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दीवानगी तेरी

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तीन अधूरी ज़िंदगियाँ… एक सवाल — क्या किसी और का दिल, किसी की रूह को पूरा कर सकता है? --- 💼 आर्यन राजवंश परफेक्शनिस्ट बिज़नेसमैन, जिसने रिश्तों से नाता तोड़ लिया है। मगर बहन की मौत के बाद भांजे की कस्टडी के लिए उसे करनी पड...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. दीवानगी तेरी - Chapter 1

    Words: 921

    Estimated Reading Time: 6 min

    ---

    "देखो, अगर तुम्हें पैसे चाहिए तो जो आज का गेस्ट आया है, उसे खुश कर दो।"
    मैनेजर की आवाज़ में हुक्म भी था और चेतावनी भी। जहां फ्री में कुछ भी नहीं मिलता हर चीज के लिए किम चुकानी पड़ती है।

    ", मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है। मुझे तो खुद तनख्वाह मिलती है, मैं तुम्हें पैसे कहां से दे सकता हूं? और होटल किसी को एडवांस नहीं देता। मैं इस होटल का मालिक नहीं हूं"

    मेहर की आंखें भर आईं। वह जानती थी मैनेजर किस तरफ इशारा कर रहा है। उसका मतलब साफ था – किसी कस्टमर के साथ रात गुजारने के लिए कह रहा था। वो एक कैसी लड़की नहीं थी।

    वह इस होटल में वेट्रेस का काम करती थी। उसे अपने भाई के इलाज के लिए तुरंत पैसे चाहिए थे। उसका भाई महीनों से बीमार था, डॉक्टर ने कहा था कि ऑपरेशन जरूरी है – और वो भी कल ही। उसके भाई की जिंदगी का सवाल था।

    मेहर सिर्फ 19 साल की थी। उसने अभी अपने ग्रेजुएशन के एग्जाम देने थे। कॉलेज के बाद वह हर रोज होटल में देर रात तक काम करती थी। लेकिन आज जो सुनने को मिला था, उससे उसका दिल कांप गया। उसने सोचा नहीं था कि उसकी जिंदगी में कोई दिन ऐसा आ सकता है।

    गेस्ट जो अचानक आए थे, वो पुराने थे, मगर आज बिना बुकिंग के पहुंचे थे। ऐसे लोग हर बार किसी लड़की की डिमांड करते थे। आज कोई लड़की अवेलेबल नहीं थी। होटल के पास जो लड़कियां थीं, उनकी पहले से ही बुकिंग थी। होटल उन्हें नाराज नहीं कर सकता था। वैसे भी इन लोगों से होटल वाले खूब पैसा कमाते थे।

    "सोच लो मेहर," मैनेजर ने ठंडी सांस लेकर कहा।
    उसके शब्द मेहर के दिल में तीर की तरह चुभ गए।

    मेहर कुछ देर तक उसे देखती रही। उसका गला सूख गया था। जवाब देने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मगर दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल था – अगर कल पैसे जमा नहीं हुए तो भाई की जिंदगी खत्म हो जाएगी।

    "ठीक है," मेहर ने आखिरकार धीरे से कहा। उसकी आवाज कांप रही थी।

    मैनेजर को मानो राहत मिली। क्योंकि किसी लड़की का इंतजाम करना उसके लिए भी मुश्किल हो रहा था। यह कैसी लड़की जो दिखने में खूबसूरत हो और उसके हाई प्रोफाइल ग्राहक को पसंद आ सके।
    "तुम ऐसा करो, चेंज करो। ये वेट्रेस की ड्रेस ठीक नहीं है। अच्छे से तैयार हो जाओ। वैसे भी तुम बहुत खूबसूरत हो… गोरा रंग, बड़ी आंखें, ब्राउन मीडियम हेयर… तुम पर तो सब फिदा हो जाएंगे।"

    मेहर ने ठंडी सांस ली। उसके डैड का एक्सीडेंट, घर की तंगी, सब कुछ उसके सामने घूम गया। वह चुपचाप अपने कमरे में चली गई।

    कपड़े बदलते हुए उसके हाथ कांप रहे थे। वह सोच रही थी – क्या वह सच में यह सब कर पाएगी? मगर भाई का चेहरा उसकी आंखों के सामने था। वही उसकी हिम्मत था।

    थोड़ी देर में मेहर तैयार होकर वापस आ गई।

    "लो, अब अंदर चली जाओ," मैनेजर ने इशारा किया।
    "और हां, अगर तुमने उसे खुश कर दिया तो तुम्हें इतने पैसे मिलेंगे कि ऑपरेशन तो छोड़ो, तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं रहेगी। वह लड़कियों का शौकीन है। तुम जैसी 18-19 साल की लड़की किसे पसंद नहीं आती।"

    मैनेजर यह कहकर वहां से चला गया।

    मेहर के कदम भारी हो गए। वह धीरे-धीरे कमरे के दरवाजे तक पहुंची। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

    कमरे में दाखिल होते ही उसने देखा – एक आदमी सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था। उसने मेहर को देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
    "दरवाजा बंद कर दो।"

    मेहर ने धीरे से दरवाजा बंद किया।

    "आओ," उसने कहा।
    मेहर के कदम जैसे जमीन से चिपक गए थे। फिर भी वह धीरे-धीरे उसके पास चली गई।

    "बैठो।"

    वह आदमी उसे ऊपर से नीचे तक देखता रहा। उसकी नजरों में भूख साफ दिखाई दे रही थी।

    मेहर उसके पास बैठ गई। आदमी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
    मेहर सिहर उठी।

    "कांप क्यों रही हो?" उसने हल्की हंसी के साथ पूछा।

    "न-नहीं..." मेहर ने खुद को संभालने की कोशिश की।

    उस आदमी का ध्यान अब मेहर के होठों पर था। वह अचानक झुककर उसे किस करने लगा। मेहर के शरीर में सिहरन दौड़ गई।

    लंबी किस के बाद उसने मेहर को छोड़ा और उसकी शर्ट की तरफ इशारा किया।
    "उतारो।"

    मेहर की आंखों में आंसू भर आए। लेकिन उसने भाई का चेहरा याद किया। उसने धीरे-धीरे अपनी शर्ट खोली। यह उसके जीवन का सबसे मुश्किल काम था।

    जैसे ही शर्ट उतरी, आदमी ने उसकी ब्रा खोल दी। अब मेहर टॉपलेस थी।

    "मेरी गोद में आओ।"

    मेहर को गोद में बिठाकर उसने उसके सीने पर मुंह रख दिया। उसकी हरकतें अब हैवानियत में बदल गई थीं।

    मेहर को दर्द हो रहा था, मगर वह चुप रही। जल्दी ही उसने मेहर को बेड पर गिराया।

    मेहर के सारे कपड़े उतर चुके थे। आदमी भी अपने कपड़े उतार चुका था और मेहर के ऊपर आ गया था।

    जो हुआ, वह मेहर के लिए असहनीय था। आधी रात तक वह उसके साथ रहा। मेहर रोती रही, तड़पती रही। उसके शरीर में दर्द था और मन पूरी तरह टूट चुका था।

    उसने कहा भी था,
    "मुझे छोड़ दो..."
    मगर उसने नहीं सुना। जैसे उसने ठान लिया हो कि अपनी हवस पूरी करके ही मानेगा।

    बीच में मेहर बेहोश भी हुई। लेकिन वह नहीं रुका।

    आधी रात के बाद ही उसने उसे छोड़ा।


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  • 2. दीवानगी तेरी - Chapter 2

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

  • 3. दीवानगी तेरी - Chapter 3

    Words: 1

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  • 4. दीवानगी तेरी - Chapter 4

    Words: 1

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  • 5. दीवानगी तेरी - Chapter 5

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    Estimated Reading Time: 1 min