Novel Cover Image

Young devil's mature bride

User Avatar

Ishqi

Comments

53

Views

1393

Ratings

120

Read Now

Description

"लव इज़ मोर ब्यूटीफुल व्हेन इट्स अरेंज्ड बाय गॉड" — अनाही सहगल, राजस्थान के सिरोही जिले की रहने वाली एक सुलझी और मैच्योर लड़की जो अपनी उलझी जिंदगी में सुकून की तलाश में है। अपनी छोटी बहन की जिद के चलते अनाही की शादी अपनी उम्र से कम उम्र...

Total Chapters (36)

Page 1 of 2

  • 1. Young devil's mature bride (शादी) - Chapter 1

    Words: 1583

    Estimated Reading Time: 10 min

    स्टर्लिंग रिज़ॉर्ट, माउंट आबू

    यह रिज़ॉर्ट शादियों के लिए एक शानदार डेस्टिनेशन माना जाता है। आज यहाँ गुजरात के नामी निमानी परिवार के दोनों बेटों की शादी सिरोही के मध्यमवर्गीय सहगल परिवार की दो बेटियों के साथ हो रही थी।

    रिज़ॉर्ट को बेहद खूबसूरती से सजाया गया था, लेकिन कुछ चेहरों पर मुस्कान की कमी साफ नज़र आ रही थी।

    मंडप में पंडित जी के मंत्रों उच्चारण की गूँज थी।

    निमानी परिवार के दोनों बेटे, दूल्हे बने बैठे थे, लेकिन उनके चेहरे उतरे हुए थे।

    बड़े बेटे वेदांत निमानी को दुल्हन पसंद नहीं थी, जबकि छोटे बेटे रुहान को शादी करने में ही कोई दिलचस्पी नहीं थी।

    कुछ ही देर में दोनों दुल्हनें भी मंडप में आ चुकी थीं।

    वेदांत के लिए सहगल परिवार की छोटी बेटी विहा को चुना गया था। 20 वर्षीया विहा स्वभाव से बेहद चंचल और नटखट थी। उसकी इन हरकतों को देखकर वेदांत ने उसे अपने छोटे भाई की दुल्हन के लिए भी नामंजूर कर दिया था। उसे क्या पता था कि जिस लड़की को वह अपने भाई के लिए भी पसंद नहीं करता, उसी से एक दिन उसकी शादी हो जाएगी।

    विहा जैसे ही वेदांत के पास बैठी, उसने जल्दी से चेहरा घुमाकर उसे देखने की कोशिश की। उसकी इस बचकानी हरकत को देखकर वेदांत ने मुट्ठियाँ कस लीं और मन ही मन कहा, "शादी तो कर लो, लेकिन तुम्हें सुधार न दिया तो मेरा नाम वेदांत निमानी नहीं।"

    वहीं, रुहान, जो इस शादी में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखता था, उसने गर्दन पर हाथ फेरते हुए धीरे से कहा, "मैडम जी, मेरे पास बैठने में कितना वक्त लगेगा?"
    अनाही का लहँगा हैवी होने के कारण सेट नहीं हो रहा था, जिसके कारण उसे रुहान के पास बैठने में थोड़ा वक्त लग रहा था। जैसे ही वह बैठी, उसने गहरी साँस ली और मन में सोचा, "जैसे विहा थोड़ी नादान है, शायद निमानी परिवार का छोटा बेटा भी वैसा ही है। मैं इस शादी की शुरुआत किसी बहस से नहीं करना चाहती।" इतना सोचकर उसने रुहान की बात का कोई जवाब नहीं दिया।

    रुहान ने आँखें सिकोड़ते हुए कहा, "आप मुझसे तीन साल बड़ी हैं, तो क्या अब रोब दिखाएँगी? मुझे नज़रअंदाज़गी बिल्कुल पसंद नहीं है, यह मैं पहले ही बता देता हूँ।"

    पंडित जी दोनों जोड़ों को घूर रहे थे, क्योंकि उनकी खुसर-पुसर से मंत्रोच्चारण में दिक्कत हो रही थी। अनाही ने पंडित जी की नज़रें देखते ही रुहान से धीरे से कहा, "मैं आपको नज़रअंदाज़ नहीं कर रही, लेकिन ये बातें बाद में भी हो सकती हैं। अभी हम मंडप में हैं, गपशप करने के लिए नहीं।"

    रुहान ने गुस्से में मुँह फुलाते हुए मन में कहा, "मैडम क्या बोला इन्होंने तो लेक्चर देना भी शुरू कर दिया! देखता हूँ, यह लेक्चरबाज़ी कब तक चलती है। जल्द ही इनकी यह नौकरी छुड़वाकर डाइवोर्स पेपर पर साइन करवाऊँगा। मेरी ज़िंदगी की डोर कोई कंट्रोल नहीं कर सकता, न घरवाले कर पाए, न तुम कर पाओगी।"

    पंडित जी मंत्रोच्चारण कर रहे थे, और अनाही को फ्लैशबैक में वो पल याद आ रहे थे, जब उसकी बहन की ज़िद ने उसे ऐसे लड़के से शादी करने पर मजबूर किया, जो उससे तीन साल छोटा था।

    फ्लैश बैक

    10 दिन पहले
    राजस्थान सिरोही

    सहगल विला
    सुबह का वक्त
    8 बजे

    "नहीं नहीं मुझे नहीं जाना दीदी आपके साथ अब कही भी, जब मैंने कहा मुझे वेदांत ही पसंद है तो आप क्यों उस बिगड़ैल रूहान को मेरे गले बांधना चाहती हैं आपको ज्यादा चिंता है तो आप कर लो उससे शादी।"

    लगभग 20 साल की लड़की अपने कमरे में बेड पर बैठी लगभग रोने वाली आवाज में ये सब अपने सामने खड़ी अपनी बहन से कह रही थी।

    उस लड़की ने इस वक्त एक व्हाइट क्रॉप टॉप और नीचे ब्ल्यू डेनिम जींस पहनी हुई थी, बालों की हॉफ पोनी बना रखी थी।

    दिखने में खूबसूरत थी पर फिलहाल उसके चेहरे पर बहुत गुस्सा नजर आ रहा था।

    "दीदी अब चुप क्यों हो गई आप, पहले तो बहुत बोल रही थी, विहा कर ले शादी रूहान से वो अच्छा लड़का है जब बात आप पर आई तो आप चुप हो गई।"

    विहा ने फिर से झल्लाते हुए अपने सामने खड़ी लड़की से कहा।
    उसके सामने इस वक्त व्हाइट अनारकली ड्रेस पहने अनाही सहगल खड़ी थी, सहगल परिवार की बड़ी बेटी उम्र 25 साल, खूबसूरत इतनी चेहरे से जैसे नूर झड़ रहा था पर उसके चेहरे पर परेशानी के अलावा दूसरा भाव कम ही आता है।

    आज इन दोनों बहनों को देखने गुजरात के निमानी परिवार के लड़के आए थे... पर हमारी विहा को छोटा बेटा नहीं बल्कि बड़ा बेटा वेदांत पसंद आ गया जो निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज का सीईओ भी था, दिखने भी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह, दूसरा वो बहुत ज्यादा वेल मैनर्स वाला लड़का था, वही उसका छोटा भाई, आज सिरोही नहीं आया था उसके बावजूद उसके चर्चे इतने थे कि सबको पता था उसका दिन और रात दोनों क्लब में गुजरती हैं।

    अनाही ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "ठीक है पापा से बात करते हैं तू रोना बंद कर बाहर चल।"

    विहा की आंखो में चमक आ गई और वो अनाही के पीछे पीछे कमरे से बाहर निकल गई।

    बाहर हॉल में एक दंपति जोड़ा बैठा था दोनों के हाथ में चाय के मिट्टी वाले कप थे... अनाही के पिता "राधेश्याम सहगल" और मां "काशी सहगल"।

    अनाही ने उनके सामने जाते हुए कहा, "पापा छोटी को रूहान जी पसन्द नहीं आए हैं।"

    ये सुनकर राधेश्याम ने लंबी सांस भरते हुए कहा, "कोई बात नहीं बेटा, हम जबरदस्ती नहीं करेंगे बाकी वो लोग काफी नामी घर से थे उसे कहना एक बार और सोच ले।"

    पीछे विहा सर झुकाए खड़ी थी।

    अनाही ने फिर से हल्की कांपती आवाज में कहा, "उसे उनका बड़ा बेटा वेदांत निमानी पसंद है, वह चाहती है उसकी शादी बड़े बेटे से हो जाए और मेरी छोटे से।"

    यह सुनने भर से राधे श्याम के हाथ में पड़ा कप छूट कर फर्श पर गिर गया और वह गुस्से में सोफे से उठते हुए अनाही के पास आते हुए बोले, "तुम दोनों का दिमाग खराब हो गया है।"
    इतना बोल कर उन्होंने विहा को मारने के लिए हाथ उठाया तो विहा अनाही के पीछे छुप गई।

    अनाही ने राधे श्याम का हाथ पकड़ते हुए कहा, "कोई बात नहीं है पापा वेदांत की उम्र भी ज्यादा नहीं है वह बस विहा से 7 साल बड़े हैं और इतना गैप तो चलता है।"

    राधेश्याम ने गुस्से से उबलते हुए कहा, "और तुम्हारा क्या रूहान तुमसे 3 साल छोटा है।"

    अनाही ने पलके झुकाते हुए कहा, "अगर विहा खुश है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।"

    काशी ने अनाही के पास आते हुए कहा, "बेटा हम रिश्तेदारों को क्या कहेंगे कैसे छोटी बेटी ने दूसरे घर के बड़े बेटे से शादी कर ली?"

    काशी और राधेश्याम दोनों अब गुस्से से विहा को घूर रहे थे जो अनाही के पीछे दुबकी हुई खड़ी थी। जैसे उसके मुंह में जबान ना हो उसकी जुबान सिर्फ अनाही के सामने खुलती है।

    Flash back end

    पंडित जी की आवाज़ से अनाही का ध्यान टूटा, जो उसे खड़े होने को कह रहे थे। अनाही को इस वक्त भी लहँगे की वजह से जल्दी उठने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन वह रुहान को और गुस्सा नहीं दिलाना चाहती थी। वह पूरी कोशिश कर रही थी कि जल्दी उठ जाए। तभी रुहान ने अपना हाथ बढ़ाकर धीरे से कहा, "माना कि मैं छोटा हूँ, लेकिन आपको संभाल सकता हूँ। आज तक बिना अप्रोच के किसी की मदद नहीं की, यह पहली बार है।"

    रुहान के लहजे से लग रहा था कि उसे अनाही की मदद करना पसंद नहीं आ रहा, फिर भी वह कर रहा था। अनाही ने हल्के से मुस्कुराकर अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। अगले ही पल रुहान ने उसे खींचकर खड़ा कर दिया।

    देखते ही देखते शादी की सारी रस्में पूरी हो गईं। अनाही बुरी तरह थक चुकी थी। विहा का लहँगा भी वैसे तो भारी था, लेकिन वह शादी के एक्साइटमेंट में इतनी डूबी हुई थी कि उसे कुछ नज़र नहीं आ रहा था।

    वह बार-बार घूँघट के पीछे से अपने हैंडसम पति का चेहरा देखने की
    कोशिश कर रही थी।

    कुछ देर बाद दोनों जोड़ों ने परिवार का आशीर्वाद लिया।

    यहां निमानी परिवार की बड़ी बहू निवेदिता निमानी, जो उनकी सास थीं, और उनकी देवरानी राधिका निमानी मौजूद थी।

    काशी और राधेश्याम ने भी अपनी बेटियों को आखिरी बार गले लगाया।

    विहा रोते हुए बोली, "मम्मी-पापा, अगर मैंने आपको परेशान किया हो, तो माफ़ करना।"
    काशी ने मुस्कुराते हुए अपनी आँख से थोड़ा काजल निकालकर विहा के कान के पीछे लगाया और कहा, "परेशान तो तुमने बहुत किया है, अब अपने ससुराल वालों को करना।"

    कुछ देर बाद 4 गाड़ियाँ माउंट आबू से गुजरात के लिए रवाना हो गईं।

    काशी और राधेश्याम ने भी सिरोही जाने के लिए ट्रेन की टिकट बुक की। उन्होंने रात रिज़ॉर्ट में ही रुकने का इंतज़ाम किया था, ताकि सुबह जल्दी सिरोही रवाना हो सकें।

    सुबह 5 बजे, निमानी हाउस, गुजरात

    4 गाड़ियाँ निमानी हाउस के सामने रुकीं। अनाही पूरे रास्ते सो रही थी, जिससे उसकी थकान काफी हद तक उतर चुकी थी। वहीं, विहा ने पूरा रास्ता रोते हुए बिताया था, जिसके कारण अब वह ठीक से उठ भी नहीं पा रही थी। वेदांत उसका हाथ पकड़कर उसे गाड़ी से संभालकर बाहर निकाल रहा था। दूसरी ओर, रुहान और अनाही के बीच दो गज की दूरी थी, जैसे दोनों दुश्मन देशों के सिपाही हों।

  • 2. Young devil's mature bride (मुझे अपने प्राइवेट स्पेस में स्ट्रेंजर्स बिल्कुल पसंद नहीं है) - Chapter 2

    Words: 1641

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनाही ने जैसे ही विहा की हालत देखी, वह भी तेज कदमों से चलकर उन दोनों के पास गई। उसने जैसे ही विहा को छूना चाहा, वेदांत ने घूर कर अनाही को देखा और फिर पीछे खड़े रुहान की तरफ इशारा करते हुए बोला, "तुम्हारा पार्टनर पीछे है।"

    इसे सुनकर अनाही ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए अपना हाथ पीछे खींच लिया। वहीं, वेदांत विहा को संभालते हुए अंदर ले गया।

    दरवाजे पर पहले से वेदांत की ताई जी, माधवी, हाथ में पूजा की थाल लिए उनका इंतजार कर रही थीं।

    उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "पहले हम बड़े बेटे और बड़ी बहू का स्वागत करेंगे, इसलिए पहले तुम दोनों यहाँ आ जाओ।"

    वेदांत ने हाँ में सर हिलाया और धीरे से विहा के कान में कहा, "रोतलू लड़की, होश में आओ। हम लोग घर पहुँच चुके हैं।"

    विहा ने अपनी आँखें जबरदस्ती खोलने की कोशिश की। वह सामने देखना चाहती थी, पर घूंघट की वजह से अभी उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वह पूरी कोशिश कर रही थी कि वह अपना बोझ वेदांत पर ना छोड़े और खुद को संभालते हुए चले, पर उसकी सारी कोशिशें नाकाम थीं।

    वेदांत दहलीज पर विहा को थामे खड़ा था। उन्हें ऐसे साथ में देखकर निवेदिता ने मुस्कुरा कर दोनों की बलैया लीं। फिर उसने हॉल में लगी बड़ी सी तस्वीर को देखा, जिस पर फूलों का हार चढ़ा था। यह वेदांत के पिता, नमन निमानी थे, जिनकी मौत एक हादसे में हो चुकी थी।

    या यूँ कहें, किसी की साजिश की वजह से वह भगवान को प्यारे हो चुके थे। उनका केस आज भी कोर्ट के पन्नों में दर्ज है, पर शायद इंसाफ नहीं मिलने वाला है। यह सोचकर निवेदिता ने फिर यह आस ही छोड़ दी थी कि कभी उसके पति को इंसाफ भी मिलेगा। उसने आँखों में पानी लिए अपने मन में कहा, "पहली बार मैंने अपने बेटे के लिए कुछ पसंद किया है, उम्मीद करती हूँ आपको भी बहुत पसंद आया होगा।"

    फिर उसने एक चावल का कलश दरवाजे की दहलीज पर रखते हुए विहा को उसे दाहिने पैर से गिराने को कहा। विहा ने अपना लहंगा एक हाथ से उठाया और दूसरे हाथ से वेदांत की बाजू थामते हुए उस लोटे को धीरे से गिरा दिया, जिसके साथ ही वहाँ खड़े सब लोगों ने एक साथ ताली बजाई।

    माधवी के पास उनके पति जिग्नेश और राधिका के पति रितेश खड़े थे।

    नमन, जिग्नेश और रितेश तीनों सगे भाई थे। उन्होंने अपने परिवार को एक साथ रखने की बहुत कोशिश की और इसमें सबसे बड़ा हाथ नमन का था, लेकिन नमन के जाने के बाद बस दो भाई रह गए थे इस परिवार की बागडोर संभालने के लिए।

    जिग्नेश और रितेश की आपस में बहुत कम बनती है, लेकिन एक ऐसी संदिग्ध कड़ी थी जो इन दोनों को आज तक एक साथ जोड़े हुए थी, जिनका ताल्लुक सीधा नमन की मौत से था।

    पर वह सब एक सीक्रेट था जिसे जिग्नेश और रितेश दफन करना चाहते हैं।

    रुहान ने तेज कदमों से चल कर अपने और अनाही के बीच की डिस्टेंस को कम किया और फिर अनाही के पास आते हुए बोला, "अब आपका लहंगा आपको भारी नहीं लग रहा है? मंडप में तो ऐसे गिर रही थी जैसे कि लहंगा लोहे का बना हो।"

    अनाही ने धीरे से कहा, "तब मैं पूरे दिन इतनी सारी रस्में करके थकी हुई थी, अभी मैं गाड़ी में सोते हुए आई हूँ, तो थोड़ी एनर्जी फील हो रही है, बस इसलिए।"

    रुहान ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा, "मुझे तो लगता है मंडप में आप खुद चाहती थीं कि मैं आपका हाथ थाम लूँ। यू नो व्हाट, मुझे देखते ही लड़कियाँ ऐसी चीप ट्रिक अपनाना शुरू कर देती हैं, पर मैं रुहान निमानी हूँ, इतनी जल्दी किसी को पसंद नहीं करता हूँ।"

    अनाही को पता था रुहान ने अब तक उसे नहीं देखा है, बस इसीलिए वह इतनी अजीबोगरीब हरकतें कर रहा है ताकि कैसे भी उसे पता चल जाए कि अनाही आखिर दिखती कैसी है। रुहान को लगा था वह अपनी तारीफ करेगा तो अनाही भी अपनी तारीफ में दो शब्द तो बोल ही देगी पर अनाही ने ऐसा कुछ नहीं किया।

    उसने बस आगे कदम बढ़ाते हुए कहा, "मैं भी नहीं चाहती रुहान निमानी किसी ऐसी वैसी लड़की को पसंद करें।"

    यह भारी भरकम 13 शब्दों का जवाब रुहान के सर से 100 की स्पीड से गुजर चुका था, उसे कुछ समझ नहीं आया।

    तब तक वह दोनों दहलीज पर पहुँच चुके थे।

    माधवी ने रुहान का कान खींचते हुए कहा, "यह आखरी बार तुम्हारा कान खींचकर तुम्हें डाँट लगा रही हूँ, उसके बाद तुम्हारी बीवी लगाएगी।"

    रुहान ने बच्चों जैसा मुँह बनाकर कहा, "ताई जी कैसी बातें कर रही हैं आप, थोड़ा तो लिहाज कीजिए, मैं अपनी धर्मपत्नी के सामने खड़ा हूँ। अब अगर घर में मेरी कोई इज्जत नहीं करेगा तो वह भी मुझे ऐसे ही जलील करेगी।"

    राधिका ने धीरे से कहा, "ऐसी हरकतें मत करना जिससे वह तुम्हें जलील करे। असली मर्दों वाली हरकतें करना, जलील छोड़ो तुम्हारे सामने ऊंची आवाज तक नहीं करेगी।"

    उसकी यह बात कहीं ना कहीं निवेदिता और अनाही दोनों को पसंद नहीं आई, पर अनाही को इस बात की तसल्ली थी कि ऐसे शब्द उसकी सास ने नहीं इस्तेमाल किए हैं।

    कुछ देर बाद उनकी गृह प्रवेश की रस्म भी खत्म हुई और राधिका ने अनाही को संभालते हुए घर में बने ठाकुर जी के मंदिर को दिखाते हुए कहा, "अब हम तुम दोनों की यहाँ पूजा करवाएँगे।"

    अनाही ने घूंघट में ही हाँ में सर हिला दिया क्योंकि घूंघट उठाने की इजाजत उसे अभी मिली नहीं थी। विहा जो पहले से वेदांत की बगल में बैठी थी, उसने वेदांत के कंधे पर सर रखते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं, जिसे महसूस कर वेदांत ने अपनी मुट्ठिया भींचते हुए होठों को गोल कर एक लंबी सांस छोड़ी ताकि वह गुस्से में विहा को फिलहाल कुछ ना कहे।

    माधवी जो उनसे पूजा की रस्म करवाने वाली थी वह जैसे ही मंदिर के अंदर गई, वेदांत ने जल्दी से विहा के सर पर दो-तीन बार हाथ मारते हुए कहा, "मैं तुम्हारा तकिया नहीं हूँ, उठो यहाँ से।"

    विहा ने मुँह बिगाड़ते हुए नींद भरी आवाज में कहा, "प्लीज टू मिनट का नैप लेने दो ना पतिदेव।"

    वेदांत ने गुस्से से जबड़ा कसते हुए आगे कहा, "रूम में सो जाना अभी पूजा करनी है।"

    माधवी उनके पास वापस आ चुकी थी।

    उसने अनाही और विहा दोनों को देखा और विहा को देख कर उसने आँखें छोटी करके कहा, "पूजा के समय ऐसे क्यों बैठी हो बहुरानी? हमें सब कुछ बर्दाश्त है पर ठाकुर जी के मंदिर पर बैठ कर आलस करना उनके अपमान के समान है, और मुझे ये बर्दाश्त नहीं।"

    विहा जो अपनी कच्ची नींद में थी वह उसकी इतनी तेज डांट सुनकर झटके से उठकर सीधी बैठ गई और वेदांत को उसकी इस हरकत पर हंसी आ गई। उसके बाद माधवी, निवेदिता और राधिका तीनों ने मिलकर उन सब से बाकी सारी रस्में करवाईं।

    पर वह विहा से काफी परेशान हो चुके थे क्योंकि वह बच्चों की तरह बार-बार कभी उबासी ले रही थी तो कभी नींद के झटके आ रहे थे उसे।

    उन्हें सारी रस्म करते-करते सुबह से शाम हो चुकी थी और इन सब से अब विहा को लग रहा था कि वह चक्कर खाकर ही गिर जाएगी, यहाँ तक की उसकी आँखों में पानी भी आ गया था। विहा ऐसी ही लड़की थी अगर उसकी बात ना मानी जाए तो उसे एक ही ऑप्शन नजर आता है और वह है रोना, जैसे रोने से उसकी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी। उसने अपनी मासूम सी आवाज में अनाही के पास जाते हुए धीरे से कहा, "दी मुझे बहुत नींद आ रही है, प्लीज इसे बोलो ना थोड़ा तो रहम करें, हमने शादी की है ना की कोई जुर्म जिसकी सजा हमें ऐसे दी जा रही है।"

    अनाही ने गहरी सांस लेकर कहा, "बच्चा बस थोड़ी देर की बात है उसके बाद तो वैसे भी हमें रेस्ट ही करना है बस थोड़ा सा सब्र।"

    अनाही ने बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह उसे करते हुए विहा को समझाया।

    उन्होंने वह सारी मजेदार रश्में की थीं जो एक शादीशुदा जोड़े को करनी चाहिए, लेकिन इस शादी की परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि उन्हें एक भी रसम करने में मजा नहीं आया। किसी में रुहान का मुँह चढ़ा हुआ था तो किसी में वेदांत विहा को डांट रहा था, बस बची थी तो सिर्फ अनाही जो कभी रुहान को समझाने की कोशिश कर रही थी तो कभी विहा को।

    शाम के करीब 6:00 बजे एक इवनिंग फूड के बाद उन लोगों को फाइनली रेस्ट करने के लिए अपने-अपने कमरे में भेज दिया।

    निवेदिता ने अपने दोनों बेटों के कमरे को अपनी निगरानी में डेकोरेट करवाया था ताकि उनकी जिंदगी की नई शुरुआत एक खूबसूरत कमरे में खूबसूरत लम्हें के साथ हो।

    विहा जैसे ही कमरे में पहुँची उसने आव देखा ना ताव वह सीधा बेड पर जाकर पसारते हुए बोली, "पतिदेव सुहागरात गई भाड़ में, मुझे इतनी भयंकर नींद आ रही है ना कि आप मुझे अब 6:00 बजे से लेकर सुबह के 6:00 बजे तक बिल्कुल डिस्टर्ब मत करना।"

    वेदांत ने गुस्से में विहा की तरफ अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाए और फिर एक झटके से उसकी बाजू पड़कर उसे बेड पर सीधा बैठाया और अगले ही पल उसका दुपट्टा सर से खींचते हुए बोला, "तुमने आखिर मुझे समझ क्या रखा है?"

    वहीं दूसरी तरफ अनाही ने बड़े गौर से उस बड़े से कमरे को देखा जो उसके मिडिल क्लास घर के कमरे से कई गुना ज्यादा पड़ा और खूबसूरत था।

    रुहान तेजी से कमरे के अंदर आया और फिर अनाही के सामने खड़े होकर अपने दोनों हाथ अपने सीने पर बांधते हुए बोला, "मैडम जी मुझे अपने प्राइवेट स्पेस में स्ट्रेंजर्स बिल्कुल पसंद नहीं है, तो मैं चाहता हूँ आप यहाँ नहीं बल्कि अपने स्पेस में जाकर रहिए।"

    अनाही ने कंफ्यूजन में कहा, "और वह कहाँ है?"

    रुहान ने एक तंज भरी मुस्कान के साथ बालकनी की तरफ इशारा करते हुए कहा, "दीस वे मैम।"

  • 3. Young devil's mature bride (गंदे आदमी, मुझे दर्द हो रहा है) - Chapter 3

    Words: 1543

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनाही, रुहान की बात सुनकर कन्फ्यूजन से बालकनी की तरफ देखती है, जहाँ एक सोफ़ा था, उसके पास कारपेट बिछा था, एक छोटी सी टेबल थी, जिस पर एक छोटा सा फ्लावर वास रखा था। सामने से बालकनी खुली हुई थी और कमरे की तरफ उसमें एक ग्लास डोर लगा हुआ था।

    जुलाई के इस महीने में शाम के वक्त रिमझिम बारिश ने भी अपनी झड़ी लगा रखी थी। वह बारिश बहुत ज्यादा धीमी थी, बिल्कुल उसकी बूंद की तरह, जिससे आधी बालकनी लगभग भीग चुकी थी। अनाही ने जल्दी से रुहान की तरफ देखते हुए कहा, "पर रूहान जी, मैं वहाँ..."

    रुहान ने अपना सेहरा उतार कर टेबल पर रखा और फिर शेरवानी के बटन ओपन करते हुए बोला, "आई डोंट लाइक डिस्टरबेंस, प्लीज वहाँ चली जाओ। मुझे और परेशान मत करो, मैं ऑलरेडी बहुत ज्यादा परेशान हूँ इस शादी से।"

    अनाही के दिल से अजीब सी आवाज आई थी, "जहाँ तुम शांति ढूंढने की कोशिश कर रही हो, वहाँ सिर्फ बेचैनी की खामोशी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।"

    अनाही ने एक गहरी सांस लेकर कहा, "ठीक है, मैं कपड़े तो चेंज कर सकती हूँ ना?"

    रुहान अब उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था। वह तेज कदमों से रूम से अटैच्ड अपने केबिन में चला गया था, जहाँ क्या रखा था, यह सिर्फ वही जानता था। अनाही ने भी उसके जवाब का इंतजार नहीं किया और जल्दी से वार्डरोब की तरफ बढ़ गई, जहाँ पहले से उसके लिए कपड़ों का इंतजाम कर रखा था।

    अनाही ने हल्के पैरेट कलर का सूट निकाला और फिर उसे लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ गई। यह कमरा बिल्कुल वेल सेटल्ड था, जहाँ जो होना चाहिए, वहाँ वही था। इन सबको देखकर अनाही काफी ज्यादा इम्प्रेस हुई थी। कम से कम रुहान अपने कमरे को तो ढंग से रखता है, वरना विहा तो इस मामले में भी किसी लायक नहीं है, उसे सब कुछ मैसी रखना पसंद है।

    वही रूहान उस कमरे में जाते ही वहा रखे काउच पर बैठ कर अनाही के बारे में सोच कर खुद में बड़बड़ा रहा था।

    "कितना एटीट्यूड है, अभी तक अपना चेहरा भी नहीं दिखाया, हूँ मैं कौनसा मर रहा हूं उसका चेहरा देखने के लिए।"

    इतना बोल कर उसने एक सिगरेट निकाली और उसे जलाते हुए अपने डार्क ब्राउन होठों के बीच फंसा लिया।

    रूहान की आंखे गहरी काली थी, जिनमें कोई भी डूब सकता था। हल्के ब्लैक कर्ली बाल जो कुछ हमेशा उसके माथे पर बिखरे रहते हैं।

    6'2 कि हाइट के साथ, 8 पैक एब्स वाली फिजिक, जिस पर उसके कॉलेज की हर लड़की मरती है।

    फिलहाल रूहान अपने B.com. के फाइनल ईयर में था।

    और कॉलेज में काफी पॉपुलर भी था।

    रूहान अब कल के दिन के बारे में सोच रहा था, कॉलेज वाले अब उसे शादी शुदा बोल के तो नहीं चिढ़ाने लग जाएंगे?

    वही वेदांत और वीहा का कमरा...

    वेदांत ने जैसे ही गुस्से में सवाल किया कि
    "आखिर तुमने मुझे समझ क्या रखा है?"

    उसकी नजर विहा के उस खूबसूरत से चेहरे पर एक पल के लिए ठहर गई।

    उसकी खूबसूरत नीली झील सी आंखे फिलहाल थकान और नींद के कारण बोझिल हो कर हल्की झुकी हुई थी ।

    चेहरे पर वो बड़ी सी नथ और मैचिंग रखड़ी के साथ उसका डोल जैसा गोल चेहरा और भी खूबसूरत लग रहा था।

    उसके बाल भूरे और घुंघराले थे जिनकी लटे इतनी बार सीधी करने के बावजूद मुड़ कर अभी उसके गाल को छू रही थी।

    वेदांत उसके नैन नक्श को काफी बारीकी से देख रहा था कि अचानक उसके कानों में विहा की आवाज आई जिससे वो होश में आया।

    वीहा ने मासूमियत से पलकें झुकाते हुए कहा, "अपना हस्बैंड और क्या समझूँगी मैं आपको?"

    वेदांत को अफसोस हुआ अपने इस रवैये पर, वो कैसे किसी लड़की को देखने में इतना खो सकता है, उसने एक हाथ से अपने माथे को रगड़ते हुए कहा,
    "ज्यादा मासूम बनने की कोशिश मत करो। जब से देख रहा हूँ, तब से बस प्रिंसेस ट्रीटमेंट ले रही हो तुम मुझसे। कभी कंधे पर सर रख के सो रही हो, तो कभी पूरी गाड़ी में रो-रो के मेरा दिमाग खराब कर रही थी और अब देखो, सीधा जाकर मेरे बेड पर पड़ चुकी हो, जैसे कि तुम्हारा हो।"

    वेदांत को भी नहीं पता, वह अपने ऊपर आया गुस्सा अब विहा पर निकाल रहा था।

    उसने जब देखा विहा कुछ नहीं बोल रही है तो फिर से गुस्से में बोला,
    "अनजान जगह किसी का दिल इतनी जल्दी नहीं लगता है, जितनी आराम से तुम आकर सोई हो।"

    वीहा ने आँखें गोल-गोल घुमाते हुए कहा, "वेदांत आप क्या बोल रहे हैं? सब कुछ मेरे सर के ऊपर से जा रहा है। आपको किस बात से प्रॉब्लम है? मैं रो रही थी इस बात से? क्या मैं आपके कंधे पर सर रखकर सो रही थी इस बात से? या फिर अभी मैं आपके बिना पूछे आपके बेड पर सो चुकी हूँ इस वजह से? या फिर कैसे मुझे अनजान जगह पर नींद आ रही है इस वजह से? मैंने आपको इतने सारे रीज़न दिए, अब जल्दी से इनमें से एक को पिक करके बताओ, आपको कौन सी दिक्कत है, मैं उसे अभी सुलझा दूँगी।"

    वेदांत मुँह खोल वीहा को देख रहा था। कितनी अजीब लड़की थी ये! क्योंकि सब कुछ वीहा ने बहुत ही मजाकिया तरीके से कहा था, जिसे देखकर किसी को भी हंसी आ सकती थी, लेकिन वेदांत को सिर्फ चिढ़ मच रही थी।

    वेदांत ने उसके कंधों पर अपनी पकड़ कसते हुए झल्ला कर कहा, "मैं तुम्हें आज ही यह बता देना चाहता हूँ कि इस शादी में मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं था और तुम मुझे कतई पसंद नहीं हो। मुझे तो तुम्हारी बहन पसंद थी, उसकी सादगी पसंद थी। तुम्हारा यह बचपन मुझे एक आँख नहीं भाता है, तो मेरे सामने ज्यादा इतराने की जरूरत नहीं है और हमेशा अपने काम से काम रखना है, मेरी चीजों को हाथ लगाने की भी कोशिश मत करना और वैसे भी तुम इतनी पिद्दी सी तो हो, उस सोफे पर आराम से सेट हो जाओगी, तो जाओ अच्छे बच्चों की तरह वहाँ जाकर सो जाओ।"

    वेदांत यह सब बोल ही रहा था कि अचानक उसकी नजर वीहा के चेहरे पर गई, जो बिल्कुल लाल हो चुका था और उसकी आँखें भी इतनी लाल हो गई थी, जैसे अभी उनमें से खून टपकने लगेगा और अचानक ही वीहा बिल्कुल किसी छोटे बच्चों की तरह जोर-जोर से रोते हुए बोली, "गंदे आदमी, मुझे दर्द हो रहा है, छोड़ो, छोड़ो मेरे हाथों को।"

    वेदांत ने गुस्से से अपना आइब्रो चढ़ाते हुए कहा, "ओह, तो अब तुम मुझे इमोशनली मैनिपुलेट करना चाहती हो, पर आय एम रियली सॉरी, तुम्हारी यह ट्रिक भी बिल्कुल काम नहीं करने वाली है।"

    वेदांत की बेरुखी देख कर वीहा और भी ज्यादा रोने लगी, उसकी छोटी सी नाक से भी अब पानी बहने लगा था। वह रोते हुए बार-बार वेदांत का हाथ अपने कंधे से हटा रही थी। वेदांत ने अब महसूस किया कि उसके कंधे पर शायद उसने बाजूबंद पहन रखा था, जो ज्यादा कसने की वजह से उसके कंधे में धंस रहा था। उसने फिर अपने दोनों हाथ उसके कंधों से हटा लिए और वीहा ने जल्दी से गर्दन घुमा कर अपने हाथ को देखा और फिर एक झटके से उस बाजूबंद को खोलकर नीचे रख दिया। उसका पूरा हाथ वहाँ से लाल हो चुका था, जैसे अभी वहाँ से खून बहाने लगेगा। फिर उसने रोते हुए अपनी नाक पोंछ कर उबकियों भरी आवाज में कहा,
    "मैं, मैं तो आपको पसंद करती हूँ, आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं? मैं तो आपको बहुत अच्छा इंसान समझ रही थी। अगर सोफे पर सुलाना था, तो आराम से भी बोल सकते थे, मैं सो जाती, इतनी कोई प्रॉब्लम नहीं है, इसके लिए मुझे इतनी तकलीफ देने की क्या जरूरत थी?"

    वीहा को यह सब बोलते हुए बीच-बीच में हिचकियां आ रही थी।

    वेदांत ने एक लंबी सांस भरते हुए कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें तकलीफ नहीं दूंगा, लेकिन सिर्फ तब तक, जब तक तुम मेरी चीजों में इंटरफेयर नहीं करोगी और दूसरी बात, तुमने गलत समझा था कि मैं एक अच्छा इंसान हूँ। मैं बहुत ही बड़े किस्म का इंसान हूँ, इतना बड़ा कि तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ, अगर मेरा गुस्सा बेकाबू हुआ तो। हमेशा इस चीज का ख्याल रखना कि तुम मुझे गुस्सा ना दिलाओ।"

    वेदांत ने इतना ही कहा था कि उसका फोन बज उठा और वेदांत और भी ज्यादा चिढ़ते हुए अपनी जेब से फोन निकाल कर फोन पिकअप करते हुए बोला,
    "हाँ जूली, बोलो क्या प्रॉब्लम है?"

    सामने से एक लड़की ने बहुत ही प्रोफेशनल अंदाज में कहा, "वी आर रियली सॉरी सर, मैं आपको डिस्टर्ब कर रही हूँ, पर अगर कल ही आपकी शादी हुई है, तो आप मॉर्निंग में इंटरव्यू लेने वाले हो या नहीं, बस यह पूछना था? उसके हिसाब से मैं आपका शेड्यूल रेडी करूँगी। अगर इंटरव्यू नहीं लेना है, तो मैं उन लोगों को वेट करने के लिए बोल दूँ।"

    वेदांत वीहा के पास से उठा और अपने माथे पर दो उंगलियां रब करते हुए बोला,
    "एक काम करो, शेड्यूल मत बनाना मेरा, लेकिन जो इंटरव्यू मुझे लेना था, वह इस टाइम पर रखना, उसको हम चेंज नहीं कर सकते, ऑलरेडी पिछले कुछ दिनों से बिजनेस में लॉस हो रहा है, मैं उसे और ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहता हूँ, मेरी लाइफ में उससे इंपॉर्टेंट कुछ नहीं है, यह शादी भी नहीं।"

  • 4. Young devil's mature bride (वेदांत की गर्ल फ्रेंड) - Chapter 4

    Words: 1572

    Estimated Reading Time: 10 min

    "यह सुनकर जूली को ज़्यादा हैरानी नहीं हुई, क्योंकि वेदांत अपने बिजनेस के पीछे कितना पागल है, यह उसे बखूबी पता था।" उसने 'यस बॉस' बोलते हुए कॉल कट कर दिया।
    वेदांत भी फिर मुड़कर वीहा की तरफ़ देखा, जो अब और भी ज़्यादा रोते हुए उसे घूर रही थी, जैसे अभी कच्चा चबा जाएगी।

    वेदांत तेज़ कदमों से उसके पास गया और फिर गुस्से से बोल उठा, "यहाँ से निकलो।"

    वीहा लड़खड़ाते कदमों से उठकर बेड से दूर हो गई और फिर अपने हाथ के पिछले हिस्से से अपने आँसू पोंछते हुए बोली, "ठीक है, रहो आप इतने बड़े बेड पर अकेले ही रहो, मैं चली जाऊँगी, मैं कहीं अपने घर वापस चली जाऊँगी। अब तो आपकी गर्लफ्रेंड भी है, मुझे तो लगा था आप सिंगल हो और आपकी गर्लफ्रेंड थी, यह बात आपको मुझे पहले बतानी चाहिए थी, मैं कभी दीदी को फ़ोर्स नहीं करती कि मुझे आपसे शादी करनी है। अब उनको भी मैं ग़लत लगती हूँ कि मैंने आपको अमीर देखकर आपसे शादी कर ली, लेकिन मुझे सच में आप बहुत ज़्यादा पसंद हो और आपकी कंपनी में जॉब करना कभी मेरा ड्रीम हुआ करता था और आज देखो, मुझे पता चल रहा है कि आप मेरे होने के बावजूद किसी और ही लड़की से बातें कर रहे हो और इस शादी में भी आपको कोई इंटरेस्ट नहीं है।"

    कुछ पल लगे थे वेदांत को वीहा की इस एक और बचकानी बात को समझने के लिए, लेकिन उसे जैसे ही समझ आया कि वीहा जूली को उसकी गर्लफ्रेंड समझ रही है, तो उसके होठों पर एक डेविल स्माइल आ गई और उसके दिमाग में एक अलग ही खिचड़ी पकने लगी वीहा को और भी ज़्यादा परेशान करने के लिए।

    विहा अब रोते हुए अपने हाथ में लगी मेहंदी को देख रही थी जिसमें बड़ी खूबसूरती से उसने वेदांत का नाम लिखवाया था।

    उसे ऐसा रोता देख वेदांत का मन किया उसे एक बार बता दे कि वह उसकी गर्लफ्रेंड नहीं, उसकी सेक्रेटरी है पर फिर भी वेदांत अपनी ज़िद पर अड़ा रहा और वह वीहा से तेज़ आवाज़ में बोला, "हाँ, और हम दोनों तीन साल से साथ है उसके बावजूद मैंने उससे शादी नहीं कि, हम लिविंग में रहते हैं तो तुम मुझसे दूरी रहना।"

    वीहा ने उभकियाँ भरते हुए क्यूरियोसिटी से पूछा, "आपने उनसे शादी क्यों नहीं की?"

    वेदांत का मन किया अपना सर दीवार पर दे मारे। यह लड़की कैसा सवाल कर रही है, उसे डाँटने की बजाए उससे पूछ रही है कि उससे शादी क्यों नहीं कर ली।

    वेदांत ने गुस्से से कहा, "इससे तुम्हें क्या? मैं उससे शादी करूँ या ना करूँ। हो सकता है हमारा ब्रेकअप हो जाए उसके बाद..."

    विहा ने जल्दी से कहा, "नहीं, ऐसे किसी लड़की का दिल नहीं तोड़ना चाहिए। अगर 3 साल से साथ हैं तो बिल्कुल भी नहीं। मेरा क्या है मुझे तो लव एट फर्स्ट डिसाइड हुआ था। अगर आप मुझे अटेंशन नहीं देंगे तो शायद वह भी खत्म हो जाए धीरे-धीरे, लेकिन जो लड़की आपसे तीन साल से प्यार करती है उसके साथ आपने बिल्कुल अच्छा नहीं किया। आपको उन्हीं से शादी करनी चाहिए थी, मुझसे नहीं।"

    फिर विहा ने एक नज़र अपने कपड़ों को देखकर कहा, "अब मेरी नींद भी उड़ गई है, मुझे कपड़े चेंज करने हैं।"
    इतना बोलकर वह अपनी नज़रें घुमाकर वार्डरोब ढूंढने लगी जो कुछ ही देर में उसे दिखाई दे चुका था। वह वार्डरोब से कपड़े निकालकर बाथरूम के अंदर चली गई।

    वही वेदांत कमरे के बीचो-बीच सुन्न खड़ा था, विहा जो अभी-अभी लेक्चर सुन कर गई थी उसका मतलब जानने का प्रयत्न कर रहा था जो नाकाम होता नज़र आ रहा था। वेदांत ने अपने बालों में दोनों हाथ घुमाते हुए झुंझलाकर कहा, "क्या लड़की है! एक दिन में मेरे दिमाग का दही कर दिया है। इसे यह नहीं पता अगर मैं किसी और से शादी की तो इसे मुझे डाइवोर्स देना पड़ेगा। क्या इसकी अक्ल घास चरने गई है?"

    फिर वेदांत कुछ सोचते हुए अपने क्लोजेट में चला गया ताकि वह भी कपड़े चेंज कर सके। कपड़े चेंज करते वक़्त वेदांत सोच रहा था, "अच्छा हुआ रुहान की शादी विहा के साथ नहीं हुई वरना दोनों एक जैसे हो जाते। कितनी केयरलैस विहा है उतना ही उसका भाई था और विहा को देखकर लग रहा था वह रुहान से भी ज़्यादा इमैच्योर है।"
    फिर कुछ सोचकर वेदांत ने आँखें बंद करते हुए कहा, "उसकी उम्र भी तो 20 साल है, ऊपर से घर की छोटी बेटी, लाड़ली बेटी जिसको सर पर चढ़ा रखा होगा जैसे रुहान को इस फैमिली ने चढ़ा रखा है।"

    कुछ देर बाद विहा एक गुलाबी रंग का सूट सलवार पहने बाथरूम से बाहर आई। बाहर आते ही उसने जैसे ही खाली रूम को देखा अपने दिल पर हाथ रखकर कहा, "क्या इतनी जल्दी अपनी गर्लफ्रेंड के पास चले गए, कितने बेशर्म आदमी है वह..."
    वह कुछ और बोल पाती उससे पहले क्लोजेट के अंदर से वेदांत बाहर आया और उसे देखकर आँखें छोटी करते हुए बोला, "क्या तुम अकेले भी बात करती हो?"

    विहा ने चेहरा घुमाकर वेदांत की तरफ़ देखा और वेदांत ने जैसे ही उसका छोटा सा लाल चेहरा देखा जो गर्म पानी से नहाने की वजह से हद से ज़्यादा लाल हो चुका था, उसका दिल एक बार फिर धड़क उठा। उसका मन किया वह विहा के पास जाकर एक बार उसकी सॉफ्ट स्किन को छूकर देखें, पर उसने अपने मन को मारते हुए धीरे से कहा, "वह रहा सोफा, सो जाओ वहाँ पर।"

    विहा ने मुँह बनाया और सोफे पर जाकर लेट गई। उसने अपने मन में कहा, "क्या मुझे इस बारे में मामा-पापा से बात करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए?" फिर विहा ने अचानक ही अनाही के बारे में सोचते हुए कहा, "हर बार ही मेरे हर कांड पर दीदी मुझे सजेशन देती है। यह चीज़ भी मैं उन्हीं से डिस्कस करूँगी, उनके पास ज़रूर इसका कोई सॉल्यूशन होगा।"

    अनाही का ख़्याल आते ही विहा की आधी चिंता दूर हो चुकी थी और वह आराम से आँखें बंद करके सो गई।

    पर उसकी वजह से वेदांत की नींद ज़रूर हराम हो चुकी थी। वह सोच रहा था, "क्या सच में विहा कल ही अपनी फैमिली वालों के पास वापस चली जाएगी?"

    पर अफ़सोस वह यह सवाल विहा से नहीं पूछ सकता था। थक हार कर वह भी सो गया।

    **रूहान का कमरा**

    रूहान जिस कमरे में था वह पूरी तरीके से धुएँ से भरा हुआ था और वहाँ बस आंखें बंद किए अब लगभग 5वीं सिगरेट ख़त्म करने वाला था।

    वहीं बाहर अनाही जो अपने लिए कंफर्टर ढूंढ रही थी उसने जैसे ही उसे कमरे से इतना धुआँ निकलता देखा वह एकदम से घबरा गई और तेज़ कदमों से चलती हुई उसके कमरे के दरवाजे तक पहुँची। उसने दरवाजा एक बार नॉक करते हुए कहा, "भगवान जी क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?" उसे पता था दरवाजा खुला है लेकिन फिर भी रूहान की परमिशन लेना ज़रूरी है। थोड़ी देर पहले ही रुहान ने उसे लेक्चर दिया था कि उसकी चीज़ों में इंटरफेयर ना करें।

    रूहान ने जैसे ही अनाही की आवाज़ सुनी उसने बिल्कुल किसी शैतान की तरह हँसते हुए कहा, "क्या हुआ मैडम जी सुहागरात मनानी है क्या मेरे साथ?"

    अनाही ने एक पल के लिए अपने होठों को भींचा और फिर धीरे से कहा, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है पर इतना धुआँ क्यों हो रखा है यहाँ? कुछ हुआ तो नहीं है ना?"

    रूहान ने हँसते हुए कहा, "कुछ नहीं हुआ है, जाकर सोजाइए।"

    अनाही का मन नहीं किया कि वह बिना रुहान को एक बार देखे सोने चली जाए। उसने दो कदम कमरे के अंदर रखे और सामने रुहान को शर्टलेस सिगरेट पीते देखा। उसका दिल जैसे एक पल के लिए थम गया। उसने धीरे से कहा, "इतनी सिगरेट कौन पीता है? यह सब कुछ हेल्थ के लिए..."

    रूहान ने वह सिगरेट फेंकते हुए अपनी आँखों को बंद करते हुए कहा, "यह हेल्थ के लिए हानिकारक होती है, इससे कैंसर हो सकता है, इससे किडनी फेल हो सकती है और पता नहीं क्या-क्या फलाना धीमका ना हो सकता है। मुझे सब पता है मैडम जी आपको इसके लिए लेक्चर देने की ज़रूरत नहीं है। आप जाकर सोजाइए।"

    अनाही को समझ नहीं आया वह रूहान के इस बचपने पर क्या जवाब दें। फिर भी वह तेज़ कदमों से वहाँ से बाहर निकल आई।

    और फिर कंफर्टर हाथ में लिए बालकनी की तरफ़ जाते हुए बोली, "मैं इसके लिए मम्मी जी से तो मदद मांग ही सकती हूँ। मैं एक दिन जरूर आपका दिल जीत लूंगी।"

    इतना बोलकर अनाही फिर बाहर सोफे पर जाकर लेट गई। वह रिमझिम बारिश को देख रही थी यह बिल्कुल धीमी हो चुकी थी जैसे किसी भी पल रुक जाएगी।

    वही रूहान ने जब कुछ पल खामोशी महसूस की तो अपनी आँखें खोलकर सामने देखा। वहाँ कोई नहीं था। यह देखकर रुहान ने फिर फीकी सी स्माइल के साथ कहा, "बस इतना ही केयरिंग बनने का नाटक करना था मैडम जी को, मुझे तो लगा था थोड़ी देर और बहस करेगी।"

    उसने इतना ही कहा था कि उसके कानों में हल्की सी आवाज़ आई। वह और किसी की नहीं बल्कि उसकी प्यारी बिल्ली की थी।

    म्याऊं म्याऊं करती हुई एक सफ़ेद बिल्ली रूहान की टेबल पर आ बैठी। उसे देखकर रुहान ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा,

    "हेलो सूगर बेबी, हाउ आर यू? कैसा गया पूरा दिन अपने सूगर डैडी के बिना?"

    उस बिल्ली के मुलायम बालों के साथ खेलते हुए रूहान मन ही मन अफ़सोस कर रहा था अपनी आँखें न खोलने का। उसने एक और मौका गवा दिया अनाही को देखने का।

  • 5. Young devil's mature bride ( रूहान का गुस्सा | धोखेबाज पति )- Chapter 5

    Words: 1536

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह करीब 6 बजे, अनाही सुकून से सुबह की ताज़ी हवा को महसूस करते हुए सो रही थी कि अचानक उसके चेहरे पर एक अजीब सी चुभन का एहसास हुआ। उसने डरते हुए झट से आँखें खोल लीं तो देखा एक छोटी सी सफेद कलर की बिल्ली उसके गाल पर पंजा रखे उसे गर्दन टेढ़ी किए देख रही है। यह देखकर अनाही ने डरते हुए उस बिल्ली को खुद से दूर झटक दिया, जिसके साथ ही वह जोर-जोर से म्याऊं-म्याऊं करने लगी।

    शायद अनाही के इतनी तेज़ी से झटकने की वजह से उस बिल्ली को चोट आ गई थी जिससे वह बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह रोने लगी थी। उस बिल्ली ने अपने दोनों पंजों को अपने चेहरे पर लाते हुए अपनी चिल्लाहट को और तेज़ कर लिया।

    जिसे देख कर अनाही ने घबराते हुए अपने मुँह पर हाथ रख लिया और फिर अपने मन में कहा, "इतनी सुबह-सुबह यह बिल्ली कहाँ से आ गई? क्या आसपास कोई चिड़ियाघर है?"

    उसने इतना ही कहा था कि वहाँ लगभग दौड़ते हुए रुहान आया। वह शायद सीधा जिम एरिया से निकल कर आया था। उसकी अपर बॉडी बेयर्ड थी और नीचे उसने एक ट्राउज़र पहन रखा था।

    उसके 8 पैक एब्स बिल्कुल क्लीन थे और उनसे पसीने की बूंदें टपक रही थीं। उसके हल्के कर्ली बाल भी पसीने से भीग कर उसके फोरहेड पर हल्के से चिपके हुए थे। उसे वहाँ इस हाल में देखकर अनाही ने जल्दी से अपनी नज़रें झुका लीं, लेकिन फिर जैसे ही उसे बिल्ली की आवाज़ आई उसने झट से रुहान को देखते हुए कहा,

    "रूहान जी! ये बिल्ली कहाँ से आ गई है सुबह-सुबह?"

    रूहान ने गुस्से में अपने जबड़े कस लिए और अगले ही पल घुटनों के बल बैठते हुए उस बिल्ली की तरफ अपनी दोनों बाहें फैला दीं, जिसके साथ ही वह सफेद बिल्ली दौड़ती हुई आई और रूहान के सीने पर बिल्कुल ऐसे चिपक गई जैसे कोई बिल्ली अपनी माँ के सीने पर चिपकती है। रुहान ने उसके सफेद मुलायम बालों पर हाथ घुमाते हुए गुस्से से अनाही को घूरा और फिर गुर्राते हुए कहा, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी शुगर को परेशान करने की?"

    वहीं वह बिल्ली जल्दी से अपने पंजे को रुहान के चेहरे पर लगाती है जिसके साथ ही रुहान उसका पंजा अपने हाथ में लेते हुए कहता है, "यहाँ चोट लगी है बेबी तुम्हे?" वह बिल्ली इतनी जोर-जोर से रोने लगती है जैसे अभी अपना गला फाड़ लेगी।

    जिसके साथ ही रुहान उसको लेकर उठ जाता है और फिर तेज़ी से बालकनी से जाते हुए बोलता है, "मैंने बहुत बार कहा है मैडम जी मेरी चीजों से दूर रहा करो और खासकर मेरी शुगर से वरना मैं आपका इस कमरे में आना भी बंद करवा दूँगा। मुझे नहीं फर्क पड़ता मेरे घर वाले क्या सोचेंगे।"

    अनाही मुँह फाड़े बस रुहान को देख रही थी। उसके इस बर्ताव की उम्मीद अनाही ने बिल्कुल नहीं की थी। रुहान जिस तरह अकड़ू बिहेव करता था उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि उसे बिल्ली जैसा मासूम जानवर पसंद होगा।

    वहीं रुहान उस बिल्ली को लेकर वापस उस कमरे से अटैच्ड दूसरे कमरे में जा चुका था। उसने बिल्ली को जल्दी से नहलाया और फिर उसे एक छोटे से लकड़ी के बने घर में छोड़ते हुए बोला, "शुगर बेबी, अब मैं शायद सीधा रात को आऊँगा, ठीक है?" इतना बोलकर उसने हल्के से उस बिल्ली के फोरहेड पर किस किया और फिर तेज़ी से निकल कर बाथरूम में चला गया।

    बाथरूम में जैसे ही उसके शरीर पर ठंडा पानी पड़ा उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और इसके साथ ही उसकी आँखों के सामने सिर्फ अनाही का चेहरा घूम गया और अचानक ही उसका दिल इतनी तेज़ी से धड़का जैसे अभी सीने से उछल कर बाहर आ जाएगा। उसने अपने चेहरे पर बहते पानी को पहुँचते हुए धीरे से बड़बड़ा कर कहा, "मैडम जी तो बहुत सुंदर हैं। मुझे तो लगा था वह अपनी तारीफ़ में कुछ नहीं बोल रही हैं तो शायद बहुत ज़्यादा गंदी दिखती होंगी पर उनका वह बेदाग चेहरा..." कुछ सोच कर रुहान ने अपने आगे के शब्द अपने मुँह में ही रख लिए और फिर जल्दी से फ्रेश होकर बाहर आया। उसकी नज़र एक उम्मीद के साथ सीधा बालकनी की तरफ़ गई थी लेकिन वहाँ अब अनाही मौजूद नहीं थी।

    ये देख कर कहीं ना कहीं रुहान के चेहरे पर उदासी आ गई थी क्योंकि अपनी शुगर के चक्कर में उसने अनाही को एक बार फिर ढंग से नहीं देखा था। उसने बस उसकी झुकी हुई पलकें और गुलाबी होंठों को देखा था जो उसके चेहरे के सबसे यूनिक फीचर्स थे।

    वहीं अनाही इस वक्त निवेदिता के कमरे में मौजूद थी। निवेदिता खुद उसे रुहान के कमरे से बुलाकर लेकर गई थी। अनाही वहाँ सर झुकाए खड़ी थी तो निवेदिता ने अपने हाथ में पड़ी दोनों साड़ियों को बेड पर रखते हुए अनाही का हाथ पकड़ा और फिर उसे बेड पर बैठाते हुए उसका हालचाल कर सला कर पूछा, "कैसा था आपका पहला अनुभव हमारे छोटे से शैतान के साथ? वैसे तो वह दिल का बहुत ज़्यादा अच्छा है लेकिन मुझे पता है पहली बार में वह सबके साथ काफ़ी बदतमीज़ी से पेश आता है।"

    अनाही ने एक पल के लिए रुहान की उन अजीब सी हरकतों को याद किया और उसके होठों पर स्माइल आ गई। फिर उसने निवेदिता को देखते हुए कहा, "नहीं मम्मी जी, उन्होंने मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नहीं की है और मुझे नहीं लगता आगे भी कभी वह मेरे साथ बदतमीज़ी करेंगे।"

    अनाही को अब तक एक बार भी याद नहीं आ रहा था जब रुहान ने उसको तू या तुम कह कर बुलाया हो। वह उसे कितनी इज्जत से बुलाता था। हाँ, वह अलग बात थी कि उसे इज्जत के साथ उसके बाकी शब्द कतई सहन करने वाले नहीं होते हैं पर फिर भी अनाही को अपने दिल में एक तसल्ली थी कि बंदा जेंटलमैन है।

    निवेदिता नाम उन साड़ियों की तरफ इशारा करते हुए कहा, "इनमें से एक साड़ी तुम विहाको दे देना। थोड़ी देर बाद तुम लोगों की मुँह दिखाई की रस्म होगी। ज़्यादा तो नहीं बस 3-4 पड़ोसन हैं मेरी जिनको मैं बुलाऊँगी अपनी खूबसूरत बहू को देखने के लिए।"

    यह सुनकर अनाही ने मुस्कुराते हुए कहा, "मम्मी जी, मैं ये साड़ियाँ ले जाती हूँ।"

    निवेदिता ने हा में सर हिलाया और अनाही वहाँ से निकल कर वापस अपने कमरे की तरफ़ आ गई। निवेदिता, रूहान और वेदांत का कमरा थर्ड फ्लोर पर था बाकी सेकंड फ्लोर जिग्नेश की फैमिली का था तो वहीं ग्राउंड फ्लोर रितेश की फैमिली का।

    अनाही ने सोचा पहले वह विहा को भी दोनों साड़ी दिखा देती है ताकि वह बाद में यह ना बोले कि मेरी वाली अच्छी नहीं है इसलिए उसने सबसे पहले वेदांत का कमरा नॉक किया। वेदांत जो ऑफिस के लिए रेडी हो रहा था उसने अपनी वॉच पहनते हुए दरवाजा खोला और सामने अनाही को इतनी सुबह देखकर उसने आँखें छोटी करके कहा, "कुछ चाहिए था तुम्हें?"

    अनाही ने धीरे से कहा, "वह मुझे विहा से मिलना था। मम्मी जी ने दो साड़ियाँ दी हैं उसे दिखा दूं उसे कौन से वाली पहननी है।"

    वेदांत कमरे के दरवाजे से हट गया और अनाही भी धीमी कदमों से चलकर कमरे के अंदर आ गई लेकिन कमरे के अंदर आते ही उसकी नज़र जैसे ही विहा पर गई उसकी आँखें बड़ी हो गई क्योंकि विहा बेसुध सी सोफे पर लेटी थी। उसका एक हाथ नीचे लटक रहा था तो वहीं एक पैर सोफे की आर्म रेस्ट पर और एक पैर नीचे फर्श पर टिका हुआ था।

    उसका सूट भी खींच कर थोड़ा सा ऊपर खिसक गया था। दुपट्टा दो पहले से फर्श पर गिरा हुआ था। अनाही तेज कदमों से विहा के पास गई और सबसे पहले उसके हाथ-पांव को सोफे पर एडजस्ट करते हुए उसके सर पर हाथ फेर कर बोली, "विहा बच्चा उठो, सुबह हो गई है। ये हमारा घर नहीं है ससुराल है इतनी देर नहीं सो सकते हैं।"

    विहा ने एक करवट बदली और फिर बच्चों जैसा मुँह बनाते हुए अनाही का हाथ पकड़ कर अपने सर के नीचे देते हुए बोली, "दी आप सुबह-सुबह क्यों तंग कर रही हो मुझे? मम्मा से बोलो मैं आज कॉलेज नहीं जाऊँगी।"

    अनाही नाम एक हाथ से अपना सर पकड़ते हुए कहा कि लड़की! फिर उसने धीरे से अपना हाथ छुड़ाने हुए उसके सर पर फिर से प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "विहा उठो, तुम्हें मम्मी नहीं बुला रही है पर आज शादी की बाकी रस्में करनी है प्लीज उठ जाओ।"

    कहीं ना कहीं विहा के लिए अनाही को बुरा लग रहा था। अनाही ने सोचा ही नहीं था जैसा बिहेवियर रुहान ने उसके साथ किया है ठीक वैसा ही वेदांत ने भी किया होगा। यह तो अच्छी बात है वेदांत ने उसे बालकनी में नहीं भेजा कमरे के अंदर ही रहने दिया।

    वरना विहा को ठंड से इतनी ज़्यादा एलर्जी है बारिश के कांटेक्ट में आते ही उसे छींके आना शुरू हो जाती हैं।

    विहा ने करवट जाते हुए आँखें खोलकर कहा, "दी आप इस तरीके से क्यों बातें कर रही हैं?" और जैसे ही उसकी आँख खुली और उसकी नज़र वेदांत से मिली वह झट से उठकर बैठ गई और फिर अपना सर दोनों हाथों से पकड़ते हुए बोली, "मैं तो भूल ही गई थी कि मेरी शादी हो चुकी है और मुझे एक खडूस धोखेबाज पति मिल गया है।"

  • 6. Young devil's mature bride ( uncomfortable vedaant )- Chapter 6

    Words: 1551

    Estimated Reading Time: 10 min

    वेदांत ने जैसे ही यह सुना, उसकी आँखें छोटी हो गईं। वह और धोखेबाज़, इन दोनों शब्दों का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।

    वहीं अनाही ने जल्दी से विहा को साड़ियाँ दिखाते हुए कहा, "इनमें से कौन सी पसंद है?"

    विहा जो नींद में थी, इतनी खूबसूरत साड़ी देख कर उसके होठों पर एक मासूम सी स्माइल आ गई। उसने जल्दी से कहा, "मुझे यह पिंक कलर वाली पसंद है। यह ग्रीन वाली भी अच्छी लग रही है, पर ज़्यादा यह पिंक वाली अच्छी है।"

    यह सुनकर अनाही ने जल्दी से वह गुलाबी सारी उसके हाथ में रखते हुए कहा, "तो नहा कर इसे पहन लो और रेडी हो जाओ। मम्मी जी ने कहा है, हमारे मुँह दिखाई की रस्म होगी। अब तुम्हें मैं नीचे मिलती हूँ।"

    इतना बोल कर अनाही उठी और फिर तेज़ कदमों से उस कमरे से बाहर आ गई। बाहर आकर उसने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा, "यह सब कितना ऑकवर्ड था।"

    तो वहीं अनाही के जाते ही वेदांत विहा के पास आया और फिर सोफे पर दोनों हाथ टिकाते हुए झुक कर अपना चेहरा विहा के चेहरे के करीब लाते हुए कहा,

    "ज़्यादा भोला बनने का नाटक मत करो और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे धोखेबाज़ बोलने की? क्या मैंने सामने से कहा कि मुझे तुम पसंद हो? शादी का डिसीजन तुम्हारा था, ये बात समझ और जो हमारे बीच बातें होती हैं, वह सिर्फ़ इस कमरे तक रहनी चाहिए। इससे बाहर अगर किसी को पता चला, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, यह बात याद रखना।"

    विहा आँखें बड़ी-बड़ी किए अपनी साँस रोक कर वेदांत की धमकी सुन रही थी। वेदांत ने जब देखा कि विहा की बोलती बिल्कुल बंद हो चुकी है, वह वापस सीधा खड़ा होते हुए बोला, "और मुझे ऑफिस में काम है, मैं सीधा शाम को आऊँगा, तब तक मेरी चीजों को ज़्यादा छेड़ना मत।"

    वेदांत मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि विहा अपने घर वालों से बात करने वाली बात बिल्कुल भूल जाए जो उसने रात को गुस्से में कही थी।

    विहा पलकें झुकाए कुछ पल उस साड़ी को देखती रही और फिर सोफे से उठते हुए बोली, "आप अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहे हैं?"

    जिसे सुन कर वेदांत ने कस कर अपनी आँखें भींच लीं और फिर अपने मन में कहा, "ओह गॉड, इसे याद आ गया क्या?"

    फिर वेदांत ने कुछ सोचते हुए कहा, "एक्चुअली, मैं अपनी मीटिंग में जा रहा हूँ, गर्लफ्रेंड से मिलने नहीं जा रहा हूँ।"

    यह सुन कर विहा ने सर हिलाया और फिर कपबोर्ड से अपने अंडर गारमेंट्स लेते हुए बाथरूम के अंदर चली गई।

    वेदांत ने अफसोस से कहा, "कहाँ फँस गया मैं और मैं क्यों इसे झूठ बोल रहा हूँ कि मेरी गर्लफ्रेंड है जबकि मेरी तो कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी।"

    वेदांत ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "अब इस एक झूठ को छुपाने के लिए मुझे बार-बार झूठ ना बोलना पड़े और वह इतनी सती सावित्री तो नहीं है जो चुपचाप चली जाए।"

    कुछ और सोच पाता इससे पहले ही बाथरूम का दरवाज़ा वापस ओपन हुआ और विहा ने अपनी गर्दन निकाल कर वेदांत को देखते हुए कहा, "आपकी गर्लफ्रेंड बहुत ज़्यादा सुंदर और सक्सेसफुल है क्या? आपको वह कैसे पसंद आई थी?"

    उसे ऐसा सवाल करता देख वेदांत ने अपने सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "लगता है मुझे पत्नी के रूप में पागल खाने का मरीज़ मिल गया है।"

    विहा ने क्यूरियोसिटी से पूछा, "आप अकेले-अकेले क्या बड़बड़ा रहे हैं? बताइए ना जल्दी से। मुझे और भी बहुत सारे काम हैं।"

    वेदांत ने गुस्से से कहा, "क्या करोगी जान के?"

    विहा ने रोनी सूरत बना कर कहा, "प्लीज़ बता दीजिए ना, मैं आपको बाद में बताऊँगी कि मुझे क्या करना है और एक और चीज़ क्या आपको वह पूरी ज़िंदगी के लिए चाहिए की रात को आप बोल रहे थे कि आपका ब्रेकअप भी हो सकता है? इसका मतलब है कि आपको वह थोड़ी-थोड़ी ही पसंद है बहुत ज़्यादा पसंद नहीं है।"

    वेदांत ने अपने मन में कहा, "थोड़ी-थोड़ी और बहुत ज़्यादा के चक्कर में ये मुझ से हज़ार झूठ बुलवाएगी।"

    फिर वेदांत ने अपना गला सही करते हुए कहा, "वह बेहद खूबसूरत है और बहुत ज़्यादा मॉडर्न है। वह मेरी कंपनी में ही काम करती है और पूरी ज़िंदगी का मुझे नहीं पता है और ब्रेकअप का मैंने इसलिए कहा था क्योंकि मेरी शादी हो चुकी है। यह बात उसको पता है, तो उसके लिए तो मैं एक चीटर ही हूँ तो शायद हमारा रिश्ता ज़्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगा।"

    विहा ने मुँह बनाते हुए कहा, "रिश्ता तो बना ही नहीं था तो टिकेगा कहाँ से?" फिर उसने एक झटके से बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया और वेदांत बस मुँह खोले उसे देखता रह गया।

    वहीं विहा नहाते वक्त अपने मन में सोच रही थी, "क्या मुझे उनके ऑफिस जाकर देखना चाहिए कि वह चुड़ैल कितनी सुंदर है? अगर मैं उससे सुंदर हो जाऊँगी तब तो वेदांत जी मुझे ही पसंद करेंगे और वैसे भी उन्हें लगता है कि उसके साथ तो ब्रेकअप हो जाएगा, तो मैं क्यों घर वालों को परेशान करूँ? क्योंकि अगर वेदांत जी का ब्रेकअप हुआ तो उसके बाद तो मैं ही उनकी पत्नी रहूँगी और वह मुझसे ही प्यार करेंगे, तो अभी मैं उनको अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कुछ दिन और बिताने देता हूँ, उसके बाद भी अगर कुछ ठीक नहीं हुआ तो मेरा घर तो हमेशा ही मेरे लिए है, मैं वहाँ चली जाऊँगी और फिर मैं किसी से शादी नहीं करूँगी क्योंकि मुझे तो वेदांत ही पसंद हैं और विहा सहगल बहुत ज़्यादा लॉयल है।"

    इतना बोल कर विहा जल्दी से नहा कर अपना पेटीकोट पहन लेती है लेकिन फिर साड़ी को हाथ में लिए अपने सर पर दूसरा हाथ मारते हुए बोलती है

    " ये साड़ी पहननी तो आती नहीं है मुझे, इसके लिए मुझे दी को बुलाना पड़ेगा फिर से। "

    वहीं वेदांत जो परेशानी से सोफे पर बैठा था ताकि विहा के आते ही उसे बता दे कि गर्लफ्रेंड वाली बात उसे अनाही के साथ शेयर नहीं करनी है। उसने जैसे ही बाथरूम के दरवाजे के ओपन होने की आवाज़ सुनी, उसने जल्दी से गर्दन घूमकर बाथरूम की तरफ़ देखा। लेकिन इस बार भी विहा अपना छोटा सा सर बाहर निकाल कर देख रही थी, जिससे वेदांत ने सर पीट लिया और अपने मन में कहा, "अब इसे शॉवर लेते वक्त भी सवाल याद आते हैं, कितनी अजीब है यह।"

    फिर उसने जल्दी से सोफे से उठते हुए कहा, "मिस विहा, तुम्हें हुआ क्या है? अब फिर से कोई इंक्वायरी करनी है? कोई सवाल पूछना है? नहा क्यों नहीं लेती हो तुम आराम से?"

    कुछ सोच कर विहा जल्दी से बाहर आई और अपनी साड़ी वेदांत को दिखाते हुए बोली, "मुझे यह पहनी नहीं आती है।"

    वेदांत कुछ बोलने वाला था, लेकिन उसके शब्द उसके गले में ही अटक चुके थे और उसकी नज़र विहा की पतली सी गोरी कमर पर थी जिस पर कुछ पानी की बूंदे ठहर कर बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ी पर शबनम की बूंदे ठहरी हो। शायद विहा ने गर्म पानी से शावर लिया था जिस वजह से उसकी सेंसिटिव स्किन लाइट पिंक हो चुकी थी। विहा ने वेदांत के सामने चुटकी बजाते हुए कहा, "वेदांत जी, आप सुन भी रहे हैं कि मैं क्या बोल रही हूँ? अगर आपको भी नहीं पहनाना आता है, तो प्लीज आप दी को बुला दीजिए वरना सुबह-सुबह ही मुझे अपनी सासू माँ से डाँट पड़ जाएगी कि मैंने पहली ही रस्म के लिए उन्हें इतना इंतज़ार करवाया।"

    वेदांत ने जल्दी से अपना खुला मुँह बंद किया और उसकी कमर से अपनी नज़र हटाने की कोशिश करते हुए कहा, "मैं पहना दूँगा।"

    यह सुन कर विहा बहुत ज़्यादा खुश हो गई और तेज़ कदमों से चलकर वेदांत के पास आते हुए बोली, " वाह ये तो अच्छी बात है, ये लीजिए पकड़िए इसे और फिर जल्दी से पहना दीजिए।"

    वेदांत ने अपने सूखे होठों पर जीभ घुमा कर अपना एक पैर मोड़ा और फिर उसके पेटीकोट में आहिस्ता से साड़ी टांकते हुए बोला, "तुमने आज से पहले कभी साड़ी नहीं पहनी है?"

    विहा ने जल्दी से ना में गर्दन हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैंने आज से पहले कभी साड़ी नहीं पहनी है। हमारी जब 12th की फेयरवेल हुई थी तब भी सब लोगों ने साड़ी पहनी थी पर मुझे साड़ी पहनना आता ही नहीं है और घर से मैं साड़ी पहन कर जा नहीं सकती थी क्योंकि पापा को पसंद नहीं थी इसलिए मैं सूट सलवार पहन कर गई थी।"

    वेदांत ने अपने सूखे गले को तर करते हुए अपनी आँखें भींच कर जैसे तैसे उस साड़ी को पेटीकोट में एडजस्ट किया और फिर उठकर उसकी प्लेट्स बनाते हुए बोला, "अगली बार से मुझे मत बोलना कि मुझे साड़ी नहीं पहननी आती है, यूट्यूब से सीख लेना।"

    विहा ने मुँह बनाते हुए कहा, "मैंने तो आज भी नहीं कहा कि मुझे पहना दो। मैं तो बोल रही थी कि दी को बुला लेते हैं, वह पहना देती कम से कम मुझे ऐसे लेक्चर तो नहीं सुनने पड़ते।"

    वेदांत को खुद नहीं समझ आया कि उसने क्या सोच कर हाँ भर दि।

    उसके हाथ जैसे-जैसे विहा की नाज़ुक कमर पर फिसल रहे थे, उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर रही थी और उसका दिल शो की स्पीड से धक धक कर रहा था।

    कुछ ऐसा ही हाल विहा का था उसकी आंखे बंद थी और उसकी मुट्ठियां साड़ी को कस कर भींचे हुए थी।

  • 7. Young devil's mature bride ( टोमेटो | इमोशनल निवेदिता ) - Chapter 7

    Words: 1547

    Estimated Reading Time: 10 min

    जैसे तैसे करके वेदांत ने विहा को आख़िर साड़ी पहना ही दी थी। उसने ऐसा करके एक लंबी सांस छोड़ी और अपने सीने पर हाथ फेरते हुए विहा के लाल पड़ चुके चेहरे को देखने लगा।

    विहा की आँखें अभी बंद थी, जिन्हें देख कर कहीं ना कहीं वेदांत को एहसास हो चुका था कि उसके छूने से विहा को कितना ज़्यादा फ़र्क़ पड़ रहा था।

    वेदांत ने अपने घबराहट से सूखते होठों पर जीभ फेर कर धीरे से कहा, "हो गया है। अब तुम अपना मेकअप कर सकती हो और बाल भी बना सकती हो और मैं जा रहा हूँ ऑफिस। कुछ ज़रूरत हो तो बाक़ी किसी से नहीं बोलना है, सीधा मम्मी को जाकर बोलना है, ठीक है? मुझे कुछ ख़ास पसंद नहीं है मेरे फ़ैमिली वाले और तुम्हें भी मैं यही सलाह दूँगा कि उनसे थोड़ा बच के रहो।"

    विहा ने धीरे से अपनी आँखें खोल कर वेदांत के चेहरे को देखा। विहा को अपनी इस हरकत पर काफ़ी एंबैरेसमेंट फ़ील हो रही था। उसके गाल पूरी तरह गुलाबी हो चुके थे। उसने धीरे से बस हा में सर हिलाया। उसके मुँह से एक भी लफ़्ज़ नहीं निकल रहा था। पूरे दिन बकबक करने वाली लड़की वेदांत के छूने भर से बिल्कुल शांत पड़ चुकी थी, जिसे देखकर वेदांत ने डेविल स्माइल करते हुए कहा,

    "वैसे तुम्हें कुछ ख़ास मेकअप की ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे गाल तो पहले से ब्लश कर रहे हैं, एकदम पका हुआ टोमेटो लग रही हो।"

    विहा ने आँखें छोटी करके कहा, "मैं कोई टोमेटो नहीं हूँ।"

    वेदांत ने हल्के से उसके सर पर मारते हुए कहा, "पर तुम हो टोमेटो। चलो टोमेटो, अब बाद में मिलते हैं।"

    इतना बोलकर वेदांत ने अपना फ़ोन निकाल कर उसमें टाइम देखा और फिर तेज़ कदमों से कमरे से बाहर चला गया। उसके जाते ही विहा ने अपने धड़कते दिल पर हाथ रख कर एक लंबी सांस भरते हुए कहा, "आइंदा में कभी वेदांत जी को नहीं बोलूँगी कि किसी चीज में मेरी हेल्प करो। ऐसा लगता है उन्होंने कोई जादू किया था, जिससे मैं बिल्कुल मौन हो चुकी थी और मेरी इतनी लंबी जुबान है वह चुप रहेगी तो अच्छी नहीं लगेगी। सो बी केयरफ़ुल विहा सहगल, वेदांत निमानी तुम्हारे आस-पास ज़्यादा नहीं आना चाहिए।"

    वहीं दूसरी तरफ़ अनाही जैसे ही अपने कमरे में गई, उसने धीरे से दरवाज़ा खोलकर अंदर झाँका लेकिन अंदर कोई नहीं था। यह देखकर अनाही मायूस होते हुए बोली, "क्या रूहान जी इतनी सुबह-सुबह चले गए?"

    मुझे माँ से ही अनाही अंदर आई और तैयार होने लगी।

    वहीं सेकंड फ़्लोर पर राधिका और माधवी दोनों आपस में बातें कर रही थी इस मुँह दिखाई की रस्म के लिए।

    राधिका का इकलौता बेटा मनन इस शादी को अटेंड करने नहीं आया था। वह अमेरिका में पढ़ाई कर रहा था। उसकी उम्र रुहान से 2 साल बड़ी थी।

    राधिका इस वक़्त उसे ही बातें कर रही थी। मनन ने अपने सामने रख लैपटॉप पर उँगलियाँ चलते हुए कहा, "मोम, आपको फ़ैमिली मैटर अपने पास ही रखना चाहिए। मुझे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता है रुहान और वेदांत भाई की शादी से। वैसे भी मुझे रुहान तो बिल्कुल पसंद नहीं है, उसे देखकर ही मेरा मूड ख़राब हो जाता है। सो प्लीज आप भूल जाइए कि मैं उनकी शादी की रिसेप्शन पार्टी के लिए घर आऊँगा और आप फ़िक्र मत कीजिए, बहुत जल्द मेरी ग्रेजुएशन कंप्लीट होने वाली है और उसके बाद तो मैं हमेशा के लिए आपके पास रहने आ जाऊँगा। अपना ख़याल रखना, अब मैं प्रेजेंटेशन रेडी कर रहा हूँ, बाय।"

    फ़ोन करते ही राधिका ने माधवी की तरफ़ देखते हुए कहा, "जीजी इस रोज़-रोज़ की चिक चिक मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है। उधर रितेश जी भी मुझ पर ही ब्लेम डालते हैं कि बेटे को मैंने ज़्यादा बिगाड़ दिया है इसीलिए वह घर होकर भी बाहर पढ़ने गया।"

    माधवी ने अपने हाथ में पड़े नेकलेस के सेट को देखते हुए कहा, "कहने दे उनको जो कहना है। मुझे मनन पर पूरा भरोसा है, वह बाहर जाकर भी कोई ग़लत क़दम नहीं उठाने वाला है।"

    फिर माधवी ने वह नेकलेस राधिका को दिखाते हुए कहा, "यह मैंने बड़ी बहू के लिए डिसाइड किया है। रुहान तो हमारे क़ब्ज़े में है ही, मैं नहीं चाहती उसकी बीवी भी हमारे हाथों से दूर रहे तो कोशिश है पहले दिन से ही शुरू कर देते हैं।"

    रुहान का ज़िक्र सुनते ही राधिका ने कहा, "रुहान को हम लोगों ने इतना अल्कोहलिक बना दिया है, इसकी वजह से मनन और अनंत दोनों ही रूहान से काफ़ी नफ़रत करने लगे हैं।"

    अपने बेटे अनंत का ज़िक्र सुनकर माधवी ने डेविल स्माइल करते हुए कहा, "इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है हमें? वैसे भी रूहान को इस हद तक पागल बनाना है कि वह बिल्कुल 5 साल का बच्चा बन जाए और उसके बाद उसे वह काम करवाएँगे जिनके लिए हम पिछले इतने सालों से मेहनत कर रहे हैं।" माधवी याद कर रही थी कैसे उसने 6 साल के रुहान को बहला फुसलाकर अपना गुलाम बनाया था। अब रुहान को अपनी माँ से भी ज़्यादा माधवी पर भरोसा था। उसकी तैसी उसके लिए किसी भगवान से काम नहीं थी, जिसके लिए वह किसी के मुँह से एक शब्द तक नहीं सुन सकता था।

    राधिका ने भी अपने पास रखी एक साड़ी माधवी को दिखाते हुए कहा, "मैंने तो दोनों के लिए यह साड़ी सिलेक्ट की है। उम्मीद करती हूँ उनको पसंद आएगी। वैसे भी वह मिडिल क्लास से हैं उनके लिए यह हाई-फ़ाई साड़ी देखते ही खुश हो जाना नॉर्मल सी बात है इसलिए मैं ज़्यादा एफ़र्ट नहीं डालने वाली हूँ।"

    माधवी ने राधिका की बात सुनकर हामी भरी और फिर विहा की हरकतें याद करते हुए बोली, "छोटी वाली कुछ ज़्यादा ही नकचढ़ी है। उसकी हरकतों से ही पता चल रहा था हमें उसकी ख़ास कर ज़्यादा ख़याल रखना होगा। वैसे भी वेदांत भी हमारी नहीं सुनता है। मैं नहीं चाहती छोटी वाली भी बागी बनाकर हमारे किए पर पानी फेर दे।"

    राधिका ने उसकी बात समझते हुए कहा, "मैं उसकी ख़ास ख़याल रखेगी। बड़ी वाली तो मुझे उलझी हुई ही लग रही है।"

    वह दोनों अपनी प्लानिंग प्लाटिंग बना रही थी तो वही हाल में निवेदिता अपनी दोस्तों के बीच अपनी दोनों बहू के बारे में बातें कर रही थी। सुबह से लेकर कल शाम तक बहुत सारी ऐसी हरकतें की थी विहा ने जो फिलहाल उन औरतों के बीच हँसने का एक अच्छा टॉपिक बन चुका था।

    निवेदिता की दोस्त ने हँसते हुए कहा, "लगता है छोटी बहू के रूप में तुम्हारे घर में एक छोटा सा बच्चा आ गया है। अच्छी बात है घर की रौनक बन जाएगी।"

    फिर दूसरी औरत ने उसका साथ देते हुए कहा, "वैसे भी इस घर के बच्चे तो वैसे ही अपनी उम्र से पहले बड़े हो गए थे तुमने बच्चों वाली हरकतें ज़्यादा अच्छी नहीं उनके अंदर। इसी बहाने तुम्हें पता भी चल जाएगा कि शैतान बच्चे आख़िर होते कैसे हैं।"

    यह सुन कर कहीं ना कहीं निवेदिता का चेहरा लटक गया। उसका वेदांत 11 साल का था और रुहान 6 साल का जब नमन की मौत हुई थी और उसके बाद से ही वेदांत का बचपन तो जैसे एकदम से ग़ायब हो गया था तो वही निवेदिता भी अपना हाल इतना बुरा कर चुकी थी कि उसे ध्यान ही नहीं रहा कि उसे एक नन्ही सी जान का ख़याल भी रखना है और 6 साल का रुहान भी धीरे-धीरे अपना सारा बचपन भूल गया और अगर उसने थोड़ा बहुत समय बिताया भी तो वह माधवी के साथ था, निवेदिता के साथ नहीं।

    निवेदिता बेसुध सी अपने कमरे में एक कोने में बैठी बस नमन की तस्वीर को घूरती रहती थी या फिर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाती थी। इसके अलावा उसने कभी अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा वह अब भी भुगत रही है उसका रुहान उसे एक नज़र भर देखता तक नहीं है जैसे वह उसकी माँ ना होकर दुश्मन हो।

    रूहान के बारे में याद करते-करते निवेदिता का गला भर आया था ऐसा लग रहा था उसे देखकर कि वह किसी भी पाल रो पड़ेगी कि तभी अचानक उसके कानों में विहा की प्यारी सी आवाज़ आई, "सासू माँ क्या यह वह आसन है जिसे हमें ग्रहण करना है?"

    हाल के साइड में बनी दो खूबसूरत चेयर की तरफ़ इशारा करते हुए विहा ने पूछा।

    उसके इन अजीब‌ ग़रीब शब्दों को सुनकर वहाँ की औरतें एक साथ हँस पड़ी तो वही निवेदिता ने भी अपना मूड सही करते हुए मुस्कुराकर कहा, "हाँ बेटा यही बैठना है तुम दोनों को।" फिर उन्होंने विहा के पीछे देखते हुए कहा, "अभी तक अनाही नहीं आई बेटा?"

    विहा अपने घूंघट को पकड़े उनमें से एक चेयर पर बैठते हुए बोली, "हाँ बस दि आ ही रही होगी। उनके बाल ज़्यादा लंबे हैं ना तो उनको ज़्यादा वक़्त लग जाता है। मेरे बाल तो बहुत ही घुंघराले हैं जिस वजह से मैं उनकी कोई हेयर स्टाइल ही नहीं बनाती हूँ इस वजह से मुझे रेडी होने में थोड़ा सा ही टाइम लगता है।"

    यह सुनकर निवेदिता ने मुस्कुरा कर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "घुंघराले बाल भी खूबसूरत लगते हैं उनको ज़्यादा स्टाइल करने की ज़रूरत नहीं होती है।"

    वहीं दूसरी तरफ़ वेदांत अपने ऑफ़िस के चेयर पर बैठा था कि अचानक उसका फ़ोन बज उठा और यह एक वीडियो कॉल था। वेदांत ने जैसे ही कॉल उठाया सामने का नज़ारा देखते ही वह घबराकर अपनी चेयर से उठते हुए बोला "रुहान?"

  • 8. Young devil's mature bride (रूहान का झगड़ा) - Chapter 8

    Words: 1726

    Estimated Reading Time: 11 min

    सामने वीडियो कॉल पर रुहान किसी लड़के से बुरी तरह लड़ रहा था, और यह वीडियो कॉल उसे क्लब के मैनेजर ने किया था जो वेदांत को काफी पहले से जानता था।

    रुहान के शरीर पर चोटों के निशान थे, तो वही सामने वाले लड़के का भी कुछ यही हाल था। वे दोनों एक दूसरे में इतना उलझे थे कि उनको यह भी नहीं पता था कि आसपास के लोग उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं।

    वेदांत ने अपने सर पर हाथ मार कर जबड़े कसते हुए कहा,
    "ये लड़का हमेशा मेरी बदनामी करवा देता है। क्या जरूरत है इसे इतनी सुबह-सुबह जाकर क्लब में दंगा करने की।"

    फिर उसने मैनेजर से कहा, "आप बस 10 मिनट और संभालिए इनको, मैं आता हूं।"

    मैनेजर ने "ओके सर" बोलते हुए कॉल कट कर दिया, और वेदांत तेजी से अपने ऑफिस से निकल कर उस क्लब के लिए निकल पड़ा जो उसके ऑफिस से थोड़ी ही दूरी पर बना हुआ था।

    वेदांत जैसे ही क्लब में पहुंचा, वहां का माहौल कुछ पल के लिए बिल्कुल शांत पड़ गया क्योंकि वेदांत निमानी को वहां का बच्चा-बच्चा जानता था।

    वेदांत धीमे कदमों से चलकर अंदर गया। वेदांत के साथ ही 2 बॉडीगार्ड थे। उन्होंने जाते ही रुहान और उस दूसरे लड़के को एक दूसरे से अलग कर दिया। रुहान बिल्कुल किसी घायल शेर की तरह गुर्राते हुए बोला, "छोड़ हरामजादे, मेरा हाथ छोड़। मुझे इस कमीने को सबक सिखाना है। इसकी हिम्मत कैसे हुई इतने भद्दे शब्द मेरी फैमिली के बारे में यूज करने।"

    वेदांत वहां से तेज कदमों से वीआईपी एरिया की तरफ चला गया जहां किसी और का जाना अलाउड नहीं था।

    वह बॉडीगार्ड रुहान और उस लड़के को खींचते हुए वेदांत के सामने ले आए। अगले ही पल वेदांत ने गुस्से से बौखलाते हुए कहा,

    "रूहान, इतनी सुबह-सुबह तुम्हें किसने कहा है कि ड्रिंक करनी चाहिए और आकर हर किसी के गले पड़ जाना चाहिए बिल्कुल किसी आवारा कुत्ते की तरह।"

    रुहान ने गुस्से में अपनी मुट्ठियां कसीं और अगले ही पल उस लड़के की तरफ अपनी लाल हो चुकी आंखों से देखते हुए बोला, "मेरी कल शादी हुई है। यह न्यूज़ बिल्कुल आग की तरह फैल चुकी है। सिर्फ और सिर्फ आपकी मेहरबानी की वजह से दी ग्रेट सीईओ की शादी हुई है, तो यह न्यूज़ गुजरात में फैलनी नॉर्मल थी, लेकिन साथ में मेरा नाम घसीटा जा रहा है। यह बेहुदा आदमी मुझे बोलता है की वाइफ स्वॅपिंग करेगा? क्योंकि इसकी भी शादी अभी हुई थी ब्लडी बास्टर्ड।"

    इसके साथ ही रुहान का गुस्सा एक बार फिर भड़क उठा और वह उस लड़के के बाल खींचते हुए एक और मुक्का उसे मारने ही वाला था कि वेदांत तेजी से उसके पास आया और उसे उस लड़के से अलग करते हुए एक खींच के थप्पड़ उसके गाल पर मारते हुए बोला, "तो क्या तू हर उस आदमी का मुंह पकड़ेगा जो तुम्हारी फैमिली की औरतों के बारे में ऐसे शब्द बोलते हैं?"

    रुहान ने गुस्से से वेदांत की तरफ देखते हुए बोला, "हां पकड़ लूंगा मैं हर किसी का मुंह और सिर्फ पकड़ने तक बात नहीं रुकेगी उसका मुंह तोड़ भी डालूंगा।"

    वेदांत ने फीकी सी हंसी हंसते हुए कहा, "हर वह घटिया काम तुम कर चुके हो रुहान निमानी जो तुम्हें नहीं करना चाहिए। जुआ खेलना, ड्रग्स लेना, ड्रिंक करना, क्लब में आकर लड़कियों के साथ डांस करना। इसके बाद यह वाइफ स्वॅपिंग करने वाला जुर्म भी ज्यादा बड़ा नहीं है तुम्हारे लिए। तुमको लोग उसी केटेगरी में देखते हैं जिस कैटेगरी के लोगों के लिए ऐसी चीज नॉर्मल होती हैं, तो अब तुम कैसे किसी का मुंह पकड़ सकते हो या तोड़ सकते हो जब तुमने अपनी इमेज ऐसी ही क्रिएट कर रखी है। इसमें इसकी गलती नहीं है इससे ज्यादा तुम्हारी गलती है। तुम्हारा करेक्टर कैसा है यह देखकर ही लोग सामने से आकर तुमसे वैसी बातें करते हैं।

    "मुझे तो किसी ने यह नहीं कहा ना ही मुझे कोई टौंट मारा कि तुम्हारी शादी हो गई, क्योंकि मेरी इमेज तुम्हारी जैसी नहीं बन कर रह गई है। मैंने तुम्हें कितनी बार समझाया है लेकिन हर बार तुम बिल्कुल किसी आवारा जानवर की तरह बिहेव करते हो।"

    "उसमें तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा है लेकिन मेरा नाम जरूर खराब हो जाता है।" फिर उसने अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हुए कहा,

    "बस कर भाई अपनी इमेज की धज्जियां तू पहले उड़ा चुका है कम से कम मेरी वाली को बख्श दे।"

    रुहान की पलकें भीग कर आपस में चिपक चुकी थी और मुट्ठियां गुस्से से इतनी ज्यादा कसी हुई थी कि उसके खुद के नाखून उसकी हथेली में चुभने लगे थे।

    वेदांत ने उस साइड वाले लड़के की तरफ देखकर बॉडीगार्ड को कुछ इशारा किया। इसके अगले ही पल बॉडीगार्ड उस लड़के को उठाते हुए वहां से बाहर ले गए क्योंकि रुहान की मार खाने के बाद कोई इंसान अपने पैरों पर चलकर तो जा नहीं सकता है।

    वेदांत रुहान को खरी खोटी सुना कर जा चुका था, तो वही उसके जाते ही रुहान अगले ही पल घुटनों के बल गिर पड़ा और अपने कानों को ढकते हुए बुरी तरह चीख उठा क्योंकि वेदांत के शब्द बार-बार उसके कान में गूंज रहे थे। पता नहीं क्यों अनाही के बारे में सुनकर उसे इतना बुरा लगा था जबकि अनाही के साथ तो उसका रिश्ता इतना अच्छा भी नहीं था, लेकिन उसके बावजूद रुहान अनाही की इतनी ज्यादा रिस्पेक्ट करता था कि वह किसी और से भी उसके लिए इतनी घटिया शब्द नहीं सुन पाया और अपना आपा खो बैठा। वरना उसने डिसाइड किया था कम से कम आज तो वह किसी से कोई लड़ाई नहीं करेगा आराम से अपना पूरा दिन बताएगा ताकि पहले ही दिन अपनी पत्नी के सामने मार खाकर ना चला जाए।

    लेकिन अफसोस वह यह नहीं कर पाया। उसका पूरा चेहरा चोट से भरा हुआ था जिसे देखते ही पता चल रहा था कि आज उसने किस हद तक लोगों के साथ हाथापाई की है।

    वही वेदांत को भी काफी बुरा लगा था रुहान को ऐसे कड़वे शब्द बोलकर लेकिन इसके अलावा उसके पास कोई ऑप्शन नहीं रह गया था रुहान को सुधारने के लिए। मन ही मन वेदांत खुश हो रहा था की पहली बार रूहान ने अपनी फैमिली के लिए स्टैंड लेकर किसी से दंगा किया है।

    वेदांत ने गहरी सांस छोड़कर अपनी गाड़ी को ड्राइव करते हुए धीरे से कहा, "उम्मीद करता हूं रूहान तुम आगे भी अपनी पत्नी की इतनी ही इज्जत करोगे और उसकी इमेज का ख्याल रखोगे। एक छोटी सी उम्मीद मिली है तुम्हारी शादी से कि तुम सुधर जाओगे।"

    शाम का वक्त

    निमानी हाउस से एक-एक करके सारी औरतें जा रही थी। मुंह दिखाई की रस्म के बाद अनाही और विहा की पहली रसोई की रस्म भी हो चुकी थी और सबको ही अनाही और विहा का खाना बेहद पसंद आया था। इस वक्त विहा अनाही के कमरे में मौजूद थी।

    और वह अनाही को एक-एक करके गिफ्ट दिखा रही थी जो जो उसकी ताई सास और काकी सास ने दिए थे।

    अनाही भी मुस्कुराते हुए विहा को देख रही थी जो काफी खुश नजर आ रही थी। अनाही के लिए सारी दुनिया एक तरफ है और उसकी छोटी बहन की खुशी दूसरी तरफ।

    विहा, कुछ और बोल पाती उससे पहले ही उसके कान में एक बिल्ली के बोलने की आवाज आई और उसने आंखें छोटी करते हुए कहा, "क्या यहां बिल्ली रहती है?"

    उसके इतना बोलते ही अनाही को रुहान का सुबह वाला बिहेवियर याद आया और उसने जल्दी से कहा, "हां वह रूहान जी को पसंद है। उन्होंने पाल रखी है। मुझे नहीं पता वह है कहां लेकिन बहुत खतरनाक है। सुबह-सुबह ही मेरे गाल पर पंजा रखकर मुझे देख रही थी जैसे इन्वेस्टिगेट कर रही हो कि यह कौन नया मेंबर आ गया है।"

    अनाही की बात सुनकर विहा ने खिलखिला कर हंसते हुए कहा, "ओ गॉड यह तो बहुत फनी सीन था। मुझे भी देखना चाहिए था आपको बिल्ली से बेहद चीड़ मचती है मुझे पता है।"

    दोनों बहनों ने हंसते हुए ढेर सारी बातें की थी जिसके बाद विहा काफी थक चुकी थी तो वह भी अपने कमरे में चली गई और अनाही भी अरमान के कमरे को देखने लगी। रुहान सुबह इतनी जल्दबाजी में गया था कि उसने अपना कंफर्टर भी समेट के नहीं रखा था। अनाही उसका बेड सेट कर रही थी और उसके बाद टेबल। फिर अनाही ने भी फाइनल एक चैन की सांस लेते हुए कहा, "अब मैं अपनी बालकनी सेट करती हूं क्योंकि मेरा स्पेस तो वही है रूहान जी की मैडम जी का पर्सनल स्पेस द ब्यूटीफुल बालकोनी क्या ग्रेट चॉइस है।"

    खुद पर ही हंसते हुए अनाही बालकनी की तरफ चली गई। वह बालकनी सच में बेहद खूबसूरत थी शायद किसी ने बड़ी क्रिएटिविटी से उसकी डिजाइन किया था।

    देखते ही देखते दिन भी ढल गया। वेदांत ऑफिस से करीब 8:00 बजे वापस आया था जिसके बाद सबने एक साथ बैठकर डिनर किया लेकिन अनाही उस डिनर में शामिल नहीं हुई वह सबको सर्वे कर रही थी। उसे ऐसा सर्वे करते देखा माधवी ने कहा, "बेटा हम बहू और बेटियों को एक समान ही मानते हैं तुम भी हमारे साथ बैठकर खाना खा सकती हो।"

    अनाही ने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा, "वह मैं रूहान जी आएंगे तो उन्हीं के साथ खा लूंगी आप सब खा लीजिए।"

    यह सुनकर कहीं ना कहीं माधवी को अच्छा नहीं लगा क्योंकि रुहान की फिक्र सिर्फ वह कर सकती थी इसके इस घर में उसके अलावा कोई नहीं। माधवी ने अपने मन ही मन कहा, "मुझे जल्द ही रुहान से बात करनी पड़ेगी कहीं इस लड़की के जाल में वह फस ना जाए।"

    फिर उसने मुस्कुराते हुए अनाही को देखकर हां में सर हिला दिया, तो वही निवेदिता भी काफी खुश हुई थी अनाही की यह बात सुनकर।

    9 से 10 बजे और 10 से 11 भी लेकिन रुहान घर नहीं आया ये देख कर अनाही को बहुत बुरा लगा।

    उसे जोरों की भूख लगी थी एक तो सुबह से इतनी सारी रस्में उसने कर ली थी जिस वजह से भी वह काफी थका हुआ महसूस कर रही थे। वह बस आंखें बंद करने ही वाली थी कि अचानक उसे बाहर सपोर्टस कार की रुकने की आवाज आई और वह झट से उठकर बैठ गई और बाहर देखने लगी।

    लेकिन बाहर का नजारा देख कर उसकी आंखें फैल गई क्योंकि रूहान लड़खड़ाते कदमों से गाड़ी से बाहर निकला था। उसे ऐसा करता देखा अनाही तुरंत ही बाहर की तरफ दौड़ पड़ी ताकि उसे संभाल पाए।

  • 9. Young devil's mature bride ( नशे मै रूहान )- Chapter 9

    Words: 1504

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनाही जितनी तेज दौड़ सकती थी, उतनी तेज दौड़ कर वह घर से बाहर निकली। तब तक दरवाजे के पास रुहान भी पहुंच चुका था। वह बस गिरने ही वाला था कि अचानक अनाही ने उसे आगे से संभालते हुए कहा, "रूहान जी, आप अकेले क्यों आए हैं? अगर आपने इतनी पी रखी थी, तो आपको अपने किसी दोस्त के साथ आना चाहिए था। आपने ड्रिंक करके ड्राइव किया है।"

    अनाही की आवाज में गुस्सा और थरथराहट दोनों इमोशन एक साथ नजर आ रहे थे।

    रुहान ने अपनी नशीली आंखों को खोल कर अनाही का चेहरा करीब से देखते हुए कहा, "मैडम जी, आते ही लेक्चर बाजी शुरू कर दी? थोड़ा सांस तो लेने दो बंदे को।"

    अनाही ने उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसे संभालते हुए सीढ़ियों के जरिए थर्ड फ्लोर तक ले गई। उन्हें रास्ते में करीब 10 मिनट लग गए थे, जिसमें रुहान 10 बार गिरते-गिरते बचा था।

    आखिरकार, अनाही ने उसे कमरे में लाकर बेड पर बैठा दिया और अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर गहरी-गहरी सांस लेते हुए बोली, "आपका वजन कितना ज्यादा है, मैं तो इतनी देर में ही थक गई।"

    बाहर की कम लाइटिंग में अनाही को रुहान का चेहरा नहीं दिखा था, लेकिन अब अंदर आने के बाद कमरे की लाइट में वह रुहान को पूरी तरीके से देख पा रही थी। रुहान के चेहरे पर लगी खरोंच, चोट और उसके सीने पर से फटी शर्ट को देख कर अनाही की आंखें बड़ी हो गईं। उसने घबराहट और हल्के कंफ्यूजन में कहा, "आ.. आप किसी से लड़ के आए हैं?"

    रूहान ने अपनी फटी शर्ट को देखा और फिर अपने दोनों हाथ खड़े करते हुए बोला, "आई एम रियली सॉरी मैडम जी, मैं गलती से किसी से लड़ लिया। वैसे आप सोई नहीं अभी तक?"

    रूहान हर शब्द को लड़खड़ाती आवाज में बोल रहा था। अनाही को उसके अंदर से शराब की बहुत तेज गंध आ रही थी, लेकिन उसके बावजूद वह रूहान के करीब जाकर उसकी चोटों को ध्यान से देखती है और फिर फर्स्ट एड बॉक्स ढूंढते हुए खुद में बड़बड़ाकर बोलती है, "किसी की नई-नई शादी हो और उसका पति दूसरी ही रात जल्दी घर ना आए तो उस पत्नी को नींद कैसे आ सकती है।"

    रूहान ने बच्चों जैसा मुंह बनाते हुए कहा, "आप क्या कहना चाहती हैं कि आप मेरा इंतजार कर रही थीं? रियली, आज तक मेरा इंतजार किसी ने नहीं किया है शिवाय मेरी शुगर बेबी के, पर वह तो अब तक सो गई होगी।"

    बिल्ली का नाम सुन कर अनाही ने फर्स्ट एड बॉक्स अपने हाथ में कसते हुए कहा, "उसे लेने बटलर आया था, शायद उसे नहलाने और खाना खिलाने के लिए, पर यहां मेरी मौजूदगी में कोई ऐसे कमरे के अंदर आए, मुझे पसंद नहीं है।"

    इतना बोल कर अनाही रूहान के सामने बैठ गई। रुहान ने गौर से अनाही को देखा। वह बेहद खूबसूरत थी। रुहान का चेहरा काफी हद तक ब्लैंक हो चुका था, जैसे उसके पास बोलने के लिए शब्द ही ना बचे हो, लेकिन अपनी शुगर का जिक्र हुआ था, तो उसे चुप रहना सही नहीं लगा। उसने जल्दी से कहा, "मेरी शुगर बिल्कुल प्रिंसेस है, तो उसको प्रिंस ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर आप उसे नहला सकती हैं, उसकी पॉटी साफ कर सकती हैं, तो मैं बटर को मना कर दूंगा, आप उसका ख्याल रख लेना।"

    सुन कर अनाही ने आंखें बड़ी करते हुए कहा, "जी नहीं, मुझे कोई शौक नहीं है बिल्लियां पालने का। मुझे बिल्ली से बहुत डर लगता है।" इतना बोलकर अनाही ने रूहान के चेहरे की चोटों पर पानी में भिगोकर रुई लगाते हुए उन्हें साफ किया, जिससे रुहान के होठों से एक दर्द भरी सिसकी निकल गई।

    अनाही ने अपने होठों को गोल करके धीरे-धीरे फूंक मारते हुए उसके जख्मों को साफ किया और फिर ऑइंटमेंट हाथ में लेकर कहा, "ज्यादा दर्द हो तो मुझे बता देना, मैं कोशिश करुंगी कि आहिस्ता-आहिस्ता ही ऑइंटमेंट लगाऊं, ताकि आपको दर्द ना हो।"

    इतना बोल कर अनाही ने अपनी उंगलियों पर थोड़ी सी ऑइंटमेंट लगाकर उसके गाल पर लगानी शुरू की। वहीं रुहान जो बारीकी से अनाही के चेहरे को देख रहा था। उसकी भूरी आंखें, लंबी पलकें, गुलाबी होंठ और गाल पर बना एक तिल, अनाही की घूमती पुतलियां रूहान को बेहद अट्रैक्टिव लग रही थी और उसके हाथ मचल रहे थे अनाही के गाल पर बने उस स्याह तिल को छूने के लिए।

    रूहान ने अपने निचले होंठ को काटते हुए अपना हाथ उठाया और फिर अनाही के गाल पर धीरे से अपनी उंगलियां फेरते हुए उस तिल को छूकर बोला, "यह तिल बहुत खूबसूरत है मेडम जी।"

    अनाही ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन रूहान के छूने से उसकी बॉडी जरूर रिएक्ट कर रही थी। उसके रोंगटे खड़े हो रहे थे और उसके माथे पर भी हल्की पसीने की बूंदे आ गई थी, लेकिन फिर भी वह रुहान की चोटों पर कंसंट्रेट करने की कोशिश कर रही थी। करीब 30 मिनट में उसने रूहान के चेहरे पर सब जगह ऑइंटमेंट लगा दी थी। उसके बाद उसने रूहान की शर्ट को देखते हुए कहा, "आपको चेंज कर लेना चाहिए।"

    रूहान ने गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा, "क्या आप मुझे इसके लिए लेक्चर नहीं सुनाओगी कि मैं ड्रिंक करता हूं।"

    अनाही ने कुछ सोच कर गहरी सांस ली और फिर ना में गर्दन हिला दिया।

    उसके बाद वह उस फर्स्ट एड बॉक्स को लेकर उठी और उसे वापस ड्रॉवर में रखते हुए अपने कान के झुमके निकाल कर मिरर के सामने रखते हुए बोली, "बहुत रात हो गई है, आप फ्रेश हो जाइए, और मैं आपके लिए खाना लेकर आती हूं।"

    रुहान ने ऊपर से नीचे तक अनाही को देखते हुए कहा, "आपको पता है मैं ड्रग्स भी लेता हूं, ड्रिंक भी करता हूं, लड़कियों के साथ डांस करता हूं, मुझे लोग कैरेक्टरलेस समझते हैं। क्या आपको चलेगा सब कुछ।"

    शायद रुहान अनाही को हर वह वजह देना चाहता था जिसकी वजह से अनाही उससे नफरत कर सकती थी, लेकिन अनाही ने बड़े ही आराम से उसकी इस बात का भी जवाब दिया।

    "कोई बात नहीं है रूहान जी, सब की लाइफ में अपनी-अपनी खामियां होती हैं। अगर हम उनको लेकर बैठ जाएंगे तो जिंदगी और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगी जो ऑलरेडी बहुत ज्यादा मुश्किल है। आप ज्यादा बातें मत कीजिए और फ्रेश हो जाइए, मैं बस 10 मिनट में वापस आती हूं।"

    इतना बोल कर अनाही तेज कदमों से चलती हुई वहां से बाहर आ गई और रुहान बस उसे देखता रह गया। उसके जाते ही रुहान धम्म से बेड पर लेट गया और आंखें बंद करके अनाही के चेहरे को वापस याद करने लगा।

    उसे बार-बार अनाही की वह गर्म सांसे, उसके हिलते होंठ, घूमती पुतलियां और बार-बार उसके गालों पर आते वह सुनहरे बाल याद आ रहे थे। रुहान ने बेडशीट को अपनी दोनों मुट्ठियों में भरते हुए कहा, "मैं आपके लिए परफेक्ट नहीं हूं मैडम जी। आपको मुझसे शादी करने के लिए हां नहीं बोलनी चाहिए थी, पर अभी भी देर नहीं हुई है। अभी भी मैं चाहता हूं आप एक अच्छी जिंदगी जियो, वह भी अच्छे लाइफ पार्टनर के साथ। पता नहीं क्यों रूहान उनके साथ ज्यादा बुरा करते हैं जो बहुत ज्यादा अच्छा होते हैं। आपको देखकर लगता है आप बहुत ही ज्यादा अच्छी हैं। आपको मेरे जैसा गंदा पति नहीं मिलना चाहिए था। मैं आपके साथ यह इंजस्टिस नहीं होने दूंगा। मैं बाकी किसी से तो इस बारे में बात नहीं कर सकता हूं पर ताई जी जरूर मेरी बात सुनेंगी। उनके अलावा मुझे इस घर में कोई नहीं समझता है। मैं उनसे इस बारे में बात करूंगा।"

    रूहान खुद में बडबडाते हुए नींद के आगोश में जा चुका था। उसने कपड़े भी चेंज नहीं किए थे। अनाही जब वापस आई और रूहान को इस हालत में देखा तो उसकी आंखें छोटी हो गईं। उसने अपने हाथ में पकड़ी खाने की प्लेट को टेबल पर रखा और रुहान के पास जाकर धीरे से उसका हाथ पकड़ते हुए बोली, "रूहान जी आप अभी तक फ्रेश नहीं हुए।"

    रुहान नींद में ही बड़बड़ाते हुए अनाही से अपना हाथ छुड़ा लेता है और करवट बदलने लगता है। उसके ऐसा करते ही अनाही जल्दी से उसका कंधा पकड़ते हुए कहती, "रूहान जी मैं आपसे बात कर रही हूं, आप बहुत ज्यादा केयरलैस है रात को ऐसे बिना खाना खाए मैं आपको सोने नहीं दूंगी।"

    इतना बोलकर अनाही रुहान की दूसरी तरफ आई और इस बार उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "रूहान जी प्लीज उठा जाइए ना खाना खा लीजिए।"

    रूहान ने अपनी नींद भरी आंखों से या अनाही को देखा और फिर गुस्से से कहा, "आप क्यों मेरे साथ जबरदस्ती कर रही हैं? मुझे नहीं खाना है, आप प्लीज जाइए यहां से बालकनी में जाकर सो जाइए आराम से।"

    अनाही ने एक पल के लिए जिद्दी रूहान को देखा और फिर खाने की प्लेट लेकर बेड पर बैठकर एक निवाला बनाते हुए रुहान के होठों के पास ले जाकर बोली, "प्लीज कम से कम 1 चपाती खा लीजिए। मैं आपको उठने के लिए नहीं बोल रही हूं, लेकिन मुंह खोलने जितना कष्ट तो आप कर ही सकते हैं।"

  • 10. Young devil's mature bride (मैंने शादी की है या किसी बच्ची को गोद ले लिया है) - Chapter 10

    Words: 1559

    Estimated Reading Time: 10 min

    जैसे-तैसे करके अनाही ने रुहान को थोड़ा बहुत खाना खिला दिया था। उसके बाद उसने खुद भी थोड़ा सा खाना खाया।

    और फिर रुहान के शूज़ निकालकर उसे बेड पर एक कंफर्टेबल पोजीशन में लेटाया और फिर उसे कंफर्टर ओढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके बालों में हाथ घुमाकर उसके चेहरे को ध्यान से देखा।

    उसका हस्बैंड चार्मिंग तो था, इस बात को अनाही चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर पाई और उसके होठों पर कुछ पल के लिए एक छोटी सी स्माइल तैर गई।

    फिर अनाही धीमे कदमों से बालकनी में जाकर अपना सोफा सेट करके उस पर लेटे हुए खुले आसमान में चमकते तारों को देखकर अपने इस नए रिश्ते के बारे में सोचने लगती है।

    रुहान का नेचर उसे काफी हद तक समझ आने लगा था। एक तो रुहान हर चीज में अपनी गलती बताता है, जिसका साफ मतलब है कि रुहान बहुत ही ज्यादा सॉफ्ट हार्टेड पर्सन है, लेकिन वह दिखाना चाहता है कि बाहर से वह बहुत ज्यादा रूड है।

    वह बहुत ज्यादा गंदा है, लेकिन अंदर ही अंदर वह बहुत ज्यादा इनसिक्योर है अपनी छोटी-छोटी गलतियों को लेकर।

    नशे वाली चीज अनाही को जरूर परेशान कर रही थी कि इतनी सी उम्र में कैसे रुहान को इतनी सारी लत एक साथ लग गई, जबकि वेदांत तो इसका बिल्कुल उल्टा है और कितना सक्सेसफुल भी है और उनकी उम्र में मात्र 5 साल का फर्क है।

    बीच-बीच में अनाही को लग रहा था कहीं वेदांत और रुहान के बीच तो कोई दुश्मनी नहीं है क्योंकि वेदांत इतना सक्सेसफुल है, एक छोटी सी जॉब तो वह रुहान को भी दे ही सकता है विदाउट एनी डिग्री। उसके बावजूद उसने रुहान को क्यों खुला छोड़ रखा है? क्यों उसे डांट नहीं लगाता है? या फिर उसने कभी सामने से रुहान को अप्रोच भी किया है जॉब के लिए? अनाही के लिए कई सारे सवाल थे, जिसका जवाब अब अनाही को जल्द से जल्द चाहिए था।

    अनाही वह दिन याद करती है जब वह पहली बार निवेदिता से मिली थी। अनाही की जॉब वेदांत की कंपनी में एज ए असिस्टेंट मैनेजर लगी थी। वह काफी ब्रिलिएंट स्टूडेंट थी, जिसकी वजह से कंपनी वालों ने सामने से उसे हायर किया था, जिसके बाद वह निवेदिता से पहली बार वेदांत के ऑफिस में ही मिली थी।

    करीब डेढ़ महीने पहले
    सुबह का वक्त था जब निवेदिता तेजी से चलते हुए निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के मेन ऑफिस में इंटर कर गई। वह गुस्से से लाल हुई अंदर जा रही थी। सामने जो भी एंप्लॉयर आ रहा था, वह सर झुका कर उसे नमस्ते कर रहा था, लेकिन निवेदिता किसी का भी जवाब नहीं दे रही थी।

    अंदर ऑफिस में अनाही वेदांत को एक फाइल दिखाते हुए उससे किसी डील के बारे में डिस्कस कर रही थी। निवेदिता जैसे ही ऑफिस में इंटर हुई वेदांत ने गुस्से से कहा, "कौन है? तमीज नहीं है बिल्कुल की अंदर नॉक करके आना चाहिए।"

    निवेदिता ने गुस्से से बौखलाते हुए कहा, "क्या अब तुम्हारी मां को भी तुम्हारे ऑफिस आने के लिए नॉक करना पड़ेगा?"

    यह सुनकर अनाही ने भी मुड़ते हुए निवेदिता की तरफ देखा। अनाही ने सिंपल सा व्हाइट कलर का सलवार सूट पहना था, गले में नेट का दुपट्टा था और बालों को खुला छोड़ रखा था। कानों में चांद बालियां , ओवर ऑल वह काफी खूबसूरत लग रही थी।

    उसे देखकर निवेदिता ने कहा, "तुम कौन हो और मेरे बेटे का ऑफिस में उसके इतने करीब क्या कर रही हो?"

    निवेदिता ने जैसे ही यह कहा अनाही वेदांत से कुछ कदम दूर हो गई और अगले ही पल बड़े ही शांत आवाज में बोली,

    " गुड मॉर्निंग मेम एक्चुअली मैं ऑफिस में वर्क करती हूं तो उसी के सिलसिले में मैं सर से बात करने आई थी।"

    निवेदिता आंखें बड़ी करके अनाही को ऊपर से नीचे तक देखी है। निवेदिता के इतने बुरे तरीके से उसे डांटने पर भी अनाही को जरा सा भी गुस्सा नहीं आया था और ना ही उसकी आवाज में कोई घबराहट थी। वह बहुत ही शांति से अब भी वैसे ही खड़ी थी जैसे निवेदिता के गुस्से से या उसके ऐसा सवाल करने से अनाही को कोई फर्क ही न पड़ा हो, वरना आजकल की लड़कियों को थोड़ी सी ऊंची आवाज में भी बात कर लो तो बुरा लग जाता है, उनकी आंखों से पानी टपकने लगता है।

    अनाही ने वेदांत के सामने पड़ी फाइल को उठाते हुए कहा, "मैं बाद में आती हूं सर।"

    इतना बोलकर वह तेज कदमों से बाहर जाने लगी तो निवेदिता ने उसे रोकते हुए कहा, "रुको, पहले अपना नाम बताओ।"

    अनाही नाम उड़ते हुए कहा, "जी, मेम मेरा नाम अनाही सहगल है।"

    निवेदिता ने एक आईब्रो चढ़ाते हुए कहा, "फुल इंट्रोडक्शन।"

    "अनाही सहगल फ्रॉम राजस्थान और मैं यहां असिस्टेंट मैनेजर वर्क करती हूं। एनीथिंग एल्स मैम।"

    निवेदिता ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा, "नहीं तुम जा सकती हो।"

    अनाही ने हा मै सर हिलाया और फिर तेजी से निकल कर वहां से बाहर चली गई।

    उसके जाने के बाद भी निवेदिता एक टक दरवाजे को ही देख रही थी तो वहीं वेदांत ने परेशानी से अपना सर पकड़ते हुए कहा,

    "मोम वह जा चुकी है, अब आप क्या देख रहे हो उधर।"

    निवेदिता तेजी से वेदांत के पास गई और फिर उसके पास रखी चेयर पर बैठते हुए बोली, "पहली बार तूने किसी सही एंप्लॉई को हायर किया है वरना तुम्हारे कंपनी की एम्पलाइज अपने आप को कहीं की महारानी समझती हैं, उनका एटीट्यूड हीं कम नहीं होता है मेरे सामने ।

    तभी से मैंने सारे एंप्लॉई के साथ ऐसा रूड बिहेवियर करना शुरू किया था, लेकिन इस लड़की को देखकर लग रहा है आज भी थोड़ा सा टैलेंट तो इंडिया में बाकी है। वैसे यह राजस्थान से गुजरात आई है तो क्या अकेली रहती है?"

    वेदांत ने अपना सर पकड़ते हुए कहा,

    "मुझे नहीं पता है मोम, अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो आप उसी से पूछ लीजिए।"

    यह सुनकर निवेदिता ने खुश होते हुए कहा, "ऑफ कोर्स, अब तो मैं उसी से पूछूंगी।"

    इतना बोलकर वह बिना वेदांत से कोई भी बात किए उसके ऑफिस से निकल गई और वेदांत बस हक्का-बक्का उसे देखा ही रह गया कि वह इतने गुस्से में आई थी और बिना कुछ कहे ही वापस भी चली गई।

    वही अनाही जो अपनी डेस्क पर पहुंची ही थी, उसने अपने सामने निवेदिता को देखा तो हल्की सी स्माइल के साथ बोली, "जी मैम, आपको कुछ चाहिए था?"

    निवेदिता ने उसके सजे हुए खूबसूरत डेस्क को देखते हुए कहा, "आज से पहले मैंने किसी एंप्लॉय का डेस्क इतना सुंदर नहीं देखा है।"

    यह सुनकर अनाही ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा, "जी मैम, एक्चुअली मुझे पेंटिंग्स और क्राफ्टिंग का बहुत ज्यादा शौक है तो बस ऐसे ही मैं थोड़ा बहुत डेकोरेट करके रखती हूं, मुझे ज्यादा अच्छा लगता है।"

    निवेदिता ने सीधा मुद्दे की बात करते हुए कहा, "मुझे यह पूछना था कि तुम गुजरात में कहां रहती हो? तुमने बताया कि तुम राजस्थान से हो तो यहां फ्लैट लेकर रहती हो?"

    अनाही ने धीरे से कहा, "नहीं मैम मैं सीधा घर से यहां आती हूं , मैं एक्चुअली सिरोही में रहती हूं तो यहां से ज्यादा दूर नहीं है।"

    निवेदिता ने कहा, "ओह तो तुम सिरोही में रहती हो।"

    अनाही ने हा में सर हिला दिया, जिसके बाद निवेदिता ने मुस्कुरा कर कहा, "पहली बार मुझे वेदांत की ऑफिस का कोई एम्पलाई इतना पसंद आया है, उम्मीद करती हूं हमारी जल्द मुलाकात होगी।" अनाही को निवेदिता की बात का मतलब बिल्कुल समझ नहीं आया था, उसके बाद निवेदिता वहां से जा चुकी थी।

    फ्लैश बैक एंड

    अनाही अपने पास्ट को याद करते-करते निवेदिता का बिहेवियर याद करके खुश हो चुकी थी, शायद लाखों में एक सासू मां ऐसी मिलती है वरना सास बहू का झगड़ा तो जैसे आम बात हो गई है।

    अनाही को जितनी थकान थी, उसे सोफे पर भी आराम से करीब आधे घंटे में ही नींद आ चुकी थी।

    वहीं दूसरी तरफ वेदांत के कमरे का हाल आज कुछ अलग था। वेदांत अपना सर पकड़े बेड पर बैठा था। उसने घड़ी में टाइम देखा जो रात के 1:00 बजने का इशारा कर रहा था।

    फिर वेदांत ने गुस्से से सोफे पर बेसुध लेटी विहा को देखा।

    विहा ने वेदांत के जाने के बाद उसका पूरा कपबोर्ड इस तरीके से बिखेर दिया था कि पिछले 4 घंटे से वेदांत सिर्फ रूम को क्लीन करने में ही बिजी था और अब जब उसने देखा कि पूरा कमरा वापस ठीक हो चुका है, तब तक विहा एक अच्छी खासी नींद ले चुकी थी और वेदांत जो इतना थका हुआ था, उसकी नींद अधूरी रह गई थी और अब टाइम देखकर उसका सोने का मन भी नहीं कर रहा था। उसने दांत पीसते हुए कहा,

    "पता नहीं मैंने शादी की है या किसी बच्ची को गोद ले लिया है ये लड़की मेरा जीना हराम कर देगी, इसमें कॉमन सेंस नाम की चीज तो बिल्कुल नहीं है। किसी की केयर कैसे करते हैं वह तो जैसे भूल ही जाओ कभी यह सीख पाएगी? कम से कम जो चीज अच्छी हैं, उन्हें तो इसे नहीं बिगाड़ना चाहिए था, कल से इसका समान अलग कपबोर्ड मै रखूंगा।"

    वेदांत ने अपने कपड़ों को देखा जो साफ-सफाई करने से गंदे हो चुके थे। फिर वह फ्रेश होने बाथरूम में चला गया। करीब आधे घंटे बाद वह वापस आया और फिर शांति से बेड पर लेट कर अपनी आंखें बंद करते हुए बोला,

    "लगता है कल ऑफिस से लीव लेना पड़ेगा ऑह गॉड, क्या करूं मैं इस पिद्दी सी लड़की का।"

  • 11. Young devil's mature bride (बेकार बिल्ली) - Chapter 11

    Words: 1570

    Estimated Reading Time: 10 min

    गुजरात निमानी हाउस

    सुबह के करीब 7:00 बज रहे होंगे, जब अनाही जल्दी-जल्दी तैयार होते हुए मिरर से रुहान को देख रही थी, जो अब भी बेसुध सो रहा था।

    अनाही ने इस वक़्त ऑरेंज कलर की शिफॉन की साड़ी पहनी थी, जिसके साथ उसने प्लेन स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। गले में ज्वेलरी के नाम पर सिर्फ एक डायमंड वाला मंगलसूत्र था, जिसमें बाकी सारे मोती काले रंग के थे और बीच में बस एक छोटा-सा डायमंड था।

    वह उसकी सुराहीदार गर्दन पर काफी खूबसूरत लग रहा था। उसने अपने माथे पर ऑरेंज कलर की बिंदी सेट करते हुए खुद में बड़बड़ा कर कहा, "क्या इस घर के सारे मर्द ऐसे हैं? अभी तक कोई नहीं उठा है।"

    अनाही मॉर्निंग वॉक करके आ चुकी थी, लेकिन इस घर के एक भी मेंबर को यह खबर नहीं थी।

    अनाही ने झुमके पहनते हुए उनमें मौजूद चैन को पीछे की तरफ बालों में लगाया और फिर थोड़े से बाल अपने कंधों पर बिखेरते हुए सिंदूर लगाकर एक बार पूरी तरह खुद को देखते हुए बोली, "ऑल सेट, अब मैं ऑफिस के बिल्कुल रेडी हूँ।"

    अनाही बस रुहान की तरफ बढ़ने ही वाली थी कि अचानक उसकी आँखें थोड़ी डर और घबराहट से बड़ी हो गईं, जब उसने देखा कि वह सफेद बिल्ली अपने कमरे से निकलकर रूहान के बेड की तरफ बढ़ रही थी। अनाही आँखें फाड़े अब उसकी हर हरकत को देख रही थी।

    वह तेजी से बेड पर चढ़ी और फिर रुहान की छाती पर बैठते हुए उसके चेहरे पर मौजूद कंफर्टर को अपने दोनों पंजों से खींचते हुए म्याऊं-म्याऊं करने लगी।

    अनाही ने माथे पर बल डालते हुए गुस्से से कहा, "अरे तुम्हारे पंजे कितने नुकीले हैं, उनको लग जाएगी।"

    अनाही की इतनी तेज आवाज सुनकर शुगर ने अपनी गर्दन घुमाकर उसे घूरा और फिर गुर्राते हुए एक बार म्याऊं बोला। इसके साथ ही अनाही दो कदम पीछे हटते हुए बोली, "मेरे पास मत आना, वरना भूल जाऊंगी तुम्हारे मालिक की कल वाली धमकी को और इस बार इतनी जोर से फेंकूंगी, पंजे के सिर्फ लगेगी नहीं पूरा पंजा टूट जाएगा, बेकार बिल्ली।"

    स्मॉल शुगर और भी ज्यादा गुर्राते हुए अनाही को देख रही थी, उसकी मोटी भूरी आँखें और भी ज्यादा मोटी हो रही थीं। अनाही ने गौर किया और उसकी और बिल्ली की आँखें काफी हद तक सेम कलर की थीं, जिसे देखकर अनाही का मुँह बन गया तो वहीं रुहान भी अब शुगर के पंजे से परेशान होकर कसमसाते हुए अपनी आँखें खोलता है और उसके सामने जैसे ही शुगर के सफेद बाल आते हैं, उसके होठों पर मुस्कान आ जाती है।

    अनाही की नज़र रुहान के चेहरे पर थी, स्माइल करते वक़्त उसके गालों पर डिंपल पड़ रहे थे। शायद अनाही ने पहली बार रुहान को स्माइल करते देखा था, उसकी मुस्कान सच में बहुत ज्यादा प्यारी थी। रुहान ने उस बिल्ली को अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग, सूगर बेबी।"

    उसकी आवाज सुनकर शुगर की आँखें जो गुस्से से बड़ी-बड़ी थीं उनमें अलग ही सॉफ्टनेस आ चुकी थी। उसने मिमियाते हुए अपना चेहरा रुहान की तरफ किया और अगले ही पल उसके सीने पर लेट कर अपनी आँखें बंद कर ली। रूहान ने भी उसके सर पर हाथ घुमाते हुए कहा, "थैंक यू बेबी मुझे उठाने के लिए।"

    अनाही मुँह खोले रूहान और उसकी शुगर बेबी के बीच का यह मॉर्निंग लवी डवी कन्वर्सेशन सुन रही थी, फिर उसने अपना गला ठीक करते हुए रुहान को यह एहसास दिलाया कि वह भी यहाँ मौजूद है।

    रूहान का चेहरा जो सॉफ्टनेस से भरा था अनाही की आवाज सुनते ही एकदम से चौंकते हुए उसने मिरर की तरफ देखा और उसकी हैरानी और भी ज्यादा बढ़ गई अपनी बीवी को इतनी सुबह-सुबह इतना सजा धजा देख कर उसने दो बार अपनी आँखों को झपकाते हुए खुद को यकीन दिलाया कि हां, अनाही इस वक्त इतनी तैयार उसकी आँखों के सामने खड़ी है।

    वह झट से उठ कर बैठ गया जिसके साथ ही शुगर भी उसकी गोद में बैठकर अब कन्फ्यूजन से कभी रुहान और कभी अनाही को देखने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था इतने दिनों से शांत इस कमरे में अचानक यह अजनबी कौन आ कर रहने लग गई है।

    रूहान ने अपने सुखते गले को तर करते हुए कहा, "मैडम जी आप इतनी सुबह-सुबह कहाँ जाने के लिए तैयार हो रही हैं।"

    अनाही ने अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहा, "मैं तैयार नहीं हो रही हूँ, मैं तैयार हो चुकी हूँ। आपको नहीं पता है कि मैं निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में असिस्टेंट मैनेजर का काम करती हूँ और घर पर पड़ी-पड़ी मैं बोर हो रही थी, कल पूरे दिन मेरे से मिलने कोई नहीं आया तो मैं सोच रही हूँ अपना काम भी क्यों थकाऊँ, इसलिए मैं ऑफिस जाने के लिए रेडी हुई हूँ। आप जल्दी से फ्रेश हो जाइए और मैं आपके लिए कॉफी बना कर लाती हूँ।"

    इतना बोलकर अनाही ने तिरछी नजरों से एक बार शुगर को देखा और फिर तेज कदमों से कमरे से बाहर चली गई।

    उसके जाते ही रूहान ने अपने सीने पर हाथ रखकर एक गहरी सांस ली जिसके साथ ही उसे महसूस हुआ कि उसका शर्ट सीने पर से फटा हुआ है। उसने हैरानी से खुद को देखा और फिर अपना सर पकड़ते हुए बोला, "ओ गॉड, कल रात क्या हुआ होगा।"

    रूहान अपने होठों को भींचते हुए कल के बारे में याद करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे कुछ याद नहीं आ रहा था सिवाय इतने कि वह ड्रिंक करके आया था, उसके बाद अनाही ने दरवाजे पर उसको संभाला था।

    रूहान ने बेड पर से उठते हुए शुगर को अपनी गोद में लिया और फिर उसे अपने साथ बाथरुम में ले गया।

    नहाते वक्त रुहान कल रात की बातों को याद करने की कोशिश कर रहा था। उसे कुछ-कुछ धुंधला-धुंधला याद आ रहा था कि अनाही बार-बार उसे खाने के लिए बोल रही थी और फिर उसने नींद में ही उसे खाना खिलाया था। रुहान ने अपने निचले होंठ को काटते हुए अपने मन में कहा, "क्या सच में मैडम जी रात को मेरा इंतजार कर रही थी? उन्होंने मेरे बिना खाना भी नहीं खाया।"

    फिर रुहान नहा कर बाहर आया साथ ही अपनी बिल्ली को भी ऐसे लिए घूम रहा था जैसे वह उसकी माँ हो।

    वही अनाही जल्दी-जल्दी सबके लिए ब्रेकफास्ट भी रेडी कर रही थी तो साथ ही रुहान के लिए एक गैस पर कॉफी चढ़ा रखी थी। उसे इतनी जल्दबाजी में काम करता देख निवेदिता वहां आते हुए बोली, "बेटा पहली रसोई की रस्म में हमने आपसे कहा था कि सुबह का खाना बनाना है, लेकिन अब इसकी कोई जरूरत नहीं है। अगर आपको खाना बनाना पसंद नहीं है तो यहां बहुत सारे कुक है, वह बना लेंगे।"

    अनाही ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं मम्मी जी ऐसी कोई बात नहीं है मैं बना सकती हूँ।"

    अनाही ने बाहर होल में देखा जहां अब लगभग हर कोई उठ चुका था छोड़कर वेदांत और विहा को उसने कुछ सोचते हुए कहा, "मम्मी जी अभी तक वेदांत जी नहीं उठे आज उन्हें ऑफिस नहीं जाना है? एक्चुअली मैं सोच रही थी कि दोनों को एक ही ऑफिस जाना है तो मैं उन्हीं के साथ चली जाऊंगी और मैंने दोनों का टिफिन रेडी भी किया है पर वह अभी तक उठे नहीं है लग रहा है जैसे उनको लीव लेनी हो।"

    लीव का नाम सुनकर निवेदिता ने खुश होते हुए कहा, "ऑफ कोर्स नई-नई शादी हुई है इसमें लिव लेना तो बनता है मैं तो कहती हूँ तुम भी रूहान को लेकर घर से बाहर कहीं घूमने चली जाओ ऑफिस का काम तो एक महीने बाद भी हो सकता है।"

    ये सुन कर अनाही ने शरमाते हुए अपना चेहरा झुका लिया और फिर कुछ सोच कर बोली, "नहीं मम्मी जी मुझे नहीं लगता कि मुझे लीव लेने की जरूरत है क्योंकि रूहान जी को अपना भी बहुत सारा काम होता होगा वह कल भी पूरे दिन घर पर मौजूद नहीं थे तो मैं यहां अकेली रहकर क्या करूंगी।"

    अनाही की बात सुनकर निवेदिता शांत पड़ गई क्योंकि उसे भी पता था उसके बेटे को कोई जरूरी काम नहीं है सिवाय आवारागर्दी करने के।

    पर फिलहाल वह चाहती थी अनाही और रुहान एक दूसरे के बारे में खुद से ही जाने वह उनकी कोई मदद ना करें इसलिए उन्होंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है बेटा जैसा तुमको सही लगे वैसा करो बाकी वेदांत का कुछ पता नहीं है थोड़ी देर और इंतजार कर लेते हैं ऐसे सुबह-सुबह उन्हें डिस्टर्ब करना भी अच्छा नहीं लगता है।"

    इतना बोलकर निवेदिता वहां से बाहर चली गई तो वहीं अनाही ने भी अपने हाथ में कॉफी ली और फिर तेजी से अपने कमरे की तरह बढ़ गई।

    वहीं दूसरी तरफ विहा की आंखें कानों में चिड़िया की चू चू सुन के खुली उसने झुंझलाते हुए कहा, "कभी यह घर वाले नहीं सोने देते हैं तो कभी आसपास के जानवर।"

    वह उठकर सोफे पर बैठी और उसकी नजर तुरंत घड़ी की तरफ गई जो सुबह के 8:00 बजाने का इशारा कर रही थी।

    फिर उसने एक नजर बेड पर वेदांत को देखा जो अब भी काफी गहरी नींद में लग रहा था अचानक ही विहा ने इतराते हुए कहा, "आज बताती हूं पतिदेव की सुबह-सुबह लोगों को कैसे उठाते हैं कल मुझे परेशान किया था ना मुझे आलसी भी समझ लिए होंगे आप देखो अब मैं आपको कहूंगी कि मैं तो सुबह 4:00 बजे उठी थी आप ही नहीं उठे।"

    इतना बोलकर वह जल्दी से कपबोर्ड से जिम वाले कपड़े लेकर बाथरूम के अंदर चली गई।

  • 12. Young devil's mature bride - Chapter 12

    Words: 1521

    Estimated Reading Time: 10 min

    करीब 15 मिनट बाद ही विहा बाथरूम से बाहर निकली। उसने जल्दी से अपने बालों की हाई पोनीटेल बनाई और फिर वॉश बेसिन के सामने जाकर कुछ पानी के छींटे अपनी गर्दन और माथे पर मारते हुए गहरी सांस लेकर जल्दी से वॉर्म अप करते हुए बोली,
    "अब देखना पतिदेव, मैं आपको कैसे उल्लू बनाती हूं।"

    वह जल्दी से बेड के पास गई और फिर दो बार जोर-जोर से ताली बजाते हुए बोली,
    "वेदांत निमानी! तुमको आज ऑफिस नहीं जाना है? इतनी देर तक बिल्कुल किसी गधे की तरह सो रहे हो!"

    वेदांत, अपने कान के करीब इतनी तेज ताली की आवाज़ सुनकर घबरा गया और जल्दी से दूसरी तरफ खीसक गया। वह बेड से लगभग गिरने ही वाला था कि उसने जल्दी से बेडशीट को कसकर पकड़ लिया और फिर अपनी आंखें खोल कर सामने देखा। सामने विहा, अपनी कमर पर दोनों हाथ रखे खड़ी थी और गहरी-गहरी सांस ले रही थी जैसे वह बहुत ही ज्यादा दौड़कर आई हो।

    उसे ऐसे हांफते देखकर वेदांत ने गहरी सांस ली और अपना सर पिलो पर टिकाते हुए कहा,
    "सुबह-सुबह क्यों चिल्ला रही हो किसी चुड़ैल की तरह?"

    विहा ने एक आइब्रो रेस करते हुए कहा,
    "एक बार टाइम देखना पतिदेव।"

    वेदांत ने एक नजर घड़ी की तरफ देखा और उसमें 8:00 बजे देखकर वह जल्दी से उठकर बैठ गया,
    "गॉड! मुझे ऑफिस जाना था।"
    फिर अचानक ही उसे कल रात जो हुआ वह याद आया और वह बेड से उठकर विहा के करीब बैठते हुए बोला,
    "और यू टोमेटो, मैंने तुम्हें कल कहा था मेरी चीजों से दूर रहना। तुमने मेरे कपबोर्ड का क्या हाल किया था? और तुम यह बताओ, तुम पर्दों के साथ कौन सी होली खेल रही थी? उनमें इतना पाउडर क्यों लगा हुआ था? हर चीज तुम इतनी कैसे बिगाड़ सकती हो?"

    "मुझे लगा था सिर्फ तुम्हारी बातों में बचपन है, लेकिन नहीं। तुम किसी 5 साल के बच्चे की तरह चीजें तोड़ती हो। मेरा फेवरेट वास्क तोड़ रखा था तुमने। क्या तुम यहां किसी के साथ कबड्डी खेल रही थी?"

    विहा, जो उसे डराने की फिराक में थी, उसकी इतनी धमकी सुनकर बिल्कुल भीगी बिल्ली बन चुकी थी। उसने अपने चेहरे पर पाउट बनाते हुए कहा,
    "वो तो मैं मेकअप करना सीख रही थी।"

    वेदांत की आंखों में कन्फ्यूजन आ गया,
    "क्या? तुम्हे मेकअप करना नहीं आता है?"
    फिर उसने अपने गुस्से को थोड़ा कंट्रोल करते हुए एक गहरी सांस छोड़ी और धीरे से पूछा,
    "और वास्क का क्या कर रही थी तुम?"

    विहा ने अपने निचले होंठ को काटते हुए फीकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा,
    "वो मैंने देखा था कि ताजा गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से ग्लो आता है।"

    वेदांत ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा,
    "मेरी मां! उसके लिए गुलाब जल होता है! तुम्हें मेरा इतना खूबसूरत गुलदस्ता तोड़ने की क्या जरूरत थी? तुम उसमें से सीधे फ्लावर निकाल लेती!"

    विहा ने एक हाथ से अपना कान पकड़ते हुए कहा,
    "एक्चुअली मैं फ्लावर ही निकाल रही थी, लेकिन वो गिर गया और टूट गया। I’m really sorry! मैं नया खरीद लूंगी।"

    वेदांत ने एक बार फिर गहरी सांस छोड़कर कहा,
    "और पर्दों के साथ क्या कर रही थी?"

    विहा ने रोने वाला फेस बनाकर कहा,
    "वो मैं वहां बैठकर मेकअप कर रही थी और मैं अलग-अलग स्टाइल ट्राई कर रही थी। जिसकी वजह से बार-बार मुझे फाउंडेशन चेंज करना पड़ रहा था, तो मैं उसे पर्दे से अपना चेहरा पोंछ रही थी।"

    वेदांत का मन किया कि वह विहा का दिमाग खोलकर देखे कि उसके अंदर सच में दिमाग है भी या सिर्फ भूसा भरा हुआ है।

    वेदांत को लग रहा था कि उससे बहसबाज़ी करनी भी फिजूल है। उसने वापस अपनी बेड की तरफ मुड़ते हुए कहा,
    "कल रात को मैंने पूरा कमरा साफ किया है, जिस वजह से मैं बहुत ज्यादा थका हुआ हूं। तो आज मैं ऑफिस नहीं जाना चाहता हूं। फुल लीव तो नहीं ले सकता, लेकिन हाफ डे लीव ले रहा हूं। तुम जाओ यहां से।"

    "दोपहर से पहले वापस इस कमरे में कदम मत रखना। दोपहर को जब मैं ऑफिस जाऊं, तब तुम यहां आ जाना। निकलो अभियान से।"

    विहा बच्चों जैसा मुंह बनाते हुए अपने कपड़े लेकर वापस बाथरूम के अंदर चली गई।

    वेदांत भी वापस सो चुका था।

    वहीं अनाही, हाथों में कॉफी मग लिए कमरे में एंटर होती है, तो देखती है रुहान बेड पर पसरा अपने फोन को स्क्रॉल कर रहा था। हां, वह फ्रेश हो चुका था लेकिन उसने कैजुअल वेयर ही पहना था, जिसे देखकर लग रहा था कि वह आज बाहर नहीं जाने वाला है।

    अनाही ने उसके पास जाकर अपना गला ठीक करते हुए धीरे से कहा,
    "रूहान जी, आपकी कॉफी..."

    रूहान उसकी आवाज़ सुनकर एकदम से हड़बड़ा गया और उसका फोन छूटकर उसके मुंह पर गिर गया, जिससे वह कराहते हुए अपनी नाक को सहलाता है और फिर आंखें खोल कर अनाही की तरफ देखता है, जो अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रही थी।

    रूहान उठकर बैठ गया और अनाही के हाथ से कॉफी मग लेते हुए बोला,
    "ज्यादा हंसने की जरूरत नहीं है मैडम जी, कोई भी अगर ऐसे अचानक आएगा तो इतना हिचकिचाना नॉर्मल बात होती है। इसमें हंसने जैसा कुछ नहीं था।"

    अनाही ने बस ‘हां’ में सिर हिलाया और फिर अपना पर्स लेकर एक बार खुद को मिरर में देखते हुए अपने बाल सेट करते हुए बोली,
    "ब्रेकफास्ट मैंने बना दिया है, जब मन हो आप खा लेना।"

    इतना बोलकर अनाही तेज़ कदमों से कमरे से बाहर चली गई और रूहान बस उसे देखता रह गया। उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन आज कुछ बदला था और वह था रूहान का रूटीन—सुबह उठकर जल्दी से अपने दोस्तों के पास जाना, ड्रिंक करना—कि आज वह नहीं करने वाला था। और शायद ये कई सालों में पहली बार होने वाला था। इसका रीजन रूहान को भी नहीं पता था कि वह क्यों यह सब कर रहा है।

    उसके कानों में बस कल वाली अनाही की एक ही बात घूम रही थी कि उसे किसी और का उसके कमरे में आना पसंद नहीं है और वह बटलर वापस नहीं आना चाहिए शुगर की केयर करने के लिए।

    हां, रूहान उसको थोड़ा सा कंफर्ट देने के लिए अपना मॉर्निंग रूटीन कुर्बान कर रहा था, बिना उसे बताए, जिसके लिए वह यह कुर्बानी देने वाला था।

    अनाही, वेदांत के कमरे के सामने जाकर दरवाजा नॉक करती है। विहा, जो तैयार हो रही थी, वह जल्दी से कमरे के दरवाजे के पास आई और दरवाजा खोलते ही सामने अनाही को देखकर खुश होते हुए उसके गले मिलकर बोली,
    "वाह! ब्यूटीफुल! कहां जा रही हो इतनी सुबह-सुबह? गुड मॉर्निंग!"

    अनाही ने मुस्कुराकर विहा के बालों को सहलाया और फिर कहा,
    "गुड मॉर्निंग! वेदांत जी ऑफिस नहीं जा रहे हैं, आज मैं ऑफिस से जा रही हूं।"

    विहा ने गंदा सा मुंह बनाते हुए कहा,
    "ओ सूअर की औलाद! सो रहे हैं। देखो कितने गंदे आदमी हैं, इतनी सुबह तक कोई सोता है भला?"

    अनाही ने थोड़ा घबराकर कहा,
    "कहीं उनकी तबीयत तो नहीं खराब है? क्योंकि यूज़ुअली तो वह कभी ऑफिस के लिए लेट नहीं होते हैं। मैं पिछले 1 साल से जानती हूं उनको।"

    विहा ने गुस्से से कहा,
    "मुझे नहीं पता, आप पूछ लो उनसे। मुझे तो मना किया है कि मैं उनको उठा नहीं सकती हूं।"

    अनाही ने मजबूरन ‘ना’ में सिर हिलाया और फिर अंदर जाकर वेदांत के पास धीरे से बोली,
    "वेदांत जी, उठिए। आज आपके ऑफिस नहीं जाना?"

    वेदांत ने झुंझलाकर अपनी आंखें खोली और सामने अनाही को देखकर गहरी सांस छोड़ते हुए बोला,
    "तुम्हारी बहन... इसने मुझे तंग कर रखा है। रात को मैं करीब 2:00 बजे के आसपास सो पाया था और बहुत ज्यादा थका हुआ हूं। मैं दोपहर को आउंगा, तब तक तुम संभाल लेना। बाकी मैंने जूली से बात कर ली है, ठीक है?"

    अनाही ने ‘हां’ में सिर हिलाया और फिर कमरे से बाहर चली गई। उसके जाते ही विहा भी उसके पीछे-पीछे बाहर चली गई ताकि वेदांत से उसे कुछ सुनने को ना मिले।

    वहीं रुहान, अपनी कॉफी खत्म करके अपने कदम बालकनी की तरफ बढ़ा देता है। बालकनी पर सोफे पर कंफर्टर बिल्कुल परफेक्ट तरीके से रखा था। सामने की टेबल पर भी ताजे फूल थे। बालकनी के पर्दे बदल चुके थे, शायद अनाही ने बदले थे। वहां अच्छे से झाड़ू भी लगी हुई थी।

    रुहान ने अपने कमरे की तरफ नजरे दौड़ाईं—उसका कमरा भी थोड़ा-थोड़ा चेंज लग रहा था, शायद ज्यादा सेटल।

    रोहन, सोफे पर बैठकर गुलदस्ते में रखे ताजे फूलों को अपनी उंगलियों से छूकर देखने लगा। एक पल के लिए उसके दिल में ख्याल आया कि अनाही ने भी इन फूलों को अपने हाथों से छुआ होगा।

    उसने होठों को भींचते हुए अपना हाथ वापस पीछे खींच लिया। तभी उसकी नजर बाहर खड़ी अनाही पर पड़ी, जो ड्राइवर से कुछ बातें कर रही थी।

    शायद ड्राइवर को मना कर रही थी उसे ड्रॉप करने के लिए। ड्राइवर ने भी उसकी बात मान ली और अनाही तेजी से अकेले ही घर से बाहर चली गई।
    उसे करीब 5 मिनट पैदल चलकर जाना था एक टैक्सी के लिए।

    यह देखकर रुहान को गुस्सा आ गया और वह तुरंत ही बालकनी से उठकर बाहर की तरफ तेज़ कदमों से बढ़ गया।

  • 13. Young devil's mature bride ( जोरू का गुलाम ) - Chapter 13

    Words: 1504

    Estimated Reading Time: 10 min

    रुहान ने बाहर जाते ही ड्राइवर की कॉलर पकड़ते हुए कहा, "क्या बोल कर गई है मैडम जी तुम्हें और तुम उन्हें कॉलेज... तुम उन्हें ऑफिस जॉब करने क्यों नहीं गए?"

    ड्राइवर ने आँखें बड़ी करके डरते हुए कहा, "सर, मैडम ने मना कर दिया कि वह मेरे साथ नहीं जाना चाहती हैं।"

    ड्राइवर की आवाज़ पूरी तरह कांप रही थी क्योंकि रुहान का गुस्सा कितना खतरनाक है, यह उसे बखूबी पता था। रुहान ने एक झटके से उसकी कॉलर छोड़ी और फिर गुस्से से कहा, "आइंदा अगर तुम्हारे होते हुए वह अकेली कहीं गई तो भूल जाना तुम यहां नौकरी भी करते थे।"

    इतना बोलकर रुहान जल्दी से अपनी ब्लैक स्पोर्ट्स कार की तरफ बढ़ गया।

    वहीं अनाही, जो अपने हाथ में पहनी घड़ी में टाइम देखते हुए तेज क़दमों से आगे बढ़ रही थी, वह बस टैक्सी लेने ही वाली थी कि अचानक फुल स्पीड से आई ब्लैक कलर की भारत कार उसकी आँखों के सामने आकर रुकी और वह डरते हुए दो क़दम पीछे हट गई। उसने हैरानी से उस कार की तरफ देखा। रुहान ने कार का मिरर नीचे करते हुए कहा, "बैठो मैडम जी, मैं छोड़कर आता हूं आपको।"

    अनाही ने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा, "आप यह सब क्यों कर रहे हो रूहान जी? आपको पता है मैं कितना ज्यादा डर गई थी और मैं चली जाऊंगी ऑफिस, मैं पहले भी जाती थी, मुझे आदत है अकेले ऑफिस जाने की।"

    रूहान ने गुस्से से जबड़े कसते हुए कहा, "अगर आप मेरे गुस्से का सामना नहीं करनी चाहती हैं तो चुपचाप जाकर गाड़ी में बैठ जाइए, या फिर आप चाहती है मैं पूरे शहर के सामने तमाशा करूं?"

    अनाही ने आसपास के लोगों को देखा जो पहले से ही उनकी इस कन्वर्सेशन को देखकर उन्हें अजीब नज़रों से देख रहे थे। अनाही ने गुस्से से आँखें छोटी की और फिर गाड़ी की फ्रंट सीट की तरफ लगा दरवाजा खोलकर वह गाड़ी में बैठी और फिर सीट बेल्ट लगाते हुए बोली, "आपने ब्रेकफास्ट किया? मैंने कहा था ना ब्रेकफास्ट कर लेना, आप इतनी जल्दी कैसे आ गए और पहली बात तो आए ही क्यों हैं? क्या मैं आपको कोई छोटी बच्ची नज़र आ रही हूं जिसे अकेले जाने में डर लगता होगा?"

    रूहान ने गियर घूमाते हुए एक झटके के साथ गाड़ी को वापस स्टार्ट किया और फिर फुल स्पीड से उसकी गाड़ी हाइवे पर दौड़ने लगी। अनाही ने गुस्से से कहा, "रुहान जी, मैं आपसे कुछ पूछ रही हूं।"

    रूहान ने डेविल स्माइल करते हुए कहा, "लेकिन मैं उसे सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं समझता हूं मैडम जी, तो चुपचाप करके बैठी आराम से, मेरी गाड़ी में कांटे नहीं लगे हैं जो आपको चुभ जाएंगे।"

    अनाही ने आँखें छोटी करके कहा, "अपने कपड़े देखे? आप ऐसे कपड़ों में ऑफिस जाएंगे?"

    रूहान ने एक नज़र अपने कपड़ों को देखकर बेफिक्री से कहा, "मैं ऑफिस नहीं जाने वाला हूं, बस उसके में दरवाजे पर आपको छोड़कर आने वाला हूं। मैं नहीं चाहता लोग बातें बनाए, रूहान निमानी की वाइफ सड़कों पर पैदल चलकर टैक्सी के ज़रिए ऑफिस जाती है।"

    अनाही ने मुंह फाड़े रूहान के इस अजीब से बहाने को सुना और फिर सामने सड़क की तरफ देखते हुए एक लंबी सांस छोड़कर अपनी शांत आवाज़ में कहा, "वैसे भी किसी को नहीं पता है कि रुहान निमानी की वाइफ में अपने, वैसे भी यह शादी इतनी पब्लिक तो कि नहीं है, शादी भी मेरे टाउन में हुई है।"

    रूहान ने अनाही की बात सुनकर तिरछा मुस्कुराते हुए कहा, "वेदांत निमानी का इतना बड़ा नाम है इस शहर में, वह अगर छींक भी लेता है तो वह ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है और आपको लगता है कि उनकी शादी की खबर पूरे शहर में नहीं फैली होगी सीरियसली।"

    "सोशल मीडिया पर और टीवी में इस बारे में बात करना अलाउड नहीं है क्योंकि हमें बिल्कुल पसंद नहीं है हमारी फैमिली के बारे में कोई क्वेश्चन बनाएं, ऑलरेडी बहुत कुछ हुआ है ऐसा जो आपको नहीं पता है जिसके वजह से हम लोग सोशल मीडिया की दुनिया से दूर रहते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि लोगों ने हमारे बारे में बात करना छोड़ दिया है।"

    रूहान की यह बात सुनकर अनाही शांत पड़ चुकी थी पर उसके मन में कई सवाल थे जैसे रोज सुबह जैसे रूहान बाहर जाता है आज वैसे क्यों नहीं गया? कुछ पल की खामोशी के बाद आखिर में अनाही ने अपने मन में घूमते इस सवाल को रुहान से पूछ ही लिया, "वैसे आप कल मॉर्निंग में गए थे वहां आज क्यों नहीं गए?"

    रुहान ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, "क्यों आपको बहुत अच्छा लगा था रात को मेरी हालत देखकर चेहरे पर छोटे फटी हुई शर्ट चाहते हैं कि मैं रोज इस हालत में आपके पास वापस लौटकर आऊं?"

    अनाही ने जल्दी से कहा, "मेरा ऐसा मतलब नहीं है लेकिन मैं नहीं चाहती मेरी वजह से कोई अपना रूटीन चेंज करें, जो इंसान जैसा रहता है उसे बदलने में काफी प्रॉब्लम होती है और मैं नहीं चाहती शुरुआत ही हर्ट करने से हो जाए, वैसे भी बहुत सारी अनकही सी चीज हैं हमारे बीच जाकर भी कंप्रोमाइज नहीं हो पा रही है तो उनमें एक और नई चीज में ऐड नहीं करना चाहती हूं।"

    रूहान ने हल्के गुस्से में कहा, "अब आप मुझे ऑर्डर नहीं दे सकती है कि मैं क्या करूंगा और क्या नहीं मैडम जी। बोलता हूं इसका यह मतलब नहीं है कि मैं आपके ऑर्डर भी फॉलो करुंगा, मेरा जब मन करेगा मैं तब बाहर जाऊंगा, मेरा कोई रूटिंग फिक्स नहीं है।"

    अनाही ने अजीब नज़रों से रुहान को देखा और फिर कुछ सोचते हुए कहा, "वैसे आपका कॉलेज का फाइनल ईयर चल रहा है तो आपको अपनी स्टडी पर ज्यादा फोकस करना चाहिए और इतने सारे बंक नहीं लगाने चाहिए।"

    रुहान ने उबासी लेते हुए कहा, "मैडम जी कभी मेरे कॉलेज जाकर देखना मेरी अटेंडेंस हंड्रेड परसेंट होती हैं।"

    अनाही को समझ आ चुका था रुहान से बहस करना मतलब दीवार से सर मारना जैसा है। रुहान अनाही की हर बात को काटने की कोशिश कर रहा था जबकि अनाही उसे समझाना चाहती थी, उससे बहस नहीं करना चाहती थी। अनाही ने इस बार उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी।

    रूहान जो उसके अगले सवाल का इंतजार कर रहा था ताकि उसको एक संगे रिप्लाई दे पाए, वह इस सन्नाटे में चोर नजरों से अनाही को देखने की कोशिश कर रहा था ताकि उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पढ़ पाए कि उसे रूहान की बातों का बुरा लगा है या नहीं।

    पर वह अनाही का चेहरा नहीं देख पा रहा था और कुछ ही पलों बाद उसकी गाड़ी निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की बिल्डिंग के सामने रुक चुकी थी। अनाही ने बिना रुहान की तरफ देखे झट से गाड़ी का दरवाजा खोला और फिर गाड़ी से निकल कर तेज क़दमों से चलती हुई ऑफिस के अंदर जाने लगी। बाहर खड़े बॉडीगार्ड ने भी अनाही को झुककर ग्रीट किया और अनाही ने मुस्कुरा कर उन दोनों को गुड मॉर्निंग कहा और फिर अंदर चली गई।

    वह दोनों बॉडीगार्ड अब रुहान की तरफ देख रहे थे क्योंकि रुहान की ब्लैक स्पॉट्स कार को हर कोई पहचानता था। वह एक लिमिटेड एडिशन कार थी जो इस शहर में सिर्फ और सिर्फ रुहान निमानी के पास थी। वह दोनों उम्मीद कर रहे थे कि रुहान भी निकाल कर ऑफिस के अंदर आएगा। वेदांत ने पता नहीं कितनी बार उससे मिनट की है ऑफिस ज्वाइन करने के लिए, लेकिन साहबजादे को कम करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है, ऐसा लगता है दुनियादारी से उसका मोह उठ चुका है।

    रूहान ने तब तक ऑफिस की तरफ देखा जब तक अनाही उसकी आँखों के सामने से ओझल ना हो गई हो, उसके बाद रुहान ने अपनी गाड़ी घुमाई और वापस घर की तरफ निकल गया।

    घर पहुंचने के बाद रूहान अपने हाथ की उंगली में गाड़ी की चाबी घूमते हुए जैसे ही हाल में इंटर करता है, माधवी जी उसका हाथ पकड़ते हुए बोलती है, "सुबह - सुबह कहां गया था मेरा शेर?"

    रूहान के लिए यह काफी एम्बेरेसिंग वाली बात थी कि वह अपनी वाइफ को ऑफिस छोड़ कर आया था, एकदम ड्राइवर वाली फीलिंग आ रही थी, लेकिन इसके बावजूद वह माधवी से इतना प्यार करता था कि उसे झूठ नहीं बोलना चाहता था। उसने अपने बालों से अपने सर को खो जाते हुए कहा, "ताई जी वह मैडम जी को छोड़ने गया था उनके ऑफिस आज भैया नहीं जा रहे ना इस वजह से उनको अकेला जाना पड़ रहा था और मैं नहीं चाहता उनकी वजह से निमानी परिवार को कोई नीचा समझे कि वह टैक्सी के अंदर अपने काम पर जा रही थी इतने बड़े घर में शादी होने के बावजूद भी।"

    उसकी बात सुनकर सोफे पर बैठी राधिका ने मुस्कुराते हुए कहा, "लो जी कर लो बात बहू ने आते ही इशारों पर नचाना शुरू कर दिया है। मैंने कहा था ना तुमसे कि उसे इतनी सख्ती के साथ रखना कि वह तुमसे बदतमीजी ना कर पाए तुम पर अपना जोर ना चला पाए, लेकिन लगता है जोरू के गुलाम तुम पहले ही बन चुके हो।"

  • 14. Young devil's mature bride (रूहान की नफरत वेदांत के लिए ) - Chapter 14

    Words: 1542

    Estimated Reading Time: 10 min

    राधिका की बात सीधे-सीधे रुहान को भड़काने के लिए थी, पर रुहान अनाही के मामले में उनसे भड़क नहीं पा रहा था।

    रुहान ने जल्दी से राधिका का जवाब देते हुए कहा,

    "नहीं काकी, उन्होंने नहीं कहा था कि मैं उनको ऑफिस छोड़ कर आऊं। वह तो मुझे ही लगा कि निमानी परिवार की बहू सड़क पर चलते हुए अच्छी नहीं लग रही है, तो मैं खुद ही छोड़ने गया था। वैसे भी अभी मॉर्निंग में मुझे कोई काम नहीं था और आज मेरे दोस्तों का भी कोई प्लान नहीं था, तो मैंने सोचा कि मैं दोपहर तक घर पर ही रहूं, इसलिए गया था।"

    शायद ही रुहान ने आज से पहले अपने किए किसी काम के लिए इतनी लंबी-चौड़ी सफाई दी होगी। माधवी और राधिका दोनों की आंखों में हैरानी आ चुकी थी, तो वहीं किचन से बाहर आई निवेदिता की आंखों में नमी आ चुकी थी। उसका बेटा पहली बार सही बात कर रहा था और राधिका के खिलाफ बोल रहा था, जो वह आम तौर पर नहीं करता है।

    निवेदिता ने भी रुहान का साथ देते हुए उनके बीच में आकर कहा,

    "रुहान, तुम सही बोल रहे हो। अगर हमारे पास मौका है हमारे किसी अपने की मदद करने का, तो हमें जरूर करना चाहिए। वैसे भी तुम लोगों का नया-नया रिश्ता है। यह अच्छी शुरुआत तुम्हारे रिश्ते की नींव को और भी अच्छा और मजबूत बनाएगी।"

    रुहान जो माधवी और राधिका से कुछ और बोलने वाला था, उसका मुंह जैसे सिल चुका था। निवेदिता की मौजूदगी से उसके माथे पर बल पड़ गए और उसने माधवी की तरफ देख कर हल्के से मुस्कुरा कर कहा, "ताई जी, मैं ब्रेकफास्ट रूम में करूंगा, आप भिजवा देना।" इतना बोल कर वह निवेदिता को पूरी तरीके से नजर अंदाज करते हुए वहां से चला गया।

    उसके ऐसा करने से निवेदिता की आंखों में आई नमी उसके गालों पर आ गई थी, जिसे उसने जल्दी से पोंछते हुए मुस्कुरा कर माधवी की तरफ देख कर कहा

    "आज भी आपसे बहुत प्यार करता है वह, देख कर काफी अच्छा लग रहा है।"

    माधवी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम ज्यादा चिंता मत करो उसकी, तुम बस अपने बड़े बेटे का ख्याल रखो। रुहान का ख्याल रखने के लिए उसकी ताई अभी जिंदा है, तुम्हारे कंधों पर उसका बोझ मैं कभी नहीं आने दूंगी।"

    निवेदिता अपने उदास मन के साथ अपने कमरे की तरफ जा चुकी थी, तो वहीं माधवी ने डेविल स्माइल करते हुए कहा, "और तब तक तो बिल्कुल नहीं, जब तक मेरा काम ना निकल जाए।"

    इतना बोल कर वह गुनगुनाते हुए किचन की तरफ चली गई ताकि रुहान के लिए ब्रेकफास्ट ले जा सके।

    वहीं कमरे में जाते ही रुहान बेड पर बैठ कर दोनों हाथों से अपना सर पकड़ते हुए बोला,

    "मैं ताई जी और काकी के लिए ऐसे शब्द कभी नहीं बोलता हूं। आज मैं उनका साथ क्यों नहीं दे रहा था? मैडम जी, आपने मेरा दिमाग खराब कर दिया है। आज आना, मैं बताता हूं आपको, आप कैसे मुझे कंट्रोल करने की कोशिश कर सकती हैं।"

    रुहान अकेले में ही बात कर रहा था, तो वहीं शुगर जो उसका इंतजार कर रही थी, उसके आते ही म्याऊं-म्याऊं करते हुए इसकी गोद में दौड़ पड़ी और उसे देख कर रुहान का उखड़ा हुआ मूड तुरंत ही ठीक हो गया।

    दोपहर के वक्त

    वेदांत अपने कमरे में रेडी हो रहा था। उसकी नजर बार-बार दरवाजे की तरफ जाकर अपनी पिद्दी सी बीवी को ढूंढ रही थी, क्योंकि विहा सच में पूरे दिन से कमरे के अंदर नहीं आई थी। वेदांत को पता नहीं क्यों, लेकिन उसकी नामौजूदगी हद से ज्यादा खल रही थी।
    उसने फिर अपनी टाई को ठीक करते हुए झुंझला कर कहा,

    "पता नहीं तुम इतनी आज्ञाकारी कब से हो गई, क्योंकि जो काम तुम्हें सच में नहीं करना चाहिए, उसको बिगाड़ने के लिए तुम नंबर वन रहती हो और यहां मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है तो तुम सच में पूरे दिन कमरे के अंदर नहीं आई हो।"

    वेदांत अपनी वॉच में टाइम देखा हुआ कमरे से बाहर निकला तो उसकी मुलाकात रास्ते में निवेदिता से हो गई जो अपने हाथों में कुछ स्नैक्स लिए अपने कमरे की तरफ जा रही थी।

    उनके हाथों में स्नेक्स देख कर वेदांत की आंखें छोटी हो गई, उसने कन्फ्यूजन से पूछा,

    "मॉम आप कब से यह चिप्स और कुरकुरे खाने लगी है वह भी इस टाइम?"

    निवेदिता ने जल्दी से खुश होते हुए कहा, "नहीं-नहीं, मेरे लिए नहीं है, यह तो मेरी छोटी बहु रानी के लिए है। हम दोनों आज एक साथ मूवी देख रहे हैं, कई दिनों बाद मेरे साथ कोई मूवी देखने के लिए इतना ज्यादा एक्साइटेड है तो बस उसी के लिए लेकर जा रही हूं।"

    वेदांत ने कई सालों बाद अपनी मां के चेहरे पर चमक देखी थी, उनकी आंखों में खुशी झलक रही थी।

    शायद पहली बार नमन के जाने के बाद उनको इतनी इंपॉर्टेंस दी गई थी। वेदांत ने अपने मन में कहा,

    "हम्म टोमेटो कुछ तो अच्छा काम भी करती हो तुम।"

    फिर उसने धीरे से कहा,

    "ठीक है मोम, मैं ऑफिस जा रहा हूं शाम को आते वक्त अनाही को भी साथ ही ले आऊंगा, और मॉर्निंग के लिए सॉरी मैंने ध्यान ही नहीं दिया कि मैं अनाही के लिए ड्राइवर को भेज दूं। और मुझे पता है अनाही कितनी खुद्दार लड़की है खुद से तो वह ड्राइवर के साथ गई नहीं होगी। उसे जाकर मैं सॉरी भी बोल दूंगा सुबह मेरा मूड बहुत ही ज्यादा खराब था इस वजह से मैंने उससे बिल्कुल अच्छे से बात नहीं की।"

    अनाही का जिक्र सुन कर निवेदिता के चेहरे की मुस्कान और भी ज्यादा बड़ी हो गई, उन्होंने हंसते हुए कहा,

    "अच्छा हुआ तुमने सुबह उसको ड्राइवर के साथ जाने के लिए नहीं कहा क्योंकि उसके बाद रुहान खुद उसे ऑफिस छोड़ कर आया था।"

    वेदांत ने शॉकिंग एक्सप्रेशन के साथ अपनी आंखों को बड़ा करते हुए कहा,

    "रियली रुहान निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की बिल्डिंग के सामने गया था, मैं अपने दिमाग में यह प्रोसेस नहीं कर पा रहा हूं।"

    वेदांत को आज भी याद है कैसे जब रूहान सेकंड ईयर में था उसने रुहान के सामने हाथ जोड़-जोड़ कर कहा था कि भाई क्लब जाना छोड़ दे उसके साथ ऑफिस ज्वाइन कर ले अगर उसको स्टडीज में इंटरेस्ट नहीं है लेकिन रुहान ने सिरे से नकार दिया था निमानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज को ज्वाइन करने के लिए। उसने कहा था उसको किसी और के टुकड़ों पर पलना बिल्कुल पसंद नहीं है, क्योंकि वह कंपनी वेदांत ने खड़ी की थी और पता नहीं क्यों रूहान को हमेशा ही वेदांत अपना दुश्मन ही नजर आता है।

    निवेदिता ने अपने आंखों के कोने पोंछते हुए कहा,

    "और तो और उसने राधिका से बहस बाजी भी की अनाही के लिए की वो कभी गलत नहीं होती है। मैं तो यह सोच-सोच कर ही खुश हो रही हूं कि मेरा बेटा पहले ही दिन अपनी पत्नी के लिए खुद को सुधारने की कोशिश कर रहा है।"

    वेदांत ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "देर सवेर अगर उसकी आंख खुल भी जाए तो यह भी बेहतर ही है। आप जाइए अपनी मूवी इंजॉय कीजिए मैं भी निकलता हूं ऑफिस के लिए ऑलरेडी बहुत ज्यादा लेट हो चुका है मुझे।"

    वेदांत जैसे ही ऑफिस पहुंचा उसकी नजर सबसे पहले अनाही पर ही गई थी जो उसके केबिन के ठीक सामने बने केबिन में अपना काम कर रही थी। वेदांत ने अपने कदम उसके केबिन की तरह बढ़ा दिए।

    वेदांत के आने के साथ ही अनाही अपनी चेयर से उठते हुए बोली,

    "गुड आफ्टरनून सर, मैंने जूली को बोल दिया था कि आपका शेड्यूल आफ्टरनून के हिसाब से सेट कर दे। आप उससे शेड्यूल ले सकते हैं बाकी मीटिंग शाम को 4:00 बजे है तो अभी उसमें टाइम है आप उसके लिए पहले से कुछ रेफरेंस प्वाइंट अगर लिखवाना चाहे तो मैं आपको सजेस्ट कर सकती हूं।" इतना बोल कर उसने अपने कंप्यूटर की स्क्रीन वेदांत की तरफ कर दी।

    वेदांत ने एक नजर कंप्यूटर स्क्रीन को देखा और फिर हल्के से मुस्कुराते हुए बोला,

    "मैं तुमसे आज एज ए बॉस बात करने नहीं आया हूं।"

    उसकी यह अजीबो गरीब बात सुन कर अनाही की आंखों में कंफ्यूजन आ गया और उसने जबर्दस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा,

    "जी सर, मैं आपकी बात समझी नहीं कि आप क्या कहना चाहते हैं? कंपनी में तो आप मेरे बॉस ही हैं तो ओबवियसली आपको एक बॉस के लहजे से ही मुझसे मिलने आना चाहिए था।"

    वेदांत ने एक लंबी सांस छोड़ कर अपनी पेंट की जेब में हाथ डालते हुए कहा,

    "वह एक्चुअली मैंने सुना रोहन तुम्हें यहां ड्राप करने आया था।"

    सुबह का इंसिडेंट याद करके अनाही की स्माइल भी गहरी हो गई और उसने हंसते हुए कहा,

    "हां मेरे लाख मना करने के बावजूद वो सुबह मुझे छोड़ने आए थे यहां।"

    वेदांत ने जल्दी से कहा,

    "थैंक यू सो मच, आज से पहले मेरा भाई मेरी कंपनी के सामने से गुजरा तक नहीं है उसे इतनी ज्यादा नफरत है इस कंपनी से क्योंकि इसका नाम मेरे नाम के साथ जुड़ा है।"

  • 15. Young devil's mature bride (बिल्ली तो कुछ ज्यादा ही लॉयल है।) - Chapter 15

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    वेदांत की बात सुनकर अनाही को समझ नहीं आया कि रुहान को आखिर अपने ही बड़े भाई से क्या परेशानी हो सकती है। उसकी आँखों में आए कन्फ्यूजन को देखकर वेदांत ने हल्के से मुस्कुराकर कहा, "ज्यादा मत सोचो, बस मेरा थैंक यू एक्सेप्ट कर लो क्योंकि मेरे लिए यह सच में बहुत ज्यादा बड़ी बात है कि मेरा भाई मेरी कंपनी के सामने आया था, वह भी बिना मेरे कहे। अभी हम काम करते हैं, इस बारे में शाम को जाते वक्त मैं तुम्हें और डिटेल बताऊंगा, शायद तुम्हारा थोड़ा बहुत कंफ्यूजन दूर हो जाए।"

    अनाही ने धीरे से बस हमेशा हिला दिया और वेदांत खुद में ही खुश होते हुए वहाँ से अपने केबिन में चला गया। अनाही बस हैरानी से उसे देख रही थी। रुहान के सिर्फ गेट तक आने से वेदांत इतना ज्यादा खुश हो चुका था जिसका मतलब साफ था कि वेदांत रुहान से बेहद प्यार करता है। अनाही का जो कल वाला एक डाउट था वह क्लियर हो चुका था कि वेदांत ने रूहान को अप्रोच नहीं किया होगा। अब अनाही को लग रहा था जो भी मिसअंडरस्टैंडिंग है वह सिर्फ रुहान की तरफ से ही है। वेदांत काफी ज्यादा अंडरस्टैंडिंग और इमोशनल पर्सन है, वह अपने भाई को कभी भी गलत हाथों में खुद से तो नहीं जाने दे सकता, जरूर कुछ बड़ा हुआ होगा।

    वही शाम के वक्त रुहान कार ड्राइव कर रहा था। कार में लाउड म्यूजिक बज रहा था। रूहान के बगल में एक और लड़का बैठा था, वह उसका दोस्त था जिसका नाम अखिल था। अखिल ने रूहान के चेहरे पर आई परेशानी को देखते हुए कहा, "मैंने रूहान निमानी का चेहरा आज से पहले इतना सीरियस कभी नहीं देखा है। कुछ हुआ है तो तुम हम लोगों से शेयर कर सकते हो।" उसने बैक सीट पर बैठी एक लड़की और दूसरे लड़के की तरफ देखते हुए कहा।

    उनके 5 लोगों का ग्रुप था जिसमें 2 लड़की और 3 लड़के थे।

    बैक सीट पर बैठी लड़की का नाम मोहिनी था और उसके बगल में बैठे लड़के का नाम जलाल।

    मोहिनी ने अपने बालों को सवारते हुए कहा, "जरूर पत्नी से पति का झगड़ा हुआ होगा। कल रात को पता है इसने कितना भयंकर वाला युद्ध किया था उस लड़के के साथ। मैंने तो उसको इतना समझाया था कि नहीं उसके पास मत जाओ, उसे फालतू में बहस बाजी मत करो, लेकिन नहीं भाई साहब को सुनना तो बिल्कुल है नहीं। उसके बाद इसकी पूरी शर्ट फट चुकी थी। मैंने इससे कहा था कि हम जलाल को कॉल करके बुला लेते हैं, वह तुम्हें घर छोड़ देगा पर नहीं बोला अकेले जाना है अपनी मैडम जी के पास।"

    आखिरी लाइन मोहिनी ने काफी मजाकिया अंदाज में रूहान की नकल उतारते हुए कही थी जिसे देख कर रूहान ने चिढ़ते हुए कहा, "एक तो मैं परेशान हूं ऊपर से तुम लोगों का यह कॉमेडी शो खत्म नहीं होता है।"

    जलाल ने गहरी सांस लेकर अपना सर सीट पर टिकते हुए कहा, "देख भाई मेरी भी इंगेजमेंट हुई है रिसेंटली लड़कियों को झेलना ना बहुत मुश्किल काम है लेकिन वह स्ट्रेस तुम्हें पूरे दिन लेकर नहीं रखना चाहिए। मेरी फिआंसे ना मुझे रोज 10 गिफ्ट के ऑर्डर देता है उनमें से 5 है तो पहुंच जाते हैं उसके पास और जो बाकी नहीं रहते हैं उसके लिए वह मुझे पूरी रात लड़ती है और मैं भी उसका कॉल ऑन करके चैन की नींद सो जाता हूं तो तू भी ऐसा कर सकता है। अब वाइफ है तो दांते की जरूर जब-जब तुम गलत काम करोगे।"

    आखिर में रूहान ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "जस्ट शट अप! मुझे मैडम जी के बारे में कुछ गलत नहीं सुनना है तुम लोगों के मुंह से। उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा था और मुझे बस इसी बात की चिंता हो रही है कि उन्होंने मुझे कुछ कहा क्यों नहीं है। क्या आप उनको प्रॉब्लम नहीं है मेरी ड्रिंक करने से या फिर उनको लगता है कि मैं इतना ज्यादा गुस्सैल हूं कि उनके कुछ बोलने से ही उन पर भड़क जाऊंगा। वह काफी स्वीट ली मेरे साथ बिहेव करती हैं और इसे देखकर मुझे और ज्यादा गिल्ट होता है कि उनकी लाइफ में मेरे जैसा बंदा नहीं होना चाहिए था। मैं तुम लोगों से एडवाइस मांगने आया था और तुम लोग हो कि खुद की महाभारत खत्म नहीं होती है तुम्हारी।"

    अखिल ने अचानक ही ब्रेक मारते हुए रूहान की गाड़ी रोक दी। रूहान ने गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए कहा, "पागल वागल हो गए हो क्या, चलती गाड़ी रुकवा दी?" अखिल ने उसे खिड़की की तरफ देखने का इशारा किया, वहां एक लड़का गुलाब के फूल बेच रहा था और उसके पास दूसरी बकेट में कुछ तोहफे रखे थे जिनमें बहुत खूबसूरत खिलौने थे जो साइज में कुछ ज्यादा ही छोटे थे।

    अखिल नाम मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन तुम अपने लवर को उससे इंप्रेस कर सकते हो।"

    अखिल का इशारा उन खूबसूरत सफेद गुलाब के फूलों पर था तो वही रूहान की नजर उसके पास पड़े बकेट पर थी। उसने जल्दी से खुश होते हुए कहा, "हां, थैंक यू सो मच यार, मैं तो ध्यान ही नहीं दिया। मेरी शुगर बेबी को यह बहुत ज्यादा पसंद आएंगे। तुम्हें पता है मैंने पिछली बार उसे सिर्फ एक छोटी सी गाड़ी गिफ्ट की थी उसकी वजह से भी वह बहुत खुश हुई थी तो आज मैं उसे बहुत सारे खिलौने एक साथ गिफ्ट करूंगा। थैंक यू सो मच, तुम सच में बेस्ट फ्रेंड हो।"

    इतना बोलकर रूहान खुशी से चाहते हुए गाड़ी से नीचे उतरा और अखिल, मोहिनी, जलाल तीनों ने एक साथ अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा, "इसका कुछ नहीं हो सकता। इसकी शादी ना उसे बिल्ली से ही करवा देनी चाहिए थी ज्यादा अच्छा होता। हद होती है बेवकूफी की भी।"

    वही वह बच्चा काफी खुश हो चुका था रूहान को अपने सारे खिलौने देकर। रूहान ने उसे ₹2000 देते हुए कहा, "तुम्हारा सारा हिसाब हो गया है ना?" इतना बोलकर वह मुड़ने ही वाला था कि उसे लड़के ने अपने फूलों को उसके सामने करते हुए कहा, "अगर आपकी गर्लफ्रेंड है तो उसको यह फूल बहुत पसंद आएंगे, आप इन्हें भी ले सकते हैं।"

    रूहान के चेहरे पर आई खुशी मानो पल भर में गायब हो गई और उसने मुड़कर गाड़ी की तरफ देखा जहां जलाल, अखिल और मोहिनी तीनों गुस्से से उसे घूर रहे थे और रूहान को अपनी गलती का एहसास हुआ कि वह उसे किस सॉल्यूशन के बारे में बता रहे थे और यहां रूहान ने क्या समझा था। फिर उसने जबर्दस्ती की मुस्कान उन तीनों को दिखाते हुए कहा, "वह तुम लोग इसकी बात कर रहे थे, मैंने सोचा तुम शुगर बच्चे के बारे में बात कर रहे हो।"

    फिर उसने जल्दी से उसे बच्चों से वह फ्लावर्स भी लेते हुए कहा, "इनका भी प्राइस बता दो मैं यह भी ले लेता हूं और मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, मेरी धर्मपत्नी है।"

    अच्छे सुनकर वह बच्चा खुश हो गया आज से पहले शायद उसने एक साथ अपनी सारी चीजों को नहीं बेचा था। उसकी खुशी देखकर रूहान भी खुश हो गया और गाड़ी में बैठकर अपने हाथ में पड़ी बकेट और बुके अखिल की गोद में रखते हुए कहा, "रियली सॉरी यार, मेरी जिंदगी में शुगर के अलावा कोई इंपॉर्टेंट नहीं है तो मुझे लगा कि तुम लोग उसी की बात कर रहे हो।"

    मोहिनी ने मुंह बनाते हुए कहा, "मैं गई थी एक दिन उसके घर, पता है वह बिल्ली इसके बाल तक सवार रही थी जैसे इसका बहुत ख्याल रखती होगी। तू एक काम क्यों नहीं करता अपनी पत्नी को डाइवोर्स देकर उसे बिल्ली से शादी कर ले उसे ऐसे गिफ्ट देते रहना और वह तो तुम्हें चाह कर भी डांट नहीं सकती इतना प्यार जो करती है तुमसे।"

    ख्याल रखने की बात सुनकर रूहान को याद आया कैसे अनाही ने उसे रात के वक्त खाना खिलाया था, उसके शूज उतरे थे, उसे कंफर्टेबल पोजीशन में सुलाया था, वह भी इतनी रात में। उसने एक बार भी रूहान से मुड़कर इसकी शिकायत नहीं की थी कि इसकी वजह से उसकी रात की नींद खराब हुई है या फिर उसको प्रॉब्लम हुई हो रूहान के अजीब से बर्ताव से।

    रूहान ने मोहिनी की तरफ देखकर धीरे से कहा, "क्या जो हमसे प्यार करता है वह हमारा ख्याल रखता है?"

    मोहिनी ने धीरे से कहा, "हां नॉर्मली तो यही होता है लेकिन अगर कोई इंसान अच्छा हो, आई मीन दिल का बहुत सच्चा इंसान हो तो वह नॉर्मल लोगों की भी हेल्प कर देता है लेकिन फिर भी वह लिमिटेड होता है। तुम्हारी बिल्ली तो कुछ ज्यादा ही लॉयल है।"

    मोहिनी की बात सुनकर रूहान मन ही मन काफी खुश हो गया था। उसने एक नजर फूलों की तरफ देखा और फिर गाड़ी को आगे बढ़ा दिया। उसने उन तीनों को उनके घर ड्रॉप किया और फिर खुद भी अपने हाथों में वह बकेट और बुके लिए अंदर चला गया। अंदर माधवी और राधिका दोनों टीवी पर न्यूज़ देख रही थी। रूहान को इतनी जल्दी आते उन्होंने आज से पहले कभी नहीं देखा था।

    क्या कभी राधिका और माधवी की चालाकियां रूहान के सामने आ पाएंगी?
    जानने के लिए पढ़ते रहीए इस कहानी को।

  • 16. Young devil's mature bride ( वेदांत अनाही कन्वर्सेशन )- Chapter 16

    Words: 1517

    Estimated Reading Time: 10 min

    माधवी की बात सुनकर रूहान ने हैरानी से कहा, "ऐसा कौन सा अजीब बर्ताव किया है मैंने? मुझे तो याद नहीं आ रहा कि मैंने ऐसा कुछ किया होगा।"

    माधवी ने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान लाते हुए कहा, "मेरा मतलब है कि तुम्हारा डेली रूटीन कुछ ज्यादा ही चेंज हो रहा है। आज सुबह भी तुम कहीं नहीं गए और आज देखो, अभी तो सिर्फ 7:00 बजे हैं, तुम इतनी जल्दी वापस भी आ गए और तुम्हारे हाथों में क्या है?"

    यह सुनकर रूहान थोड़ा सा झेंप गया। फिर उसने जल्दी से बकेट को माधवी के सामने करते हुए कहा, "मैं वो शुगर बेबी के लिए लेकर आया था और यह फ्लावर भी वो बच्चा साथ में ही भेज रहा था, तो मैंने सोचा खरीद लेता हूं, उसका भला हो जाएगा। वैसे भी दिन ढलने वाला था और उसका सामान बिल्कुल नहीं बिका था।"

    राधिका ने मुंह बनाते हुए कहा, "कहीं ऐसा तो नहीं है कि तुम्हारी बीवी ने कल रात तुमको इतना डांट दिया हो कि आज तुम्हें उसकी नाराजगी दूर करने के लिए यह फ्लावर लाकर देने पड़ रहे हैं। देखो, मैं तुम्हें अभी समझ रही हूं, बीवी की हुकूमत से बच के रहा करो। अब तक तुम्हें जितना मजबूत हम लोगों ने बनाया है, तुम तो बिल्कुल ग्लेशियर में धूप पड़ने की तरह धीरे-धीरे पिघल रहे हो, ऐसा मत करो।"

    रूहान ने आंखें छोटी करके कहा, "कहा कि साहब, आप कौन से ग्लेशियर की बात कर रही हैं और डोंट वरी, मैं बदल नहीं रहा हूं। बताया ना बस उसका सामान नहीं बिका था इसीलिए मैं यह लेकर आया हूं।"

    इतना बोलकर रूहान ने राधिका और माधवी से ज्यादा बात नहीं की और तेज कदमों से चलता हुआ अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, लेकिन फ्लोर स्लिपरी होने की वजह से वह निवेदिता से टकरा गया, जो विहा से बातें करते हुए शायद हॉल की तरफ आ रही थी। उसने जैसे ही रूहान के हाथ में फ्लावर देखे, उसके होठों पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई तो वहीं विहा ने भी एक्साइटमेंट में कहा, "वो जीजू, आप कितने अच्छे हो, अपनी पत्नी के लिए फ्लावर लेकर आए हो और आप एक आपके भाई हैं, पता है सुबह मॉर्निंग में गलती से मुझसे उनका फ्लावर वाज़ टूट गया था मुझ पर इतनी चिल्लाए थे।"

    उसका बंधा मुंह देख कर निवेदिता ने हंसते हुए कहा, "कोई बात नहीं, आज आते ही मैं उसके तीन-चार डांट लगाऊंगी और वह सुधर जाएगा।" फिर उसने रूहान की तरफ देखा, जो विहा और निवेदिता दोनों से ही नजरें नहीं मिला रहा था, फोन के बगल से होते हुए अंदर चला गया। विहा को यह काफी ज्यादा वियर्ड लगा। उसने निवेदिता को देखकर कहा, "जीजू को क्या हुआ है, उनका मूड खराब लग रहा है।"

    निवेदिता ने बात को बदलते हुए कहा, "मुझे लगता है उसे रूम में जाने की ज्यादा जल्दी है, तुम्हें पता है ना वह अपनी बिल्ली से कुछ ज्यादा ही ऑबसेस्ड है, तो उससे मिलने की जल्दी होती है उसे। चलो हम लोग डिनर बनाते हैं, आज सास बहू मिलकर कुछ स्पेशल बनाएंगे, वैसे भी कल से तो तुम्हें कॉलेज जाना पड़ जाएगा।"

    यह सुनकर विहा का मुंह उतर गया। उसे सबसे ज्यादा बुरा लगता है तो वह है पढ़ाई करना। उसे बिल्कुल पढ़ाई नहीं करनी थी और वह तो सोच भी रही थी कि आज रात को वेदांत को यह सब बता देगी कि उसे पढ़ाई-बढ़ाई नहीं करनी है, उसे डायरेक्ट उसकी कंपनी में जॉब मिल जाए और वह पूरा दिन बस अपने हैंडसम पति को देखती रहे।

    रूहान ने कमरे में जाते ही सबसे पहले अपनी शुगर को ही संभाला और उसे ढेर सारे खिलौने दिए जिससे वह बिल्ली बहुत ज्यादा खुश हो गई। उसके बाद रूहान ने उन फ्लावर्स को बालकनी में लगे फ्लावर वाज़ में रखते हुए गहरी सांस लेकर कहा, "आई होप मैडम जी आपको यह पसंद आए।"

    रात के करीब 8:30 बजे वेदांत और अनाही दोनों ऑफिस से घर के लिए निकल कर कार में बैठते ही अनाही ने सीट बेल्ट लगाई और फिर अपना फोन चेक करते हुए बोली,
    "वैसे कल रूहान जी काफी लेट आए थे घर। अगर वह थोड़ा जल्दी आ जाएंगे तो अच्छा रहेगा, आप मुझे उनका नंबर देंगे, मैं उनसे बात कर लेती हूं।"

    वेदांत ने धीरे से कहा, "वो लेट ही आएगा। वैसे मैं भी तुम्हें बहुत कुछ बताना चाहता हूं।" इतना बोल कर वेदांत ने गाड़ी स्टार्ट कर ली और उसे रूहान के बारे में बताने लगा,

    "मुझे नहीं पता है रूहान ने तुमसे क्या-क्या कहा है और क्या-क्या छुपाया है, लेकिन वह सच में बहुत ज्यादा ड्रिंक करता है और मैं एक-दो बार तो उसे ड्रग्स लेते हुए भी पकड़ा है, बहुत डांट भी लगाई है लेकिन इसके बावजूद वह सुधारने के लिए तैयार नहीं है और उसे मुझसे अलग ही किड है ना जाने क्यों वह मेरे साथ काम नहीं करना चाहता है और ताऊजी भी हमेशा उसी का साथ देते हैं। मैंने उस बात से ताऊजी और अंकल से भी अपने कनेक्शन कम कर लिए हैं। पता नहीं क्यों मुझे लगता है वह लोग रूहान को मैनिपुलेट करते हैं।"

    उसकी यह बात सुनकर अनाही को कहीं ना कहीं समझ आ रहा था कि कौन से मैनिपुलेशन की बात वेदांत कर रहा है। फिर उसने धीरे से कहा, "पर मुझे लगता है ताई जी और काकी काफी अच्छी हैं, उन्होंने मेरे साथ तो अच्छा ही बिहेव किया है, खासकर ताई जी ने। काकी जी ने तो फिर भी पहले ही दिन मुझे डांट फटकार लगाई थी और कुछ ऐसे शब्द कहे थे जो मुझे पसंद नहीं लेकिन ताई जी काफी अच्छी है और वह रूहान जी से भी काफी ज्यादा क्लोज है।"

    वेदांत ने गुस्से से कहा, "मुझे उनकी क्लोज़नेस बिल्कुल पसंद नहीं है और मुझे लगता है सबसे बड़ी मास्टरमाइंड ताई जी ही है। वही है जो रूहान के साथ 24 घंटे में सबसे ज्यादा रहती हैं और मुझे लगता है इस मैनिपुलेशन में सबसे बड़ा हाथ उनका है बाकी तुम समझदार हो, तुम खुद समझ सकती हो कि कौन गलत है, कौन सही है। मैं तुम्हें इस बारे में कोई लेक्चर नहीं देना चाहता हूं हां, मैं तुम्हारा बॉस हूं, लेकिन सिर्फ ऑफिस वर्क के लिए बाकी दुनियादारी की समझ मुझसे ज्यादा तुम्हें होनी चाहिए खास कर अपने हस्बैंड के केस में।"

    इसके बाद वेदांत और अनाही के बीच पूरे रास्ते कोई बात नहीं हुई। बार-बार वेदांत को स्माइल करते हुए जरूर देख रही थी जो काफी वियर्ड लग रहा था। वेदांत ऑफिस में भी कुछ ज्यादा ही स्माइल कर रहा था।

    घर पहुंच कर अनाही तेज कदमों से अपने कमरे में जाकर सीधा जल्दी से बाथरूम में चली जाती है ताकि फ्रेश होकर अगर नीचे कोई काम बचा है तो उसमें निवेदिता की हेल्प कर पाए।

    उसने नहा कर लाइट वेट नेट की येलो साड़ी पहनी और फिर अपने गीले बालों को बीच की मांग निकाल कर खुला छोड़ते हुए जल्दी से सिंदूर और बिंदी लगा कर तेजी से कमरे से बाहर जाने लगी। उसने एक बार भी रूहान के अटैच्ड कमरे की तरफ नहीं देखा।

    रूहान जो शुगर को बाहों में भरे एक टक अपने कमरे की तरफ देख रहा था। उसे लग रहा था अब अनाही उसे पूछने आएगी, कुछ अब आएगी, लेकिन अनाही नहा कर वापस चली गई और रुहान का मुंह उतर गया। उसने गुस्से से कहा, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है ना। आज से पहले कोई पूछने वाला था और ना अब है। रुहान निमानी इतनी जल्दी किसी के बस में नहीं आ सकता।" इतना बोल कर उसने धीरे से शुगर का माथा चूम लिया जो अब हल्की नींद में नजर आ रही थी। रुहान ने उसे उसके बिस्तर पर लेटाया और खुद भी अपने कमरे में आते हुए फ्रेश होने चला गया।

    वहीं बाहर जाकर अनाही ने विहा और निवेदिता की डिनर सेट करने में मदद की।

    डिनर टेबल पर सब लोग मौजूद हो चुके थे - रितेश, जिग्नेश, राधिका, माधवी, निवेदिता, वेदांत, विहा, लेकिन अभी तक रूहान नहीं आया था।

    ये देख कर अनाही की आंखो में उलझन आ गई, वो परेशानी से सीढ़ियों की तरफ देख रही थी।

    माधवी ने अनाही को देखते हुए कहा,
    "बेटा तुम भी खा लो खाना, उसे रात को रूम में डिनर करने की आदत है। मैं ले जाऊंगी उसके लिए, तुम ऑफिस से इतना थक कर आई हो चलो बैठो डिनर करो।"

    अनाही ने मुस्कुरा कर कहा,
    "नहीं ताई जी ऐसी कोई बात..."

    वो आगे कुछ बोल पाती उससे पहले निवेदिता ने कहा,
    "सही कह रही हैं जीजी, तुम बैठो आओ हमारे पास।"

    जबरदस्ती अनाही उन लोगों के बीच बैठ चुकी थी।

    वेदांत की नजरे बार बार विहा की तरफ जा रही थी जो उसको एक नजर देख भी नहीं रही थी और खाने मै कुछ ज्यादा ही बिजी थी।

    वेदांत ने अपने मन मै कहा,
    "मै क्यों इस पिद्दी सी टोमेटो की अटेंशन के लिए इतना बेचैन हु? मुझे नहीं चाहिए इसकी अटेंशन, अब मै भी इसे पूरी तरह इग्नोर करूंगा।"

    अनाही को ना चाहते हुए भी निवेदिता के साथ खाना पड़ रहा था।

    वही माधवी जल्दी से अपना खाना खत्म कर के रूहान के लिए डिनर लेकर उसके कमरे मै चली गई।

  • 17. Young devil's mature bride - Chapter 17

    Words: 1515

    Estimated Reading Time: 10 min

    अंदर कमरे में जाते ही माधवी की नजर सीधा रुहान पर गई, जो अब अपने बेड पर आरती पलटी मार कर बैठा था। उसके सामने लैपटॉप खुला हुआ था, जिसमें बहुत तेजी से उंगलियां चल रही थीं। शुगर उसकी गोद में गहरी नींद में सो चुकी थी।

    रूहान ने जैसे ही अपने कमरे के गेट पर कदमों की आहट सुनी, उसका दिल एक पल के लिए धड़क उठा, यह सोच कर कि अनाही आई होगी उसे डिनर के लिए बुलाने को, क्योंकि अब तक अनाही के व्यवहार से रुहान को यही लग रहा था कि वह काफी ज्यादा केयरिंग लड़की है।

    पर सामने माधवी को देख कर कहीं ना कहीं रुहान के चेहरे पर डिसएप्वाइंटमेंट आ गई। वही माधवी, जो उम्मीद कर रही थी कि रुहान उसको देख कर खुश हो जाएगा, उसका लटकता चेहरा देख कर माधवी हैरानी से अपने मन में बोली, "यह क्या हुआ? यह तो आज से पहले कभी नहीं हुआ था, और क्यों? आखिर वजह क्या है इसकी?"

    फिर उसने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान सजाते हुए रुहान के सामने जाकर अपने हाथ में पड़ी प्लेट बेड पर रखते हुए कहा, "साहबजादे अपना ख्याल रखना बिल्कुल भूल ही चुके हो, खाना खाने क्यों नहीं आए हमारे साथ? हम सब लोगों ने खाना खा लिया, फिर मैंने नोटिस किया कि आज तुम नहीं आए हो। फिर ना मुझे लगा था नई नवेली दुल्हन बाकी कोई काम करेगी या नहीं पर तुम्हें खाने के लिए तो जरूर ही पूछ लेगी, इसमें कौन सा उसकी जुबान घिस जाएगी।"

    इतना बोलकर माधवी रूहान के सामने बैठ गई और फिर एक निवाला निकालकर रूहान को खिलाते हुए बोली, "मैं नहीं चाहती तेरी यह गबरू जवान जैसी बॉडी कुछ ही दिनों में तुम्हें मैरिज जैसा दिखने लग जाए, इसलिए मैं तुम्हारी बीवी पर कुछ नहीं छोड़ने वाली हूं। चुपचाप मुझे लगेगा कि तुम्हें मेरी जरूरत है, मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगी।"

    रूहान का चेहरा बिल्कुल ब्लैंक था, उसे देखकर माधवी को जरा सा भी अंदाजा नहीं हो पा रहा था कि रुहान फिलहाल क्या सोच रहा है।

    उसने दूसरा निवाला रूहान को खिलाते हुए कहा, "ऐसा तो नहीं होगा ना कि तुम मुझे बोलेगा अब मेरी शादी हो गई है, तो मेरे कमरे में आने के लिए अपॉइंटमेंट लो, या फिर ऐसा कि हफ्ते में एक ही बार मेरे कमरे में आओ? मैंने सुना बटलर से कि अनाही को काफी प्रॉब्लम हो रही थी उसकी वजह से।"

    रूहान ने अपने मुंह का निवाला निकलते हुए कहा, "ताई जी आप भी कैसी छोटी-छोटी बातें लेकर बैठ गई हो, आपको रोकने वाला कौन है? लेकिन अगर मैडम जी को इससे कोई दिक्कत होती है तो मेरे पास इसके बहुत सारे सॉल्यूशन है, जैसे कि अगर मुझे कभी आपकी याद आएगी तो मैं खुद आपके कमरे में आ जाऊंगा, बाकी मैं उनसे पूछ लूंगा एक बार और यही बात खान की तो मुझे लगता है वह ऑफिस में काम करके बहुत ज्यादा थक गई होंगी, इसीलिए आते ही फॉर डिनर करने लग गई।"

    शायद माधवी यह बात रूहान को कल से पहले बोल दी तो उसकी पेन-तारा जरूर काम कर ज्यादा, लेकिन कल रात को जिस तरह से अनाही ने रुहान का ख्याल रखा था, रूहान की तो बिल्कुल नहीं मान सकता था कि उसकी पत्नी उसकी केयर नहीं करती है या फिर उसे कोई मतलब ही नहीं है कि रूहान खाना खा रहा है या नहीं खा रहा है।

    अपनी चाल को इतनी जल्दी फेल होता देख माधवी के चेहरे का रंग उड़ गया। उसका दिल घबराहट से धड़कने लगा, जैसे अनाही नाम की मुसीबत उसे पूरी तरह बर्बाद ही कर देगी। उसने रूहान को और खाना खिलाते हुए कहा, "हां, यह बात भी सही है, हो सकता है वह बहुत ज्यादा थकी हुई हो और पैसे भी इंसान सबसे पहले खुद को देखता है, जो खुद को ना देख कर किसी और को देखता है, उसके आज के दिन कैसे भी कोई वैल्यू नहीं है, मुझे ही देख लो, मैं अपनी बेटी से ज्यादा तुम्हारा ख्याल रखा है, लेकिन अब मैं तुम पर बड़ा हक नहीं जाता सकती हूं क्योंकि तुम मेरे सगे बेटे नहीं हो ना।"

    इतना बोलने के साथ ही माधवी का गला भर आया था, फिर रोने की एक्टिंग कर रही थी, लेकिन मासूम रूहान को लग रहा था उसकी ताई को सच में बुरा लग गया है। रूहान ने जल्दी से खान की प्लेट दोनों के बीच से हटाई और माधवी के गले लगाते हुए बोला, "ताई जी आप क्यों इतना सोच रही हैं, ऐसा कुछ नहीं है और वैसे भी अगर आपने मुझे सगे बेटे से ज्यादा मन है तो मैं भी आपको मां से बढ़कर मानता हूं, मेरी जिंदगी में आपसे इंपॉर्टेंट कोई नहीं है, कोई नहीं मतलब कोई भी नहीं।"

    "ना चल कोई था अनाज है और मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि आगे भी कोई नहीं रहेगा सबसे इंपॉर्टेंट सिर्फ आप हो।"

    उसके ऐसा बोलने से माधवी ने मुस्कुराते हुए उसे अपने गले लगा कर कहा, "बस एक इसी उम्मीद पर मेरी लंबी उम्र होती जा रही है।"

    "जब जब मुझे लगता है कि मैं तुम्हारी सही परवरिश की है तब तक मेरा खून डबल हो जाता है और देखो मैं बिल्कुल हेल्दी हो जाती हूं अपने बेटे का पहले से ज्यादा ख्याल रखने के लिए।" माधवी ने बड़े ही प्यार से रूहान को कुछ करते हुए कहा जिससे रूहान और भी ज्यादा खुश हो गया।

    कुछ ही पलों बाद माधवी ने पूरा खाना रुहान को खिला दिया था जिसके साथ ही उसने आखिरी बार रूहान के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "जाओ आराम से सो जाओ, ठीक है, गुड नाइट।"

    रूहान ने भी मुस्कुरा कर माधवी को गुड नाईट कहा और माधवी वहां से चली गई।

    माधवी के जाने के बाद रूहान अनाही के बारे में सोच रहा था, सच में उसे भी अजीब लग रहा था कि अनाही ने क्या उसके बारे में एक बार भी नहीं पूछा कि उसने रात का खाना खाया या नहीं। कुछ सोच कर उसका मन पूरी तरह तड़प रहा था, कल वाली अटेंशन उसके दिल को इतनी भाग गई थी कि उसे अब उस अटेंशन की क्रेविंग हो रही थी।

    कहीं दूसरी तरफ वेदांत खाना खाकर पहले अपने कमरे में जा चुका था, वह रूम में इधर-उधर टहलते हुए विहा का इंतजार कर रहा था और उसे भी नहीं पता आखिर वह उसका इंतजार क्यों कर रहा है क्योंकि ऐसा तो कुछ खास उनके बीच रिश्ता भी नहीं है। वही विहा भी निवेदिता और अनाही से कुछ बात करके अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। वह रास्ते में बडबडाते हुए जा रही थी।

    "इन पीरियड्स को भी अभी आना था अब मैं कैसे संभालूंगी अच्छा हुआ पेट्स तो मैं ले लिए लेकिन सोफे पर कैसे एडजस्ट होगा और अगर कहीं दाग लग गया तो संविधान की से क्या कहेंगी? अम्मा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा अभी नानी रोहणी शक्ल बनाकर मन ही मन भगवान को याद किया और फिर दरवाजा खोल दरवाजा खोल देगी उसके नजर सीधा वेदांत पर गई जो बेड के इधर-उधर चक्कर लगा रहा था जिसे देखकर विहा ने आंखें छोटी करके कहा, "वेदांत आपका कुछ हो गया है क्या, आप ऐसे घूमते हुए क्या ढूंढ रहे हैं यहां?"

    विहा की आवाज सुनकर वेदांत एकदम से हड़बड़ा गया और फिर जल्दी से अपनी स्लीपर उतार कर बेड पर लेटा और कंफर्टर से अपनी हाफ बॉडी कवर करते हुए बोला, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है मेरा कुछ नहीं गुम हुआ है वह बस मुझे लाइट अच्छी नहीं लगती है मेरी आंखें बहुत ज्यादा सेंसिटिव है तो मुझे नींद नहीं आ रही थी अब तुम जल्दी से सो जाओ फिर मैं लाइट ऑफ कर दूंगा तो मुझे भी नींद आ जाएगी।"

    विहा ने छोटा सा मुंह बनाकर अपने कदम सोफे की तरह बढ़ा दिए और फिर सोफे पर दम से बैठते हुए बोली, "लेकिन मुझे लगता है आज मुझे नींद बिल्कुल नहीं आने वाली है।"

    वेदांत को समझ नहीं आया आखिर विहा ऐसा क्यों बोल रही है क्योंकि पिछली 2 रात तो वह बिल्कुल गधे घोड़े बेचकर सोई है।

    उसने तंज भरी मुस्कान के साथ कहा, "तुम तो कुंभकरण की वंशज हो, मुझे नहीं लगता कि तुम्हें नींद नहीं आएगी तुम्हें तो हर कंडीशन में नींद आ सकती है अब ज्यादा बकवास मत करो और सो जाओ।"

    इतना बोलकर वेदांत ने लैंप ऑफ कर दिया वही विहा भी सोफे पर लेट गई और अपने पेट को आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए बोली, "एक तो पेन किलर नहीं मिल रही मुझे भगवान कैसे नींद आएगी यहां तो मैं बाहर घूमने भी नहीं जा सकती हूं घर में तो जब मन की याद अब गार्डन में घूमने चली गई अब यहां मैं इनको कैसे करूंगी की रात को मुझे गार्डन में घूम के आना है कहीं इनका लगेगा कि मेरे अंदर किसी आत्मा का वास तो नहीं है अच्छी चीज क्या सोच रही हूं मैं।"

    विहा खुद में बड़बड़ाते हुए सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी वही उसके बाद बड़ा है अब वेदांत को भी सुनाई दे रही थी और वह गौर करके यह जानने की कोशिश कर रहा था फिर भी हां क्या बोल रही है।

    वहीं दूसरी तरफ अनाही भी कमरे में जाती है उसके जाते ही उसकी नजर बद पर बैठे रुहान की तरफ जाती है।

  • 18. Young devil's mature bride (craving for attention )- Chapter 18

    Words: 1637

    Estimated Reading Time: 10 min

    "रूहान को इस तरीके से बैठा देख कर अनाही आंखें छोटी करते हुए बोलती है, "रूहान जी, आपने डिनर कर लिया ना? अभी मुझे लगता है आपको सो जाना चाहिए, वैसे भी 10:00 बजने वाले हैं।"

    रूहान ने आंखें उठाकर अनाही की तरफ देखा, जो चलो साड़ी में कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी। या क्यों कहूँ, रूहान की आंखें खराब हो गई थी जो उसे तीन दिन किसी लड़की के साथ रहकर उसकी खूबसूरती हद से ज्यादा अच्छी लगने लगी थी।

    रूहान ने आंखें छोटी करते हुए कहा, "देखिए, सरसों का फूल मेरे ऊपर ऑर्डर मत चलाइएगा जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है। अब तो मुझे लगता है आपको मैडम जी बोलना भी बंद करना पड़ेगा कुछ ज्यादा ही कैरेक्टर के अंदर घुस जाती हैं और जाति को तब लेक्चर छाटती रहती हैं।"

    "सरसों का फुल" नाम सुनकर अनाही को हंसी आ गई। उसने दरवाजा अंदर से लॉक किया और फिर साड़ी के पल्लू से अपने गले हाथों को पहुंचते हुए धीरे से बोली, "यह तो आपकी मर्जी है कि आपको मुझे क्या बोलना है और क्या नहीं, और मैं किसी कैरेक्टर में नहीं घुसती हूं, मेरा करैक्टर एक्चुअली है ही ऐसा। आई एम रियली सॉरी अगर मैं आपको बहुत ज्यादा बॉर्डर करती हूं, पर इसीलिए मैं सोने के लिए बोल रही हूं बाकी अगर आपको कोई काम है तो आप वह भी कर सकते हैं, मुझे तो बहुत नींद आ रही है, मुझे सोना है।"

    इतना बोलकर अनाही तुरंत ही बालकनी की तरफ मुड़ गई और रूहान, जो उससे बात करने के लिए तड़प रहा था, वह रानी से उसे देखने लगा, फिर उसने बच्चों जैसा मुंह बनाकर खुद से कहा, "मैडम जी तो बहुत सारे मुहूर्त है, ठीक से बात भी नहीं करती है।"

    फिर रूहान ने अपनी ही बात पर हैरानी से कहा, "यह सब में क्या सोच रहा हूं, मैं तो कितना इंट्रोवर्ट इंसान हूं, मुझे तो खुद नहीं पसंद की कोई मुझसे बात करें तो फिर क्यों मार रहा हूं मैं उनके कुछ शब्दों को सुनने के लिए।"

    अगले ही पल रूहान का विचार फिर बदल गया और उसने बालकनी में सोफे को सेट कर दी नहीं को देखते हुए धीरे से कहा, "और आखिर मैडम जी को क्या हुआ है, वह इतना काम क्यों बोलती है, थोड़ा सा और बोलने की तो क्या उनका टैक्स कट जाएगा?"

    रूहान ने फिर अपना सर पढ़ते हुए कहा, "पता नहीं क्या ही अनाप-क्षण आप सोच रहा हूं, अच्छे इससे अच्छा है मैं सो ही जाऊं कम से कम यह फालतू ख्याल तो नहीं आएंगे मेरे दिल में।"

    इतना बोलकर रूहान ने भी फिर अपना बेड एडजस्ट किया और अपनी शुगर को बिल्कुल अपने करीब लेट आते हुए उसे भी कंबल उड़ा दी और फिर लैंप आफ करते हुए धीरे से कहा, "गुड नाईट मैडम जी।"

    वही अनाही भी सोफे पर लेटे हुए बोली, "आखिर रूहान जी को चलते-चलते हो क्या जाता है बहुत ही अजीब इंसान है।" फिर उसने जैसे ही चांद की रोशनी में चमकते सफेद गुलाब को देखा उसकी आंखों में हैरानी आ गई, वह छत से वापस सोफे पर उठ कर बैठ गई और उन फूलों को अपने हाथों से छूटे हुए बोली, "यह फूल यह तो सुबह नहीं थे क्या रूहान जी मेरे लिए फ्लावर लेकर आए थे?"

    इतना बोलकर अनाही नहीं एक नजर कैमरे के अंदर झांकना चाहा लेकिन अंदर बहुत ही धीमी चलो लाइट चल रही थी जिसमें कुछ ज्यादा साफ नजर नहीं आ रहा था पर अनाही का दिल जरूर सीने में रेसलिंग कर रहा था उन फूलों को देखकर अनाही को सफेद कलर बेहद पसंद था लेकिन उसकी पसंद रुहान को पता है या नहीं मुझे बिल्कुल आईडिया नहीं था फिर भी उसने एक बार उन फूलों को स्मेल करते हुए देखा बिल्कुल ताजा तो नहीं लेकिन आज ही तोड़े गए हैं यह वह अंदाजा लगा सकती थी फिर अनाही नहीं वापस लेट कर अपनी आंखें बंद करते हुए कहा अगर चौहान जी मेरी तरफ एक कदम बढ़ाने को तैयार है तो मैं वापस सो कदम उनकी तरफ बढ़ने से कभी पीछे नहीं हटूंगी।

    वहीं दूसरी तरफ वेदांत जब विहा की खुसर फुसर से तंग आ गया तो वह अपना चेहरा कंफर्टर से ढलते हुए अपने मन में बोला, "पागल है यह लड़की कहां मैं इसकी बातों को सुनने की कोशिश कर रहा हूं यह तो पैसे भी सारे शब्द ही बेटू के बोलती है तो मैं अब इसे कैसे अच्छे शब्दों की उम्मीद कर सकता हूं।" क्योंकि गलती से ही सही लेकिन वेदांत ने विहा के मुंह से एक भक्ति से गाली सुनी थी और वेदांत नहीं बिल्कुल उम्मीद नहीं की थी विहा जैसी इनोसेंट दिखने वाली लड़की कभी ऐसे शब्द पर इस्तेमाल करेगी ।

    वही विहा से जब दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह छत से उठकर सोफे पर बैठ गई और फिर कमरे की लैंप आफ करते हुए एक नजर वेदांत की तरफ देखते हुए बोली, "मेरे पतिदेव तो मेरी बिल्कुल प्यार नहीं करते हैं क्या हां मैं दर्द से तड़प रही हूं यह जब देखो कितने आराम से सो रहे हैं।"

    फिर उसने एक नजर दरवाजे की तरफ देखते हुए का, "रात की 11:00 बज गए हैं इतनी रात को अगर मैं बाहर घूमने गई तो कहीं कोई मुझे देखने आने पर मेरा कमरे में बिल्कुल मन नहीं लग रहा है वह बाहर जाने वाली थी क्या जाने उसकी नजर बोल के नीचे तरफ गए और उसके होठों पर मासूम से स्माइल आ गई उसने अपनी कम बाल करने की तरह बढ़ते हुए कहा, "वह मेरे कमरे में बालकनी भी तो है मैं तो बालकनी के अंदर भी जा सकती हूं वहां से भी आसमान के तारे देख सकते हैं।"

    इतना सोच कर भी हां मुस्कुराते हुए बालकनी में चली गई वहां जाकर जैसे उसे सांस आई हो ठंडी हवा को महसूस करते हुए उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथ रेलिंग पर कर दिए उसके बाल हवा में उड़ रहे थे और उसे काफी अच्छा महसूस हो रहा था हां उसका दर्द जरूर काम नहीं हुआ था लेकिन उसका दिल बहल रहा था इस सुहाने मौसम से।

    कुछ ही पलों में उसे ठंड का एहसास होने लगा था जिसे उसने अपनी बाजुओं को आपस में जोड़ते हुए एक लंबी सांस छोड़कर कहां, "ओह गॉड के अगस्त महीने की ठंड!"

    अंदर जाओ तो ज्यादा घुटन महसूस होती है बाहर आओ तो हल्की ठंड लगती है शायद जैकेट से मेरा काम हो सकता है तो कुछ सोच कर बस मूड नहीं वाली थी कि अचानक उसे अपनी कंधों पर किसी की जैकेट का स्पर्श महसूस हुआ उसने डरते हुए छत से दूसरी तरफ देखा तो यह वेदांत था वेदांत का चेहरा इमोशनलेस था वह सामने चांद की तरफ देखते हुए धीरे से बोल टोमेटो अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही थी तो तुम मुझसे बोल सकती थी ।

    बिहानी हैरानी से कहा, "और मेरे बोलने से आपको यकीन भी हो जाता कि मुझे नींद नहीं आ रही है आप तो मुझे वैसे भी ड्रामा बात समझते हैं अब भी आप यही बोलने की नहीं मैं ड्रामा कर रही हूं वरना मुझे नींद क्यों नहीं आएगी और वैसे भी आप कैसे मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं मैंने कहा तो था आपको क्या आज मुझे नींद नहीं आने वाली है।"

    वेदांत ने अपना एक हाथ अपने माथे पर रगड़ते हुए कहा, "और भला आदमी नींद क्यों नहीं आ रही है लिटिल इसका कोई रीज़न है तुम्हारे पास?"

    बहाने रोहिणी सूरत बनाकर कहा, "क्योंकि मुझे बहुत दर्द हो रहा है दर्द के साथ में सो नहीं सकती हूं।"

    उसकी यह बात सुनकर वेदांत एकदम से परेशान हो गया और फिर जल्दी से उसकी चेहरे को अपनी तरफ करते हुए बोला, "कहां दर्द हो रहा है तुम्हें? क्या हुआ? क्या तुम कहीं गिर गई थी? क्या फिर तुम्हें फीवर है?" इतना बोलकर उसने विहा का फोरहेड चेक किया लेकिन उसे उसका टेंपरेचर नॉरमल लग रहा था अभी यहां नहीं जल्दी से कहा, "नहीं नहीं मैं गिरी नहीं हूं और मुझे फीवर भी नहीं है एक्चुअली ना मेरे पीरियड शुरू हो गए हैं और मुझे कुछ ज्यादा ही दर्द होता है दीदी संभाल लेते हैं खुद को पर मैं नहीं संभालपाती हूं।"

    मुझे सुनकर वेदांत एकदम से हैरान होते हुए बोला, "वह अच्छा तो तुम्हें पेन किलर चाहिए या फिर तुमने ले लिए पेन किलर।"

    विहा ने अपना निकला वोट बाहर निकलते हुए धीरे से कहा, "मैंने बहुत ढूंढा पर मुझे पेन किलर नहीं मिली।"

    उसकी यह बात सुनकर वेदांत ने आंखें छोटी करके कहा, "व्हाट मेरे कमरे में तुम्हें पेन कलर नहीं मिला? इसलिए तो इंपॉसिबल है तुमने ढूंढी कहां थी पेन किलर?"

    विहा नहीं अपना सर खुजाते हुए कहा, "मैंने कमरे में नहीं ढूंढी, मैं तो बाहर ही देख रही थी कोई फर्स्ट एड बॉक्स मिल जाए मम्मी जी के कमरे में भी नहीं था।"

    वेदांत ने विहा का हाथ पकड़ा और फिर उसे अपने साथ कमरे में ले गया उसने विहा को बेड पर बैठाया और फिर साइड ड्रावर से फर्स्ट एड बॉक्स निकलते हुए बोला, "आखिर पूरी दुनिया में ढूंढने के बाद तुमने कमरे में क्यों नहीं ढूंढा कि सामने ही तो रखा था।"

    इतना बोलकर उसने एक पेन किलर और एक गिलास में पानी निकाल कर विहा के हाथ में थमा दिया फिर आने धीरे से कहा, "आप ही नहीं तो मना किया था कि मैं आपकी चीजों को हाथ ना लगाऊं इसलिए मैं कमरे में आई ही नहीं आपके जाने के बाद,‌ मैं तो बाहर ऐसे ही घूम रही थी, मुझे लगा आप फिर से मुझे डांटेंगे और जब मैं कोई चीज ढूंढती हूं तो मैं बहुत ज्यादा बिखेर देती हूं बस इसलिए।" इतना बोलकर भी हां नहीं वह टैबलेट ले ली और सिद्धांत को यह सुनकर बहुत बुरा लगा उसके दिल में अजीब सी टी सूट रही थी कि उसकी बीवी को अपनी कमरे में दवाई ढूंढने के लिए भी इतनी बार सोचना पड़ रहा था।

  • 19. Young devil's mature bride ( बेशर्म वेदांत )- Chapter 19

    Words: 1579

    Estimated Reading Time: 10 min

    गुजरात, निमानी हाउस, रात का वक्त, करीब 11:30 बजे

    वीहा बेड पर लेटी थी और टुकुर-टुकुर वेदांत को देख रही थी, जो फिलहाल हॉट वॉटर बैग ढूंढ रहा था और उसे मिल नहीं रहा था।

    कुछ पल बाद विहा ने गला सही करते हुए धीरे से कहा, "वेदांत, अगर आपको नहीं मिल रहा है तो कोई बात नहीं, मैं ऐसे भी ठीक हूं, पेन किलर काफी रिलीफिंग होती है।"

    इतना बोल कर उसने अपने होठों को भींच लिया क्योंकि वेदांत की नजरें उस पर आ टिकी थीं।

    वेदांत ने कमर पर हाथ रख कर गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, "पता नहीं हमेशा चीजें उस वक्त क्यों गुम हो जाती हैं जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।"

    वेदांत की बात सुन कर विहा ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा, "हां, मेरे साथ भी बहुत बार ये होता है, खास कर जब पापा कुछ मांगते थे तब, जैसे कभी पेन मांग लिया तो मैं पूरे कमरे में ढूंढ कर थक जाती थी पर कभी पेन नहीं मिलता था।"

    वेदांत ने उसके इतनी देर से परेशान चेहरे पर स्माइल देखी तो उसे अपने दिल में हल्की ठंडक का अहसास हो रहा था।

    वेदांत दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए बोला, "मैं तुम्हारे लिए स्नेक्स लेकर आता हूं, हम दोनों टीवी देखेंगे, मुझे आज ही पता चला मॉम से की तुम्हे टीवी देखने का बहुत शौक है।"

    इतना बोल कर वेदांत कमरे से जा चुका था।

    और उसके जाते ही विहा बेड पर उठ कर बैठ गई और अपना पेट पकड़ते हुए बोली, "ये अकडू लठ अचानक से कोमल पत्ता कैसे बन गया।"

    इतना बोल कर उसने अपना मुंह बिचकाया और फिर बेड से उठ कर रूम में लगी LED ऑन की।

    विहा वापस बेड पर आकर बैठी और अपने फोन से एलईडी को कनेक्ट करने लगी उसने बस सीरीज ऑन ही की थी कि दरवाजा फिर से खुला और वेदांत हाथों में कुछ स्नैक्स के कमरे के अंदर आ गया।

    उसने एक नजर टीवी की तरफ देखा जिसमें एक कोरियन ड्रामा चल रहा था, जिसका टाइटल था "हिडेन लव।"

    वेदांत ने स्नैक्स विहा के सामने रखे और खुद उसके पीछे बैठ कर आहिस्ता से उसकी साड़ी का पल्लू उसकी कमर से हटाने लगा।

    उसके इस एक्शन के लिए विहा बिल्कुल रेडी नहीं थी।

    वो उसकी पहली छुअन से बुरी तरह कांप उठी थी।

    उसने चिहुंकते हुए पीछे मूड कर कहा, "व... वेदांत जी आ... आप क्या कर रहे हैं?"

    उसकी इस हरकत पर वेदांत को पहले तो गुस्सा आया लेकिन फिर उसे जैसे ही विहा के चिहुंकने का कारण समझ आया उसने झट से विहा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "लिटिल कम ऑन, इतना क्यों डर रही हो, इतना पेनफुल प्रोसेस भी नहीं है।"

    विहा ने अपना हाथ वापस खींचते हुए आंखें बड़ी कर के कहा, "आ आप पागल हो गए हैं? क्या बकवास कर रहे हैं? मैने कहा ना आई एम ऑन माई पीरियड्स और आप.... छी।"

    विहा ने ये बोल कर गंदा सा मुंह बनाया और वेदांत को हंसी आ गई।

    उसने उसके हाथ पर पकड़ कसते हुए धीरे से कहा, "क्या तुमने पहले एक्सपीरियंस किया है?"

    विहा की बिल्ली जैसी आंखें और ज्यादा बड़ी हो गई और इस बार उनमें हैरानी और शर्म के साथ साथ कुछ और भी था... और वो था वेदांत के लिए बेहिसाब गुस्सा।

    उसने गुस्से से वेदांत से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, "बेशर्मी की भी एक हद होती है वेदांत, आप कैसी बेहूदा बातें कर रहे हैं, मैं तो अखंड सिंगल थी, मेरा तो कभी कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं था, मैंने एक दिन मैगजीन में आपकी फोटो देखी थी और इसी वजह से तो मैने मैथमेटिक्स चूज किया था ताकि मैं आपकी कंपनी में एज ए इंजीनियर वर्क कर सकूं, और आप बोल रहे हो कि मैंने एक्सपीरियंस किया है सीरियसली! मेरा एक ही क्रश था और वह था वेदांत निमानी और आज मैं उसकी पत्नी हूं इससे ज्यादा मेरी लाइफ में कुछ नहीं हुआ है।"

    वेदांत मुंह फाड़े उसे देख रहा था। वेदांत ने बिल्कुल उम्मीद नहीं की थी कि वह किसी का इतना बड़ा क्रश भी हो सकता है, कि उसने पूरी लाइफ कभी कोई रिलेशनशिप भी ना बनाया हो।

    फिर वेदांत ने धीरे से कहा, "टोमेटो तुम गुस्से में और भी ज्यादा क्यूट लगती हो और तुम्हारा दिमाग बहुत ज्यादा गंदा है कुछ ज्यादा ही वाइल्ड सोच है तुम्हारी। मेरा वह मतलब बिल्कुल नहीं था जो तुम समझ रही थी, मैं तो बोल रहा था कि क्या कभी कमर की मालिश करवाई है तुमने बाम से? जो तुम्हें पता है कि यह प्रोसेस पेनफुल होता है या नहीं! मैं तो तुम्हारी कमर की मालिश करना चाहता था ताकि तुम्हें पेन से थोड़ा रिलीफ मिल सके।"

    वेदांत की बात सुन कर विहा एकदम से शक्क पका गई और फिर जल्दी से शर्म से अपनी नजरें झुकाते हुए बोली, "ओह आज तो सच में मैं बहुत ज्यादा गंदा सोच रही थी हे भगवान मेरा पूरा एपिसोड भी निकल गया इस चक्कर में।"

    विहा ने रोनी सूरत बना कर जैसे ही यह कहा वेदांत ने उसका मोबाइल उठाते हुए उस एपिसोड को स्टार्टिंग से शुरू कर दिया और फिर उसे अपने आगे बैठने का इशारा करते हुए बोला, "अब तो क्लियर हो चुका है ना कि मैं तुमसे क्या चाहता हूं तो चलो यहां बैठ जाओ आराम से और एपिसोड फिर से शुरू हो जाएगा।"

    विहा जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए आहिस्ता से वेदांत के सामने बैठ गई और वेदांत ने फिर से उसकी साड़ी का पल्लू उठाते हुए बेड पर रख दिया अब विहा की डीप नेक वाले ब्लाउज से झलकता आदि से ज्यादा कमर वेदांत की नजरों के सामने थी।

    उसकी पीठ पर एक बहुत खूबसूरत तिल बना हुआ था जिसे देख कर वेदांत का मन कर रहा था वह एक बार उस तिल को छू ले। लेकिन उसने अपने हाथ में थोड़ी सी बाम लेते हुए अपने काम पर फोकस करने की कोशिश की।

    वहीं विहा आंखें बंद कर के वेदांत कि छूने का इंतजार कर रही थी और खुद को प्रिपेयर कर रही थी ताकि इस बार वह चिहुंकने की बजाय बेड पर इस तरह बैठी रहे।

    वेदांत ने अपनी ठंडी उंगलियां उसकी कमर पर आहिस्ता आहिस्ता खुमानी शुरू की और विहा ने झट से अपनी साड़ी को अपनी मुट्ठियों में भर लिया।

    वह अपने निचले होंठ को चबाते हुए बस खुद को किसी तरह बेड से उठने से रोकने की कोशिश कर रही थी।

    वही वेदांत का भी कुछ यही हाल था उसकी गर्दन की नसे कुछ ज्यादा ही स्पीड में चल रही थी।

    पर वो बिल्कुल ये फील नहीं करना चाहता था और विहा के दिल से भी ये ख्याल निकाल फेंकना चाहता था।

    उसने अपने हाथ को हल्के हल्के मूव करते हुए धीरे से कहा, "तुम्हें ज्यादा नर्वस होने की जरूरत नहीं है टोमेटो, वैसे भी तुम मेरे टाइप की नहीं हो। मैं तुम्हें कभी गलत तरीके से नहीं छूने वाला हूं। और वैसे भी मेरी तो गर्ल फ्रेंड भी है ना तो तुम यह ख्याल दिल से निकाल दो जिस की वजह से तुम्हारी बॉडी में हे अकड़ आई हुई हैं। रिलैक्स होकर बैठ जाओ हम्म।"

    विहा ने अपने होठों को गोल करते हुए एक गहरी सांस छोड़ी और फिर आंखें खोल कर सामने चल रहे सीरियल को देखते हुए बोली, "हां यह भी सही है पर आप चिंता मत कीजिए एक न एक दिन तो मैं आपके लायक बन ही जाऊंगी और दूसरी बात अगर एक पति अपनी पत्नी को छूता है तो वह गलत तरीका कैसे हो सकता है। आप को क्यों लगता है कि मैं यह सोचती हूं कि आप मुझे गलत तरीके से छू रहे हैं। बस वह मेरे लिए अभी ओवर हो रहा है इसलिए मुझे ज्यादा शर्म आ रही है और अब तो मैं भी फील नहीं कर रही हूं। आप कर लीजिए आपको जो करना है।"

    इतना बोल कर विहा ने आडा टेडा मुंह बनाया और फिर अपने सीरियल पर फोकस करने लगी।

    वही उसकी बात सुन कर कहीं ना कहीं वेदांत को बुरा भी लग रहा था वो कभी किसी लड़की को इस तरीके से ऑब्जेक्टिफाई बिल्कुल नहीं करता था कि वह किसी के लिए कितनी परफेक्ट है और कितनी नहीं। और यह लायक शब्द तो उसे सब से बुरा लगता है। लेकिन फिलहाल वह विहा का यह कंफ्यूजन दूर नहीं करना चाहता था, कि वह सिंगल है।

    इसलिए उस ने भी कुछ नहीं कहा और उसकी कमर की मालिश करने के बाद अपने हाथ धोने वॉश बेसिन की तरफ चला गया।

    और जब वह वापस आया तो सामने का नजारा देख कर उस की आंखें छोटी हो गई क्योंकि उसकी पिद्दी सी बीवी अब बेड के बीचों बीच सीमट कर लेटी हुई थी शायद उसे नींद आ गई थी।

    वेदांत हल्के से मुस्कुराते हुए नाम ऐसा हिलाया और फिर एलईडी बंद करते हुए बेड के आस पास रखे स्नेक्स को उठा कर एक तरफ रखते हुए बोला, "मुझे लगता है तुम सच में कुंभकरण की वंशज हो थोड़ा सा आराम मिला नहीं की मोहतरमा को नींद भी आ गई।"

    पर अब उसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि वह सोफे पर ठीक से एडजस्ट नहीं हो पा रहा था क्योंकि वह सोफा उसकी साइज का तो बिल्कुल नहीं था लेकिन फिर भी वह मन मारते हुए सोफे पर जाकर लेट गया।

  • 20. Young devil's mature bride ( माधवी का झूठ ) - Chapter 20

    Words: 1539

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगली सुबह,

    गुजरात,

    निमानी हाउस

    रूहान गहरी नींद में सो रहा था जब अचानक उसके कानों में चूड़ियों की झनझनाहट की आवाज़ आई और उसने कसमसाते हुए अपनी आँखें खोलकर सामने देखा। अनाही ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी और उसमें वह बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। इतनी कि रूहान की एक झलक में ही पूरी नींद गायब हो चुकी थी। उसकी नज़र शीशे में अनाही के खूबसूरत चेहरे से होती हुई उसके होठों पर टिकी पानी की बूंदों पर और उसके बाद उसकी गर्दन से फिसलती पानी की बूंदें उसके क्लीवेज में जाते हुए कहीं गुम हो रही थी, जिसे देख कर रूहान ने अपना जबड़ा कस लिया। उसके बाद उसकी नज़र अनाही की कमर पर गई, अनाही अपनी प्लेट को ठीक कर रही थी। वहीं अनाही को जैसे ही खुद पर किसी की नज़रों की तापिश महसूस हुई, उसने झट से सामने शीशे में देखा और रूहान को खुद को इस तरह देखना पाकर वह जल्दी से अपनी साड़ी को ठीक करते हुए मुड़कर बोली, "रूहान जी, गुड मॉर्निंग।"

    अनाही शायद कुछ और बोलना चाह रही थी लेकिन रूहान के सामने उसकी ज़बान चल गई थी। उसने जल्दी से अपनी साड़ी को और भी ज़्यादा ठीक किया और फिर अपने गीले बालों को सुखाते हुए बोली, "आज आप जल्दी उठ गए, कल तो मैं रेडी हो गई थी, उसके बाद आपकी नींद खुली थी।"

    रूहान अनाही की आवाज़ सुन कर होश में आने की कोशिश कर रहा था। उसने आँखें बंद करके दो-तीन बार अपने सर को झटका और फिर झट से आँखें खोल कर सामने देखते हुए बोला, "गुड मॉर्निंग मैडम जी, मुझे तो लगा था आपको टॉकिंग फोबिया है लेकिन नहीं आपकी ज़बान भी चलती है।"

    इतना बोलकर रूहान बेड से उठा और अपने सर को खुजाते हुए वॉशरूम की तरफ़ बढ़ गया। अनाही को समझ नहीं आया कि रूहान किस बारे में बात कर रहा था।

    वहीं रूहान अंदर जाकर ब्रश पर टूथपेस्ट लगाते हुए खुद में बड़बड़ा रहा था, "कल शाम को मुझसे एक शब्द नहीं कहा, मैं पूरे दिन उनका इंतजार कर रहा था कि शायद वह ऑफिस से जल्दी आएंगी लेकिन नहीं, मैडम लेट आई, उसके बाद मुझे खाने का नहीं पूछा और उसके बाद शाम को आकर भी बात करने की बजाय सीधा सोने चली गई और अब देखो सुबह उठते ही कैंची जैसी ज़बान चल रही है।"

    वहीं अनाही को इतना बोलने की आदत नहीं थी लेकिन जो ऑकवर्ड सिचुएशन क्रिएट हो चुकी थी उसको दूर करने के लिए उसके पास बोलने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था।

    अनाही अपनी बिंदिया के डिब्बे में मैचिंग बिंदी ढूंढते हुए रूहान के इस अजीब बिहेवियर के बारे में सोच रही थी। फिर उसने झट से वह बिंदी अपने माथे पर लगाते हुए कहा, "यह मर्द लोग बहुत धीरे-धीरे समझ आते हैं। कुकिंग फोबिया का क्या मतलब हुआ? फिर बोलने से मुझे कब डर लग रहा था और मैं कब नहीं बोली? मुझे तो लगता है मैं जितना नॉर्मली बोलता हूं उतना ही मैं रूहान जी के साथ बोलती हूं।"

    अनाही फिर पिछले तीन दिन के सारे मोमेंट्स को एक-एक करके याद कर रही थी और साथ ही साथ अपना हल्का-फुल्का मेकअप कर रही थी, फ़ुल लिप ग्लॉस लग रही थी कि अचानक उसे समझ आया कि कल रात सच में उसने रूहान से बात नहीं की थी पर उसके पास बहुत सारे रीज़न थे जैसे कि उसे लग रहा था रूहान शायद पूरे दिन बाहर घूम कर बहुत थका हुआ होगा और उसे अपने रेस्टिंग टाइम में अनाही का डिस्टरबेंस पसंद नहीं आएगा। यह सब सोच कर ही तो अनाही रूहान से दूरियाँ बना रही थी। वह पहले दिन वाली धमकी, वह गुस्सा वाली आँखें, यह सब अनाही को रूहान की सबसे बड़ी इमैच्योर आदतें लगी थी जिसे वह बचकर रहना चाहती थी ताकि उन दोनों के रिश्ते के बीच ज्यादा लड़ाईयां ना हो लेकिन रूहान तो किसी छोटे बच्चों की तरह बिना बात भी मुंह फुला सकता था, यह अब धीरे-धीरे अनाही को समझ आ रहा था। उसने अपनी मांग में सिंदूर लगाया और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई ताकि रूहान के लिए कॉफी बना सके।

    वहीं रूहान भी नहा कर बाहर आया। उसने ब्लू कलर की वी-नेक वाली शर्ट पहनी थी और उसके नीचे वाइट कलर का ट्राउज़र। वह गीले बालों को पोछते हुए कमरे के अंदर आया था और अब उसकी नज़रें पूरे कमरे में घूम रही थी शायद अनाही की तलाश कर रही थी लेकिन उसे कहीं भी अनाही नज़र नहीं आई और उसका मुंह एक बार फिर लटक गया। फिर उसने खुद से सोते हुए कहा, "क्या मैं ज़्यादा बोल दिया?"

    वह इतना सोच ही रहा था कि उसके कमरे में कदमों की आहट हुई और रूहान का उदास चेहरा एकदम से अकड़ से भर गया। उसने पूरे एटीट्यूड के साथ एंट्रेंस की तरफ़ देखा लेकिन वहां अनाही की जगह माधवी को देखकर उसके चेहरे पर एक बार फिर चिढ़न वाले एक्सप्रेशन आ गए, जिन्हें माधवी ने तुरंत नोटिस कर लिया था और आज वह कल से भी ज्यादा शॉक हुई थी। वह अपने हाथों में पड़ी कॉफी सामने आकर रूहान की तरफ बढ़ते हुए बोली, "गुड मॉर्निंग बेटा, क्या हुआ आज सुबह-सुबह ही तुम्हारा मूड बहुत खराब लग रहा है?"

    रूहान ने जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा, "नहीं ताई जी, आप जैसा सोच रही हैं वैसा कुछ नहीं है, गुड मॉर्निंग। एक्चुअली कॉफी लेने मैडम जी गई थी और देने के लिए आप आई हैं तो बस थोड़ा शॉक हुआ था और कुछ नहीं है।"

    माधवी ने धीरे से कहा, "और तुझे किसने कहा कि अनाही तेरे लिए कॉफी लेने गई है? वह तो अपना टिफिन रेडी कर रही है और साथ में वेदांत का भी, वह दोनों साथ ऑफिस जाते हैं ना और वह इतना सब कर रही थी उसमें कहां उसे ध्यान रहेगा कि उसके हस्बैंड को कॉफी देनी है, ऐसे उसकी भी गलती नहीं है आजकल की वर्किंग वुमन ऐसी ही होती है एक टाइम पर इंसान एक ही चीज पर फोकस कर सकता है, या तो रिश्ते पर या फिर काम पर और अनाही बाकी परिवार वालों के साथ बहुत ज्यादा अच्छी है लेकिन मुझे लगता है तुम्हारा ख्याल रखने के लिए उसे ऑफिस से थोड़ा टाइम निकालना पड़ेगा, मैं उससे ज़रूर इस बारे में बात करूंगी लेकिन मेरा बेटा बिना कॉफी पीए थोड़ी रह सकता है इसलिए मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना कर ले आई।"

    फिर माधवी ने रूहान का के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "अभी कर बताओ कॉफी कैसी बनी है?"

    रूहान ने मुस्कुरा कर कॉफी का एक सिप लिया, उसकी आंखों में कंफ्यूजन आ गया। उसने धीरे से कहा, "ताई जी, ऐसी कॉफी कल मैडम जी ने बनाई थी, ठीक वैसा ही टेस्ट आ रहा है, मैंने कल पहली बार वैसी कॉफी पीते उससे पहले कभी नहीं और आज फिर वही टेस्ट है, क्या सच में यह काफी आपने बनाई है?"

    रूहान की बात सुनकर माधवी सकपका गई लेकिन फिर उसने जल्दी से अपने चेहरे पर उदासी वाले एक्सप्रेशन लाते हुए कहा, "तू अपनी ताई जी पर शक कर रहा है? हो सकता है कॉफी पाउडर चेंज हुआ होगा अनाही के आने के बाद इसलिए तुम्हें लग रहा होगा कि यह से टेस्ट है, तुम मुझे झूठ बोल रहे हो।" इतना बोलकर माधवी को देखकर लग रहा था वह अब रोने की वाली है। रूहान ने जल्दी से कहा, "आई एम रियली सॉरी ताई जी, मेरा वह मतलब नहीं था और आप सही बोल रही हो हो सकता है कॉफी पाउडर ही चेंज हुआ होगा जिस वजह से ही ऐसा टेस्ट आ रहा है और कभी बहुत अच्छी बनी है आप प्लीज उदास मत होइए।"

    रूहान की यह बात सुनकर माधुरी मुस्कुराओ ठीक और झूठ-मूठ अपनी आंखों के कोने पूछते हुए बोली, "मेरा बेटा तो दुनिया का बेटा है, वह कभी अपनी ताई जी को ऐसा नहीं बोल सकता है, मुझे भी माफ कर दे जो मैंने तुझ पर ही इल्जाम लगाया, अब मैं चलती हूं ठाकुर जी की पूजा भी करनी है।" इतना बोलकर माधवी तेज कदमों से रूहान के कमरे से निकल गई क्योंकि वहां कुछ देर और रहती तो शायद रूहान अपनी इन्वेस्टिगेशन फिर से शुरू कर देता जो माधवी के लिए काफी घातक हो सकती थी।

    रूहान ने कॉफी को देखते हुए कहा, "क्या आपके पास सच में टाइम नहीं है मैडम जी? क्या आप मुझे एक कॉफी का कप बनाकर देखो पैसे दो मैं भी यही मांगता हूं कि किसी को यह हक नहीं देना चाहिए कि वह तुम्हें ऑर्डर दे पाए चाहे वह तुम्हारा खुद का पति ही क्यों ना हो, मेरे भी हाथ सही सलामत है मैं भी बन सकता हूं पर एक बार उम्मीद देकर जब कोई उम्मीद तोड़ता है तो बुरा बहुत लगता है।"

    इतना सोच कर रूहान ने गहरी सांस ली और फिर अपना फोन उठाकर किसी को कॉल करते हुए कहा, "8:00 बजे अड्डे पर पहुंच जाना, आज का काम बिल्कुल डिले नहीं होने वाला है, कल मैं लीव ले ली थी पर आज ऐसा कुछ नहीं होगा।"

    सामने से किसी ने हंसते हुए कहा, "गुड बॉय, हम जल्दी मिलते हैं।"

    सामने वाले की बात सुन कर रुहान ने फोन रख दिया और फिर अनाही केक बार फिर कमरे के अंदर आने का इंतजार करने लगा क्योंकि वो अपना पर्स नहीं लेकर गई थी इसका मतलब था कि अनाही एक बार फिर कमरे के अंदर जरूर आएगी।