कुछ मुलाक़ातें तक़दीर नहीं लातीं... वो क़ैद लाती हैं। जब सिया वर्मा ने यूनिवर्सिटी में पहली बार कदम रखा, वो सिर्फ एक मासूम, होशियार छात्रा थी — सपनों से भरी हुई। उसे नहीं पता था कि उसी पल उसकी जिंदगी पर एक ऐसी नजर पड़ चुकी है जो मोहब्ब... कुछ मुलाक़ातें तक़दीर नहीं लातीं... वो क़ैद लाती हैं। जब सिया वर्मा ने यूनिवर्सिटी में पहली बार कदम रखा, वो सिर्फ एक मासूम, होशियार छात्रा थी — सपनों से भरी हुई। उसे नहीं पता था कि उसी पल उसकी जिंदगी पर एक ऐसी नजर पड़ चुकी है जो मोहब्बत नहीं करती, हक जताती है। आर्यन मल्होत्रा — शहर का सबसे रहस्यमयी और खतरनाक माफ़िया वारिस, जिसने सिया को देखा नहीं, उसे चुन लिया। बिना कोई सवाल, बिना इजाज़त, बिना पहचान... अब हर कदम पर कोई है जो उसकी हर सांस पर नज़र रखे हुए है। और सिया? उसे बस इतना महसूस होता है — जैसे कोई अजनबी परछाईं उसकी अपनी बनती जा रही है। ये कहानी मोहब्बत की नहीं, एक पागलपन की हद तक पहुँच चुके हक़ की है।
Page 1 of 2
Siya जैसे ही स्टेज से नीचे उतरी, तालियों की गूंज उसके कानों में बस शोर बनकर रह गई थी। Award उसके हाथ में था, चेहरे पर मुस्कान भी थी… लेकिन दिल के अंदर कुछ और ही चल रहा था।
किसी कोने से किसी की नज़रें उसे छू रही थीं। परफॉर्मेंस के दौरान, उसके डांस की हर हरकत के साथ जैसे कोई अजनबी उसकी सांसें गिन रहा था।
उसने कोशिश की कि सबकुछ normal लगे — लेकिन कुछ तो था… जो अंदर तक सिहरन छोड़ गया था।
Award ceremony खत्म होते ही Siya जल्दी से backstage की ओर बढ़ी। लोगों की भीड़ से निकलकर उसने dressing room में कदम रखा और झट से दरवाज़ा बंद कर दिया।
ठक!
कमरा अब शांत था। बस उसकी तेज़ होती धड़कनों की आवाज़ बाकी थी।
उसने खुद को शीशे में देखा। Backless black gown में उसकी कमर और पीठ पूरी तरह खुली थी। बाल खुले हुए थे, आँखों में हल्की सी थकान थी — और बेचैनी भी।
Click.
अचानक, light चली गई।
Siya का हाथ रुक गया।
“Ugh… not now,” उसने फोन की ओर बढ़ते हुए कहा, लेकिन —
टप्प… टप्प…
कमरे में किसी के जूतों की धीमी, भारी आवाज़ गूंजी।
उसका शरीर ठहर गया। दिल एक पल को जैसे बंद हो गया हो।
“क-कौन है?” Siya की आवाज़ फटी हुई थी।
कोई जवाब नहीं आया।
उसने जल्दी से मोबाइल उठाया — network gone.
और फिर —
किसी ने बहुत धीरे से उसके बालों को पीछे किया।
उसका पूरा शरीर सिहर उठा। वो हिल भी नहीं पाई।
और उसी क्षण — उसकी खुली पीठ पर किसी के होठों की गर्म, गहरी छुअन पड़ी।
एक लंबा, रुकता हुआ kiss।
ना चाहत का, ना इजाज़त का… बस सनक का।
“Aaah…!” Siya एक झटका खाकर आगे बढ़ी, लेकिन तभी एक मजबूत बाँह ने उसे पीछे से कसकर पकड़ लिया।
“Aise kapde dobara mat पहनना.”
आवाज़ ठंडी थी। किसी शिकारी की तरह धीमी, भारी, लेकिन जानलेवा।
Siya की साँसे अटक गईं।
“Who… who are you?” उसकी आँखें डर से भरने लगीं।
“Ajnabi.”
फिर एक सन्नाटा।
“Aur kisi भी लड़के से बात करने से पहले soch lena.”
“Are you mad?! Let me go!” Siya ने जोर लगाया, लेकिन उसकी पकड़ — जैसे लोहे की बेड़ियाँ।
Aryan ने Siya की ठुड्डी को थामकर उसका चेहरा अपनी तरफ मोड़ा।
Siya उसे ठीक से नहीं देख पाई — लेकिन उसकी साँसें उसकी त्वचा से टकरा रही थीं।
“Main jo chahta hoon, le leta hoon.”
उसके लहज़े में न मोहब्बत थी, न हक़… सिर्फ पागलपन।
Siya के आँसू अब गिरने लगे थे।
उसके हाथ कांप रहे थे। टाँगों में जान नहीं थी। उसने खुद को छुड़ाने की आखिरी कोशिश की — लेकिन बेकार।
“Please…” वो बुदबुदाई।
“Aaj sirf warn कर रहा हूँ.
Agli baar chhodunga नहीं.”
Aryan उसके कान के पास झुकते हुए बोला,
“Tum meri ho… aur rahoogi.”
Siya की चीख उसकी रूह के अंदर ही दब गई।
वो उसे ज़मीन पर गिरा सकता था, तोड़ सकता था, लेकिन उसने बस उसका डर चखा — और छोड़ दिया।
और जैसे आया था — वो गायब हो गया।
एक सेकंड के लिए Siya को लगा वो सपना था।
तभी Light वापस आ गई।
कमरा दोबारा रोशनी में डूबा, पर Siya अंधेरे में ही फँसी हुई थी।
वो दीवार से टिक गई, धीरे-धीरे नीचे फिसली — और वहीं बैठ गई।
उसकी उँगलियाँ अब भी अपनी पीठ को टटोल रही थीं — जहां वो kiss पड़ा था।
चेहरा गीला था। होंठ सूखे थे। सांसें रुकी हुई थीं।
“वो कौन था…
और क्यों लगा जैसे मेरी पूरी ज़िंदगी अब उसकी पकड़ में आ गई हो?”
कॉलेज ऑडिटोरियम में भीड़ भरी थी। चारों तरफ़ शोर, लाइट्स, और स्टेज पर चलते performances का माहौल था। अचानक…
एक काली Mercedes आकर कॉलेज गेट के सामने रुकी।
कुछ ही सेकंड में कॉलेज के गार्ड्स किनारे हो गए, और भीड़ की बातें थमने लगीं। गाड़ी का दरवाज़ा खुला।
आर्यन मल्होत्रा।
काली शर्ट की फुल बाज़ू मोड़ी हुई थी, कलाई पर महंगी घड़ी, बाल सलीके से पीछे की ओर…
6 फ़ुट 1 इंच का तेज़, चौड़ी छाती, और एक ऐसी चाल जैसे पूरी ज़मीन उसके कदमों से डरी हुई हो।
जैसे ही उसने ऑडिटोरियम में कदम रखा —
लड़कियाँ रुक गईं।
किसी की रुमाल गिर गई, कोई सेल्फ़ी लेना भूल गई।
उसका एक लुक, और आधी लड़कियाँ पिघल गईं।
> “OMG… वो Aryan है ना?”
“इतना हॉट कोई रियल लाइफ में भी होता है क्या?”
“मुझे तो सीधा वो देख रहा था!”
लेकिन आर्यन को इन सब से फर्क नहीं पड़ता।
वो सीधा VIP सीट पर गया, बैठा, और अपनी निगाहें स्टेज की ओर टिका दीं।
कुछ performances हुए। आर्यन बोर हो चुका था।
वो उठने ही वाला था कि…
---
“Next performance… Siya Verma!”
स्टेज पर अचानक लाइट्स घूमीं, और वो आई।
सिया।
बैकलेस ड्रेस में, खुले बाल, एक हाथ में माइक…
चेहरा मासूम था, लेकिन चाल में अजीब आत्मविश्वास।
आर्यन का उठता शरीर वहीं रुक गया।
उसकी आँखें सिकुड़ गईं।
उँगलियाँ अब चेयर के आर्मरेस्ट पर कसने लगीं।
> “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसे कपड़े पहनने की, सिया?” — ये सवाल उसके ज़ेहन में खौलने लगा।
---
डांस शुरू हुआ।
म्यूज़िक की बीट पर उसका जिस्म हौले-हौले बह रहा था,
कभी बाल झटकती, कभी कमर लहराती —
वो अश्लील नहीं थी, लेकिन उसके हर मूव में वो मासूम जादू था जो किसी भी लड़के को बांध दे।
स्टेज के नीचे लड़कों की नज़रें ज़मीन छोड़ चुकी थीं।
आर्यन अब हर उस लड़के को गिन रहा था,
जो सिया को आँखों से पी रहा था।
---
डांस खत्म हुआ।
सिया नीचे उतरी — अपने दोस्तों की ओर।
हँसते हुए उसने एक लड़के को गले लगाया।
बस…
आर्यन की आँखें लाल हो गईं।
चेहरे पर कोई बदलाव नहीं, लेकिन सीने में कुछ फटने के कगार पर था।
---
कुछ मिनट बाद…
मंच पर अनाउंसमेंट हुआ —
“And the winner is… Siya Verma!”
ट्रॉफी देने आर्यन खुद स्टेज पर गया।
सिया ट्रॉफी लेने आई।
वो हल्का सा मुस्कुराई। लेकिन जैसे ही उसने ट्रॉफी थामी —
आर्यन ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।
एक सेकंड।
ना ज़्यादा देर, ना कम — लेकिन इतना कि सिया चौंक गई।
उसकी मुस्कान थोड़ी ढीली पड़ी।
पर उसने कुछ नहीं कहा — बस नज़रें फेर कर ड्रेसिंग रूम की ओर चली गई।
पीछे आर्यन की आँखें अब भी उसी पीठ को देख रही थीं…
> “तुम्हारी हँसी, तुम्हारा जिस्म… अब किसी और के लिए नहीं रहेगा।
अब हर चीज़ पर सिर्फ़ मेरा हक़ होगा, सिया। हर चीज़।” .......
I am new writer please guys comment dena or support Krna thank you for reading this
Mai aage acha likhne ka try krungi
koi galti ho to cmt pr batana
Siya ने सुबह खुद को बहुत समझाया था।
“जो हुआ वो बस एक पल की सनक थी… वो अब नहीं आएगा…”
आईने में खुद को देखती Siya आज कुछ अलग महसूस कर रही थी। चेहरे पर हल्का मेकअप था, बाल loosely बंधे थे, लेकिन आंखों में अब भी डर की परछाई थी।
“मुझे सब कुछ normal करना है…” उसने खुद को दोहराया।
कॉलेज पहुँची, तो सब कुछ सामान्य लग रहा था। दोस्त हँसी-मज़ाक कर रहे थे, कोई उसके डांस की तारीफ कर रहा था। Siya ने सिर झुकाकर सबका जवाब दिया, लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल बेकाबू धड़क रहा था।
हर passing नज़र उसे चुभ रही थी।
हर laugh किसी अनजानी आहट सी लग रही थी।
वो खुद को force कर रही थी normal दिखने के लिए…
लेकिन उसका डर वहीं आसपास मंडरा रहा था।
Lecture खत्म हुआ। Siya ने अपनी किताबें समेटीं और अकेले ही corridor की ओर चल पड़ी।
“सब ठीक है… बस अब घर जाऊंगी…”
पर तभी—
तेज़ ब्रेक की आवाज़ गूंजी।
एक काली SUV उसकी तरफ आकर जोर से रुकी।
दरवाज़ा खुला… और Siya की साँस थम गई।
Aryan.
वही चेहरा… वही ठंडा, खतरनाक चेहरा… जैसे आँखों से ही आग निकालता हो।
Aryan एक शब्द बोले बिना Siya की तरफ बढ़ा। Siya ने भागने की कोशिश की —
लेकिन तब तक वो दरवाज़ा खोल चुका था।
Aryan ने Siya को कलाई से पकड़कर सीधा गाड़ी में खींच लिया।
“छो… छोड़ो मुझे!” Siya चीखी, पर उसकी आवाज़ SUV के अंदर घुट गई।
दरवाज़ा बंद हो गया — बाहर की दुनिया अब गायब थी।
Aryan ने Siya को अपनी तरफ खींचा… और धीरे से उसे अपनी गोद में बिठा लिया।
Siya का पूरा शरीर कांप उठा।
“तुम… तुम पागल हो?” उसकी आवाज़ काँपती हुई निकली।
Aryan चुप रहा। उसकी आँखें Siya की आँखों में जमी थीं — जैसे वो उसे अंदर तक पढ़ रहा हो।
उसने Siya के चेहरे को धीरे से पकड़ा — अंगुलियाँ उसकी ठुड्डी पर।
कोई जल्दबाज़ी नहीं… कोई जबरदस्ती नहीं… बस एक खामोश क़ैद।
“Tum…” Aryan धीरे से बोला, उसकी आवाज़ में एक ठंडक थी जो Siya के रगों में उतर गई।
“Tum kuch अलग हो… शांत… मासूम…”
उसने धीरे से Siya के गाल पर अंगुलियाँ फिराईं।
“इतनी नर्म… इतनी साफ़… बिल्कुल मेरी डॉल जैसी।”
Siya का शरीर जम गया।
“मैं… मैं कोई डॉल नहीं हूं,” उसने काँपते हुए कहा, आँखों में आँसू भरते हुए।
Aryan का चेहरा उसके और करीब आया।
उसने Siya की साँसों को महसूस किया… उसकी कंपकंपाहट को।
और तभी — उसने Siya के गाल पर एक धीमा, गहरा kiss छोड़ा।
Siya काँप उठी।
उसके आँसू अब बहने लगे।
“Please… mujhe जाने दो…” वो फूट-फूटकर रोने लगी।
Aryan ने एक पल को उसकी सिसकियाँ देखीं —
फिर अपने हाथ से Siya की आँखों से आँसू पोछे।
“Itna रोती हो, meri doll?” उसने कहा, धीमे स्वर में।
“Par tum रोओगी तो main टूट जाऊँगा… aur agar kisi aur se muskuraayi… toh main उसे मार डालूँगा।”
Siya की सिसकियाँ और तेज़ हो गईं। उसका चेहरा Aryan की छाती से लग गया, जैसे अब उसे सांस लेना भी मुश्किल लग रहा हो।
Aryan ने बस उसे पकड़ रखा था —
ना पूरी तरह तोड़ रहा था, ना छोड़ रहा था।
कुछ पल बाद उसने SUV का दरवाज़ा खोला।
“उतर जाओ.” उसकी आवाज़ एकदम सीधी थी।
Siya चौंकी।
“तुम मुझे… जाने दे रहे हो?”
Aryan झुका, उसके कान के पास फुसफुसाया —
“आज छोड़ रहा हूँ… लेकिन अगली बार नहीं।
Tum meri डॉल हो —
सिर्फ मेरी।”
“Aur yaad रखना… kisi और लड़के से बात की, toh main उसका गला काट दूँगा.”
Siya लड़खड़ाते कदमों से नीचे उतरी। उसके पैरों में जान नहीं थी। आँसू अब भी रुक नहीं रहे थे।
SUV तेज़ी से सड़क पर आगे बढ़ गई — लेकिन Siya वहीं खड़ी रही,
भीड़ के बीच अकेली, खामोश, डरी हुई…
उसके कानों में अब भी वो शब्द गूंज रहे थे —
“Tum meri डॉल हो… सिर्फ मेरी।”
I hope mai sahi likh rhi hu
please comment kro....
Siya ने खुद को थोड़ा सम्भाल लिया था।
Aryan के उस दिन के बाद वो डरी ज़रूर थी… मगर कॉलेज में सबके सामने उसके साथ कुछ करना शायद मुश्किल होगा — ऐसा सोचकर वो थोड़ी शांत थी।
वो class में बैठती, नोट्स बनाती, बात कम करती — लेकिन मुस्कराने लगी थी।
उसे नहीं पता था कि कोई और उसकी मुस्कान पर निगाह रखे बैठा है।
---
Karan — बी.कॉम सेकंड ईयर का लड़का।
Smart था, decent था। Siya के डांस का फैन था।
एक दिन canteen में Siya अकेली बैठी थी जब वो सामने आया।
“Hi Siya… umm… tumhara performance कमाल का था,” उसने कहा।
Siya ने हल्की मुस्कान दी, “Thank you.”
Karan ने कुछ और बातें कीं, Siya polite थी लेकिन थोड़ी झिझक के साथ बात करती रही।
Karan हर दिन थोड़ा पास आता गया। Siya कभी ज़्यादा खुली नहीं, लेकिन बात करने से मना भी नहीं किया।
वो नहीं जानती थी — Aryan हर second जान रहा था।
---
3 दिन बाद —
College की canteen में Siya बैठी थी जब Karan हाथ में एक छोटा bouquet लेकर आया।
उसने घुटनों पर बैठकर कहा —
“Siya… I really like you. Will you go out with me sometime?”
पूरी canteen जैसे freeze हो गई।
Siya का चेहरा सुन्न पड़ गया।
उसने धीरे से कहा,
“I’m sorry… main interested nahi hoon…” और उठकर चली गई।
लेकिन एक कोने में, college gate के पास —
Aryan खड़ा था।
काले कपड़े, sunglasses, हाथ में phone — पर आँखें सीधी Siya पर।
वो कुछ नहीं बोला।
बस देखा… और चला गया।
---
अगले दिन — Karan कॉलेज नहीं आया।
कोई सोचता कि बीमार होगा, कोई कहता bunk किया होगा।
लेकिन फिर एक दिन, दो दिन, तीन दिन… और फिर पूरे हफ्ते तक कोई उसका पता नहीं लगा सका।
उसका phone unreachable था।
माँ-बाप ने पुलिस में complaint दी — लेकिन सिर्फ उसकी बाइक college gate से कुछ दूर मिली।
Bag पास की नाली में फेंका गया था।
Siya ने जब सुना — उसका दिल धड़कना बंद हो गया।
उसने खुद से कहा —
“ये coincidence होगा… please God… ये coincidence हो…”
लेकिन एक दिन corridor में एक लड़की ने Siya से कहा —
“Kya tum uske close thi? Karan toh tumse hi baat karta tha na…?”
Siya ने झूठ कहा, “Nahi… main toh बस जानती thi.”
लेकिन उसकी आँखें झूठ नहीं बोल रही थीं।
---
उस रात Siya अपने कमरे में चुपचाप बैठी रही।
उसके फोन की screen बार-बार light हो रही थी।
Unknown number से एक message आया —
> “Aankhon se haath nahi चलाना chahiye…”
— A.
उसने message delete किया… लेकिन कांपती उंगलियाँ उसे betray कर चुकी थीं।
---
College में अब सब whisper करने लगे थे —
“Karan missing hai…”
“Police bhi कुछ नहीं कर पा रही…”
“Kisi ne usse last Siya ke साथ देखा था…”
Aryan ने अब तक एक शब्द नहीं कहा था —
लेकिन Siya जानती थी…
उसकी खामोशी से ज़्यादा खतरनाक कुछ !!!
please rating do padhkar ignore mat kro yrr kitni muskil se likhna padta h har ek part
follow or rating do
रात के 2:12 बजे थे।
पूरे गर्ल्स हॉस्टल में गहरी नींद का सन्नाटा पसरा था। बस बाहर कहीं दूर कुत्ते भौंकने की आवाज़ें आ रही थीं।
लेकिन Siya की आंखों में नींद नहीं थी… बस डर था।
वो चादर ओढ़े बिस्तर पर सिकुड़कर पड़ी थी। कमरे की लाइट बंद थी।
दिल की धड़कन तेज़ थी।
मन में बस एक ही डर…
"क्या Aryan कुछ कर सकता है…? Karan सच में उसके पीछे गायब हुआ है…?"
तभी अचानक—
"CLIKKK..."
कमरे की दरवाज़े की कुंडी खुद-ब-खुद खुली। Siya की सांस अटक गई।
वो बिस्तर पर सीधी हो गई, काँपती हुई।
दरवाज़ा हल्के से चिरचिराया… और धीरे-धीरे खुल गया।
कमरे में घुप अंधेरा था… मगर Siya की धड़कन बता रही थी —
"वो अंदर है…"
और फिर—
वो उसकी आँखों के सामने आ गया।
Aryan।
Black hoodie में, नीली आँखों में पागलपन, होंठों पर एक अजीब-सी ठंडी मुस्कान।
Siya ने जैसे ही उठने की कोशिश की, Aryan ने दरवाज़ा बंद किया और लॉक कर दिया।
> "Itni raat ko akeli ho Siya... darr nahi lagta?"
> Siya काँपती आवाज़ में बोली — “Tum... yahan... hostel... kaise—?”
Aryan धीरे-धीरे चलता हुआ उसके पास आया।
उसने Siya की ठुड्डी पकड़ी और उसे अंधेरे में अपनी आँखों से बाँध लिया।
> “Main har jagah aa sakta hoon Siya... jahan meri चीज़ रहती है।”
Siya ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन Aryan ने उसे ज़ोर से अपने सीने से भींच लिया।
Siya का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
> “Aryan... please… mujhe chor do… main kuch nahi kiya…”
Aryan ने कुछ नहीं कहा।
वो बस उसे देखता रहा। और फिर, धीरे-धीरे झुक गया। Siya की गर्दन के पास से साँसें लेने लगा।
Siya सिहर गई। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
> “Tum... pagal ho gaye ho…” वो रो पड़ी।
Aryan की पकड़ और कस गई।
> “Pagal ho gaya hoon… Haan. Tumhare liye. Tumhari मुस्कान के लिए... tumhare डर के लिए भी.”
और तभी—
उसने Siya की गर्दन के पीछे एक लंबा, गहरा kiss किया।
धीरे-धीरे… जला देने वाली गर्म साँसों के साथ।
Siya काँपी। उसने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की।
लेकिन Aryan अब उसकी कमर को पकड़ चुका था।
> “Ab tum sirf meri ho… har तरह se…”
Aryan ने फिर से उसकी गर्दन को चूमा। इस बार थोड़ी ज़्यादा पकड़ के साथ।
Siya की आँखें भर आईं —
वो चीखना चाहती थी, भागना चाहती थी — लेकिन डर ने जैसे उसे जकड़ रखा था।
Aryan अब उसके चेहरे के बेहद करीब था।
उसने Siya की आँखों को देखा — जो गीली थीं, टूटी हुई थीं।
और फिर उसने Siya के माथे पर एक लंबा, गहरा forehead kiss किया…
धीरे से… जैसे कि उसकी टूटती सांसों को कैद कर लेना चाहता हो।
> “Kisi aur ne tumse contact kiya… toh main duniya se uska नाम मिटा दूंगा.”
> “Aur tum agar mujhe chodke bhaagne ki sochi bhi… toh main tumhe zinda gaad dunga... aur tumhare saath खुद को भी।”
उसके शब्दों ने Siya की रूह तक को हिला दिया।
---
👀👀👀👀
रात के 2:17 बजे। हॉस्टल के हर कमरे में अंधेरा और नींद का सन्नाटा था… मगर Siya की नींद आज भी कोसों दूर थी।
कमरे की खिड़की से हल्की हवा अंदर आ रही थी, पर Siya के सीने में एक अजीब बोझ था।
तीन दिन से उसने किसी से बात नहीं की। न क्लास गई, न हॉस्टल से बाहर निकली। Karan की अचानक ग़ायब होने की खबर ने उसे अंदर तक डरा दिया था। अब Rahul तक उससे मिलने आया था, और Aryan… वो अब भी दिमाग़ में एक साया बनकर घूम रहा था।
Siya चुपचाप लेटी थी, रोते-रोते आँखें सूज चुकी थीं। उसकी उंगलियाँ उस मैसेज पर अटकी थीं जिसे Aryan ने भेजा था — "Still breathing? Bad girl."
उसने फोन साइड में रखा और तकिये में मुँह छुपा लिया।
लेकिन तभी…
“टक… टक…”
कमरे का दरवाज़ा धीमी आवाज़ से खुद-ब-खुद खुला। Siya ने एक झटके में करवट ली और चौंककर दरवाज़े की ओर देखा।
सामने जो खड़ा था… वो इंसान नहीं, उसका डर था।
Aryan.
काले कपड़ों में, चेहरे पर वही ठंडा गुस्सा और आंखों में वो पागलपन जो Siya को अंदर तक कंपा देता था।
“Tumhari punishment abhi baaki hai, doll…”
उसने दरवाज़ा बंद किया। और एक क्लिक – लॉक हो गया।
Siya का कंठ सूख गया। उसकी आवाज़ काँप गई —
“Aryan… please… yeh galat hai… mujhe—”
Aryan ने एक भी शब्द नहीं सुना।
वो सीधा Siya के पास आया और उसे बालों से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया।
“Galat? Galat toh tum thi, jab Rahul ko smile दी… jab usne तुम्हें छुआ…”
उसकी आँखें पागलपन से जल रही थीं।
“Ek baar bol diya na Siya… tum sirf meri ho… aur agar kisi aur ne tumhari तरफ देखा भी, toh usकी आँखें निकाल लूंगा.”
Siya रो पड़ी —
“Mujhe dar lagta hai tumse…”
Aryan ने उसके आँसू पोंछे… फिर धीरे से बोला —
“Accha hai. Mohabbat yaad रहने के लिए dar bhi zaroori hota hai.”
और उस वक़्त उसने Siya का चेहरा पकड़ा… और अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया।
नर्मी की कोई गुंजाइश नहीं थी।
ये प्यार नहीं था। ये सज़ा थी।
Siya की आँखें फैल गईं। वो छटपटाई, धक्का दिया — मगर Aryan ने उसकी कमर को कसकर पकड़ रखा था।
उसके होंठों पर दांत गड़ाता गया, जैसे अपनी हक़ की मुहर लगा रहा हो। Siya का शरीर हिलता रहा, पर Aryan की पकड़ ढीली नहीं हुई।
1 मिनट…
3 मिनट…
Siya का दम घुटने लगा।
5 मिनट… आँखों से आंसू बहने लगे।
7 मिनट… होंठ सुन्न होने लगे।
10 मिनट… शरीर की ताकत जवाब देने लगी।
Aryan अब भी रुका नहीं था। उसके अंदर किसी तड़प की आग जल रही थी… Siya को सज़ा देने की, उसकी साँसें छीनने की।
14 मिनट… Siya का गला सूख चुका था, हाथ ढीले पड़ने लगे थे।
17 मिनट… होंठों से हल्का खून रिसने लगा।
और 20वें मिनट में…
Aryan ने धीरे-धीरे अपने होठों को Siya से अलग किया।
Siya अब भी उसकी बाहों में थी — बिल्कुल बेबस, काँपती हुई। उसकी साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं। होंठों से खून टपक रहा था। चेहरा सफेद पड़ चुका था… जैसे ज़िंदा होकर भी मर चुकी हो।
Aryan ने Siya की ठोड़ी पकड़कर उसे ऊपर देखा…
“Dekha? Tumhe hurt karne ka matlab kya hota hai?”
Siya की आँखों से सिर्फ आँसू बहे… कोई आवाज़ नहीं निकली।
"Tum meri ho, Siya… aur meri cheez pe kisi aur ka haq nahi. Agar fir kabhi kisi aur se baat की… toh uski zubaan काट दूँगा, samjhi?"
Aryan ने Siya के माथे पर एक ठंडा, लंबा kiss दिया — जैसे एक शिकारी अपने शिकार को छूता है… प्यार से, मगर जीत की सनक के साथ।
उसने Siya को धीरे से बेड पर लिटाया, कम्बल ओढ़ाया, और फुसफुसाया —
“Ab so jao doll… agli saza ke liye taakat chahiye tumhe.”
वो चला गया।
कमरे में फिर अंधेरा था। Siya बिस्तर पर चुपचाप लेटी थी, खून से सने होठों के साथ, काँपती हुई।
और पहली बार, उसे लगा…
वो सच में किसी की कैद में है — ऐसी कैद जहाँ दरवाज़े नहीं, सासें तोड़ दी जाती हैं।
---
अगली सुबह Siya के चेहरे पर रात का डर अब भी जिंदा था।
वो धीरे-धीरे तैयार हुई, चेहरा ढककर कॉलेज पहुंची…
लेकिन उसके हर कदम में हिचक थी, उसकी आँखें हर तरफ किसी साये को ढूंढ रही थीं।
कॉरिडोर में लड़के अब भी usual बातें कर रहे थे, लेकिन Siya किसी से भी नजरें नहीं मिला रही थी।
पहले जो लड़की सबके साथ हँसती थी, आज वो अपने ही साए से डर रही थी।
"Siya!"
पीछे से उसकी दोस्त Tanya दौड़ी आई।
“Kahan thi tu teen din se? Teri shakal kya हो गई है…”
Siya ने एक हल्की सी मुस्कान देने की कोशिश की, पर Tanya समझ चुकी थी — कुछ बहुत बड़ा हुआ है।
“Tu class ke baad mere साथ चल… kahin बाहर… please?” Tanya ने मजबूरी में कहा।
Siya बस चुपचाप सिर हिलाकर आगे बढ़ गई।
---
कुछ घंटों बाद – कॉलेज कैंटीन के बाहर, पास के ढाबे पर
Tanya Siya को अपनी स्कूटी पर लेकर पास के एक छोटे मगर साफ ढाबे में लाई।
वहीं Siya की favourite dish – Kadhi Chawal aur Aam ka achaar पहले से ऑर्डर कर रखा था।
“Dekh… kuch nahi poochungi jab tak tu खुद ना बताना चाहे… बस kha le.” Tanya ने प्यार से कहा।
Siya ने पहली बार शांत होकर प्लेट देखी… और फिर पहली बार खाना खाते वक़्त उसकी आँखों में पानी नहीं था।
खाते-खाते जब थाली का आखिरी कौर लिया… तो Siya ने लंबी सांस ली… और बोली…
"Mujhe usne hurt kiya Tanya… usne mujhe... zabardasti… punish kiya."
Tanya का हाथ रुक गया। “Kya?”
Siya के होंठ काँप गए… लेकिन वो चुप नहीं रही।
“Wo hostel aaya… raat ko… usne mujhe mere sath jabardasti…” Siya की आवाज़ रुक गई।
“Usne forcefully kiss kiya mujhe. Itna ki... meri saans ruki ja rahi thi… lips se khoon aa gaya Tanya…”
Tanya सन्न रह गई। उसकी आंखें भर आईं।
“Tu police ko kyun nahi batati Siya? Yeh pagal hai!”
Siya ने सिर झुका लिया — “Nahi keh sakti.. wo mafia h police bhi uske kadmo me hai tanya ..
Tanya ने Siya का हाथ कसकर पकड़ा।
“Tujhe kuch nahi hoga jab tak main zinda hoon… par ek baar muskura toh sahi… please.”
Siya ने आँसू पोंछे… और पहली बार — सच में एक प्यारी मुस्कान दी।
छोटी सी, मगर सच्ची।
---
उसी वक़्त – Aryan का फार्महाउस
Aryan अपने ऑफिस से लौटा था। कमरे की दीवार पर अब Siya की कई तस्वीरें थीं — क्लासरूम से, लाइब्रेरी से, गलियारों से।
पर आज… आज की तस्वीर ख़ास थी।
वो मुस्कान…
उस ढाबे पर Siya की पहली मुस्कान, खाने के बाद वाली।
Aryan के आदमी ने वो फोटो चुपचाप भेज दी थी। Aryan ने उसे प्रिंट कराया… और फिर उस तस्वीर को अपने bed की दीवार पर चिपका दिया।
एक नहीं… पूरी दीवार भर दी उस एक ही तस्वीर से।
उसने कुर्सी पर बैठकर दीवार को देखा… और होंठों पर पागल-सी मुस्कान आई।
“Kitni pyari lagti ho tum jab dar ke baad bhi muskurati ho, Doll…”
उसने बुदबुदाकर कहा।
“Par yeh hasi… sirf mere liye honi chahiye. Agar kisi aur ne dekhi… toh uski aankhen nikaal dunga.”
Aryan ने अपनी जेब से Siya का रुमाल निकाला — जो उसने पहले चुराया था।
उसने तस्वीर को देखा… और फुसफुसाया —
“Tum meri trophy ho Siya… meri obsession. Tumhare lips ka khoon… aur tumhari muskaan — dono mere paas हैं।”
उसकी आँखें तस्वीर पर जमी थीं, जैसे वो तस्वीर साँस ले रही हो।
---
कॉलेज खत्म होते ही Tanya ने Siya का हाथ खींचा।
“अब सीधे चल, कोई बहाना नहीं सुनूँगी। Farewell के लिए outfit अभी फाइनल करेंगे,” Tanya ने मुस्कुराते हुए कहा।
Siya धीरे-धीरे उसके साथ चलने लगी। मन में हल्का डर अब भी था, पर Tanya की मौजूदगी में उसे थोड़ा सुकून था।
---
5:05 PM – शॉपिंग मॉल, लेडीज़ सेक्शन
Tanya Siya को एक बड़े शोरूम में ले आई।
“चल, पहले कुछ सूट देख लेते हैं। तुझे वही पसंद आते हैं ना?”
Siya ने बिना कुछ बोले सिर हिलाया। Tanya ने कुछ pastel कलर के सूट उठाए — एक sky blue, एक peach और एक bottle green।
Siya ने ट्रायल रूम में जाकर तीनों try किए… लेकिन शीशे के सामने खड़ी खुद को देखती रही।
“ठीक हैं… लेकिन कुछ कमी है,” Siya ने खुद से कहा।
Tanya ने उसे बाहर आते देखा और बोली,
“Ab tujhe simple suit se kaam nahi चलेga. Chal western dekhein?”
Siya थोड़ा हँसी, “Nahi, mujhe western pasand nahi...”
“Toh phir kuch bold ethnic try kar… saree? Lehenga?”
Siya ने अनजाने में हां कर दी।
---
5:45 PM – Saree Section
Tanya ने एक bright yellow saree निकालकर Siya की तरफ बढ़ाई।
“Ye le! Sunshine wali vibe आएगी, tu toh fairy lagegi.”
Siya ने पहनकर देखा — अच्छी लग रही थी, पर दिल नहीं भरा।
फिर उसने एक dark maroon saree उठाई — classy और graceful… लेकिन कुछ missing था।
अचानक उसकी नज़र एक कोने में रखी black silk saree और blood red deep-cut blouse पर पड़ी।
Siya कुछ देर तक बस उसे देखती रही… जैसे कुछ उस साड़ी में खींच रहा हो।
Tanya ने मज़ाक किया,
“Arey oye... tujhe toh fire banne का mood है क्या?”
Siya ने धीमे से कहा,
“Mujhe woh try karनी है…”
Tanya का मुंह खुला का खुला रह गया।
“Oh my god, finally bold Siya is here!”
Siya ने साड़ी पहन कर जब बाहर कदम रखा, तो Tanya ने ताली बजाई,
“Tu toh literally kisi की jaan ले लेगी…”
Siya ने शीशे में खुद को देखा — पहली बार खुद को अलग नज़र से देखा। थोड़ी सी guilt, थोड़ी सी ताकत… जैसे वो किसी और की नहीं, खुद की भी नहीं रही।
---
6:15 PM – Amusement Park
Shopping के बाद Tanya उसे amusement park ले गई — झूले, popcorn, ice gola, हँसी और selfies।
Siya पहली बार दिल खोल कर हँसी… लेकिन उस मासूम हँसी पर भी कोई पहरा दे रहा था।
---
Aryan – दूसरी तरफ, एक अंधेरे कमरे में
Aryan की आँखों के सामने Siya की हर हरकत थी — shopping trial से लेकर amusement park तक, हर चीज़ वो live फुटेज में देख रहा था।
उसके हाथ में Siya की black saree वाली फोटो थी — उसने कैमरे से उसकी candid फोटो click करवा ली थी।
वो उस फोटो को देखता रहा… उंगलियों से उसकी साड़ी के किनारे को छूता, जैसे Siya खुद उसके सामने हो।
धीरे से बुदबुदाया:
> “Kapde try kar lo jitne karne hain Siya…”
“Ye black saree... perfect hai tumpe. Bilkul meri doll jaisi...”
“Abhi azaadi mil rahi hai, par zyada din nahi…”
“Jald... tum meri कैद में होगी। हमेशा के लिए।”
---
और तान्या ने शॉपिंग से लौटते वक्त बहुत मस्ती की थी, लेकिन अब जैसे दोनों ही अपने-अपने ख्यालों में गुम थीं।
सिया खिड़की के पास बैठी थी, बाल खुले हुए और चेहरे पर हल्का-सा तनाव।
कल फेयरवेल था… सबके लिए एक पार्टी, लेकिन सिया के लिए एक और डर का दिन।
आर्यन के अचानक से सामने आने, उसे अपने पास खींचने और वो डरावना possessiveness — सब कुछ अब तक उसके ज़हन में घूम रहा था।
"कल कुछ भी हो सकता है," उसने मन ही मन सोचा और अपने हाथ की कलाई को पकड़ा, जहाँ आर्यन की पकड़ का निशान अब भी हल्का दिख रहा था।
---
अगली सुबह
होस्टल के कमरे में हल्की हल्की धूप झाँक रही थी।
सिया अब भी mirror के सामने खड़ी अपनी साड़ी की matching earrings ढूंढ रही थी। उसके बालों का नीट बन (bun) तैयार हो चुका था — जिससे उसकी पतली गर्दन और पीठ का हिस्सा खुला रह गया था, लेकिन अंदाज़ में कोई boldness नहीं, सिर्फ एक सादगीभरा grace था।
तभी तान्या ने साड़ी पहनते हुए उसे देखा और एकदम से बोल पड़ी —
"हाए… अब समझ आया आर्यन तेरे पीछे क्यों पागल है!"
सिया ने हैरानी से उसे देखा, "क्या?"
"अरे देख खुद को! ये हल्का मेकअप, बन और ऊपर से ये ब्लैक सिल्क साड़ी का combination – तू आज literally show चुरा लेगी। अगर मैं लड़का होती तो अभी शादी कर लेती तुझसे!"
सिया थोड़ी शर्माई, पर हल्की हँसी आई।
"पागल है तू… और तू खुद भी कम नहीं लग रही आज। ये red saree और smoky eyes – heroine लग रही है पूरी!"
तान्या मुस्कराई:
"Heroine तो तू है यार। मैं तो बस extra scene में खड़ी दोस्त हूँ, जो main lead को बोलती है, ‘जा… आज तू सच में कमाल कर रही है!’"
दोनों हँसी में खो गईं।
सिया ने mirror में खुद को देखा — उसने ब्लैक सिल्क साड़ी को पूरी गरिमा से पहना था, blouse थोड़ा स्टाइलिश था लेकिन पूरे लुक में एक ठहराव, मासूमियत और अनजानी सी उदासी थी।
---
कॉलेज फेयरवेल वेन्यू – Entry
जैसे ही सिया और तान्या कॉलेज हॉल में दाखिल हुईं — चारों ओर जैसे सन्नाटा छा गया।
लड़के अपनी बातें अधूरी छोड़कर एकटक देख रहे थे।
लड़कियाँ अपनी साड़ियों की पल्लू ठीक करतीं, पर निगाहें बार-बार सिया पर आ टिकतीं।
"वो सिया है ना?"
"OMG, इतनी beautiful लग रही है आज!"
"भाई, उसकी आँखों में तो आग है… लेकिन चेहरा मासूम परी जैसा!"
किसी के हाथ से cold drink गिर गया, कोई अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ।
आज सिया की एंट्री ने कॉलेज का माहौल ही बदल दिया था।
पर सिया — वो बस मुस्करा रही थी हल्के से, लेकिन उसकी आँखें हर तरफ जैसे उसे ढूँढ रही थीं — आर्यन को।
---
और आर्यन?
वो अब तक नहीं आया था... लेकिन उसके आदमी वहाँ मौजूद थे — हर कोने में, हर crowd में कोई न कोई उसे live stream कर रहा था।
एक कमरे में बैठा आर्यन उस वीडियो को देखकर जैसे अपनी साँसे रोककर बैठा था।
उसने सामने स्क्रीन पर सिया की झलक देखी, पीठ खुली थी… गर्दन पर उसकी अपनी नज़रें अटक गईं।
उसकी उँगलियाँ धीरे से टेबल पर खटखटाईं…
"तैयार हो जाओ, Siya… आज की रात, मैं खुद आ रहा हूँ…"
---
hello guys please feedback or rating dena mat bole thank you for reading...
Farewell party अपने पूरे शबाब पर थी। हॉल लाइट्स से जगमगा रहा था। DJ romantic track बजा रहा था, और हर तरफ़ मुस्कराते चेहरों की भीड़ थी।
Siya corner में अपनी बेस्टफ्रेंड Tanya के साथ juice पी रही थी — black silk की साड़ी, बैकलेस ब्लाउज़, हल्का मेकअप, खुले बालों में गुलाब की तरह लग रही थी।
Tanya teasing mood में —
“Aryan agar tujhe aise देख ले न… सीधा उठाकर ले जाएगा, बिना रिसेप्शन के सीधा सुहागरात!”
Siya ने आँखें तरेरी — “Shut up, Tanya!”
और दोनों हँस दीं।
तभी एक लड़का आया — Aman.
Aman Tanya से बोला —
“Dance karein?”
Tanya Siya को देखकर मुस्कराई — “Main abhi आई!”
और चली गई।
अब Siya अकेली खड़ी थी… ग्लास में बचा हुआ juice घूमा रही थी।
और तभी आया दूसरा लड़का — Nikhil.
Smart दिखने की कोशिश करता हुआ, लेकिन नज़रों में गंदा इरादा।
Nikhil:
“Siya… seriously, आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो
हर कोई बस तुम्हें ही देख रहा है…”
Siya मुस्कराई नहीं।
“Kya chahiye, Nikhil?”
Nikhil हाथ बढ़ाता है —
“Ek dance… बस ek song. Tumhe dekhne ke liye line lagi है, mujhe toh mauka mil गया…”
Siya थोड़ी हिचकी… पर फिर चुपचाप हाथ दे दिया।
---
🔥 Dance Floor – Romantic beat चल रही होती है
Siya धीरे-धीरे dance कर रही थी, उसकी आँखें हल्के डर और हिचक से भरी थीं।
Nikhil उसका हाथ पकड़कर पास लाता है… और धीरे से उसकी कमर पर हाथ रख देता है।
Siya एक पल को सिहरती है — पर कुछ नहीं कहती।
लेकिन इस पूरे नज़ारे को देख रहा होता है कोई और...
---
😈 Aryan की entry – आग की तरह
Stage के पीछे एक shadow —
Black tuxedo, माथे की नसें फूली हुईं, आँखों में सिर्फ़ Siya।
Bodyguard भागता है —
“Sir… वो लड़का Siya के बहुत क़रीब है… कमर पर हाथ रखा है…”
Aryan की आँखें बुरी तरह सुर्ख़ हो चुकी थीं —
"Siya kisi aur ke haath mein...?"
"Toh ab waqt aa gaya है दिखाने का, ki वो किसकी है..."
---
🩸 Full madness mode ON
Light एकदम dim होती है —
DJ: “Next track — ‘Tum se hi…’”
सभी जोड़े थिरकते हैं… Siya धीरे-धीरे घूम रही है, जब—
एक गरजती आवाज़ पूरे हॉल में गूंजती है —
“HAATH हटा दूर रह उस से।
सभी ठहर जाते हैं। Siya के पैर थम जाते हैं।
Aryan आ चुका होता है — आग की तरह।
Siya काँपती हुई पलटती है — Aryan की आँखों में वही सनक।
Aryan— तेज़ी से पास आता है, Siya को पीछे करता है, और—
💥एक ज़ोरदार मुक्का Nikhil के मुँह पर।
Nikhil सीधा नीचे गिरता है, होंठ से खून।
Aryan चिल्लाता है:
"Kya samjha था तू अपने आप को?! Siya TERE जैसे की नहीं है!"
Siya:
“Aryan! What the hell is wrong with you?!”
Aryan Siya की तरफ घूमता है, आँखें पसीने से नम, पागलपने से भरीं —
“Wrong toh tab हुआ jab tumne uske haath ko मना नहीं किया Siya!”
“Mujhse सहन नहीं होता kisi aur का छूना bhi!”
Siya गुस्से में कांपती है —
“Tum hote कौन हो मुझसे ये कहने वाले?”
Aryan उसकी कलाई पकड़ता है, कसकर पास खींचता है —
“Main wahi hoon jiska naam सुनते ही log कांपते हैं… और jiski raato ki नींद तुम हो…”
और फिर —
Siya को एक झटके में अपनी कंधे पे उठा लेता है, सबके सामने।
पूरे हॉल में सन्नाटा। किसी की हिम्मत नहीं आँख उठाने की।
Aryan सबसे कहता है —
“Dekh lo sab… ये मेरी है. Ab koi नज़दीक आया, तो जिंदा नहीं बचेगा.”
उसके बाद बाहर लेके जाता है सिया पीछे से मार रही होती है छोड़ दो आर्यन please मगर आर्यन को जैसे कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था
---
सिया उसके कंधे पे मारते मारते जोर जोर से चिल्ला रही थी "तुम पागल हो गए हो क्या? छोड़ो!" Siya ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, पर Aryan की पकड़ और ज़्यादा मजबूत हो गई।
गाड़ी का दरवाज़ा खोला, Siya को ज़बरदस्ती अंदर धक्का दिया। Siya लड़खड़ाकर सीट पर गिरी।
“HELP!!” Siya चीखी, शीशा पीटने लगी, गाड़ी से निकलने की कोशिश की।
Aryan गाड़ी में घुसा, दरवाज़ा लॉक किया, और उसकी तरफ झुका।
“गला मत फाड़ो, डॉल…”
उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन डराने वाली।
“ये गाड़ी साउंडप्रूफ है। तुम चिल्लाओगी, और मुझे ही सुनाई देगा… बस।”
Siya ने उसका हाथ ज़ोर से पकड़ा और दांतों से काट लिया।
Aryan का चेहरा तमतमाया… लेकिन एक अजीब सी मुस्कान उसके होंठों पर आ गई।
उसने धीरे से वो हाथ अपनी आंखों के सामने लाया, जहाँ Siya ने काटा था… और वहीं एक धीमा, सनकी सा किस किया।
“चलो... छुआ तो सही।”
वो सरककर उसकी और पास आया, "अब ये दर्द भी मेरा होगा... और उसकी वजह भी।"
Siya उसके कोने में सिमट गई, कांपते हुए खुद को संभालने लगी।
Aryan ने गाड़ी स्टार्ट की और स्पीड में शहर से बाहर निकल गया।
---
Farmhouse Arrival – Aryan’s Obsession
कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े, अंधेरे, सुनसान से फार्महाउस के सामने रुकती है।
दरवाज़ा खुला और Aryan Siya को जबरन बाहर खींचता है। Siya खुद को छुड़ाने की आखिरी कोशिश करती है, पर Aryan उसकी कमर जकड़कर उसे सीधे अंदर खींच लेता है।
दरवाज़ा खोलकर उसने Siya को एक कमरे में धक्का दे दिया। Siya ज़मीन पर गिरती है।
Siya ने जैसे ही सिर उठाया... सन्न रह गई।
कमरे की हर दीवार पर उसी की तस्वीरें थीं — कुछ कॉलेज के functions से, कुछ candid, और कुछ अजीब angles से।
एक पूरी दीवार पर Siya का life-size फोटो चिपका था — ऊपर लिखा था:
> “MY DOLL”
उसकी सांसें तेज़ हो गईं।
“ये... ये सब क्या है...?” Siya बड़बड़ाई, कांपती आवाज़ में।
Aryan पीछे से धीमे कदमों से अंदर आया, उसकी ओर झुककर बोला —
“Tum meri हो... सिर्फ मेरी।” और हमेशा हमेशा के लिए मेरी रहोगी भगवान भी तुम्हे मुझसे अलग नहीं कर सकता खुद तुम भी नहीं।
फिर जोर जोर से हंसने लगा उसकी हंसी डरावनी थी जिसे सुनके सिया अन्दर तक कांप गई
फिर दरवाज़ा बाहर से बंद करके चला गया
---
Siya का टूटना...
Siya एक कोने में जाकर घुटनों में सिर छुपा के बैठ गई।
आँखों से आँसू बहते रहे, होंठ कांपते रहे।
वो बार-बार खुद से यही कहती रही,
"क्यों... क्यों मेरे साथ ये हो रहा है?"
क्यों भगवान क्यों क्या गलती थी मेरी जिसकी सजा मिल रही है
चारों तरफ बस उसकी अपनी ही तस्वीरें थीं,
उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
धीरे-धीरे वो वहीं बेड के कोने में, बैठकें रोती रही और थक के
नींद में चली गई।
---
क्या सिया टूट जाएगी या आर्यन बदलेगा
जानने के लिए पढ़ते रहे
so guys mai roj new chapter likhungi don't worry ese hi support kre I am new writer achi lge to follow or rating dena mat bhule
thank you 😚😚
दरवाज़ा खुला। Aryan अंदर आया, हाथ में स्टील की ट्रे थी — गरम खाना, एक पानी का गिलास, और उसके बीच में दो गोलियां चुपचाप पड़ी थीं।
कमरे में हल्की सी लाइट जल रही थी।
Siya वही ज़मीन पर कोने में बैठी थी — बस अब उसकी आँखें बंद थीं। शायद थककर सो गई थी... या फिर बस अपनी मौजूदगी से ही भागी हुई थी।
Aryan कुछ पल दरवाज़े पर खड़ा रहा।
उसकी नज़र Siya के काँपते कंधों पर पड़ी।
"Ro ke सोई हो, doll?" उसके लफ़्ज़ हवा में डूबे।
वो धीरे-धीरे पास गया, घुटनों के बल बैठा। Siya अब भी चुप थी, हल्की साँसें... और आंसुओं के निशान गालों पर सूखे हुए।
Aryan ने धीरे से उसके बाल पीछे किए — Siya हिली नहीं।
"Main bhookh सह सकता hoon, Siya... tumhari nahi।"
वो ट्रे ज़मीन पर रखकर उसके चेहरे के सामने गया।
"Yeh acting band karo... pata hai mujhe… सो नहीं रही हो तुम… मुझसे भाग रही हो…"
उसने Siya की ठुड्डी को हल्के से ऊँगलियों से ऊपर उठाया।
Siya की पलकें हल्की सी फड़कीं।
Aryan मुस्कराया — एक दर्दभरी, टूटी सी मुस्कान।
"Mujhe देखो." उसका लहजा अब सख़्त था।
Siya की पलकें खुलीं… वो डर गई… जैसे सपना टूट गया हो। वो फिर से खुद को पीछे खींचने लगी।
"Nahi… Aryan please…" उसकी आवाज़ फटी हुई थी।
Aryan ने एकदम से ट्रे की ओर हाथ बढ़ाया, और चम्मच में खाना लेकर Siya के पास लाया।
"Kha lo. Warna main zabardasti karunga. Aur tum jaanti ho main kaise karta hoon."
Siya की आँखें बड़ी हो गईं… वो कांपने लगी।
Aryan ने देखा… और उसकी आँखों में तड़प उतर आई।
"Itna dar lagta hai mujhse?" उसने खुद से सवाल किया।
फिर कुछ पल बाद, उसने Siya की कलाई थामी — धीरे से, लेकिन मज़बूती से। उसे अपने पास खींचा, बिल्कुल पास…
"Tum meri doll ho na?" उसने उसके कान में फुसफुसाया।
Siya ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके होंठ काँपे… आँखों से फिर आंसू गिरने लगे।
Aryan ने चम्मच Siya के होठों से लगाया… इस बार Siya ने नज़रें झुकाकर एक छोटा सा कौर ले लिया।
बस यही काफी था Aryan के लिए।
"Good girl…" उसने धीरे से कहा।
हर कौर के साथ Aryan उसे बस देखता रहा… जैसे हर निवाले से उसके अंदर की भुख मिट रही थी — पर प्यार की नहीं, पजेसन की।
आखिरी में, जब Siya ने धीरे से पानी पिया और दवा ली, Aryan ने ट्रे दूर रख दी।
फिर उसके सामने झुककर बोला…
"Tum ab bhi mujhe नहीं समझी Siya...
Main तुम्हारा ख्याल इसलिए नहीं रखता क्यूंकि तुम कमजोर हो…
Main रखता हूँ क्योंकि तुम मेरी हो... और मेरी चीज़ों को कोई तकलीफ़ नहीं दे सकता… यहाँ तक कि वो खुद भी नहीं।"
Siya की आँखें नम थीं… और Aryan उसके चेहरे के आँसू अपने अंगूठे से पोंछता है।
फिर वो उसके माथे पर एक लंबी, थकी हुई किस देता है… और बुदबुदाता है...
"Next time… mujhe ignore किया ना,
Toh main तुम्हें इतना प्यार करूँगा… कि खुद से भी डर जाओगी…"
वो उठता है, Siya के बाल सहेजता है… और धीरे से दरवाज़ा बंद कर निकल जाता है।
Siya अब फिर से अकेली है… पर दिल में Aryan की वो आखिरी बात गूंज रही है —
"Mujhse ignore किया... toh main tumhe tumse भी छीन लूंगा..."
---
कमरे में शांति थी, लेकिन वो सुकून वाली नहीं — बल्कि सांसें रोक देने वाली थी।
आर्यन उसे जबरदस्ती खाना खिलाकर चुपचाप जा चुका था… Siya ने राहत की सांस ली, पर दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था।
कुछ देर बाद दरवाज़े पर धीमी दस्तक हुई।
“टोक... टोक...”
वो सतर्क हो गई।
दरवाज़ा खुला — एक साधारण सी लड़की अंदर आई। सफेद यूनिफॉर्म, सिर झुका हुआ।
“मैम… ये बॉस ने भेजा है… पहन लीजिए।”
उसने एक प्यारा सा बैग बिस्तर पर रखा और चुपचाप चली गई।
Siya ने बैग खोला — अंदर एक हल्का गुलाबी सूट था। आरामदायक कपड़ा, नर्म दुपट्टा, और साथ में एक जोड़ी चूड़ियां।
उसने धीरे से कपड़े को छुआ
meri पसंद… सब कैसे पता है उसे?”
वो खुद से झुंझलाई।
“नहीं Siya… ये सब महसूस करने का वक्त नहीं। तुझे भागना है!”
वो जल्दी से बाथरूम गई, नहाकर बाहर आई और वही suit पहन लिया।
एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा… और खुद को पहचानने से डर गई।
"Aryan ki doll… bas yahi bacha hai ab tu?"
उसने सिर झटका और बोलो नहीं तू जल्दी हार नहीं मान सकती और फिर कमरे की जाँच करने लगी।
तभी उसकी नज़र अलमारी में मोटे सिल्क के परदों पर पड़ी।
“Hostel वाली trick… आज असली में काम आएगी।”
उसने जल्दी से परदे खींचे, जमीन पर फैलाए, और मजबूती से गांठें बनाने लगीं।
कुछ मिनटों में एक लंबी रस्सी तैयार थी।
उसने उसे खिड़की की ग्रिल से बांधा।
“बस ek baar neeche pahunch jaaun…”
Siya खिड़की से नीचे उतरने लगी — पर तभी…
"आह!"
उसका पैर फिसल गया, और वो ज़मीन पर गिर गई। टखने में ज़बरदस्त मोच आई।
आँखों में आंसू भर आए, लेकिन उसने होंठ दबाकर रोना रोक लिया।
“Uth Siya… uth!”
वो घिसटती हुई कमरे में लौटी, और एक परदे के पीछे छिप गई — खुद को दीवार से सटा लिया, साँस रोक ली।
---
कुछ ही पल बाद…
धड़ाम!!
दरवाज़ा ज़ोर से खुला।
Aryan अंदर आया — आँखें लाल, माथे की नसें उभरी हुईं।
उसकी नज़र सीधे खिड़की पर पड़ी — रस्सी अब भी लटक रही थी।
सिया जमीन पे गिरी हुई थी शायद मोच की वजह से भाग नहीं पाई
उसने बिना कुछ बोले फर्श देखा — एक दुपट्टा… और हल्के रगड़ के निशान।
और Siya!
घुटनों में चेहरा छिपाए, कांपती, दर्द से डरी हुई। उसकी आंखें ऊपर उठीं… और Aryan उसके सामने था।
Aryan धीरे से झुका। उसकी नज़र Siya के सूजे हुए टखने पर गई।
उसका चेहरा पलभर के लिए दर्द से कस गया।
"Tumne yeh theek nahi kiya."
"Main jitna pyar se baat karta hoon, tum utna hi gussa dilane ki koshish karti ho."
Aryan ने उसके गाल से बाल हटाए। Siya की आंखों से आंसू गिर पड़े।
उसने Siya की तरफ झुकते हुए फुसफुसाया:
“Tum bhool gayi na… doll…
Tujhe main duniya se chhupa sakta hoon,
Par tu mujhse nahi bhag nhi सकती…”
Aryan ने उसकी ठुड्डी पकड़कर चेहरा ऊपर किया।
"Ready for the punishment… doll?"
और उठाके कमरे में ले गया ।
kya punishment dega aryan siya ko janne ke liye padhte rhe
with me 😎
Aryan ushe uthake room me lata h “बैठो,”
आर्यन की आवाज़ में वही ठंडी सी सनक थी।
सीया सहमी हुई खड़ी रही।
चटाक!
आर्यन ने मेज़ पर रखा first add box उठाया और नीचे झुका।
उसने सीया का नाज़ुक सा टखना उठाया और सफेद कॉटन पट्टी से कस के बाँध दिया।
“आर्यन मत करो, प्लीज़… क्या कर रहे हो ये?”
सीया की आँखों से आँसू बहने लगे। उसकी घबराई साँसें हवा को काट रही थीं।
“Tumhe kabhi darr lagta hi nahi na, Siya? Toh chalo... ab lagna chahiye.”
आर्यन का चेहरा एकदम नज़दीक था। आँखें गहराई में डूबती हुईं... और दीवानगी से भरी हुईं।
सीया अब चल नहीं सकती थी।
आर्यन झुका... और उसे अपनी मज़बूत बाँहों में उठा लिया।
वो काँप रही थी, पर Aryan के चेहरे पर कोई रहम नहीं था।
सीधा चलते हुए, उसने एक पुराने से दरवाज़े की ओर बढ़ना शुरू किया —
दरवाज़े पर लिखा था:
🔒 "Dark Room — No Entry"
आर्यन ने दरवाज़ा खोला… अंदर हल्की सी सीलन, दीवारों पर गहराई, एक हल्का पीलापन और बहुत कम रोशनी। कोनों में रेंगते हुए तीन काले कीड़े।
सीया की रूह काँप गई।
“आर्यन… नहीं… प्लीज़… मैं डरती हूँ!”
उसने ज़ोर से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, पर आर्यन ने उसे फर्श पर रख दिया — कोने में — और बिना एक शब्द कहे पीछे हट गया।
“Yahi sahi hai tumhare liye. Tumhari saari nautanki ke liye ek silsila chahiye tha — ye usi ka start hai.”
दरवाज़ा बंद।
---
📹 Back in his cabin…
Aryan CCTV पर Siya को देखता रहा — डर से काँपती हुई, एकदम कोने में सिमटी, और उन कीड़ों को देखकर रोती हुई।
“Ab samjhegi… ab seekhegi. Mujhe majboor kisne kiya?”
उसकी आँखें सख्त थीं। लेकिन अचानक—
📞 Phone rings
“Sir urgent meeting in 20 minutes.”
Aryan थोड़ी झुंझलाहट से उठा, एक आखिरी बार स्क्रीन की ओर देखा और निकल गया।
---
⏳ 2 घंटे बाद…
Fingers अपने आप कांपने लगीं।
“Siya…”
Aryan की साँस रुकने लगी। उसे याद आया — वो उसे उस हालत में छोड़ गया था… बांधकर… कीड़ों के बीच… अंधेरे में।
“Shit… SHIT!”
वो उठा, coat फेंका और गाड़ी लेकर पागलों की तरह farmhouse की ओर भागा।
---
🚪Farmhouse – Room No. 3
दरवाज़ा खोला।
“Siya!!!”
वो चीखा।
सीया जमीन पर बेसुध पड़ी थी… होठ सूखे हुए… चेहरा सफ़ेद… आँखों के नीचे आंसुओं के सूखे निशान।
Aryan के दिल पर जैसे किसी ने हथौड़ा मारा हो।
"SIYA!"
उसने दौड़कर उसे उठाया, और अपने सीने से लगा लिया।
“I’m sorry... I’m so sorry…”
उसकी आँखें भर आईं। पहली बार Aryan ka दिल टूट रहा था… Siya ke टूटने से।
वो उसे गोद में उठाकर अपने कमरे में लाया, बिस्तर पर लिटाया।
---
🩺 Doctor aaya…
"Low BP, panic attack... Isse zyada stress hoga toh kuch bhi ho sakta hai."
Aryan चुप था। हाथ कांप रहे थे। Siya की उंगलियाँ अपने हाथों में लेकर बस देखता रहा।
"Tumhe sirf samjhana tha… maine itna…?"
उसका चेहरा गीला था।
Siya अब भी बेहोश थी… लेकिन Aryan पहली बार खुद से डर रहा था।
---
Siya की पलकें हिलीं। धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलीं।
जैसे ही सामने Aryan का चेहरा दिखा —
उसकी साँस अटक गई।
वो बिस्तर पर झटके से उठी।
"Siya!" Aryan की आँखें भर आईं।
वो खुद को रोक नहीं पाया —
एक पल में उठकर Siya को ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया।
"Siya... meri jaan... thank god! Tum theek ho... tumhe kuch ho जाता तो..."
उसकी आवाज़ काँप रही थी। उसका सीना Siya से लग चुका था, पकड़ इतनी मजबूत जैसे वो Siya को खो बैठा हो।
पर Siya…
वो बुरी तरह घबरा गई। उसकी साँसें तेज़ होने लगीं।
Aryan की बाँहों से खुद को छुड़ाने लगी।
"Aryan... chhodo mujhe..." वो काँपते हुए पीछे हट गई।
Aryan ठहर गया। उसकी पकड़ ढीली हुई।
Siya डर के मारे थोड़ा और पीछे खिसक गई — और उसकी आँखों में वही डर था, जो Aryan की रगों में आग बनकर दौड़ गया।
वो खुद को बहुत छोटा महसूस कर रहा था।
"Siya... kya main itna गिर चुका हूँ... कि तुम मुझसे डरने लगी हो?"
Siya चुप रही। बस उसकी नजरें जमीन पर थीं।
Aryan घुटनों पर बैठ गया, आवाज़ भर्राई —
"Mujhe माफ कर दो... अब तुम जो कहोगी, मैं वही करूँगा… कुछ भी… बस खुद से दूर मत करो..."
Siya की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने खुद को संभालते हुए धीमे से कहा —
"Mujhe bahar jaana hai… yaha… ghutan hoti hai…"
Aryan ने कुछ पल उसे देखा, फिर धीमे से बोला —
"Okay doll… चलेंगे…"
"Bas ek promise chahiye — bhagne ki koshish नहीं करोगी…"
Siya ने डरते हुए सिर हिलाया। Aryan ने हल्के से मुस्कुराने की कोशिश की।
---
🌸 कुछ देर बाद – Siya तैयार होती है
Aryan उसके लिए एक हल्की गुलाबी floral dress निकालता है, साथ में white sandals और एक cute hairclip।
"Tum chuno या main…?"
Siya चुप रही।
"Toh theek hai, main choose करता हूँ… tum meri doll हो — तुम्हें सजाना भी मेरा हक है…"
वो हल्की-सी साड़ी उसके सामने रखता है और Siya चुपचाप उसे पहन लेती है।
---
🌌 रात का सफर, एक नई शुरुआत की उम्मीद
Aryan Siya को कार में बिठाता है। कार धीरे चलती है… हवा Siya के बालों से खेलती है।
Aryan रुकता है — एक ice cream स्टॉल के पास।
"Tumhari fav vanilla with choco chips."
Siya ice cream लेती है, थोड़ी झिझक के साथ।
तभी उसके सामने कुछ गरीब बच्चे दिखाई देते हैं जो सड़क किनारे बैठे खेल रहे थे।
Siya उन्हें देखती है — नज़रें उन मासूम चेहरों पर रुक जाती हैं।
Aryan समझ जाता है। वो उतरकर उन बच्चों को भी ice cream और snacks दिलाता है।
बच्चे खुशी से उछल पड़ते हैं —
"Thank you bhaiya!"
Aryan मुस्कराकर Siya की तरफ देखता है।
Siya भी पहली बार मुस्कुराती है। एक छोटी-सी, सच्ची हँसी।
Aryan उसकी हँसी में खो जाता है।
उसके दिल की रफ्तार तेज़ हो जाती है।
"Tumhari ek मुस्कान के लिए मैं सबकुछ छोड़ सकता हूँ Siya…"
वो मन ही मन सोचता है —
"अब ये हँसी कभी रुकने नहीं दूँगा… चाहे कुछ भी करना पड़े…"
---
kya siya bhagne ki kosis kregi iske liye wait kriye agle part ka.....
संध्या का वक़्त था।
आर्यन की काली गाड़ी ने एक पुरानी लेकिन साफ़-सुथरी बिल्डिंग के सामने रुक कर धीमे से ब्रेक लिया। गेट के ऊपर लिखा था —
"प्रेमाश्रय अनाथ बालगृह"
सिया ने पढ़ा और चौंकी।
"तुम मुझे... अनाथ आश्रम लाए हो?"
आर्यन (नज़रें सामने टिकाए हुए):
"हां, क्योंकि आज मैं तुम्हें वो दिखाने वाला हूं जो इस दुनिया में किसी को नहीं दिखाया।"
"तुम्हारी असली दुनिया?"
आर्यन:
"नहीं डॉल, मेरा वो टुकड़ा... जो अब भी इंसान है।"
जैसे ही दोनों अंदर पहुंचे, दरवाज़ा खुलते ही छोटे-छोटे बच्चे दौड़ते हुए आए। उनकी आंखों में चमक थी, चेहरों पर मुस्कान और आवाज़ों में एक ही पुकार —
"आर्यन भैया आ गए!"
सिया हक्की-बक्की खड़ी रह गई। आर्यन को उसने अब तक सिर्फ गुस्से, ज़िद, और सनक में देखा था। लेकिन यहाँ... वो बच्चों के सामने घुटनों पर बैठ गया।
"क्यों भाई, कोई भुला तो नहीं मुझे?"
"नहीं भैया!"
एक बच्चा कूद कर उसकी गर्दन में बांहें डालता है।
तभी एक छोटी बच्ची, गुलाबी फ्रॉक में, धीरे-धीरे चलती हुई सिया के पास आती है।
"आप... भाभी हो?"
सिया सिहर उठी।
"न-नहीं... मैं..."
पर बच्ची ने उसका हाथ पकड़ लिया —
"तो आज से हो ना? आर्यन भैया ने पहली बार किसी को लाया है। हम तो यही मानेंगे!"
आर्यन पास आया, सिया के कंधे पर हाथ रखा।
"अब मान ही लो डॉल… बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते।"
सिया ने उसकी ओर देखा — उसकी आंखें उस वक्त न पजेसिव थीं, न खौफनाक... बस नरम, लेकिन गहराई लिए।
फिर अचानक... आर्यन ने अपनी कार की डिक्की खोली।
हर बच्चे के लिए वहां छोटे-छोटे गिफ्ट पैक रखे थे — किसी के लिए स्कूल बैग, किसी के लिए गुड़िया, तो किसी के लिए फुटबॉल।
"तुम सबने कहा था ना, अगली बार कुछ लाना भैया!"
"YAYYYY!"
बच्चों ने तालियां बजाई।
आर्यन ने कहा अरे अरे आराम से सब तुम सब के लिए ही है फिर एक एक करके sabko बांट दिए।
सिया अब हैरान थी —
"तुमने ये सब पहले से तैयार किया था?"
आर्यन:
"हां… क्योंकि आज तुम साथ थी। और मुझे तुम्हें ये हिस्सा भी दिखाना था… वरना तुम सोचती रहोगी कि मैं सिर्फ एक जानवर हूं।"
फिर वो सिया की ओर बढ़ा, बहुत करीब आकर फुसफुसाया —
"जानवर हूं… पर सिर्फ तुम्हारे लिए पालतू बन सकता हूं। बाकी सबके लिए मैं वही राक्षस हूं, जो डर से राज करता है।"
सिया की सांसें तेज़ हो गईं। लेकिन उस पल वो चाहकर भी नज़रे नहीं फेर सकी।
फिर एक बच्ची, सिया का हाथ पकड़ते हुए बोली —
"भाभी, आप रोज़ आया करो ना। भैया तो बस आपके साथ ही अच्छे लगते हैं।"
आर्यन धीरे से मुस्कराया और सिया के कान में कहा —
"देखा? अब मेरी दुनिया भी तुम्हें चाहने लगी है। अब तुम भाग भी नहीं सकती डॉल…"
"...क्योंकि अब सिर्फ मैं ही नहीं, ये मासूमियां भी तुम्हें अपनी बना चुकी हैं।"
उसी समय…
अंदर से एक वृद्ध आदमी निकलते हैं — सफेद धोती-कुर्ता पहने, लकड़ी की छड़ी लिए, चेहरे पर तेज़ और स्नेह दोनों।
"आर्यन?"
आवाज़ सुनते ही Aryan अचानक बच्चों से हटता है, और तेज़ी से उस आदमी के पास जाकर पैरों में झुक जाता है।
"बाबा..."
"जुग जुग जियो बेटा..."
बुज़ुर्ग ने हाथ उठाकर उसके सिर पर रखा।
Siya वहीं खड़ी सब देख रही थी — हैरान, स्तब्ध। वो आदमी कौन था जिसे आर्यन जैसा शेर भी 'बाबा' कहकर झुक गया?
Aryan (आँखें झुकाकर):
"आपने जो सिखाया बाबा... कोशिश कर रहा हूं कि इंसान बना रहूं… और आज उसे लाया हूं जिससे मेरी अधूरी दुनिया पूरी लगती है।"
बाबा ने सिया की ओर देखा और मुस्कराए —
"बहुत सुंदर है… और मासूम भी। लेकिन बेटा… तू उसे अपने जैसे मत बना देना।"
Aryan (हल्के से मुस्कराते हुए):
"नहीं बाबा… वो जैसी है, मैं वैसी ही रखूंगा। पर वो मेरी है — ये दुनिया से छीन लूंगा अगर ज़रूरत पड़ी।"
बाबा:
"छीनना नहीं सीखाया था तुझे, अपनाना सिखाया था।"
Aryan (धीरे से):
"पर मेरी मोहब्बत कभी सीधी राहों से नहीं चलती…"
Siya की आंखें भर आईं — उस दिन उसने पहली बार आर्यन की वो झलक देखी जो शायद कभी बच्चा था, जो कभी अनाथ था, और जिसने किसी एक इंसान से जीवन जीना सीखा था — वो बाबा।
---
फिर वो सब बच्चे गिफ्ट लेकर खेलने चले गए, और बाबा धीरे से आश्रम के अंदर लौट गए। Aryan कुछ देर वहीं खड़ा रहा — नज़रें झुकी हुईं।
Siya उसके पास आई और धीमे से पूछा —
"वो... बाबा कौन हैं?"
Aryan (धीरे-धीरे चलने लगा):
"जिसने मुझे उठाया था उस दिन जब मेरा सब कुछ छिन गया था। माँ-बाप, घर, नाम… सब। उन्हीं की वजह से मैं ये बन पाया… जो आज हूं।"
Siya:
"लेकिन तुम तो कहते हो तुम्हारा दिल मर चुका है… फिर ये सब?"
Aryan रुक गया, Siya की ओर मुड़ा।
"दिल तो उसी दिन मर गया था… बस ये बाबा हैं जो मेरी राख में जान रखने की कोशिश करते हैं। और अब तुम हो..."
वो करीब आया — इतना कि Siya को अपनी सांसों की गर्मी महसूस हुई।
"...अब तुम्हें देखता हूं, तो लगता है वो दिल फिर से धड़कना चाहता है। लेकिन डरता भी है — कहीं तुम भी छिन न जाओ..."
---
Siya उस दिन बस यही सोचती रही —
"कौन हो तुम, Aryan...? वो जानवर जिसे सब डरते हैं, या वो टूटा हुआ बच्चा जिसे बस कोई अपना चाहिए..."
अनाथ आश्रम का आंगन।
आर्यन ने सब बच्चों को गोल घेरे में खड़ा किया —
"तैयार हो? चलो आंख मिचौली!"
बच्चों की खुशियां आसमान छू रही थीं। एक तरफ वो खौफनाक माफिया, जो बाहर की दुनिया में गोलियों से खेलता है… यहाँ बच्चों के साथ "123 पकड़ा गया!" खेल रहा था।
सिया एक कोने में खड़ी थी — कभी हँसती, कभी सोचती।
आर्यन की हँसी, बच्चों की चीख-पुकार, सबकुछ बहुत सच्चा लग रहा था… पर सिया के मन में सवाल था — "क्या ये सिर्फ एक पल भर का चढ़ावा है?"
उसी समय बाबा उसके पास आकर बैठते हैं।
बाबा (धीरे से):
"तुम सोच रही होगी... कि जो लड़का बाहर मौत का सौदागर है, वो यहां इतना मासूम कैसे हो सकता है?"
सिया चौंकी।
**"जी… हां। मैं… थोड़ा उलझ गई हूं।"
बाबा ने सामने खेलते Aryan को देखा —
"वो ऐसा पहले भी नहीं था। जब पहली बार मिला था, तब वो बस 9 साल का था… माँ-बाप की लाश के पास बैठा, खून से सना हुआ, एकदम शांत। आँखों में ना आँसू थे, ना आवाज़।"
सिया:
"क्या… क्या हुआ था?"
बाबा:
"माफिया लड़ाई में उसके माँ-बाप को मार दिया गया। उस दिन इस बच्चे ने अपने सारे आंसू जला दिए… और एक वादा किया — कि अब कभी कमज़ोर नहीं बनेगा।"
सिया की आँखें भर आईं।
उसने Aryan की ओर देखा — जो उस समय एक बच्चे के पीछे छुपा हुआ आंख मिचौली खेल रहा था, जैसे उसके अंदर का टूटा हुआ बच्चा फिर से ज़िंदा हो गया हो।
बाबा:
"मैंने उसे बड़ा किया, पढ़ाया… पर उसके दिल में दर्द की जड़ें इतनी गहरी थीं कि वो सिर्फ नफरत और ताकत को पकड़ बैठा।"
सिया (धीरे से):
"और अब...?"
बाबा ने उसकी आँखों में देखा:
"अब वो बदलना चाहता है, सिया। लेकिन जैसे ही वो किसी को अपना मानता है, उसे खोने का डर उसे और पागल बना देता है।"
"तुम उसकी कमजोरी बन रही हो… और वो इस कमजोरी को खोने से डरता है।"
सिया:
"तो वो मुझे प्यार करता है… या बस पागलपन?"
बाबा:
"वो फर्क नहीं समझता। और यही उसका सबसे बड़ा डर है — कि कहीं प्यार भी उसके हाथ से छिन न जाए।"
---
उसी समय Aryan भागते हुए आता है, और Siya का हाथ पकड़ता है — बच्चे पीछे हँसते हुए चिल्ला रहे होते हैं, "भाभी छुप गईं!"
Aryan उसकी आंखों में देखता है…
"तुम भी मेरी आँख मिचौली हो गई हो डॉल… कभी पास, कभी ओझल। पर मैं हार मानने वालों में नहीं हूं।"
"एक दिन मैं तुम्हें हमेशा के लिए पकड़ लूंगा… और फिर कभी छुपने नहीं दूंगा।"
---
Aryan ne Siya ki kalai को मज़बूती से पकड़ा, आँखों में गहरी चमक लिए धीमे से बोला,
"तू सिर्फ़ मेरी हो… मैंने इस दुनिया में सिर्फ़ एक इंसान से इतना प्यार किया है। अगर कोई बीच में आया… तो उसे रास्ते से हटा दिया जाएगा।"
उसकी आवाज़ में ठंडा सा ख़ून जमा देने वाला इरादा था।
सीया का दिल एक पल को थम-सा गया। अभी कुछ देर पहले यही आदमी बच्चों के साथ हंस रहा था, खेल रहा था, जैसे दिल में बिल्कुल मासूमियत हो… और अब उसकी आंखों में अंधेरा, जुनून और पागलपन साफ़ दिख रहा था।
सीया के माथे पर पसीने की बूँदें चमक उठीं। उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
“कोई इंसान इतनी जल्दी कैसे बदल सकता है? एक पल में बच्चा… और अगले ही पल शैतान…”
वो बस उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन Aryan की पकड़ तो ऐसे थी जैसे वो उसे अपनी रूह में बाँध लेना चाहता हो।
Aryan ने Siya की कलाई ऐसे पकड़ी जैसे छुड़ाने का कोई हक ही न हो।
उसकी आंखों में लपटें जल रही थीं, चेहरा सख्त और खतरनाक।
"तू सिर्फ़ मेरी हो… मैंने इस दुनिया में सिर्फ़ एक इंसान से इतना प्यार किया है। अगर कोई बीच में आया… तो उसे रास्ते से हटा दूँगा!"
उसकी गरजती आवाज़ Siya के दिल तक उतर गई।
वो सांस भी धीरे ले रही थी, तभी Aryan ने उसे और पास खींचा। उसकी पकड़ लोहे जैसी थी। Siya ने घबराकर नज़रें चुराईं, लेकिन Aryan का चेहरा तो जैसे क़रीब आकर और भी डरावना हो गया था।
तभी पीछे से बच्चों की आवाज़ आई —
"Aryan भैया, आप भाभी के साथ क्या कर रहे हो?"
Aryan का जबड़ा भींच गया। पीछे मुड़कर उसने इतनी ठंडी और तीखी नज़र डाली कि बच्चे तुरंत चुप हो गए।
"अंदर जाओ सब," बाबा ने बच्चों को डांटते हुए कमरे में भेजा। फिर Aryan की तरफ देखा,
"Aryan, उसे डराओ मत… समझने का समय दो। इश्क़ थोपा नहीं जाता, वो ज़रूर समझेगी तुम्हें।"
बाबा की बात खत्म होते ही Aryan की सांसें भारी हो गईं, उसकी आंखों में खून उतर आया।
वो बाबा की तरफ एक कदम बढ़ा और फिर जोर से गरज उठा —
"कोई विकल्प नहीं है! सिर्फ़ मैं हूँ… और कोई नहीं! समझाना होगा… और वो मुझसे प्यार करेगी, चाहे उसे मजबूर करना पड़े!"
उसकी गूंजती आवाज़ से दीवारें तक कांप उठीं। Siya ने पहली बार इतने गुस्से में Aryan को देखा। उसका दिल धड़कना भूल गया, चेहरा सफेद पड़ गया, और आंखों में डर के साथ आँसू उमड़ आए।
Aryan ने उन आंसुओं पर भी नज़र नहीं झुकाई… बस उसी जुनूनी नज़र से उसे देखता रहा, जैसे कह रहा हो — भागने का सवाल ही नहीं।
बाबा ने सख़्त लेकिन चिंता भरे स्वर में कहा,
"बेटा, वो डर रही है… क्या कर रहे हो तुम?"
Aryan की आंखों में अब भी गुस्से की लपटें थीं, लेकिन बाबा की बात सुनते ही उसने Siya की कलाई छोड़ दी। Siya ने एक पल भी बर्बाद नहीं किया — डर से कांपते हुए वो अंदर की तरफ भाग गई, जैसे सांस भी वहीं जाकर ले सके।
बाबा ने Aryan के पास आकर गंभीर लहजे में कहा,
"बेटा, ऐसे ज़बरदस्ती प्यार नहीं मिलता… अगर उसे अपने साथ रखना है, तो उसे खुश रखो। तभी वो तुम्हें समझेगी।"
Aryan ने बाबा की आंखों में सीधा देखा, आवाज़ धीमी लेकिन जिद से भरी हुई थी,
"मैंने आज तक जो पसंद आया, उसे छीन लिया, बाबा… लेकिन आपको पता है, प्यार जताना नहीं आता मुझे। क्या करूं मैं? कुछ समझ नहीं आता… जब भी कोशिश करता हूं, पता नहीं क्या हो जाता है… मेरा गुस्से वाला रूप बीच में आ ही जाता है!"
कहते-कहते उसका चेहरा तन गया, और अगले ही पल उसने पास की दीवार पर जोर से मुक्का मारा। प्लास्टर टूट गया और उसके हाथ से खून बहने लगा।
"Aryan! रुक जाओ!" बाबा ने उसका हाथ पकड़ा, लेकिन Aryan ने उसे झटक दिया।
उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं, आँखों में पागलपन और बेचैनी दोनों जल रहे थे।
"मैं Siya को देखकर आता हूँ…"
वो बाहर निकला और पूरा orphanage चक्कर लगाने लगा। एक-एक कमरे में, आंगन में, हर कोने में खोजा… लेकिन Siya कहीं नहीं मिली।
उसकी बेचैनी अब बेकाबू गुस्से में बदल गई। वो जोर से दहाड़ा —
"Siyaaa!!! मना किया था ना दूर जाने से… सुनती क्यों नहीं हो तुम?!"
उसकी आवाज़ इतनी भारी और खतरनाक थी कि पास खड़े बच्चे भी डर के मारे सिमट गए। हवा तक जैसे रुक गई हो, और हर कोने में सिर्फ Aryan की गरज गूंज रही थी।
Aryan पूरे orphanage में Siya को ढूंढते-ढूंढते आखिरकार बच्चों के कमरे के बाहर आकर रुका।
अंदर से खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थीं, लेकिन उनमें Siya की हंसी नहीं थी… बस बच्चों की थी।
उसने दरवाज़ा धकेला और अंदर कदम रखा।
उसकी ऊंची, चौड़ी काया कमरे में दाखिल होते ही वहां की गर्माहट जैसे ठंडी हो गई।
उसकी नज़र सीधा उस कोने पर पड़ी —
Siya फर्श पर बच्चों के साथ बैठी थी, उनके खिलौने उठाकर खेलने का दिखावा कर रही थी, पर उसकी आंखों के नीचे सूजन थी, और चेहरे का रंग उतर चुका था।
उसके हाथों की हरकत में हल्का-सा कंपकंपी थी, जैसे किसी ने भीतर तक हिला दिया हो।
Aryan ने कमरे के बीच खड़े-खड़े, ठंडी लेकिन गहरी आवाज़ में कहा,
"Siya… मेरे पास आओ।"
Siya ने सिर उठाया, उसकी आंखें सीधी Aryan की आंखों से टकराईं — और फिर तुरंत झुक गईं। उसने हल्के से सिर ‘न’ में हिलाया, जैसे वो कह रही हो — नहीं, मैं नहीं आ सकती।
Aryan के जबड़े की मांसपेशियां कस गईं।
उसकी कनपटी पर नसें उभर आईं।
एक कदम आगे बढ़ते हुए उसने दोबारा कहा, इस बार आवाज़ में खतरा साफ़ उतर आया —
"Siya… मैंने कहा, मेरे पास आओ। मैं वहाँ आया… तो अच्छा नहीं होगा।"
कमरे में अचानक सन्नाटा छा गया।
बच्चे भी खेलना भूलकर बस दोनों को देखने लगे।
तभी एक छोटे से लड़के ने मासूमियत से कहा,
"भैया, आप इन्हें मत डराओ… देखो ना, रो रही हैं… चेहरा भी लाल हो गया है।"
Aryan ने धीरे से अपनी नज़र उस बच्चे पर डाली — इतनी ठंडी और पैनी कि बच्चा तुरंत चुप हो गया।
मगर Aryan की आंखें फिर से Siya पर टिक गईं।
वो धीमे-धीमे उसके पास आया, हर कदम के साथ Siya का दिल धड़कता जा रहा था।
उसके पैरों की आहट भी Siya के कानों में किसी चेतावनी की तरह गूंज रही थी।
Aryan बिल्कुल सामने झुक गया, इतना करीब कि उसकी सांसें Siya के चेहरे को छू रही थीं।
उसने धीमे लेकिन धारदार स्वर में कहा,
"आंसू… मुझसे डर के हैं? या इस बात के… कि मैं तुम्हें कहीं भी, कभी भी अपने पास खींच सकता हूं?"
Siya ने नज़रें झुका लीं, होंठ भींच लिए, लेकिन उसके कांपते कंधे और तेज़ सांसें सब बयां कर रही थीं — हां, वो डर रही थी।
Aryan ने अपने लंबे, सख्त उंगलियों से उसका ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाई।
उसकी पकड़ इतनी मजबूती से भरी थी कि Siya की आंखों में हल्का-सा दर्द उतर आया।
Aryan ने आंखों में गहरी जिद के साथ कहा,
"मुझसे बचने की कोशिश मत करो, Siya… ये खेल तुम्हारे बस का नहीं है।"
Siya की आंखों में डर और उलझन का सैलाब था।
बच्चे चुपचाप देख रहे थे, कुछ तो डर के मारे और पास सिमट आए।
Aryan के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान आई — लेकिन उसमें प्यार नहीं, बस मालिकाना हक और खतरा था।
kesa lga ye chapter review dena mat bhule and
happy rakshabandhan to all 🎀
बच्चों के कमरे में Siya की हँसी गूँज रही थी, नन्हें बच्चे उसके चारों तरफ़ खेल रहे थे। Aryan दरवाज़े के पास खड़ा, उसे देख रहा था। कुछ पल के लिए उसकी आँखों में नरमी थी, लेकिन जैसे ही Siya की नज़र उस पर पड़ी और उसने सर हिलाकर मना किया… वो नरमी गायब हो गई।
आर्यन (गहरी आवाज़ में) – "Siya… मेरे पास आओ।"
Siya ने घबराकर उसकी तरफ़ देखा –
Siya – "नहीं…"
आर्यन का जबड़ा कस गया, चेहरे पर गुस्से की एक हल्की सी परछाईं उतर आई।
आर्यन – "मैंने बोला है, मेरे पास आओ… मजबूर मत करो मुझे यहाँ आने के लिए।"
Siya ने अपने दुपट्टे का कोना मरोड़ा, लेकिन कदम फिर भी नहीं बढ़ाए। Aryan बिना एक पल गँवाए उसके पास आया, कलाई मज़बूती से पकड़कर अपनी तरफ़ खींच लिया। Siya की साँसें तेज़ हो गईं, पर उसने विरोध नहीं किया और चुपचाप उसके साथ चल पड़ी।
कॉरिडोर से निकलते हुए Aryan का हाथ उसकी कलाई पर कसता ही गया। बाहर खड़ी काली SUV का दरवाज़ा खोला और Siya को अंदर बैठाया। फिर खुद ड्राइवर सीट पर आकर, झुककर उसके लिए सीट बेल्ट लगाया। Aryan की नज़दीकी से आती गर्म साँस Siya के कानों को छू रही थी, लेकिन Siya की वो मासूम मुस्कान, जो कुछ देर पहले बच्चों के साथ थी… अब पूरी तरह से गायब हो चुकी थी।
वो बस कार के दरवाज़े से टिककर बैठी रही, खिड़की से बाहर देखती रही। उसकी आँखों में अजीब सी उदासी थी। Aryan ने एक बार साइड से उसकी तरफ़ देखा, लेकिन चुप रहा।
कुछ देर बाद Siya की पलके भारी होने लगीं, और वो वैसे ही दरवाज़े से लगी-लगी सो गई। Aryan ने स्टीयरिंग से हाथ हटाकर, एक पल के लिए उसके गाल को हल्के से छुआ, फिर वापस गाड़ी चलाने लगा।
घर पहुँचकर Aryan ने गाड़ी रोकी, ड्राइवर साइड से निकलकर Siya की तरफ़ आया। दरवाज़ा खोला, Siya अब भी नींद में थी। Aryan ने उसे गोद में उठाया, उसके बालों पर झुककर एक पल को देखा, फिर चुपचाप कमरे में ले जाकर नरमी से बिस्तर पर लिटा दिया।
---Aryan कमरे में खड़ा, बिस्तर पर सोई Siya को चुपचाप देख रहा था। उसके चेहरे पर फैली मासूम सी शांति, नींद में भी हल्की सी सिकुड़ी हुई भौहें… जैसे कोई सपना उसे बेचैन कर रहा हो। Aryan का हाथ धीरे से उसके गाल के पास आया, और चेहरे पर आई बिखरी लटों को सावधानी से हटाकर कान के पीछे कर दी।
वो एक पल के लिए झुककर उसके बेहद करीब आया, उसकी धीमी साँसों की गर्मी अपने चेहरे पर महसूस की… लेकिन फिर खुद को संभालते हुए उठ खड़ा हुआ।
चुपचाप कमरे से बाहर निकलकर, वो अपने स्टडी रूम में चला गया। भारी लकड़ी का दरवाज़ा बंद होते ही, सन्नाटा फैल गया। Aryan अपनी कुर्सी पर बैठा, कोहनी टेबल पर रखकर, हाथों से अपना माथा थामे — सोच में डूब गया।
---
फ्लैशबैक – दो महीने पहले
दोपहर का वक्त था। Aryan अपनी कार में बैठा एक बिज़नेस मीटिंग से लौट रहा था, तभी उसकी नज़र सड़क किनारे एक छोटी भीड़ पर पड़ी। वहाँ कुछ अनाथ बच्चे हँसते-खेलते, आइसक्रीम खा रहे थे… और उनके बीच में खड़ी थी वो।
Siya… सफेद सूट में, खुले बालों पर हल्की सी हवा का स्पर्श, और चेहरे पर वो मासूम मुस्कान जो सीधे दिल में उतर जाए। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे पूरी दुनिया का प्यार उन्हीं में सिमट आया हो।
Aryan की नज़र उसके होठों पर ठहरी — जो हर बच्चे को आइसक्रीम देते वक्त हल्के से मुस्कुरा रहे थे। उसे देखते ही Aryan के दिल में कुछ बेकाबू सा जागा। मासूमियत के पीछे छुपा वो नशा, उसे दीवानगी तक खींच ले गया।
"ये लड़की… मेरी होगी।" — ये ख्याल उस वक्त उसके दिमाग में बस गया था।
उसने उसी दिन Siya का पता लगवाया। नाम, घर, पढ़ाई… सब। और फिर महीनों तक दूर से बस उसे देखता रहा, उसकी हर छोटी-बड़ी आदत अपने ज़हन में उतारता रहा।
जब उसे पता चला कि Siya के कॉलेज में एक फंक्शन है और उसे चीफ़ गेस्ट के तौर पर बुलाने का ऑफ़र है, Aryan ने बिना सोचे हामी भर दी।
उस दिन, Aryan ने काले सूट में, ठंडी निगाहों और शैतानी मुस्कान के साथ कॉलेज में कदम रखा था… और Siya को स्टेज पर देखकर, उसे यकीन हो गया — उसकी कहानी अब शुरू हो चुकी है।
आर्यन स्टडी रूम की कुर्सी पर पीछे टिक गया था, लेकिन उसकी निगाहें टेबल पर बिखरी तस्वीरों से हट नहीं रही थीं। हर तस्वीर में Siya… कहीं कॉलेज के कैंपस में दोस्तों के साथ, कहीं मार्केट में किताबें देखते हुए, तो कहीं मंदिर के बाहर माथे पर टीका लगाए।
उसने एक तस्वीर उठाई — सफेद सूट में Siya, बाल हवा में उड़ते हुए, होंठों पर मासूम सी मुस्कान। आर्यन के होंठों पर हल्की सी तिरछी मुस्कान आई, लेकिन आँखों में पागलपन की एक ठंडी परत चमक उठी।
आर्यन (धीरे, खुद से) – "तुम्हें नहीं पता Siya… मैं तुम्हें कब से देख रहा हूँ। और अब… अब तुम सिर्फ मेरी हो।"
आर्यन की उंगलियाँ टेबल पर रखी एक तस्वीर पर ठहर गईं। उसमें Siya हल्के नीले दुपट्टे में, हवा में उड़ते बालों के साथ बच्चों को हँसते हुए देख रही थी। उस मुस्कान में जितनी मासूमियत थी… उतना ही नशा।
आर्यन ने तस्वीर को उठाया, कुछ सेकंड तक बस उसे घूरता रहा। उसकी आँखें ठंडी हो चुकी थीं, लेकिन उनमें गहराई तक पागलपन भरा था।
धीरे-धीरे उसके होंठ हिले —
आर्यन (खामोश, गहरी आवाज़ में) – "अब… तुम्हें देखने का हक़ सिर्फ मेरा है, Siya।"
उसने तस्वीर को और पास खींचा, जैसे किसी कीमती चीज़ को पकड़ रखा हो।
आर्यन – "तुम्हें छूने का… तुम्हारे करीब आने का… हक़ भी सिर्फ मेरा है।"
उसकी उंगलियों ने तस्वीर के उस हिस्से को हल्के से छुआ जहाँ Siya के होंठ थे, फिर कसकर पकड़ लिया।
"अगर किसी और ने कोशिश भी की… तो उसके हाथ नहीं बचेंगे।"
आर्यन ने गहरी साँस ली, तस्वीर को वॉलेट में रखकर ऐसे बंद किया जैसे कोई तिजोरी बंद कर रहा हो। उसकी आँखों में साफ था — Siya अब उसकी कैद से कभी नहीं निकलने वाली।
कमरे में आते ही आर्यन की नज़र सीधा बिस्तर पर पड़ी।
Siya उसी तरह सो रही थी — चेहरा आधा तकिये में, बाल बिखरे, साँसें धीमी।
वो धीरे से पास आया, झुककर उसकी लट हटाई।
"Siya…" उसने धीमे से पुकारा।
Siya की पलकों ने हल्की हरकत की, आँखें थोड़ी खुलीं।
"मैं… यहाँ?"
आर्यन हल्का-सा मुस्कुराया,
"हाँ… घर पर। तुम थक गई थीं, इसलिए सो गई थीआर्यन ने उसकी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुराया,
"चलो… डिनर का टाइम हो गया है।"
Siya कुछ कह पाती, उससे पहले ही वो उसे गोद में उठाकर कमरे से बाहर ले गया।
Siya का चेहरा हल्का-सा लाल पड़ गया — इतने करीब होने की आदत अभी भी नहीं थी उसे।
डाइनिंग एरिया में पहुँचकर जैसे ही Siya कुर्सी पर बैठने लगी, आर्यन ने तुरंत उसे अपनी गोद में खींच लिया।
"आर्यन… सब देखेंगे," उसने धीमे से कहा, नज़रें झुका लीं।
"जब मैं सामने हूँ, तो नज़रें कहीं और नहीं जानी चाहिए… ठीक है, डॉल?" उसकी आवाज़ में softness थी, मगर पीछे छुपा हुक्म साफ महसूस हो रहा था।
वो मुस्कुराया, "चलो… मुँह खोलो।"
Siya ने हल्का-सा सिर हिलाया, "नहीं…"
आर्यन की नज़रें गहरी हो गईं, "खा लो… वरना तुम्हें पता है, मुझे और तरीकों से भी खिलाना आता है।"
उसके अंदाज़ में कुछ ऐसा था कि Siya ने धीरे से मुँह खोला और पहला निवाला ले लिया।
आर्यन ने संतुष्ट होकर मुस्कुराया, "शाबाश… अब तुम मुझे खिलाओ।"
Siya ने उसे देखा, "तुम खुद खा सकते हो ना?"
"हाँ… लेकिन मुझे अपने हाथों से खिलाना तुम्हारा हक है… और मुझे सिर्फ तुम्हारे हाथों से खाना है।"
वो झिझकते हुए उसे खिलाने लगी, और आर्यन हर निवाले के साथ बस उसे ही देख रहा था — जैसे उसके लिए खाना नहीं, Siya ही उसका असली सुकून हो।
डिनर ख़त्म होते ही आर्यन ने बिना कुछ कहे Siya को फिर से अपनी गोद में उठा लिया।
Siya ने हल्के से विरोध किया, "मैं चल सकती हूँ…"
आर्यन ने धीमे से कहा, "पता है… लेकिन मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हें ऐसे ही अपनी बाँहों में लेकर घूमना चाहता हूँ। तुम्हें दुनिया की सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ।"
Siya ने नज़रें झुका लीं, उसकी आवाज़ में कसक थी, "लेकिन आर्यन… तुम क्रिमिनल हो। और मैं कभी किसी क्रिमिनल से प्यार नहीं कर सकती। तुमने… कितनों को मारा है।"
ये सुनते ही आर्यन की आँखों में एक पल को खून उतर आया — लालिमा और गुस्सा साफ दिखा।
उसके हाथ की पकड़ कस गई, लेकिन उसने गहरी साँस लेकर खुद को काबू में किया।
Siya की आवाज़ काँप रही थी, "प्लीज़… मुझे जाने दो। मुझे तुम्हारे साथ घुटन होती है।"
उसने नज़रें उठाकर सीधे उसकी आँखों में देखा, "तुमने करन को मारा ना?"
आर्यन की साँसें भारी हो गईं, उसकी नज़रें Siya के चेहरे पर जमी रहीं — जैसे वो सच और झूठ के बीच जूझ रहा हो…
आर्यन Siya को कमरे में ले आया और धीरे से उसे बिस्तर पर बैठा दिया।
Siya की आँखों में सवाल थे, आवाज़ धीमी लेकिन काँपती हुई,
"कहाँ है… करन?"
बस इतना सुनना था कि आर्यन का चेहरा सख्त हो गया, नज़रों में गुस्सा उतर आया।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई किसी और मर्द का नाम लेने की?" उसकी आवाज़ गहरी और भारी थी।
वो धीरे-धीरे पास आया, आँखें उसकी आँखों में गड़ी हुईं,
"बहुत फ़िक्र है न उसकी? हाँ… मैंने मार दिया उसे। और सुनो Siya… जो भी तुम्हें देखेगा, जो भी तुम्हारे करीब आने की कोशिश करेगा… उसका भी वही हाल करूँगा।"
अचानक उसकी आवाज़ गूंज उठी,
"समझी तुम?!"
गुस्से में उसने पास रखी कांच की मेज़ पर ज़ोर से हाथ मारा।
काँच चटक गया, टुकड़े बिखर गए — और कमरे में सन्नाटा फैल गया।
Siya का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, जबकि आर्यन बस उसे घूर रहा था… जैसे कह रहा हो कि अब वो उसकी दुनिया से बाहर नहीं जा सकती।
Siya की आँखों में आँसू थे, उसकी आवाज़ काँप रही थी,
"क्यों किया तुमने ऐसा, आर्यन? तुम… तुम ख़ूनी हो! मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ… सुना तुमने?"
वो बार-बार वही शब्द दोहरा रही थी — जैसे हर बार उसकी दीवार पर एक और चोट कर रही हो।
आर्यन की साँसें भारी हो गईं। उसकी आँखों में गुस्सा और पागलपन एक साथ उमड़ पड़ा।
"बस… अब एक शब्द भी नहीं Siya!"
अगले ही पल उसने उसे पलटकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसके हाथों की पकड़ मज़बूत थी, जिससे Siya हिल भी नहीं पा रही थी।
"तुम बार-बार कह रही हो कि तुम मुझे छोड़ दोगी… लेकिन मैं तुम्हें जाने ही नहीं दूँगा।"
Siya ने धक्का देने की कोशिश की, "आर्यन… प्लीज़ छोड़ो मुझे…"
लेकिन उसकी बात पूरी होने से पहले ही आर्यन का चेहरा उसके बेहद करीब आ गया।
उसकी नज़रों में वो जुनून था, जो डर और चाहत दोनों को मिला देता है।
"तुम्हारा हर शब्द, हर साँस… बस मेरी है Siya… और मैं साबित करके दिखाऊँगा।"Aryan ने Siya का चेहरा दोनों हाथों से पकड़ लिया।
उसकी आँखों में गुस्सा भी था और पागलपन भी।
Siya कुछ कह पाती, उससे पहले ही उसने उसकी ठोड़ी ऊपर की और होंठों पर अपना मुँह रख दिया।
पहला kiss तेज़ था, ज़बरदस्ती वाला… Siya ने धक्का देने की कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ बहुत मज़बूत थी।
उसकी साँसें गरम थीं, तेज़ चल रही थीं, और हर बार होंठों पर टकरा रही थीं।
वो कभी कसकर दबाता, तो कभी थोड़ा रुककर उसे महसूस करता… फिर और ज़ोर से चूमता।
एक हाथ उसकी कमर पर कस गया, उसे अपने सीने से सटाकर रखा, दूसरा हाथ बालों में फँसकर उसे और करीब खींच रहा था।
Siya ने आँखें बंद कर लीं, उसका दिल बहुत तेज़ धड़क रहा था, लेकिन Aryan रुका नहीं।
वो उसके निचले होंठ को हल्के से काटता, फिर उसी जगह नरमी से kiss करता — जैसे गुस्सा भी निकाल रहा हो और अपना हक भी जमा रहा हो।
कमरे में बस उनकी तेज़ साँसों की आवाज़ थी… और Aryan की वो ज़िद, जो हर kiss में साफ़ महसूस हो रही थी — "तुम मेरी हो, Siya… सिर्फ़ मेरी।"
thanks to reading my novel yrr padhke review kyu nhi dete ho mujhe pata kese lgega ki kesi jaa rhi h
कमरे में आते ही आर्यन ने Siya को बिस्तर पर सोया हुआ पाया और उसे डिनर के लिए उठाने गया। डाइनिंग एरिया में उसने Siya को गोद में उठा लिया और उसे अपने हाथों से खाना खिलाया। Siya ने आर्यन को क्रिमिनल बताते हुए उससे दूर जाने की बात कही और करन के बारे में पूछा जिससे आर्यन गुस्से में आ गया और उसने Siya को बताया कि उसने करन को मार दिया है। गुस्से में उसने Siya को ज़बरदस्ती किस किया और जताया कि Siya सिर्फ उसकी है।
Now Next
--------
आर्यन के होंठ हटते ही सिया ने तेज़ी से साँस खींची, पर उसके हाथ अब भी उसकी पकड़ में थे।
"छोड़ो मुझे…" उसकी आवाज़ काँप रही थी।
आर्यन ने उसकी ठोड़ी मजबूती से उठाई, आँखों में जलती हुई चाह के साथ बोला, "तुम्हें लगता है मैं तुम्हें जाने दूँगा? भूल जाओ ये सोच भी।"
बिना इंतज़ार किए, उसने फिर से उसके होंठों पर अपना मुँह रख दिया—इस बार और गहरा, और बेदर्दी से।
सिया ने विरोध में सरकने की कोशिश की, लेकिन उसकी कमर पर आर्यन की पकड़ इतनी कस गई कि वो हिल भी न सकी।
उसके होंठों पर उसकी जिद, उसकी सांसों में गर्मी… सिया की पलकों पर आँसू आ गए, पर आर्यन की पकड़ ढीली नहीं हुई।
"तुम मेरी हो, और मैं तुम्हारा हक़ हर पल, हर साँस में लूँगा," उसने उसके कान के पास झुककर फुसफुसाया, फिर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए—धीरे-धीरे, पर पूरी तरह से अपना दावा छोड़ते हुए नहीं।
सिया ने आँखें भींच लीं, पर उसका दिल और तेज़ी से धड़कने लगा, जैसे उसके पास कोई रास्ता बचा ही न हो।
आर्यन ने सिया की गर्दन पर अपने होंठ रखते-रखते उसकी स्किन को हल्का-सा काट लिया, जिससे सिया ने हाँफते हुए उसे धक्का देने की कोशिश की।
"आर्यन… प्लीज़," उसकी आवाज़ काँप रही थी।
लेकिन आर्यन ने उसकी कमर को और कसकर अपनी तरफ खींच लिया, इतना पास कि उनके बीच अब कोई जगह ही न बची।
उसका एक हाथ सिया की पीठ पर सरकते हुए उसकी कमर के नीचे तक पहुँच गया, जबकि दूसरा हाथ उसकी गर्दन के पीछे आकर उसे अपनी तरफ और झुका रहा था।
"मुझे तुम्हारी ये दूरी बर्दाश्त नहीं," उसने गरम साँसों के साथ कहा, "तुम जितना दूर जाओगी… मैं उतना ही तुम्हें खींचकर यहाँ ले आऊँगा।"
उसके होंठ फिर से सिया के होंठों पर आ गए—इस बार इतना गहरा और बेखौफ कि सिया की उंगलियाँ खुद-ब-खुद उसके शर्ट में कस गईं।
आर्यन ने बिना रुके, उसके गाल, जबड़े और फिर गर्दन पर अपने निशान छोड़ दिए, जैसे पूरी दुनिया को ये दिखाना चाहता हो कि सिया सिर्फ उसी की है।
सिया की साँसें तेज़ हो चुकी थीं, आँखों में आँसू और डर दोनों थे, लेकिन आर्यन की बाँहों में कैद होकर उसका विरोध धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा था।
आर्यन सिया के होंठों से हटकर उसकी गर्दन पर निशान छोड़ रहा था, तभी उसकी हथेली को सिया के गाल की नमी महसूस हुई।
वो ठिठक गया… उसकी पकड़ ढीली पड़ गई।
उसने सिया की आँखों में देखा—अँसुओं से भरी, डरी हुई, काँपती हुई।
कुछ पल चुपचाप उसे देखता रहा, फिर अचानक उससे दूर हो गया।
"मुझसे दूर रहना चाहती हो न…?" उसकी आवाज़ में हल्का-सा दर्द था, पर चेहरा अब भी सख्त।
वो पीछे हटते हुए दरवाज़े तक गया, बिना और कुछ कहे बाहर निकल गया और कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया।
सिया वहीं खड़ी रह गई… दिल जोर से धड़क रहा था, साँसें बिखरी हुई थीं।
वो काँपते-काँपते बाथरूम की तरफ बढ़ी और अंदर जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया।
शावर चालू किया, ठंडा पानी उसके ऊपर गिरने लगा, पर उसके आँसू नहीं रुक रहे थे।
वो फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई, अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपाकर फूट-फूट कर रोने लगी।
"क्यों भगवान… मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? मैंने क्या बिगाड़ा था?"
उसने अपने हाथों से अपनी बाँहें, कंधे, गर्दन—जहाँ-जहाँ आर्यन ने निशान छोड़े थे—जोर-जोर से रगड़ना शुरू किया, जैसे उन पलों को मिटा देना चाहती हो।
लेकिन उसकी स्किन नाज़ुक थी… लाल हो गई, जलन होने लगी।
फिर भी वो रगड़ती रही, हर उस जगह को जहाँ आर्यन ने अपने होंठ रखे थे।
पानी बहता रहा… आँसू बहते रहे… और सिया वहीं शावर के नीचे, सिकुड़कर, काँपते हुए बैठी रही—जैसे समय थम गया हो।
कुछ देर बाद…
आर्यन कमरे में लौटा तो बिस्तर खाली था।
उसकी नज़र तेज़ी से कमरे में घूमी—सब कुछ वैसा ही था, पर सिया कहीं नहीं थी।
"सिया?" उसकी आवाज़ गूंज उठी, पर कोई जवाब नहीं आया।
वो तुरंत बाथरूम के दरवाज़े की तरफ बढ़ा, जहाँ से पानी गिरने की हल्की-सी आवाज़ आ रही थी।
उसने धीरे से दस्तक दी, "सिया… दरवाज़ा खोलो।"
चुप्पी।
उसका माथा सिकुड़ गया, फिर नरमी से बोला, "देखो… मैं तुम्हें डराना नहीं चाहता… अभी जो हुआ, वैसा दोबारा नहीं होगा। बस दरवाज़ा खोलो।"
अंदर से सिर्फ पानी की आवाज़ और बहुत हल्की-सी सिसकियों की गूँज आई।
आर्यन का धैर्य अब बेचैनी में बदल रहा था।
"सिया, दरवाज़ा खोलो… सुन रही हो?" इस बार उसके लहजे में घबराहट आ चुकी थी।
कोई जवाब नहीं।
वो तेज़ी से कमरे के ड्रॉअर तक गया, छोटी चाबी उठाई और वापस लौट आया।
ताले में चाबी डालकर घुमाते ही दरवाज़ा खुल गया।
अंदर का नज़ारा देखकर उसके कदम जैसे जमीन से चिपक गए—
ठंडे पानी के नीचे फर्श पर सिया पूरी तरह भीगी हुई, सिर एक तरफ झुका हुआ, आँखें बंद, होंठ हल्के से खुले… जैसे उसकी सारी ताक़त खत्म हो चुकी हो।
उसके गाल और होंठ लाल पड़े थे, शरीर ठंड से काँप रहा था
"सिया!" आर्यन की आवाज़ में पहली बार डर साफ़ झलक रहा था।
वो तुरंत पानी बंद करके उसके पास घुटनों के बल बैठ गया, उसके गीले चेहरे से बाल हटाए और उसके गाल पर हल्के-से थपथपाया।
"आँखें खोलो… सुन रही हो? सिया!"
कोई प्रतिक्रिया नहीं।
आर्यन ने झट से उसे अपनी बाँहों में उठा लिया—उसका भीगा और ठंडा शरीर उसके सीने से चिपकते ही जैसे आर्यन के दिल में एक अजीब-सी चुभन पैदा कर गया।
वो जल्दी से बाथरूम से बाहर निकला, बिस्तर पर उसे लिटाया और पास रखे तौलिये से उसके चेहरे और बालों को पोंछने लगा, लेकिन उसके हाथ काँप रहे थे।
"तुम्हारे साथ… मैं ऐसा नहीं चाहता था," उसने खुद से बुदबुदाया, जैसे अपनी गलती मानते हुए भी ये यकीन न कर पा रहा हो कि उसने क्या कर दिया।