डर से पीला पड़ गया था, वहीं वह लड़की परेशान हो गई थी।

    वह जल्दी से आरंभ के पास आई और गिड़गिड़ाते हुए बोली, “किंग, मुझे कोई गलती हो गई है क्या? इतने टाइम से मैं आपके पास आ रही हूँ। आप ऐसे कैसे मुझे जाने का कह सकते हैं?”

    सारा की वजह से वह लड़की मुसीबत में नहीं फँसना चाहती थी। जब से वह एक पार्टी में किंग से मिली थी, तब से वह अपना खून हाजिर करने के लिए आरंभ के पास आती थी। बदले में उसे बहुत कुछ मिलता था। लोगों के बीच उसका रुतबा ऊँचा हो गया था। उसे महँगे गिफ्ट और इस काम के लिए महल की तरफ से अच्छे-खासे पैसे मिलते थे।

    वह आरंभ, जो काउंसिल की भी नहीं सुनता था, अचानक एक लड़की के आगे अपने घुटने टेक देगा? यह जानकर वह लड़की गुस्से से भर उठी थी। वह सारा को ऐसे देख रही थी, मानो उसका बस चलता, तो वह उसे अभी नोच डालती।

    आरंभ का ध्यान अभी भी सारा पर था। वह उसके पीले पड़े हुए चेहरे को देखकर मुस्कुरा रहा था। उसे मन ही मन मजा आ रहा था। वहीं, वह लड़की इतनी आसानी से अपना पद नहीं छोड़ने वाली थी। वह आरंभ के पास आकर तीखे लहजे में बोली, “आप इसकी बात कैसे मान सकते हैं? यह आज आई है। मैं बहुत टाइम से आपके साथ हूँ।”

    आरंभ उस लड़की की तरफ घूरकर देखने लगा। वह जानता था कि वह लड़की पैसों के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अब तक आरंभ उसकी बात सुन रहा था, क्योंकि उसका खून स्वादिष्ट था। दूसरा, वह बिस्तर पर भी काफी अच्छी थी। वैंपायर की कमजोरी औरतें और खून होता था, लेकिन आरंभ पर सवाल उठाकर वह अपनी औकात भूल गई थी।

    आरंभ ने गुस्से भरी निगाहों से उसे देखा और कहा, “और तुम्हें यह हक किसने दिया कि तुम मुझसे सवाल पूछ सकती हो? अपनी जान प्यारी है, तो निकलो यहाँ से।” गुस्से में आरंभ की आँखें लाल चमक उठी थीं, और उस लड़की का चेहरा राख की तरह काला पड़ गया था।

    “नहीं, नहीं, आप मुझे गलत समझ रहे हैं। मेरे कहने का वह मतलब नहीं था। मैं अपने शब्दों पर माफी माँगती हूँ। प्लीज, मुझे मत छोड़िए,” वह लड़की गिड़गिड़ाते हुए आरंभ के घुटनों में गिर गई थी और सच में रोने लगी थी।

    “ठीक है, फिर बेहतर होगा कि आगे से मुझे तुम्हारा चेहरा न देखने को मिले। अब निकलो यहाँ से,” आरंभ ने सख्त आवाज में कहा। वह लड़की खुश थी कि चलो, उसकी जान बच गई थी, वरना उसने जो कहा था, उसके बाद आरंभ जैसा सनकी वैंपायर किसी की भी जान ले सकता था।

    उसके वहाँ से जाते ही आरंभ ने सारा की तरफ देखा। सारा सामान्य होने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर वह अपने दिल की धड़कनों को शांत नहीं कर सकती थी और न ही इस बात पर काबू कर सकती थी कि आरंभ उसे न सुने।

    आरंभ ने अपने चेहरे पर एक दिलकश मुस्कुराहट दी और सारा की तरफ देखते हुए बोला, “मैंने उसे यहाँ से हमेशा के लिए निकाल दिया है, सिर्फ यह सोचकर कि अब तुम मेरी सेवा करोगी। मुझे फिर से प्यास लग रही है, डिअर वाइफी। चलो, आ जाओ।”

    आरंभ की बात सुनकर सारा डर से काँपने लगी थी। उसने खुद को काबू करने के लिए अपने हाथों को पीछे बाँध लिया। फिर वह आरंभ की तरफ देखते हुए पूरे आत्मविश्वास से बोली, “लेकिन मैंने तुम्हारी शर्त को हाँ नहीं कहा है। ये तुमने खुद अपने मन में सोचा है। देखो, मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। वैसे भी, मुझे तुम पर भरोसा नहीं है। क्या पता, तुम मेरा सारा खून पी जाओ और मुझे मार डालो।” सारा ने ये जाहिर करने की पूरी कोशिश की कि वह आरंभ से डरी नहीं है।

    “ठीक है, लेकिन पत्नी होने के नाते तुम्हारे कुछ फर्ज बनते हैं। आज हमारी शादी की पहली रात है। हम साथ में सोएँगे... और बहुत कुछ भी करेंगे। वैसे भी, मेरा खुद पर बिल्कुल काबू नहीं है,” आरंभ ने तिरछा मुस्कुराते हुए कहा।

    वह बस सारा के चेहरे के हर एक एक्सप्रेशन को गौर से देख रहा था। उसकी बातें सुनकर कभी सारा की आँखें हैरानी से बड़ी हो रही थीं, तो कभी वह गुस्से में उसकी तरफ आँखें छोटी करके घूरकर देख रही थी।

    “चलो, रात काफी हो गई है। अब हमें सो जाना चाहिए। वो रहा हमारा बिस्तर, आ जाओ,” आरंभ ने अपनी दिलकश आवाज में कहा।

    हालाँकि सच तो यह था कि सारा के आने से पहले ही उसके लिए अलग कमरा तैयार कर दिया गया था। आरंभ को कभी भी किसी के साथ बेड शेयर करने की आदत नहीं थी। इसकी पत्नियों के कमरे अलग होते थे। जब भी आरंभ को अपनी डिजायर पूरी करनी होती, तो वह उनकी पत्नियों के कमरे में जाता और फिर कुछ टाइम उनकी हसरतें पूरी करने के बाद वापस अपने कमरे में लौट आता था। सारा के साथ भी ऐसा ही किया गया था, लेकिन जिस तरह से सारा आरंभ की बातों से परेशान हो रही थी, आरंभ को उसे चिढ़ाने में और मजा आ रहा था।

    “अभी नहीं। अभी मैं महल में नई-नई आई हूँ, तो मुझे एडजस्ट करने में टाइम लगेगा। ऊपर से मैं सोते वक्त करवट भी बहुत बदलती हूँ। मेरी दोस्त बताती थी कि मैं खर्राटे भी लेती हूँ। तो मुझे नहीं लगता कि अभी हमें साथ में सोना चाहिए,” सारा ने बहाना बनाया। हालाँकि बोलते वक्त उसकी आवाज थोड़ी धीमी होने लगी थी। उसे जो समझ में आ रहा था, वह वही बोल रही थी।

    “ठीक है, फिर तुम अपने काम कर सकती हो। मुझे वैसे भी कुछ काम निपटाने हैं,” आरंभ ने बेपरवाही से कहा। उसकी हरकतें सारा को फिर से हैरान कर रही थीं। अचानक उसने सारा के साथ सोने का प्लान ड्रॉप कैसे कर दिया था?

    आरंभ वहाँ से जाने को हुआ, तभी सारा पीछे से बोली, “और क्या मैं जान सकती हूँ कि आधी रात को तुम्हें कौन-से काम याद आ रहे हैं?”

    सारा के दिल में इस वक्त यही चल रहा था कि उसे छोड़कर उसका वैंपायर पति किसी और लड़की के साथ सोने के लिए जा रहा है। हालाँकि उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था, फिर भी न जाने क्यों उसने यह पूछ लिया था। वहीं, उसके सवाल-जवाब करने पर आरंभ के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी। उसे सारा का हर अंदाज अच्छा लग रहा था।

    अचानक आरंभ उसकी तरफ पलटा और मुस्कुराकर बोला, “अच्छा, तो अब अचानक से मेरी डिअर वाइफी को मेरी लाइफ में इंटरेस्ट आने लगा है?”

    जब भी आरंभ सारा को डिअर वाइफी कहकर बुलाता था, तब सारा के पेट में बटरफ्लाई उड़ने लगती थी। ऊपर से वह देखने में इतना खूबसूरत था कि कोई लड़की उसकी खूबसूरत मुस्कुराहट में ही खोकर रह जाती थी।

    “ऐसा-ऐसा कुछ नहीं है। तुम चाहो, तो मुझे इस बारे में मत बताओ। मैं बस पूछ रही थी कि इस महल में आधी रात को कौन-से काम होते हैं। नई आई हूँ, तो थोड़ा चीजों को जानने की कोशिश कर रही हूँ,” सारा ने अपनी सफाई में कहा।

    आरंभ ने सिर हिलाया, फिर हल्के सख्त अंदाज में बोला, “मैं उस औरत को जान से मारने जा रहा हूँ, जिसने तुम्हें मेरी अच्छी महारानी बनने की ट्रेनिंग दी थी।”

    आरंभ यहाँ गवर्नर की बात कर रहा था। उसकी बातें सारा के दिमाग में किसी तेज साउंड की तरह बज रही थीं। सारा डर के मारे वहीं पर जम गई थी। इतने में वह वहाँ से जा चुका था।

    “नहीं, ऐसा कुछ नहीं करेगा। यह बस मुझे डराने के लिए धमकी दे रहा है। जरूर वह उसे इनाम देने जा रहा होगा। बस मुझे परेशान करने के लिए उल्टा बोल रहा है,” सारा ने सिर हिलाकर कहा। वह जितना इस बारे में सोचती, उतना ही उलझन में पड़ जाती थी।

    अभी तो उसका महल में पहला ही दिन बीता था। उसे आए हुए कुछ घंटे हुए थे, फिर भी सारा को वे कुछ घंटे एक जन्म के बराबर लग रहे थे। जब उसका पहला दिन इतना मुश्किल से बीता था, तो न जाने आगे अंतरा और आरंभ उसके लिए कौन-सी मुश्किलें खड़ी करने वाले थे।

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    ओके, फिलहाल के लिए इतना ही। अगले चैप्टर पर मिलते हैं। प्लीज समीक्षा कर दीजिएगा।

  • 12. Vampire king's forced bride - Chapter 12

    Words: 1581

    Estimated Reading Time: 10 min

    रात को सारा सोने के लिए अपने कमरे में आई थी। पहले आरंभ को उसे लड़की के साथ देखकर वह परेशान हो गई थी। उसने जैसे-तैसे पीछा छुड़ाया तो आरंभ उसे तंग करने लगा। आरंभ कमरे से निकल तो गया था, लेकिन उसने जाने से पहले यही कहा था कि वह उस गवर्नेंस को मारने जा रहा है, जिसने उसे ट्रेनिंग दी थी।

    आरंभ ने यह काफी हल्के तरीके से कहा था, इस वजह से सारा ने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वह आरंभ के जाते ही बिस्तर पर सीधा लेट गई थी और इस वक्त सीलिंग पर बने फूल पत्तों को देख रही थी। वह जगह भले ही खूबसूरत हो, लेकिन सच यह था कि वह एक जाल में फंस गई थी, जिससे निकलना उसके लिए अब नामुमकिन था।

    सारा ने खुद को सतर्क रखने और जागने की पूरी कोशिश की, लेकिन लेटने के कुछ देर बाद ही वह नींद के आगोश में चली गई।

    वहीं, जैसे ही आरंभ अपने कमरे से बाहर निकला, उसे आगे रक्षित पहले से ही तैयार खड़ा मिला। आरंभ रक्षित के पास गया, तो रक्षित ने सिर झुकाकर कहा, “किंग, मैंने उस औरत के बारे में पता लगा लिया है, जिसे महारानी को ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया था। उसे लेडी अंतरा ने भेजा था।”

    “हम्म।” आरंभ ने जवाब दिया। वह चलते हुए एक कमरे के अंदर गया, जहाँ बिल्कुल अंधेरा था, बस एक मोमबत्ती जल रही थी। आरंभ वहाँ एक बड़ी सी कुर्सी पर जाकर बैठ गया, रक्षित उसके साथ आया था।

    “क्या तुम उसे संभाल लोगे या मुझे जाना पड़ेगा?” आरंभ ने ठंडे स्वर में कहा। हालाँकि उसकी आवाज़ शांत थी, लेकिन अंधेरे में उसकी चमकती लाल आँखें बता रही थीं कि वह अंदर ही अंदर काफी खौल रहा था।

    “मैं इसे संभाल लूंगा। उस गवर्नेंस का सिर हम लेडी अंतरा को तोहफे में भेजेंगे।” रक्षित ने जवाब दिया।

    “हाँ, यही सही रहेगा। कुछ और कहना है?” आरंभ ने रक्षित की तरफ देखकर पूछा। उनकी बातचीत खत्म हो चुकी थी, फिर भी रक्षित वहीं पर खड़ा था, इसका मतलब उसे और बात करनी थी।

    रक्षित ने उसकी बात पर हामी भरी और कहा, “आपको नहीं लगता कि हमें उस लड़की की ओर जांच करनी चाहिए? वह वैसी बिल्कुल नहीं है जैसा उसके बारे में बताया गया था।”

    रक्षित यहाँ सारा की बात कर रहा था। सारा के बारे में यही कहा गया था कि वह दासी की बेटी है और अक्सर अकेली और चुपचाप रहती थी, लेकिन यहाँ आने के बाद तो वह ऐसे जाहिर कर रही थी जैसे किसी बड़े साम्राज्य की महारानी हो।

    “उसकी जरूरत नहीं है, मैं खुद देख लूंगा।” आरंभ बोला। उसके चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कुराहट थी।

    आरंभ का जवाब सुनकर रक्षित थोड़ा हैरानी में पड़ गया था। सारा के बर्ताव से लग रहा था कि वह आरंभ को नुकसान पहुँचा देगी। रक्षित आरंभ को काफी टाइम से जानता था, वह एक ऐसा शख्स था, जो अपने परिवार के सामने भी अपनी सुरक्षा कम नहीं करता था, फिर ना जाने क्यों सारा के मामले में वह अलग तरीके से सोच रहा था।

    “ठीक है, कल सूरज उगने से पहले मैं आपको अच्छी खबर ही सुनाऊंगा।” रक्षित ने सिर झुकाकर कहा और फिर वहाँ से चला गया।

    उसके जाने के बाद आरंभ ने मुस्कुराते हुए सीलिंग की तरफ देखा और कहा, “इतना खून पीने के बाद भी आज प्यास लग रही है और मन कर रहा है कि तुम्हारा खून पीयू मैं सारा पर मुझे देखना है कि जब मैं ऐसा करूँगा तब तुम्हारा क्या रिस्पांस होगा।”

    आरंभ ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी आँखों के सामने सारा का गुस्सा भरा चेहरा घूम रहा था। वह गुस्से में और भी हसीन लगती थी।

    वहीं, अपने कमरे के अंदर सारा नींद में बड़बड़ा रही थी, वह कोई सपना देख रही थी, जहाँ उसकी दोस्त हिना उसे उठा रही थी।

    “उठ जाओ सारा, महाराज तुमसे बात करने के लिए आए हैं।” हिना उसे जगाते हुए बोली।

    “लेकिन मुझे कहीं नहीं जाना है, 1 घंटे और सो लेने दो, कौन सा मेरा वहाँ होने या ना होने से कुछ फर्क पड़ने वाला है।” सारा नींद में कसमसाते हुए बोली। अचानक उसे कांच टूटने की आवाज आई तो वह जल्दी से उठकर खड़ी हो गई। सारा को ऐसे लग रहा था जैसे नींद में कोई उस पर नजर रख रहा हो।

    सारा कमरे में अकेली थी, इस वजह से काफी डर गई थी। अगली सुबह नौकरानी बिस्तर के पास खड़ी थी, उसे सारा को बुलाने का ऑर्डर मिला था और वह उसे उठाने की कोशिश कर रही थी।

    “कृपया करके खड़ी हो जाइए, राजकुमारी, लेडी अंतरा ने आपको बुलाया है। अगर आप समय पर नहीं पहुँचीं तो वह बहुत नाराज होंगी।” बिस्तर के पास खड़ी नौकरानी ने काफी नम्र आवाज में कहा।

    उसके इतना कहने के बावजूद सारा पर कोई असर नहीं पड़ा तो उसने फिर आगे कहा, “अगर आप अभी भी नहीं उठीं तो महाराज खुद आपको लेने के लिए आएंगे।”

    उसे लगा आरंभ का नाम लेने पर सारा उठ जाएगी, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। अब तो खुद भगवान भी उसे लेने के लिए आते तो वह एक पल के लिए जाने से इनकार कर देती। इस बीच अंतरा अपनी हाई हील्स को खटखटाते हुए अंदर आई।

    “यह अब तक उठी क्यों नहीं है? इसने इतना हंगामा कर दिया, उसके बाद यह चैन से सो भी कैसे सकती है?” अंतरा गुस्से में चिल्लाई।

    अंतरा को गुस्से में देखकर दासी जल्दी से दूसरी तरफ हो गई थी। सारा ब्लैंकेट में लिपटी हुई पड़ी थी, उसे मानो किसी के होने या ना होने से कोई असर ही ना हो रहा हो। इतनी आवाज होने के बावजूद भी वह उठी नहीं।

    “क्या यह लड़की सच में पागल हो गई है? मैं यहाँ खुद इसे उठाने के लिए आई, लेकिन यह ऐसे सोई हुई है जैसे मर गई हो।” अंतरा गुस्से में तेज आवाज में बोली, लेकिन फिर भी बिस्तर में जरा भी हलचल नहीं हुई।

    इन सबसे अंतरा काफी चिढ़ गई थी और वह सारा को सबक सिखाना चाहती थी। उसने अपने लंबे नाखूनों को एक नजर देखा, उसका बस चलता तो वह सारा का मुंह नोच डालती, लेकिन फिर उसे याद आया सारा और आरंभ की शादी किस मकसद के चलते हुई थी। काउंसिल की उन पर पूरी नजर थी, ऐसे में वह सारा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी।

    “जान से नहीं मार सकती, लेकिन ऐसा बहुत कुछ कर सकती हूँ जिससे तुम जान जाने की हालत में आ जाओ।” अंतरा ने गुस्से में कहा और फिर उसने ठंडे पानी का एक बड़ा सा बर्तन मंगवाया।

    उस इलाके में पहले ही इतनी ठंड होती थी, अगर वह ठंडा पानी सारा के ऊपर पड़ता तो सारा ठंड के मारे जम जाती, लेकिन अंतरा को उसका कोई ख्याल नहीं था। उसने बिना सोचे समझे सारा पानी बिस्तर के ऊपर डाल दिया था।

    “मैंने सुना है कि इंसानों की इम्युनिटी काफी कम होती है, मैं भी देखती हूँ इतना ठंडा पानी गिरने के बाद तुम चलने की हालत में कैसे रहती हो।” अंतरा ने इविल स्माइल करते हुए कहा।

    तभी वहाँ किसी के हंसने की आवाज आई। अंतरा ने पीछे पलट कर देखा तो सारा खड़ी हुई थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे नहीं पता था कि महाराज की बुआ इतनी छोटी हरकतें करती है। इस तरह बिस्तर को गंदा कौन करता है? मन तो कर रहा है सब कुछ आपसे ही धुलवाऊं।”

    अंतरा हैरानी से कभी सारा को देख रही थी तो कभी बिस्तर की तरफ। उसने जानबूझकर तकियों को बिस्तर के अंदर इस तरह से फंसाया जैसे वहाँ कोई इंसान सो रहा हो, फिर उसके ऊपर चादर डाल दी थी।

    “तुमने मुझे बेवकूफ बनाया? तुम साधारण इंसान!” अंतरा ने दांत पीसते हुए कहा।

    “हाँ, देख लो, एक शुद्ध और ऊंचे दर्जे की वैंपायर होने के बावजूद तुम्हें एक इंसान ने बेवकूफ बना दिया। वैसे मैंने तो सुना था कि वैंपायर के सुनने और किसी के जज्बातों को महसूस करने की क्षमता बहुत तेज होती है। पर तुम्हारी शक्तियों को क्या हो गया?” सारा ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

    उसकी गवर्नेंस ने उसे यही सिखाया था, यही वजह थी कि सारा खुद के जज्बातों को काबू करने की पूरी कोशिश करती थी, ताकि जो कॉन्फिडेंस वह उन्हें बाहर से दिखा रही है वही अंदर से खुद भी महसूस कर सके।

    “तुम मुझे नीचा दिखा रही हो?” अंतरा गुस्से में तेज सांस लेते हुए बोली। वह गुस्से से इतना उबल रही थी कि उसकी सांसें तेज चलने लगीं जो सारा को साफ दिखाई दे रहा था।

    “मैंने क्या किया? मैंने कुछ नहीं किया। मुझे दासी ने बताया कि आप मुझसे मिलना चाहती हैं तो मैं तैयार होने के लिए चली गई। अब मुझे क्या पता था कि आप इतनी बेवकूफ हैं कि आपको कोई भी आम इंसान बेवकूफ बना सकता है।” सारा ने बेपरवाही से कहा।

    अंतरा के चेहरे पर गुस्सा देखकर सारा को मजा आ रहा था। वह आगे बोली, “वैसे अच्छा है ना कि आप वैंपायर्स का खून ठंडा होता है, वरना इतनी देर में आपके गुस्से से आपका खून इतना उबल चुका होता कि आपको हार्ट अटैक आ जाता। आपको इस उम्र में इतना स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए, एक्सरसाइज करती हैं या नहीं?”

    सारा की बातों ने अंतरा को इस कदर चिढ़ा दिया था कि उसके दो नुकीले दांत बाहर निकल आए थे। उसने सारा की तरफ लाल निगाहों से देखा मानो अगले ही पल उसके शरीर के खून का एक कतरा भी उसके अंदर नहीं रहने वाला था।

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    सारा जानबूझकर आग से खेल रही है। देखते है, क्या नतीजा निकलता है। चलिए आप पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। अगले पार्ट पर मिलते है।

  • 13. Vampire king's forced bride - Chapter 13

    Words: 1567

    Estimated Reading Time: 10 min

    सुबह-सुबह अंतरा सारा से बातें करने के लिए आई थी। सारा ने अपनी जगह बिस्तर पर तकिए रख दिए थे, उसके ना उठने पर उसे सबक सिखाने के लिए अंतरा ने उस पर पानी डाला, लेकिन वहाँ पर सारा के नहीं होने पर वह बुरी तरह चिढ़ गई थी। तो बाद में सारा ने बातों की बातों में अंतरा की उम्र को लेकर उसे ताना सुना दिया था।

    अंतरा का मन कर रहा था कि वह सारा के शरीर से खून के आखिरी कतरे तक को भी सोख ले, लेकिन आरंभ के चलते वह ऐसा नहीं कर सकती थी। उसने दांत पीसते हुए कहा, "क्या तुमने मुझे अभी-अभी बूढ़ी कहा? तुम कुछ ज़्यादा ही हवा में नहीं उड़ रही, तुम्हें यह लगता होगा कि तुम काउंसिल की सुरक्षा में हो तो कुछ भी कर सकती हो। एक बात याद रखना तुम आरंभ की पहली पत्नी नहीं हो और ना ही आख़िरी। तुम्हारे बाद वह और भी कई शादियां करेगा। यह जगह तुम्हारे लिए किसी भी तरीके से सुरक्षित नहीं है, तो इस तरह दूसरों से दुश्मनी मोल लेकर अपनी मुसीबतें मत बढ़ाइए महारानी। क्या पता कौन सा राक्षस कब आपकी आत्मा को निगल ले।"

    गुस्से में बोलते हुए अंतरा की आँखों में एक लाल चमक उठी, फिर अचानक कि वह शांत हो गई थी। उसके चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कुराहट थी जिसे देखकर सारा थोड़ी उलझन में आ गई थी।

    सारा ने बेपरवाही से सिर हिला कर कहा, "मुझे राक्षसों से डर नहीं लगता है। मैं ऐसे हालातों में पली-बढ़ी हूँ जहां राक्षस भी नहीं टिक सकते हैं। अगर मुझे राक्षसों से इतना ही डर होता तो मैं यहां खड़ी होकर आपसे बात नहीं कर रही होती।"

    सारा जानती थी कि वह ऐसी हरकतें करके उन सबको और भी चिढ़ा रही है, लेकिन जब तक उसके पास काउंसिल की सुरक्षा थी वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। इतने वक़्त में वह खुद के वहाँ से भागने की योजना सोच ही लेगी। इस उम्मीद के साथ सारा उनके सामने हार मानने को बिल्कुल तैयार नहीं थी।

    अंतरा उसे देखकर गुस्से में दांत पीस रही थी, तभी सारा ने आगे कहा, "अब क्या आपका पूरा दिन यहाँ खड़े रहकर मुझे घूरने का इरादा है? बाहर जाइए, मुझे चेंज करना है और फिर ब्रेकफ़ास्ट के लिए जाना है।"

    सारा ने अंतरा को नज़रअंदाज़ किया और फिर चलते हुए ड्रेसिंग टेबल के आगे जाकर बैठ गई थी, हालाँकि आईने के ज़रिए वह अंतरा को देख रही थी, उसे डर भी लग रहा था।

    सारा ने मन ही मन कहा, "अच्छा हुआ जो मुझे पहले ही अंदाज़ा हो गया था कि यह कुछ करने वाली है तभी मैंने अपनी जगह तकियों को वहाँ पर रख दिया था। वरना इतना ठंडा पानी मेरे ऊपर गिरने पर मेरी ठंड से जान भी जा सकती थी।"

    सारा को बेपरवाह देखकर अंतरा ने तेज़ आवाज़ में कहा, "तुम एक दासी की बेटी हो ना? यहां आकर महारानी बन गई हो तो अपनी औकात भूल गई हो? इतने दिनों में इतना घमंड आ गया तुम्हारे अंदर?" चलते हुए अंतरा सारा के पास आई और आगे बोली, "हम सबको डराने के लिए तुम इतनी छोटी हरकत करोगी इसका मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था। तुमने खुद को ट्रेन करने वाली गवर्नेंस तक को मार डाला। तुम्हें लगा कि तुम्हारे ऐसा करने पर हम तुमसे डरने लगेंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा, हमें तुमसे नफ़रत हो रही है। जिस औरत का गुरु होने के नाते तुम्हें सम्मान करना चाहिए, तुमने उसकी जान ले ली।"

    अंतरा को गवर्नेंस का सिर तोहफ़े में मिल चुका था। वह ऐसे ज़ाहिर कर रही थी जैसे सारा ने उसकी जान ली हो जबकि यह खबर सुनकर सारा को खुद को बहुत बड़ा झटका लगा था। रात को आरंभ में जाते वक़्त यही कहा था कि वह उस औरत को मारने जा रहा है जिसने उसे ट्रेनिंग दी थी। वह नहीं जानती थी कि वह सच में ऐसा कर देगा।

    "तो सच में उसने उस औरत को मार डाला? क्या उसके अंदर बिल्कुल भी दया नहीं है? उसे सब अपने खिलौने की तरह नज़र आते हैं, जब मन किया खेल लिया और मन भर गया तो तोड़कर फेंक दिया।" सारा ने मन ही मन कहा, डर के मारे उसका दिल कांपने लगा था, लेकिन यह उसने अपने चेहरे से ज़ाहिर नहीं होने दिया।

    वह समझ रही थी कि अंतरा यहाँ उसके डर के साथ खेलने के लिए आई है। सारा ने अपने होंठों के कोनों पर हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर अंतरा की तरफ़ देखकर इस बेपरवाही से कहा, "अरे वह औरत, वह बूढ़ी औरत मुझे बिल्कुल पसंद नहीं थी। जब देखो चिल्लाती रहती थी। मैंने बस आरंभ को बातों ही बातों में बताया ही था, मुझे क्या पता था कि मुझे परेशान करने वाली कि वह जान ले लेगा।"

    सारा के चेहरे पर एटीट्यूड उभर आया था। वह ऐसे ज़ाहिर कर रही थी मानो आरंभ उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उसकी एक छोटी सी शिकायत ने एक बूढ़ी महिला की जान तक खतरे में ला दी थी। यह सुनकर अंतरा का चेहरा सफ़ेद पड़ने लगा।

    सारा अपनी जगह से उठी और फिर अंतरा की तरफ़ देखकर तिरछा मुस्कुराते हुए बोली, "अच्छा आपको क्या लगता है बुआ, क्या आरंभ सच में मुझे इतना प्यार करता है कि मेरे लिए किसी की जान भी ले सकता है? अच्छा अगर मैं उसे जाकर यह बताऊँ कि आप मुझे परेशान करती है तो वह आपके साथ क्या करेगा, यह देखना तो बनता है ना?"

    सारा अपनी बातों से अंतरा को चुनौती दे रही थी, लेकिन अंतरा इस वक़्त अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। वह मन ही मन बोली, "आरंभ ने उसकी जान क्यों ली होगी? उसने कहा था कि सारा को ट्रेनिंग देने वाली औरत एक इंसान होनी चाहिए और सब कुछ उसके आदेशों के हिसाब से होना था और वैसे ही हो रहा था। बूढ़ी महिला बस मेरे लिए काम कर रही थी। उसने इस लड़की को सारी ट्रेनिंग उल्टी दी थी। इस वैम्पायर को रिझाने के लिए नहीं बल्कि उन्हें चिढ़ाने के तरीके सिखाए गए थे। ट्रेनिंग में इसे इतना डराया गया फिर भी यह लड़की हमारे सामने आँखों में आँखें मिलाकर बात कर रही है, तो क्या आरंभ को पता चल गया था कि वह महिला इस लड़की को ग़लत ट्रेनिंग दे रही थी?"

    सोचते हुए अंतरा ने एक नज़र सारा की तरफ़ देखा जो काफ़ी सुंदर थी। उसके चेहरे की मासूमियत किसी का भी दिल मोह सकती थी, लेकिन वह आरंभ था। उसके पास तो दिल ही नहीं था।

    "आरंभ इसे प्यार नहीं कर सकता है। वह प्यार नहीं करता है, वह तो बस सामने वाले का प्यार का फ़ायदा उठाकर उसे अपने इशारों पर नचाता है। फिर वह इस लड़की के इशारों पर कैसे नाच सकता है।" अंतरा ने अपने मन में कहा।

    अंतरा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आख़िर आरंभ दस के लिए किसी की जान क्यों लेगा? उसने यही सोचा था कि सारा का हाल भी वही हो जो आरंभ की पिछली पत्नियों का हुआ था, लेकिन यहां उसने सारा को काफ़ी काम आंका था।

    सारा के चेहरे पर घमंड भारी मुस्कुराहट देखकर अंतरा ने चिढ़ते हुए कहा, "तुम पागल हो गई हो। यहां एक इंसान के जान गई है और तुम हंस रही हो?" बोलते हुए वह सारा की गर्दन को घूर रही थी जो इतनी पतली थी कि वह उसे एक झटके में तोड़ सकती थी। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी आरंभ को यह बिल्कुल पसंद नहीं आता।

    वहीं सारा ने उसकी बात का जवाब में कहा, "नहीं मैं, थोड़ा हैरान हो रही हूँ। मैंने तुम्हें यहाँ मारने की धमकी दी, तुम्हारी शिकायत लगाने को कहा फिर भी तुम यहाँ पर खड़ी हो? कहीं तुम्हें यह तो ग़लतफ़हमी नहीं है ना कि तुम वैम्पायर हो तो कोई तुम्हें मार नहीं सकता है?"

    "अगर तुम्हें खुद पर इतना ही विश्वास है तो जाकर आरंभ से शिकायत लगा कर देख लो। वैसे भी थोड़ी देर में तुम उससे मिलने वाली हो।" अंतरा ने शांत मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया। वह जानती थी कि यह छोटी लड़की इतनी आसानी से उसके क़ाबू में नहीं आने वाली थी, गुस्से में तो बिल्कुल नहीं।

    "हां पूछ लूंगी लेकिन बाहर तो तब जाऊंगी ना जब आप यहां से निकलेंगी और मुझे तैयार होने का मौक़ा देगी।" सारा बोली।

    "ठीक है फिर मुझे भी उस लम्हे का इंतज़ार है। फिर मैं देखती हूँ कि आरंभ कैसे सबके सामने तुम्हारी गर्दन अपने पैरों तले कुचलता है।" अंतरा मुस्कुरा कर बोली और फिर वहाँ से जाने लगी।

    अगर थोड़ी देर अंतरा और नहीं जाती तो सारा की हिम्मत जवाब दे जाती। अंतरा के जाते ही उसने सभी दासियों को वहाँ से भगा दिया था। सभी दासियों ने भी राहत की सांस ली क्योंकि उन दोनों के कोल्ड वॉर के बीच में वह भी सब खामखा फस गई थी।

    उन सबके निकलते ही सारा ने जल्दी से कमरे का दरवाज़ा बंद किया और वह बिस्तर पर धड़ाम से गिर गई थी। सारा की आँखें डर से बड़ी हो गई थी।

    "हे भगवान, मै इस सनकी वैम्पायर के चंगुल से कैसे निकलूंगी, जो इंसानों को बिना किसी वजह मार देता है। क्या सच में उसने मेरी गवर्नेंस को मार डाला?" सारा कांपती आवाज़ में बोली और उसे अभी भी यक़ीन नहीं हो रहा था कि रात को जिस हल्के तरीक़े से आरंभ बोल रहा था, उसने उतनी ही क्रूरता से उस गवर्नेंस को मरवा भी दिया था।

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    फिलहाल के लिए इतना ही, अगला चैप्टर लाइन में है, तो प्लीज पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। नेक्स्ट पार्ट मिलते है

  • 14. Vampire king's forced bride - Chapter 14

    Words: 1569

    Estimated Reading Time: 10 min

    अंतरा सारा के पास यह खबर बताने के लिए आई थी कि आरम्भ ने उसकी गवर्नेंस को मार दिया है। हालाँकि, सारा अंतरा के सामने बहादुर बनने की पूरी कोशिश कर रही थी। उसने ऐसे जाहिर किया जैसे आरम्भ ने सारा के लिए ही उस गवर्नेंस को मारा है।

    सारा ने जैसे-तैसे करके अंतरा को वहाँ से भेज दिया था, लेकिन उसके जाने के बाद वह बिस्तर पर बिल्कुल सीधी पड़ी हुई थी। उसका आधा शरीर बिस्तर से नीचे था। उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि आरम्भ ने उसकी गवर्नेंस को सच में मरवा दिया है। रात को जब उसने इस बारे में सारा को बताया तो सारा ने इसे बस एक मजाक की तरह लिया था। अब उसे अपनी चिंता हो रही थी कि वह इस सनकी वैम्पायर की कैद से कैसे बाहर निकलेगी।

    सारा अपने ख्यालों में खोई हुई थी, तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज़ सुनकर वह जल्दी से खड़ी हो गई। बाहर से एक दासी ने कहा, "राजकुमारी, क्या आप कपड़े बदल चुकी हैं? हमें आपको तैयार भी करना है।"

    "बस 5 मिनट और लगेंगे," सारा ने जल्दी से जवाब दिया। आपने परेशानी में उसने कपड़े तक नहीं बदले थे।

    सारा के लिए एक पेस्टल पिंक कलर का इवनिंग गाउन रखा हुआ था, जो मोटे कपड़े का था। उसे अंदर पहनने के लिए गर्म कपड़े दिए गए थे ताकि वह गाउन के अंदर दिखाई न दे और वह ठंड से भी बच सके। सारा ने जल्दी से सारे कपड़े पहन लिए थे। वह ड्रेस उस पर काफी खूबसूरत लग रही थी। उसके बाद सारा ने दासियों को बुलाया तो उसने उसका मेकअप किया और बालों को खूबसूरती से सजा दिया था। हल्के पिंक कलर की ड्रेस में खुले बालों में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    सारा के चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव थे और तैयार हो जाने के बावजूद वह आईने में किसी मूर्ति की तरह खड़ी देख रही थी। एक दासी ने घबराते हुए पूछा, "महारानी, क्या किसी चीज़ की कमी रह गई है? आप मुझे बता दीजिए, मैं कर देती हूँ।"

    "हाँ, यह सही कह रही है। आपको अपने झुमके पसंद नहीं आ रहे हैं तो मैं इन्हें बदल देती हूँ," दूसरी दासी बोली।

    सारा को आए हुए अभी पूरी तरह एक दिन भी नहीं हुआ था, पर उसकी क्या ताकत थी, यह थोड़े समय में ही पूरे महल का चर्चा का विषय बन गई थी। ऐसे में कोई भी दासी उससे दुश्मनी मोल लेकर अपनी जान मुसीबत में नहीं डालना चाहती थी।

    "नहीं, सब ठीक है," सारा ने उन्हें रुकने का इशारा किया और फिर खुद को एक नजर आईने में देखा। वह आज सच में किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई थी, वरना पहले तो वह सच में एक दासी की बेटी की लगती थी।

    कुछ ही देर में सारा ब्रेकफास्ट करने के लिए एक बड़े से कमरे में पहुँच चुकी थी। वहाँ और भी लोग थे। सारा ने जाते ही सबके सामने हल्का सा सिर झुकाया। वह किसी भी तरह की बेअदबी नहीं करना चाहती थी। पहले ही उसने अंदरूनी तौर पर उसे चिढ़ाकर उससे दुश्मनी मोल ले ली थी, जबकि वह अच्छे से जानती थी कि वही औरत उसे आगे के तौर-तरीके सिखाने वाली थी।

    सारा के आते ही काउंसिल के आदमी ने कहा, "महारानी, अब आप मुझे कल से काफी बेहतर लग रही हैं। सब ठीक तो है ना?"

    "हाँ, सब ठीक है। नए माहौल में ढलने में थोड़ा टाइम लगता है। मैं पूरी कोशिश कर रही हूँ खुद को इस नए माहौल में एडजस्ट करने की," सारा ने जवाब दिया। वह खुश थी कि काउंसिल का आदमी उसकी सुरक्षा के लिए अभी तक वहाँ पर मौजूद था।

    कल रात अंधेरा होने की वजह से सारा महल की खूबसूरती को ठीक से नहीं देख पाई थी, लेकिन अब वह वहाँ पर खड़ी हर एक मूर्ति और कला को ध्यान से देख रही थी। उसका ध्यान बँट जाए, लेकिन आरम्भ की नज़रें पूरी वक्त तक उस पर टिकी हुई थी। सारा यह महसूस कर सकती थी। उसने चढ़ाते हुए आरम्भ की आँखों में देखा।

    "क्या हुआ, सब ठीक है?" आरम्भ ने भौंहें उठाकर पूछा।

    "नहीं, मैं बस यह देखना चाहती थी कि कुछ मेरे खाने लायक है या नहीं," सारा ने जवाब दिया।

    आरम्भ के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट उभर आई थी जिसे सब गौर से हैरानी से देखने लगे थे, लेकिन सारा जानती थी कि वह जितना मासूम दिखता है वह उतना ही टेढ़ा था। उसका सबूत उसने सुबह-सुबह दे भी दिया था।

    सारा आरम्भ से काफी कैजुअल बात कर रही थी। यह चीज वहाँ बैठे एक लड़के को पसंद नहीं आई जो दिखने में सिर्फ 20 साल का लग रहा था। हालाँकि, वह एक वैम्पायर था और उसकी असली उम्र का सारा को बिल्कुल अंदाजा नहीं था।

    "यह आप किस लहजे में बात कर रही है? ना आपने यहाँ पर आकर किसी को ग्रीट किया। वह हमारे किंग हैं तो थोड़ा तमीज से पेश आएंगी," उस लड़के ने हल्के गुस्से में कहा। सारा के बदतमीजी की कहानी वह पहले ही सुन चुका था।

    उसने टेबल पर रखा लाल द्रव्य का गिलास पूरा खाली कर दिया था। फिर उसने काउंसिल के आदमी की तरफ देखकर कहा, "क्या सच में तुमने इसे हमारे किंग के लिए चुना है? मुझे यह लड़की किसी भी हिसाब से उनके काबिल नहीं लगती है। हैरानी की बात है, यह उनका सामान नहीं कर रही है।"

    सारा को उसके बोलने का अंदाज और बातें अंतरा जैसी लगीं। उन सब से बात करने के बाद उसने आरम्भ की तरफ देखकर कहा, "इस लड़की में बिल्कुल भी शिष्टाचार नहीं है। ना इसने खुद का परिचय करवाया और ना ही सबके सामने झुक कर उनका सम्मान किया।"

    आरम्भ कुछ कहता उससे पहले सारा ने वहाँ रखा एक जूस का ग्लास उठाया और उसे सूंघा। वह इंसानों के पीने लायक था। उसने एक घूंट पीकर उस लड़के को देखकर सख्त आवाज़ में कहा, "शायद आप भूल रहे हैं कि हमारी नई-नई शादी हुई है। एक पति-पत्नी के बीच में कौन सा परिचय और झुक कर सम्मान करने वाली चीज आ जाती है? अगर यही रहा तो हम एक दूसरे के करीब कैसे आएँगे?"

    सारा के शब्द सुनकर जहाँ बाकी लोग हैरान हो गए थे वहीं आरम्भ के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसने उस लड़के की तरफ देखकर कहा, "जिहान, यह बिल्कुल ठीक कह रही है। हमारी नई-नई शादी हुई है तो यह सब फॉर्मेलिटी की क्या जरूरत है? अब सुंदर लड़कियाँ थोड़ा बहुत तो नखरे दिखाती ही है। मुझे इसके बिहेवियर से कोई प्रॉब्लम नहीं है।" बोलते हुए उसने सारा की तरफ देखा और आगे कहा, "रही बात करीबी बढ़ाने की तो अभी-अभी मेरे दिमाग में बहुत अच्छा आइडिया आया है।"

    इससे पहले कि सारा कुछ समझ पाती आरम्भ ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया था। वह कुछ कह पाती उससे पहले उसके दोनों हाथ उसकी कमर पकड़ चुके थे। सारा के दिल की धड़कन तेज थी।

    आरम्भ ने सारा की आँखों में देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, "इतनी करीबी काफी है डिअर वाइफी है या और क्लोज आना है?"

    सारा को कुछ समझ नहीं आया। थोड़ी सेकंड पहले वह आराम से वहाँ खड़ी थी और अगली ही कुछ पलों में आरम्भ ने काफी आराम से उसे अपने गोद में बिठा लिया था। उसका शरीर मानो जड़ हो गया हो, लेकिन आरम्भ को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह आराम से सारा को अपनी कैद में लिए बैठा था।

    वह दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। आरम्भ की घनी पलकें उसकी आँखों को और भी सुंदर बना रही थी। वह करीब से और भी ज्यादा सुंदर दिखता था, लेकिन सारा उसके अंदर खोना नहीं चाहती थी। उसने तुरंत अपनी नज़रें हटा ली थी। तो वही आरम्भ थोड़ा हैरान हो गया जो लड़की थोड़ी देर पहले खोई हुई निगाहों से उसे देख रही थी अचानक वह दूसरी तरफ देखने लगी।

    आरम्भ ने यही सोचा था कि जब वह उसे गोद में बिठाएगा तो वह घबरा जाएगी। किसने सोचा था कि वह घबराने के बजाय उसकी खूबसूरती को निहारने लगेगी।

    सारा बाकी लड़कियों से वाकई काफी अलग थी। उसके बारे में अंदाजा तक नहीं लग सकता था। शायद यही वजह थी की सारा उसे इतने दिलचस्प लगी थी।

    सारा के दूसरी तरफ देखने पर आरम्भ ने अपना सिर उसके कंधे पर रखा और धीरे से कहा, "तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया डिअर वाइफी इतनी क्लोज काफी है या और करीब आऊँ?"

    आरम्भ का मुंह सारा की गर्दन के इतने करीब था कि उसे डर लगने लगा कि वह खून न पीने लगे। उसने महसूस किया कि बाकी सब के आगे खून का गिलास और बोतल रखी हुई थी जबकि आरम्भ के आगे कुछ नहीं रखा हुआ था। वह कभी भी इस तरह गिलास में खून नहीं पीता था। उसे इंसान का ताजा खून चाहिए होता था।

    सारा को कुछ देखकर आरम्भ बोला, "ऐसा क्या सोच रही हो जो मेरे इतना पास होकर भी तुम्हारा मेरी बातों पर ध्यान नहीं है? तुम्हारी बातें मुझे चिढ़ा रही है डिअर वाइफी।"

    सारा ने जल्दी से घबरा कर उसकी आँखों में देखा। भले ही वह नॉर्मल दिख रहा हो, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट क्यों ना हो, लेकिन उसकी आँखों की लाल चमक दिखा रही थी कि वह सच में गुस्से में है। सारा उसे गुस्सा दिला भी नहीं सकती थी। यह उसकी जान के लिए सही नहीं था, लेकिन इस वक्त वह ऐसी पोजीशन में बैठी हुई थी कि उसे समझ भी नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे।

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  • 15. Vampire king's forced bride - Chapter 15

    Words: 1526

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग एरिया में आई थी, वहाँ और भी लोग मौजूद थे। काउंसिल के आदमी को देखकर सारा को थोड़ी राहत महसूस हुई कि उसकी सुरक्षा को ऐसे ही नज़रअंदाज़ नहीं किया जा रहा था। सारा सबसे काफ़ी नॉर्मली बर्ताव कर रही थी, जबकि एक महारानी को वहाँ आते ही सबसे पहले सबको अदब से सम्मान देना था। उसके बेपरवाह बर्ताव को देखकर जिहान नाम का लड़का चिढ़ गया था।

    सारा ने सफ़ाई में यही कहा कि अभी यह सब कुछ उसके लिए नया है। फ़िलहाल वह अपने और आरम्भ के रिश्ते को कभी भी बढ़ाना चाहती है। उसकी बात सुनते हुए आरम्भ ने सारा को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया था। उसके इतना करीब आने पर सारा घबरा गई थी। उसे खोया हुआ देखकर आरम्भ को अच्छा नहीं लग रहा था। वह यही चाहता था कि अगर सारा उसके करीब है तो उसे ही अटेंशन दे।

    सारा ने गहरी सांस ली और खुद को सामान्य दिखाते हुए बोली, "मुझे बहुत भूख लगी है और मैं खाने के बारे में सोच रही हूँ। समझ नहीं आ रहा, आपकी गोद में बैठकर कैसे खाऊँगी।"

    जब असल में सारा के मन में यही चल रहा था कि इस वक़्त वह आरम्भ की कैद से कैसे आज़ाद हो। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे शिकारी अपने शिकार को पंजों में लेकर बैठा हो और अगले ही पल उसकी जान जाने वाली हो।

    "अच्छा, लेकिन मुझे तो लगा कि तुम कुछ पीना चाहती हो, तुम सबके ग्लास की तरफ़ देख रही थी। रुको, मैं तुम्हारे लिए भी मंगवाता हूँ," आरम्भ बोला।

    इससे पहले की सारा मना कर पाती, आरम्भ उसके लिए वैसा ही ड्रिंक मंगवा चुका था। आरम्भ ने सारा के आगे ग्लास रख दिया था और उसे पीने का इशारा किया।

    "मुझे लगता है कि मैं ठीक हूँ, कुछ खाए बिना पीना सही नहीं रहेगा," सारा ने बहाना बनाया, जबकि उसके मन में काफ़ी कुछ चल रहा था। वह आरम्भ को कोसते हुए मन ही मन बोली, "यह वैम्पायर पागल हो गया है, मैं इनकी तरह खून कैसे पी सकती हूँ? क्या इसमें बिल्कुल भी तमीज़ नहीं है कि अपनी पत्नी को उसके हिसाब से खाने-पीने के लिए दे, दरिंदा कहीं का, पागल वैम्पायर।"

    "लेकिन फिर भी मैं कहता हूँ कि तुम्हें एक बार इसे ट्राई करना चाहिए," आरम्भ ने बोला और ज़बरदस्ती सारा के होठों पर ग्लास लगा दिया था। सारा मना करना चाहती थी, पर आरम्भ ने उसे कसकर पकड़ रखा था।

    सारा ने अपने होठों को कसकर बंद कर लिया था, लेकिन आरम्भ के आगे उसके कहाँ चलने वाली थी। उसे उल्टी करने का मन कर रहा था, लेकिन जैसे ही वह उसके गले के नीचे से उतरा, सर ने महसूस किया कि वह खून नहीं था।

    "मैंने कहा था ना तुम्हें यह पसंद आएगी। हमारे साम्राज्य में एक ख़ास तरह की रेड वाइन बनाई जाती है, इसमें ज़्यादा नशा नहीं होता और यह पीने में स्वादिष्ट लगती है। अगर तुम्हें अच्छी लगी तो मैं तुम्हारे लिए और मंगवा देता हूँ," आरम्भ ने दिलचस्प मुस्कुराहट के साथ कहा।

    ग्लास रखने के बहाने सारा को आरम्भ से दूर होने का मौक़ा मिला और वह जल्दी से पास वाली सीट पर जाकर बैठ गई थी। उसे आरम्भ से दूर होकर अच्छा लग रहा था, लेकिन तभी उसके दिमाग़ में एक ख़याल आया- अगर वह लाल द्रव्य रेड वाइन थी तो कल रात अंतरा उसे बेवकूफ़ बना रही थी, वह उसे डराना चाहती थी। सोचते हुई सारा की नज़र सामने की तरफ़ गई, जहाँ जिहान के पास में एक लड़की बैठी हुई थी और वह उसे खा जाने वाली निगाहों से देख रही थी। उसे समझ नहीं आया कि आख़िर वह लड़की उस से इतना गुस्सा क्यों है।

    "यह लड़की कौन है और मुझे ऐसे क्यों देख रही है?" सारा ने हैरानी से मन ही मन कहा।

    वह लड़की दिखने में बहुत ज़्यादा ख़ूबसूरत थी, बिल्कुल बेदाग़ सफ़ेद गोरा चेहरा, परफ़ेक्ट फ़िगर और चेहरे पर एक एलिगेंस। उसके लाल-भूरे बाल काफ़ी लंबे और सुंदर थे, उसे देखकर किसी को भी जलन हो सकती थी।

    सारा को इस तरह उस लड़की को घूरते हुए देखकर आरम्भ बोला, "अरे हाँ, मैं तुम्हें तुम्हारे नए परिवार से तो मिलवाना भूल ही गया था।"

    उसके बाद आरम्भ उनका परिचय देते हुए बोला, "मेरी बुआ से तुम पहले ही मिल चुकी हो। उनके दो बच्चे हैं- जिहान और समायरा। अंतरा मेरे डैड की छोटी बहन है और वह मेरे डैड के छोटे भाई खनिन है।"

    सारा ने उन सब की तरफ़ सर झुकाया। उसे मन ही मन अजीब लग रहा था कि यह उसका नया वैम्पायर परिवार है, जिसके साथ उसका दिल से कोई रिश्ता नहीं जुड़ा हुआ है। सब उसे मारने की फ़िराक़ में ही थे।

    सारा अपने ख़यालों में खोई हुई थी तभी समायरा ने आरम्भ की तरफ़ देखकर नख़रे दिखाते हुए कहा, "बिग ब्रदर, मुझे बहुत प्यास लगी है और आपने कहा था कि कुछ ख़ास होने वाला है।"

    "हाँ बिल्कुल," आरम्भ बोला और उसने एक दासी को इशारा किया।

    इसी के साथ कुछ लड़कियाँ अंदर आ गई थी और उन्होंने अपनी कलाई वहाँ मौजूद मेहमानों के आगे कर दी थी। वे सीधे उनके हाथों से खून पी रहे थे। यह दृश्य देखकर सारा को उल्टी आने लगी थी, उसका खाना तक गले में अटक गया था।

    "ये लोग मेरे सामने ऐसा कैसे कर सकते हैं? क्या इन्हें ज़रा भी ख़याल नहीं कि मैं एक इंसान हूँ, बेशर्म वैम्पायर कहीं के," सारा मन ही मन उन्हें कोसते हुए बोली।

    उसका सफ़ेद पड़ता चेहरा जिहान ने नोटिस कर लिया था। वह तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, "क्या हुआ महारानी, आप हम सबको क्यों देख रही हैं? क्या आज आपको ब्रेकफ़ास्ट पसंद नहीं आया या यह आपको कल रात इतना ही सिम्पल लग रहा है?"

    अंतरा को कल रात सारा ने यही जवाब दिया था। जिहान ने उसे ताना मारा तो अंतरा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

    "ऐसा कुछ नहीं है, बस मेरा पेट भर गया है, मैं बस यहाँ से जाना चाहती हूँ," सर ने बहाना बनाया।

    जिहान उसे देखकर तिरछा मुस्कुराया। उन सब की प्यास बुझाने के बाद वे लड़कियाँ जा चुकी थी। सारा भी वहाँ से जाने वाली थी, लेकिन तभी रक्षित ने कहा, "अगर आपका खाना हो गया है तो आगे होने वाले प्रोग्राम के बारे में बात करें?"

    "कैसा प्रोग्राम? क्या यहाँ किसी तरह की रिसेप्शन पार्टी होने वाली है या मुझे यहाँ के लोगों से मिलने के लिए जाना होगा, किसी तरह का इंटरव्यू होगा क्या?" सारा ने काउंसिल के आदमी की तरफ़ देखकर पूछा।

    एक वही था जो उसके सवालों के जवाब दे सकता था। ऊपर से उसका ज़िंदा रहना ज़रूरी था यह सुनिश्चित करने के लिए वह ख़ुद वहाँ पर रुका हुआ था।

    "हाँ, आपकी शादी का भव्य प्रोग्राम रखा गया है। आपने कहा था ना कि आपकी शादी बहुत ही साधारण तरीक़े से हुई थी, ऊपर से किंग भी वहाँ पर नहीं आ पाए थे, इसलिए शादी का प्रोग्राम रखा जा रहा है," काउंसिल के आदमी ने जवाब दिया।

    सारा ने एक नज़र आरम्भ की तरफ़ देखा। उसे यक़ीन नहीं हो रहा था कि आरम्भ उसकी एक छोटी सी शिकायत को इतना सीरियसली लेगा। आरम्भ ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया था।

    "बिल्कुल, जो मेरी वाइफ़ ही चाहती है वह मैं कैसे इग्नोर कर सकता हूँ। यह बहुत बड़ा फ़ंक्शन होने वाला है और यहाँ सब लोग आएँगे। ड्रेस डिज़ाइनिंग और बाक़ी तरीक़े सीखने का काम समायरा करना चाहती है और डांस सीखने का काम जिहान करेगा। इन्होंने ख़ुद से यह रिस्पॉन्सिबिलिटी लेने के लिए कहा है, बाक़ी अंतरा तुम्हारी मदद करने के लिए एनी टाइम अवेलेबल रहेगी," आरम्भ ने सारा को सब कुछ समझा दिया था।

    समायरा ने जानबूझकर यह काम अपने हाथ में लिया था ताकि उसे परेशान कर सके। सारा इसे बेहतर तरीक़े से समझ सकती थी। इसकी निगाहें बिना कुछ कहे ही काफ़ी कुछ बोल रही थी।

    समायरा ने एविल स्माइल करते हुए कहा, "यह मेरी ख़ुशक़िस्मती है जो मैं हमारी रानी की ब्राइड मेड बन सकूँ।"

    "मुझे भी जानकर अच्छा लगा कि तुम मेरे छोटे काम करने के लिए ख़ुद से आगे आई। वैसे भी मुझे एक हेल्पर की ज़रूरत थी," सारा ने जवाब दिया। उसने बातों ही बातों में ब्राइड मेड के बजाय समायरा को दासी की उपाधि दे दी थी।

    समायरा का मन किया कि सारा की इस गुस्ताख़ी पर वह उसे अच्छा ख़ासा सबक़ सिखाए, लेकिन सबके सामने वह चेहरे पर मुस्कुराहट ओढ़े हुए बैठी हुई थी।

    "बिल्कुल, मुझे ख़ुशी मिलेगी अगर मैं हमारी महारानी की थोड़ी सी भी मदद कर सकूँ," समायरा ने ख़ुद को शांत करके जवाब दिया।

    "मीठी छुरी कहा की," तारा ने मन ही मन कहा।

    तारा उसके बाद अपने कमरे में आ गई थी। अब तक अंतरा उसे परेशान करने के लिए कम थी क्या, जो अब उसकी बेटी और उसका बेटा प्रोग्राम के बहाने उसके तारा पर नाचने को तैयार हो गए थे। तारा को अब ख़ुद की बातों पर पछतावा हो रहा था जब उसने शिकायत लगाते हुए यह कह दिया था कि उनकी शादी का समारोह भव्य नहीं था।

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    भाई वैम्पायर हो लेकिन फिर भी बहुत स्वीट है देखते हैं कि इनका यह रिलेशन आगे कहाँ तक और कैसे जाएगा। चलिए आप लोग पढ़ कर कमेंट किया करो और प्लीज मुझे फ़ॉलो भी करो ताकि मैं यहाँ आगे बढ़ सकूँ।"

  • 16. Vampire king's forced bride - Chapter 16

    Words: 1638

    Estimated Reading Time: 10 min

    नाश्ते के बाद सारा अपने कमरे में आ गई थी। आज वह अपने नए वैम्पायर परिवार से मिली थी। कोई भी तारा और आरम्भ की शादी से खुश नहीं था। तारा की इच्छा का मान रखते हुए आरम्भ ने उनकी शादी का भव्य समारोह करने का निश्चय किया, जिसमें उसकी सहायिका के तौर पर अंतरा की बेटी समायरा और उसे डांस सीखने के लिए उसके भाई जिहान को नियुक्त किया गया।

    तारा अपने कमरे में वापस आ गई थी। वह इस वक़्त बिस्तर पर लेटी हुई थी और हमेशा की तरह सीलिंग को देख रही थी। तारा को ऐसा लग रहा था जैसे उसने खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली हो।

    तारा ने गहरी सांस ली और खुद से बड़बड़ाते हुए कहा, "मैं इतनी बेवक़ूफ़ कैसे हो सकती हूँ? क्या ज़रूरत थी यह कहने की कि हमारी शादी का फ़ंक्शन अच्छा नहीं था, इसने अब एक नया ड्रामा लगा दिया। ओह भगवान, मैं इतनी गड़बड़ी क्यों करती रहती हूँ? काश हिना यहाँ पर होती तो मुझे यह सब करने से रोक लेती।"

    तारा ने एक नज़र दासियों की तरफ़ देखा जो उसे खुद से बड़बड़ाते देखकर उसे पागल समझ रही थी, लेकिन जब से वह आई थी तब से कोई ना कोई पागलपन किए ही जा रही थी।

    उनके अजीब तरह से देखने के कारण सारा ने उन्हें घूर कर देखा तो उन सब की नज़रें नीचे हो गई थी। वह इस पागल नहीं महारानी से पंगा नहीं लेना चाहती थी, जो जब से आई थी तब से सबको नाराज़ किए जा रही थी।

    इस बीच दरवाज़े पर एक दासी आई। उसने वहीं से कांपती आवाज़ में पूछा, "महारानी, वह मुझे कुछ कहना है।"

    "जल्दी बोलो," सारा ने बेरुखी से जवाब दिया। उसने अभी तक उन दासियों के साथ कुछ भी नहीं किया था फिर भी न जाने क्यों वह उससे घबराई हुई रहती थी।

    "लेडी समायरा आपसे मिलने के लिए आई है, क्या मैं उन्हें कमरे के अंदर आने का कह दूँ," उसने डरते हुए पूछा।

    सारा ने उस दासी के चेहरे की तरफ़ ग़ौर से देखा। वह काफ़ी घबराई हुई नज़र आ रही थी, एक तरफ़ सारा का डर था तो दूसरी तरफ़ बाहर खड़ी समायरा का।

    सारा जब से अंदर आई थी वह काफ़ी परेशान लग रही थी, अंदर आते ही सीधे लेटने की वजह से उसके बाल भी ख़राब हो गए थे, ऐसी हालत में वह समायरा के सामने जाकर अपना कॉन्फ़िडेंस डाउन नहीं करना चाहती थी।

    "नहीं, उनसे कहो कि वे बाहर इंतज़ार करें, मैं आती हूँ थोड़ी देर में," सारा ने ख़ुद को सख़्त करके जवाब दिया।

    "अगर वह इसका कारण पूछे तो?" दासी ने हिचकिचाते हुए पूछा जिससे साफ़ था कि समायरा उसके अंदर ना आने देने की वजह ज़रूर पूछने वाली थी।

    "पूछे तो बता देना कि मैं अपने कमरे में किसी भी बाहर वाले से नहीं मिलना चाहती जहाँ मैं अपने पति के साथ प्राइवेट टाइम स्पेंड करती हूँ। मैं यहाँ की महारानी हूँ तो मेरी कुछ प्राइवेसी होनी चाहिए। यह मेरा बेडरूम है कोई लिविंग रूम नहीं जो हर कोई मुँह उठाकर चला आएगा," सारा ने बिना किसी डर के जवाब दिया।

    उसका जवाब सुनकर सारी दासियाँ हैरानी से उसकी तरफ़ देखने लगी। सारा को भी एहसास था कि उसने बड़ी ही बेहयाई से बहुत बुरा बहाना बनाया था।

    उसके पास सारा का आदेश मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। वो झुका कर वह वहाँ से चली गई थी तो वहीं उसके जाते ही सारा ड्रेसिंग टेबल के आगे आ गई। उसने अपना थोड़ा बहुत मेकअप किया ताकि वह कॉन्फ़िडेंट लगे।

    तैयार होने के बाद सारा ने एक दासी से कहा, "मुझे उस कमरे में लेकर चलो जहाँ लेडी समायरा मेरा इंतज़ार कर रही है।"

    तुरंत ही दासी उसे एक बड़े से हॉल के अंदर लेकर गई। सारा को लग रहा था कि उसकी बदतमीज़ी और कमरे में ना आने की वजह से समायरा उससे बहुत गुस्सा होगी, लेकिन उससे अलग समायरा वहाँ टेबल पर बैठकर आराम से चाय पी रही थी। सारा को देखते ही उसने अपना हल्का सा सर हिलाया और चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट दी।

    सारा ने उसे देखकर मन की मन कहा, "यह क्या, यह तो स्माइल कर रही है? मैंने तो सोचा था कि इसे इतना गुस्सा दिलाऊँगी की यह खुद ब खुद मुझसे दूर चली जाएगी, लेकिन अब लग रहा है कि इससे पीछा छुड़ाना आसान नहीं रहने वाला।"

    सारा आगे जाकर समायरा के ठीक सामने वाली चेयर पर बैठ गई थी। उसने अपने पैर पर पैर रखते हुए काफ़ी एटीट्यूड से कहा, "हाँ तो मुझे बताओ कि तुम मुझसे क्यों मिलना चाहती थी?"

    सारा के इतनी बदतमीज़ी से बात करने के बावजूद समायरा की स्माइल बरक़रार थी। उसने उसी लहजे में कहा, "आप शायद भूल रही है महारानी आपकी शादी का समारोह रखा गया है, वहाँ बहुत से लोग शिरकत करेंगे जो कि ऊंचे घरानों और राजघराने से आने वाले हैं, अगर आप उन लोगों को पहचानेंगी नहीं तो यह काफ़ी शर्मनाक होगा।"

    "आगे बोलो," सारा ने सिर हिला कर कहा।

    "मैं यहाँ आपको आरम्भ की मॉम और उससे जुड़े परिवारों और बाक़ी ऊंचे घरानों के बारे में बताने के लिए आई हूँ। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आप एक दासी की बेटी रही हैं तो आपको इन सब के बारे में ज़्यादा नॉलेज नहीं है, पर चिंता मत कीजिए मैं आपको 1 दिन में सब याद दिला दूँगी। मेरा यक़ीन कीजिए आप कितनी भी बात मुझसे उनके बारे में पूछेंगी, तो मैं बिना गुस्सा किए सब कुछ बताऊँगी। मेरा वादा है कि मैं आपको सब कुछ याद दिला कर ही दम लूँगी," समायरा काफ़ी शांति से सारा को समझ रही थी।

    अगर कोई अचानक से उन्हें देखता तो यही लगता कि समायरा काफ़ी फ़्रेंडली और अच्छे नेचर की है, लेकिन बातों ही बातों में वह सारा की बेइज्ज़ती कर रही थी। उसके कहने का मतलब यही था कि वह एक दासी की बेटी है और काउंसिल ने आरम्भ के लिए एक ग़लत लड़की को चुना है जो की राजघराने के नाम तक नहीं जानती थी।

    समायरा मन ही मन अपनी जीत पर खुश हो रही थी, लेकिन तभी सारा ने सिर हिलाया और भौंहें उठकर कहा, "और तुम्हें किसने कहा कि मैं राजघरानो और बड़े लोगों के बारे में नहीं जानती हूँ? मुझे अच्छे से पता है तमोवर के रिश्ते कौन से राज्य के साथ में अच्छे हैं। महाराज की माँ ताम्रवर से थी और तमोवर के सबसे ज़्यादा अच्छे रिश्ते तमस वन के साथ है।"

    सारा को सब पता था, इसके लिए वह मन ही मन हिना का शुक्रिया अदा कर रही थी। हालाँकि हिना का इरादा यही था कि वह इन किताबों के ज़रिए सारा को समझा सके कि आरम्भ इतना भी बुरा नहीं है, लेकिन सारा ने उन किताबों में सारी जानकारी को पढ़ते ही याद कर लिया था। वैसे भी याद करने के मामले में उसे कोई टक्कर नहीं दे सकता था। सारा ने कभी नहीं सोचा था कि वह किताबें उसके इतने काम आएंगी।

    अगर यही सब बातें सारा अंतरा के सामने बताती तो वह गुस्से में उसे खा जाने वाली लुक देती, लेकिन समायरा के चेहरे पर स्माइल थी।

    "आपने तो मुझे हैरान कर दिया राजकुमारी," समायरा ने जवाब दिया। वह सच में सारा की मेमोरी देखकर थोड़ा इम्प्रेस हुई थी।

    "अभी तो आपने मुझे जाना ही कहाँ है लेडी समायरा, कभी भी अपने सामने वाले को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए फिर चाहे वह इंसान ही क्यों ना हो। जैसा कि आपने देखा मुझे सब याद है तो आपका सो कॉल्ड ट्रेनिंग सेशन यहीं पर ख़त्म होता है, मैं आराम करना चाहती हूँ," सारा ने उससे पीछा छुड़ाते हुए कहा।

    सारा उठने को हुई तभी समायरा तेज़ी से उसके सामने आ गई। वह बोली, "आप भूल रही हैं कि मैं आपकी सहायता के लिए हूँ, ना की कोई ट्रेनिंग देने वाली टीचर, अगर आपको सब याद है तो अच्छी बात है, लेकिन आपको मेरे साथ रहना होगा।"

    सारा के लिए समायरा से पीछा छुड़ाना मुश्किल था। अंतरा उससे काफ़ी अलग थी बस उसे गुस्सा दिलाओ और वह चली जाती थी, लेकिन समायरा को कितना भी कह दो वह मुस्कुराते हुए उसकी बात का ऐसे जवाब देती थी मानो उसे कोई फ़र्क ही ना पढ़ रहा हो।

    "हाँ मैं तो भूल ही गई थी कि तुम्हें मेरी सहायिका नियुक्त किया गया था। क्योंकि जब तुम मेरी सहायता हो तो मेरे पास तुम्हारे लिए करने के लिए एक बेहतर काम है," सारा ने मुस्कुराते हुए कहा, उसने मन ही मन समायरा से पीछा छुड़ाने और उसे मुश्किल में डालने का तरीक़ा सोच लिया था।

    "और वह क्या है? तुम जो भी कहोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूँ," समायरा बोली, लेकिन उसके मुँह से 'तुम' शब्द सुनकर सारा गुस्सा हो गई थी।

    "सबसे पहले तो तुम ख़ुद तमीज़ से बात करना सीखो। तुम मुझे 'तुम' क्यों बुला रही हो? मैं यहाँ की महारानी हूँ तो इज्ज़त देना सीख लो," सारा गुस्से में बोली। उसे लगा कि उसकी यह हरकत समायरा को गुस्सा दिला देगी और वह वहाँ से चली जाएगी, लेकिन उसका ठीक कुछ अलग ही हुआ। समायरा ने उसके सामने सर झुका लिया था।

    "माफ़ कीजिए महारानी, मुझे लगा आप उम्र में मुझसे छोटी हैं और हम एक ही परिवार हैं तो मुझे लगा मैं आपको 'तुम' कह कर बुला सकती हूँ, आगे से ऐसा नहीं होगा। बताइए आप मुझसे क्या चाहती हैं," समायरा ने गर्दन झुकाए हुए सौम्य आवाज़ में कहा।

    वह एक शुद्ध रक्त वैम्पायर थी, जो किसी के आगे नहीं झुकते थे, फिर समायरा का इस तरह सारा के सामने झुकना उसे हैरान कर रहा था, आख़िर समायरा के दिमाग़ में क्या चल रहा था।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

    देखो दो तरह के लोग होते हैं, एक जो सामने से वार करते हैं और एक पीछे से वार करते हैं, सामने से वार करने वाले से तो फिर भी इतना डर नहीं लगता जितना पीछे से वार करने वाले से लगता है, समायरा ठीक वैसे ही है। पढ़ कर आप कमेंट कर दीजिएगा अगले पार्ट पर मिलते हैं।

  • 17. Vampire king's forced bride - Chapter 17

    Words: 1552

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा समायरा से मिलने एक कमरे में आई थी। सारा अपनी बातों से समायरा को उकसा रही थी, फिर भी समायरा पूरे टाइम धैर्य के साथ मुस्कुरा कर जवाब दे रही थी। समायरा के फ्रेंडली बिहेवियर पर सारा के डांटने पर समायरा ने सिर झुका उसे सॉरी कहा।

    समायरा का इस तरह से झुकना सारा को बहुत हैरान कर रहा था। वह एक ऊँचे खानदान की वैम्पायर थी, और ऐसे वैम्पायर किसी के आगे नहीं झुकते थे।

    “यह ज़रूर कोई चाल है।” सारा ने मन ही मन सोचा, 'कोई भी इतनी आसानी से हार नहीं मानता, खासकर ये, जो मुझे मारने का मौका ढूंढ रही है।” सारा को लगा कि शायद वह समायरा के बारे में कुछ ज़्यादा ही सोच रही थी, लेकिन उसने फिर भी उसे आज़माने का फैसला किया। उसे यह देखना था कि समायरा की सहनशीलता की हद क्या है।

    "ठीक है," सारा ने अपनी हैरानी छिपाते हुए कहा। "जब तुम मेरी मदद करने के लिए इतनी ही तैयार हो, तो मेरे लिए एक काम करो।"

    "आप बस हुक्म दीजिए, महारानी," समायरा ने सिर झुकाए हुए कहा, लेकिन उसके होठों पर एक हल्की सी, छुपी हुई मुस्कान थी जिसे सारा ने देख लिया।

    "मुझे सनफ्लावर और मरुस्थली रक्त-बूंद के फूल बहुत पसंद हैं," सारा ने आराम से कहा, जैसे वह कोई मामूली चीज़ माँग रही हो। "मुझे उनकी खुशबू बहुत याद आ रही है। तो मेरी सहायिका होने के नाते, तुम्हारा पहला काम यह है कि मेरा कमरा उन फूलों से भर दो!" सारा ने भी मासूम बनकर मुस्कुराते हुए कहा, ठीक वैसे ही जैसे समायरा कर रही थी।

    सनफ्लावर हमेशा गरम जगहों पर उगते थे, और सब जानते थे कि वैम्पायर धूप सहन नहीं कर सकते, खासकर समायरा जैसी राजकुमारी जो बड़े नाज़ों से पली थी। वहीं, रक्त-बूंद के फूल केवल राज्य की सीमाओं पर उगते थे—ये एकदम सफ़ेद फूल होते थे जिन पर खून के छींटों जैसे लाल निशान होते थे। इंसान और वैम्पायर, दोनों ही उन्हें अशुभ मानते थे। इसलिए, उन्हें लाना भी आसान नहीं था। सारा देखना चाहती थी कि वह समायरा को किस हद तक झुका सकती है।

    एक पल के लिए समायरा की मुस्कान गायब हो गई और उसका चेहरा थोड़ा सख्त हो गया, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाल लिया।

    "महारानी, आप शायद भूल रही हैं कि आज रात आपके स्वागत में एक बहुत बड़ी पार्टी रखी गई है, जिसे सभा और सभी बड़े खानदानों ने मिलकर आयोजित किया है। यह आपके सम्मान में है। अगर मैं अभी फूल लेने जाऊँगी, तो समय पर वापस नहीं आ पाऊँगी," उसने बड़ी नरमी से अपनी बात रखी। "और अगर किसी ने आपको रक्त-बूंद फूलों के साथ देख लिया तो क्या होगा? यह तो एक बुरा शगुन माना जाएगा। लोग आपके बारे में गलत बातें करेंगे।" उसने इस तरह पूछा जैसे मिन्नत कर रही हो, उसे पूरा भरोसा था कि सारा उसकी बात मान जाएगी और अपनी छवि खराब नहीं करना चाहेगी।

    "हम्म, अब जब तुमने यह कहा है, तो मुझे लग रहा है कि मैंने गलत चीज़ माँग ली!" सारा ने एक लंबी साँस ली, जैसे उसे अपनी गलती का अहसास हो गया हो। यह देखकर समायरा की मुस्कान और गहरी हो गई। उसे लगा कि उसने सारा की कमज़ोरी पकड़ ली है; उसे सही तरीके से समझाकर अपनी बात मनवाई जा सकती है।

    "मुझे पता था कि आप समझ जाएँगी, महारानी! आप सच में बहुत समझदार हैं," समायरा ने कहा, जैसे वह खुद की समझदारी पर खुश हो रही हो।

    सारा ने मन ही मन आँखें घुमाईं। 'कितनी चालाक है यह लड़की,' उसने सोचा। फिर वह बोली, "हाँ! तुम सही कह रही हो। मैं तो भूल ही गई थी कि आज रात बहुत से लोग सिर्फ़ मुझसे मिलने आ रहे हैं। जब ऐसी बात है, तो मुझे ये फूल सिर्फ़ मेरे कमरे के लिए नहीं चाहिए... मैं चाहती हूँ कि पार्टी की पूरी सजावट सिर्फ़ इन्हीं दो फूलों से की जाए। यह मेरा पहला हुक्म है। और हाँ, अगर मेरा हुक्म नहीं माना गया, तो मैं पार्टी में नहीं आऊँगी, और यह मेरी बेइज़्ज़ती मानी जाएगी!"

    सारा की बात सुनकर समायरा का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसे लगा जैसे किसी ने उसे थप्पड़ मार दिया हो। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन सारा की आँखों में उसे चुनौती दिखाई दी, और वह चुपचाप सिर झुकाकर वहाँ से चली गई।

    उसी शाम, जिहान के कमरे में

    जिहान ने शीशे में खुद को आखिरी बार देखा और दरवाज़े की तरफ बढ़ा, लेकिन तभी दरवाज़ा खुला और समायरा थकी-हारी हालत में अंदर आई। उसके कपड़े धूल से सने थे और चेहरे पर थकान साफ़ दिख रही थी।

    "तुम कहाँ थीं?" जिहान ने माथे पर लकीरें डालते हुए पूछा। "और तुम्हारी यह क्या हालत है? हमारी हमेशा सजी-संवरी रहने वाली बहन पहले कभी इतनी थकी हुई नहीं दिखी थी।"

    "चुप रहो, जिहान," समायरा ने चिढ़कर कहा। "मैं नई सजावट का इंतज़ाम करने गई थी, जैसा कि 'महारानी' ने हुक्म दिया था। अब मुझसे सवाल मत पूछो, सनफ्लावर और रक्त-बूंद फूलों का जुगाड़ करने में मेरी हालत खराब हो गई!" समायरा ने उसे घूरा, फिर एक गहरी साँस लेकर अपना गुस्सा शांत किया और पास पड़ी कुर्सी पर गिर पड़ी।

    "बहन, तुम उस पागल लड़की की बातें मान क्यों रही हो?" जिहान गुस्से में बोला। "तुमने मना क्यों नहीं किया? वह होती कौन है तुम्हें आदेश देने वाली? माँ उसे संभाल लेंगी! उसे उसकी औकात दिखाना हमारा काम है, तुम्हारा नहीं।"

    समायरा ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपना सिर दबाने लगी। एक वैम्पायर होने के बाद भी उसका चेहरा पीला और थका हुआ लग रहा था। "मुझे प्यास लगी है!" उसकी आवाज़ में कमज़ोरी थी। "बहुत ज़्यादा खून बहा है।"

    "यह सब तुम्हारी गलती है! तुम्हें उसे सीधे-सीधे मना कर देना चाहिए था," जिहान ने उसे डाँटा, लेकिन फिर भी घंटी बजा दी। तुरंत एक नौकरानी अंदर आई।

    समायरा ने हवा में हाथ बढ़ाया और नौकरानी ने डरते-डरते अपना हाथ उसके आगे कर दिया। समायरा ने बेरहमी से उसकी कलाई में अपने दाँत गड़ा दिए और बड़े-बड़े घूँट में खून पीने लगी।

    कुछ देर बाद जब उसकी प्यास बुझ गई, तो उसने नौकरानी को धक्का देकर छोड़ दिया। बेचारी नौकरानी अपनी कलाई पकड़े हुए कमरे से बाहर भाग गई। तभी दरवाज़े पर खटखट हुई और एक और नौकरानी, लीना था, अंदर आई।

    "लेडी समायरा, जैसा आपने कहा था, सारी सजावट बदल दी गई है। लेकिन महाराज आरम्भ यह बदलाव देखकर बहुत नाराज़ हुए हैं। उन्होंने सबके सामने कहा है कि जिसने भी यह बेवकूफी की है, उसे मौत की सज़ा दी जाएगी।"

    समायरा के होठों पर एक ठंडी मुस्कान आई, लेकिन तुरंत गायब हो गई। उसने थके और परेशान होने का नाटक करते हुए कहा, "मैं जानती हूँ, लीना। मैं भी बहुत परेशान हूँ। लेकिन महारानी ने साफ़ कहा था कि ऐसा ही होना चाहिए। अगर आरम्भ कुछ पूछें, तो बस उनके पैरों में गिर जाना और कहना कि यह सब उनकी पत्नी के कहने पर हुआ है, हमारे पास कोई और रास्ता नहीं था। वरना मैं खुद राज्य की सीमा और तपते रेगिस्तान में फूल तोड़ने क्यों जाती? उस नई महारानी की वजह से मुझे कितना कुछ सहना पड़ रहा है," समायरा ने अपनी आवाज़ में दुख भरते हुए कहा।

    यह सुनकर लीना की आँखों में सारा के लिए नफ़रत भर गई। "आप सही कह रही हैं, लेडी। वो लड़की पागल है।”

    "लीना! ज़बान संभालकर बात करो," समायरा ने उसे डाँटा, लेकिन उसके शब्द लीना के मन में सारा के लिए नफ़रत को और बढ़ा रहे थे। "महारानी को सभा ने चुना है और महाराज भी उन्हें पसंद करते हैं। हम कौन होते हैं सवाल उठाने वाले? अब जाओ और तैयारियों को एक बार फिर से देख लो। कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।"

    लीना के जाने के बाद जिहान बोला, "अब मैं समझा तुम्हारी चाल। तुम खुद को बेचारी और उसे ज़ालिम साबित करना चाहती हो।"

    समायरा हल्की सी मुस्कुराई। "सही समझे, भाई। ज़हर को ज़हर ही काटता है।"

    सारा का कमरा

    "आप बहुत सुंदर लग रही हैं, महारानी जी!" एक युवा नौकरानी आन्या ने कहा, जब उसने अपनी नई महारानी को देखा। सारा वाकई में सुंदर थी, लेकिन उसने इतना गहरा मेकअप और इतने चमकीले और भड़कीले गहने पहने थे कि वह किसी डरावनी फ़िल्म की चुड़ैल लग रही थी।

    "क्या यह कुछ ज़्यादा नहीं हो गया, महारानी?" आन्या ने हिचकिचाते हुए पूछा। "यह हार... और यह मेकअप..."

    'मैं तो बस यहाँ से भागने का प्लान बना रही हूँ, बेवकूफ़ लड़की,' सारा ने मन ही मन सोचा। फिर वो मुस्कुरा कर बोली, "नहीं, आन्या। एक महारानी को सबसे अलग और खास दिखना चाहिए। मैं चाहती हूँ कि आज रात सब मुझे ही देखें।"

    उसे यकीन था कि वैम्पायर लोगों के लिए दिखावा और शान-शौकत बहुत ज़रूरी होती है, और वह यह देखने के लिए बेचैन थी कि उसकी ऐसी शक्ल देखकर उन सबका क्या हाल होगा।

    "मेरी सहायिका कहाँ है? समायरा अभी तक नहीं आई?" उसने हॉल में चलते हुए पूछा। यह सोचकर कि समायरा को फूल लाने में कितनी परेशानी हुई होगी, उसके होठों पर एक डरावनी मुस्कान आ गई।

    "लेडी समायरा पार्टी की तैयारियों में लगी हैं, महारानी," आन्या ने जवाब दिया।

    जल्द ही उसे गाने-बजाने और कानाफूसी की आवाजें सुनाई देने लगीं। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था, लेकिन उसने एक गहरी साँस ली और पूरे भरोसे के साथ मुस्कुराते हुए पार्टी वाले बड़े कमरे की सीढ़ियों की ओर बढ़ गई।

    पार्टी अब शुरू होने वाली थी। अब देखना यह था कि इस तूफ़ान का सामना राज-परिवार कैसे करता है।

    °°°°°°°°°°°°°°°°

  • 18. Vampire king's forced bride - Chapter 18

    Words: 1537

    Estimated Reading Time: 10 min

    पार्टी हॉल में मौजूद सभी वैम्पायर, कमरे की सजावट को नफ़रत भरी नज़रों से देख रहे थे। सूरजमुखी के फूल, जिन्हें वे बुरा शगुन मानते थे, उनकी आँखों में काँटे की तरह चुभ रहे थे। और पूरब के फूलों की तेज खुशबू उनकी वैम्पायर होने की पहचान का मज़ाक उड़ा रही थी—यह उन्हें याद दिला रही थी कि वे कभी धूप का मज़ा नहीं ले सकते।

    सबके मन में एक ही सवाल था, "क्या यह पार्टी सिर्फ़ हमारी बेइज़्ज़ती करने के लिए रखी गई है?" सबको ऐसे लग रहा था जैसे आज उनकी काफी ज्यादा बेइज्जती हो रही है।

    यहाँ तक कि आरम्भ, जो हमेशा शांत रहता था, उसके चेहरे पर भी एक पल के लिए गुस्से की लकीरें आईं, लेकिन अगले ही पल उसके होंठों पर एक मज़ेदार मुस्कान फैल गई—जैसे वह किसी शादी की पार्टी में नहीं, बल्कि कोई ड्रामा देखने आया हो।

    "किंग! अगर दूसरे बड़े खानदानों ने इस पर सवाल उठाया तो रक्षित, आरम्भ के सबसे भरोसेमंद मुख्य सेवक, ने पहली बार उसके फैसले पर सवाल उठाया था। यह सब उस अजीब लड़की ने किया था, जिसे वह अब तक मरा हुआ समझ रहा था। लेकिन वह यहाँ थी, सिर्फ़ ज़िंदा ही नहीं, बल्कि उसके लिए यह बड़ी दावत भी रखी गई थी—जिसकी वजह वह अब तक समझ नहीं पाया था।

    "कब से किसी में इतनी हिम्मत हो गई कि हमारी किसी पार्टी पर सवाल उठा सके?" आरम्भ की आवाज़ में हँसी थी, और वह‌ काफी ज्यादा रुड भी था। लेकिन उसकी आँखों में कोई मज़ाक नहीं था। "चलो, रक्षित, शर्त लगाते हैं। एक भी वैम्पायर इस पर सवाल नहीं उठाएगा। अगर मैं हार गया, तो तुम आज़ाद हो, लेकिन अगर तुम हारे, तो तुम्हारा खून तब तक पीऊँगा जब तक एक बूँद भी न बचे। मैं तुम्हारी हड्डियों से भी खून निकाल लूंगा।"

    आरम्भ के शब्द सुनकर रक्षित काँप गया। उसे पता था कि आरम्भ कभी मज़ाक नहीं करता। और इस शर्त का भी मतलब यही था कि वह यह सब करके रहेगा।

    "मैं... मैं तो आपका एक छोटा सा सेवक हूँ, किंग। मैं आपके साथ शर्त कैसे लगा सकता हूं? मैं आपके हर हुक्म को बिना सवाल के मानूँगा!" उसने सिर झुकाते हुए कहा।

    आरम्भ फिर से हँसा। "तुम्हारे साथ बिल्कुल मज़ा नहीं आता, रक्षित। खैर, लगता है मुझे नीचे जाकर कहीं और अपना मज़ा ढूँढ़ना पड़ेगा।" उसने बोरियत से सिर हिलाया और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा।

    नीचे, वैम्पायर मेहमानों के बीच कानाफूसी हो रही थी। सब इस पार्टी पर गुस्सा थे और एक दूसरे से बात करके अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे।

    "मुझे यकीन नहीं हो रहा कि हमने सिर्फ़ सभा के कहने पर यह पार्टी रखी है! कब से हम उनकी सुनने लगे? और जब पार्टी रख ही ली तो यहां पर क्या देखने को मिल रहा है? " आर्यमन, एक बड़े खानदान का वैम्पायर, ने पास खड़े जिहान से फुसफुसाते हुए कहा।

    तभी आरम्भ की नज़र उस पर पड़ी। आर्यमन डर गया और तुरंत सिर झुकाकर चुप हो गया, उसे डर था कि कहीं उसका सिर धड़ से अलग न कर दिया जाए।

    "क्यों? क्या तुम मेरी शादी के जश्न में शामिल होकर खुश नहीं हो? क्या तुम यह पार्टी देखकर खुश नहीं हो? " आरम्भ का सवाल तो सीधा था, लेकिन उसकी आवाज़ में छुपी धमकी जान लेने वाली थी।

    "न-नहीं! मेरा वो मतलब नहीं था, किंग। मैं तो खुशकिस्मत हूँ कि मुझे इसमें शामिल होने का मौका मिला!" आर्यमन ने डरते-डरते कहा।

    "तो, सभा की चुनी हुई मेरी वाईफ़ी कहाँ है? देखना चाहता हूँ, वह कितने दिन ज़िंदा रह पाती है!" आरंभ ने कहा। यही सवाल अब सभी की ज़बान पर था।

    "यह बहुत ज़्यादा हो गया है! हम सब बस एक इंसान का इंतज़ार कर रहे हैं, जो हमारे लिए सिर्फ़ खाने की चीज़ है!" अंतरा ने गुस्से से कहा और कई औरतों ने हाँ में सिर हिलाया। सबको लग रहा था कि इस नई लड़की को उसकी औकात से ज़्यादा भाव मिल रहा है। पर आज सब खत्म हो जाएगा।

    "वो रहीं!" समायरा ने सीढ़ियों की ओर इशारा किया।

    उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन चूँकि सभी सारा को देखने के लिए बेचैन थे, तो सबकी निगाहें एक साथ सीढ़ियों की ओर मुड़ गईं। वे उस लड़की को देखने के लिए बेताब थे, जिसने इतनी हिम्मत दिखाई कि अपनी शर्तें रखीं और सभा को उसके लिए यह पार्टी रखने पर मजबूर कर दिया।

    और फिर, सारा वहाँ खड़ी थी, सीढ़ियों के सबसे ऊपर।

    उसने सबसे चमकीला लाल गाउन और सबसे भारी गहने पहने थे। उसके होंठों पर लगभग काले रंग की लिपस्टिक थी और आँखों पर इतना गहरा और मोटा मेकअप था कि वह किसी डरावने नाटक की रानी लग रही थी, जिसे बच्चों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

    "क्या यही है वो?" अंतरा ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया, जबकि वहाँ मौजूद हर वैम्पायर के चेहरे पर हैरानी साफ़ दिख रही थी।

    "वाह! क्या इसने मेकअप के तालाब में डुबकी लगाई है या पेंट की बाल्टी में?" एक और औरत ने फुसफुसाते हुए कहा, और पूरे हॉल में दबी हुई हँसी की लहर दौड़ गई।

    आरम्भ ने भी उसकी ओर देखा। कुछ पल वह चुप रहा, लेकिन फिर उसके होंठों पर एक शैतानी मुस्कान आ गई। जैसे ही सारा सीढ़ियाँ उतरकर उसके पास पहुँची, उसने आगे बढ़कर उसका हाथ थामा और हल्के से चूम लिया।

    "मेरी प्यारी वाईफ़ी, तुम हमेशा मेरी उम्मीदों से बढ़कर करती हो," उसने अपनी आँखें हल्की सिकोड़कर उसकी ओर देखते हुए कहा।

    "क्योंकि तुम हमेशा मुझे कम समझते हो!" सारा ने भौंहें उठाकर उसे देखा। काले सूट और गहरे हरे शर्ट में वह बेहद सुंदर लग रहा था, और सारा की नज़रें भी एक पल के लिए उस पर टिक गईं। वह ऐसा शैतान था जिस पर औरतें आसानी से मर मिटती थीं।

    "तुम सही कह रही हो! तो इस पार्टी में, मैं तुमसे बहुत उम्मीदें रखूँगा!" आरम्भ ने पलक झपकाई। सारा एक पल के लिए उसके चेहरे में खो गई और खुद को कोसने लगी। वह जानती थी कि यह आदमी उसके लिए सिर्फ़ मुसीबत है, लेकिन वह उसके शब्दों का मतलब समझ नहीं पाई।

    "अगर हम यहीं खड़े होकर बातें करते रहे, तो मेहमान सोचेंगे कि तुम मुझसे इतनी मोहब्बत करती हो कि मुझे छोड़कर उनसे मिलने नहीं जाना चाहती। हम ऐसा नहीं चाहेंगे, है ना?" उसने कहा, और तभी सारा ने देखा कि वह अब भी उसका हाथ अपने होठों के पास पकड़े हुए है।

    उसने जल्दी से अपना हाथ छुड़ाया और दूसरी ओर देखने लगी, तभी उसे आरम्भ की धीमी हँसी सुनाई दी—मगर वह उसकी ओर मुड़ी नहीं। यह आदमी बहुत चालाक था।

    "मेरा हाथ थामे रहो, डियर वाईफ़ी," वह उसके पीछे आया और धीरे से अपना हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे अपनी ओर खींच लिया। "हम एक नए शादीशुदा जोड़े हैं, जो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। तुम सभा को इसका उल्टा साबित नहीं करना चाहोगी, है ना?"

    उसकी मीठी आवाज़ उसके कानों में गूँजी और उसकी साँसों से आती शराब की महक उसकी गर्दन तक पहुँची। सारा काँप गई। उसे लगा, उसका दिल सीने से बाहर आ जाएगा।

    "तो... मुझे छोड़ो!" उसने उसकी कमर से हाथ हटाने की कोशिश की, लेकिन उसकी हल्की सी पकड़ में भी इतनी ताक़त थी कि वह हिल भी नहीं पाई।

    वह मुड़ी और उसे घूरने लगी, जो दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि वे कितने करीब हैं, लेकिन उसके चेहरे पर ऐसी मासूमियत थी जैसे वह कुछ जानता ही न हो।

    "तुम मुझे छोड़ने की इतनी जल्दी में हो, दिए वाईफ़ी, कि तुम्हें यह दिख ही नहीं रहा कि बाहर निकलने के सारे दरवाज़े पहले ही बंद हो चुके हैं!" उसने उसकी आँखों में देखते हुए इतनी धीमी आवाज़ में कहा कि सिर्फ़ सारा ही सुन सके—और उसके शरीर में फिर से एक सिहरन दौड़ गई। वह शुक्रगुज़ार थी कि आरम्भ अब भी उसकी कमर पकड़े हुए था, वरना वह शायद खड़ी भी नहीं रह पाती। पर उसका मतलब क्या था? क्या वह इस पार्टी के बारे में कह रहा था या उसकी इस शादी से भागने की योजना के बारे में?

    "क्या आप दोनों ऐसे ही एक-दूसरे से बातें करते रहेंगे? पूरा राज-परिवार आपके आने का इंतज़ार कर रहा है, किंग!" अंतरा अब उनकी यह नज़दीकी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह बस चाहती थी कि इस लड़की की गर्दन पकड़कर दो टुकड़े कर दे। वह खुद को रोक न सकी और उनके पास आकर उनकी बातचीत में दखल दे दिया।

    आरम्भ ने आखिरकार सारा के हैरान चेहरे से नज़रें हटाईं, और सारा ने राहत की साँस ली। पहली बार, उसे अच्छा लगा कि अंतरा ने बीच में टोका—वरना उसे डर था कि यह आदमी उसके मन की बातें पढ़ लेगा।

    "हम्म, तुम हमेशा की तरह जल्दी में रहती हो! क्या चाहती हो, आंटी अंतरा?" आरम्भ ने लापरवाही से कहा।

    "मैंने तुम्हें कई बार कहा है, मुझे आंटी मत कहो—मैं तुमसे ज़्यादा बड़ी तो हूँ ही नहीं," अंतरा ने चिढ़कर कहा। "और भले ही तुम इनसे पहले मिल चुके हो, मगर यह पहली बार है जब बाकी सब तुम्हारी वाईफ़ी से मिलेंगे। और जिस तरह उसने सजावट और खाने में इतनी मेहनत की है, उसने पहले ही सबके बीच अपना नाम बना लिया है!"

    अंतरा की बातों में छिपा ताना साफ़ था, और हॉल में मौजूद सभी लोगों की नज़रें अब उन पर थीं, यह देखने के लिए कि आगे क्या होता है।

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  • 19. Vampire king's forced bride - Chapter 19

    Words: 1612

    Estimated Reading Time: 10 min

    सारा मेहमानों से मिलने हॉल में आ चुकी थी। उसने इस पार्टी को खराब करने के लिए अपना पूरा खुराफाती दिमाग दिमाग लगाया था। मेहमानों के बीच हैवी अजीब मेकअप के साथ जाने से लेकर सारा ने वहां का डेकोरेशन तक बदलवा दिया। उसका इतना अब कुछ करने के बाद भी आरम्भ के चेहरे पर गुस्से की एक छोटी सी लकीर तक नहीं थी, उल्टा वो सारा को खुद के चिपकाए घूम रहा था।

    अंतरा आरम्भ के पास गई ताकि वो मेहमानों का थोड़ा ख्याल करें और उसे सबसे मिलवाए।

    अंतरा के चेहरे पर तंज भरी मुस्कुराहट थी। वो उसी अंदाज में बोली, "जिस तरह से उसने यहां की और अपनी सजावट पर ध्यान दिया है, और खाने को अपनी पसंद से बनवाया, उसने तो पहले ही सब पर अपनी छाप छोड़ दी है!"

    आरंभ ने उसे नजरअंदाज किया, जबकि सारा ने देखा, अंतरा के पीछे खड़ी औरते आपस में बातें कर रही थी। उनकी नज़रें बस सारा के चेहरे पर ठहरी थीं। सारा समझ गई थी कि वे सब उसका ही इंतज़ार कर रही थीं।

    सारा ने मन ही मन कहा, “ये सब मुझे क्यों देख रही है? ऐसा लगा रहा है जैसे भूखे शिकारी अपने शिकार को आज़ाद होने का झूठा अहसास कराते हैं और फिर जैसे ही शिकार ज़रा-सा लापरवाह होता है, वे उस पर झपट पड़ते हैं और उसे खा जाते है, इन सबके साथ मुझे भी वही फीलिंग आ रही है, जैसे मैं भी उसी जाल में फँस गई हूं। खैर मरना तो वैसे भी है, तो क्यों ना कुछ खा लिया जाएं। कम से कम ये तो मलाल नहीं रहेगा, मैं भूखी ही मर गई।”

    सारा ने उन सबको नजरअंदाज किया। उसे लगा अंतरा के कहने के बाद आरम्भ उसे छोड़ देगा, लेकिन उसने उसे अपनी बाहों में और कसकर पकड़ लिया, जिससे वह परेशान हो गई।

    आरंभ की ये हरकते अंतरा को ओर चिढ़ा रही थी। उसके लिए इतने मेहमानों के बीच एक झूठी स्माइल बनाए रखना मुश्किल हो रहा था, पर फिर भी उसने हार नहीं मानी।

    अंतरा ने गहरी सांस ली और बोली, "अरे! मुझे लगा तुम जिहान और आर्यमन के साथ कुछ पियोगे। वे सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं!" उसका मन किया कि सारा को उसकी बाँहों से खींचकर उसे उसकी असली हैसियत दिखा दे। लेकिन फिर भी उसने अपने चेहरे पर वह नकली मुस्कान बनाए रखी।

    "हम्म, इतनी भी क्या जल्दी है? वैसे भी सब साथ ही खाने वाले है।" आरंभ ने बोरियत भरे लहज़े में कहा।

    अंतरा के जवाब का इंतज़ार किए बिना, आरम्भ सारा को कसकर पकड़े हुए खाने की मेज़ की ओर बढ़ गया।

    कई लोग, जो सोच रहे थे कि उन्हें सारा से मिलवाया जाएगा, एक-दूसरे को देखते हुए सिर हिलाकर उसके पीछे चल दिए।

    जल्द ही वे सब मेज़ पर बैठ गए और खाना परोसा जाने लगा। अपने किंग की नज़रों के सामने, किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि वो उनकी इंसानी दुल्हन का अपमान करे—सबने हल्के से सिर झुकाकर उसका स्वागत किया और उसने भी वैसा ही किया।

    खाना परोसे जाने पर सारा ने अपने सामने ढेर सारे पकवान देखे, साथ ही उनके साथ रखे चाकू, काँटे और चम्मच भी। चूँकि वह अकेली रही थी, उसने कभी खाने के तौर-तरीकों पर ध्यान नहीं दिया था और जब गवर्नेस ने उसे बाकी बातें सिखाईं, तब भी उसने कुछ ध्यान नहीं दिया। अब सारा समझ नहीं पा रही थी कि कैसे शुरू करे।

    सारा और आरम्भ इस पार्टी के खास मेहमान थे, कोई भी उनसे पहले खाना शुरू नहीं कर सकता था, इसलिए उसके पास दूसरों की नकल करने का भी मौका नहीं था।

    सारा जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बस खाने को देख रही थी तभी आरंभ बोला, “क्या हुआ डियर वाइफ़ी? तुम्हे खाना पसंद नहीं आया, जबकि यह तुम्हारी ही खास फरमाइश पर बना है?”

    सारा ने अपने लिए खास शाकाहारी खाना मंगवाया था और उसे पूरा भरोसा था कि लोग उस पर कुछ कहेंगे—लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया! वह सोच रही थी कि पार्टी धमाकेदार ढंग से शुरू होगी, लेकिन यहाँ तो अजीब सी ख़ामोशी थी।

    सारा ने फिर से खाने की तरफ देखा और समझ गई कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं। वो बोली, "ओह! आपको शाकाहारी खाना पसंद नहीं? मुझे इस बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं था। आप हमेशा अपनी पसंद का कुछ और ले सकते हैं!" बोलते हुए सारा पीछे खड़ी नौकरानियों की तरफ इशारा किया और जल्द ही उनके गिलासों में खून भर दिया गया।

    सब सारा को खा जाने वाली निगाहों से घूर रहे थे। वो वैंपायर्स थे, उन्होंने कभी शाकाहारी खाना चखा तक नहीं था, और वो लड़की उन्हें इस तरह बुलाकर उनका मजाक बना रही थी।

    कुछ नहीं बोला, तो सारा ने कहा, "अगर आपको अब भी खाना पसंद न आए, तो मैं नौकरानियों से आपके लिए खाना बदलने को कह सकती हूँ!" उसने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा, लेकिन उसके शब्दों का छिपा हुआ मतलब कुछ और ही था।

    "न-नहीं! खाना तो बहुत ही अच्छा है। हमारे स्वाद के लिए यह एक अच्छा बदलाव होगा!" आर्यमन ने असहज मुस्कान के साथ कहा, क्योंकि किंग की नज़रें उस पर टिक गई थीं।

    "तो फिर शुरू कीजिए! होस्ट होने के नाते, मैं तभी खाऊँगी जब आप सब खाना शुरू करेंगे!" सारा ने उन्हें खाने का इशारा करते हुए कहा। यही तो वह सुनहरा मौका था जिसका उसे इंतज़ार था। अब वह सबको खाते हुए देखकर उनकी नकल कर सकती थी।

    बाकी जो अब तक चुप थे, आर्यमन पर घूरने लगे कि उसने मुँह क्यों खोला। वे सोच रहे थे कि बस थोड़ा बहुत पीकर उठ जाएँगे, लेकिन अब तो आरम्भ की निगाहें उन पर थीं।

    सबने एक-दूसरे को असहज नज़रों से देखा और मदद के लिए अंतरा की तरफ देखा।

    अंतरा ने उन सबकी मनःस्थिति समझते हुए आरम्भ की तरफ देखकर कहा, "आरम्भ! तुम उन्हें ज़बरदस्ती घास-फूस खाने पर मजबूर नहीं कर सकते! अगर यह चलता रहा तो यह लड़की हमें खून की जगह दूध पीने को कहेगी। क्या तुम अपनी पत्नी के लिए हम सबको बदलने की सोच रहे हो? यह उन लालची इंसानों से अलग कैसे हुआ, जो हमें हमेशा सवालों के घेरे में रखते थे, जबकि वे खुद हर तरह का मांस खाते थे!"

    उसकी बात पर कई लोगों ने सहमति में सिर हिलाया और आखिरकार सारा ने माहौल में बढ़ता तनाव महसूस किया।

    उसने नौकरानियों की तरफ देखा, यह समझने के लिए कि उसने कब उनसे मेन्यू बदलने को कहा था—तभी उसकी नज़र समायरा पर पड़ी। वह उसे देखकर मुस्कुरा रही थी, लेकिन जब सारा ने ध्यान से देखा, तो वह वही नरम मुस्कान थी, जो वह हमेशा देती थी।

    तो ये उसकी साजिश थी। सारा ने बस अपने लिए अलग खाना मंगवाया था, लेकिन फिर पूरे मेनू को बदल दिया गया।

    मौके का फायदा उठाते हुए अंतरा ने कहा, "इंसान हमेशा ऐसे ही होते हैं—मुँह पर कुछ और, और काम कुछ और। जैसे पिछली महारानी, जिसने तुम्हारे ग्लास में लाल पाउडर मिलाने की कोशिश की थी!"

    अंतरा आरम्भ को इंसानों के खिलाफ भड़का रहा था। यह सुनते ही काउंसिल के एक इंसानी सदस्य ने कहा , “यह सच नहीं है। दोनों ही तरफ के लोग एक-दूसरे के लिए मन में दुश्मनी रखते हैं। अगर इंसान हमेशा से वैम्पायर से नफरत करते आए हैं, तो वैम्पायर भी उनके प्रति कभी दयालु नहीं रहे!” वो पहले ही इतने सारे वैम्पायर के बीच बैठकर अजीब महसूस कर रहा था, लेकिन ये बात वो मानने को तैयार नहीं था कि गलती सिर्फ इंसानों की है, जबकि वैम्पायर उन्हें मारकर उनका खून ऐसे पीते थे, जैसे पानी।

    “हा! क्या तुम जिस मुर्गी को खा रहे हो, उससे तुम्हारी कोई गहरी दोस्ती है?” — एक वैम्पायर ने व्यंग्य से पूछा, जिससे इंसानी सदस्य ने दाँत भींच लिए।

    “दोनों मामले एक जैसे नहीं हैं!” — उसने पलटकर जवाब दिया और कुछ इंसान सिर हिलाकर सहमत भी हुए।

    “हाँ! क्योंकि तुम उनमें से एक हो। अगर तुम उस मुर्गी से पूछोगे, तो उसका नज़रिया बिल्कुल अलग होगा!” जिहान ने हँसते हुए कहा और कई वैम्पायर ने भी सिर हिलाया।

    सारा ने उस माहौल की तरफ देखा जिसमें अब आग लगनी शुरू हो गई थी। अब उसे समझ आया कि खाने का मुद्दा इन सबमें सबसे संवेदनशील है।

    उन्हें उसके कपड़ों या सजावट में किए बदलाव से कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन खाने की बात आते ही सब अपनी पूरी ताकत से लड़ने लगे।

    उसका कभी भी इरादा इंसान और रात के जीवों के बीच की खाई को और गहरा करने का नहीं था। वो तो बस इस नापसंद शादी के बोझ से छुटकारा पाना चाहती थी। लेकिन यहां का माहौल अचानक काफी गरम हो गया, जो सारा ने बिल्कुल प्लान नहीं किया था।

    “तो तुम कहना चाहते हो कि वैम्पायर को बस ऐसे ही हमारा खून पीने और जान लेने का हक है?” एक और काउंसिल सदस्य ने पलटकर कहा, जो अब तक इस बहस में पड़ना नहीं चाहता था, लेकिन अब और सह नहीं पा रहा था।

    “ध्यान से देखो, जब से हम इंसानों से भोजन ले रहे हैं, तब से कोई भी नौकरानी नहीं मरी। लेकिन तुमने तो इतने जानवर मारे हैं, वो भी सिर्फ खाने के लिए ही नहीं बल्कि मज़े और मनोरंजन के लिए भी। कम से कम हमने इंसानों का शिकार मज़े के लिए नहीं किया… हालांकि, मुझे लगता है कि एक बार कोशिश करने में कोई बुराई नहीं होगी!” अचानक आरम्भ बोला।

    सारा को लगा था कि वो माहौल शांत करेगा, लेकिन उसने तो उल्टा आग में तेल डाल दिया।

    सारा ने कांपते हुए सोचा कि अगर आरंभ में हाथ में तीर-कमान लेकर उसके पीछे भागे तो? या फिर क्या उसे इसकी भी ज़रूरत होगी? उसने तो एक पेंटिंग देखी थी, जिसमें एक राक्षसी वैम्पायर के लंबे नाखून और नुकीले दाँत थे। सारे वैंपायर्स गुस्से में भयानक लग रहे थे, सारा अपनी घबराहट को काबू करके बस उन्हें देख रही थी।

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  • 20. Vampire king's forced bride - Chapter 20

    Words: 1577

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    सारा और आरम्भ की पार्टी में खाने की मेज पर खाने को लेकर जंग छिड़ गई थी। सारा ने बस अपने किए शाकाहारी खाना मंगवाया था, पर समायरा ने पूरा मेनू बदल दिया था। वैंपायर्स शाकाहारी खाने को लेकर नाराज़ हो गई थे, और उनके बीच की बहस ने जंग का रूप ले लिया।

    आरंभ उनकी बहस के बीच चुपचाप वाइन पी रहा था। वो शांत लहजे में बोला, “मुझे ये खाने में स्वादिष्ट लग रहा है।”

    “आपके ये शब्द एक और युद्ध छेड़ सकते हैं, किंग! आपको बिना सोचे-समझे नहीं बोलना चाहिए!” अंतरा ने कहा। उसकी बातें सुन सभी वैंपायर्स उसकी तरह देखने लगे।

    जहाँ अंतरा और जिहान के चेहरे पर मुस्कान थी, वहीं रक्षित और बाकी इंसानों के चेहरे सख्त हो गए। लेकिन आरंभ तो बेफिक्र होकर वाइन की चुस्की ले रहा था।

    “अरे! ये आप लोग कहाँ की बातें सोचने लगे? मैं तो बस अपनी नई पत्नी को आज रात बिस्तर पर ‘खा’ जाने की बात कर रहा था!” आरंभ ने सारा की तरफ देखकर कहा।

    उसके इन शब्दों ने सबको चुप कर दिया। सारा को लगा उसका पूरा चेहरा जल उठा है। उसने तुरंत अपना चेहरा नीचे कर किया।

    सारा मन ही मन बोली, “हे भगवान, यह आदमी क्या फालतू बातें कर रहा है! हमारे बीच तो कोई रिश्ता भी नहीं है, लेकिन मैं ये सब जोर से कह भी नहीं सकती ना, क्योंकि अब मैं इस सनकी की पत्नी हूं।”

    सारा ने एक नजर उठाकर देखा कि बहुत से लोग तो हँस पड़े और कुछ के चेहरे अब भी गंभीर थे, लेकिन कोई भी उस वैम्पायरों के राजा को जवाब देने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

    सारा की शर्मिंदगी समझते हुए आरम्भ हल्के लहज़े में बोला, “ज्यादा सीरियस होने की जरूरत नहीं है। मैं तो बस माहौल को हल्का करना चाहता था क्योंकि बात ज़्यादा गंभीर हो रही थी। हम यहाँ इंसानों और हमारे बीच के समझौते का जश्न मनाने के लिए आए हैं… और मेरी शादी का भी। मुझे उम्मीद है कि आप में से कोई भी ऐसी बात नहीं करेगा, जिससे मुझे सोफे पर सोना पड़े और मेरी पत्नी गुस्से में कमरे में अकेली बैठी रहे!”

    एक बार फिर सब चुप हो गए। आखिर किसमें इतनी हिम्मत होगी कि वैम्पायरों के राजा को सोफे पर सुला दे?

    सारा ने भी सिर उठाकर आरम्भ की तरफ देखा जो बेकार की बातें करने में माहिर था।

    सारा मन ही मन बड़बड़ाते हुए बोली, “आखिर किसने इसे वैम्पायरों का राजा बना दिया! ऐसे कौन बात करता है?” जैसे ही उसने ऊपर देखा, आरम्भ ने भी उसकी तरफ देखा और उनकी नज़रें मिल गईं। उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी, लेकिन आँखों में एक गहरा अंधेरा।

    सारा को पूरा यकीन था कि जब वो शिकार की बात कर रहा था, तो उसका इशारा खास तौर पर उस पर नहीं बल्कि इंसानों पर था। सारा को उसकी नस-नस में इंसानों के लिए नफरत भरी हुई महसूस हो रही थी, और वो सोच रही थी कि उसने ये पहले क्यों नहीं देखा।

    इससे सारा इस खून पीने वाले जीवों से भरे महल में और भी असुरक्षित महसूस करने लगी।

    सारा ने कांपती आवाज में अपने मन में कहा, “क्या पता अगर ये लोग घास-फूस नहीं खा सकते तो मेरा ही शिकार कर लें। नहीं! मुझे इन्हें गुस्सा दिलाने से बचना होगा, खासकर किंग को।”

    ये सोचते हुए, सारा ने आरंभ को एक मोहक मुस्कान दी, जो उसे डराने की कोशिश कर रहा था, और धीमी दिलकश आवाज में कहा, “हालांकि मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे प्यारे पति को बुरा नहीं लगेगा, अगर मैं महल के कर्मचारियों से कहूँ कि वे मेहमानों की थाली में कीचड़ परोस दें। लेकिन मैं इतनी बदतमीज़ नहीं हूँ। और निजी तौर पर, मैं मांस खाने की आदी हूँ। तो फिर मैं ऐसा घास-फूस क्यों मंगवाऊँ, जो मैं खुद नहीं पचा सकती? मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये गलतफहमी कैसे फैली कि मैंने मेन्यू बदलने को कहा था?” ये कहते ही उसने कर्मचारियों की तरफ देखा, जो अब डर के मारे कांप रहे थे।

    अगर ये इल्ज़ाम उन पर लगा दिया गया, तो पक्का था कि आज रात सबको इन रात के जीवों की भूख मिटाने के नाम पर मार दिया जाएगा।

    “वो… हमें तो महल की मालकिन ने ही आदेश दिया था!” एक आदमी डरते हुए बोला।

    ये वाक्य जैसे उसका मज़ाक उड़ा रहा था! यहाँ तक कि नौकरानियाँ भी उसे असली मालकिन नहीं मानती थीं! और वहाँ मौजूद हर किसी को पता था कि नौकरानियाँ किसके बारे में बात कर रही थीं।

    सभी वैम्पायर के चेहरों पर बड़ी मुस्कान थी। यहाँ तक कि नौकरानियों और बाकी ऊंचे दर्जे के वैंपायर्स, जिनका सारा ने अपमान किया था, उनके चेहरों पर भी तिरस्कार भरी हँसी थी, जैसे उसे उसकी हैसियत याद दिला रहे हों!

    सबको लगा कि अब वो अपमानित होकर अपनी जगह समझ जाएगी, तभी उसके चेहरे पर हैरानी की एक झलक आई, जिसने बाकियों की मुस्कान और बड़ी कर दी।

    सारा ने पूरे कॉन्फिडेंस से कहा, “अरे वाह! मैंने तो सुना था कि महल की पिछली महारानियाँ मर चुकी हैं? या फिर तुम मरे हुए लोगों से हुक्म लेती हो? क्योंकि मालकिन तो आपके किंग की पत्नी ही हो सकती है। ये आदेश मैने नहीं दिया, तो जरूर उनके भूतों ने दिया होगा।”

    सारा ने अपनी खूबसूरत मासूम आँखों से उसकी तरफ देखा, चेहरे पर डर का भाव था, लेकिन आँखों में शरारत चमक रही थी। वो बोली, “मुझे तो लगता है सबसे बड़ा खतरा न इंसान हैं, न रात के जीव, बल्कि ये भूत हैं! आपका क्या कहना है, हसबैंड?”

    आरम्भ ने मनोरंजन भरी मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा। ये पहली बार था, जब कोई उसे ढाल बनाकर इस्तेमाल कर रहा था!

    “बिल्कुल! तो तुम ही बताओ। क्या मैं उसे खत्म कर दूँ ताकि इन बुरी आत्माओं के फैलने का कोई खतरा न रहे?” आरंभ ने शरारत भरे लहज़े में कहा।

    हालाँकि मेज़ पर बैठे सबको पता था कि वो बकवास कर रही है, लेकिन आरंभ इतनी गंभीरता से जवाब दिया जैसे उनकी जान पर बन आई हो!

    आरंभ ने सारा का साथ दिया, ये देखकर वो नौकरानी काँप गई और ज़मीन पर गिर पड़ी। वो तो बस अपनी मालकिन का बदला लेना चाहती थी, जिसे नई महारानी ने नौकर की तरह बर्ताव किया था।

    उसने सोचा था कि अगर समायरा को ‘महल की मालकिन’ कहा जाएगा तो सारा अपमानित होगी। आरम्भ को इससे पहले की महारानियों के साथ ऐसा होने पर कभी फर्क नहीं पड़ा था, और वो बस चुपचाप सहती रही थीं। लेकिन ये नई महारानी तो बहुत चालाक थी!

    वो समायरा की खास सहायिका लीना थी।

    समायरा जल्दी से उसके पास गई और बोली, “भविष्य में ज़्यादा ध्यान रखना, वरना सज़ा मिलेगी! अब जाओ और काम करो!” समायरा ने महल की असली मालकिन की तरह ठंडी और सख्त आवाज़ में डाँटा।

    नौकरानी सिहर उठी और सिर हिलाया। वो पीले पड़े चेहरे के साथ उठने ही वाली थी कि ताली की आवाज़ ने उसके कदम रोक दिए।

    सारा ने उसे रोक था। उसने हल्के गुस्से भरे लहज़े में कहा, “तुम क्या सच में खुद को मालकिन समझ बैठी है। तुमने तो सीधे आरंभ की बात काटकर उसकी किस्मत का फैसला ही कर दिया, जबकि किंग ने तो पहले ही उसे मौत की सज़ा दे दी थी!” उसने सिर हिलाया और हल्की आह भरी।

    आरंभ ने कोई जवाब नहीं दिया, तो सारा बोली, “अफसोस, तुम्हारे अपने ही तुम्हें कोई सम्मान नहीं देते।”

    पूरा हॉल जैसे मौत की ख़ामोशी में डूब गया। बैकग्राउंड में चल रहा संगीत भी अचानक रुक गया। ऐसा लगा जैसे सबकी साँसें थम गई हों। वैसे भी, उसे नहीं पता था कि ये रात के जीव साँस लेते भी हैं या नहीं।

    बस चाकू-काँटों के गिरने की आवाज़ सुनाई दे रही थी, जो घुटन से जूझते इंसानों के हाथ से छूट गए थे—जो समझ नहीं पा रहे थे कि लड़की की बहादुरी पर ताली बजाएँ या उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें!

    ये सन्नाटा इतना भारी था कि सबको लगा अब आरम्भ की तलवार से सारा का सिर ज़रूर गिरेगा।

    यहाँ तक कि अंतरा भी हैरान थी, लेकिन जल्द ही उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई। उसे पूरा यकीन था कि ठंडा और निर्दयी आरम्भ, एक इंसान से ये अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

    “हम्म।” आरम्भ ने ठुड्डी पर हाथ फेरा, जैसे उसकी बात पर गंभीरता से विचार कर रहा हो, फिर सिर उठाकर गंभीर नज़रों से उसकी तरफ देखा।

    “तो तुम क्या सलाह देती हो, डियर वाइफ़ी? मुझे ऐसा क्या करना चाहिए कि सब सिर्फ मेरी ही सुनें?” आरंभ ने एक भौंह उठाकर पूछा। सारा उसके इस सनकपन से अनजान थी, लेकिन बाकी लोग नहीं।

    “और क्या! फैसला तो आपको ही लेना चाहिए, किंग! जैसे ये खाना… क्या आपको लगता है कि मैं इसे बदलने की हिम्मत करती अगर आपने इजाज़त न दी होती? जब आपको इसके बारे में पता ही नहीं था… तो मुझे कैसे होगा? यह तो उसी का काम है जो हम दोनों के अधिकार को चुनौती देना चाहता है! मैं सही कह रही हूँ न, किंग?” सारा होंठ काटते हुए मासूम चेहरा बनाया, जैसे यहाँ उसके साथ बुरा बर्ताव हो रहा हो।

    इस बीच सारा की नज़र अचानक से रक्षित पर गई, जो हैरान खड़ा था। उसे भी यकीन नहीं हो रहा था, उनका किंग, जो आज तक किसी औरत के आगे नहीं झुका, वो अपनी नई पत्नी की हर फिजूल बातों को इतना सीरियसली क्यों ले रहा था।

    लेकिन जब सारा नज़र फिर से आरम्भ पर पड़ी, तो उसकी रूह तक काँप उठी, उसकी आँखों में ऐसी शरारती चमक थी, जैसे वो जान गया हो कि उसने किसकी तरफ देखा।

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