Novel Cover Image

नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️

User Avatar

🦋🦋Shivani khari 🦋🦋

Comments

12

Views

127

Ratings

29

Read Now

Description

कहा जाता है कि दुनिया की सारी दौलत और सुख-सुविधाएं होने के बावजूद, अगर परिवार का प्यार और अपनापन न हो तो सब कुछ फीका लगता है। धरा चौहान की ज़िंदगी कुछ ऐसी ही है। सोलह साल की मासूम धरा बोल नहीं सकती और उसे आज तक यह समझ नहीं आया कि उसकी क्या गलती है जो...

Total Chapters (17)

Page 1 of 1

  • 1. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 1

    Words: 1304

    Estimated Reading Time: 8 min

    शादी का घर था। चारों तरफ से उस हवेली जैसे घर को लाइट और फुलों से सजाया गया था। नौकर चाकर भाग भाग कर कामों में लगें हुए थे। एक अधेड़ उम्र की औरत जिस की उम्र 70  साल के आस पास होगी वह सोफे पर बैठे बैठे ही सब को काम बता रही थी। वह गुस्से में कहतीं हैं। सब कुछ अच्छे से होना चाहिए। कोई कमी नहीं रह जानी चाहिए। मेरी पोती की शादी है सब कुछ अच्छा होना चाहिए। अगर मेरी बच्ची की शादी में कोई कमी आई तों याद रखना। सब को हवेली से निकाल फेंकूंगी।

    तो ये औरत थी। शकुन्तला देवी। जैसा इन का नाम वैसे इन के काम। हर वक्त गुस्सा तो इन की नाक पर बैठा रहता है। बहुत खड़ूस है बुढ़िया। अभी तक इसे अपनी टकर का कोई मिला नहीं है। तो घमंड में चूर रहतीं हैं। सारे चौहान परिवार को अपने मुठ्ठी में रखतीं हैं। जो कुछ भी घर में होता है इन की मर्जी होता है।

    शकुन्तला देवी को गुस्से में देख कर वह पर उन का बड़ा बेटा पवन चौहान आते हैं। वह कहते हैं क्या हुआ मां आप इतना गुस्सा क्यों कर रही हैं। सब सही हो जाएगा। आप चिंता ना करें।

    शकुन्तला देवी कहती हैं। चिन्ता की ही तो बात है। आज सुबह से ही मन बहुत बेचैन है हमारा। और अब तीन घंटे बाद शादी का मुहूर्त है। इन निकम्मे नौकरों ने कुछ काम ढंग से ही नहीं किया है। चलों ये सब छोड़ो हमारे दोनों राजकुमार कहां है दिखाई नहीं दे रहें। कही। और हमारी राजकुमारी भी नहीं दी रही। माना की उस की शादी हैं पर ये तो नहीं की वह अपने दादी को ही बुल जाये।

    पवन जी कुछ कहते उसे पहले ही वह पर उन के दोनों राजकुमार यानी की उन के पोते अंगद चौहान, अनंत चौहान आते हैं। और शकुन्तला देवी के पैर छुते हुए कहते हैं। दादी मां सुबह जो काम अपने हमें दिया था वो हों गया। अब आप चिंता ना करों सब बढिया ही होगा।

    शकुन्तला देवी हल्के गुस्से में कहतीं हैं। चिन्ता कैसे नहीं करू। अभी सब से बड़ी मुसीबत तो मेरे घर में ही है। अनंत की तरफ देखते हुए कहती हैं। अनंत तुम जा कर उस लड़की से कह दो कमरे से बहार ना निकले अपना मनहूस साया मेरी बच्ची पर ना डालें।

    अनंत अपनी दादी की बात सुनकर चला जाता है। बाकी सब भी काम करने में लग जाते हैं।

    तो चलों पहले में आप सब को चौहान परिवार का इन्ट्रो करा दु।

    आप सब घर की मुखिया शकुन्तला देवी से तो मिल ही लिए है। इन के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा पवन चौहान, छोटा बेटा पंकज चौहान

    पवन चौहान की पत्नी सुषमा चौहान था जो की अब इस दुनिया में नहीं है।इन की 12 साल पहले एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। पवन जी के  दो बच्चे हैं बड़ा बेटा अंगद चौहान, बेटी नव्या चौहान जिस की आज शादी है।

    पंकज चौहान की पत्नी का नाम सौम्या चौहान है  पवन जी के भी दो बच्चे थे । अनंत चौहान और धरा चौहान। जो कि हमारे कहानी की हिरोइन है। जिस के बारे में हम आगे जाने गये।

    अब चलते हैं कहानी की और। =.....

    राजवंश हवेली में।

    राजवंश परिवार के बड़े बेटे की शादी थी तो कोई कमी रहने की तो कोई बात ही नहीं थी।  चारों तरफ से जगमगा रहा था। नौकर चाकर कामों में लगे हुए थे। तभी एक नौकर फूलों की टोकरी लेकर गिर जाता है। तो एक आदमी उस उठाते हुए कहता है। अरे आराम से काम करों कोई जल्दी नहीं है। सब काम हो जाएगा । इतनी हड़बड़ी में क्यों काम कर रहे हो।

    उस आदमी की बात सुनकर वह नौकर कुछ नहीं कहता है और चला जाता है। उस के बाद वह आदमी सोफे पर बैठ जाता है। तभी वह पर एक हैंडसम नो ज़बान लड़का आता है। और उस आदमी से किसी छोटे बच्चे की तरह लिपट जाता है।

    वह लड़का के कहता है। ओं डैड मेने आप को बहुत मिस किया।

    वह आदमी उस लड़के के पेट पर मारते हुए कहता है ‌ । मिस के लिए किया में कहीं गया था। जो तु ऐसे बोल रहा है।

    वह लड़का बच्चो कि तरह मुंह बनाते हुए कहता है। हमम डैड आप एक घंटे के लिए तो बहार गये ही थे ना। तब भी मेने आप को बहुत मिस किया। में नहीं चाहता कि आप कहीं जाओ।

    वह आदमी अपना ना में सिर हिलाते हुए कहते हैं। तेरा कुछ नहीं हो सकता वेद। जा जाकर वायु को देख वह तैयार हुआ या नहीं। अभी थोड़ी देर में तेरी बुआ निशा आतीं ही होगी मंदिर से। वायु की टीका कराईं और सहरा बधाई की रस्म होगी। तो जा कर देख उसे कही आज के दिन भी वह नवाबजादे अपनी आफिस की मीटिंग में ही ना लगे हों। देख और तैयार होने को बोल।

    वंश वायु को देखने के लिए उस के रूम में चला जाता है।

    तो चलते हैं। राजवंश परिवार का भी इन्ट्रो करा दु।

    हर्षित राजवंश... ये राजवंश परिवार के हेड है । काफी सुलझे और शान्त सो भाव के है। पर सिर्फ और सिर्फ अपने घर बालों के लिए। वरना बहारी दुनिया में ये भी अपने बेटे से काम नहीं है हार्टलेस और कोल्ड ओरे वाले। इन के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा वायु राजवंश और छोटा बेटा वेद राजवंश।  इन की पत्नी जब वेद करीब एक साल का ही था तब इन्हें डाइवोर्स देकर चलीं गईं थीं। और अपने प्रेमी से शादी कर ली। और इस कहानी में हमें आगे पता चला रहें।

    निशा अभिराज खन्ना। ये हर्षित जी की बहन हैं। ज़ायद तर अपने भाई के घर ही रहतीं हैं। ये काफी चंचल और नटखट सो भाव की है। पर जब बात घर बालों पर आएं तो इन के गुस्से से कोई नहीं बच सकता है। तेरह से कहा जाए तो इन का गुस्सा इन के भाई और भतीजे वायु की तरह ही है। जब आता है तो आसानी से शान्त नहीं होता। 

    निशा जी के तीन बच्चे हैं। अक्ष और अक्षय दोनों जुड़वां हैं। और बेटी नूर है। अपने पति और बच्चों से बहुत प्यार करती है। और हम आगे कहानी में जाने गए।

    वेद राजवंश। दिखने में काफी हैंडसम ये 20 साल के है और राजवंश परिवार का सब से छोटा और बदमाश बेटा। हर्षित जी और वायु ने इसे बहुत प्यार से पाला था। कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। जिस वजह से अपने पापा और भाई का लाडला बेटे हैं वेद। पर गुस्सा तो इन का भी कम नहीं है। जब भी आएं तो अच्छे अच्छे को डरा दे अपने गुस्से से। अब भाई राजवंश परिवार का बेटा है खून का असर तो आएगा ही।

    तब चलते हैं। हमारी कहानी के हीरों वायु राजवंश के पास।

    वायु राजवंश ‌ . इंडिया के टॉप बिजनेस मैन में से एक। अपने ही दम पर राजवंश कॉर्पोरेशन को नंबर 1 पर लाने वाला वायु राजवंश। आज उस की कम्पनी इंडिया में ही नहीं देश विदेशों में भी नम्बर वन पर ही है। पुरी दुनिया को अपनी मुठ्ठी में रखने वाला वायु राजवंश जिसे सब एक हार्टलेस डेविल के नाम से जानते हैं। 

    इन की उम्र 25 साल है।  हाइट 6. 2  दिखने में ऐसा की हर किसी को अपने आगे फेल कर दें। सिक्स पैक एब्स मस्कुलर बॉडी। फेस पर हल्के हल्के ढाड़ी जो उस के गोरे रंग पर बहुत अच्छी लगती थी ‌ । माथे को ढकते हुए उस के काले और घने बाल। नीली आंखें जो की नीले मोती की तरह चमकती थी।  कुल मिलाकर वायु बहुत हैंडसम था। इतना की फिल्मो के हिरो को भी अपने आगे फेल कर दें।

    और अब आगे कहानी में जानेंगे। अभी चलते हैं कहानी की तरफ। ......

    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

    प्लीज अपनी कॉमेंट दे और मुझे जरूर बताएं कि आप को मेरे कहानी कैसी लग रही है। प्लीज 🙏🙏🙏

  • 2. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 2

    Words: 1533

    Estimated Reading Time: 10 min

    वेद अपने डैड की बात सुनकर वायु के रूम की तरफ चला जाता है।

    वायु का रूम।

    वायु अपने रूम में बैठा लेपटॉप पर काम कर रहा था। वह शायद अपनी कोई इम्पोर्टेंट मीटिंग अटेंड कर रहा था। उस ने केजुअल कपड़े पहन रखें थे। जिस में वह बहुत हैंडसम लग रहा था। बल्क टी शर्ट और बाइट ट्राउजर पहन रख का था वायु ने । 

    तभी वेद वायु के रूम में आता है ‌ । और वायु के पास जाकर खड़ा हो जाता है। वहीं वायु को पता था। इस घर में बस एक ही ऐसा सख्श है जो डोर बिना नॉक किये। आता है। वह लेपटॉप में ही अपनी नज़र गड़ाए वेद से अपनी सर्द आवाज में कहता है। बोलों किया काम है।

    वेद कहता है। बिंग ब्रो आप यहां काम कर रहे हो। और निचे डैड आप का वेट कर रहे हैं। आप जल्दी से तैयार हो कर निचे आ जाइए। बेबो डार्लिंग कुछ ही देर में मंदिर से आती ही होगी फिर आप की.... वेद फिर सोचने लगता है। हां अभी तो याद था। अबे यार और किया बोला था डैड ने।

    वायु वेद को सोचता हूं देख कर बोलता है। निचे जा और फिर से पुछ और एक घंटे बाद मुझे फिर बताना ‌ ठीक है अब तु जा।

    वेद से कह कर वायु फिर से अपने काम में लग जाता है। वेद वायु की बात सुनकर कहता है। हां आप सही बोल रहे हो मैं अभी डैड से पुछ कर एक घंटे बाद आता हूं। वेद जाने को हुआ अभी वह बस गेट तक ही पहोंचा था । कि उसे कुछ याद आता है ‌ । और वह वायु को गुस्से में घुरने लगता है फिर वायु के पास आ कर कहता है। यार भाई आप मुझे पागल बना रहे हो ‌। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ नहीं तो डैड खुद आ जाएंगे आप को बुलाने के लिए।

    वायु एक नजर वेद को देखता है। जो कि अपना मासुम सा चहरा बनाएं उसे ही देख रहा था। वायु गहरी सांस लेकर लेपटॉप बन्द करता है। और उठ कर तैयार होने के लिए चला जाता है। वेद वहीं बैठ कर वायु के आने का वेट करने लगता है।

    वही चौहान हवेली में।

    एक कमरे में एक लड़की खिड़की के पास बैठ अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी। जिसे लिखते वक्त उस लड़की की आंखों में आसूं थे। जो उस के गालों से हो कर निचे उस डायरी के पन्ने को भिगो रहा था।

    वह लड़की अपने आंसु साफ करते हुए फिर लिखती हैं।

    थक गये लब्ज़ बयां करते करते

    अब खामोश रहने लगीं हुं मैं ...............🫢🥺

    कोई सुनता नहीं मुझे अब ......

    खुद से खुद की बातें कहने लगी हुं मैं..............😔

    मालूम है मुझे भी हर कोई हर

    किसी के लिए जरूरी नहीं हो सकता है।....

    इस लिए सब के साथ हों कर भी

    आज सब से अकेली हुं मैं। ..........🥺🥺

    उस लड़की के ये लिखें हुए कुछ सब ही उस के दर्द को बया कर रहे थे। तभी उस लड़की के रूम का दरवाजा खुला। दरवाजा खुलने की आवाज से वह लड़की जल्दी से अपने आंसुओं को साफ करतीं हैं। और उठ  कर पिछे पलट कर देखतीं हैं तो। सामने उस का भाई अनंत खड़ा था।

    जिसे देख कर उस की आंखों में चमक आ जाती है। पर जल्द ही अनंत की बात सुनकर चली भी जाती है। और एक बार फिर से उस की आंखें नम हो जाती है।

    अनंत दरवाजा पर पड़ा होकर उस लड़की को एक बार देखता है फिर अपना चहरा फेरते हुए बेहद रूकें पना से कहता है। दादी मां ने तुम्हें रूम से बाहर निकलने के लिए मना किया है।आज छोटी (नव्या) की शादी हैं. तो घर का कोई भी नहीं चहाता कि तुम्हारा साया भी शादी पर पड़े। तो आपने कमरे में ही रहना।

    इतना कहकर अनंत चला जाता है। और वही उस लड़की की मासुम सी आंखों में आसूं आ जाते हैं। वह अपने छोटे छोटे कदमों से आगे बढ़ कर दरवाजा अंदर से बंद कर देती है। और अपने आंसु साफ कर के फिर से अपने डायरी में लिखने लगतीं हैं।

    तो चलों में आप सब को इस लड़की के बारे में बता दूं।

    ये लड़की और कोई नहीं हमारी हिरोइन है। धरा चौहान 16 साल की मासुम सी धरा... जो कि बोल नहीं सकती या शायद वह बोलती नहीं है। गोरा रंग उस पर उस की बड़ी बड़ी मोटी मोटी हरी आंखें जो हरे मोती की तरह चमकती थी उस की आंखें। गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ। उस के वह फूलें हुए गाल जिन्हें देख कर किसी का भी उन्हें खिंचने का मन करें। छोटी सी नाक। कमर तक आते उस के काले और घने बाल। कुल मिलाकर धरा किसी परी से कम नहीं थी। वह सुंदर और मासूम।

    धरा की दुनिया बस एक रूम तक ही थी। वह तो वैसे भी इस रूम से बाहर नही निकलती थी। क्योंकि जितनी बार भी वह रूम से बाहर निकलीं थी। उस वस अपने परिवार से तिरस्कार ही मिला। सब उसे कुछ ना कुछ सुना ही देते थे। इस लिए उस ने रूम से बाहर ही निकला बंद कर दिया था। वह अपने कमरे में ही रहती खाती पीतीं खेलना पढ़ना सोना मत सब कुछ उस का इस रूम ही था। वह बोलती तो थी नहीं इस लिए वह अपने मन की बातें डायरी में लिखती। उसे में ही अपने मन की जि भर कर लिख लेती।

    तो ये था हमारी धरा के बारे में और हम कहानी में धिरे धिरे जानें गये।

    शाम का वक्त था । .........

    राजवंश हवेली में।

    वायु रेडी हो कर निचे आता है। उस ने वाइट कलर की शेरवानी पहन रखी थी वाइट जुती। और गले में उस ने शेरवानी से मैचिंग वाइट और सिल्वर कलर की छोटे मोतियों वाली माला पहन रखी थी जिस हाथ में घड़ी और जेल से सेट बाल। कुल मिलाकर वायु बहुत हैंडसम और मस्त लगा रहा था।

    वायु निचे आता है। तो निचे सब रेडी हो कर बस उसी का वेट कर रहें थे। निशा जी वायु की बुआ उस का हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा थी है। एक नौकर अपने हाथों में पुजा की थाली लेकर आता है। और निशा जी को देता है। निशा जी थाली लेकर वायु का तिलक करती है। चावल लगातीं है। फिर वेद के हाथ में वायु का सहरा था। जो कि उस की शेरवानी की मेचिंग का था।

    निशा जी उस शहरे को लेकर वायु के पहला देती है। फिर वायु की बलाई लेते हुए कहतीं हैं। अहे किसी की नजर ना लगे मेरे वायु को कितना हैंडसम लग रहा है।  फिर कहतीं हैं। सच्ची बताऊं वायु तु अगर मेरा भांजा नही होता ना तो आज मैं ही तुझसे शादी कर लेती। कि टोप लग रहा है तु।

    वायु अपने बुआ की बात सुनकर अपनी सर्द आवाज में कहता है। बुआ जी आप नहीं सुधरेगी ना।

    निशा जी मुंह बनाते हुए कहती हैं। में तो नहीं सुधर रही। में ऐसे ही रहुंगी। तुझे क्यों चीड़ मच रही है। कम से कम तेरी तरह हर वक्त सडा सा मुंह तो ना बनाकर रखतीं में। देखो कैसे आज के दिन भी इस इन्सान के फैंस पर एक इस्माइल तक नहीं है। हममम सडु कही का। ...  और हां मुझे बुआ मत बोला कर कितनी बार कहा है मेने तुझे। कॉल मी बेबो। तुम चाहो तो बेबी भी बुला सकते हों।

    निशा जी की एक यही आदत थीं। या तो वह बोलती नहीं था हालांकि ऐसा बहुत कम हुआ है कि वह बोलें नहीं पर जब भी बोलतीं है चुप ही नहीं होती। अपने आप को आज भी 18 साल की मानतीं है। वेद वायु में से कोई भी बुआ जी कह दें तो बस उस पर चढ़ ने तैयार रहतीं हैं। कभी कभी तो घर के नौकर भी निशा जी को चिढ़ाने के लिए बुआ जी बो देते है ‌ । तो उन के साथ भी यही होता है। घर के बर्तन ना घर से बाहर हो जाएं। 

    हर्षित जी उठ कर चलने को बोलते हैं। सब बरात लेकर चौहान हवेली के लिए निकल जाते हैं।

    वहीं चौहान हवेली में। .......

    नव्या अपने कमरे में बैठी अपने नेल्स करवा रही थी। आज तो उस के चहरे पर से मुस्कुरा जाने का नाम ही नहीं लें रही थी। वायु राजवंश से जो शादी हो रही थी उस की। हर किसी लड़की के सपनों का राजकुमार था वायु तों फिर नव्या कह से पिछे रह जाती।

    वह तो ना जाने कितने सालों से इंतजार कर रही थी इस दिन का। और आज वह दिन पुरा होने जा रहा था।

    नव्या कहतीं हैं। मुझे जल्दी जल्दी रेडी कर दो बरात आतीं ही होगी। में नहीं चहाती की मेरे वायु बेबी को मेरा जरा सा भी इंतजार करना पड़े । और हां मुझे ऐसे रेडी करना की मेरा वायु बेबी बस मुझे देखता ही रहा जाएं। उस की नज़र मेरे से हटे ही नहीं।

    मेकअप आर्टिस्ट नव्या को रेडी करने लगतीं हैं। .......

    Tu be continued 🙏🙏🙏🙏🙏

    आगर स्टोरी पसंद आ रही हों तो प्लीज़ मुझे रेटिंग और समीक्षाएं दें। ताकि मेरी स्टोरी चल सके। नहीं तो यह मुझे मंजूरी  में बंद करनी पड़ेगी। और मैं नहीं चहाती की मेरी स्टोरी बंद हो। मेने बहुत कुछ सोच रखा है आपनी स्टोरी के बारे में। प्लीज आप सब मेरा साथ दे दीजिए। प्लीज 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 3. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 3

    Words: 1306

    Estimated Reading Time: 8 min

    बारात चौहान हवेली के बाहर आ गयी थी। दोनों बुआ भतीजे और उस के तिनों बच्चे डांस कर रहे थे। ठुमके लगा रहे थे। वेद बार बार वायु के पास जाता। और पतंग उड़ानें वाला स्टेप करने लगता है। उस का डांस देख कर तो वायु और हर्षित जी दोनों ही हैरान थे। हर्षित जी आगे बड़े कर अपने बहन से कहते है। निशा ये वेद ने ऐसा डांस करना कहा से सिख लिया। ये गांव का देहाती डांस।

    निशा जी कहती हैं। पिछले महीने ही अपने दोस्तों के साथ गांव की शादी में गया था। वहीं से ऐसा डांस सिख कर आया है। वेदु।  मुझे भी सिखा था इस ने ये डांस। दिखाऊं आपको।

    निशा जी खुश होकर अपने भाई को देखतीं हैं। और बच्चों की तरह अपनी आंखें टिमटिमाती है। फिर भांग कर वेद और नूर अक्ष अक्षय जहां डांस कर रहें थे। वह चली जाती है। और वेद के साथ पतंग उड़ानें लगती है। दोनों बुआ भतीजे डांस करते हुए इतने पागल हो गये कि आस पास के सब डांस करते हुए रूक गये और उन दोनों से दुर जाकर खड़े हो गये।

    और सब हैरानी से उन्हें ही देखने लगें। हर्षित जी अपने सिर को पिटते हुए कहते हैं। आज ये दोनों बुआ भतीजे मेरी इज्जत का फालूदा कर रहे ही गये।

    सब वेद और निशा जी दोनों नागिन डांस कर रहें थे। वेद निचे फ्रस पर लेट कर नागिन बन रहा था और निशा जी अपने लहंगे के दुपट्टे को बीन बना कर सपेरा बन रही थी। दोनों फूल कॉमेडी कर रहें थे। दोनों का ताबड़तोड़ डांस चल रहा था। 🤣🤣🤣

    निशा जी के हसबैंड अभिराज जी हर्षित जी से कहते हैं। हर्ष भाई इन दोनों को रोको बना पता चला इन के डांस देख कर सब बरसाती भांग गये और हमे अकेले ही जाना पड़े।

    हर्षित जी जल्दी से वेद और निशा जी को रोकते हैं। और वेद को पकड़ कर कहते हैं। बस बस बेटा। बस कर कितना नाचेगा बेटा कुछ डांस अपने और भाइयों की शादी के लिए भी बचा लें।

    वहीं अभिराज जी निशा को पड़ते हुए कहते हैं। बस भी करो निशु अभी एक भतीजा और रह रहा है उस की शादी में डांस कर लेना आज ही करोगी।

    निशा जी अपना मासुम सा चहरा बनाते हुए कहती हैं। राज बेबी किया आप को मेरा डांस अच्छा नहीं लगा। जो आप मुझे रोक रहें हैं।

    अभिराज जी कहते हैं। नहीं निशु डार्लिंग तुम तो इतना अच्छा डांस कर रही थी कि देखो सब बराती भी तुम्हारा डांस देख कर भाग गए।

    निशा जी कहती हैं। ये तुम मेरी तारीफ़ कर रहें हों यहा फिर बेइज्जती कर रहें हों।

    अभिराज जी कहते हैं। अब जो तुम समझो निशु।...

    निशा जी अभिराज जी को कुछ कहतीं इतने में ही सब को शकुन्तला देवी की आवाज आती है। जो कि दरवाजे पर खड़ी हों कर अपने बेटा बहूं और दोनों पोतों के साथ बारात के स्वागत के लिए खड़ी थी।

    सब अपना हुलिया ठीक करते हुए चलते हैं। वायु कार से उत्तरा है। उस का चहरा इस वक्त भी बिना किसी भाव के था। उस के फैंस पर ना तो शादी की खुशी थी और ना दुःख। बिना भाव का चहरा निए वह कार से उत्तरा है। और एरोगेंट अंदाज में चलते हुए चौहान हवेली की चोखट पर खड़ा हो जाता है। 

    सौम्या जी आगे बढ़कर कर वायु का तिलक करती है। फिर उसे अंदर आने को बोलतीं है। वायु अंदर आ कर मंड़प की तरफ बढ़ जाता है।

    चौहान परिवार के किसी ने भी वायु से बोलने की हिम्मत नहीं कि थी। उस का ओरा ही ऐसा था कि सब उस से बोलने में डरते थे।

    वायु मंडप में बैठ जाता है। और पंडित जी मंत्र पड़ने लगते हैं। कुछ देर बाद पंडित जी कहते हैं। यजमान कन्या को बुलाइए।

    शकुन्तला देवी सौम्या जी से कहतीं हैं। छोटी बहू जाओ नव्या को लेकर आओ।

    सौम्या जी नव्या को लेने चली जाती है।

    10,,15 मिनट से भी ज्यादा हों गया पर अभी तक सौम्या जी नव्या को लेकर निचे नहीं आईं थी। पंडित जी दोबारा से कहते हैं। मुहुर्त का समय निकला जा रहा है। कन्या को बुलाइए।

    शकुन्तला जी पंडित को कुछ मिनट और रूकने को बोलतीं है। और अंगद को देख कर आने को बोलतीं है।

    अंगद अभी बस सीढियां चढा ही था कि सौम्या जी नव्या को लेकर आती हूं दिखी। तो वह निचे वही सीढ़ियों के पास ही खड़ा हो गया। वहीं सौम्या जी के चहरे पर परेशान थी पर वह जल ही उसे चुपा लेती है।

    अंगद नव्या के चहरे पर घुंघट देख कर कहता है। नव्यू ये तुने अपने चहरे पर इतना लम्बा घूंघट क्यों कर रह खा है।

    नव्या के बोलने से पहले सौम्या जी कहती हैं। अरे बेटा हमारी नव्या चहाती है कि उस का चहरा सब से पहले उस का पति है देख। और शादी के बाद उस का चहरा देखें सब।

    अंगद आगे कुछ नहीं कहता है। और नव्या का हाथ पकड़ कर उसे मंड़प की तरफ लेकर जानें लगता है। अंगद कहता है। किया हुआ नव्यू तु इतनी कांप क्यों रही है। डर मत तेरा भाई है तेरे साथ।

    नव्या अंगद के हाथ को कस कर पकड़ लेती है। अचानक ही अंगद के हाथ पर कुछ गीला सा लगता है। वह देखता है। तो उस के हाथ पर आंसु की बुंद थी। वह रूक कर नव्या को अपने सीने से लगा लेता है। उसे लगता है कि उस की बहन उन सब को छोड़ कर जाने से रो रही थी। अंगद के आंखों में आसूं आ जाते हैं। वह नव्या के सिर को सहलाते हुए कहता है। अऐ पगली क्यों रो रही है। मेरी नव्यू तों बहुत स्ट्रोंग है। फिर आज क्यों वह इतनी कमजोर पड रही है। रो मत मेरी बहन तेरी शादी हो रही है। जब तेरा मन करे तब हम सब से मिलने के लिए आ जाना।

    नव्या अंगद के सिने से लगाने पर उसे कस कर पकड़ लेती है। उस की आंखों से बहते आंसु अंगद के कुर्ते को भिगो रहें थे। अंगद को बड़ा अजीब भी लग रहा था। नव्या को गले लगाने पर और साथ ही उस का रोना भी उसे काफी अजीब सा फील करा रहा था। पर वह सब को इग्नोर कर के। नव्या को लेकर मंड़प में बैठा देता है।

    वायु को किसी से कोई मतलब नहीं था वह बस एक टक मंडप में जल रही अग्नी को देख रहा था।

    अचानक उस के दिल की धड़कन बढ़ गई। और उस का मन बैचेन हो गया। वह चारों तरफ अपनी नजरें कर के देखने लगा।

    पंडित जी मंत्र पड़ने लगते हैं। कुछ देर बाद पंडित जी दोनों को फेरों को लिए उठाते हैं। दोनों फेरों के लिए खड़े होते हैं। और नव्या अपना लहंगा संभाल कर चल रही थी उसे वह संभल नहीं रहा था।

    फेरे हो जाने के बाद दोनों अपनी अपनी जगह पर बैठते हैं। पंडित जी वायु से नव्या के गले में मंगलसूत्र पहने को कहते हैं। वायु मंगलसूत्र नव्या के गले में पहनाता है। वह जब वह मंगलसूत्र पहनाते वक्त नव्या की तरफ झुकता है तो उस की धड़कनें तेज होने लगती है। नव्या की गर्दन को छुते ही उसे ऐसे लगता है। जिसे उस का हाथ किसी सोफ्ट कॉटन पर गया हों।

    मंगलसूत्र पहनाने के बाद पंडित जी कहते हैं। अब कन्या की मांग में सिंदूर भरिए।

    वायु सिंदुर उठा कर नव्या की मांग भरने को होता है कि तभी अचानक एक आवाज से सब रूक जाता है।

    रूको ये शादी नहीं हो सकती।

    सब लोग उस आवाज की दिशा में देखते हैं। तो सब हैरानी से मुंह खोलें रह जातें हैं। सब के मुंह से बस एक ही शब्द निकलता है। नव्या,,,,,,

    वहीं वायु का हाथ जहां था वही रूक जाता है। और वह भी उधर देखता है तो उस की आंखें छोटी हो जाती है। ।।।।

    Tu be continued 🙏🙏🙏🙏

    चैप्टर अच्छा लगा हो तो कॉमेंट और रेटिंग रेटिंग जरूर दें। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • 4. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 4

    Words: 1105

    Estimated Reading Time: 7 min

    रूको ये शादी नहीं हो सकती।


    सब लोग उस आवाज की दिशा में देखते हैं। तो सब हैरानी से मुंह खोलें रह जातें हैं। सब के मुंह से बस एक ही शब्द निकलता है। नव्या,,,,,,




    वहीं वायु का हाथ जहां था वही रूक जाता है। और वह भी उधर देखता है तो उस की आंखें छोटी हो जाती है। ।।।।


    अब आगे। ......


    सब लोग दरवाजे पर नव्या को देख कर हैरान हो जातें हैं। वह हैरानी से उसे ही देख रहें थे।

    तभी शकुन्तला देवी आगे बढ़कर कर वायु के साथ मंडप में बैठीं लड़की का घूंघट एक ही झटके में उठा देती है। तो सब एक बार फिर से हैरान रहा जाते हैं।


    और चौहान परिवार गुस्से से देखने लगता है। पवन जी गुस्से में कहते हैं। धरा तुम मेरी बेटी की जगह किया कर रही हों।

    जी हां वायु के साथ मंडप में धरा ही बैठी थी। जो कि डरी सहमी सी बैठी थी। और अपनी आंखों में आसूं लिए बस निचे देख रही थी ‌ । उस ने अभी तक भी अपना सिर उठा कर नहीं देखा था। वह बस निचे सिर किए हुए सुबक रही थी ।

    वहीं वायु जो कि बस एक टक धरा को ही देख रहा था। हालांकि वायु धरा का पुरा चहरा नहीं देख पा रहा था  क्योंकि उस ने चहरा निचे कर रखा था। पर हां उस का एक साइड का थोड़ा सा ही फेस देख रहा था। जिसे देख कर ही वायु का दिल जोरों से सोर करने लगा था। उस का मन कर रहा था धरा का पुरा चहरा देखने का।


    वहीं चौहान परिवार गुस्से से पागल होए जा रहा था। धरा को मंडप में वायु के साथ बैठा देख कर। शकुन्तला देवी ने गुस्से में धरा का हाथ पकड़ और उसे मंड़प से उठा कर खिंचते हुए होल में लें कर आ गई।

    और वह बिना सोचे समझे एक जोरदार थप्पड़ धरा के गाल पर जड़ देती है। जिसे धरा संभल नहीं पाई और निचे गिर जातीं हैं।


    सब की गेस्ट और राजवंश परिवार की आंखें हैरानी से बड़ी हों जाती है। पर चौहान परिवार को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पडा था।  बस सौम्या जी ही एक ऐसी थी जिन की आंखें नम हो गई थी अपने बच्ची के ऐसे देख कर। वह जल्दी से आगे बढ़ कर उसे उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है तो पंकज जी कहते हैं। सौम्या अगर तुम ने इस लड़की को हाथ भी लगाया ना तो हम सब का मरा हुआ मुंह देखोगी तुम।

    पंकज जी कि इतनी बड़ी बात सुनकर सौम्या जी के हाथ वहीं रूक जाते हैं। और वह अपने पति पंकज जी को देखते हुए कहती हैं। ये कैसी बात कर रहे हैं आप वह हमारी बेटी है।

    शकुन्तला देवी कहती हैं। कुछ नहीं लगती ये लड़की हमारी। आज जो इस ने किया है ना उसे तो ये अब हम सब के लिए मर गई।


    धरा अपने गाल पर हाथ रख कर लहंगे को संभालते हुए खड़ी होती है। तभी नव्या भाग कर आती है और अपने पापा पवन जी के गले लगते हुए रोने लगती है। कहतीं। पापा इस लड़की ने मेरे वायु को मुझसे छीन लिया। मेरी शादी होती ना वायु से। और देखो इस ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।

    अपनी बेटी को रोता हुआ देख कर पवन जी को बहुत गुस्सा आता है। वह अपनी जलती हुई निगाहों से धरा को देखते हैं। तभी एक बार फिर से उस साथ माहौल में थप्पड़ की आवाज गुंज उठतीं है।


    अंगद जब नव्या को ऐसे रोता हुआ देखता है। तो वह आगे बढ़ कर धरा को थप्पड़ मार देता है। और इस बार धरा निचे गिरतीं वायु उसे पकड़ लेता है। और धरा को देखने लगता है।

    उस का वह मासुम सा चहरा आंसुओं से भरी हुई आंखें। जो कि लाल सुर्ख हो गई थी। उस के लाल गाल जो की रोने और कुछ थप्पड़ पड़ने की वजह से लाल हो गए थे। उस के गुलाबी होंठ जो कि रोने की वज़ह से फड़फड़ा रहें थे। वायु तो बस धरा के चहरे में ही खो क्या था। तभी उस की नजर धरा के गाल पर पड़ी जिस पर थप्पड मारने कि वजह से उंगलियों के निशान पड़ गए थे।

    वायु की आंखें गुस्से से लाल हो गयी थी। वह धरा को सिंधे खड़ा करता है। और अंगद की तरफ देखता है। जो की धरा को गुस्से में देख रहा था उस ने अभी तक वायु को नहीं देखा था।


    वहीं धरा सब को अपनी तरफ इतनी नफ़रत और गुस्से से देखता पा कर वायु के पिछे छुप जातीं हैं। और उस की शेरवानी को अपनी छोटी छोटी मुठ्ठी में भर लेती है।

    वायु जैसे हट्टे कट्टे इशान के पिछे छिपीं धरा बच्ची जैसी लग रही थी।

    अंगद आगे बढ़ कर धरा को हाथ लगाने ही जा रहा था कि तभी उस पुरे माहौल में वायु की खतरनाक आवाज गुंज उठी


    ख़बर दार अगर उसे हाथ लगाया तो तुम सब के लिए अच्छा नहीं होगा।

    वायु की सर्द आवाज सुनकर एक पल के लिए तो धरा भी डर गयी थी। और डर से वायु पर ही अपनी पकड़ मजबूत कर देती है।


    जिसे वायु भी महसूस कर रहा था। तभी नव्या उस के सामने आतीं हैं और कहतीं हैं। वायु बेबी मुझे से तुम्हारी शादी होनी थी। में हुं तुम्हारी बीवी।


    वायु एक नजर नव्या को ऊपर से निचे तक देखता है। जिसे ने शॉर्ट ड्रेस पहन रखी थी। वायु नव्या से नज़र फेर लेता है। और कहता है। मेरी शादी हो चुकी है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरी शादी किसे हुईं हैं।


    शकुन्तला देवी गुस्से में कहतीं हैं। पर हमें फर्क पड़ता है। क्यों बात हमारी बेटी की है। हम इस शादी को नहीं मानते हैं। आप कि शादी दोबारा होंगी। हमारी बेटी नव्या से।



    वायु शकुन्तला देवी की ऊंची आवाज सुनकर अपने आंखें छोटी कर उन्हें देखने लगता है। और कहता है ‌ । आवाज निचे कर के बात करों मुझे से। वायु राजवंश को ये बात हरगिज बर्दाश्त नहीं है । कि कोई उस के सामने ऊंची आवाज में बात करें। 


    वायु के सर्द और कठोर आवाज सुनकर एक पल के लिए तो शकुन्तला देवी भी डर जातीं हैं।


    तभी वह पर हर्षित जी आते हैं और कहते हैं। जरा आप हमें समझाएंगी शकुन्तला जी कि यहां क्या हों रहा है। ये लड़की कोन है और मंडप में वायु के साथ कैसे आई। और उस वक्त आप की बेटी नव्या कहा थी जरा हमें बताएंगी आप।





    Tu be continued 🙏🙏🙏

    स्टोरी पसंद आई हो तो प्लीज़ कॉमेंट और रेटिंग जरूर करें। और मुझे follow करे। please please comment and rating jrur de..

    and follow my WhatsApp channel..
    world's off' aashiqana ❣️ 🌍 🌸 ✍️

    https://chat.whatsapp.com/L2Xs7ktKB9rHf7zHg0QQmz

  • 5. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 5

    Words: 1323

    Estimated Reading Time: 8 min

    वायु के सर्द और कठोर आवाज सुनकर एक पल के लिए तो शकुन्तला देवी भी डर जातीं हैं।

    तभी वह पर हर्षित जी आते हैं और कहते हैं। जरा आप हमें समझाएंगी शकुन्तला जी कि यहां क्या हों रहा है। ये लड़की कोन है और मंडप में वायु के साथ कैसे आई। और उस वक्त आप की बेटी नव्या कहा थी जरा हमें बताएंगी आप।

    अब आगे। .......

    हर्षित जी कि कठोर और गंभीर आवाज सुनकर शकुन्तला देवी जी शान्त पड़ जाती है। और अंगद को भी शान्त रहने का इशारा  करतीं हैं।

    वहीं नव्या का चहरा डर से पिला पड़ा जाता है। हर्षित जी की ये बात सुनकर कि नव्या उस वक्त कहा था।  । उस के माथे पर पसीना आने लगता है।

    पर वह जल्दी ही अपनी घबराहट को छुपा लेती है। पर कोई था जिस की नजर नव्या के पिले और घबराते हुए चहरे पर थी। और वह कोई और नहीं वायु था। जिस की नजर नव्या पर बहुत देर से था। वह नव्या के चहरे के आते जाते भावो को पढ़ने की कोशिश कर रहा था।

    शकुन्तला देवी नव्या के पास आ कर बहुत प्यार से कहतीं हैं। बेटा हमें बता बात किया है। ये सब कैसे हुआ। तुम कहां थी उस वक्त।

    नव्या शकुन्तला देवी की बातों से घबरहा जातीं हैं। वह सब को देखतीं हैं। जिन की नजर उस पर ही ठीक थी।

    नव्या अपने माथे पर आए पसीने को साफ करतीं हैं। और कहतीं हैं। वो वो मैं.....

    पवन जी आगे आकर नव्या के सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं। बच्चा डरों मत जो भी बात है हमें साफ़ साफ़ बातों। ताकि में इस लड़की को अच्छे से सबक सिखा सकूं हम सब की खुशियों को तो खा गयी। हम में अपनी बेटी की खुशियां इसे छिने नहीं दुगा। तु बता बेटा में तेरे साथ हुं।

    ( पवन जी बात तो ऐसे कर रहें थे जैसे उन की बेटी के साथ धरा ने कितना बुरा किया है। और अब वह सब को धरा के डर से बता नहीं रही है। 😏😏हमम पता नहीं है ना अपनी बेटी की सच्चाई वह अपने कांड को अपने ही मुंह से कैसे बताएं। चुड़ैल कही की.....😏😏😠😠 )

    पवन जी गुस्से में धरा को देखते हुए कहते हैं। जिसे धरा डर जातीं हैं। और वायु के पिछे छुप जाती है। वायु की पिट में अपना चहरा छुपा लेने की कोशिश करने लगतीं हैं। जिसे वायु बहुत अच्छे से महसूस कर रहा था। पर अभी उस ने कुछ कहा नहीं वह सिचुएशन को समझने की कोशिश कर रहा था।

    वायु वेद से अपना फोन मांगता है। वेद जल्दी से अपनी जेब से उस का फोन निकल कर देता है। वायु किसी के पास मैसेज करता है।

    वहीं सब की नज़र नव्या पर ही वह हिम्मत कर के कहती हैं। डैड... डैड में बस कुछ देर के लिए अपनी फ्रेंड के पास गयी थी। किसी जरूरी काम से। आ ही रही थी रास्ते में ट्राफिक मिल गया तो देर हों गयी।  मुझे नहीं पता कि धरा यहा कैसे आई।

    तभी सौम्या जी कहती हैं। कैसी बात कर रहो हो  । तुम ही तो धरा को अपने कमर में छोड़ कर गयी थी।

    शकुन्तला देवी सौम्या जी से गुस्से में कहतीं हैं। तुम्हारे कहने का किया मतलब है कि हमारी बेटी खुद उस लड़की को शादी करने के लिए बोल कर गयी थी । 

    सौम्या जी कहती हैं। नहीं मां हम तो बस इतना बोल रहे हैं। कि जब हम नव्या के कमरे में गये थे तब धरा लहंगे पहने खड़ी थी। मेने धरा से पुछा कि ये सब कया है उस ने नव्या का दुल्हन का लहंगा क्यों पहना है। तो उस ने मुझे बताया कि नव्या उसे लहंगा पहना कर बाहर चलीं गईं। और बोल कर गयी है कि वह शादी से जल्दी आ जाएगी। में........

    सौम्या जी कि बात को बिच में ही काटते शकुन्तला देवी गुस्से में कहतीं हैं। बस बहूं बहुत बोल लिया तुम ने और बहुत सुन लिया हम ने। मुझे मेरे बच्ची पर पुरा विश्वास है जरूर इस लड़की ने कुछ क्या होगा। और चलों मान भी लिया कि मेरी नव्यू बाहर अपनी दोस्त से मिलने गयी थी। तो इस लड़की को क्या जरूरत थी। मंडप में आने कि।

    इतना कहकर शकुन्तला देवी गुस्से में धरा की तरफ बढ़ने को होती है तो धरा डर से वायु कि पिट से छुपा जाती है। और रोते हुए अपनी गर्दन ना में हिलाने लगती है।

    वायु पिछे पटल पर धरा को देखता है। धरा अपनी नजरें उठा कर वायु की आंखों में देखतीं हैं। और ना में गर्दन हिलाने लगती है। वह बोलने के लिए अपने होंठ को खोल रही थी। पर बोल नहीं पा रही थी। वायु की नज़र धरा के चहरे से होते हुए उस के कांपते हुए होंठों पर चलीं जाती है। वह धरा के चहरे को बारीकी से देखने लगता है।

    तभी वायु फोन पर नोटिफिकेशन आतीं हैं। तो वह अपनी नज़र धरा से हटा कर फोन देखता है। तो उस कि आंखें छोटी हो जाती है। वह बहुत देर तक फोन को देखता है। फिर अपने डैड की तरफ देख कर कहता है। अब हमें चलना चाहिए डैड। ये इन के घर का मैटर है । शादी करनी थी जो हों गयी है।

    हर्षित जी कहते हैं। पर वायु तुम्हारी शादी नव्या के साथ होनी थी। हमें तो ये भी नहीं पता कि ये लड़की कोन है। तो फिर हम पुरी बात जाने यहां से कैसे जा सकतें हैं।

    वायु कहता है। डैड आप घर चलिए। हम घर चल कर बात करते हैं। और यही इस लड़की की बात कि ये कोन है तो आप बस इतना जान लीजिए कि ये लड़की भी इस घर कि सब से छोटी लड़की है। अब चलिए।

    इतना कहकर वायु बाहर जाने को होता है कि नव्या उस का हाथ पकड़ लेती है ‌ और रोते हुए कहती हैं। वायु ये तुम क्या बोल रहे हो। तुम्हारी शादी तो मुझसे होनी है ना फिर तुम बिना शादी किए क्यों जा रहे हों। चलों पहले हम शादी कर लेते हैं। फिर साथ में घर चलेंगे।

    वायु नव्या के हाथ को बहुत गुस्से में देखता है। वह नव्या के हाथ को गुस्से में झटक देता है। और कहता है। शाय़द तुम ने सुना नहीं मेने अभी क्या कहा था। मेरी शादी जिसे होनी थी हों गयी। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मेरी बीवी कोन है। और मैं तुम जैसी लड़की को अपने सामने देखना पसंद भी नहीं करता। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की। लास्ट में वायु गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है। जिसे नव्या डर कर दो क़दम पिछे हो जाती है। तो वहीं धरा भी डर से कांपने लगती है। उस की पकड अपने लहंगे पर कस जाती है।

    वायु एक नजर गुस्से में सब को देखता है। और फिर चिल्लाते हुए कहता है। बहुत जल्द बहुत जल्द तुम सब को हिसाब चुकाना पड़ेगा। ये वायु राजवंश क्या चीज़ है तुम सब को में बहुत जल्द बताऊंगा।

    बोल कर वह धरा का हाथ पकड़ता है ‌ । और बाहर जाने लगता है। वहीं चौहान परिवार चुप चाप खड़ा था। वायु की दी गई धमकी सुनकर वह सब सोच में पड़ गये थे कि उन्हें क्या किया है जो वायु धमकी देकर गया है।

    वायु का गुस्सा देख कर तो हर्षित जी भी सोच में पड़ गए थे कि बात क्या है जो वह इतने गुस्से में है।

    हर्षित जी भी अपनी परिवार के साथ बाहर जाते हैं। और राजवंश हवेली के लिए निकल जाते हैं।

    वहीं वायु धरा का हाथ पकड़ कर उसे चौहान हवेली से बाहर लेकर आता है । तभी धरा रूक जाती है। और वायु शेरवानी को खिंचने लगतीं हैं। वायु गुस्से में धरा की तरफ पलटता है।

    और गुस्से में कहता है। क्या है। ...

    धरा वायु की गुस्से भरी आवाज सुनकर डर से कांप जाती है। और नम आंखों से उसे देखने लगतीं हैं।

    Tu be continued 🙏🙏🙏🙏🙏

    अगर आप सब को मेरी कहानी पसंद आ रही है तो प्लीज़ follow करें। और प्लीज comment and rating krne ne भुले।

  • 6. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 6

    Words: 1630

    Estimated Reading Time: 10 min

    वहीं वायु धरा का हाथ पकड़ कर उसे चौहान हवेली से बाहर लेकर आता है । तभी धरा रूक जाती है। और वायु शेरवानी को खिंचने लगतीं हैं। वायु गुस्से में धरा की तरफ पलटता है।


    और गुस्से में कहता है। क्या है। ...

    धरा वायु की गुस्से भरी आवाज सुनकर डर से कांप जाती है। और नम आंखों से उसे देखने लगतीं हैं।


    अब आगे।.....


    वायु जब धरा को खुद से डरता हुआ देखता है। तो पता नहीं क्यूं पर उसे अच्छा नहीं लगता। धरा का ख़ुद से इस तरह डरता देख कर।

    वह अपने गुस्से को शांत करने के लिए अपनी आंखें बंद कर गहरी सांस लेता है। फिर अपनी आंखें खोल कर अपने आवाज को थोड़ी नोर्मल करते हुए कहता है। कुछ कहना है तुम्हें।

    धरा वायु की बात सुनकर हां मैं सिर हिला देती है। वह बिल्कुल मासुम सी गुड़िया लग रही थी। अपने सिर को हिलाते हुए। बहुत क्यूट एक पल को तो वायु उसे देखता ही रहा गया था।


    इस बार वायु बहुत प्यार से कहता है। बोले बच्चा क्या कहना है।

    धरा अपने निचले होंठ को दांतों तले दबा कर वायु को देखतीं हैं। फिर अपने सिर को चौहान हवेली की तरफ करती है।

    और फिर से वायु को देखतीं हैं। वायु अपनी आंखें छोटी कर लेता है। और कहता है। तुम कहना किया चाहती हों। मुंह में ज़ुबान नहीं है किया जो कुछ कह नहीं रही हो ।

    इस बार वायु की आवाज में झुंझलाहट थी। धरा कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलतीं तो है वह कह नहीं पा रही थी।


    वायु कहां है। जल्दी बोलो मेरे पास टाइम नहीं है।

    धरा डर कर नम आंखों से वायु को देखतीं हैं। फिर उस का हाथ पकड़ कर अंदर चौहान हवेली की तरफ लेकर जानें लगती है।

    वायु अपनी जगह से हिला तक नहीं। धरा बस उस के हाथ को खिंचने में लगी थी। वायु कहता है। अब तुम मुझे अंदर क्यों लेकर जाना चाहतीं हों क्या तुम मेरे साथ नहीं जाना चाहतीं।

    धरा वायु को अंदर चलने का इशारा करतीं हैं । वायु कहता है। कुछ चाहिए तुम्हें।

    धरा हां मैं सिर हिलातीं है। वायु ठीक है तो घर पर ले लेना में नया दिला दुगा।

    धरा ना में सिर हिलातीं है। वायु को फिर से खींचने लगती है। इस वक्त सच्ची मे धरा वायु के हाथ को खींचते हुए बहुत क्यूट और मासूम बच्ची लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे जब हम अपने पापा या फिर किसी से भी कुछ चीज लेने की ज़िद करते हैं। और फिर उन के हाथ को पकड़ कर उधर लेकर जानें को कहते हैं। बिल्कुल वैसा ही था। ये सीन भी। वायु को धरा इस वक्त क्यूट सी बच्ची लग रही थी।

    वायु जब देखता है। धरा बहुत देर से उसे खिंचने में लगी है। तो वह लास्ट में कहता है। ठीक है चलता हूं। जो भी लेना है जल्दी लेना और फिर घर चलना चुप चाप मुझे और कोई ड्रामा नहीं चाहिए ओके।


    धरा जल्दी जल्दी हां मैं सिर हिलातीं है। वायु धरा को अंदर लेकर जाता है। धरा जैसे ही हवेली में क़दम रखती है। तो शकुन्तला देवी गुस्से में कहतीं हैं। अब क्यों आईं हैं मनहूस और क्या करना चाहतीं हैं। कोई कसर और बाकी रह गयी है क्या। जब से पेदा हुईं हैं। हम सब कि जिंदगी में कुछ ना कुछ बुरा ही हुआ है। पता नहीं कब मरेगी ये..=..

    वायु जो कि धरा के पिछे ही था। शकुन्तला देवी की कड़वी बातें सुनकर कर उस का गुस्सा फिर से बड जाता है। वह गुस्से में कहता है। बस अब एक शब्द और नहीं।


    वायु को देख कर शकुन्तला देवी शान्त पड़ जाती है। और धरा को गुस्से में घुरने लगती है। वह नव्या जो कि पवन जी के सीने से लगी हुई थी। वह अपने मगरमच्छ के आंसुओं को लातें हुएं वायु के पास जाने को होती है। तो वायु उसे हाथ दिखा देता है। नव्या वहीं रुक जातीं हैं।

    वायु धरा को कहता है। जल्दी जाओ जो भी लेना है जल्दी लाओ।

    धरा वायु कि बात सुनकर जल्दी से जाने लगती है करीब 5 मिनट बाद ही धरा अपने रूम में से आती है। और एक नजर अपने परिवार को देख कर दर्द भरी मुस्कान अपने होंठों पर लाकर देखतीं हैं। उस की वह मुस्कान देख कर पता नहीं क्यूं पर वायु को अपने सीने में टीस सी महसूस होती है। पर वह उसे इग्नोर कर देता है।



    धरा नम आंखों से अपने परिवार को देखतीं हैं। उस की नजर अपनी मां सौम्या जी पर आ कर रूक जाती है। जो की अपनी आंखों में आसूं के साथ साथ बेबसी लिए उन्हे ही देख रही ।

    धरा वायु के साथ जाने लगती है। वह बार बार मुड़ कर अपनी मां को देख रही थी। सौम्या जी धरा को ऐसे देखने पर आगे बढ़कर उस के पास जाने को होती है। कि पंकज जी उन का हाथ पकड़ लेते हैं। सौम्या जी बेबसी से खड़ी हो जाती है।

    वहीं वायु बहुत देर से सब नोटिस कर रहा था। जैसे हर चीज को जोड़ने की कोशिश कर रहा हों। वह धरा का हाथ पकड़ कर उसे चौहान हवेली से बाहर लेकर आता है। और धरा को कार में बैठा कर खुद भी उस के पास बैठ जाता है। ड्राइवर को चलने को कहता है।


    वायु धरा की तरफ देखता है। तो बस धरा के हाथ में डायरी थी। जिसे वह अपने सिने से लगाएं बैठीं थीं। वायु अपने मन में कहता है। क्या ये बस एक डायरी के लिए मुझे वापस लेकर जायी थी। ऐसा किया है। इस डायरी में जो ये दोबारा उन लोगों की बातें सुनें के लिए अंदर गयी थी।


    फिर वह धरा को बहुत गोर से देखता है। और कहता है। अपने मन में..... क्या ये सच में इतनी मासूम है या फिर मेरे सामने ही मासुम बन रही हैं। और ये कहतीं कुछ क्यों नहीं है। क्या ये बोल नहीं सच्ची। और इस कि फैमिली इस के लिए एसी क्यों है। आखिर बात क्या है पता करना पड़ेगा। वायु तुझे।

    यही सब सोचते सोचते ही वायु की कार राजवंश हवेली पहोंच जातीं हैं। वह ड्राइवर के कहने पर अपने होश में आता है। वह कार से उतर कर धरा कि साईड आता है। कार का डोर ओपन करता है ‌ धरा को बाहर आने को कहता है।


    धरा बाहर आती है। और राजवंश हवेली को देखने लगतीं हैं। जो की चौहान हवेली से कयी गुना ज्यादा बड़ी और सुन्दर थी।


    वायु धरा को लेकर अंदर आता है। तो हर्षित जी कहते हैं। वहीं सुक जाओ वायु। अभी अंदर मत आना।


    वायु अपने डैड को अपनी आंखें छोटी कर के देखने लगता है। तो हर्षित जी कहते हैं। अब शादी किसी से भी हुईं हों। पर ये हमारे घर की बहु है। तो कुछ रस्में तो होगी ही।


    हर्षित जी निशा जी को आवाज लगाते हुए कहते हैं। निशा जल्दी आओ। बच्चे आ जाएं है। जल्दी से ग्रह प्रवेश करो ‌


    हर्षित जी नूर की तरफ कुछ इशारा करते हैं। तो नूर आगे बढ़कर कर धरा के चहरे पर घुंघट कर देती है। वायु फिर से अपने पापा को घुरने लगता है। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

    हर्षित जी कहते हैं। जब तक बहूं की मुंह दिखाई नहीं हों जाती तब तक ये ऐसे ही रहेंगी घुंघट में। कल मुंह दिखाई की रस्म होगी तब घुंघट हटेगा। ये तो पहले ही होता पर चलों कोई बात नहीं अभी किसी ने कहा देखा है बहूं को।


    वायु अभी भी उन्हें ही घुर रहा था तो वह गहरी सांस लेते हुए कहते हैं। ये रस्म है वायु में कुछ नहीं कर सकता हूं।


    निशा जी आरती की थाल लेकर आती है। उन के पिछे दो नौकर भी थे। जो एक चावल से भरा क्लश और अलते की थाल लेकर आते हैं।

    निशा जी वायु की आरती करतीं हैं तो वायु कहता है। आरती मेरी बीवी की भी होनी है। बुआ जी। ... में ही नहीं हूं।

    निशा जी धरा की तरफ मुंह बना कर देखतीं हैं। फिर उस की दोनों की आरती करतीं हैं। टिकट लगातीं है। दोनों के उपर चावल डालतीं है।


    फिर नौकर से चावल का क्लश लें कर चोखट पर रख देती है। और धरा को उसे गिरा कर अंदर आने को बोलतीं है। धरा वैसे ही करतीं हैं।


    फिर धरा के पैरों के सामने अलते की थाली रखतीं हैं और बेहद रूकें पन से कहतीं हैं। अब इस में अपने पैर रख और अंदर आ।


    निशा जी की एसी आवाज सुनकर अभिराज जी कहते हैं। निशु ये किया तरीक़ा है बहूं से बात करने का।

    निशा जी अपने पति की तरफ देखतीं हैं फिर अपना मुंह बना लेती है धरा अपने पैर जैसे ही अलते की थाल में रखतीं हैं। उस कि पकड़ अपने लहंगे पर कस जाती है। वह अपने होठ को दांतों तले दबा लेती है। अपनी आंखें बंद कर वह दोनों पैर अलते में करतीं हैं। और अपने पैरों की छाप छोड़ते हुए अंदर आने लगती है।


    वहीं निशा जी हैरानी से धरा को देखतीं हैं। और फिर धरा के पैरों को देखने लगतीं हैं। वह धरा के पैरों को बहुत गोर से देख रही थी।


    वायु और धरा दोनों अंदर आ कर रूक जाते हैं। हर्षित जी कहते हैं। ठीक है अब बाकी की रस्में कल करेंगे। अभी सब बहुत थक गये है। तो कल सारी बची हुई रस्में होगी। और वायु बेटा तुम बहूं को अपने रूम में लेकर जाओ।


    वायु धरा का हाथ पकड़ कर उसे अपने रूम में लेकर जाता है।


    वहीं निशा जी अभी भी धरा के पैरों को ही देख रही थी। अभिराज जी कहते हैं। अब किया हुआ निशु तुम किया देख रही हों इतनी हैरान से।


    निशा जी अपने होश में आतीं हैं। ना मैं सिर हिला कर अलते की थाल और पूजा कि थाल मंदिर में रख आतीं हैं।




    Tu be continued 🙏 🙏 🙏 🙏

  • 7. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 7

    Words: 1408

    Estimated Reading Time: 9 min

    वायु धरा का हाथ पकड़ कर अपने रूम में लेकर आता है। रूम में आने के बाद वायु धरा का हाथ छोड़ देता है। और रूम को देखता है। जो कि बहुत सुंदर तरीके से डेकोरेट कर रखा था ।

    रूम को देख कर वायु गहरी सांस लेता है। और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला जाता है।


    थोड़ी देर बाद जब वायु रूम में आता है। तो देखता है कि धरा अभी भी वैसे ही उसी जगह खड़ी है जहां वह उसे छोड़ कर गया था। वायु कहता है। तुम वहां खड़ी क्यों हों। चेंज कर के लेट जाओ।

    धरा अभी भी वहीं खड़ी थी। वायु धरा को देखता है। जो घुंघट लिए अभी भी खड़ी थी।

    वायु को ना जाने किया होता है। वह तोलिया को वहीं सोफे पर फेंक कर धरा की तरफ बढ़ता है। धरा वायु को अपनी तरफ आता देख कर घबरा जातीं हैं। अपने लहंगे को अपनी मुठ्ठी में भर लेती है। वायु धरा के पास आ कर उस को देखने लगता है। धरा लाल रंग के जोड़े में अपने चहरे पर घुंघट करें किसी डॉल से कम नहीं लग रही थी। नेट के दुपट्टे में धरा की गोल गोल हरी आंखें चमक रही थी। उसे छोटी सी क्यूट डॉल को देख कर वायु खो सा गया था।

    वह बेख्याली में ही धरा के घुंघट को उस के चहरे से हटा देता है।  और धरा की आंखों में देखने लगता है। धरा भी अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए क्यूट अंदाज में उसे देखने लगतीं हैं।

    वायु तो जैसे धरा की इस हरकत पर मर मिटा था। वह बिना कुछ सोचे समझे धरा की दोनों आंखों पर किस्स कर देता है। धरा वायु के अचानक ऐसे करने पर एक पल को तो जम सी जाती है। बाद में उस की आंखों भी सुकुन के साथ बंद हों जाती है।


    वायु जब धरा की आंखें बंद देखता है। उस के होंठों पर प्यारी सी मुस्कान आ जाती है। वह आगे बढ़ कर धरा के माथे पर किस्स करता है। धरा जब वायु का इतना प्यार भरा छुएं महसूस करती है। तो उस की आंखों से एक कतरा आंसु बह कर गाल पर आ जाता है।

    जिसे वायु निचे लुढ़कने से पहले ही अपने होंठों के बिच दबा लेता है। वायु का ये करना था और धरा के हाथ से उस की डायरी छुट कर वायु के पैर पर ही गिरतीं है। जिसे वायु अपने होश में आता है। और धरा से अलग होता है।


    वायु धरा को देखता है। जो कि अभी भी अपनी आंखें बंद करें खड़ी थी। वायु धिरे से कहता है। कपड़े चल कर लो । और अगर कुछ ज़रूरत हो तो मुझे बता देना।

    बोल कर वायु जल्दी से बालकनी में चला जाता है। पर फिर दोबारा बालकनी से आता है। और अपनी अलमारी में से एक टी-शर्ट निकाल कर धरा के सामने करते हुए कहता है। लो अभी के लिए ये पहन लो । कल मॉर्निंग में तुम्हारी जरूरत का सारा समान आ जाएगा।

    धरा वायु के हाथ से उस के वह ओवर साइज़ वाली टी शर्ट लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ती है। वहीं वायु जैसे ही जाने को होता है कि उस के पैरों में धरा का डायरी आ जाती है। वह डायरी को उठाता है। तो उस की नजर निचे फ्रस पर चलीं जाती है। जहा अभी उसी जगह धरा खड़ी थी।


    फ्रस पर खून था। वायु हैरान से उस जगह से अपनी नज़र हटा कर धरा के पैरों की छाप को देखता है। जो बाथरूम में जा रहे थे। वायु डायरी को बैंड पर रख कर जल्दी से बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम का डोर ओपन कर के अंदर चला जाता है। धरा डोर बंद करना भुल गयी थी। जिस वजह से वायु डोर खोलता है तो वह खुल जाता है।

    धरा अचानक दरवाजा खुलने से घबरा कर पिछे देखतीं हैं। तो वायु को देख कर हैरान रहा जातीं। और अपने सिने में अपने हाथ से कवर करने की कोशिश करने लगतीं हैं। वहीं वायु को तो जैसे होश ही नहीं था किसी चीज का वहा आगे बढ़कर कर धरा को अपनी बाहों में उठा कर बाथरूम से रूम में लेकर आता है। और बेंड पर बैठा कर। जल्दी से धरा के पैरों को देखने लगता है।


    वायु जब धरा के पैरों को देखता है। तो उस का दिल धक सा रहा जाता है। वह धड़कन बढ़ कर देता है। धरा के पैरों में छोटे छोटे कांच के टूकडे लगें हुए थे। जो की ज्यादा देर तक रहने से उस के पैर में और भी अंदर तक चलें गये थे।



    और खून काफी निकल रहा था। जिसे देख कर वायु को अपने दिल में एक टीस सी उठती है। वह धरा को देखता है। जिस की आंखें अब नम थी। उसे देख कर साफ पता चल रहा था कि वह अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी।


    पता नहीं वायु के मन में किया आता है। वह निचे झुक कर धरा के पैरों को चूम लेता है। धरा अपनी आंखें बंद कर लेती है। वायु धरा के चहरे को अपने हाथों में भर कर कहता है। शोना ये आप के पैरों में कैसे लगीं। और आप ने मुझे बताया क्यूं नहीं।

    धरा वायु की प्यार भरी आवाज सुनकर उसे देखने लगतीं हैं। वायु धरा को चुप देख कर फिर से कहता है। शोना बच्चा बोलों ना। तुम कुछ बोलतीं क्यों नहीं। ये इतनी चोट कैसे लगी।


    वायु परेशान सा उसे खुद नहीं पता था कि उसे किया हों रहा है। उस इस वक्त बस धरा का दर्द दिख रहा था। उसे दर्द में देख कर। वायु को दर्द हो रहा था। वायु की आंखें कब नम हो गई । उसे पता ही नहीं चला।

    वायु जल्दी से धरा के पैरों पर पेंटी करने लगता है। जैसे जैसे वह धरा के पैरों के कांच निकल रहा था। धरा की पकड़ वायु के कंधे पर कस रही थी। वायु बहुत आराम से सब कर रहा था। लास्ट में वायु जब धरा के पैर का एक कांट जो कि ज्यादा ही अंदर तक चला गया था। उसे निकालता है ‌ । तो धरा की दर्द भरी चींख निकल जाती है। और इसी के साथ वह अपने गले को पकड़ लेती है।


    धरा के चीखने पर वायु और भी ज्यादा घबरा जाता है। वह जल्दी से धरा को देखता है। और कहता है। ज्यादा दर्द हो रहा है। शोना बच्चा बताओं ज्यादा दर्द हो रहा है।


    धरा रोते हुए हां में सिर हिला देती है। वायु धरा के माथे को चूमता है। और कहता है।बस थोड़ी देर और उस के बाद ठीक हो जाएगा। ज्यादा दर्द नहीं होगा।

    धरा फिर से सिर हिलातीं है। वायु धरा की पट्टी करना है। और धरा को अपनी टी शर्ट ला कर खुद ही पहना देता है। वायु क्यों धरा की इतनी केयर कर रहा था।उस खुद ही नहीं पता था।बस उसे इतना पता था कि उसे धरा की केयर करते हुए अच्छा लग रहा था। उसे धरा के साथ सुकुन महसूस हो रहा था ‌ । जो उसे आज तक महसूस नहीं हुआ।


    धरा वायु को बस देखें जा रही थी। आज उसे सच्ची मे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई उस की इतनी प्रवाह भी करेगा। उस ने तो जैसे इस चीज कि उम्मीद है छोड दी थी।

    पर आज वायु को देख कर उसे भी यही फील हो रहा था कि बस बस एक यही शख्स है जो उसे सारे जाह कि खुशियां दे सकता है।

    पर वह बार बार अपने मन को एसा सोचने को लिए रोक रही थी। उसे अब डर लगने लगा था अपनी किस्मत से। पता नहीं कब उस कि किस्मत उस के साथ खेल जाएं।


    यही सब सोचते सोचते धरा निंद के आगोश में चली जाती है।

    वही वायु धरा के चहरे को देख रहा था जो आंसुओं से भरा हुआ था। वह बाथरूम में जाता है। और गीला टॉवल ला कर उस का चहरा साफ़ करता है। फिर उस के माथे पर किस्स कर अच्छे से कवर कर के रूम से बाहर निकल जाता है।


    रूम में बाहर कदम रखते ही वायु की आंखें अंगारे दहक ने लगती है। उस कि आंखें गुस्से से लाल हो गई। वह अपने हाथों की मुठ्ठी बनाए हुए कहता है। ये आप ने अच्छा नहीं किया बुआ जी। ......


    अब किया करेंगा वायु निशा जी के साथ। ? .....
    किया निशा जी को देगा वायु कोई सजा। ????
    क्या वायु करने लगा है धरा से प्यार। ......

    Tu be continued ✍️ ✍️.....


    🙏 🙏 please comment rating 🙏 🙏 🙏 🙏

  • 8. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 8

    Words: 1706

    Estimated Reading Time: 11 min

    वायु रूम से बाहर निकलता है तो उस की आंखें गुस्से से लाल हो जाती है। वह गुस्से में अपने हाथ की मुठ्ठी बना कर कहता है।  ये आप ने अच्छा नहीं किया बुआ जी। मेरी बीवी को दर्द देकर। आप ने मुझे दर्द दिया है।


    वायु गुस्से में निचे जाता है  । और सोफे पर बैठ कर अपने पैर के उपर पैर चढ़ कर बैठ जाता है। और अपने फोन में कुछ करता है। और थोड़ी ही देर में सारी हवेली में एक आवाज गुंजने लगती है। जिसे सुनकर सब मेंबर्स अपने अपने रूम से बाहर आ जाते हैं। और निचे होल में इकट्ठा हो जातें हैं।

    वेद अपनी आंखों को बच्चे की तरह रगड़ते हुए। चिड़चिड़ी आवाज में कहता है। किया यार ये भाई को भी चेन नहीं है। रात में। ये नहीं है कि आज सुहागरात है तो अपने रूम में जा कर अपनी बीवी के साथ सुहागरात मनाए ‌ । पर नहीं। इन्हें तो रात को मीटिंग बैठानी है।

    वेद निंद में कुछ भी बड़बड़ाए जा रहा था। उसे कुछ भी होश नहीं था। वह तो बस वायु को कोसनें में लगा था।

    अक्ष वेद के कंधे पर हाथ रख कर कहता है। भाई निंद से जागो और सामने देखो हमारे शैतान भाई यही बैठें हैं। कुछ मत बोलो।

    वेद कहता है। हट यार बहुत जोर की नींद आ रही है मुझे। बोल कर वेद अक्ष के कंधे पर सिर रख कर अपनी आंखें बंद कर लेता है।

    अक्ष अक्षय से कहता है। साला खुद तो मरेगा हमें भी मरवाएगा ।

    अक्षय कहता है। चुप कर वो मरे या ना मरे तु और मैं जरूर मर जाएंगे। वो देख भाई हमें ही देख रहे हैं।

    अक्ष सामने देखता है तो वायु उन्हें ही घुर रहा था। जिसे देख कर अक्ष की हवा टाइट हो जाती है। वह घबरा कर वेद के सिर को अपने कंधे पर से हटा देता है। जिसे वेद संभल नहीं पाता और निंद में ही निचे फ्रस पर मुंह के बल गिरता है। जिसे उस की चीख निकल जाती है। और वह निंद से जागता है।

    वेद गुस्से में अक्ष को घुरने लगता है। और कुछ कहता अक्ष वेद का चहरा पकड़ कर वायु की तरह कर देता है। वायु को देख कर वेद सब भुल जाता है। और अपने दांत दिखने लगता है। 😁😁 ही ही ही भाई में तो बस....

    अक्षय कहता है। भाई दांत अंदर कर लीजिए बरना बड़े भाई आप के दांत ही निकल देंगे। बहुत बोल लिए आप कही वायु भाई के गुस्से का शिकार ना बन जाओ।

    वेद अपने दांत अंदर कर के मुंह पर हाथ रख कर कहता है। मेने किया कह दिया यार।

    अक्ष कहता है। बताउंगा बाद में। पहले चुप हो जाओ। वायु भाई की नजर हम तीनों पर ही है। कहीं ऐसा ना हो कही का गुस्सा कही और निकल जाएं।

    वेद कहता है। वो सब तो ठीक है पर ये गुस्से में क्यों है। क्या हुआ।

    इस बार अक्ष और अक्षय दोनों ही अपनी बत्तीसी 😁😁 दिखाते हैं और कहते हैं। ही ही हमें क्या पता।

    वेद कुछ कहता। उसे पहले ही वायु कहता है। अब अगर मुझे तुम तिनों की आवाज आई तो तुम तिनों के ही दांत तोड़ दुंगा।

    वायु की धमकी सुनकर तिनों अपने होंठों पर उंगली 🤫  रख कर अच्छे बच्चे कि तरह खड़े हो जाते हैं। उन्हें देख कर नूर हंसने लगतीं हैं। तो वायु उसे घुर कर देता है। तो नूर भी अपने होंठों पर उंगली 🤫 रख लेती है।

    हर्षित जी कहते हैं। वायु क्या हुआ तुम ने हम सब को इतनी रात को क्यों बुलाया है।

    वायु गुस्से में निशा जी को देखता है। जो की अभिराज जी के कंधे पर सिर रख कर खड़ी थी। और वायु को ही देख रही थी। वायु की गुस्से भरी नजरें अपने ऊपर महसूस कर के निशा जी घबरहा जातीं हैं।


    वायु गुस्से भरी आवाज में कहता है। ये तो आप बुआ जी से ही पुछिए डैड कि उन्होंने मेरी वाइफ के साथ क्या किया है।

    हर्षित जी कन्फ्यूज़ हों कर वायु को देखने लगते हैं। वह कहते हैं। क्या किया है मतलब। साफ़ साफ़ कहों।

    वायु उठ कर निशा जी के पास आता है । और कहता है। बुआ जी आप ने मेरे वाइफ का गृहप्रवेश तो बहुत अच्छा किया है। हां ना।

    निशा जी वायु की बात सुनकर समझ जातीं हैं। कि वह किया कहना चहाता है। इस लिए वह भी बिना किसी डर के कहती हैं। जो भी किया है। मेने बिल्कुल सही किया है। वायु। तुम नहीं जानते वह लड़की बहुत चालाक है। जो अपनी बहन की जगह मंड़प में बैठ सकतीं हैं। सोच वह कैसी होगी। और तुम ने तो देखा ही होगा कि उस के तो खुद के संगे परिवार वाले भी अच्छे से बात नहीं करते। तो सोचों वह कैसी होगी।  मेने उस वक्त कुछ नहीं कहा। पर मैं अब कहुगी।

    जब नव्या के घर वाले तुम से दोबारा शादी करने के लिए बोल रहे थे तब तुम कर लेनी चाहिए थी। नव्या से शादी। हम सब नव्या को जानते हैं। वह बहुत बार हम से मिलने के लिए घर भी आ चुकी है। तो सब को उस के बारे में पता है।वह अच्छी लड़की है। और तुम से प्यार भी बहुत करतीं हैं। और ये लड़की पता नहीं कोन है। कैसी है। उस का कैरेक्टर केसा है।  में तो कहती हु कि तुम उसे छोड़ दो और कल ही नव्या से शादी....


    बसससस बहुत बोल लिया बुआ जी आप ने। चुप अब एक शब्द और नहीं। .... वायु गुस्से भरी आवाज में चीख कर कहता है। उस की आवाज सुनकर सब सहम जाते हैं।




    वायु गुस्से में कहता है। आप जानती भी है बुआ जी आप क्या बोल रही है। हुं आप ने उस लड़की को एक बार में ही जज कर लिया। कि उस का कैरेक्टर कैसा है।  मुझे सच में आप से ये उम्मीद नहीं थी बुआ जी। कि आप ऐसा कुछ करेंगी।


    निशा जी कहती हैं। अच्छा अभी तेरी बीवी आएं हुए एक घंटे भी नहीं हुआ है और तु उस के लिए मुझे से लड रहा है। चल में नहीं जातीं तो तुम जाता है। उस के बारे में जो इतना बोल रहा है। मुझे से लड रहा है। उस लड़की के लिए।


    वायु निशा जी की बात सुनकर तिरछी इस्माइल करता है। और कहता है। आप को किया लगता है। कि ये वायु राजवंश किसी को भी अपने घर में अपनी बीवी बन कर ले आएंगा। उस के बारे में बिना कुछ जाने। वायु राजवंश अगर एक डील भी साइन करता है तो वो भी बहुत सोच समझ कर जांच कर के करता है। तो ये तो फिर मैं मेरी पुरी लाइफ का सवाल था। तो वायु कैसे ना जांच रखता।

    सब वायु को देखने लगते हैं। निशा जी कहती हैं। अच्छा तो चल बता कि ऐसा किया है उस लड़की में जो तूं मुझे से लड रहा है। और क्या वह नव्या से ज्यादा बेटर है तेरे लिए । वह लड़की तुझे परफेक्ट लगती है। और नव्या नहीं।

    वायु कहता है। सोच लीजिए बुआ जी कही ऐसा ना हो। आज जिस लड़की के बारे में आप बुरा बोल रही है। कल को आप ही उस से सब से ज्यादा प्यार करने लगें। और जो आप को हां अच्छी लग रही है। उसे आप नफ़रत करने लगो।

    निशा जी मूंह बनाते हुए कहती हैं। नहीं ऐसा कभी नहीं होगा। ....


    हर्षित जी जो इतनी देर से चुप थे वो कहते हैं। आखिर हो किया रहा है। कोई मुझे बताएगा।


    वायु कहता है। हां डैड क्यों नहीं आखिर कार आप भी तो सुनो की आप की बहुत ने आप के घर की बहूं के साथ क्या किया है।

    हर्षित जी कहते हैं। मतलब...

    वायु हल्के गुस्से में कहता है। बुआ जी ने गृहप्रवेश करते वक्त अलते की थाल में कांट के टुकड़े डाल दिए थे। जिसे उस के पैरों में अब घाब हों गया है।

    वायु की बात सुनकर सब लोग हैरान रहा जाते हैं। और निशा जी को देखने लगते हैं। अभिराज जी गुस्से में कहते हैं। निशु ये किया क्या है। तुम ने उस बच्ची को क्यों दर्द दिया तुम ने।

    हर्षित जी भी गुस्से में कहते हैं। निशा मुझे तुम से ये उम्मीद नहीं थी। कि तुम ऐसा करोगी उस बच्ची के साथ।


    वेद कहता है। पर भाई भाभी को देख कर ऐसा लग तो नहीं रहा था। कि उन के पैर में कांच चुवा है। वह चीखी भी नहीं। तो फिर.....


    वेद की बात को बिच में काटते हुए वायु कहता है। क्योंकि वह बोलती नहीं है। इस लिए उस दर्द को चुप सह लिया।

    वायु की बात सुनकर सब एक बार फिर से हैरान रहा जाते हैं। पर निशा जी कहती हैं। तो भाई अब हमारे घर की बड़ी बहू गूंगी भी है। अब क्या तू उस गूंगी को अपनी वाइफ बनाएगा। इसे अच्छा तो नव्या ही थी।....


    वायु गुस्से में चीखते हुए कहता है। वह गूंगी नहीं है। गूंगी नहीं है मेरी वाइफ बस वह बोलना भुल गयी है। जब किसी इंसान की पुरी दुनिया बस एक कमरे तक ही सीमित रहती है। और उस से कोई बोलता नहीं है। वह अकेले ही एक कमरे में रहता है। तो वह इंसान खामो हो जाता है। उसे चुप रहने की आदत हो जाती है। बस मेरी बीवी को भी चुप रहने की आदत हो गई है। उस ने खामोश का रास्ता चुना है बस। ... गूंगी नहीं है वो...


    वायु की बात सुनकर सब ख़ामोश हो कर उसे देखने लगते हैं। इस बार निशा जी भी हैरानी से वायु को देखने लगतीं हैं। अब उन्हें कही ना कही ऐसा महसूस हो रहा था कि उन्होंने धरा के साथ जाने अंजाने में ही ग़लत कर दिया है।


    हर्षित जी कहते हैं। वायु बेटा ये तू क्या बोल रहा है। और तुझे सब कैसे पता। तुने चौहान हवेली में भी घर चल कर बात करेंगे बोला था। ऐसा क्या जानत है तु जो तुने ये जानकर भी कि तेरी शादी किसी और के साथ हुईं हैं तु फिर भी शान्त था। मुझे पुरी बात बता और सब साफ़ तरीके से बात।

    बोल कर हर्षित जी वह सोफे पर बैठ जाते हैं। वायु भी सिंगल सोफे पर बैठ जाता है।‌ वाकी सब भी वह सोफे पर बैठ कर वायु के बोलने का इंतजार करने लगें।


    Tu be continued ✍️ ✍️.....




    Comment and rating jrur de 🙏 🙏 🙏

  • 9. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 9

    Words: 1074

    Estimated Reading Time: 7 min

    वायु की बात सुनकर सब ख़ामोश हो कर उसे देखने लगते हैं। इस बार निशा जी भी हैरानी से वायु को देखने लगतीं हैं। अब उन्हें कही ना कही ऐसा महसूस हो रहा था कि उन्होंने धरा के साथ जाने अंजाने में ही ग़लत कर दिया है।


    हर्षित जी कहते हैं। वायु बेटा ये तू क्या बोल रहा है। और तुझे सब कैसे पता। तुने चौहान हवेली में भी घर चल कर बात करेंगे बोला था। ऐसा क्या जानत है तु जो तुने ये जानकर भी कि तेरी शादी किसी और के साथ हुईं हैं तु फिर भी शान्त था। मुझे पुरी बात बता और सब साफ़ तरीके से बात।

    बोल कर हर्षित जी वह सोफे पर बैठ जाते हैं। वायु भी सिंगल सोफे पर बैठ जाता है।‌ वाकी सब भी वह सोफे पर बैठ कर वायु के बोलने का इंतजार करने लगें।


    अब आगे।



    इस वक्त सब की नजर वायु पर ही ठीकी हुंई थीं। उस के बोलने का हि इंतजार चल रहा था।

    वायु एक नजर सब को देखता है। और गहरी सांसें लेकर कहना शुरू करता है।

    शादी के करीब एक घंटे पहले ही मुझे मेरे एजेन्ट का कॉल आया था। उस ने मुझे बताया कि जिस लड़की से मेरी शादी होने वाली है। यानी की नव्या वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ सनसाईन होटर में उस का बिस्तर गरम कर रही है।


    वायु की बात सुनकर सब ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया। और वह हैरानी से वायु को देखने लगें।

    अपने एजेंट की बात सुनकर मुझे नव्या पर गुस्सा तो बहुत आया। पर मेने ये सोच कर किसी से कुछ नहीं कहा कि शादी के वक्त सब के सामने उस लड़की का असली चेहरा लेकर आऊंगा। उस ने वायु राजवंश की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कि है। तो मैं उसे इतनी आसानी से तो नहीं जाने देना चहता था।

    इस लिए चुप चाप चौहान हवेली के लिए चला गया था। पर जब बारात चौहान हवेली के दरवाजे पर खड़ी थी तब ही मुझे पता चला कि नव्या अभी तक नहीं आई है। वह अभी उस होटल रूम से बाहर नहीं निकली।

    इस लिए मैं चुप चाप मंड़प में बैठ गया था कि अब तो शादी होने का कोई मतलब ही नहीं है। पर जब थोड़ी देर बाद ही धरा को निचे लेकर लाया गया तो मैं सोच में पड़ गया कि ये लड़की कोन है।  और जब धरा मेरे पास मंडप में बैठीं थीं। पता नहीं क्यों पर मुझे ऐसी फीलिंग आ रही थी कि ये लड़की जो भी है। पर मेरे लिए एक दम परफेक्ट है। उस के पास होने भर से ही मुझे सुकून मिल रहा था। जो मुझे इतने सालों से नहीं मिला। इस लिए मेने शादी कर ली।

    पर जब नव्या वह आईं तो उसे देख कर मेरा खून खोलने लगा। क्योंकि उस कि वजह से ही में मेरी वाइफ की मांग में सिंदूर नहीं भर पाया।


    बोल कर वायु चुप हो गया। तो हर्षित जी बोले। और बहूं के बारे में तुझे कैसे पता चला।

    वायु कहता है। पहले जब धरा के साथ मेरी शादी हो रही थी तो मुझे लगा शायद सब लोगों कि मर्जी से हों रही है। चौहान परिवार के लोग जाते हैं। कि नव्या वह नहीं है। पर जब मेने सब को धरा के साथ ऐसा बर्ताव करता देखा तो मुझे डाउट हुआ कि कुछ तो गडबड है।

    तो मेने वेद से अपना फोन लेकर। अपने उसी एजेन्ट को मैरिज किया और चौहान परिवार की कुंडली और साथ ही में धरा के बारे में जानकारी निकलवाई।

    तब मुझे पता चला कि। जब से धरा पेंदा हुईं थीं। तब से ही उस के साथ चौहान परिवार के लोगों का बरताव अच्छा नहीं है। सब उसे नफ़रत करते हैं। पर क्यूं करते हैं ये मुझे अभी तक नहीं पता चला। पर इतना पता चल हैं कि। घर में बस उस कि मां को छोड़ कर और कोई उस का चहरा देखना भी पसंद नहीं करता। धरा कि मां भी पति कि कसम और परिवार की धमकी की वजह से चुप है। वह भी उसे ज्यादा बात यहा अपना प्यार नहीं दें पाई। धरा बस अपने रूम में ही रहतीं । उस ने अपनी पुरी दुनिया उस रूम में ही बना रखी है। और कोई बोलता नहीं है उसे जिस वजह से वह चुप रहती है। आज भी में उसे गुस्से में या प्यार से बात कर भी रहा था तो यही सोच कर कि वह कुछ कहें पर उस ने कुछ नहीं कहा।

    वायु की बात सुनकर सब हैरानी से उस देखते हैं। वेद कहता है। पर भाई वह सब भाभी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। और भाभी मंडप में कैसे आई क्या उन्हें पता था नव्या के बारे में। और उन का परिवार भाभी से इतनी नफ़रत क्यों करते हैं जो उन का चहरा भी देखना पसंद नहीं करते।


    वायु कहता है। इस का बात का भी सुबह तक पता चल जाएगा। बस अभी के लिए सब इतना जान लो कि हम चौहान नहीं राजवंश है। तो मेरी बीवी के साथ प्यार से पेश आओ। उसे जो नफ़रत वह मिली है यहा उसे प्यार से भर दो बस ....


    हर्षित जी कहते हैं। ठीक कह रहा है वायु। हमें उस बच्ची के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। वह तो पहले से ही दुखों कि मारी है।


    वायु एक नजर अपनी बुआ को देखता है। जो कि चुप चाप बैठीं थीं। वह कहता है। तो बुआ जी उम्मीद है अब आप को पता चल गया होगा कि आप की नव्या कितनी अच्छी है। और मेरी बीवी कितनी बुरी है।


    बोल कर वायु उठ कर जाने लगता है । और फिर रूक कर कहता है। आज आप ने जो हरक़त मेरी बीवी के साथ कि है। उस कि मुझे आप से ये उम्मीद नहीं थी। आप कि जगह अगर कोई और मेरी बीवी को चोट पहोंचा था तो वह अब तक इस दुनिया में नहीं होता। पर किया करूं आप मेरी बुआ है। और मैं आप से प्यार भी इतना करता हूं कि आप को दर्द भी नहीं दे सकता हूं। क्योंकि मुझे ही दर्द होंगा अपने परिवार को दर्द में देख कर। पर मैं बस इतनी उम्मीद करूगां कि आप मेरी वाइफ को प्यार नहीं दें सकतीं तो प्लीज़ उसे दर्द भी ना दें।


    इतना बोल कर वायु अपने रूम में चला जाता है। वायु की बात सुनकर निशा जी कि आंखों में आसूं आ जाते हैं। वह गिल्ट से भर जाती है। वह कितना ग़लत समझ रही थी। धरा को।


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏।

  • 10. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 10

    Words: 1363

    Estimated Reading Time: 9 min

    वायु निचे सब से बात कर के ऊपर अपने रूम में आता है ‌ । तो रूम में आते ही उस की नजर सामने बेंड पर चलीं जाती है। धरा को सोता हुआ देख कर वायु के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है।


    बेंड पर धरा छोटा सा क्यूट खरगोश के चहरे लेटी हुई थी। सोते वक्त उस के चहरे पर मासुमियत साफ झलक रही थी। उस के होंठों का पाउट बना हुआ था और वह पीलों को हग कर के लेटी हुई थी। जिसे देख कर वायु उसे देखता ही रहा जाता है।

    वायु रूम को अंदर से बंद कर के धरा के पास आता है। और उस के पास बेंड पर बैठा कर धरा का सिर सहलाने लगता है। निचे झुक कर उस के माथे पर किस्स करता है।


    जिसे सोती हुई धरा के होंठों पर प्यारी सी मुस्कान आ जा है। जिसे देख कर वायु भी खुश हो जाता है।


    वायु धरा के चहरे को बहुत गोर से देखने लगता है। कुछ देर उस के पास बैठें रहने के बाद वायु उठ कर बालकनी में जाने को होता है कि तभी उस की नजर धरा की डायरी पर पड़ती है।


    जो की वही सोफे पर रखी थी। वह उसे उठा कर धरा के पास बेंड के साइड टेबल पर रखने वाला ही था कि कुछ सोच कर उस के हाथ रूक जातें हैं। वह एक नजर धरा को देखता है।

    फिर उस की डायरी को और अपने मन में कहता है। ऐसा किया है इस डायरी में जो शोना बस इसे ही अपने साथ लेकर आई है। क्या मैं देखूं एक बार।

    वह डायरी खोलने को होता है कि उस के हाथ रूक जातें हैं। वह फिर से मन में कहता है। नहीं नहीं मैं ऐसे किसी की पर्सनल लाइफ में या उस की पर्सनल चीजों को बिना उस की मर्जी के छु नहीं सकता।

    बोल कर वायु डायरी टेबल पर रख देता है। पर जैसे ही जाने को होता है कि उस के कदम फिर से रूक जातें हैं। और वह कहता है। पर वह कोई और थोड़ी है। वह मेरी पत्नी है मुझे पुरा हक है उस की लाइफ में हो रही हर चीजों के बारे में जानें का। और मैं उस कि किसी भी चीज को हाथ भी लगा सकता हूं। वह मेरी वाइफ है जितना हक उस का मुझ पर हैं उतना ही मेरा भी है।

    बोल कर वायु पिछे पटल के धरा को देखता है। फिर डायरी को उठा कर बालकनी में चला जाता है। और वहां रखे सोफे पर बैठ कर डायरी को खोलता है।


    डायरी के पहले पन्ने को पढ़ कर ही वायु दंग रह जाता है। और कहता है। कोई इतनी कम उम्र में ही इतनी गहरी बात कैसे लिख सकता है।


    डायरी के पहले पन्ने पर कुछ इस तरह लिखा हुआ था। .....!!!



    हर रोज एक बात लिखूंगी हर कोई पढ़ सकें इतना साफ़ लिखूंगी ......!!✍️🥺
    कोई ऐसी बात नहीं अपने अरमान लिखूंगी.. हसीन आलम नहीं अपने हालात लिखूंगी .....!!✍️🥺
    बहुत शिकायत है हमें तुमसे ऐ जिन्दगी अब तेरे बारे में एक किताब लिखूंगी ......!!📝📖
    लिखते लिखते खत्म ना हो ये जिंदगी एक ही शब्द में पुरी कायनात लिखूंगी.......!!!!!❤️‍🩹✍️
    हर रोज एक बात लिखूंगी हर कोई पढ़ सकें इतना साफ़ लिखूंगी.......✍️🥺🥺



    धरा के लिखे इन कुछ शब्दो ने ही वायु के मन में अपने लिए जज़्बात उमड़ वा दिए थे। वह उस पन्ने पर लिखें शब्दों को ही बार बार पढ़ रहा था। साथ ही वह हैरान भी था कि कोई कम उम्र में इतना कुछ और इतनी गहराई के साथ कैसे लिख सकता तुम है।


    वायु इतने पर ही हैरान था उसे किया पता था ये तो बस शुरूवात है। अभी तो बस डायरी का पहला पन्ना है खुला है बाकी पन्ने तो अभी बाकी है।


    वायु डायरी का दुसरा पन्ना खोलता है। और उसे पढ़ने लगता है। उस पन्ने में धरा ने अपनी दिल की बात लिख रखीं थीं। जिसे पढ़ कर वायु का मन पसीज गया था।

    धरा के लिखे शब्द.......!!!!!!!!

    हम धरा है। ... आप को पता है हम से कोई प्यार नहीं करता सब धरू को गुस्से से देखते हैं। कोई धरू से बात भी नहीं करता। हम ने किया करा है जो हम से सब इतनी नफ़रत करते हैं। धरू इतनी बुरी है जो उसे सब गंदा गंदा बोलते हैं। नव्यू दीदी से तो सब अच्छे से बात करते हैं। पर धरू से कोई नहीं करता।

    पता है आज अंगद भैय्यू और अनंत भैय्यू दीदी के लिए वो सुन्दर सी पिंक फ्रॉक लेकर आएं थे। वह बहुत सुंदर थी। अच्छी भी थी। और फिर दीदी को अपने हाथों से खाना भी खिलाया था। सब उस से हंस हंस कर बात कर रहे थे।  उन्हें प्यार कर रहें थे। धरू का भी मन था। ऐसी ही पिंक फ्रॉक पहने का और दोनों भैय्यू के हाथ से खाना खाने का पर धरू नहीं कर सकतीं ना। बरना तो सब गुस्सा करेंगे और फिर गंदा गंदा बोलेंगे। धरू के बारे में।

    धरू को तो सब इस रूम में ही बंद रखते हैं बोलते हैं कि अगर धरू बाहर आई तो उस का चहरा देख कर सब के साथ बुरा हों जाएंगा। कुछ अच्छा नहीं होगा किसी के साथ इस लिए धरू रूम में ही रहतीं हैं।


    तो धरू ना आज से तुम से ही सब कहेंगी । तुम सुनोगी ना धरू की बातों को किसी से कुछ मत कहना बरना तो सब फिर से गंदा गंदा बोलेंगे धरू को फिर अच्छा नहीं लगेगा ना धरू को

    नव्यू दीदी की तो बहुत सारी दोस्त हैं तो तुम ना धरू की दोस्त बन जाओ। आज से तुम ही धरू की दोस्त हों। ठीक है दोस्त अब ना धरू को नींद आ रही है। बाय दोस्त....


    वायु धरा की मासुमियत को उस के लिखे हुए शब्दों में ही महसूस कर सकता था। वायु अगला पन्ना पलटता उस अंदर से कुछ आवाज आई।


    वह जल्दी से उठ कर अंदर जाता है। तो देखता है कि धरा उठ गई थी। और साइड टेबल पर से पानी लेने की कोशिश कर रही थी पर उस का हाथ लग गया तो गिलास निचे गिर गया था।

    वायु धरा को देख कर जल्दी से उस के पास आता है। और धरा के चहरे को पकड़ कर कहता है। किया हुआ बच्चा आप को कुछ चाहिए।


    धरा अपनी मासुम आंखों से उसे देखने लगतीं हैं। वायु कहता है। बोलो किया चाहिए आप को। वायु को पता था कि धरा को पानी पिना है पर वह चहाता था कि धरा कुछ कहें उस से। वह खुद बोलें की उसे पानी पिना है।


    धरा वायु को देखतीं हैं फिर पानी की तरह इशारा करतीं हैं। वायु कहता है। पानी पिना है बच्चा

    धरा डॉल की तरह गर्दन हिलाने लगती है। जिसे देख कर वायु को उस पर बहुत प्यार आता है। वायु धरा को अपने हाथो से पानी पिलाता है। फिर धरा को लिटा देता है। और खुद दुसरी तरफ आ कर बेड पर लेट जाता है। धरा वायु की तरफ सिर करती है उसे देखतीं हैं।

    जो उस से दुरी बना कर लेटा था। धरा उपर सीलीग को देखने लगतीं हैं। तभी वायु धरा को खींच कर अपने उपर लिटा लेता है। वायु के अचानक ऐसे करने पर धरा घबरा जातीं हैं। और वह जल्दी से सिर ऊपर कर के वायु को देखतीं हैं।


    वायु धरा के माथे पर किस्स कर के कहता है। सो जाओ बच्चा में हुं अब आप के साथ आप अकेले नहीं हों। मेरी जान बोल कर  उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगता है। दुसरे हाथ से उस के पिट पर थपकी देने लगता है।

    धरा आज पहली बार किसी के प्यार को महसूस कर रही थी। जिसे धरा के आंसु उस की आंखों से हों कर वायु के सिने पर गिर रहें थे। जिसे वह भी महसूस कर रहा था।

    जिसे वायु को बहुत तकलीफ़ हो रही थी। वह धरा के बालों पर हाथ फेरते हुए उसे टाईट पकड़ लेता है। ऐसे ही रोते हुए धरा की आंखें लग जातीं हैं और वह कुछ ही देर में वायु को पकड़ कर सो जाती है।

    वायु भी धरा को अच्छे से अपने उपर सुला लेता है और उसे पकड़ कर सो जाता है।


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏 🙏


    Comment and rating jrur de 🙏 🙏 🙏 🙏

  • 11. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 11

    Words: 1210

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह के वक्त। .....


    धरा वायु के उपर कब्जा जमा कर बच्चें की तरह उस से चिपक कर सो रही थी । सूरज की आती किरणें बालकनी से धरा के चहरे पर पड़ती है। जिसे धरा कसमसा कर वायु के सिने पर अपने चहरे को रगड़ कर अपना चहरा दुसरी तरफ कर के सो जातीं हैं।

    धरा के हिलने से वायु की नींद खुलती हैं। वह अपने उपर भार महसूस करता है तो वह अपनी आंखें खोल कर देखता है। तो उस की लिटिल क्यूट वाइफ उस के उपर सो रही थी। वायु को उस पर बहुत प्यार आता है।


    वायु के होंठों पर प्यारी सी मुस्कान आ जाती है। वह निचे झुक कर धरा के माथे पर किस्स करता है। और उसे देखने लगता है। करीब पांच मिनट बाद ही धरा की आंखें खुलने लगती है।

    धरा निंद में ही उठ कर वायु के पेट पर बैठ जातीं हैं। अपने हाथों की मुठ्ठी बना कर अपनी आंखें रगड़ने लगती है। इस वक्त वह बहुत क्यूट और मासूम सी दो साल की बच्ची लग रही थी।

    रही सही कसर धरा के होंठों के बनें पाउट ने कर दि थी। जिसे वायु बहुत शिद्दत से देख रहा था। वायु को धरा पर इस वक्त टुट कर प्यार आ रहा था।


    अचानक ही वायु की नज़र धरा के होंठों पर चलीं जाती है। जो कि इस वक्त गुलाबी होंठ रहें थे। वायु का गला सुख ने लगा। वह अपने गले को तर कर के अपने मन में कहता है। यार ये मेरा  क्यूट सा लिटिल बनी🐇 अपनी क्यूटनेस से मेरी जान लेकर ही मानें गा। मन कर रहा है इसे अभी खा जाऊं। पर किया करूं मेरा क्यूट सा बच्चा अभी बहुत छोटा है। नहीं खा सकता ना।

    वायु अपने होश में जब आता है जब धरा वायु के सिने पर हाथ रखतीं हैं।

    वायु देखता है कि धरा अपने दोनों हाथों को उस के सिने पर रख कर उसे ही देख रही है। वायु धरा की कमर पर हाथ रख कर कहता है। किया हुआ बच्चा आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो।

    धरा वायु की बात सुनकर अपने होंठों का पाउट बना अपनी आंखें टिमटिमाती हुए उसे देखने लगतीं हैं। अहे वायु की तो आज जान जाकर ही रहेंगी। वायु धरा को देख कर कहता है। बच्चा आप किया चाहतें हों कि मैं आप कि क्यूटनेस का दिवाना बन जाऊं। मुझे अपना दीवाना बना कर ही मानोगी।

    धरा को वायु की बात समझ में नहीं आती है। तो वह अपने निचले होंठ का बहार निकल देती है। इस बार तो वायु पर रहा ही नहीं जाता है। तो वह जल्दी से धरा को अपने निचे कर के उस के ऊपर आता है। और धरा के गाल पर किस कर के कहता है। मेरी क्यूटनेस की दुकान। तुम इतनी क्यूट क्यों हों । में पागल हो जाऊंगा तुम्हारी क्यूटनेस देख कर। किसी की नजर ना लगे मेरे क्यूट से लिटिल बनीं को थू थू थू 🫣🫣

    और कर वायु साइड की तरफ चहरा कर के रूप थू थू कर देता है। 🤭🤗🥰


    ( सच्ची मे अगर इस वक्त कोई वायु का ये रूप देख लेता ना तो हमारे खेतों में जो दवाई लगती है ना कीड़े मारने की उसे खा कर मर जाता। 😁😁🤣🤣🤣 )

    धरा तो बस अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर के उसे ही देख रही थी। कहीं ना कहीं धरा को अब वायु के साथ अच्छा लगने लगा था। उस का प्यार से बात करना धरा के दिल में अपने लिए जगह बना रहा था।

    वायु धरा के दोनों गाल पर बारी बारी से किस्स कर के उस के उपर से उठ जाता है। और कहता है। बच्चा चलों रेडी हो जाओ फिर ब्रेकफास्ट करेंगे। ओके


    वायु के किस्स करने पर इस बार धरा के गाल लाल हो जातें हैं। वह अपनी नजरें निचे कर के अपने होंठों को चबाने लगती है। वायु धरा को ऐसे देख कर मुस्कुरा जातें हैं। और धरा को बाहों में भर कर बाथरूम में लेकर चला जाता है।

    धरा के रेडी होने का बोल कर वायु बाथरूम से बाहर आता है। और खुद अपने रूम में एटेच स्टडी रूम में बने बाथरूम में चला जाता है।


    कुछ देर बाद जब वह बाहर आता है। तो धरा नहा कर बेंड पर बैठीं थीं उस ने अभी भी वायु की टी शर्ट ही पहन रखी थी। उस के बाल गिले थे। उस का चहरा नहाने की वजह से लाल हो रखा था। जिसे वह और भी ज्यादा प्यारी लग रही थी।

    वायु धरा को देख कर एक पल के लिए उसे देखा ही रहता है। फिर कहता है। मेने मेरी बीवी का नाम सही रखा है। क्यूट लिटिल बनीं। तुम सच्ची मे मेरा क्यूट सा छोटा सा खरगोश ही हों।


    बोल कर वायु धरा के गालों को खिच लेता है। और वायु की बात सुनकर इस बार धरा के होंठों पर भी छोटी सी ज्यादा बड़ी नहीं पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है। पर उस की आंखों में एक चमक थी आज वायु का प्यार उस की केयर उस का अपनापन महसूस कर के आज उसे अकेला महसूस नहीं हो रहा था।


    धरा की आंखों की वह चमक वायु भी देख सकता था । उस के होंठों पर मुस्कान देख कर वायु का दिल भी खुश हो गया था। वह धरा के माथे को चूमा कर कहता है। देख ना जान बहुत जल्द तुम्हारे फैस पर ये छोटी सी नहीं बहुत बड़ी बाली इस्माइल होगी। और मुझे पुरा यकीन है। तुम बोलो गी भी और तुम्हारे होंठ पर सब से पहला जो नाम होगा ना वो मेरा ही होगा। और मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतजार है। तुम्हें मूंह से अपना नाम सुने के लिए।

    वायु की बात सुनकर धरा की आंखें नम हो जाती है। वह वायु के सिने में अपना चहरा छुपा कर रोने लगती है।


    तभी वायु के रूम का डोर नॉक होता है। वायु धरा को अपने से अलग करता है। और उस के आंसु साफ कर के रोने के लिए मना करता है।

    फिर डोर ओपन करता है। तो सामने निशा जी खड़ी थी। उन के हाथों में एक बड़ी सी थाल थी जो कि लाल कपड़े से ढंकी हुई थी। वायु निशा जी को देख कर कहता है। बुआ जी आप यहा किया कर रही हैं।

    वायु की बात सुनकर निशा जी का मुंह बन जाता है। वह कहती हैं। कितनी बार कहा है बुआ जी मत बोला कर पर नहीं तुझे तो बुआ जी कहने में ही मज़े आते हैं ना। अभी में बुढ़ी नहीं हुई हुं जो बुआ जी बोलेगा।

    बेबो बोल मुझे अभी तो मेरे बच्चों के भी ब्याह नहीं हुएं हों। और अगर हों भी गये ना तो भी मैं बेबो ही रहुंगी तेरी बुआ नहीं बनूंगी। तेरे बच्चों के बच्चे भी हो जाएंगे। पर मैं तब भी बेबो ही रहुंगी। बुआ मत बोल मुझे। में...

    वायु हाथ जोड़कर कहता है। बस करों बुआ जी बस करो सुन ली मेने आप की बात। अब आप बताओ कैसे आना हुआ जी।


    निशा जी कहती हैं। अब मैं तेरे रूम में भी नहीं आ सकतीं क्या और वैसे भी मैं तुझ से मिलनें नहीं आई हु । अपनी भतिज बहूं से मिलने आई हुं उस को यहा समान देने है मुझे। तु हट...

    बोल कर वायु को धक्का दे कर बुआ जी अंदर रूम में चली जाती है।



    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 12. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 12

    Words: 1223

    Estimated Reading Time: 8 min

    बेबो बोल मुझे अभी तो मेरे बच्चों के भी ब्याह नहीं हुएं हों। और अगर हों भी गये ना तो भी मैं बेबो ही रहुंगी तेरी बुआ नहीं बनूंगी। तेरे बच्चों के बच्चे भी हो जाएंगे। पर मैं तब भी बेबो ही रहुंगी। बुआ मत बोल मुझे। में...

    वायु हाथ जोड़कर कहता है। बस करों बुआ जी बस करो सुन ली मेने आप की बात। अब आप बताओ कैसे आना हुआ जी।


    निशा जी कहती हैं। अब मैं तेरे रूम में भी नहीं आ सकतीं क्या और वैसे भी मैं तुझ से मिलनें नहीं आई हु । अपनी भतिज बहूं से मिलने आई हुं उस को यहा समान देने है मुझे। तु हट...

    बोल कर वायु को धक्का दे कर बुआ जी अंदर रूम में चली जाती है।


    अब आगे। ....

    निशा जी के धक्का देने से वायु उन्हें हैरानी से देखने लगता है। वहीं निशा जी जैसे ही अंदर आती है। तो धरा को देख एक पल को तो निशा जी देखतीं ही रहा जाती है।

    धरा ने वायु की टी शर्ट पहन रखी थी जो उस के घुटने तक आ रही थी। उस के बाल गिले थे जिन से पानी टपक रहा था। गले में मंगलसूत्र और हाथों में शादी का लाला सुन्दर सा चुडा। वह निशा जी को देख कर खड़ी हो जाती है। जिसे वह वायु की टी शर्ट में बिल्कुल क्यूट डॉल लग रही थी। ....... और साथ ही उस के चहरे की मासुमियत निशा जी के दिल को लुभा रही थी।


    धरा के पैरों में खड़ा रहने की वजह से दर्द होने लगा था। वह ठीक से खडा भी नहीं हो पा रही थी।  उस का दर्द वायु बखुबी देख पा रहा था। वह जल्दी से आगे आ कर धरा को बेंड पर बैठाता है। और उस के पैर पर बैंडेज करने लगता है।

    निशा जी जब धरा के पैरों को देखतीं हैं तो उसे गिल्ट फील होता है। निशा जी आगे बढ़ कर धरा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहतीं हैं। सोरी बेटा कल मेरी वजह से तुम्हें इतनी तकलीफ़ सहनी पड़ी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था जो ऐसा कर बैठीं।

    धरा बस निचे सर झुकाए बैठी हुई थी। उसे देख कर निशा जी फिर से कहतीं हैं। चलो बातें तो बाद में होती रहेगी। तुम रेडी हो कर जल्दी से निचे आ जाओ। आज मुंह दिखाई और कुछ रस्में है जो कि शादी के बाद होती है। तो दोनों रेडी हो कर निचे आ जाओ।

    निशा जी उस थाल को बेंड पर रख कर चलीं जाती है। वायु धरा के पैर पर बैंडेज कर उठ कर कहता है। शोना में किसी को भेज देता हूं तुम्हें रेडी करने में हेल्प कर देंगी इस हालत में तुम से खुद रेडी नहीं हुआ जाएं।

    बोल कर वायु नुर को कॉल कर के अपने रूम में बुलाता है। तो कुछ मिनट में ही नूर वायु के रूम में आती है। वायु नूर को देख कर कहता है। बच्चा तुम शोना को तैयार करने में हेल्प कर दो। और ध्यान रहे उस के पैर पर ज़ायद प्रेसर नहीं पड़ना चाहिए बरना पैर के ज़ख्मों से फिर से खून निकलने लगेगा। तो ध्यान रहे। और अगर कुछ ज़रूरत पड़े तो मुझे बुला लेना मैं दुसरे रूम में ही हुआ।


    बोल कर वायु जाने लगा तो धरा उस का हाथ पकड़ लेती है। और उस ना जाने का इशारा करतीं हैं। धरा को घबराता देख कर वायु धरा के चहरे को पकड़ कर उस के माथे पर किस्स कर के कहता है। शोना बच्चा में यही हुं। कहीं नहीं जा रहा बस रेडी होने के लिए दुसरे रूम में जा रहा हुं। और आप को भी तो रेडी होना है ना। ये नूर है। मेरी बुआ जी की लड़की वो जो लेडी अभी आई थी ना रूम में वो मेरी बुआ है। और ये उन की ही लड़की है।हम सब की लाडली ।

    धरा वायु की बात सुनकर नूर को देखतीं हैं। जो कि अपनी आंखों में उसे मिलने की चमक लिए उसे ही देख रही थी। वायु धरा से हाथ छुड़ा कर नूर को धरा को रेडी हो ने के लिए बोल कर दुसरे रूम में चला जाता है।


    नूर धरा के पास आ कर उस से कहतीं हैं। चलिए भाभी पहले में आप को तैयार कर देती हूं फिर बात करेंगे। ...



    कुछ देर बाद।


    वायु रेडी हो कर जब अपने रूम में आता है। तो उस की नजर धरा पर पड़ती है। तो वह उसे देखता ही रहा जाता है।

    धरा लग ही इतनी सुन्दर रहीं थीं। उस ने पिंक कलर का लहंगा पहन रखा था। उस के साथ की ज्वेलरी नूर ने धरा के बालों को खुला छोड़ दिया था। उस के लम्बे बाल उस ड्रेस पर अच्छे लग रहे थे। मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र माथे पर छोटी सी बिंदी और हाथ में चुड़ी। धरा का बहुत लाइट मेकअप हुआं था। वह पहले ही इतनी सुन्दर थी तो उसे मेकअप की किया ही जरूर पढ़ती। कुल मिलाकर धरा नयी नवेली दुल्हन लग रही थी।




    और वायु ने क्रीम कर का कुर्ता और पाजामा पहन रखा था। जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था। एक हाथ में घड़ी दुसरे में शादी का कलाव था जो की आज रस्म के दोरान खुलने वाला था। कुल मिलाकर वायु बहुत हैंडसम और डैशिंग लग रहा था। ...





    वायु तो धरा को देख कर खो सा गया था। वह चल कर धरा के पास आता है। धरा निचे नज़र किया खड़ी थी। वह अभी अभी वायु को देख कर खड़ी हुई थी।

    वायु धरा के चहरे को अपने हाथों में भर कर उस के माथे को चूम लेता है । और कहता है। You are looking very beautiful jaan ..... ❤️🥰


    वायु की बात सुनकर धरा अपनी नजरें उठा कर उसे देखती है। तो एक पल को दोनों एक दूसरे की आंखों में खो जाते हैं। तभी नूर कहतीं हैं। भाई छोटी सी भाभी को बाद में देख लेना आप की ही है। पर अब आप इन्हें लेकर निचे चलीं। बहुत लेट हो गया है।


    वायु धरा को अपनी गोद में उठा कर रूम से बाहर आता है।कि तभी नूर आगे बढ़कर जल्दी से धरा के चहरे पर घुंघट कर देती है। वायु देखता तो है पर बोलता कुछ नहीं है क्योंकि उसे भी पता था कि आज धरा की मूंह दिखाई और कुछ रस्में है जो उन्हें करनी। वायु धरा को लेकर आगे बढ़ता है।  धरा के पैरों में लगी थी तो वह ठीक से चल नहीं पा थी। वायु धरा को और ज्यादा तकलीफ़ में नहीं देख सकता था इस लिए वह उसे अपने बाहों में उठ कर ही लेकर गया था।


    निचे होल में। .....


    निचे होल में कुछ गेस्ट और फैमिली मेंबर्स मोजूद थे। जब धरा को वायु की बाहों में निचे आते हुए देखते हैं तो सब उन्हें ही आंखें और मुंह फ़ाड़ कर देखने लगते हैं।


    वायु विना किसी पर ध्यान दिए आगे बढ़कर धरा को सोफे पर बैठा देता है।

    वह धरा जो कि इतने सारे लोगों को अपने सामने देख कर अनकम्फर्टेबल हो रही थी। साथ ही उसे डर भी लग रहा था पहली बार वह किसी चीज में सामिल हुईं थीं। अपने कमरे से अलग निकाल कर अचानक अपने सामने इतने सारे लोगों को देखना लाजमी था उस का डर ना। ....


    वह वायु के हाथ को पकड़ कर बैठी ही रही है उस ने सर निचे झुका रखा था।



    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 13. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 13

    Words: 1068

    Estimated Reading Time: 7 min

    धरा वायु उठ कर वायु के पास जा कर बैठ जातीं हैं। तो सब लोग उसे ही देखने लगते हैं। धरा वायु का हाथ पकड़ कर बैठ जाती है और सब को देखने लगती है।


    वायु भी हैरानी से धरा को देखने लगता है। नूर कहतीं हैं। क्या हुआ भाभी आप वहा क्यों बैठ गयी जा कर।

    वायु भी धरा को देख कर कहता है। क्या हुआ बच्चा आप यहा क्यों बैठ गये। पुरी फैमिली तो आप के साथ है ना।

    धरा वायु को देख कर अपने हाथ से कुछ इशारा करतीं हैं। जिसे कोई समझ नहीं पा रहा था। सब धरा को देखने लगते हैं। धरा जब देखतीं हैं कि कोई उस की बात को समझ नहीं पा रहा है तो वह मायूस हो जाती है। और वह अपना सिर झुका कर वायु का हाथ पकड़ कर बैठी रही है।

    वायु अपना फोन निकल कर धरा के आगे करता है। और कहता है। शोना तुम इस फोन में टाइप कर के दो जो बोलना चहाती हों।


    धरा पहले तो वायु के फोन को देखती है फिर उसे। और फोन ले कर उस में लिख कर वायु के तरफ फोन कर देती है।

    जब वायु फोन में धरा के लिखे हुए शब्दों को देखता है। तो उसे के होंठों पर इस्माइल आ जाती है। वायु को मुस्कुराते हुए देख कर अक्ष कहता है। भाई हमें भी बताओं ना क्या लिखा है भाभी ने जो आप इतना इस्माइल कर रहे हो।

    वायु सब की तरफ देख कर कहता है। अब आप सब को तो मुझे पर तरस नहीं आया मुझे अकेला छोड़ दिया। पर मेरी मासुम सी बीवी को मुझ पर तरस आ गया। बोल रही है कि आप चिंता मत करो धरूं है आप की तरफ आप अकेले नहीं हों। वायु अपने होंठों पर बड़ी सी इस्माइल लिए ये सब कहता है।


    वायु की बात सुनकर सब मुस्कुरा देते हैं। निशा जी कहती हैं। चलो अब बातें बाद में करेंगे पहले रस्में कर लेते हैं।


    धरा वायु दोनों अब एक दुसरे के सामने नहीं बैठें थे बल्कि धरा वायु के पास ही बैठी थी। दोनों के हाथ पीतल के भागोने में थे।

    नुर अंगुठी डालतीं है तो दोनों ढुढने लगाते हैं। शुरू में वायु को मिलती हैं। नूर दोबारा घेरती है अंगुठी धरा को भी इस गेम को खेलने में बहुत मज़ा आ रहा था उस के चहरे पर खुशी देखी जा सकती थी। आंखों में चमक साफ नजर आ रही थी। दुसरा राउंड धरा जीतीं है।


    वह जब धरा के हाथ में अंगुठी आतीं हैं तो वह वायु को दिखातीं है फिर ख़ुशी से खुद ही थाली बजाने लगतीं हैं। धरा को खुश देख कर सब खुश हो रहें थे। वायु को तो एक अलग ही सुकुन मिल रहा था। धरा को खुश देख कर।

    ऐसे ही दो राउंड और हो जातें हैं और उस मे भी एक बार वायु और एक बार धरा जाती थी। नूर कहतीं हैं। देखो भाई भाभी ये फाइनल राउंड है इस मे पता चलेगा कोन अपने पार्टनर के दिल पर राज करेगा।


    नूर रिंग डालतीं है तो दोनों उस पर झपट पड़ते हैं जिससे पानी छलक कर दोनों के उपर ही आ जाता है। धरा वायु के हाथ को पकड़ लेती है और खुद ही रिंग को ढुंढ ने लगतीं हैं। वायु तो धरा की खुशी को देख रहा था। घुंघट में भी वह धरा के होंठों पर वह प्यारी सी मुस्कान देख सकता था। और उस मुस्कान को देख कर तो वायु खो गया था वह अपने होश में ही तब आता है जब सब की थाली बजाने की आवाज आती है।

    निशा जी कहती हैं चलो भाई हमारी धरा ही जीतीं इस राउंड को भी अब वायु पर हुकुम चलाने वाली आ गयी है। सब हंस पड़ते हैं। वायु भी हंसते हुए धरा को देखता है जो की सब की बातों से अनजान अपनी ही दुनिया में मगन थी। वह वायु के हाथ के साथ खेल रही थी उस ने पुरी रस्म में वायु का हाथ नहीं छोड़ा था।


    कुछ देर बाद गेस्ट जो आएं हुए थे उन्हें धरा की मुंह दिखाई की उसे गिफ्ट और आशीर्वाद दे कर चलें गये थे। सब गेस्ट ने धरा की खुबसूरती की खुब तारिफ की...



    निशा जी कहती हैं। चलों अब बस एक रस्म और रह रही हैं पहली रसोई की। तो वो और कर लेते हैं। धरा बेटा क्या तुम पर खाना बनाना आता है।

    धरा कुछ कहती उसे पहले ही वायु कहता है। नहीं वो खाना नहीं बनाएगी। बुआ जी शोना के पैर में चोट लगी है वो किचन में खड़ी हों कर खाना कैसे बना सकतीं हैं अब ये भी तो देखो।

    हर्षित जी कहते हैं। वायु ठीक बोल रहा है। पहली रसोई की रस्म फिर कभी कर लेंगे पर अभी नहीं। वायु तुम धरा को लेकर रूम में जाओ तुम दोनों का खाना रूम में ही भिजवा दुगा।

    वायु धरा को लेकर अपने रूम में चला जाता है। जाकर वायु धरा को कपड़े चेंज करने को बोलता है। तो धरा उसे ही देखने लगतीं हैं। वायु धरा को देखता है। जिस की आंखों में नींद भरी थी। और वह बार बार बंद हो रही थी। उस के फैस पर साफ़ दिख रहा था कि वह बहुत थक गयी है। और कभी भी सो सकतीं हैं।

    वायु धरा के गाल को सहलाते हुए कहता है। बच्चा पहले अपने कपड़े चेंज कर लो फिर सो जाना ओके। चलों उठों।

    धरा वायु की बात सुनकर उसे देख कर ना में सिर हिला देती है। और बेंड पर लेटने लगती है। वायु कहता है। नहीं बच्चा आप इतने हवी लहंगे में कैसे सोगे आप कम्फ़र्टेबल नहीं होंगे।

    धरा वायु की एक नहीं सुनतीं और अपनी आंखें बंद कर लेती है। वायु गहरी सांस लेकर कहता है। बच्चा किया में आप के कपड़े चेंज कर दु।...

    धरा निंद में ही हां मैं सिर हिला देती है। वायु गहरी सांस लेते हैं फिर अपनी एक शर्ट लाता है। और धरा के कपड़े चेंज करने के लिए अपना हाथ आगे बढाता है कि उस की दिल की धड़कन बढ़ जाती है। वह बहुत तेज आवाज करने लगता है।

    वायु अपनी आंखें बंद कर गहरी सांस लेता है फिर धरा के दुपट्टे को निकाल देता है। उस की सारी ज्वेलरी निकाल कर रख देता है। यहा तक तो ठीक था सब अब वायु की हालात खराब होने लगी जब वारी आईं कपड़े उतारने की। ...


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

    Next chapter me dono ka first romance hoga... To chapter ko Miss Mt kr Dana....yrr.

  • 14. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ first kiss धरा वायु की ❤️❤️ - Chapter 14

    Words: 1306

    Estimated Reading Time: 8 min

    वायु गहरी सांस लेकर धरा को देखता है। जो कि बड़े सुकुन के साथ रो रही थी। और वायु को छोड दिया दुविधा में की अब तुम मेरे कपड़े चेंज करते रहो मैं तो चलीं सोने। ....😁😁

    वायु धरा के ब्लाउज की डोरी को खोलने के लिए हाथ बढ़ाता है। उस के हाथ कांप रहें थे। वह जैसे तैसे कर के धरा के ब्लाउज को उस की बॉडी से अलग कर देता है। तो धरा को देख कर उस का गला सूखने लगता है।

    उस कि नजर धरा की गर्दन से होते हुऐ। उस के सिने पर जातीं हैं और सिने पर से होते हुए वायु की नज़र धरा के गोरे पतले से पेट पर जा कर रूक जाती है। धरा की नाभि को बहुत गोर से देखने लगता है।

    वायु का मन कब उसे बग़ावत करने लगा। उसे खुद नहीं पता चला। वायु के हाथ धरा के पेट पर अपने आप चलें जाते हैं। वह उस के पेट पर हाथ चलाने लगता है। धरा कि नाभि के आस पास अपनी उंगली को घुमाने लगता है।

    जिसे धरा कसमसाने लगतीं हैं। वह नींद में ही वायु के हाथ को पकड़ कर अपने पेट पर से हटा देती है। जिसे वायु होश में आता है। और वह धरा के चहरे को देखता है। जो गहरी नींद में था।

    वायु अपनी आंखें बंद कर गहरी सांस लेता है। और अपनी नज़र फेर कर धरा का लहंगा उतारने लगता है। पर उस की नज़र बार बार धरा के पेट पर जा रही थी।

    उस का मन कर रहा था कि वह धरा के गोरे और सॉफ्ट पेंट को चूम लें। वह अपने आप को कन्ट्रोल भी बहुत कर रहा था। पर जब उसे रहा नहीं जाता है। तो वह आगे बढ़ कर धरा के पेट पर अपने होंठ रख देता है। और उसे चूमने लगता है।


    कमर पर दोनों तरफ से हाथ रख कर धरा के पेट को किस्स करने लगता है। अपनी जीभ को निकाल कर धरा की नाभि के आस पास चलाने लगता है। वायु को बहुत मजा आ रहा था। धरा के पेट के साथ खेलते हुए।

    वहीं जब धरा को अपने पेट पर कुछ गीला गीला लगता है। तो वह अपनी नींद भरी आंखों को थोड़ा सा खोल कर देखतीं हैं।

    धरा अपने पेट की तरफ देखतीं हैं। तो वायु उस के पेट को चूम ने में मग्न था। धरा पहले तो घबरा जातीं हैं। कि वह किया कर रहा है। पर उसे वायु का छुना बुरा भी नहीं लग रहा था। वह उस के दोनों कंधों पर हाथ रखतीं हैं।


    वायु अपना चहरा उठा कर धरा को देखता है। जो उस भी अपनी कन्फ्यूज़ भरी नजरों से देख रही थी। उस की आंखों में नींद अभी भी भरीं हुईं थीं। जो नींद से हल्की बंद भी थी। साथ ही उस के होंठों का पाउट बना हुआ था। जिसे वह वायु को बहुत क्यूट और मासूम लग रही थी।

    वायु धरा के उपर आ जाता है। और उस के गुलाबी होंठ पर अपने अंगुठे से सहलाने लगता है। धरा के होंठों को ही देखतीं हुए कहता है। जान किया में तुम्हें किस्स कर सकता हूं। तुम्हारे इन गुलाबी होंठ को चूम सकता हुं।

    बोल कर वायु धरा की आंखें में देखने लगता है। धरा वायु की आंखों में देखतीं हैं। और ना जाने वायु की आंखों में किया खुमारी क्या कशिश थी जो वायु अपनी गर्दन हां मैं हिला देती है। हालांकि उसे इस बात की समझ ही नहीं थी कि किस्स क्या होता है। वायु के कहने का क्या मतलब है उसे मासूम को कुछ नहीं पता था।

    जहां आज की एज में 16,17 साल के बच्चे बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बना रहे हैं। वह मेरी मासुम , क्यूट सी धरा को कुछ नहीं पता था। पता भी कैसे होता आज तक घर से बाहर ही कहा निकल थी।


    वायु जब धरा की हां देखता है तो वह बहुत खुश हों जाता है। और बहुत धिरे से अपने सख्त होंठ धरा के सॉफ्ट होंठों पर रख देता है।

    धरा की आंखें एक पल में बड़ी बड़ी हो जाती है। उस की पुरी बॉडी में सनसनी फ़ैल जाती है। पेट में हजारों लाखों तितलियां उड़ने लगती है।


    वायु अपनी आंखें बंद कर धरा के सॉफ्ट होंठों को चूसने में लगा था। बहुत प्यार से धरा को किस्स कर रहा था। कभी निचले होंठ को चूमता तो कभी उपर लिप्स को सक करता।

    वायु को किस्स करते हुए ही अपने उपर किस्स की नजरें महसूस होती है तो वह अपनी आंखें खोल कर देता है। धरा बड़ी बड़ी आंखें से उस ही देख रही थी।


    वायु धरा के लिप्स को छोड़ता है पर अपना चहरा दुर नहीं करता बल्कि धरा के होंठों के आस ही अपने होंठ को लेकर मदहोश भरी आवाज में कहता है। जान.... मेरे प्यार को महसूस करो अपनी आंखें बंद करों। और मैं जो तुम्हें किस्स कर रहा हूं उसे महसूस करों। जानता हूं तुम्हारे लिए यह सब बहुत अजीब होगा नया भी है। पर ट्रस्ट मी कुछ ग़लत नहीं करूंगा बस थोड़ा सा अपनी क्यूट वाइफ को प्यार करना चहाता हुं।

    धरा वायु की बात सुनकर अपने आप ही आंखें बंद कर देती है। वायु धरा को होंठों पर फिर से अपने होंठ रखता है। और फिर से उसे किस्स करने लगता है।


    वायु को हाथ धरा को किस्स करते हुए उस की बॉडी पर चलने लगते हैं। साथ ही वह धरा को किस्स करते हुए ही उस का लहंगा भी उतार देता है। और उस की खुलीं टांगों पर हाथ चलाते हुए ऊपर की तरह अपने हाथ लेकर आता है। और धरा के पेट पर हाथ रख कर धीरे धीरे उस के पेट को सहलाने लगता है।

    धरा वायु के हर एक टच से सहिर उठतीं है। वह बस वायु की किस्स को महसूस कर रही थी। वायु धरा के मुंह में अपनी जुबान को डाल कर उस के मुंह के हर एक कोने को चखने लगता है। वायु की सॉफ्ट किस्स अब पैशनेट किस्स में बदल जाती है।


    जिसे अब धरा को सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है। तो वह वायु के कंधे पर हाथ रख कर उसे अपने से दुर करने लगतीं हैं। जिसे वायु अपने होश में आता है। तो वह धरा के होंठों को छोड देता है। दोनों गहरी सांस लेने लगते हैं। वायु धरा की गर्दन में अपना चहरा छुपा लेता है। और उसे गर्दन पर किस्स करने लगता है।

    धरा गहरी सांस ले रही थी अपनी आंखें बंद कर के उस का पुरा चहरा लाल हो गया था। शाय़द शर्म से या फिर सांस ना आने से। अब वो तो धरा ही जाने।

    वायु धरा की गर्दन पर किस्स करते हुए उस के सिने पर आने लगता है। कि तभी धरा के पेट से आवाज आने लगतीं हैं। जिसे सुनकर कर वायु धरा के चहरे को देखता है।


    जो शर्म से लाल हो गया था। वायु को अब अपने ऊपर ही गुस्सा आने लगता है। वो कैसे बहक सकता है। साथ ही वह यह भी भुल गया की धरा को भुख लगी होगी।


    वायु धरा के गाल पर किस कर के कहता है। सोरी बच्चा मेरे वजह से आप भूखें रह गये। में कैसे भुल गया की खानें का टाइम हो रहा है और मेरे बच्चे ने तो मॉर्निंग में भी रस्मों की वज़ह से कुछ नहीं खाया था। सोरी सोना आपने हब्बी को माफ़ कर दो।

    धरा जब वायु का गिल्ट से भरा चहरा देखतीं हैं तो उसे अच्छा नहीं लगता है वह वायु के चहरे को आपने छोटे छोटे हाथों में भरती है। और वायु के गाल पर किस्स कर के कहती हैं। नहीं हब्बी आप धरू से सोरी नहीं बोलो.....


    धरा की आवाज सुनकर तो वायु हैरान रहा जाता है। कोई सपना सा लगता है। उसे वायु समझता है कि वह शाय़द खुलीं आंखों से ही सपना देख रहा था। ....

    Tu be continued 🙏 🙏 🙏


    कॉमेंट करों यार‌ कॉमेंट नही तो रेटिंग ही कर दो। इतनी अच्छी मेरी स्टोरी है।

  • 15. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 15

    Words: 1199

    Estimated Reading Time: 8 min

    धरा जब वायु का गिल्ट से भरा चहरा देखतीं हैं तो उसे अच्छा नहीं लगता है वह वायु के चहरे को आपने छोटे छोटे हाथों में भरती है। और वायु के गाल पर किस्स कर के कहती हैं। नहीं हब्बी आप धरू से सोरी नहीं बोलो.....


    धरा की आवाज सुनकर तो वायु हैरान रहा जाता है। कोई सपना सा लगता है। उसे वायु समझता है कि वह शाय़द खुलीं आंखों से ही सपना देख रहा था। ....

    अब आगे। ..........


    वायु धरा की मीठी और बच्चों जैसी आवाज सुनकर खुश हो गया। उसे लगा शायद उस का बहम है तो वह धरा के चहरे को अपने हाथों में भर कर कहता है। जान, बच्चा अभी आप ने किया कुछ कहां।बोल ना जान क्या कहा आप ने अभी।

    पर अब धरा कुछ नहीं कहती । वह बस चुप चाप वायु को देख रही थी। धरा को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उस ने कुछ कहा ही ना हो।

    अब वायु को लगने लगा शायद उस का बहम ही था। उस का मन उदास हो गया। वह धरा के ऊपर से उठता है। धरा को शर्ट पहना कर उस के माथे पर किस्स करता है। और कहता है। कोई बात नहीं बच्चा । आप मुझे बहुत जल्द हब्बी कह कर बोलों गए । देखना। ....

    वायु निचे से धरा और अपने लिए खाना मंगवाता है। कुछ देर में ही वायु के रूम का डोर नॉक होता है। तो वायु दरवाजा खोलता है। सामने सर्वेंट खानें की ट्रे लीए खड़ी थी। वायु टेवल पर खाना रखने को बोलता है।

    वह खाना रख कर चलीं जाती है। वायु दरवाजा बंद कर। धरा को अपनी गोद में उठा कर सोफे पर बैठ जाता है। और धरा को भी अपनी गोद में ही बैठाएं रखता है।

    धरा वायु को ही देख रही थी जो उसे अपने बच्चे कि तरह ट्रीट कर रहा था । कल से लेकर अब तक वायु ने एक बार भी धरा को जमीन पर पैर नहीं रखने दिया था। अपनी गोद में ही उठाएं घुम रहा था। धरा को अब वायु के साथ अच्छा लगने लगा था।

    उसे अब वायु के होते हुए अकेले महसूस नहीं हो रहा था। वह सोच रही थी कि कैसे उस ने वायु को अभी थोड़ी देर पहले हब्बी बोला था।  जिसे वायु अपना बहम समझ रहा था। वो सच था। धरा ने वायु को हब्बी बोला था। बस जब वायु उसे दोबारा बोलने के लिए बोल रहा था। तो उस के होंठों ने उस का साथ नहीं दिया। वह बोला तो चहा रही थी। बस बोल नहीं पाई।


    धरा को कुछ सोचता हूं देख कर वायु धरा से कहता है। शोना आप किया सोच रहें हों। में कब से आप को आवाज दे रहा हूं।
    चलों खाना खा लो। वायु धरा की तरफ खाने का एक निवाला करते हुए कहता है।

    धरा एक नजर वायु को देखतीं हैं। और फिर उस के हाथ में निवाले को। वायु फिर से कहता है। बच्चा क्या देख रहे हो। खो लो ....

    वायु का इतना प्यार और अपने हाथ से खाना खिलाना धरा की आंखें नम कर गया। वह नम आंखों से अपना मुंह खोलतीं है और उस निवाले को खा लेती है।

    धरा के आंसु गाल पर आ लुढ़कते है। आज ना जाने कितने साल बाद किसी ने धरा को इतने प्यार से अपने हाथों से खाना खिलाया था। उस का कितना मन करता था। जब भी उस के घर वाले नव्या को प्यार से अपने हाथ से खाना खिलाते तो उस का कितना मन करता था। खाने का। कि उसे भी उस का भाई या मां पापा ऐसे ही अपने हाथों से खाना खिलाएं पर ऐसा कभी हुआ ही नहीं।


    वायु जब धरा की आंखों में आसूं देखता है। तो उस बहुत तकलीफ़ होती है। वह समझ पा रहा था धरा की मन की भावनाओं को समझ भी रहा था। वह धरा के आंसुओं को साफ करता है। और उसे बहुत प्यार से कहता है। नहीं शोना रोना नहीं। अब मैं हुं ना आप के साथ। आप को जैसे भी रहना जो भी करना है आप कर सकते हों। कोई कुछ नहीं कहेगा। और जो भी बात हो आप मुझे से बोल दिया करों। अब चुप मत रहो।‌
    क्योंकि यहां है तुम्हें सुनें के लिए तुम से बात करने के लिए यहा हम सब है। में और मेरे नहीं नहीं। मेरे नहीं हमारा परिवार है जो तुम से ढेर सारी बातें करने को उतावला है।

    ऐसे ही बात कर हुए वायु धरा को सारा खाना खिला देता है। और खुद भी खाता है।



    कुछ देर बाद।

    वायु बैंड पर बैठा था। धरा उस की गोद में बैठी बंदर के बच्चे की तरह चिपक कर बैठी थी। वायु धरा के बालों में हाथ फेर रहा था। उसे सुला रहा था। थोड़ी देर बाद जब वायु को अपनी गर्दन पर धरा की गहरी सांसें महसूस होती है। तो वह समझ जाता है। धरा सो गयी है। वायु बहुत आराम से धरा को साईड में लिटाता है। और वह उठ कर जाने को होता है कि ...


    धरा वायु का हाथ पकड़ लेती है। और निंद में ही वायु के ऊपर आ कर सो जातीं हैं। वायु के होंठों पर इस्माइल आ जाती है धरा के ऐसा करने पर। वायु धरा की कमर पर हाथ रख लेता है। और अच्छे से उसे अपने ऊपर सुला लेता है। उस की पीठ पर थपकी देने लगता है। जिसे धरा गहरी नींद में चली जाती है।

    कुछ ही देर में वायु को भी नींद आ जाती है। वह भी धरा को अपनी बाहों में लिए सो जाता है।


    जहां वायु धरा एक दुसरे की बाहों में सुकुन से सो रहें थे। वहीं चौहान हवेली में का माहौल गर्म था।


    चौहान हवेली में।......

    नव्या अपने पिता पवन जी  के गले लग कर रो रही थी। और धरा को कोसें जा रही थी। वह रोते हुए कहती हैं। पापा उस धरा ने मेरे वायु को मुझ से छिन लिया। मुझे मेरा वायु चाहिए। कुछ करों पापा कुछ करो मैं मर जाऊंगी उस के बिना। पापा उस धरा ने पहले हम सब कि ख़ुशी छीन ली अब जब मैं वायु के साथ अपनी खुशी जिना चहाती थी तो उस ने उसे भी मुझे से छीन लिया। 


    शकुन्तला देवी जब अपनी पोती की एसी हालत देखतीं हैं तो उन्हें बहुत गुस्सा आता है। वह वही रखा वास उठा कर फेंक देती है और गुस्से से चिखते हुए कहती हैं। जान से मार दुंगी उस लड़की को। आज उस की वजह से मेरी बच्ची की आंखों में आसूं है। आज फिर से 12 साल बाद इस घर में फिर से उस लड़की की वजह से मेरे परिवार की खुशियां छिनीं है। में उस लड़की की जान ले लुंगी।


    फिर नव्या के फास आ कर कहती हैं। आप तुम हो जाओ मेरी राजकुमारी आप की दादी आप से वादा करतीं हैं। आप का वायु आप को जरूर मिलेगा। ये हमारा शकुन्तला देवी का आप से वादा है।

    नव्या अपनी दादी की बात सुनकर खुश हो जाती है। और शकुन्तला देवी के गले से लग जातीं हैं। तो वहीं धरा की मम्मी सौम्या जी अपनी सास की बात सुनकर डर जातीं हैं। उन्हें अब धरा की फ़िक्र होने लगती है। वह मन ही मन धरा की सलामती की दुआं करती है।


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 16. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 16

    Words: 1187

    Estimated Reading Time: 8 min

    फिर नव्या के फास आ कर कहती हैं। आप तुम हो जाओ मेरी राजकुमारी आप की दादी आप से वादा करतीं हैं। आप का वायु आप को जरूर मिलेगा। ये हमारा शकुन्तला देवी का आप से वादा है।

    नव्या अपनी दादी की बात सुनकर खुश हो जाती है। और शकुन्तला देवी के गले से लग जातीं हैं। तो वहीं धरा की मम्मी सौम्या जी अपनी सास की बात सुनकर डर जातीं हैं। उन्हें अब धरा की फ़िक्र होने लगती है। वह मन ही मन धरा की सलामती की दुआं करती है।


    अब आगे। ....

    वहीं जब नव्या अपनी दादी की बात सुनती है तो वह मन ही मन बहुत खुश हो जातीं हैं। पर वह अपने चहरे पर आने नहीं देती है।

    नव्या बेचारी सी बनते हुए। अपने कमरे में चली जाती है। वहीं उस की हालत देखकर कर सब को बहुत बुरा लग रही थी सब सोच रहें थे कि आज धरा की वज़ह से ही नव्या की ये हालत है। वह सब धरा को कोश रहे थे।

    वही नव्या रूम में जाकर अपना असली रूप दिखातीं है। और गुस्से में कमरे के सारे समान को यहां वहां फेंकने लगतीं हैं। गुस्से में चीखते हुए कहती हैं। धरा ये तुम ने अच्छा नहीं किया तु ने मुझे से मेरे वायु को छिना है अब देख मैं किया करती हुं तेरे साथ। तुझे खुश तो मैं वहां भी नहीं रहने दुंगी। वायु अगर किसी का होगा तो वो सिर्फ और सिर्फ नव्या का होगा। बस कुछ दिन और चैन से रह लें फिर तेरा शुक चैन सब में छीनूगी।

    वही राजवंश हवेली में। .....

    वायु और धरा सब से बेखबर हो कर एक दूसरे की बाहों में सुकुन की नींद सो रहे थे।

    वायु धरा को अपनी बाहों में भरे सो रहा था। तभी उस के रूम का डोर नॉक होता है। जिसे वायु की नींद खुल जाती है। वह सब से पहले धरा को देखता है। फिर उस के माथे पर किस्स कर अपने साइड में लिटा कर डोर ओपन करता है।

    तो नूर खड़ी थी। वह कहती हैं। भाई आप को और भाभी को निचे मामा जी बुला रहे हैं। तो जल्दी आ जाओ। बोल कर नूर चलीं जाती है।

    वायु दरवाजा बंद कर के धरा के पास आता है। जो सुकून से सो रही थी। वायु धरा के गाल पर किस कर के कहता है। मेरा लिटिल क्यूट बन्नी उठ जाओ । निचे डैड बुला रहें हैं।

    वायु के किस्स करने पर धरा के होंठों पर प्यारी सी मुस्कान आ जाती है। वह नींद में ही मुस्कुरा उठतीं है। और वायु की बात सुनकर अपनी आंखें खोल कर उसे देखती है। फिर से बन्द कर सो जातीं हैं।

    वायु एक पर को तो देखता ही रहा जाता है कि उस के little bunny ने अभी किया क्या। पर वह फिर से झुक कर धरा के गाल पर किस करता है। तो धरा दुसरी तरफ चहरे कर के लेट जाती है।

    वायु को अब धरा को परेशान करने में मजा आ रहा था तो वह धरा के पेट पर हाथ रख कर अपने हाथों को उस के पेट पर चलाने लगता है।

    धरा चिढ कर वायु के हाथ को हटा देती है। और अपना क्यूट सा फेस बना लेती है। वायु फिर भी नहीं मानता है वह कभी धरा के गालों पर किस्स करता तो कभी उस के पेट पर अपने हाथ चलाना। जिसे धरा चीढ़ जाती है। और वह गुस्से में उठ कर अपने हाथों को फोलड कर अपने सिने से लगा कर बैठ जाती है। उस का गुस्से में महूं फुला हुआ । जिसे वह बहुत क्यूट लग रही थी। वायु को उस पर बहुत प्यार आ रहा था।

    वायु हल्का मुस्करा कर धरा को कमर से पकड़ता है। उस अपनी गोद में बैठा लेता है। वायु धरा के गाल पर किस्स करते हुए कहता है। क्या मेरा शोना मुझसे गुस्सा हों गया है। पर बच्चा में क्या करूं मुझे आप को उठाना भी तो था ना निचे डैड हम दोनों को बुला रहे हैं।

    धरा जो मुंह फुलाए बैठी थी। वह वायु की बात सुनकर अपना सिर उठा कर उसे देखती है। उस के होंठों का पाउट बना हुआ था। वह उसे अपनी आंखें टिमटिमाते हुए देख रही थी।

    वायु धरा के पाउट बनें होंठों पर किस्स करते हुए। कहता है। बच्चा ये अपनी क्यूटनेस का जाल मुझे पर मत फेंको में दिवाना बनें जाउंगा। आप कि क्यूटनेस का। मेरी जान।

    इतना बोल कर वायु धरा के होंठों को अपनी महूं में भर लेता है। और किस्स करने लगता है। धरा को किस्स करते हुए ही सही से बैठाता है। उस के दोनों पैरों को अपनी क़मर के इर्द गिर्द कर लेता है और उस के दोनों हाथों को अपनी गले में डाल देता है। और उसे पकड़ कर अपने से और सटा लेता है।

    और धरा के होंठो को बहुत प्यार से सॉफ्ट किस्स करने लगता है। वही धरा तो अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर उसे ही देख रही थी। वह अचानक वायु के किस्स करने पर हैरान थी। जिसे वायु जब अपने ऊपर किसी कि नजरें देखता है। तो वह अपनी आंखें खोल कर धरा को देखता है। फिर अपना हाथ कर धरा की आंखों पर रख देता है।

    धरा भी वायु की सॉफ्ट किस्स को महसूस करने लगतीं हैं। वायु धरा के निचले होंठ को महूं में भर कर सक करने लगता है। तो कभी उस के अपर लिप्स को सक करता है। धिरे धिरे वायु की सॉफ्ट किस्स पैशनेट किस्स में बदलने को ही थी वह धरा के मुंह में अपनी जीभ डालता उसे पहले ही उस का फोन रिंग करने लगता है।

    जिसे वायु होश में आता है और धरा के होंठों को छोड़ देता है। वायु देता है कि वेद का फोन है। तो वह धरा की तरफ नज़र करता है। जो गहरी सांसे ले रही थी। धरा का चहरा लाल था। शाय़द हमारी क्यूट धरूं शरमा रही थी।

    वायु धरा को उठा कर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए लेकर जाता है। फिर बाहर आ कर धरा के लिए कपड़े देता है। तो धरा के कपड़े अभी तक आएं ही नहीं थे। इस लिए वायु नूर से उस की ही कोई ड्रेस मंगवाता है। नूर धरा के लिए अपना रेड कर का फ्रॉक सुट लेकर आती है। और वायु को देख कर चली जाती है।

    वायु धरा को रेडी करता है। धरा बस चुप चाप बैठी वायु को ही देख रही थी। वायु धरा के कानों में छोटे-छोटे ईयररिंग पहनाता है। उस की आंखों में काजल लगा कर दोनों आंखों पर किस्स करता है। फिर धरा के होंठों पर पिंक लिपस्टिक लगा कर उसे देखता है। तो उसे हल्की सी कमी लगीं जो कि वह बहुत जल्द उसे मिटा भी देता है। वह धरा के माथे पर छोटी सी बिंदी लगता है। फिर सिंदूर उठा कर धरा की मांग में भर देता है। जो धरा की नाक पर भी गीर जाता है। फिर वायु धरा के माथे पर किस्स कर के कहता है। परफेक्ट मेरा लिटिल क्यूट बन्नी बहुत प्यार और खुबसूरती लगा रहा है।

    अब चलें नीचे। धरा हां मैं सिर हिलाती है। वायु फिर से धरा को अपनी बाहों में उठाता है। और निचे लेकर चला जाता है।


    Tu be continued 🙏 🙏

  • 17. नफ़रत के साए में प्यार.. धरा और वायु की प्रेम कहानी...❤️❤️ - Chapter 17

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे। ....

    वायु धरा को तैयार कर के अपनी बाहों में उठा कर निचे सब के पास लेकर आता है ‌ । जहां सब लिविंग रूम में बैठे उन दोनों का ही इंतजार कर रहे थे।

    वायु धरा को सोफे पर बैठा देता है। और खुद भी उस के पास बैठ जाता है। वायु अपने डैड की तरफ देख कर कहता है। डैड आप को कुछ जरूरी बात करनी थी। क्या कहना था। आप को।

    हर्षित जी कहते हैं। वायु बेटा हम ये कहना था कि कल शाम को हम तुम दोनों की रिसेप्शन पार्टी कर रहे हैं। हम चाहते हैं की जो हमारे बिजनेस पार्टनर शादी में नहीं आ पाए वह रिसेप्शन पर आएं। तुम दोनों के बारे में सब को पता चलना चाहिए।हम किसी से भी कुछ नहीं छुपाना चाहते हैं।

    वायु गम्भीर आवाज में कहता है। ठीक है डैड जैसे आप कहें। पर मिडिया वाले नहीं होने चाहिए। में अभी धरा को दुनिया के सामने नहीं लाना चाहता। आप को भी पता है अगर उसे पता चल गया कि मेरी पत्नी धरा है तो वह इस के साथ किया करेंगा । में मेरे शोना बच्चा की जान को खतरे में नहीं डाल सकता।

    हर्षित जी वायु की बात से सहमत होते हैं। फिर उन की नजर धरा पर पड़ती है। जो भी अपनी मासुम नजरों से सब को देख रही थी।

    हर्षित जी धरा को अपने पास बुलाते हैं। तो धरा वायु को देखने लगतीं हैं। वायु धरा को देख कर हर्षित जी को देख कर कहता है। डैड आप भुल रहे हैं। शोना के पैरों में चोट लगी है वह कैसे आप के पास आएगी।

    हर्षित जी कहते हैं। ओ है हम तो भुल ही गये की हमारी प्रिंसेस के पैरों में चोट लगी है। चलों कोई नहीं प्रिंसेस नहीं तो प्रिंसेस के डैड उस के पास जाएंगे।

    बोल कर हर्षित जी धरा के पास आ कर सोफे पर बैठ जाते हैं। और धरा के सिर पर हाथ फेरते हैं।

    धरा उन्होंने देखने लगतीं हैं। तो हर्षित जी कहते हैं। प्रिंसेस हम कोन है यह तो आप को पता ही है ना। धरा हां मैं सिर हिला देती है।

    हर्षित जी धरा के माथे पर किस्स करते हुए कहते हैं। हम वायु के डैड ही नहीं आप के भी डैड है। तो मेरी प्रिंसेस को जो भी परेशान हो वह आप मुझे बता सकतीं हैं। अगर कभी मेरा खड़ूस बेटा तुम पर गुस्सा करें या फिर डांटे तो मुझे बताना में इस खड़ूस को बहुत मारूंगा।

    धरा हर्षित जी का प्यार और अपनापन महसूस कर के रोने लगती है। उस की आंखों से आंसु गाल पर आ जाते हैं। वह हर्षित जी का हाथ पकड़ कर कुछ कहने के लिए अपने होंठों खोलतीं है पर कुछ कह नहीं पाई। जिसे घर के सब फैमिली मेंबर्स भी महसूस कर रहें थे। वह देख रहें थे कि धरा बात तो करना चहाती है सब से। पर कर नहीं पा रही हैं।


    हर्षित जी धरा को रोता हुआ देख कर परेशान हो जाते हैं। वह उस के आंसुओं को साफ करते हुए कहते हैं। अरे प्रिंसेस क्या हुआ। आप रो क्यों रहे हो। आप को रोता हुआ देख कर आप के डैड को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है।

    धरा आगे बढ़कर कर हर्षित जी के गले लग जातीं हैं। और रोने लगती है। एक पिता के प्यार के लिए धरा हमेशा तरसतीं आईं थीं। और आज उसे हर्षित जी के रूप में वह पिता का प्यार मिल रहा था। पर धरा को कही ना कही डर भी लग रहा था। अब वह क्या डर था। वह तो धरा ही जाने।


    हर्षित जी के साथ साथ बाकी सब भी धरा को देखने लगते हैं। जो इस वक्त हर्षित जी के गले लग कर रो रही थी।

    वायु को बहुत तकलीफ़ हो रही थी धरा के इस तरह रोने से। उस का मन कर रहा था कि वह धरा को अपने सिने से लग लें। पर वह चुप रहा उसे कुछ ना करा ही सही समझा। वह चहाता था कि धरा सब फैमिली मेंबर्स से मिले ।


    हर्षित जी धरा के बालों पर हाथ फेरते हुए उसे चुप कराते हुए कहते हैं। बस बस मेरी प्रिंसेस बस इतना नहीं रोते बच्चा।‌आप की तबीयत खराब हो जाएगी। और हम नहीं चाहते कि हमारी बेटी की तबीयत बिगड़ी। हम चाहतें हैं कि आप अपने खुल कर हम सब से अपनी बात कहें। जो भी आप के मन में है।


    फिर धरा के अपने से अलग कर के उस के आंसुओं से भरें चहरे को साफ करते हुए कहते हैं। बस बहुत रो लिया अब नहीं। हम अपनी प्रिंसेस को खुश देखना चाहते हैं। वह सब करता हुआ देखना चाहते हैं जो उस ने अपने बचपन में नहीं करा। आप की शरारतें और आप की शैतानियां। हम सब आप को ये सब करता हुआ देखना चहाते है। हम चाहते हैं की आप खुल कर अपनी जिंदगी जियो। अब चलों बातें बहुत हों गयी सब डिनर करते हैं। चलों


    वायु धरा को फिर से अपनी बाहों में उठाता है और सब के साथ डाइनिंग टेबल के पास आ जाता है। और धरा को अपने पास बैठा लेता है। सब डिनर करने लगते हैं। पर धरा की नजरें बार बार कही जा रही थी। जिसे वायु और हर्षित जी बहुत देर से नोटिस कर रहे थे।

    नूर के हाथ में आज शाम को ही चोट लग गई थी। जिस वजह से अभिराज जी उसे अपने हाथों से खाना खिला रहे थे। तो धरा उन दोनों को ही देख रही थी।


    हालांकि वायु धरा को आपने हाथो से ही खाना खिला रहा था वह खुद भी खा रहा था और धरा को भी खिला रहा था। हर्षित जी जब धरा को देखते हैं। तो वह उठा कर धरा के पास वाली सीट पर बैठ जाते हैं। और धरा की तरफ खाने का एक निवाला करते हैं। धरा कभी हर्षित जी को देखतीं तो भी उस निवाले  को। हर्षित जी खानें को कहते हैं तो धरा खा लेती है। अब सिन कुछ ऐसा था कि एक तरफ से वायु धरा को खाना खिल रहा था तो दुसरी तरफ से हर्षित जी खाला रहें थे। धरा भी नम आंखों से दोनों को हाथों से खा रही थी।




    Tu be continued 🙏 🙏 🙏 🙏


    please please please please follow kr lo.. yrr koi to