आज उसकी शादी हुई थी एक ऐसी लड़की के साथ जिसे वह नहीं जानता था पर उसे पता था कि यह वही लड़की है जिसे उसे अपना बनाना है ना वह उसका नाम जानता था ना हीं उसके बारे में कुछ बस इतना पता था कि हां यही वह लड़की जिससे उसे शादी करनी थी न जाने क्या राज था जिसके... आज उसकी शादी हुई थी एक ऐसी लड़की के साथ जिसे वह नहीं जानता था पर उसे पता था कि यह वही लड़की है जिसे उसे अपना बनाना है ना वह उसका नाम जानता था ना हीं उसके बारे में कुछ बस इतना पता था कि हां यही वह लड़की जिससे उसे शादी करनी थी न जाने क्या राज था जिसके बारे में ना हीं वह खुद जानता था और ना ही कोई और ,,, वह खुद में ही एक बहुत बड़ा रहस्य था ,, वहीं दूसरी तरफ वह दुल्हन जो चांद से भी ज्यादा खूबसूरत थी वह बस उसका हाथ थामे चलती जा रही थी कहां जाना है उसे नहीं पता था वह सभी चीजों को ऐसे देख रही थी जैसे आज तक उसने यह सब कभी देखा ही ना हो ,, बस वह उसका हाथ पकड़े चलते जा रही थी जहां वो लेकर ,, उसे चला जाए उसे भरोसा था उस पर
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हाथ थाम ले पिया
करते हैं वादा
अबसे तू आरज़ू
तू ही है इरादा...
मेरा नाम ले पिया
मैं तेरी रूगाई
तेरे ही तोह पिछे पिछे
बरसात आयी
बरसात आयी....
राजस्थान
हल्की-हल्की बारिश हो रही थी माधवगढ़ के छोटे से गांव के एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर एक 25 साल का लड़का अपने हाथों में ट्रॉली बैग लिया आगे आगे चल रहा था उसी के पीछे चल रही थी उसकी पत्नी जिसे बहुत दिनों से ढूंढ रहा था उसे अपना बनाने के लिए वो उसे जानता नहीं था , ना वो उससे कभी मिला था और ना ही वो उससे प्यार करता था पर उसे इतना पता था इसी लड़की को उसे अपना बनाना है ।
एक तो जुलाई का महीना हल्की-हल्की बारिश के फुहारे बरस रही थी हाथ में ट्राली बेग लिए अपने सामने कुछ दूरी दिख रहे स्टेशन पर जा रहा था 6 फुट 2 इंच हाइट , गोरा रंग, सिल्की ब्राउन हेयर , दिखने में किसी रईस से कम नहीं लग रहा था पर उसके सस्ते कपड़े और हालात कुछ और ही बयां कर रहे थे व्हाइट शर्ट , नेवी ब्लू जींस पहने वो आगे चल रहा था वही पीछे उसकी पत्नी अमूल्या जिसने आसमानी कलर का लहंगा - चोली पहन रखा था ऊपर से ऑरेंज कलर का नेट का दुपट्टा लगाया था उसकी मांग में सुंदर भरा था हाथों में भरकर चूड़ियां थी गले में मंगलसूत्र था वो अपने जीवनसाथी के साथ अपनी जिंदगी में पहला कदम रख रही थी जिसे वो जानती भी नहीं थी ।
कुछ वक्त में दोनों स्टेशन आ जाते हैं तो वर्चस्व एक आदमी से पूछता है - भाई साहब ये दिल्ली जाने वाली ट्रेन कहां मिलेगी ।
आदमी - भाई प्लेटफार्म नंबर तीन पर चले जाओ खड़ी है अभी छूटने वाली है कहीं छूट न जाए तुमसे ।
वर्चस्व एक नजर अपने पीछे खड़ी अपनी पत्नी को देखा है गोरा रंग , बड़ी - बड़ी काजल से सनी आंखों , तीखे नैन-नक्श , कानों में झुमके , गले में उसके नाम का मंगलसूत्र पहने उसकी खूबसूरत सी पत्नी उसके साथ थी उसे नहीं पता था वो उसके साथ खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिता सकता है या नहीं ।
क्योंकि ना उसके पास नौकरी थी और नाही परिवार , वो आज भी नौकरी की तलाश में दिन भर भटकता रहता था जहां इस नये जमाने में हर लड़की एक अच्छे और अमीर लड़के की तलाश में रहती हैं एक बड़े घर या महलों में रहने का सपना देखती है वो उसके उस एक कमरे के भाड़े के फ्लैट में रह पाएगी या नहीं , पर वो उसकी जिम्मेदारी थी वो चाह कर भी उसका साथ नहीं छोड़ सकता था ।
दोनों ट्रेन में बैठ जाते हैं ट्रेन धीरे-धीरे माधवगढ़ को अपने पीछे छोड़ने लगती हैं अमूल्या के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी उसने आज तक किसी लड़के से प्यार नहीं किया था आज जिस क्षण वर्चस्व ने उसकी मांग भरी उसने उसी पल से वर्चस्व को अपना सब कुछ मान लिया था उसने तय कर लिया था आज से इस क्षण से वर्चस्व जो भी कहेगा वो उसके लिए पत्थर की लकीर होगी वर्चस्व की कही हर बात उसके लिए पहली और आखिरी फैसला होगा ।
उसे खुशी इस बात की थी उसे एक अच्छा और पढ़ा लिखा लड़का मिला था और वो ठहरी अंगूठा छाप , उसका सिर्फ नाम अमूल्या था पर उसमें कुछ भी अनमोल नहीं था ना वो बड़े घर से थी और ना ही पढ़ी-लिखी , आज के जमाने में कौन ही सुंदरता और गुण देखता है सबको तो सिर्फ पैसों ही दिखते हैं चाहे लड़की दिखने में , और स्वभाव में कैसी ही क्यों ना हो ।
वो उसकी धर्मपत्नी थी उसके साथ खुश थी वो मुस्कुराते हुए वर्चस्व के कंधे पर सिर रखकर आंखें बंद कर लेती है वही वर्चस्व उसके अचानक ऐसे उसके सिर को अपने कंधे महसूस कर झटके से उसकी तरफ देखता है उसे बहुत अजीब लग रहा था पर वो कुछ कर नहीं सकता था वो उसकी बीवी थी और ट्रेन में इतने लोगों के सामने वो उसे कुछ कह कर बवाल नहीं करना चाहता था वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगता है दोनों की जिंदगी का सफर शुरू हो गया था ।
दिल्ली पहुंचने में अभी वक्त था अमूल्य आंखें बंद किये उसके कंधे पर अभी भी अपना सर रखें थी कुछ वक्त में ट्रेन कुछ ज्यादा ही लोगों से भर जाता है उसके सीट के आसपास भी कुछ बुजुर्ग लोग और कपल्स उसके सामने वाली सीट पर बैठ जाते हैं वर्चस्व चुपचाप बाहर हो रही बारिश को देख रहा था और अपनी जिंदगी के बारे में सोच रहा था क्या यही उसकी जिंदगी थी नहीं बहुत से रहस्य थे उसकी जिंदगी में जो वो किसी को नहीं बता सकता था उसे लड़ना था इन हालातों से अकेले ही ।
तभी उसका ध्यान अपने सामने में बैठे व्यक्ति के सवाल से टूटता है सामने बैठा जोड़ा अभी नया नवेला ही लग रहा था लड़का पूछता है - तो भाई लगता है भाग का शादी की है दोनों ने ।
वर्चस्व - हां ।
लड़का - मुझे लगा ही था हमने भी भाग का शादी की है ( वो अपने और अपनी बीबी की तरफ इशारा करते हुए कहता है । )
वर्चस्व - हम्म ।
लड़का - कुछ भी कहो यार लव मैरिज में भाग कर शादी करने का मजा ही कुछ और होता है ।
वर्चस्व - किसने कहा हमने लव मैरिज की है ।
लड़का - क्या मजाक कर रहे हो हमारे साथ भाग कर शादी की है तो लव मैरिज नहीं होगी तो क्या होगा ।
वर्चस्व - हां हमने भाग का शादी की है वह भी अपनी मर्जी से पर हमने लव मैरिज नहीं अरेंज मैरिज की है ।
वर्चस्व की बातें सुनकर लड़का कंफ्यूज हो जाता है अपनी बीवी की तरफ देखते हुए - सुनो ये कैसे पॉसिबल है भाग कर शादी की अपनी मर्जी से वो भी अरेंज मैरिज ।
उसकी बीवी - अरे तुम क्या जानो आजकल नया-नया ट्रेंड चल रहा होगा क्यों ही किसी को कॉपी करना ।
अमुल्या जो अभी भी अपनी आंखें बंद किए वर्चस्व के कंधे पर सिर रखे चुपचाप सबकी बातें सुन रही थी वो कपल भी वर्चस्व से कुछ ना कुछ बोले जा रहे थे और वर्चस्व खिड़की से बाहर देखते हुए उनकी बातों का बस हां या हूं मैं जवाब दे रहा था ।
ट्रेन दिल्ली के स्टेशन पर आकर रूकती है सभी पैसेंजर उतरने लगते हैं वर्चस्व भी ट्रॉली बैग लिए बोगी के दरवाजे की तरफ बढ़ जाता है की तभी अमूल्या उसकी शर्ट के बाजू का कोना पकड़ लेती है वो पीछे मुड़कर उसे देखता है वो उसे ही अपनी टिमटिमाते हुए आंखों से देख रही थी वो गांव की एक अनपढ़ लड़की थी पहली बार शहर आई थी तो इतनी भीड़ देखकर उसका डरना तो लाजमी था वो उसे एक नजर देख कर सामने लगी भीड़ को देखता है वो चाहता तो नहीं था फिर भी अमूल्या की कलाई थाम लेता है और आगे बढ़ जाता है और अमूल्या उसके पीछे-पीछे , ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़ थी ।
( आखिर ऐसा कौन सा राज था जो वर्चस्व, अमूल्या को ढूंढ रहा था उसकी कौन सी मजबूरी थी जो ना चाहते हुए भी उसे अमूल्या से शादी करनी पड़ी , जानने के लिए पढ़ते रहिए (अपना बना ले पिया ) और रेटिंग और समीक्षा देकर अपनी राय जरूर बताएं। )
जारी है....
दिल्ली स्टेशन
वर्चस्व , अमूल्य की कलाई पकड़े ट्रेन से नीचे उतरता है और रेलवे स्टेशन के बाहर जाने लगता है रास्ते में सभी लोग उन्हें देख रहे थे या ये कह लो की अमूल्या को घूर रहे थे अब दिल्ली जैसे फैशनेबल शहर में कोई लड़की लहंगा चोली पहनकर घूमेगी तो कोई क्या ही कहेगा ।
अमूल्य ने शादी का जोड़ा तो पहरा था नहीं उसने सिंपल सा घाघरा चोली पहन रखा था जिसके किनारे पर धागे की कढ़ाई धागे से डिजाइन की गई थी उसके नेट के दुपट्टे में से उसकी पतली, गोरी कमर बाहर झांक रही थी ।
वर्चस्व बाहर आकर टैक्सी रूकवाता है दोनों उसमें बैठकर वर्चस्व के घर के लिए निकल जाते हैं कुछ वक्त में वह एक सोसायटी में थे जहां पर सभी घर दो-तीन महाले के बने थे पर कोई भी घर उतना अच्छा या नया नया नहीं दिख रहा था शायद सभी वहां पर रेंट पर ही रहते थे वर्चस्व एक तीन महाले के घर के सामने रूकता है और सीढ़ियों से ऊपर जाने लगता है अमूल्या चुपचाप उसके पीछे जा रही थी दोनों तीसरे माले पर पहुंचते हैं जहां पर सिर्फ दो रूम थे एक रूम में साथ कोई और रहता था वर्चस्व दूसरे रूम का दरवाजा अनलॉक करता है ।
दोनों अंदर आते हैं तो वर्चस्य दरवाजा लॉक करते हुए उस रूम का लाइट ऑन करता है एक छोटा सा हाल था उसी में राइट साइड छोटा सा किचन और एक तरफ एक रूम ।
वर्चस्व और अमुल्या उस कमरे में आते हैं एक छोटा सा कमरा था एक छोटा सा कमरा जिसमें सिंगल बेड एक तरफ एक अलमारी , दूसरे तरफ एक टेबल जिस पर कुछ किताबें फाइल्स और कुछ सामान रखे गए थे ऊपर एक पंखा लटक रहा था वो छोटा सा कैमरा इतना बुरा भी नहीं था ।
वर्चस्व - बहुत रात हो गई है आराम कर लो कल बात करेंगे ।
उसकी बात सुनकर अमुल्या अपने बैग में से सिंपल सा सूती का लहंगा चोली निकाल कर वॉशरूम में चली जाती है वर्चस्व अलमारी खोलकर वहीं पर अपने कपड़े चेंज करने लगता है कपड़े चेंज करने के बाद को बेड पर बैठकर अपनी फाइल तैयार करने लगता है कल सुबह ही उसे फिर से इंटरव्यू के लिए जाना था वर्चस्व का सपना था खुद का बिज़नेस खड़ा करने का पर उसके लिए उसे बहुत मेहनत करनी थी यहां तो उसके हाथ में एक छोटी सी जॉब भी नहीं थी ।
कुछ वक्त में अमूल्या चेंज करके आती है उसने सूती का हरे रंग का लहंगा चोली पहने था ऊपर से लाल रंग का दुपट्टा लिया हुआ था वो धीरे कदमों से चल कर वर्चस्व के पास आती है तो वर्चस्व झटके से बैठ पर से उठ जाता है और एक तकिया बेड से लेते हुए - तुम बैड पर सो जाओ ,, "कहते हुए नीचे चादर बिछाने लगता है तो अमुल्या उसकी कलाई पकड़ लेती है ।
अमूल्या - आपक नीचे क्यों सो रहे हैं आप ऊपर सो जाइए हम नीचे सो जाएंगे ।
वर्चस्व उसके हाथों से अपनी लड़ाई छुड़ाते हुए - नहीं मैं नीचे सो जाऊंगा तुम ऊपर सो जाओ और आज के बाद मुझे छुने की कोशिश भी मत करना जितना मुझसे दूर रहोगी तुम्हारे लिए बेहतर होगा यहां पर तुम्हें दोनों टाइम का खाना मिल जाएगा इसलिए खाओ पियो और चुपचाप यहां पर रहो मेरे ज्यादा करीब आने की जरूरत नहीं है ।
अमुल्या , चुपचाप वर्चस्व की सारी बातें सुन रही थी वर्चस्व ने उसे वही सब चीजें करने के लिए मना कर रहा था जिस पर अमूल्या का पूरा हक था अगर वो उससे बात नहीं करेगी तो किससे करेगी घर में कोई था भी तो नहीं ना वर्चस्व की मां थी ना पिता , ना बहन , ना कोई भाई वो अकेली उस घर में कैसे रहेगी ।
अमूल्या - हमसे इतनी नफरत क्यों हमारी क्या गलती थी हमने थोड़ी ना कहा था आपसे कि आइए हमसे शादी कीजिए किसी ने जबरदस्ती तो नहीं किया था ।
वर्चस्व - हां किसी ने जबरदस्ती नहीं किया था हां मैंने अपनी मर्जी से तुमसे शादी की है क्योंकि मैंने ये सब किसी और के लिए किया है तुम्हारे लिए नही इसलिए मेरे करीब मत आना समझी ,," कहते हुए चादर बिछा कर उस पर लेट जाता है अमूल्या आंखों में नमी लिए बैड के एक कोने बैठकर अपना सर दिवार से टेक लगाए एक तक वर्चस्व को देखने लगती है ।
वर्चस्व को देखते-देखते ही ना जाने कब अमूल्या की आंखें लग जाती हैं ।
अगली सुबह
अमूल्या की नींद कमरे के बाहर आ रही कुछ आवाज से खुलती है वो बेड पर अभी भी बैठे हुए सो रही थी वो बेड से उठते हुए अपना दुपट्टा सही कर के कमरे से बाहर निकलती है तो उसकी नजर सबसे पहले किचन में नाश्ता बना रहे वर्चस्व पर जाकर रुकती है वर्चस्व शर्टलेस था और अपने लिए कुछ नाश्ता बना रहा था अमूल्या जल्दी से उसके पास जाते हुए - ये आप क्या कर रहे हैं आप हटिए हम बना देते हैं ।
अमूल्या की आवाज सुनकर वर्चस्व उसकी तरफ देखा है अमूल्या का चेहरा इस वक्त बिना किसी मेकअप की वो एक खिले हुए गुलाब की तरह लग रही थी उसके बाल बिखरे हुए थे तो कुछ बाल उसके गालों को चूम रहे थे ।
वर्चस्व उस पर से अपनी नजर हटाते हुए - कोई जरूरत नहीं है तुम्हारे आने से पहले भी मै ही बनाता था ना तुम जाकर अपना काम करो ।
अमूल्या - पर आप बताइए ना क्या बनाना है हम बना देते हैं ।
वर्चस्व गुस्से में - एक बार मैंने कह दिया ना जाओ यहां से ।
उसे गुस्से में देखकर अमुल्या जल्दी से कमरे में भाग जाती है वर्चस्व भी कुछ वक्त में अपना नाश्ता बना कर एक प्लेट में निकलता है और कॉफी के साथ लेकर एक चेयर पर बैठ जाता है ।
अमूल्य जैसे ही तैयार होकर कमरे से बाहर निकलती है कि तभी उनके घर का डोर बेल बजाता है वर्चस्व को नाश्ता करता देखा अम्लुया खुद ही दरवाजा खोलने चली जाती है वर्चस्व एक नजर अमूल्या को देख फिर से अपना नाश्ता करने लगता है अमूल्या दरवाजा खोलती है तो सामने उसी के हम उम्र के एक लड़का एक लड़की खड़े थे ।
विराट - हाय भाभी मैं विराट आपका पड़ोसी क्या वर्चस्व घर पर है ।
उनकी बात सुनकर अमूल्या दरवाजे से हट जाती है तो दोनों घर के अंदर आते हैं अमूल्या भी दरवाजा बंद करके उनके पीछे के आकर वर्चस्व पास आकर खड़ी हो जाती है ।
(पढ़ते रहिए और कमेंट ,, रेटिंग और फोलो अरना ना भूले क्यूटी......)
जारी है....
अमूल्या जैसे ही दरवाजा खोलती है उसके सामने उसी के हम उम्र के एक लड़का और एक लड़की खड़े थे ।
लड़का - हैलो भाभी हम आपके पड़ोस में रहते हैं मैं वर्चस्व का दोस्त हूं वर्चस्व है ।
उसकी बात सुनकर अमूल्या दरवाजे से हट जाती है तो वो दोनों अंदर आते हैं अमूल्या भी दरवाजा बंद कर के वर्चस्व के पीछे आकर खड़ी हो जाती है
तो जिसे इतने दिनों से ढूंढ रहा था यही है - अमूल्या के तरफ इशारा करते हुए विराज कहता है ।
वर्चस्व - हम्म ,, " फिर अमूल्या से - ये हमारे पड़ोस में रहते हैं , विराज और उसकी वाइफ सनाया ।
अमूल्या हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए - नमस्ते ।
वो दोनों भी मुस्कुराते हुए अमूल्या को हाय कहते हैं विराज वर्चस्व से बातें करने लगता है ।
अमूल्या भी किचन में सबके लिए चाय बनाने चली जाती है सनाया उसके पास आते हुए - हाय मुझसे दोस्ती करोगी ।
अमूल्या मुस्कुराते हुए - क्यों नहीं हमें भी एक दोस्त की जरूरत है वरना पूरे दिन इस घर में अकेले रह जाएंगे।
सनाया - कोई बात नही मैं हूं ना तुम्हें बोर नहीं होने दूंगी ।
दूसरी तरफ विराज - तो इंटरव्यू के लिए चल रहे हो ना मेरे साथ ।
वर्चस्व - हां ।
तब तक दोनों लड़कियां भी चाय लेकर आ जाती है चाय पीने के बाद वर्चस्व विराज के साथ इंटरव्यू के लिए चला जाता है सनाया भी कुछ वक्त अमूल्या के साथ बात कर के अपने घर चली जाती है ।
अमूल्या वही सोफे पर बैठे बैठे पीछले दिनों उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचने लगती है क्या से क्या हो गई पहले एक ऐसे इंसान से शादी जिससे वो ना प्यार करती थी और ना जानती थी, फिर वर्चस्व का उसके साथ इतना रूखा व्यवहार और ऊपर से उससे दूर रहने के लिए कहना इन सब से अमूल्या को एक डर लग रहा था कि उसने तो इस रिश्ते को दिल से अपना लिया था पर क्या वर्चस्व इस रिश्ते को पूरे दिल से अपना पाएगा , पर वो वर्चस्व के साथ जबरदस्ती भी तो नहीं कर सकती है इस रिश्ते को अपनाने के लिए ।
विराज , वर्चस्व को जिस ऑफिस में आज इंटरव्यू के लिए लेकर गया था वो इसी ऑफिस में काम करता था ।
शाम तक वर्चस्व कुछ दो-चार इंटरव्यू देता है उसके बाद वह और विराज एक सा ही मेट्रो ट्रेन से वापस घर आ रहे थे दोनों एक साथ बैठे ही बात कर रहे थे ।
वर्चस्व - मुझे तो एक बात समझ नहीं आती जहां भी जाओ वहां पर सिफारिश मांगते हैं या कोई लेडी बॉस हुई तो उनके तो कुछ और ही फरमाइश होती हैं सच में दुनिया बहुत बदल गई है जहां मेहनत की कोई कदर ही नहीं है ।
विराज - यही दुनिया का दस्तूर है मेरे यार यहां पर या तो किसी बड़े इंसान से सिफारिश - या जान पहचान होनी चाहिए या दूसरा तो तुम जानते ही हो यहां पर जिस्म बेचकर ज्यादा तर लोग उंचाई हासिल करते हैं मेरे साथ भी ऐसा बहुत बार हुआ था पर मुझे मेरे प्यार ने सही राह भटकने नही दिया वो तो ले - दे कर कैसे भी एक नौकरी मिल गई उसी से खुशी से जी रहा हूं पर तुम मुझे भूल मत जाना अपने कंपनी खोलोगे तो मुझे अपना मैनेजर जरूर रखना है ,," आखिरी में मुस्कुराते हुए विराज कहता है
वर्चस्व भी मुस्कुराते हुए - बिल्कुल मैनेजर नहीं मैं तुम्हें अपना पी.ए रखूंगा टेंशन मत लो ।
वर्चस्व जैसे ही घर का गेट खोलता है घर देखकर वो सोचने लगता है क्या ये उसी का घर है वो एक पल के लिए दरवाजा खोलकर बाहर आता है और बाहर लगे नेम प्लेट देखता है तो हां ये उसी का घर था वो फिर से अंदर जाता है तो घर एकदम साफ सुथरा था सभी चीजें अपनी जगह पर व्यवस्थित तरीके से रखी गई थी जो दीवार पर कहीं-कहीं रंग छुट गया था वहां पर कलर से पेंटिंग की गई थी तो कहीं कार्टून बनाया गया था ।
अमूल्य की किचन से बाहर आते हुए - आ गए आप ।
वर्चस्व उसकी तरफ देखा है हरे रंग का लहंगा चोली पहले ऊपर से नेट का पीले रंग का दुपट्टा बालों को उसने जुड़ा बनाया था जिसमें से कुछ बाल उसके गालों को चूम रहे थे उसके हाथ में इस वक्त आटा लगा था ।
वर्चस्व - घर की हालत ऐसी किसने की ।
अमूल्या - किसी ने नहीं वो कहीं-कहीं कलर छोड़ छूट गया था ना तो थोड़ा अजीब लग रहा था तो हमने सनाया दी के साथ मिलकर कुछ कार्टून बना दिए बाकी सामान इधर उधर रखा था तो हमने उसे सही से रख दिया बस आप जाकर फ्रेश हो जाइए खाना बस बन ही गया है हम लगाते हैं ।
वर्चस्व - नहीं कोई जरूरत नहीं है मैं खाना बाहर से खा कर आया हूं ।
वर्चस्व की बात सुनकर अमूल्या का चेहरा उतर जाता है उसने बहुत प्यार से आज वर्चस्व के लिए खाना बनाया था वही वर्चस्व उसकी तो आदत थी वो हमेशा अकेला रहता था इसलिए कभी-कभी बहुत देर रात घर आता तो कभी बाहर से खाना खाकर आता या फिर बिना खाना खाए ही सो जाया करता था ।
अमूल्या - कोई बात नहीं हम खाना फ्रिज में रख देंगे तो खराब नहीं होगा , आप आराम किजिए।
वर्चस्व कमरे में आता है तो कमरा भी एकदम सही तरीके से सेट किया गया था हर सामान अपनी जगह पर रखी गई थी सच में एक घर अगर मर्द संभाले और एक औरत संभले तो दोनों में बहुत अंतर होता है वो कपड़े बदलने के बाद अपनी कोई फाइल ढूंढने लगता है जब बहुत देर ढूंढने के बाद उसे नहीं मिलता तो चिल्लाता है - अमूल्या , अमूल्या कहां हो ।
अमूल्या कमरे में आते हुए - जी आपने बुलाया ।
वर्चस्व - मैंने यहां पर ब्लू कलर की एक फाइल रखी थी कहां है वो ।
तो अमूल्या उस टेबल के नीचे बने ड्रॉ में कुछ पेपर्स बुक्स और फाइल्स रखे गए थे सबसे नीचे से निकालते हुए कहती है - ये लीजिए यहां वहां फैला था इसलिए हमने सही करके रख दिया था और कुछ चाहिए ।
पढते रहिए,, कमेंट,, रेटिंग और फोलो करना ना भूले क्यूटी......
जारी है......
अमूल्या - और कुछ चाहिए आपको ।
वर्चस्व फाइल लेते हुए - नहीं ।
अमूल्या - आज आप इंटरव्यू देने गए थे ना उसका क्या हुआ।
वर्चस्व - कल जवाब देगे कहा है ।
अमूल्या - हम्म ,, " कहकर जाने लगती है वो वर्चस्व से और भी बातें करना चाहती थी उसे करीब से जानना चाहती थी पर वर्चस्व उसे मौका ही नहीं देता अपने पास रहने का ।
अगले दिन वर्चस्व , विराज,को बताता है कि उसका सलेक्शन हो गया है सभी बहुत खुश होते हैं कि वर्चस्व को आखिर जॉब मिल ही गई ।
अब वर्चस्व रोज विराज के साथ ऑफिस जाता था पर अमूल्या और उसका रिश्ता अब भी अधूरा था वो अब भी जितना हो सके अमूल्या से दूर रहता उससे बातें करने से बचता और वहीं अमूल्या हमेशा उससे बात करने का मौका ढूंढ़ती जान बुझकर उसके समान को ऐसी जगह रख देती जो वर्चस्व को ना मिले और उस समान को ढूंढने के लिए वर्चस्व उसे अपने पास बुलाए और होता भी ऐसा ही था पर समान लेने के तुरंत बाद वर्चस्व कमरे से बाहर निकल जात था या ज्यादातर विराज के साथ बाहर ही रहता ।
सुबह का वक्त वर्चस्व बाथरूम में नहा रहा था वहीं अमूल्या बाहर हॉल में सोफे हाथ में टॉवेल लिए बैठी थी कि तभी वर्चस्व की आवाज आती है ।
वर्चस्व - अमूल्या , अमूल्या टॉवेल कहा है ।
अमूल्या - जी आई ,," कुछ वक्त रूक कर फिर वर्चस्व को टॉवेल देने जाती है ।
अमूल्या बाथरूम का दरवाजा खटखटाते हुए -जी टॉवेल।
वर्चस्व थोड़ा सा दरवाजा खोल कर सिर्फ हाथ बाहर निकाल कर टॉवेल ले लेता है फिर टॉवेल अपने कमर पर लपेट कर बाहर आते हुए - क्या है तुम्हारा ह्ह तुम्हें कितनी बार समझाना पड़ेगा कि टॉवेल हमेशा बाथरूम में रखा जाता है पर नहीं तुम तो ये बात साबित करने में लगी हो की तुम सच में ग्वार हो तुम्हें वही गांव में रहना चाहिए था बेफालतू का तुम शहर में आ गई , अगर तुम्हें किसी बिजनेस पार्टी में लेकर भी गया तो तुम वहां भी मेरी इज्जत का कचरा कर दोगी ।
अमूल्या जिसने जानबूझकर ये सब किया था वर्चस्व की बात सुनकर उसका चेहरा उतर जाता है उसकी आंखें नम हो जाती है ।
अमूल्या अपनी नज़रें झुकाते हुए - सॉरी हमसे गलती हो गई अगली बार से हम इस बात का ख्याल रखेंगे ।
वर्चस्व - बस यही एक शब्द है इंग्लिश लेंग्वेज का जो तुम्हें आता है , हर बार सॉरी कह दिया और बस सब कुछ आसान हो गया ,छोड़ो कोई फायदा नहीं है तुम्हें समझाने का ।
कहकर वहां से अपने कपड़े लेकर फिर से वॉशरूम में चला जाता है वही अमूल्या अपने आसू पोंछते हुए कमरे से बाहर आ जाती है ।
वो किचन में आकर काम करने लगती है वो अपने आंसू बार बार पोंछ रही थी पर कंबख्त रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे कुछ वक्त में वर्चस्व कमरे से तैयार हो कर बाहर आता है ।
अमूल्या - सुनिए नाश्ता तो करते जाइए ।
वर्चस्व - भूख नहीं है ,," कहते हुए घर से बाहर निकल जाता है ।
अमूल्या बस उसे जातें हुए देखती रह जाती है वर्चस्व की आज बहुत इम्पोर्टेंट मीटिंग थी इसलिए वो ऑफिस जल्दी पहुंच कर अपना काम निपटाने लगता है काम करते हुए कब लंच ब्रेक हुआ उसे ये भी पता नहीं चलता वो जिस काम में लगा हुआ था आज उसी प्रोजेक्ट पर मीटिंग थी इसलिए वर्चस्व इस काम में पूरे शिद्दत से लगा हुआ था ।
कुछ वक्त में एक प्यून आकर उससे कहता है - सर आपको बॉस अपने केबिन में बुला रहे हैं ।
वर्चस्व - हम्म चलो मैं आता हूं ।
बॉस केबिन
मे आय कमिंग सर - केबिन के डोर को नॉक करता हुआ वर्चस्व कहता है ।
बॉस - कम इंग ।
वर्चस्व अंदर आते हुए - आपने मुझे बुलाया सर ।
बॉस - मैंने जो प्रोजेक्ट तुम्हें तैयार करने के लिए दिया था वो रेडी है ।
वर्चस्व - यस सर , एवरी थिंग इज रेडी ।
बॉस - ओके तो तुम कम्पनी की गाड़ी से हॉटल चले जाओ वहां तुम्हें मेरी बेटी मिल जाएगी आज की मीटिंग वो ही हेंडल करेगी ओके ।
वर्चस्व - ओके सर बट सर अभी तो मीटिंग के लिए एक घंटा बाकी है ।
बॉस - हां वो हॉटल यहां से काफी दूर है तुम्हें वहां पहुंचने में इतना वक्त लग जाएगा ।
वर्चस्व - ओके सर ।
वर्चस्य मीटिंग के लिए हॉस्टल पहुंचता है तो देखता है कि सामने खड़ी बिल्डिंग हॉटल कम और किसी का फार्महाउस ज्यादा लग रहा था पर वो इस बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए अंदर चला जाता है ।
हॉटल के अंदर की हालत तो और भी अलग थी वर्चस्व को वहां कोई भी नहीं दिखता तो वो दो तीन बार आवाज लगाता है तभी खट खट की आवाज करते हुए एक लड़की उस हॉल में आती है ।
उस लड़की ने वाइन कलर की एक शॉट ड्रेस पहन रखी थी जो कुछ ज्यादा ही छोटा था चेहरे पर हेवी मेकअप, पैरों में ब्लैक कलर की हाई हील पहन रखा था उसने।
वर्चस्व उस पर से अपनी नजर हटाते हुए - मिस बंसल क्लांइट कहा है ।
ये हैं कियारा बंसल वर्चस्व के बॉस की एकलौती बेटी ।
कियारा - क्लांइट अभी आते ही होंगे आओ तब तक तुम बैठो ।
वर्चस्व - नो थैंक्स ।
कहकर एक तरफ खड़ा हो जाता है वही कियारा वर्चस्व को उपर से नीचे तक घूरते हुए बस वाइन पीए जा रही थी
जब कुछ और वक्त बीत जाने पर भी क्लांइट नहीं आते तो वर्चस्व कहता है - मिस बंसल प्लीज आप एक बार क्लांइट से फोन करके पूछ ले वो कब तक यहां पहुंच रहे हैं ।
कियारा - ओके कह कर अपना फोन निकलती है और क्लाइंट को फोन करती है कुछ वक्त फोन पर बात करके उसके बाद वर्चस्व से कहती है - वर्चस्व क्लांइट ने आने से मना कर दिया वो कह रहे हैं कि उन्हें एक इंपॉर्टेंट काम आ गया है तो वो नहीं आ पाएंगे ।
वर्चस्व - नो प्रॉब्लम मेम मैं घर वापस जा रहा हूं ।
कियारा उसे रोकते हुए - ओ नो नो नो वर्चस्व यहां पर इतना इंतजाम किया गया है इतना खर्चा हुआ है तो कम से कम डिनर तो करके जाओ ।
वर्चस्व - नो थैंक्स मेम मैं घर पर जाकर कर खा लूंगा ।
पढते रहिए,, कमेंट,, रेटिंग और फोलो करना ना भूले क्यूटी....
जारी है.....
वर्चस्व - नो थैंक्स मेम मैं खाना घर जाकर खा लूंगा ।
कियारा - अरे तुम भी ना सोचो खाना बर्बाद जाएगा और सबका पेमेंट भी हो चुका है ।
वर्चस्व - ठीक है ,," फिर दोनों बैठकर डिनर करने लगते हैं वर्चस्व थोड़ा सा ही खाता है वो फिर से जाने के लिए उठता है कि तभी कियारा उसके पास आकर उसके गले में जबरदस्ती अपने हाथ डालते हुए एक रिमोट से म्यूजिक स्टार्ट कर देती है - अब तुम यहां पर आए हो तो थोड़ा मेरे साथ डांस ही कर लो ।
वर्चस्व उसकी दोनों बाहें अपने गले से निकालते हुए - नो थैंक्स मेम मुझसे दूर रहिए मुझे यह सब पसंद नहीं ।
कियारा - ओ कम ऑन दिल्ली जैसे बड़े शहर में रहकर यू गंवारों जैसी बातें ना करो वर्चस्व अगर खुद का बिजनेस खड़ा करना तो तुम्हें मॉडल होना पड़ेगा ।
वर्चस्व - किसी के साथ कुछ इतना क्लोज होना है तो मुझे नहीं होना आपको ही आपकी दिल्ली मुबारक मैं तबसे आपकी सारी बदतमीजी इसलिए सह रहा था क्योंकि आप मेरे बॉस कि बेटी है पर अब नहीं मुझे नहीं करना आपके पास नौकरी आपका काम आपको ही मुबारक,, " कह कर जाने लगता है की तभी कियारा पीछे से उसके गले लग जाती है और उसके हाथ वर्चस्व के सिने पर हरकतें करने लगती है ।
कियारा - सोच लो वर्चस्व अगर तुमने मेरे साथ कॉर्पोरेट नहीं किया तो तुम्हें मेरे ऑफिस में क्या दिल्ली में कहीं भी जॉब नहीं मिलेगा ।
वर्चस्व - आपको जो करना है आप कर सकती हैं ,, " कहकर वहां से चला जाता है वो बाहर आता है आसपास पूरा रास्ता सुनसान था उसे कहीं भी टैक्सी नहीं दिखता तो वो पैदल ही चलना शुरू कर देता है बारिश बहुत जोरों से हो रही थी वर्चस्व वहां से घर तक का रास्ता डेढ़ घंटे में पैदल ही तय करता है उसकी वाइट शर्ट भीग कर उसके सीने से चिपक गई थी रात के करीब 9:30 बजे होंगे वर्चस्व जैसे ही घर का डोर बेल बजाता है अमूल्य जल्दी से दरवाजा खोलते हुए - आ गए आप कहां थे हमें तो टेंशन हो गई थी आप ठीक तो है ना आपको आने में इतना लेट क्यों हों ।
वर्चस्व गुस्से में उसे घूरते हुए - चुप रहोगी तुम जब देखो तब बक बक बक करती रहती हो ।
वर्चस्व की बात सुनकर अमूल्या अपना सिर नीचे झुका लेती है तो वर्चस्व चुपचाप कमरे में चला जाता है कुछ वक्त में वो कपड़े चेंज करके आता है और हॉल में रखे सोफे पर बैठ कर अपना सिर पीछे सोफे से लगाते हुए अपनी आंखें बंद कर अपना एक हाथ अपनी आंखों पर रख लेता है ।
अमूल्या उसके पास आते हुए - खाना लगा दूं आपके लिए ।
वर्चस्व - नहीं भूख नहीं है मुझे ,, " और वहां से उठकर वापस कमरे में चला जाता था कुछ वक्त में अमूल्या कमरे आती है तो वर्चस्व कुछ कर रहा था ।
अमूल्या - क्या कर रहे हैं आप ।
वर्चस्व गुस्से में - हर बात का तुम्हें जवाब देना जरूरी है क्या ।
अमूल्या की आंखें नम हो जाती है अमूल्या - सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे वो तो बस ।
वर्चस्व खुद को शांत करते हुए - अपनी पैकिंग कर रहा हूं
( वर्चस्व भले ही इस रिश्ते को मानने से मना करता था पर वो अपनी सारी जिम्मेदारी भी समझता था वो समझता था कि उसकी एक पत्नी उसके घर में रोज उसका इंतजार करती है और किसी दूसरी लड़की के साथ किसी भी तरह का रिश्ता बनाना अमूल्या के साथ धोखा करना होगा ।
अमूल्या - पैकिंग पर क्यों ।
वर्चस्व - मैं कल मुंबई जा रहा हूं उसके लिए ।
अमूल्या - आप मुंबई जा रहे हैं हम मतलब हम कैसे रहेंगे यहां पर अकेले ।
वर्चस्व - हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं बस जॉब ढूंढने में लिए जा रहा हूं कुछ दिन लगेंगे उसके बाद तुम्हें भी ले जाऊंगा तब तक यहां पर रहो कुछ भी जरूरत हो तो सनाया भाभी से कह देना ।
अमूल्या - पर जॉब ढूंढने क्यों यहां पर भी तो आप जॉब करते ही थे ।
वर्चस्व - मैंने जॉब छोड़ दिया और कुछ जानना है तुम्हें ,," अब अमूल्या क्या ही कहती वो फिर से स्वागत करके वर्चस्व को गुस्सा नहीं दिलाना चाहती थी इसलिए वो चुपचाप कमरे से बाहर चली जाती है और बिना खाना खाए सारा खाना फ्रिज में रखकर रख देती है उसे आदत हो गई थी वर्चस्व की हर सुबह उसके लिए उसकी पसंद का नाश्ता बनाना, उसके सारे काम करना, भले वो गुस्सा हो जाया करता था कभी-कभी डांट देता था फिर अमूल्या को उसकी किसी बात का बुरा नहीं लगता था क्योंकि उसे वर्चस्व से प्यार हो गया था उसने हमेशा सोचा था वो प्यार सिर्फ शादी के बाद अपने पति से ही करेगी और अब तो वर्चस्व ही उसके लिए उसका सब कुछ था ।
अगली सुबह
अगले दिन वर्चस्व अपना ट्रॉली बैग लिए हैं तैयार होकर कमरे से निकलता है अमूल्या भी उसके पीछे बाहर आती है उसी समय सनाया, और विराज भी अपने घर में से बाहर आते हैं ।
विराज - चलो मैं तुम्हें एयरपोर्ट पर छोड़ देता हूं ।
वर्चस्व - थैंक यू यार तुम्हारे वजह से ही ये सब पॉसिबल हो पाया है ,," वर्चस्व ने रात को जो कुछ भी हुआ कियारा ने उसके साथ जो कुछ भी किया और कहा वर्चस्व ने सारी बात विराज को बता दी थी ।
विराज - ज्यादा ना थैंक यू की जरूरत नहीं है और यह लो एड्रेस मेरे दोस्त के घर का है जब वहां पर पहुंच जाओ तो एक बार कॉल कर देना कि तुम सही सलामत पहुंच गए हो ।
वर्चस्व - हम्म ।
फिर वर्चस्व विराज के साथ दो कदम आगे बढ़ता है फिर पीछे मुड़कर अमूल्या की तरफ देखते हुए - कुछ भी जरूरत हो तो भाभी से मदद ले लेना और कुछ भी उट-पटांग हरकत मत करना समझी ,," तो अमूल्या अपना सिर हां में हिला देती है ।
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जारी है.....
मुंबई
सुबह का वक्त
मुंबई सपनों का शहर ऐसा ही एक सपना लेकर वर्चस्व आया है मुम्बई क्या उसका सपना पूरा होगा, वर्चस्व टैक्सी से उतरकर एक मोहल्ले के अंदर जाने लगता है वो सभी घर के नेमप्लेट पढ़ते हुए आगे बढ़ रहा था वही एक घर के ऊपर एक लड़की बालकनी में अपना टेडी बियर लिए नाच रही थी वर्चस्व जैसे ही उसके घर के नीचे से गुजरता है वो लड़की अपने हाथ में पकड़ा टेडी बियर चला कर वर्चस्व को मार देती है ।
वर्चस्व गुस्से में जब ऊपर देखा है तो लड़की अपने कान पकड़ते हुए - सॉरी माफ कीजिएगा वो गलती से हाथ से छूट गया , आप वहीं पर रुकिए मैं अभी आ रही हूं ,, " कुछ मिनट में वो नीचे आती है और वर्चस्व के पास आते हुए - सॉरी मैंने जानबूझकर नहीं किया वो गलती से हाथ से छूट गया ।
वर्चस्व टेडी बियर उसके तरफ बढ़ते हुए - कोई बात नहीं ।
लड़की - वैसे मैंने पहले कभी आपको यहां देखा नहीं नये लगते हैं आप यहां ।
वर्चस्व - हां मैं यहां पर नया आया हूं ( फिर एड्रेस उसे दिखाते हुए) क्या तुम किसी ऋषभ शर्मा को जानती हो ।
लड़की - तुम भी कमाल की बात करते हो वो सामने तो है ।
वर्चस्व उस लड़की के घर के सामने वाला घर देखता है तो वहां पर प्रकाश शर्मा नाम लिखा था ।
वर्चस्व - थैंक यू मैंने ध्यान नहीं दिया ।
लड़की - लगता है तुम अब यही रहोगे तो मेरा नाम एनी है मतलब अनाया सब मुझे प्यार से एनी बोलते हैं ।
वर्चस्व - वर्चस्व सिंघानिया ।
अनाया - नाम काफी दमदार है तुम्हारा ।
वर्चस्व - अगर तुम्हारी इजाजत हो तो क्या मैं जा सकता हूं ।
अनाया -हां क्यों नहीं ,, " तो वर्चस्व शर्मा निवास के अंदर आता है तो हाल में ही दादी जी और उनकी बहू ऋषभ की मां गौतमी जी बैठी थी ।
वर्चस्व को देखते ही गौतम जी अपनी जगह उठते हुए - तुम कौन हो बेटा ।
वर्चस्व - जी मेरा नाम वर्चस्व से है मुझे ऋषभ से मिलना है क्या वो यही रहता है ।
गौतमी जी - हां बेटा आओ ऋषभ ने बताया था कि तुम आने वाले हो पर वो तो तुम्हें लेने स्टेशन गया था फिर तुम अकेले कैसे आए ।
कि तभी वर्चस्व के पीछे से ऋषभ दौड़ते हुए आता है और गौतम जी के पास रूकते हुए - क्योंकि मैं लेट हो गया ऑफिस में अचानक से मीटिंग रख दी गई थी इसलिए ।
ऋषभ , वर्चस्व से - सॉरी वो अचानक से ऑफिस में मीटिंग आ गई थी इसलिए फस गया था ।
वर्चस्व - कोई बात नहीं ।
ऋषभ - वैसे तुम्हें घर ढूंढने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ।
वर्चस्व - नहीं सही है सिंपल तरीके से मिल गया ।
ऋषभ - वो सब तो ठीक है तुम चल कर फ्रेश हो जाओ आज आराम कर लो फिर कल से तुम जॉब के लिए ट्राई करना ।
गौतमी जी - चिंता मत करो बेटा ऋषभ ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बताया है तुम्हें जॉब जरूर मिल जाएगा मुंबई में तो बहुत से लोगों का सपना पूरा हुआ है तुम्हारा भी होगा बस धैर्य रखो ।
वर्चस्व - थैंक यू आंटी ।
ऋषभ - अरे चलो मैं तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा देता हूं ,, " कहते हुए उसे ऊपर लेकर जाता है एक कमरे में लाते हुए - ये रहा तुम्हारा कमरा मैंने सफाई करवा दी है तुम फ्रेश होकर नीचे आओ उसके बाद में तुम्हें अपनी फैमिली से मिलवाता हूं ।
वर्चस्व - ठीक है , , " तो ऋषभ नीचे चला जाता है कुछ वक्त में वर्चस्व रेडी होकर नीचे आता है तो वहां पर पहले से ही ऋषभ की पूरी फैमिली थी ।
गौतमी जी - आओ बेटा लंच का वक्त हो गया है तुम भी कर लो ।
ऋषभ वर्चस्व के पास खड़ा होते हुए - हां मां कर लेगा वो लंच ( फिर वर्चस्व से) मां से तो तुम मिल चुके हो ये मेरी मां है गौतमी शर्मा , मेरे पिता प्रकाश शर्मा अभी अपने ऑफिस गए हैं उनसे तुम्हें शाम को मिलवाऊंगा, अभी के लिए ये मेरी स्वीट सी दादी भाग्यवती देवी ये बहुत ही स्वीट है (लास्ट में एक लड़की के तरफ इशारा करते हुए ) इससे मिलो ये मेरी बहन विशाखा बहुत ही प्यारी है ( तो विशाखा मुस्कुराने लगती है) और बहुत ही झगड़ालु भी ।
विशाखा ऋषभ को घूरते हुए - आपको तो मैं बाद में देख लूंगी ( फिर वर्चस्व से मुस्कुराते हुए) हेलो भैया ।
ऋषभ - देखा मैंने कहा था ना बहुत डेंजर है ये ,, " उसकी बात सुनकर वर्चस्व मुस्कुराते हुए - हेलो लिटिल सिस्टर ।
गौतमी जी - अच्छा ठीक है अभी बहुत समय है तुम लोगों के पास आराम से बैठ कर बातें करने रहना, अभी चुपचाप बैठ कर खाना खाओ चलो। ,," फिर सभी लंच करने लगते हैं कि तभी वहां पर अनाया ( जो ऋषभ के घर के सामने वाले घर में रहती है और वर्चस्व से बाहर मिली थी वो घर में आते हुए कहती है) आंटी कहां है आप देखिए मैं आपके लिए क्या लेकर आई हूं ।
गौतमी जी - क्या लाई हो एनी बेटा ।
अनाया - ये देखिए मुझे ना आज आपकी फेवरेट वो बुक मिला जिसे आप पढ़ने के लिए बहुत दिनो से ढूंढ रही थी ,, " कहते हुए एक बुक उनके तरफ बढ़ा देती है गौतमी जी बुक को एक साइड रखते हुए - बाद में देख लूंगी मैं और तुम भी पहले हमारे साथ लंच कर लो आओ ।
तो अनाया भी सबके साथ बैठ जाती है ऋषभ - वर्चस्व इससे मिलो ये हमारी बचपन की फ्रेंड है अनाया हमारे घर के सामने ही रहती है ।
वर्चस्व के कुछ भी कहने से पहले ही अनाया कहती है - मैं इससे मिल चुकी हूं ।
ऋषभ - तुम कब मिली इससे ये तो आज ही मुम्बई आया है वो भी पहली बार ।
अनाया - इसको घर का एड्रेस मैंने ही तो बताया था ।
ऋषभ - ओ.. चल थैंक्यू इसे सही एड्रेस बताने के लिए वरना तेरी हरकतें को देखते हुए मुझे नहीं लगा था कि तू इसे इतनी आसानी से सही एड्रेस बता देगी ।
अनायास - चल हट इतनी बुरी भी नहीं हूं मै समझा।
दादी जी - बस बहुत हो गई बातें ( फिर अनाया से ) और तू भी चेन्नई एक्सप्रेस जब देखो तब बकबक करती रहती है चुपचाप से खाना खा उसके बाद जितनी बातें करनी है करते रहना ।
अनाया - ठीक है दादी ,, " फिर सब चुपचाप लंच करने लगते है लंच करने के बाद , ऋषभ , विशाखा , अनाया , वर्चस्व सभी को लेकर अपने कमरे में आ जाता है ।
अनाया , वर्चस्व से - तो तुम जॉब ढूंढने के लिए मुंबई आए हो ।
ऋषभ - हां वैसे ये बहुत टैलेंटेड है इसने हर क्लास में टॉप किया है और कॉलेज में भी इंजीनियरिंग में टॉप किया है ।
अनाया - ये तो बहुत अच्छी बात है अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं अपने ऑफिस में तुम्हारे लिए बात कर सकती हूं ।
विशाखा - हां ये सही रहेगा आपको पता है भैया मैं और अनायास एक ही ऑफिस में काम करते हैं आप कहो तो हम ऑफिस आपके लिए बात कर सकते हैं ।
वर्चस्व - कोई जरूरत नहीं है मैं जॉब अपनी काबिलियत पर हासिल करना चाहता हूं किसी के सिफारिश पर नहीं ।
अनाया - एज योर विश ।
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जारी है......
अनाया - एज योर विश ।
ऋषभ - पता है अनाया वर्चस्व के जैसे इंसान आज के जमाने में बहुत कम मिलते हैं वरना सब या तो सिफारिश पर नौकरी पाते हैं या तो बस बड़े लोगों की चापलूसी करते हैं ताकि उनका काम बनता रहे पर वर्चस्व जैसे इंसान बहुत कम होते हैं जो खुद के दम पर कुछ करना चाहते हैं कुछ बनना चाहते हैं कुछ हासिल करना चाहते हैं ।
अनाया - मैं तुम्हारी बात मानती हूं ये बाकी लोगों से काफी अलग है ।
तभी वर्चस्व का फोन बजता है वर्चस्व सब की तरफ देखते हुए - एक्सक्यूज मी ,, " कहते हुए बालकनी में चला जाता है ।
विशाखा , अनाया का हाथ पकड़ कर उठाते हुए ऋषभ से कहती है - भैया मैं भी अनाया के साथ मेरे कमरे में जा रही हूं आप दोनों आराम से बात कीजिए ।
ऋषभ - ठीक है जाओ तुम दोनों ।
तो विशाखा , अनाया को लेकर ऋषभ के कमरे से चली जाती है बालकनी में वर्चस्व कॉल उठाते हुए - हेलो हां विराज सॉरी मैं कॉल करना भूल गया था ।
विराज - ठीक है साले पर आगे से मत भूलना ये मत भूल कि तू दोस्त से पहले एक बीबी यहां पर छोड़ कर गया है जिसे तेरी चिंता तुझसे ज्यादा है ,, " विराज अमूल्या को देखते हुए कहता है जो उसके पास खड़ी उसकी और वर्चस्व की बातें सुन रही थी क्योंकि विराज ने फोन स्पीकर पर किया था ।
विराज की बात सुनकर वर्चस्व शांत हो जाता है फिर धीरे से कहता है - तुम सब कैसे हो वहां पर ।
विराज - मुझे क्या होगा मैं तो एक दम ठीक हूं और सनाया का ख्याल रखने के लिए तो मैं हूं ही बाकी रही तेरी बीवी की बात जब तक तुम नहीं आते उसका भी ख्याल रखूंगा पर अपनी बहन की तरफ अभी तो हम तीनों ठीक है तू बता ।
वर्चस्व - हम्म मैं ठीक हूं ।
विराज - कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई ना ऋषभ के घर पहुंचने में ।
वर्चस्व - नहीं ।
विराज - अच्छा सुन दुनिया बहुत बदल रही है और वैसे भी नया नया ट्रेंड चल रहा है बीवियों का किसी और के साथ भागने का तू भी सोच ले तेरी बीवी तो वैसे ही इतनी खूबसूरत है जल्दी से अपने पास बुला ले कहीं किसी और के साथ ना भाग जाए ,, " विराज मजाक करते हुए कहता है ।
वर्चस्व - हम्म जल्दी आने की कोशिश करूंगा ।
ऋषभ, वर्चस्व के पीछे से बालकनी में आते हुए - विराज से बात कर रहे हो ना ।
वर्चस्व हां में सर हिलाते हुए फोन स्पीकर पर कर देता है - ऋषभ - तो विराज कैसे हो तुम ।
विराज - मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो ।
ऋषभ - एक दम मस्त यार ।
विराज - अच्छा सुनो वर्चस्व पहली बार मुंबई गया है उसे ज्यादा पता नहीं है वहां के बारे में तो उसका जरा ख्याल रखना ।
ऋषभ - अरे ये भी कोई कहने की बात है दोस्त का दोस्त भी दोस्त होता है और वर्चस्व जैसे दिलचस्प इंसान से दोस्ती करने में तो अलग ही बात है बहुत कुछ सीखने को मिलेगा मुझे इससे , तुम चिंता मत करो ये बहुत टैलेंटेड है इसे जॉब जरूर मिल ही जाएगी ।
।
विराज - हम्म अच्छा ठीक है बाद में कॉल करता हूं ख्याल रखना अपना ।
विशाखा के कमरे
विशाखा , अनाया को लेकर कमरे में आती है और दरवाजा अंदर से बंद करते हुए अनाया को बेड पर धकेलते हुए कहती है - चलों बताओ क्या छुपा रही हो तुम मुझसे ।
अनाया - मैं क्या छुपाऊंगी तुमसे ।
विशाखा - ज्यादा ना बनो मत बचपन से जानती हूं तुम्हें तुम कब , क्या , क्यों करती हो सब समझती हूं समझी , चलो बताओ कि मोहल्ले की सबसे बदमाश लड़की है जो मेरे साथ मिल कर सभी को दिन रात परेशान करती रहती है उसने वर्चस्व भैया को एक बार में ही सही एड्रेस कैसे बता दिया वरना हम तो किसी को भी पूरे मोहल्ले का 10 चक्कर लगवाए बिना छोड़ते नहीं है उसे ।
अनाया , विशाखा का हाथ पकड़ के अपने पास बेड पर बैठाते हुए कहती है - पता है मैंने भी यही सोचा था कि आज तो इस लड़के को अच्छे से मजा चखाऊंगी पूरे मोहल्ले के 10-15 चक्कर तो आराम से लगवाऊंगी ही पर जब मैं नीचे आई और वर्चस्व को सामने से देखा तो उसे देखकर ये जो मेरा दिल है ना बहुत जोरों से धड़कने लगा उस वक्त समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ , क्यों ये आंखें उसके चेहरे से हट नहीं रही थी क्यों मेरा दिल मुझसे ही बगावत कर रहा है, ऐसा क्यों हुआ होगा तुम्हें पता है ।
विशाखा - कहीं तुम्हें वर्चस्व भैया से लव एन्ड फर्स्ट साइट तो नहीं हो गया ना ।
अनाया - ऐसा होता है क्या कि तुम्हें पहली ही नज़र में किसी से प्यार हो जाए ।
विशाखा - हां होता है बहुत से लोगों को होता है लव एन्ड फर्स्ट साइट ।
विशाखा की बात सुनकर अनाया खुशी से उछलते हुए बेड पर लेट जाती है और थोड़ा तेज आवाज में कहती है - क्या सच में मुझे प्यार हो गया है है , हां मुझे प्यार हो गया है , मुझे प्यार हो गया है ( फिर इधर उधर उछलते हुए ) मैं क्या करूं यार ( विशाखा को पकड़कर गोल घुमाते हुए) तेरी दोस्त को प्यार हो गया कुछ कर यार मेरे पैर जमीन पर नहीं है ।
विशाखा - पहले तो तू चिल्लाना बंद कर वरना दादी और मां यहां पर आ जाएगी और ज्यादा खुश मत हो तू पहले से ही पागल है अब प्यार में पूरी पागल हो जाएगी पर एक बात सोचने की है कि तुझे वर्चस्व भैया से प्यार हो गया है पर वर्चस्व भैया भी तुझे पसंद करते हैं या नहीं ये थोड़ी ना कंफर्म है ।
विशाखा की बात सुनकर अनाया कुछ पल सोचने लगती है फिर कहती हैं - आज ही तो मिले हैं एक दूसरे से अभी तो बहुत टाइम है कभी ना कभी तो प्यार हो जाएगा ,, '" फिर दोनों खुशी से उछलते हुए नाचने लगते हैं ।
ऋषभ , वर्चस्व से - तुम रेडी हो ना , इंटरव्यू के लिए कल कुछ जगह जॉब के लिए इंटरव्यू होने वाले हैं ।
वर्चस्व - हम्म मैं तैयारी कर लूंगा तुम मुझे कंपनी के नाम बता देना मैं कंपनी के बारे में सर्च करके थोड़ा पढ़ लूंगा तो इंटरव्यू में थोड़ी हेल्प हो जाएगी ।
ऋषभ - ओके ।
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जारी है.....
वर्चस्व का पूरा दिन बहुत बड़ी शांति से गुजर जाता है वो ज्यादातर अपने कमरे में ही रहता है अगले दिन के इंटरव्यू के लिए तैयारी करने में लगा हुआ था ।
अगले दिन
वर्चस्व - अमूल्या , अमूल्या , कहां हो आज फिर से तुम टॉवल वॉशरूम में रखना भूल गई कितनी बार तुम्हें समझाना पड़ेगा कि टॉवेल हमेशा बाथरूम में रखा करो ,, " बाथरूम में नहाते हुए वर्चस्व चिल्लाता है जब कुछ वक्त तक बाहर से कोई आवाज नहीं आती है तो वर्चस्व दरवाजा खोलकर बाहर कमरे में देखते हैं कमरा देख कर उसे याद आता है वो इस वक्त दिल्ली में नहीं मुंबई में है अब उसे थोड़ी सी ही सही पर अमूल्या की याद सता रही थी उसे नहीं पता उसे अमूल्या से प्यार हुआ है या नहीं पर हां उसकी आदत जरूर हो रही थी रोज सुबह से रात तक किसी भी चीज की जरूरत हो तो अमूल्या उसके हर चीज का ख्याल रखी थी वर्चस्व के छोटी से छोटी चीज कहां रखी है अमूल्या को सब पता रहता था ।
वर्चस्व अपना सिर झटकता हुआ टॉवल लेकर बाथरूम से बाहर निकलता है रेडी होकर नीचे आता है तो सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे गौतमी जी वर्चस्व को देखकर कहती हैं - आ गए बेटा हम सब तुम्हारा इंतजार कर रहे थे ।
वर्चस्व - इसकी क्या जरूरत थी आंटी आप लोगों को नाश्ता करना स्टार्ट कर देना चाहिए था मुझे लेट भी तो हो सकता था आने में ।
गौतमी जी - कोई बात नहीं बेटा आओ बैठो ,, " वर्चस्व आकर सबके पास बैठ कर सबके साथ नाश्ता करने लगता है ।
कुछ वक्त में सभी अपने काम पर चले जाते हैं तो वर्चस्व भी ऋषभ के साथ बाहर आता है ।
ऋषभ - चलो मैं तुम्हें इंटरव्यू के एड्रेस पर छोड़ देता हूं ।
वर्चस्व - कोई बात नहीं मैं चला जाऊंगा ।
ऋषभ - क्या कोई बात नहीं है मैं कह रहा हूं ना चलो छोड़ देता हूं एक बार जॉब लग जाए तो अपनी मर्जी से आते जाते रहना ।
उसी वक्त अनाया और विशाखा ऑफिस जाने के लिए अपने घर से बाहर निकलती है अनाया और विशाखा एक साथ - ऑल द बेस्ट भैया ,, " अनाया - ऑल द बेस्ट वर्चस्व ।
वर्चस्व दोनों को देख कर हल्का सा सिर हिलाते हुए थैंक यू कहता है और ऋषभ के साथ निकल जाता है ।
अनाया और विशाखा अपने ऑफिस पहुंचती है ऑफिस में आते ही दोनों अपने-अपने काम में लग जाते हैं अनाया आज का शेड्यूल लेकर अपने बॉस के केबिन में जाती है - मैं कमिंग कर ।
केबिन के अंदर से आवाज आती है - यस कमिंग ।
अनाया अंदर आते हुए - सर आज का शेड्यूल रेडी है ,, " कहकर उसके पूरे दिन भर का शेड्यूल बताने लगती हैं ।
विवेक ,,अनाया के शेड्यूल बताने के बाद उसके चुप होने पर कहता है - तुम्हें क्या लगता है अनाया हमारी कंपनी में ऐसी कौन सी कमी होगी जो हम इतने पीछे हैं जब मैं एंप्लॉय मीटिंग करता हूं तब तो सबके फाइल चेक करते वक्त सही लगते हैं फिर कमी कहां रह गई है ।
अनाया मुस्कुराते हुए - ये तो मैं नहीं कह सकती सर क्योंकि सभी कंपनी अपने अपने हिसाब से बराबर मेहनत करती हैं बस यही बात है पर मैं इतना जरूर कहूंगी कि अपने कंपनी के जो इंजीनियर है वो अपने काम पर ध्यान नहीं देते हैं ,, अब पूरे ऑफिस पर तो मैं नजर रख नहीं सकती पर इतना नोटिस किया है मैंने आप इसमें कुछ बदलाव कीजिए शायद कंपनी के प्रॉफिट में कुछ बदलाव आए बाकी आपकी मर्जी आप प्लीज बुरा मत मानिएगा जो मैंने देखा और मुझे लगा मैंने वो आपको बता दिया ।
विवेक - कोई बात नहीं मै ही अपनी ऑफिस में सभी पर सही से ध्यान नहीं रख पा रहा हूं ।
लंच टाइम में अनाया , विशाखा ऑफिस के कैंटीन में बैठे लॉन्च कर रही थी ।
विशाखा - क्या हॉट लग रहा है ना ।
अनाया - कौन ।
विशाखा - अपने बॉस ,," विशाखा कुछ दूरी पर जा रहे हैं विवेक की तरफ इशारा करते हुए कहती है ।
अनाया - क्या हाए , मैंने तो जब से वर्चस्व को देखा है उसके सामने कोई दिखता ही नहीं ।
विशाखा , अनाया सामने अपना हाथ हिलाते हुए - ज्यादा उठो मत वर्चस्व भैया से पहले तो विवेक सर तुझे बहुत क्यूट , हैंडसम और डैशिंग लगते थे अब क्या हुआ।
अनाया - हां लगते थे तो क्या हुआ मुझे तो सलमान खान भी हॉट , क्यूट , ड्रेसिंग लगता है पर मैं उन सभी से प्यार तो नहीं कर सकती ना क्योंकि तब तक मैं वर्ष से व्हाट्सएप से नहीं मिली थी पर वर्चस्व से तो मुझे प्यार हो गया है कभी उसे गौर से देखा है उसकी बॉडी हाइट एकदम कमाल है उसे देखकर तो कोई भी लड़की उस पर फिदा हो जाए ।
विशाखा - ठीक है देखती हूं तेरे प्यार का भूत कब तक तेरे सिर पर सवार रहता है ।
अनाया - टेंशन मत ले इस बार कंफर्म हो गया है मैंने टारगेट फिक्स कर लिया है अब सिर्फ वर्चस्व , वर्चस्व , वर्चस्व एक यही नाम मेरी जिंदगी में रहेगा ।
विशाखा - देखते हैं ।
अनाया - देख लेना ।
वर्चस्व पूरे दिन में दो-तीन इंटरव्यू देता है इस वक्त भी वो एक कंपनी में इंटरव्यू में इंटरव्यू के लिए बैठा था तभी उसका नाम अनाउंस होता है वो अंदर केबिन में जाता है उसके सामने तीन लोग बैठे थे जिनमें से एक लड़की और तीन लड़के बैठे थे वो वर्चस्व को बैठने के लिए कहते हैं वो लगातार सवाल पूछ रहे थे जिसका वर्चस्व बड़ी शांति से हर सवाल का जवाब दे रहा था उन्हें वर्चस्व का शांत स्वभाव बहुत पसंद आता है एक जज पूछता है - आपने आज से 2 साल पहले ही अपना कॉलेज कंप्लीट कर लिया था तो आप इन 2 सालों के बीच कहां थे मतलब सभी इंजीनियरिंग करने के बाद या एमबीए करने के बाद में कहीं ना कहीं जॉब जरूर करते हैं पर आपके प्रोफाइल में कहीं भी ये नहीं दिखाया गया है क्या आपको नहीं लगता कि पर अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद प्रैक्टिस के लिए किसी कंपनी को ज्वाइन करना जरूरी था ।
वर्चस्व - आई नो सर यह जरूरी था बट मेरे कुछ पर्सनल रीजन थे जिस वजह से मैं कोई भी जॉब नहीं कर पाया ।
जज - सॉरी पर हम कुछ नहीं कर सकते आप हर चीज में परफेक्ट है पर ये चीज आपने गलत कि है किसी भी बिजनेस की ग्रेजुएशन करने के बाद प्रेक्टिस के लिए जॉब करना बहुत जरूरी है जो अपने 2 सालों से नहीं किया है सॉरी बट ये जॉब आपको नहीं मिल सकती ।
वर्चस्व - इट्स ओके ,, " और वहां से निकल जाता है ।
( वैसे आप सबको क्या लगता है इन दो सालों में कहां था वर्चस्व )
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जारी है....
वर्चस्व पूरे दिन इंटरव्यू देता है पर हर जगह उसे जवाब ना में ही मिलता है वो शाम होते-होते ऋषभ के घर वापस आ जाता है ।
डिनर के वक्त सभी डायनिंग टेबल पर बैठे थे गौतमी जी, वर्चस्व से कहती है - आज का तुम्हारा दिन कैसा गया बेटा कहीं कुछ बात बनी ।
वर्चस्व - नही आंटी ।
गौतमी जी - कोई बात नहीं बेटा तुम अपनी कोशिश जारी रखो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी ।
वर्चस्व - हम्म ।
डिनर के बाद वर्चस्व - मुझे कहा लेकर जा रहे हो ऋषभ मेरा आज कहीं जाने का मन नहीं है ।
ऋषभ - अरे चलो ना यार अंकल ( अनाया के पापा) ने बुलाया था वहीं जा रहे हैं हम ।
ऋषभ - आपने बुलाया था अंकल ।
गुप्ता जी ( अनाया के पापा) - हां बेटा वो मैं आज सबके लिए अनाया का फेवरेट रसगुल्ला लाया था।
ऋषभ अपने जीभ को होंठों पर चटकाते हुए - हाए अंकल तु सी ग्रेड हो कहा है रसगुल्ले ।
गुप्ता जी मुस्कुराते हुए - अनाया और विशाखा , अनाया के कमरे में पूरे लेकर गई है तुम भी जाओ ।
ऋषभ - ये मोटी हमेशा मेरा हिस्सा भी खा जाती है चलों वर्चस्व हम भी चलते हैं ।
वर्चस्व - नहीं यार ।
ऋषभ , वर्चस्व का हाथ पकड़ कर ऊपर ले जाते हुए - अरे शरमाओ मत यार चलों भी ।
दो दिन ही यूं ही बीत जाते हैं पर वर्चस्व को जॉब नहीं मिलता है वर्चस्व इस वक्त जुहू बीच पर एक बड़े से पत्थर पर बैठा शांत समुद्र को देख रहा था और वहीं खामोशी वर्चस्व की आंखों में भी था ।
वर्चस्व के मन में इस वक्त बस एक ही सवाल चल रहा था कि अब उसे वापस चले जाना चाहिए इतने दिन से उसे जॉब नहीं मिली वो और कितने दिन किसी और के घर में रहेगा , एक तो उसे पहले दिन से ही थोड़ा अजीब लग रहा है किसी और के घर में ऐसे रहने से , पर वो मजबूर भी था लेकिन आज इतने दिन हो गए थे इसलिए उसने फैसला कर दिया था कल वो वापस चला जाएगा ।
तभी उसका फोन बजता है वो कॉलर आईडी देखा है तो सनाया भाभी का था वर्चस्व फोन उठाते हुए - हेलो हां भाभी कैसी हैं आप ।
पर उधर से कोई जवाब नहीं आया तो वर्चस्व फिर से कहता है - हैलो भाभी हैलो आपको आवाज आ रही है मेरी ।
कुछ वक्त के शांति के बाद उधर से आवाज आती है - वो हम बोल रहे हैं ।
वर्चस्व आवाज सुनकर शांत हो जाता है उसके लबों से एक नाम निकलता है - अमूल्या ।
अमूल्या - वो ह.. हमें पुछना था आप कैसे हैं ।
वर्चस्व शांत स्वर में - हम्म ठीक हूं ।
अमूल्या - कुछ हुआ है क्या आप कुछ परेशान लग रहे हैं ।
वर्चस्व - नहीं तो मैं ठीक हूं ।
अमूल्या - वो हम बस एक बात कहनी थी आपसे जानते हैं किसी और के घर में रहना थोड़ा अजीब लग रहा होगा ऐसे किसी और के घर में रहने में फिर भी आप दिल छोटा मत कीजिएगा आपका जो सपना है बहुत बड़ा है और उसके लिए मेहनत तो करनी पड़ेगी आप हौसला मत हारिएगा कहते हैं जिस पेड़ पर फल होते हैं लोग पत्थर भी उसी को मारते हैं भगवान भी परेशानी उन्ही की किस्मत में लिखते हैं जिन में उसे सहने और लड कर पार करने की ताकत होती है आप भी जब भी कमजोर पड़े या आपके कदम लड़खड़ाए तो आप बस एक बार अपने सपने के बारे में सोचिएगा देखिएगा फिर आपको सभी मुश्किलें आसान नजर आएंगी ।
वर्चस्व - हम्म ठीक है और कुछ कहना है तुम्हें ।
अमूल्या कहना तो बहुत कुछ चाहती थी पर उसे हिम्मत ही नहीं हो रही थी कुछ और भी बोलने की अगर वर्चस्व उसके किसी बात पर नाराज़ हो गया तो अमूल्या को बस ये ही डर लग रहा था। ।
वर्चस्व - ठीक है अगर तुम्हें और कुछ नहीं कहना तो मैं रखता हूं अभी थोड़ा बिजी हूं बाय बाद में बात करता हूं ।
अमूल्या - हम्म ।
अमूल्या जानती थी कि ये बाद में कॉल का मतलब पता नहीं कब आएगा फिर भी वो चुपचाप कॉल रख देती है अमूल्या की बात सुनने के बाद वर्चस्व को अब कुछ हल्का महसूस हो रहा था उसने सोच लिया था वह अपना सपना तो नहीं छोड़ेगा पर वो ज्यादा दिन मुंबई में भी नहीं रह सकता इसलिए अब वो जो भी करेगा दिल्ली वापस जाकर ही करेगा ।
शाम का वक्त शाम को जब सभी घर वापस आ गए होते हैं तो सभी अनाया, विशाखा ऋषभ और वर्चस्व एक साथ ऋषभ के रूम के बालकनी में बैठे बात कर रहे थे किसी को अच्छा नहीं लग रहा था कि वर्चस्व कल वापस जाने की बात कर रहा है अनाया उसका तो चेहरा ही लटक गया था कहां उसने अपनी पूरी लाइफ की प्लानिंग कर ली थी और यहां वर्चस्व वापस जा रहा था ।
विशाखा - भैया जाना जरूरी है आप कुछ दिन और भी तो रूक सकते हैं ना ।
वर्चस्व - नहीं विशाखा मेरा जाना जरूरी है और कितने दिन ही मै मुंबई में रह सकता हूं जहां किस्मत होगी वहां अपने आप ले जाएगी हम उसे बदल तो नहीं सकते ।
ऋषभ - अच्छा ठीक है कल तुम सुबह नहीं शाम को निकलोगे ठीक है और आज हम सब बाहर घूमने चल रहे हैं जब तक तुम यहां हो कुछ अच्छे पल तो साथ में बिता सकते हैं ।
वर्चस्व - ठीक है ।
अगले दिन
ऋषभ और बाकी सब ने तय किया था कि वो लोग आज जल्दी ही अपने ऑफिस से वापस आएंगे और वर्चस्व के वापस जाने से पहले सभी कुछ वक्त मुंबई घूमने जाएंगे ऋषभ और विशाखा से चले गए थे पर अनाया घर पर ही थी उसने सबसे कहा था कि वो बीमार है ताकि वो वर्चस्व के साथ ज्यादा वक्त बिता पाए ।
वो इस वक्त भी विशाखा के घर पर ही बैठी थी की तभी उसका फोन बजता है अनायास कॉलर आईडी देखती है तो बॉस लिखा था अनाया फोन उठाते हुए - हेलो यस सर ।
उधर से विवेक - अनाया तुम कहां हो इस वक्त ।
पढते रहिए,, कमेट रेटिंग और फोलो करना ना भूले क्यूटी....
जारी है....
विवेक - अनाया तुम कहां हो इस वक्त ।
अनाया - जी सर मैं घर पर आराम कर रही हूं आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है मैंने ऑफिस में इन्फॉर्म किया था ।
विवेक - क्या लोनावाला के साइड में जो हमने जमीन की डील है उसकी फाइल तुम्हारे पास है ।
अनाया - यस सर वो फाइल मेरे पास है मेरे घर पर ।
विवेक - ठीक है उस फ़ाइल को लेकर लोनावाला वाले साईड आ जाओ इस वक्त बहुत जरूरी है आज उसकी आखिरी डील है तो साइन चाहिए थे ।
अनाया - सर अभी तो बारिश भी हो रही है और मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है ।
विवेक - मैंने कहा ना बहुत जरूरी है ।
अनाया - ओके सर ।
अनाया के फोन रखते ही गौतमी जी उससे पूछती है क्या हुआ तो अनाया उन्हें सारी बात बता देती है क्योंकि लोनावाला उनके घर से बहुत दूर था तो गौतमी जी कहती हैं - क्यों ना बेटा तुम वर्चस्व के साथ चली जाओ इतनी बारिश में इतनी दूर जाना सही नहीं रहेगा ।
बस फिर क्या था वर्चस्व का नाम सुनकर अनाया हां कह देती हैं तो गौतमी जी भी वर्चस्व से बात करने चली जाती है और अनाया आपके घर पर रेडी होने , कुछ वक्त में दोनों लोनावाला पहुंच जाते हैं मुंबई से निकलते ही लोनावाला साइड बारिश नहीं हो रही थी ।
अनाया गाड़ी से उतरते हुए - वर्चस्व तुम यहीं पर रहो मैं भी आती हूं ।
वर्चस्व - हम्म ।
तो अनाया वहां से चली जाती है और वर्चस्व वही पर घूमते हुए वहां की साइड देखने लगता है वहां पर कुछ दूरी पर किसी और भी कंपनी के काम चल रहे थे ।
अनाया विवेक के पास पहुंचकर - सर फाइल ।
विवेक फाइल ले लेता है वहां पर पहले से ही ब्रोकर और जिस ने जमीन बेचनी थी वो सब थे विवेक उनसे कुछ बात करने लगता है ।
ब्रोकर - देखिए आपको भी जमीन की जरूरत है और इन्हें भी जमीन बेचनी है तो ले देखकर डेढ़ सौ करोड़ में फाइनल कर लीजिए ।
विवेक - ठीक है ,, " कह कर विवेक जैसे ही कांट्रेक्ट पेपर का साइन करने वाला होता है तभी एक आवाज आती है - रुक जाइए ।
सबका ध्यान जिस तरह से आवाज आई थी उसे सब देखने लगते हैं सामने वर्चस्व से खड़ा था ।
ब्रोकर - तुम बीच में बोलने वाले होते कौन हो ।
वर्चस्व उन सब के पास आते हुए - मैं कौन हूं ये जानना जरूरी नहीं है पर आप ही जमीन की रकम बहुत ज्यादा लगा रहे हैं ।
ब्रोकर - तुम्हें ये कैसे कह सकते हैं तुम्हें क्या पता जमीन की कीमत कितनी बढ़ गई है ।
वर्चस्व नीचे बैठकर कुछ जमीन पर से मिटटी हटाने लगता है जिससे थोड़ा सा वहां पर गड्ढा हो जाता है थोड़ा जमीन के गहराई से मिट्टी निकालकर वर्चस्व खड़ा होते हुए कहता हैं - क्या इस मिट्टी में आप नमी देख रहे हैं ।
ब्रोकर जिसके चेहरे पर कुछ पसीने की बूंदे आ गई थी वो अपने रूमाल से अपना पसीना पूछते हुए कहता है - तो क्या हुआ अगर मिट्टी में नमी है तो ।
वर्चस्व, अपनी हथेली विवेक के सामने रहते हुए - आप तो इतने बड़े बिजनेसमैन है तो कैसे समझ नहीं सकते की इस जमीन बहुत पहले दलदली थी इसका मतलब ये है कि आगे जाकर जब आप अपना होटल बनाएंगे तो इस नमी की वजह से आपका नुकसान होने के चांसेस ज्यादा है ।
विवेक ब्रोकर के कहता है - मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैंने तुम पर भरोसा किया था हर बार तुम ही हमें जमीन सही दाम पर दिलवाते थे मुझे ऐसा लगता था पर मैं भूल गया था बिजनेस में कभी भरोसा नहीं करना चाहिए मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी ये जमीन ।
वर्चस्व - इसकी कोई जरूरत नहीं है आप इस जमीन पर अपना होटल बना सकते हैं बस इसका अमाउंट ये जितना कह रहे हैं उसका आधा होंगा ।
विवेक ब्रोकर और जमीन के मालिक से कुछ वक्त तक बात करके डील फाइनल कर लेता है वर्चस्व जो अपनी बात कहकर कुछ दूरी पर खड़ा अनाया का इंतजार कर रहा था विवेक उसके पास आते हुए कहता है - तुम हो कौन और करते क्या हो ।
अनाया - सर ये मेरे दोस्त हैं जॉब की तलाश में कुछ दिन पहले ही मुम्बई आए थे ।
विवेक - तो समझो अब तुम्हारी तलाश खत्म हो गई अनायास कल इसे अपने साथ ऑफिस लेकर आना।
विवेक, वर्चस्व से - वैसे तुम्हारा नाम क्या है।
वर्चस्व - वर्चस्व कहता है ।
विवेक - हम्म होनहार हो जिसका एग्जांपल मैंने देख लिया है कल ऑफिस आकर अपना जॉइनिंग लेटर ले लेना ।
वर्चस्व - ओके सर थैंक्यू मुझ पर भरोसा करने के लिए ।
विवेक - हम्म ।
दिल्ली
अमूल्या, सनाया भाभी के साथ मार्केट घूमने आई थी दोनों रोड क्रोस कर ही रही थी तभी एक बाइक सवार अमूल्या को ठोक देता है उसने ये जानबूझकर नहीं किया था बाइक सवार जल्दी से अपने बाइक से उतरकर अमूल्या के पास आता है अमूल्या के साथ और पैर के कई जगह से खून बह रहा था और बाइक सवार लड़का , सनाया भाभी के मदद से अमूल्या को अस्पताल लेकर जाता है ।
मुंबई
शाम का वक्त हो गया था सब कोई अपने ऑफिस से घर आ गए थे सब बहुत खुश थे क्योंकि वर्चस्व को जॉब जो मिल गई थी इस वक्त सब ऋषभ के घर पर थे अनाया और उसके मां - पापा भी यहां पर थे ।
सभी हसी खुशी बात कर रहे थे अनाया और विशाखा सब के लिए किचन में चाय बना रही थी तभी वर्चस्व का फोन बजता है वर्चस्व कॉलर आईडी देखता है तो विराज का फोन था ये देखकर वर्चस्व खुश होते हुए सबकी तरफ देखकर कहता है - एक्सक्यूज मी मैं अभी आया ।
वर्चस्व फोन रिसीव करते हुए जैसे ही हैलो बोलता है वो सामने वाले की कोई बात सुन पाता उससे पहले ही सामने से आ रही अनाया उससे जानबूझकर टकरा जाती है ।
वर्चस्व का फोन उसके हाथ से छूट कर नीचे गिरते हुए दो टुकड़ों में बट जाता है ये देखकर वर्चस्व को बहुत गुस्सा आता है वो जब गुस्से से सामने देखता है तो अनाया प्यार से मुस्कुराते हुए कहती है - सॉरी वर्चस्व गलती से हो गया मुझे माफ कर दो ।
अब वर्चस्व क्या ही कहता वो अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए नीचे गिरा फोन उठाते हुए वहां से चला जाता है ।
पढते रहिए,, कमेट रेटिंग और फोलो करना ना भूले क्यूटी...
जारी है.....
अब वर्चस्व क्या ही कहता वो अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए गुस्से से अनाया को घूरते हुए नीचे गिरा फोन उठाते हुए वहां से चला जाता है ।
शाम का वक्त था इस वक्त ऋषभ और वर्चस्व , ऋषभ की बाइक पर कहीं घूम रहे थे ऋषभ बाइक चलाते हुए - तुम्हें घर कहीं और लेने की क्या जरूरत है मेरे घर में भी तो रह सकते हो ना।
वर्चस्व -- बाद में बताऊंगा पर इस वक्त एक घर रेंट पर लेना जरूरी है मुझे अब तो मेरी जॉब भी लग गई है ।
ऋषभ - अच्छा ठीक है पर फिर भी सोच लो हम सबको भी तुम्हारी आदत हो गई है तुम भी मेरे दोस्त हो , अब दूर जाओगे तो अच्छा नहीं लगेगा ।
अगले दिन
अगले दिन वर्चस्व घर के सभी बड़े लोगों का पैर छूता है वहां पर अनाया के मां पापा भी थे वर्चस्व उनके भी पैर छूता है और ऋषभ के साथ बाहर चला जाता है अनाया और विशाखा भी मुस्कुराते हुए सबको बाय बोलकर अपनी स्कूटी से ऑफिस चली जाती है आज वर्चस्य का इस ऑफिस में पहला दिन था वो ऑफिस में पहुंच कर सारा काम 1 घंटे में समझ लेता है ये देखकर विवेक को अपने लिए गए फैसले पर बहुत अच्छा महसूस होता है कि उसने वर्चस्व को जॉब देकर कोई गलती नहीं की है पूरे दिन वर्चस्व सब के साथ किसी डिजाइन पर काम करता है शाम का वक्त अनाया और विशाखा ऑफिस के बाहर खड़ी वर्चस्व का वेट कर रही थी जब बहुत देर में भी वो बाहर नहीं आता है तब विशाखा कहती है - अनाया घर चलो अब बहुत लेट हो गया है वैसे भी वर्चस्व भैया का आज जॉब का पहला दिन है इसलिए उन्हें वक्त लग रहा होगा हम चलते हैं ।
अनाया मन मार कर विशाखा के साथ चली जाती है घर पर भी सभी बड़े ऑफिस से आ गए थे सभी बैठे बात कर रहे थे दादीजी मंदिर में बैठी गीता पढ़ रही थी गौतमी जी किचन में शाम के खाने की तैयारी कर रही थी अनाया के पापा ( मिस्टर गुप्ता ) , विशाखा के पापा ( अजय जी ) से - वैसे अजय तुम्हारी नज़र में वर्चस्व कैसा लड़का है ।
अजय जी - वर्चस्व बहुत अच्छा लड़का है पर तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो ।
मिस्टर गुप्ता - क्योंकि मुझे वर्चस्व पसंद आ गया है अपनी अनाया के लिए सोच रहा हूं उसके मां- पापा से बात कर लू शादी के लिए ।
अजय जी - ये तो नहीं हो सकता । ।
मिस्टर गुप्ता - क्यों नहीं हो सकता ।
अजय जी - क्योंकि आपको बात सीधे वर्चस्व से करनी पड़ेगी क्योंकि जहां तक मुझे ऋषभ में बताया है वर्चस्व अकेला है उसका आगे पीछे अपना कहने के लिए कोई नहीं है ।
मिस्टर गुप्ता - ये तो बहुत बुरी बात है पर अब हम सब है ना उसके , इतना सोना मुंड़ा है और मुझे अनाया के लिए पसंद भी है मैं तो अपनी बेटी का हाथ उसे ही दूंगा , वैसे भी इस जमाने में इतने अच्छे लड़के मिलते कहां है और उसे यहां जॉब भी मिल गई है आज आएगा तो मैं उससे इस बारे में बात करूंगा ।
दूसरी तरफ ऑफिस में वर्चस्व जैसे ही आज का अपना काम करके निकलने वाला होता है कि तभी विवेक उससे मिलता है विवेक वर्चस्व से - वर्चस्व आज के डिजाइंस रेडी है ।
वर्चस्व, तीन चार पेपर्स विवेक के हाथ में रखते हुए - ये तीन-चार मैंने डिजाइन बनाया है आप एक बार क्लाइंट को दिखा दीजिए उन्हें इन चारों में से कौन सा पसंद है ।
विवेक चारों डिजाइन देखते हुए - ये तो बहुत ही बहुत ही अच्छा है मुझे लगता है क्लाइंट को सारे डिजाइन पसंद आएंगे अब मुझे लगता है मैंने तुम्हें जॉब पर रख कर कोई गलती नहीं की अब तुम घर जा रहे हो , मरी आज शाम को डिनर मीटिंग है इसी मीटिंग के सिलसिले में मैं तुमसे कल बात करता हूं ।
वर्चस्व - ठीक है सर ।
वर्चस्व अपना फोन लेने अपने केबिन में चला जाता है उससे पहले ही विवेक ऑफिस से निकल जाता है वर्चस्व ऊपर से नीचे पार्किंग एरिया में आता है कि तभी उसे एक फोन दिखता है जो काफी देर से बज रहा था वर्चस्व पहले आसपास देखता है वहां इस वक्त कोई नहीं था वो आगे बढ़कर फोन उठाता है ।
वर्चस्व - हेलो ।
उधर से विवेक की आवाज आती है - हेलो वर्चस्व ये फोन तुम्हें कहां मिला ।
वर्चस्व - सर पार्किंग एरिया में ।
विवेक - ओ.. एक्चुअली वो मेरा फोन है बहुत देर से ढूंढा मिल नहीं रहा था क्या तुम वो फोन अपने पास रख सकते हो मैं ऑफिस से बहुत दूर आ गया हूं मैं कल तुमसे ले लूंगा ।
वर्चस्व - ओके सर ।
विवेक से बात करके फोन कट कर के वर्चस्व फोन कट करके जैसे ही फोन अपने जेब में रखने वाला होता है कि तभी वहां पर एक लड़की आ जाती है वो लड़की गुस्से से चिल्लाते हुए - हे यू ये फोन तुम्हें कहां मिला ये तो मेरे भैया का है ।
वर्चस्व एक नजर उस लड़की को देखता है लड़की की उम्र ज्यादा नहीं थी यहीं कोई 20 - 21 साल की होगी लड़की - मैंने कहा ये फोन तुम्हें कहां मिला ये तो मेरे भैया का है क्या तुमने मेरे भाई का फोन चोरी कर लिया है ।
वर्चस्व उसकी ही तरह उसे घूरते हुए - काइन योर इंफोर्मेशन मैं यहां जॉब करता हूं और मैंने....
वर्चस्व अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही वो लड़की चिल्लाते हुए - मेरे भैया बहुत अच्छे है जो तुम जैसे लोगों को जॉब देते हैं और तुम लोग उनके पीठ पीछे चोरी करते हो तुम्हें शर्म शर्म नहीं आती ।
वर्चस्व - हेलो मिस आप गलत समझ रही है विवेक सर का फोन यहां पर गिर गया था उन्होंने कहा वो कल मुझसे ले लेंगे इसलिए मैं ये फोन अपने पास रख रहा था।
वो लड़की जो विवेक की छोटी बहन समायरा मित्तल थी समायरा - देखो अब पकड़े गए तो झूठ बोल रहे हो ना तुम तुम निकल जाओ यहां से और अपनी शक्ल मुझे कभी मत दिखाना और कल से तुम्हें जॉब पर भी आने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हें फायर करती हूं ।
वर्चस्व - हेलो मैडम मैं यहां पर जॉब करता हूं नौकर नहीं हूं आपका और हां मुझे भी यहां पर जॉब करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है तो अपना ये एटीट्यूड अपने पास रखो समझी ।
पढते रहिए,, कमेट रेटिंग और फोलो करना ना भूले क्यूटी...
जारी है.....
वर्चस्व - हेलो मैडम मैं यहां पर जॉब करता हूं नौकर नहीं हूं आपका और हां मुझे भी यहां पर जॉब करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है तो अपना ये एटीट्यूड अपने पास रखो समझी ।
आज तक किसी ने भी समायरा से ऐसे बात नहीं की थी वो विवेक की इकलौती बहन थी मां पापा के होने के कारण विवेक उससे बहुत ज्यादा प्यार करता था समायरा को आज तक उसने डाटा भी नहीं था इसलिए समायरा कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी वर्चस्व की बात सुनकर समायरा का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है समायरा - मैंने कहा निकलो यहां से अगर मुझे आसपास भी नजर आए ना तो मैं तुम्हारी कंप्लेंट पुलिस में कर दूंगी ।
वर्चस्व गुस्से से - चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है समझी शुक्र मनाओ तुम एक लड़की हो इसलिए मैं तुमसे इज्जत से बात कर रहा हूं दोबारा कभी गलती से भी मेरे रस्ते में मत आना ,, " कहते हुए वर्चस्व वहां से चला जाता है ।
रात की तकरीबन 10 बज चुके थे वर्चस्व घर नहीं आया था मिस्टर गुप्ता और ऋषभ की पूरी फैमिली वर्चस्व का इंतजार कर रही थी ऋषभ ने कई बार उसका फोन भी ट्राई किया पर वो किसी का कॉल नहीं उठा रहा था ।
दिल्ली में सुबह की तकरीबन 5 या 6:00 बजे होंगे अमूल्या जिसका दो दिन पहले एक्सीडेंट हुआ था उसके पैर , हाथ में बुरी तरह चोट लगी थी वो कोई भी काम नहीं कर पा रही थी सनाया भाभी ही हमेशा उसकी मदद करती थी वो उठती है तो उसकी नजर उसके पास सो रही सनाया भाभी पर जाती है दो दिनों से सनाया भाभी अमूल्या के पास ही सोती थी ताकि उसे रात को कोई जरूरत पड़े तो वो उसकी हेल्प कर सके अमूल्या बिस्तर से उठने की कोशिश करती हैं हल्का सा अपने पैरों पर जोड़ देते हुए वो विल चेयर पर बैठ जाती हैं जो डॉक्टर ने उसे कुछ दिनों के लिए यूज करने के लिए कहा था ।
अमूल्या विल चेयर को हाथों से धकेलते हुए हॉल में आती
हैं कि तभी घर का डोर बेल बजाता है अमूल्य दरवाजे के पास पहुंचती है पर दरवाजे का लॉक थोड़ा उपर था जहां तक वो विल चेयर पर बैठे पहुंच नहीं पा रही थी इसलिए वो विल चेयर पर से उठने की कोशिश करती है ताकि वो दरवाजे का लॉक खोल सके पर उठ नहीं पाती और लड़खड़ा कर गिर जाती है हैं उसी वक्त वर्चस्व घर की दूसरी चाबी से ( जो हमेशा उसके पास रहती थी ) से दरवाजा खोल कर अंदर है तो उसकी नजर अमूल्या पर पड़ती है जो जमीन पर गिरी हुई थी ।
वर्चस्व जल्दी से उसके पास आता है और उसे गोद में उठाकर हॉल में रखे सोफे पर बैठा देता है ।
वर्चस्व, अमूल्या को बैठाने के बाद ध्यान से उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए - तुम ठीक हो और तुम्हें ये चोट कैसे लगी ।
अमूल्या सिर नीचे झुकाते हुए - वो हमारा एक्सीडेंट हो गया था ।
वर्चस्व आश्चर्य से - एक्सीडेंट हो गया था और तुम सब ने मुझे कॉल करके बताना भी जरूरी नहीं समझा ।
अमूल्या - विराज भैया ने आपको कॉल किया था पर आपका फोन नहीं लग रहा था ।
वर्चस्व कुछ वक्त सोचने के बाद - हां वो मेरा फोन टूट गया है आज ही बनकर आया है ।
अमूल्या वर्चस्व देखते हुए - आप इतनी सुबह सुबह यहां कैसे आए मतलब आप तो मुम्बई में जॉब ।
वर्चस्व - बाद में बताऊंगा पहले मुझे फ्रेश होना है ।
वर्चस्व के जाते ही उसका फोन बजने लगता है अमूल्या क्या करें उसे समझ नहीं आ रहा था क्योंकि उसे नहीं लगता था कि वर्चस्व ने अपना फोन उसे छूने का हक दिया है बहुत देर तक फोन बजता रहता है ।
वॉशरूम के अंदर वर्चस्व जब बहुत देर तक फोन की आवाज सुनता है तो जल्दी से टॉवेल लपेट कर वॉशरूम से बाहर आते हुए गुस्से से - सुनाई नहीं दे रहा फोन कब से बज रहा है उठा नहीं सकती ।
अमूल्या, सहमी हुई नजरों से वर्चस्व को देखते हुए - वो हमें लगा आपका फोन अगर हमने छुआ था आपको गुस्सा होंगे इसलिए ... ।
अमूल्या अपनी बात बोलते हुए रूक जाती है और अपना सिर नीचे झुका लेती है , अमूल्या की बात सुनकर वर्चस्व नजर उठा कर अमूल्या को देखता है सही ही तो कह रही थी अमूल्या वर्चस्व ने ही तो उसे शादी के पहले दिन अपने समानों और खुद से दूर रहने के लिए कहा था वो एक नजर अमूल्या को देख कर फोन उठाता है तो फोन विवेक का था ।
विवेक - हैलो ।
वर्चस्व - हैलो सर ।
विवेक - हाय वर्चस्व गुड मॉर्निंग तुम कहां चले गए मैंने कितने फोन किया तुम्हें तुम फोन ही नहीं उठा रहे थे मैंने तुम्हारे दोस्त के पास भी फोन किया था पर उसने बताया तुम घर पर नहीं हो ।
वर्चस्व - सर मैं दिल्ली वापस आ गया हूं ।
विवेक - पर तुम वापस क्यों है क्या तुम मेरी बहन की बातें से नाराज हो गए ।
वर्चस्व - आपको कैसे पता ।
विवेक - समायरा के बॉडीगार्ड ने बताया उसने तुम्हारे साथ बदतमीजी की देखो वर्चस्व तुम बहुत ही होनहार हो तुम जैसे काबिल इंसान को ऐसे हार नहीं माननी चाहिए बल्कि उभर कर बाहर आना चाहिए और इस वक्त मुझे तुम्हारी जरूरत है तो तुम वापस मुंबई आ जाओ आई प्रॉमिस मेरी बहन तुमसे माफी मांगेगी और तुम्हें पता है तुमने जो बनाए थे वो सारे डिजाइन्स क्लाइंट को बहुत पसंद आए हैं उन्होंने डिल कंफर्म कर दिया है और मैंने तुम्हारे अकाउंट में पचास हजार डाल दिया है एडवांस समझ कर रख लो तो तुम वापस मुंबई आ रहे हो ना ।
वर्चस्व - ठीक है सर ।
विवेक - थैंक यू ठीक है तो आज ऑफिस आ रहे हो ।
वर्चस्व - नो सर आज मुझे यहां पर कुछ काम है मैं कल से ऑफिस आऊंगा ।
विवेक - ओके बाय ।
विवेक के फोन रखते ही समायरा जो उसके पास बैठी उसकी बातें सुन रही थी वो चिल्लाते हुए कहती है - वॉट इज दिस भाई मैं उस दो टके के लडके से माफी नो नेवर एवर ।
विवेक समायरा को कंधों से पकड़ कर बैठाते हुए - रिलैक्स माय लिटिल सिस्टर रिलैक्स तुम ये बिजनेस की दुनिया को नहीं जानती हो और मैं जो इसे समझ रहा हूं अगर ये वही हैं तो समझो मेरी कम्पनी को नम्बर वन बनने से कोई नहीं रोक सकता ।
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जारी है....
विवेक समायरा को कंधों से पकड़ कर बैठाते हुए - रिलैक्स माय लिटिल सिस्टर रिलैक्स तुम ये बिजनेस की दुनिया को नहीं जानती हो और मैं जो इसे समझ रहा हूं अगर ये वही हैं तो समझो मेरी कम्पनी को नम्बर वन बनने से कोई नहीं रोक सकता ।
समायरा का कौन है जो आप ऐसे उसके बारे में ऐसी बात कर रहे हैं विवेक कौन है यह तो मैं नहीं जानता पर शायद यह वही हो सकता है
दिल्ली
वर्चस्व फोन कट करके टेबल पर रखता है और अमूल्या की तरफ देखकर कहता है - रेडी हो जाओ कुछ वक्त में हम लोग मुंबई के लिए निकल रहे हैं ।
वर्चस्व की बात सुनकर अमूल्या के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है वो अपनी चोट भूल कर जैसे ही विल चेयर से उठने की कोशिश करती है फिर से लड़खड़ा कर गिरने लगती है कि तभी वर्चस्व से उसे थाम लेता है वर्चस्व उसे फिर से उसकी जगह पर बैठाते हुए गुस्से से - क्या कर रही हो अभी इतनी चोट काफी नहीं है जो मुंह भी फोड़वाने का इरादा है क्या तुम्हारा ।
वर्चस्व की डांट सुनकर अमूल्या चुपचाप अपनी जगह पर फिर से बैठ जाती है वही इतनी सुबह सुबह हॉल में हो रही आवाजें सुनकर सनाया भाभी की नींद टूट जाती है वो कमरे से उठकर बाहर आती है और वर्चस्व को देखकर कहती है - वर्चस्व तुम यहां इतनी सुबह कैसे ।
वर्चस्व - गुड मॉर्निंग भाभी ।
सनाया भाभी - गुड मॉर्निंग ।
वर्चस्व - हां भाभी वो मैं अमूल्या को अपने साथ मुम्बई ले जाने के लिए आया था ।
वर्चस्व की बात सुनकर सनाया भाभी खुश हो जाती है और कहती हैं - ये तो बहुत अच्छी बात है तुम्हें नहीं पता अमूल्या भी तुम्हें बहुत याद करती थी ।
सनाया भाभी की बात सुनकर अमूल्या अपना सिर नीचे झुका लेती है वही वर्चस्व तिरछी नजरों से अमूल्या को देखता है जो अपना से झुकाए बैठी थी उसके बाद सनाया भाभी से कहता है - भाभी क्या आप प्लीज इसे रेडी होने में मदद कर देंगी तब तक मैं नाश्ता बना देता हूं ।
सनाया भाभी - ठीक है ।
सनाया भाभी अमूल्या को लेकर कमरे में चली जाती है वर्चस्व किचन में जाकर ब्रेकफास्ट बनाने लगता है कि तभी घर में विराज आता है की उसकी नजर किचन में नाश्ता बना रहे वर्चस्व पर जाति है विराज खुशी से वर्चस्व के पास आकर गले लगते हुए - कैसे हो मेरे यार ।
वर्चस्व - ठीक हूं तुम कैसे हो ।
विराज - मैं भी ठीक हूं वैसे मुझे लगा नहीं था तुम आओगे ।
वर्चस्व - क्या मतलब तुम्हारा ।
विराज - अरे यह मतलब कि तुमने देखा नहीं बहुत से लड़के हैं गांव की लड़की से शादी करते हैं और वापस आने का वादा करके कभी वापस नहीं आते पर तुम तो आ गए ।
वर्चस्व गहरी आवाज में - मैं वो नहीं जो अपने वादों से मुकर जाऊं अगर उसे छोड़ना ही होता तो उसे कभी अपनी पत्नी नहीं बनाया होता मैं मौसम नहीं हूं जो बदल जाऊं और मैं वर्चस्व सिंघानिया हूं मुझे औरों की तरह बनना पसंद नहीं है तो किसी और से मुझे कम्पेयर मत करो ।
विराज - तुम भी सही हो वैसे अमूल्या तो बहुत खुश होगी ना तुम वापस जो आ गए हो ।
वर्चस्व - हम्म ।
विराज - वैसे अमूल्या की ड्रेसिंग चेंज करवानी थी वो डॉक्टर मिश्रा है ना उनके पास लेकर चले जाना अमूल्या को ।
वर्चस्व - ठीक है ।
कुछ वक्त में अमूल्या , और सनाया भाभी बाहर आती हैं आज भी अमूल्या ने सिंपल सा ऑरेंज और लाइट पर्पल कलर का लहंगा चोली पहन रखा था ऊपर से पर्पल कलर का नेट का दुपट्टा , दुपट्टे को पीछे से घूमा कर आगे लाकर साड़ी की तरह लगाया हुआ था जिसमें से उसकी गोरी कमर उसे नेट के दुपट्टे में से साफ़ दिख रही थी वर्चस्व अमूल्या को ऊपर से नीचे तक देखते हुए - तुम ये पहन कर चलोगी मेरे साथ मुंबई ।
अमूल्या - तो क्या पहने हम हमारे पास ऐसे ही कपड़े हैं ।
वर्चस्व - साड़ी नहीं है तुम्हारे पास ,, " तो अमूल्या ना में सिर हिला देती है विराज - गुस्सा क्यों हो रहा है यार क्या बुराई है इन कपड़ों में एक बार लेकर चला जा किसी दिन शॉपिंग करवा देना ।
सनाया भाभी वर्चस्व से - अगर तुम कहो तो मैं अपने कपड़े दे दूं वैसे तुम तो जानते हो मैं साड़ी नहीं पहनती पर मेरे पास एक सेट नए प्लाजो कुर्ती है ।
वर्चस्व - हम्म ये ठीक रहेगा ,, " कुछ वक्त में अमूल्या पर्पल और लाइट ब्लू कलर का प्लाजो कुर्ती पहने पर्पल कलर के दुपट्टे को एक तरफ कंधे पर लगाए खड़ी थी वर्चस्व अमूल्या को इन कपड़े में पहली बार देख रहा था वर्चस्व की नजरे अमूल्या पर थम सी गई थी अमूल्या पर कोई भी कपड़े बहुत अच्छे लगते थे ।
विराज , वर्चस्व के चेहरे के आगे हाथ हिलाते हुए - ओ भाई चलो ट्रेन के लिए लेट नहीं हो रहा है तुम्हें ।
तो वर्चस्व जल्दी से अमूल्या पर से अपनी नज़रें हटा लेता है कुछ वक्त में अमूल्या और वर्चस्व सनाया भाभी और विराज को अलविदा कह कर घर से निकल जाता है वर्चस्व पहले अमूल्य को डॉक्टर मिश्रा के पास ले जाता है उसकी ड्रेसिंग करवाता है उसके बाद दोनों स्टेशन जाते हैं ।
मुंबई
शाम का वक्त था शर्मा निवास के सामने एक टैक्सी आकर रूकती है अनाया जो अपनी बालकनी में बैठी मोबाइल चला रही थी वो आवाज सुनकर बालकनी से नीचे झांकती है तो उसकी नजर टैक्सी वाले को पैसे देते हुए वर्चस्व पर पड़ती है ।
वर्चस्व को देखते ही अनाया के लब मुस्कुरा उठते हैं वो दौड़ते हुए नीचे आती है अनाया को इस तरह बिना कुछ कहे घर से बाहर की तरफ भागते हुए देखकर उसके मां पापा भी उसके पीछे-पीछे बाहर आते हैं जब वो तीनों ऋषभ के घर पहुंचते हैं तो उनकी आंखें बड़ी हो जाती है कुछ ऐसा ही हाल पूरा शर्मा निवास का भी था वर्चस्व अमूल्या को अपनी गोद में लिए शर्मा निवास के दरवाजे पर खड़ा था ।
पढ़ते रहिए कमेंट रेटिंग और फॉलो करना ना भूले क्यूटी पाई
जारी है......
वर्चस्व को देखते ही अनाया के लब मुस्कुरा उठते हैं वो दौड़ते हुए नीचे आती है अनाया को इस तरह बिना कुछ कहे घर से बाहर की तरफ भागते हुए देखकर उसके मां पापा भी उसके पीछे-पीछे बाहर आते हैं जब वो तीनों ऋषभ के घर पहुंचते हैं तो उनकी आंखें बड़ी हो जाती है कुछ ऐसा ही हाल पूरा शर्मा निवास का भी था वर्चस्व अमूल्या को अपनी गोद में लिए शर्मा निवास के दरवाजे पर खड़ा था ।
सभी आश्चार्य से वर्चस्व को देख रहे थे तो वर्चस्व पहले अमूल्या को अंदर लेकर आता है और सोफे पर बैठा देता है फिर सब की तरफ देखा है तो सब अभी भी उसे ही आश्चर्य से देख रहे थे जिस वजह से वर्चस्व थोड़ा असहज हो जाता है और कहता है - क्या हुआ आप सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं ।
ऋषभ जल्दी से वर्चस्व के पास आकर उसका हाथ पकड़ते हुए - यह कौन है वर्चस्व।
वर्चस्व एक नजर अमूल्या को देखते हुए - मेरी वाइफ अमूल्या ।
उसकी बातें सुनकर सभी को एक और झटका लगता है पर सिर्फ कुछ को क्योंकि तभी अनाया आगे आते हुए पूछती है - वर्चस्व तुमने कभी बताया नहीं तुम शादीशुदा हो ।
वर्चस्व - किसने कहा मैंने नहीं बताया मैंने दादी मां और आंटी ( गौतमी जी ) को बता दिया था मैं शादीशुदा हूं ।
तभी गौतमी की मुस्कुराते हुए अमूल्या के पास आकर बैठ जाती है और उसके सर को सलाहकार कहती हैं - बिल्कुल वर्चस्व ने मुझे बताया था कि उसकी शादी हो चुकी है ।
यह सुनकर , अनाया के मां पापा और विशाखा को झटका लगता है क्योंकि सिर्फ यही लोग अनाया की फिलिंग्स के बारे में जानते थे ।
तभी दादी जी कहती हैं - बेटा अमूल्या को चोट कैसे लगी ।
वर्चस्व - वह दादी मां अमूल्या का एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था बस ।
ऋषभ - तो इसलिए तुम हम सबको बिना बताए अमूल्या को लेने के लिए वापस दिल्ली चले गए हाओ रोमांटिक ।
दादी मां - अच्छा ठीक है चलो बहुत हो गया तुम्हारा रोमांटिक वोमांटिक बाकी बातें शाम को होगी तुम सबको ऑफिस नहीं जाना क्या ।
सभी दादी मां के बातें सहमत होते हैं और अमूल्या को हाय हैलो करते हुए अपने कमरे में रेडी होने के लिए चले जाते हैं अनाया के माता-पिता भी एक नजर अमूल्या को देखकर अनाया को अपने साथ लेकर वापस अपने घर चले जाती है ।
वर्चस्व भी अमूल्या को लेकर कमरे में चला आता है वर्चस्व, अमूल्या को बेड पर बैठाते हुए - तुम आराम करो मैं फ्रेश होकर आता हूं ।
अमूल्या चुपचाप अपना सर हा में हिला देती है कुछ वक्त में वर्चस्व फ्रेश होकर फॉर्मल ग्रे शर्ट और जींस पहनकर वॉशरूम से बाहर आता है और शीशे के सामने खड़ा होकर रेडी होने लगता है अमुल्या उसे रेडी होते हुए देख रही थी वो कुछ कहना तो चाहती थी पर कुछ कहती नहीं है वर्चस्व पूरी तरह से रेडी होकर कहता है - मैं ऑफिस जा रहा हूं तुम्हें कुछ भी जरूरत हो आंटी से कह देना मैं शाम को तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाऊंगा तब तक तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना ।
अमूल्या - नहीं आप ऑफिस जाइए हम पैर में उतना भी दर्द नहीं कर रहा अब काफी हद तक ठीक हो गया है हम अपने आप से चल सकते हैं ।
वर्चस्व हां में सिर हिलाते हुए कमरे से बाहर चला जाता है वो एक बार मुड़कर अमूल्या को देखता तक नहीं ये बात अमूल्या बहुत हर्ट करती है ।
हमेशा की तरह आज भी वर्चस्व को ऋषभ ही उसके ऑफिस छोड़ता है ऋषभ - चल बाय मुझे भी लेट हो रहा है ।
वर्चस्व - ऋषभ किसी अच्छे हॉस्पिटल और डॉक्टर को जानते हो अमूल्या को एक बार दिखाना।
ऋषभ - शाम को चलेंगे हम लोग साथ में तब तक तू अपने काम पर ध्यान दें ।
ऑफिस के अंदर आते ही वर्चस्व की नजर विशाखा और अनाया पर पड़ती है वर्चस्व दोनों को हेलो कहकर विवेक के केबिन में चला जाता है वो जैसे ही केबिन के अंदर आता है विवेक के साथ उसकी बहन समायरा भी उसके साथ ही बैठी हुई थी ।
वर्चस्व के आते ही विवेक उसके साथ किसी डील को लेकर दोनों डिस्कस करने लगते हैं समायरा एक टक वर्चस्व क ही देख रही थी विवेक वर्चस्व से - वर्चस्व इस इस डिल पर काम शुरू हो चुका है तुम जाकर एक बार साइट पर काम कैसा चल रहा है देख आओ ।
वर्चस्व - ठीक है ।
वर्चस्व ऑफिस की कार से साइड जाने के लिए निकल जाता है वही समायरा विवेक हाथ पकड़ के उसे खड़ा करते हुए कहती है- भाई चलो ना शॉपिंग करने चलते हैं ।
विवेक - नहीं बच्चा मुझे बहुत कम है ।
समायरा - क्या आपका काम मुझसे ज्यादा जरूरी है भैया ।
समायरा मासुम सा फेस बनाते हुए कहती है तो विवेक मुस्कुराते हुए उसका सिर सहलाते हुए कहता है - नो माय प्रिंसेस इज फर्स्ट फो मी ,, " और उसके साथ शॉपिंग के लिए चला जाता है ।
दूसरी तरफ वर्चस्व साइट पर आकर सारा काम देखने लगता है और उन्हें समझाने में डेढ़ - दो घंटे लग जाते हैं सभी को काम समझाने के बाद वो टाइम देखा है दोपहर के 1:00 बज गए थे 2:00 बजे उसकी एसके मॉल में किसी के साथ मीटिंग थी विवेक ने यह मीटिंग वर्चस्व को अटेंड करने के लिए कहा था ।
वर्चस्व साइड से निकलकर मॉल जाने के लिए वहां से रवाना हो जाता है वो टाइम से पहले ही मॉल पहुंच था अभी क्लाइंट नहीं आए थे तभी उसकी नजर लेडिस सेक्सन एक लाल रंग की साड़ी पर पड़ती है जो वहां पर एक पुतले को पहना कर खड़ा किया गया था वर्चस्व साड़ी देखने के लिए वहां चला जाता है वो अभी साड़ी देख ही रहा था तभी मॉल में आग लग जाती है ।
आग लगते ही मॉल में भगदड़ मच जाती है आग बहुत तेजी से पूरे मॉल में फैल रहा था सभी लोग इधर-उधर भागने लगते हैं जिस वजह से कुछ लोग जमीन पर भी गिर जाते हैं वर्चस्व सबको मॉल से बाहर निकलने में मदद करने लगता है पर आग कुछ ज्यादा ही तेजी से बढ़ रही थी जैसे किसी ने जानबूझकर ये आग लगाई हो ।
तभी वर्चस्व को सेकंड फ्लोर पर समायरा दिखती है जो वहां पर फंसी हुई थी वर्चस्व इधर उधर देखता है तो उसकी नजर अपने से 10 कदम की दूरी पर खड़े विवेक पर जाती है जो शायद समायरा को ढूंढ रहा था ।
वर्चस्व वक्त ना गवाते हुए तुरंत सेकंड फ्लोर की तरफ दौड़ पड़ता है वो रास्ते में ही एक दुपट्टे को ले लेता है वो जैसे ही समायरा के पास पहुंचता है समायरा डर के मारे वर्चस्व को गले लगा लेती है वर्चस्व इस बात पर ज्यादा गौर ना करते हुए दुपट्टे में समायरा को लपेट देता है और उसे लेकर बड़ी मुश्किल से मॉल से निकल जाता है ।
वर्चस्व, समायरा को लाकर विवेक के पास छोड़ता है तो समायरा झट से विवेक के गले लग जाती है विवेक भी उसे गले लगाते हुए उसका सिर सहलाते हुए उसे शांत करने लगता है वर्चस्व उनके पास खडा उन दोनों को देख रहा था विवेक नम आंखों से मुस्कुराते हुए - थैंक यू वर्चस्व थैंक्यू सो मच ।
वर्चस्व - कोई बात नहीं सर एक इंसान होने के नाते ये मेरा फ़र्ज़ है ।
मॉल से सभी लोग सुरक्षित बाहर आ गए थे कुछ लोगों को हल्की बहुत चोट लगी थी तभी एक आदमी चिल्लाते हुए कहता है - वह देखो वह तीसरे माले पर एक लड़की फांसी हुई है ।
सभी का ध्यान वहां पर चला जाता है जहां कांच के शिशे से एक लड़की फांसी हुई नजर आ रही थी वर्चस्व भी उस तरफ देखता है तो उसे वो लड़की जानी पहचानी लगती है वर्चस्व दोबारा मॉल के अंदर जाने लगता है तभी समायरा वर्चस्व का हाथ पकड़ते हुए कहती है - वर्चस्व तुम कहां जा रहे हो देख नहीं रहे आग कितनी बढ़ गई है तुम फंस सकते हो ।
वर्चस्व अपना हाथ छुड़ाने हुए - जो सिर्फ अपने बारे में सोचे वो इंसान कहलाने के लायक नहीं ,, " और अपना वर्चस्व तीसरे माले पर पहुंच कर उस लड़की को चारों तरफ ढूंढने लगता है तभी उसे चेंजिंग रूम के दरवाजे पर ही वो लड़की दिखाई देती है वो लड़की दिखने में बहुत खूबसूरत थी उसकी उम्र लगभग 19 से 20 साल की होगी वो लड़की आस पास देखते हुए रो रही थी वर्चस्व जल्दी ही उसके पास पहुंच जाता है लड़की वर्चस्व को देखते ही रोते हुए वर्चस्व के गले लग जाती है वर्चस्व भी उसे कसकर अपने गले लगा देता है और उसका माथा सहलाते हुए उसे शांत करने लगता है वो लड़की अभी भी रो रही थी तभी वर्चस्व का ध्यान आग पर जाता है जो काफी हद तक चारों तरफ फैल गई थी ।
वर्चस्व उसे खुद से दूर करते हुए - तुम ठीक हो ।
वो लड़की अपना सिर हां में हिला देती है तो वर्चस्व उस लड़की को गोद में उठाकर मॉल के दूसरे साइड से बाहर निकल जाता है वो लड़की अभी भी डर के मारे कांप रही थी उसने वर्चस्व को बहुत जोर से पकड़ा हुआ था वर्चस्व बाहर आकर उस लड़की को नीचे उतार देता है पर वो लड़की वर्चस्व को नहीं छोड़ती उसे वैसे ही गले लगाए खडी रहती है वर्चस्व एक हाथ से उस लड़की को पकड़े दूसरे हाथ से फोन निकाल कर किसी को कॉल करता है कुछ ही वक्त गुजरे होंगे वहां पर तीन चार गाड़ियां आकर रुकती हैं उसमें से बहुत सारे बॉडीगार्ड बाहर आकर वर्चस्व को ग्रिट करते हुए लाइन से खड़े हो जाते हैं।
वर्चस्व उन सब पर बरसते हुए - तुम सबको जॉब पर किस लिए रखा है अगर आज प्रिंसेस को कुछ हो जाता तो मैं तुम सब की जान ले लेता ।
सभी बॉडीगार्ड का अपना सिर नीचे झुकाए चुपचाप वर्चस्व की डांट सुन रहे थे वर्चस्व उस लड़की को कार के पास ले जाकर दरवाजा खोलता है तो वह लड़की वापस मुड़ते हुए वर्चस्व के गाल पर किस करते हुए कहती है - आई लव यू ।
वर्चस्व उस लड़की का माथा चूमते हुए - आई लव यू टू माय प्रिंसेस अब तुम जाओ ।
वह लड़की कार में बैठ जाती है सभी बॉडीगार्ड भी कार में बैठ जाते हैं और चारों गाड़ियां वहां से चली जाती है ।
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जारी है...
वर्चस्व उस लड़की का माथा चूमते हुए - आई लव यू टू माय प्रिंसेस अब तुम जाओ ।
वो लड़की कार में बैठ जाती है सभी बॉडीगार्ड भी कार में बैठ जाते हैं और चारों गाड़ियां वहां से चली जाती है ।
वहीं चारों गाड़ियों के जाने के बाद वर्चस्व अपने चारों तरफ देखता है यह मॉल का पीछे का हिस्सा था इसलिए यहां पर कोई नहीं था कंफर्म करने के बाद की वहां कोई नहीं है वर्चस्व मॉल के आगे वाले हिस्से में आता है जहां पर सभी लोग अपने-अपने फैमिली को ढूंढते की तलाश मैं तो बाकी सभी अभी-अभी मॉल से बाहर निकल के अपनी जान बचने का भगवान से शुक्रिया अदा कर रहे थे चारों तरफ अभी भी आग लगी हुई थी तभी वर्चस्व की नजर समायरा और विवेक पर पड़ती है जो एक तरफ खड़े थे वह दोनों के पास आता है उसे देखते ही विवेक वर्चस्व को गले लगाते हुए कहता है - थैंक यू वर्चस्व मेरी बहन की जान बचाने के लिए तुम्हें नहीं पता तुमने मेरे लिए क्या किया है मेरी बहन मेरी दुनिया है और तुमने उसकी जान बचाई है ।
वर्चस्व - कोई बात नहीं सर यह तो मेरा फर्ज था ।
विवेक - आई नो बट इस रियली थैंक यू तुम्हें नहीं पता तुमने मेरे लिए कितनी कीमती चीज मेरी दुनिया बचाई है ।
वर्चस्व मुस्कुराते हुए उसे फिर से वही जवाब देता है वही समायरा जो तब से एक टक वर्चस्व को देख रही थी वो अचानक से वर्चस्व के पास आकर उसका हाथ पकड़ लेती है तो विवेक और वर्चस्व आश्चर्य से समायरा को देखने लगते हैं समायरा , वर्चस्व का हाथ मोड़कर कोहनी के पास देखते हुए कहती है - वर्चस्व तुम्हारा हाथ तो जल गया है चलो हॉस्पिटल चलते हैं तुम्हें ट्रीटमेंट की जरूरत है ।
वर्चस्व अपना हाथ छुड़ाने हुए - नो मैम थैंक्स मैं ठीक हूं इतनी छोटे से घाव से मुझे कुछ नहीं होता ।
समायरा फिर से जबरदस्ती वर्चस्व का हाथ पकडते हुए - क्यों नहीं हुआ मैंने कहा ना चलो ।
वर्चस्व फिर से अपना हाथ छुड़ाने हुए - मैंने कहा ना मुझे जरूरत नहीं है और वैसे भी मुझे लेट हो रहा है अब मुझे घर जाना चाहिए ,, " उसके बाद विवेक को बाय कहते हुए वहां पर चला जाता है ।
विवेक समायरा से - क्या हुआ है बच्चा तुम क्यों इतनी उसकी परवाह कर रही थी ।
समायरा वर्चस्व को जाते हुए देखते हुए - मैं कोई परवाह नहीं कर रही थी भाई मैं बस उसकी हेल्प कर रही थी उसने मेरी जान बचाई तो इतना तो मैं कर ही सकती हूं ,, " तो विवेक मुस्कुराते उसका सर सहलाता है ।
दूसरी तरफ वर्चस्व घर आता है इस वक्त सभी के ऑफिस से घर आने का वक्त हो गया था पर सभी अभी घर नहीं पहुंचे थे वर्चस्व हॉल में आकर देखता है तो हॉल में इस वक्त कोई नहीं था शायद दादी मां मंदिर गई होगी और गौतम जी किचन में कुछ काम कर रही होगी वर्चस्व सीधे अपने कमरे में जाता है तो उसकी नजर बेड पर बैठी हुई अमूल्या पर पड़ती है ।
आज दिन में जो कुछ भी हुआ उस वजह से वर्चस्व का सर अब दर्द कर रहा था इसलिए वो अमूल्या को इग्नोर करते हुए अपने शर्ट का बटन खोलते हुए कबड के पास आता है शर्ट को एक तरफ रखकर अपना टॉवल लिए वॉशरूम की तरफ जाने लगता है तभी अमूल्या जो जब से वर्चस्व कमरे में आया था तब से उस पर अपनी नजर बनाए बैठी थी वो वर्चस्व का हाथ पकड़ते हुए अपनी जगह से उठ जाती है और वर्चस्व की तरफ देखते हुए चिंतित भरे स्वर में कहती है - आपका हाथ कैसे जला ।
वर्चस्व अमूल्या से अपना हाथ छुड़ाते हुए - कुछ नहीं हुआ है मुझे ,, " और फिर से वॉशरूम की तरफ बढ़ जाता है अमूल्या जिसका आज यहां पहला दिन था जहां वो किसी को सही से जानती भी नहीं थी उसके लिए उसके पहचान हो या परिवार या अपने के नाम पर सिर्फ वर्चस्व ही था पूरे दिन वर्चस्व के इंतजार करने के बाद शाम को उसे उसकी बेरूखी नसीब हुई थी जिस वजह से अमूल्या की आंखें नम हो जाती है अमूल्या वर्चस्व के सामने आकर उसका रास्ता रोकते हुए नम आंखों से कहती है - आपको हमसे परेशानी क्या है आप क्यों हमसे ऐसी बातें करते हैं हमें तकलीफ होती है । ।
वर्चस्व - मैंने नहीं कहा है मेरी बातों को अपने दिल पर लगाओ तुम्हें जैसे रहना यहां पर रहो और जो करना है करो बस मुझसे दूर रहो कितनी बार कहा है मैंने तुम्हें ।
अमूल्या - हमने भी तो कहा था क्यों लाए हैं आप हमें यहां जब हमें आपकी बेरुखी ही साहनी थी तो ।
वर्चस्व - हां शादी करके लाया हूं और यही मेरी सबसे बड़ी गलती है जिसे मुझे अपनी पूरी जिंदगी भोगना है इस जन्म में तुम्हें छोड़ भी नहीं सकता और तुम्हारे संग अपनी जिंदगी खुशी से जी भी नहीं सकता इसलिए कह रहा हूं मुझसे दूर रहो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा मैंने भले तुमसे शादी की है और तुम दुनिया की नजर में मेरी बीवी हो पर मेरी अर्धांगिनी कभी नहीं बन सकती ।
कहते हुए वर्चस्व, अमूल्या को साइड करके वॉशरूम के अंदर चला जाता है वही वर्चस्व के वॉशरूम में जाते ही अमूल्या अपनी जगह जहां वह खड़ी थी वहीं पर बैठकर रोने लगती है इन सब के विपरीत उनके कमरे के बाहर खड़ी विशाखा और अनाया जो तब से उन दोनों के बीच हो रही बहस सुन रही थी सभी बातें सुनने के बाद दोनों विशाखा के कमरे में आ जाती है कमरे में आते ही अनाया खुशी से अपनी बाहे फैला कर घूमते हुए बेड पर गिर जाती है विशाखा , अनाया के पास बेड पर आकर बैठते हुए - क्या हुआ इतनी खुश क्यों हो ।
अनाया - मैं क्यो खुशी हूं तुम्हें नहीं समझ आ रहा मैं खुश हूं की वर्चस्व , अमूल्या से प्यार नहीं करता ।
विशाखा - तो ।
अनाया - तो,, तो क्या इसका मतलब मेरे पास अभी भी चांस है वर्चस्व को हासिल करने का ।
विशाखा चौकते हुए - अनाया तुम पागल हो गई हो ,, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में ।
अनाया सातिर मुस्कुराहट के साथ - जो भी चल रहा है सब अच्छा ही होगा ।
वहीं वर्चस्व के कमरे में वर्चस्व जब फ्रेश अप होकर वॉशरूम से बाहर आता है तो उसकी नजर अमूल्या पर पड़ती है जो अभी भी जमीन पर बैठी रो रही थी वर्चस्व जो मॉल वाले हादसे के बाद से ही किसी बात को लेकर परेशान था जिस वजह से उसने अमूल्या से गुस्से में बात कि तो वो अपना माथा रगड़ते हुए - अब क्या है अब तुमने रोना धोना भी शुरू कर दिया ।
अमूल्या जल्दी से अपने आंसू पोंछते हुए चुपचाप खड़ी हो जाती है वर्चस्व एक गहरी सांस लेकर अपना गुस्सा शांत करते हुए कहता है - तैयार हो जाओ हमें बाहर जाना है ।
अमूल्या जिसकी पलकें अभी भी गीली थी वो वर्चस्व की तरफ देखते हुए - कहां जाना है।
वर्चस्व अमूल्या को घूरते हुए - बीवी होना मेरी ,, जहन्नुम में लेकर जाऊंगा तो वहां भी साथ चलोगी ना मेरे तो जाओ चुपचाप तैयार हो जाओ ।
वर्चस्व के इतना कहते ही कहते अमूल्या चुपचाप वॉशरूम में चली जाती है ।
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जारी है......
अनाया , विशाखा , ऋषभ , वर्चस्व और अमूल्या यह पांचों , ऋषभ के पापा की कार लेकर घर से निकल जाते हैं सबसे पहले यह डॉक्टर के पास जाते हैं जहां अमूल्या के रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर उसकी ड्रेसिंग करते हुए वर्चस्व से कहते हैं - अब ज्यादा टेंशन की बात नहीं है ये अब खुद से चल सकती हैं फ्रैक्चर हुआ था पर अब सही है फिर भी इन्हें सिर्फ आराम से चलने के लिए कहिएगा ज्यादा उछल-कूद करना अभी भी डेंजरस साबित हो सकता है ।
डॉक्टर से मिलने के बाद सभी वहां से निकल आते हैं विशाखा और अनाया के जीद्द करने पर सभी इस वक्त रोड साइड पर पानी पुरी खाने के लिए पानी पुरी वाले के ठेले के सामने आकर गाड़ी रोकते हैं गाड़ी रुकते ही विशाखा और अनाया दौड़ते हुए पानी पुरी वाले के पास चली जाती है वहीं ये तीनों धीरे से चलते हुए दोनों के पास पहुंचते हैं उन दोनों ने खाना शुरू कर दिया था वर्चस्व , अमूल्या के तरफ देखते हुए - तुम नहीं खाओगी ।
अमूल्या , विशाखा और अनाया को गोलगप्पे खाते देखते हुए कहती है - ये क्या है ।
अमूल्या की बात सुनते ही पानी पुरी खा रही विशाखा , अनाया , सब वर्चस्व के साथ-साथ पानी पुरी वाला भी आश्चर्य से अमूल्या की तरफ देखने लगता है विशाखा अमूल्या की तरफ देखते हुए - भाभी आपको नहीं पता ये क्या है ।
विशाखा के सवाल करने पर अमूल्या सकपका जाती है और कहती है - पता है ना हम तो बस मजाक कर रहे थे हम भी खाएंगे ना ।
तो सभी नॉर्मल हो जाते हैं पानी पुरी वाला अमूल्या को भी पानी पुरी खाने के लिए देता है अमूल्या जैसे ही पहली पानी पुरी उठाती है पानी पुरी फूट जाता है फिर पानी पुरी वाला उसे दूसरी पानी पुरी देता है और इस बार भी अमूल्या उसे भी उठाती है उसके हाथ में उठते ही वो भी फूट जाता है वर्चस्व जो तबसे अमूल्या को ये सब करते हुए देख रहा था वह कहता है - तुम्हें पानी पुरी खाना भी नहीं आता क्या ।
अमूल्या वो क्या जवाब दे उसे समझ नहीं आ रहा था वो वर्चस्व द्वारा पड़ने वाले डांट के डर से अपना सर चुपचाप नीचे झुका लेती है ऋषभ कहता है - वर्चस्व यार क्या तुम भी तुम हमेशा उसके ऊपर भड़कते क्यों रहते हो कभी प्यार से भी बात कर लिया करो ( फिर एक पानी पुरी लेकर अमूल्या की तरफ बढ़ाते हुए कहता है ) मुंह खोलो (तो अमूल्या अपना मुंह खोलती है तो उसके मुंह में पानी पुरी डालते हुए ऋषभ कहता है - इसे ऐसे खाया जाता है जोर से मत पकड़ो आराम से पकड़ो जोर से पकड़ोगी तो पानी पूरी टूट जाएगी ।
वही वर्चस्व अमूल्या को देखकर अपना सर ना में हिलाता है उसके बाद सभी होटल में खाने का ही डिसाइड करते हैं क्योंकि रात हो चुकी थी सभी एक होटल में चले जाते हैं सब अपने-अपने पसंद का डिनर ऑर्डर करते हैं अमूल्या सब की तरफ देखते हुए कहती है - हमें वॉशरूम जाना है ।
विशाखा उठते हुए - चलिए भाभी मैं लेकर चलती हूं ।
अमूल्या, विशाखा के साथ वॉशरूम की तरफ चली जाती है दोनों बाथरूम आते हैं अमूल्या वॉशरूम के अंदर जाती है तभी विशाखा का फोन बजता है विशाखा कॉल पर बात करते हुए वही बाहर गैलरी में टहलते हुए बात करने लगती है अमूल्या जैसे ही वॉशरूम से बाहर निकलती है तो बाहर उसे विशाखा नहीं मिलती तो अमूल्या को लगता है कि विशाखा वापस चली गई होंगी इसलिए वो जिस रास्ते से आई थी उसी तरफ जाने लगती है कि तभी सामने से आ रहे किसी शख्स से टकरा जाती है अमूल्या गिरतीं उससे पहले ही वो शख्स अमूल्या को कमर से पकड़ लेता है अमूल्या ने इस वक्त डर के मारे अपनी आंखें बंद कर रखी थी उसके बाल इस वक्त हवा में लटके हुए थे वही वो आदमी जिसने अमूल्या का पकड़ा हुआ था वह एक टक अमूल्या के डर से फड़फड़ाती आंखों की पलकें , कांपते लाल होंठों को देख रहा था वही अमूल्या को जब दर्द का एहसास नहीं होता है तो अपनी आंखें खोलती है तो खुद को किसी अनजान शख्स के इतने करीब पाकर जल्दी से उससे दूर होकर खड़ी हो जाती है अमूल्या अपनी नजर झुकते हुए - हमें माफ कर दीजिए हमने ध्यान नहीं दिया ।
शख्स ( विवेक मित्तल) अमूल्या के डरे हुए चेहरे को देख मुस्कुराते हुए - कोई बात नहीं वैसे भी आप से गलती से हुआ है। ( फिर अचानक से अमूल्या की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए ) आपको कही लगी तो नहीं ।
वही अमूल्या विवेक का हाथ खुद के तरफ बढ़ते हुए देख दो कदम पीछे होते हुए - जी नहीं आपका शुक्रिया अब हमें जाना चाहिए ,, '" कह कर वहां से जाने लगती है वही विवेक तब तक अमूल्या को देखता रहता है जब तक अमूल्य उसके आंखों से ओझल नहीं हो जाती ।
विवेक अपने दिल पर हाथ रखते हुए - पहली बार पहली बार कोई लड़की मुझे पसंद आई है आई लाइक इट शायद तुम ही वो हो जो इस विवेक मित्तल के दिल पर राज़ करोगी ।
दूसरी तरफ ऋषभ , वर्चस्व और अनाया बैठे विशाखा और अमूल्या का इंतजार कर रहे थे बहुत वक्त बीत जाता है तभी उन्हें सामने से आते हुई विशाखा दिखाई देती है उसे अकेला देखकर वर्चस्व उससे पूछता है - अमूल्या कहां है।
विशाखा चौकते हुए - भाभी यहां पर नहीं आई मैं भी उन्हें कब से ढूंढ रही हूं वह मुझे वॉशरूम में नहीं मिली तो मुझे लगा वो आप सबके पास आ गई होंगी ।
ऋषभ - अरे नहीं वो यहां पर नहीं आई है ।
अनाया - तो इसमें चिंता की क्या बात है एक होटल ही तो है अभी मिल जाएगी ।
सब मिलकर अमूल्या को ढूंढने लगते हैं लगभग 1 घंटे बाद ढूंढते हुए सब होटल के गार्डन में आ जाते हैं वहीं पर एक तरफ अमूल्या पौधों के पास उन सबके तरफ पीठ किए खड़े थे कोई कुछ कहता है उससे पहले ही वर्चस्व अमूल्या के पास पहुंचकर उसकी कलाई पकड़ते हुए अपनी तरफ मोड़ कर गुस्से से कहता है - तुम्हारा दिमाग खराब है कहां चली गई थी तुम , कबसे ढूंढ रहा हूं तुम्हें ।
अमूल्या जो वर्चस्व के चिल्लाने की वजह से डर के मारे कांप रही थी वो हकलाते हुए कहती है - वो .. वो हम ।
वर्चस्व बिना अमूल्या पर ध्यान दिए - क्या हम उसके आगे भी बढ़ोगी की नहीं साला मैं ही पागल हूं जो तुम्हारे ना मिलने पर परेशान हो रहा था और मैडम यहां पर खड़ी फूल देख रही है ,, " वर्चस्व बोलते बोलते एक दम से शांत हो जाता है क्योंकि अमूल्या उसके गले लग गई थी वर्चस्व को महसूस होता है कि वो कांप रही है ।
अमूल्या कांपते हुए - वो हम होटल में खो गए थे हम तो कबसे आप सबको ढूंढ रहे थे ढूंढते ढूंढते यहां पर पहुंच गए ।
वर्चस्व जो अमूल्या के गले लग जाने से अभी तक शॉक्ड में था वो अमूल्य का सर सहलाते हुए खुद से दूर करता है और कहता है - ठीक है अब चलो घर चलते हैं ।
अमूल्या बस अपना हिला देती है ऋषभ कार लेने पार्किंग में चला जाता है वो सभी गेट के पास पहुंचे होंगे तभी सभी लोग होटल से बाहर एक के बाद एक निकलने लगते हैं तभी वर्चस्व एक आदमी को रोकर पूछता है क्या हुआ तो वह आदमी बताता है अंदर किसी का मर्डर हो गया है ।
वर्चस्व - मर्डर हो गया है ,, " फिर वो सभी की तरफ देखता है वर्चस्व - अब हमें यहां पर नहीं रुकना चाहिए चलो घर चलते हैं वैसे भी पुलिस आने वाली होगी वो ये सब देख लेगी ।
( विवेक और अमूल्या की ये पहली मुलाकात क्या लग लाएगी और हॉटल में किसकी मौत हुई है क्यों और किसने किया होगा ये मर्डर )
कमेंट और रेटिंग देना ना भूलें
जारी है....
वर्चस्व - मर्डर हो गया है ,, " फिर वो सभी की तरफ देखता है वर्चस्व - अब हमें यहां पर नहीं रुकना चाहिए चलो घर चलते हैं वैसे भी पुलिस आने वाली होगी वो ये सब देख लेगी ।
सब वर्चस्व की बात से सहमत होते हैं तब तक ऋषभ भी कार लेकर आ गया था ऋषभ जब इतनी भीड़ देखकर क्या हुआ पूछता है तो वर्चस्व पहले वहां से निकलने के लिए कहता है तो सभी वहां से निकल जाते हैं फिर ऋषभ को सारी बातें रास्ते में बताता है कुछ वक्त में सभी घर पहुंच जाते हैं आगे वाली सीट से वर्चस्व पहले निचे उतरता है तभी पीछे वाली सीट से अनाया उतरते हुए जान-बूझकर वर्चस्व से टकरा जाती है वर्चस्व इसे को - एक्सीडेंट समझता है अनाया जानबूझकर अमूल्या को दिखाते हुए वर्चस्व से हद से ज्यादा मुस्कुराते हुए सॉरी कहती है तो वर्चस्व उसे कोई बात नहीं कहकर घर के अंदर बढ़ जाता है तो अनाया एक नजर अमूल्या को देख इतराते हुए अपने घर की तरफ चली जाती है अमूल्य एक पल के लिए उसे अजीब लगता है पर इस बारे में ज्यादा ना सोचते हुए वो भी वर्चस्व के पीछे घर के अंदर चली जाती है ।
चूकी रात हो चुकी थी और सभी बाहर से खाना खाकर आए थे इसलिए सब अपने कमरे में जाकर सो जाते हैं वर्चस्व और अमूल्या एक दूसरे की तरफ पीठ करके बेड पर लेटे हुए थे अनाया भी अपने कमरे में अपना टेडी बेयर पकड़े वर्चस्व के बारे में सोचते हुए मुस्कुराए जा रही थी इस रात किसी की भी आंखों में नींद नहीं था बस सबके ख्वाब अलग थे सब के जज्बात अलग थे कोई किसी के सोच में गुम था तो कोई किसी के द्वारा वादे को पूरा करने के लिए ।
वही होटल में
जिस कमरे में मर्डर हुआ था पुलिस वहां पर तहकीकात कर रही थी कमरे की हालत देखकर लग रहा था उस आदमी ने बचने की बहुत कोशिश कि होगी उस कमरे में सभी सामान इधर-उधर बिखरे हुए थे सभी सामान टूटे बहुत से कांच के टुकड़े भी वहां पर टूटे हुए थे वो आदमी जिसका मर्डर हुआ था उसके सर पर बहुत गहरा घाव लगा था जिस वजह से वहां पर बहुत ज्यादा खून फैला हुआ था और शराब की बदबू पूरे कमरे में चारों तरफ से आ रही थी ।
इंस्पेक्टर ( हवलदार) से - किसी को भी अंदर मत आने देना और सभी चीजों को पोस्टमार्टम के लिए फॉरेंसिक टीम को भेजो और यहां के सीसीटीवी कैमरा चेक करवाओ शायद कुछ सुराग मिल जाए ।
आधे घंटे बाद हवलदार आकर इंस्पेक्टर साहब से कहता है - सर फोरेंसिक टीम आ गई है और हमने सीसीटीवी कैमरा चेक करवाए पीछले चौबीस घंटे के सारे रिकोर्ड गायब है ।
इंस्पेक्टर साहब कुछ सोचते हुए - रिकोर्ड गायब हैं ।
अगली सुबह
वर्चस्व की नींद कमरे में हो रही आवाज से खुलती है वो अपनी आंखें मसलते हुए सामने देखता है तो आईने के सामने अमूल्या तैयार हो रही थी हमेशा की तरह राजस्थानी लहंगा चोली और दुपट्टा लिए वो चूड़ियां पहन रही थी सुबह सुबह अमूल्या को इस रूप में देखकर वर्चस्य एक पल के लिए जैसे उसमें खो सा जाता है वही अमूल्या चुड़ी पहनने के बाद अपनी मांग में सिंदूर लगाकर जैसे ही पलटती है उसकी नजरे अभी-अभी नींद के आगोश से उठे वर्चस्व की आंखों से जा मिलती है कुछ पल के लिए दोनों एक दूसरे में खो जाते हैं पर शहर की उन शोर-शराबा से उनका ध्यान जल्द ही टूट जाता है दोनों झटके से एक दूसरे पर से नजरें फेर लेते हैं कुछ वक्त के लिए वहा पर खामोशी झा जाती है अमूल्या हिम्मत करके एक नजर वर्चस्व को देखती हैं पर वर्चस्व तब तक उठकर बाथरूम चला गया था तो अमूल्या उदास मन से चुपचाप नीचे चली जाती है ।
अमूल्या किचन में आती है गौतम जी इस वक्त नाश्ता बना रही थी क्योंकि अब अमूल्या को भी आदत हो चुकी थी इसलिए वो आते ही गौतमी जी की हेल्प करने लगती है पर उसके दिमाग में कुछ चल रहा था क्या जो रिश्ता दोनों ने अपनी मर्जी से जोड़ा है क्या कभी मुकम्मल हो पाएगा कहने को तो दोनों पति-पत्नी है पर कभी दोनों ने इत्मीनान से बैठकर दो लफ्ज़ एक दूसरे से बातें भी नहीं की थी ।
अमूल्या के दिमाग में ना जाने क्या क्या चल रहा था तभी उसकी ऊंगली कट जाती है जिस के दर्द की वजह से उसके मुंह से आह निकल जाती हैं गौतमी जी जल्दी से अमूल्या का हाथ पकड़ कर पानी में धोने लगती है गौतम जी परेशान लफ्जे में - क्या हुआ बेटा ध्यान कहां है तुम्हारा देखो ऊंगली काट ली तुमने ।
अमूल्या जिसने दर्द की वजह से अपनी आंखें मिच ली थी जब उसे दर्द से थोड़ा राहत महसूस होता है तब वो अपने हाथ गौतमी जी से छुड़ाकर कहती है - कुछ नहीं हुआ है हमें आंटी जी हम ठीक हैं आप परेशान ना हों वो बस हमारा ध्यान नहीं था आप बताएं ना हमें और क्या करना है हम कर देते हैं ।
गौतमी जी - अब कुछ नहीं करना है बस मै ये सब्जी छोंक दूं बाकी सब हो गया है तुम जाओ किचन से बाहर अपनी कमरे में जाकर आराम करो पहले ही हाथ काट लिया है तुमने ।
अमूल्या चुपचाप किचन से बाहर निकल जाती है और अपने कमरे की तरफ बढ़ चलती है ये देखने के लिए की कही वर्ण को किसी चीज की जरूरत तो नहीं वो जैसे ही कमरे में आती है उसकी नजर वर्चस्व पर पड़ती है जो फोन पर मैसेज टाइपिंग करते हुए मुस्कुरा रहा था अमूल्या को उसका फोन में कुछ देख कर मुस्कुराना पता नहीं क्यों पर अमूल्या को एक डर सा लगता है उनका रिश्ता वैसे ही उलझा हुआ था इसमें किसी तीसरे का उनके बीच आना ,,,, वही वर्चस्व अभी भी मोबाइल में टाइपिंग करते हुए मुस्कुरा रहा था तभी अमूल्या हिम्मत करके कहती है - आपको कुछ चाहिए ।
आवाज सुनकर वर्चस्व देखता है अमूल्या को देख फोन को बंद करके साइड में रख देता है वर्चस्व बेड से उठते हुए कबड की तरफ बढ़ते हुए - नहीं कुछ नहीं चाहिए तुम यहां क्या कर रही हो ।
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जारी है.....
आवाज सुनकर वर्चस्व देखता है अमूल्या को देख फोन को बंद करके साइड में रख देता है वर्चस्व बेड से उठते हुए कबड की तरफ बढ़ते हुए - नहीं कुछ नहीं चाहिए तुम यहां क्या कर रही हो ।
अमूल्या - कुछ नहीं हमें लगा आपको कुछ चाहिए होगा तो एक बार पूछ ले ।
वर्चस्व कबड में कुछ ढूंढते हुए - तुमने मेरी ग्रे कलर की शर्ट कहां रखी है तब से ढूंढ रहा हूं मिल ही नहीं रही है ।
अमूल्या आगे बढ़कर कबर में शर्ट निकलने लगती है तो वर्चस्व उससे दूर खड़ा हो जाता है अमूल्या उसके तरफ शर्ट बढ़ाते हुए - और कुछ चाहिए आपको ।
वर्चस्व शर्ट पहनते हुए - थैंक हम्म नहीं वैसे मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है आज एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है आने में लेट हो जाएगा ।
पर अमूल्या को तो जैसे उसकी बातें सुनाई ही नहीं दे रही थी उसके दिल में बहुत कुछ चल रहा था ऐसे तो दुनिया में वैसे ही रिश्ते में प्यार होते हुए भी रिश्ते टूट जाते हैं यहां तो उनके बीच कुछ था ही नहीं तो अमूल्या का डरना भी लाजिमी था अमूल्या जो कुछ ही मिनट में उसने अपने दिमाग में न जाने क्या से क्या सोच लिया था वो बड़ी हिम्मत करके वर्चस्व से पूछती है - वैसे आप किस से बात कर रहे थे ।
वर्चस्व शर्ट के बाजू के बटन बंद करते हुए - कब ।
अमूल्या - अभी आप फोन में देखकर मुस्कुरा रहे थे तब ।
वर्चस्व - मुझे नहीं लगता तुम्हें इससे मतलब होना चाहिए ।
वर्चस्व के ये कहते ही अमूल्या की आंखों में आंसू आ जाते हैं वर्चस्व हर बार बड़े आसानी से कह देता था तुमसे मतलब पर शायद ही वर्चस्व को ये पता होगा कि इस शब्द से अमूल्या को कितना दर्द होता है अमूल्या खुद को संयम रखते हुए - हम आपकी पत्नी हैं हमारा जानने का पूरा हक है ।
वर्चस्व भड़कते हुए - तो क्या तुम मुझ पर शक कर रही हो ।
अमूल्या जल्दी से अपना सर ना में हिलाते हुए - हमारे कहने का वो मतलब नहीं था वो हम बस आप मतलब मुस्कुरा रहे थे आप मतलब कभी ऐसे मुस्कुराते नहीं है ना जल्दी इसीलिए ।
वर्चस्व - तो क्या अब मेरा मुस्कुराना भी तुम्हारे लिए प्रॉब्लम है ।
अमूल्या रोते हुए वर्चस्व की हथेली थाम कर - नहीं..
वर्चस्व अमूल्या को रोते हुए देखता है तो अपना हाथ झटकते हुए गुस्से में कहता है - क्या है तुम्हारा जब देखो तब रोने लगती हो और कोई काम नहीं आता है क्या तुम्हें रोने के अलावा एक तो गलती करो उपर से बेवजह आंसू बहाओ और सुनो मैं मुस्कुरा इसलिए रहा था क्योंकि मेरे बॉस का मैसेज आया था क्लाइंट को मेरे बनाए हुए डिजाइन पसंद आए जिस वजह से हमारी कम्पनी को दो नए प्रोजेक्ट मिले इसलिए मुस्कुरा रहा था मैं मानता हूं हमारी शादी नोर्मल नहीं है हमारे बीच कुछ भी सही नहीं है मै भले तुम्हें अपनी पत्नी होने का दर्जा नहीं देता पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं केरेक्टरलेस हूं तुम्हें धोखा दे रहा हूं ।
वर्चस्व को गुस्से में देखकर अमूल्या डर के मारे दो कदम पीछे हो जाती है अमूल्या - हमें माफ कर दीजिए हम आज के बाद ऐसा कभी नहीं कहेंगे बस आप गुस्सा मत होइए ,,"" कहते हुए वहां से रोते हुए बाहर चली जाती है उसके बाहर जाते ही वर्चस्व अपना सर पकड़ के बेड पर बैठ जाता है उसके तो समझ नहीं आ रहा था आखिर है उसकी गलती क्या थी सब तो कर रहा था वो अमूल्या के सभी जरूर को पूरा कर रहा था क्या शादी में भरोसे का मतलब सिर्फ शारीरिक संबंध ही तो नहीं है हां नहीं बढ़ पा रहा था वो इस रिश्ते में आगे पर इसका मतलब यह नहीं कि वो अमूल्या को धोखा दे रहा था इसलिए वर्चस्व को इस शादी के झंझट में नहीं पड़ना था पर ना जाने ऐसी कौन सी बात थी जो उसने अपनी मर्जी से अमूल्या से शादी की ।
कुछ वक्त बहुत कुछ सोचते हुए वर्चस्व अपने दिमाग को ठंडा करके कमरे से बाहर निकलता है सभी डाइनिंग टेबल पर बैठ चुके थे वो एक नजर चारों तरफ घूमता है पर अमूल्या वहां पर नहीं थी वो किसी से कैसे पूछे इसमें थोड़ा हिचकिचा रहा था इसलिए चुपचाप जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है तब भी दादी जी पूछती हैं - तुम अकेले आए बेटा अमूल्या कहां है ।
दादीजी का सवाल सुनकर वर्चस्व हड़बड़ा गया वो क्या जवाब दे उन्हें जब उसे खुद नहीं पता था अमूल्या कहां तभी गौतमी जी कहते हैं - मां जी अमूल्या कमरे में आराम कर रही होगी उसका सर भी थोड़ा दर्द कर रहा था पता नहीं कहां गुम रहती है अभी देखिए ना पता नहीं क्या चल रहा था उसके दिमाग में उसने अपनी उंगली काट ली इसलिए मैंने कहा कि अपने कमरे में चली जाए ।
दादी जी - अच्छा ठीक है तब आराम करने दो उसे ।
वही वर्चस्व एक गहरी सांस लेकर नाश्ता करने लगता है पर ना जाने क्यों खाना उसके गले से नीचे नहीं उतर रहा था वो आधा अधूरा खाकर घर से बाहर निकल जाता है ।
वो बाहर निकलता है उसी वक्त अनाया भी अपने घर से बाहर निकलती है वर्चस्व को बाहर आया देखकर वो वर्चस्व के पास जाकर बड़ी प्यार से बात करने लगती है वर्चस्व जिसे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा था पर वो इस वक्त अनाया से रूड बिहेव नहीं करना चाहता था क्योंकि उसके गुस्से की वजह से सुबह-सुबह ही वो अमूल्या को रुला चुका था पर अनाया का पूरा ध्यान छत पर से उसे और वर्चस्व को देख रही अमूल्या पर था जो वर्चस्व के डांटने की वजह से रोते हुए छत पर चली गई थी वही वर्चस्व कैसे भी अनाया के सवालों का जवाब देकर जल्द ही ऑफिस जाने के लिए निकल जाता है ।
वर्चस्व के जाने के बाद अनाया एक नजर छत पर खड़ी अमूल्या को देखा इतराते हुए विशाखा के साथ वहां से चली जाती है
वही अमूल्या अपने मन में - नहीं अमूल्या अब तुम कुछ भी ऐसा वैसा नहीं सोचोगी पति और पत्नी के बीच किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी होता है भरोसा और आज तुमने उनका वही भरोसा तोड़ दिया पर अब से तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी जिस वजह से हमारे रिश्ते में दरार आए।
जारी है......
वही अमूल्या अपने मन में - नहीं अमूल्या अब तुम कुछ भी ऐसा वैसा नहीं सोचोगी पति और पत्नी के बीच इस प रिश्ते को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी होता है भरोसा और आज तुमने उनका वही भरोसा तोड़ दिया पर अब से तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी जिस वजह से हमारे रिश्ते में दरार आए ।
वर्चस्व ऑफिस पहुंचता है अनाया और विशाखा उससे पहले पहुंच गई थी क्योंकि उसे टैक्सी से सफर करना पड़ता है इसलिए वो लेट पहुंचा था हमेशा की तरह वो आकर अपने काम में लग जाता है वर्चस्व इस वक्त अपनी डिजाइन विवेक को दिखाकर कुछ डिस्कस कर रहा था उसी वक्त समायरा विवेक के कैबिन आती है समायरा को आया हुआ देखकर विवेक खुश हो जाता है विवेक मुस्कुराते हुए - क्या बात है आज हमारी समायरा को कॉलेज नहीं जाना ।
समायरा विवेक के सामने वाले चेयर पर बैठते हुए - भाई अब आप ही सोचिए ना मेरा लास्ट इयर चल रहा है तो मैंने सोचा आपके ऑफिस में आपका काम में कुछ हाथ बटा दूं अभी से काम करना शुरू करूंगी तभी तो कुछ सीख पाऊंगी ना इसलिए मैंने सोचा अब से मैं आपके साथ डेली ऑफिस आऊंगी ,, "" वो ये सब वर्चस्व को देखते हुए कह रही थी जिसका पूरा ध्यान अभी भी फाइल रीड करने में था ।
विवेक मुस्कुराते हुए - यह तो बहुत अच्छी बात है तो कहां से शुरू करना चाहोगी तुम ।
समायरा खोए हुए स्वर में - वर्चस्व से .. ।
विवेक चौंकते हुए - क्या.... ,, " वही अपना नाम सुनकर वर्चस्व भी समायरा की तरफ देखता है तो समायरा बात संभालते हुए कहती है - मेरा मतलब है मुझे आप वर्चस्व के नीचे काम करने के लिए क्यों नहीं देते मैंने देखा है ये काम करने में बहुत अच्छा है अगर मैं इसके नीचे काम करूंगी तो बहुत जल्दी काम सीख जाऊंगी ।
विवेक - जैसा तुम कहो फिलहाल अगर तुम काम सीखना ही चाहती हो तो इस वक्त वर्चस्व के साथ अपने जुहू बीच वाले साइड चली जाओ वर्चस्व वहां पर काम देखने जा रहा है तुम भी साथ चली जाओ साइड भी देख लेना और काम समझने की कोशिश भी करना ।
समायरा मुस्कुराते हुए - क्यों नहीं भाई ।
विवेक वर्चस्व से - तुम्हें तो कोई परेशानी नहीं है ना ।
वर्चस्व - मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है सर वैसे भी मुझे काम करने से मतलब है और किसी चीज पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं देता ।
विवेक - अच्छा तो अब तुम जाओ ।
वर्चस्व - ओके सर ,, " कहकर बाहर निकल जाता है तो समायरा भी मुस्कुराते हुए विवेक को बाय कहकर वर्चस्व के पीछे केबिन से बाहर निकल जाती है उनके जाते ही विवेक किसी को कॉल करता है विवेक ऑन कॉल - हां कुछ पता चला ,, " उधर से कुछ कहा जाता है जिस पर विवेक कहता है - तुम पता लगाते रहो कोई भी सुराग मिले तो मुझे तुरंत इन्फॉर्म करना ।
दोपहर का वक्त
इस वक्त अनाया और विशाखा कैंटीन में बैठी लंच कर रही थी विशाखा ,, अनायास से - आखिर तुम करना क्या चाहती हो अनाया ।
अनाया आराम से खाते हुए - तुम किस बारे में बात कर रही हो ।
विशाखा - देखो तुम भी जानती हो मैं क्या बोल रही हूं आखिर तुम क्यों वर्चस्व भैया के पीछे पड़ी हो वो शादीशुदा है अब तुम उन्हें भूल जाओ ।
अनाया - शादीशुदा है पर वह अपनी शादी से खुश नहीं है और वो इस शादी को नहीं मानता ,, ना ही अमूल्या को अपनी बीवी मानता है तो इसमें प्रॉब्लम क्या है अगर मैं उस पर ट्राई कर रही हूं तो ।
विशाखा - इसमें प्रॉब्लम ये है कि भले उनके बीच नहीं बनती पर फ्यूचर में साथ रहते रहते हो सकता है उनकी बन जाए और पर उनके रिश्ते के बनने से पहले ही तुम उसे तोड़ना चाहती हो ।
अनाया - तुम मेरी दोस्त हो या उस बहन जी की बताओ तुम्हें मेरा साथ देना चाहिए और यहां पर तुम मुझे बैठकर लेक्चर दे रही हो ।
विशाखा - ऐसी बात नहीं नाया यार मैं तुम्हारी दोस्त हूं इसलिए तो तुम्हें गलत रास्ते पर जाने से रोक रही हूं ।
अनाया अपनी जगह से उठते हुए - अगर तुम मेरी दोस्त हो तो चुपचाप मैं जो कर रही हूं वो मुझे करने दो ।
वही साइड पर वर्चस्व कुछ इंजीनियर को इंस्ट्रक्शन दे रहा था और समायरा चारों तरफ घूमते हुए सेल्फी खींच रही थी वर्चस्व काम करते हुए बहुत देर तक उसे देखता रहता है पर बज बहुत वक्त बितने के बाद भी समायरा काम पर ध्यान नहीं देती तो वर्चस्व कड़क आवाज में कहता है - आप यहां काम सीखने आई है या सेल्फी लेने ।
समायरा सेल्फी लेते हुए - काम सीखने आई हूं पर इतनी अच्छी जगह है एक दो सेल्फी लेना तो बनता है ।
वर्चस्व - अगर काम करने आई है तो उस पर ही फोकस कीजिए अगर घूमना ही था तो आपको ऑफिस ज्वाइन नहीं करना चाहिए था इसलिए चुपचाप आकर यहां पर काम सीखिए ।
समायरा मुंह बिचकाते हुए खुद से - हाव रूड ( फिर अचानक से मुस्कुराते हुए ) बट आई लाइक इट ।
खुद से ही कह कर मुस्कुराते हुए वर्चस्व के पास जाकर वो जो जो बताता है उसे ध्यान से सुनने लगती है ।
शाम का वक्त सभी ऑफिस से घर आ गए थे वर्चस्व इस वक्त वॉशरूम में फ्रेश होने गया था वो जैसे ही फ्रेश होकर वॉशरूम से बाहर निकलता है अमूल्या उसके सामने टॉवल लेकर खड़ी मिलती है वर्चस्व उसके हाथ से टॉवल लेकर अपना मुंह पूछते हुए शीशे के सामने जाकर खड़ा हो जाता है तो अमूल्या भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ती है वर्चस्व इस वक्त बालों में कंघी कर रहा था अमूल्या बड़ी हिम्मत करके कहती है - हमें माफ कर दीजिए ।
वर्चस्व अपने बालों में कंघी करते हुए - किस लिए ।
अमूल्या अपनी नज़रें झुका कर - वो हमने सुबह आपसे जो कहा था उसके लिए हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए था और हमारा वो कहने का मतलब नहीं था प्लीज हमें माफ कर दीजिए ।
वर्चस्व तैयार होकर अमूल्या की तरफ मुड़कर - जाकर तैयार हो जाओ ।
अमूल्या चौंकते हुए - क्यों ।
वर्चस्व अपनी आंखें बड़ी करके अमूल्य को घूरते हुए - हर बात में सवाल करना जरूरी है क्या ।
अमूल्या डर के मारे अपना सर ना में हिलाते हुए जल्दी से एक पिंक कलर का घाघरा चोली लेकर वॉशरूम में घुस जाती है ।
कुछ वक्त में चेंज करके बाहर आती है तो एक बार फिर वर्चस्व उसे देखते ही खो जाता है उस गुलाबी रंग में उसका गोरा रंग बिल्कुल गुलाब की तरह खिल कर बाहर आ रहा था अमूल्या का ध्यान उस पर नहीं जाता वो शिशे के सामने जाकर तैयार होने लगती है तैयार होकर जैसे ही बालों की छोटी करती तभी वर्चस्व उसके हाथ से कंघी छिनते हुए कहता है - रहने दो ।
अमूल्या आश्चर्य से उसे देखते हुए - क्या...
वर्चस्व - बालो को खुले रहने दो अच्छी लगती हो ,, " कहकर कमरे से बाहर निकल जाता है वहीं वर्चस्व की कही हुई बातें याद करते हुए अमूल्या शरमाते हुए मुस्कुराने लगती है ।
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जारी है.....
दोनों नीचे हॉल में आते हैं तो उन्हें तैयार देखकर दादी मां पूछती है - कहीं जा रहे हो बेटा ।
वर्चस्व - हां दादी मां वो कुछ जरूरी सामान लेना था तो इसलिए हम मार्केट जा रहे थे ।
दादी मां मुस्कुराते हुए - अच्छी बात है घुमो इस पगली को भी घुमा दो पूरा दिन घर में रहती है ।
तभी विशाखा उनके बीच में कुदते हुए - मैं भी चालू ।
दादी मां - नहीं ..
विशाखा मुंह बनाते हुई - क्यों दादी मां ।
दादी मां - मैंने कहा ना नहीं दोनों बच्चों को जाने दो ।
अमूल्या - आने दिजिए ना दादी मां हमारे साथ ।
विशाखा अपना मुंह बना लेती है तभी ऋषभ विशाखा को कंधों से पकड़ते हुए कहता है - तुम्हें मैं बाद में ले जाऊंगा तुम तो अपनी मर्जी जब चाहे घूमती रहती हो उन्हें तो जाने दो ।
विशाखा ऋषभ को घूर कर देखती है तो रिषभ उसके कान में धीरे से कहता है - अरे पगली दोनों को थोड़ा प्राइवेसी तो दो दोनों साथ में घूमना चाहते हैं तुम कहां उनके बीच में कबाब में हड्डी बनने जा रही हो ।
तब जाकर विशाखा को समझ आता है वो अमूल्या से कहती है - ठीक है ठीक है आप जाइए मुझे नहीं जाना ,," कहकर अपने कमरे में भाग जाती है तो वर्चस्व , अमूल्या को लेकर घर से बाहर निकल आया
तभी उसके पीछे-पीछे ऋषभ बाहर आते हुए वर्चस्व को आवाज देता है तो दोनों रुकते हुए पीछे पलट कर ऋषभ को देखते हैं ऋषभ अपने बाइक की चाबी वर्चस्व के हाथ में देते हुए - मेरी बाइक लेकर जाओ आसानी होगी आने जाने में ।
तो वर्चस्व हा में सर हिलाते हुए उसके हाथ से चाबी ले लेता है दोनों घर से निकल जाते हैं वही वर्चस्व और अमूल्या के जाने के बाद अनाया फुदकते हुए ऋषभ के घर आती है ।
हॉल में कदम रखते ही एक नजर चारों तरफ घूमते हुए अनाया , गौतमी जी से कहती है - सब कहां है आंटी ।
गौतमी जी - सब बेटा ऋषभ तो छत पर अपने दोस्त से बात कर रहा है मांजी मंदिर गई है और विशाखा अपने कमरे में ही है ।
अनाया - और सब लोग ।
गौतम जी अनायास को देखते हुए - और कौन बेटा।
अनाया - अ.. मतलब अमूल्या , वर्चस्व यह दोनों भी नहीं दिख रहे हैं - गौतमी जी - हां वो दोनों मार्केट गए हैं उन्हें कुछ सामान लेना था ।
अनाया चौंकते हुए - अकेले गए हैं।
गौतमी जी - अकेले कहां है बेटा दोनों साथ में है तुम जाओ विशाखा अपने कमरे में है ।
तो अनाया गुस्से से अपना पैर पटकते हुए विशाखा के कमरे में चली जाती है ।
अनाया गुस्से में विशाखा के कमरे में आती हैं विशाखा बेड पर बैठकर स्नेक्स खाते हुए कोई मूवी देख रही थी वो अनाया को इतने गुस्से में देखकर कहती हैं - क्या हुआ तुम्हारा मुंह क्यों फुला हुआ है ।
अनाया - वर्चस्व उस ग्वार लड़की को अपने साथ बाहर घूमाने ले गया है ।
अनाया के ये कहते ही विशाखा को सब माजरा समझ आता है वो शांति से कहती है - तो अब क्या करोगी तुम मैंने तो तुम्हें पहले ही समझाया था वक्त के ।
अनाया अपने मन में - बिल्कुल भी नहीं अनाया हार मानने वालों में से नहीं है फ्यूचर में इनका रिश्ता ठीक हो उससे पहले ही मैं इनकी जिंदगी मे अनाया नाम का जहर घोल दूंगी ।
एस के मॉल
वर्चस्व , अमूल्या को लेकर मॉल में आता है अमूल्या चारों तरफ देखते हुए चल रही थी मॉल बहुत ही खूबसूरत था चारों तरफ लोगों की भीड़ लगी हुई थी वर्चस्व , अमूल्या के संग लेडिस सेक्सन में आता है ।
अमूल्या - आप हमें यहां पर लेकर क्यों आए हैं ।
वर्चस्व - तुम्हारे लिए कपड़े लेने के लिए ।
अमूल्या चौंकते हुए - पर क्यों हमारे पास पहले ही बहुत कपड़े हैं बेवजह पैसे क्यों बर्बाद करना है ।
वर्चस्व एक नजर अमूल्या को ऊपर से नीचे तक देखते हुए आसपास देखता है तो कुछ लड़के अमूल्या को ही देख रहे थे उसके नेट के दुपट्टे में से झांकती गोरी कमर इसी वजह से तो वर्चस्व को इन कपड़ो से चीड़ थी वर्चस्व को इतने दिन से वक्त नहीं मिला था कि वो अमूल्या को शॉपिंग पर लेकर जा सके आज जब उसे वक्त मिला वो अमूल्या को कपड़े खरीदने के लिए लेकर आया वर्चस्व - तुम्हारे पास होंगे पर अब से तुम ये कपड़े नहीं पहनोगी ,, " कहकर सेल्स गर्ल से साड़ियां दिखाने के लिए कहता है फिर अमूल्या से - जैसे तुम्हें कंफर्टेबल हो घर पर पहनने के लिए साड़ियां ले लो और कुछ साड़ियां बाहर आने जाने के लिए भी लें लेना ।
तो अमूल्या कुछ नहीं कहती वो लड़की साड़ी दिखाने लगती है अमूल्या सिर्फ साड़ी देख रही थी पर उसे पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि वो पहली बार साड़ियां खरीद रही थीं हमेशा तो उसने राजस्थानी लहंगा ही पहना था ।
वर्चस्व वही साइड में चेयर पर बैठकर फोन में मेल चेक कर रहा था कुछ वक्त गुजरने के बाद वर्चस्व, अमूल्या की तरफ देखकर - कुछ पसंद आया ।
अमूल्या अपना सर ना में हिला देती है तो वर्चस्व उसके लिए साड़ियां पसंद करने लगता है वर्चस्व अपनी पसंद की हुई साड़ियां अमूल्या को दिखाते हुए - देख लो पसंद आया ।
अमूल्या वह तो एक नजर साड़ियों को देखती भी नहीं है उसके लिए इतना ही काफी था कि वर्चस्व ने उसके लिए ये साड़ियां पसंद की थी अमूल्या मुस्कुराते हुए अपना सर हा में हिलाते हुए - हां हमें पसंद आया बहुत अच्छी है।
तो वर्चस्व उसके लिए और साड़ियां देखते हुए अमूल्या से भी सभी साड़ियां दिखाते हुए उसकी मंजूरी ले रहा था अमूल्या खुशी-खुशी उसके हर बात में हा में हां मिला रही थी कुछ वक्त ऐसे ही गुजर जाता है वर्चस्व ,, अमूल्य से कहता है - तुम तब तक और भी कपड़े देखो जो तुम्हें अच्छी लगे उन्हें साइड में रखवा लेना मैं वॉशरूम से आता हूं ।
अमूल्या मुस्कुरा कर हां में सर हिलाते हुए सहमति जताती है तो वर्चस्व वहां से चला जाता है वही उनसे कुछ दूरी पर एक आदमी न जाने कब से अमूल्या के ऊपर नजर रखे था ।
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