तीन माफिया भाई —अर्पण, अथर्व और आश्रित—जो एक-दूसरे के जानी दुश्मन हैं, लेकिन एक ही लड़की, नितारा, के प्यार में दीवाने हैं । नितारा की खूबसूरती और बेबाकी ने तीनों के दिलों में हलचल मचा दी है । दुश्मनी की दीवारें अब मोहब्बत की राह में आ गई हैं । गोलियो... तीन माफिया भाई —अर्पण, अथर्व और आश्रित—जो एक-दूसरे के जानी दुश्मन हैं, लेकिन एक ही लड़की, नितारा, के प्यार में दीवाने हैं । नितारा की खूबसूरती और बेबाकी ने तीनों के दिलों में हलचल मचा दी है । दुश्मनी की दीवारें अब मोहब्बत की राह में आ गई हैं । गोलियों की आवाज़ों के बीच दिल की पुकार गूंज रही है—क्या नितारा किसी एक को अपनाएगी या तीनों की मोहब्बत बर्बादी का कारण बनेगी ? जब इश्क, जुनून और नफरत एक ही कहानी में हों , तो अंजाम या तो खून से लिखा जाएगा... या मोहब्बत सबको बदल देगी ।
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एक बड़ी सी बिल्डिंग जिसके टॉप पर एक आदमी खडा था, उम्र तीस के आस पास होगी, वो लडका अपने हाथ में शराब का गिलास लिये खडा था, उसकी आंखे रात के वक्त उस चमचमाते शहर को देख रही थी ।
कहने को तो वो इस कोन्टिनेन्ट का बादशाह था, उसके आगे किसी के बोलने की हिम्मत नही थी । पावर और पैसे की ताकत से उसनें पूरे शहर को अपनी मुठ्ठी में किया हुआ था । मुम्बई जैसे शहर को भी वो अपनी एक छींक से हिलाने की हिम्मत रखता था ।
यह था एशिया के सबसे खतरनाक एक माफिया में से एक,,, अर्पण सिंघानियां, उम्र यही कोई तीस साल, नीली रंग की गहरी आंखे जिनमें जूनून की आग थी, उसके चेहरे से उसका जूनून साफ जाहिर हो रहा था ।
" वो मिल जाये एक बार, उसे फिर खुद से दूर नही जाने दूंगा,,,, वो मेरी किस्मत में है और उसे मेरी किस्मत से किस्मत भी नहीं जुदा कर सकती है,,,,," वो आदमी आंखो में आग लिये दिवानगी के साथ बोला ।
उसे तलाश थी उस लडकी कि जिसनें उसके दिल को पहली बार में छू लिया था,, और आज तीन महिने हो गये थे, पर अभी तक वो लडकी उसे मिली नही थी ।
वही दूसरी ओर एक बडा सा घर, काले कर्टन, काली दिवारे और उन काली दिवारो के बीच एक बहुत ही खुबसूरती से बनायी गयी एक रंगीन तस्वीर,,,, एक लडका उस तस्वीर के सामनें शर्टलेस होकर खडा था । उस लडके के आंखो में एक दिवानगी दिखायी दे रही थी । आंखो में दिवानगी लिये वो लडका उस तस्वीर को बस न जाने कबसे ऐसे ही देख रहा था । उसके हाथो में कलर लगा हुआ था और दूसरे हाथ में खून लगा हुआ था ।
वो लड़का खून से सनें उस हाथो से ही उस पेंटिग में कलर भर रहा था, उसनें उस तस्वीर में बनी लडकी की ड्रेस को अपने खून से ही भरा था ।
वो उस लडकी की तस्वीर को देखते हुए बोला " कब तक बचकर भागोगी जानम,,, यह दुनिया एकदम गोल है,, और जिस तरह तुम मुझसे पहली बार टकरायी थी, वैसे ही अब भी टकराओगी,,,,,"
उसके चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल थी,,, यह लडका था अथर्व सिंघानिया, एशिया का सबसे शक्तिशाली आदमी और एक माफिया । उम्र यही कोई अठाइस के आसपास, आंखे गहरी और हरी रंग की, चेहरे पर हल्की बियर्ड और आंखो में तेज ।
वही तीसरी तरफ एक आदमी जिसनें काले रंग का कोर्ट पहना हुआ था, वो अपने एक गार्ड की गर्दन को कसकर पकडते हुए उसे एक तीखे कोने वाले सरिये में घोंपते हुए बोला " साले हरामियो,,, इतने दिन से तुम एक लड़की को नहीं पकड़ पाए,,,, यह दुनिया इतनी भी बड़ी नही कि आश्रित सिंघानिया के कदम उसे नाप ना पाये,,, तुम लोगो की हिमाकत भी कैसे हुई मुझे इंतजार करवाने की,, तीन महिने,,, तीन महिनो से मैं उसका इंतजार कर रहा हूं मेरे लिये इंतजार का हर एक लम्हा किसी साल से कम नहीं और तुम लोग आज भी निराश आंखो के साथ मेरे सामनें आ गये,,, मुझे हर हाल में वो लडकी चाहिये,,, अंडरस्टैंड और नॉट,,,,!!
तभी उसके सामनें खडे सभी गार्ड्स एक तेज आवाज में चिल्लाये " यस सर,,,,!! "
आश्रित नें चिल्लाकर कहा " नॉट ऑनली यस,,, आई वॉन्ट रिजल्ट,,,,!!
" यस सर,,,,"
आश्रित नें उसी गार्ड् की शर्ट से अपना खून से सना हाथ साफ किया और उस गार्डस को वैसे ही छोड दिया । उस गार्ड् में अब जान तो बची भी नही थी, वो तड़प तड़प कर वैसे भी मर चुका था ।
यह तीनो ही भाई जो एशिया के सबसे ताकतवर बिजनैसमैन्स और माफियाज कहलाये जाते थे, वो तीनो एक ही लड़की के पीछे दिवाने थे । तीनो एक दुसरे के जानी दुश्मन भी थे पर इस बात से भी अंजान थे कि तीनो की नजर एक ही लडकी पर है, तीनो के बीच दुश्मनी इस कदर थी कि एक दूसरे को मारने के लिये तैयार रहते थे ।
एक छोटा सा अपार्टमेन्ट.......
एक लडकी अपने बालो को सही करते हुए बेड से नीचें कदम रखती है,,, वो अंगडाई लेते हुए यहा वहां देखती है ।
वो लड़की बैचेनी से एक दिशा में देखते हुए बोली " सुरभि,,, सुरभि कहा हो तुम,,,, हमें बात करने है,,,,"
" यही हूं मेरी मां,,, बोल,,,," एक लडकी अपने काले लम्बें रूखे बालो को मसलते हुए मुंह में ब्रश ठूसे अंदर आते हुए उसे देखकर बोली ।
वो लड़की अपनी प्यारी सी स्माइल और गुडिया जैसी प्यारी सी सूरत के साछ बोली " तुम हमारे साथ चल रही हो न,,,! "
सुरभि नें उसकी बात से इंकार करते हुए गर्दन हिलाकर कहा " नहीं,, मुझे बार में जाना है आज मेरा डांस शो है वहां,,,,"
वो लडकी मुंह बनाकर बोली " तुम हमेशा ऐसे ही करती हो हमारे साथ,,,,,"
तभी सुरभि नें बेसिन में आकर कुल्ला करते हुए कहा " मैं नहीं आ सकती नितारा,,, तुझे पता तो है, मैं एक बार डांसर हूं यह सब के बीच तेरे साथ कहा जाऊं और यह सब पढाई लिखायी की चीजे देखकर मेरा सिर चकराता है,,, फिर मेरी वो सेठानी भी बहुत चेचे करती है,,, बात बात पर झगडती है,,, अगर लेट हो जाओ तो पैसे काट लेती है,,,"
" हां हां हम सब जानते है पर तुम भी तो जानती हो न, कि हम यहां नयें हैं किसी को नही जानते है,,, किसी से हमारी दोस्ती नहीं हैं,,,, कोई हमें पकड़ लिया तो,,,," नितारा डर से कांपते हुए बोली ।
सुरभि नें उसकी बात का मजाक उडाकर कहा " हां आप ही तो हो अप्सरा,, आपको ही तो उठाकर लेकर जाएगें,,, सारे गुंडे मवाली आपका राह ही तो देख रहे हैंं,,,, "
सुरभि नें यह बात मजाक में कही थी पर सुरभि को भी पता था कि वो लड़की सच में बेहद सुंदर थीं जब पहली बार सुरभि खुद नितारा से मिली थी, उसकी मासुमियत, उसका बात करने का लहजा और उसकी स्माइल के सामनें वो खुद भी नही सम्भल पायी थी ।
नितारा को जब उसनें तीन महिने पहले बंदूक की नोंक पर देखा था तबसे ही उसकी नजर में नितारा खुबसूरत होने के साथ ही बहुत ही ज्यादा बहादुर भी बन गयी थी वरना कोई पागल ही होगा जो खुद जाकर बंदूक की नोंक पर खडा होगा........
नितारा नें उदास चेहरा बनाकर कहा " ठीक है हम खुद ही चले जाएगे,, तुमको क्या लगता है हमारा कोई ओर दोस्त नहीं बन सकता,,, हम आपके भरोसे है यहांं,,, आप तो वैसे भी अपने काम में ही बीजी रहती है, हम जैसी बेवकूफ लड़की से आपको क्या ही फर्क पडेगां,, हमें किसी नें मार भी दिया,,, तो आपको तो कुछ भी फर्क नही पडने वाला,,,,,"
सुरभि उसकी एक इमोशनल बाते सुनकर अंदर रूम में आयी और उसके सामनें खडा होते हुए बोली " हो गयी है तुम्हारी इमोशनल ब्लैकमैलिंग शुरू,,,,"
" हमनें क्या किया,,,,?"
" यह आप बोलकर बात करना ही बता रहा है कि तुमनें क्या किया है,,, मैं अच्छे से जानने लगी हूं कि तुम जब नाराज होती हो तो यह आप आप निकलता है तुम्हारे मुंह सें,,,"
नितारा नें नाराजगी के साथ कहा " ऐसा कुछ नहीं है,,,,"
" बस करो तुम,,,, अच्छा मैं चलूंगी तुम्हारे साथ पर सिर्फ तीस मिनट के लिये फिर मुझे जाना होगा,,,,"
" ठीक है कोई बात नहीं,,, हमें चलेगा,,," नितारा नें खुशी से आंखे चमकाकर कहा ।
सुरभि उसकी स्माइल देखकर उसके गाल पर किस करते हुए बोली " हाय मार ही डालती हो तुम इस स्माइल के साथ, कसम से अगर मैं लड़की ना होकर लड़का होती तो अब तक तू मेरा ऑबसेशन बन चुकी होती,,,,"
नितारा नें मुस्कुराते हुए कहा " फिर तो अच्छा ही है कि तुम लडकी ही हो,, वरना तुम तो हमें हर रात अपने नीचे दबाकर सोती और हमें यह जोर जबरदस्ती पसंद नही है,,,,"
सुरभि उसे छेडते हुए अपना कंधा उसके कंधे से भिड़ाकर बोली " हां वो तो पता चल ही जाएगां, तुम कहा जानो आदमी की मोहब्बत जानू,,, एक बार अगर वो मोहब्बत की जिद्द पर आ जाये तो बचना मुश्किल होता है फिर तो जबरदस्ती भी होती है और जबरदस्त प्यार भीं,,,"
नितारा नें शर्माकर अपना चेहरा दूसरी तरफ किया, वो उसकी डबल मिनिंग बातो को समझ रही थी और उसकी बातों में पडना भी नही चाहती थी ।
कुछ महिनें पहले.....
सड़क पर लगातार गाडियां दौड रही थी, ब्लैंक कलर की उन गाडियो नें पूरा शहर नाप लिया था । सभी हैरान थे कि आज कौनसा सेलिब्रिटी या राजनेता मुम्बई शहर में आ गया है ।
किसी को नहीं मालूम था कि वहां क्या चल रहा था । वही एक लडकीं अपना सूटकैस निकाले एक टैक्सी से बाहर निकलीं, वो मुम्बई शहर में आज पहली बार आयी थी । मुम्बई को देखकर उसकी आंखो में चमक आ गयी ।
वो अपने आप से बोली " तो आज से हमारा नया सफर शुरू होता है,,, नितारा आज से यह दुनिया तुम्हारा इंतजार कर रही है,, हमें उम्मीद है कि हम यहां चैन से रहेगे और बहुत कुछ नया भी सिखेगें,,, जिंदगी में हमें इतने सालो बाद यह मौका मिला है,,, आज हम बहुत खुश है,,, बहुत खुश,,,,,"
नितारा में अपने हाथो को ऊपर उठाकर गहरी सांस भरी, वो आंखे बंद करके अपनी खुशी और मु्बई की हवाओ को महसूस कर रही थी कि तभी उसके कानो में एक तेज आवाज आयी ।
गन चलने की खतरनाक आवाज, जिसे सुन नितारा एकदम से चौंक जाती है, उसकी आंखे बड़ी बड़ी हो गयी । उसके चेहरे में आश्चर्य के भाव थे ।
वो सामनें देखती है तो तीन ब्लैक कार और उस कार के बाहर तीन काले सूट में तीन आदमी खड़े थे । तीनो की आंखे गुस्से से एक दूसरे को देख रही थी । "
वो एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे इसा वक्त जान से मार देगे । उनके चेहरे पर आक्रोश भरा हुआ था । चेहरा एकदम गुस्से से तमतमा रहा था ।
एक आदमी बोला " बंदूक नीचे कर,,,!!"
" कभी भी नहीं,,, तुझे मारने का मौका आज मिला है मुझे,,, तुझे तो मारकर ही आज पीछे हटूंगा,,,,"
तभी उन दोनो के सिर पर गन ताने तीसरा आदमी बोला " तुम दोनो ही हाथ नीचे कर लो,,, वरना आज सिर्फ तुम्हारी अर्थी यहां से जाएगीं,,,,,!!
" "मौत का खौफ किसे दिखा है,,, हर रोज मौत. का खेल खेलने वाला कभी मौत से नही डरता,,," उनमें से एक बोला .
वो तीसरा आदमी बोला " बंदूक नीचे कर अथर्व, वरना मौत का डर करीब से महसूस करवाने का मुझे काफी एक्सपिरियंस है अर्पण सिंघानिया को,,,,,,,"
दूसरा वाला बोला " सिर्फ सिंघानिया नाम में लग जाने से खून एक जैसा नही हो जातां,,, अर्पण,,, मारना है तो मार दे,,, और हिम्मत है तो चला गोली,,,,,"
तभी पहले वाले नें कहा "तुझमें भी है हिम्मत तो मुझे मारकर दिखा,,,, लेकिन याद रखना,,, आश्रित सिंघानिया नाम है मेरा, मरूंगा तो भी तुम दोनो ही कब्र खोदकर,,,,"
माहौल काफी खतरनाक होता जा रहा था । तीनो नें ही एक दूसरे पर बंदूर तान रखी थी और हाथ ट्रीगर पर था । औसा लग रहा था जैसे किसी भी वक्त ट्रीगर दबा और खेल खल्लास ।
वो तीनो ही गन चलाते इससे पहले ही वहां एक मासूमियत से भरी और धीमी सी पर पूरे जोर से एक वॉइस आयी " बस करिये आप तीनो,,,, रूक जाइयेंं,,"
वो तीनो ही लड़के उस लडकी को देखने लगे जो बंदूक की पॉइट पर आकर खडी हो गयी थीं मतलब उन तीनो के बीच.......
" रूक जाइयेंं,,,, मत लडाई करिये यहां,, आप तीनो की इस लडाई के चक्कर में सभी का काम अटक गया है,,, अगर आप तीनो को यह सब करना ही है तो किसी ओर जगह चले जाइये,,, आप लोगो को पता भी है एक दूसरे को मारकर आप कितना बडा अधर्म कर रहे थे,,,,, हमारे शास्त्रो में कहा गया है कि इंसान को चौरासी लाख योनियो में जन्म लेने के बाद इंसानी जीवन मिलता है और आप पता नहीं क्यो इस जन्म को खराब कर रहे है,,, हम आप तीनो से रिक्वेस्ट करते है प्लीज,,,, प्लीज अपनी कार सड़क से हटाइये ताकि बाकि लोग परेशान हो रहे हैं वो अपना काम कर सके,,,,"
यह लडकी कोई ओर नही बल्कि नितारा ही थी और उसे खुद को मालूम नही था कि जिन लोगो को उसनें अभी इतना लम्बा भाषण दिया है वो तीनो ही इस कॉन्टिनेन्ट के सबसे खतरनाक माफियाज ब्रदर थे । जिनके लिये यह शहर खत्म करना भी कोई बडी बात नही थी और एक अंजान लडकी, जो हवा के झोंके की तरह आयी और उन तीनो से नजर में नजर डालकर उन्हें यह सब कह रही थी ।
" कैसी होगी यह मोहब्बत की जंग, जहां एक लडकी के लिये तीन भाईयो के बीच की दुरियों ओर भी बढेगी,, क्या होगा इस मोहब्बत का अंजामंं....???
सभी की नजर नितारा पर ठहर सी गयी थी, वो उन तीनो को बारी - बारी देख रही थी । तीनो भाईयो की बंदूक उनके हाथ में थी पर अब उनका ध्यान बस उस पर था, वो अचानक से कहा से आयी थी ।
उन तीनो नें नितारा को देखा और अपना बंदूक नीचे कर ली । नितारा नें मुस्कुराकर कहा " हो सके तो अब अपना गाडी़ भी हटा लिजिये,,, आप लोग कही ओर जाकर लड़ लिजिये,,, वेसे तो लडाई झगडा अच्छी बात नही हैं,,, हो सकें तो लडाई मत करिये,,, हम नहीं जानते है आप तीनो लड़ क्यो रहे है,,, पर लडाई किसी समस्या का हल नही होती है,,,""
वो तीनो खामोश होकर उसे देख रहे थे, तभी सड़क पर दौड रही गाड़िया वहां पर आ गयी । नितारा ओर भी ज्यादा गाडिया देखकर घबरा गयी । अचानक ही किसी नें एक कार पर फायरिंग की तो वहां भगदड़ सी मच गयी । वो तीनो भाई जो अभी तक नितारा को ही देख रहे थे । अचानक हुई इस भगदड़ से एकदम ही सजग हो गये ।
तभी भीड़ में से ही किसी नें नितारा को पकड़कर खींच लिया । नितारा कुछ नही समझ पायी और कोई उसे भीड़ से ही ले गया । उस दिन के बाद इन तीनो भाईयो नें नितारा को कहा नही ढूंढा,, इस शहर से लेकर इस देश तक, पर उन्हें नितारा कही नही मिली । नितारा इन तीनो के लिये ही ऑब्शेसन बनती जा रही थी ।
हर एक दिन के साथ नितारा को यह तीनो भाई हर जगह ढूंढ रहे थे सिवाय उसी शहर के एक छोटी सी कॉलोनी एरिया के ! जहां नितारा एक छोटे से अपार्टमेन्ट में सुरभि के साथ रहती थी...
वो इस शहर में अपनी पढाई के लिये आयी थी । उसकी जिंदगी में सुरभि के अलावा फिलहाल कोई दोस्त नही था, पर उसका स्वभाव बहुत अच्छा था, कोई भी उसकी मासुमियत को देखकर उससे दोस्ती कर सकता था । नितारा, अभी सुरभि के साथ ऑटो से अपनी युनिवर्सिटी पहुची । छत्रपति शिवाजी युनिवर्सिटी, बेहद एडवास और टॉप युनिवर्सिटी । जहां तक नितारा अपनी मेहनत से आयी थी । सुरभि, ऑटो से बाहर निकली, नितारा भी युनिवर्सिटी को देखकर बहुत खुश हो रही थी ।
" अरे भईया कितने पैसे हुए "
" तीन सौ रूपये हुए है ,,,"
" किसे पागल बना रहे हो भईया, मीटर में तो सौ रूपये बता रखा है,,, देखो मेैं बम्बई की सडको को अच्छे से जानती हूं तो मुझसे चालकी मत करो "
" अरे मैडम वो, मैं,,,! ""
" लो पकडो अस्सी रूपये,,, झूठ बोलने के ₹20 काट लिया है,,,, "
" मैडम,, ऐसा तो मत करो "
" हां चलो,, चलो,,, झूठ बोलने से पहले सोचना था न,,,,"
सुरभि नें मुंह बना लियां ऑटो वाला समझ गया कि यह लड़की लॉकल ही है, उसके साथ ज्यादा माथा पोडी नही करनी चाहिये । वो चुपचाप पैसे लेकर निकल गया ।
" तो अब चलें,,,,"
" हां चलो,,, "
" देख मैं तेरे साथ आ गयी तो तेरे पैसे बच गयें,, अगर नही आती तो ऐसे ऑटो वाले तुझसे फालतू ही फैसे एठ लेते,,,"
" हां सही कहा,, तभी तो तुम हमारी गाइड हो,,, गॉड एंजल हो,,,"
" बस कर,,, ज्यादा मक्खन नही जचता मेरे को,,,," नितारा उसकी टॉन पर हंस पडी । नितारा और सुरभि युनिवर्सिटी पहुचे तो नितारा सारी युनिवर्सिटी को नजर घुमा घुमाकर बच्चो की तरह देख रही थी । सुरभि उसके चेहरे को देखकर मुस्कुरा उठी । वो एकदम मासूम लग रही थी ।
सुरभि नें एक दो लडकियों से प्रोफेसर के रूम का रास्ता पूछा, और नितारा को लेकर वहां पहुची । नितारा नें सारे पेपर जमा करवाये । सुरभि उसे देख रही थी तभी उसका मोबाइल बजा ।
उसनें मोबाइल की तरफ देखा फिर अपना माथा पकडकर बोली " आ गया सेठानी का कॉल,,, यार मैं आती हूं बात करनी पडेगी,,,"नितारा नें गर्दन हिला दी, वो फॉर्म फिल कर रही थी ।।
सुरभि बाहर आयी, उसनें कॉल उठाया, तो सामनें से एक बेहद खतरनाक तरिके से औरत चिल्लायी " तेरे को टाइम की कदर है कि नही,,, फालतू टाइम खोटी करती है,, तुझे पता है मेैं कितनी बीजी हूं,,,,"
" सेठानी,,, क्यो भड़क रही है,,,"
" क्यो ना भडकूं,,, तुझे सुबह आने को बोला था,, टाइम देखा है,,,, साली,,, तू इतनी बडी हो गयी कि मैं तुझे कॉल करूं,,,,"
" ऐ सेठानी, देख गाली नही देना,, जो भी है बोल पर गाली नहीं,,,,"
" दूंगी गाली,, क्या कर लेगी, साली साली साली,,, जल्दी से पहुच बार में,,, वरना मां बहन की गाली भी दूंगी,,,, "
वो औरत गुस्से से बोली, सुरभि नें दांत से होंठ काट ली । वो कॉल कट होने पक मोबाइल को देखकर बोली " गाली देगी,,,, इसकी बहन की......"
वो बोलते बोलते रूक गयी पर मन में तो गाली दे ही चुकी थी । इधर नितारा अपना फॉर्म लेकर बैठी थी तो सुरभि उसके पास आकर बोली " यार नितारा मुझे जाना होगा,,,,,, सेठानी का कॉल आया है,,,, वो बहुत चेचे कर रही है,,,, सॉरी यार,,,,"
नितारा नें सिर हिलाकर कहा " कोई बात नही तुम जाओ,,, हम चले जाएगे अब,,, और हमें माफ कर दो हमारी वजह से तुम्हें डांट पडी,,,,,"
" अरे कोई बात नही मेरा जान ! मैं तो तेरे लिये सूली चढ जाऊं,,, यह डांट क्या चीज है और सेठानी को तो मैं वहां जाकर बताऊंगी,,,," सुरभि नें बाजू से अपना शर्ट लपेटते हुए कहा ।
नितारा उसे देख मुस्कुरा दी । सुरभि उसे बाय बोलकर वहां से चली गयी । नितारा ने भी एक घंटे में सारा काम पूरा किया और खुशी से युनिवर्सिटी से बाहर आयी......
वो सड़क पर आकर ऑटो का इंतजार करने लगी पर वहां पर अभी कोई ऑटो नही था । वो अपने नाखुन को दांतो से दबाकर सामनें झांकने लगी ।
तभी एक वेन वहां पर आयी । नितारा अपनी पलको को झपकाकर वेन को देखने लगी, वो कुछ समझ नही पाती, क्योंकि किसी नें अचानक ही उसका हाथ खींच लिया था ।
वेन के अंदर नितारा को जोर से खींचा गया,, वो अपने आप को छुडाने की कोशिश करती है पर अंदर बेठे तगडे आदमियो नें उसे कसकर पकड लिया और उसका मुंह दबाते हुए उसे दबोच लिया ।
नितारा की आवाज भी नही निकल पा रही थी, वो झटपटा रही थी । नितारा कुछ नही समझ पायी, वेन का दरवाजा बंद हुआ और वेन तेजी से सड़क पर दौड पडी ।
"किसनें किया है नितारा का किडनैप , क्या तीनो माफिया ब्रदर में से कोई? क्या होगा आगे जानने के लिये बने रहिये "
नितारा को एक रस्सी से बांधा हुआ था, वो बेहोश पडी थी । उसके आस पास ओर भी लडकियां थी । नितारा अभी हल्की बेहोशी की हालत में थी पर वो अपने आस पास लडकियों की रोने की आवाज और सिसकियां सुन सकती थी,,, वो हल्की हल्की आंखे खोलकर देखती है तो वहां पर काफी छोटी उम्र से लेकर बडी उम्र तक की लडकियां थी,,, जिन्हें बुरी तरह रस्सियो से जानवर की करह बांधा हुआ था । नितारा की तरह बाकि लडकियां भी जमीन पर पडी थी । नितारा हल्के होश में थी । वो सभी तरफ देख रही थी । लडकियो के कपडें फटे हुए थे और चेहरा काला पीला हो गया था । कपडे और शरीर दोनो की हालत ही खराब थी ।
नितारा जब यह सब देखती है तो उसाक दिल भी धडकने लगता है । बैचेनी और डर उसके चेहरे पर आने लगता है । हालांकि वो होश में नही थी पर उसे इतना तो समझ आ रहा था कि जहां पर भी यह कोइ सेफ जगह नही कर है ।
नितारा जान गयी थी कि वो किसी बहुत बडे डेंजर में फंस गयी है जहां से निकलने का रास्ता उसे भी नहीं पता था, नितारा पर वापस बेहोशी छाने लगी और वो बेहोश हो गयी ।।
इधर आश्रित सिंघानिया अपने ऑफिस से घर की तरफ जा रहा था । वो रॉल्स रॉयल में बैठा था । उसके सामनें उसका सेक्रेट्री " प्रतीक शर्मा "भी बैठा हुआ था,, आश्रित के साथ आना किसी बहुत बडे रिस्क में रहने से कम नही था । उसे ऐसै लग रहा था जैसे कब यह सफर खत्म हो और वो कब अपने घर जाये ।
प्रतीक को तो इतनी घुटन हो रही थी कि वो वहां पर बैठ भी मुश्किल से पा रहा था, आश्रित उसे एक नजर देखता है तो प्रतीक नें उसे स्माइल के साथ देखा पर वो ही जानता था कि उसे मुस्कुराने के लिये रोज कितनी प्रैक्टिस करनी पडती थी वरना एक कॉल्ड हार्टेड सिरियस पर्सन जो कभी हंसता ही नही था, उसके साथ कौन रह सकता है ।
तभी प्रतीक के पास एक कॉल आयी, उसनें कॉल रिसीव किया । वो बोला " औके हम पहुच रहे है,,,"
प्रतीक नें आश्रित को देखते हुए कहा " सर वो स्मगलर गैंग का पता चल गया है,,, वो लोग आज रात ही कुछ लडकियों को शीपॉर्ट से एक्सपोर्ट करने वाले है,,,,"
आश्रित नें अपने माथे पर हाथ फेरकर कहा " गाडी वही ले चलो, जहां वो लोग है,,, मेरे इलाके में उनकी ऐसा नीच काम करने की हिम्मत भी कैसे हुई,,,, सभी को जिंदा गाड़ दूंगा,, सालो को,,,,"
प्रतीक नें अपना सिर हिलाया पर वो जानता था कि अब उन गिरोह की खैर नही है । आश्रित जो साउथ मुम्बई के सारे पोर्ट सम्भालता था, उसे अपने काम में गंदगी पसंद नही थी । वो कितने ही लोगो को मारता, उनका कत्ल करता पर औरतो और बच्चो को बेचना यह उसका व्यापार नहीं था ।
कुछ ही देर में आश्रित और उसके गार्ड्स से गाडियां एक जगह पर आकर रूकी । कुछ लोग जो एक गोदाम के बाहर खडे थे । ट्रक जिनमें माल भरा जा रहा था । माल के साथ ही लडिकयों को भी भरा जा रहा था । आश्रित की कार्स को लेकर वहां मौजूद सभी गैंग मेम्बर्स चौकन्ने हो गये । वो सभी जानते थे कि यह कार्स किसी आम आदमी का नहीं है । आश्रित भी कार से बाहर नही निकला । गैंग के मेम्बर्स नें अपने हथियार तैयार कर लिये । वो सभी बंदूक लेकर आश्रित की गाडियो को चारो ओर से घेर लेते है ।
आश्रित चुपचाप अपने होंठो पर फिंगर टिकाये खामोश बैठा था । प्रतीक नें अपने सीने को एकदम छुआ, उसनें अंदर बूलेट प्रूफ जैकेट पहना हुआ था, पर कही ना कही उसे डर भी था कि कोई बुलेट उसे ना छेद दे ।
आश्रित चुपचाप बैठा था, एकदम काम, उसके चेहरे पर एक सिकन तक नही आयी । सभी गैंग मेम्बर्स नें उसे चारो ओर से घेर लिया था ।
" जो भी हो,, बाहर निकालो वरना जान से जाओगे,,,," गैंग का एक मेम्बर बोला.
आश्रित और उसके गार्ड्स में से कोई भी बाहर नही आया । वो गैंग मेम्बर्स एक साथ आश्रित की कार पर गोलियां चलाने को तैयार हो गये पर तभी एक जोरदार धमाका हुआ ।
जो ट्रक वहां खडे थे, उनमें ब्लास्ट होने लगा, एक एक करके सारे ट्रक आग में जलने लगे । सभी गैंग मेम्बर्स हैरत से भर गये । यह सब क्या था, यह कौनसा अटैक था । आश्रित कोइ आम आदमी नही था, उसनें दस मिनट पहले ही सारा गोदाम सील करवा दिया था और अपने बंदे घरो की छत के ऊपर तैनात कर दिये जो एक से बढकर एक थे, उनका निशाना तो एकदम सटीक था और एक भी निशाना मिस होने का चांस नही थां, आश्रित को तो अपने गार्ड्स को भी तकलीफ देने की जरूरत नही थी । उसके तैनात आदमी ही सारा काम खत्म करने के लिये काफी थे ।
आश्रित नें देखा कि बाहर का माहौल एकदम आग में घिर गया है तो वो अपने कोट के बटन खोलते हुए, अपनी एक लम्बी गन को उठाता है,, उसके गार्ड्स भी पीछे कार्स से बंदूक थामे बाहर निकले ।
देखते ही देखते उन गार्ड्स नें प्रति सैकेंड के हिसाब से दडा दड गोलियां चलाना शुरू कर दिया । गैंग के मेम्बर्स और यहां तक की अंदर जो लीडर था वो भी कुछ नहीं कर पाया । कुछ ही पलो में आश्रित के गार्ड्स नें ही सारा गोदाम आग में जला दिया । बस उस जगह तक आग नही गयी जहां वो लडकियां और नितारा कैद थी । आश्रित कार से बाहर निकला और अपने सेक्रेट्री के साथ हाथ में गन पकडे, वहां से ठिकाने की तरफ बढने लगा ।
अंदर गिरोह का लीडर था, जो डर से वहां से भागने की तैयारी कर रहा था पर आश्रित नें उसकी पीठ पर अनगिनत गोलियां दाग दी । वो इस वक्त कोई इंसान नही बल्कि खूंखार शैतान लग रहा था । नितारा जो गोलियो की आवाज से हल्की सी होश में आयी, वो आश्रित का चेहरा देख लेती है जो लगातार गोलियां बरसा रहा था । हालांकि वो चेहरा हल्का था, पर नितारा नें उसे देख लिया था । बाकि लडकिया भी यह सब देखकर डर गयी थी । प्रतीक नें सभी लडकियो को खोला तो लडकियां रोने लगी ।
" हमें जाने दो,, हमें मत मारो,,," वो रोते हुए बोली ।
प्रतीक उन्हें समझाते हुए बोला " हम यहां किसी को मारने नही बचाने आये है"
लड़कियां इतनी घबरायी हुई थी कि उसे किसी बात पर विश्वास ही नही हो रहा था । लडकियो को प्रतीक नें आराम से समझाया और उन्हें बाहर खडी एक ब्लैक कार में जाकर बैठने को कहा ।
वो सभी पहले तो डर रही थी पर प्रतीक बोला " यहा जल्दी ही आग पकडने वाली है,,, बाहर बहुत ज्यादा तबाही हो चुकी है अगर आप सभी जिंदा रहना चाहती हो तो प्लीज,, बात मानिये और बाहर कार में जाकर बैठ जाइये,, आप सभी को आपके घर तक सुरक्षित पहुचाया जाएगा,,,,"
लडकियों ने जब बाहर झांका तो सच में चारो तरफ आग ही आग थी, उनके पास ओर कोई चारा नही था । वो यहा रहती तो भी मौत के मुंह में ही जाती ।
बाकि सभी लडकियां बाहर की तरफ भागी पर नितारा जो बेहोश थी, वो जमीन पर ही पडी थी ।। प्रतीक नें उसे देखा फिर उसे उठाने के लिये आगे कदम बढाये । वही आश्रित जो उस लीडर के पास खडा था, वो अचानक ही नजर उठाकर नितारा की तरफ देखता है,,, उसके चेहरे पर उसकी जुलफो नें हल्का सा ढक रखा था । पर नितारा को वो पहली नजर में ही इतनी गहरायी से देख चुका था कि उसकी एक झलक में ही वो उसे पहचान गया ।
प्रतीक जो उसे उठाने के लिये अपने हाथ उसकी तरफ बढाता है तभी आश्रित जोर से चिल्लाया " उसे छूना भी मत,, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,, No one can touch her..... Because i own her...."
प्रतीक तो अपने बॉस की आवाज सुन वही स्टैच्यु बन गया, हाथ एक जगह रूक गये और टांगे कांपने लगी । उसे समझते देर नही लगी कि यही वो लडकी है जिसके लिये आश्रित नें पिछले तीन महिनो से उसकी जिंदगी को जाहन्नुम बना रखा था । वो नितारा को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं कर सकांं, और अब उसका क्या होगा यह तो उसे भी नहीं पता था ।
" क्या करेगा आश्रित नितारा के साथ, क्या एक कॉल्ड हार्टेड पर्सन एक मासूम लडकी के लिये सॉफ्ट हार्टेड बन पाएगा,,,,,?"
आश्रित, नितारा के पास आया, उसनें नितारा के चेहरे पर धीरे से बाल हटाया,, नितारा का चेहरा उसके सामनें था । इतने दिनो से जिस लड़की वो ढूंढ रहा था, वो अभी उसकी आंखो के सामने थी । उसके हाथो में कंपन था जो उसे महसूस हो रहा था ।
नितारा उसे एक नाजुक कली की तरह महसूस हो रही थी, जिसे वो उठाने से भी घबरा रहा था । वही उसका सेक्रेट्री यह सब चुपचाप देख रहा था । उसनें आजतक अपने बॉस के हाथो को कभी कांपते हुए नही देखा था, यहां तक कि तब भी नहीं जब वो किसी को मार देता था ।
मगर आज एक लड़की को छूने से पहले भी वो इतना सोच रहा था । आश्रित नें धीरे से नितारा के गाल को छुआ,,, उस पल आश्रित को अपनी बढती हुई धडकने महसूस हुई । उसनें ऐसा फिल कभी नही किया था । ना भी बहुत बडी डिल क्रेक करने पर और ना ही कभी किसी को जान से मारने पर । मगर नितारा को छुकर जैसे उसके अंदर तक कुछ तो हिल गया था ।
शायद उसका दिल या फिर उसका किरदार । वो नितारा को अपनी बांहो में एकदम आराम से उठाता है । वो घबरा रहा था कि कही नितारा को कोई खरोच ना आ जाये । नितारा को उसके एक नवजात बच्चे की तरह सम्भाला हुआ था ।
बेहोश नितारा को तो यह भी नहीं मालूम था कि वो अभी एक माफिया की बांहो मे है और वो माफिया नितारा पर पहली नजर में अपना दिल हार बैठा है ।
आश्रित नितारा को लेकर कार में बैठ गया । प्रतीक भी कार में बैठने लगा पर आश्रित नें अपनी उंगली को हिलाया तो प्रतीक वापस बाहर निकल गया । वो समझ गया था कि आश्रित अकेला ही जाना चाहता था पर उसे कही ना कही नितारा की फिक्र हो रही थी । एक अनजान लडकी जब अपने आप को एक अनजान लडके की बांहो में देखेगी तो उसका रिएक्शन क्या होगा । कार का दरवाजा बंद हुआ, आश्रित की कार उस गोदाम से बाहर निकलकर सड़क पर दौड़ने लगती है ।
उसके पीछे उसके बॉडीगार्ड की कार भी थी,,,, आश्रित एक बहुत बडे विला के बाहर था,, विला का दरवाजा खुला तो कार अंदर गयी ।
आश्रित नें नितारा को सम्भालकर कार से बाहर निकाला । नितारा को वो सीधा अपने कमरे की तरफ लेकर जा रहा था। उसके हाऊस हेल्पर्स जो वहां पर मौजूद थे, उन्होने जब एक अनजान लड़की को आश्रित की बाहों में देखा तो उन सभी को भी हैरानी हो रही थी क्योंकि आश्रित आज तक किसी भी लड़की को अपने घर पर नहीं लेकर आया था और यहां तक की उसका तो किसी लड़की के साथ बात करना भी बहुत रेयर था ।
तो फिर अचानक की लड़की कौन थी जो उसकी बाहों में थी सभी यही सोच रहे थे लेकिन आश्रित से पूछने की किसी की हिम्मत नहीं थी । आश्रित नितारा को लेकर अपने बड़े से कमरे के अंदर आया जो काफी महंगी चीजों से सजा हुआ था और पूरा कमरा सफेद और काले कलर से सजा हुआ था । उसमें किसी और रंग की एक भी चीज मौजूद नहीं थी । ऐसा लग रहा था जैसे यह आदमी ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी जीता है ।
आश्रित नें बहुत संभाल कर नितारा को बेड पर लेटाया । तभी उसका सेक्रेटरी एक फीमेल डॉक्टर को लेकर वहां पर पहुंच गया था । आज तक इस मेंशन में कभी फीमेल डॉक्टर भी नहीं आई थी ।
आश्रित ने जब डॉक्टर को देखा तो एक तरफ हट गया लेकिन उसकी नज़रें नितारा पर ही बनी हुई थी । नितारा का चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने उसे एक इंजेक्शन दिया ।
भले ही इंजेक्शन नितारा को लग रहा था लेकिन आश्रित की आंखें एकदम लाल हो गई । उसनें डॉक्टर को घूरा तो डॉक्टर आश्रित को देखते हुए डरकर बोली " जल्दी होश जाएगा,,,,,,"
आश्रित ने अपने दांतों को कसकर दबा लिया हालांकि उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन इस वक्त उसने कुछ भी नहीं कहा । डॉक्टर चुपचाप वहां से चली गई उसके जाने के बाद आश्रित ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया ।
वो अब किसी को भी अंदर नहीं आने देना चाहता था यह देखकर वहां मौजूद सभी हाउस हेल्प पर और यहां तक की प्रतीक भी बहुत हैरान था । यह कैसा दीवानापन था? यह कैसा जुनून था? क्या किसी को एक नजर में भी किसी से इतनी मोहब्बत हो सकती है । क्या सच में यह मोहब्बत है या फिर सिर्फ एक आकर्षण । प्रतीक तो यही सोच रहा था।
आश्रित कमरे के अंदर आया घुटनों के बल जमीन पर ही बैठ गया । वो माफिया जो कभी किसी जमीन पर नहीं बैठा था । आज न जाने क्यों वो एकदम सुध बुध चुका था और सिर्फ एक ही चेहरा देखना चाहता था । वो नितारा के चेहरे को बस देखता ही जा रहा था ।
उसकी आंखों में उसका दीवानापन उसका ऑबशेशन साफ दिखाई दे रहा था ।
वो इतनी देर से पहली बार बोला " तो तुम मुझे मिल गई डॉल,,, कितना इंतजार करवाया तुमने मुझे,,,, जब से मैंनें तुम्हें पहली बार देखा है मैं तब से सो नहीं पाया,,,, कितनी रातों से सिर्फ तुम्हारा चेहरा दिमाग में आ रहा था,,,,, तुमने जब मेरी तरफ देखकर मुझे डांटा था,,, तब लगा नहीं था कि किसी पर मेरी नजर इस तरह से ठहर जाएगी,,,, मैं खुद नहीं जानता था कि मुझे क्या हुआ है,,,, लेकिन हर एक लम्हा हर एक पल में सिर्फ तुम्हें ही याद करता था,,, मैं अब तुम्हें अपने आप से दूर नहीं जाने दूंगा,,,,, तुम्हें अब हमेशा अपने करीब रखूंगा,,,,, मैं कभी किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटता लेकिन आज तुम्हें छूने से पहले भी मैं 100 बार सोच रहा हूं,,,,, जल्दी होश में आ जाओ, मैं तुमसे बहुत सारी बातें करना चाहता हूं,,,,,!!
आश्रित, नितारा को निहारते हुए यह सब बोल रहा था । वो हल्के से नितारा के होंठो को उंगलियो से टच करता है । उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा,, उसके चेहरे पर नितारा को लेकर दीवानगी दिखाई दे रही थी । एक माफिया जो एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन भी था इसके आगे पीछे में जाने कितनी ही लड़कियां थी ।
जो किसी लड़की को एक बार देख ले तो उसको दीवाना बना ले लेकिन, वो खुद किसी का दीवाना हो जाएगा उसने यह तो कभी नहीं सोचा था । नितारा पर उसकी नजरें ठहर सी गयी थी ।
" क्या होगा जब नितारा, अपने आप को एक अनजान जगह पर देखेगी,"
नितारा को धीरे धीरे होश आने लगा,,, वो धीरे धीरे अपनी आंखे खोलती है पर चारो तरफ अंधेरा था । उसें अपने सिर पर कुछ भार महसूस हो रहा था । वो अंधेरे में ही देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । उसका हाथ अपने सिर पर जाता है । उसने महसूस किया कि यह हाथ किसी लडकी का तो नही था । क्योंकि हाथ काफी सख्त और उसमें नसें ऊभरी हुई थी । वो एकदम घबरा जाती है और तुरंत उठकर बैठ जाती है. अगले ही पल पूरे कमरे में लाइट्स ऑन हो जाती है ।
वो देखती है कि उसके सामने एक बहुत ही हैंडसम हरी आंखों वाला आदमी था जो प्यार से उसे ही देख रहा था । नितारा को यह चेहरा देखा देखा सा लग रहा था । मगर कौन उसे याद नहीं आया,, वो एक पल के लिए तो आश्रित को खुद ही देखती ही रह जाती है,,, क्योंकि वो इतना डैशिंग था कि उसके ऊपर से नजरे हटा पाना बहुत ही मुश्किल था । नितारा को अपनी तरफ ऐसे देखते हुए आश्रित मुस्कुरा देता है...
वो मुस्कुराकर बोला " डॉल,,, तुम्हें होश आ गया,,," नितारा उसकी आवाज सुन होष में आती है ।
नितारा उसे देखकर धीमी आवाज में कांपकर बोली " माफ कीजिए क्या बोला आपने,,,,,डॉल??
"हां,, तुम मेरी डॉल ही तो हो,,, !
" लेकिन हम आपको जानते नहीं है और आप कौन हैं? हम यहां क्या कर रहे हैं?"
" तुम मुझे जानती हो,,,,, याद करने की कोशिश करो,,,," वो नितारा की हथेली को थामते हुए बोला । नितारा उसकी छुअन से डर जाती है और अपने हाथ को पीछे खींच लेती है,, आश्रित उसके ऐसे करने से उसके चेहरे को देखने लगता है । नितारा घबरा गयी थी, आश्रित नें अपने हाथो को पीछे करते हुए कहा " मुझे माफ करना मैंनें तुम्हें छू लिया,,,," नितारा नें उसे देखा, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वो आदमी माफी मांगेगा ।
नितारा नें कुछ नही कहा । वो उसका चेहरा याद करने की कोशिश कर रही थी । नितारा को अचानक याद आता है कि यह तो वही आदमी है जो की गोदाम में किसी को बुरी तरह मार रहा था । वो उस पल को याद करते ही एकदम घबरा जाती है ।
वो घबराकर बोली " आप,,, आप,,, खूनी है,,,,"
नितारा बेड से ही पीछे खिसक गयी,, उसके चेहरे पर घबराहट थी । आश्रित नितारा को पीछे जाते हुए देखकर बोला" तुम गलत समझ रही हो,,,, मैंने उसे इसलिए मारा था क्योंकि वो आदमी अच्छा नही था,,,,"
नितारा रोते हुए बोली" आप हमें यहां पर क्यों लेकर आए हैं आप हमें अपने घर जाने दिजिये,,, हमें आपसे डर लग रहा है,,, हम आपके साथ यहां पर ज्यादा देर तक नहीं रह सकते,,, प्लीज हमें मत मारियेगा,,,,"
नितारा की आंखो में आंसू भर आये, आश्रित का तो दिल जोर-जोर से धड़कने लगा क्योंकि उसे लगा था कि वो नितारा को अपने पास रखेगी लेकिन नितारा तो उसे देखकर कितना डर रही थी कि उसकी आंखों में आंसू आ गए थे।
आश्रित नें खडे होते हुए उसकी तरफ बढकर कहा " डॉल,,,, मैं,, तुमसे बात करना चाहता था,,, "
मगर नितारा तो उसे अपनी तरफ आते हुए देखकर बहुत ज्यादा डर जाती है और पीछे पीछे खिसकने लगती है । वो इतनी पीछे आ जाती है कि बेड से नीचे गिरने वाली होती है । आश्रित नें नितारा को पकड लिया । वो नितारा को अपनी तरफ खींचकर उसे लेकर बेड पर गिर जाता है । दोनो इतने करीब आ गए थे कि उनकी सांसे आपस में उलझ गई थी । नितारा का तो डर से बुरा हाल हो गया था । लेकिन उसे पल भी उसकी नजर एक पल के लिए ही सही लेकिन आश्रित पर ठहर गई थी । आश्रित तो नितारा के चेहरे को एकदम पास से देख रहा था, वो नितारा की कमर को कसकर पकडे हुए था ।
नितारा नें आश्रित को देखते हुए कहा " प्लीज हमें जाने दीजिए,,,,!
आश्रित का ध्यान अभी कहीं और नहीं था उसकी नजर तो सिर्फ नितारा के होठों पर ठहरी हुई थी । नितारा जब बोल रही थी उसके हों हिल रहे थे और जब उसके होंठ हिल रहे थे तो आश्रित की धड़कन तेज हो गई थी । वो नितारा को अपने ओर करीब खिंचता है,, उसके होंठो को अपनी उंगलियो से टच करने लगता है । नितारा नें आश्रित के चेहरे को देखा । वो समझ नही पा रही थी कि आश्रित क्या कर रहा था ।
" your lips are so tasty doll,, can i taste them,,,,,," आश्रित नें नितारा के होंठो को देखते हुए कहा ।
नितारा यह सुनते ही घबरा गयी । उसनें अपने होंठो को दांतो के नीचे दबा लिया। आश्रित उसकी इस अदा पर हल्का सा मुस्कुरा उठा । आजतक किसी वजह से उसके चेहरे पर इतनी बड़ी मुस्कुराहट नहीं आई थी जितनी अभी आ गयी थी ।
नितारा नें उसे मुस्कुराते हुए देखा तो बोली" आप हमें क्यों परेशान कर रहे हैं,,, हम तो आपको जानते भी नहीं है,,,, आप हमारे साथ ऐसा मत करिए,,,, प्लीज हमें जाने दीजिए,,,,,"
आश्रित नें उसे बेड पर लेटाया और खुद उसके ऊपर आकर उसकी आंखो में देखते हुए बोला " तुम इतने दिनों बाद मुझे मिली हो,,, मैं तुम्हें जी भर कर देखना चाहता हूं,,, मुझे तम्हें को देखने दो,,, मैं वादा करता हूं कुछ नही करूंगा,,,, "
नितारा की सांसें तेज थीं, उसकी आंखें डरी हुई थीं लेकिन उनमें एक अजीब सी चमक भी थी — जैसे वो खुद को समझाने की कोशिश कर रही हो कि ये सब एक सपना है, मगर उसकी धड़कनें उसे झूठा साबित कर रही थीं।
आश्रित अब भी उसके ऊपर झुका हुआ था, उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे वो कुछ कहना चाहता हो, मगर शब्दों से ज्यादा उसकी आंखें बोल रही थीं।
"तुम इतने दिनों बाद मुझे मिली हो... मैं तुम्हें जी भर कर देखना चाहता हूं..." उसकी आवाज धीमी थी, मगर उसमें एक गहराई थी जो नितारा के दिल तक उतर रही थी।
नितारा ने कांपते हुए कहा, "आप हमें क्यों ऐसे देख रहे हैं... हम कोई चीज नहीं हैं... हम इंसान हैं... प्लीज हमें जाने दीजिए..."
आश्रित ने उसकी आंखों में देखा — बहुत गहराई से। फिर वो धीरे से बोला, "तुम चीज नहीं हो... तुम मेरी कमजोरी हो... मेरी दीवानगी हो..."
उसके शब्दों ने नितारा को और डरा दिया। उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, मगर आश्रित ने उसकी कमर को और कस लिया। उसकी पकड़ में कोई हिंसा नहीं थी, मगर एक पागलपन जरूर था।
"तुम्हें पता है डॉल... जब तुम बेहोश थी, मैं बस तुम्हारा चेहरा देखता रहा... तुम्हारी सांसें सुनता रहा... तुम्हारे बालों को छूता रहा... और सोचता रहा कि तुम मेरी हो..."
नितारा की आंखों से आंसू बहने लगे। "प्लीज... प्लीज हमें छोड़ दीजिए... हम किसी के नहीं हैं... हम सिर्फ खुद के हैं..."
आश्रित ने उसकी बात सुनी, मगर उसकी आंखें अब भी उसके होंठों पर टिकी थीं। उसने अपनी उंगलियों से नितारा के होंठों को हल्के से छुआ — जैसे वो किसी पूजा की चीज को छू रहा हो।
नितारा की आंखें बंद थीं, उसकी सांसें थमी हुई थीं। आश्रित का चेहरा उसके बेहद करीब था — इतना करीब कि उसकी गर्म सांसें नितारा के गालों को छू रही थीं। कमरे में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे वक्त भी रुक गया हो।
आश्रित की उंगलियां अब भी नितारा के होंठों के पास थीं। वो उन्हें महसूस कर रहा था — जैसे कोई भूखा इंसान पहली बार खाना देख रहा हो। ।
नितारा ने अपनी आंखें खोलीं — डर अब भी था, मगर उसके भीतर एक और उलझन भी उठ रही थी...। वो समझ नहीं पा रही थी कि ये आदमी उसे क्यों ऐसे देख रहा है... क्यों उसकी हर हरकत में एक जूनून है... और क्यों उसके शब्दों में एक अजीब सा मोह है।
"प्लीज..." नितारा ने कांपते हुए कहा, "हमें जाने दीजिए... हम यहां नहीं रह सकते..."
आश्रित ने उसकी बात सुनी, मगर उसकी आंखें अब भी उसकी आंखों में थीं। उसने धीरे से कहा, "तुम्हें जाना है...? लेकिन तुम मुझे अभी तो मिली हो,, मैं डरता हूं कि कहीं मैं तुमसे दोबारा दूर ना हो जाऊं ......."
नितारा की आंखों से आंसू बहने लगे। "आप हमें क्यों ऐसे कैद करेगे.. हम कोई ख्वाब नहीं हैं... हम हकीकत हैं... और हमें डर लग रहा है..."
उसने धीरे से अपनी पकड़ ढीली की, और नितारा को थोड़ा पीछे किया।
"तुम्हें मुझसे डर लग रहा है?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ में अब दर्द था।
नितारा ने सिर हिलाया । आश्रित ने गहरी सांस ली, और फिर धीरे से बोला, "मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा... लेकिन मैं तुम्हें जाने भी नहीं दूंगा..."
उसने नितारा की ठुड्डी को हल्के से उठाया, और उसकी आंखों में देखा।
" अब तुम मेरी हो... और मैं तुम्हें खो नहीं सकता..." नितारा ने उसकी आंखों में देखा — वहां अब सिर्फ मोह नहीं था, वहां एक जुनून था... एक ऐसा जुनून जो किसी भी हद तक जा सकता था।
वो डर से अंदर ही अंदर कांप गई, मगर उसकी नजरें अब भी आश्रित से हट नहीं रही थीं।
"अगर आप हमें सच में चाहते हैं..." नितारा ने धीमे से कहा, "तो हमें आज़ाद कर दीजिए..."
आश्रित ने उसकी बात सुनी, और फिर एक लंबी चुप्पी के बाद बोला — "आज़ादी...? डॉल...तुम मेरी दुनिया हो... कोई अपनी दुनिया को कैसे आजाद कर सकता है,, दुनिया तो मरते दम तक साथ चलती है. मैं चाहकर भी तुमसे दूर नहीं निकलना चाहता, Because i feel peace in your arms...."
नितारा यह सुन जोर जोर से सिसकते हुए रोने लगी । उसे अचानक रोते हुए देखकर आश्रित के चेहरे पर सिरियसनेस आ गयी । वो अपनी डॉल को ऐसे रोते हुए देखकर बर्दाश्त नही कर पा रहा था ।
" क्या आश्रित, नितारा को आजाद करेगा? क्या होगी आश्रित के इस जूनून का असर और क्या होगा जब अपर्ण और अर्थव को नितारा का पता चलेगा,,,,"
आश्रित उसे रोते हुए देखकर उसके चेहरे को करीब करता है ।
वो बैचेन होकर बोला " प्लीज डॉल,, डॉन्ट बी क्राई,,, प्लीज,, आई कान्ट सी योर टिअर्स,,,"
आश्रित की बैचेनी और तड़प उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी । आश्रित की बात सुन नितारा नें फफकते हुए कहा " तो,,, जाने,,, दिजिये,,, हमें,,, हमें,,, घर जाना,,, है,,,,"
आश्रित नें नितारा की ओर देखा, वो नितारा के चेहरे को देखता रहा । एक लम्बी चुप्पी के बाद उसनें बड़ी मुश्किल से कहा " ठीक है मैं जाने दूंगा,, पर मैं तुम्हें छोड़कर आऊंगा,,, तुम अकेले नही जा सकती हो,,,,"
आश्रित की बात सुन नितारा कुछ खामोश हुई,, वो उसे देखते हुए नम आंखो के साथ बोली " हम,,, चले जाएगे,,,,"
आश्रित उसकी कलाई को पकडते हुए " नहीं,, अगर ऐसा रहा तो मैं तुम्हें जाने ही नहीं दूंगा,,,,"
नितारा घबरा गयी, वो ना चाहते हुए भी उसके साथ जाने को मान जाती है । आश्रित उसके ऊपर से हट गया । पर उसकी नजरें अभी भी नितारा को ही देख रही थी । वो खुद ही जानता था कि नितारा को जाने देने में उसकी तो जैसे जान ही जा रही थी । नितारा को वो अपने साथ रखना चाहता था,,, पर उसके आंसूओ नें आश्रित के पत्थर दिल को भी पिघला दिया । वो आज बेबस हो गया था । पर यही बेबसी उसकी दिवानगी को बढाने वाली थी ।
नितारा बेड से नीचे उतरने लगी, तो आश्रित नें उसी वक्त उसे अपनीं बांहों में उठा लिया । नितारा घबरा गयी और उसकी शर्ट को कसकर पकड लिया । वो घबरायी नजरों से उसे देख रही थी ।
नितारा नें घबराते हुए कहा " हमें,, नीचे उतार दिजिये,,,,"
आश्रित नें उसे अपने ओर करीब खींच लिया । वो नितारा की आंखो में देखते हुए बोला " जितने लम्हें तुम मेरे साथ हो, उतने लम्हें में मुझे तुमसे तुम भी जुदा नही कर सकती हो,,,,"
नितारा नें अब कुछ नही कहा, वो शांत हो गयी पर उसकी घबराहट कम नही हो रही थी । आश्रित उसे कमरे से बाहर लेकर आया । कुछ हाउस हेल्परस जो काम कर रहे थे, उन दोनो को देखते है पर किसी नें अपने काम से नजरे नही हटायी । आश्रित तो चुपचाप उसे उठाकर चल रहा था । पर नितारा ऐसे अनजान लोगों को जो अपनी तरफ ऐसी दिखती है तो फिर उसे भी अजीब लगता है उसमें कभी भी ऐसा कुछ फील नहीं किया था और ना ही किसी अनजान लड़के की बाहों में इस तरीके से आई थी । वो तो कभी किसी लड़के से भी ढंग से बात नहीं कर पाती थी । मगर आज एक अनजान जो की उसके लिए काफी ऑब्शेसड था, वो नितारा को अपनी बांहो में पकड़े हुए था ।
आश्रित नितारा को अपनी कार में बैठाता है । नितारा चुपचाप कार में बैठ गयी, आश्रित नें ध्यान से नितारा की सीट बेल्ट लगायी । नितारा उसे ही देख रही थी ।
आश्रित उससे दूर हुआ, वो कार में आकर बेठता है । उसनें कार स्टार्ट की,, मगर नितारा की हथेली को दूसरे हाथ से कसकर पकड़ लिया ।
नितारा उसे देख रही थी उसे यह इंसान कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । आखिर फिर कोई पहली मुलाकात में इतना दीवाना कैसे हो सकता है ।
आश्रित की कार सड़क पर दौड रही थी,, नितारा नें उसे अपने घर का एड्रेस बताया ।
इधर सुरभि जो शाम को अपने काम से लौटी कुछ नहीं जब घर पर देखा तो नितारा नही थी । नितारा का कॉल भी नही लग रहा था ।
वो काफी घबरा गयी,,, नितारा कभी ऐसा नहीं करती थी । आसपास पूछने पर भी उसे पता चला कि नितारा तो दोपहर में आई ही नहीं थी । वो अपनी दोस्त की मिसिंग कंप्लेंट लिखने के लिए पुलिस स्टेशन गई ।
वहां पर पुलिस से भी उसने लड़ाई कर ली लेकिन पुलिस ने 24 घंटे से पहले एफआईआर लिखने से मना कर दिया ।
वो पुलिस स्टेशन के बाहर खडी, रोते हुए बोली " कहा चली गयी वो,, मैंनें तो उसे कहा था कि घर आ जाना मेरी ही गलती है,,, उसे घर पर छोड़ना चाहिए था,, वो अनजान शहर में है कहीं उसे कुछ होना गया हो,,,, मैं तो उसके परिवार में से भी किसी को नहीं जानती,,,," सुरभि सड़क पर बैठी बैठी ही रोने लगी । वो नितारा की काफी फिक्र करती थी और उसकी फिकर उसकी आंसुओं से भी पता चल रही थी।
वो अपने आप को संभालती है, उसनें अपने आंसू साफ किये, वो खड़ी होकर बोली " नहीं,,, रोने से कुछ भी नहीं होगा,,, मुझे उसे ढूंढना ही होगा,,"
वो अपना पर्स कंधे पर टांगकर टूटी चप्पल के साथ सड़क पर बढ गयी । नितारा को ढूंढने के चक्कर में उसका खुद पर ध्यान ही नहीं था ।
इधर आश्रित नितारा को कार में लेकर बैठा था । नितारा जो काफी नर्वस हो रही थी । वो किसी अंजान के साथ आजतक नही बैठी थी । मगर आश्रित तो उसकी हथेली को पकडकर उसके साथ बैठा था । आश्रित उसे ऐेसे थामे बैठा था जैसे एक बच्चा नींद में अपनी मां का दामन थामे रहता है । बच्चे को हमेशा डर लगता है कि कहीं उसकी मां उससे दूर हो जाए लेकिन यहां पर तो आश्रित को डर लग रहा था कि कही उसकी मोहब्बत उसका जूनून, उसका जिंदगी, उसकी पहली नजर का पहला प्यार, उसके दिल की धड़कन उससे दूर न चली जाये ।
नितारा नें सामनें देखते हुए धीमे से कहा " दांये मोड लिजिये,,,,!! "
आश्रित नें अपने कार की स्टेरिंग को टर्न किया तभी दो कार अचानक ही उसकी कार के बिल्कुल करीब आ गयी । आश्रित नें झटके से कार का ब्रेक मारा...
सामनें दो ओर रोल्स रॉयल्स थी, दोनो कार में बैठे सख्स आश्रित और नितारा को ही देख रहे थे । नितारा को तो कुछ समझ नहीं आया पर एक पल को अचानक ब्रेक लगाने से वो घबरा गयी थी...
नितारा में सामनें देखा, सामनें कार में दो जाने पहचाने से अजनबी सख्स थे । वो आश्रित और नितारा को सख्त भाव के साथ देख रहे थे ।
दोनो कार का दरवाजा खुला और बिल्कुल हिरो की तरह अर्पण और अर्थव दोनो कार से निकले, आँखो पर सनग्लास, बिजनेस सूट में, दो हैंडसम हिरो जैसे लड़के, जो किसी का भी दिल धड़का दे । वो दोनो ही अपनी कार का दरवाजा बंद करते है और अपनी पीठ से बंदूक निकालकर कार की तरफ तान कर बोले " उसे जाने दे,,, उसे कुछ हुआ तो तेरी जिंदगी को बर्बाद कर देगे,,,,"
नितारा को यह सीन देखकर वही पल याद आ गया जब उसने इन तीनों भाइयों को एक दूसरे के ऊपर गन ताने हुए देखा था । अर्पण और अथर्व को इस बात की गलतफहमी हो गयी थी कि आश्रित नें नितारा को किडनैप किया हौ और वो उसे लेकर जा रहा था । जब उन्हें यह बात पता चली तो वो दोनो ही अपनी अपनी कार लेकर वहां पहुच गये थे ।
मगर उन्हें क्या पता था कि अब उनके आपसे की नफरत और जंग में नितारा भी शामिल हो गयी है । यही लडकी इन तीनो की चाहत, दिवानगी और ऑब्शेसन है ।
तीनों की आंखों में अब सिर्फ एक ही लड़की थी — नितारा । आश्रित ने कार का दरवाज़ा खोला, लेकिन वो बाहर नहीं आया। उसने नितारा की हथेली को कसकर पकड़ा और उसकी ओर झुकते हुए कहा,
"डरना मत doll... मैं हूं तुम्हारे साथ..."
नितारा की आंखें डरी हुई थीं, लेकिन आश्रित की पकड़ और सामने खड़े लडको ने उसे डरा दिया था ।
अर्पण ने गुस्से से कहा,
"आश्रित... कार से बाहर निकल... और उसे मेंरे हवाले कर..."
आश्रित ने धीरे से सिर उठाया, उसकी आंखें अब शांत थीं लेकिन उनमें एक गहराई थी जो किसी भी तूफान से टकरा सकती थी।
"वो मेरे साथ है... अपनी मर्ज़ी से.. मैं उसे किसी के हवाले नही करूंगा, बिकॉज शी इज माइन " उसने कहा।
अथर्व ने बंदूक और ऊंची की, वो आश्रित की बात को बर्दाष्त नही कर पाया ।
" बकवास बंद कर,, वो मेरी है,,," वो चिल्लाया ।
अर्पण यह सुनकर हवा में ही फायर करते हुए बोला "तुम दोनो के बाप की प्रॉपर्टी नही है वो,,, जो उसे अपना कह रहे हो,,,,"
दोनो ही अर्पण को गुस्से से देखने लगे । नितारा गोलियो की आवाज से अब पूरी तरह घबरा चुकी थी।
उसने कांपते हुए कहा, " हमें घर जाना है..." तीनों की नजरें उस पर टिक गईं।
वो कुछ और कहने ही वाली थी कि आश्रित ने उसकी हथेली को और कसकर पकड़ लिया।
" मैं छोडकर आऊंगा तुम्हें,,, डरो मत डॉलं,,,"
आश्रित और नितारा नें एक दूसरे की आंखो में देखा, इधर यह सब देखकर इन दोनो का खून उबाल मार रहा था । अर्पण और अथर्व अब धीरे-धीरे कार की ओर बढ़ने लगे। आश्रित ने कार से बाहर कदम रखा।
उसने नितारा को पीछे सीट पर बैठने का इशारा किया और खुद सामने खड़ा हो गया।
"तुम दोनों को जो करना है कर लो... लेकिन नितारा को हाथ लगाने से पहले सौ बार सोच लेना..."
अर्पण ने बंदूक तान दी, उसकी आंखें अब भी सख्त थीं।
इधर अथर्व ने कहा "तूने उसे छूने की हिम्मत कैसे की... तू जानता नहीं ये किसकी है..."
आश्रित ने एक लंबी सांस ली और कहा "वो किसकी है मैं जानता हूं.. वो सिर्फ मेरी है.."
नितारा अब चुपचाप बैठी थी। उसके दिल की धड़कनें तेज थीं।
वो जानती थी — अब जो होने वाला है, वो सिर्फ एक टकराव नहीं... एक जंग है। अब इन तीनों भाइयों की जंग,, सिर्फ उसके लिए थी । तभी गोली चलने की तेज आवाज आयी ।
अर्पण नें आश्रित के पेट पर गोली चला दी थी । नितारा तो यह देखकर इतनी घबरा गयी कि जोर से चिल्ला उठी ।
" क्या आश्रित, अर्पण और अथर्व की इस दिवानगी से नितारा बच पाएगी? क्या होगा आगे, जानने के लिये बने रहिये,,,,,"