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Rebirth of Half Goddess

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हमारी ज़िंदगी अक्सर हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती हैं जहां पर हम अपनी सारी उम्मीद खो कर बस इंतज़ार करने लगते हैं,,,, ,,, इंतजार करते हैं उस हसीन मौत का जो इस झूठे ख़्वाब झूठी उम्मीदों की आज़ादी होती है,,, इंतज़ार करने लगते हैं इस हारती हुई ज़िं...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. Rebirth of Half Goddess - Chapter 1

    Words: 1924

    Estimated Reading Time: 12 min

    हमारी ज़िंदगी अक्सर हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती हैं जहां पर हम अपनी सारी उम्मीद खो कर बस इंतज़ार करने लगते हैं ,,,

    इंतजार करते हैं उस हसीन मौत का जो इस झूठे ख़्वाब झूठी उम्मीदों की आज़ादी होती है,,, इंतज़ार करने लगते हैं इस हारती हुई ज़िंदगी से हमेशा के लिए जीत जाने का,,,, आखिर यही तो अंत है ,,, यहीं तक तो हम सब का सफर था यही तो हमारी मंजिल है,,,,।

    सोफिया

    सोफिया ने अपनी किताब का आखिरी पन्ना भी लिख कर भर दिया था। खिड़की के पास बैठी सोफिया कमरे के बाहर हो रही बर्फ बारी को गौर से देख रही थी।  अपनी किताब पूरी कर उसने अपनी किताब को जलती आग में फेंक दिया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ना कोई दुख न कोई दर्द न किसी बात का सुकून,,, मानो एक ऐसी लाश थी वो जिसकी सांसें चल रही थीं,,।

    एक फकीर ने उसे छू कर कहा "अजीब लाश है सांस भी लेती है"

    वो अपनी जिंदगी की कहानी का हारता हुआ किरदार थी जिसे शायद पता था अब उसके साथ क्या होने वाला है,,,।

    वो एक पिंजड़े में कैद शेरनी थी

    समुद्र की गहराई में एक चिड़िया थी

    वो पॉवरफुल थी वो आजाद थी

    लेकिन वो वहां नहीं थी जहां उसे होना चाहिए था

    सोफिया अपनी उस जलती किताब को देख खुद से ही -" कभी कभी हम सिर्फ अपनी कहानी सुनाना चाहते हैं ,,,,, कहना चाहते हैं,,, चाहे सुन ने वाला हो या नहीं,,,,।"

    सोफिया अपने बेड की तरफ बढ़ रही थी तभी किसी ने उसके कमरे का दरवाज़ा खोला । सोफिया ने मुड़कर उस शख्स को देखा जिसे देख उसके चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान तैर गई ।

    सामने खड़े शख्स के चेहरे पर गुस्सा और नफरत साफ झलक रही थी।

    सोफिया आगे कुछ कहती इस से पहले ही उस शख्स ने आकर गुस्से से सोफिया के बालों को पकड़ा और उसका सिर दीवार में दे मारा।

    सोफिया की आंखों से आंसू बह निकले उसके सिर से खून बह रहा था दीवार पर लगा फ्रेम जिसमें सोफिया और उसके मां पापा की पिक थी वो टूट कर गिर पड़ा । सोफिया के सिर से खून बह रहा था। उस शख्स ने सोफिया का सिर बालों से पकड़ते हुए एक बार फिर टेबल में दे मारा ,,।

    सोफिया की सांसें गहरी हो चली थीं उसने लंबी सांसें भरते हुए चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान कायम रखते हुए -" मेरे जन्मदिन पर आपके इस खूबसूरत तोहफे के लिए शुक्रिया,,, पापा,,,,।"

    हां ये शख्स सोफिया के पिता डेविड थे डेविड ने सोफिया की बात को इग्नोर कर दिया और अपने पीछे खड़ी औरत की ओर देख -" इसे देश से बाहर ले जाने के लिए तैयार करो,,, मुझे एक बिज़नेस मीटिंग में जाना है,,,।"

    उस औरत ने अपनी जहर घोलती मीठी आवाज में -" ओके डियर,,,, तुम फिक्र मत करो,,, मैं सोफिया का अच्छे से ध्यान रखूंगी,,,,।"

    डेविड के जाते ही  उस औरत ने जिसका नाम रोज था उसने सोफिया का सिर पकड़ते हुए -" तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सोचने की भी  कि हम तुम्हें ब्राउन फैमिली में शादी करने देंगे,,, क्या तुम जानती भी हो वो कौन हैं,,,? तुम उनके साथ रहने के लायक भी नहीं,,,,,"

    रोज़ की बात सुन सोफिया पागलों की तरह हस्ते हुए -" कैसी हैं आप,,, (अपने दांतों को दबाते हुए ) मेरी सौतेली मां,,,?"

    रोज़ सोफिया की हसी सुन चिढ़ गई वह कुछ करती इस से पहले ही उसके कानों में एक आवाज आई -"ओह कम ऑन मम्मा,,,, क्यों न इस का खेल यहीं खत्म कर दें,,, पूरा मामला ही रफा दफा हो जाएगा,,।

    लीसा जो रोज के पीछे खड़ी थी उसकी बात सुन सोफिया हस्ते हुए -" तुम से इस से ज्यादा उम्मीद में कुछ कर भी नहीं सकती मेरी प्यारी बहन,,,,।"

    लीसा चिढ़ते हुए सोफिया के चेहरे पर लात मारते हुए -" मुझे नफरत है तुम्हारे इस चेहरे से ,,,, शुरू से ,,, "

    रोज़ लीसा के कंधे को सहलाते हुए -" काम डाउन बेबी,,,,, चलो आज का काम निपटा लेते हैं,,,"

    लीसा रोज़ की बात सुन सोफिया को एक कुटिल मुस्कान देते हुए -" चलो तुम्हारी मदद कर देती हूं तुम्हें इस दुनिया से आजाद करने में,,,।

    तभी रोज़ लीसा को रोकते हुए -" एक मिनट लीसा,,,, तुम्हें नहीं लगता ,,, हमारे बॉडीगार्ड्स हमारे लिए कितनी मेहनत करते हैं,,, क्यों न उनको भी उनका रिवार्ड दिया जाए ( सोफिया की ओर देखते हुए )"

    लीसा खुश होते हुए -" ग्रेट आइडिया मॉम,,,,,"

    कहते हुए लीसा ने क्लैप की लगभग चार पांच बॉडीगार्ड्स रूम में दाखिल हो गए

    लीसा उन बॉडीगार्ड्स को देखते हुए -" बॉयज,,,, एंजॉय योर नाइट,,,, सुबह तक मुझे इसकी सांसे रूकी हुई मिलनी चाहिए,,,,।"

    कहते हुए लीसा और रोज़ वहां से जाने लगीं तभी सोफिया अपनी हिम्मत जुटा कर खड़े होते हुए बोली -" सुबह तक क्यों,,,, अभी क्यों नहीं,,।"

    सोफिया की आंखें लाल थी उसकी आवाज़ सुन रोज़ और लीसा ने उसे मुड़कर देखा कि सोफिया ने अपने टेबल पर रखी कैंडल को जमीन पर गिरा दिया

    कुछ ही पल में पूरे कमरे ने आग पकड़ ली रोज़ लीसा बाकी बॉडीगार्ड्स के साथ हैरत भरी आंखों से सब देख रही थीं बॉडीगार्ड्स ने उन्हें पीछे बचाते हुए पीछे लिया

    सोफिया उस आग में जल रही थी उसने जलते हुए -" इस ज़िंदगी के बाद अगर कोई और जिंदगी मिली,,,, मैं वादा करती हूं अपने एक एक आंसू का बदला तुम सब के खून से लूंगी,,,, "



    लीसा रोज़ बाकी गार्ड्स के साथ घर से बाहर निकल आईं थी तभी घर की दूसरी मंजिल पर जहां सोफिया का कमरा था जिसमें आग लगी थी वहां बुरी तरह से ब्लास्ट हो चुका था,,,।

    क्या ये अंत था सोफिया की कहानी का,,,,,

    नहीं ये शुरुआत थी ,,,

    उसने खुदको चुना था अपनी कहानी खुद लिखने के लिए,,,।

    आखिर,,,

    अंत ही आरंभ है।

    सोफिया ने जलते हुए जो दर्द महसूस किया था वो असहनीय था लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाज़ा खुद सोफिया को भी नहीं था,,,,,।

    कुछ पल बाद

    सोफिया प्वाइंट ऑफ व्यू

    " आह ये रोशनी कैसी,,, ?"

    मेरी बंद आंखों के सामने मुझे एक रोशनी महसूस हुई मानो कुछ चमक रहा है मैंने धीरे से अपनी आंखें खोलने की कोशिश की,,,।

    "एक मिनिट,,,, ये कैसे हो सकता है ? मैं खुदको कैसे सुन सकती हूं,,,? मैं महसूस कर रही हूं खुदके वजूद को,,,। लेकिन कैसे,,,? अभी कुछ देर पहले ही तो,,, वो सब हुआ था,,,। "

    ये सब सोचते हुए मैंने अपनी आंखों को खोला,,,।

    मैं उस कमरे की ओर देखने लगी,,,। 

    " कहीं ये सपना तो नहीं,,,,, आह ( अपना सिर पकड़ते हुए ) नहीं अगर ये सपना है तो अचानक ये दर्द कैसा ,,,,? कहीं वो सब सपना तो नहीं था,,,, नहीं ऐसा कैसे हो सकता है,,,?  मैंने खुद को जलते हुए महसूस किया,,,, तो फिर ये सब क्या है,,,,?"

    मैं अपनी सोच में पागल हुई जा रही थी तभी मेरी नजर उस अनजान कमरे में मेरे बेड के पास लगे शीशे पर पड़ी । मैं खुद को देखकर हैरान थी । 

    " मैं इतनी यंग कैसे लग रही हूं मेरी उम्र तो 26 है,,,, और मैं इस आइने में 20 साल की लड़की कैसे लग रही हूं,,,,,?"

    मेरे दिमाग में सवालों का तूफ़ान तबाही मचा रहा था तभी एक ऐसा जवाब मेरे दिमाग में आया जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल नहीं नामुमकिन था,,,, मैं फिलहाल अपने आस पास के माहौल से बिल्कुल अंजान बस पागल थी इस अजीब सी घटना के बारे में जानने के लिए,, मैंने उस जवाब के बारे में सोचते हुए अपने फ़ोन की तरफ हाथ बढ़ाया ।

    " ये क्या,,,? ये मेरा फ़ोन नही है,,। एक मिनट,,, ये मेरा ही फोन है लेकिन ये फोन मैं 6 या 7 साल पहले इस्तेमाल करती थी,,,।"

    मैंने अपनी सोच को काफी हद तक सच मानते हुए अपने फोन की पॉवर ऑन की,,,,।

    फ़ोन की स्क्रीन देख मेरे पैर सुन्न पड़ चुके थे फोन मेरे हाथ से गिर पड़ा,,,।

    " आज डेट 18 मार्च है और ईयर 2017 ,,।"

    इस जवाब ने मेरे दिमाग को ब्लॉक कर दिया था मेरे लिए यकीन कर पाना मुश्किल था कि मुझे सच में भगवान ने एक और मौका दिया है,, मुझे मेरी जिंदगी के 6 साल पीछे भेज कर,,,,।

    सोफिया प्वाइंट ऑफ व्यू एंड

    सोफिया अपने बारे में सोच रही थी खुदको सामने आइने में गौर से देख रही थी तभी उसे अपने आस पास के माहौल का एहसास हुआ उसने खुदको बिना कपड़ों के चादर से लिपटे हुए एक अनजान कमरे में पाया,,,, ।  सोफिया अपनी जिंदगी में उस दिन में वापस आ गई थी जहां से उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी या बर्बाद हो गई थी,,,,।

    सोफिया ने खुदको आइने में ध्यान से देखा । कितनी मासूमियत थी उसके चेहरे पर लेकिन देखते ही देखते इस मासूमियत की जगह सर्द भाव ने ले ली थी सोफिया बिना किसी भाव के खुदको आइने में देखे जा रही थी।

    वह खुद से - " इस मासूमियत ने मुझसे मेरी जिंदगी छीन ली,,, ये मासूमियत तब ही जल गई थी जब मैं उस आग में झुलस रही थी,,,,। मेरी इस ज़िंदगी में इसकी कोई जगह नहीं,,,,,। "कहते हुए सोफिया ने अपने किरदार को बदल लिया था ।

    वह खड़ी हुई बाथरूम की ओर गई और वहां से तैयार होकर बाहर आई ।

    सोफिया ने खुदको आइने में देखते हुए -" वैलकम बिच,,,।"

    सोफिया ने उस होटल के  कमरे को ध्यान से देखा और जल्द से जल्द वहां से बाहर निकल गई ,,,। वह लंबे लंबे कदमों के साथ एलिवेटर की ओर बढ़ने लगी उसने एलिवेटर का बटन दबाया । सामने खड़े इंसान को देख उसकी सांसें कुछ पल के लिए रुक गईं चेहरे पर हल्की सी टेंशन आ गई सामने खड़ा शख्स बिना किसी बात के परवाह किए सोफिया को लगातार घूरे जा रहा था,,, ।

    उसको देखते ही सोफिया ने अपनी आंखों को नीचा कर लिया और खामोशी से एलिवेटर में आ गई ।

    सोफिया मन में -" जहाँ तक मुझे याद है ,,, मेरी पिछली ज़िंदगी में इस इंसान को ड्रग दिया गया था,,, ये भी होश में नहीं था,,,, प्लीज गॉड इसे मेरा फेस याद ना हो,,, जो भी कुछ हमारे बीच हुआ उस वक्त रूम की लाइट्स ऑफ़ थी ,,, ये ड्रग्स के नशे में था प्लीज इसे मेरा फेस याद ना हो,,,,।"

    सोफिया के मन में यही सब बातें चल रहीं थी ।

    तभी उस शख्स से सोफिया को कमर से पकड़ कर खुदके बेहद करीब करते हुए -" मैं हैरान हूं कल रात जो हमारे बीच हुआ उसके बाद भी तुम अपने पैरों पर चल रही हो,,,,।"

    "व्हाट द,,,,"

    " ये इंसान पागल है क्या,,, इतनी बेशर्मी भरी बातें आखिर कौन कर सकता है वो भी एक स्ट्रेंजर से,,,,।" सोचते हुए सोफिया गुस्से से उस शख्स को घूर रही थी।

    सोफिया ने गुस्से में -" देखिए मिस्टर,,,।"

    वह शख्स सोफिया के होंठो को अपने होंठो को करीब करते हुए -" दिखाइए मिस,,,।"

    सोफिया गुस्से में अपना हाथ उस शख्स पर उठती इस से पहले ही -" काम डाउन माय मिस म्याऊं,,,।"

    सोफिया उस शख्स से अलग होते हुए -" हमारे बीच जो भी हुआ उसे नहीं होना चाहिए था,,, हम दोनों को ही ड्रग दिया गया था,,,, जो भी कुछ हुआ उसे भूल जाइए,,,, ।"

    सोफिया ये कहते हुए उस शख्स से दूर होने लगी तभी वो शख्स -" मैं इतना भी आम नहीं जो तुम इतनी आसानी से मुझे भूल जाओगी,,,,।"

    सोफिया ने गुस्से में उसे घूरा तब तक लिफ्ट का डोर खुल गया सोफिया बाहर जाती इस से पहले ही वो शख्स -" आज थोड़ा जल्दी में हूं,,, लेकिन जल्द ही मुलाकात होगी,,,, मिस म्याऊं,,,।"

    सोफिया ने चिढ़ते हुए उसे देखा और वह होटल से बाहर आ गई।

    **********

    आज के लिए इतना ही

    जय महाकाल

  • 2. Rebirth of Half Goddess - Chapter 2

    Words: 1532

    Estimated Reading Time: 10 min

    अभी रात का दूसरा ही पहर शुरू हुआ था सोफिया को याद नहीं था उस अनजान शख्स के साथ उसने होटल के कमरे में कैसे ये आधी रात गुजार दी और शायद उसे इस बात से ज़्यादा फर्क भी नहीं पढ़ रहा था ।
    लेकिन शायद वो नहीं जानती थी जिस शख्स को वो नज़र अंदाज़ आज कर रही है कल उसका सामने न होना उसको मौत के बराबर लगेगा,,,।




    सोफिया ने उस होटल से बाहर कदम रखा और आगे बढ़कर एक सुनसान पार्क में बैंच पर बैठ गई उस पार्क में स्ट्रीट लाइट की रोशनी आ रही थी सोफिया के बाहर निकलते ही आसमान तेज़ी से बजली से चमक उठा मानो उसके नए किरदार के शुरुआत की तैयारी ये आसमां भी कर रहा हो और कुछ पल में ही तेज़ी से बारिश होने लगी,,,।


    सोफिया भीग रही थी इस बारिश की बूंदें न सिर्फ उसके तन को बल्कि उसके मन को भी भिगो रही थी उसके मन से एक आवाज़ उसे महसूस हुई

    इस बारिश में आखिरी बार रो लो सोफिया
    मिटा दो कमज़ोर सोफिया का वजूद जिस से ये दुनिया हमेशा से अनजान रही है,,,।


    खुद के मन की आवाज सुन सोफिया की आंखों से आंसू निकलने लगे लेकिन चेहरे पर अभी भी कोई भाव कोई एहसास नहीं थे बस आंखें बंद कर अपना चेहरा आसमान की ओर कर बारिश की बूंदों को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी।


    वह अपनी पुरानी ज़िंदगी के बारे में सोच रही थी आखिर कितनी मासूम थी वो किसी बच्चे की तरह, आँखें बंद कर हर किसी पर यकीन कर लेना बचपन से ही उसे बताया गया था उसकी सगी मां उससे नफरत करती थी और उसे छोड़ कर चली गई बस इसी वजह से वो मासूम सी सोफिया हर वक्त कोशिश करती कि कोई उस से नफरत ना करे वो सिर्फ प्यार दे सकती थी और बदले में सब से बस प्यार की ही उम्मीद रखती थी ।
    वह सात साल की थी जब उसके पिता डेविड ने रोज़ से शादी कर ली थी रोज़ के साथ उसकी बेटी लीसा भी थी जो उस वक्त पांच साल की थी।
    सोफिया हर बार कोशिश करती कि बस एक बार रोज़ उसे मां की ममता भरी नज़रों से देख ले जिसके लिए सोफिया हर वो काम करती थी जो रोज कहती थी लीसा में सोफिया अपनी छोटी बहन देखती थी उसके लिए सोफिया सब कुछ करती सिर्फ इसलिए कि उसे वो लोग प्यार दे सकें।
    लेकिन लीसा और रोज़ की नज़रों में महज़ एक कांटा थी ऐसा कांटा जो मार्टिन कॉरपोरेशन के बीच थी।


    सोफिया मार्टिन, मार्टिन फैमिली की इकलौती वारिस और मार्टिन कॉरपोरेशन जो की कंट्री की वन ऑफ दी टॉप कंपनीज़ में से एक थी की होने वाली हायर थी। डेविड मार्टिन यानी सोफिया के पापा सोफिया बचपन से बहुत प्यार करते थे लेकिन रोज़ ने उनके मन में जहर घोल सोफिया को उनकी नज़रों में गिरा दिया और एक ऐसी लड़की साबित कर दिया जो सिर्फ लोगों को अपना जिस्म बेचती है,,,,
    लीसा और रोज़ सोफिया को किसी नौकर से ज्यादा बत्तर समझते थे
    और फिर उसके पिता ने भी उसपर हाथ उठाना मरना पिटना शुरू कर दिया
    दिन गुजरते गए और सोफिया पत्थर दिल बनती गई और अंत में खुदको उस जल्दी आग में इस उम्मीद से झोंक दिया कि अगर इस ज़िंदगी के बाद कोई ज़िंदगी उसे मिली तो उसमें वह सिर्फ अपने बारे में सोचेगी वो एक ऐसी शख्स बनेगी जिस से दुनिया डरेगी उसके आगे झुकेगी,,।



    अपने बीती हुई जिंदगी एक उन हादसों को सोच कर वह चीखने लगी रोने लगी जो आवाज़ जो चीख वो अक्सर अपने गले में घोंट लिया करती थी इस बात के डर से कि कहीं किसी ने उसे सुन लिया तो उसे और बेदर्दी से पीटा जाएगा,,, आज वो चीख भी चीख रही थी वो रही थी,,,,।


    सोफिया एक खिलता हुआ गुलाब का फूल थी लेकिन वो उन हाथों में थी जिनको उसकी कद्र ही नहीं जिन्हें उसकी मौजूदगी की एहमियत का कोई अंदाज़ा ही नहीं था ।

    रोते रोते वो चुप तो गई थी,।

    लेकिन अब ,,, अब वो बदल रही थी इस बारिश की गिरती बूंदें उसके पुराने किरदार को धुल रही थीं। इस बार किस्मत ने खुद उसके हाथों में उसकी किस्मत की स्याही थमा दी थी,,, वो अपना नया किरदार खुद लिखने जा रही थी,,। वो बदल गई थी ये बदलाव उसकी सर्द आंखों में देखा जा सकता था, उसके स्पर्श में महसूस किया जा सकता था, उसकी गहरी सर्द आवाज़ में महसूस किया जा सकता था,,, वो अब वो नहीं रही थी जो वो पहले थी और अब वो उस किरदार से कहीं दूर आ चुकी थी।



    सोफिया बेखौफ उस अंधेरी रात में बारिश में भीग रही थी वहीं उस हॉटल की बिल्डिंग में उस कमरे की कांच की दीवार से वो अनजान शख़्स सोफिया को देख रहा था ।
    उसके चेहरे पर ख़ामोशी थी और आंखें गहरी नीली समंदर की तरफ गहरी और सर्द थीं ये आंखें उस पार्क में बैठी रोती हुई सोफिया को देख रही थीं ।
    सोफिया को देखते हुए वो शख्स खुद से ही अपनी गहरी और बेहद आकर्षक आवाज़ में बोला -"कुछ तो बात होगी तेरे दर्द में जो आज आसमान भी तेरे साथ रोया है,,,।"










    कुछ देर भीगने के बाद जब बारिश थम गई सोफिया अपने घर पहुंचीं सामने खड़े होकर उसने मार्टिन मेंशन को देखा ,,,, नहीं अब ये उसका घर नहीं था,,, वह अब इन सब से दूर जाना चाहती थी,,।
    सोफिया खामोशी से मार्टिन मेंशन के अंदर कदम रखी तभी उसके कानों में रोज़ की तीखी आवाज़ पड़ी -" इतनी रात गए कहां से आ रही है अपना मुंह काला करवा कर ,,,,?"


    सोफिया के लिए ये आम था उसने बिना कुछ कहे अपने कदम जारी रखे तभी लीसा तेज़ आवाज़ में -" सोफिया,,,, तुम्हारी इतनी हिम्मत तुम मॉम को इग्नोर करोगी,,,।"

    सोफिया कुछ नहीं बोली तभी उसके पिता डेविड लिविंग एरिया में आए उनके चेहरे पर गुस्सा साफ था सोफिया ने अपनी सर्द नज़रों से उन्हें देखा और फिर अपने कमरे की ओर बढ़ गई
    तभी लीसा अपने चेहरे पर मासूमियत का मुखौटा पहन डेविड से -" सी पापा,,, ये किस तरह मॉम को डिसरेस्पेक्ट कर रही है,,,?"


    डेविड गुस्से में सोफिया से कुछ कहता इस से पहले ही रोज़ अपनी आंखों में चुपके से ड्रॉप्स डाल कर डेविड के कंधे पर हाथ रख -" इट्स ओके स्वीटहार्ट,,, वो अभी बच्ची है,,,।"


    सोफिया उसने एक नज़र मुड़कर अपने पीछे हो रही एक्टिंग को देख चहरे पर टेडी मुस्कान लाते हुए -" ब्लडी एक्ट्रेस,,,।"
    और सोफिया जाने लगी तभी डेविड गुस्से में -" सोफिया,,, क्या यही तरीका है  बात करने का,,, तुम्हारे मैनर्स कहां गए,,? शो सम रिस्पेक्ट इनफ्रोंट ऑफ हर ,,,,,,,,।"


    उसकी बात सुन सोफिया के कदम रुक गए उसने मुड़कर गुस्से भरी नजरों से डेविड को देखते हुए सर्द आवाज़ में कहा -" रिस्पेक्ट ,,, उन्हें दी जाती है जो रिस्पेक्ट डिजर्व करते हैं,,,,।" कहते हुए सोफिया जाने लगी तभी डेविड गुस्से में -" शी इज़ योर मदर यू अनग्रेटफुल चाइल्ड,,,।"



    सोफिया रूकी उस ने गुस्से में टेड़ी मुस्कान देते हुए डेविड से कहा -" फर्स्ट ऑफ ऑल मिस्टर डेविड मार्टिन,,,, शी इज़ योर वाइफ नॉट माय मदर,,, देयर इज नो रिलेशन बिटवीन मि एंड हर ,,, रिश्तों की बात मुझे उस शख्स के मुंह से बिल्कुल पसंद नहीं जिसे अपने और अपनी खुदकी बेटी के बीच के रिश्ते की एहमियत का अंदाज़ा ना हो,,,।"



    सोफिया की बात सुन डेविड का दिल धक सा रह गया था उसे मानो शॉक लगा हो वहीं लीसा और रोज़ हैरान थी सोफिया के इस रवैए से सोफिया ने गुस्से में उन दोनों को घूरा और अपने कमरे की ओर बढ़ गई,,,।



    कुछ देर बाद




    सोफिया अपने ट्रॉली बैग के साथ बाहर आई जिसे देख डेविड ने उस से परेशान होकर -" कहां जा रही हो तुम,,?"

    सोफिया ने फीकी मुस्कान के साथ डेविड की ओर देखते हुए -" इस कंट्री को छोड़ कर,,,,।"
    डेविड हैरान परेशान -" लेकिन,, क्यों,,,?"
    सोफिया डेविड की ओर देख -" आप भूल रहे हैं मिस्टर मार्टिन,,, अभी कुछ देर पहले ही आपने मुझे अनग्रेटफुल कहा था,,, और मेरा होना आपकी नजरों में मार्टिन फैमिली के लिए सबसे शर्मनाक बात है ,,, तो मैं जा रही हूं,,,।"


    तभी रोज़ डेविड के कंधे पर हाथ रख अपने गुस्से को छुपाते हुए -" सोफिया,,, माय लव,,ये क्या तरीका है अपने पापा से बात करने का,,,,।"

    सोफिया टेड़ी नजरों से रोज को देख -" अपनी ये दो कौड़ी की ओवर एक्टिंग मिस्टर मार्टिन के सामने पेश करिए,,,, ।"

    तभी लीसा गुस्से में तेज़ आवाज़ में -" सोफिया,,,।"

    सोफिया लीसा को देख सर्द गहरी आवाज़ में -" मेरे सब्र का इम्तेहान मत लो लीसा,,, नहीं तो अब तक मेरी ये उंगलियां ( अपने राइट हैंड की उंगलियों को देखते हुए) इनके निशान तुम्हारे उन मुलायम गालों  पर  प्रिंट हो जाते ,,,,।"

    डेविड की ओर एक आखिरी बार देखते हुए -"एंजॉय योर लाइफ विद योर फैमिली मिस्टर मार्टिन,,,।"
    कहकर सोफिया उस मेंशन से कभी वापस न आने की कसम खा कर निकल गई
    डेविड की आंखों में आंसू थे उसके सीने में दर्द शुरू होंगाया था ना जाने क्यों उन्हें बार बार लग रहा था सोफिया से उनकी ये आखिरी मुलाकात है,,,।वहीं लीसा और रोज़ को इस बात की खुशी थी कि सोफिया हमेशा के लिए मार्टिन कॉरपोरेशन उनके हवाले छोड़ कर चली गई है,,,,।











    """"""""



    जय महाकाल

  • 3. Rebirth of Half Goddess - Chapter 3

    Words: 1391

    Estimated Reading Time: 9 min

    इविल क्वींस आर दी प्रिंसेस डेट वर नेवर सेव्ड













    5 साल बाद





    उस बड़े से महल जैसे मकान में एक फोन बार बार रिंग कर रहा था जिसे शायद उस वीरान मकान में उठाने वाला कोई नहीं था,,,।

    तभी पैरों में पहने जूतों की आवाज आई और कोई उस टेलीफोन के पास जाकर खड़ा हुआ ।


    उस कॉल पर क्या बोला जा रहा था ये तो सुनाई नही पड़ा लेकिन वो शख्स -" एक बार बोल दिया है ना,,, बॉस किसी के सिक्योरिटी गार्ड बनने में इंटरेस्टेड नहीं है,,,, ख़ैर मनाओ जो तुम्हारे इस प्रपोजल के बाद भी तुम अभी सांस लेने के काबिल हो,,,,।"कहते हुए उस शख्स ने कॉल काट दिया ।






    दूसरी ओर




    एक लड़की अपने ऑफिस के केबिन में बैठी कुछ फाइल्स चेक कर रही थी उसके चेहरे के भाव हमेशा की तरह सर्द थे हां ये वही थी ,,, सोफिया




    तभी उसके फोन पर एक मेल आया जिसे पढ़कर उसकी आंखें जो हमेशा की तरह सर्द रहती थी वह और भी सर्द हो गईं ।लेकिन कहीं ना कहीं उन आंखों में अभी भी नमी कायम थी । सोफिया ने अपनी फाइल्स समेटी और उन्हें टेबल के ड्रॉवर में रख अपना बैग उठाकर वह वहां से चल दी।

    उसके केबिन के बाहर आते ही उसी की उम्र की एक और लड़की उसके ठीक पीछे पीछे चल दी यह कोई और नहीं सोफिया की पर्सनल असिस्टेंट जेनेट ही थी।

    जब सोफिया अपनी कंट्री ए को छोड़कर कंट्री भी में शिफ्ट हुई थी तभी से जेनेट उसके साथ थी। जेनेट ने सोफिया की हर तरीके से मदद की और उसे कंट्री बि में अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट करने में बहुत हेल्प की बिना जेनेट के सोफिया का सक्सेसफुल हो पाना शायद कहीं ना कहीं मुश्किल था।

    सोफिया जेनेट पर अपनी आंखें बंद कर विश्वास करती थी। इन 5 सालों में सोफिया ने जेनेट को अपना परिवार मान लिया था । उसके लिए 5 साल पहले जो भी हुआ वह सब कुछ एक बुरा सपना बनकर रह गया था। वह उस दुनिया में वापस नहीं जाना चाहती थी लेकिन कहीं ना कहीं वह उन यादों से घर जाया करती थी। लेकिन अक्सर जेनेट उसे उन बुरी यादों से निकलने मैं मदद करती थी।

    जेनेट को सोफिया के बारे में सब कुछ पता था । जेनेट सोफिया के बारे में सब कुछ जानती थी।
    लेकिन उसने कभी सोफिया के बुरे हालातों के चलते कभी उसे जज नहीं किया । वह सोफिया को समझती थी 5 सालों में उसने सोफिया को हर तरीके से जाना था। सोफिया का गुस्सा , सोफिया का रोना, सोफिया का चीखना, रात रात भर उन सपनों से डर कर जागना, अंधेरों में खुश रहना ,रोशनी से शिकायत रहना, सोफिया का हर एक फेस जेनेट ने फेस किया था।

    और इन सब के बाद जेनेट ने उसे एक्सेप्ट किया था ।सोफिया जो थी,  सोफिया जो है , जेनेट ने  उसके कल के साथ उसे आज एक्सेप्ट किया था। यही वजह थी कि सोफिया जेनेट पर आंखें बंद कर विश्वास किया करती थी। और जेनेट उसके लिए अपना पूरा परिवार थी इन 5 सालों में सोफिया ने कभी मार्टिन फैमिली के बारे में जानने की कोई कोशिश नहीं की।



    ओसिया एक सक्सेसफुल बिजनेस वूमेन थी। लेकिन कुछ ऐसा भी था जिससे दुनिया अनजान थी। सोफिया उससे कहीं ज्यादा थी जितना वह दिखती थी।  वह अपने खामोश और सर्द चेहरे में जिन पर कोई भाव नहीं था उसमें ना जाने कितने राज छुपाए बैठी थी । उसका खामोश रहना सबसे बड़ा तूफान था जिसकी तबाही शायद सब कुछ बर्बाद कर सकती थी।





    सोफिया जेनेट के साथ अपनी ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर निकली और अपनी कार में बैठ दोनों ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
    जेनेट ड्राइव कर रही थी , सोफिया ने अपनी सर्द भरी आवाज में कहा -" हमें कंट्री ए के लिए निकलना है।"

    सोफिया की बात सुन जेनेट ने अचानक गाड़ी के ब्रेक लगा दिए। जेनेट हैरान थी कि आखिर सोफिया ने यह फैसला क्यों लिया वह हैरत भरी नजरों से सोफिया को देख रही थी । सोफीया ने उसकी ओर अपनी सर्द भरी नजरों से एक बार फिर देखा और वापस अपनी नजरें फेर ली जेनेट ने सोफिया से सवाल करते हुए कहा - "कंट्री ए जाने की कोई खास वजह,,?"


    सोफिया खिड़की के बाहर देखते हुए बोली - "अब वक्त आ गया है जिस अतीत से मैं दूर भाग रही थी अब उसका सामना करने का" जेनेट ने एक गहरी सांस छोड़ी और गाड़ी फिर से स्टार्ट कर दी जेनेट को जिस बात का डर था आज वही हो रहा था सोफिया का यह फैसला ना जाने अब कौन सी तबाही लाने वाला था क्योंकि यह सोफिया वह नहीं थी जो 5 साल पहले थी।







    दूसरी ओर कंट्री ए में






    उस बड़ी सी बिल्डिंग जो दिखने में डार्क कलर की थी। उसके 11वीं मंजिल पर एक शख्स अपने फ्लैट में अपने किंग साइज सोफे पर बैठा हुआ था  उसने अपना एक पैर अपने दूसरे पैर के ऊपर रखा था। उसकी आंखें गहरी नीली रंग की थी। वही चेहरे पर समंदर से खामोशी लेकिन एक अलग ही तेज था उसकी आंखें बेहद आकर्षक थी शरीर बेहद सुडौल था। उसका सीना ब्लैक शर्ट के खुले हुए उन दो बटन में से झांक रहा था जिन बटन का लग पाना उसके चौड़े सीने के कारण मुश्किल था। उसकी आंखें नशीली सी थी उस शख्स के सामने लगभग 10 लोग खड़े हुए थे जिन्होंने काले सूट पहन रखे थे उसके बगल में पीछे की तरफ एक और शख्स था जो उसी की तरह बेहद आकर्षक पर्सनैलिटी का था ।



    वह शक्स जो सोफे पर बैठा था उसकी ख़ामोशी उन सामने खड़े 10 लोगों के शरीर में कंपन पैदा कर दी थी तभी खड़ा शख्स बोला -"एलेक्स,,,,उसने तुम्हारा ऑफर ठुकरा दिया है।"

    अलेक्जेंडर विल्सन यानी एलेक्स सिर्फ कंट्री एका ही नहीं दुनिया का सबसे पावरफुल बिजनेसमैन था जिसके अंदर में सभी माफिया आते थे वह खुद में एक डेविल था।

    जिसका गुस्सा ही नहीं सिर्फ उसकी गहरी आवाज सुन लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे वह शख्स बहुत ही खतरनाक था।

    एलेक्स अपने पीछे खड़े शख्स की बात सुन -" हम्म्म्म,,,,"

    तभी एलेक्स ने अपने सामने खड़े आदमियों को देख अपनी लेफ्ट आइब्रो ऊपर की ।
    उन आदमियों में सबसे आगे खड़े शख्स ने डरते हुए अपनी कांपती आवाज में कहा -" सर हमें सोफिया का अभी तक कोई पता नहीं चला है !"
    बस यही सुनने की देरी थी और एलेक्स ने बिना एक पल कब आए उस शख्स के सीने में गोली दाघ दी।

    बाकी के आदमी यह देख डर गए वह बुरी तरह से घबरा गए उन आदमियों से एक शख्स बोला - "हमें माफ कर दीजिए सर हम जल्द ही सोफिया का पता लगा लेंगे।
    वी आर वेरी वेरी सॉरी"


    उस शक्स की बात सुन एलेक्स ने उसकी खोपड़ी में भी गोली दाग दी और अपनी गहरी और लापरवाह भरी आवाज में कहा -" आई जस्ट हेट सॉरी "

    बाकी बचे हुए आदमी अभी भी एलेक्स को देख रहे थे। एलेक्स कुछ बोलता इससे पहले ही उसके पीछे खड़ा शख्स बोला-" तुम सब को 5 दिन का वक्त दिया जाता है इस वक्त में जल्द से जल्द सोफिया का पता लगाओ कि वह आखिर कहां है नहीं तो तुम सब भी अपनी जान इसी तरह गवा दोगे ।"


    एलेक्स की बात सुन बचे हुए आदमी हां में सर हिला कर तुरंत वहां से अपनी जान बचा कर निकल लिया एलेक्स ने गुस्से में उस शख्स की ओर मुड़ कर देखा और कहा - " स्टीफन हर बार इन काम चोरों की जान बचा कर तुम अपनी जान खतरे में डाल रहे,,,।"



    एलेक्स की बात सुन स्टीफन जोरो से हंस दिया और बोला -" मैं शुरू से तुम्हारे मुंह से यही शब्द अपने लिए सुनते आया हूं लेकिन देखो आज भी हमारे सामने सही सलामत एकदम भला चंगा खड़ा हूं ।"


    एलेक्स स्टीफिन की बात सुन इरिटेट होकर वहां से उठ कर चला गया स्टीफन ने आदमियों से कहकर उन दोनों लाशों को ठिकाने लगाने को कहा और वहां की साफ सफाई करवा दी ।

    वही एलेक्स अपने कमरे में उस कांच की दीवार के सामने खड़े होकर पूरे शहर को देख रहा था ।
    उसके मन में और उसकी आंखों में सिर्फ और सिर्फ सोफिया का चेहरा घूम रहा था जो बार-बार उसके दिमाग में शोर मचा रहा था।







    आखिर आखिर कौन था एलेक्स क्यों वह सोफिया के लिए बेताब था?
    और कौन था वह माफिया जिसकी सिक्योरिटी एलेक्स चाहता था?





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    जय महाकाल