"जिस घर में उसने बचपन जिया, अब वो किसी और की जागीर था — और वो 'कोई और' था दुनिया का सबसे घमंडी, सबसे हैंडसम और सबसे मशहूर सिंगर!" 22 साल की वामिका, जो ज़िंदगी को अपने नियमों पर जीना जानती है — निडर, बिंदास और बेहद इमोशनल — एक दिन अचानक... "जिस घर में उसने बचपन जिया, अब वो किसी और की जागीर था — और वो 'कोई और' था दुनिया का सबसे घमंडी, सबसे हैंडसम और सबसे मशहूर सिंगर!" 22 साल की वामिका, जो ज़िंदगी को अपने नियमों पर जीना जानती है — निडर, बिंदास और बेहद इमोशनल — एक दिन अचानक पाती है कि जिन दोस्तों पर उसने आंख मूंदकर भरोसा किया, उन्होंने ही उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा दे दिया। उसका पुश्तैनी घर अब बिक चुका है... और खरीदार है — अभीक राय — एक वर्ल्ड फेमस सिंगर, जिसे कैमरे से प्यार है लेकिन किसी इंसान से नहीं। अब मजबूरी में, दोनों एक ही छत के नीचे हैं। हर दिन एक नया तकरार, हर बात पर तंज, और हर शाम... दिल के तार हिलाने वाला कोई रहस्य। "वो उसे बर्दाश्त नहीं कर सकता... और वो उसे छोड़ने को तैयार नहीं। पर नफ़रत के इसी खेल में... मोहब्बत की सबसे दिलचस्प धुन कब छेड़ दी गई, किसी को खबर नहीं हुई..." 💔🎶 एक घर। दो दुश्मन। और एक इश्क़... जो किसी प्लान में नहीं था। #ForcedLiving #EnemiesToLovers #RomanticDrama
Abhik
Warrior
Waamika
Mage
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"तुम बिना हिले नहीं बैठ सकती क्या?!"
अभीक झुंझलाते हुए कहता है, जैसे सब्र की आख़िरी डोर भी टूटने को हो।
"क्या मुसीबत है यार… एक जगह टिक कर बैठना क्या तुम्हारे बस की बात नहीं है?"
उसकी आवाज़ में चिढ़ तो थी ही, लेकिन थोड़ा डर भी — कहीं प्लेन न डगमगा जाए।
"अगर अब तुम ज़रा भी हिली ना… तो सच में, उठाकर बाहर फेंक दूंगा… एरोप्लेन से नीचे!"
वो आंखें तरेरता है, लेकिन उसका चेहरा साफ़ बता रहा था — डर उसे खुद भी लग रहा है, थोड़ा कम... थोड़ा ज़्यादा।
"सुना ना तुमने, हिली हुई लड़की!"
अबकी बार उसके शब्दों में एक मासूम-सी गुजारिश छुपी थी, जो वो छिपा रहा था अपनी अकड़ में।
"उफ़्फ़! तुम्हें क्या प्रॉब्लम हो रही है?"
वामिका तड़पते हुए कहती है, अपनी आँखों में वही चिंगारी लिए जो तूफ़ान को भी झुका दे।
"वामिका नाम है मेरा, और इसका मतलब पता है न तुम्हें?"
वो उसका चेहरा थामकर थोड़ा और करीब आ जाती है।
"निडर होती हूं मैं… किसी से नहीं डरती! और ये एरोप्लेन तुम्हारे पप्पा का नहीं है जो मुझे फेंक दोगे नीचे!"
उसका लहजा सख़्त है, मगर उसमें शरारत की एक नरम परत भी है।
"बोलो… बोलो… बोलो… हिम्मत है तो फेंक के दिखाओ!"
वो उसकी आंखों में आंखें डालती है, जैसे किसी बादशाह को उसकी ही सल्तनत में ललकार रही हो।
"ओ हेलो मैडम!"
अभीक मुस्कराते हुए उसके माथे से हल्की सी टक्कर मारता है, जैसे कह रहा हो — तू और तेरी बातों से तो मुझे मोहब्बत हो चली है।
"मेरे नाम का मतलब भी निडर होता है — और डर… वो तो मुझसे भी डरता है!"
उसकी आवाज़ अब मज़ाकिया नहीं, बल्कि कुछ ज़्यादा ही गूंजती है — जैसे दिल की गहराइयों से निकली हो।
"तुमने मुझे इस गंदे से सिर से मारा?"
वामिका की आंखों में जलजला उठ खड़ा हुआ। वो अपनी जगह से थोड़ी उछलती है, बाल पीछे करती है, और आंखें तरेरती है।
"रुको… अभी बताती हूं तुम्हें!"
वो बगल में रखी पानी की बोतल उठाती है, एक झटके में ढक्कन खोलती है और… छपाक! पूरा पानी अभीक के सिर पर उड़ेल देती है — जैसे बदला नहीं, कोई जंग का ऐलान हो।
"पागल लड़की! ये क्या किया तूने??"
अभीक हड़बड़ाकर सीट से उठता है, बालों से पानी टपक रहा है, और आँखों में शरारती बदला भरा है।
"अब तो तुझे छोड़ूंगा नहीं!"
वो नूडल्स का बाउल उठाता है — और वामिका के सिर पर उंडेल देता है। नूडल्स उसके बालों में लिपट जाते हैं जैसे उसने नई हेयरस्टाइल बना ली हो।
"आह! मोटे भालू… गधे!"
वामिका चीखती है, लेकिन उसके चेहरे पर रोष से ज्यादा हैरानी है — कि ये बंदा सच में कर गया ये!
“एक्सक्यूज मी सर, मैम… इज़ देयर एनी प्रॉब्लम?”
एक एयर होस्टेस घबराई हुई उनके पास आती है, आसपास के पैसेंजर चुपचाप तमाशा देख रहे हैं जैसे कोई लाइव कॉमेडी शो चल रहा हो।
"इस लड़की को तमीज़ नाम की कोई चीज़ नहीं है! पागल हो गई है ये!"
अभीक गुस्से में अपनी सीट से उठता है, और झटके से अपना कैप उतारकर बाल झटकते हुए कहता है। उसकी आंखों में पानी है, बाल बिखरे हुए हैं — लेकिन एटीट्यूड ज्यों का त्यों।
"ओह माय गॉड… आप…"
एयर होस्टेस की आंखें चमक उठती हैं, वो अपनी सांस रोकती है, और लगभग चीख पड़ती है:
"आप वही हैं ना? A famous singer — अभीक सिंह!!!"
उसकी आंखों में चमक है, जैसे उसने किसी स्टार को नहीं, बल्कि अपने सपनों को सामने देख लिया हो।
"हाँ! ये वही है!"
एक लड़की पीछे से चिल्लाती है, उसकी आवाज़ पूरे एरोप्लेन में गूंज जाती है।
"मैंने तो इनके कई स्टेज शोज़ लाइव देखे हैं… OMG!"
अभीक सिर झुकाए, बालों से नूडल्स हटाते हुए बस गहरी साँस लेता है।
"हाय... ये जितना टीवी पर हॉट दिखता है, रियल में तो उससे भी दस गुना ज्यादा है!"
एक और लड़की अपनी सीट से उठकर पूरे जोश के साथ अभीक के पास पहुँचती है, आँखों में दिल बना हुआ जैसे अभीक ही उसका आखिरी ख्वाब हो।
"अभीक… मुझसे शादी कर लो प्लीज़!"
वो झुककर, दोनों हाथ जोड़कर कहती है जैसे सच में प्रपोज़ कर रही हो।
"मैं तुम्हें हर दिन अपने हाथों से खाना खिलाऊंगी… वादा है!"
बगल में बैठी वामिका का चेहरा देखने लायक हो जाता है — जैसे उसे अब पछतावा हो रहा हो कि उसने नूडल्स क्यों नहीं खा लिए खुद ही।
"तुम्हारी वजह से ही इन लड़कियों ने मुझे पहचान लिया!"
अभीक वामिका की तरफ देखता है, उसकी आँखों में इल्ज़ाम की जलन होती है, और फिर एयर होस्टेस की तरफ मुड़कर कहता है:
"क्या आप मेरी सीट इस जाहिल लड़की से दूर कर सकती हैं प्लीज़?"
वामिका उस पर कड़कती नज़र डालती है, जैसे सोच रही हो — “अभी तू ज़िंदा है, पर ज़्यादा देर नहीं।”
"सॉरी सर…"
एयर होस्टेस हाथ जोड़कर थोड़ा झुकती है, उसकी साँसें तेज़ हैं — एक तरफ नौकरी, दूसरी तरफ फैनगर्ल मोमेंट।
"प्लेन में दूसरी कोई सीट खाली नहीं है… और आपको यही सीट मिली है तो… आपको यही बैठना पड़ेगा!"
फिर वो लाज से मुस्कराती है, और जल्दी-जल्दी अपने बैग से एक डायरी और पेन निकालकर सामने करती है — जैसे ये मौका छूट न जाए।
"प्लीज़ मुझे माफ कर दीजिए… और एक ऑटोग्राफ दे दीजिए… मेरी ज़िंदगी बन जाएगी!"
अभीक गहरी सांस लेकर पेन पकड़ता है, लेकिन उसकी नज़र बार-बार वामिका पर जा रही थी — जो अब मुंह फेरकर बाहर बादलों को घूर रही थी जैसे वो उसे नीचे गिराना चाहती हो।
"सीट भी नहीं बदली और ऑटोग्राफ भी चाहिए…"
अभीक मन ही मन बड़बड़ाता है, चेहरा चढ़ा हुआ है, लेकिन फैन का दिल न तोड़ पाने की मजबूरी भी है।
"दिल तो कर रहा है इसके पूरे चेहरे पर ऑटोग्राफ दे दूं!"
वो पेन और डायरी एयर होस्टेस से लेता है, जबरन मुस्कान चिपकाकर ऑटोग्राफ देता है, जैसे किसी सज़ा का वक़्त काट रहा हो।
एयर होस्टेस फिदा मुस्कान लिए लौट जाती है, और उधर वामिका अपने बालों से नूडल्स साफ करते हुए हंस पड़ती है — उसकी हँसी में शरारत की चिंगारी चमक रही थी।
"तो सीट चेंज हो गई क्या? मोटे भालू?"
वो बिना उसकी तरफ देखे ही कहती है, जैसे अभीक को चिढ़ाने का उसे ऑफिशियल लाइसेंस मिला हो।
"शूट अप!"
अभीक बुरी तरह चिढ़ता है, लेकिन अगले ही पल गर्दन तानकर कहता है:
"मैं तुम्हें किस एंगल से मोटा भालू लगता हूँ? ज़रा देखो तो मुझे… एक बार दिल से देखोगी, तो प्यार हो जाएगा!"
वो अपने बालों को पीछे करता है, कॉलर उठाता है, और थोड़ा सा मुस्कराता भी है — जैसे फोटोशूट चल रहा हो।
तभी वामिका उठ खड़ी होती है — और उसके उठते ही अभीक झट से बाल ठीक करने लगता है, जैसे समझ गया हो कि अब लड़की फिदा हो गई है… अब माफी मांगेगी… अब पछताएगी।
"सब लड़कियाँ मरती हैं मुझ पर, समझी?"
वो घमंड से इतराकर कहता है, जैसे अभी फैशन शो जीतकर आया हो।
लेकिन वामिका की नज़र उस पर पड़ती है… और मुस्कराते हुए वो कहती है:
"जैसी शक्ल है तुम्हारी… कोई जिंदा कैसे बच सकता है?"
उसका लहजा तीखा होता है, जैसे किसी ने मिर्ची घोल दी हो।
"हटो रास्ते से… मुझे वॉशरूम जाना है! तुम्हारे जैसे मोटे भालू को देखकर कोई प्यार में नहीं पड़ता, उल्टी हो सकती है!"
वो अभीक को हल्का सा धक्का देती है, और अपने रौब में आगे बढ़ जाती है।
"त…तुम्हे तो मैं देख लूंगा…"
अभीक रास्ता देते हुए कहता है, जैसे अपने आप को दिलासा दे रहा हो। उसकी आवाज़ में थोड़ी जलन, थोड़ी शर्मिंदगी और थोड़ी हार मान लेने वाला गुस्सा था।
"ठीक है… ठीक है!"
वामिका मुड़कर कहती है, दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए।
"मैं वॉशरूम से बाल साफ करके आती हूँ, फिर जी भर के देख लेना… मैंने खुद पर टैक्स नहीं लगाया!"
फिर एक तीखी मुस्कान के साथ उसका कॉलर पकड़ती है और कहती है:
"अब हटो यहां से!"
वो अभीक को सीट पर धकेलती है और खुद बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है, उसके जाते ही प्लेन में बैठे दो पैसेंजर फुसफुसाते हैं:
"लव स्टोरी स्टार्ट हो चुकी है क्या?"
और अभीक… बस नूडल्स वाली डायरी को देखता है और बड़बड़ाता है:
"ये लड़की… मेरी बर्बादी लिखने आई है!"
जब वामिका वॉशरूम से लौटती है, तो सामने का नज़ारा देखकर उसकी भौंहें चढ़ जाती हैं। अभीक की सीट के चारों ओर लड़कियों का पूरा झुंड जमा था — जैसे किसी सुपरस्टार का लाइव कॉन्सर्ट चल रहा हो। सब की सब एक-दूसरे को धक्का मारती हुई, उसकी एक झलक पाने की होड़ में थीं।
"ये इतना फेमस है क्या?"
वामिका खुद से बड़बड़ाई, उसकी आंखों में अजीब सी खीझ थी।
"तभी मैं सोच रही थी इस भालू का चेहरा इतना देखा-देखा क्यों लग रहा है..."
फिर वो पल भर को ठिठकी, लेकिन अगले ही पल गुस्से से उसकी आंखों में चिंगारी सी चमक गई।
"पर मेरी सीट पर इसकी हिम्मत कैसे हुई अपने फैन्स को बुलाने की… अब बताती हूं!"
वो पर्स को ठीक करते हुए तेज़ कदमों से लड़कियों के झुंड की ओर बढ़ी — और बिना किसी हिचक के, भीड़ को चीरती हुई अभीक तक पहुँच गई।
"तुम सब मेरे सीट पर ऐसे भीड़ क्यों लगा रखी है, हाँ?"
उसकी आवाज़ तेज़ और तंज से भरी थी, जैसे वो सबकी मां बन गई हो।
"भागो यहां से! नहीं तो… ये भालू तुम्हें इसी खिड़की से नीचे फेंक देगा!"
वो खिड़की की ओर इशारा करती है, चेहरा बेहद गंभीर था लेकिन अंदाज़ वही उसका चुलबुला ताना मारने वाला।
भीड़ में से एक लड़की ने हाथ नचाते हुए कहा —
"तुम कौन होती हो हमें अपने सपनों के राजकुमार से मिलने से रोकने वाली?"
अब आवाज़ें उठने लगी थीं — शक, गुस्सा और जलन से भरी हुईं।
"पहले अटेंशन के लिए झगड़ा किया, अब हमारे राजकुमार को बुरा दिखाने की कोशिश!"
इतना कहते-कहते एक लड़की वामिका को धक्का देती है — ज़रा सा, लेकिन अचानक। और वो... लड़खड़ाती है।
और अगली ही सांस में...
धप्प!
वो सीधा अभीक के ऊपर गिर पड़ती है। सन्नाटा।
दोनों के चेहरे एक-दूसरे के इतना करीब थे कि सांसें उलझने लगीं। कुछ पलों तक ज़ुबानें बंद रहीं… बस नज़रों की खामोश बातें चल रही थीं।
वामिका की बड़ी-बड़ी काली आंखें, ठीक किसी हिरनी की तरह चमक रही थीं — और उनमें काजल की एक हल्की लकीर उसे और भी जादुई बना रही थी। उसकी सीधी खड़ी नाक पर अजीब सा गुस्सा चढ़ा था — शायद हालात पर या खुद पर। पतले-पतले होठों पर हल्की गुलाबी लिपस्टिक थी, और गोरे चेहरे पर गुस्से और संकोच का अजीब सा संगम।
अभीक जैसे कुछ पलों के लिए थम गया था।
वो उसे देख रहा था — जैसे कोई पुरानी रचना सामने खुल रही हो। वो पहली बार उसकी खूबसूरती को देख नहीं, महसूस कर रहा था।
और वामिका…
उसका हाल भी कुछ कम नहीं था।
"मैं तो खामखा ही इसे भालू कहती रही…"
उसका मन उसके चेहरे पर लिखा जा रहा था।
"ये… बहुत स्मार्ट है। इसकी आंखें छोटी हैं पर… क्यूट हैं। कितनी सच्चाई से भरी दिख रही हैं।"
फिर उसी पल वो खुद को टोका —
"खैर… उससे क्या फर्क पड़ता है! आंखों से सच्चा और जबान से झूठा, और बदतमीज़ भी!"
वो मन ही मन बड़बड़ाती रही, पर नज़रें अभीक से हट नहीं रही थीं।
"उठो… तुम सो गई हो क्या? झगड़ालू लड़की!"
पीछे से एक लड़की की आवाज़ गूंजी, जिसने उस सन्नाटे को फिर से शोर में बदल दिया।
समीक्षा करें फॉलो करे, ताकि आपको नोटिफिकेशन मिल जाए क्योंकि पार्ट हर रोज आयेगी।
(क्रमशः)
सड़क की तपती धूप में खड़ी वामिका की आँखें सिकुड़ रही थीं, माथे पर पसीने की बूंदें मोती की तरह चमक रही थीं और उसकी नाक से गुस्से की भाप उठ रही थी। वह अपने बैग से पंखा निकालने ही वाली थी कि तभी सड़क पर से गुजरती एक महंगी कार अचानक उसके पास धीमी हो गई।
कार के शीशे से एक हाथ बाहर आया और हवा में लहराती बोतल सीधा वामिका के पैरों के पास आ गिरी। साथ ही उसी खिड़की से एक सिर निकला — बिखरे बाल, मुस्कान में लिपटा हुआ शरारती चेहरा — अभीक!
"पीना मत इसे..."
उसकी आवाज में वो पुरानी चिढ़ाने वाली मिठास थी, "सिर पर डालना... नहीं तो जो भूसा भरा है न तेरे दिमाग में, वो धूप में जल जाएगा।"
वामिका की भौंहें चढ़ गईं। पहले गर्मी से तमतमाया चेहरा अब गुस्से से तपने लगा। जब उसे यकीन हो गया कि ये वही अभीक है, तो उसने बिना सोचे, बिना पानी की परवाह किए, बोतल उठाई और सीधा उस चमचमाती कार की खिड़की की ओर फेंकी।
"मोटे आलू, काले भालू!"
वामिका चीखी, "इस पानी की तुम्हारे भूसे को ज्यादा ज़रूरत है!"
बोतल के ढक्कन से थोड़ी छींटें अभीक के चेहरे तक पहुंचीं, लेकिन वो चौंका नहीं, न ही कुछ कहा। बस उसी तरह, शांत आँखों से उसे देखता रहा — एक टक, बिना पलकें झपकाए। जैसे वामिका का गुस्सा भी उसे सुकून देता हो।
फिर, उसने अपना बैग खोला और एक ठंडी कोल्डड्रिंक की बोतल निकाली।
कार का दरवाज़ा खोला, और अपने सुस्त अंदाज़ में बाहर निकला।
उसके कदम धीमे थे, लेकिन आत्मविश्वास से भरे।
वामिका ने पल भर के लिए रुक कर देखा — जैसे कोई पुराना सिरदर्द लौट आया हो।
अभीक उसके पास आकर बोतल उसके हाथ में थमा देता है।
फिर धीरे से अपना चेहरा वामिका के चेहरे के करीब ले जाता है। इतनी करीब... कि वामिका को उसकी साँसें महसूस होने लगीं।
"अब मैं अपनी फैन को यूँ गर्मी में खड़ा कैसे देख सकता हूँ..."
उसकी आवाज़ धीमी थी, पर गूंजती रही वामिका के कानों में,
"...खासकर उस फैन को, जिसकी कमर... उफ्फ, क्या कहें..."
वामिका की आँखें एकदम गोल हो गईं।
उसने दो कदम पीछे हटकर अभीक को दूर किया और जैसे शिव की मूर्ति के सामने खड़ी हो।
"हे शिव जी," वह हाथ जोड़ती है, "मेरी प्रार्थना है कि मैं इस भालू जैसे इंसान से कभी ना मिलूं!"
पर इससे पहले की वो आंखे घुमा कर कुछ और कहती —
अभीक मुस्कुराया। वो मुस्कान जो सीधा दिल के अंदर कुछ उधेड़ देती है।
"मेरी भी..."
इतना कहकर वो वापस मुड़ा, दरवाज़ा खोला, और उसी सुकून से कार में बैठ गया।
कार आगे बढ़ गई।पीछे छूटी सिर्फ कोल्डड्रिंक की ठंडी बोतल... और वामिका का गुस्से में कांपता चेहरा,जिसकी आंखें अब शरम से भरी थीं।
"सर सिंह मैंशन चले, या फिर...?"
रेहान ने ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए धीमे स्वर में पूछा।
अभीक ने उसे एक तीखी नजर से देखा। उसकी आंखों में वो कड़वाहट थी जो अक्सर अपनों की बेरूखी से घुलती है।
"तुमसे मैंने नया घर लेने को कहा था... मुझे उस घर में नहीं रहना जहाँ मेरी टैलेंट की कदर नहीं की जाती।"
उसका लहजा सख्त था, पर आवाज के पीछे एक टूटा हुआ आत्मसम्मान साफ झलक रहा था।
रेहान ने जल्दी से जवाब दिया,
"यस सर... मैंने नए घर का सारा पेपरवर्क तैयार कर आपको मेल कर दिया था। और... मैंने घर को बिल्कुल आपकी पसंद के मुताबिक सेट भी करवा दिया है।"
अभीक ने बिना कुछ कहे लैपटॉप खोला, और ठंडी आंखों से दस्तावेजों की स्क्रॉलिंग करने लगा। उस स्क्रॉलिंग की आवाज भी जैसे उस चुप्पी को चीर रही थी, जो भीतर के तूफान को छुपाए हुए थी।
"यही चलो।"
बस इतना कहकर उसने लैपटॉप बंद किया।
"ओके सर,"रेहान ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा और अब पूरी तरह रास्ते पर ध्यान केंद्रित कर लिया।
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वहीं दूसरी ओर…
वामिका की उंगलियां टैक्सी की खिड़की पर पड़े धूलभरे कांच पर टकटक कर रही थीं, जैसे वो वक़्त को हिला देना चाहती हो।
"उफ़्फ ये मुंबई!", उसने खुद से बुदबुदाया, जब टैक्सी फिर एक जाम में अटक गई।
शहर वही था, पर दिल के मौसम हमेशा बदलते रहते हैं। वामिका की आंखों में उस शख्स की छवि थी, जिसने हर बार उसे बिना कहे समझा — सीनू अंकल।
वो जानती थी कि शहर में आते ही सबसे पहले जहां उसे जाना है, वो उनकी गोद सी सुकून भरी जगह है। पर ट्रैफिक... जैसे पूरी कायनात ही आज उसे रोके बैठी हो।
कार की खिड़की से आते गरम, चिपचिपे हवा के झोंकों ने उसके चेहरे पर कुछ उलझनें छोड़ दी थीं। पर उसका दिल सीनू अंकल की मुस्कान में सुकून तलाश रहा था।
तीन घंटे की लंबी थकाऊ जंग के बाद, जब टैक्सी आखिरकार उस छोटी-सी गली में मुड़ी, जहां एक पुराने से बंगले के सामने वो हमेशा से उतरती आई थी — वामिका की आंखों में नमी-सी उतर आई।
"आ गई तेरी बच्ची, अंकल..."उसने मन ही मन कहा और टैक्सी का दरवाज़ा खोला।
जैसे ही उसने दरवाज़े की बेल बजाई, घर के भीतर से आती एक धीमी, थकी हुई लेकिन अपनेपन भरी आवाज़ ने उसे बुलाया —"वामु बिटिया?"
वो मुस्कुरा उठी।सारा ट्रैफिक, सारी थकान जैसे उसी पल हवा हो गई थी।
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वामिका की टैक्सी जब सीनू अंकल के पुराने बंगले के सामने रुकी, तो उसके चेहरे पर एक मासूम-सी मुस्कान तैर गई थी। सफर की थकान को जैसे उस दरवाज़े के सामने आते ही कुछ सुकून मिल गया हो। उसने उत्साह में बैग से पानी की बोतल निकाली, और उसी के साथ दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाए।
पर जैसे ही नज़र उस भारी-भरकम ताले पर पड़ी, उसके कदम वही थम गए।
"ताला...? ये कैसे हो सकता है...?"
उसने दरवाज़े को झटके से खींचा, पर ताला अडिग रहा।
कुछ पल वो बस खड़ी रही — स्तब्ध। उसे समझ नहीं आया कि अचानक ये ठंडापन कहां से आया। "क्या अंकल बाहर गए हैं...?" सोचते हुए उसकी नजर पास ही रहने वाली मीरा आंटी के घर की ओर गई।
मीरा आंटी का दरवाज़ा खुला था। वही पुरानी सी झर्रियों से भरी पर अपनापन लिए आंखें।
वामिका धीरे-धीरे उनके पास गई और हल्की आवाज़ में पूछा,
"आंटी...अंकल घर पर नहीं हैं क्या?"
मीरा आंटी ने चौंकते हुए उसकी तरफ देखा, फिर कुछ क्षण चुप रहकर बोलीं,
"अरे बेटा... तुम्हें नहीं बताया उन्होंने? वो तो महीना भर पहले ही लंदन चले गए... घर बेच दिया है।"
"क्या...? उन्होंने कुछ बताया तक नहीं..."
वामिका की आवाज़ धीमी पड़ गई। जैसे किसी ने अचानक उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खींच ली हो।
मीरा आंटी ने उसे अपने पास बिठाया,
"अरे बेटा... हो सकता है जल्दबाज़ी में भूल गए हों... तुम बैठो, मैं चाय लाती हूं कुछ खा लेना, सफर से थकी लग रही हो।"
पर वामिका के भीतर जैसे एक बवंडर चल रहा था। वो मुस्कराने की कोशिश करते हुए उठ खड़ी हुई,
"नहीं आंटी, आप परेशान मत होइए... मैं अभी-अभी दिल्ली से लौटी हूं, सीधा घर जाऊंगी।"
मीरा आंटी कुछ कह पातीं, इससे पहले ही वो बाहर निकल आई।
जैसे ही गली की हवा उसके चेहरे से टकराई, उसका गुस्सा और ठेस जुबां पर आ गई।
"बड़ी आई नाश्ता कराने वाली... और लाएंगी क्या, वही बासी बिस्कुट और पानी... और वो चाय... उसमें इतना पानी डालती हैं जैसे उसका बिल उन्हें खुद भरना हो..."
वह खुद से बड़बड़ाती हुई नीचे सीढ़ियां उतर गई, और एक टैक्सी रोक कर अपने घर की ओर रवाना हो गई।
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उधर, दिनभर की थकावट अभीक के चेहरे पर भी साफ झलक रही थी। जैसे ही वो अपने नए घर पहुंचा, सीधा अपने कमरे में गया। एक बार दरवाज़ा बंद करते ही उसने खुद को गिरा दिया — जैसे किसी युद्ध से लौटकर सैनिक अपनी कवच उतार देता है।
फ्रेश होकर उसने सादा-सा पजामा और टी-शर्ट पहना, फिर फोन से फूड ऑर्डर कर, चुपचाप बिस्तर पर लेट गया।
खाना आया, खा लिया। पर पेट भरने से ज्यादा, आज दिमाग को आराम चाहिए था।
पंद्रह मिनट बाद वो गहरी नींद में डूब चुका था — कमरे की हल्की रोशनी और एसी की ठंडी हवा ने उसे दुनिया से काट दिया।
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दूसरी ओर वामिका भी अपने फ्लैट पर पहुंची। दरवाज़ा खोला, अंदर दाखिल होते ही जैसे सारी ऊर्जा वहीं दरवाज़े के पास गिर गई।
बैग वहीं छोड़कर वो सीधे लिविंग रूम की ओर बढ़ी। सोफे पर बैठते ही एक लंबी सांस छोड़ी — थकावट और निराशा ने जैसे कंधों पर बोझ डाल दिया था।
रिमोट उठाया, टीवी ऑन किया। पर स्क्रीन पर क्या चल रहा था — उसे खुद नहीं पता था।
कुछ ही देर में, बिना कुछ सोचे समझे... आंखें बंद हो गईं।
वो सो गई — अधूरी, उलझी और भावनाओं से भरी एक लंबी सांस के साथ।
आधी रात बीत चुकी थी। कमरे में गहरा सन्नाटा पसरा था। पंखे की धीमी आवाज़ और कभी-कभार खिड़की से टकराती हवा की सरसराहट के अलावा सब कुछ थमा हुआ था। तभी बिस्तर पर करवट बदलते हुए अभीक की नींद खुली। गला सूख रहा था—प्यास सी लग रही थी।
वो आंखें मसलते हुए उठ बैठा और बिस्तर के पास रखे टेबल पर हाथ बढ़ाया, जहां अक्सर वह पानी की बोतल रखता था। पर टेबल खाली थी। एक हल्की सी झुंझलाहट के साथ वह उठा और रुकते-रुकते रसोई की ओर बढ़ा।
रसोई की ट्यूबलाईट जलाकर उसने फ्रिज से पानी निकाला और लंबा घूंट भरते हुए आंखें बंद कर लीं। तभी—
"तुम अब भी वही हो…"
अभीक के कानों में धीमी, पर साफ़ आवाज़ गूंजी। पानी की बोतल हाथ से गिरते-गिरते बची। उसने फौरन आंखें खोलीं और चारों ओर नज़र दौड़ाई। किचन में कोई नहीं था। उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
धीरे-धीरे वह किचन से बाहर निकला और ड्रॉइंग रूम में कदम रखा। वहां पहुंचते ही उसकी नज़र सामने दीवार पर टंगी टीवी पर पड़ी—जो अब चल रही थी। हल्की नीली रौशनी में कमरे की दीवारें थरथरा रही थीं।
पर उसे याद आया—उसने तो टीवी ऑन ही नहीं की थी। तो फिर...
वो आगे बढ़ा, काँपते हाथों से रिमोट उठाया और टीवी बंद कर दी। कमरे में फिर वही सन्नाटा लौट आया… लेकिन अब उस सन्नाटे में एक अनकहा डर भी शामिल हो चुका था।
कॉमेंट और फॉलो की रिक्वेस्ट है।
(क्रमशः)
टीवी की स्क्रीन पर एक सीन अभी चल ही रहा था, लेकिन अब आवाज नहीं… रिमोट की पकड़ ढीली हुई और टीवी की चमक भी कमरे में रह गई अधूरी सी।
अभीक ने रिमोट को टेबल पर रखा और गहरी सांस लेकर बिना देखे ही थकान में सीधे सोफे पर बैठ गया।
उसका हाथ जैसे ही सोफे पर टिकता है, उसे कुछ मुलायम सा महसूस होता है — कुछ ऐसा जो न तो कुशन है, न ही कंबल।
उसकी उंगलियों ने जो छुआ, वो एक इंसानी आभास देता है। पल भर को उसकी आंखें फैल जाती हैं और जैसे ही वो गर्दन मोड़कर उस ओर देखता है —
"आआआअ—!!"
एक जोरदार चीख उसके हलक से निकलती है, जिससे उसकी सांसें उखड़ जाती हैं।
वो लड़खड़ाते हुए उठ खड़ा होता है और उसके चीख की आवाज से साथ ही पास रखे सोफे पर अधलेटी वामिका भी चौककर उठ जाती है।
अचानक सामने एक अनजान चेहरा! नीम अंधेरे में अधखुले बाल, और अजनबी सी मौजूदगी —
"आअअ—!!"
वो भी जोर से चीखती है, फिर हड़बड़ाकर बोल उठती है —
"भइया... आप चोर हो क्या?"
उधर अभीक भी उतनी ही तेजी से पीछे हटता है और लगभग एक ही वक्त पर उसकी भी आवाज गूंजती है —
"तुम भूत हो क्या?"
एक पल के लिए दोनों रुकते हैं। और एक-दूसरे की आवाज पहचान कर हैरानी से सवाल दागते हैं —
"लाइट क्यों ऑफ है?"
अब दोनों ही तेज़ी से स्विचबोर्ड की ओर दौड़ते हैं, और बिना कुछ बोले स्विच ऑन कर देते हैं।
जैसे ही रोशनी पूरे हॉल में फैलती है, दोनों की आंखें थोड़ी देर के लिए चमक से चुँधिया जाती हैं... और फिर जब दोनों की नज़र पूरी तरह साफ होती है —
"तुम मोटे आलू काले भालू!" — वामिका भौंहें चढ़ा कर बोलती है।
"तुम तो सिंगर हो ना… पार्ट टाइम चोरी भी करते हो?"
अभीक की आंखें फैल जाती हैं और उसके चेहरे पर गुस्से और झेंप की मिली-जुली सी प्रतिक्रिया उभरती है।
वामिका अभी भी थोड़ी डरी हुई है लेकिन अब उसके चेहरे पर गुस्से का वो मासूम गुस्सा दिखने लगता है जो सिर्फ अजनबियों पर नहीं, जान-पहचान वालों पर आता है — और वो भी जब कोई अचानक बीच रात में उसके बगल में बैठा मिले!
अचानक रौशनी फैलते ही कमरे में जो तूफान उठा, वो किसी तूफानी मौसम से कम नहीं था।
"ओह हेलो,,,मै तो सिंगर ही हूं, लेकिन तुम हो असली चोर! पहले लोगों के बारे में पता लगाने के लिए उनका पीछा करती हो, फिर उनके घर में जा कर चोरी करती हो..."
अभीक का चेहरा लाल था — गुस्से से, हैरानी से और शायद थोड़ी शर्मिंदगी से भी, पर अब वो सब बहस की आग में जल चुका था।
"अपनी बकवास बंद करो और निकलो मेरे घर से, वामिका नाम है मेरा... डरती नहीं हूं मैं किसी से!"
वामिका की आंखों में न गुस्सा छुपा था, न ही कंपकंपाहट। उसकी आवाज में एक अजीब तीखापन था, जो न जाने क्यों उसके आत्मसम्मान से जुड़ा लग रहा था।
"तुम्हारा घर? कहां से तुम्हारा घर! पूरे 42 लाख रुपए दिए हैं मैंने इस घर के, समझी? इसलिए अपना ये मनहूस सा चेहरा उठाओ और निकलो..."
अभीक अब अपनी पूरी ऊंचाई पर खड़ा था, जैसे अपने शब्दों से घर की दीवारों पर कब्जा जमा रहा हो।
"मोटे आलू काले भालू!"
वामिका के होंठ तीर की तरह चले, "मैंने तो अपना घर किसी को बेचा ही नहीं, फिर तुमने खरीद कैसे लिया, हां?"
"वो सब मैं नहीं जानता! मैंने ये घर किसी 'सीनू' नाम के आदमी से खरीदा है, और मैं अपने ही घर के बारे में तुम्हें एक्सप्लेन क्यों करूं?"
"अब दुबारा मेरे घर को अपना घर कहा ना, तो मैं इसी से तुम्हारा सिर फाड़ दूंगी!"
वामिका पास पड़े एक वॉशिंग ब्रश को हाथ में उठाते हुए एक योद्धा की तरह खड़ी थी।
उसकी नज़रें पूरे कमरे पर दौड़ीं... और अचानक जैसे उसका दिल बैठ गया —
"ये क्या किया है मेरे घर के साथ तुमने? मेरे सारे सामान कहां हैं?"
"उन सारे चीप और थर्ड क्लास सामानों को मैंने बाहर फेंक दिया, बिल्कुल वैसे ही जैसे अब तुम्हें फेंकूगा!"
अभीक के लहज़े में बेशर्मी और अकड़ दोनों साफ थे।
"ओह हेलो, अपने पप्पा का राज समझा है क्या? वामिका नाम है मेरा!"
अब वो पीछे नहीं हट रही थी, उसका हर शब्द गूंज रहा था।
"पता है, पता है... तुम किसी से नहीं डरती, पर मुझसे डरोगी, समझी लड़की!"
अभीक अचानक उसका हाथ पकड़ लेता है — उसके चेहरे पर सख्ती और नज़रों में आग थी।
वामिका तुरंत झटका देती है, हाथ छुड़ाते हुए चीखती है —
"सीनू अंकल ये घर तुम्हें क्यों बेचेंगे? तुम झूठ बोल रहे हो! मुझे सबूत चाहिए!"
"जस्ट शट अप! एंड गेट आउट फ्रॉम माय हाउस राइट नाऊ! सुबह से तुमने मेरा दिमाग खराब कर रखा है!"
अभीक अब चिल्ला रहा था — पूरे हॉल में उसकी आवाज गूंज रही थी।
"नहीं जाऊंगी! ये मेरा घर है! मैं अभी पुलिस को फोन करती हूं... एक तो चोरी ऊपर से सीना ज़ोरी!"
वामिका तेज़ी से सोफे की ओर बढ़ती है, फोन उठाते हुए।
लेकिन उससे पहले ही अभीक झपट कर उसके पास पहुंचता है, उसका हाथ कसकर पकड़ता है, और बिना कुछ सुने उसे खींचते हुए दरवाज़े तक ले जाता है।
धप्प!
दरवाज़ा खुलता है।
"निकलो!"
और जैसे ही वामिका को बाहर धकेलता है, उसी रफ्तार से दरवाज़ा बंद करता है और लॉक कर देता है।
भीतर अभीक की तेज़ सांसें गूंज रही थीं, और बाहर वामिका का गुस्से से कांपता चेहरा...
वामिका गेट के उस पार खड़ी, लगातार चिल्ला रही थी।
"गेट खोलो! ये मेरा घर है! मैं इस वक्त कहां जाऊंगी?"
उसकी आवाज़ में गुस्सा भी था, लाचारी भी।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मेरे ही घर से निकालने की!"
वो दरवाज़े को ज़ोर-ज़ोर से पीट रही थी।
"देखो... गेट खोल दो... अब मुझे डर लग रहा है...", उसकी आवाज़ अब थोड़ी धीमी हो गई थी — काँपती, थकी हुई।
लेकिन अंदर... अंदर सब शांत था।
अभीक, जो कुछ देर पहले गुस्से से बिफर रहा था, अब अपने कमरे में लेट गया था। पर उसके भीतर भी शांति नहीं थी — वहां हलचल थी... उलझनें थीं।
वो करवट बदलता रहा, पर नींद जैसे उसके पलंग के पास नहीं फटकी, "क्या मैंने कुछ ज्यादा तो नहीं कर दिया?", उसका दिल एक अजीब सा बोझ महसूस कर रहा था।
अचानक वो उठ बैठा, और कमरे की खिड़की खोल दी।
बाहर झाँक कर नीचे दरवाज़े की तरफ देखा......पर वहां कोई नहीं था।
"कहां गई?", उसका दिल एकाएक ज़ोर से धड़कने लगा।
अब वो रुक नहीं पाया। भागते हुए सीढ़ियाँ उतरीं और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकला।
"वामिका!", उसकी आवाज़ अब गुस्से की नहीं, फिक्र की थी।
चारों तरफ देखा... पर कोई नहीं था।
जैसे ही वो पीछे मुड़ा दरवाज़ा बंद करने, उसकी नज़र एक कोने में पड़ी चीज़ पर अटक गई।
"ये तो उसका बैग है...", अभीक की आँखें फैल गईं।
"इसका मतलब... वो कहीं गई नहीं है..."
एक डर सी लहर उसके पूरे शरीर में दौड़ गई।
"कहीं उसे किसी ने... किडनैप तो नहीं कर लिया?"
अब उसकी सोचें भाग रही थीं।
"मैं एक लड़की की ज़िंदगी के साथ इतना बड़ा कांड कैसे कर सकता हूं?"
उसका गला सूख गया था।
"मुझे उसे ढूंढना चाहिए... अगर उसके साथ कुछ हो गया तो?"
वो तेजी से बाहर निकल गया। एक हाथ से चेहरा ढक कर जैसे खुद से भी नज़रें चुरा रहा था, और दूसरे हाथ से बैग कसकर पकड़े हुए इधर-उधर वामिका को ढूंढने लगा।
गली के हर मोड़ पर झाँकता, हर चलती टैक्सी की तरफ देखता, हर परछाई को गौर से देखता।
"वो कहां गई..."
काफी देर तक भटकने के बाद, थक-हार कर एक सांस में सोचता है —
"हो सकता है... चली गई हो अपने घर। चोरनी थी... झगड़ालू थी..."
पर मन कुछ और कह रहा था।
वो वापस घर आता है... पर अंदर जाने से पहले एक बार फिर उसी जगह देखता है जहां वामिका का बैग पड़ा था।
बैग वहीं था।लेकिन वामिका नहीं..!
घर के अंदर घुसते ही अभीक ने गुस्से में दरवाज़ा इतनी ज़ोर से बंद किया कि पूरी दीवार थरथरा गई। उसकी आँखों में आग थी और चाल में तेज़ी। वामिका का रखा हुआ सामान सामने ही पड़ा था — कुछ कपड़े, एक छोटा ट्रॉली बैग और एक पुराना झोला।
बिना एक पल रुके, उसने गुस्से में अपने पैर से वामिका के सामान को मारकर गिरा दिया। कपड़े ज़मीन पर बिखर गए, और झोले से निकलकर कुछ किताबें दूर तक फिसल गईं।
अभीक (ग़ुस्से में बड़बड़ाता हुआ) – "मुझे भालू बोलती है, खुद को समझती क्या है...आलिया भट्ट?
वो ग़ुस्से से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ता है, उसकी सांसें तेज़ हो रही हैं, चेहरा तप रहा है। लेकिन जैसे ही वह मुड़ा, अचानक कोई भारी चीज़ उसके सिर पर ज़ोर से लगती है — एक झन्नाटेदार आवाज़ के साथ।
उसका सिर चकरा जाता है, शरीर लड़खड़ा कर एक ओर झुकता है और कुछ ही सेकेंड में वह वहीं ज़मीन पर गिर कर बेहोश हो जाता है। उसकी आंखें आधी खुली थीं, जैसे होश और बेहोशी के बीच झूल रहा हो।
अभीक की पलकों के नीचे हलचल थी… लेकिन उसके ज़ेहन में अंधेरा छाया हुआ था। धुंधलाती चेतना के बीच एक आकृति उभरी—किसी लड़की की... वो कौन थी? चेहरा साफ़ नज़र नहीं आ रहा था, पर दिल ने अजीब-सा सुकून महसूस किया। जैसे बहुत अजनबी भी न हो… और अगले ही पल एक नाम ज़हन में बिजली-सा कड़कता है—वामिका।
“वामिका?”
मन के किसी कोने से एक फुसफुसाहट निकली... और फिर वही अंधेरा उस पर हावी हो गया।
उधर वामिका का चेहरा सांस रोककर उसे देख रहा था—जैसे वक्त कुछ पल के लिए थम गया हो। उसकी साँसे अनियंत्रित थीं, आंखों में झलकता डर, माथे पर चिंता की सिलवटें।
वो घुटनों के बल उसके पास झुकी और फटी-फटी आंखों से उसे देखा।
"ओह शीट… ये मर गया क्या?"
उसकी आवाज़ में डर था, झुंझलाहट भी… लेकिन सबसे ज़्यादा जो था वो था घबराया हुआ अफ़सोस।
"अब मैं क्या करूं…?"
हाथ कांप रहे थे, दिल तेज़ी से धड़क रहा था। फिर जैसे उसे कुछ याद आया, झटके से बोली—
"हाँ… सांस चेक करती हूं…"
धीरे-धीरे उसने अपनी एक उंगली अभीक की नाक के पास लाई… सन्नाटा फैल गया। पत्तों की सरसराहट भी उस पल चुप थी। और फिर—
हल्की सी गरमी... एक बहुत धीमी, मगर ज़िंदा सांस की लहर वामिका की उंगली से टकराई।
"सांसें चल रही हैं…"
उसके चेहरे पर जैसे हल्का-सा उजाला लौट आया। आँखों के कोरों पर जमी घबराहट पिघलने लगी।
"जिंदा है..."
उसने फुसफुसाते हुए कहा, जैसे अपने दिल को तसल्ली दे रही हो।
पर क्या सच में तसल्ली मिल पाई थी? या वो डर अब और गहराता जा रहा था…?
अभीक ज़मीन पर बेसुध पड़ा था। उसके चेहरे पर खून की लकीरें थीं, सांसें धीमी-धीमी चल रही थीं, और पलकों के नीचे उसकी आंखों में कुछ धुंधलाता सा तैर रहा था। होश और बेहोशी के बीच झूलते हुए उसने देखा—एक धुंधली आकृति उसके सामने झुकी हुई थी।
उसके फटे होंठों पर हल्की सरसराहट हुई—
"वामिका..."
नाम नहीं बोला गया, पर एहसास ज़रूर बन गया।
"ओह शीट! ये मर गया क्या?" वामिका की आवाज़ में हैरानी नहीं, झुंझलाहट थी।
"अब मैं क्या करूं… हां, सांस चेक करती हूं..."
वो धीरे से अपने हाथ को उसके चेहरे के पास लाती है। उंगलियों की पोरें अभीक की नाक के पास थम जाती हैं… एक पल… फिर दूसरा…
धीमी, पर महसूस होती धड़कनें…
सांसों की गरमाहट उंगलियों से टकराती है।
वामिका ने गहरी सांस ली—
"जिंदा है।"
फिर, बिना किसी और पल गवाए, वो वहां से सीधी अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है। उसके चेहरे पर हैरानी नहीं थी, पर चाल में बेचैनी थी।
दरवाज़ा जैसे ही खोला, उसका चेहरा एक पल को जड़ हो गया।
पूरा रूम… बदल चुका था।
दीवारों का रंग… पर्दे… फर्नीचर… सब कुछ।
वो जिस रूम को अपनी यादों का कोना मानती थी, अब उसके सामने अजनबी लग रहा था।
उसके कदम तेज़ी से भीतर भागे। वो सीधे उस टेबल की तरफ बढ़ी जहाँ वो अपनी सबसे कीमती चीज़ को रखती थी।
"मेरी डॉल कहा गई?" उसकी सांसें उखड़ गई थीं।
उसकी आंखें टेबल पर तेजी से दौड़ीं… अलमारियों को खोला… तकिए पलटे… लेकिन कहीं नहीं थी।
और फिर, जैसे एक भयानक डर उसकी आवाज़ में घुल गया—
"क्या इस अभीक सिंह ने मेरी डॉल को भी फेंक दिया…"
आंसुओं की एक धारा उसकी आंखों से बह निकली, गालों पर गर्म होकर लुढ़कती रही।
"वो मेरी मां ने दिया था..."
उसके लफ़्ज़ कांपते हुए निकले और कमरा भर गया उस टूटे हुए दिल की खामोशी से।
वो फर्श पर बैठ गई थी—दोनों घुटनों पर चेहरा टिकाकर रोती रही। उस गुड़िया में मां की आखिरी छाया थी… और अब… वो भी नहीं रही।
वामिका की सिसकियाँ धीरे-धीरे थमती हैं। कमरे की ठंडी दीवारें उसकी तन्हाई को और गहराई देती हैं। रोते-रोते वही फर्श पर ही उसकी आंख लग जाती है। आधी रात का सन्नाटा अब नींद में बदल चुका था, लेकिन उसकी मासूम थकान में एक गहरी टूटन छुपी हुई थी।
सुबह जैसे ही अभीक की आंखें खुलती हैं, उसकी भौंहें सिकुड़ जाती हैं। सिर में तेज़ दर्द उसके चेहरे पर शिकन ला देता है। वो कराहते हुए अपने सिर को सहलाता है, और धीरे-धीरे उठने की कोशिश करता है। दीवारों पर निगाह डालते हुए पूरे हॉल में नज़र दौड़ाता है—हर चीज़ अपनी जगह पर रखी है।
“कुछ भी चुराना नहीं था तो मेरे घर में घुसी क्यों थी? वो—‘मैं नहीं डरती किसी से’…”
वो खुद से बड़बड़ाते हुए हल्की चिढ़ में अपने कमरे की ओर बढ़ता है।
जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोलता है, उसकी नज़र फर्श पर लेटी वामिका पर पड़ती है।
“अच्छा! कल रात मुझे सर पर मार कर खुद आराम से सो रही है! इसकी तो अभी नींद उड़ाता हूं...”
उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती है।
वो तेज़ी से किचन की ओर जाता है, फ्रिज से एक ठंडी बोतल निकालता है और वापस आकर वामिका के सिर पर पानी उड़ेल देता है।
ठंडा पानी जैसे ही उसके चेहरे और बालों पर गिरता है, वामिका हड़बड़ा कर उठती है। आंखें आधी बंद, शरीर थका हुआ, लेकिन उसकी जुबान वही तेज़...
“तुम अभी तक मेरे घर में क्या कर रहे हो... निकलो यहां से।”
वो बेहद धीमी और कमजोर आवाज़ में कहती है।
अभीक का चेहरा तुरंत सख्त हो जाता है।
“शायद तुम कल रात वाली बात भूल गई हो… खरीदा है मैंने इस घर को, और अब ये मेरा है! इसलिए तुम निकलो यहां से।”
वो गुस्से में आकर वामिका का हाथ पकड़कर उसे खड़ा करता है और उसे बाहर की ओर खींचने लगता है।
वामिका जैसे ही चलने लगती है, उसके शरीर में कंपन सा महसूस होता है। उसकी टांगों में अचानक कमजोरी आ जाती है और उसका संतुलन बिगड़ने लगता है।
उसकी देह जैसे भारी हो गई हो… और वो लड़खड़ाती है।
अभीक जब खिंचते-खिंचते रुकता है, तो वो महसूस करता है कि वो गिरने ही वाली है। उसके हाथ में वामिका का हाथ न होता, तो वो सीधे ज़मीन से टकरा जाती।
वो तुरंत उसे थाम लेता है।
एक पल को कुछ नहीं कहता… बस वामिका के चेहरे को देखता है… उसकी सांसें बेहद धीमी… माथा पसीने से तर… और चेहरे पर बेहोशी की झलक।
उसका गुस्सा जैसे कहीं गुम हो जाता है।
"ओह हेलो मैडम, ये नाटक मेरे सामने नहीं चलेगा," अभीक वामिका को गिरते-गिरते पकड़ते हुए झुंझलाता है। उसकी आंखों में गुस्से से ज्यादा अब उलझन है, "मुझे तुम्हारा सब प्लान समझ आ गया है, तुम कल रात की तरह मुझे मार कर बेहोश कर देना चाहती हो।"
वो थोड़ा पीछे हटता है और फिर आंखें घुमाते हुए कहता है,
"मैं तुम्हारा हाथ छोड़ रहा हूं, अगर तुम सीधा खड़ी ना हुई तो तुम्हारे गिरने की वजह मैं नहीं होऊंगा..."
वो गिनती शुरू करता है, जैसे किसी बच्चे को डराने की कोशिश कर रहा हो—"वन... टू... थ्री!"
और जैसे ही वो वामिका का हाथ छोड़ता है… वामिका धड़ाम से ज़मीन पर गिर जाती है।
उसकी गिरने की आवाज़ इतनी असली और भारी होती है कि अभीक के चेहरे का रंग एक पल में उड़ जाता है।
"ओह गॉड!" वो तुरंत झुक कर वामिका की ओर लपकता है। उसका चेहरा हल्का सा फर्श से टकराया होता है, और उसकी आँखें बंद हैं।
"हे भगवान… ये तो सच में बेहोश है…"
वो घबरा कर उसके गाल थपथपाता है—धीरे से। लेकिन उस छुअन में कुछ और महसूस होता है—एक अजीब गर्मी।
"इसे तो तेज़ बुखार है!"
अभीक की आँखों में अफसोस और चिंता का मिला-जुला तूफान उमड़ पड़ता है।
"जब कमरे में आ ही गई थी तो नीचे फर्श पर सोने की क्या ज़रूरत थी..."
वो बड़बड़ाता है, लेकिन अब उसके लहजे में गुस्सा नहीं, पछतावा है।
वो वामिका को धीरे से अपनी बाहों में उठाता है। उसका शरीर नाज़ुक और गर्म है, मानो हर सांस में तकलीफ़ लिपटी हो।
बेड पर लेटा कर वो एक पल को वामिका का चेहरा देखता है, फिर बिना कुछ सोचे दौड़ कर अपना फोन निकालता है।
गूगल पर fever और head injury की दवाएं ढूंढता है, और नजदीकी मेडिकल शॉप का पता मिलते ही भागता है।
कुछ देर बाद जब वो लौटता है, तो वामिका अब भी बेहोश होती है। जैसे-तैसे कर के वह उसके मुंह में दवा डालता है और थोड़ा पानी पिलाने की कोशिश करता है। उसका माथा अब भी तप रहा था, लेकिन दवा के बाद थोड़ा सुकून मिलता है।
वो लंबी सांस छोड़ता है, खुद के कपड़े बदलता है और पास ही की कुर्सी पर आकर बैठ जाता है।
थकान आंखों से उतरकर बदन में भर जाती है… और थोड़ी देर बाद, कुर्सी पर ही आंख लग जाती है।
कमरे में हलकी सी सांसों की आवाज़ गूंज रही थी… एक गर्माहट, एक सुकून, और दो अनजाने रिश्तों के बीच कुछ नया आकार ले रहा था।
करीब आधे घंटे बाद अभीक की आंखें झटके से खुलती हैं। माथे पर पसीना और दिल की धड़कन तेज़—वो तुरंत खुद को संभालते हुए बगल में लेटी वामिका की ओर देखता है।
वामिका अब भी बेहोश थी। उसकी सांसें धीमी और होठ नीले पड़ते जा रहे थे। उस शांत चेहरे पर अजीब सा खालीपन था, जो अभीक को अंदर तक डरा देता है।
वो कांपते हुए हाथ से वामिका का माथा छूता है।
"ये तो ठंडी हो गई है..."
एक पल को उसके मन में बिजली सी कौंधती है।
"ओह गॉड, इसे हुआ क्या है? कहीं मैंने गलत दवा तो नहीं दे दी ना..."
उसकी आवाज़ डगमगाने लगती है। वो बेचैनी से कमरे में चक्कर काटने लगता है, जैसे समझ ही नहीं आ रहा हो कि क्या करे।
तभी उसे कुछ याद आता है। जल्दी से फोन निकालता है और अपने असिस्टेंट को कॉल करता है:
"अभी मेरे घर एक डॉक्टर को पकड़ के लाओ... और हां, मीडिया को पता ना चले!"
फोन के उस पार से रेहान कुछ कहने की कोशिश करता है—
"पर अभीक सर..."
लेकिन अभीक उसकी बात अधूरी छोड़ कर फोन काट देता है।
रेहान घड़ी देखता है और बड़बड़ाता है,
"कैसा बॉस है ये..."
पर फिर बिना देर किए कार की चाबी उठाता है और बाहर निकल जाता है।
कुछ ही देर में, रेहान एक डॉक्टर को लेकर वापस अभीक के घर पहुंचता है। जैसे ही दरवाज़ा खुलता है, वो हॉल में चक्कर काटते अभीक को देख कर चौंकता है।
"सर, क्या हुआ आपको? आप ठीक हैं? क्या आप बीमार हैं?"
अभीक जल्दी से उसकी ओर मुड़ता है—
"मैं ठीक हूं... डॉक्टर, आप मेरे साथ आइए।"
कहते हुए वो बिना एक पल गंवाए डॉक्टर को कमरे की ओर ले जाता है। पीछे-पीछे रेहान भी उत्सुकता से चला आता है।
जैसे ही वो कमरे में कदम रखता है, उसकी नजर बेड पर लेटी वामिका पर पड़ती है। उसका चेहरा देख कर रेहान ठिठक जाता है, आंखें चौड़ी हो जाती हैं और वो अनायास ही अपने चेहरे पर हाथ रख कर बोल पड़ता है—
"एक... लड़की?"
कमरे में भारी खामोशी छा जाती है।
एक सवाल हवा में तैरता है — ये सब क्या चल रहा है?
"क्या ये आपकी गर्लफ्रेंड है? कहीं ये प्रेगनेंट तो नहीं? आप दोनों कब से रिलेशन में हैं? मुझे इस बारे में क्यों पता नहीं है?"
रेहान के सवालों की बौछार कमरे के सन्नाटे को तोड़ देती है, लेकिन अभीक उसका एक भी शब्द जैसे सुने बिना, सिर झटकते हुए बस डॉक्टर की तरफ इशारा करता है।
"डॉक्टर, आप इसे देखें... इसे सुबह बुखार था और मैंने कुछ दवा दी थी। उसके बाद इसका बुखार तो उतर गया है, पर होश में नहीं आ रही है..."
अभीक की आवाज़ में इस बार पहली बार कुछ झिझक, कुछ घबराहट थी। डॉक्टर आगे बढ़कर बिस्तर पर पड़ी वामिका की हालत को ध्यान से देखता है — उसके नब्ज़ को चेक करता है, पलकों को उठाकर देखता है, फिर उन दवाओं की ओर बढ़ता है जो पास रखी थीं।
बोतलें उठाकर एक-एक कर पढ़ता है, फिर अचानक उसका चेहरा गंभीर हो जाता है।
"दवाएं तो सही दी हैं... पर आपको दवा देने से पहले देख लेना चाहिए था, क्योंकि ये एक्सपायर हैं..."
डॉक्टर की आवाज़ में एक स्पष्ट चेतावनी होती है।
"व्हाट... एक्सपायर?"
अभीक की आंखें फैल जाती हैं। वह लगभग झपट कर डॉक्टर के हाथों से दवा की स्ट्रिप खींच लेता है और खुद पैक पर छपी तारीख देखने लगता है।
उसका गला सूख जाता है।
कमरे में सन्नाटा पसर जाता है, और वामिका की हल्की सी साँसें उस खामोशी में गूंजने लगती हैं — जैसे अब सब कुछ उसी पर थमा हुआ है।
डॉक्टर वामिका का चेकअप करता है, फिर नज़रें नीचे करते हुए कुछ दवाएं लिख देता है और धीरे से कहता है,
"ध्यान रखिएगा इनका… शरीर अभी बहुत थका है… आराम ज़रूरी है।"
रेहान डॉक्टर के साथ बाहर निकल जाता है, और दरवाज़ा हल्के से बंद हो जाता है।
कमरे में अब सिर्फ अभीक और वामिका रह जाते हैं।
अभीक चुपचाप वामिका की ओर देखता है… उसके चेहरे पर अब भी हल्की थकान और बेचैनी है, मगर साँसे स्थिर हैं।
वो वहीं बिस्तर के पास बैठ जाता है, और धीरे से आंखें बंद कर लेता है।
"आज तो मैंने सच में इसकी जान ले ली थी…"
उसके ज़हन में ये ख्याल कांटे की तरह चुभता है।
उसी वक्त, दरवाज़ा खुलता है और असिस्टेंट रेहान वापस लौट आता है। अभीक को गंभीर मुद्रा में बैठा देखकर वो थोड़ा मुस्कुराते हुए कहता है—
"अपनी गर्लफ्रेंड को दवा देख के देने में ही समझदारी है…"
अभीक की आँखें भड़क जाती हैं, और बिना एक पल गंवाए वो गहरी आवाज़ में कहता है—
"शटअप… और जा के ये दवाएं ले आओ…"
उसकी नज़रें सीधे रेहान की ओर तीर की तरह उठती हैं।
"ओके…"
रेहान सधे हुए कदमों से बाहर चला जाता है।
पंद्रह मिनट।
हर एक पल जैसे भारी पत्थर बन कर अभीक के सीने पर गिरता है।
उसकी आँखें बार-बार वामिका के चेहरे पर टिकती हैं… जैसे खुद से खुद की सज़ा भुगत रहा हो।
फिर रेहान वापस आता है, और दवाएं थमा देता है।
अभीक धीमे हाथों से दवा घोलता है, और धीरे-धीरे वामिका को पिलाता है। उसके माथे पर हाथ रखता है… और देखता है कि अब बुखार कुछ कम है।
रेहान, कॉफी बनाते हुए, मज़ाक की तरह कहता है—
"अरे यार… कुछ नहीं है तुम्हारे और उसके बीच में…?"
अभीक उसकी बात सुनकर नज़रें फेरता है, फिर झुंझलाते हुए कहता है—
"या राइट! इसलिए वो तुम्हारे बेड पर सो रही है… ऊपर से गीले कपड़ों में…"
रेहान का तंज़ सीधा ज़ख्म की तरह चुभता है।
"गीले कपड़े…?"
अभीक के चेहरे पर हैरानी दौड़ जाती है,
"यार… मैंने तो एसी भी बंद नहीं किया…"
वो तेज़ी से कमरे की ओर दौड़ता है।
अंदर आते ही उसे वामिका हल्के होश में नज़र आती है… उसकी पलकें बोझिल हैं, होंठ कांपते हुए शब्द बुन रहे हैं—
"मैं ये घर उसे नहीं दूंगी… मॉम, डैड… आप लोग प्लीज़… मुझे माफ कर दीजिए…"
वो धीमी आवाज़ में खुद से लड़ती हुई कहती है… और फिर नींद की गहराई में लौट जाती है।
अभीक चुपचाप एसी बंद करता है… कुछ पल ठहरता है… और फिर बाहर आकर रेहान से कहता है—
"इस मेडिकल स्टोर का नाम पता है ना…? इसे जरा सबक सिखाओ… एक्सपायर दवा बेची थी इसने…"
उसके लहजे में अब वो सख़्ती लौट आई थी जो अक्सर उसके चेहरे पर रहती है।
थोड़ी देर बाद अभीक खुद भी रेडी होकर अपने जरूरी कामों में निकल जाता है।
सन्नाटे में लिपटा घर…
कुछ घंटों बाद, वामिका की आँखें धीरे-धीरे खुलती हैं। वो चारों ओर देखती है, माथे पर बल पड़ते हैं… और फिर अचानक मुस्कुरा उठती है—
"अरे वाह! मैं अभी भी अपने घर में ही हूं… इसका मतलब… मैंने उस मोटे, आलू, काले भालू को डरा ही दिया… हाह! अरे मेरा नाम ही है… वामिका!"
वो खुद से कहते हुए धीरे से उठ बैठती है… और उसकी मुस्कुराहट में अब फिर वही शरारत लौट आई थी।
वामिका अभी खुद से खुश होने ही लगी थी — जैसे ही ज़हन में आया कि वो अब भी उसी घर में है जहाँ से वो हर हाल में निकलना चाहती थी — एक तेज़ धड़कन के साथ उसे दरवाज़े का हैंडल घूमता दिखाई दिया।
पलभर में ही उसके चेहरे की मुस्कान ठहर गई। वह जल्दी से फिर से कम्बल ओढ़कर लेट गई, जैसे नींद में हो, जैसे अब भी उसकी हालत नाज़ुक हो।
पर इस बार उसकी धड़कनें उसे धोखा दे रही थीं... क्योंकि क़दमों की आहट अब उसकी तरफ़ बढ़ रही थी। हर कदम भारी था — जैसे वज़नी चुप्पी ओढ़े हुए कोई उसके पास आ रहा हो।
कुछ ही सेकेंड में कमरा जैसे जड़ हो गया। सांसें भी थमने लगी थीं। और फिर वही आवाज़ गूंजती है — सख़्त, पर थकी हुई:
"मुझे पता है तुम्हे होश आ गया है, इसलिए नाटक बंद करो और उठ कर ये खाना खाओ, और उसके बाद मेरे घर से जा कर मुझ पर मेहरबानी करो..."
वामिका ने जैसे वो आवाज़ सुनी, एक गहरी सांस ली और बहुत धीमे से अपने चेहरे से कम्बल हटाया। उसकी एक आंख अभीक पर टिकी — और उस आंख में शर्म नहीं थी, बल्कि तकरार थी।
"तुम्हे लगता है मैं नाटक बना के सो रही थी?" – वो धीमे मगर तीखे स्वर में कहती है, जैसे अभीक के इल्ज़ाम से खुद को अलग करती हो।
अभीक ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपने भवों को ऊपर उठाया, जैसे उसकी बातों पर हंसी आती हो... फिर उसने हाथ में रखा थाल साइड टेबल पर रखा, और एक झटके से उसके बदन से कम्बल खींच दिया।
"जल्दी खाओ इसे। उसके बाद मैं तुम्हे इस घर के पेपर्स दिखाता हूं..." , उसका लहजा अब भी शांत था, मगर उसके अंदर एक बेचैनी सी थी जिसे वो छुपा रहा था।
वामिका ने कोई हरकत नहीं की। वो अब भी उसे घूर रही थी,सीजैसे किसी ऐसे सवाल का जवाब ढूंढ रही हो, जो कभी पूछा ही नहीं गया।
"नहीं, मुझे पहले देखना है," वामिका आंखें तरेरते हुए सीने पर हाथ बाँधकर खड़ी हो गई, "वैसे भी मेरे पास भी इस घर के पेपर्स हैं, इसलिए मैं तो यहां से नहीं जाऊंगी।"
उसकी आवाज में आत्मविश्वास कम और चुनौती ज़्यादा थी। जैसे हर शब्द से वो अभीक को जता देना चाहती हो कि वो कोई कमजोर लड़की नहीं है, जिसे कोई भी उठा कर बाहर फेंक दे।
"नहीं जाऊंगी?" अभीक उसकी बातों पर ठहरता है, चेहरे पर एक कड़ा सा भाव आता है, "इसका क्या मतलब है?"
वो फौरन जेब से फोन निकालता है, और बटन दबाते हुए कहता है, "तुम रुको... मैं अभी पुलिस को बुलाता हूं। अब वही फैसला करेंगे..."
वामिका ने मुंह फुला लिया, मानो कोई बच्चा चॉकलेट न मिलने पर गुस्सा हो गया हो। लेकिन फिर भी, वो अपनी जगह डटी रही, जैसे अपनी ही जिद की जमीन पर खड़ी हो।
कुछ ही देर में पुलिस भी घर पहुंच जाती है।
उनके आते ही दोनों जैसे अपनी अपनी बातें लेकर मैदान में उतर पड़ते हैं।
"मामला क्या है?" इंस्पेक्टर ऋषि, हल्के थके लहजे में पूछते हैं, और घर में नज़र दौड़ाते हैं।
"सर, मैं दो हफ्ते के लिए दिल्ली गई थी," वामिका बोलना शुरू करती है, "और इस भालू ने मेरे घर पर कब्जा कर लिया...", उसका चेहरा रोनी सूरत में बदल गया था, जैसे कोई मासूम बच्ची अपने खिलौनों के छिन जाने की शिकायत कर रही हो।
"कहां है भालू?", ऋषि ने एक पल को अपनी आंखें फैलाईं, फिर सोफे पर पसरते हुए दोनों पैर ऊपर चढ़ा लिए,
"आपको फॉरेस्ट रेंजर्स को बुलाना चाहिए था, मुझे क्यों बुलाया?"
वामिका ने एक गहरी सांस ली और फिर अपनी उंगली अभीक की तरफ उठा दी, "अरे सर, मैं इस भालू की बात कर रही हूं।"
उसके लहजे में अब मासूमियत की जगह तंज और गुस्सा दोनों मिलकर तैर रहे थे, और अभीक की आंखों में... बस धैर्य की आखिरी बूंद बची थी।
"जस्ट शट अप!", अभीक का सब्र अब छलक चुका था। गुस्से में उसके नथुने फड़कने लगे, माथे की नसें तन गईं।
वो सीधे इंस्पेक्टर ऋषि की ओर उंगली उठाकर बोला,
"आप ज़रा इंसान की तरह बैठेंगे?"
ऋषि, जो अभी तक सोफे पर लापरवाह अंदाज़ में पैर चढ़ाए बैठा था, हल्का चौंक गया। उसने गर्दन टेढ़ी की और नज़रें अभीक पर टिका दीं। एक अजीब सा मुस्कुराहट उभरी उसके होंठों पर—सधी हुई, मगर नुकीली।
"आप मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते,"
ऋषि ने अपनी टोपी को टिका कर थोड़ा सीधा किया और ठंडी आवाज़ में कहा, "I am Inspector Rishi. इज़्ज़त बहुत है मेरी मार्केट में..."
उसके लहजे में खुद को साबित करने की ज़रूरत नहीं थी — जैसे वो खुद ही अपने नाम की गूंज हो।पर दोनों के बीच अब जो तनाव तैर रहा था, वो एक झगड़े का नहीं, बल्कि दो ताकतों का आमना-सामना था — एक हक का, और दूसरा वजूद का।
"सिर्फ मार्केट में है... और कहीं नहीं,"
वामिका ने ज़रा सी मुस्कुराहट के साथ अपने होंठों पर हथेली टिकाई। उसकी आवाज़ में तंज था, पर अंदाज़ playful। ऐसा लगा मानो वो इस पूरी स्थिति को एक नाटक समझकर उसका मज़ा ले रही हो।
"मैंने जिस प्रॉब्लम के लिए बुलाया है, उसकी बात कर लें... अगर आपकी आज्ञा हो तो..."
अभीक अब थोड़ा झुका और वामिका के सामने हाथ जोड़ दिए। उसकी आँखों में एक अलग ही व्यंग्य झलक रहा था — मानो कह रहा हो, 'अब तू देख, तुझे कैसे चुप कराता हूं।'
इतना कह कर वो पलटा और तेज़ी से अपने कमरे की ओर बढ़ा। कुछ ही देर में वापस आया, हाथ में एक मोटी फाइल के साथ। उसने फाइल को इंस्पेक्टर ऋषि की ओर बढ़ाया,
"देखिए इंस्पेक्टर, मैंने इस घर को लीगल तरीके से खरीदा है।"
ऋषि ने जैसे ही पेपर्स पलटने शुरू किए, उसकी आंखों में गंभीरता उतर आई। फिर वो वामिका की ओर देखकर बोला,
"ये भालू सही कह रहे हैं, मिस..."
वो तुरंत बात संभालता है,
"मेरा मतलब है... मिस्टर अभीक सिंह के नाम पर ही ये घर है, और पेपर्स भी सही हैं।"
वो ये कहता हुआ अभीक की आँखों से टकरा गया। उन दोनों की नज़रों के बीच एक मौन संवाद हुआ — खामोशी में तेज़ चिंगारी भरी हुई।
"पर मैंने तो ये घर बेचा ही नहीं!"
वामिका अब अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसकी आवाज़ में आक्रोश नहीं था, लेकिन हैरानी और झटका साफ था।
"तुमने नहीं बेचा... लेकिन तुम्हारे अंकल ने तो बेचा है ना!"
अभीक ने उंगली उठा कर वामिका को इंगित किया, मानो किसी कोर्ट में गवाही दे रहा हो।
वामिका के चेहरे पर कुछ पल को सन्नाटा पसरा, फिर वो अचानक ही फोन की ओर बढ़ी।
"मैं अभी अंकल के पास कॉल करती हूं... दुआ करो कि वो 'हां' कर दें, नहीं तो तुम्हारे सिर पर एक बाल नहीं बचेगा।"
उसकी आवाज़ अब चंचल न होकर गंभीर थी। आँखों में अब मज़ाक नहीं, एक युद्धभाव था।
फोन की स्क्रीन पर अब रिंगिंग चल रही थी... और कमरे की हवा में तनाव की आहट तैरने लगी थी।
दो-तीन रिंग के बाद ही कॉल रिसीव हो जाती है। वामिका की उम्मीदों के उलट, सामने से किसी अनजान लड़की की आवाज आती है—
"हेलो?"
वामिका के माथे पर सिलवटें उभर आती हैं, आवाज पहचानने की कोशिश में वो फोन को थोड़ा खींचती है और अनायास ही सवाल दाग देती है,
"हेलो कौन... क्या ये मेरे सिनू अंकल का नंबर है?"
उसके शब्दों की गंभीरता उस लड़की को भी चौंका देती है, लेकिन अगले ही पल जो जवाब आता है, उसमें कुछ अजीब-सी आत्मविश्वास भरी नर्मी होती है—
"हाँ, और मुझे यकीन है तुम वामिका ही होगी,"
फिर वही बात लड़की अंग्रेज़ी में भी दोहराती है, जैसे वो वामिका को और उलझाना चाहती हो।
अभीक की मौजूदगी का बोझ अब तक वामिका की नसों पर भारी बैठा था। उसका चेहरा थका हुआ था, मगर वो हार मानने वालों में से नहीं थी। फोन को स्पीकर पर डालते हुए वो धीरे से फुसफुसाई,
"जी, पर आप कौन हो... क्या आप मेरे अंकल से बात करा सकती हो?"
शायद ऊपर वाले ने दखल दी थी, क्योंकि अगले ही पल एक जानी-पहचानी, स्नेह भरी आवाज गूंजती है—
"हेलो बेटा वामिका... कैसी हो?"
वो आवाज जैसे किसी सूने कमरे में दिया जल जाए, वैसी राहत देती है। लेकिन अंदर का तूफ़ान वामिका के चेहरे पर तैर ही आता है। उसकी भौंहें सख़्ती से सिकुड़ती हैं, और वो गहरी सांस लेते हुए तीखे लहजे में बोलती है—
"अंकल, मुझे आप ही से बात करनी है। देखिए ना, मेरे घर में एक चोर घुस आया है और जाने का नाम ही नहीं ले रहा।"
अभीक ने उस वाक्य पर होंठ दबा लिए, मगर एक हल्की-सी विजयी मुस्कान भी उभरी।
फोन की दूसरी ओर से सिनू अंकल की आवाज आती है, मगर इस बार उनमें कुछ घबराहट थी—
"बेटा, वो चोर नहीं है... वो अभीक सिंह है... द फेमस सिंगर। बेटा, मैंने तुम्हारा घर अभीक को अच्छे दाम में बेच दिया। देखो, मुझे गलत मत समझना... मुझे पैसों की बहुत ज़रूरत थी..."
ये सुनते ही वामिका का चेहरा ज़र्द पड़ने लगा। शब्दों ने जैसे कुछ पल के लिए उसका दिल रोके रखा। उसका गला सूखने लगा और आँखें बेचैनी से चमक उठीं—
"अंकल, आप ठीक हैं ना? आपको कुछ हुआ है क्या? क्या आप हॉस्पिटल में हैं? कोई डेंजर बीमारी हो गई है?"
उसके शब्दों में परेशानी थी, डर था... और एक उम्मीद कि शायद कोई गलती हो गई हो।
लेकिन दूसरी ओर से हँसी में लिपटी तसल्ली भरी आवाज आई—
"नहीं बेटा, मुझे क्यों कुछ होगा? कोई बीमारी हो मेरे दुश्मन को।"
वामिका ने गहरी सांस ली। अब उसमें गुस्सा था, नाराज़गी थी और सबसे बढ़कर था... विश्वास टूटने का एहसास।
"तो आपने मेरा घर बेचा क्यूँ? आपको इतने सारे पैसे की क्या ज़रूरत थी?"
उसने ये कहते हुए अपनी नजर अभीक की मुस्कान पर डाली, जो उसके लिए अब ताना बन चुकी थी।
सिनू अंकल की आवाज अब धीरे-धीरे गंभीर हो रही थी। एक बेबसी, एक कहानी उतरती जा रही थी हर लफ़्ज़ में—
"वो बेटा, बात ये है कि कुछ दिन पहले मैं इंस्टाग्राम पर एक लंदन की लेडी से मिला। उसने बताया कि उसके हसबेंड की डेथ दो साल पहले हो गई और अब वो इस अकेलेपन से ऊबकर अपनी जान देने जा रही है।"
वामिका की आंखों में हैरत थी, और अभीक की मुस्कान में छुपा मज़ाक अब खुद से लड़ने लगा था।
"तो मैंने इंसानियत के नाते उससे उसकी फोटो मांगी... सोचा अगर सुंदर होगी तो पटा लूंगा... नहीं होगी तो सुसाइड के तरीके बता कर ब्लॉक कर दूंगा।"
वामिका के चेहरे पर अब अविश्वास था, वो सांसें नाप कर ले रही थी।
"पर जब उसने फोटो भेजी, तो मुझे वो बिल्कुल तुम्हारी स्वर्गवासी आंटी की तरह दिखी... तब मैंने सोच लिया, अब मैं उसकी जान किसी भी कीमत पर बचाऊंगा। फिर कुछ दिन बात की, और मैंने उसे प्रपोज कर दिया।"
"उसने मुझे लंदन बुलाया, कुछ पैसे के साथ... मैंने बहुत कोशिश की पैसे इकट्ठा करने की, पर कुछ नहीं हो पाया। ऊपर से वो बार-बार जान देने की धमकी दे रही थी। और तब ही मैंने तुम्हारा घर बेचने का फैसला लिया। तुम दिल्ली में थी... तो मैंने मौका देख कर तुम्हारा घर अभीक को बेच दिया।"
सिनू अंकल की आवाज अब लगभग गिड़गिड़ा रही थी—
"जितने पैसे की ज़रूरत थी, उतना लिया... और जो कुछ बचा है, वो तुम्हारे बैंक अकाउंट में डाल दूंगा... दो-चार दिन में..."
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अब कमरे में खामोशी तैर रही थी। स्पीकर से निकली आवाजें अब भी गूंज रही थीं, लेकिन वामिका के भीतर कुछ थम गया था — भरोसे की नींव पर किसी ने मज़ाक बना दिया था, और वो मज़ाक अब उसकी आँखों से रिसने लगा था... चुपचाप, बगैर आँसुओं के।
वामिका अब तक जैसे खुद को काबू में रखे बैठी थी। आंखें बड़ी-बड़ी खुली थीं, होंठ आपस में कसकर जुड़े हुए और उंगलियां फोन को जैसे मसलने लगी थीं। पर अचानक जैसे किसी ने भीतर जमा लावा छेड़ दिया हो—वह पूरे गुस्से से फट पड़ी।
“बुड्ढे! सनकी!! तुझे इस उम्र में रासलीला सूझ रही है!!”
उसकी चीख इतनी तेज़ थी कि अभीक और ऋषि दोनों ने चौंकते हुए अपने-अपने कानों पर हाथ रख लिए। ऋषि की आंखों में हल्की डर मिश्रित हंसी थी, और अभीक बस सन्न बैठा उसे घूरता रह गया।
“अपनी उस फिरंगन माशूका के लिए मेरा घर बेच दिया... एक बार तू इंडिया आजा... मैं तेरे नाक के सारे बाल तोड़कर तेरी हथेली पर धर दूंगी...”
वो जैसे हर शब्द के साथ आंसू नहीं, बल्कि आग बरसा रही थी। कहती गई, और गुस्से से कांपते हाथों से फोन काट दिया।
एक पल के लिए कमरे में खामोशी छा गई। बस वामिका की तेज़ सांसें और उसकी जलती हुई आंखें साफ बता रही थीं कि इस लड़की के साथ क्या हुआ है।
अभीक को घूरते हुए वो और भी भड़क उठी।
"क्या है?" अभीक ने घबराहट को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा, “माना कि तुम्हारा नाम वामिका है... पर मैं तुमसे नहीं डरता…”
उसकी आवाज़ कांप रही थी, लेकिन शब्दों में अकड़ थी।
वामिका ने बिना कुछ बोले एक कुशन उठाया और सीधे अभीक के चेहरे की ओर उछाल दिया। फिर बिना कोई चेतावनी, दूसरा कुशन हंसते-हंसते दुहरे हो रहे ऋषि की ओर फेंक मारा। ऋषि की हंसी वहीं अटक गई और उसने चौंककर अपने सिर की ओर आते कुशन से खुद को बचाया।
गुस्से से बड़बड़ाती वामिका ने ट्रॉली उठाई, जो अब तक दरवाज़े के पास टिकी थी, और पूरी तसल्ली के साथ उठकर बाहर की ओर बढ़ गई।
पीछे से ऋषि ने कुशन को सहलाते हुए कहा, “मैं इंस्पेक्टर ऋषि हूं… मेरी इज्जत है मार्केट में… और इस लड़की ने मुझे कुशन से मारा…”
उसने बेबस निगाहों से अभीक की ओर देखा, मानो कह रहा हो—भाई ये कौन आफत मोल ले ली तूने…
"सर प्लीज..." अभीक ने आधी हारी सी मुस्कान के साथ हाथ जोड़कर दरवाज़े की ओर इशारा किया, जैसे कोई पूजा के बाद भगवान को भी घर से विदा कर दे।
ऋषि थोड़ी हैरानी, थोड़ी खीझ और बहुत सारी इज्ज़त के साथ बाहर निकले।
अभीक ने चैन की सांस ली। वो धीरे से उसी सोफे पर बैठा जहां कुछ देर पहले तूफान बसा था। उसकी नजर पास में गिरे वामिका के कपड़ों से झड़कर ज़मीन पर बिखरे एक मोती पर पड़ी — वो उसे उठाकर उंगलियों के बीच दबाता है और जैसे ही हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर उभरती है, खुद से बड़बड़ाता है,
"आख़िरकार अब मैं शांति में हूं… निडर लड़की…"
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उधर, वामिका सड़क पर खड़ी होकर अपने अंदर का सारा गुस्सा और बेबसी एक साथ आसमान की ओर उछाल देती है।
"हे भगवान!" उसका चेहरा झल्लाहट से तप रहा था, आवाज़ भरी हुई थी, "जरा आप ही बताओ, मैंने कौन सा पाप किया था? अपने ही सिर से छत छीन ली आपने… मैं तो बिना वजह किसी से झगड़ा भी नहीं करती… दुनिया में और कोई नहीं मिला आपको, सीधा मुझसे दुश्मनी रख ली?"
उसने दोनों हाथ आसमान की तरफ उठा दिए, जैसे अब ऊपर से कोई जवाब ही गिर पड़ेगा।
लेकिन जवाब ऊपर से नहीं, बगल से आया।
एक चोर, जो कब से मौके की ताक में था, उसकी बगल से बैग उठाकर तेज़ी से भागा और जाते-जाते वामिका को एक जोरदार धक्का देकर ज़मीन पर गिरा गया।
वामिका ज़मीन पर पड़ी रही — गुस्से, दर्द और अपमान से भरी आंखें लिए।
वामिका उठ कर खड़ी होती है और चोर का पीछा करते हुए दौड़ती है,लेकिन चोर एक बाइक पर बैठ कर भाग जाता,और वामिका कुछ दूर पीछा कर थक जाती है और पास में पड़े एक बेंच पर बैठ कर हांफते हुए कहती है......मैने आपके ओर हाथ फैलाया अपने तो मुझे सच का भिकारी बना दिया,,,भगवान जी मेरा पर्स और फोन भी उसी में था,,,अब मैं क्या करूं,,,हिना(वामिका की दोस्त) के पास जाती हूं,
देख यार मै तेरी मदद तो कर देती और तुझे अपने घर भी रख लेती,,पर मेरा भाई आज शाम को ही घर आ रहा है,और मैं नही चाहती की पिछली बार की तरह वो तेरे साथ,,,इसलिए भलाई इसी में है की तू मेरे घर से दूर रहना,,,,क्योंकि पापा ने भाई को लंदन सिर्फ तेरे साथ बत्तमिजी करने की वजह से भेजा था,अगर उसे पता चला की तू यहां हमारे घर पर है तो वो तेरे साथ फिर से जरूर बत्तमिजी करने की कोशिश करेगा.....हिना के घर पहुंचने पर वामिका को हिना बताती है।।
हिना की बाते सुन कर वामिका को उस घटना की याद आ जाती है,जब वो एक बार हिना से मिलने के लिय आई हुई थी,,,लेकिन हिना बाजार गई हुई थी और उसका भाई घर पर था,,जब वामिका को हिना के घर पर ना होने की खबर मिली तो वो उठ कर जाने लगी,,लेकिन हिना के भाई ने वामिका को पीछे से पकड़ लिया और उसे किस करने की कोशिश करने लगा,,वामिका को खुद को छुड़ा कर भाग रही थी की तभी हिना आ गई और वामिका उससे टकरा गई,,,वामिका ने जब अपने सामने हिना को देखा तो उसे राहत मिली और वो उठ कर हिना के गले लग गई,,,,हिना उसे लेकर अपने कमरे में चली गई,,और सब कुछ पूछने के बाद अपने मां पापा के पास कॉल कर दिया,,,जब हिना के मां पापा पहुंचे तब उन्होंने हिना के भाई को लंदन भेजने का फैसल करते हुए वामिका से माफी मांगी,,और उसे उसके घर ड्रॉप करवा दिया,,
कहा खो गई.....हिना वामिका के चेहरे के करीब अपना हाथ लहराते हुए कहती है।।
अच्छा कोई बात नही,मै कुछ और देखती हूं.....वामिका हिना से कहती है और उठ कर जाने लगती है,
सुन ये कुछ पैसे ले,,और आज के लिए किसी होटल के कमरे में ठहर जा,वैसे भी शाम होने लगी है,अपना ख्याल रखना,हम तुम्हारे घर के बारे में कल कुछ सोचेंगे.....कहते हुए हिना वामिका को कुछ पैसे देती और गले लगती है।।
वामिका को बहुत भूख लगी होती है तो वो सबसे पहले एक रेस्टोरेंट में जाती है और सबसे कम दाम वाले खाने का ऑर्डर देती है,खाने के बाद वामिका एक कम दाम वाले होटल में जाती है,,,पर उसे पता चलता है की इस होटल के सारे रूम बुक है,तीन चार होटल देखने के बाद भी वामिका को कोई रूम नही मिलता।।।
इन सब से वामिका परेशान हो कर एक क्लब में चली जाती है,,और वहा बैठ कर तब तक शराब पीती है जब तक सारे पैसे खत्म नही हो जाते ,,जब सारे पैसे खत्म हो जाते है,तब वामिका उठ कर लड़खड़ाते हुए बाहर निकलती है,और उल्टी सीधी हरकत करते हुए रोड पर चलने लगती है,,,
चलते हुए ही वामिका के सामने एक कार आकर रुकती है,,जिससे वामिका बिल्कुल सीधी खड़ी हो जाती है,,और कार की तरफ अपनी आंखे जबरदस्ती खोल कर देखने लगती है,
अबे ढक्कन गाड़ी चलानी नही आती क्या?पहले ही उस अभीक सिंह ने मेरा घर हड़प कर मुझे रोड पर ला दिया,,ऊपर से मेरा बैग भी चोर ले गया,और अब तू जान भी लेना चाहता है,,,तुझे मैं छोडूंगी नही....कहते हुए वामिका अपने हाथ ने लिए हुए बोतल को कार के शीशे पर फेंक देती है,,जिससे बोतल टूट कर बिखर जाता है।।
वामिका लड़खड़ाते हुए ही आगे बढ़ जाती है,,और रोड के किनारे रखे ब्रेंच पर बैठते हुए, बेंच पर अपना सिर टिकाए आंखे बंद कर लेती है,,।जिससे कार में बैठा सख्श देखता रहता है,,,
सर चले.....कार में बैठा रेहान अभीक से पूछता है,
हां...., अभीक वामिका की और देखते हुए कहता है,और फिर अपने मोबाइल में देखने लगता है,
पर अभीक सर,,,माना की गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड में झगड़े होते रहते हैं,पर आपको इनको इस तरह रोड कर छोड़ कर नहीं जाना चाहिए,,,अगर इनके साथ कुछ हो गया तो.....रेहान अभीक की और अपना सिर घूम कर पूछता है।।
पहली बात ये की ये वामिका मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है,,,मेरी गर्लफ्रेंड इसके जैसी बत्तमिज लड़की हो हो नही सकती,,कपड़े देखे है तुमने इसके,कैसी झल्ली जैसी लगती है,,और दूसरी बात ये की मैने इसकी हिफाजत करने का ठेका नही लिया है,.....इसलिए चुप चाप से ड्राइव करो...... अभीक गुस्से में बोलता है,
रेहान उसके बाद कुछ नही बोलता और शांति से ड्राइव करते हुए कार को घर तक ले जाता है,,
अभीक कार से उतर जाता है और रेहान को कल 8 बजे आने बोल कर घर के अंदर चला जाता है,रेहान भी कार लेकर अपने घर की ओर निकल पड़ता है,,
अभीक घर के अंदर आ कर अपना फोन सोफे पर रख देता है, और खुद नहाने चला जाता है,,,नहाने के बाद अभीक खाने के लिए खाना गर्म कर रहा होता है तभी अभीक को वामिका की चिंता सताने लगती है,,,जिससे अभीक अपने सीने पर हाथ रख कर नीचे फर्श पर बैठ जाता है....
तभी उसे एहसास होता है की उसके घर का फोन रिंग कर रहा है,,वो उठ कर फोन के पास जाता है और उठता है.....
कौन है?.... अभीक फोन को कान के पास लगा कर पूछता है,
आप अभीक सिंह है....फोन की दूसरी तरफ से आवाज आती है।।
जी,आप कौन..... अभीक पूछता है।।
मैं एस्पेकेटर ऋषि,मुझसे पूरा मार्केट डरता है,,,,आपके खिलाफ कंप्लेन है,,,,आपने एक अबला नारी का घर हथियाया है....
व्हाट,,,ये क्या बकवास है,,,और किसने की मेरे खिलाफ कंप्लेन......
मिस वामिका ने की है,,और उसी वक्त से पूरे पुलिस स्टेशन को सिर पर उठा रखा है,,,,आपसे विनती है की आप इस आफत को आकर ले जाएं,,नही तो इनका घर इन्हे दे दें.....ऋषि गिड़गिड़ाते हुए कहता है,,
मैं आता हूं.....कहते हुए अभीक फोन रख देता है,
तभी मैं सोच रहा था की मुझे घबराहट क्यों हो रही है,,उसका तो आज दिमाग ठिकाना लगा कर ही वापस आऊंगा....कहते हुए अभीक अपने कमरे में जाता है और खुद को ऐसे तैयार करता है की कोई उसे पहचान ना सके,और जल्दी से कार की चाभी ले कर पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है,,
पुलिस स्टेशन पहुंच कर अभीक की नज़र पूरे पुलिस स्टेशन पर पड़ती है सब इधर उधर भाग रहे होते है और वामिका अपने हाथ ने बंदूक लिए सबका पीछा कर रही होती है,
वामिका,क्या हो रहा है ये सब..... अभीक चिल्लाता है,
अपना नाम सुन कर वामिका रुक जाती है और अभीक की और देखने लगती है,,कुछ देर देखने के बाद वामिका अभीक को पहचान लेती है और उसके ऊपर बंदूक तान कर उसकी ओर ही चलने लगती है,,
तुम ही ने मेरी जिंदगी खराब की है.....गाते हुए वामिका आगे बढ़ रही होती है,और अभीक के करीब पहुंच कर उसके सिर पर बंदूक रख कर कहती है....बोलो भालू तुम अपने जंगल में जाओगे,या फिर मैं तुम्हारा किस्सा आज ही खत्म कर दूं...
अभीक अपने चेहरे से हुड़ी कटा देता है और वामिका के आंखो में देखने लगता है,शराब पीने के वजह से वामिका के आंखे और ज्यादा नशीली दिख रही थी,,और उसके गुलाबी होठों से लिपस्टिक उसके गालों पर लग गया था,जिसे देख कर अभीक खुद पर कंट्रोल नही कर पता और कहता है.....तुम बंदूक हटाओगी या मै तुम्हे किस कर लूं,
तुम कुछ भी कर लो आज मैं तुम्हे खत्म कर दूंगी....काव्या बंदूक को अभीक के गर्दन की ओर मोड़ कर कहती है।।
अभीक वामिका की आंखो में देखते हुए अपने चेहरे को उसके करीब कर देता है और एक झटके के साथ वामिका के सिर को पकड़ कर अपने होठों को उसके होठों से जोड़ देता है,,
किस की वजह से वामिका घबरा जाती है और बंदूक अपने हाथ से छोड़ देती है,,बंदूक के गिरते ही एक पुलिस वाला आ कर बंदूक को उठा लेता है,,और ऋषि दोनो को एक दूसरे से अलग करता हुआ कहता है.....मेहरबानी कर के इस लड़की को लेकर जाओ,,,और हां जाने से पहले मेरी गर्लफ्रेंड के लिए एक ऑटोग्राफ भी मिल जाता तो मैं इस पुलिस स्टेशन में हुए इस किस को मीडिया तक नही पहुंचने देता,
वामिका तो अभीक के कंधे पर ही सिर रख कर सो गई थी,,पर अभीक को पहले ऋषि की गर्लफ्रेंड के लिए ऑटोग्राफ देना पड़ता है,ताकि कोई स्कैंडल ना खड़ा हो जाए इस किस को ले कर,,,
ऑटोग्राफ देने के बाद अभीक को वामिका को उठा कर अपने साथ ले जाना पड़ता है,,घर पहुंच कर अभीक वामिका को सोफे पर गिरा देता है,और अपने कमरे के तरफ बढ़ते हुए बड़बड़ाता है.....मुझे तो इस लड़की ने अपना कूली बना रखा है,,,हाथ भी दर्द कर रहे है,,, मोटी कही की,,
बेड पर लेट कर अभीक अपने और वामिका के किस के बारे में सोचता है,,,और सोने से पहले कहता है कि....बस उसे कल सुबह हमारी किस याद ना हो,,नही तो पता नही क्या करेगी?
सुबह होते ही वामिका के आंखो पर सूरज की रौशनी पड़ती है जिससे वामिका करवट बदल कर सोने की कोशिश करती है,पर जैसे ही करवट बदलती है सोफे से नीचे गिर जाती है,,और एक पल में उसकी दोनो आंखे खुल जाती है,,
आंख खुलते ही वो खुद को अपने घर में देखती है,और खुश होते हुए सोचती है....पर मैं तो क्लब में थी,,मुझे यहां लाया कौन?
वामिका अभी सोच ही रही होती है की अभीक अपने कमरे से रेडी हो कर निकलता है,,सिंपल सा प्लेन ग्रे कलर का टीशर्ट ब्लैक जींस,,उल्टी टोपी,,साथ में गले में एक चैन जिसमे एक बर्ड की तरह पेंडेट भी लगा था,,,हाथो में गिटार लिए,,,,,वो अपने कदमों को वामिका की और बढ़ाता रहता है...वामिका एक टक अभिक को देखते हुए सोचती है......उफ्फ कितना हॉट है ये,,,दिल कर रहा है अभी किस कर लूं...
हेलो मैडम,,अपने दिमाग को यह लाओ,जो ना जाने कहा भटक रहा है......कहते हुए अभीक वामिका को हिलाता है,
वामिका अभीक की और देख कर कहती है.....किस्स।।
किस्स शब्द सुन आर अभीक को रात वाली किस्स याद आ जाती है और वो घबराते हुए पूछता है.....क्या तुम्हे कल रात की किस्स याद है?
कल रात,, किस्स? कौन सी किस्स?......वामिका सोफे पर खड़े होकर पूछती है,
ओह इसका मतलब तुम्हे नही याद?..... अभीक हंसता हुआ कहता है,
क्या मतलब,,क्या किया था तुमने मेरे साथ,जल्दी बोलो.....वामिका अपने दोनो हाथो को कराटे स्टाइल में घूमते हुए कहती है,
बस एक लाजवाब किस्स और कुछ भी नही...... अभीक अजीब जा मुंह बना कर कहता है,,वामिका किस्स की बात सुन कर वही बैठ जाती है,और अभीक को देखने लगती है।।
उठ के कपड़े बदलो,,,तुम्हारे कपड़ो में मिट्टी लगी हुई है,,और तुम मेरे घर को गंदा कर रही हो..... अभीक रोब झड़ते हुए कहता है।।
ओह हेलो मेरा घर है ये......वामिका कहते कहते रुक जाती है है,,और अभीक की ओर देख कर कहती है....क्या मैं कुछ दिन तुम्हारे घर में रह सकती हूं,,,तुम चाहो तो रेंट भी दे दूंगी,,,
अभीक पहले तो ना बोलने को सोचता है पर वामिका के आंखो में आंसू देख कर कहता है.....ठीक है पर तुम्हे रेंट की जगह कुछ और देना होगा,,
क्या मतलब है तुम्हारा.....वामिका अपने टॉप को ठीक करते हुए कहती है।।
ऐसी हरकत क्यो कर रही हो?मै तुमसे कुछ और करवाऊंगा...... अभीक वामिका को अपना टॉप ठीक करते हुए देखकर कहता है,
तुम मुझसे क्या करवाओगे?.... वामिका अपनी आंखें छोटी करते हुए पूछती है।।
तुम इस घर में रह सकती हो, लेकिन बदले में तुम्हें इस पूरे घर की रोज सफाई करनी होगी,, सुबह उठते ही मुझे एक गिलास ऑरेंज जूस दोगी,,, नाश्ते मेरे लिए पैन केक बनाओगी, और साथ में कॉफी भी, लंच और डिनर में क्या बनेगा ये मैं रोज तुम्हें बता दिया करूंगा,, और हां मुझे घर में एक भी गंदगी नहीं चाहिए, इतने पे मंजूर है तो रह सकती हो,, नहीं तो आराम से निकल जाओ..... अभीक वामिका की तरफ देख गिटार बजाते हुए बोलता है।।।
मैं तुम्हारी कोई नौकर नहीं हूं, जो तुम्हारे घर का सारा काम करूंगा,, तुम्हारे लिए खाना भी बना कर दूंगी,, मुझे आया समझा है क्या.... वामिका सोफे से उठ कर अभीक को उंगली दिखाते हुए कहने लगी।
मैं तुम्हारी कोई नौकर नहीं है, जो तुम्हारे घर का सारा काम करूंगी,, तुम्हे खाना भी बना कर दूंगी,, मुझे आया समझा है क्या,..... वामिका सोफे से उठ कर अभीक को उंगली दिखाते हुए कहती है।।।
अभीक गिटार को सोफे पर रख देता है और काव्य की उंगली को नीचे करते हुए कहते हैं.....then get out,( तो निकल जाओ यहां से)
वामिका अभीक को काफी देर तक घूरती है, और कुछ सोचते हुए हां कह देती है,,, फिर मन में सोचती है..... बेटा तुम्हें,, तुम्हें इतना परेशान करूंगी तो तुम्हें यह घर छोड़कर भाग जाओगे।।।
गुड गर्ल,,,अब जा कर शावर लो,,,गंदगी मत फैलाओ...... कहते हुए अभीक अपना गिटार उठता है और बालकनी में झूले पर बैठ बजाने लगता है।।
वामिका भी शावर लेने चली जाती है,, शावर लेने के बीच में ही वामिका को याद आता है कि उसका ट्रॉली तो चोर लेकर भाग गया अब वह कपड़े क्या पहनेगी?,
वामिका शावर ले लेती है और, बाथरूम में इधर-उधर देखने लगती है,, उसे कुछ समझ में नहीं आता कि वह अब क्या करें? तब उसकी नजर अभीक की एक शर्ट पर पड़ती है,,, वामिका मन में सोचती है.... अरे वाह भालू की शर्ट,, अभी के लिए से पहन लेती हूं,, इन कपड़ों को धोकर जल्दी सुखा लेती हूं फिर इसे पहन लूंगी वैसे भी वह बंदर बाहर बैठा हुआ है, तो उसे पता भी नहीं चलेगा कि मैंने उसके शर्ट पहनी है।।।
सोचते हुए वामीका अपने पुराने कपड़ों को धो देती है और अभीक की शर्ट पहन कर बाहर आ जाती है,,,
अभीक झूले पर बैठे हुए सोचता है.... चलो इस छिपकली को परेशान किया जाए,, इसने मुझे दो-तीन दिनों से बहुत परेशान किया है, अब मेरी बारी है...... सोचते हुए अभीक हॉल में आ जाता है।।
वामीका अपने कपड़ों को सुखाने के लिए दबे पांव हॉल में ही चल रही होती है,, अभीक को सामने से आता देख वामिका जोर से चिल्लाती है....मेरे पास कपड़े नही थे इसलिए मैने तुम्हारी शर्ट पहन ली,,,अभी मै इसे नही निकालूंगी,, जब तक ये मेरा कपड़ा सुख नहीं जाता।।
वामिका के चिल्लाने पर अभीक वामिका की तरफ देखता है,,,सफेद रंग के शर्ट में वामिका का आधा बदन दिख रहा था,,,ऊपर से वामिका के बाल से पानी टपकते हुए वामिका के पहने हुए शर्ट पर और नीचे फर्श पर गिर रहा था.....वामिका को इस तरह देख अभीक को खासी आ जाती है,,और वो खासते हुए बाहर निकल जाता है...
क्या खतरनाक लड़की है,,,ऊपर से हॉट भी.....कहते हुए अभीक अपने गिटार के साथ झूले पर तब तक बैठा रहता है,जब तक वामिका अपने कपड़े पहन कर उसके पास नही आ जाती।।
मैने तुम्हारा शर्ट धो दिया है,,अब मुझे कॉलेज जाना है,किताबे तो तुमने फेंक दिया है मेरा,अब मुझे फिर से सब कुछ लिखना पड़ेगा,खैर मै घर की सफाई शाम को कर दूंगी,,,और तुम्हारा जूस बना दिया है......वामिका अभीक से कहती है,और बिना किताब कॉपी लिए हुए कॉलेज के लिय निकल जाती है।।
अभीक वामिका से कुछ नही बोलता और घर के अंदर जा कर अपना फोन उठा कर रेहान को कॉल करता है,....
कैसे याद किया बॉस?....रेहान फोन उठाते हुए कहता है।।
इस घर में जो भी समान था उसका क्या किया तुमने?.... अभीक रेहान से कॉल पर पूछता है,
वो सब समान को तो मैंने अपने घर के गैराज में रखवा दिया था,,आपको चाहिए तो मैं ले आता हूं.....
दो घंटे में सारा समान मेरे घर पर आ जाना चाहिए..... अभीक कहता है और फोन काट देता है,,
ओके बॉस....कहते हुए रेहान भी फोन रख देता है।।
थोड़े इंतजार के बाद रेहान वामिका के सारे समानों को एक गाड़ी पर ले कर आता है,,,और अभीक के कहने पर सारे सामानों को लॉन में रखवा देता है,,,उसके बाद अभीक और रेहान अपने न्यू सॉन्ग के बारे में बात करने के लिए,,अपने मैनेजर के पास चले गए,,
उधर जब वामिका के कॉलेज की छूटी होती है तब वामिका एक कैफे में जाती है और एक वेटर की ड्रेस पहन कर लोगो को सर्व करने में लग जाती है,
वामिका वहा रात के 8 बजे तक काम करती है और फिर अपना ड्रेस चेंज कर घर के लिए निकल जाती है,,,,
काफी देर पैदल चलने के बाद वामिका अपने घर पहुंचती है,,घर पहुंचते ही लॉन में वामिका को अपना सारा पुराना समान दिखाई देता है,,,समानों को देख कर दिन भर पढ़ाई और काम करने के बाद भी वामिका में नई ताज़गी भर जाती है और वो दौड़ कर अपने समानों के पास जाती है और उनमें से सबसे पहले एक गुड़िया निकलती है,,,
अरे वाह तुम्हे यहां कौन लाया,,,अपनी मम्मा को मिस किया ना....वामिका उस गुड़िया को गले लगा कर कहती है,,,
अभीक भी गेट पर खड़े होकर वामिका को देखता रहता है,,,
बॉस मै जा रहा हूं अब,आप भी अंदर चले जाएं....रेहान अभीक से कहता है,
वामिका आवाज सुन कर उस ओर देखने लगती है और अभीक को खुद की तरफ देखते हुए सोचती है....क्या ये मेरा समान लाया है?
मैं रेहान,,मुझे यकीन है मेरे बॉस ने आपको मेरे बारे में कुछ नही बताया होगा....रेहान वामिका को खुद की तरफ देखते हुए कहता है।।।
वामिका हसने लगती और रेहान से हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताती है।।।
अभीक दोनो को घूरता है फिर घर के अंदर जाने लगता है,,,
ये सारा समान कहा से आया?...वामिका अभीक को जाता देख पूछती है,
जिस कबाड़ी वाले को बेचा था,,उसने वापस कर दिया और कहा....ये सारा समान कबाड़ से भी ज्यादा बेकार है,,इसलिए इसे आप लोग अपने पास ही रखिए... अभीक मुड़ कर वामिका को जवाब देता है और घर के अंदर चला जाता है।।
अभीक के जाने के बाद रेहान भी वामिका को गुड नाइट बोल कर अपने घर चला जाता है,,
वामिका सारे समान को एक कर के घर के अंदर रखती है,,समान ज्यादा होता है इसलिए रखने में काफी वक्त लग जाता है,,लगभग रात के 10 बजे अभीक अपने कमरे से बाहर आता है और वामिका को अभी भी काम करता देख पूछता है.....डिनर रेडी हो गया क्या?
नही,,तुम्हे दिखाई नही दे रहा क्या मैं काम कर रही हूं,,इतनी तमीज तो तुममें है नही की तुम मेरी मदद कर दो,,और अब तुम्हे डिनर भी मै बना कर दूं,,,मुझे अपना नौकर समझा हैं क्या?....,वामिका गुस्से से अभीक की और घूरते हुए कहती है।
ओह हेलो मैडम किसी ने मुझसे कहा था की....वामिका नाम है मेरा किसी से नहीं डर मै,,अब जरा बताओगी की वो निडर वामिका इतने थोड़े काम से डर कैसे गई..... अभीक ताना कसते हुए कहता है,
व्हाट एवर,,मुझे अपना समान रखने के लिय कमरा चाहिए.....वामिका एक भरी बक्से को उठाते हुए कहती है,
ऊपर वाला कमरा ले लो,,,लेकिन मेरे कमरे के आस पास भी मत भटकना,,समझी..... अभीक वामिका को धमकाते हुए कहता है,
पर ऊपर वाला कमरा तो बहुत छोटा है,और बचपन से वो कमरा मेरा था,जो तुम हड़प कर बैठे हो....वामिका मुंह बनते हुए कहती है,
बचपना से हो या पचपन से अब वो मेरा है,,,और ऊपर वाला कमरा छोटा है,, तो तुम कौन सी बहुत लंबी हो,,आराम से फिट हो जाओगी,, छोटी लड़की,चलो मै तुम्हारी मदद करता हूं,समान को रूम में रखने में....कहते हुए अभीक एक समान को उठता है,,
दोनो मिल कर कुछ ही देर में ऊपर वाले कमरे को पूरी तरह सजा देते है,,
अच्छा लग रहा है ना....कहते हुए वामिका अभीक की तरफ देखती है और कमरे में रखे बेड पर पैर लटका कर सीधे लेट जाती है,
आखिर इस रूम को डेकोरेट किसने किया.... अभीक अपना कॉलर ऊपर करते हुए कहता है और वामिका के बगल में लेट जाता है,,
वामिका ने,और किसने....कहते हुए वामिका हसती है और अभीक की और देखने लगती है,,
अभीक वामिका के हसी में को जाता है,,और दोनो ही लेटे हुए एक दूसरे के आंखो में देखें लगते है,,,और फिर उठ कर एक साथ ही बैठ जाते है,
मुझे शावर लेना है....कहते हुए वामिका अपने कमरे से निकल जाती है,,
क्या हो गया था तुझे यार,,....कहते हुए अभीक उठ कर कमरे से निकल जाता है और हॉल में चिल्लाते हुए पूछता है.....मै बाहर से खान ऑर्डर कर रहा हूं,,तुम्हे लिए क्या ऑर्डर करूं?
कुछ भी नही मेरे पास पैसे नहीं है....वामिका शावर लेता हुए ही बोलती है,
अभीक को याद आ जाता है की वामिका का बैग चोरी हो गया है इसलिए अभीक तीन पिज्जा ऑर्डर कर देता है...
वामिक शावर लेने के बाद फिर से वही कपड़े पहन कर बाहर निकल जाती है....।।
तुम्हारे कपड़े उन समानों में नही है क्या?.. अभीक वामीका के कपड़ो पर नजर डाल कर कहता है,
सब में मिट्टी लगा हुआ है,,कहा रखा था तुमने उन कपड़ो को,,पता है मेरी सबसे प्यारी सिल्क की फ्रॉक भी खराब कर दी है तुमने,आज बहुत काम हो गया इसलिए उन सब को कल साफ करूंगी..... वामिका अपने बालों को झटकते हुए कहती है,
बालों को झटकने से पानी अभीक के चेहरे पर पड़ता है,,जिससे वो अपनी नजरों को वामिका की और मोड़ देता है,और फिर से वामिका को देख कर खांसने लगता है....
कुछ ही देर में पिज्जा वाला भी आ जाता है और दोनो पिज्जा खा कर अपने अपने कमरे में चले जाते है,
सोने से पहले वामिका सोचती है..,मैने जितना बुरा इस मोटे आलू काले भालू को सोचा था उतना बुरा ये है नही,,,क्यूट है बस।।।
इस निडर लड़की की हर अदा घायल कर देती है,,प्लेन में पहली बार जब अपने सीट के बगल में बैठा देखा था,तब सोच रहा था की मेरी किस्मत ही खबर है की मै इसके पास बैठा हूं,,पर ये बहुत क्यूट है.....सोचते हुए अभीक भी सो जाता है।।
सुबह जल्दी उठ कर अभीक को जूस देना होता है इसलिए वामिका अलार्म लगा कर सोई होती है,,जो लगातार बज रहा होता है,,लेकिन मजाल है की वामिका उठ जाए,
ऊपर बज रहे अलार्म की आवाज अभीक को नीचे सुनाई देता है,,जिससे अभीक की नींद खुल जाती है,और वो कहता है....उफ्फ वामिका उफ्फ,,तुमसे तो अलार्म की घंटी भी हार मान जाए पर तुम मत उठना,,,
अभीक काफी देर अलार्म की आवाज सुनता रहता है ओर जब उससे बर्दाश्त नही होता तो उठ कर वामिका के कमरे की तरफ बढ़ जाता है,
गेट खुला होता है इसलित अभीक अंदर चला जाता है,,जहा वो वामिका को बेड पर दोनो पैरो मे फैलाए सोई होती है,, अभीक सबसे पहले अलार्म बंद करता है और उसके बाद काव्या के चेहरे के करीब जा कर उसके खुबसूरती को निहारने लगता है,,
तभी वामिका की आंख अचानक खुल जाती है जिससे अभीक डर कर नीचे गिर गया,,
क्या कर रहे थे तुम.....वामिका एक झटके के साथ उठ कर बैठते हुए कहती है,
ये अलार्म कब से बज रहा है,,नीचे तक सुनाई दे रहा है,पूरा मुहल्ला उठ गया,बस तुम्हे छोड़ कर..... अभीक फर्श से उठते हुए कहता है,,
ओह इसे तो मैंने हो लगाया था.....वामिका मासूमियत के साथ बोलती है,
मेरा जूस ले कर आओ मैं नीचे जा रहा हूं.....कहते हुए अभीक नीचे चला जाता है,
मेरा जूस ले कर आओ,उसमे थोड़ा जहर ना डाल दूं.....कहते हुए वामिका सीढ़ियों से उतरती है ओर किचन में जा कर जूस बनाती है,,जूस बनाने के बाद वामिका गिलास को ले जाकर अभीक के सामने रख देती है,,और खुद के लिए एक प्लेट में स्ट्रॉबेरी ले आती है,
ये स्ट्रॉबेरी है ना.... अभीक वामिका के प्लेट में देख कर कहता है,
हां शायद इसे स्ट्रॉबेरी हो कहते है..... वामिका एक स्ट्रॉबेरी खाते हुए कहती है,
मुझे इससे एलर्जी है,इसलिए मेरे खाने में इसका इस्तेमाल मत करना.....कहता हुआ अभीक अपने गिलास से जूस पीता है और उठ कर अपने कमरे में चला जाता है,,
वामिका बैठ कर पूरा स्ट्रॉबेरी खा जाती है और उसके बाद उठ कर घर की सफाई करने लगती है,
ये साफ क्यो नही है,,,ऐसे नही करते,,तोड़ दो उससे,, यहां जाले है,,बाथरूम साफ करो,वो वाश मंहगा है इसलिए ध्यान से साफ करो,, यहां धूल जमी है,,सोफे को उठा कर पोछा लगाओ,,इस कुर्सी को वहा रखो यहा अच्छा नही लग रहा,,टीवी के पीछे जाले है,,खिड़की को साफ करो,,किचन में सफाई की?ये लो मेरे गंदे कपड़े और धो दो उसे..... अभीक वामिका को सफाई करता देख खूब परेशान करता है,
आखिर कार वामिका अभीक के इंस्ट्रक्सन से परेशान हो जाती है और अपने हाथो में लिए हुए ब्रश को जमीन पर फेकते हुए चिल्ला उठती है....मोटे आलू काले भालू,,मै तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी,,आज तुम्हे नही छोडूंगी,,मुझसे काम करवाते हो,,वो भी ऑर्डर दे देकर।।
वामिका के गुस्से को देख कर अभीक बिल्कुल नही डरता और वामिका का हाथ पकड़ कर पीछे करता हुआ अपने करीब खीच कर कहता है.....इस घर में रहना है तो काम करना पड़ेगा,,
अभीक के इस रवइये से वामिका के आंखो के आगे,एक पुरानी याद उभर आती है,,जिसमे एक लड़का वामिका का हाथ ऐसे ही मोड़ कर उसे तकलीफ पहुंचता था,
ये घटना याद आते ही वामिका कांपने लगती है,और उसके आंखो में आंसू भर जाते है...
क्या हुआ तुम्हे,,, वामिका,, वामिका..... अभीक वामिका की हालत देख चिल्लाता रहता है,,और वामिका का हाथ छोड़ देता है,,
हाथ छूटते ही वामिका अभीक को धक्का देती है और चिल्ला कर कहती है....मेरे पास मत आना,,,और दौड़ कर अपने कमरे की ओर भाग जाती है,, कमरे में जा कर दरवाजा लॉक कर लेती है।।
अभीक को कुछ समझ नही आता की उसने ऐसा भी क्या कर दिया की वामिका इस तरफ बिहेव करने लगी है,,,
वामिका के काफी देर तक नीचे ना आने पर अभीक परेशान हो जाता है,और एक कप कॉफ़ी बना कर वामिका के कमरे की तरफ बढ़ जाता है,,
वामिका,,,वामिका,,दरवाजा खोलो.... अभीक एक हाथ से दरवाजा खटखटाता है,
अभीक के कुछ देर तक दरवाजा खटखटाने पर वामिका दरवाजा खोल देती है,
अभीक वामिका के लाल आंखो मे देखते हुए पूछता है....यार तुम रो रही थी,,मैने ऐसा भी क्या कर दिया था,
वामिका बिना कुछ बोले अपने कमरे में वापस चली जाती है,, अभीक भी वामिका के पीछे पीछे अंदर चला जाता है....
वामिका बेड पर बैठ जाती है,और अभीक के लाए हुए कॉफी को उसके हाथ से ले कर पीने लगती है,,,,,
यार मुझे नही पता था की तुम इतना बुरा मान जाओगी..... अभीक वामिका के बगल में बैठ कर कहता है,,
तुम्हारी कोई गलती नही है,,मेरे उस बिहेवियर के लिए आई एम सॉरी,,कुछ एक साल पहले मेरे साथ एक बुरा घटना घटा था,,इसलिए मैने तुम्हे धक्का दिया,,,इन सब को भूल जाओ.....कहते हुए वामिका उठती है और पूछती है....लंच क्या करोगे,,मुझे कॉलेज भी जाना है,,इसलिए जल्दी बोलो,
कुछ भी नही आज मेरी लंच डेट है,,एक खूबसूरत लड़की के साथ,,इसलिए तुम्हारी आज छूटी है जाओ ऐश करो ऐश..... अभीक बेड से उठ कर दरवाजे के पास जाते हुए कहता है,और नीचे चला जाता है,
वामिका भी जल्दी से तैयार अपने कपड़े में से धोने के बाद जो सुख गया होता है,उससे पहन लेती है,और नीचे हॉल में जा कर अपना सैंडल पहने लगती है।
अभीक भी अपने कमरे से तैयार हो कर निकल रहा होता है,तो उसकी नजर नीचे झुकी वामिका पर पड़ती है,,जिसने एक टाईट जींस के साथ एक शॉर्ट टॉप पहनी होती है,जिसमे से वामिका का पतला गोरा कमर दिख रहा होता है,,
वामिका को देख कर अभीक की खासी फिर शुरू हो जाती है,,खांसने की आवाज से वामिका भी उस और देखती है,,,सफेद रंग के टीशर्ट के ऊपर हल्के नीले रंग का कोट और ब्लैक कार्गो पैंट्स में अभीक को वामिका देखती रह जाती है।
अभीक वामिका को खुद की और निहारते हुए कहता है.....ये क्या पहन लिया है तुमने?
एक्सक्यूज मी आप जरा बताने कष्ट करेंगे की आप होते कौन है मेरे कपड़ो पर सवाल करने वाला....वामिका आंखे बड़ी करते हुए कहती है।।
देखो तुम्हे पहना है तो पहनो पर मेरे सामने ऐसा ड्रेस मत पहनना समझी.... अभीक वामिका के पास खड़ा होता हुआ कहता है,
मैं तो पहनूगी,,जो करना है कर लो.....वामिका गुस्से में बोलती है,
तुम समझ क्यो नही रही..... अभीक वामिका को आंख दिखाते हुए कहता है,
क्या,,क्या,,क्या समझना है मुझे हां....और मेरे पास सब ऐसे ही ड्रेस है,,और मै यही पहनुगी....वामिका एक उंगली दिखाते हुए कहती है,और मुड़ कर जाने लगती है,
अभीक वामिका के पीछे मुड़ने पर अपना हाथ वामिका के कमर पर रख कर अपनी तरफ खींचता है,जिससे वामिका का पीठ अभीक के सीने से लग जाता है,तब अभीक अपना चेहरा वामिका के कान के पास ले जाकर कहता है....ठीक है पहनो ऐसे ही कपड़े,पर मैने अगर खुद पर से कंट्रोल खो दिया तो,और,तुम्हारे साथ मैने कुछ,,आगे तो तुम खुद ही समझदार हो,तो उसका जिम्मेदार मुझे मत ठहराना....इतना कह कर अभीक वामिका के बालों को हटा कर उसके गर्दन पर एक किस करता है और वामिका का कमर छोड़ बाहर निकल जाता है,
वामिका उसी पोजीसन में खड़ी की खड़ी रह जाती है और अभीक की बातों और किस के एहसास से शरमा जाती है,,कुछ देर शर्माने के बाद खुद में ही बड़बड़ाती है...उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे किस करने की,,मना की मै हॉट हूं,पर इसका मतलब ये तो नही है की वो मुझे किस कर सकता है.....कहते हुए ही वामिका बाहर निकल जाती है और गेट को लॉक कर चाभी अपने पर्स में रख लेती है,,
शाम को जब अभीक घर लौटा है तो गेट बंद होता है,,और चाभी वामिका के पास होता है,,अब उसे समझ नही आता की वो क्या करे क्योंकि उसके पास ना तो चाभी था और ना ही वामिका का नंबर,,इसलिए उसे मजबूरी में घर के सीढ़ियों पर बैठ कर वामिका का वेट करना पड़ता है,,लगभग तीन घंटे इंतजार के बाद वामिका धीरे धीरे चलते हुए घर की सीढ़ियों के पास आकर खड़ी हो जाती है,और कहती है....अबे ओ घोचू यहां क्यों बैठे हो?
अभीक अपना सिर उठा कर वामिका की और आंखो में गुस्सा लिए देखता है,,वामिका भी अभीक के गुस्से को अच्छे से भाप सकती थी,,फिर भी उसने कहा... हटो ज्यादा नाटक मत करो वैसे भी जो तुमने सुबह किया था ना उसके लिय तुम्हे इससे भी बुरा सजा मिलनी चाहिए,,,
गेट खोलो,.... अभीक इतना बोल कर सीढ़ियों से उठ कर गेट के पास खड़ा हो जाता है,
वामिका अभीक को घूरते हुए गेट खोल देती है और और दोनो ही अंदर चले जाते है,,अंदर जा कर वामिका अपने बैग को सोफे पर रख कर वही पसर कर बैठ जाती है,और अभीक सीधे अपने कमरे में चला जाता है,,
और कमरे से ही आवाज लगा कर कहता है..... मेरे लिए डिनर में फ्रूट सलाद बना दो और हां स्ट्रॉबेरी मत डालना,,समझी,,
वामिका सोफे से पैर पटकते हुए उठती है और रोनी सी सूरत बना कर किचन में जा कर अपने कमर पर हाथ रख कर खड़ी हो जाती है,
क्या comments में आप सब बताओगे की आपको ये कहनी कैसी लग रही है,,,और मेरी इस कहनी में क्या क्या गलतियां है
तुम्हे फ्रूट सलाद खानी है ना,,अभी खिलाती हूं....कहते हुए वामिका सभी फलों में से काट कर एक बाउल में रख लेती है,,,तभी उसकी नजर फ्रिज में रखे स्ट्रॉबेरी पर पड़ती है,वामिका फ्रिज से स्ट्रेबरी निकल लेती है और,खुद में ही बड़बड़ाती है....तुम्हे स्ट्रॉबेरी से एलर्जी है,ना पर एक दो स्ट्रॉबेरी से क्या हो जाएगा.... कहते हुए ही वामिका दो से तीन स्ट्रॉबेरी के छोटे छोटे पिस कट कर फ्रूट सलाद में डाल कर अभीक को खाने के लिय बुलाती है,,
वामिका अभीक को बाउल दे कर खुद अपने कमरे में चली जाती है,और कपड़े चेज कर अपना फोन चलाने लगती है,तभी उसे गिलास गिरने की आवाज आती है, और उससे अभीक के सलाद में स्ट्रॉबेरी मिलाने वाली बात याद आ जाती है,जिससे वो घबरा कर नीचे की ओर भागती है,,नीचे पहुंच कर वामिका देखती है...
अभीक अपने गले पर हाथ रखे नीचे फर्श पर झुका हुआ है,,
वामिका अभीक की और दौड़ के जाती है और उससे पूछती है....क्या होता है जब तुम स्ट्रॉबेरी खाते हो?
अभीक सांस लेने की कोशिश करते हुए कहता है...सांस,,,सांस नही आती,,
वामिका को लगता है की उसने अभीक को मौत के मुंह में धकेल दिया है,,इसलिए वो रोने लगती है,,और रोते हुए ही वो एंबुलेंस को फोन कर देती है,
कुछ ही देर में एंबुलेंस उनके घर के सामने खड़ा हो जाता है,,और दो लड़के घर के अन्दर आ कर अभीक को हॉस्पिटल ले जाते है,, अभीक तब तक बेहोश भी हो चुका होता है,,वामिका भी एंबुलेंस में बैठ कर हॉस्पिटल तक जाती है और लगातार रोटी रहती है,
हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ देर बाद डॉक्टरों के देखरेख में अभीक को होश आ जाता है....
वामिका वही अभीक के पास बैठी होती है,और डॉक्टर वही नर्स को कुछ बता रहा होता है...
मिस्टर अभीक आपको होश आ गया,अब कैसा फील हो रहा है,,क्या सांस लेने में अब भी तकलीफ हो रही है.....डॉक्टर अभीक को होश में आता देख कर कहता है,,
वामिका ने रो रो कर अपनी आंखे ही सुझा ली थी जिससे देख कर अभीक हंसता हुआ कहता है....मै अब ठीक हूं डॉक्टर,,,पर इसे क्या हुआ है?
यू अर वेरी लकी मिस्टर अभीक,,आपको नही पता जब से आपको यह लाया गया है तब से आपकी गर्लफ्रेंड रोई जा रही है,,आप से बहुत प्यार करती है.....डॉक्टर कभी अभीक तो कभी वामिका की और देख कर कहता है,
गर्लफ्रेंड नहीं है ये मेरी,गले में पड़ी हुई ढोल है...कहते हुए अभीक वामिका की और देखता है.
इसमें रोने की क्या बात थी,,इससे मै मर थोड़ी जाता,,और तुम्हारी कृपया से ही मै यहां तक पहुंचा हूं....
मरने की बात सुन कर वामिका और ज्यादा रोने लगती है,,जिससे देख कर अभीक उसके हाथो को पकड़ कर कहता है.... आई एम सॉरी मैंने तुम्हे डरा दिया,,,
वामिका अभीक की और देखती है और उसके सीने पर सिर रख कर कहती है....नही मुझे माफ कर दो,,मैने जान बूझ कर तुम्हे स्ट्रॉबेरी खिलाया था,,और उसकी वजह से ही तुम्हे ये सब भुगतना पड़ा,,मै सच कह रही हूं,मैने कभी नही सोचा था की तुम्हे इससे इतनी तकलीफ हो सकती है,,
अभीक वामिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है.....तुम अब रोना बंद करो,,,और तुम्ही ने तो कहा था की तुम्हारा नाम वामिका है,,और तुम किसी से नहीं डरती,,और आज मेरी एलर्जी से डर गई,,
वामिका अभीक के सीने से उठ कर उससे घूरते हुए मुस्कुरा देती है,
पास में खड़ी नर्स उनकी सारी बातें सुन रही होती है और अभीक की फैन भी होती है इसलिए उसके मन में वामिका के लिए ये सोच कर नफरत भर जाती है की,...इसकी वजह से मेरे अभीक को हॉस्पिटल आना पड़ा,,इससे तो मैं सोशल मीडिया पर डालूंगी,,और उस लड़की को सबक सिखाऊंगी,,,इतना सोच कर वो नर्स चुपके से वामिका की तस्वीर अपने फोन कर खीच के लेती है।।।
पार्ट 7