TROPES: •Professor × Student • BILLIONAIRE × GIRL •Age gap •Forbidden Romance •Love/ Obsessed at first sight •Mysterious Past •Hidden Secrets •Obsessed Over Possessive •Strong lo... TROPES: •Professor × Student • BILLIONAIRE × GIRL •Age gap •Forbidden Romance •Love/ Obsessed at first sight •Mysterious Past •Hidden Secrets •Obsessed Over Possessive •Strong love •he fell first' / she fell harder •Grumpy × Sunshine •Heartbreak/Angst . Suspense × HATE FAMILY × LOVE..... 🪞🪷🍃🦚🕊️ " एक छोटा सा दृस्य कहानी का " ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा कहा दो दिलों ने कि मिलकर कभी हम, ना होंगे जुदा ये क्या बात है, आज की चाँदनी में के हम खो गये, प्यार की रागनी में ये बाहों में बाहें, ये बहकी निगाहें लो आने लगा ज़िन्दगी का मज़ा ये रातें, ये मौसम...
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कहानी शुरू करने से पहले कुछ खास बाते .... सबसे पहले तो कृपया कर इस कहानी की कॉपी न किया जाए ना ही इससे इंस्पायर होकर लिखा जाए क्योंकि 😊मेहनत बहुत लगती है एक प्लॉट तैयार करने में और हम बिलकुल भी नहीं चाहेंगे की ऐसा कुछ इस कहानी के साथ होए। इस कहानी पर कॉपीराइट के तहत सब पर मेरे राइट्स है तो अभी से बता रही हु वरना कॉपी करने पर आप पर कानूनी कारवाही भी की जा सकती है। ये कहानी पुर्ण तरीके से काल्पनिक है अर्थात FICTION जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही है इसलिए उम्मीद है की आप इसे सिर्फ कल्पना के तौर पर ही पढ़ेंगे और इसे जिएंगे 😊। कहानी में हम जीते है बेशक जिए पर उसे सच्चाई से न जोड़े वरना कभी कभी कुछ चीजे न सहन होने पर भावनाओ को ठेस पहुंचती है। आशा है की आप इसे बहुत प्यार से पढ़ेंगे और हमारा आगे बढ़ने में साथ देंगे । इस कहानी का हर तरह का जेनर मिलेगा ... हास्य व्यंग , सस्पेंस थ्रिलर ( जो खासियत है ) ड्रामा , हर तरह के भाव और प्रेम भी यानी मोहब्बत । मोहब्बत .. कई शब्दो में इसका जिक्र करते हैं लोग यहां । हर लेखक का प्रेम लिखने का यहां तरीका अलग होता है । हमे नहीं पता हमारी बाते कहा तक सही लगेंगी या नही पर एक पति पत्नी / प्रेमी प्रेमिका के बीच में जो प्रेम होता है उसे प्रेम ही बोला जाता है । अब चाहे उस प्रेम को यहां लेखक एक शब्द में दिखा दे या एक बड़ा सीन लिख दे , वो प्रेम का ही रूप होता है । हमे हर चीज को बहुत सामंजस्य बिठाकर लिखने की आदत है ...वो चाहे रोमांस ही क्यों न हो । एक रूमानी सी मोहब्बत होती है जिसे यहां हर लेखक अपने शब्दो मे बिखरते हुए लिखता है । सबकी लेखनी अलग है क्योंकी कोई इंसान एक जैसा नहीं होता है इसलिए ये भी आशा है की कोई किसी के लेखन को किसी दूसरे लेखक के लेखन से कंपेयर न करे क्योंकि ♥️सबका अपना तरीका है रंग ढंग में ढलते हुए आगे बढ़ने का । अब शुरू करते है अपनी कहानी । ____________________________________________ आज फिर से वो नदी के किनारे बैठी खुद में ही खोई हुई थी । वही नदी भी अपने प्रवाह में बह रही होती है और बार बार ही उस लड़की के पैरो को भिगोकर , उसके पायलो के साथ - साथ उसके लहंगे को भिगो रही होती है। लहंगा भीगने की वजह से वह अपना पैर ऊपर कर लेती हैं और वहां से उठकर जाने लगती है । तभी कोई पीछे से उस लड़की के कंधे पर तलवार रख देता है और बहुत ही कड़कदार आवाज में कहता है । " क्या आपको नही पता की इस तरह से अकेले जंगल में विहार करना मना है "। " हम तो बस नदी देखने आते है , हमे ये दूर फैली हरियाली और ये साफ गगन बहुत भाता है पर ( होश में आकर अचानक से सांस तेज भरते हुए ) आ....आप कौन ??....( हकलाए हुए ) क्या....क्या आपको लज्जा नही आती , इस तरह से किसी लड़की को छूते हुए "। इतना बोलकर वो लड़की फटाफट से हो जाती हैं अपनी जगह पर खड़ी और दूर होकर अपना चेहरा पल्लू में छिपाये हुए कहती है । " ऐसी ओरछी हरकत हम अब आगे से कभी बर्दाश नही करेंगे "। ये कहकर वो लड़की तेजी से दौड़ पड़ती है वहां से , पर उबड़ खाबड़ रास्ते और नदी के गीलेपन से उसका पैर अचानक से ही फिसल पड़ता है । जिससे वो अपना नियंत्रण खो देती है और गिरने ही लगती है । तभी दो मजबूत बाहे उसे संभालते हुए अपने आगोश में ले लेते हैं जिसकी वजह से वो लड़की सकपका सी जाती है और अपनी आंखें कसकर मूंदे हुए कांपने लगती है की तभी कोई कहता हैं। " कनक "। वो अपनी आंखे नही खोलती है । " राजकुमारी कनक एक बार अपने नयन खोलकर , हमे देखते हुए इस श्राप से मुक्त कर दीजिए । सच में हम जिंदगी पर आपके आभारी रहेंगे "। वही कनक अब भी आंखे नही खोलती है , बल्कि जिस इंसान की बाहों में वो संभली हुई थी उसके जिस्म से आती हुए सुगंध को वो महकते हुए खो रही होती है । उसकी वजह से उसके चेहरे पर अब अलग अलग भाव भी उभर रहे होते है और वो उस इंसान की बाहों में ढीली पड़ रही होती है तो तभी वो कहता है । "ये उपकार हम पूरे जीवन नही भूलेंगे ( उसके चेहरे के करीब होकर ) हम आपके होंठों को चूमने जा रहे है ताकि हमारा श्राप खत्म हो सके। इतना कहकर वो इंसान उसके होंठों को कसकर अपने होंठों में दबा लेता है और चूमने लगता है तो कनक के मुंह से सिर्फ ये शब्द निकलते है । " युवराज ऐसा मत करिए हमे लज्जा आ रही ( आंखे खोल) युवराज आ........( आह वो सिसकने लगती है ) यु......... आ..... आपका चेहरा.....( सिसकते हुए ) युव..... युवराज....... युवराज... आ............"। ( तभी कोई कहता है ।) "कनक ! " कनक " ! होश में आओ ( हिलाए हुए ) क्या....क्या कर रही हो "। वही अचानक से किसी के हिलाने की वजह से वो लडकी झट से उठकर बैठ जाती है और सामने देखती ही की एक दूसरी लड़की उसे घूरते हुए निहार रही तो वो अपना सर पकड़ लेती हैं और खुद से कहती । " धत्त..…कैसा सपना था ( अपने गर्म गाल को सहलाकर ) यक्क "। " ऐसी किताबे पढ़ना बंद कर दो , वरना मेरे अलावा किसी और ने देख लिया तो ( हंसकर ) मुंह दिखाने लायक नही बचोगी "। ये बोलकर वो लड़की काफ़ी जोरदार तरीके से हंसते हुए कमरे से बाहर निकल जाती है , जिससे इधर बेड पर बैठी हुईं लड़की खुद से कहती है । " तनु दी सही तो कह रही है ( आंखे बंद कर सर पकड़े ) उफ्फ कनक प्रोमिस अब मै वापस से ऐसी राजा महाराज वाली कहानियां नही पढ़ूंगी ( आंखे रोल किए ) धत्त कैसा सपना था "। ( आगे बढ़ने से पहले कनक के बार में । ये है कनक ...जैसा नाम है वैसा ही उसका काम । बिल्कुल ही किसी सोने की ही तरह है जो सबको प्रिय है। कनक कॉलेज में PG कर रही है और ये उसका पहला साल है उसमें । इस वक्त छुट्टी होने की वजह से वो अपने घर वापस आई हुई है अपने बड़े मम्मी पापा ( मुकेश जी और सोनिया जी ) के संग रहने के लिए क्योंकि वो ही अब उसके सब कुछ है और दादा जी उसके फिलहाल गांव में रहते है । कनक काफी मन्नतों के बाद पैदा हुई थी इसलिए जब वो आई तो उसके मां पापा कनक के 5 वर्ष की होने के बाद देवी दर्शन करने चले गये थे पर वहां से कभी वापस नहीं आ पाए क्योंकि भूस्खलन हो गया था । इसलिए वो तभी से यही रहती है और सब उसे प्यार भी करते है ।) " कनक जल्दी आ जा बेटा , खाना ठंडा हो जायेगा " ये आवाज नीचे किचन से उसकी बड़ी मम्मी की थी " " आई मां " ये कहते हुए कनक फटाफट से बेड से उतर जाती हैं और जल्दी जल्दी से फ्रेश होकर निकल पड़ती है नीचे किचन की तरफ । पीले रंग के सूट सलवार में वो गजब ही ढा रही होती हैं और उसके लंबे भूरे बाल अठखेलियां करते हुए उसके कमर के नीचे तक लहर रहे होते है। तभी तनु किचन में आ जाती हैं और कहती है "। " मॉम मुझे जल्दी से खाना दे दो ( कनक को देख ) इसकी तरह फालतू समय नहीं है मेरे पास " । ( ये है तनु .. सोनिया और मुकेश जी की इकलौती संतान और इसलिए थोड़ी चंचल और गुस्सैल भी है । तनु का कॉलेज पूरा हो चुका है और वो फिलहाल अपने घर पर ही रहती है ताकि अपने पापा का काम सिख सके । वो स्वभाव से तीखी है और कनक को जरा सा भी नहीं पसंद करती हैं , इसका कारण है उन दोनो लोगो का प्यार क्योंकि उसे लगता है की उसके मां - पापा कनक को उससे ज्यादा प्यार करते है और इसलिए कभी कभी वो कुछ भी बोल देती है ।) " तनु...कनक छोटी बहन है तुम्हारी कितनी बार बताना पड़ेगा " सोनिया जी थोड़े गुस्से में कहती है "। " हां .....अपनी ही जान की जान लेने वाली " तनु सेब उठाकर किचन से बाहर निकलते हुए कहती है । वही इधर ये सुन सोनिया जी के हाथ रुक से जाते हैं और वो गुस्से में किचन से निकलने लगती है । तभी कनक हल्की सी मुस्कान बिखरते हुए उन्हे रोक लेती है और कहती है । " मां छोड़ो ना मुझे फर्क नही पड़ता इससे ( थोड़ा मुस्कुराकर ) पापा कब आयेंगे बहुत जरूरी बात करनी है "। " कैसी बात ( उसका हाथ पकड़ ) देखो कुछ ऐसा वैसा मत बोलना, आजकल उनका मिजाज बिलकुल भी ठीक नही है " सोनिया जी कहती है "l " परेशान मत होइए पर बात करना जरूरी है ( प्लेट से पकोड़े लेकर ) आप सच में बहुत यम्मी बनाती है "। ये कहकर कनक किचन से बाहर निकल आती है पर अब उसके कदम वही अकड़ से जाते हैं और वो नम आंखों से टीक जाती है वही दीवार से । कैसा लगा भाग ? Note - यहां से अब ये कहानी शुरू होती है और 😊उम्मीद है आपको अच्छी लगेगी । इस कहानी में आपकों सब मिलेगा पर सबसे खासियत है सस्पेंस थ्रिलर क्योंकि कहानी का पूरा आधार है ये । इसमें बहुत सस्पेंस है, हर पल में इसलिए आशा करूंगी की आप लोग एक संयम बनाकर इसे पढ़ेंगे क्योंकी कुछ तो साथ में खुल जायेंगे पर कुछ का एक समय होगा सो पढ़े और कहानी का लुत्फ उठाएंगे।
पिछले भाग में हमने पढ़ा था की कनक ..किचन से निकलने के बाद दीवार से टिककर नम आंखों से खड़ी थी। अब आगे , कनक अब भी उसी हाल में ही खड़ी थी । उसकी आंखे आंसुओ से भर गए थे और चेहरा उतरा सा हो गया था । पर जब उसे सोनिया जी के पायल की आवाज आने लगती है तो वो झट से वहां से हटकर तेजी से डाइनिंग टेबल के पास आ जाती है और गहरी गहरी सांस भरते हुए , खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करते हुए अब फूलो को संजोकर रखते हुए कहती हैं । " मां आज आप मार्केट चलेंगी क्या मुझे कुछ चीजे लेनी है "। " बेटा तनु के साथ चली जाओ ना ( टेबल पर पकौड़े रखकर ) वो क्या है न की आज मुझे तुम्हारे पापा के साथ शॉप पर जाना पड़ेगा और तनु तो फ्री है ही तो मैं उसे बोल देती हु " सोनिया जी कहती है । और तभी ऊपर अपने रूम से तनु कूदते फांदते हुए अपनी ड्रेस को ठीक करके सीधे टेबल के पास आ जाती हैं और फटाफट से खाना प्लेट में सर्व करते हुए कहती है । "सॉरी मॉम मुझे न बहुत काम है और ( मुंह बनाते हुए ) प्लीज इसके साथ तो मैं कहीं नही जाने वाली वरना मुझे भी खा गई तो "। इतना कहकर वो अपना खाना ...खाना शुरू हो जाती है जिससे वही सोनिया जी फिर से तनु के मुंह से ऐसा सुनकर तो बहुत ज्यादा ही गुस्से में आ जाती हैं और कहती है। " तनु ....( उसका हाथ पकड़ ) वापस से ऐसा कुछ बोला तो तुम्हारा गाल और मेरा हाथ होगा "। " आई डोंट केयर " । और फिर वो अब उनके पास वाली चेयर से उठकर सामने अपने पापा के पास वाली चेयर पर बैठ जाती हैं । जिसकी वजह से तभी बाहर डोर से मुकेश जी सीधे टेबल के पास आ जाते है और सबको एक नजर ..खुद ही परांठे प्लेट में सर्व करके खाते हुए बहुत प्यार से कहते है। " हां बोलो क्या बात करनी है कनक " । (आगे बढ़ने से पहले मुकेश जी के बारे में । ये है मुकेश कुमार...कनक के बड़े पापा । उनका ज्वैलरी का बिजनेस है जिसे फिलहाल वो ही संभाल रहे और तनु भी उनका काम धीरे धीरे सिख रही । मुकेश जी का स्वभाव थोडा सख्त है इसलिए कनक कुछ भी बोलने से पहले कई बार सोचती है। हालांकि वो उसे भी प्यार करते है पर कनक को उनसे कभी - कभी डर लगता है। ) " कु....कुछ नही पापा ...आप खा लीजिए मैं आपसे बाद में बात करती हु "। ये कहते हुए कनक आगे की बात सुने बिना ही तेजी से घर से बाहर गार्डन की तरफ चली जाती है जिससे इधर मुकेश जी का उसे ऐसे जाते देख खाने पर से हाथ रुक सा जाता है और वो अब सोनिया जी की ओर देखकर कहते है। " आज फिर से कुछ हुआ "? " कनक को कुछ जरूरी बात करनी है । कल रात भी कह रही थीं इसके बारे में इसलिए आप खाने के बाद उसके पास चले जाइएगा " सोनिया जी कहती है। " जी ( सामने देख ) कनक ... मेरे छोटे भाई की आखिरी अमानत है , बहुत संभाल कर रखिएगा " मुकेश जी कहते है। " कनक मेरी बेटी भी हैं और मैं हमेशा उसे संभाल कर रखूंगी पर ( थोड़ा गुस्से का नाटक करते हुए ) आप उसके साथ सख़्त क्यों बने रहते है ... बोलिए ? "सोनिया जी सवाल करती है। अब मुकेश जी ये सुनकर कोई जवाब नही देते है बल्कि शांति से लग जाते है खाने । वही सामने चुपचाप चेयर पर बैठी हुई तनु उन दोनो लोगों को कनक के लिए इतना प्यार और दुलार देने का सब कुछ सुनते हुए अंदर ही अंदर खौल रही होती है। उसका दिल कर रहा था की सब कुछ जो भी सामने पड़ा है उठाकर फेंक दे और चिल्लाए की क्यों वो कनक को प्यार दे रहे है पर वो खुद का गुस्सा और खुद को कंट्रोल किए हुए कहती है। " मां पापा ...मै काम के लिए बाहर जा रही हु तो प्लीज फोन मत करिएगा क्योंकि मैं पिक नहीं कर पाऊंगी । ( मुकेश जी से ) और पापा ( चेहरे पर सख्ती लाए हुए ) मैं उस लड़की को बिलकुल भी पसंद नही करती हु इसलिए ( बिलकुल ही बच्चो की आवाज में ) आप तो मेरे पापा हो न तो प्लीज आप उस लड़की के साथ कभी नर्म पेश नहीं आयेंगे पापा वरना ( अपनी जगह से उठकर ) मैं हमेशा के लिए वापस से सबसे दूर चली जाऊंगी और कभी वापस नहीं आऊंगी "। इतना कहकर तनु नम आंखों से अपनी प्लेट उठा लेती हैं और आ जाती है किचन की तरफ पर इससे पहले कोई कुछ बोलता वो फिर से मुड़कर सोनिया जी से कहती है। " आप हमेशा उस कनक से इतना लाड क्यों लगाती रहती है ? आपकी असली बेटी तो मैं हू न फिर क्यों "। और फिर वो इतना बोल वहां से चली जाती है जिसकी वजह से वही इधर मुकेश जी और सोनिया जी तनु की बाते सुनकर तो बिल्कुल ही सुन्न सी हालत में आ जाते है । वैसे ये पहली बार नही था की उसने ऐसा गुस्सा किया पर आज कुछ ज्यादा ही गहरी बात कह दी थी उसने । इसलिए खुद मुकेश जी अपनी प्लेट साइड कर देते है और कहते है। " आप जल्दी से ब्रेकफास्ट करके दवाई ले लीजिए , हमे निकलना भी है "। इतना कह मुकेश जी अपनी जगह से खड़े हो जाते है और निकल पड़ते है घर से बाहर। जिससे इधर सोनिया जी भी सब कुछ वही टेबल पर छोड़ देती है और बढ़ जाती है अपने कमरे की तरफ। _________________________ बाहर ( गार्डेन में ) इधर कनक बीना कुछ खाए गार्डेन में घूम रही होती हैं । उसके साथ ऐसा रोज होता है , न जाने क्यों पर जब सारा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है तो उसे खुद में ही घुटन महसूस होने लगता है " जैसे उसकी सांस ही अटक जाएंगी " इसलिए वो ऐसे ही भाग आती है। फिलहाल वो अंदर से आने के बाद हमेसा की तरह गार्डेन में आकर तेज़ तेज़ कदमों से चलते हुए घूम रही होती है । जिससे तभी उसका फोन बजने लगता है और वो अब आवाज सुन कॉल अटेंड करती है तो उधर से कोई कहता है। " बच्चा " । " मैने कहा था ना फोन मत करना , मैं अभी बहुत परेशान हु " कनक कहती है। ( तभी फिर से कोई कहता है ।) " शांत बच्चा ! शांत.... मैं हु तो काहे की टेंशन ! चल बता बात किया तुमने अपने पापा से "। " न.... नही डर लग रहा है चांदनी , जानती हु वो मना कर देंगे "कनक घबराते हुए कहती है। " क्या लड़की हो तुम यार ..एक मैं हु जो सिर्फ हंसते रहती हु और एक तुम हो जिसे दुनिया भर का टेंशन उफ्फ "। ( ये है चांदनी....कॉलेज में कनक के साथ ही पढ़ती है । बिल्कुल ही हंसमुख प्राणी । कनक ज्यादा दोस्ती करना पसंद नही करती और ज्यादातर खुद से खुद तक ही सीमित रहती है , पर कुछ लोग मिले जो उसके लिए खास है और उन्ही में से है चांदनी तो बस उसे उसका साथ अच्छा लगने लगा और इसलिए वो उसकी अच्छी दोस्त है ।) " पापा से डर लगता है ( गहरी सांस भरकर) चलो छोड़ो मैं बाद में बात करती हु मन अच्छा नही है मेरा "। इतना बोलकर वो कॉल कट कर देती हैं और मुड़ जाती है अंदर घर के तरफ की तभी उसके कदम रुक से जाते हैं और वो सामने खड़े शख्स को देखकर अपनी ड्रेस कसकर पकड़े हुए कहती है। " पापा आप ! हां उसके सामने मुकेश जी खड़े थे और वो भी बिन भाव के । जिसकी वजह से अभी कनक को बहुत ही अजीब लगने लगता है और वो इधर उधर देखने लगती है तो तभी वो कहते है। " क्या बात करनी है तुम्हे मुझसे कनक बेटा "। वही कनक ये सुन अब अपने होंठो को हल्के - हल्के काटने लगती हैं और थोड़ी हिम्मत कर कहती है। " पा... पा वो... वो मैं सोच रही थी की अब हॉस्टल में न रहूं बहुत दिक्कत होती है वहां कभी पानी का तो कभी खाने का । जब मैं लाइब्रेरी में पढ़ने में खो जाती हु तो मैं हमेशा ही लेट हो जाती हु जिसकी वजह से हॉस्टल में घुसना मुश्किल हो जाता है। बहुत रिक्वेस्ट करनी पड़ती है इसलिए मैं चाहती हु की दो दिन बाद जब मैं जा रही तो ( उनका हाथ पकड़) पापा आप क्या वो शहर वाले घर की चाभी दे सकते है। मम्मी पापा की वो आख़िरी निशानी है , मां बताई थी कुछ दिन पहले , इसलिए मैं वहां रहना चाहती हु और वो मेरे कॉलेज के पास ही है तो मुझे दिक्कत भी नहीं होगी "। इतना कहकर कनक अब चुप हो जाती हैं और इंतजार करने लगती है उनके जवाब का तो वो कहते है। " शाम को आकर बताता हु "। और फिर ये कहकर मुकेश जी वहां से चले जाते अपनी कार की तरफ। जहां कुछ समय बाद ही सोनिया जी भी आ जाती और कनक को एक नजर प्यार से देखकर अब कार में बैठकर निकल जाती हैं मुकेश जी के साथ। जिसकी वजह से वही इधर कनक उन्हे जाते देख हल्का सा मुस्कुरा देती हैं और अब बढ़ जाती है घर के अंदर । जहां वो देखती है की तनु अभी सोफे पर लेटे किसी से बात कर रही है और तकिए से खेल भी रही तो । वही कनक उसे ऐसे देख कुछ नही कहती है बल्कि तेजी से चली जाती है ऊपर अपने रूम की तरफ और वहां से जल्दी से अपने पर्स लिए आ जाती है नीचे और साथ में ड्रॉअर में से बैग लेकर घर से निकलने ही लगती है तो तभी तनु पीछे से कहती है। " आज किसके पास जा रही है "? कैसा लगा भाग ? आगे की कहानी जानने के लिए बने रहे हमारे साथ ।
" आज किसके पास जा रही हो " ? वही तनु के इस शब्द पर अचानक से ही बाहर जाती हुई कनक के कदम रुक से जाते हैं । वो हैरान हो जाती हैं तनु के इस लफ्ज़ पर । माना की तनु का बर्ताव उसके साथ सही नही है और पूरी ही छुट्टी जब तक कनक यहां रही उसे परेशान करती रही हैं । पर आज....आज तो तनु ने ऐसे शब्द बोल दिए जैसे खुद में कोई शर्म लिहाज है ही नही । इसलिए कनक अपनी जगह से मुड़ जाती है और अब तनु के बिलकुल ही पास जाकर उसकी गर्दन झट से कसकर पकड़ लेती है और कहती हैं। " बड़ी बहन है आप इसलिए लिहाज करती आ रही हु । पूरी छुट्टी आपने मुझे जो मन में आया बकती रही पर अब और नही ( उसे सोफे पर गुस्से में छोड़) वापस से ऐसे शब्द निकाले तो भूल जाऊंगी मैं ...की आप हो कौन " ये कहकर कनक गुस्से में उसे देखते हुए वहां से मुड़ जाती है और जाने लगती है तो वही पीछे पड़ी आधी हालत में लेटी हुई तनु के होश उड़ जाते है । उसे तो भरोसा नही हो रहा था कनक के इस बर्ताव से पर वो अब भी अपने हरकतों से बाज नहीं आती है और बहुत ज्यादा ही हकलाए हुए हालत में ( हंसकर ) कहती है "। " लिहाज ( हंसते हुए ) सब तो खत्म करवा ही दिया है फिर किस बात का लिहाज़ मिस कनक "। इतना बोलकर वो अब जोर जोर से हंसने लगती है और गुस्से में तकिया कसकर पकड़ लेती है तो उधर इसकी वजह से कनक अब कुछ नही कहती हैं, बल्कि निकल जाती है घर से बाहर क्योंकि घर रही तो उसके हाथ कुछ गलत जरूर हो जायेगा । इसलिए जल्दी से ऑटो पकड़ती है और निकल पड़ती है मार्केट की तरफ। मार्केट में , अब कनक मार्केट आ गई थी और यहां उसे सुकून मिल रहा था । हालांकि वो भीड़ भाड़ वाले जगह से हमेशा ही बचती रहती है पर ये जगह उसे अच्छी लग रही थी। लोगों को शोर शराबा उसे भा रहा था और साथ में खाने पीने की खुशबूदार महक भी । जिसकी वजह से वो एक नजर चारो तरफ घुमाकर सीधे एक साड़ी की दुकान में घुस जाती है और कहती है । " काका मै आ गई ...इस बार पक्का दो - तीन साड़िया ले जाऊंगी "। कनक जब भी साड़ी लेने आती है यही से लेती है क्योंकि उसे काका बहुत पसंद करते है और बेटी की तरह मानते है । इसलिए जब भी वो छुट्टी लेकर आती है हमेशा एक बार तो दुकान पर आती ही है । जिसकी वजह से काका भी खुश हो जाते है । अभी जब काका उसकी आवाज सुनते है तो अंदर एक दरवाजे से बाहर निकलकर आ जाते है और कनक को देखकर बहुत ज्यादा ही खुश हुए कहते है । " अरे बिटिया.... तुम आ गई ( नम आंखों से) मुझे रघु खबर दिया था की तुम आई हो , तभी से राह देख रहा था "। " माफ कर दीजीए काका इस बार आपसे मिलने जल्दी नहीं आ पाई और ( उनके आंसुओ को पोंछकर ) ये क्यों रोते है आप " कनक प्यार से कहती है। " इसलिए की तुम इतने दिन से आई हो और आज मिलने आई मुझसे " वो कहते है। " सॉरी काका ( दुखी हुए ) अब बस कल परसों तक निकल ही रही हू । जाते ही एग्जाम होगा इसलिए ज्यादा घर से बाहर नही आ पाई पर अब आ गई हु तो ( मुस्कुराकर ) जल्दी से आप मुझे अच्छी - अच्छी तीन - साड़ी दिखा दीजिए मां के लिए चाहिए "। वही काका ये सुन खुद ही इशारा कर तीन चार बढ़िया बढ़िया खूबसूरत साड़ी निकलवा देते हैं और कनक को एक एक कर दिखाते हुए, सबके काम कैसे हुआ है वो बताने लगते है और कहते है "। " ये बनारसी साड़ी हमारी तरफ से तुम्हारे लिए बिटिया । अब पता नही कब भगवान बुला ले और तुम मुझे हमेशा ही बेटी का प्यार दी हो । इसलिए ये मेरे तरफ से तुम्हरे लिए उपहार है तो मना मत करना बड़ी मुश्किल से ये खोजा है तुम्हरे लिए "। वही कनक ये सुन उन्हे भावुक होकर देखने लगती है और कहती है । " जब भी आती हु मै आप मुझे हमेशा ये वो कहकर चीजे पकड़वा देते है ( नम आंखों से ) आप ऐसा करेंगे तो देख लीजिए मैं वापस नही आऊंगी फिर "। " ऐसा क्यो बोल रही हो ( रघु से ) कनक के लिए कुछ खाने पीने की चीजे लाओ जल्दी से । चेहरा देखकर तो लग रहा है जैसे सुबह से कुछ खाया ही नही है "। वही कनक ये अब सुनकर तो उन्हे मना करती है पर काका कहा मानने वाले थे । वो तो जब भी आती है यहां वो उसे खिलाए बिना और बिना कुछ दिए तो वो उसे जाने तक नही देते थे । जिसकी वजह से कनक को हमेशा ही यहां अपनापन महसूस होता था और वो हर बार मिलने आ जाती है । अब वो कुछ देर बाद अच्छी साड़िया चुन लेती है और पैसा देने लगती है तो काका मना करने लगते है । जिसकी वजह से वो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहती है की प्यार अपनी जगह है और धंधा अपनी जगह और वो अभी एक कस्टमर है तो बिना पैसे दिए तो वो सामान नही ले जायेगी । जिससे काका ये सुनकर अब मुस्कुराते हुए पैसे ले लेते हैं और तब तक रघु चाय समोसे लेकर आ जाता है । जिसे देख कनक सर पर हाथ रख लेती है और कहती है । " काका अब नही आऊंगी देखना ..... मुफ्त में काहे पैसा वेस्ट कर रहे है "। " अच्छा बच्चू जुबान थारी तो कैची की तरह चल रही है ( हंसते हुए ) ससुराल जाओगी तो ऐसे ही चलाओगी का " रघु कहता है । " रघु भैया आप तो चुप ही रहो , शादी कर लिए और बुलावा नही भेजे ( नाक सिकोड़ते हुए ) क्यों बात करे आपसे " कनक कहती हैं।😑 " अच्छा अच्छा ये चाय पियो पहले बाद में लड़ लेना "। वही कनक ये सुनकर हंसते हुए समोसे और चाय उठा लेती है और खाते हुए निहारने लगती है सबका चेहरा । सब कितने खुश है उसके आने की वजह है और उसे भी अच्छा लग रहा था । यहां आती है तो उसे ऐसा लगता है जैसे सिर्फ प्यार ही प्यार है । कभी कभी तो वो सोचने लगती हैं की काश वो उनके घर पैदा हुई होती क्योंकी पराई है तब भी उसे इतना प्यार मिलता है सबसे और इसलिए वो ये सब सोचते हुए दो समोसे खा लेती है और कहती है । " सच्ची बताऊं काका आपको मै तो प्राथना करती हु भगवान से की अगर मैं अगली बार जन्म हुई न तो मुझे आपकी बेटी बनाकर भेजे और रघु की बड़ी बहन ही ( रघु को देख ) क्योंकि ये बहुत डांटते है मुझे "। वही रघु ये सुनकर हंसते हुए उसके सर पर चपत लगाकर उसके गले लग जाता है और कहता है । " तुम हमारी बहन ही हो "। " और हमारी बिटिया भी ( हाथ आगे कर ) चलो वादा करो जब अगली बार आओगी तो पक्का दो - तीन बार मिलकर जाओगी" काका कहते है। " वादा है काका "। ये कहते हुए कनक अब रघु से अलग हो जाती है और काका के पैर छूकर उन्हे अपना ध्यान रखने को कहती है । जिसकी वजह से वही काका भी मुस्कुराते हुए उसे आशीर्वाद दे देते है और रघु को कहते है की वो कनक को ऑटो में अच्छे से बिठाकर आए है । जिससे रघु अब कनक को वहां से लिए बाहर आ जाता है और एक ऑटो रुकवाकर उसे बिठाकर कहता है। " अपना ध्यान रखना"। "और आप भी काका का ध्यान रखिए , इनको कहिए की मरने की बात ना किया करे वरना बात नही करूंगी फिर "।🥺 वही रघु ये सुन हल्के से मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ फेर देता है और अब तब तक खड़ा रहता है जब तक कनक की ऑटो नजरो से ओझल नही हो जाती है । उसके बाद वो दुकान में वापस दुकान में आ जाता है और उधर कनक सब कुछ सोचते हुए मुस्कुरा देती है । कुछ देर बाद वो अब घर के सामने पहुंच जाती है पर उसे अब मौसम कुछ अच्छा नही लग रहा था । इसलिए ऑटो के रुकते ही वो फटाफट से पैसे देकर भागते हुए घर के बाहर पहुंच जाती है और अब अंदर जाने ही लगती है की अचानक से खुला डोर देखकर तो उसके कदम के साथ , उसकी सांसे ही अटक जाती है । वो अब सकपका उठती है की ऐसे डोर किसने खुला छोड़ दिया क्योंकी हमेशा तो डोर बंद होता है इसलिए वो घबरा भी जाती है और इससे पहले वो कुछ कर पाती । तभी उसे घर के अंदर से चीखने की आवाज सुनाई देने लगती है ।
पिछले भाग में हमने पढ़ा था की कनक मार्केट से घर आ जाती है पर जब खुला दरवाजा और चीखने की आवाज सुनती है तो हैरान हो जाती है । अब आगे , वही कनक जो डोर के पास खड़ी सोच रही होती है की क्यो डोर ओपन है ऐसे । तभी उसे अंदर से चीखने की आवाज सुनाई देने लगती है जिससे कनक अब आवाज सुन अचानक से ही घबरा उठती हैं और सारा सामान वही छोड़कर घबराए हुए हाल में दौड़ पड़ती है घर के अंदर । वो अंदर आकर देखती है की सोनिया जी एक कमरे से बहुत ज्यादा ही परेशान और रोते हुए हालात में निकल रही हैं। जिसकी वजह से उन्हे ऐसे देख कनक अब तेजी से उनके पास दौड़ पड़ती और पकड़कर कहती है। " मां.... मां क्या हुआ , सब ठीक है ना ( नम आंखों से) पापा ठीक है ना और तनु ..... तभी फिर से एक जोरदार चीख कमरे से आने लगती है.. जिससे कनक फिर से ये आवाज सुनकर तो अब और भी ज्यादा घबरा सी जाती हैं । क्योंकी ये आवाज किसी और की नहीं , बल्कि तनु की थी जिसकी वजह से कनक अब सोनिया जी का हाथ कसके पकड़ लेती हैं और कहती है। " मां ..... ये ..ये तनु दी ऐसे क्यो चीख रही है ? उन...उन्हे कुछ हुआ है क्या ? आप कुछ तो बोलिए "।🥺 " वो....वो तनु को पता नहीं क्या हुआ है मै.....🥺 सोनिया जी इतना कहते कहते ही बिलखती हुई अब और रो पड़ती है और रोते हुए ही बैठ जाती है धम से करके फर्श पर । वही कनक इतने सालों बाद आज फिर उन्हे ऐसे रोते देख तो बहुत ज्यादा ही हैरान हो जाती है । इसलिए उन्हे कैसे भी कर संभालते हुए लेकर आ जाती है सोफे पर और बिठाकर कहती है। " दी को कुछ नही होगा मां "। " सब मेरी वजह से हो रहा है 🥺 वो आज बहुत गुस्से में थी मेरी बच्ची " सोनिया जी रोते हुए कहती है। " मां.. आ..आप मेरी बात सुनिए न , दी को कुछ नही होगा .. मैं आती हु "। ये कहकर कनक तेजी से दौड़ते हुए पहुंच जाती है उस कमरे की तरफ और अंदर आकर देखती है की सामने बेड पर तनु बहुत ज्यादा ही बुरी तरह से कांप रही है । वो बेड को कसकर पकड़े अपने पैर पटकते हुए कुछ बड़बड़ा रही है और उसके बगल में बैठे हुए डॉक्टर उसे संभाल रहे है । जिससे कनक उसे ऐसे देख बहुत ज्यादा ही शॉक हो जाती हैं और एक कदम पीछे हटाते हुए कांपते हुए आवाज में मुकेश जी के बगल में खड़ी होकर कहती है । " पा....पापा दी को क्या हुआ है " ? 🥺 " कहा थी तुम " वो गुस्से में पूछते है । " मै..... मैं मार्केट गई थी पापा , पर दी तो ठीक थी पहले पर अब " वो रोते हुए पूछती है । " तुम अकेले क्यों गई , तनु को अपने साथ क्यों नही ले गई " वो वापस से गुस्से में पूछते है । अब कनक कोई जवाब नही देती हैं बल्कि अपनी ड्रेस कसकर पकड़े हुए निहारने लगती है बेड पर तड़पती हुई तनु को । उसे समझ नहीं आ रहा था की अचानक से उसे क्या हो गया क्योंकि उसके जाने से पहले तक तो वो बहुत ठीक थी पर अब .....ये ही सोचकर वो अपने आंसुओं को पोंछ लेती है गहरी सांस भरकर हल्की सी आवाज में कहती है । " डॉक्टर दी को क्या हुआ है " ? पर इससे पहले डॉक्टर कोई जवाब देते ,बेड पर लेटी हुई तनु कहती है । " पा.... पा ...वो ...आ गया .... मै ... मुझे ब.... चा"। वो इतना कहते कहते ही तेजी से कांपते हुए झट से आंखे बंद कर लेती है । जिसकी वजह से वही मुकेश जी एक बार फिर से तनु को ऐसे देख , घबराकर भागते हुए उसके बगल में बैठ जाते हैं और हिलाए हुए कहते है। " तनु..... उठो.... कौ.. कौन आ गया "।🥺 " मुकेश जी परेशान मत होइए मैं ये इंजेक्शन दे रहा हु, थोड़ी देर में तनु को होश आ जायेगा " डॉक्टर कहते है । " पर डॉक्टर मेरी बेटी को हुआ क्या है आख़िर ( रोते हुए ) अच्छी खासी सुबह तक तो वो ठीक थी "ये शब्द सोनिया जी रूम में घुसते हुए कहती हैं। 🥺🥺 " तनु के दिमाग पर किसी बात का बहुत गहरा असर पड़ा है । अभी आपने सुना न वो बडबडाते हुए पता नही क्या बोल रही थी हो सकता है उसी से जुड़ा हो । मुझे लगता है की तनु को एक बार के लिए आपको हॉस्पिटल में एडमिट कर देना चाहिए फूल चेकअप के लिए क्योंकी मानसिक संतुलन ठीक रखना जरूरी है।( उसे देख ) फिलहाल तो आप कोशिश करे की मानसिक रूप ये सही रहे वरना संतुलन बिगड़ने की वजह से इनकी हालत बहुत खराब हो सकती है " डॉक्टर बेड पर से उठते हुए कहते है । वही ये बात सुनकर तो वहां खड़े वो तीनो ही लोग सुन्न से हो जाते है । उन्होंने तो उम्मीद भी न की थी कुछ ऐसा होगा इसलिए अब मुकेश जी कहते है । " कनक अपने कमरे में जाओ "। " पर पापा ..... ( तभी सोनिया जी बीच में ही ) " कनक कमरे में जाओ अगर पापा कह रहे है तो " वही कनक ये सुनकर हामी भरते हुए अब भारी मन से एक नजर तनु को निहारकर निकल जाती है कमरे से बाहर । अभी उसका वो सामान अब भी दरवाजे पर ही पड़ा होता है जिसकी वजह से वो जल्दी से जाकर उन्हें उठा लेती हैं और आ जाती है तेज़ी से ऊपर अपने कमरे में । वहां वो फटाफट से अब सामान रख अपनी आंखे मूंद लेती है क्योंकि अचानक से ही उसका उसका मन विचलित सा होने लगा था । उसे लगने लगता है की जो हुआ सब में उसकी ही गलती है , इसलिए वो जल्दी से कमरे को लॉक कर देती हैं और खिड़कियों पर पर्दा कर बैठ जाती हैं बेड पर , खुद को ब्लैंकेट में लपेटे हुए और और अपना फोन निकाल किसी को कॉल करके कहती है । " मेरा मन ठीक नही है "। उधर से कनक की ऐसी भराई हुई आवाज सुन जो भी था वो बाहर बालकनी में आ जाता है और कहता है । " कनक ...कहा है ना जब भी मन ठीक न लगे चुपचाप उन चांद तारों की रात याद कर सो जाया करिए पर पहले कमरे में हल्की रौशनी करिए ठीक है "। " कर दिया अधिराज "। " गुड अब सो जाओ , जल्दी ही कॉलेज में मिलते है ओके "। इधर कनक हामी में सर हिलाए और कहते हुए बेड पर लेट जाती हैं और सोचने लगती है जो अधिराज ने कहा । ( आगे बढ़ने से पहले अधिराज के बारे में - अधिराज कनक का सीनियर हैं । वो उसके साथ बहुत अच्छा है और हमेशा ही उसकी मदद करता रहता हैं। अधिराज कनक से उसके कॉलेज के पहले साल में ही मिला था जब उसका एक्सीडेंट हो गया था और कनक ने उसकी मदद की तभी से दोनो अच्छे दोस्त है । उसे कनक का हाल पता है की वो कभी कभी कुछ बातों से बहुत ज्यादा hj नर्वस हो जाती है । इसलिए वो उसे हमेशा काउंसिल करता रहता है और एक अच्छे दोस्त होने के नाते मदद भी । बाकी जानकारी पात्र के साथ ही ।) कुछ ही समय में कनक अब गहरी नींद में होती हैं। जिसकी वजह से उधर से अधिराज ये महसूस कर खुद ही कॉल कट कर देता है । _________________________ हॉल में , वही इधर नीचे हॉल में 1 घंटे पहले डॉक्टर के जाने के बाद सोनिया और मुकेश जी शांति से बैठे हुए थे । वो दोनो ही अभी काफी ज्यादा परेशान नजर आ रहे थे और हो भी क्यों न आखिर उनकी एकलौती बेटी की हालत जो ऐसी थी । सब कुछ तो अच्छा चल रहा था पर पता नही किसकी नजर लग गई है सबको । ये ही सोचते हुए सोनिया जी अपनी जगह से खड़ी हो जाती हैं और कहती है । " मैं कनक के पास जाती हु ...वो जाने वाली है तो उसका सामान भी पैक करना है " । " आप कनक से बात कर लीजिएगा " वो कहते हैं। " जी " इतना कहकर सोनिया जी ऊपर सीढ़ीयो से कनक के कमरे की तरफ चली जाती है और वहां पहुंच करने लगती है डोर पर नॉक । जिसकी वजह से कुछ ही समय बाद अब कनक डोर हल्के से ओपन कर देती है और जब सामने मां को खड़ा देखती है तो उनके गले लगकर कहती है। " मां थैंक्स आप खुद ही ऊपर आ गई ,मैं आपको बुलाने वाली थी "। " क्या हुआ ( मुस्कुराए हुए ) चलो बताओ मार्केट से क्या लाई तुम मेरे लिए " वो पूछती है । " आप खुद ही देख लिजिए पर..... ये कहते हुए वो उन्हे लेकर अंदर आ जाती है और बेड पर बिठाकर उनकी गोद में सर रखकर कहती है । " मै सो रही थी पर तबियत खराब हो गई "। " अच्छा चलो आओ "। इतना कहकर सोनिया जी उसे अच्छे से लिटा देती है और उसके पेट पर हल्के हल्के से मसाज करते हुए कहती है । " तुम सच में ठीक हो न कनक "। " हां मां .....( गहरी सांस भरकर मुस्कुराते हुए ) आगे बढ़ रही हू ( उनके हाथ पर हाथ रख) आप है तो मैं हु " वो भावुक होकर कहती है। " पागल लड़की चल इधर आ मां के पास "। सोनिया जी ये कहते हुए उसे सिने से लगा लेती है और बताती है की( नम आंखों से ) मुकेश जी अभी तनु के पास है क्योंकि वो अभी सो रही है और ये भी की आज वो रात में तनु के पास ही सोएंगी । जिसकी वजह से कनक ये सुन उन्हे एक नजर देख वापस से अपना चेहरा छुपा लेती है और कहती है । " परेशान मत होइए मां ... दी ठीक हो जाएंगी "। " और तुम "? वो पूछती है । " मैं हमेशा से बहुत ठीक हु मां ...आप इतना परेशान मत हुआ करिए "। और फिर कनक कुछ समय तक यू ही लेटी रहती है। जब उसे थोड़ा आराम मिलता है तो वो बेड पर पड़े हुए पैकेट्स में से मां को वो साड़िया दिखाने लगती है और खुश होकर कहती है । " एक ये तनु दी को दे देना प्लीज , वो बहुत प्यारी लगेंगी "। " दे दूंगी मेरी बच्ची ( सर पर हाथ फेरकर ) पर मुझे एक जरूरी बात करनी है " सोनिया जी साड़ी देखते हुए कहती हैं। " कहिए मां ...( उनकी तरफ देख ) अच्छा आज पाव भाजी बनाए क्या ? प्लीज प्लीज बहुत मन हो रहा है और तनु दी को भी तो पसंद है " वो प्यार से पूछती है । " ठीक है चलो आज तुम बहनों की पसंद का खाना बनेगा " सोनिया जी मुस्कुराकर कहती है । और फिर वो कुछ पल तक कनक का पेट सहलाते रहती हैं और जब दर्द कम होने लगता है । तब वो दोनो ही निकल पड़ती है रूम से बाहर नीचे किचन की तरफ। कैसा लगा भाग ? समीक्षा रेटिंग करके बता सकते है 😊
पिछले भाग में हमने पढ़ा था की सोनिया जी कनक से कुछ बात करने को कहती है पर कनक उनसे आज पाव भाजी बनाने को बोलती है । तब इसकी वजह से वो हामी भरकर उसे लिए हुए नीचे किचन की तरफ बढ़ जाती हैं। अब आगे , कनक और सोनिया जी अब दोनो ही एक साथ मिलकर पाव भाजी बनाने में लग जाती है । तनु को भी ये बहुत पसंद है इसलिए वो बना रही है । हालांकि तनु का जैसा रवैया है उसके साथ रहा उससे तो कुछ करना ही नहीं चाहिए उसके लिए पर कनक फिर भी बना रही होती है, ताकि वो जल्दी से ठीक हो और मां पापा टेंशन मुक्त हो । अब थोडी बाद खाना बन चुका था इसलिए सोनिया जी पहले ही तनु के लिए खाना लेकर चली जाती है उसके कमरे में। इधर कनक भी धीरे ही धीरे अब सब कुछ लाकर टेबल पर सजोए कर रख देती है जिससे जब मुकेश जी रात के खाने के लिए आ जाते है तो वो मुस्कुराकर कहती है । " पापा मैंने बनाया ये , खाकर बताइए ना कैसा बना है "? वही मुकेश जी ये सुन एक नजर कनक को देखते हैं और चेयर पर बैठकर अब पाव भाजी खाते हुए कुछ पल बाद कहते है । " बहुत अच्छा बना है ( मुस्कुराकर ) सोनिया जी कहा है "? " मां तनु दी को खाना खिला रही है "। " तुम जाने वाली हो तो ट्रेन की टिकट बुक करा लिया था ना या मैं कर दू " वो पूछते हैं। " अरे नहीं पापा मैंने सब पहले ही कर लिया था ......सब तैयार है " कनक बैठकर कहती है ।🥺 " ठीक है ...( उसके सामने पैसों की गड्डी रखकर ) ये लो तुम खुद को कुछ मांगने वाली नही इसलिए ये लो और अपना ध्यान रखना वहां " मुकेश जी कहते है । वही कनक इतने पैसे देखकर तो बहुत ज्यादा ही शॉक हो जाती हैं और झट से खड़े होकर कहती है। " पापा.... ये...( वापस उनके पास करके ) पापा अभी इनकी जरूरत नही है मुझे , मेरे पास है अभी "। " चुपचाप रखो इसे , अभी नहीं तो बाद में काम आयेगा ही "। मुकेश जी एक पाव लेकर प्यार से डांटते हुए कहते हैं। वही कनक ये सुनकर अब थोडी हैरान हुई हाल में वापस से अपनी जगह पर बैठ जाती है पर खाती नही है। जिसकी वजह से जब मुकेश जी उसे ऐसे देखते है तो खुद ही उसके प्लेट में खाना सर्व कर देते है और कहते है । " जो हो गया सो गया , हर बार इतनी संकोची मत बना करो ( निवाला तोड़कर) ये लो खाओ पहले "। इतना बोल वो खुद ही उसे खिलाने लगते हैं जिसकी वजह से , कनक अब खाते हुए ही नम आंखों से मुस्कुराते हुए उनके गले लग जाती हैं और कहती है । " थैंक्यू थैंक्यू सो मच पापा ( मुस्कुराए हुए) मैं खुश हु । ये कहकर वो बहुत ज्यादा ही खुश हुए जबरदस्ती ही अपने हाथो से उन्हे खाना खिलाने लगती हैं। जिस पापा से उसे पता नही क्यों हमेसा डर लगता है , आज वो उन्ही को अपने हाथो से खिला रही होती है जिसकी वजह से वो भी मुस्कुरा देते है और कहते है। "मैं खा लूंगा पर पहले तुम खाओ "। " मैं खिला रही हु न आपको पापा ....प्लीज " ❤️ वही मुकेश जी उसे इतने प्यार से इतने टाइम बाद मुस्कुराते और खुद के साथ खुलकर बात करने और अच्छे से पेश आने की वजह से ठीक है कहकर उसके हाथ से खाने लगते है। जिससे वो भी फिर से खुश हो जाती हैं और उन्हें खिलाते हुए खुद भी अब कुछ पल बाद जल्दी से खाकर कहती है। " कल मैं आपका फेवरेट खाना बनाऊंगी पापा ( नम आंखों से) थैंक्यू इसके लिए "।🥺❤️ "तनु और तुम..... दोनो ही मेरे लिए एक समान हो , सॉरी शाम में मैने गुस्सा कर दिया था " वो कहते है ।❤️ " ओह पापा ( उनके हाथ पर अपना हाथ रखकर ) आप ऐसा मत कहिए "। वही मुकेश जी ये सुनकर बस हल्का सा मुस्कुरा देते हैं और उसके सर पर हाथ फेरकर निकल जाते हैं कमरे की तरफ । जिसकी वजह से इधर कनक भी फटाफट से सब कुछ लिए अब किचन में रख देती हैं और अपनी मां के लिए खाना लेकर चली जाती हैं तनु के रूम की तरफ । वहां पहुंचकर वो फिर अंदर आकर बेड के पास खड़े हो जाती है और कहती है । " क्या मां खाने में इतनी लापरवाही "? "हां अब तुम हमारी अम्मा बनो❤️ ( उसका हाथ पकड़ बेड पर बिठाकर ) अभी तनु को खिलाकर सुलाई हु ( तनु को देख ) पता नही क्या हो गया मेरी बच्ची को ( सर पर हाथ फेर) बस जल्दी से ठीक हो जाए ये । 🥺 " दी ठीक हो जायेंगी मां , पर पहले आप खा लो ना "। " नही मेरा मन नही हो रहा मै बाद में खा लुंगी "मां कहती है ।🥺 " बाद में कब ( मुंह फुलाए ) भूतो के साथ खाना खाने का प्लान है क्या आपका ( प्लेट उनके सामने रखकर ) चलिए खा लिजिए , फिर ये मेडिसिन भी तो लेनी है आपको " कनक आदेश देते हुए कहती । " हां..कभी कभी तो तुम ही हमारी अम्मा बन जाया करो " सोनिया जी हंसकर उसके सर पर चपत लगाकर कहती है । "ऊप्स माताश्री….. ये कहते हुए कनक खिलखिलाते हुए उन्हे खुद ही खाना खिलाने लगती है क्योंकि जल्दी ही वो वहां से चली जायेगी तो उसे ये सब करने का मौका नही मिलेगा । वैसे भी वो अपनी मां से बहुत ज्यादा प्यार करती है। इसलिए मुस्कुराते हुए उन्हें खिलाने लगती है और कुछ समय बाद आखिरी बाइट खिलाकर कहती है । " अब मेडिसिन की बारी " " हां तुम लाओ ही ,इसके बिना तो तुम न खुद सोओगी न मुझे सोने दोगी " सोनिया जी उसके हाथ से दवाई लेकर खाने के बाद कहती है। " सत्यवचन माता जी चलिए , आप लेट जाओ मैं आपके पैर दबा देती हु "। " मैं ठीक हु कनक ,अब तुम जाकर सो जाओ ...सुबह बहुत काम है " वो कहती है । " कोई नही हम दोनो मिलकर कर लेंगे " कनक मुस्कुराकर कहती है । " कनक "......😑 " अच्छा...अच्छा बाबा जाती हु , काहे गुस्सा करके लाल पीली हो रही है आप "। ये कनक अब खुब हंसते हुए कहती है और उनके गाल चूमकर निकल पड़ती है अपने कमरे की तरफ । पर उससे पहले वो मुकेश जी के रूम का डोर खोलकर देखती है की वो सो गए है या नहीं । वो जब अब उन्हे वहां अब शांति से सोता हुआ देखती है तो हल्का सा मुस्कुराए हुए बढ़ जाती है ऊपर अपने कमरे में । अंदर आकर वो फ़िर जल्दी से सारा सामान जो बेड पर फैला हुआ था उन्हे वो अब तेजी से समेटकर अलमारी में रख देती है और बेड के ड्रायर में से डायरी निकालकर उसे लिए हुए लेट जाती है बेड पर और लिखने लगती है आज जो भी हुआ सब कुछ डायरी में । उसे सुकून मिलता है लिखने में और आज तो इतना कुछ हुआ था , फिर पापा - मां का उसे इतना प्यार मिला वो सब वो लिखते हुए याद करने लगती है । उसे अब पापा से डर नही लग रहा था इसलिए खुद को वो लिखते हुए चपत लगा लेती हैं और कहती है " मैं तो बेवजह ही उनसे बात करने में डरती थी , बल्कि वो तो इतने अच्छे है " ये कह वो अंदर ही अंदर ही बहुत ज्यादा खुश हो जाती है । पर कुछ सोचते हुए ही अचानक से उसकी आंखे नम सी हो जाती है और वो उदास हुई सामने देख कहती है। " मैं आप दोनो को बहुत याद करूंगी मां पापा " ।🥺🥺 ये बोलकर वो गुमसुम सी हाल में वापस से लिखना शुरू हो जाती है। कुछ समय बाद वो डायरी लिख लेती है और अब सामने टेबल पर उसे रखकर , बगल से अपने परिवार की फ्रेम फ़ोटो उठा लेती और सीने से लगाए हुए चली जाती है कुछ ही पल में नींद के आगोश में । कैसा लगा भाग?? 🙌पढ़ लिए तो आपके विचारो का इंतजार रहेगा ",,.
सुबह का वक्त ( अगला दिन ) हरे रंग के लॉन्ग फ्रॉक में वो बिल्कुल ही प्रकृति की रानी लग रही थी । उसके लंबे बाल नीचे से घुंघराले हुए , साथ में लट उसके चेहरे को चूमने के लिए बार बार इनपर झूल रहे थे । जिसकी वजह वो मुंह फुलाए हुए उन्हे झुंझलाकर पीछे कर रही होती हैं पर मजाल है की वो हटे । तभी सोनिया जी पीछे से आकर आहिस्ते से उसके सारे बालो को समेटकर उसमे क्लेचर लगा देती हैं और कहती है । " क्या जरूरत थी तुम्हे ये सब करने की , जाकर रेस्ट करो कनक "। वही कनक सोनिया जी की आवाज सुन और उसके बालों के समेटने की वजह से पुरी बनाना छोड़कर, उनकी तरफ मूड जाती हैं और मुस्कुराकर उनके गालों पर चूमकर कहती है।😘 " ओ माताजी मैं तो बिल्कुल ही ठीक हु और मेरा दर्द भी अब गायब हो गया है । ( पुरी बनाते हुए ) वो मैने न कल पापा को कहा था की मैं उनके लिए उनका पसंदीदा खाना बनाऊंगी तो बस अब बना रही हु "। " तो ये खीर मुझे बना लेने दो और तुम जाकर खुद को अच्छे से तैयार कर लो " सोनिया जी कहती है । " वैसे आपकी पूजा हो गई क्या मां ?"वो छोटी छोटी आंखे किए कमर पर हाथ रखकर सवाल करती है । "अरे ( हंसकर ) बहुत शरारती हो रही तुम तो ....... चलो जाती हु मैं। ( कान मरोड़कर) ऐसे ही मुस्कुराती रहा करो प्यारी लगती हो "। इतना कहकर सोनिया जी खुद ही उसका सर चूम लेती है और निकल जाती हैं किचन से बाहर । वही उनके जाने के बाद कनक मुस्कुराते हुए जल्दी - जल्दी से पुरी बनाते हुए खीर बनाने लगती है और एक साइड से विंडो खोल उधर चावल डालकर कबूतरो को मुस्कुराते हुए देखकर कहती है । " तुम सब बिगड़ गए हो , पता नहीं मेरे जाने के बाद क्या करोगे "। " अपने साथ ले जाना इन सबको "। ये आवाज तनु की थी जो किचन के डोर पर खड़ी थी । खूबसूरती में कोई कमी नही उसमे। वो लाल रंग के लॉन्ग फ्रॉक में बहुत प्यारी लग रही थी पर जैसा उसका गुस्सा और रवैया है कोई उसे ऐसे देख कह नही पाएगा की वो ऐसी है। इसलिए कनक उसकी ये बात सुनकर नजरंदाज किए वापस से अपने काम में लग जाती है । जिससे पीछे खड़ी तनु को जब उससे कोई जवाब नही मिलता है तो वो उसके बगल में आ जाती हैं और कहती है । " मेरे मां पापा से दूर रहा करो "।😑 " तनु दी कैसी है और आपकी तबियत ?"वो पूरी बनाते हुए पूछती हैं। " तुमसे बेहतर कौन जानता होगा ( थोड़ा मुस्कुराकर ) वैसे तुम हमेशा के लिए क्यों नहीं चली जाती सबकी जिंदगी से । वैसे भी तुम्हारी वजह से हमेशा ही गड़बड़ा हुआ है और मुझे तो तुम्हारी शक्ल भी नही देखनी है (अचानक से गुस्से में आकर ) कनक.... तुम कल...... उसकी बात पूरी होने से पहले ही किचन में एक तेज चाटे की आवाज गुंज उठती है पर वो चाटा किसी और को नही बल्कि तनु को ही पड़ा था । जिसकी वजह से वो अचानक से ऐसा होने की वजह से खुद को संभाल नहीं पाती हैं और लुढ़कते हुए जाकर टकरा जाती है काउंटर से । उसका सर अब दर्द होना शुरू हो जाता है और इसलिए वो दर्द में ही कहराकर अपना चेहरा ऊपर लेती है पर जब सामने अपने पापा को खड़ा देखती है तो उसकी आंखे हैरानी से फैल जाती है। वो सकपका उठती है की ये थप्पड़ उसे किसी और ने नहीं बल्कि खुद मुकेश जी ने मारा है। वही मुकेश जी के बगल में खड़ी अब कनक ये देखकर बुरी तरह से कांप रही होती है और धीरे ही धीरे पीछे हट रही होती है । तभी झट से मुकेश जी उसका हाथ पकड़ अपने बगल में कर लेते हैं और तनु से कहते हैं। " तनु माफी मांगो कनक से "।🤬 " पा... पा आप ये क्या कर रहे है "कनक हैरानी से उन्हे देखकर कहती है ।🥺 " तनु तुमने सुना नहीं क्या ...माफी मांगो आज कनक से । ( गुस्से में ) आजतक जैसे भी इसके साथ बिहेव किया उन अब के लिए । कितनी बार तुम्हे समझाया की बड़ी बहन हो , समझदार बनो , कनक तुम्हारी बहन है , उससे ऐसे बात मत करो पर नही ! हमेशा वाहियात बनकर रही हो ( गुस्से में ) मन तो कर रहा की एक और लगाऊं "।🤬 वही सोनिया जी जो पूजा करके आ गई थी। वो अचानक से ऐसी चिल्लाने की आवाज सुनकर भागते हुए किचन में आ जाती हैं और देखती है की तनु फर्श पर पड़ी रो रही तो वो हड़बड़ाकर उसे पकड़ लेती है । जिससे मुकेश जी अब तनु को और भी ज्यादा गुस्से में घूरने लगते है और वहां से अब जाने लगते है। तभी तनु उठकर भागते हुए तेजी से उनका हाथ पकड़ उनके सीने से लग जाती हैं और रोते हुए कहती है । " सॉरी! सॉरी पापा .... आईएम रियली सॉरी ! मैं तो आपका प्यारा बच्चा हु ना ( तेजी से रोते हुए ) माफ कर दिजिए पापा पर ( उन्हे कसकर पकड़) पा....पा .. कनक मेरी बहन नही है , मैं..... मैं नहीं मानती हु ।🥺🥺 वो इतना कहते कहते हुए ही वही बेहोश हो जाती हैं और गिरने ही लगती है की कनक उसे पीछे से संभाल लेती हैं। अब एक बार फिर से माहौल अजीब और गर्म हो गया था घर का । इधर तनु को मुकेश जी संभालते हुए लेकर वापस से बेड पर लिटाकर डॉक्टर को कॉल करने में लगे हुए थे । तो वही सोनिया जी एक बार फिर से बहुत ज्यादा रोते हुए ही तनु की आंखों पर पानी की छींटे छिड़कते हए जगाने की कोशिश कर रही होती है पर उसे तो होश ही नही आ रही होता है । जिसकी वजह से अब सामने खड़ी कनक सब कुछ ऐसा देख अपने मुंह पर रोते हुए हाथ रख लेती है और कहती है । " मां... मां मैं चली जाती हु हमेशा के लिए "।🥺 " किसी को कही जाने की जरूरत नहीं है , मुझसे बिना पूछे इस घर से बाहर कोई नही जायेगा समझे सब " मुकेश जी सख्त होकर कहते है ।😡 " पापा ( धीरे से उनके पास आकर ) पर मैं चली जाती हु न, रोज रोज मेरी वजह से घर का माहौल खराब हो जाता और आप लोग भी डिस्टर्ब हो जाते हैं इसलिए सच में जाने दीजिए । मैं वहां अकेले रह लुंगी …और आप लोगो से मिलना होगा तो ( मुस्कुराकर ) कुछ पल के लिए आ जाऊंगी । पर कल रात जो हुआ और डॉक्टर ने कहा था ना की दी किसी बात से परेशान है और अभी के लिए वो फिर से मेरी वजह से परेशान हुई तो ये सब इनके हेल्थ के लिए अच्छा नही है । इसलिए ( गहरी सांस भरकर) मैं कल सुबह निकल जाऊंगी " कनक ..मुकेश जी का हाथ थामकर कहती हैं।,🥺 वही सोनिया और मुकेश जी अचानक से ही कनक की ये बात सुनकर दोनो ही लोग शॉक हो जाते है और इससे पहले वो कुछ कहते कनक सीधे उस रूम से निकलकर भागते हुए चली जाती है ऊपर अपने कमरे की तरफ। जिसकी वजह से वही इधर वो दोनों एक बार फिर से मायूस हो जाते है और सोनिया जी उसके पीछे जाने का सोचती है। तभी डॉक्टर तेजी से भागते हुए अंदर उनके घर में आ जाते है और रूम में आकर फटाफट से तनु के बगल में बैठकर उसे जल्दी से चेकअप करते हुए कुछ पल बाद कहते हैं । " दरवाजा खुला था इसलिए आ गया और ( मुकेश जी को देख ) क्या कर रहे है आप दोनो ? कहा था ना तनु किसी ट्रॉमा से गुजर रही है और ऐसे कोई भी तनाव मिलेंगे तो उसके सेहत के लिए अच्छा नही होगा। ( प्यार से ) मुकेश मैं तुम्हारा दोस्त हु और हमेशा भला चाहूगा इसलिए कह रहा हु की तनु को अच्छा माहौल दो ,तभी उसमे सुधार होगा वरना ( इतना कह वे रुक जाते है पर फिर कहते है ) आप लोग जब तनु होश आ जाए तो उससे बात करिएगा की कल वो किसके बारे में बात कर रही थी ठीक है । " हां " मुकेश जी शांति से कहते है । वही डॉक्टर ये सुन तनु के सर पर हाथ फेरकर उसका अच्छे से ख्याल रखिएगा कहकर घर से खुद ही चले जाते है । जिससे इधर सोनिया जी तनु के बगल में बैठ जाती हैं और कहती है। " तनु को कैसे समझाऊं की दोनो ही मेरे लिए अनमोल है , कैसे एक को बाहर करके दूसरी को घर में रख लू ?( तनु को देख ) संकट में डाल दिया है तुमने तनु "। मुकेश जी का भी यही हाल था वो भी परेशान हो गए थे। पर अब कुछ न कुछ तो करना ही था इसलिए सोनिया जी के सामने बैठ जाते हैं और कहते है । कनक से आपने बात किया ? " नही और अब इस हाल में उससे बात नही कर सकती मैं "वो तनु को अच्छे से ढकते हुए कहती है । " पर ....सोनिया जी आप कनक को जाकर सब कुछ बता दिजिए अभी, ताकि वो खुद को तैयार कर सकें " मुकेश जी गंभीरता से देखकर कहती है "।🥺 " ठीक है मैं बात करती हु "। सोनिया जी बहुत भारी मन से ये कहती है और निकल जाती है उपर उसके रूम की तरफ़ । कैसा लगा भाग ? और आपको क्या लगता है की क्या बात हो सकती है ?
इधर कनक का मन एक बार फिर से अशांत हो गया था। इसलिए वो रूम में जाने के बजाए ऊपर छत पर चली आई थी। यहां पर उसे सुकून महसूस होता है । वो हमेशा जब भी अच्छा नही लगता है या तो वो अधिराज से बात करती है या अकेले छत पर निकल आती है ..फिर चाहे कोई भी समय ही क्यों न हो । फिलहाल एक बार फिर से उसका मन दुखी हो गया था जो भी हुआ उसकी वजह से। वो जानती है की तनु उसे बचपन से ही नही पसंद करती है पर वो इतनी भी तो बुरी नही है, वरना अधिराज जो किसी से सीधे मुंह बात तक नही करता है वो कैसे दोस्त बन गया उसका । वो तो हमेशा कहता रहता है की कनक आप अपने नाम की ही तरह सोना और चमकता हुआ चांद हो, जिसे देखकर कोई भी चमक जाए। पर फिर तनु दी मुझसे क्यो नही प्यार करती ? क्या चांद पर दाग लगने की वजह से नफरत करते है ?और ये ही सब कुछ उसके दिमाग में चलता रहता है । जिसकी वजह से वो रेलिंग से टीक जाती है और निहारने लगती है आसपास नजारा जिससे तभी कोई पीछे से उसके कंधे पर हाथ रख देता है । वही किसी के हाथ रखने की वजह से वो झटके से मूड जाती है पर सामने मां को देखती है तो हल्का सा मुस्कुराकर कहती है । " मैं चली जाऊंगी न तो सब ठीक हो जायेगा , मुझे अच्छा नही लगता जब आप सब ऐसे परेशान होती है तो "।🥺 " अच्छा ( उसे प्यार से चपत लगाकर ) मां कभी अपने बच्चो को परेशान नही करना चाहती है ना ही होती है ठीक ?" वो पूछती है । " नहीं मां ...मेरी बात अलग है ( सामने देखते हुए गहरी सांस भरकर ) मां जो भी हुआ क्या उसमें ( भरी आंख से) मेरा दोष था ? क्या उसमे मेरी गलती थी ? प्लीज़ बताओ ना मां " वो रोते हुए ही पूछती है ।🥺 " कनक ( उसे अपनी तरफ मोड़कर ) कहा है ना तुम्हारा कोई दोष नहीं था "। इतना कहकर ही वो उसे गले लगा लेती है । जिसकी वजह से अब कनक फफक कर रो पड़ती है और उन्हे कसकर पकड़ लेती है तो सोनिया जी उसे ऐसे ही लिए झूले पर लाकर बिठा देती हैं और आंसुओ को पोंछकर कहती है । " तुम्हारी कोई गलती नही थी और न ही कभी होगी । मैं चाहती हू तुम अपनी ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ो और खुश रहो और तनु की बातो को बस भूल जाओ और हमेशा याद रखना तुम्हारी मां हमेशा तुम्हारे साथ है ठीक है "। " हां " वो फिर से रोते हुए कहती है 🥺 और उनके सीने से लग जाती हैं तो सोनिया जी उसके सर पर सहलाने लगती हैं और कुछ देर बाद कहती है । " मुझे एक जरूरी बात करनी है( इधर उधर देख )मुझे गलत मत समझना ठीक है । मैं हमेशा तुम्हारा भला चाहती हू और मां हु तो अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं चाहूंगी । " मां ...( प्यार से ) आप ऐसा मत कहा करिए । जो बोलना है सीधे बोलिए और हां वापस से मत ऐसे एक्सप्लेनेशन देना की ( हंसकर ) बुरा ... ब्ला... ब्ला "। इतना कहकर ही वो जोर जोर से हंसने लगती हैं और उन्हें देख मुस्कुरा देती है तो वो कहती है । " चलो मेरी बच्ची हंसी तो , अच्छा मुझे कहना था की .... पर वो अभी अपनी बात पूरी ही कर पाती की उन्हे नीचे से मुकेश जी के पुकारने की आवाज आनी शुरू हो जाती है । जो बार बार बुलाते ही जा रहे होते है तो , सोनिया जी आती हु कहकर तेजी से वहां से नीचे की तरफ चली जाती है । जिसकी वजह से इधर कनक भी अब खुद को ठीक ठाक किए धीरे धीरे सीढ़ी से उतरकर कॉरिडोर में आ जाती हैं। वो अब देखती है की नीचे हॉल में मां वास सजो के टेबल पर रख रही है। वही पापा किसी आदमी से बात कर रहे है, जो सब कुछ सुनते हुए पेपर पर कुछ लिख भी रहा होता है तो कनक ये देख असमंजस की हालत में आ जाती हैं और कहती है । " पापा कोई आने वाला है क्या " ? उधर जब मुकेश जी कनक की आवाज सुनते है तो .. सोनिया जी तरफ सवालिया नजरों से निहारने लगते है । जिससे वो ना में सर हिला देती हैं और फूल रखते हुए कनक की तरफ देखकर कहती है । " कनक बाहर गार्डन से गुलाब के फूल ला दो , आज मैं गजरा बनाऊंगी "। " लाती हु मां "। ये कहते हुए कनक जल्दी से उतरकर किचन में चली जाती हैं और फूलो की टोकरी बर्जे पर से लिए हुए निकल पड़ती है गार्डेन की तरफ । अभी बारिश का मौसम है इसलिए गार्डन में नए फूल खिल गए थे । जिससे वो मुस्कुराते हुए दौड़कर पौधो के पास चली जाती है और चुनने लगती है फूल।  उसे वैसे भी प्रकृति से बहुत प्यार है इसलिए वहां हॉस्टल में भी उसने छोटा सा अपना गार्डन बना रखा है । उसके बाद वो और भी कुछ फूलो को तोड़ लेती हैं और जब टोकरी पूरी भर जाती है । तब वो उन फूलो की महक लेते हुए वही धम से करके गार्डन में नीचे बैठ जाती हैं और अब निहारने लगती है अपना प्यारा सा आशियाना।  उसे इस घर से बहुत प्यार है क्योंकि जिस कमरे में वो रहती हैं वो उसके मां पापा का ही था इसलिए उसे अच्छा लगता है । ये घर उसके पापा और बड़े पापा ने मिलकर बहुत दूर दराज साफ एरिया में बनवाया था ...उसकी मां के लिए क्योंकि उन्हे भीड़ भाड़ वाली जगह से दिक्कत थी। पहले वो गांव से आने के बाद कही और रहते थे पर उनके जाने के बाद से कुछ समय बाद सब यही रहने लगे । मुकेश जी ने अपना ज्वैलरी का काम यही से शुरू कर दिए जिससे उन्हे बहुत मुनाफा हुआ और अब उनका व्यापारियों के बीच नाम है....और यही सब सोचते हुए कनक गहरी सांस भरकर अपनी आंखे बंद कर लेती हैं पर अचानक ही चेहरे के भाव उसके बदल जाते है और वो अनायश ही हल्की सी चीख निकाल देती है। अंदर घर में , इधर मुकेश जी परेशान हुए हाल में सोनिया जी को देख रहे होते है और अब कहते है , " आप कनक से कब बात करेंगी "? " देखिए ...आप ही कर लिजिए ना , मुझे तो बहुत अजीब लग रहा है , आपको तो पता है ना वो नही चाहती ऐसा कुछ" सोनिया जी कहती है । ( तभी कोई कहता है ) " क्या बात करनी है मां ,क्या नहीं चाहती मैं "? अब कनक फूल लेकर आ गई थी पर उसका एक हाथ पीछे ही था । वही कनक की आवाज सुन दोनो ही लोग एक साथ सकपका से जाते है और हड़बड़ाए हुए एक दूजे को निहारने लगते है । तब वो अब उन्हे ऐसे देख और भी हैरान हो जाती हैं और इसलिए कहती है । " मां आप पहले भी कुछ बताना चाह रही थी और अब भी ....( मुंह फुलाए) चलिए बता दिजिए क्या बात करनी है "? " वो बेटा ....थोड़ी देर में तुम्हे लड़के वाले देखने आ रहे है " सोनिया जी उसे निहारते हुए कहती हैं। कैसा लगा भाग ? समीक्षा रेटिंग का इंतजार रहेगा 🩷 बने रहे ...... " मेरी मोहब्ब्त " के साथ।
पिछले भाग में आपने पढ़ा था की सोनिया जी कनक से कहती है की आज तुम्हें थोड़ी देर बाद लड़का देखने आने वाला है । अब आगे । " लड़का ...." आज तुम्हे लड़के वाले देखने आने वाले है " ये शब्द अब कनक के जेहन में बुरी तरह से खलबली मचा उठे थे। वो तो ये बात सुनने के बाद ही स्थिर भरी हालत में अपनी जगह पर बिलकुल ही बर्फ की तरह जम गई थी । उसके आंखो के सामने अचानक से ही अंधेरा सा छाने लगा था । उसे अब ऐसा महसूस हो रहा था की आस पास का वातावरण उसे काटने पर दौड़ रहा और इसलिए अचानक से ही वो अपनी जगह से ठिठकते हुए एक कदम पीछे हट जाती है और कहती है । " आ....आप लोग ऐसा कैसे सोच सकते है ?.... मैं... मैं नहीं करूंगी शादी, न... नही देखना है मुझे कोई लड़का ( रोते हुए ) मैं.... मैं बोझ हु न आ...आप लोगों पर तो मै... मैं अभी चली जाऊंगी पर ( चीखते हुए ) नहीं.... नहीं करुंगी शादी .... न.. नही देखना लडका "।🥺 इतना कहकर कनक अपनी जगह से लड़खड़ा उठती है , जिससे सोनिया जी संभालने लगती है । पर वो तो खुद को दूर करके बचाते हुए तेज कदमों से भागकर फुल वही सीढ़ी पर फेंक देती है और दौड़ पड़ती हैं ऊपर अपने कमरे की तरफ । जिसकी वजह वही इधर नीचे सोनिया जी अब उसे ऐसे देख बहुत ज्यादा ही घबराई हुई हालत में आ जाती हैं और जल्दी से ही उसके पीछे भागकर जाने ही लगती है । तभी पीछे से मुकेश जी उनका हाथ पकड़ अपनी तरफ खिंच लेते हैं और उन्हें रोकते हुए कहते है । " सोनिया जी आप थोड़ी देर बाद जाइए ..."। " ये.... ये क्या बोल रहे है ? वहां मेरी बच्ची की ऐसी हालत हो गई और आप मुझे रोक रहे। ( कठोरता से ) मैं....मैने कहा था आपको की मत करिए या सोचिए आप , जबतक वो खुद न बोले पर ( अपना हाथ छुड़ाकर ) उसके जाने से पहले ही आपने उसे रुला दिया "।🥺🥺 ये कहते हुए वो वही फूट फुटकर रो पड़ती है । बहुत प्यार है कनक से उन्हे । उसके बोझ शब्द कहने पर ही जैसे उन्हे महसूस हुआ की किसी ने उनके दिल में खंजर घोप दिया है । इसलिए वो अब बुरी तरह रो रही होती है पर जब मुकेश जी उनके कंधे पर हाथ रखते है । तब वो नम आंखों से ही उन्हें देखने लगती है पर जब वो उनकी भी आंखे गीली देखती है तो झट से अपनें आंसुओ को पोंछ लेती हैं और कहती हैं। " मै बोल देती हु कोई जरूरत नहीं है रिश्ता जोड़ने की "।😑 " आ...आप ऐसा नही कर सकती ( थोड़ी गंभीरता से) आपकों अच्छे से पता है मैं जुबान देकर आया हु , इतने लोगो के बीच में । आप बस एक बार कनक को तैयार कर लीजिए , उसके बाद वो जैसा चाहेगी वैसा ही होगा" ।🥺 इतना कहकर मुकेश जी वहां से हटकर घर की साज सज्जा में लग जाते है । जिससे इधर सोनिया जी भी अब भारी मन से फूलों को सीढ़ी पर से उठा लेती हैं और गजरा बनाने का विचार त्याग कर, उन्हे डाल देती है टेबल के बीच पानी के भरे हुए बाउल में ।  पर अब उनका दिल नहीं हो रहा था ऊपर जाने का । उन्हे तो अब अचानक से ही एक गैर जैसा महसूस होने लगा की वो कैसे बात करेंगी कनक से , पर जब " अपनी बेटी है" ये बात मन में आती है । तब वो सब कुछ छोड़ - छाड़कर धीरे कदमों से बढ़ जाती है ऊपर कनक के कमरे की तरफ। दुसरी तरफ, इधर तनु... जिसे होश आ गया था वो बेड पर ऐसे ही लेटी हुई थी पर जब उसे कनक के चिल्लाने की आवाज़ आई। तब वो अपने बेड से उठकर कमरे डोर के पास आ गई थी और हल्के से डोर ओपन कर जो भी हॉल में हुआ वो सब देख रही होती है और जब कनक वहां से रोते हुए भागकर अपने कमरे की तरफ चली गई ।..... तब इधर तनु उसे ऐसे देख अब आंखे घुमाए हुए वापस अंदर आ जाती है और अलमीरा से अपने कपड़े लेकर , बाथरूम का डोर ओपन किए उतर जाती है बाथटब में। उसके बाद वो अब साइड काउंटर पर से अपना फोन उठाकर स्क्रीन को देखते हुए अब मुस्कुरा देती है और एक नंबर डायल करके करने लगती है किसी का इंतजार । जिससे जब वहां से आवाज आती है तब वो मुंह फुलाए हुए कहती है । " सच में इतना वक्त नही है आपके पास की एक बार कॉल कर लू मिस्टर वेद " । " माफ कर दीजिए, मैं बस थोड़ा काम में बिजी था " उधर से वेद प्यार से कहता है । " मुझे कोइ बात नही करनी , आपको बताया था ना की दिन में मुझे आप कॉल करते रहेंगे पर आप है की..... वो इतना कहते कहते ही चुप हो जाती है । जिससे उधर जब वेद को तनु की कोई आवाज नहीं आती है तो वो अपने सर पर चपत लगाते हुए कहता है । " अब ये चुप्पी जल्दी से ही तोड़कर अपने पास उठा लाऊंगा " । " सपने में " तनु मुंह फेरते हुए कहती है । " ओह तनु " ये कहते हुए वेद अब तनु को मनाने की कोशिश करते हुए उधर से कुछ प्यार भरी बातें बोलने लगता है , जिससे जब तनु सुनती है । तभी अचानक से ही उसकी सांसे तेज और चेहरा शर्म के मारे लाल सुर्ख सा हो जाता है । ♥️ ( आगे बढ़ने से पहले वेद के बारे में थोड़ी जानकारी । ये है वेद राणा , तनु का प्यार । दोनो ही एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। वेद तनु को उसके कॉलेज के आखिरी साल में मिला था जब वो एक होटल में रुकने गई थी और तभी से दोनो जुड़े हुए है । वेद एक बिजनेस मैन है ....जो अलग अलग शहरों में होटल बनवाते है। उसका काम बहुत अच्छा चल रहा और अपने मां बाप का एकलौता बेटा है तो वो लाडला भी है और इसी बात से तनु बहुत खुश रहती है । ) तनु अब शांत हुए बहुत प्यार से वेद से बात कर रही होती है पर जब उधर से कोई बॉस कहके बुलाता है तब वेद( भारी मन) से मुस्कुरा देता है और कहता है। " कॉल कट करना पड़ेगा , एक जरूरी मीटिंग में जा रहा हु पर ( मुस्कुराकर ) जल्दी ही रिश्ता लेकर आऊंगा "। " भूल जाओ " वो मुंह बनाते हुए कहती है। " कुछ कहा आपने " वो पूछता है । " नही .... नही कुछ तो नही " ये कहते हुए तनु कुछ पल और बात करती है और जब कॉल कट जाता है तो वो फोन साइड में रखकर गुस्से में तिलमिला उठती है । उसका अभी दिल कर रहा था की किसी को मार दे पर कोई था नही । इसलिए खुद ही उठकर काउंटर पर एक हाथ दे मारती है और कहती है । " पता नही है ये ग्रहण मेरी जिंदगी से कब जायेगा "। कैसा लगा भाग ? आपको क्या लगता है अब क्या होगा कनक के साथ ?
कनक का रूम, इधर कनक बेसहाय हालत में बेड पर बैठी हुई थी । कहा वो सुबह से खुश रहने की कोशिश कर रही थी और अचानक से ही ये सब । उसे तो भरोसा नही हो रहा की कल उसके मम्मी - पापा बाहर इसलिए गए थे की घर आए तो उसे लड़के के बारे में बता सके की वो आ रहा देखने । अब अचानक से ही उसका दिल घबरा रहा था । वो कभी लडका , शादी किसी के लिए तैयार नही है, क्योंकि उसके लिए शादी ......यानी एक बड़ा सा दर्द जो किसी दवा से दूर नही होगा और वो ये दर्द किसी और को नही देना चाहती । वो फिलहाल अभी बेड पर बैठ रही होती है तो , कभी फर्श पर घूम रही और जब मन भारी हो जाता तो धम से करके वही फर्श पर बैठ जाती है । जिससे जब सोनिया जी ( जो आ गई थी ) उसे ऐसे देखती है , तब उनका कलेजा जैसे मुंह को आ जाने हो जाता है। इस वक्त कनक ऊपर से नीचे हिली हुई हालत में नजर आ रही थी । पर जब उनकी नजर उसके हाथ पर पड़ती है तो वो " कनक " बोल जोर से पुकारते हुए जल्दी से अंदर आकर उसके सामने बैठ जाती है और फटाफट से उसका हाथ कसके पकड़कर । अपनी साड़ी कोने से फाड़ते हुए उसे उसके हाथ में बांध देती है और थोड़ी सख्ती से कहती है । " ये क्या है कनक ( रोते हुए ) क्या इतनी नाराज हो गई की खुद को ही तकलीफ पहुंचा रही हो 🥺। ( उसका हाथ चूमते हुए ) ऐसा मत करो , तुम्हे दर्द में देखकर मुझे रोना आता है । पर कनक कोई जवाब नही देती है बल्की निहारने लगती है उपर। जिससे सोनिया जी जब उसे अब भी ऐसे शांत बर्फ जैसा देखती है । तब खुद ही वहां से उठकर नम आंखों से ही फर्स्ट एड किट ड्रावर में से निकाल लाती है और वापस से उसके पास बैठकर , जल्दी उसके हाथ पर मलहम पट्टी करते हुए भराई हुई आवाज में कहती है। " कनक "। तभी कनक कसकर उनके गले लग जाती है और खुद को रोने से रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए सिकोड़ जाती है और कहती है । " मां.... आ...आप लोग कल मेरे लिए रिश्ता देखने गए थे? ( गहराई से ) ऐसा क्यो बताइए आप ? क्या आप लोग अब मुझसे तंग आ गए है की भगाना चाहते है ( फुटकर रोते हुए ) मै नही कर पाऊंगी मां प्लीज "। वही सोनिया जी अब काफी ज्यादा गुस्से मे आ रही होती है । हालांकि इसपर नही की कनक लडका देखने के लिए मना कर रही , बल्की इसलिए की आखिर क्या जरूरत थी मुकेश जी को रिश्ते की बात करने की । पर जब फिर से उन्हे कुछ याद आता है तब वो वापस से अपनी आंखे कसकर बंद कर लेती है और कुछ बोलने ही लगती है तभी कनक फिर कहती है । " प्लीज़ मै शादी नही कर सकती , मुझे शादी मे कोई लगाव नही है ...प्लीज आप पापा से बात करो ना ( नम आंखों से ) मुझे नही देखना कोई भी लडका " वो गिड़गिड़ाते हुए कहती है। "कनक मेरी बच्ची ( प्यार से ) बस एक बार तुम लड़का देख लो , नही पसंद आया तो न बोल देना । ( सर झुकाकर ) कल शाम वो अपनी जुबान देकर आए है। जानती हु मै कुछ बोलूंगी भी तो वो नही सुनेंगे और ( भारी मन से )कनक मै तुम्हे मजबूर नही कर रही पर ( उसका सर चूमकर ) मेरी बच्ची अपने पापा का मन रखने के लिए बस एक बार मिल लो " सोनिया जी उसे बाहों मे पकड़ समझाते हुए कहती है । " नही मां....ये मेरी जिंदगी है , मुझसे बीना कुछ पूछे वो ऐसा कैसे कर सकते है " । कनक ये शब्द बहुत ज्यादा ही गुस्से और आक्रोश मे कहती है और जल्दी से उनसे अलग होकर, खुद को संभालकर खड़ी हुई जैसे ही तेजी से ही रूम से निकलने ही लगती है । तभी मुकेश जी खुद उसके सामने आकर खड़े हो जाते है । जिससे वो हड़बड़ा जाती है और गिरने ही लगती है की मुकेश जी उसे बाह पकड़ संभाल लेते है। वो फिर उसे अब बेड के पास ले आते हैं और बिठाकर बहुत प्यार से पुचकारते हुए कहते है । " कनक बेटी लड़का शाम मे आ रहा है । ( उसके सर पर हाथ रखकर) अपने भाई और उसकी पत्नी को खो देने के बाद , मेरी बेटी तुम्हारी सारी जिम्मेदारी मुझ पर है । बाप होने के नाते तुम्हारा अच्छा ही सोचूंगा , इसलिए तुम बस एक बार लड़के को मिल लो और जैसा सोनिया जी ने कहा, अगर वैसा हुआ तो हम खुद ना बोल देंगे "। वही कनक ये सुन सुन्न हो जाती है । उसने कभी नही सोचा था की कुछ ऐसा होगा । हालांकि जिंदगी मे इससे भी बुरा हो चुका है पर वो दिल से लड़का देखने के लिए नही तैयार थी । उसे तो अभी आगे के लिए पढ़ना था पर अब ...ये ही सोचते सोचते हुए वो बेड से टिक जाती है । जिसकी वजह है सोनिया जी अब नम आंखों से सर पर हाथ फेरते हुए साड़ी ( जो वो पहनने वाली है ) उसे उसके बगल मे रखकर उसके सामने खड़ी हो जाती हैं और कहती है । " ये चोट मेरी वजह से लगाई तुम "? " नहीं मां ....वो गार्डन मे घास पर बैठी थी तो कांच का एक टुकड़ा चुभ गया ( अपना हाथ देखकर ) बस वही लग गया "वो बिन भाव के कहती है । " तुम ठीक तो हो ना , दर्द तो नही हो रहा ना "? सोनिया जी परेशान हुए पूछती है । " दर्द ( मुस्कुराकर ) नही मां अब दर्द नही होता मुझे " । वही कनक की ऐसी बात सुन सोनिया जी ... नम आंखों से सामने खड़े मुकेश जी को निहारने लगती है , जो खुद कनक को भावुक हुए देख रहे होते है । पर जब कनक उन्हे देखती है ...तो वो तेजी से कमरे से बाहर निकल जाते है । जिसकी वजह से इधर सोनिया जी भी अपने आंसुओ को रोककर उसे तैयार होने को कह । अब धीरे कदमों से रूम से निकल जाती हैं पर एक बार और डोर पर रूक कर कहती है । " तुम्हारे अलमारी मे गहने रखे हुए मेरे ( मुस्कुराकर ) आज पहन लेना बहुत प्यारी लगोगी "। और फिर अब वो वहां से चली जाती जिससे इधर बेड पर पड़ी कनक अब हैरानी से ...उन्हे जाते देख ब्लैंकेट को कसकर दबोच लेती हैं । वो कुछ वक्त तक ऐसे ही हाल में पड़ी रहती है । अब उसका दिमाग फिर से कुलबुला रहा होता है , जैसे फटने को तैयार हो रहा हो । जिसकी वजह से अचानक से ही उसे सर दर्द भी शुरू हो जाता है और वो दर्द के मारे आह भर लेती है । पर तभी उसका फोन भी बजने लगता है जिससे वो आवाज सुन खुद को संभालते हुए अब पूरी ही बेड पर लेट जाती हैं और सर हल्के से दबाए हुए जब फोन लेकर स्क्रीन पर नाम पढ़ती है । तभी उसके चेहरे पर दर्द की हल्की मुस्कुराहट उभरने के साथ - साथ , आंखो में आंसु लुड़क पड़ते है। कैसा लगा भाग ? आप अपने विचार बताएंगे तो अच्छा लगेगा 🙂🩷

- कनक
पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की कनक के सर में दर्द शुरू हो जाता है और तभी किसी का कॉल भी आने लगता है। जिससे वो जाकर बेड पर लेट जाती हैं और जब नाम पढ़ती है तो उसकी आंखो में से आंसु लुड़क पड़ते है ....अब आगे ।
फोन अब भी बज ही रहा होता है , बल्कि दो तीन बार कटकर वापस भी आ चुका था । पर कनक तो बस ऐसे गुम थी की जैसे वो इस जगह पर है ही नही । इसलिए तभी उसे कोई जोरो से हिला देता है । जिसकी वजह से वो अफना कर उठ जाती है और देखती है की सामने तनु खड़ी है तो वो धीरे से कहती है ।
" क्या हुआ " ?
" हुआ कुछ नहीं है पर तुम्हारा ये फोन जरूर बेहरा कर देगा मुझे ( अपना सर पकड़कर ) तुम्हे कॉल नही अटेंड करना होता है तो फोन साइलेंट रखा करो ( थोड़े गुस्से मे)वरना फेंक दो "।🤬
इतना कहकर तनु पैर पटकते हुए रूम से बाहर निकल जाती है पर जाते जाते डोर भी लॉक कर देती है । जिससे इधर कनक कसकर अपनी आंखे मूंदे हुए बेड के क्राउन पर से बाम उठा लेती हैं और माथे पर लगाकर , जब फोन उठाती है तो उसपर अधिराज के 10 से ज्यादा मिस्ड कॉल पड़े हुए होते है । जिसकी वजह से वो " अह" कर खुद ही कॉल करने लगती है और उधर से अधिराज एक ही बार में सीधे अटेंड करने के बाद थोड़ी सख्ती से बोल पड़ता है ।
" हैलो ....कनक आ..आप ठीक है ना ? कॉल क्यों नहीं अटेंड कर रही थी ? आप जानती है मैं कितना परेशान हो गया था । कितने बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे मेरे दिमाग में ।
" ठीक हु " ।
" ठीक हु " ये कैसा जवाब है ? ( हल्की सांस भरकर) हो कहा आप पहले ये बताओ " अधिराज अब बहुत ज्यादा ही परेशान हुए पूछता है ।
" रूम में "।
इतना कहकर कनक सीधे बेड पर लेट जाती है । इस वक्त उसे महसूस हो रहा था की काश कोई उसके पास होता है जिसे वो गले लगा सकती । बहुत अकेला महसूस कर रही होती हैं पर जब अधिराज फिर " हैलो.... हैलो " बोलने लगता है तो वो अपने ख्यालों से बाहर निकलकर कहती है ।
"अधिराज .. आ... आप यहां आ जाओ ना प्लीज़ ! प्लीज ! प्लीज ।🥺
ये कहते हुए वो रो पड़ती है और रोते ही रोते उसे फिर से यहां उसके पास आने के लिए कहने लगती है । तब वही उधर अब अधिराज उसकी ऐसी आवाज सुन शॉकली हड़बड़ाकर अपनी जगह से खड़ा हो जाता है ।
इस वक्त वो कॉलेज के लाइब्रेरी में होता है । वहां आज थोड़े ज्यादा स्टूडेंट्स थे इसलिए जब वो उठता है तो उसकी चेयर की वजह से सबका ध्यान उसकी तरफ हो जाता है । जिसकी वजह से वो सॉरी कह तेजी से रूम से बाहर निकल जाता है और कॉरिडोर से होते हुए पहुंच जाता है उपर टैरेस पर और अब तेज तेज सांस भरते हुए कहता है।
" किसकी इतनी हिम्मत हुई आपको रुलाने की (गुस्से में ) तनु ने कुछ कहा "?
" आप आ नही सकते क्या , मुझे सच में बहुत अकेला महसूस हो रहा है "।
वही इधर अधिराज अब बहुत ज्यादा ही परेशान हो उठता है । उसे पता है की तनु का कैसा बिहेवियर है कनक के साथ और कनक है की जब भी वो कुछ करती है वो झूठ बोल देती है की ऐसा कुछ नहीं है। हालांकि एक बार तनु का बिहेवियर वो खुद अपनी आंखों से देख चुका था जब वो खुद एक बार उसके कॉलेज में आई थी । इसलिए उसे लग रहा की पक्का इस बार भी उसने ही कुछ किया है तभी वो कहता है ।
" देखिए मैं आप दोनो बहनों के बीच में कभी नही आना चाहता , पर अगर इस बार भी तनु की वजह से रो रही और मुझसे झूठ बोल रही तो याद रहे मैं वापस कभी बात नही करूंगा ।
" आ .... आप भी ऐसा करेंगे अब ? ठीक है ( सख्ती से ) वापस कॉल मत करना "।
ये कहते हुए कनक खुद ही कॉल कट कर देती है और बेड से उठने ही लगती है की तभी उसका फोन फिर से बज उठता है । जिससे वो इग्नोर कर देती है पर वो फिर बजता है , तो वो अब झट से अटेंड कर लेती है और इससे पहले कुछ कहती , वो बोलता है ।
" सॉरी...अच्छा प्रोमिस मैं आगे से कभी ऐसा नही कहूंगा ( अब थोड़ा प्यार से ) अच्छा बताओ ना क्या हुआ है ? आपके घर पे सब लोग ठीक है ना "?
अधिराज को पता है की वो अगर कभी उसे छोड़कर गया तो , शायद ही वो जिंदगी में किसी और पर भरोसा कर सके। इसलिए वो जल्दी से माफी मांग लेता है क्योंकि वो भी ज्यादा देर तक नाराज नही रह सकता था उससे और अब उसे सब जानना चाहता था तो उसके जवाब का वेट करने लगता है । जिसकी वजह से उधर से कनक अब कहती है ।
" मां..... मां पापा ने मेरे लिए रिश्ता ढूंढा है । वो थोड़ी देर में मुझे देखने आ रहा ( रोते हुए ) आ...आप आ जाओ ना प्लीज़ "।
" व्हाट ...ये क्या कह रही है आप "।
अधिराज रिश्ते की बात सुनकर ही बुरी तरह से शॉक हो जाता है और इसलिए रेलिंग को कसकर दबाकर सामने देखते हुए कहता है ।
" कनक आप मजाक तो नहीं कर रही है "?
" आ....आपको ये मजाक लग रहा है ( सिसकते हुए ) यहां मेरा मन कर रहा की कहूं भाग जाऊ... आ...आप जानते हो पापा अपनी जबान देकर आए है रिश्ते के लिए। ( रोते हुए ) मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करु, मुझे नहीं मिलना किसी से.. ...कुछ करो ना प्लीज़... प्लीज़"।🥺
ये कहते हुए कनक सिसक उठती है , हालांकि उसका रोना अब धीरे धीरे बंद हो रहा था पर आंखो में नमी ने अब भी जगह ले रखी थी । वही अधिराज को नही समझ आ रहा था की अब क्या बोले उसे । वो अच्छे से जानता है की कनक अपने मम्मी पापा के बातो को नकार नहीं सकती चाहे देर से ही हो और ये भी की वो " शादी " । नही.…..इसके बारे में तो जिक्र से ही उसकी हालत ऐसी हो जाती है की जैसे उसकी जान निकल जायेगी । वो दूर भागती है और अधिराज ये बात बहुत अच्छे से समझता है पर ......उसके मां पापा की इज्जत का भी सवाल है । इसीलिए वो चुप्पी साध लेता हैं।
अब कुछ पल तक दोनो ही शांत रहते है पर इधर कनक परेशान हुए अपने कपड़ों से खेल रही होती है और साथ में कर रही होती है अधिराज के जवाब का इंतज़ार पर जब वो कुछ समय तक नही बोलता है तो वो कहती है ।
" आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे " ?
" आप लड़के से मिलने जाइए " ये शब्द अधिराज कहता है ।
कैसा लगा भाग?
समीक्षा रेटिंग का इंतजार रहेगा ।🩷🙂
 - कनक ( एक लडकी जो अपनी जिंदगी बिना किसी बंदिशों से जीना चाहती है।) पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की अधिराज कनक को लड़के से मिलने के लिए कहता है ....... अब आगे , कनक का अब एक बार फिर से वही हाल था, जब उसे मां से रिश्ते के बारे में पता लगा था । वो अधिराज की बात सुन अब बिल्कुल ही शांत हो गई थीं। दिमाग ने सोचना बंद कर दिया था क्योंकि उसने अधिराज को कॉल तो इस आस में ही किया था की वो कोई तरीका बतायेगा , पर यहां तो वो खुद ही उसे देखने के लिए बोल रहा । इसलिए वो अब फोन साइड में कर देती हैं और बिलकुल ही चुपचाप तरीके से अलमीरा के पास जाकर उसमे से कपड़े निकालकर लिए हुए आ जाती हैं बेड पर और फोन कान पर वापस लगा लेती है । तब इशारे के लिए कनक के हाथ के चूड़ियां बज पड़ती है जिससे अधिराज ये सुन हड़बड़ाकर कहता है । " कनक ..... आ..आप मेरी बात सुनिए, कॉल मत कट करना ओके। ( गहरी सांस भरकर)आप मिल लो न लड़के से क्या जा रहा है। मैं समझता हु आप नही चाहती ऐसा कुछ पर मम्मी पापा की इच्छा भी तो होगी न । अगर वो जबान देकर आए हैं तो ( धीरे से ) आपको उनकी बातो का मान रखना चाहिए । आप मिल लीजिए और फिर उस लड़के को बता दीजिएगा की आप शादी नही करना चाहती अभी या कुछ और ओके। इससे आपका भी काम हो जायेगा और पापा मम्मी की बात भी पूरी हो जायेगी ....ठीक है ? इतना कहकर वो चुप हो जाता है और इंतजार करने लगता है उसके बोलने का । पर इधर तो कनक किसी दूसरे लड़के से मिलने के नाम पर ही कांप जाती है । जिससे उधर पता नही कैसे पर ये चीज अधिराज भांप जाता है। इसलिए वो आसमान की तरफ देखने लगता है और बहुत प्यार से नम आंखों से कहता हैं। " अपना ध्यान रखिएगा ये ज्यादा जरूरी है । मैं आपके कॉल का वेट करूंगा और बेस्ट ऑफ़ लक । जैसा आप चाहती है वैसा ही होगा और डरना तो बिलकुल भी मत वरना मेरी इतने सालो की मेहनत बर्बाद हो जायेगी ( थोड़ा कड़क आवाज में) ओके । अब कनक एक शब्द भी नही कहती हैं , पर अधिराज प्यार से बाय कहते हुए कॉल कट खुद ही कर दता है । वही इधर वो अब फोन कान पर से हटाते हुए उसे बेड क्राउन पर रख देती हैं और बेड पे से उठकर कपड़े लिए हुए चली जाती है वाशरूम में । थोड़ी देर बाद वो फ्रेश होकर बाहर निकल आती हैं और बालो को जल्दी से सुखाते हुए , अपने बैग से अपनी डायरी निकालकर उसे लिए सीधे लेट जाती है सामने काउच पर और डायरी खोलकर हल्की सी आवाज में कहती है । " सॉरी इस बार लेट हो गई हु " । ये कह वो हल्का सा मुस्कुरा देती है और शुरू हो जाती है लिखना । हां कनक की एक और आदत है और वो ये की उसे डायरी लिखना बहुत पसंद है । बचपन से ही कुछ बाते जो वो किसी से बांट नही पाई , उसे वो यहां इस डायरी में लिखकर सांझा करती है । अभी न जाने कितनी डायरिया वो भर चुकी होगी पर आज तक कभी ऐसा दिन नहीं गया की उसने कुछ न लिखा हो । वो अपने साथ पूरे दिन क्या होता है , सब कुछ लिखती है । जिससे उसे सुकून मिलता है क्योंकि सोनिया जी के अनुसार ,कनक की मां भी ऐसा करती थी । इसलिए कनक को ये लिखना और भी ज्यादा पसंद है । वो अब भी बहुत ध्यान से जो हुआ सब कुछ लिख रही है और आखिरी में लिखते लिखते हुए ही कहती है । " मैं कैसे मिलु किसी लड़के से , बहुत अजीब लग रहा है "। ( तभी उसकी अंतरात्मा बोलती है ।) " मिलना तो पड़ेगा ही ... आख़िर अधिराज ने कहा है तो उसकी बात कैसे टाल सकती हो । उसने भी तो बहुत मेहनत किया है की, तुम ओपन हो सको सबके साथ तो बस उसकी बात सुनते जाओ "। इतना कह वो शांत हो जाती हैं। जिससे तभी कनक अपना सर झटक देती हैं और डायरी खुद से चिपकाए हुए कहती है । " सब अच्छा होगा ह्म्मम्म्म ! सब अच्छा होगा "। नीचे हॉल में, इधर हॉल में सोनिया जी भागम भाग कर रही होती है । अब खाने पीने का सामान आ चुका था इसीलिए वो सजाते हुए सामने टेबल पर रख रही होती है । हालांकि वो सब कुछ खुद भी बना सकती थी पर मुकेश जी ने समय नही है ज्यादा कहके सब कुछ बाहर से ही मंगवा लिया । इसीलिए उन्होंने भी कुछ नही किया और बस अपने काम में लगी रही । वही मुकेश जी भी बिजी थे और बार बार ऊपर नीचे कर रहे होते है । तभी अब कमरे से तनु बाहर आ जाती है और हॉल का सब देखकर थोडा अंजान बनते हुए कहती है । " कोई आने वाला है क्या मम्मी "? " ओह तनु मुझे माफ़ कर दो , तुम्हारी तबियत कैसी है अब"। ये शब्द मुकेश जी के थे जो तनु को अब कमरे से बाहर निकलते देखते हैं और उसके सामने आकर उसे गले लग जाते है तो वो कहती है । " आईएम सॉरी टू पापा ....मुझे कनक से ऐसे बात नही करना चाहिए था "।🩷 " चलिए अब मेरी बच्ची भी खुश है तो मैं भी बहुत खुश हो गई " सोनिया जी मुस्कुराकर कहती है । " हम्मम पर मम्मा कुछ है क्या आज ( याद करते हुए ) पर आज तो कोई फेस्टिवल ही नहीं है " वो पूछती है । " त्योहार नही है पर ( बिन भाव के ) आज कनक को लड़के वाले देखने आ रहे है तो, बस उसी की तैयारी चल रहा " सोनिया जी कहती है । " अच्छा "। ये कहते हुए तनु कुछ पल तक ऐसे ही थोड़ी मजाक मस्ती करने लगती है उन दोनो लोगो के साथ ... जिससे वो दोनो ही खिलखिला उठते है और अब मुकेश जी कहते है । " बस अब तुम्हे भी दुल्हन के जोड़े में देख लू तो , मन तृप्त हो जाएगा " ।🥺🩷 "ओह पापा ( मुंह बनाते हुए ) माना की मैने सब बता दिया है , पर मैं बाद में बताऊंगी की कब करनी है शादी ओके "। इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए वहां से हटकर सीधे अपने कमरे में चली आती हैं और बेड पर लेटकर कुछ करने ही जाती है , तभी सोनिया जी डोर पर आकर कहती हैं। " तनु....आज कनक को तुम तैयार कर दो , जानती हु तुम बहुत अच्छे से कर लोगी"। " मॉम प्लीज... आप....... ( सोनिया जी बीच में ही ) " तुम्हारे पापा ने कहा है । वो ही चाहते है की तुम कनक को आज तैयार करके नीचे लाओ ठीक है ( मुस्कुराकर ) मैं जानती हु तुम कर लोगी । और फिर वो ये बोलकर वहां से वापस किचन की तरफ चली जाती है । जिससे इधर तनु अब बिन भाव के उठ जाती हैं और मिरर में खुद को देखकर अपना चेहरा ठीक किए निकल जाती है ऊपर रूम की तरफ़ । जिसकी वजह से जब इधर नीचे मुकेश जी उसे देखते है तो ....... सामने से आती हु सोनिया जी का हाथ पकड़ लेते है और कहते हैं। " मैं चाहता हु इन दोनो के बीच सारे मनमुटाव खतम हो जाए । " सब ठीक हो जायेगा ♥️हमारी बच्चियां बहुत अच्छी है " सोनिया जी उनके हाथ पर अपना सर रखकर कहती है । कैसा लगा भाग ? आपको क्या लगता है ... क्या होने वाला है ?
-कनक " बस है एक छोटी सी आस मेरी रहे तो जीवन भर पास मेरे 🩷" पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की .. मुकेश जी और सोनिया जी तनु को ...कनक के कमरे में जाते देख बहुत खुश हो जाते है अब आगे , ऊपर रूम में , इधर कनक लिखते ही लिखते एक बार फिर से वही काउच पर सो चुकी थी और वो इस समय इतने ज्यादा गहरी नींद में थी की, उसे पता ही नहीं चलता की कबसे तनु उसके कमरे में आकर चारो तरफ देख रही है और जब तनु की नजर सामने काउच पर कनक पे जाती है । तब तो वो भारी कदम से उसकी ओर पहुंच जाती हैं और गुस्से में लगती हैं उसको घूरने और नाक सिकोड़, मुंह बनाते हुए, उसे जोर जोर से हिलाते हुए कहती है । " जल्दी से उठ जाओ , इसके अलावा भी मेरे पास बहुत काम है , दिन भर का ठेका नहीं ले रखा है कि मैं तुझे जगाती रहु"। पर कनक आंखे नही खोलती है , बल्कि उसके हिलाने की वजह से मुंह बनाते हुए दूसरी तरफ मुड़ जाती हैं और फिर सिकोड़ जाती है बेड पर किसी बच्चे की तरह । तब वही फिर उसे ऐसे देख अब तनु का तो पारा ही हाइ हो जाता है । वो अपनी आंखे कसकर मूंद लेती है " जैसे गुस्सा कंट्रोल कर रही हो " और फिर से कनक को थोड़ा जोर जोर से हिलाए हुए कहती हैं। " कनक यार उठ जा , मम्मी पापा कबसे तुम्हारा नीचे इंतजार कर रहे है और ( थोड़े प्यार से ) वो लड़का भी तो आ रहा है "। और बस वही कनक जो खोई हुई थी सपनो में । वो अचानक से ये नींद में लड़के के बारे में सुनकर तो झटके से हीउठ खड़ी होती हैं और चारो तरफ देखते हुए गुस्से में कहती है। " लड़का ..... का...कहा है वो , उसे मेरे कमरे में कैसे आने दिया "। अब कनक फिर से परेशान हो उठी थी और अधखुली आंखों से ही , चारो तरफ घूम घूम कर निहार रही होती है । जिससे तभी उसके सामने खड़ी तनु उसे ऐसे देख आंखे रोल किए उसे कंधे से पकड़कर झकझोर देती हैं कहती हैं। " मुझे पता है तुम्हारा ध्यान चौबीसो घंटे लड़को में ही रहता है पर ( मुंह फेरकर ) अब उठ जाओ ,मुझे और भी काम है "। तो वही कनक ...तनु के ऐसे इतनी बुरी तरह से झकझोरने की वजह से होश में आ जाती है। वो अब देखती है की उसके सामने तनु हाथ फोल्ड किए हुए खड़ी है और उसे ही घूर रही है । तब फिर इसकीवजह से कनक अब शांति से काउच पर से उठ जाती हैं और उससे कहती है । " आप ऐसी बाते मत बोला करिए दी मेरे बारे में ( बाथरूम की तरफ जाते हुए ) आप जाइए, मैं खुद तैयार हो जाऊंगी "। इतना कहकर फिर वो बाथरूम में चली जाती है और जोर से ही बंद कर देती है डोर। इस वक्त मतलब अब उसका बिलकुल भी मन नही था अपना दिमाग ज्यादा चलाने या ख़राब करने का इसीलिए कुछ नही बोली । पर उधर बाहर तनु उसका खुद तैयार हो जायेगी बात सुनकर ही तिलमिला उठी थी क्योंकि उसे लग रहा था की कनक ने उसका इगो हर्ट कर दिया। इसलिए वो जाने के बजाए वही बैठ जाती है। जिससे जब कनक बाहर आती है और उसे अब भी बैठा देखती है तो कहती है । " दी मैं हो जाऊंगी तैयार , वैसे भी आपकी तबियत ठीक नही है "। " मैं ठीक हु "। ये कहकर तनु बेड पर से साड़ी उठा लेती है और कनक का हाथ पकड़, अपने सामने खड़ा कैसे उसे धीरे धीरे पहनाने लगती हैं। जिससे वही कनक उसे ऐसे देख पहले तो शॉक होती है पर फिर हल्का सा मुस्कुरा देती है और कहती है । " क्या आप हमेशा मुझसे प्यार से बात नही कर सकती "? " ज्वैलरी कहा रखी है , जो पहनने वाली हो " तनु उसकी बात को इग्नोर करके अपना सवाल पूछती है । " अलमिराह में " वो जवाब देती है वही तनु ये सुन जल्दी से उसे साड़ी पहना देती है और उसे मिरर के सामने बैठने को कहकर अब खुद अलमीरा से गहने निकालने लगती है । जिसकी वजह से तभी कनक के कपड़े से एक तस्वीर फर्श पर गिर जाती है और जिसका भी था उसका चेहरा दिखने लगता है । जिससे वही तनु ये तस्वीर देख कर भोंह सिकोड़ लेती है और झुककर तस्वीर उठाते हुए कहती है । " ये ... ये लडका ( कुछ सोचकर) हां अधिराज उसकी तस्वीर अब भी तुम्हारे पास है ( आँखें रोल किए )कनक क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में ? वही कनक ....अचानक से अधिराज की तस्वीर तनु के हाथ में देखकर छीन लेती है और फटाफट से उसे वापस अलमारी में रखकर कहती है । " वो दोस्त है मेरे और तस्वीर तो ही है। ( हाथ पकड़) आप मेरे बाल ठीक कर दिजिए "।" इतना कहकर वो जाकर ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ जाती हैं। जिसकी वजह से तनु अब कोई सवाल जवाब नही करती है, बल्कि आकर उसके बाल ठीक करने लगती हैं और कुछ पल बाद गहने पहनाकर , नॉर्मली मेकअप करके कहती है । " तुम्हारी शादी होने वाली है तो उस लड़के से दुर ही रहो ( दूसरी तरफ चेहरा करके ) वो छिछोरा लगता है "। " दी .... अधिराज बहुत अच्छे दोस्त है मेरे और आप भी मिल चुकी है। ( उसकी तरफ मुड़कर ) मुझे नहीं लगाता की आपको उनके बारे में ऐसी बाते या शब्द बोलने चाहिए " कनक अपना गुस्सा संभालते हुए प्यार से बोलती है "। " वैसे देखा है मैंने जब - जब मैं उस लड़के को कुछ बुरा बोलती हु , तुम्हे बहुत बेकार लगता है । ऐसा क्यों ? कोई चक्कर चल रहा है क्या तुम्हारा उससे "? तनु हाथ फोल्ड किए हुए पूछती है "। वही कनक अब ये सुन उसे अजीब नजरो से निहारने लगती है पर फिर कहती है । "अधिराज बहुत अच्छे है इसमें कोई शक नही और प्लीज़ ( उसे कंधे से पकड़कर ) अभी मेरा मन ,दिमाग कुछ नहीं ठीक चल रहा तो , आप मुझे जानबूझकर परेशान करने की कोशिश मत करिए "। और फिर कनक झट से उसी वक्त बेड क्राउन पर से अपना फोन लेकर कमरे से बाहर निकल जाती हैं और वहां से सीधे ऊपर रूफ की तरफ। वहां पहुंचकर वो बिन भाव के झूले पर बैठ जाती हैं और धीरे धीरे झूलते हुए ही कहती है । " ये दी कभी नही सुधर सकती । अच्छे खासे मूड का कबाड़ा करना कोई इनसे सीखे ( आँखें बंद कर ) ये दिन जल्दी बीते , अब और बर्दाश नही हो रहा कुछ । ये कहकर वो सिसक उठती है पर इससे पहले उसकी आंखो से आंसु बहते । तभी कोई आकर उसके चेहरे पर हाथ रख लेता है और आंसुओ को पोंछकर कहता है । " कनक " वही कनक किसी का स्पर्श महसूस कर, जब आवाज सुनती है तो झटके से अपनी जगह से खड़ी हो जाती हैं । पर जब पिछे मुडकर सामने खड़े इंसान को देखती है तो बहुत हल्की आवाज में हैरानी से कहती है । " अधिराज जी .. आप" । " बिलकुल मै ही हु" वो मुस्कुराकर कहता है । " आ....आप कैसे आ गए इतनी जल्दी " वो हैरानी से फिर से पूछती है।" उसे तो भरोसा ही नही हो रहा था की अधिराज इस वक्त उसके सामने खड़ा है । इसीलिए वो तेजी से भागकर अब उसके पास जाकर खड़ी हो जाती हैं और फिर से कहती है । " अधिराज जी " " आपने मुझे बुलाया तो मुझे आना था ही " वो उसके गाल पर हाथ रखकर कहता हैं "। वही कनक अब उसका स्पर्श महसूस कर, कसकर उसके सीने से लग जाती हैं और नम आंखों से ही कहती हैं।🥺 " आपको पता है तनु दी ने फिर से आपके बारे में बुरा बोल । मै जानती हु उन्हे मेरे दोस्त नही पसंद पर उन्हें ऐसे तो नहीं बोलना चाहिए था "। " अह ....कल तो आप वापस आ जाओगी न, तो छोड़ो इस बात को ( उसके सर पर रख फेरकर ) अब आप ठीक हो ना ? देखिए मैंने आपको इतने साल में बहुत स्ट्रॉन्ग बनाने की कोशिश की है । इसीलिए आप इस लड़के से नहीं डरेंगी ओके " वो कहता है "।" " पर अधिराज जी वो ( अब उसे देखकर ) आपको पता है ना ( उसकी शर्ट कसकर पकड़ ) मैं........ मैं नही.... उसकी बात पूरी होने से पहले ही अधिराज उसे " स्सस स...कहते हुए चुप करा देता है और अब बहुत प्यार से कहता है । " मै चाहता हु ( मेरे अलावा ) आप और लोगो के साथ भी फ्री रहो , हिचकिचाओ मत और मैं तो हु ही न आपके साथ हमेशा "। " हम्म्म " कनक हल्का सा मुस्कुराकर कहती हैं। कैसा लगा भाग ? पढ़ लिए तो याद से समीक्षा रेटिंग करके भी बता सकते है । 😊🩷
पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की कनक ..अधिराज से बात कर रही होती है। अब आगे , नीचे हॉल में अब मम्मी पापा एक साथ डोर पर खड़े हुए थे । सोनिया जी लाल बनारसी साड़ी पहने हुए इस उम्र में भी बहुत खूबसूरत लग रही होती हैं। वही बगल में खड़े मुकेश जी भी लाल रंग का धोती कुर्ता पहने बड़े अच्छे लग रहे होते है । जिसकी वजह से तभी ... तनु (जो ऊपर रूम से आ गई थी ) वो उन दोनो लोगो के बीच में आकर खड़ी हो जाती हैं और कहती है । " क्या बात है ज्वैलर साहेब ( मुकेश जी को देख ) क्या गजब लग रहे है आप तो और आप ( सोनिया जी से ) मम्मा 🤩...कही लड़का आपको ही न पसंद कर ले" । " तनु ... मैं उस लड़के की आंखे निकाल लूंगा ,अगर उसने मेरी पत्नी पर नजर भी डाली तो " मुकेश जी घूरते हुए कहते है। " ओह माय गॉड मम्मा ( पीछे से उनके गले लगकर ) इस उम्र में भी प्यार परवान चढ़ रहा " वो गाल खींचते हुए कहती हैं। वही सोनिया जी अब ये सुन तो शरमा जाती हैं, पर साथ में तनु को हल्के से एक चपत लगाकर कहती है । " देख रही हू ...बहुत बोलने लगी हो तुम अब ( कान मरोड़कर प्यार से ) लगता है वापस स्कूल भेजना पड़ेगा "। " स्कूल नहीं बल्कि अब तो हमारी बेटी ( उसे सीने से लगाकर ) ससुराल जायेगी " मुकेश जी मुस्कुराकर कहते है । " ओह हो ( अलग हुए ) मैं तो चली वरना आप लोग तो आज ही भेज देंगे( मुकेश जी से ) पापा ( मुंह बनाकर ) वैसे तो ससुराल मैं जाऊंगी पर , आपका काम सिख कर । मुझे आपकी हेल्प करनी है "। " आव मेरा बच्चा " सोनिया जी भी उसे गले लगाकर कहती है । इस वक्त ये तीनो ही लोग एक दूजे के गले लगे हुए खड़े थे । बड़ा ही प्यारा लग रहा ये सब और इसलिए तनु मुस्कुराते हुए अलग हो जाती हैं और कहती हैं। "अगर हमारा मिलाप हो गया हो तो मैं तैयार हो आऊ "? " जल्दी जाइए (हाथ पकड़) हां कनक तैयार हो गई क्या "? सोनिया जी पूछती है।" " ऑफकोर्स मम्मी ....वो बहुत प्यारी लग रही है पर छत पे गई है वो " तनु हल्की सी मुस्कुराहट से कहती है ।" " ओह ठीक है तुम जाओ तैयार हो जाओ , मैं ही लेकर आती हु कनक को "। इतना कहकर सोनिया जी ...मुकेश जी से वही डोर पर खड़े बात करने लगती है । जिससे तनु अब वहां से हटकर, वापस अपने कमरे में आ जाती हैं और बेड पर लेटकर खुद से कहती है । " रिश्ते के लिए तो तुम्हे हां करना ही पड़ेगा ( तकिया पकड़ ) मैं नही कर सकती तुम्हे अब और बर्दाश यहां । और फिर ये ही खुद से कहते हुए वो अब बेड से उठ जाती हैं और फटाफट से एक अंब्रेला सूट । जो खुद सोनिया जी ने उसके लिए बनाया था उसे पहन लेती हैं और मिरर के सामने बैठकर कहती है । " तुम देखती जाओ मैं क्या क्या करती हु ( काजल लगाते हुए ) तुम सिर्फ दूसरो की खुशियां छिनना जानती हु । जल्दी से तुम निकलो यहां से , वापस जाओ ( आंखे बंद कर ) वरना मै क्या करूंगी वो सह नहीं पाओगी । इतना कहकर वो अपनी जगह से खड़ी हो जाती है । उसका तो बिलकुल भी मन नहीं था कनक को तैयार करने का । जब - जब तनु उसे देखती है उसका दिल करता है या तो खुद कही चले जाए या कनक को भेज दे हमेशा के लिए । पर नही कर सकती थी ऐसा कुछ । इसीलिए अब कमरे में वो जोर जोर से टहलने लगती हैं और सोचने लगती है की क्या करे ? की तभी उसका फोन बजने लगता है । जिसकी वजह से वो भनभनाई हुई अब आवाज सुन धम से करके बेड पर लेट जाती है और कॉल अटेंड कर कहती हैं। " वेद .... मुझसे अब और सहन नहीं होता है ये सब " । ( तभी उधर से वेद उसकी ऐसी बात सुन कहता है। ) " तनु मैडम ....आप कहे तो ये दूरियां मैं अभी मिटा सकता हु। ( मुस्कुराकर ) आप हां बोलिए , मैं रिश्ता लेकर पहुंच जाता हु "। " आप फिर से शुरु हो गए ( मुंह बनाते हुए ) यहां मेरा सर फटा जा रहा और आप है ..…....." ( उधर से वेद बीच में ही थोड़े गुस्से में बोलता हैं।) " Damm it तनु ......आप अपना ख्याल क्यों नही रखती । आप अच्छे से जानती है की आपको अपना बहुत ध्यान रखना चाहिए फिर भी "। इधर तनु ...वेद को इतना गुस्सा करते सुन तो वो झट से उठकर बैठ जाती हैं और अपना सर सहलाए हुए कहती है । " सॉरी ! मैं बस परेशान थी "। " मैं कल मिलने आ रहा हु .... एड्रेस मैं भेज दूंगा " वो बिन भाव के कहता हैं। और फिर झट से कॉल कट कर देता है । जिससे इधर तनु अपना फोन देखते हुए सर पकड़ लेती है। बहुत पजेसिव है वेद... तनु के लिए , क्योंकि वो परेशान होती है तो वो भी हो जाता है । इसीलिए तनु अब कुछ सोचकर शांति से फिर अपना फोन ओपन कर लेती है और वेद को मैसेज करती है तो उधर से झट से जवाब आ जाता है की " लव यू टू ♥️पर आप परेशान नही होंगी । वही तनु ये देख (😘) ये इमोजी भेजकर फोन वापस बेड पर रख देती हैं और निकल जाती है रूम से बाहर। ऊपर रूफ पर , इधर कनक आंखे बंद किए हुए खड़ी थी जिसकी वजह से अधिराज कहता है । " एक सवाल पूछूं ? बहुत सालो से पूछना चाहता था "। " हम्मम " वो कहती है । " आप सभी लडको से दूरी बनाकर रखती है हमेशा । पर मुझसे क्यो नही ? मेरा मतलब ...आपकों मुझसे भी क्यो नही डर लगता ? वही कनक ये सवाल सुनकर अब आंखे खोल लेती है और कुछ पल तक उलझन भरे हाल में देखने के बाद कहती है । " अधिराज जी ......( उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर ) बहुत भरोसा है आप पे । जब आप मिले थे तो बस ( अलग होकर ) लगा की कोई अपना है । मुझे खुद नही पता पर आप बहुत अच्छे लगे । सब यही कह रहे थे की ( मुस्कुराकर ) आप बहुत खडूस हो , पर मुझे आप पर बहुत भरोसा है इसीलिए नही लगता आप से डर । इतना कहकर वो वापस से आकर झूले पर बैठ जाती हैं । जिससे पीछे खड़ा अधिराज भी आ जाता हैं और उसे धीरे धीरे ही झुलाते हुए अब कहता है । " डरना भी मत ... मैं कभी नही चाहूंगा की आप .... कनक ! कनक ...... उठो कनक !.... कनक उठ जाओ ! वही कनक झूले पर से हड़बड़ा कर उठ खड़ी होती है और इधर उधर देखकर कहती है । " अधिराज जी आप ऐसे क्यों हिला रहे है । मैं गिर जाती अभी "। " अधिराज जी "?? वही अब कनक ये आवाज सुनकर चेहरा सामने कर लेती है और पाती है की तनु उसे असमंजस की हालत में , कमर पर हाथ रखकर देख रही रही है और अब कहती हैं है । " कनक दिमाग घूम गया है क्या तुम्हारा ? उस लड़के के बारे में क्यों सोच रही "। " दी यहां अधिराज जी थे " वो परेशान हुए कहती है । और फिर इधर उधर देखने लगती है तो । वही तनु चेहरे पर अजीब सा भाव लाते हुए झट से उसका हाथ पकड़ लेती हैं और लगभग से अपने सामने करके कहती है । " मेरी प्यारी बहन जी ... यहां कोई नहीं है। तुम न इस झूले पर सो रही थी कबसे तो हो सकता है सपना देखा हो "। वही कनक ये सुन शांत हो जाती हैं । उसका चेहरा दर्द करने लगा था अनायस ही इसलिए वो तनु का हाथ कसकर पकड़ लेती हैं और कहती है । " मै सपना देख रही थी ..... हां सपना था वो "। और फिर ये कहकर वो एक बार फिर से खुद में खोई खोई सी हो गुम हो जाती । जिससे तनु उसे ऐसे देख अब वहां से खींचने लग जाती हैं और सीढ़ीयो पर से उतरते हुए कहती हैं। " पता है मम्मा आ रही थी तुम्हे लेने पर मैने कहा की मैं ही ले आती हु । सच्ची तुम्हारा होने वाला दूल्हा तो बहुत हैंडसम है ।वो लोग नीचे आ चुके ही । वो बिल्कुल तुम्हारी कहानियों के उन बिलियनेयर ( CEO) की तरह। ( कॉरिडोर में आकर ) देख लेना अच्छे से और हां तो बोल ही देना आज । वरना इतना अच्छा रिश्ता कही निकल ना जाए "। इतना कहकर तनु अब चुप हो जाती हैं और तेजी से खींचने लगती है उसे तो । वही कनक बस उसे ही निहारते हुए उसके साथ चलती रहती है ।
नीचे हॉल में बहुत ज्यादा ही खुशनुमा माहौल था । लड़के वाले 10 मिनट पहले ही आकर बैठे हुए थे और सोनिया - मुकेश जी उनके आवभगत में लगे होते है ताकि कोई कमी न लगे । वही सामने सोफे पर एक बूढ़ी औरत बैठी हुई थी नीले रंग की साड़ी पहने हुए । इतनी उम्र दराज होने के बावजूद भी अब भी चेहरे पर वो नूर और शरीर में स्फूर्ति बरकरार थी । जिसकी वजह से वो बार - बार खुद ही उठकर सब ले रही थी और सोनिया जी मुस्कुराकर आराम से बैठने को कह रही होती है तो वो अब ठीक है कह उनकी बात मान लेती है । वही अब वो बूढ़ी औरत खाते हुए चारो तरफ नजरे घूमाकर इधर उधर देखने लगती है । जिससे तभी उनके बगल मे बैठी हुई एक बच्ची जो उनके साथ थी वो कहती हैं। "दादी मां ये पेंटिंग तो सच में बहुत खूबसूरत है "।🥰 " हां ये कनक बिटिया ने ही बनाया है , ड्राइंग का बहुत शौंक है उसे " मुकेश जी खुश होकर कहते है । " ओह वाउ दादी , मतलब भाभी के आने के बाद मेरे तो बल्ले... बल्ले " वो लड़की बहुत ज्यादा खुश होकर कहती है । वही उसको इतना खुश और चहकता देख सब लोग अब मुस्कुरा देते है । अब खान पीने का काम हो चुका था जिसकी वजह से दादी अपनी जगह से खड़ी हो जाती हैं और कहती है । " अब हम लोग आपकी बेटी से मिलना चाहते है "। " हां ... हां बस आ ही रही है वो ( ऊपर देख ) वो आ गई " सोनिया जी नम आंखों से मुस्कुराकर ऊपर देखते हुए कहती है । उपर कॉरिडोर में , इधर तनु तो अब भी कनक को बस खींचकर ही ले जाने में में लगी होती हैं। जिसकी वजह से एक पल के लिए तो कनक का बैलेंस बिगड़ जाता है और वो गिरने ही लगती है। तभी तनु झट से उसे संभाल लेती हैं और कहती है । " ओह गॉड ...कैसे चल रही हो तुम ? अभी से गिर रही हो तो ( अचानक से खुश हुए तिरछी नजरों से) लड़के के सामने तो पक्का फिसल ही जाओगी हहाह 😂। ये कहकर वो हंसते हुए फिर से उसका हाथ पकड़ लेती हैं और जाने लगती है तो अब कनक अपना हाथ हल्के से खिंच लेती है और कहती की वो खुद चल लेगी । वही तनु ये सुन शांति से ठीक है कहकर उसके साथ साथ चलने लगती है । जिसकी वजह से अब कनक बिल्कुल ही धीरे कदमों से चलते हुए तनु के अलग बर्ताव के बारे में सोचने लगती है ।अजीब ही है वो पल भर में ऐसे बात करती हैं " जैसे कितनी हमदर्दी है और पल भर में बिल्कुल जहर जैसी " जो उसे ही दर्द देता है , इसीलिए कनक को बहुत अजीब लग रहा होता है ये । पर तभी उसका ध्यान टूट जाता है जब उसे किसी के हंसने की आवाज आती है । जिसकी वजह से वो अपना चेहरा नीचे हॉल की तरफ कर लेती और देखने को कोशिश करने लगती है की तभी तनु उसे खींचकर खुद उसके सामने खड़ी हो जाती हैं और कहती है । " देखो वो लोग समय के बहुत पाबंध है तो ( मुस्कुराकर देखते हुए ) अपने दूल्हे को नीचे चलकर ही अच्छे से निहार लेना , ये ताका झांकी क्यों ही करना "। और फिर वो ये बोलकर उसे लिए तेजी से नीचे सीढ़ी की तरफ बढ़ जाती हैं और धीरे ही धीरे उतरने लगती है तो तभी कनक को सोनिया जी की आवाज आती है की । " वो आ गई कनक "। वही उधर कनक आवाज सुन सीढ़ी पर ही रुक जाती हैं और अब चेहरा उपर कर देखती है की सामने सोफे पर उसके मम्मी पापा के साथ तीन लोग और बैठे हुए है । जिसमे से दो औरते है और एक बच्ची है और तीनो ही उसे मुस्कुराकर देख रही है । तब वो अब तनु का हाथ कसकर पकड़ लेती है । जिसकी वजह से वही तनु उसे ऐसे देख मन ही मन बहुत ज्यादा ही खुश हो जाती हैं और कहती है । " परेशान मत हो मैं तुम्हारे साथ ही आ रही नीचे "। ये कहकर वो फिर से उसे लिए चल पड़ती हैं और पहुंच जाती ही नीचे हॉल में । जिससे अब सोनिया जी अपनी जगह से उठकर उसके पास आ जाती हैं और प्यार से कहती है । " बहुत प्यारी लग रही है मेरी बच्ची "। वही कनक ये सुनकर मुस्कुरा देती है और अब आ जाती है उनके साथ उनके बगल में । जिसकी वजह से मुकेश जी अब अपनी जगह से खड़े हो जाते हैं और कनक के पास आकर कहते है । " कनक ये है लड़के की दादी और ये है उनकी मां और ये है .... तभी वो बच्ची हाथ दिखाकर उन्हे रोक देती हैं और बहुत प्यार से ही कहती है । " मैं ... मैं देती हु न अपना इंट्रोडक्शन , मैम ने जैसे बताया था स्कूल में ठीक है "। " ठीक है बिटिया " मुकेश जी मुस्कुराकर कहते है । वही वो लड़की अब अपनी जगह से उठकर कनक के पास आ जाती हैं और उसके गाल छूकर कहती है। " वाव भाभी आप क्या यूज करती है अपने गालों पे ये तो बहुत मुलायम है "। ( कनक अब भाभी शब्द सुन तो बहुत ज्यादा ही शॉक हो जाती है पर हल्की हल्की सांस लेते हुए कहती हैं ।) " आपके गाल तो मुझसे ज्यादा मुलायम है "। " दादी मां मैने कहा था ना भाभी बहुत प्यारी है ( उसके बगल में बैठकर ) मुझे ये ही चाहिए अब " वो बच्ची कहती हैं। " आप अपना इंट्रो देना तो भूल ही गई " तनु मुस्कुराकर कहती है । " ओह सॉरी ...( अब सामने आकर ) मेरा नाम ईशा है । मैं 13 साल की ही हु और घर पर सबकी लाड़ली भी । भईया तो सबसे ज्यादा मुझसे प्यार करते है और मुझे न ड्रॉइंग करना बहुत ज्यादा पसंद है । वही कनक ये सुन मुस्कुरा देती है और कहती है । " मुझे भी बहुत पसंद है "। " ईशा अब आप इधर आ जाइए " ईशा की मम्मी उसे बुलाते हुए कहती है । " आई माता श्री "। ये कहकर वो भागते हुए जाकर अपनी मम्मी के बीच में बैठ जाती है। जिसकी वजह से अब दादी मां खुद ही उठकर कनक के पास आ जाती है और बहुत प्यार कहती है। " घबराने की जरूरत नही है मैं तुम्हारी मनोदशा बहुत अच्छे से समझ रही हू ।( मुकेश जी को देख ) तुम्हारे पापा ने बताया था की तुम अभी तैयार नही हो पर हम तुमसे मिलना चाहते थे इसीलिए आ गए । तुम्हारे बारे में तुम्हारी मम्मी से इतनी बाते सुनी थी की बस रहा ही नही गया और कैसे भी करके आज समय निकालकर आ ही गई हु "। वही कनक को अब तो सच में कुछ भी नही समझ आ रहा था । उसने जहां तक सुना और देखा उसका सब उसके साथ उल्टा हो रहा था । इसीलिए एक तरह से उसे बहुत अच्छा लग रहा था मन में क्योंकि वो तो पहले घबरा रही थी की क्या करेगी । पर जैसे - जैसे मिल रही उसे अच्छा लग रहा है। अब दादी मां उससे उसके बारे में , पढ़ाई ,सबकी धीरे धीरे बाते करने लगती है और वो संयम से सबका जवाब देती रहती है । उसके बाद वो लड़के की माँ से मिलती है जो बिलकुल ही दादी की तरह थी सहनशील और शांत । वो भी कनक से कुछ बाते करती हैं और इसी तरह धीरे ही धीरे सब लोग अब आपस में बात करना शुरू हो है जाते है और अब जाकर दादी कहती है । " हमे तो आपकी बेटी हमारे पोते के लिए बहुत पसंद है "। वही दादी के इतना कहने भर पर ही सब लोग बहुत ज्यादा ही खुश हो जाते है सिवाए कनक के । उसे तो एक झटका सा लगता है ये सुनकर इसलिए वो अपने होंठो को काटने लगती है । जिसकी वजह से जब सोनिया जी उसे ऐसे देखती है तो कहती है । " हमारे जमाने में तो हम अपने पतियों से सीधे शादी के बाद ही मिलते थे और मुंह दिखाई भी तब ही होती थी । ( दादी मां से ) पर मैं चाहती हू की हमारे बच्चो के साथ ऐसा ना हो कुछ। इसीलिए अगर कोई समस्या नही है तो हम चाहते है की कनक एक बार आपके पोते से मिल ले । आख़िर शादी इन्हे ही करनी है तो एक बार इन दोनो की भी राय जाननी जरुरी है । वही दादी मां को सोनिया जी बात अच्छी लगती हैं। वो खुद भी एक बार चाहती थी बात कर ले वो इसीलिए कहती है। " बिल्कुल ही .... मैं तो खुद चाहती हू पर कनक का इंतजार कर रही थी की वो कुछ बोले पर .... वही कनक ये सुनकर उन्हें निहारने लगती है । उफ्फ अंदर ही अंदर उसे बहुत अजीब लग रहा था एक बार फिर से। इसीलिए वो टेंशन के मारे फिर होंठ काटने लगती है जिससे तभी तनु कहती है । " दादी मां आपके पोते कहा हैं ? पहले तो यही थे पर अब कही दिख ही नही रहे जबसे आई हु "। " दीदी भईया ना उस सामने वाले रूम में है । मम्मा और आंटी ने पता नही क्यों उन्हे वहां भेज दिया। ( मुंह फुलाए) मुझे भी जाना था पर जाने ही नहीं दिया " ईशा कहती हैं। " ईशा " उसकी मां कहती है । " अब नही बोलूंगी " वो मुंह पर हाथ रखकर कहती है । जिसकी वजह से सब उसे ऐसे देख मुस्कुरा देते है । वही अब कनक के बगल में खड़ी तनु कुछ सोचने लगती हैं और इधर उधर देखकर कहती हैं। " अगर आप लोगों को सही लगे तो मैं कनक को ले जाती हु उस रूम में । उधर से गार्डेन का रास्ता भी खुलता है दोनो मिल भी लेंगे और आप लोग तब तक घर देख लीजिए ( मुस्कुराकर ) या मम्मा के हाथो के कचौरी खाइए वो बहुत यम्मी बनाती है ।🩷 वही सबको ही तनु का ये विचार बहुत अच्छा लगता है। इसलिए वो लोग मान जाते है । सोनिया जी अब उसे प्यार से देखकर उसका गाल पर हाथ फेर लेती है और वहां से अब सब लोग हटकर बढ़ जाते है ऊपर सीढ़ी की तरफ ।जिससे इधर कनक अब अपनी आंखे कसकर बंद कर लेती हैं और कहती है । " मैं नहीं मिल रही किसी से "। " ये क्या कह रही हो कनक ( उसका हाथ पकड़कर ) देखो चलो ... मम्मी पापा की कसम है तुम्हे " तनु उसे थोड़ी सख्ती से उठाते हुए कहती है । वही कनक अब ये सुन उसे हैरानी से देखने लगती है । उससे ज्यादा एक्साइटेड तो तनु लग रही है ... इसीलिए वो कहती है । " दी आज कह लिया पर आज के बाद से मम्मी पापा की कसम मत करिएगा , बहुत प्यार है मुझे उनसे "। ये कहकर वो खुद ही उसका हाथ छोड़ देती है और बढ़ जाती हैं तेजी से उस कमरे की तरफ । पर तभी कही से भागते हुए आकर ईशा उसका हाथ पकड़ लेती हैं और कहती है । "...चलिए मैं मिलवाती हु अपने भैया से "। " मुझे नहीं मिलना है किसी से " वो होंठो को काटते हुए धीरे से खुद से ही कहती है। कैसा लगा भाग? उम्म्म्म कहानी पसंद नही आ रही क्या 😊? क्योंकि हम तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है की आपको अच्छी लगे । उम्मीद है आप लोग अपना विचार जरूर बताएंगे ।
नोट - तबियत ठीक नहीं है इसलिए अभी पार्ट दे रही हू 🤍 सब लोग अब घर में घूमते हुए सभी पेंटिंग्स की तारीफ कर रहे होते है जो कनक ने बनाए थे । पर वही सोनिया जी उनके साथ चलते चलते हुए खुद में ही बहुत परेशान हो रही होती है की कनक का क्या हाल हो रहा होगा अकेले वहां । उन्हे अच्छे से सब पता है की वो गुमसुम सी हो गई है , तो वो उसे कैसे अभी अकेले छोड़ आई । इसलिए ये ही सब सोचते हुए वो अचानक से ही सबको छोड़ तेजी से नीचे सीढ़ी की तरफ बढ़ जाती है , जिसकी वजह से जब मुकेश जी उन्हे ऐसे देखते है तो झट से रोक लेते है और प्यार से कहते है । " मुझे पता है आप बहुत परेशान हो रही है पर नीचे तनु है ना कनक के साथ तो चलिए , वैसे भी ( सबको को देख ) ऐसे छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगता । वही मुकेश जी की बात सुन सोनिया जी भारी मन से हामी में सर हिला लेती है और चल देती है वापस से सबकी ओर । नीचे हॉल में , इधर तनु फिर से काफी ज्यादा गुस्से में अकेले सोफे पर बैठी होती है । वो खुद से ही बडबडा रही होती है की" चहक लो जितना चहकना है । जल्दी ही सबसे तुझे दूर कर दूंगी । ( आँखें सिकोड़कर ) तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ से ऐसे बात करने की बे****र्म लड़की । इतना कहकर वो गुस्से में ही पैर पटकते हुए वापस से अपने कमरे की तरफ चली जाती है । °°°°°°° वही इधर अब कनक ... ईशा के साथ रूम के सामने पहुंच गई थी । पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी की अंदर रूम में जाए इसलिए वो लगभग 5 मिनट से वही खड़ी थी ।जिसकी वजह से वही जब ईशा को लगता है की कनक अब खुद से डोर नहीं खोलेगी । तब वो खुद ही अपना हाथ छुड़ाकर डोर खोल देती हैं और फिर से कनक का हाथ पकड़ उसे हल्के से खींचते हुए , लेकर अंदर रूम में आ जाती हैं और अब सामने देखकर कहती है। " राज भैया मैं भाभी को ले आई ( मुंह फुलाए) मम्मी ने भी क्या काम दिया उफ्फ ...घर जाकर मुझे 10 चॉकलेट चाहिए बाय "। इतना कहकर वो तेजी से कनक को वही छोड़कर फटाफट से कमरे के निकल जाती हैं " जैसे किसी को बीच मझधार में छोड़ दिया हो " जिसकी वजह से वही कनक हाथ छुटने की वजह से हड़बड़ा सी जाती हैं और इससे पहले वो कुछ बोलती तब तक ईशा कबका वहां से भाग चुकी थी । जिससे अब कनक अपनी साड़ी का पल्लू कसकर भींच लेती हैं और कांपने ही लगती है की तभी उधर से एक भारी सी आवाज आती हैं की । " आप ठीक है "? वही कनक अब आवाज सुन..अपने होंठो को जोर - जोर से चबाने लगती है "जैसे 😐 खून ही निकाल देगी " । इसलिए उसके ऐसे करने से उसके होंठ झट से सूज भी जाते है और उसे हल्का - हल्का दर्द भी होने लगता है तो तभी फिर से वो कहता है । " आर यू ओके " ? वही कनक अब फिर से आवाज सुन सच में खुद को और ज्यादा एंबारेस्ड महसूस नही कराना चाहती थी । इसलिए धीरे धीरे मुड़ जाती हैं पर जैसे ही सामने देखती है । उसके तो ये देखकर ही होश ही उड़ जाते है और वो हैरानी से हड़बड़ाकर कहती है । " पर्दा " हां जहां कनक खड़ी थी उसके सामने ही बिलकुल रूम के बीच में ( जैसे दोनो रूम डिवाइड हो जाए ) ऐसे पर्दा लगा हुआ था । जिसकी वजह से वो ये देखकर हैरान हो जाती है ....क्योंकि आज से पहले इस कमरे में ऐसा कुछ नही था पर आज क्यों ? तभी वो लड़का फिर से कहता है । " आप ठीक है ना "? ये आवाज पर्दे के उस ओर से आ रही थी और ये सवाल भी तीसरी बार उस लड़के ने पूछा था । जिससे कनक अब गहरी सांस भर लेती हैं और कहती है । " जी "। इतना कहकर वो एक कदम पीछे आ जाती है और आकार बैठ जाती है अपने तरफ के सोफे पर तो उधर वो लड़का भी फिर से बैठ जाता है । अब कमरे में चुप्पी सी थम जाती है सिवाय की दोनो ही इधर - उधर अपने नाखूनों को आपस में रगड़ रहे होते है । जिससे अब आवाज आ रही होती है तो कनक ये सुनकर रगड़ना बंद कर देती हैं और तभी उधर वो लड़का भी अब शांत हो जाता है। अब कमरे का माहौल ऐसा हो जाता है जैसे कोई है ही नही और उस कमरे में रोशनी भी बहुत डिम जल रही होती है। जिसकी वजह से कनक अपने पास पड़ा तकिया कसकर पकड़ लेती हैं और अब धीमे से कहती है । " आपकी तरफ प्लग है , आप लाइट पूरी ऑन कर सकते है क्या ? " हम्म "। ये कहकर वो लड़का अपनी जगह से उठकर लाइट ऑन कर देता है और आ जाता है वापस से सोफे पर । इधर कनक अब अंधेरा हटने के बाद उजाले में अच्छा महसूस करने लगती है। हालांकि सामने वो अब उस लड़के की परछाई देख सकती थी पर चेहरा नही देख पा रही थी तो उसे और भी अच्छा लग रहा था । क्योंकि वो खुद ही नही देखना चाह रही थी उसे । पर बीच में लगे पर्दे को देखकर उसके दिमाग में बहुत सवाल घूम रहे होते है जिसका जवाब वो उस लड़के से पूछना चाह रही होती है पर कुछ बोलती नही है । क्योंकि जब से आई है तभी से खुद ही बोली जा रही ( ऐसा वो खुद सोचती है )इसलिए अब चुप हो जाती है । वही उधर वो लड़का आराम से सोफे पर बैठा था । उसने सूट बूट पहना हुआ था और लग भी वैसा ही रहा होता है जैसे तनु ने कनक को बताया था । ऊपर से नीचे पूरा ही परफेक्ट , चेहरे पर एक अलग ही नूर झलक रहा होता है पर एक सख्ती और सुन्नता के साथ । वही सामने टेबल पर खाने पीने की चीजे वैसे की वैसे ही रखी हुई थी और वो सामने पर्दे को निहार रहा होता है। जहां से वो भी कनक की परछाई देख सकता था । जिसमे वो कभी हाथ चहरे पर रख रही थी तो कभी हिल रही थी । जिसकी वजह से वो लड़का अपनी आंखे कसकर मूंद लेता है और अब कहता है । " आप दादी से मिली "? " जी मिली ...वो बहुत अच्छी है " कनक तकिए पर हाथ फिराते हुए कहती हैं । " दादी बहुत अच्छी है । मां के बाद अगर कोइ है तो वो ही है जो मुझे समझती है । वैसे मुझे ज्यादा किसी से खुलना पसंद नहीं है पर ( वो शांत होकर ) कुछ नही । दादी और मां दोनो ही मिलकर बिजनेस संभालती हैं । आपके पैरेंट्स से वो इवेंट पर ही मिली मिली थे "वो लड़का बोलता है। ( तभी कनक की अंतरात्मा बोलती है ) " अजीब है ये बंदा ,मैने तो कुछ पूछा भी नही और वो खुद ही बक रहा है " " तुम चुप हो जाओ " कनक सोचती है। " ऐसे कैसे चुप हो जाउ , देखो तो तुम्हारा नाम भी नही पूछा " " तुम मुझे टेंसेड मत करो "। ( ये सोच वो सामने देखने लगती हैं और कहती हैं।) " जी मां ने बताया था " वही वो लड़का ये सुनकर ...कुछ पल तक शांत हो जाता और इंतजार करने लगता है की कनक कुछ बोले । पर कनक ने तो अब मुंह बंद कर लिया था जैसे कुछ बोलने पर टैक्स लग रहा हो । इसीलिए वो लड़का ही चुप्पी तोड़ते हुए उससे उसके एजुकेशन , हॉबी और कुछ टॉपिक्स पर बात करता है । जिससे कनक भी खुद को शांत करते हुए सारे सवालों का जवाब आराम से देती रहती हैं और फिर से चुप हो जाती है तो वो कहता है । " आपको नहीं मुझसे कुछ पूछना " ? " उम्मम्म.........आपकी क्या हॉबी है "? वो दूसरी तरफ देखकर पूछती है। " डेली शूटिंग करना " वो लड़का कहता है । वही कनक ये सुनकर आंखे बड़ी कर लेती है पर अब कुछ कहती नही हैं । जिसकी वजह से उधर वो लड़का अपनी जगह से खड़ा हो जाता है और कहता है। " इससे पहले हमारा रिश्ता जुड़े या सब लोग उम्मीद लगाकर आगे बढ़े । मैं आपको कुछ बताना चाहता हु । क्योंकि मैं नही चाहता की आप किसी धोखे में रहे और कुछ बुरा हो "। ये बोल वो लड़का वापस से आकर सोफे पर बैठ जाता है । वही कनक जो खुद में ही गुम थी और इंतजार कर रही थी की कोई बुलाए जल्दी से उसे बाहर । अब ये सुनकर अपनी नजरे ( जो दरवाजे की तरफ थी ) हैरानी से फेरकर सामने पर्दे की तरफ कर लेती है। कैसा लगा भाग ? पार्ट पढ़ लिए तो याद से समीक्षा रेटिंग भी कर दिया करे । मुझे भी अच्छा लगेगा 🙂आपके विचार जानकर।
- कनक 🩷 पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की वो लड़का कनक से कहता है की वो रिश्ता जुड़ने से पहले कुछ बात करना चाहता है क्योंकि वो बहुत जरूरी है । और इसलिए भी की ताकि बाद में उनकी जिंदगी में कोई दिक्कत न हो या कुछ बुरा । अब आगे , वही कनक हैरानी से ये बात सुनकर अब उसकी परछाई को निहारने लगती है । अब तो उसका दिल कर रहा था की वो बस झट से उठकर बिना कुछ सुने और बोले तेजी से इस कमरे से भागकर कही दूर चले जाए । पर अब ये नही हो सकता था क्योंकि ईशा ने 🥺सब गड़बड़ कर दिया था वापस आकर। जब ये दोनो आपस में ही बात करने में लगे होते है तभी ईशा ने अंदर रूम में झांक कर फटाफट से ही बाहर से डोर लॉक कर दिया था । जिसकी वजह से जब डोर बंद होने की आवाज कनक ने सुनी थी तो पल भर में सकपका सी गई थी । पर उसने कुछ नहीं कहा और उधर वो लड़का अपनी ही बात बोले ही जा रहा था । जिससे इधर कनक मुट्ठी कसते हुए खुद को शांत करने में लग गईं थी । वही उधर वो लड़का अब आराम से बैठ चुका था और इसीलिए अब कहता है । " मुझे पता है आप जबसे आई है तभी से बहुत ज्यादा हैरान हुई जरूर सोच रही होंगी की ये आखिर हमारे बीच में ये पर्दा क्यों लगा है ? हालांकि हम आए है तो एक दूसरे को देखने ही "। " जी " वो होंठो को काटते हुए कहती है । " जो मैं कहने वाला हु वो बहुत जरूरी बात है। जानती है मुझे अपना परिवार बहुत प्यारा है। हमेशा ही मेरे हर एक फैसले में उन्होंने साथ दिया है। इसलिए ये बात भी बिना बताए में आगे का क्या करना है उसका फैसला अकेले नही ले सकता " वो लड़का कहता हैं। " जी कैसी बात " अब वो भी थोड़ी जिज्ञासु होकर पूछती है। " एक लड़की का अपनी शादी को लेकर बहुत बड़ा सपना होता है । वो हमेशा ही चाहेगी की जो भी हो ठीक हो और उनका जीवनसाथी भी हर तरह से रिश्ते को निभाते हुए उनका साथ दे । इसलिए मैं भी चाहता हु की सब बता दू ताकि आपको ये न लगे की आपको किसी भी बात से गुमराह या कुछ छिपाया जा रहा है । इसलिए जो भी बात है मैं पहले ही सब आपको बताना चाहूंगा । ( गहरी सांस भरकर) बचपन से ही मेरी दादी मां को हमेशा मेरी फिक्र बनी रहती हैं । मैं घर पर बहुत सालो बाद पैदा हुआ था इसलिए किसी ने भी किसी चीज़ या लाड प्यार में किसी भी तरह की कोइ कमी नही की । सबने ही मिलकर ...मुझे हर तरह से ही खुश रखने का हमेशा से ही कोशिश किया है और अब भी करते है । इसी वजह से मेरी दादी ने हर वक्त कोई न कोई मेरे लिए मन्नत मानती रहतीं हैं और मुझे हमेशा ही ठीक रखने की कोशिश करती है क्योंकि उन्हे इन सब चीजों पर बहुत भरोसा है और उसी का एक नतीजा ये भी है । फिलहाल उन्होंने मन्नत मानी हुई है और इसलिए उसके हिसाब से मैं लगभग पुरे दो महीने तक किसी को अपना चेहरा नही दिखा सकता , सिवाय घर वालो और जिन्हे दादी चाहती है । हम जब आए तो सबने मुझे देख लिया था क्योंकि दादी मां ने कहा था , पर आपको चेहरा दिखाने के लिए मना कर दिया गया और मुझे इस रूम में भेज दिया गया और इसीलिए तभी से मुझे मास्क पहनकर रखना पड़ता है । दादी के हिसाब से अगर शादी की बात होती है इसी बीच तो ...सब कुछ बहुत शुभ होगा पर बस यही की मुझे या उस लड़की को एक दूसरे को देखना मना है वरना देखा तो कुछ बुरा हो सकता है इसीलिए ये पर्दा लगा हुआ है हमारे बीच । इतना कहके वो लडका कुछ पल के लिए अब शांत हो जाता है । वही कनक अब ये सब सुनकर तो हैरानी से भौंहे सिकोड़ लेती है । उसे सच में अब ऐसा लगने लगता है कि वो कहां फंस गई है क्योंकि उसने तो आज से पहले ऐसे किसी मन्नत के बारे में कुछ सुना ही नही था , ना ही कभी देखा तो उसे ये बहुत ज्यादा ही अजीब लगने लगता है । जिसकी वजह से वो लड़का फिर से कहता है । " मै जानता हु आपको ये सब बहुत अलग लग रहा होगा पर दादी की भावनाएं जुड़ी हुई है । इसीलिए मैं कुछ नहीं कर सकता था इसमें । ( अपनी जगह से खड़े होकर ) मैने दादी को कहा था की ये सब अजीब है । कोई भी इसके लिए तैयार नहीं होगा और अगर मैं आपको देख ही नही सकता तो मेरे जाने का क्या फायदा है ? जिसकी वजह से दादी ने ये कहा था की - जरुरी तो नहीं की किसी को सूरत देखकर ही पसंद किया जाए । कभी कभी सीरत भी देखनी चाहिए , जो सामने वाले इंसान के बोलने के लहजे से पता चलता है । ( थोडा रुक कर ).... वेल ...आज के जमाने के लिए ये बहुत हंसी वाली बात है क्योंकि अब लोग माने या न माने सूरत देखकर पसंद करते हैं । इसलिए मैं आपकी किसी भी भावनाओं को हर्ट नहीं करना चाहता क्योंकि इतना तो मैं समझ चुका हु की मेरी फैमिली आपको पसंद करने लगी है पर ........( गहरी सांस भरकर) एक सच ये भी है मैं ये शादी कभी नहीं करना चाहता पर मेरा परिवार चाहता है की मैं करू । मै नहीं हू तैयार ऐसे किसी भी रिश्ते के लिए... ना आज ना कल। पर फिर भी अगर हम जुड़ते है तो मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश जरुर करूंगा की आपको वो इज्जत और सारे हक दे सकू जिसकी आप हकदार है सिवाय एक पत्नी के हक के । मां मेरी ख़ुशी चाहती है इसीलिए वो मुझे अब शादी के बंधन में बांधना चाहती है , ताकि मैं अपनी लाइफ में आगे बढ़ू और खुश रहूं । पर मैं उनकी खुशी के चक्कर में आपको धोखा में नही रख सकता था इसलिए जो भी था मैने आपको बता दिया है । अब फैसला आपके हाथ में .....।
वही कनक... उस लड़के के इतना कुछ बताने और अब चुप हो जाने के बाद से इधर शांति से बैठी रहती है। उसने जो भी बोला उसकी वजह से कनक को बहुत उलझन सा लग रहा था । उसके दिमाग में सवाल घूमने लगते है एक पल के लिए की " शादी करना ही नही था तो आए ही क्यों मतलब ...कुछ ऐसा भी होता है क्या उफ्फ । वो ये ही सोचते हुए मन ही मन अब कोई शब्द खोजने लगती है बोलने के लिए। हां इसलिए नहीं की वो कुछ बोल नही पा रही, बल्की इसीलिए की वो उस लड़के के शादी न करने वाली बात के लिए अब खुश है । क्योंकि वो भी तो यही चाहती थी और इस वक्त उसकी बात याद कर जितनी खुशी उसे मिल रही थी वो शायद ही कोई समझ पाए। जिसकी वजह से न चाहते हुए भी उसके मुंह से एक शब्द निकल जाता है । " थैंक यू" " क्या " वो लड़का हैरानी से बोलता है । वही कनक अब ये सुन तो झट से अपने सर पर चपत लगाकर आंखे भींच लेती है और मुंह पर हाथ लगाए इधर उधर देखने लगती है तो तभी वो लड़का कहता है। " आर यू ओके "? " वो.... उम्म सॉरी मैं बस ..... ( वो लड़का बीच मे ही ) " आपको भी ये रिश्ता नही है मंजूर राइट "? " जैसे आपका हाल है, मेरा भी वही हाल है ( ऊपर देखते हुए ) अचानक से मां पापा ने रिश्ते की बात कही थी । मेरा बुरा हाल हो रहा था ये सुनकर क्योंकि मैं भी नही हु तैयार या होना ही नही चाहती। बहुत मुश्किल हो रहा था सब पर मां पापा की बातो को मना भी तो नही कर सकती थी इसीलिए तैयार होना पड़ा । मैं अभी कॉलेज में ही हु और मेरा सपना भी है ( गहरी सांस भरकर धीमे से ) शादी से दूर रहना है मुझे ! बस डर लगता है । मुझे अपना सपना पूरा करना है और ( हल्का सा मुस्कुराकर) आपका परिवार बहुत अच्छा और सबसे ज्यादा तो ईशा ...वो बहुत प्यारी है । पहले मुझे डर लग रहा था की कैसे सब करूंगी पर ईशा ने कंफर्टेबल कर दिया । उम्मम जानती हु सबको बहुत बुरा लगेगा मेरे इस फ़ैसले से पर इसके आलावा कोई रास्ता नही है । इतना कहकर वो फिर से तकिए को कसकर पकड़ लेती है और बाहर खिड़की तरफ देखने लगती है त । वही उधर वो लड़का ....उसकी इतनी बाते सुन " जैसे किसी गहरी सोच में खो जाता है । उसके चेहरे के भाव बार बार बदल रहे होते है। इसीलिए वो खुद को शांत कर अपनी जगह से उठ जाता है और कहता है । " क्या सबको ही पता है की आपका रिश्ता जुड़ने वाला है "? " शायद.... मां ने बताया है " वो कहती है । " ओके .......आप बाहर जाकर सबको कह दीजिए की आपको ये रिश्ता नही है मंजूर , मैं नही पसंद हु । मैं नही चाहता की ...मेरे मना करने पर कोई फालतू बातें हो आपके बारे में की आपको लड़के ने रिजेक्ट कर दिया । हालांकि मुझे इन बातो से कोई लेना देना नही है । पर यही होता है की लड़के के मना करने पर लोग बाते बनाना शुरू हो जाते है लड़की के बारे में की उसमे ही कोई कमी होगी , इसीलिए रिजेक्ट किया गया ....So nice to talk to u 🌼"। ये कहकर वो अब शांत हो जाता है । वही कनक उसकी बात सुनकर अब अपनी जगह पर खड़ी हो जाती है । अनायास ही उसका दिल करने लगा था की वो पर्दा हटाकर एक बार उस लड़के को देख ले । पता ही नही क्यो पर बस उसका दिल करने लगा था । इसलिए आगे क्या होगा ये न सोचते हुए वो एक कदम बढ़ जाती हैं पर इससे पहले वो कुछ करती । तभी ईशा आवाज करते हुए डोर ओपन कर देती हैं और अंदर आकर कहती हैं। " भाभी आपको आंटी बाहर बुला रही है "। " ईशा ये आपकी भाभी नही है " वो लड़का कहता है । " हूह आपको तो कुछ बोलना ही नहीं है ( हाथ फोल्ड किए ) 😏मुझे वहां छोड़कर खुद अकेले आकर बैठ गए " वो मुंह फुलाए हुए कहती है । इतना बोलकर वो कनक का हाथ पकड़ लेती हैं और खिंचते हुए निकल जाती है रूम से बाहर । जिसकी वजह से वही कनक को मौका ही नहीं मिलता की वो उससे कुछ बोल पाए और अब वो आ जाती है सबके सामने हॉल में । वहां सब लोगो के चेहरे पर बहुत बड़ी सी मुस्कुराहट होती है और सब उसे आस वाली नजरो से देखकर इंतजार कर रहे होते है की वो कुछ बोले । जिसकी वजह से वही कनक सबको अपनी तरफ ऐसे पाता देख अजीब सा ही महसूस करने लगती है । जिससे जब सोनिया जी उसे ऐसे देखती है तो उसके पास आ जाती है और धीरे से कहती है । " क्या सोचा है तुमने ?...सब लोग बस जवाब का इंतजार कर रहे है "। अब तो कनक का ऐसा हाल हो गया था जैसे जुबान ही न हो । इसीलिए वो अपनी साड़ी को कसकर भींचने लगती हैं ..जिससे उधर से मुकेश जी मुस्कुराते हुए कहते हैं। " तुम्हे ये रिश्ता पसंद है ना बेटा "? " न... नहीं पापा ... मुझे ये रिश्ता नही है मंजूर "वो अपनी आंखे कसकर मूंदे हुए कहती है । वही कनक के इतना कहने भर ही सब लोग झटके से अपनी जगह पर खड़े हो जाते है। उधर .. तनु जो ( अब वापस आ गई थी ) उसने आंखे हैरानी और मुट्ठी गुस्से में भींच ली थी और सामने भी सब लोगो का अब चेहरा उतर सा गया था । जिसकी वजह से तभी ईशा जो ( अपनी मम्मी के पास बैठी थी ) वो उसके पास आ जाती हैं और उसकी साड़ी हल्के हल्के से खिंचकर कहती है । " आपको मेरे भैया पसंद नही है "? " ईशा इधर आ जाइए " उसकी मम्मी कहती हैं। पर ईशा नही सुनती है बल्कि वो तो कनक का हाथ कसकर पकड़ लेती है और कहती है । " मम्मी प्लीज मुझे ये ही भाभी चाहिए "।🥺 " इधर आइए आप वरना फिर मुझे गुस्सा करना पड़ेगा " उसकी मम्मा बोलती है . वही कनक को अब ये बहुत बेकार लग रहा होता हैं। उसे अब ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई गलती कर दी है ना बोलकर । जिसकी वजह से उसे अब यहां खड़ा रहना भी गंवारा लग रहा होता हैं। इसीलिए वो सोनिया जी का हाथ पकड़ चेहरा ऊपर लेती है और सबको देखकर कहती है । " सॉरी ".. " भाभी ...आपको मेरे भइया नही पसंद क्या "? ईशा थोड़ी भावुक होकर फिर से पूछती है। अब कनक ये सुनकर उसके सामने बैठ जाती है और उसका हाथ पकड़ बहुत धीरे से कहती हैं। " मैं नही हु लायक आपके भैया के लिए (गाल पर हाथ फेर ) बाय "। इतना कहकर वो अब इस जगह पर एक पल भी रुके बिना तेजी से ऊपर अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ती है । जिससे इधर अब वो लोग भी एक दूसरे को देखकर ....हाथ जोड़ लेते है और दादी हल्की सी मुस्कुराहट से सोनिया जी को सब ठीक है कहकर अपने पोते को बुलाने लगती है । जिसकी वजह से वो लड़का अब मास्क पहना हुआ रूम से बाहर आ जाता है और कुछ ही वक्त में वो लोग अब निकल जाते है घर से बाहर । पर उस लड़के( राज) के गोद में पड़ी हुई ईशा बस " कनक को अब भी भाभी...भाभी पुकारते हुए रोना जारी रखती हैं। भाग पढ़ने के बाद अपने रेटिंग और विचार जरूर बताया करिए । अच्छा लगेगा ये जानकर की कैसा लगा भाग। मिलते है अगले भाग में।🌟
"एक अनजाना सा सफर है मोहब्बत का , जिसमें हो रहे है सब नम 🩷, इंतजार है बस तेरा क्योंकि तेरे मिलने से ही खत्म होंगे मेरे जिंदगी के सारे गम ...🩷" पिछले भाग में हमने पढ़ा था की कनक रिश्ते के लिए ना बोल देती है और लड़के वाले वहां से चले जाते है । अब आगे , कनक का कमरा, इधर अब कनक बेड पर लेटी हुई थी पर चेहरे पे कोई भाव नहीं था, बल्कि था तो बस शांति और वो बस अपलक ही ऊपर निहारे जा रही होती है । अब लगभग रात के 11 बज चुके थे और जबसे लड़के वाले गए थे , वो एक बार भी नीचे नहीं गई थी न ही उसने अभी तक अपनी साड़ी बदली । वो अब भी उसी हाल में लेटे हुए ...जो हुआ आज उन सबके बारे में सोच रही होती है । पर अनायास ही उसकी आंखो से आंसु बह जाते है जब उसे ईशा का घर से बाहर निकलते हुए चेहरा दिखा था । हां जब ईशा बहुत ज्यादा रो रही होती है जाते वक्त ... उस समय उसकी आवाज बहुत तेज थी । जिसकी वजह से कनक आवाज सुन भागकर अपनी बालकनी में आ गई थी और जब उसे ऐसे देख तो उसे बहुत ज्यादा ही बुरा लग रहा था। पर वह फिर धीरे सुबकते हुए शांत हो गई थी । कनक अब भी सब सोच ही रही होती है जिससे तभी उसका फोन बजने लगता है । जिसकी वजह से वो आवाज सुन फोन बेड पर से उठा लेती है पर जब देखती है की कॉल " अधिराज " का है तो पता ही नहीं क्यों अभी उसे फिलहाल किसी से बात करने का दिल नहीं करता है । इसलिए वो उसे " अधिराज जी जल्दी ही कॉलेज में मिलूंगी " का मैसेज करके फोन स्विच ऑफ कर देती हैं और लेट जाती हैं अपनी डायरी को कसकर पकड़े हुए जिसमे उसने जो हुआ सब लिख डाला था । उसे अब अंदर ही अंदर अजीब लग रहा था "जैसे उसका एक मन कह रहा है की " जो लड़का बिना जाने देखे लड़की के बारे की वो कौन है ..उसके लिए इतना अच्छा सोच सकता है तो बताओ क्या वो एक अच्छा जीवनसाथी नही होगा ? कनक तुमने गलत किया ना बोलकर , तुम्हें उससे एक बार और मिलना चाहिए था। कोई फैसला लेने से पहले कई दफा सोचना चाहिए था । लडको से दूर भागकर क्या करोगी ?....कब तक भागती रहोगी ? ".... और ये ही सारे अल्फाज इस समय अचानक से ही उसके दिमाग में एक साथ हड़कंप मचाकर घूमने लगते है । जिसकी वजह से तभी उसे चारो तरफ अंधेरा सा नजर आने लगता है और वो अपना सर कसकर पकड़ थोडी जोर से चीख निकालकर..तेज - तेज से गहरी सांस भरने लगती है । जिससे वही नीचे से सोनिया जी अब कनक की ऐसी आवाज सुन जो भी काम कर रही होती है वो छोड़ , घबराए हुए हाल में तेजी से भागते हुए उपर रूम में आ जाती हैं और कनक को ऐसे देख कसकर सीने से लगाए हुए कहती है । " चुप....चुप बिल्कुल 🥺.. मैं हु ना "। " आईएम.... सॉरी मां ( नम आंखों से) पापा मुझसे नाराज़ हो गए होंगे " वो कहती है ।🥺 " ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मेरी बच्ची ( उसके आंसुओ को पोंछकर ) चलो सो जाओ रात बहुत हो चुकी है , तुम्हे कल निकलना भी तो है । ये कहकर सोनिया जी खुद ही बेड पर बैठ जाती हैं और उसका सर अपनी गोद में रखकर , धीरे धीरे थपथपाते हुए लग जाती है उसे सुलाने । जिसकी वजह से वही कनक भी ... इस समय अपनी मां का सानिध्य पाकर धीरे ही धीरे सिसकते हुए , उनसे और चिपककर शांत मन से चली जाती है नींद के आगोश में । सुबह का वक्त, ( गार्डेन में ) " वेद आपको आज कही आने की जरूरत नही है । मैं नहीं आ पाऊंगी और न ही मम्मी पापा जाने देंगे क्योंकि मुझे पापा के साथ हमारी शॉप पर जाना पड़ेगा बाय "। ये कहकर तनु ....वेद आगे क्या बोलेगा वो सुने बिना ही कॉल कट कर देती है और लेट जाती है बाहर लगे झूले पे । वो कल रात भर नहीं सोई थी क्योंकि कनक ने रिश्ते के लिए मना जो कर दिया था । इसलिए अभी उसे बहुत गुस्सा आ रहा था और उसका मन हो रहा था की कनक को घर से बाहर फेंक दे। न जाने कितने बार तो वो उसे मन ही मन गालियां दे चुकी थी । वो आज ही सुबह उसे सुनाने और देखने के लिए उसके कमरे में गई थी , पर जब उसने अपनी ही मां के गोद में कनक को बेफिक्र सोते देखा था । तब उसका दिमाग और भी ज्यादा खराब हो गया था जिसकी वजह से वो सुबह से ही अब किसी से बात नही कर रही सिवाय वेद के और इसलिए आ गई थी गार्डेन में। अब वो इस समय लेटे हुए अपना हाथ टप - टप कर झूले पर मार रही होती है तो तभी मुकेश जी गार्डन में आ जाते है और कहते हैं । " तनु क्या हो गया ..आज सुबह से गुड मॉर्निंग भी विश नही किया तुमने "? वही तनु अब मुकेश जी की आवाज सुन शांत हो जाती हैं और आहिस्ते से ही उठकर कहती है। " सॉरी पापा मै बस काम के बारे में सोच रही थी । वो आज से ही मैं आपको ज्वाइन कर रही हु " वो बिन भाव के कहती है । " अरे वाह ये तो और भी अच्छा है ( उसका हाथ पकड़) चलिए फिर अंदर अब साथ में ब्रेकफास्ट करते है फिर कनक को छोड़ने भी तो जाना है " मुकेश जी कहते है । " हम्मम " इतना बोल वो अब मुकेश जी के साथ अंदर घर में आ जाती हैं । जहां कनक तैयार हुए ब्रेकफास्ट टेबल पर सजो रही होती है और जब वो मुकेश जी को देखती है तो हल्का सा मुस्कुराकर कहती है । " पापा मैंने आज भी आपका पसंदीदा खाना बनाया है ।अभी थोड़ी देर में निकल जाऊंगी तो ( हाथो को मलते हुए ) शायद काफी टाइम बाद मौका मिले "। " मेरा बच्चा "🤍 ये कहते ही मुकेश जी तनु का हाथ छोड़ कनक के सामने आ जाते है और इसका सर चूमकर सीने से लगाए हुए बोलते हैं। " ऐसी बाते क्यों बोलती हो ..चिंता मत करो...हमे जब - जब भी टाइम मिलेगा , सब लोग हमेशा वहां आते रहेंगे "। " अच्छा तो ये रोना धोना हो गया हो बेटी बाप का तो खाना खाए (पेट पर हाथ रखकर) कल रात से ही चूहे कूद रहे " सोनिया जी मुंह फुलाए हुए कहती है । वही इतने वक्त बाद सोनिया जी को ऐसे मजाक करते देख तो तीनो ही जोर जोर से खिलखिला उठते है और कनक तो उन्हे पीछे से गले लगा लेती हैं और कहती है । " क्या बात है मां आप भी मजाक करती है "। " क्या करू ....ऐसे सबको आग की तरह गर्म देखती है तो 🥲... " लतीफखोर " बनाना ही पड़ता है "वो कहती है । " व्हाट " वो तीनो ही लोग एक साथ बोलते है ये शब्द सुनकर । " हे भगवान ( मुंह फेरे 😏) तभी कहती थी सबको.. हिंदी भी पढ़ लो ,पर नही सब तो अंग्रेजी बाबा बनना चाहते थे तो ... बनो ( खाते हुए ) मैं नही बताऊंगी कुछ "। वही सच में अब सोनिया जी की बातो के वजह से ♥️सबका ही मूड काफी अच्छा हो गया था । कुछ पल के लिए ये माहौल बहुत खुशनुमा हो गया था " जैसे सब लोग कल वाली बात भूल गए है" । इसलिए कनक को उन तीनो लोगो को इतना अच्छा और हंसते देख बहुत सुकून मिल रहा था। क्योंकि उसे लगा था की सुबह भी सब दुखी ही होंगे पर अब उसे अच्छा लग रहा था । अब वो कुछ ही देर में फटाफट से अब अपना ब्रेकफास्ट सबके साथ फिनिश कर लेती है और टाइम देखकर कहती है । " ओ पापा ...मेरी ट्रेन का टाइम हो रहा "। " कनक ट्रेन से जाने से अच्छा फ्लाइट ले लेती ...जल्दी भी पहुंच जाती " सोनिया जी कहती है। " हां माताजी पर ( उनके गाल पे किस करके ) ट्रेन के सफर में मजा आता है मुझे " वो मुस्कुराकर उठते हुए बोलती है । " अच्छा बाबा तुम्हारी मानी , चलो मैं टिफिन दे रही जल्दी से पैक कर लो " सोनिया जी कहती हैं। " हां मां " इतना बोलकर कनक जल्दी से ऊपर सीढ़ी की तरफ बढ़ जाती हैं और वहां से अभी बस कॉरिडोर में ही जाने लगती है की तभी तनु बहुत शुष्क से आवाज में कहती है। " बहुत सुकून मिल रहा होगा ना तुझे , मुझे इतना तंग करके "। कैसा लगा ये भाग ?🙂
मुझे पल पल बस तेरी याद ही सताए , तु अगर सच है तो सिर्फ ख्वाब में ही क्यों आए "? पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की कनक अब सीढ़ियों से ऊपर जा रही होती है और अभी वो बस कॉरिडोर में ही पहुंची होती हैक तभी तनु शुष्क सी आवाज में कहती है। " बहुत सुकून मिल रहा होगा ना तुझे "। अब आगे , तनु के इतना कहने भर पर ही उधर कनक के पैर थम से जाते है और इधर नीचे मम्मी पापा ( जो कनक के लिए कुछ खाने पीने की चीजे पैक कर रहे होते हैं) उनके भी हाथ रुक जाते है और सब अब तनु को बहुत हैरानी से देखने लगते है तो तभी कनक मुड़कर कहती हैं । " क्या हुआ दी " ? " इतना भोला पन दिखाने की जरूरत नहीं है तुझे ( गुस्से में घूरते हुए ) ये अपना इतना प्यार दिखाने वाला नाटक मेरे सामने मत किया कर " वो बोलती है । " दी आ...आप ऐसे क्यों बोल रही है ? मुझसे ऐसे बात क्यों कर रहे हो आप " कनक हैरानी से उसे देखकर कहती है ।🥺 " ओह गॉड ( आंखे रोल किए ) ये एक्टिंग करने में कितनी माहिर है तू। ( अपनी जगह से उठकर ) नफरत सी हो रही है तुझसे , पता नही कब जायेगी । इतना कहकर वो चेयर गुस्से में साइड कर देती हैं और वहां से जाने ही लगती हैं । तभी सोनिया जी उसका हाथ कसकर पकड़ लेती हैं और अपनी तरफ उसे मोड़कर थोड़ी सख्ती से कहती है । " तुम्हे हो क्या जाता है रोज - रोज....और ये किस लहजे में बात कर रही हो " । " पता है मम्मी ( हाथ छुड़ाकर ) आप अपनी बेटी से ज्यादा , उस लड़की से प्यार करती हो और मुझे न इससे बहुत जलन होती है । ( कनक को देख ) ये लड़की ना खुद कभी शादी करेगी ना मुझे करने देगी ।🤬 " तनु ....( दांत पीसते हुए ) इतने थप्पड़ खींचकर तुम्हें दूंगी की अकल ठिकाने आ जायेगी आज ही " सोनिया जी काफी गुस्से में देखकर कहती है । " हां बस मुझे ही मारो ... इसलिए तो पैदा किया है । जब देखो तो कनक वो , कनक ये , कनक बीमार तो नहीं यक ( सर पकड़कर ) पक गई हु इस नाम से और इस लड़की की वजह से "। ये कहते हुए तनु लड़खड़ा उठती है और गिरने ही लगती है की इससे पहले ही कनक ( जो नीचे आ गई थी ) वो उसे संभाल लेती है । जिसकी वजह से तभी तनु जब उसे देखती हैं तो गुस्से मे अपना हाथ छिटक देती हैं और कहती है । " मुझसे दुर रहा करो ...."। " दी यार मैंने किया क्या है और आप ये क्या बोल रही थी शादी के बारे में " वो असमंजस सी हाल में पूछती हैं ।🥺 " तुम....तुम्हारी वजह से मैं नही कर पाऊंगी शादी ....." वो गुस्से में कहती है । " व्हाट...मेरी वजह से आप शादी नहीं कर पाएंगी ( हैरानी से ) दी मेरे कुछ समझ नही आ रहा " कनक कहती हैं। " हाहाहाहाहा समझ हूह 🤬.....सारी प्रोब्लम तो तूने क्रिएट कर ही दी है अब क्या करेगी जानकर "। ये कहकर वो पागलों की तरह हंसते हुए अपनी जगह से खड़ी हो जाती हैं और वहां से बढ़ जाती है अपने कमरे की तरफ तो तभी मुकेश जी ( जो काफी वक्त से शांति से खड़े सब सून रहे होते है । ) वो आकर तनु के आगे खड़े हो जाते है और कुछ बोलने ही लगते हैं । तभी तनु उन्हे भी साइड करके वहां से अंदर रूम में घुस जाती है और इतनी जोर से डोर बंद करती है की उसकी आवाज पूरे घर में गूंज उठती हैं । वही बाहर खड़े ये तीनो लोग अब एक दूजे को अजीब नजरो से निहारने लगते है और कनक तो अपने आंसुओ को बहने से रोकते हुए , अपने होंठो को काटने लगती है । जिसकी वजह से सोनिया जी कहती है। " कनक तुम जाओ सामान ले आओ , हमे निकलना भी है "। " मां ये दी क्या कह रही थी की मेरी वजह से वो शादी नही कर पाएंगी । ( नम आंखों से) क्या मतलब है इसका ? वो सवालिया नजरो से पूछती हैं।🥺 " कनक जाओ " मुकेश जी कहते हैं। " नही....( सोनिया जी से ) मां प्लीज़ आप बताओ न दी क्यों बोल रही थी ऐसा । मैं जानती है आप दोनो को पता है सब 🥺 " वो उलझन पर नम आंखों से पूछती हैं। वही सोनिया जी और मुकेश जी ये सुनकर अब एक दूसरे को देखने लगते है " जैसे आंखो ही आंखो में कुछ बात कर रहे हो " पर जब वो कनक को अपनी तरफ बहुत परेशान और आस वाली नजर से अब भी ताकते हुए पाते हैं । तब सोनिया जी उसके पास आ जाती हैं और हाथ पर हाथ रखकर कहती है । " तनु काफी टाइम से एक लड़के को पसंद करती है । वो उसी से शादी भी करना चाहती है पर जब - जब हमने उसे घर में बुलाने को कहा तब तब मना कर दिया । क्योंकि वो चाहती है की तुम भी एक बार सेटल हो जाए तब सब मिले । ( गहरी सांस भरकर ) हमारे घर में हमेसा से ही रहा है की एक बार में दो शादियां हुई । जैसे तुम्हारे दोनो बाबा लोगो का साथ हुआ तो वही तुम्हारे दोनो पापा लोगो की शादी भी एक साथ हुई थी । इसलिए सब , तुम्हारे दादा जी भी चाहते थे की तुम्हारी और तनु की शादी भी एक साथ ही हो ( उसके गाल पर हाथ रखकर ) तुम जब आई और इतने वक्त से तुमने कुछ नही बताया कि तुम्हे कोई पसंद है या नहीं । तब हमने सोचा था की तुमसे पूछेंगे पर तनु ने कहा था की तुम्हे कोई पसंद नहीं है। इसीलिए उस दिन इवेंट पर जब रिश्ते की बात चली तो हमने मिलने के लिए हामी भर दी थी । ( हल्का सा मुस्कुराकर) चलो छोड़ो तुम उसकी बातो का । एक - दो दिन में वो ठीक हो जाएगी और मैं कोशिश करूंगी की हम उस लड़के से मिले जिसे तनु पसंद करती है "। सोनिया जी इतना कहकर चुप हो जाती हैं और वापस से अलग हुए उसका खाना रखने लगती है । तब वही अब मुकेश जी कनक के पास आ जाते है और उसे सीने से लगाकर कहते है । " सॉरी बेटा ....वैसे अच्छा ही किया तुमने कल रिश्ता मना करके । अब हम नही खोजेंगे कुछ , जब तुम्हे कोई पसंद आ जाए तो पक्का हमे बताना । हम तो बस यही चाहते है की तुम जीवन में खुश रहो और आगे बढ़ो " ( उसके गाल खींचकर ) आह बाबा बहुत हो गया ये बेकार की सारी बाते । तुम्हारे ट्रेन का टाइम हो गया है और जरा सा भी लेट हुए तो उफ्फ उड़ाकर भगाना पड़ेगा कार "। वही कनक मुकेश जी के भी मुंह से इस हाल में हंसी मजाक सुन वो हैरान हो जाती है । पर जब वो उसे अब भी ऐसे ही शान्त और गुम हुई पाते है । तब वो बिना किसी ही वार्निंग दिए हंसते हुए उसे जोर जोर लगते है गुदगुदाने ।जिसकी वजह से कनक अब मुस्कुरा देती है और दौड़ पड़ती है सीधे ऊपर अपने रूम की तरफ। कुछ ही पल में अब उसके जाने का वक्त हो चुका था। इसलिए मुकेश जी कार पहले से ही रेडी करके बाहर उसका इंतजार कर रहे होते है । जिसकी वजह से उधर घर में कनक अब अपना सामान लिए सीधे ही हॉल मे आ जाती हैं और अब सोनिया जी के गले कसकर लगकर नम आंखों से कहती हैं । " आई लव यू मां ..♥️ मै आपको बहुत मिस करने वाली हु । प्लीज मेरे पास भी जल्दी आना और हां अपना ध्यान रखने के साथ साथ पापा और तनु का भी रखना । उनकी मेडिसिंस आप टाइम पर दे देना क्योंकि मैं जानती हु बहुत मुंह फुलाते है दोनो के दोनो "। " हाहा.... जरुर रखूंगी "। ये कहकर सोनिया जी उसका सर चूम लेती हैं और न जाने अब कितनी ही बार उसके दोनो हाथो को अनगिनत बार चूमते रहती है। पर जब उनकी आखों से आंसु बहने लगते है तो वो झट से उन्हे पोंछ देती है और अब उससे अलग होकर मुस्कुराते हुए उसे लेकर निकल पड़ती है घर से बाहर । वहां इधर वो पहले कनक को तुलसी माता के हाथ जोड़ने को कहती हैं और जब वो कर लेती हैं । तब वो उसे दही - शक्कर खिलाती है और फिर कुछ ही समय में कनक अब एक बार फिर से गले लगकर , अपना सामान गाड़ी में रख देती है और अब मुकेश जी के साथ रवाना हो जाती है स्टेशन की तरफ। कैसा लगा भाग ? 🩷😊
पिछले भाग मे हमने पढ़ा था की कनक स्टेशन के लिए रवाना हो जाती है मुकेश जी के साथ । अब आगे , वो दोनो ही लोग अब स्टेशन पहुंच गए थे 5 मिनिट पहले ही और दोनो ही प्लेटफार्म की सीट पर बैठे हुए कर रहे होते है ट्रेन का इंतजार । ट्रेन यहां बस 10 मिनट में पहुंचने वाली होती हैं इसीलिए कनक अब अपनी जगह से खड़ी हो जाती हैं और शॉल को अच्छे से खुद पर लपेटे हुए कहती है । " पापा आज तो स्टेशन बहुत खाली है, ऐसा क्यों "। " हां बिटिया....अब लोग ज्यादातर आगे ही चढ़ जाते है इसलिए पर ( खड़े होकर ) चिंता मत करो हम किसी को आपके सीट पे नहीं बैठने देंगे " मुकेश जी कहते है। वही कनक ये सुन मुस्कुरा देती हैं और आ जाती हैं उनके पास और उनके गले लगकर कहती है । " आप मुझे इतना प्यार करते है ना की मेरा मन ही नहीं होता 🥺जाने का । ( उनका हाथ पकड़) सच्ची हर बार जाते वक्त बुरा लगता है पर इस बार तो और भी ज्यादा ही " । " ओ हो ....( उसकी पीठ थपथपाते हुए ) हम कहे है ना । अब टाइम निकालकर वहां आते जाते रहेंगे । बस एक साल की तो बात है उसके बाद तो तुम आ ही जाओगी घर पर " मुकेश जी कहते हैं। " हम्म पापा " वो कहती है । इतना कह वो यू ही कुछ इधर - उधर की बाते करने लगती हैं , ताकि आज सुबह जो भी हुआ सब उनके दिमाग से निकल जाए। क्योंकि उन्हे देखकर ही लग रहा था की वो कितना बुरा फील कर रहे है। जिससे वही मुकेश जी उसकी इतनी प्यारी बातें सुन उसके सर पर हाथ फेरने लगते हैं और अब कहते है। " ये लो बेटा तुम्हारी ही अमानत है । सोचा था सुबह ही दे दूंगा घर पे पर ( कुछ सोचकर ) चलो छोड़ो । इसे जल्दी से ले लो तुम्हारी ट्रेन बस आ ही गई है "। वही कनक ये सुन तो अब मुकेश जी को हैरानी से देखने लगती है । उसे तो लगा था की वो इस बात को भूल ही गए होंगे, ये जो भी हुआ इन कुछ दिनों में इन सबकी वजह से । पर अब वो उसे सच में ही घर की चाभी दे ही रहे तो वो उनके कसकर गले लग जाती हैं और कहती है । " मुझे लगा था की आप नही देंगे "। " पागल बच्ची "( उसके सर पर हाथ फेरकर ) ऐसे कैसे नही देता । मैं जानता हु कितनी तकलीफ होती है हॉस्टल में। तुम्हे पता है बेटा तुम्हारी मां तो जब से आई थी तभी से पीछे पड़ी थी की चाभी दे दू पर तुम ही हो की मांगी नही , तो बस सोचा जब तुम बोलोगी तब दूंगा ।(मुस्कुराकर ) अब चलो ये बार बार इमोशनल मत करो अब तुम , वरना भेजना भी मुश्किल हो जायेगा 🥺। अब तो तुम बस अच्छे से सब करो अपना और अपना ध्यान रखना । दवाइया टाइम से तुम भी लेना अगर जरूरत पड़ती है तो और कोई बात हो तो बेझिझक कॉल कर लेना ठीक है "मुकेश जी प्यार से कहते है। " लव यू पापा ♥️"। " खुश रहो तुम बस " वो मुस्कुराकर कहते हैं। और फिर वो इतना कह उसके बाद कनक का सामान अब खुद ही उठा लेते है और ट्रेन जो आकार पहले ही खड़ी हो चुकी थी , उसमे वो कनक को लिए चढ़ जाते हैं। । वहां वो फिर उसकी सीट खोजकर ,उसका सामान अच्छे से सेट करके रख देते हैं और पॉकेट से कुछ पैसे निकालकर उसके हाथ में रखते हुए कहते है । " अब चलता हु , ध्यान रखना और हां पहुंचते हुए कॉल कर लेना ठीक है"। " जी पापा " वो लगभग से रोते हुए कहती है । वही मुकेश जी भी उसे ऐसे देख नम आंखों से ही बस सर पर चूम लेते हैं और अब उतर जाते है ट्रेन से। जिसकी वजह से कनक भी उन्हे कुछ पल तक ऐसे ही देखती रहती और जब ट्रेन स्टार्ट होती है । तब वो आकर अपनी सीट पर बैठ जाती है। वो AC 1 में थी इसलिए ज्यादा भीड़ नहीं थी और इसी बात से वो खुश थी क्योंकि उसे कभी कभी भीड़ में अजीब सी ही मिचलन शुरू हो जाती है । इस वक्त वो अपने कंपार्टमेंट में अकेली ही बैठी हुई है इसलिए अब उसने अपना मास्क भी उतार दिया है और पर्दा भी अच्छे से लगा दिया है । क्योंकि उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है की कोइ ताका झांकी करता है । वैसे भी वो जब बाहर रहती है तो मास्क में ही रहती है । इस वक्त वो अब अकेली ही है तो बस बिलकुल ही आराम से विंडो के पास आ जाती है और निहारने लगती है बाहर । पर पता नही क्यों अब उसे बार बार घर की याद सता रही होती है , जिससे उसकी आंखे नम हो जाती है । हालांकि वो इससे पहले भी आती जाती रही है पर इस बार उसे कुछ ज्यादा ही याद रही है । इसलिए वो अपना फोन निकाल लेती हैं और जब ओपन करती है। तब उसकी आंखे हैरानी से फैल जाती है क्योंकि स्क्रीन पर लगभग 100 से ज्यादा अधिराज के मिस्ड कॉल थे। जिसकी वजह से वो सर पर अपने हाथ रख लेती है और फटाफट से करने लगती है अधिराज को कॉल और जब वो अटेंड करता है तो कनक कहती हैं । " अधिराज जी "। " कब तक पहुंच जाएंगी आप ? " वो बिलकुल ही बिन भाव के पूछता है । " ट्रेन लेट नही हुई तो शाम तक पर लेट हुई तो देर रात भी हो सकती है " वो अपने होंठो को चबाते हुए कहती हैं। " ठीक है ... मैं स्टेशन पर मिलूंगा " वो बोलता है । " आप गुस्सा तो नही हैं ना मुझसे ? " कनक पूछती है । " ना.... चलिए बाय में मिलता हु "। इतना कहकर उधर से अधिराज खुद ही कॉल कट कर देता है । जिसकी वजह से इधर कनक हल्का सा मुस्कुराकर फोन वापस से बैग में रख देती हैं और मास्क पहनकर फिर से देखने लगती है बाहर । ट्रेन अब तेजी से आगे बढ़ती जा रही होती है जिससे ऐसा लग रहा था की वो पक्का अपने समय पर पहुंच जाएगी । ऐसे ही धीरे धीरे समय बीतता जा रहा था। अब दोपहर का वक्त हो चुका था और सामने वाली सीट अब भी खाली ही थी । वही कनक अब कभी बैठ रही थी तो कभी अपना फोन देख रही होती है पर अब वो खुद भी बोर महसूस करने लगती है । जिसकी वजह से वो अपनी जगह से उठ जाती है और पर्दा ओपन किए निकल जाती है बाहर गेट के तरफ । वहां वो देखती है की अभी उस जगह पर कोई नहीं है तो उसे सुकून मिलता है । इसीलिए वो अब थोड़ी मेहनत कर डोर ओपन करने लगती हैं और जब वो खुलता है । तभी ठंडी हवा का झोंका सीधे उसके जिस्म को छू जाता है जिससे वो एक पल के लिए आंखे बंद किए सिहर उठती है । उसे अब ये बहुत अच्छा लग रहा था। पर जब कुछ पल बाद कोइ उसके कंधे पर हाथ रखता है तो वो छिटक उठती हैं और दूर होकर अपने सामने खड़े आदमी को देखते हुए कहती है । "कौ.... क्या है " ? " मैडम आप यहां क्यों सो रही है ?" वो आदमी हैरानी से पूछता है । वही अब कनक कोई जवाब नहीं देती है बल्कि तेजी से दौड़ पड़ती हैं अपने कंपार्टमेंट की तरफ । वहां आकर वो फिर जैसे ही जल्दी से पर्दा हटाती है तभी अपने सामने किसी काले रंग के सूट बूट पहने हुए शख्स को देखकर। वो अचानक से ही अपना संतुलन खोते हुए चीख पड़ती है ....जिससे तभी वो शख्स उसे गिरते देख झट से कमर से पकड़कर संभाल लेता है । कैसा लगा भाग ? 🙂भाग पढ़ लिए तो कुछ समय देकर समीक्षा रेटिंग भी कर दिया करे ...प्रोत्साहन मिलता है आगे लिखने के लिए।।