"हर रात वो मुझे टॉर्चर करता है उसके लिए मैं उसकी बीवी नहीं बल्कि उसकी बेड पार्टनर हूं जो उसे हर रात खुश करती है।" मैं जानवी सिंह हूं ये मेरी कहानी है जहां मुझे एक पपेट बनाया गया है वो भी दुनियां का सबसे रहीश और बिलेनियर के हाथों का! जो मेरे साथ अपनी... "हर रात वो मुझे टॉर्चर करता है उसके लिए मैं उसकी बीवी नहीं बल्कि उसकी बेड पार्टनर हूं जो उसे हर रात खुश करती है।" मैं जानवी सिंह हूं ये मेरी कहानी है जहां मुझे एक पपेट बनाया गया है वो भी दुनियां का सबसे रहीश और बिलेनियर के हाथों का! जो मेरे साथ अपनी मनमर्जी करता है! क्या होगा मेरी लाइफ में आगे? क्या यही रहने वाली है मेरी जिंदगी? जानने के लिए पढ़िए "My psycho husband"
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पुणे, रात का वक्त, हॉस्पिटल में, इस वक्त एक इमरजेंसी वार्ड के अंदर एक औरत के जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, जैसे कि उसकी डिलीवरी हो रही हो। बाहर एक आदमी परेशान हालत में टहल रहा था। तभी उसने खुद से कहा, उसे बहुत दर्द हो रहा है। मैं अपनी बीवी को इतने दर्द और तकलीफ में नहीं देख सकता। तुझे बच्चा चाहिए था, आखिर! लेकिन अपनी बीवी को इतनी तकलीफ में देखकर, मैं बच्चों से प्यार कैसे कर सकता हूँ? यह सवाल करते हुए वह आदमी गुस्से से कांपने लगा। तभी कुछ ही देर में इमरजेंसी वार्ड का दरवाजा खुला। दरवाजा खुलते ही वह आदमी तुरंत उसकी तरफ बढ़ा और बेताबी के साथ बोला, मेरी बीवी कैसी है? उसे इतना दर्द क्यों हो रहा था? वह ठीक तो है न? अगर उसे कुछ हुआ होगा, तो मैं तुम सबको जिंदा नहीं छोड़ूंगा! डॉक्टर उसकी बात सुनकर घबरा गए और बोले, मिस्टर ठाकरे, आप इतना परेशान क्यों हो रहे हैं? यह सिर्फ एक नॉर्मल डिलीवरी थी, और औरतों को ऐसी तकलीफ होती है। यह सुनकर रोहन ठाकरे ने गुस्से में कहा, नहीं! मैं अपनी बीवी को इतनी तकलीफ में डालकर एक बच्चे का बाप नहीं बन सकता। मैं अपनी बीवी से अपने बच्चों से बढ़कर प्यार करता हूँ। इसलिए, पहले मुझे यह बताओ कि वह ठीक है या नहीं। यह सुनकर डॉक्टर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। उन्हें इस वक्त रोहन की बातें बहुत ही पागलपन भरी लग रही थीं। डिलीवरी नॉर्मल सी बात थी, लेकिन रोहन जिस तरह अपनी बीवी के लिए पागल हो रहा था, उसे देखकर डॉक्टर ने हिचकिचाते हुए कहा, "वह अभी बेहोश है। थोड़ी देर में उन्हें होश आ जाएगा। लेकिन कम से कम आपको एक बार यह तो पूछना चाहिए कि आपको बेटा हुआ या बेटी। रोहन ने गुस्से में कहा, मुझे फर्क नहीं पड़ता! वह बच्चा इस दुनिया में मेरी बीवी को तकलीफ पहुँचाकर आया है। इसके लिए मैं उसे माफ नहीं करूँगा। उसे ले जाओ मेरी नज़रों से दूर। मुझे अपनी बीवी से मतलब है, सिर्फ और सिर्फ अपनी बीवी से!" यह कहते हुए वह आदमी सीधे अंदर की तरफ बढ़ गया। डॉक्टर यह सुनकर बिल्कुल शॉक हो गए और बस एक-दूसरे को देखते रह गए। रोहन तुरंत अंदर की तरफ बढ़ा। अंदर पहुँचते ही उसकी नज़र बेड पर गई, जहाँ पर एक खूबसूरत सी औरत बेहोशी की हालत में लेटी हुई थी। उस औरत की खूबसूरती वाकई कमाल की थी, लेकिन उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था। कुछ सेकंड तक रोहन अपनी बीवी को घूरता रहा और फिर तुरंत उसके पास आया। उसने झटके के साथ उसके हाथ को पकड़ा और बोला, जानवी, तुम ठीक तो हो न? तुम्हें कुछ हुआ तो नहीं? आई एम सॉरी, जानवी! मुझे नहीं पता था कि डिलीवरी के वक्त इतना ज्यादा तकलीफ होती है। अगर मुझे इस बात का एहसास होता, तो मैं कभी तुम्हें बच्चा पैदा करने के लिए न कहता। हम दोनों ही एक-दूसरे के लिए काफी थे। हमें किसी बच्चे की जरूरत नहीं थी। लेकिन जिस बच्चे की वजह से यह सब कुछ हुआ है, मैं उसे माफ नहीं करूंगा। तुम प्लीज़ होश में आओ। तुम्हें पता है न कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ? मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, किसी भी हद तक गिर सकता हूँ। इसलिए प्लीज़ अपनी आंखें खोलो! यह कहते हुए रोहन बार-बार उसके चेहरे को थपथपाने लगा। तभी धीरे-धीरे जानवी की आंखें खुलने लगीं। उसकी आंखें खुलीं तो उसकी पूरी नजरें रोहन की काली, गहरी आँखों से मिलीं। रोहन ने जैसे ही उसे होश में देखा, उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई। उसने तुरंत उसके माथे पर किस करके कहा,मेरी जानवी को होश आ गया! मेरी जानू, तुम्हें पता नहीं है, लेकिन मैं तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा परेशान हो गया था। तुम जब ऐसे चिल्ला रही थी दर्द में, तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं पागल हो जाऊंगा। पर अब तुम्हें होश में देखकर मैं बहुत खुश हूँ। यह कहकर वह फिर से उसके माथे और पूरे चेहरे पर किस करने लगा। अचानक जानवी की आँखों में डर भर गया, और वह धीरे से डर कर बोली, तुमने मेरे बच्चे के साथ कुछ किया तो नहीं, न? जैसे ही जानवी ने यह बात कही, अचानक से रोहन, जिसकी आँखों में प्यार दिखाई दे रहा था, एकदम से हैवानियत और शैतानी से भर गया। अगले ही पल उसकी पकड़ जानवी के चेहरे पर कस गई, जिससे जानवी के मुँह से एक दर्द भरी आह निकल गई। जानवी की आँखें भी डर से भर गई थीं, लेकिन तभी रोहन ने उसके चेहरे को कसकर दबाते हुए कहा, मैं यहाँ तुम्हारे लिए इतना ज्यादा परेशान हो रहा हूँ, और तुम्हें अपने बच्चों की फिक्र है? सच कहूँ, तो तुम्हें मुझसे कभी प्यार था ही नहीं। जो भी प्यार करता था, सिर्फ मैं ही करता था। तुम्हें तो हमेशा से सिर्फ अपने बच्चों की परवाह थी, और आज भी होश में आने के बाद तुम अपने बच्चों के बारे में पूछ रही हो! तुम्हें इस बात की फिक्र तक नहीं है कि मैं पिछले ढाई घंटे से तुम्हारे लिए तड़प रहा था! कहते हुए उसने उसके चेहरे को और कसकर दबाया। जानवी की आँखों में दर्द से आँसू आ गए, और वह बहुत ही कमजोर आवाज में धीरे से बोली, रोहन, आई एम सॉरी। मुझे माफ कर दो। ऐसी बात नहीं है। तुम गलत समझ रहे हो ना। लेकिन रोहन गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, मैं तो बस क्या? क्या कहना चाहती हो तुम? यही जताना चाहती हो, ना, कि तुम्हारे लिए वह बच्चा इंपॉर्टेंट है? अगर ऐसी बात है, तो ठीक है। मैं उस बच्चे को तुम्हारी ज़िंदगी में रहने नहीं दूँगा! जैसे ही उसने यह कहा, जानवी की आँखें डर से फैल गईं, और वह तुरंत घबराकर बोली,रोहन, नहीं! तुम ऐसा नहीं कर सकते। रोहन, तुम्हें पता है ना, वह तुम्हारा भी बच्चा है। उसे मैंने अकेले तो पैदा नहीं किया, ना। तो तुम अपने ही बच्चे के साथ ऐसा क्यों कर रहे हो? इसके जवाब में रोहन जोर से किसी शैतान की तरह हँसते हुए बोला, बेशक वह मेरा बच्चा है। लेकिन मेरे लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट तुम हो। पर शायद तुम्हारे लिए वह बच्चा इंपॉर्टेंट है। और तुम्हें तो अच्छे से पता है कि तुम्हारी ज़िंदगी में मेरे अलावा आज तक जितने भी लोग इंपॉर्टेंट हुए, मैंने सबको या तो बर्बाद कर दिया या जिंदा जला दिया। तो फिर वह बच्चा क्या चीज़ है? यह सुनते ही जानवी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई, और वह बस शॉक्ड होकर उसे देखती रह गई।
जानवी एकदम से डर गई । डर से उसकी आंखों में आंसू आ गए और वो तुरंत घबराते हुए बोली ,“ ये क्या कर रहे हैं आप ? प्लीज छोड़ दीजिए , मुझे दर्द हो रहा है ।” लेकिन रोहन उसके गर्दन को कसकर दबाते हुए बोला ,“ तुम्हें सबसे ज्यादा सिर्फ मेरी फिक्र होनी चाहिए ना कि अपने बेटे की , बताओ तुम सिर्फ मेरी फिक्र करोगी ना ? वरना मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं ।” जानवी रोहन की आंखों में एक हैवानियत देख सकती थी । उस हैवानियत को देखकर जानवी की आंखों से लगातार आशु गिरने लगे । और उसने आखिर में धीरे से कहा ,“ हां.. हां.. मैं सिर्फ आपसे ही सबसे ज्यादा प्यार करूंगी और मैं सिर्फ आपकी सबसे ज्यादा फिक्र करूंगी , आप प्लीज छोड़ दीजिए मुझे । और मेरा बेटा कहां है ? एक बार मुझे उसे दिखा दीजिए, मैं कम से कम एक बार तो उसे देखना ही चाहती हूं ।” ये सुनकर रोहन उसे गुस्से से कुछ पल तक देखता रहा और फिर उसे आखिर में छोड़ते हुए बोला ,“ मुझे अभी भी तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं है , मुझे अच्छे से पता है कि हमारे बीच बच्चा आ जाने के बाद तुम सारा प्यार उसे ही दोगी , इसलिए तुम अभी उससे दूर रहोगी ।” ये सुनते ही जानवी एकदम से शौक हो गई। और वो अभी कुछ कह पाती उससे पहले ही रोहन वहां से बाहर जाने लगा । रोहन को ऐसे जाते देख जानवी ने तुरंत घबराते हुए कहा ,“ प्लीज रुक जाइए , ऐसे मत जाइए , मुझे मेरे बेटे को एक बार देख तो लेने दीजिए , मैंने उसे देखा तक नहीं है , उसे मुझे एक बार गोद में लेना है। प्लीज मैं आपसे हाथ जोड़ती हूं दे दीजिए मुझे मेरे बेटे को , इतना ज्यादा बेरहमी मत दिखाइए ।” लेकिन रोहन पर तो जैसे इस बात का असर ही नहीं था । उसने उसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया और वहां से बाहर निकल गया । जानवी रोती और बिलखती रह गई । वो एक ऐसी मां थी जो शायद मां कहलाने लायक नहीं थी , क्योंकि उसने जो बच्चे को पैदा किया था वो बच्चा उसकी गोद में अभी तक आया नहीं था । यहां तक कि उसने उसका चेहरा तक नहीं देखा था कि वो कैसा है कैसा नहीं है ? उसे इस वक्त हद से ज्यादा तकलीफ हो रही थी । वो रोते हुए बोली ,“ क्यों मैं इस इंसान की जिंदगी में आई , आखिर क्यों मैं इसकी कंपनी में काम करने गई , क्यों मैं इसकी नज़रों के सामने आई ? ना मैं इसकी कंपनी में काम करने जाती ना मैं इस इंसान के नजरों में आती , और ना ही ये मुझसे जबरदस्ती शादी करता , और ना आज मैं ऐसी हालत में होती । पूरे 1 साल में मेरी जिंदगी इस इंसान ने तबाह कर दी। मुझे अब सिर्फ और सिर्फ रोना आ रहा है। मुझे तकलीफ हो रही है । मैं अपने बेटे से मिलना चाहती हूं , उसे देखना चाहती हूं, उसे अपने गोद में लेकर प्यार करना चाहती हूं । लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो सकता , वो उसे लेकर जा चुका है । वो राक्षस इंसान है , वो बिल्कुल पागल है। उसके अंदर दिल नहीं है , उसने कभी मुझसे प्यार नहीं किया , उसने सिर्फ और सिर्फ मुझे तकलीफ दिया ।” ये सब कहते हुए जानवी अपने 1 साल पहले के वो पल सोचने लगी जब वो पहली बार रोहन से मिली थी । वो एक छोटे घर से बिलॉन्ग करती थी । वो हरियाणा के एक छोटे से गांव में रहती थी लेकिन वहां पर लड़कियों को उतनी ज्यादा आजादी नहीं दिया करते थे । लड़कियों को हमेशा घर में बंद कर रखा जाता था और छोटे उम्र में शादी कर दी जाती थी। उसकी भी शादी छोटी उम्र में ही तय कर दी गई थी । लेकिन वो शादी नहीं करना चाहती थी वो अपने दम पर कुछ करना चाहती थी । और अपनी जिंदगी एक आजाद खुले पंछी की तरह जीना चाहती थी । इसलिए वो रातों-रात हरियाणा से भाग कर मुंबई आई । लेकिन वो जब मुंबई आई तो यहां पर गुजारा करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे और ना ही उसके पास ज्यादा पढ़ाई लिखाई की स्किल थी । क्योंकि वो एक लड़की थी तो वहां पर उसे इतना ज्यादा पढ़ाई भी नहीं करवाई गई थी । लेकिन उसने हार नहीं मानी और उसने सबसे पहले पार्ट टाइम जॉब के बारे में सोचा तो यहां पर उसकी एक दोस्त ने उसकी मदद की । उसकी दोस्त खुद एक बड़े से कंपनी में काम करती थी जहां पर उसने भी उसकी जॉब लगवाई । वो एक छोटे से पार्ट टाइम जॉब में बहुत ज्यादा खुश थी । लेकिन एक रात ने उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल दी । उसे पता भी नहीं था कि वो जिस कंपनी में जॉब करके इतनी ज्यादा खुश है उसी कंपनी का मालिक आगे चलकर उसकी जिंदगी पूरी तरह तबाह कर देगा । एक रात उस ऑफिस में उसके पूरे 10 साल कंप्लीट होने की खुशी में पार्टी दी गई थी । जिसमें सभी को इनवाइट किया गया था । वो भी फर्स्ट टाइम ऐसी पार्टी में जाने के लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड थी । वो रात उस पार्टी में गई थी और उसी रात उसका सामना उस कंपनी के प्रेसिडेंट यानी कि रोहन खुराना से हुआ था । रोहन खुराना से जब वो पहली बार नशे की हालत में टकराई तो वो रोहन का पोजेशन बन गई । उस रात के बाद से रोहन ने उसे बिल्कुल नहीं छोड़ा । और वो हर रात उसे टॉर्चर करने लगा । वो नशे में थी और उस रात उसने गलती से रोहन के साथ रात बिताई थी । और फिर उसी के बाद से रोहन ने उसके साथ जबरदस्ती करना शुरू किया । पहले तो वो उसे हर वक्त टॉर्चर करता था और जब जानवी वहां से भागने की कोशिश की तो उसने जबर्दस्ती उससे शादी कर ली । जिससे जानवी चाह कर भी कहीं भाग नहीं पाई । और आखिर में उसे अब जिंदगी भर के लिए रोहन के साथ रहना पड़ गया । उसने इसे अपनी किस्मत मान लिया था और अपनी किस्मत के सहारे वो रोहन के साथ किसी तरह रहने लगी । कुछ वक्त में रोहन जो उसके साथ हमेशा बेरहमी से पेश आता था वो थोड़ा नरम पड़ गया था । जानवी भी थोड़ा-थोड़ा उसके साथ खुश रहने लगी थी । लेकिन तभी कुछ ही महीने बीते थे कि जानवी को पता चला कि वो प्रेग्नेंट है । और जैसे ही उसे इसके बारे में पता चला वो काफी ज्यादा खुश थी । उसे लग रहा था कि रोहन को जब ये बात बताएगी तो रोहन भी खुश होगा , क्योंकि उनकी जिंदगी में अब एक छोटा सा मेहमान आने वाला है जिससे उनकी फैमिली पूरी तरह कंप्लीट हो जाएगी । लेकिन जब रोहन को पता चला तो रोहन ने डायरेक्ट उसे अबॉर्शन करने के लिए कह दिया । ये सब जानकर जानवी के पैरों तले जमीन खिसक गई । वो पूरी तरह शौक थी क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रोहन उसके साथ ऐसा कुछ करेगा ? क्योंकि वो बच्चा तो उनका ही था और वो अपने ही बच्चे को अबार्ट करने के लिए कैसे कह सकता था ? लेकिन जब उसे उसकी वजह पता चली तो वो और भी ज्यादा शौक थी । वो नहीं चाहता था कि उन दोनों के बीच कोई तीसरा आये या फिर बच्चा आए , उसका खुद का खून ही क्यों ना हो ? ये सब कुछ जानकार अब जानवी को रोना आ रहा था । उसे ऐसा लग रहा था कि वो ये सब कुछ छोड़कर कहीं भाग जाए । और उसने फिर से ये करने की कोशिश की तो रोहन जबरदस्ती उसे लेकर अस्पताल गया और वहां पर उसने उसका अबॉर्शन करवाने का सोचा। लेकिन डॉक्टर ने जब जानवी की हालत देखी तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि वो जानवी का अबॉर्शन नहीं कर सकते क्योंकि जानवी की उम्र भी अभी बहुत कम थी और लगातार ये सब कुछ होने की वजह से वो काफी ज्यादा कमजोर हो गई है । इसलिए अगर उसका अबॉर्शन हुआ तो वो मर सकती है । जिस वजह से मजबूरी में रोहन ने उसके बच्चे को उसके पेट में रहने दिया । और आखिर में अब 9 महीने धीरे-धीरे करके बित चुके थे । जानवी को लग रहा था कि जैसे-जैसे महीने बितेंगे तो रोहन को अपने बच्चे के लिए थोड़ा प्यार होगा , लेकिन महीने बीत गए पर रोहन नहीं बदला । रोहन इसी तरह उसे टॉर्चर करता रहा और हमेशा उससे कहता रहा की बच्चा होने पर भी वो सबसे ज्यादा उससे प्यार करेगी । आखिर में जानवी ने सोच लिया था कि जैसा रोहन बोलेगा वैसा वो करेगी , क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसके बच्चे के साथ रोहन जैसा पागल इंसान कुछ करना दे । और फिर आखिर में 9 महीने बीत गए और आज उसके डिलीवरी का वक्त था । आज उसका बच्चा इस दुनिया में आया था । उसने सोचा था कि वो इस बच्चे को पूरा प्यार देगी और पूरी तरह अपने परिवार में खुश रहने की कोशिश करेगी । लेकिन आज जब उसका बच्चा पैदा हुआ तो उस पागल इंसान ने उस बच्चे को उसे देखने तक नहीं दिया । और उसे उसकी नजरों से पूरी तरह दूर कर दिया । ये सब कुछ देखकर जानवी खुद को पूरी तरह टूटा हुआ महसूस करने लगी । उसे ऐसा लगा जैसे कि उसकी जिंदगी पूरी तरह तबाह हो गई हो । वो सिसककर रोते हुए बोली ,“ अब मैं क्या करूं , मैं कहां जाऊं , किसे अपना दुख बताऊं ? मेरी जिंदगी तो पूरी तरह बर्बाद हो गई । मुझे मेरे बच्चे तक को देखने नहीं दिया गया ।” ये कहते हुए वो रोने लगी । तभी वहां पर नर्स आई और उसे इस तरह रोते देख घबराकर बोली ,“ मैडम , क्या हुआ ? आप ऐसे रो क्यों रही हो ? अभी अभी आपकी डिलीवरी हुई है , अगर आप ऐसे रोएंगे तो आपको प्रॉब्लम हो सकती है । प्लीज शांत हो जाइए ।” तभी जानवी नर्स से बोली ,“ मर जाने दो मुझे , नहीं चाहिए मुझे ऐसी जिल्लत भरी जिंदगी जहां पर मुझे सिर्फ और सिर्फ तकलीफ ही मिली हो । नहीं जीना मुझे , मार डालो मुझे …” ये कहते हुए जानवी तुरंत इधर-उधर कुछ मारने के लिए ढूंढने लगी । उसे ऐसी हरकतें करते देख नर्स डर गई और जोर-जोर से आवाज लगाते हुए बोली ,“ सर जल्दी आइए , मैडम को कुछ हो गया है । वो रो रही है और खुद को मारने की कोशिश कर रही है ।” डॉक्टर ये सुनकर तुरंत अंदर की तरफ आते हुए बोला ,“ क्या हुआ मैडम , आप ऐसे बीहेव क्यों कर रही हैं ? आप ठीक तो है ?” तभी जानवी ने रोते हुए कहा ,“ मुझे नहीं जीना , मुझे मरना है । प्लीज मुझे मार डालो , मुझे मर जाना है ।” ये कहते हुए वो फिर से इधर-उधर कुछ ढूंढने लगी । लेकिन तभी गेट से गुस्से भरी आवाज आई ,“ बिहेव योरसेल्फ , वरना मैं खुद अपने हाथों से तुम्हारी जान ले लूंगा।” उस आवाज को सुनते ही जानवी बिल्कुल सन्न रह गई । और एक बार फिर से उसकी आंखों में डर आ गया ।
जैसे ही जानवी ने गेट की तरफ देखा, वहां रोहन खड़ा था। उसे देखकर जानवी के पैर जैसे जम से गए। डर के मारे उसने तुरंत अपनी नजरें नीचे कर लीं। रोहन गुस्से में तमतमाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और उसके बाल पकड़कर बोला, "यह क्या तमाशा लगा रखा है तुमने? तुम्हें समझ नहीं आता? डॉक्टर तुम्हें समझा रहे हैं, या फिर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें इसी हालत में सजा दूं?" सजा का नाम सुनते ही जानवी की आंखों में आंसू भर आए। वह रोते हुए बोली, "मुझे मेरे बेटे को देखना है... प्लीज, मुझे उसे एक बार मेरी गोद में दे दो। मैं इसके अलावा कुछ नहीं चाहती।" रोहन ने गुस्से से कहा, "मैंने पहले ही कहा था कि मैं उसे तब तक तुम्हें नहीं दूंगा जब तक मुझे यकीन नहीं हो जाता कि तुम सबसे ज्यादा प्यार मुझसे करती हो। लेकिन अब तुम उम्मीद छोड़ दो, क्योंकि जिस तरह तुम बार-बार बेटे का नाम ले रही हो, उससे तो यही लगता है कि आगे चलकर सारा प्यार तुम उसे ही दोगी। और यह मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा।" फिर डॉक्टर की तरफ मुड़ते हुए उसने कहा, "डिस्चार्ज की तैयारी करो। मैं इसे अभी घर लेकर जाऊंगा।" डॉक्टर घबराते हुए बोले, "लेकिन इनकी हालत अभी ठीक नहीं है। पहले ही इनकी प्रेगनेंसी काफी जटिल थी और अब—" रोहन ने उनकी बात काटते हुए गुस्से से कहा, "मैंने जो कहा है, वही करो। इसे तैयार करो। मैं इसे यहां और तमाशा नहीं करने दूंगा।" यह कहकर रोहन वहां से चला गया। जानवी बुरी तरह रोने लगी। उसे अपने बेटे का चेहरा तक नहीं दिखाया गया था। वह बस एक बार उसे अपनी गोद में लेना चाहती थी। एक मां होने का एहसास उसे अभी तक नहीं मिला था, और यह सब रोहन की वजह से था। अब उसके दिल में रोहन के लिए केवल नफरत बची थी, इतनी कि वह शायद किसी से भी इतनी नफरत न कर सके। कुछ देर बाद रोहन जबरदस्ती उसे लेकर अपने सुराना पैलेस की ओर निकल पड़ा। बड़े से महल के बाहर पहुंचकर उसने जानवी को अपनी गोद में उठाया और अंदर ले आया। जानवी की हालत बेहद खराब थी। कमजोरी और डिलीवरी के दर्द से वह बेहोशी जैसी हालत में थी। लेकिन रोहन की बेरुखी पर उसकी मासूमियत का कोई असर नहीं था। वह उसे मास्टर बेडरूम में ले गया और बेड पर जैसे सामान की तरह फेंक दिया। जानवी जो हल्की नींद में थी, दर्द के मारे तुरंत जाग गई। वह रोते हुए बोली, "ये क्या किया आपने? क्या आपके अंदर दिल नहीं है? मुझे तकलीफ हो रही है और आप—" रोहन गुस्से से चिल्लाया, "दिल? मेरे अंदर कोई दिल नहीं है। समझीं? तुम मेरे लिए सिर्फ एक चीज हो, जिससे मैं अपनी इच्छाएं पूरी करूं। और जहां तक बच्चे की बात है, जितनी बार तुम उसका नाम मेरे सामने लोगी, उतनी बार मैं उसे तुमसे और दूर कर दूंगा।" यह सुनकर जानवी की आंखें चौड़ी हो गईं। उसने रोते हुए कहा, "वह आपका भी तो खून है। मैंने उसे अकेले पैदा नहीं किया। वह आपकी जबरदस्ती का निशान है।" रोहन यह सुनकर जोर से हंस पड़ा और बोला, "मुझे पता है, वह मेरी ही जबरदस्ती का निशान है। इसीलिए तो उसे तुमसे दूर रखा है, ताकि वह हमारे बीच न आ सके।" यह कहकर वह वॉशरूम में चला गया। जानवी फर्श पर बैठकर फूट-फूटकर रोने लगी। वह कुछ नहीं कर सकती थी। रोहन एक शैतान था, और वह एक टूटी हुई परी। उसकी आंखों से लगातार आंसू बहते रहे, और रोते-रोते वह वहीं सो गई। दिन बीतने लगे। देखते ही देखते दो हफ्ते गुजर गए। इन दो हफ्तों में न तो रोहन वापस आया, और न ही उसने जानवी को उनके बच्चे से मिलने दिया। दो हफ्ते बीत चुके थे, और इस दौरान जानवी की हालत थोड़ी बेहतर हो गई थी। वह अब घर के अंदर चलने-फिरने लगी थी और कभी-कभी बाहर गार्डन में भी चली जाती थी। लेकिन उसका दिल अभी भी सिर्फ और सिर्फ अपने बेटे के लिए तड़प रहा था। शाम का वक्त था। जानवी गार्डन में एक बेंच पर चुपचाप बैठी हुई थी। चारों तरफ सन्नाटा था। घर बहुत पोर्श इलाके में था, जहां दूर-दूर तक कोई और घर नहीं था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। चारों ओर देखते हुए वह खुद से बुदबुदाई, "मेरा बेटा... आज पूरे 15 दिन का हो गया होगा। उसकी शक्ल कैसी होगी? वह कितना प्यारा और मासूम होगा। पर वह इस वक्त कहां होगा? क्या वह अपनी मां को याद करता होगा? या फिर उसे मेरी याद भी नहीं आती होगी? कैसे आएगी... उसने तो मुझे देखा तक नहीं।" उसकी आवाज दर्द और बेबसी से भरी थी। उसने आसमान की तरफ देखते हुए कहा, "भगवान, आपने मेरे साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों किया? मुझसे मेरा बच्चा क्यों छीन लिया? आखिर मुझ पर तरस क्यों नहीं आता? एक मां को उसके बच्चे से दूर करना कितना बड़ा पाप है। मेरा 15 दिन का बच्चा, न जाने वह कहां होगा, किस हाल में होगा। और मैं... मैं यहां बैठकर बस आंसू बहा रही हूं।" यह कहते हुए उसने अपने आंसू पोंछे और गहरी सांस ली। खुद से दृढ़ता से बोली, "अब मेरी हालत ठीक हो चुकी है। मुझे अब अपने बच्चे को ढूंढने की कोशिश करनी होगी।" लेकिन तभी उसे कुछ याद आया। उसने खुद से कहा, "पर... रोहन अभी तक घर क्यों नहीं आया? वह पूरे 15 दिन से गायब है। कहीं वह किसी बिजनेस ट्रिप पर तो नहीं गया होगा? हां, उसकी जिंदगी में बिजनेस और मेरी बॉडी के अलावा और कुछ भी मायने नहीं रखता। वह बिजनेस करता है और फिर मेरे शरीर को नोचता और रौंदता है। इसके अलावा और कुछ भी नहीं। ऐसे आदमी से मैं और उम्मीद भी क्या कर सकती हूं?" उसकी आवाज में कड़वाहट भर आई थी। वह बुदबुदाई, "उसे अपने बेटे से कोई प्यार नहीं है। अगर उसका बस चले तो शायद वह अपने ही बेटे को मार डाले। कहीं ऐसा तो नहीं कि उसने सच में मेरे बेटे को मार दिया हो? तभी तो उसने मुझे आज तक उसे देखने तक नहीं दिया।" यह ख्याल आते ही जानवी के चेहरे का रंग उड़ गया। वह बिल्कुल स्तब्ध रह गई। उसके दिल और दिमाग में बेचैनी की लहरें दौड़ने लगीं।
जानवी काफी ज्यादा डर गई। वह तुरंत अपना फोन उठाई और जल्दबाजी के साथ बोली, "नहीं, मुझे यह काम करना ही पड़ेगा क्योंकि मैं हर हाल में नहीं चाहती कि मेरे बेटे को कुछ भी हो। और मैं उस इंसान की सुरक्षा पर यकीन भी नहीं कर सकती।" यह कहते हुए उसने डायरेक्ट किसी के पास कॉल डायल कर दिया। तभी उधर से कॉल पिक हुई। जानवी ने हकलाते हुए कहा, "असिस्टेंट सर, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस वक्त रोहन कहां पर हैं?" उधर से असिस्टेंट की आवाज आई, "सर तो बिजनेस ट्रिप पर गए हुए हैं। क्या उन्होंने आपसे कुछ बताया नहीं?" यह सुनकर जानवी को कुछ राहत महसूस हुई और उसने कहा, "अच्छा, हां, मुझे याद आया, उन्होंने मुझे बताया था। मैं भूल गई थी। मैं आपसे बाद में बात करती हूं।" यह सुनकर उधर से असिस्टेंट ने कहा, "ओके, मैडम।" इसके बाद कॉल कट हुआ और जानवी ने खुद से कहा, "थैंक गॉड, वह इंसान बिजनेस ट्रिप पर गया है। इसका मतलब, मैं घर से बाहर निकल सकती हूं और अपने बेटे को ढूंढ सकती हूं। वरना, अगर वह यहां होता, तो मुझे घर से बाहर एक कदम भी न निकलने देता।" यह सब कहते हुए वह तुरंत वहां से बाहर निकल गई। कुछ ही देर में वह अपने एक दोस्त के पास पहुंची। वह उसकी बेस्ट फ्रेंड थी। जब जानवी मुंबई आई थी, तब उसी ने उसका साथ दिया था। वह कोमल से उसके अपार्टमेंट में मिली। कोमल ने उसे पानी देते हुए कहा, "जानवी, तुम तो काफी ज्यादा बदल गई हो। तुमने तो हम सबसे दोस्ती तोड़ दी। आखिर तुम इतनी ज्यादा क्यों बदल गई? सब कुछ ठीक तो है ना? तुम न तो अपने बारे में कुछ बताती हो और न ही यह बताती हो कि आखिर तुम्हारी मैरिड लाइफ कैसे चल रही है। हम सब फ्रेंड्स तुम्हारे लिए काफी ज्यादा खुश थे। तुम्हारी इतनी अच्छे घर में शादी हुई है और रोहन सर तुमसे कितना प्यार करते हैं। तुम बहुत ही रिचेस्ट इंसान की वाइफ बनी हो।" यह सब सुनकर जानवी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल पर पत्थर मार दिया हो। वह सब कुछ नहीं सुनना चाहती थी, लेकिन इस दुनिया में पैसों से बढ़कर कुछ नहीं होता। उन्हें लगता है कि पैसे ही सब कुछ हैं, फिर चाहे इंसान अंदर ही अंदर घुटकर मर ही क्यों न रहा हो। वही हाल जानवी का भी था। वह बेशक एक रिचेस्ट इंसान की बीवी थी, लेकिन वह अंदर किस तरह से रह रही थी और उसे किस तरह से टॉर्चर किया जा रहा था, यह सिर्फ वही जान सकती थी। इसलिए उसने गुस्से से उसकी बात को बीच में रोकते हुए कहा, "कोमल, मुझे लगता है कि तुम्हें अभी के लिए यह सारी बातें मुझसे नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मैं तुमसे कुछ और बात करने आई हूं।" कोमल अचानक से चुप हो गई और नासमझी में बोली, "क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना? क्योंकि मुझे तुम्हारी हालत कुछ सही नहीं लग रही।" इसके जवाब में जानवी की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, "कोमल, मुझे मेरा बच्चा चाहिए।" यह सुनते ही कोमल हैरान होकर बोली, "क्या? बच्चा चाहिए? लेकिन क्यों? और कहां है तुम्हारा बच्चा? क्या तुम प्रेग्नेंट थी? पर इन सबके बारे में हमें क्यों नहीं पता चला? जबकि रोहन सर की लाइफ के बारे में छोटी-से-छोटी चीज मीडिया में आ जाती है। हालांकि वे लो-प्रोफाइल रहते हैं, पर उनके बारे में अधिकतर सबको पता चल जाता है। वे इतने फेमस जो हैं। तो फिर इतनी बड़ी बात हमें कैसे नहीं पता चली कि उनकी वाइफ प्रेग्नेंट है?" यह सब सुनकर जानवी ने सख्त स्वर में कहा, "क्योंकि वह बच्चा चाहते ही नहीं थे। उन्हें सिर्फ मुझसे मतलब है। उन्हें बच्चों से कोई लेना-देना नहीं। इसलिए जब मैं प्रेग्नेंट हुई, तो उन्होंने यह सारी न्यूज़ पूरी तरह से दबा दी।" यह सुनकर कोमल ने गुस्से में कहा, "कितनी बुरी बात है! एक इंसान बच्चा कैसे नहीं चाह सकता? अगर वह तुमसे प्यार करते हैं, तो उन्हें तुम्हारे बच्चे से भी प्यार करना चाहिए, क्योंकि वह बच्चा तुम दोनों के प्यार की निशानी होगा।" यह सब सुनकर जानवी ने कहा, "वो मुझसे प्यार नहीं करते। उन्हें बस अपनी ज़रूरतें पूरी करनी थीं।" यह सुनकर कोमल को कहीं न कहीं कुछ समझ आने लगा। वह तुरंत उसे संभालते हुए बोली, "तो तुम यह कहना चाहती हो कि तुम्हारी शादी सिर्फ एक बेड टाइप शादी है? आई मीन, जहां पर तुम सिर्फ उन्हें सेटिस्फाई करती हो, बस! इससे ज्यादा कोई लेना-देना नहीं है?" जानवी ने अपना सिर हल्के से हिलाते हुए कहा, "हां, तुमने बिलकुल सही समझा कि यह शादी सिर्फ बेड तक ही लिमिटेड है। क्योंकि मैं उन्हें सिर्फ बेड पर सेटिस्फाइड करती हूं, इसलिए उन्होंने मुझसे शादी की है। मैं उनकी जरूरतें पूरी करती हूं और उन्हें टॉलरेट कर लेती हूं, बस। इससे ज्यादा उन्हें मुझसे कोई लेना-देना नहीं है। फिर चाहे मैं उनके बच्चे की मां ही क्यों न बन जाऊं। और इसीलिए जब मैं प्रेग्नेंट हुई, तो उन्होंने इस न्यूज़ को पूरी तरह से दबा दिया। आज से 15-16 दिन पहले मैंने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन उन्होंने मुझे उसे देखने तक नहीं दिया। पता नहीं उसे कहां छुपाकर रखा है। मुझे बहुत डर लग रहा है। बहुत टेंशन हो रही है। कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं, कैसे करूं और किससे मदद लूं। क्योंकि मुझे उस इंसान पर बिल्कुल भी यकीन नहीं है। वह मेरे बेटे के साथ कुछ भी कर सकता है। दुनिया के सामने वह एक अच्छा इंसान होगा, लेकिन उसकी असलियत सिर्फ चार दीवारों के अंदर मैं जानती हूं। अगर मेरी जगह कोई और लड़की होती, तो अब तक मर गई होती।" यह कहते हुए जानवी की आंखों से आंसू निकलने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे उसका पूरा अतीत उसके सामने आ गया हो। यह सब सुनकर कोमल को उसकी हालत देखकर बहुत बुरा लगा। हालांकि, अभी तक वह यह सोच रही थी कि जानवी की लाइफ सबसे बेस्ट है, क्योंकि उसकी शादी इतने अमीर इंसान से हुई है। लेकिन अब उसे समझ आ रहा था कि अमीर इंसान से शादी के बावजूद जानवी को इस तरह रोना पड़ रहा था। कोमल ने उसे गले से लगाते हुए उसके आंसू पोंछे और बोली, "बस, बहुत हो गया। अब तुम शांत हो जाओ। तुमने मुझसे जो कुछ भी बताया है, उसके बाद मैं तुम पर यकीन कर चुकी हूं। और मैं तुम्हारी मदद करूंगी। साथ ही, मैं उस रोहन खुराना को भी सजा दिलवाऊंगी। अभी तक मैं उसकी रिस्पेक्ट करती थी, मुझे लगता था वह एक अच्छा इंसान है। लेकिन वह मेरी दोस्त को इस तरह रुला रहा है, तो मैं उसे छोड़ूंगी नहीं। तुम फिक्र मत करो।" यह सुनकर जानवी को थोड़ी राहत मिली। उसने कहा, "थैंक यू सो मच, कोमल। तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो। इसलिए मैं तुम्हारे पास आई। अब प्लीज मेरी मदद करो, मुझे मेरा बेटा ढूंढने में।" इसके जवाब में कोमल ने कहा, "पहले यह बताओ कि वह किस हॉस्पिटल में पैदा हुआ था। क्योंकि वहीं से हमें कोई क्लू मिल सकता है।" यह सुनकर जानवी ने जल्दी से हॉस्पिटल के बारे में सब कुछ बताया। यह सुनने के बाद कोमल ने कहा, "मैं एक लड़के को जानती हूं, शायद वह इस हॉस्पिटल में काम करता है। मैं तुम्हें उसका नंबर दे देती हूं। तुम उससे एक बार बात कर लेना। वह वहां कंपाउंडर है और तुम्हारी मदद जरूर करेगा।" यह सुनते ही जानवी की जान में जान आई। वह तुरंत बोली, "हां, ठीक है। तुम जल्दी से उसका नंबर दे दो। मैं बात करूंगी। शायद उससे मेरा बेटा मुझे मिल जाए।" यह सुनकर कोमल मुस्कुराई और बोली, "मैं भी उम्मीद करती हूं कि तुम्हारा बेटा जल्दी तुमसे मिल जाए। लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि रोहन खुराना इतना बड़ा शैतान है। उसने तुम्हें तुम्हारे बेटे को देखने तक नहीं दिया और उसे दूर कर दिया। आखिर दुनिया का कौन सा पति ऐसा करता होगा?" यह सुनकर जानवी ने सख्त लहजे में कहा, "दुनिया में सिर्फ एक इंसान ऐसा कर सकता है, और वह खुद रोहन खुराना है।" यह सुनकर कोमल चुप हो गई। कुछ देर तक जानवी उससे बात करती रही। अब तक रात होने वाली थी। जानवी ने कोमल को देखा और कहा, "अब मैं घर जा रही हूं। हालांकि, मेरा यहां से जाने का मन नहीं कर रहा, लेकिन मुझे वहां जाना पड़ेगा। क्योंकि भले ही वह इंसान इस वक्त यहां नहीं है, लेकिन वह मुझ पर नजर रख रहा होगा। उसे जरूर पता लगेगा कि मैं कहां गई थी।" इसके जवाब में कोमल ने कहा, "ठीक है, लेकिन तुम उस लड़के से पहले बात कर लेना।" जानवी ने सिर हिलाकर हामी भरी और वहां से चली गई। रात का वक्त था जब उसकी कार खुराना पैलेस के बाहर आकर रुकी। वह कार से बाहर निकली और अंदर की तरफ बढ़ गई। जैसे ही वह अंदर पहुंची, नौकरानी ने उसे देखा और कहा, "मैडम, आप जल्द से जल्द अपने कमरे में चली जाइए।" अचानक से नौकरानी की यह बात सुनकर जानवी चौंक गई। उसने नासमझी में पूछा, "लेकिन क्यों? कुछ हुआ है क्या?" इसके जवाब में नौकरानी ने कहा, "मैडम, आप बस जल्दी से कमरे में चली जाइए। आपको खुद पता चल जाएगा।" यह कहकर वह वहां से चली गई और इधर जानवी को डर लगने लगा। उसने डरते हुए खुद से कहा, "नौकरानी ने ऐसा क्यों कहा कि मैं ऊपर चली जाऊं? आखिर ऐसा क्या होगा ऊपर?" यह सोचते हुए वह डायरेक्ट अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। जब वह कमरे के अंदर पहुंची, तो चारों तरफ अंधेरा था। यह देखकर जानवी ने खुद से कहा, "लाइट्स किसने बंद की? नौकरानी को पता है कि मुझे अंधेरे में डर महसूस होता है।" यह कहते हुए वह स्विच बोर्ड की तरफ बढ़ी, लेकिन तभी अचानक से एक भारी आवाज उसके कानों में पड़ी। "तुम्हें पता है, मुझे यह अंधेरा कितना पसंद है, इसलिए लाइट्स ऑन करने की गलती से भी मत करना।" इस आवाज को सुनते ही जानवी के हाथ जहां थे, वहीं रुक गए। उसके हाथ हल्के से कांपने लगे और वह तुरंत हकलाते हुए बोली, "रो... रोहन, तुम वापस आ गए?" यह कहते हुए उसने डायरेक्ट सोफे की तरफ देखा और सोफे का जो नजारा था, उसे देखकर जानवी की सांस मानो अटक सी गई।
जानवी ने जैसे ही उस आवाज को सुना वो तुरंत सामने की तरफ देखने लगी। तो सामने सोफे पर अपने हाथ में शराब की बोतल लिए रोहन बैठा हुआ था। उसकी आंखें बिल्कुल लाल थी और उसके चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं थे। उसके हाथ में शराब की बोतल थी। जिसे देखकर जानवी एक पल के लिए डर गई। उसके हाथ पैर मानो उसके पास हो ही ना। वो तुरंत घबराकर अपने कदम पीछे लेते हुए बोली “नहीं ऐसा नहीं हो सकता! आप यहां अचानक से कैसे आ सकते हैं..??” रोहन अब उसकी आवाज सुनकर उसके तरफ देखने लगा और तिरछा मुस्कुराकर बोला “क्यों? क्या तुम मुझे यहां देखकर खुश नहीं हुई? इतने वक्त बाद मैं तुम्हारे सामने आ रहा हूं, मुझे लगा कि मेरी बीवी मुझे देखकर खुश होगी और मेरी बाहों में आएगी लेकिन यहां तो तुम मुझसे दूर जाने की कोशिश कर रही हो, क्या इतनी जल्दी मुझे भूल गई..??” ये कहते हुए रोहन ने उस शराब की बोतल को जमीन पर पटक दिया। कांच टूट कर बिखर गया। जानवी डर से चिल्ला गई। उसे रोहन से इतना डर लगता था जितना वो आज तक किसी से नहीं डरी क्योंकि, रोहन कोई नॉर्मल इंसान नहीं था। रोहन एक बीमारी का शिकार था और वो बीमारी थी गुस्से की बीमारी! रोहन गुस्से में कुछ भी कर देता था…उसे कुछ समझ नहीं आता था कि सामने वाला दर्द में है कि क्या है, उसे सिर्फ सामने वाले को दर्द देने से मतलब था, जानवी डर से अपने कदम पीछे लेने लगी। तो रोहन ने बेहद सख्त आवास में कहा “अगर तुमने एक भी कदम पीछे लिया तो शायद तुम्हें हर बार से ज्यादा दर्द हो..!!” ये सुनते ही जानवी के कदम एकदम से अपनी जगह रुक गए। वो बेहद डर गई। रोहन उसके तरफ बढ़ते हुए बोला “कहां गई थी तुम? और एक बात मुझसे झूठ बोलने की कोशिश मत करना, वरना तुम सोच नहीं सकती तुम्हारे साथ क्या होगा..!!” ये सुनते ही जानवी की आंखों से आंसू निकल आए और उसने धीरे से कहा “वो मैं…वो मैं….”” इसके आगे जानवी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले क्योंकि उसकी जान हलक में आ गई थी। रोहन उसे जिस नजरिए से देख रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी आंखों से उसकी जान बाहर निकाल लेगा। लेकिन तभी रोहन ने उसे गर्दन से कसकर पकड़ लिया। जानवी की एक दर्द भरी आह निकल गई। वो तुरंत बोली “रोहन प्लीज छोड़ दीजिए ये क्या कर रहे हैं आप..??” लेकिन रोहन उसे गुस्से के साथ देखते हुए बोला “पहले तुम मुझे बताओ कि तुम क्या कर रही हो ? मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं, कहां घूम रही हो तुम? मैंने कहा था ना कि तुम यहां से कहीं बाहर नहीं जाओगी, फिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां से जाने की? तुम्हें क्या लगता है मैं इस घर से दूर हूं तो मुझे तुम्हारी खबर नहीं मिलती? मुझे तुम्हारी खबर रहती है…मैं अच्छे से जानता हूं तुम क्या करती हो, कहां रहती हो और कहां किससे मिलने जाती हो लेकिन मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं साफ-साफ बताओ कहां गई थी..??” जानवी दर्द से रोने लगी। उसने रोते हुए कहा “रोहन आप गलत समझ रहे हैं! मैं तो बस अपनी दोस्त से मिलने गई थी काफी वक्त से मैं इस घर में रहकर बोर हो गई थी तो मैं थोड़ा बाहर जाना चाहती थी..!!” रोहन ने गुस्से के साथ चिल्लाते हुए कहा “तो तुम मुझे भी कॉल कर सकती थी ना? तुमने एक भी दिन मुझे कॉल करना जरूरी नहीं समझा…मैं तुम्हारा पति हूं तुम्हें ये बात याद तो है ना या फिर तुम भूल चुकी हो? मैं तुमसे दूर क्या जाता हूं तुम तो बिल्कुल फ्री हो जाती हो, तुम्हें लगता है कि अब तुम्हें कोई कैद नहीं कर सकता लेकिन तुम बहुत गलत हो! रोहन खुराना की कैद से तुम कभी आजाद नहीं हो सकती और तुमने इतने दिनों में मुझे याद तक नहीं किया! क्या इतनी नफरत है तुमको मुझसे..??” ये कहते हुए वो उसके चेहरे को कसकर दबाने लगा। जानवी से अब दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ और वो रोते हुए बोली “हां मुझे है आपसे नफरत… करती हु मैं आपसे नफरत और आप ही बताइए मैं क्यों ना करूं आपसे नफरत? क्या किया है आपने मेरे लिए? हमेशा से सिर्फ मुझे तकलीफ दिया है, तकलीफ के अलावा और कुछ भी नहीं किया आपने इसलिए मैं आपसे सिर्फ और सिर्फ नफरत ही कर सकती हूं..!!” उसकी ये बात रोहन के गुस्से को बढ़ा चुकी थी। रोहन बहुत ही ज्यादा दांत पीसते हुए उसे सीधे बेड पर धक्का दिया और चिल्ला कर बोला “एक दिन तुम बाहर क्या चली गई तुम्हारी तो जुबान चलने लगी। शायद अब मुझे तुम्हें तुम्हारी औकात याद दिलानी पड़ेगी..!!” इसी के साथ उसने अपने शर्ट को निकालकर फेंक दिया और उसकी तरफ आते हुए बोला “तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी! सबसे पहले तो तुम यहां बिना मुझसे पूछे गई और अब तुम मुझसे जुबान लड़ा रही हो..!!” ये सब सुनकर जानवी ने रोते हुए कहा “मैं घुट घुट कर मर रही हूं! पहले तो आपने मुझे मेरे बेटे से दूर कर दिया! अभी तक मैंने अपने नवजात बेटे के चेहरे तक को नहीं देखा है….पता नहीं आप उसे कहां लेकर गए और पता नहीं वो जिंदा वो भी या नहीं और आप मुझसे उम्मीद रखते हैं कि, मैं आपको याद करूं या, आपके पास फोन करूं! आपने मुझे क्या समझ रखा है…मैं आपके हाथों की कोई कठपुतली नहीं हूं..!!” ये सुनकर एक सेकंड के लिए रोहन के चलते कदम रुक गए और दूसरे पल वो जोर-जोर से हंसते हुए बोला “तुम मेरे हाथ की कठपुतली ही हो! तुम्हें क्या लगता है तुम कोई आजाद पंछी हो जो अपने तरीके से अपनी जिंदगी जायोगी भूलो मत मैने एक साल पहले तुम्हें खरीदा था और सिर्फ खरीद नहीं बल्कि, तुम्हें अपनी बीवी होने का हक दिया। रोहन खुराना की बीवी बनना कोई आम बात नहीं है! जाकर पूरी दुनिया से पूछो वहां की लड़कियां मरती हैं मेरी बीवी बनने के लिए और तुम्हें सब कुछ फ्री में मिल गया इसलिए जुबान चल रही है, कोई बात नहीं तुम्हारी ये जुबान बहुत जल्दी बंद हो जाएगी! वैसे भी पूरे 10 महीने बीत गए हैं हमारे बीच वो सब कुछ हुए जब से तुम प्रेग्नेंट हुई हो…जब से वो बच्चा हमारे बीच आया….तब से तुम मुझसे दूर हो गई हो लेकिन एक बार फिर से अब मैं तुम्हें पूरी तरह अपना बनाऊंगा..!!” ये सब सुनकर जानवी की आंखें डर से भर गई। उसे पता था कि अब उसके साथ क्या होने वाला है। वो तुरंत अपना सर जोर-जोर से ना में हिलाकर बोली “नहीं रोहन अभी ये सब कुछ नहीं! मेरी हालत अभी भी ठीक नहीं है प्लीज नो..!!” लेकिन रोहन तो जैसे शैतान बन चुका था। वो उसके पास आया और उसके कपड़े को फाड़ते हुए बोला “तुमने मेरे साथ गलत किया…तुम्हें मुझे छोड़कर ऐसे नहीं जाना चाहिए था…तुमने मुझे बताया नहीं और अब तुम उम्मीद करती हो कि मैं तुम्हारे साथ कुछ ना करूं इतना भी शरीफ नहीं हूं मैं! रोहन खुराना नाम है आतंक का दूसरा अंश हूं मैं..!!” इसी के साथ उसने उसके होठों को जबरदस्ती अपने होठों में ले लिया। जानवी ने कसकर बेडशीट को पकड़ लिया और उसकी सिसकियों की आवाज एक बार फिर से उस कमरे में गूंज उठी। लगभग 3 घंटे बाद , उन सिसकियां की आवाज कमरे में रुक गई। रोहन ने जानवी को खुद से दूर किया और वॉशरूम में चला गया। इधर जानवी बेजान बेड पर ब्लैंकेट में लिपटी हुई पड़ी थी। वो चुपचाप सीलिंग के तरफ घूर रही थी और इस वक्त उसकी आंखों के कोनों से आंसू निकल रहा था। उसके होंठ बिल्कुल सूजे हुए थे, उसके गर्दन पर बाइट मार्क्स साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, रोने से उसका चेहरा भी लाल था, बेड की हालत काफी ज्यादा बुरी थी! जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि उनके बीच लगातार 3 घंटे से क्या हो रहा था। जानवी के कान में शॉवर चलने की आवाज परी जिसे सुनकर जानवी के चेहरे पर एक दर्द भरी स्माइल आ गई। उसने किसी तरह खुद को संभाला और धीरे से बेड पर दर्द में उठकर बैठते हुए बोली “फिर से मेरी जिंदगी उसी तरह हो गई जैसे 9 महीने पहले थी! 9 महीने पहले मेरे साथ यही सब कुछ तो होता था! हर रात, हर दिन दोपहर, सुबह, शाम सिर्फ यही होता था! जब भी वो इंसान ऑफिस से आता था या, कहीं से भी आता था उसे सिर्फ मेरा शरीर चाहिए होता था, वो मेरे शरीर का सिर्फ और सिर्फ भूखा है….उसे मेरे दर्द तकलीफ से कोई लेना-देना नहीं था…उसे सिर्फ और सिर्फ मेरा जिस्म चाहिए, वो मेरे जिस्म का इस कदर भूखा हो चुका है कि उसे ये भी एहसास नहीं की अभी कुछ वक्त पहले ही मैंने उसके बच्चे को जन्म दिया था..!!” ये कहते हुए जानवी की आंखों से झर झर करके आंसू बहने लगे। उसे इस वक्त इतनी तकलीफ हो रही थी कि वो किसी से बयान तक नहीं कर सकती थी। लेकिन तभी उसे शॉवर बंद होने की आवाज सुनाई दी। जिसे सुनते ही वो एकदम से हड़बड़ा गई। उसने जल्दी से अपने आंसू को साफ किया और तुरंत ब्लैंकेट को अपने सिर तक कवर करके लेट गई। कुछ ही देर में , दरवाजा खुला रोहन अपने एक टॉवल में बाहर निकला। इस वक्त उसके चेहरे पर सेटिस्फेक्शन था। उसकी आंखें भी अब शांत हो चुकी थी। उसने एक नजर जानवी को घूरा जो ब्लैंकेट से पूरी तरह लिपटी हुई थी। कुछ सेकेंड तक उसे देखते रहने के बाद रोहन ने बिना किसी भाव के साथ कहा “कुछ देर बाद रेडी हो जाना हम दोनों बाहर डिनर के लिए जा रहे हैं..!!” अंदर से जानवी ने ब्लैंकेट को कसकर पकड़ लिया। आखिर रोहन उसे ये बात कैसे कह सकता था. पूरे 3 घंटे लगातार उसने उसे टॉर्चर किया था, उसके अंदर अब जरा भी हिम्मत नहीं थी कि वो ठीक से चल सके और वो उसे डिनर के लिए बाहर लेकर जाने वाला था। आखिर इतना बड़ा टॉर्चर वो क्यों कर रहा था उसके साथ..। जानवी की आंखों से फिर से आंसू निकलने लगे। तो रोहन ने दांत पीसते हुए कहा “तुम्हें मेरी बात सुनाई तो दे रही है ना? या फिर तुम फिर से मेरी बात को नजरअंदाज करने की हिम्मत कर रही हो..??” अचानक से जानवी ने ब्लैंकेट के अंदर से ही जोर-जोर से अपना सर हा मे हिलाया। जिसे देखकर रोहन के चेहरे पर एक तिरछी स्माइल आ गई। वो वहां से जाते हुए बोला “गुड बेबी! बस इसी तरह तुम मेरी बात मानो..!!” उसी के साथ वो क्लोसेट में चला गया और इधर जानवी ना चाहते हुए भी ब्लैंकेट को खुद से दूर की और किसी तरह धीरे-धीरे नीचे उतरकर वॉशरूम में चली गई क्योंकि…उसे पता था वो रोहन के खिलाफ नहीं जा सकती थी और उसे रोहन के साथ डिनर पर जाना ही था! फिर वो चाहे कितनी भी बुरी हालत में क्यों ना हो।
शाम का वक्त था, जब जानवी गहरी नींद में सो रही थी। कुछ वक्त पहले रोहन ने जो कुछ भी किया था, उसके बाद वह काफी थक चुकी थी। उसके अंदर इतनी भी ताकत नहीं बची थी कि वह एक कदम भी चल सके। इस वक्त वह गहरी नींद में डूबी हुई थी, लेकिन तभी एक पूरा ग्लास ठंडा पानी उसके मुंह पर आकर गिरा। वह एकदम से चौंक गई और घबराते हुए तुरंत उठकर बैठ गई। तभी उसके कानों में एक गुस्से भरी आवाज सुनाई दी, "क्या सारा दिन तुम सोती ही रहोगी? मेरे लिए डिनर कौन बनाएगा? तुम्हें पता है ना कि मुझे सिर्फ तुम्हारे हाथ का खाना ही पसंद है!" रोहन की कड़वी आवाज सुनते ही जानवी अंदर तक डर गई। उसने तुरंत घबराते हुए रोहन की ओर देखा और बोली, "सॉरी, मैं..." लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी कर पाती, रोहन ने उसके चेहरे को कसकर पकड़ लिया और गुस्से से बोला, "मैं तुम्हारी सॉरी सुनने के लिए यहां नहीं बैठा हूं। चुपचाप जाकर मेरे लिए खाना बनाओ। और याद रखना, सिर्फ 25 मिनट के अंदर-अंदर मेरी सारी फेवरेट डिशेस टेबल पर होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो एक बार फिर सजा के लिए तैयार रहना।" यह बात सुनते ही जानवी अंदर तक कांप गई। उसे एक बार फिर से रोहन के टॉर्चर की याद आ गई। अभी कुछ वक्त पहले ही उसकी डिलीवरी हुई थी। वह अब भी कमजोर थी, लेकिन रोहन ने उसके साथ जो कुछ किया था, उसने उसे और ज्यादा कमजोर बना दिया था। रोहन की बात सुनकर जानवी ने तुरंत गफराते हुए कहा, "मैं बहुत जल्दी आपके लिए खाना रेडी कर दूंगी।" यह कहकर वह बेड से उठी, लेकिन उठते ही उसके मुंह से दर्द भरी एक आह निकल गई। उसने तुरंत अपनी कमर को पकड़ लिया। रोहन ने उसे एक सख्त नजरों से देखा और दांत पीसते हुए बोला, "क्या तुम नाटक करना बंद करोगी? ऐसा तो है नहीं कि यह सब कुछ हमारे बीच पहली बार हुआ है। हमेशा ऐसा होता है। या फिर शायद बच्चों की वजह से तुम सब कुछ भूल चुकी हो। नौ महीने हमारे बीच यह सब कुछ नहीं हुआ। शायद इसीलिए तुम ऐसे बिहेव कर रही हो। लेकिन कोई बात नहीं, अब हर रात हमारे बीच यह सब कुछ होगा। जिससे तुम्हें सब कुछ याद आ जाएगा।" रोहन की यह बात सुनते ही जानवी की आंखों में दर्द से आंसू आ गए। उसने रोते हुए कहा, "प्लीज, कम से कम एक महीने के लिए मुझे छोड़ दीजिए। एक महीने तक मेरे साथ वह सब कुछ मत कीजिए। मेरी बॉडी में बहुत ज्यादा पेन और कमजोरी है। मैं इतना दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी।" यह सुनकर रोहन तिरछी मुस्कान के साथ बोला, "मुझे नहीं लगता कि तुम मेरे दिए दर्द को बर्दाश्त नहीं कर सकती। आखिर इन एक सालों में तुमने मेरे दिए हर दर्द को सहा है। तो अब यह दर्द भी सहना होगा।" यह सुनते ही जानवी को एहसास हो गया कि रोहन के सामने गिड़गिड़ाने का कोई फायदा नहीं है। वह वही करेगा जो उसकी मर्जी है। जानवी ने किसी तरह खुद को संभाला और धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकल गई। उधर, रोहन उसे जाते देख तिरछी मुस्कान लिए खड़ा रहा। इधर दूसरी तरफ, किचन में जानवी इस वक्त डिनर रेडी कर रही थी। हालांकि, वह काफी ज्यादा कमजोरी महसूस कर रही थी, जिस वजह से वह बार-बार किचन काउंटर को पकड़ ले रही थी। दूर खड़ी नौकरानियां यह सब देख रही थीं, लेकिन किसी के अंदर हिम्मत नहीं थी कि वह जाकर जानवी की मदद कर सके। क्योंकि रोहन सिर्फ और सिर्फ जानवी के हाथ का ही खाना खाता था। अगर कोई नौकरानी या नौकर गलती से भी जानवी की मदद कर देते थे, तो रोहन उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर मार डालता था। यह हादसा जानवी की नजरों के सामने ही हुआ था, जिस वजह से वह भी चाहे मर क्यों न जाए, कभी किसी नौकर या नौकरानी से मदद नहीं लेती थी। उसे रोहन से हद से ज्यादा डर लगता था। तभी एक नौकरानी ने हिचकिचाते हुए कहा, "सच कहूं, तो मुझे जानवी मैडम की हालत देखकर बहुत तरस आता है। खुराना एंपायर की इकलौती बहू होने के बावजूद, उन्हें तकलीफ के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। यहां तक कि उनका बच्चा भी इस दुनिया में आया, पर उन्हें उनके बच्चे से भी अलग कर दिया गया। पता नहीं, हमारे रोहन सर किस तरह के शैतान हैं।" इसके जवाब में दूसरी नौकरानी ने डरते हुए कहा, "शांत हो जाओ! अगर सर ने सुन लिया, तो हमारी मौत आ जाएगी। और वैसे भी, जानवी मैडम की किस्मत में ही यही लिखा हुआ है। वरना खुराना खानदान उन्हें ऐसे अकेले छोड़ देता, जबकि उन्हें पता है कि रोहन सर कितने सख्त इंसान हैं।" तभी उस नौकरानी ने कहा, "लेकिन रोहन सर की दादी तो जानवी मैडम को काफी पसंद करती हैं। उन्होंने खुद कहा था कि वह उन्हें खुराना खानदान की बहू के तौर पर एक्सेप्ट करती हैं। तो फिर अभी तक वह यहां आई क्यों नहीं?" इसके जवाब में दूसरी नौकरानी ने कहा, "तुम्हें क्या लगता है? इतनी आसानी से जानवी मैडम को सब एक्सेप्ट कर लेंगे? यह खुराना खानदान है। वह सिर्फ अपने बराबर के खानदान के लोगों से रिश्ता जोड़ते हैं। और जानवी मैडम का तो कोई खानदान ही नहीं है। वह बेचारी तो सिर्फ और सिर्फ एक कांट्रैक्ट मैरिज के तौर पर यहां आई थीं और इस तरह फंस गईं। और आज उनकी हालत तो और भी ज्यादा खराब लग रही है। उनका चेहरा भी पीला पड़ चुका है। मुझे लगता है कि आज फिर से रोहन सर ने उनके साथ जबरदस्ती की है।" यह सुनकर दूसरी नौकरानी भी जानवी को ध्यान से देखने लगी। जानवी बहुत मुश्किल से खाना बना रही थी। तभी नौकरानी ने कहा, "मुझे भी यही लगता है। उनके साथ फिर से आज जबरदस्ती हुई है। जैसा कि रोहन सर हमेशा से करते हैं। लेकिन अभी-अभी तो उनकी डिलीवरी हुई है। डिलीवरी के तुरंत बाद इस तरह की जबरदस्ती ठीक नहीं है। इससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।" दूसरी नौकरानी ने इसके जवाब में कहा, "हां, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनकी जान को कोई खतरा होगा। रोहन सर उन्हें कभी कुछ नहीं होने देंगे।" तभी वह दोनों बात कर रही थीं, तभी उन्होंने देखा कि जानवी थोड़ी अनकंफरटेबल हालत में थीं। जानवी की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। उसे ऐसा लगा, जैसे वह अभी गिर पड़ेगी। उसने तुरंत कसकर किचन काउंटर को पकड़ लिया और जल्दी से पानी का ग्लास उठाकर पीने लगी। तभी नौकरानी जल्दी से उनके पास आई और बोली, "मैडम, आप ठीक तो हैं? आपको कुछ हुआ तो नहीं?" जानवी ने जब पानी पिया, तो उसे थोड़ा रिलीफ मिला। उसने बहुत ही थकान और धीमी आवाज में कहा, "क्या आप मुझे पेन किलर दे सकती हैं? मेरी पूरी बॉडी में बहुत दर्द है। चक्कर आ रहे हैं।" पेन किलर का नाम सुनते ही नौकरानी समझ गई कि जानवी के साथ असलियत में रोहन ने क्या किया था। उसने तुरंत कहा, "हां, मैडम। मैं अभी आपके लिए पेन किलर लेकर आती हूं।" यह कहकर वह वहां से चली गई। इधर, दूसरी नौकरानी जानवी को ध्यान से देखते हुए बोली, "मैडम, आखिर आप इतना अत्याचार क्यों सह रही हैं? आप यहां से चली क्यों नहीं जाती?" जैसे ही नौकरानी ने यह बात कही, अचानक जानवी के हाथ, जो खाना बना रहे थे, रुक गए।
नौकरानी की यह बात सुनकर जानवी के चलते हाथ एकदम से रुक गए। नौकरानी ने एक बार फिर से जानवी को देखते हुए कहा, "देखिए मैडम, मुझे पता है मैं कोई नहीं होती आपको सलाह देने वाली, जैसा कि आप खुद ही इतनी ज्यादा समझदार हैं। लेकिन फिर भी, मैं यह चाहती हूं कि आप ऐसे अत्याचार मत सहे। आप अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाइए, क्योंकि आपकी अभी पूरी उम्र बाकी है। आप मात्र 19 साल की हैं। 19 साल की उम्र में इतना सब कुछ सहना बहुत बड़ी बात होती है। इसलिए मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए। आप जल्द से जल्द या तो यहां से भाग जाइए, या फिर कुछ ऐसा कीजिए जिससे कि आपको इस अत्याचार से मुक्ति मिल सके।" नौकरानी की यह सारी बातें सुनकर जानवी की आंखों में आंसू छलक आए। आखिर अगर उसके लिए यह सब कुछ इतना ही आसान होता, तो वह सालों से ऐसे अत्याचार को क्यों सहती? क्यों वह अपने एक दिन के बच्चे का चेहरा भी न देख पाती और उसे बच्चे से दूर कर दिया जाता? यह सब कुछ उसके लिए इतना भी आसान नहीं है। रोहन खुराना जैसे इंसान से बचकर भागना उसके लिए हद से ज्यादा कठिन काम है। यह सोचकर उसके हाथ पैर ही कांपने लगे। नौकरानी ने जब जानवी की ऐसी हालत देखी, तो वह तुरंत बोली, "आई एम सॉरी, मैडम। मुझे लगता है कि मैंने कुछ ज्यादा ही बोल दिया। सर को अगर गलती से भी इसके बारे में पता चला तो वह बहुत ज्यादा नाराज हो जाएंगे। हमें माफ कीजिए। लेकिन मैं आपसे बस इतना ही कहूंगी कि जो जैसा चल रहा है, वह ठीक नहीं है। आपके ऊपर बहुत अत्याचार हो रहा है, इसलिए इसके बारे में जरूर सोचिएगा।" यह कहते हुए नौकरानी अभी चुप ही हुई थी कि अचानक से वहां एक बेहद गुस्से भरी आवाज सुनाई दी। "तो अब तुम, एक नौकरानी होकर, मेरी बीवी को मुझसे दूर जाने के खिलाफ भड़काओगी?" उस आवाज को सुनते ही नौकरानी के पैरों तले जमीन खिसक गई, और जानवी की भी सांस एकदम से थम गई। वह आवाज काफी ज्यादा डरावनी थी। जानवी और नौकरानी दोनों ने ही गेट की तरफ देखा, जहां बेहद गुस्से के साथ रोहन खड़ा था। रोहन को देखकर जानवी के हाथ पैर कांपने लगे और वहीं नौकरानी की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा, क्योंकि उसे पता था कि रोहन की सजा बहुत बड़ी होती थी। तभी नौकरानी तुरंत रोहन के कदमों में गिर गई और रोते हुए बोली, "मालिक, हमें माफ कर दीजिए। हम कोई नहीं होते मैडम को भड़काने वाले। हम तो बस..." लेकिन इसके आगे भी नौकरानी कुछ कह पाती, उससे पहले ही एक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। उस आवाज को सुनते ही जानवी की एकदम से चीख निकल गई। वह नौकरानी, जो अभी तक बात कर रही थी, अब जिंदा नहीं थी। वह मर चुकी थी क्योंकि रोहन ने उसके सिर के आर-पार गोली चला दी थी। खून पूरे फ्लोर पर बिखरा हुआ था। जानवी के हाथ जैसे अपनी जगह पर बिल्कुल थम गए थे। उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थीं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह नौकरानी, जो कुछ देर पहले उससे बात कर रही थी, अब मर चुकी है। जानवी की आंखों में आंसू आ गए। वह रोते हुए रोहन को देखकर बोली, "कितने ज्यादा बेरहम इंसान हैं आप। आपके अंदर जरा भी तरस नहीं है। मार डाला आपने एक निर्दोष को। आखिर आप इतने भी ज्यादा पत्थरदिल कैसे हो सकते हैं? आपको पता है, रोहन, आप एक ऐसे इंसान हैं जो कभी जिंदगी में खुश नहीं रह सकते। और आज मेरी बद्दुआ है आपको। एक दिन मैं आपको छोड़कर इतनी दूर चली जाऊंगी कि आप कभी मेरी शक्ल भी नहीं देख पाएंगे।" यह कहते हुए वह नौकरानी को देखकर जोर-जोर से रोने लगी। उसे इस वक्त काफी बड़ा दर्द हो रहा था। तभी रोहन गुस्से के साथ उसकी तरफ बढ़ा और उसके सिर पर गन पॉइंट करके बोला, "क्या कहा तुमने? तुम मुझे छोड़कर जाओगी? वह भी इतनी दूर कि मैं तुम्हें ढूंढ भी नहीं पाऊं? सुन लो, मैडम। यह मेरी दुनिया है। मेरी दुनिया से तुम कहीं भी बाहर नहीं जा सकती। किसी की इतनी औकात नहीं है कि कोई तुम्हें मुझसे दूर कर पाए। इसलिए इस बात को कभी भूलना भी मत। वरना जो हाल नौकरानी का हुआ है, वही हाल तुम्हारा भी हो सकता है। और तुम्हें अच्छे से पता है कि तुम मेरे लिए सिर्फ एक सेटिस्फेक्शन मशीन हो, जिससे मैं सेटिस्फाइड होता हूं। इसके अलावा मेरे दिल में तुम्हारे लिए न तो कोई प्यार है, न कोई इज्जत और न ही कोई रहम। समझीं तुम?" "रात को अपनी पनिशमेंट के लिए तैयार रहना।" पनिशमेंट शब्द सुनते ही जानवी एक बार फिर से हक्की-बक्की रह गई, और रोहन वहां से चला गया। जानवी के हाथ इस वक्त बुरी तरह कांप रहे थे। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके साथ यह हो क्या रहा था। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। उसे ऐसा लगा जैसे वह भी बेहोश हो जाएगी। वह बिना कुछ सोचे लगभग दौड़ते हुए किचन से बाहर निकल गई और सीधे अपने कमरे में आ गई। कमरे में पहुंचते ही वह बेड पर गिर गई और जोर-जोर से सांस लेने लगी। खुद से बोली, "नहीं, मैं उसे पनिशमेंट को वापस से झेल नहीं सकती। वह एक ऐसी पनिशमेंट है जिससे मेरी जान निकल जाती है। वह इंसान दरिंदा बन जाता है और किसी हैवान की तरह मेरे शरीर को नोचता है। नहीं, मुझे कुछ करना होगा। मैं यहां नहीं रह सकती। मुझे अब हिम्मत दिखानी होगी। मुझे यहां से भागना होगा। मैं इस तरह और टॉर्चर नहीं सह सकती। हां, मुझे अब यहां से भागना पड़ेगा। फिर चाहे मुझे मौत ही क्यों न मिल जाए, लेकिन अब मैं उस इंसान के आसपास भी नहीं रहूंगी। शायद इन सब चीजों में सिर्फ एक ही इंसान मेरी मदद कर सकता है।" यह कहते हुए उसने तुरंत अपना फोन उठाया और किसी के पास कॉल डायल कर दिया। कुछ ही देर में उधर से कॉल पिक हुई। जानवी ने रोते हुए कहा, "भैया, प्लीज मेरी मदद कीजिए।" उधर से गुस्से भरी आवाज आई, "तो तुम्हें आखिरकार मेरी याद आ ही गई? मुझे तो लगा था कि शायद तुम हमें भूल चुकी हो। शायद हम तुम्हारी ज़िंदगी से मर चुके हैं।" जानवी ने रोते हुए कहा, "नहीं भैया, ऐसी बात नहीं है। बस मां की जब तबीयत खराब थी, तो जिस तरह से पापा ने हमारे साथ बिहेव किया, उसी वजह से मैं मॉम को लेकर इस तरह मुंबई आ गई। और मैं मॉम को बस अकेले ही ठीक करना चाहती थी। लेकिन मुझे नहीं पता था कि आगे चलकर ऐसा कुछ होगा। प्लीज भैया, मेरी मदद कीजिए।" तभी उधर से आवाज आई, "पहले तुम शांत हो जाओ। तुम इस तरह से रो क्यों रही हो? और यह बताओ कि एक साल से कहां थी तुम? और अचानक से तुमने मेरे पास कॉल कैसे कर दिया? देखो, मुझे सब जानना है। जानवी, मुझे सब कुछ अच्छे से बताओ।" तब जानवी ने रोते हुए शुरू से लेकर अंत तक सारी बातें अपने भाई को बता दी। उसका भाई कुछ वक्त तक उसकी बात सुनता रहा और फिर थोड़ी देर बाद हैरानी के साथ बोला, "तो तुम इस वक्त रोहन खुराना की कैद में हो? और तुम उससे शादी कर चुकी हो? और तो और, उसके बच्चे की मां भी बन चुकी हो? लेकिन तुम्हारे बच्चे को उसने तुमसे दूर कर दिया है? भगवान! ये सब कुछ कब और कैसे हो गया तुम्हारे साथ? और तुम मुझे अब बता रही हो? आखिर तुम इस तरह कैसे जी रही हो?" यह सब कुछ सुनकर जानवी की आंखों से और भी ज्यादा आंसू निकलने लगे। उसका वह भाई भले ही सगा भाई नहीं था, लेकिन वह कहीं न कहीं उसे अपनी बहन की तरह ट्रीट करता था। लेकिन जानवी किसी के सिर पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, इसलिए वह उससे भी दूर हो गई थी। लेकिन उसे उम्मीद थी कि वह उसकी जरूर मदद करेगा। तभी जानवी ने कहा, "भैया, प्लीज अभी के लिए मेरी हेल्प कीजिए, क्योंकि मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं। मैं अब इस कैद में घुट-घुट कर मर रही हूं। उस हैवान ने मुझे मेरे बेटे से दूर कर दिया। अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा। इसलिए मैं यहां से जाना चाहती हूं। प्लीज भैया, कुछ भी कीजिए और मुझे यहां से ले जाइए।" उधर से आवाज आई, "तुम फिक्र मत करो। मैं जल्दी तुम्हारे पास आता हूं। लेकिन तुम वहां से कैसे निकलोगी? शायद तुम्हें पता नहीं है, पर रोहन खुराना एक जल्लाद है। बिजनेस की दुनिया में उसका राज चलता है। वह किसी को भी पल भर में खत्म कर सकता है। पता नहीं तुम कैसे इस शैतान की कैद में फंस गई। लेकिन तुम फिक्र मत करो। मैं जल्द ही तुम्हारे पास आ रहा हूं।" यह सब सुनकर जानवी ने कहा, "थैंक यू सो मच, भैया।" इसके साथ ही कॉल कट हो गया। जानवी ने खुद से कहा, "थैंक गॉड, भैया आने वाले हैं। और वह मुझे यहां से लेकर जाएंगे। बाकी उन्होंने रोहन खुराना के बारे में जो कहा, वह बिल्कुल सच है। मैंने अपनी आंखों से देखा उसे नौकरानी को मारते हुए। वह सच में एक जल्लाद है। और अब इस जल्लाद के साथ मैं एक मिनट भी नहीं रह सकती।" देखते-देखते शाम हो गई थी और जैसे ही रात होने वाली थी, जानवी को फिर से डर लगने लगा, क्योंकि अभी तक उसके भाई ने उसके पास कॉल भी नहीं किया था। जानवी बालकनी में टहल रही थी। उसने खुद से कहा, "वह हमेशा ठीक 7:00 बजे घर आ जाता है, 7:00 बजने में सिर्फ 15 मिनट रह गए हैं और अभी तक भाई भी नहीं आए। मैं क्या करूं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है, क्योंकि वह इंसान आते ही मुझे टॉर्चर करने लगेगा। उसका टॉर्चर बहुत ही बुरा है, तब तक मुझे नहीं छोड़ता जब तक कि वह पूरी तरह सेटिस्फाइड नहीं हो जाता। यहां तक कि अगर मैं बीच में बेहोश भी हो जाती हूं, तो वह मुझे वापस से होश में लाकर वह सब कुछ करता है। नहीं, मैं यह सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकती। मुझे शायद एक बार फिर से भाई के पास कॉल करना चाहिए।" यह कहते हुए वह कॉल करने ही वाली थी कि उसे गेट पर कर रुकने की आवाज सुनाई दी। यह सुनकर जानवी को एक पल के लिए कुछ समझ नहीं आया, फिर तभी उसकी आंखों में चमक आ गई। उसने एक साइड में कहा, "ज़रूर भाई आ गए हैं, अब मुझे यहां से जाना चाहिए।" यह कहते हुए वह तुरंत दौड़ते हुए बाहर निकल गई। उसने कोई लगेज नहीं लिया था, क्योंकि जब वह घर में आई थी, तब भी उसके पास कोई लगेज नहीं था। जहां तक कि वह कुछ भी नहीं लेकर आई थी, और आज जब वह यहां से जा भी रही थी, तो भी वह कुछ नहीं लेकर जा रही थी। हालांकि रोहन ने उसे दुनिया की सारी सुख-सुविधाएं दी थीं, उसने उसे वह हर चीज दी थी जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वह एक लग्ज़ीरियस लाइफ जी रही थी, लेकिन उसे लग्ज़ीरियस लाइफ का क्या ही मतलब, जब उसकी जिंदगी में दिल से कोई खुशी ही ना हो, कोई इज्जत ही ना हो? इसलिए वह सब छोड़कर अब अकेले ही जा रही थी। वह दौड़ते हुए सीधे बाहर आई। उसे कार को देखकर उसने एक्साइटमेंट के साथ कहा, "भाई तो फाइनली आप आ गए हैं। अब मुझे यहां से लेकर चलिए, मैं चलने के लिए तैयार हूं।" यह कहते हुए वह जैसे ही रुकी, सामने खड़े इंसान को देखकर वह पूरी तरह दंग रह गई। अचानक से उसे ऐसा लगा जैसे उसके हाथ-पैर कांपने लगे। तुरंत अपने कदम पीछे लेते हुए बोली, "नहीं, ऐसा नहीं हो सकता! भाई, यह रोहन खुराना के साथ क्यों आ रहे हैं? उन्होंने तो कहा था कि वह मुझे अकेले यहां से ले जाने के लिए आएंगे।" वह सामने देख रही थी, जहां एक लंबा, चौड़ा, हैंडसम सा इंसान रोहन के साथ अंदर की तरफ आ रहा था। वही रोहन के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं थे, लेकिन इस तरह रोहन और उस इंसान को देखकर जानवी का हार्ट फेल हो रहा था। लेकिन तभी सोहन की नजर चांदनी पर पड़ गई। चांदनी को बाहर देख कर ही रोहन के एक्सप्रेशन्स बदल गए। उसने गुस्से से अपने हाथों की मुठियां बना लीं और कहा, "तुम यहां क्या कर रही हो?" चांदनी की आवाज सुनते ही कांप उठी और तुरंत हकलाकर बोली, "भाई, आप रोहन के साथ यहां क्या कर रहे हैं?" उस इंसान ने जब चांदनी की आवाज सुनी, तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी स्माइल आ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी प्यारी बहन, तो फाइनली एक साल बाद तुमसे मुलाकात हुई!" विप्लव की ऐसी बात सुनकर जानवी ने अपने हाथों की मुठियां बंद कर लीं, लेकिन रोहन ने जब उसे विप्लव से ऐसी बात करते सुना, तो उसका एक्सप्रेशन और भी ज्यादा खराब हो गया। वह दांत पीसते हुए चांदनी की तरफ बढ़ा और उसकी बाजू से कसकर पकड़ते हुए बोला, "क्या मैं तुम्हें मना नहीं किया था कि तुम कभी किसी भी बाहरी से बात नहीं करोगी? फिर वह चाहे तुम्हारा खुद का फैमिली मेंबर ही क्यों ना हो? तो मेरे रूल्स को कुछ ज्यादा ही तोड़ने लगी हो। शायद अब मुझे अपने पनिशमेंट में यह भी ऐड करना पड़ेगा।" सुनते ही चांदनी को ऐसा लगा जैसे वह जिंदा लाश बन गई हो। उसे समझ आ गया कि उसके साथ धोखा किया गया और धोखा करने वाला उसका सौतेला भाई था। उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। वह बिना रोहन की किसी भी बात का कोई जवाब दिए, उल्टे पांव अंदर की तरफ चली गई। वहीं रोहन उसे जाते देख दांत पीसकर बोला, "क्या इस लड़की ने अभी-अभी मुझे इग्नोर किया? इसे मैं सच में नहीं छोड़ने वाला!" तभी विप्लव ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि मैं इतने बड़े खानदान का रिश्तेदार बन चुका हूं। वाकई मिस्टर खुराना, मैं आपका बहुत शुक्रगुजार हूं कि आपने मेरी बहन से शादी की, और अब यह रिश्ता हमारा बिज़नेस रिलेशन के तौर पर भी जुड़ जाए, तो मुझे बेहद खुशी होगी।" उसकी यह बात सुनते ही रोहन गुस्से के साथ उसे देखते हुए कहा, "जो खुद अपनी बहन के साथ धोखेबाजी कर सकता है, उसका क्या भरोसा कि वह मेरे साथ धोखेबाजी ना करें? इसलिए तुम अब यहां से जा सकते हो और दोबारा कभी मेरी बीवी या आसपास भी मत आना।" यह सुनते ही अचानक से विप्लव के चेहरे की सारी स्माइल गायब हो गई और उसका चेहरा पीला पड़ गया। रोहन गुस्से के साथ अंदर की तरफ चला गया और इधर विप्लव बस उसे जाते हुए देखता रह गया। जाहिर सी बात थी, जब विप्लव के पास जानवी का फोन आया था और जब उसने सुना था कि जानवी ने रोहन खुराना के साथ शादी की है—वह रोहन खुराना, जिसके साथ शादी करने के लिए लड़कियां तरसती हैं और बिजनेसमैन उसके साथ बिजनेस करने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं—तब उसकी आंखों में एक लालच आ गया था। उसने इस लालच के तहत जानवी को बेवकूफ बनाया कि वह उसे यहां से लेकर जाएगा। इसी मकसद से वह यहां आया था, ताकि उसे किसी न किसी तरह से फायदा मिल सके। लेकिन विप्लव को नहीं पता था कि रोहन इतना स्टेट-फॉरवर्ड निकलेगा कि उसे मुंह पर ही मना कर देगा। गुस्से से अपने हाथों की मुठ्ठियां बंद करते हुए उसने खुद से कहा, "आखिर यह इंसान खुद को समझता क्या है? मैंने क्या सोचा था और क्या हो गया! लेकिन मैं इतनी आसानी से इसे जीतने नहीं दूंगा। मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा।" यह कहते हुए वह वहां से चला गया। इधर, रोहन गुस्से से भरा हुआ अंदर आते हुए जोर से चिल्लाया, "कहां हो तुम? कहां हो? मैंने कहा, अभी के अभी सामने आओ!" जानवी कमरे में थी, लेकिन उसे रोहन के गुस्से से पागलों की तरह चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी। वह वहां से जाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी, क्योंकि वह इस वक्त कांप रही थी। वह चुपचाप ब्लैंकेट ओढ़कर लेटी हुई थी। उसका पूरा शरीर ऐसे कांप रहा था जैसे उसे तेज बुखार हो। तभी रोहन गुस्से के साथ कमरे में आया। जानवी को उसकी आहट सुनाई दी, और उसकी पकड़ ब्लैंकेट पर और सख्त हो गई। फिर, अचानक झटके से रोहन ने उसके ब्लैंकेट को दूर खींच दिया और गुस्से में चिल्लाते हुए बोला, "तुम्हारी इतनी हिम्मत? तुम अपने सौतेले भाई के साथ मुझे छोड़कर भागने वाली थी? आज मैं तुम्हें बताऊंगा कि मुझे छोड़कर भागने का अंजाम क्या होता है!" यह कहते हुए रोहन ने गुस्से में उसके ऊपर हाथ उठाया। लेकिन तभी जानवी डर के मारे अपने चेहरे पर दोनों हाथ रखकर जोर से चिल्ला पड़ी, "एक ही बार में मार डालिए मुझे! इस तरह तड़पने से अच्छा है कि मेरी जान अभी के अभी ले लीजिए!" जैसे ही यह शब्द जानवी के मुंह से निकले, रोहन का हाथ एक पल के लिए वहीं रुक गया। वह बस एक सेकंड के लिए जानवी को देखता रह गया, उसकी आंखों में एक अजीब सा खालीपन झलक रहा था। Note _ रोहन hero का बाप है main हीरो इसका बेटा है जो जल्दी ही आने वाला है बड़े लीप के बाद so it's gonna be dark 🌑 OK??
उसकी बात सुनते ही रोहन के एक्सप्रेशन बदल गए। उसने गुस्से के साथ कहा, "तो तुम अब मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए मरना चाहती हो?" इसके जवाब में, अब जानवी हिम्मत करते हुए बोली, "हां, बिल्कुल! मैं मरना चाहती हूं। इस तरह मैं अब और जिंदगी नहीं जी सकती। मुझे तकलीफ होती है, हद से ज्यादा। मुझे रोना आता है, मुझे आपसे डर लगता है। आप मुझे हर वक्त टॉर्चर करते हैं। इतना टॉर्चर मैं और ज्यादा नहीं झेल सकती। इसलिए मुझ पर एहसान कीजिए, मुझे मार डालिए।" यह कहते हुए जानवी ने अपने हाथ जोड़ लिए और जोर-जोर से रोने लगी। उसकी यह सारी बातें सुनकर और उसे ऐसे रोते देखकर रोहन एक सेकंड के लिए खामोश रह गया और कुछ भी नहीं बोला। जानवी को पता था कि रोहन उसके साथ फिर से फिजिकल टॉर्चर करेगा, इसलिए वह पहले से ही खुद को तैयार रखना चाहती थी। लेकिन अब उसके अंदर इतनी ताकत नहीं थी कि वह यह सबकुछ झेल सके। उसे पता था कि रोहन कुछ ही देर बाद उसके साथ वह सबकुछ करेगा, जिस वजह से उसने आखिर में बेडशीट को कसकर पकड़ लिया और धीरे से बोली, "जो भी करना है, आपको मेरे साथ कर लीजिए। मैं तैयार हूं। शायद मेरी किस्मत में यही लिखा है।" यह कहते हुए वह चुपचाप बेड पर लेट गई, जैसे खुद को उसके सामने परोस दिया हो। वहीं, उसकी ऐसी हरकत और उसकी बातें सुनकर गुस्से के साथ रोहन ने कहा, "इन्फ! तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारे जिस्म के लिए इतना मरा जा रहा हूं कि तुम्हारे ऐसी बातें बोलने पर भी तुम्हारे साथ वह सबकुछ करुंगा? क्या इतना गिरा हुआ समझ लिया तुमने मुझे? मैं तुम्हें बता दूं, मैं इतना भी गिरा हुआ नहीं हूं। जस्ट वेट एंड वॉच, अब मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं।" यह कहते हुए वह गुस्से से वहां से बाहर निकल गया। इधर जानवी बस रोहन की बातें हैरानी के साथ सुनती रह गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रोहन अब क्या करने वाला था। आखिर उसने तो खुद को उसके सामने परोस दिया था, तो फिर वह उसे ऐसे छोड़कर क्यों चला गया? जानवी को लेकिन थोड़ा सा सुकून भी महसूस हुआ, क्योंकि वह अब यह सबकुछ नहीं चाहती थी। उसने ब्लैंकेट से खुद को ढक लिया और अपनी आंखें बंद कर लीं। काफी ज्यादा थक जाने की वजह से उसे नींद आ गई। इधर दूसरी तरफ, रात का वक्त था। क्लब में इस वक्त रोहन गुस्से में शराब पर शराब पिए जा रहा था। तभी उसके साथ बैठे एक इंसान ने उसके हाथ से शराब की बोतल लेते हुए कहा, "आखिर तुम्हें हुआ क्या है? मैं देख रहा हूं, पिछले 4 घंटे से तुम शराब पर शराब पी रहे हो। क्या तुम इतनी जल्दी मरना चाहते हो?" यह सुनते ही रोहन गुस्से से उसके हाथ से बोतल छीनते हुए बोला, "मौत भी मेरे पास इतनी जल्दी नहीं आ सकती।" यह कहकर वह फिर से शराब पीने लगा। तो मुस्कुराते हुए विशाल ने कहा, "रोहन, आखिर तुम्हें हुआ क्या है? तुम मुझे बताते क्यों नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम भाभी की वजह से परेशान हो?" यह कहकर वह हंसने लगा। वहीं, रोहन उसकी बात सुनते ही गुस्से से उसे देखते हुए बोला, "दोबारा गलती से भी तुमने उसका नाम लिया, तो तुम्हारी मौत होगी।" यह सुनते ही विशाल की सारी हंसी गायब हो गई। वह सकपकाते हुए बोला, "तुम भाभी के लिए कितने ज्यादा पजेसिव हो। आज तक मैं उन्हें ठीक से देख भी नहीं पाया, सिर्फ तुम्हारी वजह से। तुम्हें क्या लगता है, मैं उनमें इंटरेस्टेड हूं? मेरी खुद की गर्लफ्रेंड है, यार। कम से कम एक दोस्त होने के नाते तो तुम मुझे भाभी से मिला ही सकते हो। क्योंकि अभी जो तुम्हारी हालत है, मुझे लगता है वह भाभी की वजह से ही है।" उसकी यह सारी बातें सुनकर रोहन ने गुस्से में बोतल को वहीं जमीन पर पटक दिया और चिल्लाते हुए बोला, "हां! हां! मेरी ऐसी हालत उसी की वजह से है। उसे क्या लगता है, मुझे छोड़कर जाएगी और मैं उसे जाने दूंगा? क्या उसे मेरा प्यार दिखाई नहीं देता? क्या उसे समझ नहीं आता कि मैं उसके लिए कितना तड़प रहा हूं? जब से वह मेरे पास आई है, तब से मैं उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार देखने के लिए तरस गया हूं। वह कभी मुझे प्यार से नहीं देखती, कभी मुझसे प्यार से बात नहीं करती। जब देखो, तब मुझसे डरती रहती है। क्या मैं इतना डरावना या भयानक हूं उसके लिए?" यह कहते हुए रोहन थककर भारी-भारी सांस लेने लगा। वहीं, उसकी सारी बातें सुनकर विशाल बस हैरानी से उसे देखता रह गया। एक बार फिर से रोहन शराब पीने लगा। तभी विशाल ने गुस्से से उसके हाथ से बोतल छीन ली और बोला, "अगर तुम उससे प्यार करते हो, तो तुम उसे जाकर कहते क्यों नहीं? क्यों अपना प्यार नहीं जताते? क्यों हर वक्त उसके साथ जबरदस्ती करते रहते हो? मुझे अच्छे से याद है, वह एक बार तुम्हारे ऑफिस आई थी, वह भी तुम्हें लंच बॉक्स देने। गलती से एक असिस्टेंट ने उसे बस एक नजर देख लिया था, और तुम इतनी ज्यादा गुस्से में आ गए थे कि वहीं तुमने हम सबके सामने उसे थप्पड़ मार दिया था। वह बेचारी उस वक्त सिर्फ रोती रह गई और तुम्हें बस देखती रह गई। उसने एक शब्द भी तुम्हें नहीं कहा। और उसके बाद घर जाने पर तुमने पता नहीं, उसके साथ क्या-क्या किया होगा। यहां तक कि तुमने उस असिस्टेंट को भी जिंदा मार डाला। मैं देखता हूं, तुम हमेशा उसके साथ कुछ ना कुछ गलत करते रहते हो। तो तुम्हें क्या लगता है, इन सबके बावजूद वह तुमसे प्यार करेगी और तुमसे डर नहीं लगेगा? तुम पहले खुद को सुधारो, रोहन। तुम सच में उसके लिए किसी खतरे की तरह हो। इसलिए वह तुमसे हर वक्त डरती रहती है। अगर तुम इसी तरह उसके साथ करते रहोगे, तो वह जाहिर सी बात है तुमसे दूर जाने की कोशिश करेगी। और फिर एक दिन ऐसा आएगा कि वह हमेशा के लिए तुमसे दूर हो जाएगी। या फिर कोई उसे तुमसे दूर कर देगा। फिर तुम कुछ नहीं कर पाओगे। और तो और, मैंने यह भी सुना है कि तुम्हारा जो बच्चा पैदा हुआ, तुमने उसे भी उससे दूर कर दिया। तुम्हें एहसास भी है, एक मां से उसका बच्चा दूर करना कितनी बड़ी बात है? क्या इसके लिए वह कभी तुम्हें माफ करेगी? कभी नहीं। उसके दिल में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए नफरत आएगी। और नफरत के अलावा तुम कुछ भी हासिल नहीं कर पाओगे।" तभी रोहन यह सब सुनकर गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, "नहीं! नहीं चाहिए मुझे उसकी नफरत! मुझे उसका प्यार चाहिए, उसका बेपनाह प्यार चाहिए। मैं प्यार के लिए तरस रहा हूं। उसका प्यार जब तक मैं हासिल नहीं करूंगा, तब तक मैं उसे खुद से दूर नहीं जाने दूंगा। और उसके बाद भी वह हमेशा सिर्फ और सिर्फ मेरे पास रहेगी। उसे मैं अपने कैद में कैद कर लूंगा, जिंदगी भर के लिए। वह सिर्फ मेरे कैद में रहेगी।" एक बार फिर से उसके मुंह से 'कैद' शब्द सुनकर विशाल ने परेशान होकर कहा, "तुम्हें पता है, रोहन, तुम प्यार क्यों नहीं हासिल कर पा रहे हो? क्योंकि तुम्हारी नजर में प्यार सिर्फ और सिर्फ कैद होता है। या फिर बेड पर प्यास बुझाने वाली चीज होती है। जबकि प्यार ऐसा नहीं है। प्यार में आजादी होती है, प्यार में रिस्पेक्ट होती है, प्यार में इज्जत होती है, जो शायद तुम्हें उसे देना चाहिए। तभी वह तुमसे प्यार करेगी।" यह सुनकर अब रोहन के एक्सप्रेशन बदल गए। वह अब खामोश हो गया था। तभी विशाल ने उसके कंधे पर थपकी देते हुए कहा, "देखो, तुम खुद ही समझदार हो। मुझे नहीं लगता कि मुझे तुम्हें यह सब कुछ समझाना चाहिए। लेकिन मैं तुम्हें बस इतना ही कहूंगा कि यह जो हो रहा है, इन सबको अब बंद कर दो। तुम उसे प्यार दो। एक ऐसा प्यार, जहां पर वह सिर्फ और सिर्फ तुम पर यकीन करे। तुम्हें देखकर डर नहीं, बल्कि तुम्हें प्यार भरी नजरों से देखे। और ऐसा तभी होगा, जब तुम उसकी बातें सुनोगे, उससे बात करोगे, उसकी पसंद-नापसंद समझोगे। और यह एक दिन में नहीं होगा। लेकिन एक दिन जरूर आएगा, जब वह तुमसे प्यार करेगी। उम्मीद करता हूं, तुम मेरी बात समझ गए होंगे।" यह कहकर वह वहां से चला गया। और वहीं रोहन बस उसकी यह सारी बातें सुनता ही रह गया। अगली सुबह का वक्त था और जानवी की आंख खुली। उसने धीरे से एक नजर वॉल क्लॉक की तरफ देखा, जहां 8:30 बज चुके थे। 8:30 का समय देखकर जानवी शॉक्ड हो गई और तुरंत घबराकर बोली, "अरे नहीं! मैंने काफी ज्यादा लेट कर दिया। मुझे टेंशन हो रही है, कहीं रोहन फिर से गुस्सा ना करें। अगर उन्होंने गुस्सा किया तो वापस से मुझे टॉर्चर झेलना पड़ेगा। मैं इतनी देर तक कैसे सो गई? मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे जल्दी उठ जाना चाहिए था, क्योंकि उनके ऑफिस का भी वक्त हो गया होगा।" यह सब कहते हुए जानवी लगातार घबरा रही थी, क्योंकि अधिकतर वह 7 बजे ही उठकर नाश्ता रेडी कर देती थी। 7:30 बजे रोहन ऑफिस चला जाता था। लेकिन आज 8:30 बज चुके थे और वह अभी तक सो रही थी। उसे डर लग रहा था। लेकिन तभी वॉशरूम जाते हुए वह खुद से बोली, "पर अगर मैं लेट तक सोई थी, तो रोहन खुद मुझे जगाने के लिए आते थे और गुस्से से बहुत कुछ कहते थे। लेकिन आज क्यों नहीं? इसका मतलब यह तो नहीं कि रोहन आज घर पर ही ना हों? क्योंकि मैंने उन्हें कल वापस आते हुए नहीं देखा। और बेड का दूसरा हिस्सा भी बिल्कुल नॉर्मल दिख रहा है, वहां कोई सिलवटें भी नहीं हैं। तो क्या इसका मतलब रोहन रात घर नहीं आए थे? फिर तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है।" यह सब कहते हुए वह कुछ रिलैक्स हुई और वॉशरूम में चली गई। कुछ देर बाद वह फ्रेश होकर नीचे जाते हुए बोली, "लेकिन चाहे कुछ भी हो, मुझे जल्दी से ब्रेकफास्ट बना देना चाहिए। वरना वह राक्षस मुझे ही खा डालेगा।" यह कहते हुए वह तुरंत किचन की तरफ गई। लेकिन जैसे ही वह डायनिंग एरिया में पहुंची, वहां का नजारा देखकर वह बिल्कुल शॉक रह गई और बस अपनी जगह ही खड़ी रह गई।
जानवी ने जैसे ही सामने का नजारा देखा, वह एक पल के लिए बेहद शौक हो गई और शोक होकर बोली, "कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रही हूं, या फिर शायद मैं अभी भी नींद में हूं?" यह कहते हुए उसने धीरे से अपने हाथों पर ही पिच किया तो उसे दर्द महसूस हुआ। उसने तुरंत अपनी आंखें फाड़ कर सामने की तरफ देखा, जहां पर इस वक्त रोहन किचन में ब्रेकफास्ट रेडी कर रहा था। वह इस वक्त शर्टलेस था, लेकिन उसकी बॉडी काफी ज्यादा अट्रैक्टिव नजर आ रही थी। पर जानवी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर आज रोहन किचन में कैसे और क्या कर रहा है। वह अभी भी कंफ्यूजन में खड़ी थी कि तभी अचानक से उसके कान में भारी आवाज सुनाई दी, "क्या तुम मुझे ऐसे ही देखती रहोगी बीवी, या फिर मेरे हाथ का बना हुआ ब्रेकफास्ट भी करोगी?" उसकी आवाज को सुनते ही जानवी को ऐसा लगा जैसे कि अभी उसे चक्कर आएगा और वह वहीं जमीन पर गिर पड़ेगी। उसे इस वक्त कुछ भी समझ नहीं आया, वह धीरे से हकलाते हुए बोली, "रोहन, अब ठीक तो है ना? कहीं आपको बुखार तो नहीं है?" यह सुनकर ही रोहन अपनी भौंहें चढ़ाकर उसे घूर कर देखने लगा। रोहन को ऐसे देखे प्रकार जानवी डर गई और तुरंत अपना सिर नीचे झुका कर बोली, "सॉरी रोहन, मैं तो बस इसलिए पूछ रही थी क्योंकि आप ऐसे किचन में कभी नहीं आते। ब्रेकफास्ट हमेशा मैं ही आपके लिए रेडी करती हूं, आप तो इस वक्त ऑफिस चले जाते हैं, तो फिर अचानक से आप किचन में क्या कर रहे हैं?" तभी रोहन अपने हाथ में ब्रेकफास्ट की बाल लेकर आया और उसे डाइनिंग टेबल पर रखते हुए बोला, "तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें पहले मेरे हाथ का बनाया हुआ ब्रेकफास्ट करना चाहिए, उसके बाद यह सारे फिजूल के सवाल?" रोहन के ऐसे बात करने से जानवी ने चुपचाप अपना सिर नीचे झुका लिया। उसे पता था कि उसे ज्यादा सवाल करने का कोई भी हक नहीं था, जिस वजह से वह चुपचाप चेयर पर आकर बैठ गई और धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाई। लेकिन तभी रोहन उसके पास बैठ गया और उसके हाथ को पकड़ लिया। यह देखते ही जानवी को कुछ समझ नहीं आया, उसने डरते हुए कहा, "रोहन, क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों कर रहे हो?" तभी इसके जवाब में रोहन ने बिना किसी भाव के साथ कहा, "क्या तुम ऐसे खाओगी?" यह सुनकर अचानक से जानवी को कुछ याद आया और वह तुरंत बोली, "नहीं, मैं पहले आपको खिलाऊंगी। सॉरी रोहन, मैंने ध्यान नहीं दिया।" यह कहकर वह जल्दी से अपना हाथ छुड़ाने को हुई, लेकिन तभी रोहन ने उसे घूरते हुए कहा, "कोई जरूरत नहीं है मुझे खिलाने की, मैं खुद तुम्हें खिलाऊंगा, तुम अपना हाथ पीछे करो।" यह कहकर उसने उसके हाथ को पीछे कर दिया और खुद उसे अपने हाथ से खिलाने लगा। जानवी के लिए तो यह किसी सपने की तरह था, पिछले एक साल से जो जो रोहन उसके साथ करते आ रहा था और आज एक दिन में उसने कुछ भी किया था, वह सब कुछ उसके लिए एक बराबर हो गया था। उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा था। वह धीरे से हकलाकर बोली, "रोहन, मुझे लगता है कि आपको डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए।" उसकी बात सुनते ही रोहन ने उसे देखते हुए कहा, "क्या तुमसे मेरा प्यार हजम नहीं हो रहा है जो तुम बकवास कर रही हो?" यह सुनते ही जानवी को समझ आया कि उसे कुछ भी नहीं बोलना चाहिए। उसी में उसकी भलाई है, वरना कुछ भी हो सकता था। जिस वजह से वह तुरंत अपना सिर नीचे झुका कर बोली, "एम सॉरी रोहन।" इसके बाद रोहन ने उसे अपने हाथों से ब्रेकफास्ट करने लगा। कुछ देर तक ब्रेकफास्ट करने के बाद उसने उसके चेहरे को साफ किया और उसके चेहरे को पकड़ते हुए बोला, "आज से मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगा। पिछले 1 सालों से तो मेरे लिए बहुत कुछ कर रही हो, लेकिन अब तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। अब सब कुछ मैं तुम्हारे लिए करूंगा, तुम सिर्फ ऑर्डर देना।" अब तो जानवी को ऐसा लगा जैसे उसे चक्कर आ जाएगा और वह वहीं गिर पड़ेगी। वह अपनी बड़ी-बड़ी पलकों को झुकते हुए बोली, "रोहन, आखिर हुआ क्या है आपको? आप ऐसे अचानक से इतना अच्छा भी है क्यों कर रहे हैं?" यह सुनकर रोहन अपनी भौंहें चढ़ाते हुए बोला, "तो तुम यह कहना चाहती हो कि मैं अच्छा नहीं हूं?" यह सुनकर जानवी ने अपना सिर नामिलाते हुए कहा, "नहीं, नहीं, मेरे कहने का यह मतलब नहीं था। मैं तो बस यह जानना चाहती थी कि आप अचानक से ऐसा क्यों कर रहे हैं? कल तक तो आप काफी ज्यादा गुस्से में थे क्योंकि मैं भागने की कोशिश की, मुझे लग रहा था कि आप मुझे सजा देंगे, पर आज तो आप मेरे साथ..." कहते कहते वह रुक गई, क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले। लेकिन रोहन उसकी सारी बातें सुनकर उसे कुछ सेकेंड तक घूरता रहा और फिर तिरछा मुस्कुराकर बोला, "मैं बदलने की कोशिश कर रहा हूं। अब जाओ जाकर आराम करो। थोड़ी देर बाद मैं तुम्हें शॉपिंग पर लेकर जाऊंगा, क्योंकि काफी वक्त से तुमने शॉपिंग नहीं किया है और मैं भी अपने मीटिंग के चलते तुम पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता, लेकिन आज मैं तुम्हें शॉपिंग पर लेकर जाऊंगा और अपने मनपसंद की ड्रेस तुम्हें दिलाऊंगा।" यह कहते हुए उसने उसके माथे पर किस किया और किचन की तरफ बढ़ गया। इधर चांदनी तो सदमे में ही चली गई। कुछ घंटे बाद कमरे का दरवाजा खुला। जानवी उस वक्त मिरर के सामने खड़ी अपने लाल और नीले पड़े गर्दन पर निशाने पर कंसीलर अप्लाई कर रही थी, लेकिन दरवाजा खुलने की आवाज को सुनकर वह चौंक गई और तुरंत गेट की तरफ देखने लगी, जहां पर इस वक्त रोहन अंदर की तरफ आ रहा था। रोहन को देखकर जानवी बिल्कुल चुपचाप अपनी जगह मूर्ति की तरह खड़ी हो गई, लेकिन रोहन उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला, "यू नो व्हाट, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारी इसी खूबसूरती की वजह से तो मैं पागल हो जाता हूं। क्या तुम रेडी हो?" यह सुनकर जानवी ने नहीं चाहते हुए खुद को देखा। उसने इस वक्त फुल कपड़े पहन रखे थे, लेकिन उसे फुल कपड़ों में भी वह रोहन को खूबसूरत नजर आ रही थी। बल्कि अगर बाहरी कोई भी उसे देखता तो सब यही बोलते कि वह कोई जोकर लग रही हो, लेकिन वह क्या कर सकती थी, रोहन हमेशा उसे ऐसे ही कपड़े पहना था, जिसमें उसका एक भी बॉडी पार्ट दिखाने को ना मिले। यहां तक कि अगर उसका बस चले तो वह उसके चेहरे को भी पूरा ढक कर रखे, लेकिन पता नहीं क्या सोचकर वह उसके चेहरे को छोड़ देता। वरना उसकी पूरी बॉडी पार्ट कपड़े से ढके हुए होते। जानवी ने गहरी सांस ली और कुछ सोच कर बोली, "रोहन, क्या आज आपके ऑफिस नहीं जाना?" यह सुनकर रोहन अपनी कोहनी पर झुकते हुए बोला, "नहीं, आज मैंने लीव लिया है।" यह सुनकर जानवी ने हैरानी के साथ कहा, "1 साल में मैं पहली बार सुन रही हूं कि आपने अपने ऑफिस से लीव लिया हो?" यह सुनकर रोहन मुस्कुराया और बोला, "क्योंकि मैंने खुद से प्रॉमिस किया है कि अब मैं अपनी बीवी को टाइम दूंगा।" यह सुनकर जानवी ने अपने हाथों की मुठिया बंद कर ली। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रोहन उसके साथ कर क्या रहा था। तभी रोहन आगे बढ़ा और उसके हाथ को पकड़कर बोला, "चलो, अब हम शॉपिंग मॉल चलते हैं।" यह सुनकर जानवी ने धीरे से अपना सिर झुका दिया, जिसके बाद रोहन उसे लेकर सीधे शॉपिंग मॉल की तरफ बढ़ गया। कुछ ही देर में उनकी कार एक बड़े से शॉपिंग कांप्लेक्स के बाहर आकर रुकी। गाड़ी का दरवाजा खोलकर रोहन के साथ बाहर निकली और रोहन उसे अंदर की तरफ लेकर चला गया। जानवी पूरे 1 साल बाद इस मॉल में आ रही थी क्योंकि जब से वह रोहन की कैद में आई थी और जब से वह मां बनी थी, तब से रोहन ने उसे बाहर ही जाना बंद करवा दिया था। आज वह काफी वक्त बाद बाहर की दुनिया देख रही थी, जिस वजह से उसकी नजर चारों तरफ जा रही थी। चारों तरफ के लोग भी उन्हें ही देख रहे थे क्योंकि वह गाड़ी के बीच चल रहे थे, लेकिन जब रोहन की नजर चारों तरफ गई तो उसके एक्सप्रेशन ठंडे हो गए और उसने जानवी के हाथ पर अपनी पकड़ करते हुए कहा, "बीवी, तुम्हारी नजर मुझ पर होनी चाहिए। अगर तुमने यहां किसी पर भी अपनी नजर डाली, तो मैं तुम्हें तो कुछ नहीं करूंगा, लेकिन उन्हें जरूर मार डालूंगा। इसलिए अगर तुम चाहती हो कि मैं किसी मासूम की जान ना ले, तो तुम्हें सिर्फ मुझे देखना है।" रोहन की यह बात सुनते ही जानवी, जो अभी तक कुछ रिलैक्स हुई ही थी, उसके अंदर फिर से वही पुराना डर बैठ गया और उसने चुपचाप बस अपना सिर नीचे झुका लिया। Well क्या लगता है आप सबको रोहन जैसा जल्लाद वाकई सुधर गया?
लगभग आधे घंटे तक कपड़ों की शॉपिंग करने के बाद जानवी को भूख लग गई थी, लेकिन उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह रोहन से कुछ भी कह सके, क्योंकि रोहन लगातार उसे आधे से ज्यादा मॉल के कपड़े ही खरीद चुका था जो उसे पसंद भी नहीं थे। रोहन वह भी उसे खरीद रहा था क्योंकि जानवी ने उन पर अपनी एक नजर डाली थी। यह सच था कि जानवी जिस चीज को भी एक नजर से देख लेती थी, रोहन उसे खरीद लेता था, फिर वह चाहे जितना महंगा क्यों न हो। जानवी को आज यह एहसास हो रहा था कि जिंदगी भर उसने गरीबों जैसी जिंदगी जी है। असल में वह इतनी गरीब कभी थी ही नहीं; वह रोहन खुराना की बीवी थी, जो इतना अमीर था कि किसी को भी खरीदने की ताकत रखता था। जानवी बस चुपचाप चल रही थी। लेकिन तभी रोहन के चलते कदम रुक गए। जानवी ने उसे रुकते देखा तो थोड़ा सा हिचकिचा गई और नासमझी में बोली, "क्या हुआ, रोहन? सब कुछ ठीक है?" तभी रोहन ने उसकी तरफ देखा और गुस्से के साथ बोला, "तुम्हें भूख लगी थी तो तुमने मुझे बताया क्यों नहीं?" रोहन की गुस्से भरी आवाज सुनकर जानवी थोड़ा सा डर गई और तुरंत बोली, "आई एम सॉरी... वो मैं... वो मैं—" तभी रोहन ने उसकी ठोड़ी पर अपनी उंगली रख दी और गहरी सांस लेकर बोला, "नेक्स्ट टाइम से अगर तुम्हें भूख लगे तो मुझे बताना। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" यह कहकर उसने उसका हाथ पकड़ा और सीधे कैफेटेरिया की तरफ चल दिया। इधर जानवी को तो समझ ही नहीं आया कि आखिर रोहन को अचानक से कैसे पता चल गया कि उसे वाकई भूख लगी थी। लेकिन अब वह फाइनली कुछ खाने जा रही थी, इसलिए उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा। कुछ ही देर में उसके सामने कैफेटेरिया की डिलीशियस डिशेज रखी हुई थीं, जिन्हें देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था। वह जल्दबाजी के साथ खाने लगी। रोहन उसे बस खाते हुए देखे जा रहा था। उसके चेहरे पर आज एक हल्की सी स्माइल थी, जिसे जानवी देख नहीं पाई। तभी जानवी के होंठों के कोने पर कुछ लग गया, जिसे रोहन ने धीरे से अपनी उंगलियों से साफ किया और उसे अपने होठों से टच किया। यह देखकर जानवी का चेहरा लाल हो गया। उसने धीरे से कहा, "रोहन, आपने कुछ नहीं खाया?" इसके जवाब में रोहन ने कहा, "तुम्हें खाते हुए देखकर ही मेरा पेट भर गया।" पता नहीं क्यों, पर जानवी को अपने पेट में गुदगुदी सी महसूस हुई क्योंकि आज रोहन उसके साथ कुछ अलग ही बिहेव कर रहा था। यह सब उसके लिए बहुत ही नया था। उसने आखिर में अपना सिर हिला दिया। खाना खत्म होने के बाद जानवी को वॉशरूम जाना था, इसलिए उसने हिचकिचाते हुए रोहन से कहा, "रोहन, क्या मैं वॉशरूम जा सकती हूं?" रोहन अपनी जगह से उठते हुए बोला, "हां, बिल्कुल।" यह कहकर वह भी उसके साथ जाने लगा। जानवी का चेहरा लाल हो गया। वह तुरंत बोली, "रोहन, वो लेडिस वॉशरूम है। वहां पर आपका जाना ठीक नहीं है।" यह सुनकर रोहन के चलते कदम रुक गए। उसने गुस्से के साथ कहा, "क्यों? यह मेरा मॉल है। मैंने इसे बनवाया है। मैं जहां मर्जी चाहे, वहां जा सकता हूं।" यह सुनकर जानवी को समझ नहीं आया कि वह क्या बोले, क्योंकि उसके पास कहने को शब्द ही नहीं बचे थे। तभी उसने धीरे से कहा, "रोहन, मुझे पता है आपका मॉल है और आप जो मर्जी चाहे वो कर सकते हैं। लेकिन वहां पर और भी लेडिस होंगी। वहां जाना आपका ठीक नहीं है। मैं जल्दी से होकर आ जाती हूं। प्लीज, मेरा यहीं इंतजार कीजिए।" रोहन यह सुनकर कुछ सेकंड तक उसे घूरता रहा और फिर आखिर में बोला, "ओके, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। जल्दी आना। तुम्हें पता है कि मुझे इंतजार करना पसंद नहीं है।" यह सुनकर जानवी को थोड़ा रिलीफ मिला। उसने अपना सिर हिलाया और जल्दी से सीधे वॉशरूम में चली गई। जानवी जब वॉशरूम में पहुंची तो उसने देखा कि पूरा वॉशरूम खाली था। यह देखकर उसने जल्दी से खुद को फ्रेश किया और बाहर निकल आई। वह कॉरिडोर से होते हुए जा रही थी, लेकिन तभी अचानक किसी ने उसके हाथ को पकड़ लिया। जानवी एक सेकंड के लिए चौंक गई और तुरंत पीछे देखा। पीछे देखते ही उसकी आंखें बड़ी हो गईं, और तभी उसके कान में आवाज आई, "जानवी! क्या यह वाकई तुम हो?" जानवी ने भी हैरानी के साथ कहा, "निखिल? आई डोंट बिलीव इट! क्या मैं तुम्हें पूरे 5 साल बाद देख रही हूं?" इस वक्त निखिल जानवी के सामने था, जो कि उसका कॉलेज का दोस्त था। वह इकलौता दोस्त था जिसे जानवी आज तक जानती थी। वरना, रोहन की वजह से सभी दोस्तों ने उससे रिश्ता ही तोड़ लिया था। निखिल कॉलेज के बाद विदेश चला गया था, इसलिए रोहन को उसके बारे में नहीं पता चला। लेकिन इतने सालों बाद निखिल को देखकर जानवी के चेहरे पर ना चाहते हुए भी स्माइल आ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "निखिल, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तुम यहां हो।" तभी निखिल ने भी आगे बढ़कर जानवी को गले लगाते हुए कहा, "मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हें इतने सालों बाद देख रहा हूं। तुम बहुत बदल गई हो।" यह कहते हुए वह उससे दूर हुआ, तो जानवी ने भी मुस्कुराते हुए कहा, "तो तुम कौन सा नहीं बदले हो? तुम भी तो काफी चेंज हो गए हो, और पहले से काफी हैंडसम भी हो गए हो।" यह सुनकर निखिल मुस्कुराया और बोला, "वैसे, तुम यहां क्या कर रही हो? क्या शॉपिंग पर आई हो?" इसके जवाब में जानवी ने कहा, "हां, मैं शॉपिंग पर आई हूं।" लेकिन यह कहते-कहते उसे अचानक याद आया कि वह रोहन के साथ आई है। अगर रोहन ने गलती से भी निखिल को उसके साथ ऐसे हंसते हुए बात करते देख लिया, तो उसकी धज्जियां उड़ जाएंगी। वह तुरंत घबराकर बोली, "निखिल, मैं तुमसे बाद में बात करूंगी। अभी के लिए मुझे जाना होगा।" निखिल उसे ऐसे जाते देख नासमझी में बोला, "लेकिन हुआ क्या है? तुम ऐसे क्यों जा रही हो? अभी तो हम मिले हैं। कम से कम एक कॉफी तो साथ में पी ही सकते हैं।" यह सुनकर जानवी ने घबराहट में कहा, "नहीं, निखिल। अभी हम कॉफी नहीं पी सकते। लेकिन मैं वादा करती हूं कि दोबारा तुमसे जरूर मिलूंगी। उसके बाद हम अच्छे से टाइम स्पेंड करेंगे। अभी के लिए मुझे जाना होगा।" यह कहकर वह कॉरिडोर से बाहर निकलने लगी। निखिल उसके पीछे-पीछे आया और उसका हाथ पकड़कर बोला, "जानवी, मैंने तुम्हें बहुत मिस किया है। लेकिन तुम ऐसे मुंह फेर कर जा रही हो, यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। प्लीज, मेरे साथ ऐसा मत करो। चलो ना, थोड़ा सा तो टाइम स्पेंड कर ही सकते हैं।" यह सुनकर जानवी को समझ नहीं आया कि वह क्या करे। वह डर रही थी। तभी उसने घबराते हुए कहा, "निखिल, प्लीज मेरी बात समझने की कोशिश करो। मैं सच में अभी तुम्हारे साथ कॉफी पीने नहीं जा सकती। मैंने कहा ना, नेक्स्ट टाइम पक्का चलूंगी। मुझे पता है कि तुमने मुझे बहुत मिस किया, और सच कहूं तो मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया है। और मुझे तुमसे बहुत कुछ बताना भी है। यहां तक कि तुमसे हेल्प भी मांगनी है। लेकिन अभी के लिए मुझे जाने दो।" जानवी को हद से ज्यादा डर लग रहा था। उसे पता था कि अगर रोहन को पता चला, तो वह सच में उसे मार डालेगा। क्योंकि आज सुबह से रोहन उसके साथ जिस तरह अच्छे से बिहेव कर रहा है, वह किसी भी वक्त शैतान में बदल सकता है। तब निखिल ने आखिरकार कहा, "ठीक है, अभी के लिए तो तुम्हें छोड़ रहा हूं। लेकिन नेक्स्ट टाइम जब मिलोगी, तो कॉफी जरूर पियोगी। ओके?" यह सुनकर जानवी को थोड़ी राहत मिली। उसने सिर हिलाते हुए कहा, "हां, जरूर।" इसके बाद वह जाने लगी। लेकिन अचानक निखिल ने उसे अपनी बाहों में खींचकर गले से लगा लिया। जानवी एक पल के लिए शॉक हो गई। तभी निखिल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "आई रियली मिस्ड यू।" जानवी कुछ कहने ही वाली थी, तभी अचानक किसी ने जानवी के बाल पकड़कर उसे अपने करीब खींच लिया। जानवी दर्द में चिल्ला उठी। तभी एक जोरदार लात निखिल के पेट पर पड़ी। निखिल दूर जाकर गिरा, और उसके मुंह से एक चीख निकल गई, "आह्ह्ह!" यह सुनते ही जानवी के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने सामने देखा और सदमे में चली गई। "रो... रोहन..."
इस वक्त जानवी की हालत काफी ज्यादा खराब हो गई थी। उसे रोहन के रूप में एक शैतान नजर आ रहा था, एक ऐसा शैतान जो सामने खड़े निखिल की जान ले सकता था। वहीं, निखिल भी अपने आप को संभालते हुए बोला, "एक्सक्यूज मी, तुम हो कौन, और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर हाथ उठाने की?" तभी रोहन यह सुनकर उसकी तरफ बढ़ा और एक बार फिर उसके मुंह पर जोरदार पंच कर दिया। निखिल फिर से जमीन पर गिर पड़ा। यह देखकर जानवी जोर से चिल्लाई, "रोहन, प्लीज रुक जाइए!" उसके चिल्लाते ही रोहन के एक्सप्रेशन और भी ज्यादा खराब हो गए। वह उसे गुस्से भरी नजरों से देखते हुए बोला, "दोबारा एक शब्द भी मत कहना, वरना इसके साथ-साथ मैं तुम्हारी भी जान ले लूंगा।" रोहन के यह कहते ही जानवी जैसे बिल्कुल चुप हो गई हो, क्योंकि उसकी जान पर बात आ चुकी थी। हालांकि, वह ऐसी स्वार्थी नहीं थी कि खुद की जान बचाने के लिए निखिल को ऐसे मरने दे। लेकिन रोहन का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उसे बहुत ज्यादा तकलीफ और डर लगने लगा। इधर निखिल खुद को संभालते हुए अपनी जगह से उठकर गुस्से के साथ बोला, "तुम रोहन हो या जो कोई भी हो, मुझे फर्क नहीं पड़ता। लेकिन तुम मुझे ऐसे पंच नहीं कर सकते। तुम्हें पता भी है, मैं बहुत इज्जतदार घर से बिलॉन्ग करता हूं। तुम्हें इसकी सजा मिल सकती है।" तभी रोहन उसकी तरफ बढ़ा और उसके कॉलर को पकड़कर बोला, "तेरी सारी इज्जत तो मैं उतारूंगा, और तू जिस खानदान से बिलॉन्ग करता है, उसे भी बर्बाद करूंगा। तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी को टच करने की? तेरी जान तो अब मैं लेकर ही रहूंगा।" यह कहते हुए उसने एक बार फिर से उसके मुंह पर जोरदार पंच किया, जिससे निखिल के मुंह से खून निकलने लगा। निखिल तुरंत दर्द से तड़पते हुए बोला, "यह क्या कर रहे हो तुम? छोड़ो मुझे। तुम मुझे ऐसे नहीं मार सकते। और जानवी, तुम्हारी शादी कब हुई? तुमने मुझे एक बार भी बताया तक नहीं, और यह तुम्हारा पति है या राक्षस?" इसके जवाब में जानवी कुछ भी बोल नहीं पाई, क्योंकि वह अच्छे से जानती थी कि वाकई वह उसका पति नहीं, बल्कि राक्षस था। इस वजह से वह चाहकर भी कुछ नहीं कह पाई। तभी रोहन ने अपनी जेब से बंदूक निकाली और उसे सीधा निखिल की तरफ तान दिया। बंदूक देखते ही जानवी की आंखें बड़ी हो गईं। वह तुरंत दौड़ते हुए रोहन की बांह पकड़कर बोली, "रोहन, यह क्या कर रहे हो? क्या तुम इसे जान से मार दोगे?" इसके जवाब में रोहन ने उसका गला दूसरे हाथ से पकड़ लिया और कसकर दबाते हुए बोला, "मैंने कहा ना, मेरे रास्ते से हट जाओ। वरना मैं तुम्हारी भी जान ले लूंगा। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई किसी गैर मर्द से चिपकने की? तुमने यह ठीक नहीं किया। इसके लिए मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं।" जानवी की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने रोते हुए कहा, "प्लीज रोहन, छोड़ दीजिए। मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं। ऐसा मत कीजिए। वह मर जाएगा। पहले ही आपने उसे बहुत मार दिया है। आप गलत सोच रहे हैं। हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। वह सिर्फ और सिर्फ मेरा दोस्त है। इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं।" जानवी की बात सुनकर भी रोहन नहीं रुका। उसने निखिल के बाजू पर गोली चला दी। गोली लगते ही निखिल दर्द से चिल्ला उठा। यह देखते ही जानवी डर से और ज्यादा घबरा गई। उसने जोर से चिल्लाया, "रोहन, प्लीज नहीं!" लेकिन रोहन ने गुस्से में उसके बाल पीछे से पकड़कर खींचे और बोला, "मैंने कहा था तुमसे कि अब कोई भी लड़का तुम्हारा दोस्त नहीं बनना चाहिए। लेकिन तुमने फिर से उसे दोस्त बनाकर सही नहीं किया। तुम घर चलो। बहुत हो गई तुम्हारी शॉपिंग। मैं जितना कोशिश कर लूं कि तुम्हारे लिए अच्छा बन जाऊं, लेकिन तुम आखिरी टाइम पर ऐसा कोई ना कोई काम कर देती हो, जिससे मैं मजबूर हो जाता हूं तुम्हें तकलीफ देने पर। शायद तुम तकलीफ के लायक ही बनी हो।" यह कहकर वह उसे घसीटते हुए वहां से बाहर ले गया। इधर निखिल खून से लथपथ वहीं जमीन पर गिर पड़ा और बेहोश हो गया। जानवी चाहकर भी उसके पास नहीं जा पाई, क्योंकि रोहन उसे जबरदस्ती खींचकर बाहर ले गया। कुछ ही देर में रोहन के गार्ड वहां पहुंचे। उन्होंने निखिल को उठाया और उसे सीधे रोहन के प्राइवेट कॉटेज की तरफ बढ़ गए। इधर दूसरी तरफ, कुछ ही देर में कार पैलेस के बाहर आकर रुकी। कार रुकते ही रोहन, जानवी को घसीटते हुए बाहर लेकर निकला। जानवी लगातार दर्द में चिल्ला रही थी, "प्लीज, रोहन, छोड़ दीजिए। मुझे बहुत दर्द हो रहा है। आप मुझे ऐसी तकलीफ नहीं पहुंचा सकते। मैंने कहा ना, वह सिर्फ मेरा दोस्त था, इसके अलावा मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है। आप क्यों मेरी बात नहीं समझ पा रहे हैं? प्लीज, रोहन, आई रिक्वेस्ट यू, मुझ पर तरस खाइए और छोड़ दीजिए मुझे। प्लीज, रोहन, आई रिक्वेस्ट यू।" लेकिन जैसे जानवी के गिड़गिड़ाने पर रोहन को कोई फर्क ही न पड़ रहा हो। वह उसे खींचते हुए सीधे कमरे की तरफ लेकर जाने लगा। वहां मौजूद नौकर और नौकरानी यह सब देखकर काफी ज्यादा डर गए। उनके जाते ही नौकरानी ने घबराते हुए कहा, "हे भगवान! साहब तो आज बहुत ज्यादा गुस्से में हैं। पता नहीं कौन सा कहर टूटेगा जानवी मैडम पर।" तभी दूसरी नौकरानी ने तरस खाते हुए कहा, "सच कहूं तो मुझे बेचारी मैडम पर बहुत तरस आता है। कहने को तो वह इतनी बड़ी मालकिन हैं, लेकिन बड़े साहब उनकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करते। उन्हें पैरों की जूती बनाकर रखते हैं और पता नहीं कौन सी गलती की सजा देने जा रहे हैं। मुझे तो अब इस घर में काम करने में ही डर लगता है। पता नहीं कब क्या हो जाए। अभी तो याद है ना, कि कल ही एक नौकरानी को मार दिया गया और उसे मारने वाला हमारे साहब ही हैं। मुझे तो सच में अब बहुत ज्यादा डर लगने लगा है।" यह सब सुनकर बाकी नौकर भी काफी ज्यादा घबरा गए। इधर कमरे में: कमरे में पहुंचते ही रोहन ने जानवी को बेड पर धक्का दिया। जानवी अपनी कंपकंपाती हुई आवाज में बोली, "रोहन, प्लीज रुक जाइए। प्लीज, आई रिक्वेस्ट यू, ऐसा मत करिए। प्लीज रोहन, प्लीज रुक जाइए।" यह कहते हुए वह गिरने लगी। लेकिन रोहन ने गुस्से में कमरे का दरवाजा बंद किया और उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला, "मैंने सोचा था कि अब मैं तुम्हारे साथ प्यार से पेश आऊंगा, तुम्हें कोई भी तकलीफ नहीं दूंगा, तुम्हें अब दुनिया भर का प्यार दूंगा। लेकिन शायद तुम प्यार पाने के लायक ही नहीं हो। तुम्हें अब सिर्फ तकलीफ मिलेगी, क्योंकि तुम सिर्फ तकलीफ के ही लायक हो।" यह कहते हुए उसने वहां की लाइट्स ऑफ कर दी। जानवी को समझ आ गया कि अब उसके साथ क्या होने वाला है। एक बार फिर से उसे वही दर्द मिलने वाला है, वही तकलीफ मिलने वाली है। इस वजह से उसने पहले ही ब्लैंकेट को कसकर पकड़ लिया। लेकिन रोहन ने उसके ब्लैंकेट को दूर फेंक दिया और उसके कपड़े फाड़ते हुए उसके आगोश में चला गया। जिसके साथ ही जानवी की एक जोरदार चीख पूरे कमरे में गूंज उठी। एक बार फिर से उसकी सिसकियों की आवाज ने कमरे में शोर मचा दिया।
अगली सुबह जानवी की आंखें खुलीं। उसे ऐसा लगा जैसे कि उसकी बॉडी पर किसी ने बड़ी चोट की हो। इस वक्त उसे काफी ज्यादा दर्द महसूस हो रहा था, लेकिन उसने किसी तरह खुद को संभाला और आसपास देखने लगी। वहां रोहन कहीं दिखाई नहीं दिया। यह देखकर जानवी की आंखों में आंसू आ गए। उसने धीरे से खुद से कहा, "जो हुआ, आपने मेरे साथ बहुत गलत किया है। मैं इसके लिए आपको कभी माफ नहीं कर सकती, और ना ही कभी मेरे दिल से आपके लिए नफरत कम होगी। होते होंगे लोग जो इतनी बड़ी गलती करने के बावजूद भी माफ कर देते होंगे, लेकिन मैं आपको कभी माफ नहीं कर सकती। आई हेट यू, रोहन। आई रियली हेट यू। और अब मुझे आपसे दूर जाने से कोई नहीं रोक सकता।" यह कहते हुए वह बेड से किसी तरह उठी और धीरे-धीरे करके वॉशरूम में चली गई। कुछ देर बाद वह फ्रेश होकर नीचे आई। नीचे आने के बाद उसने आसपास देखा, लेकिन रोहन उसे वहां भी दिखाई नहीं दिया। इसे देखकर उसने मायूस होकर आंटी से कहा, "आंटी, क्या आप मुझे बता सकती हैं कि आखिर रोहन कहां पर है?" यह सुनकर आंटी कुछ सोचते हुए बोलीं, "मैंने उन्हें बाग की तरफ जाते हुए देखा है।" यह सुनकर जानवी ने फिर अपना सिर हिलाया, जिसके बाद वह बाग की तरफ चली गई, क्योंकि उसे इस वक्त रोहन से कुछ बात करनी थी। उसने मन ही मन सोचा, "अब मैं और सब कुछ सहन नहीं कर सकती। मुझे बात करनी ही पड़ेगी। मुझे पता है, रोहन सख्ती से ज्यादा कुछ नहीं करेंगे, लेकिन मुझे मेरा बेटा चाहिए। मैं अपने बेटे के बिना और नहीं रह सकती। वह मेरा खून है। मैंने उसे पैदा किया है। मैं उसे हासिल करके रहूंगी।" यह कहते हुए जानवी सीधे बाग की तरफ चली गई। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंची, उसे किसी के जोर-जोर से चीखने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। यह सुनकर वह घबरा गई। तुरंत कदम बढ़ाते हुए उसने आवाज की दिशा में जाना शुरू किया। आवाज के पास पहुंचते ही जानवी के कदम थम गए। उसने जो देखा, वह उसकी कल्पना से परे था। सामने रोहन, निखिल को बुरी तरह टॉर्चर कर रहा था। निखिल इस वक्त रस्सी से बंधा हुआ था, और उसकी पूरी बॉडी से खून निकल रहा था। लेकिन रोहन को इस पर कोई तरस या दया नहीं आ रही थी। बल्कि वह गुस्से में उसे टॉर्चर करते हुए चिल्ला रहा था, "तेरी इतनी हिम्मत कि मेरी बीवी को गले लगाए! आज मैं तेरे शरीर से तेरी जान खींच लूंगा!" यह सब देखकर जानवी की सांसें अटक गईं। वह बहुत ज्यादा डर गई। उसे इस वक्त रोहन के रूप में एक जानवर और शैतान नजर आ रहा था, जो निखिल को कितने बुरे तरीके से सजा दे रहा था। जानवी से यह सब देखा नहीं गया। वह दौड़ते हुए रोहन की तरफ बढ़ी और उसके पास पहुंचते ही उसे जोर से धक्का देते हुए चिल्लाई, "पागल हो गए हैं आप? क्या कर रहे हैं निखिल के साथ? वह मर जाएगा!" उसकी आवाज सुनकर और उसे वहां देखकर रोहन का चेहरा सख्त हो गया। उसने गुस्से में उसकी गर्दन पकड़ते हुए कहा, "यहां आने को किसने कहा था तुम्हें?" जानवी ने दांत पीसते हुए जवाब दिया, "आप यह सब क्या कर रहे हैं? आखिर क्यों कर रहे हैं? क्या आपको समझ नहीं आता, वह मर जाएगा?" तभी रोहन ने उसकी गर्दन को कसकर पकड़ते हुए कहा, "मारने के लिए ही तो लाया हूं!" यह सुनते ही जानवी के होश उड़ गए। जानवी दूसरे ही पल शॉक होकर बोली, "रोहन, क्या पागल हो गए हैं? आखिर आप ऐसा क्यों कर रहे हो? उसने ऐसी कौन सी बड़ी गलती की है, जिसकी वजह से आप उसे इतनी बुरी तरीके से टॉर्चर कर रहे हैं?" इसके जवाब में रोहन ने उसकी गर्दन को पकड़ते हुए कहा, "उसने तुम्हें छूने की कोशिश की है। तुम्हें पता है ना, कि तुम्हें सिर्फ मैं छू सकता हूं। अगर दूसरा कोई तुम्हें छुए, तो मैं उसकी जान ले लूंगा।" यह सुनकर जानवी रोते हुए बोली, "तो आप एक काम क्यों नहीं करते? मेरी भी जान ले लीजिए, क्योंकि मैं भी थक गई हूं इन सब चीजों से। मुझे भी नहीं जीना। अगर उसने मुझे टच किया है, तो मैं भी इसमें शामिल हूं। एक तरह से ये मेरी भी गलती है। प्लीज, मेरी जान ले लीजिए। मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं। मैं आपके कभी नहीं गिरती, लेकिन मुझे भी मार डालिए।" यह कहकर जानवी ने रोहन के पैर पकड़ लिए और जोर-जोर से रोने लगी। जानवी की ऐसी हालत देखकर रोहन गुस्से से लाल हो गया। उसने कहा, "तुम किस तरह की बातें कर रही हो? आखिर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? मैं तुमसे प्यार करता हूं। तुम मेरी बीवी हो। मैं तुम्हें कैसे मार सकता हूं? मरना तो इसे चाहिए, ना कि तुम्हें। चुपचाप यहां से चली जाओ, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" यह सुनकर जानवी अपनी जगह से खड़ी हुई और बोली, "नहीं, मैं भी मरूंगी, क्योंकि मैं जिंदा नहीं रहना चाहती। आखिर किसके लिए जिंदा हूं? आप मेरे साथ जबरदस्ती करते हो। मुझे टॉर्चर करते हो। यहां तक कि आपने मेरे बेटे को भी मुझसे दूर कर दिया। मेरा एक महीने का बच्चा पता नहीं कहां होगा, किसके साथ होगा, किस हालत में होगा। पता नहीं वह जिंदा है या नहीं। मुझे कुछ नहीं पता। और अब आप मुझसे कह रहे हैं कि आप मुझसे प्यार करते हैं! मेरे साथ! आप मुझसे प्यार कीजिए, मैं आपसे सिर्फ और सिर्फ नफरत करूंगी। आप सिर्फ और सिर्फ मेरी नफरत के काबिल हैं। आई रियली हेट यू! आई रियली हेट यू!" उसकी यह बात सुनते ही रोहन का चेहरा पूरी तरह डार्क हो गया। यह सुनकर जानवी अपनी जगह से खड़ी हुई और बोली, "नहीं, मैं भी मरूंगी, क्योंकि मैं जिंदा नहीं रहना चाहती। आखिर किसके लिए जिंदा हूं? आप मेरे साथ जबरदस्ती करते हो। मुझे टॉर्चर करते हो। यहां तक कि आपने मेरे बेटे को भी मुझसे दूर कर दिया। मेरा एक महीने का बच्चा पता नहीं कहां होगा, किसके साथ होगा, किस हालत में होगा। पता नहीं वह जिंदा है या नहीं। मुझे कुछ नहीं पता। और अब आप मुझसे कह रहे हैं कि आप मुझसे प्यार करते हैं! मेरे साथ! आप मुझसे प्यार कीजिए, मैं आपसे सिर्फ और सिर्फ नफरत करूंगी। आप सिर्फ और सिर्फ मेरी नफरत के काबिल हैं। आई रियली हेट यू! आई रियली हेट यू!" उसकी यह बात सुनते ही रोहन का चेहरा पूरी तरह डार्क हो गया।
शाम का वक्त था। जानवी इस वक्त बालकनी में खड़ी थी। वह बस ढलते हुए सूरज को देख रही थी। उसे ढलते हुए सूरज के साथ ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जिंदगी भी सूरज की तरह ही ढल गई हो। उसकी जिंदगी में न कोई खुशी थी, न ही कोई एक्साइटमेंट। अगर कुछ था, तो सिर्फ और सिर्फ गम, दुख, तकलीफ, आंसू, और एक अजीब सा दर्द—एक ऐसा दर्द जिसे वह बयान भी नहीं कर सकती थी। आखिर उससे ज्यादा बदनसीब कौन हो सकता था, जिसका खुद का एक दिन का बच्चा उससे दूर कर दिया गया हो? उसे यह तक पता नहीं चला था कि वह बच्चा कैसा दिखता है। उसे यह भी नहीं पता था कि उसे लड़की हुई थी या लड़का। यह सब करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका अपना पति था। पति—एक ऐसा शब्द होता है, जिस पर एक बीवी आंख बंद करके यकीन करती है। उसे लगता है कि उसका पति उसे पूरा करेगा, उसे दुनिया की सारी खुशियां देगा। लेकिन जानवी का पति ऐसा था, जिसने उसकी ही खुशियों को आग लगा दी। उसने उनके पैदा हुए बच्चे को उससे दूर कर दिया। यह सब तकलीफें उसे अंदर तक तोड़ रही थीं। वह बस अपनी आंखों में आंसू लिए ढलते सूरज को देख रही थी। तभी उसने अपनी आंखें बंद कीं और खुद से बोली, "मैं इतनी कमजोर तो कभी नहीं थी। अकेले दम पर मैंने अपनी मां को उसकी बीमार हालत से बाहर निकाला। अकेले दम पर मैंने खुद को संभाला। तो फिर मैं रोहन खुराना के आगे इतनी कमजोर कैसे बन सकती हूं? मैं इतनी लाचार कैसे हो सकती हूं? नहीं, मैं इतनी लाचार वाकई कभी नहीं थी। शायद मुझे ही बेवकूफ बनाया गया है। और मैं इस कदर बेवकूफ बन गई कि उस इंसान के पैरों की जूती बन गई, उसके हाथ की कठपुतली बन गई।" उसके दिमाग में सवाल उठने लगे: "क्या मुझे उससे लड़ाई करनी चाहिए? क्या मुझे खुद के लिए स्टैंड लेना चाहिए? क्या मुझे उससे पूछना चाहिए कि उसने मेरे बेटे को कहां रखा है? कहां है मेरा एक दिन का बेटा?" वह खुद से ही सवाल कर रही थी। तभी दरवाजा खुला। यह सुनकर उसने मुड़ने की भी कोशिश नहीं की क्योंकि उसे पता था कि इस वक्त कौन होगा। कमरे में रोहन के अलावा नौकरानी भी बिना उसकी इजाजत के नहीं आ सकती थी। इसलिए वह बस खामोशी से अपनी जगह खड़ी रही। तभी रोहन उसके करीब आया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। जानवी ने बस अपनी आंखें बंद कर लीं। तभी रोहन तिरछी मुस्कान के साथ उसकी गर्दन पर किस करते हुए बोला, "बेबी, तुम यहां क्या कर रही हो?" इसके जवाब में जानवी ने धीरे से कहा, "खुद की मौत का इंतजार कर रही हूं।" उसकी यह बात सुनते ही रोहन के एक्सप्रेशंस काले पड़ गए। उसने गुस्से से उसे अपनी तरफ घुमाया और कहा, "तुम्हें नहीं लगता कि तुम कुछ ज्यादा ही बोलने लगी हो? तुम्हारी यह जुबान कुछ ज्यादा ही कैंची की तरह चलने लगी है।" यह सुनकर जानवी ने सारकास्टिक अंदाज में कहा, "तो क्या करोगे? अब मेरी जुबान भी काट डालोगे? काट डालो। वैसे भी अंदर से तो तुमने मुझे मार ही दिया है। अब एक जुबान ही बची है, उसे भी काट डालो, ताकि मैं गूंगी बन जाऊं। और जब तुम मुझे टॉर्चर करो, तो मेरे मुंह से आवाज भी न निकले।" यह सब सुनकर रोहन ने गुस्से से अपनी आंखें बंद कर लीं और गहरी सांस लेते हुए बोला, "यू नो व्हाट, जब भी मैं खुद से प्रॉमिस करके आता हूं कि अब मैं तुम पर गुस्सा नहीं करूंगा, तुम्हारे साथ एक अच्छी जिंदगी की शुरुआत करूंगा, तभी तुम ऐसी हरकतें करती हो या ऐसी बातें बोलती हो कि मेरा प्रॉमिस टूट जाता है।" यह सुनकर जानवी ने अपनी उंगली उसके दिल की तरफ पॉइंट करते हुए कहा, "रोहन, क्या तुम मुझे बताओगे कि तुम्हारे सीने में दिल भी है? क्या यह धड़कता है? क्योंकि मुझे तो नहीं लगता कि यह धड़कता भी होगा। शायद यह मर चुका है। तभी तो तुम्हें मेरी हालत दिखाई नहीं देती। तुम्हें मेरी आंखों के आंसू दिखाई नहीं देते। तुम्हें मेरे दिल की तकलीफ महसूस नहीं होती। तुम्हें यह अहसास नहीं होता कि मैं इस वक्त कितनी परेशान हूं, कितनी तकलीफ में हूं, कितनी तड़प रही हूं। और वो भी सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे के लिए।" बच्चे का नाम सुनते ही रोहन के एक्सप्रेशंस बदल गए। वह बेहद गुस्से से बोला, "फिर से बच्चा?" यह कहते हुए रोहन ने उसके हाथ को और भी ज्यादा कसकर दबाया और दांत पीसकर बोला, "आखिर तुम्हारी यह सोच सिर्फ उस बच्चे पर ही क्यों अटक कर रह गई है? तुम उस बच्चे के अलावा और दुनिया क्यों नहीं देखती? क्या तुम्हें मैं दिखाई नहीं दे रहा, या फिर मेरी फीलिंग्स तुम्हारे लिए नहीं दिखाई दे रही हैं?" जानवी ने गुस्से के साथ कहा, "मुझे मेरे बच्चे के अलावा इस वक्त कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है, रोहन। और खासकर तुम्हारी फीलिंग्स तो बिल्कुल भी नहीं। तुम किस फीलिंग्स की बात कर रहे हो? यह जो तुम मेरे साथ जबरदस्ती करते हो? यह जो हर वक्त मुझे टॉर्चर करते हो? यह जो तुम हर वक्त मुझ पर चिल्लाते रहते हो? इसे तुम फीलिंग्स कहते हो? अगर तुम्हें फीलिंग्स के बारे में जानना और समझना है, तो जाकर दूसरों से सीखो कि असलियत में फीलिंग्स होती क्या हैं। तुम्हारे अंदर कोई फीलिंग्स नहीं हैं, रोहन। तुम पत्थर दिल इंसान हो। तुम सिर्फ तकलीफ देना जानते हो, इससे ज्यादा और कुछ नहीं।" रोहन यह सारी बातें बस खामोशी के साथ सुनता रह गया। तभी जानवी ने उसे खुद से दूर धक्का दिया और गुस्से के साथ बोली, "रोहन, मुझे पता है कि जो मैं बात बोलूंगी, उसके बाद तुम सिर्फ और सिर्फ मुझे टॉर्चर करोगे। फिर से मेरे साथ वही जबरदस्ती करोगे। लेकिन अब मैं उस जबरदस्ती के लिए भी तैयार हो गई हूं। तैयार क्या, एक तरह से कह सकते हैं कि मुझे आदत हो गई है। इसलिए अब मुझे दर्द का भी एहसास नहीं होता। मैं तुमसे आखिरी बार कह रही हूं—मुझे मेरा बच्चा दे दो, वरना मैं तुम्हें डिवोर्स दे दूंगी। या फिर मैं तुमसे इतनी दूर चली जाऊंगी कि कभी मेरी शक्ल भी नहीं देख पाओगे।" उसकी यह बात सुनते ही रोहन के एक्सप्रेशंस एक बार फिर से पूरी तरह डार्क हो गए। वह गुस्से से उसकी तरफ बढ़कर बोला, "तुमने फिर से मुझसे डिवोर्स लेने की बात की? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे दूर जाने की? क्या तुम्हें अपनी जान की परवाह नहीं है?" यह सुनते ही जानवी अपने कदम पीछे लेते हुए बोली, "हां, मुझे नहीं परवाह है अपनी जान की। मैंने अपनी जान की बाजी लगाकर आपसे यह बात की है। और अगर आपने मुझे मेरा बच्चा 24 घंटे के अंदर नहीं दिया, तो मैं वादा करती हूं, मैं खुद को मार डालूंगी। मैं सुसाइड कर लूंगी, रोहन। और यह बात मैं मजाक नहीं कर रही। इसके बाद आपको मुझे जिस तरह टॉर्चर करना है, कर लीजिए। मुझे फर्क नहीं पड़ता।" यह कहते हुए उसने खुद को रोहन के आगे किसी चारे की तरह सौंप दिया। वहीं, रोहन उसकी ऐसी हरकत देखते ही एकदम से अपनी जगह रुक गया और बस उसे खामोशी के साथ देखता रहा। जानवी को पता था कि रोहन इसके बाद क्या करेगा। वह उसे फिर से टॉर्चर करेगा। लेकिन वह बिना डरे बस रोहन के आगे किसी चारे की तरह खड़ी रही। तभी, रोहन ने अपने कदम पीछे लेते हुए कहा, "तो क्या तुमने सच में सोच लिया है कि अगर तुम्हें तुम्हारा बच्चा नहीं मिलेगा, तो तुम वाकई अपनी जान ले लोगी? क्या तुम्हें उस बच्चे से इतना प्यार है कि तुमने मेरे बारे में नहीं सोचा? क्या तुम्हें एहसास भी है तुम्हारे मरने के बाद मैं कैसे जिंदा रहूंगा? तुम्हारी वजह से ही तो मुझमें जान आई है। तुम्हारी वजह से ही तो मैंने जीना शुरू किया है। और अब तुम सिर्फ उस बच्चे के लिए मुझसे दूर जाने और ऐसे मरने की बात कर रही हो?" यह सुनकर जानवी की आंखों से आंसू निकलने लगे। उसने धीरे से कहा, "रोहन, मैंने कहा ना, अगर आप मुझे मेरा बच्चा दे देंगे, तो मैं ऐसा नहीं करूंगी। और आप उसे सिर्फ मेरा बच्चा क्यों बोल रहे हैं? वह आपका भी तो बच्चा है ना। वह आपके प्यार की निशानी है। आपने मेरे साथ जितनी भी बार कुछ किया है, वह उस चीज़ की निशानी है। तो फिर आप उसे सिर्फ मेरा बच्चा कैसे कह सकते हैं? आप सोचिए, रोहन, हमारा बच्चा हमारे साथ आएगा, हम उसे पालेंगे, उसे प्यार देंगे। वह आपको 'डैडी' बोलेगा और मुझे 'मॉम'। हमारी एक फैमिली होगी, एक खूबसूरत सी फैमिली, जिसमें हम एक साथ खुश रहेंगे। क्या यह काफी नहीं है?" उसकी यह सारी बातें रोहन काफी गौर से सुन रहा था। उसने आखिर में कहा, "लेकिन उसके आने के बाद अगर तुमने मुझ पर ध्यान नहीं दिया तो? अगर तुमने मुझसे प्यार करना बंद कर दिया तो? अगर तुम सारा अटेंशन उसे दोगी तो?" यह सुनकर जानवी आगे बढ़ी और रोहन के हाथ को पकड़कर बोली, "रोहन, मुझे पता है तुम मेरे लिए बहुत ज्यादा इनसिक्योर हो। मुझे यह भी पता है कि तुम्हें लाइफ में कभी प्यार नहीं मिला। तुम्हारे खुद के मॉम-डैड ने तुम्हें छोड़ दिया। इसलिए जब मैं तुम्हारी जिंदगी में आई, तो तुम्हें ऐसा लगा कि शायद अब कोई आ गया है जो तुम्हारे साथ जिंदगी भर रहेगा। लेकिन, रोहन, तुम मेरे साथ बहुत गलत करते हो। तुम हर वक्त मुझे टॉर्चर करते हो, और तुमने तो मेरे बच्चे को भी मुझसे दूर कर दिया। अगर तुम मुझे मेरा बच्चा दोगे, तो मैं वादा करती हूं कि मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाऊंगी। मैं तुम्हारे साथ रहने की कोशिश करूंगी। हालांकि तुम्हारे साथ रहने में मुझे प्रॉब्लम होगी, क्योंकि तुम नॉर्मल इंसानों की तरह नहीं हो। तुम छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाते हो और बहुत एग्रेसिव हो जाते हो। लेकिन फिर भी, एक साल से तुम्हारे साथ हूं, तो इतनी तो आदत हो गई है मुझे। लेकिन अगर तुम मुझे मेरा बच्चा दोगे, तो फिर मैं तुम्हारे साथ और भी अच्छे से रहने की कोशिश करूंगी। तो, आई रिक्वेस्ट यू, रोहन, प्लीज मुझे मेरा बच्चा दे दो। मैं उसे अपनी गोद में लेना चाहती हूं। मैं बहुत तड़प रही हूं उसके लिए।" यह कहते हुए जानवी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। तभी रोहन ने आखिर में उसके चेहरे को पकड़ा और ऊपर की तरफ उठाते हुए कहा, "ओके, तो तुम वादा करती हो कि अगर हमारा बच्चा हमारे पास आएगा, तो तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगी?" यह सुनते ही जानवी ने तुरंत कहा, "हां, बिल्कुल। मैं वादा करती हूं, मैं कभी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगी। बस मुझे मेरा बच्चा दे दो।" रोहन ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "अलराइट। मैं तुमसे वादा करता हूं, कुछ ही देर में हमारा बच्चा तुम्हारे पास होगा। और फिर तुम कभी मुझे छोड़कर मत जाना, वरना मैं पागल हो जाऊंगा। तुम सोच भी नहीं सकती कि मैं क्या कर जाऊंगा।" यह सुनते ही जानवी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। वह तुरंत रोहन के सीने से लग गई और बोली, "थैंक यू सो मच, रोहन। मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी ज्यादा खुश हूं। थैंक यू वेरी मच। अब मेरा बच्चा मेरे पास आएगा।" रोहन ने उसे अपने सीने से लगाते हुए आंखें बंद कर लीं और कहा, "तुम्हारी खुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मुझे बस तुम्हारे साथ रहना है, जिंदगी भर तुम्हारे करीब रहना है।" जानवी ने भी मुस्कुराते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं। उसे आज वाकई एक अलग ही सुकून महसूस हुआ, जो आज से पहले कभी उसे रोहन के करीब रहकर नहीं हुआ।
शाम का वक्त था। जानवी इस वक्त किचन में डिनर तैयार कर रही थी। आज काफी वक्त बाद वह काफी खुश नजर आ रही थी और अपने आप में कुछ गुनगुना रही थी। मेड उसे कुछ पल तक देखती रही और फिर हिचकिचाते हुए बोली, "मैम, क्या बात है? आप आज कुछ ज्यादा ही खुश लग रही हैं।" मेड की आवाज सुनकर जानवी मुस्कुरा दी और बोली, "सही कहा आपने, आज मैं काफी वक्त बाद बहुत खुश हूं।" मेड भी मुस्किल से मुस्कुराई और बोली, "सच कहूं तो आप जब भी ऐसे मुस्कुराते हैं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि मैं हमेशा आपको इस घर में सिर्फ रोटी और तड़पते हुए ही देखती हूं। पर आपको ऐसे हंसते-खुश होते देख मुझे दिल से खुशी हो रही है। पर क्या मैं इस खुशी की वजह जान सकती हूं?" यह सुनकर जानवी कुछ सेकंड तक चुप रही और फिर मुस्कुराते हुए बोली, "हां, बिल्कुल। यह कैसी खुशी है जो सबको जाननी चाहिए?" यह कहकर वह कुछ पल रुकी और फिर प्यार से बोली, "रोहन मुझे मेरा बच्चा वापस करने वाले हैं। मेरा बच्चा जल्दी इस घर में आने वाला है।" यह सुनते ही मेड चौंक गई और बोली, "क्या? क्या आप सच कह रही हैं?" इसके जवाब में जानवी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, बिल्कुल सच कह रही हूं। उन्होंने ही कहा है कि वह अब मुझे मेरे बच्चे को दे देंगे। तब से मैं बहुत खुश हूं। तुम्हें तो अच्छे से पता है ना कि मेरे लिए मेरा बच्चा कितना मायने रखता है? भले ही इस रिश्ते में मुझे कोई खुशी ना हो, लेकिन जब से वह बच्चा मेरी जिंदगी में आया था, तब से मुझे जीने की नई उम्मीद मिल गई थी। तो अब अगर उसके साथ ऐसा कुछ भी होगा, तो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए मैं बहुत खुश हूं।" सारी बातें सुनकर आखिर में मुस्कुराते हुए मेड ने कहा, "मैं आपके लिए वाकई बहुत खुश हूं। अचानक से रोहन सर का इस तरह बदल जाना मेरे लिए वाकई चौंकाने वाला है, लेकिन अगर वह बदल गए हैं तो बहुत अच्छी बात है।" यह सुनकर अचानक से जानवी के एक्सप्रेशंस बदल गए और उसने हिचकिचाते हुए कहा, "क्या इसका मतलब अचानक से बदलना ठीक नहीं है?" यह सुनकर मेड ने अपना सिर हिलाया और कहा, "नहीं-नहीं, मेरा कहने का मतलब यह नहीं था। असल में, एक साल से मैं देख रही हूं, रोहन सर हमेशा आपके साथ जबरदस्ती करते थे, आपको रुलाते रहते थे, लेकिन अब अचानक से वह ऐसे बदल गए हैं, तो यह सब कुछ देखकर मुझे कुछ नया सा महसूस हो रहा है। लेकिन मैं आपके लिए बहुत खुश हूं, क्योंकि आप दुनिया की सारी खुशियां डिजर्व करती हैं।" यह सुनकर जानवी मुस्कुरा दी और फिर वह डिनर बनाने लगी। कुछ देर में डिनर तैयार हुआ और फिर जानवी ने खुद से कहा, "शायद रोहन स्टडी रूम में काम कर रहे होंगे, मुझे उन्हें बुला लेना चाहिए। मुझे याद है, उन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया है।" हालांकि रूहानी जाने के साथ बहुत कुछ गलत किया था, इतना गलत कि शायद जानवी दिल से कभी भी रोहन को माफ़ नहीं कर पाती, लेकिन इस वक्त उसके दिमाग में सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चों का ख्याल चल रहा था। वह अपने बच्चों को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी। वह एक रोहन जैसे शैतान और दरिंदे इंसान को भी एक पल के लिए माफ कर सकती थी, क्योंकि पहले ही उसकी जिंदगी में बहुत कुछ हो चुका था। पहले ही उसने अपनी मां को खो दिया था और अपनी फैमिली को भी खो दिया था। अब जब उसका बच्चा उसकी जिंदगी में वापस आने वाला था, तो वह उसे ऐसे खो नहीं सकती थी। इसलिए वह उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी, फिर चाहे उसके लिए उसे रोहन के साथ सारी जिंदगी रहना ही क्यों न पड़े। यह सोचकर वह सीधे कमरे की तरफ बढ़ गई। वह स्टडी रूम के बाहर आकर रुकी, गहरी सांस ली और बोली, "मुझे कल का इंतजार नहीं हो रहा है। मैं बस कल सुबह जल्द से जल्द अपने बच्चों को अपने सीने से लगा लेना चाहती हूं।" यह कहते हुए उसने दरवाजा खटखटाया। तभी अंदर से आवाज आई, "कम इन!" जानवी अंदर गई और स्माइल के साथ बोली, "रोहन, मैंने डिनर तैयार कर दिया है। क्या आप चलकर डिनर करेंगे?" यह सुनकर रोहन ने उसे घूरा और उसकी तरफ अपने कदम बढ़ाकर बोला, "तुमको ज्यादा खुश नजर आ रही हो, क्या बात है?" यह सुनकर जानवी मुस्कुराते हुए बोली, "आपको तो पता है, जब से आपने यह कहा है कि मुझे मेरा बच्चा मिलेगा, तब से मैं कुछ ज्यादा ही खुश हूं।" यह सुनकर रोहन उसे कुछ पल तक देखता रहा और फिर मुस्कुरा कर बोला, "सही कहा तुमने, मैं तुम्हें तुम्हारा बच्चा जरूर दूंगा।" यह कहते हुए वह उसके करीब आया और उसे सीने से लगा लिया। जानवी भी उसके सीने से लग गई। कुछ ही देर में रोहन जानवी के साथ नीचे आया, उन्होंने डिनर किया और फिर जानवी कमरे में आई। कमरे में पहुंचकर वह बेड पर चली गई, लेकिन पीछे से रोहन आते हुए बोला, "क्या तुम सोने जा रही हो?" यह सुनकर जानवी को अचानक से कुछ याद आया और वह तुरंत उठते हुए बोली, "रोहन, क्या आज हम यह सब ना करें? एक्चुअली, मैं बहुत ज्यादा थक गई हूं, मुझे सच में बहुत नींद आ रही है। प्लीज, रोहन, सिर्फ आज ही मैं मन कर रही हूं। तुम तो जानते हो, इन एक साल में मैंने कभी तुम्हें नहीं मना किया।" रोहन उसकी बात सुनकर उसे घूरते हुए बोला, "तो तुम यह सोच रही हो कि मैं तुम्हारे साथ हमबिस्तर होने के लिए कह रहा हूं?" यह सुनकर जानवी ने तुरंत अपना सिर झुकाते हुए कहा, "आई मीन, ऐसा नहीं है..." तभी रोहन गुस्से से बोला, "क्या मैं तुम्हें इतना गिरा हुआ लगता हूं, जो हर वक्त तुम्हें सिर्फ इसी चीज के लिए याद करूंगा? मैं तो यह कहना चाहता था कि मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आया हूं।" यह सुनकर जानवी अपनी आंखें बड़ी करके बोली, "क्या गिफ्ट? पर इसकी क्या जरूरत थी?" रोहन उसके पास आया और अपनी पॉकेट से एक पेंडेंट निकाला। उसे उसने उसके गले में पहनते हुए कहा, "तो मेरी बीवी हो, आज तक मैंने तुम्हें इस तरह गिफ्ट नहीं दिया, तो मैंने सोचा क्यों न तुम्हें गिफ्ट दिया जाए। क्या तुम्हें यह पसंद आया?" यह कहते हुए वह उसे मिरर के सामने लेकर गया। जानवी ने उसे टाइम और पेंडेंट को देखा, तो उसकी आंखों में एक चमक आ गई और वह तुरंत घबराकर बोली, "यह बहुत ज्यादा महंगा होगा ना? आपको तो पता है, मैं इतनी महंगी गिफ्ट नहीं लेती। प्लीज, इसे आप वापस ले लीजिए।" यह सुनकर रोहन अपनी भौंहें चढ़ाते हुए बोला, "तुम ऐसा कैसे कह सकती हो? तुम रोहन खुराना की बीवी हो, कोई आम लड़की नहीं हो तुम। यह सब कुछ डिजर्व करती हो। और अब जाकर सो जाओ।" यह कहकर उसने उसके माथे पर किस किया। जानवी को यह सब कुछ बहुत ही अजीब लेकिन अच्छा भी लग रहा था, क्योंकि रोहन पहली बार इस तरह बिहेव कर रहा था। फिर वह आखिर में अपनी सीरीअल आई, जिसके बाद वह बेड पर चली गई। कुछ ही देर में, थकी होने की वजह से वह गहरी नींद में चली गई। लेकिन इधर, रोहन उसे अभी भी देख रहा था। कुछ सेकंड तक उसे देखते रहने के बाद, वह तिरछा मुस्कुरा कर बोला, "कल तुम अपने बच्चों से जरूर मिलोगी, उसके बाद तुम्हारे दिमाग से यह बच्चा वाला ख्याल उतर जाएगा।" यह कहकर वह वहां से सीधे बाहर निकल गया। और इधर, इन सबसे अनजान जानवी गहरी नींद में थी। अगली सुबह, सुबह का वक्त था और जानवी की आंखें खुली। आंखें खुलते ही उसने तुरंत आसपास देखते हुए कहा, "रोहन ने बोला था कि आज मुझे मेरा बच्चा मिलेगा। तो रोहन कहां है? क्या वह रात भर मेरे साथ नहीं थे?" यह कहते हुए वह बेड के दूसरे तरफ देखने लगी, जहां कोई भी सिलवटें नहीं थीं, बल्कि बेड वैसे का वैसे ही पड़ा हुआ था। जानवी ने ना समझी में खुद से कहा, "कहीं रोहन सुबह-सुबह ऑफिस तो नहीं चले गए? पर उन्होंने तो मुझसे प्रॉमिस किया था कि वह मुझे मेरा बच्चा लाकर देंगे, तो फिर वह ऐसे ऑफिस कैसे जा सकते हैं?" यह कहते हुए अचानक से जानवी का दिल घबराने लगा। उसकी आंखों में भी आंसू आ गए। वह तुरंत जल्दबाजी के साथ बिना स्लीपर पहने ही कमरे से बाहर निकल गई और आसपास आवाज लगाते हुए बोली, "रोहन! रोहन कहां है आप? रोहन, आपने कहा था कि आप मुझे मेरा बच्चा लाकर देंगे, फिर आप ऐसे कहां जा सकते हैं?" तभी उसे मेड जाते हुए दिखाई दी। मेड को देखते ही जानवी ने पूछा, "क्या रोहन ऑफिस चले गए?" यह सुनकर मेड ने अपना सिर झुकाते हुए कहा, "सॉरी, मैम, पर हमने उन्हें नहीं देखा।" यह कहकर वह चली गई। तो वहीं, जानवी निराशा में सोच रही थी, "कहां गए रोहन? वैसे अपना प्रॉमिस नहीं तोड़ सकते, आज तक उन्होंने कभी अपना प्रॉमिस नहीं तोड़ा, तो फिर वह ऐसे कैसे यहां से जा सकते हैं?" यह सब कहते हुए जानवी की आंखों से आंसू निकलने लगे। वह दौड़ते हुए नीचे आई, लेकिन जैसे ही वह नीचे पहुंची, सामने का दरवाजा खुल गया। यह देखते ही जानवी के कदम रुक गए और फिर तभी उसे सामने जो दिखाई दिया, उसे देखते ही उसके एक्सप्रेशंस बदल गए और वह बिल्कुल शॉक्ड होकर चिल्लाई, "रोहन!"
जानवी ने जैसे ही सामने रोहन को देखा, वो बिल्कुल शॉक हो गई और तुरंत दौड़ते हुए उसकी तरफ जाते हुए बोली, "रोहन, आप कहां गए थे? मैं कब से आपको ढूंढ रही थी और मेरा बच्चा कहां है? आपने कहा था कि आप सुबह मुझे मेरा बच्चा लाकर देंगे।" इस वक्त रोहन के चेहरे पर कोई भी भाव नहीं थे। रोहन को ऐसे देखकर जानवी को कुछ समझ नहीं आया और वो वापस से ना समझे हुए बोली, "रोहन, क्या हुआ? आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं? और आप कहां चले गए थे सुबह-सुबह? रोहन, प्लीज़ कुछ तो बोलिए! आपने कहा था कि आप मुझे बच्चा देंगे, पर अभी तक आपने ऐसा नहीं किया। प्लीज़ रोहन, मुझे मेरा बच्चा दे दीजिए! आप अपना प्रॉमिस ऐसे तोड़ नहीं सकते, आप तो कहते हो ना कि आपके लिए आपकी प्रॉमिस बहुत मायने रखती है, तो फिर क्या हुआ?" तभी रोहन ने उसे संभालते हुए कहा, "शांत हो जाओ, मैं तुम्हें सब बताता हूं।" ये सुनकर जानवी का चेहरा पीला पड़ गया और वो तुरंत बोली, "क्या बताना है रोहन? आपने तो कहा था कि आप मुझे मेरा बच्चा देंगे, तो इसमें बताने वाली कौन सी बात है? कहां है मेरा बच्चा?" ये कहते हुए वो आगे-पीछे देखने लगी। तभी रोहन ने उसे संभालते हुए कहा, "तुम्हें ऐसा लगता होगा कि मैंने जानबूझकर हमारे बच्चे को तुमसे दूर किया था, पर असलियत तो कुछ और ही थी। उसकी तबीयत काफी ज्यादा खराब थी, इसलिए मैंने तुम्हें उससे दूर कर दिया था। लेकिन अब मुझे सुबह ही पता चला कि वो भी दुनिया में नहीं रहा।" ये सुनते ही जानवी के पैरों तले जमीन खिसक गई और वो बेहद शॉक होकर बोली, "नहीं, ऐसा नहीं हो सकता! आप झूठ बोल रहे हैं, ये नामुमकिन है! आप जरूर मुझे मजाक कर रहे हैं, या फिर आप चाहते हैं कि मेरा बच्चा मेरे पास वापस न आए, इसलिए आप ऐसी बातें कर रहे हैं। देखिए रोहन, मुझे पता है आप मेरे साथ मजाक कर रहे हैं, बस आप मुझे परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आप मुझे ऐसे परेशान नहीं कर सकते! मैं नाराज हो जाऊंगी।" तभी रोहन ने उसे अपने सीने से लगाकर कहा, "मुझे पता है तुम इस वक्त मुझ पर यकीन नहीं कर पा रही हो, पर यही सच है। हमारा बच्चा सुबह-सुबह ही अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ले चुका, और मैं वहीं पर गया था, मैंने उसका अंतिम संस्कार किया। तुम ये सब कुछ देखना पाती, इसलिए मैंने तुम्हें नहीं बताया और इतने वक्त तक ये सारी बातें छुपाईं। मुझे माफ कर देना।" ये सब सुनकर जानवी का पूरा चेहरा पीला पड़ चुका था। उसे इस वक्त अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। वो लगातार मना करते हुए बोली, "नहीं, ये झूठ है! मेरा बच्चा ऐसे मुझे छोड़कर नहीं जा सकता! अभी तो मैंने उसे देखा भी नहीं था, अभी तो मैं एक बार भी उसे गोद में नहीं लिया था! अब झूठ बोल रहे हो आप, सच में झूठ बोल रहे हैं!" लेकिन तभी पीछे से रोहन के असिस्टेंट ने उदासी के साथ कहा, "नहीं मैडम, सर झूठ नहीं बोल रहे हैं, वो बिल्कुल सच कह रहे हैं। मैं भी उनके साथ ही था और सच में आपके बेटे को बीमारी थी, इसलिए सर ने उसे आपसे दूर किया था, पर अब वो इस दुनिया में नहीं है। प्लीज़ आप सब समझिए, सर इस बार बिल्कुल सच कह रहे हैं।" उसकी ये बात सुनते ही जानवी खुद को संभाल नहीं पाई, उसके आंखों के सामने अंधेरा छा गया और उसकी आंखें बंद हो गईं। रोहन ने जैसे ही उसे बेहोश देखा, वो तुरंत उसे संभालते हुए बोला, "जानवी, व्हाट हैपेंड? क्या हुआ तुम्हें? आंखें खोलो जानवी, व्हाट हैपेंड?" तभी असिस्टेंट ने घबराते हुए कहा, "सर, लगता है मैडम बेहोश हो गई हैं।" रोहन ने दांत पीसते हुए कहा, "तो मेरा मुंह क्या देख रहा है? वो बेवकूफ, जाओ जाकर डॉक्टर को बुलाओ।" असिस्टेंट ने तुरंत अपना सीरियल लाया और वो वहां से जल्दी से चला गया। इधर रोहन सीधे जानवी को लेकर कमरे में गया। कुछ ही देर में डॉक्टर आए और उन्होंने जानवी का चेकअप किया। डॉक्टर ने जानवी को इंजेक्शन लगाया तो उन्होंने गुस्से के साथ कहा, "क्या हुआ मेरी बीवी को? वो ठीक तो है ना? वो कब तक होश में आएगी?" ये सब सुनकर डॉक्टर ने हिचकी लेते हुए कहा, "एक्चुअली उन्हें शायद बड़ा सदमा लगा है, इसलिए उनकी ऐसी हालत हो गई है। कोशिश कीजिएगा कि जब वो होश में आएं, तो उन्हें वो सारी बातें वापस से पता ना चले, नहीं तो उनके दिमाग पर काफी असर हो सकता है। वो शायद पागल भी हो सकती हैं।" ये सुनते ही रोहन के भाव पूरी तरह बदल गए और वो तुरंत शॉक्ड होकर बोला, "क्या? ये तुम क्या कर रही हो? ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता! मेरी बीवी को कुछ नहीं हो सकता!" इसके जवाब में हिचकी लेते हुए डॉक्टर ने कहा, "देखिए, मैं डॉक्टर हूं, मैंने उनका चेकअप किया है, इसलिए मैं आपसे कह रही हूं कि इन्हें अब वापस से उस तरह का स्ट्रेस मत दीजिएगा, वरना जो मैंने कहा है, वो सच हो सकता है। या फिर उन्हें कोई ऐसी चीज लाकर दीजिए जिसे ये खुश रहें, या फिर आप इन्हें कुछ खुशी से भरी बातें बताइए। बस, आप इतना जान लीजिए कि इन्हें अब कोई भी प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए, वरना वाकई ये पागल हो सकती हैं और जिंदगी में कभी ठीक भी नहीं हो सकतीं।" ये कहकर डॉक्टर वहां से चली गई और इधर रोहन ये सब सुनकर बिल्कुल शॉक हो गया और वहीं पेट पर ही जानवी को देखते हुए बैठ गया। असिस्टेंट भी ये सब कुछ सुन रहा था, उसने भी तुरंत कहा, "सर, संभालिए खुद को।" तभी रोहन ने धीरे से कहा, "ये सब क्या हो गया? मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इसकी ऐसी हालत हो जाएगी सिर्फ एक बच्चे की वजह से।" तभी असिस्टेंट ने कहा, "मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि ऐसा मत कीजिए, वो बहुत प्यार करती है अपने बच्चों से, पर आपने मेरी बात नहीं मानी। अब आप खुद बताइए, हम क्या करेंगे?" तभी रोहन तुरंत अपनी जगह से उठकर बोला, "नहीं, मैं अपनी बीवी को कुछ नहीं होने दूंगा, उसे खुश रहने का हक है और मैं उसे खुश रखूंगा।" तभी असिस्टेंट ने कहा, "पर बच्चों का क्या?" रोहन गुस्से से बोलते हुए कहा, "कुछ भी करो, कोई भी बच्चा लेकर आओ, लेकिन जब ये होश में आए, तो इसे बच्चा दिखना चाहिए।" ये सुनकर असिस्टेंट ने जाते हुए कहा, "तो क्या हम उन्हें ही वापस ला?" तभी रोहन गुस्से से बात बीच में काटते हुए बोला, "क्या तुम्हें पता नहीं है कि वो यहां नहीं आ सकते? इसलिए तुम कहीं दूसरी जगह से कोई बच्चा लेकर आओ, कोई भी बच्चा चलेगा, बस मेरी बीवी को वो बच्चा देखना चाहिए। उसे एहसास होना चाहिए कि वो उसका ही बच्चा है, क्योंकि अभी उसकी हालत में सुधार करना बहुत जरूरी है।" ये सुनकर असिस्टेंट ने फिर से दिल दिया और वहां से चला गया। इधर रोहन, उसके जाने के बाद, जानवी को अपनी बाहों में भरकर और उसके माथे पर किस करते हुए बोला, "मुझे माफ कर दो, मैं शायद वाकई तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है, इतना गलत कि भगवान भी मुझे माफ ना करें। लेकिन तुम तो इंसान हो, मैं तुमसे माफी की उम्मीद रखता हूं। पर अब ऐसा नहीं होगा, मैं तुम्हें खुशी दूंगा। तुम्हें बच्चा चाहिए ना? मैं तुम्हें बच्चा भी दूंगा। और अब तुम इस बच्चे के साथ खुश रहोगी, मैं तुम्हें कभी कुछ नहीं होने दूंगा, तुम्हें मैं पागल भी नहीं होने दूंगा। तुम मेरी हो, मेरी जिंदगी हो। अगर तुम्हें कुछ हुआ तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगा।" ये सब कहते हुए उसने जानवी को अपने सीने से लगा लिया। आज रोहन की आंखों में एक अजीब सा डर दिखाई दे रहा था, जो कि सिर्फ और सिर्फ जानवी को खोने का था। लगभग 1 घंटे बाद जानवी की आंखें धीरे-धीरे खुली। उसकी आंखें खुली तो उसने एक नजर चारों तरफ देखा, लेकिन तभी उसे अपने साइड में किसी बच्चे के खेल खिलौने की आवाज सुनाई दी। जिसे सुनते ही अचानक से जानवी की आंखें बड़ी हो गईं। उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो एक बकेट के अंदर एक प्यारी सी और छोटी सी बच्ची खिलखिला रही थी। इस वक्त उसके मुंह में उसकी छोटी सी उंगली थी और वो टुकुर-टुकुर जानवी को ही देखे जा रही थी। उसे बच्चों को देखते ही जानवी की आंखों में अचानक से आंसू आ गए और वो तुरंत उसे अपने गोद में उठाते हुए बोली, "क्या ये मेरा बच्चा है? क्या ये वही है?" तभी अंदर आते हुए रोहन ने कहा, "हां, ये हमारी बेटी है और सॉरी, मैंने तुमसे झूठ बोला कि हमें बेटा हुआ था। असलियत तो ये है कि हमें बेटी हुई थी और अब हो तुम इसे प्यार दे सकती हो।" ये सब सुनते ही जानवी ने तुरंत उसे बच्ची को अपने सीने से लगा लिया और बोली, "मुझे फर्क नहीं पड़ता बेटा या बेटी, बस मुझे इतना पता है कि मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। मेरा बच्चा मेरे पास आ गया, मेरा जिगर का टुकड़ा। मैं अभिषेक कभी खुद से दूर नहीं करूंगी। थैंक यू सो मच चौहान, आपने अपना प्रॉमिस निभाया।" जानवी पहले की बातें भूल गई थी कि रोहन ने क्या-क्या कहा था, क्योंकि उसे इंजेक्शन लगाया गया था, जिसे रोहन ने नहीं लगवाया था, जिस वजह से वो पुरानी बातें भूल गई थी। और अब वो उस बच्ची को अपनी बेटी मान चुकी थी और वो बहुत ज्यादा खुश थी। रोहन उसे इस तरह खुश देख मुस्कुराया और जानवी उसे बच्ची को आज पहली बार फीड करने लगी। उसे अपने सीने से ऐसे फिट करते हुए उसे अलग ही सुकून मिलने लगा। और इधर रोहन भी उसे देख बस मुस्कुरा दिया। तभी जानवी ने कहा, "रोहन, हम अपनी बेटी का नाम क्या रखेंगे?" ये सुनकर रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, "जो तुम्हें पसंद हो।" ये सुनकर जानवी ने मुस्कुराते हुए कहा, "रोहन, ये आपकी भी तो बेटी है ना, तो आपको भी कोई नाम सजेस्ट करना चाहिए।" उसके मुंह से खुद की बेटी सुनकर रोहन एक नजर उसे और बच्ची को घूमते हुए देखा, और फिर कुछ सोच कर बोला, "यू आर राइट, ये मेरी बेटी है, तो मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं इसका नाम रखूं।" ये सुनकर जानवी मुस्कुराने लगी। चौहान आगे बढ़ा और उसने उसे बच्ची को अपनी गोद में लिया। चौहान की गोद में आते ही वो बच्ची और भी ज्यादा खेल खिलौने लगे। वो काफी ज्यादा खूबसूरत थी, जिसे रोहन कुछ पल तक देखता रहा। और फिर कुछ सोच कर बोला, "तुम्हारा नाम जानवी है, जो मुझे बहुत पसंद है। तो इसका नाम भी तुम्हारे नाम से ही कुछ सिमिलर होना चाहिए, जो मुझे हमेशा इसके करीब रखें और हमेशा पसंद आए।" ये सुनकर जानवी मुस्कुराते हुए पूरी तरह से खुश हो गई। रोहन ने आगे बढ़ते हुए कहा, "इसका नाम ज़वीरा होगा।" ज़वीरा नाम सुनकर जानवी अपनी आंखें बड़ी करके बोली, "Wow, ये तो काफी ज्यादा खूबसूरत नाम है, मुझे सच में ये नाम बहुत पसंद आया। और यू नो व्हाट, ये नाम मेरे स्टार्टिंग नाम से शुरू होता है और आपके स्टार्टिंग नाम पर खत्म होता है। सच में हमारी बेटी हम दोनों की तरह बनेगी।" ये सुनकर रोहन भी मुस्कुरा दिया और जानवी भी ज़वीरा को देखने लगी, जो अपना नाम सुनकर शायद कुछ ज्यादा ही खुश हो गई थी और खिलखिला रही थी। 18 साल बाद,
18 साल बाद सुबह का वक्त, खुराना पैलेस "बेटा उठ जाओ, अभी तुम और कितना सोगी? क्या तुम भूल गईं आज तुम्हारे कॉलेज का पहला दिन है? तुम्हारा स्कूल का दिन खत्म हो गया। वहां तुम लेट जाती थीं, कोई कुछ नहीं कहता था। पर ये कॉलेज है। अगर तुम यहां लेट जाओगी, तो प्रिंसिपल कंप्लेंट करने लगेंगे। इसलिए प्लीज बेटा, अब तो उठ जाओ।" तभी पीछे से आवाज आई, "उसे थोड़ी देर और सोने दो। अगर वो लेट जाएगी, तो भी उसे कोई कुछ नहीं कहेगा। आखिरकार, वो उस कॉलेज में जा रही है, जहां का सबसे बड़ा ट्रस्टी खुद मैं, यानी रोहन खुराना है।" रोहन की आवाज सुनकर जानवी, जो इस वक्त डिज़्नी और बार्बी थीम वाले कमरे में, राउंड शेप के बेड के पास खड़ी, एक कत्थई 18 साल की लड़की को जगाने की कोशिश कर रही थी, मुड़कर बोली, "रोहन, आपने इसे काफी ज्यादा बिगाड़ दिया है। मुझे लगता है कि आपको इसे थोड़ा-सा नॉर्मल लड़की की तरह भी बड़ा करना चाहिए। हां, मुझे पता है ये खुराना की बेटी है, तो आप इसे बिगाड़ेंगे ही। लेकिन इतना भी मत बिगाड़िए कि ये भूल जाए कि आखिर में 'डाउन टू अर्थ' होना किसे कहते हैं।" रोहन ये सुनकर मुस्कुराया और बेड पर गहरी नींद में, ब्लैंकेट से लिपटी और टेडी बियर के सीने में अपना छोटा-सा चेहरा छुपाए सो रही ज़वीरा को देखकर बोला, "वो मेरी बेटी है। उसे दुनिया की सारी खुशियों का हक है। अब जाओ जाकर ब्रेकफास्ट की तैयारी करो। मैं उसे जगा देता हूं।" ये सुनकर जानवी ने मुंह बनाकर कहा, "ओके। पर आप इसे ज्यादा सोने मत देना, क्योंकि इसके कॉलेज का भी वक्त हो गया है। आज इसके कॉलेज का फर्स्ट डे है। मैं नहीं चाहती कि ये लेट हो। स्कूल में जितनी लापरवाही करती थी, चल जाता था। पर अब कॉलेज में मैं कोई लापरवाही नहीं चाहती।" ये सुनकर रोहन ने बस सिर हिलाया। जानवी वहां से नीचे चली गई। जिसके बाद रोहन ने ज़वीरा के सिल्की लंबे काले बालों में अपना हाथ फेरा और बोला, "बेटा, तुम्हारे कॉलेज का वक्त हो गया है। मुझे पता है तुम सो नहीं रही हो, बल्कि अब जाग चुकी हो। इसलिए प्लीज उठो और जाकर फ्रेश हो जाओ।" रोहन की आवाज सुनकर आखिर में ज़वीरा ने अपना छोटा-सा चेहरा टेडी बियर से बाहर निकाला। उसका चेहरा बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और काफी गोरा था। उसकी बड़ी-बड़ी भूरी आंखें, छोटे-से होंठ, और फूले-फूले गाल उसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे। वो अपनी क्यूट-सी आवाज में बोली, "डैडी, आप मामा को समझाइए ना! वो सुबह-सुबह मुझे इसी तरह जगाने चली आती हैं। और आज मुझे कॉलेज नहीं जाना। आपको तो पता है ना कि मुझे स्कूल और कॉलेज जाने में बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं है।" उसकी बात सुनकर रोहन ने उसे घूरते हुए कहा, "बेटा, ये कैसी बातें कर रही हो? अगर तुम कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से पढ़ाई नहीं करोगी, तो आगे तुम बिजनेस कैसे संभालोगी? मेरा इतना बड़ा एम्पायर है। तुम्हें उसे कहीं ना कहीं तो संभालना ही होगा, ना।" ये सुनकर मुंह बनाते हुए ज़वीरा ने कहा, "इसलिए मैंने कहा था कि एक और बच्चा पैदा कर लीजिए, जिससे कि ये सारी रिस्पॉन्सिबिलिटी मेरे ऊपर ना आए। मैं तो बस प्रिंसेस की तरह घर में बैठना चाहती हूं और पूरी दुनिया घूमना चाहती हूं। पर आप तो मेरे ऊपर अभी से रिस्पॉन्सिबिलिटी डाल रहे हैं। पता नहीं, मुझे जैसी छोटी बच्ची कहां तक क्या-क्या कर पाएगी।" उसकी बात सुनकर एक सेकंड के लिए रोहन के भाव कुछ बदल-से गए। फिर दूसरे ही पल उसने कहा, "ज़वीरा, अब बस! जल्दी से उठकर फ्रेश हो जाओ। मैं तुम्हें खुद कॉलेज ड्रॉप करने जाऊंगा।" ये कहकर वो वहां से बाहर निकल गया। उधर, ज़वीरा बड़बड़ाते हुए बोली, "टेडी, मम्मा के आगे डैड कुछ नहीं कर पाते। लगता है वो भी मम्मा से डरते हैं। लेकिन ज़वीरा बेटा, अब तो तुझे कॉलेज जाना ही पड़ेगा, क्योंकि अब तुझे खुद भगवान भी नहीं बचा सकते।" फिर खुद को संभालते हुए बोली, "कोई बात नहीं। अब जाना तो होगा ही। देखती हूं कॉलेज में क्या होता है। और वैसे भी, मैं किसी से कम नहीं हूं। मैं कॉलेज की मॉनिटर बन जाऊंगी, जैसे स्कूल में बनी थी। उसके बाद सब मेरे अंडर में रहेंगे।" ये कहते हुए वो खुद में ही हंसने लगी और सीधे वॉशरूम में चली गई। थोड़ी देर बाद, डाइनिंग एरिया रोहन हेड चेयर पर बैठा हुआ था। जानवी उसे नाश्ता देते हुए बोली, "रोहन, उसे अच्छे से कॉलेज ड्रॉप कीजिएगा और कॉलेज में भी बात कर लीजिएगा। आपको तो पता है ना कि वो कितनी ज्यादा शैतानियां करती है। और जैसे-जैसे वो बड़ी हुई है, वैसे-वैसे उसकी शैतानियां भी बढ़ गई हैं। मैं नहीं चाहती कि स्कूल की तरह कॉलेज में भी उसकी कोई शिकायत आए।" ये सुनकर रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम इतना टेंशन क्यों लेती हो? अगर वो कुछ करती भी है, तो मैं संभाल लूंगा।" ये सुनकर जानवी चिढ़ते हुए बोली, "यही तो आपकी प्रॉब्लम है। आप हमेशा उसे यही कहकर बढ़ावा देते हैं। इसलिए वो इतनी शैतानियां और मारपीट करती है। लेकिन एक बात कान खोलकर सुन लीजिए, अगर उसने कॉलेज में ऐसा कुछ भी किया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। मैं आपको और आपकी बेटी दोनों को नहीं छोड़ूंगी।" ये कहकर वो अभी चुप हुई थी कि तभी उन्हें आवाज सुनाई दी, "मॉम, अब डैडी को क्यों डांट रही हो? क्या आपको मुझ पर यकीन नहीं है? आपको तो पता है ना, आपकी बेटी कितनी ज्यादा शरीफ, क्यूट, प्यारी-सी और ब्यूटीफुल है। वो तो शैतानियां करती ही नहीं है। यहां तक कि उसे पता ही नहीं कि शैतानियां होती क्या हैं।" उस आवाज को सुनकर रोहन मुस्कुरा दिया। और वहीं, जानवी ने मुंह बनाते हुए सामने की तरफ देखा, जहां इस वक्त ज़वीरा ब्लैक कलर की मिडी ड्रेस, ब्लैक हाई हील्स, अपने कॉलेज बैग के साथ, न्यूड मेकअप किए हुए पूरी तरह रेडी खड़ी थी। उसके पोस्ट गेटअप में वो काफी खूबसूरत लग रही थी। उसे एक पल के लिए देखकर जानवी तुरंत उसके पास जाती हुई बोली, "हे भगवान! इतना रेडी होकर तुम कॉलेज जा रही हो? इतनी खूबसूरत लग रही हो, कहीं तुम्हें किसी की गंदी नजर ना लग जाए।" ये कहकर उसने तुरंत उसके कान के पीछे काला टीका लगा दिया। तो वहीं, ज़वीरा ने मुंह बनाकर कहा, "मॉम, ये आजकल का फैशन है। और वैसे भी मैं खुराना खानदान की बेटी हूं। मैं इतने नॉर्मल तो नहीं दिख सकती ना।" ये कहकर वो खिलखिलाई और सीधे जाकर रोहन की साइड वाली चेयर पर बैठ गई। तभी रोहन ने कहा, "किसी की इतनी औकात नहीं कि वो मेरी बेटी पर गंदी नजर डाल सके। तुम फिक्र मत करो, ये जैसे मर्जी चाहे वैसे बनकर जा सकती है।" ये सुनकर जानवी ने भी आखिर में सिर हिला दिया। इसके बाद ज़वीरा ने ब्रेकफास्ट किया और फिर रोहन उसे लेकर बाहर जाने लगा। तभी जानवी ने जल्दी से उसे दही-चीनी खिलाते हुए कहा, "बेटा, अच्छे से पढ़ाई करना। वहां कोई शैतानियां मत करना। मैं तुमसे आखिरी बार कह रही हूं।" ज़वीरा ने दही-चीनी खाते हुए मुंह बनाकर कहा, "मॉम, मैं कोई जंग पर नहीं जा रही हूं, जो आप मुझे इतनी तैयारी के साथ भेज रही हैं। मैं सिर्फ कॉलेज ही जा रही हूं। और वो कॉलेज भी एक तरह से मेरा ही है, क्योंकि मेरे डैडी वहां के सबसे बड़े ट्रस्टी हैं। तो कोई मुझे वहां जाकर परेशान नहीं कर सकता।" ये सुनकर जानवी बोली, "यही तो मेरी प्रॉब्लम है। वहां कोई तुम्हें तो परेशान नहीं कर सकता, लेकिन तुम सबको परेशान कर सकती हो। जो मैं नहीं चाहती। इसलिए अच्छे से पढ़ाई करना।" ये सुनकर ज़वीरा ने आखिर में स्माइल के साथ सिर हिलाया, जिसके बाद रोहन उसे लेकर सीधे कॉलेज के लिए निकल गया। कुछ ही देर में कॉलेज के बड़े से गेट के बाहर, रोहन ने अपनी लग्ज़री कार रोकी। जैसे ही ज़वीरा बाहर जाने लगी, रोहन ने उसका हाथ पकड़ा और उसके माथे पर किस करके बोला, "अच्छे से पढ़ाई करना। कोई भी प्रॉब्लम हो तो सीधे प्रिंसिपल को बताना, क्योंकि प्रिंसिपल डायरेक्ट मुझे कनेक्ट करेगा।" ये सुनकर ज़वीरा ने स्माइल के साथ कहा, "ओके डैडी, डोंट वरी। मैं सब कुछ हैंडल कर लूंगी।" ये सुनकर रोहन मुस्कुरा दिया और फिर ज़वीरा अपना बैग लेकर कार से बाहर निकली। कुछ ही देर बाद, रोहन अपनी कार लेकर वहां से निकल गया। इधर, ज़वीरा अब कॉलेज के बड़े से गेट को देख रही थी। लेकिन उसे महसूस हुआ कि आसपास आने-जाने वाले लोग सिर्फ और सिर्फ उसे ही घूर रहे हैं। इसमें लोगों की कोई गलती नहीं थी, क्योंकि ज़वीरा ही इतनी ज्यादा खूबसूरत थी कि कोई भी उसे चाहकर भी अपनी नज़रें नहीं हटा सकता था। लड़कों के साथ-साथ वहां अंदर आने-जाने वाली लड़कियां भी ज़वीरा को अजीब नज़रों से घूर रही थीं। ये देखकर ज़वीरा के एक्सप्रेशंस बदल गए। लेकिन वो सभी को इग्नोर करते हुए स्टाइल और एटीट्यूड के साथ सीधे अंदर की तरफ बढ़ गई। Guys story Ko subscribe kar lo jisse ki exclusive chapters iske har roz padhne ko mile!!!
इधर दूसरी तरफ, कॉलेज के एक लेडीज वॉशरूम के अंदर से इस वक्त दो लोगों की गहरी-गहरी सांसों की आवाज आ रही थी और साथ में एक लड़की की सिसकियों की आवाज भी काफी तेज सुनाई दे रही थी। वॉशरूम पूरा खाली था। तभी वॉशरूम के अंदर मौजूद लड़की ने सिसकियां लेते हुए कहा, "हमारी क्लासेस स्टार्ट होने वाली हैं। प्लीज, छोड़ो मुझे। अब मुझे जाने दो। हम ये बाद में कंटीन्यू करेंगे।" इसके जवाब में वो लड़का उसे छोड़ते हुए बोला, "ओके, पर आज रात मेरे घर आना मत भूलना।" ये सुनकर फिर वो लड़की बाहर निकली और मिरर में खुद को देखते हुए बोली, "तुमने कैसी हालत कर दी है मेरी। किस मुंह से मैं क्लास में जाऊंगी। पक्का अगर कोई फीमेल टीचर होगी, तो मुझे देखकर ही समझ जाएगी कि मैं क्या करके आई हूं।" ये सुनकर वो लड़का तिरछा मुस्कुराया और बोला, "तुम्हें इतना फिक्र करने की जरूरत नहीं है। तुम सिर्फ अपने ड्रेस को ठीक कर लो। बाकी सबको पता है कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।" ये सुनकर वो लड़की खुद को मिरर में देखने लगी। वो लड़की काफी खूबसूरत थी, लेकिन इस वक्त उसके कॉलर बोन पर व्हाइट मार्क्स साफ-साफ दिखाई दे रहे थे। उसने अपने कॉलर को ठीक किया और गहरी सांस लेकर बोली, "आदित्य बेबी, शायद आज रात मैं तुम्हारे घर नहीं आ पाऊंगी।" ये सुनकर आदित्य, जो अपने कपड़े ठीक कर रहा था, उसने गुस्से के साथ कहा, "व्हाट! ये तुम क्या कह रही हो?" इसके जवाब में लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, "एक्चुअली, आज मुझे मॉम-डैड के साथ उनके फ्रेंड के यहां डिनर पर जाना है। तो इसलिए आज तो मैं नहीं आ पाऊंगी, लेकिन कल मैं स्टडी के बहाने से जरूर आऊंगी।" ये सुनकर आदित्य ने फिर कहा, "ओके, मैं तुम्हारा वेट करूंगा।" ये कहकर वो चला गया। और इधर वो लड़की वापस से खुद के कपड़े ठीक करके जल्दबाजी में बोली, "तारा बेटा, जल्दी से खुद को ठीक कर लो वरना क्लास शुरू हो गई तो तुम्हारी बहन बच जाएगी और फिर जो ये इलू-इलू तुम कॉलेज में खेल रही हो, इसकी शिकायत घर तक जाएगी। और फिर तुम्हारा कॉलेज जाना भी बंद करवा देंगे।" ये कहते हुए वो बाहर निकली और सीधे क्लासरूम की तरफ जाने लगी। पर तभी किसी ने उसे ठोकते हुए कहा, "एक्सक्यूज मी, क्या आप मुझे बता सकती हैं कि फर्स्ट ईयर की क्लास कहां पर है?" उस लड़की की आवाज सुनकर तारा के कदम रुक गए और वो पीछे मुड़कर उसे देखने लगी। उसे देखते ही तारा के भाव बदल गए। वो हरामखोर अंदाज में बोली, "ओ माय गॉड, तुम तो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत हो। इतनी खूबसूरत लड़की हमारे कॉलेज में कब आई?" ये सुनकर जाविरा ने स्माइल के साथ कहा, "एक्चुअली, क्या आप मुझे बता सकती हैं कि फर्स्ट ईयर की क्लास कहां है? मुझे बहुत लेट हो रहा है।" ये सुनकर तारा ने हंसते हुए कहा, "अरे, मैं भी फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हूं। मैं वहीं जा रही हूं, चलो तो मेरे साथ।" ये सुनकर जाविरा स्माइल के साथ सिर हिलाते हुए उसके साथ चलने लगी। तारा उससे बात करते हुए बोली, "तो तुम यहां पर अभी न्यू स्टूडेंट हो, राइट?" जाविरा ने अपना सिर हिलाते हुए कहा, "हां, मैं अभी-अभी आई हूं। मुझे यहां के बारे में इतना पता नहीं है।" ये सुनकर तारा ने कुछ सोचते हुए कहा, "तो तुम्हें यहां के लीडर ग्रुप के बारे में भी कुछ नहीं पता होगा?" लीडर ग्रुप के बारे में सुनकर जाविरा ने नासमझी में कहा, "नहीं, ये कौन सा ग्रुप है? मैं कुछ समझी नहीं।" इसके जवाब में तारा कुछ पल तक चुप रही और फिर बोली, "कुछ नहीं। वो ग्रुप बहुत ही अच्छा है। वो लोगों की मदद करते हैं। इसलिए नेक्स्ट टाइम से तुम्हें जो भी मदद हो, तुम सीधे उस ग्रुप के पास चली जाना। वो ग्रुप तुम्हें टॉप फ्लोर पर मिलेगा। वो एरिया उन्हीं का है। वहां पर ऐसे तो कोई नहीं जाता, पर हां, अगर किसी को मदद चाहिए होती है, तो वो जरूर जाता है। और वो उनकी मदद करते हैं।" ये सुनकर जाविरा ने भी तुरंत सिर हिलाते हुए कहा, "क्या बात है! क्या कॉलेज में भी ऐसे लोग होते हैं? मैं तो सुना था कि कॉलेज में सिर्फ और सिर्फ रैगिंग होती है, पर ये सुनकर मुझे अच्छा लगा।" इसके जवाब में तारा मुस्कुराते हुए बोली, "अरे, वो सिर्फ कहने की बातें होती हैं। कॉलेज में ऐसा कुछ भी नहीं होता। वैसे, तुम्हें इसके बाद कहीं और भी जाना है?" इसके जवाब में जाविरा ने कहा, "हां, मुझे प्रिंसिपल ऑफिस भी जाना था।" ये सुनकर तारा ने कहा, "ओके, अगर तुम्हें उसकी कोई हेल्प चाहिए तो लीडर ग्रुप के पास चली जाना।" ये सुनकर जाविरा ने चुपचाप सिर हिला दिया। फिर दोनों क्लास में पहुंचीं। क्लास में पहुंचते ही सभी की नजरें जाविरा पर जैसे थम सी गईं, लेकिन जाविरा ने सबको इग्नोर किया और जाकर फ्रंट डेस्क पर बैठ गई। तभी तारा भी उसके पास बैठते हुए बोली, "क्या तुम हमारे साथ कैंटीन लंच के वक्त चलोगी?" ये सुनकर जाविरा अपनी बुक निकालते हुए बोली, "हां, ओके।" तभी एक लड़का जाविरा के पास आते हुए बोला, "हेलो, क्या तुम यहां नई आई हो?" इसके जवाब में जाविरा कुछ कहती, उससे पहले ही तारा ने चिढ़कर कहा, "लड़की देखी नहीं कि लार टपकने लगा! चले जाओ यहां से। वो मेरी दोस्त है, वो तुम्हारी दोस्त नहीं बन सकती। और तुम सबको पता है कि जो मेरे दोस्त होते हैं, वो किसी दूसरे के दोस्त नहीं बनते।" ये सुनते ही सभी क्लास के लड़के एकदम से चुप हो गए और वो लड़का वापस चला गया। लेकिन जाविरा ये सुनकर हैरानी से बोली, "पर हम दोस्त कब बने?" इसके जवाब में तारा अपनी आंखें बड़ी करते हुए बोली, "मैं तुम्हें क्लास तक लेकर आई, क्या हम दोस्त नहीं बन सकते?" इसके जवाब में जाविरा तारा को ध्यान से देखने लगी और फिर बोली, "सॉरी, पर मैं दोस्त नहीं बनती।" ये सुनकर तारा के भाव बदल गए। लेकिन उसने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं, पहले तुम नहीं बनाती होगी, लेकिन अब तो बन सकती हो ना?" ये सुनकर जाविरा ने कुछ सोचकर कहा, "अच्छा ठीक है, अगर तुम रहती हो तो मैं तुम्हें अपना दोस्त एक्सेप्ट कर लेती हूं।" ये सुनकर तारा मुस्कुराई। पर तभी जाविरा ने नासमझी में कहा, "तुम्हारी गर्दन पर कैसा निशान है? ये काफी रेड लग रहा है। क्या तुम्हें रैशेज हो रहे हैं?" ये सुनते ही तारा ने तुरंत अपनी गर्दन पर हाथ रख लिया और जल्दबाजी में बोली, "तुम क्या कह रही हो? क्या तुम्हें इतना भी नहीं पता?" जाविरा ने कंफ्यूजन में कहा, "ये तुम क्या कह रही हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।" तभी तारा ने उसके कान में कहा, "इसे लव बाइट मार्क्स बोलते हैं, पागल लड़की। तुम्हें इतना भी नहीं पता? आखिर तुम्हारी उम्र क्या है? तुम दिखने में तो मेरी उम्र की लगती हो, 18+ हो ना?" ये सुनकर जाविरा ने सिर झुकाते हुए कहा, "हां, मैं अभी कुछ वक्त पहले ही 18 प्लस हुई हूं। पर ये लव बाइट मार्क्स... मुझे इन सब के बारे में कुछ नहीं पता।" ये सुनकर तारा उसे कुछ पल तक देखती रही और फिर हंसते हुए बोली, "इसका मतलब तुम वर्जिन भी हो।" ये सुनते ही एक सेकंड के लिए जाविरा को कुछ समझ नहीं आया और उसने नासमझी में कहा, "अब ये वर्जिन क्या होता है?" तभी तारा ने फ्रस्ट्रेट होकर कहा, "लगता है, मुझे तुम्हें बहुत कुछ समझाना पड़ेगा। लेकिन कोई बात नहीं। सबसे पहले मैं तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड बनाऊंगी। उसके बाद ही तुम्हें सब समझ आ जाएगा, क्योंकि तुम्हें अभी लगता है कुछ भी नहीं पता।" इसके जवाब में जाविरा कुछ कहती, उससे पहले ही टीचर आगे आए और लेक्चर शुरू हुआ। इसके बाद जाविरा पढ़ाई पर ध्यान देने लगी। कुछ देर बाद लेक्चर खत्म हुआ और टीचर वहां से चले गए। जाविरा भी अपनी जगह से उठकर बोली, "मैं प्रिंसिपल ऑफिस जा रही हूं।" तारा उस वक्त फोन में आदित्य से चैटिंग कर रही थी, इसलिए उसने कहा, "हां, जाओ। और हां, कोई हेल्प चाहिए तो लीडर ग्रुप के पास चली जाना।" इसके जवाब में जाविरा ने सिर हिला दिया और वहां से चली गई। पीछे बैठी एक लड़की, "लीडर ग्रुप" का नाम सुनते ही तुरंत तारा से हैरानी के साथ बोली, "तुमने क्या कहा? क्या तुम उसे लीडर ग्रुप के पास भेज रही हो?" ये सुनकर तारा रुक गई और हंसते हुए बोली, "हां, मैं उसके साथ थोड़ा मस्ती करना चाहती हूं।" तभी वो लड़की हिचकिचाते हुए बोली, "लेकिन तारा, तुम्हें पता है ना कि वो लीडर ग्रुप कितना खतरनाक है? खासकर उसका जो लीडर है, वो तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। यहां तक कि प्रिंसिपल भी उससे बात करने से डरते हैं। वो इतना कुछ गलत करता है, पर कोई भी उसके खिलाफ शिकायत नहीं कर पाता। और तुमने उस नई लड़की को सीधे उस लीडर ग्रुप के पास भेज दिया। मुझे लगता है तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।" ये सुनकर तारा ने मुंह बनाते हुए कहा, "काफी वक्त से एंजॉयमेंट नहीं हो रहा था, तो मैंने सोचा क्यों न थोड़ा सा मस्ती कर ली जाए। और तुम फिक्र मत करो। उसमें थोड़ा एटीट्यूड भी है। तुमने देखा नहीं, उसने सबसे पहले मुझे दोस्त बनने से इनकार कर दिया। तो अगर वो उनके पास जाएगी, तो वे सभी उसे उसकी असली औकात याद दिलाएंगे। इसलिए तुम्हें बस मजे लेने चाहिए, मेरी तरह।" ये सुनकर सलोनी आखिर में चुप हो गई। इधर सीता इधर से उधर जाते हुए बोली, "तारा ने मुझे क्या बताया था, वो लीडर ग्रुप मुझे कहां मिलेगा?" तभी उसे अचानक से टॉप फ्लोर पर याद आया और उसने तुरंत कहा, "अरे हां, मुझे याद आया, तारा ने कहा था कि वो लीडर ग्रुप मुझे टॉप फ्लोर पर मिलेगा।" ये सोचकर वो सीधे लिफ्ट की तरफ गई और टॉप फ्लोर की तरफ बढ़ गई। वो टॉप फ्लोर पर पहुंची तो वहां कुछ क्लासेस थीं, लेकिन वो क्लासेस काफी खाली थीं, जैसे वहां पर कोई स्टूडेंट ही आता जाता नहीं था। पर वहां पर एक रूम था, जिसके बोर्ड पर साफ-साफ लिखा था, "डोंट डिस्टर्ब मी।" उस बोर्ड को देखकर जाविरा ने हिचकिचाते हुए कहा, "क्या पक्का, तारा ने मुझे यहीं पर आने के लिए कहा था? पता नहीं क्यों, पर मुझे थोड़ा टेंशन हो रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कुछ तो गड़बड़ है।" लेकिन तभी उसने टाइम देखा और जल्दबाजी के साथ बोली, "अरे नहीं, मुझे प्रिंसिपल ऑफिस भी जाना है, क्योंकि मेरी सेकंड क्लास भी स्टार्ट होने वाली है। Mom ने कहा था कि आज के दिन में कोई गड़बड़ नहीं करूंगी, इसलिए फिलहाल के लिए मुझे जल्दी जाना चाहिए।" ये कहते हुए वो धीरे-धीरे क्लासरूम की तरफ बढ़ गई, जहां पर "डोंट डिस्टर्ब मी" का बोर्ड लगा हुआ था। वो वहां पर पहुंची और उसने धीरे से दरवाजा बिना खटखटाए ही खोल लिया। वो दरवाजा खटखटाने के बारे में इतना नहीं सोच पाई थी, क्योंकि उसे पहले ही लेट हो रहा था। जैसे ही अंदर गई और चारों तरफ देखा, तो वो एक पल के लिए हैरान हो गई। वो एक लग्जीरियस रूम था, लेकिन अंधेरा था। जिसे देखकर जाविरा ने हिचकिचाते हुए कहा, "एक्सक्यूज मी, क्या यहां पर कोई है? प्लीज, मुझे आपकी हेल्प की जरूरत है।" अचानक से उसकी नजर सोफे की तरफ चली गई, और उसे ढूंढने में कुछ दिखाई दे रहा था, जैसे कोई इंसान सोफे पर बैठा हो। ये देखकर जाविरा को थोड़ा राहत मिली, और वो उस तरफ जाते हुए बोली, "थैंक गॉड, कोई है, वरना मुझे तो लग रहा था कि जैसे यहां कोई नहीं होगा। प्लीज, मेरी हेल्प कीजिए, मुझे प्रिंसिपल ऑफिस तक लेकर चलिए।" इसके आगे वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही किसी ने उसकी कलाई को पकड़कर उसे अपने करीब खींच लिया। जाविरा उस इंसान की गोद में जा गिरी और वो जोर से चिल्लाई, "Hey, stop it!" लेकिन इसके आगे वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही किसी ने उसके होठों को बुरी तरह अपने होठों में ले लिया और उसे पैशनेटली, पूरे प्रेशर और जबरदस्ती के साथ किस करने लगा। जाविरा के तो पैरों तले जमीन खिसक गई उस rude and rough kiss को feel करके! कौन है वो जिसने किया जाविरा के साथ ऐसा? क्यों झूठ बोला तारा ने? Guys ye story ab kafi पैशनेट hone जा रही है!!! Hope you will like it!!!
इस वक्त जाविरा के एक्सप्रेशंस पूरी तरह से ब्लैंक हो गए थे। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो किस तरह रिएक्ट करे, क्योंकि वो इंसान, जो अंधेरे में उसे काफी जोर से बीने के बाद चूम रहा था, उसकी वजह से उसकी हालत पूरी तरह खराब हो गई थी। उसे उस इंसान का चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन इतना जरूर महसूस हो गया था कि वो इंसान, जो कोई भी था, काफी ताकतवर था, क्योंकि उसकी पकड़ उसके बाजू पर काफी ज्यादा कसी हुई थी, जिससे उसे दर्द महसूस हो रहा था। जाविरा ने किसी तरह अपने आप को संभाला और पूरी ताकत से उस इंसान को जोर से धक्का दिया। फिर दौड़ते हुए लगभग उस रूम से बाहर निकल गई। दूसरे ही पल वो जोर-जोर से सांस लेने लगी। इस वक्त उसकी आंखों में आंसू थे और उसके होठों पर लगा लिप ग्लॉस पूरी तरह से फैल चुका था। उसके होंठ पूरी तरह सूजे हुए थे, और इस वक्त उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वो सिसकते हुए उस कमरे को देखने लगी, जहां कुछ देर पहले उसके साथ जबरदस्ती की गई थी। उस कमरे को देखकर जाविरा ने रोते हुए कहा, "वो कौन था, और उसने मुझे ऐसे जबरदस्ती क्यों किया? मैं तो यहां पर मदद मांगने आई थी। मुझसे कहा गया था कि यहां पर हेल्प मिल जाएगी, लेकिन यहां तो मेरे साथ कुछ और ही हो गया। मुझे तारा से बताना होगा, शायद वही मेरी हेल्प करे। और ये जो कोई भी था, इसे तो मैं सजा दिलवाकर ही रहूंगी। इसे पता नहीं है, इसने जाविरा खुराना को जबरदस्ती किस किया है। इसकी सजा तो इसे मिलेगी!" ये सब कहते हुए जाविरा रोते हुए तुरंत वहां से नीचे की तरफ आई। वो पहले वॉशरूम की तरफ जाने लगी। अभी भी उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। लेकिन तभी वो किसी से टकरा गई। जाविरा तुरंत आगे बढ़ते हुए बोली, "आई एम सो सॉरी।" लेकिन तभी वो इंसान, जो कोई और नहीं बल्कि तारा थी, ने जाविरा को तुरंत पकड़ लिया और कहा, "जाविरा, व्हाट हैपन्ड? तुम ठीक तो हो?" इस वक्त तारा अपनी कुछ दोस्तों के साथ थी। जाविरा ने जब तारा की आवाज सुनी, तो वो रुक गई और तुरंत तारा को पकड़कर रोने लगी। तारा को एक पल के लिए कुछ समझ नहीं आया। उसकी बाकी दोस्त भी जाविरा को हैरानी से देखने लगीं। तभी तारा ने कहा, "जाविरा, क्या हुआ तुम्हें? तुम ठीक तो हो? तुम रो क्यों रही हो? तुम तो ऊपर हेल्प मांगने गई थी ना, लीडर ग्रुप से? तो क्या हुआ?" ये सब सुनकर जाविरा ने सिसकते हुए कहा, "तारा, तुमने कहा था कि वो मेरी हेल्प करेंगे, पर वो तो बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं।" तारा के चेहरे पर एक अनदेखी स्माइल आ गई। लेकिन वो जाविरा को संभालते हुए मासूमियत से बोली, "क्यों, जाविरा, क्या हुआ? आखिर ऐसा क्या कर दिया उन्होंने तुम्हारे साथ? कहीं उन्होंने तुम्हें हरास तो नहीं किया ना?" ये कहते-कहते तारा की नजर अचानक से जाविरा के होठों पर चली गई। उसके होंठ कुछ अलग दिखाई दे रहे थे, जिसे देखकर तारा को थोड़ा कंफ्यूजन हुआ। लेकिन तभी जाविरा ने खुद रोते हुए कहा, "नहीं, वो बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। तुमने कहा था कि वो सबकी मदद करते हैं, पर जब मैं वहां गई तो वहां मेरे साथ जबरदस्ती हुई। उसने मेरे साथ जबरदस्ती किस किया। मैं किसी तरह खुद को छुड़ाकर वहां से भाग गई। वो लोग आखिर हैं कौन, जो किसी के साथ भी इस तरह की जबरदस्ती कर सकते हैं?" जैसे ही सभी ने ये सुना कि जाविरा को वहां जबरदस्ती किस किया गया, सब बिल्कुल शॉक्ड रह गए। तारा भी काफी ज्यादा हैरान थी। उसने तुरंत अपने दोस्तों की तरफ देखते हुए कहा, "क्या? क्या सच में उसने तुम्हें किस किया?" इसके जवाब में जाविरा ने रोते हुए कहा, "हां! जब मैं अंदर गई, तो वहां पूरा अंधेरा था। लेकिन सोफे पर कोई एक इंसान बैठा था। मैंने सोचा कि मैं उसके पास जाकर मदद मांगूंगी। लेकिन जैसे ही मैं उसके करीब गई, उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और फिर..." ये कहते-कहते वो फिर से रोने लगी। ये सब सुनकर तारा हैरानी के साथ अपने दोस्तों से धीरे से बोली, "अनबीलिवेबल! क्या सच में उसने इसे किस किया? पर जहां तक हम सब जानते हैं, वो इंसान लड़कियों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं रखता। मैंने खुद कितनी बार उसकी गर्लफ्रेंड बनने की कोशिश की, पर उसने हमेशा मुझे रिजेक्ट किया। और ऐसा दिखता है जैसे उसे लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं है। पर वो जाविरा को किस कैसे कर सकता है? आखिर ये चल क्या रहा है? मुझे उससे बात करनी पड़ेगी।" तभी उसकी एक दोस्त ने कहा, "लेकिन फिलहाल के लिए इसे समझाना पड़ेगा और ये भी कहना पड़ेगा कि अभी इस बारे में किसी से कुछ न बताए, वरना हंगामा हो जाएगा। सभी इसे ज्यादा इंपॉर्टेंस देने लगेंगे, क्योंकि इसे उस इंसान ने किस किया है जो किसी लड़की की तरफ देखता भी नहीं। और फिर तुम्हारा जो रुतबा और एटीट्यूड है, वो सब कम हो जाएगा।" ये सुनते ही तारा के भाव बदल गए। वो गुस्से से बोली, "हरगिज़ नहीं! इस कॉलेज में हमेशा से मेरा रुतबा और एटीट्यूड था और हमेशा रहेगा। किसी आज की आई लड़की की वजह से वो कम नहीं होगा।" ये कहते हुए वो अब जाविरा को देखने लगी, जो अभी भी सिसक-सिसककर रो रही थी। तारा ने एक्टिंग के साथ मुस्कुराकर कहा, "जाविरा, तुम भी ना... तुम सच में अभी बहुत ज्यादा मासूम हो। सही कहा था तुमने, तुम वाकई इन सबके बारे में कुछ नहीं जानती। तुम अब कॉलेज में हो, किसी स्कूल में नहीं। और तुम अब एडल्ट हो गई हो। ये किसिंग तो बिल्कुल नॉर्मल सी बात है। तुम्हें इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। और तुम प्रिंसिपल के ऑफिस जाना चाहती थी ना? चलो, मैं तुम्हें लेकर चलती हूं।" ये कहकर उसने जाविरा का हाथ पकड़ा और उसे लेकर जाने लगी। जाविरा भी ये सुनकर कुछ समझ नहीं पाई और हैरानी से बोली, "तो क्या ये इस कॉलेज में होता रहता है? क्या जिसने मुझे किस किया, वो हमेशा सबको किस करता रहता है?" ये सुनकर तारा ने मन ही मन गुस्से के साथ कहा, "अफसोस की बात है कि तुम सबसे ज्यादा लकी हो कि उस इंसान ने तुम्हें छुआ है और तुम्हारे होठों को टच किया है। वरना वो किसी लड़की को टच तक नहीं करता।" लेकिन उसने बाहर से मुस्कुराते हुए कहा, "हां, एक्जैक्टली। वो तो उस ग्रुप का लीडर है, जो हमेशा लड़कियों को किस करता रहता है। इन फैक्ट, वो तो लड़कियों के साथ फिजिकल रिलेशन भी बनाता है। लेकिन अब तुम उससे दूर रहना। क्या पता आज किस हुआ है, कल तुम्हारे साथ भी वो सबकुछ हो जाए।" ये सुनते ही जाविरा ने गुस्से से कहा, "नहीं! बिल्कुल भी नहीं! ऐसा कुछ भी नहीं होगा। मैं अपने साथ उसे इंसान को कुछ भी नहीं करने दूंगी। मैं प्रिंसिपल से शिकायत करूंगी। मैं अपने डैडी से शिकायत करूंगी।" ये सुनकर तारा ने मुस्कुराकर कहा, "मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि उस इंसान का ना तो प्रिंसिपल कुछ कर सकता है और ना ही तुम्हारे घरवाले। वो सबसे ऊपर है। एक तरह से सब उससे डरते हैं। इसलिए इसका कोई फायदा नहीं है। बस इतना ही समझो कि तुम उससे दूर रहो। वरना वो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता है। और फिर तुम्हारे मॉम-डैड भी कुछ नहीं कर पाएंगे।" ये सुनकर जाविरा थोड़ी डर गई और हिचकिचाते हुए बोली, "तो इसका मतलब, आज जो उसने मेरे साथ जबरदस्ती किस की, उसके बारे में मैं किसी को ना बताऊं?" इसके जवाब में तारा ने कहा, "हां, बिल्कुल। तुम इसके बारे में किसी से मत बताना। ये तुम्हारी भलाई के लिए है, वरना तुम्हारे साथ और भी कुछ हो सकता है। और तुम तो अभी बहुत अनजान हो। तुम्हें तो ठीक से ये भी नहीं पता कि फिजिकल रिलेशन या वर्जिनिटी क्या होती है।" ये सब सुनकर जाविरा ने उदासी के साथ अपना सिर नीचे झुका लिया और बोली, "ऐसा इसलिए है क्योंकि आज तक मेरा कभी कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना। और ना ही मैंने कोई मेल बेस्ट फ्रेंड बनाया है। मेरे डैडी बहुत स्वीट हैं। वो कभी किसी लड़के को मेरे पास भी नहीं आने देते। इसलिए मेरी सब गर्ल्स बेस्ट फ्रेंड हैं, वो भी ऐसी जो सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देती हैं।" ये सब सुनकर तारा हैरानी के साथ बोली, "आर यू सीरियस? क्या आज तक तुम्हारा कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है? तुम किस जनरेशन में जी रही हो? मुझे देखो, मैं बॉयफ्रेंड तो कपड़े की तरह चेंज करती हूं। और आज जिससे तुमने किस किया है—" तभी जाविरा गुस्से से बोली, "मैंने उसे किस नहीं किया! उसने मुझे किस किया। मैंने तुमसे बताया तो!" ये सुनकर तारा ने जल्दी से कहा, "अरे, वही मेरे कहने का मतलब है। जिसने तुम्हें किस किया है, मैं उसके साथ भी सो चुकी हूं। वो मेरा भी बॉयफ्रेंड रह चुका है।" ये सुनकर, पता नहीं क्यों, पर जाविरा को अंदर ही अंदर काफी बुरा लगा। और वो हिचकिचाते हुए बोली, "तो इसका मतलब, वो अच्छा लड़का नहीं है? पर तुमने तो कहा था कि वो सबकी मदद करता है।" इसके जवाब में तारा ने कहा, "हां, मैंने कहा था। लेकिन मुझे लगा कि वो बदल गया होगा। पर वो आज भी वैसा ही प्लेबॉय टाइप का है। तो तुम मेरी दोस्त हो, इसलिए मैं तुम्हें समझा रही हूं कि उससे दूर रहना। वो कॉलेज की हर लड़की के साथ सो चुका है। वो हर वक्त लड़कियों के आगे-पीछे घूमता रहता है। वो तो हर रात लड़कियों को अपने बेड पर चाहता है। मैं भी उसके साथ सो चुकी हूं। और अगर तुम उसके आसपास भी गईं, तो वो तुम्हारे साथ भी कुछ गलत कर सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा उससे दूर रहना। और ये किसिंग वाली बात अपने दिमाग से भी निकाल दो।" ये सब सुनकर जाविरा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसने अपना सिर नीचे झुका लिया और उदासी के साथ बोली, "मैं कितनी अनलकी हूं ना? ये लाइफ की मेरी पहली किस थी। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी लाइफ की पहली किस उस लड़के के साथ हो रही है, जो पहले ही सबके साथ सो चुका है।" ये सुनकर तारा तिरछा मुस्कुरा कर बोली, "मैं तुम्हारी प्रॉब्लम समझ सकती हूं। लेकिन तुमने सुना नहीं है, लाइफ अनप्रिडिक्टेबल होती है। कब क्या हो जाए, कुछ समझ नहीं आता। तो अब उस पर ध्यान मत दो। और ये रहा तुम्हारा प्रिंसिपल ऑफिस।" ये कहते हुए उसने सामने की तरफ इशारा किया। तो वहीं जाविरा भी ये सुनकर अपना सिर लाती और अंदर चली गई। इधर उसके जाने के बाद तारा ने हंसते हुए कहा, "थैंक गॉड! मैंने इस लड़की के दिमाग में ये सारी बातें भर दीं। अब ये लड़की मेरे तिमिर के आसपास भी नहीं जाएगी। तो तिमिर सिर्फ और सिर्फ मेरा है। बेशक उसने मुझे अभी तक एक्सेप्ट नहीं किया। बेशक वो लड़कियों को देखता तक नहीं। लेकिन कुछ भी हो, एक दिन मैं उसे अपना बना कर रहूंगी। पर उसने अभी जाविरा को किस किया है, मैं इसके बारे में भी उससे बात करूंगी। जब वो लड़कियों को देखता नहीं, उनके करीब नहीं जाता, तो वो ऐसे अनजान लड़की को किस कैसे कर सकता है?" ये कहते हुए तारा की आंखों में गुस्सा आ गया, और वो सीधे टॉप फ्लोर की तरफ बढ़ गई। वो वहां पहुंची तो उसने दरवाजा खटखटाया। तभी अंदर से आवाज आई, "Who is this?" लेकिन तारा सीधे अंदर की तरफ आ गई। अंदर एक लड़का सोफे पर बैठा फाइल पढ़ रहा था, जिसमें कुछ नोटिस भी मौजूद थे। तारा उसे देखते ही बोली, "तिमिर कहां है?" तारा की आवाज सुनकर सोफे पर बैठा विहान उसे गुस्से से घूरते हुए बोला, "मुझे समझ नहीं आता, तुम मेरे दोस्त का पीछा कब छोड़ोगी? जब वो तुम्हें भाव नहीं देता, तो तुम क्यों उसके आगे-पीछे घूमती रहती हो?" ये सुनकर तारा दांत पीसते हुए बोली, "देखो विहान, मुझे साफ-साफ बताओ तिमिर कहां है। मैं उससे मिलने आई हूं।" विहान ने मुंह बनाते हुए कहा, "वो स्मोक कर रहा है।" ये सुनते ही तारा सीधे बालकनी की तरफ बढ़ गई। वो जैसे ही बालकनी में पहुंची, सामने का नजारा देखकर एक पल के लिए उसकी सांसे मानो थम सी गईं।
तिमिर को देखते ही एक पल के लिए तारा की जैसे हार्टबीट बिल्कुल बढ़ गई हो, क्योंकि इस वक्त तिमिर शर्टलेस था। उसके जो 8 पैक एब्स थे, वे साफ-साफ विजिबल हो रहे थे, जिससे उसकी बॉडी काफी ज्यादा हॉट और अट्रैक्टिव लग रही थी। तारा उस वक्त उसे देखकर पागल हो सकती थी, और वही हाल उसका भी था। वो इस वक्त तिमिर को ऐसे देखकर पागल हो चुकी थी। वो दूसरे ही पल तिमिर की तरफ बढ़ी और उसने तिमिर के चेस्ट को और उसके 8 पैक एब्स को टच करते हुए कहा, "तिमिर, यू नो व्हाट, you are insane! तुम इतनी ज्यादा अट्रैक्टिव और हॉट हो कि मैं तुम्हारे लिए पागल हो रही हूं। क्या तुम कभी मुझे मौका नहीं दोगे अपने आप को ऐसे टच करने का?" ये कहते हुए वो उसे और भी ज्यादा टच कर पाती, उससे पहले ही तिमिर ने उसके हाथ को बीच में ही रोक दिया और गुस्से के साथ उसके हाथ पर अपनी सिगरेट की बट रख दी। तारा दर्द में बिल्कुल चिल्ला उठी। दर्द से वो तड़पने लगी और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उसका हाथ उस एरिया पर जल चुका था। वहीं, तिमिर बेरहमी से उस एरिया को मसलते हुए दांत पीसकर बोला, "मुझे टच करने की कोशिश भी मत करना। ये तुम्हारी सजा है जो तुमने मुझे बिना मुझसे पूछे टच किया है।" ये कहते हुए उसने उसके हाथ को दूर झटक दिया। तारा अपना हाथ पकड़कर रोते हुए बोली, "तिमिर, तुम इतनी ज्यादा हार्टलेस और बेरहम कैसे हो सकते हो? मैं कितनी ज्यादा हॉट और खूबसूरत हूं। मैं ही वो लड़की हूं जो हमेशा तुम्हें अप्रोच करती रहती हूं, लेकिन तुम कभी मुझ पर ध्यान ही नहीं देते। और तो और, जब भी मैं तुम्हारे करीब आने की कोशिश करती हूं, तो तुम मुझे ऐसे टॉर्चर करते हो। तुम ऐसा क्यों करते हो, तिमिर? क्या तुम्हें सच में मुझसे कोई प्यार नहीं है? तिमिर, मैं वाकई तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनना चाहती हूं, लेकिन तुम मुझसे ऐसे बिहेव करते हो, जैसे कि मैं तुम्हारी लाइफ में एक्जिस्ट ही नहीं करती।” तिमिर ने गुस्से से कहा, "तो तुम्हें क्या लगता है, तुम वाकई मेरी लाइफ में एग्जिस्ट करती हो? नहीं, बिल्कुल भी नहीं। You are nothing to me. तुम्हें पता नहीं ये बात कब समझ आएगी, लेकिन मैं तुम जैसी प्ले गर्ल को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता। मुझे तुम जैसी लड़कियों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है। You know what? मुझे वर्जिन लड़कियां पसंद हैं। मुझे सिर्फ वर्जिन लड़कियां ही पसंद हैं। So just shut up and get lost from here." ये कहकर वो वहां से अंदर चला गया। वहीं, तारा की आंखें गुस्से से बिल्कुल लाल हो गईं। पहले उसके हाथ में जलन की तरह दर्द हो रहा था, और अब तिमिर की ऐसी बात सुनकर वो दांत पीसते हुए उसके पीछे गई। उसने गुस्से से कहा, "क्या सच में तुम्हें वर्जिन लड़कियां पसंद हैं? तो फिर आज तुमने जो उस नई स्टूडेंट के साथ किया, वो क्या था? तुम वैसे तो किसी को छूट नहीं देते और न ही किसी लड़की को अपने पास आने देते हो। तो फिर ऐसा क्या हुआ था जो तुम उस नई स्टूडेंट को जबरदस्ती किस करने लगे? क्या तुम मुझे कुछ बता सकते हो?" ये सुनते ही वहां मौजूद विहान शॉक्ड हो गया। वहीं, तिमिर के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं आए। तभी विहान हड़बड़ाते हुए बोला, "क्या, तारा? ये तुम क्या कह रही हो? क्या सच में हमारे तिमिर ने ऐसा किया? Unbelievable! मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है।" तभी तारा गुस्से से बोली, "मुझे खुद उस लड़की ने बताया।" तभी तिमिर ने बिना किसी भाव के कहा, "तो इसका मतलब वो तुम थी।जिसने उसे इस कमरे में भेजा था, ये सुनते ही अचानक से तारा के एक्सप्रेशंस बदल गए। वो तुरंत अपनी नज़रें चुराते हुए बोली, "ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं उसे यहां क्यों भेजूंगी?" तभी विहान उसे शक भरी नज़रों से देखते हुए बोला, "Are you sure? क्योंकि सबको पता है कि तुम उस नई स्टूडेंट को कितना ज्यादा बुली करती हो।" ये सुनकर तारा ने तुरंत हड़बड़ाते हुए कहा, "नहीं! ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने तो बस उसे प्रिंसिपल ऑफिस के बारे में बताया था। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानती। और अब वो पता नहीं कैसे यहां चली आई, मुझे बिल्कुल आइडिया नहीं है।" तिमिर वॉशरूम की तरफ जाने लगा। उसे ऐसे जाते देख, तारा फिर से उसके पास जाते हुए बोली, "तिमिर, देखो! तुम पहले मेरी बातों का जवाब दो। साफ-साफ बताओ कि तुमने उस लड़की को किस क्यों किया?" विहान फिर से हैरान हो गया और हैरानी के साथ बोला, "तिमिर, मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है। तुम तो किसी लड़की को भाव नहीं देते, तो फिर उस नई स्टूडेंट में ऐसा क्या था जिसे तुमने डायरेक्ट अपने मुंह लगा लिया?" तभी तिमिर गुस्से के साथ बोला, "ये मेरा पर्सनल मैटर है। इसमें मैं किसी की इंटरफेरेंस नहीं चाहता। इसलिए तुम दोनों सिर्फ अपने काम से मतलब रखो, that's it." ये कहकर तिमिर वॉशरूम में चला गया। इधर तारा और विहान एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। तभी तारा ने गुस्से के साथ कहा, "विहान, तुमने देख लिया ना? तुम्हारा ये लीडर दोस्त कैसे मेरी बातों को अवॉयड कर रहा है! इसका मतलब मैं जो कह रही हूं, वो सच है, और वो जो लड़की कह रही थी, वो भी सच था। इसने उस लड़की को किस किया है। अब मुझे नहीं पता इसने उस लड़की में क्या देखा, पर ये बहुत बड़ी बात है। तुम समझ रहे हो ना?" तभी विहान ने कहा, "तारा, I think मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ी बात है। वो 19 साल का होने वाला है, और वो जो मर्जी चाहे, कर सकता है। तुम्हें पता है ना कि कोई भी उसके खिलाफ नहीं जा सकता और ना ही कोई उसे सिखा सकता है। सो, मुझे नहीं लगता कि हमें उसकी लाइफ में इतना ध्यान देना चाहिए। और तुम्हें भी अपनी लाइफ पर ध्यान देना चाहिए। वैसे मैंने सुना है कि आजकल तुमने बॉयफ्रेंड भी बना लिया है और उससे काफी ज्यादा सैटिस्फाइड रहती हो। तो फिर तिमिर के पीछे क्यों पड़ी हो? उसे जाने दो और अपनी लाइफ जीने दो।" ये कहकर वो वापस से अपने फोन में गेम खेलने लगा। वहीं तारा ये सब सुनकर दांत पीसते हुए बोली, "ओके, फाइन! मैं अभी के लिए यहां से जा रही हूं। लेकिन याद रखना, तिमिर, तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे हो और मेरे ही रहोगे।" ये कहकर वो वहां से चली गई। इधर आज की सारी क्लासेस खत्म हो गई थीं, और जाविरा अब कॉलेज से बाहर निकल रही थी। लेकिन उसके दिमाग में अभी भी उस अनजान इंसान का चेहरा घूम रहा था, जिसे वो ठीक से देख नहीं पाई थी, जिसने आज उसके साथ जबरदस्ती किस किया था। तभी उसके सामने उसकी कार आकर रुकी। वो कार में बैठी और वहां से निकल गई। लेकिन उसके जाते ही एक लग्ज़री मर्सिडीज़ कार रुकी और उसका दरवाजा खुला। तिमिर सीधे अपने सख्त और कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ उसमें बैठ गया। वो कार भी उसी दिशा में चल पड़ी। रेड लाइट ऑन हो गई थी, जिससे सभी कारें लाइन में रुक गई थीं। जाविरा की कार भी रुक चुकी थी। पर जाविरा का ध्यान इस वक्त अपने फोन पर था। वो अपने फोन में कुछ कर रही थी। वहीं, उसकी कार के ठीक साइड में वही मर्सिडीज़ बेंज आकर रुकी, जिसमें तिमिर मौजूद था। तिमिर अपनी आंखों पर डार्क गॉगल्स लगाए विंडो से बाहर देख रहा था। तभी उसकी नजर सामने की विंडो पर गई और जाविरा को देखते ही उसके एक्सप्रेशंस गहरे हो गए। जाविरा का ध्यान अभी भी अपने फोन पर था, लेकिन उसे बेचैनी महसूस हुई। उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसे बहुत गहरी नजरों से देख रहा हो। इस वजह से उसने तुरंत अपना सिर उठाया और उसकी नजर तिमिर की नजरों से मिल गई। लेकिन जाविरा तिमिर को नहीं जानती थी, इसलिए उसने कुछ सेकंड तक तिमिर को देखा और फिर उसे इग्नोर कर दिया। वो वापस अपने फोन में काम करने लगी। ये देखकर तिमिर के चेहरे पर एक तिरछी स्माइल आ गई। उसने अपनी आंखें बंद कीं, सीट से टिकते हुए बोला, "तो अभी तुम्हें मेरे बारे में कुछ नहीं पता। तुम पहली लड़की हो, जिसे मैंने मुंह लगाया है। अब तुम्हारे साथ खेलने में मुझे बहुत मजा आने वाला है।" ये कहते हुए वो जोर-जोर से हंसने लगा, और उसकी कार वहां से निकल गई। इधर जाविरा की कार घर के बाहर रुकी। जाविरा अपने फोन को लेकर कार से बाहर निकल रही थी कि तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया। वो मैसेज एक अननोन नंबर से था। जैसे ही उसने मैसेज देखा, अचानक से जाविरा के भाव बदल गए। वो घबराकर बोली, "ये फोटो तो आज क्लासरूम की है, जहां उस लड़के ने मुझे जबरदस्ती किस किया था! पर ये फोटो किसने भेजी है? मेरे पास... नहीं, ऐसा नहीं हो सकता!" अभी वो इसके आगे कुछ कह पाती कि तभी उसे फिर एक मैसेज आया। उसमें लिखा था "अगर तुम नहीं चाहती कि ये फोटोज़ पूरे कॉलेज में वायरल करूं, तो कल कॉलेज टाइम पर आ जाना। और उसी कमरे में आना, जहां हमने पहली बार किस किया था। क्योंकि अब मैं तुम्हें दोबारा भी किस करना चाहता हूं।" इस मैसेज को पढ़ते ही जाविरा का चेहरा पूरा सफेद पड़ गया, और वो बस अपने फोन को ही देखते रह गई।
इस वक्त जाविरा के एक्सप्रेशन पूरी तरह से सफेद पड़ चुके थे, उसे इस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिर करें तो क्या करें। उसने खुद से कहा, "वो इंसान मेरे पास ऐसे मैसेज कैसे कर सकता है? और तो और, उसे मेरा नंबर कहां से मिला? ये सब कुछ क्या हो रहा है मेरे साथ? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है, लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है। तो क्या वो सच में मेरे साथ सब कुछ फिर से करना चाहता है? मैं ये सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकती। नहीं, मुझे कुछ ना कुछ करना पड़ेगा, मुझे यहां से जाना ही होगा और अपनी डैडी से बताना होगा।" हां, क्योंकि वो मेरे डैडी हैं... लेकिन ये कहते-कहते वो रुक गई और खुद से बोली, "अरे नहीं, अगर मैंने डैडी से बताया तो वो बहुत ही ज्यादा वायलेंट हो जाएंगे, और कहीं वो मुझे वापस से हॉस्टल ही ना भेज दें। अब मैं क्या करूं? मैं कैसे हैंडल करूं? मुझे क्या करना चाहिए? मेरा पूरा दिमाग ही ब्लैक हो गया है। वो इंसान मुझे ऐसे ब्लैकमेल नहीं कर सकता, मैं खुद को ऐसे ब्लैकमेल करवाते हुए नहीं देख सकती।" अंदर वो पहुंची तो उसकी नजर रोहन पर पड़ गई, जो सोफे पर बैठे लैपटॉप में काम कर रहे थे। ये देखकर जाविरा दौड़ते हुए रोहन की गोद में जाकर बैठ गई और उसके सीने से लगकर बोली, "डैडी, मैंने आपको बहुत मिस किया।" प्यार से रोहन ने उसे सीने से लगाते हुए कहा, "क्या हुआ? आज कॉलेज में तुम्हें मजा नहीं आया?" ये सुनकर अपना सिर झुका कर जाविरा ने कहा, "नहीं, मजा तो आया, बट मुझे आपकी याद भी बहुत आई।" तभी जानवी आते हुए बोली, "हां, मैं समझता हूं, क्योंकि ये पहली बार था जब तुम ऐसे कॉलेज गई हो, तो इसलिए तुम्हें अजीब लग रहा होगा, लेकिन मैं तुम्हारा फेवरेट सूजी का हलवा बना चुकी हूं। तुम जाओ, जाकर फ्रेश होकर आओ, मैं तब तक सर्वे करती हूं।" ये सुनकर जाविरा के चेहरे पर स्माइल आ गई और उसने अपना सिर झुका लिया। वो सीधे कमरे में गई। तभी रोहन ने उसे जाते देखा, जानवी से कहा, "ये कुछ बदली हुई लग रही है, सब कुछ ठीक तो होगा ना?" ये सुनकर दूसरे ही पल जानवी ने कहा, "आप तो बेवजह ही परेशान हो रहे हैं। जाहिर सी बात है, वो फर्स्ट टाइम कॉलेज गई है और वहां पर उसे काफी सारे नए लोग मिले होंगे, इसीलिए ऐसा हो रहा होगा। आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।" ये सुनकर रोहन ने भी फिर अपना सिर झुका लिया, जिसके बाद जानवी वहां से चली गई। इधर रोहन अभी भी बैठा हुआ था कि तभी उसका फोन बजने लगा। उसने अपना फोन देखा तो उसके एक्सप्रेशंस बदल गए। उसने कॉल पिक की और सख्त आवाज में बोला, "व्हाट हैपेंड?" उधर से आवाज आई, "वो कहीं गायब हो गए हैं।" ये सुनते ही रोहन के एक्सप्रेशंस बदल गए, वो गुस्से के साथ बोला, "क्या मतलब है कि वो गायब हो गया है? ये क्या बकवास कर रहे हो तुम? आखिर मैंने तुम्हें उसकी जिम्मेदारी दी थी?" इसके जवाब में उस इंसान ने कहा, "हां, मैं समझता हूं, लेकिन वो मिल नहीं रहे हैं, हमें समझ नहीं आ रहा है, हम उन्हें कहां ढूंढे?" तो रोहन दांत पीसते हुए बोला, "एक बात कान खोलकर सुन लो, वो जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए, क्योंकि अब वक्त आ गया है जब मैं उसे दुनिया वालों के सामने लेकर आऊं। अगर उसे गलती से भी कुछ हुआ तो मैं किसी को जिंदा नहीं छोड़ूंगा।" इसी के साथ उसने कॉल कट कर दिया। तो वहीं दूसरी तरफ जाविरा इस वक्त को मिरर में देख रही थी। उसकी नजर उसके होठों पर गई, और उसने महसूस किया कि अपने होठों पर अभी भी उसे उस इंसान के होठों का टच महसूस हो रहा था। जिस वजह से वो काफी ज्यादा बेचैन होने लगी। उसने खुद से कहा, "उस इंसान ने मेरी लाइफ की फर्स्ट किस ले ली, और वो खुद एक प्लेबॉय निकला। क्या मेरी किस्मत इतनी खराब है कि मुझे उस इंसान ने टच किया, जो पहले ही सभी लड़कियों को टच कर चुका है? मैंने क्या-क्या सोचा था, मैंने सोचा था मैं कॉलेज जाऊंगी तो फाइनली एक ऐसा बॉयफ्रेंड बनाऊंगी, जो सिर्फ मुझ तक रहे, जो सिर्फ मुझसे प्यार करे, बाकी लड़कियों से कुछ भी फर्क ना पड़ता हो। लेकिन मुझे ऐसे इंसान ने टच कर लिया, जो एक नंबर का प्लेबॉय है। उसे इंसान को छोड़ेगी नहीं, और उसे क्या लगता है, वो मुझे ब्लैकमेल करेगा और मैं बस उसकी बातें सुनती रहूंगी? हरगिज नहीं, मैं उसके ब्लैकमेलिंग का जवाब मुंह तोड़ दूंगी। उसे क्या लगता है, वो मुझे आसानी से ब्लैकमेल कर लेगा? मैं जाविरा खुराना हूं, मुझे कोई भी ब्लैकमेल नहीं कर सकता। आई जस्ट हेट हिम।" ये कहते हुए वो गुस्से के साथ वॉशरूम में चली गई। अगली सुबह कॉलेज में, जाविरा इस वक्त अपने इंडेक्स पर चुपचाप बैठी हुई थी। वो अपने नोट्स में कुछ लिख रही थी, तभी तारा उसके पास आकर बैठी और मुस्कुरा कर बोली, "क्या बात है, आज तुम तो ज्यादा ही पहले आ गई हो?" ये सुनकर जाविरा ने मन में कहा, "हां, क्योंकि मुझे उस इंसान ने बुलाया था, मुझे अभी भी घबराहट हो रही है। अगर मैं पहले नहीं आती तो..." वो इंसान शायद हमारे किसिंग फोटोस को वायरल कर सकता था, इसलिए मुझे आना पड़ा। उसे खुद में डूबा हुआ देखकर तारा ने फिर से कहा, "व्हाट हैपेंड? क्या सोच रही हो तुम? क्या तुम कल के बारे में सोच रही हो? देखो, मैंने कहा ना भूल जाओ जो कुछ भी हुआ, तुम्हें इतना सोचने की जरूरत नहीं है।" ये सुनकर जाविरा ने अपना सिर झुका लिया। तभी उसने कुछ सोचते हुए कहा, "वैसे वो जो लीडर ग्रुप था, वो कैसे लोग हैं? आई मीन, जैसा कि तुम जानती हो कि उसने मुझे जबरदस्ती किस किया, तो वो अच्छे तो नहीं हो सकते ना? और मैं उसका चेहरा भी नहीं देख पाई, कौन है वह?" इसके जवाब में तारा गुस्से के साथ कहा, "मुझे खुद भी यकीन नहीं हो रहा है कि तिमिर ने तुम्हें किस किया, लेकिन मैं इतनी आसानी से ये सब कुछ होने नहीं दे सकती।" सोचते हुए उसने मुस्कुरा कर कहा, "वैसे तो वो काफी ज्यादा हैंडसम है, पर जैसा कि मैंने बताया था कि वो एक प्लेबॉय है, तो तुम्हें उसके लिए कुछ भी फील करने की जरूरत नहीं है।" ये सुनकर जाविरा ने अपना सिर नीचे झुका लिया। तभी वहां पर कुछ स्टूडेंट्स आकर जल्दबाजी के साथ बोले, "अरे, क्या तुम सबको पता है, कैंपस में लड़ाई हो रही है?" लड़ाई का नाम सुनते ही सभी उसे स्टूडेंट्स को देखने लगे और तारा दूसरी ओर बोली, "क्या, कहीं तुम ये तो नहीं कह रहे हो कि लीडर ग्रुप और ईगल ग्रुप के साथ लड़ाई हो रही है?" ये सुनकर सभी अब थोड़े से हड़बड़ाए गए, और वही उस इंसान ने कहा, "हां, लीडर ग्रुप और ईगल ग्रुप दोनों एक-दूसरे से काफी ज्यादा लड़ाई कर रहे हैं। यहां तक कि वहां खून भी बह रहा है। टीचर अभी आए नहीं हैं, लेकिन टीचर के आने का भी कोई फायदा नहीं क्योंकि ईगल ग्रुप और लीडर ग्रुप दोनों एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन जाते हैं, तो कोई भी कुछ नहीं कर सकता। चलो, अब हम लोग भी देखने चलते हैं।" तारा तुरंत गुस्से से बोली, "जस्ट शट अप! लीडर ग्रुप हमारे कैंपस का ग्रुप है। अगर उन्हें प्रॉब्लम होती है, तो हम सिर्फ देख नहीं सकते, बल्कि उनके साथ देंगे। चलो, अब चलते हैं।" इधर जाविरा को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, उसने भी ना समझी में कहा, "ये ईगल ग्रुप कौन है? क्या वो ग्रुप भी बुरा है?" इसके जवाब में तारा चंद्राजी के साथ बोली, "मेडिकल ग्रुप के बारे में बाद में बताऊंगी, अभी के लिए चलो चलते हैं, क्योंकि बहुत बड़ी प्रॉब्लम आ गई है।" ये सुनकर जाविरा भी तुरंत अपनी जगह से उठी और उन सभी के साथ कैंपस की तरफ चली गई। वो जैसे ही कैंपस के पास पहुंची, उसने देखा कि चारों तरफ भीड़ लगी हुई थी और उसे भीड़ के बीच चार लोग एक-दूसरे से काफी ज्यादा लड़ाई कर रहे थे, जिनमें से दो लोगों के मुंह से खून निकल रहा था और दो लोग उन्हें लगातार पिटाई कर रहे थे। ये सब कुछ देखकर जाविरा ने डरते हुए कहा, "वो गोद, ये लोग तो खून-खराबा कर रहे हैं, आखिर कॉलेज में ऐसा कैसे हो सकता है?" तभी तारा गुस्से से बोली, "कॉलेज में ये सब कुछ होता है, और अब तुम शांत रहो, मैं इस ईगल ग्रुप को छोड़ेगी नहीं, इसकी हिम्मत कैसे हुई पर हाथ उठाने की?" ये सुनकर जाविरा को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन तभी उसकी नजर एक बेहद अट्रैक्टिव और हैंडसम लड़के पर गई, जो इस वक्त सामने वाले इंसान को पिटाई कर रहा था। उसे देखकर अचानक से जाविरा के दिमाग में उस वक्त का ख्याल आने लग गया। भीड़ काफी ज्यादा थी, तभी कुछ लड़कियों ने जाविरा को धक्का दे दिया। जाविरा लड़खड़ा गई, वो खुद को संभाल नहीं पाई और सीधे धड़ाम से जाकर उन चारों के सामने गिरी। और उस वक्त तिमिर और विहान, जो दो लड़कों को मार रहे थे, अपनी जगह रुके और वही वो दो लड़के भी तुरंत जाविरा को घूरने लगे। चारों तरफ एक सन्नाटा छा गया और सभी जाविरा को ही घूर घूर कर देखने लगे। तभी तारा गुस्से से बोली, "ये बेवकूफ लड़की उनके बीच में क्या करने चली गई?" तभी दूसरी लड़की ने कहा, "वो मैंने गलती से उसे धक्का दे दिया था।" ये सुनकर तारा उसे गुस्से से देखने लगी। इधर जाविरा किसी से नजरें न मिलाते हुए जल्दी से खुद को खड़ा करने लगी, लेकिन उसके पैर में चोट आने की वजह से वो दर्द में फिर से गिर पड़ी। "अह्ह्ह्हह्ह्, मेरा पैर... मेरे पैर में दर्द हो रहा है!" ये कहते हुए वो खुद के पैर को देखने लगी, जो लाल पड़ चुका था क्योंकि उसका पैर मुड़ चुका था, और वो भी कुछ रिएक्ट कर पाती, उससे पहले ही किसी ने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया। "Get up" ये देखकर और सुनकर जाविरा को कुछ समझ नहीं आया। उसने अपना सिर ऊपर उठाया तो उसकी नजरें दो नजरों से मिलीं, जिसे देखकर वो एक सेकंड के लिए खामोश रह गई। और बाकी सब उन्हें ही देखते हुए शॉक हो गए।